अवामी लीग ने किया 'ढाका लॉकडाउन' का ऐलान, पुलिस बोली 'नियंत्रण में सब कुछ'
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग (एएल) ने ढाका लॉकडाउन का ऐलान किया है। गुरुवार को होने वाले संभावित बंद पर पुलिस प्रशासन की कड़ी नजर है
Droupadi Murmu Botswana Visit: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू बोत्सवाना पहुंच गई हैं.राजधानी गाबोरोन में औपचारिक स्वागत समारोह के साथ अपने ऐतिहासिक राजकीय दौरे की शुरुआत की.बोत्सवाना अफ्रीका के सबसे खुशहाल देशों में से है. बोत्सवाना का लगभग 70 फीसद हिस्सा कालाहारी रेगिस्तान से ढका हुआ है. चलिए जानते हैं यहां के इतिहास के बारे में.
भूटान के राजा वांगचुक ने दिल्ली धमाके में हुई जान-माल की हानि पर संवेदना व्यक्त की
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय भूटान यात्रा पर हैं। इसी क्रम में पीएम मोदी ने थिम्पू में भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक के साथ बातचीत की
ढाई महीने से आंखों में खुजली झेल रही महिला की पलकों पर 250 से ज्यादा जूं और 85 अंडे मिले. डॉक्टर्स ने इसे रेयर बीमारी ‘फ़्थिरियासिस पैल्पेब्रारम’ बताया. लेकिन जुएं पलकों तक कैसे पहुंचीं और इसका इलाज क्या है, जानने के लिए ऊपर दी गई इमेज पर क्लिक कर देखें वीडियो...
पिछले 30 दिनों में भारत की एजेंसियों ने आतंकी मॉड्यूल पर 7 बड़े वार किए। कोई इंजीनियर था, कोई मौलवी, तो कोई डॉक्टर। जम्मू-कश्मीर के एक पोस्टर से शुरू हुई यह कहानी फरीदाबाद के क्लिनिक तक पहुंची। करीब 2900 किलो विस्फोटक भी जब्त किया गया, लेकिन आखिरी अहम कड़ी तक पहुंचते, उससे पहले ही दिल्ली के लालकिले के करीब ब्लास्ट हो गया। भास्कर एक्सप्लेनर में इससे जुड़े 5 जरूरी सवालों के जवाब… सवाल-1: जांच एजेंसियों ने 1 महीने में कैसे रोके 7 बड़े आतंकी हमले? जवाब: बीते ठीक 1 महीने के अंदर सुरक्षा एजेंसियों ने देश भर में अलग-अलग 7 ठिकानों से संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार किया। इनके पास से भारी मात्रा में विस्फोटक और हथियार बरामद हुए… 1. 15 सितंबर: सहारनपुर से आतंकी गिरफ्तार 2. 9 अक्टूबर: पंजाब से दो आतंकी पकड़े गए 3. 17 अक्टूबर: जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े दो संदिग्ध गिरफ्तार 4. 24 अक्टूबर: दिल्ली से ISIS के 2 आतंकी पकड़े गए 5. 28 अक्टूबर: अल-कायदा से जुड़ा इंजीनियर 6. 7 नवंबर: टीटीपी से संबंध में एक मौलवी गिरफ्तार 7. 9 नवंबर: अहमदाबाद से ISIS के 3 आतंकी गिरफ्तार इनके अलावा जम्मू-कश्मीर में एक पोस्टर से सुरक्षा एजेंसियों को क्लू मिला, जिसके बाद उत्तर प्रदेश के लखनऊ तक तीन प्रमुख आतंकी पकड़े गए, जो पेशे से डॉक्टर्स थे। डॉक्टर्स का ये आतंकी मॉड्यूल पूरे देश में अमोनियम नाइट्रेट के बम से हमले को अंजाम देने की फिराक में था। सवाल-2: एक पोस्टर से कैसे पकड़ा गया डॉक्टर्स का आतंकी मॉड्यूल? जवाब: 10 नवंबर को दिल्ली में धमाके से पहले हरियाणा के फरीदाबाद में 360 किलो विस्फोटक मिलने से पहले जम्मू-कश्मीर के नौगांव में एक पोस्टर दिखाई दिया था, जिससे पूरी साजिश का खुलासा हुआ… जांच के मुताबिक ये मॉड्यूल 2021-22 में बनना शुरू हुआ था। शुरुआत में एक हाशिम नाम का व्यक्ति लोगों को इकट्ठा कर रहा था। उसके बाद कश्मीर घाटी में डॉ. उमर ने मॉड्यूल को लीड किया। इस मॉड्यूल का मकसद IED बनाना और देश भर में आतंकी हमले करना था। ये लोग लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और अंसर गजवात-उल-हिंद (AGuH) जैसे आतंकी संगठनों से जुड़कर अपनी खुद की एक तंजीम यानी आतंकी संगठन भी बनाना चाह रहे थे। आदिल की गिरफ्तारी के बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस ने हरियाणा के फरीदाबाद से उत्तर प्रदेश के लखनऊ तक 15 दिन अभियान चलाकर 2900 किलो विस्फोटक (संदिग्ध अमोनियम नाइट्रेट) जब्त किया। सवाल-3: अगर 2900 किलो विस्फोटक फटता तो कितनी तबाही होती? जवाब: 2900 किलो अमोनियम नाइट्रेट का बम 2.3 टन के TNT बम के बराबर धमाका करेगा। अगर आतंकी इतने बारूद को एक साथ किसी जगह पर ब्लास्ट कर देते, तो 50 मीटर का इलाका पूरी तरह नष्ट हो जाता। अगर भीड़-भाड़ वाले इलाके में धमाका होता, तो सैकड़ों लोगों की जान जा सकती थी। इतने दायरे में 14,400 किमी/घंटा की स्पीड वाली तरंगें लोगों के फेफड़े फाड़ देतीं। इतने विस्फोटक से 150 मीटर तक के दायरे में इमारतों की दीवारें ढह सकती हैं। करीब 400 मीटर इमारतों में लगे कांच टूट सकते हैं और करीब 800 मीटर तक तेज कंपन महसूस हो सकता है। 1995 में अमेरिका के ओक्लाहोमा सिटी में करीब 1800 किलो अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल किया गया था। इसमें 168 लोगों की जान गई थी और 600 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। अगर आतंकियों के इकट्ठा किए हुए 2900 किलो अमोनियम नाइट्रेट में एक साथ विस्फोट होता, तो ओक्लाहोमा बॉम्बिंग से दोगुना बड़ा हादसा होता। सवाल-4: दिल्ली ब्लास्ट रोकने में चूक कैसे हो गई? जवाब: अभी तक इसे लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन विपक्षी नेता और जानकार कई लेवल की चूक बता रहे हैं… 1. कई बार बिकी ब्लास्ट वाली कार, चालान भी कटा लाल किले के पास जिस कार में ब्लास्ट हुआ, वह हरियाणा नंबर की i20 थी। कार हरियाणा के गुरुग्राम में सलमान के नाम पर रजिस्टर्ड थी। सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक ये कार बार-बार बेची गई। इसकी RC पर नाम मोहम्मद सलमान और तारीख 18 मार्च 2014 लिखी है। इससे पहले ये कार साउथ कश्मीर के पुलवामा के समबोरा गांव में रहने वाले तारिक को बेची गई थी। एक फोटो सामने आई है, जिसमें कार के साथ एक शख्स दिखाई दे रहा है। इसके तारिक होने का दावा किया जा रहा है। फरीदाबाद के तिकोना पार्क में 20 सितंबर, 2025 को गलत जगह पार्किंग करने पर इस कार का 1500 रुपए का चालान कटा था। ये जगह डॉ. मुजम्मिल शकील के घर से सिर्फ 25 किमी दूर है। इस बीच कार सवार पकड़े जाने से बचते रहे और विस्फोटक दिल्ली तक पहुंच गया। 2. भारी मात्रा में विस्फोटक इकट्ठा होता रहा हरियाणा में मौलवी के घर से 2500 किलो विस्फोटक बरामद हुआ। कुल विस्फोटक कितना था और किन रास्तों से इकट्ठा किया गया, इसकी पूरी छानबीन नहीं हो पाई है। अमोनियम नाइट्रेट जैसे खतरनाक केमिकल को बिना लाइसेंस नहीं खरीदा जा सकता। इसके बावजूद आतंकी भारी मात्रा में इसे इकट्ठा करते रहे। हाई अलर्ट के बावजूद विस्फोटक की पूरी खेप पकड़ी नहीं जा सकी और दिल्ली तक विस्फोटक पहुंच गया। हालांकि अभी साफ नहीं है कि दिल्ली जैसे हाई-सिक्योरिटी वाले इलाके में जो विस्फोटक पहुंचा, उसका सोर्स फरीदाबाद मॉड्यूल से है या नहीं, जहां से 360 किलो अमोनियम नाइट्रेट जब्त किया गया था। 3. तीन घंटे कार पार्किंग में रही, कार चला रहा उमर नहीं पकड़ा गया पुलिस के मुताबिक कार में बैठे शख्स का नाम डॉ. मोहम्मद उमर नबी है। वह पुलवामा का रहने वाला है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक उमर ने विस्फोटकों के साथ खुद को उड़ा लिया। सीसीटीवी फुटेज के मुताबिक, कार लाल किले के पास सुनहरी मस्जिद पार्किंग में तीन घंटे रुकी। कई फुटेज खंगाले गए, लेकिन अभी तक चेकिंग से जुड़ा कोई सुराग नहीं मिला है। कहा जा रहा है कि उमर ही धमाके के समय मास्क पहने कार में सवार था। जिसे समय रहते पकड़ा नहीं जा सका। सवाल-5: अभी किन सवालों के जवाब मिलने बाकी हैं? जवाब: दिल्ली ब्लास्ट से जुड़े 6 सवालों के जवाब मिलने अभी बाकी हैं… 1. कौन सा और कितना विस्फोटक इस्तेमाल हुआ: शुरुआती फोरेंसिक जांच से पता चला है कि अमोनियम नाइट्रेट फ्यूल ऑयल (ANFO) के विस्फोटक का इस्तेमाल हुआ, इसका फरीदाबाद में पकड़े गए विस्फोटक से कनेक्शन बताया जा रहा है, लेकिन अभी तक इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। 2. क्या कार में डॉ. उमर के साथ कोई और भी था: माना जा रहा है कि फरीदाबाद मॉड्यूल खुलासे के बाद उमर ने पकड़े जाने के डर से घबरा कर विस्फोट कर दिया। हालांकि अभी डीएनए टेस्ट से इसकी पुष्टि होनी बाकी है। उसके परिवार के 6 सदस्यों को पुलवामा से हिरासत में लिया गया है। 3. हाई-सिक्योरिटी जोन में कार कैसे पहुंची: कार बदरपुर बॉर्डर से फरीदाबाद होते हुए दिल्ली में घुसी, लाल किले तक दो-तीन घंटे रुक-रुक कर चली, लेकिन बिना किसी चेकिंग के कार हाई-सिक्योरिटी चेकपॉइंट्स को पार करते हुए पार्किंग तक पहुंच गई। 4. पार्किंग में तीन घंटे गाड़ी क्यों खड़ी रही: सीसीटीवी फुटेज के आधार पर कहा जा रहा है कि धमाके से पहले डॉ. उमर पार्किंग में कार के अंदर ही बैठा रहा। संदिग्ध या तो किसी का इंतजार कर रहा था या किसी के ऑर्डर का इंतजार कर रहा था। 5. धमाके के पीछे की वजह क्या: लाल किला सोमवार को बंद रहता है, इसलिए भीड़ कम होने पर अंदर घुसना मुश्किल था, लेकिन नेहरू सुभाष मार्ग की रेड लाइट के पास का इलाका चुनने से आतंकियों का मकसद साफ है कि वह ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाना चाहते थे। हालांकि अभी ये पुष्टि नहीं हुई है कि लाल किले जैसी ऐतिहासिक जगह को निशाना बनाने का मकसद कोई विदेशी साजिश है या दिल्ली में दहशत फैलाकर कोई राजनीतिक संदेश देने की कोशिश है। 6. क्या यह आतंकी हमला था: अभी तक किसी आतंकी संगठन ने इसकी जिम्मेदारी नहीं ली है। हमले के पीछे जैश-ए-मोहम्मद का हाथ माना जा रहा है। हालांकि जैश का लिंक संदिग्ध है, क्योंकि जैश पुलवामा जैसे IED हमलों का पैटर्न फॉलो करता है, जिनमें ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाने के लिए विस्फोटक में छर्रे और कीलें मिलाई जाती हैं। जबकि दिल्ली के पुलिस कमिश्नर सतीश गोलचा के मुताबिक, घायलों के शरीर पर पैलेट या छेद के निशान नहीं मिले हैं। ये बम धमाकों में असामान्य है। सभी एंगल से जांच की जा रही है। **** रिसर्च सहयोग: किशन कुमार ---- ये खबर भी पढ़िए... क्या खाद बनाने वाले केमिकल से किया दिल्ली ब्लास्ट:क्या होता है अमोनियम नाइट्रेट फ्यूल ऑयल, ये आसानी से पकड़ में क्यों नहीं आता 10 नवंबर को दिल्ली में लाल किले के पास हुए 'बम धमाके' में ANFO यानी अमोनियम नाइट्रेट फ्यूल ऑयल का इस्तेमाल किया गया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सूत्रों ने जांच की शुरुआती रिपोर्ट के हवाले से ये जानकारी दी है। ANFO में विस्फोट करने के लिए डेटोनेटर को मैन्युअली ट्रिगर किया गया। पूरी खबर पढ़िए...
दिल्ली में लाल किले के पास कार में हुए ब्लास्ट के तार पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर तक पहुंच रहे हैं। भारत में आतंकी हमलों के लिए 3-4 महीनों से साजिश रची जा रही थी। इसके पीछे आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा शामिल थे। खुफिया एजेंसियों को इसके संकेत PoK में आतंकियों के इंटरसेप्ट कम्युनिकेशन से मिले हैं। जांच एजेंसियों को पता चला है जैश-ए-मोहम्मद की महिला विंग अक्टूबर से भारत में एक्टिव हो गई थी। इनका मकसद लड़कियों का ब्रेनवॉश करना था। फरीदाबाद से अरेस्ट किए गए तीन डॉक्टर इसी मॉड्यूल का हिस्सा थे। इस मॉड्यूल का दिल्ली ब्लास्ट से लिंक होने के सबूत मिल रहे हैं। सुरक्षा एजेंसियां इन सबूतों को वेरिफाई कर रही हैं। दैनिक भास्कर के सोर्स बताते हैं कि फरीदाबाद में भारी मात्रा में मिले विस्फोटक से साफ है कि दिल्ली के आसपास बड़े हमले की साजिश थी। इससे जुड़े इनपुट मिलने के बाद खुफिया एजेंसियों ने PoK में चल रही एक्टिविटी को इंटरसेप्ट किया। आखिर पुलिस इस नेटवर्क तक पहुंच गई। इसकी शुरुआत कश्मीर के नौगाम से हुई। इसी दौरान पुलिस मौलवी इरफान अहमद तक भी पहुंची, जिसने डॉक्टरों को ब्रेनवॉश किया था। सुरक्षा एजेंसियों को पता चला है कि आतंकी संगठन भारत में पुराने नेटवर्क को PoK से एक्टिव करने की कोशिश कर रहे हैं। PoK में आतंकियों की मीटिंग, तीन बातों पर फोकससोर्स बताते हैं कि अगस्त से अक्टूबर के बीच PoK में आतंकियों के अलग-अलग गुटों की हाई लेवल मीटिंग हुई थी। इसमें जमात-ए-इस्लामी के अलावा ISI के सीनियर अफसर शामिल थे। इनकी बातचीत को भारत की खुफिया एजेंसियों ने इंटरसेप्ट किया था। इन मीटिंग में 3 बड़ी बातें हुई थीं। 1. भारत में एक्टिव रहे आतंकी ग्रुप पिछले कुछ साल में निष्क्रिय हो गए हैं। इसकी वजह फंडिंग की कमी और कमांड न मिलना है। ऐसे ग्रुप को फंडिंग करके दोबारा एक्टिव करना। 2. आतंकी कैंपों में ट्रेनिंग ले चुके पूर्व कमांडरों को फिर से काम पर लगाना। उन्हें ट्रेनिंग के दौरान पैसे मिलते थे। इसके बाद भी हर महीने वजीफा दिया जाता था। इसे फिर से शुरू करना। 