घाना में दिखी भारत की संस्कृति की झलक, भारतीय पोशाक में नजर आए अफ्रीकी सांसद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का घाना में भव्य स्वागत हुआ। वहीं, अफ्रीकी सांसदों ने भारतीय पोशाक पहनकर सांस्कृतिक एकता और सम्मान व्यक्त किया। पीएम मोदी के ऐतिहासिक भाषण के दौरान घाना की संसद के दो सदस्य भारतीय पोशाक में नजर आए
झारखंड के जमशेदपुर की तीस्ता रोड। तारीख 11 अप्रैल 2021 और वक्त रात के 9 बजे। TATA कॉलोनी के मकान नंबर 99 में पार्टी चल रही थी। प्लेट में मटन परोसा हुआ था। खाना खाते हुए आनंद साहू नाम का एक शख्स बोला- ‘जीजाजी पार्टी के लिए अच्छा दिन चुना है। कल से चैत्र नवरात्रि शुरू हो रही है, फिर नॉनवेज नहीं खा पाएंगे।’ हंसते हुए दीपक बोला- ‘और मटन लो… अच्छे से खाओ।’ दीपक की पत्नी वीना और दोनों बेटियां भी पास बैठकर खाना खा रही थीं। पार्टी के बाद आनंद अपने घर के लिए निकल गया। वीना ने दोनों बेटी, श्रावणी और शाणवी से कहा- ‘तुम दोनों अपने कमरे में जाकर सो जाओ, सुबह स्कूल भी जाना है।’ श्रावणी और शाणवी अपने कमरे में चली गईं। वीना और दीपक भी उठकर अपने कमरे में चले गए। वीना थकी थी, बेड पर जाते ही उसकी आंख लग गई, लेकिन दीपक वेब सीरीज देखने लगा। सुबह के 3 बजे दीपक बेड से उठा और दबे पांव कमरे से बाहर आ गया। सोफे के पास गया और कोने में रखे झोले से हथौड़ा निकाला। मन ही मन बुदबुदाया- ‘इससे काम हो जाएगा।’ हाथ में हथौड़ा लिए दीपक वापस कमरे में गया। वीना गहरी नींद में थी। दीपक उसके सिर के पास जाकर खड़ा हो गया। हथौड़े को तीन बार प्रणाम किया। कुछ सोचा फिर पूरी ताकत से पत्नी के सिर पर हथौड़ा दे मारा। उसका सिर फट गया। वह चीख पड़ी। दीपक झट से बेड पर गया और वीना के पेट के ऊपर बैठ गया। तकिया उठाया और उसका मुंह दबा दिया। वीना का दम घुटने लगा, हाथ-पैर पीटते हुए वह दीपक को धक्का देने लगी। तभी दीपक ने हथौड़ा उठाया और उसके सिर पर तीन-चार बार दे मारा। वीना शांत पड़ गई। खून के छींटे दीवारों पर पड़े। दीपक के मुंह और शर्ट पर भी खून के धब्बे लग गए। पूरा बेड खून से सन गया। दीपक खून से रंगा हथौड़ा लिए कमरे से निकला और हॉल में आकर सोफे पर बैठ गया। कुछ देर सुस्ताने के बाद बच्चों के कमरे की तरफ बढ़ा। उसके हाथ में अभी भी हथौड़ा था। दोनों बेटियां गहरी नींद में थीं। पास गया, दोनों को ध्यान से देखा फिर लौट आया। हॉल में इधर-उधर टहलने लगा। फिर एक लंबी सांस ली और तेजी से बच्चों के कमरे में घुसा। श्रावणी के पास गया। उसका माथा चूमा। उसकी आंखों से आंसू बहने लगे। कुछ सोचते हुए आंसू पोंछा, हथौड़ा उठाया और बेटी के सिर पर दे मारा। श्रावणी चीख पड़ी- 'मम्मी…।’ तभी दीपक ने उसके मुंह पर तकिया रखकर दबा दिया। वह कुछ देर तड़पती रही, फिर उसकी सांसें रुक गईं। ‘पता नहीं मरी की नहीं मरी’। ये बुदबुदाते हुए दीपक ने तीन-चार बार हथौड़ा उसके सिर पर फिर से दे मारा। चारों तरफ खून फैल गया। दीपक गहरी सांस लेते हुए बेड पर लेट गया। कुछ देर बाद उठा। शाणवी के सिर पर हाथ फेरते हुए बोला- ‘तुम अकेली जिंदा रहकर क्या करोगी।’ उसने शावणी का माथा चूमा और गले से लगा लिया। फिर अचानक हथौड़ा उठाया और पूरी ताकत से उसके सिर पर दनादन हथौड़ा मारने लगा। कमरे की दीवारों पर खून के धब्बे जम गए। पूरे बेड पर खून ही खून था। लंबी सांस लेते हुए दीपक कमरे से बाहर निकला और सोफे पर आकर बैठ गया। उसकी नजर घड़ी पर पड़ी। सुबह के 5 बज चुके थे। वो वॉशरूम में गया। खून से सने कपड़े उतारकर वॉशिंग मशीन में डाला और शीशे के सामने खड़ा हो गया। उसका चेहरा खून से लाल था। फिर वो नहाने चला गया। नहाकर नए कपड़े पहना, चंदन-टीका लगाया और पूजा करने बैठ गया। करीब 7 बजे वो पूजा करके उठा। ‘अभी तो बहुत वक्त है। इतने में तो आनंद के घर से लौट आऊंगा।’ ये सोचते हुए दीपक ने घर का दरवाजा लॉक किया और बरामदे में खड़ी बुलेट लेकर निकल गया। 2 घंटे बाद वापस लौटा। बरामदे में खड़े होकर एक नंबर डायल किया। यह नंबर उसके दोस्त रोशन साहू का था। रोशन, दीपक को मामा कहा करता था। दीपक हंसते हुए बोला- ‘रोशन भांजा, बहुत दिन हो गए तुमसे मिले हुए। आज घर आओ साथ में लंच करते हैं।’ उधर से आवाज आई- ‘ठीक है मामा, आता हूं दोपहर में’, फोन कट गया। दीपक दरवाजा खोलकर घर में घुसा और सोफे पर जाकर बैठ गया। इसी बीच किसी ने दरवाजा खटखटाया। एक लड़की ने आवाज दी, ‘श्रावणी बेटा, शाणवी बेटा, दरवाजा खोलो।’ ये सुनते ही दीपक कमरे की तरफ भागा। तभी लड़की ने दरवाजे को धक्का दे दिया। दरवाजा खुल गया। ये लड़की दीपक की बेटियों की ट्यूशन टीचर रिया घोष थी। जिसकी उम्र करीब 21 साल रही होगी। रिया जैसे ही हॉल में आकर खड़ी हुई, देखा दीपक पत्नी की लाश को चादर में लपेट रहा था। चारों तरफ खून देखकर रिया सकपका गई। दीपक हड़बड़ाते हुए मेन गेट की तरफ भागा और अंदर से दरवाजा बंद कर दिया। फिर भागता हुआ किचन में गया और चाकू लेकर आया। रिया की ओर चाकू दिखाते हुए बोला- ‘जरा भी हल्ला नहीं। थोड़ी भी आवाज की, तो यहीं पर काटकर रख दूंगा। चल कमरे में।’ रिया कमरे में चली गई। दीपक बोला- ‘चुपचाप पलंग पर बैठ जा।’ कांपती हुई रिया पलंग पर बैठ गई। दीपक ने बगल में रखा भूरे रंग का टेप उठाया। रिया चिल्लाने लगी। दीपक ने रिया की गर्दन पर चाकू लगा दिया। रिया चुप हो गई। फिर उसके दोनों हाथ पीछे की तरफ करके टेप लपेटना शुरू कर दिया। हाथ बांधने के बाद दीपक ने तकिया उठाया और रिया के मुंह पर रखकर दबा दिया। वो छटपटाने लगी। दीपक ने तकिया हटाया और उसके मुंह पर टेप लपेट दिया। रिया जोर-जोर से पैर पटकने लगी। अब दीपक, रिया का गला दबाने लगा। कुछ देर बाद रिया की छटपटाहट रुक गई। शरीर ठंडा पड़ गया। दीपक ने लाश खींचकर जमीन पर पटक दी। फिर उसके दोनों पैर पकड़कर घसीटते हुए कमरे से बाहर ले जाने लगा। लाश के निचले हिस्से के कपड़े हट गए। दीपक ने लाश वहीं छोड़ दी। दौड़कर पत्नी के कमरे में गया। अलमारी से पावर टैबलेट निकालकर खाई और फिर रिया की लाश के पास चला गया। लाश को खींचकर बेडरूम में ले गया और उठाकर पलंग पर पटक दिया। उसने लाश के साथ कई बार रेप किया। फिर सोचने लगा-‘अब इसका क्या करूं। रोशन आएगा, तो देख लेगा..…।’ उसने लाश जमीन पर पटक दी। पलंग का बॉक्स खोला और लाश के हाथ-पैर मोड़कर ठूंस दिया। ‘मारना तो 2 को था, पर मैंने सारे मार दिए। अब उसको भी निपटा देना है।’ ये कहते हुए दीपक वॉशरूम की तरफ चला गया। तब तक दोपहर के 12 बज चुके थे। दीपक ने पत्नी और दोनों बेटियों का कत्ल क्यों किया? कत्ल से पहले दीपक ने घर पर पार्टी क्यों रखी? रिया की लाश के साथ रेप क्यों किया? तीन मर्डर करने के बाद दीपक बुलेट मोटर साइकिल लेकर कहां गया था? सभी को मारने के बाद रोशन को लंच पर क्यों बुलाया? पूरी कहानी जमशेदपुर मर्डर केस के पार्ट-2 में… 12 अप्रैल 2021, रोशन कुमार साहू अपनी पत्नी मोनी से बोला, ‘दीपक मामा ने लंच पर बुलाया है, अपने भाई अंकित को भी साथ ले चलो, वो खुश हो जाएंगे।’ सुनते ही मोनी ने हामी भर दी। मोनी का भाई अंकित दो दिन पहले ही जमशेदपुर घूमने आया था। सभी कार में बैठकर दीपक के घर के लिए निकल गए। इधर, दीपक सोफे पर बैठा रोशन का इंतजार कर रहा था। पूरी कहानी पढ़िए जमशेदपुर मर्डर केस पार्ट-2 में (नोट- यह पूरी कहानी पुलिस चार्जशीट, कोर्ट जजमेंट, एडवोकेट राजीव रंजन, डीएसपी मुकुंद ठाकुर और मृतक वीना के भाई आनंद साहू से बातचीत पर आधारित है। रेप पीड़िता का नाम बदला हुआ है। सीनियर रिपोर्टर नीरज झा ने क्रिएटिव लिबर्टी का इस्तेमाल करते हुए इसे कहानी के रूप में लिखा है।)
रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत में हर 2 सेकेंड में किसी को खून की जरूरत होती है. हर दिन खून न मिल पाने की वजह से करीब 12,000 लोग अपनी जान गंवा देते हैं. ऐसे में बैगनी रंग का आर्टिफिशियल ब्लड किसी जीवन दान से कम नहीं होगा, लेकिन ये है क्या ? इसके फायदे क्या है? पुराने खून से कैसे बनेगा आर्टिफिशियल ब्लड? पूरी जानकारी के लिए ऊपर दी गई इमेज पर क्लिक कर देखें वीडियो
अहमदाबाद से 12 जून को लंदन जा रही एअर इंडिया की फ्लाइट AI-171 उड़ने के तुरंत बाद एक हॉस्टल के ऊपर क्रैश हो गई। कुल 260 लोग मारे गए। इनमें 230 पैसेंजर और 12 क्रू मेंबर्स शामिल हैं। टेकऑफ के दो मिनट बाद ही जिस तरह प्लेन गिरा, उसकी वजह समझने के लिए दैनिक भास्कर ने बड़े विमान हादसों की पड़ताल की। इनकी जांच रिपोर्ट पढ़ी। एक्सपर्ट से मिले और 4 हादसों की वजहों का अहमदाबाद क्रैश से मिलान किया। इस पड़ताल से ये बात साफ हुई कि प्लेन को रनवे तक आने और टेकऑफ करने में कोई दिक्कत नहीं हुई। यहां तक सब नॉर्मल था। टेकऑफ के करीब 12 से 14 सेकेंड बाद गड़बड़ी हुई। एक्सपर्ट्स को इस बात की ज्यादा आशंका है कि किसी गड़बड़ी से पहले प्लेन का एक इंजन फेल हुआ। कुछ सेकेंड बाद ही दूसरा इंजन भी फेल हो गया। CCTV फुटेज देखने के बाद हमारे एक्सपर्ट ने आशंका जताई है कि पहले लेफ्ट साइड, फिर राइट साइड के इंजन में गड़बड़ी आई होगी। हालांकि इसकी पुष्टि जांच रिपोर्ट से ही होगी। एविएशन हिस्ट्री में बहुत कम ऐसा हुआ है, जब किसी प्लेन के दोनों इंजन एक साथ फेल हो गए हों। एविएशन से जुड़ी वेबसाइट Aeropeep के मुताबिक, दोनों इंजन साथ फेल होने का खतरा उड़ान के 10 लाख घंटों में सिर्फ एक बार होता है। पूर्व एयर वाइस मार्शल डॉ. देवेश वत्स भी कहते हैं कि दोनों इंजन का काम नहीं करना रेयर ऑफ रेयरेस्ट है। इसलिए सभी पहलुओं के साथ साजिश के एंगल से भी जांच जरूरी है। इंजन फेल होने की 7 वजहें1. खराब मौसम 2. पक्षियों से टकराना 3. फ्यूल में मिलावट 4. मानवीय भूल 5. इलेक्ट्रिकल सिस्टम फॉल्ट और रॉन्ग टेक ऑफ कॉन्फिगरेशन 6. फायर, स्मोक, ओवरहीट ट्रिगर 7. साइबर अटैक या GPS स्पूफिंग खराब मौसम या प्लेन के पक्षियों से टकराने के सबूत नहींअहमदाबाद में हादसे के वक्त मौसम अच्छा था यानी पहली वजह खत्म हो जाती है। हादसे के वीडियो में पक्षियों से टकराने की बात भी सामने नहीं आई। इसलिए अब 5 बड़े पॉइंट बचते हैं- फ्यूल में मिलावट, मानवीय भूल, इलेक्ट्रिकल सिस्टम फॉल्ट, फायर-स्मोक-ओवरहीट ट्रिगर और साइबर अटैक। हादसे में जिंदा बचे इकलौते पैसेंजर रमेश विश्वास ने प्लेन में आग या धुएं के बारे में नहीं बताया है। उन्होंने इलेक्ट्रिक सिस्टम फॉल्ट के बारे में जरूर बताया यानी ये हादसे की वजह हो सकती है। इसे समझने के लिए हमने पुराने विमान हादसों की रिपोर्ट पढ़ी। इसके जरिए समझा कि क्या पहले हुए हादसे में सामने आई वजह अहमदाबाद क्रैश में भी हो सकती हैं। अब पहले हुए हादसे और उनकी वजह पढ़िए 1. फ्यूल में आइस पार्टिकल मिले, लैंडिंग से 57 सेकेंड पहले दोनों इंजन बंदजगह: लंदन का हीथ्रो एयरपोर्टपड़ताल के दौरान एविएशन सेफ्टी नेटवर्क की वेबसाइट पर 17 जनवरी, 2008 को हुए हादसे के बारे में पता चला। बोइंग कंपनी का प्लेन चीन की राजधानी बीजिंग से लंदन जा रहा था। प्लेन रूस की राजधानी मॉस्को के 38 हजार फीट ऊपर से गुजरा। यहां कई जगह माइनस 38 तक ठंड थी। विमान 10 घंटे से ज्यादा का सफर करके सेंट्रल लंदन पहुंचा। करीब 3 हजार फीट की ऊंचाई पर था, तब पायलट लैंडिंग की तैयारी करने लगे। विमान एक हजार फुट की ऊंचाई पर आया। लैंडिंग के लिए एयर ट्रैफिक कंट्रोल से परमिशन मिल गई। लैंडिंग में सिर्फ 57 सेकेंड बचे थे, तभी राइट साइड के इंजन में दिक्कत आ गई। इंजन की स्पीड कम होने लगी। 6-7 सेकेंड बाद ही लेफ्ट साइड के इंजन की पावर भी तेजी से कम होने लगी। दोनों इंजन से जरूरी थ्रस्ट नहीं मिल रहा था। पायलट ने खतरे की स्थिति में दिया जाने वाला मे-डे कॉल किया। रनवे पर रेस्क्यू टीमें पहुंच गईं। पायलट और को-पायलट ने प्लेन को घास वाले मैदान में सुरक्षित लैंड करा लिया। हादसे में किसी को गंभीर चोट नहीं आई। जांच में पता चला कि फ्यूल में पानी की जो कुछ मात्रा होती है, कम तापमान की वजह से उससे आइस पार्टिकल बन गए। ये इंजन में गए, तो महज 7 सेकेंड में दोनों इंजन एक तरह से फेल हो गए। एक्सपर्ट की रायवॉल्व में खराबी से फ्यूल सप्लाई रुकी, तो इंजन बंद हो सकता हैक्या लंदन की तरह अहमदाबाद विमान हादसे की वजह फ्यूल में मिलावट हो सकती है? इस पर हमने दो एक्सपर्ट से बात की। उनका मानना है कि अगर साजिशन फ्यूल में मिलावट की जाए, तो ऐसा हो सकता है। हालांकि फ्यूल में कुछ मिलाना और विमान में डालने से पहले जांच में नहीं पाया जाना मुश्किल है। हमारे एक्सपर्ट डॉ. देवेश वत्स एयर वाइस मार्शल रहे हैं। उन्होंने IIT बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में एमटेक भी किया है। वे बताते हैं, ‘मुझे नहीं लगता कि फ्यूल में मिलावट हो सकती है। ये जरूर है कि इंजन में फ्यूल नहीं जाएगा, तो वो बंद हो जाएगा या काम नहीं करेगा। वॉल्व में खराबी आ जाए, तो ये दिक्कत हो सकती है।’ दूसरे एक्सपर्ट- फ्यूल में मिलावट साजिश से ही मुमकिन, वरना कोई चांस नहीं हमारे दूसरे एक्सपर्ट प्रशांत ढल्ला DGCA के पायलट इंस्पेक्टर रहे हैं। 12 साल से ज्यादा वक्त तक सीनियर पायलट रह चुके हैं। वे कहते हैं, ‘फ्लाइट में फ्यूल डालने से पहले उसकी जांच होती है। कौन फ्यूल सप्लायर ट्रक लेकर फ्लाइट तक पहुंचेगा, इसका भी पैरामीटर होता है। ग्राउंड इंजीनियर होते हैं।' 'फ्यूल लेकर टैंकर विमान के पास पहुंचता है, तो उसकी जांच होती है। ग्राउंड इंजीनियर के पास एक टैबलेट और ग्लास होता है। ग्लास में फ्यूल डालकर टैबलेट मिलाई जाती है। इससे क्वॉलिटी चेक होती है।’ ‘चेकिंग के बाद ग्राउंड इंजीनियर ग्रीन सिग्नल देता है। इसके बाद विमान में फ्यूल डाला जाता है। इसकी फ्यूल शीट बनती है। इस पर इंजीनियर साइन करके एक कॉपी पायलट को देते हैं। पायलट उसे चेक करते हैं। एक कॉपी फ्यूल सप्लायर को भी दी जाती है।’ अगर फ्यूल में गड़बड़ी कर दी जाए, तो दोनों इंजन काम करना बंद कर देंगे। फ्यूल में मिलावट तभी संभव है, जब इसके पीछे साजिश हो। ये जांच में ही पता चल सकेगा। इसमें हम कुछ नहीं कह सकते। दूसरी बड़ी वजह: मानवीय भूलपायलट की गलती से खतरे में आए थे 156 पैसेंजरहमने कुछ हादसों की पड़ताल की, जिसमें विमान के इंजन में दिक्कत आई हो और मानवीय भूल भी रही हो। ऐसा एक मामला 21 जून 2017 में हुआ था। गो-एयर की फ्लाइट दिल्ली से मुंबई जा रही थी। इसमें 156 पैसेंजर थे। दिल्ली से उड़ान भरने के कुछ देर बाद ही इंजन-2 से पक्षी टकरा गया। फरवरी 2019 में DGCA ने इसकी रिपोर्ट दी। इसमें लिखा कि इंजन-2 में खराबी आने के बाद दोनों पायलट को चेकलिस्ट और स्टैंडर्ड प्रोसिजर के मुताबिक उसे शटडाउन करना था। कुछ देर बाद उसे फिर ऑन करके चेक करना था। गलती से पायलट ने इंजन-1 ऑफ कर दिया। उस वक्त विमान करीब 3100 फीट ऊंचाई पर था। पायलट को गलती का एहसास हुआ। उसने तुरंत इंजन-1 स्टार्ट कर दिया। विमान ऊंचाई पर था, इसलिए गलती सुधारने का वक्त मिल गया। क्या अहमदाबाद हादसे की वजह भी मानवीय भूलइस सवाल पर प्रशांत ढल्ला कहते हैं, ‘कॉकपिट में दो पायलट होते हैं। दोनों मर्जी से काम नहीं करते। इसका प्रोटोकॉल और प्रोसीजर होता है। चेकलिस्ट होती है। इसलिए मानवीय भूल की आशंका बहुत कम होती है। अहमदाबाद हादसे की बात करें, तो अगर किसी वजह से पहले इंजन में गड़बड़ी हुई और थ्रस्ट कम हो गया। ऐसे में उसे बंद करके री-स्टार्ट करने का प्रोसीजर भी है।’ ‘अगर गलती से या हड़बड़ाहट में इंजन बंद कर दिया जाए, तो हो सकता है कि दोनों इंजन बंद हो गए और हादसा हो गया। हालांकि हर पायलट को ऐसी स्थिति के लिए ट्रेनिंग दी जाती है। ऐसी गड़बड़ी होना बहुत मुश्किल है। इसके बाद भी अगर ह्यमून एरर हुआ है, तो कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर में सब रिकॉर्ड हुआ होगा। ये जांच रिपोर्ट से ही सामने आएगा।’ वहीं, पूर्व एयर वाइस मार्शल डॉ. देवेश वत्स कहते हैं, ‘अहमदाबाद हादसे में दोनों इंजन में दिक्कत आई है। जांच से ही इसकी सच्चाई बाहर आ सकती है। इसके लिए जांच एजेंसी को फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर से अहम जानकारी मिल सकती है। अभी कुछ भी अंदाजा लगाकर कहना सही नहीं होगा।’ तीसरी बड़ी वजह: साइबर अटैक या GPS स्पूफिंग हर विमान नेविगेशन सिस्टम के जरिए उड़ान भरता है। GPS से हवा में रास्ते की जानकारी मिलती है। अगर GPS से गड़बड़ी हो जाए, तो सही लोकेशन की जानकारी मिलना मुश्किल हो जाता है। खासकर अगर GPS पर साइबर अटैक हो जाए। इसे GPS स्पूफिंग कहते हैं। इसी साल जून में दिल्ली से जम्मू जा रहे एयर इंडिया एक्सप्रेस के विमान में ऐसी आशंका जताई गई थी। ये विमान दिल्ली से सुबह 11:05 बजे जम्मू के लिए उड़ा था। पाकिस्तान बॉर्डर के करीब GPS में गड़बड़ी आ गई। इस वजह से विमान को दिल्ली लौटना पड़ा। ये विमान दोपहर करीब 1:30 बजे दिल्ली लौटा था। एक्सपर्ट की राय- अहमदाबाद हादसे में साइबर अटैक की आशंका कमइंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन की रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 से 2024 तक GPS स्पूफिंग के मामले 500% बढ़े हैं। इसी तरह सिग्नल जैमिंग के केस भी 175% बढ़ गए। क्या इससे किसी फ्लाइट के साथ इतना बड़ा हादसा हो सकता है? इसका जवाब पूर्व एयर वाइस मार्शल डॉ. देवेश वत्स देते हैं। वे खुद भी साइबर एक्सपर्ट हैं और डेटा सिक्योरिटी सेंटर से जुड़े हैं। डॉ. वत्स कहते हैं, ‘बेशक GPS स्पूफिंग विमान को धोखा देने की लेटेस्ट तकनीक है। इससे विमान को लोकेशन का पता लगाने में दिक्कत होती है। हालांकि पायलट को ऐसी ट्रेनिंग दी जाती है और विमान में भी ऐसी तकनीक है, जिससे उसे सुरक्षित कहीं भी लैंड कराया जा सकता है। इसलिए अहमदाबाद हादसे में साइबर अटैक की आशंका कम लगती है। चौथी बड़ी वजह: इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल सिस्टम फाल्ट और रॉन्ग टेकऑफ कॉन्फिगरेशनहमने एविएशन सेफ्टी नेटवर्क पर 1937 से लेकर 27 सितंबर 2024 तक के डेटा की स्टडी की। ये देखा कि रॉन्ग टेकऑफ कॉन्फिगरेशन की वजह से कितने हादसे हुए हैं। कुल 76 विमान हादसों का पता चला। इनमें 870 मौतें हुई हैं। टेक्निकल और मैकेनिकल वजहों से 2018 और 2019 में हुए बोइंग के दो बड़े हादसों की जानकारी मिली। पहले बात रॉन्ग टेकऑफ कॉन्फिगरेशन की। ये हादसा 14 अक्टूबर 2004 को कनाडा में बोइंग 747-244B (SF) विमान के साथ हुआ। ये कार्गो प्लेन था। एयरपोर्ट पर कार्गो प्लेन में कुल 53 हजार किलो का सामान लोड हुआ। साथ में 89,400 किलो फ्यूल भरा गया। टेकऑफ से पहले विमान का वजन 3.53 लाख किलो था। बोइंग के लैपटॉप टूल ने इसे 2.4 लाख किलो के हिसाब से कैलकुलेट किया। इससे विमान की स्पीड और थ्रस्ट का कैलकुलेशन गलत हो गया। जांच में पता चला कि ये विमान कनाडा पहुंचा था, तब उसका वजन 2.40 लाख किलो था। यहां सामान लोड होने बाद भी कैलकुलेशन के वक्त उतना ही वजन डिस्प्ले हुआ। इससे थ्रस्ट और स्पीड का कैलकुलेशन गलत हो गया। इस वजह से ये हादसा हुआ। इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल टूल्स में दिक्कत से कई हादसे हुए हैं, लेकिन इससे दोनों इंजन में एक साथ गड़बड़ होने की रिपोर्ट हमें नहीं मिली। एक्सपर्ट की राय: विमान में एडवांस सिस्टम, गड़बड़ी मुमकिन नहींपूर्व पायलट इंस्पेक्टर प्रशांत ढल्ला कहते हैं, ‘लगेज के कैलकुलेशन पर कई बार विमान में दिक्कत होती है। आपने सुना होगा कि वजन ज्यादा होने पर यात्रियों का सामान रोक दिया जाता है। 