इंदौर में मेट्रो का काम तेजी से किया जा रहा है। जनवरी 2026 तक गांधी नगर से रेडिसन चौराहे तक मेट्रो को चलाने की तैयारी तेजी की जा रही है। मेट्रो सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मध्य हिस्से के डिजाइन में बदलाव करने की तैयारी शुरू हो गई है। बताया जा रहा है कि अगर मेट्रो प्रबंधन रूट में बदलाव करता है तो अंडरग्राउंड मेट्रो का छेत्र 12 किमी का हो जाएगा, जो की अभी 8.7 किमी है। इस बदलाव के बाद के साथ ही मेट्रो का बजट भी बढ़ेगा। रूट का फाइनल सर्वे कराया जाएगा, जिसके बाद डिजाइन में जरूर बदलाव के बाद इसे कैबिनेट में अनुमति के लिए भेजा जाएगा। इसके बाद केंद्र सरकार से भी मंजूरी मिलेगी। फिर काम नए सिरे से शुरू होगा। बता दें कि रोबोट चौराहा से पलासिया चौराहा तक कुल 5.50 किमी पर एलिवेटेड कॉरिडोर का टेंडर 550 करोड़ में हुआ था। अलाइमेंट विवाद के कारण डेढ़ साल से काम ठप पड़ा था। खजराना के बाद से ही इसे अंडरग्राउंड करने की तैयारी है। ठेका निरस्त करने पर भी मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन को मुआवजा देना होगा। अब तक इंदौर मेट्रो पर 4409 करोड़ खर्च हो चुके हैं। 1 हजार करोड़ से ज्यादा होंगे खर्चमेट्रो ट्रैक की प्लानिंग में बदलाव के कारण अब एक हजार करोड़ रुपए ज्यादा खर्च होंगे। अभी मेट्रो प्रोजेक्ट की लागत पंद्रह हजार करोड़ है। बदलाव के बाद लागत और बढ़ेगी। मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट पूरा होने में भी देरी होगी। इसके अलावा अंडरग्राउंड हिस्से में अलग से मिट्टी परीक्षण व अन्य परीक्षण होंगे। बंगाली चौराहे वाले हिस्से से अब मेट्रो ट्रेन अंडरग्राउंड होगी। शहर का यह हिस्सा पथरीला है। यहां निर्माण में भी ज्यादा समय लग सकता है। 2018-19 में शुरू हुआ मेट्रो का कामइंदौर में मेट्रो का काम 2018-19 में शुरू हुआ था। 2021 में रफ्तार मिली, लेकिन कोविड से पहले एजेंसी-कंसल्टेंट विवाद और सरकार बदलने से प्रोजेक्ट अटक गया। 31.32 किमी में से अब तक 17.5 किमी एलिवेटेड कॉरिडोर अधूरा है। तय लक्ष्य 2025-26 था, अब 2027 तक पूरा होने की उम्मीद है। वहीं इंदौर मेट्रो के पूरे प्रियोरिटी कॉरिडोर पर सरकार दिवाली तक मेट्रो चलाने की बात कह रही थी, जबकि प्रबंधन इसे जानती 2026 में चलाने की बात कह रहा है। हालांकि जानकारों का कहना है कि मार्च 2026 तक ही इस पूरे रूट पर मेट्रो चल पाएगी। 12 हजार करोड़ तक पहुंची लागत तीन फेज में तैयार हो रही इंदौर मेट्रो
डी-2 गैंग के सरगना अयाज उर्फ टायसन को बिधनू थाने की पुलिस ने शनिवार को गुपचुप ढंग से जेल भेज दिया। अयाज उर्फ टायसन पर पुलिस ने आर्म्स एक्ट यानी अवैध असलहे के मामले में कार्रवाई की है। जबकि चर्चा थी कि शातिर टायसन ने किसी के हत्या की सुपारी ली है। इस मामले में पुलिस ने उसे उठाया है। जांच में टायसन की पिंटू मर्डर केस के साथ ही छह अपराधिक मुकदमों की क्रिमिनल हिस्ट्री सामने आई है। हत्या के पहले जेल चला जाता है शातिर टायशन कानपुर के चर्चित बसपा नेता पिंटू सेंगर मर्डर केस में आरोपी और डी-2 गैंग का सरगना अयाज उर्फ टायसन को शनिवार को पुलिस बिधनू पुलिस ने अरेस्ट कर लिया। उसके पास से पुलिस को तमंचा और कारतूस बरामद किया है। पूछताछ के दौरान पुलिस को कही अहम इनपुट मिले हैं। इसके बाद बिधनू थाने की पुलिस ने अनवरगंज थाना क्षेत्र कुलीबाजार बकरमंडी निवासी अयाज उर्फ टायसन को कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया। जांच के दौरान सामने आया कि शातिर टायसन के खिलाफ पिंटू सेंगर मर्डर केस, गैंगस्टर समेत छह अपराधिक मुकदमों का इतिहास है। पूछताछ के दौरान मिले इनपुट के आधार पर पुलिस जल्द ही कोई बड़ा खुलासा कर सकती है। शातिर टायसन जेल में बंद अखिलेश दुबे और 100 करोड़ से ज्याद संपत्ति के मामले में फंसे सीओ ऋषिकांत शुक्ला दोनों के संपर्क में था। एनकाउंटर के डर से वह अपनी जमानते कटवाकर जेल जाने की फिराक में था। इससे पहले ही पुलिस ने उसे दबोच लिया और जेल भेज दिया। पुलिस ने दबोचकर भेजा जेल टायसन की मॉडस आप्रेंडी है कि वह हत्या जैसी गंभीर वारदात को अंजाम देने से पहले सरेंडर कर देता है। इसका उसे जमानत और मुकदमे दोनों में फायदा मिलता है। एक अधिकारी ने बताया कि इससे पहले कई मामलों ने वह इसी तरह कर चुका है। हत्या की वारदात से पहले वह जेल चला गया। इसी तरह की साजिश रचकर जेल जाने की फिराक में था। हालांकि कोर्ट के आदेश के बाद उसके मंसूबों पर पानी फिर गया। दरअसल कोर्ट ने उसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का हवाला देते हुए दूसरी जमानत दाखिल करने का समय दे दिया और उसे जेल नहीं भेजा। जिसके बाद शातिर शार्प शूटर टायसन वहां से निकल गया। इसके बाद शनिवार को पुलिस ने उसे दबोचकर जेल भेजा।
बांके बिहारी मंदिर में दर्शन करने आए श्रद्धालु की साइलेंट अटैक से हुई मौत के बाद मंदिर के गोस्वामियों ने मंदिर परिसर में यमुना जल छिड़क कर उसे शुद्ध किया। गोस्वामियों ने मंत्र के बीच मंदिर परिसर के हर हिस्से में यमुना जल छिड़का। इस दौरान उन्होंने मृत आत्मा की शांति के लिए शांति पाठ भी किया। मंदिर परिसर में हर जगह छिड़का यमुना जल शनिवार देर शाम मंदिर बंद होने के बाद मंदिर में गोस्वामियों ने मंदिर को शुद्ध करने के लिए वहां यमुना जल का छिड़काव किया। गोस्वामियों ने मंदिर के आंगन, 2 नंबर गेट,1 नंबर निकासी गेट,जगमोहन सभी जगह यमुना जल का छिड़काव किया। गोस्वामियों ने बताया यह पुरानी प्रथा है। जब किसी की मृत्यु हो जाती है तो उस जगह को शुद्ध करने के लिए गंगा या यमुना जल का छिड़काव किया जाता है। उसी प्रथा के अनुसार मंदिर शुद्ध किया गया है। गोस्वामियों ने कमेटी की व्यवस्था पर खड़े किए सवाल इस दौरान मंदिर के सेवायत हिमांशु गोस्वामी ने मंदिर में कार्यरत हाई पॉवर कमेटी की कार्यशैली पर सवाल उठाया एवं श्रद्धालुओं को हो रही असुविधा के बारे में चिंता ज़ाहिर की । उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मंदिर प्रबंधन एवं श्रद्धालुओं के सुविधार्थ हेतु हाई पावर्ड टेंपल मैनेजमेंट कमेटी का गठन किया गया था परंतु तीन माह बीत जाने के बाद भी बांके बिहारी मंदिर की व्यवस्थाएं जस की तस हैं। आए दिन श्रद्धालु बेहोश होते रहते हैं एवं तीन माह के भीतर दूसरी मृत्यु हो चुकी है। इस मौके पर मुकुंद गोस्वामी, निखिल गोस्वामी, हिमांशु गोस्वामी , मयूर गोस्वामी, तुषार गोस्वामी आदि मौजूद रहे। दिल्ली के श्रद्धालु की हुई थी मौत बांके बिहारी मंदिर में शनिवार को दिल्ली से आए 67 वर्षीय श्रद्धालु अखिल मथुरा की अटैक के कारण मौत हो गई थी। हरीनगर दिल्ली निवासी अखिल परिवार के साथ दर्शन करने आए थे। वह दर्शन कर जब वापस जा रहे थे इसी दौरान उनको अटैक आया। मंदिर के सुरक्षा कर्मी अखिल को लेकर अस्पताल पहुंचे। जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था।
पटना एयरपोर्ट पर तेज प्रताप और रवि किशन की मुलाकात से सियासी अटकलें तेज
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव और अभिनेता से भाजपा सांसद बने रवि किशन ने शनिवार को दूसरी बार पटना हवाई अड्डे पर मुलाकात की
कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पचमढ़ी में जंगल सफारी के लिए निकले हैं। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, वे पचमढ़ी से पनारपानी गेट तक 10 किमी काफिले के साथ जाएंगे। जहां गाड़ी से उतरकर खुली जिप्सी में सैर करेंगे। इससे पहले राहुल गांधी ने शनिवार को पचमढ़ी के होटल हाईलैंड में जिला अध्यक्षों के प्रशिक्षण शिविर में सत्र को संबोधित किया। राहुल गांधी प्रशिक्षण सत्र में देर से पहुंचे तो ट्रेनिंग डिपार्टमेंट के हेड सचिन राव ने कहा कि हमारे यहां नियम कि प्रशिक्षण में जो देर आए उसे पनिशमेंट मिलती है। राहुल ने पूछा मुझे क्या करना होगा? इसके बाद सचिन राव ने कहा आपको दस पुशअप्स लगाने होंगे। फिर राहुल गांधी ने पुशअप्स लगाए। राहुल के साथ जिलाध्यक्षों ने भी पुशअप्स लगाए। करीब ढाई घंटे के सत्र में राहुल गांधी ने जिला अध्यक्षों के साथ खुले माहौल में लर्न-बाय-फन के अंदाज में चर्चा की। जुजुत्सु करके बताया कैसे पकड़ मजबूत रखेंराहुल गांधी ने जिला अध्यक्षों के सामने जुजुत्सु का अभ्यास करते हुए बताया कि अपनी जमीन पर पकड़ कैसे मजबूत होनी चाहिए। राहुल गांधी ने कहा कि आपके पैर मजबूती से जमीन पर रहने चाहिए। यदि जमीन छोड़ दी तो आपकी पकड़ कमजोर हो जाएगी। राहुल बोले असली ताकत नेताओं की परिक्रमा से नहीं मिलती। राहुल गांधी ने कहा कि आपको असली ताकत नेताओं की परिक्रमा से नहीं मिलेगी। आपको ताकत जनता के बीच पकड़ मजबूत करने से मिलेगी। हमें टेंशन कि काम का मूल्यांकन होगा या नहींप्रशिक्षण सत्र के दौरान जिला अध्यक्षों ने राहुल गांधी से कहा कि हमें यह आशंका रहती है कि हम काम तो कर रहे हैं लेकिन, हमारे काम का मूल्यांकन होगा या नहीं? इसपर राहुल गांधी ने कहा आप रिपोर्टिंग और इवेलुएशन की चिंता मत कीजिए। मैं आप लोगों के काम पर खुद नजर रखूंगा। आप अपनी चिंता छोड़िए सिर्फ काम पर ध्यान दीजिए। आपकी चिंता हम और पार्टी करेगी। अभ्यास करके सिखाया किससे कैसे निपटना है राहुल गांधी सत्र में करीब पौने घंटे के संबोधन के बाद जुजुत्सु की ड्रेस पहनकर ट्रेनिंग हॉल में पहुंचे। राहुल ने जुजुत्सु का अभ्यास करके जिला अध्यक्षों को सिखाया कि अगर कोई आदमी आपको मार रहा है तो उसकी तरफ ध्यान मत दीजिए। उसे गले लगाईए। आपकी पकड़ जमीन पर इतनी मजबूत होनी चाहिए कि आपका ध्यान भटकाने की कोशिश करने वाले का प्रयास असफल हो जाए। राहुल ने 4-4 जिला अध्यक्षों को बुलाकर बताया कि कैसे अपने पैर जमीन पर मजबूत करें।अमेरिका चीन के बीच में भारत कठपुतली बन रहा। राहुल गांधी ने विदेश नीति पर बोलते हुए सुपर पावर के बारे में बताया। राहुल ने कहा सुपर पावर में अमेरिका और चीन के बीच भारत कठपुतली बन रहा है। किसी दिन चीन पाकिस्तान के जरिए हमला करेगा या चीन सीधे हमला कर देगा। उन्होंने कहा अमेरिका में राष्ट्रपति पावरफुल नहीं सेना है। मेरे खिलाफ बोलने वाले मेरे गुरु हैंराहुल गांधी ने कहा जो लोग मेरे खिलाफ बोलते हैं वो मेरे गुरू हैं। मैं इसकी परवाह ही नहीं करता कि मेरे बारे में कौन क्या बोलता है। ध्यान भटकाने के लिए लोग मेरे बारे में बोलते हैं वैसे यदि आपके बारे में भी बोलें तो इनकी परवाह किए बिना जमीन पर काम करते रहिए। अपनी जमीन मत छोड़ना। कामयाबी आपके कदमों में होगी। जिला अध्यक्षों के परिवारों से ली जानकारीराहुल गांधी ने जिला अध्यक्षों के बच्चों, पत्नी से एक-एक कर चर्चा की। राहुल ने हर परिवार के साथ अलग से ग्रुप फोटो सेशन कराया। उन्होंने जिलाध्यक्षों के बच्चों से पढ़ाई, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी, फ्यूचर के टारगेट के बारे में पूछा।एक जिला अध्यक्ष ने कहा- पहली बार ऐसा लग रहा है कि हम किसी राजनीतिक ट्रेनिंग में नहीं बल्कि परिवार के बीच मिलने आए हैं। अब तक ऐसा होता था कि पॉलिटिक्स में सिर्फ हम ही नेताओं से मिलते थे और सिर्फ काम की बात होती थी पहली बार परिवार का हालचाल हमारी पार्टी का मुखिया मिलकर पूछ रहा है। राहुल गांधी के साथ मीटिंग में पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी, पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव, पूर्व नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया और अशोक सिंह मौजूद रहे। राजीव गांधी ने बापू की जिस प्रतिमा का अनावरण किया वहां माल्यार्पण करेंगेराहुल गांधी को पचमढ़ी के हेलीपैड से कार के जरिए गांधी चौक पर पहुंचकर महात्मा गांधी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करनी थी। लेकिन, प्रोग्राम में देरी के कारण राहुल सीधे होटल हाईलैंड पहुंच गए। राहुल ने रविशंकर भवन में होने वाली एमपी के सीनियर लीडर्स की बैठक भी होटल हाईलैंड में ही की। राहुल के गांधी चौक न पहुंचने से पचमढ़ी के स्थानीय कांग्रेसियों ने नाराजगी जाहिर की। अब राहुल गांधी आज सुबह गांधी प्रतिमा पर माल्यार्पण करने जाएंगे। पचमढ़ी के गांधी चौक पर महात्मा गांधी की प्रतिमा का अनावरण 29 जून 1989 को राहुल के पिता राजीव गांधी ने किया था। 1998 में सोनिया गांधी ने पचमढ़ी के गांधी चौक पर बापू की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया था। अब राहुल भी बापू को पुष्पांजलि अर्पित करने जाएंगे। इसके बाद भोपाल आएंगे। राहुल गांधी का आज का कार्यक्रम रद्दी पर मिड-डे मील खाने वाला वीडियो पोस्ट कियाराहुल गांधी ने दिल्ली से रवाना होने पहले अपने X अकाउंट पर श्योपुर के विजयपुर में बच्चों के रद्दी पर मिड-डे मील खाने वाला वीडियो पोस्ट किया। उन्होंने लिखा- ये वही मासूम बच्चे हैं जिनके सपनों पर देश का भविष्य टिका है, और उन्हें इज्जत की थाली तक नसीब नहीं। ये खबर भी पढ़ें... जमीन पर बैठे राहुल, बोले-हिम्मत से लड़ना है, सरकार बनेगी कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने मध्यप्रदेश के पचमढ़ी में प्रदेश के सीनियर लीडर्स की बैठक ली। इस दौरान उन्होंने पार्टी संगठन के नीचे लेवल तक मजबूत करने की नसीहत दी। उन्होंने किसानों और आम जनता से समस्याएं उठाने और पार्टी संगठन के साथ मिलकर काम करने की बात सीनियर नेताओं से कही। पूरी खबर पढ़ें
बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान चुनावी गाने खूब वायरल हो रहे हैं। बिहार के भभुआ में जनसभा के दौरान PM नरेंद्र मोदी ने RJD के वायरल गानों को निशाने पर लिया। PM मोदी ने 'मारब सिक्सर के छह गोली छाती में' वाले गाने का बोल सुनाया और जंगलराज की याद दिलाई। PM मोदी ने आरोप लगाया कि उनकी सरकार आने पर 'रंगदारी, अपहरण और कट्टा दिखाकर लूटने' का पुराना प्लान वापस आ जाएगा। जैसे ही इन गानों का जिक्र PM मोदी ने किया, देखते ही देखते पूरे देशभर में बिहार के चुनावी गाने वायरल हो गई और खूब सुर्खियां बटोर रही हैं। ऊपर क्लिक कर देखिए बिहार के फेमस चुनावी गानों का वीडियो...
तुम तो कहकर गए थे कि खाना खाकर आऊंगा। अब बिना खाए ही लौटकर आ गए। ऊपर से इतनी ज्यादा शराब भी पी रखी है। जब खाना नहीं खाना था तो गोट (पिकनिक) में क्या करने गए थे। अब इतनी रात को कह रहे हो चिकन बनाओ। मैं अब खाना नहीं बना पाऊंगी। बात तो यह जरा सी थी, लेकिन एक पति को पत्नी के ये शब्द इतने चुभे की उसने उसे मार डाला। नशे में चूर पति पत्नी की लाश के पास ही सोया रहा। सुबह उठा तो पत्नी की लाश देखकर उसे पहले उठाकर खाट पर सुलाया, फिर मौके से भाग निकला। यह चौंकाने वाला मामला गुना जिले के उमरी चौकी के कांदई गांव का है। पुलिस ने पति को गिरफ्तार कर लिया है। दैनिक भास्कर ने मामले में जांच अधिकारी से बात की, परिवार से भी जाना की आखिर हत्या के पीछे की वजह क्या थी, पढ़िए यह रिपोर्ट... सबसे पहले जान लीजिए मामला सूर सिंह भिलाला पत्नी और बच्चों के साथ कांदई गांव में रह रहा था। माता-पिता गांव से दो किलोमीटर दूर दूसरे गांव में रहते हैं। मंगलवार को सूर सिंह भिलाला ने पारिवारिक कलह के चलते पत्नी रेशमा बाई (30) को डंडे कर उसकी हत्या कर दी। बच्चों की सूचना पर म्याना पुलिस मौके पर पहुंची। रेशमा बाई के भतीजे सुरेश भिलाला निवासी माली गांव की शिकायत पर पुलिस ने सूर सिंह पर हत्या समेत अन्य धाराओं में केस दर्ज किया। अब पढ़िए पूरा घटनाक्रम... रेशमाबाई की मौत की पड़ताल के लिए एसपी अंकित सोनी ने एक टीम गठित की। टीम में म्याना थाना प्रभारी TI रविन्द्र सिंह सिकरवार, ऊमरी चौकी प्रभारी SI रचना खत्री, प्रधान आरक्षक अशोक गुर्जर, अतुल शर्मा, वीरभान सिंह, आरक्षक सुनील यादव, रंजीत रमन और अमनप्रीत सिंह चीमा को शामिल किया। टीम ने सूर सिंह की गिरफ्तारी के लिए संभावित अड्डों पर दबिश दी। खेत-खलिहानों पर भी टीम सर्चिंग के लिए पहुंची, लेकिन वह नहीं मिला। मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने आरोपी सूरसिंह पिता धन सिंह भिलाला (32) को गिरफ्तार किया। पूछताछ में हुआ चौंकाने वाला खुलासा मंगलवार को जब यह घटनाक्रम हुआ तब घर पर सिर्फ सूर सिंह भिलाला पत्नी रेशमा के साथ घर पर था। हत्या के पीछे की वजह और क्या परिस्थितियां बनीं, यह सिर्फ सूर सिंह ही बता सकता था। पुलिस ने उसे जंगल से दबोचा तो उसने चौंकाने वाली कहानी बताई। पुलिस के अनुसार बच्चे घर से कुछ ही दूरी पर बड़ी दादी के यहां चले गए थे। शाम के समय सूर सिंह तैयार हुआ और यह कहते हुए घर से निकला कि वह दोस्तों के साथ गोट (एक तरह की पिकनिक) में जा रहा है। आने में देरी हो जाएगी, खाना वहीं से खाकर आऊंगा। तुम खाना खा लेना। बच्चे घर पर नहीं थे, पति भी रात का खाना घर पर नहीं खाएंगे। यह सोचकर रेशमा बाई ने जल्दी काम निपटाया और अपने लिए खाना बना लिया। खाना खाने के बाद उसने बर्तन सहित दूसरे काम खत्म कर कमरे में दीवार से सटकर बैठ गई और पति के आने का इंतजार करने लगी। रात करीब 10 बजे सूर सिंह घर लौटा, उसने पी रखी थी और उसके हाथ में एक पॉलीथिन थी, जिसे उसने रेशमा की ओर बढ़ाते हुए कहा- चिकन लेकर आया हूं, जल्दी से बना दें। इतनी रात को पति का पीकर आना रेशमा को नहीं भाया। जैसे ही उसने चिकन बनाने का कहा उसका गुस्सा फूट पड़ा। रेशमा ने कहा- तुम तो कहकर गए थे कि खाना खाकर आओगे, लेकिन तुम तो बिना खाना खाए लौट आए। फिर क्या करने गए थे गोट में। अब इतनी रात को चिकन बनाने का कह रहे हो। मैं नहीं बनाने वाली। इतना सुनते ही सूर सिंह आगबबूला हो गया। दोनों में बहस शुरू हो गई। सूर सिंह ने जिद पकड़ ली कि खाना तो बनाना पड़ेगा। वहीं, रेशमा भी नहीं बनाने पर अड़ गई। लात मारी, रेशमा का सिर दीवार से टकराया दोनों में काफी बहस हुई। गुस्से में सूर सिंह ने दीवार से सटकर बैठी रेशमा को जोर की लात मारी। जमकर धक्का दिया, जिससे उसका सिर दीवार से टकराया। रेशमा वहीं गिर गई। गुस्से में सूर सिंह बाहर गया और डंडा ले आया। कमरे में पड़ी पत्नी पर उसने जमकर डंडे बरसाए। रेशमा निढाल पड़ी रही, उसने कोई जवाब नहीं दिया। पीटने के बाद पत्नी के पास सोया, सुबह मौत का पता चला मारपीट करने के बाद सूर सिंह ने निढाल पड़ी रेशमा को उठाने की कोशिश नहीं की। उसी के पास जमीन पर सो गया। सुबह करीब 6 बजे उसकी नींद खुली। रेशमा को पास ही जमीन पर पड़े देखकर उसका सारा नशा उतर गया। सूर सिंह ने रेशमा को उठने का कहा। दो-तीन बार उसने दोहराया, लेकिन कोई उत्तर नहीं मिला। इस पर उसने उसे हिला-डुलाकर उसे उठाया, लेकिन शरीर में कोई हलचल नहीं हुई। सूर सिंह समझ गया कि रेशमा की मौत हो चुकी है। इसके बाद उसने उसे उठाया और पास डली खाट पर लिटाकर भाग निकला। करीब 8 बजे बड़ी दादी के घर सो रहे बच्चे उठे और अपने घर पहुंचे। दरवाजा खुला था, पिता घर पर नहीं थे और मां खाट पर लेटी थी। उन्होंने मां को आवाज लगाई, लेकिन वह नहीं उठी। बच्चों के जोर-जोर से आवाज लगाने पर पड़ोसी मौके पर पहुंचे। लोगों ने नब्ज टटोली, जो बंद थी। रेशमा का मायका गांव से करीब दो किमी दूर है। लोगों ने तत्काल इसकी पुलिस और उन लोगों को दी। कुछ देर बाद पुलिस के साथ सभी लोग घर पहुंचे। यहां से उसे जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया। खेत पर परिवार के साथ रहता था सूर सिंह दैनिक भास्कर की टीम परिवार से बात करने गांव पहुंची। ग्रामीणों ने बताया कि सूर सिंह चार भाई हैं। चारों भाई अलग-अलग रहते हैं। सूर सिंह ने जावेद खान का खेत बटिया (ठेके) से ले रखा है। खेत पर ही बने एक कमरे में वह परिवार के साथ रह रहा था। टीम खेत पर पहुंची तो गेट पर ताला लटक रहा था। कुछ सामान घर के बाहर बिखरा पड़ा था। लोगों ने बताया कि रेशमा की हत्या के बाद से ही ताला लगा हुआ है। बकरियां चराते मिले बच्चे सूर सिंह के बच्चों के बारे में पूछने पर ग्रामीणों ने बताया कि उसके चार लड़के हैं। सबसे बड़ा लड़का अर्जुन 12 साल का है। वह पढ़ाई छोड़ चुका है। छोटा करण (10), बादल (7) और अंतर 6 साल का हैं। तीन बच्चे पास ही बकरियां लेकर जाते दिखे। ग्रामीणों ने बताया कि यही तीनों सूर सिंह के बेटे हैं। बच्चों से बात करने पर उन्होंने बताया कि अर्जुन कुछ बकरियों को लेकर दूर निकल गया है। मां की मौत वे अभी बड़ी दादी के घर पर रह रहे हैं। तीनों पढ़ाई करते हैं। करण ने बताया कि शाम को हम चारों भाई बड़ी दादी के घर चले गए थे। रात वहीं पर खाना खाने के बाद छत पर जाकर सो रहे थे। रात में घर पर क्या हुआ, यह नहीं पता। सुबह वह जब घर आए, तो मम्मी खटिया पर पड़ी हुई थी। पापा घर पर नहीं थे। मम्मी के शरीर पर चोट के निशान थे, ऐसा लगा कि रात में पापा ने मां के साथ मारपीट की है। हमने मां को आवाज लगाई पर उन्होंने कुछ नहीं कहा। काफी हिलाने के बाद भी वे नहीं उठी। हमारी आवाज सुनकर कई लोग आ गए। कुछ देर बाद पुलिस आ गई। भाई बोला- पंचायत में सुलह कराई थी भाई ने बताया कि पति सूर सिंह उसे परेशान किया करता था। वह उसके साथ मारपीट करता था। उसकी प्रताड़ना से परेशान होकर रेशमा कई बार मायके आ जाया करती थी। इसे लेकर दो-तीन बार पंचायत भी बैठी। दो-तीन महीने पहले भी विवाद होने पर वह मायके आ गई थी। पति को समझा-बुझाकर उसे वापस भेजा था। उस रात तो उसने कमरे में बंद कर उसकी हत्या कर दी। पुलिस ने 8 घंटे में आरोपी को गिरफ्तार किया गुना SP अंकित सोनी ने बताया कि जांच में पता चला कि पति अक्सर पत्नी के साथ मारपीट करता था। जिस कारण परिवार वालों ने उसपर हत्या का शक जताया। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए सिर्फ 8 घंटों में आरोपी पति को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में आरोपी ने रातभर पत्नी रेशमा बाई के साथ मारपीट करने और हत्या करने की पूरी घटना स्वीकार की। SP ने बताया कि सूर सिंह के खिलाफ हत्या समेत अन्य संबंधित धाराओं में केस दर्ज कर आगे की कानूनी कार्रवाई की जा रही है।
डीडवाना-कुचामन जिले के जसवंतगढ़ थाने के सीआई जोगेंद्र सिंह, हेड कॉन्स्टेबल महेश, महिला कॉन्स्टेबल सुभिता और कॉन्स्टेबल बबलेश को 2 नवंबर को सस्पेंड कर दिया गया था। ये सस्पेंशन क्यों हुआ? एसपी ऋचा तोमर इस कार्रवाई के पीछे विभागीय शिकायत को कारण बता रही हैं। वहीं, इन अफसरों पर हरियाणा से रेप के आरोपी को बिना वारंट पकड़कर लाने और 70 लाख रुपए की डिमांड करने के आरोप लगे हैं। ये आरोप रेप के आरोपी के मामा ने लगाए हैं। इस संबंध में हरियाणा के फर्कपुर थाने में अज्ञात के खिलाफ FIR भी दर्ज हुई है। भास्कर को एक रिकॉर्डिंग भी मिली है, जिसमें युवक को छोड़ने के बदले 70 लाख रुपए मांगने की बात कही जा रही है। दरअसल, हरियाणा के NRI अमन कुमार (40) के खिलाफ डीडवाना-कुचामन जिले के जसवंतगढ़ थाने में दलित महिला से रेप का मुकदमा दर्ज हुआ था। इसके बाद पुलिस उसे बिना वारंट हरियाणा से गिरफ्तार कर लाई। इतना ही नहीं, रेप के आरोपी को शांति भंग में गिरफ्तार कर SDM के सामने पेश कर दिया गया। संडे बिग स्टोरी में पढ़िए- आखिर क्या मामला है और कैसे पुलिस की कार्रवाई सवालों के घेरे में है... रेप का मुकदमा, आरोपी को शांति भंग में गिरफ्तार कर लाई पुलिसमामले की तह तक जाने के लिए भास्कर ने सबसे पहले रेप पीड़िता की ओर से दर्ज FIR खंगाली। 27 अक्टूबर 2025 को पीड़िता ने जसवंतगढ़ थाने में रिपोर्ट देकर बताया था कि वह 18 फरवरी 2024 की रात 8-9 बजे घर लौट रही थी। तभी एक कार रुकी, जिसमें हरियाणा के फर्कपुर निवासी अमन ने घर पर ड्रॉप करने के बहाने अपनी कार में बैठा लिया। मोबाइल नंबर लिए और नशीली कोल्ड ड्रिंक पीने को दी। बेहोशी की हालत में गलत काम कर अश्लील वीडियो बनाए। होश में आने पर धमकी दी कि किसी को कुछ भी बताया तो तुझे मार दूंगा। कुछ दिन बाद आरोपी ने टेलीग्राम पर कॉल कर पीड़िता को दिल्ली बुलाया। मना करने पर वीडियो वायरल करने की धमकी दी। इस डर से 22 अक्टूबर को पीड़िता दिल्ली मिलने गई तो वहां आरोपी अपनी कार में ले गया। कई बार गलत काम किया। मुकदमा दर्ज होने के बाद 30 अक्टूबर को जसवंतगढ़ थाना पुलिस पानीपत (हरियाणा) गई। 31 अक्टूबर को आरोपी को थाने लेकर पहुंची। लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि रेप के आरोपी को शांति भंग की धाराओं में पकड़कर SDM के सामने पेश किया गया। CO बोले- दलित उत्पीड़न केस में अधिकारियों से बिना अप्रूवल हरियाणा गई पुलिसलाडनूं सीओ विक्की नागपाल ने बताया कि दलित महिला से रेप का नामजद मामला दर्ज हुआ था। अमन नाम का आरोपी हरियाणा का रहने वाला है। इस मामले में अनुसंधान पूर्ण होने से पहले ही जसवंतगढ़ सीआई जोगेंद्र सिंह और उनकी टीम हरियाणा के पानीपत से आरोपी को पकड़ लाई। दूसरे स्टेट में जाकर की गई ये कार्रवाई एसपी सहित उच्च अधिकारियों से बिना अप्रूवल की गई थी। बिना अनुसंधान पूर्ण किए और बिना उच्च अधिकारियों की अप्रूवल लिए इस एक्शन के चलते ही कार्रवाई हुई है। नियमानुसार दलित उत्पीड़न (एट्रोसिटी एक्ट) के मामलों की जांच सीआई कर ही नहीं सकता है। सीओ होने के नाते यह जांच भी विक्की नागपाल के पास होनी चाहिए थी। हमने CO नागपाल से जब यह सवाल पूछा तो उन्होंने इसका कोई जवाब नहीं दिया। सस्पेंड हुए CI ने खुद स्वीकारा- रेप के आरोपी को शांति भंग में गिरफ्तार कियासस्पेंडेड CI जोगेंद्र सिंह ने बताया कि उनके थाने में हरियाणा के फर्कपुर थाना क्षेत्र के अमन नाम के शख्स के खिलाफ रेप की FIR दर्ज हुई थी। इस मामले में पहले मुझे ये पता नहीं था कि पीड़िता की जाति दलित कैटेगरी में आती है। जब ये पता चला तो हमने केस में एट्रोसिटी एक्ट की धाराएं जोड़कर फाइल लाडनूं सीओ साहब को भेज दी थी। आरोपी को पानीपत से पकड़कर यहां जसवंतगढ़ थाने लाकर शांति भांग की धारा में गिरफ्तार कर लिया गया था। अगले दिन एसडीएम कोर्ट में पेश भी कर दिया था। यहां उसका कोई जमानती नहीं आने से उसे जेल भेज दिया गया था। इसके अगले दिन ही हमें सस्पेंड कर दिया गया। अब ये कार्रवाई क्यों और किस लिए की गई है? इसका मेरे पास तो कोई जवाब नहीं है। पुलिस अफसरों से बातचीत में ही उठे कई सवालसीआई जोगेंद्र की बातों ने हमारे सामने कई नए सवाल खड़े कर दिए थे, जैसे कि जब जांच उनके पास थी ही नहीं तो वह हरियाणा से आरोपी को क्यों पकड़ कर लाए? रेप के आरोपी को शांति भंग की धाराओं में क्यों पकड़ा? सबसे अहम सवाल कि आखिर राजस्थान की डीडवाना-कुचामन पुलिस क्या छुपा रही थी? इन्हीं सवालों का जवाब तलाशने के लिए हमने हरियाणा में यमुनानगर जिले के SP कमलदीप गोयल, फर्कपुर थाना इंचार्ज और पुलिस के खिलाफ FIR दर्ज कराने वाले आरोपी के परिजनों से बात की। यमुनानगर जिला SP कमलदीप गोयल ने बताया- अमन नाम के शख्स की किडनैपिंग और इसमें 70 लाख रुपए फिरौती मांगने को लेकर फर्कपुर थाने में उसके परिजनों की शिकायत पर FIR दर्ज हुई है। इसके बारे में ज्यादा जानकारी आप फर्कपुर थाना इंचार्ज से ले सकते हैं। फर्कपुर SHO जनक राज से बात की तो उन्होंने बताया कि इस मामले में NRI अमन कुमार के परिजनों ने मुकदमा दर्ज करवाया है कि अमन को राजस्थान के डीडवाना-कुचामन जिले के जसवंतगढ़ पुलिस स्टेशन में झूठा रेप का मुकदमा दर्ज कर पानीपत से किडनैप कर उठाया गया है। आरोप है कि पुलिस स्टेशन से फोन कर धमकी दी गई है कि 70 लाख रुपए दोगे तो ही अमन को छोड़ेंगे नहीं तो उसे झूठे रेप के केस में फंसा देंगे। इस मामले में फिलहाल अज्ञात आरोपियों के खिलाफ किडनैप और फिरौती के लिए धमकाने की धाराओं में मामला दर्ज कर जांच की जा रही है। भास्कर के पास इस FIR की एक्सक्लूसिव कॉपी मौजूद है। अमन के परिजन बोले- राजस्थान पुलिस ने 70 लाख रुपए मांगेफर्कपुर थाने में FIR दर्ज करवाने वाले अमन के मामा सुखदेव सिंह दहिया से बात की तो उन्होंने बताया कि उनका भांजा अमन इटली में रहता है। वह अक्टूबर में ही इंडिया आया था। उसे राजस्थान में जसवंतगढ़ पुलिस थाना पानीपत से किडनैप कर ले गई थी। इसके बाद हमें कॉल कर धमकाया कि 70 लाख रुपए दे दो नहीं तो इसे रेप के झूठे मुकदमे में फंसा देंगे। अमन के परिजनों ने आरोप लगाया कि इस पूरे मामले में वहां का सीओ विक्की नागपाल भी शामिल है। अमन के मामा ने हमें लेनदेन से जुड़ा एक ऑडियो भी सबूत के तौर पर दिया। ऑडियो रिकॉर्डिंग में सामने आई लेनदेन की बातचीतइस ऑडियो में आरोपी अमन, मामा सुखदेव सिंह और एक कथित पुलिस अधिकारी की विदेशी नंबरों (इंटरनेट कॉलिंग) से बातचीत है। अमन के परिजनों का दावा है कि इस रिकॉर्डिंग में पैसों की डिमांड करने वाले राजस्थान पुलिस के अफसर हैं। हालांकि इस ऑडियो की राजस्थान पुलिस ने पुष्टि नहीं की है और न ही ऐसे किसी लेनदेन की बात स्वीकार की है। पढ़िए- ऑडियो में बातचीत के अंश… विदेशी नंबर से कॉल करने वाला कथित पुलिस अधिकारी : अमन से हमारा लेना-देना है, लेकिन उसने हमें दिया नहीं। अब उसने हमें आपका नंबर दिया है और कहा है कि ये मेरे मामा है… तो क्या आप इसे निपटा सकते हैं। सुखदेव सिंह : हां, ये मेरा भांजा है। अब अगर कोई लेना-देना है तो हम निपटाएंगे। कोई बात नहीं निपटा देंगे। (कथित पुलिस अधिकारी फोन पर अमन से बात करवाता है) अमन : मामा, ये कहानी थोड़ी लंबी है, मैं बाद में सारी बात बता दूंगा। एक तो जय भाई और मनीष भाई का कोई 60 लाख का चक्कर है। मेरा एक यार दोस्त है, उसका बीच में चक्कर पड़ रहा है। मामा इस राजस्थान पुलिस ने मुझे कल से पकड़ रखा है। तो अब ये कहानी निपटानी है। सुखदेव सिंह : कोई नहीं बेटा, बता कहानी कैसे निपटानी है और किस तरह से लेनदेन करवाना है। कथित पुलिस अधिकारी : मैं बता देता हूं कि कहां देने हैं पैसे, ठीक है ना। या तो पानीपत या सोनीपत और क्या दिल्ली में कोई बंदा है आपका। (करीब 4 मिनट के ऑडियो में लेनदेन के लिए जगह तय होती है) सुखदेव सिंह : भाईसाहब आप खुद समझदार हैं, हम जमींदार हैं, इधर-उधर रिश्तेदारों से लाएंगे, तब ही तो ये जुगाड़ होगा। कथित पुलिस अधिकारी: इसने माल और पैसे दबा रखे हैं….कहां रखे हुए हैं ये तो बता नहीं रहा है। सीधी सी बात है कि इसके एससी-एसटी और रेप का ऑरिजनल मुकदमा लगा हुआ है। वो झूठा नहीं है तो ये लंबा जाएगा, नहीं तो… सुखदेव सिंह : आप दो दिन का टाइम तो दो भाईसाहब। (कथित पुलिस अधिकारी फोन पर अमन से फिर बात करवाता है) अमन : मामा इसको कैसे भी आज ही निपटाओ, चाहे तो पानीपत या कहीं इनके आदमी को गारंटी दिलवा दो पर इसको आज ही निपटाओ नहीं तो ये मेरे को झूठे केस में बंद कर देंगे। सुखदेव सिंह : चलो जी, मैं कॉल करके बताता हूं। राजस्थान पुलिस द्वारा 70 लाख रुपए मांगने के आरोपों की पुष्टि के लिए हमने फिर से डीडवाना-कुचामन एसपी ऋचा तोमर से बात की सवाल : जसवंतगढ़ थाने में हरियाणा से जो आरोपी को पकड़कर लाए हैं, उस मामले में हरियाणा में एक किडनैपिंग और फिरौती की FIR दर्ज है, ये क्या मामला है? जवाब : अब ये तो वहां की पुलिस ही बताएगी आपको। सवाल : 70 लाख रुपए फिरौती मांगने और धमकी देने का क्या मामला है? जवाब : अब ये जानकारी तो आप उन्हीं से पूछो, वही सटीक जानकारी दे पाएंगे। हमें तो उन्होंने कोई FIR दी नहीं है। उन्हीं के वहां रजिस्टर्ड है तो वहीं बताएंगे। सवाल : हरियाणा पुलिस ने बताया है कि आपको इस मामले की जानकारी दी गई है? जवाब : आप उनसे ही सटीक सूचना लीजिए कि क्या-क्या हुआ है ? सवाल : क्या इस मामले की जानकारी आपको है? जवाब : फोन काट दिया। राजस्थान पुलिस की पूरी कार्रवाई सवालों के घेरे मेंपुलिस की यह पूरी कार्रवाई ही सवालों के घेरे में है। लेकिन अभी भी एक बात समझ में नहीं आ रही थी कि जसवंतगढ़ पुलिस में हरियाणा के एक NRI पर रेप की एफआईआर कैसे? दलित पीड़िता के आरोपों में कितनी सच्चाई थी? वहीं अमन के परिजनों के फिरौती के आरोपों में दम था तो पुलिसवाले इस मामले में 70 लाख रुपए जैसी बड़ी रकम क्यों मांग रहे थे? इन सवालों के जवाब हमें न तो राजस्थान पुलिस के कोई अधिकारी दे पाए और न ही हरियाणा पुलिस के कोई अधिकारी और न ही अमन के परिजन। पुलिस सूत्रों का दावा है कि अमन के जरिए विदेश से एक करोड़ रुपए की कीमत का गोल्ड तस्करी के जरिए नागौर मंगवाया गया था। लेकिन अमन ने ये गोल्ड स्मगलर तक पहुंचाने की बजाय खुद ही खुर्द-बुर्द कर तस्कर के साथ डबल ब्लफ कर दिया। इसी माल को निकलवाने के लिए यह पूरी कहानी रची गई है।
सेक्टर-82 कट के पास नाले में गुरुवार को नाले में महिला की सिर कटी लाश मिली थी। 48 घंटे बाद भी पुलिस के हाथ खाली हैं। शनिवार को भी पुलिस ने सर्च अभियान चलाया। घटनास्थल के पास वाले 80 मीटर नाले की जेसीबी से सफाई कराई गई। कई गाड़ी के चालकों को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई। सफलता नहीं मिल सकी। स्वॉट और सीआरटी समेत अब कुल 13 टीमें महिला की पहचान करने और हत्यारोपी की तलाश में लग गई हैं। लापता महिलाओं के लोगों ने किया संपर्कपुलिस अधिकारियों ने बताया कि महिला की पहचान के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया जा रहा है। शनिवार को गाजियाबाद, दिल्ली और नोएडा के उन आठ लोगों ने पुलिस से संपर्क किया, जिनके घर की महिलाएं या युवतियां बीते दिनों संदिग्ध परिस्थितियों में लापता हुई हैं। महिला के सिर और हथेली की तलाश में पुलिस ने शनिवार को भी सर्च अभियान चलाया। जंगलों, नालों, झाड़ियों और पार्कों समेत अन्य जगहों पर महिला के सिर को तलाशा गया। इसके अलावा घटनास्थल के पास के 80 मीटर नाले की जेसीबी की मदद से साफ कराई गई। वहां से निकली कार चालक से पूछताछडीसीपी नोएडा ने बताया कि घटना के संबंध में सुराग जुटाने के लिए शनिवार को पांच वाहन चालकों से विस्तृत पूछताछ की गई। कई गाड़ियों को कब्जे में भी लिया गया है। सेक्टर-82 कट के पास गुरुवार सुबह करीब 11 बजे महिला का सिर कटा शव मिला था। महिला के शरीर पर कपड़े नहीं थे। हथेली भी गायब थी। आशंका जताई जा रही है कि महिला की हत्या कहीं की गई। पहचान छिपाने के लिए सिर काटकर उसके शव को नोएडा में फेंका गया। पॉश इलाके में महिला की सिर कटी लाश मिलने का मुद्दा इस समय सुर्खियों में बना हुआ है। शातिराना तरीके से की गई वारदातजिसने भी वारदात की है,उसने बेहद शातिराना तरीका अपनाया। उसने शव को नाले में उस जगह फेंका जहां पर डार्क स्पॉट है। ऐसे में पूरी आशंका है कि उसने वारदात के पहले पूरा होमवर्क किया। कैमरे कहां नहीं हैं, इसका पता लगाया। पुलिस अब ब्लैकमेलिंग के पहलू पर भी जांच कर रही है। आशंका है कि प्रेमी ने ब्लैकमेलिंग के कारण महिला की हत्या की हो। पति पर भी हत्या करने का शक है।
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर यूनिवर्सिटी के फिजिक्स डिपार्टमेंट में चल रहे सी.वी. रमन जयंती सप्ताह के अंतर्गत क्विज कंपटीशन का आयोजन किया गया। जिसमें स्टूडेंट्स ने उत्साह दिखाते हुए पार्टिसिपेट किया और अपनी साइंटिफिक नॉलेज और टैलेंट को दिखाया। इस कंपटीशन में मिले मार्क्स के आधार पर रिजल्ट एनाउंस किए गए, जिसमें शिवांशु मिश्रा और अमृता सिंह ने फर्स्ट पोजीशन हासिल किया। वहीं अंकिता, ईशा अवस्थी और दीपू कुमार सेकेंड आएं। इसके अलावा आयुष मणि त्रिपाठी, सुमित कुमार गुप्ता, तनिष्का पांडेय, मैमूना खान और आयुषी वर्मा थर्ड पोजीशन हासिल किए। सभी विनर्स को सर्टिफिकेट और अवार्ड देकर सम्मानित किया गया। पॉजिटिव थिंकिंग जरुरी प्रोग्राम के दूसरे सेशन में उत्तर प्रदेश सरकार में संयुक्त सचिव अर्जुन देव भारती ने छात्रों को संबोधित करते हुए एक प्रेरक व्याख्यान दिया। उन्होंने जीवन में सकारात्मक सोच, अनुशासन और निरंतर प्रयास के महत्व पर बल दिया। एआई सीखना लाभदायक दूसरा व्याख्यान अजय घोष, इंजीनियर और भौतिकी विभाग के पूर्व छात्र ने दिया। उन्होंने छात्रों को भौतिकी के साथ-साथ कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और कंप्यूटर प्रोग्रामिंग सीखने के लिए प्रेरित किया, ताकि वे आधुनिक विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में अग्रणी बन सकें। अतिथियों का स्वागत विभागाध्यक्ष प्रोफेसर राकेश कुमार तिवारी के द्वारा दिया गया। उन्होंने छात्रों को इस तरह के कार्य के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम का संयोजन अपरा त्रिपाठी एवं डॉ. सिंटू कुमार द्वारा किया गया। कार्यक्रम में विभाग के शिक्षकगण, शोधार्थी एवं छात्र बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
