DNA on Vladimir Putin in military uniform: रूस के पड़ोसी देश इन दिनों दहशत में है. बेलारूस के साथ चल रही मिलिट्री एक्सरसाइज में वे फौजी वर्दी में दिखाई दिए. इसके साथ पड़ोसी देशों को उनका एक पुराना कथन याद आ रहा है.
DNA: ट्रंप को समझना मुश्किल ही नहीं..नामुमकिन है! अमेरिकी राष्ट्रपति के दिमाग में क्या चल रहा है?
DNA Analysis: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को समझना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है. उनके दिमाग़ में क्या चल रहा है, ये बता पाना असंभव है वो किस बात से ख़ुश हो जाते हैं और किस बात से नाराज़, इसकी भविष्यवाणी करना बहुत मुश्किल है.
ट्रंप की दूसरी ब्रिटेन यात्रा में शाही ठाठ-बाट, विरोध प्रदर्शनों के चलते अचूक सिक्योरिटी
Donald Trump: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप यूके के दौरे पर हैं. यहां पर उनकी निगरानी करने के लिए कड़ी सुरक्षा का इंतजाम किया गया है. जानिए ट्रंप की सुरक्षा की निगरानी कैसे हो रही है.
Donald Trump News: जब ट्रंप का विमान और सिविल प्लेन आए पास, फूल गए एयर ट्रैफिक कंट्रोलर के हाथ-पांव
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप मंगलवार को जब जमीन से हजारों फुट ऊपर प्लेन में उड़ रहे थे, तब उनके साथ बड़ी दुर्घटना होते बची.
Egyptian Museum: मिस्र के काहिरा में मौजूद मिस्र म्यूजियम की एक प्रयोगशाला से 3,000 साल पुराना सोने का कंगन गायब हो गया है. मंत्रालय के मुताबिक, यह कंगन मिस्र के इक्कीसवें राजवंश (1070-945 ईसा पूर्व) के फिरौन के शासनकाल का है.
India Mozambique News in Hindi: भारत और चीन के बीच अपना प्रभाव बढ़ाने की जंग अफ्रीका तक पहुंच गई है. भारतीय युद्धपोतों का एक बेड़ा अफ्रीका के एक अहम देश में पहुंचे हैं. वे वहां पर विभिन्न ट्रेनिंग प्रोग्राम में भाग लेंगे.
इस मुस्लिम देश ने भारतीयों को दी गुड न्यूज, वीजा के लिए नियम कर दिए आसान, जानें क्या है खास?
Bahrain Visa Process: बहरीन ने भारतीय नागरिकों के लिए वीजा लेने की प्रोसेस को और आसान बना दिया है. यानी बहरीन जाने वाले भारतीयों के लिए वीजा लेना बेहद आसान हो गया है. अगर आप भी भारत से बहरीन का सफर करना चाहते हैं तो आपके पास दो ऑप्शन हैं. चलिए जानते हैं.
नौकरी के साथ-साथ X से इस तरह कमाए 67000 रुपये, चंद दिनों में ऐसे बदली किस्मत
X Earnings: सोशल मीडिया पर कई ऐसे प्लेटफॅार्म है जिसके जरिए लोग करते अच्छी-खासी कमाई करते हैं. इनमें से एक्स पर लोग अच्छे पैसे कमाते हैं, एक इंजीनियर ने अच्छी कमाई के बारे में जानकारी दी, जिसे जानकर लोगों के होश उड़ गए.
What is Totalization Pact: यूएस में हजारों भारतीय आईटी प्रोफेशनल वहां की अर्थव्यवस्था में अपना अहम योगदान दे रहे हैं. लेकिन वीजा अवधि खत्म होने के बाद वे जब भारत वापस लौटते हैं तो यूएस सरकार उनके खून-पसीने का कमाई का एक बड़ा हिस्सा छीन लेती है.
US News: अमेरिका में 'आतंकी हमला'! कार ले जाकर FBI बिल्डिंग के मेन गेट से भिड़ा दिया
Terror Attack on FBI Building News: अमेरिका में संघीय जांच एजेंसी FBI की बिल्डिंग पर आतंकी हमले की खबर है. FBI के अनुसार, एक संदिग्ध ने आज सुबह तेज रफ्तार कार से बिल्डिंग का मेन गेट तोड़ दिया.
अब स्पेस एजेंसी नहीं रह जाएगी NASA, बेड़ा गर्क करने पर उतरे ट्रंप, वैज्ञानिकों में हड़कंप
Donald Trump: क्या नासा अब सिर्फ सिर्फ स्पेस एजेंसी नहीं रही? कम से कम कागजों पर तो नहीं. ट्रंप प्रशाशन के एक नए आदेश से नासा की स्थिति बदल गई है. वहीं, ट्रंप सरकार ने 2026 के लिए नासा का बजट कम कर दिया है, लेकिन अमेरिका फिर भी चांद और मंगल पर चीन से पहले जाना चाहते हैं.
Aliens News:वायरल क्लिप्स में वह चीज किसी मजबूत चट्टान जैसी लगी. लेकिन 72 घंटे के भीतर वह बदलना शुरू हुई और हरे-पीले रंग के जिलेटिन जैसा उसमें उभार आया, जो वक्त के साथ गहरा होता चला गया.
बुर्के के पीछे खूबसूरती की होड़, तालिबान की बंदिशों के बावजूद बूम कर रहा ये अजीब फैशन
Taliban News: अफगानिस्तान में तालिबान सरकार आने के बाद कई तरह से प्रतिबंध लगाए गए. हालांकि इन दिनों एक चलन तेजी के साथ बढ़ रहा है जहां पर महिलाओं की सर्जरी हो रही है. ये क्यों चर्चा का विषय बना है, जानते हैं.
'अमेरिका और यूरोप से इस्लाम का कर देंगे खात्मा'... ट्रंप की समर्थक ने मुसलमानों को बताया 'बलात्कारी'
Valentina Gomez controversial statement about Muslims: ट्रंप की समर्थक और रिपब्लिकन नेता वैलेंटीनी गोमेज ने मुसलमानों को लेकर एक बार फिर से विवादित बयान है. ब्रिटेन में दक्षिणपंथी एक्टिविस्ट टॉमी रॉबिन्सन के समर्थन में एक रैली में उन्होंने मुस्लिमों के खिलाफ भड़काऊ भाषण दिया और कहा कि मुसलमानों को वापस मुस्लिम देशों में भेज दिया जाए.
South Korea Corruption News: साउथ कोरिया में पूर्व राष्ट्रपति की पत्नी और फर्स्ट लेडी किम कियोन को रिश्वत देने के आरोप में यूनिफिकेशन चर्च की नेता हान हाक जा से पूछताछ की जा रही है.
खालिस्तानियों ने कनाडा में दी बड़ी धमकी, वैंकूवर स्थित भारतीय दूतावास पर करेंगे घेराबंदी
SFJ To Seige Indian Consulate: खालिस्तानी आतंकवादी समूह SFJ (सिख फॉर जस्टिस) ने 18 सितंबर 2025 को कनाडा में वैंकूवर स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास की घेराबंदी करने की घोषणा की है.
डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन ने पीएम मोदी को लगाया फोन, जताया ये भरोसा
डेनमार्क की प्रधानमंत्री मैटे फ्रेडरिक्सन (Mette Frederiksen) ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बातचीत की. इस दौरान दोनों नेताओं ने भारत-डेनमार्क ग्रीन स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप को और सुदृढ़ करने की प्रतिबद्धता दोहराई.
Donald Trump UK Visit 2025: अमेरिकी प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप पत्नी मेलानिया के साथ 3 दिन के ब्रिटेन दौरे पर हैं. किंग चार्ल्स उनकी मेजबानी करेंगे. ट्रंप ने इस मुलाकात को बहुत अहम बताया है. वहीं, सड़कों पर लोग गो होम ट्रंप के नारे लगा रहे हैं.
चार्ली किर्क के संदिग्ध के खिलाफ मिले सबूत, नफरत के चलते ली जान! अब आरोपी को फांसी देने की उठी मांग
Tyler Robinson charged with murder: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के करीबी रहे कंजर्वेटिव एक्टिविस्ट चार्ली किर्क की हत्या के मामले में अब बड़ा खुलासा हुआ है. दरअसल संदिग्ध टायलर रॉबिन्सन पर औपचारिक रूप से गंभीर हत्या का आरोप लगाया गया है. साथ ही उसके खिलाफ कई सबूत भी मिले हैं.
एडल्ट्री रोकने के लिए इस मुस्लिम देश ने कटवाया Wi-Fi कनेक्शन, एक राज्य में कामकाज ठप
अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने इंटरनेट के जरिए देश में फैल रहे व्याभिचार (adultery) यानी अनैतिकता को रोकने के लिएएक प्रांत में फाइबर ऑप्टिक इंटरनेट पर प्रतिबंध लगा दिया है.
ट्रंप के टैरिफ का निकल गया तोड़? भारत के साथ व्यापार बढ़ाएगा यह यूरोपीय देश, सामने रख दिया बड़ा ऑफर
Malta Trade Offer To India: यूरोपीय देश माल्टा ने भारत के सामने भारत के साथ EU- इंडिया फ्री ट्रेड एग्रीमेंट ( FTA) डील का ऑफर रखा है. इसके जरिए वह भारत के साथ व्यापार बढ़ाना चाहता है.
भारत में शादी को एक पवित्र बंधन माना जाता है, अग्नि को साक्षी मानकर दो लोग एक दूसरे के साथ 7 जन्म बिताने की कस्में खाते हैं लेकिन इसी भारत में कम से कम 30 लाख लोग शादीशुदा होने के बावजूद बेवफाई या एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर के लिए बने ऐप का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर के लिए ऐप कैसे बन सकता है, ये काम कैसे करता है, इतने लोग इसे इस्तेमाल क्यों कर रहे हैं, क्या इसमें किसी तरह का खतरा नहीं है, पूरी जानकारी के लिए ऊपर दी गई इमेज पर क्लिक कर देखें वीडियो....
‘8 सितंबर को प्रदर्शन से ठीक पहले हमारी पार्टी की मीटिंग हुई थी। इसमें बात हुई थी कि बच्चों का आंदोलन खड़ा हो रहा है। अगर उसमें हिंसा होगी, तो लोगों की भावनाएं भड़क जाएंगी। हमें इसकी आशंका थी। मैंने पार्टी के अंदर जनता के असंतोष का मुद्दा उठाया था। कहा था कि अगर हमारे पास बहुमत नहीं है, तो विपक्ष में बैठना चाहिए।’ ये दावा नेपाल के पूर्व विदेश मंत्री एनपी साउद का है। साउद देश की सबसे पुरानी और संसद में सबसे बड़ी पार्टी रही नेपाली कांग्रेस के नेता हैं। नेपाली कांग्रेस की सहमति से ही कम्युनिस्ट पार्टी के केपी ओली जुलाई 2024 में नेपाल के प्रधानमंत्री बने थे। जेनजी प्रोटेस्ट की वजह से उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। दैनिक भास्कर ने केपी शर्मा ओली की सरकार गिराने वाले प्रोटेस्ट में हुई हिंसा, नेताओं के लिए गुस्से, अंतरिम सरकार की चुनौतियों, भारत-चीन से रिश्तों और पॉलिटिकल पार्टियों के भविष्य पर एनपी साउद से बात की। पढ़िए पूरा इंटरव्यू… सवाल: नेपाल में हुए बदलाव को कैसे देखते हैं, जिस तरह हिंसा हुई, सरकार गिरी, क्या इसका अंदेशा था?जवाब: आंदोलन में हुई हिंसा दुखद है। बच्चों की भ्रष्टाचार को लेकर शिकायतें थीं, वे बदलाव चाहते थे। अगर हम उनकी मांगें ठीक से सुनते, तो ये नहीं होता। इतने कम वक्त में जो गुस्सा बाहर आया, ये राजनीतिक दल खड़ा नहीं कर सकते। बच्चों को महसूस हो रहा था कि पढ़ने से लेकर काम करने तक, हमें बाहर जाना पड़ रहा है। नेपाल में आय की असमानता ज्यादा है। उन्हें लगा कि कुछ लोगों के पास बहुत ज्यादा संसाधन हैं और हम लोग पिछड़े हुए हैं। देश आगे नहीं बढ़ रहा है। चीन और भारत बहुत आगे चले गए। राजनीतिक नेताओं का सिंडिकेट सा बना हुआ है। हमारा शासन आम लोगों तक नहीं पहुंचा और इसी वजह से बदलाव की मांग उठी। सवाल: जेनजी प्रोटेस्ट खुद से किया आंदोलन था या दूसरे देश और नेपाल के असामाजिक तत्व इसमें शामिल थे?जवाब: प्रदर्शन के जरिए युवाओं ने आम लोगों की नाराजगी जाहिर करने की कोशिश की। इसमें कई सारे अलग-अलग हितों के लोग शामिल होने की वजह से ये हिंसक हो गया। जहां तक दूसरे देशों के दखल की बात है, तो किसी भी देश की राजनीति अब स्थानीय नहीं रही। किसी भी एक देश को चिह्नित नहीं किया जा सकता। ये साफ है कि आंदोलन में जेनजी से बाहर के लोग शामिल हो गए। बाहर के लोग हिंसा और उत्पात मचाने के मकसद से शामिल हुए। नेपाल की सांस्कृतिक महत्व की जगहों को बर्बाद कर दिया गया। सिंह दरबार को जलाने में जेनजी की क्या दिलचस्पी होगी। सवाल: आपको लगता है कि आर्मी का सरकार में दखल बढ़ेगा?जवाब: नेपाल की आर्मी प्रोफेशनल फोर्स है। ऐसा समय नेपाल के इतिहास में कई बार आया है। तब भी आर्मी ने राजा को सुझाव दिया था कि बातचीत से रास्ता निकाला जाए। आर्मी ने माओवादी हिंसा के वक्त भी प्रोफेशनल रोल निभाया। मुझे नहीं लगता कि आर्मी का इसमें कोई राजनीतिक हित है। बस 9 सितंबर को हिंसा हुई, तब आर्मी को थोड़ा पहले आगे आकर देश को बचाना चाहिए था। रात 10 बजे तक जो तहस-नहस होता रहा, उसे रोका जा सकता था। सवाल: नेपाल की सारी पार्टियां आपस में मिलकर सरकार बनाती रही हैं। वे क्या नहीं कर पाईं, जिसकी वजह से जेनजी में गुस्सा पनपा?जवाब: नेपाल में संसदीय व्यवस्था से चुनाव होते हैं। अलग-अलग पार्टियों के सांसद चुनकर आते हैं। ऐसे में किसी एक पार्टी को बहुमत नहीं मिलेगा, तो गठबंधन बनेंगे। इसलिए सत्ता के लिए राजनीतिक दल आपस में समझौता करते हैं और उसी के इर्द-गिर्द चक्कर लगाते हैं। सवाल: ये भारत में भी होता है, लेकिन ये कभी नहीं हो सकता कि BJP और कांग्रेस मिलकर सरकार बना लें। नेपाल में तो दो सबसे बड़े विरोधी दल सरकार बना लेते हैं, ऐसे में विपक्ष की जगह ही नहीं बचती?जवाब: आपकी ये बात ठीक है। हमारी पार्टी के भीतर भी ये मुद्दा उठा था कि अगर दो विरोधी दल एक जगह आ जाएंगे और उनका प्रदर्शन कमजोर होगा तो असंतुष्टि जाहिर करने के लिए सड़क के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा। छोटी-छोटी पार्टियां विपक्ष में थीं। इसकी वजह से विपक्ष की मजबूत आवाज नहीं दिख रही थी। इसलिए लोगों ने संसद के प्रति अपनी उम्मीद ही छोड़ दी। लोगों ने सड़क से सरकार बदल दी। मैंने पार्टी के अंदर जनता के असंतोष का मुद्दा उठाया था। कहा था कि अगर हमारे पास बहुमत नहीं है, तो विपक्ष में बैठना चाहिए। यहां हर पार्टी सत्ता में आना चाहती है। कई बार नेपाल में तीसरे नंबर की पार्टी का नेता प्रधानमंत्री बन जाता है। नेपाल में पहले नंबर की पार्टी तो प्रधानमंत्री बना ही नहीं पाती। सवाल: क्या सुशील कार्की का अंतरिम प्रधानमंत्री चुना जाना सही है, उनके सामने क्या चुनौतियां होंगी?जवाब: सुशीला जी चीफ जस्टिस रह चुकी हैं। हमारे यहां पहले भी चीफ जस्टिस को प्रधानमंत्री बनाया जा चुका है, लेकिन ये पार्टियों की सहमति से हुआ था। इस बार राष्ट्रपति ने अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल करके अंतरिम प्रधानमंत्री बनाया है। अच्छी बात ये है कि उनकी नियुक्ति के बाद हिंसा थमनी चाहिए। हालात ठीक करना सबसे बड़ी चुनौती होगी। सवाल: अंतरिम सरकार को 6 महीने में चुनाव कराना है। जेनजी ने संविधान में भी बदलाव की मांग की है। फिर नेपाल की पुरानी पार्टियों का क्या होगा?जवाब: पुरानी पार्टियां अब संभलने की कोशिश कर रही हैं। हमारे लिए ये सदमे की तरह हो गया है। दो दिन में दो तिहाई बहुमत की सरकार चली गई। लोगों में डर और आक्रोश दोनों है। हमें पार्टियों को फिर से एकजुट करने की कोशिश करनी होगी। संविधान के तहत अगर चुनाव करवाते हैं, तो पार्टियां इसे पॉजिटिव तरीके से लेंगी। सत्ता का हस्तांतरण लोकतांत्रिक तरीके से होना चाहिए। सवाल: 8 सितंबर के प्रोटेस्ट में 20 छात्रों की मौत हुई, तो क्या आपको लग रहा था कि दूसरे दिन ऐसा कुछ होगा कि संसद, सिंह दरबार, सुप्रीम कोर्ट सब जला दिया जाएगा?जवाब: 8 सितंबर को प्रदर्शन से ठीक पहले हमारी पार्टी की मीटिंग हुई थी। हमने चर्चा की थी कि ये बच्चों का आंदोलन खड़ा हो रहा है। अगर वहां हिंसा होगी, तो लोगों की भावनाएं भड़क उठेंगी। हमें इसी की आशंका थी। मैं उस दिन काठमांडू से दूर चितवन चला गया। हमें वहीं इस बारे में पता चला। इसके बाद से हमारी पार्टी में लगातार चर्चा चल रही है। सवाल: पूरे प्रोटेस्ट में सबसे ज्यादा चर्चा में काठमांडू के मेयर बालेन शाह का नाम रहा। ये भी कहा जा रहा है कि सुशीला कार्की सिर्फ चेहरा हैं, असली सत्ता बालेन शाह के पास है। क्या आप भी ये मानते हैं?जवाब: बालेन शाह युवा हैं। वे काठमांडू के युवाओं में पॉपुलर हैं। वे सोशल मीडिया पर ही एक्टिव हैं। उनका कोई संगठन नहीं है। उनके सिर्फ सोशल मीडिया फॉलोअर्स हैं। जेनजी आंदोलन खड़ा करने में उन्होंने भूमिका निभाई है। बैकग्राउंड से राजनीति चलाना प्रजातंत्र के लिए ठीक नहीं। जवाबदेह व्यक्ति शासन करे, तो बेहतर रहेगा। सवाल: नेपाली कांग्रेस देश की सबसे पुरानी पार्टी है। पार्टी की जब सरकार बनी, नेपाल और भारत के रिश्ते मजबूत हुए। अब नेपाली कांग्रेस का भविष्य क्या होगा, क्या सेकेंड लीडरशिप नेतृत्व संभालेगी?जवाब: नेपाली कांग्रेस के संविधान के मुताबिक कोई भी दो बार से ज्यादा अध्यक्ष नहीं बन सकता। शेर बहादुर देउबा दो बार अध्यक्ष बन चुके थे। अब नए चेहरे को कमान संभालनी ही थी। अब नई पीढ़ी के नेता आगे आएंगे। जेनजी को भी अलग-अलग स्तर पर शामिल करना चाहिए। उनके आंदोलन से सीखने की जरूरत है। हम अभी अपनी पार्टी को एकजुट करना चाहते हैं। सवाल: केपी शर्मा ओली का झुकाव चीन की तरफ ज्यादा था, भारत से दूरियां बढ़ रही थीं। क्या ये बात सही है?जवाब: नेपाल की विदेश नीति गुट निरपेक्षता पर आधारित रही है। ये संविधान में लिखा हुआ है। नेपाल को रणनीतिक रूप से अहम साझेदारों के साथ रिश्ते बनाकर रखना चाहिए था। नेपाल को अपना बेस और ग्राउंड नहीं छोड़ना चाहिए था। हमारा अनुभव है कि हमें दो बड़े राष्ट्रों के साथ अच्छे संबंध रखकर आगे बढ़ने की कोशिश करनी चाहिए। विदेश नीति में असंतुलन दिखा और इसके गंभीर नतीजे दिखे हैं। सवाल: आप विदेश मंत्री रहे हैं, अंतरिम सरकार को विदेश नीति पर क्या सलाह देंगे?जवाब: हमारे पास विदेश नीति पर बड़ा अनुभव है। हमें गुट निरपेक्षता के साथ ही आगे बढ़ना है। हमारे उत्तर में चीन हैं, हम वन चाइना पॉलिसी को मानते हैं। हम चीन जैसी बड़ी ताकत को नाराज नहीं कर सकते। दक्षिण में हमारे कामकाज काफी ज्यादा हैं। हम दो-तिहाई कारोबार भारत के साथ करते हैं। भारत के साथ हमारे संबंध ज्यादा हैं। भविष्य की संभावना के नजरिए से हम भारत को ऊर्जा निर्यात कर सकते हैं। हम भारत के साथ बेहतर और आपसी हित पर आधारित संबंध बनाएं। भारत को भी नुकसान न हो और हमें भी नुकसान न हो। सवाल: आप अंतरिम सरकार को क्या सलाह देंगे, भारत और चीन से बराबरी के संबंध रखें या भारत की तरफ ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है?जवाब: मैं बराबरी शब्द का इस्तेमाल नहीं करना चाहता। मैं संतुलन की बात करता हूं। धरती भी बराबर नहीं झुकी है, वो भी 66 डिग्री पर खड़ी है। हमारी विदेश नीति राष्ट्रीय सुरक्षा, कारोबार, विकास पर आधारित होनी चाहिए। इस पर संतुलन बनाने की जरूरत है। सवाल: भारत किस तरह से विदेश नीति के मोर्चे पर नेपाल की मदद कर सकता है?जवाब: एक साल पहले मैं विदेश मंत्री था, तो पुष्प कमल दहल प्रचंड जी के साथ दिल्ली गया था। PM मोदी साहब के साथ बात हुई। उन्होंने कहा था कि हम नेपाल के साथ अच्छे संबंध बनाना चाहते हैं। हम बॉर्डर के मसले भी बातचीत के जरिए हल करना चाहते हैं। उन्होंने बताया कि बांग्लादेश के साथ सीमा के मुद्दों पर समाधान हुआ। उसी तरह से बातचीत से भी हम इसको हल करेंगे। हम सरकार में थे, तो हमने साफ तौर पर तय किया था कि हम नेपाल और भारत के संबंधों को लोकल पॉलिटिक्स का हिस्सा नहीं बनाएंगे। हम भारत के साथ रिश्तों का इस्तेमाल राष्ट्रीय हित के लिए करना चाहते हैं। सवाल: आपको क्या लगता है कि अंतरिम सरकार के एजेंडे में सबसे ऊपर क्या होना चाहिए और सबसे बड़ी चुनौतियां क्या हैं?जवाब: अंतरिम सरकार को आगाह करना चाहता हूं कि संविधान और प्रजातंत्र की धरोहर को बचाना चाहिए। सरकार बनती हैं, बिखरती हैं, बदलाव होता रहता है, लेकिन संविधान को मत छोड़िए। आप संविधान के रास्ते ही चुनाव में जाइए। सरकार को सभी पार्टियों को भरोसे में लेना चाहिए। ..................... नेपाल से ये ग्राउंड रिपोर्ट भी पढ़िए... 1. GenZ लीडर बोले- 2 साल से आंदोलन की तैयारी थी 26 साल के अर्जुन शाही और 27 साल के टंका धामी का जेनजी रेवोल्यूशन नेपाल नाम का संगठन है। ये संगठन सरकार के खिलाफ प्रोटेस्ट का हिस्सा रहा। दोनों कहते हैं, ‘ये कोई दो चार दिन का आंदोलन नहीं था। हमने कई महीनों की प्लानिंग और रिसर्च के बाद इसे खड़ा किया। हम पिछले दो साल से लगातार मेहनत कर रहे थे और एक-एक कर युवाओं को जुटाया।‘ पढ़िए पूरी खबर... 2. पूर्व PM-वित्त मंत्री को पीटा, संसद-सुप्रीम कोर्ट जलाए, लोग बोले- हमारी सरकार करप्ट गैंग नेपाल की संसद, सुप्रीम कोर्ट, पॉलिटिकल पार्टियों के ऑफिस, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री-मंत्रियों के घर और सबसे खास काठमांडू का सिंह दरबार, सब एक दिन में जल गया। पूरे काठमांडू के आसमान में काला धुआं दिख रहा है। पूर्व PM झालानाथ खनाल की पत्नी को जिंदा जला दिया गया। 20 से 25 साल के लड़के-लड़कियां सरकार के खिलाफ सड़कों पर हैं। इनका कहना है कि हमारी सरकार करप्ट है। पढ़िए पूरी खबर...