2004 के जिस हादसे की बात हो रही है, अब किसी विमान में वैसा होने की संभावना खत्म हो चुकी है। सवाल-जवाब में जानिए हादसे के वक्त क्या हुआहमने अहमदाबाद एयरपोर्ट पर लगे CCTV कैमरे और मोबाइल से बनाए हादसे के वीडियो की पड़ताल की। एक्सपर्ट से पूछा कि हादसे के वक्त लैंडिंग गियर क्यों बंद नहीं हुआ, क्यों इमरजेंसी में इस्तेमाल होने वाला रैम एयर टरबाइन बाहर आया। टेकऑफ के बाद विमान के साथ क्या हुआ होगा? एक्सपर्ट्स ने इन सवालों के जवाब दिए, लेकिन इसकी पुष्टि जांच एजेंसी की रिपोर्ट से होगी। सवाल: विमान का लैंडिंग गियर क्यों बंद नहीं हुआ? प्रशांत ढल्ला का जवाब: हर विमान के टेकऑफ से पहले और लैंडिंग का पूरा प्रोसेस होता है। एक चेकलिस्ट होती है। स्टैंडर्ड प्रोसिजर भी सेट होता है। विमान में दो पायलट होते हैं। एक सीनियर और दूसरा को-पायलट। चेकलिस्ट की पूरी प्रोसेस चैलेंज और रिस्पॉन्स पर चलती है। मेन पायलट चेक लिस्ट पढ़कर को-पायलट से पूछते हैं कि आपने ये चेक किया। को-पायलट उसे पूरा करते हैं और कहते हैं- यस चेक्ड। टेकऑफ के बाद गियर अप करना होता है। रूल बुक के मुताबिक, विमान के हवा में करीब 50 से 100 फुट ऊपर जाते ही पायलट की कॉल पर को-पायलट गियर अप करता है। अहमदाबाद हादसे में गियर बाहर ही था। इसकी वजह कुछ भी हो सकती है। या तो विमान के 50 से 100 फुट ऊपर जाते ही टेक्निकल प्रॉब्लम शुरू हो गई। इससे लैंडिंग गियर पोजिशन में आकर रुक गया होगा। या उसे वहीं रोककर दूसरे अहम टास्क पर ध्यान दिया जाने लगा क्योंकि दोनों पायलट का ध्यान विमान में आई प्रॉब्लम को दूर करने पर था। ये टास्क भी प्रोटोकाल यानी पहले से बनाई गई SOP का ही हिस्सा है। इसलिए पहली वजह में लैंडिंग गियर का बाहर होना तकनीकी प्रॉब्लम भी हो सकती है और दूसरी वजह बड़ी गड़बड़ी को रोकने के लिए इसे स्टॉप रखना भी हो सकता है। इसलिए लैंडिंग गियर को क्लोज नहीं किया। सवाल: रैम एयर टरबाइन का बाहर आना क्या संकेत देता है?जवाब: इस टर्बाइन का काम तब होता है, जब कोई इंजन काम करना बंद कर दे। फिर पावर सप्लाई में दिक्कत आने लगे। पायलट के सामने लगे डिस्प्ले बोर्ड में इलेक्ट्रिक सप्लाई की कमी से दिक्कत आने लगे। फ्यूल पंप ऑपरेट करने के लिए इलेक्ट्रिकल सपोर्ट होता है। पावर लॉस होने की स्थिति में भी ये एयर टरबाइन ऑटोमेटिक ओपन हो जाता है। ये टरबाइन बेसिक इलेक्ट्रिक इनपुट देता है, जिससे पायलट के सामने वाला डिस्प्ले ऑन रहे। फ्यूल पंप चलता रहे। एयर टरबाइन की मदद सेफ लैंडिंग के लिए होती है। मेरा मानना है कि एक के बाद एक दोनों इंजन फेल हुए, इस वजह से रैम एयर टरबाइन बाहर आया, लेकिन अफसोस विमान क्रैश हो गया। सवाल: हादसे के वीडियो देखकर क्या समझ आता है?जवाब: विमान ने टेकऑफ किया, तब बिल्कुल सीधे उड़ान भर रहा था। यानी उसके दोनों इंजन काम कर रहे थे। थ्रस्ट और लिफ्ट नॉर्मल था। कुछ देर (करीब 12 से 14 सेकेंड) बाद ही विमान ने हल्का लेफ्ट की तरफ टर्न लिया यानी उसके लेफ्ट इंजन में खराबी आई होगी। तब राइट साइड का इंजन ठीक होगा। कुछ सेकेंड बाद विमान फिर सीधा हुआ और नीचे की तरफ गया। मतलब दोनों इंजन से थ्रस्ट नहीं मिल रहा होगा। इसके कुछ सेकेंड बाद ही विमान क्रैश हो गया। कुछ मीडिया रिपोर्ट में आया कि विमान को थ्रस्ट और लिफ्ट मिलना बंद हो गया, तभी पायलट ने मे-डे कॉल किया था। उसने कहा-नो पावर, नो थ्रस्ट, गोइंग डाउन। हालांकि इसकी अभी पुष्टि नहीं हुई है। अगर ये सही है, तो साफ है कि विमान में अपनी कोई क्षमता नहीं बची थी। इसलिए वो नीचे जा रहा है। सवाल: थ्रस्ट और लिफ्ट नहीं मिलने का क्या मतलब है?जवाब: एयरक्राफ्ट में 4 तरह की फोर्स काम करती हैं। सबसे ऊपर की तरफ लिफ्ट, सामने नोज की तरफ थ्रस्ट, नीचे की तरफ वेट यानी ग्रेविटी और पीछे की तरफ ड्रैग। अब मेडे कॉल को याद कीजिए। कैप्टन ने कहा- नो थ्रस्ट, नो लिफ्ट, गोइंग डाउन। विमान को लिफ्ट नहीं मिल रही यानी जहाज ऊपर नहीं जा सकता। नो थ्रस्ट यानी जहाज आगे नहीं बढ़ सकता है। अब दो ही पावर रह गईं- ड्रैग और वेट। यानी अब जहाज नीचे की तरफ चला गया। इसलिए विमान क्रैश हो गया। इससे भी अंदाजा है कि विमान के दोनों इंजन काम नहीं कर रहे थे। हालांकि इसकी असल वजह CVR और FDR से काफी हद तक साफ हो जाएगी। ................................... विमान हादसों पर ये खबरें भी पढ़ें 1. अहमदाबाद विमान हादसे का फोटो-वीडियो इन्वेस्टिगेशन अहमदाबाद विमान हादसे के कारणों का सही ब्योरा आने में अभी समय लगेगा। इस बीच न्यूयॉर्क टाइम्स ने हादसे के फोटो-वीडियो और ऑडियो का एनालिसिस किया है। एविएशन सिक्योरिटी स्पेशलिस्ट, पूर्व पायलटों, जांचकर्ताओं और ऑडियो एक्सपर्ट की मदद से किया गया यह एनालिसिस संकेत देता है कि विमान का टेकऑफ नॉर्मल था। विमान में खराबी हवा में शुरू हुई। पढ़िए पूरी खबर... 2. 40 दिन 13 मौतें, चारधाम यात्रा में क्यों गिर रहे हेलिकॉप्टर इस साल चारधाम यात्रा में शुरुआती 40 दिनों में 5 हेलिकॉप्टर हादसे हो चुके हैं। इनमें 13 लोगों की मौत हुई। इनमें से 3 हादसे सिर्फ केदार घाटी में हुए हैं। चारधाम यात्रा में सबसे ज्यादा एयर ट्रैफिक का लोड केदारनाथ धाम की यात्रा में होता है। यहां गुप्तकाशी, फाटा, सिरसी और सहस्त्रधारा जैसी जगहों से 9 एविएशन कंपनियां हेली सर्विस देती हैं। पढ़िए पूरी खबर...
तारीख: 5 जुलाईजगह: मुंबई का वर्ली डोम ये तारीख और जगह महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया अध्याय जोड़ने जा रही है। 'मराठी विजय दिवस' का मौका है, जब दो दशक की सियासी दुश्मनी के बाद उद्धव ठाकरे और उनके चचेरे भाई राज ठाकरे एक ही मंच पर साथ होंगे। महाराष्ट्र सरकार को हिंदी अनिवार्यता के मुद्दे पर पीछे धकेलने के बाद ये विजय रैली निकाली जानी है। इसके लिए 'आवाज मराठी का' नाम से न्योता छपा है। इसमें न किसी पार्टी का झंडा है और न सिंबल। बालासाहेब ठाकरे की शैली में मराठियों को संबोधित किया गया है। न्योते में लिखा है- ‘क्या आपने सरकार को झुकाया? हां, आपने झुकाया। हम तो सिर्फ आपकी तरफ से संघर्ष कर रहे थे। नाचते-गाते हुए आइए, हम आपकी प्रतीक्षा कर रहे हैं।‘ अभी ये साफ नहीं है कि रैली के लिए पुलिस की परमिशन मिली है या नहीं। हालांकि इसे लेकर कई अटकलें जरूर जोर पकड़ रही हैं। क्या ये सिर्फ एक दिन का जश्न है या BMC समेत निकाय चुनावों के लिए नए गठबंधन की शुरुआत है, महाराष्ट्र में दोनों भाइयों के साथ आने से क्या एक नए सियासी समीकरण बनेंगे, साथ आने के पीछे असल वजह क्या है? हालांकि एक्सपर्ट्स इसे BJP का सीक्रेट प्लान बता रहे हैं। उनका मानना है कि देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात के बाद ही राज ठाकरे का सियासी रुख बदला है। BJP मुंबई में एकनाथ शिंदे की शिवसेना के पैर जमने नहीं देना चाहती है।‘ अब पूरे महाराष्ट्र की निगाहें 5 जुलाई पर टिकी हैं। लिहाजा तमाम सवालों के जवाब तलाशते हुए हम मुंबई पहुंचे और हमने दोनों पार्टी के बड़े नेताओं और पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स से बात करने की कोशिश की। दोनों भाइयों के साथ आने पर बोलने से बच रही पार्टीसबसे पहले हमने शिवसेना उद्धव गुट की प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी से कॉन्टैक्ट किया, लेकिन उन्होंने कुछ भी बोलने से मना कर दिया। इसके बाद हमने पार्टी के दूसरे प्रवक्ता आनंद दुबे से संपर्क किया। उन्होंने भी व्यस्तता का हवाला देते हुए बात करने से मना कर दिया। मनसे के लीडर्स से भी हमें ऐसे ही जवाब मिले। कई नेताओं ने ऑफ कैमरा हमें बताया कि राज ठाकरे ने इस मुद्दे पर अभी कुछ भी बोलने से मना किया है। ये पहली बार नहीं है कि दोनों भाइयों के साथ आने की अटकलें जोर पकड़ रही हैं। 2005 में शिवसेना छोड़कर नई पार्टी बनाने के बाद भी उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे को कई पारिवारिक और सार्वजनिक मौकों पर साथ देखा गया। हर मुलाकात के वक्त दोनों के सियासी मिलन के कयास लगाए गए, लेकिन हर बार ये गलत साबित हुए। राज और उद्धव के सामने सियासी अस्तित्व का संकट इस बार दोनों के साथ आने की अटकलें पहले से क्यों अलग हैं और इस बार ऐसा क्या बदला है? इस सवाल पर सीनियर जर्नलिस्ट जितेंद्र दीक्षित कहते हैं, ‘इसका जवाब दोनों भाइयों के राजनीतिक अस्तित्व के संकट में छिपा है। इस अलगाव को 20 साल हो गए हैं। 2005 में राज ठाकरे शिवसेना से अलग हुए और अगले साल 2006 में अपनी पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) बना ली।’ ‘2009 में पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ा, तो 13 सीटें जीतीं। विधानसभा की 288 सीटों में 13 जीत पाना कोई बड़ी बात नहीं मानी जा सकती, फिर भी ये आंकड़ा अहमियत रखता है। 2009 में कई सीटों पर राज ठाकरे के उम्मीदवारों ने शिवसेना उम्मीदवारों को हराने में बड़ी भूमिका निभाई। पार्टी ने पारंपरिक मराठी वोट काटे थे। नतीजा ये हुआ कि 2009 में महाराष्ट्र की सत्ता में एक बार फिर कांग्रेस और NCP का गठबंधन वापस आ गया। क्या सियासी फायदे के लिए भुलाए जाएंगे पुराने झगड़े जितेंद्र आगे कहते हैं, ‘उस वक्त ये कहा जाने लगा था कि MNS ही अगली शिवसेना है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा था क्योंकि राज ठाकरे न सिर्फ बालासाहेब ठाकरे जैसे दिखते थे, बल्कि उन्हीं की तरह आक्रामक भी थे। उनके भाषण की शैली भी वैसी ही थी। हालांकि लोगों के अनुमान गलत निकले।‘ ‘2014 के विधानसभा चुनाव में राज ठाकरे की पार्टी 13 से सीधे एक सीट पर सिमट गई। 2019 में भी एक सीट ही जीती। फिर 2024 के चुनाव में शून्य पर आ गई। आज की तारीख में राज ठाकरे की पार्टी एक शून्य पार्टी है। महाराष्ट्र में शून्य सांसद, शून्य विधायक और शून्य पार्षद। अब राज ठाकरे के सामने अपना सियासी अस्तित्व बचाने का संकट खड़ा हो गया है।‘ जितेंद्र आगे कहते हैं, ‘दूसरी तरफ उद्धव ठाकरे भी इसी समस्या से जूझ रहे हैं। उनकी स्थिति राज से बेहतर है, लेकिन उनका भी ग्राफ लगातार गिरता गया। 2022 में उनकी पार्टी में जो बगावत हुई, उसने उनके सियासी करियर को गहरी चोट पहुंचाई। न सिर्फ पार्टी के पुराने वफादार नेता और पदाधिकारी उनका साथ छोड़कर चले गए, बल्कि पार्टी का ऑफिशियल नाम और चुनाव चिह्न भी उनसे छिन गया।‘ ‘अब इन दोनों भाइयों के सामने अस्तित्व का संकट है। दोनों को अपनी पार्टी चलानी है, दोनों को अपना सियासी करियर ठीक करना है। जब बात अस्तित्व की आती है तो लोग अपने पुराने झगड़े भूल जाते हैं और आगे का फायदा देखते हैं। अब राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे दोनों के लिए महाराष्ट्र की राजनीति में सर्वाइवल का सवाल है।‘ असली निशाना BMC का किला और एकनाथ शिंदेइस पूरे सियासी खेल का सेंटर पॉइंट मुंबई महानगर पालिका यानी BMC के चुनाव हैं। सीनियर जर्नलिस्ट संदीप सोनवलकर इसे एक डूबती नाव को बचाने की कोशिश के तौर पर देखते हैं। वे कहते हैं, ‘असल में राज और उद्धव को लगा कि उनकी नाव डूब रही है। ऐसे में तिनके का सहारा ही काफी है, इसलिए वो साथ आ रहे हैं। मुद्दा मराठी का मिला है इसलिए बात यहीं नहीं थमेगी, आगे भी बढ़ेगी। मुमकिन है कि BMC के चुनाव में दोनों मिलकर लड़ें।‘ सोनवलकर के मुताबिक, ‘ये सिर्फ एक गठबंधन नहीं, बल्कि विरासत को बचाने की लड़ाई है, क्योंकि शिवसेना का चुनाव चिह्न जा चुका है। ऐसे में उन्हें लगा कि ठाकरे नाम को बचाना ज्यादा जरूरी है क्योंकि उसी के नाम पर उनकी पूरी राजनीति चलती है। तो राजनीति भी बचेगी और विरासत भी, इसलिए ठाकरे बंधु एक साथ हैं।‘ इस गठबंधन का सीधा निशाना मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे हैं। सोनवलकर बताते हैं, ‘इस मराठी राजनीति का असल मकसद तो एकनाथ शिंदे को निशाना बनाना है, क्योंकि उद्धव ठाकरे को लगता है कि उन्हें सबसे ज्यादा नुकसान एकनाथ शिंदे ने पहुंचाया। शिवसेना को तोड़ा और उनका वोट बैंक लेकर चले गए।‘ ‘ठाकरे परिवार के ज्यादातर पूर्व पार्षद एकनाथ शिंदे के साथ चले गए। अब उनसे मुकाबला करना है तो दोनों को मिलकर आना पड़ेगा। इसलिए BMC चुनाव ही सबसे बड़ा मकसद है।‘ क्या राज-उद्धव का साथ BJP का सीक्रेट प्लानदिलचस्प बात ये है कि इस कहानी में एक किरदार BJP का भी बताया जा रहा है। संदीप सोनवलकर एक और परत खोलते हुए कहते हैं, ‘इस कहानी के पीछे का असली किरदार असल में BJP है। उसी की तरफ से देवेंद्र फडणवीस ने ये चाल चली है कि इस बार मुंबई में एकनाथ शिंदे की शिवसेना पैर न जमा सके।‘ ‘कहा जा रहा है कि देवेंद्र फडणवीस और राज ठाकरे की जब मुलाकात हुई, तो फडणवीस ने ही कहा कि मराठी भाषा का मुद्दा उठाओ और आगे बढ़ो। सरकार आगे जाकर उन्हें सहयोग करेगी और यही हुआ भी।' 'सरकार ने पहले हिंदी की अनिवार्यता खत्म करने की राज और उद्धव की मांग का विरोध किया। बाद में जब दोनों ने मोर्चा निकालने की बात की तो उसे मान लिया। इस तरह ठाकरे परिवार की राजनीति को एक नई जमीन मिल गई।‘ दोनों भाइयों के मिलन में क्या पार्टियों की विचारधारा बनेगी अड़ंगा एक बड़ा सवाल ये भी है कि क्या दो ऐसी पार्टियों के कार्यकर्ता एक साथ काम कर पाएंगे, जिनकी विचारधाराएं समय-समय पर अलग देखी गईं? राज ठाकरे की राजनीति कभी हिंदुत्व तो कभी प्रखर मराठी वाद के इर्द-गिर्द घूमती रही है, जिसमें गैर-मराठियों खासकर उत्तर भारतीयों का विरोध प्रमुख एजेंडा रहा है। वहीं, उद्धव ठाकरे ने हिंदुत्व का दामन कभी नहीं छोड़ा, लेकिन उन्होंने कांग्रेस और NCP जैसी सेक्युलर पार्टियों के साथ मिलकर सरकार भी चलाई। जितेंद्र दीक्षित मानते हैं कि विचारधारा कोई बड़ी बाधा नहीं बनेगी। वे कहते हैं, ‘राज ठाकरे की आइडियोलॉजी कभी एक जैसी रही ही नहीं है। 2005 तक जब तक वो शिवसेना में थे तो उनकी आइडियोलॉजी हिंदुत्व की थी। उसके बाद 2009 में उन्होंने मराठी वाद पर चुनाव लड़ा। 2020 में वो फिर से खुद को हिंदुत्व वादी बताने लगे।‘ ‘दूसरी तरफ उद्धव ठाकरे पर भले ही आरोप लगते हों कि उन्होंने कांग्रेस-NCP के साथ हाथ मिला लिया, लेकिन अब भी उद्धव ठाकरे खुद को हिंदुत्व वादी बताते हैं।‘ अगर गठबंधन हुआ तो BMC चुनाव तक हर हाल में चलेगाअगर गठबंधन हुआ तो कितना लंबा चलेगा, ये कहना अभी जल्दबाजी होगी। हालांकि संदीप सोनवलकर कहते हैं, ‘जब आपको ये लगता है कि घर बचाना है तो दोनों तरफ से कुछ न कुछ खोने की तैयारी करनी पड़ती है।‘ BMC चुनाव तक तो कम से कम ये गठबंधन चलेगा और यदि सफलता मिलती है तो उसके बाद दोनों भाई आगे भी इसी तरह साथ रहेंगे। ‘पार्टियों का विलय होगा या नहीं, ये भी कहना जल्दबाजी है, लेकिन मिलकर चलेंगे क्योंकि दोनों को अपने-अपने बेटों आदित्य ठाकरे और अमित ठाकरे को राजनीति में स्टैब्लिश करना है। मराठी एक ऐसा मुद्दा है, जिस पर दोनों के बेटे खेती कर सकते हैं और राजनीति को आगे बढ़ा सकते हैं।‘ गठबंधन के कयास के बीच रैली को लेकर कार्यकर्ताओं में उत्साहगठबंधन की खबरों को लेकर जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं में काफी उत्साह है। MNS के शाखा प्रमुख नीलेश इंदप बताते हैं, ‘राज साहब ने हमें तैयारियों के निर्देश दिए हैं। ये एक ऐसी रैली होगी, जो न पहले कभी हुई और न आगे कभी होगी।' लालबाग को मराठियों का गढ़ माना जाता है। वहां से पूरा समर्थन मिलेगा। हमने शाखा-शाखा और बिल्डिंग वाइज मीटिंग की है। स्कूल, कॉलेज के छात्रों को भी जोड़ा है। ये रैली दिवाली की तरह होगी।‘ राज ठाकरे और देवेंद्र फडणवीस की मुलाकात पर वे कहते हैं, राज साहब के सभी पार्टियों के नेताओं के साथ अच्छे संबंध हैं। CM के साथ उनकी मीटिंग पर्सनल भी हो सकती है या पार्टी के काम से भी। राज साहब जो आदेश देंगे, हम कार्यकर्ता उसका पालन करेंगे। उद्धव के पार्षद बोले-शिवसेना और MNS के साथ आने से ताकत बढ़ी, सुरक्षा मिली5 जुलाई को होने वाली ठाकरे बंधुओं की 'विजय सभा' की काफी चर्चा है। इस मिलन के मायने समझने के लिए हमने शिवसेना (UBT) के पार्षद अनिल कोकिल से बात की। वो इस पूरी सियासी हलचल को करीब से देख रहे हैं। अनिल कोकिल इस कहानी की शुरुआत सरकार के एक फैसले से करते हैं। वे बताते हैं, ‘देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे जिस तरह की राजनीति कर रहे हैं। उसी के तहत उन्होंने पहली से 5वीं कक्षा तक हिंदी थोपने की कोशिश की। इसके खिलाफ उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने आवाज उठाई। एक बड़े विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई।‘ कोकिल के अनुसार, ‘जैसे ही दोनों भाइयों के एक साथ आने की खबर फैली, पूरे महाराष्ट्र के मराठी लोग एकजुट हो गए हैं। इस बढ़ती ताकत को देखकर सरकार घबरा गई है।‘ इस गठबंधन का असर सिर्फ राजनीतिक गलियारों तक सीमित नहीं है, बल्कि आम लोगों में इसका गहरा भावनात्मक जुड़ाव देखने को मिल रहा है। कोकिल उत्साह से बताते हैं, ‘हर घर में मराठी बोलने वाले हमें फोन करके बता रहे हैं कि वे विजय उत्सव में जाने वाले हैं। ये सब बहुत अच्छा हो रहा है। ये हमारी बहुत दिनों से इच्छा थी जो आज पूरी होने जा रही है।‘ जब हमने सवाल किया कि क्या ये गठबंधन सिर्फ BMC चुनावों के लिए है, तो कोकिल इसे सिरे से खारिज करते हैं। वे जोर देकर कहते हैं, ‘इलेक्शन तो 5 साल में एक बार आता है, लेकिन मराठी आदमी को तो पूरी जिंदगी यहीं मुंबई और महाराष्ट्र में रहना है। उनके लिए ये गठबंधन चुनावी गणित से कहीं बढ़कर है। ये मराठी मानुष के सम्मान और सुरक्षा का सवाल है।‘ ‘मराठी जनता को जो सुरक्षा चाहिए, वो शिवसेना और MNS के साथ आने से मिल रही है। इसी वजह से हमारी ताकत बढ़ी है और बाकी सब लोग शांत हो गए हैं।‘ ...................................... स्टोरी में सहयोग: अजित रेडेकर, कैमरापर्सन...................................... ये खबर भी पढ़ें... उद्धव बोले-विपक्ष की वजह से हिंदी पर फैसला वापस हुआ उद्धव ठाकरे ने सोमवार को दावा किया कि विपक्षी पार्टियों के विरोध की वजह से महाराष्ट्र सरकार ने हिंदी को अनिवार्य करने का फैसला वापस ले लिया। ठाकरे ने कहा कि सरकार फैसला वापस नहीं लेती तो भाजपा, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और NCP के मराठी समर्थक भी विरोध मार्च में शामिल होते। दरअसल, उद्धव और राज ठाकरे ने 5 जुलाई को मुंबई में संयुक्त विरोध रैली निकालने की बात कही थी। पढ़िए पूरी खबर...
