हंगामा-मारपीट मामले में विधायक रणधीर सिंह समेत 14 बरी
झारखंड में दुमका की एक सत्र अदालत ने देवघर के उपायुक्त कार्यालय में हंगामा, मारपीट एवं सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने के 14 साल पुराने मामले में सारठ के भाजपा विधायक रणधीर सिंह सहित 14 लोगों को बरी कर दिया। दुमका के तृतीय जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश लक्ष्मण प्रसाद की अदालत में सोमवार को दोनों पक्षों की ओर से बहस सुनने के बाद न्यायालय ने साक्ष्य के अभाव में भाजपा विधायक रणधीर कुमार सिंह सहित 14 लोगों को बरी कर दिया। विधायक समेत सभी पर 2010 में देवघर के उपायुक्त कार्यालय में एक प्रदर्शन के दौरान हंगामा, मारपीट और सरकारी काम में बाधा पहुंचाने को लेकर तत्कालीन अंचलाधिकारी सिद्धार्थ शंकर चौधरी ने मामला दर्ज कराया था। साक्ष्य के अभाव में हुए बरी मामले में बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता प्रतीक झा और सरकार की ओर से सहायक लोक अभियोजक खुशबुद्दीन अली ने बहस में हिस्सा लिया। सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष पर्याप्त साक्ष्य पेश नहीं कर पाया। न्यायालय ने साक्ष्य के अभाव में विधायक समेत सभी 14 आरोपियों को बरी कर दिया। हंगामा, तोड़फोड़ और राजकार्य में बाधा का था मामला बचाव पक्ष के अधिवक्ता से मिली जानकारी के अनुसार, वर्ष 2010 में झारखंड विकास मोर्चा के बैनर तले देवघर उपायुक्त कार्यालय के बाहर किसानों को सुखाड़ का राहत दिलाने की मांग को लेकर प्रदर्शन का आयोजन किया गया था। प्रदर्शन के बाद देवघर के तत्कालीन अंचलाधिकारी सिद्धार्थ शंकर चौधरी की शिकायत पर देवघर नगर थाने में प्राथमिकी दर्ज किया गया था। इसमें झाविमो के आंदोलन के दौरान उपायुक्त कार्यालय में जमकर हंगामा करने, तोड़फोड़ और सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने का आरोप लगाया गया था। दर्ज प्राथमिकी में सारठ के भाजपा विधायक रणधीर सिंह उनके समर्थक बलदेव दास, नागेश्वर सिंह, दिनेश मण्डल, सहीम खान, विपिन देव, मणिकांत यादव, गोविंद यादव, बिंदु मण्डल समेत 14 लोगों को आरोपी बनाया गया था। विधायक ने किया फैसले का स्वागत विधायक रणधीर कुमार सिंह ने कहा कि न्यायालय पर पूरा भरोसा है। उन्होंने न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि उन सभी पर बिल्कुल निराधार आरोप लगाया गया था। सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष आरोप सिद्ध नहीं कर सका। इस आधार पर कोर्ट ने उनके साथ सभी 14 आरोपियों को बरी करने का फैसला सुनाया है।
अफगानिस्तान में 'लापरवाह' पाक हवाई हमलों में आठ नागरिकों की मौत, क्षेत्र में तनाव बढ़ा
नई दिल्ली, 18 मार्च (आईएएनएस)। पाकिस्तान द्वारा सोमवार को अफगानिस्तान के सीमावर्ती क्षेत्रों में हवाई हमले से दक्षिण एशिया के इस क्षेत्र में तनाव बढ़ गया है। हमले में कथित तौर पर तीन बच्चों सहित कम से कम आठ नागरिक मारे गए।
बुलंदशहर के नेत्रपाल जाटव ने कहा है कि उनके खेत में एक शीशम का पेड़ लगा था जिसे नसीम, तपीस, हारिस, मुश्ताक और यासीन ने जबरन काट लिया था।
पीएम मोदी ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में देश ने भाजपा का काम देखा है, पार्टी की सबसे बड़ी प्राथमिकताएँ हैं - विकास, ग़रीब कल्याण और सामर्थ्यवान भारत।
अचानक मजदूरों की झुग्गियों में आग लग गई। कुछ ही देर में 12 झुग्गियाँ इस आग की चपेट में आ गई। घटना के समय अधिकतर मजदूर झोपड़ियों में सो रहे थे।
लोजपा (रामविलास) के हिस्से में जो सीटें गई हैं, वो हैं - हाजीपुर, वैशाली, समस्तीपुर, जमुई और खगड़िया। गया से HAM तो करकट से RLJP ताल ठोकेगी।
दिल्ली के मेडिकल कॉलेज में MBBS की 13 छात्राओं ने असिस्टेंट प्रोफेसर सलीम शेख पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है।
बांग्लादेश के सिलहट में एक मुस्लिम कट्टरपंथी ने एक हिन्दू की दुकान पर हमला कर दिया क्योंकि उसने रमजान के दौरान दिन में दुकान खोली हुई थी।
शक्ति पूजा की प्राचीनता का अंदाज़ा आप इसी से लगा सकते हैं कि सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेषों में भी इसके प्रमाण मिले हैं। वो सृजन का स्रोत हैं, ईश्वर की ऊर्जा हैं।
सीएए पर भ्रम फैलाने की राजनीति करने में क्यों जुटा हुआ है विपक्ष?
भारत में नागरिकता संशोधन अधिनियम के लागू होने के बाद एक बार फिर से राजनीतिक गुणा भाग का खेल प्रारंभ हो गया है। तुष्टीकरण की राजनीति करने वाले राजनीतिक दल इस मामले में पूर्व नियोजित राजनीति ही कर रहे हैं। जबकि केंद्र सरकार की ओर से बार बार यह स्पष्ट किया जा रहा है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम नागरिकता देने वाला है, यह किसी की नागरिकता को समाप्त नहीं करेगा। इसके विपरीत केंद्र सरकार के प्रत्येक कदम का विरोध करने वाले राजनीतिक दल इसे भारतीय मुसलमानों के विरोध में उठाया गया कदम बताने का भ्रम पैदा करने वाला रवैया बता रहे हैं। यहां एक बात यह भी स्पष्ट करने वाली है कि इस अधिनियम में भारत के मुसलमान कहीं हैं ही नहीं, फिर क्यों इस अधिनियम में मनमाफिक निहितार्थ तलाश करने की राजनीति की जा रही है? क्या इस प्रकार की राजनीति देश को मजबूत बना सकती है, यकीनन नहीं। क्योंकि जिस देश में कुतर्क की राजनीति की जाती है, वहां भ्रम का वातावरण ही निर्मित होगा। देश के राजनीतिक दलों को चाहिए कि वह स्वच्छ और रचनात्मक राजनीति करके देश को शक्तिशाली बनाने का प्रयास करें। जहां तक भारतीय जनता पार्टी की बात है तो वह अपने एजेंडे से अलग कुछ भी नहीं कर रही है, नागरिकता का मुद्दा उसके लिए पहले से ही प्राथमिकता में रहा है। इतना ही नहीं अभी तक भाजपा नीत केंद्र सरकार ने जो निर्णय लिए हैं, उन सभी को लेकर ही वह जनता के पास गई और भाजपा को ऐसा करने के लिए ही समर्थन मिला। नागरिकता संशोधन अधिनियम के तहत यह भी स्पष्ट है कि इसमें बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के प्रताड़ित अल्पसंख्यक समाज को ही भारत की नागरिकता देने का प्रावधान किया है, इसके विपरीत इन देशों में मुसलमान बहुसंख्यक हैं। वे हिन्दू सहित अन्य गैर मुस्लिमों को प्रताड़ित करते रहते हैं। इसी प्रताड़ना के कारण ही वे अपने देश को छोड़ने के लिए मजबूर हो जाते हैं। इन प्रताड़ित लोगों के लिए किसी भी मुस्लिम देश में शरण नहीं मिलती। इसी कारण से भारत सरकार ने यह कदम उठाया है। जबकि इन देशों में मुस्लिमों को प्रताड़ित नहीं किया जाता। इसके विपरीत भारत में तुष्टीकरण की राजनीति करने वाले नेता इसका गलत अर्थ निकालकर भारतीय मुसलमानों को भ्रमित करने की राजनीति कर रहे हैं। जबकि इस बात को यह भी भली भांति जानते हैं कि इस कानून से भारत के मुसलमानों को कोई नुकसान होने वाला ही नहीं है। यहां एक महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि दुनिया में मुसलमानों को शरण देने वाले कई देश हैं, जबकि प्रताड़ित समाज को शरण देने के कोई भी मुस्लिम देश तैयार नहीं। इसलिए भारत सरकार का यह निर्णय प्रथम दृष्टया उचित ही है। इसे भी पढ़ें: सीएए को समझे बिना मोदी सरकार पर कीचड़ उछालना केजरीवाल की बौखलाहट है वर्तमान में शरणार्थी और घुसपैठियों का अंतर समझने की बहुत आवश्यकता है। शरण वही मांगता है जो मजबूर हो गया हो और घुसपैठ करने वाला व्यक्ति एक उद्देश्य को लेकर चलता है। आज देश के लगभग आठ राज्य ऐसे हैं जहां घुसपैठ करने वाले नागरिक भारत में रह रहे हैं। इतना ही नहीं इनको भारत में राजनीतिक संरक्षण भी आसानी से मिल जाता है। पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी खुलकर घुसपैठियों के समर्थन में खड़ी होती दिखाई देती हैं। यह केवल वोट की खातिर ही किया जा रहा है और यही तुष्टीकरण की पराकाष्ठा है। लेकिन सवाल यह आता है कि जब ये घुसपैठ करने वाले व्यक्ति अपने देश के प्रति वफादार नहीं हुए तो भारत के वफादार कैसे हो सकते हैं? इसलिए शरणार्थियों के लिए तो जगह हो सकती है, लेकिन घुसपैठियों को पनाह देना बहुत बड़े खतरे को आमंत्रण देने के समान ही कहा जाएगा। वास्तविकता यह है ऐसे मामलों में राजनीति नहीं की जानी चाहिए। भाजपा सरकार की नीतियों का विरोध होना चाहिए, यह लोकतंत्र के लिए आवश्यक है, लेकिन यह विरोध देश की कीमत पर नहीं होना चाहिए। आज यह स्पष्ट रूप से प्रदर्शित हो रहा है कि विपक्षी राजनीतिक दल सत्ता प्राप्त करने के लिए देश की जनता के सामने भ्रम की स्थिति पैदा करने का प्रयास करने लगे हैं। मोदी का विरोध करते करते जाने अनजाने में देश का विरोध करने लगते हैं। एक समय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे आचार्य प्रमोद कृष्णम ने यह स्पष्ट तौर पर अभिव्यक्त किया कि कांग्रेस के नेता हिंदुओं से नफरत करते हैं, सनातन का विरोध करते हैं। कांग्रेस को आचार्य प्रमोद कृष्णम की बात पर मंथन करना चाहिए था, लेकिन मंथन करना तो दूर उनको पार्टी से बाहर कर दिया। इसी प्रकार विपक्ष के अन्य राजनीतिक दलों के नेता भी गाहे बगाहे सनातन के विरोध में अप्रिय बयान देते रहे हैं। यह भी एक प्रकार से तुष्टिकरण की राजनीति ही कही जाएगी। ऐसी राजनीति भारत को भारत से अलग करने वाली है। यहां यह भी समझना बहुत जरूरी है कि सनातन धर्म के बारे में गलत और विवादित बयान देने वालों के विरोध में कांग्रेस सहित अन्य दलों ने कोई बयान नहीं दिया। यह एक प्रकार से उनको समर्थन देना ही कहा जाएगा। भारत की राजनीति के लिए यह कोई नई बात नहीं है कि सरकार के निर्णय का बिना किसी नीति या सिद्धांत के विरोध किया जाए। ऐसा पहले भी होता रहा है। हम जानते हैं कि राफेल मामले में भी ऐसा ही विरोध हुआ और इस मामले में अयोध्या के राम मंदिर निर्माण को भी लिया जा सकता है, लेकिन विपक्ष के राजनीतिज्ञ संभवतः यह भूल जाते हैं कि भारत की जनता चाहती क्या है? हम यह भी जानते हैं कि भारत की जनता राम से सीधा जुड़ाव रखती है। इसलिए यह कहा जा सकता है विपक्ष जनता के मनोभाव को समझने में अभी तक असफल ही रहा है। इसी प्रकार सीएए का मामला भी है। विपक्ष का यह कहना किसी भी प्रकार से न्याय संगत नहीं कहा जा सकता कि यह मुसलमानों के विरोध में है। इसके प्रावधान के तहत ऐसा कहीं भी नहीं लिखा है कि किसी को नागरिकता नहीं दी जाएगी या किसी की नागरिकता छीनी जाएगी। जो बातें की जा रही हैं, वे केवल राजनीति के अलावा और कुछ नहीं। हां, इस कानून के तहत विदेशी मुसलमानों को नागरिकता नहीं दिए जाने की परिकल्पना निहित है, परंतु इसमें भारतीय मुसलमान का कहीं कोई परिलक्षण नहीं है। इसलिए विपक्ष केवल भ्रमित करने की ही राजनीति कर रहा है। ऐसी राजनीति से बचना चाहिए। -सुरेश हिंदुस्तानी (लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)
MP में कांग्रेस को बड़ा झटका, कमलनाथ के करीबी ने थामा BJP का दामन
