भरतपुर NSUI ने कलेक्ट्रेट के बाहर शिक्षा मंत्री मदन दिलावर का पुतला जलाया। NSUI शिक्षा मंत्री के दो बयान का विरोध कर रही है। शिक्षा मंत्री ने कहा था कि पाठ्यक्रम में से कांग्रेस का इतिहास ख़त्म कर बीजेपी का इतिहास जोड़ा जाएगा। वहीं दूसरा बयान देते हुए शिक्षा मंत्री ने कहा था कि अगर बच्चे ट्यूशन करेंगे तो, फ़ैल होंगे। NSUI मांग कर रही है कि शिक्षा मंत्री अपने दोनों बयानों पर माफ़ी मांगे। NSUI के जिला अध्यक्ष वीकेश फौजदार ने बताया कि हाल ही में शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने एक बयान देते हुए कहा था कि ढाई करोड़ से 5 करोड़ तक जो पाठ्यक्रम की किताबें छप कर आई हैं। उनमें कांग्रेस के नेताओं का जिक्र है। कांग्रेस के नेताओं ने देश को आजाद करवाने के लिए लड़ाई लड़ी थी। शिक्षा मंत्री कहते हैं कि महात्मा गांधी, राजीव गांधी, इंदिरा गांधी और जवाहरलाल नेहरू के लेखों को पाठ्यक्रम में से हटाया जाएगा। बीजेपी के नेताओं का इतिहास पाठ्यक्रम में जोड़ा जाएगा। इस पाठ्यक्रम को रद्द कर दिया जाएगा। यह सारी किताबें रद्दी में जाएगी। जिसके बाद दूसरा पाठ्यक्रम छपेगा। शिक्षा मंत्री ने दूसरा बयान सिरोही के बच्चों के लिए दिया था। जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर बच्चे ट्यूशन नहीं जाएंगे तो, फेल होंगे। दोनों बयानों को लेकर NSUI मांग करती है कि शिक्षा मंत्री सर्व समाज के सामने माफ़ी मांगे नहीं तो, NSUI उग्र आंदोलन करेगी और सड़कों पर उतरेगी।
पीएम श्री राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक स्कूल सिरोही में छात्राओं ने एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया। इस दौरान उन्होंने संवाद कौशल को बेहतर बनाने के लिए नाटक की प्रस्तुति दी। छात्राओं ने पोस्टर के माध्यम से शिक्षा के महत्व को प्रदर्शित किया। स्कूल की प्रिंसिपल हीरा खत्री और पीएम श्री योजना प्रभारी गोपाल सिंह राव ने बताया कि जीवन कौशल गतिविधि के अंतर्गत कक्षा 6 से 8 की छात्राओं ने मौखिक और लिखित कहानियां तैयार की। गतिविधि प्रभारी रमेश कुमार मेघवाल और भारती सुथार के मार्गदर्शन में छात्राओं ने कहानियों को कार्ड शीट पर लिखा। कार्यक्रम में छात्राओं के एक समूह ने नाटक का मंचन किया। सभी प्रतिभागी छात्राओं को प्रोत्साहन स्वरूप पेन प्रदान किए गए। इस मौके पर अनीता चौहान, वर्षा त्रिवेदी, श्रृद्धा सिंदल, ममता कोठारी, पारस राजपुरोहित, सुजानाराम, बृजेश कुमार पालीवाल, महेंद्र कुमार प्रजापत, भगवत सिंह देवड़ा, कल्पना चौहान, शर्मिला डाबी, कुसुम परमार, प्रतिभा आर्य, देवी लाल, तृप्ति डाबी, चन्द्रकांता चौहान, सोनल राठौड़, कीर्ति सोलंकी और कामिनी रावल मौजूद रहे।
शिक्षा मंत्री का पुतला जलाया:NSUI के छात्र नेता बोले - 6 लाख किताबें वापस मंगाकर औछी राजनीति कर रही
अलवर शहर के RR कॉलेज गेट पर शनिवार को NSUI के छात्रों ने शिक्षा मंत्री मदन दिलावर का पुतला फूंका और सरकार पर इतिहास से छेड़छाड़ कर औछी राजनीति करने के आरोप लगाए। यह भी कहा कि सरकार कांग्रेस के नेताओं तथा क्रांतिकारियों के योगदान को पाठ्यक्रम से हटाना चाहती है। एनएसयूआई नेता सतीश पटेल रामगढ़िया ने कहा, शिक्षा मंत्री मदन दिलावर का पुतला इसलिए जलाया क्योंकि वो लगातार आज़ादी की लड़ाई में योगदान देने वाले कांग्रेस नेताओं और क्रांतिकारियों को किताबों से हटवाने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने 6 लाख किताबें वापस मंगवा कर सिलेबस में बदलाव करवाया है। जो बेहद निंदनीय है। जिससे सरकार को मोटा नुकसान भी हुआ है। युवा पीढ़ी में गलत संदेश गया है। उन्होंने कहा, आजादी की लड़ाई में जिनका ऐतिहासिक योगदान रहा, उन्हें हमारी नई पीढ़ी को जानना ज़रूरी है। नई पीढ़ी को भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद, नेताजी सुभाषचंद्र बोस, पंडित नेहरू, महात्मा गांधी और सरदार पटेल जैसे महानायकों के बारे में नहीं बताएंगे तो उनको आजादी के मूल्यों का कैसे पता चलेगा। पटेल ने यह भी कहा कि भाजपा आज उन चेहरों को इतिहास में स्थापित करना चाहती है जिनका स्वतंत्रता संग्राम से कोई संबंध नहीं था। जो पार्टी आज़ादी के समय अस्तित्व में ही नहीं थी, आज वह दिखाना चाहती है कि वही इतिहास की सबसे बड़ी ताकत रही है। लेकिन जनता सब देख रही है और यह सच्चाई नहीं छुपाई जा सकती। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने वापस मंगाई गई किताबों को यथावत बहाल नहीं किया और पुराना सिलेबस नहीं पढ़ाया गया, तो यह आंदोलन पूरे प्रदेश में फैलाया जाएगा और जगह-जगह शिक्षा मंत्री के पुतले दहन किए जाएंगे।
ई-कॉमर्स के इस दौर में उम्मीद तो ये की जा रही थी कि कॉमर्स संकाय को भी बढ़ावा मिलेगा। लेकिन ऐसा देखने को नहीं मिल पा रहा। राज्य के सरकारी कॉलेजों में हाल यह है कि कॉमर्स संकाय में प्रवेश में कमी आ रही है। अन्य विषयों के मुकाबले साढ़े 5 प्रतिशत छात्र-छात्राएं भी इसमें दिलचस्पी नहीं ले रहे। इतना ही नहीं 2025 में राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड में भी कला वर्ग के मुकाबले वाणिज्य में 10.32 प्रतिशत छात्र-छात्राओं ने ही प्रवेश लिया है। बोर्ड की परीक्षा में भी कई वर्षों से कला वर्ग के मुकाबले वाणिज्य संकाय में कमी आ रही है। इस का पहला कारण ये बताया जा रहा है कि सरकारी सेवाओं में इस संकाय से संबंधित मौके कम हो गए हैं। सरकारी सेवाओं में जिस विषय के अवसर कम होते हैं, उसमें छात्र-छात्राओं की भी रुचि कम होती जाती है। ऐसा ही वाणिज्य विषय के साथ होता नजर आ रहा है। स्कूल के बाद सरकारी कॉलेजों में भी सीटें भरना मुश्किल होता जा रहा है। 65 साल से संचालित राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय टोंक में वाणिज्य संकाय में 2024 में 200 सीटों पर सिर्फ 35 ने प्रवेश लिया। वहीं इस बार 200 सीटों पर 17 आवेदन ही आए। 1994 से संचालित टोंक जिले के सबसे बड़े महाविद्यालय (कन्या महाविद्यालय) में गत वर्ष 80 सीटों पर 17 एवं इस बार 12 आवेदन ही आए। जबकि यहां पर इस संकाय में स्टाफ पर्याप्त है। ऐसा राज्य के अधिकांश कॉलेजों का हाल है। वाणिज्य संकाय के सेवानिवृत्त प्रोफेसर पीसी जैन का कहना है कि कॉमर्स में अब भी करियर के कई अवसर हैं। इसके बावजूद इस विषय की लोकप्रियता में गिरावट आई है। इसका बड़ा कारण शिक्षकों की भर्ती में इस विषय के शिक्षकों के अवसर कम होना है। सबसे पहले कक्षा 10 तक वाणिज्य विषय पढ़ाया जाता था। अब 10वीं तक यह विषय नहीं होने से टीचर्स की जरूरत कम हो गई है। संकाय का ग्राफ गिरने की यह स्थिति पिछले 25 साल से बनी हुई है।
स्कूल संचालकों के लिए शिक्षा, परिवहन के संगम की एक नई पहल
उदयपुर | शिक्षा क्षेत्र में परिवर्तन और छात्र परिवहन को आधुनिक रूप देने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए सीके मोटर्स एवं टाटा मोटर्स के साझे में फर्न रेजीडेन्सी में एज्यूट्रान्स कानक्लेव-2025 का आयोजन हुआ। इस अवसर पर क्षेत्र के अग्रणी स्कूल संचालकों, शिक्षाविदों और परिवहन विशेषज्ञों ने सहभागिता की। मुख्य वक्ता राकेश भटनागर एवं ऋषभ भटनागर ने सीखने और सिखाने की नई विधियां विषय पर प्रतिभागियों से विस्तार से चर्चा की।
शिक्षक संघ राष्ट्रीय के सरस्वती शिक्षक सदन का लोकार्पण आज, वीसी से जुड़ेंगे शिक्षा मंत्री
सेक्टर-4 स्थित टैगोर नगर में राजस्थान शिक्षक संघ (राष्ट्रीय) के नए भवन ‘शिक्षक सदन’ का लोकार्पण शनिवार सुबह 10 बजे होगा। समारोह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्रीय प्रचारक निंबाराम मुख्य वक्ता होंगे। जनजाति मंत्री बाबूलाल खराड़ी, सांसद मन्नालाल, सी.पी. जोशी, राज्यसभा सदस्य चुन्नीलाल गरासिया, शहर विधायक ताराचंद जैन, ग्रामीण फूलसिंह मीणा बतौर अतिथि शामिल होंगे। शिक्षामंत्री मदन दिलावर वीडियो कान्फ्रेंसिंग (वीसी) के जरिए ऑनलाइन जुड़ेंगे। संघ के जिला अध्यक्ष पुष्पेंद्र सिंह झाला ने बताया कि समारोह में माकड़ादेव धाम, झाड़ोल के ब्रह्मचारी गुलाब दास महाराज का सान्निध्य भी रहेगा। जिला संगठन मंत्री डॉ. हेमंत मेनारिया ने बताया कि शिक्षा मंत्री का कार्यक्रम पहले से उदयपुर में तय था, परंतु कोटा में उपराष्ट्रपति का कार्यक्रम होने से उदयपुर दौरा निरस्त हो गया। संगठन की ओर से प्रदेशाध्यक्ष रमेशचंद्र पुष्करणा, प्रदेश महामंत्री महेंद्र कुमार लखारा रहेंगे। थीम- शिक्षकों का, शिक्षकों के लिए, शिक्षकों द्वारा जिला कोषाध्यक्ष मंगल कुमार जैन ने बताया कि सरस्वती शिक्षक सदन का निर्माण शिक्षकों का, शिक्षकों के लिए, शिक्षकों द्वारा की थीम पर है। जिला मीडिया प्रभारी गोपाल मेहता मेनारिया के अनुसार इस भवन के निर्माण में लगी राशि उदयपुर जिले के शिक्षक संघ राष्ट्रीय से जुड़े सक्रिय शिक्षकों से ही ली गई है। लोकार्पण समारोह के लिए समितियां बनाई गई हैं। इन्होंने जो विभाग संगठन मंत्री राजेंद्र सिंह सारंगदेवोत, संभाग संगठन मंत्री महिला उमा रांका, जिला कोषाध्यक्ष मंगल कुमार जैन, जिला सभा अध्यक्ष गोपाल शर्मा, गिर्वा अध्यक्ष करण सिंह चौहान, जिला महिला संगठन मंत्री लीला जाट, जिला महिला मंत्री डॉ. कौशल्या सोलंकी आदि के संयोजन में तैयारियां पूरी की हैं।
बलिया में शुक्रवार को जिलाधिकारी मंगला प्रसाद सिंह की जनसुनवाई के दौरान एक महिला ने मदद की गुहार लगाई। सिकंदरपुर तहसील के ग्राम पकड़ी की रहने वाली पिंकी सिंह ने बताया कि उनके पति अनिल सिंह ने उन्हें घर से निकाल दिया। पिंकी अपने मायके में रह रही थीं, लेकिन अब उनके भाई ने भी उन्हें घर से बाहर कर दिया है। उनके तीन बेटे और एक बेटी हैं। गरीबी के कारण बच्चों के भरण-पोषण और रहने की समस्या उनके सामने खड़ी है। महिला की समस्या को गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी ने तत्काल कार्रवाई के आदेश दिए। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि महिला को आवास की सुविधा दी जाए। साथ ही उन्हें सभी सरकारी योजनाओं का लाभ मिले। डीएम ने बच्चों की शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए उन्हें विद्यालय में प्रवेश दिलाने का भी निर्देश दिया। महिला को पट्टा देने और रोजगार या नौकरी की व्यवस्था करने का आश्वासन भी दिया गया।
फरीदाबाद में तकनीकी शिक्षा कमेटी का दौरा:स्टाफ की कमी पर जताई चिंता, 3 माह में सुधार का आश्वासन
फरीदाबाद जिले में हरियाणा विधानसभा की शिक्षा और तकनीकी शिक्षा कमेटी ने दौरा किया और शिक्षा की स्थिति की समीक्षा की। इस कमेटी की अध्यक्षता सांसद और विधायक रामकुमार कश्यप ने की। उनके साथ कुल 11 विधायक मौजूद रहे। बैठक में शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने और सामने आई खामियों को दूर करने को लेकर विस्तार से चर्चा की गई। शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावित कमेटी अध्यक्ष रामकुमार कश्यप ने बताया कि फरीदाबाद जिले में स्कूलों और कॉलेजों में स्टाफ की भारी कमी पाई गई है, जो शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावित कर रही है। उपायुक्त (डीसी) ने आश्वासन दिया है कि तीन महीने के अंदर स्टाफ की कमी को पूरा कर लिया जाएगा। उन्होंने यह भी माना कि सभी कमियों को एक बार में दूर करना संभव नहीं है, लेकिन सुधार की दिशा में प्रयास जरूर किए जा रहे हैं। दूसरा कैंपस बनाने पर भी चर्चा बैठक में जेसी बोस यूनिवर्सिटी का दूसरा कैंपस बनाने पर भी चर्चा हुई। अभी तक इसके लिए ज़मीन का CLU (चेंज ऑफ लैंड यूज़) नहीं मिला था, लेकिन अब संबंधित विभागों से बातचीत कर जल्दी इसका काम शुरू करवाने की योजना है। रामकुमार कश्यप ने कहा कि अगर तीन महीने के अंदर अपेक्षित सुधार नहीं होते हैं, तो कमेटी इसकी जिम्मेदारी तय करेगी और संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा जाएगा।
छत्तीसगढ़ में बिना मान्यता संचालित निजी स्कूलों पर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। 11 जुलाई को कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि आगामी आदेश तक बगैर मान्यता प्राप्त स्कूलों में नए सत्र के लिए प्रवेश पर तत्काल रोक लगाई जाए। कोर्ट ने शिक्षा सचिव को 2013 में जारी नियमों के पालन को लेकर व्यक्तिगत शपथपत्र प्रस्तुत करने का निर्देश भी दिया है। उच्च न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि जिन छात्रों का प्रवेश पहले से हो चुका है, वह निरस्त नहीं किया जाएगा। अदालत ने कहा कि इस आदेश का पालन सुनिश्चित किया जाए ताकि पहले से दाखिल छात्रों और उनके अभिभावकों को कोई कठिनाई न हो। विभाग को यह निर्देश भी दिया गया कि ऐसे छात्रों की याचिकाओं को स्वीकार किया जाए। अगली सुनवाई 5 अगस्त को होगी। बिना मान्यता के स्कूल के आवेदन लंबित उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने निःशुल्क बाल शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के तहत एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला लिया। याचिकाकर्ता विकास तिवारी के वकीलों ने तर्क दिया कि नियमों के अनुसार नर्सरी से केजी-2 तक की कक्षाएं संचालित करने वाले सभी गैर शासकीय स्कूलों को मान्यता लेना अनिवार्य है, जबकि वर्तमान में कई स्कूल बिना मान्यता के चलाए जा रहे हैं। शिक्षा विभाग द्वारा दाखिल शपथपत्र में यह भी स्वीकार किया गया कि कई स्कूल बिना मान्यता के संचालित हो रहे हैं और आवेदन लंबित हैं। पुस्तक खरीदने के दबाव मामले में 5 अगस्त को सुनवाई सुनवाई के दौरान एक अन्य याचिका में यह मुद्दा भी उठाया गया कि कुछ निजी स्कूल, कोर्ट से मिली अंतरिम राहत का दुरुपयोग करते हुए महंगी निजी पुस्तकों को खरीदने का दबाव अभिभावकों पर बना रहे हैं। न्यायालय ने इस मामले को भी वर्तमान जनहित याचिका के साथ जोड़ते हुए अगली सुनवाई की तारीख 5 अगस्त निर्धारित की है। न्यायालय ने शिक्षा सचिव को यह निर्देश भी दिया है कि पूरे प्रदेश में संचालित गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों की जांच कर विस्तृत रिपोर्ट पेश की जाए।
प्रयागराज में सामाजिक कार्यों में सक्रिय एडवोकेट चंद्रजीत यादव को अपना पूर्वांचल महासंघ का जिला प्रभारी बनाया गया है। महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एडवोकेट अशोक दुबे के निर्देश पर राष्ट्रीय महासचिव फूलचंद दीक्षित ने उन्हें नियुक्ति पत्र सौंपा। चंद्रजीत यादव को जिले में कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दी गई हैं। वे शिक्षा, रोजगार और व्यावसायिक विकास पर काम करेंगे। साथ ही सामाजिक जागरूकता, स्वास्थ्य सेवाएं और सरकारी योजनाओं की जानकारी आम जनता तक पहुंचाएंगे। राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक दुबे ने कहा कि चंद्रजीत यादव की नियुक्ति से संगठन मजबूत होगा। प्रयागराज में संगठन की पहुंच और प्रभाव बढ़ेगा। यादव को संयोजक और सह-संयोजकों की नियुक्ति का अधिकार भी दिया गया है। दुबे ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता और स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बढ़ाना जरूरी है। सरकारी योजनाओं में जनभागीदारी और स्वरोजगार के अवसर बढ़ाने पर ध्यान दिया जाएगा। महासंघ का लक्ष्य समाज के हर व्यक्ति तक योजनाओं का लाभ पहुंचाना है। चंद्रजीत यादव ने कहा कि वे संगठन की अपेक्षाओं पर खरा उतरने का प्रयास करेंगे। समाज के हर वर्ग तक महासंघ के उद्देश्यों को पहुंचाकर सकारात्मक बदलाव लाएंगे।
अच्छे अंक नहीं बल्कि शिक्षा के पीछे दौड़ें: कलेक्टर
भास्कर न्यूज | कवर्धा कबीरधाम जिले के दूरस्थ वनांचल तरेगांव जंगल का कलेक्टर गोपाल वर्मा ने बुधवार को दौरा किया। यह क्षेत्र बैगा जनजाति बहुल है। उन्होंने यहां शासकीय योजनाओं की स्थिति देखी। ग्राम पंचायत में संचालित हायर सेकेंडरी स्कूल, पंचायत भवन और आंगनबाड़ी केंद्रों का निरीक्षण किया। व्यवस्थाओं की वस्तुस्थिति का जायजा लिया। निरीक्षण के दौरान कलेक्टर वर्मा ने कक्षा 10वीं के विद्यार्थियों से करीब एक घंटे तक संवाद किया। उन्होंने बोर्ड परीक्षा की तैयारी को लेकर जरूरी टिप्स दिए। उन्होंने कहा कि अच्छे नंबरों के पीछे नहीं भागना चाहिए। शिक्षा के पीछे दौड़ना चाहिए। जब विषयों को गहराई से समझेंगे, समग्र अध्ययन करेंगे, तो अच्छे अंक अपने आप मिलेंगे। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि हिंदी, भूगोल, सामाजिक विज्ञान, गणित, विज्ञान, अंग्रेजी और संस्कृत सभी विषयों का संतुलित अध्ययन करें। हर विषय की कॉपी बनाएं। नोट्स बनाने की आदत डालें। इससे राइटिंग सुधरती है। याद करने और दोहराने की क्षमता बढ़ती है। कम शब्दों में सारगर्भित जानकारी देना भी सीखें कलेक्टर वर्मा ने कहा कि परीक्षा में कम शब्दों में अधिक और सारगर्भित जानकारी देना सीखें। आपकी प्रस्तुति ही आपके अंक तय करती है। उन्होंने सुझाव दिया कि कक्षा में जो पढ़ाया जाता है, उसे घर जाकर दोहराएं। अगले दिन का पाठ पहले से पढ़कर स्कूल आएं। इससे विषयों पर पकड़ मजबूत होगी। इस दौरान उन्होंने बच्चों को स्वच्छता के प्रति जागरूक किया। हाथ धोने और साफ-सफाई बनाए रखने की प्रेरणा दी। निरीक्षण में डिप्टी कलेक्टर आरबी देवांगन, जिला शिक्षा अधिकारी योगदास साहू सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे।
स्कूलों की भूमिका की जांच के साथ अब बस्ते खंगालेंगे शिक्षा अधिकारी
भास्कर संवाददाता| श्योपुर जिले के 160 निजी स्कूलों की अब कड़ी निगरानी होगी। निरीक्षण के दौरान शिक्षा महकमे के अधिकारी स्कूलों में पढ़ाई जा रही पुस्तकों की कक्षावार सूची जुटाने के साथ ही छात्रों के बस्तों की जांच करेंगे। पुस्तक खरीद को लेकर निजी स्कूलों की भूमिका की पड़ताल की जाएगी। जिला शिक्षा अधिकारी एमएल गर्ग ने बताया कि निरीक्षण के दौरान यह जांचा जाएगा कि विद्यालयों द्वारा कौनसी पुस्तकों को कोर्स के रूप में चलाया जा रहा है। निरीक्षणकर्ता छात्रों से चर्चा कर यह जानेंगे कि उन्हें किताबें कहां से लेने के लिए कहा गया है। छात्रों के बस्तों की जांच कर यह भी देखा जाएगा कि वे कौनसी पुस्तकें स्कूल ला रहे हैं। इसके आधार पर कक्षावार सूची तैयार कर प्रतिवेदन बनाया जाएगा। इसके साथ ही निरीक्षण के दौरान विद्यालय की मान्यता तथा संचालित कक्षाओं की जानकारी, मान्यता मापदंडों के अनुरूप मूलभूत सुविधाओं की जानकारी, स्टॉफ की शैक्षणिक योग्यता संबंधी दस्तावेज, स्कूल वाहनों के पंजीयन आदि की जानकारी भी ली जाएगी। वही निजी विद्यालय प्रबंधन द्वारा छात्र या अभिभावकों को यूनिफार्म, टाई, जूते, कॉपी एवं अन्य शैक्षिक सामग्री को केवल चयनित विक्रेताओं से क्रय करने के लिए औपचारिक अथवा अनौपचारिक रूप में बाध्य तो नहीं किया जा रहा।
पदोन्नत शिक्षकों को शिक्षा विभाग नहीं दे रहा पोस्टिंग
जयपुर | शिक्षा विभाग की ओर से पदोन्नति शिक्षकों को अब तक पोस्टिंग नहीं दी गई है। राजस्थान शिक्षक संघ सियाराम ने इनकी पोस्टिंग की मांग को लेकर शिक्षामंत्री और शिक्षा सचिव को पत्र लिखा है। संघ के महामंत्री नवीन शर्मा ने बताया कि शिक्षा विभाग में प्रधानाचार्य के पद रिक्त होने के बावजूद पदोन्नत प्रधानाचार्य को पदस्थापन नहीं दिया जा रहा। यह विभाग की कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह लगाता है। प्रदेश प्रवक्ता मुकेश मीणा ने बताया कि पिछले दिनों पदोन्नत हुए प्रिंसिपल को जून में यथा स्थान कार्यग्रहण करवा दिया गया था। लेकिन अब स्कूल खुल चुके हैं। उनको खाली पदों पर पोस्टिंग देनी चाहिए।