इस देश के पासपोर्ट में गजब की टेक्नोलॉजी, UV लाइट जलाते ही दिखेगा चौंकाने वाला सीन
DNA: आपको एक पासपोर्ट कीकहानीपढ़ाएंगे जिसकी चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है. भला हो भी क्यों न, ये है ही इतना सुंदर और पावरफुल, जो हर किसी के नसीब में नहीं है.
फॉन डेय लाएन के यूरोपीय आयोग के विरुद्ध अविश्वास मत
कोविड महामारी के दौरान वैक्सीन निर्माता कंपनी फाइजर के प्रमुख और यूरोपीय आयोग की प्रेसीडेंट के बीच पर्सनल टेक्स्ट मैसेज हुए. इसके बाद अरबों डॉलर की डील हुई. अब इसी मामले में आयोग को अविश्वास मत का सामना करना है
कहां लापता हो गया 2 हजार करोड़ का अमेरिकी लड़ाकू विमान, बाहुबली B-2 बॉम्बर्स पर उठे सवाल
अमेरिकी वायुसेना का लड़ाकू विमान B-2 बॉम्बर्स सबसे ताकतवर फाइटर जेट माना जाता है.इन लड़ाकू विमानों की बेड़े ने पिछले महीने ईरान के परमाणु संयंत्रों पर 14 हजार टन वजनी बम गिराए गए थे. B-2 बॉम्बर्स के एक विमान की कीमत 2 हजार करोड़ रुपये के करीब है.
Air India Flight: एयर इंडिया का एक और विमान अनहोनी का शिकार होते बचा है. दिल्ली से वाशिंगटन जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट को वियना में खाली कराया गया है. जांच में खामी पाए जाने के बाद ये फैसला लिया गया.
रूस को यूक्रेन के साथ तीसरे दौर की वार्ता जल्द होने की उम्मीद : क्रेमलिन
रूस और यूक्रेन लंबी लड़ाई के बाद अब शांति की दिशा में कदम उठा रहे हैं। दो दौर की बातचीत लगभग सफल रही
लाखों कोरोना वैक्सीन देकर बचाई जिस गरीब देश की जान, उसने पीएम मोदी को दिया सर्वोच्च सम्मान
PM Modi Ghana Visit: पीएम मोदी को उस अफ्रीकी देश ने अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है, जिसे कोरोना महामारी के दौरान भारत ने लाखों कोविड वैक्सीन देकर मदद की थी. पीएम मोदी अपने विदेश दौरे के पहले चरण में यहां पहुंचे हैं.
ब्रिक्स देशों के नेताओं की 17वीं बैठक में भाग लेंगे ली छ्यांग
चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने 2 जुलाई को घोषणा की कि चीनी प्रधान मंत्री ली छ्यांग निमंत्रण पर 5 से 8 जुलाई तक ब्राजील के रियो डी जेनेरियो जाकर ब्रिक्स देशों के नेताओं की 17वीं बैठक में भाग लेंगे
वर्ष 2025 विश्व मानव रूपी रोबोट खेल समारोह पेइचिंग में आयोजित होगा
वर्ष 2025 विश्व मानव रूपी रोबोट खेल समारोह 14 से 17 अक्टूबर को चीन की राजधानी पेइचिंग में आयोजित होगा
Porta Potty parties Sexual extremities of ultrarich: 'एक लड़की को बांध दिया गया, उसके प्राइवेट पार्ट में मशीन गन घुसा दी गई और उसके शरीर के अंगों को तोड़ दिया गया जबकि वह दर्द से चीख रही थी. बूढ़े अरब पुरुषों में से एक ने टूटे हुए अंग पर तब तक हाथ-पैर मारे जब तक वह टूट नहीं गया'. येघिनौना सच है पोर्टा-पॉटी पार्टीज का.आइए जानते हैं क्या है पोर्टा-पॉटी पार्टीज; जहां रईसजादे खूबसूरत लड़कियों की जिंदगी बनाते हैं नर्क. कैसे खुली इसकी पोल.
27 साल पहले की बात है। हम लोग ओडिशा के बलिचाई गांव में रहते थे। एक दिन पापा ये कहकर घर से निकले कि मंदिर में दर्शन करके आता हूं। जिद करने पर मुझे भी साथ ले गए। उस वक्त मैं 15 साल की थी। हम दोनों गांव के मंदिर पहुंचे और नीचे खड़े होकर ही दर्शन करने लगे। हम लोग दलित हैं इसलिए मंदिर के अंदर तो क्या, सीढ़ियां भी नहीं चढ़ सकते थे। अचानक पापा को किसी ने धक्का दिया और वो मंदिर की सीढ़ियों पर गिर पड़े। ये देखते ही मंदिर के पुजारी और आस-पास के लोग पापा को भद्दी गालियां देने लगे। फिर एक आदमी लाठी लेकर आया और सबने मिलकर पापा को पीटना शुरू कर दिया। मारते-मारते अधमरा कर दिया। वो सबके पैर पकड़कर गिड़गिड़ाते रहे, लेकिन ऊंची जाति वालों ने उनकी एक न सुनी। उस दिन तो पापा जैसे-तैसे जिंदा घर लौट आए, लेकिन तबसे हम लोगों ने मंदिर जाना छोड़ दिया। आंसू पोंछते हुए छबि कहती हैं कि हम दलितों के लिए भगवान के भी दर्शन दुर्लभ हैं, ये हमारी जिंदगी का सबसे बड़ा स्याह पहलू है। ब्लैकबोर्ड में इस बार कहानी ओडिशा के गांव बलिचाई से जहां करीब 26 साल पहले छुआछूत के चलते दलितों को गांव से निकाला गया और लोग आज तक लौट नहीं पाए ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर से लगभग 250 किलोमीटर दूर गंजाम जिले में स्थित बलिचाई गांव हरियाली से भरपूर और एकदम शांत है। खेत और बाग-बगीचे से घिरे इस गांव के ज्यादातर मकान मिट्टी के हैं। कच्ची-पक्की सड़कों से होकर मैं बलिचाई गांव में उस जगह पहुंची जहां आज से 26 साल पहले कथित सवर्णों ने हाड़ी जाति के दलितों को गांव छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया था। जहां दलितों के मकान थे अब वहां केवल घास नजर आती है। ये दलित गंजाम जिले के दूसरे गांव जैसे बालीपादर, केंदूपादर, मामूदीहा, बावनपुर में रहते हैं। सभी बलिचाई गांव से 10 किलोमीटर की रेंज में ही बसे हैं। मैं सबसे पहले बावनपुर गांव पहुंची यहां मेरी मुलाकात छबि नायक से हुई। छबि नायक भी इस घटना की शिकार हैं। साड़ी के पल्लू में चेहरा छिपाए छबि घर के बाहर ही जमीन पर बैठी हैं। माथे पर सफेद टीका और हाथों में छाले के निशान साफ नजर आ रहे हैं। मैंने जैसे ही बालिचाई गांव का नाम लिया छबि तपाक से टूटी-फूटी हिंदी में बोल पड़ीं, उस गांव में तो हम दलितों को कुएं से पानी निकालकर पीने की भी इजाजत नहीं थी। एक बार मैं खेत से काम करके लौट रही थी। प्यास के मारे गला सूखने लगा तो कुएं के पास जाकर बैठ गई। इंतजार कर रही थी कि कोई पानी निकलने आएगा तो उससे मांग कर पी लूंगी। सवर्णों ने मुझे कुएं के पास बैठे देखा तो गाली देते हुए बोले- हिम्मत कैसे हुई इस कुएं के पास बैठने की। दोबारा यहां दिखी तो गांव से निकाल देंगे। मैंने बहुत मिन्नतें कीं, लेकिन उन लोगों ने पानी नहीं पिलाया। मैं बेहोश हो गई। तभी कुछ दलित वहां पहुंच गए, उन्होंने मुझे पानी पिलाया और घर ले गए। ये कहानी सिर्फ मेरी नहीं बल्कि मेरे गांव के हर दलित की थी। गहरी सांस लेकर छबि कहती हैं, ‘हमारे साथ जो हुआ उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। गांव की किसी दुकान पर सामान लेने जाते थे तो दूर से ही इशारा करके बताना पड़ता था कि वो सामान दे दो। जबकि हम सामान के पूरे पैसे भी देते थे, फिर भी किसी चीज को हाथ नहीं लगा सकते थे। दुकानदार हमें सामान फेंक कर देता था जैसे लोग कुत्ते को रोटी फेंकते हैं। सन 2000 की बात है। सर्दियों का मौसम था, हमारी जाति का एक बच्चा दुकान पर सामान लेने गया। उसने गलती से किसी सामान को हाथ लगा दिया। ऊंची जाति वालों ने बच्चे के साथ-साथ उसके बाप को भी पीटा। फिर बारी-बारी से गांव के सभी दलितों को पीटने लगे। अचानक माहौल इतना खराब हो गया कि हम दलितों को रातों-रात गांव छोड़कर भागना पड़ा।’ छबि खीझते हुए कहती हैं कि ‘ऊंची जाति के लोग जानवरों को भी हमसे ज्यादा प्यार करते हैं। जब उन लोगों ने मार-पीट शुरू की तो जान बचाने के लिए सबकुछ छोड़कर भागना पड़ा। तन पर जो कपड़ा था, उसके अलावा सबकुछ छोड़कर भागना पड़ा। उस रात का मंजर याद करके आज भी रूह कांपने लगती है। वो सर्द रात जब हम पर अंधेरे में हमला बोला गया, हर तरफ चीखने-चिल्लाने की आवाजें थीं। मैंने जल्दी से अपनी छोटी को गले से चिपकाया और नंगे पांव बिना पीछे देखे भागती रही। हमें इतना समय भी नहीं मिला कि घर में रखे पैसे और जवाहरात उठा पाते। गांव में हमारे पास 3 एकड़ जमीन थी, जिस पर अब ऊंची जाति वालों का कब्जा है।’ भावुक होकर छबि कहती हैं, ‘मेरे पति को गांव से निकलने का बहुत दुख था। वो अंदर ही अंदर टूटते चले गए। नई जगह आकर वो बिल्कुल भी खुश नहीं थे। वो दिन-रात मजदूरी करते थे, फिर भी घर नहीं चलता था। धीरे-धीरे वो बहुत बीमार रहने लगे। अपने घर लौटना चाहते थे, आए दिन सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटते थे। आखिर एक रात सोते- सोते चल बसे। मुझे और मेरी तीन बेटियों को छोड़ गए। बच्चों के साथ-साथ सास-ससुर की जिम्मेदारी भी मेरे कंधों पर आ गई। कई बार मन में आत्महत्या करने का ख्याल आया, लेकिन बच्चों के बारे मे सोचकर रुक गई। कई बार ऐसा लगता कि दलित होने की सजा मिल रही है।’ छबि आगे कहती हैं- ‘कुछ दिन धक्के खाने के बाद मुझे सात हजार महीने की पगार पर मुर्गी फॉर्म में नौकरी मिली। सोचिए कि सात हजार रुपए में 6 लोगों का पेट कैसे पलता होगा। इसके अलावा मेरे पास कोई उपाय भी नहीं है। दिनभर मुर्गियों के बीच में रहकर बदबू से मेरी तबीयत खराब होने लगी है। मालिक मुझसे दो लोगों जितना काम करवाता है। अगर छुट्टी कर लूं तो पैसे भी काट लेता है। अब मुझसे काम नहीं होता, लेकिन बेटियों की शादी भी करनी है। इसलिए अब एक बेटी को काम पर साथ ले आती हूं। पति के जाने के बाद मैं कैसे घर चला रही हूं, ये सिर्फ मेरा दिल जानता है।’ छबि ही नहीं बल्कि उनके जैसे जाने कितने लोग अपना घर और जमीनें छोड़कर दूसरी जगह बसने को मजबूर हो गए। 45 साल की सावित्री को भी 26 साल पहले अपना गांव छोड़ना पड़ा। वो गांव क्यों छोड़ना पड़ा, इस पर वो तपाक से कहती हैं कि ऊंची जाति के लोग हम दलितों को हर दिन तंग करते थे। उस दिन भी यही हुआ, हमारी जाति के बच्चे ने गलती से दुकान का सामान छू लिया। जिसका खामियाजा पूरे गांव के दलितों को उठाना पड़ा। सावित्री वो दिन याद करते हुए कहती हैं, इस छोटी सी बात पर गांव में अचानक माहौल इतना खराब हो गया कि हम लोग घर के भीतर भी सुरक्षित नहीं थे। एक रात ऊंची जाति के लोग हथियार लेकर आए। बारी-बारी से सभी को घर से निकालकर पीटने लगे। पुलिस ने भी कुछ नहीं किया। उस रात गांव के सारे दलित अपनी जान बचाकर भागे। जिसे जहां जगह मिली वो चला गया, लेकिन कोई वापस गांव लौटकर नहीं आया। घर और जमीन सब छूट गई। हमारे घर से सामान लूट लिया, घर जला दिए गए। सावित्री के पति मुथू घर के बाहर बैठकर झाड़ू बना रहे थे। उनकी उम्र करीब 50 साल होगी। मिट्टी से बना उनका घर मुश्किल से 6 फुट चौड़ा और 10 फुट लंबा है। घर को देखकर ऐसा लगा कि ज्यादा पुराना नहीं है। मैंने मुथू से पूछा कि आपका घर तो पुराना नहीं लग रहा है। इस पर वो बोले- ओडिशा कोस्टल एरिया है और यहां हर साल साइक्लोन अपने साथ तबाही लेकर आता है। बाढ़ में हमारे घर डूब जाते हैं। अगर बाढ़ आई तो घर बह जाता है जैसे दो साल पहले मेरा घर बह गया था, काश उसमें हम भी खत्म हो गए होते। ये कहते ही मुथु की आंखों से आंसू बहने लगते हैं। कुछ देर रुककर वो कहते हैं, ये घर सरकारी जमीन पर है, जिसे कभी भी खाली करवाया जा सकता है। जमीन का ये टुकड़ा पहले किसी और के कब्जे में था। 10 हजार देकर मैंने घर बनाया है। बारिश में मिट्टी और लकड़ी से बने घर की छत टपकती है। जब बारिश आती है, हम लोग पूरी रात एक कोने में बैठकर ठिठुरते रहते हैं। पूरी उम्र निकल गई, धक्के खाते-खाते, इतना कहते ही मुथू अपने आंसू पोछते हैं। कड़क आवाज में मुथु कहते हैं- देश के राष्ट्रपति का हमारी जाति से होने का क्या फायदा। हम लोग तो आज भी छुआछूत के शिकार हैं। गांव छोड़ने के बाद मैं और गरीब हो गया। दो साल पहले मेरी मां की मौत हो गई, उसके अंतिम संस्कार के लिए मेरे पास पैसे नहीं थे, मुझे उधार लेना पड़ा। मां अपने आखिरी समय तक बलिचाई गांव में उस घर को याद करती रही जहां वो दुल्हन बनकर आई थी। मुथु कहते हैं बेटियों की शादी भी कर्ज लेकर की है, अब वो कैसे लौटा पाऊंगा, इसी चिंता में नींद नहीं आती है। एक झाड़ू बेचने पर 20 रुपए मिलते हैं। कई दिन तो झाड़ू भी नहीं बिकते, फिर पेट पालने के लिए मजदूरी करता हूं। अपने पैरों की तरफ इशारा करके वो कहते हैं- ठीक से खाना ना मिलने की वजह से शरीर कमजोर हो गया, पैरों में दर्द होता है और अब मजदूरी करना भी मुश्किल लगता है। अपनी जमीन और घर होते हुए भी, आज हमारे पास कुछ नहीं बचा। अब तो मरकर ही आजादी मिलेगी। यहीं पास में 60 साल के जलंधर नायक भी रहते हैं। उनका शरीर अब सूखकर कंकाल हो चुका है। धीमी आवाज में वो कहते हैं कि उस रात हम लोगों पर तलवार से हमला किया गया। हम लोग डरकर भाग आए। गांव में हमारा अच्छा घर था और 2 एकड़ जमीन भी थी। मैंने सब कुछ खो दिया। वो लोग घर से 2 लाख रुपए और सोना भी चुराकर ले गए। मेरा भाई इस घटना के कुछ साल बाद अपनी जमीन मांगने वापस गांव गया था। दबंगों ने उस पर तलवार से हमला कर दिया। उसे जान से मार दिया। जलंधर हाथों से इशारा करते हुए कहते हैं कि खाना भी नहीं मिलता है। लड़के बाहर रहते हैं और लड़कियों की शादी हो गई है। मुझे टीबी है। अस्पताल में दवाई तो मिल जाती है पर खाना नहीं मिलता। मुश्किल से घर चल रहा है। जब पत्नी मजदूरी करने जाती है तब खाना मिलता है, वरना भूखे ही रहते हैं। अब तो ये भी याद नहीं कि आखिरी बार पेट भर खाना कब खाया था। जब भूख से पेट दुखता है तो पानी पी लेता हूं। अभी तक हमारी मुलाकात जिनसे भी हुई वो लोग या तो टूटी-फूटी हिंदी या फिर उड़िया में बात कर रहे थे। 47 साल के गणपति नायक हिंदी में कहते हैं कि गांव के सवर्णों ने हमें मंदिर नहीं जाने दिया। किसी होटल में रुकने की इजाजत नहीं दी, गांव में शादी की शोभायात्रा निकालने पर भी मनाही थी। यहां तक की तालाब में नहाने का अधिकार नहीं था। उन्हें हमें गांव से निकालने का बहाना चाहिए था। गणपति नायक कहते हैं कि ‘एक बच्चे की गलती पर उसके पिताजी को मारकर गांव के रास्ते पर फेंक दिया। फिर कुछ दिनों बाद गांव के सवर्ण लोगों ने मिलकर हमारे घर का सामान लूट लिया और गांव से भी भगा दिया। बलिचाई गांव में दलितों के करीब 50 घर थे। घटना के चार दिन के अंदर ऐसा माहौल बना दिया गया कि हमें सब कुछ छोड़कर भागना पड़ा। हमारे भागने पर हमारे घरों को जला दिया गया ताकि हम वापस ना जा पाएं। उस वक्त मेरा बच्चा दो साल का था। उसे लेकर यहां-वहां भटकते थे। कभी पेड़ के नीचे सोते तो कभी किसी के बरामदे में रात बिताते। कई बार तो सड़क किनारे भी सोए हैं। जैसे-तैसे कुछ काम करके परिवार का पेट पाला। गांव से निकाले गए दलितों में कई बुजुर्ग भी थे, उन्हें तो हमसे भी ज्यादा दिक्कत हुई। कई लोगों की मौत हो गई।’ चेहरे पर उदासी लिए गणपति नायक कहते हैं कि हमें तो आज भी धमकी मिलती है कि अगर दोबारा गांव में घुसने की कोशिश की तो फिर मारकर भगा दिया जाएगा। पुलिस भी कोई मदद नहीं करेगी। हम लोगों ने ओडिशा सरकार से लेकर केंद्र सरकार तक को लेटर भेजा, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। अब तो केवल राष्ट्रपति से उम्मीदें हैं। अगर वो मिलने का समय देती हैं तो शायद हमारे दुखों का अंत हो जाएगा। ----------------------------------- ब्लैकबोर्ड सीरीज की ये खबरें भी पढ़िए... 1.ब्लैकबोर्ड-हमारी बेटी का रेप हुआ और हमें ही कैद मिली:जानवरों से बदतर जिंदगी जी रहे हैं, हमारे बच्चे स्कूल तक नहीं जा सकते हाथरस रेप कांड में मारी गई लड़की के घर के बाहर पिछले पांच साल से सीआरपीएफ का पहरा है। परिवार को अस्पताल जाने के लिए इजाजत लेनी पड़ती है। पीड़िता की भाभी सीमा टूटी-फूटी हिंदी में कहती हैं- ‘इन पांच सालों में हम 15 साल पीछे चले गए हैं। बाहर की दुनिया ही भूल चुके हैं। हमारी जिंदगी इस चारदीवारी के भीतर ही सिमट कर रह गई है। पूरी खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें 2. ब्लैकबोर्ड- मोबाइल का लालच देकर चाचा करते थे गलत काम:प्राइवेट पार्ट टच करना कॉमन था, आज भी कोई छुए तो घिन आती है उस रोज मेरे साथ जो हुआ उसने मर्दों के लिए मेरी सोच को पूरी तरह से बदल कर रख दिया। हर मर्द की शक्ल में मुझे वही दिखता है। मुझे लड़कों से नफरत हो गई है। कोई मर्द मेरी तरफ देख भी ले तो सहम जाती हूं। पूरी खबर पढ़ें...