छिंदवाड़ा: मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा से कांग्रेस को एक बड़ा झटका लगा है. मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ के नजदीकी सैयद जफर भारतीय जनता पार्टी में सम्मिलित हो गए हैं. कांग्रेस प्रदेश महामंत्री, मीडिया उपाध्यक्ष एवं प्रदेश प्रवक्ता रह चुके सैयद जफर को भोपाल के भाजपा दफ्तर में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा, मुख्यमंत्री मोहन यादव ने पार्टी की सदस्यता दिलाई. सैयद जफर ने कांग्रेस छोड़ने के संकेत सैयद कुछ दिनों पहले CAA के पक्ष में सोशल मीडिया पोस्ट कर दे दिए थे. मध्य प्रदेश कांग्रेस के पूर्व मीडिया पैनलिस्ट सैयद जफर छिंदवाड़ा जिले में मुस्लिम समाज का बड़ा चेहरा माने जाते हैं. प्रदेश कांग्रेस के पूर्व मीडिया पैनलिस्ट सैयद जफर ने बीते दिनों 'X' पर लिखा था, 'CAA को लेकर भारत की मुस्लिम लीग सर्वोच्च न्यायालय क्यों गई है? क्या मुस्लिम लीग यह चाहती है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश या अफगानिस्तान के मुस्लिम को हिन्दुस्तान की नागरिकता दे दी जाए? CAA के मामले में मुस्लिम लीग और केजरीवाल जैसे नेता फैला रहे हैं भ्रम. वास्तविकता तो यह है कि इस कानून से भारतीय मुस्लिम का कोई नुकसान नहीं होने वाला है. भारत के मुस्लिम लीग के हिसाब से क्या पाकिस्तान, अफगानिस्तान एवं बांग्लादेश में मुसलमान प्रताड़ित हैं? और यदि प्रताड़ित हैं, तो भारत के मुस्लिम लीग को इस पर यह विचार करना चाहिए कि क्यों मुस्लिम मुल्क के नाम पर बने देशों में ही मुस्लिम प्रताड़ित हैं. यदि मुसलमान मुस्लिम देशों में प्रताड़ित है तो फिर सवाल वहां की मुस्लिम सरकारों पर उठाना चाहिए ना कि हिंदुस्तान की सरकार से? मुस्लिम मुल्कों में प्रताड़ित मुस्लिमोंं के मामले में मुस्लिम लीग को 57 देशों वाले इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) से मुसलमानों के हित में न्याय की मांग करना चाहिए. भारत का मुस्लिम तो स्वतंत्रता के पश्चात् से आज तक भारत में सुरक्षित है. हिन्दुस्तानी मुसलमान पूरे ईमान के साथ अपने वतन की मिट्टी के साथ है तथा पूरे भरोसे के साथ इस मुल्क के साथ खड़ा है. मुस्लिम लीग सर्वोच्च न्यायालय में CAA पर सवाल खड़ा करके हिन्दुस्तानी मुस्लिमों में भ्रम फैलाने का प्रयास बंद करे.'' बता दें कि बीते दिनों कांग्रेस नेता कमलनाथ के भविष्य के कदम को लेकर भी बहुत अटकलें थीं. हालांकि, उनके सहयोगियों एवं दिग्विजय सिंह जैसे पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने कई बार आश्वासन दिया कि कमलनाथ की भाजपा में सम्मिलित होने की कोई रणनीति नहीं है. कमलनाथ ने भी कहा कि उनके BJP में जाने की अटकलें मीडिया की उपज थी, क्योंकि उन्होंने कभी ऐसा बयान नहीं दिया. कान्हा की नगरी ब्रज में इस दिन मनाई जाएगी होली, खूब उड़ेगा रंग गुलाल 'मेरी माँ से रोते हुए कहा था..', राहुल गांधी के बयान पर अशोक चव्हाण बोले- मैं सोनिया गांधी से कभी मिला ही नहीं MP से आई खुशखबरी, कूनो की मादा चीता गामिनी ने बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड
नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता सौरभ भारद्वाज ने सोमवार को कहा कि अरविंद केजरीवाल को उत्पाद शुल्क नीति के एक मामले में जमानत मिल गई है, इसलिए उन्हें एक नया मामला मिल गया है जिसके तहत उन्हें तलब किया जा रहा है, उन्होंने कहा कि भाजपा किसी भी मुद्दे का पता लगा सकती है और जिसे चाहे उसे बुला सकती है। दिल्ली के मंत्री ने कहा कि अगर केजरीवाल रैली करते हैं तो भारतीय जनता पार्टी के लिए बाधाएं बढ़ जाएंगी। भरद्वाज ने कहा कि, केंद्र सरकार को लगता है कि अगर अरविंद केजरीवाल दिल्ली से बाहर जाएंगे और INDIA गठबंधन के लिए रैली और बैठक करेंगे, तो बीजेपी के लिए बाधाएं बढ़ जाएंगी। इसलिए, वे उन्हें किसी भी तरह से सलाखों के पीछे डालना चाहते हैं। उन्हें उत्पाद शुल्क नीति मामले में जमानत मिल गई है, इसलिए उन्होंने एक नया विकल्प ढूंढ लिया है। उनके (भाजपा) पास सभी एजेंसियां हैं, वे किसी भी मुद्दे का पता लगा सकते हैं और जिसे चाहें समन भेज सकते हैं।'' इस बीच, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दिल्ली जल बोर्ड (DJB) मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सामने पेश नहीं होंगे। इससे पहले, ईडी ने दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में सोमवार के लिए अरविंद केजरीवाल को एक और समन जारी किया था। उन्हें दिल्ली जल बोर्ड मामले में धन शोधन निवारण अधिनियम की धारा 50 के तहत ईडी ने समन जारी किया था। इससे पहले, आम आदमी पार्टी नेता और दिल्ली की मंत्री आतिशी ने दावा किया कि मामला 'फर्जी' है, उन्होंने कहा कि पार्टी को इस मामले में ईडी द्वारा दर्ज मामले की जानकारी नहीं है। इस साल फरवरी में, ईडी ने डीजेबी की निविदा प्रक्रिया में कथित अनियमितताओं की मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में एक सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता, जगदीश कुमार अरोड़ा और एक ठेकेदार, अनिल कुमार अग्रवाल को गिरफ्तार किया था। EDडी डीजेबी की निविदा प्रक्रिया में अनियमितताओं के दो अलग-अलग मामलों की जांच कर रहा है, और इसका आपराधिक मामला सीबीआई की एक एफआईआर और दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) से जुड़ा है। ED द्वारा दर्ज शिकायतों के मामले में केजरीवाल को 15,000 रुपये के जमानत बांड पर जमानत मिल गई थी। वह जमानत पर हैं और अदालत ने उनसे ईडी के समन का जवाब देने और कानून का पालन करने को कहा है। कोर्ट ने दिल्ली के मुख्यमंत्री को निर्देश दिया कि संविधान की शपथ लेने वाले व्यक्ति के लिए कानून का पालन करना उचित है। दिल्ली के मुख्यमंत्री ने अब तक दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति मामले में ईडी द्वारा 4 मार्च, 26 फरवरी, 19 फरवरी, 2 फरवरी, 18 जनवरी, 3 जनवरी, 2 नवंबर और 22 दिसंबर को जारी किए गए आठ पिछले समन को अवैध और गैरकानूनी बताया है। ED इस मामले में नीति निर्माण, इसे अंतिम रूप देने से पहले हुई बैठकों और रिश्वतखोरी के आरोपों जैसे मुद्दों पर केजरीवाल का बयान दर्ज करना चाहता है। MP में कांग्रेस को बड़ा झटका, कमलनाथ के करीबी ने थामा BJP का दामन कान्हा की नगरी ब्रज में इस दिन मनाई जाएगी होली, खूब उड़ेगा रंग गुलाल 'मेरी माँ से रोते हुए कहा था..', राहुल गांधी के बयान पर अशोक चव्हाण बोले- मैं सोनिया गांधी से कभी मिला ही नहीं
अयोध्या: राहुल गांधी के विवादास्पद 'शक्ति' बयान के एक दिन बाद, अयोध्या राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास ने सोमवार को कहा कि कांग्रेस की वर्तमान स्थिति राहुल गांधी द्वारा की गई टिप्पणियों के कारण ही है। आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि, यही कारण है कि पार्टी की हालत खराब लगातार होती जा रही है। यह एक हिंदू विरोधी पार्टी है। भारत एक हिंदू बहुल देश है। अगर वे ऐसी टिप्पणी करेंगे तो उनके साथ कौन खड़ा होगा?” साथ ही उन्होंने राहुल गांधी को 'गिरफ्तार' किए जाने की भी मांग की। उन्होंने कहा कि, “नारी शक्ति हिंदू धर्म, सनातन धर्म का गौरव है। जो नेता हमारे देवी-देवताओं के खिलाफ बोलता है उसे जेल भेजा जाना चाहिए।'' उल्लेखनीय है कि, रविवार को, अपनी 63-दिवसीय 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' के समापन के एक दिन बाद, राहुल गांधी ने देश की वित्तीय राजधानी में शिवाजी पार्क में एक रैली को संबोधित किया। इस कार्यक्रम ने विपक्षी इंडिया फ्रंट की पहली संयुक्त रैली को भी चिह्नित किया, जो आगामी लोकसभा चुनावों में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की भाजपा से मुकाबला करेगी। वहां, वायनाड सांसद ने कहा कि: “हिंदू धर्म में एक शब्द है 'शक्ति' हम एक शक्ति के खिलाफ लड़ रहे हैं। चूंकि 'शक्ति' शब्द देवी दुर्गा से जुड़ा है, इसलिए कांग्रेस नेता की टिप्पणी ने तुरंत विवाद खड़ा कर दिया। भारत में शक्ति की उपासना करने के कारण ही एक संप्रदाय का नाम शाक्त भी है। दुर्गा पूजा को ही शक्ति पूजा और नवरात्री को शक्ति पर्व कहा जाता है। ऐसे में राहुल के इस बयान की जमकर आलोचना हो रही है। सोमवार को तेलंगाना के जगतियाल में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने भी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उनके लिए 'हर मां, बेटी और बहन शक्ति का रूप हैं और अब मुकाबला शक्ति के विनाश की बात करने वालों और शक्ति की उपासन करने वालों के बीच है।' कान्हा की नगरी ब्रज में इस दिन मनाई जाएगी होली, खूब उड़ेगा रंग गुलाल 'मेरी माँ से रोते हुए कहा था..', राहुल गांधी के बयान पर अशोक चव्हाण बोले- मैं सोनिया गांधी से कभी मिला ही नहीं MP से आई खुशखबरी, कूनो की मादा चीता गामिनी ने बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड
'राहुल गांधी की यात्रा जहां से गुजरी वहां से कांग्रेस ही गुजर गई', शिवराज सिंह ने साधा निशाना
भोपाल: मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज ने सोमवार को मीडिया से चर्चा में कहा कि राहुल गांधी ने अपनी एक और विफल यात्रा का समापन किया। राहुल ने दो यात्राएं की तथा वह दो यात्राएं भारत जोड़ो, कांग्रेस तोड़ो, कांग्रेस छोड़ो यात्रा सिद्ध हुई। शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि उनकी यात्रा जहां से गुजरी वहां से कांग्रेस ही गुजर गई। न्याय यात्रा ने भी कांग्रेस के साथ अन्याय ही किया। जहां से वो गुजरे वहां कांग्रेस या तो हारी या शीर्ष नेताओं ने कांग्रेस छोड़ी। शिवराज ने कहा कि मैं राहुल जी और खड़गे जी से आज कुछ सवाल पूछ रहा हूं तथा उनके जवाब चाहता हूं। देश जानना चाहता है वो जवाब दें! शिवराज ने राहुल गांधी एवं मल्लिकार्जुन खरगे से पूछा कि जब अयोध्या में प्रभु श्री राम के दिव्य और भव्य मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा हुई थी तब संपूर्ण देश आनंद, उत्सव एवं भक्ति से सरोवार था। निमंत्रण उन्हें भी प्राप्त हुआ था, कि वो हिन्दू धर्म के सबसे बड़े पर्व में सम्मिलित हों उन्होंने इस कार्यक्रम में सम्मिलित नहीं होने का निर्णय क्यों किया? निमंत्रण ठुकरा दिया। मैं यह मानता हूं, कांग्रेस की इस ऐतिहासिक भूल के लिए जवाब देना चाहिए। पश्चिम बंगाल का संदेशखाली में बहन एवं बेटियों के साथ जो अमानसिक मध्ययुगीन अत्याचार एवं अन्याय, घिनौने कृत्य हुआ। बहनें सड़कों पर उतरी, मगर कांग्रेस की ओर से उनके समर्थन में एक भी बयान नहीं आया। क्या यह आपकी तुष्टिकरण की नीति नहीं है। शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि एक बात मैं पूछना चाहता हूं देश भी जानना चाहता है। पीएम नरेंद्र मोदी दुनिया के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता, जो जनता के दिलों में बसते हैं देश उनका पूरा परिवार है। उनके विरुद्ध राहुल जी और उनकी पार्टी के नेता आपत्तिजनक बयान देते हैं यह भारत की संस्कृति नहीं है। पीएम के पद पर आसीन एक ऐसे नेता जो विकसित भारत का निर्माण कर रहे हैं सारी दुनिया जिनका सम्मान करती है, उनके विरुद्ध अशब्द शब्दो का उपयोग क्या यही कांग्रेस एवं इंडी गठबंधन का चरित्र है? वहीं, सोनिया गांधी ने लोकसभा का चुनाव क्यों नहीं लड़ा?, इसका जवाब भी जनता चाहती है। कान्हा की नगरी ब्रज में इस दिन मनाई जाएगी होली, खूब उड़ेगा रंग गुलाल 'मेरी माँ से रोते हुए कहा था..', राहुल गांधी के बयान पर अशोक चव्हाण बोले- मैं सोनिया गांधी से कभी मिला ही नहीं MP से आई खुशखबरी, कूनो की मादा चीता गामिनी ने बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी के नेतृत्व में भारत जोड़ो न्याय यात्रा रविवार को मुंबई में संपन्न हुई। समापन समारोह में इंडिया एलायंस की एकता देखने को मिली। इस दौरान विपक्षी दलों के नेताओं ने जनसभा को संबोधित करते हुए बीजेपी पर जमकर निशाना साधा है. उन्होंने ईवीएम और चुनावी बांड का मुद्दा उठाया.....
लोकसभा चुनाव 2024 की तारीखों का ऐलान होते ही चुनावी सरगर्मियां तेज हो गई हैं. चुनाव 7 चरणों में होंगे और अधिसूचना 22 मार्च को जारी होगी. वोटों की गिनती 7 जून को होगी. पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को होगा और.....
लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है. चुनाव 7 चरणों में होंगे. नतीजे 4 जून को घोषित किए जाएंगे. इस चुनाव में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राम मंदिर समेत 5 बड़े मुद्दे भारी पड़ सकते हैं. आइए जानते हैं इनके बारे में विस्तार से...
बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और राजद नेता तेजस्वी यादव ने पेपर लीक मामले को लेकर नीतीश कुमार सरकार पर जमकर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि जब हम सरकार में थे तो क्या 17 महीने में कोई पेपर लीक हुआ? इसे कहते हैं....
कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने हिंदू धर्म का एक बार फिर से अपमान किया है। उन्होंने न्याय यात्रा में 'शक्ति' शब्द का प्रयोग किया।
सबसे ज्यादा लोकसभा सीटों वाले राज्यों की सूची में केरल 20 सीटों के साथ 12वें नंबर पर है. केरल में 2019 की तरह इस बार भी सभी 20 लोकसभा सीटों के लिए एक ही चरण में मतदान होगा। केरल में सबसे बड़ी लड़ाई कांग्रेस और....
देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों के लिए इस बार का आम चुनाव खास इसलिए है क्योंकि इसके परिणाम इन दलों के अस्तित्व के बचे रहने या खत्म होने का भी निर्धारण करने वाले हैं। जहां तक कांग्रेस की बात है तो भले वहां गांधी परिवार से अलग अध्यक्ष आ गया हो लेकिन पार्टी अब भी पूरी तरह गांधी परिवार के प्रभाव में काम कर रही है इसलिए तमाम प्रयास करने के बावजूद आगे नहीं बढ़ पा रही है। 2014 से कांग्रेस की हार का और नेताओं के पार्टी छोड़ने का जो सिलसिला शुरू हुआ है वह अनवरत जारी है। देखा जाये तो पिछले दो लोकसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस एक बार फिर बेहद मुश्किल माने जा रहे चुनाव में उतर रही है। इस चुनाव में उसके सामने अस्तित्व बचाने की कड़ी चुनौती है क्योंकि एक बार उसका मुकाबला एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली शक्तिशाली भाजपा से है। कुछ ऐसी ही चुनौती आम आदमी पार्टी, वाम दलों और कई अन्य क्षेत्रीय दलों के लिए भी है। देखा जाये तो कांग्रेस का आजादी से पहले से लेकर पिछले दशक तक राष्ट्रीय राजनीतिक परिदृश्य में बड़ा दबदबा था, लेकिन कुछ वर्षों से वह लगातार सिमटती जा रही है। अब वह केवल तीन राज्यों- कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश और तेलंगाना में अपने दम पर सत्ता में है। यही नहीं, इस पर भी एक बड़ा सवालिया निशान है कि क्या वह ‘इंडिया’ गठबंधन की अगुवाई का दावा भी कर सकती है। इसे भी पढ़ें: अति उत्साह में आकर भाजपा कहीं 2004 के चुनावों के दौरान वाली गलती ना कर दे! देखा जाये तो केंद्र में नरेंद्र मोदी के रहते पिछला दशक 138 साल पुरानी पार्टी के लिए बहुत मुश्किल भरा रहा। वह लोकसभा में विपक्ष के नेता के पद के लिए आवश्यक सीटें भी हासिल करने में विफल रही। कांग्रेस नेता पार्टी की गौरवशाली विरासत पर भरोसा करते हुए पतन के रुकने और फिर से खड़े होने की उम्मीद कर रहे हैं, हालांकि कई चुनौतियां उनके सामने खड़ी हैं। कांग्रेस पार्टी ने पिछले चुनाव में लड़ी गई 421 सीटों में से केवल 52 सीटें हासिल कीं, जिससे 2014 की तुलना में उसकी संख्या में थोड़ा सुधार हुआ जब उसने लड़ी गई 464 सीटों में से 44 सीटें हासिल की थीं। 2014 में 178 के मुकाबले 2019 में 148 कांग्रेस उम्मीदवारों ने अपनी जमानत गंवा दी। हम आपको बता दें कि वर्ष 1984 में कांग्रेस के लिए शिखर तब आया जब उसने रिकॉर्ड 404 सीटें जीतीं। हालांकि उस जीत में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या से उपजी सहानुभूति की लहर एक बड़ा कारक रही थी। इसके बाद 1989 के आम चुनाव में कांग्रेस को 197 सीट, 1991 में 232, 1996 में 140, 1998 में 141, 1999 में 114, 2004 में 145 और 2009 में 206 सीटें मिलीं थीं। इसके बाद 2014 में कांग्रेस को 44 और 2019 के चुनाव में 52 सीटें मिलीं। वर्ष 2019 और 2014 के लोकसभा चुनावों में पार्टी के लिए हल्की उम्मीद की किरण यह थी कि उसने अपना मत प्रतिशत लगभग 19 प्रतिशत पर बनाए रखा, जिसे अब वह आगे बढ़ाने की उम्मीद कर रही है। 2009 में, जब मनमोहन सिंह सत्ता में लौटे थे, तो पार्टी को 28.55 प्रतिशत मत मिले थे। कांग्रेस में बिखराव का ऐसा सिलसिला शुरू हुआ है जो थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। खास बात यह है कि इस बिखराव को रोकने के प्रयास भी नहीं किये जा रहे हैं। राहुल गांधी ने अपनी भारत जोड़ो न्याय यात्रा जिस दिन शुरू की थी उस दिन से कांग्रेस छोड़ने वाले नेताओं की संख्या में निरंतर वृद्धि होती रही जोकि यात्रा के समापन के बाद भी जारी है। शायद कांग्रेस इस बात को समझ चुकी है कि परिणाम क्या रहने वाले हैं इसलिए चुनाव प्रचार की औपचारिक शुरुआत से पहले ही ईवीएम पर निशाना साधना शुरू कर दिया है। वहीं विपक्ष के अन्य दलों की बात करें तो दिल्ली और पंजाब में सत्तारुढ़ ‘आप’ ने करीब एक दशक में राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल कर लिया है। वह आगामी लोकसभा चुनावों में अपने राजनीतिक पदचिह्न का विस्तार करने की कोशिश करेगी। हम आपको बता दें कि आम आदमी पार्टी भी ‘इंडिया’ गठबंधन की एक प्रमुख घटक है। पार्टी बड़ी परीक्षा के लिए तैयार है और उसे अपने नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों और आबकारी नीति घोटाला मामले में अपने प्रमुख अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के खतरे जैसी चुनौतियों से भी निपटना है। आप पंजाब (13 सीटें), दिल्ली (4), असम (2), गुजरात (2) और हरियाणा (एक सीट) में लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ रही है। 17वीं लोकसभा में केवल पांच सांसदों तक सीमित रही आप विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन का हिस्सा है। 2019 के चुनावों में अब तक की सबसे कम संख्या हासिल करने के बाद इस आम चुनाव में उनके लिए करो या मरो की स्थिति है। दूसरी ओर, वामपंथी दलों के लिए भी यह लोकसभा चुनाव अस्तित्व बचाने की चुनौती वाला है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी और ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक ने पिछले कुछ चुनावों में अपने प्रदर्शन में लगातार गिरावट देखी है। वामपंथी दलों में भाकपा अपना राष्ट्रीय दर्जा खो चुकी है और माकपा राष्ट्रीय दल है, लेकिन उसका आधार भी सिकुड़ता जा रहा है। देखा जाये यह लोकसभा चुनाव वाम दलों के भविष्य के लिए भी निर्णायक रहने वाला है। वहीं राष्ट्रीय जनता दल, भारत राष्ट्र समिति, एआईयूडीएफ, वाईएसआर कांग्रेस, तेलुगू देशम पार्टी, इंडियन नेशनल लोकदल, जननायक जनता पार्टी, पीडीपी, नेशनल कांफ्रेंस, झारखंड मुक्ति मोर्चा, शिवसेना और एनसीपी के दोनों गुट, एमएनएफ, जेडपीएम, शिरोमणि अकाली दल, अन्नाद्रमुक, बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस के लिए भी यह चुनाव करो या मरो जैसी स्थिति वाले हैं। देखना होगा कि लोकसभा चुनावों में इन क्षेत्रीय दलों के हाथ कितनी सफलता लगती है।
अति उत्साह में आकर भाजपा कहीं 2004 के चुनावों के दौरान वाली गलती ना कर दे!
एक कहानी है, देवराज इन्द्र के गजराज अक्सर गन्ने खाने के लिए पृथ्वीलोक पर एक खेत में आते थे। उस खेत का मालिक बहुत परेशान था, क्योंकि फसल का नुकसान तो होता परन्तु उसे चोर के कहीं पदचिन्ह नहीं मिलते। एक रात गुस्साया किसान चोर को पकड़ने के लिए खेत में छिप कर बैठ गया, जब गजराज धरती पर उतरे तो किसान ने उस एरावत की पूंछ पकड़ ली। गजराज घबरा गए और जान बचाने के लिए तुरन्त इन्द्रलोक की ओर उड़ लिए और उसके साथ-साथ किसान भी पूंछ पकड़े उड़ चला। गजराज को चिन्ता हो गई कि जीवित व्यक्ति स्वर्गलोक पहुंचा तो सारी मर्यादा भंग हो जाएगी, तो उसने अपनी पूंछ मुक्त करवाने के लिए खूब मेहनत की। गजरात उड़ते-उड़ते कभी उल्टा-पुल्टा हुए तो कभी शरीर को झटकाया, लेकिन ज्यों-ज्यों झटके लगे किसान की पकड़ त्यों-त्यों मजबूत होती जाए। अब गजराज ने युक्ति से काम लिया और रणनीति बदली। उसने किसान से बातचीत करनी शुरू कर दी। एरावत ने पूछ लिया कि तुम इतने मीठे गन्ने उगाते कैसे हो? अपनी बड़ाई सुन फूल कर कुप्पा हुए किसान ने सारी तकनीक बता दी। बातचीत करते-करते दोनों में मित्रता हो गई। मौका देख कर एरावत ने कहा, आज तक जितने गन्ने मैंने तुम्हारे खेत के खाए हैं चलो मैं महाराज इन्द्रदेव से बोल कर उतना सोना तुम्हें पुरस्कार में दिलवा देता हूं। सोने का नाम सुनते ही किसान इतना खुश हुआ कि ताली बजाने लगा, उसने जैसे ही ताली बजाने के लिए हाथ खोले तो धड़ाम से धरती पर आ गिरा और गजराज महोदय स्वर्गलोक को प्रस्थान कर गए। जो किसान हाथी के साथ संघर्ष के समय विकट परिस्थितियों में भी उसकी पूंछ पकड़े रहा वह अनुकूल परिस्थिति होते ही धड़ाम से धरती पर आ गिरा। प्रतिकूल परिस्थितियों के खतरे तो सर्वज्ञात हैं परन्तु कहानी बताती है कि अनुकूल हालात भी खतरे से खाली नहीं होते, प्रतिकूल हालातों में इंसान संघर्ष करता है परन्तु महौल बदलेत ही अक्सर असावधान हो जाता है और यहीं चूक कर जाता है। देश में लोकसभा चुनावों का शंखनाद हो चुका है। आज परिस्थितियां सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के पक्ष में बताई जा रही हैं। वर्तमान में द्रुत गति से हो रहा विकास, कुलांचे भरती अर्थव्यवस्था, स्वदेशी और आत्मनिर्भरता को लक्ष्य बना अग्रसर हो रहा भारत व विदेशी कूटनीतिक मोर्चों पर देश को मिलती सफलता या बात करें सांस्कृतिक उत्थान और साम्प्रदायिक सौहार्द की, तो थोड़ी बहुत नुक्ताचीनी के बाद कमोबेश हर विरोधी भी मान रहा है कि वर्तमान सरकार का कार्यकाल अच्छा रहा है। इन परिस्थितियों से ही तो उत्साहित हो कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अबकी बार चार सौ पार का उत्साही नारा दिया है, सत्ताधारियों की दृष्टि से हर कहीं बम-बम है, बस यहीं से शुरू हो सकता है अनुकूल परिस्थिति के खतरे पैदा होने का क्रम। अतिउत्साही भाजपा को यह विस्मृत नहीं होना चाहिए कि साल 2004 में भी उसके पास नरेन्द्र मोदी व अमित शाह की तरह अटल बिहारी वाजपेयी व लालकृष्ण आडवाणी जैसे करिश्माई नेतृत्व की छत्रछाया थी। उस लोकसभा चुनावों में भारत उदय का आकर्षक नारा दिया गया था, अर्थव्यवस्था व विकास तब भी मृगझुण्डों के साथ चुंगियां भरने की स्पर्धा कर रहे थे परन्तु पार्टी की दृष्टि से परिणाम निराशाजनक रहे। छोटे-छोटे दलों को साथ लेकर कांग्रेस की तत्कालीन अध्यक्षा सोनिया गान्धी ने राजग को ऐसी पटकनी दी कि अगले दस साल तक केंद्र में कांग्रेस की सरकार सत्ता में रही। इसे भी पढ़ें: BJP Ticket हासिल करने के लिए क्या करना होता है? किस आधार पर भाजपा केंद्रीय चुनाव समिति नामों को मंजूरी देती है? माना कि इस तरह की चेतावनी पहली बार नहीं दी जा रही और भाजपा नेतृत्व इस प्रकरण से कुछ सीखा नहीं होगा परन्तु इसके बावजूद भी पार्टी को संघर्ष के मार्ग को हर हालत में पकड़ कर रखना होगा। वैसे भी मोदी-शाह की जुगलबन्दी और अटल-आडवाणी की जोड़ी की कार्यप्रणाली में गांधी जी व सरदार पटेल जैसी भिन्नता सर्वज्ञात है और विपक्ष की डांवाडोल हालत में 2004 दोहराया जाना फिलहाल सम्भव नहीं लगता परन्तु भाजपा को अपनी संघर्षमयी कार्यप्रणाली को बनाए रखना होगा। देश में केवल भाजपा व वामदलों को ही कार्यकर्ता आधारित दल होने का श्रेय प्राप्त है। कार्यकर्ता के गुणों की पहचान, कार्यकर्ता निर्माण, उसे रुचि व क्षमता अनुसार काम और पूरा सम्मान व इसके साथ जनता से निरन्तर सम्पर्क भारतीय जनता पार्टी की प्रमाणिक कार्यप्रणाली मानी जाती है। पालने से लेकर पार्लियामेण्ट तक पार्टी इसी पद्धति से आगे बढ़ी है। आज चाहे भाजपा को लक्ष्य सरल लग रहा है परन्तु मार्ग इतना भी आसान नहीं है कि लोकसभा में चार सौ सदस्यों को बिना संघर्ष किए शपथ दिलवाई जा सके। चाहे कांग्रेस कमजोर दिख रही है परन्तु तृणमूल कांग्रेस, सपा, डीएमके, एआईएडीएमके, बसपा, आम आदमी पार्टी, पीडीपी, नेशनल कान्फ्रेंस सहित अनेक क्षत्रप अपने-अपने क्षेत्रों में मजबूती के साथ पांव जमाए हुए हैं। कहीं-कहीं इण्डिया गठजोड़ के प्लेटफार्म पर मिल कर ये सूबेदार भाजपा की कड़ी परीक्षा लेने वाले हैं। दूसरी ओर विकसित और आत्मनिर्भरता के मार्ग पर बढ़ रहा भारत बहुत-सी शक्तियों के आंखों की किरकिरी बना हुआ है। जो भारत दुनिया हथियारों की दुनिया का सबसे बड़ा आयातक था वो आज सैन्य सामग्री निर्यात करने लगा है, भला देसी-विदेशी शस्त्रलॉबी इसे कैसे बर्दाश्त कर सकती है? प्रतिबन्ध के बाद से देश में जिन लाखों विदेशी एनजीओ की दुकानदारी बन्द हो गई क्या वे सत्ता परिवर्तन नहीं चाह रही होंगी? इन सबके मद्देनजर भाजपा को कार्यपद्धति पर चलते हुए पूरी शक्ति के साथ चुनावों में उतरना होगा और अनुकूलता के खतरों से सावधान रहना होगा। -राकेश सैन
बिहार विधान पार्षद के सीएए पर बयान को जदयू प्रवक्ता ने बताया 'निजी'
पटना, 18 मार्च (आईएएनएस)। बिहार में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को लेकर जदयू के विधान पार्षद खालिद अनवर के बयान पर जदयू के प्रवक्ता और पूर्व मंत्री नीरज कुमार ने सफाई दी है। उन्होंने साफ लहजे में कहा कि यह एक विधान पार्षद का निजी बयान हो सकता है।
खबरों में बताया जा रहा है कि एल्विश यादव ने पुलिस पूछताछ में साँपों का जहर सप्लाई करने के जुर्म को स्वीकार कर लिया है।
पीएम मोदी ने विपक्ष के वार को फिर बनाया हथियार, 'परिवार' के बाद 'शक्ति' वाले बयान पर किया प्रहार
नई दिल्ली, 18 मार्च (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को तेलंगाना के जगतियाल में रैली में राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि उनकी लड़ाई शक्ति के खिलाफ है और मेरे लिए हर मां और बेटी शक्ति का प्रतीक है। उन्होंने आगे कहा, मैं भारत मां का पुजारी हूं, मैं शक्ति के प्रत्येक रूप की रक्षा के लिए अपना जीवन खपा दूंगा।
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के पूर्व कैबिनेट मंत्री और AAP विधायक सत्येन्द्र जैन को स्वास्थ्य आधार पर नियमित जमानत देने से मना कर दिया है।
तमिलसाई सौंदरराजन ने तेलंगाना गवर्नर और पुडुचेरी के एलजी पद से दिया इस्तीफा
चेन्नई, 18 मार्च (आईएएनएस)। पुडुचेरी की उपराज्यपाल और तेलंगाना की राज्यपाल डॉ. तमिलिसाई सौंदरराजन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।
तेलंगाना गवर्नर तमिलिसाई सौंदर्यराजन ने अपने पद से दिया इस्तीफा, लोकसभा चुनाव लड़ने की अटकलें
हैदराबाद: तेलंगाना के राज्यपाल के रूप में कार्यरत तमिलिसाई सुंदरराजन ने अपने पद से इस्तीफे की घोषणा की है। भाजपा में एक प्रमुख व्यक्ति, विशेष रूप से तमिलनाडु में जहां वह पहले पार्टी अध्यक्ष थीं, सौंदर्यराजन के पद छोड़ने के फैसले से उनके गृह राज्य से आगामी लोकसभा चुनावों में उनकी संभावित उम्मीदवारी का मार्ग प्रशस्त होने की अटकलें हैं। उनका इस्तीफा दिल्ली में दिया गया, जहां उन्होंने सोमवार सुबह राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक औपचारिक पत्र भी भेजा, जिसमें उन्होंने आधिकारिक तौर पर राज्यपाल के रूप में अपनी भूमिका छोड़ दी। सूत्रों का कहना है कि सौंदरराजन को लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा के उम्मीदवारों की आगामी तीसरी सूची में शामिल किए जाने की संभावना है, जो जल्द ही जारी होने की उम्मीद है। सूत्र आगे संकेत देते हैं कि वह तीन निर्वाचन क्षेत्रों में से एक से चुनाव में खड़ी हो सकती हैं: उत्तरी तमिलनाडु, पुडुचेरी, या चेन्नई दक्षिण सीट। यह कदम भाजपा के राजनीतिक परिदृश्य में उनकी निरंतर भागीदारी और प्रभाव को रेखांकित करता है, खासकर उनके गृह राज्य में जहां उनसे चुनावी प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लेने की उम्मीद की जाती है। सौंदर्यराजन की संभावित उम्मीदवारी आगामी लोकसभा चुनावों में एक दिलचस्प आयाम जोड़ती है, क्योंकि उनका व्यापक राजनीतिक अनुभव और क्षेत्रीय प्रभाव तमिलनाडु और पड़ोसी क्षेत्रों में चुनावी गतिशीलता पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है। जैसे-जैसे भाजपा के उम्मीदवारों की घोषणाओं को लेकर प्रत्याशा बढ़ती जा रही है, सौंदर्यराजन का राज्यपाल पद से इस्तीफा देने का निर्णय लोकतांत्रिक प्रक्रिया में सीधे शामिल होने और पार्टी के चुनावी प्रयासों में योगदान देने की उनकी तत्परता का संकेत देता है। रमज़ान में दूकान क्यों खोली ? हिन्दू दुकानदार पर मुस्लिम भीड़ का हमला, मार-मारकर किया अधमरा पांचवी बार रूस के राष्ट्रपति बने पुतिन, 87% वोटों के साथ एकतरफा जीता चुनाव गैंगरेप में हुए नाकाम तो युवकों ने पार कर दी हैवानियत की सारी हदें