दोनों घुटनों की सर्जरी वाले मरीज पर 40 हजार, IVF वाले मरीज पर 22 हजार और MRI/ CT स्कैन वाले मरीज पर 20 फीसदी कमीशन। ज्यादा मरीज भेजेंगे तो उत्तराखंड में ट्रिप जैसे ऑफर भी हैं। हर मरीज पर 20% कमीशन तय। ये रेट मरीजों की सौदेबाजी का है। सौदा बड़े हॉस्पिटल्स और छोटे हॉस्पिटल्स-क्लिनिक के बीच होता है। पूरे नेक्सस को एक्सपोज करने के लिए भास्कर की नेशनल इन्वेस्टिगेशन टीम ने दिल्ली-NCR, जयपुर और लखनऊ के 15 बड़े अस्पतालों में पड़ताल की। कहीं सीधे डॉक्टर तो कहीं हॉस्पिटल की मार्केटिंग टीम से बात हुई। अस्पताल बातचीत में पेशेंट का इलाज लंबे समय तक करने, महंगी दरों पर करने और जरूरत से ज्यादा दिनों तक एडमिट रखने के लिए भी तैयार होते हैं। बस बिल में हिस्सेदारी बांट दी जाती है। इस सिस्टम का नाम है- रेफरल सिस्टम। अब सिलसिलेवार तरीके से पढ़िए किस हॉस्पिटल ने क्या ऑफर दिया... दिल्ली 1.मेट्रो अस्पताल : बाइलेट्रल नी रिप्लेसमेंट पर ₹20,000 कमीशन किससे बात हुई : सचिन रोहिल्ला, सीनियर मैनेजर सचिन ने बताया कि एंजियोग्राफी पर ₹2,000, PTCA/CABG पर ₹10,000 कमीशन तय है। बाइलेट्रल नी रिप्लेसमेंट पर ₹20,000 कमीशन दे रहे हैं। 2.हार्ट एंड लंग इंस्टीट्यूट : एंजियोप्लास्टी पर ₹15,000 से ₹21,000 किससे बात हुई : विशाल सिंह, डेप्युटी मैनेजर विशाल सिंह ने बताया कि एंजियोप्लास्टी पर ₹15,000 से ₹21,000 और कैंसर/कोविड केस पर 5% कमीशन है। रिपोर्टर: आपके यहां रेफरल का क्या सिस्टम है? विशाल : इंश्योरेंस और कैश का अलग-अलग रहता है। रिपोर्टर: समझा दीजिए। विशाल: सरकारी स्कीम वाले पेशेंट पर 15 हजार देते हैं। रिपोर्टर: ओके। विशाल: TPA का पेशेंट आता है तो 17 हजार देते हैं। कैश वाला पेशेंट आया तो 21 हजार देते हैं। हमारा सीधा हिसाब है 15 हजार, 17 हजार, 21 हजार। रिपोर्टर: जैसे कोई पेशेंट डेथ कर गया, उसने बिल भी पे कर दिया। तो कमीशन मिलेगा न? विशाल: अगर पेशेंट की बिलिंग हुई है तो रेफरल मिलेगा। लेकिन एक लाख से नीचे की बिलिंग है तो हम कुछ नहीं करते है। रिपोर्टर: डेथ केस में रेफरल के लिए मिनिमम कितने लाख की बिलिंग चाहिए? विशाल: एक लाख। फरीदाबाद 3.पार्क अस्पताल : मरीजों का बिल बढ़ाने की पेशकश किससे बात हुई : मुकेश तिवारी, सीनियर मार्केटिंग मैनेजर मुकेश ने बताया कि 'आयुष्मान भारत मरीजों पर ₹5,000, CGHS/ECHS पर ₹6,000 और ESI मरीजों पर ₹6,000-₹8,000 कमीशन है। ज्यादा मरीज भेजने पर कमीशन 25-30% तक बढ़ सकता है। 10 CGHS/ECHS मरीज भेजने पर महीने का ₹1 लाख कमीशन मिल सकता है।' हमारे इशारे भर से अस्पताल मरीजों के बिल को जानबूझकर बढ़ाने की पेशकश करता है, जैसे “एक को दो बना देंगे”। रिपोर्टर: आयुष्मान, CGHS के पेशेंट्स रेगुलर आते हैं। हर पेशेंट आप कह रहे हो 6 हजार रुपए। मुकेश : आयुष्मान का 5 हजार, एंजियोप्लास्टी और CABG, हिप आपरेटिव का भी 5 देते हैं। रिपोर्टर: ठीक है। मुकेश : अगर बल्क में होगा तो सर से पूछकर रिक्वेस्ट कराके उसको इंक्रीज भी करा देंगे। रिपोर्टर: ठीक है। मुकेश: लेकिन ESIC का 6 से 8 हजार है। वो डिपेंड करता है कि उसके 5 पेशेंट आ रहे हैं या 10 आ रहे हैं। रिपोर्टर: ठीक है। मुकेश : ठीक इसी तरह ECHS CGHS और CAPF का है। 10 CGHS मरीज भेज दो, ₹1 लाख कमीशन बन जाएगा। गुरुग्राम 4.सिल्वर स्ट्रीक अस्पताल : कैश / TPA मरीजों पर 20% कमीशन किससे बात हुई : गौरव शर्मा, जनरल मैनेजर गौरव ने बताया कि 'आयुष्मान, CGHS, ECHS मरीजों पर ₹3,000 और कैश/TPA मरीजों पर 20% कमीशन तय है। नी रिप्लेसमेंट पर ₹50,000-₹60,000 और NRI मरीजों पर 30% कमीशन देते हैं। मरीज की अगर इलाज के दौरान मौत भी हो जाए तो भी कमीशन मिलता है। इसके लिए अस्पताल के साथ एक MoU साइन करना होगा।' गौरव ने दावा किया कि 'फिलहाल सिल्वर स्ट्रीक के रेफरल नेटवर्क में 400 से ज्यादा डॉक्टर जुड़े हुए हैं। जीतने मरीज आते हैं उस हिसाब से महीने में दो बार पैसा ट्रांसफर कर दिया जाता है। जयपुर 5.मंगलम प्लस मेडिसिटी अस्पताल : ड्राइवर के अकाउंट में पैसा पहुंच जाएगा किससे बात हुई : मितेश चौधरी, मार्केटिंग मैनेजर मितेश के मुताबिक, 'कैश/TPA मरीजों पर 10%, बाइलेटरल नी रिप्लेसमेंट पर ₹20,000 और चिरंजीवी योजना के कार्डियक मरीजों पर ₹5,000 कमीशन का रेट चल रहा है।' मितेश ने ये भी दावा किया कि 'सरकारी डॉक्टर भी इसमें शामिल हैं और उन्हें भी कमीशन दिया जा रहा है। ये डॉक्टर कमीशन अपने ड्राइवर या रिश्तेदारों के अकाउंट में ट्रांसफर करवाते हैं।' रिपोर्टर: रेफरल कट कमीशन का आपके यहां क्या हिसाब-किताब है? मितेश : कैश, TPA पर 10 पर्सेंट है। चिरंजीवी में हम कार्डियक पर देते हैं। रिपोर्टर: स्टंट पर क्या रहेगा? मितेश: 10 हजार होता है पूरे एक स्टंट का और दो का 15000 के आस-पास पड़ जाता है। दो स्टंट होने पर चिरंजीवी में नहीं दे पाते। सिर्फ तब हो पाता है जब पेशेंट चिरंजीवी में लगातार आ रहे हैं। 5000 एक स्टंट पर चिरंजीवी के तहत। रिपोर्टर: अब मान लो, मेरा जो महीने का है रेफरल 2 लाख बना। तो मोड ऑफ पेमेंट कैसे रहेगा? मितेश : RTGS रहेगा। आप अपना अकाउंट नंबर दे दो। यहां से RTGS चला जाएगा। रिपोर्टर: हम बुक में नहीं आना चाहते। मितेश : आपके किसी भी अकाउंट में डलवा दूंगा। रिपोर्टर: ड्राइवर के अकाउंट में डालने का कहेंगे तो हो जाएगा। मितेश : हां। मितेश : मुझे, बस एक स्क्रीन शॉट चाहिए होगा। कि प्लीज, गिव माई पेमेट ऑन दिस अकाउंट। सौ दैट, मैं यहां भी डॉक्यूमेंट्स में लगा दूं ये पेमेंट है, इसमें जा रहा है। हमारे काफी ऐसे डॉक्टर्स हैं, जो गर्वमेंट में हैं। वो बुक में नहीं आना चाहते। उनके ड्राइवर, भाई, पत्नी के अकाउंट में भेजते हैं। 6.रूंगटा अस्पताल : कार्डियक मरीजों पर ₹10,000 कमीशन किससे बात हुई : देबाशीष बनर्जी, पब्लिक रिलेशन एग्जीक्यूटिव बनर्जी के मुताबिक, कैश मरीजों पर फ्लैट 10% और चिरंजीवी कार्डियक मरीजों पर ₹10,000 कमीशन है। 7.इंडस जयपुर अस्पताल : सरकारी डॉक्टरों को कैश में कमीशन किससे बात हुई : सीनियर मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव वीरेंद्र चौहान और बिजनेस मैनेजर डॉ. भाव्या शर्मा दोनों ने बताया कि कैश/TPA मरीजों पर 10% और नी रिप्लेसमेंट पर ₹8,000-₹10,000 कमीशन है। सरकारी डॉक्टरों को कैश में कमीशन दिया जाता है। अस्पताल ने मरीज की डेथ के बाद भी कमीशन देने की बात स्वीकारी। लखनऊ 8.संजीवनी अस्पताल : हर इलाज पर 25% कमीशन किससे बात हुई : डॉ. अंकित द्विवेदी, मार्केटिंग मैनेजर अंकित ने बताया कि हर इलाज पर 25% कमीशन देते हैं। इसके लिए अस्पताल के साथ नॉन-फाइनेंशियल MoU साइन करना पड़ता है। 9.ग्लोब हेल्थकेयर : CM फंड से आए मरीजों पर 5% किससे बात हुई : श्यामेन्द्र सिंह, डेप्युटी मार्केटिंग मैनेजर सिंह ने बताया कि उनके यहां CM फंड से आए मरीजों पर 5% रेफरल कमीशन दिया जा रहा है। उनके रेफरल नेटवर्क में 1,000 से ज्यादा डॉक्टर हैं। अस्पताल ने माना कि रेफरल का ये कमीशन कैश में भी दिया जाता है। 10.चंदन अस्पताल : कैश मरीजों पर 10% किससे बात हुई : शेखर पुनिया, वाइस प्रेजिडेंट शेखर ने बताया कि अस्पताल कैश मरीजों पर 10% और TPA पर 5% कमीशन दे रहा है। 11.नोवा अस्पताल : हर इलाज पर 20% कमीशन किससे बात हुई : डॉ. गोपाल गर्ग, मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. गर्ग ने कहा कि अस्पताल हर इलाज पर 20% कमीशन और नी रिप्लेसमेंट पर ₹20,000 दे रहा है। 12.मिडलैंड अस्पताल : एंजियोप्लास्टी पर ₹17,000 कमीशन किससे बात हुई : मुरतुल्या सिंह, मार्केटिंग मैनेजर सिंह ने एंजियोप्लास्टी पर ₹17,000 कमीशन और सरकारी योजनाओं से तहत इलाज पर 15% तक कमीशन देने की बात कही। उन्होंने वॉट्सऐप पर पूरी लिस्ट भेज दी। नोएडा 13.कैलाश अस्पताल : हर मरीज पर 15% कमीशन किससे बात हुई : पुष्पेंद्र यादव, मार्केटिंग मैनेजर पुष्पेंद्र ने खुलासा किया कि ‘ हर रेफरल मरीज पर 15% कमीशन देते हैं और कुछ खास इलाज के लिए पहले से तय राशि मिलती है।’ जैसे, ‘बाइलेटरल नी रिप्लेसमेंट पर ₹40,000, IVF पर ₹22,000 और MRI/CT स्कैन पर 20% कमीशन तय है। छोटे अस्पतालों के साथ MOU साइन किए जाते हैं, ताकि रेफरल प्रक्रिया ठीक से चले। ज्यादा मरीज भेजने वाले डॉक्टरों को उत्तराखंड में राफ्टिंग ट्रिप जैसे ऑफर भी दिए जाते हैं।’ 14.फेलिक्स अस्पताल : विदेशी मरीजों पर 30% तक कमीशन किससे बात हुई : मार्केटिंग मैनेजर कुश और मार्केटिंग कोऑर्डिनेटर श्वेता विराज कुश के मुताबिक, CGHS मरीजों पर ₹7,000, कैश और TPA मरीजों पर 20% कमीशन (अधिकतम ₹50,000 प्रति माह) और विदेशी मरीजों पर 30% तक कमीशन दिया जाता है। कीमोथेरेपी और रेडिएशन की हर सिटिंग पर अलग से कमीशन देते हैं। मार्केटिंग कोऑर्डिनेटर श्वेता विराज ने कहा कि ज्यादा मरीज भेजने पर रेट में बढ़ोतरी और 'स्पेशल फेवर' भी दिए जाते हैं। कुश: ऐसे तो हमारे पास सारे डिपार्टमेंट है, कार्डियो, ऑर्थो, गाइनी, और मेडिसिन, मैक्सिमम हमारे पास जो डिपार्टमेंट है सभी में मिल जाएगा। रिपोर्टर: जो आपके और भी डिपार्टमेंट हैं उससे रिलेटेड कोई भी पेशेंट आएगा, उस पर 20% कमीशन रहेगा? कुश: यह हम कैश और TPA का आपको बता रहे हैं 20%, PSU वाला जो मैंने बताया था CAPF वाला वो तो फिक्स अमाउंट है। रिपोर्टर: अगर PSU के केसेज आते हैं, बाइपास सर्जरी के? कुश: 15 हजार। रिपोर्टर: एक्सीडेंट केस है या डिलीवरी केस है ? कुश: उस पर भी सेम अमाउंट है, न्यूरो सर्जरी में अगर कोई इंप्लांट लगता है तो 15 हजार देते हैं। रिपोर्टर: इंटरनेशनल पेशेंट का क्या है? कुश: इंटरनेशनल पेशेंट पर तो हमारे पास अभी 30% का था, जो हमारा अभी कुछ दिन पहले 2-4 पेशेंट एडमिट हुए थे। उसपे 30% था। 15.यथार्थ सुपर स्पेशियलिटी : आयुष्मान पर 5 हजार, ESI पर 8 हजार किससे बात हुई : गोविल त्यागी, मार्केटिंग हेड गोविल ने न केवल कमीशन की पुष्टि की, बल्कि यह भी बताया कि किडनी ट्रांसप्लांट जैसे इलाज पर ₹50,000 फिक्स कमीशन दिया जाता है। नी रिप्लेसमेंट पर ₹20,000 और बाइलेटरल नी रिप्लेसमेंट पर ₹40,000 का फिक्स कमीशन है। सभी इलाजों पर मेडिसिन और कंज्यूमेबल हटाकर कुल बिल का 10% कमीशन देते हैं। इन सरकारी स्कीम्स वाले मरीजों को एडमिट करवाने के लिए ऑफर मरीज को रेफर करने के बदले में कमीशन नहीं ले सकते... नेशनल मेडिकल काउंसिल की गाइडलाइन के मुताबिक, 'कोई भी डॉक्टर किसी मरीज को रेफर करने के बदले में कमीशन, उपहार या किसी भी तरह का फायदा न तो ले सकता है और न ही दे सकता है और अगर कोई डॉक्टर इस तरह की प्रैक्टिस में शामिल पाया जाता है- जैसे कि मरीज भेजने के बदले कमीशन लेना या देना, तो यह मेडिकल प्रोफेशन के नियमों का उल्लंघन माना जाएगा और उस डॉक्टर/अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।' अंतरराष्ट्रीय कंज्यूमर पॉलिसी एक्सपर्ट और इस सब्जेक्ट पर काम कर चुके एक्सपर्ट प्रोफेसर बेजोन कुमार मिश्र कहते हैं, ‘2015 में बनी जांच कमेटी ने इस कमीशन नेटवर्क का खुलासा किया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।' 'क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट (2010) इस समस्या को रोकने के लिए है, पर राज्यों में सही तरीके से लागू नहीं हो पाया।’ वहीं, कंज्यूमर एक्सपर्ट प्रोफेसर राम खन्ना ( मैनेजिंग ट्रस्टी, कंज्यूमर वॉयस) कहते हैं, 'आजकल डॉक्टरी पेशा व्यवसाय बन चुका है और रेफरल सिस्टम इसी का हिस्सा है। इसमें डॉक्टर मरीज को जानबूझकर उसी लैब, फिजियोथेरेपिस्ट या विशेषज्ञ के पास भेजते हैं जहां से उन्हें कमीशन मिलता है। यह मरीज के साथ धोखा और एक तरह की घूसखोरी है, क्योंकि डॉक्टर का निर्णय पैसे से प्रभावित होता है।' कॉन्क्लूजन : भारत के कई बड़े निजी अस्पतालों में डॉक्टरों और रेफरल नेटवर्क को मरीज भेजने के बदले कमीशन या रिवॉर्ड दिया जा रहा है। राशि अस्पताल और मरीज के हिसाब से तय होती है। जैसे, कैलाश अस्पताल में 15% कमीशन, पार्क अस्पताल में CGHS/ECHS मरीजों पर ₹6,000, और सिल्वर स्ट्रीक में NRI मरीजों पर 30% दिया जाता है। यह प्रैक्टिस नेशनल मेडिकल काउंसिल (NMC) के नियमों के तहत अनैतिक मानी जाती है। ................................................................ GST के फर्जी बिलिंग से जुड़ा ये खुलासा भी आप पढ़ सकते हैं 5% कमीशन पर 20 करोड़ का फर्जी GST बिल:न माल, न सप्लाई और लाखों की कमाई; GST माफिया कैमरे पर एक्सपोज दिल्ली का वजीरपुर इंडस्ट्रियल एरिया। एक पुरानी और जर्जर सी फैक्ट्री। दीवारों पर जमी धूल, टूटी खिड़कियां और जंग लगी चादरें। बाहर से देखने पर यह किसी बंद पड़े गोदाम जैसी लगती है, जैसे बरसों से यहां कोई काम नहीं हुआ हो, लेकिन जैसे ही टीम अंदर दाखिल होती है, नजारा बदल जाता है। पूरी खबर पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें...।
