समुद्र की 11,000 फीट गहराई में जाएगा फ्रांस का 'रोबोट', 30 दिन की खोज में करेगा बड़े खुलासे
Submarine in Water: फ्रांस के वैज्ञानिकों ने एक खास तरह का ऑटोमैटिक अंडरवाटर ग्लाइडर बनाया है. यह ग्लाइडर अब समुद्र में 11,500 फीट की गहराई तक जाने के लिए तैयार है. यह रोबोट गहरे समुद्र से इससे जुड़ा जरूरी डेटा जुटाएगा.
स्टॉकहोम में 1913 का ऐतिहासिक दिन: रबिन्द्रनाथ टैगोर बने पहले गैर-यूरोपीय नोबेल पुरस्कार विजेता
10 दिसंबर 1913 को रबिन्द्रनाथ टैगोर ने स्टॉकहोम में साहित्य में नोबेल पुरस्कार जीतकर भारतीय साहित्य को अंतरराष्ट्रीय मान्यता दिलाई। ‘गीतांजलि’ के लिए सम्मानित टैगोर पहले गैर-यूरोपीय नोबेल विजेता बने, जिन्होंने भारतीय सांस्कृतिक और साहित्यिक गौरव को विश्व मंच पर स्थापित किया।
What is Black Death: 14वीं सदी में आई काली मौत (Black Death) नाम के प्लेग महामारी ने यूरोप की करोड़ों जिंदगियां छीन लीं और कुछ इलाकों की तो 60% आबादी ही खत्म कर दी थी.
कमजोर लीडरशिप के कारण होगा यूरोप का पतन, बॉर्डर पॉलिसी पर भड़के ट्रंप; EU को दे दी चेतावनी
Donald Trump: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि यूरोप के कई देश कमजोर नेतृत्व में हैं और पॉलिटिकल करेक्टनेस में उलझे हैं. उन्होंने यूरोपीय देशों की प्रवासन नीतियों और यूक्रेन संकट में भूमिका को कमतर आंका और यूरोप को चेतावनी दी कि अगर बॉर्डर पॉलिसी नहीं बदली, तो कुछ देश टिक नहीं पाएंगे.
ट्रंप का दावा : ‘कमजोर नेताओं’ के कारण यूरोप पतन की ओर
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि यूरोप के कई देशों का नेतृत्व कमजोर लोग कर रहे हैं, और ये देश पतन की ओर बढ़ रहे हैं। यह बात उन्होंने 'पॉलिटिको' को दिए एक इंटरव्यू में कही
'EU बहुत बुरी दिशा में जा रहा है...' यूरोप ने लगाया X पर जुर्माना तो भड़के ट्रंप
EU: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने चेतावनी दी कि यूरोप बहुत बुरी दिशा में आगे बढ़ रहा है. ट्रम्प ने एलन मस्क के एक्स प्लेटफॉर्म के खिलाफ यूरोपीय संघ द्वारा लगाए गए 140 मिलियन डॉलर के जुर्माने को लेकर ईयू पर निशाना साधा.
मिशेलिन गाइड : फ्रांस की ग्लोबल रैंकिंग में उदयपुर का ताज लेक पैलेस होटल देश में टॉप
रेस्टोरेंट-होटल की जानकारी देने के लिए शुरू की गई थी मैगजीन मिशेलिन गाइड एक फ्रांसीसी गाइड है। इसे 1900 के दशक के शुरुआत में ऑटोमोटिव टायर निर्माता कंपनी मिशेलिन गाइड की ओर से शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य ड्राइवरों को यात्रा के दौरान अच्छे रेस्टोरेंट और होटलों की जानकारी देना था। समय के साथ यह गाइड दुनिया में उच्च गुणवत्ता वाले भोजन और सेवा का सबसे बड़ा पैमाना बन गया। अब इसमें रेस्टोरेंट्स के साथ होटलों की रैंकिंग भी शुरू की गई है। उदयपुर| फ्रांस की प्रतिष्ठित मैगजीन मिशेलिन गाइड ने 125 साल के इतिहास में पहली बार ग्लोबल होटल रैंकिंग शुरू की है। इसके पहले एडिशन में 26 देशों के 2457 होटल और रिसॉर्ट शामिल किए गए हैं। देश के 36 होटलों को तीन श्रेणियों में जगह दी गई है। इसमें उदयपुर का ताज लेक पैलेस देश में पहले नंबर पर रहा। इसे थ्री की रैंक में पहला स्थान मिला है। दूसरा स्थान हैदराबाद के ताज फलकनुमा पैलेस को मिला। टू की रैंक में उदयपुर के ओबेरॉय उदयविलास और रैफल्स उदयपुर को शामिल किया गया है। वन की रैंक में रास देवीगढ़ ने जगह बनाई। सूची में सबसे ज्यादा राजस्थान की 16 होटलों ने जगह बनाई है। इनमें सर्वाधिक 7 होटलें जयपुर की हैं। हाल ही में आउट लुक ट्रैवल