शिक्षा विभाग के एक आदेश से तबादलों की फिर से चर्चा छिड़ी
जयपुर | शिक्षा विभाग की ओर से गुरुवार को जारी किए गए एक आदेश से एक बार फिर तबादलों की चर्चा छिड़ गई। माध्यमिक शिक्षा निदेशक सीताराम जाट की ओर से संयुक्त निदेशकों और जिला शिक्षा अधिकारियों को एक आदेश निकाला गया, जिसमें कहा गया कि अक्सर देखने में आता है कि तबादला आदेशों के बाद प्रभावित कार्मिक बडी संख्या में सिविल सेवा अपीलीय अधिकरण या सक्षम न्यायालयों में वाद दायर करते हैं। इससे विभाग को अनावश्यक कठिनाइयां का सामना करना पड़ता है। इसलिए तबादला आदेश जारी करने से पहले विधिक प्रावधानों, तकनीकी बिंदूओं, परिपत्रों सहित इनका उचित परीक्षण करा लिया जाए, ताकि वाद दायर नहीं हो सके। हालांकि आदेश में उल्लेख था कि तबादलों पर प्रतिबंध है। इसके बावजूद विभाग में तबादलों की चर्चा छिड़ गई। सोशल मीडिया पर यह मैसेज भी वायरल हो गया कि खाली पदों को भरने के लिए जल्दी ही 513 व्याख्याताओं और 1343 प्रिंसिपल की तबादला सूची जारी होगी। इस कारण इस तरह का आदेश निकाला गया है।
शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने गोपालगंज के भोरे विधानसभा क्षेत्र में अपने 4.5 साल के कार्यकाल का रिपोर्ट कार्ड पेश किया। एक निजी मैरेज हॉल में आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के सभी घटक दलों के नेता मौजूद रहे। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बिहार सरकार के शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने अहम जानकारी साझा की। बिजली क्षेत्र में कटेया के बैरियां में 138 करोड़ रुपए की लागत से 250 MVA क्षमता का पावर ग्रिड स्थापित किया गया है। भोरे में 53.64 करोड़ रुपए की लागत से एक लाख लीटर क्षमता का सुधा डेयरी प्लांट स्थापित किया गया है। 20 बेड का बनाया गया प्री-फैब अस्पताल स्वास्थ्य सुविधाओं में भोरे में 40 बेड का CHC और 4 HWC, कटेया में 3 CHC, 2 APHC और 3 HWC का उद्घाटन किया गया। विजयीपुर में 20 बेड का प्री-फैब अस्पताल बनाया गया। मुख्यमंत्री स्वास्थ्य सहायता कोष से 238 मरीजों को 2.79 करोड़ रुपए की सहायता दी गई। छात्रों को 72.13 करोड़ का लाभ शिक्षा के क्षेत्र में भोरे BPS कॉलेज में विज्ञान विषय की पढ़ाई शुरू की गई। साइकिल योजना से 24,376 छात्रों को 72.13 करोड़ का लाभ मिला। पोषाक योजना से 1.89 लाख छात्रों को 11.39 करोड़ और 1.06 लाख बालिकाओं को 15.94 करोड़ का लाभ दिया गया। छात्रवृत्ति योजना से 2.17 लाख से अधिक छात्र लाभान्वित हुए। 6 बड़े पुलों का किया गया निर्माण सड़क और पुल निर्माण में 6 बड़े पुलों का निर्माण किया गया। भोरे-मीरगंज पथ का 113 करोड़ की लागत से चौड़ीकरण और 130 करोड़ की लागत से मीरगंज बाईपास का निर्माण किया गया। कटेया-बैरिया और गोपालगंज बाईपास भी बनाए गए। प्रखंडवार सड़क निर्माण में भोरे में 276.21 किमी, विजयीपुर में 190.29 किमी और कटेया में 139.32 किमी सड़कें बनाई गईं।
बालाघाट में बौद्ध धर्म के अनुयायियों ने महाबोधि मंदिर के प्रबंधन को लेकर अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया है। गुरुवार की शाम से अंबेडकर चौक में महाबोधि महाविहार मुक्ति आंदोलन समिति के नेतृत्व में यह धरना प्रदर्शन हो रहा है। बिहार टेंपल मैनेजमेंट कमेटी को करने की मांग पूज्य भंते धम्म शिखर ने बताया कि बिहार के बौद्ध गया स्थित महाबोधि मंदिर का प्रबंधन बौद्ध समुदाय को सौंपा जाए। उनकी मुख्य मांग है कि 1949 में बनी बीटीएमसी (बिहार टेंपल मैनेजमेंट कमेटी) को खत्म किया जाए। बौद्ध अनुयायियों का कहना है कि मंदिर का प्रबंधन गैर-बौद्धों के हाथों में होने से भगवान बुद्ध के विचारों और शिक्षाओं का प्रसार सही तरीके से नहीं हो पा रहा है। देश और विश्व भर के बौद्ध अनुयायी इस मुद्दे पर विरोध कर रहे हैं। बौद्ध गया महाविहार का प्रबंधन बौद्धों को सौंपने की मांग भंते धम्म शिखर ने कहा कि जब देश में सभी धार्मिक स्थल उन्हीं के अनुयायियों की ओर से संचालित किए जाते हैं, तो बौद्ध गया महाविहार का प्रबंधन भी बौद्धों को मिलना चाहिए। वर्तमान ट्रस्ट से अन्य जाति के लोगों को हटाकर केवल बौद्ध समुदाय के लोगों को प्रबंधन का अधिकार दिया जाए। इस मुद्दे को लेकर पूरे देश में आंदोलन चल रहे हैं। बौद्ध अनुयायियों का आरोप है कि गैर बौद्ध, महाबोधी महाविहार प्रबंधन कमेटी है। जबकि अन्य धर्मों के लोगो के धार्मिक स्थल का प्रबंधन उन्हीं धर्म के लोगों के हाथो में हैं।
जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने आज सीतामढ़ी के रीगा प्रखंड में एक जनसभा को संबोधित किया। अपनी ‘बिहार बदलाव यात्रा’ के तहत उन्होंने जनता से संवाद किया और कई ऐलान किए। सभा में भीड़ उमड़ी, ढोल-नगाड़ों और फूल-मालाओं से उनका स्वागत किया गया। अपने भाषण की शुरुआत में प्रशांत किशोर ने लालू यादव पर सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा, बच्चों की चिंता क्या होती है, ये कोई लालू जी से सीखे। उनका बेटा 9वीं पास भी नहीं है, फिर भी उसे बिहार का राजा बनाना चाहते हैं। वहीं बिहार के आम लोग जिनके बच्चे M.A.-B.A. तक पढ़ चुके हैं, वो बेरोजगारी में घूम रहे हैं। 'बच्चों की शिक्षा और रोजगार के लिए दें वोट' प्रशांत किशोर ने आगे कहा, मैं पिछले 3 सालों से बिहार के गांव-गांव में घूम रहा हूं। बच्चों के पैरों में चप्पल तक नहीं है। नेताओं को आपके बच्चों की नहीं, अपने बच्चों की चिंता है। इसलिए अब वक्त आ गया है कि वोट लालू, नीतीश या मोदी के नाम पर नहीं, अपने बच्चों की शिक्षा और रोजगार के लिए दें। हर महीने 2000 रुपए दी जाएगी पेंशन - प्रशांत किशोर सभा में उन्होंने दो बड़े वादे किए। पहला, दिसंबर 2025 से 60 साल से अधिक उम्र के प्रत्येक पुरुष और महिला को हर महीने 2000 रुपए पेंशन दी जाएगी। दूसरा, 15 साल से कम उम्र के बच्चों को निजी स्कूलों में भी मुफ्त शिक्षा मिलेगी, जब तक सरकारी स्कूलों में सुधार नहीं हो जाता। 'नहीं करना पड़ेगा पलायन' उन्होंने कहा, अब बिहार के युवाओं को 10-12 हजार की मजदूरी के लिए पलायन नहीं करना पड़ेगा। व्यवस्था बदलेगी तो बिहार बदलेगा। अगली बार वोट किसी नेता का चेहरा देखकर नहीं, अपने बच्चों का चेहरा देखकर दीजिएगा।
जयपुर में कॉन्स्टीट्यूशन क्लब ऑफ राजस्थान के मारवाड़ लाउंज में गुरुवार को नीईओ-बी का शुभारंभ किया गया। इस अवसर पर शहर के विचारक और शिक्षाविद एकत्र हुए। मानसरोवर जयपुर में स्थित इस संस्था का उद्देश्य आधुनिक शिक्षा को किताबों और अंकों से आगे ले जाना है। संस्थापक निदेशक विजेता माहेश्वरी ने बताया कि NEO-B एक ऐसा मंच है जहां बच्चों को सुना और समझा जाएगा। उन्होंने कहा कि आज का बच्चा संवेदनशील और तेज है, उसे बस सही दिशा की जरूरत है। संस्था का लक्ष्य है कि हर बच्चा आत्मविश्वासी बने और समाज में सक्रिय भूमिका निभाए। सह-संस्थापक प्रियांका गुण ने कहा कि डिजिटल युग में बच्चों को जानकारी के साथ-साथ आत्मज्ञान भी जरूरी है। NEO-B करुणा, आत्म-संयम, संवाद और साझेदारी जैसे मूल्यों को बढ़ावा देगा। संस्था का मानना है कि आधुनिकता और परंपरा का संतुलन आवश्यक है। यह पहल बच्चों को न केवल सफल बल्कि जिम्मेदार नागरिक बनाने की दिशा में एक कदम है। NEO-B के माध्यम से बच्चों के व्यक्तित्व का समग्र विकास किया जाएगा। साथ ही उन्हें ऐसा मंच मिलेगा जहां वे अपनी भावनाओं और विचारों को स्वतंत्र रूप से व्यक्त कर सकें। उन्होंने कहा- हम NEO-B को एक ऐसी क्रांति बनाना चाहते हैं, जहाँ हर बच्चा सिर्फ अपने लिए नहीं, समाज के लिए भी सोच सके और हर अभिभावक केवल अपेक्षाएं न रखे, बल्कि अपने बच्चे के साथ यात्रा भी करे। रितु अग्रवाल और नगररुपसा दास ने अपने-अपने क्षेत्रों में बच्चों की भावनात्मक व मानसिक आवश्यकताओं को लेकर NEO-B की भूमिका को बेहद महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा- बच्चों के जीवन में सीखने के आवश्यक कौशल और कालातीत जीवन मूल्यों को आत्मसात कराना है ताकि हर परिवार एक सकारात्मक परिवर्तन का हिस्सा बने। पाँच मुख्य मूल्य इस अभियान की नींव हैं: समावेशिता - हर बच्चे को समान अवसर और सम्मान, आशावादिता- हर परिवार के लिए उम्मीद और सकारात्मक दृष्टिकोण, लचीलापन बदलती जरूरतों के अनुसार कार्यक्रम में सुधार, प्रतिबद्धता और पारदर्शिता शिक्षा और सेवा में उच्चतम मानक और सार्थक प्रभाव समाज में ठोस बदलाव के साथ जिम्मेदार विकास।
पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा ने शिक्षा मंत्री मदन दिलावर पर तंज कसते हुए कहा- किताबों में आजादी के बाद का स्वर्णिम भारत का इतिहास 11वीं, 12वीं के बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। राजस्थान के वीर सेनानी, गौरव सेनानियों की वीर गाथा यहां का इतिहास है, वह छठी, सातवीं, आठवीं में लागू किया था। पाठ्यक्रम बनाने की समिति होती है और समिति सरकार द्वारा गठित की जाती है। समिति जो अभिशंषा करती है उसे पुस्तकों का लेखन कराया जाता है। मैं समझता हूं कि वह बिल्कुल सही तरीके से कराया गया है और बच्चों को आजादी के बाद में किस तरीके से आज तक के भारत का निर्माण कैसे हुआ, क्या-क्या संसाधन, किस-किस का क्या-क्या योगदान रहा वो सारी चीजें पढ़ाई जा रही है। चाहे वह अटल बिहारी वाजपेई, मोरारजी देसाई, मनमोहन सिंह, जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी या फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का योगदान ही क्यों न हो सबका दिखाया गया है। इनको तो केवल आरएसएस की विचारधारा बच्चों में थोपने का काम करना है। इस चीज के अलावा इनका नए भारत या स्वर्णिम भारत से कोई लेना देना नहीं है। और न ही इनका कोई आजादी में योगदान रहा। इसलिए यह क्या किताबें लिखाएंगे और क्या करेंगे। डोटासरा ने कहा- जब बच्चों की किताबें छप गई, खुद शिक्षा मंत्री ने बांटने की स्वीकृति दी। अब 80% से ज्यादा बच्चों के पास पुस्तक चली गई तो बाद में यह तुगलकी फरमान देना ठीक नहीं है। शिक्षा मंत्री का अब यह कहना ठीक नहीं है कि हम ये किताबें नहीं पढ़ाएंगे और मोदी को पढ़ाएंगे। ये यहां नहीं चलेगा। डोटासरा ने कहा- यहां मोदी नहीं पढ़ाया जाएगा, स्वर्णिम भारत का इतिहास है बच्चों को पाठ्य पुस्तक में वही पढ़ाया जाएगा। मैं इस बारे में प्रमुख शासन सचिव और सीएमओ के अधिकारियों से इस बारे में बात करूंगा कि इस तरीके से बयान देकर दिशा भ्रमित करके और आरएसएस के एजेंडे पर शिक्षा मंत्री जी काम कर रहे हैं, यह ठीक नहीं है। यह नहीं चलेगा। वहीं, लक्ष्मणगढ़ विधानसभा के गाड़ोदा में जलभराव के बीच सरकार पर तंज कस रही बच्ची के वायरल हो रहे वीडियो पर बोलते हुए डोटासरा ने कहा- बच्ची ने ठीक कहा है, अभी मैं नेछवा जाकर आया हूं। सीकर से सालासर जाने वाली रोड पर पानी भरा हुआ है। वहां साधन नहीं जा रहे। गाड़ोदा में भी पानी भरा हुआ है। हमने अच्छी सड़क बनाई थी लेकिन वहां पानी ज्यादा आने से सड़कों पर पानी भरा। हमारी जिम्मेदारी है कि हम ठीक करेंगे। डोटासरा ने कहा- अभी उपमुख्यमंत्री लक्ष्मणगढ़ आए थे और महाराज यति जी ने उनसे एक करोड रुपए की मांग की थी। तब उपमुख्यमंत्री जी ने बड़ी-बड़ी बातें की थी कि हम सड़क ठीक कर देंगे, लेकिन अभी तक तो कुछ नहीं हुआ। मैं विश्वास दिलाता हूं कि मेरी विधानसभा क्षेत्र में कोई भी गांव हो, जो कोई भी समस्या लेकर हमारे पास आता है तो हम उसका संज्ञान लेते हैं। सरकार चाहे कोई काम नहीं कराए लेकिन मैं मेरे कोटे से करूंगा। समस्या का जल्दी ही समाधान होगा। डोटासरा ने यह बात सीकर जिला कलेक्ट्रेट सभागार में पत्रकारों से वार्ता करते हुए कही। दरअसल, डोटासरा जिला कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित जिला विकास समन्वय व निगरानी समिति (दिशा) की बैठक में आए थे। यह बैठक सांसद अमराराम की अध्यक्षता में हुई। इस दौरान केंद्र सरकार की योजनाओं की समीक्षा की गई।
बेगूसराय में अभाविप बखरी नगर इकाई की ओर से 77 वां स्थापना दिवस सह राष्ट्रीय विद्यार्थी दिवस मनाया गया। इस अवसर पर खेलो बखरी सीजन-4 प्रतियोगिता हुई। इसमें सफल प्रतिभागियों को आज सम्मानित किया गया। इस अवसर पर अलग-अलग विधाओं में अव्वल आने वाले दर्जनों छात्रों को सम्मानित किया गया। राष्ट्र पुनर्निर्माण में विद्यार्थी परिषद की भूमिका पर चर्चा करते हुए RSS के जिला संचालक मनोरंजन वर्मा ने कहा कि आजादी के बाद से युवाओं को संगठित कर देश के लिए समर्पित छात्र संगठन के रूप में विद्यार्थी परिषद ने सराहनीय काम किया है। युवाओं में राष्ट्र के प्रति समर्पण होगा, तभी शिक्षा का उद्देश्य पूरा होगा। भारत के उत्थान के लिए पराक्रम पुरुषार्थ और संकल्प की जरूरत है। देशभक्ति और समाज के प्रति आत्मीयता से ओतप्रोत छात्र युवा समुदाय ही सभी समस्याओं के समाधान हो सकते है। ऐसे ही विचारों से प्रेरित होकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का काम प्रारंभ हुआ। आज यह दुनिया का सबसे बड़ा छात्र संगठन है। भारत के प्रति सम्मान बढ़ाएं शिक्षा प्रो. रविन्द्र राकेश ने कहा कि शिक्षा का भारतीयकरण का मतलब भारत को भारत की शिक्षा, जो भारत के प्रति सम्मान बढ़ाएं। भारतीय ज्ञान से अवगत कराए। दुनिया भर के आधुनिकतम ज्ञान-विज्ञान को अवगत करते हुए लोक सुलभ बनाकर देश की प्रगति के लिए उपयोग लाने का सामर्थ प्रदान करें, ऐसी शिक्षा हो। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में छात्र निरंतर भाग लें, महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं। सरकारें छात्रों को सहभागी करें ऐसे कई प्रयास व अवसर तैयार करते हुए परिषद ने शिक्षा परिवर्तन के लिए छात्र आंदोलन को नई दिशा प्रदान की। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद एक ऐसा संगठन है जो सिर्फ छात्र हित नहीं, बल्कि उनके सर्वांगीण विकास के लिए लगातार काम कर रही है। सम्मान पाकर प्रतिभागियों के चेहरे खिल उठे। कार्यक्रम की शुरुआत आरएसएस के जिला संचालक मनोरंजन वर्मा, प्रो. रविंद्र राकेश, नगर अध्यक्ष अशोक प्रियदर्शी, पूर्व नगर अध्यक्ष राजेश अग्रवाल, डॉ. मनीष, जिला संयोजक अनुभव आनंद, खंड कार्यवाह गोपेश झा व नगर मंत्री रविन्द्र कुमार ने दीप प्रज्वलित कर किया।
जयपुर के टियोलर स्कूल ऑडिटोरियम में राजपुरोहित ग्लोबल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस का वार्षिक उत्सव और शिक्षा गौरव सम्मान समारोह आयोजित किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन से हुई। मुख्य अतिथि पुलिस महानिदेशक अनिल पालीवाल ने छात्रों को धैर्य और कड़ी मेहनत से लक्ष्य प्राप्ति का संदेश दिया। उन्होंने बालिका शिक्षा पर विशेष जोर दिया। विशिष्ट अतिथि सेवानिवृत्त आईएएस श्याम सिंह राजपुरोहित ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को समाज के उत्थान का आधार बताया। मेजर जनरल नरपत सिंह राजपुरोहित ने युवाओं को सशस्त्र बलों में शामिल होकर देश सेवा के लिए प्रेरित किया। भामाशाह मणिभाई सिद्धेश्वर ने बालिका छात्रावास के लिए सहयोग का वादा किया। राजपुरोहित समृद्धि फाउंडेशन के अध्यक्ष अर्जुन सिंह ने बताया कि संस्था के छात्रों ने विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। उन्होंने योग्य छात्रों की शिक्षा के लिए आर्थिक सहायता का आश्वासन दिया। समारोह में 30 प्रतिभावान विद्यार्थियों को शिक्षा गौरव सम्मान से नवाजा गया। अशोक शर्मा को विप्र गौरव सम्मान मिला। संचालन समिति के ओपी राजपुरोहित, बाबू सिंह आसरलाई, रमेश बावड़ी और रंजन नोरवा को उनके योगदान के लिए सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का समापन ओपी राजपुरोहित के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।
गुरुग्राम जिले के फर्रुखनगर स्थित राजकीय आदर्श संस्कृति अंग्रेजी माध्यम स्कूल को दोहरी पारी में बदलने के प्रस्ताव पर विवाद खड़ा हो गया है। स्थानीय स्कूल प्रबंधन समिति और अभिभावकों ने प्रस्ताव का विरोध करते हुए खंड शिक्षा अधिकारी को ज्ञापन सौंपा है। यह स्कूल राज्य सरकार की विशेष योजना के तहत संचालित मॉडल CBSE स्कूल है। स्कूल में लड़कियों की संख्या अधिक SMC सदस्यों और अभिभावकों का कहना है कि दोहरी पारी से विद्यार्थियों की शिक्षा और सुरक्षा प्रभावित होगी। स्कूल में लड़कियों की संख्या अधिक है। दूर-दराज से आने वाली स्टूडेंट की सुरक्षा चिंता का विषय है।स्कूल में कई व्यावहारिक समस्याएं भी हैं। शौचालयों की कमी पहले से मौजूद है। खेल, साफ-सफाई, बिजली-पानी का प्रबंधन दो पारियों में मुश्किल होगा। पहले से चल रही 8वीं तक क्लास वहीं बुनियाद सेंटर में ऑनलाइन कक्षाएं सुबह 8 बजे से दोपहर 2:50 बजे तक चलती हैं। इस समय को बदला नहीं जा सकता। अभिभावकों का कहना है कि जिस स्कूल को यहां शिफ्ट किया जाना है, उसमें पहले से कक्षा 6 से 8 तक की कक्षाएं चल रही हैं। वहीं कक्षा 9 से 12 तक की कक्षाएं भी एक ही पारी में चलाई जा सकती हैं। अव्यवस्था के लिए प्रशासन जिम्मेदार अभिभावकों ने चेतावनी दी है कि यदि प्रशासन दोहरी पारी पर अड़ा रहता है, तो आदर्श संस्कृति स्कूल को सुबह की पारी में रखा जाए। उन्होंने कहा कि मांग न माने जाने पर होने वाली किसी भी अव्यवस्था के लिए प्रशासन और शिक्षा विभाग जिम्मेदार होगा। ज्ञापन इन लोगों ने किए हस्ताक्षर ज्ञापन पर एसएमसी अध्यक्ष, सदस्यों और कई अभिभावकों के हस्ताक्षर मौजूद हैं, जिनमें मीना देवी, रविंदर यादव, सिया दुलारी, लक्ष्मी, सुनील कुमार, श्यामा देवी, सलमा लता और रीना सहित अनेक लोगों ने विद्यालय के हित में आवाज बुलंद की है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने कम नामांकन वाले परिषदीय विद्यालयों को अन्य विद्यालयों के साथ मर्ज करने का आदेश जारी किया है। इस निर्णय पर शिक्षा बचाओ संघर्ष मोर्चा ने आपत्ति जताई है। शिक्षा बचाओ संघर्ष मोर्चा के अनुसार यह फैसला शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009, उत्तर प्रदेश शिक्षा अधिकार अधिनियम 2011 और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के विपरीत है। अपर मुख्य सचिव, बेसिक शिक्षा ने 16 जून 2025 को यह आदेश जारी किया है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम की धारा 6 के मुताबिक, कक्षा 1 से 5 तक के स्कूल एक किलोमीटर के दायरे में होने चाहिए। इसके लिए न्यूनतम आबादी 300 होनी चाहिए। कक्षा 6 से 8 के लिए यह सीमा तीन किलोमीटर और न्यूनतम आबादी 800 निर्धारित है। स्कूलों में कम नामांकन के कई कारण हैं। इनमें मूलभूत सुविधाओं की कमी है। शिक्षकों की संख्या कम है। शिक्षकों को बीएलओ जैसी गैर-शैक्षणिक ड्यूटी दी जाती है। निजी स्कूल और मदरसे पास में हैं। प्रवेश के लिए न्यूनतम आयु सीमा 6 वर्ष है। शिक्षा बचाओ संघर्ष मोर्चा का कहना है कि स्कूलों के मर्जर से बच्चों को 2-3 किलोमीटर दूर पढ़ने जाना पड़ेगा। इससे स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की संख्या बढ़ेगी। शिक्षा से बच्चों का जुड़ाव कमजोर होगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार प्राथमिक विद्यालय बच्चों की पहुंच में होना जरूरी है।