कुछ दिन पहले 20 साल की ये यूक्रेनियन मॉडल दुबई में एक सड़क किनारे पड़ी मिलीं। हाथ, पैर और स्पाइन टूटा हुआ था। शरीर खून से लथपथ था। रिपोर्ट्स के मुताबिक ये दुबई की पोर्टा पॉटी पार्टी में शामिल हुई थीं। जहां इनके साथ कई बार रेप, मारपीट और इससे भी बदतर अमानवीय हरकते हुईं। दुबई अल्ट्रा लग्जूरियस शहर है लेकिन यहां की सीक्रेट पार्टियों के ट्रेंड ने पूरी दुनिया की चिंता बढ़ा दी है। आखिर पोर्टा पॉटी पार्टीज क्या हैं, और इसमें विदेशी महिलाओं को किस तरह की यातनाएं झेलनी पड़ती हैं जानने के लिए इमेज पर क्लिक कर वीडियो देखें।
इजराइल के निरओज में रहने वाले लाइर और इटान अपने घर में बैठे थे। ये शहर हमास के कंट्रोल में रही गाजा पट्टी के करीब है। सुबह 6:29 बजे अचानक गाजा की ओर रॉकेट फायर होने लगे। इजराइल का डिफेंस सिस्टम एक्टिव हो गया। पूरे साउथ इजराइल में सायरन की आवाज आने लगीं। लाइर और इटान भी अलर्ट हो गए। तभी उनके घर में हथियार लिए कुछ लोग घुस आए। उन्होंने लाइर और इटान को पकड़ा, बांधा और गाजा ले गए। ये लोग हमास के लड़ाके थे। हमास ने इजराइल पर सबसे बड़ा हमला किया था। तारीख थी 7 अक्टूबर 2023, हमास के लड़ाकों ने 1,200 से ज्यादा लोगों को मार डाला। लाइर और इटान की तरह 251 लोगों को बंधक बना लिया। इस बात को 634 दिन हो गए। इजराइल ने हमास के साथ गाजा को भी बर्बाद कर दिया। लाइर घर लौट आए, लेकिन इटान जैसे 50 लोग अब भी गाजा में बंधक हैं। वे कहां हैं, किसी को नहीं पता। इजराइल में बंधकों को छुड़ाने के लिए प्रोटेस्ट हो रहे हैं। तेल अवीव में एक जगह का नाम ही होस्टेज स्क्वायर हो गया है। ये जगह तेल अवीव म्यूजियम के पास है। यहां लोग हर शनिवार को बंधकों की रिहाई और गाजा में युद्ध खत्म करने की मांग पर प्रोटेस्ट करने आते हैं। वे अपने प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से भी गुस्सा हैं। उन्हें लगता है कि नेतन्याहू जानबूझकर गाजा की जंग नहीं रोक रहे हैं। इसी जगह हमें लाइर, इटान और नामा की कहानी पता चली। 498 दिन हमास की कैद में रहे लाइर, टनल में मरते-मरते बचेलाइर और उनके भाई 38 साल के इटान को हमास के लड़ाकों ने किसी टनल में कैद करके रखा था। जनवरी 2025 में लाइर को रिहा कर दिया गया। 46 साल के लाइर अब भी लोगों के सामने बात नहीं कर पाते। लाइर घर लौटे थे, तब उन्होंने फैमिली को आपबीती सुनाई थी। लाइर की भाभी डालिया खुसनेर ने हमें टनल में फंसे होने का एक किस्सा सुनाया- ‘इजराइली आर्मी बमबारी कर रही थी। उस वक्त लाइर और इटान बाकी बंधकों के साथ एक टनल में कैद थे। बम गिरने से टनल का एक हिस्सा गिरने लगा। हमास के लड़ाकों ने बंधकों को खड़े होने के लिए कहा। टनल में ही दूसरी लोकेशन पर ले जाने लगे। हमारे हाथ-पैर बंधे थे।' 'उसी हालत में वे कई घंटे हमें टनल के अंदर पैदल चलाते रहे। इटान बहुत बीमार था। चलते–चलते उसकी हालत खराब हो गई, वो टनल में ही बैठ गया।’ ‘इटान ने लाइर से कहा कि तुम लोग भागकर जान बचाओ, मैं यहीं बैठा हूं। अगर मैं आगे चलूंगा तो वैसे भी मर जाऊंगा। लाइर ने उसे सहारा दिया और कहा कि तुम नहीं चलोगे तो मैं भी नहीं जाऊंगा। लाइर ने उसका हाथ पकड़ा और टनल में आगे ले गया।’ सीजफायर डील के बाद हमास ने लाइर को छोड़ालाइर को हमास ने जनवरी 2025 में सीजफायर डील के तहत रिहा कर दिया। 498 दिन बाद उन्होंने सूरज की रोशनी देखी। हमास के लड़ाके उन्हें टनल से बाहर लेकर आए। लाइर को इंटरनेशनल एक्सचेंज टीम को सौंप दिया गया। ये टीम लाइर को इजराइली डिफेंस फोर्स तक लेकर गई। मेडिकल चेकअप के बाद लाइर अपने घर आ गए। लाइर तो आ गए, लेकिन पीछे छूट गए 50 बंधक, जिनमें इटान भी हैं। कोई बंधक घर लौटता है, तो खुश होता है। लाइर वापस आए, तो उन्हें अपराधी की तरह महसूस हुआ क्योंकि हमास ने उन्हें रिहा कर दिया, लेकिन भाई इटान को नहीं छोड़ा। लाइर अब भी कहते हैं कि इटान का हाथ पकड़ने के लिए अब वहां कोई नहीं है, इसलिए सरकार को उसे वापस लाने के लिए पहल करनी चाहिए। लाइर की भाभी डालिया बताती हैं, ‘लाइर को हर सुबह महसूस होता है कि वो गाजा में ही हैं। वो खुद को आजाद महसूस नहीं कर पा रहे। लाइर मेंटल थेरेपी नहीं ले रहे। उनका कहना है कि मैं तब तक थेरेपी शुरू नहीं करूंगा, जब तक सारे बंधक वापस नहीं आ जाते।’ कई-कई दिन भूखे रहे, टॉर्चर झेलाडालिया कहती हैं, ‘लाइर ने बताया कि हमास के लड़ाके हमें कई-कई दिन भूखा रखते थे। उन्होंने हमें बहुत टॉर्चर किया। टनल के अंदर हर जगह विस्फोटक भरे थे। वे हमारे साथ बहुत बुरा बर्ताव करते थे।’ लाइर को कैसे टॉर्चर किया गया? डालिया जवाब देती हैं, ‘अभी वो इस बारे में बात नहीं कर रहे हैं। हमने भी उनसे नहीं पूछा। उन आतंकियों ने छोटे बच्चों को ओवन में रखकर जला दिया, लाशों से रेप किया, महिलाओं को मार डाला, ये वही आतंकी हैं। उन्होंने क्या-क्या किया होगा, आप इसी से समझ सकते हैं।’ अब 21 साल की नामा की आपबीतीनामा को हमास ने बंधक बनाया, तब वे सिर्फ 19 साल की थीं। रिहा होकर वापस आईं, तब 21की हो चुकी हैं। नामा को हमास के लड़ाकों ने नाखालोस बॉर्डर से कैद किया था। वो हमास के हमले से बचने के लिए बम शेल्टर में छिप गई थीं। हमास के लड़ाकों ने नामा और उनके दोस्तों को शेल्टर से निकालकर कैद कर लिया और गाजा ले गए। वे भी जनवरी 2025 में रिहा होकर लौटी हैं। नामा के भाई अमित लेवी बताते हैं, ‘नामा शुरुआत से बहुत मजबूत थी। उसने हमास की कैद में भी अपनी हिम्मत नहीं टूटने दी। वो लौटकर घर आई, तब भी वो डरी नहीं थी। अब अपनी पुरानी जिंदगी में वापस आने की कोशिश कर रही है। उसे मेंटल थेरेपी दी जा रही है। फिर भी वो बंधकों की खबरें सुनती है, तो परेशान होने लगती है। उसे टनल में गुजारे बुरे पल याद आते हैं।’ नामा बताती हैं, ‘मैं टनल के अंदर कैद थी, तब हर दिन बंधकों को शिफ्ट किया जाता था। खाना-पानी भी नहीं मिलता था। मैं और मेरे दोस्त घायल भी हुए, लेकिन वे हमारा इलाज नहीं करते थे।’ होस्टेज स्क्वायर पर गाजा में जंग खत्म करने के नारेलाइर, नामा और इटान की कहानी हमें तेल अवीव के होस्टेज स्क्वायर पर मिली। यहां हर शनिवार को लोग बंधकों की आजादी के लिए प्रोटेस्ट करने आते हैं। यहूदियों के लिए ये दिन शब्बाद का होता है। वे इस दिन छुट्टी मनाते हैं। फिर भी हजारों लोग हर शनिवार 3 घंटे के लिए होस्टेज स्क्वायर आते हैं। वे अलग-अलग तरीकों से अपना गुस्सा और दर्द जाहिर करते हैं। किसी ने रंगीन पत्थर पर बंधकों के नाम लिखे हैं, तो कोई फोटो के साथ कागज पर मैसेज लिखता है, कोई बंधकों की याद में गाना गाता है। यहीं बंधकों की याद में बनी एक टनल भी है। लोगों का दर्द अब अपनी सरकार के लिए गुस्से में बदल रहा है। वे प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ भी प्रदर्शन कर रहे हैं। उनकी मांग है कि सरकार बंधकों को छुड़ाए, साथ ही गाजा में चल रही जंग भी खत्म करे। हाइफा की टेक्नियन यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर रशेल राहेल प्रोटेस्ट में शामिल होने हर हफ्ते करीब 90 किमी दूर तेल अवीव आती हैं। वे कहती हैं ‘मैं जल्द से जल्द इजराइली बंधकों की वापसी चाहती हूं। एक साल पहले ही इस जंग का मकसद पूरा हो गया था। लगता है कि PM नेतन्याहू अपनी सत्ता बचाने के लिए युद्ध नहीं रोक रहे हैं। उनके सहयोगी दल कट्टर राष्ट्रवादी, अतिवादी और दक्षिणपंथी धार्मिक हैं। वे युद्ध जारी रखना चाहते हैं।’ ‘इजराइली सरकार को गाजा में आम लोगों को नहीं मारना चाहिए। इस सरकार के कुछ लोग गाजा को यहूदियों की जमीन बनाना चाहते हैं। मुझे नहीं लगता कि ऐसा होना चाहिए। अगले साल चुनाव होंगे। उनका जीतना बहुत मुश्किल है।’ ‘नेतन्याहू अपने स्वार्थ के लिए जंग कर रहे’क्रिएटिव आर्टिस्ट गलिला नौकरी करती थीं। अब रिटायर हो चुकी हैं। गलिला जोर-जोर से नारे लगा रही थीं। हमने उनसे पूछा- आप यहां किसलिए आई हैं। वे कहती हैं- ‘मैं उन सभी सरकारों के खिलाफ प्रदर्शन कर रही हूं, जो युद्ध जारी रखने के लिए लोगों की जिंदगी ताक पर रख रहे हैं। बहुत मौतें हो चुकी हैं। हालांकि हमने ये जंग शुरू नहीं की थी।‘ ‘मैं हर शनिवार इसी मांग के साथ आती हूं कि बंधकों को वापस लाया जाए और युद्ध खत्म हो। गाजा में खून बहाना बंद करो। जिंदगी की कद्र करो। ये सरकार अपने स्वार्थ में युद्ध को खींच रही है। मैं गलत भी हो सकती हूं। सरकार पर यहूदियों को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी है, वो बदले के लिए लोगों की जान ले रही है।’ ‘आखिर सरकार को समझ क्यों नहीं आ रहा कि गाजा में युद्ध खत्म करने का वक्त आ गया है। मुझे अपनी सरकार से डर लगने लगा है। हम सुसाइड की तरफ बढ़ रहे हैं।’ डॉक्यूमेंट्री मेकर शेरॉन तेल अवीव में रहती हैं। वे 20 महीने से इजराइली बंधकों के लिए काम रही हैं। उन पर फिल्म बना रही हैं। उन्होंने इस आंदोलन को कैमरे में रिकॉर्ड किया है। शेरॉन कहती हैं, ‘सरकार राजनीति में अंधी होकर अपने लोगों को भूल गई है। लोगों को उनके घर से अगवा किया गया और वे 20 महीने से वापस नहीं आए। ये हमारी जिम्मेदारी है कि सरकार को फैसले बदलने के लिए मजबूर करें। हमें ट्रम्प से उम्मीद है कि वे गाजा में युद्ध रोकने और बंधकों को वापस लाने में मदद करेंगे।’ ‘मुझे नेतन्याहू पर भरोसा नहीं है। मुझे सिर्फ इजराइली आर्मी पर भरोसा है। नेतन्याहू अगर ईरान को हराने की बात कर रहे हैं तो अब तक गाजा में जंग क्यों चल रही है।’ हमने शेरॉन से पूछा कि आप इजराइल की सरकार को पसंद क्यों नहीं करतीं? वे कहती हैं ‘ये सरकार बहुत कट्टर है। उसके विचार रूढ़िवादी हैं।’ गाजा में इजराइल के 900 सैनिकों की मौतप्रदर्शनकारियों में बड़ी तादाद में नौजवान भी शामिल हैं। इजराइल में युवाओं को मिलिट्री ट्रेनिंग करना अनिवार्य है। लड़कों को 3 साल और लड़कियों को 2 साल सेना में सर्विस देनी होती है। इजराइली डिफेंस फोर्स में शामिल युवा गाजा में भी लड़ रहे हैं। IDF के करीब 900 जवान गाजा में जान गंवा चुके हैं। बीते 24 जून को ही साउथ गाजा के खान यूनुस में ऑपरेशन के दौरान 7 इजराइली जवानों की मौत हो गई। एक तरफ बंधकों का सुराग नहीं मिल रहा, दूसरी तरफ इजराइली सेना गाजा में मुश्किलों में है। इस वजह से सरकार पर दबाव बढ़ रहा है। इजराइली आर्मी में सर्विस देकर लौटे तोविएस भी प्रदर्शन में शामिल हैं। तोविएस कहते हैं कि ‘इजराइलियों की खासियत है कि हम अपने फंसे हुए लोगों को वापस लाते ही हैं।’ गाजा में इजराइली सैनिकों की मौत हो रही है, अभी पता नहीं कि ऑपरेशन कब पूरा होगा और बंधक कब वापस आएंगे। इस पर तोविएस कहते हैं, ‘गाजा की जंग सही है। मुझे लगता है कि अब बंधकों को वापस लाने के लिए युद्ध को बंद करना चाहिए। युद्ध तबाही लेकर आता है। इसमें कई लोगों की मौत हो रही है, लेकिन हमारे पास दूसरा विकल्प नहीं है।’ ‘आपके सामने ऐसे आतंकी हों जो युद्ध चाहते हों, आम लोगों को ह्यूमन शील्ड बनाते हों, हॉस्पिटल में मिलिट्री बेस बनाते हों, अब भी लड़ना चाहते हों, तो युद्ध के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता।’ ........................................ ईरान-इजराइल जंग पर ग्राउंड जीरो से ये स्टोरी भी पढ़िए...
15 जून, 2025 की सुबह यूपी के रामप्रकाश श्रीवास्तव के लिए किसी आम दिन की तरह नहीं थी। वो आस्था और उत्साह से भरे केदारनाथ धाम की ओर उड़ान भरने वाले थे। उनका नाम उस हेलिकॉप्टर की लिस्ट में था, जो तीर्थयात्रियों को घाटी ले जाने वाला था। वो बेसब्री से अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। तभी पता चला कि गुप्तकाशी में मौसम खराब हो गया है। उन्हें जिस हेलिकॉप्टर से जाना था, वो केदार घाटी में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। चारधाम यात्रा पर गए रामप्रकाश उस दिन बच गए, लेकिन उस हेलिकॉप्टर में सवार 7 लोगों की किस्मत उतनी मेहरबान नहीं थी। हादसे में पायलट और एक बच्चे सहित 7 लोगों की मौत हो गई। इस साल चारधाम यात्रा में अब तक कुल 5 हेलिकॉप्टर हादसे सामने आ चुके हैं। इनमें से 3 सिर्फ केदार घाटी में हुए हैं। हेलिकॉप्टर क्रैश की बढ़ती घटनाओं ने उत्तराखंड आने वाले श्रद्धालुओं की चिंता बढ़ा दी है। चारधाम यात्रा के शुरुआती 40 दिनों में एक के बाद एक हवाई हादसों ने हेलिकॉप्टर सर्विसेज को सवालों के घेरे में ला दिया है। इन हादसों की असल वजह क्या है? क्या हेली उड़ानों का मैनेजमेंट DGCA की गाइडलाइन और सभी मानकों के मुताबिक हो रहा है? हेलिकॉप्टर से तीर्थ यात्राएं आखिर कितनी सुरक्षित हैं? हमने ये सवाल एविएशन एक्सपर्ट्स, उत्तराखंड सरकार के अधिकारियों और पर्यावरण वैज्ञानिकों से पूछे। 5 मिनट में बदलता मौसम, केदार घाटी में उड़ान सबसे रिस्कीकेदारनाथ की हेलिकॉप्टर उड़ानें देश की सबसे जोखिम भरी एविएशन सेवाओं में गिनी जाती हैं। इसके पीछे कई वजहें हैं। सबसे बड़ी वजह यहां का तेजी से बदलता मौसम है। समुद्र तल से 3,500 मीटर की ऊंचाई वाले इस इलाके में हर कुछ मिनट में मौसम बदलता रहता है। कभी तेज धूप, तो कुछ ही पल में घना कोहरा और अचानक तेज बारिश होने लगती है। इन हालात में उड़ान भरना खतरनाक साबित होता है। 15 जून को आर्यन एविएशन का जो हेलिकॉप्टर क्रैश हुआ, वो केदारनाथ से गुप्तकाशी सेक्टर के आर्यन हेलीपैड की ओर उड़ान भर रहा था। हादसे में पायलट समेत 7 लोगों की जान चली गई। एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो AAIB हादसे की जांच कर रहा है। शुरुआती इन्वेस्टिगेशन में पता चला कि हादसे के वक्त हेलिकॉप्टर पायलट के कंट्रोल में होने के बावजूद किसी चीज से टकरा गया। एविएशन टर्म्स में इसे CFIT यानी कंट्रोल्ड फ्लाइट इनटू टेरेन कहा जाता है। AAIB से जुड़े सोर्स के मुताबिक, हादसे के वक्त घाटी में बहुत ज्यादा बादल और लो विजिबिलिटी थी। ऐसे वक्त में किसी भी हवाई उड़ान की मनाही होती है, लेकिन उस दिन खराब मौसम के बावजूद हेलिकॉप्टर ने उड़ान भरी। यही बात हादसे की सबसे बड़ी वजह बनी। हादसे की दूसरी वजहों की जांच अभी चल रही है। हेलिकॉप्टर क्रैश के बाद केंद्रीय विमानन मंत्रालय ने आर्यन एविएशन की चारधाम यात्रा से जुड़ी सभी सर्विसेज सस्पेंड कर दी हैं। साथ ही खराब मौसम में उड़ान भरने की वजह से ट्रांस भारत एविएशन कंपनी के दो पायलट कैप्टन योगेश ग्रेवाल और कैप्टन जितेंद्र हरजाई के लाइसेंस 6 छह महीने के लिए सस्पेंड कर दिए गए हैं। मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि यात्रा में लोगों की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जा सकता है। किसी भी ऑपरेटर को मौसम संबंधी और दूसरे प्रोटोकॉल का उल्लंघन करते हुए उड़ानें नहीं भरनी चाहिए। DGCA की गाइडलाइन से खिलवाड़, अंधाधुंध उड़ाए जा रहे हेलिकॉप्टर चारधाम यात्रा में सबसे ज्यादा एयर ट्रैफिक का लोड केदारनाथ धाम की यात्रा में होता है। यहां गुप्तकाशी, फाटा, सिरसी और सहस्त्रधारा जैसी जगहों से 9 एविएशन कंपनियां हेली सर्विस देती हैं। इन सभी कंपनियों के हेलिकॉप्टर की उड़ानों के लिए तय रूट हैं, लेकिन ज्यादातर हेलिकॉप्टर ईधन और समय बचाने के लिए निर्धारित ऊंचाई से नीचे उड़ान भरते हैं। रुद्रप्रयाग रीजन के आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार हवाई हादसों की वजह हेली ऑपरेटरों की मनमानी को मानते हैं। वो कहते हैं, ‘केदारनाथ-बद्रीनाथ जैसे उच्च हिमालयी क्षेत्रों में मिनटों के अंदर मौसम बदल सकता है। ये घाटियां ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों से घिरी हुई हैं। यहां टेकऑफ और लैंडिंग के लिए जगह बहुत सीमित होती है। ’ जरा सी चूक किसी बड़े हादसे की वजह बन सकती है। ऐसे हालात में उड़ान भरना बेहद चुनौतीपूर्ण हो जाता है, खासकर तब जब हेलिकॉप्टर सिंगल इंजन वाले हों। ‘चारधाम यात्रा में ज्यादातर हेली कंपनियां सिंगल इंजन वाले हेलिकॉप्टरों का इस्तेमाल कर रही हैं। ये हल्के होते हैं और तेज रफ्तार से उड़ान भरने में सक्षम होते हैं। आम तौर पर गुप्तकाशी या फाटा से केदारनाथ हेलीपैड तक जाने में 15 से 20 मिनट लगते हैं। सिंगल इंजन वाले हेलिकॉप्टर ये दूरी महज 7 मिनट में पूरी कर लेते हैं। जबकि ऐसा करना DGCA के मानकों का उल्लंघन है।’ DGCA की गाइडलाइन के अनुसार, केदार घाटी में मंदाकिनी नदी के तट से 600 मीटर ऊपर ही हेलिकॉप्टर उड़ाने की परमिशन है। मंदिर तक जाने वाला एयर रूट बेहद संकरा है। यहां एक बार में सिर्फ 2 हेलिकॉप्टर ही आ-जा सकते हैं। ये भी तय किया गया कि शाम के वक्त हेलिकॉप्टर उड़ान नहीं भरेंगे, लेकिन ये गाइडलाइन महज कागजों तक ही सीमित हैं। 2022 में इन मानकों के उल्लंघन पर 3 हेली कंपनियों को नोटिस जारी किए गए थे। कोई एयर ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम नहीं, पायलट्स पर उड़ानों का प्रेशर अक्टूबर 2022 में केदारनाथ में हुए हेलिकॉप्टर क्रैश में 7 लोगों की मौत हुई थी। इसकी जांच के बाद AAIB ने UCADA यानी उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण को ATC एयर ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम और एक एविएशन वेदर स्टेशन स्थापित करने की सिफारिश की थी। इससे पायलट्स को उड़ान से पहले मौसम संबंधी जानकारी मिलती, लेकिन 3 साल बाद भी AAIB की सिफारिश पर अमल नहीं किया गया। एविएशन एक्सपर्ट कैप्टन मोहन रंगनाथ कहते हैं, ’उत्तराखंड की ज्यादातर घाटियों में बादल बहुत नीचे आ जाते हैं, जो सिर्फ हेलिकॉप्टर ही नहीं, किसी भी तरह की उड़ान के लिए खतरनाक हैं। ऐसी परिस्थितियों से बचने के लिए ATC और हाईटेक नेविगेशन सिस्टम का होना बहुत जरूरी है, लेकिन उत्तराखंड में इसकी कमी है।’ ’VFR यानी विजुअल फ्लाइंग रूल के मुताबिक, अगर इलाके में घने बादल छाए हैं और पायलट को 5 किमी तक साफ नहीं दिख रहा है, तो उस कंडीशन में उड़ान की इजाजत नहीं मिलनी चाहिए।’ 7 जून को सिरसी से केदारनाथ जाते वक्त एक हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया। इसमें सभी यात्री तो बच गए, लेकिन पायलट घायल हो गया। हादसे के बाद DGCA ने उत्तराखंड में नए नियम लागू करते हुए कुछ पायलट्स के लाइसेंस सस्पेंड किए। साथ ही पायलट्स पर उड़ान का प्रेशर कम करने के लिए चार धाम रूट पर प्रति घंटे सिर्फ 9 उड़ानों की सीमा तय कर दी। इसमें सिरसी हेलीपैड से 4, फाटा से 3 और गुप्तकाशी से 2 उड़ानें रखीं। इससे रोज की कुल उड़ानें 250 से घटकर 150 रह गई हैं। नियम तो बने, लेकिन केवल कागजों पर DGCA उन सभी निजी हेलिकॉप्टर ऑपरेटर्स को उड़ान लाइसेंस जारी करता है, जो देशभर में शटल सेवाएं देते हैं। इनमें माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड से लेकर बद्री-केदार मंदिर समिति की शटल सेवाएं शामिल हैं। एविएशन रूल 1936-37 के मुताबिक किसी भी पायलट को उड़ान लाइसेंस जारी करने से पहले DGCA उसके बारे में अपनी वेबसाइट पर जानकारी देता है। नियम के अनुसार पायलट की उम्र कम से कम 17 साल और उसे 10वीं पास करना जरूरी है। 40 घंटे की उड़ान का अनुभव भी होना चाहिए, जिसमें 16 घंटे की सोलो उड़ान शामिल है। साथ ही सिलेक्शन के लिए लिखित परीक्षा में 60% से ज्यादा अंक होने चाहिए। कैप्टन मोहन रंगनाथ कहते हैं, ’हेलिकॉप्टर हादसों को रोकने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है पायलट्स की अच्छी ट्रेनिंग। DGCA ने नियम तो बनाए हैं, लेकिन ये सिर्फ कागजों तक ही सीमित हैं। इन्हें अमल में लाया जा रहा है या नहीं? इसकी किसी को चिंता नहीं है। DGCA भी हादसा होने के बाद एक्शन लेता है। सिर्फ लाइसेंस रद्द करने भर से चीजें नहीं बदलेंगी। हादसों का कारण बन रहे हेलिकॉप्टर ऑपरेटर्स और जिम्मेदार लोगों को जेल भेजना चाहिए।’ ऑटो-रिक्शे की तरह बेहिसाब सवारी ढो रहे हेलिकॉप्टर उत्तराखंड के सोशल एक्टिविस्ट और सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटीज फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल कहते हैं, ’2013 के बाद से इस बार चारधाम यात्रा के दौरान आसमान में इतनी ज्यादा मौतें हुईं हैं। इसकी बड़ी वजह एयर ट्रैफिक लोड है। उत्तराखंड में हेलिकॉप्टर्स का संचालन अब ऑटो और रिक्शे की तरह किया जा रहा है। मुनाफे के चक्कर में ज्यादा सवारियां बैठाई जा रही हैं और बिना सुरक्षा जांच के उड़ानें बढ़ा दी गई हैं।’ DGCA कहता कि हेलिकॉप्टर राइड के दौरान एक बार में पायलट को मिलाकर 3-4 से ज्यादा यात्री सवारी नहीं कर सकते। फिर 15 जून वाली घटना में क्यों 7 लोगों के साथ उड़ान भरी गई। क्या ये एविएशन रूल्स का उल्लंघन नहीं है। ’सरकार का फोकस यात्रियों की संख्या का रिकॉर्ड बनाने पर है। अकेले केदारनाथ को ही देखें तो यहां सिरसी, फाटा और गुप्तकाशी हेलीपैड से रोजाना 300 से 400 बार हेलिकॉप्टर मंदिर तक चक्कर लगाता है। इससे न सिर्फ पायलट्स पर उड़ान का लोड बढ़ता है बल्कि वहां का बायोस्फियर भी प्रभावित होता है। लिहाजा सरकार का फोकस लोगों का रिकॉर्ड बनने पर नहीं बल्कि उन्हें सीमित संख्या में सुरक्षित यात्रा करवाने पर होना चाहिए।’ उत्तराखंड सरकार और विपक्ष क्या कह रहा…CM बोले- पायलटों की योग्यता की जांच होगी, नया कंट्रोल-कमांड सेंटर बनेगा15 जून को केदारनाथ में हुए हेलिकॉप्टर हादसे के बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हाईलेवल मीटिंग बुलाई। इसमें राज्य सरकार के सीनियर अफसर, UCADA नागर विमानन सचिव, DGCA और हेलिकॉप्टर सर्विसेज से जुड़ी एजेंसियों के प्रतिनिधि शामिल हुए। बैठक में CM धामी ने हेली सेवाएं फिर से शुरू करने से पहले सभी ऑपरेटरों और पायलटों की मॉनिटरिंग करने के सख्त निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री धामी ने कहा, ’चारधाम यात्रा में आने वाले हर एक श्रद्धालु की सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी है। इसे ध्यान में रखते हुए सभी हेलिकॉप्टर ऑपरेटर्स को DGCA की गाइडलाइन का सख्ती से पालन करने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही उच्च हिमालयी क्षेत्रों में लोगों को दर्शन के लिए ले जाने वाले पायलटों के एक्सपीरियंस और उनकी योग्यता की दोबारा जांच की जाएगी। हादसों के पीछे जो भी व्यक्ति जिम्मेदार होगा, उसके खिलाफ कड़ा एक्शन लिया जाएगा।’ कांग्रेस: प्रदेश सरकार ने खुद के मुनाफे के लिए हेली एजेंसियों को टेंडर बांटाकांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य और उत्तराखंड कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष गणेश गोदियाल कहते हैं, 'चारधाम यात्रा में सामने आ रहे हेलिकॉप्टर हादसे उत्तराखंड सरकार के भ्रष्टाचार का नतीजा हैं। हेलिकॉप्टर एजेंसियों को अपने फायदे के हिसाब से टेंडर बांटना, उड़ान नियमों के उल्लंघन की खुली छूट देना और एक के बाद एक हो रहे हादसों से सबक न लेना। इन्हीं सब कारणों से बीते 40 दिनों में 5 घटनाएं सामने आ चुकी हैं।' ‘तीर्थ यात्रियों को एकतरफ हेलिकॉप्टर यात्राओं से खतरा बना हुआ है, तो दूसरी ओर ऑल वेदर रोड पर चलने में भी सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है। कच्चे पहाड़ों को जिस तरह ऑल वेदर रोड के नाम पर तोड़ा गया, पैसों की बंदरबांट हुई। आज उसी का नतीजा है कि उत्तराखंड की जनता और बेकसूर यात्रियों को जान से हाथ धोना पड़ रहा है।’ पर्यावरण वैज्ञानिक बोले- हेलिकॉप्टरों के शोर से पहाड़ों पर दबाव बढ़ा चारधाम यात्रा में हेलिकॉप्टर सेवा आखिर कितनी सेफ है? इसे लेकर हमने उत्तराखंड के पर्यावरण वैज्ञानिक डॉ. रवि चोपड़ा से बात की। रवि 2013 की केदारनाथ आपदा के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बनी हाईपावर कमेटी के अध्यक्ष रहे हैं। वे कहते हैं, ’चारधाम यात्रा के दरमियान घने जंगलों के ऊपर हेलिकॉप्टरों के आने-जाने से पहाड़ों पर दबाव बढ़ रहा है। खासकर केदारनाथ में इसके शोर से घाटी का संतुलन बिगड़ता जा रहा है। ये ग्लेशियर पिघलने का कारण बन रहा है।’ ’वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट भी उत्तराखंड सरकार को आगाह कर चुका है कि केदारनाथ के जंगलों के ऊपर उड़ रहे हेलिकॉप्टर्स की तेज आवाज यहां पाए जाने वाले कस्तूरी हिरण के लिए नुकसानदेह साबित हो रही है। इसे तुरंत रोक देना चाहिए।’ ............................ ये खबर भी पढ़ें... अमरनाथ यात्रा पर कैसे जाएं, जानिए सबकुछ अमरनाथ यात्रा 3 जुलाई से शुरू हो रही है। 38 दिन की यात्रा 9 अगस्त यानी रक्षाबंधन तक चलेगी। अमरनाथ गुफा तक पहुंचने के लिए दो रूट हैं। एक पहलगाम बेस कैंप से और दूसरा बालटाल बेस कैंप से जाता है। जम्मू से पहला जत्था 2 जुलाई को निकल गया है। 3 जुलाई को जत्थे पहलगाम और बालटाल से बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए यात्रा शुरू कर रहे हैं। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद लोग अपनी सेफ्टी को लेकर डरे हुए हैं। पढ़िए पूरी खबर...