पोर्टल ने भी उदयपुर को बेस्ट वेडिंग डेस्टिनेशन का अवार्ड दिया था। वन की कैटेगरी : कुमाऊ, अल्मोड़ा {रास देवीगढ़, उदयपुर {ताज महल, नई दिल्ली {ताज ऋषिकेश, उत्तराखंड {सिक्स सेंसेस वाना, देहरादून {ताज उषा किरण पैलेस, ग्वालियर {विला पल्लाड़ियो, जयपुर {ताज महल टावर, मुंबई {ओबेरॉय राजविलास, जयपुर {जौहरी, जयपुर {राजमहल पैलेस रास, जयपुर {ओबेरॉय वन्यविलास, रणथंभौर {सोहो हाउस, मुंबई {ताज महल पैलेस, मुंबई {लीला पैलेस, चेन्नई {ओबेरॉय, गुड़गांव {ताज नदेसर पैलेस, वाराणसी {ताज देवी र|, जयपुर {सुजान शेरबाग, सवाई माधोपुर {लोधी, नई दिल्ली {नरेंद्र भवन, बीकानेर {रण बास द पैलेस, पटियाला। उदयविलास, रैफल्स और रास देवीगढ़ होटल भी रैंकिंग में शामिल थ्री की कैटेगरी : उदयपुर की ताज लेक पैलेस पहले व हैदराबाद की ताज फलकनुमा का दूसरे नंबरटू की कैटेगरी : अमन ए खास, रणथंभौर {अमनबाग, अजबगढ़ {सिक्स सेंसेज फोर्ट बरवाड़ा, सवाई माधोपुर {सुजान जवाई, बीसलपुर {सितारा हिमालय, मनाली {ओबेरॉय उदयविलास, उदयपुर {लीला पैलेस नई दिल्ली {रैफल्स, उदयपुर {लीला पैलेस, जयपुर {ओबेरॉय अमरविलास, आगरा {इंपीरियल नई दिल्ली {रैफल्स, जयपुर इस कैटेगरी में शामिल है।
गुजरात इस बार राजस्थान की मूंगफली मांग रहा है। हालात ये है कि बीकानेर में इस बार मंडी में आई अब तक फसल में से 50 फीसदी मूंगफली गुजरात जा चुकी है। वहीं गुजरात से बीकानेर में होने वाली मूंगफली विदेशों तक में सप्लाई हो रही है। इन सभी कारण गुजरात में इस बार बारिश से हुई फसल खराबा है। दावा किया जा रहा है कि मूंगफली उत्पादन में बीकानेर ने इस बार गुजरात को पीछे छोड़ दिया है। इधर, बढ़ती डिमांड से मूंगफली के दाम भी बढ़ गए है। गुजरात में मूंगफली का दाना खराब हुआ, बीकानेर में क्वालिटी एक रिपोर्ट के अनुसार गुजरात में इस बार 46 लाख टन मूंगफली का उत्पादन होने की संभावना है। मंडियों में भी मूंगफली पहुंच चुकी है लेकिन बारिश की वजह से इस बार गुजरात में इसकी फसल प्रभावित हुई है। बताया जा रहा है कि बारिश की वजह से खेतों में काफी पानी भर गया था। जमीन पथरीली होने के कारण वहां पानी फसल के ऊपर ही रहा, जिससे फसल खराब हुआ। ऐसे में इस बार दाना काफी छोटा और गीला निकला। लेकिन, उसकी तुलना में इस बार बीकानेर में गुजरात जैसी फसल हुई है। यहां इस इस बार दाना बड़ा और सूखा है। ऐसे में वहां के प्रोसेसिंग यूनिट और व्यापारियों में राजस्थान में होने वाली मूंगफली की डिमांड में अचानक बढ़ोतरी आई है। अब तक 40 लाख बोरी सप्लाई बीकानेर मंडी में रोजाना डेढ़ लाख बोरी पहुंच रही है। कृषि मंडी के अधिकारियों के अनुसार इस बार 2 करोड़ क्विंटल बोरी इस बार बीकानेर की मंडी में आएगी। गुजरात में इतनी डिमांड बढ़ चुकी है कि रोजाना बीकानेर मंडी से हर रोज करीब 40 लाख बोरी गुजरात के व्यापारी खरीद रहे है। वहीं पिछले पांच वर्षों में बीकानेर में मूंगफली का उत्पादन में लगातार बढ़ता जा रहा है। इसका आंकड़ा देखे तो लगातार दूसरी बार सबसे ज्यादा 8 लाख 70 हजार मीट्रिक टन उत्पादन हुआ है। ये ही कारण है कि इस बार भी बीकानेर की मंडी पूरी तरह मूंगफली से अटी पड़ी है। हर रोज डेढ़ लाख बोरी मंडी पहुंच रही है। बढ़ती डिमांड की वजह से भाव भी बढ़े मूंगफली की बढ़ती डिमांड की वजह से इस बार भाव भी बढ़े है। पिछली साल की तुलना में प्रति क्विंटल 500 रुपए का मुनाफ हो रहा है। इस बार मूंगफली 5500 से 6500 रुपए क्विंटल के आस-पास बिक रही है। जबकि पिछले साल भाव पांच सौ रुपए कम था। सरकारी खरीद में मूंगफली का भाव सात हजार से ऊपर है लेकिन किसान इसके बाद भी मंडी में दे रहा है ताकि मूंगफली की बिक्री समय पर हो और सरकारी प्रक्रिया में न जाना पड़े। 