पहले मैं घर की चारदीवारी में गुनगुनाती थी, किस्मत ने मुझे दुनिया के सबसे बड़े मंच तक पहुंचा दिया। गैंग्स ऑफ वासेपुर फिल्म में 'वुमनिया' गीत से मेरी आवाज को रातों-रात पहचान मिली। शोहरत की चमक के बीच मेरे पति पंकज झा की दोनों किडनियां फेल हो गईं। 10 साल तक इलाज चला। उस वक्त पति ने कहा- 'गाना मत छोड़ना'। जब उनकी मौत हुई तो मेरे पास अर्थी तक के पैसे नहीं थे। दो साल मैंने डिप्रेशन झेला। घर चलाने के लिए बेटी के ऑफिस का बचा नाश्ता खाना पड़ा। छोटे कार्यक्रमों से दोबारा वापसी की। सबसे बड़ा अफसोस- पति अब मेरी सफलता देखने के लिए जिंदा नहीं हैं। मेरा नाम रेखा झा है। बिहार के मिथिला की बेटी हूं। समस्तीपुर जिला मेरी जन्मभूमि और पटना कर्मभूमि है। मिडिल क्लास परिवार में पैदा हुई। मेरे पिताजी संगीत के टीचर थे। तीन भाइयों के बीच मैं अकेली बेटी थी। जब मेरी इंटरमीडिएट की पढ़ाई खत्म हुई, तो मेरी उम्र 17 साल थी। तभी घर वालों ने मेरी शादी कर दी। मेरे पति भी 17 साल के थे। उस उम्र में हम दोनों को घर-गृहस्थी की समझ ठीक से नहीं थी। उस वक्त मेरा संगीत से दूर-दूर का कोई नाता नहीं था। हां, घर का काम करते हुए गुनगुनाती रहती थी। मुझे गुनगुनाता देख अक्सर मेरे पति कहते- चलो तुम्हें संगीत की ट्रेनिंग दिला दूं, लेकिन मना कर देती थी। घर में काम इतना ज्यादा होता था कि उससे फुरसत ही नहीं थी। लेकिन मेरे पति नहीं मानते। वह अक्सर जिद कर बैठते। एक दिन मैंने यह बात अपने पिताजी को बताई। वह तो सुनते ही खुशी से पागल हो गए क्योंकि वह संगीत टीचर थे। मेरे तीनों भाइयों को संगीत में कोई दिलचस्पी नहीं थी। उसके बाद मेरे पति मुझे एक संगीत टीचर के पास ले गए और उनसे ट्रेनिंग दिलानी शुरू कर दी। इस तरह मेरे पति ट्रैवल एजेंसी चलाते थे और मैं घर संभालने के साथ-साथ संगीत सीखने लगी। संगीत टीचर से सीखकर आती तो घर पर रियाज न कर पाती क्योंकि घर पर काम बहुत होता था। खाना बनाते, बच्चों को संभालते, कपड़े धोते, साफ-सफाई करते हुए बंदिशें और राग गुनगुनाते हुए रियाज करती थी इस तरह जब थोड़ा सीख गई तो मेरे पिताजी ने एक गुरु की तलाश की और उन्हें संगीत सिखाने के लिए मेरे घर भेजने लगे। उनसे मैंने भोजपुरी, मैथिली और शास्त्रीय संगीत सीखना शुरू किया। गुरु जी से सीखते हुए कुछ ही महीने हुए थे कि उन्होंने बताया कि पटना में एक ऑडिशन है। वहां जाकर ऑडिशन दे आओ। मैं एक घरेलू औरत थी। उल्टे पल्लू वाली साड़ी नहीं पहनती थी कि मॉडर्न लगूं। समझ नहीं आ रहा था कि वहां कैसे जाऊं और बड़े-बड़े लोगों से जाकर कैसे बात करूंगी। गुरु जी से कहा- आप भी साथ चलो। वह तैयार हो गए और मुझे वहां लेकर गए। वहां गई तो देखा बहुत सारे लोग ऑडिशन देने के लिए आए थे। सब एक से बढ़कर एक थे। उन्हें ऑडिशन देते हुए देखकर मैं तो घबरा गई। लगा कि इनके आगे मैं क्या हूं। हालांकि मेरी बारी आई। मैंने गाना गाया। सब रिजल्ट का इंतजार कर रहे थे। आखिर में सभी को घर जाने के लिए बोल दिया गया, लेकिन मुझे रोक लिया गया। जब मुझे रोका गया तो लगा कि शायद मुझसे कुछ गलती हो गई है। समझाने के लिए रोका गया है, लेकिन जब रिजल्ट आया तो मुझे सिलेक्ट कर लिया गया था। वो दृश्य आज भी भूलता नहीं। आखिर कैसे स्नेहा वालेकर मैम ने जेब में हाथ डालकर मेरी तरफ देखा था और मुझे गले लगा लिया था। उसके बाद मुझे बताया गया कि आपका यह सिलेक्शन अनुराग कश्यप की फिल्म के लिए हुआ है। वह गैंग्स ऑफ वासेपुर फिल्म बना रहे हैं। आप उसमें वुमनिया टाइटल का गीत गाएंगी। उसके बाद इस गीत की रिकॉर्डिंग बनारस और मुंबई में की गई। मैंने गाया। गैंग्स ऑफ वासेपुर फिल्म रिलीज हुई। यह गीत इतना हिट हुआ कि इसने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। इसने देश-विदेश में धूम मचा दी। आखिर मेरी जैसी एक घरेलू औरत की शोहरत रातों-रात आसमान छूने लगी। बिहार से लेकर मुंबई की संगीत की दुनिया में मेरे चर्चे होने लगे। इस गाने के हिट होने के बाद तो मुझे कई जगह से बुलावा आने लगा। बड़े-बड़े स्टेज शो के ऑफर मिलने लगे। लेकिन इस दौरान भगवान को कुछ और मंजूर था। एक तरफ मेरी जिंदगी में इतनी बड़ी खुशी, चकाचौंध, संगीत, शोहरत, बुलावे पर बुलावे आ रहे थे तो दूसरी तरफ मेरे पति की दोनों किडनियां फेल हो गईं। मेरी सारी खुशी गम में बदल गई। वो 2012 का साल था। हम इतने साधारण परिवार से थे कि हमारे पास किडनी के इलाज के लिए पैसे नहीं थे। 2013 में मेरे पति का इलाज शुरू हुआ। जितना भी पैसा मेरे पास था सब उनके इलाज पर खर्च होता गया। एक तरह से जीवन पटरी से उतर गया, लेकिन इस दौरान मेरे पति ने मुझे कसम दी। कहा- मैं भले ही बेड पर पड़ा हूं, लेकिन तुम गाना मत बंद करना। वह इसलिए कह रहे थे ताकि घर की दो जून की रोटी चलती रहे क्योंकि घर चलाने का और कोई रास्ता नहीं था। उनकी जिद पर मैंने गाने का फैसला किया। मन मार कर स्टेज पर जाने लगी। मंच पर जाती तो दिल रो रहा होता था, लेकिन जबर्दस्ती चेहरे पर मुस्कान लाती। सोचती कि अगर मेरा सुर इधर से उधर हुआ तो कोई गाने के लिए नहीं बुलाएगा। फिलहाल, अच्छा गाती ताकि प्रोग्राम मिलता रहे और घर चलता रहे। सोचिए, जब घर के हालात इतने बुरे हों तो मंच पर मुस्कुराकर गाना कैसा लगता होगा। यह अपने ऊपर जुल्म जैसा था। इस तरह गाने से जो भी पैसे मिलते, पति के इलाज पर लगा देती। उस दौरान मेरे पांच छोटे बच्चे थे, लेकिन वुमनिया गीत के कारण मुझे इतनी चर्चा मिली कि लोग संपर्क कर-करके मेरी मदद रहे थे। आखिरी दिनों में पति का सप्ताह में दो बार डायलिसिस होने लगा। वह आईसीयू में भी एडमिट हुए। आखिरकार डॉक्टरों ने बोल दिया कि अब कुछ नहीं हो सकता। इस तरह 10 साल तक पति का इलाज कराया। साल 2022 में पति की मौत हो गई। जिंदगी बिखर गई। जिस दिन पति की मौत हुई है उस दिन मेरे पास अर्थी तक के लिए पैसे नहीं थे। डॉक्टरों ने इलाज के लिए बहुत पैसे ले लिए थे। उस दिन मेरे भाई ने कहीं से अर्थी के पैसे का इंतजाम किया। बड़ी मुश्किल से उनका अंतिम संस्कार और बाकी का क्रिया-कर्म किया। पति के जाने के बाद कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या करूं। पटना में रहने का हर महीने किराया देना। बच्चे छोटे थे, उनकी देखभाल, पढ़ाई-लिखाई का खर्च सब मुश्किल हो रहा था। बच्चों के साथ सारी-सारी रात बैठी रहती। हम एक-दूसरे की शक्लें देखते और रोते। इस तरह डेढ़ से दो साल तक कुछ नहीं किया। एक तरह से डिप्रेशन में रही। किसी से बात नहीं करती। भगवान से कहती कि यह क्या हो रहा मेरे साथ। उस वक्त बड़ी बेटी की शादी हो चुकी थी। वह फोन करके पूछती- मां सब ठीक है? उसे कोई दुख न पहुंचे, कह देती- हां सब ठीक है। उस समय अक्सर खाना नहीं खाई होती थी। इस तरह घर के हालात बहुत खराब थे। मेरे एक जानकार ने मेरी मदद की। मेरी छोटी बेटी को एक प्राइवेट नौकरी दिलाई, लेकिन सैलरी बहुत कम थी। फिर कुछ मदद होने लगी। उस समय मेरी एक और बेटी गुरुग्राम में नौकरी करती थी, वह भी कुछ पैसे देने लगी। इस तरह जिंदगी की गाड़ी किसी तरह चल रही थी। छोटी बेटी को ऑफिस में जो नाश्ता मिलता, वह घर लेकर आती। हम वही खाते थे। इस तरह से हमने किसी तरह दो साल बिताए। इस दौरान पति की बात दिमाग में गूंजती- तुम्हें गाना बंद नहीं करना है। फिर धीरे-धीरे हिम्मत जुटानी शुरू की। छोटे-मोटे कार्यक्रम में गाने के लिए जाने लगी। जहां भी जाती, चाहे वह धार्मिक कार्यक्रम ही क्यों न हो। छठ का कार्यक्रम हो, लोग वहां गैंग्स ऑफ वासेपुर का वुमनिया गीत जरूर गवाते हैं। एक तरह से इस गीत ने मेरी जिंदगी बदल दी थी। कहूंगी आज भी इसी गीत से मेरे घर की रोजी-रोटी चल रही है। इस तरह सालों बाद अब जाकर हालात थोड़े ठीक हुए हैं। इस समय मेरे पास संगीत सीखने के लिए काफी बच्चे आते हैं। हाल में इंस्टाग्राम पर एक पेज बनाया है। उस पर कुछ वीडियोज डालती हूं। उन्हीं पैसों से मेरा गुजारा चल रहा है। पति के जाने के बाद अपने लिए एक साड़ी तक नहीं खरीदी। मेरे शिष्य जो लाकर दे देते हैं, वही पहनती हूं। वुमनिया गीत को बनाने वाली स्नेहा वालेकर भी मुझसे जुड़ी हैं। उस फिल्म की एकमात्र ऐसी इंसान हैं, जो आज भी मुझसे बात करती हैं और मेरा हाल-चाल लेती रहती हैं। जब उनका फोन आता है तो मेरे अंदर जैसे एक नई ऊर्जा आ जाती है। वह मुझे बहुत सम्मान देती हैं। अब मेरे बच्चे बड़े हो गए हैं। अब संगीत को पूरा वक्त दे सकती हूं। बस भगवान से यही चाहती हूं कि गाने के मौके मिलें। जिन दस वर्षों में संगीत को समय नहीं दे पाई, अब उसकी भरपाई करना चाहती हूं। चाहती हूं कि एक-एक पल संगीत को दूं। आखिर में जिंदगी का सबसे बड़ा अफसोस यही है कि जिस पति के कहने पर मैंने संगीत सीखना शुरू किया, आज वही मेरी सफलता देखने के लिए जिंदा नहीं हैं। कहीं गाने जाती हूं और जब वहां मंच पर मुझे सम्मान मिलता है तो मन अंदर ही अंदर रोता है कि- काश यह सब देखने के लिए मेरे पति जिंदा होते। ------------------------------------ (रेखा झा ने अपने ये जज्बात भास्कर रिपोर्टर मनीषा भल्ला से साझा किए हैं।) 1-संडे जज्बात-मैं मुर्दा बनकर अर्थी पर भीतर-ही-भीतर मुस्कुरा रहा था:लोग ‘राम नाम सत्य है’ बोले तो सोचा- सत्य तो मैं ही हूं, थोड़ी देर में उठकर साबित करूंगा मेरा नाम मोहनलाल है। बिहार के गयाजी के गांव पोची का रहने वाला हूं। विश्व में शायद अकेला ऐसा इंसान हूं, जिसने जिंदा रहते अपनी शव यात्रा देखी। यह बात चंद करीबी लोगों को ही पता थी। मरने का यह सारा नाटक किसी खास वजह से किया गया था। पूरी स्टोरी यहां पढ़ें 2- संडे जज्बात-फौजी विधवा की 8 साल के देवर से शादी:मैं मेजर जनरल थी, उसकी बात सुनकर कांप गई; मन करता है कैसे भी उससे मिल लूं अस्पताल में इलाज के दौरान एक युवा सिपाही की मौत हो गई। वह शादीशुदा था और उसकी विधवा पत्नी की उम्र लगभग 22 साल थी। सिपाही की मौत के बाद एक दिन उसकी पत्नी रोते हुए मेरे पास आई। कहने लगी कि मुझे बचा लीजिए। मेरे ससुराल वाले और मायके के लोग मेरी शादी देवर से कराने जा रहे हैं। पूरी स्टोरी यहां पढ़ें
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच नहीं बनी बात, तीसरे राउंड की बैठक में नहीं निकला कोई हल
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तीसरे राउंड की वार्ता का कोई निष्कर्ष नहीं निकला
‘लोग नाराज और निराश हैं। उनमें पिछली बार जैसा जोश नहीं है। 2024 के विधानसभा चुनाव में हमें उम्मीद थी कि कुछ डेवलपमेंट होगा, लेकिन कुछ नहीं हुआ। 1977 से अब तक हर बार हमने यहां से नेशनल कॉन्फ्रेंस को ही चुनकर भेजा, लेकिन यहां कौन सा विकास हुआ, क्या कोई प्रोग्रेस आपको दिख रही है। फिर आप ही बताइए हम किसे वोट दें।‘ उपचुनाव के बारे में पूछते ही बडगाम में रहने वाले रियाज अपनी नाराजगी छिपा नहीं सके। वो तय नहीं कर पा रहे कि उपचुनाव में किसे वोट दें। कश्मीर की बडगाम विधानसभा सीट पर 11 नवंबर को उपचुनाव होना है। 2024 में हुए विधानसभा चुनाव में CM उमर अब्दुल्ला ने बडगाम और गांदरबल दो सीटों से चुनाव लड़ा था। दोनों से जीत के बाद उमर ने बडगाम सीट छोड़ दी, तब से ये खाली है। बडगाम से नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के आगा सैयद महमूद, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) के आगा मुंतजिर मेंहदी, अवामी इत्तेहाद पार्टी के नजीर अहमद खान मैदान में हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि बडगाम उपचुनाव कोई लोकल इलेक्शन नहीं है। ये मौजूदा सरकार का इम्तिहान है। यहां उमर सरकार के खिलाफ नाराजगी जरूर है, लेकिन उनके गढ़ में कैंडिडेट मजबूत है। इसलिए मुकाबला कड़ा होगा। जम्मू की नगरोटा सीट पर भी 11 नवंबर को ही उपचुनाव होने हैं। ये सीट BJP विधायक देवेंद्र सिंह राणा के निधन के बाद खाली हुई है। यहां से BJP ने उन्हीं की बेटी देवयानी राणा को ही टिकट दिया है। जबकि NC से शमीम बेगम मैदान में हैं। राज्यसभा चुनाव के दौरान NC से हुए विवाद के चलते कांग्रेस ने कैंडिडेट नहीं उतारा है। यहां माहौल BJP के पक्ष में है। वोटिंग के पहले हम बडगाम और नगरोटा में ग्राउंड पर पहुंचे और यहां का चुनावी मिजाज जाना। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… सबसे पहले बडगाम के वोटर्स की बात…उमर को चुना लेकिन कमजोर CM साबित हुएबडगाम में रहने वाले रियाज अहमद में उपचुनाव को लेकर कोई जोश नहीं दिखता। वे कहते हैं, ‘मौजूदा सियासी हालात को लेकर लोगों में जबरदस्त गुस्सा है। लोगों में चुनाव को लेकर अब वो उत्साह नहीं बचा जो पहले था। हम बहुत मुश्किलों का सामना कर चुके हैं। जो कुछ भी हमारा था, वो सब हमसे छीन लिया गया। इसलिए अब ज्यादा उम्मीद नहीं बची है।‘ ‘2024 के विधानसभा चुनाव में शेर-ए-कश्मीर की विरासत को याद करते हुए हमने उमर अब्दुल्ला को वोट दिया था। जब वो यहां आए तो हमें लगा हमारे मुख्यमंत्री हैं, लेकिन वो बहुत कमजोर CM साबित हुए। मैंने इससे पहले कभी इतना प्रभावहीन और कमजोर मुख्यमंत्री नहीं देखा।‘ PDP के बारे में पूछने पर रियाज कहते हैं, ‘नेशनल कॉन्फ्रेंस और PDP अलग नहीं है, ये एक हैं। ये एक ही पार्टी के बस दो चेहरे भर हैं।‘ उमर को चुनना गलती, ये सही लीडर चुनने का दूसरा मौकाबडगाम में ही हमें रईस अहमद मिले। उपचुनाव के बारे में पूछते ही वो 2024 के विधानसभा चुनाव में किया उमर अब्दुल्ला का वादा याद दिलाने लगे। वे कहते हैं, ‘जब उमर बडगाम और गांदरबल दो सीटों से चुनाव लड़ रहे थे, तब उन्होंने वादा किया था कि जिस सीट से ज्यादा मार्जिन से जीतेंगे वही सीट अपने पास रखेंगे। हमने बडगाम से उन्हें ज्यादा मार्जिन से जीत दिलाई, लेकिन फिर भी उन्होंने इसे ठुकरा कर गांदरबल को चुना।