चंडीगढ़ शिक्षा विभाग की उपनिदेशक कमलजीत कौर ने गुरुवार को जींद में खंड उचाना के सरकारी गर्ल्स स्कूल डूमरखां का औचक निरीक्षण किया। उन्होंने स्कूल की भाषा लैब और कंप्यूटर लैब का जायजा लिया। साथ ही बच्चों को दिए जाने वाले शैक्षणिक तत्वों का विवरण और स्कूल की स्वच्छता की जांच की। कमलजीत कौर ने कंप्यूटर लैब की अध्यापिका से छात्रों की पढ़ाई के बारे में जानकारी ली। उन्होंने भाषा लैब की उपयोगिता और बच्चों की कंप्यूटर शिक्षा के बारे में भी पूछताछ की। निरीक्षण के दौरान उपनिदेशक ने अध्यापकों को प्रेरित करते हुए कहा कि एक राष्ट्र के निर्माण में शिक्षक की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। खंड के अन्य स्कूलों का भी करेंगी निरीक्षण उन्होंने कहा कि शिक्षक ही बच्चों के सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित करते हैं। इस दौरान जिला शिक्षा अधिकारी सुभाष चंद्र, जिला प्रयोजना संयोजक अधिकारी रितु, खंड शिक्षा अधिकारी पुष्पा रानी, सरोज श्योकंद और महेंद्र भी मौजूद रहे। कमलजीत कौर ने बताया कि वह खंड के अन्य स्कूलों का भी औचक निरीक्षण करेंगी। यह निरीक्षण बच्चों के विकास से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए किया जाएगा।
हरियाणा भाजपा के प्रभारी और राजस्थान के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया गुरुवार को जोधपुर पहुंचे। इस दौरान उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कई मुद्दों पर बात की। उन्होंने राजस्थान में हाल ही में स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्रम को लेकर चल रहे विवाद को लेकर भी जवाब दिया। पाठ्यक्रम में ही एक व्यक्ति, परिवार और पार्टी का गुणगान किया गया। उन्होंने कहा एक तरफ वह लोग थे जो अकबर को महान बताते थे और महाराणा प्रताप पर सवाल खड़े करते थे, लेकिन भाजपा सरकार बनने के बाद पाठ्यक्रम में काफी बदलाव आया उन्होंने पिछले भाजपा सरकार के कार्यकाल को लेकर कहा कि जब वासुदेव देवनानी शिक्षा मंत्री थे तब भी कई अंश जोड़े गए थे। कोई भी बदलाव हाथों हाथ नहीं होता है। इतिहास से लेकर पाठ्यक्रमों तक निरपेक्ष रूप से ना तो लिखा गया ना ही पढ़ाने की कोशिश की गई। इसलिए अब उस पर कोई पुनर्विचार होता है और योग्यता, तर्कों और तथ्यों के आधार पर होता है तो ठीक है। Si भर्ती सरकार का निर्णय उन्होंने SI भर्ती को लेकर कहा कि सरकार जो भी निर्णय करेगी वो अपनी क्षमता के हिसाब से ठीक ही करेगी। उन्होंने सवाल उठाए कि कांग्रेस के शासन में ही पेपर लीक क्यों होते हैं। उन्होंने प्रदेश की भजनलाल सरकार के खिलाफ षड्यंत्र के कांग्रेस की ओर से लगाए जा रहे आरोपों को लेकर कहा कि कांग्रेस का अस्तित्व खतरे में है। इसलिए कांग्रेस के पास टाइम पास करने के लिए बयान ही बचे हैं। जबकि ईमानदारी तो यह थी कि वह अच्छे तरीके से विश्लेषण करते, अपने संगठन को ठीक तरीके से खड़ा करते, लोगों का भरोसा जीते। कांग्रेस के पास अब सिर्फ बयान संविधान खतरे की बात कांग्रेस इसलिए कह रही है क्योंकि नई पीढ़ी को कांग्रेस सरकार के समय देश में आपातकाल, कश्मीर सहित विभिन्न मुद्दे को लेकर BJP की और से लोग जागरण किया जा रहा है। जिसे युवा पीढ़ी को भी पता चल रहा है। इसकी वजह से कांग्रेस का वोट बैंक खिसक रहा है। इसलिए इनके नेता इस तरह के बयान देते हैं। मुझे लगता है कांग्रेस के पास सब कुछ बचा नहीं है बिहार चुनाव में वोटर लिस्ट को लेकर कहा कि कांग्रेस खुद चुनाव जीतती है तो कभी चर्चा नहीं करती है। चुनाव आयोग अपने आप में वैधानिक और संविधान प्रदत संस्था है। मुझे लगता है कि चुनाव आयोग अपनी मर्यादा में अच्छे तरीके से व्यवस्थित काम कर रहा है। मतदाता सूचियां का सवाल उन्होंने खड़ा किया है तो मुझे लग रहा है कि परिणाम उन्हें पहले से पता है कि हम लोग हार के बाद तोहमत किसको देंगे। चुनाव आयोग पर सवाल खड़े करना मूर्खता है।
हरियाणा के शिक्षा मंत्री महीपाल ढांडा के आदेश पर शिक्षा विभाग के ज्वाइंट डायरेक्टर एचसीएस सुरेंद्र सिंह बैनीवाल गुरुवार को फतेहाबाद पहुंचे। यहां उन्होंने शहर में चल रहे राजकीय मॉडल संस्कृति सीनियर सेकेंडरी स्कूल का निरीक्षण किया। इस दौरान पढ़ाई में डिजिटल तकनीकी के प्रयोग की जानकारी ली गई। ज्वाइंट डायरेक्टर ने जाना कि डिजिटल बोर्ड के माध्यम से स्टूडेंट्स को पढ़ाया जा रहा है या नहीं। इसके अतिरिक्त टीचर्स द्वारा पढ़ाई करवाने के समय डिजिटल तकनीकों का कितना प्रयोग हो रहा है। लाइट नहीं होने पर थम जाता है डिजिटल बोर्ड का प्रयोग ज्वाइंट डायरेक्टर सुरेंद्र सिंह ने अपने निरीक्षण में पाया कि फतेहाबाद के इस स्कूल में 80 फीसदी डिजिटल बोर्ड यूज हो रहे हैं। जब लाइट नहीं होती है, उस स्थिति में डिजिटल बोर्ड का प्रयोग नहीं हो पाता है। बाकी समय में टीचर डिजिटल बोर्ड के जरिए ही पढ़ाई करवाते हैं। निरीक्षण के बाद वह अपनी रिपोर्ट डायरेक्टर के माध्यम से शिक्षा मंत्री तक पहुंचाएंगे। हिसार, फतेहाबाद व सिरसा के निरीक्षण की जिम्मेदारी सुरेंद्र सिंह के पास हिसार, फतेहाबाद व सिरसा के स्कूलों के निरीक्षण की जिम्मेदारी दी गई है। वह इन जिलों में स्कूलों का निरीक्षण करेंगे। इस दौरान डीईओ संगीता बिश्नोई, स्कूल प्रिंसिपल सहित शिक्षा विभाग के कई अधिकारी मौजूद रहे।
CID के DSP अभय कुमार यादव के ठिकानों पर गुरुवार को EOU (आर्थिक अपराध इकाई) ने रेड की है। अभय कुमार के पटना, सहरसा और खगड़िया के ठिकानों पर छापेमारी जारी है। अभय कुमार यादव के अलावा सस्पेंड इंजीनियर प्रमोद कुमार ठिकानों पर भी रेड चल रही है। पटना, सहरसा, खगड़िया और सीतामढ़ी में कार्रवाई जारी है। खगड़िया में गुरुवार सुबह अभय कुमार के घर कृष्णापुरी वार्ड नंबर 29, टीचर्स कॉलोनी में रेड पड़ी। अभय यादव 1994 बैच के दरोगा थे। अभय कुमार यादव पहले पसराहा, मानसी, महेशखूंट (खगड़िया) और कजरा थाना (मुंगेर) में थानाध्यक्ष रह चुके हैंं। आय से अधिक संपत्ति मामले में आज उनके यहां रेड पड़ी है। CID के DSP के ठिकानों पर रेड की तस्वीरें... शिक्षा विभाग के इंजीनियर के घर भी रेड सहरसा में EOU ने गुरुवार सुबह 8 बजे शिक्षा विभाग के सस्पेंड इंजीनियर के घर रेड की है। प्रमोद कुमार पिछले 2 साल से सहरसा में कार्यरत थे। सरकारी धन के दुरुपयोग के मामले में विभाग ने उन्हें बर्खास्त कर दिया है। इसके अलावा सीतामढ़ी, पटना, खगड़िया के ठिकानों पर भी छापेमारी चल रही है। --------------------------- ये खबर भी पढ़ें... 6 अफसरों के ठिकानों पर रेड में 11.64 करोड़ मिले:4 मशीनों से 8 घंटे कैश गिनती रही ED, प्रॉपर्टी-रिश्वत से जुड़े डॉक्यूमेंट्स भी जब्त पटना में ED ने IAS संजीव हंस से जुड़े टेंडर घोटाला मामले में गुरुवार को 6 अफसरों और एक ठेकेदार के ठिकानों पर छापेमारी की। ED की जांच में खुलासा हुआ है कि इन अधिकारियों ने सरकारी टेंडरों में लाभ पहुंचाने और ठेकेदारों के बिलों की मंजूरी के बदले रिश्वत ली। इस दौरान बिहार शहरी आधारभूत संरचना विकास निगम लिमिटेड (BUIDC) और BMSICL से जुड़े कई टेंडरों में गड़बड़ी के सबूत मिले हैं। पूरी खबर पढ़ें...
बड़वानी जिले के खेतिया क्षेत्र स्थित पंचायत जाल्यापानी के फुलजी फल्या में प्राइमरी स्कूल की स्थिति चिंताजनक है। स्कूल भवन की छत पूरी तरह से गायब है। केवल दीवारें खड़ी हैं, जो जर्जर हालत में हैं। दीवारों पर नमी के कारण काई जम गई है। रंग भी हरा और काला पड़ चुका है। बारिश के मौसम में बच्चों की कक्षाएं एक स्थानीय व्यक्ति के घर में चलाई जा रही हैं। वहां भी बच्चों के बैठने की उचित व्यवस्था नहीं है। स्कूल में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है। शौचालय टूटे हुए हैं। ग्रामीणों के अनुसार शिक्षकों की उपस्थिति भी अनियमित है। ग्रामीण शेरसिंह ने कहा कि सरकार और शिक्षा विभाग को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए। स्कूल भवन की मरम्मत और आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध करवाई जानी चाहिए। शिक्षकों की नियमित उपस्थिति भी सुनिश्चित की जानी चाहिए। स्थानीय निवासी संजय चौहान ने बताया कि विकल्प न होने के कारण वे अपने बच्चों को इसी स्कूल में भेजने को मजबूर हैं। उन्होंने सरकार से स्कूल की स्थिति में सुधार की मांग की है। कक्षा चौथी के छात्र कपिल ने बताया कि हमारा स्कूल भवन टूट चुका है। छत भी नहीं है। बारिश के कारण अभी हम गांव के पटेल के घर में पढ़ाई कर रहे हैं। मगर जब बारिश नहीं होती है तो हम इसी टूटे हुए जर्जर छत विहीन स्कूल भवन में ही पढ़ाई करते हैं। हमें डर लगता है। की कही दीवार नहीं गिर जाएं। प्राथमिक शिक्षक गोपाल धुर्वे ने बताया कि स्कूल भवन जर्जर है और छत भी नहीं है। कक्षा पहली से पांचवीं तक के करीब 35 से ज्यादा बच्चें यहां पढ़ते हैं। अभी ज्यादा बारिश के कारण हम लोगों ने गांव के पटेल के यहां स्कूल लगाकर बच्चों को पढ़ा रहे हैं। जब मौसम खुला रहता है तो फिर यही जर्जर छत विहीन स्कूल में बच्चों को पढ़ाते हैं। हमने जनशिक्षक सहित उच्च अधिकारियों को कई बार अवगत कराया है। मगर आज तक समाधान नहीं हुआ। इस मामले में पानसेमल बीआरसी जितेंद्र बाइसकर का कहना है कि इस स्कूल भवन का निर्माण 2006 में हुआ था। तीन-चार साल पहले इसकी छत नीचे गिर गई थी। जन शिक्षक ने प्रतिवेदन बनाया था वरिष्ठ अधिकारियों को भी कई बार अवगत कराया गया था। मगर किसी ने कोई सुध नहीं ली अभी बारिश के चलते गांव के पटेल के यहां स्कूल लगाई जा रही है। इस मामले में पानसेमल बीईओ विनोद पाटीदार का कहना है मुझे भी आपके माध्यम से संज्ञान में आया है। मैंने अभी ही यहां पर कार्यभार संभाला है। मैं दिखवाता हूं कि स्कूल की व्यवस्था कैसे ठीक हो सकती है।
आज के समय में जब हर माता-पिता अपने बच्चों को महंगे और हाई-टेक स्कूलों में भेजना चाहते हैं, तब भी राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में एक ऐसा गुरुकुल है, जो आधुनिक सुविधाओं की दौड़ में शामिल नहीं होकर भी श्रेष्ठ शिक्षा और संस्कार दे रहा है। यह है श्री गुरुकुल, जो आज से करीब 95 साल पहले शुरू हुआ था और आज भी उसी प्राचीन वैदिक पद्धति पर निःशुल्क शिक्षा दे रहा है। यहां से पढ़े हुए विद्यार्थी देश-विदेश में ऊंचे पदों पर कार्यरत हैं, लेकिन उनकी पहचान सिर्फ डिग्री से नहीं, बल्कि संस्कारों से होती है। श्री गुरुकुल: शिक्षा और संस्कारों का अनूठा संगम चित्तौड़गढ़ रेलवे स्टेशन के पास स्थित श्री गुरुकुल कोई आम स्कूल नहीं, बल्कि एक ऐसा संस्थान है जो वैदिक परंपरा और आर्य समाज की मूल भावना के अनुसार शिक्षा देता है। यहां पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को ब्रह्मचारी कहा जाता है और ये स्टूडेंट्स सिर्फ किताबों की पढ़ाई नहीं करते, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनना सीखते हैं। उनका जीवन एकदम सरल और अनुशासित होता है। सुबह 4 बजे उठना, नियमित पूजा, शारीरिक व्यायाम, पढ़ाई, सेवा कार्य और रात 9 बजे तक सो जाना, यह इनका रोज़ का नियम है। यह गुरुकुल 39 बीघा जमीन में फैला हुआ है और यहां स्कूल से लेकर कॉलेज स्तर तक की पढ़ाई होती है। शिक्षा पूरी तरह हिंदी और संस्कृत माध्यम में होती है। हर साल करीब 35 से 50 विद्यार्थी यहां से पासआउट होते हैं, और अब तक 5 हजार से अधिक शिष्य यहां पढ़ चुके हैं। इतना सुनकर कोई यह न सोचे कि यहां पढ़ाई कमजोर होती है। इस गुरुकुल से निकले कई स्टूडेंट्स आज भारत सरकार, न्यायपालिका, शिक्षा संस्थानों और विदेशों में ऊंचे पदों पर कार्यरत हैं। गुरुकुल का इतिहास: एक सपना जो महर्षि दयानंद सरस्वती ने देखा था इस गुरुकुल की नींव रखने का सपना महर्षि दयानंद सरस्वती ने देखा था। जब वे 1883 में मेवाड़ के राजा सज्जन सिंह राणा के निमंत्रण पर चित्तौड़ आए थे, तब उन्होंने अपने शिक्षा आचार्य आत्मानंद से इस वीरभूमि के लिए कहा था - चित्तौड़गढ़ वह पवित्र स्थल है, जहां धर्म और देश के प्रति समर्पण की प्रेरणा मिलती है। अगर यहां गुरुकुल स्थापित हो जाए तो यह देश युवाओं के लिए कल्याणकारी होगा। हालांकि चित्तौड़ से जोधपुर जाते ही महर्षि दयानंद का निधन हो गया, लेकिन उनके शिष्यों ने उनका सपना पूरा किया। वर्ष 1930 में उनके शिष्य स्वामी व्रतानंद महाराज ने श्री गुरुकुल की स्थापना की। आज यह संस्थान 95 साल बाद भी पूरी मेहनत के साथ काम कर रहा है। गुरुकुल की परंपरा: शिष्य ही बनते हैं संचालक श्री गुरुकुल की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसे आज तक वही लोग संभालते आए हैं जो खुद इस गुरुकुल में पढ़ चुके हैं। हालांकि इसका फैसला श्री गुरुकुल महासभा द्वारा ही किया जाता हैं। आज इसकी जिम्मेदारी मंत्री एवं मुख्यधिष्ठता आचार्य चंद्रदेव निभा रहे हैं, जो कभी खुद इस गुरुकुल के स्टूडेंट रहे हैं और बाद में भारत सरकार में मुख्य लेखाधिकारी पद से रिटायर्ड हुए हैं। आर्य पाठ विधि से होती है शिक्षा यह गुरुकुल महर्षि दयानंद सरस्वती द्वारा बताया गया आर्य पाठ विधि और व्यवहार विधि पर आधारित है। यहां शिक्षा पूरी तरह हिंदी और संस्कृत माध्यम में दी जाती है। स्टूडेंट्स वेद, संस्कृत, गणित, इतिहास, सामान्य विज्ञान, योग, नैतिक शिक्षा और शारीरिक व्यायाम का प्रशिक्षण लेते हैं। शिक्षा के साथ-साथ संस्कार और सेवा का भी विशेष ध्यान रखा जाता है। यहां पढ़ने वाले बच्चे न केवल अच्छे स्टूडेंट बनते हैं, बल्कि अच्छे इंसान भी बनते हैं। स्कूल में होती निशुल्क पढ़ाई श्री गुरुकुल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह संस्थान स्वावलंबन पर आधारित है। यहां के बच्चों को शुद्ध और पोषक भोजन देने के लिए गुरुकुल परिसर में ही खेत और एक विशाल गोशाला है। इस गोशाला में 165 गायें हैं और इनके दूध से बच्चों का पोषण होता है। इसके अलावा 300 बीघा में फैला एक कृषि फार्म भी है जो बस्सी रोड पर स्थित है। वहां मौसमी सब्जियां, अनाज और फल उगाए जाते हैं। यह पूरी व्यवस्था दान और सहयोग से चलाई जाती है, कोई फीस या शुल्क नहीं लिया जाता। यहां से पढ़ कर निकले कई स्टूडेंट्स ने दुनिया में किया अपना नाम रोशन श्री गुरुकुल ने कई ऐसे स्टूडेंट्स को तैयार किया है जिन्होंने देश और विदेश में नाम रोशन किया है। वैसे तो इस गुरुकुल में पढ़े-लिखे कई शिष्य हैं। लेकिन यहां के पढ़े हुए लक्ष्मी नारायण पांडे जो अब तक 8 बार सांसद रह चुके हैं। इतना ही नहीं, शिष्य सत्यानंद वेदवागिश संस्कृत के बड़े जानकार है। जो वर्तमान में अमेरिका में प्रोफेसर है। इसके अलावा बीबीसी लंदन के रत्नाकर भारती, राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान के प्रभारी रहे मानव संसाधन मंत्रालय से रिटायर्ड प्रकाशचंद वेदांकर, आईओसी में चीफ जनरल मैनेजर रहे रामेश्वर उपाध्याय, एटा काॅलेज में हेड ऑफ द डिपार्टमेंट रामकृष्ण वर्णी, चंद्रशेखर शास्त्री, प्रोफेसर भानुप्रकाश, अंतरराष्ट्रीय रामस्नेही संप्रदाय शाहपुरा पीठ के पीठाधीश्वर संत 1008 रामदयाल महाराज, एमपी में न्यायाधीश से रिटायर्ड राजेंद्र शर्मा, राज्य सरकार में लेखाधिकारी पद से रिटायर्ड अभिमन्यु, शिवदत्त CA होकर खुद का कालाणी कंपनी, अमेरिका में उद्यमी वेदप्रकाश अर्जुनदेव शास्त्री, अमेरिका में प्रोफेसर डॉक्टर वीरदेव भिष्ट, अमेरिका में डॉक्टर सुरेंद्र भारद्वाज सहित अन्य कई इस गुरुकुल के शिष्य रह चुके हैं। गुरुकुल को शिष्यों द्वारा ही संचालित किया जाता है श्री गुरुकुल की खास परंपरा है कि इसका संचालन उन्हीं शिष्यों के हाथ में होता है, जिन्होंने कभी यहां शिक्षा पाई होती है। इस परंपरा की शुरुआत स्वामी व्रतानंद जी से हुई और फिर आचार्य यज्ञदेव ने इसे आगे बढ़ाया। आज गुरुकुल के प्रधानाचार्य और मुख्यधिष्ठाता हैं आचार्य चंद्रदेव, जिन्होंने खुद 1961 से 1969 तक यहां पढ़ाई की थी। आचार्य चंद्रदेव ने गुरु के आशीर्वाद से शुरू किया अपना सफर आचार्य चंद्रदेव गुजरात के राजकोट जिले के छोटे से गांव खोड़ापीपा से हैं। जब वे छोटे थे, तो अपने पिता कल्याण भाई पटेल के साथ महर्षि दयानंद की जन्मस्थली टंकारा गए थे, जहां स्वामी व्रतानंद जी से मुलाकात हुई। उनके कहने पर चंद्रदेव ने तीसरी कक्षा में श्री गुरुकुल में एडमिशन लिया। यहां की शिक्षा के बाद वे भारत सरकार के डाक विभाग में नौकरी में गए, फिर प्रमोशन पाकर दूरसंचार मंत्रालय में मुख्य लेखाधिकारी बने। 2013 में रिटायर होने के बाद वे वापस गुरुकुल लौटे और अब पूरे समर्पण से इसे चला रहे हैं। वे कहते हैं – > “जो कुछ मैंने जीवन में पाया है, वह मेरे गुरु और इस गुरुकुल की देन है।” संस्कार देने वाले आचार्य और सेवाभावी शिष्य गुरुकुल में शिक्षा देने वाले आचार्य भी कभी यहां के स्टूडेंट्स रहे हैं। इनमें सत्यकाम, हंसराज आर्य, इंद्रदेव विद्याभूषण, बद्रीनाथ चतुर्वेदी, संकेत मुनि, मनुदेव आर्य, हीरानंद शास्त्री, वीरेश्वर अभय रामेश्वर शर्मा, वेदपाल आर्य (नेपाल मूल) मुख्य है। इन सभी ने शिक्षा प्राप्त करने के बाद खुद को इसी गुरुकुल की सेवा में समर्पित कर दिया है। देश और विदेश से जुड़े रहते हैं पुराने स्टूडेंट्स आज भी श्री गुरुकुल के पुराने स्टूडेंट्स देश-विदेश में रहते हुए इस संस्थान से जुड़े हुए हैं। वे विशेष अवसरों पर गुरुकुल आते हैं, दान करते हैं, सेवाएं देते हैं और बच्चों को मार्गदर्शन भी देते हैं। यह संबंध सिर्फ पढ़ाई तक नहीं, जीवनभर का बन जाता है। आधुनिक युग में भी प्राचीन शिक्षा की जड़ों से जुड़ा गुरुकुल जब पूरी दुनिया आधुनिकता की दौड़ में लगी है, तब चित्तौड़गढ़ का श्री गुरुकुल हमें यह सिखाता है कि शिक्षा सिर्फ किताबें पढ़ने का नाम नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला, सेवा, अनुशासन और संस्कारों का नाम है। यह गुरुकुल एक उदाहरण है कि संवेदनशील, संस्कारित और सशक्त नागरिक सिर्फ स्मार्ट क्लास से नहीं, बल्कि सच्चे ज्ञान और आत्मबल से बनते हैं।
फटे तिरपाल में भीगती शिक्षा...:भवन दुरुस्त कराने फंड नहीं, इसलिए विभाग ने ही बनवा दिया टपरा स्कूल
ग्रामीण इलाकों के बदहाल स्कूलों की तस्वीरें तो आम हैं लेकिन अगर ये पता चले कि खुद शिक्षा विभाग और ग्राम पंचायत ने ही बच्चों के लिए टपरा स्कूल बनाया है तो क्या कहेंगे। यकीन नहीं आता तो सांगई गांव के इस स्कूल पर नजर डालिए। यहां तीन साल से बच्चे टपरे में बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं। दरअसल, गांव में सरकारी भवन के नाम पर एकमात्र बिल्डिंग इसी स्कूल की थी, जो पिछले 3 साल से जर्जर है। इसमें क्लास नहीं लगाई जा सकती। डीपीसी ऋषि शर्मा बताते हैं कि स्कूलों की मरम्मत के लिए केंद्र सरकार छात्र संख्या के आधार पर पैसा जारी करती है। उसमें ऐसे स्कूल छूट जाते हैं, जिनमें बच्चे कम हों। इस स्कूल में 15-20 बच्चे ही हैं, इसलिए मरम्मत नहीं हो पा रही। गांव में कोई दूसरा सरकारी भवन है नहीं। तो हमने पंचायत की मदद से स्कूल के अहाते में ही टपरा बनवा दिया।