'ED अफसर ने कहा- 'आप नरेंद्र मोदी को हरा सकते हैं'', राहुल गाँधी ने सुनाया किस्सा
मुंबई: महाराष्ट्र कि आर्थिक राजधानी मुंबई के दादर स्थित शिवाजी पार्क में पिछले रविवार को कांग्रेस की भारत जोड़ो न्याय यात्रा की समापन रैली का आयोजन किया गया. इस अवसर पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन, राजद नेता तेजस्वी यादव, शिवसेना (UBT) के प्रमुख उद्धव ठाकरे, NCP (शरद गुट) प्रमुख शरद पवार सहित समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी (AAP) समेत इंडिया गठबंधन के कई नेता उपस्थित रहे. रैली में राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर खूब हमला बोला तथा आगामी लोकसभा चुनाव का आगाज किया. रैली में राहुल बेहद अक्रामक दिखाई दिए. उन्होंने एक के पश्चात् एक मोदी सरकार पर तीखे वार किए. इसके साथ ही जमीन अधिग्रहण एक किस्सा भी सुनाया. राहुल ने कहा कि ‘जब इनकी बनी तो अरुण जेटली मेरे पास आए, हम कमरे में बैठे थे. इस के चलते अरुण जेटली ने मुझसे कहा कि राहुल जमीन अधिग्रहण के बारे में मत बोलो. राहुल ने कहा कि ये जनता का मामला है ऐसे में वो क्यों न इस मामले पर बोलें. तो उन्होंने कहा कि यदि इस बारे में बोलोगे तो तुम पर केस लगाएंगे…’ इसके आगे राहुल ने कहा कि जितने केस लगाने हैं लगा लो उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता. क्या कर लोगे मेरा. राहुल ने बताया कि प्रवर्तन निदेशालय वाले आए और 50 घंटे तक बैठे रहे. आखिरी में प्रवर्तन निदेशालय के अफसर ने उनसे कहा कि आप किसी से नहीं डरते हैं ऐसे में आप नरेंद्र मोदी को हरा सकते हैं. राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी को भ्रष्टाचार की मोनोपॉली बताया. राहुल ने कहा कि मौजूदा वक़्त में देश में 4 प्रकार से वसूली की जा रही है. इसमें पहला तरीका है चंदा दो, धंधा लो, दूसरा तरीका है हफ्ता वसूली, तीसरा तरीका ठेका लो, रिश्वत दो एवं चौथा और शेल कंपनी है. राहुल ने कहा कि राजा की आत्मा EVM, CBI, ED, आयकर में है. इसी के दम पर वो नेताओं को डरा धमका कर भाजपा में सम्मिलित करा रहे हैं. उन्होंने कहा कि लोग डर के कारण भाजपा में जा रहे हैं. शिवसेना, एनसीपी (शरद गुट), कांग्रेस के नेता ऐसे ही भाजपा में सम्मिलित नहीं हो रहे. राहुल ने कहा कि वो सिस्टम को अंदर से जानते हैं इसीलिए नरेंद्र मोदी उनसे डरते हैं. '420 करने वाले लोग 400 पार की बात कर रहे..', भाजपा पर प्रकाश राज ने कसा तंज अगले 5 सालों में होंगे कई बड़े फैसले ! पीएम मोदी ने मंत्रियों को अभी से दे दिए तैयारी करने के निर्देश हादसे का शिकार हुई बारातियों से भरी कार, 3 बच्चों सहित 7 की दुखद मौत
कांग्रेस के छह बागी पूर्व विधायकों के क्षेत्रों में उपचुनाव होगा दिलचस्प
हिमाचल की सियासत में आए तूफान की लहरें शांत नहीं हुई हैं
तथागत रॉय ने कहा कि शरणार्थी पुरुषों के के धर्म का परीक्षण खतना या और किसी विधि से होना चाहिए। जो भी पुरुष इस प्रक्रिया में हिन्दू पाए जाते हैं, उनके साथ आने वाली महिलाओं को भी हिन्दू माना जाए।
अदाणी समूह वित्तवर्ष 2024-25 में 1.2 लाख करोड़ रुपये का निवेश करेगा
तेज विकास के अगले चरण के लिए मंच तैयार करने के प्रयास में अदाणी समूह ने अगले वित्तवर्ष (2024-25) में अपनी कंपनियों में लगभग 14 अरब डॉलर (करीब 1.2 लाख करोड़ रुपये) के निवेश का लक्ष्य रखा है
पारुचुरी अभिजीत की लाश एक कार के अंदर लावारिश हालत में मिली है। हालाँकि, अभी तक हत्या का मकसद साफ नहीं है
वीडियो में स्पष्ट दिख रहा कि वास्तविकता में क्या हुआ। असल में एक नमाज़ी छात्र ने उठ कर एक अन्य छात्र को थप्पड़ मारा। जो हुआ, इसी के जवाब में।
लॉटरी किंग सैंटियागो मार्टिन ने डीएमके के कुल चंदे का 77 प्रतिशत से ज्यादा अकेले दिया है। इलेक्टोरल बॉन्ड के सार्वजनिक किए जाने के बाद ये जानकारी सामने आई है।
अपनी अर्धनग्न बॉडी अनजान लड़कियों को दिखाने और मुंबई पुलिस की महिला स्टाफ को टारगेट करने वाले मोहम्म्द रिज़वान पर कार्रवाई की माँग
कांग्रेस नेता राजेंद्र भंडारी ने दिया इस्तीफा, बीजेपी में हुए शामिल
देहरादून: उत्तराखंड में कांग्रेस नेता और मौजूदा विधायक राजेंद्र भंडारी ने आगामी लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने से पहले रविवार को पार्टी से अपना इस्तीफा दे दिया। भंडारी, जिनकी उम्र 60 वर्ष है और बद्रीनाथ विधानसभा का प्रतिनिधित्व करते हैं, नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह में आधिकारिक तौर पर भाजपा में शामिल हो गए, जिसमें उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल की उपस्थिति थी। भंडारी का गर्मजोशी से स्वागत करते हुए, केंद्रीय मंत्री गोयल ने बद्रीनाथ के लोगों के प्रति उनकी समर्पित सेवा की सराहना की और भंडारी के भाजपा में शामिल होने के फैसले के पीछे प्रेरक कारकों के रूप में भ्रष्टाचार को खत्म करने और राष्ट्रीय विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रधान मंत्री मोदी की प्रतिबद्धता का हवाला दिया। गोयल ने आशा व्यक्त की कि भंडारी भाजपा के बैनर तले उसी उत्साह और समर्पण के साथ अपनी सार्वजनिक सेवा जारी रखेंगे। मुख्यमंत्री धामी ने गोयल की भावनाओं को दोहराया, इस बात पर जोर दिया कि भंडारी का भाजपा के साथ जुड़ने का निर्णय पार्टी के विकासात्मक पहल के ट्रैक रिकॉर्ड से प्रेरित था। धामी ने विश्वास जताया कि भंडारी के शामिल होने से उत्तराखंड के आगामी चुनावों में भाजपा की संभावनाएं और मजबूत होंगी। अपने त्याग पत्र में, भंडारी ने कांग्रेस पार्टी से अपने प्रस्थान की बारीकियों पर ध्यान नहीं देने का विकल्प चुना, इसके बजाय एक संक्षिप्त एक-वाक्य अधिसूचना का विकल्प चुना। 'तेरी पत्नी से तुझे जान का खतरा है..', मौलवी की बात सुन गुलफाम ने कैंची से काट डाला बीवी का गला सांप के जहर मामले में यूट्यूबर एल्विश यादव गिरफ्तार गुजरात यूनिवर्सिटी में नमाज़ को लेकर विवाद, दो छात्र गुटों में हुई झड़प
जीसस रीडीम का FCRA लाइसेंस कैंसिल, विदेशी फंड से अवैध धर्मांतरण का आरोप
चेन्नई: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मोहन सी लाजर के नेतृत्व वाले विवादास्पद ईसाई मिशनरी संगठन, तमिलनाडु स्थित जीसस रिडीम्स के एफसीआरए लाइसेंस को निलंबित करने का फैसला किया है। यह कार्रवाई कानूनी कार्यकर्ता समूह, लीगल राइट्स प्रोटेक्शन फोरम (एलआरपीएफ) द्वारा नवंबर 2023 में दर्ज की गई एक शिकायत के बाद की गई है, जिसमें संगठन पर विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) के गंभीर उल्लंघन का आरोप लगाया गया था। एलआरपीएफ का आरोप है कि मोहन सी लाजर और उनके संगठन, जीसस रिडीम्स ने एफसीआरए, 2010 के प्रावधानों का उल्लंघन किया, जिससे उनके एफसीआरए पंजीकरण को निलंबित या रद्द कर दिया गया। इसका कारण समूह को प्राप्त धन में अवैधता है। लाजर पर भड़काऊ भाषणों के जरिए सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने और धर्मांतरण गतिविधियों में शामिल होने का भी आरोप है। मोहन सी लाजर जीसस रिडीम्स नामक एक ईसाई संगठन संचालित करते हैं, जिसके माध्यम से वह धार्मिक धर्मांतरण गतिविधियों का संचालन करते हैं। उन्होंने कथित तौर पर हिंदू विरोधी बयान देकर सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के लिए कुख्याति हासिल की है। उनके खिलाफ तमिलनाडु भर के विभिन्न पुलिस स्टेशनों में कई प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज की गई हैं। इन एफआईआर में भारतीय दंड संहिता की धारा 153, 153-ए(1)(ए) और (बी), 295-ए, 505(1)(बी), और 505(2) का हवाला दिया गया है। ये आरोप बड़े धार्मिक समारोहों के दौरान हिंदू मंदिरों और देवताओं के खिलाफ दिए गए बयानों से उपजे हैं। 'जीसस रिडीम्स' भारतीय ट्रस्ट अधिनियम 1882 के तहत तमिलनाडु में संचालित एक पंजीकृत ईसाई धार्मिक संगठन है, और एफसीआरए पंजीकरण संख्या 076160018 रखता है। इसके संस्थापक और हस्ताक्षरकर्ता प्राधिकारी, मोहन लाजर, जिन्हें मोहन सी लाजर के नाम से भी जाना जाता है, 'जीसस रिडीम्स मिनिस्ट्रीज़ इंक' नामक अमेरिका-पंजीकृत सार्वजनिक चैरिटी संगठन के प्रमुख कार्यकारी अधिकारी के रूप में कार्य करते हैं। केंद्रीय आरोपों में से एक एफसीआरए नियमों में हाल के संशोधनों के इर्द-गिर्द घूमता है, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि प्राप्तकर्ता भारतीय संगठन के मुख्य पदाधिकारी को दाता संगठन से संबद्ध नहीं होना चाहिए। कथित तौर पर, 'जीसस रिडीम्स' को एक महत्वपूर्ण विदेशी दानकर्ता 'जीसस रेडीम्स मिनिस्ट्रीज इंक., (यूएस)' से पर्याप्त विदेशी योगदान प्राप्त हुआ है। एलआरपीएफ की शिकायत कथित एफसीआरए उल्लंघनों पर केंद्रित है, जिसमें धार्मिक समूहों के बीच वैमनस्य पैदा करना और प्रतिबंधित संगठनों से धन प्राप्त करना शामिल है। यह बच्चों के धर्मांतरण से जुड़े विवादों के कारण प्रतिबंधित दानदाता कम्पैशन इंटरनेशनल (यूएसए) से प्राप्त दान पर प्रकाश डालता है। प्रतिबंध के बावजूद, चेन्नई स्थित एक एनजीओ के माध्यम से कथित तौर पर फंड को जीसस रिडीम्स में भेज दिया गया। शिकायत में संगठन की विदेशी गतिविधियों और फंडिंग स्रोतों की जांच का भी आग्रह किया गया है। शिकायत में चीनी कंपनियों से संबंध रखने वाले नाइजीरियाई समूह DANGOTE ग्रुप से जुड़े व्यक्तियों से प्राप्त विदेशी फंडिंग के बारे में चिंता जताई गई है। सिनोमा इंटरनेशनल इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड, एक चीनी राज्य के स्वामित्व वाली कंपनी, DANGOTE समूह के स्वामित्व वाली एक नाइजीरियाई फर्म के साथ एक महत्वपूर्ण सौदे में शामिल होने के लिए सुर्खियों में है। इससे अंतरराष्ट्रीय व्यापार और निवेश में शामिल संस्थाओं के साथ संगठन के संबंधों पर सवाल उठता है। शिकायत में भारतीय निवासियों से प्राप्त दान पर सवाल उठाया गया है, जिसमें शर्ली रोहन नामक व्यक्ति के योगदान पर प्रकाश डाला गया है।इसमें एफसीआरए खाते में भारतीय निवासियों से दान स्वीकार करने के आधार पर स्पष्टीकरण मांगा गया है। जीसस रिडीम्स के एफसीआरए लाइसेंस का निलंबन एफसीआरए नियमों के अनुपालन और विघटनकारी गतिविधियों के आरोपों के संबंध में चिंताओं को रेखांकित करता है। केंद्रीय गृह मंत्रालय का निर्णय पारदर्शिता और कानूनी मानकों का पालन सुनिश्चित करने के लिए संगठन के वित्त पोषण स्रोतों और विदेशी गतिविधियों की गहन जांच की आवश्यकता को दर्शाता है। TMC उम्मीदवार प्रसून बनर्जी ने चुनाव आयोग और सुरक्षाबलों को दी धमकी, भड़की भाजपा कांग्रेस नेता राजेंद्र भंडारी ने दिया इस्तीफा, बीजेपी में हुए शामिल 'तेरी पत्नी से तुझे जान का खतरा है..', मौलवी की बात सुन गुलफाम ने कैंची से काट डाला बीवी का गला
छात्रावास कैंपस के बजाय मस्जिद में जाकर नमाज पढ़ने के लिए कहने पर गुजरात यूनिवर्सिटी में विदेशी मुस्लिमों छात्रों ने हिंदुओं पर किया हमला।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बाराबंकी में बाढ़ के दौरान राहत सामग्री के वितरण के लिए रामनगर पहुँचे थे, तो उन्होंने लोध्रेश्वर महादेव मंदिर में जलाभिषेक भी किया था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लोध्रेश्वर महादेव मंदिर को काशी विश्वनाम कॉरिडोर की तर्ज पर विकसित करने की इच्छा जताई थी।
हिंदू देवी-देवता को लेकर सवाल उठाने वाले उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्या के खिलाफ कोर्ट ने FIR दर्ज करने का आदेश दिया है।
इंस्टिट्यूट के अंदर मिले लैपटॉप आदि की भी जाँच करवाई जा रही है। बताया जा रहा है कि अंदर कुछ ईसाई मजहब की पुस्तकें भी बरामद हुई हैं।
पूछताछ के दौरान न सिर्फ आलमगीर, बल्कि उसके साथी माफीजुल मोल्ला और सिराजुल मोल्ला भी CBI के अधिकारियों को गुमराह कर रहे थे। तीनों गिरफ्तार।
आज ख़त्म होगी राहुल गाँधी की यात्रा, मुंबई में दिखेगा विपक्ष का जमावड़ा
मुंबई: कांग्रेस नेता राहुल गांधी 'पदयात्रा' पर निकले और रविवार को मुंबई में एक बड़ी विपक्षी रैली को संबोधित करने वाले हैं, जो उनकी दो महीने लंबी भारत जोड़ो न्याय यात्रा के समापन का प्रतीक है। 'न्याय संकल्प पदयात्रा' मणि भवन से शुरू हुई, जहां महात्मा गांधी अपनी मुंबई यात्रा के दौरान रुके थे और प्रतिष्ठित अगस्त क्रांति मैदान में समाप्त हुई। पदयात्रा के दौरान राहुल गांधी की बहन और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा भी उनके साथ रहीं। अभिनेत्री स्वरा भास्कर और मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष वर्षा गायकवाड़ जैसी उल्लेखनीय हस्तियां भी उपस्थित थीं।शिवाजी पार्क में विपक्ष की मेगा रैली में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव सहित कई प्रमुख नेताओं के शामिल होने की उम्मीद है, जो एकजुट मोर्चा दिखाएंगे।यह घटनाक्रम चुनाव आयोग द्वारा आगामी लोकसभा चुनावों की तारीखों की घोषणा के बाद हुआ है, जो 19 अप्रैल से 1 जून तक निर्धारित हैं और वोटों की गिनती 4 जून को होनी है। बीते दिन राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा ने ठाणे से मुंबई में प्रवेश किया.उन्होंने डॉ. बीआर अंबेडकर के स्मारक चैत्यभूमि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और संविधान की प्रस्तावना का पाठ किया। 14 जनवरी को मणिपुर से शुरू होने वाली इस यात्रा का उद्देश्य रास्ते में आम नागरिकों से जुड़ते हुए 'न्याय' (न्याय) के संदेश को रेखांकित करना है। मुंबई के धारावी में एक रैली के दौरान, राहुल गांधी ने जाति जनगणना कराने के लिए कांग्रेस की प्रतिबद्धता दोहराई और अगर उनकी पार्टी सत्ता संभालती है तो गरीब महिलाओं के बैंक खातों में 1 लाख रुपये वार्षिक जमा करने का वादा किया।निवासियों को संबोधित करते हुए, उन्होंने धारावी की विरासत को संरक्षित करने के महत्व पर जोर दिया और इसके पुनर्विकास में अदानी समूह की भागीदारी की आलोचना की। यह यात्रा 12 मार्च को महाराष्ट्र के आदिवासी बहुल नंदुरभार से होकर गुज़री, जो मुंबई में अपनी समाप्ति से पहले एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुई। रास्ते में, इसने धुले, मालेगांव, नासिक और ठाणे को कवर किया। 'भ्रष्टाचार विरोधी कार्रवाइयों से विपक्ष परेशान, अब दिन-रात मोदी को देता है गाली..'. पीएम मोदी ने की ED की तारीफ दो चरणों में वोट डालेगी राजस्थान की जनता, जानिए किस सीट पर कब होगा मतदान लोकसभा चुनाव 2024: मध्य प्रदेश में चार चरणों में होगा मतदान, जानिए आपके जिले में कब डलेंगे वोट ?