दैनिक भास्कर की इलेक्शन सीरीज 'नरसंहार' के छठे एपिसोड में आज शंकर बिगहा नरसंहार और राबड़ी सरकार बर्खास्त करने की कहानी... बात 25 जनवरी 1999 की है। देश 50वां गणतंत्र दिवस मनाने की तैयारी कर रहा था। कुछ देर पहले ही राष्ट्रपति के आर नारायणन ने देश को संबोधित किया था। कहा था, 'दलितों पर अत्याचार बंद होना चाहिए।' पर हुआ कुछ और। बिहार के अरवल जिले का शंकर बिगहा गांव। तब ये जहानाबाद जिले का हिस्सा था। करीब 110 घर होंगे इस गांव में, जिसमें 100 से ज्यादा दलित परिवार थे। न किसी के पास पक्का घर न ही खेती की जमीन। उन्हें तो मजदूरी के लिए यहां बसाया गया था। ठिठुरती सर्दी वाली रात के साढ़े दस बज रहे थे। बंदूक और कुल्हाड़ी लिए करीब 100 लोग गांव में घुसे। शुरुआत में ही भैरों राजवंशी का घर था। वे पत्नी और बच्चों के साथ सो रहे थे। अचानक उन्हें शोर सुनाई पड़ा। वो सकपका गए। बिस्तर लपेटे भागते हुए पत्नी से बोले- ‘अरे बचवा सब को लेकर भागो। सेना वाले आ गए हैं।’ भैरों भाग गए, लेकिन उनकी पत्नी और बच्चे अंदर ही रह गए। हमलावर फायरिंग करते हुए घर में घुसे। पहली गोली भैरों की पत्नी के पैरों में लगी। वह गिर पड़ी। इसी बीच दूसरे ने भैरों के बच्चों को तखत से उठाकर पटक दिया। भैरों की पत्नी चीख उठी- ‘हमरा बचवा सब के छोड़ दो। ई लोग तुम्हारा का बिगाड़ा है।’ एक हमलावर उसके बाल पकड़कर घसीटते हुए बोला- ‘ह#$%@ तुम सब MCC वालों का सपोर्टर है न। आज गांव में कोई बचेगा नहीं। एक-एक आदमी को उड़ा देंगे।’ हमलावर ने दोनों बच्चों को गोली मार दी। दोनों वहीं खत्म हो गए। महिला छाती पीट-पीटकर रोने लगी। गुस्से में हमलावर ने उसकी गर्दन पर तलवार मार दी। तभी चार-पांच और हमलावर अंदर घुस गए। वे कुछ देर तक इधर-उधर अंधाधुंध फायरिंग करते रहे। फिर वहां से चल दिए। एक बड़े से बरामदे में जागरण चल रहा था। 10-15 लोग नाच-गाना कर रहे थे। उन तक अभी गोलियों की गूंज नहीं पहुंची थी। 40-50 हमलावरों ने चारों तरफ से बरामदे को घेर लिया। एक बोला- ‘केरोसिन डालकर सबको जला दें क्या?’ दूसरा बोला- ‘नहीं, सब जगा है भाग जाएगा। ई सब भी गोली बंदूक रखा होगा।’ अपनी धोती कमर में बांधते हुए हमलावर बोला- 'देखो अपने पास ज्यादा टाइम नहीं है। तेजी से बरामदे में जाओ और अटैक कर दो। भागने का मौका ही नहीं देना है।' हमलावरों ने धावा बोल दिया। अंधाधुंध फायरिंग करते हुए बरामदे में घुस गए। कीर्तन कर रहे लोगों पर गोलियों की बौछार कर दी। कुछ ही मिनटों में 10 लाशें बिछ गईं। इक्का-दुक्का लोग जैसे-तैसे खेतों की तरफ भाग निकले। यहां से हमलावर नारा लगाते हुए अलग-अलग घरों में घुसे। जो मिला उसे गोली मार दी। जो गोली लगने से नहीं मरा, उसे कुल्हाड़ी से काट दिया। गांव भर में चीख-पुकार मच गई थी। इसी बीच बगल के गांवों से गोलियों की आवाज आने लगी। हमलावरों का कमांडर सोच में पड़ गया कि दूसरे गांवों में फायरिंग कहां से होने लगी। कहीं MCC वाले तो नहीं आ गए।' वह हड़बड़ाते हुए अपने साथियों से बोला- 'लगता है MCC वाले आ गए हैं। देखो उधर से भीड़ आ रही है। चलो भाग निकलें।' इसके बाद हमलावर हवा में फायरिंग करते हुए, नारा लगाते हुए गांव के पश्चिम से निकल गए। भैरों राजवंशी भूसे के घर में छिपकर सबकुछ देख रहे थे। हमलावरों के जाते ही वे हांफते हुए घर पहुंचे। दरवाजे से ही पत्नी को आवाज लगाई। कोई जवाब नहीं मिला। डरे सहमे भैरों जैसे ही अंदर घुसे, उनके पैरों से कुछ टकराया। कांपते हुए भैरों ने टॉर्च जलाई। सामने पत्नी की लाश पड़ी थी। चारों तरफ खून फैला था। वे आगे बढ़े, देखा खाट के नीचे बड़े बेटे की लाश पड़ी थी। भैरों को चक्कर आने लगा। खुद को संभाला और दूसरे कमरे में गए। वहां तीन लाशें थीं। उनके दो भाई और छोटे बेटे की। उनके परिवार के 5 लोग मारे गए थे। वे बदहवास चीखने लगे- 'मैं बर्बाद हो गया। उन लोगों ने सबको मार दिया। किसी को नहीं छोड़ा।' अब तक रात के 12 बज चुके थे। गांव में हर तरफ रोने-बिलखने की आवाज गूंज रही थी। गलियों में लाशें पड़ी थीं। इसी बीच जहानाबाद थाने में फोन बजा- 'शंकर बिगहा गांव में नरसंहार हो गया है।' रात करीब 2 बजे जहानाबाद के SP मनमोहन सिंह और ASP केके सिंह गांव पहुंचे। एसपी ने घर-घर जाकर देखा। कुल 23 लाशें मिलीं। इनमें 5 महिलाएं और 7 बच्चे थे। एक बच्चा तो महज 10 महीने का था। गोली लगने की वजह से उसकी आंतें बाहर आ गई थीं। हमलावरों ने उसके पेट में बंदूक की नोक सटाकर गोली मारी थी। सीनियर जर्नलिस्ट रमाशंकर मिश्रा उस नरसंहार को याद करते हैं- 'मैं 26 जनवरी की सुबह गांव पहुंचा था। दिल दहला देने वाला मंजर था। कोई गोली से छलनी था, किसी के हाथ कटे थे, किसी की आंखें निकाल दी गई थीं। घर, बरामदे, गलियां सब खून से सन गई थीं।' ये शंकर बिगहा नरसंहार था। हत्या का आरोप रणवीर सेना पर लगा। करीब 20 दिन पहले एक अखबार में रणवीर सेना प्रमुख ने दावा किया था कि अगले हमले की जगह तय हो गई है। और हुआ भी वहीं। दरअसल, 1998 में अरवल जिले के चौरम में 10 सवर्णों की हत्या कर दी गई थी। हत्या का आरोप माओवादी संगठन एमसीसी पर लगा था। रणवीर सेना का मानना था कि शंकर बिगहा गांव के लोगों ने माओवादियों की मदद की थी। इसीलिए रणवीर सेना ने हमले के लिए इस गांव को चुना। भीड़ ने लालू-राबड़ी को घेर लिया, महिलाएं बोलीं- हमें इनाम नहीं बंदूक चाहिए 27 जनवरी की सुबह मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और लालू यादव शंकर बिगहा गांव पहुंचे। भीड़ ने लालू-राबड़ी का खूब विरोध किया। महिलाएं गाली देने लगीं। लोग नारा लगा रहे थे- 'लालू राबड़ी मुर्दाबाद। सामाजिक न्याय धोखा है। रणवीर सेना को खत्म करो। राबड़ी सरकार इस्तीफा दो।' लालू, भीड़ को समझाते हुए बोले- 'देखो हम सबको सजा दिलवाएंगे। जो लोग मारे गए हैं, उनके परिवार को एक-एक लाख रुपए दिया जाएगा। गांव के लोगों को घर बनाने के लिए 20-20 हजार रुपया देंगे। गांव में स्कूल और पंचायत भवन बनेगा।' मुआवजे की बात सुनकर भीड़ और भड़क गई। बच्चे को गोद में लिए एक महिला राबड़ी के नजदीक पहुंच गई। चीखते हुए बोली- ‘हमें तुम्हारा गंदा पैसा नहीं चाहिए। हम तुम्हारे इनाम की @#$%^ कर देंगे। हमें बदला चाहिए बदला। हमें बंदूक दो, गोली दो, हथियार दो। तुम्हारे मीठे-मीठे भाषणों से कुछ नहीं होगा। बगल के लक्ष्मणपुर बाथे में हमारे 58 लोगों को मार दिया। क्या किया तुम्हारी सरकार ने। कुछ नहीं किया।’ जैसे-तैसे भीड़ से निकलते हुए लालू गांव में घुसे। लोगों से मिले। एक घर के बाहर पांच लाशें रखी थीं। घर की चौखट पर सिर पर हाथ रखे महिला बैठी थी। लालू को देखते ही वो गुस्से से लाल हो गई। उसने सामने पड़ी लाश के ऊपर से कपड़ा हटा दिया। खून से सने बच्चे की लाश। उसकी आंतें बाहर आ गई थीं। लाश देखकर लालू-राबड़ी इमोशनल हो गए। महिला चिल्लाते हुए बोली- 'हमें इंसाफ दिलाना चाहते हो, तो बब्बन सिंह को हमारे सामने लाओ। उसे हमारे हवाले कर दो। हम हिसाब बराबर कर लेंगे। तब हम मानेंगे कि आप सरकार हो। आपकी खाकी वर्दी वाले रणवीर सेना वालों से मिले हुए हैं। वे उन्हीं का पक्ष लेते हैं। जब वो लोग गांव में मारकाट मचा रहा था, तब कोई नहीं आया। जब सब चला गया, तब पुलिस वाले आए।' रुआंसे लालू ने कहा- ‘देखो आप जैसा चाहते हो वैसा एक्शन मैं नहीं ले सकता, लेकिन मैं भरोसा दिलाता हूं कि इनसे कायदे से निपटूंगा। केस की सुनवाई जल्दी होगी। 6 महीने के भीतर ट्रायल पूरा हो जाएगा। सबको सजा मिलेगी चिंता मत करो। जो लोग हत्यारे हैं, वे लोग ही इस्तीफा मांग रहे हैं। तुम लोग वैसा मत करो।’ शाम तक लालू और राबड़ी पटना लौट आए। इधर, विपक्ष राबड़ी के इस्तीफे पर अड़ा था। नीतीश कुमार और रामविलास पासवान सरकार को बर्खास्त करने की मांग कर रहे थे। इतना ही नहीं, राबड़ी सरकार में शामिल कांग्रेस के कई नेता भी सीएम का इस्तीफा मांग रहे थे। इस पर लालू भड़क गए। उन्होंने कहा- 'राबड़ी इस्तीफा नहीं देंगी। 26 जनवरी से पहले सरकार को बदनाम करने की साजिश रची गई थी। रणवीर सेना बजरंग दल का एक्सटेंशन है। कांग्रेस कहती है कि हमने जमींदारी प्रथा खत्म कर दी है। सच में ऐसा हुआ होता तो ये नरसंहार नहीं होता।' 27 जनवरी को कांग्रेस ने पूर्व लोकसभा स्पीकर शिवराज पाटिल और मीरा कुमार को शंकर बिगहा भेजा। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का कहना था कि फिलहाल हम सरकार को सपोर्ट कर रहे हैं। नेताओं की फाइंडिंग्स के बाद तय करेंगे कि क्या करना है। मुख्यमंत्री राबड़ी बोलीं- लोग कहे रहे हैं कि 'बाभना सब मारा है' 28 जनवरी को बिहार के डीजीपी केए जैकब ने ऐलान किया- 'जो रणवीर सेना प्रमुख ब्रह्मेश्वर मुखिया का पता बताएगा, उसे पांच लाख रुपए इनाम दिया जाएगा।' इसी दिन राबड़ी ने कहा- '6 आरोपी गिरफ्तार कर लिए गए हैं। बाकी भी जल्द पकड़े जाएंगे। मैं नरसंहार वाले गांव गई थी। लोग कह रहे थे- ‘बाभना सब मारा है।' तब के अखबारों में राबड़ी का ये बयान छपा था। 29 जनवरी को बिहार के राज्यपाल सुंदर सिंह भंडारी ने गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी से मुलाकात की। मीडिया में खबरें आने लगीं कि केंद्र बिहार में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश कर सकता है। राबड़ी सरकार पर दबाव बढ़ता जा रहा था। 1 फरवरी को बीजेपी नेता सुशील मोदी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा- 'लालू और रणवीर सेना के बीच साठगांठ है। राजद के कई लोग रणवीर सेना से मिले हुए हैं। लालू ने कई बार रणवीर सेना प्रमुख को छुड़वाया है। 6 महीना पहले ही शास्त्री नगर की पुलिस ने मुखिया को गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन लालू ने खुद दखल देकर छुड़वा दिया।' 10 फरवरी 1999, शंकर बिगहा नरसंहार के 15 दिन बाद। पास के ही एक गांव नारायणपुर में रात 9 बजे हमलावरों ने धावा बोल दिया। 11 दलितों की हत्या हो गई। 6 महिलाएं और 5 पुरुष मारे गए। पर्चे बांटकर रणवीर सेना ने इसकी जिम्मेदारी भी ले ली। अगले दिन लालू-राबड़ी गांव पहुंच गए। उन्होंने तीन लोगों को नौकरी और हर मृतक के परिवार को 1.20 लाख रुपए देने की घोषणा की। साथ ही इस नरसंहार से प्रभावित लोगों को इंदिरा आवास योजना के तहत घर बनाने के लिए 20 हजार रुपए देने का वादा किया। दिल्ली में हाईलेवल मीटिंग, विदेश में थे पीएम, रात में बिहार सरकार बर्खास्त करने का ऐलान 12 फरवरी की सुबह केंद्र सरकार ने रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस, केंद्रीय मंत्री नीतीश कुमार और केंद्रीय मंत्री सत्य नारायण जटिया के नेतृत्व में एक टीम जहानाबाद भेजी। ये तीनों मंत्री एयरफोर्स के स्पेशल विमान से पहले पटना पहुंचे, फिर नारायणपुर। इसी दिन दिल्ली में गृहमंत्री ने हाईलेवल मीटिंग की। बैठक में बिहार सरकार को हटाकर राष्ट्रपति शासन लगाने पर सहमति बन गई, लेकिन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी एक समिट के लिए जमैका गए थे। कैबिनेट ने प्रस्ताव जमैका भेज दिया। कुछ देर बाद प्रधानमंत्री ने उस पर मुहर लगा दी। दोपहर बाद एक खास मैसेंजर के जरिए प्रस्ताव को कोलकाता भेजा गया। तब राष्ट्रपति के.आर नारायणन वहीं थे। रात 9 बजे उन्होंने केंद्र की सिफारिश पर मुहर लगा दी। रात 9.15 बजे केंद्रीय मंत्री प्रमोद महाजन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बिहार में राष्ट्रपति शासन लगाने का ऐलान किया। केंद्र के इस फैसले पर लालू भड़क गए। उन्होंने कहा- 'सरकार ने डेमोक्रेसी की हत्या कर दी है। सड़कों पर बवाल कर दो। तानाशाहों के पैर तोड़ दो। कल से मैं जनता की अदालत में जाऊंगा। और मैं यह नहीं कह सकता कि कल को क्या होगा।' अगले ही दिन लालू यादव और राबड़ी देवी समर्थकों के साथ पटना की सड़कों पर उतर गए। कुछ देर के लिए पुलिस ने उन्हें हिरासत में भी लिया। कई जगह हिंसक प्रदर्शनों में एक दर्जन लोगों की जान जा चुकी थी। एक प्रदर्शन के दौरान लालू ने कहा - 'गोली का जवाब हम हिंसा से देंगे।' राष्ट्रपति शासन लगने के दो घंटे के भीतर राज्यपाल ने मुख्य सचिव और डीजीपी को हटा दिया। विजय शंकर दुबे को मुख्य सचिव बनाया गया और टीपी सिन्हा को डीजीपी। सिन्हा ने रात में ही कमान संभाल ली। राज्यपाल के इस फैसले पर सवाल उठे क्योंकि सिन्हा और दुबे दोनों सवर्ण थे। नरसंहार में मारे गए लोगों से मिलने पहुंचीं सोनिया गांधी ने बेलछी की यादें ताजा कर दीं 13 फरवरी 1999, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी नारायणपुर पहुंच गईं। वो गांव में घूमीं। मृतकों के घर गईं। सोनिया के दौरे को 1977 के इंदिरा के बेलछी दौर से जोड़कर देखा गया। इमरजेंसी के बाद हुए चुनावों में मिली हार के बाद इंदिरा बेलछी नरसंहार में मारे गए लोगों से मिलने पहुंची थीं। उसके बाद केंद्र और बिहार दोनों जगह कांग्रेस ने वापसी की थी। सोनिया के लिए भी इंदिरा जैसे ही हालात थे। 1996 के चुनाव में कांग्रेस को सेटबैक लगा था। राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे राज्य कांग्रेस गंवा चुकी थी। कांग्रेस शंकर बिगहा और नारायणपुर नरसंहार के जरिए फिर से दलितों को साधने की कवायद में जुटी थी। प्रदेश कांग्रेस के नेता लगातार कह रहे थे कि हमें राष्ट्रपति शासन का समर्थन करना चाहिए। तब के अखबारों ने लिखा- 'सोनिया दुविधा में हैं। अगर वे राजद का विरोध करती हैं, तो मुस्लिम वोट बैंक छिटक जाएंगे और अगर समर्थन करती हैं, तो दलित नाराज हो जाएंगे।' हुआ भी वहीं। सोनिया ने राष्ट्रपति शासन के बारे में कुछ नहीं कहा। उन्होंने मृतकों को 10-10 हजार रुपए देने की घोषणा की और फिर पटना होते हुए दिल्ली लौट गईं। गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी और राज्यपाल में ठन गई, माफी की मांग पर अड़ गए भंडारी सोनिया के बिहार दौरे के बाद केंद्र सरकार भांप गई थी कि कांग्रेस राष्ट्रपति शासन का समर्थन नहीं करेगी। 16 फरवरी को गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने कहा- 'बिहार के राज्यपाल सुंदर सिंह भंडारी को हटाकर एक गैर राजनीतिक आदमी को राज्यपाल बनाया जाएगा।' इस पर राज्यपाल भंडारी खफा हो गए। अगले ही दिन वो ट्रेन से दिल्ली के लिए निकल गए। कहा गया कि नाराजगी की वजह से राज्यपाल ने फ्लाइट नहीं ली। 