उच्च शिक्षा विभाग का दावा था कि प्रदेश के सभी सरकारी कॉलेजों को नैक (राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद) की मान्यता दिलाई जाएगी। इसके लिए तमाम प्रशिक्षण, कार्यशालाएं और वेबिनार हुए। मास्टर फेसिलिटेटर की नियुक्ति हुई। मॉक विजिट तक करवाई गईं। लेकिन, नतीजे निराशाजनक ही रहे। 571 सरकारी कॉलेजों में से केवल 164(27.83%) नैक से मान्यता प्राप्त कर सके हैं। शेष 334 कॉलेज अभी भी ‘बाइनरी प्रत्यायन’ की प्रक्रिया में हैं, यानी गुणवत्ता मापने की बुनियादी कसौटियों पर भी खरे नहीं उतर रहे हैं। सबसे चौंकाने वाला आंकड़ा यह है कि 24 विधि और संस्कृत महाविद्यालयों के पास खुद की बिल्डिंग तक नहीं है और इनकी विद्यार्थी संख्या भी 100 से कम है। इधर, भोपाल जिले में 14 सरकारी कॉलेज हैं। 11 के पास नेक की मान्यता है। इनमें से एक कॉलेज के पास A+ और दो के पास A ग्रेड है। उच्च शिक्षा विभाग की स्टेट नैक को-ऑर्डिनेटर/ओएसडी, डॉ. ऊषा नायर का कहना है कि नैक प्रत्यायन को लेकर सबसे ज्यादा प्रयास मप्र में किए जा रहे हैं। इसी का नतीजा है कि कॉलेजों की ग्रेडिंग में दो पायदान का सुधार हुआ है। सुधार के दावे हकीकत से परे सरकारी आंकड़ों में भले ही बताया गया हो कि 90% कॉलेजों ने 2-3 ग्रेड तक सुधार किया है और दो कॉलेजों ने A++ और तीन ने A+ ग्रेड हासिल किया है,लेकिन जब कुल कॉलेजों की संख्या 571 हो, तो ये संख्या बहुत मामूली लगती है। कुल मिलाकर ऊंचे ग्रेड पाने वाले कॉलेजों की संख्या मात्र 37 है। साफ है कि सरकारी कॉलेजों में गुणवत्ता की भारी कमी है। उठ रहे सवाल इतने प्रशिक्षण कार्यक्रम, कार्यशालाएं और तकनीकी मदद के बावजूद अधिकतर कॉलेज मान्यता क्यों नहीं प्राप्त कर पा रहे? जिन कॉलेजों में भवन ही नहीं, वहां शिक्षा की गुणवत्ता का आकलन किस आधार पर किया जाए? किस ग्रेड के कितने कॉलेज 02 कॉलेज A++ 03 कॉलेज A+ 15 कॉलेज A17 कॉलेज B++ 25 कॉलेज B+56 कॉलेज B46 कॉलेज C क्या है नैक का बाइनरी सिस्टम..? नैक ने अब ‘बाइनरी प्रत्यायन प्रणाली’ शुरू की है। इसमें कॉलेजों को परंपरागत ग्रेड (A, B, C) की जगह दो ही विकल्पों में बांटा जाएगा। परत्यायित या गैर-प्रत्यायित। कॉलेजों को अब स्पष्ट बताया जाएगा कि वे मान्यता योग्य हैं या नहीं। इस बाइनरी प्रणाली में वे कॉलेज शामिल होंगे जो ग्रेडिंग प्रणाली के मानकों पर खरे नहीं उतरते, फिर भी गुणवत्ता मूल्यांकन के लिए तैयार हैं। 334 कॉलेज अब इसी श्रेणी में रखे जा रहे हैं।
लैब टेक्नीशियन संघ ने की चिकित्सा शिक्षा सचिव से वार्ता
बीकानेर | अखिल राजस्थान लैब टेक्नीशियन कर्मचारी चिकित्सा व शिक्षा संघ की संयुक्त वार्ता चिकित्सा शिक्षा सचिव से हुई। लैब टेक्नीशियन संघ ने विभिन्न मांगों को लेकर प्रयासरत है। वार्ता के दौरान उन्होंने ग्रेड पे- 4200 रुपये, पदनाम संशोधन की अधिसूचना जारी करवाने, स्टाफिंग पैटर्न का प्रपोजल वित्त विभाग में भिजवाने, हार्ड ड्यूटी अलाउंस बढ़ाने, लैब टेक्नीशियन के पद की योग्यता डीएमएलटी से बढ़ाकर बीएससीएमएलटी करने पर सहमति बनी। वार्ता में अतिरिक्त निदेशक प्रशासन चिकित्सा शिक्षा, वित्त सलाहकार, उपनिदेशक, अतिरिक्त निदेशक, प्रदेशाध्यक्ष बजरंग सोनी, महेश सैनी, अजय किराड़ू शामिल हुए।
नेशनल फेंसिंग चैंपियनशिप में शिक्षा उरांव ने जीता गोल्ड
महाराष्ट्र के नासिक में 5 से 7 जुलाई 2025 तक आयोजित 7वीं चाइल्ड एंड 13वीं मिनी नेशनल फेंसिंग चैंपियनशिप में झारखंड के खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन कर राज्य का नाम रोशन किया। रांची की शिक्षा उरांव ने गोल्ड मेडल जीता। हटिया रेलवे स्टेशन पर खिलाड़ियों का फूल-मालाओं के साथ भव्य स्वागत किया गया।
जीवन का संपूर्ण मार्गदर्शन है इस्लामी शिक्षा : रहमानी
आज की दुनिया धार्मिक संघर्ष, आर्थिक अस्थिरता, जलवायु आपदाएं, राजनीतिक दमन और सामाजिक विषमता जैसी गंभीर संकटों से जूझ रही है। ऐसे अस्थिर समय में पूरी मानवता न्याय, स्थिरता और शांति की तलाश में है। इस चुनौतीपूर्ण परिदृश्य में इस्लामी शिक्षाएं एक प्रकाशस्तंभ की भांति मार्गदर्शन प्रदान करती हैं, जो समस्त मानवता को सौहार्द, करुणा और स्थायी शांति की ओर प्रेरित करती हैं। यह बातें रहमानी एजुकेशनल एंड वेलफेयर ट्रस्ट के चेयरमैन मिकाइल रहमानी ने कही। इस्लाम, जिसका शाब्दिक अर्थ है शांति और ईश्वर की इच्छा के प्रति समर्पण, केवल एक धर्म नहीं, बल्कि जीवन का एक संपूर्ण मार्गदर्शन है।
अंधविश्वास व अशिक्षा ने एक निर्दोष परिवार को खत्म कर दिया : बंधु
टेटगामा गांव में एक ही आदिवासी परिवार के पांच सदस्यों की निर्मम हत्या न केवल एक परिवार की त्रासदी है, बल्कि यह सामाजिक अन्याय, अंधविश्वास और दमन की क्रूर तस्वीर प्रस्तुत करती है। इस जघन्य अपराध ने पूरे बिहार को झकझोर दिया है और समाज में व्याप्त अज्ञानता, पाखंड और असमानता को उजागर किया है। यह घटना मानवता पर कलंक है। अंधविश्वास और अशिक्षा ने एक निर्दोष परिवार को खत्म कर दिया। यह सिर्फ एक हत्या नहीं, बल्कि सामाजिक कुरीतियों और दबंगों की ताकत का परिणाम है। सरकार और समाज को मिलकर इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। ये बातें झारखंड कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने बुधवार को पूर्णिया पूर्व के टेटगामा गांव का दौरा करने के बाद कही। वे झारखंड कांग्रेस कमेटी द्वारा गठित 5 सदस्यीय टीम के साथ टेटगामा पहुंचे थे। उन्होंने पीड़ित परिवार के शोकसंतप्त परिजनों से मुलाकात की, उनके दर्द को समझा, और घटना की विस्तृत जानकारी ली। मामले में 23 नामजद, 150 अज्ञात पर एफआईआर मामले में 23 नामजद हैं और 150 अज्ञात लोगो के खिलाफ एफआईआर किया गया है। पीड़ित परिवार के अनुसार इस घटना का मुख्य आरोपी स्थानीय नकुल उरांव ही है, जो तांत्रिक का काम करता है और उसी ने गांव वालों को उकसाया था जिसे बाद में पुलिस ने धर दबोचा है। साथ ही नकुल उरांव के सहयोगी छोटू उरांव, मोहम्मद सनाउल को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। बंधु तिर्की ने कहा कि गांव में आदिवासी और दलित समुदाय भय, असमानता, और दबंगों के दबदबे के साए में जी रहा है। उनकी आजीविका हाशिए पर है, और सामाजिक-आर्थिक पिछड़ापन उनकी जिंदगी को और कठिन बना रहा है। अंधविश्वास का घोर प्रकोप फैला है। उच्चस्तरीय जांच कराकर सजा दिलाने की मांग बंधु ने इस मामले की निष्पक्ष और उच्चस्तरीय जांच के साथ-साथ दोषियों को कठोरतम सजा दिलाने की मांग की। साथ ही पीड़ित परिवार को तत्काल आर्थिक सहायता और सुरक्षा प्रदान करने की बात कही। उन्होंने अपनी तरफ से परिवार को तात्कालिक 21 हजार का आर्थिक सहयोग किया। पीड़ित परिवार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए हरसंभव सहायता का वादा किया। उन्होंने डीएम व एसपी से मिलकर जल्द कार्रवाई का आग्रह किया है। प्रतिनिधिमंडल में कई बड़े नेता रहे शामिल प्रतिनिधिमंडल में प्रदेश महासचिव नीरज खलखो, आदिवासी प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष जोसई मार्डी व राज उरांव शामिल थे। इनके अलावा अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद बिहार प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र उरांव, परिषद के राष्ट्रीय युवा उपाध्यक्ष आनंद लकड़ा, कांग्रेस नेता छोटू सिंह उर्फ नीरज सिंह, कांग्रेस जिलाध्यक्ष बिजेंद्र यादव, सुरेंद्र उरांव, रावण उरांव, चंदन उरांव, एमरॉन बाड़ा, दिलीप लकड़ा, राजद नेता उपेंद्र शर्मा, लाल बहादुर उरांव, विजय उरांव, स्थानीय जिला परिषद सदस्य राजीव सिंह आदि उपस्थित थे।
सुपौल में सरकारी विद्यालयों के 543 शिक्षकों की सैलरी रोक दी गई है। जिला शिक्षा पदाधिकारी (DEO) संग्राम सिंह ने यह कार्रवाई 8 जुलाई को शिक्षकों की अनुपस्थिति के कारण की है। विभाग ने ई-शिक्षा कोष एप पर उपस्थिति की समीक्षा की। इसमें पाया गया कि इन शिक्षकों ने न तो सेल्फ अटेंडेंस दर्ज की और न ही मार्क ऑन ड्यूटी किया। शिक्षकों ने अनुपस्थिति की पूर्व सूचना भी नहीं दी थी। विभाग ने इसे अनधिकृत अनुपस्थिति माना है। DEO ने 'नो वर्क, नो पे' के आधार पर वेतन रोकने का निर्णय लिया है। सभी शिक्षकों को प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों के माध्यम से कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। उन्हें तीन दिनों के भीतर स्पष्टीकरण देना होगा। निर्देशों की अनदेखी कर रहे शिक्षक DEO ने कहा कि शिक्षक बार-बार निर्देशों की अनदेखी कर रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि शिक्षकों की उपस्थिति शिक्षा व्यवस्था की बुनियादी शर्त है। विद्यालय से अनुपस्थित रहने वाले शिक्षक को जवाब देना होगा।यदि शिक्षकों का जवाब संतोषजनक नहीं पाया गया तो अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। इस कार्रवाई से जिले के अन्य शिक्षकों में भी हलचल मची है। विभाग का कहना है कि ई-शिक्षा कोष एप पर उपस्थिति दर्ज करना हर शिक्षक की जिम्मेदारी है।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) ने 9 जुलाई को अपना 77वां स्थापना दिवस राष्ट्रीय विद्यार्थी दिवस के रूप में मनाया। गाजीपुर में एमएएच इंटर कालेज से राजकीय सी टी इंटर कॉलेज तक विद्यार्थी गौरव यात्रा निकाली गई। मेडिकल कॉलेज में संगोष्ठी का आयोजन किया गया। विभिन्न नगरों में कार्यकर्ताओं ने संगोष्ठियां, वृक्षारोपण और सेवा कार्य किए। छात्रहित, शिक्षा सुधार और राष्ट्रभक्ति जैसे विषयों पर संवाद हुआ। प्रवासी कार्यकर्ता प्रदेश सह मंत्री अमन सिंह ने कहा कि छात्र वर्तमान के जिम्मेदार कर्ताधारी हैं। अभाविप का उद्देश्य विद्यार्थियों को राष्ट्र के प्रति सजग और समर्पित बनाना है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के जिला प्रचारक प्रभात ने बताया कि 9 जुलाई 1949 को स्थापित अभाविप अब विश्व का सबसे बड़ा छात्र संगठन है। यह संगठन शैक्षणिक परिसरों में छात्र कल्याण के साथ समाज के विभिन्न क्षेत्रों में भी योगदान देता है। पीजी कॉलेज के प्रवक्ता डॉ. शैलेंद्र सिंह ने कहा कि इस संगठन में छात्रों के साथ शिक्षक भी जुड़कर मार्गदर्शन करते हैं। कार्यक्रम का संचालन जिला संयोजक बृजेश सिंह ने किया। प्रो. आदेश सिंहा, कुणाल राय, चंद्रमोहन, विपुल, राहुल और मनीष समेत कई लोग उपस्थित रहे।
आगरा कॉलेज की जमीन पर मेट्रो प्राधिकरण द्वारा अनाधिकृत कब्ज़े के विरोध में शिक्षकों का प्रतिनिधिमंडल उच्च शिक्षा मंत्री से मिला। प्रतिनिधिमंडल ने उच्च शिक्षा मंत्री को एक ज्ञापन सौंपा। उच्च शिक्षा मंत्री ने आश्वासन दिया कि जल्द ही मेट्रो, प्रशासन के साथ बैठकर इस मुद्दे पर चर्चा की जाएगी।प्रतिनिधिमंडल द्वारा उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय को जानकारी दी गई कि गाटा संख्या 281 एवं 282, जो कि आगरा कॉलेज, आगरा की स्वामित्वाधीन भूमि है, पर मेट्रो प्राधिकरण द्वारा अनधिकृत रूप से कब्जा कर निर्माण कार्य किया जा रहा है। यह भूमि कॉलेज के खेल मैदान (प्ले ग्राउंड) के रूप में राजकीय अभिलेखों में दर्ज है। प्रिंसिपल प्रो. सीके गौतम ने बताया कि इस भूमि के हस्तांतरण के लिए कॉलेज की प्रबंध समिति द्वारा कभी कोई प्रस्ताव पारित नहीं किया गया, न ही इस भूमि के एवज में कॉलेज को कोई मुआवजा प्राप्त हुआ है। यह स्थिति एक शैक्षणिक संस्था की संपत्ति एवं स्वायत्तता के विरुद्ध है तथा इससे छात्रों के हित एवं संस्थान की गरिमा को गंभीर क्षति पहुंचने की आशंका है। प्रिंसिपल ने यह भी स्पष्ट किया कि मेट्रो प्राधिकरण वास्तव में गाटा संख्या 281 एवं 282 पर कार्य कर रहा है, जबकि वह जानबूझकर इसे गाटा संख्या 286 बताता है, जो कि भ्रमजनक है।कहा कि आगरा कॉलेज, आगरा की भूमि ‘आगरा कॉलेज ट्रस्ट’ के स्वामित्व में है, न कि राज्य सरकार की। इस भूमि का हस्तांतरण अथवा उपयोग का अधिकार केवल आगरा कॉलेज ट्रस्ट के पास निहित है। सर्किट हाउस में करेंगे बैठकउच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वस्त किया कि इस विषय पर गंभीरता से विचार किया जाएगा। जल्द ही सर्किट हाउस, आगरा में प्रशासन, मेट्रो प्राधिकरण और संबंधित विभागों के साथ संयुक्त बैठक की जाएगी। इस समस्या का समाधान निकाला जाएगा। प्रतिनिधिमंडल में शामिल रहे यह शिक्षकप्रो. मृणाल शर्मा, प्रो. पूनम चांद, प्रो. जयश्री भारद्वाज, प्रो. संध्या यादव, प्रो. विजय कुमार सिंह, प्रो. अशोक कुमार सिंह, प्रो. दीपक उपाध्याय, डॉ. गौरव कौशिक, प्रोफेसर दिग्विजय पाल सिंह प्रो. अमित चौधरी, प्रो. संजीव शर्मा, प्रोफेसर उमाकांत चौबे प्रो. शोभनाथ जैसल, प्रो. अमरनाथ, प्रो. सुधेन्द्रनाथ, डॉ. सुरेन्द्र पाल सिंह, पंकज सक्सेना एडवोकेट इत्यादि।
प्रयागराज में बुधवार को आम आदमी पार्टी ने प्राथमिक विद्यालयों को बंद किए जाने के विरोध में मधवापुर प्राथमिक विद्यालय परिसर में प्रदर्शन किया। आप प्रदेश प्रभारी संजय सिंह के आह्वान पर जिलाध्यक्ष सर्वेश यादव ने प्रदर्शन का नेतृत्व किया। सर्वेश यादव ने कहा कि प्रयागराज शिक्षा का प्रमुख केंद्र रहा है। यहां दूर-दराज से छात्र पढ़ने आते हैं। प्रदर्शन के दौरान बच्चों ने भी तख्तियां लेकर 'संजय अंकल हमारा स्कूल बचाओ' के नारे लगाए। जिलाध्यक्ष ने कहा कि अगर स्कूल बंद करने का फैसला वापस नहीं लिया गया तो पार्टी कार्यकर्ता सड़क से सदन तक संघर्ष करेंगे। काशी प्रांत अध्यक्ष पवन तिवारी ने स्कूल बंदी को अपराध को बढ़ावा देने जैसा बताया। उन्होंने कहा कि योगी सरकार को यह फैसला बच्चों के हित में सोचकर लेना चाहिए। प्रदर्शन में प्रदेश अध्यक्ष श्रम प्रकोष्ठ अंजनी मिश्रा, अरुण कुशवाहा, गोलू सोनकर, सौरभ सिंह, रविंद्र श्रीवास्तव, रमेश भारतीया समेत कई कार्यकर्ता और स्थानीय लोग मौजूद थे। सभी ने सरकार से स्कूल बंदी का फैसला वापस लेने की मांग की।
देवरिया जिले में निर्माण क्षेत्र के श्रमिकों को सरकारी योजनाओं का लाभ लेने का अवसर मिल रहा है। श्रमिक साइबर कैफे या विकास भवन स्थित कार्यालय में जाकर ऑनलाइन पंजीकरण करा सकते हैं। सहायक श्रम आयुक्त स्कन्द कुमार ने बताया कि मनरेगा श्रमिक, राजमिस्त्री, हेल्पर, बढ़ई, पेंटर, प्लंबर समेत 40 प्रकार के निर्माण कार्यों में लगे श्रमिकों का पंजीकरण आवश्यक है। यह पंजीकरण उत्तर प्रदेश भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के तहत किया जाएगा। पंजीकृत श्रमिकों को कई लाभ मिलेंगे। अटल आवासीय विद्यालय योजना में कक्षा 6 से 12 तक के बच्चों को स्मार्ट क्लास और हॉस्टल की मुफ्त सुविधा मिलेगी। मातृत्व और बालिका मदद योजना में 50,000 से 90,000 रुपये तक की सहायता दी जाएगी। कन्या विवाह के लिए 55,000 रुपये की मदद मिलेगी। इलाज खर्च की होगी प्रतिपूर्तिसंत रविदास शिक्षा योजना में कक्षा 9 से 12 के विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति और 4,500 रुपये की साइकिल सहायता मिलेगी। गंभीर बीमारी में इलाज खर्च की प्रतिपूर्ति होगी। मृत्यु या दिव्यांगता की स्थिति में 2,25,000 से 5,25,000 रुपये तक की सहायता राशि दी जाएगी। जन सेवा केंद्र पोर्टल पर करें आवेदनजिन श्रमिकों का पंजीकरण एक साल से पुराना है और इस दौरान पुत्री विवाह, शिशु जन्म या अन्य घटनाएं हुई हैं, वे तुरंत श्रमिक कल्याण बोर्ड पोर्टल या जन सेवा केंद्र पर आवेदन कर सकते हैं। नया पंजीकरण कराने के लिए श्रमिक अपने निकटतम जन सेवा केंद्र/सहज केंद्र पर जाकर एक पासपोर्ट साइज फोटो, स्वप्रमाणित आधार कार्ड एवं बैंक पासबुक की छायाप्रति के साथ निर्धारित शुल्क- एक साल के लिए 40 रुपये, दो वर्ष के लिए 60 रुपये और तीन साल के लिए 80 रुपये जमा करके ओटीपी सत्यापन सहित पंजीकरण कराएं। उन्होंने ग्राम प्रधानों से भी अनुरोध किया है कि वे ग्राम पंचायतों में श्रमिकों के पंजीकरण एवं योजना आवेदन में सक्रिय सहयोग करें।
मध्य प्रदेश सरकार के नए और सख्त नियमों से छोटे और मध्यम प्राइवेट स्कूलों में ताला लगाने की नौबत आ गई है। मध्य प्रदेश प्राइवेट स्कूल वेलफेयर संचालक मंच ने इसके विरोध में बुधवार को 74 बंगला स्थित स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह के घर के बाहर प्रदर्शन किया। इस दौरान रीवा, जबलपुर, सागर समेत प्रदेशभर से प्रभावित निजी स्कूल संचालक एकत्र हुए। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की तानाशाही और अव्यवहारिक नियमों के चलते 4,820 स्कूलों ने मान्यता के लिए आवेदन ही नहीं किया है। इससे 60 से 70 हजार शिक्षकों के बेरोजगार होने और शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) के तहत पढ़ने वाले सवा लाख से अधिक गरीब बच्चों के शिक्षा से वंचित होने का खतरा मंडरा रहा है। नए नियम बने मुसीबतसंचालक मंच के प्रदेश अध्यक्ष शैलेष तिवारी के अनुसार, सरकार ने मान्यता के लिए कई ऐसे नियम थोप दिए हैं, जो छोटे स्कूलों के लिए असंभव हैं। इनमें रजिस्टर्ड किरायानामा, सुरक्षा निधि और भारी-भरकम मान्यता शुल्क प्रमुख हैं। रजिस्टर्ड किरायानामा सबसे बड़ी समस्या बनकर उभरा है, क्योंकि मकान मालिक इसके लिए तैयार नहीं हो रहे या फिर किराया और एडवांस बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। नए भवन में स्कूल बदलना भी एक महीने में संभव नहीं है और खुद की जमीन पर बिल्डिंग बनाना तो दूर की बात है। गलत कागज देने वालों को मिली मान्यताजबलपुर से आए निजी स्कूल संचालकों ने आरोप लगाया कि अब नियम है कि रजिस्टर्ड किरायानामा जमा करना होगा। इसके बाद भी कई स्कूलों ने पुराने तरीके वाला सामान्य किरायानामा ही पोर्टल पर जमा किया, उन्हें मान्यता भी दे दी गई। हम ईमानदारी से अपनी बात रख रहे हैं, तो कोई सुनवाई नहीं हो रही। 22 दिन पहले हमने राज्य शिक्षा केंद्र के सामने भी प्रदर्शन किया था। अब तक अधिकारियों से लेकर जिम्मेदार लगातार हमारी मांगों को नजरअंदाज करते आ रहे हैं। सरकार पर सोची-समझी रणनीति का आरोपसंचालक मंच के कोषाध्यक्ष मोनू तोमर ने कहा, यह सब प्राइवेट स्कूलों को आर्थिक रूप से कमजोर करने की सोची-समझी साजिश है। सरकार पिछले कई सालों से RTE के तहत गरीब बच्चों की फीस का भुगतान भी नहीं कर रही है। 2016 से 2022 तक के पैसे भी अधिकांश स्कूलों को नहीं मिले हैं, जबकि वे खुद एक दिन की देरी पर स्कूलों पर जुर्माना लगा देते हैं। उन्होंने सवाल किया कि जब 2011 में नोटरी कृत किराए-नामे पर मान्यता मिल जाती थी, तो अब शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने ये नए नियम क्यों थोपे हैं? यह सिर्फ राजस्व बढ़ाने और बड़े-बड़े स्कूलों को फायदा पहुंचाने की कोशिश है। उग्र आंदोलन की चेतावनीइन नियमों के विरोध में 4,820 स्कूलों ने शुरू से ही मान्यता के लिए आवेदन नहीं किया है। इन स्कूलों को बंद करने का दबाव बनाया जा रहा है, जबकि संचालक इन्हें चलाना चाहते हैं। मोनू तोमर ने कहा कि भोपाल में इकट्ठा हुए सभी प्राइवेट स्कूल संचालकों ने चेतावनी दी है कि अगर मान्यता पोर्टल नहीं खोला गया और RTE का पुराना व दो साल से रुका हुआ पैसा नहीं मिला, तो वे अनिश्चितकालीन हड़ताल करेंगे और उग्र आंदोलन छेड़ेंगे।