3. भारत में स्लीपर सेल को एक्टिव करना। फिदायीन हमले के लिए भारत के लोगों का ब्रेनवॉश करना। डॉक्टर मॉड्यूल पुराना, दोबारा एक्टिव होने का शकसोर्स बताते हैं कि PoK में हुई मीटिंग के बाद पुराने स्लीपर सेल को एक्टिव किया गया। शक है कि फरीदाबाद की अलफलाह मेडिकल यूनिवर्सिटी से पकड़े गए डॉ. मुजम्मिल और उसकी दोस्त डॉ. शाहीन भी पुराने नेटवर्क से जुड़े हैं। डॉ. उमर और डॉ. आदिल भी इसी नेटवर्क से जुड़े थे। उन्हें पिछले कुछ महीनों से एक्टिव कर दिया गया। उसके बाद ही वे अलग-अलग जगहों से विस्फोटक जमा कर रहे थे। डॉ. शाहीन जैश-ए-मोहम्मद की महिला विंग जमात उल मोमिनीन का काम संभाल रही थी। उसके पास लड़कियों का ब्रेनवॉश कर नेटवर्क में शामिल करने की जिम्मेदारी थी। डॉक्टर मॉड्यूल के अहम किरदार आदिल मोहम्मद कश्मीर के कुलगाम का रहने वाला है। अनंतनाग के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में सीनियर डॉक्टर रहा है। वो 24 अक्टूबर तक पोस्टेड रहा। फिर गायब हो गया। पुलिस के मुताबिक, उसने 27 अक्टूबर को श्रीनगर में जैश-ए-मोहम्मद के पोस्टर लगाए थे। इस पोस्टर से जम्मू-कश्मीर पुलिस को जैश-ए-मोहम्मद के एक्टिव होने का पता चला। इसके बाद पुलिस ने CCTV से सुराग तलाशा। आदिल की पहचान हो गई। उसे ट्रेस करते हुए जम्मू-कश्मीर पुलिस ने 6 नवंबर को यूपी के सहारनपुर से आदिल को अरेस्ट किया। फोन डिटेल्स और पूछताछ से डॉ. मुजम्मिल शकील का सुराग मिला। सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक, पुलवामा के कोइल गांव का रहने वाला डॉ. मुजम्मिल शकील जैश-ए-मोहम्मद नेटवर्क का हिस्सा है। आदिल से सुराग मिलने पर पुलिस ने उसे फरीदाबाद में ट्रेस किया। इसके बाद फरीदाबाद और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने उसे अरेस्ट कर लिया। सोर्स बताते हैं कि डॉ. मुजम्मिल शकील के पास से फेस मास्क और 4 विग मिले थे। अंदेशा है कि वो पहचान छिपाने के लिए इनका इस्तेमाल करता था। शकील ने अलफलाह मेडिकल यूनिवर्सिटी के पास दो जगह किराए पर कमरा लिया था। यहां से 360 किलो विस्फोटक, असॉल्ट राइफलें और वॉकी-टॉकी मिला था। दूसरे कमरे से अमोनियम नाइट्रेट बरामद किया गया। पूछताछ और सर्विलांस की मदद से पुलिस को डॉ. शाहीन और डॉ. उमर के बारे में पता चला। इसके बाद डॉ. शाहीन को अरेस्ट किया गया। डॉ. उमर को इसकी भनक लग गई थी। इसलिए वो अपने पास रखा विस्फोटक लेकर गायब हो गया था। लखनऊ से ताल्लुक रखने वाली डॉ. शाहीन भारत में जैश-ए-मोहम्मद की महिला विंग को लीड कर रही थी। उसने प्रयागराज के मेडिकल कॉलेज से पढ़ाई की है। शाहीन को आतंकी मसूद अजहर की बहन सादिया अजहर ने भारत में महिला विंग जमात-उल-मोमिनात की जिम्मेदारी दी थी। ये लड़कियों का ब्रेनवॉश कर उन्हें टास्क देती थी। उसके संपर्क में कौन-कौन था, इसकी जानकारी जुटाई जा रही है। डॉ. शाहीन तीन भाई-बहनों में दूसरे नंबर पर है। उससे छोटा भाई परवेज है। जांच एजेंसियां परवेज को भी तलाश रही हैं। डॉ. शाहीन की शादी महाराष्ट्र के रहने वाले जफर हयात से हुई थी। दोनों का तलाक हो गया। इसके बाद डॉ. शाहीन कानपुर में पढ़ाती रही। फिर नौकरी छोड़ फरीदाबाद चली गई। यहीं वो डॉ. मुजम्मिल से मिली। फरीदाबाद की अलफलाह यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाला डॉ. उमर कश्मीर के पुलवामा का रहने वाला है। दिल्ली में ब्लास्ट वाली कार उमर ही चला रहा था। उसके मारे जाने की खबर है। DNA जांच से ही उसकी मौत की पुष्टि हो सकेगी। हालांकि, सुरक्षा एजेंसियां अब तक इसे आत्मघाती हमला नहीं मान रही हैं। उमर ने जनवरी 2017 में श्रीनगर से MBBS किया था। जम्मू में 7 मार्च 2018 को डॉक्टर का रजिस्ट्रेशन कराया। पिछले डेढ़ साल से अलफलाह यूनिवर्सिटी में पढ़ा रहा था। वो डॉ. सज्जाद के कॉन्टैक्ट में था। डॉ. सज्जाद जम्मू-कश्मीर पुलिस की हिरासत में है। उसे पुलवामा से पकड़ा गया है। कौन है ब्रेनवॉश करने वाला मौलवी इरफान अहमदसोर्स बताते हैं कि फरीदाबाद मॉड्यूल में शामिल सभी डॉक्टरों को मौलवी इरफान अहमद ने कट्टरपंथी बनाया था। वह श्रीनगर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में काम करता था और सभी स्टूडेंट के संपर्क में था। इरफान नौगाम मस्जिद का इमाम भी था। सोर्स के मुताबिक, इरफान जैश-ए-मोहम्मद से प्रभावित था। स्टूडेंट्स को वीडियो दिखाता था। उसके अफगानिस्तान में कॉन्टैक्ट थे। वॉयस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल के जरिए वो वहां बात करता था। इरफान ही इस मॉड्यूल का मास्टरमाइंड है। डॉ. मुजम्मिल और डॉ. उमर उसके काम में शामिल थे। शाहीन ने सिर्फ मदद की। मौलवी इरफान अहमद ने टेलीग्राम और थ्रीमा पर अकाउंट बनाए हुए थे। इनके जरिए वो जैश-ए-मोहम्मद के लिए प्रोपेगैंडा फैलाता था। एक पोस्टर से मिला हिंट, पूरे नेटवर्क तक पहुंची पुलिस 27 अक्टूबर को श्रीनगर के नौगाम में आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के समर्थन वाले पोस्टर मिले थे। इस मामले में तीन लोगों को अरेस्ट किया गया। ये कभी श्रीनगर में पत्थरबाजी में शामिल रहे थे। उन्होंने पुलिस को मौलवी इरफान अहमद तक पहुंचाया। मौलवी से मिली जानकारी के आधार पर पुलिस ने डॉ. आदिल और जमीर अहनगर को गिरफ्तार किया। दोनों इरफान के साथ काम करते थे। उनसे पूछताछ के आधार पर जम्मू-कश्मीर पुलिस ने डॉ. मुजम्मिल शकील का पता लगाया। मुजम्मिल फरीदाबाद के धौज में अलफलाह यूनिवर्सिटी में काम करता था। मौलवी का संबंध डॉ. उमर से भी था, जिसे दिल्ली ब्लास्ट के लिए जिम्मेदार माना जा रहा है। फरीदाबाद मॉड्यूल का पर्दाफाश होने के बाद उसने घबराहट में यह हमला किया। अलफलाह यूनिवर्सिटी में एंट्री बैन, 12 हिरासत में10 नवंबर की शाम दिल्ली में हुए बम धमाके के एक दिन बाद जांच एजेंसियों का फोकस फरीदाबाद की अलफलाह यूनिवर्सिटी पर आ गया। 11 नवंबर को दिन भर यूनिवर्सिटी कैंपस में दिल्ली और हरियाणा पुलिस की टीमें सर्च ऑपरेशन करती रहीं। कैंपस में पढ़ने वालों से भी पूछताछ की। पुलिस के मुताबिक, यहां के तीन डॉक्टरों के नाम टेरर मॉड्यूल में सामने आए हैं। मुजम्मिल अहमद गनाई, आदिल मजीद राथर और उमर नबी सीनियर रेसिडेंट डॉक्टर थे और यूनिवर्सिटी में नौकरी करते थे। फिलहाल अलफलाह यूनिवर्सिटी कैंपस के अंदर एंट्री बैन है। यूनिवर्सिटी के गेट सिर्फ पुलिस की गाड़ियों के लिए ही खोले जा रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक पुलिस ने मुजम्मिल और उमर को जानने वालों से पूछताछ की है और करीब 14 लोगों को हिरासत में लिया है। इनमें ज्यादातर जूनियर डॉक्टर बताए जा रहे हैं। अल फलाह यूनिवर्सिटी में करीब 40% डॉक्टर कश्मीर के हैं। पुलिस की कार्रवाई से यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट भी डरे हुए हैं। मीडिया से बात नहीं करना चाहते। सेकेंड ईयर में पढ़ रहे एक स्टूडेंट ने नाम न जाहिर करते हुए बताया कि डॉ. मुजम्मिल मेरी क्लास में पढ़ाने आते थे। कभी ऐसा नहीं लगा कि वो ये सब करते थे। हमारे लिए ये चौंकाने वाली बात है।’ मुजम्मिल के गांव में पुलिस तैनातअलफलाह यूनिवर्सिटी के पास ही दो गांव फतेहपुर तगा और धौज हैं। दोनों जगह मुजम्मिल ने किराए पर कमरे लिए थे। हरियाणा और जम्मू कश्मीर पुलिस ने 8 नवंबर को एक असाल्ट राइफल, 3 मैगजीन, 83 कारतूस, एक पिस्टल, बरामद की थी। 9 नवंबर को पुलिस की टीमें धौज पहुंची। यहां मुजम्मिल के कमरे से 360 किलो विस्फोटक मिला था।। 10 नवंबर को फिर से दोनों राज्यों की पुलिस फतेहपुर तगा पहुंची। यहां से 2563 किलो विस्फोटक बरामद किया। दैनिक भास्कर की टीम फतेहपुर तगा गांव पहुंची। गांव में पुलिस तैनात है। विस्फोटक मिलने वाली जगह तक किसी को नहीं जाने दे रही है। यहां हम मोहम्मद आसिम से मिले। आसिम बताते हैं, जिस घर से विस्फोटक मिला है, वो अक्सर खाली रहता था। वहां रहने वाले मुजम्मिल यूनिवर्सिटी में डॉक्टर थे। इलाज के सिलसिले में मेरी उनसे 2-3 बार मुलाकात हुई है। ‘डॉ. मुजम्मिल ने बेटी का इलाज किया, नॉर्मल आदमी लगा’मोहम्मद सिराज धौज गांव के रहने वाले हैं। सिराज याद करते हैं, ‘एक बार मेरी बेटी को पेट में दर्द हुआ था। तब इमरजेंसी में डॉ. मुजम्मिल थे। उन्होंने 2-3 घंटे तक इलाज किया। मुझे तब उसका नाम पता नहीं था। मैंने फोटो देखी तो डॉ. मुजम्मिल को पहचान गया। उसका व्यवहार सामान्य लगा था।’ डॉ. उमर डेढ़ साल पहले फरीदाबाद आया, भाभी बोली- हमेशा पढ़ता रहता था दैनिक भास्कर ने पुलवामा में डॉ. उमर के परिवार में बात की। उमर की भाभी मुजम्मिला ने बताया कि वो करीब डेढ़ साल पहले फरीदाबाद गया था। वो हमेशा पढ़ता रहता था। वो फरीदाबाद में पढ़ाता था। हमें बोलता था कि दिल्ली में रहता हूं। ये नहीं बताया कि मैं फरीदाबाद में रहता है।’ दिल्ली ब्लास्ट में बिहार के पंकज की मौतलाल किले के पास हुए ब्लास्ट में 12 मौतें हुई हैं। मरने वालों में बिहार के समस्तीपुर के रहने वाले पंकज कुमार सहनी भी हैं। 22 साल के पंकज कैब चलाते थे। 10 नवंबर को पंकज कैब लेकर चांदनी चौक रेलवे स्टेशन गए थे। उसके बाद लाल किले की तरफ चले गए। पंकज का परिवार 30 साल से दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर के पास कंझावला के उपकार विहार में रह रहा है। 2 कमरों के मकान में 5 लोग रहते हैं। इनमें पंकज की मां, पिता, दो छोटी बहनें और एक भाई हैं। पंकज के पिता राम बालक सहनी भी पहले कैब चलाते थे। उन्होंने अस्थमा की वजह से काम छोड़ दिया था। राम बालक बताते हैं, ‘मैं गाड़ी नहीं चला पाता। पंकज की नौकरी गई तो मैंने उससे कहा कि गाड़ी चला ले। उसी से हमारा घर चल रहा था। वो उस दिन पड़ोस के एक परिवार को लेकर पुरानी दिल्ली गया था। वापसी की सवारी मिल गई होगी, इसलिए लाल किला चला गया।' 'हमें ब्लास्ट के बारे में रात 9 बजे पता चला। हम उसे कॉल करते रहे, लेकिन फोन ऑफ आया। हमें लगा कि उसके साथ कुछ गलत हुआ है। हम लाल किला की तरफ गए। वहां सब बंद था। पुलिस से मदद मांगी तो उन्होंने थाने भेज दिया। पुलिस वाले ने नाम और नंबर लेकर बोल दिया कि सुबह आना।’ राम बालक आगे बताते हैं, ‘हम LNJP हॉस्पिटल चले गए। वहां कोई अंदर नहीं जाने दे रहा था। फिर एक व्यक्ति ने पंकज की जली गाड़ी दिखाई। उसका नंबर दिख रहा था। मुझ लग गया कि पंकज अब दुनिया में नहीं है। पूरी रात इधर-उधर भागने के बाद सुबह साढ़े चार बजे पता चला कि पंकज नहीं रहा।’ ब्लास्ट में घायल हुए, लेकिन लिस्ट में नाम नहींLNJP हॉस्पिटल के बाहर हमें विजय यादव मिले। बिहार के सहरसा जिले के रहने वाले हैं। लाल किले के पास पानी बेचते हैं। ब्लास्ट हुआ, तब वे उसी जगह मौजूद थे। ब्लास्ट से घायल हो गए, लेकिन उनका नाम घायलों की लिस्ट में नहीं है। विजय के सिर, बाएं हाथ और चेहरे पर पट्टी लगी है। वे कहते हैं, ‘मैं ब्लास्ट वाली जगह से 10 कदम दूर था। मुझे भी हैरानी है कि मैं कैसे बच गया। बहुत तेज ब्लास्ट था। हर तरफ सिर्फ धुआं था। मैं जमीन पर गिर गया। उठा तो देखा दो लोग तड़प रहे थे। मेरी ऐसी हालत नहीं थी कि उनकी मदद करूं। मेरा हाथ काम नहीं कर रहा था।’ ब्लास्ट में घायल राम प्रसाद लाल किले के पास छोले-कुल्चे की दुकान लगाते हैं। वे ब्लास्ट वाली जगह से 10-15 कदम दूर थे। उनके दोनों हाथों में चोट लगी हैं। घायल होने के बाद उन्होंने प्राइवेट क्लीनिक में मरहम पट्टी करवाई। राम कहते हैं, ‘ब्लास्ट के बाद कोई चीज मेरे हाथों से टकराई। रात में ही मैंने पट्टी करवा ली। अभी इलाज के लिए यहां आया, तो मुझे अंदर नहीं जाने दे रहे हैं। कह रहे हैं कि इमरजेंसी में वही लोग आएंगे, जो ज्यादा घायल हैं। हमारी एंट्री नहीं होगी। प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज करवाने जा रहा हूं, और क्या करूंगा।’ स्टोरी में सहयोग: पुलवामा से रऊफ डार
तुर्की वायुसेना का कार्गो विमान जॉर्जिया में क्रैश
तुर्की वायुसेना का मालवाहक विमान जॉर्जिया में दुर्घटना का शिकार हो गया। राष्ट्रीय रक्षा मंत्रालय ने मंगलवार को बताया कि अजरबैजान से वापस तुर्की लौट रहा एयर फोर्स का सी-130 मिलिट्री कार्गो विमान जॉर्जिया में दुर्घटना का शिकार हो गया
क्या बांग्लादेश में फिर भड़केगी हिंसा? शेख हसीना की पार्टी ने किया 'Dhaka Lockdown' का ऐलान
Dhaka Lockdown:बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग ने ढाका में लॉकडाउन का ऐलान किया है. पुलिस और सुरक्षा बलों ने गश्ती बढ़ा दी है और महत्वपूर्ण सरकारी इमारतों की सुरक्षा कड़ी कर दी गई है. गृह मामलों के सलाहकार जहांगीर आलम चौधरी ने कहा कि अंतरिम सरकार को एएल के कार्यक्रम को लेकर कोई डर नहीं है.
Turkiye Plane Crash:मंत्रालय ने बताया कि जॉर्जियाई अधिकारियों के साथ मिलकर जांच और रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिए गए हैं. यह साफ नहीं है कि एयरक्राफ्ट में कितने क्रू मेंबर सवार थे. हालांकि कुछ स्थानीय मीडिया क्रू मेंबर्स की संख्या 20 बता रहे हैं.
Countries Which have Monarch Rule:कई देशों में आज भी राजाओं का राज है. सऊदी अरब के किंग से लेकर वेटिकन सिटी के पोप तक ये लोग ही तमाम बड़े फैसले लेते हैं. चलिए आपको उन देशों के बारे में बताते हैं, जहां आज भी राजाओं का ही राज है.
दुनिया का वो इकलौता देश, जहां सेलिब्रेट नहीं होता बर्थडे! ज्यादातर को याद नहीं जन्म की तारीख
Shocking News: क्या आप जानते हैं कि दुनिया में ऐसा भी देश है जहां के लोग अपना जन्मदिन ही नहीं जानते हैं. चलिए जानते हैं ऐसा क्यों है और यहां के लोग बर्थडे सेलिब्रेट कैसे करते हैं.
नाटो से तनाव के बीच रूस के पक्के दोस्त का अजीब दांव! पुतिन की मिसाइल लेने से क्यों किया इनकार
Burevestnik nuclear missiles: अलेक्जेंडर ने साफ किया कि बेलारूस को दूसरे परमाणु हथियार ओरेशनिक तो मिल गए हैं लेकिन उसे परमाणु से चलने वाले शक्तिशाली बुरेवेस्टेनिक या पोसाइडन की जरूरत नहीं है.
US Shutdown पर ब्रेक की उम्मीद, सीनेट से मिली हरी झंडी; बुधवार को होगा फुल एंड फाइनल
US Shutdown:अमेरिका की सीनेट ने सोमवार को देश में अब तक के सबसे लंबे सरकारी शटडाउन को समाप्त करने के लिए एक समझौते को मंजूरी दे दी. सीनेट में हुए मतदान में 60 सांसदों ने समर्थन और 40 ने विरोध में वोट दिया. इस समझौते के तहत संघीय एजेंसियों के लिए धनराशि बहाल की जाएगी, जिससे लाखों अमेरिकियों को राहत मिलने की उम्मीद है.
दुनिया के किसी भी हिस्से में तबाही मचा सकती है ये मिसाइल! जानें किन देशों के पास है ये क्षमता
Top Intercontinental Missiles: किसी भी देश की ताकत सिर्फ बड़ी इकोनॉमी और सेना से नहीं, बल्कि डिफेंस सिस्टम से लेकर मिसाइलों की रेंज और आधुनिकता से मापी जाती है. आइए जानते हैं किन देशों के पास बेहतरीन और लंबी दूरी की मिसाइल हैं.