‘ ‘हमें इस बात से परेशानी नहीं है कि उन्होंने गांदरबल को क्यों चुना। वो भी कश्मीर का ही हिस्सा है, भला उसे चुनने में क्या दिक्कत। हमारा सवाल ये है कि गांदरबल को चुनने के बाद वहां पिछले एक साल में उन्होंने किया क्या। कोई भी एक काम किया हो तो बता दें। उन्होंने डेवलपमेंट का कोई काम नहीं किया। अगर वो बडगाम को चुनते तब भी यही होता।‘ रईस आगे कहते हैं, ‘ये उपचुनाव बडगाम के लोगों के लिए सही लीडर चुनने का दूसरा मौका है। पिछले कई दशकों से नेशनल कॉन्फ्रेंस यहां की जनता के साथ अन्याय करती आ रही है। डेवलपमेंट के नाम पर इतने सालों में यहां कुछ भी नहीं हुआ। इसलिए अब बदलाव का वक्त आ गया है।‘ ‘अब ये बदलाव आगा सैयद मुंतजिर मेंहदी लाएंगे। इस बार बडगाम के लोगों ने तय कर लिया है कि वो मुंतजिर मेंहदी को सपोर्ट करेंगे। वैसे तो चुनाव मैदान में उम्मीदवार और भी है लेकिन मुंतजिर मेंहदी में ही वो क्षमता है, जो पिछले 70 साल की नाइंसाफी का अंत कर सकें। नगरोटा में वोटर बोले- जिसने जमीन मालिक बनाया, हम उसके साथ जम्मू की नगरोटा सीट पर हमारी मुलाकात देव राज से हुई। वो उमर अब्दुल्ला के दादा शेख अब्दुल्ला को याद करते हुए कहते हैं, ‘राजा-महाराजाओं के दौर में हमारे पास जमीन का मालिकाना हक नहीं था। शेख अब्दुल्ला ने हमें जमीन का मालिक बनाया। उन्हीं की वजह से आज हम अपनी जमीनों के हकदार बने हैं। नगरोटा सीट पर तो हम उन्हें ही सपोर्ट करेंगे।‘ ‘नेशनल कॉन्फ्रेंस ने पिछले एक दशक में यहां बहुत काम किया है। चुनाव लड़ रहीं NC कैंडिडेट शमीम बेगम ने भी डीडीसी की चेयरपर्सन रहते हुए क्षेत्र के लिए बहुत काम किया है। इसलिए हम पूरी तरह से NC के साथ हैं।‘ अब जान लीजिए पॉलिटिकल एक्सपर्ट क्या कह रहे…ये लोकल इलेक्शन नहीं, उमर अब्दुल्ला सरकार का इम्तिहानबडगाम और नगरोटा उपचुनाव को लेकर हमने पॉलिटिकल एनालिस्ट राकेश कौल से बात की। वे कहते हैं, ‘बडगाम उपचुनाव लोकल इलेक्शन से कहीं बड़ा है। ये सिर्फ NC और PDP के बीच लड़ाई नहीं है। ये जम्मू-कश्मीर सरकार यानी नेशनल कॉन्फ्रेंस के लिए एक इम्तिहान की तरह है। ये सरकार के कामकाज और उसकी निष्ठा को लेकर एक जनमत संग्रह है, जिसके नतीजे तय करेंगे कि जम्मू और कश्मीर के यूनियन टेरेटरी बनने के बाद यहां की पारंपरिक पार्टियां लोगों के लिए क्या मायने रखती हैं।‘ ‘बडगाम सीट की बात करें तो मुकाबला बहुत कड़ा है। जम्मू-कश्मीर की सत्ता में बैठी NC को लोगों के सवालों का सामना करना पड़ रहा है। विधानसभा चुनाव में गैस सिलेंडर, बिजली और चावल समेत तमाम वादों को लेकर उमर अब्दुल्ला घिरे हुए हैं। टिकट बंटवारे को लेकर भी पार्टी का एक धड़ा नाराज है। पार्टी सांसद आगा रुहुल्लाह ने तो कैंपेनिंग से ही इनकार कर दिया। इसका असर भी चुनाव में दिखेगा, लेकिन अपने गढ़ में NC मजबूत है।‘ कौल आगे कहते हैं, ‘नगरोटा सीट की बात करें तो यहां लड़ाई BJP और NC के बीच है, लेकिन मुकाबला आसान नहीं है।‘ ‘हालांकि यहां BJP को एक बात का फायदा भी मिल सकता है। यहां देवयानी राणा के लिए सहानुभूति की लहर है क्योंकि उनके पिता देवेंद्र सिंह राणा का वोटर्स से लंबे समय से जुड़ाव रहा है। देवेंद्र सिंह राणा, नगरोटा से तीन बार के विधायक रहे थे। लंबे समय से ये क्षेत्र उनका राजनीतिक गढ़ रहा।‘ कौल का मानना है कि NC ने आखिरी मौके पर शमीम बेगम को यहां के अपना उम्मीदवार घोषित किया है। हालांकि राज्यसभा सीटों के बंटवारे को लेकर अंदरूनी टकराव के कारण कांग्रेस ने कैंडिडेट नहीं उतारा है, जिसका थोड़ा बहुत फायदा NC को मिल सकता है। उनका ये भी कहना है कि वोटरों ने NC के राष्ट्रीय सम्मेलनों में चुनावी वादे पूरा न करने पर सरकार को घेरा है। भले ही पार्टी को सत्ता में आए अभी एक साल ही हुआ हो, लेकिन ये विरोध बडगाम और नगरोटा के नतीजों पर असर डाल सकते हैं। अब बडगाम के कैंडिडेट्स की बात…नेशनल कॉन्फ्रेंस में बडगाम सीट पर अंदरूनी खींचतानबडगाम और नगरोटा विधानसभा सीटों पर उपचुनाव को लेकर जम्मू-कश्मीर के सियासी दलों की खींचतान खुलकर सामने आ गई है। बडगाम सीट पर जंग सियासी से ज्यादा निजी हो गई है। नेशनल कॉन्फ्रेंस से श्रीनगर के सांसद आगा सैयद रुहुल्लाह मेहदी अपने चाचा आगा सैयद महमूद को कैंडिडेट बनाए जाने से खुश नहीं हैं। उन्होंने पहले ही साफ कर दिया था कि उनके लिए चुनाव प्रचार नहीं करेंगे। रुहुल्लाह चाहते थे कि रिजर्वेशन रिपोर्ट को पब्लिक किया जाए, तभी उम्मीदवार उतारा जाए। रुहुल्लाह ने आरक्षण नीति को लेकर हो रहे प्रदर्शनों का भी खुलकर समर्थन किया। जब महमूद ने कहा कि रुहुल्लाह पार्टी के लिए प्रचार करेंगे तो उन्होंने जवाब में कहा, 'मेरी वफादारी मेरे सिद्धांतों से है। मैं अपने बड़ों का सम्मान करता हूं, लेकिन उनसे अनुरोध है कि मेरी लड़ाई को छोटा न करें। अगर समझ न आए तो कम से कम मुझे या मेरे संघर्ष को नीचा न दिखाएं।' PDP बोली- जनता की आवाज बनेंगे, सारे वादे पूरे कराएंगेबडगाम में PDP कैंडिडेट आगा सैयद मुंतजिर मेहदी ने कहा, 'ये चुनाव दोहरी अहमियत रखता है। बडगाम का फैसला सिर्फ क्षेत्र में ही नहीं पूरे जम्मू-कश्मीर के भविष्य पर असर डालेगा। लोग सड़क, बिजली, पानी जैसे बुनियादी मुद्दों के लिए प्रतिनिधि चुनते हैं। उन्हें हम वो बुनियादी सुविधाएं दिलाएंगे।' 'हम महबूबा मुफ्ती के निर्देश पर चल रहे हैं। वे कहती हैं कि जनता की आवाज बनो। हम बडगाम से शुरुआत कर रहे हैं। सालों से परेशानी का सामना कर रहे लोगों की आवाज हर मंच पर उठाएंगे और उन्हें न्याय दिलाएंगे।' मुंतजिर ने NC पर निशाना साधते हुए कहा, 'अगर PDP जीती तो NC को मजबूर करेंगे कि वे अपने वादे पूरे करें। 200 यूनिट मुफ्त बिजली, मुफ्त गैस सिलेंडर, युवाओं को नौकरियां जैसे सारे वादे जो अब तक हवा में हैं, उन्हें पूरा कराएंगे।' NC कैंडिडेट बोले- बडगाम में दो आगाओं के बीच मुकाबलावहीं नेशनल कॉन्फ्रेंस के उम्मीदवार आगा सैयद महमूद का कहना है, 'बडगाम में असल मुकाबला दो आगाओं के बीच है। एक वो खुद और दूसरे PDP से आग मुंतजिर। तीसरा आगा (BJP के आगा सैयद मोहसिन) न परिवार से जुड़ा है, न राजनीति से। ये विपक्ष की साजिश है।' महमूद आगे कहते हैं, 'हमारे रास्ते अलग हो सकते हैं, लेकिन मकसद एक ही है लोगों की सेवा करना। बडगाम श्रीनगर के इतना करीब होने के बावजूद उपेक्षित रहा है। हमारे मुख्यमंत्री और मंत्री सरकार में हैं। मैं वादा करता हूं कि बडगाम को मॉडल विधानसभा बनाऊंगा।' अब नगरोटा के उम्मीदवारों की बातBJP: नगरोटा को एक मॉडल विधानसभा बनाएंगे जम्मू की नगरोटा सीट BJP विधायक देवेंद्र सिंह राणा के निधन के बाद खाली हुई है। उन्होंने पिछले चुनाव में 30,472 वोटों की जीत हासिल की थी। अब BJP ने उनकी बेटी देवयानी राणा को मैदान में उतारा है। उपचुनाव को लेकर देवयानी ने कहा, 'मैं पार्टी नेतृत्व खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आभारी हूं कि उन्होंने मुझे ये मौका दिया। मेरे पिता का सपना था कि नगरोटा एक मॉडल विधानसभा बने। 14 नवंबर की जीत मैं उन्हें और पार्टी को समर्पित करूंगी। नगरोटा के लोगों से मेरा वादा है कि उनके जाने के बाद भी मैं उनका हर एक वादा पूरा करूंगी।' NC: नगरोटा की जनता की आवाज बनेंगेनेशनल कॉन्फ्रेंस ने नगरोटा सीट से शमीम बेगम को उतारा है। वे कहती हैं, 'मैं नगरोटा से इसलिए चुनाव लड़ रही हूं ताकि हर नागरिक की आवाज सुनी जाए और विकास हर कोने तक पहुंचे। मेरा फोकस एजुकेशन, हेल्थ और महिलाओं को सशक्त बनाने पर होगा।' शमीम वादा करते हुए कहती हैं, 'नगरोटा में बहुत संभावनाएं हैं, लेकिन सालों से यहां के मुद्दे उपेक्षित रहे हैं। अगर जनता मौका देती है तो इन्फ्रास्ट्रक्चर, बुनियादी सुविधाएं, युवाओं और महिलाओं के लिए नए मौके तलाशेंगे।' शमीम के प्रचार में पहुंचे मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने NC में अंदरूनी तनाव के बीच कहा, 'प्रचार में हिस्सा लेना है या न लेना वो किसी का भी निजी फैसला है। हमारा अभियान मजबूत है। जो आज साथ नहीं है, वो कल सफलता में भी हिस्सेदार नहीं होगा। हमने बडगाम और नगरोटा दोनों सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं। हमें जीत की पूरी उम्मीद है। हमारे उम्मीदवार जनता तक पहुंच रहे हैं। विकास और शासन का विजन पेश कर रहे हैं।' नगरोटा से इसके अलावा पैंथर्स पार्टी के हर्षदेव सिंह भी मैदान में हैं, लेकिन कांग्रेस ने कैंडिडेट नहीं उतारा है। कांग्रेस का कहना है कि वो BJP-विरोधी वोट एकजुट करना चाहती है।.................... ये खबर भी पढ़ें... JDU बागी ने फंसाई नीतीश की करीबी मंत्री की सीट ‘जनता को हमसे-आपसे ज्यादा पता है कि कहां वोट डालना है। सोशल मीडिया के जमाने में किसी को कुछ बताने की जरूरत नहीं है। एक बात जनता के दिमाग में हमेशा रहती है कि कोई नेता चुनाव लड़ता है, तो लोग चाहते हैं कि वो उनके बीच आए।’ ये बात कह रहे अमित कुमार चौधरी दुधौली गांव के मुखिया हैं। ये गांव पूर्णिया जिले की धमदाहा विधानसभा सीट में आता है। नीतीश सरकार में मंत्री लेसी सिंह यहां से लगातार तीन बार से विधायक हैं। पढ़िए पूरी खबर...
सबसे पहले ये 2 बयान पढ़िए…’मुसलमान का मतलब कांग्रेस, कांग्रेस का मतलब मुसलमान। आज कांग्रेस और तेलंगाना सरकार की ताकत हमारे मुसलमान भाई-बहन हैं। हमने BJP के जी किशन रेड्डी की जायदाद नहीं मांगी, न ही नरेंद्र मोदी के गुजरात में जमीन मांगी। हम तो तेलंगाना में मुसलमान भाइयों के हक की लड़ाई लड़ रहे हैं। उपचुनाव में BJP-BRS' एक टीम में हैं, लेकिन वो अपनी जमानत नहीं बचा पाएंगे।’- जुबली हिल्स में कांग्रेस-AIMIM की चुनाव प्रचार रैली में CM रेवंत ने कहा। 'जुबली हिल्स का चुनाव जीतने के लिए कांग्रेस पार्टी AIMIM के हाथों बिक गई है। उनके नेता AIMIM के लीडर्स के आगे झुक-झुककर सलाम कर रहे हैं। आजादी से लेकर अब तक कांग्रेस पार्टी हर चुनाव में हिंदू-मुस्लिम करती है। वो अंग्रेजों की डिवाइड-एंड-रूल पॉलिसी पर चलती है।' -CM रेवंत रेड्डी के बयान पर पलटवार करते हुए BJP नेता और केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा। 11 नवंबर को तेलंगाना की जुबली हिल्स सीट पर उपचुनाव के लिए वोटिंग होनी है। उससे पहले सियासी पारा गर्म है। इस सीट पर 4 लाख वोटर्स में से 1.2 लाख मुस्लिम वोटर हैं, जो हार-जीत तय करने में बड़ा फैक्टर माने जा रहे हैं। लिहाजा सभी पार्टियां इन्हें साधने में जुटी हुई हैं। इस चुनाव में कुल 58 कैंडिडेट्स एकदूसरे के खिलाफ लड़ रहे हैं। मेन मुकाबला BRS की मगंती सुनीता, कांग्रेस के वी नवीन यादव और BJP के लंकला दीपक रेड्डी के बीच है। मुस्लिम बहुल जुबली हिल्स सीट पर सबसे चौंकाने वाली बात यहां से AIMIM का चुनाव न लड़ना है। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने कांग्रेस को खुला सपोर्ट दिया है। दूसरी तरफ BJP-BRS भले ही अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन दोनों के बीच साइलेंट गठबंधन की सुगबुगाहट है। जुबली हिल्स चुनाव में कौन से बड़े मुद्दे हैं, यहां के वोटर्स क्या सोचते हैं। कौन सी पार्टी कितनी मजबूत है, पढ़िए पूरी रिपोर्ट... पहले जान लीजिए जुबली हिल्स सीट पर कौन सी पार्टी कितनी मजबूत…BRS: 9 साल से मंगती परिवार का वर्चस्व, सिंपैथी वोट से BRS मजबूत तेलंगाना की जुबली हिल्स विधानसभा सीट पर 2009 से अब तक 4 विधानसभा चुनाव हुए, जिसमें 2 बार भारत राष्ट्र समिति (BRS) को जीत मिली। इस सीट पर BRS MLA मगंती गोपीनाथ को 2018 और 2023 में एकतरफा जीत मिली। हर बार उनकी जीत का अंतर पिछली बार से ज्यादा रहा है। 2018 में उन्होंने कांग्रेस कैंडिडेट पी. विष्णुवर्धन रेड्डी को 16 हजार वोट से हराया। वहीं 2023 में उन्होंने कांग्रेस नेता और भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन को 16337 वोटों से मात दी थी। मगंती गोपीनाथ ने 2014 जुबली हिल्स विधानसभा चुनाव TDP के टिकट पर जीता था। जून 2014 में तेलंगाना नया राज्य बन गया। इसके बाद वे BRS में शामिल हो गए। मगंती 9 साल तक लगातार जुबली हिल्स से विधायक रहे, लेकिन इसी साल 8 जून 2025 को उनकी हार्ट अटैक से मौत हो गई। उनके निधन के बाद ये सीट खाली हुई है, जिस पर उपचुनाव हो रहा है। जुबली हिल्स सीट पर BRS की पकड़ सबसे मजबूत जुबली हिल्स को 11 साल बाद जीतना चाहती है कांग्रेस, BJP कमजोर कड़ी इस सीट पर पहला चुनाव 2009 में हुआ। तेलंगाना तब आंध्रप्रदेश का हिस्सा था। कांग्रेस के विष्णुवर्धन रेड्डी ने TDP के मोहम्मद सलीम को हरा दिया था। 2014 तक ये सीट कांग्रेस के पास रही, लेकिन इसके बाद मंगती गोपीनाथ यहां से लगातार MLA बने रहे। इस सीट पर कांग्रेस ही गोपीनाथ परिवार की सबसे बड़ी प्रतिद्वंद्वी रही है। अब 11 साल बाद पार्टी ये सीट जीतना चाहती है। कांग्रेस ने यहां के लोकल कैंडिडेट वी नवीन यादव को उतारा है। स्थानीय लोगों के बीच उनकी ग्राउंड प्रेजेंस ज्यादा है। इस सीट पर BJP सबसे कमजोर कड़ी है। जुबली हिल्स में अब तक पार्टी का खाता नहीं खुल सका है। हालांकि ये इलाका यूनियन मिनिस्टर जी किशन रेड्डी के संसदीय क्षेत्र में आता है। उन्होंने अपने भरोसेमंद लंकला दीपक रेड्डी को यहां से टिकट दिया है। स्थानीय लोगों के मुताबिक, उपचुनाव में कांग्रेस ही BRS को कड़ी टक्कर दे सकती है। वे इसके पीछे 3 बड़ी वजह बताते हैं... 1. जुबली हिल्स में शहरी और शिक्षित वर्ग के 80% से ज्यादा वोटर्स हैं, लिहाजा वे परिवारवाद या किसी भावनात्मक राजनीति से प्रभावित नहीं होंगे। 2. कांग्रेस 22 महीने से तेलंगाना की सत्ता चला रही है। CM रेवंत का प्रशासनिक कंट्रोल और सरकारी स्कीम्स (महालक्ष्मी योजना, इंदिरम्मा हाउसिंग) लोगों के बीच लोकप्रिय रही हैं। 