केंद्र सरकार की नीतियों के विरोध समेत 17 मांगों को लेकर देशभर के बैंक कर्मचारी आज हड़ताल पर है। प्रदेशभर के लगभग 11 हजार बैंक कर्मचारी और अधिकारी कामकाज से दूर रहेंगे। राजस्थान प्रदेश बैंक कर्मचारी यूनियन के महासचिव महेश मिश्रा ने बताया- इस राष्ट्रव्यापी बैंक हड़ताल में सार्वजनिक, निजी, विदेशी, सहकारी और ग्रामीण बैंकों के कर्मचारी-अधिकारी शामिल है। इसके चलते बुधवार को उदयपुर में बैंक कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन किया। टाउन हॉल रोड पर बैंक कर्मियों ने प्रदर्शन कर अपनी मांगों को लेकर नारेबाजी की। यह हड़ताल केंद्र सरकार की श्रम विरोधी नीतियों और बैंकों के निजीकरण के खिलाफ है। बैंककर्मी पुरानी पेंशन योजना लागू करने, आउटसोर्सिंग पर रोक, पांच दिवसीय बैंकिंग व्यवस्था और कॉर्पोरेट लोन की वसूली जैसे मुद्दों को लेकर एकजुट हो रहे हैं। निजीकरण, कॉन्ट्रैक्ट भर्ती और आउटसोर्सिंग के खिलाफ मोर्चा राजस्थान प्रदेश बैंक एम्प्लॉयज यूनियन के सचिव और PNB एम्प्लॉयज यूनियन के अध्यक्ष टी सी झालानी ने बताया- यह हड़ताल सिर्फ बैंकिंग सेक्टर तक सीमित नहीं है। बल्कि बीमा, डाक, आयकर, बीएसएनएल, कोयला, रक्षा, आंगनबाड़ी, आशा, मिड-डे मील, मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव, खेत-मजदूर और फैक्ट्री कर्मचारियों सहित कई क्षेत्रों के कामगार इसमें शामिल होंगे। उन्होंने बताया- इस हड़ताल के जरिए सरकारी संस्थानों के निजीकरण और विनिवेश पर रोक, सभी सेक्टर्स में पर्याप्त भर्ती, आउटसोर्सिंग और संविदा व्यवस्था बंद करने, कॉर्पोरेट से NPA वसूली और बीमा प्रीमियम पर GST हटाने की मांग की जा रही है। न्यूनतम वेतन 26,000 रुपए प्रतिमाह करने और समान काम के लिए समान वेतन लागू करने की भी मांग की है। सरकारी संस्थानों के निजीकरण और ठेका भर्ती के खिलाफ विरोध राजस्थान प्रदेश बैंक एम्प्लॉयज यूनियन के महासचिव महेश मिश्रा ने बताया कि यह हड़ताल केंद्र सरकार की श्रम विरोधी नीतियों और बैंकों के निजीकरण के खिलाफ की गई है। सार्वजनिक, निजी, विदेशी, सहकारी और ग्रामीण बैंकों के कर्मचारी इसमें शामिल हुए। पीएनबी एम्प्लॉयज यूनियन के अध्यक्ष टीसी झालानी ने बताया कि यह सिर्फ बैंकिंग सेक्टर की नहीं, बल्कि बीमा, डाक, आयकर, बीएसएनएल, कोयला, रक्षा, आंगनबाड़ी, आशा, मिड-डे मील, खेत मजदूर, मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव और फैक्ट्री जैसे क्षेत्रों के कामगारों की भी लड़ाई है। यूनियनों ने सरकारी संस्थानों के निजीकरण और विनिवेश पर रोक लगाने, पर्याप्त स्थायी भर्ती, आउटसोर्सिंग और संविदा व्यवस्था बंद करने, कॉर्पोरेट से NPA वसूली और बीमा प्रीमियम पर GST हटाने की मांग रखी है। अजमेर में भी विरोध प्रदर्शनराजस्थान प्रदेश बैंक एम्प्लॉयज यूनियन के अध्यक्ष रवि कुमार वर्मा ने बताया कि इस हड़ताल में ऑल इंडिया बैंक एंप्लाइज एसोसिएशन, बैंकिंग एवं वित्तीय संस्थानों की ट्रेड यूनियंस, ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन, बैंक एंप्लाइज फैडरेशन ऑफ इंडिया, एलआईसी एंप्लाइज फैडरेशन और जनरल इंश्योरेंस एंप्लाइज ऑल इंडिया एसोसिएशन शामिल हुए। राज्यभर में करीब 11000 बैंककर्मी हड़ताल पर रहे। वहीं बैंकिंग उद्योग की यूनियनों द्वारा भी हड़ताल को समर्थन दिया गया। हड़ताल के चलते बैंकों और बीमा कंपनियों के कार्मिकों व अफसरों सहित अन्य श्रमिक संगठनों के सदस्य विरोध प्रदर्शन के लिए सुबह 11 बजे संयुक्त श्रमिक समन्वय समिति के तत्वाधान में कचहरी रोड स्थित एलआईसी कार्यालय के बाहर इकट्ठा होकर विरोध जताया। 17 सूत्री मांगों को लेकर जल्द सरकार को पूरा करने की चेतावनी दी है।
उदयपुर के कोटड़ा ब्लॉक के बुढिया ग्राम पंचायत मुख्यालय पर संचालित राजकीय उच्च माध्यमिक स्कूल के कमरों के हालात खराब है। पांच में से तीन कमरों को बंद कर रखा है क्योंकि वे कभी भी गिर सकते है। यहीं नहीं जिन दो कक्षा-कक्ष में 500 स्टूडेंट बैठ रहे है वे भी जर्जर है। राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में पांच कमरों के स्कूल में वर्तमान में केवल दो कमरे ठीक-ठाक है। इन दो कमरों में नामांकित करीब 500 बच्चों को बैठाया जाता है। अन्य मौसम के दिनों में तो उनको बाहर बरामदे अथवा खुले में भी बैठाकर काम चलाया जा सकता है लेकिन वर्तमान में बरसात के मौसम में तो बच्चों को इन्हीं दो कमरों में बैठाने की मजबूरी बनी हुई है। क्षेत्र में कार्य करने वाले मजदूर अधिकार संगठन के उपाध्यक्ष एवं स्थानीय नागरिक कमलेश कुमार सहित ग्रामीणों ने बताया कि कई बार स्कूल के हालात को अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों के सामने रखा लेकिन हालात नहीं बदले। स्कूल भवन के कुल पांच कमरे है,जिसमें से तीन पूरी तरह से जर्जर होने के कारण सुरक्षा के लिहाज से बंद कर दिये गये है, ये कभी भी जमींदोज हो सकते है। यहां पर अभी दो कमरों में बच्चों को बैठाया जाता है। इन कमरों की छत पूरी तरह खराब हैं, छत में सरिये दिखाई देते है। इसके अलावा दीवारें भी खराब हो गई है। ग्रामीणों ने जल्द से जल्द अतिरिक्त कमरों के निर्माण की मांग की है। इस बारे में कोटड़ा बीईईओ जीवनलाल ने बताया कि स्कूल भवन जर्जर है, इसको लेकर उच्च अधिकारियों को लिखा गया है। मरम्मत के लिए बजट आने पर कार्य करवाया जाएगा। इनपुट : शाहिद खान पठान, कोटड़ा
चित्तौड़गढ़ की अश्विता मालीवाल अब चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) बन चुकी हैं। रविवार को आए CA फाइनल रिजल्ट में अश्विता ने 600 में से 335 अंक प्राप्त कर यह लक्ष्य हासिल किया। यह सफर आसान नहीं था, लेकिन उनकी मेहनत, परिवार का साथ और दादाजी की इच्छा ने उन्हें कभी हार नहीं मानने दिया। पढ़ाई की शुरुआत और संघर्ष ने थोड़े दिन रोका कदम अश्विता ने 2018 में CPT (CA की पहली परीक्षा) पास की थी। इसके बाद 2019 में इंटरमीडिएट का ग्रुप 1 और फिर 2020 में ग्रुप 2 क्लियर किया। सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन बीच में अचानक कई कठिन परिस्थितियां आ गईं। उनके दादाजी मदनलाल मालीवाल का निधन हो गया, जो उन्हें पढ़ाई के लिए हमेशा प्रेरित करते थे। फिर पिता बालमुकुंद मालीवाल कोरोना जैसी गंभीर बीमारी से जूझने लगे। इन सब बातों का असर अश्विता की पढ़ाई पर पड़ा और वो उस समय CA फाइनल की परीक्षा नहीं दे पाईं। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने खुद को दोबारा संभाला, फिर से तैयारी शुरू की और साल 2025 में परीक्षा दी और पास भी हो गईं। “मैं CA बनना ही नहीं चाहती थी...”, दादाजी को था कॉन्फिडेंस अश्विता बताती हैं कि उन्होंने पहले BBA (बैचलर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन) की पढ़ाई कर ली थी और उनका मन CA बनने का नहीं था। लेकिन दादाजी की इच्छा थी कि वह एक दिन CA बने वो कहती हैं, “मैं खुद को सिर्फ एक एवरेज स्टूडेंट मानती थी। मुझे कभी भरोसा नहीं था कि मैं इतना मुश्किल कोर्स पूरा कर पाऊंगी। लेकिन मेरे दादाजी का मुझ पर पूरा भरोसा था। वो हमेशा कहते थे – 'तू कर सकती है।' शायद उन्हीं की बातें और आशीर्वाद थे, जिनके चलते मैं आज इस लक्ष्य तक पहुंच सकी।” परिवार का साथ और बिना दबाव की पढ़ाई अश्विता कहती हैं कि उनके घर माहौल बहुत सकारात्मक था। कभी किसी ने शादी या दूसरे दबाव नहीं डाले। सबका फोकस बस उनकी पढ़ाई पर था। उनकी मां प्रीति मालीवाल हाउसवाइफ हैं और हमेशा उनके साथ खड़ी रहीं। उनके पिता बालमुकुंद मालीवाल राजनीति से जुड़े हैं, लेकिन बेटी की पढ़ाई को उन्होंने सबसे ऊपर रखा। छोटा भाई गोविंद (24) भी हमेशा उनका हौसला बढ़ाता रहा। सफलता के पीछे मेहनत, मोबाइल से बनाई दूरी CA जैसी कठिन परीक्षा को पास करने के लिए लगातार मेहनत करनी पड़ती है। अश्विता ने बताया कि उन्होंने परीक्षा से पहले 6 महीने बहुत गंभीरता से पढ़ाई की। इस दौरान उन्होंने मोबाइल से दूरी बना ली और पूरे फोकस के साथ तैयारी की। आज जब वह सफल हो गई हैं, तो सिर्फ उनका परिवार ही नहीं, बल्कि पूरा समाज और शहर उन्हें बधाई दे रहा है। कई लोग घर पहुंचकर उन्हें शुभकामनाएं दे रहे हैं। पूर्व विधायक सुरेंद्र सिंह जाड़ावत भी अश्विता को बधाई देने उनके घर पहुंचे। दादाजी का सपना और शिक्षा के प्रति सोच अश्विता के दादाजी मदनलाल मालीवाल, चित्तौड़गढ़ के हायर सेकेंडरी स्कूल में प्रिंसिपल रह चुके थे। वे 1996 में रिटायर हुए थे। एक शिक्षक होने के नाते उन्हें पढ़ाई की बहुत अहमियत थी। वे हमेशा कहते थे कि लड़कियों को सबसे ज्यादा पढ़ाई करनी चाहिए, ताकि वे अपने मायके और ससुराल दोनों घरों को अच्छे से संभाल सकें। यही सोच उन्होंने अश्विता में भी भरी। आत्मनिर्भर के लिए शिक्षा बहुत जरूरी अश्विता कहती हैं कि “लड़कियों को पढ़ाई जरूर करनी चाहिए, क्योंकि अगर वे पढ़ी-लिखी होंगी तो अपने पैरों पर खड़ी हो सकेंगी और किसी पर निर्भर नहीं रहेंगी। खुद को आत्मनिर्भर बनाना सबसे जरूरी है।” आगे का सपना – समाजसेवा या खुद का फर्म अब जब अश्विता CA बन चुकी हैं, तो उनके आगे भी बड़े सपने हैं। वह कहती हैं कि अब वह या तो समाजसेवा में आना चाहती हैं या फिर अपना खुद का अकाउंटिंग फर्म खोलना चाहती हैं, जहां वो दूसरों की भी मदद कर सकें।
ललित सुरजन की कलम से- शिक्षा और परीक्षा
'एक बात समझ आती है कि देश में बहुत सी अन्य बातों के साथ शिक्षा जगत में भी जो परिवर्तन नज़र आते हैं उसका बहुत कुछ श्रेय नवपूंजीवादी विश्वव्यवस्था को है
भिवानी में बुधवार को केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर राष्ट्रव्यापी हड़ताल है। जिसमें रोडवेज, रेलवे, शिक्षा, स्वास्थ्य विभाग, रेलवे, किसान यूनियन, मनरेगा मजदूर, केंद्र, राज्य के सरकारी कर्मचारी व निजीकरण के प्रभावित अन्य कर्मचारी शामिल होंगे। इसको लेकर केंद्रीय ट्रेड यूनियन लगातार अभियान चलाए हुए थे। ताकि राष्ट्रव्यापी हड़ताल सफल रहे। हड़ताल के चलते रोडवेज कर्मचारियों ने भिवानी बस स्टैंड पर भी धरना दिया है। वहीं राष्ट्रव्यापी हड़ताल के कारण बसें भी प्रभावित हैं। अधिकतर बसें नहीं चल रही। जिसके कारण यात्रियों को परेशानी हो रही है। हालांकि कुछ बसें चलाई जा रही हैं, लेकिन इन बसों में सवारियों को अपने रूट की बसें उपलब्ध नहीं हो पा रही। ये रखी मांगराष्ट्रव्यापी हड़ताल के दौरान कर्मचारियों की मांग है कि सभी फसलों पर लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) दिया जाए, किसानों की कर्जा माफी हो, हर व्यक्ति के लिए रोजगार हो, मनरेगा में 600 रुपए/दिन और 200 दिन का रोजगार हो, 26000 रुपए मासिक न्यूनतम वेतन दिया जाए, 9000 रुपए प्रतिमाह पेंशन दी जाए। पुरानी पेंशन योजना की बहाली की जाए, भोजन, स्वास्थ्य और शिक्षा सभी के लिए अधिकार हो, बेतहाशा निजीकरण पर रोक लगे और अति अमीरों पर संपत्ति कर लागू करने की मांग की।
शिक्षा का अधिकार के बारे में शिविर में चर्चा की गई
रायगड़ा| जिला विधिक सेवा प्राधिकरण रायगड़ा के तत्वावधान में सचिव सुब्रत आचार्य की अध्यक्षता में 7 जुलाई को दोपहर 3 बजे स्थानीय रायगड़ा जिला उच्च विद्यालय (जीसीडी हाईस्कूल) परिसर में एक विधिक जागरूकता शिविर आयोजन किया गया। इस अवसर पर वृक्षारोपण भी किया गया। शिविर का प्रमुख विषय जे.जे. (सी पी सी) अधिनियम और शिक्षा का अधिकार अधिनियम के बारे में चर्चा किया गया। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव सुब्रत आचार्य ने जेजे. (सी पि सी)अधिनियम और शिक्षा का अधिकार अधिनियम के उद्देश्यों, महत्व, न्यायिक प्रक्रियाओं और संबंधित कानूनी धाराओं पर विस्तृत प्रकाश डाला। अन्य अतिथियों ने राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण की विभिन्न योजनाओं के बारे में जानकारी देकर उपस्थित प्रतिभागियों को विधिक रूप से जागरूक किया। कार्यक्रम के अंत में सचिव सुब्रत आचार्य के निर्देशन में विद्यालय के छात्र-छात्राओं ने विभिन्न प्रकार के पौधों का रोपण किया गया। इस मौके पर रायगढ़ा बार एसोसिएशन के अधिवक्ता देबराज नायक, भारती त्रिपाठी और विद्यालय की प्रधान शिक्षिका समेत अन्य उपस्थित रहे।
शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वावलंबन के साथ सामूहिक विवाह पर करेंगे फोकस
भास्कर न्यूज | राजनांदगांव केन्द्रीय कार्यकारिणी की पहली बैठक 6 जुलाई को रायपुर उपसमिति के राजपूत छात्रावास भवन कोटा में हुई। इस बैठक में अविभाजित राजनांदगांव जिले से बड़ी संख्या में समाज के लोग शामिल हुए। बैठक की शुरुआत महाराणा प्रताप के तैलचित्र पर पूजा-अर्चना और जयघोष के साथ की गई। रायपुर उपसमिति ने केंद्रीय पदाधिकारियों का शॉल, श्रीफल भेंट कर स्वागत किया गया। महासभा के अध्यक्ष बजरंग सिंह बैंस ने कहा समाज को नई दिशा देने शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वावलंबन, करियर, सामूहिक विवाह जैसे विषयों पर कार्य किया जाएगा। अगले तीन वर्षों के लिए कार्यों को गति देने विभिन्न प्रकोष्ठों में सदस्यों का मनोनयन किया गया। राजनांदगांव जोन के प्रभारी के रूप में महासभा के कोषाध्यक्ष नीरज सिंह क्षत्रिय को जिम्मेदारी दी गई। महासभा के प्रचार सचिव के रूप में डॉ. जितेंद्र सिंह को नियुक्त किया गया। राजनांदगांव उपसमिति के निर्वाचित उपसचिव आदर्श सिंह को महासभा का मीडिया प्रमुख बनाया गया। वे पूर्व में कई सामाजिक पदों पर रह चुके हैं और सक्रिय भूमिका निभाते रहे हैं। महासभा की पूर्व महिला सचिव छाया ठाकुर को केंद्रीय निर्णायक सदस्य की जिम्मेदारी दी गई। शौर्य प्रशिक्षण खेलकूद समिति में पृथ्वीराज चौहान को सदस्य बनाया गया। इन नियुक्तियों से राजनांदगांव उपसमिति में हर्ष और गौरव का माहौल है। जानकारी आदर्श सिंह ने दी।
बालिका शिक्षा प्रोत्साहन के लिए निशुल्क बांटी पुस्तकें
उदयपुर| आरएमवी गेलड़ा स्कूल में पूर्व छात्र परिषद की ओर से बालिका शिक्षा को प्रोत्साहन देने के लिए कक्षा VI की जरूरतमंद बालिकाओं को निशुल्क पाठ्यपुस्तकों का वितरण किया गया । कार्यक्रम में पूर्व छात्र परिषद की संरक्षिका डॉ.पुष्पा कोठारी एवं संस्थान की उपाध्यक्ष डॉ. दिव्या प्रभा नागर ने छात्राओं को बधाई दी।
वैदिक संस्कारों के साथ अंग्रेजी शिक्षा भी, पहला दीक्षांत आज
खोले के हनुमानजी मंदिर में अनोखा गुरुकुल चल रहा है। यहां 40 बच्चे पांच साल की वैदिक संस्कारों की शिक्षा ले रहे हैं। ये बच्चे समाज में पिछड़ न जाए, इसलिए कक्षा छठी से 12वीं तक की अंग्रेजी एजुकेशन की शिक्षा भी दी जा रही है। गुरुकुल का यह चौथा बैच है और पांच साल का पाठ्यक्रम पूरा करने वाले बच्चों का दीक्षांत समारोह बुधवार दोपहर 3 बजे आयोजित किया जा रहा है। समारोह श्री नरवर आश्रम सेवा समिति, श्री खोले के हनुमान जी प्रन्यास और राजस्थान संस्कृत अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में होगा। समिति के महामंत्री बृजमोहन शर्मा ने बताया कि समारोह में वेद विद्यालय में चल रहे सात दिवसीय संस्कार शिविर का समापन भी होगा।
माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में अब पढ़ाई का तरीका बदलने वाला है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने निर्देश दिए हैं कि विश्वविद्यालय में अब 'साइबर' और 'आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI)' जैसे आधुनिक विषयों पर केंद्रित नए पाठ्यक्रम शुरू किए जाएं। इसका मकसद यह है कि विश्वविद्यालय तेजी से बदलती मीडिया दुनिया की जरूरतों को पूरा कर सके और एडवांस्ड रिसर्च इंस्टीट्यूट के रूप में अपनी पहचान बना सके। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने यह बात मुख्यमंत्री निवास स्थित समत्व भवन में आयोजित विश्वविद्यालय की महापरिषद की बैठक में कही। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि विश्वविद्यालय को राज्य सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं को लोगों तक पहुंचाने और उनकी प्रभावशीलता का पता लगाने के लिए सर्वेक्षण जैसी गतिविधियां भी शुरू करनी चाहिए। बैठक में उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार, इंदौर सांसद शंकर लालवानी, विश्वविद्यालय के कुलगुरु विजय मनोहर तिवारी सहित कई वरिष्ठ अधिकारी और महापरिषद के सदस्य मौजूद रहे। शुरू होंगे एक वर्षीय PG कोर्सबैठक में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। विश्वविद्यालय में अब एक वर्षीय स्नातकोत्तर (PG) पाठ्यक्रम शुरू करने की मंजूरी दे दी गई है। इसके तहत एम.ए. (जर्नलिज्म एंड क्रिएटिव एंड राइटिंग), एम.ए. (मास कम्युनिकेशन), एम.ए. (एडवर्टाइजिंग एंड पब्लिक रिलेशंस), एम.एससी (इलेक्ट्रॉनिक मीडिया) और एम.एससी.ए. जैसे पाठ्यक्रम संचालित किए जाएंगे। जॉब ओरिएंटेड शिक्षा पर जोरमुख्यमंत्री डॉ. यादव ने विश्वविद्यालय के रीवा और खंडवा परिसरों में भी जॉब ओरिएंटेड शिक्षा शुरू करने के लिए एक कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए हैं। यह कदम स्थानीय युवाओं को कौशल संपन्न बनाने में मदद करेगा। साथ ही, विश्वविद्यालय के PHD नियमों को भी यूजीसी के पीएचडी अधिनियम 2022 के अनुसार अपडेट करने और इसी आधार पर पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया शुरू करने की मंजूरी मिल गई है। फेस डिटेक्शन मशीन से होगी उपस्थिति दर्जआधुनिक तकनीक का उपयोग करते हुए, विश्वविद्यालय में अब फेस डिटेक्शन मशीन के माध्यम से उपस्थिति दर्ज करने की व्यवस्था पर भी सहमति बन गई है। यह पारदर्शिता बढ़ाएगा। विद्यार्थियों को बेहतर व्यवसायिक प्रशिक्षण देने के लिए नए मीडिया प्रौद्योगिकी विभाग में प्रिंटिंग प्रेस व लैब और पैकेजिंग लैब की स्थापना के प्रस्ताव को भी स्वीकृत दे दई गई है। विश्वविद्यालय में लागू होगा उच्चतर वेतनमान बैठक में रीवा परिसर के सभागार का नाम लाल बलदेव सिंह सभागार रखने के प्रस्ताव को भी स्वीकृति मिली। इसके अलावा, वित्त विभाग के आदेशानुसार चतुर्थ समयमान उच्चतर वेतनमान को विश्वविद्यालय में लागू करने का प्रस्ताव भी मंजूर किया गया, जिससे कर्मचारियों को फायदा मिलेगा।
युक्तियुक्तकरण (रैशनलाइजेशन) के तहत ट्रांसफर किए गए जिन शिक्षकों ने अभी तक अपने नए अलॉटेड स्कूलों में ज्वॉइनिंग नहीं ली है, उनका वेतन अब रोक दिया जाएगा। शिक्षा विभाग ने इसे अनुशासनहीनता मानते हुए सख्त कार्रवाई करने का फैसला किया है। दरअसल, पिछले महीने जिला, संभाग तथा राज्य स्तर पर शिक्षकों और व्याख्याताओं के पदस्थापना आदेश जारी किए गए थे। ये पदस्थापना प्रदेश में शिक्षक विहीन, एकल शिक्षक और छात्र-शिक्षक अनुपात के अनुसार आवश्यकता के आधार पर किए गए थे। इसका मुख्य उद्देश्य उन स्कूलों में शिक्षकों की उपलब्धता सुनिश्चित करना था जहां शिक्षकों की कमी थी। इस प्रक्रिया से बड़ी संख्या में अतिशेष शिक्षक प्रभावित हुए और जिला, संभाग तथा राज्य स्तर पर शिक्षकों और व्याख्याताओं के पदस्थापना आदेश जारी किए गए थे। निर्देशों की अनदेखी के बाद विभाग ने लिया फैसला शिक्षा विभाग ने सभी शिक्षकों को अलॉटेड स्कूलों में तत्काल ज्वॉइनिंग लेने के निर्देश दिए थे। हालांकि, इन स्पष्ट निर्देशों के बावजूद, कई शिक्षकों ने अभी तक अपने नए स्कूलों में पोस्टिंग नहीं ली है। इसे गंभीरता से लेते हुए, लोक शिक्षण संचालक ने एक आदेश जारी कर इन शिक्षकों का आगामी आदेश तक वेतन रोकने का आदेश दिया है। आदेश की प्रति सभी संभागीय संयुक्त संचालकों और जिला शिक्षा अधिकारियों को भेज दिए गए हैं। हालांकि, यह आदेश उन शिक्षकों पर लागू नहीं होगा जिन्होंने हाईकोर्ट से अंतरिम राहत प्राप्त की हुई है। युक्तियुक्तकरण के दौरान सामने आई थीं गड़बडियां युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया के दौरान कई जिलों और विकासखंडों में अतिशेष शिक्षकों और रिक्त पदों की जानकारी देने में गड़बड़ियां सामने आई थीं। इसके बाद दर्जन भर से अधिक विकासखंड शिक्षा अधिकारियों को निलंबित भी किया गया था। शिक्षकों का आरोप है कि पोस्टिंग के दौरान अधिकारियों ने जूनियर शिक्षकों को लाभ पहुंचाने के लिए उनके साथ मिलीभगत की है। इस मिलीभगत के तहत सीनियर और रिटायरमेंट के करीब शिक्षकों को दूर के स्कूलों में भेज दिया। इस मामले पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है, जिससे शिक्षकों में नाराजगी है। कई शिक्षकों ने इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी और कलेक्टर से भी शिकायत की है। 1200 स्कूल अब भी एकल शिक्षक वाले युक्तियुक्तकरण के बाद कई स्कूलों में शिक्षकों की पूर्ति तो हुई है, लेकिन इसके बावजूद प्रदेश में अभी भी 1200 स्कूल ऐसे हैं जहां केवल एक ही शिक्षक है। यह स्थिति शिक्षा व्यवस्था के लिए एक चुनौती बनी हुई है। एकल शिक्षकीय स्कूलों की संख्या में 80 प्रतिशत की कमी छत्तीसगढ़ में युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया से एकल शिक्षकीय स्कूलों की संख्या में 80 प्रतिशत की कमी आई है। इस प्रक्रिया से पहले प्रदेश में 453 स्कूल शिक्षक विहीन और 5936 स्कूलों में मात्र एक ही शिक्षक पदस्थ था। सुकमा, नारायणपुर और बीजापुर जैसे दूरस्थ और संवेदनशील जिलों में यह समस्या अधिक थी। इस विसंगति को दूर करने के लिए राज्य सरकार ने जिला, संभाग और राज्य स्तर पर 3 चरणों में शिक्षकों की काउंसलिंग की प्रक्रिया चलाई। जिसके बाद प्रदेश का कोई भी स्कूल शिक्षक विहीन नहीं है और सभी हाई स्कूलों में न्यूनतम आवश्यक शिक्षक नियुक्त किए जा चुके हैं।