60 फीसदी उत्पादक अकेला बीकानेर राजस्थान में मूंगफली उत्पादन का सबसे बड़ा केंद्र बना हुआ है। राज्य के कुल मूंगफली उत्पादन में जिले का करीब 60% योगदान है। विशेष रूप से श्रीडूंगरगढ़ क्षेत्र अपनी उच्च गुणवत्ता, ज्यादा तेल मात्रा और स्टोरेज क्षमता वाली मूंगफली के लिए देशभर में मशहूर है। यहां की मूंगफली की मांग न सिर्फ भारत में, बल्कि थाईलैंड, चीन, मंगोलिया और यूरोपीय देशों तक रहती है। बताया जाता है कि बीकानेर में महज तीन से चार प्रोसेसिंग यूनिट है। जबकि गुजरात में बड़ी संख्या में ये यूनिट्स है। इन बड़े दाने वाले मूंगफली की मसालेदार बनाकर इथोपिया, श्रीलंका और बांग्लादेश आदि भेजा जाता है।
तेजस्वी यादव की नई पॉलिटिक्स, नई लाइफ स्टाइल और नई रणनीति...। सब कुछ एक साथ सुर्खियों में है। चुनावी मैदान में 17 दिनों (24 अक्टूबर से 9 नवंबर) में 183 रैलियां करने वाले तेजस्वी नतीजों में सिर्फ 25 सीटों पर सिमट गए। इतनी बड़ी हार के बाद ना कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस की और ना ही बड़ी समीक्षा बैठक। कुछ दिन बाद एक दिन पार्टी की रिव्यू मीटिंग की। उसमें विधायक दल का नेता चुन लिया। इसके बाद फिर चुप्पी साध ली। घर से तब निकले (1 दिसंबर को) जब विधानसभा में शपथ लेनी थी। शपथ ली। अगले दिन स्पीकर के चुनाव पर धन्यवाद भाषण दिया और यूरोप की फ्लाइट ले ली। 30 दिनों की यूरोप ट्रिप-आखिर यह ब्रेक है, रिसेट है या नई राजनीति का हिस्सा? मंडे मेगा स्टोरी में पढ़िए, तेजस्वी यादव की यूरोप यात्रा के पीछे की असली वजह, उनकी वापसी की टाइमिंग और इसका बिहार की राजनीति पर संभावित असर...। 2 पॉइंट में तेजस्वी यादव विदेश क्यों गए… 1- चुनावी हार और परिवार में कलह 14 नवंबर को रिजल्ट आया, पार्टी की शर्मनाक हार हुई। 15 नवंबर को रोहिणी आचार्या ने घर छोड़ दिया। रोती-बिलखती नजर आईं। गंभीर आरोप लगाए। पार्टी सूत्रों के अनुसार चुनावी हार और परिवार में चल रही कलह से तेजस्वी यादव रिलैक्स होना चाहते थे। धुआंधार चुनाव प्रचार के बाद आराम और परिवार को समय देने की जरूरत महसूस हो रही थी। इसके चलते तेजस्वी विदेश गए। वह फैमिली के साथ क्वालिटी टाइम बिता रहे हैं। अभी तुरंत कोई चुनाव नहीं है। वह तरोताजा होकर आएंगे और पार्टी को नई रणनीति के साथ आगे ले जाएंगे। 2. किसी बड़े नेता के इशारे पर, विदेश गए तेजस्वी बिहार के राजनीतिक गलियारों में तेजस्वी यादव के विदेश जाने के पीछे एक बड़े नेता की भूमिका की भी चर्चा है। वह नेता राजद के नहीं हैं। तेजस्वी ने हाल के समय में कुछ ऐसे काम किए, जिससे ऐसी अटकलों को बल मिला है। चुनाव से पहले तेजस्वी यादव ने 2 एजेंसियों से सर्वे कराए। इसके डाटा के एनालिसिस के अनुसार टिकट बांटना था, लेकिन तेजस्वी नेताओं के साथ मीटिंग में बैठे तो उनके हाथ में भाजपा की एजेंसी द्वारा किए गए सर्वे की रिपोर्ट थी। पार्टी सूत्रों के अनुसार रिपोर्ट में विधानसभा वाइज जानकारी थी। पार्टी के बड़े नेताओं के बीच यह चर्चा रही कि भाजपा के चाहे बगैर यह रिपोर्ट कैसे तेजस्वी यादव तक पहुंच सकती है। शेंगेन वीजा लेकर यूरोप गए तेजस्वी, जानें क्या है यह तेजस्वी यादव शेंगेन वीजा लेकर यूरोप गए हैं। यह वीजा यूरोप के 29 देशों में बिना किसी अलग-अलग इमिग्रेशन चेक के फ्री मूवमेंट की सुविधा देता है। यह शॉर्ट-स्टे वीजा है। 