Bangladesh News in Hindi: बांग्लादेश में 'क्रांति' का नशा एक साल के अंदर ही कथित छात्रों के दिमाग से उतर गया है. इस क्रांति में शामिल लोग अब स्थाई सत्ता पाने की जंग में शामिल हो गए हैं. ऐसे ही एक नेता नाहिद इस्लाम अब बांग्लादेशी राष्ट्रपति के खिलाफ हिंसक रैली की योजना बना रहे हैं.
पाकिस्तान अब इजरायल को मान्यता देगा? ख्वाजा आसिफ के बयान के मायने भी समझिए
Pakistan News:भारत के दोस्त इज़रायल से पाकिस्तान की नफरत के बारे में सारी दुनिया जानती है. ईरान और इजरायल के युद्ध में भी पाकिस्तान के नेताओं ने इज़रायल के खिलाफ बयान दिया था. लेकिन इजरायल के मान्यता देने के सवाल के जवाब में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने इससे इनकार नहीं किया और अपना अपना फायदा देखने की ही बात कही.
दंगे जैसे हालातों के बीच किस देश के राष्ट्रपति बेच रहे परफ्यूम, कम लोगों को मालूम होगा सही आन्सर
Donald Trump:अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के अंदर मौजूद एक डीलर के नए कारनामे का विश्लेषण करेंगे. ट्रंप को सोते जागते, उठते बैठते हर जगह मुनाफा दिखता है, वहीं मुनाफा कमाने के लिए वो किसी भी तरह की डील करने को तैयार रहते हैं. सुपरपावर नेता की इनकम के बारे में जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे.
Trending: 'कबीरा इस संसार में भांति भांति के लोग'... ये दोहा दक्षिण अफ्रीका में हुए एक अजीबोगरीब वाकये पर एकदम सही बैठता है. जहां तुगलकी फरमान जारी करते हुए बॉस ने अपनी कैशियर को बिना किसी गलती के नोटिस दिए बगैर नोटिस दिए नौकरी से निकाल दिया. पीड़िता ने आपबीती सुनाई तोसोशल मीडिया परउसके बॉस की थू-थू हो रही है.
बांग्लादेश : शेख हसीना को मिली छह महीने जेल की सजा
भारत में निर्वासन में रह रहीं बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने अदालत की अवमानना के लिए बुधवार को छह महीने जेल की सजा सुनाई
End of Xi Jinping Regime: चीन में अंदरखाने कुछ न कुछ ऐसा चल रहा जो पूरी दुनिया को प्रभावित कर सकता है. बीते कुछ दिनों से चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग सार्वजनिक मंचों से अदृश्य हो गए हैं. न कोई भाषण, ना रैली और ना ही किसी देश का दौरा. अब चीन ने साफ कर दिया है कि ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भी जिनपिंग नहीं जा रहे हैं.
अमेरिका ने रोकी यूक्रेन की सैन्य मदद, पेट्रियट एयर डिफेंस और मिसाइलें नहीं मिलेगी
ट्रंप प्रशासन ने अमेरिका के अपने भंडार की समीक्षा के बाद यूक्रेन को दी जाने वाली 'सैन्य सहायता' के एक हिस्से को रोक दिया है। इसकी पुष्टि व्हाइट हाउस और पेंटागन ने की है
शेख हसीना को 6 महीने की जेल लेकिन कैद कहां करेंगे कट्टरपंथी? भारत पर कितना बढ़ेगा दबाव
Shiekh Hasina: बांग्लादेश की एक अदालत ने अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को एक मामले में मुजरिम करार दिया है. उन्हें छह महीने जेल की सजा सुनाई गई है. ये फैसला ICT ने सुनाया है. शेख हसीना पिछले ग्यारह महीने से भारत में रह रहीं हैं.
टैरिफ रोक को 09 जुलाई के बाद बढ़ाने की योजना नहीं-ट्रम्प
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने घोषणा की है कि उनका पारस्परिक व्यापार शुल्कों के निलंबन को आगे बढ़ाने का इरादा नहीं है, जो 09 जुलाई को समाप्त होने वाला है
रूस को बड़ा झटका देने की तैयारी में अमेरिका, भारत-चीन में भी होगा इस धमाके का असर
Russia Ukraine War: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन के बीच दोस्ती जल्द ही दुश्मनी में बदल सकती है. दरअसल, पुतिन की जिद से खिसियाए ट्रंप अब रूस पर बड़ी कार्रवाई की तैयारी में हैं.
इज़रायल के रक्षा मंत्री इज़राइल कैट्ज़ ने बुधवार को यमन की हूती सेना के खिलाफ़ जवाबी कार्रवाई करने की कसम खाई। यमन से दागी गई मिसाइल को हालांकि इज़रायल ने रोक दिया
US woman paid off credit card debt using ChatGPT:आप सबने अपने AI का खूब प्रयोग किया होगा, लेकिन अगर हम आपसे कहें कि एक महिला ने इसी AIके दमपर अपने उधार चुकता कर रही है तो आप हैरान हो जाएंगे. लेकिन यह सच है. जानते हैं पूरी खबर कैसे जिंदगी और मौत के बीच जूझ रही महिला नेAI के मदद से अपने कर्जउतार रही.
60 दिन के गाजा युद्ध विराम की शर्तों को मानने के लिए सहमत हुआ इजरायल: डोनाल्ड ट्रंप
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हमास से 60 दिन के संघर्ष विराम प्रस्ताव को स्वीकार करने की अपील की है
PM Modi 5 Nation Visit: पीएम मोदी आज से 5 देशों की यात्रा पर निकले हैं. इस दौरान वह ब्राजील में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का हिस्सा बनने वाले हैं. इस यात्रा के जरिए पीएम द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करेंगे.
Germany Prince Harald von Hohenzollern dies suddenly:प्रिंस हेराल्ड और जोसेफा की लव स्टोरी किसी परीकथा से कम नहीं थी. दोनों की मुलाकात 2022 में एक ट्रेड फेयर में हुई थी. जोसेफा ने इसे पहली नजर का प्यार बताया था.
Quad Foreign Ministers Meeting: चीन और पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर क्वॉड देशों ने परोक्ष रूप से बड़ा संदेश दिया है. क्वॉड देशों के विदेश मंत्रियों के साझा बयान में आतंकवाद फैलाने वाले और उसके मददगार देशों के खिलाफ एकजुटता दिखाई है.
अमेरिका के ISKCON मंदिर पर 20-30 राउंड चली गोलियां, रात के समय हुआ हमला, आग बबूला हुआ भारत
ISKCON Temple Attack: अमेरिका के स्पेनिश फोर्क में स्थित इस्कॉन श्री श्री राधा कृष्ण मंदिर पर गोलीबारी की गई. इस दौरान मंदिर के अंदर 20-30 भक्त मौजूद थे. भारतीय वाणिज्य दूतावास ने हमले को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी है
TOBB: जिसके चलते ट्रंप-मस्क में हुई दुश्मनी..अमेरिका में पास हो गया वो बिल, मचेगा संग्राम?
America News: अमेरिका की संसद में ट्रंप के वन बिग ब्यूटिफुल बिल एक्ट विधेयक को पारित कर दिया गया है. इस बिल के कारण ही एलन मस्क और डोनाल्ड ट्रंप के बीच दुश्मनी बढ़ी थी.
israel hamas war:इजरायल और हमास के बीच चल रही जंग में एक नया मोड़ आ गया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को एक बड़ा ऐलान करके पूरी दुनिया को हैरान कर दिया है. ट्रप ने बताया कि इजरायल ने गाजा में 60 दिन के युद्धविराम (सीजफायर) के लिए सहमति दे दी है.
शी चिनफिंग ने कार्यशैली द्वारा पार्टी के चौतरफा सख्त प्रंबधन पर बल दिया
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय कमेटी के पोलित ब्यूरो ने 30 जून को दोपहर के बाद 21वें सामूहिक अध्ययन सत्र का आयोजन किया
‘सुबह के 9:30 बजे थे। काम शुरू हुए आधा घंटा ही हुआ था। तभी जोरदार धमाका हुआ। पूरी फैक्ट्री हिल गई। एक पल के लिए लगा जैसे कोई बम गिरा हो या भूकंप आ गया हो। हम लोग डरकर बाहर भागे। सामने वाली फैक्ट्री में धुआं उठता देखा, तो भागकर वहां गए।' 'बहुत भयानक मंजर था। लोग बुरी तरह से जले हुए थे। शरीर पर कपड़े तक नहीं थे। पूरे शरीर पर सफेद पाउडर था। तीन मंजिला फैक्ट्री ढह चुकी थी। मैंने जिंदगी में पहली बार इतना भयानक मंजर देखा।’ बिहार के आरा के रहने वाले घनश्याम तेलंगाना की फैक्ट्री में हुए ब्लास्ट के गवाह हैं। ये हादसा 30 जून की सुबह संगारेड्डी जिले के पाशमिलारम इंडस्ट्रियल एरिया में हुआ। ये जगह राजधानी हैदराबाद से करीब 65 किमी दूर है। ब्लास्ट फार्मा कंपनी सिगाची इंडस्ट्रीज के प्लांट में हुआ। 36 लोग मारे गए। इस प्लांट में एक शिफ्ट में 100 लोग काम करते थे। इनमें 60 मजदूर और 40 बाकी स्टाफ हैं। अभी करीब 50 लोग लापता हैं। यानी मरने वालों की तादाद बढ़ सकती है। ज्यादातर मजदूर मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं। दैनिक भास्कर हादसे के अगले दिन फैक्ट्री साइट पर पहुंचा। बाहर लापता लोगों के परिवार मिले। सभी की दर्दभरी कहानियां हैं। हम कुछ चश्मदीदों से भी मिले। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… पहली कहानी संगीता देवी कीबेटी ने बच्चे को जन्म दिया, उसी दिन दामाद लापता फैक्ट्री के टूटे गेट और दीवार के बाहर बैठीं संगीता देवी पथराई आंखों से मलबे का ढेर देख रही थीं। हवा में केमिकल की गंध घुली है, लेकिन संगीता का ध्यान इस पर नहीं है। एक दिन बीत गया उन्हें अपने दामाद का इंतजार है, लेकिन ये इंतजार खत्म नहीं हो रहा। 30 जून की सुबह उनकी बेटी ने बच्चे को जन्म दिया था। इसी सुबह उनके दामाद और बेटा फैक्ट्री में काम करने आए थे। घर में बच्चे के जन्म की खुशी शुरू भी नहीं हुई थी कि हादसे की खबर आ गई। संगीता बोलने की कोशिश करती हैं, लेकिन शब्द गले में अटक जाते हैं। बिलखते हुए वे बताती हैं, ‘मेरा बेटा राधेश्याम और दामाद अब तक नहीं मिले हैं। सुबह 4 बजे से यहां बैठी हूं। आप ही बताइए सर, मैं क्या करूं। बेटी की अभी-अभी डिलीवरी हुई है और उसका पति अंदर फंसा हुआ है। अभी तो बेटी का ख्याल रखना चाहिए और मैं यहां बैठी हूं।’ दूसरी कहानी ज्योत्सना की19 दिन पहले भांजे ने नौकरी जॉइन की, पहली सैलरी भी नहीं ले पायाफैक्ट्री के बाहर भीड़ में खड़ी ज्योत्सना को 19 साल के भतीजे अजय मंडल का इंतजार है। अजय पहली बार घर से बाहर निकला था। वो काम के लिए ज्योत्सना के पास आया था। वे बताती हैं, ‘उसने बीती 11 तारीख को फैक्ट्री में काम शुरू किया था। पेपर कटिंग का काम करता था। 30 जून को सुबह 7:30 बजे काम के लिए निकला था। फैक्ट्री में एंट्री से पहले मोबाइल फोन सिक्योरिटी के पास जमा कर दिया था। अब न उसकी खबर मिल रही है और न लाश। उसके सुपरवाइजर ने बताया कि उसका नाम पाटनचेरु हॉस्पिटल से आई लिस्ट में है। मैं वहां गई, तो वो नहीं मिला, न घायलों में और न मरने वालों में।’ तीसरी कहानी रामतीरथ कीफैमिली को कोई खबर नहीं, एक से दूसरे हॉस्पिटल भाग रहे प्रयागराज से आए रामतीरथ हाल ही में पिता बने थे। उनके बहनोई प्रवीण इसी कंपनी में बस चलाते हैं। प्रवीण बताते हैं, ‘हादसे का पता चला, मैं भागकर यहां आया। मैं कल से उन्हें ढूंढ रहा हूं। हॉस्पिटल भी गया। वहां इतनी लाशें हैं कि अंदर जाकर देखने नहीं दिया जा रहा।’ ‘हमें कहीं से मदद नहीं मिल रही। सब एक से दूसरी जगह दौड़ा रहे हैं। कोई हेल्प डेस्क तक नहीं है। पुलिसवाले महिलाओं और घरवालों को धक्का मारकर हटा रहे हैं। कंपनी ने अब तक सुध नहीं ली है।’ रामतीरथ की बहन रेखा का दर्द और भी गहरा है। वे अपने सगे भाई के साथ चचेरे भाई को भी खोज रही हैं। रेखा कहती हैं, ‘हमें 30 जून की दोपहर 1 बजे हादसे का पता चला। हम तभी से यहां हैं। हमें अंदर नहीं जाने दे रहे। भाई की कोई खबर नहीं है।’ चौथी कहानी मुइनुद्दीन खान कीपत्नी की डेडबॉडी का पता चला, लेकिन लाने के लिए पैसे नहींमुइनुद्दीन खान की पत्नी रुखसाना फैक्ट्री में काम करती थीं। हादसे में उनकी मौत हो गई। डेडबॉडी का पता चल गया है, लेकिन मुइनुद्दीन की मुश्किलें खत्म नहीं हुई हैं। वे बताते हैं, ‘मेरी पत्नी की डेडबॉडी पाटनचेरु हॉस्पिटल में है। मेरी जेब में एक रुपया नहीं है।’ पांचवी कहानी स्नेहा कीभाई ने दो दिन पहले ही फैक्ट्री में काम शुरू किया, अब उसका पता नहीं स्नेहा दो दिन से अपने भाई जस्टिन को ढूंढ रही हैं। वे बताती हैं, ‘जस्टिन ने 28 जून को ही फैक्ट्री जॉइन की थी। 30 जून को सुबह 7:30 बजे काम पर गया था। फिर उसका पता नहीं चला। दो दिन से हर जगह तलाश लिया, अस्पताल में भी देखा, लेकिन वो नहीं मिला।’ ‘दो साल पहले मां गुजर गई थीं। घर में पापा, मैं, बहन और जस्टिन हैं। हम किसी से जस्टिन के बारे में पूछते हैं, तो हमें भगा देते हैं। मुख्यमंत्री आए और चले गए, लेकिन कुछ नहीं हुआ। एंबुलेंस से डेडबॉडी ला रहे हैं, लेकिन हमें देखने तक नहीं दिया जा रहा।’ जस्टिन की दूसरी बहन शिल्पा कहती हैं, ‘हादसे को 24 घंटे से ज्यादा हो गए हैं, अब तक सभी डेडबॉडी नहीं निकाली गई हैं। रेस्क्यू टीम आराम से खा-पी रही है, हमारे अपने अंदर फंसे हैं। कंपनी और अधिकारी सच्चाई छुपा रहे हैं। कह रहे हैं कि ड्यूटी पर सिर्फ 174 लोग थे। यहां एक शिफ्ट में 500 लोग काम करते हैं।’ ‘हम कल से बिना खाए-पिए सड़कों पर हैं। जिम्मेदार लोग आराम से हैं। हमें सरकार का पैसा या मुआवजा नहीं चाहिए। हमें हमारे लोग वापस चाहिए। कंपनी को तुरंत सीज किया जाए। ये मजदूरों की जान से खिलवाड़ कर रही थी। इसकी बनावट इतनी खराब थी कि किसी को भागने का मौका तक नहीं मिला।’ छठी कहानी चांदनी कीभाई, जीजा, ताऊ मलबे में दबे, पुलिस मदद नहीं कर रहीबिहार की राजधानी पटना की रहने वालीं चांदनी के भाई, जीजा और ताऊ मलबे में दबे हैं। चांदनी बताती हैं, ‘भैया और जीजा पैकिंग का काम करते थे। दोपहर 1 बजे मम्मी का फोन आया कि फैक्ट्री में आग लग गई है। मैं भागकर पहुंची तो मम्मी रो रही थीं। अब तक कोई कुछ नहीं बता रहा। पुलिस भी मदद नहीं कर रही। ऐसा लग रहा है कि यहां सिर्फ तेलुगु बोलने वालों की सुनी जा रही है।’ सातवीं कहानी नरेंद्र कीएक साथी जख्मी, तीन लापता, पूछने पर पुलिस ने पीटापटना के रहने वाले नरेंद्र तिवारी इसी फैक्ट्री में काम करते हैं। वे बताते हैं, ‘मेरा एक साथी पटनाचेरू के हॉस्पिटल में घायल मिला। डॉक्टर कह रहे हैं कि उसकी हालत गंभीर है। बचने के चांस सिर्फ 50% हैं। तीन और साथी दिलीप गोसाईं, राजेन्द्र पासवान और दीपक कुमार तीन दिन से लापता हैं।’ चश्मदीद बोले- धमाका हुआ और पूरी बिल्डिंग ढह गईइंडस्ट्रियल एरिया में काम करने वाले घनश्याम हादसे के चश्मदीद हैं। उनकी फैक्ट्री हादसे वाली जगह के ठीक सामने है। ब्लास्ट के बाद वे सबसे पहले वहां पहुंचे थे। घनश्याम बताते हैं, ‘धमाका इतना तेज था कि हमारी फैक्ट्री का शेड तक हिल गया। हमारे सारे मजदूर डरकर बाहर भागे। हम ब्लास्ट वाली जगह पहुंचे। वहां लोग बुरी हालत में थे । बाहर भागकर आ रहे स्टाफ को हमने एक बस में बिठाकर हॉस्पिटल भेजा। आधे घंटे में पुलिस और NDRF की टीमें आ गईं। इसके बाद हमें पीछे हटा दिया गया।’ घनश्याम भले आधे घंटे में मदद पहुंचने की बात कहें, लेकिन एक और चश्मदीद प्रमोद का आरोप है कि रेस्क्यू काफी देर से शुरू हुआ। वे कहते हैं, ’हादसे के बाद प्रशासन का रवैया बहुत ढीला था। घटना सुबह 9:30 बजे हुई, लेकिन फायर ब्रिगेड की गाड़ी दोपहर 12 बजे आई। बचाव का काम तो दोपहर 2 बजे शुरू किया गया, यानी पूरे 5 घंटे की देरी से।’ ड्रायर में खराबी से ब्लास्ट, 100 मीटर दूर जा गिरे मजदूरशुरुआती जांच के मुताबिक, फैक्ट्री की रिएक्टर यूनिट में एक ड्रायर में खराबी आने की वजह से ये ब्लास्ट हुआ। धमाके की आवाज दो किमी दूर तक सुनाई दी। तीन मंजिला बिल्डिंग पूरी ढह गई। उसमें काम कर रहे मजदूर 100 मीटर दूर तक जा गिरे। संगारेड्डी के SP परितोष पंकज ने मंगलवार शाम तक मरने वालों की संख्या 36 बताई है। इसमें 31 शव फैक्ट्री से मिले। 5 लोगों ने हॉस्पिटल में दम तोड़ा। 30 से ज्यादा लोग घायल हैं। फैक्ट्री में एक शिफ्ट में 100 से ज्यादा लोग काम करते थे। इनमें ज्यादातर उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के प्रवासी मजदूर थे। हादसे के बाद NDRF, SDRF और फायर ब्रिगेड की टीमें रेस्क्यू में जुट गईं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मरने वालों के परिवारों को 2-2 लाख और घायलों को 50-50 हजार रुपए की मदद का ऐलान किया है। तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी 1 जुलाई को ब्लास्ट वाली साइट पर पहुंचे। उन्होंने मरने वालों के परिवार को एक करोड़ रुपए मुआवजा देने का ऐलान किया। मामले की जांच के लिए हाई लेवल कमेटी बनाई गई है। ब्लास्ट मामले में गैर इरादतन हत्या की FIR दर्ज जिला पुलिस ने फार्मा कंपनी के प्लांट में हुए ब्लास्ट के केस में FIR दर्ज की है। SP परितोष पंकज ने बताया कि हमने इस मामले में BNS की धारा 105, 110 और 117 के तहत केस दर्ज किया है। धारा 105 गैर इरादतन हत्या के लिए सजा से जुड़ी है। धारा 110 गैर इरादतन हत्या करने के प्रयास से संबंधित है। धारा 117 स्वेच्छा से गंभीर चोट पहुंचाने के अपराध से जुड़ी है।’ तेलंगाना के फैक्ट्री विभाग के एक अधिकारी ने भी कहा कि हम इस घटना पर फार्मा प्लांट के मैनेजमेंट के खिलाफ केस दर्ज करेंगे। हम जांच कर रहे हैं। हम फैक्ट्री अधिनियम 1948 के तहत लाइसेंस धारक और यूनिट के प्रबंधक के खिलाफ नोटिस जारी करेंगे और उनसे चूक के बारे में जवाब मांगेंगे।’ अधिकारी ने कहा कि नोटिस कुछ दिनों में जारी होने की संभावना है।
यूपी में कासगंज के बहादुरनगर से करीब 25 किमी दूर गंज गुंदवाड़ा नाम का गांव है। यहीं प्रियंका का घर है। प्रियंका के कमरे में उनकी फोटो लगी है। फोटो पर माला चढ़ी है। 20 साल की प्रियंका अब जिंदा नहीं हैं। ठीक एक साल पहले हाथरस के सिकंदराराऊ में सूरजपाल बाबा का सत्संग सुनने गई थीं। इसमें भगदड़ मची तो प्रियंका भीड़ में दब गईं। प्रियंका के घर में अब भी सूरजपाल बाबा उर्फ नारायण हरि साकार की फोटो लगी है। सूरजपाल बाबा का आश्रम बहादुरनगर में ही है। उन्हें भगदड़ मामले में क्लीन चिट मिल चुकी है। प्रियंका की मां राधा भी बाबा को दोष नहीं देतीं। कहती हैं, ‘जिनका समय आ गया था, वे भगवान के पास चले गए। ये उनका नसीब है।’ 2 जुलाई, 2024 को सिकंदराराऊ में सूरजपाल बाबा का सत्संग हुआ था। बाबा जाने लगे तो भक्त उनके पीछे भागे। सत्संग वाली जगह मिट्टी गीली थी, इसलिए लोग फिसलकर गिरने लगे। भगदड़ मची और 121 लोग मारे गए। केस अभी कोर्ट में है। मामले में 11 सेवादारों को आरोपी बनाया गया, सभी जमानत पर हैं। अगली सुनवाई 19 जुलाई को होनी है। इस घटना के बाद से सूरजपाल बाबा एक बार ही सामने आए हैं। भगदड़ के एक साल बाद भी कुछ सवाल बाकी हैं-1. भगदड़ कैसे मची, इसमें किसकी लापरवाही थी?2. कहा गया कि सूरजपाल बाबा की चरणरज लेने के लिए लोग उनके पीछे भागे थे, क्या सच में ऐसा था?3. सत्संग के आयोजकों ने गलती की या पुलिस-प्रशासन की लापरवाही इतनी मौतों की वजह बनी?4. सत्संग में भगदड़ हादसा था या साजिश? दैनिक भास्कर ने इन सवालों की पड़ताल की। सत्संग में तैनात लोकल इंटेलिजेंस यूनिट यानी LIU के पुलिसवालों के बयान से लेकर जांच के लिए बने न्यायिक आयोग की 1670 पेज की रिपोर्ट भी हमारे पास है। हम घटना में मारे गए लोगों के परिवार तक पहुंचे। सूरजपाल बाबा के आश्रम गए। उनके वकील से भी बात की। जांच आयोग की रिपोर्टभगदड़ की जांच के लिए यूपी सरकार ने 3 जुलाई 2024 को न्यायिक आयोग बनाया था। इसमें रिटायर्ड जस्टिस बृजेश कुमार श्रीवास्तव, रिटायर्ड IAS हेमंत राव और रिटायर्ड IPS भावेश कुमार सिंह शामिल थे। 20 फरवरी, 2025 को आयोग ने 1670 पन्ने की रिपोर्ट सरकार को सौंपी। 