18 फरवरी को वे पीएम अटल बिहारी वाजपेयी से मिले। आधे घंटे तक दोनों के बीच बातचीत हुई। तब के अखबारों में छपी खबरों के मुताबिक पीएम ने राज्यपाल से कहा कि बातचीत करके मामला सुलझा लो। पर भंडारी, आडवाणी की माफी पर अड़े रहे। तीन दिन दिल्ली में रहने के बाद 21 फरवरी को वे पटना लौट आए। इसी बीच लालू ने दिल्ली में सोनिया गांधी से मुलाकात की। सीनियर जर्नलिस्ट संकर्षण ठाकुर अपनी किताब बंधु बिहारी में लिखते हैं- 'सांप्रदायिक ताकतें बढ़ रही हैं। यह आरएसएस की साजिश है। मैडम अगर कांग्रेस इसे नहीं रोकेगी तो कौन रोकेगा। कांग्रेस को उन लोगों से लड़ना पड़ेगा।' 22 फरवरी को कांग्रेस ने साफ कर दिया कि वो सदन में प्रेसिडेंट रूल के खिलाफ वोट करेगी। 'द अनटोल्ड वाजपेयी' के मुताबिक वाजपेयी राष्ट्रपति शासन लगाने को लेकर बहुत खुश नहीं थे, लेकिन समता पार्टी के नेता नीतीश कुमार चाहते थे कि राज्य सरकार को बर्खास्त कर दिया जाए। 6 महीना पहले भी सितंबर 1998 में सुंदर भंडारी ने राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की थी, लेकिन राष्ट्रपति ने खारिज कर दिया था। तब वाजपेयी ने अपने एक सहयोगी से कहा था- 'समता पार्टी के दबाव में झुकने की कीमत चुकानी पड़ेगी।' 7 मार्च को वाजपेयी, सोनिया गांधी से मिले थे, लेकिन राष्ट्रपति शासन पर समर्थन के लिए राजी नहीं कर पाए। आखिरकार 8 मार्च को केंद्र सरकार ने राष्ट्रपति शासन वापस लेने का ऐलान कर दिया। 9 मार्च को राबड़ी देवी फिर से सीएम बनीं, लेकिन इसके 9 दिन बाद ही एक और बड़ा नरसंहार हो गया। उस नरसंहार की कहानी अगले एपिसोड में। इधर, 15 मार्च को केंद्र सरकार ने राज्यपाल सुंदर भंडारी को हटा दिया। पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बीएम लाल को राज्यपाल का पदभार दिया गया। दो नरसंहारों में 34 की हत्या, 49 आरोपी, सजा 0, कोर्ट में मुकर गए गवाह शंकर बिगहा नरसंहार मामले में 24 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई थी। जुलाई 2014 से नवंबर 2014 तक जहानाबाद सेशन कोर्ट में ट्रायल चला। इस दौरान सभी 50 गवाह अपने बयान से मुकर गए। आरोपियों को पहचानने से इनकार कर दिया। मुख्य गवाह भैरों राजवंशी ने कहा- ‘मैं नरसंहार के दिन तो शंकर बिगहा में था ही नहीं। पुलिस ने जबरन मेरा अंगूठा लगवा लिया। पुलिस ने खुद से बयान लिख दिया और पढ़कर सुनाया भी नहीं।’ एक और गवाह रामप्रसाद पासवान ने कहा- 'गोली लगने के बाद मैं गिर गया था तो किसी को पहचानता कैसे? पुलिस ने झूठा बयान लिखा है।' 13 जनवरी 2015 को जहानाबाद सेशन कोर्ट ने सबूतों के अभाव में सभी 24 आरोपियों को बरी कर दिया। दलितों को इस फैसले से इसलिए भी ज्यादा धक्का लगा कि तब राज्य में एक दलित ही मुख्यमंत्री थे। जीतन राम मांझी। आखिर गवाह अपने बयान से क्यों मुकर गए... बाद में भैरों राजवंशी ने एक पत्रकार से इसकी वजह बताई। उन्होंने कहा- 'नरसंहार के लिए बनी अमीर दास कमीशन की इन्क्वायरी के दौरान पुलिस ने हमें सुरक्षा दी थी। पुलिस के लोग साथ पटना लेकर गए थे, लेकिन जहानाबाद में ट्रायल के दौरान हमें सुरक्षा नहीं मिली। हमें पता है कि कुछ भी बोलेंगे तो मारे जाएंगे। हम लोग तो उन्हीं के खेतों में काम करते हैं। रोटी मिलनी भी बंद हो जाएगी।' दरअसल, ट्रायल के आखिरी दिनों यानी 14 नवंबर 2014 को कोर्ट ने अरवल जिले के डीएम को चिट्ठी लिखकर गवाहों को सुरक्षा देने को कहा था। तब तक ज्यादातर गवाह अपने बयान से मुकर चुके थे। डीएम ने दो महीने बाद 9 जनवरी 2015 को गवाहों की सुरक्षा के लिए SP को चिट्ठी लिखी, लेकिन चार दिन बाद ही कोर्ट ने फैसला सुना दिया। शंकर बिगहा की तरह नारायणपुर नरसंहार में भी सभी 25 आरोपी सबूतों के अभाव में बरी कर दिए गए। इस तरह शंकर बिगहा और नारायणपुर दोनों नरसंहारों में कुल 34 दलितों का कत्ल हुआ। दोनों मामलों को मिलाकर 49 लोग आरोपी बनाए गए, लेकिन सजा किसी को नहीं मिली। लेफ्ट पार्टियों ने कहा था कि वे इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। लेकिन 11 साल बाद भी सुप्रीम कोर्ट में इसकी सुनवाई नहीं हो सकी है। लगातार नरसंहारों के चलते बिहार में राजद की सरकार कमजोर होती गई। 1995 में 167 सीटें जीतने वाली लालू की पार्टी साल 2000 में 124 पर आ गई। जबकि बीजेपी ने 67 सीटें जीत लीं। यानी पिछले चुनाव के मुकाबले 26 सीटें ज्यादा। उसके बाद एनडीए का दबदबा बढ़ता गया। आखिरकार अक्टूबर-नवंबर 2005 में बिहार में एनडीए की सरकार बन गई। लगभग 40 सालों तक बिहार में राज करने वाली कांग्रेस खत्म सी हो गई। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि राजद का साथ देने की वजह कांग्रेस ने बिहार में अपना बड़ा बेस गंवा दिया। सवर्ण बीजेपी की तरफ शिफ्ट हो गए और पिछड़े-अति पिछड़ों को लालू और नीतीश ने साध लिया। कल सातवें एपिसोड में पढ़िए बिहार के एक और बड़े नरसंहार की कहानी... (यह सच्ची कहानी पुलिस चार्जशीट, कोर्ट जजमेंट, गांव वालों के बयान, अलग-अलग किताबें और इंटरनेशल रिपोर्ट्स पर आधारित है। क्रिएटिव लिबर्टी का इस्तेमाल करते हुए इसे कहानी के रूप में लिखा गया है।) रेफरेंस :
ARAB NATO:इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू ने गाजा में जिस नए सैन्य अभियान की घोषणा की थी. वो इजरायली सेना ने शुरु कर दिया है. हजारों सैनिकों के साथ सैकड़ों इजरायली टैंक और हेलीकॉप्टर, हमास पर नए हमलों के लिए गाजा पहुंचे हैं. जिस वक्त इजरायल ने गाजा पर नया हमला किया उस वक्त अमेरिकी विदेश सचिव मार्को रूबियो भी इजरायल में थे.
GAZA: गाजा पर इजरायल के ऑपरेशन 'गिडियोन' का कोड डिकोड, 19वीं सदी से जुड़ा है कनेक्शन
Gaza News:इजरायल का ये नया सैन्य अभियान न सिर्फ गाजा को नुकसान पहुंचा सकता है बल्कि हमास के ताबूत की आखिरी कील भी साबित हो सकता है. इजरायल ने अपने सबसे बड़े सैन्य अभियान का नाम ऑपरेशन गिडियोन ही क्यों रखा है, आइए बताते हैं.
सऊदी गायक ने अपनी मधुर आवाज में गाया ‘फिर भी दिल है हिंदुस्तानी’ गीत, जीता भारतीयों का दिल
हिंदी दिवस एवं हिंदी पखवाड़े के अवसर पर भारतीय दूतावास में सोमवार, 15 सितंबर को एक भव्य और विस्तृत कार्यक्रम का आयोजन किया गया
Thank You my friend... ट्रंप ने 75वें जन्मदिन पर दी बधाई, PM मोदी ने यूं जताया आभार
Donald Trump wishes PM Modi:भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 सितंबर 2025 को 75 साल के हो गए. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने उन्हें जन्मदिन की शुभकामनाएं देते हुए दोनों देशों के संबंधों को मजबूत बनाने की प्रतिबद्धता दोहराई है. देश-दुनिया के नेता पीएम मोदी के साथ अपने निजी अनुभव सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं.
Donald Trump and Lisa Cook controversy news: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को पिछले 20 दिनों में तीसरा बड़ा झटका लगा है. फेडरल रिजर्व की पहली महिला अश्वेत गवर्नर को पद से हटाने की ट्रंप की मांग कोर्ट ने खारिज कर दी है.
नामीबिया की राजधानी में शून्य उत्सर्जन सप्ताह का शुभारंभ
नामीबिया की राजधानी विंडहोक ने जलवायु परिवर्तन के नुकसान और कम कार्बन उत्सर्जन से होने वाले फायदे को लेकर जागरूकता अभियान की शुरुआत की है
India Us Trade Deal:भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता फिर शुरू हो गई है. अमेरिका अब बड़ी मांगों की जगह छोटे और व्यवहारिक प्रस्ताव लेकर आया है. वह भारत में सिर्फ खास किस्म की चीज़ और मकई बेचना चाहता है. यह कदम दोनों देशों के रिश्तों को मजबूत करने और व्यापार बढ़ाने में मदद करेगा.
Benjamin Netanyahu Latest News: इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने गाजा में कथित नरसंहार के नाम पर हथियारों की आपूर्ति रोकने वाले पश्चिमी देशों को खरी-खोटी सुनाई है. अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के सामने नेतन्याहू ने एक डराने वाला बयान दिया.
Bizarre Rules in Hindi News: अगर आप विदेश घूमने जाना चाहते हैं तो एक खास देश में 'आइसक्रीम' या 'हैमबर्गर' गलती से भी मत बोल देना वरना आपको लेने के देने पड़ सकते हैं. इसमें आपको जेल की सजा से लेकर मौत तक दी जा सकती है.
साउथ चाइना सी में बढ़ा तनाव: टकराए चीन और फिलीपींस के जहाज, एक शख्स जख्मी
चीन के तटरक्षक बल (सीसीजी) ने फिलीपींस के जहाज पर दक्षिण चीन सागर में वॉटर कैनन फायर करने का दावा किया है। मंगलवार को स्कारबोरो शोल के पास फिलीपींस के जहाज पर जानबूझकर उसके एक जहाज को टक्कर मारने का आरोप लगाया। वहीं फिलीपींस ने कहा कि उनका जहाज मछुआरों को रसद पहुंचा रहा था
Israel reports 481 new measles cases:इजरायल में इन दिनों एक ऐसा 'आतंक' फैला हुआ है जो न गोले-बारूद से जुड़ा है, न ही सीधी हमलों से. फिर भी पूरा देश दहशत में है. ये है खसरे का प्रकोप, जो चुपचाप फैल रहा है और छोटे बच्चों की जिंदगियां खतरे में डाल रहा है. जानें पूरी खबर.
दक्षिण कोरिया के पूर्व प्रधानमंत्री हान डक-सू के खिलाफ विद्रोह का मुकदमा इस महीने के अंत से शुरू होगा। अदालत ने मंगलवार को कहा कि ये सप्ताह में एक बार आयोजित किया जाएगा
South Korea: मार्शल लॉ मामले में पूर्व प्रधानमंत्री सू के खिलाफ ट्रायल जल्द, हफ्ते का एक दिन तय
पहली औपचारिक सुनवाई में 3 दिसंबर के सीसीटीवी फुटेज को पेश किया जाएगा. ये उसी दिन का है जिस दिन राष्ट्रपति कार्यालय से मार्शल लॉ लागू करने की घोषणा हुई थी. यून द्वारा मार्शल लॉ घोषित करने से पहले, कथित तौर पर हान के सुझाव पर, उन्होंने राष्ट्रपति कार्यालय में एक कैबिनेट बैठक बुलाई थी.
नशे के खिलाफ इंटरपोल का बड़ा एक्शन, भारत समेत 18 देशों में मारे छापे, जब्त किए 57,000 करोड़ के ड्रग्स
Operation Lionfish-Mayagh III: इंटरपोल की ओर से नशीले पदार्थों की तस्करी के खिलाफ बड़ा एक्शन लिया गया है, जिसमें अरबों के सिंथेटिक ड्रग्स को जब्त किया गया है.
ट्रेड डील पर बातचीत के लिए भारत में अमेरिकी दल
Visa revocations underway for foreigners celebrating Kirk death: अमेरिका में चार्ली किर्क की हत्या का जश्न मनाने वाले विदेशियों पर ट्रंप सरकार का बड़ा एक्शन सामने आया है. ऐसे लोगों का वीजा रद्द करने की घोषणा की गई है. जानें पूरा मामला.
Trump on Back foot :डोनाल्ड ट्रंप अमेरिकी इतिहास के ऐसे पहले राष्ट्रपति हैं जिन्होंने फेडरल रिजर्व गवर्नर को उसके पद से हटाने की कोशिश की है. सोमवार (16 सितंबर) को अमेरिकी राष्ट्रपति को तब करारा झटका लगा जब कोर्ट ने ट्रंप के खिलाफ फैसला सुनाते हुए लीसा कुक को उनके पद पर बने रहने का फैसला सुना दिया.
ट्रंप जापानी ऑटोमोबाइल पर 15 प्रतिशत टैरिफ लगाना करेगा शुरू, कोरियाई कारों पर 25 % शुल्क
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का प्रशासन द्विपक्षीय व्यापार समझौते के अनुरूप इस सप्ताह जापानी ऑटोमोबाइल पर 15 प्रतिशत टैरिफ लागू करना शुरू कर देगा
Trump files $15bn lawsuit against The New York Times:डोनाल्ड ट्रंप ने न्यूयॉर्क टाइम्स पर 15 अरब डॉलर का मानहानि मुकदमा ठोका है. इसके साथ ही इसे 'अमेरिका का सबसे नीच अखबार'बताया है. जानें पूरी खबर.
Trump files $15bn lawsuit against The New York Times:डोनाल्ड ट्रंप ने न्यूयॉर्क टाइम्स पर 15 अरब डॉलर का मानहानि मुकदमा ठोका है. इसके साथ ही इसे 'अमेरिका का सबसे नीच अखबार' बताया है. जानें पूरी खबर.
चार्ली किर्क के हत्यारे टायलर रॉबिन्सन के खिलाफ मिले डीएनए सबूत, एफबीआई ने किया दावा
अमेरिकी फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (एफबीआई) के निदेशक काश पटेल ने कहा कि जांचकर्ताओं को चार्ली किर्क के कथित हत्यारे टायलर रॉबिन्सन के खिलाफ अपराध स्थल से डीएनए सबूत मिले हैं, जो उसे पिछले हफ्ते हुई घटना से जोड़ते हैं
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी पोस्ट में आगे लिखा, 'आज सुबह मेरे आदेश पर अमेरिकी सैन्य बलों ने साउथकॉम क्षेत्र में पुष्टि किए गए अत्यंत हिंसक नशीली दवाओं के तस्करों और नारकोटेररिस्टों के खिलाफ दूसरा बड़ा हमला किया.'
चार्ली किर्क हत्याकांड में FBI का बड़ा खुलासा, आरोपी से मेल खा रहे घटनास्थल के पास मिले DNA के सबूत
Charlie Kirk Murder Suspect: चार्ली किर्क की हत्या को लेकर FBI डायरेक्टर काश पटेल ने बड़ा खुलासा किया है. उन्होंने बताया कि किर्क की हत्या वाली जगह के पास एक राइफल पर लिपटे तौलिये पर पाया गया DNA आरोपी से मैच करता है.
किम सेओंग-मिनके सहकर्मियों ने बताया कि किम का अंतिम संस्कार कर दिया गया और उनकी अस्थियों को उत्तर कोरिया की सीमा के पास एक कोलंबेरियम में रखा गया है. किम के साथ 7 साल तक काम करने वाले चोई जंग-हून ने बताया, 'उत्तर कोरिया छोड़कर भागने वाले लोगों में से हमने एक नेता खो दिया है.'
इस कनेक्शन की वजह से भारत-अमेरिका के बीच ट्रेड डील पर हो रही दोबारा बातचीत, वरना 'टैरिफ जंग' थी तय?
India-US Trade Talks:भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता फिर शुरू हो रही है.ट्रंप ने रूस से तेल खरीदने पर भारत पर 25% टैरिफ और लगा दिया था. जिसके बाद उसके संबंध खराब हो गए थे. लेकिन एक कनेक्शन की वजह से भारत और अमेरिका के बीच अब रिश्ते सुधर रहे हैं. जानें पूरी बात.