10 नवंबर को दिल्ली में लाल किले के पास हुए 'बम धमाके' में ANFO यानी अमोनियम नाइट्रेट फ्यूल ऑयल का इस्तेमाल किया गया। मीडिया रिपोर्ट्स में सूत्रों ने जांच की शुरुआती रिपोर्ट के हवाले से ये जानकारी दी है। ANFO में विस्फोट करने के लिए डेटोनेटर को मैन्युअली ट्रिगर किया गया। आधिकारिक जानकारी के मुताबिक, इस धमाके में 9 लोग मारे गए और 20 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। क्या है ANFO, इससे भयंकर विस्फोट कैसे होता है, दिल्ली में कितना ANFO इस्तेमाल हुआ, जानेंगे भास्कर एक्सप्लेनर में... सवाल-1: अमोनियम नाइट्रेट से खतरनाक ANFO कैसे बनता है? जवाब: अमोनियम नाइट्रेट यानी AN का केमिकल फॉर्मूला NH4NO3 है। ये एक गंधहीन, सफेद दानेदार केमिकल होता है। जर्मन केमिस्ट जोहन रुडॉल्फ ग्लॉबर ने 17वीं सदी में इसे सबसे पहले तैयार किया था। सिंथेटिक अमोनियम नाइट्रेट बनाने के लिए अमोनिया और नाइट्रिक एसिड का रिएक्शन करवाया जाता है। 20वीं सदी में इसका औद्योगिक स्तर पर उत्पादन होने लगा। आज दुनियाभर के कई देशों में इंडस्ट्रियल यूज के लिए इसे बनाया जाता है। चोट वगैरह लगने पर सिंकाई के काम में आने वाले इंस्टेंट आइस पैक, केमिकल इंडस्ट्री और सबसे ज्यादा फर्टिलाइजर यानी खाद बनाने में इसका यूज होता है। दुनिया भर में नाइट्रेट बेस्ड फर्टिलाइजर का इस्तेमाल सबसे आम है। AN खुद में कोई विस्फोटक नहीं है, लेकिन अगर इसे डीजल या किसी दूसरे फ्यूल से मिला दिया जाए, तो ये खतरनाक बम में बदल जाता है... इंडस्ट्रियल यूज के तहत ANFO का इस्तेमाल खदानों में ब्लास्ट करने, कोई इमारत गिराने यानी सिविल डिमोलिशन जैसे कामों में इसका इस्तेमाल करते हैं। इसके विस्फोट से बड़ा गड्ढा हो जाता है। विस्फोट की स्पीड 14 हजार किमी प्रति घंटा तक होती है। इससे जो वेव्स पैदा होती हैं, वो साउंड वेव से करीब 5 गुना ज्यादा तेज होती हैं। सवाल-2: ANFO कितना खतरनाक, ये कितनी तबाही मचा सकता है? जवाब: ANFO के विस्फोट से बड़ा गड्ढा हो जाता है। विस्फोट की स्पीड 14 हजार किमी प्रति घंटा तक होती है। इससे जो वेव्स पैदा होती हैं, वो साउंड वेव से करीब 5 गुना ज्यादा तेज होती हैं। इससे कान और फेफड़े तुरंत खराब हो सकते हैं। साथ ही ये विस्फोट शीशे, लोहे और ईंटें टुकड़ों में उड़कर लोगों को चीर-फाड़ सकता है। विस्फोट के बाद आग, इमारतों का टूटना और जहरीली गैसें भी हवा में फैल सकती हैं। अमोनियम नाइट्रेट के विस्फोट और आग से नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) और अमोनिया जैसी जहरीली गैसें निकलती हैं, जो सांस की तकलीफ और जलन पैदा कर सकती हैं। 1 किलो ANFO को 0.8 किलो TNT के बराबर विस्फोटक क्षमता का माना जाता है। इससे 5-7 मीटर व्यास का गड्ढा हो सकता है। विस्फोट का दायरा करीब 30 मीटर तक होता है। अगर भीड़ के बीच धमाका हो, तो दर्जनों लोगों की जान जा सकती है। सिर्फ 150 किलो अमोनियम नाइट्रेट 1 किलोमीटर तक असर कर सकता है। ये धमाका इतना तेज होता है कि 50-70 मीटर तक सब कुछ तबाह हो जाता है। विस्फोटक की मात्रा और जहां धमाका हुआ, वहां मौजूद लोगों की संख्या के अनुसार तबाही बढ़ सकती है। उदाहरण के लिए 1995 में अमेरिका के ओक्लाहोमा सिटी में करीब 1800 किलो यानी 1 टन के ANFO विस्फोटक से धमाका हुआ, इसमें बिल्डिंग में मौजूद 168 लोगों की मौत हो गई। लगभग 3000 किलो अमोनियम नाइट्रेट का धमाका एक पूरी बड़ी इमारत या पूरा मोहल्ला उड़ा सकता है। 50–70 मीटर के अंदर सब कुछ समतल हो जाएगा। 500–600 मीटर तक खिड़कियां चकनाचूर हो सकती हैं। लोग 200–300 मीटर दूर तक उड़ते कांच और मलबे से घायल या मारे जा सकते हैं। धमाके की आवाज कई किलोमीटर दूर तक सुनी जाएगी। सवाल-3: दिल्ली धमाके में ANFO की कितनी मात्रा इस्तेमाल की गई? जवाब: सुरक्षा एजेंसियां अभी इसकी जांच कर रही हैं। अभी इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है कि ANFO बेस्ड IED ब्लास्ट हुआ या कोई दूसरा विस्फोटक इस्तेमाल किया गया। हालांकि ब्लास्ट के बाद सामने आए वीडियो में कार में लगी आग से एक जगह नारंगी धुआं निकलता दिख रहा है। जानकारों के मुताबिक, अमोनियम नाइट्रेट में धमाका होने पर नारंगी रंग का धुआं निकलता है क्योंकि इस धमाके से नाइट्रोजन ऑक्साइड और अमोनिया जैसी गैस निकलती हैं। हवा में मिलने के बाद नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड की वजह से धुआं नारंगी रंग का दिखता है। हालांकि, मौके पर लिए गए सैंपल की फोरेंसिक जांच के बाद ही इसकी पुष्टि हो सकेगी। वहीं धमाके की इंटेंसिटी देखते हुए ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर ये ANFO का ही धमाका था, तो इसकी कम से कम 100 किलो मात्रा का इस्तेमाल किया गया है। करीब 100 मीटर दूरी तक धमाके की वेव महसूस की गईं। कई दुकानों के शीशे चिटक गए, धमाके के समय मौके पर मौजूद लोगों ने बताया कि आवाज इतनी तेज थी कि लोगों के कान सुन्न हो गए। सवाल-4: अमोनियम नाइट्रेट खरीदना कितना आसान, इस रखने के क्या नियम? जवाब: AN मुख्य रूप से नाइट्रोजन खाद है, जो किसानों के लिए जरूरी है। 2024 में भारत का AN मार्केट 822 हजार टन का था, जो 2030 तक 997 हजार टन पहुंचेगा। यह कृषि मंत्रालय की सब्सिडी पर 20-30 रूपए प्रति किलो बिकता है। इसका इंडस्ट्रियल यूज ही है, इसलिए खाद की दुकानों से लेकर इंडस्ट्रियल पर आसानी उपलब्ध हो जाता है। हालांकि 2012 में बने कुछ नियमों के मुताबिक, अगर किसी दूसरे केमिकल में अमोनियम नाइट्रेट को मिलाया गया है, तो इस पर कुछ सख्त प्रावधान हैं। इसके तहत वजन के हिसाब से इमल्शन, पेंट या किसी जेल में अगर 45% से ज्यादा अमोनियम नाइट्रेट मिलाया गया है, तो इसे विस्फोटक की कैटेगरी में रखा जाएगा। चूंकि इस विस्फोटक का भी इस्तेमाल माइनिंग वगैरह में किया जाता है, इसलिए इसमें पेट्रोलियम, विस्फोटक सिक्योरिटी ऑर्गेनाइजेशन वगैरह से लाइसेंस लेना पड़ता है। किसी के पास लाइसेंस नहीं है, तो वह ANFO नहीं खरीद सकता। सवाल-5: इससे पहले अमोनियम नाइट्रेट के बम से कितने आतंकी हमले हुए? जवाब: ANFO बम से सबसे पहला बड़ा धमाका साल 1995 में अमेरिका के ओक्लाहोमा सिटी में हुआ। बम में 1800 किलो AN इस्तेमाल किया गया था। धमाके में आधी बिल्डिंग उड़ गई थी और 168 लोग मारे गए थे। इसके अलावा साल 2020 में बेरूत में करीब 3 हजार किलो अमोनियम नाइट्रेट के फटने से भारी तबाही हुई थी। शहर का बड़ा इलाका तबाह हो गया था और करीब 200 लोग मारे गए थे। भारत में अमोनियम नाइट्रेट (AN) से जुड़े धमाके और घटनाएं **** ये खबर भी पढ़ें... क्या है दिल्ली ब्लास्ट का अमोनियम नाइट्रेट और फरीदाबाद कनेक्शन:20 सितंबर को 25km दूर कटा चालान, क्या छापेमारी के डर से विस्फोटक लेकर भागे दिल्ली के लालकिला मेट्रो स्टेशन के पास 10 नवंबर को हुए ब्लास्ट में अब तक 9 लोगों की मौत हो चुकी है और 24 लोग घायल हैं। ब्लास्ट की जांच कर रही सुरक्षा एजेंसियों के सूत्रों के मुताबिक, इस धमाके के कई तार फरीदाबाद से जुड़ रहे हैं। पूरी खबर पढ़ें... ---------
पाकिस्तान : इस्लामाबाद में कोर्ट के बाहर जोरदार धमाका, 6 लोग घायल
पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में डिस्ट्रिक्ट ज्यूडिशियल कॉम्प्लेक्स के बाहर जोरदार धमाका हुआ है। स्थानीय मीडिया के अनुसार इस हादसे में करीब 6 लोग घायल हो गए हैं
भूटान दौरे पर जाएंगे पीएम मोदी, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक मायने में बेहद खास दौरा
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय दौरे पर भूटान पहुंचने वाले हैं। उनका दौरा 11 से 12 नवंबर तक होगा
2020 चुनावी साजिश! ट्रंप ने भारतीय मूल के शख्स को दी माफी; महाराष्ट्र से है गहरा कनेक्शन
2020 अमेरिकी चुनाव में के नतीजे पलटने की कोशिश से जुड़े मामले में ट्रंप ने अपने वफादार भारतीय मूल के सीबी चंद्र यादव को माफी दे दी है. सीबी चंद्र यादव का भारत के साथ गहरा रिश्ता है.
Trump on Indian Tariff: डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को भारत पर टैरिफ कम करने को लेकर बड़ी बात कही है. साथ ही कहा है कि वो जल्द भारत के साथ एक ऐसी ट्रेड डील करने जा रहे हैं जिससे सभी को फायदा होने वाला है.
दिल्ली के लाल किले से करीब 300 मीटर दूर मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर-1 का इलाका। एक ह्यूंडई i20 कार धीमी रफ्तार से आगे बढ़ रही थी। इसमें 3 लोग सवार थे। शाम 6.52 बजे रेड रेड लाइट के पास कार के पिछले हिस्से में अचानक ब्लास्ट होता है और गाड़ी के परखच्चे उड़ जाते हैं। 3D मैप, वीडियो और AI के जरिए देखिए दिल्ली ब्लास्ट की मिनट-टू-मिनट पूरी कहानी, वीडियो देखने के लिए ऊपर तस्वीर पर क्लिक कीजिए…
दिल्ली में लाल किले के पास हुआ विस्फोट वाकई दिल दहला देने वाला है: आदित्य ठाकरे
दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास सोमवार शाम हुए धमाके में 10 लोगों की जान चली गई
राजकोट के एक प्राइवेट अस्पताल में महिलाओं के प्राइवेट पार्ट की जांच के वीडियो इंटरनेशनल पोर्न साइट्स पर बेच दिए गए. पिछले 9 महीनों में 50 हजार से ज्यादा ऐसे वीडियो लीक हुए. ये लीक कैसे होते हैं, कहां बेचे जाते हैं और खुद को ऐसे मामलों से कैसे बचाएं, जानने के लिए ऊपर दी गई इमेज पर क्लिक कर देखें वीडियो..
पाकिस्तान एयरलाइंस इंजीनियरों का विरोध, उड़ानें प्रभावित
पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस (पीआईए) के इंजीनियरों ने लगभग एक वर्ष से वेतन असमानता और सुरक्षा संबंधी चिंताओं को लेकर आवाज उठाई है
भारत के केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री के. राममोहन नायडू ने मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू से मुलाकात की
रूस में दो मालगाड़ी पटरी से उतरीं, रेल संचालन प्रभावित
रूस के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में दो अलग-अलग मालगाड़ी हादसे सामने आए। इससे रेल संचालन प्रभावित हुआ। हालांकि, किसी के घायल होने की सूचना नहीं मिली है
क्या FBI डायरेक्टर काश पटेल ने चुपके से किया चीन का दौरा? दोनों देश क्यों छिपा रहे हैं डिटेल?
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के सूत्रों का कहना है कि भारतीय मूल के एफबीआई डायरेक्ट ने चुपके से चीन का दौरा किया है. उनका मकसद दोनों देशों के बीच कुछ मामलों पर चल रहे टेंशन को कम करना है.
Nicolas Sarkozy: नकोलस सरकोजी करीब 20 दिनों तक जेल में रहे और आखिरकार वो रिहा हो गए. उन्हें भ्रष्टाचार और अन्य मामलों का दोषी पाया गया है.
शाम 6.50 बजे का वक्त। दिल्ली के लाल किले से करीब 300 मीटर दूर मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर वन की पार्किंग का इलाका। एक ह्यूंडई i20 कार धीमी गति से आगे बढ़ रही थी। इसमें 3 लोग सवार थे। रेड लाइट के पास कार के पिछले हिस्से में अचानक ब्लास्ट होता है और गाड़ी के परखच्चे उड़ गए। पूरी घटना का मैप, वीडियो और 3D से बना रीक्रिएशन देखने के लिए ऊपर वीडियो पर क्लिक कीजिए…
दिल्ली में सोमवार शाम हुए कार ब्लास्ट में अब तक 8 लोगों की मौत हो गई, 24 घायल हैं। ब्लास्ट की वजह अभी साफ नहीं। ऑपरेशन सिंदूर के बाद आतंकी साजिश की आशंका जताई जा रही थी। लश्कर कमांडर ने कहा था कि हाफिज सईद खाली नहीं बैठे हैं। 10 नवंबर को ही 2900 किलो विस्फोटक बरामद किए गए थे। भास्कर एक्सप्लेनर में हमने पिछले कुछ महीनों की गतिविधियों को ट्रैक किया है... सितंबर 2025: लश्कर आतंकी ने पीएम मोदी को अंजाम भुगतने की धमकी सितंबर 2025: बम ब्लास्ट की तैयारी कर रहा आतंकी गिरफ्तार अक्टूबर 2025: पीओके में हाईलेवल मीटिंग अक्टूबर 2025: जम्मू कश्मीर से पाकिस्तानी हथियार और विस्फोटक बरामद अक्टूबर 2025: ऑपरेशन सिंदूर के बदले की तैयारी में हाफिज सईद नवंबर 2025: हमले की प्लानिंग कर रहे आतंकी विस्फोटकों के साथ गिरफ्तार नवंबर 2025: दिल्ली के पास से विस्फोटक बरामद ऑपरेशन सिंदूर क्या है और इसमें किन आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया था? कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को आतंकी हमला हुआ था। इसमें 26 पर्यटक मारे गए थे। पहलगाम हमले में परिवार के सामने लोगों की हत्या की गई, उनके सिर में गोली मारी गई। बचे हुए लोगों से कहा गया कि वे इस हमले का संदेश पहुंचाएं। भारत ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर में जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के उन अड्डों को निशाना बनाया गया, जो भारत में हमलों की साजिशों और आतंकियों के ट्रेनिंग सेंटर थे। 1. सवाई नाला, मुजफ्फराबाद: LoC से 30 किमी. दूर इस जगह लश्कर-ए-तैयबा का अड्डा था। 20 अक्टूबर 2024 को सोनमर्ग, 24 अक्टूबर 2024 को गुलमर्ग और 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम हुए आतंकी हमले की ट्रेनिंग यहीं हुई थी। ये एक टेरर लॉन्चपैड की तरह काम करता था। 2. सैयदना बिलाल कैंप, मुजफ्फराबाद: LoC से करीब 30 किमी ये जगह PoK में है, जहां जैश-ए-मोहम्मद का अड्डा था। यहां आतंकियों को हथियार चलाने, विस्फोटकों के इस्तेमाल और जंगल में खुद को बचाए रखने की ट्रेनिंग दी जाती थी। ये एक आतंकी ट्रेनिंग सेंटर था। 3. गुलपुर, कोटली: LoC से करीब 30 किमी ये जगह PoK में मौजूद है, जहां लश्कर-ए-तैयबा का अड्डा था। यहीं से राजौरी और पूंछ में आतंक की सप्लाई की जाती थी। 30 अप्रैल 2023 को पुंछ और 9 जून 2024 को तीर्थयात्रियों की बस पर हुए हमले की ट्रेनिंग और प्लानिंग यहीं हुई थी। ये इलाका हमेशा से भारतीय खुफिया एजेंसियों के रडार पर रहा है। 4. बरनाला कैंप, बिमभेर: PoK में मौजूद ये जगह LoC से महज 9 किमी है। यहां लश्कर- ए- तैयबा और जैश-ए- मोहम्मद का ठिकाना था। यहां आतंकियों को हथियार चलाने, IED इस्तेमाल करने, और जंगल में खुद को बचाए रखने की ट्रेनिंग दी जाती थी। ये एक ट्रेनिंग सेंटर था, जिसे आतंकवादियों को गढ़ माना जाता था। 5. अब्बास कैंप, कोटली: LoC से 13 किमी ये जगह PoK में है, जहां लश्कर-ए-तैयबा का अड्डा था। यहां फिदायीन हमले की ट्रेनिंग दी जाती थी। यहां करीब 50 आतंकी रहते थे। ये एक टेरर लॉन्चपैड था, जहां से आतंकी भारत घुसते थे। 6. मरकज सुभानअल्लाह, बहावलपुर: इंटरनेशनल बॉर्डर से करीब 100 किमी दूर ये इलाका जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर का घर है। यहां की जामिया मस्जिद सुभान अल्लाह परिसर में जैश का हेडक्वार्टर था। यहीं नए लोगों को भर्ती कर आतंकी बनाया जाता और उन्हें ट्रेनिंग दी जाती थी। आएं दिन यहां आतंकियों के टॉप कमांडर देखे जाते थे। 7. मरकज तैय्यबा, मुरीदके: इंटरनेशनल बॉर्डर से 18-25 किमी दूर यहां लश्कर-ए-तैयबा का हेडक्वार्टर था। 200 एकड़ में फैली इस जगह से ही 2008 में आतंकवादी मुंबई आए थे, जिन्होंने हमला किया था।पाकिस्तान और कश्मीर से हजारों लड़ाकों को ट्रेनिंग देने और आतंकवादी अभियानों की योजना बनाने के लिए यहां लाया जाता है। अजमल कसाब और डेविड हेडली को यहीं ट्रेनिंग मिली। 8. सर्जल कैंप: इंटरनेशनल बॉर्डर से 6 किमी दूर इस जगह पर लश्कर-ए-तैयबा, जमात- उद- दावा जैसे आतंकी संगठनों के अड्डे थे। मार्च 2025 में जम्मू-कश्मीर पुलिस के 4 जवानों की हत्या की साजिश यहीं रची गई थी और यहीं से आए आतंकियों ने इस घटना को अंजाम दिया था। 9. महमूना जोया, सियालकोट: LoC से 12-18 किमी दूर यहां हिजबुल मुजाहिदीन का ठिकाना था। यहीं से कठुआ और जम्मू में आतंक की सप्लाई की जाती थी। इसी जगह पर पठानकोट एयरबेस हमले की साजिश रची गई थी और अंजाम दी गई थी। ------ ये खबर भी पढ़िए... दिल्ली में लाल किले के पास कार में धमाका:8 की मौत, 24 घायल, दिल्ली, मुंबई, यूपी और हरियाणा में हाई अलर्ट; पीएम मोदी ने शाह से बात की दिल्ली में लाल किले के पास कार में जोरदार धमाका हुआ है। ब्लास्ट में 8 लोगों की मौत हो गई है और 24 लोग घायल हैं। धमाके की वजह साफ नहीं है, लेकिन इसके बाद दिल्ली समेत मुंबई, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। पूरी खबर पढ़िए...