एक और घोटाले में घिरे केजरीवाल ! दिल्ली जल बोर्ड मामले में मुख्यमंत्री को ED का समन
नई दिल्ली: रविवार को आम आदमी पार्टी के बयानों के अनुसार, प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली जल बोर्ड (DJB) में कथित अनियमितताओं से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग जांच में पूछताछ के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को तलब किया है। शनिवार को जारी किए गए समन में केजरीवाल को 18 मार्च को प्रवर्तन निदेशालय के सामने पेश होने के लिए कहा गया है। यह दूसरा मामला है जब केजरीवाल को मनी लॉन्ड्रिंग विरोधी कानून के तहत किसी मामले में बुलाया गया है। एक संवाददाता सम्मेलन में आप नेता और दिल्ली की मंत्री आतिशी ने मामले को लेकर पार्टी पर आश्चर्य जताया और इसे 'फर्जी' करार दिया. आतिशी मार्लेना ने कहा कि, अरविंद केजरीवाल को कल शाम प्रवर्तन निदेशालय द्वारा एक और समन मिला। उन्होंने उनसे दिल्ली जल बोर्ड से संबंधित कुछ जांच में शामिल होने के लिए कहा है। हम इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज किए गए मामले से अनभिज्ञ हैं। अरविंद केजरीवाल को फर्जीमामले में तलब किया गया है। उन्होंने आगे आरोप लगाया कि समन इसलिए जारी किया गया क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उत्पाद शुल्क नीति मामले में केजरीवाल की गिरफ्तारी की संभावना पर संदेह था। आतिशी ने दावा किया, ये समन इसलिए भेजे जा रहे हैं क्योंकि पीएम मोदी को संदेह होने लगा है कि क्या वे दिल्ली उत्पाद शुल्क मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार कर पाएंगे। उन्होंने कहा, अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार करने के लिए एक बैकअप योजना शुरू की जा रही है। इससे पहले उसी दिन, जांच एजेंसी ने केजरीवाल को दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति और मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित एक अन्य मामले में पूछताछ के लिए 21 मार्च को पेश होने के लिए अलग से बुलाया था। केजरीवाल ने पहले भी उत्पाद शुल्क नीति मामले में आठ समन को अवैध बताते हुए उनका पालन करने से इनकार कर दिया था। आज ख़त्म होगी राहुल गाँधी की यात्रा, मुंबई में दिखेगा विपक्ष का जमावड़ा मारपीट के आरोप में कांग्रेस विधायक एसआर श्रीनिवास के खिलाफ FIR दर्ज 'भ्रष्टाचार विरोधी कार्रवाइयों से विपक्ष परेशान, अब दिन-रात मोदी को देता है गाली..'. पीएम मोदी ने की ED की तारीफ
अरबिंदो फार्मा के निदेशक को ED ने गिरफ्तार किया, 5 दिन बाद कंपनी ने खरीदा चुनावी बॉन्ड
अरबिंदो फार्मा के निदेशक सरथ रेड्डी को ईडी ने 10 नवंबर को गिरफ्तार किया था. कंपनी ने 15 तारीख को बांड खरीदे.
गुजरात में लोकसभा चुनाव के लिए चुनाव प्रणाली पूरी तरह तैयार : सीईओ
गुजरात के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) पी भारती ने शनिवार को कहा कि राज्य में लोकसभा चुनाव-2024 के लिए चुनाव प्रणाली पूरी तरह तैयार है
प्रयागराज जिले में एक डिग्री कॉलेज के प्रोफेसर एहसान अहमद ने घर वापसी की है। उन्होंने एक हिंदू लड़की से शादी भी कर ली है।
मुंबई में 'न्याय संकल्प पदयात्रा' करेंगे राहुल गांधी
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी मुंबई में आज यानी रविवार को मणि भवन से अगस्त क्रांति मैदान तक न्याय संकल्प पदयात्रा निकालेंगे
मजदूरों को स्वास्थ्य, रोजगार, सामाजिक सुरक्षा, कांग्रेस ने लॉन्च की 'श्रमिक न्याय'गारंटी
Congress Nyay Guarantee: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि कांग्रेस पार्टी आजादी के बाद कई श्रम हितैषी कानून लाई है.
'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' पूरी, लेकिन न्याय की लड़ाई आरम्भ : राहुल
कांग्रेस नेता राहुल गांधी की मणिपुर से महाराष्ट्र तक की 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' आज मुंबई मे समाप्त हो गई लेकिन उन्होंने कहा कि देश की जनता के साथ हो रहे अन्याय के विरुद्ध उनकी न्याय की लड़ाई की यात्रा जारी रहेगी
समाजवादी पार्टी ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए उम्मीदवारों की पाँचवीं लिस्ट जारी कर दी है। पार्टी ने आजमगढ़ सीट से एक बार फिर से धर्मेंद्र यादव को प्रत्याशी बनाया है।
संत कौशल किशोर ठाकुर ने ASI को पत्र लिखकर आगरा मस्जिद की सीढ़ियों में दबी कृष्ण की प्रतिमा का पता लगाने के लिए सर्वे का आग्रह किया है।
मध्य प्रदेश में जिम्मेदार विभागों के दल सक्रिय - मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी
भोपाल, 16 मार्च (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी अनुपम राजन ने कहा है कि चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है और तमाम जिम्मेदार विभागों के दल भी पूरी तरह सक्रिय हो गए हैं।
कटनी के नचने गाँव की इस साइट की खुदाई एएसआई कर रही है। यहाँ पहले से ही गुप्त कालीन पार्वती मंदिर का पता चल चुका है, तो इसके साथ ही सटी एक साइट को छठीं-सातवीं शताब्दी के दौरान आबाद रहे कलचुरी राजवंश द्वारा निर्मित चौमुखी मंदिर मिला है।
जानिए आपके शहर में कब होंगे चुनाव और किस दिन आएंगे नतीजे?
नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने आज (शनिवार) 2024 के लोकसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा कर दी है. देशभर की सभी 543 सीटों के लिए मतदान प्रक्रिया 19 अप्रैल से 1 जून तक 7 चरणों में चलेगी, जिसके नतीजे 4 जून को घोषित किए जाएंगे। चुनाव की घोषणा के बाद देश भर में नैतिक आचार संहिता का कार्यान्वयन शुरू कर दिया गया है। UP की 80 सीटों में से किस चरण में कितनी सीटों पर मतदान पहला चरण अधिसूचना: 20 मार्च नामांकन: 27 मार्च नाम वापसी: 30 मार्च मतदान: 19 अप्रैल सीटें: आठ कहां वोटिंग: सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, नगीना, मुरादाबाद, रामपुर, पीलीभीत दूसरा चरण अधिसूचना: 28 मार्च नामांकन: 4 अप्रैल नाम वापसी: 8 अप्रैल मतदान: 26 अप्रैल सीटें: आठ कहां वोटिंग: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़, मथुरा तीसरा चरण अधिसूचना: 12 अप्रैल नामांकन: 19 अप्रैल नाम वापसी: 22 अप्रैल मतदान: 7 मई सीटें: दस कहां वोटिंग: (संभल, हाथरस, आगरा, फतेहपुर सीकरी, फिरोजाबाद, मैनपुरी, एटा, बदायूं, आंवला, बरेली) चौथा चरण अधिसूचना: 18 अप्रैल नामांकन: 25 अप्रैल नाम वापसी: 29 अप्रैल मतदान: 13 मई सीटें: 13 कहां वोटिंग: (शाहजहांपुर, लखीमपुर खीरी, धौरहरा, सीतापुर, हरदोई, मिश्रिख, उन्नाव, फर्रुखाबाद, इटावा, कन्नौज, कानपुर, अकबरपुर, बहराइच) पांचवां चरण अधिसूचना: 26 अप्रैल नामांकन: 3 मई नाम वापसी: 6 मई मतदान: 20 मई सीटें: 14 कहां वोटिंग: मोहनलाल गंज, लखनऊ, रायबरेली, अमेठी, जालौन, झांसी, हमीरपुर, बांदा, फतेहपुर, कौशाम्बी, बाराबंकी, फैजाबाद, कैसरगंज, गोंडा छठा चरण अधिसूचना: 29 अप्रैल नामांकन: 6 मई नाम वापसी: 9 मई मतदान: 25 मई सीटें: 14 कहां वोटिंग: सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, फूलपुर, इलाहाबाद, अंबेडकरनगर, श्रावस्ती, डुमरियागंज, बस्ती, संतकबीरनगर, लालगंज, आजमगढ़, जौनपुर, मछलीशहर, भदोही सातवां चरण अधिसूचना: 7 मई नामांकन: 14 मई नाम वापसी: 17 मई मतदान: 1 जून सीटें: 13 कहां वोटिंग: महराजगंज, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, बांसगांव, घोसी, सलेमपुर, बलिया, गाजीपुर, चंदौली, वाराणसी, मिर्जापुर, रोबर्ट्सगंज महाराष्ट्र में कौन सी सीट पर और कब होगा मतदान? पहला चरण: मतदान- 19 अप्रैल: रामटेक, नागपुर, भंडारा-गोंदिया, गढ़चिरौली-चिमूर, चंद्रपुर (कुल निर्वाचन क्षेत्र 5) दूसरा चरण: मतदान- 26 अप्रैल: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल-वाशिम, हिंगोली, नांदेड़, परभणी (कुल निर्वाचन क्षेत्र- 8) तीसरा चरण: मतदान- 7 मई: रायगढ़, बारामती, धाराशिव, लातूर, सोलापुर, माधा, सांगली, सतारा, रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग, कोल्हापुर, हटकनंगले (कुल निर्वाचन क्षेत्र - 11) चौथा चरण: 13 मई: नांदेड़, जलगांव, रावेर, जालना, औरंगाबाद, मावल, पुणे, शिरूर, अहमदनगर, शिरडी, बीड (कुल निर्वाचन क्षेत्र - 11) पांचवां चरण : 20 मई: धुले, डिंडोरी, नासिक, पालघर, भिवंडी, कल्याण, ठाणे, मुंबई उत्तर, मुंबई उत्तर पश्चिम, मुंबई उत्तर पूर्व, मुंबई उत्तर मध्य, मुंबई दक्षिण मध्य और मुंबई दक्षिण (कुल निर्वाचन क्षेत्र - 13) दो चरणों में वोट डालेगी राजस्थान की जनता, जानिए किस सीट पर कब होगा मतदान लोकसभा चुनाव 2024: मध्य प्रदेश में चार चरणों में होगा मतदान, जानिए आपके जिले में कब डलेंगे वोट ? हरियाणा सीएम नायब सिंह सैनी के OSD नियुक्त किए गए IAS अधिकारी अभिमन्यु सिंह
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा कि ईवीएम को लेकर बहुत से एक्सपर्ट आजकल सोशल मीडिया पर ऐक्टिव हैं, लेकिन उनकी बातों में दम नहीं हैं।
पाकिस्तानी फौज ने कहा कि शुरुआत में उनकी फौज ने हमलावरों की घुसपैठ की कोशिश को नाकाम कर दिया था। लेकिन बाद में हमलावर विस्फोटकों से भरी गाड़ी ले आए।
MP Lok Sabha Election 2024: मध्य प्रदेश की 29 सीटों पर 4 फेज में चुनाव, देखें शेड्यूल
MP Lok Sabha Election 2024: राजस्थान में दो चरणों में लोकसभा चुनाव के लिए वोटिंग होगी.
हरियाणा की 10 लोकसभा सीटों पर 25 मई को मतदान, 4 जून को नतीजे
Lok Sabha Election 2024: देश में लोकसभा चुनाव 7 फेज में होंगे. पहले फेज की वोटिंग 19 अप्रैल को होगी.
चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव 2024 की तारीखों की घोषणा कर दी है। 22 राज्यों में एक ही चरण में मतदान की प्रक्रिया संपन्न होगी।
Delhi Lok Sabha Election Schedule 2024: दिल्ली की सभी 7 सीटों पर 25 मई को होगी वोटिंग
लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान. जानिए दिल्ली की किन सीटों पर किस पार्टी ने किसे टिकट दिया.