20-20 छात्राओं की बनेगी गर्ल्स स्क्वाड टीम
भास्कर न्यूज | जालोर महिलाओं और बालिकाओं के खिलाफ बढ़ते हिंसा के मामलों को देखते हुए प्रदेश सरकार ने छात्राओं को आत्मरक्षा के लिए तैयार करने की पहल शुरू की है। इस अभियान के तहत प्रदेश की 645 पीएमश्री स्कूलों में छात्राओं को मार्शल आर्ट्स और सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग दी जाएगी। जिले में कुल 18 पीएमश्री स्कूलों की 3 हजार 804 छात्राओं को यह प्रशिक्षण मिलेगा। प्रशिक्षण में पुलिस की कालिका टीम और मार्शल आर्ट्स एक्सपर्ट शामिल रहेंगे, जो छात्राओं को आत्मरक्षा के विभिन्न गुर सिखाएंगे। इसे लेकर कम्यूनिटी पुलिस के एडीशनल डीजीपी डॉ. बीएल मीना ने सभी जिला पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिए हैं कि वे प्रशिक्षित पुलिसकर्मियों को स्कूलों में भेजकर छात्राओं को आत्मरक्षा के गुर सिखाएं। वहीं, राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद की राज्य परियोजना निदेशक अनुपमा जोरवाल ने भी सभी संस्था प्रधानों को इसी सत्र में प्रशिक्षण प्रारंभ करने के निर्देश दिए हैं। समसा एडीपीसी मनोहरलाल गोदारा ने बताया कि वर्तमान में आत्मरक्षा प्रशिक्षण जरूरी है ताकि बालिकाएं किसी भी खतरे की स्थिति में खुद का बचाव कर सकें। ट्रेनिंग के दौरान छात्राओं को पंच, किक, ब्लॉक और पछाड़ तकनीक, संभावित खतरों से निबटने के तरीके, प्राथमिक उपचार, पौष्टिक आहार, फिटनेस और कानूनी अधिकारों की जानकारी दी जाएगी। प्रत्येक स्कूल में 20 चयनित छात्राओं की गर्ल्स स्क्वाड टीम बनेगी। इन छात्राओं को विभाग द्वारा ट्रैक शूट व पीटी शूज दिए जाएंगे। यह टीम स्कूल की प्रार्थना सभा में सहयोग करेगी और 15 अगस्त, 26 जनवरी, महिला और बाल दिवस व बालिका दिवस पर आत्मरक्षा का प्रदर्शन करेगी।
प्रयागराज के घूरपुर में नाबालिग सरिता की हत्या में सनसनीखेज खुलासा हुआ है। पुलिस की पूछताछ में जो बातें सामने आईं, उसने सबको हिला कर रख दिया। जिस बेटी की लाश गांव के बाहर मिली थी, उसकी हत्या किसी और ने नहीं बल्कि उसके अपने मां-बाप ने मिलकर की थी। पुलिस के मुताबिक, पूछताछ में दोनों ने बताया है कि बेटी कई लड़कों से बात करती थी और परिवार को बदनाम करके रख दिया था। बार-बार समझाने के बाद भी उस पर कोई असर नहीं हो रहा था, ऐसे में उनके पास और कोई चारा नहीं था। पिता ने खुद किया जुर्म कबूलसूत्रों के मुताबिक, शुक्रवार को पिता रमेश को शक के आधार पर पुलिस ने हिरासत में लिया था। पहले तो वह बात टालता रहा, लेकिन जब पुलिस ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट, गवाहों के बयान की वीडियो रिकॉर्डिंग सामने रखी तो आखिरकार टूट गया। कबूल किया कि सरिता गांव के कई लड़कों से बात करती थी। दो साल पहले वह प्रेग्नेंट भी हो गई थी, तब उसका गर्भपात कराया गया था। बहुत समझाया, डांटा-पीटा भी, पर वह नहीं मानी। गांव में बदनामी हो रही थी, इसलिए उसे खत्म करने का फैसला लिया।” मां ने नींद की गोलियां दीं, पिता ने गला काटारमेश ने बताया, उसने अपनी पत्नी को भी इस प्लान में शामिल कर लिया। हत्या की रात मां ने बेटी को रात के खाने में नींद की गोलियां मिला दीं। जब वह बेसुध हो गई तो उसे 100 मीटर दूर खेत की तरफ ले गई। वहां पिता पहले से मौजूद था। मां देखती रही और पिता ने चाकू से बेटी का गला रेत दिया। वारदात के बाद दोनों ने शव वहीं छोड़ दिया और सुबह झूठ फैलाया कि बेटी 5:30 बजे घर से निकली और वापस नहीं लौटी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने खोला झूठपोस्टमार्टम रिपोर्ट ने मां-बाप के झूठ को उजागर कर दिया। डॉक्टरों ने बताया कि मौत रात में ही हुई थी, करीब 16 घंटे पहले। पेट में अधपचे चावल मिले, जिससे साफ हो गया कि हत्या खाने के तुरंत बाद की गई थी। यानी सुबह घर से निकलने की कहानी पूरी तरह झूठ थी। बेटे ने भी किया सच कबूलघटना के दौरान घर में मौजूद सरिता के भाई सत्यम का बयान भी खुलासे में बेहद अहम रहा। दरअसल पहले तो वह पुलिस से कोई बात करने को तैयार नहीं हुआ। बाद में बहलाफुसलाकर पूछने पर बताया कि मैनें पापा को मना किया था लेकिन वह नहीं माने। उल्टा उसे ही धमकाया कि मुंह बंद कर और अपने काम से काम रखा कर।चाचा से भी घंटों पूछताछ, पर कुछ नहीं मिलामृतका के चाचा से भी पूछताछ की गई थी, लेकिन अब तक उसमें किसी तरह की भूमिका नहीं मिली है। हालांकि पुलिस ने कहा है कि जांच अब भी जारी है और हर पहलू से साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं। पुलिस अफसर बोलेडीसीपी यमुनापार विवेकचंद्र यादव ने बताया कि हत्या का खुलासा हो गया है। पिता ने जुर्म कबूल किया है और मां की भूमिका भी सामने आई है। दोनों को हिरासत में लेकर कानूनी कार्रवाई की जा रही है। यह ऑनर किलिंग का मामला है।”
गयाजी। सेकेंड फेज के तहत जिले में 11 नवम्बर को होने वाले मतदान को लेकर चुनाव प्रचार का रविवार अंतिम दिन है। इस अंतिम दिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चुनावी सभा को संबोधित करने आ रहे हैं। मुख्यमंत्री की चुनावी सभा टिकारी के मकपा में होगी। मकपा टिकारी-कसपा मुख्य मार्ग पर स्थित है। सभा का समय दोपहर दो बजे बताया गया है। सभा को सफल बनाने के लिए एनडीए के सभी घटक दल जुटे हैं। वहीं पुलिस प्रशासन भी सुरक्षा के ख्याल मुस्तैद है। दावा किया जा रहा है कि इस सभा टिकारी विधानसभा क्षेत्र से बड़ी संख्या में लोग शामिल होंगे। एनडीए की ओर से बड़ी संख्या में लोगों में न्योता दिया जा रहा है। शनिवार को भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जिले के दो विधानसभा इमामगंज व बेलागंज में चुनावी सभा को संबोधित किया था। टिकारी में नीतीश कुमार एनडीए से हम के प्रत्याशी अनिल कुमार के लिए क्षेत्र की जनता से वोट मांगेंगे। गयाजी में कांग्रेस प्रत्याशी मोहन श्रीवास्तव करेंगे रोड शो वहीं दूसरी ओर गयाजी नगर सीट से महागठबंधन से कांग्रेस के प्रत्याशी मोहन श्रीवास्तव रोड शो करेंगे। रोड शो पूरे शहर में प्रस्तावित है। खास बात यह है कि रोड शो सुबह से लेकर शाम तक चलेगा। हालांकि कांग्रेसी खेमा द्वारा यह मौखिक प्रचार किया गया है कि रोड शो में प्रियंका वाड्रा होंगी, लेकिन कांग्रेस की ओर से सोशल मीडिया पर जारी पोस्टर में प्रियंका वाड्रा का नाम नहीं है। रोड शो का नेतृत्व कौन बड़े नेता कर रहे हैं। इस बात का भी उल्लेख नहीं किया गया है जबकि रोड शो की तैयारी पुरजोर तरीके से की जा रही है। शाम के बाद चुनाव प्रचार का पहिया थम जाएगा। शाम के बाद केवल प्रत्याशी घर घर जाकर अपने पक्ष में जनता से मिल सकेंगे।
गोरखपुर पुस्तक महोत्सव के आठवें दिन माहौल अचानक जोश और उत्साह से भर गया, जब मशहूर ग़ज़ल गायक कुमार सत्यम मंच पर पहुंचे। जैसे ही उन्होंने अपनी लोकप्रिय ग़ज़ल ये ज़िंदगी कितनी खूबसूरत गाना शुरू किया, दर्शक झूम उठे और तालियों की गूंज से पूरा पंडाल गूंज उठा। कार्यक्रम में मौजूद उनके प्रशंसक लंबे समय से उनकी प्रस्तुति का इंतजार कर रहे थे। मंच पर आते ही उनके स्वागत में लोगों ने गर्मजोशी से तालियां बजाईं। कुमार सत्यम ने अपनी सुरीली आवाज़ और ग़ज़लों की मिठास से दर्शकों का दिल जीत लिया। कुमार सत्यम आज देश के प्रसिद्ध गायक, हारमोनियम वादक और संगीतकारों में गिने जाते हैं। वे सूफ़ी, भजन, ग़ज़ल और सेमी-क्लासिकल संगीत में पारंगत हैं।जी उनका संबंध संगीत की 13वीं पीढ़ी से है। वे बिहार और झारखंड के प्रसिद्ध गायक स्व. पं. लालन जी महाराज के पुत्र और स्व. पं. रामाशीष महाराज के पौत्र हैं। संगीत के क्षेत्र में उनके योगदान को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। उन्हें “संगीत भूषण” (2012) में स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा, उन्होंने युवा महोत्सव में हारमोनियम वादन के लिए भी पुरस्कार प्राप्त किया है। कुमार सत्यम अब तक 2000 से अधिक मंचों पर अपनी प्रस्तुति दे चुके हैं। उन्होंने देश के कई बड़े आयोजनों में भाग लिया है, जिनमें एग्रीप्लास्ट (बेंगलुरु), फीनिक्स मार्केट सिटी (बेंगलुरु), बिहार महोत्सव 2010, मंदार महोत्सव और ओशो फेस्टिवल्स प्रमुख हैं। उन्होंने ग़ज़ल और संगीत जगत के दिग्गज कलाकारों — पंकज उधास, अनूप जलोटा, सुरेश वाडेकर और वडाली बंधु — के साथ मंच साझा किया है। आज उनके संगीत की लोकप्रियता का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनके यूट्यूब चैनल पर 7 लाख से अधिक प्रशंसक जुड़े हुए हैं। गोरखपुर पुस्तक महोत्सव में उनकी प्रस्तुति ने न केवल दर्शकों का मनोरंजन किया, बल्कि संगीत प्रेमियों के दिलों में भी अमिट छाप छोड़ दी।
जालोर: आज सुबह ढाई घंटे बिजली बंद
जालोर | 132 केवी सब स्टेशन जालोर पर मेंटेनेंस कार्य के चलते शनिवार सुबह 8:30 से 11 बजे तक बिजली आपूर्ति बाधित रहेगी। इस दौरान सब स्टेशन से निकलने वाली सभी 33 केवी लाइनें बंद रहेगी। इस कारण जालोर शहर, सूरजपोल, नर्मदा, रिको द्वितीय चरण और रिको तृतीय चरण सहित इनके अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में विद्युत आपूर्ति प्रभावित रहेगी।
पूर्णिया के धमदाहा में आज डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी विशाल चुनावी जनसभा को संबोधित करेंगे। वे धमदाहा विधानसभा से NDA की जदयू प्रत्याशी और खाद्य और उपभोक्ता संरक्षण मंत्री लेसी सिंह के चुनावी मुहिम को धार देंगे। सम्राट चौधरी की ये जनसभा धमदाहा के गोकुलपुर में सुबह करीब 11 बजे शुरू होगी। सभा स्थल से वे मंत्री लेशी सिंह के समर्थन में धुआंधार चुनावी रैली करेंगे और लोगों से जदयू प्रत्याशी लेसी सिंह को जीत दिलाने की अपील करेंगे। उप मुख्यमंत्री की रैली में खाद्य और उपभोक्ता संरक्षण मंत्री और जदयू प्रत्याशी लेसी सिंह के समर्थन में एनडीए की ताकत का प्रदर्शन किया जाएगा। रैली के जरिए सम्राट चौधरी NDA के कैडर और नॉन कैडर वोटरों को गोलबंद करेंगे। जनसभा को लेकर पूरे धमदाहा के NDA कार्यकर्ताओं में उत्साह का माहौल है। इससे पहले, झारखंड के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने धमदाहा में जनसभा कर लेसी सिंह के पक्ष में माहौल बनाया था। इस चुनावी जनसभा को देखते हुए सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। सभा स्थल से गुजरने वाले रोड पर ट्रैफिक और जाम की समस्या न बने इसके लिए विशेष तैयारी की गई है। भारी पुलिस बल और मजिस्ट्रेट की तैनाती की गई है। पूर्णिया जिले की हॉट सीटों में से एक है धमदाहा धमदाहा विधानसभा सीट जिले के हॉट सीट में से एक है। इस सीट से NDA बनाम महागठबंधन की लड़ाई है। NDA से जदयू की विधायक मंत्री लेसी सिंह जबकि महागठबंधन से कांग्रेस के प्रत्याशी के तौर पर पूर्व सांसद संतोष कुशवाहा चुनावी मैदान में हैं। लेसी सिंह राजपूत जाति से आती हैं। मगर धमदाहा विधानसभा में सभी जाति के वोटरों में गहरी पकड़। मैडम और आयरन लेडी के नाम से सीमांचल में मशहूर। लेसी सिंह अब तक कुल 5 बार 2000, 2005, 2010, 2015, 2020 में विधायक रह चुकी हैं। सीएम नीतीश कुमार की करीबी मानी जाती हैं। छठी पर जदयू से चुनावी मैदान में हैं। राजपूत के अलावा स्वर्ण जाति, पिछड़ा अतिपिछड़ा, आदिवासी, हिंदू, मुस्लिम सभी वोटरों में गहरी पैठ है। लेसी सिंह अब तक चार बार मंत्री बन चुकी हैं। पहली बार 2014 में उद्योग विभाग की मंत्री बनीं। साल 2021 में मंत्रिमंडल विस्तार के वक्त वे खाद्य और उपभोक्ता संरक्षण विभाग की मंत्री बनाई गईं। 2022 में गठबंधन बदला और दोबारा से उन्हें मंत्री पद मिला। एनडीए सरकार का मंत्रीमंडल विस्तार हुआ है। 2021 में वे लगातार तीसरी बार मंत्री बनाई चुकी हैं। नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में बनी NDA की सरकार में भी उनको दोबारा से खाद्य और उपभोक्ता संरक्षण विभाग का मंत्री बनाया गया। जदयू छोड़कर राजद में शामिल हुए हैं संतोष कुशवाहा संतोष कुशवाहा का राजनीतिक जीवन उतार चढ़ाव से भरा रहा है। पूर्व सांसद संतोष कुशवाहा ने पहली बार 2005 में पहली बार भाजपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा लेकिन हार गए। 2010 में उन्होंने बायसी विधानसभा से भाजपा के टिकट पर फिर चुनाव लड़ा। इस बार जीत कर विधायक बने। 2013 भाजपा छोड़कर जदयू में शामिल हो गए। 2014 जदयू के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बने। 2019 जदयू के टिकट पर फिर से लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बने। 2024 के लोकसभा चुनाव में जदयू के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे लेकिन निर्दलीय पप्पू यादव उन्हें हरा दिया। विधानसभा चुनाव में कदवा से MLA का टिकट न मिलने पर जदयू छोड़ राजद में शामिल हो गए। बहन मानने वाले मंत्री लेसी सिंह के खिलाफ राजद के टिकट से चुनावी मैदान में उतर गए।
वसूली टोल राशि 9 प्रतिशत ब्याज सहित लौटानी होगी
परिवादी को 17 हजार हर्जाना भी 45 दिनों में चुकाना होगा भास्कर न्यूज | जालोर जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, जालोर ने परिवादी नोसरा निवासी छगनसिंह पुत्र जयसिंह के पक्ष में फैसला सुनाते हुए मैसर्स चेतक मित्रा टोलवेज लिमिटेड को सेवादोष का दोषी ठहराया है। मामला स्टेट हाईवे 16 व 64 पर स्थित चेतक टोल कंपनी के अधीन टोल मार्ग की खराब स्थिति से जुड़ा था। परिवादी ने शिकायत में बताया कि वर्ष 2020-21 में उसने जालोर से जोधपुर और अन्य जिलों में ग्रेनाइट माल ढुलाई के दौरान टोल रोड का उपयोग किया, लेकिन सड़क जगह-जगह गड्ढों से भरी थी, अनावश्यक स्पीड ब्रेकर बने थे और किनारों पर दरारें थीं। खराब सड़क से वाहनों की सर्विसिंग पर 1.09 लाख रुपए खर्च करने पड़े और आर्थिक व मानसिक हानि हुई। परिवादी ने टोल कंपनी से 4.56 लाख मुआवजा मांगा था। पीठासीन अधिकारी घनश्याम यादव (अध्यक्ष) और सदस्य निरंजन शर्मा की पीठ ने पाया कि टोल कंपनी ने सड़क का नवीनीकरण और रखरखाव समय-समय पर नहीं किया, जिससे यह स्पष्ट सेवादोष का मामला है। आयोग ने कंपनी को आदेश दिया कि वह परिवादी को 7 हजार 935 रुपए टोल टैक्स की राशि 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित लौटाए। साथ ही मानसिक संताप के 10 हजार रुपए और वाद व्यय के 7 हजार रुपए सहित कुल 17 हजार रुपए 45 दिनों के भीतर अदा करें। इसके अलावा चेतक मित्रा टोलवेज लिमिटेड को राज्य उपभोक्ता कल्याण कोष में 1 लाख रुपए जमा कराने का भी आदेश जारी किया और आयोग ने चेतावनी दी कि आगे से ऐसा ना हो।
लोकतंत्र में मतदाता की ताकत सर्वोपरि मानी जाती है, लेकिन जब मतदाता किसी भी उम्मीदवार को योग्य नहीं मानता तो वह नोटा का सहारा लेता है। नालंदा जिले के विधानसभा चुनावों के आंकड़े इस बात की गवाही देते हैं कि मतदाताओं का एक बड़ा वर्ग राजनीतिक दलों द्वारा उतारे गए प्रत्याशियों से संतुष्ट नहीं है। चौंकाने वाली बात यह है कि कई बार नोटा को मिलने वाले वोट कई-कई प्रत्याशियों से अधिक होते हैं। 2015 के विधानसभा चुनाव में तो स्थिति और भी दिलचस्प थी। नालंदा जिले के तीन विधानसभा क्षेत्रों - अस्थावां, नालंदा और हरनौत में नोटा तीसरे स्थान पर रहा। यानी विजेता और उपविजेता के बाद सबसे अधिक वोट नोटा को मिले थे। अस्थावां में छह प्रत्याशी, नालंदा में तीन और हरनौत में पूरे सात प्रत्याशी नोटा से पीछे रह गए थे। यह आंकड़े राजनीतिक दलों के लिए चिंता का विषय होने चाहिए। बिहारशरीफ विधानसभा क्षेत्र में नोटा चौथे स्थान पर रहा, जबकि राजगीर और इस्लामपुर में एक-एक प्रत्याशी तो हिलसा में चार प्रत्याशी नोटा से कम वोट हासिल कर पाए। हिलसा में नोटा के वोट जीत के अंतर से 85 गुना अधिक हिलसा विधानसभा क्षेत्र का उदाहरण तो और भी दिलचस्प है। यहां मात्र 12 वोट के अंतर से जीत-हार का फैसला हुआ था, लेकिन नोटा को 1022 वोट मिले थे। यानी जीत के अंतर से 85 गुना अधिक वोट नोटा में पड़े थे। यह दर्शाता है कि यदि मतदाता किसी एक उम्मीदवार पर सहमत हो जाते तो चुनाव का परिणाम पूरी तरह बदल सकता था। 2020 में भी हर सीट पर हजार से अधिक वोट 2020 के विधानसभा चुनाव में भी नोटा का प्रदर्शन उल्लेखनीय रहा। नालंदा जिले की सभी सात विधानसभा सीटों पर नोटा को 1000 से अधिक वोट मिले। हालांकि राजगीर को छोड़कर बाकी सभी विधानसभा क्षेत्रों में नोटा को सबसे कम वोट मिले थे। राजगीर में एक प्रत्याशी नोटा में मिले वोटों से भी पीछे रह गया था। क्या है नोटा? ईवीएम मशीन में सबसे अंतिम बटन नोटा का होता है। नोटा यानी 'नन ऑफ द एबव' (None Of The Above) का मतलब है 'उपरोक्त में से कोई नहीं'। सरल शब्दों में कहें तो यदि किसी मतदाता को कोई भी प्रत्याशी पसंद नहीं है, तो वह अपना विरोध दर्ज करने के लिए नोटा का बटन दबा सकता है। भारत में नोटा की शुरुआत वर्ष 2013 में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद हुई थी। तब से लेकर अब तक सभी लोकसभा और विधानसभा चुनावों में मतदाताओं को यह विकल्प उपलब्ध कराया जा रहा है। हालांकि नोटा को सबसे अधिक वोट मिलने पर भी इसे विजेता नहीं घोषित किया जाता और सबसे अधिक वोट पाने वाला प्रत्याशी ही विजयी होता है।
स्कूल मेजबान बने, बच्चे खेल रहे, शिक्षक SIR में व्यस्त
भास्कर न्यूज | जालोर. जिले में शनिवार से सांसद खेल उत्सव शुरू हो चुका है। इसमें जिले के 23 हजार 735 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। जिसमें जिलेभर के 15 वर्ष से ऊपर के करीब 20 हजार विद्यार्थी शामिल हैं। जबकि 12 दिन बाद 20 नवंबर से इन अर्धवार्षिक परीक्षाएं शुरू होनी हैं। बता दें कि शिक्षा विभाग के समय विभाग चक्र के अनुसार अर्द्धवार्षिक परीक्षाएं दिसंबर में होनी हैं। हाल ही में इन परीक्षाओं को नवंबर में कराने के आदेश जारी कर दिए गए। अब 20 नवंबर से परीक्षाएं होनी हैं। इधर, एक तरफ तो स्कूलों में कोर्स अधूरा है। बोर्ड कक्षा 8, 10 व 12 की अर्द्धवार्षिक परीक्षा में तो पूरा सिलेबस आता है। दूसरी तरफ शिक्षकों को एसआईआर कार्यक्रम में लगा रखा है। ऊपर से सांसद खेल उत्सव, जो कि परीक्षाओं से ठीक पहले आयोजित हो रहे हैं। 12 नवंबर तक इनका आयोजन होगा। तब तक विद्यार्थी इन खेलों में उलझे रहेंगे। हालांकि अर्द्धवार्षिक परीक्षाओं के बाद विधानसभा वार आयोजन होंगे। परीक्षाओं से पूर्व क्लस्टर स्तर तक इन खेलों के आयोजन होंगे। सबसे बड़ी बात यह है कि ये सभी आयोजन भी स्कूलों में ही आयोजित हो रहे हैं। इससे खेलों में भाग लेने वाले विद्यार्थियों के अलावा अन्यों की पढ़ाई भी बाधित हो रही है। सांसद लुंबाराम की ओर से जालोर शिक्षा विभाग को पत्र लिखकर 15 वर्ष से अधिक उम्र के स्कूली विद्यार्थियों को ज्यादा से ज्यादा भाग लेने के लिए कहा गया था। इसी पत्र के हवाले से विभाग ने सभी ब्लॉक में और ब्लॉक से सभी स्कूलों में पत्र भेजकर अधिक से अधिक रजिस्ट्रेशन कराने के निर्देश दिए। कुछ स्कूल संचालकों का कहना है कि विभाग की ओर से ज्यादा रजिस्ट्रेशन कराने का दबाव बनाया गया, ताकि अधिक से अधिक संख्या दिखाई जा सके। ^सांसद ने ज्यादा से ज्यादा नामांकन के निर्देश दिए थे। ये खेल 12 नवंबर तक चलेंगे। अर्धवार्षिक परीक्षा 20 नवंबर से हैं। उसके बाद विधानसभा वार खेल होंगे। - भंवरलाल परमार, डीईओ, जालोर प्रखर अभियान भी बाधित हो रहा स्कूलों में किताब वाचन को लेकर विशेष अभियान सरकार की ओर से चलाया जा रहा है। इसमें विद्यार्थियां को किताब वाचन करना सिखाया जा रहा है। लेकिन स्कूलों में हो रहे खेल महोत्सव से यह अभियान भी बाधित हो रहा है। सांसद का जवाब नहीं मिला: इसको लेकर सांसद लुंबाराम चौधरी से फोन और मैसेज पर जानकारी लेनी चाही, लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब नहीं मिला। इस आयोजन को लेकर जालोर शहर के एक राजकीय स्कूल में कार्यरत शारीरिक शिक्षक ने बताया कि परीक्षाओं के बाद या अगस्त माह में ऐसे आयोजन कराने चाहिए थे। निजी स्कूल के छात्र मेहुल का कहना है कि हमारे फिजीकल टीचर ने हमें रजिस्ट्रेशन कराने के लिए कहा, जबकि कुछ दिनों में हमारे एग्जाम हैं। निजी स्कूल के एक शारीरिक शिक्षक ने बताया कि इस प्रतियोगिता के सर्टिफिकेट किसी प्रतियोगी परीक्षा में काम नहीं आएंगे। एक राजकीय स्कूल के प्रधानाचार्य ने बताया कि इस बार अर्धवार्षिक परीक्षाओं का आयोजन जल्दी हो रहा है। ऐसे में कोर्स भी अधूरा है। स्कूल के शिक्षकों को एसआईआर कार्यक्रम-2026 में लगा रखा है। एक तरफ कोर्स पूरा नहीं हो पा रहा, दूसरी तरफ इस आयोजन में विद्यार्थियों को भटका दिया है।
दिन में बढ़ोतरी, रात को 4 दिन में 7.7 डिग्री गिरा
भास्कर न्यूज | जालोर नवंबर में दिनोंदिन जिले की रातें धीरे धीरे सर्द होती जा रही है। पिछले 4 दिन में 7.7 डिग्री की गिरावट हो चुकी है। शनिवार को रात का पारा गिर 11.2 डिग्री पर आ गया है। इन दिनों अल सुबह हल्का कोहरा छाया रहता है, जिससे अल सुबह वाहन चालकों को वाहनों की हैड लाइटें शुरू कर वाहन चलाना पड़ता है। सुबह वाहनों पर ओस की बूंदें जम रही है। अल सुबह सर्दी के चलते लोग ऊनी वस्त्र पहन कर बाहर निकल रहे हैं। हालांकि शुक्रवार की अपेक्षा शनिवार को अधिकतम तापमान में 1.2 डिग्री की बढ़ोतरी दर्ज की है। शनिवार सुबह सर्दी का आलम रहा। दिन में बादलों की आवाजाही होती रही। शाम होते-होते मौसम में फिर सर्दी घुल गई जो रात गहराने के साथ बढ़ती गई। शनिवार को रात का पारा गिरकर 11.2 डिग्री पे आ गया। वहीं दिन का पर 31.8 डिग्री रिकॉर्ड किया।
पूर्णिया के कसबा विधानसभा के जलालगढ़ में आज केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान विशाल जनसभा को संबोधित करेंगे। जनसभा जलालगढ़ के एनडी रुंगटा हाई स्कूल में सुबह करीब 9 बजे होगी। जहां वे NDA समर्थित LJP(R) प्रत्याशी नितेश कुमार सिंह के समर्थन में चुनावी रैली करेंगे। NDA की ओर से ये जनसभा कसबा से प्रत्याशी नितेश कुमार सिंह की पकड़ मजबूत करने की रणनीति का अहम हिस्सा मानी जा रही है। चिराग पासवान की चुनावी रैली से एनडीए कार्यकर्ताओं में जोश भरने का प्रयास किया जाएगा। जनसभा के जरिए वोटरों को NDA प्रत्याशी नितेश कुमार सिंह के पक्ष में गोलबंद करने की कवायद होगी। विपक्ष के नरेटिव का भी जवान देंगे चिराग पासवान सभा के दौरान केंद्र और राज्य सरकार की उपलब्धियों, विकास योजनाओं और लोकसभा और विधानसभा स्तर पर किए गए कार्यों को प्रमुखता से उठाया जाएगा। चिराग की भरसक कोशिश होगी कि LJP(R) प्रत्याशी नितेश कुमार सिंह के समर्थन में लोगों को एकजुट किया जाए। साथ ही विपक्ष के नैरेटिव का करारा जवाब दिया जाए। केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान इन वोटरों को समेटकर वोटों के बिखड़ाव को रोका जाए। कसबा से NDA प्रत्याशी नितेश कुमार सिंह को जीत की दहलीज तक पहुंचाया आए और एनडीए को सीमांचल में मजबूत किया जाए। NDA का फोकस वोटों के बिखराव को रोके जाने और शक्ति प्रदर्शन के जरिए नितेश कुमार सिंह को मजबूत स्थिति में लाया जाए। जनसभा में लोगों की भारी भीड़ की उम्मीद को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। कार्यक्रम स्थल के आसपास ट्रैफिक नियंत्रण और जाम न होने के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। पुलिस बल और मजिस्ट्रेट की तैनाती की गई है ताकि कार्यक्रम शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो सके। कसबा विधानसभा सीट भी जिले के हॉट सीट में से एक इस सीट से NDA से LJP(R) के प्रत्याशी नितेश कुमार सिंह और महागठबंधन से कांग्रेस प्रत्याशी मो इरफान आलम मैदान में हैं। इस सीट पर मुकाबला चतुष्कोणीय है। इस सीट पर दो मजबूत दावेदार कसबा से विधायक कांग्रेस के आफाक आलम निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनावी अखाड़े में हैं जबकि दूसरी तरफ कसबा विधानसभा के पूर्व विधायक प्रदीप दास निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर ताल ठोक रहे हैं। नितेश सिंह की प्रोफाइल गैर राजनीतिक है। वे हॉस्पिटैलिटी सेक्टर से जुड़े हैं। शहर के सबसे बड़े होटल मेफेयर के ऑनर हैं। दैनिक भास्कर से बात करते हुए LJP(R) प्रत्याशी नितेश सिंह ने कहा कि वे अपने परिवार के पहले जनरेशन हैं जो चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। ये लड़ाई हार जीत की नहीं और न ही ये मेरी लड़ाई है। मेरे साथ कसबा की जनता है। जनता खुद ये चुनाव लड़ रही है। जनता इस बार शिक्षित, ईमानदार और स्वच्छ छवि का उम्मीदवार चुनेगी। वोट के चोट से विधानसभा में पहुंचाने का काम करेगी।
पंजाबी गायक सुभदीप सिंह सिद्दू मूसेवाला की तरह अब राजवीर जवंदा भी मरने के बाद बड़े पर्दे पर दिखेंगे। 9 वर्ष पहले शूट की गई, उनकी फिल्म यमला की रिलीज डेट जारी कर दी गई है। फिल्म को 28 नवंबर को रिलीज किया जा रहा है। जिसका पोस्टर रिलीज किया गया है। पोस्टर में फिल्म की रिलीज डेट जारी की गई है। परिवार को इस फिल्म से पैसे से ज्यादा बेटे को कलाकार के तौर पर जिंदा रखने की तमन्ना है। फिल्म यमला होगी रिलीज पंजाबी सिंगर राजवीर जवंदा जल्द ही बड़े पर्दे पर फिर दिखेंगे। सिंगर सिद्धू मूसेवाला के परिवार की तरह, राजवीर जवंदा के परिजनों ने भी तय किया है कि उनकी फिल्म यमला रिलीज की जाएगी। इसकी तैयारी शुरू हो गई है।परिवार की ओर से सोशल मीडिया पर इस फिल्म से जुड़ा पोस्ट डालकर संकेत दिए गए थे। फिल्म की शूटिंग साल 2019 में हुई थी उन्होंने डायरेक्टर को मैसेज भी भेजा है। परिवार ने लिखा इमोशनल पोस्ट परिवार की ओर से इमोशनल मैसेज भी शेयर किया था। जिसमें लिखा- एक फनकार इस दुनिया को अलविदा कह जाता है, लेकिन उसकी कला हमेशा जीवित रहती है। सिद्दू मूसेवाला के परिवार की तरह जवंदा की फैमिली ने ये फैसला लिया है। बता दें कि 27 सितंबर को राजवीर जवंदा बाइक पर बद्दी से शिमला जा रहे थे। रास्ते में पिंजौर के पास 2 सांडों की लड़ाई से बचने की कोशिश में उनकी बाइक दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। वह 11 दिन मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती रहे। 12वें दिन उन्होंने 35 साल की उम्र में दम तोड़ दिया था। पोस्ट में क्या लिखा...
“SIR अभियान धोखा है। जिन मृत और डुप्लीकेट वोट की बात मोदी सरकार कर रही है। उन्हीं से तो मोदी ने सरकार बनाई थी। पिछड़े दलितों के वोट देने के अधिकारों को छीन लिया जाए। पेपर्स पर सब कुछ सुरक्षित दिखाया जा रहा है, लेकिन जमीन पर हालात बिल्कुल उलट हैं। “जीरो टॉलरेंस” की बात करने वाली योगी सरकार में अपराधियों का मनोबल पहले से ज़्यादा बढ़ा है। ये तीखा बयान है अपना दल (कमेरावादी) नेता डॉ. पल्लवी पटेल का। दैनिक भास्कर से खास बातचीत में उन्होंने मोदी सरकार, योगी सरकार, महंगाई, जातिगत जनगणना और किसानों की स्थिति पर जमकर निशाना साधा। प्रश्न: अखलेश यादव PDA की बात करते हैं, जबकि आप PDM की, ये क्या है?उत्तर: पल्लवी पटेल ने कहा कि देखिए 'A' डाइल्यूट हो सकता है, लेकिन 'M' डाइल्यूट नहीं होता। ये वो समाज है जो इस देश का बड़ा समाज है और जो बिलकुल अखंड होकर के 100 प्रतिशत अपना वोट समाजवादी पार्टी को देता है। लेकिन अगर मुखरता से उस समाज की बात नहीं होगी, तो कौन करेगा बताईए? आप जिसका वोट लेकर के सरकार में आना चाहते हैं, तो उसके हक और अधिकारों के बात करना भी तो हमारा दायित्व है। उसकी बात कौन करेगा? प्रश्न: आजम खान साहब के साथ जो कुछ हुआ, उसे आप कैसे देखती हैं?उत्तर: देखिए, आजम खान साहब जिस कद के नेता हैं, जितना मैंने उन्हें समझा और जाना है, मैं इतना जरूर कह सकती हूं कि जिस व्यक्ति ने सरकार में एक अहम किरदार निभाया हो, उसको जिस तरह से सरकार ट्रीट कर रही है, वह उनके कद और गरिमा-दोनों के खिलाफ है। किसी एक सरकार का दूसरी सरकार के प्रति जो रवैया है, वो भी कही न कही अशोभनीय है। प्रश्न: योगी सरकार लगातार दावा करती है कि यूपी में कानून व्यवस्था बहुत अच्छी है। क्या आप इससे सहमत हैं? उत्तर: पेपर्स पर सबकुछ सुरक्षित है, जमीन पर नहीं। “जीरो टॉलरेंस” की बात करने वाली सरकार में अपराधियों का मनोबल पहले से ज्यादा बढ़ा है। मैं 75 जिलों में जाती हूं, हर जगह एक जैसी घटनाएं दोहराई जा रही हैं। जब किसी वर्ग या समाज को विशेष रूप से तरजीह दी जाती है, तो बाकी समुदायों का शोषण होता है। मुख्यमंत्री को “सर्वसमाज” के लिए काम करना चाहिए, न कि किसी एक वर्ग के लिए। प्रश्न: अखिलेश यादव के PDA अभियान पर आपकी राय क्या है?उत्तर: अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, उनका अपना दृष्टिकोण है। लेकिन मैं मानती हूं कि इस प्रदेश में सबसे ज्यादा शोषण पिछड़े, दलित और मुस्लिम समाज का हुआ है। उन्हें धर्म और जाति के नाम पर उलझाकर रखा गया है। असली मुद्दे- शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य- इन पर कोई बात नहीं करता। प्रश्न: आपने कहा कि संघर्ष सत्ता के लिए है, क्या ये योगी सरकार पर निशाना है?उत्तर: नहीं, मैंने ये हर राजनीतिक पार्टी के लिए कहा। पिछले 76 सालों में संघर्ष सत्ता पाने और उसमें बने रहने का ही रहा है। किसी भी सरकार ने वंचित समाज के उत्थान के लिए धरातल पर गंभीर काम नहीं किया। घोषणाएं बहुत हुईं, लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और है। प्रश्न: मोदी सरकार SIR करवा रही है, सरकार कहती है कि मतदाता सूची के सत्यापन से डुप्लिकेट वोट मृत हो चुके लोगो के वोट हटेंगे?उत्तर: यह लोकतंत्र को कमजोर करने की साजिश है। जिनके वोट से ये सरकार बनी, अब उन्हीं के वोट को संदिग्ध बताया जा रहा है। पल्लवी पटेल ने कहा कि SIR अभियान धोखा है। मोदी सरकार ने लोकतांत्रिक व्यवस्था को चरमराने का एक बड़ा हथकंडा अपना लिया है। ये सिर्फ इसलिए है जो पिछड़े दलित है उनको जो उनकी लोकतांत्रिक व्यवस्था में एक वोट देने की ताकत दी गई है। उसको दूर रखा जाए।मोदी सरकार तो मृत और डुप्लीकेट वोट से बनी थी। ये सरकार तो ऐसे ही बनी थी जहां एक एक व्यक्ति की 20-20 जगह वोट बने थे। सरकार भी तो उससे बनी थी। तब उसको क्यों अपना लिया था। प्रमुख मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए ये किया गया है। प्रश्न: महंगाई पर आपका क्या कहना है?उत्तर: महंगाई से हर व्यक्ति परेशान है। महिला अपने किचन के खर्च से परेशान है। पुरुष अपने गाड़ी में पड़ने वाले पेट्रोल डीजल को लेकर परेशान है। बच्चा इस बात को लेकर परेशान कि उसकी किताबें नहीं आ रही। नौजवान इस बात पर परेशान कि हमारा क्या होगा, हमारे भविष्य का क्या होगा। और हमारे प्रधानमंत्री बता रहे है कि हमने इस देश को कितना समृद्ध कर दिया है। डेटा बैंक का इस्तेमाल करके और जो इंटरनेट का डेटा है उसकी रेल्स बनाकर हमारे लड़के बनाकर कमा रहे है तो ये डिग्री तो धरी रह जानी चाहिए। प्रश्न: बिहार चुनाव में जिस तरह पीएम मोदी की ओर से बयानबाजी हुई, उसे आप कैसे देखती हैं?उत्तर: बिहार चुनाव में जो बयानबाजी हुई, वो बहुत स्तरहीन थी। अब राजनीति मुद्दों की नहीं रही, व्यक्तियों की हो गई है। जो लोग लोकतंत्र की बात करते हैं, वो खुद लोकतंत्र की आत्मा को आहत कर रहे हैं। प्रश्न: मोदी जी कहते हैं किसानों की आय दोगुनी हो गई है। क्या आप सहमत हैं?उत्तर: मोदी जी के हिसाब से तो हर व्यक्ति की आय दोगुनी हो गई है, लेकिन सच ये है कि लोगों की जेब से चवन्नी-अठन्नी तक गायब है। किसान आज भी खाद, बीज और फसल के दाम के लिए संघर्ष कर रहा है। देश की पहचान खेत-खलिहान और पगडंडी से होती थी, लेकिन आज किसान सबसे ज़्यादा परेशान है। न नीति है, न नियत है, न ही कोई सोच। हमारी मांग है कि राष्ट्रीय कृषि आयोग बने। जैसे फैक्ट्री मालिक अपने उत्पाद का मूल्य तय करता है, वैसे ही किसान को भी अधिकार मिले कि उसकी फसल किस दाम पर बिकेगी। ये फैसला किसान ही करे, न कि एसी कमरों में बैठे अफसर। प्रश्न: आप बरेली आई हैं। कुछ दिन पहले आपकी बहन अनुप्रिया पटेल ने भी यहां अपना दल का स्थापना दिवस मनाया था। उन्होंने कहा कि पार्टी अब तीसरी सबसे बड़ी शक्ति बन गई है?उत्तर: देखिए, हर पार्टी का विस्तार चुनाव से पहले होता है। जिला पंचायत 2026 और विधानसभा 2027 के चुनाव नजदीक हैं, इसलिए सभी दल अपनी संगठनात्मक ताकत बढ़ा रहे हैं। हमारा भी यही मकसद है कि रुहेलखंड में संगठन को मजबूत करें। जहां तक जातिगत आधार की बात है, तो कुर्मी समाज से हमारा जुड़ाव ऐतिहासिक है, लेकिन हमने हमेशा सर्वसमाज की राजनीति की है। हमारी सोच है - जिस समाज की जितनी संख्या भारी, उसकी शिक्षा, रोजगार और सत्ता में उतनी भागीदारी हो। इसके लिए जातिवार जनगणना ज़रूरी है।पल्लवी पटेल कौन हैं डॉ. पल्लवी पटेल उत्तर प्रदेश की सिराथू सीट से विधायक हैं। वह अपना दल (कमेरावादी) की नेता हैं और स्वर्गीय डॉक्टर सोनेलाल पटेल की बेटी हैं। उन्होंने 2022 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और तत्कालीन उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को हराकर बड़ी जीत दर्ज की। पल्लवी पटेल का राजनीतिक सफर संघर्षों से भरा रहा है। वह महिला सशक्तिकरण, शिक्षा और सामाजिक न्याय के मुद्दों पर मुखर रहती हैं। परिवार की अंदरूनी राजनीति के बावजूद उन्होंने अपनी पहचान संवेदनशील लेकिन बेबाक नेता के रूप में बनाई है। उनका मानना है कि राजनीति सत्ता का माध्यम नहीं, समाज परिवर्तन का जरिया होना चाहिए।
निवेश पर हर महीने मोटा ब्याज मिलने के झांसे में आकर एक युवक ने अपनी जमापूंजी तो गंवाई ही, साथ ही परिचितों का भी करीब 1.20 करोड़ रुपये लगवा दिए। अब ब्याज तो दूर, मूल रकम भी वापस नहीं मिल रही। ठगी से परेशान युवक ने कैनविज कंपनी के मालिक समेत तीन लोगों के खिलाफ पुलिस में शिकायत दी है। हर माह 5 प्रतिशत ब्याज का वादाग्राम कलापुर, रिठौरा निवासी जितेंद्र यादव ने बताया कि माडल टाउन निवासी कन्हैया लाल गुलाटी, उसके साथी प्रमोद सिंह परिहार और जितेंद्र पटेल ने मिलकर एक योजना बताई थी। कहा गया कि उनकी कंपनी कैनविज एसोसिएट्स में निवेश करने पर हर महीने 5 प्रतिशत ब्याज दिया जाएगा।जितेंद्र यादव ने शुरुआत में 15 लाख रुपये का निवेश किया और शुरुआती महीनों में ब्याज भी मिला। इसके बाद भरोसा बढ़ा तो उन्होंने अपने परिचितों से भी निवेश करवा दिया। कुल रकम 1 करोड़ 20 लाख रुपये तक पहुंच गई। कुछ महीनों बाद बंद हो गया ब्याजजितेंद्र के मुताबिक, कंपनी ने कुछ समय तक नियमित ब्याज दिया, फिर अचानक भुगतान बंद कर दिया। जब उन्होंने पैसे वापसी की बात की तो टालमटोल शुरू कर दी। अब कंपनी मालिक न तो कॉल उठाते हैं, न ही दफ्तर में मिलते हैं।आखिरकार जितेंद्र ने इज्जतनगर थाने में ठगी की शिकायत दी। पहले भी हो चुके हैं गंभीर आरोपकन्हैया लाल गुलाटी पर पहले भी कई मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। बताया जाता है कि बरेली समेत देशभर में उसके खिलाफ 100 से ज्यादा मुकदमे चल रहे हैं।पुलिस रिकार्ड के अनुसार, वह अलग-अलग नामों से निवेश योजनाएं चलाकर लोगों से करोड़ों रुपये हड़प चुका है। ठगी के अधिकतर केस चिटफंड और निवेश के नाम पर सामने आए हैं। महिला ने भी लगाई थी गुहारकुछ दिन पहले बारादरी थाने में एक महिला ने भी गुलाटी पर गंभीर आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज कराया था। महिला ने बताया था कि उसने गुलाटी के कहने पर अपनी कोठी गिरवी रख दी थी, मगर पैसे वापस नहीं मिले। आर्थिक संकट में फंसी महिला को हार्ट अटैक भी पड़ गया था। सैकड़ों करोड़ हड़प चुका है गुलाटीगुलाटी ने चिटफंड स्कीम्स के जरिए बरेली, लखनऊ, दिल्ली, जयपुर, गाजियाबाद और अन्य शहरों में करोड़ों रुपये इकट्ठा किए। आम लोगों को यह कहकर लुभाया जाता था कि महीने का ब्याज बैंक से कई गुना ज्यादा मिलेगा।कई पीड़ितों ने बताया कि कंपनी का नेटवर्क बेहद मजबूत था और सब कुछ वैध दिखता था, जिससे लोग धोखे में आ गए। पुलिस जांच में जुटीएसपी सिटी मानुष पारीक ने बताया कि इज्जतनगर थाने को ठगी की शिकायत मिली है। टीम को दस्तावेजों की जांच और रकम ट्रांजेक्शन का ब्यौरा इकट्ठा करने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि दोषियों पर गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया जाएगा।