3. जुबली हिल्स में 1.4 लाख मुस्लिम वोटर्स हैं और AIMIM का कांग्रेस को फुल सपोर्ट है। लिहाजा, माइनॉरिटी वोट अगर कांग्रेस की ओर शिफ्ट हुआ तो पार्टी आसानी से चुनाव जीत सकती है। एक्सपर्ट बोले- AIMIM कांग्रेस की माइनॉरिटी सेल की तरह काम कर रहीहैदराबाद और जुबली हिल्स के सबसे बड़े मुस्लिम संगठन ‘तहरीक मुस्लिम शब्बान’ के अध्यक्ष और पॉलिटिकल एक्सपर्ट मुश्ताक मलिक उपचुनाव में खास दिलचस्पी रखते हैं। वे कहते हैं, ‘जुबली हिल्स में ऐसा लग रहा है कि इलेक्शन कांग्रेस नहीं AIMIM लड़ रही है। AIMIM के MP-MLA कांग्रेस का चुनाव चिन्ह लेकर गली-मोहल्लों में घूम रहे हैं। मस्जिदों में उनके लीडर नवीन यादव की जीत के लिए नमाज पढ़ी जा रही है। ऐसा लग रहा है कि AIMIM अब कांग्रेस की माइनॉरिटी सेल बन गई है।‘ ‘जुबली हिल्स में तेलंगाना सरकार की एंटी इनकम्बेंसी साफ नजर आ रही है। यहां BJP के लिए कुछ भी नहीं है, असल मुकाबला BRS-कांग्रेस के बीच ही है क्योंकि इस सीट पर 1 लाख 20 हजार से ज्यादा मुस्लिम वोटर्स हैं और वही डिसाइडिंग फैक्टर बनेंगे, इसलिए दोनों पार्टियां मुस्लिम बिरादरी के हक की बात कर रही हैं।‘ कोट: BRS अगर BJP के साथ मिलकर कोई अंदरूनी पॉलिटिकल गेम खेलेगी तो उसका अंत होना तय है। इसके बाद तेलंगाना भी कांग्रेस वर्सेज BJP स्टेट बन जाएगा। आखिर BJP कमजोर कड़ी क्यों? उपचुनाव में BRS और कांग्रेस के अलावा BJP भी मैदान में है। जुबली हिल्स सीट पर BJP के सामने अच्छा प्रदर्शन करने की चुनौती है, क्योंकि ये सीट साउथ में पार्टी के दिग्गज नेता और केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी के संसदीय क्षेत्र में आती है। वे न केवल PM मोदी के खास मंत्रियों में शामिल हैं बल्कि तेलंगाना BJP के प्रमुख भी रह चुके हैं। हालांकि तेलंगाना के अब तक के चुनावी इतिहास को देखें तो पार्टी जुबली हिल्स सीट नहीं जीत सकी है। तेलंगाना के सीनियर जर्नलिस्ट सूर्यप्रकाश तिवारी के मुताबिक, उपचुनाव जीतना BJP के नए प्रमुख एन रामचंदर राव के लिए भी पहला टेस्ट होगा। अगर जुबली हिल्स में पार्टी का प्रदर्शन फीका रहा, तो गोशामहल सीट से पूर्व BJP MLA टी राजा सिंह जैसे फायरब्रांड नेता फिर से राव पर हमलावर हो जाएंगे। राव को BJP प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने पर राजा सिंह ने पार्टी छोड़ दी थी। ऐसे में ये चुनाव कई मायने में BJP का पॉलिटिकल टेस्ट होगा। सूर्यप्रकाश तिवारी कहते हैं, ‘जुबली हिल्स सीट पर अब तक के समीकरणों को देखें तो BRS सबसे मजबूत नजर आ रही है। पार्टी ने दिवंगत पूर्व विधायक मगंती गोपीनाथ की पत्नी मगंती सुनीता को उतारा है। वो मान रही है कि उपचुनाव में लोगों का सेंटिमेंट काम करेगा। दूसरी तरफ कांग्रेस अपनी योजनाओं को सामने रखकर ये चुनाव लड़ रही है। उसने जीत के लिए CM से लेकर पार्टी के सभी बड़े लीडर्स को चुनावी मैदान में उतार दिया है।‘ MLC अजहरुद्दीन को मंत्री बनाकर मुस्लिम वोटरों को लुभाने की कोशिशतेलंगाना सरकार की कैबिनेट में एक भी मुस्लिम नेता को मंत्री पद नहीं दिया गया। इससे मुस्लिम वोटरों में नाराजगी थी, जिसे खत्म करने के लिए CM रेवंत रेड्डी ने वोटिंग से पहले पूर्व क्रिकेटर मोहम्मद अजहरुद्दीन को MLC के बाद मंत्री बनाकर अल्पसंख्यक कल्याण विभाग सौंप दिया है। वहीं अब AIMIM भी कांग्रेस का समर्थन कर रही है। कांग्रेस के प्रचार में AIMIM नेताओं की मौजूदगी पर KCR के बेटे और BRS के कार्यकारी अध्यक्ष KTR ने बिहार चुनावों का जिक्र करते हुए पूछा- ‘ओवैसी पहले रेवंत रेड्डी को RSS का अन्ना कहते थे। चुनाव में सबकुछ बदल गया। आखिर उनकी कौन सी मजबूरी है, जो हैदराबाद में वो कांग्रेस को सपोर्ट कर रहे हैं जबकि बिहार में विरोध कर रहे हैं। AIMIM का कांग्रेस अपमान कर रही है, लेकिन इसके बाद भी ओवैसी कांग्रेस का सपोर्ट कर रहे हैं।‘ ‘बिहार में कांग्रेस नेता शब्बीर अली बोलते हैं कि AIMIM BJP की बी-टीम है। जबकि यहां ओवैसी की पार्टी उनके लिए वोट मांग रही है। इससे तो यही लगता है कि कांग्रेस असल में BJP की सी-टीम है।’ BJP से साइलेंट दोस्ती BRS के लिए घातक क्यों हैदराबाद के मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी में पॉलिटिकल साइंस के स्टूडेंट शाहिद उमैर के लिए जुबली हिल्स में शिक्षा और रोजगार सबसे बड़े मुद्दे हैं। शाहिद के मुताबिक, हैदराबाद विश्वविद्यालय और मौलाना आजाद यूनिवर्सिटी में हर साल हजारों की संख्या में छात्र ग्रेजुएट होते हैं, लेकिन हैदराबाद में सिर्फ कुछ ही प्रतिशत को नौकरियां मिलती हैं। सरकार को जुबली हिल्स के साथ-साथ शहर में और ज्यादा कंपनियां लानी चाहिए ताकि यहां के युवाओं को अलग-अलग क्षेत्रों में नौकरी मिल सके। शाहिद कहते हैं, ‘2023 विधानसभा चुनाव में AIMIM ने जुबली हिल्स से कैंडिडेट उतारा था, लेकिन पार्टी चुनाव नहीं जीत सकी। इस बार उपचुनाव में AIMIM कांग्रेस के साथ दिख रही है। क्योंकि उसे पता है कि BRS के पास पहले से मुस्लिम सपोर्ट मौजूद है, लेकिन कांग्रेस को सत्ता में रहते हुए भी माइनॉरिटी वोटर्स की जरूरत पड़ सकती है। इसलिए उनसे अपना फायदा देखते हुए ये गठबंधन किया।‘ ‘पिछले लोकसभा चुनाव में ऐसी खबरें सामने आई थीं कि BRS ने BJP को साइलेंट सपोर्ट किया, जिसकी वजह से उसे नुकसान उठाना पड़ा और पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली। BRS एक रीजनल पार्टी है और कभी नहीं चाहेगी कि वो BJP से सपोर्ट लें। अगर वो BJP से सपोर्ट लेती है तो एक खास तबका उससे कट जाएगा।‘ ‘रेवंत सरकार के काम को देखते हुए नवीन यादव का जीतना मुश्किल लग रहा है। लोग सरकार के काम से न तो बहुत खुश हैं न दुखी। महिलाओं के लिए बस फ्री हुई, लेकिन ज्यादा बसें नहीं चलाई गईं । लिहाजा बस में भीड़ से लोग परेशान हैं।‘ उपचुनाव पर पॉलिटिकल पार्टियां क्या कह रहीं...BJP: वोट की लालच में CM ने टोपी पहनी, मैं होता तो सिर कटवा लेताकेंद्रीय मंत्री बंडी संजय कुमार ने CM रेवंत रेड्डी पर निशाना साधते हुए कहा, ‘मुख्यमंत्री वोटों की लालच में सिर पर टोपी पहनकर मुस्लिम समुदाय को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अगर मुझे टोपी पहनने का दिन आया तो मैं अपना सिर कटवा लूंगा।’ ’ओवैसी 2047 तक देश को इस्लामिक राष्ट्र में बदलने का सपना देख रहे हैं और रेवंत रेड्डी तेलंगाना को इस्लामी राज्य में बदलने का षड्यंत्र रच रहे हैं।’ BRS: कांग्रेस ने जुबली हिल्स के नौजवानों और मुसलमानों को धोखा दियाजुबली हिल्स उपचुनाव में BRS की जीत का दावा करते हुए पार्टी के सीनियर लीडर नवीद इकबाल कहते हैं, ‘जुबली हिल्स में BRS की बंपर वोटों से जीत होने वाली है क्योंकि अपने कार्यकाल के दौरान CM रेवंत ने नौजवानों, किसानों और यहां के मुसलमानों के लिए कुछ नहीं किया। उन्होंने कॉलेज की बच्चियों को स्कूटी, 2 लाख स्टूडेंट्स को नौकरी देने का वादा किया था, लेकिन उन्होंने बमुश्किल 6 से 7 हजार नौकरियां ही दीं।‘ कांग्रेस सरकार में बच्चों की ग्रुप-1 एग्जाम में जो गड़बड़ियां हुईं, उस पर राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए हाईकोर्ट ने दोबारा एग्जाम कराने के लिए बोल दिया। जब लोग कांग्रेस सरकार के काम को पसंद नहीं कर रहे हैं, तो भला उनके कैंडिडेट नवीन यादव को कैसे जिताएंगे। जुबली हिल्स के लोग गोपीनाथ जी के साथ हमेशा खड़े थे और अब उनकी पत्नी के लिए खड़े रहेंगे।‘ कांग्रेस: BRS की कार का टायर पंचर हुआ, हमारी जीत पक्कीतेलंगाना कांग्रेस की महिला विंग की लीडर उज्मा शाकिर कहती हैं, ‘AIMIM जुबली हिल्स इलेक्शन में कांग्रेस को खुलकर सपोर्ट कर रही है। BRS की कार का टायर पंचर हो चुका है। KCR ने रात के वक्त अपने फार्महाउस में बैठकर जो वादे किए थे, वो सुबह होते-होते भूल चुके हैं। BRS ने अपने कार्यकाल में KG-टू-PG की पढ़ाई फ्री नहीं की। इस्लामिक सेंटर नहीं बनवाया। नया हज हाउस नहीं बना। KCR ने मुसलमानों को 12% आरक्षण देने का वादा किया था, लेकिन पूरा नहीं कर सके। उनके सभी वादे झूठे हैं।‘ ‘CM रेवंत ने दो साल के अंदर जुबली हिल्स के डेवलपमेंट के लिए 200 करोड़ का बजट सेंक्शन किया। उन्होंने यहां के 30 हजार लोगों को राशन कार्ड बांटे हैं। गरीब लोगों के इलाज के लिए 'आरोग्य श्री' स्कीम और 500 रुपए में गैस सिलेंडर और 200 यूनिट बिजली फ्री करना कांग्रेस की ही देन है। ये सब काम जनता देख रही है और वो हमें फिर से जिताएगी।‘ ..................... ये खबर भी पढ़ें... JDU बागी ने फंसाई नीतीश की करीबी मंत्री की सीट ‘जनता को हमसे-आपसे ज्यादा पता है कि कहां वोट डालना है। सोशल मीडिया के जमाने में किसी को कुछ बताने की जरूरत नहीं है। एक बात जनता के दिमाग में हमेशा रहती है कि कोई नेता चुनाव लड़ता है, तो लोग चाहते हैं कि वो उनके बीच आए।’ ये बात कह रहे अमित कुमार चौधरी दुधौली गांव के मुखिया हैं। ये गांव पूर्णिया जिले की धमदाहा विधानसभा सीट में आता है। नीतीश सरकार में मंत्री लेसी सिंह यहां से लगातार तीन बार से विधायक हैं। पढ़िए पूरी खबर...
कमान संभालने से पहले ही खतरे में आई न्यूयॉर्क मेयर ममदानी की कुर्सी! ट्रंप ने तैयार किया पूरा प्लान
DNA Analysis: कश्मीर में पाकिस्तानी आतंक के खिलाफ ऑपरेशन चल रहा है तो अमेरिका में ट्रंप ने ममदानी के खिलाफ स्पेशल ऑपरेशन शुरू कर दिया है. ट्रंप और ममदानी के बीच दुश्मनी नेक्स्ट लेवल पर पहुंच गई है. ट्रंप ने ममदानी के विरूद्ध अब नए व्यूह की रचना शुरू कर दी है. ये ऐसा चक्रव्यूह है जिसमें ममदानी के मेयर पद की कुर्सी दांव पर है. इस ऑपरेशन की जिम्मेदारी ट्रंप ने अपने सबसे विश्वस्त सहयोगी को दी है. जिसका लक्ष्य एक साल पूरा होते-होते ममदानी को मेयर के पद से हटाना है. आज हम ट्रंप के इस नए प्लान को डिकोड करेंगे.
DNA: शांति वार्ता टूटने से भड़का अफगानिस्तान, बोला - रूस- US को हराया, अब पाकिस्तान की बारी
Pakistan Afghanistan News: पाकिस्तान और अफगानिस्तान में तीसरे दौर की शांति वार्ता आज पटरी से उतर गई. इसके साथ ही दोनों मुल्कों में अब सीधे टकराव की आशंका बढ़ गई है.
अब छिड़ेगी बड़ी जंग? क्यों फेल हो गई पाकिस्तान और अफगानिस्तान की बैठक, ये हैं 4 बड़ी वजह
Pakistan Afghanistan peace talk: पाकिस्तान चाहता है कि टीपीपी और उससे जुड़े नेटवर्क को खत्म करने के लिए अफगानिस्तान लिखित समझौते पर साइन करें ताकि सीमापार आंतकवादी हमलों को रोका जा सके. इस पर तालिबान सरकार ने रूख साफ करते हुए किसी भी आतंकवादी संगठन के खिलाफ कार्रवाई को अफगानिस्तान के कानूनों के तहत बताया.
गीजा के पिरामिड के नीचे दिखे दो खुफिया कमरे, क्या मिल गया सम्राट के 'अकूत खजाने' का असली दरवाजा?
Menkaure Pyramid: रिसर्च में शोधकर्ताओं का ध्यान पिरामिड के पूर्वी हिस्से पर बने एक रहस्यमयी भाग की ओर गया, जहां पर लगभग 13 फीट ऊंचे और 20 फीट चौड़े चिकने ग्रेनाइट पत्थरों की एक दीवार बनी हुई है. ऐसे पत्थर केवल उत्तरी हिस्से में पाए जाते हैं.
Nepal News: नेपाल के त्रिभुवन एयरपोर्ट पर अचानक रोकी गई उड़ानों की आवाजाही, यात्रियों में अफरा-तफरी
Tribhuvan International Airport News: नेपाल के त्रिभुवन इंटरनेशल एयरपोर्ट पर विमानों की आवाजाही अचानक रोक दी गई है. जो फ्लाइट उड़ानें भरने वाली थीं, उन्हें होल्ड पर कर दिया गया है.
अमेरिका ने बदल डाली वीजा नियमों की ABCD, रिजेक्शन नहीं चाहिए तो जान लें आवेदन का सही तरीका
America changes H1 visa rules: अमेरिका में हेल्थ सुरक्षा और मेडिकल खर्च के चलते बढ़ रही चिंताओं को कम करने के लिए उड्डयन विभाग की तरफ से आदेश जारी किया गया है. इस आदेश में वीजा प्रक्रिया के तहत मेडिकल रिपोर्ट को अहम हिस्सा बनाया गया है.
World Power Slap Championship: पावर स्लैप एक वर्ल्ड वाइड प्रतियोगिता है जिसमें दो खिलाड़ी आमने-सामने खड़े होकर एक दूसरे को बारी-बारी से जोरदार थप्पड़ मारते हैं. इस खेल के नियम अनुसार, जिस खिलाड़ी की बारी नहीं होती है उसको अपने दोनों हाथ पीछे रखने होते हैं.
Vivek Ramaswamy: अमेरिका के ओहियो में गवर्नर पद के लिए चुनाव होने वाला है. इस चुनाव में भारतीय मूल के विवेक रामास्वामी भी मेयर पद की रेस में है. उन्हें ट्रंप का समर्थन मिल रहा है.
ब्रेकिंग न्यूज़ देशबंधु हिंदी दैनिक 8 नवंबर 2025
आज 8 नवंबर 2025 की देश-दुनिया-राजनीति, खेल, समाज, अर्थव्यवस्था की बड़ी खबरें, जो दिन भर लाइव अपडेट होंगी।
हूतियों के निशाने पर यूएई का बुर्ज खलीफा? क्या है सोशल मीडिया पर किए गए दावे की सच्चाई
UAE news: क्या यमन के गुस्से की चिंगारी अरब देशों तक पहुंच गई है. अफ्रीका की हिफाजत से क्या यमन के हूतियों का कोई वास्ता है. क्योंकि ऐसी अटकलों को लेकर दावा किया जा रहा था कि बुर्ज खलीफा को निशाना बनाया जा सकता है.
Trump ने भारतीय मूल के विवेक रामास्वामी को बताया 'कुछ खास', ओहियो के लिए चुना युवा और मजबूत चेहरा
Vivek Ramaswamy for Governer: अमेरिकी राष्ट्रपति Trump ने ओहियो को एक महान राज्य कहा. उन्होंने यह भी कहा कि अगर विवेक रामास्वामी चुनाव जीतते हैं तो वह एक शानदार गवर्नर बनेंगे.
Trump Russia Oil Ban: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान के साथ हुई बातचीत में हंगरी को रूसी तेल के प्रतिबंध से छूट दिलाने का संकेत दिया है.
जी-20 सम्मेलन का ट्रंप ने किया बहिष्कार, दक्षिण अफ्रीका पर भेदभाव का आरोप
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की है कि इस साल दक्षिण अफ्रीका में होने वाली जी-20 बैठक में अमेरिकी सरकार का कोई भी अधिकारी शामिल नहीं होगा
अमेरिका में नस्लीय तनाव की वापसी! ट्रंप के विवादित आदेश ने G20 को कैसे बनाया सियासी अखाड़ा?
G20 in South Africa: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि अमेरिका का कोई भी सरकारी अधिकारी दक्षिण अफ्रीका में होने वाली बैठक में हिस्सा नहीं लेगा.