थाइलैंड में एक चोर का वीडियो सामने आया है, जो सुखाने के लिए टाँगे हुए महिलाओं की ब्रा और पैंटी को चुरा लेता है। पुलिस उसे खोज रही है।
Interview: दिग्विजय सिंह ने कहा- सियासत का सुनहरा दौर गुजर गया, जिसे हम लोगों ने जिया
प्रदूषित राजनीति में अब नैतिकता नाम की कोई चीज नहीं बची। चारों ओर गद्दारी, बेवफाई, स्वार्थ का बोलबाला पनपा है। पार्टी ने जिस नेता को सब कुछ दिया, मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री की कुर्सी तक बिठाया। लेकिन, जब पार्टी के दिन थोड़े से उन्नीस-बीस हुए, तो नेताओं ने पाला बदलने में तनिक देरी नहीं की। कमोबेश, ऐसी तस्वीरें मौजूदा वक्त में रोजना देखने को मिल रही हैं। पार्टियां छोड़कर भाजपा में अन्य दलों के नेता एक-एक करके शामिल हो रहे हैं। इसी मुद्दे पर मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस के टॉप सीनियर लीडर दिग्विजय सिंह से डॉ. रमेश ठाकुर ने बातचीत की। पेश हैं बातचीत के मुख्य हिस्से- प्रश्नः पाला बदलने वाले नेताओं को आप कैसे देखते हैं? उत्तर- अपन को देखने की जरूरत नहीं? ये कार्य जनता जर्नादन पर छोड़ देना चाहिए। लेकिन मौजूदा बदलती सियासी परिस्थियों को देखकर बहुत दुख होता है कि गंदी और बदनुमा राजनीति का दौर कितनी तेजी से आरंभ हुआ है। इन बदली परिस्थितियों का श्रेय भाजपा को दिया जाना चाहिए। क्योंकि उन्होंने नेताओं को लोभी-लालची बनाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। हालांकि, ऐसे नेताओं को जनता चुनावी अखाड़े में अच्छे से सबक सिखाती हैं। सभी जानते हैं कि मुल्क की तरक्की की प्रत्येक विधा में सियासत सीधा वास्ता रखती है। पर, राजनेता की स्वार्थी हरकतों ने राजनीति की विश्वसनीयता को गहरी ठेस पहुंचा दी है। अगर मैं दिल से कहूं तो राजनीति का बेहतरीन और सुनहरा वक्त गुजर चुका है जिसे हम जैसे लोगों ने जिया है। नेता अब जनहित की नहीं, बल्कि स्वार्थहित की राजनीति करने के लिए पार्टियों से जुड़ते हैं। प्रश्नः क्या ये सिलसिला रुकेगा भी कभी, या फिर यूं ही चलता रहेगा? उत्तर- जनता की चुनी हुई सरकारें दिन दहाड़े तोड़ी जा रही हैं। मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र में क्या हुआ, कोई नहीं भूलेगा। सभी संवैधानिक संस्थाएं निष्क्रिय कर दी गई हैं। चुनाव आयोग सरकार का पंगु बना हुआ है। स्वतंत्र रूप से निर्णय नहीं ले पाते। सांसद-एमएलए पर जांच एजेंसियों का पहरा बिठा दिया गया है। विपक्ष के नेताओं और मंत्रियों को डर-भय दिखाकर पार्टी व सरकारों को छोड़ने का दबाव डाला जाने लगा है। सियासी दलों में दो फाड़ किए जा रहे हैं। आपस में लड़ाया-भिड़ाया जा रहा है। ऐसे ज्यादातर नेता अपने से नहीं, बल्कि मजबूरी में अपने वास्तविक दल छोड़कर भाजपा में जा रहे हैं। जहां तक सिलसिला रुकने का सवाल है, तो मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि भाजपा के जाते ही ये सिलसिला अपने आप थम जाएगा। उन्होंने साफ-सुथरी राजनीति में जो गंदगी फैलाई है, उसे देश की जनता देख रही है। बेईमानी करके चुनाव जीत रहे हैं। इसे भी पढ़ें: Interview: विश्वसनीयता जरूरी, चुनावी प्रक्रिया का मुख्य पिलर है चुनाव आयोगः एसवाई कुरैशी प्रश्नः कांग्रेसियों की भाजपा में जाने की भगदड़ को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि भाजपा अब ‘कांग्रेस युक्त’ हो गई है? उत्तर- जबकि इनका नारा था ‘कांग्रेस मुक्त’ भारत का? देखना जितने नेता वहां पहुंचे हैं, एक दिन दोबारा अपने घरों को लौटते हुए दिखाई देंगे। यही नहीं, खुद भाजपाई भी इधर-उधर होंगे, दूसरे ठिकाने तलाशेंगे। क्योंकि वो सभी हाशिए पर आ गए हैं। भाजपा चुनावों में टिकट, पद और सम्मान दूसरे दलों से आए नेताओं को दे रही है, जबकि उनके अपने नेता मुंह ताक रहे हैं। ऐसे में अगर कोई नेता पार्टी छोड़ता है तो उसके साथ जनता की सहानुभूति भी रहती है। पर, लालचियों से हर कोई तौबा करता है। भाजपा ने अपने यहां दूसरे दलों से आधे से ज्यादा नेता भर लिए हैं। उन सभी को संभालना, उनक इच्छापूर्ति करना बड़ी चुनौती होगी। भाजपा बाहरी सभी नेताओं को टिकट नहीं दे सकती? संगठन में पद भी नहीं दे सकती। सोचने वाली बात है जब, उनके हाथ कुछ नहीं लगेगा, तो वह खिसकने में देर नहीं करेंगे। तब, मजबूरी में भागेंगे इधर-उधर? प्रश्नः पार्टी तो पहले के नेता भी छोड़ते-बदलते थे? उत्तर- पर उनका तरीका अलग और अलहदा होता है। तब ऐसा करने वाले नेताओं पर कोई उंगली नहीं उठाता था, बकायदा उनके चाहने वाले समर्थन स्वागत करते थे। पार्टी छोड़ने या नया दल बनाने के फैसला भी अपने कार्यकर्ताओं के कहने पर किया करते थे। अभावग्रस्त और हाशिए पर धकेले हुए नेता दल बदलते थे, या फिर अपनी कोई पार्टी बना लेते थे। जेपी आंदोलन के बाद कई राज्यों में छोटे-छोटे दल बने। जो धीरे-धीरे प्रभावशाली हुए। कांग्रेस से छिटक कर भी कई नेताओं ने अपनी पार्टियां बनाईं। लेकिन आज के नेता टिकट मिलने और मंत्री बनने की लालच में ही खुद के ईमान का सौदा कर लेते हैं। न अपने समर्थकों से राय लेते हैं और न कार्यकर्ताओं की भावनाओं का ख्याल रखते हैं। सिर्फ अपने हित का ध्यान रखते हैं प्रश्नः आपको नहीं लगता, ऐसे में दल-बदल कानून को और प्रभावी करने की जरूरत है? उत्तर- प्रभावी नहीं, बल्कि मेरे ख्याल से अलग से कठोर कानून बनना चाहिए। जब तक बंदिशें नहीं बढेंगी, ऐसे अनैतिक कार्यों पर अंकुश नहीं लगेगा। वैसे, अगर सभी स्थितियों-परिस्थितयों पर गौर से मंथन करें, तो दल-बदल की स्थिति तब होती है, जब किसी भी दल के सांसद या विधायक अपनी मर्जी से पार्टी छोड़ते हैं या पार्टी व्हिप की अवहेलना करते हैं। उस स्थिति में सदस्यता को समाप्त किया जा सकता है और उन पर दल-बदल निरोधक कानून भी लागू किया जा सकता है। लेकिन, ये नियम महाराष्ट्र में हमें निष्प्रभावी दिखाई पड़ा। कानून होने के बावजूद भी फैसला एकपक्षीय दिखा। भाजपा ने चुनी हुई सरकार को तोड़कर, खुलेआम अपनी मनमानी की। -प्रस्तुतिः डॉ. रमेश ठाकुर
'द नक्सल स्टोरी-बस्तर' को लेकर बताया जा रहा है कि कर्नाटक और अन्य भारतीय राज्यों में फिल्म की स्क्रीनिंग को रद्द कर दिया गया।
Breaking News: Lok Sabha Elections की तारीखों का हुआ ऐलान, 7 फेज में शुरू होने वाले लोकसभा चुनावों का 4 जून को आएगा रिजल्ट
मैं सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के साथ हूँ... कल, आज और कल: महाराष्ट्र विधान परिषद में विपक्ष के नेता
मुंबई, 16 मार्च (आईएएनएस)। महाराष्ट्र विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष और शिवसेना (यूबीटी) नेता अंबादास दानवे ने शनिवार को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना में शामिल होने के लिए पार्टी छोड़ने की मीडिया रिपोर्टों का खंडन किया और घोषणा की कि वह उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट के साथ बने रहेंगे।
लोकसभा चुनाव : 96.8 करोड़ मतदाता करेंगे मतदान, महिलाओं की भागीदारी भी बढ़ी
नई दिल्ली, 16 मार्च (आईएएनएस)। भारतीय चुनाव आयोग ने शनिवार को लोकसभा चुनाव की तारीखों और चरणों का ऐलान कर दिया। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने सभी आंकड़ों को पेश किया।
भारत में लोकसभा चुनाव 2024 की घोषणा कर दी गई है। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में चुनावों की घोषणा की। इस बार 96.8 करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे।
Breaking News: Lok Sabha Election 2024 के Schedule की हुई घोषणा, 19 अप्रैल से कब और कहां होंगे इलेक्शन यहां देखें पूरा शेड्यूल
'आपके काफिले और VVIP मूवमेंट से ट्रैफिक जाम होता है..', पीएम मोदी को कांग्रेस नेता अधीर रंजन का पत्र
नई दिल्ली: कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने वीवीआईपी के कारण विशेष रूप से नई दिल्ली के मध्य क्षेत्रों में पैदा होने वाली ट्रैफिक जाम की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए पीएम मोदी को पत्र लिखा है। उन्होंने कहा, मैं आपके ध्यान में लाना चाहता हूं और विशेष रूप से आपके काफिले की आवाजाही के कारण नई दिल्ली के मध्य क्षेत्रों में पैदा होने वाले भारी ट्रैफिक जाम की समस्या के समाधान में आपके हस्तक्षेप की मांग करता हूं। अधीर रंजन चौधरी ने अपने पत्र में इस बात पर जोर दिया कि पीएम मोदी की सुरक्षा बेहद चिंता का विषय है और इस मोर्चे पर कभी भी किसी तरह का कोई समझौता या कोताही नहीं बरती जा सकती। अधीर रंजन ने लिखा कि, यह एक तथ्य है कि सार्वजनिक सड़कों पर यात्रियों को - जो समाज के विभिन्न वर्गों से हैं और जिनमें दैनिक मजदूर, रोगी, कार्यालय जाने वाले और स्कूल और कॉलेज जाने वाले बच्चे शामिल हो सकते हैं - को अक्सर भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। VVIP मूवमेंट के कारण यातायात अवरुद्ध या परिवर्तित हो जाता है, जो अक्सर लंबी अवधि के लिए होता है। मैंने ऐसे उदाहरणों के बारे में सुना है और मुझे बताया भी गया है कि ट्रैफिक ब्लॉक के कारण, लोगों की उड़ानें, ट्रेनें और परीक्षाएं छूट गईं, साथ ही गंभीर रूप से आवश्यक चिकित्सा मिलने में देरी हुई।“ कांग्रेस नेता ने कहा कि यातायात प्रबंधन विशेषज्ञों और अधिकारियों को प्रधानमंत्री की सुरक्षा से कोई समझौता किए बिना एक योजना पर काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि, आपकी सुरक्षा से कोई समझौता किए बिना इसे हासिल करने की आवश्यकता है। मामला सार्वजनिक चिंता का है, मुझे यकीन है, आप इस पर ध्यान देंगे और सुझाव के अनुसार आवश्यक कार्रवाई करेंगे। मैं एक बार फिर यहां दोहराना चाहूंगा कि आपकी सुरक्षा सर्वोपरि चिंता का विषय है, और इसमें कभी भी कोई कमी या समझौता नहीं किया जा सकता है। साथ ही, यह सुनिश्चित करना उचित और सही होगा कि आम जनता को यातायात के कारण होने वाले व्यवधान के कारण किसी भी टालने योग्य कठिनाई का सामना न करना पड़े। चौधरी ने पीएम मोदी को लिखे अपने पत्र में कहा, नई दिल्ली की सड़कों पर आवाजाही, जो हमेशा ऑटोमोबाइल की बढ़ती संख्या के कारण व्यस्त रहती है। राजनाथ सिंह ने अमान्य कैडेटों के लिए पुनर्वास सुविधाओं के विस्तार को मंजूरी दी हिमाचल के 8 अयोग्य विधायकों की याचिका पर 18 मार्च को सुनवाई करेगी सुप्रीम कोर्ट खजूर के अंदर छुपा रखा था अवैध सोना, मुंबई कस्टम विभाग ने पकड़ी 1.72 करोड़ की खेप
राजस्थान में कांग्रेस ने उम्मीदवार तो दमदार उतारे हैं, देखना होगा कि परिणाम क्या रहता है?