4 जनवरी को यूरोप से लौटेंगे तेजस्वी शेंगेन जोन में फ्रांस, इटली, जर्मनी, स्पेन, नीदरलैंड, स्विट्जरलैंड, बेल्जियम और ऑस्ट्रिया जैसे 29 देश आते हैं। इसमें स्विट्जरलैंड को दुनिया का सबसे सुंदर देश माना जाता है। शेंगेन वीजा के 4 तरह के काम के लिए मिलता है। ये हैं- घूमने के लिए टूरिस्ट वीजा, बिजनेस मीटिंग, परिवार या दोस्तों से मिलना और यूरोप होकर आगे दूसरे देश में जाना। तेजस्वी घूमने के लिए यूरोप गए हैं। 4 जनवरी के बाद भारत लौटने वाले हैं। पत्नी संग यूरोप में न्यू ईयर सेलिब्रेशन करेंगे तेजस्वी यादव तेजस्वी यादव की पत्नी रेचल गोडिन्हो (अब राजश्री यादव) ईसाई हैं। 25 दिसंबर को क्रिसमस है। क्रिसमस और न्यू ईयर का सेलिब्रेशन यूरोप में सबसे शानदार होता है। यही वजह है कि तेजस्वी इस मौके पर यूरोप की यात्रा कर रहे हैं। वह पत्नी के साथ न्यू ईयर सेलिब्रेशन करेंगे। यूरोप में कहां घूम सकते हैं तेजस्वी यादव? भारत से यूरोप घूमने जाने वालों का मुख्य आकर्षण स्विट्जरलैंड होता है। आल्प्स पहाड़ पर बसे इस देश में सुंदर पहाड़ और घाटियां हैं। यह फिल्मी दुनिया के लोगों की पसंदीदा जगह है। इसके अलावा तेजस्वी परिवार के साथ पेरिस, रोम, वेनिस, फ्लोरेंस और एथेंस जैसे शहरों की भी सैर कर सकते हैं। यूरोप यात्रा से तेजस्वी यादव पर क्या पड़ेगा असर? 3 पॉइंट में समझें 1- इमेज बिगड़ा तेजस्वी यादव जिस तरह यूरोप गए हैं, उससे उनके काम करने के तरीके को लेकर सवाल उठे हैं। छवि बिगड़ी है। विधानसभा का शीतकालीन सत्र 5 दिसंबर तक चला। तेजस्वी इसके बाद भी जा सकते थे, लेकिन वह 3 दिसंबर को विदेश निकल गए। कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी चुनाव हारने के बाद विदेश यात्रा कर चुके हैं। विरोधी तेजस्वी को राहुल के साथ जोड़ते हुए नॉन सीरियस नेता बता रहे हैं। राहुल बिहार चुनाव से पहले दक्षिण अमेरिका के 4 देशों की यात्रा पर चले गए थे। 2023 में मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ चुनावों में कांग्रेस की हार के बाद विदेश गए थे। 2019 में CAA के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के वक्त कांग्रेस नेता दक्षिण कोरिया चले गए थे। ऐसे कई और उदाहरण हैं। तेजस्वी के यूरोप जाने पर वरिष्ठ पत्रकार ओम प्रकाश अश्क ने कहा, ‘महागठबंधन ने तेजस्वी के नेतृत्व में चुनाव लड़ा और हार हुई। ऐसे में विदेश जाकर तेजस्वी ने गैर जिम्मेदाराना हरकत की है।’ उन्होंने कहा, ‘तेजस्वी को महागठबंधन का मनोबल बढ़ाना था, लेकिन वह विदेश चले गए। राजद को दूसरी बार ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ा है। 2010 में राजद को सिर्फ 22 सीटें मिलीं। लालू ने जेल से ही पार्टी को एकजुट रखा।’ 2. लीडरशिप पर सवाल, बिखर सकता है गठबंधन चुनाव में मिली हार और इसके बाद तेजस्वी यादव जिस तरह जनता के बीच जाने से बच रहे हैं, इससे उनके नेतृत्व को लेकर सवाल उठ रहे हैं। रिजल्ट आने के बाद से तेजस्वी यादव ने अब तक कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं किया है। सार्वजनिक जगहों पर कम दिखे हैं। विधानसभा चुनाव में राजद ने कांग्रेस पर दबाव डालकर तेजस्वी यादव को महागठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करा लिया था। महागठबंधन ने तेजस्वी यादव के नेतृत्व में चुनाव लड़ा, लेकिन सीट शेयरिंग से लेकर रैली तक, तालमेल बिगड़ा रहा। नतीजा, बड़ी हार हुई। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम कह चुके हैं कि राजद से हमारा गठबंधन चुनाव तक के लिए ही था। कांग्रेस एकला चलो की राह पर है। लेफ्ट की पार्टियां (माले, CPI, CPIM) चुनाव के रिजल्ट के बाद नए सिरे से अपने गठबंधन पर विचार कर सकती हैं। ये पार्टियां अभी बीजेपी को रोकने के लिए तेजस्वी के साथ हैं। अगर आगे उनको लगेगा कि कोई दूसरी पार्टी यह काम कर सकती है तो वे उसके साथ जा सकते हैं। 