दिल्ली में लाल किले के पास हुए कार ब्लास्ट में 10 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है। ब्लास्ट की वजह अभी साफ नहीं है। इससे पहले आज सुबह ही जम्मू-कश्मीर और हरियाणा पुलिस ने मिलकर दिल्ली के पास फरीदाबाद में 2900 किलो विस्फोटक पदार्थ जब्त किया था। ऐसे में सुरक्षा एजेंसियां जांच में जुटी हैं कि ये हादसा है या इसके पीछे कोई साजिश है। इससे पहले 2005 और 2008 में भी दिल्ली बम ब्लास्ट से दहल चुकी है। तब 92 लोग मारे गए थे। आखिर कैसे रची गई थी दिल्ली दहलाने की साजिश, चलिए जानते हैं... 29 अक्टूबर 2005, उस रोज धनतेरस था और दो दिनों बाद दिवाली। दिल्ली के बाजारों में भीड़ इतनी कि पैर रखने तक की जगह नहीं थी। शाम 5.38 से 6.05 यानी 27 मिनट के भीतर दिल्ली में तीन सीरियल ब्लास्ट हुए। सड़कों पर लाशें बिछ गईं। किसी का धड़ अलग, तो किसी के हाथ-पैर अलग। दर्जनों गाड़ियां जल कर खाक हो गईं, दुकानें ध्वस्त हो गईं। 67 लोग मारे गए और 200 से ज्यादा जख्मी हुए। 3 साल बाद 13 सितंबर 2008, शनिवार का दिन। शाम 6.27 पर दिल्ली पुलिस को एक ईमेल मिला। लिखा था- ‘ठीक 5 मिनट बाद आप तेज, सटीक और लगातार हमले देखेंगे। 9 सिलसिलेवार बम विस्फोट।’ दिल्ली पुलिस इस मैसेज को डिकोड करती, उससे पहले ही दिल्ली धमाकों से दहल उठी। एक के बाद एक 5 अलग-अलग जगहों पर सीरियल बम ब्लास्ट हुए। 25 लोग मारे गए और 100 से ज्यादा लोग जख्मी हुए। इन दोनों बम ब्लास्ट के पीछे पाकिस्तानी आतंकी संगठनों का हाथ था। 2005 बम ब्लास्ट की जिम्मेदारी लश्करे-तैयबा ने ली और 2008 बम ब्लास्ट की जिम्मेदारी इंडियन मुजाहिदीन ने। दिल्ली के पहाड़गंज का नेहरू मार्केट, एक जगह है छह टूटी चौक। 29 अक्टूबर 2005 को लोग धनतेरस की खरीदारी में जुटे थे। बाजार खचाखच भरा था। शाम 5.38 बजे एक ज्वेलरी शॉप के पास बम ब्लास्ट हुआ। दिल्ली पुलिस के मुताबिक धमाका इतना जबरदस्त था कि आस-पास खड़े लोगों के चीथड़े उड़ गए। दुकानें भरभरा गईं। दीवारें टूट गईं। कई लोग तो हवा में उड़ गए, जमीन पर टुकड़ों में बंटा उनका शरीर मिला। 17 लोग मारे गए। जब पहाड़गंज बाजार जल रहा था, तभी दिल्ली परिवहन निगम की एक बस कालकाजी मंदिर के पास पहुंची। एक शख्स बस में ही अपना बैग छोड़कर उतर गया। बगल में बैठा पैसेंजर जोर से चिल्लाया- ‘देखो एक आदमी, अपना बैग छोड़कर भाग गया।’ बस में सवार लोगों को पहाड़गंज धमाके की खबर मिल चुकी थी। ड्राइवर कुलदीप सिंह और कंडक्टर बुद्ध प्रकाश भांप गए कि बैग में कुछ गड़बड़ चीज हो सकती है। वे फौरन बस को गोविंदपुरी में एक कम भीड़ वाली जगह पर ले गए। जल्दी-जल्दी बस से 70 पैसेंजर्स को उतारा गया। इसके बाद ड्राइवर ने बैग खोला तो उसमें तार जैसा कुछ दिखाई दिया। उसने बैग को बाहर की ओर फेंक दिया। बैग हवा में ही ब्लास्ट हो गया। आस-पास खड़े करीब आधा दर्जन लोग जख्मी हो गए। कुलदीप बाल-बाल बच गए, लेकिन हमेशा के लिए अपनी आंखें गंवा बैठे। आग बुझी, तो चारों ओर लाशें ही लाशें बिखरी मिलीं शाम 6 बजे, जगह दिल्ली का सरोजनी मार्केट। सबसे भीड़-भाड़ वाली जगह। यहां एक जूस की दुकान है श्याम जूस कॉर्नर। वहां एक आदमी अपना बैग छोड़कर चला गया। दुकान पर काम करने वाले छोटू यादव को वो बैग मिला। छोटू दिल्ली में हो रहे धमाकों से बेखबर थे। उन्होंने अपने मालिक लाल चंद सलूजा से कहा- ‘भाई साहब ये बैग कोई छोड़ गया है। मैं कब से पूछ रहा हूं कोई बता नहीं रहा कि किसका है।’ लाल चंद सलूजा ने कहा- खोल लो बैग, देखो उसमें क्या है। छोटू ने कहा- ‘मैं किसी का बैग नहीं खोलूंगा, कोई मुझ पर चोरी का इल्जाम लगा देगा।’ छोटू ने हाथ से बैग दबाया तो उसे लगा कि कुकर जैसा कुछ अंदर है। उसने यह बात लाल चंद को बताई। लाल चंद ने उससे बैग लिया और पुलिस को देने जाने लगे। वे जैसे ही बैग लेकर आगे बढ़े, ब्लास्ट हो गया। इस बार का धमाका पहाड़गंज और गोविंदपुरी इलाके में हुए धमाकों से ज्यादा भयावह था। दुकान के पास रखे दो सिलेंडर भी ब्लास्ट कर गए। चारों तरफ अफरातफरी मच गई। दुकानें धू-धू कर जलने लगीं। लोग चीखते-पुकारते भागने लगे। कुछ देर बाद जब धमाके का धुआं ठंडा पड़ा और आग बुझी, तो चारों ओर लाशें ही लाशें बिखरी मिलीं। जूस दुकान के मालिक लाल चंद सलूजा भी काल के गाल में समा गए। धमाका इतना जोरदार था कि लाशें देखकर यह पहचानना भी मुश्किल था कि कौन पुरुष है और कौन महिला। सरोजनी नगर मार्केट में एक दीवार पर मरने वाले लोगों के नाम एक शिलापट पर दर्ज हैं। इनमें 50 लोगों के नाम लिखे हैं। इनमें महिलाएं, पुरुष और बच्चों के नाम शामिल हैं। एक बच्चा तो सिर्फ 9 महीने का था। माता-पिता ने उसका नाम भी नहीं रखा था। इन तीनों हमलों में कुल 67 लोग मारे गए। 200 से ज्यादा लोग जख्मी हुए। कई लोग तो इस तरह जख्मी हुए कि आज तक नहीं उबर पाए हैं। किसी ने दोनों पैर गंवाए, तो किसी ने हाथ। इनमें ज्यादातर लोग वे थे जो धनतेरस की शॉपिंग करने गए थे। सरोजनी नगर के रहने वाले भगवान दास के बेटे, बहू और पोता तीनों शॉपिंग करने गए थे। बम धमाकों ने तीनों को निगल लिया। इन धमाकों पर गृह मंत्रालय का कहना था कि दिल्ली पुलिस की स्पेशल ब्रांच को विस्फोट से पहले खुफिया जानकारी मुहैया कराई गई थी, लेकिन वह उस पर कार्रवाई नहीं कर सकी। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में विस्फोटों से 15 दिन पहले अमेरिका ने अपने नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी कर हैदराबाद, दिल्ली, कोलकाता और मुंबई नहीं जाने की सलाह दी थी। पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्करे-तैयबा ने एक वेबसाइट पर ‘इस्लामिक इंकलाब महाज’ नाम से इन धमाकों की जिम्मेदारी ली। दिल्ली पुलिस ने बम धमाकों में शामिल संदिग्ध हमलावरों में से एक के तीन स्केच जारी किए। कुल तीन आरोपी बनाए गए। तारिक अहमद डार, मोहम्मद हुसैन फाजिली और मोहम्मद रफीक शाह। तीनों श्रीनगर के रहने वाले थे। 11 नवंबर 2005 को तारिक अहमद डार को कश्मीर से गिरफ्तार किया गया। दिल्ली पुलिस का दावा था कि डार अक्टूबर में दिल्ली में था और कई जगहों पर जाकर रेकी की थी। डार को पुलिस ने मास्टरमाइंड बताया। करीब 12 साल मुकदमा चला। 2017 में दिल्ली के एक ट्रायल कोर्ट ने डार को राज्य के खिलाफ युद्ध छेड़ने, साजिश रचने, हथियार इकट्ठा करने, हत्या और हत्या के प्रयास के आरोपों में दोषी ठहराया और 10 साल की सजा सुनाई। जबकि बाकी दो आरोपियों को बरी कर दिया। चूंकि डार 11 साल से जेल में बंद था, लिहाजा उसे भी कोर्ट ने रिहा कर दिया। दिल्ली ब्लास्ट 2008 : एक के बाद एक 5 सीरियल ब्लास्ट, 30 लोग मारे गए। पूर्व IPS और बाटला हाउस एनकाउंटर को लीड करने वाले कर्नल सिंह अपनी किताब ‘बाटला हाउस का सच’ में लिखते हैं- ‘13 सितंबर को शनिवार था। मैं घर पर ही था और साइंस फिक्शन की एक किताब पढ़ रहा था। पत्नी रेणू ने पूछा- चाय चाहिए? मैंने हम्म के साथ जवाब दिया और वो रसोई में चली गईं। कुछ देर बाद वह चाय लेकर लौटीं। बेटा अपनी नोटबुक लेकर दौड़ता हुआ आया। बोला- पापा प्लीज ये मैथ्स के क्वेश्चन सॉल्व करने में मेरी हेल्प करो। आमतौर पर मुझे परिवार के साथ समय बिताने का मौका नहीं मिल पाता था। मैं वीकेंड को परिवार के साथ भरपूर एंजॉय करना चाहता था। इसी बीच मेरे फोन की घंटी बजी। शनिवार की शाम किसका फोन हो सकता है। यह सोचते हुए मैंने फोन उठाया, तो स्क्रीन पर एक पत्रकार का नाम दिखाई दिया। उन्होंने कहा- सर क्या करोल बाग में कोई विस्फोट हुआ है? तभी मेरे घर के फोन की घंटी बजने लगी। मेरे दूसरे फोन पर पुलिस कंट्रोल रूम से कॉल आ रही थी। मैंने पत्रकार से कहा कि दोबारा फोन करता हूं आपको, मेरे पास एक और कॉल आ रही है। PCR की कॉल उठाया तो पता चला कि कुछ ही मिनट पहले करोल बाग में विस्फोट हुआ है। मैंने टीम से कहा कि तुरंत पहुंच रहा हूं। अभी मैं रास्ते में ही था कि मुझे PCR से एक और कॉल आई। बताया गया कि 6.30 बजे कनॉट प्लेस में धमाका हुआ है। वहां कूड़ेदान में बम रखा गया था। 5 मिनट बाद मुझे वायरलेस पर तीन और धमाकों की खबर मिली। ग्रेटर कैलाश एम ब्लॉक मार्केट में दो धमाके और एक धमाका बाराखंबा रोड में। इन जगहों पर भी कूड़ेदानों में ही विस्फोट हुए थे। करोल बाग में शाम 5.55 मिनट पर बम ब्लास्ट हुआ था। जब मैं वहां पहुंचा, तो देखा कि उस इलाके में सन्नाटा पसरा हुआ था। मुझे बताया गया कि धमाका इतना तेज था कि एक ऑटो रिक्शा जमीन से कई फीट ऊपर तक उड़ गया था। उस ऑटो के परखच्चे उड़ गए थे। पूरी सड़क पर खून बिखरा हुआ था।’ दिल्ली सीरियल ब्लास्ट में कुल 25 लोगों की मौत हुई। 100 से ज्यादा लोग जख्मी हुए। बाद में पता चला कि आतंकियों ने बम प्लांट करने के बाद दिल्ली पुलिस को ईमेल भेजा था। ईमेल में लिखा था- ‘ठीक 5 मिनट बाद आप तेज, सटीक और लगातार हमले देखेंगे। 9 सबसे शक्तिशाली सिलसिलेवार बम विस्फोट।’ पुलिस इसे डिकोड करने की कोशिश कर ही रही थी कि धमाकों का सिलसिला शुरू हो गया। ये ईमेल आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन की तरफ से भेजा गया था। गुब्बारे बेचने वाले की मदद से पुलिस ने तैयार किया आतंकियों का स्केच पूर्व IPS कर्नल सिंह लिखते हैं- ‘धमाके के एक दिन बाद 14 सितंबर की रात करीब 3 बजे मेरे फोन की घंटी बजी। 1994 बैच के IPS अधिकारी DCP आनंद मोहन का फोन था। उन्होंने कहा- ‘हमें एक चश्मदीद गवाह मिला है। बाराखंबा रोड पर गुब्बारे बेचने वाले राहुल नाम के 11 साल के लड़के ने दो लोगों को ऑटो रिक्शा से उतरते हुए देखा था। राहुल के मुताबिक उनमें से एक ने पास के कूड़ेदान में प्लास्टिक का थैला फेंका था। एक की लंबी दाढ़ी थी और वह काले रंग का कुर्ता पायजामा पहना था। दूसरे ने कमीज और पतलून पहन रखी थी। राहुल को फिलहाल कनॉट पुलिस थाने में रखा गया है।’ राहुल की मदद से पुलिस ने आतंकियों के तीन स्केच बनवाए। इनमें से एक की पहचान राहुल ने की थी। पुलिस ने धमाके की धमकी वाले ईमेल का IP एड्रेस खंगाला, तो पता चला कि पूर्वी दिल्ली के एक साइबर कैफे से मेल भेजा गया था। हालांकि कैफे के मालिक ने उनका पहचान पत्र वगैरह नहीं रखा था। पुलिस ने कैफे से 11 कंप्यूटर जब्त कर लिए। जांच में पता चला कि ईमेल भेजने वाला कंप्यूटर का जानकार था। मेल भेजने के पहले कंप्यूटर में तारीख और टाइम बदल दिया था। फ्रेश ईमेल ID बनाई थी। पुलिस की जांच में यह भी पता चला कि हमला करने वालों ने जिस फोन का इस्तेमाल किया था, उसका लोकेशन जामिया नगर के बाटला हाउस इलाके में था। सिम कार्ड कंपनी का सेल्समैन बनकर आतंकियों के पास पहुंचा पुलिस अधिकारी 19 सितंबर 2013, सुबह दिल्ली पुलिस को पता चला कि बाटला हाउस के एल-18 बिल्डिंग के फ्लैट नंबर 108 में कुछ संदिग्ध हैं। पुलिस को ये भी पता चला कि इन लोगों ने हाल ही में प्रीपेड से पोस्टपेड में कनेक्शन करवाया है। जिसका वेरिफिकेशन करना अभी बाकी था। पुलिस ने तय किया कि उनका एक आदमी सेल्समैन बनकर इनके पास वेरिफिकेशन के बहाने जाएगा। बाटला हाउस, जामिया मिलिया इस्लामिया मेट्रो स्टेशन से पैदल 10 मिनट की दूरी पर है। बटला हाउस चौक उतरने पर पास में ही खलीलुल्लाह मस्जिद है। इसके पीछे करीब 50 कदम चलने पर वो गली है, जिसमें एल-18 बिल्डिंग है। चार मंजिला एल-18 बिल्डिंग के दोनों तरफ भी इतनी ही ऊंची बिल्डिंग बनी हुई हैं। पुलिस ने दो टीमें बनाईं। पहली टीम को इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा लीड कर रहे थे। उनके साथ 18 पुलिसकर्मी थे। दूसरी बैकअप टीम थी, जिसे DSP संजीव यादव लीड कर रहे थे। 19 सितंबर की सुबह 11 बजे दिल्ली पुलिस ने कार्रवाई शुरू की। इंस्पेक्टर मोहन शर्मा की टीम के SI धर्मेंद्र सेल्समैन बनकर ऊपर गए। उस कमरे का दरवाजा थोड़ा सा खुला हुआ था। चार-पांच लड़के फ्लैट के अंदर थे। जो लड़का गेट पर आया, उसने धर्मेंद्र से बदतमीजी की। धर्मेंद्र ने आकर DCP संजीव यादव को बताया कि चौथे फ्लोर पर फ्लैट का दरवाजा एल शेप में है और अंदर 4-5 लोग हैं। इसके बाद पुलिस फिर से उस फ्लैट में पहुंची। सामने वाला दरवाजा बंद था। टीम ने आवाज दी, लेकिन किसी ने दरवाजा नहीं खोला। इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा ने लेफ्ट साइड वाले दरवाजे को धक्का दिया। धक्का देते ही दरवाजा खुल गया। जैसे ही पुलिस अंदर घुसी, उधर से फायरिंग होने लगी। इंस्पेक्टर शर्मा और हेड कॉन्स्टेबल बलवंत को गोली लग गई। फौरन बैकअप टीम उन्हें अस्पताल ले गई। इसके बाद बैकअप टीम के संजीव यादव और उनके साथियों ने मोर्चा संभाल लिया। पुलिस की फायरिंग में दो लड़के मारे गए, जबकि दो लड़के भाग निकले। एक लड़के ने खुद को वॉशरूम में बंद कर रखा था। वो बाद में जिंदा पकड़ा गया। उसी दिन शाम को इंस्पेक्टर मोहन शर्मा की मौत हो गई। मारे गए आरोपी आतिफ अमीन और मोहम्मद साजिद थे। जिंदा पकड़े गए लड़के का नाम मोहम्मद सैफ था। उसकी मदद से पुलिस ने उन दो लड़कों को भी गिरफ्तार कर लिया, जो भागे थे। उनके नाम आरिफ खान और शहजाद अहमद था। मानवाधिकार संगठनों ने बाटला हाउस एनकाउंटर को फर्जी बताया। कोर्ट में न्यायिक जांच की मांग हुई, लेकिन कोर्ट ने ऐसी जांच कराने से इनकार कर दिया। 2021 में दिल्ली के साकेत कोर्ट ने आरिफ को सजाए मौत और शहजाद को उम्रकैद की सजा सुनाई। सलमान खुर्शीद ने कहा- ‘बाटला हाउस एनकाउंटर की तस्वीरें देख रो पड़ीं थीं सोनिया गांधी’ 9 फरवरी 2012, जगह UP का आजमगढ़। विधानसभा चुनावों की घोषणा हो चुकी थी। पहले चरण की वोटिंग भी हो चुकी थी। कांग्रेस नेता और केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खान खुर्शीद ने कहा- ‘मैंने सोनिया गांधी को बाटला हाउस एनकाउंटर की तस्वीरें दिखाईं तो वो रो पड़ीं। उन्होंने हाथ जोड़कर कहा कि ये तस्वीर मुझे मत दिखाओ। जाओ प्रधानमंत्री से बात करो। हमने प्रधानमंत्री से बात की। मामला आगे बढ़ा। यह भी तय हो गया कि कौन सा रिटायर्ड जस्टिस इसकी जांच करेगा, लेकिन उस समय देश में चुनाव थे। हमने मानवाधिकार आयोग जाने का फैसला किया। हम सुप्रीम कोर्ट तक गए। हमें उम्मीद थी कि राहत मिल जाएगी, लेकिन राहत नहीं मिली।’ तब कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने भी बाटला हाउस एनकाउंटर पर सवाल उठाए थे। हालांकि गृह मंत्री पी चिदंबरम ने उस एनकाउंटर को सही ठहराया। उन्होंने कहा- ‘दिग्विजय सिंह लंबे समय से ऐसा कहते आ रहे हैं। मैं उनकी भावनाओं का सम्मान करता हूं, लेकिन बतौर गृह मंत्री मैं यह कहना चाहता हूं कि वो एनकाउंटर जेन्विन था।’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई चुनावी सभाओं में बाटला हाउस एनकाउंटर का जिक्र करते हुए सोनिया गांधी को घेर चुके हैं। 2019 में मध्यप्रदेश में चुनावी सभा के दौरान PM ने कहा- ‘बाटला हाउस एनकाउंटर में जब आतंकी मारे गए, तो एक राजदरबारी ने दुनिया को बताया था कि रिमोट कंट्रोल से सरकार चलाने वालों के आंसू थम नहीं रहे थे।’ PM ने सोनिया गांधी का नाम नहीं लिया, लेकिन उनका इशारा सोनिया की तरफ ही था। मोदी कई बार बाटला हाउस का जिक्र कर कांग्रेस को घेर चुके हैं। कांग्रेस नेताओं ने बाटला हाउस एनकाउंटर को फर्जी बताया, BJP ने उठाया फायदा 2005 और 2008 दोनों बम धमाकों के दौरान दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी। केंद्र में भी कांग्रेस की सरकार थी। चुनावों में ये दोनों घटनाएं मुद्दा भी बनीं, लेकिन उसके बाद हुए चुनाव में कांग्रेस ने वापसी की। हालांकि 2012 में जब सलमान खुर्शीद ने बाटला हाउस एनकाउंटर और सोनिया गांधी का जिक्र किया, तो कई कांग्रेसी नेताओं ने इसे फर्जी बताया। उसके बाद नरेंद्र मोदी और BJP ने इसे चुनावी मुद्दा बनाया। 2012 के बाद दिल्ली विधानसभा और लोकसभा दोनों ही चुनावों में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया। 2012 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में 70 में से 28 सीटें जीतकर BJP सबसे बड़ी पार्टी बनी। 2014 के लोकसभा में BJP ने दिल्ली की सभी सात संसदीय सीटें जीत लीं।
हमास ने 11 सालों के बाद क्यों सौंपा हैदर गोल्डिन का शव? शहीद के परिवार ने नेतन्याहू से जताई नाराजगी
शहीद का शव मिलने के बाद इजरायली सेना अब औपचारिक पहचान की प्रक्रिया पूरी करेगी. गोल्डिन की मौत के बाद से ही उनका परिवार सरकार से लगातार आग्रह कर रहा था कि बेटे का पार्थिव शरीर हर हाल में वापस लाया जाए.
बीबीसी के दो टॉप अधिकारियों को आखिर क्यों देना पड़ा इस्तीफा, ट्रंप से जुड़ा मामला है इसकी वजह
ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन (बीबीसी) में कुछ ऐसा हुआ, जिसकी वजह से पूरे संस्थान में हलचल शुरू हो गई। बीबीसी के दो बड़े अधिकारियों को इस्तीफा देना पड़ा, जिनमें डायरेक्टर जनरल टिम डेवी और हेड ऑफ न्यूज डेबोरा टर्नेस का नाम शामिल है
Japan PM Decrease Salary of Her Cabinet: जापान के मंत्री इस प्रस्ताव की जल्द से जल्द समीक्षा करेंगे और इस समीक्षा के बाद ये प्रस्ताव लागू करने के लिए संसद में पेश कर दिया जाएगा. जापानी पीएम ताकाइची की यह पहल प्रशासनिक और वित्तीय सुधार को आगे बढ़ाने की व्यापक योजना का हिस्सा है.
5 साल की सजा पाने वाले निकोलस सरकोजी तीन हफ्ते बाद ही होंगे रिहा? अदालत के रुख पर फ्रांस की नजर
Former French President Nicolas Sarkozy: पूर्व फ्रांसीसी राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी को 5 साल जेल की सजा सुनाई गई थी. अब उनकी रिहाई को लेकर विचार किया जा रहा है.
India sends 2.7 tonnes life-saving vaccines to Venezuela:वो देश जिसे अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इन दिनों बिल्कुल पसंद नहीं कर रहे. जहां की सत्ता उखाड़ने के लिए जंग की बात हो रही है. ऐसे तनाव के दौर में उस देश के लिए भारत उसका सबसे बड़ा भाई बनकर खड़ा है. जी हां, बात हो रही है वेनेजुएला की. जहां ट्रंप ने प्रतिबंधों की बौछार कर दी है, ड्रग्स के आरोप में जंग हो रही है, वहीं भारत ने अपनी 60 सालों की दोस्ती निभाते हुए वेनेजुएला को2.7 टन जान बचाने वाली वैक्सीन भेज है.
ये है समुद्र पर दौड़ने वाली दुनिया की इकलौती ट्रेन! वीडियो देखकर आंखें मसलते रह जाएंगे आप
Bird Flight Line Video: जर्मनी से डेनमार्क जाने वाली 'बर्ड फलाइट लाइन' की ट्रेन का वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है. यूजर्स वीडियो को देखकर काफी हैरान हैं क्योंकि आज तक ट्रेन सिर्फ जमीन पर चलती देखी थी, लेकिन आज पानी के अंदर भी देख ली..