5 मार्च को इसे विधानसभा में पेश किया गया। आयोग ने जांच से जुड़े सभी अधिकारियों और कर्मचारियों के बयान लिए। सभी से 30 से 50 सवाल पूछे गए। सूरजपाल उर्फ भोले बाबा समेत मौके पर मौजूद लोगों के बयान लिए गए। इसके बाद रिपोर्ट तैयार की गई। रिपोर्ट में भगदड़ की वजहें लिखी हैं। आखिर में आयोग ने करीब 27 पेज में निष्कर्ष दिया है। वजह-1: बिना जांच जल्दबाजी में परमिशन दी18 को आवेदन, 19 जून को परमिशन, कोई अधिकारी जगह देखने नहीं गयाआयोग ने लिखा है कि सत्संग के मुख्य आयोजक देव प्रकाश मधुकर ने 18 जून, 2024 को 80 हजार लोगों के आने की जानकारी देते हुए सत्संग की परमिशन मांगी थी। इस पर मौके से जांच रिपोर्ट लाकर अनुमति देने की जिम्मेदारी पुलिस की थी। कचौरा चौकी इंचार्ज मनवीर सिंह को ये रिपोर्ट देनी थी। जांच रिपोर्ट जिस दिन मांगी गई, उसी दिन मनवीर सिंह ने कार्यक्रम को परमिशन देने की मंजूरी दे दी। इसके बाद इंस्पेक्टर आशीष कुमार और सीओ आनंद कुमार ने एप्लिकेशन SDM रविंद्र कुमार को सौंप दी। इसके बाद 19 जून को परमिशन दे दी गई। जांच में पता चला कि परमिशन देने से पहले कोई अधिकारी सत्संग वाली जगह देखने नहीं गया। सभी ने बिना जांच किए कार्यक्रम की परमिशन दे दी। वजह-2: परमिशन लेटर में लोगों की अनुमानित संख्या का कॉलम खाली छोड़ासत्संग की अनुमति वाले आदेश में कुल 13 कॉलम थे। इसमें एक कॉलम आने वाले लोगों की अनुमानित संख्या का था। ये कॉलम खाली छोड़ दिया गया। आवेदन देते वक्त 80 हजार लोगों के आने की संभावना जताई गई थी। वीडियो और चश्मदीदों की गवाही से साफ है कि कार्यक्रम मे 2.5 से 3 लाख लोग थे। वजह-3: सूरजपाल बाबा के आने-जाने का रूट नहीं बनायारिपोर्ट में लिखा है कि पुलिस-प्रशासन के अफसरों ने अनुमति की शर्तों की जांच नहीं की। पहली शर्त थी कि कार्यक्रम में हथियार, लाठी-डंडे नहीं लाए जाएंगे। एक दिन पहले ही सेवादार डंडे लेकर ड्यूटी कर रहे थे। एक शर्त ये भी थी कि सूरजपाल बाबा के सत्संग वाली जगह तक आने और लौटने के लिए अलग से रूट बनेगा। न ऐसा रूट चार्ट बना और न ही रूट तैयार किया गया। सूरजपाल बाबा को सत्संग में लोगों के बीच से ही रास्ता बनाकर लाया गया। उसी रास्ते से वापस भी ले गए। सत्संग में भूत-प्रेत की बीमारी ठीक करने का दावारिपोर्ट में लिखा है कि सत्संग के बारे में दावा किया गया कि इसमें आने से भूत-प्रेत की बाधाएं दूर हो जाएंगी। इससे अंधविश्वास, कुरीतियों को बढ़ावा देने और भोले लोगों को बहकाने की बात साबित होती है। इसके अलावा आयोजकों ने सत्संग में आने वाले लोगों की सुरक्षा, भीड़ का मैनेजमेंट और ट्रैफिक संभालने की जिम्मेदारी ली थी। उन्होंने पुलिस-प्रशासन से कहा कि सरकारी विभाग निश्चिंत रहें। फिर भी लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी राज्य सरकार की थी। भगदड़ हादसा थी या साजिश, इस पर आयोग ने लिखा कि सभी से बातचीत, दस्तावेज और सबूतों से ये हादसा ही लग रहा है। क्या सूरजपाल बाबा की चरणरज लेने के चक्कर में हादसा हुआइस पर जांच आयोग ने रिपोर्ट में लिखा है कि पुलिस, प्रशासन, दूसरे सरकारी विभागों और चश्मदीदों के बयानों में मंच से चरणरज लेने और उससे सारी समस्या दूर होने की घोषणा की बात है। चरणरज लेने के लिए दौड़ी भीड़ की वजह से ये घटना होना बताया गया है। हालांकि कई श्रद्धालु और खुद सूरजपाल बाबा ने अपने बयान में चरणरज जैसी परंपरा न होने की बात कही है। कई दिनों से सत्संग में जा रहे श्रद्धालुओं ने बयान दिया कि नए श्रद्धालु चरणरज लेते हैं। हादसे में मारे गए लोगों के परिवार ने बताया कि सत्संग में जाने वाले श्रद्धालु वहां से चरणरज लाते थे। जांच के दौरान सूरजपाल बाबा के मंच से निकलकर हाईवे पार करने तक के वीडियो में भी ऐसा कुछ नहीं दिख रहा है। इसलिए चरणरज लेने की वजह से ये हादसा हुआ, ये नहीं कहा जा सकता। भीड़ पर जहरीला स्प्रे करने, साजिश रचने की बात नकारीरिपोर्ट के मुताबिक, सूरजपाल बाबा ने आयोग को भेजे शपथ पत्र में कहा था कि हाफ पैंट-टीशर्ट पहने 15-20 युवकों ने भीड़ पर जहरीला स्प्रे किया और भाग गए। दावा किया गया कि जहरीले स्प्रे से लोग गिरकर बेहोश होने लगे। जांच के वक्त उन्होंने इससे इनकार कर दिया और दूसरा शपथ पत्र दिया। इससे लगता है कि जहरीले स्प्रे की बात शपथ पत्र में लिखवाई गई थी। आयोग को दिए बयानों से साफ है कि ये तथ्य भरोसेमंद नहीं है। LIU ने एक दिन पहले ही कहा था- एक लाख लोग जुट सकते हैंदैनिक भास्कर के पास आयोग की रिपोर्ट के अलावा चार्जशीट भी है। इसमें लोकल इंटेलिजेंस यूनिट इंचार्ज इंस्पेक्टर सुमन लाटियान का बयान है। इसमें कहा गया है कि मुझे आयोजन के बारे में 30 जून, 2024 को पता चला था। 1 जुलाई की शाम मैंने हाथरस एसपी के कैंप कार्यालय में मौखिक रूप से भी जानकारी दी थी। तब 1 लाख लोग जुटने की आशंका जताई गई थी। कार्यक्रम में सूचना जुटाने के लिए हेड कॉन्स्टेबल नरेंद्र सिंह और गौरव कुमार की ड्यूटी लगाई थी। हेड कॉन्स्टेबल नरेंद्र सिंह ने बयान में कहा, 'मैं 2 जुलाई 2024 को सूरजपाल बाबा के कार्यक्रम में गया था। दोपहर 12:10 बजे तक सत्संग सही से चल रहा था। कार्यक्रम पूरा होने के बाद सूरजपाल बाबा निकल गए। फुलरई कट से उनकी गाड़ी मुड़ रही थी। उसी कट पर श्रद्धालुओं की भीड़ जुट गई।' 'बाबा को देखने और रज लेने की प्रथा के कारण भीड़ बढ़ती जा रही थी। बाबा के कमांडो, आयोजक, सेवादार दौड़ते हुए बाबा की गाड़ी निकालने के लिए रास्ता बना रहे थे। उनके हाथ में डंडे भी थे। वे उसी से धकियाते हुए लोगों को साइड कर रहे थे। भीड़ का दबाव ज्यादा होने की वजह से भगदड़ मच गई। लोग एक-दूसरे पर गिरते गए। फायर टेंडर से श्रद्धालुओं पर पानी का छिड़काव भी किया गया।' 'भगदड़ में घायल हुए लोगों को सिकंदराराऊ के हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। तब मोबाइल का नेटवर्क काम नहीं कर रहा था। कुछ दूर जाने पर नेटवर्क आया, तो मैंने प्रभारी को सूचना दी।' उनसे पूछा गया कि सत्संग खत्म होने के बाद हाफ पैंट-टीशर्ट पहने हुए लड़कों को स्प्रे करते हुए देखा था। नरेंद्र सिंह ने जवाब दिया- नहीं। मत्था टेकने सूरजपाल बाबा के आश्रम आ रहे भक्तसूरजपाल बाबा का आश्रम कासगंज के बहादुरनगर में है। ये जगह भगदड़ वाली जगह से करीब 26 किमी दूर है। भगदड़ के बाद भी आश्रम में श्रद्धालुओं का आना नहीं रुका। आश्रम की दीवारों पर जगह-जगह लिखा है कि यहां फोटोग्राफी या वीडियोग्राफी करना सख्त मना है। हम एक घंटा आश्रम के बाहर रुके। इस दौरान 40 से ज्यादा भक्त मत्था टेकने पहुंचे। आश्रम के एंट्री पॉइंट पर एक लाइन में कई हैंडपंप लगे हैं। हमने देखा कि कई महिलाएं आईं, हैंडपंप से पानी लिया और नारायण हरि साकार का नाम लेकर पी लिया। हमने इन महिलाओं से बात करने की कोशिश की, लेकिन वे तैयार नहीं हुईं। इतना जरूर कहा कि पानी पीने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। दिक्कतें दूर हो जाती हैं। आश्रम का गेट किसी महल की तरह है। गेट के अंदर खुला एरिया, फिर बड़ा सा किचन है। किचन में कुछ लोग खाने की तैयारी कर रहे थे। हमने एक सेवादार से पूछा कि क्या यहां सत्संग होता है? उसने बताया, ‘आखिरी बार नवंबर 2014 में हुआ था। श्रद्धालु बढ़े, तो फिर सत्संग बाहर ही होने लगे। यहां सत्संग नहीं होता, लेकिन श्रद्धालु आते हैं।’ ‘यहां दानपेटी नहीं है, न चंदा लिया जाता है। श्रद्धालु मर्जी से आते हैं, मत्था टेकते हैं, फिर चले जाते हैं। आश्रम में सेवादार ही रहते हैं। अभी यहां 70-80 सेवादार हैं।’ आश्रम के गेट के बगल में नारायण हरि साकार ट्रस्ट का स्कूल है। उसके बाद सूरजपाल उर्फ भोले बाबा के रहने की जगह है। यहां 24 घंटे सिक्योरिटी रहती है। किसी की एंट्री नहीं होती। हमने अंदर जाने की कोशिश की, लेकिन रोक दिया गया। विक्टिम फैमिलीभगदड़ में प्रियंका की मौत, उनका परिवार अब भी बाबा का भक्तबहादुरनगर से करीब आधा घंटा दूर गंज गुंदवाड़ा गांव है। हाथरस भगदड़ में मारी गईं प्रियंका इसी गांव से थीं। प्रियंका के घर उनकी मां राधा देवी मिलीं। वे बताती हैं, 'हमारे परिवार में हर महीने कोई-न-कोई बीमार पड़ जाता था। दवा से भी ठीक नहीं हो रहे थे। 7 साल पहले मेरे भाई बाबा के दर्शन करने बरेली जा रहे थे। मैं उनके साथ चली गई। बाबा से प्रभावित होकर फिरोजाबाद में अर्जी लगाई। इसके बाद घर में लोग ठीक होने लगे।' ‘दो साल पहले प्रियंका की तबीयत खराब हो गई थी। उस पर भूत चढ़ गया था। वो पूरे दिन जमीन पर लोटती रहती थी। बाबा घर आते थे। उन्होंने प्रियंका को ठीक कर दिया।' हमने पूछा- क्या प्रियंका के लिए इंसाफ चाहते हैं? राधा जवाब देती हैं, 'मैं अब भी अपने प्रभु जी का गुणगान करती हूं। उनकी पूजा करती हूं। ऐसे ही उनके दर्शन कर लेती हूं। जिनका समय आ गया था वे भगवान के पास चले गए। हम इसमें क्या इंसाफ मांगें।' ‘बाबा और उनके सेवादारों को सजा मिले’प्रियंका की फैमिली से मिलने के बाद हम कासगंज गए। हमारे पास मरने वालों की लिस्ट थी। नाम के सामने मोबाइल नंबर लिखे थे। हमने इन नंबरों पर कुछ लोगों से बात की। ज्यादातर लोगों ने बात नहीं की। इसी लिस्ट में आगरा के सिकंदरा की लक्ष्मी देवी का नाम था। उनके बेटे पवन ने हमसे बात की। पवन बताते हैं, ‘मेरी मां 5 साल से बाबा से जुड़ी थीं। मेरे परिवार को ये पसंद नहीं था। मोहल्ले की महिलाएं बाबा का सत्संग देखने जाती थीं। एक दिन मां भी चली गईं। तब से वो बाबा को फॉलो करने लगीं। मेरी फैमिली में कोई भी बाबा को नहीं पूजता।’ ‘मैंने मां को कई बार रोका। वो झगड़ा करने लगती थीं। हमारे घर में कोई बीमार नहीं था। ये मां की श्रद्धा थी। वो कभी बाबा को नहीं छोड़ती थीं। बाबा और सभी आरोपियों को सजा मिलनी चाहिए।' बाबा के वकील अब भी साजिश की बात पर कायमसूरजपाल बाबा की तरफ से दिल्ली के वकील डॉ. एपी सिंह केस लड़ रहे हैं। हमने उनसे पूछा कि आप भगदड़ के बारे में कोर्ट में क्या दलील दे रहे हैं? वे कहते हैं, 'हमने 80 हजार लोगों की परमिशन ली थी। मैरिज लॉन, स्टेडियम हो या क्लब, इनकी एक क्षमता होती है। हमारा कार्यक्रम खुले मैदान में था। आयोजन में कितने लोग आए, ये गिनने के लिए हमारे पास, पुलिस-फायर ब्रिगेड के पास कोई सिस्टम या मशीन नहीं थी। मेरा कहना है कि साजिश के तहत लोगों पर जहरीला स्प्रे किया गया। उन्हें मारा गया।‘ एक दिन पहले एक जुलाई को कुछ लोगों ने मुख्य आयोजक मधुकर को धमकी दी थी कि अगर उनके आदमी को समिति का अध्यक्ष नहीं बनाया तो आयोजन नहीं होने देंगे। उसी के बाद साजिश के तहत भगदड़ कराई गई। अभी कोर्ट में क्या चल रहा है? डॉ. एपी सिंह कहते हैं, ‘कोर्ट में पुलिस अफसरों का बयान होना है। हमने 1200 लोगों के एफिडेविट दिए हैं। पुलिसवालों ने तो कहा है कि हमारे सेवादारों ने ही अपने लोगों को मार दिया। ऐसा संभव नहीं कि कोई अपने ही भक्तों पर हाथ उठाए। नारायण साकार हरि तो अपनी गाड़ी से उतरे ही नहीं। पुलिस की चार्जशीट झूठी है। वे अपने को बचाना चाहते हैं।’ एक साल हो गए, सूरजपाल बाबा कब लोगों के बीच आएंगे? डॉ. एपी सिंह कहते हैं कि उनकी इच्छा होगी, तब वे खुद आएंगे। वे अभी कहां हैं। इस बारे में कुछ नहीं बता सकते।
‘इस साल यात्रा के लिए पिछले साल से काफी कम रजिस्ट्रेशन हुए हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह पहलगाम में हुआ आतंकी हमला है। लोग अपनी सेफ्टी को लेकर फिक्रमंद हैं। उत्तराखंड में हुए हेलिकॉप्टर हादसों ने भी लोगों के मन में डर पैदा कर दिया है।‘ राकेश कौल जम्मू-कश्मीर में सोशल एक्टिविस्ट हैं। वो भी इस साल अमरनाथ यात्रा पर जा रहे हैं। 22 अप्रैल को हुए पहलगाम हमले के बाद राकेश अपनी सेफ्टी को लेकर थोड़े चिंतित हैं, लेकिन उन्हें प्रशासन के सुरक्षा इंतजामों पर भरोसा भी है। अमरनाथ यात्रा 3 जुलाई से शुरू हो रही है। 38 दिनों की ये यात्रा 9 अगस्त यानी रक्षाबंधन तक चलेगी। इसके दो अलग-अलग रूट हैं। एक पहलगाम बेस कैंप से और दूसरा बालटाल बेस कैंप से अमरनाथ गुफा तक जाता है। यात्रा के लिए जम्मू से पहला जत्था 2 जुलाई यानी आज निकल रहा है। फिर 3 जुलाई को पहलगाम और बालटाल से बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए अमरनाथ की यात्रा शुरू होगी। पिछले साल 5 लाख से ज्यादा श्रद्धालु अमरनाथ यात्रा पर पहुंचे थे। हालांकि इस साल अब तक सिर्फ सवा 3 लाख लोगों ने ही रजिस्ट्रेशन कराया है। आप भी अमरनाथ यात्रा पर जाना चाहते हैं और मन में कई सवाल उठ रहे हैं, जैसे- यात्रा कैसे और कहां से शुरू करें, कितने दिन की छुट्टी लें, कहां से बुकिंग करें, यात्रा के लिए रूट क्या होगा, वहां रुकने के इंतजाम और टोटल कितना खर्च होगा? सुरक्षा के क्या इंतजाम होंगे? अमरनाथ यात्रा शुरू होने से पहले हम जम्मू-कश्मीर पहुंचे। हमने रजिस्ट्रेशन से लेकर रुकने तक के इंतजाम देखे। यात्रा को लेकर हमने कश्मीर के टूर एंड ट्रैवल्स ऑपरेटर्स और सुरक्षा से लेकर तमाम इंतजाम देख रहे अफसरों से भी हालात समझे। अमरनाथ यात्रा से जुड़े अपने सभी सवालों के जवाब के लिए पूरी खबर पढ़िए… सबसे पहले अमरनाथ यात्रा के दोनों रूट जान लीजिएअमरनाथ गुफा तक पहुंचने के दो रास्ते हैं। एक रास्ता पहलगाम से शुरू होता है और दूसरा बालटाल से। इनकी अपनी खासियतें और चुनौतियां हैं। पहलगाम वाला रूट 48 किलोमीटर लंबा है। इसमें चढ़ाई कम है इसलिए इसे आसान माना जाता है। हालांकि ये रूट लंबा है। इस रूट से यात्रा करने में 3 से 5 दिन लग जाते हैं। ये पारंपरिक रूट है। श्रीनगर से 92 किमी दूर पहलगाम बेस कैंप से शुरू होता है। सबसे ज्यादा भीड़ इसी रूट पर रहती है। दूसरा रूट श्रीनगर से 95 किमी दूर बालटाल से शुरू होता है। इस रूट पर सिर्फ 14 किमी की चढ़ाई तय कर श्रद्धालु गुफा तक पहुंच जाते हैं। यात्रा में 1 से 2 दिन लगते हैं। ये रास्ता छोटा जरूर है, लेकिन खड़ी चढ़ाई होने की वजह से जोखिम भरा माना जाता है। यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन जरूरीयात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है। लिहाजा सबसे पहले आपको यात्रा का कोई एक रूट चुनना होगा। ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से रजिस्ट्रेशन हो रहे हैं। रजिस्ट्रेशन के लिए क्या प्रोसेस है, पहले वो समझ लेते हैं… ऑनलाइन रजिस्ट्रेशनये एक आसान और सुविधाजनक तरीका है। इसे श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड (SASB) की ऑफिशियल वेबसाइट (jksasb.nic.in) से किया जा सकता है। रजिस्ट्रेशन 14 अप्रैल 2025 से शुरू हो चुका है। एक में 15,000 रजिस्ट्रेशन हो सकते हैं। इसके लिए आईडी कार्ड जैसे-आधार, पासपोर्ट, वोटर आईडी या पैन कार्ड, पासपोर्ट साइज फोटो और कम्पलसरी हेल्थ सर्टिफिकेट (CHC) देना जरूरी है। हेल्थ सर्टिफिकेट 8 अप्रैल 2025 या उसके बाद जारी हो। रजिस्ट्रेशन के बाद जम्मू या कश्मीर में बने सेंटर्स से RFID कार्ड लेना होगा, जिसके लिए बायोमेट्रिक eKYC वेरिफिकेशन होगा। इस कार्ड के बिना एक्सेस कंट्रोल गेट्स से नहीं गुजर सकते। ऑफलाइन रजिस्ट्रेशनश्रद्धालुओं के पास ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन का भी विकल्प है। 30 जून से ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन शुरू हो गए हैं। इसके लिए देशभर में 533 से ज्यादा बैंक शाखाएं तय की गई हैं। इनमें पंजाब नेशनल बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, जम्मू-कश्मीर बैंक और यस बैंक की शाखाएं शामिल हैं। जम्मू पहुंचकर भी ऑफलाइन टोकन लिया जा सकता है। जम्मू में कुल 5 जगहों पर तत्काल रजिस्ट्रेशन काउंटर बनाए गए हैं। इनमें रेलवे स्टेशन के पास, सरस्वती धाम, वैष्णवी धाम और पंचायत भवन महाजन शामिल हैं। भगवती नगर बेस कैंप में सिर्फ साधु-संतों के लिए स्पेशल रजिस्ट्रेशन सेंटर है। ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए भी वही डॉक्यूमेंट्स लगेंगे, जो ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन में लगते हैं। जम्मू में टोकन लेने के बाद तय सेंटर पर मेडिकल सर्टिफिकेट और बाकी डॉक्यूमेंट्स जमा कर रजिस्ट्रेशन प्रोसेस पूरा किया जा सकता है। भारतीय नागरिकों के लिए ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन फीस प्रति व्यक्ति 120 रुपए और ऑनलाइन की फीस प्रति व्यक्ति 220 रुपए है। रजिस्ट्रेशन के बाद जम्मू आने वाले श्रद्धालु भगवती नगर बेस कैंप से जत्थों के साथ तय रूट के लिए निकल सकेंगे। फिर 3 जुलाई को अमरनाथ गुफा के लिए ट्रैकिंग शुरू करेंगे। यात्रा में कितना खर्च होगा और रहने के क्या इंतजामअगर आप दिल्ली से सफर शुरू कर रहे हैं और 14 किलोमीटर वाले बालटाल रूट से अमरनाथ यात्रा कर रहे हैं। तब कुल खर्च 15,000-20,000 रुपए प्रति व्यक्ति आ सकता है। 48 किलोमीटर वाले पहलगाम रूट पर सफर लंबा है। इसलिए इस रूट से यात्रा करने पर 20,000-25,000 रुपए तक का खर्च आ सकता है। इसमें दिल्ली से बालटाल या पहलगाम पहुंचने, होटल में रुकने और खाने पीने का खर्च शामिल है। इसके अलावा गुफा तक ट्रैकिंग के दौरान पालकी या पोनी लेने का खर्च अलग से देना होगा। पोनी या पालकी के लिए आपको 2,000 से 5,000 रुपए तक खर्च करने पड़ सकते हैं। पहलगाम और बालटाल में ठहरने के लिए श्राइन बोर्ड ने टेंट की व्यवस्था कर रखी है। इसका किराया 500 रुपए से शुरू होता है, जबकि लंगरों में खाना फ्री है। अगर आप यात्रा की डेट से पहले पहुंच रहे हैं तो जम्मू या श्रीनगर में होटल लेकर रुक सकते हैं क्योंकि बेस कैंप में आपको तय डेट पर ही एंट्री मिलेगी। 139 लंगरों में तीर्थयात्रियों को मिलेगा फ्री खाना इस साल जम्मू-कश्मीर के एंट्री गेट लखनपुर से लेकर अमरनाथ गुफा तक करीब 139 लंगर बनाए गए हैं। इन लंगरों में तीर्थयात्रियों को मुफ्त में खाना मिलेगा। पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों के लंगर संगठन इस बार रसोई बना रहे हैं। इसके अलावा जम्मू के भगवती नगर बेस कैंप में 5 लंगर, जम्मू-पठानकोट और जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्गों पर लगभग 50 लंगर होंगे। श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने लंगर संगठनों के लिए खाने का मेन्यू भी तय किया है। पहलगाम हमले के बाद रजिस्ट्रेशन की संख्या घटीयात्रा के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन 14 अप्रैल 2025 से शुरू हुआ। शुरू के 6 दिनों में ही 2.36 लाख लोगों ने रजिस्ट्रेशन करा लिया था। 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम हमले के बाद रजिस्ट्रेशन की रफ्तार घट गई। उसके बाद 30 जून तक 3.50 लाख लोगों ने ही रजिस्ट्रेशन कराया है। 2024 में 5.12 लाख श्रद्धालुओं ने यात्रा की थी। पिछले 12 साल में ये संख्या सबसे ज्यादा थी। इस साल 20% कम रजिस्ट्रेशन हुआ है। वहीं, जिन 2.36 लाख लोगों ने 22 अप्रैल से पहले रजिस्ट्रेशन कराया था, उनमें से अब तक सिर्फ 85,000 लोगों ने यात्रा की प्रॉसेस पूरी की है। सोशल एक्टिविस्ट राजेश कौल बताते हैं कि पहलगाम हमले की वजह से लोग डर रहे हैं। हालांकि यात्रा के लिए पहलगाम रूट को वो आस्था के लिहाज से सबसे अहम बताते हैं। वे कहते हैं, ‘पहलगाम वाला रूट पारंपरिक और हजारों साल पुराना है।’ LG बोले- पहलगाम हमले ने रजिस्ट्रेशन पर असर डाला जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा भी यात्रा में घटी श्रद्धालुओं की संख्या को पहलगाम हमले का असर मानते हैं। वे कहते हैं, ‘पिछले साल 5.12 लाख से ज्यादा तीर्थयात्रियों ने रिकॉर्ड तोड़ा था। इस साल पहलगाम आतंकी हमले के बाद रजिस्ट्रेशन में कमी आई है। इसमें कोई शक नहीं कि आतंकी घटना ने जम्मू-कश्मीर का माहौल प्रभावित किया है।’ ‘हालांकि मुझे उम्मीद है कि यात्रा का सफल आयोजन लोगों का भरोसा बहाल करेगा और हालात सुधरेंगे। हमने सुरक्षा के लिहाज से मल्टी-लेयर सिक्योरिटी के इंतजाम किए हैं। इसमें जम्मू-कश्मीर पुलिस, केंद्रीय अर्धसैनिक बल और सेना मिलकर काम कर रहे हैं।‘ फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम, भगदड़ से निपटने का भी इंतजामयात्रा में सुरक्षा की जिम्मेदारी कश्मीर जोन के IG वीके बिरधी संभाल रहे हैं। वे भरोसा जताते हुए कहते हैं, ‘यात्रा के लिए मल्टी-लेयर सिक्योरिटी है। जम्मू-कश्मीर पुलिस, केंद्रीय अर्धसैनिक बल और सेना के अलावा अतिरिक्त सुरक्षा बलों की भी तैनाती की गई है।‘ गृह मंत्रालय ने यात्रा के रूट और आसपास के इलाकों की बड़े पैमाने पर अर्धसैनिक बलों की तैनाती मंजूर की है। जम्मू-कश्मीर प्रशासन और पुलिस को क्षेत्र में पहले से मौजूद 156 केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) कंपनियों के इस्तेमाल की परमिशन दी गई है। इस बार यात्रा में मॉडर्न तकनीक का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। यात्रा के दौरान भगदड़ से बचने के लिए श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने RFID कार्ड को अनिवार्य किया है। इसके जरिए हर यात्री की गिनती और लोकेशन ट्रैक की जाती है। IG बिरधी ने कहा, ‘हमने फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम और अन्य गैजेट्स का इस्तेमाल किया है। इसमें कानून तोड़ने वाले और शरारती तत्वों का डेटाबेस फीड है। अगर ऐसा कोई व्यक्ति यात्रा के दौरान कहीं दिखता है, तो सिस्टम तुरंत अलर्ट जारी करता है, ताकि उसे पकड़ सकें।‘ ‘साथ ही हाई-राइज सर्विलांस सिस्टम और अन्य तकनीकी उपकरणों की मदद से पूरे इलाके पर कड़ी नजर रख रहे हैं। ताकि किसी भी खतरे का तुरंत जवाब दिया जा सके।‘ श्रद्धालुओं से निजी गाड़ियों से यात्रा न करने की अपील जम्मू जोन के IG भीम सेन तूती ने बताया कि पहलगाम हमले के बाद सुरक्षा को और मजबूत किया गया है। उधमपुर में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों के खिलाफ चल रहे अभियान से भी यात्रा मार्ग को सुरक्षित रखने में मदद मिल रही है। IG बताते हैं, ‘इस बार 40,000 से ज्यादा जवान, हाई-डेफिनेशन सीसीटीवी कैमरे, चेहरा पहचानने वाला सिस्टम (FRS) और ड्रोन तैनात किए गए हैं। मेडिकल और आपदा प्रबंधन की सुविधाएं भी हर कदम पर मौजूद हैं।‘ उन्होंने यात्रियों से काफिले में यात्रा करने और निजी गाड़ियों का इस्तेमाल न करने की सलाह दी है। वहीं, गांदरबल के SSP खलील पोसवाल ने यात्रियों से अपील करते हुए कहते हैं, ‘सभी तय टाइमिंग का पालन करें। सुरक्षा नीतियों के अनुसार चलें। अकेले या एकांत में मूवमेंट करने से बचें। लोकल ड्राइवरों के कहने पर सुनसान रूट्स से न जाएं क्योंकि वहां जोखिम ज्यादा है।‘ SSP पोसवाल ने सुरक्षा कारणों से पर्यटकों को सिंध नदी के किनारे जाने से बचने की सलाह दी है। अमरनाथ यात्रा के टूरिज्म पैकेज पर पिछले साल से 50% की छूटअमरनाथ यात्रा के लिए जम्मू कश्मीर में टूरिज्म पैकेज भी हैं। राज्य टूरिज्म एसोसिएशन के पूर्व प्रेसिडेंट फारुख कुथु बताते हैं, ‘पहलगाम हमले के बाद काम हल्का है, इसलिए ज्यादातर पैकेज पर इस बार 50% तक छूट है।‘ ‘हाई-एंड और मिडिल-सेगमेंट होटलों का बिजनेस कम हुआ है, क्योंकि ज्यादातर यात्री बजट होटल या टेंट में रुकते हैं। हम उम्मीद कर रहे थे कि इस बार रिकॉर्ड बनेगा, लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हुआ। हेलिकॉप्टर सेवाएं बंद होने से भी बुजुर्ग और अमीर वर्ग के यात्री कम आए हैं। ‘ मेक माय ड्रीम टूर एंड ट्रैवल चलाने वाले समीर बताते हैं, ‘अमरनाथ यात्रा के पैकेज में गाड़ी, होटल और खाना शामिल रहता है। जम्मू से 3-4 दिन का पैकेज प्रति व्यक्ति 17,000 रुपए से शुरू होता है, जो पहलगाम और बालटाल दोनों रूट के लिए एक जैसा है। यात्रियों को रजिस्ट्रेशन और मेडिकल सर्टिफिकेट खुद जमा करना होता है।‘ ‘हेलिकॉप्टर सेवा ना लेने वालों को बेस कैंप में टेंट में रुकना पड़ता है, जबकि हेलिकॉप्टर से यात्रा करने वाले उसी दिन पहलगाम या सोनमर्ग में रात रुक सकते हैं। हालांकि इस बार हेलिकॉप्टर की सेवा नहीं है।‘ तीर्थयात्री अपनी सेहत का खास ध्यान रखेंयात्रा से पहले तीर्थयात्रियों को अपनी फिजिकल हेल्थ और मेंटल हेल्थ पर खास ध्यान देना है। अमरनाथ गुफा 3,888 मीटर की ऊंचाई पर है, जहां ऑक्सीजन लेवल कम हो जाता है। ठंड भी ज्यादा होती है। इसलिए यात्रा से 2-3 सप्ताह पहले से रोजाना 4-6 किमी पैदल चलें और प्राणायाम करें, ताकि सेहत दुरुस्त रहे। वहीं सफर के लिए गर्म कपड़े जैसे- थर्मल इनर, जैकेट, दस्ताने, ट्रैकिंग वाले जूते, रेनकोट, टॉर्च और जरूरी दवाइयां साथ रखें। ऊंचाई पर होने वाली शारीरिक दिक्कतें जैसे- सिरदर्द, जी मचलने के लक्षण दिखने पर तुरंत मेडिकल हेल्प लें। यात्रा के रूट में हर 2 किमी पर मेडिकल सुविधाओं का इंतजाम किया गया है। .......................... ये खबर भी पढ़ें... अमरनाथ के लिए जम्मू में ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन शुरू अमरनाथ यात्रा 3 जुलाई से शुरू होगी। इसके लिए सभी इंतजाम लगभग पूरे हो गए है। इस साल अब तक करीब 3.5 लाख श्रद्धालु रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं। जिन श्रद्धालुओं ने अभी तक ऑनलाइन पंजीकरण नहीं कराया है, उनके लिए जम्मू में ऑफलाइन पंजीकरण सोमवार से शुरू हो गया है। हर सेंटर पर रोजाना सिर्फ दो हजार श्रद्धालुओं का ही रजिस्ट्रेशन किया जाएगा। पढ़िए पूरी खबर....