Donald Trump Statement: अमेरिका में एक भारतीय व्यक्ति की निर्मम हत्या हुई और अब इसको लेकर अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग और राष्टपति ट्रंप ने बाइडेन प्रशासन की नीतियों पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि अगर बाइडेन प्रशासन ने आरोपी कोबोस-मार्टिनेज को रिहा न किया होता तो यह घटना टाली जा सकती थी.
एक शख्स के पहले हाथ, पैर के नाखूनों से तने निकलने लगे फिर शरीर की खाल पेड़ की छाल में बदलने लगी. अब परेशान होकर उसने अपने हाथ काटने की गुहार लगाई है. आखिर ये बीमारी कौन-सी है, जिसका इलाज तक नहीं है. ये कैसे होती है और इसमें शरीर में कैसे बदलाव होते हैं, पूरी जानकारी के लिए ऊपर दी गई इमेज पर क्लिक कर देखें वीडियो....
दैनिक भास्कर की इलेक्शन सीरीज 'नरसंहार' के पांचवें एपिसोड में आज कहानी लक्ष्मणपुर बाथे नरसंहार की... राबड़ी देवी को बिहार की मुख्यमंत्री बने पांच महीने भी नहीं हुए थे। लालू यादव चारा घोटाले में जेल में बंद थे। सरकार कांग्रेस के बाहर से समर्थन के सहारे चल रही थी। ये अलग बात है कि उसके सभी 29 विधायक मंत्री बन गए थे। बिहार का जहानाबाद जिला। साल था 1997 और तारीख 1 दिसंबर। ठिठुरती सर्दियों वाली रात के करीब 9 बज रहे थे। 30-35 लोग बात करते हुए तेजी से सोन नदी की तरफ बढ़ रहे थे। हाथों में बंदूक, तलवार, गड़ासा और लाठी-डंडे थे। कुछ ही मिनटों में वे नदी के पास पहुंच गए। दो-तीन लोगों ने आवाज लगाई- ‘अरे कोई नाव वाला है क्या?’ एक मल्लाह भागता हुआ आया, लेकिन हथियारबंद लोगों को देखकर डर गया। कांपते हुए बोला- 'साहब… इतनी रात कहां जाएंगे। सभी नावें तो किनारे बंधी हैं।’ ‘तो खोल दो ना, हमें नदी पार करना है। दो-तीन और नाव वालों को बुलाओ।’ 40-45 साल का अधेड़ कंधे पर बंदूक की बेल्ट ऊपर सरकाते हुए बोला। मल्लाह ने आवाज लगाई- ‘अरे सुन रहे हो… साहब लोग को उस पार जाना है, जल्द नाव लेकर आओ।’ कुछ ही मिनटों में 4 मल्लाह 2 और नाव लेकर आ गए। सभी लोग 3 नावों में बैठ गए। एक घंटे के सफर के बाद नाव उस पार पहुंच गई। वहां पहले से 50-60 हथियारबंद लोग इनका इंतजार कर रहे थे। अब इनकी तादाद 100 के करीब हो गई। सभी घेरा बनाकर आपस में बात करने लगे। तभी एक आदमी बोल पड़ा- ‘इन मल्लाहों को खत्म करो, वर्ना राज खुल जाएगा।’ 10-15 लोगों ने पांचों मल्लाहों को दबोच लिया। हाथ-पैर बांध दिए। 30-35 साल के एक शख्स ने तलवार उठाई और एक मल्लाह की गर्दन पर दे मारी। वह चीख उठा। हमलावर ने फिर से उसकी गर्दन पर जोर से वार किया। मल्लाह की गर्दन कटकर लटक गई। अब भीड़ में शामिल 5-6 लोग तलवार लेकर बाकी मल्लाहों पर झपटे। मल्लाह बिलखने लगे- 'साहब... छोटा-छोटा बच्चा है। उनको कौन देखेगा। हम किसी से कुछ नहीं कहेंगे। मत मारो हमें।' हमलावर नहीं रुके। उन्होंने बाकी चारों मल्लाहों की भी गर्दन उतार दी। नावों में खून फैल गया। आसपास की रेत भी खून से सन गई। एक हमलावर बोला- ‘बोरी में भर लें क्या इन @#$%% को।’ दुबले कद काठी का एक अधेड़ बोल पड़ा- ‘अरे नहीं… सबको किनारे फेंक दो। जितनी लाशें दिखेंगी, उतना ही बढ़िया रहेगा।’ अब हमलावरों का झुंड आगे बढ़ा। सामने लक्ष्मणपुर बाथे नाम का गांव था। इसके एक हिस्से में दलितों की बस्ती है और दूसरे हिस्से में सवर्णों के घर। दलितों के घर मिट्टी के बने थे। उनके घरों में दरवाजे तक नहीं थे। अब रात के साढ़े 10 बज चुके थे। ये लोग तेजी से दलित बस्ती की तरफ चल दिए। 10-15 लोगों का गुट बनाया और अलग-अलग घरों में फायरिंग करते हुए घुसने लगे। एक घर के बरामदे में 3 लोग सो रहे थे। पति-पत्नी और बेटी। गोलियों की आवाज सुनकर पति दीवार फांदकर भाग गया, लेकिन उसकी पत्नी और बच्ची पकड़े गए। एक हमलावर ने दोनों पर बंदूक तान दी। तभी पीछे से दूसरा बोल पड़ा- ‘अरे गोली बर्बाद मत करो। तलवार से काट दो।’ हमलावर ने महिला की छाती पर तलवार मार दी। वो जमीन पर धड़ाम से गिर पड़ी। दूसरे ने महिला की गर्दन पर तीन-चार बार वार किया। उसकी गर्दन कट गई। इसी बीच एक हमलावर ने उसकी बेटी को दबोच लिया। वो कांपने लगी। कहने लगी- ‘भईया हमरा के मत मार.. छोड़ द.. हम तोहरा गोड़ पर गिरत बानी।’ हमलावर दांत पीसते हुए बोला- ‘@#%^ तुम्हें गवाही देने के लिए छोड़ दूं।’ उसने लड़की को जोर से तीन-चार थप्पड़ जड़े। धक्का देकर जमीन पर गिरा दिया और रेप करने लगा। वो लगातार चीखती रही। फिर दूसरे हमलावर ने भी उसकी इज्जत लूट ली। फिर उसके शरीर के निचले हिस्से में गोली मारकर आगे बढ़ गया। 40-45 साल की महिला अपने पति, देवर और दो बच्चों के साथ डरकर कोने में छिपी थी। हमलावर ने उसके पति पर तलवार से वार किया। उसका हाथ कटकर लटक गया। वो जमीन पर गिर पड़ा। तड़पने लगा। इसी बीच दोनों बच्चे और उसका देवर भागने के लिए जैसे ही आगे बढ़े, पीछे से दूसरे हमलावरों ने फायरिंग शुरू कर दी। किसी के सीने में गोली लगी, तो किसी के सिर के आर-पार हो गई। तीनों वहीं खत्म हो गए। अपनी आंखों के सामने अपने ही बेटों का कत्ल महिला से देखा नहीं गया। वो दहाड़ मारकर चीखने लगी। तभी एक हमलावर ने उसके पति की गर्दन पर तलवार मार दी। खून के छींटे दीवारों पर पड़े। दूसरे हमलावर ने उसके हाथ-पैर काट दिए। कुछ ही मिनटों में वह तड़प-तड़पकर शांत पड़ गया। अब 4-5 हमलावर महिला को घसीटते हुए आंगन में ले गए। वो बदहवास चीख रही थी। एक हमलावर बोला- ‘अरे ई @#$%% बहुत चिल्ला रही। मुंह में कपड़ा भर दो।’ एक ने गमछा फाड़ा और महिला के मुंह में ठूंस दिया। दो-तीन हमलावर उसकी साड़ी खींचने लगे। फिर सबने बारी-बारी उसका रेप किया। इसी बीच एक हमलावर बोल पड़ा- 'देखना ये बचनी नहीं चाहिए।' हमलावर ने महिला की छाती पर दो-तीन गोलियां मारीं और चलते बने। एक घंटे बाद दीवार फांदकर भागने वाला शख्स रोते-बिलखते घर लौटा। टॉर्च जलाकर देखा- बरामदे में उसकी पत्नी की कटी-फटी लाश पड़ी थी। हर जगह खून फैला था। कमरे में उसकी बेटी की लाश पड़ी थी। छाती और कमर के नीचे वाले हिस्से से खून बह रहा था। वह सिर पकड़कर बैठ गया। फिर लड़खड़ाते हुए उठा। आगे बढ़ा और टॉर्च जलाई। दूसरे कमरे में उसके दो बेटे और दो पोतों की लाश पड़ी थी। और आंगन में बिन कपड़ों के बहू की लाश। वह बदहवासी में चीखते हुए घर से बाहर निकला। बगल के घर में गया। देखा वहां 5 लोगों की लाशें इधर-उधर बिखरी पड़ी थीं। किसी को गोली मारी गई थी, तो किसी को तलवार-गड़ासे से काटा गया था। 25-30 साल की एक महिला के स्तन काट दिए थे। पेट भी कटा हुआ था। पास ही खून से सना मांस का लोथड़ा पड़ा था। वह चीख उठा- 'अरे ये तो पेट से थी। दरिंदों ने इसे भी मार डाला।' थोड़ी देर बाद कई घरों से रोने-बिलखने की आवाज आने लगी। गांव में हाहाकार मच गया कि नरसंहार हो गया है। दर्जनों लोग मार दिए गए हैं। कई घरों में तो कोई बचा ही नहीं था। कुछ घरों में तो 8-9 लोग तक मारे गए थे। गांव की गलियों में लाशें बिखरी पड़ी थीं। रात करीब 2 बजे औरंगाबाद के एसपी गुप्तेश्वर पांडे 4 पुलिस वालों के साथ लक्ष्मणपुर बाथे पहुंचे। वे घर-घर जाकर लाशें गिनने लगे। एक, दो, तीन, चार…. 34 तक पहुंचने के बाद उनकी सांसें फूलने लगीं। सर्दी वाली रात में भी पसीना आने लगा। खुद को संभालते हुए उन्होंने कॉन्स्टेबल से कहा- ‘पुलिस मुख्यालय फोन लगाओ।’ कॉन्स्टेबल ने फोन लगाकर एसपी को दे दिया। वे बोले- ‘यहां बहुत बड़ा नरसंहार हो गया है। भारी संख्या में पुलिस-फोर्स भेजिए।’ सुबह 5 बजे मेहंदिया थाने की पुलिस गांव पहुंची। ऑफिस इंचार्ज SI अखिलेंद्र सिंह और SI अजय कुमार ने एक-एक करके लाशें गिनीं। 53 लोगों का नरसंहार हुआ था। सभी के सभी दलित। 32 महिलाएं और 10 बच्चे। कई बच्चों की उम्र दो साल से भी कम थी। 5 लड़कियों-महिलाओं के शरीर पर ना के बराबर कपड़े थे। ये बिहार का सबसे बड़ा दलित नरसंहार था। राष्ट्रपति के. आर नारायणन को पता चला, तो बोल पड़े- 'ये तो राष्ट्रीय शर्म की बात है।' ये वो दौर था, जब बिहार में पिछले 5 साल में 4 बड़े नरसंहार हो चुके थे। 1992 में गया जिले के बारा गांव में 34 भूमिहारों की हत्या कर दी गई थी। आरोप माओवादी संगठन MCC पर लगा। आरोपियों में ज्यादातर दलित थे। कहा गया कि लक्ष्मणपुर बाथे उसी नरसंहार का बदला था। नरसंहार के अगले दिन यानी 2 दिसंबर की सुबह अरवल और जहानाबाद से भी पुलिस लक्ष्मणपुर बाथे पहुंच गई। मीडिया वाले पहुंच गए। गांव छावनी में बदल चुका था। SI अखिलेंद्र सिंह ने पूछा- ‘ये नरसंहार किसने किया, किसी ने हमलावरों को देखा क्या?’ भीड़ से निकलकर बिनोद पासवान नाम का शख्स बिलखते हुए बोला- ‘साहब… मैंने देखा है।’ SI- ‘क्या देखा, पूरी बात बताओ?’ बिनोद कहने लगा- ‘कल रात साढ़े 10 बजे हम लोग खाने के बाद सोने जा रहे थे। अचानक गोलियां चलने लगीं। मैं खटिया से उठा ही था कि 10-15 लोग घर में घुस गए। सबके हाथ में हथियार थे। मैं दीवार फांदकर भाग गया। एक घर के छप्पर पर छिपकर बैठ गया। आधे एक घंटे तक गांव में चीख-पुकार मची रही। फिर मैंने देखा कि करीब 100 लोग नारा लगाते हुए गांव से निकल रहे थे। 'रणवीर बाबा की जय, रणबीर बाबा की जय।' सबके हाथ में हथियार थे। वो टॉर्च जलाते हुए जा रहे थे। उसकी लाइट से मैंने 26 लोगों को पहचान लिया। 19 लोग गांव के ही थे।’ फिर क्या देखा? अपने आंसू पोछते हुए बिनोद बोला- ‘रणवीर सेना वालों के जाने के बाद मैं अपने घर गया। वहां पत्नी, बहू, बेटे-पोते सबकी लाश पड़ी थी। मेरे सात सवांग (लोग) खत्म हो गए। कुछ देर बाद मुझे दूसरे घरों से रोने की आवाजें आने लगीं। मैं शिव बच्चन राम के घर गया। वहां 5 लाशें मिलीं। फिर गणेश राजबंशी के घर गया, वहां 3 लाशें मिलीं। देबेश राजबंशी के घर से 5, लक्ष्मण राजबंशी के घर से 6 और यदुनी के घर से 6 लाशें मिलीं। उससे आगे बढ़ने की हिम्मत नहीं जुटा पाया।’ किधर गए वे लोग? ‘वे लोग उत्तर की तरफ निकले। सोन नदी पार किया और फिर छोटकी खरसुन गांव की तरफ बढ़ गए। इसके बाद कहां गए पता नहीं।’ पहले से कोई दुश्मनी थी क्या उनसे? ‘नहीं नहीं… पहले से कोई लड़ाई नहीं थी। हम लोग तो उनके ही खेतों में काम करते थे। बस उन लोगों को लगता था कि हम सीपीआई माले के सपोर्टर हैं। रणवीर सेना वालों की इनसे दुश्मनी है।' इसी बीच 34-35 साल की एक महिला भागती हुई आई। बोलने लगी- ‘साहब उन लोगों ने सिर्फ मारा ही नहीं, कई लड़कियों की इज्जत लूट ली है। बगल के घर में प्रभा नाम की लड़की थी। 2-3 दिन बाद वो ससुराल जाने वाली थी। मैंने देखा कि उसके शरीर पर कपड़े नहीं थे। स्तन कटे हुए थे। शरीर के निचले हिस्से से खून बह रहा था। मैंने अपनी आंखों से देखा कम से कम 5 लड़कियों के स्तन कटे थे। शरीर पर कपड़े नहीं थे। उनके शरीर के निचले हिस्से में गोली मारी गई थी।’ इस महिला का नाम सूरज मणि था। मानवाधिकारों के लिए काम करने वाली एक संस्था ह्यूमन राइट वॉच को उसने ये बात बताई थी। अरवल थाने के DSP श्रीधर मंडल को इस नरसंहार का जांच अधिकारी बनाया गया। उन्होंने गांव पहुंचते ही जहानाबाद डीएम को मैसेज भेजा- ‘फौरन गांव में पोस्टमॉर्टम के लिए डॉक्टरों की टीम भेज दें।’ सुबह 11 बजे इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर ने अलग-अलग जगहों पर छापा मारा। सोन नदी के दक्षिण किनारे तीन लाशें मिलीं। उत्तरी छोर पर दो लाश मिलीं। रेत पर जगह-जगह खून पड़ा था। एक नाव भी मिली, जो खून से सनी थी। पुलिस ने लाश के साथ खून के निशान वाले बालू और कारतूस के खोखे सीज कर लिए। पुलिस को कुल 58 लाशें मिलीं। 53 गांव में और 5 सोन नदी के पास। दोपहर बाद 3 बजे मेहंदिया थाने में हत्या और अपहरण सहित IPC की कई संगीन धाराओं में केस दर्ज किया गया। इसमें अगड़ी जातियों के प्रतिबंधित संगठन रणवीर सेना से जुड़े 100 से ज्यादा लोगों को आरोपी बनाया गया। 2 दिसंबर को ही SI अजय कुमार ने एक खास मैसेंजर के जरिए FIR और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट जहानाबाद डिस्ट्रिक्ट कोर्ट भेज दी। उसी दिन पुलिस सभी लाशों का अंतिम संस्कार कराना चाहती थी, लेकिन गांव वाले अड़ गए। पुलिस को एक भी लाश उठाने नहीं दी। रात भर 100 से ज्यादा पुलिस वाले गांव में ही रुके रहे। अगले दिन यानी 3 दिसंबर को शाम 5 बजे बिहार की मुख्यमंत्री राबड़ी देवी गांव पहुंचीं। थोड़ी देर बाद सपा सांसद बनी फूलन देवी भी पहुंच गईं। फूलन मल्लाहों की नेता थीं। ये वहीं फूलन थीं जो पहले डकैत थीं, पर सरेंडर करने के बाद राजनीति में आ गई थीं। राबड़ी देवी के समझाने के बाद आखिरकार गांव वाले अंतिम संस्कार के लिए मान गए। दो ट्रैक्टर लाए गए। एक-एक करके 58 लाशें ट्रैक्टरों में भरी गईं। सोन नदी के पास 6 चिताएं तैयार की गईं और सबका सामूहिक संस्कार कर दिया गया। 3 दिसंबर को ही शाम 5.25 बजे पहली गिरफ्तारी हुई और दूसरी गिरफ्तारी 6.15 बजे। एक आरोपी के घर से दोनाली बंदूक भी बरामद हुई। दोनों को थाने भेज दिया गया। 5 दिसंबर को 2 और आरोपी पकड़े गए। 7 दिसंबर को 7 और आरोपी पकड़े गए। सभी रिमांड पर भेज दिए गए। इसी बीच जांच अधिकारी श्रीधर मंडल पर लापरवाही के आरोप लगने लगे। दबाव बढ़ा, तो 10 दिसंबर को श्रीधर मंडल को हटाकर पटना के डीएसपी मिर्जा मकसूद को जांच अधिकारी बना दिया गया। अभी इस नरसंहार को एक महीना ही हुआ था कि जहानाबाद जिले के एक गांव रामपुर-चौरम में नक्सलियों ने 9 सवर्णों की हत्या कर दी। ये लोग रणवीर सेना से जुड़े थे। इसे लक्ष्मणपुर बाथे नरसंहार का बदला कहा गया। 