5 Indians Kidnapped In Mali: माली के पश्चिमी इलाके कोबरी के पास 6 नवंबर को अल-कायदा से जुड़े जिहादी समूह ने 5 भारतीय मजदूरों का अपहरण कर लिया. ये बिजली प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे. भारतीय दूतावास और MEA फोन पर माली अधिकारियों से लगातार संपर्क में हैं. बाकी भारतीयों को बामाको शिफ्ट किया गया है. जानें भारत इस मामले में क्या कर रही है.
अमेरिका में पिछले 40 दिनों से चल रहा शटडाउन अब समाप्त होने की दिशा में बढ़ रहा है। अमेरिकी सीनेट ने एक दलीय सहमति वाले प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जो अब प्रतिनिधि सभा (हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स) में विचार के लिए भेजा गया है
Finland Wife Carrying Championship: यहां दिलबहलाने के लिए भी लोग बॉन्डिंग और रोमांस का तड़का लगाते हैं. जरूरी नहीं कि आप अपनी ही पत्नी के साथ इस रोमांचकारी रेस में पार्टिसिपेट करें. अगर आपकी शादी नहीं हुई है तो भी परेशान होने की जरूरत नहीं, क्योंकि गर्लफ्रेंड, मंगेतर यहां तक की पड़ोसी की बीबी के साथ भी इस खूबसूरत खेल में हिस्सा लेने की आजादी है.
दक्षिण कोरिया : चीन की नाव पलटी, 2 नाविकों को बचाया गया, जबकि नौ लापता
दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल से लगभग 180 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में गुसान के पास इओचेओंग द्वीप के पास सोमवार को चीन की एक मछली पकड़ने वाली नाव के दुर्घटनाग्रस्त हो गयी। इस हादसे के बाद दो नाविकों को बचा लिया गया, जबकि नौ लोग लापता है
सीरिया के राष्ट्रपति अहमद अल शरा अमेरिकी दौरे पर पहुंचे हैं। राष्ट्रपति शरा का यह दौरा कई मायनों में खास माना जा रहा है
हम लड़ना नहीं चाहते... तालिबान ने धमकाया तो नर्म पड़ा पाकिस्तान; अब तुर्की के मंत्री करेंगे दौरा
Pakistan Vs Afghanistan: पाकिस्तान और तालिबान के बीच विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. तुर्की में हुई तीसरे दौर की बातचीत भी नाकाम हो गई है. इसके बाद फिर से पाकिस्तान तालिबान को धमका रहा है, हालांकि तालिबान भी कह रहा है कि वो पीछे नहीं हटेगा.
क्वांटास एयरलाइंस ने प्रोजेक्ट सनराइज के तहत एयरबस A350-1000ULR जेट की पहली तस्वीरें जारी कीं है. ये प्लेन सिडनी से लंदन या न्यूयॉर्क तक 22 घंटे बिना रुके उड़ेगा. 2027 से शुरू होने वाली फ्लाइट्स 4 घंटे समय बचाएंगी. कम सीट्स, वेलबीइंग जोन और जेटलैग कम करने का खास डिजाइन हुआ है. कोविड ने इस प्रोजेक्ट डिले कर दिया था. आप भी देखें तस्वीरें और वीडियो.
What Is Airport Divorce:आप सबने तलाक की ढेर सारीकहानियां सुनी होंगी. जिसमें कोर्ट, वकील, पुलिस, मायका-ससुराल का ड्रामा, महीनों का तनाव. यह सब देखा, सुना और पढ़ा होगा, लेकिन आज हम आपको एयरपोर्ट डिवोर्स के बारे में बताएंगे. नाम सुनकर दिमाग ठनका होगा, लगा होगा कोई नया कानूनी तरीका है? अरे नहीं भाई! ये दुनिया का सबसे आसान, सबसे मजेदार और सबसे सस्ता 'तलाक' है. जो असल में तलाक है ही नहीं! न कागज, न साइन, न गवाह. बस एक मुस्कान और मौज ही मौज.
शी चिनफिंग ने कंबोडिया की स्वतंत्रता की 72वीं वर्षगांठ पर बधाई संदेश भेजा
चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने रविवार को कंबोडिया किंगडम की स्वतंत्रता की 72वीं वर्षगाठ पर कंबोडिया के नरेश नोरोडोम सिहामोनी को बधाई संदेश भेजा
बांग्लादेश में प्राथमिक शिक्षकों का देशव्यापी विरोध प्रदर्शन, पुलिस ने बरसाई लाठी; 100 से अधिक घायल
बांग्लादेश में यूनुस सरकार के नेतृत्व में अराजकता की स्थिति बरकरार है। ढाका में सरकारी स्कूल के शिक्षक विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं
पीएम किसान निधि के मॉडल को अपनाएंगे ट्रंप, टैरिफ का फायदा बताकर अमेरिकी लोगों को देंगे 2000 डॉलर
Donald Trump: डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकियों को 2000 डॉलर टैरिफ डिविडेंट देने का ऐलान किया है. हाल ही में उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट के जरिए यह बात कही है. उनके इस फैसले को भारत में चल रही इसी तरह की योजनाओं से जोड़कर देखा जा रहा है.
खत्म होने वाला है इतिहास का सबसे शटडाउन... ट्रंप ने दी राहत की खबर; जानिए क्या है प्रोसेस?
US Shutdown near to end: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इशारा किया है कि इतिहास का सबसे लंबा शटडाउन जल्द ही खत्म होने वाला है. ट्रंप ने मीडिया से बात करते हुए कहा-शटडाउन जल्द ही खत्म होने वाला है. आप जल्द ही जान जाएंगे
Donald Trmp VS BBC: डोनाल्ड ट्रंप के भाषण को गलत तरीके से पब्लिश करने के बाद अब BCC के 2 टॉप लीडर्स ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. इसपर ट्रंप का भी रिएक्शन आया है.
चाकू हमले के बाद सलमान रुश्दी को 'शांति पुरुस्कार', इस किताब के लिए मिला लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड
Salman Rushdie: विवादित लेखक सलमान रुश्दी को ओहायो मेंडेटन लिटरेरी पीस प्राइज' प्रोग्राम में रविवार को लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड दिया गया है. यह पहली बार है जब रुश्दी ने चाकू हमले के बाद वापसी की है.
Trump Hooting Video: इतिहास बनाने स्टेडियम पहुंचे ट्रंप, NFL मैच के दौरान हुई जबरदस्त हूटिंग
डोनाल्ड ट्रंप, 1978 में जिमी कार्टर के बाद किसी रेगुलर सीजन के एनएफएल मैच को अटेंड करने वाले पहले अमेरिकी राष्ट्रपति बने, लेकिन उन्हें हूटिंग का सामना करना पड़ा.
पीएम मोदी ने कांग्रेस पर वंदे मातरम के ओरिजिनल वर्जन से छेड़छाड़ के आरोप क्यों लगाए, वंदे मातरम का ओरिजिनल वर्जन है क्या, इस पर कांग्रेस ने RSS को क्यों लिया निशाने पर, पूरी कंट्रोवर्सी जानने के लिए ऊपर दी गई इमेज पर क्लिक कर देखें वीडियो
‘मैं घर में कम ही रहता था। उस दौरान कोठी में कभी मेरा भतीजा और कभी दोस्त का बेटा रहा। उसी वक्त कोठी में मर्डर होते रहे। डेडबॉडी नौकर सुरेंद्र कोली के बाथरूम में पड़ी रहती थीं। ये बाथरूम ऊपर फर्स्ट फ्लोर पर है, इसलिए कोई नहीं जान पाया। सुरेंद्र कोली मौका देखकर डेडबॉडी डिस्पोज कर देता था। कैसे करता था, ये कभी पता नहीं चला।’ ये मोनिंदर सिंह पंढेर का कबूलनामा है। पंढेर देश की सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री में शामिल निठारी कांड के अहम किरदार थे। अभी चंडीगढ़ में रहते हैं। मीडिया से दूर ही रहने वाले पंढेर ने अपना पहला इंटरव्यू दैनिक भास्कर को दिया है। 2006 में नोएडा के सेक्टर-31 में उनकी कोठी D-5 से सटे नाले में 19 कंकाल मिले थे। 16 को लेकर निठारी केस चला, जिनमें 13 बच्चे और तीन बालिग लड़कियां थीं। उनसे रेप और मर्डर का आरोप पंढेर और नौकर सुरेंद्र कोली पर लगा। हाईकोर्ट ने 16 अक्टूबर 2023 पंढेर को बरी कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने 30 जुलाई, 2025 को हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया। सुरेंद्र 12 केस में बरी हो चुका है, एक केस पेंडिंग है। दैनिक भास्कर ने मोनिंदर सिंह पंढेर से निठारी केस, D-5 कोठी में हुए मर्डर और इनमें सुरेंद्र कोली की भूमिका, जांच में पुलिस के रवैये पर बात की। उन्होंने माना कि वे कोठी में कॉलगर्ल बुलाते थे। साथ ही सुरेंद्र कोली और आरुषि मर्डर केस में आरोपी डॉ. राजेश तलवार से जेल में मुलाकात के किस्से भी सुनाए। पंढेर ने बताया कि सारे मर्डर मेरी गैरमौजूदगी में हुए। मैंने तो केस की जांच के लिए प्राइवेट जासूस भी हायर किया था। आखिर में बोले कि बरी भले हो गया, लेकिन पूरी जिंदगी इसी कलंक के साथ गुजारनी है। पढ़िए पूरा इंटरव्यू… सवाल: निठारी में आपकी कोठी के पास से दो साल तक बच्चे गायब हुए। आपको क्या पता था?जवाब: इसका काफी शोर मच रहा था। मैं उस वक्त शामिल हुआ, जब एक लड़की कोमल (बदला हुआ नाम) गायब हो गई। वो मेरे पास आती थी। मेरे एक दोस्त प्रॉपर्टी डीलर थे। उन्होंने मुझे कोमल से मिलवाया था। वो एस्कॉर्ट का काम करती थी। उसका थोड़ा संदिग्ध बैकग्राउंड भी था। उस वक्त मेरी पत्नी चंडीगढ़ शिफ्ट हो चुकी थीं। उसने देखा कि मेरे घर में सिर्फ नौकर रहता है। मैं कभी-कभार ही घर में आता था। बिजनेस के सिलसिले में ज्यादातर टूर पर रहता था या फैमिली बिजनेस की वजह से चंडीगढ़ चला जाता था। देहरादून, हल्द्वानी जैसी जगहों पर हमारे 5-6 ऑफिस थे। इसलिए वहां भी आना-जाना लगा रहता था। कोमल ने पर्सनली कहा था कि आप मुझसे डायरेक्ट कॉन्टैक्ट करें। मैं आपसे मिलती रहूंगी। मेरा उससे अरेंजमेंट था। मैं इससे इनकार नहीं कर रहा हूं। मैंने जांच के दौरान भी ये बात बताई थी। अचानक वो लड़की गायब हो गई। तभी मेरे पिता का निधन हो गया था। इसलिए मैं चंडीगढ़ आ गया था। उस लड़की के परिवार ने कहा था कि मैं नोएडा वाली कोठी में नहीं था, तब वो लड़की वहां गई थी। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर वो किससे मिलने गई होगी। इसलिए खुलकर बताया कि उस लड़की से मेरी मुलाकात नहीं हुई थी। यही सच था। पुलिस को पूरी जानकारी दी। पुलिस ने वेरिफाई भी किया। पुलिस को भरोसा हो गया कि लड़की मेरे पास नहीं आई। इस केस की जांच के लिए बनी पुलिस टीम ही लापता बच्चों की भी जांच कर रही थी। तब ये पता चला कि कई बच्चे गायब हुए हैं। सवाल: लड़की के पिता ने कहा था कि उनकी FIR दर्ज नहीं हो रही है। आपने पुलिस को पैसे खिला दिए हैं, इसलिए पुलिस आपका सपोर्ट कर रही है?जवाब: उनकी FIR क्यों नहीं हुई, मुझे इसकी जानकारी नहीं है। पुलिस को पता चला होगा कि मैं तब नोएडा में नहीं था। वे कह रहे थे कि लड़की मेरे पास आई थी, जबकि मेरा फोन पर भी उससे संपर्क नहीं हुआ था। कॉल रिकॉर्ड में भी कुछ नहीं था। इसलिए हो सकता है कि FIR दर्ज होने में देरी हुई। मुझे ये भी लग रहा था कि कहीं ब्लैकमेलिंग वाला एंगल न हो। हो सकता है कि पिता ने ही लड़की गायब कर दी हो। सच पता नहीं चल रहा था। सच जानने के लिए मैंने प्राइवेट जासूस हायर किया। उस समय कुछ समझ नहीं आ रहा था। सुरेंद्र कोली से भी कई बार पूछताछ हुई। 3-4 बार तो काफी सख्ती से पूछताछ की गई। पुलिस उसे ले गई थी। मैंने कभी जांच में रुकावट नहीं डाली। कई बार लुधियाना से नोएडा आया। बाद में एक बार लड़की के पिता से बात हुई। उन्होंने कहा था कि मैंने पुलिस को बेटी का प्रोफेशन नहीं बताया है। मैंने भी उसकी और अपनी इज्जत को ध्यान में रखते हुए शुरुआत में उसका प्रोफेशन नहीं बताया था। काफी समय बाद हमने देखा कि जांच में तेजी नहीं आ रही है। तब मैंने पुलिस को बताया कि इस लड़की का बैकग्राउंड एस्कॉर्ट का था। उसके बाद ही जांच को प्रॉपर दिशा मिली थी। पुलिस ने उस लड़की के कई कॉन्टैक्ट की जांच की। एक टीम मुंबई भी भेजी गई। हमने जांच में सपोर्ट किया। पुलिस से यहां तक कहा कि अगर आपको तलाश करने के लिए गाड़ी चाहिए या कोई दूसरा सपोर्ट, तो वो भी करूंगा। मैंने गाड़ियां दिलवाईं। मेरे ऑफिस ने सब कुछ प्रोवाइड कराया। मैं झूठ नहीं बोलूंगा। मेरे ऑफिस के जरिए ही पुलिस को गाड़ियां दी जाती थीं। ये सब छिपा नहीं है। सवाल: सुरेंद्र कोली आपके घर में काम करने कैसे आया, उससे कैसे मुलाकात हुई?जवाब: मेरे एक दोस्त आर्मी में ब्रिगेडियर थे। सुरेंद्र कोली उनके घर में काम करता था। सुरेंद्र कुछ वक्त के लिए छुट्टी पर गया था। तभी मेरे दोस्त ने दूसरा नौकर रख लिया। उन्होंने सुरेंद्र को मेरे पास भेज दिया। मेरा नौकर भी उस समय छुट्टी पर गया था। मैंने सुरेंद्र को अपने पास रख लिया। वेरिफिकेशन के लिए उसके डॉक्यूमेंट भी दिए थे, लेकिन पुलिस इन्वेस्टिगेटिव वेरिफेकशन तो करती नहीं है। सवाल: कभी सुरेंद्र कोली पर शक हुआ कि उसने कत्ल किए हैं?जवाब: हैरानी की बात है। आप लोग इस बात को क्यों नहीं समझते। पुलिसवाले भी उसे नहीं समझ सके। लड़की के केस में दो महीने तक पूछताछ की। सख्ती भी की गई, लेकिन पुलिसवाले सच नहीं उगलवा सके। उसका चेहरा देखकर कोई बता ही नहीं सकता कि वो कुछ छुपा रहा है। कोई एक्सप्रेशन ही नहीं। अगर सारे सिस्टम सही होते, तो ये बच्चे गायब न होते। अगर गायब होते ही तुरंत एक्शन हो जाता, तो इतना बड़ा केस नहीं होता, न मैं दुखी होता। मेरे घर में जो भी आता था, इसकी तारीफ करता था। कहते थे कि नौकर बहुत अच्छा मिला है। खाना बढ़िया बनाता है। घर की सफाई रखता है। घर में और भी नौकर थे। झाड़ू-पोछे वाली, कपड़े धोने वाली आती थी। कुछ दिनों पर माली आता था। मेरे साथ 24 घंटे ड्राइवर रहता था। उनकी कोई बात नहीं करता था। जांच में सब शामिल हुए थे। उनके बयान भी लिए गए, लेकिन कभी कोर्ट में नहीं लाया गया। उनके बयान गायब कर दिए गए। मेरा ड्राइवर पान सिंह कई बार मेरे साथ घर पर रुकता था। सवाल: आपने इलाहाबाद कोर्ट जाने के लिए पुलिसवालों का टिकट भी कराया था?जवाब: हां, बुकिंग हुई थी। ये मामला कोर्ट तक पहुंचा था। इसमें कोई शक नहीं है। मेरे स्टाफ के भी लोग कोर्ट गए थे। कोर्ट ने मेरे अलावा पुलिसवालों को भी समन भेजा था। इसलिए सभी लोगों को एक साथ ही जाना था। मैं पुलिसवालों से कभी दूर नहीं भागा। इसलिए वे हमसे मिलते थे। मेरी गाड़ी वहां जा रही थी। हमारे ऑफिस का रेलवे टिकट एजेंट भी था। उससे एक साथ टिकट कराने के लिए बोला था, लेकिन पेमेंट मेरे दफ्तर से नहीं हुआ। उन्होंने पैसे दिए थे। मैंने कभी गुमराह नहीं किया। फिर पुलिस ने बताया कि गायब लड़की का फोन मिल गया है। उसमें सुरेंद्र कोली का सिमकार्ड भी चल गया है। ये सुनते ही मैं हैरान रह गया। इससे पहले पुलिस ने कई बार कड़ाई से पूछताछ की थी, लेकिन वो मान नहीं रहा था। लड़की का फोन उसके पास ही मिला। ये भी पता चला कि लड़की को घर के पास वाले पीसीओ बूथ से फोन करके बुलाया गया था। ये सब ट्रेस हुआ, तब सुरेंद्र कोली अपने गांव गया हुआ था। उसे गांव भेजा था, तब भी मैंने थाने में बताया था। कहा था कि जांच चल रही है, नौकर गांव जा रहा है। तब पुलिस ने हमें परमिशन दे दी थी। बाद में मैंने गाड़ी भेजकर सुरेंद्र कोली को गांव से नोएडा बुलाया। उसे पुलिस के सामने पेश किया। अगर मेरा इरादा गलत होता, तो ऐसा क्यों करता। सवाल: कोमल लापता हुई, बच्चे लापता हो रहे थे। कभी बात नहीं हुई कि दोनों केस एक ही हैं। पुलिसवालों ने कभी इस सिलसिले में पूछताछ नहीं की?जवाब: नहीं, किसी को शक नहीं हुआ। वो लड़की तो काफी बड़ी थी। उसकी उम्र करीब 26-27 साल थी। सुरेंद्र कोली इस केस में पकड़ा गया, तब आगे जाकर लिंक खुलने लगे। लड़की का मोबाइल फोन मिलने के बाद ये केस खुला। ये 27 दिसंबर, 2006 की बात है। पुलिस ने पूछा, तब सुरेंद्र कोली ने पहली बार बताया था कि उस लड़की को मार दिया। इसके बाद पुलिस ने मुझे बताया कि सुरेंद्र कोली ने मर्डर की बात कबूल कर ली है। मैं ये सुनकर चौंक गया। मैंने पूछा कि मर्डर की वजह क्या है। पुलिस ने कहा कि मोटिव तो अभी नहीं बताया है। ये जरूर बताया कि उसकी चप्पल कोठी के पीछे पड़ी है। बॉडी उसने आगे नाले में डिस्पोज कर दी है। मैं हैरान था। पुलिस मौके पर गई। उन्हें चप्पल मिली। पुलिस वहां पहुंची थी, तब पब्लिक ने देख लिया। तब रात का वक्त था। पुलिस ने 28 दिसंबर की रात मुझे भी थाने बुला लिया। सुरेंद्र और मुझे अलग-अलग थाने में रखा गया था। मैं बार-बार सोच रहा था कि आखिर उसने मर्डर क्यों किया। सुरेंद्र कोली अलग-अलग कहानियां बता रहा था। पुलिस ने चप्पल रिकवर कर ली। फिर हम लोगों को अलग थाने में शिफ्ट किया गया। उधर लोग कोठी के पीछे कूद पड़े। ये देखने के लिए आखिर वहां से क्या मिला। उन्हें खोपड़ियां मिलीं। जैसे ही ये सब मिला, शोर मच गया। इसके बाद पुलिस ने बच्चों के केस में जांच शुरू की। तब पहली बार लापता बच्चों के मारे जाने का पता चला था। जब बड़ी लड़की के मर्डर केस की वजह समझ नहीं आई, तब मुझे शक होने लगा कि कहीं न कहीं गायब बच्चों से इसका लिंक है। ये बात कुछ पुलिस अधिकारियों को बताई भी। अगले दिन बच्चों वाले मामले का लिंक मिल भी गया। सवाल: सुरेंद्र कोली ने पुलिस को पहला बयान दिया था कि आपके कहने पर वो बच्ची को लाया था। इसके बाद आपने बच्ची के साथ गलत काम किया। फिर उसे दे दिया। उसने भी गलत काम किया। फिर हत्या कर ठिकाने लगा दिया। इस पर आपका क्या कहना है?