रेवाड़ी जिले में स्कूल से बाहर रह गए बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने की पहल शुरू की गई है। जिले में किए गए सर्वे के दौरान 363 आउट ऑफ स्कूल बच्चे ऐसे मिले हैं, जो स्कूली शिक्षा से वंचित हैं। इन बच्चों के लिए 12 स्पेशल ट्रेनिंग सेंटर खोले जाएंगे। एडीसी राहुल मोदी ने मंगलवार को शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की। बच्चों को नियमित स्कूलों से जोड़ा जाएगा उन्होंने बताया कि इन केंद्रों में वालंटियर्स बच्चों को शिक्षा देंगे। साथ ही बच्चों को मिड डे मील और स्वास्थ्य जांच की सुविधा भी मिलेगी। छह माह के विशेष प्रशिक्षण के बाद इन बच्चों को नियमित स्कूलों से जोड़ा जाएगा। एडीसी ने बावल और रेवाड़ी के खंड शिक्षा अधिकारियों को चिह्नित बच्चों की मॉनिटरिंग के निर्देश दिए हैं। इस योजना की समीक्षा के लिए अगले सप्ताह फिर बैठक होगी। बैठक में ये अधिकारी रहे शामिल बैठक में कार्यवाहक जिला शिक्षा अधिकारी राजेंद्र शर्मा, उप अधीक्षक प्रदीप कुमार, एपीसी कृष्ण, हेमंत कुमार और सुंदर सिंह मौजूद थे। इसके अलावा बावल, जाटूसाना, खोल, नाहड़ व रेवाड़ी के खंड शिक्षा अधिकारी और बीआरपी रामानंद, सरिता कुमारी, ज्योति कुमारी भी उपस्थित रहे।
राजस्थान में शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए होंडा इंडिया फाउंडेशन को लगातार पांचवें वर्ष भामाशाह अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार जयपुर के माहेश्वरी पब्लिक स्कूल में आयोजित 29वें भामाशाह सम्मान समारोह में प्रदान किया गया। मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा की उपस्थिति में आयोजित समारोह में होंडा इंडिया फाउंडेशन के ऑपरेटिंग ऑफिसर राजीव तनेजा और होंडा कार्स इंडिया लिमिटेड के वाइस प्रेसिडेंट-सीए पीयूष मित्तल ने पुरस्कार ग्रहण किया। होंडा इंडिया फाउंडेशन ने वित्त वर्ष 2024-25 में राजस्थान में कई महत्वपूर्ण शैक्षिक पहल की हैं। फाउंडेशन ने डिजिटल लैब की स्थापना की। शैक्षिक सामग्री और शिक्षण सहायता प्रदान की। शिक्षकों के लिए नवीन शिक्षण विधियों पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए। छात्रों के समग्र विकास के लिए खेल, संगीत, कला और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शुरुआत की गई। वंचित समुदायों के छात्रों की शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया। फाउंडेशन का मुख्य उद्देश्य स्कूलों में नामांकन बढ़ाना और ड्रॉपआउट दर को कम करना है। शिक्षा विभाग ने फाउंडेशन की सराहना की। विभाग ने कहा कि फाउंडेशन ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं के लिए बेहतर भविष्य बनाने में सक्रिय भूमिका निभा रहा है।
रोटरी क्लब जालोर के द्वारा रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3055 का सोमवार रात को शपथ ग्रहण समारोह आयोजित हुआ। कार्यक्रम में रोटरी की नई अध्यक्ष विनिता ओझा को शपथ दिलाई गई। कार्यक्रम की शुरुआत विक्रम पुरी और रोटेरियन चेतना श्रीमाली द्वारा की गई। अतिथियों के स्वागत के पश्चात पूर्व अध्यक्ष संजय सुंदेशा ने 2024-2025 में क्लब द्वारा किए गए कार्यक्रमों के बारे में रिपोर्ट सौंपी। कार्यक्रम में मौजूद इंस्टालेशन ऑफिसर रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3055 के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रोटेरियन निगम चौधरी, कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आईपीडीजी मोहन पाराशर ,एजी धर्मेश सुथार समेत लगभग 150 रोटरी सदस्यों ने शिरकत की। पदभार ग्रहण के बाद अध्यक्ष विनीता ओझा ने वर्ष 2025-26 का विजन प्रस्तुत करते हुए कहा कि वह रोटरी अंतरराष्ट्रीय की अगले वर्ष के अध्यक्ष फ्रांसिस्को अरेजो के विजन के अनुसार इस वर्ष की थीम' यूनाइट फॉर गुड को लेकर इस वर्ष उनका फोकस पर्यावरण, शिक्षा एवं बीमारी रोकथाम के साथ मेंबरशिप ग्रोथ और रोटरी फाउंडेशन में बढ़त का रहेगा। इस साल बीमारी रोकथाम एवं स्वास्थ्य संवर्धन के लिए विभिन्न स्वास्थ्य शिविर, जागरूकता अभियान और नए मेगा प्रोजेक्ट चलाए जाएंगे। इसके बाद उन्होंने विनीता ओझा को क्लब अध्यक्ष पद पर और मंजू चौधरी को सचिव सहित बोर्ड मेंबर्स को शपथ दिलाई गई। शपथग्रहण समारोह के दौरान 10 नए सदस्यों ने रोटरी क्लब जालोर की सदस्यता ग्रहण की। इस दौरान समुदाय सेवा में सालभर विशिष्ट सेवायें प्रदान करने वाले सदस्यों को बेस्ट रोटेरियन के अवार्ड से नवाजा गया। कार्यक्रम के अंत में क्लब सेक्रेटरी मंजू चौधरी ने पधारे हुए सभी मेहमानों का आभार जताया। कार्यक्रम का संचालन पूर्व सहायक प्रांतपाल रोटेरियन डॉ.पवन ओझा द्वारा किया गया। इस दौरान विभिन्न संस्थाओं और क्लब से पधारे पदाधिकारी सहित रोटरी क्लब से वरिष्ठ रोटेरियन नन्दकिशोर जेथलिया ,कानाराम परमार , रमेश जैन,राजेंद्र प्रजापत, शरदअग्रवाल,तरुण सिद्धावत,रामेश्वर गोयल,डूंगरसिंह मण्डलावत,उत्तम गहलोत , डॉ.प्रकाश बिश्नोई,अनिल त्रिवेदी,मंछीलाल प्रजापत,नितिनसोलंकी ,नरेश देवड़ा,नूर मोहम्मद,रमजान खान,दिनेश सुन्देशा,ओम चौधरी,कैलाश सुथार,उदाराम सुथार,महिला सदस्य अनीता पाराशर,कमला परमार,रचना जैथलिया,सपना बजाज, अध्यक्ष,सचिव ,सदस्यगण सहित जालोर के गणमान्य लोग मौजूद रहे।
प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों के विलय के विरोध में आज लखनऊ में पूरे राज्य से टीचर्स इकट्ठा हुए हैं। ये टीचर्स प्राथमिक शिक्षक संघ के बैनर तले प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शन में बड़ी संख्या में परिषदीय स्कूलों के शिक्षक मौजूद हैं। शिक्षकों ने इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाए। इकट्ठा हुए टीचर्स का कहना है कि स्कूलों के विलय मामले और दायर याचिकाओं की सुनवाई वो जज न करें जिनके घर में नोट के बोरे मिले हों। विभाग और सरकार हमारे विरोध में चरम पर पहुंच गए हैं। ऐसे में भीषण गर्मी के बावजूद विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा। दावा है कि प्रदेश के सभी 75 जिलों में विरोध और प्रदर्शन किया जा रहा है। मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपेंगे उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रांतीय उपाध्यक्ष और लखनऊ के जिला अध्यक्ष सुधांशु मोहन ने बताया कि स्कूलों के विलय के विरोध सहित कुल 10 सूत्री मांगों को लेकर शिक्षक प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शन कर रहे शिक्षकों का कहना है- भगवान से यही प्रार्थना है कि विलय को लेकर हमारे केस की सुनवाई उस कोर्ट में न हो, जहां के जजों के घर पर नोट के बोरे मिले हों। शिक्षकों का कहना है कि जब जनसंख्या देखकर जिलों में डीएम और एसपी की तैनाती नहीं होती तो स्कूलों में बच्चों की संख्या देखकर कैसे टीचर्स की तैनाती हो सकती है। 'जब NEP हर जगह लागू नहीं हुआ तो स्कूलों में क्यों' संघ के जिला मंत्री वीरेंद्र सिंह ने कहा- विलय लागू करने के पीछे NEP का तर्क दिया जा रहा। हम पूछना चाहते हैं कि क्या देश में सभी जगह NEP लागू हो गया है, जो बेसिक के स्कूलों में लागू किया जा रहा है? जब अभी यह जगह लागू नहीं हुआ तो बेसिक स्कूलों में क्यों लागू किया जा रहा है? उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रांतीय उपाध्यक्ष और जिला अध्यक्ष सुधांशु मोहन ने कहा- जब विद्यालयों को संविलयन किया गया तब हेडमास्टर के पद खत्म किए गए। अब सहायक अध्यापकों के पद भी कम हो जाएंगे। हाईकोर्ट का निर्णय सरकार के दबाव में लिया गया निर्णय है।
वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय (वीएमओयू) कोटा ने जुलाई 2025 सत्र के लिए प्रवेश प्रक्रिया आरंभ कर दी है। विश्वविद्यालय स्नातक, परा-स्नातक, प्रमाण पत्र और डिप्लोमा पाठ्यक्रमों में ऑनलाइन आवेदन स्वीकार कर रहा है। क्षेत्रीय केन्द्र भरतपुर के निदेशक डॉ. जितेन्द्र कुमार शर्मा ने बताया कि छात्र ई-मित्र, नेट-बैंकिंग या क्रेडिट कार्ड से शुल्क जमा कर सकते हैं। जनवरी 2025 से एनईपी 2020 के तहत अधिकतर कार्यक्रमों में सेमेस्टर आधारित परीक्षा प्रणाली लागू की गई है। विश्वविद्यालय ने छात्रों को विशेष सुविधाएं प्रदान की हैं। डिजिटल पाठ्य सामग्री चुनने वाले छात्रों को फीस में 15% की छूट मिलेगी। महिला छात्रों को राज्य सरकार की ओर से नि:शुल्क शिक्षा का लाभ दिया जाएगा। भरतपुर क्षेत्रीय केंद्र के अंतर्गत करौली, गंगापुर सिटी, बयाना, सवाई माधोपुर, हिंडौन सिटी, डीग, भरतपुर और धौलपुर में अध्ययन केन्द्र स्थापित हैं। प्रवेश के लिए छात्रों को डेब आईडी बनानी होगी। नए छात्र 'फ्रेश एडमिशन' और पुराने छात्र 'प्रमोटी' लिंक का उपयोग कर सकते हैं। विश्वविद्यालय में बीए, बीजे, बीएलआईएस, बीएससी जैसे स्नातक कोर्स हैं। स्नातकोत्तर में अर्थशास्त्र, राजनीति विज्ञान, पुलिस प्रशासन, हिन्दी, इतिहास, मनोविज्ञान, अंग्रेजी, संस्कृत, शिक्षा समेत कई विषय शामिल हैं। एमकॉम, एमबीए, एमएससी गणित और कम्प्यूटर विज्ञान में भी पीजी कोर्स उपलब्ध हैं। योग, मास कम्युनिकेशन, पुस्तकालय विज्ञान, पर्यटन, जलग्रहण प्रबंध में डिप्लोमा कोर्स भी हैं। प्रवेश प्रक्रिया की जानकारी के लिए वीएमओयू के अतिरिक्त प्रशासनिक अधिकारी देवेंद्र सिंह कश्यप से 9950388022 पर संपर्क किया जा सकता है।
मध्य प्रदेश सरकार ने मानसून के मद्देनजर 1 से 31 जुलाई 2025 तक स्वच्छता अभियान शुरू किया है। पीथमपुर के वार्ड नंबर 4 स्थित शासकीय माध्यमिक विद्यालय में बच्चों को स्वच्छता के प्रति जागरूक किया गया। नगर पालिका अध्यक्ष सेवंती सुरेश पटेल, मुख्य नगर पालिका अधिकारी निशिकांत शुक्ल और स्वास्थ्य अधिकारी रूपेश सूर्या के निर्देशन में कार्यक्रम आयोजित किया गया। स्कूल के हेडमास्टर शैलेंद्र महेंद्र भी इस दौरान मौजूद रहे। बच्चों को समझाया कचरों डिब्बों का यूज स्वच्छता टीम के सुपरवाइजर रोहित सिंह ने कचरा वर्गीकरण की जानकारी दी। कचरा संग्रहण वाहन में हरे रंग के खंड में गीला कचरा रखा जाता है। नीले रंग के खंड में सूखा कचरा जाता है। वाहन के पिछले हिस्से में तीन डिब्बे हैं। ग्रे डिब्बे में ई-वेस्ट, पीले में सेनेटरी वेस्ट और काले में कांच-बल्ब जैसा घरेलू कचरा डाला जाता है। विद्यार्थियों को RRR केंद्र की जानकारी भी दी गई। पुराने कपड़े, जूते-चप्पल, खिलौने और पुस्तकें नजदीकी RRR केंद्र में जमा की जा सकती हैं। नगर पालिका की टीम प्रतिदिन वार्डों में नालों की सफाई और कीटनाशक छिड़काव की निगरानी करती है। टीम ने प्लास्टिक उपयोग कम करने का आह्वान किया। बाजार जाते समय कपड़े का थैला साथ ले जाने की सलाह दी। इससे पीथमपुर को प्लास्टिक मुक्त शहर बनाने में मदद मिलेगी। कार्यक्रम में विद्यालय के सभी शिक्षक-शिक्षिकाएं, छात्र-छात्राएं और स्वच्छता टीम के सदस्य उपस्थित रहे।
आप सरकार की मेहनत से पंजाब शिक्षा में देश में पहले स्थान पर: अरविंद केजरीवाल
भास्कर न्यूज|लुधियाना आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने कहा कि 2027 में पंजाब और गुजरात में आम आदमी पार्टी की सरकार बनना तय है। स्कूलों की दीवारें और डेस्क से शुरू हुई शिक्षा क्रांति के जरिए पंजाब को शिक्षा के क्षेत्र में पहला स्थान दिलाया गया है। सीएम भगवंत मान ने कहा कि विक्रम मजीठिया जैसे ड्रग माफियाओं की अब कोई चाल नहीं चलेगी, उनका ठिकाना सिर्फ जेल होगा। जिन्होंने पंजाब को लूटा है, उन्हें जवाब देना पड़ेगा। कांग्रेस और अकाली दल की सियासत खत्म हो चुकी है। नशे के खिलाफ जंग में किसी को बख्शा नहीं जाएगा। कानूनी प्रक्रिया में देरी हो सकती है, लेकिन इंसाफ जरूर मिलेगा। लुधियाना उपचुनाव में बड़ी जीत के बाद आम आदमी पार्टी ने धन्यवाद सभा का आयोजन कर लोगों का आभार व्यक्त किया। इस दौरान अरविंद केजरीवाल और मुख्यमंत्री भगवंत मान ने जनता को संबोधित किया। केजरीवाल ने कहा कि गुजरात में जीत के बाद भाजपा इतनी बौखला गई कि हमारे एक विधायक को गिरफ्तार कर लिया। उन्होंने भाजपा को चुनौती दी कि वे जितना चाहे डराने की कोशिश कर लें, आम आदमी पार्टी झुकने वाली नहीं है। केजरीवाल ने कांग्रेस और भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि इनके पास अब जनहित का कोई मुद्दा नहीं बचा। हम शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, बिजली, पानी और नशा मुक्ति की बात कर रहे थे, जबकि ये केवल अफवाहें फैला रहे थे कि केजरीवाल राज्यसभा जा रहे हैं। नतीजे के बाद मैंने साफ कर दिया कि राज्यसभा नहीं जाऊंगा। उन्होंने भाजपा और कांग्रेस पर मिलीभगत का आरोप लगाते हुए कहा कि दोनों मिलकर आम आदमी पार्टी का विरोध कर रहे हैं। केजरीवाल ने पिछली सरकारों पर पंजाब में नशा फैलाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि जब 2017 में सर्वे हुआ तो पंजाब शिक्षा में देश में 29वें स्थान पर था, लेकिन अब आम आदमी पार्टी की मेहनत से पहला स्थान हासिल हुआ है। उन्होंने बताया कि जब स्कूलों में दीवारों या टॉयलेट्स का उद्घाटन किया गया तो कांग्रेस और भाजपा ने मजाक उड़ाया, लेकिन अब जनता उनसे पूछ रही है कि 75 साल में उन्होंने क्या किया। केजरीवाल ने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान जल्द बेअदबी के खिलाफ सख्त कानून लाने वाले हैं, लेकिन विपक्षी दलों को इस पर भी आपत्ति है। उन्होंने कांग्रेस से सवाल किया कि क्या वे इस कानून का समर्थन करेंगे या भाजपा से पूछकर जवाब देंगे? सीएम भगवंत मान ने कहा कि आम आदमी पार्टी सरकार पंजाब के लोगों के हित में फैसले ले रही है। उन्होंने कांग्रेस और अकाली दल पर हमला करते हुए कहा कि ये पार्टियां अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही हैं। हालत यह है कि इन्हें 11 या 21 सदस्यीय कमेटी बनाने के लिए भी लोग नहीं मिल रहे। इन दलों ने पंजाब के लोगों के साथ अन्याय किया, धर्म के नाम पर लड़ाया और राज्य के संसाधनों को लूटा। अब जनता उन्हें सबक सिखा रही है। धन्यवाद सभा में मंच पर मौजूद अरविंद केजरीवाल , मुख्यमंत्री भगवंत मान , मनीश सिसोदिया, विधायक संजीव अरोड़ा व अन्य। मुख्यमंत्री मान ने अकाली नेता बिक्रम मजीठिया पर निशाना साधते हुए कहा कि जिन लोगों ने जलियांवाला बाग के कातिलों को संरक्षण दिया, वे आज नाभा जेल में हैं और उनका समर्थन करने वाले भी नहीं बचेंगे। कानूनी प्रक्रिया में देरी हो सकती है, लेकिन न्याय अवश्य होगा। सीएम ने विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा कि वे केवल बयानबाजी करते हैं। पंजाब सरकार ने बिना सिफारिश के 55,000 से अधिक युवाओं को सरकारी नौकरियां दी। 90 प्रतिशत घरों के जीरो बिजली के बिल आ रहे हैं। वहीं, सीएम मान ने केंद्रीय राज्यमंत्री रवनीत बिट्टू और चरणजीत चन्नी पर भी तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि ये वही लोग हैं, जो मजीठिया की गिरफ्तारी को गलत बताकर लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे थे, अब माफी मांग रहे हैं। पंजाब की जनता समझदार है अब इनके जाल में फंसने वाली नहीं। इनकी राजनीति सिर्फ झूठ की बुनियाद पर टिकी है। 10 और 11 जुलाई को विधानसभा का विशेष सत्र आयोजित किया जाएगा, जिसमें विपक्ष के झूठ का पर्दाफाश करेंगे।
शिक्षा विभाग के आदेश के खिलाफ मंत्रालयिक कर्मचारियों का प्रदर्शन
मंत्रालयिक कर्मचारियों को लेकर निकालने गए शिक्षा विभाग के आदेश के खिलाफ सोमवार को शिक्षा संकुल के मुख्य द्वार पर प्रदर्शन किया गया। उन्होंने एक स्वर में विभाग के 2 जुलाई 2025 को जारी आदेश का यह कहते हुए विरोध किया कि इसमें उनके अधिकारों में कटौती की जा रही है। इसको बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। प्रदर्शन के दौरान मंत्रालयिक कर्मचारियों ने विभाग के आदेशों की होली जलाई। प्रदर्शन को संबोधित करते हुए सतीश पंचोली, राजेन्द्र शर्मा ने कहा कि मंत्रालयिक कर्मचारियों के अधिकारों में कटौती का यह आदेश केवल एक संगठन के इशारे पर निकाला गया है। अगर इस आदेश को वापस नहीं लिया गया तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा। इसमें कार्य बहिष्कार का निर्णय भी लेना पड़ सकता है। इस दौरान संदीप धाभाई, कमलेश शर्मा, तेज सिंह राठौड, गजेन्द्र यादव, राजाराम यादव सहित कई कर्मचारी मौजूद रहे। कार्य बहिष्कार हुआ तो कार्यालयों में हम करेंगे काम राजस्थान शिक्षा सेवा परिषद (रेसा-पी) के मुख्य संरक्षक प्रमोद मिश्रा का कहना है कि आंदोलन करने का अधिकार सबको है। मंत्रालयिक कर्मचारियों ने अगर कार्य बहिष्कार किया तो हम काम करेंगे। हम विभाग के अधिकारियों को विश्वास दिलाते हैं कि इससे कार्यालयों के कार्य को प्रभावित नहीं होने दिया जाएगा। मिश्रा ने कहा कि हमारे संगठन की मांग पर ही विभाग ने यह आदेश निकाला है। इस पर विवाद खड़ा करना गलत है। इस आदेश में जून 2020 में विभाग द्वारा कार्यालयों में पदस्थापित प्रधानाचार्यों एवं संस्थापन अधिकारियों, प्रशासनिक अधिकारियों के कार्य निर्धारण आदेश को अपास्त कर समकक्षता के आधार पर पुनः प्रस्ताव भिजवाने के निर्देश प्रदान किए गए हैं। इसमें कुछ भी गलत नहीं है। मंत्रालयिक कर्मचारियों-अधिकारियों का काम विभाग के अधिकारियों को लिपिकीय सहयोग करना होता है, न कि निर्णय सम्बन्धी कार्य करना।
बच्चों की नैतिक शिक्षा पर समाज को ध्यान देने की जरूरत : छीतरमल धूत
रांची | बच्चों की नैतिक शिक्षा पर समाज को ध्यान देने की जरूरत है। शिक्षा के माध्यम से विकास के सभी रास्ते खोले जा सकते हैं। माहेश्वरी समाज अपने होनहार बच्चों के लिए एक विशेष योजना चला रहा है। इसके तहत माहेश्वरी समाज ऐसे बच्चों की तन-मन-धन से मदद कर रहा है, जिनमें यूपीएससी की परीक्षा को पास करने की काबिलियत है। माहेश्वरी समाज मूल रूप से व्यवसाय और कारोबार करता है। इसलिए जोखिम उठाने की क्षमता सामान्य लोगों से अधिक है। यदि ऐसी क्षमता वाले व्यक्ति सरकार में पहुंचते हैं, तो इसका फायदा पूरे समाज को होगा। भास्कर के संवाददाता राजीव कुकरेजा ने पूर्वांचल समागम में भाग लेने रांची पहुंचे राष्ट्रीय मंत्री छीतरमल धूत से बात की। बातचीत के प्रमुख अंश:- बच्चों को आईएएस -आईपीएस ही क्यों बनाना चाहते हैं? -माहेश्वरी समाज ने महसूस किया है कि आईएएस और आईपीएस बनकर भी समाज की सेवा की जा सकती है। इसलिए 2030 तक माहेश्वरी समाज ने 100 युवाओं को भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयनित करवाने का लक्ष्य रखा है। पढ़ाई में कमजोर समाज के बच्चों के लिए क्या करते हैं? -जेसे बच्चों की पढ़ाई का पूरा खर्च समाज का ट्रस्ट उठाता है। समाज के बेरोजगार युवाओं को समाज के माध्यम से 5 लाख रुपए तक का लोन दिया जाता है। विपरीत परिस्थितियों में लोन को चुकता करने के लिए मदद भी की जाती है। समाज के होनहार बच्चों के लिए भी क्या कोई योजना है? -माहेश्वरी समाज ऐसे बच्चों की तन-मन-धन से मदद कर रहा है, जिनमें यूपीएससी की परीक्षा पास करने की काबिलियत है। हम ऐसे बच्चों चयन कर देश के अच्छे कोचिंग संस्थानों में भेजते हैं। व्यापार से समाज के युवाओं को दूर क्यों करना चाहते हैं? -व्यापार और औद्योगिक क्षेत्र में हमारी 2 बराबरी वाला कोई नहीं है, पर कभी सोचा नहीं कि हमारे 30 प्रतिशत बच्चे देश के बाहर जा रहे हैं। हमारी बच्चियां उच्च शिक्षा के दरमियाना अंतरजातीय विवाह कर रही हैं। इसे हम ठीक नहीं मानते हैं। सरकार परिवार नियोजन पर जोर दे रही है, अनाप ईनाम दे रहे हैं? -हाल के वर्षों में हमारी जनसंख्या कम होने के संकेत मिले हैं। अब दो की जगह एक बच्चा कर रहे हैं। इसलिए तीसरा बच्चा पैदा करने पर हम 51 हजार की मदद दे रहे हैं। लड़कियों के अंतरजातीय विवाह पर अंकुश लगाना चाहते हैं। माहेश्वरी चैरिटेबल ट्रस्ट के गठन का उद्देश्य क्या है? -माहेश्वरी चैरिटेबल ट्रस्ट से समाज की विधवाओं और निराश्रित महिलाओं को 3500 रुपए प्रति माह की मदद दी जाती है। पहले यह राशि 300 रुपए प्रति माह थी, जिसे मनी ऑर्डर के माध्यम से निराश्रित महिलाओं तक पहुंचाया जाता था। छीतरमल धूत