11 दिसंबर को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी लक्ष्मणपुर बाथे पहुंचे। उस रोज पटना लौटकर उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा- 'मुझे बाथे जाने से रोक गया। परिवार वालों से मिलने से रोका गया। लेकिन मैं वहां पहुंचा और लोगों से मिला। उनकी बातें सुनीं। मैं उनकी मांग राष्ट्रपति तक पहुंचाऊंगा। मौजूदा हालात में बिहार में फेयर लोकसभा इलेक्शन संभव नहीं है।' सेशन कोर्ट में 9 साल तक सुनवाई नहीं हुई, नीतीश ने CM बनते ही जांच आयोग भंग किया 27 फरवरी 1998 को 152 लोगों की गवाही के आधार पर 50 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई। 6 जनवरी 1999 को आरोपियों को जहानाबाद जिला अदालत में पेश किया गया, लेकिन 10 महीने तक कोई सुनवाई नहीं हुई। अक्टूबर 1999 में पटना हाईकोर्ट ने इसे सेशन कोर्ट पटना ट्रांसफर कर दिया, लेकिन वहां भी 9 साल तक सुनवाई नहीं हुई। 2005 में बिहार में सत्ता बदल गई। NDA गठबंधन से नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने और शुरुआती महीनों में ही अमीर दास कमीशन को भंग कर दिया। ये वही कमीशन था, जिसे नरसंहार के बाद दिसंबर 1997 में राबड़ी देवी ने बनाया था। पटना हाईकोर्ट के पूर्व न्यायधीश जस्टिस अमीर दास इसे लीड कर रहे थे। इस कमीशन ने 700 लोगों से पूछताछ की। जिसमें बीजेपी नेता मुरली मनोहर जोशी, सीपी ठाकुर, सुशील मोदी और राजद नेता शिवानंद तिवारी जैसे लोग शामिल थे। सीनियर जर्नलिस्ट कुमार नरेंद्र सिंह अपनी किताब 'बिहार में निजी सेनाओं का उद्भव और विकास' में लिखते हैं- 'वामपंथी पार्टियों ने तब राज्यपाल से शिकायत की थी कि रणवीर सेना के साथ राजद और बीजेपी के कुछ नेताओं के संबंध हैं। इसके बाद ही सरकार ने अमीर दास कमीशन बनाया था।' 11 साल बाद 26 दोषी करार, 16 को फांसी की सजा और 10 को उम्रकैद नरसंहार के करीब 11 साल बाद दिसंबर 2008 में 44 आरोपियों के खिलाफ पटना सेशन कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई। कुल 14 वकीलों ने पैरवी की। 8 वकील सरकार की तरफ से और 6 आरोपियों की तरफ से। 152 गवाहों में से 91 ने कोर्ट में बयान दिए। पीड़ितों की तरफ से सरकारी वकील सीके सिन्हा ने कोर्ट में बोलना शुरू किया- ‘माय लॉर्ड... ये कोई छोटी-मोटी वारदात नहीं है। ये नरसंहार है। 58 लोगों को बहुत ही क्रूरता से मारा गया है। इन दरिंदों ने गर्भवती महिलाओं और दुधमुंहे बच्चे तक को काट डाला। परिवार के परिवार खत्म हो गए। इन दरिंदों को फांसी से कम सजा हो ही नहीं सकती।’ बचाव पक्ष के वकील सुनील कुमार ने उन्हें टोकते हुए कहा- ‘माय लॉर्ड ये झूठा और बेबुनियाद इल्जाम है। हमला रात के अंधेरे में हुआ था। हमलावर बाहर से आए थे। ऐसे में कोई कैसे पहचान सकता है कि इन्हीं लोगों ने हत्या की है। इनके पास कोई साइंटिफिक एविडेंस नहीं है।’ तभी सरकारी वकील सीके सिन्हा बोल पड़े- ‘माय लॉर्ड, हत्या में सिर्फ बाहर वाले नहीं, बल्कि गांव वाले भी शामिल थे। हमारे गवाह ने टॉर्च की लाइट में उनका चेहरा देखा था। आवाज से पहचान की थी। आदमी गांव वालों की आवाज तो पहचानता ही है।’ 7 अप्रैल 2010 को सेशन कोर्ट पटना ने इसे रेयरेस्ट ऑफ रेयर बताते हुए 16 दोषियों को फांसी की सजा और 10 को उम्रकैद की सजा सुनाई। साथ ही 50-50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया। बाकी 18 लोगों को बरी कर दिया। हाईकोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी किया, जेल में बंद ब्रह्मेश्वर मुखिया को भगोड़ा बताती रही पुलिस 9 अक्टूबर 2013 को पटना हाईकोर्ट ने सेशन कोर्ट के फैसले को पलटते हुए सभी 26 आरोपियों को बरी कर दिया। पटना हाईकोर्ट के जस्टिस वीएन सिन्हा और जस्टिस एके लाल ने फैसला सुनाते हुए कहा- ‘पुलिस ने घटना के 24 घंटे बाद FIR दर्ज की। FIR को जहानाबाद जिला अदालत पहुंचने में तीन दिन लग गए। जबकि मेहंदिया थाने से जहानाबाद कोर्ट की दूरी 50 किलोमीटर ही है। जांच अधिकारी ने यह पता नहीं किया कि सोन नदी पार करने वाले लोग कहां गए। 10 दिन बाद जांच अधिकारी को बदला गया, तब तक देर हो चुकी थी। सोन नदी पार करने वालों के पैरों के निशान मिट चुके थे। पुलिस के पास गवाहों के बयानों के अलावा कोई मजबूत सबूत नहीं है। इसलिए अपील करने वालों को बेनिफिट ऑफ डाउट का फायदा मिलना चाहिए।’ इस नरसंहार केस में रणवीर सेना के ब्रह्मेश्वर मुखिया को भी आरोपी बनाया गया था, लेकिन पुलिस ने उन्हें कभी कोर्ट के सामने पेश नहीं किया। कहा गया कि वे फरार हैं, जबकि उसी दौरान 2002 से 2011 तक वे जेल में बंद थे। 11 साल तक सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई नहीं, 12वें साल आरोपियों के वकील ने कहा- सभी 26 आरोपी मर चुके हैं 13 अक्टूबर 2013 को बिहार सरकार ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई। जनवरी 2014 में पहली बार सुप्रीम कोर्ट में ये केस लिस्ट हुआ, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। 2023 में 6 बार केस लिस्ट हुआ, लेकिन सुनवाई टाल दी गई। 1 जनवरी 2025 को बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि 5 आरोपियों की मौत हो चुकी है। तीन महीने बाद अप्रैल 2025 में बचाव पक्ष के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सभी 26 आरोपियों की मौत हो चुकी है। तब के सीजेआई संजीव खन्ना ने बिहार सरकार को स्टेटस रिपोर्ट फाइल करने को कहा और मामला स्थगित कर दिया। कल छठे एपिसोड में पढ़िए बिहार के एक और बड़े नरसंहार की कहानी... (यह सच्ची कहानी पुलिस चार्जशीट, कोर्ट जजमेंट, गांव वालों के बयान, अलग-अलग किताबें और इंटरनेशल रिपोर्ट्स पर आधारित है। क्रिएटिव लिबर्टी का इस्तेमाल करते हुए इसे कहानी के रूप में लिखा गया है।) रेफरेंस :
जिस देश में घूस लेने पर सजा ए मौत, सेक्स इंडस्ट्री वहां कैसे फली-फूली? इतने लोग जुड़े
Resurgence of prostitution in China: इस रिपोर्ट को आगे बढ़ाने से पहले साल 2022 के उस मामले का जिक्र करना जरूरी हो जाता है जबजिआंगसू की एक महिला नारकीय हालत मेंजंजीरों से जकड़ी मिली थी. उस मामले ने चीन में तस्करी से लाई गई महिलाओं की दुर्दशा की ओर दुनियाभर का ध्यान खींचा था.
ट्रंप के सलाहकार नवारो ने फिर उगला जहर, बोले- बातचीत की टेबल पर आ रहा भारत वो...
US Tariff on India: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ट्रेड एडवाइजर पीटर नवारो ने एक बार फिर भारत के खिलाफ जहर उगला है.
DNA: क्या झुक जाएगा इजरायल? मुस्लिम देश बनाएंगे 'इस्लामिक सेना', US के NATO के आगे कितना पावरफुल
Muslim Countries Vs Israel:समिट में 50 से ज्यादा मुस्लिम देशों के राष्ट्रअध्यक्ष शामिल हुए हैं. जो इजरायल पर कतर के हमले के बाद नाराज हैं और मिलकर इस बात की योजना तैयार कर रहे हैं कि इजरायल को जवाब कैसे दिया जाए. इसके लिए एक इस्लामिक सेना तैयार करने का विचार भी सामने आया है.
DNA Analysis: इज़रायल ने कतर में हमास के वार्ताकारों को खत्म करने की जिम्मेदारी अपनी खुफिया एजेंसी मोसाद को सौंपी थी. लेकिन मोसाद ने इस आपरेशन को करने से इनकार कर दिया. आप जानकर चौंक सकते हैं मोसाद जैसी एजेंसी, जो इजरायल की सबसे बड़ी ताकत है.
Social Media: युवाओं के मेंटल हेल्थ पर सोशल मीडिया के प्रभाव को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच कैलिफोर्निया के सांसदों ने एक विधेयक पारित किया है. इसके तहत बच्चों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले सोशल मीडिया ऐप्स पर चेतावनी लेबल लगाना अनिवार्य होगा.
DNA Analysis on latest updates in Nepal Protest: क्या नेपाल में दोबारा से तख्तापलट होने वाला है? यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि आंदोलनकारियों के नेता सुदन गुरुंग ने अंतरिम पीएम सुशीला कार्की का इस्तीफा मांग लिया है.
Army Role in Nepal Crisis News: बांग्लादेश में हुए हिंसक तख्तापलट के एक साल बाद उसी पैटर्न पर नेपाल में भी सत्ता बदल दी गई. लेकिन इस संकट में नेपाली सेना ने अपनी चतुराई और समझदारी से अपने देश को दूसरा 'बांग्लादेश' बनने से बचा लिया.
How to acquire property in Oman: क्या आपका भी गल्फ कंट्री में प्रॉपर्टी खरीदकर वहां बसने का सपना है. अगर ऐसा है तो आपके लिए शानदार मौका है. ओमान ने विदेशियों के लिए संपत्ति खरीदने के नियम बहुत आसान कर दिए हैं.
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चैटजीपीटी की मदद से गाजा से भागा फिलिस्तीनी एक साल तक भागता रहा, जानें आगे क्या हुआ
Gaza Man Flee to Europe: गाजा के हालात काफी खराब हैं. हमास आतंकियों का खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है. ऐसे में एक नौजवान ने गाजा से भागकर नई जिंदगी शुरू करने की कोशिश की. चीन, लीबिया, मिस्र, इटली से होता हुआ वह समंदर के रास्ते करीब एक साल तक यूं ही भागता रहा. जाने आखिर में क्या हुआ?
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अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि मैं रूस पर बड़े प्रतिबंध लगाने के लिए तैयार हूं लेकिन जब सभी नाटो देश और यूरोप भी अपने प्रतिबंधों को रूस पर बढ़ाए. इस दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति ने यूरोप की आलोचना करते हुए कहा कि यूरोप रूस पर जो प्रतिबंध लगा रहे हैं, वे पर्याप्त कड़े नहीं हैं. मैं रूस पर और प्रतिबंध लगाने को तैयार हूं लेकिन यूरोप को मेरे कहने के अनुरूप अपने प्रतिबंधों को और कड़ा करना होगा.
Sikh Woman Detained In US: अमेरिका में पिछले 30 सालों से भी ज्यादा समय से रह रही एक सिख महिला को डिटेन कर दिया गया है. महिला के पास जरूरी दस्तावेज नहीं थे.
Lindsey Graham statement: पोलैंड के हवाई क्षेत्र में रूसी ड्रोन घुसने की घटना पर अमेरिका के एक सीनियर पॉलिटिशियन, लिंडसे ग्राहम का बयान सामने आया है. वह यूक्रेन-रूस वॉर खत्म करने के लिए भारत और चीन पर टैरिफ के जरिए दवाब डालने की बात कर रहे हैं.
टेक्सास के डलास में चंद्र नागमल्लैया की कथित तौर पर अमेरिकी राष्ट्रपतिडोनाल्ड ट्रंप का बयान सामने आया है.ट्रंप ने कहा कि संदिग्ध हत्यारे को देश में नहीं होना चाहिए था. उन्होंने हत्यारे पर कानून की पूरी सीमा तक मुकदमा चलाने का संकल्प लिया और अवैध अप्रवासी अपराधियों के खिलाफ सख्त रुख अपनाने का वादा किया.
Charlie Kirk memorial in Arizona:कंजर्वेटिव एक्टिविस्ट चार्ली किर्क की हत्या के बाद अमेरिका में कोहराम मचा हुआ है. अपने जिगरी दोस्त को खोने के बाद ट्रंप को बहुत दुख है. तभी तो उन्होंने अपने दोस्त की हत्या परवामपंथियों और लिबरल्स को ‘नीच’ और ‘उकसावेबाज’ बता दिया.किर्क और ट्रंप का रिश्ता कितना गहरा था इस बात से लगाया जा सकता है किट्रंप 21 सितंबर को एरिजोना में किर्क की स्मृति सभा में भी जाएंगे. जानें ट्रंपवामपंथियों और लिबरल्स पर क्यों भड़क गए?
Tiktok ban trump china deadline:अमेरिका में टिकटॉक के भविष्य पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप नेचुप्पी तोड़ी है. उन्होंने कहा कि टिकटॉक को बचाने या बंद करने का फैसला अब चीन पर निर्भर है. 17 सितंबर की डेडलाइन नजदीक है. ट्रंप ने बहुत साफ शब्दों में कह दिया है कि टिकटॉक मर भी सकता है और बचाया भी जा सकता है. जानें अंदर की बात.
Tyler Robinson: अमेरिकन एक्टिविस्ट चार्ली किर्क की हत्या मामले में कस्टडी में लिए गए टायलर रॉबिंसन से पूछताछ की जा रही है. इसको लेकर यूटा के गवर्नर सस्पेंसर कॉक्स का कहना है कि रॉबिंसन जांच में सहयोग नहीं कर रहा है.
चार्ली किर्क की हत्या को लेकर FBI निदेशक काश पटेल पर फिर उठे सवाल, सीनेट के सामने होंगे पेश
चार्ली किर्क की हत्या के बाद FBI निदेशक काश पटेल का जल्दबाजी में उठाया कदम उनको भारी पड़ सकता है. जानकारी के अनुसार, मंगलवार और बुधवार को काश पटेल को कांग्रेस के सामने निगरानी सुनवाई के लिए पेश होना है जहां उनसे कड़े सवाल पूछे जा सकते हैं.
डोनाल्ड ट्रंप को आखिरकार सता रहा किस चीज का डर? दुनियाभर के लोगों से कर रहे चिरौरी
बीते 90 दिनों से दुनिया को अमेरिकी टैरिफ (US Tariff) की धौंस दिखा रहे अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के सुर कुछ बदले नजर आ रहे हैं. माना जा रहा है कि भारत-रूस-चीन तीनों से एक साथ संबंध खराब करने के बाद उनके रुख में ये बदलाव दिखा है.
स्पॉटलाइट:जेन-Z ने गेमर्स के ऐप पर वोटिंग से चुनी PM:कैसे हुआ चुनाव, इसी ऐप से पलटी थी नेपाली सरकार
एक तरफ जहां दुनियाभर में EVM और बैलेट पेपर जैसे तरीको से वोटिंग की जाती है. वहीं, नेपाल में जनरेशन z ने अपनी पहली महिला प्रधानमंत्री गेमर्स के लिए बने ऐप पर चुनी है. नेपाल में सोशल मीडिया बैन होने के बाद प्रदर्शनकारियों की भीड़ भी यहीं से जुटी है. लेकिन किस ऐप पर ये सब मुमकिन हुआ. आखिर एक एप प्रदर्शन से लेकर चुनावों तक का हिस्सा कैसे बना. पूरी जानकारी के लिए ऊपर दी गई इमेज पर क्लिक कर देखें वीडियो....