गोरखपुर के राजकीय बौद्ध संग्रहालय में शनिवार को फोटो एग्जीबिशन का आयोजन किया गया। जिसमें शहर कई स्कूल के बच्चे शामिल हुए। सभी ने उत्साह दिखाते हुए इस आयोजन में हिस्सा लिया। यहां आकर स्टूडेंट्स ने प्राचीन फोटो और मूर्तियों के माध्यम से अपने इतिहास को जाना। साथ ही उससे जुड़ी कुछ सामग्रियों को देखा। स्टूडेंट्स ने कहा- अभी तक जिस हिस्ट्री को हम पढ़ते थे, उससे जुड़ी बहुत सी चीजों को यहां देखकर बहुत अच्छा लगा। इसके अलावा यहां आने के बाद हमें बहुत सी नई जानकारी भी मिली। चित्रों को देखकर हमें और अच्छे से समझ आया। हमने बहुत सी पुरानी मूर्तियों को देखा जो हमारी संस्कृति से जुड़ी हुई है। एक हफ्ते के लिए विशेष आयोजन उत्तर प्रदेश शासन और जिला प्रशासन के निर्देशानुसार राजकीय बौद्ध संग्रहालय में राष्ट्रीय गीत 'वंदे मातरम्' के 150 वर्ष पूरे होने के अवसर एक हफ्ते के लिए पर एक विशेष फोटो एग्जीबिशन 'वंदे मातरम्-भारत के स्वतंत्रता संग्राम का आह्वान' शुरू किया गया। स्टूडेंट्स ने उत्साहपूर्वक लिया हिस्सा कार्यक्रम का शुरुआत दीप प्रज्वलन के साथ किया गया। इस अवसर पर शहर के विभिन्न स्कूलों के स्टूडेंट्स ने उत्साहपूर्वक हिस्सा लिया। जिनमें सेंट्रल एकेडमी स्कूल, सर माउंट इंटरनेशनल स्कूल और एन.पी.ए.सीनियर सेकेंड्री स्कूल स्टूडेंट्स म्यूजियम पहुंचे। साथ ही राजकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय संत कबीर नगर की छात्राओं ने भी म्यूजियम का भ्रमण किया। वंदे मातरम् प्रदर्शनी को देखकर कर ज्ञानार्जन किया गया। कार्यक्रम के दौरान स्टूडेंट्स ने वंदे मातरम् गीत का सामूहिक रूप से गाया। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान विभिन्न समुदायों, संस्कृतियों और देशवासियों को एकजुट करने और देश भक्ति की नई चेतना जगाने में इस गीत ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। राष्ट्रगीत के इतिहास, अर्थ, संदेश को समझा इसके बाद सभी प्रतिभागियों और अतिथियों ने वंदे मातरम्'' लगी प्रदर्शनी का घूम कर देखा। इस दौरान स्वतंत्रता संग्राम और राष्ट्रगीत के इतिहास, अर्थ, संदेश को समझा। साथ ही भारत की एकता और स्वाभिमान की भावना की अभिव्यक्ति से संबंधित दुर्लभ फोटो को देख कर ज्ञान लिया। यह प्रदर्शनी दिनांक 07 से 14 नवंबर तक संग्रहालय के वर्किंग डेज में सुबह 10:30 बजे से सायं 05 बजे तक दर्शकों के अवलोकनार्थ खुली रहेगी। जिसमें देशभक्ति और सांस्कृतिक जागरूकता को प्रेरित करने का महत्वपूर्ण माध्यम बनेगी।
संभल में वाहन की टक्कर से युवक की मौत:मुरादाबाद का रहने वाला था, बाइक से चंदौसी जा रहा था
संभल में सड़क हादसे में एक युवक की मौत हो गई। गंभीर रूप से घायल युवक को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। यह घटना शनिवार शाम को हुई। शनिवार शाम करीब 7 बजे संभल जिले की चंदौसी तहसील के बनियाठेर थाना क्षेत्र में गांव मझावली के निकट यह हादसा हुआ। 28 वर्षीय युवक बहजोई से चंदौसी की ओर बाइक पर जा रहा था। रास्ते में वीनस शुगर मिल के गेट के पास किसी अज्ञात वाहन ने उसकी बाइक को जोरदार टक्कर मार दी, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया। स्थानीय लोगों ने तत्काल पुलिस और एम्बुलेंस 108 की मदद से युवक को चंदौसी सीएचसी भिजवाया। वहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। पुलिस के प्रयासों से युवक की शिनाख्त रिहासत पुत्र मेहंदी, निवासी मोहल्ला सीओ ऑफिस के पीछे रहमत नगर, कस्बा बिलारी, जनपद मुरादाबाद के रूप में हुई। बनियाठेर थानाध्यक्ष मनोज कुमार वर्मा ने बताया कि सड़क हादसे की सूचना पर थाना पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। पुलिस ने अज्ञात वाहन की तलाश शुरू कर दी है और मृतक युवक के परिजनों को घटना की सूचना दे दी गई है।
रोहतक की महिला क्रिकेटर शेफाली वर्मा का आज रोहतक पहुंचने पर जोरदार स्वागत किया जाएगा। रोहद टोल पर सुबह 10 बजे शेफाली वर्मा पहुंचेगी, जहां जिला प्रशासन की तरफ से सम्मान समारोह किया जाएगा। वहीं, सर्किट हाउस में मंत्री कृष्ण कुमार बेदी व भाजपा नेता शेफाली वर्मा को सम्मानित करेंगे। शेफाली वर्मा ने महिला क्रिकेट वर्ल्ड कप में भारत और हरियाणा का नाम पूरे विश्व में रोशन किया है। वर्ल्ड कप जीतने के बाद शेफाली वर्मा पीएम नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू से मिलने के बाद पहली बार रोहतक पहुंच रही है, जहां शेफाली के परिवार के लोग स्वागत करने के लिए उत्साहित नजर आ रहे है। शेफाली को जीप में जुलूस के रूप में घर लाया जाएगा। रोहद टोल पर प्रशासन करेगा सम्मानितशेफाली वर्मा सुबह जैसे ही रोहद टोल पर पहुंचेगी, वहां एडीसी नरेंद्र कुमार व भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष सतीश नांदल सम्मानित करेंगे। जिला प्रशासन की तरफ से शेफाली के आगमन को लेकर भव्य तैयारी की गई है। टोल पर शेफाली को विश्वकप जीतने की बधाई देने के साथ ही सम्मानित किया जाएगा। स्वर्णकार संघ करेगा शेफाली को सम्मानितस्वर्णकार संघ के पदाधिकारी और परिवार के सदस्य जोगेंद्र वर्मा ने बताया कि बेटी शेफाली वर्मा के स्वागत के लिए पूरी तैयारी की गई है। यह गौरव का विषय है कि देश को वर्ल्ड कप में चैंपियन बनाने के बाद हरियाणा और रोहतक की बेटी अपने घर आ रही है। प्रशासन ने भी अपने स्तर पर स्वागत की तैयारी की है।
पंजाब में लुधियाना के बीआरएस नगर में एक्टिवा चोरी करने के लिए चोर कार पर आया। एक्टिवा चोरी करते हुए चोर बाकायदा सीसीटीवी में भी कैद हो गया। मालिक ने एक्टिवा चोरी होने की शिकायत थाना सराभा नगर में दे दी है। पुलिस ने शिकायत मिलने के बाद मामले की जांच शुरू कर दी। मालिक अमित अवल ने बताया कि वह बीआरएस नगर स्थिति गेमिंग जोन में गया था। कुछ देर गेमिंग जोन में रहा और जब बाहर आया तो वहां पर एक्टिवा नहीं थी। इधर उधर ढूंढा लेकिन एक्टिवा नहीं मिली। उसके बाद उसने आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज चेक की। तब पता चला कि एक युवक कार पर आया और एक्टिवा चोरी करके ले गया। एक्टिवा का लॉक खोलने में लगाए सिर्फ 6 सेंकेंड सीसीटीवी फुटेज को देखें तो चोर ने एक्टिवा का लॉक खोलने और स्टार्ट करने में सिर्फ 6 सेंकेंड का वक्त लगाया। चोर ने आते ही एक चाबी एक्टिवा के लॉक में फंसाई और दो सेकेंड के लिए चाबी को घुमाया और एक्टिवा स्टार्ट कर दी। एक्टिवा बंद हुई तो एक बार वहीं छोड़कर साइट हो गया चोर ने जब एक्टिवा को स्टार्ट करके पीछे किया तो वो बंद हो गई। उसके बाद चोर ने उसे स्टार्ट करने की कोशिश की लेकिन एक्टिवा स्टार्ट नहीं हुई। उसने एक्टिवा को वहीं पर छोड़ा और खुद किनारे हो गया। दरअसल वो अंदर देख रहा था तो उसे वहां कुछ हलचल दिखी। उसके बाद दोबारा आया और एक्टिवा को बिना स्टार्ट किए आगे बढ़ाया। फिर एक्टिवा स्टार्ट करके भाग गया। कुछ दूरी पर खड़ी की कार, फिर आया एक्टिवा चोरी करने अमित ने बताया कि जब उन्होंने सीसीटीवी कैमरे की फुटेज देखी तो पता चला कि गेमिंग जोन से कुछ दूरी पर चोर कार से उतरा और फिर पैदल आया। उसके बाद उसने एक्टिवा को स्टार्ट किया और चोरी करके ले गया। पुलिस को सौंप दी सीसीटीवी फुटेज अमित ने बताया कि उसने खुद सीसीटीवी फुटेज अरेंज की और उसके बाद पुलिस को दे दी है। पुलिस ने सीसीटीवी के आधार पर एक्टिवा चोरी करने वाले की पहचान करनी शुरू कर दी। इसके अलावा पुलिस आसपास के सीसीटीवी कैमरे भी चेक करेगी ताकि पता चल सके कि कार में कितने लोग एक्टिवा चोरी करने आए थे। स्थानीय लोग बोले, रोज चोरी हो रहे वाहन अमित ने बताया कि जब वो आसपास अपनी एक्टिवा ढूंढ रहा था तो स्थानीय लोगों ने कहा कि इस इलाके में रोजाना वाहन चोरी हो रहे हैं। लोगों ने प्रशासन से अपील की हे कि इस इलाके में शाम के समय पुलिस पेट्रोलिंग बढ़ाई जाए ताकि चोरी की घटनाओं को नकेल कसी जा सके। स्थानीय लोगों का कहना है कि इलाके में पिछले कुछ दिनों से इस तरह की चोरी की घटनाएं बढ़ी हैं, जिस पर पुलिस को गश्त और निगरानी बढ़ाने की जरूरत है।
नेता प्रतिपक्ष और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव रविवार को बिहार में कुल 16 जनसभाओं को संबोधित करेंगे। तेजस्वी यादव इसी कड़ी में औरंगाबाद पहुंचेंगे, जहां 5 जनसभाओं को संबोधित करेंगे। जनसभाओं में तेजस्वी यादव महागठबंधन के प्रत्याशियों के समर्थन में वोट अपील करेंगे। प्रस्तावित कार्यक्रम के अनुसार, तेजस्वी यादव की पहली जनसभा दोपहर 1:20 बजे नबीनगर विधानसभा क्षेत्र के सीरीस हाई स्कूल मैदान में होगी, जहां वे राजद समर्थित प्रत्याशी आमोद चंद्रवंशी के पक्ष में मतदाताओं से समर्थन की अपील करेंगे। इसके बाद वे 1:50 बजे कुटुंबा विधानसभा क्षेत्र के बभंडीह मैदान पहुंचेंगे और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सह कुटुंबा से महागठबंधन के प्रत्याशी राजेश कुमार के समर्थन में सभा को संबोधित करेंगे। रफीगंज के आरबीआर हाई स्कूल में होगी तीसरी जनसभा तेजस्वी यादव की तीसरी सभा 2:15 बजे रफीगंज के आरबीआर हाई स्कूल मैदान में होगी, जहां वे राजद प्रत्याशी डॉ. गुलाम शाहिद के लिए वोट मांगेंगे। इसके बाद उनका हेलिकॉप्टर 2:40 बजे ओबरा विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत दाउदनगर के नीमा मैदान में उतरेगा, जहां वे महागठबंधन प्रत्याशी ऋषि कुमार के पक्ष में जनसभा करेंगे। दिन की आखिरी सभा 3:05 बजे गोह विधानसभा क्षेत्र के पथरौर हाई स्कूल मैदान में निर्धारित है, जहां वे राजद प्रत्याशी अमरेंद्र कुशवाहा को जिताने की अपील करेंगे। तेजस्वी की जनसभाओं को लेकर प्रशासन ने किए पुख्ता इंतजाम तेजस्वी यादव की इन जनसभाओं को लेकर जिला प्रशासन ने व्यापक सुरक्षा इंतजाम किए हैं। वहीं राजद और कांग्रेस के कार्यकर्ता भीड़ जुटाने के लिए पिछले दो दिनों से क्षेत्र में सक्रिय हैं। तेजस्वी के दौरे को लेकर महागठबंधन कार्यकर्ताओं में भारी उत्साह देखा जा रहा है।
दिन में बढ़ोतरी, रात को4 दिन में 7.7 डिग्री गिरा
नवंबर मंे दिनोंदिन जिले की रातें धीरे धीरे सर्द होतीजा रही है। पिछले 4 दिन में 7.7 डिग्री की गिरावटहो चुकी है। शनिवार को रात का पारा गिर 11.2डिग्री पर आ गया है। इन दिनों अल सुबह हल्काकोहरा छाया रहता है, जिससे अल सुबह वाहनचालकों को वाहनों की हैड लाइटें शुरू कर वाहनचलाना पड़ता है। सुबह वाहनों पर ओस की बूंदें जमरही है। अल सुबह सर्दी के चलते लोग ऊनी वस्त्रपहन कर बाहर निकल रहे हैं। हालांकि शुक्रवार कीअपेक्षा शनिवार को अधिकतम तापमान में 1.2 डिग्रीकी बढ़ोतरी दर्ज की है। शनिवार सुबह सर्दी काआलम रहा। दिन में बादलों की आवाजाही होतीरही। शाम होते-होते मौसम में फिर सर्दी घुल गई जोरात गहराने के साथ बढ़ती गई। शनिवार को रात कापारा गिरकर 11.2 डिग्री पे आ गया। वहीं दिन का पर31.8 डिग्री रिकॉर्ड किया।
कबड्डी पुरुष वर्ग में नारणावास ए विजेता
भास्कर न्यूज | जालोर सांसद खेल महोत्सव के तहत शनिवार को आयोजित प्रतियोगिताओं में नारणावास क्षेत्र के खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए कई मुकाबलों में जीत दर्ज की। निर्णायक रूपसिंह राठौड़ और हिम्मतसिंह ने बताया कि कबड्डी (पुरुष वर्ग) में नारणावास ए टीम ने पहला और नारणावास बी टीम ने दूसरा स्थान हासिल किया। कबड्डी (महिला वर्ग) में नया नारणावास की टीम विजेता रही। खो-खो (पुरुष वर्ग) में नारणावास ने पहला और धवला ने दूसरा स्थान प्राप्त किया। लंबी कूद (महिला वर्ग) में गुड़ियाकंवर धवला ने पहला स्थान हासिल किया। कार्यक्रम का शुभारंभ नारणावास प्रशासक जशोदा कंवर ने किया, जबकि अध्यक्षता पीईईओ रतनसिंह राठौड़ ने की। वहीं विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रधानाचार्य चंपालाल खत्री आदि मौज्ूद रहे।
जालोर से गर्ग और सांचौर से खिलेरी ब्लॉक अध्यक्ष मनोनीत
जालोर | अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ जालोर के जिलाध्यक्ष विक्रमसिंह करनोत ने महासंघ विधान में विचार-विमर्श के बाद ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्ति की है। इनमें आहोर से श्रवणसिंह बालोत, चितलवाना से मांगीलाल मेघवाल, जसवंतपुरा से रणजीतसिंह परमार, जालोर से छगनलाल गर्ग, भीनमाल से हरीश शर्मा, रानीवाड़ा से लखमाराम पुरोहित, सायला से ज्ञानसिंह दहिया और सांचौर से हरिराम खिलेरी को ब्लॉक अध्यक्ष मनोनीत किया। जिलाध्यक्ष करनोत ने बताया कि सभी नव-नियुक्त ब्लॉक अध्यक्ष संबद्ध घटकों से विचार-विमर्श कर ब्लॉक कार्यकारिणी का विस्तार करेंगे।
दांतीवास के संजय के रोबोट देख कर पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत ने सराहना की
भास्कर न्यूज | जालोर दांतीवास गांव के 19 वर्षीय इंजीनियरिंग विद्यार्थी संजय मेघवाल इन दिनों अपने अनोखे नवाचार को लेकर चर्चा में हैं। संजय की ओर से बनाए गए आर्टिफिशियल रोबोट को देखने और उन्हें बधाई देने के लिए रोजाना लोग उनके घर पहुंच रहे हैं। समाजसेवी, जनप्रतिनिधि और ग्रामीण उनकी प्रतिभा की सराहना कर रहे हैं। वहीं शुक्रवार को संजय ने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के आवास पर अपने आर्टिफिशियल रोबोट की प्रस्तुति दी, जिसे देखकर गहलोत ने उनकी काबिलियत की प्रशंसा की, उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दीं और सम्मानित कर प्रोत्साहन राशि भेंट की। गहलोत ने इस दौरान संजय को आगे की पढ़ाई और नवाचारों के लिए हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया। वहीं पूर्व पुलिस महानिदेशक डॉ. रवि प्रकाश मेहरड़ा के सामने भी रोबोट को प्रदर्शित किया। उन्होंने अवलोकन कर बधाई व पुरस्कार दिया। इस अवसर पर गोपाल परमार (सोशल एक्टिविस्ट, राजस्थान) और किशन बैरवा (जयपुर) भी मौजूद रहे।
सड़क नहीं, बीमारों को चारपाई पर ले जाते हैं
भास्कर न्यूज | गोगुंदा सायरा ब्लॉक की गुंदाली ग्राम पंचायत के पालछ गांव व थली का बंधा गांव के बीच तीन किमी तक पथरीला रास्ता, पहाड़ की चढ़ाई, जंगल और नदी-नाले होने से लोगों को आवाजाही में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीण खुमाण सिंह, माधु सिंह, विक्रम सिंह व भंवर सिंह ने बताया कि सड़क नहीं होने से बीमार व गर्भवती महिलाओं को चारपाई पर लेटाकर कर 3 किलोमीटर दूर मुख्य सड़क तक ले जाना पड़ता है। वहां से वाहन से अस्पताल ले जाते हैं। बारिश के दिनों में तो रास्ते से होकर गुजरना ही मुश्किल हो जाता है। थली का बंधा गांव के 26 बच्चे पालछ गांव स्थित स्कूल में पढ़ रहे हैं। बारिश के दिनों में स्कूल जाने वाले बच्चों को भी समस्या होती है। रास्ता खराब होने के कारण बच्चे स्कूल जाना बंद कर देते हैं। रास्ते में कहीं जंगल है तो कहीं पानी के नाले हैं। रास्ते में पहाड़ पर पथरीला रास्ता भी है, जहां से वाहनों का आना-जाना भी मुश्किल है। गांव के कालू सिंह राजपूत ने बताया कि गांव में 80 से अधिक मकान हैं। कुछ साल पहले ग्रेवल सड़क बनाई गई थी, लेकिन वह बारिश में टूट चुकी है। पक्की सड़क बनवाने की मांग को लेकर एसडीएम व कलेक्टर को कई पत्र लिखे, लेकिन सुनवाई नहीं हुई है। सरपंच गोपी बाई ने बताया कि बरसों से थली का बंधा गांव के लोग सड़क की मांग कर रहे हैं। पंचायत द्वारा भी संबंधित अधिकारियों को पत्र भेजे गए, लेकिन समस्या का समाधान अब तक नहीं हो पाया है। ^ मुझे इसके बारे में जानकारी नहीं है। मैं पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों से इसके बारे में बात करता हूं। इस समस्या का समाधान करवाने का पूरा प्रयास करूंगा। - शुभम भैसारे, एसडीएम, गोगुंदा
आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों को 9वीं से 12वीं क्लास में छात्रवृत्ति के लिए 16 नवंबर को नेशनल मींस कम मेरिट स्कॉलरशिप परीक्षा -2026 होगी। जिसके लिए ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। पंजीयक शिक्षा विभागीय परीक्षाएं राजस्थान बीकानेर ने इस परीक्षा के लिए 41 जिलों के आधार पर परीक्षा केंद्रों का निर्धारण कर दिया है। सहायक निदेशक अरविंद शर्मा ने बताया कि राज्य में पंजीकृत 96 हजार अभ्यर्थियों के लिए 404 परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं। प्रवेश पत्र 10 नवंबर तक जारी किए जाएंगे। 16 नवम्बर को परीक्षा एक पारी में दोपहर 2 बजे से शाम 5 बजे तक होगी। 180 प्रश्न हल करने होंगे। पेपर दो भागों में होगा। मानसिक योग्यता परीक्षण (मेट) और दूसरा शैक्षिक योग्यता परीक्षण (सेट)। मेट में 90 बहुविकल्पीय प्रश्नों के जरिए विद्यार्थियों की तर्क क्षमता और आलोचनात्मक सोच की जांच की जाएगी। जबकि सेट में 90 बहुवैकल्पिक प्रश्न कक्षा सातवीं और आठवीं के विज्ञान, सामाजिक अध्ययन और गणित विषय से संबंधित होंगे। उत्तीर्ण होने के लिए न्यूनतम 40% अंक अनिवार्य है। एससी-एसटी श्रेणी के अभ्यर्थियों को 32% अंक जरूरी है। दिव्यांग श्रेणी के अभ्यर्थियों को अपनी श्रेणी में 3% आरक्षण नियमानुसार देय होगा। 96 हजार में से 5471 विद्यार्थियों का होगा चयन एनएमएमएस योजना में राजस्थान का कोटा 5471 निर्धारित है। पंजीकृत 96 हजार अभ्यर्थियों में से परीक्षा में शामिल होने वाले अभ्यर्थियों को मेरिट के आधार पर चयनित किया जाएगा। जिसका जिलेवार और श्रेणी वार वर्गीकरण किया गया है। छात्रवृत्ति की पात्रता के लिए अभ्यर्थी का जिला मेरिट में आना जरूरी है। चयनित अभ्यर्थियों को 9वीं से 12वीं तक मिलेगी स्कॉलरशिप नेशनल मीन्स कम मेरिट स्कॉलरशिप परीक्षा में चयनित अभ्यर्थियों को कक्षा 9वीं से 12वीं तक नियमित अध्यनरत रहने पर प्रतिवर्ष 12 हजार रुपए की छात्रवृत्ति प्रदान की जाएगी। छात्रवृत्ति की राशि का भुगतान विद्यार्थी के बैंक अकाउंट में डीबीटी के माध्यम से किया जाएगा।
करनाल के सीतामाई गांव का एक ट्रक ड्राइवर आंध्र प्रदेश में संदिग्ध हालात में मृत मिला। वह करीब तीन सप्ताह पहले दवाई की खेप लेकर करनाल से विजयवाड़ा गया था। परिजनों ने उसकी हत्या की आशंका जताई है। जीपीएस से ट्रक का लोकेशन मिलने के बाद जब परिवार ने ट्रांसपोर्टर से पूछताछ की तो संतोषजनक जवाब नहीं मिला। आखिरकार विशाखापट्टनम से सूचना मिली कि ड्राइवर की लाश रेलवे लाइन के पास मिली है और अब डेडबॉडी विशाखापटनम में अस्पताल के मोर्चुरी हाउस में है। पीड़ित परिवार ने मामले की शिकायत पुलिस को की है और पुलिस ने शिकायत के आधार पर हत्या की धाराओं में जीरो एफआईआर की है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। दो साल से सोनीपत में परिवार सहित रह रहा था ट्रक ड्राइवर गांव सीतामाई निवासी संजीव कुमार करीब दो साल से अपने परिवार सहित सेक्टर-23 सोनीपत में किराए के मकान में रह रहा था। उसके पास ट्रक है, जिसे वह खुद चलाता था। परिवार के मुताबिक, संजीव करीब 13 या 14 अक्टूबर को निसिंग स्थित श्याम लाल ट्रांसपोर्ट से करनाल से दवाई लेकर विजयवाड़ा (आंध्र प्रदेश) गया था। ढाबे पर मिली खड़ी गाड़ी, मोबाइल बंद था मृतक के चाचा सुनील कुमार ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि ट्रक में लगा जीपीएस सिस्टम उनके फोन से जुड़ा हुआ था। जीपीएस के अनुसार, ट्रक 29 अक्टूबर से आंध्र प्रदेश के नाकापल्ली इलाके में स्थित 'शेर पंजाबी फैमिली ढाबा' पर खड़ा दिखा रहा था। उसी दिन से संजीव का मोबाइल नंबर लगातार बंद बताने लगा। परिजनों ने जब ट्रांसपोर्टर श्याम लाल से संपर्क किया तो उसने कहा कि माल दूसरी गाड़ी में भेज दिया गया है, लेकिन ड्राइवर कहां है, इसकी उसे कोई जानकारी नहीं है। संजीव के परिवार ने और गांववालों ने श्याम लाल से बार-बार संपर्क किया, लेकिन कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला। इस दौरान परिजनों ने करनाल पुलिस को भी मामले की जानकारी दी। परिवार लगातार जीपीएस ट्रैकिंग से गाड़ी का लोकेशन देखता रहा, जो ढाबे पर स्थिर दिख रही थी। विशाखापट्टनम से आया फोन, रेलवे लाइन के पास मिली लाश 6 नवंबर की शाम को संजीव की पत्नी नीलम को एक अनजान नंबर से फोन आया। कॉल करने वाले ने बताया कि विशाखापट्टनम के पास रेलवे लाइन के पास एक व्यक्ति की लाश मिली है, जो संभवतः संजीव की है। कॉलर ने यह भी बताया कि डेडबॉडी सरकारी अस्पताल विशाखापट्टनम में रखी गई है। यह सुनते ही परिवार में कोहराम मच गया। परिवार ने जताई हत्या की आशंका, ट्रांसपोर्टर पर लगाए आरोप संजीव के चाचा सुनील कुमार निवासी सीतामाई ने पुलिस चौकी सीतामाई में दी शिकायत में आरोप लगाया कि उनके भतीजे संजीव की हत्या श्याम लाल ट्रांसपोर्टर और उसके साथियों ने मिलकर करवाई है। सुनील ने बताया कि ट्रांसपोर्टर शुरू से ही जानकारी छिपा रहा था और जबरन बात को टालता रहा। उन्होंने पुलिस से दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। पुलिस ने जीरो एफआईआर दर्ज कर मामला आंध्र प्रदेश भेजा शिकायत मिलने पर पुलिस चौकी सीतामाई प्रभारी सब इंस्पेक्टर सुभाष चंद्र ने मामले की जांच शुरू की। जांच में पाया गया कि घटना स्थल आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा क्षेत्र में आता है। इसलिए थाना निगदु, जिला करनाल पुलिस ने मामला जीरो एफआईआर के रूप में दर्ज किया है और संबंधित दस्तावेजों के साथ मामला जीआरपी विजयवाड़ा थाना विशाखापट्टनम को भेजा जा रहा है।
फर्जी दस्तावेज के जरिए बैंक खाता खुलवाकर , साइबर ठगों को अकाउंट देने वाले चार लोगों को थाना फेज-3 पुलिस ने गिरफ्तार किया है। इस बैंक का खातों का प्रयोग डिजिटल अरेस्ट और अन्य प्रकार के साइबर क्राइम में किया जाता रहा है। इनके नाम वरुण प्रताप सिंह, सार्थक गुप्ता, अर्थव दीक्षित और मोनू यादव है। इन चारों को इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस के बाद ग्रीन बेल्ट सेक्टर 66 से सेक्टर 63 की ओर जाने वाली रास्ते से गिरफ्तार किया गया। अन्य फरार आरोपी की गिरफ्तारी भी जल्द की जाएगी। 50 लाख से 5 करोड़ लिमिट का खाताये चारो आरोपी फर्जी दस्तावेज के आधार पर ऐसा खाता खुलवाते थे। जिसकी लिमिट 50 लाख से 5 करोड़ रुपए तक होती थी। दरअसल साइबर ठग की ओर से जो डिमांड आती थी वो खाता इन लोगों के द्वारा उसे प्रोवाइड करा दिया जाता था। इन खातों का प्रयोग डिजिटल अरेस्ट और निवेश के नाम धोखाधड़ी में किया जाता था। बता दे डिजिटल अरेस्ट में करोड़ों की धोखाधड़ी तक की गई है। ऐसे में इस तरह के खाते उनमें प्रयोग किए गए होंगे। फिक्स अमाउंट मिलता थामोनू यादव ने रोहित यादव से किट यानी (अकाउंट चैक बुक, डेबिट कार्ड, सिम) को सप्लाई करने की जिम्मेदारी ली थी। एक खाते के 60,000 रुपए मोनू को मिलते थे। मोनू यादव ही वरूण प्रताप सिंह, अर्थव दीक्षित से अकाउंट डिटेल , सिम, डेबिट कार्ड लेकर रोहित यादव को देता था। डील के मुताबिक जब तक ये अकाउंट एक्टिव रहेगा तब तक रोजाना इस खाते में 50,000 रुपए का पेमेंट किया जाना तय था । मोनू ने अब तक तीन खाते बेचे है। जिनकी डिटेल ली गई है। सट्टे के लिए 1 करोड़ का खाता पूछताछ के दौरान मोनू ने बताया कि वह टेलीग्राम पर लिंक भेजकर आमजन द्वारा ऑनलाइन गेम के जरिए सट्टे में जो पैसा लगाया जाता था। वह धनराशि भी इन लोगों से बरामद एक बैंक के करंट खाते में आती थी। जिसकी लिमिट एक करोड रुपए प्रतिदिन की होनी थी। ये लोग पकड़े न जाए इस लिए वॉट्सऐप वाइस कॉल और डिस पेयरिंग चैट्स का प्रयोग करते थे ताकि सबूत न मिल सके ।
विकास घर का होनहार लड़का था। इसी साल किसान क्रेडिट कार्ड से 5 लाख रुपए का कर्ज लेकर उसने बोर कराया और मक्के की फसल बोई थी। बेमौसम बारिश में पूरी फसल खराब हो गई। त्योहार में भी वह घर में कुछ नहीं ला पाया। इसी निराशा में उसने अपनी जान दे दी। ये कहते हुए अनिल यादव का गला भर जाता है। वह आगे कुछ कह नहीं पाते.. बाकी सारी कहानी उनके आंसू बयान कर देते हैं। अनिल नर्मदापुरम के मोरघाट गांव में रहते हैं। वह जिस विकास की बात कर रहे हैं, वह उनका भतीजा था। जिसने 22 अक्टूबर को फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली। विकास ग्रेजुएट था, लेकिन उसे कोई नौकरी नहीं मिली तो वह खेती से ही घर चलाने लगा था। अनिल कहते हैं कि घर चलाने की जिम्मेदारी उसी पर थी क्योंकि एक भाई दिव्यांग है। ऐसी दर्दनाक कहानी केवल विकास की नहीं है, मध्य प्रदेश में एक महीने में 9 किसानों ने जान दी है। इनमें 4 किसान उज्जैन जिले के हैं। दो खंडवा के जबकि नर्मदापुरम, श्योपुर और मुरैना जिले के एक-एक किसान हैं। सभी के आत्महत्या करने की वजह फसल खराब होना, कर्ज और फसल के उचित दाम न मिलना रहा है। हालांकि, अफसर ये मानने को तैयार नहीं हैं कि फसल खराब होने के चलते किसानों ने खुदकुशी की है। भास्कर ने इन सभी 9 केस की पड़ताल की। किसानों के परिजन से बात कर खुदकुशी की वजह को समझा, साथ ही एक्सपर्ट से बात कर जाना कि आखिरकार किसान निराश और हताश क्यों हैं? स्थानीय जिला प्रशासन की तरफ से इन्हें क्या मदद मिली? पढ़िए, रिपोर्ट... सिलसिलेवार जानिए, किन हालात में किसानों ने मौत को गले लगाया उज्जैन: कम उपज और कर्ज का बोझ, 4 किसानों की मौतउज्जैन के चार किसानों ने कम उपज के चलते मौत को गले लगाया है। पहली घटना 4 अक्टूबर की है। बगला गांव के रहने वाले रामसिंह भामी ने 4 अक्टूबर को सोयाबीन की फसल की कटाई कराई। पहले तो थ्रेशर मशीन खेत में फंसने से परेशान हुए फिर जैसे ही फसल निकलने लगी तो कम उत्पादन देखकर चिंता में डूब गए। फसल निकलती छोड़कर घर आ गए। बेटे सुनील के मुताबिक, फसल खराब होने और कर्ज के बोझ ने उसके पिता को तोड़ दिया। उन्होंने घर में रखी कीटनाशक दवा खा ली। ग्रामीणों ने बताया कि रामसिंह की करीब 6 बीघा जमीन है जिसमें सोयाबीन तीन बीघा में केवल 1 क्विंटल 20 किलो हुई, जबकि औसत 6 से 9 क्विंटल होना चाहिए थी। वहीं खजुरिया मंसूर गांव के दिनेश शर्मा की फसल इतनी कम हुई कि घर का खर्च चलाना भी मुश्किल हो गया। भाई अशोक बताते हैं कि इसी परेशानी में उसने आत्महत्या जैसा कदम उठा लिया। तीसरा मामला सेकली गांव के शव सिंह का है। 61 साल के शव सिंह ने 7.5 बीघा खेत में सोयाबीन बोया था, लेकिन पैदावार मात्र 7 क्विंटल हुई। परिवार का कहना है कि लागत भी न निकलने की हताशा में उन्होंने जहर खा लिया। वहीं चौथा मामला अरनिया चिबड़ी गांव के कमल सिंह गुर्जर का है। कमल सिंह को 3 बीघा जमीन से सिर्फ 1 क्विंटल सोयाबीन मिला। फसल की इस बर्बादी से दुखी होकर उन्होंने कीटनाशक पीकर अपनी जान दे दी। खंडवा: बारिश से मक्का की फसल बर्बादखंडवा में सोयाबीन की फसल खराब होने के बाद दो किसानों ने मौत को गले लगा लिया। दीवाल गांव के 40 साल के मदन कुमरावत ने 2 एकड़ अपनी और 8 एकड़ किराए की जमीन पर सोयाबीन बोया था। बारिश ने सब कुछ बर्बाद कर दिया। कर्ज के बोझ तले दबे मदन ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली। परिजन का कहना है कि इस साल एक दाना भी नहीं निकला। उन्होंने पूरी फसल खेत में ही मवेशियों को चरा दी थी। इसी को लेकर मदन परेशान था। उस पर सोसाइटी और साहूकारों का कर्ज था। कुछ पैसा रिश्तेदारों से भी उधार लिया था। ऐसी ही कहानी डोंगर गांव के सदाशिव फत्तू की है। उन्होंने पांच एकड़ में मक्का बोया था। बेमौसम बारिश की वजह से फसल खराब हो गई। सदाशिव इसे सहन नहीं कर पाए और 30 अक्टूबर को खेत में ही कीटनाशक पी लिया। नर्मदापुरम में मक्का तो चंबल में धान की फसल खराबनर्मदापुर के मोरघाट के रहने वाले 23 साल के विकास यादव ने फसल खराब होने और कर्ज के दबाव की वजह से 22 अक्टूबर को फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली। उसके चाचा अशोक यादव के मुताबिक विकास ग्रेजुएट था, लेकिन कोई नौकरी न मिलने से उसने खेती को ही जीवनयापन का जरिया बनाया था। सारे घर की जिम्मेदारी उसी पर थी। उसने कर्ज लेकर इस बार मक्का बोया था। उसे उम्मीद थी कि अच्छी फसल होगी तो वह कर्ज चुका देगा और बाकी जरूरतें भी पूरी हो जाएंगी। फसल अच्छी हो इसलिए उसने खेत में बोरिंग भी कराया था, लेकिन बेमौसम बारिश ने उसकी सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। इसी तनाव के चलते उसने आत्महत्या जैसा कदम उठा लिया। फसल अच्छी होने पर बेटी के लिए रिश्ता करने की थी प्लानिंगमुरैना के बानमोर तहसील के टीकरी गांव में रहने वाले मुकेश गुर्जर के पिता रामनाथ गुर्जर के हिस्से में साढ़े चार बीघा जमीन थी। तीन भाइयों में बंटवारे के बाद मुकेश के हिस्से में केवल डेढ़ बीघा जमीन आई। खेती के अलावा मुकेश को कोई दूसरा काम नहीं आता था, इसलिए वह हर साल चाचा और रिश्तेदारों से 10 बीघा जमीन ठेके पर लेकर खेती करता था। इस जमीन के एवज में उसे प्रति बीघा 20 हजार रुपए सालाना के हिसाब से कुल 2 लाख रुपए चुकाने थे। इस साल अतिवर्षा के कारण 10 बीघा में बोई धान की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई, जिस कारण जमीन मालिकों को दो लाख रुपए देने की चिंता उसे सताने लगी। पत्नी लक्ष्मी ने बताया कि अतिवर्षा से पहले फसल अच्छी थी। मुझसे कहा था कि फसल बेचकर सबकुछ ठीक हो जाएगा। बेटी का भी अच्छा रिश्ता कर दूंगा। लेकिन बारिश ने उनकी आखिरी उम्मीद भी डुबो दी। फसल बर्बाद हुई तो वो टूट गए। चार-पांच दिन से उदास रहने लगे। 31 अक्टूबर को खेत पर जाने की बोलकर चले गए और फिर कभी वापस नहीं आए। जब उनको खोजा गया तो खेत के पास के पेड़ से फांसी के फंदे पर झूलते मिले। प्रशासन ने दी 2 लाख रुपए की सहायताश्योपुर जिले के सिरसौद गांव के रहने वाले कैलाश मीणा ने भी फसल खराब होने के बाद 29 अक्टूबर को मौत को गले लगा लिया। कैलाश की 9 बीघा धान की फसल कटाई से ठीक पहले हुई बारिश में बर्बाद हो गई। परिजनों ने बताया कि कैलाश सुबह घर से खेत के लिए निकला था। कुछ देर बाद ग्रामीणों ने उसे खेत में एक पेड़ से लटका हुआ देखा। वे शव को नीचे उतारकर जिला अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने कैलाश को मृत घोषित कर दिया। घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी अस्पताल पहुंचे थे। गांव पहुंचते ही किसान के शव को बीच रास्ते में रखकर ग्रामीणों ने चक्काजाम कर दिया था। बड़ी संख्या में किसान और ग्रामीण मुआवजा देने की मांग पर अड़ गए। कलेक्टर अर्पित वर्मा ने मौके पर पहुंचकर परिजनों से चर्चा की। मृतक किसान के परिवार को रेड क्रॉस के माध्यम से 2 लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी गई।इसके बाद धरना खत्म किया गया। जानिए पांच जिलों के अधिकारी क्या कहते हैं श्योपुर कलेक्टर बोले- एक सदस्य को नौकरी देंगेकिसानों की खुदकुशी को लेकर भास्कर ने सभी जिलों के कलेक्टर और अधिकारियों से संपर्क किया। श्योपुर के किसान कैलाश मीणा की मौत के बाद प्रशासन ने परिवार को 2 लाख रु. की सहायता दी थी। कलेक्टर अर्पित वर्मा ने कहा कि 2 लाख की सहायता के साथ पीड़ित परिवार के एक सदस्य को संविदा नियुक्ति भी दी जाएगी। जिले में फसलों को जो नुकसान हुआ है। उस संबंध में राशि मांगी गई है।खंडवा कलेक्टर बोले- जांच चल रही हैखंडवा के मदन कुमरावत और सदाशिव फत्तू की खुदकुशी को लेकर कलेक्टर ऋषभ गुप्ता ने कहा कि दो किसानों ने सुसाइड किया है, लेकिन उन्होंने ऐसा क्यों किया इसकी जानकारी हमने मंगाई है। परिजन के जो कथन लिए हैं, उसमें फसल से जुड़ी बात कहीं भी सामने नहीं आ रही है। उन्होंने बताया कि जिले में फसल खराब होने के संबंध में लगभग 20 करोड़ के प्रकरण बनाए गए है। जिसमें से अब तक लगभग 12 करोड़ रुपए किसानों को दिए जा चुके है। बाकी की प्रोसेस चल रही है। महिदपुर SDM बोले- खुदकुशी का कारण फसल खराब नहींउज्जैन जिले में 4 किसानों ने खुदकुशी की है। महिदपुर एसडीएम अजय हेगड़े ने कहा कि हमारे क्षेत्र के जिन चार किसानों की खुदकुशी की बात सामने आ रही है उसमें अलग-अलग कारण है। सेकली गांव के शव सिंह की प्रारंभिक पीएम रिपोर्ट में मौत की वजह हार्ट अटैक सामने आई है।अभी सभी की डिटेल रिपोर्ट आना बाकी है। उन्होंने ये भी कहा कि महिदपुर में किसानों की जो फसल खराब हुई है उसके मुताबिक तहसीलदार की टीम ने सर्वे कर कुल राहत राशि के तौर पर 50 करोड़ रु. की मांग की है। उसमें से 40 करोड़ रुपए का भुगतान किसानों को किया जा चुका है। आगे भी भुगतान की प्रक्रिया चल रही है। वहीं हैरानी की बात ये है कि किसानों की खुदकुशी के बारे में कृषि विभाग के अफसरों को जानकारी ही नहीं है। किसानों की निराशा के चार बड़े कारणएक्सपर्ट के मुताबिक किसानों की आत्महत्या की वजह एक नहीं है बल्कि इसके पीछे कई कारण है। वे किसानों की खुदकुशी के लिए चार बड़ी वजह गिनाते हैं… 1. मौसम की मार: इस साल दीपावली से पहले हुई बेमौसम और भारी बारिश ने खड़ी और कटी हुई फसलों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया। प्रदेश में मक्का, सोयाबीन और धान की फसलें 50% से लेकर 100% तक बर्बाद हो गईं। कई किसानों को तो खेत में ट्रैक्टर चलवाना पड़ा क्योंकि एक दाना भी घर लाने की स्थिति नहीं थी। 2. मंडी में भाव नहीं मिला: जो किसान अपनी बची-खुची फसल लेकर मंडी पहुंचा, उसे वहां भी निराशा ही हाथ लगी। न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद न होने से व्यापारी मनमाने दामों पर फसल खरीद रहे हैं। भारतीय किसान संघ से जुड़े राहुल धूत कहते हैं कि मक्का का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2090 रुपए है जबकि ये 1100 रुपए में खरीदा जा रहा है। इसी तरह सोयाबीन की एमएसपी 4600 रुपए है और मंडी में किसानों को 4 हजार रुपए प्रति क्विंटल भाव मिल रहा है। 3. खाद-बीज और कीटनाशक की किल्लत: भारतीय किसान संघ से जुड़े राहुल धूत बताते हैं, 'किसान की परेशानी बोवनी के साथ ही शुरू हो जाती है। उसे अच्छा बीज नहीं मिलता, फिर खाद और कीटनाशक के लिए लाइनों में लगना पड़ता है। इन सब से जूझ कर जब वह फसल उगाता है, तो मौसम और बाजार उसे दगा दे जाते हैं।' 4. सरकारी मदद का अभाव: फसल खराब होने पर किसान को न तो समय पर मुआवजा मिलता है और न ही फसल बीमा का लाभ। कांग्रेस किसान प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष केदार सिरोही कहते हैं, 'सरकार की पहली जिम्मेदारी है कि विपदा के समय वह किसान की सहायता करे। लेकिन सरकार का संवाद एकतरफा है। वह किसानों का भरोसा जीतने में पूरी तरह फेल रही है। एक्सपर्ट बोले- खेती में सुनिश्चित आय न होना समस्या की जड़कृषि विशेषज्ञ देवेंद्र शर्मा इस स्थिति को एक बड़ी चेतावनी मानते हैं। वे कहते हैं, 'यह बहुत दुखद है कि सोयाबीन अब 'सुसाइडल क्रॉप' बनती जा रही है। पहले यह कपास के साथ होता था। अगर सोयाबीन की खेती पर ध्यान नहीं दिया गया, तो हालात और बिगड़ सकते हैं।' शर्मा के अनुसार, समस्या की जड़ खेती में सुनिश्चित आय का न होना है। वे कहते हैं, 'भावांतर जैसी योजनाएं पूरी तरह फेल हैं। हमें एमएसपी को कानूनी अधिकार देना होगा। लेकिन हमारे देश के पढ़े-लिखे लोग और उपभोक्ता कभी किसानों के साथ खड़े नहीं होते। फ्रांस में जब डेयरी किसान आत्महत्या कर रहे थे, तो वहां के उपभोक्ताओं ने दूध पर कुछ अतिरिक्त पैसे देकर अपने किसानों को बचा लिया। क्या हम ऐसा नहीं कर सकते?'