3 . आगे की लड़ाई कठिन राजद प्रमुख लालू यादव के सबसे छोटे बेटे तेजस्वी यादव के नेतृत्व में पार्टी 3 बड़े चुनाव (2020 विधानसभा चुनाव, 2024 लोकसभा चुनाव, 2025 विधानसभा चुनाव) लड़ी। तीनों हार गई। 2020 के चुनाव में राजद 75 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी, लेकिन 2025 में सिर्फ 25 सीटें जीत सकी। लोकसभा चुनाव में पार्टी को मात्र 4 सीट मिले। तेजस्वी यादव जिस तरह रिजल्ट आने के बाद गायब रहे, अब विदेश चले गए। इससे उनके लिए आगे की लड़ाई और कठिन होगी। वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण बागी ने कहा, ‘विधानसभा सत्र में तेजस्वी की अनुपस्थिति ने कई सवाल खड़े किए हैं। साफ दिख रहा है कि उन्होंने हार से सबक नहीं ली। आत्मविश्वास खो चुके हैं। जब-जब बिहार को जरूरत पड़ी तेजस्वी गायब थे।’ क्यों हो रही तेजस्वी की आलोचना? बिहार के राजनीतिक मामलों के जानकार कह रहे हैं कि तेजस्वी को कम से कम विधानसभा सत्र में पूरी तरह से उपस्थित रहना चाहिए था। इसके बाद विदेश जा सकते थे। हालांकि किसी के निजी यात्रा पर सवाल नहीं उठाया जा सकता, लेकिन विधानसभा सत्र में जनता के करोड़ों रुपए खर्च होते हैं और तेजस्वी विपक्ष के नेता हैं, इसलिए सवाल उठ रहे हैं। तेजस्वी पहले भी सत्र में गैरमौजूद रह चुके हैं। राजद के सीनियर नेता शिवानंद तिवारी ने तो कहा था कि तेजस्वी ने मैदान छोड़ दिया है। अगले पांच साल तक विरोधी दल के नेता की भूमिका निभाने की क्षमता उनमें नहीं है। तेजस्वी की यूरोप यात्रा पर क्या कहते हैं उनके विरोधी रमीज से तमीज सीख रहे क्या तेजस्वी: नीरज कुमार तेजस्वी की विदेश यात्रा पर जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा, ‘तेजस्वी यादव चुनाव में जननायक बन रहे थे, लेकिन राजनीति के खलनायक हैं। नेता प्रतिपक्ष का दर्जा ले लिया और सुविधा जुटा कर यूरोप चले गए। क्या वे हार से घबरा गए हैं? उन्होंने कहा, ‘सुन रहे हैं कि उनके साथ हिस्ट्रीशीटर रमीज भी गए हैं। तेजस्वी यादव को बताना चाहिए कि उनके साथ कौन-कौन गए हैं? यूरोप में तेजस्वी कहां हैं? लोकेशन तो मिलना चाहिए। रमीज से राजनीति की तमीज सीख रहे हैं क्या?’ अगली बार तेजस्वी की जीत मुश्किल हो जाएगी: कुंतल कृष्ण बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता कुंंतल कृष्ण ने कहा, ‘इस देश और प्रदेश का दुर्भाग्य है कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव जैसे लोग राजनीति में हैं। इतने गैर गंभीर लोग हैं कि पूछिए मत। कुर्सी पाने के लिए बेचैनी और जब जिम्मेदारी सामने आई तो छोड़ कर भाग लिए।’ उन्होंने कहा, ‘अभी तक तो राहुल गांधी ब्राजील और कोलंबिया की यात्रा पर जाया करते थे। बाकी काम छोड़ कर अब तो तेजस्वी भी विदेश जाने लगे। सत्र खत्म नहीं हुआ कि निगल गए।’ तेजस्वी यादव अपने काम में लगे हैं: एजाज अहमद आरजेडी के प्रदेश प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा, ‘नीरज कुमार को तेजस्वी से आगे निकलना चाहिए। तेजस्वी यादव अपने काम में लगे हैं। बिहार की जनता बुलडोजर से परेशान है। महिलाओं को 10 हजार देकर बुलडोजर से आंसू दे रही है नीतीश सरकार।’