भजन क्लबिंग, क्लबिंग से कैसे अलग है, ये चलन में कैसे आया, इसका क्रेडिट किसको जाता है, भारत में भजन क्लबिंग को लेकर क्या कह रहे लोग, पूरी जानकारी के लिए ऊपर दी गई इमेज पर क्लिक कर देखें वीडियो
आवारा कुत्तों पर सुप्रीम कोर्ट का एक और सख्त आदेश आया है। तीन जजों की बेंच ने शुक्रवार को सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से कहा कि वो सार्वजनिक जगहों से आवारा कुत्तों को हटा दें। इनमें अस्पताल, स्कूल, कॉलेज, खेल परिसर और रेलवे स्टेशन शामिल हैं। कोर्ट ने कहा कि इसका सख्ती से पालन करना जरूरी है, लापरवाही को गंभीरता से लिया जाएगा। आखिर कब तक हट जाएंगे आवारा कुत्ते, गड़बड़ी पर कौन जिम्मेदार होगा और कोर्ट ने क्यों सुनाया इतना सख्त फैसला; भास्कर एक्सप्लेनर में 5 जरूरी सवालों के जवाब जानेंगे… सवाल-1: स्कूलों, अस्पतालों, सड़कों से कब तक हट जाएंगे आवारा कुत्ते? जवाबः जस्टिस विक्रम नाथ, संदीप मेहता और एवी अंजारिया की बेंच ने आदेश में कहा कि इस फैसले को तत्काल प्रभाव से लागू किया जाए… अदालत ने कहा कि निर्देशों को पूरे भारत में समान रूप से लागू किया जाना चाहिए। 8 हफ्ते बाद 13 जनवरी की सुनवाई में सभी मुख्य सचिव और NHAI के अध्यक्ष अनुपालन प्रमाण पत्र दाखिल करेंगे। जिसमें हाईवे से आवारा पशुओं को हटाने और शेल्टर होम, गश्ती दलों का गठन और हेल्पलाइन की स्टेटस रिपोर्ट होगी। सवाल-2: अगर 13 जनवरी के बाद भी कुत्ते दिख जाते हैं तो किसकी जिम्मेदारी होगी? जवाबः सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि स्कूल, अस्पताल, रेलवे स्टेशन जैसी हर चिह्नित जगह के प्रबंधक रखरखाव और सफाई के लिए जिम्मेदार एक नोडल अधिकारी को नॉमिनेट करें और यह सुनिश्चित करें कि आवारा कुत्ते कैम्पस में न प्रवेश करने पाएं और न वहां घूमते दिखें। नामित अधिकारी का नाम संस्थान के गेट पर लिखा जाएगा और उस इलाके के नगर निकाय या प्राधिकरण को भी सूचित किया जाएगा। स्थानीय नगरपालिका प्राधिकरण और पंचायतें ऐसे सभी कैम्पस का हर तीन में महीने में कम से कम एक बार नियमित निरीक्षण करेगी। जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि वहां कोई आवारा कुत्ता तो मौजूद नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी दी कि इसका सख्ती से पालन करना जरूरी है वरना अधिकारियों को व्यक्तिगत तौर पर जिम्मेदार ठहराया जाएगा। आदेश में कहा गया है कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिव इन निर्देशों का कड़ाई से पालन कराएं। वे अपने-अपने अधिकार क्षेत्र में बार-बार होने वाली घटनाओं के लिए संबंधित अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से जवाबदेह ठहराएंगे। सवाल-3: सुप्रीम कोर्ट ने जोर देकर क्यों कहा- जहां से पकड़ें, वहां न छोड़ें कुत्ते? जवाबः सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चिह्नित स्थानों से कुत्तों को उठाकर उनकी नसबंदी की जाए और फिर शेल्टर होम में भेजा जाए। आवारा कुत्तों को उसी स्थान पर वापस नहीं छोड़ा जाएगा, जहां से उन्हें उठाया गया था। अगर ऐसा करने की इजाजत दी गई तो इन जगहों से आवारा कुत्तों से मुक्त करवा पाने का मकसद पूरा नहीं हो पाएगा। अदालत ने कहा कि उठाए गए मवेशियों और अन्य आवारा पशुओं को उचित शेल्टर होम या गौशालाओं में रखा जाएगा। उन्हें सभी आवश्यक भोजन, पानी और पशु चिकित्सा देखभाल प्रदान की जाएगी। इससे पहले 22 अगस्त को इसी बेंच ने कहा था कि कुत्तों को कीड़े की दवाई देने, नसबंदी करने और एंटी-रेबीज वैक्सीन लगाने के बाद उसी इलाके में वापस छोड़ा जा सकता है। सिर्फ रेबीज से संक्रमित और आक्रामक स्वभाव वाले कुत्तों को वैक्सीन लगाकर अलग डॉग शेल्टर में ही रखा जाएगा। सवाल-4: सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों को लेकर इतना सख्त फैसला क्यों सुनाया? जवाबः वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन यानी WHO के मुताबिक दुनिया में हर साल 55 हजार से ज्यादा लोगों की मौत रेबीज से होती है। इनमें से हर तीसरा यानी करीब 18 से 20 हजार मौतें भारत में होती हैं। भारत में डॉग बाइट से मरने वाले आधे से ज्यादा 15 साल से कम उम्र के बच्चे हैं। केंद्रीय पशुपालन मंत्री एसपी सिंह बघेल ने 1 अप्रैल 2025 को लोकसभा में बताया था कि 2024 में देशभर में कुत्तों के काटने के करीब 37 लाख 15 हजार मामले दर्ज हुए। जबकि साल 2023 में ऐसे 30 लाख 52 हजार मामले सामने आए थे। इससे पहले 11 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने कुत्ते के काटने और रेबीज की बढ़ती घटनाओं पर चिंता जताते हुए कहा, 'छोटे बच्चे किसी भी कीमत पर रेबीज का शिकार नहीं होने चाहिए। कार्रवाई ऐसी हो, जिससे लोगों को भरोसा हो कि वे बिना डर के घूम सकते हैं और उन पर आवारा कुत्ते हमला नहीं करेंगे। इसमें कोई भावनात्मक पक्ष नहीं होना चाहिए।' सवाल-5: क्या होता है रैबीज और क्या इसका कोई इलाज नहीं? जवाबः बुलंदशहर जिले में फराना गांव के रहने वाले 22 साल के बृजेश कबड्डी के स्टेट लेवल के खिलाड़ी थे। करीब दो महीने पहले एक कुत्ते के बच्चे को नाले से निकालने के दौरान उसने बृजेश की उंगली में काट लिया। कुछ दिन बाद उन्हें ट्रेनिंग के दौरान उंगली में सुन्नपन महसूस हुआ। जल्द ही बृजेश को हाइड्रोफोबिया हो गया यानी पानी से डर लगने लगा। तब डॉक्टर्स को रेबीज का शक हुआ। इलाज शुरू हुआ, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। बृजेश की मौत हो गई। रेबीज लीजावायरस (Lyssavirus) नाम के वायरस से होने वाली बीमारी है। WHO के मुताबिक, इंसानों में 99% मामलों में रेबीज का संक्रमण कुत्तों से होता है। ये वायरस इंसानों में तीन तरीके से आता है- रेबीज के वायरस की खासियत है कि ये इंसान के शरीर में घुसने के बाद खून के बजाय सीधे नर्वस सिस्टम पर हमला करता है। नर्वस सिस्टम का केंद्र हमारा दिमाग है। रेबीज संक्रमित को पहले पानी से डर लगना शुरू होता है। पानी पिलाने पर उसका गला चोक होने लगता है। इसके बाद हवा और रोशनी से डर लगने लगता है। इसके अलावा घबराहट, भ्रम, बहुत ज्यादा लार बनना और आखिर में पैरालिसिस यानी लकवा मार जाता है। एक बार लक्षण आने के बाद रेबीज से पीड़ित इंसान को पूरी तरह ठीक करना लगभग नामुमकिन है। यानी वायरस को खत्म करने का कोई तरीका नहीं है। व्यक्ति को जो लक्षण हैं, उनका इलाज किया जाता है। ----------------- ये खबर भी पढ़ें... सुप्रीम कोर्ट का आदेश- स्कूल, अस्पताल से आवारा कुत्ते हटाएं:जहां से पकड़ें, नसबंदी के बाद वहीं न छोड़ें; हाईवे से आवारा जानवर भी हटाएं सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों को स्कूल, कॉलेज, अस्पताल और बस स्टैंड से दूर रखने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि स्कूल-कॉलेज और अस्पतालों में बाड़ लगाई जाए, ताकि कुत्ते वहां न पहुंच सकें। पढ़िए पूरी खबर...
बात 1995 की है। तब के मुख्यमंत्री लालू यादव बिहार के गोपालगंज में कोई चुनावी सभा करने वाले थे। उन्होंने पटना से गोपालगंज संदेश भिजवाया। यह संदेश रामचंद्र मांझी के लिए था। 2021 में पद्मश्री से सम्मानित हुए रामचंद्र मांझी तब पूर्वी बिहार में सेलिब्रेटी से जरा भी कम नहीं थे और भिखारी ठाकुर की चर्चित नाच मंडली के ‘लौंडा डांसर’ थे। संदेश यह था कि मांझी जी, तय तारीख को साड़ी पहनकर आ जाइएगा और स्टेज के पास ही रहिएगा। लालू जी ने संदेश भेजा है। रामचंद्र मांझी कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे तो जरूर मगर चुपचाप जाकर दूसरी तरफ बैठ गए, जहां महिलाएं बैठी थीं। लालू यादव आए, स्टेज पर चढ़े और भीड़ के बीच से रामचंद्र मांझी को पहचान लिया। उनकी तरफ इशारा करके कहा, आप वहां कहां बैठे हैं, स्टेज पर आइए और इधर कुर्सी पर बैठिए। आप कलाकार हैं, आपका सम्मान अलग है। लौंडा नाच पर रिसर्च कर चुके और शिक्षा विभाग, बिहार से जुड़े जैनेंद्र दोस्त कहते हैं, 'रामचंद्र मांझी सफेद रंग की साड़ी पहनकर स्टेज पर आगे बैठे। लौटते वक्त लालू ने उनसे मुलाकात की जो मांझी जी को आखिर तक याद रही। यह किस्सा उन्होंने मुझे खुद ही सुनाया था। लेकिन सोचने वाली बात ये है कि ऐसा क्यों किया गया होगा? दरअसल केवल रामचंद्र मांझी को स्टेज पर बिठा भर लेने से जो भीड़ लालू के भाषण नहीं भी सुन रही थी, वो भी बनी रही और लालू ने एक सफल कार्यक्रम कर लिया। सितंबर में पूर्व सीएम जीतनराम मांझी के मंच से हो रहा लौंडा नाच देखिए- बिहार में लौंडा नाच चुनाव से लेकर आम घटनाओं तक का हिस्सा है। बीते अगस्त महीने में पूर्व सीएम लालू, राजद नेता अरुण यादव के पिता के निधन पर उनके घर गए। वहां उन्होंने परिवार से मुलाकात तो की ही, साथ ही लौंडा नाच भी देखा। बीते जुलाई में विधानसभा के मानसून सत्र में उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने 2005 से पहले के दौर का जिक्र करते हुए कहा- '15 साल तक बिहार में कोई काम ही नहीं हुआ सिर्फ नाच गाना और लौंडा का नाच होता रहा। लालू के राज्य में विकास की कोई बात नहीं हो रही थी। इसके बाद लालू प्रसाद यादव के बेटे और बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को लौंडा कह दिया गया। जिसके जवाब में अगले ही दिन तेजस्वी यादव ने कहा, 'जब मेरे पिता जी लौंडा नाच कराते थे तब आप वहीं बैठ कर ताली पीटा करते थे। लौंडा नाच हमारी संस्कृति है, ये उसका मजाक बना रहे हैं।' लालू बिहार के गोपालगंज जिले के रहने वाले हैं। भोजपुरी भाषी बिहार के जिलों समेत यह इलाका लौंडा नाच के लिए काफी जाना गया। अपनी राजनीति रैलियों और कार्यक्रमों में लालू भीड़ जुटाने के लिए लौंडा नाच का खूब इस्तेमाल करते थे। लालू लौंडा नाच के उस्ताद यानी मैनेजरों से उनकी डायरी लेकर उनके कार्यक्रमों की तारीख नोट कर लेते थे। और तय तारीख को नाच के बीच में उस्ताद उन्हें कुछ मिनट समय लेकर अपनी बात कहने देते थे। भुअरा के नाच पार्टी के उस्ताद सुरेश कुमार कहते हैं,- लालू जी जितना लौंडा नाच कोई नेता नहीं देखा होगा। हमारे उस्ताद बताते थे कि लालू जी चुनाव में अपने साथ तीन-तीन मंडली लेकर चलते थे। उस जमाने में माइक नहीं होता था, तो भी भीड़ जुटती थी। मैं खुद ही दस बार से भी अधिक लालू जी के घर पर कार्यक्रम किया हूं। उनके जन्मदिन पर या होली-दीवाली पर वो हम लोगो को संदेश भेज कर बुला लेते थे। एक बार फोन करके कहे उन्होंने कहा कि अपनी मंडली के सब लोगों का नाम दो, आवास बनवा देंगे। लालू जी ने सबका आवास बनवा भी दिया।' लखदेव राम, भिखारी ठाकुर के दौर के ही एक और ‘लौंडा’ नाच पार्टी संयोजक थे। लालू ने इनकी नाच मंडली का इस्तेमाल करके दर्जनों बार भीड़ जुटाई। इसका जिक्र करते हुए जैनेंद्र दोस्त बताते हैं,- लखदेव राम के कार्यक्रमों में दोपहर से ही भीड़ लगती थी। लालू ऐसे मंचों पर जाते थे तो दो फायदे होते। एक ये कि उन्हें बिना किसी मेहनत के दो-चार हजार लोगों की ऑडियंस मिल जाती थी। दूसरा ये कि लालू लौंडा नाच के कलाकारों को याद रखते थे और जहां भी मौका मिलता था, उनका सम्मान करते थे। वे लौंडा नाच देखने के शौकीन थे या नहीं, लेकिन इतना पक्का है कि उन्हें इनका सियासी इस्तेमाल पता था। बाद में लालू के सीएम बनने के बाद तक लखदेव राम ने लालू पर गाना भी बनाया और उसका असर चुनाव पर भी पड़ा।' भोजपुरी भाषा के लिए लंबे समय से काम कर रहे पत्रकार निराला बिदेसिया कहते हैं- 'सबसे पहले समझने वाली बात ये है कि लौंडा नाच में ‘लौंडा’ शब्द ही अपमानित करने वाला है। लालू समाज के वंचित वर्ग और छुआछूत के शिकार जातियों के नेता रहे हैं। लौंडा नाच भी समाज के उसी वर्ग के एंटरटेनमेंट का जरिया था। उस समय तक गांवों में ‘बाई जी का नाच’ होता था, जिसमें लड़कियां डांस करती थीं। लेकिन समाज की ऊंची जातियां ही ये कार्यक्रम देख पाती थीं। इसलिए समाज के दूसरे वर्ग ने अपने एंटरटेनमेंट के लिए नाच पार्टी बनायी, जिसमें पुरुष कलाकार ही लड़की बनते थे। इन पुरुष कलाकारों को ‘लौंडा’ कहा जाने लगा। दरअसल ‘बाई जी के नाच’ में तवायफों के डांस इवेंट होते थे। बाई जी की मंडलियां चलती थीं जिसमें देश भर के कलाकार होते थे। इनमें खर्च बहुत लगता था जो अमीर और जमींदार ही दे पाते थे। निराला बिदेसिया आगे कहते हैं, 'बाई जी के नाच प्रोग्राम को समाज की ऊंची जातियां ही आयोजित करा पाती थीं। और इनमें सभी जातियों को शामिल होने की या तो इजाजत नहीं होती थी या फिर उनके साथ भेदभाव होता था। ऐसे में जब समाज के अन्य हिस्सों ने अपने लिए एंटरटेनमेंट का जरिया तलाशा तो जगह-जगह नाच मंडलियां बनीं। धीरे-धीरे ये सताए हुए लोगों के मनोरंजन का स्रोत बनता गया और नाच प्रोग्रामों में सामाजिक कुरीतियों पर बात की जाने लगी। इसलिए इन कार्यक्रमों की गरिमा कम करने के लिए इसे ‘लौंडा नाच’ कह दिया गया।’ बिहार में खासकर भोजपुरी भाषी इलाके में लौंडा शब्द अपने से छोटों के लिए उन्हें कमतर दिखाने के भाव से इस्तेमाल होता है। यह वही शब्द प्रयोग था जिसके सहारे ‘बाई जी के नाच’ से अलग बताने के लिए इन कार्यक्रमों को ‘लौंडा नाच’ कह दिया गया। जो बाद में उनपर पहाड़ की तरह टूटा, जो पुरुष थे मगर महिलाओं किरदार निभाते थे। जैनेंद्र अपनी रिसर्च के हवाले से कहते हैं,- 'पुरुषों के महिला बन कर नाचने का जिक्र नाट्य शास्त्र तक में मिलता है। 11वीं सदी से ही पुरुष कलाकार महिला बन कर नाचते आए हैं। बिहार और भोजपुरी भाषी इलाके में लौंडा नाच को 19वीं सदी में भिखारी ठाकुर ने नया आयम दिया जो आजतक जारी है। अंतर बस ये है कि भिखारी ठाकुर के दौर में यह सम्मानित नाच प्रोग्राम थे, जो अब कम बजट में भी आयोजित हो जाने वाले ‘लौंडा नाच’ की तरह रह गए हैं।' ऐसा नहीं है कि राजनीतिक रूप से लौंडा नाच का यूज सिर्फ लालू प्रसाद यादव ने अपनी राजनीति में किया। नीतीश जब पहली बार सीएम बनने की राह पर थे तो अपनी छवि लालू प्रसाद यादव से अलग बनाना चाहते थे। जैनेंद्र दोस्त कहते हैं,- '2005 आते-आते लालू प्रसाद यादव की छवि बहुत हद तक देसी नेता की बन चुकी थी। ऐसे में नीतीश कुमार की छवि एक साफ-सुथरे सेनेटाइज नेता की तरह बनायी जा रही थी। नीतीश कुमार की इस छवि को और मजबूत करने के लिए लालू प्रसाद के किये का ध्यान रखा गया। लालू प्रसाद के लौंडा नाच के एवज में नीतीश कुमार ने ऑर्केस्ट्रा को आगे किया। ऑन मौसमी म्यूजिकल ग्रुप नाम की नई ऑर्केस्ट्रा की टीम बनायी गई। नीतीश कुमार के प्रचार में भीड़ जुटाने के लिए इसका प्रयोग किया गया, जिसका असर लौंडा नाच पर भी पड़ा।' 20वीं सदी की शुरुआती सालों में लौंडा नाच, भोजपुरी समाज में पॉपुलर हो चुका था। भिखारी ठाकुर ने दर्जनों परंपराओं पर कटाक्ष किया। छुआछूत से लेकर बेटियों के बेच दिए जाने तक पर नाटक लिखा। साथ ही यह भी इंश्योर किया कि नाच मंडली से जुड़े लोग किसी भी तरह की कुरीति का हिस्सा न बनें। इन सब का बिहार की राजनीति और समाज पर जो असर पड़ा उस पर टिप्पणी करते हुए जैनेंद्र कहते हैं, 'राजनीति की लड़ाई में एक पारंपरिक कला की दशा-दिशा खराब होती चली गई। नीतीश कुमार ने लौंडा नाच के एवज में जब ऑर्केस्ट्रा खड़ा किया तभी सोचना चाहिए था कि इसका असर पूरी नाच परंपरा पर पड़ने वाला है। भिखारी ठाकुर ने बेटी बेचवा नाटक लिखा, जिसमें भोजपुरी समाज में पिता के बेटी बेचने पर टिप्पणी की गई। पिया निसइल नाटक के माध्यम से नशाखोरी पर टिप्पणी की। लेकिन आर्केस्ट्रा गीत-संगीत का एक बिगड़ा हुआ स्वरुप था जिसमें अश्लीलता, फूहड़ डांस स्टेप और गंदे बोल के गाने बजाए जाते थे। इसमें नाचने वालों का सम्मान समाज में कम ही रहा है और इसे कभी भी लौंडा नाच के सामने खड़ा नहीं किया जा सकता। लौंडा नाच से जुड़े कई कलाकार सरकारी नौकरियों में हैं, जो लालू यादव ने दिलवायीं। बिहार में सचिवालय में क्लर्क की नौकरी करने वाले भुटकुन कुमार खुद ही एक लौंडा नाच पार्टी चलाते हैं। भुटकुन के घर में लालू प्रसाद यादव की तस्वीर टंगी है। अपनी नौकरी का किस्सा बताते हुए भुटकुन कहते हैं, 'मेरे बाबा भिखारी ठाकुर की मंडली में रहते थे। धीरे-धीरे मेरा भी मन लगने लगा। एक बार वो होली मे लालू जी हमें घर बुलाए। तब मेरी शादी हो चुकी थी और घर में खाने तक की दिक्कत थी। मैंने लालू जी के सामने हाथ जोड़कर कहा कि मुझे नौकरी दिला दीजिए। लालू जी ने पूछा कहां तक पढ़े हो। फिर कागज मंगाया और सचिवालय में लगवा दिया। आज मेरी जिंदगी बदल गई है। मेरे घर में खाने को रोटी रहती है। मैंने कई कलाकारों को मजदूरी करते देखा है। जैनेंद्र कहते हैं- 'दस-बीस या पचास कलाकारों को भी नौकरी दे देने से जिम्मेदारी पूरी नहीं जाती। लालू जी सीएम रहते हुए काफी कुछ कर सकते थे। इन कलाकारों को स्थायी नौकरी का प्रबंध हो सकता था। इस परंपरा को बचाए रखने के लिए किसी यूनिवर्सिटी में थिएटर का कोर्स बनाया जा सकता था। हालत तो ये है कि मुझे थिएटर पढ़ना था तो दिल्ली जाना पड़ा, बिहार में एक संस्थान नहीं है जो थिएटर की डिग्री देता हो। इसके अलावा मैं निजी तौर पर कई ऐसे नेताओं को जानता हूं, जो सिर्फ लालू की नजर में आने के लिए लौंडा नाच का कार्यक्रम कराते रहे हैं। लालू जी भी केवल चुनावी सभा में लौंडा नाच कराते रहे। बहुत खुश हुए तो अपने आवास पर बुला लेते थे। ***** नाच सीरीज का पहला एपिसोड भी पढ़िए... 'लड़की बनकर नाचता हूं, लेकिन आपकी तरह ही मर्द हूं': लोग कपड़ों में हाथ डाल देते हैं, रैली में भीड़ जुटाने के लिए बुलाते हैं नेता छह फीट से जरा सी कम लंबाई। एक बार में तकरीबन डेढ़ फीट जमीन नाप ले, ऐसी चाल। बहुत ज्यादा पान मसाला खा लेने से बदरंग हो चुके दांत और फटे होंठ। जिसकी बात हो रही है, उनके लंबे बालों को छोड़ दें, तो सब कुछ मर्दाना है, लेकिन मन है कि लहंगा-चुन्नी पहनकर, चेहरे पर श्रृंगार करके नाचने को करता है। सो अब सल्टू लाठौर काजल लगाने वाले हैं। पूरी खबर पढ़िए...