DNA: तुर्किये में 'शार्ली एब्दो' जैसा कार्टून...अल्लाह हू अकबर से गूंज उठा इस्तांबुल
DNA Analysis:भारत के बंकर बस्टर वाला प्लान सिर्फ चीन और पाकिस्तान को ही नहीं तुर्किये को भी परेशान कर रहा होगा. वैसे, तुर्किये के लिए एक और बड़ी परेशानी खड़ी हो गई है और इस परेशानी की वजह है पैगंबर का एक कार्टून.
डोनाल्ड ट्रंप ने एलन मस्क को दी धमकी, बोले 'सब्सिडी कटौती की तो लौटना पड़ेगा दक्षिण अफ्रीका'
अमेरिका में कभी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और अरबपति एलन मस्क एक-दूसरे के काफी करीब थे, लेकिन आज उन दोनों में विवाद बढ़ता ही जा रहा है
israel iran war: इजरायल और ईरान के संबंधों में ऊपरी तौर पर तो शांति दिख रही है, लेकिन अंदरखाने में बड़ा खेल चल रहा है. ईरान के 'दोस्तों' में अब इजरायल को अपने लिए 'संभावनाएं' दिख रही हैं.
वो क्या था! समंदर में अचानक दिखा सैकड़ों फीट ऊंचा दानव, लोगों की हलक में अटकी जान; वीडियो वायरल
Roll Cloud in portugal:पुर्तगाल के समुद्र तट पर डराने वाला मौसम का नज़ारा देखने को मिला.सैकड़ों लोग जो बीच पर धूप का आनंद ले रहे थे, वे इस नजारे को देखकर हैरान रह गए. चलिए जानते हैं आखिर ये क्या था?
Israel News: यरूशलम के सुप्रीम कोर्ट से एक बड़ी खबर सामने आ रही है. यहां पर एक अहम सुनवाई के दौरान तनावपूर्ण माहौल देखने को मिला. मामला इजरायल की सुरक्षा एजेंसी शिन बेट के नए प्रमुख की नियुक्ति से जुड़ा था.
कट्टरपंथियों के मुंह पर तमाचा! दो तिहाई मुस्लिम आबादी वाले इस मुल्क में बुर्का-हिजाब पहनने पर बैन
पाकिस्तान, इंडोनेशिया-मलेशिया से लेकर ईरान तक तमाम इस्लामिक देशों में मुस्लिम महिलाओं के लिए हिजाब या बुर्का पहनने का आदेश तो आपने खूब सुना होगा. लेकिन एक ऐसा मुस्लिम देश भी है, जिसने कट्टरपंथियों के मुंह पर तमाचा जड़ा है. इस देश का नाम है कजाकिस्तान.
सिर्फ एक शब्द ने छीन ली पीएम की कुर्सी...थाईलैंड की खूबसूरत नेता को क्यों होशियारी पड़ी भारी
Thailand News: प्रधानमंंत्री और मंत्रियों का पद बेहद जिम्मेदारी भरा होता है, पद एवं गोपनीयता की शपथ का पालन करने के साथ उन्हें संवैधानिक दायित्वों के प्रति बेहद सजग रहना पड़ता है. थाईलैंड की प्रधानमंत्री को एक भूल के कारण पद गंवाना पड़ा है.
We not afraid of Pakistan nuclear threat:अमेरिका की धरती पर भारन ने ऐसी हुंकार भरी है, जिसे सुनकर पाकिस्तान अब दोबारा आतंकी हमला करने के लिए सौ बार सोचेगा.एस. जयशंकर ने साफ-साफ शब्दों में कह दिया है कि भारत ना तो परमाणु धमकी से डरता है और ना ही आतंकवाद को बर्दाश्त करेगा. जानें पूरी खबर जिससे पढ़करट्रंप हक्का-बक्का रह जाएंगे.
How did Pakistan get picked to lead the UN Security Council?:पाकिस्तान जबसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की अध्यक्षता संभाली है. तभी से सभी के जेहन में एक बात यह है कि आखिर पाकिस्तान को यह पद कैसे मिल गया. इससे आने वाले दिनों मेंभारत के लिए क्या नुकसान है.UNSC की अध्यक्षता के बाद अब पाकिस्तान के पास कितनी ताकत होगी, जानें पूरी कहानी.
दुकान बंद करनी पड़ेगी... मस्क ने दोबारा हमला बोला तो डोनाल्ड ट्रंप ने दी खुली धमकी
Trump vs Musk: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और स्पेसएक्स के सीईओ एलन मस्क के बीच दोबारा मोर्चा खुल गया है. दोनों दिग्गजों की लड़ाई की असली वजह भी पता चल गई है. लेकिन ये जुबानी जंग कहां रुकेगा, ये देखना होगा.
गाजा में जल्द होगा सीजफायर! नेतन्याहू और ट्रंप की मीटिंग ने जताई उम्मीद, अगले हफ्ते करेंगे बैठक
Netanyahu US Visit: इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू जल्द अमेरिका की यात्रा करने वाले हैं. इस दौरान वह अमेरिकी राष्ट्रपति से मुलाकात करेंगे. माना जा रहा है कि इस मुलाकात के बाद इजरायल-हमास के बीच युद्धविराम हो सकता है.
घट रही भारत-अमेरिका के बीच खटास? जल्द होगा व्यापार समझौता, व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव का दावा
India America Relation: हाल ही में व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी कैरोलिन लेविट ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौता करीब है और यह जल्द होने की उम्मीद है.
ये कर्ज की गुलामी है...मस्क ने फिर राष्ट्रपति ट्रंप पर निकाली भड़ास, नई पार्टी बनाने का ऐलान
टेस्ला के चीफ एलन मस्क और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच थोड़े वक्त तक संघर्षविराम के बाद दोबारा जुबानी जंग देखने को मिली है. एलन मस्क ने ट्रंप सरकार के बिग ब्यूटीफुल बिल की फिर आलोचना की है और इसके पारित होते ही नई पार्टी बनाने की धमकी दी है.
क्या आप जानते हैं कि हमारे फोन में सोना होता है? अब साइंटिस्ट्स ने इसे निकालने का नया तरीका निकाला है, तो क्या घर पर भी फोन या लैपटॉप से अलग कर पाएंगे सोना? जानने के लिए इमेज पर क्लिक कर वीडियो देखें।
‘मैंने 15 साल से बहन को नहीं देखा। हर दिन उसकी याद आती है। एक साथ बचपन बिताया, एक ही आंगन में खेले, लेकिन आज वो कहां है, किस हाल में है, कुछ नहीं जानता। 2011 में दीदी घर से कॉलेज के लिए निकली थीं, लेकिन लौटीं नहीं। उन्हें फिरोजाबाद से लेकर आगरा तक खोजा। टुंडला पुलिस से शिकायत की। मुख्यमंत्री पोर्टल IGRS पर 29 बार शिकायत की, लेकिन अब तक पता नहीं चल सका।‘ ‘दुख इस बात का है कि फिरोजाबाद पुलिस मेरी दीदी को तो नहीं तलाश पाई, उलट उसे शादीशुदा बताकर पति और बच्चों का पता दे दिया। अगर पुलिस मेरी बहन के बारे में इतना सब कुछ जानती है, तो उन्हें सामने क्यों नहीं लाती? अगर ऐसा ही चलता रहा तो मेरे सामने खुदकुशी करने के सिवा दूसरा रास्ता नहीं बचेगा।’ फिरोजाबाद के रहने वाले अंकित देशवार लापता बहन अनुपम को याद कर भावुक हो जाते हैं। वे यूपी पुलिस में कॉन्स्टेबल हैं। अंकित आरोप लगाते हैं कि फिरोजाबाद पुलिस ने जानबूझकर मामला अटका रखा है। जब उन्होंने पुलिस की नाकामी पर सवाल उठाए तो उन्हें एक महीने के लिए कानपुर देहात में ड्यूटी से सस्पेंड कर दिया गया। अंकित के पिता योगेंद्र सिंह डिप्रेशन की हालत में भी इकलौती बेटी को तलाशते रहे, लेकिन कई साल बीतने के बाद भी उनकी रिपोर्ट तक दर्ज नहीं की गई। 12 अगस्त 2023 के IGRS पर 16 जून 2025 को पहली बार गुमशुदगी का मामला दर्ज हुआ है। हालांकि फिरोजाबाद पुलिस लापता अनुपम के ना मिलने की वजह उसके परिवार की लापरवाही को मान रही है। पुलिस के मुताबिक, जब लड़की 2011 में गायब हुई तो उसकी शिकायत 2023 में क्यों दर्ज करवाई गई। इतने साल तक परिवार चुप क्यों रहा। पूरे मामले को जानने के लिए दैनिक भास्कर फिरोजाबाद और कानपुर पहुंचा। हमने पुलिस अधिकारियों और कॉन्स्टेबल अंकित से बात की और पूरा केस समझा। शुरुआत उस दिन से जब अनुपम अचानक गायब हो गई…मां की मौत ने पूरे परिवार को तोड़ दियाफिरोजाबाद में टुंडला का वैशालीपुरम मोहल्ला। योगेंद्र सिंह पत्नी सुमन, दो बच्चों अनुपम और अंकित के साथ यहीं रहते थे। CRPF में दरोगा पद से रिटायर योगेंद्र दोनों बच्चों की पढ़ाई को लेकर बहुत फिक्रमंद रहते थे। वो अनुपम को इंजीनियर और अंकित को पुलिस अधिकारी बनाना चाहते थे। लिहाजा, 12वीं के बाद उन्होंने बेटी का एडमिशन आगरा की डॉ. भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी में करवाया। अनुपम यहीं से कम्प्यूटर साइंस में बीटेक कर रही थी। अंकित टुंडला में ही स्कूली पढ़ाई पूरी कर रहा था। अंकित कहते हैं, ‘हमारी लाइफ एक सामान्य मिडिल क्लास फैमिली की तरह अच्छी चल रही थी। 2009 में मां के अचानक निधन के बाद पूरा परिवार टूट गया। पापा अकेले परेशान रहने लगे। इसी बीच उनका एक्सीडेंट हो गया, उनके सिर पर काफी चोट लगी थी।’ एक्सीडेंट के बाद पापा का दिमागी संतुलन बिगड़ने लगा और वो डिप्रेशन में चले गए। उनका ट्रीटमेंट आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज में हुआ। जहां डॉक्टरों ने उन्हें कम्प्लीट बेड रेस्ट के लिए बोला। ’मां की मौत और पापा की हालत देखकर दीदी भी सीरियस रहने लगी थीं। उनका बीटेक का 2 साल पूरा हो गया था। 2011 में उनका फाइनल सेमेस्टर चल रहा था। वो रोज की तरह कॉलेज के लिए निकलीं, लेकिन घर नहीं लौटीं। मैं उस वक्त बहुत छोटा था। मैंने कॉलेज और घर के आसपास उन्हें बहुत तलाशा, लेकिन कुछ पता नहीं चला।’ ’पापा उस वक्त थाने जाकर शिकायत दर्ज करवाने की कंडीशन में नहीं थे। इस वजह से दीदी की गुमशुदगी का केस दर्ज नहीं हो पाया।’ 2016 में शिकायत करने पहुंचे, दरोगा ने बिना एप्लिकेशन लिए भगाया2011 से 2015 तक योगेंद्र मानसिक संतुलन ठीक न रहने के कारण घर पर ही थे। बेटा अंकित पढ़ाई के साथ-साथ उनकी देखभाल कर रहा था। 2016 में जब योगेंद्र की तबीयत थोड़ी बेहतर होने लगी तब वे टुंडला थाने में बेटी अनुपम के गुमशुदा होने की शिकायत दर्ज करवाने पहुंचे। वहां दरोगा ने उनकी एप्लिकेशन लिए बगैर उन्हें भगा दिया। अंकित कहते हैं, ‘2017 तक पापा पूरी तरह ठीक तो नहीं हुए थे, लेकिन थोड़ा बहुत चलने-फिरने लगे थे। 12वीं के बाद मैं दिल्ली चला गया। घर की आर्थिक हालत ठीक नहीं थी इसलिए वहीं सेवा हॉस्पिटल नर्सिंग होम में 1500 रुपए की जॉब भी करने लगा। इन्हीं पैसों से मैंने सरकारी नौकरी की तैयारी की। 2020 में उत्तर प्रदेश पुलिस कॉन्स्टेबल भर्ती में मेरा सिलेक्शन हो गया।’ ’यूपी पुलिस में सिलेक्शन के बाद एक साल तक ट्रेनिंग पूरी की। 2022 में घर जाकर धीरे-धीरे सब कुछ संभालना शुरू किया। पापा ने मुझे घर के जरूरी कागज और जमीन जायदाद के बारे में बताया। इसी बीच मुझे बहन, मम्मी और पापा के नाम पर ली गईं LIC पॉलिसी के डॉक्युमेंट्स मिले। मैंने पापा से दीदी की गुमशुदगी की रिपोर्ट के बारे में पूछा। तब पता चला कि वो रिपोर्ट लिखवाने थाने गए थे, लेकिन लिखी नहीं गई।’ तब अंकित ने पिता को भरोसा दिलाया कि अब तक भले ही मामला दर्ज न हुआ हो, लेकिन अब वो खुद पुलिस विभाग में है इसलिए वो थाने जाकर FIR दर्ज करवाएगा। टुंडला थाने में इंस्पेक्टर साहब ने बदतमीजी की, FIR भी नहीं कीअंकित फिरोजाबाद पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहते हैं, ‘अक्टूबर 2022 में मैं पापा के साथ बहन की शिकायत दर्ज करवाने पहली बार टुंडला थाने पहुंचा। वहां इंस्पेक्टर साहब ने बहुत बदतमीजी से बात की और FIR दर्ज करने से मना कर दिया। इस रवैये से परेशान होकर मैंने फिरोजाबाद CO अनिवेश सिंह को एप्लिकेशन दिया। उन्होंने एप्लिकेशन रख ली, लेकिन FIR दर्ज नहीं की।‘ ‘जब एक साल तक मामला दर्ज नहीं हुआ तो मैंने कानपुर में अपने सीनियर अफसरों से बात की। उन्होंने मुझे मुख्यमंत्री पोर्टल में ऑनलाइन IGRS शिकायत दर्ज करने की सलाह दी। इसके बाद अक्टूबर 2023 से अगस्त 2024 तक मैंने 28 बार IGRS एप्लिकेशन फाइल की। इसमें से एक एप्लिकेशन पर 20 अगस्त 2024 को फिरोजाबाद पुलिस ने जवाब दिया।‘ पुलिस ने अपनी रिपोर्ट नंबर (40014724012567) में बताया कि मेरी बहन अनुपम ने 8 साल पहले विपिन नाम के व्यक्ति से शादी कर ली है। रिपोर्ट में विपिन का पता बताया गया। मुझे लगा कि 14 साल बाद बहन से मिलूंगा। मैं पुलिस के बताए पते पर आगरा में विपिन के घर पहुंचा। वहां पता चला कि मेरी बहन से विपिन का कोई संबंध नहीं है। ‘विपिन ने बताया कि वो अनुपम नाम की किसी भी लड़की को जानता तक नहीं है। इसके बाद भी मुझे यकीन नहीं हुआ तो मैंने विपिन के बच्चों का बर्थ सर्टिफिकेट देखा। उसमें भी मां का नाम अनुपम नहीं लिखा था। सर्टिफिकेट पर बच्चों की जो उम्र लिखी गई थी, उस हिसाब से वो 12 साल के थे। जबकि फिरोजाबाद पुलिस का कहना था कि मेरी बहन की 8 साल पहले शादी हुई थी। यहीं पुलिस का झूठ पकड़ लिया गया, जब शादी को 8 साल हुए, तो 12 साल के बच्चे कैसे हो गए।‘ अंकित के मुताबिक, रिपोर्ट झूठी साबित होने के बाद उन्होंने फिरोजाबाद पुलिस से दोबारा जवाब मांगा कि अगर उनकी रिपोर्ट सही है तो वे अनुपम, उसके पति और बच्चों को सबके सामने लाएं। बहन के लिए लड़ाई लड़ी तो नौकरी से सस्पेंड कियाअंकित कहते हैं, ‘अनुपम की गुमशुदगी को लेकर 2 साल तक कोई सुनवाई नहीं हुई। दरोगा से लेकर SP तक कोई मेरी बात नहीं सुन रहा था। इन सब से परेशान होकर मैंने सितंबर 2024 में फिरोजाबाद पुलिस के खिलाफ एक ट्वीट किया। मैंने लिखा- ‘उप-निरीक्षक टुंडला विवेक की ओर से मेरी बहन के नकली पति और दो बच्चियां पैदा कर दी गईं। दरोगा साहब के साथ मिलकर झूठी रिपोर्ट लगाई जा रही है।‘ ‘फिरोजाबाद पुलिस के खिलाफ मेरी इस पोस्ट को लेकर 17 सितंबर 2024 को कानपुर पुलिस विभाग से मुझे सस्पेंड कर दिया गया। मेरी 20 हजार रुपए सैलरी काट दी गई। सस्पेंशन के दौरान मैं डिप्रेशन में चला गया। मैंने परेशान होकर अफसरों से कहा कि जांच मेरी बहन की होनी चाहिए थी, लेकिन मुझ पर ही बैठा दी गई।’ ’अब मुझे जीने का कोई अधिकार नहीं है। मैं आत्महत्या करने जा रहा हूं। मैंने यूपी DGP से न्याय की मांग की। तब 17 अक्टूबर 2024 को मेरा सस्पेंशन बहाल किया गया।’ लापता बहन के पैसे LIC एजेंट ने हड़प लिएअंकित के मुताबिक, 2005 में उनके पिता ने मां सुमन, बहन अनुपम और उनके नाम पर LIC की पॉलिसी ली थी। मां के निधन के बाद उन्होंने उनके अकाउंट से सारा जमा पैसा निकाल लिया, लेकिन रोड एक्सीडेंट में उनका मानसिक संतुलन बिगड़ गया था। इसी बीच बहन अनुपम भी लापता हो गई। पिता न गुमशुदगी की शिकायत दर्ज करवा सके और न ही उसकी पॉलिसी में जमा पैसे निकलवा सके। इसी बात का फायदा उठाकर LIC एजेंट्स ने अनुपम की पॉलिसी का सारा पैसा गलत तरीके से दूसरे खाते में ट्रांसफर करवा लिया। अंकित कहते हैं, ‘2015 में मेरी और बहन की पॉलिसी मेच्योर हो चुकी थी, लेकिन पापा की हालत ठीक नहीं थी। इस वजह से पॉलिसी में जमा पैसे नहीं निकाले। इसी बीच LIC एजेंट रामनिवास घर आए। उन्होंने पापा को बहकाया कि वो उनका पैसा निकलवा देंगे। वो पापा से अनुपम का LIC बॉन्ड पेपर लेकर चले गए। उस वक्त मेरी बहन के पॉलिसी में जमा राशि 9400 से 1 लाख रुपए के बीच थी।‘ ‘2023 में जब मैंने बहन की पॉलिसी के बारे में जानने के लिए LIC टुंडला ब्रांच से कॉन्टैक्ट किया। तब LIC ने मार्च 2024 में बताया कि 2017 में ये राशि आगरा के रहने वाले विपिन कुमार को अनुपम का पति बताकर उनकी दोनों बेटियों पायल कुमारी और वैष्णवी कुमारी के नाम पर ट्रांसफर कर दिया गया। जब इस मामले में मेरी मुलाकात विपिन से हुई तो ये बात झूठ निकली। इससे LIC के एजेंटों और अधिकारियों का फर्जीवाड़ा सामने आ गया।‘ LIC एजेंटों पर बहन की हत्या करवाने का शकअंकित को शक हुआ कि कहीं LIC के एजेंटों और अधिकारियों ने अनुपम के नाम का गलत इस्तेमाल कर सारा पैसा किसी दूसरी महिला के नाम ना करवा दिया हो क्योंकि बिना अनुपम की मौजूदगी के ये पैसा ट्रांसफर नहीं किया जा सकता है। ऐसे में इन लोगों ने उसकी हत्या करवाकर किसी दूसरी महिला से पैसे ट्रांसफर करवा लिए हों। अब पूरे मामले पर फिरोजाबाद पुलिस का पक्ष जान लीजिए… लापता लड़की की बात 12 साल तक छिपाई गई, यही सबसे बड़ी फॉल्ट 2023 में जब अनुपम कुमारी के लापता होने की बात सामने आई तो उस वक्त टुंडला के CO अनिवेश सिंह मामले की जांच कर रहे थे। अनिवेश अब सिरसागंज के CO हैं। हमने इस पूरे मामले पर उनसे बात की। अनिवेश कहते हैं, ‘मेरे टाइम पर ये मामला उठा था। 2023 में हमें पता चला कि उस लड़की की शादी कहीं हो चुकी है। हालांकि इस केस में सबसे बड़ा फॉल्ट पीड़ित परिवार का ही है। वो ये बात जानते थे कि उनकी लड़की 2011 से लापता है, इसके बाद भी वो 12 साल तक एक भी बार थाने नहीं आए। उन्होंने 2023 में पहली बार पुलिस से इसे लेकर शिकायत की। इससे प्रार्थी पर ये शक जाता है कि उन्होंने इतने लंबे समय तक क्यों केस को अटकाकर रखा। ‘हमारी जांच में ये बात सामने आई कि लड़की जब गायब हुई थी तो उसकी पॉलिसी मेच्योर नहीं थी। 2017 में जब पॉलिसी मेच्योर हुई तो परिवार को अचानक बेटी की याद आ गई। इसी बीच लड़की के खाते में दो नए नॉमिनी भी जुड़ गए। ऐसे में पॉलिसी का पैसा किसी दूसरे के नाम ना कर दिया जाए। इसलिए लड़की के पिता और भाई बार-बार शिकायतें करते रहे।‘ एडिश्नल SP बोले- केस अब दोबारा खोला गया, नए सिरे से जांच होगीइस मामले पर हमने फिरोजाबाद जिले के एडिश्नल SP रविशंकर प्रसाद से फोन पर बात की। रविशंकर कहते हैं, ‘वैशालीपुरम मोहल्ले की रहने वाली लड़की की गुमशुदगी के मामले में पीड़ित परिवार की तरफ से 2023 में शिकायत दर्ज करवाई गई थी। अब इस मामले में फिर जांच शुरू की गई है। टुंडला थाने की टीम लापता लड़की के परिवार से पूछताछ कर रही है।‘ ‘गुमशुदा लड़की के परिजन से ये कहा गया है कि वो सभी दस्तावेज और सबूत विवेचना अधिकारी को उपलब्ध करा दें। जो तथ्य सामने आएंगे, उसके आधार पर आगे की कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।‘ पहले हुई जांच में पुलिस ने लड़की को शादीशुदा बताया था, इस पर क्या कहेंगे? इस सवाल पर रविशंकर ने बताया कि पहले की जांच में जो भी बातें सामने आई थीं, उन फैक्ट्स की अब नए सिरे से दोबारा जांच होगी, इसके बाद ही कुछ बता पाएंगे। ............................ ये खबर भी पढ़ें... पति की बाइक में GPS लगाया, हत्यारों को लोकेशन दी कुरनूर के गडवाल के रहने वाले 32 साल के तेजेश्वर लैंड सर्वेयर थे। 18 मई को उनकी शादी हुई थी। ऐश्वर्या ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर शादी के एक महीने बाद पति का मर्डर करा दिया। तेजेश्वर की हत्या का आरोप उनकी पत्नी ऐश्वर्या, उसके प्रेमी तिरुमला राव समेत 5 लोगों पर है। ऐश्वर्या ने ये साजिश शादी के बाद रची या शादी के पहले से ये प्लान था, तेलंगाना पुलिस आरोपियों तक कैसे पहुंची? पढ़िए पूरी खबर...