शाहबानो मामले में फिल्म ‘हक’ पर रोक लगाने की मांग को लेकर उनकी बेटी सिद्दिका द्वारा लगाई गई याचिका इंदौर हाई कोर्ट द्वारा खारिज करने के बाद 7 नवंबर को फिल्म देशभर में रिलीज हो गई। कोर्ट ने माना कि इसमें ऐसी कोई विवादास्पद बात नहीं है कि फिल्म पर रोक लगाई जा सके।अब फिल्म के रिलीज होने के बाद जो बात सामने आई है वह यह कि पूरी फिल्म में शाहबानो केस से जुड़े विवादों से बचने की कोशिश की गई है। खास बात यह कि पूरी फिल्म में एक छोटी सी स्लाइड बताई गई है जिसमें पूरी बात बता दी गई है। इसमें यह दर्शाया गया है कि एक महिला के लिए मोहब्बत ही काफी नहीं है, इज्जत भी जरूरी है। इस मामले में फिल्म निर्माता जंगली पिक्चर्स के अधिवक्ता ऋतिक गुप्ता और अजय बगड़िया ने कोर्ट में दलील दी थी कि फिल्म एक काल्पनिक कथा पर आधारित है। इसका उद्देश्य किसी व्यक्ति या समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है। फिल्म के डायलॉग में कुछ आपत्तिजनक नहीं है। न परिवार की प्रतिष्ठा को धूमिल करने जैसी बात है। इवेंट्स अच्छे नजरिए और बेहतर तरीके से फिल्माया है। न तो कोर्ट और न ही मंत्री के इस्तीफे का जिक्रवरिष्ठ पत्रकार प्रकाश हिंदुस्तानी का कहना है कि पूरी फिल्म में इंदौर का कहीं भी जिक्र नहीं है कि शाहबानो इंदौर की थी। शाहबानो ने स्थानीय लोअर कोर्ट, जिला कोर्ट, मप्र हाई कोर्ट में केस लड़ा। उनको लेकर समाज में एक बड़ा आंदोलन हुआ, इन सभी की फिल्म में कोई चर्चा नहीं है। फिल्म में शाहबानो के सारे विवादों से बचने की कोशिश की गई है। फिल्म संवेदनाओं और संजीवनी के साथ बनी है। इसे एजेंडा फिल्म नहीं कह सकते जबकि आज के दौर में अधिकांश फिल्म एजेंडा पर आधारित होती है। खास बात यह कि तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सरकार में मंत्री मोहम्मद आरिफ खान ने तो इस मुद्दे पर तब इस्तीफा दे दिया था लेकिन उनका जिक्र तक फिल्म में नहीं है। वर्तमान सरकार में भी किसी की बात या किसी की तस्वीर है। फिल्म में नरेंद्र मोदी की सरकार को लेकर भी कुछ नहीं है। भारतीय कानून में भी बनी रहे निजताफिल्म में सिर्फ एक स्लाइड दिखाई गई है और इसी में बात को खत्म कर दिया। फिल्म में पूरे विवादों से बचने की कोशिश की गई है। जहां तक इस मामले में शाहबानो की बेटी सिद्दीका ने हाई कोर्ट में अपील की थी कि मां की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाई गई है, कोर्ट ने भी कहा कि व्यक्ति की जो प्रतिष्ठा होती है वो जीते जी होती है, कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया। सवाल यह है कि भारत में कानून ऐसे भी हैं कि हर व्यक्ति की भी निजी प्रतिष्ठा है। यहां तक कि मृत देह का भी अधिकार है। भारतीय कानून में भी है कि उसकी निजता बनी रहे। व्यक्तिगत मुद्दा बना गया आंदोलनखास बात यह कि एक व्यक्तिगत मुद्दा आंदोलन बन गया एक महिला के अधिकारों को लेकर, उस लिहाज के यह फिल्म संवेदनशील बनी है। फिल्म में बताया गया है कि शाहबानो के तीन बच्चे थे, फिल्म में उनका नाम शाजिया बानो है। शाहबानो के पांच बच्चे थे। जब उनका तलाक हुआ वह 62 वर्ष की थी। 62 वर्ष की उम्र में 5 बच्चों को लेकर एक महिला अलग गई। वह अपने अधिकारों के लिए रिकॉर्ड स्तर पर लड़ी और सुप्रीम कोर्ट तक गई। यह एक बहुत बड़ा मामला था जो उन्होंने लड़ा लेकिन उनके परिवार की अनुमति ली जाती तो विवादों से बचा जा सकता था। हर महिला को गुजारा भत्ता का अधिकारफिल्म में जो स्लाइड बताई है उसमें दिखाया है कि सरकार ने यह कानून बनाया और तीन तलाक के बाद तीन महीने की अवधि में मुआवजा देने की बात मानी। यह बात फिल्म में बताई गई। बाद में 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने उस कानून को बदल दिया और कहा कि देश की हर महिला को देश की हर महिला को गुजारा भत्ता का अधिकार है, वह किसी भी धर्म की हो। इसके साथ ही तीन तलाक पर रोक लगा दी और इस तरह तीन तलाक को अपराधी बना दिया। इसे लेकर स्लाइड दिखाई गई है। ऐसा लगता है कि फिल्म निर्माता-निर्देशक को लगा होगा कि अगर यह सब बताया गया तो यह अनावश्यक होगा। इसी विवाद से बचने के लिए उन्होंने ऐसा किया। फिल्म का शुरुआती हिस्सा भी कोई प्रेम कहानी की तरह नहीं चला। संवाद अच्छे हैं और बताया कि केवल मोहब्बत ही काफी नहीं है, इज्जत भी जरूरी है इसलिए महिला से प्रेम करना ही काफी नहीं है। अगर वह शादीशुदा है और उसका पति उसे इज्जत नहीं दे, इस बात को भी रेखांकित किया तो बहुत बड़ी बात है। फतवे जारी होने की तैयारियांसूत्रों की माने तो इसमें फतवे भी जारी होंगे इसकी भी तैयारी चल रही है। फिल्म में, फिल्मकार, फिल्म के कलाकार के खिलाफ फतवे भी जारी होने की तैयारी है। यानी मामला अभी तूल पकड़ सकता है। 'हक' एक संतुलित, भावुक और विचारोत्तेजक अनुभव इसे लेकर पत्रकार प्रकाश हिन्दुस्तानी ने फिल्म की समीक्षा इस तरह से की है कि- फिल्म में यामी गौतम उतनी बड़ी नहीं दिखाई गई हैं जितनी शाहबानो की उम्र थी। यह केस न केवल तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं के भरण-पोषण के अधिकारों पर केंद्रित था, बल्कि धार्मिक पर्सनल लॉ और संवैधानिक न्याय के बीच टकराव को भी उजागर करता था। फिल्म जिग्ना वोरा की किताब 'बानो: भारत की बेटी' पर आधारित है। निर्देशक सुपर्ण एस. वर्मा ने इस संवेदनशील विषय को एक कोर्टरूम ड्रामा के जरिए बुना है, जो न तो प्रोपेगैंडा बनता है और न ही सनसनीखेज। 'हक' एक संतुलित, भावुक और विचारोत्तेजक अनुभव है। हक के एजेंडा फिल्म बन जाने का था पूरा खतरा फिल्म के निर्देशक ने तमाम राजनैतिक घटनाक्रमों को एक एक स्लाइड दिखाकर आगे बढ़ा दिया। यामी गौतम धर ने अपने पात्र को जिया है। जब वो कोर्ट में पहली बार खड़ी होती है, उसकी आवाज कांपती है। लेकिन जब वो कुरान की आयत पढ़ती है, उसकी आवाज में कॉन्फिफेंस होता है और आवाज वज्र जैसी हो जाती है। एक सीन है—वकील पूछते हैं: “क्या आप अपने पति से मोहब्बत करती हैं?” शाजिया: “मोहब्बत से बढ़कर आत्मसम्मान है।” फिल्म का हीरो इमरान खान डरावना नहीं, सच लगता है। वो प्यार करता है, लेकिन सत्ता के नशे में। वो पिता है, लेकिन स्वार्थ का गुलाम। उसका चेहरा देखकर आप अपने अंदर के पुरुष को कटघरे में खड़ा पाते हैं। फिल्म के वे संवाद जो दिमाग में घूमते रहे : “कभी-कभी सिर्फ़ मोहब्बत काफी नहीं होती, इज्जत भी ज़रूरी होती है…” – जब नई बहू के सामने खड़ी होती है। “मेरा हक मांगने में शर्म नहीं, तुम्हारा हक छीनने में गुनाह है। – कोर्टरूम में, जज के सामने। “कानून धर्म से बड़ा है, क्योंकि कानून इंसान के लिए है।” – जज का आखिरी फैसला। मैं सिर्फ एक मुस्लिम महिला नहीं हूं। मैं हिंदुस्तान की एक मुस्लिम महिला हूं... सुप्रीम कोर्ट के क्लाइमेक्स में, जब जज धार्मिक पर्सनल लॉ पर बहस करते हैं, शाजिया (शाह बानो) ये कहकर अपनी पहचान को राष्ट्रीय न्याय से जोड़ती है। ये डायलॉग कहकर वे धर्म और राष्ट्र के बीच के द्वंद्व को तोड़ती है। यामी की डिलीवरी इतनी पावरफुल है कि ये सिर्फ डायलॉग नहीं, एक घोषणा लगती है। निर्देशक सुपर्ण ने ज्यादा शोर नहीं किया, सोचने पर मजबूर किया। कोई बैकग्राउंड म्यूजिक नहीं, जब शाजिया घर से निकलती है—बस बच्चों की रोने की आवाज़। कोर्टरूम में कैमरा स्थिर, जैसे न्याय भी रुककर सुन रहा हो। फिल्म विचारणीय है। ये खबर भी पढ़ें... फिल्म 'हक' की रिलीज पर रोक की मांग खारिज मध्यप्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर बेंच ने शाहबानो बेगम की बेटी सिद्दिका बेगम खान की वह याचिका खारिज कर दी है, जिसमें उन्होंने फिल्म 'हक' की रिलीज रोकने की मांग की थी। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा-किसी व्यक्ति का निजता और प्रतिष्ठा का अधिकार उसकी मृत्यु के साथ समाप्त हो जाता है। पूरी खबर पढ़ें
अवैध हुक्का बार पर पुलिस का छापा, एक गिरफ्तार:फ्लेवर्ड तंबाकू का करवाया जा रहा था सेवन, सामग्री जब्त
जोधपुर कमिश्नर रेट की चौपासनी हाउसिंग बोर्ड थाना पुलिस ने एक कैफे पर छापा मारकर फ्लेवर्ड तंबाकू और हुक्का सहित अन्य सामग्री जब्त की है। चौपासनी हाउसिंग बोर्ड थाना अधिकारी ईश्वरचंद्र पारीक ने बताया कि मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने थाना इलाके के 555 कैफे पर छापा मारा और तंबाकू युक्त फ्लेवर, धूम्रपान सामग्री का सेवन करवाने और बेचने के मामले में बाबूलाल पटेल पुत्र अणदाराम पटेल को गिरफ्तार किया। आरोपी के कब्जे से पुलिस ने 6 हुक्के, 4 चिलम, 8 हुक्का पाइप, एक फिल्टर पैकेट, एक खुला पैकेट, 4 खुले डिब्बे तंबाकू युक्त फ्लेवर, तीन चिमटे, एक सीमेंट के पीले रंग के कट्टे में कोयला सहित सामग्री जब्त की है।
'अगर गुंडों की बात की जाएगी, तो मुझसे बड़ा गुंडा कोई नहीं। मैं कानपुर देहात का सबसे बड़ा हिस्ट्रीशीटर हूं।'- भाजपा सांसद देवेंद्र सिंह भोले ‘सांसद ने दिशा समिति में ऐसे लोगों को शामिल किया है, जो आम लोगों को टारगेट करते हैं। झूठे मुकदमे दर्ज कराते हैं।’-पूर्व सांसद अनिल शुक्ल वारसी कानपुर देहात की इस घटना से साफ हो गया कि भाजपा में अंदरूनी घमासान तेज है। गोंडा, हापुड़ और आजमगढ़ में भी पार्टी नेताओं की गुटबाजी अब सड़कों और सभागारों तक पहुंच गई है। कहीं सांसद और मंत्री आमने-सामने हैं, तो कहीं विधायक और पदाधिकारी एक-दूसरे पर हमला बोल रहे। एक ओर, भाजपा पंचायत चुनाव से लेकर विधानसभा चुनाव तक की जमीन मजबूत करना चाहती है। दूसरी ओर, नेता एक-दूसरे की टांग खींचने पर उतारू हैं। अनुशासन को मिसाल बताने वाली भाजपा में बढ़ती खींचतान ने एकजुटता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अगर यह स्थिति समय रहते नहीं संभली, तो पंचायत से लेकर विधानसभा चुनाव तक इसका खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ सकता है। भाजपा में सांसद और विधायकों के बीच यूं तो लोकसभा चुनाव के बाद से ही घमासान शुरू हो गया था। चुनाव में हारे भाजपा प्रत्याशियों के साथ नवनिर्वाचित सांसदों ने भी विधायकों पर चुनाव में विरोध करने के आरोप लगाए थे। फतेहपुर से चुनाव हारी साध्वी निरंजन ज्योति ने खुलकर आरोप लगाया था कि पार्टी के लोगों ने ही चुनाव हराया। सीतापुर के पूर्व सांसद राजेश वर्मा ने भी हार के बाद ऐसी ही वजह गिनाई थी। कानपुर देहात के सांसद देवेंद्र सिंह भोले और राज्यमंत्री प्रतिभा शुक्ला के बीच भी वहीं से विवाद बढ़ा। यह विवाद अब भाजपा के गले की हड्डी बन गया है। घटनाएं, जिनसे भाजपा की गुटबाजी खुलकर सामने आई 1- देवेंद्र सिंह भोले Vs अनिल शुक्लकानपुर देहात के भाजपा सांसद देवेंद्र सिंह भोले और पूर्व सांसद अनिल शुक्ल वारसी का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा। 4 नवंबर को जिलाधिकारी दफ्तर के सभागार में दिशा की बैठक में पहले दोनों के समर्थकों में कहासुनी हुई। फिर देवेंद्र सिंह भोले और अनिल शुक्ल में जमकर गाली गलौज हुई। इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर जमकर शेयर किया गया। दोनों के झगड़े के चलते बैठक को स्थगित करना पड़ा था। उसके बाद देवेंद्र सिंह भोले ने मीडिया में बयान देकर कहा कि उनसे बड़ा कोई बदमाश नहीं। वह खुद हिस्ट्रीशीटर रहे हैं। दरअसल, अनिल शुक्ल और उनकी पत्नी प्रतिभा शुक्ल 2016 में भाजपा में शामिल हुए थे। रनिया से प्रतिभा शुक्ला दूसरी बार विधायक होने के नाते सरकार में मंत्री बनाई गईं। अनिल शुक्ला और सांसद देवेंद्र सिंह भोले के बीच वर्चस्व की लड़ाई है। दोनों के बीच बाहरी बनाम कैडर की भी जंग है। भाजपा कैडर से होने के नाते देवेंद्र सिंह भोले की संगठन में मजबूत पकड़ है। वह जहां ठाकुरों की पैरवी करते हैं, वहीं शुक्ला ब्राह्मणों की पैरोकार हैं। जानकार मानते हैं कि दोनों के बीच जंग ऐसे ही चलती रही तो इसका खामियाजा भाजपा को उठाना पड़ेगा। नोटिस का भी असर नहींयोगी सरकार की मंत्री प्रतिभा शुक्ला और उनके पति अनिल शुक्ल वारसी ने जुलाई महीने में कोतवाली में धरना दिया था। तब भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने अनिल शुक्ल वारसी को नोटिस देकर जवाब तलब किया था। पार्टी के नोटिस के बाद भी अनिल के रवैए में कोई बदलाव नहीं आया। जिलाधिकारी सभागार में जो हुआ, उससे भी पार्टी की छवि खराब हुई। 2- गोंडा में भी दो नेताओं के बीच जातीय संघर्षकानपुर कांड से पहले गोंडा में भी गुटबाजी सामने आ चुकी है। सितंबर में गोंडा में कटरा बाजार ब्लॉक ऑफिस के सभागार में जीएसटी संशोधन के लिए पीएम नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देने के लिए बैठक हुई। इसमें जिले के कटरा बाजार से भाजपा विधायक बावन सिंह और कटरा बाजार ब्लॉक प्रमुख जुगरानी शुक्ला के समर्थकों के बीच हिंसक झड़प हो गई। इस दौरान ईंट-पत्थर चले, कुर्सियां तोड़ी गईं और जमकर हाथापाई हुई। पुलिस फोर्स ने मौके पर पहुंचकर बमुश्किल हालात संभाले थे। 3- हापुड़ में सड़क पर उतरी कमीशनखोरीहापुड़ से भाजपा विधायक विजयपाल आड़ती और सह मीडिया प्रभारी जय भगवान शर्मा के बीच 7 हजार गज जमीन की खरीद-फरोख्त के 10 लाख रुपए कमीशन विवाद को लेकर विवाद हुआ। विधायक को सड़क पर गाड़ी से उतार लिया गया। उनके खिलाफ कोतवाली में एफआईआर भी दर्ज कराई गई। 4- आजमगढ़ में क्षेत्रीय अध्यक्ष और जिलाध्यक्ष का विवादआजमगढ़ में मंत्री अनिल राजभर जिला पंचायत के नेहरू हॉल में हुए कार्यक्रम में शामिल होने गए थे। कार्यक्रम में कुछ समर्थक भिड़ गए। एक तरफ, क्षेत्रीय अध्यक्ष सहजानंद राय के करीबी और भाजयुमो के मंत्री अमन श्रीवास्तव थे। दूसरी ओर, जिलाध्यक्ष ध्रुव कुमार सिंह के करीबी और भाजयुमो के जिलाध्यक्ष निखिल राय गुट था। कोतवाली में भी दोनों पक्षों के बीच जमकर लात-घूसे चले। 5- पूर्व और मौजूदा अध्यक्षों में विवादभाजपा में पश्चिम, गोरखपुर और कानपुर क्षेत्र में पूर्व क्षेत्रीय अध्यक्ष और मौजूदा क्षेत्रीय अध्यक्षों के बीच का विवाद भी भाजपा के लिए परेशानी का सबब बना है। गोरखपुर में प्रदेश उपाध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह सेंथवार और मौजूदा क्षेत्रीय अध्यक्ष सहजानंद राय के बीच खुला विवाद है। आरोप है कि जिलाध्यक्षों की नियुक्ति में भी धर्मेंद्र सेंधवार ने प्रदेश मुख्यालय में अपनी पकड़ का फायदा उठाकर सहजानंद राय के करीबी लोगों को किनारे लगा दिया। धर्मेंद्र सिंह के करीबी जिलाध्यक्ष अब सहजानंद को फेल करने में जुटे हुए हैं। बीते दिनों आजमगढ़ में प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी की मौजूदगी में एक महिला कार्यकर्ता ने हंगामा किया था। इसके पीछे भी कारण धर्मेंद्र और सहजानंद के बीच की टशन है। सहजानंद इसकी शिकायत लखनऊ से दिल्ली तक उच्च स्तर पर कर चुके हैं। उधर, कानपुर क्षेत्र में भी पूर्व क्षेत्रीय अध्यक्ष एवं प्रदेश उपाध्यक्ष मानवेंद्र सिंह और मौजूदा क्षेत्रीय अध्यक्ष प्रकाश पाल के बीच ऐसा ही विवाद है। मंडल से लेकर जिलाध्यक्ष तक दोनों के गुट बंटे हैं। प्रदेश मुख्यालय तक शिकायतें पहुंच रही हैं कि मानवेंद्र सिंह के करीबी जिलाध्यक्ष प्रकाश पाल को सहयोग नहीं कर रहे। नतीजतन संगठन का कामकाज प्रभावित हो रहा है। ऐसी ही कुछ स्थिति पश्चिम क्षेत्र में भी है। पश्चिम में भी पूर्व क्षेत्रीय अध्यक्ष एवं प्रदेश उपाध्यक्ष मोहित बेनीवाल और मौजूदा क्षेत्रीय अध्यक्ष सतेन्द्र सिसोदिया के बीच भी वर्चस्व की लड़ाई है। कार्रवाई न होने से बढ़ रहे मामलेराजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि बीते दिनों प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में गुटबाजी सामने आई है। इसको अगर समय रहते संभाला नहीं गया तो यह पंचायत से लेकर विधानसभा चुनाव तक भाजपा को नुकसानदेह साबित होगा। वह मानते हैं कि पार्टी विद डिफरेंस और अनुशासन का दम भरने वाली भाजपा में बीते सालों में अनुशासनहीनता बढ़ी है। क्योंकि, प्रदेश से लेकर शीर्ष नेतृत्व वोट बैंक की राजनीति में सख्त कार्रवाई करने से बच रहा। कानपुर की घटना को लेकर भी ऐसा ही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ब्राह्मण और ठाकुर वोट बैंक नाराज होने के डर से भाजपा ने कानपुर देहात में हो रही अनुशासनहीनता पर मौन धारण कर लिया है। यही स्थिति बाकी जगहों पर भी है। ----------------------- ये खबर भी पढ़ें... सहारनपुर में इंदिरा कॉलोनी के 300 मकानों पर चलेगा बुलडोजर, कई PM आवास बने; 45 साल बाद सिंचाई विभाग ने ठोका दावा यूपी के सहारनपुर में सिंचाई विभाग ने करीब 300 से ज्यादा मकानों पर लाल निशान लगाए हैं। इन्हें 3 दिन में खाली करने के लिए कहा है। निशान लगाने वालों ने मौखिक रूप से कहा है कि ये मकान अवैध हैं और इन पर बुलडोजर चलाया जाएगा। पढ़ें पूरी खबर
हम आपको बता रहे हैं, भोपाल शहर में आज कहां-क्या हो रहा है। यहां हर वो जानकारी होगी, जो आपके काम आएगी। संगीत-संस्कृति, आर्ट, ड्रामा के इवेंट से लेकर मौसम, सिटी ट्रैफिक, बिजली-पानी की सप्लाई से जुड़ा हर अपडेट मिलेगा। काम की जरूरी लिंक्स
पोलिंग ट्रेंड्स एप लॉक, पहले चरण में 65.08 फीसदी वोटिंग
पटना | पहले चरण में 18 जिलों के 121 सीटों के लिए गुरुवार को वोटिंग हुई थी। इसका पोलिंग ट्रेंडस बताने वाला चुनाव आयोग का ऑन लाइन एप शनिवार को लॉक कर दिया गया। निर्वाचन विभाग के मुताबिक पहले चरण के 121 सीटों के लिए 65.08% वोटिंग हुई है। पिछले चुनाव में 57.29ज्ञ वोटिंग हुई थी। यानी इस बार पिछले विधानसभा चुनाव के मुकाबले 7.79 प्रतिशत अधिक वोटिंग हुई है। वहीं, पिछले लोकसभा चुनाव से इस बार पहले फेज में 8.8 प्रतिशत वोटिंग अधिक है। जिलावार मतदान प्रतिशत बेगूसराय में 69.87, भोजपुर में 59.90, बक्सर में 61.97, दरभंगा में 63.66, गोपालगंज में 66.64, खगड़िया में 67.90, लखीसराय में 64.98, मधेपुरा में 69.59, मुंगेर में 62.74, मुजफ्फरपुर में 71.81, नालंदा में 59.81, पटना में 59.02, सहरसा में 69.38, समस्तीपुर में 71.74, सारण में 63.86, शेखपुरा में 61.99, सीवान में 60.61 व वैशाली में 68.50 प्रतिशत हुई।
विदेशी खिलाड़ियों ने क्रॉसवर्ड में शीर्ष तीन स्थान अपने नाम किए
मैथ्यू मार्कस फिलिप कूट एरिक एगार्ड पटना वैश्विक भारतीय क्रॉसवर्ड लीग 2025 के आठवें ऑनलाइन चरण में विदेशी खिलाड़ियों का दबदबा रहा। अमेरिका के पोर्टलैंड के मैथ्यू मार्कस ने 6 मिनट 50 सेकंड के शानदार समय के साथ पहला स्थान हासिल किया। अमेरिका के ही कैनसस सिटी के एरिक एगार्ड 7 मिनट 48 सेकंड के समय के साथ दूसरे स्थान पर रहे। ऑस्ट्रेलिया की राजधानी कैनबरा के अनुभवी खिलाड़ी फिलिप कूट ने तीसरा स्थान प्राप्त किया। प्रतियोगिता में अबतक के कुल रैंकिंग में मैथ्यू मार्कस और एरिक एगार्ड संचयी शीर्ष पर बने हुए हैं। वहीं भारत के छह बार के विजेता रामकी कृष्णन तीसरे स्थान पर हैं। ऑस्ट्रेलिया के फिलिप कूट कुल रैंकिंग में 52वें स्थान पर हैं, जबकि बहरीन की सौम्या रामकुमार छठे और थाईलैंड के वसंत श्रीनिवासन 30वें स्थान पर हैं। प्रतियोगिता का नौवां ऑनलाइन चरण रविवार को भारतीय समयानुसार सुबह 11 बजे वेबसाइट www.crypticsingh.com पर नया पहेली ग्रिड जारी किया जाएगा। प्रतिभागियों को बुधवार रात 11:59 बजे तक अपने समाधान भेजने होते हैं। प्रतियोगिता में अंक शुद्धता और गति दोनों के आधार पर दिए जाएंगे। 10 राउंड पूरे होने के बाद, कुल अंकों में शीर्ष 30 प्रतिभागियों को बेंगलुरु में होने वाले ग्रैंड फिनाले के लिए आमंत्रित किया जाएगा। विजेता को राष्ट्रीय क्रॉसवर्ड चैंपियन ट्रॉफी से सम्मानित किया जाएगा।
मतदान करने के बाद लौटने लगे प्रवासी
विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान के बाद फिर से दूसरे शहरों में जाने वाले यात्रियों की भीड़ पटना जंक्शन पर उमड़ने लगी है। शनिवार को शाम 4:40 बजे एक नंबर प्लेटफॉर्म यात्रियों से पट गया। जैसे ही वास्को-डी-गामा-पटना एक्सप्रेस रुकी, जनरल और स्लीपर कोच में घुसने के लिए यात्रियों के बीच मारामारी जैसी स्थिति पैदा हो गई। कोई इमरजेंसी खिड़की से घुसने लगा तो कोई खचाखच भीड़ के बीच गेट पर धक्का-मुक्की कर रहा था। मगध एक्सप्रेस, विक्रमशिला, संपूर्ण क्रांति सहित अन्य ट्रेनों के स्लीपर और जनरल कोच में भी घुसने के लिए ऐसी ही स्थिति रही। गेट पर धक्का-मुक्की, कई यात्री इमरजेंसी खिड़की से घुसे कई ट्रेनें लेट रहीं ट्रेनों की रफ्तार पर ब्रेक भी लग गया है। शनिवार को दिल्ली आने-जाने वाली ट्रेनें अधिक लेट रहीं। फरक्का एक्सप्रेस, ब्रह्मपुत्र मेल, पटना-न्यू दिल्ली स्पेशल, श्रमजीवी एक्सप्रेस, पूर्वा एक्सप्रेस, मगध एक्सप्रेस सहित एक दर्जन ट्रेनें लेट पहुंचीं। यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। फरक्का एक्सप्रेस 2 घंटे, बह्मपुत्र मेल 2 घंटे, न्यू दिल्ली स्पेशल : ढाई घंटे, श्रमजीवी एक्सप्रेस 3 घंटे, पूर्वा एक्सप्रेस 1 घंटा, मगध एक्सप्रेस 1 घंटा, आनंद विहार स्पेशल 4 घंटे, विक्रमशिला एक्सप्रेस डेढ़ घंटे और गरीब रथ 1 घंटा लेट रही।
तीन जगह लगीं रिवर्स वेंडिंग मशीनें...प्लास्टिक की बोतलें इसमें डाल पैसा भी कमा सकेंगे लोग
सिटी एंकर नगर निगम ने शहर को स्वच्छ बनाने और पर्यावरण को सुरक्षित रखने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। जेपी गंगा पथ पर दो, मौर्यालोक कॉम्प्लेक्स में एक आैर मीनार घाट पर दो रिवर्स वेंडिंग मशीन लगाई गई है। लोग प्लास्टिक की बोतलों को जहां-तहां फेंकने की जगह इसमें डाल सकेंगे। इससे लोग न केवल पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे सकेंगे, बल्कि प्रोत्साहन राशि या ग्रीन प्वाइंट भी प्राप्त करेंगे। नगर आयुक्त ने कहा कि यह पहल न केवल शहर को स्वच्छ बनाएगी, बल्कि नागरिकों में पर्यावरणीय जिम्मेदारी की भावना भी बढ़ाएगी। आमजन इस अभियान में सहभागी बनें और शहर को प्लास्टिक मुक्त बनाने में योगदान दें। इन मशीनों के संचालन और रखरखाव की जिम्मेदारी बायोक्रक्स प्राइवेट लिमिटेड को दी गई है। यह कंपनी मशीनों का तीन साल तक मुफ्त रखरखाव करेगा। क्या है रिवर्स वेंडिंग मशीन यह ऐसी मशीन है, जो प्लास्टिक की बोतलों, कांच की बोतलों और एल्युमीनियम के डिब्बे जैसी सामग्री को स्वीकार करती है और बदले में उपयोगकर्ताओं को नकद या कूपन जैसे पुरस्कार देती है। यह अत्याधुनिक मशीन इंटरनेट ऑफ थिंग्स और वाई-फाई नेटवर्क से सुसज्जित है, जो प्रत्येक बोतल के रिडेम्प्शन डाटा को ऑनलाइन ट्रैक करती है। उपयोगकर्ता को अपनी खाली प्लास्टिक बोतल डालकर मोबाइल नंबर दर्ज करना होता है। मशीन ही ग्रीन प्वाइंट या रिफंड मूल्य की गणना करती है, जो मोबाइल नंबर से जुड़ जाते हैं। मशीन में इनबिल्ट क्रशर भी है, जो बोतलों को तुरंत कंप्रेस करता है, ताकि उन्हें रीसाइकिलिंग केंद्रों में भेजा जा सके। मशीन से फायदे प्लास्टिक कचरों की रीसाइकिलिंग होने से हर साल अनुमानित 42 टन तक CO₂ उत्सर्जन कम होगा, 700 लीटर ईंधन की खपत कम होगी और 52 लीटर पानी की बचत भी होगी।
20 सीटों के 4109 बूथ संवेदनशील
41 से 60 वर्ष के सबसे अधिक मतदाता दूसरे चरण बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में 20 जिलों की 122 सीटों पर 11 नवंबर को मतदान होगा। इसके लिए निर्वाचन विभाग ने कुल 45,399 बूथ बनाए हैं। इनमें से 4109 बूथों को संवेदनशील घोषित किया गया है, जहां सुरक्षा के मद्देनजर मतदान का समय घटा दिया गया है। निर्वाचन विभाग के मुताबिक 19 विधानसभा क्षेत्रों के 4003 बूथों पर शाम 4 बजे तक और बोधगया के 106 बूथों पर शाम 5 बजे तक वोटिंग होगी। शेष 41,290 बूथों पर मतदान सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक चलेगा। संवेदनशील घोषित किए गए 4109 बूथों में कटोरिया के 121, बेलहर के 140, चैनपुर के 430, चेनारी के 62, गोह के 25, नवीनगर के 26, कुटुंबा के 169, औरंगाबाद के 57, रफीगंज के 125, गुरूआ के 12, शेरघाटी के 48, इमामगंज के 354, बाराचट्टी के 36, रजौली के 399, गोविंदपुर के 404, सिकंदरा के 376, जमुई के 396, झाझा के 413 और चकाई के 410 बूथ शामिल हैं। क्षेत्रफल के हिसाब से विस क्षेत्र सबसे छोटा : भागलपुर (23.887 वर्ग किमी) सबसे बड़ा: चैनपुर (1814.15 वर्ग किमी) मतदाता के हिसाब से विस क्षेत्र सबसे छोटा: मखदुमपुर - 2,47,574 सबसे बड़ा : हिसुआ - 3,67,667 सबसे अधिक 22 उम्मीदवार वाली विस सीट - चैनपुर, सासाराम, गया टाउन सबसे कम 5 प्रत्याशी वाली विस सीट - लौरिया, चनपटिया, रक्सौल, सुगौली, त्रिवेणीगंज, बनमनखी {पुरुष उम्मीदवार - 1165 {महिला उम्मीदवार - 136 {थर्ड जेंडर उम्मीदवार-01 कुल उम्मीदवार: 1302 उम्र वोट 18-19 वर्ष 7,69,356 20-29 वर्ष 84,84,641 30-40 वर्ष 1,04,97,629 41-60 वर्ष 1,24,19,445 60 वर्ष अधिक 48,42,485 80 वर्ष से अधिक 4,87,219 100 वर्ष से अधिक 6,255 थर्ड जेंडर 943, एनआरआई 43 63373 सर्विस वोटर 4.04 लाखदिव्यांग वोटर 1.74 करोड़महिलाएं 1.95 करोड़पुरुष 3.70 करोड़कुल मतदाता 1302 उम्मीदवार मैदान में...
अब दूसरे चरण में जिसे फायदा, सरकार उसी की
122 सीटों के चुनावी जंग में इस बार दोनों ही गठबंधनों की पक्की मानी जाने वाली सीटों में कुछ कमी आ सकती है। इसका बड़ा कारण 13 सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला होना है। पहले चरण की 121 सीटों पर बम्पर वोटिंग के बाद तमाम दलों की निगाह दूसरे चरण पर टिकी हुई हैं। इस दूसरे चरण में आठ प्रमंडलों के 20 जिलों की 122 सीटें हैं। 2020 के पिछले चुनाव पर नजर डालें तो इन 122 सीटों में से 67 पर एनडीए और 50 सीटों पर महागठबंधन जीता था। इस बार का अनुमान यह है कि दोनों ही गठबंधनों की पक्की मानी जाने वाली सीटों में कुछ कमी आ सकती है। वजह ये है कि 13 सीटों पर यहां त्रिकोणीय मुकाबला है। तिहरे कोण में फंसी ये सीटें किधर जाएंगी, इसके बारे में अंदाजा लगाना फिलहाल मुश्किल है। जमीनी जानकारी को देखकर लगता है कि जो गठबंधन दूसरे चरण में फायदे में रहेगा सरकार उसी की बनेगी। तिरहुल प्रमंडल के चार जिलों की 30 सीटों पर दूसरे चरण का चुनाव हैं, जिसमें 2020 में 23 एनडीए को और सात महागठबंधन को मिली थीं। इस बार यहां महागठबंधन को फायदा मिलने की संभावना है। यहां त्रिकोणीय मुकाबला नहीं दिख रहा है, लेकिन एक सीट निर्दलीय को जा सकती है। दरभंगा प्रमंडल के एक जिले की 10 सीटों में से 2020 में आठ एनडीए को और दो महागठबंधन को मिली थी। इस बार यहां स्थिति लगभग पहले जैसी ही रहनेवाली है। इन 10 सीटों पर कहीं भी त्रिकोणीय मुकाबला नहीं है। पटना प्रमंडल के दो जिलों की 11 सीटों पर चुनाव है। 2020 में 10 महागठबंधन में मिली थी। एक चैनपुर पर बसपा विधायक ने जीत दर्ज की थी, बाद में जदयू में शामिल हो गया था। एनडीए को एक भी सीट नहीं मिली थी। इस बार यहां एनडीए को फायदा और महागठबंधन को कुछ नुकसान हो सकता है। यहां चार सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला है। भागलपुर प्रमंडल के दो जिलों की 12 सीटों में से 2020 में 10 एनडीए और दो महागठबंधन को मिली थी। इस बार एनडीए की सीटों में कमी आने की संभावना है। तीन सीटों पर यहां त्रिकोणीय मुकाबला है। पूर्णिया प्रमंडल के चार जिलों की 24 सीटों पर चुनाव है। 2020 में 11 एनडीए, नौ महागठबंधन और चार अन्य को जीत मिली थी। इस बार एनडीए की एक-दो सीटें कम हो सकती हैं। चार सीटें अन्य को जा सकती हैं। यहां चार सीटों पर त्रिकोणीय संघर्ष भी है। कोसी प्रमंडल के एक जिले की पांच सीटों पर चुनाव है। 2020 में सभी पांच सीटें एनडीए को मिली थीं। चूंकि एक सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला है, इसलिए एनडीए की एक सीट यहां कम हो सकती है। मुंगेर प्रमंडल के एक जिले की चार सीटों पर चुनाव है। 2020 में चारों सीट एनडीए के मिली थी। इस बार यहां एक सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला है इसलिए एनडीए की तीन सीटें तो पक्की ही समझी जा रही हैं। मगध: महागठबंधन को औसत से ज्यादा मिल सकती हैं सीटें मगध प्रमंडल के पांच जिलों की 26 सीटों पर चुनाव है। 2020 में छह एनडीए और 20 सीटों पर महागठबंधन को जीत मिली थी। इस बार यहां एनडीए की सीटें बढ़ने की संभावना है। फिर भी लगता है कि महागठबंधन औसत में ज्यादा सीटें ही ले जाएगा। यहां त्रिकोणीय संघर्ष में फंसी एक भी सीट नहीं है। दूसरा चरण : 13 सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला हवा का रुख भास्कर
महागठबंधन का सूपड़ा साफ होने वाला है: मोहन
मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव ने शनिवार को कहा कि बिहार मां सीता की जन्म भूमि है। छठ जैसे महापर्व यहां मनाए जाते हैं। प्रधानमंत्री मोदी के शासनकाल में श्री राम की जन्म भूमि अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण हुआ। माता सीता की जन्मस्थली सीतामढ़ी में भी भव्य मंदिर का निर्माण होना है। उन्होंने कहा कि बिहार में महागठबंधन का सूपड़ा साफ होने वाला है। भाजपा ऐसी पार्टी है, जिसमें साधारण व्यक्ति भी मध्य प्रदेश की कमान संभाल सकता है। राजद नेता कट्टा-बम की धमकी दे रहे : अनुप्रिया पटना | अपना दल (सोनेलाल) की नेता व केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि राजद नेता चुनाव के बीच में कट्टा और बम की धमकी दे रहे हैं। भाजपा विधायक श्रेयसी सिंह के कार्यालय में जाकर हंगामा कर रहे हैं। यह राजद-कांग्रेस का वास्तविक चरित्र है, जो बिहार को एक बार फिर जंगलराज की ले जाना चाहते हैं। वे प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रही थीं। उन्होंने कहा कि प्रथम चरण का मतदान एनडीए के लिए बेहतर है। बिहार के मतदाता एक बार फिर से दो-तिहाई बहुमत से एनडीए की सरकार बनाएंगे। एनडीए सरकार ने विकास और रोजगार के जो वादे किए हैं, उसे पूरा करने के लिए ब्लू प्रिंट तैयार है।
लालू ने जनता का नहीं, सिर्फ अपने परिवार का भला सोचा : नीतीश
लालू प्रसाद ने सिर्फ अपने परिवार का भला सोचा। जनता की चिंता कभी नहीं की। उक्त बातें शनिवार को औरंगाबाद और गया की चुनावी जनसभाओं को संबोधित करते हुए सीएम नीतीश कुमार ने कहीं। मुख्यमंत्री ने कहा कि 2005 के पहले बिहार में अपराध चरम सीमा पर था। शाम के बाद लोग घरों से बाहर निकलने से डरते थे। जो बाहर निकलते थे, उनके परिजन उनके सकुशल लौटने की कामना करते थे। लेकिन 2005 के बाद हमने बिहार को भय, भ्रष्टाचार और अराजकता से मुक्त कराया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के सहयोग से बिहार में चौतरफा विकास हुआ है। शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, बिजली, सिंचाई, कृषि और महिला सशक्तीकरण के क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य किए गए हैं। हमने सभी वर्गों और समाज के सभी तबकों का ध्यान रखते हुए समान रूप से विकास किया है। नीतीश ने कहा कि लालू-राबड़ी राज में महिलाएं घर से बाहर नहीं निकल पाती थीं। हमने सबकुछ ठीक किया।
पार्टी अगर चाहेगी तो 2029 लोकसभा चुनाव लड़ने से इनकार नहीं करूंगी। मगर सिर्फ झांसी सीट से चुनाव लड़ूंगी। अब पार्टी क्या कहती है, इसका इंतजार रहेगा। BJP नेता उमा भारती के इस स्टेटमेंट के बाद यूपी की सियासत में नई बहस छिड़ गई। लोकसभा चुनाव 2029 भले ही अभी दूर हैं, मगर बुंदेलखंड की अहम सीट पर BJP का चेहरा कौन होगा, इसे लेकर चर्चा तेज हो गई है। दैनिक भास्कर ने उमा भारती के सियासी बयान के मायने तलाशने के लिए BJP के मौजूदा सांसद अनुराग शर्मा से बात की। वो हंसते हुए कहते हैं- झांसी से तो BJP के सारे कार्यकर्ता चुनाव लड़ना चाहते हैं। 2024 के चुनाव में 35 से 38 कार्यकर्ताओं ने टिकट मांगा था। झांसी सीट की सियासत को समझने के लिए हमने BJP सांसद अनुराग शर्मा से 3 सवाल पूछे। पढ़िए पूरी बातचीत… सवाल. उमा भारती झांसी से चुनाव लड़ना चाहती है, आप क्या कहना चाहेंगे? जवाब. मुझे तो लगता है कि झांसी से BJP के सारे कार्यकर्ता चुनाव लड़ना चाहते हैं। सारे कार्यकर्ताओं को हक है, सारे कार्यकर्ताओं का स्वागत है। पिछली बार भी 35 से 38 लोगों ने टिकट मांगा था। इस बार भी मांगेंगे। अभी तो ये बात 4 साल दूर की है। सवाल. 2019 और 2024, दो चुनाव आप लड़े हैं, आपका वोटिंग परसेंटेज कम हुआ है। क्या संगठन आने वाले चुनाव में नया फैसला कर सकता है? जवाब. मेरे ख्याल से पूरे बुंदेलखंड से एक मैं ही सांसद हूं, जो जीता है। उस रूपरेखा में देखेंगे तो बहुत शानदार जीत रही है। यूपी के नतीजों में चौथे पायदान पर रहा था। क्योंकि, 2024 लोकसभा चुनाव यूपी में हमारे (BJP) के पक्ष में नहीं गया था। हर चुनाव का माहौल अलग होता है। उसी आधार पर देखना चाहिए, बाकी सब लोगों की अपनी-अपनी सोच रहती है। सवाल. अगर BJP उमा भारती को टिकट देती है, तो आप किस सीट से चुनाव लड़ना चाहेंगे? जवाब. 2029 के लिए मैं भविष्यवाणी नहीं कर सकता। अभी तो 2027 विधानसभा चुनाव के लिए BJP संगठन जिन लोगों पर भरोसा जता रहा है, मैं उनके लिए मेहनत कर रहा हूं। 20 अक्टूबर को टीकमगढ़ से भोपाल जाने के दौरान उमा भारती यूपी के ललितपुर पहुंचीं थीं। वह यहां 20 मिनट तक PWD गेस्ट हाउस में रुकीं। मीडिया से उमा भारती की कही हुई 4 अहम बातें पढ़िए… उमा भारती का सियासी करियर जानिए 2014 के बाद चुनाव नहीं लड़ा, कहा- बीमारी की वजह से फैसला लिया भारत की राजनीति में उमा भारती बड़ा चेहरा रही हैं। उन्होंने 1989 में पहला चुनाव खजुराहो सीट से जीता था। फिर 3 चुनाव जीतती रहीं, फिर 1999 में उन्होंने अपनी सीट बदली और भोपाल से चुनाव जीता। अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने मानव संसाधन विकास, पर्यटन, युवा मामले और खेल मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली। 2014 में नरेंद्र मोदी के पीएम बनने के बाद, उन्हें जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री नियुक्त किया गया। वे सितंबर 2017 तक इस पद पर रहीं। 2003 में उन्हें मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया। 2004 में उन्होंने CM पद से इस्तीफा दे दिया। 2014 में उमा भारती ने झांसी सीट से चुनाव लड़ा और सांसद बनी। इसके बाद उन्होंने कहा- मेरी कमर और घुटनों की बीमारी चलने फिरने नहीं दे रही हैं। इस कारण मैंने निर्णय लिया है कि मैं अब अगला लोकसभा चुनाव नहीं लड़ूंगी। बीजेपी में जब सिर्फ दो सांसद थे तब से लेकर अब तक पार्टी के लिए काम कर रही हूं। पार्टी के लिए कई सालों तक कड़ी मेहनत की है। 54 साल की उम्र में शरीर जवाब दे गया है। मुझे इस बात की बहुत खुशी है कि बीजेपी देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बन गई है। मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनावों में केवल प्रचारक की भूमिका में रहूंगी। ना ही मुझे अब कहीं का सीएम बनना है और मैं ऐसी किसी दौड़ में शामिल भी नहीं हूं। ................ये भी पढ़ें - आजम बोले- जिनके पूर्वज तमंचा बेचते थे, वही आज विधायक, हम सबसे गंदे व्यक्ति; आपका बड़प्पन मेरा इंटरव्यू लेने आए लोग जंगलों में घूमने के लिए जाते हैं। क्या कहते हैं उसे, सफारी कहते हैं। पूरा बिहार जंगल है। उस जंगल में हथियार बंद लोग जा रहे हैं। उस जंगल में रहने वालों के लिए कितना हथियार जा रहा है। क्या ये बिहार का सम्मान है? बिहार को जंगल कहना और वहां की हुकूमत को जंगलराज कहना। बिहार में रहने वालों को जंगल के बाशिंदे कहना, या वो कहना जो मैं नहीं कहना चाहता। क्या ये अच्छी बात है? जम्हूरियत में, तहजीब याफ्ता समाज में इस लफ्ज के लिए कोई गुंजाइश है? ये कहना है समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता, रामपुर से 10 बार विधायक और 2 बार सांसद रहे मोहम्मद आजम खान का। पढ़िए पूरी खबर...
भीलवाड़ा जिला जेल में ड्यूटी पर तैनात कॉन्स्टेबल ने सर्विस राइफल से खुद को गोली मारकर सुसाइड कर लिया। मामला शनिवार रात करीब 10 बजे का है। सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और जांच शुरू की। फिलहाल सुसाइड के कारण का पता नहीं चला है। जेल अधीक्षक शैलेंद्र फौजदार ने बताया- RAC की 13 बटालियन के कॉन्स्टेबल रामकिशोर की जेल परिसर में बने वॉच टावर पर ड्यूटी थी। शनिवार रात 10 बजे ड्यूटी खत्म होने के कुछ देर पहले रामकिशोर ने अपनी सर्विस राइफल एसएलआर से खुद के सीने में गोली मार ली। इससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। ड्यूटी पूरी होने पर दूसरा कॉन्स्टेबल आया तो पता चलाघटना का पता तब लगा, जब रात 10 बजे रामकिशोर को रिलीव करने कॉन्स्टेबल बाबूलाल वॉच टावर के नीचे पहुंचा। बाबूलाल ने रामकिशोर को आवाज दी, लेकिन वह टावर से नीचे नहीं आया तो बाबूलाल टावर पर पहुंचा। जहां उसने रामकिशोर को लहूलुहान हालत में देखा। बाबूलाल ने तुरंत इसकी सूचना जेल प्रशासन और RAC के अधिकारियों को दी। कुछ देर बाद ही कोतवाली थाना पुलिस और FSL टीम मौके पर पहुंची। उन्होंने कॉन्स्टेबल की बॉडी वीडियोग्राफी और FSL जांच के बाद जेल से महात्मा गांधी हॉस्पिटल की मॉर्च्युरी में शिफ्ट करवाई। पुलिस और FSL की टीम ने मौके पर छानबीन की है। बताया जा रहा है कि रामकिशोर किशनगढ़ क्षेत्र का रहने वाला है। पुलिस ने उनके परिजनों को सूचना दी है। उनके आने के बाद ही सुसाइड के कारणों का खुलासा हो सकेगा ।
अपने पिता से बहस और मां से हाथापाई करने के बाद से हापुड़ की यूट्यूबर वंशिका चर्चा में है। दरअसल पूरा विवाद वंशिका की मां के मकान को लेकर है। वंशिका का यूट्यूब पर वंशिका हापुड़ नाम से चैनल है, जिसके एक लाख 89 हजार सब्सक्राइबर हैं। इंस्टाग्राम पर उसके 7 लाख 42 हजार और फेसबुक पर 1.3 मिलियन फॉलोअर हैं। वंशिका अक्सर हरियाणवी गाने पर रील्स बनाती है। रील से रियल लाइफ से सुर्खियां बटोर रही वंशिका का पूरा मामला VIDEO में देखिए...