भारतेन्दु नाट्य अकादमी, लखनऊ में आयोजित ग्रीष्मकालीन बाल रंगमंच कार्यशाला 'रंग पाठशाला' ने बच्चों के व्यक्तित्व विकास को नई दिशा दी। कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य बच्चों को रचनात्मकता और तर्क के साथ मंच पर आत्मविश्वास से प्रस्तुति देना सिखाना था। प्रोफेसर डॉ. सुमित कुमार श्रीवास्तव के नेतृत्व में बच्चों को नाटक की बारीकियां सिखाई गईं। उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के संत गाडगे जी महाराज प्रेक्षागृह में 'किस्सा किस्सों का' नाटक का मंचन किया गया। बच्चों को थिएटर की दुनिया से परिचित कराया नाटक की कहानी राम रहीमपुर गांव में बाबा फुर्सत मियां के इर्द-गिर्द घूमती है। अलीबाबा और चालीस चोर की अरबी लोककथा से प्रेरित इस नाटक में राजा के बच्चे, जादूगर और आतंकी सरगना मुस्तफा हैदर जैसे किरदार थे। झनझनाहट नाटक कंपनी के कलाकारों ने बच्चों को थिएटर की दुनिया से परिचित कराया। नाटक का मुख्य संदेश था - बुराई पर अच्छाई की जीत और आतंक के खिलाफ एकजुटता। प्रसिद्ध रंगकर्मी वाल्टर पीटर ने नाटक का लेखन और निर्देशन किया। साराश भट्ट ने सह-निर्देशन और वेशभूषा संभाली। मनीषा मेहरा ने प्रस्तुति प्रबंधन, देवाशीष मिश्रा ने प्रकाश व्यवस्था, सुग्रीव विश्वकर्मा और हर्षिता मिश्रा ने मंच सामग्री की जिम्मेदारी निभाई। हिमांशु बी. जोशी ने नृत्य संयोजन और ब्रोशर डिजाइन का काम किया।
सहारनपुर में एससी/एसटी बेसिक टीचर्स वेलफेयर एसोसिएशन ने परिषदीय विद्यालयों के एकीकरण का विरोध किया। संगठन के सदस्यों ने सोमवार को जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचकर मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपा। जिला अध्यक्ष राकेश नौटियाल के अनुसार, विद्यालयों का विलय शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 का उल्लंघन है। अधिनियम के तहत हर बच्चे को 1 किलोमीटर की दूरी पर प्राथमिक विद्यालय और 3 किलोमीटर के दायरे में उच्च प्राथमिक विद्यालय की सुविधा मिलनी चाहिए। स्कूलों के विलय से दूर-दराज के क्षेत्रों के बच्चों को स्कूल पहुंचने में परेशानी होगी। जिला महामंत्री विक्रम सिंह और कोषाध्यक्ष वीरेंद्र सिंह ने कहा कि यह नीति एससी/एसटी और गरीब तबके के बच्चों की शिक्षा को प्रभावित करेगी। उनका आरोप है कि सरकार सरकारी स्कूलों को बंद करने की योजना बना रही है। इससे शिक्षकों की संख्या और गांवों में शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित होगी। संगठन ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने यह योजना वापस नहीं ली तो पूरे प्रदेश में आंदोलन किया जाएगा। इस विरोध प्रदर्शन में मान सिंह बर्मन, खेरा रानी, ममता सिंह, कुवंर सिंह बर्मन, परमसैन, संगम कुमार, सुशील कुमार, रोकी नौटियाल, धर्मसिंह, करमसिंह, करण सिंह, ताहरी सिंह, नवीन कुम बाबूराम, चंचल सिंह, अनिल कुमार, प्रमोद नौटियाल, अनुपमा, सोनिया सहगल, देवेंद्र कुमार, सचिन कुमार, सोनी कुमार, कमल किशोर, गौरव वर्मा, सुशील सध्या वीरपाल सिंह, अखिलेश कुमार, सुशील कुमार, नरेंद्र कुमार, अमित कुमार, पंकज , रणजीत,अकुंश कुमार, सुशील कुमार, जितेन्द्र कुमार, अनीश कुमार, गुलशन कुमार, मुकेश सहित जिले के कई वरिष्ठ शिक्षक और पदाधिकारी शामिल हुए।
मध्यप्रदेश में शिक्षा व्यवस्था में नए बदलाव होने जा रहे हैं। स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने गाडरवारा में घोषणा की। उन्होंने कहा कि सरकार ऐसे संस्थान स्थापित करेगी, जहां वैदिक शिक्षा, संस्कृत, आयुर्वेद और योग की शिक्षा एक साथ दी जाएगी। शिक्षा मंत्री ने ई-अटेंडेंस सिस्टम पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि अधिकतर शिक्षक समय पर स्कूल पहुंच रहे हैं। इससे शिक्षा व्यवस्था में सुधार आएगा। शिक्षकों के तबादले पर उठे सवालों का जवाब देते हुए मंत्री ने कहा कि कोई भी व्यवस्था सभी को संतुष्ट नहीं कर सकती। उन्होंने रामराज्य का उदाहरण देते हुए कहा कि भगवान राम पर भी आरोप लगे थे। मंत्री ने आश्वासन दिया कि तबादलों में जो भी समस्याएं सामने आई हैं, सरकार उनका समाधान कर रही है। सरकार का यह कदम पारंपरिक और आध्यात्मिक शिक्षा को मुख्यधारा से जोड़ने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। साथ ही शिक्षकों की समस्याओं के समाधान पर भी ध्यान दिया जा रहा है।
हरियाणा के शिक्षा मंत्री के निर्देशानुसार माध्यमिक शिक्षा विभाग में संयुक्त निदेशक संजीव कुमार ने सोमवार को नूंह जिले के दो स्कूलों का औचक निरीक्षण किया। इस दाैरान उन्होंने स्कूल भवन के साथ-साथ शौचालय, साइंस, स्पोर्ट्स व आईसीटी कंप्यूटर लैब व उनमें मौजूद सामान व उपकरण को चेक किया। संयुक्त निदेशक संजीव कुमार ने विद्यार्थियों से उनकी शिक्षा, रुचि, करियर संबंधी योजना, शिक्षण व कंप्यूटर ज्ञान संबंधी प्रश्न पूछे। संयुक्त निदेशक के निरीक्षण के दौरान स्कूलों में कई तरह की खामियां पाई गई, जिन्हें दुरुस्त करने के लिए स्कूल प्रिंसिपल और अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। डिजिटलाइजेशन गतिविधियों व उपकरणों को चेक किया संयुक्त निदेशक संजीव कुमार ने कहा कि हरियाणा के शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे जिलों में स्थित स्कूलों में जाकर डिजिटलाइजेशन गतिविधियों व उपकरणों की स्थिति व रखरखाव, स्टाफ, भवन, विभिन्न प्रकार की सुविधाओं व लैब आदि का निरीक्षण करें तथा इसकी रिपोर्ट उन्हें सौंपे। निरीक्षण करने के दौरान स्कूल स्टाफ का आह्वान किया कि वे विद्यालय में स्थापित भाषा प्रयोगशाला, साइंस व स्पोटर्स लैब, आईसीटी कंप्यूटर लैब आदि का पूरा उपयोग कर बच्चों को गुणवत्तापरक शिक्षा देने का काम करें और उन्हें खेल का सामान उपलब्ध करवाते हुए खेलों के प्रति भी रूचि बढ़ाने के अधिकतम प्रयास करें, ताकि पढ़ेगा मेवात- खेलेगा मेवात-तभी तो बढ़ेगा मेवात की थीम सार्थक सिद्ध हो सके। स्कूलों में शौचालय आदि की सफाई के दिए निर्देश संयुक्त निदेशक ने आईसीटी लैब तथा भाषा प्रयोगशाला का विद्यार्थियों के विकास के लिए भरपूर प्रयोग करने के लिए निर्देश दिए। उन्होंने विद्यालय में विद्यार्थियों व अध्यापकों को उपलब्ध कराए गए टैब के बारे में जानकारी लेकर रिकॉर्ड चेक किया। उन्होंने कहा कि स्कूलों में शौचालय आदि की सफाई नियमित रूप से हो तथा भवनों का रखरखाव भी उचित प्रकार से हो। जो भी कमियां हैं, उन्हें ठीक करवाया जाए। बारिश में छतों आदि की साफ-सफाई जरूर करवाई जाए। इसी प्रकार पेयजल भी साफ व स्वच्छ होना चाहिए। कम्प्यूटर लैब और साफ़ सफाई में मिली खामियां विद्यालय के निरीक्षण उपरांत पत्रकारों से बातचीत में संयुक्त निदेशक ने बताया कि शिक्षा मंत्री के निर्देशानुसार स्कूलों में डिजीटलाइजेशन संबंधी गतिविधियों व कार्यों का निरीक्षण किया जा रहा है। सोमवार को उन्होंने राजकीय आदर्श संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय नूंह व तावड़ू का निरीक्षण किया है। स्कूलों में साफ सफाई की नहीं मिली। इसके साथ ही कम्प्यूटर लैब में भी कुछ कमियां मिली है। उन्होंने कहा कि जो भी कमियां पाई गई हैं, उनको जल्द दुरुस्त करने के निर्देश दिए गए हैं। अगर किसी विद्यालय को मुख्यालय स्तर पर कोई डिमांड करनी है तो वह जल्द से जल्द अपनी डिमांड भिजवाना सुनिश्चित करें, ताकि यथासंभव उचित कार्रवाई की जा सके।
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय ने आगामी शैक्षणिक सत्र से अपने विभिन्न विभागों एवं संकायों की विभागीय रैंकिंग जारी करने का निर्णय लिया है। यह फैसला हाल ही में कुलपति प्रोफेसर पूनम टंडन की अध्यक्षता में आयोजित विभागाध्यक्षों एवं विश्वविद्यालय अधिकारियों की समीक्षा बैठक में लिया गया। कुलपति प्रो. टंडन ने बताया कि इस रैंकिंग प्रणाली का उद्देश्य विभागों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करना है। ताकि शैक्षणिक उत्कृष्टता को बढ़ावा मिल सके। इससे विश्वविद्यालय समुदाय में उत्तरदायित्व और गर्व की भावना विकसित होगी। कुलपति का कहना है यह मील का पत्थर साबित होगा। रैंकिंग के लिए दो प्रमुख आधार तय किए गए हैं 1. शैक्षणिक प्रदर्शन: इस श्रेणी में शोध प्रकाशनों की संख्या, नवाचार गतिविधियां, शिक्षण की गुणवत्ता, विद्यार्थियों की उपलब्धियां, फैकल्टी विकास कार्यक्रम और बाह्य संस्थाओं के साथ विभागीय सहभागिता को शामिल किया जाएगा।2. स्वच्छता और पर्यावरणीय प्रबंधन: इसमें विभागीय परिसर की स्वच्छता, कचरा निपटान व्यवस्था, प्लास्टिक मुक्त वातावरण, पौधारोपण, जल संरक्षण प्रयास और NSS/NCC इकाइयों की भागीदारी का मूल्यांकन किया जाएगा। बैठक में यह भी तय हुआ कि रैंकिंग योजना के दूसरे चरण में विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालयों को भी सम्मिलित किया जाएगा। इसके लिए एक अलग मूल्यांकन समिति का गठन किया जाएगा। जो तय किए गए समान मानकों पर महाविद्यालयों का आकलन करेगी। यह पहल न केवल विश्वविद्यालय की आंतरिक गुणवत्ता को सुदृढ़ करेगी। बल्कि यह NAAC मूल्यांकन, NIRF रैंकिंग और अन्य राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मूल्यांकन मानकों में भी सहायक साबित होगी। साथ ही, विभागों के कार्य संचालन में पारदर्शिता, उत्तरदायित्व और नवाचार की संस्कृति को भी बल मिलेगा। कुलपति प्रो. टंडन ने कहा,विभागीय रैंकिंग से एक सकारात्मक प्रतिस्पर्धा का वातावरण बनेगा। इससे प्रत्येक विभाग स्वयं को बेहतर बनाने की दिशा में सक्रिय प्रयास करेगा, और यह पहल हमारी शिक्षण प्रणाली को वैश्विक मानकों से जोड़ने की दिशा में एक अहम कदम होगी। यह रैंकिंग पहल विश्वविद्यालय के प्रशासनिक व शैक्षणिक दृष्टिकोण में एक नई ऊर्जा का संचार करने की दिशा में मील का पत्थर मानी जा रही है।
शिक्षामित्र की मौत में पहली गिरफ्तारी:पत्नी को जलाकर मारने के आरोपी पति को पुलिस ने भेजा जेल, 6 फरार
अमरोहा में एक दर्दनाक घटना में शिक्षामित्र दीप्ति की मौत के मामले में पुलिस ने पति को गिरफ्तार कर लिया है। दीप्ति जोया ब्लॉक के शेखूपुर स्थित प्राथमिक विद्यालय में शिक्षामित्र के पद पर कार्यरत थीं। उन्होंने दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल में शनिवार को अंतिम सांस ली। मृतका के पिता ने डिडौली थाने में सात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। आरोपियों में पति राजीव, ससुर तेजपाल, जेठानी विनीता, जेठ संजय, दो ननद सुधा और राधा और नंदोई अजय सिंह शामिल हैं। पिता का आरोप है कि प्लॉट बेचने को लेकर चल रहे विवाद में पति ने दीप्ति पर पेट्रोल डालकर आग लगा दी। अन्य आरोपियों की तलाशडिडौली थाना प्रभारी हरीश वर्धन सिंह के अनुसार, मुख्य आरोपी राजीव कुमार को गिरफ्तार कर लिया गया है। वह मूल रूप से संभल जिले के नखासा थाना क्षेत्र के गांव भंडा का रहने वाला है और वर्तमान में अमरोहा के डिडौली गांव में रह रहा था। पुलिस अन्य आरोपियों की तलाश में जुटी है।
शाजापुर में शारीरिक शिक्षा शिक्षकों का ट्रेनिंग:कबड्डी से लेकर योग तक अलग-अलग कौशल सीखेंगे
शाजापुर के उत्कृष्ट विद्यालय में रविवार को हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूलों के शारीरिक शिक्षा शिक्षकों का 3 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू हुआ। जो 6 से 8 जुलाई तक चलेगा। प्रशिक्षण में मास्टर ट्रेनर के रूप में उज्जैन से केसी पुरोहित और लियाकत खान, अकोदिया से नरेंद्र सिंह राजपूत और देवनारायण सूर्यवंशी शामिल हैं। शिक्षकों को कबड्डी, खो-खो, वॉलीबॉल, एथलेटिक्स, रस्सी कूद, सितोलिया, चेयर रेस और योग का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रशिक्षण प्रतिदिन सुबह 9:30 से शाम 5 बजे तक चल रहा है। इसमें शिक्षक ग्रुप एक्टिविटी के माध्यम से खेलों के अलग-अलग कौशल सीख रहे हैं। ट्रेनिंग के बाद ये शिक्षक अपने-अपने ब्लॉक के प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों के शिक्षकों को भी यह प्रशिक्षण देंगे। कार्यक्रम में ब्लॉक क्रीड़ा प्रभारी शुजालपुर से लोकेंद्र सिंह तोमर, कालापीपल से जितेंद्र बरेलिया, मोहम्मद बड़ोदिया से गिरिराज सोलंकी और शाजापुर से ईश्वर मालवीय और विनोद गोयल सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। नई शिक्षा नीति के अनुसार, कक्षा तीसरी से 12वीं तक के छात्रों को शारीरिक गतिविधियों से जोड़ना है। इस प्रशिक्षण का मकसद है कि शिक्षक सीमित संसाधनों में भी बच्चों का शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक और सहनशीलता का विकास करें। साथ ही ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे भी संभाग, राज्य और राष्ट्रीय स्तर तक अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर सकें।
भाजपा सरकार आने वाली पीढ़ी से शिक्षा का अधिकार चाहती है छीनना : अखिलेश यादव
समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार आने वाली पीढ़ी से शिक्षा का अधिकार छीनना चाहती है
केस 1: रायसेन के रहने वाले ललित यादव की बहन दिव्यांग हैं। वह जिले के सिरसोदा के प्रायमरी स्कूल में पदस्थ थीं, हाल ही में उनका तबादला इमलिया गांव के स्कूल में किया गया है। ये गांव मुख्य सड़क से पांच किलोमीटर अंदर है। वहां तक जाने का कोई साधन भी नहीं है। केस 2: इटारसी के पथरोटा में पदस्थ मिडिल स्कूल टीचर रवि जैन ने भी तबादले के लिए आवेदन किया था। उन्होंने विकल्प के कॉलम में इटारसी के 12 स्कूलों के नाम भरे थे। उनका ट्रांसफर ऐसे स्कूल में हुआ, जो विकल्प में नहीं था। वहां पद भी खाली नहीं है। ये सिर्फ दो मामले नहीं हैं। हाल ही में स्कूल शिक्षा विभाग ने जो तबादले किए हैं, उसमें अपनी ही नीति के नियमों को दरकिनार कर दिया है। जिसे जरूरत थी, उसका तबादला नहीं हुआ और जिन्हें इसकी जरूरत नहीं थी, उनका ट्रांसफर कर दिया गया। ट्रांसफर में हुई गड़बड़ियों को दुरुस्त कराने के लिए टीचर्स लोक शिक्षण संचालनालय के चक्कर काट रहे हैं। इन्हें संचालनालय के अफसर जवाब दे रहे हैं कि अब प्रक्रिया खत्म हो चुकी है। भास्कर ने जब स्कूल शिक्षा मंत्री से बात की तो उन्होंने कहा कि कोई तकनीकी गड़बड़ी नहीं है। इतना बड़ा अमला जिस विभाग में हो तो वहां 100-50 विसंगतियां देखने को मिलती हैं, सरकार उसका निराकरण भी करती है। पढ़िए, किस तरह से स्कूल शिक्षा विभाग ने अपनी ही तबादला प्रक्रिया का पालन नहीं किया... इन तीन केस से समझिए, ट्रांसफर में गड़बड़ी जिस पद के लिए तबादला, वो खाली नहींइटारसी के शिक्षक रवि जैन ने ऑनलाइन तबादला प्रक्रिया के दौरान 12 स्कूलों को विकल्प के तौर पर भरा था, लेकिन उनका ट्रांसफर उस स्कूल में कर दिया गया जिसका नाम उन्होंने विकल्प में भरा ही नहीं था। हैरानी की बात यह है कि जिस पद के लिए रवि का तबादला हुआ है, वह पद उस स्कूल में खाली ही नहीं है। रवि जब स्कूल में जॉइन करने गए तो स्कूल के प्राचार्य ने लिखित में दे दिया कि जिस पद पर उन्हें भेजा गया है, वह भरा हुआ है और वे उन्हें जॉइन नहीं करा सकते। जब रवि डीईओ कार्यालय पहुंचे तो जवाब मिला, ‘सारी प्रक्रिया ऑनलाइन है, हम कुछ नहीं कर सकते। अब तो डीपीआई ही कुछ कर सकता है।’ अब रवि लगातार डीपीआई के चक्कर काट रहे हैं। दिव्यांग के साथ हार्ट और किडनी पेशेंट भी हैं सविता ललित यादव अपनी बहन सविता के तबादले को निरस्त करवाने के लिए डीपीआई कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं। उनकी 55 वर्षीय बहन प्राथमिक शिक्षक हैं। वह न सिर्फ दिव्यांग हैं, बल्कि उम्र के इस पड़ाव में दिल और किडनी की बीमारी से भी जूझ रही हैं। उनका स्वैच्छिक तबादला रायसेन के इमलिया गांव के प्रायमरी स्कूल में कर दिया गया है। ये गांव मुख्य सड़क से करीब 5 किलोमीटर अंदर है। यहां तक पहुंचने के लिए कोई परिवहन सुविधा उपलब्ध नहीं है। ललित ने बताया कि वे सभी मेडिकल दस्तावेज लेकर डीपीआई पहुंचे तो कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला। वे कहते हैं, मेरी बहन इस रास्ते को पार कर स्कूल तक नहीं जा सकतीं। ऐसे में मैं बस इतना चाहता हूं कि उनका तबादला रद्द किया जाए। सरकारी स्कूल में नहीं, प्राइवेट स्कूल में जाते हैं बच्चे राजगढ़ जिले के गेहूंखेड़ी गांव के प्रायमरी स्कूल में न तो कोई छात्र है, न ही पढ़ाई हो रही है। दरअसल, पिछले शैक्षणिक सत्र से ही यह स्कूल पूरी तरह विद्यार्थी विहीन हो चुका है। गांव के बच्चों ने दूसरे स्कूलों में दाखिला ले लिया है। हैरानी की बात यही है कि शिक्षा विभाग ने इस बंद पड़े स्कूल में टीचर प्रेमनारायण गुप्ता का तबादला कर दिया है। गुप्ता इससे पहले पाड़ल्याखेड़ी के प्रायमरी स्कूल में टीचर थे। गांव के लोगों का कहना है कि गांव के ज्यादातर बच्चों ने प्राइवेट स्कूल में दाखिला ले लिया है। अब सरकारी स्कूल में कोई भी बच्चा नहीं है, इसलिए स्कूल की बिल्डिंग में सरपंच ने ताला लगा दिया है। जब स्कूल में बच्चे ही नहीं हैं तो फिर यहां टीचर किसे पढ़ाएंगे, ये समझ नहीं आ रहा। जिन्हें जरूरत, उन्हें नहीं मिला ट्रांसफर.. ऐसे तीन केस एक साल की बेटी के साथ पति से दूरपरमा सोलंकी के पति उनसे 550 किलोमीटर दूर खरगोन में रहते हैं। वहीं, परमा अपनी एक साल की बेटी के साथ सागर में रहती हैं। परमा रोज सागर से बंडा ब्लॉक के बहरोल अपनी बेटी के साथ आना-जाना करती हैं। जब स्वैच्छिक तबादला प्रक्रिया शुरू हुई तो परमा ने खरगोन और उसके आसपास के स्कूलों के लिए अप्लाई किया, ताकि वे पति के पास जा सकें। जब तबादला सूची आई, तो परमा का नाम उसमें शामिल नहीं था। वे कहती हैं- मैं रोज सागर से बंडा अपडाउन करती हूं। मेरी बच्ची की देखभाल करना मुश्किल होता है। परिवार से दूर रहना मानसिक रूप से भी परेशान करता है। अब परमा का ट्रांसफर नहीं हुआ तो वह लोक शिक्षण संचालनालय के चक्कर काट रही है। इस उम्मीद में कि विभाग परिस्थिति को देखते हुए तबादले पर पुनर्विचार करेगा। 27 स्कूलों में आवेदन किया, एक में भी नहीं हुआप्रकाश राठौर बैतूल जिले के घोड़ाडोंगरी में पदस्थ हैं जबकि उनकी पत्नी कंचन हरदा जिले के टिमरनी ब्लॉक में कार्यरत हैं। दोनों पिछले 12 साल से अलग-अलग जिलों में रहकर नौकरी कर रहे हैं। उनके दो बच्चे हैं। 