‘मनोजीत लड़कियों से बदतमीजी करता था। वो तृणमूल छात्र परिषद का काम देखता था, इसलिए उसकी दादागीरी बहुत बढ़ गई थी। लड़कियों को बुलाता और परिषद के यूनियन ऑफिस में पूरे दिन बिठाकर रखता था। कॉलेज में शराब पीता और दूसरों को भी पिलाता। मर्डर, चोरी, पिटाई, तोड़फोड़, छेड़खानी, मनोजीत पर सारे आरोप लगे, इस बार उसका नाम रेप में आया है।’ ये बता रहीं निरंजना उसी साउथ कोलकाता लॉ कॉलेज में पढ़ती हैं, जहां 25 जून को 24 साल की एक स्टूडेंट से गैंगरेप किया गया। आरोप TMC से जुड़े मनोजीत मिश्रा पर है। इस केस में दो और आरोपी जैब अहमद और प्रमित मुखर्जी हैं। दोनों कॉलेज में पढ़ते हैं, जबकि मनोजीत 2013 से 2017 तक इस कॉलेज में था। दैनिक भास्कर ने कॉलेज के कुछ स्टूडेंट्स से बात की और मनोजीत के बारे में पूछा। पता चला कि उसका क्रिमिनल बिहेवियर रहा है। TMC के बड़े नेताओं से नजदीकी की वजह से उसका कुछ नहीं बिगड़ा। 2016 में उसे जिस लॉ कॉलेज में रस्टीकेट किया गया था, अभी डेढ़ महीने पहले उसे वहीं नौकरी पर रख लिया गया। मनोजीत के बारे में बताने वाली पहली स्टूडेंट- निरंजनानिरंजना ने 2015 में साउथ कोलकाता लॉ कॉलेज में एडमिशन लिया था। मनोजीत उनसे सीनियर था। 2017 में मनोजीत कॉलेज से पास आउट हो गया था। वो अभी लॉ कॉलेज में कैज़ुअल स्टाफ के तौर पर काम कर रहा था। साथ ही अलीपुर कोर्ट में बतौर क्रिमिनल लॉयर वकालत करता था। निरंजना बताती हैं, 'मनोजीत 2013-17 बैच का स्ट्रडेंट था। 2013 में उसने एक युवक को चाकू मार दिया था। लॉ कॉलेज का स्टूडेंट होने की वजह से वो पुलिस से बच गया। कॉलेज आते ही उसने तृणमूल परिषद जॉइन कर ली। धीरे-धीरे उसका नाम बढ़ने लगा। 2016 में उसने कॉलेज में तोड़फोड़ की थी। इसलिए उसे रस्टीकेट कर दिया गया।’ निरंजना आगे बताती हैं, ‘2017 में वो दोबारा कॉलेज आया। उसने स्टूडेंट यूनियम में शामिल होने की कोशिश की थी, लेकिन हमने उसका विरोध किया। उस पर पहले से क्रिमिनल केस चल रहे थे। इसके बाद से उसकी दादागीरी बढ़ गई। वो लड़कियों को तृणमूल परिषद के यूनियन ऑफिस में बुलाता था। हमारे प्रिंसिपल ने उसे कॉलेज आने से मना कर दिया था।' ‘इस पर मनोजीत ने दोस्तों के साथ प्रिंसिपल ऑफिस में तोड़फोड़ की थी। इसके बाद कॉलेज में तृणमूल परिषद को भंग कर दिया गया। 2017 में ही मनोजीत पर कॉलेज कैंपस में CCTV कैमरा तोड़ने, झगड़ने और चोरी के आरोप भी लगे।’ ‘2019 में नए साल के जश्न से पहले उसने दोस्त के अपार्टमेंट से म्यूजिक सिस्टम, सोने की चेन और चश्मा चुरा लिया था। दोस्त ने उसके खिलाफ FIR दर्ज करवाई थी। 2022 में एक महिला ने उसके खिलाफ छेड़छाड़ की शिकायत की थी। अभी पिछले साल उसने सिक्योरिटी गार्ड से मारपीट की थी।’ दूसरी स्टूडेंट: देबोलिना दास‘मनोजीत लड़कियों से कहता था- मुझसे शादी करोगी’ देबोलिना दास लॉ कॉलेज में पढ़ चुकी हैं। इसलिए वे मनोजीत को जानती हैं। देबोलिना बताती हैं, 'मनोजीत लड़कियों को यूनियन रूम में बुलाता था। उनके साथ शराब पीता था। उसने अपने जूनियर को किडनैप करने की भी कोशिश की थी। पिछले कुछ साल में उस पर स्टूडेंट्स को बंधक बनाने, उगाही करने, छेड़छाड़ के केस दर्ज किए गए, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई।’ ‘2022 में फर्स्ट ईयर की एक स्टूडेंट ने थाने में रैगिंग, सेक्शुअल हैरेसमेंट और धमकाने की शिकायत की थी, लेकिन उस पर ध्यान नहीं दिया गया। 2018 में कालीघाट थाने में उसके खिलाफ केस दर्ज किया गया था। इसके बाद वो कुछ दिनों के लिए गायब हो गया था।' तीसरी स्टूडेंट: अनिंदिता मुख़र्जी'TMC की वजह से पुलिस ने FIR में मनोजीत का नाम छिपाया'कॉलेज की फाइनल ईयर स्टूडेंट अनिंदिता मुख़र्जी 26 जून को विक्टिम स्टूडेंट के साथ कस्बा पुलिस स्टेशन पहुंची थी। वे आरोप लगाती हैं कि पुलिस मुख्य आरोपी की पहचान छिपाना चाहती है। पुलिस ने FIR में उनके नाम की जगह 'J', 'P' और 'M' लिखा ताकि किसने क्या किया, ये पता न चले। 'ऐसे मामलों में FIR में सभी आरोपियों का पूरा नाम लिखा जाता है। पहली बार ऐसी FIR लिखी गई है, जिसमे किसी आरोपी की पहचान जाहिर नहीं हो रही। किसी को नहीं पता 'M', 'J' और 'P' कौन है। पुलिस ने जानबूझकर कंफ्यूज करने के लिए ऐसा किया है।' अनिंदिता आगे बताती हैं, 'पीड़िता ने घटना के बाद अपने दोस्त को कॉन्टैक्ट किया था, जो लीगल सेल में है। वो बहुत डरी हुई थी। उन्होंने मुझे कॉल किया था। आरजी कर मेडिकल कॉलेज में जो हुआ, उसके बाद से सभी लड़कियों में हिम्मत आई है कि उन्हें FIR लिखवानी ही चाहिए और ऐसे लोगों को जेल पहुंचाया जाए।’ ‘हमने उसे हिम्मत दी कि उसे पुलिस स्टेशन जाना चाहिए। मनोजीत की तरह ही जैब भी पावरफुल व्यक्ति है। वो कॉलेज में तृणमूल परिषद यूनिट का काम देखता था। इन सबमे मनोजीत उम्र और पावर में सबसे ऊपर है।' FIR में नाम न लिखने पर नेशनल वुमन कमीशन की मेंबर अर्चना मजूमदार भी अनिंदिता से सहमत हैं। वे कहती हैं, 'अगर विक्टिम ने बयान में आरोपी का नाम लिया है, तो FIR में सिर्फ इनीशियल लिखना गलत है। शायद ऐसा आरोपियों की राजनीतिक पहचान बचाने के लिए किया गया है।' एडवोकेट अनिकेत साउथ लॉ कॉलेज में पढ़ चुके हैं। अभी वकालत कर रहे हैं। कॉलेज के स्टूडेंट उनके पास इंटर्नशिप करते हैं। अनिकेत बताते हैं, 'मेरी एक स्टूडेंट ने मुझे बताया है कि मनोजीत छुटभैया नेता की तरह था। वो कैंपस में लड़कियों को छेड़ता था। उन्हें शादी का प्रपोजल देता था। वो सीनियर स्टूडेंट्स को कुछ नहीं कहता था। जूनियर स्टूडेंट पर असर डालने की कोशिश करता था। BJP का आरोप- पहुंच की वजह से आरोपियों को मिला एडमिशनBJP नेता कौस्तव बागची साउथ कोलकाता लॉ कॉलेज से पढ़े हैं। कलकत्ता हाई कोर्ट में वकील हैं। वे बताते हैं, 'कॉलेज के बोर्ड अध्यक्ष अशोक देब की सिफारिश पर मनोजीत मिश्रा को कॉलेज में एडमिशन मिला। अशोक देब की वजह से हर साल कम नंबर लाने वाले स्टूडेंट्स को भी एडमिशन मिल जाता है।’ ‘मनोजीत इनकी गैंग का हिस्सा बन गया। उसे कॉलेज में नॉन टीचिंग स्टाफ के तौर पर शामिल कर लिया गया। उस पर कई बार कैंपस में लड़कियों से छेड़छाड़ का आरोप लगा। हर बार उसके प्रभाव की वजह से मामला शांत हो गया।' वहीं BJP के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने एक और आरोपी जैब अहमद के एडमिशन पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि जैब की 2024 की CUET-UG प्रवेश परीक्षा में 2634वीं रैंक मिली थी। इसके बावजूद कॉलेज में एडमिशन मिल गया। जैब को यह सीट राजनीतिक पहुंच की वजह से मिली। इतनी कम रैंक वाले स्टूडेंट को कॉलेज में एडमिशन किसने दिलाया और उसे कौन बचा दे रहा है। TMC बोली- मनोजीत पार्टी का हिस्सा नहीं, स्टूडेंट विंग का जूनियर मेंबरतृणमूल कांग्रेस ने मनोजीत मिश्रा के पार्टी में होने से इनकार किया है। पार्टी की स्टूडेंट विंग TMCP के लीडर त्रिणांकुर भट्टाचार्य ने कहा कि मनोजीत जूनियर मेंबर था। कॉलेज में हमारे संगठन की एक्टिव यूनिट नहीं है। क्या है पूरा मामला कॉलेज के गार्डरूम में लॉ स्टूडेंट से गैंगरेपसाउथ कोलकाता लॉ कॉलेज में 25 जून को कॉलेज कैंपस के अंदर एक स्टूडेंट से गैंगरेप किया गया। उसका वीडियो भी बनाया गया। तीनों आरोपी स्टूडेंट को घसीटते हुए गार्ड रूम में ले गए। इसका CCTV फुटेज भी सामने आई है। विक्टिम करीब तीन घंटे बाद गार्ड रूम से बाहर आ पाई। मामले की जांच कर रही SIT ने दावा किया है कि यह हमला साजिश के तहत किया गया। विक्टिम पहले दिन से मनोजीत के टारगेट पर थी। आरोपियों ने वीडियो बनाकर उसे बदनाम और ब्लैकमेल करने की साजिश रची थी। मेडिकल रिपोर्ट में विक्टिम से रेप की पुष्टि हो गई है। पुलिस ने तीन आरोपियों मनोजीत मिश्रा, प्रमित और जैब अहमद को 26 जून को ही अरेस्ट कर लिया था। पुलिस ने सिक्योरिटी गार्ड पिनाकी बनर्जी को भी गिरफ्तार किया है। पुलिस ने जांच तेज करने के लिए SIT में मेंबर 5 से बढ़ाकर 9 कर दिए हैं। इनमें फोरेंसिक और डिजिटल एक्सपर्ट भी शामिल हैं। CCTV फुटेज की जांच कर रही टीम ने लगभग 7.5 घंटे का वीडियो रिकॉर्ड जब्त किया है। इस वीडियो में विक्टिम, आरोपी और सुरक्षा गार्ड की गतिविधियां साफ दिख रही हैं। इस वीडियो रिकॉर्डिंग से पीड़िता के पुलिस को दिए बयान की पुष्टि होती है। पुलिस के साथ फोरेंसिक टीम मौके पर पहुंची थी। वहां से हॉकी स्टिक, बालों के गुच्छे और खून / सीमेंस के धब्बे पाए गए हैं। आरोपी और विक्टिम के कपड़े फोरेंसिक जांच के लिए जब्त कर लिए गए हैं। DNA सैंपल भी भेजा जा चुका है। आरोपियों के मोबाइल फोन जब्त कर साइबर फोरेंसिक टीम को भेजे गए हैं। इनमें रेप के दौरान की वीडियो क्लिप और ब्लैकमेल करने वाला कंटेंट मिला है। मेडिकल रिपोर्ट में विक्टिम से बेरहमी की पुष्टिरिपोर्ट में पुष्टि है कि विक्टिम के साथ रेप किया गया। उसके शरीर पर नाखूनों और दांतों से काटने के निशान हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, विक्टिम को मानसिक तौर पर बहुत चोट पहुंची है, इसलिए उसे तुरंत काउंसलिंग की सलाह दी गई है। केस से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें CBI जांच कराने के लिए याचिका दायर, एजुकेशन इंस्टीट्यूट में सिविल वॉलेंटियर के तैनाती की मांग कोलकाता गैंगरेप की CBI जांच के लिए कलकत्ता हाईकोर्ट में 30 जून को जनहित याचिका दायर की गई। इसमें CBI को मामले की प्राइमरी जांच करके कोर्ट में रिपोर्ट सौंपने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। इससे पहले दायर कुछ अन्य याचिकाओं में कोर्ट की निगरानी में मामले की जांच कराने की मांग की गई है। इस हफ्ते के आखिर में इन याचिकाओं पर सुनवाई हो सकती है। पढ़िए पूरी खबर
DNA Analysis: ईरान के सबसे बड़े शिया धर्मगुरु ग्रैंड अयातुल्ला नासिर मकारिम शिराजी ने डॉनल्ड ट्रंप और नेतन्याहू को खुदा का दुश्मन करार दिया है. और दुनिया भर के मुसलमानों से एकजुट होकर इनका तख्ता पलट करने की अपील की है. इस फतवे के जरिए दुनिया भर के मुसलमानों को बताया गया है.
DNA: राष्ट्रपति, मेयर उम्मीदवार से क्यों लड़ रहे हैं? ममदानी और मिस्टर प्रेसिडेंट में चल रही फाइट
US News: ममदानी ने खुद को कम्युनिस्ट मानने से इनकार किया. ममदानी ने कहा, 'राष्ट्रपति सवाल उठा रहे हैं, मैं कौन हूं, कैसा दिखता हूं और कहां से आया हूं.
Bangladesh Hindu Woman Rape Case News: बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति इतनी खराब है कि वहां पर जिहादी कट्टरपंथी उन पर हर तरह से हावी होने की कोशिश करते हैं. कुमिला में महज 35 हजार रुपये न चुका पाने पर घर में घुसकर हिंदू महिला के साथ रेप को अंजाम दिया गया.
लैंडिंग के बाद रनवे पर अचानक तिरछा हो गया विमान, कांपी लोगों की रूह; याद आ गया अहमदाबाद प्लेन क्रैश
Indonesia Plane Video: अहमदाबाद में हुए विमान हादसे में कई लोगों की जान चली गई थी. अब इंडोनेशिया से एक खतरनाक वीडियो सामने आया है. जिसमें विमान रनवे पर तिरछा फिसल गया. गनीमत ये रही कि इसकी वजह से कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ.
बिरयानी खिलाने के बाद अमेरिका ने पाकिस्तान को दी ऐसी टेंशन, थर-थर कांपने लगे 25 करोड़ पड़ोसी
Pakistan News:जी हां...जो पाकिस्तान अब तक राफेल से खौफ से नहीं उबर पाया था उस पाकिस्तान को एक और तगड़ा झटका लगने वाला हैं. क्योंकि हिंद का जांबाज लड़ाका तेज बहुत ताकतवर बनने वाला है. पक्की ख़बर मिली है कि तेजस को सुपर पावर अमेरिका से वो टेक्नोलॉजी मिलने जा रहा है, जो पाकिस्तान के एक-एक शहर को कबिस्तान बना सकती है.
ट्रंप का खौफ या जलवा! दोस्त को बचाने के लिए लगाई ताकत, दूसरे देश की अदालत ने बदल दिया अपना फैसला?
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को बड़ी राहत मिली है. भ्रष्टाचार के एक पुराने मामले में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टिप्पणी के बाद इजरायल की अदालत ने उनकी सुनवाई को टाल दिया है. ट्रंप ने खुद सोशल मीडिया पर इसकी पुष्टि की और इसे बड़ा मुद्दा बनाया हुआ है.
चीन के चमगादड़ों में मिला खतरनाक सुपरवायरस, कोरोना से 20 गुना ज्यादा घातक, महामारी की चेतावनी
Corona virus in Bats: दुनिया में कोरोनावायरस 70 लाख से ज्यादा लोगों की मौत की वजह बना था. लेकिन कोविड-19 जैसे खतरनाक 20 वायरस अब चीन में मिले हैं, जिनसे पूरी दुनिया में फिर महामारी आने की चेतावनी भी दी गई है.
complete story of Superman: सुपरमैन की एक और खास बात यह थी कि उसके कई दोस्त और दुश्मन भी उसके साथ जुड़े थे. उसकी सबसे लोकप्रिय दोस्त और प्रेमिका लोइस लेन थी, जो एक बहादुर और समझदार रिपोर्टर थी. वह सुपरमैन को पसंद करती थी, लेकिन वह उसकी असली पहचान, क्लार्क केंट, से दूर-दूर रहती थी. जानें सुपरमैन की पूरी कहानी.
ओमान की खाड़ी में धधकती आग का गोला बना ऑयल टैंकर, इंडियन नेवी की सूझबूझ से टली बड़ी आपदा
Fire In Oil Tanker: INS तबर ने भारत के कांडला से ओमान के शिनस जा रहे जहाज में लगी भीषण आग को बुझाया है. जहाज के इंजन रूम में आग लग गई थी. इसमें भारतीय मूल के 14 क्रू मेंबर्स मौजूद थे.
Iran News: ईरान के शीर्ष धर्मगुरू ग्रैंड अयातुल्ला नासर मकरम शिराजी की ओर से इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ फतवा जारी किया गया है.
Who will be NextDalai Lama:तिब्बती बौद्ध धर्म के सर्वोच्च नेता दलाई लामा के उत्तराधिकारी का ऐलान जुलाई में हो सकता है. इस तैयारी ने चीन को चिंता में डाल दिया है. दलाई लामा के जन्मदिन पर धर्मशाला के मैक्लोडगंज में बड़े धार्मिक आयोजन की तैयारी है.
जेफ बेजोस वेडिंग:तीन दिन तक चले शादी समारोह के बाद अमेजन के संस्थापक जेफ बेजोस और पत्रकार लॉरेन सांचेज ने शादी कर ली। इटली के वेनिस में हुई इस भव्य शादी में दुनियाभर की मशहूर हस्तियां शामिल हुईं। शादी की तस्वीरें सोशल मीडिया पर छाई हुई हैं। लोग अमेजन के संस्थापक की शादी में हुए …
क्या आप जानते हैं कि विश्व में सबसे अधिक कटहल किस देश में उगाया जाता है?
बेंगलुरु:भारत कटहल के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है। हमारा देश सालाना 1.4 मिलियन टन से ज़्यादा कटहल पैदा करता है। कटहल केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, असम और बिहार जैसे राज्यों में बड़े पैमाने पर उगाया जाता है। दुनिया में सबसे ज़्यादा कटहल किस देश में पैदा होता है? : भारत दुनिया में कटहल का …