जवाब: पुलिस को तो बयान लेना था। मुझे रिमांड पर लेना था। उसने क्या कहा, उससे क्या कहलवाया गया, मुझे नहीं पता, लेकिन इसमें एक पर्सेंट की सच नहीं है। जब मर्डर हुए, मैं वहां नहीं रहा। मैं टूर पर होता था, तभी मर्डर होते थे। मैं नोएडा में था, तब सिर्फ एक घटना हुई थी। उस दिन मैं घर आया, सामान लिया, फिर नोएडा से आउट ऑफ स्टेशन चला गया। बाकी केस में या तो मैं विदेश में था या बेटे के पास कनाडा में रहा। मुझे लगता है कि या तो उससे कहलवाया गया क्योंकि उससे मेरे सामने पूछताछ हुई थी तब उसने ऐसा कुछ नहीं बताया था। पुलिस वाले मुझसे खुद कहते थे कि तुम्हारा इसमें कोई लेना-देना नहीं है। असल में ये बयान पुलिस ने उस दिन लिखा, जब मुझे रिमांड पर लेना था। मुझे किस आधार पर रिमांड पर लेते। मेरा तो केस ही नहीं बनता था। पुलिस को कुछ तो बनाना था। उस दिन मेरे सामने एसपी बैठे थे। उनके सामने फोटो दिखाई गई। फिर मुझे कहा गया था कि इसने कुछ नहीं किया है। सवाल: आप नहीं थे, लेकिन कोठी में आपके एक करीबी दोस्त के बेटे भी काफी वक्त तक रहे। और भी लोग रहे। तब कैसे मर्डर हुए और उन्हें क्या पता चला?जवाब: मेरे घर पर नहीं रहने पर, मेरा भतीजा भी रहा। मेरे दोस्त का बेटा रहा। इस दौरान भी मर्डर हुए। बॉडी ऊपर पड़ी रहीं। घर में रिपेयरिंग हो रही थी। तब भी बॉडी बॉथरूम में थीं। नौकर का बाथरूम कोठी के ऊपर फर्स्ट फ्लोर पर है। उसे सिर्फ नौकर इस्तेमाल करता था। बाकी नीचे के हर कमरे में अटैच बाथरूम था। इसलिए कोई ऊपर जाता ही नहीं था। आप खुद बताएं, आप कभी नौकर के बाथरूम में जाएंगे। अगर घर में कोई लेडी होती, तो शायद कभी देखने चली भी जाती। मेरे घर में ऐसा नहीं था। हां, घर में रोज झाड़ू-पोछे वाली आती थी। वो नीचे सफाई कर देती थी। उसे भी कभी शक नहीं हुआ। मेरे दोस्त का बेटा तो 3-4 महीने रहा। उस दौरान कोई मर्डर नहीं हुआ। इसलिए कई बार कुछ मर्डर में इस तरह का गैप आता था। अगर कोई आ गया, तो उसे भी पता नहीं चला कि ऊपर बॉडी पड़ी है। उसके बाद वो (सुरेंद्र कोली) अगले दिन मौका देखकर डिस्पोज कर देता था। कैसे करता था, ये सब हमें कभी पता नहीं चला। सवाल: आपके यहां एक हाउस हेल्प माया सरकार थी। उन्होंने बयान दिया था कि जो कपड़े धोए थे, उनमें खून के निशान देखे थे?जवाब: नहीं। ऐसा कभी नहीं हुआ। ऐसा बयान होता, तब तो हमें सजा हो जाती। वो भी जेल में होती क्योंकि वो भी साजिश में शामिल होती। अगर उसे पता था, तो पहले क्यों नहीं बताया। ये बहुत बड़ा आरोप है, लेकिन हवा में बात है। उसका बयान ये था कि मैं कपड़े धोती थी। सुरेंद्र कोली अपने कपड़े मुझसे नहीं धुलवाता था। एक बार सुरेंद्र कोली बीमार था। तब उसने अपने कपड़े धोने के लिए दिए थे। उसे कभी घर में या कहीं खून के धब्बे नहीं मिले। कपड़ों में खून के धब्बे नहीं मिले। उसके बयान से सजा दिलाने में मदद नहीं मिलती। इसलिए जांच एजेंसी ने इस बयान को शामिल नहीं किया। मैंने कोर्ट में ये बात कही थी कि जो नौकरानी घर आकर सफाई कर रही है, तो उसे ज्यादा पता होना चाहिए या मुझे पता होना चाहिए। सवाल: पीड़ित परिवारों का दावा है कि कोठी के सामने एम्बुलेंस आकर खड़ी होती थी। नर्स और डॉक्टर आते थे। ये मानव अंगों के कारोबार से जुड़ा केस है?जवाब: क्या मोनिंदर सिंह पंढेर जेब में एम्बुलेंस रखकर लाता था। कोई उसका मालिक होगा, उसके कर्मचारी होंगे। वे लोग कहां गायब हो गए। उनके बयान क्यों नहीं आए। हां, हमारे घर के पास डॉक्टर का घर है। उनके घर कभी एम्बुलेंस आ गई हो तो इस पर मैं कुछ कह नहीं सकता। क्या CBI को इसकी जांच नहीं करनी चाहिए थी। ये छोटा आरोप नहीं है, जिस तरह से मोनिंदर सिंह पर आरोप लगा कि नौकर से बच्चियों को बुलवाता था। ये उससे भी बड़ा आरोप है। सवाल: क्या निठारी कांड में ऑर्गन ट्रेड का मामला है। एक रिपोर्ट में इस एंगल से जांच करने की बात कही गई थी। क्या कभी कोर्ट में या बहस करते हुए अंगों की तस्करी की चर्चा हुई?जवाब: मैं तो लॉजिकल बात कर सकता हूं। कोर्ट में तो इसकी चर्चा नहीं हुई। उस दौरान तो मीडिया में भी काफी कुछ आया था। पहले ह्यूमन ट्रैफिकिंग कहा गया। फिर ऑर्गन ट्रेड का हुआ। हर एंगल पर इन्वेस्टिगेशन हुआ। सारे सवाल हमसे भी पूछे गए। नार्को टेस्ट में भी ऑर्गन ट्रेड से जुड़े सवाल पूछे गए। हमने बताया था कि इसमें ऑर्गन ट्रेड से क्या लेना-देना। बिना ऑपरेशन थिएटर के ऑर्गन ट्रेड कैसे हो सकता है। बिना एक्सपर्ट डॉक्टर के ये कैसे हो सकता है। ये भी समझ में नहीं आया। ऐसा नहीं है कि जेब से ऑर्गन निकाला और दूसरे में डाल दिया। इसके लिए पूरा सेटअप होना चाहिए। लोग कहते थे कि मोनिंदर सिंह पंढेर अंगों को बाहर भेजता था। कोई हमें बता दे कि कैसे और किस रूट से ऑर्गन दूसरे देशों में भेजा जा सकता है। सवाल: CBI के सामने मजिस्ट्रेट को दिए बयान में सुरेंद्र कोली ने कबूल किया था कि उसने कई बच्चों की हत्या के बाद उनका मांस खा लिया था?जवाब: मैं तो सुनकर हैरान हो जाता हूं। मजिस्ट्रेट के सामने उसने बयान दिया। पुलिस तो मारपीट करके कहेगी नहीं कि तुम्हें खाने की बात कबूल करनी है। मांस खाने की कोई अलग सजा तो नहीं है। उसने ऐसा क्या किया, क्यों किया, मुझे नहीं पता। मैंने कभी नहीं सुना कि उसने इंसानी मांस खाया या नहीं। मैं कमेंट नहीं कर सकता। हां, बाद में जरूर पता चला कि दुनिया में ऐसे लोग होते हैं, जो इंसानों का मांस खा लेते थे। इससे ज्यादा कोई घृणा वाली बात नहीं हो सकती है। वो भी जहां बच्चों से जुड़ा मामला हो। सवाल: पीड़ित परिवार कहते हैं कि पंढेर करोड़पति हैं। पैसों के दम पर सारा आरोप नौकर पर मढ़ दिया। खुद बच गया?जवाब: ये कहना सबसे आसान है। वैसे भी ये ट्रेंड बन चुका है। करप्शन ने हमारे सिस्टम को तोड़ दिया है। लोग सच्चाई को मानते नहीं हैं। क्या पैसे वाले ही सिर्फ क्राइम करते हैं। मैंने तो सब कुछ खो दिया। मेरा पैसा क्या कर लेगा। अगर मैंने सारे लोगों को खरीद लिया, तो कैसे इतने साल जेल में रहा। ऐसे तो हम भी कह सकते हैं कि दूसरे लोगों ने पैसे देकर हमें इतने साल रखा। सवाल: निठारी से 17 या इससे ज्यादा बच्चे गायब हुए। इनके कंकाल मिले। ये तो सच है। अब आरोपी बरी हो रहे हैं। ये क्यों हो रहा है?जवाब: इससे सिर्फ दुख होता है। सिस्टम पर गुस्सा आ रहा है। हमारा समाज क्यों इसे स्वीकार कर रहा है। हमने अपने बच्चों की क्यों नहीं अच्छे से देखरेख की। सवाल: पीड़ित परिवार तो कहते हैं कि हम गरीब हैं, इसलिए पुलिस कार्रवाई नहीं करती थी। 5 साल की बच्ची के गायब होने पर भी कहते थे कि किसी के साथ भाग गई होगी। तो इसमें लोगों की क्या गलती है?जवाब: ये तो सिस्टम की बात है। सिस्टम तो मेरे कंट्रोल में नहीं है। उन्हें तो मैं कोस ही सकता हूं, जैसे पीड़ित परिवार के लोग कोस रहे हैं। जितना वे पीड़ित हैं, उतना ही पीड़ित मैं भी हूं। अगर ये सारे सिस्टम सही होते, तो बच्चे गायब न होते। अगर होते तो तुरंत एक्शन हो जाता। इतना बड़ा केस नहीं होता। मैं भी दुखी नहीं होता। मुझे क्या मिला इससे। अब तो सारी जिंदगी इसी कलंक से गुजारनी है। किस-किस को हम समझाते रहेंगे। आप बताओ ऐसा कौन आदमी है, जो अपने घर जाने से पहले नाले चेक करता है। फिर ये मेरे साथ क्यों। आज भी कई घर मिल जाएंगे, जो नौकरों के सहारे हैं। इस घटना से सिर्फ जिंदगी उजड़ी हैं। उनके बच्चे कभी वापस नहीं आएंगे। मेरी खोई जिंदगी वापस नहीं आएगी। मैं जिंदगी भर रोता रहूंगा। वे (पीड़ित परिवार) भले ही मुझे कितना भी कोसते रहें, मैं जिंदगी भर उसे स्वीकार करता रहूंगा। मैं तो यही कहूंगा कि जितना उन्हें दुख है, भगवान वो मुझे दे दे। और ज्यादा मुझे दे दे। यही मैं कर सकता हूं। वो जी भरकर मुझे गालियां दें। मैं प्रार्थना करूंगा। बस एक बार सोच लें कि मेरा भी परिवार है। सवाल: पूरे केस को दो ही पहलू हैं। सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर। बच्चे लापता हुए। कंकाल मिले। कई के DNA भी मैच हुए। आखिर में क्या हुआ?जवाब: कानूनी तौर पर बात करूं, तो कुछ नहीं हुआ। ये बात तो कोर्ट ने भी मान ली। कोर्ट ने माना कि जांच पूरी तरह से बकवास है। इसकी मुख्य वजह ये है कि पब्लिक ने मुख्य इन्वेस्टिगेशन तो होने ही नहीं दी। इसी तरह से नोएडा के आरुषि मर्डर केस में हुआ था। आप क्राइम सीन पर प्रॉपर तरीके से जांच नहीं करने देंगे या फिर खुद नहीं करेंगे। पब्लिक पुलिस पर दबाव डालेगी। किसी न किसी को अंदर करना ही है। इसलिए मुझे अरेस्ट कर लिया गया। सुरेंद्र कोली पर तो 2-3 हफ्ते में ही साफ हो गया था। सवाल मेरा फंसा था। बड़ा सवाल ये था कि मोनिंदर सिंह पंढेर कैसे भी बाहर न निकल पाए। मेरा हर मूवमेंट रिकॉर्ड होता था। एक ड्राइवर होता था। मैं अकेले गाड़ी में कभी गया ही नहीं। मैं होटल में रुकता था, सभी की बुकिंग मेरे नोएडा ऑफिस से कराई जाती थी। इस तरह मेरे हर मूवमेंट का रिकॉर्ड मेरे ऑफिस में होता था। मेरे टोल टैक्स का रिकॉर्ड दफ्तर में होता था। कब और कहां रुके, कहां गए। सवाल: इस केस में कई लड़कियों (कॉल गर्ल) ने भी बयान दिए थे, जो आपके पास आती थीं?जवाब: एक भी लड़की ने मेरे खिलाफ नहीं बोला। सारी लड़कियों ने कहा कि मेरी दोस्ती थी। हम इनके पास जाते थे। उनके लिए ये रिलैक्सिंग पॉइंट था। घर खाली पड़ा हुआ है। हफ्ते में एक बार आ गए। कोई फोन करके आ गया। रिलैक्स होकर चले गए। मेरे साथ सभी का दोस्ताना था। लड़कियां मुझसे खुलकर बातें करतीं थीं। सुख-दुख भी बतातीं थीं। मैं झूठ नहीं बोलूंगा। सिर्फ सेक्स का एंगल नहीं था। मैं ये बात क्लियर कर सकता हूं। उनमें से एक-दो लड़कियां वाकई बहुत नजदीकी दोस्त थीं। कई बार उनके घरवाले भी आते थे। किसी ने कभी कोई ऐसी हरकत वाली बात नोटिस नहीं की। यहां आने वाले सभी मैच्योर थे। सवाल: कुछ लड़कियों ने कहा था कि सुरेंद्र कोली उनसे डायरेक्ट कॉन्टैक्ट करने की कोशिश करता था। अगर वो अकेले चली जातीं, तो शायद मारी जातीं। आपको किसी ने ऐसा बताया था?जवाब: मुझे पहले ये बात नहीं पता थी। केस खुला तब उन्होंने बताया। एक-दो लड़कियों ने गवाही देते हुए इसका खुलासा किया। ये बताया कि सुरेंद्र कोली ने उन्हें बुलाया था। वो उसे अकेले देखकर घर के अंदर नहीं गईं। शायद यही वजह है कि बच गईं। इस पूरे केस में मैंने सुरेंद्र कोली को कुछ करते हुए आंखों से नहीं देखा। इसलिए इस पर कमेंट करना सही नहीं है। सवाल: आप जेल में आरुषि मर्डर केस के आरोपी रहे डॉ. राजेश तलवार के साथ रहे। उनके मेडिकल कैंप में काफी समय साथ रहे। कभी बात होती थी केस के बारे में?जवाब: हम काफी मेडिकल कैंप में साथ रहे हैं, लगभग रोज ही। हालांकि केस पर ज्यादा बात नहीं होती थी। वे अक्सर रोने लगते थे। वे जेल में आए थे, तो जेलर ने मुझे उनके पास भेजा था। ये कहकर कि तुम भी पढ़े-लिखे हो। शायद उसकी हेल्प हो जाए। मेरा मानना है कि पर्सनली ये डॉ. तलवार के लिए बहुत बड़ी चोट थी। इस चीज को उन्होंने बहुत गहराई से लिया। मुझे नहीं लगता कि वो कभी इस सदमे से बाहर आ सकेंगे।
कॉलेज के दिनों में लालू प्रसाद यादव के लिए पोस्टर चिपकाने वाले इंजीनियर 'मुन्ना', जेपी आंदोलन में पुलिस की गोली से बाल-बाल बचे एक जिद्दी आंदोलनकारी और अब तक 9 बार मुख्यमंत्री बन चुके एक राजनेता। कभी बिहार में मोदी की एंट्री रोक दी, तो कभी उन्हीं के सामने झुक कर कहा- अब कहीं नहीं जाऊंगा। जिनके बारे में लालू ने कहा था- इस आदमी के पेट में भी दांत हैं। मंडे मेगा स्टोरी में नीतीश कुमार की पूरी कहानी; वो BJP के साथ ही रहकर 10वीं बार सीएम बनेंगे या बिहार चुनाव के बाद एक आखिरी पलटी मारेंगे... **** ग्राफिक्स: द्रगचंद्र भुर्जी, अजीत सिंह, और अंकुर बंसल ------ ये स्टोरी भी पढ़िए... प्रशांत किशोर पर छापे क्यों नहीं पड़ते: मोदी के एक फोन पर UN की नौकरी छोड़ी, 6 साल में 6 सीएम बनवाए; PK की पॉलिटिक्स क्या है 12वीं करने के बाद 3 साल पढ़ाई छोड़ दी। नरेंद्र मोदी की कॉल पर यूनाइटेड नेशंस की नौकरी छोड़ दी। मोदी के पीएम बनने के बाद नीतीश के साथ गए। 6 साल में 6 सीएम बनवाने वाला ये शख्स अब खुद बिहार जीतने निकला है। कहता है- इस बार अर्श पर रहूंगा या फर्श पर। विरोधी कहते हैं वो बीजेपी की ‘B-टीम' हैं। पूरी खबर पढ़िए...
ट्रंप के भाषण को एडिट करना पड़ा महंगा, बीबीसी के बॉस टिम डेवी का इस्तीफा, क्या था पूरा मामला?
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'आखिर ये हो क्या रहा है?' टैरिफ को लेकर अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट की किस बात पर भड़के डोनाल्ड ट्रंप?
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अफगानिस्तान के पंजशीर में बड़ी कार्रवाई, अवैध हथियार-गोलाबारूद बरामद, तस्कर गिरफ्तार
अफ़ग़ान पुलिस ने पूर्वी पंजशीर प्रांत में अवैध हथियारों और विस्फोटकों की बड़ी खेप बरामद की है और एक तस्कर को गिरफ्तार किया है
एक दिन पहले हटा आतंकी लिस्ट से नाम, डोनाल्ड ट्रंप से मिलने यूएस पहुंचे इस देश के राष्ट्रपति
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1234 गज का आलीशान महल...न्यूयॉर्क मेयर चुनाव जीतने के बाद अब कहां रहेंगे ममदानी?
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Rohingya Muslim Crisis News: म्यांमार से रोहिंग्या शरणार्थियों को लेकर मलेशिया जा रही एक नाव मलेशिया के तट के पास डूब गई. इस घटना में 3 की मौत हो गई, जबकि 11 लोग बचा लिए गए. करीब 200 लोगों को लेकर दूसरी नावें अब तक लापता हैं.
CNSA contact NASA: यह पहली बार था जब नासा नहीं बल्कि चीन की तरफ से पहले कदम उठाया गया हो. अब इसे अंतरिक्ष सुरक्षा और सहयोग की दिशा में एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है.हाल के वर्षों में उपग्रहों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है.
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40 एयरपोर्ट्स में 5000 फ्लाइट्स कैंसिल, खाने-पीने के पड़े लाले; शटडाउन पर टस से मस नहीं हो रहे ट्रंप
America Shutdown Six Week: अमेरिका में लगातार बढ़ते शटडाउन के कारण अब स्थिति और खराब हो गई है. इसके बावजूद अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप टस से मस नहीं हो रहे हैं.
245 police officers resign in New York City:न्यूयॉर्क केनए मेयर चुने गए जोहरान ममदानी का अभी शपथ समारोह नहीं हुआ है, इससे पहले ही शहर में एक नया बवाल मचा हुआ है. पुलिस अधिकारी लगातार नौकरी छोड़ रहे हैं. पिछले एक महीने में 245 पुलिसकर्मियों ने रिजाइन कर दिया है.