22 साल की बेटी पिता के साथ रहती है और 20 साल का बेटा सतना में पढ़ाई कर रहा है। कंचन ने इस साल ट्रांसफर प्रक्रिया के दौरान बैतूल जिले के 27 स्कूलों में आवेदन किया था, लेकिन किसी भी स्कूल में उनका ट्रांसफर नहीं हो सका। प्रकाश बताते हैं- कंचन की पोस्टिंग बहुत ही अंदरूनी और ग्रामीण क्षेत्र में है। गांव के लोग हर हफ्ते उन्हें मेन रोड तक छोड़ने आते हैं, फिर वह बस से शनिवार को बैतूल आती हैं और सोमवार सुबह वापस चली जाती हैं। 12 साल से यही सिलसिला चल रहा है। प्रकाश कहते हैं- जब मैंने सीपीआई शिल्पा गुप्ता से मुलाकात की, तो उन्होंने कहा कि ट्रांसफर प्रक्रिया अब समाप्त हो चुकी है। समय रहते बताया होता तो कुछ किया जा सकता था। छुट्टियां लेकर कर रहीं बेटे की देखभालशिवपुरी जिले के दसेरिया खनियाधान में पदस्थ शिक्षिका दीक्षा गौतम का चार साल का बेटा ऑटिज्म से ग्रस्त है। उसकी नियमित थेरेपी भोपाल में चल रही है। दीक्षा के पति राहुल भी सरकारी नौकरी में हैं और उन्होंने पहले ही अपना तबादला भोपाल करवा लिया है। राहुल बेटे के साथ रहकर उसकी देखभाल कर रहे हैं। राहुल कहते हैं- डॉक्टरों ने कहा है कि यह थेरेपी का आखिरी साल है। यदि इसमें कोई रुकावट आई तो बच्चे के मानसिक विकास और भविष्य पर गंभीर असर पड़ सकता है। मेरी पत्नी दीक्षा ने शिक्षा विभाग की ट्रांसफर नीति में दिए गए बीमारी संबंधी प्रावधानों के तहत प्राथमिकता मांगी थी। उन्होंने भोपाल के स्थानीय स्कूलों का चयन भी किया, लेकिन इसके बावजूद उनका तबादला नहीं किया गया। दीक्षा कहती हैं, “मैं अकेले रह रही हूं। इससे मानसिक तनाव तो बढ़ ही रहा है, मुझे बेटे की चिंता है। मैं उसके पास रहूंगी तो उसकी देखभाल हो सकेगी। ट्रांसफर नीति में प्रावधान के बाद भी मुझे अनदेखा कर दिया। दीक्षा ने फिलहाल अपने बच्चे की देखभाल के लिए तीन महीने का अवकाश लिया है। दीक्षा अब एकबार फिर तबादले के लिए विभाग से गुहार लगा रही हैं। क्या है नई तबादला नीति?स्कूल शिक्षा विभाग ने शिक्षकों और कर्मचारियों के तबादले की नीति-2022 में बदलाव किए थे। जिसके तहत राज्य और जिले दोनों स्तरों पर अधिकारियों और कर्मचारियों के तबादले के लिए नए आदेश जारी किए गए थे। 7 जून से 16 जून तक जिला स्तर पर होने वाले प्रशासनिक तबादलों का अधिकार उस जिले के प्रभारी मंत्री को दिया गया था। जिले के भीतर जिन कर्मचारियों का तबादला हो सकता है, उनमें प्राथमिक शिक्षक, सहायक शिक्षक, विज्ञान विषय पढ़ाने वाले प्राथमिक शिक्षक, सहायक शिक्षक, प्राथमिक स्कूल के प्रधानाध्यापक, क्लर्क और चपरासी शामिल थे। इन सभी का तबादला जिला कलेक्टर के जरिए होना था, लेकिन अंतिम मंजूरी प्रभारी मंत्री को देनी थी। नीति के अनुसार जिन स्कूलों में 10 से कम बच्चे पढ़ते हैं, वहां किसी भी शिक्षक को नहीं भेजा जाना था। इसके अलावा अगर दो शिक्षक आपस में जगह बदलना चाहते हैं (पारस्परिक तबादला), तो उसी सूरत में होगा जब दोनों का पद और विषय एक जैसा हो। जो शिक्षक 31 मई 2025 तक रिटायर होने वाले हैं, उनका पारस्परिक तबादला नहीं किया जाएगा। मंत्री बोले- लाखों का अमला, कुछ विसंगतियां तो होंगीइस मामले को लेकर भास्कर ने जब स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदयप्रताप सिंह से पूछा तो उन्होंने कहा- आपने कभी देखा है कि किसी भी युग में लोग संतुष्ट हुए हो, रामराज में भी रामजी लौट के आए तो उन पर भी कोई न कोई आरोप लगाने वाला खड़ा ही था। जिस विभाग में 4 लाख का अमला है, अगर 100-500 विसंगति मिलती है तो उनका निराकरण भी सरकार करती है। उनसे पूछा कि इस बार ट्रांसफर में तकनीकी गड़बड़ी सामने आई, तो वे बोले- कोई तकनीकी गड़बड़ी नहीं है, उल्टा हम तो तकनीक उपलब्ध करवा रहे हैं। उन्होंने ई-अटेंडेंस का जिक्र करते हुए कहा- शिक्षक समय पर स्कूल पहुंचें, वे बच्चों को पढ़ाएं, इसके लिए ई-अटेंडेंस की व्यवस्था की है। कुछ टीचर इस व्यवस्था को नहीं चाहते इसलिए मीडिया का सहारा लेकर सवाल खड़े करते हैं। मीडिया ही बताता है कि शिक्षक स्कूल नहीं आते, कोई शराब पीकर आता है तो कोई अपनी जगह दूसरे को पढ़ाने के लिए भेज देता है। इन सभी विसंगतियों को दूर करने के लिए ही तकनीक का सहारा लिया है।
शिक्षा मनुष्य के जीवन का अनमोल उपहार है : गोस्वामी
धर्म यात्रा महासंघ के प्रांतीय मंत्री एवं प्रवासी भलाई बोर्ड के पूर्व वाइस चेयरमैन राम गोस्वामी ने भारत में पश्चिमी सभ्यताओं के प्रचलन तथा भारतीय संस्कृति के मान मर्दन पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि अगर हम सभी भारतीय संस्कृति को उत्कृष्टता प्रदान करना चाहते हैं तो विचार एवं कृति अच्छी होने के लिए संस्कारों की आवश्यकता है। भारतीय शास्त्र के अनुसार प्रत्येक कृति ही संस्कारयुक्त होनी चाहिए। संस्कार अर्थात सदगुणों को गुणा करना अर्थात बढ़ाना एवं दोषों का भागफल अर्थात दोषों को घटाना ही संस्कार है। अच्छी आदतें लगाना एवं बुरी आदतें निकाल कर फेंकना ही संस्कार है। बच्चों पर अच्छे संस्कार डालना अर्थात उन्हें माता-पिता जी वरिष्ठ जनों को प्रतिदिन प्रणाम करने के लिए प्रेरित करना, दूसरों की निंदा न करने के लिए नियमित ध्यान देना होगा, परंतु वह भी कैसे सिखाना चाहिए, यह भी संस्कार है। शिक्षा और संस्कार एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। शिक्षा मनुष्य के जीवन का अनमोल उपहार है जो व्यक्ति के जीवन की दिशा और दशा दोनों बदल देती है और संस्कार जीवन का सार है जिसके माध्यम से मनुष्य के व्यक्तित्व का निर्माण और विकास होता है।
मोतिहारी के श्री कृष्ण सिंह महिला कॉलेज में नई शिक्षा नीति 2020 पर राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में बाबा साहब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर के कुलपति डॉ. दिनेश चंद्र राय मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। स्थानीय विधायक प्रमोद कुमार ने भी कार्यक्रम में शिरकत की। कार्यशाला में छात्र-छात्राएं, शिक्षक और विभिन्न शिक्षण संस्थानों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य नई शिक्षा नीति को जमीनी स्तर पर प्रभावी रूप से लागू करने के लिए सुझाव और जागरूकता फैलाना था। मातृभाषा में शिक्षा देने की मांग की कुलपति डॉ. राय ने कहा कि नई शिक्षा नीति भारतीय संस्कृति और मातृभाषा को महत्व देती है। मातृभाषा में शिक्षा से छात्रों की समझ बेहतर होगी और आत्मविश्वास बढ़ेगा। उन्होंने बताया कि यह नीति रोजगारोन्मुखी और लचीली है। छात्रों को अपनी रुचि के अनुसार विषय चुनने की आजादी मिलेगी। चुनौतियों और संभावनाओं को लेकर की चर्चा विधायक प्रमोद कुमार ने कहा कि राज्य सरकार इस नीति को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए तैयार है। कार्यशाला में विशेषज्ञों ने नई शिक्षा नीति की चुनौतियों और संभावनाओं पर चर्चा की। कॉलेज की प्राचार्या और शिक्षकों ने अतिथियों का स्वागत किया। यह कार्यशाला शिक्षा के क्षेत्र में नीतिगत बदलावों की जानकारी प्रसारित करने में सहायक रही। कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।
शहर के जिला परिषद सभागार में रविवार को जोधपुर प्रांत के तत्वावधान में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास का स्थापना दिवस मनाया गया। कार्यक्रम की शुरूआत मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों का दुपट्टा पहनाकर व साहित्य भेंटकर स्वागत किया गया। कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के विभाग प्रचारक संजीव कुमार ने कहा कि गुरुकुल शिक्षा पद्धति में 64 कलाओं के साथ 14 विधाओं की भी शिक्षा दी जाती थी। रामायण काल हो या महाभारत काल हर काल खंड में हमारी शिक्षा पद्धति केवल धर्म आधारित नहीं थी, बलिक वह विज्ञान की कसौटी पर भी खरी उतरती थी। रोजगारमुखी होने के साथ संस्कारवान भी बनाती थी। हमारी शिक्षा पद्धति में वैदिक गणित, गणित और विज्ञान सहित सभी विधाओं का समावेश था। मुख्य वक्ता संजीव कुमार ने अपने उदाहरणों सहित पौराणिक शिक्षा की वैज्ञानिकता के बारे में बताते हुए कहा कि कई बार सवाल किया जाता है कि कौरव 100 भाई कैसे हो सकते हैं, लेकिन आज विज्ञान ने सिद्ध कर दिया कि क्लोन पद्धति से ऐसा संभव है। इसलिए हमें आज की युवा पीढ़ी के मन मस्तिष्क में उठने वाले सवालों का तर्क सहित जवाब देना चाहिए। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास जोधपुर प्रांत के प्रांत संयोजक संदीप जोशी ने न्यास के स्थापना की पृष्ठभूमि एवं न्यास के विभिन्न गतिविधियों और कार्य विभाग की जानकारी दी। उन्होनें कहा कि अंग्रेजी शासन काल में भारतीय शिक्षा का सर्वनाश करने के बहुत प्रयास किए गए, काफी हद तक अंग्रेज इसमें सफल भी रहे। कार्यक्रम का संचालन एडवोकट अश्विन राजपुरोहित ने किया। यह रहे मौजूदकार्यक्रम में किशोर सिंह राजपुरोहित, तेनसिंह परमार, कल्पेश बोहरा, मुकेश सुंदेशा, अजय गुप्ता, सुरेंद्र नाग, मोहनलाल परिहार, जितेंद्र जालोरी, मनीष ठाकुर, अधिवक्ता प्रवीण घांची, बसंत ओझा, मोहनलाल बोहरा, मुकेश सोलंकी, ईश्वर सिंह, पदमाराम चैधरी, परमानंद भट्ट, ललित कुमार दवे, गोपाल सिंह सांकरणा, नरेंद्र बोहरा, नाथाराम भाटी, करणसिंह , ललित ठाकुर, दिनेश कुमार भट्ट, गणपत सिंह मंडलावत, दीप सिंह दूदवा, राजू त्रिपाठी, दिनेशसिंह नोरवा व राजेन्द्र सिंह काबावत,प्रमोद दवे समेत कई लोग मौजूद रहे।
खरोरा धरसीवा विधानसभा के ग्राम रायखेड़ा में विधायक पद्मश्री अनुज शर्मा ने कई विकास कार्यों का भूमिपूजन और लोकार्पण किया। मिडिल स्कूल रायखेड़ा में 9 लाख रुपए की लागत से साइकिल स्टैंड का निर्माण होगा। इसके साथ ही 20 लाख रुपए की लागत से प्रार्थना शेड का निर्माण किया जाएगा। सरस्वती शिशु मंदिर में 10 लाख रुपए की लागत से नए भवन का भी भूमिपूजन किया गया। विधायक शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में सरकार मोदी की गारंटी के वादों को पूरा कर रही है। उन्होंने बताया कि डबल इंजन सरकार छत्तीसगढ़ की जनता की आकांक्षाओं के अनुरूप काम कर रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाएं और बुनियादी ढांचा विकसित किया जा रहा है। इससे ग्रामीणों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ा जा रहा है। विधायक ने कहा कि प्रदेश में पारदर्शिता के साथ विकास कार्य हो रहे हैं। साधन और संसाधनों की उपलब्धता से ग्रामीण क्षेत्रों की आर्थिक प्रगति हो रही है। कार्यक्रम में टिकेश्वर मनहरे, चंद्रकांत साहू और सरपंच दिनेश वर्मा सहित अन्य कार्यकर्ता मौजूद रहे।
महराजगंज में एक निजी मैरिज हॉल में आयोजित साहू सामाजिक संगठन की बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। संगठन ने समाज को एकजुट करने और सामूहिक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए एक मजबूत ढांचा तैयार करने का निर्णय लिया। बैठक में संसाधनों के प्रभावी उपयोग और आपसी सहयोग को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया। संगठन ने तय किया कि वर्तमान कार्यकारिणी के तीन साल के कार्यकाल के बाद नए लोगों को जिम्मेदारी दी जाएगी। इससे संगठन में नई ऊर्जा का संचार होगा। आने वाले समय में गांधी जयंती कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। साथ ही समाज हित में स्वास्थ्य, शिक्षा और उत्पीड़न जैसे विषयों पर काम किया जाएगा। सदस्यता अभियान को भी तेज करने का निर्णय लिया गया। बैठक में जिलाध्यक्ष अनिल गुप्ता, महामंत्री डॉ. रामसरन गुप्ता, वरिष्ठ उपाध्यक्ष उदय राज गुप्ता, संरक्षक रामदास गुप्ता, पूर्व चेयरमैन विनोद गुप्ता, ब्रह्मानंद गुप्ता, बैजनाथ गुप्ता, शंभुनाथ गुप्ता, मुन्ना गुप्ता, नीरज उर्फ बबलू गुप्ता, रामानुज गुप्ता, शेषमणि गुप्ता, राजकुमार गुप्ता, खुशहाल गुप्ता, डॉ. अरविंद गुप्ता, महाजन गुप्ता, अनिरुद्ध गुप्ता, बुद्धेशमणि गुप्ता, उमेश गुप्ता, गोविंद गुप्ता और राजेश साहू समेत सैकड़ों की संख्या में समाज के सदस्य उपस्थित रहे।
शिक्षकों का नई शिक्षा नीति के खिलाफ आंदोलन:9 जुलाई को हनुमानगढ़ जिला मुख्यालय पर होगा विरोध प्रदर्शन
राजस्थान शिक्षक संघ शेखावत ने नई शिक्षा नीति 2020 और पीएफआरडीए बिल के विरोध में 9 जुलाई को हनुमानगढ़ जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन करने का निर्णय लिया है। यह फैसला रविवार को महात्मा गांधी राजकीय स्कूल बरकत कालोनी में जिलाध्यक्ष जगनंदन सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिया गया। प्रांतीय प्रतिनिधि नरेश कुमार सोनी ने कहा कि नई शिक्षा नीति 2020 निजीकरण पर आधारित है। यह शिक्षक, छात्र और बेरोजगारों के हित में नहीं है। इससे कई स्कूल बंद होंगे और शिक्षकों के पद समाप्त होंगे। संगठन ने कई अन्य मुद्दों को भी उठाया है। शिक्षकों को गैर-शैक्षणिक कार्यों से मुक्ति, विज्ञान प्रयोगशालाओं के लिए बजट की मांग और निःशुल्क पाठ्य पुस्तकों की समय पर उपलब्धता प्रमुख मांगें हैं। इन समस्याओं के कारण विद्यालयों का संचालन प्रभावित हो रहा है और नामांकन में गिरावट आई है। शिक्षक संघ शिक्षकों की बकाया डीपीसी, नीतिगत तबादला और आरजीएचएस के तहत की गई कटौतियों का भी विरोध कर रहा है। बैठक में पीलीबंगा के प्रशिक्षु डॉक्टर मानव भादू सहित अहमदाबाद प्लेन दुर्घटना में मारे गए अन्य नागरिकों को श्रद्धांजलि दी गई। संगठन पर्यावरण संरक्षण के लिए वृक्षारोपण अभियान भी चलाएगा और सदस्यता बढ़ाने के लिए सक्रिय रहेगा। जिसका इजहार वे राष्ट्रीय फेडरेशनों के आह्वान पर 9 जुलाई को आम हड़ताल के समर्थन में जिला स्तर पर प्रदर्शन कर करेंगे। सरकार को हठधर्मिता छोड़कर जनहितैषी नीतियों का अनुसरण करना चाहिए। शिक्षक मुद्दों को लेकर जिला स्तर पर होगी कार्यशाला जिला सभाध्यक्ष सतीश चोपड़ा ने बताया शिक्षकों में मुद्दों की समझ के लिए जुलाई -अगस्त माह में जिला स्तर पर व ब्लॉक स्तर कार्यशाला का आयोजन होगा। बैठक में संगरिया ब्लॉक अध्यक्ष अजय कुमार भादू, श्रीकृष्ण, प्रदीप जिंदल, संदीप कुमार, भंवर सिंह पटवा, भानू शर्मा आदि भी मौजूद रहे।
कोटा में शिक्षा मंत्री ने महिला टीचर को सस्पेंड कर दिया। टीचर पर एक छात्रा ने जानबूझकर फेल करने का आरोप था। छात्रा ने कहा- चाचा से विवाद का बदला लेने के लिए मुझे फेल किया। फेल करने के बाद जब दोबारा कॉपी की जांच कराई गई तो मुझे सप्लीमेंट्री दी गई। मेरे 70.40 प्रतिशत अंक बनने के बावजूद मुझे फेल किया। रामगंजमंडी के मोडक गांव में शिक्षा मंत्री मदन दिलावर की जनसुनवाई में यह मामला सामने आया। मामले की गंभीरता को देखते हुए शिक्षा मंत्री ने कहा- जो होना था वो तो हो गया। इस पर मैं कुछ नहीं कहूंगा, लेकिन उस टीचर को मैं अभी सस्पेंड करता हूं। बदला लेने के लिए छात्रा को किया फेलस्टूडेंट ने बताया- वह राजकीय उच्च माध्यमिक स्कूल मोडक में 11वीं कक्षा में पढ़ती है। उसकी फिजिक्स टीचर सविता मीणा का उसके चाचा से लाइब्रेरी की किताबों को लेकर विवाद हो गया था। इसी का बदला लेने के लिए मुझे 11वीं में जानबूझकर फेल कर दिया। मेरी शिकायत पर दोबारा जांच कराई गई तो मुझे सप्लीमेंट्री दी गई, जबकि मुझसे कमजोर विद्यार्थियों को पास कर दिया गया। टीचर के खिलाफ पहले भी थीं शिकायतेंशिक्षा मंत्री ने मोहल्ला बैठक में मौजूद अधिकारियों से इस संबंध में जानकारी की तो पता चला कि टीचर सविता मीणा के खिलाफ स्कूल में अनेक शिकायतें हैं। जिसके चलते उन्हें पूर्व में एपीओ कर रखा है, लेकिन वे कोर्ट से स्टे ले आई है। मंत्री ने तत्काल टीचर को निलंबित करने के निर्देश दिए।
उज्जैन में 10 जुलाई को गुरुपूर्णिमा उत्सव मनाया जाएगा। सांदीपनि आश्रम में सुबह वेदपाठी ब्राह्मण महर्षि सांदीपनि, भगवान श्रीकृष्ण और बलराम की प्रतिमाओं का जल से अभिषेक करेंगे। इसके बाद भगवान को नए वस्त्र पहनाए जाएंगे और मंदिर की ध्वजा बदली जाएगी। आश्रम में छोटे बच्चों का विद्यारंभ संस्कार होगा। यह 16 संस्कारों में से एक है। पहली बार विद्यालय जाने वाले बच्चों का स्लेट (पाटी) पूजन भी किया जाएगा। माता-पिता अपने बच्चों के साथ इस संस्कार में भाग लेंगे। स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारी विश्वविद्यालय के कुलगुरु की उपस्थिति में पूजन और आरती करेंगे। शहर के गुरुकुल और शैक्षणिक संस्थानों में भी गुरुपाद पूजन होगा। गायत्री शक्तिपीठ पर सुबह सजल श्रद्धा प्रखर प्रज्ञा का पूजन के बाद गायत्री मंत्र दीक्षा और अन्य संस्कार किए जाएंगे। सांदीपनि आश्रम का विशेष महत्व है क्योंकि यहां स्वयं भगवान नारायण ने शिक्षा प्राप्त की थी। द्वापर युग से कलयुग तक वंश परंपरा के अनुसार यहां गुरु पूजन की परंपरा चली आ रही है। इस अवसर पर आश्रम में फूलों से सजावट होगी।
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के तामिया स्थित 'एकलव्य आदर्श विद्यालय' आदिवासी छात्रों का भविष्य बना रहा
upsc pratibha setu : यूपीएससी (UPSC) की सिविल सेवा परीक्षा भारत की सबसे प्रतिष्ठित और चुनौतीपूर्ण परीक्षाओं में से एक है। हर साल लाखों युवा अपने सपनों को पूरा करने के लिए इसमें शामिल होते हैं, लेकिन सफलता कुछ ही लोगों को मिल पाती है। क्या इसका मतलब ...
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NEET UG Result: राजस्थान के महेश कुमार ने 'राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा- स्नातक' (नीट-यूजी) (NEET-UG) में शीर्ष स्थान हासिल किया है जबकि मध्यप्रदेश के उत्कर्ष अवधिया ने दूसरा स्थान हासिल किया है। राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (NTA) ने शनिवार को यह ...
4 साल की उम्र में श्रेया घोषाल ने ली संगीत की शिक्षा, अमेरिका में मनाया जाता है 'श्रेया घोषाल दिवस'
बॉलीवुड की फेमस सिंगर श्रेया घोषाल 12 मार्च को अपना बर्थडे सेलिब्रेट कर रही हैं। अपनी सुरीली आवाज से लाखों लोगों को दिवाना बनाने वाली श्रेया का जन्म 1984 में पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हुआ था। उन्होंने बेहद कम समय में अपनी सुरीली आवाज से बड़ी ...
दिल्ली में झुग्गी में रहने वाले एक पिता ने, जो चाय बेचते हैं, उन्होंने अपनी बेटी को आखिरकार CA बना दिया। जहां एक ओर लोगों ने कहा, क्यों अपनी बेटी को जरूरत से ज्यादा पढ़ा रहे हो, इसकी शादी करवा देनी चा
NEET UG रिजल्ट को लेकर अभी भी जारी है गुस्सा, छात्रों ने शिक्षा मंत्रालय के पास किया विरोध प्रदर्शन
नीट-यूजी परीक्षा में गड़बड़ी की आशंका जताते हुए छात्रों ने सोमवार को शिक्षा मंत्रालय के पास विरोध प्रदर्शन किया और परीक्षा परिणाम में कथित अनियमितताओं की जांच की मांग की। आइए जानते हैं, क्या है पूरा म
ई-शिक्षा कोष पर छात्रों का 10 फीसदी भी डाटा नहीं हुआ अपलोड
ई-शिक्षा कोष पर छात्रों का डाटा अपलोड करने में जिले के कई स्कूल ढील दे रहे हैं, वे 10 फीसदी छात्रों का भी डाटा अभी तक अपलोड नहीं कर पाए हैं। डाटा अपलोड करने में आधार कार्ड की अनिवार्यता के बाद से छ
बेसिक शिक्षा : दो महीने बाद भी 1.38 लाख छात्रों का डेटा नहीं हुआ अपडेट
बेसिक शिक्षा विभाग के यू डायस पोर्टल पर डेटा अपडेट करने का कार्य बहुत धीमी गति से चल रहा है। हाल ये है कि दो महीने में महज 1.38 लाख छात्रों डेटा भी अपडेट नहीं हुआ। विभाग ने अब 5 जून तक इसे पूरा करने क
स्कूलों में कैसे पढ़ा रहे हैं शिक्षक, वीडियो में देखेगा शिक्षा विभाग, होगी रिकॉर्डिंग
शिक्षा विभाग वीडियो के जरिए देखेगा कि परिषदीय स्कूलों के शिक्षक छात्रों को कैसे पढ़ाते हैं। बता दें. छात्रों को पढ़ाते हुए शिक्षकों की वीडियो रिकॉर्डिंग की जाएगी। आइए जानते हैं विस्तार से।