अमेरिका का नया पैंतरा, आपको ये सारी बीमरियां हैं, तो वीजा मिलना होगा मुश्किल
अमेरिका डायबिटीज, हार्ट डिजीज और दूसरी पुरानी बीमारियों से परेशान लोगों को वीजा देने से इनकार कर सकता है. ऐसे में कई लोगों के लिए यूएस जाना मुश्किल हो सकता है.
Pakistan Afghanistan News: पाकिस्तान और अफगानिस्तान में खुले युद्ध के आसार बढ़ते जा रहे हैं. पाकिस्तानी सेना ने अफगानिस्तान की कई चौकियों पर हमले किए, जिसके बाद तालिबान भड़क उठा है.
ममदानी के मुस्लिम मेयर बनते ही न्यूयॉर्क से पलायन और धर्मांतरण, सेना उतारने की तैयारी में ट्रंप !
DNA Analysis: आज हम ममदानी के राज में धर्मांतरण और पलायन का दोहरा विश्लेषण करेंगे. अमेरिका के न्यूयॉर्क में मुस्लिम मेयर बनते ही 48 घंटे के अंदर पहला धर्मांतरण हो गया और वहां से 7 लाख अरबपतियों के पलायन की तैयारी भी शुरू हो गई. मुस्लिम मेयर जोहरान ममदानी के राज में न्यूयॉर्क कैसे धर्मांतरण की राजधानी बन सकती है और क्यों अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप वहां सेना उतारने की तैयारी कर रहे हैं? इसका विश्लेषण करना आज जरूरी है.
DNA: इजरायल से दोस्ती के लिए मुस्लिम देशों में 'रेस', UAE कजाकिस्तान सहित ये देश कतार में
DNA: कजाकिस्तान से पहले UAE, मोरक्को, सूडान और बहरीन जैसे इस्लामिक मुल्क भी इस समझौते का हिस्सा बन चुके हैं. कजाकिस्तान का अब्राहम अकॉर्ड से जुड़ना क्या वाकई कोई बड़ी बात है या फिर ये ट्रंप के PR को बढ़ाने के लिए किया गया है.
जलवायु परिवर्तन पर UN की बैठक में अमेरिका ने मढ़ा आरोप तो भड़का चीन, दिखाया आईना
Climate Security Council meeting: श्वांग ने चीन को वैश्विक जलवायु परिवर्तन कार्रवाई में सबसे आगे बताया है. जलवायु और सुरक्षा परिषद की बैठक ने श्वांग ने कहा कि चीन की जनसंख्या 1.4 अरब है और उसका जीडीपी दुनिया में दूसरे स्थान पर है.
बांग्लादेश के ऊपर छपी इस नई किताब में बताया गया है कि अगर उन्हें भारत से कॉल नहीं गई होती तो वे वहीं रुक जाती और फिर चरमपंथियों की भीड़ का सामना करने पर मजबूर हो जातीं ऐसे में उनकी जान बच पाना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन था.
Zohran Mamdani Latest News: अमेरिका में न्यूयार्क शहर के मेयर चुनाव में जोहरान ममदानी की जीत से अरब मुसलमानों में जबरदस्त खुशी का माहौल है. सीरिया के लोग तो उसे अपना जीजा साहब कह रहे हैं. आखिर वे जीजा क्यों पुकार रहे हैं?
अमेरिका के लॉस एंजेल्स में आसमानी आफत ने 'छक्के छुड़ाए'! धरी रह गई सारी तकनीक, जारी करना पड़ा अलर्ट
लॉस एंजेल्स से हैरान करने वाली खबर सामने आई है. शहर में चमगादड़ों की बढ़ती संख्या को देखते हुए स्वास्थ्य अधिकारियों ने अलर्ट जारी किया है. अधिकारियों के अनुसार, अब तक 61 चमगादड़ों में रेबीज की पुष्टि हो चुकी है. लॉस एंजेल्स काउंटी के जन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ने कहा कि चमगादड़ हमारे पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण हैं, लेकिन ये रेबीज फैलाने में सक्षम हैं.
विमान की सीट पर छूटी सुई से HIV का खतरा, शख्स ने एयरलाइन पर ठोक दिया 50 लाख डॉलर का मुकदमा
Man Files 50 Lakh Dollar Fine on Airlines: एक वर्जीनिया निवासी को जान का खतरा महसूस हुआ जब मिस्र से वाशिंगटन जा रही एक उड़ान में सीटबैक पॉकेट में हाथ डालने पर उसे सुई चुभ गई. उसने इजिप्ट एयर पर 50 लाख डॉलर का मुकदमा किया है.
Al-Sharaa to meet Trump at the White House next Monday:अहमद अल-शराआ पर कभी अमेरिका ने 10 मिलियन डॉलर का इनाम रखा था, जो अल-कायदा से जुड़े हायात तहरीर अल-शाम के लीडर थे. 2011 से सीरिया पर सैंक्शंस ने जिंदगी नरक बना दी. लेकिन 2024 में असद को उखाड़ फेंकने के बाद सब बदल गया. अब राष्ट्रपति बनकर ट्रंप से व्हाइट हाउस में मिलेंगे. इसके लिए सयुंक्त राष्ट्र ने उनपर लगे सभी प्रतिबंध हटा दिए हैं.
ये किला है या शहर? 70,000 वर्ग मीटर में फैला दुनिया का सबसे बड़ा फोर्ट! हर साल आते हैं लाखों टूरिस्ट
Worlds Largest Castle or Fort: चेक गणराज्य की राजधानी प्राग में दुनिया का सबसे बड़ा और पुराना किला मौजूद है, जिसका नाम है प्राग किला (Prague Castle). 70,000 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्र में फैला यह किला 9वीं शताब्दी जितना पुराना है. यह यूनेस्को की विश्व धरोहर भी है. आज भी यह किला चेक राष्ट्रपति का निवास है और अपनी ऐतिहासिक सुंदरता के कारण हर साल 30 लाख से ज्यादा पर्यटकों को अपनी ओर खींचता है.
इंडोनेशिया: स्कूल की मस्जिद में जुमा की नमाज के दौरान धमाका, 54 लोग घायल
Indonesia Blast: इंडोनेशिया में आज एक स्कूल के अंदर मौजूद मस्जिद के में जुमा की नमाज के दौरान धमाका हुआ है. जिसमें 54 लोगों के जख्मी होने की खबर है. कहा जा रहा है कि धमाका उस समय हुआ जब मस्जिद भरी हुई थी.
Zohran Mamdani: न्यूयॉर्क के नए मेयर बने जोहरान ममदानी इन दिनों काफी ज्यादा सुर्खियां बटोर रहे हैं. इसी बीच उनकी पत्नी की सादगी और राजनीतिक दूरी चर्चाओं का विषय बनी है. आइए जानते हैं कौन हैं ममदानी की पत्नी रमा दुवाजी?
कल्पना करो, कोई ट्रंप के ठीक पीछे खड़े हो, और अचानक चक्कर आ जाएं. फिर वहां का माहौल कैसे होगा. कुछ इसी तरह हुआ व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस में. जहां 6 नवंबर 2025 को ट्रंप वजन घटाने वाली पॉपुलर दवाओं कीमतें कम करने का ऐलान कर रहे थे. तभी नोवो नॉर्डिस्क कंपनी के ग्लोबल ब्रांड डायरेक्टर गॉर्डन फिंडले जो रिजॉल्यूट डेस्क के पीछे खड़े थे, बेहोश होकर धड़ाम से गिर पड़े. देखें वीडियो.
Most Electricity Producer: इलेक्ट्रिसिटी का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है. आज के समय में फ्रिज, कूलर यहां तक की गाड़ियां भी बिजली पर निर्भर हैं. ऐसे में बहुत कम लोगों को पता होगा कि दुनिया के ये 5 देश सबसे ज्यादा बिजली का उत्पादन करते हैं.
ब्रेकिंग न्यूज़ देशबंधु हिंदी दैनिक 7 नवंबर 2025
आज 7 नवंबर 2025 की बड़ी खबरें, जो दिन भर लाइव अपडेट होंगी।
Nancy Pelosi Retirement News: नैंसी पेलोसी अमेरिकी इतिहास में पहली महिला स्पीकर बनीं और दो बार इस पद पर रहीं पहले 2007 से 2011 तक और फिर 2019 से 2023 तक. उन्होंने न केवल डेमोक्रेटिक पार्टी का चेहरा बनीं, बल्कि अमेरिकी विधायी व्यवस्था में शक्ति और नेतृत्व का प्रतीक भी रहीं.
1 ट्रिलियन डॉलर के पैकेज को मंजूरी, ऐसी खुशी कि रोबोट के साथ डांस करने लगे एलन मस्क
Elon Musk Dance Video: गुरुवार को अमेरिका की ऑस्टिन सिटी में हुई टेस्ला की एनुअल जनरल मीटिंग (AGM) में कंपनी के शेयरधारकों ने एलन मस्क के लिए 1 ट्रिलियन डॉलर (करीब 83 लाख करोड़ रुपये) के रिकॉर्ड तोड़ वेतन को मंजूरी दे दी. इसी के साथ आने वाले 10 सालों के लिए कंपनी ने टारगेट भी सेट किए हैं. इस दौरान एलन मस्क रोबोट के साथ डांस करते नजर आए.
मेल या फीमेल और कुछ नहीं, गायब हुआ थर्ड जेंडर! US में ट्रंप की जेंडर पालिसी को हरी झंडी
US Supreme Court on Third Gender: अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने ट्रंप की जेंडर पॉलिसी को हरी झंडी दिखा दी है.अब अमेरिकी पासपोर्ट पर ट्रांसजेंडर का ऑप्शन नहीं होगा. इससे पहले सेना में थर्ड जेंडर्स की भर्ती पर पाबंदी लग चुकी है.
US-Russia:रूस-यूक्रेन जंग के बीच रूसी रक्षा मंत्री आंद्रे बेलौसोव ने ऐसा दावा किया है, जिसके बाद तो पुतिन और ट्रंप के बीच और मतभेद हो सकता है. अमेरिका और रूस के बीच अगर जंग हुई तो मंजर क्या होगा यह सोचकर ही हैरानी होती है, लेकिनरूसी रक्षा मंत्री के दावे ने बहुत बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है.
चीन की 'रेयर अर्थ बादशाहत' को ट्रंप की चुनौती! 5 देशों संग हाथ मिलाकर डिनर पर तय हुई डिप्लोमेसी
Donald Trump on Rare Earth: रेयर अर्थ मेटल्स को लेकर चीन और अमेरिका के बीच बादशाहत की होड़ में ट्रंप ने बड़ी चाल चली है. उन्होंने मध्य एशियाई देशों के साथ व्हाइट हाउस में डिनर पर बड़ी रणनीति बनाई है.
Trump says open to considering lifting Iran sanctions:अमेरिका के सामने सिर पर कफन बांध हमेशा लड़ने वाला देश ईरान अब सरेंडर के मूड में है. ये बात हम नहीं कह रहे बल्कि यह खुद अमेरिकी राष्टपति का दावा है. ट्रंप ने कहा है कि ईरान ने अपने ऊपर लगे भारी भरकम प्रतिबंधों को हटाने की गुजारिश की है. कभी मिडिल-ईस्ट में सबसे ताकतवर माने जाने वाले ईरान को लेकर ट्रंप का नजरिया बदला हुआ है. जानें क्याडोनाल्ड दिखाएंगे दरियादिली!
ट्रंप सरकार का बड़ा ऐलान, अब इतनी सस्ती मिलेंगी वजन कम करने वाली दवाएं, कंपनियों की भी बल्ले-बल्ले
Weight loss drugs Rate in US: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को ऐलान किया कि उनकी सरकार ने कंपनियों के साथ समझौता कर लिया है, जिसके बाद मोटापा कम करने वाली मशहूर दवाओं Wegovy और Zepbound के दाम काफी कम हो जाएंगे. आइए जानते हैं वजन कम करने वाली इन दवाओं की कीमत अब कितनी होगी....
Abraham Accords: अमेरिकी राष्ट्रपति ने ऐलान किया है कि अब्राहम समझौते के तहत एक और देश आने वाला है. 2020 में इजरायल के साथ UAE, बहरीन के बीच हुए समझौतों के बाद यह एक और बड़ा कदम माना जा रहा है.
नए साल में भारत के दौरे पर आ रहे हैं डोनाल्ड ट्रंप? पीएम मोदी के लिए कही बड़ी बात
India US Trade Talks:अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि वो अगले साल भारत दौरे पर (Donald Trump India Visit) जाएंगे. इसी दौरे में उन्होंने एक बार फिर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफों के पुल बांध दिए.
क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी IPL 2026 में भी खेलते नजर आएंगे. इसकी पुष्टि खुद चेन्नई सुपर किंग्स के CEO काशी विश्वनाथन ने की है. लेकिन पिछले दो सालों से टीम के खराब प्रदर्शन के बावजूद 44 साल के धोनी अब तक CSK से क्यों जुड़े हुए हैं? आखिर धोनी को CSK से और CSK को धोनी से कितना फायदा है, जानने के लिए ऊपर दी गई इमेज पर क्लिक करें और देखें वीडियो…
दैनिक भास्कर की इलेक्शन सीरीज नाच के पहले एपिसोड में कहानी उस लौंडा नाच की, जिसका इस्तेमाल चुनावों में भीड़ जुटाने के लिए किया जाता है... छह फीट से जरा सी कम लंबाई। एक बार में तकरीबन डेढ़ फीट जमीन नाप ले, ऐसी चाल। बहुत ज्यादा पान मसाला खा लेने से बदरंग हो चुके दांत और फटे होंठ। जिसकी बात हो रही है, उनके लंबे बालों को छोड़ दें, तो सब कुछ मर्दाना है, लेकिन मन है कि लहंगा-चुन्नी पहनकर, चेहरे पर श्रृंगार करके नाचने को करता है। सो अब सल्टू लाठौर काजल लगाने वाले हैं। कमाल ये कि काजल लगाने के लिए भी अगर हाथ उठे तो लगता है जैसे कोई डांस स्टेप हो। दाएं हाथ से आंखों को थोड़ा सा नीचे खींचकर दूसरे से काजल की गहरी लाइन खींचते वक्त ऐसा लगता है जैसे सच में ये बाएं हाथ का ही खेल हो। चेहरे के बाद अब बालों को पीछे की ओर रिबन से कसकर बांध लिया है। सिर पर मटमैले हो चुके लहंगे की चुनरी सेफ्टी पिन से फंसाने के बाद झुमके की बारी है। उंगलियां झुमके के पेंच कस रही हैं और अचानक थिरकने लगी हैं। यह श्रृंगार महिंद्रा की स्कॉर्पियो गाड़ी में उकड़ू बैठ कर किया जा रहा है। स्कॉर्पियो आरा के अगियाव बाजार में बने सरकारी हाईस्कूल मैदान के बाउंड्री से लगकर खड़ी है। यहां आज बीस मिनट की एक चुनावी सभा होनी है, जो RJD प्रत्याशी दीपू राणावत के समर्थन में होगी। यहां लौंडा नाच होना है, मंच से बार-बार लौंडा नाच का ऐलान हो रहा है, मानो वही आज का मेन इवेंट है। मैं लौंडा नाच की टीम से मिलने स्कॉर्पियो के पास पहुंचा हूं, जहां माइक टेस्टिंग की आवाज आ रही है। माइक से कभी किसी नेता का नाम लेकर जिंदाबाद के नारे लग रहे हैं, कभी कोई फिल्मी गीत बजाकर आवाज जांची जा रही है। सल्टू स्पीकर में बज रहा गीत गुनगुनाते हुए लिपस्टिक लगाने लगे हैं। पान खाकर बदरंग हो चुके होठों पर लाल चटख लिपस्टिक तीन बार घिसने के बाद मेरी तरफ अचानक घूम कर कहते हैं, 'जब होठ फटा रहता है तो लिपस्टिक से जलन होने लगती है। हम पहले होंठों पर सरसों का तेल लगा लेते थे तो लिपस्टिक नहीं चढ़ती थी।' बिहार के भोजपुर जिले की मशहूर नाच पार्टी ‘भुअरा के नाच’ की आज बहार है। उसके सबसे ‘डिमांडिंग’ लौंडा सल्टू का आज नाच प्रोग्राम है। सल्टू इस नाच पार्टी के साथ बीते 15 साल से ‘लौंडा’ बनकर नाचते आ रहे हैं। आजादी के बाद से 20वीं सदी के खत्म होने-होने तक भोजपुरी भाषी बिहार के पहचान की तरह देखा जाने वाला लौंडा नाच अब किस स्थिति में है? ‘विमल’ नाम के गुटखा ब्रांड के झोले में से श्रृंगार का सामान निकालते सल्टू के पास चेहरा देखने के लिए हथेली भर का शीशा है। वो अपने साथी लौंडा अंबिका से बड़ा शीशा मांगते हैं, मगर उनके पास भी तो ही शीशा है वो भी छोटा ही है। मर्दों के लिए तय किए कपड़े उतार कर वो बारी-बारी से लहंगा, ब्लाउज, दुपट्टा पहन चुके हैं। वो तैयार तो हो रहे हैं, लेकिन मुझसे बात नहीं करना चाहते। मुझे बुरा भी न लगे इसलिए रह-रह कर एक-दो शब्द बोल देते हैं। लिपस्टिक के बाद बाल की बारी आती है। चूंकि शीशा छोटा है, तो उसे किसी के सहारे ईंट से टिकाकर वो मेरी तरफ देखते हैं। ‘एक रात पहले बाल धोना पड़ता है, नहीं तो बांधने नहीं बनता है। मेरे बाल मेरी औरत (पत्नी) के बाल से ज्यादा सुंदर हैं।’ पूरी तरह तैयार हो चुके सल्टू, बंधे हुए बालों में कंघी फेर रहे हैं। वो कभी शीशे से चेहरा हटाकर बाल देखने लगते हैं तो कभी बड़ा सा जूड़ा बांधने लगते हैं। मेरे पूछने पर कि, चेहरे पर अभी क्या-क्या करना होगा, लिपस्टिक के बाद? वो कहते हैं, अगर शाम को कार्यक्रम रहता है तो सुबह में दाढ़ी बनवाकर फिटकरी लगा लेते हैं, फिर पाउडर से ही काम चल जाता है। अगर दाढ़ी नहीं बनवाए हैं तो ज्यादा तैयार होना पड़ता है। लिपस्टिक के बाद मैं पाउडर लगाता हूं। उसके बाद एक क्रीम है जिससे पाउडर का सफेदी कम हो जाता है, उसको लगा कर सुखा लेता हूं। बस!' सल्टू ने बताया कि चुनावी रैली दिन में होती है इसलिए उन्हें आज थोड़ा भड़कीले रंग का कपड़ा पहना होगा। उन्हें खुद ही कभी भड़कीले तो कभी बहुत ही सहज रंग के लहंगे का ध्यान रखना पड़ता है, वैसे तो सबसे पहले कपड़ा ही बदलते हैं, यहीं भीड़ ज्यादा थी, तो सोचे कि कपड़ा बाद में बदल लेंगे। पहले चेहरा ही ठीक कर लेते हैं। यह मंडली आज ही तीन अलग-अलग जगहों पर लौंडा नाच करेगी। हर परफॉर्मेंस का उन्हें हजार रुपया दिए जाने का वादा हुआ है। चुनाव का यह समय सल्टू के लिए त्योहार से कम नहीं है। भीड़ बटोरने के लिए जब सल्टू नाचते हैं, तो उन्हें बाकी दिनों से अलग, हजार- पांच सौ रुपए ज्यादा मिलते हैं। कभी-कभी दोनों वक्त का खाना भी। बातचीत के बीच ही स्कूल के फिल्ड में माइक पर ‘लालू प्रसाद यादव-जिंदाबाद’ का नारा लगने लगता है। कुछ देवी-देवताओं के जयकारे के बाद एक उम्रदराज शख्स दीपू राणावत के लिए दो शब्द कहता है और वाद्ययंत्रो की आवाज धीरे-धीरे तेज होने लगती है। इधर, स्कॉर्पियो की पिछली सीट पर बैठे सल्टू पूरी तरह कैरेक्टर में आ चुके हैं। उनके हावभाव बदल चुके हैं और देखकर ही समझ आ जाता है कि उन्होंने इस नाच को मन से अपना लिया है। सल्टू माइक के पास आते हैं। पूरी टीम के साथ वाद्ययंत्र को हाथ जोड़कर प्रणाम करते हैं और फिर दर्शकों की तरफ मुड़ते हैं। कमर तक झुककर सबको प्रणाम करने के बाद नाचने आए साथी लौंडा नर्तक के साथ वो गोल-गोल घूमने लगते हैं । इसके बाद लालू यादव के नाम से बनाया गया एक गीत बजता है जिसके धुन में लालटेन चुनाव निशान का बार-बार जिक्र हो रहा है। उनके साथी अंबिका और बाकी के कलाकार यूं नाचते हैं जैसे उन्हें गाने के बोल से कोई मतलब ही नहीं है। वो बीट पकड़कर कमर थिरकाते हैं। बीच-बीच में लालू प्रसाद यादव की तारीफ से बात शुरू होती है और तेजस्वी की सरकार बनाने पर खत्म होती है। वोट चोरी, सांप्रदायिकता और महिला सुरक्षा पर बात होती है। तकरीबन 30 मिनट के बाद अब दूसरी जगह जाने की बारी है। सल्टू के उस्ताद, सुरेश ठाकुर मंच के पीछे पीकअप जीप लगाते हैं और सभी को उसमें बैठने का इशारा करते हैं। टीम के साथ लहंगा-चुन्नी में ही अंबिका, सल्टू और साथी नर्तक पीछे बैठ जाते हैं। पूछने पर कि कहां जा रहे हैं, कहते हैं- यहां से जाएंगे दरियागंज (भोजपुर) के पास। वहां एक गांव में जाकर नाचना है। कैसी व्यवस्था है, नहीं पता। वे मुझे भी अपनी स्कॉर्पियो में बैठा लेते हैं। अब मेरे पास सल्टू और उनके साथी हैं, जिनसे लौंडा नाच और चुनाव में उनके इस्तेमाल पर बात की जा सकती है। मैंने नाच प्रोग्राम के दौरान लोगों के रिएक्शन और उनके रोजमर्रा की दिक्कतों से बात शुरू की। इतने में सल्टू के सहयोगी नर्तक अंबिका बोल पड़ते हैं, 'हम लोगों का प्रोग्राम लगा झारखंड के धनबाद में। पहली बार मैं वहां नाचने गया था। शादी-ब्याह का माहौल था, इसलिए बारात लगने के बाद देर रात नाच शुरू हुआ। एक घंटे के बाद शामियाना खाली हो गया और बस गांव के लोग बचे। 