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच नहीं बनी बात, तीसरे राउंड की बैठक में नहीं निकला कोई हल
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तीसरे राउंड की वार्ता का कोई निष्कर्ष नहीं निकला
‘लोग नाराज और निराश हैं। उनमें पिछली बार जैसा जोश नहीं है। 2024 के विधानसभा चुनाव में हमें उम्मीद थी कि कुछ डेवलपमेंट होगा, लेकिन कुछ नहीं हुआ। 1977 से अब तक हर बार हमने यहां से नेशनल कॉन्फ्रेंस को ही चुनकर भेजा, लेकिन यहां कौन सा विकास हुआ, क्या कोई प्रोग्रेस आपको दिख रही है। फिर आप ही बताइए हम किसे वोट दें।‘ उपचुनाव के बारे में पूछते ही बडगाम में रहने वाले रियाज अपनी नाराजगी छिपा नहीं सके। वो तय नहीं कर पा रहे कि उपचुनाव में किसे वोट दें। कश्मीर की बडगाम विधानसभा सीट पर 11 नवंबर को उपचुनाव होना है। 2024 में हुए विधानसभा चुनाव में CM उमर अब्दुल्ला ने बडगाम और गांदरबल दो सीटों से चुनाव लड़ा था। दोनों से जीत के बाद उमर ने बडगाम सीट छोड़ दी, तब से ये खाली है। बडगाम से नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के आगा सैयद महमूद, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) के आगा मुंतजिर मेंहदी, अवामी इत्तेहाद पार्टी के नजीर अहमद खान मैदान में हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि बडगाम उपचुनाव कोई लोकल इलेक्शन नहीं है। ये मौजूदा सरकार का इम्तिहान है। यहां उमर सरकार के खिलाफ नाराजगी जरूर है, लेकिन उनके गढ़ में कैंडिडेट मजबूत है। इसलिए मुकाबला कड़ा होगा। जम्मू की नगरोटा सीट पर भी 11 नवंबर को ही उपचुनाव होने हैं। ये सीट BJP विधायक देवेंद्र सिंह राणा के निधन के बाद खाली हुई है। यहां से BJP ने उन्हीं की बेटी देवयानी राणा को ही टिकट दिया है। जबकि NC से शमीम बेगम मैदान में हैं। राज्यसभा चुनाव के दौरान NC से हुए विवाद के चलते कांग्रेस ने कैंडिडेट नहीं उतारा है। यहां माहौल BJP के पक्ष में है। वोटिंग के पहले हम बडगाम और नगरोटा में ग्राउंड पर पहुंचे और यहां का चुनावी मिजाज जाना। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… सबसे पहले बडगाम के वोटर्स की बात…उमर को चुना लेकिन कमजोर CM साबित हुएबडगाम में रहने वाले रियाज अहमद में उपचुनाव को लेकर कोई जोश नहीं दिखता। वे कहते हैं, ‘मौजूदा सियासी हालात को लेकर लोगों में जबरदस्त गुस्सा है। लोगों में चुनाव को लेकर अब वो उत्साह नहीं बचा जो पहले था। हम बहुत मुश्किलों का सामना कर चुके हैं। जो कुछ भी हमारा था, वो सब हमसे छीन लिया गया। इसलिए अब ज्यादा उम्मीद नहीं बची है।‘ ‘2024 के विधानसभा चुनाव में शेर-ए-कश्मीर की विरासत को याद करते हुए हमने उमर अब्दुल्ला को वोट दिया था। जब वो यहां आए तो हमें लगा हमारे मुख्यमंत्री हैं, लेकिन वो बहुत कमजोर CM साबित हुए। मैंने इससे पहले कभी इतना प्रभावहीन और कमजोर मुख्यमंत्री नहीं देखा।‘ PDP के बारे में पूछने पर रियाज कहते हैं, ‘नेशनल कॉन्फ्रेंस और PDP अलग नहीं है, ये एक हैं। ये एक ही पार्टी के बस दो चेहरे भर हैं।‘ उमर को चुनना गलती, ये सही लीडर चुनने का दूसरा मौकाबडगाम में ही हमें रईस अहमद मिले। उपचुनाव के बारे में पूछते ही वो 2024 के विधानसभा चुनाव में किया उमर अब्दुल्ला का वादा याद दिलाने लगे। वे कहते हैं, ‘जब उमर बडगाम और गांदरबल दो सीटों से चुनाव लड़ रहे थे, तब उन्होंने वादा किया था कि जिस सीट से ज्यादा मार्जिन से जीतेंगे वही सीट अपने पास रखेंगे। हमने बडगाम से उन्हें ज्यादा मार्जिन से जीत दिलाई, लेकिन फिर भी उन्होंने इसे ठुकरा कर गांदरबल को चुना।‘ ‘हमें इस बात से परेशानी नहीं है कि उन्होंने गांदरबल को क्यों चुना। वो भी कश्मीर का ही हिस्सा है, भला उसे चुनने में क्या दिक्कत। हमारा सवाल ये है कि गांदरबल को चुनने के बाद वहां पिछले एक साल में उन्होंने किया क्या। कोई भी एक काम किया हो तो बता दें। उन्होंने डेवलपमेंट का कोई काम नहीं किया। अगर वो बडगाम को चुनते तब भी यही होता।‘ रईस आगे कहते हैं, ‘ये उपचुनाव बडगाम के लोगों के लिए सही लीडर चुनने का दूसरा मौका है। पिछले कई दशकों से नेशनल कॉन्फ्रेंस यहां की जनता के साथ अन्याय करती आ रही है। डेवलपमेंट के नाम पर इतने सालों में यहां कुछ भी नहीं हुआ। इसलिए अब बदलाव का वक्त आ गया है।‘ ‘अब ये बदलाव आगा सैयद मुंतजिर मेंहदी लाएंगे। इस बार बडगाम के लोगों ने तय कर लिया है कि वो मुंतजिर मेंहदी को सपोर्ट करेंगे। वैसे तो चुनाव मैदान में उम्मीदवार और भी है लेकिन मुंतजिर मेंहदी में ही वो क्षमता है, जो पिछले 70 साल की नाइंसाफी का अंत कर सकें। नगरोटा में वोटर बोले- जिसने जमीन मालिक बनाया, हम उसके साथ जम्मू की नगरोटा सीट पर हमारी मुलाकात देव राज से हुई। वो उमर अब्दुल्ला के दादा शेख अब्दुल्ला को याद करते हुए कहते हैं, ‘राजा-महाराजाओं के दौर में हमारे पास जमीन का मालिकाना हक नहीं था। शेख अब्दुल्ला ने हमें जमीन का मालिक बनाया। उन्हीं की वजह से आज हम अपनी जमीनों के हकदार बने हैं। नगरोटा सीट पर तो हम उन्हें ही सपोर्ट करेंगे।‘ ‘नेशनल कॉन्फ्रेंस ने पिछले एक दशक में यहां बहुत काम किया है। चुनाव लड़ रहीं NC कैंडिडेट शमीम बेगम ने भी डीडीसी की चेयरपर्सन रहते हुए क्षेत्र के लिए बहुत काम किया है। इसलिए हम पूरी तरह से NC के साथ हैं।‘ अब जान लीजिए पॉलिटिकल एक्सपर्ट क्या कह रहे…ये लोकल इलेक्शन नहीं, उमर अब्दुल्ला सरकार का इम्तिहानबडगाम और नगरोटा उपचुनाव को लेकर हमने पॉलिटिकल एनालिस्ट राकेश कौल से बात की। वे कहते हैं, ‘बडगाम उपचुनाव लोकल इलेक्शन से कहीं बड़ा है। ये सिर्फ NC और PDP के बीच लड़ाई नहीं है। ये जम्मू-कश्मीर सरकार यानी नेशनल कॉन्फ्रेंस के लिए एक इम्तिहान की तरह है। ये सरकार के कामकाज और उसकी निष्ठा को लेकर एक जनमत संग्रह है, जिसके नतीजे तय करेंगे कि जम्मू और कश्मीर के यूनियन टेरेटरी बनने के बाद यहां की पारंपरिक पार्टियां लोगों के लिए क्या मायने रखती हैं।‘ ‘बडगाम सीट की बात करें तो मुकाबला बहुत कड़ा है। जम्मू-कश्मीर की सत्ता में बैठी NC को लोगों के सवालों का सामना करना पड़ रहा है। विधानसभा चुनाव में गैस सिलेंडर, बिजली और चावल समेत तमाम वादों को लेकर उमर अब्दुल्ला घिरे हुए हैं। टिकट बंटवारे को लेकर भी पार्टी का एक धड़ा नाराज है। पार्टी सांसद आगा रुहुल्लाह ने तो कैंपेनिंग से ही इनकार कर दिया। इसका असर भी चुनाव में दिखेगा, लेकिन अपने गढ़ में NC मजबूत है।‘ कौल आगे कहते हैं, ‘नगरोटा सीट की बात करें तो यहां लड़ाई BJP और NC के बीच है, लेकिन मुकाबला आसान नहीं है।‘ ‘हालांकि यहां BJP को एक बात का फायदा भी मिल सकता है। यहां देवयानी राणा के लिए सहानुभूति की लहर है क्योंकि उनके पिता देवेंद्र सिंह राणा का वोटर्स से लंबे समय से जुड़ाव रहा है। देवेंद्र सिंह राणा, नगरोटा से तीन बार के विधायक रहे थे। लंबे समय से ये क्षेत्र उनका राजनीतिक गढ़ रहा।‘ कौल का मानना है कि NC ने आखिरी मौके पर शमीम बेगम को यहां के अपना उम्मीदवार घोषित किया है। हालांकि राज्यसभा सीटों के बंटवारे को लेकर अंदरूनी टकराव के कारण कांग्रेस ने कैंडिडेट नहीं उतारा है, जिसका थोड़ा बहुत फायदा NC को मिल सकता है। उनका ये भी कहना है कि वोटरों ने NC के राष्ट्रीय सम्मेलनों में चुनावी वादे पूरा न करने पर सरकार को घेरा है। भले ही पार्टी को सत्ता में आए अभी एक साल ही हुआ हो, लेकिन ये विरोध बडगाम और नगरोटा के नतीजों पर असर डाल सकते हैं। अब बडगाम के कैंडिडेट्स की बात…नेशनल कॉन्फ्रेंस में बडगाम सीट पर अंदरूनी खींचतानबडगाम और नगरोटा विधानसभा सीटों पर उपचुनाव को लेकर जम्मू-कश्मीर के सियासी दलों की खींचतान खुलकर सामने आ गई है। बडगाम सीट पर जंग सियासी से ज्यादा निजी हो गई है। नेशनल कॉन्फ्रेंस से श्रीनगर के सांसद आगा सैयद रुहुल्लाह मेहदी अपने चाचा आगा सैयद महमूद को कैंडिडेट बनाए जाने से खुश नहीं हैं। उन्होंने पहले ही साफ कर दिया था कि उनके लिए चुनाव प्रचार नहीं करेंगे। रुहुल्लाह चाहते थे कि रिजर्वेशन रिपोर्ट को पब्लिक किया जाए, तभी उम्मीदवार उतारा जाए। रुहुल्लाह ने आरक्षण नीति को लेकर हो रहे प्रदर्शनों का भी खुलकर समर्थन किया। जब महमूद ने कहा कि रुहुल्लाह पार्टी के लिए प्रचार करेंगे तो उन्होंने जवाब में कहा, 'मेरी वफादारी मेरे सिद्धांतों से है। मैं अपने बड़ों का सम्मान करता हूं, लेकिन उनसे अनुरोध है कि मेरी लड़ाई को छोटा न करें। अगर समझ न आए तो कम से कम मुझे या मेरे संघर्ष को नीचा न दिखाएं।' PDP बोली- जनता की आवाज बनेंगे, सारे वादे पूरे कराएंगेबडगाम में PDP कैंडिडेट आगा सैयद मुंतजिर मेहदी ने कहा, 'ये चुनाव दोहरी अहमियत रखता है। बडगाम का फैसला सिर्फ क्षेत्र में ही नहीं पूरे जम्मू-कश्मीर के भविष्य पर असर डालेगा। लोग सड़क, बिजली, पानी जैसे बुनियादी मुद्दों के लिए प्रतिनिधि चुनते हैं। उन्हें हम वो बुनियादी सुविधाएं दिलाएंगे।' 'हम महबूबा मुफ्ती के निर्देश पर चल रहे हैं। वे कहती हैं कि जनता की आवाज बनो। हम बडगाम से शुरुआत कर रहे हैं। सालों से परेशानी का सामना कर रहे लोगों की आवाज हर मंच पर उठाएंगे और उन्हें न्याय दिलाएंगे।' मुंतजिर ने NC पर निशाना साधते हुए कहा, 'अगर PDP जीती तो NC को मजबूर करेंगे कि वे अपने वादे पूरे करें। 200 यूनिट मुफ्त बिजली, मुफ्त गैस सिलेंडर, युवाओं को नौकरियां जैसे सारे वादे जो अब तक हवा में हैं, उन्हें पूरा कराएंगे।' NC कैंडिडेट बोले- बडगाम में दो आगाओं के बीच मुकाबलावहीं नेशनल कॉन्फ्रेंस के उम्मीदवार आगा सैयद महमूद का कहना है, 'बडगाम में असल मुकाबला दो आगाओं के बीच है। एक वो खुद और दूसरे PDP से आग मुंतजिर। तीसरा आगा (BJP के आगा सैयद मोहसिन) न परिवार से जुड़ा है, न राजनीति से। ये विपक्ष की साजिश है।' महमूद आगे कहते हैं, 'हमारे रास्ते अलग हो सकते हैं, लेकिन मकसद एक ही है लोगों की सेवा करना। बडगाम श्रीनगर के इतना करीब होने के बावजूद उपेक्षित रहा है। हमारे मुख्यमंत्री और मंत्री सरकार में हैं। मैं वादा करता हूं कि बडगाम को मॉडल विधानसभा बनाऊंगा।' अब नगरोटा के उम्मीदवारों की बातBJP: नगरोटा को एक मॉडल विधानसभा बनाएंगे जम्मू की नगरोटा सीट BJP विधायक देवेंद्र सिंह राणा के निधन के बाद खाली हुई है। उन्होंने पिछले चुनाव में 30,472 वोटों की जीत हासिल की थी। अब BJP ने उनकी बेटी देवयानी राणा को मैदान में उतारा है। उपचुनाव को लेकर देवयानी ने कहा, 'मैं पार्टी नेतृत्व खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आभारी हूं कि उन्होंने मुझे ये मौका दिया। मेरे पिता का सपना था कि नगरोटा एक मॉडल विधानसभा बने। 14 नवंबर की जीत मैं उन्हें और पार्टी को समर्पित करूंगी। नगरोटा के लोगों से मेरा वादा है कि उनके जाने के बाद भी मैं उनका हर एक वादा पूरा करूंगी।' NC: नगरोटा की जनता की आवाज बनेंगेनेशनल कॉन्फ्रेंस ने नगरोटा सीट से शमीम बेगम को उतारा है। वे कहती हैं, 'मैं नगरोटा से इसलिए चुनाव लड़ रही हूं ताकि हर नागरिक की आवाज सुनी जाए और विकास हर कोने तक पहुंचे। मेरा फोकस एजुकेशन, हेल्थ और महिलाओं को सशक्त बनाने पर होगा।' शमीम वादा करते हुए कहती हैं, 'नगरोटा में बहुत संभावनाएं हैं, लेकिन सालों से यहां के मुद्दे उपेक्षित रहे हैं। अगर जनता मौका देती है तो इन्फ्रास्ट्रक्चर, बुनियादी सुविधाएं, युवाओं और महिलाओं के लिए नए मौके तलाशेंगे।' शमीम के प्रचार में पहुंचे मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने NC में अंदरूनी तनाव के बीच कहा, 'प्रचार में हिस्सा लेना है या न लेना वो किसी का भी निजी फैसला है। हमारा अभियान मजबूत है। जो आज साथ नहीं है, वो कल सफलता में भी हिस्सेदार नहीं होगा। हमने बडगाम और नगरोटा दोनों सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं। हमें जीत की पूरी उम्मीद है। हमारे उम्मीदवार जनता तक पहुंच रहे हैं। विकास और शासन का विजन पेश कर रहे हैं।' नगरोटा से इसके अलावा पैंथर्स पार्टी के हर्षदेव सिंह भी मैदान में हैं, लेकिन कांग्रेस ने कैंडिडेट नहीं उतारा है। कांग्रेस का कहना है कि वो BJP-विरोधी वोट एकजुट करना चाहती है।.................... ये खबर भी पढ़ें... JDU बागी ने फंसाई नीतीश की करीबी मंत्री की सीट ‘जनता को हमसे-आपसे ज्यादा पता है कि कहां वोट डालना है। सोशल मीडिया के जमाने में किसी को कुछ बताने की जरूरत नहीं है। एक बात जनता के दिमाग में हमेशा रहती है कि कोई नेता चुनाव लड़ता है, तो लोग चाहते हैं कि वो उनके बीच आए।’ ये बात कह रहे अमित कुमार चौधरी दुधौली गांव के मुखिया हैं। ये गांव पूर्णिया जिले की धमदाहा विधानसभा सीट में आता है। नीतीश सरकार में मंत्री लेसी सिंह यहां से लगातार तीन बार से विधायक हैं। पढ़िए पूरी खबर...