राजस्थान में कांग्रेस पार्टी ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए 10 सीटों पर प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर दी है। पिछले दो बार के लोकसभा चुनाव में प्रदेश की सभी 25 सीटों पर चुनाव हारने वाली कांग्रेस पार्टी इस बार चुनाव में फूंक फूंक कर कदम रख रही है। इसीलिए अब तक घोषित 10 प्रत्याशियों में से किसी भी पुराने प्रत्याशी को रिपीट नहीं किया गया है। हालांकि कांग्रेस के बड़े नेता पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट, पूर्व केंद्रीय मंत्री भंवर जितेंद्र सिंह चुनाव मैदान में नहीं उतरे हैं। यदि यह सभी नेता भी चुनाव मैदान में उतरते तो कांग्रेस बीजेपी में कड़ा मुकाबला देखने को मिलता। हालांकि अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत को इस बार भी लोकसभा चुनाव में उतारा गया है। मगर उनका क्षेत्र बदलकर जोधपुर के स्थान पर जालौर-सिरोही कर दिया गया है। भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए चूरू के सांसद राहुल कस्वां को भी चूरू से प्रत्याशी बना दिया है। इसके साथ ही उदयपुर सीट पर आईएएस से इस्तीफा देने वाले ताराचंद मीणा को पार्टी ने प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस की सूची में बीकानेर सुरक्षित सीट से गोविंदराम मेघवाल को प्रत्याशी बनाया गया है। गोविंदराम मेघवाल पिछला विधानसभा चुनाव खाजूवाला क्षेत्र से हार गए थे। वह पिछली गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री व पूर्व में भाजपा से भी विधायक रह चुके हैं। पिछली बार बीकानेर से मदन गोपाल मेघवाल को प्रत्याशी बनाया गया था। वहीं 2014 में पूर्व सांसद शंकर पन्नू को प्रत्याशी बनाया गया था। चूरू संसदीय सीट पर दो बार भाजपा से सांसद बने राहुल कस्वां को प्रत्याशी बनाया गया है। राहुल कस्वां के पिता रामसिंह कस्वां चूरू से चार बार सांसद रह चुके हैं। जिले में इन्होंने ही सबसे पहले भाजपा का खाता खोला था। मगर राहुल कस्वां का टिकट काट देने से वह कांग्रेस की तरफ से चुनाव लड़ेंगे। चूरू से पिछली बार रफीक मंडेलिया व 2014 में प्रताप पूनिया को प्रत्याशी बनाया गया था। इसे भी पढ़ें: लोकसभा चुनावों में कांग्रेस इस बार उत्तर प्रदेश में शून्य पर सिमट सकती है झुंझुनू सीट से विधायक बृजेंद्र ओला को प्रत्याशी बनाया गया है। चार बार के विधायक बृजेंद्र वाला गहलोत सरकार में परिवहन राज्य मंत्री थे। उनके पिता शीशराम ओला झुंझुनू से पांच बार सांसद, नौ बार विधायक, केंद्र व राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके थे। झुंझुनू से पिछली बार सूरजगढ़ विधायक श्रवण कुमार को व 2014 में बृजेंद्र ओला की पत्नी राजबाला ओला को प्रत्याशी बनाया गया था। यादव मतदाताओं की बहुलता वाली अलवर सीट पर मुंडावर विधायक ललित यादव को प्रत्याशी बनाया गया है। ललित यादव ने पिछला विधानसभा चुनाव 34526 मतों से जीता था। अलवर से पिछले दो बार कांग्रेस से भंवर जितेंद्र सिंह चुनाव लड़कर बड़े अंतर से पराजित हुए थे। भरतपुर सुरक्षित सीट से संजना जाटव को प्रत्याशी बनाया गया है। जबकि पिछली बार अभिजीत कुमार जाटव व 2014 में डॉक्टर सुरेश जाटव प्रत्याशी थे। इस बार की प्रत्याशी संजना जाटव पिछला विधानसभा चुनाव कठूमर सीट से मात्र 409 मतों से हार गई थी। संजना जाटव अभी अलवर जिला परिषद की सदस्य हैं तथा मात्र 26 साल की उम्र से ही उसे लगातार कांग्रेस पार्टी से टिकट मिल रही है। संजना जाटव कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी के अभियानों से जुड़ी हुई हैं। इसी के चलते उन्हें टिकट मिला है। टोंक-सवाई माधोपुर सीट से कांग्रेस ने देवली विधायक हरीश मीणा को मैदान में उतारा है। जबकि पिछली बार उनके भाई नमोनारायण मीणा व उससे पहले क्रिकेटर मोहम्मद अजहरुद्दीन चुनाव लड़ चुके हैं। यहां से सचिन पायलट के चुनाव लड़ने की चर्चा थी। मगर उन्होंने अपने विश्वासपात्र हरीश मीणा को मैदान में उतार दिया है। हरीश मीणा 2014 में भाजपा से सांसद व 2018 तथा 2023 में कांग्रेस से विधायक का चुनाव जीत चुके हैं। वह पूर्व में राजस्थान पुलिस के डीजीपी रह चुके हैं। जोधपुर में करण सिंह उचियारड़ा को प्रत्याशी बनाया गया है। पिछली बार वहां अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत उम्मीदवार थे। मगर 3 लाख वोटों से हार गए थे। 2014 में वहां से केंद्रीय मंत्री चंद्रेश कुमारी प्रत्याशी रही थीं। जोधपुर लोकसभा सीट को कभी पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का गढ़ माना जाता था। वह जोधपुर से पांच बार सांसद व छह बार विधायक का चुनाव जीत चुके हैं। मगर पिछले लोकसभा चुनाव में उनके पुत्र की करारी हार के चलते उन्होंने अपने पुत्र वैभव गहलोत को जोधपुर के स्थान पर जालौर-सिरोही सीट से प्रत्याशी बनवाया है। जोधपुर से भाजपा ने केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को लगातार तीसरी बार प्रत्याशी घोषित किया है। जालौर-सिरोही सीट से पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत चुनाव लड़ेंगे। पिछली बार यहां से रतन देवासी प्रत्याशी थे। जबकि 2014 में चित्तौड़गढ़ के रहने वाले उदयलाल आंजना को प्रत्याशी बनाया गया था। उदयपुर सीट से उदयपुर में कलेक्टर रह चुके ताराचंद मीणा को प्रत्याशी बनाया गया है। 2019 व 2014 में यहां से रघुवीर मीणा कांग्रेस प्रत्याशी रहे थे। चित्तौड़गढ़ सीट पर उदयलाल आंजना को प्रत्याशी बनाया गया है। आंजना गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री थे तथा पिछला विधानसभा चुनाव हार चुके हैं। चित्तौड़गढ़ में पिछली बार गोपाल सिंह शेखावत व 2014 में गिरिजा व्यास चुनाव लड़ चुकी हैं। उदयलाल आंजना 2014 में जालौर-सिरोही सीट से चुनाव लड़कर हार चुके हैं। चित्तौड़गढ़ में भाजपा से प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी तीसरी बार चुनाव लड़ने जा रहे हैं। कांग्रेस ने इस बार तीन मौजूदा विधायक झुंझुनू से बृजेंद्र ओला, अलवर से ललित यादव, टोंक- सवाई माधोपुर से हरीश मीणा को प्रत्याशी बनाया है। भाजपा सांसद राहुल कस्वां को चूरू से तथा पूर्व प्रशासनिक अधिकारी हरीश मीणा व ताराचंद मीना को मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने तीन विधायकों को मैदान में उतार दिया है। वहीं पांच अन्य सीटों पर विधायकों कोटा से अशोक चांदना, दौसा से मुरारीलाल मीणा, राजसमंद से सुदर्शन सिंह रावत, बाड़मेर से हरीश चौधरी व करौली-धौलपुर से अनीता जाटव के नाम चल रहे हैं। कांग्रेस में चर्चा है कि बांसवाड़ा-डूंगरपुर सीट भारतीय आदिवासी पार्टी को, सीकर सीट मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी को तथा नागौर व बाड़मेर सीट राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी को गठबंधन में दी जा सकती है। इसी के चलते इन सीटों पर अभी प्रत्याशियों के नाम तय नहीं किए गए हैं। हालांकि बाड़मेर से विधायक हरीश चौधरी गठबंधन का विरोध कर रहे हैं। वह बाड़मेर से सांसद रह चुके हैं तथा चाहते हैं कि कांग्रेस पार्टी का प्रत्याशी ही बाड़मेर सीट से चुनाव लड़े। इसी के चलते अभी गठबंधन की घोषणा नहीं हो पाई है। कांग्रेस के लिए इस बार का चुनाव वर्चस्व का सवाल बना हुआ है। विधानसभा में मिली हार के बाद कांग्रेस के पास यह सुनहरा अवसर है कि वह पिछली दो बार की हार को जीत में बदलकर अपना खोया जनाधार फिर से मजबूत करने की दिशा में अग्रसर हो। -रमेश सर्राफ धमोरा (लेखक राजस्थान सरकार से मान्यता प्राप्त स्वतंत्र पत्रकार हैं।)
शूरा खान को लेकर मीडिया में दावा हो रहा है कि उन्हें शुरू में सलमान खान के घरवालों ने नहीं पसंद किया था। वहीं अरबाज खान ने इस खबर को निराधार कहा है।
lok Sabha Election 2024: अब घर बैठे दे सकते हैं वोट, निर्वाचन आयोग ने की....
वोट फ्रॉम होम की सुविधा देने की शुरुआत करने वाला राज्य बिहार ही है. बुजुर्ग मतदाताओं के घर जाकर मतदान कराने की सुविधा देने की पहल सबसे पहले बिहार विधानसभा चुनाव से शुरू हुई थी. उस समय कोविड का दौर चल रहा था और बुजुर्गों का घर से बाहर निकलना सुरक्षित नहीं था.
लोकसभा चुनावों में कांग्रेस इस बार उत्तर प्रदेश में शून्य पर सिमट सकती है
उत्तर प्रदेश की राजनीति में जिस कांग्रेस का हमेशा अपर हैंड रहता था, वह अब दूसरों के रहम-ओ-करम पर राजनीति करने को मजबूर हो गई है। प्रदेश में ना उसका वोट बैंक बचा है, ना नेता और संगठन। हाँ, यदि हवा-हवाई बातों से पार्टी को फायदा हो पाता तो जरूर यूपी में कांग्रेस टॉप पर होती, लेकिन ऐसा होता नहीं है। आज का मतदाता अपने नेताओं पर बारीकी से नजर रखता है। इस कसौटी में कांग्रेस की टॉप लीडरशिप और गांधी परिवार पूरी तरह से नाकामयाब रहा है। कांग्रेस के विधान सभा और लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के आंकड़े भी चुनाव-दर-चुनाव उसके जनाधार खिसकने के साक्षी हैं। यह गिरावट 1984 के बाद चार दशक में आई है। 1984 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस सभी 85 सीटों (तब उत्तराखंड की भी पांच सीटें शामिल) पर चुनाव लड़ी थी और 83 सीटों पर जीत हासिल की थी। भले ही तब पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस के साथ जनभावनाओं का ज्वार था, जिसके सहारे पार्टी ने उत्तर प्रदेश में अपने प्रदर्शन के शिखर को छुआ। यह वह दौर था जब राष्ट्रीय राजनीति में कांग्रेस का एकछत्र राज था और बीजेपी की एंट्री भर हुई थी, लेकिन उसकी राजनैतिक विचारधारा कांग्रेस से उलट थी। बीजेपी तुष्टिकरण की जगह हिन्दुत्व की बात करती थी। अयोध्या, काशी और मथुरा उसके एजेंडे में प्रमुख रूप से शामिल थे, जिससे कांग्रेस हमेशा किनारा करती रही थी। वहीं क्षेत्रीय दलों के रूप में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी जातिवादी राजनीति को आगे बढ़ा रहे थे। प्रदेश की राजनीति में बदले समीकरणों ने जहां दूसरे दलों के लिए नई संभावनाएं जगाईं, वहीं कांग्रेस को अपनों से मायूसी ही मिलती गई। 1984 में 51.03 प्रतिशत वोट हासिल करने वाली कांग्रेस फिर ऐसे जनाधार को वापस नहीं हासिल कर सकी। आज उसका जनाधार दो प्रतिशत में सिमट गया है। दरअसल, प्रदेश में सपा व बसपा के उदय के साथ ही कांग्रेस पीछे होती गई और भाजपा की प्रखर हिंदुत्व वाली छवि ने उसकी राह और मुश्किल कर दी। ब्राह्मण, दलित और मुस्लिम कांग्रेस के परंपरागत वोटर माने जाते थे। सपा के उदय के साथ मुस्लिम कांग्रेस से छिटक कर उसके पाले में चला गया। बसपा ने कांग्रेस के दलित वोट बैंक पर कब्जा कर लिया। कांग्रेस से मोहभंग के बाद ब्राह्मणों ने भाजपा का दामन थाम लिया। वर्ष 2000 में उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड के अलग होने के बाद की बात की जाए तो कांग्रेस वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में 80 सीटों पर लड़ी थी और 21 सीटों पर जीत हासिल की थी। पिछले ढाई दशक में यह कांग्रेस का सर्वाधिक उत्साहित करने वाला प्रदर्शन था। इसके पीछे कांग्रेस की मनरेगा व खाद्य सुरक्षा को लेकर नीतियों की बड़ी भूमिका मानी गई थी। कांग्रेस केंद्र में दोबारा सरकार बनाने में सफल हुई थी। इसके बावजूद कांग्रेस उत्तर प्रदेश में अपनी साख को बचाए रखने में कामयाब नहीं रही। इसे भी पढ़ें: इस बार लोकसभा चुनाव में राजस्थान में खाली हाथ नहीं रहना चाहती कांग्रेस पार्टी उत्तर प्रदेश में अपना जनाधार बढ़ाने के लिय पार्टी ने कई प्रयोग भी किए। राहुल गांधी को यूपी में पैर पसारने के लिये खुली छूट दी गई, इसके नतीजे उत्साहवर्धक नहीं आये तो प्रियंका वाड्रा को प्रदेश का प्रभारी भी बनाया गया, लेकिन बूथ स्तर पर कमजोर हुई पार्टी के सामने कार्यकर्ताओं में पुराना जोश भरना सपना ही रहा। उधर, कांग्रेसी नेता आपस में टांग खिंचाई करते रहे, जिसकी वजह से पार्टी में अंतरकलह भी बढ़ता गया। 2014 लोकसभा चुनाव के बाद केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद कांग्रेस के लिए उत्तर प्रदेश में 2009 का अपना प्रदर्शन दोहराने को तरसती ही रही। नेहरू-गांधी परिवार का उत्तर प्रदेश से गहरा रिश्ता होने के बाद भी पार्टी खोया दमखम नहीं जुटा सकी। पिछले चुनाव में कांग्रेस रायबरेली की एकमात्र सीट पर ही जीत का स्वाद चख सकी थी। पिछले लोकसभा चुनाव में अमेठी से राहुल गांधी तक हार गये। जबकि रायबरेली की सांसद सोनिया गांधी अबकी बार सदन में जाने के लिये राज्यसभा सदस्य बन चुकी हैं। इस बार वह भी चुनाव नहीं लड़ेंगी। ऐसे में कांग्रेस के सामने उत्तर प्रदेश में अपनी खोई जमीन तलाशने के साथ ही परंपरागत सीट अमेठी व रायबरेली में अपनी साख को बचाए रखने की चुनौती से जूझ रही है। इससे निपटने के लिए पार्टी सपा से गठबंधन के तहत उसके हिस्से आईं 17 सीटों पर पूरी ताकत झोंकने की तैयारी में है। प्रदेश मुख्यालय में वार रूम की स्थापना की गयी है और अमेठी व रायबरेली समेत 17 लोकसभा सीटों के 34 हजार बूथों पर एजेंट जुटाए जा रहे हैं। वार रूम के सदस्य संजय दीक्षित के अनुसार, 17 लोकसभा क्षेत्रों में अब तक 18 हजार बूथ लेवल एजेंट नियुक्त किए जा चुके हैं। शेष को भी जल्द नियुक्त करने की प्रक्रिया चल रही है। इसके अलावा वार रूम के 10 डेस्क हेड भी बनाए गए हैं और सभी को आठ-आठ लोकसभा क्षेत्रों की जिम्मेदारी दी गई है। इस प्रकार सभी 80 लोकसभा सीटों पर बूथ स्तर पर संगठन को खड़ा किया जा रहा है। कुल मिलाकर यूपी से अपने नेताओं को संसद भेजने के लिये कांग्रेस को शून्य से सफर शुरू करना होगा और इसके लिये उसके सिर्फ 17 प्रत्याशी मैदान में होंगे। क्योंकि समाजवादी पार्टी ने गठबंधन धर्म निभाते हुए यूपी में कांग्रेस को 80 में से 17 सीटें देने के लायक ही समझा है। -अजय कुमार