1658 में औरंगजेब के गद्दी संभालते ही हिंसा और अत्याचार का दौर शुरू हो गया। कई भव्य मंदिर धूल में बदल गए। ब्रजभूमि जहां राधाकृष्ण की लीलाएं गूंजती थीं, वो अब सन्नाटे में डूबी थी। वृंदावन की गलियों में सिहरन थी। यही वो समय था, जब ठाकुरजी के सेवकों ने श्रद्धा और साहस के साथ ऐसे फैसले लिए जो आने वाले सालों में भक्ति की ऐतिहासिक गाथा बन गए। पांचवें एपिसोड में आज पढ़िए, कैसे औरंगजेब के आदेश के बाद वृंदावन के सबसे ऊंचे मदनमोहन मंदिर को तोप से उड़ा दिया गया। जब मूर्ति यानी विग्रह तोड़ने के लिए सिपाही गए तो उन्हें गर्भगृह खाली मिला, क्योंकि सेवायत रात के अंधरे में विग्रह लेकर गायब हो चुके थे। ठाकुरजी वृंदावन से निकलकर आमेर (जयपुर) पहुंचे, लेकिन 250 किलोमीटर की दूरी तय करने में 68 साल लग गए। जानिए क्यों लगा इतना समय... 1669 की एक गर्म दोपहर थी। दिल्ली के लालकिले की दीवारों पर चिलचिलाती धूप थी। मुगल दरबार में सन्नाटा था। दरबारियों की आंखों में बेचैनी और खौफ था। तभी कदमों आहट सुनाई दी, दरबान ने मुनादी की-“बा-अदब, बा-मुलाहिजा, होशियार… शहंशाह-ए-हिंद, बादशाह मुहीउद्दीन मोहम्मद औरंगजेब… दीवान-ए-खास में जलवा अफरोज हो रहे हैं…” औरंगजेब की आंखों में कठोरता और चेहरे पर कट्टरता साफ झलक रही थी। उसने तख्त पर बैठते ही कड़क आवाज में कहा- “अब वक्त आ गया है, जब इस मुल्क में ईमान कायम होगा। नाच-गाना बंद होगा। बुतखाने तोड़ दिए जाएंगे। काफिरों पर जजिया लगाया जाएगा।” दरबार में कुछ देर तक सन्नाटा रहा। फिर एक सूबेदार ने धीरे से पूछा- “हुजूर, फिर उन बड़े-बड़े मंदिरों का क्या किया जाए जो बादशाह अकबर के वक्त में बनवाए गए थे?”औरंगजेब की नजरें ठंडी, लेकिन तेज थीं। “ढहा दो…। एक भी मंदिर न बचे…।” इस एक शाही फरमान ने हिंदोस्तान की फिजाओं में डर भर दिया। सैकड़ों सालों से भक्ति और संगीत से गूंजते मंदिर अब खामोश होने वाले थे। वृंदावन में चिंता की छाया वृंदावन के पवित्र घाटों पर उस शाम गंगा-जमुनी हवा बह रही थी। हरिनाम कीर्तन के धीमे स्वर सुनाई दे रहे थे। मदनमोहन मंदिर के गोस्वामी सुबलदास मंदिर परिसर में टहल रहे थे। “गोसाईं जी…” एक युवा सेवायत दौड़ता हुआ आया। उसका चेहरा पीला पड़ा था, सांसें फूल रही थीं। “गोसाईं जी, खबर आ गई है… दिल्ली से फरमान जारी हो चुका है। मुगल सिपाही जल्द ही यहां पहुंच सकते हैं।” सुबलदास की आंखें गहरी हो गईं। “तो फिर वक्त आ गया है...” उन्होंने धीमे से कहा। “क्या मतलब गोसाईं जी?” सेवक ने कांपती आवाज में पूछा। सुबलदास ने मंदिर के भीतर देखा। ठाकुर मदनमोहन जी का दिव्य विग्रह दीपक की लौ में चमक रहा था। “अब ठाकुरजी को यहां से निकालना होगा। अगर विग्रह यहां रहा तो वे लोग इसे नष्ट कर देंगे।” पास खड़ा एक बुजुर्ग भक्त बोला- “गोसाईं जी, लेकिन विग्रह लेकर जाएंगे कहां? रास्ते में मुगल सिपाही हैं। जगह-जगह पहरा है।” सुबलदास ने गहरी सांस ली। “हमें एक जगह का भरोसा है… आमेर।” लेकिन सुबलदास इतने आश्वस्त कैसे थे…? आमेर दरबार में गुप्त बैठक करीब ढाई साल पहले, 1666 के आसपास… गोस्वामी सुबलदास अचानक एक दिन आमेर पहुंचे। महल के अंदर मिर्जा राजा जय सिंह अपने दीवान के साथ बैठे थे। उन्होंने सुबलदास का स्वागत किया, लेकिन सुबलदास के चेहरे की गंभीरता ने उनके चेहरे पर भी चिंता की लकीरें खींच दीं। जय सिंह ने पूछा- “गोस्वामी जी, वृंदावन से अचानक आमेर आने का क्या कारण है?”सुबलदास ने हाथ जोड़कर कहा- “महाराज, आपसे क्या छिपा है। म्लेच्छ बादशाह की वजह से भजन-पूजन करना दूभर हुआ जा रहा है। वृंदावन अब सुरक्षित नहीं रहा।” जय सिंह ने गंभीर आवाज में कहा- “हम जानते हैं… औरंगजेब हिंदुओं के लिए कितनी नफरत रखता है। आप चिंता मत कीजिए। मदनमोहन ठाकुरजी को आमेर ले आइए। ये धरती उनकी है और उनकी रक्षा हमारा धर्म।” सुबलदास बोले,- “लेकिन महाराज, रास्ता लंबा है। हर जगह सिपाही हैं। बिना आज्ञा पत्र कोई गाड़ी आगे नहीं बढ़ सकेगी।” जय सिंह ने गहरी मुस्कुराहट के साथ बोले- “वो सब हम पर छोड़ दीजिए। आगरा और अजमेर के सूबेदारों से अनुमति पत्र दिलवाया जाएगा। यात्रा को तीर्थ यात्रा का रूप दिया जाएगा।” फिर उन्होंने ऊंची आवाज में अपने एक सैनिक अधिकारी को बुलाया। “तुरंत तैयारी करो। जब-तक ठाकुरजी आमेर नहीं पहुंचते, हमारी सांस चैन से नहीं चलेगी।” इस मुलाकात के कुछ ही महीनों बाद 1667 में मिर्जा राजा जय सिंह की मौत हो गई। इससे सुबलदास गोस्वामी को उस समय सूबेदारों का अनुमति पत्र होते हुए भी मदनमोहन जी को वृंदावन से बाहर ले जाना सुरक्षित नहीं लगा। अब 1669 में जब औरंगजेब का फरमान जारी होने के बाद उसी अनुमति पत्र का सहारा लेकर मदनमोहन जी को सुरक्षित निकालना था। पावन यात्रा की शुरुआत वृंदावन में एक ठंडी रात। मंदिर के प्रांगण में सिर्फ एक दीपक जल रहा था। हवा में हल्की ठंडक थी। मंदिर के पीछे बैलगाड़ियां खड़ी थीं। एक गाड़ी को विशेष रूप से मखमली कपड़ों और परदों से ढका गया था। उसी में मदनमोहन जी को विराजमान किया गया। सुबलदास ने गाड़ीवानों से धीरे से कहा- “याद रखना, कोई हल्ला-गुल्ला नहीं। अगर किसी ने पूछा तो कहना, तीर्थ यात्रा पर जा रहे हैं। ठाकुरजी हमारे हृदय में हैं और उनका आशीर्वाद हमारे साथ।”गाड़ीवानों ने हाथ जोड़कर कहा- “जै श्री मदनमोहन!” तभी एक बुजुर्ग भक्त आगे बढ़ा और मदनमोहन जी के सामने घुटनों के बल बैठकर बोला- “ठाकुरजी… भले ही हम आपके साथ आमेर न जा रहे हों, पर हमारा मन आपके साथ जा रहा है।” सुबलदास की आंखें भर आईं। उन्होंने हाथ जोड़कर ठाकुरजी से प्रार्थना की और बैलगाड़ी आगे बढ़ाने का इशारा किया। मंदिर पर हमला कुछ दिनों बाद मुगल फौज वृंदावन पहुंची। एक ऊंची आवाज गूंजी- “तोप का मुंह मंदिर की ओर करो…” फौजदार घोड़े पर सवार था। उसका चेहरा गुस्से में लाल था। “मूर्ति उखाड़कर बाहर लाओ…” उसने चिल्लाकर कहा। एक सिपाही मंदिर की ओर दौड़ा। गर्भगृह खाली देखकर वहीं से चिल्लाता हुआ आया- “हुजूर, यहां कुछ नहीं है!”“ये काफिर यहां से भी मूर्ति निकाल ले गए…” फौजदार ने गुस्से में तलवार घुमाई- “बुत नहीं तो इस बुतखाने का क्या काम… उड़ा दो इसे।” कुछ ही मिनटों में तोपें आग उगलने लगीं। मदनमोहन मंदिर का शिखर ढह गया। राख और धूल के बीच कुछ महिलाएं फूट-फूटकर रो रही थीं। एक भक्त मंदिर के बाहर पत्थरों पर कांपते हाथों से छूकर बोला- “उन्होंने ठाकुरजी को निकाल लिया… जय हो!” यात्रा की कठिन राह इस बीच जत्था वृंदावन से काफी दूर निकल चुका था। बैलगाड़ियां दिन में जंगलों में छिपतीं और रात को आगे बढ़तीं। रास्ता लंबा था। कुछ जगहों पर स्थानीय लोग बिना कुछ पूछे भोजन और पानी दे जाते। मानो उन्हें भी पता हो कि ये कोई साधारण यात्रा नहीं है। एक रात जंगल में जब सारी बैलगाड़ियां रुकीं, एक सेवायत घबराकर बोला- “गोस्वामी जी, पीछे कुछ सिपाहियों की हलचल लग रही है।”सुबलदास शांत स्वर में बोले- “डरो मत। ठाकुरजी हमारे साथ हैं। उनकी मर्जी के बिना एक पत्ता भी नहीं हिलता।” इस तरह मदनमोहन जी राधाकुंड, भरतपुर, कुम्हेर, डीग होते हुए कामवन (कामां) पहुंचे। इनमें से कुछ पड़ावों पर ठाकुर जी कई साल विराजमान रहे तो कहीं कुछ महीने या कुछ दिन ही रुके। आमेर के लिए निकले मदनमोहन जी काफी सालों तक वहां नहीं पहुंचे। सूबेदारों का अनुमति पत्र साथ होने की वजह से खतरा कुछ कम था। 1707 में औरंगजेब की भी मौत हो गई। मुगल शासन धीरे-धीर कमजोर होता गया। इसके बाद साल 1737 में मदनमोहन जी आमेर की नई राजधानी जयपुर पहुंचे। जयपुर में दिव्य स्वागत और करौली नरेश की विनती 1737 की कार्तिक पूर्णिमा को ठाकुरजी जयपुर पधारे। उस दिन शहर की गलियों में उत्सव का माहौल था। ढोल-नगाड़ों की आवाज, हवा में उड़ते फूलों की पंखुड़ियां और हजारों भक्तों की भीड़।सवाई राजा जय सिंह ने स्वयं मंदिर में पूजा-अर्चना की और बोले-“आज जयपुर और आमेर रियासत धन्य हो गई। गोविंददेव जी के बाद मदनमोहन ठाकुर की कृपा हम पर हुई है। जब तक जयपुर रहेगा, ठाकुरजी का नाम गूंजता रहेगा।” जयपुर से करीब 200 किलोमीटर दूर करौली में राजा गोपाल सिंह काफी बेचैन थे। वे जादौन वंश के राजा थे। ऐसी मान्यता है कि भगवान कृष्ण का जन्म भी इसी राजवंश में हुआ था। राजा इस बात से परेशान थे कि भगवान कृष्ण के वंशज होते हुए भी उनकी रियासत में वृंदावन का कोई विग्रह नहीं है। करौली की राजकुमारी का विवाह जयपुर सवाई राजा जय सिंह से हुआ था। इस लिहाज से करौली और जयपुर में पारिवारिक रिश्ते थे। पांच साल तक गोपाल सिंह इस उलझन में फंसे रहे। आखिरकार 1742 में एक दिन सवाई राजा से मिलने जयपुर पहुंचे। राजदरबार में ही उन्होंने अपने मन की बात कही-“महाराज, वृंदावन से आए दो ठाकुर जयपुर में विराजमान हैं। गोविंददेव जी जयपुर के राजा हैं। वहीं, मदनमोहन जी हमारे इष्ट हैं। आप कृपा करें, तो हमें उनकों करौली लाने का सौभाग्य मिल सकता है।” सवाई जय सिंह कुछ देर तक मौन रहे, फिर मुस्कुराकर और बोले- “गोपाल सिंह जी, ठाकुरजी तो सभी के हैं। आप भक्ति-भाव से उन्हें पुकार रहे हैं तो वे क्यों नहीं आएंगे आपके पास…।”गोपाल सिंह भावुक होकर बोले- “महाराज, आज आपने हमें जीवन-धन दे दिया।” एक अन्य कथा के अनुसार मदनमोहन जी ने करौली के राजा गोपाल सिंह को सपने में दर्शन दिए और विग्रह को जयपुर से करौली ले आने की बात कही। राजा ने जब यह बात जयपुर के सवाई राजा जय सिंह को बताई तो राजा गोपाल सिंह की परीक्षा ली गई। सवाई राजा ने मदनमोहन जी से मिलते-जुलते कुछ और विग्रह बनवाकर एक साथ रखे गए। फिर गोपाल सिंह की आंखों पर पट्टी बांधकर मदनमोहन जी का असली विग्रह पहचानने को कहा गया। कहा जाता है तब मदनमोहन जी ने गोपाल सिंह की उंगली पकड़ ली। गोपाल सिंह ने पट्टी हटाई तो सामने वे मदनमोहन जी के असली विग्रह के सामने थे। इसके बाद सवाई राजा ने एक विग्रह करौली ले जाने की बात मान ली। करौली में भव्य स्वागत विक्रम संवत 1799 (1742 ई.) में फाल्गुन के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को जय सिंह ने पूजा-अर्चना के बाद मदनमोहन जी को पालकी में विराजमान किया। चारों ओर शंखनाद, नगाड़े और “जय श्री मदनमोहन” का जयघोष गूंज उठा। करीब ढाई महीने की यात्रा के बाद मदनमोहन जी करौली पहुंचे तो नगर में पहले से ही स्वागत की तैयारी थी। गलियों में आम के पत्तों से तोरण बांधे गए थे, घरों में दीपक जल रहे थे। महिलाएं मंगलगीत गा रही थीं। कई बुजुर्ग भक्तों की आंख में आंसू थे। एक बूढ़ी महिला बोली- “आज ठाकुरजी हमारे नगर में आ रहे हैं… कितने सौभाग्य की बात है!” मदनमोहन जी दो दिन तक अंजनी माता मंदिर और अगले दो दिन दीवान बाग के बंगले में विराजमान रहे। इसके बाद मदनमोहन जी को राजमहल में राधागोपाल मंदिर के एक हिस्से में प्रतिष्ठित किया गया। करीब पांच साल बाद विक्रम संवत 1805 (1748 ई) में माघ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वादशी को उसी मंदिर में राधागोपाल जी के स्थान पर मदनमोहन जी को विराजमान किया गया। मदनमोहन जी करौली के मेहमान थे और राधागोपाल जी मेजबान इसलिए उन्होंने अपना आसन छोड़कर मदनमोहन जी को विराजमान किया। पटोत्सव के दिन करौली में मानो स्वर्ग उतर आया था। शहनाइयों की आवाज, घोड़े-हाथियों की शोभायात्रा और भक्ति में डूबे भक्त। करौली के राजा गोपाल सिंह खुद मदनमोहन जी की पालकी अपने कंधों पर उठाए थे। गोपाल सिंह मन ही मन कह उठे- “जहां ठाकुरजी का वास होता है, वहीं सौभाग्य होता है। करौली अब साक्षात ठाकुरजी के चरणों में है।” कई बार इतिहास तलवारों और फरमानों से नहीं, भक्ति और साहस से लिखा जाता है। 1669 में औरंगजेब के फरमान को चुनौती देने वाली ये यात्राएं ब्रज से जयपुर, नाथद्वारा, करौली और देश के कई अन्य हिस्सों तक पहुंची। ये कृष्ण विग्रहों के ब्रज छोड़ने की नहीं, बल्कि उस आस्था की कहानी है, जो मुगलतख्त से बड़ी साबित हुई। उस प्रेम की कहानी है, जो हिंसा से ज्यादा ताकतवर साबित हुआ और उस भक्ति की कहानी है, जो अमर है। स्टोरी एडिट- कृष्ण गोपाल ग्राफिक्स- सौरभ कुमार **** रेफरेंस वेणु गोपाल शर्मा- करौली इतिहास के जानकार। गोस्वामी दीनबंधु दास, वृंदावन। किताब- श्री मदनमोहन महिमा प्रकाश। लक्ष्मी नारायण तिवारी, सचिव- ब्रज संस्कृति शोध संस्थान, वृंदावन। ब्रज विभव: संपादक गोपाल प्रसाद व्यास। मथुरा-वृंदावन के वृहद हिंदू मंदिर: डॉ चंचल गोस्वामी। द कंट्रीब्यूशन ऑफ मेजर हिंदू टेंपल्स ऑफ मथुरा एंड वृंदावन: डॉ चंचल गोस्वामी। औरंगजेबनामा: संपादक डॉ अशोक कुमार सिंह। ब्रज के धर्म संप्रदायों का इतिहास: प्रभुदयाल मीतल। सनातन के संरक्षण में कछवाहों का योगदान: डॉ सुभाष शर्मा-जितेंद्र शेखावत। जयपुर इतिहास के जानकार- जितेंद्र शेखावत, संतोष शर्मा, प्रो देवेंद्र भगत (राजस्थान यूनिवर्सिटी)। मदनमोहन जी के वृंदावन से करौली पहुंचने तक की पूरी कहानी क्रमवार ढंग से किसी एक किताब में नहीं मिलती। भास्कर टीम ने कई दस्तावेजों और इतिहास के जानकारों से बात करने के बाद सभी कड़ियों को जोड़कर यह स्टोरी लिखी है। फिर भी घटनाओं के क्रम में कुछ अंतर हो सकता है। कहानी को रोचक बनाने के लिए क्रिएटिव लिबर्टी ली गई है।
परिवहन विभाग:ट्रायल कर भूला प्रशासन, जवान भी हटाए, फिर से प्रतापनगर-बलीचा होकर गुजर रहे भारी वाहन
शहर में बढ़ते ट्रैफिक और हादसों को रोकने के लिए काया-देबारी-अंबेरी ग्रेड सेपरेटर बनाया गया था। लेकिन, भारी वाहन अभी भी बलीचा बाइपास, प्रतापनगर, सुखेर होकर गुजर रहे हैं। ऐसा टोल बचाने के लिए किया जा रहा है। ऐसे में इस हाईवे पर हादसों में कमी नहीं आ रही है। पिछले 16 माह में प्रतापनगर में 56, सुखेर में 41 और बलीचा में 24 हादसे हुए। दरअसल, अंबेरी से बलीचा वाया प्रतापनगर मार्ग पर रोज औसतन 13 हजार भारी व 45 हजार अन्य वाहन गुजरते हैं। इससे शहर की ट्रैफिक व्यवस्था बिगड़ रही थी। ग्रेड सेपरेटर बनने के बाद जिला प्रशासन ने पिछले साल काया से अंबेरी तक वाया बलीचा चौराहा, गीतांजली वाली रोड, प्रताप नगर चौराहा, आरटीओ होते हुए भुवाणा चौराहा तक तथा देबारी चौराहा से प्रतापनगर चौराहा तक भारी वाहनों के आवागमन पर पाबंदी के लिए नई व्यवस्था की थी। पिछले साल अगस्त से सितंबर तक ग्रेड सेपरेटर के अंबेरी, देबारी और काया एंट्री प्वाइंट पर पुलिस जवान तैनात किए थे। दूसरी ओर, अहमदाबाद और प्रतापनगर की तरफ से आकर वाहन सलूंबर की तरफ जाने के लिए सवीना पुलिया पर चढ़ते हैं। लेकिन, सड़क चौड़ी नहीं होने के कारण पुलिया पर वाहन फंस जाते हैं। फिर आगे-पीछे कर वहां से निकलते हैं। इससे जाम के हालात बन जाते हैं। सड़कों के दोनों तरफ कॉलोनियां, क्या बड़े हादसे के इंतजार में जिम्मेदार? एंट्री प्वाइंट पर तैनात जवान सुबह 7 से रात 9 बजे तक भारी वाहनों को शहर के अंदर आने से रोक रहे थे और ग्रेड सेपरेटर पर डायवर्ट कर रहे थे। यह ट्रायल करीब एक माह तक चला। इसके बाद समीक्षा कर इसे स्थायी रूप से लागू किया जाना था, लेकिन नहीं किया गया। उलटा वहां से जवानों को हटा दिया। ट्रैफिक को सिर्फ दिशा-निर्देश बोर्ड के सहारे छोड़ दिया गया। अब हालात यह ऐसे हैं कि सुबह से शाम तक भारी वाहन पुराने हाईवे से होकर ही गुजर रहे हैं। कोई भी रोकने वाला नहीं है। सड़कों के दोनों तरफ कॉलोनिया सुखेर बाइपास, देबारी से प्रतापनगर और बलीचा बाइपास के दोनों तरफ कई कॉलोनियां बसी हैं। ऐसे में भारी वाहनों के यहां से गुजरने पर शहरवासियों को समस्याएं होती हैं। प्रतापनगर चौराहे पर आए दिन जाम लगता है। इसमें लोग फंसे रहते हैं। साथ ही हादसों का खतरा भी मंडराता रहता है। इसीलिए 2.5 मैट्रिक टन या इससे अधिक वजन वाले भारी वाहनों पर इस मार्ग से निकलने के लिए रोक लगाई गई है। एएसपी बोले-वाहनों को ग्रेड सेपरेटर से ही गुजरना होगा, सख्ती से लागू करेंगे अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक उमेश ओझा का कहना है कि भारी वाहनों को ग्रेड सेपरेटर होकर ही निकालना है। एक माह ट्रायल भी किया था, जो पूरी तरह सफल रहा। इस व्यवस्था को जल्द ही सख्ती से लागू करवाया जाएगा, ताकि ट्रैफिक की समस्या से निजात मिल सके। इसके साथ ही यूडीए की मदद से प्रतापनगर हाईवे पर सीमेंटेड हाइट गेज भी लगाए जाएंगे। जिससे यहां से भारी वाहन नहीं गुजर सकेंगे। भास्कर सुझाव - एंट्री से एक किमी के दायरे में लगें संकेतक, जवान तैनात होंग्रेड सेपरेटर के काया, देबारी और अंबेरी एंट्री प्वाइंट से करीब एक किलोमीटर पहले से ही दो-तीन जगहों पर दिशा संकेत लगाए जाने चाहिए। ताकि चालकों को ग्रेड सेपरेटर रोड की जानकारी मिल सके। अभी 100 मीटर के दायरे में ही ये संकेतक लगे हैं। इससे चालक भटक जाते हैं। तीनों प्वाइंट पर जवान तैनात रहे, जो भारी वाहनों को ग्रेड सेपरेटर की तरफ डायवर्ट करें। रास्ते की जानकारी भी दे सके।
सातो रंगे सजल हमर प्यारा रे प्यारा झारखंड चायरो दने कतई सुंदर लागेला हमर झारखंड रीत सुंदर प्रीत सुंदर हीया कर बोली भाषा लागे कोनो गीत हो गोरी मन चलयना तो लागे कोनो नृत नदी नाला बन पतरा खेती बारी हरा-भरा भरल पुरल हमर झारखंड ... लाल पाड़ साड़ी, पढ़िया कुर्ता, बीरू गमछा, कुखना जैकेट सहित झारखंड भर के पारंपरिक कपड़ों में सजे-धजे दो-चार-दस नहीं बल्कि 115 जाने-माने कलाकार राज्य के 25वें स्थापना दिवस को यादगार बनाने के लिए शूटिंग कर रहे हैं। रांची के हारीबाग, दशम फॉल, हुंडरू फॉल, पतरातू घाटी, ओरमांझी पार्क, सिकिदरी घाटी, खूंटी के डोम्बारी बुरु, नकटा पहाड़, खलारी सहित 25 विभिन्न लोकेशन में इसकी शूटिंग हो रही है। ऐसा पहली बार है कि झारखंड में बने किसी एक गीत में एक साथ कलाकारों की सेंचुरी दिखेगी। इस एंथम के डायरेक्टर विवेक नायक ने बताया कि महीने भर से इसकी तैयारी कर रहा हूं। इतने सारे कलाकारों को एक मंच पर लाना बहुत कठिन था। अब जब यह गाना कम्प्लीट हुआ तो लग रहा है कि मैंने माइलस्टोन खड़ा कर दिया। झूमर, छऊ, पाइका में झूमेंगे सभी झारखंड के जितने भी प्रसिद्ध डांस फॉर्म हैं जैसे- छऊ, पाइका, मरदाना झूमर, नागपुरी, उरांव, मुंडारी, संथाली सब तरह का डांस दिखाया गया है। इस गाने को गिरिराज नागपुरी यू ट्यूब चैनल को प्रोड्यूसर मुकेश गिरी (रिंकू) ने बनाया है। इसको डायरेक्ट किया है विवेक नायक ने। पिक्चराइजेशन जोसेफ पूर्ति का है। झारखंड के इतिहास में इतना बड़ा गाना आज तक नहीं बना है। गाना 12 मिनट लम्बा है। गाना गिरिराज नागपुरी यू ट्यूब चैनल पर 11 नवम्बर को रिलीज होगा। इसका प्रीमियर शो जेडी सिनेमा हॉल में होगा। पद्मश्री मधु मंसूरी भी दिखेंगे इस गीत को गाने वाले कलाकारों में पवन रॉय, मोनिका मुंडू, ज्योति साहू, विवेक नायक, नितेश कच्छप, रविकांत भगत, मनोज देहाती, कुमार सावन, सुखराम पाहन, बिपिन बारला, तरुण कुल्लू, बिनय कुमार, संजय नायक, शैलेश कुमार महतो, बाया हो, जितेंद्र लोहारा सहित झारखंड के लीजेंड पद्मश्री मधु मंसूरी हंसमुख ने अपनी आवाज दी है। मांदर सम्राट मनपुरन नायक जी की कलाकारी भी नजर आएगी। ये कलाकार करेंगे एक्टिंग... पद्मश्री मधुमंसूरी हंसमुख, रमन गुप्ता, दिनेश देवा, सनी सिंह, दीपक सिन्हा, सतीश शाहदेव, कैलाश शिवानी, राजू तिर्की, बिनोद महली, वर्षा लकड़ा, विवेक नायक, नितेश कच्छप, आशीष तिग्गा, पवन रॉय, पंकज राय, मोनिका मुंडू, ज्योति साहू, रविकांत भगत, रिंकू लोहरा, सुरेंद्र कुजूर, अमन कुजूर, चांदनी बड़ाइक, प्रिया वर्मा, अंकिता भेंगरा, मनिता राज, रॉबिन सोय भूषण नायक, लखन सोरेन, जितेंद्र लोहरा, अजय मुंडा, सुखराम पहान, बिपिन बारला, तरुण कुल्लू, डैनिश, बाया हो, शैलेश कुमार महतो आदि। झारखंड एंथम गीत का संगीत निपेन डेम्टा ओर विवेक नायक ने दिया है। वहीं इस गीत को मंगल करमाली ने लिखा है। पहली बार झारखंड में मान्यता प्राप्त 5 जनजातीय और 4 क्षेत्रीय भाषाओं कुड़ुख, संथाली, मुंडारी, हो, खड़िया, नागपुरी, खोरठा, कुड़माली और पंचपरगनिया का इस्तेमाल हुआ है। 9 भाषाओं का हुआ है इस्तेमाल सांस्कृतिक झलक
पटना को प्लास्टिक फ्री बनाने के लिए पटना नगर निगम ने एक विशेष पहल की है। शहर में पहली बार 'रिवर्स वेंडिंग मशीन' लगाई गई है। इस मशीन में लोग एक तरफ बेकार प्लास्टिक की बोतल डालेंगे और दूसरी तरफ से उन्हें आकर्षक गिफ्ट मिलेगा। वहीं, मशीन के अंदर एक क्रशर भी लगा है, जो बोतलों को तुरंत कंप्रैस कर देता है। इससे स्टोरेज और ट्रांसपोर्ट का खर्च कम होता है। इस पहल से प्लास्टिक कचरे को सही तरीके से रीसाइकिल करना आसान हो जाएगा। अभी 5 जगह पर लगी रिवर्स वेंडिंग मशीन अभी फिलहाल पांच मशीनों को पटना के विभिन्न स्थानों में लगाया गया है। 2 मशीनें जेपी गंगा पथ, 1 मशीन मौर्य लोक कंपलेक्स और 2 मशीन मीनार घाट पर लगाई गई है। ये मशीनें लोगों से इस्तेमाल की हुई प्लास्टिक बोतलें और कैरी बैग वापस लेंगी और बदले में उन्हें कुछ प्रोत्साहन राशि या ग्रीन पॉइंट देंगी। ये मशीनें 20 इंच की डिजिटल स्क्रीन से लैस हैं और एक घंटे में 90-120 बोतलें रीसाइकिल कर सकती हैं। यह 400 किलोग्राम वजनी है और पूरी तरह से ऑटोमैटिक है। इस मशीन से हर वर्ष अनुमानित रूप से 42 टन तक CO₂ उत्सर्जन की बचत, 700 लीटर ईंधन की कमी और 52,000 लीटर पानी की बचत होगी। कैसे काम करेगी रिवर्स वेंडिंग मशीन रिवर्स वेंडिंग मशीन एक मॉडर्न डिवाइस है जो खाली प्लास्टिक की बोतलें स्वीकार करती है। लोग अपनी खाली बोतल मशीन में डालेंगे, अपना मोबाइल नंबर डालेंगे और मशीन रीसाइकिल होने वाली बोतलों की संख्या के आधार पर उन्हें ग्रीन प्वाइंट देगी। इस तरह कुल 150 ग्रीन प्वाइंट पर रीसाइकल प्लास्टिक से बनी एक कैप मिलेगी। दूसरी तरफ 300 ग्रीन प्वाइंट पर एक टी-शर्ट इनाम के तौर पर दी जाएगी। शहर को प्लास्टिक मुक्त बनाने में योगदान मिलेगा पटना नगर निगम के नगर आयुक्त यशपाल मीणा ने कहा कि यह पहल न केवल शहर को स्वच्छ बनाएगी, बल्कि नागरिकों में पर्यावरणीय जिम्मेदारी की भावना भी बढ़ाएगी। आम लोग इस अभियान में सहभागी बने और शहर को प्लास्टिक मुक्त बनाने में योगदान दे। इन मशीनों के संचालन और रखरखाव की जिम्मेदारी एक प्राइवेट कंपनी को दी गई है, जो मशीन की स्थापना के बाद 3 वर्षों तक मुफ्त रखरखाव सेवा प्रदान करेगा।
राज्य में 43 नियोजनालय, हर साल 60 हजार युवाओं को ट्रेनिंग
झारखंड राज्य के गठन को 25 वर्ष पूरे हो चुके हैं। इन वर्षों में राज्य ने जहां औद्योगिक विकास, खनन और शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। वहीं रोजगार सृजन और कौशल विकास के क्षेत्र में भी अभूतपूर्व काम हुआ है। अब झारखंड सिर्फ कोयला और खनिज का प्रदेश नहीं, बल्कि कौशल और अवसरों का राज्य बनता जा रहा है। राज्य सरकार ने रोजगार से जुड़ी संरचना को मजबूत करने के लिए 43 नियोजनालय, 74 सरकारी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) और 270 निजी आईटीआई संस्थान सक्रिय किए हैं। साथ ही, डिजिटल प्लेटफॉर्म झार-नियोजन पोर्टल के माध्यम से युवा अब घर बैठे रोजगार से जुड़ी सारी प्रक्रियाएं पूरी कर सकते हैं। रोजगार विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अब हर जिले में मॉडल कैरियर सेंटर (एमसीसी) के माध्यम से युवाओं को कैरियर काउंसलिंग, इंटरव्यू की तैयारी, पर्सनैलिटी डेवलपमेंट और रोजगार क्षमता बढ़ाने के प्रशिक्षण दिए जा रहे हैं। इन केंद्रों में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले युवाओं के लिए नि:शुल्क पुस्तकालय और अध्ययन कक्ष भी उपलब्ध हैं। 96 भर्ती कैंप व 78 रोजगार मेले लगे वित्तीय वर्ष 2024-25 राज्य सरकार के लिए रोजगार सृजन के लिहाज से खास रहा। युवाओं को निजी प्रतिष्ठानों में अवसर दिलाने के उद्देश्य से 96 भर्ती कैंप और 78 रोजगार मेलों का आयोजन किया गया, जिनमें 10,631 युवाओं का रोजगार के लिए चयन हुआ। एक दशक में रोजगार के क्षेत्र में डिजिटल परिवर्तन पिछले एक दशक में झारखंड ने रोजगार के क्षेत्र में डिजिटल परिवर्तन की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाए हैं। पहले जहां युवाओं को आवेदन और निबंधन के लिए जिला कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते थे, वहीं अब झार-नियोजन पोर्टल के जरिए घर बैठे निबंधन, आवेदन और परिणाम देखा जा सकता है। राज्य सरकार का लक्ष्य है कि हर जिले में रोजगार, कौशल विकास और प्रशिक्षण से जुड़ी सेवाओं को एक ही प्लेटफॉर्म पर जोड़ा जाए। नियोजनालय में 3.5 लाख बेरोजगार युवा रजिस्टर्ड राज्य गठन के शुरुआती दौर में रोजगार विभाग की पहुंच सीमित थी, लेकिन अब झारखंड के सभी जिलों में नियोजनालय और उप-निदेशक स्तरीय कार्यालय सक्रिय हैं। राज्य के युवाओं को रोजगार मार्गदर्शन और सहायता उपलब्ध कराने के उद्देश्य से संचालित 43 नियोजनालय में वित्तीय वर्ष 2024–25 में 3,50,814 बेरोजगार युवा निबंधित हुए, जिनमें 1,00,599 महिलाएं शामिल हैं। नियोजन पोर्टल पर 7,456 नियोजक निबंधित, 10,422 रिक्तियां अधिसूचित 4 प्रशिक्षण से रोजगार-स्वरोजगार की राह खुली रांची, रविवार 9 नवंबर, 2025 | 26 जिलों में मॉडल करियर सेंटर खुले राज्य के 26 जिलों में नियोजनालय को मॉडल करियर सेंटर में अपग्रेड किया गया है। इनमें चाईबासा और लातेहार को छोड़कर लगभग सभी जिलों में एमसीसी की स्थापना पूरी हो चुकी है। भारत सरकार द्वारा वर्ष 2014-15 में रांची का अवर प्रादेशिक नियोजनालय झारखंड का पहला मॉडल करियर सेंटर बना था। इसके बाद 2019-20 में घाटशिला, चांडिल, कुमारधुबी और बोकारो थर्मल को और 2022-23 में दुमका, देवघर, सरायकेला, सिमडेगा, लोहरदगा, गढ़वा, कोडरमा, रामगढ़, खूंटी, गिरिडीह, गोड्डा, साहिबगंज, पाकुड़, गुमला और डालटनगंज के नियोजनालय को एमसीसी के रूप में विकसित किया गया। रांची 15 नवंबर... स्थापना दिवस फाइल फोटो राज्य सरकार के झार-नियोजन वेब पोर्टल, जो 17 मार्च 2023 से कार्यरत है, ने रोजगार प्रणाली को पारदर्शी और सरल बनाया है। इस डिजिटल मंच पर 7,456 नियोजक भी निबंधित हैं। अब तक पोर्टल पर 10,422 रिक्तियां अधिसूचित की जा चुकी हैं। सरकार युवाओं को केवल नौकरी दिलाने पर नहीं, बल्कि उन्हें स्वरोजगार के योग्य बनाने पर भी जोर दे रही है। राज्य में 74 सरकारी आईटीआई संस्थानों में कुल 13,140 सीटें और 270 निजी आईटीआई संस्थानों में 47,032 सीटें उपलब्ध हैं। यानी कुल 60,172 युवाओं को तकनीकी प्रशिक्षण की सुविधा दी जा सकती है। शैक्षणिक सत्र 2024-25 में 10,074 छात्र-छात्राओं का नामांकन सरकारी आईटीआई संस्थानों में हुआ है।
झारखंड में है लूट और भ्रष्टाचार का बोलबाला
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने झामुमो प्रत्याशी सोमेश सोरेन के पक्ष में शनिवार को मऊभंडार के ताम्र प्रतिभा मैदान में जनसभा की। इस दौरान उन्होंने केंद्र पर हमला बोला। सीएम ने कहा-झारखंड के लोहा, तांबा सहित अन्य खनिजों पर केंद्र की भाजपा सरकार की गिद्ध जैसी नजर है। मुनाफा देने वाले सार्वजनिक उपक्रमों को केंद्र सरकार साजिश के तहत निजी कंपनियों को सौंप रही है। उद्योग की जननी कही जाने वाली रांची की एचईसी को सरकार ने ठप कर दिया। भाजपा की मंशा झारखंड पर कब्जा करने की रही हे। इसी साजिश के तहत उन्हें जेल भेजा गया था। जो लोग इनकी बात नहीं मानता, उसे ये लोग जेल में सड़ाने का काम करते हैं। सीएम ने कहा कि झारखंड मांगकर नहीं, बल्कि लड़कर हासिल किया राज्य है। कितनी महिलाओं का सिंदूर उजड़ा, कितने बच्चे अनाथ हुए, तब यह राज्य बना है। अब इसे किसी को लूटने नहीं देंगे। -शेष पेज 13 पर लड़कर लिया है झारखंड, किसी को लूटने नहीं देंगे घाटशिला विधानसभा उपचुनाव के लिए 11 नवंबर को सुबह सात से शाम पांच बजे तक मतदान होगा। इससे पहले रविवार शाम पांच बजे यहां चुनाव प्रचार थम जाएगा। किसी भी पार्टी या प्रत्याशी को सभा, रोड शो, रैली या लाउडस्पीकर से प्रचार की अनुमति नहीं होगी। प्रत्याशी घर-घर जाकर मतदाताओं से संपर्क कर सकेंगे। जिला निर्वाचन पदाधिकारी कर्ण सत्यार्थी ने कहा कि रविवार शाम पांच बजे के बाद बाहरी नेताओं का विधानसभा क्षेत्र में रहना वर्जित होगा। उन्हें तत्काल क्षेत्र छोड़ने का निर्देश दिया गया है। पुलिस को भी सभी होटल, लॉज और धर्मशालाओं की जांच करने का निर्देश दिया गया है। इधर, शनिवार को यहां भाजपा-झामुमो और जेएलकेएम सहित सभी पार्टियों ने प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी। तालडीह टोला में बाबूलाल का जनसंपर्क मऊभंडार में सीएम हेमंत की सभा चुनाव प्रचार खत्म होने से एक दिन पहले सभी पार्टियों ने बहाया पसीना आज शाम 5 बजे थम जाएगा चुनाव प्रचार भास्कर न्यूज | जादूगोड़ा भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने घाटशिला से भाजपा प्रत्याशी बाबूलाल सोरेन के पक्ष में शनिवार को तेरेंगा पंचायत के तालडीह टोला में जनसंपर्क अभियान चलाया। उनके साथ भाजपा नेता सुरेश साव और मुखिया दुलारी सोरेन भी थीं। वे मतदाताओं से मिले ओर बाबूलाल सोरेन के पक्ष में मतदान करने की अपील की। इस दौरान बाबूलाल मरांडी ने कहा कि झारखंड की सबसे बड़ी समस्या खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन हैं। जब तक वे सत्ता में रहेंगे, राज्य में समस्याएं बनी रहेंगी। राज्य में लूट और भ्रष्टाचार का बोलबाला है। बेरोजगारी चरम पर है। घुसपैठियों को बढ़ावा देकर आदिवासियों की जमीन पर कब्जा कराया जा रहा है। महिलाएं खुद को असुरक्षित मान रही हैं। बाबूलाल मरांडी ने कहा कि भाजपा ही ऐसी पार्टी है, जो झारखंड की अस्मिता ओर जनता के अधिकारों की रक्षा कर सकती है। इसलिए जनता परिवर्तन चाहती है। घाटशिला उपचुनाव महाभारत
रांची के जेएससीए स्टेडियम में दिखेगी भारत-द. अफ्रीका की संस्कृति
30 नवंबर को भारत और साउथ अफ्रीका के बीच होने वाले वनडे मैच को यादगार बनाने के लिए जेएससीए स्टेडियम में विशेष तैयारी की जा रही है। जेएससीए अध्यक्ष अजयनाथ शाहदेव ने बताया कि स्टेडियम के अंदर और बाहरी हिस्सों में दोनों देशों की सांस्कृतिक झलक दिखेगी। ड्रेसिंग रूम को नया लुक दिया जा रहा है, जहां दीवारों पर झारखंड की कला, जनजातीय पैटर्न और साउथ अफ्रीका की पारंपरिक डिजाइन की पेंटिंग्स बनाई जा रही हैं। उद्देश्य यह है कि दोनों टीमों को अपने-अपने देश की सांस्कृतिक पहचान का अहसास कराया जा सके। खिलाड़ियों को होमली एनवायरनमेंट मिले, इसके लिए हर छोटी-छोटी चीज पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। जेएससीए को उम्मीद है कि भारत-साउथ अफ्रीका थीम पर होने वाली यह सजावट और व्यवस्थाएं दर्शकों व खिलाड़ियों दोनों के लिए मैच को अविस्मरणीय बनाएगी और रांची को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में मजबूत पहचान दिलाएगी। रांची में अब तक खेले गए 6 वनडे व तीन टेस्ट मैच, अंतिम मैच 2022 में रांची के जेएससीए स्टेडियम में अब तक छह वनडे, तीन टेस्ट और चार टी-20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले गए हैं। इसके अलावा महिलाओं के तीन वनडे और तीन टी-20 मैच भी हुए हैं। यहां आखिरी मुकाबला 9 अक्टूबर 2022 को भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच हुआ था। इसमें भारत ने सात विकेट से जीत दर्ज की थी। मैच को लेकर खेलप्रेमियों में उत्साह है। स्टेडियम में दर्शकों को मिलेंगी बेहतर सुविधाएं, तय दर पर मिलेगा खाना टीमों के लिए सुरक्षा प्रोटोकॉल और होटल की तैयारी पूरी...दोनों टीमों के ठहरने के लिए होटल रेडिशन ब्लू को चुना गया है। एयरपोर्ट से होटल और अभ्यास स्थल तक विशेष सुरक्षा प्रोटोकॉल लागू किया जाएगा। मैच से पहले दोनों टीमें अभ्यास सत्र में हिस्सा लेंगी। फैंस की होने वाली संभावित भीड़ को देखते हुए उनके आने-जाने के लिए विशेष व्यवस्था की जा रही है। अजय नाथ शाहदेव ने कहा कि इस बार खाने-पीने की वस्तुएं केवल निर्धारित दरों पर ही उपलब्ध होंगी। पिछली बार आई शिकायतों को देखते हुए सख्त मॉनिटरिंग व्यवस्था लागू की गई है। दर्शकों के प्रवेश, पार्किंग और सीटिंग मैनेजमेंट को और सहज बनाने के लिए जिला प्रशासन, पुलिस और जेएससीए के बीच लगातार समन्वय बैठकें जारी हैं।
झारखंड राज्य गठन के बाद शिक्षित युवाओं को सरकारी सेवा में नौकरी देने के लिए दो प्रमुख आयोगों का गठन किया गया। झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) और झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी)। जेपीएससी की स्थापना वर्ष 2003 में हुई, जबकि जेएसएससी की स्थापना इसके पांच साल बाद 2008 में की गई। इन दोनों आयोगों ने पिछले दो दशकों में राज्य की प्रशासनिक, शिक्षण संस्थानों और सरकारी कार्यालयों में व्यवस्था बनाए रखने में अहम भूमिका निभाई है। जेपीएससी ने अब तक कुल 8 संयुक्त सिविल सेवा परीक्षाएं (पहली से 13वीं जेपीएससी) आयोजित की हैं, जिनके माध्यम से लगभग 1894 राजपत्रित पदाधिकारी (गजटेड ऑफिसर) बने हैं। ये अधिकारी झारखंड प्रशासनिक सेवा, पुलिस सेवा, वित्त, उत्पाद, सहकारिता, श्रम, शिक्षा समेत अन्य सेवाओं के गजटेड पदों पर नियुक्त हुए हैं। इसके अलावा यूनिवर्सिटी, कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर, स्कूलों (प्राथमिक, उच्च और प्लस टू विद्यलायों) में शिक्षक, सहायक- जूनियर इंजीनियर, डॉक्टर और सरकारी कार्यालयों में कर्मचारी के 1.20 लाख पदों पर नियुक्तियां हुई हैं। -शेष पेज 13 पर सहायक आचार्य के 26001 पदों की वैकेंसी निकली, 9,448 की नियुक्ति राज्य में सबसे बड़ी वैकेंसी सहायक आचार्य के लिए वर्ष 2023 में 26,001 पदों के लिए आई थी। इसमें संशोधित और अतिरिक्त संशोधित मिलाकर 10500 अभ्यर्थियों का चयन हुआ है। 9,448 उम्मीदवारों का अंतिम रूप से चयन हो सका, जबकि कई पद रिक्त रह गए। वहीं 15,500 पद खाली रह गए। इससे पहले जेपीएससी के माध्यम 10 हजार प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति हुई थी। किस सिविल सेवा परीक्षा में कितनी भर्ती सिविल सेवा पद की वैकेंसी नियुक्ति परीक्षा संख्या वर्ष वर्ष प्रथम सिविल सेवा 64 2003 2006 द्वितीय सिविल सेवा 172 2006 2008 तृतीय सिविल सेवा 242 2007 2009 चतुर्थ सिविल सेवा 219 2010 2012 पांचवीं सिविल सेवा 277 2013 2015 छठी सिविल सेवा 326 2016 2020 7वीं-10वीं (संयुक्त) 252 2021 2024 11वीं-13वीं (संयुक्त) 342 2024 2025 21 हजार पदों पर चल रही नियुक्ति प्रक्रिया :राज्य में 21 हजार से अधिक पदों पर नियुक्ति के लिए जेएसएससी और जेपीएससीकी प्रक्रिया चल रही है। आने वाले दिनों में कई नियुक्ति परीक्षाओं का रिजल्ट घोषित किया जाना है। वहीं जेल में कक्षपाल के 1733 पदों के लिए आवेदन लिए जा रहे हैं। 15 नवंबर... स्थापना दिवस
पूर्व डीजीपी अनुराग के कार्यकाल में एनजीओ प्रभारी रहे गणेश सिंह के खिलाफ जांच शुरू
अनुराग गुप्ता के डीजीपी पद से हटते ही उनके करीबियों की मुश्किलें बढ़ने लगी हैं। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने अनुराग गुप्ता के कार्यकाल में एनजीओ प्रभारी रहे इंस्पेक्टर गणेश सिंह के खिलाफ प्रारंभिक रिपोर्ट (आईआर) दर्ज की है। एसीबी अब तीन महीने के भीतर पूरे मामले की जांच कर रिपोर्ट तैयार करेगी। अगर जांच में किसी भी तरह के भ्रष्टाचार की जानकारी मिलती है तो सरकार से अनुमति के बाद उनके खिलाफ प्रारंभिक जांच (पीई) दर्ज की जाएगी। इंस्पेक्टर गणेश सिंह पर फाइलों के निष्पादन के बदले अवैध वसूली करने का आरोप है। एसीबी को दी शिकायत में शिकायतकर्ता का आरोप है कि इंस्पेक्टर गणेश सिंह ने पूर्व डीजीपी अनुराग गुप्ता के कार्यकाल में खूब अवैध वसूली की। वसूली के पैसे से काफी चल-अचल संपत्ति अर्जित की। उल्लेखनीय है कि पुलिस मुख्यालय की एनजीओ शाखा डीजीपी का गोपनीय कोषांग होता है। यहां कई अति महत्वपूर्ण फाइलें आती है। पुलिस मुख्यालय में एनजीओ प्रभारी पद काफी अहम माना जाता है। अनुराग गुप्ता का वीआरएस मंजूर होते ही एनजीओ प्रभारी के पद से हटाया गया इंस्पेक्टर गणेश सिंह पहले झारखंड जगुआर में पदस्थापित थे। जब अनुराग गुप्ता ने एसीबी के डीजी का प्रभार लिया, तब वे गणेश सिंह को पहले एसीबी में लाए। बाद में उन्हें अपने डीजीपी कार्यालय के एनजीओ शाखा का प्रभारी बना दिया। इसके बाद अनुराग गुप्ता की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति जैसे ही स्वीकार की गई, एनजीओ प्रभारी इंस्पेक्टर गणेश सिंह को भी उनके पद से हटाते हुए उन्हें वापस झारखंड जगुआर भेज दिया गया। अब इंस्पेक्टर अरुण सिंह को बनाया गया एनजीओ प्रभारी एसीबी में इंस्पेक्टर के पद पर पदस्थापित अरुण कुमार सिंह को पुलिस मुख्यालय में एनजीओ प्रभारी के पद पर प्रतिनियुक्त किया गया है। इस संबंध में पुलिस मुख्यालय की ओर से आदेश जारी कर दिया गया है। आदेश में कहा गया है कि अरुण कुमार सिंह अगले आदेश तक पुलिस मुख्यालय में एनजीओ प्रभारी के रूप में अपनी सेवाएं देंगे। हाईकोर्ट में पूरक शपथपत्र देकर भी दी गई है अवैध वसूली की जानकारी गणेश सिंह के खिलाफ हाईकोर्ट में एक पूरक शपथ पत्र भी दाखिल किया गया है। इस पूरक शपथ पत्र में इंस्पेक्टर गणेश सिंह को धनबाद के एक व्यवसायी से वसूली का आरोपी बताया गया है। शपथ पत्र में बताया गया है कि तत्कालीन डीजीपी अनुराग गुप्ता इंस्पेक्टर गणेश सिंह के माध्यम से धनबाद क्षेत्र के कोयला कारोबारियों से वसूली करवाते थे। यह मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है। अब एसीबी ने आईआर दर्ज कर इंस्पेक्टर गणेश सिंह के विरुद्ध जांच तेज कर दी है।
300 करोड़ से बने 70 आवास, 4.5 करोड़ का स्वीमिंग पूल
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन 15 नवंबर को राज्य के विधायकों को स्थापना दिवस की सौगात देंगे। राज्य के 25वें स्थापना दिवस पर मुख्यमंत्री इसका विधिवत उद्घाटन करेंगे। इसके साथ ही 25 वर्षों से रशियन हॉस्टल एवं अन्य सरकारी आवासों में रह रहे विधायकों को तमाम आधुनिक सुविधाओं से युक्त जी+वन बंगला मिल जाएगा। मुख्यमंत्री समेत 12 मंत्रियों को छोड़कर अन्य 70 विधायकों के लिए यह आलीशान बंगला तैयार है, जिन पर 300 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। विधायकों को उनका आवास विधानसभा सचिवालय के द्वारा आवंटित किया जाएगा। यानि की 15 नवंबर के बाद विधायक अपनी-अपनी सुविधा के अनुसार आवास में प्रवेश कर सकते हैं। विधायकों को आवास की चाभी नंबरिंग के अनुसार दी जाएगी। विधायकों के आवास में सबसे आकर्षक इसका स्वीमिंग पुल है जिसमें विधायक एवं उनके परिजन नहाने का मजा लेंगे। यह स्वीमिंग पुल कुल 3600 वर्गफीट में बना है। जिसमें बड़ों के लिए 25/13 और बच्चों के स्वीमिंग के लिए 4/3 वर्ग फीट जगह में स्विमिंग पूल बनाया गया है। इस स्विमिंग पूल को बनाने में करीब 4.5 करोड़ रुपए का खर्च आया है। काम अंतिम चरण में, 15 से पहले होंगे सुसज्जित बंगला और आवासीय परिसर का अधिकांश काम पूरा हो गया है। फिनिशिंग टच बचा है। जैसे पार्किग एवं गार्डेन आदि का काम अंतिम चरण में है। कई विधायक आवास के काम को भी अंतिम टच दिया जा रहा है। चूंकि 15 नवंबर को मुख्यमंत्री द्वारा इसका उद्घाटन होना है, इसलिए निर्माण एजेंसी केएमवी हैदराबाद युद्धस्तर पर काम को अंतिम रूप देने में जुटी है। परिसर में हर सुख सुविधा का रखा गया है ध्यान इस नवनिर्मित विधायक आवास परिसर में विधायकों को धार्मिक स्थल जैसे मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारे को छोड़कर अन्य सभी प्रकार की सुविधाएं मिलेगी। 43 एकड़ में बने इस विधायक बंगले एवं आवासीय परिसर में हर सुख-सुविधा का ध्यान रखा गया है। मार्केट कॉम्प्लेक्स से लेकर डिस्पेंसरी आदि की व्यवस्था की गई है। इसके पूरे निर्माण में करीब 300 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। जो तीन साल से कम समय में तैयार हुआ है। प्रति बंगला 6500 वर्ग फीट जमीन दी गयी है। ऑडिटोरियम स्क्वायर फीट का है एक आवास स्वीमिंग पूल एकड़ में बना है राज्य के विधायकों का आवास 6500 43 फोटो : संदीप नाग विधायक आवास {एक बड़ा आवासीय परिसर {क्लब हाऊस {स्वीमिंग पूल {डिस्पेंसरी जहां पर हमेशा चिकित्सीय सुविधा एवं दवाएं उपलब्ध रहेंगी {बच्चों के खेलने के लिए प्ले ग्राउंड {गेस्ट हाऊस {ऑडिटोरियम {हर आवास के ओवर हेड में 2 हजार लीटर पानी का टंकी {हर समय पानी की उपलब्धता के लिए 25 लाख लीटर का पानी टंकी, जहां पर हटिया डैम वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से पानी आएगा {विधायकों एवं आने वाले आगंतुको के लिए पार्किंग की सुविधा {जीरो कट बिजली के लिए एक अलग सबस्टेशन {हरा-भरा वातावरण, गार्डेन {शॉपिंग मॉल जिसमें घरेलू एवं किचन में इस्तेमाल होने वाले सारे सामान उपलब्ध रहेंगे जानिए क्या-क्या सुविधाएं हैं आवास में विधायकों के लिए आलीशान जी+वन बंगला तैयार, आधुनिक सुविधाओं से लैस भवन का मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन 15 को करेंगे उद्घाटन