14-15 साल का लड़का मेरी तरफ देखकर बुलाने का इशारा किया। मैं पास गया तो कहता है, गोद में बैठोगी तो पैसा देंगे। फिर उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और अपनी तरफ खींचकर कहा, तुमको क्या लगता है कि नहीं बैठोगी तो बच कर चली जाओगी? हम लोगों को सिखाया जाता है कि नाच तभी रुकेगा जब म्यूजिक बंद होगा। इसलिए हमको सिर्फ गाना सुनाई दे रहा था। मैं उसी में मगन था लेकिन समझ में आ रहा था कि बदतमीजी हो सकती है। इसलिए मैंने नाचते हुए ही कहा, मैं भी तुम्हारी तरह लड़का ही हूं, बस दो पैसे की मजबूरी में साड़ी पहन कर नाच रहा हूं। इसके बाद भी वो मेरा हाथ पकड़कर खींचता रहा। मुझे उसके गोद में बैठना ही पड़ा। जैसे-तैसे मेरी जान बची। मुझे उस पूरी रात डर लगता रहा, लेकिन मैं फिर भी नाचा। वो पहली बार था जब मेरा नाचने का मन नहीं कर रहा था।' इस बात के बाद पूरी गाड़ी में दस मिनट के लिए चुप्पी छायी रही। अंबिका बताते हैं, 'हम लोग इसी गाड़ी में बैठकर तैयार होते हैं, प्रोग्राम खत्म करके इसी में खाते हैं। यहीं सो जाते हैं। किसी भी कार्यक्रम में चाहे शादी हो या मरनी, हमें लोग घर पर नहीं बुलाते- बिठाते। केवल नाच देखकर खुश होते हैं और वापस भेज देते हैं। हां, छेड़खानी करते वक्त उनको नहीं याद रहता कि हमको छूना-पकड़ना नहीं चाहिए। सल्टू के लिए यह सब कुछ काम का हिस्सा है। उन्हें अब इस बात का भी फर्क नहीं पड़ता कि सामने बैठने वाला किस तरह के इशारे कर रहा है। वो कहते हैं, हम लोगों के कहने पर उतना तक कर देते हैं जितना देखने में भी अच्छा लगे। लौंडा नाच करने वाले और इस तरह की मंडलियों को चलाने वाले नट समाज के लोग होते हैं। इनके प्रेरणास्रोत लोक कलाकार भिखारी ठाकुर हैं। उन्होंने ही बिहार में ‘नाच प्रोग्राम पार्टी’ का कॉन्सेप्ट दिया। भिखारी ठाकुर (1887–1971) लोक कला के इतिहास में एक जरुरी नाम हैं। नाई समाज से थे। उनके चर्चित नाटक बिदेसिया, बेटी बेचवा, गबरघिचोर और राजा हरिश्चंद्र काफी मशहूर हैं। आज भी लौंडा नाच करने वाले अधिकतर लोग अनुसूचित जाति से आने वाले नट समुदाय के हैं। बिहार के जातिगत सर्वे के अनाधिकारिक रिपोर्ट की मानें तो यहां 1.5 लाख आबादी नट समाज की है, जिनकी आर्थिक-सामाजिक स्थिति किसी से छिपी नहीं है। बिहार में इमरजेंसी के बाद लौंडा नाच राजनीतिक रंग लेता गया। इमरजेंसी के बाद बिहार में लालू प्रसाद यादव, रामविलास पासवान और नीतीश कुमार जैसे नए नेताओं को नेशनल पॉलिटिक्स में जगह मिल चुकी थी। ये सभी नेता समाज के उन वर्गों की ही राजनीति करते थे जिनकी बात लौंडा नाच के कार्यक्रमों में पहले से होती आ रही थी। बिहार में लंबे समय से काम कर रहे जर्नलिस्ट विष्णु नारायण बताते हैं, 'लालू यादव ने चुनाव में लौंडा नाच का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया। बिहार और खासकर पूर्वी बिहार, जिस इलाके के लालू खुद रहने वाले थे, वहां मनोरंजन का सबसे बड़ा साधन लौंडा नाच ही था। लालू जिस यादव समाज से आते थे, उसके लिए लौंडा नाच देखना सबसे आसान था। तब तक समाज की तथाकथित ऊंची जाति के लोगों के लिए लौंडा नाच कम सम्मानित चीज थी और उसकी जगह ‘बाई जी का नाच’ देखा-सुना जाता था। भिखारी ठाकुर का नाटक और उसके साथ ही लौंडा नाच इसलिए भी तेजी से फैलता गया। एक दौर था जब लालू प्रसाद यादव लौंडा नाच के माध्यम से चुनाव प्रचार करते थे। नाच के कार्यक्रमों से पहले पता लगाकर पहुंच जाते थे, रिक्वेस्ट करके दो-चार मिनट के लिए माइक लेते और अपना चुनाव प्रचार कर लेते थे। लालू ने तो भिखारी ठाकुर के नाच पार्टी वाले रामचंद्र मांझी को लड़की की ड्रेस में स्टेज पर बिठाया और सीएम बनने के बाद कलाकारों को नौकरियां दीं, जिन पर कोर्ट की जांच तक बैठ गई। वहीं, नीतीश कुमार ने आर्केस्ट्रा को ज्यादा तवज्जो दी।' इस सब में लौंडा नाच का क्या हुआ और इतिहास में लौंडा नाच मुगलों के दौर के ‘बाई जी के नाच’ के समाने कैसे जगह बना पाया, जानेंगे अगले एपिसोड में...
‘मुस्लिम लड़कियों को उठा ले जाओ। ऐसा बयान क्या कोई समझदार नेता देता है? वो कहते हैं कि हम मुसलमानों को उठवा लेंगे तो कभी गोली चलवा देंगे। हमें तो लगता है कि उन्हें सत्ता का नशा चढ़ गया है। इसलिए वो बार-बार ऐसे नाजायज बयान दे रहे हैं। अब लोग बता रहे हैं कि 10 तारीख को फिर उनकी जनसभा होगी। इसलिए गांव के लोग डरे हुए हैं।’ UP के सिद्धार्थनगर के धनखरपुर गांव के रहने वाले अख्तर हुसैन की ये नाराजगी BJP नेता राघवेंद्र सिंह के उस बयान पर है, जिसमें उन्होंने कहा था- 'अगर मुस्लिम लड़के दो हिंदू लड़कियां ले जाते हैं और उन्हें मुस्लिम बनाते हैं, तो तुम 10 मुस्लिम लड़कियां लाकर हिंदू बनाओ।' अख्तर के मुताबिक, पूर्व विधायक की बदजुबानी की वजह से गांव में नाराजगी और डर का माहौल है। महिलाएं और बेटियां खौफजदा हैं। 16 अक्टूबर 2025 को राघवेंद्र प्रताप सिंह ने धनखरपुर गांव में एक जनसभा में मुस्लिम लड़कियों को भगाने पर हिंदू लड़कों को खाना और नौकरी देने जैसी बातें कही थीं। उनके बयान पर विवाद बढ़ता जा रहा है। सपा से लेकर बसपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने BJP नेता की बातों को आपत्तिजनक, भड़काऊ और महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान को ठेस पहुंचाने वाला बताया और कानूनी कार्रवाई की मांग की। दूसरी तरफ राघवेंद्र दैनिक भास्कर से बात करते हुए अपने बयान को सही ठहराते हैं। उनका कहना है कि बयान 'कंडीशनल' था, उसमें कुछ भी गलत नहीं। UP की डुमरियागंज विधानसभा सीट से पूर्व विधायक राघवेंद्र आखिर क्यों विवादों में हैं? मामले में 20 दिन बीतने के बावजूद अब तक कार्रवाई क्यों नहीं हुई? जिन 2 हिंदू लकड़ियों के भागने पर पूरा विवाद शुरू हुआ, आखिर वो कहां हैं? इन सवालों के जवाब जानने हम सिद्धार्थनगर पहुंचे। मुस्लिम बहुल धनखरपुर गांव के लोग सहमेसिद्धार्थनगर से 54 किलोमीटर दूर डुमरियागंज पड़ता है। धनखरपुर गांव इसी विधानसभा में आता है। लगभग 4000 की आबादी वाले इस गांव में 70% लोग मुस्लिम बिरादरी से आते हैं। गांव में BJP नेता की जनसभा के बाद से ही लोगों में नाराजगी साफ दिखती है। महिलाएं सुरक्षा को देखते हुए इस पर बात नहीं करतीं। हालांकि अख्तर हुसैन विवाद पर बात करने से खुद को रोक नहीं पाते। अख्तर कहते हैं, ‘गांव के कोटेदार विकास गौतम उर्फ शब्लू ने ही राघवेंद्र प्रताप सिंह की जनसभा करवाई थी। हमने वीडियो में देखा है कि वो कैसे मुसलमानों के खिलाफ जहर उगल रहे थे। वो जिन लड़कियों को भगाने की बात कह रहे थे, असल में वो अपनी मर्जी से घरवालों को छोड़कर गई हैं।’ अख्तर से बात करने के बाद हम धनखरपुर में उस जगह पर गए जहां BJP नेता की जनसभा हुई थी। लोगों ने बताया कि सभा में बाकायदा BJP का बैनर लगाया गया, जिस पर पार्टी के सीनियर लीडर्स की तस्वीरें और पार्टी का सिम्बल ‘कमल’ का निशान था। राघवेंद्र प्रताप सिंह के बयान का जो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। उसमें वो कह रहे हैं, ‘एक महीने के अंदर यहां से दो हिंदू लड़कियां मुस्लिम लड़कों के साथ भाग गईं। ये हमें पच नहीं रहा है। मुसलमानों सुन लो, दो का बदला भारी होने वाला है। मैं कह रहा हूं, कम से कम 10 मुस्लिम लड़कियां लाओ। 2 के बदले 10 से कम मंजूर नहीं।‘ धनखरपुर से सटे कादिराबाद गांव के इकबाल मलिक क्षेत्र के बड़े किसानों में आते हैं। वो इस मामले के बाद धनखरपुर में अपने करीबियों से मिलने गए थे। राघवेंद्र के बयान पर इकबाल कहते हैं, ‘BJP के एजेंडे में भले ही 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' हो, लेकिन पूर्व विधायक ने ऐसा बयान दिया जो उनकी पार्टी की सोच से ही विपरीत था। क्षेत्र में अपने बयानों से डर पैदा करना एक विधायक को शोभा नहीं देता है।‘ राघवेंद्र अपनी कही गई बातों पर कोई सफाई भी नहीं देना चाहते क्योंकि उन्हें इस बात का घमंड है कि वे योगी बाबा के भक्त हैं। उन्हें कुछ नहीं होगा। जिन दो हिंदू लड़कियों के भागने पर विवाद हुआ, वो कहां? राघवेंद्र जनसभा के दौरान बार-बार 2 हिंदू लड़कियों का बदला लेने की बात दोहरा रहे थे। हम उनका पता लगाने के लिए उनके घरवालों से मिले। एक बच्ची दलित और दूसरी सवर्ण परिवार से है। दोनों बालिग हैं। पीड़ितों ने हमें बताया कि दोनों लड़कियां 2 से 3 महीने पहले घर छोड़कर गांव के ही मुस्लिम बिरादरी के लड़कों आशिफ और अली के साथ भाग गई थीं। (गोपनीयता के कारण हम लड़कियों और उनके घरवालों की पहचान नहीं बता रहे।) पहली लड़की के भाई दिनेश (बदला हुआ नाम) ने हमसे बात की। वो कहते हैं, ‘मेरी बहन को गए 3 महीने बीत चुके हैं। वो गांव के पास ही एक स्कूल में पढ़ाती थी। जब वो गायब हुई, तब हमने लोकल पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करवाई। हालांकि थाने में हमारी रिपोर्ट नहीं लिखी गई। हम उसे एक बार वृंदावन से खोजकर घर लाए, लेकिन वो फिर उसी लड़के के साथ भाग गई।‘ दूसरी लड़की की मां कहती हैं, ‘मेरी बेटी 2 महीने पहले गांव के ही मुसलमान लड़के के साथ भाग गई थी, तब से लौटी नहीं है। हम लोगों ने पुलिस से बताया, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ। बेटी घर लौट आए, इसके लिए हमने पूर्व विधायक राघवेंद्र सिंह से निवेदन किया है। वो उसे खोजकर ले आएंगे।’ पीड़ित परिवारों से मिलकर हम धनखरपुर में रहने वाले मुस्लिम लड़कों के घरवालों से भी मिले। हालांकि वे इस मामले पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हुए। वजह पूछने पर उन्होंने बताया कि वो नहीं चाहते कि उन्हें और परेशान किया जाए। राघवेंद्र बोले- जो भी कहा, उसमें कुछ भी गलत नहींएक धर्म विशेष को लेकर राघवेंद्र प्रताप सिंह के बयान पर सभी प्रमुख विपक्षी पार्टियों ने निशाना साधा है। बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने राघवेंद्र के बयान को असंवैधानिक और नफरत फैलाने वाला बताया। वहीं सपा नेता और UP विधानसभा में नेता विपक्ष माता प्रसाद पांडे ने कहा कि ऐसे बयान BJP नेता की खराब मानसिकता को दिखाते हैं। 2022 में उन्होंने अपनी विधायकी भी गंवा दी। वो अपनी हार से उबर नहीं पाए हैं और ऐसे बेतुके बयान दे रहे हैं। हालांकि राघवेंद्र अब तक अपने बयान पर कायम हैं। उनका कहना है कि वे विपक्ष के आरोपों और प्रतिक्रियाओं पर ध्यान नहीं देते। वे हमेशा हिंदुत्व के साथ खड़े रहे हैं और आगे भी खड़े रहेंगे। दैनिक भास्कर से बात करते हुए राघवेंद्र कहते हैं, ’बलरामपुर के उतरौला में छांगुर बाबा ने 1000 से ज्यादा हिंदू लड़कियों को मुसलमान बना दिया। सिद्धार्थनगर का धनखरपुर गांव भी बलरामपुर की सीमा से सटा हुआ है, जहां बीते कुछ सालों में 5 हिंदू लड़कियों का धर्मांतरण करवाकर उन्हें मुस्लिम बना दिया गया। जब मुझे ये बात पता चली तो मैं उस गांव गया। ’ 16 अक्टूबर को जब मैं धनखरपुर पहुंचा तो वहां के लोगों ने बताया कि कुछ दिनों पहले यहां की 2 गरीब हिंदू लड़कियों को मुस्लिम लड़के भगा ले गए हैं। वहां लोग घबराए हुए थे। ’इसी डर को दूर करने के लिए मैंने कहा कि अगर वो दो को ले गए हैं, तो तुम लोग उनकी 10 लड़कियां ले जाओ। मेरा बयान कंडीशनल था, उस समय के संदर्भ को देखते हुए था।’ ’मैंने कुछ सोच विचार करके बयान नहीं दिया था, न ही मैं इसे अपनी गलती मानता हूं। रही बात बिगड़े बोल की तो अखिलेश यादव से भी ये पूछा जाना चाहिए कि उन्हें गाय के गोबर से बदबू क्यों आती है। जबकि उनके पूर्वजों का वही पेशा रहा है। वो अयोध्या के दीपोत्सव को पैसे की बर्बादी बताते हैं, जबकि 2014 में सैफेई महोत्सव में उन्होंने 350 करोड़ रुपए लुटा दिए थे।’ धनखरपुर गांव के मुसलमानों का कहना है कि अगर वो आपके खिलाफ बोलेंगे तो उनपर झूठे मुकदमे लगा दिए जाएंगे? इसके जवाब में राघवेंद्र कहते हैं, ’मेरे विधायक बनने से पहले डुमरियागंज की हिंदू बहन-बेटियों के साथ आए दिन रेप के मामले सामने आते थे। डर के कारण कोई हिंदू FIR कराने नहीं जाता था। चौराहों पर बहू-बेटियों को पकड़कर उनसे छेड़खानी की जाती थी। यहां न जाने कितने हिंदुओं की हत्याएं हुईं।’ ’आज योगी आदित्यनाथ के राज में रामराज्य चल रहा है। यहां के हिंदू-मुस्लिमों को लड़ाने का काम केवल यहां की विधायिका सैयदा खातून कराती हैं। मैंने आज तक किसी निर्दोष मुसलमान को न तो परेशान किया, न ही उसे छेड़ा है।” राघवेंद्र की पॉलिटिक्स में ‘हिंदू युवा वाहिनी’ की झलकसिद्धार्थनगर के सीनियर जर्नलिस्ट रविंद्रनाथ त्रिपाठी कहते हैं, ’राजनीति में आने से पहले राघवेंद्र गोरखनाथ मठ से जुड़े रहे। वहां वे योगी आदित्यनाथ के करीबियों में शामिल हो गए। इसका सबसे पहला प्रमाण 2012 में मिला, जब योगी के कहने पर राघवेंद्र को डुमरियागंज विधानसभा से BJP का टिकट मिला। हालांकि पहले चुनाव में उन्हें पीस पार्टी के प्रत्याशी कमाल यूसुफ मलिक ने हरा दिया था।’ ’राघवेंद्र सिंह हमेशा से एग्रेसिव नेचर के रहे हैं। वे शुरुआत से ही हिंदुत्व के मुद्दों को प्राथमिकता देते आए हैं। यही वजह है कि वे हिंदू युवा वाहिनी के गोरक्षा और सनातन संस्कृति की रक्षा जैसे मकसद को अपनी राजनीति की ढाल बनाकर चलते आए हैं। समय-समय पर इसकी झलक उनके बयानों में भी देखने को मिलती है।’ 2002 में योगी आदित्यनाथ ने हिंदू युवा वाहिनी नाम का संगठन बनाया था, लेकिन यूपी का मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने इसे भंग कर दिया। सैयदा बोलीं- डुमरियागंज के हिंदू मेरे साथ, राघवेंद्र का डर नहींडुमरियागंज विधानसभा में राघवेंद्र सिंह की सबसे बड़ी सियासी दुश्मनी सैयदा खातून से रही है। 2017 में बतौर BSP कैंडिडेट सैयदा, राघवेंद्र से महज 171 वोटों से हार गई थीं, लेकिन 2022 में उन्होंने इस हार का बदला ले लिया। इस चुनाव में सपा के टिकट पर सैयदा ने राघवेंद्र सिंह को 700 से ज्यादा वोटों से हरा दिया। धनखरपुर मामले में भी सैयदा लगातार राघवेंद्र को घेर रही हैं। 31 अक्टूबर को सैयदा ने राघवेंद्र सिंह के खिलाफ बस्ती मंडल के DIG संजीव त्यागी और सिद्धार्थनगर के SP अभिषेक महाजन को लिखित शिकायत दी। हालांकि वो पुलिस पर अब तक कोई भी कार्रवाई न करने का आरोप लगाती हैं। सैयदा कहती हैं, ’डुमरियागंज हमेशा से अपनी गंगा-जमुनी तहजीब के लिए जाना जाता रहा है, लेकिन अब पूर्व विधायक अपने बयानों से यहां का माहौल बिगाड़ रहे हैं। मैं उन्हें इस मकसद में कभी कामयाब नहीं होने दूंगी।’ ‘राघवेंद्र सिंह ने 2017 से लेकर 2022 तक डुमरियागंज के निर्दोष लोगों पर फर्जी मुकदमे दर्ज करवाए। हर जगह छोटे-छोटे मामले उठाकर हिंदू-मुस्लिम करने में लगे हुए हैं। हालांकि डुमरियागंज के लोगों ने हमेशा उसे ही पसंद किया, जिसने यहां के विकास की बात की, न कि उन्हें जिन्होंने एक-दूसरे के खिलाफ भड़काया हो।’ सिद्धार्थनगर पुलिस बोली- BJP नेता के खिलाफ शिकायत मिली, जांच जारी सिद्धार्थनगर पुलिस के मुताबिक डुमरियागंज के धनखरपुर में 2 हिंदू लड़कियों के दूसरे धर्म के लड़कों के साथ भागने का मामले सामने आया था। इस पर अलग-अलग जगहों से लड़कियों को खोजकर वापस सिद्धार्थनगर लाया गया। हालांकि उन्होंने वापस घर जाने से इनकार कर दिया क्योंकि लड़कियां बालिग हैं, ऐसे में इस केस पर आगे कार्रवाई नहीं बढ़ी। BJP नेता राघवेंद्र के बयान पर कार्रवाई कहां अटकी? इस सवाल पर सिद्धार्थनगर के SP डॉक्टर अभिषेक महाजन ने बताया, ‘धनखरपुर में हुई जनसभा में दिए गए विवादित बयान के खिलाफ हमें शिकायत मिली है। इसकी जांच सिद्धार्थनगर के डुमरियागंज CO बृजेश वर्मा कर रहे हैं। जो भी बातें सामने आएंगी, उसके मुताबिक कार्रवाई की जाएगी।’.................. ये खबर भी पढ़ें... 50 महीने जेल-600 करोड़ खत्म, चुनाव लड़ने पर बैन यूपी सरकार में कभी कैबिनेट मंत्री रहे आजम ने बीते 5 सालों में अपनी जिंदगी के 50 महीने जेल में काटे। योगी सरकार आने के बाद वो 2 बार जेल गए। पहली बार फरवरी 2020 से मई 2022 तक और फिर अक्टूबर 2023 से सितंबर 2025 तक जेल में रहे। कैद में रहते हुए आजम की करोड़ों की प्रॉपर्टी पर बुलडोजर चला और स्कूल बंद कर दिए गए। पढ़िए पूरी रिपोर्ट...