दैनिक भास्कर की इलेक्शन सीरीज 'नरसंहार' के चौथे एपिसोड में आज कहानी बथानी टोला नरसंहार की... बिहार की राजधानी पटना से करीब 90 किलोमीटर दूर भोजपुर जिले का बथानी टोला गांव। साल था 1996 और तारीख 11 जुलाई। दोपहर के 2 बज रहे थे। लुंगी बनियान पहने 60-70 लोग तेज कदमों से गांव की तरफ आ रहे थे। हाथों में बंदूक, कट्टा, तलवार, गड़ासा, केरोसिन तेल के डिब्बे और लाठी-डंडे थे। वे बार-बार एक नारा लगा रहे थे। नारा क्या था...आगे बताएंगे। कुछ देर में भीड़ गांव पहुंच गई। 50 साल का एक शख्स चीखते हुए बोला- ‘हड़बड़ी मत करो। पहले दो-चार लोग गांव में घूमकर आओ। टोह लो कि वे लोग कर क्या रहे हैं।’ तीन नौजवान दबे पांव गांव में घुसे। कुछ देर बाद लौटकर बोले- ‘सारे मर्द खेतों में काम करने गए हैं। महिलाएं-बच्चे हैं बस। कुछ देर रुकना पड़ेगा, तब तक मर्द आ जाएंगे।’ 30-35 साल का एक शख्स बोल पड़ा- ‘औरत-मर्द से मतलब नहीं है। सब @#$%#$ नक्सली है। चलो…जो मिले उसे खत्म कर दो। गड़ासे से काट दो। और सुनो… जो भागेगा उस #$%@$% को गोली मार देना।’ अब हमलावर गांव में घुसे। 4-5 महिलाएं चूड़ी बेचकर लौट रही थीं। घरों के बाहर बच्चे खेल रहे थे। हथियारबंद लोगों को देखकर महिलाएं चिल्लाने लगीं- ‘भागो सब भागो। गांव पे हमला हो गया है।’ जो जहां था, भागने लगा। कोई अनाज की कोठी में छिप गया, तो कोई दीवार फांदकर भाग गया। कुछ लड़के पेड़ पर चढ़कर गए। इधर, हमलावर 10-15 लोगों का गुट बनाकर अलग-अलग घरों में तबाही मचाने लगे। एक घर के बरामदे में तीन मासूम खेल रहे थे। हमलावरों को देखकर वे डर गए। चीखने लगे। हमलावर बोल पड़ा- ‘इन बच्चों से दुश्मनी नहीं है। इन्होंने क्या ही बिगाड़ा है हमारा। छोड़ दो इन्हें।’ दूसरा बोला- ‘ना ना किसी छोड़ना नहीं। ये जिंदा बच गए तो नक्सली बनेंगे। कल को हमारे बच्चों को मारेंगे।’ उसने तलवार उठाई और एक-एक करके तीनों मासूमों की गर्दन उतार दी। बरामदे में खून से रंग गया। घर के एक कोने में एक महिला 1 साल के बच्चे को गोद में लेकर छिपी थी। दूसरे कोने में 18-19 साल की लड़की छिपकर बैठी थी। हमलावरों को देखकर दोनों कांपने लगे। हाथ जोड़ लिया, लेकिन हमलावर ने महिला की पीठ पर तलवार मार दी। ‘ओह… अनर्थ हो गया। ये तो पेट से है।’ यह कहते हुए वह तलवार छोड़कर भाग खड़ा हुआ। तभी दूसरा बोल पड़ा- ‘%$#@ बहुत मर्दानगी दिखा रहे हो। इसका बच्चा बड़ा होकर तुम्हारे बेटे को मारेगा।’ उसने तलवार उठाई और महिला के पेट में घोंप दी। मांस का लोथड़ा कटकर लटक गया। महिला तड़प-तड़पकर शांत हो गई। उसका एक साल का बेटा चीख उठा- 'मां… मां'…। पसीना पोंछते हुए हमलावर बोला- ‘चल तुझे मां के पास पहुंचा देता हूं।’ उसने बच्चे का पैर पकड़ा और हवा में ऊपर उछाल दिया। फिर हवा में ही तलवार से उसके दो टुकड़े कर दिए। मिट्टी की दीवारों पर खून के धब्बे जम गए। अब हमलावर लड़की की ओर बढ़ा और बाल खींचकर उसे जमीन पर पटक दिया। तब तक चार-पांच और हमलावर आ गए। सबने मिलकर लड़की के साथ गैंगरेप किया। फिर उसकी छाती और गर्दन पर तलवार मारकर आगे बढ़ गए। चीख पुकार सुन कई लोग घर से भाग गए थे। हमलावरों को 4-5 घरों में कोई नहीं मिला, तो वे चिढ़ गए। एक अधेड़ बोला- ‘#$%@% सब पता नहीं कहां भाग गए। केरोसिन डालकर आग लगा दो। जो भी छिपा होगा जलकर राख हो जाएगा।’ हमलावर ने वैसा ही किया। गांव में घूम-घूमकर घरों में आग लगाने लगे। कुछ ही देर में चीखने-बिलखने की आवाज गूंजने लगीं- ‘बचाओ, बचाओ।’ पर बचाने कोई आए भी तो कैसे... हमलावरों ने पूरे गांव को घेर रखा था। एक घंटे के भीतर 12-15 घर जल गए। हमलावर आगे बढ़े। गांव में पक्के का इकलौता मकान मारवाड़ी चौधरी का था। हमलावरों ने कई बार दरवाजे पर लात मारी, पर कोई असर नहीं हुआ। गोलियां भी चला दी दरवाजे पर, फिर भी कोई असर नहीं हुआ। तभी एक हमलावर बोला- ‘गोली बर्बाद मत करो, दीवार फांदकर अंदर घूसो।’ 10-15 हमलावर पीछे की दीवार से छत पर चढ़े और फिर आंगन में उतर गए। अलग-अलग कमरों में 10-15 महिलाएं-बच्चे छिपे थे। हमलावर उन्हें घसीटते हुए आंगन में ले आए। लाठी-डंडे से पीटने लगे। पूरा आंगन महिलाओं-बच्चों की चीख से गूंज उठा। कुछ महिलाएं बच्चों के साथ एक के ऊपर एक लेट गईं। उन्हें लगा शायद कोई बच जाए। तभी दो-तीन हमलावर तलवार लेकर आ गए। दनादन वार करने लगे। कुछ ही मिनटों में आंगन में 14 लाशें बिछ गईं। आंगन खून से लाल हो गया। हमलावरों के कपड़े भी खून से भीग गए। इसी बीच एक नौजवान आया और अंधाधुंध फायरिंग करने लगा। बोला- 'कोई बच गया होगा तो वो भी मारा जाएगा।' लंबे कद काठी का अधेड़ बोला- ‘सब के सब मर गए। कहां ही कोई बचा होगा। एक काम करो, केरोसिन डालकर आग लगा दो।’ हमलावरों ने मारवाड़ी के घर में आग लगा दी। कुछ देर बाद उन्हें यकीन हो गया कि सब मर गए। फिर वे जयकारा लगाते हुए गांव से चल दिए। आधे घंटे बाद मारवाड़ी चौधरी घर पहुंचे। देखा घर जल चुका था। दरवाजा टूट चुका था। अंदर घुसते ही वो सीने पर हाथ रखकर बैठ गए। सोचने लगे- 'अब कहां ही कोई बचा होगा।' फिर भी हिम्मत करके आगे बढ़े, लेकिन आंगन में पैर रखते ही चक्कर खाकर गिर पड़े। कुछ देर बाद होश आया तो देखा अंगन में लाशें बिखरी पड़ी हैं। महिलाओं की, मासूमों की। तीन लाशें तो उनके अपने परिवार की थीं। बेटा, बहू और पोता। सब खत्म। एक-एक करके उन्होंने लाशें हटानी शुरू की। पता चला कि एक महिला जिंदा है। उसकी छाती से खून बह रहा था। हाथ की उंगलियां कट चुकी थीं। मारवाड़ी महिला को जैसे-तैसे उठाकर बाहर लाए। अब तक गांव में चीख पुकार मच चुकी थी। खेतों में काम कर रहे पुरुष गांव की तरफ भागे। गोलियों की आवाज सुनकर वामपंथी पार्टियों के लोग भी गांव आ गए। पूरा गांव दहल गया था। हर जगह लाशें, खून और घरों से उठ रहे धुएं। ये मंजर जो देखा सिहर गया। कुल 18 लाशें मिलीं। कटी-फटी और अधजली लाशें। तीन लोग जख्मी थे। इलाज के बाद भी उन्हें बचाया नहीं जा सका। ये बथानी टोला नरसंहार था, कुल 21 लोग मारे गए। 15 दलित और 6 मुस्लिम। इनमें 11 महिलाएं, 9 बच्चे और 1 पुरुष थे। कहा गया कि ये 1992 में हुए बारा नरसंहार का बदला था, जिसमें 35 भूमिहारों की हत्या कर दी गई थी। नरसंहार के करीब 2 घंटे बाद, शाम करीब 4 बजे का वक्त। पास के सहर थाने को खबर मिली- 'बथानी टोला में नरसंहार हो गया है।' SI उमेश कुमार सिंह ने आवाज लगाई- 'जीप निकालो। जल्दी बथानी टोला चलो।' कुछ ही देर में वे 8-10 पुलिस वालों को लेकर गांव पहुंच गए। सन्नाटा पसरा था। लोग इधर-उधर छिपे हुए थे। 12 घर पूरी तरह जल चुके थे। घरों के बाहर, आंगन में और गलियों में कटी-फटी लाशें पड़ी थीं। गलियां खून से ऐसे सनी थी, जैसे कोई अभी-अभी चटक लाल रंग से होली खेल गया हो। SI उमेश कुमार समझ गए कि बड़ा नरसंहार हो गया है। शाम 6.30 बजे सहर थाने के ऑफिस इन चार्ज भी गांव पहुंच गए। देर शाम तक जोनल आईजी, भोजपुर के डीएम और दूसरे अधिकारी भी पहुंच गए। SI उमेश कुमार ने आवाज लगाई- ‘कोई जिंदा बचा है क्या? कोई बाहर क्यों नहीं निकल रहा, पुलिस आई है पुलिस।’ थोड़ी देर बाद एक शख्स बाहर निकला। उसके हाथ-पैर कांप रहे थे। SI उमेश चौधरी- क्या नाम है? साहब… किशुन चौधरी SI उमेश- किशुन डरो मत, पूरी बात बताओ कि हुआ क्या, कौन किया है ये सब? किशुन बिलखते हुए कहने लगा- ‘साहब रणवीर सेना वालों ने पूरे गांव को मार डाला। हर घर में लाश पड़ी है। मेरे परिवार के तीन लोग मार दिए। पत्नी और दो बेटियों को उन लोगों ने तलवार से काट दिया।’ तुमने हमलावरों को देखा था? ‘हां साहब… वो रणवीर बाबा की जय के नारे लगा रहे थे। उनके हाथों में हथियार थे। लुंगी बनियान पहने हुए थे। कुछ लोगों ने मुंह भी बांध रखे थे। मैं एक पेड़ पर चढ़ गया था। इसलिए बच गया।’ इस बीच गांव के कुछ लोग और भी वहां आ गए। 40 साल का एक शख्स कहने लगा- 'साहब मेरे परिवार में कोई जिंदा नहीं बचा है। रणवीर सेना वालों ने 6 लोगों को मार दिया है।' SI उमेश - क्या नाम है तुम्हारा? साहब… नईमुद्दीन अंसारी SI उमेश - क्या देखा तुमने, पूरी बात बताओ? 'साहब…मैं बरगद पेड़ के नीचे बैठकर खैनी बना रहा था। चार-पांच लोग भी साथ बैठे थे। हम बातें कर रहे थे। अचानक ‘रणवीर बाबा की जय’ के नारे सुनाई पड़ने लगे। एक ऊंची जगह पर खड़े होकर देखा तो 50-60 लोग बंदूक, तलवार लेकर गांव की तरफ आ रहे थे। हम लोग उठकर घर की तरफ भागे। मैंने जल्दी से महिलाओं और बच्चों को मारवाड़ी चौधरी के घर पहुंचा दिया और खुद भाग गया। मुझे लगा कि रणवीर सेना वाले मर्दों को मारने आए हैं। औरतों और बच्चों को छोड़ देंगे।’ फिर क्या हुआ? नईमुद्दीन ने रोते हुए कहा- ‘मैं दूर से देख रहा था। उन लोगों ने तीन तरफ से गांव को घेर लिया था। ताकि कोई भाग नहीं पाए। फिर केरोसिन तेल डालकर घरों में आग लगाने लगे। कुछ ही मिनटों में गांव में गोलियों की आवाज गूंजने लगीं। एक घंटे तक घर जलते रहे। जब वो लोग नारा लगाते हुए गांव से चले गए, तब मैं घर लौटा।’ SI उमेश - पहले से कोई रंजिश थी क्या? मारवाड़ी चौधरी नाम का शख्स बोल पड़ा- ‘साहब… जमींदारों और मजदूरों के बीच मजदूरी बढ़ाने के लिए विवाद चल रहा था। हम लोग एक दिन की मजदूरी 25 रुपए मांग रहे थे और वे सिर्फ 12 रुपए देने के लिए तैयार थे। इस वजह से 2 साल से दोनों तरफ से लड़ाई चल रही थी। सीपीआई माले वाले हमारी मदद कर रहे थे। जमींदारों को ये बात चुभती थी। वे लोग खून खराबे की धमकी दे रहे थे।’ सो उन्होंने खून कर ही दिया।' घटना के दिन ही पुलिस ने 8 लोगों के बयान लिए, लेकिन FIR दर्ज हुई अगले दिन यानी 12 जुलाई की सुबह 4.30 बजे। उसी दिन पुलिस ने FIR सीजेएम कोर्ट भिजवा दी, लेकिन रिपोर्ट पहुंचने में दो दिन लग गए। करीब 12 घंटे तक लाशें गांव में ही पड़ी रहीं। अगले दिन यानी 12 जुलाई को पोस्टमार्टम करने वाली टीम गांव पहुंची। जैसे ही डॉक्टरों ने पोस्टमार्टम करना शुरू किया, तभी सीपीआई माले के लोगों ने बवाल कर दिया। कुर्ता-पजामा पहने 40 साल का एक शख्स कहने लगा- ‘देखिए प्रशासन की मनमानी नहीं चलेगी। आदमी मर गया इसका मतलब ये नहीं कि उसकी इज्जत नहीं है। पोस्टमार्टम कायदे से होना चाहिए। एक भी लाश का पोस्टमार्टम सड़क पर नहीं होगा।’ एक घंटे तक दोनों तरफ से तकरार होती रही। इसके बाद पुलिस किसी अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए राजी हुई। तीन-चार ट्रैक्टर बुलाए गए। सभी लाशें ट्रैक्टरों में लादी गईं। फिर आरा के सरकारी अस्पताल में पोस्टमार्टम किया गया। मानवाधिकारों की वकील बेला भाटिया एक आर्टिकल में लिखती हैं- 'अस्पताल के बाहर कीचड़ वाली जगह में लाशें रखी थीं। किसी भी लाश के ऊपर कपड़ा नहीं डाला गया था। महिलाओं की लाशें भी कवर नहीं की गई थीं। वहां खड़ा एक आदमी तो बोल पड़ा- 'मरनी के बाद भी गरीबों को इज्जत नहीं मिल रही। किसी को कोई मतलब ही नहीं है।’ CM लालू गांव पहुंचे तो नारा लगा- 'मुख्यमंत्री इस्तीफा दो, वापस जाओ' बथानी टोला नरसंहार का आरोप रणवीर सेना पर लगा। ये अगड़ी जाति के एक गुट की प्राइवेट आर्मी थी। इसमें ज्यादातर भूमिहार थे। कुछेक राजपूत भी। इसकी शुरुआत की भी कहानी है। दरअसल, 70 के दशक से ही बिहार में सवर्ण जमींदारों और मजदूरों के बीच संघर्ष चल रहा था। बाद में मजदूरों को नक्सली संगठनों का साथ मिल गया। जमींदार मारे जाने लगे। उनकी जमीनों की नाकेबंदी होने लगी। बदले की आग में जल रहे अगड़ी जातियों ने कई निजी सेनाएं बना लीं। इनमें बड़ा नाम रणवीर सेना का है। 1994 में भोजपुर जिले के बेलाउर गांव में रणवीर सेना की नींव रखी गई। रिटायर्ड फौजियों ने गांव के किसानों और लड़कों को बंदूक चलाने की ट्रेनिंग दी। इसके बाद तो दोनों तरफ से जातीय नरसंहार शुरू हो गए। जुलाई 1995 में सरकार ने भले ही रणवीर सेना पर प्रतिबंध लगा दिया, लेकिन ये संगठन बंद नहीं हुआ। तब बिहार में जनता पार्टी की सरकार थी और लालू यादव मुख्यमंत्री। नरसंहार के 2 दिन बाद यानी 13 जुलाई को लालू बथानी टोला पहुंचे। उनके साथ बिहार के डीजीपी भी थे। गांव वालों को पता चला कि मुख्यमंत्री आए हैं, तो भीड़ ने उन्हें घेर लिया। ‘मुख्यमंत्री इस्तीफा दो, मुख्यमंत्री वापस जाओ’ नारे लगने लगे। मजबूरन लालू को पटना लौटना पड़ा। उसी शाम बिहार सरकार ने मृतकों के परिजनों को एक-एक लाख रुपए मुआवजा और गांव वालों को घर बनाने के लिए 20-20 हजार रुपए देने का ऐलान कर दिया। 14 जुलाई को लापरवाही के आरोप में 9 पुलिसवाले सस्पेंड कर दिए गए। दरअसल, बथानी टोला से महज एक किलोमीटर की दूरी पर ही पुलिस चौकी थी। आरोप लगा कि फायरिंग और चीख पुकार की गूंज सुनने के बाद भी पुलिस वालों ने हमलावरों को नहीं रोका। हालांकि, इससे सरकार पर दबाव कम नहीं हुआ। BJP और लेफ्ट लगातार प्रोटेस्ट करते रहे। 17 जुलाई 1996 को केंद्रीय गृहमंत्री इंद्रजीत गुप्ता भी बथानी टोला पहुंच गए। उन्होंने नरसंहार के लिए बिहार पुलिस को जिम्मेदार ठहरा दिया। तब लालू सरकार की और भी किरकिरी हुई, क्योंकि जनता दल, केंद्र सरकार का भी हिस्सा था। बथानी टोला नरसंहार की जांच अभी चल ही रही थी कि मुख्यमंत्री लालू यादव चारा घोटाले में फंस गए। उन पर गिरफ्तारी की तलवार लटकने लगी। केंद्र सरकार की तरफ से इस्तीफे का दबाव बढ़ने लगा। 5 जुलाई 1997 को लालू ने जनता दल से अलग होकर RJD नाम से नई पार्टी बना ली। 25 जुलाई को लालू ने अपनी गिरफ्तारी से पहले पत्नी राबड़ी देवी CM बनवा दिया। ब्रह्मेश्वर मुखिया जेल में बंद थे, लेकिन पुलिस रिकॉर्ड में फरार 16 जनवरी 1998, 18 महीने की जांच के बाद पुलिस ने 62 लोगों के खिलाफ अपहरण, हत्या, आगजनी, एट्रोसिटी एक्ट सहित कई संगीन धाराओं में चार्जशीट दायर की। 24 जनवरी 1998 को सीजेएम कोर्ट ने इस केस को भोजपुर जिला अदालत भेज दिया। नवंबर 2000 से जनवरी 2009 तक यानी करीब 8 साल तक सरकारी गवाहों की जांच होती रही। कुल 53 आरोपियों का ट्रायल किया गया। बाकी आरोपी या तो मर गए या फरार घोषित कर दिए गए। इन फरार आरोपियों में रणवीर सेना प्रमुख ब्रह्मेश्वर मुखिया भी शामिल थे। हालांकि, वे 2002 से 2011 तक जेल में बंद थे। कुल 16 गवाह बनाए गए। 13 सरकार की तरफ से और 3 आरोपियों की तरफ से। आरोपियों की तरफ से बड़की खड़ांव गांव के थाना प्रभारी और दो चौकीदारों ने भी जिला अदालत में गवाही दी। ये वहीं थाना प्रभारी थे, जिसे नरसंहार के बाद लापरवाही के आरोप में सस्पेंड कर दिया गया था। इसी दौरान पहली बार गवाहों के सामने आरोपियों की परेड कराई गई। 38 साल की राधिका को सबकुछ जस का तस याद है। उस नरसंहार में उनकी छाती पर गोली लगी थी, लेकिन वो बच गई थीं। कहती हैं- ‘कोर्ट में मैंने आरोपियों को पहचान लिया था। गुस्से में कई आरोपियों की कमीज फाड़ दी, बाल खींच लिया। मैंने तो उन्हें मारने के लिए चप्पल भी उठा ली थी, लेकिन पुलिस ने रोक दिया।’ नरसंहार के करीब 14 साल बाद 1 अप्रैल 2010 से 20 अप्रैल 2010 तक भोजपुर जिला अदालत में सुनवाई हुई। 5 मई 2010 को भोजपुर जिला अदालत के जज एके श्रीवास्तव ने फैसला सुनाया। 53 आरोपियों में से 23 दोषी करार दिए गए। 3 को फांसी की सजा सुनाई गई और 20 को उम्रकैद। सबूतों की कमी के चलते 30 आरोपी बरी कर दिए गए। 23 दोषियों में से 4 नाबालिग थे। जिन दोषियों को फांसी की सजा सुनाई गई, वे थे- अजय सिंह, मनोज सिंह और नरेंद्र सिंह। नरसंहार के 14 साल बाद लोअर कोर्ट से 3 को फांसी, 20 को उम्रकैद, लेकिन हाईकोर्ट से सभी बरी लोअर कोर्ट के फैसले को दोषियों ने पटना हाईकोर्ट में चैलेंज किया। अप्रैल 2012 में सुनवाई शुरू हुई... बचाव पक्ष के वकील ने दलील दी- ‘माय लॉर्ड… मेरे मुवक्किल को जानबूझकर फंसाया गया है। पुलिस ने दबाव में आकर बिना जांच-परख के लोगों को गिरफ्तार किया। जैसे कबूतरों को बैठाकर झूंड में गिरफ्तार कर लिया गया हो। जानबूझकर FIR 12 घंटे बाद दर्ज की। ताकि उसे आरोप लगाने और प्लानिंग करने का वक्त मिल सके।’ 16 अप्रैल 2012, पटना हाईकोर्ट में फैसले का दिन। जस्टिस नवनीत प्रसाद सिंह और जस्टिस अश्वनी कुमार सिंह की डिवीजन बेंच ने कहा- ‘पुलिस की जांच रिपोर्ट और चार्जशीट में काफी लूप होल है। चश्मदीदों के पुलिस को दिए बयान और कोर्ट में दिए गए बयान मेल नहीं खा रहे।पुलिस के पास कोई साइंटिफिक एविडेंस नहीं है। कोर्ट सबूतों की कमी के चलते उन 23 लोगों को बरी करता है, जिन्हें निचली अदालत ने सजा सुनाई थी।’ इस फैसले से बथानी टोला के लोगों को सदमा सा लगा। नईमुद्दीन रो पड़े। मीडिया वालों से कहने लगे- 'मेरे परिवार के 5 लोग मारे गए। तब मेरी दिमागी हालत ठीक नहीं थी। मैंने तीन बयान दिए। दो मौखिक और एक लिखित। बाद में मैंने बयान में कुछ जुड़वाया भी। लोअर कोर्ट ने बयान को सही माना, लेकिन हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। ये कहकर कि बयान बदले गए हैं। अन्याय हुआ हमारे साथ।' बिहार सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। लेकिन 13 साल बीत जाने के बाद भी अब तक कोई फैसला नहीं आ सका है। बिहार सरकार ने अपील की थी कि जब तक फैसला नहीं आ जाता, तब तक आरोपियों को बेल नहीं दी जाए, पर कोर्ट नहीं माना। RJD की सीटें घटती गईं, जंगल राज का टैग लगा फरवरी 1998 में लोकसभा चुनाव हुए। तब बिहार में कुल 54 सीटें थीं। इनमें से 20 सीटें BJP को और 17 सीटें RJD को मिलीं। 1999 में फिर से लोकसभा चुनाव हुए। अब तक बथानी टोला नरसंहार के साथ-साथ लक्ष्मणपुर बाथे, शंकर बिगहा और सेनारी जैसे बड़े नरसंहार हो चुके थे। 200 से ज्यादा दलित और सवर्ण मारे जा चुके थे। इसी दौरान पटना हाईकोर्ट ने 'जंगल राज' शब्द का इस्तेमाल किया था। BJP और जदयू ने इसे चुनावी मुद्दा बनाया। इसका असर चुनाव में भी दिखा। RJD महज 7 सीटों पर सिमट गई। जबकि 23 सीटों के साथ BJP सबसे बड़ी पार्टी बन गई। मार्च 2000 में बिहार में विधानसभा चुनाव हुए। तब बिहार में 324 सीटें थीं। RJD को 124 सीटें मिलीं। यानी बहुमत से 38 कम। आखिरकार कांग्रेस और लेफ्ट के समर्थन से राबड़ी देवी तीसरी बार CM बनीं। लेकिन उसके बाद के चुनावों में RJD कभी अपना CM नहीं बना पाई। कल 5वें एपिसोड में पढ़िए कहानी लक्ष्मणपुर बाथे नरसंहार की, जहां 58 दलितों की हत्या कर दी गई.. नोट : (यह सच्ची कहानी पुलिस चार्जशीट, कोर्ट जजमेंट, गांव वालों के बयान, अलग-अलग किताबें, अखबार और इंटरनेशल रिपोर्ट्स पर आधारित है। क्रिएटिव लिबर्टी का इस्तेमाल करते हुए इसे कहानी के रूप में लिखा गया है।) रेफरेंस :
1997 से 2012 में जन्मी पीढ़ी, जो इंटरनेट और स्मार्टफोन के साथ बड़ी हुई। जिसे आलसी और कन्फ्यूज्ड माना गया और जिसका फोकस 8 सेकेंड से ज्यादा नहीं रहता। उसी जेन-जी ने 4 साल में 3 देशों की सरकारें पलट दीं। ताजा मामला नेपाल है, जहां जेन-जी ने न सिर्फ क्रांति की, बल्कि दुनिया में पहली बार सोशल मीडिया पर ही अपना प्राइम मिनिस्टर चुन लिया। मंडे मेगा स्टोरी में जेन-जी की पूरी कहानी... **** ग्राफिक्स: अंकुर बंसल और द्रगचन्द्र भुर्जी ------ नेपाल जेन जी प्रोटेस्ट से जुड़ी ये खबर भी पढ़िए... Gen-Z की पसंदीदा सुशीला कार्की नेपाल की अंतरिम पीएम:प्रचंड सरकार चीफ जस्टिस पद से इन्हें हटाने महाभियोग लाई थी; पति ने प्लेन हाईजैक किया था नेपाल में Gen-Z प्रदर्शनकारियों ने सुशीला कार्की को देश का अंतरिम पीएम चुना है। उन्हें 12 सितंबर की रात राष्ट्रपति ने पद की शपथ दिलाई। वे 220 सालों के इतिहास में देश की पहली महिला पीएम बनी हैं। पूरी खबर पढ़िए...