रांची के 4 विधायकों ने की 60% फंड खर्च करने की अनुशंसा, 3 का खाता भी नहीं खुला
रांची जिले के छह विधानसभा क्षेत्रों के विधायकों को विकास कार्य के लिए हरेक साल पांच करोड़ रुपए मिलते हैं। लेकिन इसमें पूरी राशि खर्च नहीं हो पाती है। क्योंकि, कई बार विधायकों की ओर से अनुशंसा ही नहीं भेजी जाती है। इसका नतीजा है कि विधानसभा क्षेत्र के सुदूर गांवों की सड़क, नाली, पुल-पुलिया का हाल खस्ता है। चालू वित्तीय वर्ष में जिले के छह विधानसभा क्षेत्र के चार विधायकों ने ही अभी तक जिला प्रशासन के पास योजनाओं की अनुशंसा भेजी है। जबकि, तीन विधायकों का अभी तक खाता भी नहीं खुला है। क्योंकि, उन्होंने अभी तक एक भी योजना की अनुशंसा नहीं भेजी है। इस वजह से उनका खर्च शून्य है। कांके विधायक सुरेश बैठा ने सबसे अधिक 97 योजनाओं की अनुशंसा की है, जिसका एस्टिमेट 3.97 करोड़ रुपए है। दूसरे नंबर पर खिजरी विधायक राजेश कच्छप हैं, जिन्होंने 3.65 करोड़ रुपए से कुल 69 योजनाओं की अनुशंसा की है। तीसरे नंबर पर तमाड़ विधायक विकास सिंह मुंडा हैं, जिन्होंने 3.53 करोड़ की लागत से 35 योजनाओं की अनुशंसा की है। चौथे नंबर पर हटिया विधायक नवीन जायसवाल हैं जिन्होंने 3.02 करोड़ की लागत से 41 योजनाओं की अनुशंसा की है। मतलब चार विधायकों ने पांच करोड़ के फंड का करीब 60 प्रतिशत राशि से काम कराने की अनुशंसा कर दी है। जबकि, कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की, रांची विधायक सीपी सिंह आैर सिल्ली विधायक अमित कुमार की अेार से एक भी योजना की अनुशंसा प्रशासन को नहीं मिली है। हालांकि, सीपी िसंह ने 2 करोड़ से अधिक की योजना की अनुशंसा करने का दावा किया है। क्या कहते हैं विधायक काम नहीं होने से सड़कों की स्थिति जर्जर {जिले के शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों की स्थिति काफी खराब है। कई सड़कें जर्जर है। रांची विधानसभा क्षेत्र में गाड़ीखाना चौक से मधुकम रोड पिछले तीन वर्षों से बदहाल है। नगर निगम फंड के अभाव में इसकी मरम्मत नहीं करा रहा है। {मांडर विधानसभा क्षेत्र में सुदूर गांवों में सड़क-नाली का अभाव है। कई पुल-पुलिया का निर्माण नहीं हुआ है। इससे ग्रामीणों को काफी परेशानी होती है। {सिल्ली विधानसभा क्षेत्र में सड़क,नाली, पुल-पुलिया बनाने के सैकड़ों आवेदन विधायक के पास पहुंचे हैं। हालांकि, अभी तक अनुशंसा नहीं होने से निर्माण नहीं हो रहा है। खर्च करने में सुरेश कुमार बैठा आगे विधायक पैसे मिले अनुशंसा की राशि योजना नवीन जायसवाल 5 करोड़ 3.02 41 विकास कुमार मुंडा 5 करोड़ 3.53 35 राजेश कच्छप 5 करोड़ 3.65 69 सुरेश कुमार बैठा 5 करोड़ 3.97 97 सीपी सिंह 5 करोड़ 0.00 00 शिल्पी नेहा तिर्की 5 करोड़ 0.00 00 अमित कुमार 5 करोड़ 0.00 00 5 माह में खर्च करने होंगे पैसे, काम कराने के लिए मिलेंगे मात्र 2 माह चालू वित्तीय वर्ष का सात माह गुजर चुका है। अब महज पांच माह बचे हैं। ऐसे में जिन विधायकों ने अभी तक योजनाओं की अनुशंसा नहीं की है, उनके लिए मात्र पांच माह में फंड खर्च करना बड़ी चुनौती होगी। क्योंकि, योजना की अनुशंसा के बाद एस्टिमेट तैयार करने आैर टेंडर करने में कम से कम तीन माह का समय लगेगा। ऐसे में काम कराने के लिए मात्र दो माह बचेंगे। नोट: अनुशंसा की गई राशि करोड़ में है। अनुशंसा की गई योजनाएं जिला परिषद, एनआरईपी-1 एनआरईपी-2 की योजनाएं हैं।
4 विद्यार्थियों का सहायक प्राध्यापक परीक्षा में चयन
भास्कर संवाददाता | सागर डॉ हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर के राजनीति विज्ञान एवं लोक प्रशासन विभाग के चार विद्यार्थियों का चयन एमपीपीएससी सहायक प्राध्यापक परीक्षा के अंतिम रूप से आए परिणाम में हुआ है। इनमें प्रियंका यादव और अजय पटेल वर्तमान में विभाग में शोधार्थी हैं। अजय बग्गा व मधुलता कोरी विभाग के पूर्व छात्र रहे हैं। विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति प्रो. वायएस ठाकुर ने इस उपलब्धि पर चयनित विद्यार्थियों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के विद्यार्थी लगातार इस परीक्षा में सफलता प्राप्त कर रहे हैं। यह विद्यार्थियों की मेहनत एवं शिक्षकों के मार्गदर्शन का परिणाम है। विद्यार्थियों की इस उपलब्धि पर अधिष्ठाता प्रो. दिवाकर सिंह राजपूत, विभागाध्यक्ष प्रो. अनुपम शर्मा, प्रो. अनुपमा कौशिक, डॉ. नेहा निरंजन सहित समस्त शिक्षकों, शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों ने खुशी जताई है।
रिम्स में इंप्लांट सप्लाई करने वाली एजेंसी का 8 करोड़ रुपए बकाया, 10 दिन की मोहलत दी
2 दिन पहले भी बंद कर दी थी आपूर्ति रिम्स में आयुष्मान भारत योजना के तहत होने वाले ऑपरेशन पिछले कुछ दिनों से प्रभावित हो रहे हैं। कारण रिम्स में इंप्लांट सप्लाई करने वाली एक एजेंसी का अस्पताल पर करीब 7 से 8 करोड़ रुपए का बकाया है। इसी बकाया भुगतान के चलते एजेंसी ने इस सप्ताह की शुरुआत में दो-तीन दिनों तक इंप्लांट सप्लाई रोक दी थी, जिसके कारण मरीजों की सर्जरी बाधित हुई और कई मामलों में तारीख आगे बढ़ानी पड़ी। हालांकि, शनिवार को प्रबंधन द्वारा जल्द भुगतान के आश्वासन के बाद एजेंसी ने दोबारा सप्लाई शुरू कर दी गई है, लेकिन स्थिति अब भी अस्थिर है। एजेंसी ने स्पष्ट संकेत दिया है कि यदि 7 से 10 दिनों में भुगतान नहीं हुआ तो सप्लाई फिर से रोक दी जा सकती है। एजेंसी के एक अधिकारी का कहना है कि रिम्स को कई बार भुगतान के लिए पत्र लिखा गया, लेकिन पेमेंट क्लियर नहीं हुआ। प्रबंधन द्वारा समय पर बिल भुगतान न किए जाने के कारण एजेंसी पर लगातार वित्तीय दबाव बढ़ रहा है। जब सप्लाई का भुगतान प्रबंधन समय-समय पर नही करेगी तो डिस्ट्रीब्यूटर को भी कंपनी सप्लाई कैसे कर सकेगी। प्रबंधन ने कहा- सप्लायरों का भुगतान प्रक्रिया जारी है इधर, पूरे मामले में रिम्स के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. हिरेंद्र बिरूआ ने कहा कि विभिन्न सप्लायरों एवं डिस्ट्रीब्यूटरों के भुगतान की प्रक्रिया प्रगति पर है। रिम्स एक सरकारी संस्थान है, जहां भुगतान से पूर्व कई स्तरों पर जांच और अनुमोदन आवश्यक होता है, जिससे समय लगना स्वाभाविक है। लेकिन किसी भी एजेंसी द्वारा दबाव या ब्लैकमेलिंग करना अस्वीकार्य है। ऐसे कदम मरीजों की देखभाल को सीधे प्रभावित करते हैं। मरीजों को क्या परेशानी? {आपात स्थिति में भी सर्जरी नहीं हो पाती, मरीज की जान को जोखिम बढ़ जाता है। {ऑपरेशन की तारीख बढ़ने से परेशानी और मेडिकल जटिलताएं बढ़ जाती हैं। {आयुष्मान मरीजों के पास निजी अस्पताल जाने का विकल्प नहीं होता, क्योंकि वहां लागत बहुत अधिक है। {कई मरीज दूर-दराज से आते हैं, ऐसे में तारीख आगे बढ़ने से समय और आर्थिक नुकसान दोनों झेलना पड़ता है। सप्लाई बंद होने का सीधा असर मरीजों पर... रिम्स कार्डियोलॉजी विभाग में इस सप्ताह के शुरूआत में इंप्लांट की सप्लाई ठप रहने से स्थिति गंभीर हो गई थी। पहले से तय एंजियोप्लास्टी और अन्य प्रक्रियाओं की तारीख आगे बढ़ाने की नौबत आ गई थी। शनिवार को सप्लाई मिलने के बाद पुराने केस क्लियर करने की प्रक्रिया शुरू की गई। चिकित्सकों का कहना है कि यदि इंप्लांट सप्लाई फिर से बाधित हुई तो ऑपरेशन की तारीख बढ़ाने के अलावा हमारे पास कोई विकल्प नहीं बचेगा। कैसे होती है आयुष्मान मरीजों के लिए इंप्लांट की सप्लाई? रिम्स में आयुष्मान कार्ड वाले मरीजों को परेशान न होना पड़े, इसके लिए प्रबंधन ने निजी एजेंसी के साथ पहले से रेट कॉन्ट्रैक्ट कर रखा है। मरीज की सर्जरी से पहले एजेंसी इंप्लांट सप्लाई करती है। बिल का भुगतान बाद में रिम्स करता है। मरीज को अतिरिक्त राशि नहीं देनी पड़ती। लेकिन भारी बकाया के कारण यह व्यवस्था अब लड़खड़ाने लगी है। 2 केस स्टडी 1 केस स्टडी आयुष्मान से हो रहा इलाज, होनी है एंजियोप्लास्टी इंप्लांट आते ही होगी एंजियोप्लास्टी कैला गोप (60) रामगढ़ के सिरका निवासी हैं, चार दिन पहले रिम्स में भर्ती हुए हैं। एक दिन पहले घर लौटते समय अचानक चक्कर खाकर गिर पड़े, जिसके बाद रामगढ़ में प्रारंभिक उपचार हुआ। वहां से ब्लॉकेज की आशंका पर रिम्स रेफर कर दिया गया। रिम्स में एंजियोप्लास्टी होना है। कैला गोप ने बताया कि कब क्या होगा इसकी जानकारी नही दी गई है। सोहिला देवी (50) लावालौंग, चतरा की रहने वाली है, पिछले चार दिनों से रिम्स के कार्डियोलॉजी विभाग में भर्ती हैं। 5 नवंबर को उनकी एंजियोग्राफी की गई। आयुष्मान योजना के तहत उनका इलाज जारी है। इंप्लांट मांगने के लिए आयुष्मान की प्रक्रिया की गई है। उपलब्ध होते ही एंजियोप्लास्टी की जाएगी।
जेयूवीएनएल के पेंशनधारियों को अब तक नहीं मिली पेंशन
रांची| झारखंड ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड (जेयूवीएनएल) व इसकी अनुषंगी कंपनियों से सेवानिवृत्त पेंशनधारियों/ पारिवारिक पेंशनधारकों को अक्तूबर 2025 की पेंशन का अब तक भुगतान नहीं किया गया है। इससे सेवानिवृत्त कर्मचारियों के बीच भारी असंतोष और रोष है। सभी को आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। मालूम हो कि निगम ने 17 अक्तूबर, 2017 के अपने पूर्व के कार्यालय आदेश सं. 2171 व ज्ञापांक 1175 में निर्णय लिया था कि सभी पेंशनधारकों को माह की पहली तारीख अथवा माह के प्रथम कार्यदिवस को उनके पेंशन का भुगतान कर दिया जाएगा। लेकिन निगम अपने आदेश का अनुपालन नहीं कर रहा है। इस संबंध में निगम प्रबंधन से विद्युत डिप्लोमा अभियंता पेंशनर्स संघ द्वारा कई बार पत्राचार किया गया, मगर इस बाबत कोई कार्रवाई नहीं की गई। संघ की निगम प्रबंधन से मांग है कि सभी कर्मियों को अतिशीघ्र पेंशन का भुगतान किया जाए। इसकी जानकारी संघ के महामंत्री प्रवीण कुमार ने दी।
लापता युवक का शव सैप्टिक टैंक में मिला, परिजन ने पहले स्कूटी, फिर शव भी खुद ही खोज लिया
जिला अस्पताल के पीछे बने सेप्टिक टैंक में शनिवार को लापता युवक का शव मिला। मृतक, 42 वर्षीय बऊआ उर्फ बशीम हुसैन, 8 दिन से लापता था। परिजनों ने गोपालगंज थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई। पुलिस तलाश से ज्यादा मृतक का आपराधिक बैकग्राउंड देख रही थी। परिजन खुद ही तलाश में जुट गए। अपने स्तर पर सीसीटीवी कैमरों के जरिये पहले स्कूटी बरामद की और फिर शनिवार को इसी जगह तीव्र दुर्गंध आने पर टैंक में शव मिला। सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची। शव को सेप्टिक टैंक से बाहर निकलवाया। लाश सड़ गई थी। मृतक की आँखें व जीभ बाहर की तरफ आ गईं थीं। पुलिस को हादसे का संदेह है, लेकिन पुराने आपराधिक रिकॉर्ड के अनुसार हत्या के एंगल से भी जांच की जा रही है। परिजन के अनुसार, लाजपतपुरा निवासी बशीम कुरैशी 1 नवंबर की रात अपनी स्कूटी लेकर घर से निकला था। जब वह वापस लौटकर नहीं आया तो परिजन ने रिश्तेदारों व परिचितों के यहां पता लगाया। उसका कोई सुराग नहीं लगा। पुलिस से भी उसकी कोई जानकारी नहीं मिल पा रही थी। इसके बाद परिवार के लोग व रिश्तेदारों ने कुछ स्थानों के सीसीटीवी फुटेज देखे। उसकी लोकेशन मिली। इसी आधार पर जिला अस्पताल के पीछे पहले स्कूटी मिली। आसपास तलाश किया तो सेप्टिक टैंक से तीव्र दुर्गंध आई। शक हुआ तो झांककर देखा तो शव दिखा। गोपालगंज थाना प्रभारी राजेंद्र कुशवाहा ने बताया कि मृतक हिस्ट्रीशीटर था। उस पर 10 अपराध दर्ज हैं। पुलिस उसकी तलाश कर रही थी। इसी बीच शव मिला। हादसे की आशंका है, लेकिन हर एंगल से जांच कराई जा रही है। पीएम रिपोर्ट आने के बाद मौत का कारण स्पष्ट हो सकेगा। शव फूलने के कारण आँखें व जीभ बाहर की तरफ आ गईं थीं। मर्ग दर्ज कर जांच कराई जा रही है।
खेल परिसर की बाउंड्रीवॉल 5 माह से टूटी, खिलाड़ी परेशान
शहर के खिलाड़ियों को बेहतर सुविधाएं देने के लिए स्मार्ट सिटी के तहत तैयार किए गए खेल परिसर की हालत इन दिनों बदहाल है। फुटबॉल ग्राउंड, हॉकी टर्फ, सिंथेटिक एथलेटिक्स ट्रैक, बास्केटबॉल और वॉलीबॉल कोर्ट जैसी आधुनिक सुविधाओं वाले इस परिसर की करीब 10 मीटर की बाउंड्रीवॉल पांच माह पहले टूट गई थी, लेकिन अब तक उसकी मरम्मत नहीं हो पाई है। खिलाड़ियों का कहना है कि टूटी बाउंड्री से न केवल मैदान की सुरक्षा प्रभावित हो रही है, बल्कि यहां से लोहे की जालियां और अन्य सामान चोरी भी हो रहे हैं। स्थिति यह है कि पास ही स्थित शराब दुकान के कारण लोग इसी जगह बैठकर शराब पीते हैं।इस बारे में प्रभारी खेल अधिकारी प्रदीप रावत ने बताया कि बाउंड्रीवॉल टूटने की जानकारी खेल संचालनालय को भेजी जा रही है और शीघ्र ही मरम्मत कार्य शुरू कराया जाएगा।
चीतों से पहले आई खुराक:टाइगर रिजर्व में 153 काले हिरण छोड़े, बाघों के लिए लाए थे 800 चीतल
शाजापुर जिले में काले हिरणों की बढ़ती तादाद और किसानों की मुसीबत का हल खोज लिया गया है। अफ्रीकन टीम द्वारा बोमा तकनीक से इनका रेस्क्यू करके प्रदेश के विभिन्न टाइगर रिजर्व व अभयारण्य में भेजा जा रहा है। अब तक 400 से ज़्यादा काले हिरण पकड़े गए हैं। इनमें से 153 की खेप कुछ दिन पहले सागर के वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व लाई गई। बताया जा रहा है कि यहाँ चीतों की शिफ्टिंग के पहले उनके इस पसंदीदा आहार को बड़े घास के मैदानों में छोड़ा गया है, जहाँ ये कुलांचे मार रहे हैं। काले हिरण शाजापुर रेंज के गाँव के खेतों की फसलों को नुकसान पहुँचा रहे हैं। सितंबर 2022 में वन विभाग के सर्वे में 1500 काले हिरणों की संख्या सामने आई थी। जब कूनो में चीते लाए गए थे, तब भी इनकी खुराक के लिए काले हिरणों को भेजा गया था। टाइगर रिजर्व भेजे गए काले हिरण पोलायकला तहसील के लसूड़िया घाघ और निपनिया खुर्द जैसे गाँवों से पकड़े गए थे। 4 साल में 800 चीतल लाए गए, वंशवृद्धि से हुआ फायदा: टाइगर रिजर्व में वर्तमान में 25 बाघ-बाघिन हैं। इनके लिए भी काले हिरण के रूप में पर्याप्त आहार मिलेगा। 2018 में बाघ शिफ्टिंग के बाद नौरादेही अभयारण्य (अब टाइगर रिजर्व) में पेंच टाइगर रिजर्व से 800 चीतल लाकर छोड़े गए थे। 2021 से चीतल लाए जा रहे हैं। इनकी तादाद 4 साल में दोगुनी हो गई है। यहाँ पहले से नीलगाय, चिंकारा व काले हिरण जैसे शाकाहारी वन्य जीव हैं। वाइल्ड लाइफ से जुड़े विशेषज्ञ व टाइगर रिजर्व के अधिकारियों के अनुसार यहाँ 1 साल के भीतर चीतों को बसाने की प्लानिंग चल रही है। इसकी तैयारियों के लिए हाल ही में बजट भी मिला है। शाजापुर से लाए गए काले हिरण भी चीता प्रोजेक्ट का ही एक हिस्सा हैं, क्योंकि चीतों को भी बड़े घास के मैदान में बसाने की तैयारी है। काले हिरण की एक और खेप आएगी दक्षिण अफ्रीका के वन्यजीव विशेषज्ञों की विशेष टीम ने बोमा तकनीक का उपयोग करते हुए हेलिकॉप्टर से हिरणों को नियंत्रित क्षेत्र में खदेड़ा और फिर इन्हें सुरक्षित तरीके से पकड़ा। इसके बाद विशेष वाहन से दमोह लाकर वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व में छोड़ा गया है। जानकारों के अनुसार काले हिरण की एक और खेप टाइगर रिजर्व में आएगी। यह पहला मौका है जब काले हिरण के रेस्क्यू में हेलिकॉप्टर जैसी आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया। शुजालपुर किसान संघ की मांग पर सरकार ने काले हिरणों के रेस्क्यू का आँकड़ा बढ़ाकर एक हजार कर दिया है। वन्य जीव संरक्षण की दिशा में प्रयास शाजापुर में खेतों में घुसकर काले हिरण फसल को नुकसान पहुँचा रहे हैं। रेस्क्यू करके प्रदेश के अलग-अलग टाइगर रिजर्व में इन्हें भेजा जा रहा है। हमारे यहाँ अभी 153 काले हिरण लाए गए हैं। इन्हें बड़े घास के मैदान में सुरक्षित छोड़ा गया है। चीता प्रोजेक्ट पर काम शुरू होने जा रहा है। यहाँ पहले से नीलगाय, चीतल व चिंकारा जैसे शाकाहारी वन्य जीव हैं। बाघों के लिए पर्याप्त आहार मौजूद है। काला हिरण वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम की अनुसूची-1 का प्राणी है। इस जीव को संरक्षण प्रदान करना भी एक उद्देश्य है। -डॉ. ए.ए. अंसारी, डिप्टी डायरेक्टर, टाइगर रिजर्व
इंदौर के चौराहों-सड़कों यहां तक की गलियों में पुलिस मैदान में उतरकर तो चेकिंग कर रही है। लेकिन, इंदौर पुलिस अब हाईटेक तरीके से भी ड्रोन से पेट्रोलिंग कर रही है। ड्रोन से उन शेडो एरिया में नजर रखी जा रही है। जहां संदिग्ध और नशा करने वाले छिपकर बैठे रहते हैं और आसानी से पुलिस की नजरों में नहीं आते हैं। कई थाना क्षेत्रों में ऐसे शेडों एरिया होते हैं जहां पुलिस की नजर नहीं जा पाती है। ऐसी जगह का फायदा संदिग्धों-असामाजिक तत्वों को मिल जाता है। ऐसे जगह पर भी पुलिस की पैनी नजर रहे इसके लिए ड्रोन पेट्रोलिंग शुरू की गई है, ताकि यहां भी नजर रखी जा सके। ड्रोन कैमरों को भी पुलिस की पेट्रोलिंग में इस्तेमाल किया जा रहा है और पुलिस की व्यवस्था को भी हाईटेक किया जा रहा है। नशा करने वाले कई बार तंग गलियों में छिपे रहते है जो आसानी से नजर नहीं आते हैं। उनकी तलाश में भी ये ड्रोन पेट्रोलिंग काफी काम आती है। ये शेडो एरिया, जहां रखी जा रही ड्रोन से नजर संदिग्ध मिलने पर पुलिस करती चेकिंग ड्रोन से पेट्रोलिंग के दौरान पुलिस का बल भी इलाके में मौजूद रहता है। ड्रोन से पेट्रोलिंग के दौरान जब कैमरे में पुलिस को कोई संदिग्ध मिलते हैं तो पुलिस बल को तुरंत इसकी जानकारी दी जाती है और पुलिस की दो टीमें अलग-अलग तरफ से घेराबंदी कर संदिग्धों तक पहुंचती है और उन्हें पकड़कर उनसे पूछताछ और उनकी चेकिंग करती है। इसी तरह नशा करने वालों पर भी नजर रखी जाती है। हाल ही में चंदन नगर पुलिस ने ड्रोन की मदद से नशा करने वाले को पकड़कर कार्रवाई भी की थी। शेडों एरिया पर नजर रखी पुलिस एडिशनल डीसीपी राजेश दंडोतिया ने बताया कि इंदौर पुलिस द्वारा हाई-टेक ड्रोन पेट्रोलिंग की जा रही है। थाना क्षेत्रों में कुछ शेडों एरिया रहते हैं। जिन पर पुलिस की नजर नहीं जा पाती है। इसे शेडो एरिया पर नजर रखने के लिए ड्रोन पेट्रोलिंग की जा रही है। ड्रोन को पेट्रोलिंग में इस्तेमाल किया जा रहा है। कई जगह ऐसी नशा करने वाले ऐसी तंग गलियों में या ऐसी जगहों पर बैठे होते हैं, जहां पर पुलिस की नजर नहीं पहुंच पाती है। ऐसे में ड्रोन के माध्यम से पुलिस की टीम इन जगहों पर ड्रोन पेट्रोलिंग कर संदिग्धों और असामाजिक तत्वों पर नजर रखती है। हाल ही में चंदन नगर पुलिस ने ड्रोन पेट्रोलिंग के दौरान सिरपुर तालाब के समीप एक खंडहर जैसी जगह पर ड्रोन से देखा तो वहां पर तीन संदिग्ध मिले हैं। पुलिस जवानों ने घेराबंदी की थी तो उसने में व्यक्ति अवैध मादक पदार्थ पीते हुए मिला था, इस पर चंदन नगर पुलिस ने व्यक्ति पर कार्रवाई की थी। उन्होंने बताया कि पेट्रोलिंग और चैकिंग को इफेक्टिव बनाने के लिए ड्रोन पेट्रोलिंग कराई जा रही है। इस ड्रोन पेट्रोलिंग में जो ड्रोन पुलिस के पास उपलब्ध है उसका इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके अलावा कुछ रेंट पर भी ड्रोन लिए जाते है। चारों जोनों में ड्रोन के माध्यम से पेट्रोलिंग की जा रही है।
गोरखपुर नगर निगम में सोमवार को सामूहिक वंदेमातरम और भाजपा की एकता यात्रा में सीएम योगी आदित्यनाथ शामिल होंगे। इसको देखते हुए ट्रैफिक पुलिस ने शहर की यातायात व्यवस्था में बदवाल किया है। यह व्यवस्था सोमवार सुबह 07:00 बजे से कार्यक्रम समाप्ति तक प्रभावी रूप से लागू रहेगी। ये व्यवस्था एम्बुलेंस व अन्य इमरजेंसी वाहनों पर लागू नहीं रहेगा। एसपी ट्रैफिक ने आम जनमानस से अपील है कि अपने गंतव्य पर समय से पहुंचने के लिए एक घंटे पूर्व अपने स्थान से निकलना सुनिश्चित करें। बदले रास्तों से निकलेंगे वाहन- टीपी नगर से टीडीएम अहलादपुर होकर बेतियाहाता की तरफ आने वाले कामर्शियल वाहन प्रतिबंधित रहेंगे। ये वाहन रुस्तमपुर चौराहा पैडलेगंज चौराहा होकर अपने गंतव्य की ओर जाएंगे।- शास्त्री चौराहा से कचहरी चौराहा की तरफ सभी प्रकार के वाहन प्रतिबंधित रहेगें। यह वाहन शास्त्री चौराहा आंबेडकर चौराहा होते हुए अपने गंतव्य की ओर जाएंगे।- घोष कम्पनी से टाउनहाल की तरफ आने वाले वाहन शास्त्री चौराहा की तरफ डायवर्ट रहेंगे। - अग्रसेन तिराहा से टाउनहॉल की तरफ आने वाले वाहन प्रतिबंधित रहेगें। ये वाहन जुबली तिराहा बक्शीपुर होते हुए अपने गंतव्य की ओर जाएंगे।- विजय चौराहा से गणेश चैराहा की तरफ आने वाले वाहन सुमेर सागर की तरफ डायवर्ट रहेंगे। - कालीमंदिर से गणेश चौराहा की तरफ आने वाले वाहन पुलिस लाइन तिराहा की तरफ डायवर्ट रहेंगे।- तमकुही तिराहा से कचहरी की तरफ आने वाले वाहन प्रतिबंधित रहेगें यह वाहन आंबेडकर चौराहा एवं हरिओम नगर तिराहा होते हुए अपने गंतव्य की ओर जाएंगे। - जीएम पोस्ट ऑफिस तिराहा से किसी भी प्रकार के वाहन गणेश चौक की तरफ नहीं आएंगे। ये वाहन हरिओमनगर नगर तिराहा व अम्बेडकर चौराहा से अपने गंतव्य की ओर जाएंगे।- आयकर भवन तिराहा से हरिओमनगर तिराहा की तरफ आने वाले वाहन पुराना आरटीओ तिराहा की तरफ डायवर्ट रहेंगे। - आंबेडकर चौराहा से तमकुही तिराहा की आने वाले वाहन छात्र संघ रूस्तमपुर होते हुए अपने गन्तव्य की ओर जाएंगे।- असुरन चौराहा से काली मंदिर की तरफ सभी प्रकार के वाहन प्रतिबंधित रहेंगे। ये वाहन कौवा बाग मौहद्दीपुर होते हुए अपने गंतव्य की ओर जाएंगे। - हड्डी माई तिराहा से टाउन हॉल की तरफ सभी प्रकार के वाहन का जाना प्रतिबंधित रहेंगा। ये वाहन अग्रसेन तिराहा से होकर अपने गंतव्य की ओर जाएंगे।
महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव ने शनिवार को जहानाबाद के श्री बीघा में जनसभा को संबोधित किया। इस दौरान तेजस्वी ने कहा, 'बिहार में महागठबंधन की सरकार बनते ही ठकाठक-ठकाठक नौकरी की बहाली होने लगेगी। इस बार कोई घर नहीं छूटेगा।' तेजस्वी यादव ने अपने जन्मदिन पर जनता से 'जीत का तोहफा' मांगा और कहा- बिहार में महागठबंधन की जीत मेरे लिए सबसे बड़ा गिफ्ट होगा। नेता प्रतिपक्ष ने कहा, आपने NDA को 20 साल दिए, मुझे 20 महीने दीजिए। जो काम 20 साल में नहीं हुआ वो तेजस्वी 20 महीने में करके दिखाएगा। हम जो कहते हैं वो करते हैं, उम्र कच्ची है लेकिन जुबान पक्की है। 'महागठबंधन में डिप्टी CM के पद पर हर वर्ग का प्रतिनिधित्व होगा' उत्तर प्रदेश कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडे ने बिहार विधानसभा चुनाव के प्रथम चरण के मतदान पर कहा, 'हर जिले से हमारे AICC के पर्यवेक्षक के माध्यम से जो खबरें आई हैं। उसके आधार पर मैं बहुत विश्वास के साथ कह सकता हूं कि 121 सीटों में 74 से 76 सीटें ऐसी हैं, जहां मजबूती के साथ महागठबंधन की जीत होने जा रही है। उपमुख्यमंत्री की बात है तो प्रतिनिधित्व हर वर्ग का होगा। ये बातें सर्व सहमति से निर्धारित होती हैं। आने वाले समय में सभी गठबंधन के घटक दल बैठकर सभी वर्गों को सम्मानजनक प्रतिनिधित्व देंगे और सभी को सेवा करने का समान अवसर दिया जाएगा।' पूर्णिया में प्रियंका बोलीं- अडानी-अंबानी की शादियों में हाथ जोड़े दिखते हैं मोदी प्रियंका गांधी ने शनिवार को पूर्णिया में जनसभा को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने पीएम मोदी पर निशाना साधा। प्रियंका ने कहा, कांग्रेसी सरकारों की मानसिकता अलग थी, बड़े-बड़े प्रधानमंत्री गांव जाते थे। मोदी जी की तरह चीन और पेरिस जाकर, राष्ट्रपतियों से हाथ नहीं मिलाते थे। मैं खुद अपने पिताजी के पीछे-पीछे अमेठी के गांव में गई। मेरे पिता 400 सीटों लाकर देश के प्रधानमंत्री बने थे, मोदी जी से ज्यादा सीटें। प्रियंका गांधी ने साथ ही कहा कि 'मोदी जी ने कहा था आपके कर्ज माफ किए जाएंगे, मगर आज तक किसानों के कर्ज माफ नहीं किए गए। अडाणी और अंबानी के कर्ज माफ होते हैं, जिनके पास पहले से हजारों करोड़ रुपए हैं। मोदी जी गांव में नहीं दिखते, मगर अडाणी और अंबानी के परिवारों की शादियों में हाथ जोड़ते हुए जरूर दिखते हैं।' इलेक्शन कमीशन बीजेपी की 'C' टीम पूर्णिया में महागठबंधन प्रत्याशी के समर्थन में सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने जनसभा किया। इस दौरान अखिलेश यादव ने आगे कहा कि, 'इलेक्शन कमीशन बीजेपी की 'C' टीम है। बिहार में महागठबंधन को मजबूत करना है और बीजेपी को नौ दो ग्यारह करना है।' उन्होंने कहा कि, बिहार में बहरूपिए के रूप में बीजेपी की कई टीमें काम कर रही हैं। C टीम चुनाव आयोग है, जो बीजेपी के लिए काम कर रही है। इस बार के चुनाव में युवाओं का नहीं, बल्कि बिहार से बीजेपी का पलायन होने जा रहा है। दिल्ली में बैठे लोग सिर्फ बड़ी बड़ी बाते करते हैं, लेकिन हम और आप मंदिर चले जाएं तो बीजेपी वाले मंदिर धुलवाते हैं। सड़क पर मिलीं VVPAT पर्चियां: RJD ने पूछा- क्या चोर आयोग जवाब देगा समस्तीपुर के सरायरंजन विधानसभा क्षेत्र के KSR कॉलेज के पास सड़क पर भारी संख्या में VVPAT की पर्चियां मिली हैं। इस मामले में EC ने कार्रवाई करते हुए 2 कर्मचारियों को सस्पेंड किया है। प्रशासन ने भी इस मामले में जांच के आदेश दिए हैं। साथ ही कहा है कि जांच में जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ FIR होगी। इससे मतगणना पर कोई असर नहीं पड़ेगा। यह VVPAT पर्चियां मॉक स्लिप हैं। बिहार विधानसभा चुनाव में 6 नवंबर को पहले चरण का मतदान हुआ था। सरायरंजन विधानसभा क्षेत्र में भी पहले चरण में वोट डाले गए। वोटिंग से पहले हर बूथ पर मॉक पोल होता है, ताकि EVM और VVPAT ठीक से काम कर रहे हैं, इसकी जांच हो सके। वोटिंग के 2 दिन बाद शीतलपट्टी गांव में VVPAT से निकली पर्चियां कूड़े में मिलीं। इसे लेकर महागठबंधन में शामिल दल निर्वाचन आयोग पर सवाल खड़े कर रहे हैं। RJD ने सोशल मीडिया X पर एक वीडियो शेयर किया है। इसके साथ ही लिखा- 'समस्तीपुर के सरायरंजन विधानसभा क्षेत्र के KSR कॉलेज के पास सड़क पर भारी संख्या में EVM से निकलने वाली VVPAT पर्चियां फेंकी मिली हैं। कब, कैसे, क्यों किसके इशारे पर इन पर्चियों को फेंका गया? क्या चोर आयोग इसका जवाब देगा? क्या यह सब बाहर से आकर बिहार में डेरा डाले लोकतंत्र के डकैत के निर्देश पर वोट चोरी किया जा रहा है।'
दुर्गापुरा-बांद्रा टर्मिनस के मध्य चलेगी स्पेशल ट्रेन
यात्रियों को सुविधा देने के उद्देश्य से पश्चिम रेलवे रतलाम मंडल से होकर दुर्गापुरा से बांद्रा टर्मिनस स्पेशल ट्रेन का परिचालन किया जाएगा। गाड़ी 09729 दुर्गापुरा- बांद्रा दुर्गापुरा से 9 नवंबर, रविवार को 12.25 बजे चलेगी और अगले दिन 7 बजे बांद्रा पहुंचेगी। ट्रेन का नागदा (19.18 बजे आगमन व 19.20 बजे प्रस्थान, रविवार) और रतलाम में 20.10 बजे आगमन व 20.20 बजे प्रस्थान होगा। वापसी में गाड़ी 09730 बांद्रा टर्मिनस- दुर्गापुरा बांद्रा से 10 नवंबर, सोमवार को 10 बजे चलेगी और अगले दिन 5.30 बजे जयपुर पहुंचेगी। ट्रेन का रतलाम (20.25 बजे आगमन व 20.35 बजे प्रस्थान, सोमवार) और नागदा में 21.30 बजे आगमन व 21.32 बजे प्रस्थान होगा।
हर रविवार 1 घंटा प्रतियोगी परीक्षा में जुटे विद्यार्थियों को पढ़ाएंगे कलेक्टर
प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करना चाहते हैं और आपको कोई मार्गदर्शक नहीं मिल रहा है तो यह खबर आपके काम की है। अब हर रविवार को एक घंटा कलेक्टर ऐसे विद्यार्थियों काे पढ़ाएंगे। वह भी नि:शुल्क। वे उन्हें नोट्स बनाने से लेकर प्रश्न हल करने और इंटरव्यू फेस करने के तरीके भी बताएंगे। यह सब दशहरा मैदान स्थित शासकीय लाइब्रेरी में दोपहर 12 से 1 बजे तक होगा। शुरुआत इस रविवार से की जाएगी। कलेक्टर रोशन कुमार सिंह के अनुसार अब तक बच्चों को स्कूल में जाकर पढ़ाया है। अब प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियों में जुटे विद्यार्थियों को परीक्षा का पैटर्न, प्रश्नों को हल करने के तरीके, समय लिमिट में पेपर पूरा करने के उपाय बताएंगे। यह उनके लिए उपयोगी होगा जो यूपीएससी, एसएससी, बैंक और सेना में प्रवेश के लिए पढ़ाई कर रहे हैं। तैयारी के लिए जाना पड़ता है बाहर यूपीएससी, पीएससी, एसएससी जैसी परीक्षाओं की तैयारी के लिए विद्यार्थियों को शहर से बाहर जाना पड़ता है, जिसमें खर्च भी ज्यादा होता है और लंबा समय भी लगता है। कई बार सही मार्गदर्शन नहीं मिलने से उन्हें कामयाबी नहीं मिल पाती। ऐसे विद्यार्थियों को स्थानीय स्तर पर मार्गदर्शन देने के लिए कलेक्टर ने पहल की है। उनके पास परीक्षा की तैयारी से लेकर प्रशासनिक क्षेत्र में काम करने का 15 साल का अनुभव भी है, जिसे वे परीक्षार्थियों के साथ साझा करेंगे। उनका कहना है कि जरूरत पड़ने पर इस समय को बढ़ाया भी जा सकता है। 70 विद्यार्थी की क्लास लेंगे कलेक्टर दशहरा मैदान की शासकीय लाइब्रेरी में अभी 70 विद्यार्थी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में जुटे हैं। वे रोज यहां आकर पढ़ाई करते हैं। कलेक्टर ने कहा कि जो नियमित विद्यार्थी हैं, उन्हें पढ़ाया जाएगा। संख्या बढ़ी तो पंजीयन करेंगे। अनुशासन के साथ टाइम लिमिट सिखाएंगे परीक्षाओं की तैयारी में जुटे विद्यार्थियों को अनुशासन, लक्ष्य अध्ययन रणनीति के साथ समय प्रबंधन भी सिखाया जाएगा ताकि परीक्षा में कोई परेशान न हो और वे सफल हो सके।
निवेशकों के दबाव में प्रदेश सरकार ने 13 साल पुराने कृषि भूमि से गैर कृषि में किस्म परिवर्तन के नियम बदले हैं। पुराने राजस्थान अरबन एरियाज (कृषि भूमि के गैर कृषि उपयोग की अनुमति और आवंटन) रूल्स 2012 का नाम बदलकर अब अरबन एरियाज (कृषि भूमि के गैर कृषि उपयोग एवं आवंटन) संशोधित रूल्स 2025 नाम दिया गया है। पहले के रूल्स में आवेदन के 60 दिन के भीतर इसका निपटारा करना अनिवार्य किया था। अब संशोधित रूल्स 2025 में 10 दिन में आवेदन को अफसर तक पहुंचाना और 30 दिन के अंदर कृषि से गैर कृषि उपयोग की स्वीकृति अनिवार्य की गई है। 30 दिन संबंधित अफसर ने स्वीकृति नहीं दी डीम्ड (स्वत:) स्वीकृति मानी जाएगी। ये नियम जयपुर, जोधपुर, अजमेर, उदयपुर, कोटा, भरतपुर और बीकानेर विकास प्राधिकरण सहित सभी प्राधिकरणों, यूआईटी वाले 14 शहरों में लागू किया गया है। कितनी कृषि भूमि का उपयोग परिवर्तन व आवंटन होगा, यह तय नहीं प्रदेश में नए संशोधित रूल्स में यह तय नहीं किया है कि प्रदेश के शहरों में कृषि से गैर कृषि उपयोग के लिए कितने आकार तक की भूमि आवंटित की जा सकेगी। आवंटन के क्षेत्रफल का दायरा क्या रहेगा। वहीं पुराने गांवों के 2012 के रूल्स में गांवों में उद्योग लगाओ पर 2500 वर्गमीटर तक भू उपयोग परिवर्तन से मुक्त किया था। एमएसएमई श्रेणी के उद्यमियों को 2500 वर्ग मीटर तक की भूमि देना का प्रावधान किया था। स्टेट पॉल्यूशन बोर्ड के परिवर्तन शुल्क को भी माफ किया था। एमएसएमई के तहत कौनसे उद्योग लगा सकेंगे, उसकी कैटेगरी तय की थी। उसमें सिरेमिक एंड ग्लास, डेयरी सेक्टर, ईएसडीएम सेक्टर, एमएसएमई सेक्टर, प्लास्टिक से ऑयल मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर, टैक्सटाइल सेक्टर, पावरलूम सेक्टर और कोटा स्टोन, मारबल ग्रेनाइट सेक्टर में निवेश को शामिल किया था। वहीं नई शहरी आवंटन नीति में यह तय नहीं किया है। 30 दिन में परमिशन जरूरीप्रदेश में माइक्रो, स्माल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज (एमएसएमई) यूनिट स्थापना के लिए शहरों के किसी इलाके में आवेदक अनुमति मांगता है तो अब संबंधित प्राधिकरण या यूआईटी को 30 दिन के अंदर स्वीकृति देनी होगी। संबंधित अथारिटी स्वीकृति देने में असफल रहती है तो आवेदक को यूनिट के लिए भूमि की किस्म परिवर्तन की स्वीकृति डीम्ड मानी जाएगी। गांवों में पहले यह लागू किया था रूल13 साल पहले कृषि भूमि पर कृषि से संबंधित उद्योग लगाने वालों को भी इसमें छूट दी गई। ये रूल्स रिसर्जेंट राजस्थान इन्वेस्टमेंट समिट की राजस्थान एमएसएमई पॉलिसी-2015 में शामिल किए थे। इसमें ग्रामीण क्षेत्र में भूमि आवंटन के आवेदन पर 60 दिन के भीतर इसका निपटारा करना अनिवार्य किया था।
बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण का चुनाव प्रचार रविवार की शाम 5 बजे समाप्त हो जाएगा। अंतिम दौर के प्रचार में सभी राजनीतिक दलों ने अपनी पूरी जान लगा दी है। राज्य की 20 जिलों की 122 सीटों पर 11 नवंबर यानी मंगलवार को मतदान होगा। पश्चिम और पूर्वी चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया, किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार, भागलपुर, बांका, जमुई, नवादा, गयाजी, जहानाबाद, अरवल, औरंगाबाद, रोहतास और कैमूर जिले की 122 सीटों पर मतदान होने हैं। यहां 1302 उम्मीदवार मैदान में हैं। 20 जिलों के 3.70 करोड़ मतदाता करेंगे वोटिंग 20 जिलों में 45,399 बूथों पर 3,70,13,556 मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे। इसमें 1,74,68,572 महिलाएं, 1,95,44,041 पुरुष हैं। 943 थर्ड जेंडर मतदाता भी हैं। निर्वाचन विभाग के मुताबिक, दूसरे चरण में 595 महिलाएं, 91 दिव्यांग, 316 मॉडल बूथ बनाए गए हैं। सभी बूथों से वेबकास्टिंग की जाएगी। 5,326 शहरी और 40,073 ग्रामीण मतदान केंद्र बनाए गए हैं। 32 सीटों पर एक ही जाति के कैंडिडेट के बीच मुकाबला 122 में से 32 विधानसभा सीटों में आमने-सामने का मुकाबला एक ही जाति के कैंडिडेट के बीच है। नरपतगंज, बेलहर, नवादा और बेलागंज की चार विधानसभा सीटों पर यादवों के बीच मुकाबला है। इन सीटों पर एनडीए और महागठबंधन दोनों ओर से यादव उम्मीदवार हैं। इसी तरह अररिया, जोकीहाट, बहादुरगंज और अमौर विधानसभा सीटों पर मुसलमान उम्मीदवार एक-दूसरे को पछाड़ने में लगे हैं। इसी तरह 3-3 सीटों पर धानुकों का धानुकों से, पासवान का पासवान से, राजपूत का राजपूत से और मुसहर का मुसहर से मुकाबला है। 2-2 सीटों पर ब्राह्मण, वैश्य और रविदास जाति के प्रत्याशियों की आपस में भिड़ंत है। 1-1 सीट पर पातर, खरवार, संताल, कुशवाहा और भूमिहार प्रत्याशी अपनी ही जाति के प्रतिद्वंद्वियों को चित करने पर तुले हुए हैं। नेपाल सीमा 11 नवंबर की रात तक सील बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे फेज के मतदान से पहले भारत-नेपाल सीमा पर निगरानी बढ़ा दी गई है। 11 नवंबर की रात तक बॉर्डर को सील कर दी गई है। इस दौरान सीमा पर लोगों की आवाजाही बंद रहेगी। इस बीच, भारत-नेपाल सीमा पर तैनात 12वीं वाहिनी सशस्त्र सीमा बल की एफ कंपनी दिघलबैंक में शनिवार को ग्राम समन्वय बैठक का आयोजन किया गया। कंपनी कमांडर प्रिय रंजन चकमा ने विधि-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सीमावर्ती क्षेत्र के लोगों से अपील की है।
सूदखोरी, रंगदारी और अवैध हथियार रखने के आरोप में फरार चल रहे हिस्ट्रीशीटर वीरेंद्र सिंह तोमर उर्फ रूबी सिंह तोमर को रायपुर पुलिस ने मध्य प्रदेश के ग्वालियर से पकड़ा है। वीरेंद्र तोमर बीते 151 दिन से पुलिस को चकमा देकर फरार चल रहा था। वीरेंद्र तोमर को सड़क के रास्ते पुलिस रायपुर ला रही है। वहीं वीरेंद्र का भाई रोहित तोमर अब भी फरार है। रोहित तोमर की तलाश में टीम जुटी हुई है। रायपुर पुलिस के अधिकारी आज रविवार को आरोपी की गिरफ्तारी का खुलासा करेंगे। जानिए कौन है वीरेंद्र सिंह उर्फ रूबी तोमर वीरेंद्र सिंह उर्फ रूबी तोमर रायपुर का आदतन अपराधी है। आरोप के अनुसार अपने छोटे भाई रोहित तोमर और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर सूदखोरी का काम करता है। आरोपी कर्जदारों से मूलधन से ज्यादा ब्याज वसूलते और पैसे नहीं देने पर मारपीट करते। वीरेंद्र सिंह तोमर पर पहला मामला 2006 में दर्ज हुआ था। पुलिस ने इसे आदतन अपराधियों की लिस्ट में डाला है। वीरेंद्र के खिलाफ 6 से ज्यादा अलग-अलग थानों में केस दर्ज है। इनमें मारपीट, उगाही, चाकूबाजी, ब्लैकमेलिंग और आर्म्स एक्ट के केस शामिल है। अब जानिए क्या है पूरा मामला ? दरअसल, करीब 5 महीने पहले प्रॉपर्टी डीलर दशमीत चावला ने वीरेंद्र के भाई रोहित तोमर के खिलाफ मारपीट का आरोप लगाकर तेलीबांधा थाने में FIR दर्ज कराई थी। FIR के बाद से रोहित तोमर फरार हो गया। रोहित के फरार होने के बाद उसका भाई वीरेंद्र तोमर भी गायब हो गया था। पुलिस ने वीरेंद्र सिंह तोमर के घर की तलाशी ली तो उसके घर में अवैध हथियार पुलिस को मिला था। पुलिस ने वीरेंद्र सिंह के ऊपर आर्म्स एक्ट के तहत FIR दर्ज की थी। करीबियों के घर से जब्त किया था सोना-दस्तावेज वीरेंद्र सिंह तोमर और रोहित तोमर की फरारी के बाद पुलिस ने उनका पता लगाने के लिए उनके करीबियों के ठिकानों में रेड मारी थी। पुलिस ने करीबियों के घरों में छापेमारी के दौरान 40 करोड़ से अधिक की रजिस्ट्री के दस्तावेज, साढ़े तीन करोड़ का सोना और 10 लाख की चांदी जब्त की है। जांच में बैंक पासबुक, चेक और एटीएम भी मिले हैं। पुलिस को संदेह है कि यह संपत्ति उन लोगों की है, जिन्होंने तोमर ब्रदर्स से सूद पर पैसे लिए थे। बाद में ब्लैकमेलिंग के जरिए उनकी संपत्ति के दस्तावेज कब्जे में ले लिए गए। महिलाओं के नाम पर ब्लैंक चेक लेते थे तोमर ब्रदर्स रोहित और वीरेंद्र जब भी किसी को पैसा देते, चाहे 50 हजार रुपए क्यों न हो। उसके बदले में ब्लैंक चेक लेते थे। उसमें हस्ताक्षर करवाते और अंगूठा भी लगवाते। फिर लोगों को दबाव बनाकर उनकी जमीन, मकान, दुकान और गाड़ी अपने नाम कर लेते। हाईकोर्ट ने खारिज की अग्रिम जमानत याचिका छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने भी रायपुर में रोहित तोमर और वीरेंद्र तोमर की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है। हालांकि, दोनों की पत्नियों और भतीजे की अग्रिम जमानत मंजूर की है। सरकारी वकील ने अदालत में तोमर बंधुओं की अग्रिम जमानत का विरोध किया। सरकारी वकील ने बताया कि दोनों भाइयों का आपराधिक रिकॉर्ड लंबा है और उन पर लगभग 16 मामले दर्ज हैं। सरकारी वकील के तर्क सुनने के बाद हाईकोर्ट ने तोमर बंधुओं की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी। वीरेंद्र तोमर के खिलाफ 6 से ज्यादा केस दर्ज रोहित तोमर पर 9 से ज्यादा मामले दर्ज सूदखोर रोहित तोमर के खिलाफ राजेंद्र नगर, तेलीबांधा, पुरानी बस्ती, कोतवाली और गुढ़ियारी में 9 से ज्यादा मामले दर्ज हैं। आरोपी सूदखोरी, मारपीट, ब्लैकमेल के मामले में जेल भी जा चुका है। सूदखोर रोहित गोल्डन मैन के नाम से जिले में मशहूर है। रसूखदारी बनी रहे, इसलिए आरोपी अपने गिरोह के साथ समय-समय पर कार्यक्रमों में भी दिखता था। ................................. इससे जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... तोमर-ब्रदर्स केस...मां बोली- खारुन आरती से दुश्मन बना लिए:छोटा बेटा संगत में बर्बाद हुआ; जानिए अंडे के ठेले से कैसे बनाई करोड़ों की संपत्ति रायपुर के सूदखोर तोमर ब्रदर्स के साथ अब पूरे परिवार पर पुलिस का शिकंजा कसता जा रहा है। हालांकि वीरेंद्र और रोहित तोमर फरार हैं, दोनों की तलाश पुलिस कर रही है। इस बीच दैनिक भास्कर की टीम तोमर बंधुओं के आलीशान बंगले पहुंची। तोमर बंधुओं से अपनों ने भी किनारा कर लिया है। 5 हजार स्क्वायर फीट से ज्यादा एरिया में फैला यह बंगला वीरान था। पढ़ें पूरी खबर...