पहले CM नीतीश कुमार के 2 बयान पढ़िए… 50 लाख लोगों को नौकरी रोजगार दे दिया हूं, अब अगले 5 साल में एक करोड़ लोगों को नौकरी और रोजगार दूंगा।- 4 दिसंबर, विधानसभा सरकार ने अगले 5 सालों में 1 करोड़ युवाओं को नौकरी-रोजगार देने का टारगेट रखा है। नई सरकार बनने के बाद, हमने राज्य में इंडस्ट्री को बढ़ावा देने और ज्यादा से ज्यादा रोजगार के मौके देने के लिए तेजी से काम करना शुरू कर दिया है।- 25 नवंबर, सोशल मीडिया अब 5 दिसंबर को नीतीश कुमार ने सोशल मीडिया के माध्यम से ऐलान किया कि सरकार 3 नए विभाग की स्थापना करने जा रही है। लक्ष्य 1 करोड़ युवाओं को नौकरी और रोजगार देना है। सरकार बनने के बाद नीतीश कुमार सबसे ज्यादा अपने जिस वादे को दोहरा रहे हैं वो है, एक करोड़ युवाओं को नौकरी और रोजगार देना। अब सरकार ने अपने इस वादे को पूरा करने के रोडमैप को सामने रखना शुरू कर दिया है। जिन नए विभागों, निदेशालय और निगम की शुरुआत सरकार की तरफ से की जा रही है उसका सीधा कनेक्शन नौकरी और रोजगार से जुड़ा है। स्पेशल स्टोरी में पढ़िए बिहार को इन विभागों की जरूरत क्यों थी? इनके शुरू होने का क्या असर होगा? इनका क्या काम होगा? चुनाव के बाद राजद नेता तेजस्वी यादव जहां यूरोप की यात्रा पर निकल गए हैं। वहीं, सीएम नीतीश कुमार 2030 में भी NDA सरकार के मिशन पर जुट गए हैं। इन तीन नए विभाग की स्थापना होगी एक-एक निदेशालय और निगम बनेंगे युवा, रोजगार एवं कौशल विभाग से युवाओं को स्किल्ड बनाने पर ध्यान अभी तक ये विभाग सीधा श्रम संसाधन विभाग से जुड़ा हुआ था। अब इसे पूरी तरीके से इंडिपेंडेंट किया जा रहा है। इस विभाग का सीधा संबंध रोजगार से जुड़ा है। इससे पहले 2014 में जब केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बनी थी तो उन्होंने सबसे पहले कौशल विकास के एक अलग विभाग की शुरुआत की थी। उस समय बिहार में कौशल विश्वविद्यालय की स्थापना होनी थी, लेकिन अभी तक नहीं हो पाई। विभाग बनने के बाद इस काम में तेजी आ सकती है। बिहार में कौशल विकास को लेकर नई-नई योजनाएं शुरू हो सकती हैं। पूर्व मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा कहते हैं, अभी तक इस पर किसी का अटेंशन नहीं था। विभाग के अलग हो जाने से इस पर फोकस्ड वर्किंग होगी। बिहार को अब तक मजदूरों का प्रदेश कहा जाता रहा है। बिहार से लगभग 50 लाख लोग काम की तलाश में दूसरे राज्यों में पलायन करते हैं। ऐसे में अगर उनके स्किल्ड को बेहतर किया जाएगा तो न केवल वे अपने राज्य में ही बेहतर काम कर सकते हैं, बल्कि उनके मेहनत का उचित मेहनताना भी मिल सकता है। उच्च शिक्षा विभाग- रिसर्च के साथ प्रोफेशनल कोर्सेज बढ़ेंगे अभी तक बिहार में एजुकेशन का सारा काम केवल शिक्षा विभाग के माध्यम से ही किया जा रहा है। प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक सभी का काम शिक्षा विभाग के माध्यम से हो रहा था। जबकि अन्य राज्यों में यहां तक कि बिहार से अलग हुए झारखंड में भी उच्च शिक्षा का अलग विभाग है। एक्सपर्ट बोले- गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलेगी, पलायन रुकेगा मगध यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर एसपी शाही कहते हैं, ’उच्च शिक्षा विभाग बनने का सीधा लाभ यूनिवर्सिटीज को मिलेगा। रिसर्च को बढ़ावा मिलेगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में रिसर्च यूनिवर्सिटी का जरूरी हिस्सा है। बिहार इसमें लगातार पिछड़ रहा है। यह निर्णय प्रोफेशनल एजुकेशन में मील का पत्थर साबित होगा।’ एसपी शाही ने कहा, ‘अभी एक ही विभाग से सभी की मॉनिटरिंग होने के कारण विभाग पर काम का दबाव अधिक है। कई फैसले नहीं हो पाते हैं या इसमें काफी देर हो जाती है। उच्च शिक्षा में निजी निवेश होगा तो गुणवत्तापूर्ण शिक्षा बिहार में ही मिलेगी, युवा बाहर नहीं जाएंगे।’ एयरपोर्ट बनाने की रफ्तार तेज होगी, कनेक्टिविटी बेहतर होगी सरकार इस बात को अच्छे से समझ रही है कि उद्योग के लिए जरूरी है बेहतर कनेक्टिविटी। राज्य में रोड कनेक्टिविटी की स्थिति पहले ही बेहतर हो चुकी है। राज्य के किसी भी हिस्से से 6 घंटे में पटना पहुंचने के लक्ष्य को सरकार ने हासिल किया है। अब रोड कनेक्टिविटी के साथ-साथ सरकार एयर कनेक्टिविटी को भी बेहतर बनाने पर तेजी से काम कर रही है। फिलहाल राज्य में 4 एयरपोर्ट (पटना, गया, दरभंगा और पूर्णिया) काम कर रहे हैं। इसके अलावा भागलपुर के सुल्तानगंज, मुजफ्फरपुर, सहरसा, बीरपुर और वाल्मीकिनगर जैसे छोटे शहरों में एयरपोर्ट बनाने का काम शुरू हुआ है। सुल्तानगंज एयरपोर्ट को कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है। इसके लिए डेडिकेटेड विभाग होने से इस काम में तेजी आ सकती है। एक्सपर्ट बोले- एयरपोर्ट निर्माण कार्य में तेजी आएगी बिहार में एयरपोर्ट विकसित बनाने की दिशा में कई अहम काम करने वाले पूर्व डेवलपमेंट कमिश्नर एस सिद्धार्थ ने बताया, ‘पहले सिविल एविएशन परिवहन विभाग का हिस्सा हुआ करता था। इसे वहां से अलग किया गया। अब ये पूरी तरह इंडिपेंडेंट होगा। इसके अलग होने से एयरपोर्ट निर्माण के काम में तेजी आएगी।’ घोषणा के राजनीतिक मायने समझिए सरकार का मैसेज, हम अपने वादे पूरा करेंगे पॉलिटिकल एनालिस्ट अरुण कुमार पांडेय बताते हैं, ’सरकार के इस फैसला का सीधा मैसेज है कि सरकार अपने रोजगार के वादों को पूरा करने के लिए तत्पर है। चुनाव के दौरान नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने हर घर में सरकारी नौकरी देने का ऐलान किया था, लेकिन जब इसका ब्लू प्रिंट मांगा गया था तब वे नहीं दे सके।’ अरुण पांडेय ने कहा, ‘नीतीश कुमार युवाओं और महिलाओं के सहारे प्रचंड बहुमत हासिल कर सत्ता में आए हैं। उनका पूरा फोकस इनसे जुड़ी घोषणाओं को पूरा करने कि दिशा में तत्पर दिखने का है। यही कारण है कि सरकार अपनी हर एक्शन में इस बात को बता रही है कि नौकरी और रोजगार ही उनके एजेंडे में है।’ विभाग की संख्या बढ़ेगी, मंत्री की नहीं नए विभागों का गठन, पुराने विभागों को बंद करना या विभागों का विलय सामान्य प्रक्रिया है। अगर सरकार को लगता है कि किसी खास क्षेत्र पर ध्यान देने की ज्यादा जरूरत है तो विभागों का गठन या मंत्रालयों का विलय किया जा सकता है। सरकार जरूरत के हिसाब से इनकी संरचना में बदलाव कर सकती है, लेकिन मंत्रियों की संख्या तय है। नियमों के मुताबिक, मंत्रिमंडल में विधानसभा सदस्यों के 15 प्रतिशत से अधिक सदस्य नहीं हो सकते। फिलहाल बिहार विधानसभा में 243 सदस्य हैं। इस हिसाब से मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री समेत अधिकतम 36 सदस्य ही हो सकते हैं।
हरियाणा में करनाल जिले का युवक रूस में फंस गया है। 6 माह पहले वह स्टडी वीजा पर गया। उसे 52 लाख रुपए कमाने का लालच देकर रूस-यूक्रेन युद्ध में धकेल दिया गया। डेढ़ माह पहले युवक की परिवार से अंतिम बार बात हुई थी। उसने बताया था कि उन्हें युद्ध के रेड जोन में भेज दिया गया है। उनके आसपास लगातार फायरिंग होती रहती है। इसी दौरान युवक ने रशियन सेना द्वारा दिए गए हथियार की वीडियो भी बनाकर परिवार को भेजी थी। इसके बाद परिजन लगातार अपने बेटे से संपर्क करने की कोशिश कर रहे है, लेकिन सिर्फ निराशा ही हाथ लग रही है। किसी अनहोनी की आशंका के चलते परिजन चिंतित हैं। उन्होंने बेटे की वापसी के लिए सरकार और विदेश मंत्रालय से गुहार लगाई है। यहां तक कि रूस के