भरूच में विभिन्न केंद्र सरकार की योजनाओं के लाभार्थी के बीच एक बैठक में वस्तुतः बोलते हुए देश के प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार कहा कि एक बहुत वरिष्ठ विपक्षी नेता ने एक बार उनसे पूछा था कि दो बार पीएम बनने के बाद उनके पास करने के लिए और क्या बचा है? मोदी ने कहा कि वह तब तक चैन से नहीं बैठेंगे जब तक देश में सरकारी योजनाओं का शत-प्रतिशत कवरेज नहीं हो जाता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के 10 साल पूरे होने को है और अबकी बार 400 पार के नारे के साथ एनडीए तीसरे कार्यकाल के लिए तैयार हैं। सात दशकों से अधिक वर्षों में देश ने सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक परिवर्तनों से भरी यात्रा के दौरान 15 प्रधानमंत्रियों को देखा है। एक बार फिर 18वीं लोकसभा के चयन के लिए देश चुनावी मोड में जाने वाला है। लेकिन आज आपको हम इन चुनावों या उसके आने वाले नतीजों को लेकर कुछ भी नहीं बताने जा रहे हैं। बल्कि आज आपको चुनाव के इतिहास में लेकर जा रहे हैं। अगर मैं आपसे सवाल करूं कि भारत आजाद कब हुआ? आप फट से 15 अगस्त 1947 कहेंगे। अगर मैं आपसे कहूं कि भारत गणतंत्र कब बना? आप कहेंगे 26 जनवरी 1950, हम आपका कोई जीके का टेस्ट नहीं ले रहे हैं। लेकिन अगर मैं आपसे पूछूं कि भारत लोकतंत्र कब बना। जाहिर सी बात है लोकतंत्र अंग्रेजों से तो हमें मिला नहीं। दरअसल, 26 जनवरी की घोषणा तो हो गई थी लेकिन थ्योरी में और प्रैक्टिकल अभी बाकी थी। सारे सवालों के जवाब हमारे संविधान में छिपा था जो ये तय करता कि हमारा गणतंत्र और हमारा लोकतंत्र कैसा होगा। भारत को लोकतंत्र होना था और उसके लिए जरूरी था चुनाव करवाना। चुनाव लोकतंत्र की एक आवश्यक शर्त है। आज से करीब 72 साल पहले 25 अक्टूबर को भारत में लोकसभा का पहला चुनाव शुरू हुआ। जो लगभग पांच महीनों तक चला था। उस समय भारत के लोगों के लिए आजादी बिल्कुल नई चीजें थी। हमारे पास आजादी का अनुभव केवल चार वर्ष का था लेकिन गुलामी का अनुभव करीब 800 वर्षों का था। कल्पना कीजिए जो देश 800 सालों से गुलाम था वो अचानक आजाद हुआ और इससे पहले वो देश भी नहीं था। देश बना, गणतंत्र बना और फिर वहां अचानक से चुनाव हुए। कहा गया कि ये लोकतंत्र बनेगा। लेकिन किसी ने भी लोकतंत्र को देखा नहीं था जाना नहीं था। इसे भी पढ़ें: क्या केंद्र के बनाए किसी कानून को राज्य अपने यहां लागू करने से कर सकता है इनकार? नागरिकता के सवाल पर संविधान सभा में हुई थी जबरदस्त बहस ऐसे हुआ था भारत का पहला आम चुनाव पहला आम चुनाव 25 अक्टूबर 1951 से 27 मार्च 1952 के बीच हुआ था चुनाव के लिए करीब 1874 उम्मीदवारों और 53 पार्टियों ने चुनाव लड़ा था पार्टियों ने 489 सीटों पर चुनाव लड़ा कांग्रेस ने 364 सीटों के साथ चुनाव जीता क्योंकि लोगों ने उस पार्टी को वोट दिया जिसका नेतृत्व जवाहरलाल नेहरू ने किया था भाकपा वह पार्टी है जो 16 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही क्योंकि उन्हें लगभग 3.29 प्रतिशत वोट मिले एसओसी 10.59 फीसदी वोटों के साथ चुनाव में तीसरे स्थान पर रही और 12 सीटों पर जीत हासिल की पहले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए कुल वोटों का लगभग 45 प्रतिशत मतदान हुआ था भारत की जनसंख्या 36 करोड़ थी, जिसमें से 17.32 करोड़ जनसंख्या मतदान के योग्य थी चुनाव में 45.7 प्रतिशत मतदान हुआ। सभी पार्टियों के निशाने पर नेहरू प्रथम लोकसभा के चुनाव में 14 राष्ट्रीय दलों ने भाग लिया, जिनमें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी), अखिल भारतीय भारतीय जनसंघ (बीजेएस), बोल्शेविक पार्टी ऑफ इंडिया, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई), फॉरवर्ड ब्लॉक (मार्क्सवादी) शामिल थे। ग्रुप), फॉरवर्ड ब्लॉक (रुइकर ग्रुप), अखिल भारतीय हिंदू महासभा, कृषक लोक पार्टी, किसान मजदूर प्रजा पार्टी, रिवोल्यूशनरी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया, अखिल भारतीय राम राज्य परिषद, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी, ऑल इंडिया शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन और सोशलिस्ट पार्टी। इसके अलावा, 39 राज्य दलों और 533 निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी चुनाव लड़ा था। चुनाव अभियान प्रत्याशित तर्ज पर चला और तब से इसमें बहुत अधिक बदलाव नहीं आया है। वामपंथियों ने कांग्रेस पर पूंजीपतियों को खुश करने का आरोप लगाया, दक्षिणपंथियों ने कांग्रेस पर मुसलमानों के तुष्टिकरण का आरोप लगाया और अम्बेडकर की पार्टी, शेड्यूल कास्ट फेडरेशन ने कांग्रेस पर निचली जाति समूहों की उपेक्षा करने का आरोप लगाया। कांग्रेस का प्रतिनिधित्व करते हुए नेहरू ने पूरे चुनाव को सांप्रदायिकता और सांप्रदायिक हिंसा के खिलाफ जनादेश में बदल दिया। इसे भी पढ़ें: भारत में लोकसभा चुनाव कराने की व्यवस्था के बारे में ये है रोचक जानकारी नेहरू का चुनावी अभियान 30 सितंबर 1951 को लुधियाना में पहली रैली हुई। पंडित नेहरू का चुनाव प्रचार 9 हफ्तों तक चला। नेहरू ने देशभर में 300 से ज्यादा रैलियां की। 25,000 मील का सफर किया। 18,000 मील हवाई जहाज से यात्रा की। 15,200 मील की यात्रा कार से तय किया। 1,600 मील सफर रेलगाड़ी से किया। 90 मील का दौरा नाव से किया। नेहरू को प्राप्त हुए 64% से अधिक वोट 13 फरवरी, 1952 को अपने रिपब्लिकन संविधान के तहत हुए पहले आम चुनावों में भारत ने अगले पांच वर्षों के लिए कांग्रेस सरकार को चुना। प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू और पूर्व संचार मंत्री रफी अहमद किदवई का लोक सभा के लिए चुनाव परिणामों के मुख्य आकर्षणों में से एक था। प्रधानमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र में परिणाम जानने के लिए सुबह से ही इलाहाबाद की जिला अदालतों के परिसर में लोगों की भारी भीड़ जमा हो गई थी। प्रधान मंत्री अपने गृह निर्वाचन क्षेत्र इलाहाबाद से लोक सभा के लिए चुने गए, उन्होंने चार विरोधियों को 105,462 मतों से हराया। नेहरू को 233,571 वोट मिले। ये सामान्य सीट के लिए पड़े वोटों का 64% से अधिक रहा। माना जाता है कि यह देश में अब तक के चुनावों में किसी भी उम्मीदवार द्वारा प्राप्त सबसे अधिक वोट हैं। हिंदू कोड बिल के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार के अलावा सभी की जमानत जब्त हिंदू कोड बिल के मुद्दे पर नेहरू के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले 50 वर्षीय प्रभु दत्त ब्रह्मचारी को छोड़कर, प्रधान मंत्री के सभी तीन विरोधियों की जमानत जब्त हो गई। जबकि ब्रह्मचारी ने 56,718 वोट हासिल किए, जो सुरक्षा बनाए रखने के लिए आवश्यक न्यूनतम से लगभग 600 अधिक थे, मैदान में शेष तीन प्रत्याशी केके चटर्जी (स्वतंत्र), एलजी थट्टे (हिंदू महासभा) और बद्री प्रसाद (रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी) को क्रमश: 27,392, 25,870 और 18,129 वोट प्राप्त हुए। इस दोहरे सदस्यीय इलाहाबाद जिला पूर्वी-जौनपुर जिला पश्चिमी संसदीय क्षेत्र की आरक्षित सीट पर भी कांग्रेस प्रत्याशी मसुरिया दीन ने कब्जा कर लिया। उनके एकमात्र प्रतिद्वंद्वी बंसी लाल (केएमपीपी) को 55,642 वोट मिले। जहां नहीं पहुंच पाए नेहरू चुनाव प्रचार के दौरान नेहरू देश के हरेक कोने तक अपनी पहुंच बनाई। लेकिन हिमाचल प्रदेश की चीनी तहसील तक वो नहीं पहुंच पाए थे। इसके पीछे की वजह थी कि यहां 25 अक्टूबर 1951 को ही वोट पड़ गए थे। शर्दियों और बर्फबारी की वजह से ऐसा फैसला किया गया था।
लोकसभा चुनाव से पहले BJP को बड़ा झटका, इस दिग्गज नेता ने छोड़ी पार्टी
भोपाल: लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी को बड़ा झटका लगा है। राज्यसभा सांसद अजय प्रताप सिंह ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। अजय प्रताप सिंह ने कार्यकर्ताओं की अनेदखी का पार्टी पर आरोप लगाया है। मध्य प्रदेश में बीजेपी ने सभी 29 लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी है। इसको लेकर अब पार्टी में असंतोष भी उभर कर आने लगा है। शनिवार को बीजेपी के राज्यसभा सदस्य अजय प्रताप सिंह ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा कि उनका पार्टी की कार्यप्रणाली पर से भरोसा उठ गया है। बीजेपी की करनी एवं कथनी में अंतर नजर आ रहा है। लंबे वक़्त से मैं जिन विषयों को सदन के जरिए उठाता रहा हूं, उन विषयों की उपेक्षा हुई है। इसलिए मुझे लगा कि पार्टी के अंदर रहकर यह कार्य संभव नहीं होगा एवं पार्टी के बाहर आकर विषयों को उठाना होगा। अजय प्रताप सिंह ने कहा कि मैं व्यक्तिगत राजनीति में भरोसा नहीं करता हूं, मगर लोकतंत्र में सभी समाज का प्रतिनिधित्व की भावना में भरोसा रखता हूं। इसलिए सभी संगठनों को इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि सभी समाज का प्रतिनिधित्व हो। जिससे सभी समाज की बात और उनकी भावनाएं सामने आ सकें। अजय प्रताप सिंह ने अपना इस्तीफा सोशल मीडिया पर साझा कर किया है। जिसमें उन्होंने लिखा कि मैं भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहा हूं। उन्होंने अपना इस्तीफा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा एवं प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा को भेजा। यह भी बताया जा रहा है कि अजय प्रताप सिंह लोकसभा चुनाव में सीधी से टिकट मांग रहे है। ऐसी अटकलें लगाई जा रही है कि अजय प्रताप सिंह सीधी से निर्दलीय चुनाव लड़ सकते है। बहराइच में दुखद हादसा, निर्माणाधीन रिसोर्ट की छत गिरने से 2 मजदूरों की मौत, कई घायल छत्तीसगढ़ के सरकारी कर्मचारियों को मिली बड़ी सौगात, सीएम विष्णु देव साय ने किया ये ऐलान दो साल के उच्चतम स्तर पर पहुंचा भारत का विदेशी मुद्रा भंडार, एक सप्ताह में आया 10 बिलियन डॉलर का उछाल
BJP में शामिल हुई मशहूर गायिका अनुराधा पौडवाल
नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव की दिनांकों के ऐलान में अब कुछ ही घंटों का समय शेष है। चुनाव आयोग आज दोपहर 3 बजे इसका ऐलान करने जा रहा है। इसी के साथ देश में आचार संहिता लगने से पहले लोगों का सियासी दलों में सम्मिलित होना जारी है। इसी के बीच अब बॉलीवुड की लोकप्रिय गायक एवं भजन गायिका अनुराधा पौडवाल भारतीय जनता पार्टी (BJP) में सम्मिलित हो चुकी है। अनुराधा पौडवाल मशहूर गायिका हैं। वह 90 के दशक में अपनी भक्ति गायकी को लेकर लोकप्रियता के चरम पर थीं उनकी आयु 69 वर्ष की है। उनकी शादी वर्ष 1969 में अरुण पौडवाल से हुई थी जो एसडी बर्मन के असिस्टेंट एवं म्यूजिक कंपोजर थे। उनके दो बच्चे बेटा आदित्य एवं एक बेटी कविता हैं। उनके बेटे की कुछ वर्ष पूर्व ही मौत हो गई थी। वर्ष 1991 में अनुराधा पौडवाल के पति की मौत हो गई थी। वही इस बार लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाले NDA का मुकाबला करने के लिए विपक्षी पार्टियों ने 'INDIA' गठबंधन बनाया है। इस गठबंधन में दो दर्जन से अधिक विपक्षी पार्टियां हैं। जबकि, NDA में तकरीबन 40 पार्टियां हैं। NDA के पास इस वक़्त 350 से अधिक सांसद हैं। जबकि, इंडिया ब्लॉक के पास तकरीबन 150 सांसद हैं। हालांकि, कई प्रदेशों में इंडिया ब्लॉक को झटका भी लगा है, क्योंकि वहां की पार्टियों ने अकेले ही लड़ने का निर्णय लिया है। उदाहरण के लिए ममता बनर्जी की TMC इंडिया ब्लॉक का हिस्सा है, किन्तु पश्चिम बंगाल की सभी 42 सीटों पर TMC अकेले चुनाव लड़ रही है। देश में आज बजेगा लोकसभा चुनाव का बिगुल लोकसभा चुनाव से पहले BJP को बड़ा झटका, इस दिग्गज नेता ने छोड़ी पार्टी बहराइच में दुखद हादसा, निर्माणाधीन रिसोर्ट की छत गिरने से 2 मजदूरों की मौत, कई घायल
लोकसभा चुनाव की तारीखों का आज ऐलान होने वाला है. लेकिन कांग्रेस पार्टी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. पार्टी की नीतियों और रीतियों से नाराज होकर तमाम नेता कांग्रेस छोड़कर दूसरे दलों में शामिल हो रहे हैं. नाराज नेताओं में एक नाम पूर्व....
हाउसिंग एंड लैंड राइट्स नेटवर्क (HLRN) ने हाल ही में भारत में झुग्गी-झोपड़ियों को हटाने पर एक रिपोर्ट जारी की है। इसके मुताबिक, सरकार की ओर से झुग्गी-झोपड़ियों को तोड़ने और पुनर्विकास परियोजनाओं पर चल रहे काम में साल 2022 की तुलना में 2023 में दोगुनी बढ़ोतरी देखी गई है....
लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले कांग्रेस पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता बिरसा उराँव ने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी है. शुक्रवार को उन्होंने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष को पार्टी के सभी पदों और प्राथमिक सदस्यता से अपना इस्तीफा भी सौंप दिया है.....
Ayodhya में शुरू हुई Shri Ram Janamotsav की तैयारियां, 3 दिनों तक 24 घंटे खुले रहेंगे रामलला के कपाट
अयोध्या राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के बाद भगवान रामलला का जन्मोत्सव शुरू हो गया है. प्रशासन ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है. रामलला जन्मोत्सव की तैयारी अगले महीने 17 अप्रैल 2024 को होगी. ऐसे में भगवान के श्रृंगार से लेकर उनके दर्शन तक लगातार 3 दिनों तक कपाट 24 घंटे खुले रहेंगे. इस दौरान सिर्फ भगवान के भोग और शृंगार के लिए कपाट बंद रहेंगे. अगर आप भी अयोध्या जाने की तैयारी कर रहे हैं तो जानिए कपाट खुलने से लेकर दर्शन तक का समय.....
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटी हुई है. पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर बीजेपी कार्यकर्ता तक चुनाव में पार्टी की जीत की तैयारी में नजर आ रहे हैं. मिशन 400 प्लस के लिए काम करते हुए बीजेपी लगातार....
ईडी की एक्साइज पॉलिसी मामले में सुनवाई के लिए दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल राउज एवेन्यू कोर्ट पहुंच गए हैं. प्रवर्तन निदेशालय का प्रतिनिधित्व कर रहे एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ईवी राजू भी सुनवाई के लिए पहुंच गए हैं....
चुनाव आयोग आज दोपहर 3 बजे लोकसभा चुनाव 2024 की तारीखों का ऐलान करेगा. इसके तुरंत बाद देशभर में आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू हो जाएगी. अगर आचार संहिता लगती है तो इसका आम लोगों के सार्वजनिक जीवन पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा. लेकिन इससे राजनीतिक दलों और उनके उम्मीदवारों पर कई तरह की पाबंदियां लग जाएंगी...
Udaipur Lok Sabha Seat 2024 पर इस बात आमने-सामने दो पूर्व अधिकारी, जाने रोचक मुकाबले के ताज़ा समीकरण
राजस्थान की राजनीति में सालों से कहा जाता रहा है कि जो मेवाड़ जीतता है, वही राजस्थान भी जीतता है. 2023 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने इस कहावत को बदलने नहीं दिया. दरअसल, दक्षिणी राजस्थान में स्थित मेवाड़....
लोकसभा चुनाव से पहले मध्य प्रदेश में बीजेपी को बड़ा झटका लगा है. राज्यसभा सांसद अजय प्रताप सिंह ने बीजेपी से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने कहा कि राजनीति वास्तव में हमारे लिए सेवा का जरिया है, पैसा कमाने का जरिया नहीं, लेकिन आज कुछ परिस्थितियां ऐसी बन गई हैं कि मैं आपको बीजेपी के लिए अनुकूल नहीं मानता. इसलिए मैंने बीजेपी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है....
देश में जल्द ही लोकसभा चुनाव 2024 का ऐलान होने वाला है। खबरों के मुताबिक चुनाव आयोग आज दोपहर 3 बजे आम चुनाव की घोषणा कर सकता है. लेकिन चुनाव की तारीख से पहले ही भारतीय जनता पार्टी ने रणनीति बनानी शुरू कर दी है.....
लोकसभा चुनाव 2024 की तारीखों का आज ऐलान होगा. उससे पहले देश में चुनावी बॉन्ड का मुद्दा छाया हुआ है. इसी साल फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना पर रोक लगा दी थी. अब एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक.....
लोकसभा चुनाव के लिए राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी रणनीति बना ली है. पार्टियां अब उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर रही हैं. बीजेपी अब तक दो सूचियां जारी कर चुकी है. गुजरात को बीजेपी का गढ़ माना जाता है, लेकिन लिस्ट....