स्वच्छता में नंबर-1 शहर में तीन दिन में वाहन समय पर नहीं आने और गाने न बजने की 18 शिकायतें दर्ज
स्वच्छता सर्वेक्षण 2024 में उज्जैन को 3 से 10 लाख जनसंख्या श्रेणी में सुपर स्वच्छता लीग का प्रथम पुरस्कार मिला है। नगर निगम अधिकारी रोज सुबह उठकर सफाई व्यवस्था की मॉनिटरिंग कर रहे हैं, सफाईकर्मी मैदान में जुटे हैं, लेकिन इसके बावजूद डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन व्यवस्था सवालों के घेरे में है। शहर के 54 वार्डों के लिए नगर निगम के पास कुल 91 कचरा कलेक्शन वाहन हैं, जिनमें से करीब 18 इस साल खरीदे हैं। बाकी वाहन पुराने हैं और मेंटेनेंस के अभाव में खराब हो रहे हैं। कई गाड़ियों में हॉर्न और स्पीकर नहीं हैं, जिससे रहवासियों को पता ही नहीं चलता कि वाहन उनके इलाके में आया भी या नहीं। शहरवासियों से मिले फीडबैक के अनुसार कई वार्डों में तय समय पर वाहन नहीं पहुंचते। कुछ में गाड़ियां दो-दो दिन नहीं आतीं, जबकि कुछ क्षेत्रों में खराब वाहनों की जगह वैकल्पिक वाहन नहीं भेजे जा रहे। मल्टी बिल्डिंग और अपार्टमेंट क्षेत्रों में कचरा उठाने का सिस्टम लगभग ठप है, क्योंकि वाहन रुकते नहीं। कई में कचरा अलग करने वाले कंपार्टमेंट टूटे पड़े हैं, जिससे कचरा मिल जाता है। सफाई के नाम पर गाड़ियां ओवरलोड होकर चलती हैं और रास्ते में कचरा गिराते हुए आगे बढ़ जाती हैं। निगम के आधे वाहनों में ही जीपीएस लगाया है, ऐसे में मॉनिटरिंग अधूरी है। यूएमसी एप पर तीन दिनों में दर्ज 22 शिकायतों में से 18 शिकायतें इस बात की हैं कि कचरा वाहन समय पर नहीं आए या गाना नहीं बज रहा, इसलिए लोग कचरा नहीं दे पाए। यह शिकायतें एलपी नगर, विद्यार्थी नगर, खिलचीपुर, आजाद नगर, महाश्वेता नगर, प्रेम एवेन्यू और जयसिंहपुरा जैसे कई इलाकों से आई हैं। वार्डों में रोजाना जाते वाहन: कुछ वाहन ठीक नहीं होने से वार्डों में लेटलतीफी हो जाती है, लेकिन ऐसी स्थिति में दूसरे वाहन भेजे जाते हैं। वाहन वार्डों में रोजाना जाते हैं, उनमें जीपीएस सिस्टम लगा है। जैसे ही नए वाहन आएंगे,ये देरी वाली परेशानी भी दूर हो जाएगी। - योगेंद्र पटेल, उपायुक्त
भाजपा सांसद रवि किशन ने कहा, 'बिहार में NDA की बहुत बड़ी जीत होने जा रही है। ऐसी-ऐसी सीटों पर जीत होने जा रही है जिसकी कल्पना बिहार के लोगों ने भी नहीं की थी। बहुत बड़ी लहर है जिसका श्रेय प्रधानमंत्री और नीतीश कुमार की कार्यशैली को जाता है। बिहार अब कभी भी जंगलराज की तरफ नहीं जाना चाहेगा। बिहार अपने गौरव को तलाशता हुआ नीतीश कुमार और पीएम मोदी के नेतृत्व में यहां तक पहुंचा है। अब बिहार किसी लालटेन की ओर नहीं जाएगा। बिहार एक ऐसी बड़ी छलांग लगाने वाला है कि पूरे देश को इस राज्य पर गर्व होगा।' यूपी के डिप्टी CM बोले- महागठबंधन में झोल है उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, 'विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं है। NDA में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार नीतीश कुमार थे, हैं और वही 14 तारीख के बाद भी होंगे। लेकिन कांग्रेस और राजद का गठबंधन पहले से ही निर्जीव है। अगर उन्हें मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार तेजस्वी यादव को ही बनाना था तो ऐसा करने से उन्हें कौन रोक रहा था? वे अच्छे माहौल में ऐसा कर सकते थे। घोषणा के समय न कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे आए, न राहुल गांधी आए और न ही प्रियंका गांधी आईं। इससे समझ में आता है कि इनके गठबंधन में झोल है।' अब कट्टा और लालटेन का युग चला गया- राजनाथ सिंह कैमूर में शनिवार को आयोजित NDA की जनसभा में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और RLSP प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने विपक्ष पर जमकर हमला बोला। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि पहले चरण के मतदान ने साफ कर दिया है कि 14 तारीख के बाद एनडीए दो तिहाई बहुमत से सरकार बनाएगी। उन्होंने कहा कि लालू यादव के समय में लोग कहते थे– 'आव ना बिहार में, कट्टा ठोक देब कपार में', लेकिन आज नीतीश कुमार के राज में कहा जाता है– 'आईं ना एनडीए के विकसित बिहार में।' राजनाथ सिंह ने कहा कि अब कट्टा और लालटेन का युग चला गया, अब विकास और रोजगार का युग शुरू हो गया है। रक्षा मंत्री ने कहा कि यूपी के बाद अब बिहार में भी डिफेंस कॉरिडोर बनेगा। बिहार में अब कट्टा नहीं बनेगा, बल्कि तोप बनेगा। उन्होंने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि वे झूठ बोलकर राजनीति करते हैं। सेना में आरक्षण की बात करना सेना के गौरव का अपमान है। पटना में स्मृति ईरानी ने खाए गोलगप्पे पटना की सड़कों पर शनिवार को भाजपा नेता स्मृति ईरानी, पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया सह-प्रभारी संजय मयूख और प्रवक्ता दानिश इकबाल गोलगप्पे का स्वाद चखते नजर आए। गोलगप्पे मुंह में आते ही स्मृति ईरानी ने ठेले वाले से पूछा- भैया तीखा है या मीठा? मुझे हल्का मीठा दीजिए। कुशवाहा ने कहा- आगे भी नीतीश कुमार ही CM रहेंगे वहीं, उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि प्रथम चरण के मतदान में एनडीए सभी सीटों पर बढ़त बना चुकी है। नीतीश कुमार पहले भी मुख्यमंत्री थे, आज भी हैं और आगे भी मुख्यमंत्री रहेंगे। जंगलराज पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि यह शब्द विपक्ष को नहीं, न्यायालय ने दिया था। जनता से अपील करते हुए उन्होंने कहा कि NDA को वोट दें ताकि बिहार में फिर से जंगलराज नहीं लौटे। सम्राट बोले-जंगलराज में सड़कें ओम पूरी के गाल जैसी थीं डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने आरजेडी पर तंज कसते हुए कहा कि लालू यादव ने कहा था कि बिहार की सड़कें हेमा मालिनी के गाल जैसी होंगी, लेकिन उनकी सरकार में सड़कें ओम पुरी के गाल जैसी बन गईं थी। पता ही नहीं चलता था कि सड़क में गड्ढा है या गड्ढे में सड़क है। उन्होंने कहा कि एनडीए सरकार ने पिछले सालों में विकास की वह तस्वीर पेश की है, जिसकी कल्पना पहले संभव नहीं थी। सम्राट चौधरी शनिवार को पूर्वी चंपारण के चिरैया विधानसभा क्षेत्र के बारा जयराम मैदान में एनडीए प्रत्याशी लालबाबू गुप्ता के समर्थन में आयोजित जनसभा में ये बातें कही। वहीं, चुनावी जनसभा करने के बाद पटना लौटी बीजेपी नेता स्मृति ईरानी आर ब्लॉक पहुंचीं, जहां नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ गोलगप्पे खाए।
योग निद्रा से भगवान विष्णु के जागने के साथ ही 4 महीने बाद मांगलिक कार्य शुरू हो गए हैं। वहीं, नवंबर का महीना खरीदारी और शुभ कार्यों के लिए भी खास रहेगा। इस माह 13 दिन विभिन्न योग रहेंगे। इनमें किए गए कार्य व खरीदी का विशेष महत्व रहेगा। इसमें से 5 दिन ऐसे होंगे, जब 2 या 3 योग एक ही दिन रहेंगे। जबकि 7 सर्वार्थ सिद्धि, 1 अमृत सिद्धि, 5 रवि योग, 1 राज योग और 2 कुमार योग आएंगे। भास्कर नॉलेज : राजयोग व्यक्ति को राजा जैसा जीवन जीने का देता है अवसर भास्कर एक्सपर्ट : सर्वार्थ सिद्धि योग में सोना, चांदी और वाहन खरीदें अमृत सिद्धि योग में: कपड़े और सजावटी वस्तुएं खरीदें रवि योग में वाहन और ताबे के आभूषण राज योग में हीरा खरीदना दिलाएगा राजा जैसा वैभवराज योग में हीरा खरीदना राजा जैसा वैभव प्राप्त हो सकता है। इसके साथ ही सोना, नया वाहन और भूमि व घर भी लेना शुभ व मंगलदायी रहता है। (ज्योतिषाचार्य रामवतार मिश्र व पं. पवन शर्मा )
तस्करी की नई ट्रिक:ट्रैक्टर के ट्यूबलेस टायरों व डिस्क के बीच भरकर ले जा रहे थे डोडा चूरा
मादक पदार्थ को सप्लाई करने के लिए तस्कर आए दिन नई ट्रिक आजमा रहे हैं। ताजा मामले में बिना नंबर वाले ट्रैक्टर के टायर व डिस्क के बीच में से 150 किलो डोडा चूरा बरामद हुआ। नारायणगढ़ टीआई राजेंद्र कुमार पंवार ने बताया ट्रैक्टर के ट्यूबलेस टायरों में स्कीम बनाकर तस्करी की वारदात को अंजाम देने की कोशिश हो रही थी। ट्रैक्टरों के टायरों से कुल 150 किलो डोडा चूरा मिला। टीआई पंवार ने बताया पुलिस टीम ने मुखबिर की सूचना पर खेजड़ी फंटे के पास ईरली रोड स्थित कुएं के पास ये कार्रवाई की। एक बिना नंबर के ट्रैक्टर को रोका गया। जांच में ट्रैक्टर के पीछे वाले ट्यूबलेस टायरों में बनी स्कीम में से प्लास्टिक की थैलियों में डोडा चूरा निकाला। इसे जब्त कर आरोपियों पर एनडीपीएस एक्ट में कार्रवाई की गई। आरोपियों ने पूछताछ में अपनी पहचान रतलाम जिले के कराड़िया थाना बरखेड़ाकला निवासी मांगीलाल (26) पिता जगदीश पाटीदार व ग्राम साखतली थाना सीतामऊ निवासी विक्रम उर्फ विनोद (35) पिता भंवरलाल पाटीदार होना बताई। आरोपियों से दो मोबाइल भी जब्त किए गए हैं। मामले में तस्करी के नेटवर्क को लेकर जांच की जा रही है। पुलिस पकड़े गए दोनों आरोपियों से पूछताछ कर रही है। नीमच : सीमेंट-कांक्रीट मिक्सर से 1145 किलो डोडा चूरा जब्त सीबीएन (सेंट्रल ब्यूरो ऑफ नारकोटिक्स) की पी एंड आई सेल जावरा ने मादक पदार्थों की तस्करी के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए माननखेड़ा टोल जिला रतलाम के पास एक कांक्रीट मिक्सर काे डोडा चूरा तस्करी करते पकड़ा। टीम ने 1145 किलो डोडा चूरा एवं वाहन जब्त कर एक आरोपी को गिरफ्तार किया। अधिकारियों को सूचना मिली थी कि गुजरात के पंजीकरण वाला एक कांक्रीट मिक्सर ट्रक वाहन में डोडा चूरा छिपाकर मनासा से जोधपुर की ओर ले जाया जाएगा। अधिकारियों ने एक टीम का गठन किया। टीम ने संदिग्ध मार्ग की निगरानी रखी। वाहन को जावरा-नयागांव टोल प्लाजा ग्राम माननखेड़ा जिला रतलाम में रोका। तलाशी लेने पर कांक्रीट मिक्सर ड्रम में भरा 1145 किलो डोडाचूरा मिला। टीम आगे की कार्रवाई कर रही है।
खेसारी लाल की चरण वंदना से हाहाकार:PM का कट्टे पर ट्रोलिंग लेवल हाई, CM की माला से धंस गया मंच!
यह बात खरी है... इसमें आप देखेंगे बिहार के नेताओं और अफसरों के बीच अंदरखाने क्या चल रहा है, और दिनभर की ऐसी बड़ी हलचल जो आपको हंसाएगी भी और जिम्मेदारों को आइना भी दिखाएंगी। ऊपर VIDEO पर क्लिक करें...
1. बीजेपी और LJP(R) की सीटों पर तीर ही लालटेन और लालटेन ही तीर है। 2. चुनाव बाद VIP पार्टी के मुकेश सहनी महागठबंधन छोड़कर NDA में चले जाएंगे। बिहार के सियासी गलियारों में फिलहाल ये दो चर्चाएं गर्म हैं। दबे मुंह लोग फुस-फुसा रहे हैं, जिसे अंग्रेजी में कॉन्सपिरेसी थ्योरी कहते हैं। अब ये सच है या झूठ हम दावा नहीं करते हैं, लेकिन चर्चा तो है। ऐसी ही कॉन्सपिरेसी थ्योरी पर आधारित सीरीज ‘सच्चा झूठ’ में जानिए बिहार से जुड़ी दो बड़ी सियासी चर्चाएं... कॉन्सपिरेसी-1: बीजेपी और LJP की सीटों पर ‘तीर ही लालटेन, लालटेन ही तीर’ जब से सीटों का बंटवारा हुआ है, तब से कई लोग एक बात पर दबे मुंह चर्चा कर रहे हैं कि चुनाव में JDU और RJD के बीच सेटिंग हो गई है। सेटिंग माने कि जहां-जहां NDA की तरफ से बीजेपी और LJP(R) लड़ रही वहां लालटेन को वोट देना है और महागठबंधन में जहां-जहां कांग्रेस और VIP लड़ रही, वहां JDU को वोट करना है। कई लोग तो यह भी कहने लगे हैं कि चुनाव बाद फिर से खेला हो सकता है। पहले फेज की वोटिंग के दिन ये चर्चा और जोर पकड़ ली। जो लोग दबे मुंह तीर ही लालटेन और लालटेन ही तीर कह रहे थे, वे खुलकर सोशल मीडिया पर लिखने-बोलने लगे। सोशल मीडिया पर भी चर्चा छिड़ गई। आम लोगों की बात तो छोड़िए RJD और JDU तक को मैदान में उतरना पड़ गया। दरअसल, 6 नवंबर की सुबह साढ़े 10 बजे RJD के X हैंडल से एक पोस्ट शेयर किया गया। जिस पर लिखा था- ‘जहां कमल और हेलिकॉप्टर है, वहां लालटेन ही तीर है और तीर ही लालटेन है... बीजेपी लोजपा को हराओ…’ आरजेडी के इस पोस्ट के बाद तो सोशल मीडिया की बात ग्राउंड तक पहुंचने लगी। काना-फूसी लोगों की चर्चा में बदल गई। यूट्यूबर वीडियो बनाने लगे। आखिरकार कुछ देर बाद JDU को बचाव में उतरना पड़ा। JDU के ऑफिशियल X हैंडल से RJD की इस पोस्ट को शेयर करते हुए लिखा गया-‘टूटे-फूटे लालटेन के सहारे सत्ता का दिवास्वप्न देख रहे इस ठगबंधन में न कभी कोई स्वीकार्य नेता रहा है, न नीयत। इन लालची बंदरों के चक्कर में अपना वोट बर्बाद न करें, अपना वोट बिहार के विकास के लिए दें। अब रुझान नहीं, परिणाम आने वाला है, वो भी NDA के प्रचंड बहुमत के साथ।’ लोग तो कह रहे हैं कि भले JDU ने सबकुछ खारिज कर दिया पर, अंदरखाने कुछ तो चल रहा है। चुनाव बाद खेला हो सकता है। अब ये सच है कि झूठ हम नहीं जानते, लेकिन चर्चा तो चल ही रही है। कॉन्सपिरेसी-2: चुनाव बाद मुकेश सहनी महागठबंधन छोड़कर NDA में चले जाएंगे। बिहार के सन ऑफ मल्लाह कहे जाने वाले मुकेश सहनी अब फिर से चर्चा में हैं। कहा जा रहा है कि वे फिर से पाला बदलने की तैयारी में हैं। चर्चा है कि चुनाव के बाद वे NDA का दामन थाम सकते हैं। लोग कह रहे हैं कि मुकेश सहनी महागठबंधन में रहते हुए भले ही 15 सीट और डिप्टी सीएम का पद का वादा ले लिए, लेकिन अपने छोटे भाई को चुनाव नहीं लड़ा पाए। दरअसल, महागठबंधन में सीट शेयरिंग के बाद दरभंगा की गौड़ाबौराम सीट मुकेश सहनी की VIP के हिस्से आई थी, लेकिन RJD पहले ही अफजल अली खान को इस सीट के लिए सिंबल दे चुकी थी। इसके बावजूद सहनी ने छोटे भाई और VIP के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष सहनी को यहां से चुनावी मैदान में उतारा। इसके बाद तेजस्वी यादव और RJD के नेताओं ने अफजल को चुनाव न लड़ने के लिए कहा, लेकिन वे नहीं माने। अफजल के बागी तेवरों को देखते हुए RJD ने उन्हें 3 नवंबर को पार्टी से 6 साल के लिए निकाल दिया। वहीं तेजस्वी यादव ने एक वीडियो जारी कर संतोष सहनी के पक्ष में वोट देने की अपील भी की। हालांकि वोटिंग से ठीक पहले मुकेश सहनी ने गौड़ाबौराम सीट छोड़ने का फैसला किया। 4 नवंबर को उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में RJD के अफजल खान को समर्थन देने का ऐलान किया। मुकेश सहनी ने एक फेसबुक पोस्ट में लिखा, ‘कभी–कभी अपने बड़े लक्ष्य के लिए बड़ी कुर्बानियां देनी पड़ती हैं।’ इसके बाद से कहा जाने लगा कि जिस महागठबंधन में रहते हुए मुकेश सहनी अपने छोटे भाई और VIP के राष्ट्रीय अध्यक्ष तक को चुनाव नहीं लड़ा पाए, वो अब क्यों ही महागठबंधन में बने रहेंगे। चर्चा है कि ये मुद्दा अब मुकेश सहनी की इज्जत का सवाल बन गया है। 28 अक्टूबर को जब मुकेश सहनी से पूछा गया कि क्या चुनावी नतीजे आने के बाद VIP महागठबंधन छोड़कर NDA में शामिल हो जाएगी, तब सहनी ने जवाब दिया कि हमारा फैसला पार्टी के हित में होगा। समाज के हित में होगा। सहनी के इस बयान के बाद से कयास लगाए जा रहे हैं कि वे चुनाव बाद वे NDA में जा सकते हैं। एक बात और बता दें कि मुकेश सहनी के गृहमंत्री अमित शाह से अच्छे संबंध हैं। खैर... अब चुनाव बाद ही पता चलेगा कि क्या होने वाला है। फिर से बताए दे रहे हैं… ये सब चर्चा हैं सिर्फ चर्चा… सच है कि झूठ… हम दावा नहीं कर रहे। **** क्या आप हैं बिहार की राजनीति के एक्सपर्ट? खेलिए और जीतिए 2 करोड़ तक के इनाम बिहार की राजनीति से जुड़े 5 आसान सवालों के जवाब दीजिए और जीतिए 2 करोड़ तक के इनाम। रोज 50 लोग जीत सकते हैं आकर्षक डेली प्राइज। लगातार खेलिए और पाएं लकी ड्रॉ में बंपर प्राइज सुजुकी ग्रैंड विटारा जीतने के मौके। चुनावी क्विज अभी खेलने के लिए यहां क्लिक करें - https://dainik.bhaskar.com/GXiUvc8h3Wb
मैं सिर्फ एक नाम नहीं, एक भौगोलिक पहचान नहीं। मैं समय का वह किनारा हूं, जिस पर सदियों से सभ्यताओं, सल्तनतों को बनते-बिखरते देखा है। मैं वह धरती हूं, वह 'टाल' का सन्नाटा हूं, गंगा की वह शांत धारा हूं, जिसने युगों से इंसानी फितरत के हर रंग को देखा है। मेरी छाती पर बहती गंगा ऊपर से शांत दिखती है, लेकिन जानती है कि मेरे 'टाल' की हवा में दाल की खुशबू से ज्यादा बारूद की गंध क्यों घुली है? आज आप मेरी कहानी सुनना चाहते हैं। मेरी कहानी किसी एक दशक या एक गैंगवार से नहीं, परशुराम के समय से शुरू होती है… मेरी यादें गहरी हैं। मैं गवाह हूं उस त्रेता युग का, जब भार्गव पुत्र परशुराम मेरे तटों पर रहे। अपने तपोबल से मृत गाय को जिंदा कर दिया। यहीं से मेरी आध्यात्मिक पहचान बनी। मुझे 'परशुराम नगरी' कहा जाने लगा। और मेरा नाम? 'मोकामा'। इसके भी कई अर्थ हैं। मैं मुगल काल में सैनिकों का 'मुकाम' (पड़ाव) था। जहां से गंगा पार कर लोग उत्तर से दक्षिण बिहार जाते थे। इसी मुकाम को लोग मोकामा कहने लगे। मैं सिर्फ तपोभूमि नहीं, साम्राज्यों का संगम भी था। मैं वह त्रिवेणी था, जहां प्राचीन मगध, अंग और मिथिला की सीमाएं मिलती थीं। मैंने अजातशत्रु की लालसा, बुद्ध का मौन और मौर्यों की विजय पताका देखी है। मैं वह चौराहा था, जहां से इतिहास करवट लेता था। सदियां बीतीं। पौराणिक काल से निकलकर मैं मध्यकाल और फिर आधुनिक इतिहास के पन्नों पर दर्ज हुआ। जब सिंह राजवंश का पतन हुआ, तो उनके वंशजों ने मोकामा के 'धर' नाम की जगह पर आकर एक नई शुरुआत की। उन्होंने 'सरमेरा एस्टेट' की स्थापना की। मेरी मिट्टी पर एक बार फिर समृद्धि और शासन का दौर लौटा, लेकिन पश्चिम से एक नया तूफान उठा- ईस्ट इंडिया कंपनी। अंग्रेजों की गिद्ध दृष्टि मेरी संपदा पर पड़ी। उन्होंने सरमेरा एस्टेट पर भारी टैक्स लगाने चाहे। मेरे शासकों, जिन्होंने कभी किसी के आगे सिर नहीं झुकाया, उन्होंने अंग्रेजों को मनमाने टैक्स देने से इनकार कर दिया। यह विद्रोह का पहला स्वर था। कंपनी ने रियासत हड़पने की तैयारी कर ली। तभी, एक और यूरोपीय ताकत ने दस्तक दी। डच ईस्ट इंडिया कंपनी के गवर्नर-जनरल, पीटर बोथ ने सरमेरा के तत्कालीन शासक भीम लाल सिंह को संधि प्रस्ताव भेजा। बदले में अंग्रेजों से बचाने का वादा किया। कहा- हम आपसे 10% टैक्स लेंगे। आपको डच ईस्ट इंडिया कंपनी के उत्तरी भारत का प्रतिनिधि घोषित करेंगे। यह एक आकर्षक प्रस्ताव था, लेकिन भीम लाल सिंह ने विदेशी ताकत के आगे झुकने से इनकार कर दिया। नतीजा वही हुआ, जिसका डर था। ईस्ट इंडिया कंपनी ने हमला बोल दिया। मेरे सीने पर बने भव्य किलों और महलों को तोप से उड़ा दिया गया, उन्हें खंडहर में बदल दिया गया। सरमेरा एस्टेट का पतन हो गया। राजपरिवार को जान बचाने के लिए जंगलों में भागना पड़ा। अंग्रेजों ने मेरे महत्व को समझा। मेरे सीने पर एक 'बड़ा जंक्शन' बनाया। ऐसा रेल नेटवर्क बिछाया, जिसने मुझे एक बार फिर व्यापार का केंद्र बना दिया। आजादी के बाद भी मेरा शहर समृद्ध था। आस-पास के सभी क्षेत्रों में सबसे एडवांस इलाका कहलाता था। मेरे पास भारत तमिल हॉस्पिटल और सीमेंट रैक पॉइंट था। बाजार भरे-पूरे रहते थे। मेरा 'टाल' दाल का कटोरा कहा जाता था। मेरे मेहनती किसान इस इलाके को धन-धान्य से पूर्ण रखते थे। और फिर 1990 का दशक आया। जैसे इस इलाके को किसी की बुरी नजर लग गई। मेरी इस नई कहानी की शुरुआत राजनीति की उस गोद में हुई, जहां अपराध को 'बाहुबल' का नाम देकर पाला-पोसा गया। यह 1980 का दशक था। यहां कांग्रेस के श्याम सुंदर सिंह धीरज का सिक्का चलता था। 1980 और 1985 तक वे लगातार विधायक बने, मंत्री भी रहे। सत्ता को सड़क पर चलाने के लिए 'बाहुबल' की जरूरत होती है। धीरज के करीबी के तौर पर एक नाम उभर रहा था- दिलीप सिंह। वह अनंत सिंह के बड़े भाई थे। लोग उन्हें 'बड़े सरकार' कहकर बुलाते थे। दिलीप सिंह ने सत्ता के इस खेल को धीरज की छांव में रहकर बहुत करीब से सीखा। 1985 में दिलीप सिंह ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और उन्हें अच्छा वोट आया। 1989 के एक 'अपमान' के बाद दिलीप सिंह और धीरज के रास्ते अलग हो गए। 1990 का विधानसभा चुनाव मेरे लिए सिर्फ एक चुनाव नहीं, एक तख्तापलट था। शिष्य ने गुरु को चुनौती दे दी। दिलीप सिंह जनता दल के टिकट पर उतरे और जीत गए। मेरे लोगों ने, जैसा कि हरे कृष्ण सिंह कहते हैं, ‘अच्छे-अच्छे उम्मीदवारों के रहते हुए भी, एक अपराधी-राजनेता को जिताया।’ यह मेरी नियति का पहला बड़ा मोड़ था। धीरज का 10 साल का वर्चस्व टूट चुका था। दिलीप सिंह अब सिर्फ 'बड़े सरकार' नहीं, बल्कि लालू प्रसाद यादव की सरकार में मंत्री भी थे। मैंने देखा कि कैसे राजनीतिक संरक्षण ने एक 'बाहुबली' को विधायक बना दिया था। यह वह बीज था, जिससे 'जंगलराज' का विशाल पेड़ उगने वाला था। 90 का दशक मेरे लिए सबसे भयावह दौर लेकर आया। अब लड़ाई सिर्फ राजनीतिक वर्चस्व की नहीं थी। अब लड़ाई थी अकूत पैसे की। मेरी छाती पर दो बड़े खजाने खुल रहे थे। NTPC बाढ़ थर्मल पावर प्लांट और रेलवे के ठेके। ये ठेके सोने की खदानें थीं। इनपर कब्जे के लिए मेरे सीने पर गोलियां चलीं। 'बड़े सरकार' (दिलीप सिंह) के साये से निकलकर एक और नाम अब अपनी आजाद पहचान बना रहा था- सूरजभान सिंह। सूरजभान अभी अपराध की दुनिया में अपने कदम जमा ही रहे थे कि उनके भाई मोती सिंह की हत्या हो गई। इस हत्या का आरोप बेगूसराय के कुख्यात बाहुबली अशोक सम्राट पर लगा। मोकामा दो गुटों के बीच का रणक्षेत्र बन गया। ठेकों की लड़ाई रतन सिंह (रीता कंस्ट्रक्शन) और रामलखन सिंह के बीच थी। अशोक सम्राट ने रतन सिंह का पक्ष लिया तो रामलखन ने सूरजभान को अपने खेमे में कर लिया। यह सिर्फ दो ठेकेदारों की लड़ाई नहीं थी। यह दो गिरोह के बीच मेरे 'टाल' पर कब्जे की जंग थी। मैंने वह भी देखा जो बिहार पुलिस ने तब तक नहीं देखा था। कहते हैं, अशोक सम्राट ने पुलिस से पहले AK-47 राइफल हासिल कर ली थी। इससे उसकी ताकत बढ़ी। अब देसी कट्टों का दौर खत्म हो गया था। अत्याधुनिक हथियारों का समय था। इसी टकराव में एक दिन सूरजभान पर AK-47 से हमला हुआ। गोलियों की तड़तड़ाहट से मेरा कलेजा कांप गया। सूरजभान तो बच गए, लेकिन उनके चचेरे भाई और गैंग शूटर मारे गए। इससे खुली जंग शुरू हो गई। 1992 में बेगूसराय में हुए रामी सिंह हत्याकांड में सूरजभान का नाम आया। खून का बदला खून से लिया जाने लगा। मेरी मिट्टी रोज लाल हो रही थी। जब मेरे 'टाल' पर गोलियां चल रही थीं तब मेरी समृद्धि दम तोड़ रही थी। फैक्ट्रियां बंद हो रही थीं। भारत तमिल हॉस्पिटल बंद हो गया। सीमेंट रैक पॉइंट उजड़ गया। मैं राजनीति का शिकार हो गया। सरकारें बदलीं, लेकिन मेरे लिए कुछ नहीं किया, सिर्फ सरकारी विभागों में लूटपाट मची रही। मेरे मेहनती किसानों की भी स्थिति खराब हो गई। टाल जो कभी दाल का कटोरा था, अब कभी जल-जमाव तो कभी सूखे से जूझने लगा। लोगों को काम मिलना बंद हो गया। भुखमरी और बेरोजगारी ने घरों में डेरा डाल दिया। मेरी राजनीति? वह और भी स्याह हो गई सूरजभान सिंह समझ चुके थे कि असली ताकत बंदूक के साथ-साथ 'माननीय' के तमगे में है। 2000 के विधानसभा चुनाव में सूरजभान ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अपने पुराने आका दिलीप सिंह को हरा दिया। 26 आपराधिक मामलों में आरोपी सूरजभान अब मेरा विधायक था। 2002 और 2003 मेरी रूह कंपा देने वाले थे। मैंने नागा सिंह और नटा सिंह के बीच का भीषण गैंगवार देखा। दोनों रंगदारी, अपहरण और बचे-खुचे ठेकों पर नियंत्रण के लिए लड़ रहे थे। 2002: जनजीरा दियारा में गोलीबारी हुई। नागा गैंग का अरुण बिंदा मारा गया। 3 लोग लापता हो गए। मेरे यहां 'लापता' का मतलब मौत। 2002: दिलीप सिंह और संजू मारे गए। 2003: नटा सिंह पुलिस एनकाउंटर में मारा गया। इसके बाद पुलिस ने 'ऑपरेशन क्लीन' शुरू किया। नागा गैंग के 7 बदमाश (गोपाल मारवाड़ी, नेपाली, मोती, गुड्डू, सिंटू, जितेंद्र, सोचन) ढेर कर दिए गए। NTPC बाढ़ की चिमनियों से उठते धुआं की तरह मेरे लोगों की चिताओं से धुआं उठ रहा था। मैं जल रहा था। सत्ता इस आग पर अपनी रोटियां सेंक रही थी। जब एक 'डॉन' राजनीति में स्थापित होता है तो दूसरा उसकी जगह लेने आता है। 2005 में मेरी धरती पर एक नए 'सरकार' का उदय हुआ। यह 'बड़े सरकार' (दिलीप सिंह) का छोटा भाई था अनंत सिंह। लोग उसे 'छोटे सरकार' कहने लगे। मैंने अनंत सिंह का वह रूप भी देखा है, जिसके बारे में लोग कम बात करते हैं। वह कम उम्र में घर से साधु बनने निकला। अयोध्या-हरिद्वार के चक्कर काटे, लेकिन नियति ने उसके लिए गेरुआ नहीं, खून का लाल रंग चुना था। 1986 में उसके बड़े भाई बिरंची सिंह (जिनका अपराध से वास्ता नहीं था) की हत्या हो गई। अनंत वापस लौटा। लोग कहते हैं, उसने अपने भाई के हत्यारे को ईंट-पत्थर से कूंचकर मार डाला। यह उसका पहला बदला था। फरवरी 2005 में अनंत सिंह ने पहली बार मोकामा से चुनाव जीता। और फिर 2010, 2015, 2020... वह लगातार चुनाव जीतते रहे। 2020 के चुनावी हलफनामे के मुताबिक, उस पर 38 आपराधिक मामले (7 हत्या, 11 हत्या का प्रयास, 4 अपहरण) दर्ज थे। दिलीप सिंह, सूरजभान सिंह और अब पिछले 20 साल से अनंत सिंह... मेरे लोगों ने बाहुबली नेताओं को ही अपना विधायक चुना। ये लोग, जो कभी कुछ नहीं थे, आज अरबों की संपत्ति बना कर बैठे हैं, लेकिन मुझे क्या दिया? सिर्फ हिंसा की आग। मेरे लिए यह एक अजीब पहेली थी। लोग उससे डरते थे, फिर भी उसे चुनते थे। रिसर्चर मिलन वैष्णव ने शायद सही समझा था- यहां मतदाता अनंत के अपराधों से वाकिफ थे, लेकिन उन्हें लगता था कि सिर्फ वही उनके हितों की रक्षा कर सकते हैं। मैंने 2007 में उसका वह रूप भी देखा, जब रेशमा खातून हत्या-उत्पीड़न केस में सवाल पूछने आए NDTV और ANI के पत्रकारों को सरकारी बंगले में बंधक बना लिया था। खौफ ऐसा था कि नेशनल मीडिया भी कांप गया। 'छोटे सरकार' के राज में भी उसे चुनौती देने वाला एक शख्स था विवेका पहलवान (विवेका सिंह)। यह मेरे इतिहास की सबसे लंबी, सबसे निजी और सबसे खूनी लड़ाई है। यह लड़ाई मोकामा के लदमा गांव के दो परिवारों के बीच थी। एक तरफ अनंत सिंह, दूसरी तरफ विवेका पहलवान। रिश्ते में दोनों चाचा-भतीजा लगते थे, लेकिन दुश्मनी ऐसी कि दशकों तक दोनों तरफ से लाशें बिछती रहीं। विवेका को अनंत के बड़े भाई फाजो सिंह (वकील) की 2008 में पटना के महादेव शॉपिंग कॉम्प्लेक्स के बाहर हुई हत्या में संलिप्त माना गया। इससे पहले 2006 में विवेका के करीबी संजीत पहलवान की पटना के बेऊर में गोली मारकर हत्या कर दी गई। शक अनंत गैंग पर था। यह दुश्मनी 2009 में अपने चरम पर पहुंची। विवेका के भाई संजय सिंह ने अनंत के लदमा स्थित घर पर हमला बोल दिया। अनंत को उसी के घर में गोली मारी गई। मैंने वह मंजर भी देखा जब अनंत सिंह को घायल हालत में ठेले पर लादकर अस्पताल ले जाया गया। अनंत का काफी खून बह गया था। डॉ. प्रसाद ने कहा, 'खून काफी बह चुका है और अनंत सिंह की इंजरी बहुत क्रिटिकल है। बचाना मुश्किल है…।' इतना सुनते ही अनंत के भाई दिलीप सिंह ने डॉक्टर की कनपट्टी पर पिस्तौल रख कर कहा, 'ऐसे कैसे बचाना मुश्किल है। अगर हमरे भाई को कुछ हुआ तो तू भी अपने परिवार का मुंह नहीं देख सकेगा डॉक्टर।' यह 'छोटे सरकार' का अंत नहीं था। अनंत बच गए और बदला लिया गया। उसी साल संजय सिंह की पटना में हत्या हो गई। यह एक अंतहीन महाभारत थी, जो लदमा की गलियों से शुरू होकर पटना की सड़कों तक लड़ी जा रही थी। वक्त बदला। सत्ता बदली। अनंत सिंह का दबदबा कायम रहा, लेकिन कानून का शिकंजा भी कसता रहा। अगस्त 2019 में पुलिस ने अनंत सिंह के लदमा वाले घर पर छापा मारा। जो मिला, उससे सब सन्न रह गए। एक AK-47 राइफल, ढेरों कारतूस और दो हैंड ग्रेनेड। जिस AK-47 ने 90 के दशक में मेरे यहां गैंगवार शुरू किया था, वही हथियार अब 'छोटे सरकार' की मुश्किल का कारण बन रहा था। 2022 में उसे 10 साल की सजा सुनाई गई। विधायकी चली गई, लेकिन 'छोटे सरकार' का दबदबा खत्म नहीं हुआ। 2022 के उपचुनाव में अनंत सिंह ने जेल से ही अपनी पत्नी नीलम देवी को जिता दिया। अनंत सिंह के जेल जाने के बाद पैदा हुए शून्य को भरने के लिए नए अपराधी सामने आए। मैंने सोनू-मोनू गैंग का उभार देखा। यह नई पीढ़ी थी, जो विवेका पहलवान के करीबी बताए गए। जनवरी 2025, नौरंगा जलालपुर गांव। दिन के उजाले में 60 से ज्यादा राउंड फायरिंग हुई। एक तरफ अनंत के समर्थक, दूसरी तरफ सोनू-मोनू गैंग के लोग थे। विवाद एक ईंट भट्टे और मकान पर कब्जे का था। सोनू ने वीडियो जारी कर अनंत को सीधी धमकी दी। कहा, ‘मैं 34 साल का हूं, अनंत 68 के ऊपर। वो हमारी फायरपावर से कैसे मुकाबला करेंगे?’ मेरी छाती पर लड़ाई का एक नया चैप्टर शुरू हो चुका था। पुरानी दुश्मनी को नई उम्र के लड़के लड़ रहे थे। बिहार में हो रहे विधानसभा चुनाव के बीच एक बार फिर मोकामा सुर्खियों में है। दुलारचंद यादव हत्याकांड में मोकामा विधायक और जदयू प्रत्याशी अनंत सिंह बेऊर जेल में बंद हैं। चुनावी मैदान में उनका मुकाबला सूरजभान सिंह से है। सूरजभान की पत्नी वीणा देवी राजद उम्मीदवार हैं। 6 नवंबर को यहां मतदान हुआ। अब 14 नवंबर का इंतजार है। इसी दिन वोटों की गिनती होगी और नतीजे आएंगे। 1 लाख हेक्टेयर जमीन पर फैला है मोकामा टाल मोकामा टाल 1 लाख हेक्टेयर से ज्यादा जमीन पर फैला है। यह इलाका ऐसा है जहां बारिश के दिनों में गंगा नदी का पानी भर जाता है। यह जमीन बेहद उपजाऊ है। दाल की ज्यादा खेती के चलते इलाके को दाल का कटोरा भी कहा जाता है। इस क्षेत्र में बड़ी मात्रा में मसूर, चना और मटर की खेती होती है।
बिहार में पहले चरण की 121 विधानसभा सीटों पर 6 नवंबर को रिकार्ड 65.08% वोटिंग हुई। न कहीं गोली चली, न बम फूटे। इसका बड़ा श्रेय चुनाव आयोग को सुरक्षा के सख्त इंतजाम के लिए मिला। बिहार में चुनाव के लिए CAPF की 1650 कंपनियां तैनात हैं। स्ट्रॉग रूम की सुरक्षा CISF के जवान कर रहे हैं। वहीं, बीजेपी शासित गुजरात, उत्तर प्रदेश समेत 14 BJP या NDA शासित राज्यों से 14560 से ज्यादा जवानों को बुलाया गया है। भास्कर की रिपोर्ट में जानें, किन राज्यों से सुरक्षा बलों की कंपनियां आईं हैं? इनमें भाजपा और NDA की सरकार वाले राज्यों की हिस्सेदारी कितनी है? 11 नवंबर को दूसरे चरण की 122 सीटों पर मतदान होगा। सभी विधानसभा क्षेत्रों में सुरक्षा के सख्त इंतजाम हैं। मतदान के दिन बूथों पर 3 लेयर वाली सिक्योरिटी होगी। अत्याधुनिक हथियारों से लैस सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्स (CAPF) के जवान मोर्चा संभालेंगे। बिहार में CAPF की 1650 कंपनियां तैनात बिहार में शांतिपूर्ण तरीके से चुनाव कराने के लिए CAPF की 1650 कंपनियों की तैनाती की गई है। इसमें 1332 कंपनियां CRPF, BSF, CISF, ITBP और SSB की हैं। बाकी की 273 कंपनियां 21 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से आई आर्म्ड पुलिस फोर्स की हैं। इसमें भाजपा व उसके गठबंधन शासित 14 राज्यों की 208 कंपनियां शामिल हैं। इसमें 14 हजार से अधिक जवान शामिल हैं। CAPF के तहत ये बूथों पर सुरक्षा की कमान संभालेंगे। बूथों के साथ-साथ दूसरे फेज के सभी जिलों में बनाए गए चेक पोस्ट पर भी ये जवान मौजूद हैं और कड़ी चौकसी बरत रहे हैं। इन्हें चेक पोस्ट से गुजरने वाली सभी गाड़ियों की सख्ती से चेकिंग और हर संदिग्ध पर विशेष नजर रखने का आदेश दिया गया है। दो तरह के सेक्शन संभालेंगे बूथ बिहार पुलिस मुख्यालय के अनुसार बूथों पर सुरक्षा के लिए दो तरह के इंतजाम किए गए हैं। CAPF के जवानों की तैनाती दो तरह के सेक्शन में होगी। बड़े बूथों पर पूरा एक सेक्शन होगा। इसमें 1 अफसर के साथ हथियारों से लैश CAPF के 8 जवान होंगे। छोटे और कम वोटर्स वाले बूथों पर हाफ सेक्शन होगा। इसमें 1 अफसर के साथ 4 जवान होंगे। होमगार्ड, ट्रेनिंग ले रहे सिपाही और चौकीदार भी तैनात बूथों पर बिहार होमगार्ड, बिहार पुलिस में ट्रेनिंग ले रहे 19 हजार सिपाही और चौकीदार की भी तैनाती की गई है। बिहार पुलिस मुख्यालय के अनुसार इन्हें उनके अपने विधानसभा क्षेत्र के बूथों पर तैनात नहीं किया गया है। मतदाताओं को लाइन में लगाने और आगे बढ़ाते रहने की जिम्मेदारी इनकी होगी। स्ट्रांग रूम की सुरक्षा कर रहे CISF के जवान पहले चरण के मतदान के बाद EVM को जिला मुख्यालयों में बने स्ट्रांग रूम में रखा गया है। दूसरे फेज के मतदान के बाद भी ऐसा ही होगा। स्ट्रांग रूम की सुरक्षा के लिए CISF के जवान तैनात हैं। स्ट्रांग रूम के अंदर की पूरी सुरक्षा इनके हवाले हैं। वोटिंग के बाद स्ट्रांग रूम में EVM लाने के दौरान सुरक्षा की जिम्मेदारी भी CISF को सौंपी गई है। पुलिस मुख्यालय के कंट्रोल रूम से रखी जा रही नजर चुनाव को लेकर बिहार पुलिस मुख्यालय में DGP का कंट्रोल रूम काम कर रहा है। इसका इस्तेमाल कमांड सेंटर के रूप में हो रहा है। 6 नवंबर को फेज वन के मतदान के दौरान यहां से सभी 121 सीटों पर नजर रखी गई। 11 नवंबर को दूसरे चरण के लिए वोटिंग के दौरान भी ऐसा होगा। 14 नवंबर को वोटों की गिनती के समय भी पुलिस मुख्यालय द्वारा इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस के जरिए कड़ी निगरानी रखी जाएगी। कमांड सेंटर में 1 SP और 3 डीएसपी को निगरानी करने की जिम्मेवारी दी गई है। पहले फेज में जहां चुनाव हुए, वहां के स्ट्रॉन्ग रूम की सुरक्षा में सुरक्षा बलों की 8.2 कंपनियों को लगाया गया है। वहीं, 5 कंपनियों को रिजर्व के रूप में रखा गया है। जरूरत के अनुसार इनकी तैनाती होगी। फोर्स बुलाने का क्या है नियम? चुनाव आयोग दूसरे राज्यों से सुरक्षा बलों को बुलाता है भारत के संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत चुनाव आयोग को राज्यों में चुनाव कराने की शक्ति मिली है। इसके लिए आयोग द्वारा राज्य और केंद्र सरकार के संसाधनों का इस्तेमाल किया जाता है। बिहार के उदाहरण से समझें तो यहां CAPF की 1650 कंपनियां बुलाई गईं हैं। चुनाव आयोग के अधिकारी पहले यह आकलन करते हैं कि चुनाव कराने के लिए कितने सुरक्षा कर्मी चाहिए। कितने जवानों को बाहर से बुलाना होगा। राज्य के बाहर से बुलाए जाने वाले जवानों में सबसे अधिक अर्धसैनिक बलों से होते हैं। इसके बाद आर्म्ड पुलिस फोर्स के जवानों को बुलाया जाता है। दूसरे राज्यों से जवान बुलाने में इस बात का ध्यान रखा जाता है कि उस राज्य में कानून-व्यवस्था और सुरक्षा की क्या स्थिति है। जिस राज्य में पहले से सुरक्षा के लिए अधिक जवान चाहिए वहां से चुनाव कराने के लिए ज्यादा जवान नहीं बुलाए जाते।