‘ये कोई 2-4 दिन का आंदोलन नहीं था। हमने कई महीनों की प्लानिंग और रिसर्च के बाद इसे खड़ा किया। हम पिछले दो साल से लगातार मेहनत कर रहे थे और एक-एक कर युवाओं को जुटाया।‘ नेपाल में अपने आंदोलन से सरकार गिरा देने वाले GenZ लीडर्स में शामिल अर्जुन शाही और टंका धामी इस बदलाव से खुश हैं। वे कहते हैं अब देश में नई व्यवस्था बनाने की बारी है। GenZ लीडर्स इस जिम्मेदारी को उठाने की तैयारी में जुट गए हैं। 26 साल के अर्जुन शाही और 27 साल के टंका धामी का जेनजी रेवोल्यूशन नेपाल नाम का संगठन है, जो सरकार के खिलाफ प्रोटेस्ट का हिस्सा रहा। आने वाले दिनों में ये लीडर्स नेपाल की सरकार में मंत्री और एडवाइजर भी बनेंगे। वे भारत से रोटी-बेटी का संबंध बताते हैं। वहीं, महात्मा गांधी और भगत सिंह को अपना आदर्श बताते हैं। दैनिक भास्कर ने GenZ प्रोटेस्ट का नेतृत्व करने वाले इन लीडर्स से बात की और समझने की कोशिश की कि आखिर GenZ ने इतना बड़ा आंदोलन कैसे खड़ा किया? सोशल मीडिया की उसमें क्या भूमिका रही और वे आगे कैसा नेपाल बनाना चाहते हैं? देखिए और पढ़िए पूरा इंटरव्यू… सवाल: GenZ को सरकार के खिलाफ लामबंद करना और आंदोलन खड़ा करना, ये सब कैसे हुआ?जवाब: नेपाल में GenZ क्रांति की शुरुआत करप्शन से हुई। कई युवा सरकारी करप्शन से परेशान हो चुके थे। ये सिर्फ सरकार में ही नहीं बल्कि अफसरों से लेकर मंत्री-सांसद, विधायक बल्कि पूरा पॉलिटिकल सिस्टम ही भ्रष्ट हो चुका था। युवाओं में बेरोजगारी की वजह से भी नाराजगी बढ़ रही थी। यहां से दूसरे देशों में लोगों का पलायन भी युवाओं को परेशान कर रहा था। हालांकि 8 सितंबर को हमारे आंदोलन के बाद जो कुछ हुआ, उसके बाद सब कुछ पलट गया। हमने शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने की योजना बनाई थी, लेकिन सरकार ने जो किया, उसके बाद हालात बेकाबू होते चले गए। सरकार में बैठे नेताओं के इशारे पर हमारे युवा साथियों की हत्या की गई। हमने अपने दम पर सरकार को झुका दिया और संसद पर कब्जा कर लिया। सवाल: GenZ युवाओं को कैसे जुटाया गया?जवाब: GenZ हमारे साथ इसलिए आए क्योंकि सभी को लगता था कि करप्शन बहुत बढ़ गया है। केपी ओली सरकार में करप्शन संस्थागत हो चुका था। राजनीतिक रूप से हमारा देश अस्थिर हो गया था। कोई किसी के भी साथ मिलकर सरकार बना रहा था। सरकार का करप्शन पकड़ने के लिए हमने कई GenZ टीमें बनाईं और डीप रिसर्च की। जब हम आंदोलन खड़ा कर रहे थे, तब हमने कई लीडर्स से भी बात की थी। हालांकि उनका यही कहना था कि हम सब अभी बच्चे हैं। हमें पढ़ाई करके विदेश जाना चाहिए। हम सब इस नतीजे पर पहुंचे थे कि अगर हमने आज कुछ नहीं किया तो हमारे बाद आने वाली पीढ़ी हमें कोसेगी। किसी न किसी को तो लीड करना ही होगा, जैसे- कभी राम और कृष्ण ने किया था। नेपाल में सब कुछ अच्छा है, पहाड़ हैं, नदियां हैं, मेहनती लोग हैं। हमारे रिश्ते भी सभी देशों से अच्छे हैं, लेकिन हम अफ्रीकी देशों से भी गरीब होते जा रहे थे। अब जब नेपाल में रामराज्य आएगा तो पूरी दुनिया के हिंदू यहां आएंगे। हम ऐसा ही नेपाल बनाना चाहते थे। सवाल: प्रोटेस्ट में नेपो किड्स (राजनेताओं के बच्चे) की लग्जरी लाइफस्टाइल कैसे मुद्दा बन गई?जवाब: इसे मुद्दा बनाने के लिए हमने यूनिवर्सिटी लेवल से शुरुआत की। कई सारे सोशल मीडिया अकाउंट तैयार किए और GenZ को इस काम में लगा दिया। हमने इस सरकार की ताकत और कमजोरी दोनों पर गहन रिसर्च की। हमने इसके लिए कई ब्यूरोक्रेट्स, रिटायर्ड पुलिस अफसरों और आर्मी अफसरों से भी बात की थी। फिर हमने पता किया कि इस सरकार की कमजोर कड़ी कौन सी है। हमें वो ट्रिगर पॉइंट ढूंढना था, जिसे दबाने से ये सत्ता गिर जाए? सवाल: इस सरकार का वो ट्रिगर पॉइंट क्या था और उसे दबाने के लिए क्या तैयारी की?जवाब: सबसे बड़ा ट्रिगर पॉइंट था कि नेपाल के आम लोग दिन-ब-दिन गरीब क्यों होते जा रहे हैं। हमने इसकी पूरी इकोनॉमिक स्टडी की। हमारे देश में जब इतने सारे संसाधन हैं, फिर भी हम गरीब क्यों हैं। हमारा पासपोर्ट इतना कमजोर है। हमने GenZ तक मैसेज पहुंचाया कि ये सब सिर्फ नेपाल के करप्ट लीडर्स की वजह से हो रहा है। पूरी दुनिया को लगता है कि हम गरीब हैं, लेकिन हम दुनिया को बताना चाहते हैं कि हम उतने गरीब नहीं हैं जितना आप सोचते हो। हम जिस तरह की लाइफस्टाइल जीते हैं, वो बहुत अच्छी है। खराब जिंदगी जीने के लिए हमारी सरकार ने लोगों को मजबूर कर दिया है। लोग टैक्स भरते हैं, लेकिन सरकारें उसका सही इस्तेमाल नहीं करतीं। जो प्रोजेक्ट एक साल में पूरा हो सकता है, उसे पूरा होने में 5 साल लग रहे हैं। ये सब नेताओं के करप्शन की वजह से हो रहा है। सवाल: क्या आप लोग केपी ओली और प्रचंड जैसे करप्ट लीडर्स के खिलाफ केस चलाएंगे और उन्हें जेल भेजा जाएगा?जवाब: ये सिर्फ केपी ओली और प्रचंड तक सीमित नहीं रहने वाला। देश में जो भी करप्शन में शामिल होगा, उसकी जांच होगी और उसे जेल की सलाखों के पीछे भेजा जाएगा। इस बदलाव के लिए जिन साथियों ने जिंदगी कुर्बान की है, वो हमें प्रेरित करती है कि हम उन भ्रष्ट लोगों की जांच करें और उन्हें जेल भेजें। इतने युवाओं की मौत हो जाना कोई आम बात नहीं है, उनकी जान की कीमत इतनी कम नहीं है। सवाल: आखिर 73 साल की सुशीला कार्की को GenZ ने PM क्यों चुना, प्रक्रिया क्या थी?जवाब: हमारे पास PM पद के लिए पांच विकल्प थे, जिनकी चर्चा हर कोई कर रहा था। हमने हर किसी का बैकग्राउंड देखा और उनका इतिहास पता करने के लिए पूरी टीम लगाई। मौजूदा हालात में सुशीला कार्की ही हम लोगों को सबसे बेहतर लगीं। हमने PM पद के लिए ऑनलाइन वोटिंग भी करवाई। हालांकि कोई भी फैसला लेने में हमने उन्हें फुल पावर नहीं दी है। हमने कई GenZ ग्रुप के नेता बनाए थे और उनकी राय भी ली। सुशीला कार्की का बैकग्राउंड देखने के बाद ज्यादातर GenZ लीडर उनके नाम पर सहमत थे। हमने इस प्रोटेस्ट के साथ ये इतिहास भी रच दिया कि देश को पहली महिला प्रधानमंत्री दे दी। अभी तक नेपाल में महिलाओं को घर तक सीमित रखने की सोच है, इससे ये सोच भी बदलेगी। सवाल: क्या आप या GenZ लीडर्स भी मंत्री और एडवाइजर बनेंगे?जवाब: अगर जरूरत पड़ी तो हम मंत्री बनेंगे और अगर नहीं पड़ी तो नहीं बनेंगे। हमने PM चुन लिया है। अब हम एक नया सिस्टम भी बना रहे हैं। हालांकि अब तक ये तय नहीं किया है कि इस सरकार का स्वरूप क्या होगा। मंत्री कौन बनेगा, एडवाइजर कौन बनेगा, सरकार किसके फैसले पर चलेगी और सिस्टम कैसे काम करेगा। हम इस पर चर्चा कर रहे हैं और जल्द ही एक पुख्ता ड्राफ्ट के साथ लोगों के सामने आएंगे। सवाल: PM मोदी ने कहा है कि नेपाल के युवाओं से एक नए नेपाल का उदय हो रहा है। इसे कैसे देखते हैं?जवाब: नेपाल के GenZ और यहां के सभी लोग मोदी जी को धन्यवाद कहना चाहते हैं। वो महान लीडर हैं और उन्होंने भारत को बदल कर रख दिया है। उन्होंने पूरी दुनिया में भारत का परचम लहराया है। उन्होंने दुनिया को मैसेज दिया है कि एशियाई देश इतना भी कमजोर नहीं हैं जैसा पश्चिम की दुनिया सोचती है। भारत के पास फार्मा इंडस्ट्री है, मैन्युफैक्चरिंग है। हम भारत सरकार, PM मोदी और भारत के पूर्व प्रधानमंत्रियों को भी धन्यवाद देते हैं कि उन्होंने हमेशा नेपाल का समर्थन किया। जब हम कहते हैं कि रोटी-बेटी का संबंध है, हमारा रिश्ता बाकी देशों से भी बहुत पुराना है। हमारा सनातन का रिश्ता है, धर्म से लेकर समाज और भाषा से लेकर संस्कृति का रिश्ता है। सवाल: आपका भारत और दुनिया के लिए क्या मैसेज है?जवाब: क्रांति करना है तो जबरदस्त कीजिए। क्रांतिकारी की भाषा ही दूसरी होती है। मैं भारत के लोगों से कहना चाहता हूं कि नेपाल में जो हुआ वो सिर्फ नेपाल तक सीमित नहीं रहने वाला है, इसका असर दुनिया में होगा। सवाल: नेपाल में प्रोटेस्ट के साथ हुई हिंसा ने देश को कई साल पीछे धकेल दिया है, आपको नहीं लगता ज्यादा नुकसान हो गया?जवाब: जब भी अन्याय बहुत ज्यादा हो जाता है तो एक वक्त के बाद प्रलय आती है। नेपाल में अत्याचार और अन्याय चरम पर था, लोगों के साथ बहुत गलत किया गया। आपने जो देखा वो इसी का नतीजा है। मैं युवाओं से कहता हूं कि अब भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़िए, सिस्टम को बेहतर बनाने के लिए लड़िए। सवाल: नेपाल का भविष्य कैसा होगा, उसके लिए आप लोग क्या फैसले लेने वाले हैं?जवाब: सबसे पहले हम उन्हें मरहम लगा रहे हैं, जिनका प्रोटेस्ट के दौरान नुकसान हुआ, जो लोग घायल हुए और जिनके अपनों ने जान गंवाई। साथ ही प्रदर्शन की वजह से ट्रैफिक बूथ, पुलिस स्टेशन कुछ भी नहीं बचा है। पूरा देश बिना पुलिस के चल रहा है, हम उसे फिर से बनाएंगे। हम कैबिनेट और सिस्टम बनाने के लिए मीटिंग कर रहे हैं। उससे पहले अभी हम उन लोगों के प्रति संवेदना ज्ञापित कर रहे हैं। जिन्होंने नेपाल में बदलाव के लिए शहादत दी है, उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं। नेपाल के इतिहास में इन शहीदों की सबसे खास जगह होगी। इन्होंने नया नेपाल बनाने के लिए अपनी जान न्योछावर कर दी। सवाल: GenZ प्रोटेस्ट में ‘केपी चोर देश छोड़’ नारा सबसे ज्यादा सुना, आपका पसंदीदा नारा कौन सा था?जवाब: मेरा पूरी दुनिया को एक ही नारा है- ‘अन्याय और अत्याचार के खिलाफ लड़ाई लड़िए।’ साथ ही मैं नेपाल के लोगों को कहूंगा ‘हम कल भी लड़ रहे थे, आज भी लड़ रहे हैं और कल भी लड़ेंगे।’ सवाल: आप आंदोलन और संघर्ष की प्रेरणा कहां से लेते हैं?जवाब: हर लड़ाई आत्मबल से लड़ी जाती है। जब अन्याय एक हद से बढ़ जाता है तो व्यक्ति अपने आप लड़ने के लिए खड़ा हो जाता है। भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और क्रांतिकारी भगत सिंह हमारे लिए भी प्रेरणा हैं। मैं यही कहूंगा कि नई शुरुआत करने के लिए कभी देरी नहीं होती, रोम एक दिन में बनकर तैयार नहीं हुआ था। ..................... नेपाल से ये ग्राउंड रिपोर्ट भी पढ़िए... पूर्व PM-वित्त मंत्री को पीटा, संसद-सुप्रीम कोर्ट जलाए, लोग बोले- हमारी सरकार करप्ट गैंग नेपाल की संसद, सुप्रीम कोर्ट, पॉलिटिकल पार्टियों के ऑफिस, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री-मंत्रियों के घर और सबसे खास काठमांडू का सिंह दरबार, सब एक दिन में जल गया। पूरे काठमांडू के आसमान में काला धुआं दिख रहा है। पूर्व PM झालानाथ खनाल की पत्नी को जिंदा जला दिया गया। 20 से 25 साल के लड़के-लड़कियां सरकार के खिलाफ सड़कों पर हैं। इनका कहना है कि हमारी सरकार करप्ट है। पढ़िए पूरी खबर...
यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की को 'घातक तोहफा', रूस के सीक्रेट हथियार से NATO चौंका! यूरोप में टेंशन
Russia Ukraine war: दावा है कि नाटो लड़ाकू विमानों ने सीमापार यूक्रेन जाकर उड़ान भरी. इस एक्शन को रूस ने उकसावे वाली कार्रवाई बताते हुए कहा नाटो रेड लाइन पार कर रहा है. रूसी फौज यूक्रेन में तबाही मचाती जा रही है, उससे यूरोप टेंशन में है. इस बीच फ्रांस ने नाटो सैन्य अभ्यास के दौरान पोलैंड के ऊपर राफेल तैनात किए है.
पंजाबी दादी ने अमेरिकंस को 'रुलाया', ट्रंप प्रशासन पर उठे सवाल; लोग बोले- वापस लाओ-वापस लाओ!
Harjit Kaur news:पंजाबी दादी अम्मा हरजीत कौर बीते करीब 35 सालों नॉर्थ कैलिफोर्निया के ईस्ट बे में रह रही थीं. उन्हें हाल ही में रुटीन जांच के दौरान इमीग्रेशन और सीमा शुल्क प्रवर्तन (आईसीई) अधिकारियों ने हिरासत में लिया. जिसके बाद सरकारी कार्रवाई पर लोगों का आक्रोश देखने को मिल रहा है.
India Russia News in Hindi: भारतीय सिनेमा के गाने दुनिया में देश की बड़ी सॉफ्ट पावर बने हुए हैं. इसका नजारा इस साल रूस की विक्ट्री डे परेड में दिखा. जब वहां पर राष्ट्रपति पुतिन के आवास पर मेरा जूता है जापानी गीत बजाया गया.
चंद मिनटों में उजड़ गई दुनिया, सड़क पर घायल को बचाने रुकी थी नर्स, चेहरा देखते ही उड़ गए होश
Thailand News: थाईलैंड में एक नर्स काम करके वापस लौट रही थी. तभी उसने देखा कि एक कार हादसे का शिकार हुई है. जैसे ही वह घायल को बचाने के लिए वहां पहुंची तो उसके होश उड़ गए.
Ukraine War Latest Updates: अपने से कई गुना ज्यादा शक्तिशाली रूस को जंग के मैदान में झुकाने के लिए यूक्रेन ने अब अपनी रणनीति बदल दी है. वह चुन-चुनकर उसके ईंधन और हथियार उत्पादन केंद्रों को अपना निशाना बना रहा है.
स्थानीय निकाय चुनावों में धुर दक्षिणपंथी पार्टी एएफडी को मिलेगी सफलता?
जर्मन राज्य नॉर्थ राइन वेस्टफेलिया (एनआरडब्ल्यू) में रविवार को हो रहे स्थानीय निकाय के चुनाव से पहले आए पोल बता रहे हैं कि इस साल एएफडी एक मजबूत ताकत के रूप में उभर सकती है
लंदन में धुर दक्षिणपंथियों की विशाल रैली
लंदन के वेस्टमिंस्टर के पास शनिवार को धुर दक्षिणपंथी नेता टॉमी रॉबिन्सन के नेतृत्व में एक बड़ा आप्रवासन विरोधी प्रदर्शन हुआ. इसमें कम से कम 1,10,00 लोगों ने हिस्सा लिया. इस दौरान पुलिस अधिकारियों पर भी हमला किया गया