राष्ट्रपति को भी मेल आदि भेजकर बेटे की सकुशल वापसी की मांग की है। परिवार को आरोप है कि वह कई मंत्रियों और सरकार के अधिकारियों के दफ्तरों के चक्कर काट चुका है, लेकिन आश्वासनों के अलावा कुछ भी नहीं मिल पा रहा है। उसकी चिंता लगातार बढ़ती जा रही है। यहां सिलसिलेवार ढंग से जानिए, कैसे रूस में फंसा युवक... आखिरी बार फोन कर बोला- रेड जोन’ में भेज रहे हैअर्जुन ने बताया कि 13 अक्टूबर को अनुज का आखिरी बार कॉल आया था। उसने कहा था कि उसे और अन्य भारतीय युवाओं को लड़ाई वाली सबसे खतरनाक जगह भेजा जा रहा है। इसके बाद फोन बंद हो गया और संपर्क टूट गया। अनुज के दूसरे भाई विशाल ने कहा ने कहा कि हम प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन दोनों से हाथ जोड़कर गुहार लगाते हैं कि हमारे भाई को सुरक्षित वापस लाया जाए। भारत और रूस के बीच मजबूत रिश्ते हैं, इसलिए हमें उम्मीद है कि रूस हमारी मदद करेगा। हर जगह गुहार लगा चुके, पर जवाब नहींपरिवार ने भारतीय दूतावास, भारत सरकार और पीएमओ को मेल कर संपर्क किया है। आरोप है कि अभी तक कोई अधिकृत जानकारी नहीं दी गई है कि अनुज कहां है और उसकी हालत कैसी है। परिवार का कहना है कि घर का माहौल दिन-रात चिंताओं से भरा रहता है। मां हर रोज बेटे के फोन का इंतजार करती है। परिजन बस एक ही दुआ कर रहे हैं कि अनुज सुरक्षित मिले और जल्द से जल्द घर लौट आए। एक माह पहले हिसार के युवक की युद्ध में हुई थी मौतरूस-युक्रेन युद्ध में हिसार के युवक सोनू की मौत हो चुकी है। एक माह पहले इसकी खबर परिवार को मिली थी। गांव मदनहेड़ी के 28 वर्षीय सोनू को भी जबरन रशियन आर्मी में भर्ती कर युद्ध में भेजा गया था। सोनू की मौत के बाद रूस आर्मी के कमांडर का फोन परिवार के पास आया था, जिसमें बताया कि यूक्रेन के ड्रोन अटैक में सोनू मारा गया है। इससे पहले कैथल के 22 वर्षीय कर्मचंद की मौत हो गई थी। उसे भी धोखे से रशियन आर्मी में भर्ती किया गया था। हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, उत्तराखंड समेत 6 राज्यों के युवा फंसेभारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से 61 नामों की एक लिस्ट जारी की गई। इसमें 6 राज्यों के युवाओं के नाम हैं, जिनकी रशियन आर्मी में भर्ती होने की पुष्टि हुई है। इनमें हरियाणा के युवकों के नाम हैं। बाकी नाम राजस्थान, पंजाब, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर व तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद के नाम शामिल हैं। हरियाणा के कैथल और हिसार के युवक की मौत की पुष्टि हो चुकी है। ----------------- ये खबर भी पढ़ें..... रूसी आर्मी का डरावना सच, भर्ती के लिए नेटवर्क सक्रिय:हरियाणवी युवक बोला- 10 दिन की ट्रेनिंग, फिर मरने को यूक्रेन युद्ध में छोड़ रहे रूस-यूक्रेन के बीच फरवरी 2022 से जंग जारी है। रूसी सेना पर वहां आए कई भारतीयों को लालच देकर सेना में भर्ती करने और जंग में धकेलने के आरोप लग रहे हैं। वहां फंसे युवाओं ने बताया कि रशियन आर्मी को मैन पावर उपलब्ध कराने वाला बड़ा नेटवर्क काम कर रहा है। (पूरी खबर पढ़ें)
फ्रांस के मशहूर अभिनेता एलेन डेलन का निधन, 88 वर्ष की उम्र में ली अंतिम सांस
Alain Delon passes away: 'द लेपर्ड' और 'रोक्को एंड हिज ब्रदर्स' जैसी सुपर हिट फिल्मों में अभिनय का जौहर दिखाने वाले फ्रांस के मशहूर अभिनेता एलेन डेलन का निधन हो गया है। एलेन डेलन ने 88 वर्ष की उम्र में आखिरी सांस ली। अभिनेता के पारिवारिक सूत्रों ने ...
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