सबसे पहले ये 2 बयान पढ़िए…’मुसलमान का मतलब कांग्रेस, कांग्रेस का मतलब मुसलमान। आज कांग्रेस और तेलंगाना सरकार की ताकत हमारे मुसलमान भाई-बहन हैं। हमने BJP के जी किशन रेड्डी की जायदाद नहीं मांगी, न ही नरेंद्र मोदी के गुजरात में जमीन मांगी। हम तो तेलंगाना में मुसलमान भाइयों के हक की लड़ाई लड़ रहे हैं। उपचुनाव में BJP-BRS' एक टीम में हैं, लेकिन वो अपनी जमानत नहीं बचा पाएंगे।’- जुबली हिल्स में कांग्रेस-AIMIM की चुनाव प्रचार रैली में CM रेवंत ने कहा। 'जुबली हिल्स का चुनाव जीतने के लिए कांग्रेस पार्टी AIMIM के हाथों बिक गई है। उनके नेता AIMIM के लीडर्स के आगे झुक-झुककर सलाम कर रहे हैं। आजादी से लेकर अब तक कांग्रेस पार्टी हर चुनाव में हिंदू-मुस्लिम करती है। वो अंग्रेजों की डिवाइड-एंड-रूल पॉलिसी पर चलती है।' -CM रेवंत रेड्डी के बयान पर पलटवार करते हुए BJP नेता और केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा। 11 नवंबर को तेलंगाना की जुबली हिल्स सीट पर उपचुनाव के लिए वोटिंग होनी है। उससे पहले सियासी पारा गर्म है। इस सीट पर 4 लाख वोटर्स में से 1.2 लाख मुस्लिम वोटर हैं, जो हार-जीत तय करने में बड़ा फैक्टर माने जा रहे हैं। लिहाजा सभी पार्टियां इन्हें साधने में जुटी हुई हैं। इस चुनाव में कुल 58 कैंडिडेट्स एकदूसरे के खिलाफ लड़ रहे हैं। मेन मुकाबला BRS की मगंती सुनीता, कांग्रेस के वी नवीन यादव और BJP के लंकला दीपक रेड्डी के बीच है। मुस्लिम बहुल जुबली हिल्स सीट पर सबसे चौंकाने वाली बात यहां से AIMIM का चुनाव न लड़ना है। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने कांग्रेस को खुला सपोर्ट दिया है। दूसरी तरफ BJP-BRS भले ही अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन दोनों के बीच साइलेंट गठबंधन की सुगबुगाहट है। जुबली हिल्स चुनाव में कौन से बड़े मुद्दे हैं, यहां के वोटर्स क्या सोचते हैं। कौन सी पार्टी कितनी मजबूत है, पढ़िए पूरी रिपोर्ट... पहले जान लीजिए जुबली हिल्स सीट पर कौन सी पार्टी कितनी मजबूत…BRS: 9 साल से मंगती परिवार का वर्चस्व, सिंपैथी वोट से BRS मजबूत तेलंगाना की जुबली हिल्स विधानसभा सीट पर 2009 से अब तक 4 विधानसभा चुनाव हुए, जिसमें 2 बार भारत राष्ट्र समिति (BRS) को जीत मिली। इस सीट पर BRS MLA मगंती गोपीनाथ को 2018 और 2023 में एकतरफा जीत मिली। हर बार उनकी जीत का अंतर पिछली बार से ज्यादा रहा है। 2018 में उन्होंने कांग्रेस कैंडिडेट पी. विष्णुवर्धन रेड्डी को 16 हजार वोट से हराया। वहीं 2023 में उन्होंने कांग्रेस नेता और भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन को 16337 वोटों से मात दी थी। मगंती गोपीनाथ ने 2014 जुबली हिल्स विधानसभा चुनाव TDP के टिकट पर जीता था। जून 2014 में तेलंगाना नया राज्य बन गया। इसके बाद वे BRS में शामिल हो गए। मगंती 9 साल तक लगातार जुबली हिल्स से विधायक रहे, लेकिन इसी साल 8 जून 2025 को उनकी हार्ट अटैक से मौत हो गई। उनके निधन के बाद ये सीट खाली हुई है, जिस पर उपचुनाव हो रहा है। जुबली हिल्स सीट पर BRS की पकड़ सबसे मजबूत जुबली हिल्स को 11 साल बाद जीतना चाहती है कांग्रेस, BJP कमजोर कड़ी इस सीट पर पहला चुनाव 2009 में हुआ। तेलंगाना तब आंध्रप्रदेश का हिस्सा था। कांग्रेस के विष्णुवर्धन रेड्डी ने TDP के मोहम्मद सलीम को हरा दिया था। 2014 तक ये सीट कांग्रेस के पास रही, लेकिन इसके बाद मंगती गोपीनाथ यहां से लगातार MLA बने रहे। इस सीट पर कांग्रेस ही गोपीनाथ परिवार की सबसे बड़ी प्रतिद्वंद्वी रही है। अब 11 साल बाद पार्टी ये सीट जीतना चाहती है। कांग्रेस ने यहां के लोकल कैंडिडेट वी नवीन यादव को उतारा है। स्थानीय लोगों के बीच उनकी ग्राउंड प्रेजेंस ज्यादा है। इस सीट पर BJP सबसे कमजोर कड़ी है। जुबली हिल्स में अब तक पार्टी का खाता नहीं खुल सका है। हालांकि ये इलाका यूनियन मिनिस्टर जी किशन रेड्डी के संसदीय क्षेत्र में आता है। उन्होंने अपने भरोसेमंद लंकला दीपक रेड्डी को यहां से टिकट दिया है। स्थानीय लोगों के मुताबिक, उपचुनाव में कांग्रेस ही BRS को कड़ी टक्कर दे सकती है। वे इसके पीछे 3 बड़ी वजह बताते हैं... 1. जुबली हिल्स में शहरी और शिक्षित वर्ग के 80% से ज्यादा वोटर्स हैं, लिहाजा वे परिवारवाद या किसी भावनात्मक राजनीति से प्रभावित नहीं होंगे। 2. कांग्रेस 22 महीने से तेलंगाना की सत्ता चला रही है। CM रेवंत का प्रशासनिक कंट्रोल और सरकारी स्कीम्स (महालक्ष्मी योजना, इंदिरम्मा हाउसिंग) लोगों के बीच लोकप्रिय रही हैं। 3. जुबली हिल्स में 1.4 लाख मुस्लिम वोटर्स हैं और AIMIM का कांग्रेस को फुल सपोर्ट है। लिहाजा, माइनॉरिटी वोट अगर कांग्रेस की ओर शिफ्ट हुआ तो पार्टी आसानी से चुनाव जीत सकती है। एक्सपर्ट बोले- AIMIM कांग्रेस की माइनॉरिटी सेल की तरह काम कर रहीहैदराबाद और जुबली हिल्स के सबसे बड़े मुस्लिम संगठन ‘तहरीक मुस्लिम शब्बान’ के अध्यक्ष और पॉलिटिकल एक्सपर्ट मुश्ताक मलिक उपचुनाव में खास दिलचस्पी रखते हैं। वे कहते हैं, ‘जुबली हिल्स में ऐसा लग रहा है कि इलेक्शन कांग्रेस नहीं AIMIM लड़ रही है। AIMIM के MP-MLA कांग्रेस का चुनाव चिन्ह लेकर गली-मोहल्लों में घूम रहे हैं। मस्जिदों में उनके लीडर नवीन यादव की जीत के लिए नमाज पढ़ी जा रही है। ऐसा लग रहा है कि AIMIM अब कांग्रेस की माइनॉरिटी सेल बन गई है।‘ ‘जुबली हिल्स में तेलंगाना सरकार की एंटी इनकम्बेंसी साफ नजर आ रही है। यहां BJP के लिए कुछ भी नहीं है, असल मुकाबला BRS-कांग्रेस के बीच ही है क्योंकि इस सीट पर 1 लाख 20 हजार से ज्यादा मुस्लिम वोटर्स हैं और वही डिसाइडिंग फैक्टर बनेंगे, इसलिए दोनों पार्टियां मुस्लिम बिरादरी के हक की बात कर रही हैं।‘ कोट: BRS अगर BJP के साथ मिलकर कोई अंदरूनी पॉलिटिकल गेम खेलेगी तो उसका अंत होना तय है। इसके बाद तेलंगाना भी कांग्रेस वर्सेज BJP स्टेट बन जाएगा। आखिर BJP कमजोर कड़ी क्यों? उपचुनाव में BRS और कांग्रेस के अलावा BJP भी मैदान में है। जुबली हिल्स सीट पर BJP के सामने अच्छा प्रदर्शन करने की चुनौती है, क्योंकि ये सीट साउथ में पार्टी के दिग्गज नेता और केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी के संसदीय क्षेत्र में आती है। वे न केवल PM मोदी के खास मंत्रियों में शामिल हैं बल्कि तेलंगाना BJP के प्रमुख भी रह चुके हैं। हालांकि तेलंगाना के अब तक के चुनावी इतिहास को देखें तो पार्टी जुबली हिल्स सीट नहीं जीत सकी है। तेलंगाना के सीनियर जर्नलिस्ट सूर्यप्रकाश तिवारी के मुताबिक, उपचुनाव जीतना BJP के नए प्रमुख एन रामचंदर राव के लिए भी पहला टेस्ट होगा। अगर जुबली हिल्स में पार्टी का प्रदर्शन फीका रहा, तो गोशामहल सीट से पूर्व BJP MLA टी राजा सिंह जैसे फायरब्रांड नेता फिर से राव पर हमलावर हो जाएंगे। राव को BJP प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने पर राजा सिंह ने पार्टी छोड़ दी थी। ऐसे में ये चुनाव कई मायने में BJP का पॉलिटिकल टेस्ट होगा। सूर्यप्रकाश तिवारी कहते हैं, ‘जुबली हिल्स सीट पर अब तक के समीकरणों को देखें तो BRS सबसे मजबूत नजर आ रही है। पार्टी ने दिवंगत पूर्व विधायक मगंती गोपीनाथ की पत्नी मगंती सुनीता को उतारा है। वो मान रही है कि उपचुनाव में लोगों का सेंटिमेंट काम करेगा। दूसरी तरफ कांग्रेस अपनी योजनाओं को सामने रखकर ये चुनाव लड़ रही है। उसने जीत के लिए CM से लेकर पार्टी के सभी बड़े लीडर्स को चुनावी मैदान में उतार दिया है।‘ MLC अजहरुद्दीन को मंत्री बनाकर मुस्लिम वोटरों को लुभाने की कोशिशतेलंगाना सरकार की कैबिनेट में एक भी मुस्लिम नेता को मंत्री पद नहीं दिया गया। इससे मुस्लिम वोटरों में नाराजगी थी, जिसे खत्म करने के लिए CM रेवंत रेड्डी ने वोटिंग से पहले पूर्व क्रिकेटर मोहम्मद अजहरुद्दीन को MLC के बाद मंत्री बनाकर अल्पसंख्यक कल्याण विभाग सौंप दिया है। वहीं अब AIMIM भी कांग्रेस का समर्थन कर रही है। कांग्रेस के प्रचार में AIMIM नेताओं की मौजूदगी पर KCR के बेटे और BRS के कार्यकारी अध्यक्ष KTR ने बिहार चुनावों का जिक्र करते हुए पूछा- ‘ओवैसी पहले रेवंत रेड्डी को RSS का अन्ना कहते थे। चुनाव में सबकुछ बदल गया। आखिर उनकी कौन सी मजबूरी है, जो हैदराबाद में वो कांग्रेस को सपोर्ट कर रहे हैं जबकि बिहार में विरोध कर रहे हैं। AIMIM का कांग्रेस अपमान कर रही है, लेकिन इसके बाद भी ओवैसी कांग्रेस का सपोर्ट कर रहे हैं।‘ ‘बिहार में कांग्रेस नेता शब्बीर अली बोलते हैं कि AIMIM BJP की बी-टीम है। जबकि यहां ओवैसी की पार्टी उनके लिए वोट मांग रही है। इससे तो यही लगता है कि कांग्रेस असल में BJP की सी-टीम है।’ BJP से साइलेंट दोस्ती BRS के लिए घातक क्यों हैदराबाद के मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी में पॉलिटिकल साइंस के स्टूडेंट शाहिद उमैर के लिए जुबली हिल्स में शिक्षा और रोजगार सबसे बड़े मुद्दे हैं। शाहिद के मुताबिक, हैदराबाद विश्वविद्यालय और मौलाना आजाद यूनिवर्सिटी में हर साल हजारों की संख्या में छात्र ग्रेजुएट होते हैं, लेकिन हैदराबाद में सिर्फ कुछ ही प्रतिशत को नौकरियां मिलती हैं। सरकार को जुबली हिल्स के साथ-साथ शहर में और ज्यादा कंपनियां लानी चाहिए ताकि यहां के युवाओं को अलग-अलग क्षेत्रों में नौकरी मिल सके। शाहिद कहते हैं, ‘2023 विधानसभा चुनाव में AIMIM ने जुबली हिल्स से कैंडिडेट उतारा था, लेकिन पार्टी चुनाव नहीं जीत सकी। इस बार उपचुनाव में AIMIM कांग्रेस के साथ दिख रही है। क्योंकि उसे पता है कि BRS के पास पहले से मुस्लिम सपोर्ट मौजूद है, लेकिन कांग्रेस को सत्ता में रहते हुए भी माइनॉरिटी वोटर्स की जरूरत पड़ सकती है। इसलिए उनसे अपना फायदा देखते हुए ये गठबंधन किया।‘ ‘पिछले लोकसभा चुनाव में ऐसी खबरें सामने आई थीं कि BRS ने BJP को साइलेंट सपोर्ट किया, जिसकी वजह से उसे नुकसान उठाना पड़ा और पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली। BRS एक रीजनल पार्टी है और कभी नहीं चाहेगी कि वो BJP से सपोर्ट लें। अगर वो BJP से सपोर्ट लेती है तो एक खास तबका उससे कट जाएगा।‘ ‘रेवंत सरकार के काम को देखते हुए नवीन यादव का जीतना मुश्किल लग रहा है। लोग सरकार के काम से न तो बहुत खुश हैं न दुखी। महिलाओं के लिए बस फ्री हुई, लेकिन ज्यादा बसें नहीं चलाई गईं । लिहाजा बस में भीड़ से लोग परेशान हैं।‘ उपचुनाव पर पॉलिटिकल पार्टियां क्या कह रहीं...BJP: वोट की लालच में CM ने टोपी पहनी, मैं होता तो सिर कटवा लेताकेंद्रीय मंत्री बंडी संजय कुमार ने CM रेवंत रेड्डी पर निशाना साधते हुए कहा, ‘मुख्यमंत्री वोटों की लालच में सिर पर टोपी पहनकर मुस्लिम समुदाय को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अगर मुझे टोपी पहनने का दिन आया तो मैं अपना सिर कटवा लूंगा।’ ’ओवैसी 2047 तक देश को इस्लामिक राष्ट्र में बदलने का सपना देख रहे हैं और रेवंत रेड्डी तेलंगाना को इस्लामी राज्य में बदलने का षड्यंत्र रच रहे हैं।’ BRS: कांग्रेस ने जुबली हिल्स के नौजवानों और मुसलमानों को धोखा दियाजुबली हिल्स उपचुनाव में BRS की जीत का दावा करते हुए पार्टी के सीनियर लीडर नवीद इकबाल कहते हैं, ‘जुबली हिल्स में BRS की बंपर वोटों से जीत होने वाली है क्योंकि अपने कार्यकाल के दौरान CM रेवंत ने नौजवानों, किसानों और यहां के मुसलमानों के लिए कुछ नहीं किया। उन्होंने कॉलेज की बच्चियों को स्कूटी, 2 लाख स्टूडेंट्स को नौकरी देने का वादा किया था, लेकिन उन्होंने बमुश्किल 6 से 7 हजार नौकरियां ही दीं।‘ कांग्रेस सरकार में बच्चों की ग्रुप-1 एग्जाम में जो गड़बड़ियां हुईं, उस पर राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए हाईकोर्ट ने दोबारा एग्जाम कराने के लिए बोल दिया। जब लोग कांग्रेस सरकार के काम को पसंद नहीं कर रहे हैं, तो भला उनके कैंडिडेट नवीन यादव को कैसे जिताएंगे। जुबली हिल्स के लोग गोपीनाथ जी के साथ हमेशा खड़े थे और अब उनकी पत्नी के लिए खड़े रहेंगे।‘ कांग्रेस: BRS की कार का टायर पंचर हुआ, हमारी जीत पक्कीतेलंगाना कांग्रेस की महिला विंग की लीडर उज्मा शाकिर कहती हैं, ‘AIMIM जुबली हिल्स इलेक्शन में कांग्रेस को खुलकर सपोर्ट कर रही है। BRS की कार का टायर पंचर हो चुका है। KCR ने रात के वक्त अपने फार्महाउस में बैठकर जो वादे किए थे, वो सुबह होते-होते भूल चुके हैं। BRS ने अपने कार्यकाल में KG-टू-PG की पढ़ाई फ्री नहीं की। इस्लामिक सेंटर नहीं बनवाया। नया हज हाउस नहीं बना। KCR ने मुसलमानों को 12% आरक्षण देने का वादा किया था, लेकिन पूरा नहीं कर सके। उनके सभी वादे झूठे हैं।‘ ‘CM रेवंत ने दो साल के अंदर जुबली हिल्स के डेवलपमेंट के लिए 200 करोड़ का बजट सेंक्शन किया। उन्होंने यहां के 30 हजार लोगों को राशन कार्ड बांटे हैं। गरीब लोगों के इलाज के लिए 'आरोग्य श्री' स्कीम और 500 रुपए में गैस सिलेंडर और 200 यूनिट बिजली फ्री करना कांग्रेस की ही देन है। ये सब काम जनता देख रही है और वो हमें फिर से जिताएगी।‘ ..................... ये खबर भी पढ़ें... JDU बागी ने फंसाई नीतीश की करीबी मंत्री की सीट ‘जनता को हमसे-आपसे ज्यादा पता है कि कहां वोट डालना है। सोशल मीडिया के जमाने में किसी को कुछ बताने की जरूरत नहीं है। एक बात जनता के दिमाग में हमेशा रहती है कि कोई नेता चुनाव लड़ता है, तो लोग चाहते हैं कि वो उनके बीच आए।’ ये बात कह रहे अमित कुमार चौधरी दुधौली गांव के मुखिया हैं। ये गांव पूर्णिया जिले की धमदाहा विधानसभा सीट में आता है। नीतीश सरकार में मंत्री लेसी सिंह यहां से लगातार तीन बार से विधायक हैं। पढ़िए पूरी खबर...
कमान संभालने से पहले ही खतरे में आई न्यूयॉर्क मेयर ममदानी की कुर्सी! ट्रंप ने तैयार किया पूरा प्लान
DNA Analysis: कश्मीर में पाकिस्तानी आतंक के खिलाफ ऑपरेशन चल रहा है तो अमेरिका में ट्रंप ने ममदानी के खिलाफ स्पेशल ऑपरेशन शुरू कर दिया है. ट्रंप और ममदानी के बीच दुश्मनी नेक्स्ट लेवल पर पहुंच गई है. ट्रंप ने ममदानी के विरूद्ध अब नए व्यूह की रचना शुरू कर दी है. ये ऐसा चक्रव्यूह है जिसमें ममदानी के मेयर पद की कुर्सी दांव पर है. इस ऑपरेशन की जिम्मेदारी ट्रंप ने अपने सबसे विश्वस्त सहयोगी को दी है. जिसका लक्ष्य एक साल पूरा होते-होते ममदानी को मेयर के पद से हटाना है. आज हम ट्रंप के इस नए प्लान को डिकोड करेंगे.
DNA: शांति वार्ता टूटने से भड़का अफगानिस्तान, बोला - रूस- US को हराया, अब पाकिस्तान की बारी
Pakistan Afghanistan News: पाकिस्तान और अफगानिस्तान में तीसरे दौर की शांति वार्ता आज पटरी से उतर गई. इसके साथ ही दोनों मुल्कों में अब सीधे टकराव की आशंका बढ़ गई है.
DNA: G-20 से अलग होंगे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, वो गोरे हैं लेकिन उनके मन में काला है
DNA: डोनाल्डट्रंप जिस G-20 बैठक का ट्रंप बहिष्कार कर रहे है उस G-20 को खड़ा करने में अमेरिका का बड़ा योगदान था. वर्ष 1999 में जब G-20 की बैठक हुई थी तब अमेरिकी प्रतिनिधि लैरी समर्स ने ही बैठक का पहला एजेंडा पेश किया था.
अब छिड़ेगी बड़ी जंग? क्यों फेल हो गई पाकिस्तान और अफगानिस्तान की बैठक, ये हैं 4 बड़ी वजह
Pakistan Afghanistan peace talk: पाकिस्तान चाहता है कि टीपीपी और उससे जुड़े नेटवर्क को खत्म करने के लिए अफगानिस्तान लिखित समझौते पर साइन करें ताकि सीमापार आंतकवादी हमलों को रोका जा सके. इस पर तालिबान सरकार ने रूख साफ करते हुए किसी भी आतंकवादी संगठन के खिलाफ कार्रवाई को अफगानिस्तान के कानूनों के तहत बताया.
गीजा के पिरामिड के नीचे दिखे दो खुफिया कमरे, क्या मिल गया सम्राट के 'अकूत खजाने' का असली दरवाजा?
Menkaure Pyramid: रिसर्च में शोधकर्ताओं का ध्यान पिरामिड के पूर्वी हिस्से पर बने एक रहस्यमयी भाग की ओर गया, जहां पर लगभग 13 फीट ऊंचे और 20 फीट चौड़े चिकने ग्रेनाइट पत्थरों की एक दीवार बनी हुई है. ऐसे पत्थर केवल उत्तरी हिस्से में पाए जाते हैं.
अमेरिका ने बदल डाली वीजा नियमों की ABCD, रिजेक्शन नहीं चाहिए तो जान लें आवेदन का सही तरीका
America changes H1 visa rules: अमेरिका में हेल्थ सुरक्षा और मेडिकल खर्च के चलते बढ़ रही चिंताओं को कम करने के लिए उड्डयन विभाग की तरफ से आदेश जारी किया गया है. इस आदेश में वीजा प्रक्रिया के तहत मेडिकल रिपोर्ट को अहम हिस्सा बनाया गया है.
World Power Slap Championship: पावर स्लैप एक वर्ल्ड वाइड प्रतियोगिता है जिसमें दो खिलाड़ी आमने-सामने खड़े होकर एक दूसरे को बारी-बारी से जोरदार थप्पड़ मारते हैं. इस खेल के नियम अनुसार, जिस खिलाड़ी की बारी नहीं होती है उसको अपने दोनों हाथ पीछे रखने होते हैं.
Vivek Ramaswamy: अमेरिका के ओहियो में गवर्नर पद के लिए चुनाव होने वाला है. इस चुनाव में भारतीय मूल के विवेक रामास्वामी भी मेयर पद की रेस में है. उन्हें ट्रंप का समर्थन मिल रहा है.
ब्रेकिंग न्यूज़ देशबंधु हिंदी दैनिक 8 नवंबर 2025
आज 8 नवंबर 2025 की देश-दुनिया-राजनीति, खेल, समाज, अर्थव्यवस्था की बड़ी खबरें, जो दिन भर लाइव अपडेट होंगी।
हूतियों के निशाने पर यूएई का बुर्ज खलीफा? क्या है सोशल मीडिया पर किए गए दावे की सच्चाई
UAE news: क्या यमन के गुस्से की चिंगारी अरब देशों तक पहुंच गई है. अफ्रीका की हिफाजत से क्या यमन के हूतियों का कोई वास्ता है. क्योंकि ऐसी अटकलों को लेकर दावा किया जा रहा था कि बुर्ज खलीफा को निशाना बनाया जा सकता है.