पंजाब के मुकेरियां में पूर्व सरपंच और पगड़ी संभाल जट्टा लहर के प्रेस सचिव का तेजधार हथियारों से कत्ल कर दिया गया। घटना गांव नंगल अवाना की है। यहां पूर्व सरपंच और किसान नेता सौरभ मिन्हास उर्फ बिल्ला से विवाद हो गया था जमीन का विवाद था। लोगों ने बताया की गांव के ही व्यक्ति ने बिल्ला पर तेजधार हथियार से 9 वार किए। इससे पूर्व सरपंच बुरी तरह जख्मी हो गया। उसे तुरंत सिविल अस्पताल मुकेरियां पहुंचाया गया। फर्स्ट एड के बाद डॉक्टरों ने उसे जालंधर रेफर किया गया जहां शुक्रवार रात 1 बजे उसने दम तोड़ दिया। आरोपी की गिरफ्तारी को लेकर जालंधर-पठानकोट हाईवे किया जामजब सौरभ गांव में किसी काम से जा रहा था तभी गांव के ही एक अन्य व्यक्ति ने सौरभ पर किरच से हमला कर दिया। सौरभ के पेट में कई वार किए गए थे। एक के बाद एक वार करने से सौरभ बेसुध होकर जमीन पर गिर गया।किसान जत्थेबंदियों ने मुकेरियां में हाईवे जाम कियाइस बात से गुस्साए परिवार के सदस्यों और किसान जत्थेबंदियों ने शुक्रवार को मुकेरियां जालंधर नेशनल हाईवे जाम कर दिया। आधा घंटा लोग हाईवे पर बैठे रहे जिसके चलते लंबा जाम लग गया। परिवार सदस्यों का कहना है कि सौरभ पर हमला किसी साजिश के तहत किया गया है। आरोपी गिरफ्तार ने किया तो तेज होगा आंदोलनकिसान नेता ने बताया कि किसान नेता सौरभ मिन्हास का तेजधार हथियार से कत्ल कर दिया गया। इस घटना की बारीकी से जांच की जाए। अगर जांच ने हुई और आरोपी गिरफ्तार न किया तो आने वाले समय में आंदोलन किया जाएगा। अभी पुलिस ने कागजी कार्रवाई की है। पुलिस ने आरोपी को पकड़ने का भरोसा दिया है। किसान नेताओं ने बताया कि सौरभ किसान यूनियन पगड़ी संभाल जट्टा लहर के प्रेस सचिव को मारने वाले को जल्दी से जल्दी पकड़ा जाएगा। थाना प्रभारी बोले-जमीन के झगड़े में किया गया कत्लमुकेरियां थाने के इंचार्ज दलजीत सिंह ने कहा कि पुलिस जांच कर रही है। अभी पता चला है कि आरोपी और मृतक के बीच जमीन को लेकर विवाद चल रहा था, जिसके चलते ये कत्ल हुआ है। रात 7 बजे हमें जानकारी मिली थी कि सौरभ मिनहास पर किसी ने तेजधार हथियारों से वार किया है। इनको पहले सिविल अस्पताल मुकेरियां लाया गया था जहां से जालंधर के प्राइवेट अस्पताल में रेफर किया गया लेकिन रात 1 बजे उसकी मौत हो गई। परिवार के बयान के आधार पर आरोपी से पूछताछ की जा रही है।
चनपटिया विधानसभा सीट के टिकुलिया की रहने वाली आभा देवी नेपाल के भरतपुर में पति के साथ पकौड़ी बेचती हैं। छठ पूजा में चनपटिया आई हैं। बिहार में विधानसभा चुनाव हैं, इसलिए रुक गईं। 11 नवंबर को वोट डालकर ही लौटेंगी। आभा देवी कहती है, ‘अगर भारत में ही कोई ढंग का काम मिल जाता, तो दूसरे देश में कमाने के लिए नहीं जाते। बच्चे वहां पढ़ाई करते हैं, लेकिन उस पढ़ाई की अपने देश में कहीं वैल्यू नहीं है। नेपाल के लोग हमें ताने मारते हैं। हम बस पेट पालने के लिए नेपाल में रह रहे हैं। चनपटिया में ही कोई रोजगार मिल जाता, तो यहीं काम करते।’ आभा देवी बेबसी भरी आवाज में पलायन और रोजगार का दर्द बता देती हैं। पश्चिम चंपारण जिले के चनपटिया से पटना करीब 210 किमी और नेपाल का भरतपुर करीब 180 किमी दूर है। आभा देवी के काम के लिए भरतपुर को चुना। चनपटिया में 11 नवंबर को सेकेंड फेज में वोटिंग होनी है। जन सुराज ने यहां से फेमस यूट्यूबर मनीष कश्यप को उतारा है। इससे ये सीट चर्चा में है। NDA से BJP के मौजूदा विधायक उमाकांत सिंह और महागठबंधन से कांग्रेस के अभिषेक रंजन चुनाव लड़ रहे हैं। चनपटिया उन सीटों में शामिल हैं, जहां प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज NDA और महागठबंधन को कड़ी टक्कर दे रही है। दैनिक भास्कर ने यहां के लोगों से बात की और उनके मुद्दे, परेशानियां जानीं। इससे पता चला कि रोजगार यहां का सबसे बड़ा मुद्दा है। चीनी मिल बंद हो चुकी है, देश भर में चर्चित स्टार्टअप जोन बंद होने की कगार पर है, स्टील प्लांट में अब तक प्रोडक्शन शुरू नहीं हुआ है। चनपटिया सीट का गणितइस सीट पर पहली बार 1957 में चुनाव हुए थे। तब कांग्रेस की केतकी देवी जीती थीं। BJP को पहली जीत साल 2000 में मिली। इसके बाद से यह सीट BJP के कब्जे में है। 2000 में सतीश मिश्रा, 2005 में सतीश चंद्र दुबे, 2010 में चंद्रमोहन राय, 2015 में प्रकाश राय और 2020 में उमाकांत सिंह ने चुनाव जीता। 2020 में उमाकांत सिंह ने कांग्रेस के अभिषेक रंजन को 13,469 वोट से हराया था। उमाकांत सिंह को 83,828 और अभिषेक रंजन को 70,359 वोट मिले थे। तीसरे नंबर पर निर्दलीय लड़े मनीष कश्यप को 9,239 वोट मिले थे। इस बार मनीष कश्यप जन सुराज की टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। चनपटिया सीट पर सबसे ज्यादा भूमिहार वोटर हैं। फिर यादव, ब्राह्मण और मुसलमान हैं। लोगों को शिकायत, बंद पड़ी चीनी मिल शुरू नहीं हो पाईचनपटिया बाजार के रहने वाले मुनींद्र जायसवाल कहते हैं, ‘चुनाव के पहले BJP का कोई बड़ा नेता चनपटिया पहुंचता है, तो कहता है अगली बार आएंगे, तो चीनी मिल में बनी चीनी से ही चाय पिएंगे, लेकिन आज तक चीनी मिल शुरू नहीं हो पाई है। 20 साल से यहां BJP के उम्मीदवार जीत रहे हैं। राज्य में उनकी ही सरकार है, लेकिन 20 साल में BJP ने कुछ नहीं किया है। इस बार तो हम बदलाव करना चाह रहे है।’ चनपटिया बाजार में स्टेशनरी की दुकान चलाने वाले आनंद कुमार कहते है, ‘चनपटिया में कितने मुद्दे गिनाएं, यहां मुद्दों की कमी नहीं है। स्टार्टअप जोन बंद होने की कगार पर है। स्टील प्लांट में प्रोडक्शन बंद है। चीनी मिल चालू नहीं हुई। यहां के लोग बेरोजगार हैं और काम के लिए पलायन कर रहे हैं। आज तक किसी भी पार्टी के नेता या मंत्री ने इस पर चर्चा नहीं की।’ स्टार्टअप जोन और स्टील प्लांट यहां के मुद्देऔरैया के रहने वाले अमित कुमार प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं। उनके लिए पढ़ाई, सुरक्षा, बिजली और सड़क जरूरी मुद्दे हैं। अमित कहते हैं, ‘पढ़ाई सबसे बड़ा मुद्दा है। हम पढ़ेंगे तो खुद से ही हमारा विकास होगा। पढ़े होंगे तो नौकरियां मिलेंगी।’ अमित आगे कहते हैं, ‘नीतीश ने बिहार के लिए बीते 20 साल में बेहतर काम किया है। उन्होंने जो किया, किसी से छुपा नहीं है। आज बिहार के हर गांव मे स्कूल खुल गया। हम सुरक्षित हैं। सरकारी नौकरी की वैकेंसी निकली है। अस्पतालों में सुविधाएं बढ़ी हैं। दूर-दूर से लोग इलाज कराने आते हैं। दवा भी मिल जाती है। सड़कें पहले से बेहतर हुई हैं। इसलिए नीतीश जी को एक बार फिर मौका देना चाहिए।’ चनपटिया के ही रहने वाले अनुराग राय मेडिकल डिपार्टमेंट में काम करते है। वे कहते है, ‘चनपटिया में डॉक्टर हॉस्पिटल आ रहे हैं। कई स्कूल अधूरे पड़े थे, अब वे भी पूरे हो रहे हैं। सरकार लगातार मेहनत कर रही है, उसे कंटिन्यू करने का मौका मिलना चाहिए। मैं खुद प्राइवेट जॉब करता हूं, बेरोजगार नहीं हूं।’ गुजरात में रहकर वेल्डिंग का काम करने वाले मोहम्मद अरमान मानते है कि अगर चनपटिया में कोई फैक्ट्री होती, तो हम यहीं रोजगार या नौकरी करते। अरमान कहते है, ‘सरकार ने चनपटिया में कोई विकास नहीं किया है। यहां के लोग बाहर कमाने के लिए जाते है। यहां फैक्ट्री खोलनी चाहिए। एक स्टार्टअप जोन था, तो वह बंद होने की कगार पर है। स्टील फैक्ट्री भी नहीं चल रही। इस बार हम बदलाव चाहते है, इसलिए कांग्रेस को वोट देंगे।’ ‘योजनाएं लागू नहीं हो रहीं, बिचौलिए पैसे खा रहे’चनपटिया के व्यापारी मुनींद्र कुमार कहते हैं, ‘यहां की जमीन गन्ने के खेती के लिए सबसे उपजाऊ है। यहां चीनी मिल थी, तो किसान खुश थे। 1994 के बाद से मिल बंद है। कई किसानों का पैसा अब भी फंसा है। हर चुनाव में BJP के नेता आते हैं और चीनी मिल फिर से चालू करने का वादा करते है। वे राज्य सरकार की योजनाएं भी सही से लागू नहीं कर पाते। बिचौलिए पैसे खा जाते हैं। इसलिए इस बार हम बदलाव चाह रहे हैं। बदलाव में किसे चुनेंगे? मनींद्र जवाब देते हैं’ ‘दूसरा ऑप्शन कांग्रेस है। हम चाहते हैं कि चनपटिया और पटना दोनों जगह बदलाव हो।’ मनीष कश्यप के बारे में मुनींद्र कहते है कि मनीष कश्यप चनपटिया के ही रहने वाले हैं। विकास की बात करते है, लेकिन अभी नए हैं। उनकी पार्टी भी नई है। सेमुआपुर के रहने वाले 65 साल के पारस सिंह किसान हैं। मनीष कश्यप के बारे में पूछने पर कहते हैं, ‘उम्मीद है कि प्रशांत किशोर की सरकार बनती है, तो रोजगार पर काम करेगी। मनीष कश्यप पर पूरा भरोसा है कि वे चनपटिया का विकास करेंगे। उनके बराबर कोई और नेता हमारे मुद्दे नहीं उठाता। हम चाहते हैं कि मनीष विधायक बनें, ताकि हमारी समस्या की आवाज बन सकें।’ अब कैंडिडेट की बात उमाकांत सिंह, BJP कैंडिडेटउमाकांत सिंह कहते हैं, ‘जनता ने मुझे 5 साल का मौका दिया। इन 5 साल में मैंने हर गली-मोहल्ले में सड़कें बनवाईं, हर घर तक तार, ट्रांसफॉर्मर पहुंचाया। छठ घाट, चबूतरा, बड़े प्रोजेक्ट पूरे किए।' 'बेतिया छावनी से नरकटियागंज रोड, लोरिया से कैथोलिया रोड, आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण केंद्र, ब्लॉक में जीआई टैग वाला चूड़ा स्टार्टअप जोन, टेक्सटाइल पार्क, बिहार स्पेशल इकोनॉमिक जोन के लिए भी काम किया है। चनपटिया में निबंधन कार्यालय खुलवाया। चाहे शिक्षा हो, स्वास्थ्य हो, अधूरे स्वास्थ्य केंद्र हों या +2 स्कूल, जो भी मुद्दा आएगा, उसे पूरा करेंगे।’ मनीष कश्यप, जन सुराजजन सुराज के कैंडिडेट मनीष कश्यप कहते हैं, ‘मेरा एक ही संकल्प है। ये पूरा इलाका चमकाऊंगा। सबसे पहला काम सालों से बंद पड़ी चीनी मिल चालू कराना होगा। ब्लॉक ऑफिस को दुरुस्त करना, हॉस्पिटल में डॉक्टर-दवा की व्यवस्था करना, शिक्षा को ऐसा बनाना कि हर बच्चा अच्छे स्कूल में पढ़े।’ ‘मैं किसानों का दर्द समझता हूं। बाढ़ से फसल बर्बाद होती है, मुआवजा नहीं मिलता। अब उचित मुआवजा दिलवाऊंगा और बाढ़ को स्थायी रूप से कंट्रोल करने का काम करूंगा। यूरिया-खाद समय पर नहीं मिलता, वो भी अब घर-घर पहुंचेगा।’ ‘अलग-अलग बाजारों में सब्जी मार्केट, मछली मार्केट के लिए पक्के शेड बनवाऊंगा। ये कोई हवाई वादे नहीं, बल्कि प्राथमिक मुद्दे हैं, जिनसे चनपटिया का असली विकास होगा।’ एक्सपर्ट बोले- मनीष कश्यप पॉपुलर, सबका खेल बिगाड़ेंगे चनपटिया के पत्रकार मनोज कुमार ओझा कहते हैं, ‘चनपटिया में इस बार जबरदस्त टक्कर है। पिछले चुनाव में मनीष कश्यप निर्दलीय लड़कर तीसरे नंबर पर रहे थे। कांग्रेस से अभिषेक रंजन और BJP से उमाकांत सिंह थे। इस बार भी यही चेहरे हैं, लेकिन मनीष कश्यप अब जन सुराज के टिकट पर हैं।’ ‘मनीष कश्यप का फैक्टर बहुत बड़ा है। उनकी पहचान है। यूट्यूब, फेसबुक पर उनके लाखों फॉलोअर्स हैं। पिछली बार निर्दलीय होने से वोट बंट गए, लेकिन अब वे पार्टी के प्रत्याशी हैं। कैडर तैयार है, युवा उनके लिए पागल हैं। कई लोगों की निगाहें उन पर टिकी हैं। वे वोट काट सकते हैं। सभी का खेल बिगाड़ सकते हैं।’ पॉलिटिकल एक्सपर्ट प्रियदर्शी रंजन कहते है, ‘इस बार BJP के इस किले को मनीष कश्यप चुनौती दे रहे हैं। वे भूमिहार कम्युनिटी से हैं। अगर मनीष जातियों का समीकरण साधने में कामयाब हो गए, तो BJP को कड़ी टक्कर दे सकते हैं। ’ हालांकि, BJP से भूमिहार वोट तोड़ना लोहे के चने चबाने जैसा है। हमेशा से भूमिहारों का रुझान BJP की ओर रहा है और इस चुनाव में भी यही दिख रहा है। अगर भूमिहार वोट मनीष कश्यप की ओर खिसक गए, तो इसे मनीष का करिश्मा माना जाएगा। अगर वे जीत गए, तो यह बहुत बड़ा उलटफेर होगा। फिलहाल BJP का पलड़ा भारी है। उसका गढ़ ढहाना आसान नहीं।’
बिहार के औरंगाबाद जिले की कुटुंबा सीट पर कांग्रेस की साख दांव पर लगी हुई है। यहां से प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम मैदान में हैं। ये वो सीट भी है, जहां ‘वोट अधिकार यात्रा’ के दौरान न सिर्फ राहुल आए थे, बल्कि ठहरे भी थे। इस बार राजेश राम का सामना उस कैंडिडेट से है, जो 2020 में इस सीट पर उनकी जीत की वजह बने थे। राजेश राम के सामने NDA की तरफ से HAM के कैंडिडेट ललन राम भुइयां हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव में ललन राम नाराजगी में निर्दलीय चुनाव लड़ गए थे। ललन को करीब 20 हजार वोट मिले थे और राजेश राम की NDA कैंडिडेट से जीत का अंतर करीब 15 हजार ही था। ये हिसाब-किताब छोड़ भी दें, तो कुटुंबा में राजेश राम को लेकर लोगों में नाराजगी नजर आती है। इलाके के अम्बा गांव में कोचिंग सेंटर चलाने वाले 33 साल के रवि कुमार पाल कहते हैं, ‘मैं अब तक महागठबंधन प्रत्याशी को समर्थन देता आया हूं। राजेश राम का रवैया ठीक नहीं है। जीतने के बाद उनका लोगों से मिलना-जुलना नहीं है। इसलिए उन्हें हटाना जरूरी लगता है।’ रवि कुमार अकेले नहीं हैं। जनसंपर्क पर निकल रहे राजेश राम का बीते 15 दिनों में लगभग 4 गांवों में विरोध हो चुका है। पेचकस, रिसियप, दुलारे और नेवड़ा गांव में लोगों ने राजेश राम को घेरकर काम नहीं होने की शिकायत की। ऐसे में क्या प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अपना गढ़ बचा पाएंगे, कुटुंबा में लोगों के क्या मुद्दे हैं? यही जानने के लिए दैनिक भास्कर की टीम ग्राउंड पर पहुंची। सबसे पहले सीट का गणितकुटुंबा बिहार के औरंगाबाद जिले में एक प्रखंड है। यह औरंगाबाद लोकसभा की 6 विधानसभा सीटों में से एक है। कुटुंबा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। अनुसूचित जाति के यहां 29.2% और मुस्लिम समुदाय से लगभग 7.8% मतदाता हैं। यह पूरी तरह ग्रामीण क्षेत्र है। यहां पिछली दो बार से मौजूदा कांग्रेस अध्यक्ष राजेश कुमार राम चुनाव जीत रहे हैं। राजेश राम को 2010 में यहां हार मिली थी। फिर 2015 में उन्होंने 10,098 मतों और 2020 में बढ़ाकर 16,653 मतों के अंतर से जीत हासिल की। राजेश राम के सामने इस बार NDA की तरफ से HAM पार्टी ने ललन राम भुइयां को उतारा है। वहीं जन सुराज ने श्यामबली को टिकट दिया है। ‘इस चुनाव में बदलाव करेंगे, बेरोजगारी-टूटी सड़कों से परेशान’कुटुंबा में हलवाई का काम करने वाले 45 साल के धनंजय प्रसाद गुप्ता नेताओं की अनदेखी से नाराज हैं। वे कहते हैं कि कोई भी नेता आता है तो अपने खास लोगों से पूछता है कि जनता की दिक्कतें-लाचारी क्या है। पूछना तो आम आदमी से चाहिए। खास लोग तो सब गलत-सही ही बता देते हैं। वे जीविका योजना का लाभ सभी को नहीं मिलने की शिकायत करते हैं। NDA सरकार से नाराजगी के बावजूद धनंजय HAM कैंडिडेट ललन राम को समर्थन की बात करते हैं। 33 साल के रवि कुमार पाल इलाके के अम्बा गांव में कोचिंग सेंटर चलाते हैं। वे ट्रैफिक जाम और बेरोजगारी को सबसे बड़ी चुनौती बताते हैं। वे कहते हैं, ‘अम्बा में दो-चार गाड़ियों के बाद ही जाम लग जाता है। पिछले 10 साल से यही समस्या देख रहा हूं। रोजगार के अभाव में जीवन चलना मुश्किल हो गया है।' 'स्कूलों की व्यवस्था ठीक-ठाक नहीं है। अगर सरकारी स्कूल अच्छे होते, तो बच्चे मेरे पास क्यों आते।’ चुनाव में रवि कुमार बदलाव की बात करते हैं। वे मौजूदा विधायक राजेश राम को हटाने की बात करते हैं। ‘ललन राम का व्यवहार अच्छा, राजेश राम तो मिलते ही नहीं’कुटुंबा के पिपरा गांव में रहने वाले 60 साल के अभय कुमार सिंह होटल में हेल्पर का काम करते हैं। वे भी सड़कों की खराब स्थिति और अस्पताल की कमी को बड़ी समस्या मानते हैं। अभय कहते हैं कि क्षेत्र में कई दिक्कतें हैं। सड़कें बनते ही टूट जाती हैं। इलाके में अस्पताल भी नहीं है। अभय कांग्रेस विधायक राजेश राम से नाराज हैं। अम्बा गांव में टाइल्स बेचने वाले 33 साल के रवि कुमार सिंह खराब सड़कों और ट्रैफिक जाम से परेशान हैं। वे भी HAM के ललन राम को समर्थन देने की बात करते हैं। वे कहते हैं, ‘यहां NDA का माहौल मजबूत है। ललन राम हर किसी से मुलाकात करते हैं, लेकिन वर्तमान विधायक का रवैया गलत है। जीतने के बाद लोगों से न मिलना, न जुलना है। उनका कई जगह विरोध हो रहा।’ महिलाएं और मुसलमान किसकी तरफकुटुंबा में रहने वाली 60 साल की सूरजवानी देवी जीविका योजना का पैसा न मिलने से नाखुश हैं। हालांकि, वे सरकारी स्कूलों की पढ़ाई और रोजगार की ठीक व्यवस्था का हवाला देकर NDA को समर्थन देने की बात करती हैं। वे कहती हैं, क्षेत्र में सब ठीक चल रहा है। बच्चे स्कूल जाते हैं। सरकारी स्कूल में पढ़ाई अच्छी है। नौकरी-रोजगार सबकी सही चल रही है। हमारे लिए मोदी जी ठीक हैं। लालू जी नहीं। बाकी जन सुराज वाले नए आए हैं। कुटुंबा के मुस्लिम बहुल गांव नेवड़ा की रहने वाली 55 साल की रुकैया खातून के गांव में जनसंपर्क के लिए पहुंचे राजेश राम का विरोध किया गया था। इसके पीछे वे खराब सड़क, नाली और कब्रिस्तान न होने को कारण बताती हैं। रुकैया जीविका योजना का पैसा मिलने से खुश हैं। वहीं राजेश राम से नाराजगी है, लेकिन इसके बाद भी वे उनके ही समर्थन की बात कहती हैं। इसका कारण पूछने पर वे कहती हैं, ‘समस्याएं हैं, लेकिन ठीक हो जाएंगी।’ RJD से गठबंधन की वजह से राजेश राम को फायदारुकैया के ही गांव में रहने वाले 30 साल के मोहम्मद आजाद फिलहाल दिल्ली में नौकरी कर रहे हैं। वे स्थानीय स्तर पर रोजगार की कमी और सरकारी स्कूलों में पढ़ाई की खराब हालत को लेकर नाराज हैं। वे कहते हैं कि राजेश राम ने 10 साल काम नहीं किया, लेकिन RJD के गठबंधन की वजह से समर्थन उन्हीं को करेंगे। आजाद बताते हैं, ‘राजेश राम खड़े हैं, तो उन्हें ही मिलेगा, लेकिन 10 साल विधायक रहे, फिर भी कोई काम नहीं हुआ। इतनी सारी समस्याएं हैं, लेकिन विकल्प क्या है। समझ नहीं आ रहा। आखिर में मजबूरी में RJD गठबंधन को ही देना पड़ेगा।’ क्या कह रहे हैं कैंडिडेटकहीं विरोध नहीं हो रहा, सब झूठ- राजेश राममौजूदा विधायक और बिहार प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष राजेश राम अपनी जीत का भरोसा जताते हैं। वे कहते हैं कि इस बार जनता जाति या धर्म के आधार पर नहीं बल्कि महंगाई, बेरोजगारी और विकास के मुद्दे पर मतदान करेगी। राजेश राम दावा करते हैं कि बिहार में महागठबंधन की सरकार बनना तय है। जनता परिवर्तन चाहती है और कांग्रेस उस विश्वास को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है। वे कहते हैं, ‘मुद्दा विकास को जारी रखने का है। बिहार में कमाई, दवाई और पढ़ाई जैसे मुद्दे अहम हैं। कुटुंबा में जनता का समर्थन मिल रहा है। यह मेरे लिए सौभाग्य है। हम विकास में विश्वास रखते हैं।’ जगह-जगह विरोध के सवाल पर राजेश राम दावा करते हैं कि ये लोकतंत्र का हिस्सा है। वे कहते हैं, ‘प्रतिपक्ष की भूमिका लोकतंत्र का हिस्सा है। कुटुंबा में यह खूबसूरत लोकतंत्र दिख रहा है, जो अन्य जगहों पर कम ही देखने को मिलता है।’ विपक्षी ललन राम और जन सुराज को लेकर राजेश राम कहते हैं कि हर कोई अपनी कोशिश कर रहा है। हम भी मजबूती से कोशिश कर रहे हैं। जन बल से धन बल को हराएंगे- HAM के ललन रामकुटुंबा विधानसभा क्षेत्र से HAM पार्टी के प्रत्याशी ललन राम भुइयां कहते हैं कि वे 10 साल से सत्ता से दूर हैं, लेकिन फिर भी कुछ-कुछ काम कराते रहे। लोगों के मुद्दों पर बात करते हुए ललन राम कहते हैं, ‘कुछ सड़कें जर्जर हालत में हैं। कुछ लोगों के पक्के मकान नहीं बने। पानी की कहीं समस्या है, तो कहीं नल खराब हो गया। सबका सुधार हो जाएगा। नीतीश कुमार जी ने पेंशन 400 से बढ़ाकर 1,100 कर दी। गरीबों के लिए आवास योजना बहुत कारगर साबित हुई।’ ललन राम जन सुराज पर किसी तरह की टिप्पणी से इनकार करते हैं। वे कहते हैं कि हर पार्टी अलग-अलग है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में सबको लड़ने का अधिकार है। मौजूदा विधायक जनता से दूर- जन सुराज के श्यामबलीकुटुंबा से जन सुराज प्रत्याशी श्यामबली कहते हैं कि विधायक राजेश राम का विरोध हो रहा है। उनकी जनता से दूरी बढ़ी है। इसीलिए लोग नया विकल्प खोज रहे हैं। वे आगे कहते हैं, 'जो प्रतिनिधि बनते हैं, वे जनता के बीच नहीं रहते। राजेश राम लगातार दो बार विधायक रहे, लेकिन कभी जनता से न मिले। उनका विरोध हो रहा है। ललन सिंह 5 साल पार्षद-विधायक रहे, लेकिन 20 साल की सरकार में क्षेत्र बदहाल रहा है।’ राजेश राम के विरोध का फायदा ललन राम को मिलेगा: एक्सपर्टकुटुंबा में 22 साल से पत्रकारिता कर रहे ओम प्रकाश शर्मा सिंचाई और धीमे विकास को क्षेत्र की समस्या मानते हैं। वे कहते हैं कि कुटुंबा को नगर पंचायत का दर्जा मिलना चाहिए, ताकि विकास की गति पकड़े। यही मूल समस्या है। शर्मा ने सिंचाई में सबसे बड़ी बाधा उत्तर कोयल नहर का जिक्र किया, जो पलामू जिले के कुटकुट डैम से जुड़ी है। वे कहते हैं, ‘नहर का जीर्णोद्धार हो रहा है, लेकिन यह बरसाती नदी बनकर रह जाती है। इसे 12 महीने चलाने की जरूरत है, क्योंकि यह कृषि प्रधान क्षेत्र है और औरंगाबाद को धान का कटोरा कहा जाता है। धान की फसल तो हो जाती है, लेकिन बाकी जमीन साल भर खाली रहती है।’ वे कहते हैं कि डैम में पानी संग्रहित हो जाए तो औरंगाबाद-गया के किसानों को साल भर पानी की कमी न रहे। चुनाव पर बात करने पर शर्मा कहते हैं कि कांग्रेस के दो बार के विधायक राजेश राम और एनडीए के ललन सिंह के बीच सीधा मुकाबला है। कांटे की टक्कर में दोनों प्रत्याशी- एक्सपर्ट विश्वनाथ पांडे22 साल से ही कुटुंबा में रिपोर्टिंग कर रहे विश्वनाथ पांडे मानते हैं कि विधायक राजेश राम और ललन भुइयां के बीच कांटे की टक्कर हैं। वे कहते हैं, ‘दोनों अपने व्यक्तित्व पर टिके हैं। पलड़ा किसी का भारी नहीं।' विश्वनाथ पांडे कहते हैं, 'पूर्व स्वास्थ्य मंत्री दिलकेश्वर राम के समय कुटुंबा में 26 स्वास्थ्य केंद्र और रेफरल अस्पताल बने। 1990-2015 तक कोई नया केंद्र न खुला, न जीर्णोद्धार हुआ। अब नए भवन और अस्पताल निर्माणाधीन हैं।’
गोरखपुर में गुरुवार को साइबर जालसाजी करने वाले गिरोह के 5 सदस्य गिरफ्तार किए गए थे। यह सदस्य साइबर जालसाजी की रकम म्यूल खातों से क्रिप्टो करेंसी में बदल कर विदेश भेजते थे। जांच में सामने आया है कि यह गिरोह विदेशी साइबर जालसाजों के नेटवर्क के लिए काम करता था। हर ट्रांजेक्शन पर तय कमीशन के तौर पर 5 से 10 प्रतिशत तक की रकम काटता था। लेकिन गोरखपुर के गिरोह ने जालसाजी के पैेसे में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर 25 प्रतिशत तक की कटौती शुरू कर दी थी। जिससे विदेश में बैठा मास्टरमाइंड बौखला गया। वह यूके के नंबरों से कई बार गोरखपुर के युवकों को कॉल कर देख लेने की धमकी दिया था।पुलिस सूत्रों के मुताबिक, यह गिरोह एकाउंट फॉर हायर मॉडल पर काम करता था। इसका मतलब था कि ठगी का पैसा कहीं से भी आए, गिरोह उसे सेटल कर क्रिप्टोकरेंसी में बदल देता था। इस काम में गोरखपुर के शैलेश चौधरी, आदिल शफीक, अनुज साहू, शुभम राय और विशाल गुप्ता शामिल थे। शैलेश इस नेटवर्क का भारतीय सरगना माना जा रहा है, जो सीधे चीन और अन्य देशों में बैठे ठगों से संपर्क में था। यूके डिजिट (+44) वाले नंबरों से आती थी धमकियां जांच में यह भी सामने आया है कि विदेशी ठग यूके डिजिट (+44) वाले नंबरों से शैलेश को निर्देश और धमकियां भेजते थे। चैट रिकॉर्ड्स देखने पर पता चला है कि, जब भारतीय गिरोह ने कमीशन का प्रतिशत बढ़ाया, तब विदेशी मास्टरमाइंड ने उन्हें सेटलमेंट में धोखा देने का आरोप लगाया था। उस समय कहा था कि अगर अगली बार एक भी डॉलर गायब हुआ तो सबक सिखाएंगे। पुलिस को संदेह है कि धमकी के बाद विदेशी गिरोह ने ही भारतीय नेटवर्क को पकड़वाने का जाल बिछाया। आरोपियों ने भी पूछताछ में यह आशंका जताई है कि यह पूरा ऑपरेशन उन्हें सबक सिखाने के लिए रचा गया था। पुलिस जांच के अनुसार, शैलेश चौधरी खुद को एकाउंट फॉर हायर सर्विस प्रोवाइडर बताता था। उसके गिरोह का काम ठगी की रकम को अलग-अलग एनजीओ, बिजनेस फर्मों और व्यक्तिगत खातों में ट्रांसफर कराना था। इसके बाद रकम को नकद निकालकर यूएसडीटी (टीआरसी-20 टोकन) जैसी क्रिप्टोकरेंसी में बदल दिया जाता था। इस प्रक्रिया के जरिये करोड़ों रुपये हवाला चैनल से विदेश भेजे जाते थे। मुंबई और चेन्नई में भी शैलेश पर केस दर्ज गोरखपुर साइबर क्राइम थाने की पुलिस की जांच में सामने आया है कि शैलेश पर मुंबई और चेन्नई में भी साइबर ठगी के केस दर्ज हैं। वह 2021 से इस नेटवर्क से जुड़ा हुआ है और नियमित रूप से चीन में बैठे अपने आकाओं से ऑनलाइन मीटिंग और चैट एप्लिकेशन के जरिए संपर्क बनाए रखता था।साइबर पुलिस को मिले डिजिटल साक्ष्यों से यह स्पष्ट हुआ कि कमीशन बढ़ाने की लालच ने गिरोह को मुसीबत में डाल दिया। विदेशी माफिया ने इसे अनुबंध का उल्लंघन मानते हुए भारतीय नेटवर्क को धमकाया और उनके चैनलों को बंद करने की चेतावनी दी। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि यह मामला भारतीय और विदेशी साइबर नेटवर्क के बीच गहरे तालमेल का उदाहरण है। गिरोह की गतिविधियों से यह भी स्पष्ट है कि क्रिप्टो करेंसी के जरिये मनी लॉन्ड्रिंग का यह नेटवर्क अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय है। अब पुलिस इंटरपोल और साइबर सेल की विशेष इकाइयों की मदद से विदेशी लिंक की जांच में जुटी है। इस संबंध में एसपी सिटी अभिनव त्यागी ने बताया- जेल भेजे गए आरोपी एकाउंट फाॅर हायर मॉडल से ठगी का धंधा चला रहे थे। हाल ही में उन्हें विदेश में बैठे ठगों ने धमकी दी थी। जिसकी जांच की जा रही है। जेल भेज गए आरोपियों के अन्य नेटवर्क को भी खंगाला जा रहा है। जार्जिया से एमबीबीएस करवाता था शैलेश शैलेश चौधरी ने बीकॉम किया था। चीन के जालसाज के संपर्क में आने के बाद उसने अपना एक एनजीओ बनाया था। एनजीओ का विद्या पर सबका अधिकार (बीपीएसए) नाम रखा था। वह एजुकेशनल कंसल्टेंट बनकर जार्जिया में एमबीबीएस में दाखिला दिलाता था। जांच में सामने आया कि दिखावे के लिए यह सब करता था। इसका मेन काम जालसाजी ही था। एनजीओ में रकम आने पर टैक्स नहीं लगता था, दूसरे कोई पूछताछ नहीं होती थी। इसलिए उसने अपने दोस्तों के नाम पर भी एनजीओ का रजिस्ट्रेशन कराकर बैंक में खाता खुलवाया था। शैलेश के एक साथी शुभम राय की 25 नवंबर को शादी थी। पकड़े जाने के बाद शुभम रोने लगा। पुलिस वालों से कहने लगा, सर, प्लीज मुझे छोड़ दीजिए, दोस्तों के बहकावे में आकर फंस गया। मेरी 25 नवंबर को शादी है। इस तरह काम करते थे गिरोह के 5 सदस्य एसपी सिटी अभिनव त्यागी ने बताया कि प्राथमिक पूछताछ में खुलासा हुआ कि गिरोह का मास्टरमाइंड शैलेश चौधरी अपने साथियों के नाम पर म्यूल बैंक खाता खुलवाता था। इन खातों में साइबर ठगी से आई रकम ट्रांसफर कर बैंक,एटीएम के जरिये नकद निकाल ली जाती थी। इसके बाद राशि को अपने साथियों की मदद से क्रिप्टो करेंसी में कन्वर्ट कराया जाता था। बदले में वह 5–10 प्रतिशत कमीशन लेता था। वहीं इसी नेटवर्क का दूसरा अहम सदस्य आदिल शफीक कई एनजीओ के नाम पर करंट अकाउंट खुलवाया था। इन खातों में भी ठगी की रकम आती थी, जिसे कैश में बदलकर सीधे गैंग को सौंपा जाता था। जबकि अनुज साहू ने अपने मछली व्यापार के नाम पर करंट अकाउंट खुलवाकर ठगी की रकम को कैश आउट करने में इस्तेमाल किया। पुलिस के अनुसार गैंग पूरी तरह संगठित तरीके से काम करता था। जो फर्जी खातों, यूपीआई और हवाला चैनलों के जरिए करोड़ों की धनराशि को ट्रांसफर कर रहा था। जांच में यह भी सामने आया कि गिरोह के अन्य सदस्य शुभम राय और विशाल गुप्ता शैलेश से प्राप्त नकद को अपने डिजिटल संपर्कों के माध्यम से क्रिप्टो करेंसी में बदलवाते थे। इसके बाद हवाला नेटवर्क के जरिए यह राशि विदेश भेजी जाती थी।70.54 लाख की वित्तीय गतिविधि ट्रेस, 9.60 लाख फ्रीजअब तक की विवेचना में पुलिस को 70.54 लाख से अधिक की संदिग्ध वित्तीय गतिविधियों का पता चला है। इनमें से 9.60 लाख रुपये विभिन्न खातों में फ्रीज किए गए हैं। पुलिस ने बरामद दस्तावेजों और चैट्स में विदेशी व्हाट्सएप नंबर, चार डिजिटल वॉलेट एड्रेस, और टीम ऑर टूटर्स जैसे बैंक खातों का उपयोग पाया है। पुलिस के निशाने पर अब विदेशी कनेक्शनपुलिस ने गिरोह के विदेशी संपर्कों की पहचान शुरू कर दी है। एसपी सिटी का कहना है कि डिजिटल वॉलेट और ब्लॉकचेन ट्रांजेक्शन ट्रेस किए जा रहे हैं। बरामद चैट में डॉलर में हुए ट्रांजैक्शन के सबूत भी मिले हैं। जांच एजेंसियों को आशंका है कि यह नेटवर्क अंतरराष्ट्रीय ठग गिरोहों से जुड़ा है जो भारत के अंदर से विदेशी नियंत्रण में साइबर अपराध को अंजाम दे रहे हैं। प्राथमिक जांच में पता च ला कि गैंग का मास्टर माइंड चीन के एक हैकर के संपर्क में था। जिससे वह अक्सर व्हाट्एप कॉल पर बातचीत करता था। गुरुवार को सभी आरोपी भेजे गए जेल पकड़े गए सभी आरोपी गोरखनाथ क्षेत्र के जमुनियाबाग निवासी आदिल शफीक, कैंट थाना क्षेत्र के शैलेश चौधरी, कुशीनगर मूल निवासी हाल पता दिव्यनगर निवासी शुभम राय, कोतवाली क्षेत्र के बक्शीपुर निवासी विशाल गुप्ता और माया बाजार के अनुज साह को पूछताछ के बाद गुरुवार को पुलिस ने जेल भिजवा दिया। मोबाइल से ट्रांसफर की जाती थी रकम जालसाजों के पास से पुलिस ने 23 हजार नकद और 6 मोबाइल बरामद किया है। इनका यूज म्यूल खातों से पैसा ट्रांसफर करने में किया जाता था। पुलिस की जांच में सामने आया कि अब तक इस गिरोह ने 3 करोड़ से ज्यादा के ट्रांजैक्शन हुए हैं। साइबर थाने की पुलिस की जांच में इनके विदेशी कनेक्शन की भी आशंका है। साइबर क्राइम थाना और एसओजी ने पकड़ा गिरोह एसपी सिटी अभिनव त्यागी ने बताया- साइबर क्राइम थाना और एसओजी टीम की संयुक्त कार्रवाई में संगठित साइबर ठगी गिरोह के 5 सदस्यों को बिस्मिल पार्क के पास से पुलिस ने गिरफ्तार किया है। उनके पास से 23,100 रुपए नकद और 6 मोबाइल बरामद हुए हैं। गिरोह के सदस्य म्यूल खातों के जरिए करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी कर विदेशी नेटवर्क को यह रुपए ट्रांसफर करते थे। आरोपियों के पास से मोबाइल, बैंक एंट्री, UPI हैंडल और टीआरसी -20 यूएसडीटी डिजिटल वॉलेट एड्रेस से जुड़े कई सबूत मिले हैं। मौके पर बरामद लैपटॉप और प्रिंटर से 235 पन्नों के साक्ष्य दस्तावेज जब्त किए गए हैं। अब पढ़िए किस तरह से गैंग काम करता हैएसपी सिटी ने बताया- साइबर टीम संदिग्ध लेन-देन के बारे में जानकारी मिल रही थी। जांच करने पर पता चला कि 70.54 लाख के फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन किए गए हैं। टीम ने 9.60 लाख रुपए फ्रीज करा दिए। गैंग म्यूल बैंक खातों और यूपीआई हैंडल्स के माध्यम से ठगी की रकम प्राप्त कर कैश-आउट करता था। इसके बाद रकम को यूएसडीटी (टीआरसी-20) वॉलेट के जरिए क्रिप्टोकरेंसी में बदलकर हवाला चैनल से विदेश भेजता था। इनके पास से मिले मोबाइल में विदेशी वॉट्सऐप नंबर, वॉलेट एड्रेस और बैंक ट्रांजैक्शन के साक्ष्य मिले हैं। गिरोह ने लगभग 3.10 करोड़ और 3 लाख यूएसडीटी का ट्रांजैक्शन किया है।