DNA:पुतिन ने भारत को दिया KH-69 मिसाइल का ऑफर, यूक्रेन में मचाई थी तबाही
रूस ने भारत को दुनिया की सबसे बेहतरीन क्रूज मिसाइल्स में से एक KH-69 का ऑफर दिया है लेकिन ये ऑफर में सिर्फ मिसाइल ही नहीं है बल्कि इसके साथ साथ कई बोनस भी हैं रूस ने भारत को KH-69 मिसाइल की की टेक्नोलॉजी ट्रांसफर करने को तैयार है.
अमेरिका से लेकर रूस तक, ये हैं सबसे लंबा बार्डर शेयर करने वाले देश; जानें किस स्थान पर भारत ?
Border Length Ranking: सीमाएं न केवल भौगोलिक विभाजन हैं बल्कि वे देशों की संस्कृति, संबंधों और सुरक्षा नीतियों को भी प्रभावित करती हैं. आइए जानते हैं दुनिया के कौन से देश है जो आपस में सबसे लंबी सीमा शेयर करते हैं...
जब न्यूजीलैंड में चालान माफी के लिए पीयूष गोयल ने कर दी ये अजीब मांग, जानिए वो दिलचस्प किस्सा
पीयूष गोयलने बताया कि जब वो वापस भारत लौटे तो उन्हें न्यूजीलैंड से स्पीडिंग फाइन मिले. एक के बद एक करके कई चालान उनके घर पहुंचे थे. इसमें से पहला चालान 200 डॉलर का दूसरा चालान 400 डॉलर का और एक चालान 800 डॉलर का भी न्यूजीलैंड से उनके घर पहुंचा था.
रूस लाएगा बच्चों के लिए स्पेशल SIM Card, माता-पिता को मिलेगी लोकेशन ट्रैकिंग की सुविधा
Russia: रूस ने बच्चों के लिए विशेष सिम कार्ड का प्रस्ताव दिया है, जो अभिभावकों को बच्चों की लोकेशन ट्रैक करने की अनुमति देगा. इस सिम कार्ड में ट्रैफिक फिल्टर और पेरेंटल कंट्रोल जैसी सुविधाएं होंगी.
Fake Labubu Dolls: क्या आप भी अपने बच्चों की खुशी के लिए उन्हें नए-नए गुड्डे लाकर देते हैं. अगर हां तो अलर्ट हो जाएं. वे गुड्डे अनजाने में बच्चों की मौत का सामान भी बन सकते हैं.
अफगानिस्तान में बढ़ा खसरे प्रकोप, कई बच्चों की मौत; WHO ने जारी किया अलर्ट
WHO ने अफगानिस्तान में खसरे के प्रकोप की चेतावनी दी है और 5 साल से कम उम्र के बच्चों का टीकाकरण कराने का आग्रह किया है. बता दें, खसरा एक गंभीर बीमारी है और टीकाकरण इसके प्रसार को रोकने का सबसे प्रभावी तरीका है.
हिज्बुल्लाह ने लेबनान के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और संसद के अध्यक्ष को संबोधित एक खुला पत्र जारी किया है, जिसमें उसने सरकार से आग्रह किया है कि वह उसके निरस्त्रीकरण पर ध्यान देने के बजाय इजरायल को युद्धविराम समझौते का पालन करने के लिए मजबूर करे
'मुझे ही देनी होती है मंजूरी…' जोहरान ममदानी के भाषण पर ट्रंप का तीखा पलटवार
Zohraan Mamdani Speech: न्यूयॉर्क सिटी के नए मेयर जोहरान ममदानी के पहले संबोधन पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रतिक्रिया दी है. ट्रंप ने कहा कि ममदानी का भाषण बहुत गुस्से वाला था, खासकर उनके प्रति. उन्होंने कहा कि ममदानी को उनके साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए.
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तनाव जारी है। दोनों देशों के बीच दो राउंड की बैठकें बेनतीजा रही हैं। गुरुवार को इस्तांबुल में दोनों देशों के प्रतिनिधियों की मुलाकात से पहले पाकिस्तान के रक्षा मंत्री आसिफ ख्वाजा ने एक बार फिर अफगानिस्तान को चेतावनी दी
ट्रंप के टैरिफ को लेकर अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी, आज आ सकता है आखिरी फैसला
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ के ऐलान के साथ वैश्विक व्यापार जगत में उथल-पुथल मच गई। ट्रंप के टैरिफ को लेकर अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी रही, जिसके बाद उम्मीद की जा रही है कि इसपर आखिरी फैसला भी आज आ जाए। वहीं, दूसरी ओर पूरी दुनिया की निगाहें इस पर टिकी हुई हैं
दुनिया का इकलौता देश, जहां मुस्कुराता है हर चेहरा ! इंडियंस को बहुत पसंद आती है ये जगह
Thailand land of smiles: क्या आप जानते हैं कि दुनिया में एक ऐसा देश है, जहां हर किसी के चेहरे पर आपको मुस्कान दिखेगी? यह है थाईलैंड, जिसे 'मुस्कान की धरती' (Land of Smiles) कहा जाता है. यहां के लोग बौद्ध धर्म की शिक्षाओं से प्रभावित होकर, मुश्किल हालातों में भी चेहरे पर शांति और धैर्य वाली मुस्कान बनाए रखते हैं. यह मुस्कान उनके सम्मान, शिष्टाचार और मिलनसार स्वभाव की पहचान है, जो इसे भारतीयों का पसंदीदा टूरिस्ट स्पॉट बनाती है.
Viral Video: -62 डिग्री तापमान पर बर्फ बन गई धरती! इतनी ठंड कि सांस भी जम जाए; वायरल हुआ वीडियो
Viral Video on -62 Degrees Celsius: जरा कल्पना कीजिए, जरा सी ठंड की आहट से लोग खांसी-जुकाम, बुखार से पीड़ित होने लगे हैं. ऐसे में अगर आपको दुनिया के सबसे ठंडे -62 डिग्री सेल्सियस वाले इलाके में रहना पड़ जाए तो क्या होगा.
Zohran Mamdani: जोहरान ममदानी ने न्यूयॉर्क का चुनाव जीतकर इतिहास रच दिया हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि वे कभी भी अमेरिका के राष्ट्रपति नहीं बन सकते हैं. आइए जानते है कि ऐसा क्यों है?
Trump ON India-Pakistan conflict:अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फिर दावा किया कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच मई में शांति कराई है. इस बार उन्होंने एक अलग दावा किया है. जिसमें उन्होंने बताया है कि लड़ाई में गिराए गए लड़ाकू विमानों की संख्या 7 नहीं बल्कि 8 है. जानें पूरी खबर.
कार में मर गई दो साल की 'परी', 'एडल्ट' दुनिया में खोया रहा पिता, अब क्यों उठाया खौफनाक कदम
America News: अमेरिका से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. यहां पर एक युवक ने सुसाइड कर लिया, उसे अपनी बेटी के मौत का जिम्मेदार ठहराया गया था. जिसे सजा दी मिलनी थी, इससे पहले उसने ये खौफनाक कदम उठाया.
Japan launches operation to tackle deadly bear attacks:आप सोचकर हैरान हो जाएंगे कि किसी देश में भालुओं ने ऐसा तांडव मचाया है कि पूरे देश में हाहाकार मच गया है. सरकार मजबूर होकर सेना अब उतार दी है. अब तक कई लोगों की मौत हो चुकी है. सैकड़ों लोग घायल हो चुके हैं. जानें पूरी खबर.
Donald Trump recounts meeting Xi delegation:अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ मलेशिया में हुई बैठक का मजेदार किस्सा सुनाया. उन्होंने शी की टीम को 'जीवन में इतने डरे हुए मर्द कभी नहीं देखे' कहा, जो सख्ती से खड़े रहते थे और चुप्पी साधे थे.
khawaja asif on Pakistan Afghanistan peace talks: तुर्की की राजधानी इस्तांबुल में पाकिस्तान-अफगानिस्तान के बीच शांति वार्ता होनी है. इससे पहले पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने बड़ी धमकी दी है. उन्होंने इस बार तालिबान को सीधे जंग की धमकी दी है. आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला...
रूस : पुतिन ने परमाणु परीक्षण का प्रस्ताव पेश करने के दिए सख्त आदेश
रूस और अमेरिका के बीच परमाणु तनाव एक बार फिर गहराने के संकेत मिल रहे हैं। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपने शीर्ष अधिकारियों को संभावित परमाणु हथियार परीक्षणों पर ठोस प्रस्ताव तैयार करने का आदेश दिया है
पाकिस्तान ने बलूच कार्यकर्ताओं को आतंकवाद विरोधी अधिनियम के तहत रखा, मानवाधिकार समूहों ने की निंदा
मानवाधिकार संस्था बलूच यकजेहती कमेटी (बीवाईसी) ने बलूचिस्तान के राजनीतिक कार्यकर्ताओं और मानवाधिकार रक्षकों को पाकिस्तान के आतंकवाद विरोधी अधिनियम (एटीए) की चौथी अनुसूची में डालने की कड़ी आलोचना की
दक्षिण कोरिया अपने शिपयार्ड में बनाएगा पहली परमाणु पनडुब्बी, रक्षा मंत्री आह्न ग्यू-बैक का संकेत
दक्षिण कोरिया के रक्षा मंत्री आह्न ग्यू-बैक ने कहा कि देश की अपनी जहाज निर्माण तकनीक और औद्योगिक क्षमता इतनी उन्नत है कि वह स्वयं अपनी पहली परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बी बना सकता है
‘मेरे बच्चे नहीं हैं। पत्नी की मौत के बाद अकेला हो गया था। मुझे आंख से दिखाई नहीं देता। एक रिश्तेदार के यहां रहने चला गया। वहां बहुत जलील हुआ तो एक दूसरे रिश्तेदार के यहां रहने पहुंचा, लेकिन उन्होंने अपने यहां रखने से साफ मना करा दिया। उस दिन मन में विचार आया कि सब खत्म कर दूं। सोचा कि यमुना में कूद जाऊं। फिर मरने के लिए एक बस डिपो पर गया। वहां बाहर घंटों बैठा रहा। सोच रहा था, कोई बस आए और मैं उसके नीचे चला जाऊं। विडंबना देखिए, उस दिन कई बसें आईं, लेकिन किसी के नीचे नहीं गया। शायद नियति को मेरी कहानी अभी खत्म नहीं करनी थी।’ ये कहते हुए अशोक कुमार शर्मा का गला रुंध जाता है। ब्लैकबोर्ड में इस बार उन बुजुर्गों की स्याह कहानी, जो अपने आत्मसम्मान के लिए बच्चों को छोड़कर वृद्धा आश्रम में आकर रहने लगे, लेकिन वे हर सुबह सोचते हैं कि कोई आए और उन्हें घर ले चले। दिल्ली के द्वारका का एक वृद्धाश्रम। 200 गज में बना, तीन मंजिला मकान। इसमें हर फ्लोर पर एक बड़ा हॉल है, जिसमें बुजुर्ग रह रहे हैं। ग्राउंड फ्लोर पर बुजुर्ग महिलाएं और पहली मंजिल पर बुजुर्ग पुरुष। जबकि दूसरी मंजिल पर मानसिक रूप से बीमार बुजुर्ग रहते हैं। दिल्ली के गोविंदपुरी के रहने वाले 76 साल के देव सिंह इसी वृद्धाश्रम में रहते हैं। वह कहते हैं- मैं ऑटो चलाता था और कब नशे की लत पड़ गई, पता ही नहीं चला। धीरे-धीरे शराब ने मुझे गुलाम बना लिया। पहले हर शाम को पीता था, फिर सुबह उठते ही बोतल ढूंढता। दिन-रात नशे में रहने लगा था। मेरा एक बेटा, बहू और एक बेटी हैं। हर शाम नशे की हालत में घर जाता। झगड़ा-लड़ाई शुरू हो जाती। बीवी और बच्चे बहुत समझाने की कोशिश करते, पर किसी की नहीं सुनता था। उल्टा उन पर चिल्लाता था। कई बार तो बात हाथापाई तक पहुंच जाती। अब जब से वृद्धाश्रम आया हूं तो लगता है, गलती मेरी ही थी। यह कहते हुए देव सिंह की आंखें किसी पुराने दरवाजे की तरह बंद हो जाती हैं, जैसे भीतर कुछ दबा हुआ महसूस कर रहे हों। फिर बातचीत शुरू करते हैं। वह कहते हैं मेरे बेटे ने कई बार कहा कि शराब छोड़ दो, पर नहीं छोड़ पाया। हर दिन घर से कहकर निकलता कि आज पी कर नहीं आऊंगा, लेकिन शाम होते-होते मेरा फिर वही हाल हो जाता। घर वाले तंग आ गए। मुझसे नफरत करने लगे। बेटा, बहू, बेटी सब मुझसे दूर हो गए। बेटे की शादी हुई और जब बहू घर आई तो हालात और बिगड़ गए। गुस्से में बेटे को कुछ कह देता, तो मुझे बहू के सामने मारता। एक दिन जब मेरी बेटी ने मुझ पर हाथ उठा दिया तो उस दिन तो मैं टूट गया। सोच रहा था उसका बाप हूं। आखिर मेरा उस पर कोई हक नहीं रहा। उस दिन के बाद तो सब कुछ बदल गया। बेटी ने कहा घर से निकल जाओ और कभी मत आना। वही बेटी जिसे ऑटो से स्कूल छोड़ने जाता था। उस दिन रातभर नींद नहीं आई। मैंने तय कर लिया अब सब खत्म कर दूंगा। सुबह हुई तो घर से निकल गया। वापस नहीं लौटा। सोचा रहा था इधर-उधर बिताकर कुछ दिन में घर लौट जाऊंगा, लेकिन वो दिन कभी नहीं आया। इस वृद्धाश्रम में आ गया और यहां छह साल हो गए हैं। अब तक किसी ने मुझे ढूंढने की कोशिश नहीं की। शायद अब उन्हें मेरी जरूरत नहीं है। जब देव सिंह ने इस वृद्धाश्रम में पहली बार कदम रखा, तो बहुत शर्मिंदगी महसूस होती थी। लगता था कि वह अपने परिवार की एक नाकामी की तरह हैं। वह कहते हैं- मानता हूं कि मैंने ही खुद को और अपने परिवार को बर्बाद किया। अगर शराब छोड़ देता, तो शायद आज अपने पोते-पोतियों के साथ खेल रहा होता। अब सोचता हूं कि अगर वक्त पीछे जा पाता, तो सबसे पहले शराब छोड़ता और अपने घर रहता, लेकिन अब कुछ नहीं हो सकता। अब वो सिर्फ कल्पना है। देव सिंह के इन शब्दों में दर्द के साथ एक गहरा स्वीकार और पछतावा है। देव सिंह कहते हैं- मुझे अपनी बीवी की आवाज, बेटी की मुस्कान, बेटे का गुस्सा, सब याद आता है। कभी-कभी सोचता हूं, अगर मेरे घर से कोई मुझसे मिलने आ जाए, तो क्या वह पहचान पाएगा? शायद नहीं, लेकिन रोज सुबह उठकर यही सोचता हूं कि शायद आज कोई मिलने आएगा, पर कोई नहीं आता। बच्चे अपने में खुश हैं और मैं भी यहां खुश रहने की कोशिश करता हूं। अब यहां पर रहने वाले बाकी बुजुर्ग ही मेरा परिवार हैं। हां, यहां इस बात का सुकून है कि कोई किसी को तौलता नहीं क्योंकि सब अपने-अपने दर्द लेकर आए हैं। वृद्धाश्रम की खिड़की से बाहर झांकते हुए देव सिंह कहते हैं कि अब यही मेरा घर है, यही मेरा परिवार। अब यहीं आखिरी सांस लूंगा। अशोक शर्मा ने कहा- वृद्धाश्रम में आया तो लगा दोबारा जन्म मिला इसी वृद्धाश्रम के हलचल भरे हॉल में 71 साल के अशोक कुमार शर्मा बैठे हैं। उनके चेहरे पर सुकून है, लेकिन उन्हें पिछले 20 साल से कुछ दिखाई नहीं देता। बातचीत शुरू करने पर वह काफी धीमे स्वर में कहते हैं कि करीब 20 साल पहले मुझे दिखाई देना बंद हो गया। पहले धुंधला दिखता था, फिर धीरे-धीरे सब अंधेरा नजर आने लगा। घर पर कुछ कर नहीं पाता था। लोगों की बातों सुन-सुनकर ऐसा लगने लगा कि परिवार पर बोझ बन गया हूं। बस, फिर घर छोड़ने का फैसला कर लिया। मेरी जिंदगी को सबसे बड़ा झटका तब लगा, जब मेरी पत्नी की मौत हुई। उनको कैंसर था। उनके इलाज में मैंने अपनी सारी जमा-पूंजी लगा दी, लेकिन बचा नहीं सका। उसके बाद तो मेरा घर बिक गया। मेरी बची-खुची हिम्मत भी चली गई। मजबूरी में एक रिश्तेदार के घर जाकर रहने लगा, लेकिन वहां भी चैन नहीं मिला। वे लोग मुझे ठीक से खाना नहीं देते। कहते कि बुड्ढा अंधा हो गया है, अब यह किसी काम का नहीं। उनकी बातों के शर्म से घर पर दिनभर चुपचाप बैठा रहता। किसी से बात नहीं करता था। एक दिन बहुत तंग हुआ। तय किया कि अब वहां नहीं रहूंगा। उसके बाद एक दूसरे रिश्तेदार के घर गया। सोचा कि शायद वहां अपनापन मिलेगा, लेकिन जब वहां पहुंचा तो उन्होंने साफ कह दिया- ‘कहीं जाकर मर जाओ, हमारे यहां जगह नहीं है।’ उस वक्त लग गया कि अब दुनिया में मेरे लिए कोई जगह नहीं है। यह कहते हुए उनकी आवाज कांप जाती है। अशोक कहते हैं कि उस दिन बहुत दुख हुआ। वापस लौटते हुए रास्ते में बहुत रोया। एक सड़क पार कर रहा था। तभी एक महिला ने मेरा हाथ पकड़ लिया। बोलीं- भाई साहब, आपको दिखता नहीं क्या? इस तरह सड़क पार करोगे तो गाड़ी के नीचे आ जाओगे। मैंने कहा था- हां, मुझे दिखता नहीं। दिखता, तो शायद इस तरह न भटकता। उस महिला ने मेरी हालत देखकर किसी तरह सड़क पार कराया। उस दिन वापस फिर उसी अपने पुराने रिश्तेदार के घर लौट गया। बहुत परेशान था, लेकिन कुछ सूझ नहीं रहा था। एक दिन एक अनजान शख्स से मैंने मदद मांगी। उसने मुझे समझाया और द्वारका के इस वृद्धाश्रम तक पहुंचाया। जब यहां आया तो इतना अच्छा लगा, जैसे किसी ने मुझे दोबारा जन्म दिया हो। यहां के लोग मेरा ध्यान रखते हैं। समय पर खाना देते हैं। बीमार होने पर दवा दिलाते हैं। मेरे जैसे लोगों के लिए ये जगह किसी जन्नत से कम नहीं है। अब यहां रहते हुए मुझे आठ साल हो चुके हैं। रिश्तेदार के यहां लगता था कि मेरी तो दुनिया ही खत्म हो गई है। मेरा कोई बच्चा नहीं है। सोचता हूं अगर वह होता भी, तो क्या पता मेरा ख्याल रखता? यहां देव सिंह जी का शुक्रिया अदा करता हूं, जिन्होंने मुझे अपने साथ रहने के लिए जगह दी। साथ ही वो अनजान शख्स न मिला होता, तो शायद आज मैं जिंदा न होता। अशोक कुमार जब यह बातें कह रहे थे, तब तक वृद्धाश्रम की खिड़की से उनके चेहरे पर धूप पड़ने लगी थी। उन्हें भले ही आंखों से दिखाई नहीं देता था, पर चेहरे का सुकून ऐसा था, जैसे किसी अंधेरे कमरे में एक छोटी सी रोशनी जल उठी हो। मुकेश के भाई ने फर्जी साइन कराकर बैंक से पैसे निकाले वृद्धाश्रम के हॉल के एक किनारे 61 साल के मुकेश धीरे-धीरे चलते हुए दिखते हैं। उनके एक पैर में तकलीफ है। बातचीत शुरू होते ही बोल पड़ते हैं- 'मुझे किसी गैर ने नहीं, अपनों ने ही धोखा दिया।' मुकेश कहते हैं कि मैं कभी दो मकानों का मालिक था। एक मेरे नाम और दूसरा भाई के साथ साझा नाम पर था। मैंने शादी नहीं की। परिवार में हम दो भाई, तीन बहनें और उनके बच्चे रहते थे। हमेशा यही सोचता कि मेरा भाई मेरा सबसे बड़ा सहारा है। मेरे पैर में दिक्कत बढ़ने लगी। उस समय भाई ने अपने पास आकर रहने को कहा। कहा- ‘मेरे पास आ जाओ, तुम्हारा ऑपरेशन करा दूंगा।’ अपनेपन की वजह से मैंने हामी भर दी। सोचा कि अपना भाई है, बुरा नहीं चाहेगा। उसके घर रहने चला गया। पहले तीन महीने तो बहुत अच्छा रहा। ऐसा लगा कि अकेलापन खत्म हो गया है। लेकिन तीन महीने बाद चीजें बदलने लगीं। उसने मेरे साथ अजीब तरह की हरकतें करनी शुरू कर दी। एक दिन उसने मेरे खाने में कुछ मिला दिया। खाया तो बेहोश हो गया। जब होश आया तो देखा कि उसने मेरे पास दारू की बोतल, बीड़ी और सिगरेट रखे थे। मैंने पूछा कि ये सब क्या है? उसने कहा कि बस कभी-कभी थोड़ी पी लेता हूं, लेकिन बाद में पता चला कि दरअसल, वो बेहोश होने पर मेरी फोटो खींचता था। उसे मेरी बहन और जीजा को भेजता था। उन्हें फोटो भेजकर कहता था- ‘मुकेश बहुत नशे में डूबे हुए हैं!’ यही नहीं, बेहोश होने पर मेरे आस-पास कुछ दवाइयां रख देता था, ताकि मेरे रिश्तेदारों को लगे कि मैं बीमार हूं। इस तरह उसने धीरे-धीरे सभी रिश्तेदारों को मेरे खिलाफ कर दिया। एक साल में ही उसने मेरी छवि ऐसी बना दी कि रिश्तेदारों ने मुझसे बात करना बंद कर दिया। सबको यकीन हो गया कि मैं शराबी हूं, झगड़ालू हूं। कोई काम नहीं करता। यह बताते हुए मुकेश का दिल भारी हो जाता है। वह कहते हैं कि ये सब उसने मेरा पैसा हड़पने के लिए किया। मेरे नशे में होने पर फर्जी साइन कराकर मेरे सारे बैंक अकाउंट्स से पैसे निकाल लिए। जब मुझे पता चला तो उसने कहा- 'जहां जाना है जाओ, मेरे घर मत आना।' इस तरह भाई होकर भी उसने मुझे लूट लिया। फिर उसके घर से निकल गया। एक बहन पर भरोसा था। उसे फोन किया। उस दिन फोन मेरी भांजी ने उठाया। उसने सीधे कह दिया- मामा आज तो आपने फोन कर दिया, पर आगे से फोन मत करना। उस दिन लगा कि अब मेरा कोई नहीं। मैंने तय कर लिया और इस वृद्धाश्रम में आ गया। यहां आया तो लगा कि एकदम सही किया। कम से कम यहां कोई मेरा फायदा तो नहीं उठाता। यहां हम सब एक-दूसरे के अपने हैं। जो कुछ भी है, हम सबका है। मुकेश कहते हैं कि उन्हें अब सबसे ज्यादा डर लोगों पर भरोसा करने में लगता है। कोई भरोसा दिलाता है तो वही पुरानी बातें याद आ जाती हैं। इस वृद्धाश्रम को चलाने वाले 65 साल के देव गोस्वामी पेशे से एक बस ड्राइवर रहे हैं। वे कहते हैं कि जब वह बस चलाते थे, तो सड़क पर इस तरह के बेसहारा लोगों की हालत देखकर परेशान हो जाते थे। उनमें कोई भूखा, कोई कई दिनों से नहाया नहीं होता था। किसी के पास कपड़े नहीं, तो किसी के पास सिर छिपाने की जगह नहीं होती थी। एक दिन तय किया कि अब ऐसे लोगों की मदद करूंगा। 1990 में यह आश्रम खोला और बुजुर्गों की सेवा में लग गया। दिल्ली में अब तक मैंने तीन आश्रम बनवाए हैं। इनमें लगभग 400 लोग रहते हैं। जिन लोगों को उनका परिवार छोड़ देता है, हम उन्हें अपने परिवार का हिस्सा बनाते हैं। देव गोस्वामी लोगों से अपील करते हैं कि जो भी आपके परिवार का हिस्सा हो, उसे कभी घर से मत जाने दीजिए। आखिर जिन्होंने हमें पालकर बड़ा किया, उन्हें बुढ़ापे में अकेला छोड़ना कितनी गलत बात है। ---------------------- 1- ब्लैकबोर्ड- इलाज के बहाने डॉक्टर ने मुझे निर्वस्त्र किया:स्कूल में टीचर बैड टच करते, लड़के लंगड़ी बुलाते हैं; कहानी विकलांग लड़कियों की ‘मेरे पैर का ऑपरेशन हुआ था। पट्टियां हटने के बाद उसमें हल्का-हल्का दर्द हो रहा था। मैं डॉक्टर के पास गई थी। उस डॉक्टर ने मुझे कमरे में बुलाया और कहा, 'मैं आपकी मसाज थेरेपी करूंगा। उसने मुझे स्ट्रेचर पर लिटाया। कमरे की लाइट धुंधली कर दी और उसने मेरे सारे कपड़े उतार दिए। मुझे बहुत अजीब लगा। मैं घबराकर स्ट्रेचर से उठी और कपड़े पहनते हुए कमरे से बाहर निकल आई। घर पहुंचकर अपने कमरे में गई और बहुत रोई।’, राखी पांडे बताती हैं।- पूरी स्टोरी यहां पढ़ें 2- ब्लैकबोर्ड-पत्नी को लोग कोठेवाली समझते हैं:जीबी रोड का पता देख बच्चों को एडमिशन नहीं मिलता; दोस्त कहते हैं चलो तुम्हारे घर मौज करते हैं हलचल भरी दिल्ली में शाम ढलने लगी थी। मैं शहर के जीबी रोड पहुंची। इसे रेड लाइट एरिया भी कहा जाता है। यह इलाका सेक्स वर्क के लिए बदनाम है। दूर से ही सेक्स वर्कर्स के कोठे नजर आ रहे थे, जिनकी खिड़कियों से सजी-संवरी महिलाएं झांक रही थीं। एक-एक करके ग्राहक बाहर बनी सीढ़ियों से उन कोठों पर जा रहे थे। पूरी स्टोरी यहां पढ़ें
चीन का अमेरिका से आयातित वस्तुओं पर अतिरिक्त टैरिफ उपायों में समायोजन
चीनी राज्य परिषद टैरिफ आयोग ने अमेरिका से आयातित वस्तुओं पर अतिरिक्त टैरिफ उपायों में समायोजन के संबंध में एक घोषणा जारी की
इस्तांबुल में कल होगी अफगानिस्तान-पाकिस्तान के बीच अगले दौर की वार्ता
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच अगले दौर की वार्ता गुरुवार को इस्तांबुल में होगी। दोहा के बाद इस्तांबुल में हुई दूसरे दौर की वार्ता सफल नहीं रही थीं
Zohoran Mamdani: न्यूयॉर्क में ममदानी का आना क्या अमेरिका में कट्टरपंथियों की हुकूमत का ट्रेलर है?
New York Mayor: आज न्यूयॉर्क में 9/11 ट्रेंड कर रहा है. कारण वहां के नए मेयर हैं. जिस न्यूयॉर्क में 24 साल पहले एक इस्लामिक आतंकी ने सबसे विध्वंसक हमला किया था, जहां से इस्लामिक आतंकवाद का खौफ पूरी दुनिया में फैला, वही न्यूयॉर्क शहर अब एक ऐसे मुस्लिम मेयर के हाथ में आ गया है जिन्हें कट्टरपंथ का पर्याय माना जाता है.
Indian Trekker Dies:पिंटू मुखर्जी ने पहाड़ की ओर पांच घंटे चलने के बाद सीने में दर्द की शिकायत की थी. वह अपनी टीम के चार अन्य सदस्यों के साथ अन्नपूर्णा सर्किट रीजन में ट्रैकिंग करते हुए गिर पड़े.
Countries which have Atom Bomb:आरटी टीवी ने इस बेहद अहम बैठक का वीडियो भी एक्स पर पोस्ट किया है. इसमें रक्षा मंत्री आंद्रे बेलौसोव पुतिन को ब्रीफ करते सुने जा सकते हैं. वहीं, पुतिन ने कहा कि रूस ने अब तक कॉम्प्रिहेंसिव न्यूक्लियर टेस्ट बैन ट्रीटी (सीटीबीटी) के तहत अपनी सभी जिम्मेदारियों का कड़ाई से पालन किया है.
South Korea News in Hindi: उत्तर कोरिया और चीन से बढ़ते खतरों से निपटने के लिए दक्षिण कोरिया ने अपनी खुद की परमाणु पनडुब्बी तैयार करने का फैसला किया है. अमेरिका के सहयोग से वह यह पनडुब्बी खुद बनाना चाहता है.
Ghazala Hashmi News:शुरुआत से ही उन्होंने नतीजों में बढ़त बनाई हुई थी और वह रेडियो शो होस्ट और रिपब्लिकन उम्मीदवार जॉन रीड के आगे आसानी से जीत गईं. इससे पहले रिपब्लिकन विनसम अर्ल-सियर्स इस पद पर थे.
दो बार 'असफल', अब तीसरी वार्ता पर निगाहें; क्या इस बार काबुल देगा PAK को भरोसे का इशारा?
Pakistan Afghanistan Latest News: क्या पाकिस्तान और अफगानिस्तान में शांति होने वाली है. यह सवाल पाकिस्तानियों के मन में धुक-धुक की तरह गूंज रहा है. दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडल तीसरे दौर की शांति वार्ता के लिए तुर्की पहुंच गए हैं.
अमेरिका ने दिखाई ताकत, न्यूक्लियर मिसाइल 'Minuteman' टेस्ट कर रूस-चीन को दी वार्निंग!
US Missile Test News: दुनिया एक बार फिर न्यूक्लियर जंग की हवा महसूस कर रही है. रूस और चीन के साथ बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बीच, अमेरिका ने मिनिटमैन-III इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) का सफल परीक्षण किया है.
अब किस्मत से मिलेगा मशहूर हस्तियों के पास दफन होने का मौका, पेरिस में शुरू हुई कब्रों की लॉटरी
Famous Graves In Paris: पेरिस ने एक अनोखी लॉटरी शुरू की है, जिसमें पेरिसवासी दुनिया की मशहूर हस्तियों के बगल में अपनी कब्र पाने का मौका जीत सकते हैं. यह लॉटरी पेरिस के प्रसिद्ध कब्रिस्तानों में आयोजित की जाएगी जिनमें पेरे-लाचाइज, मोंटपर्नासे और मोंटमार्ट्रे शामिल हैं.
AI ने 3 दोस्तों को बनाया अरबपति! 22 साल की उम्र में तैयार की 88 हजार करोड़ की कंपनी..
Worlds Youngest Self Made Billionaires: जहां AI से लोग डर रहे हैं, वहीं कुछ लोगों के लिए AI वरदान साबित हुआ है. अमेरिका में तीन दोस्तों को AI ने बिलियनेयर बना दिया. ऐसे में इस खबर में हम आपको इन तीन दोस्तों की बताएंगे.
Airplane Accident News in Hindi: यूएस के लुइसविले में मंगलवार रात बड़ा प्लेन हादसा हुआ. इस घटना का वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसे देखकर लोग सिहर उठे हैं.
इस देश में ठंड नहीं किसी और वजह से बनती हैं बर्फ की चादरें, 8 पैर वाला जीव करता है ये काम
Spider Silk: सर्दियों के टाइम कहीं-कहीं पर बर्फबारी होती हैं तो कहीं पर बर्फ की चादरें बन जाती हैं. हालांकि एक देश ऐसा है जहां पर सर्दियों के बगैर भी बर्फ की चादरें बनती हैं. ये आलम जो कोई भी देखता है हैरान रह जाता है.
Zohran Mamdani Networth:जोहरान ममदानी युगांडा के विद्वान महमूद ममदानी और मशहूर भारतीय फिल्म निर्माता मीरा नायर के बेटे हैं. उनका जन्म 18 अक्टूबर 1991 को युगांडा के कंपाला में हुआ था. जोहरान का बचपन युगांडा से दक्षिण अफ्रीका और आखिर में न्यूयॉर्क शहर में बीता.
बेचैनी, उदासी और...इस देश ने 'अकेलापन' दूर करने की निकाली नई तरकीब, हजारों kM दूर से हो रहा ये काम
Hong Kong News: घर से दूर रहने की वजह से बहुत सारे लोग अपने माता-पिता की देखभाल नहीं कर पाते हैं. इससे निजात पाने के लिए हांगकांग में एक नई तरकीब निकाली गई है. जिसके जरिए लोगों को मुफ्त ग्रुप थेरेपी दी जा रही है.
US nuclear weapons testing can forever scar a nation:अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जबसे न्यूक्लियर टेस्टिंग फिर शुरू करने की बात की है, पूरी दुनिया में हाहाकार मचा है. ये कहना तो बहुत आसान है कि न्यूक्लियर टेस्टिंग करेंगे, लेकिन उसका परिणाम क्या होगा यह सिर्फ इस दुनिया मेंमार्शल द्वीपों के लोग ही बता सकते हैं, जहां पर अमेरिका ने 67 बम फोड़े थे. जानें ये इतिहास.

