शी चिनफिंग ने कार्यशैली द्वारा पार्टी के चौतरफा सख्त प्रंबधन पर बल दिया
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय कमेटी के पोलित ब्यूरो ने 30 जून को दोपहर के बाद 21वें सामूहिक अध्ययन सत्र का आयोजन किया
भारत एक ऐसी हाइपरसोनिक मिसाइल का समुद्री परीक्षण करने वाला है जो महज कुछ सेकेंड्स में ही पाकिस्तान और चीन पर एटम बम गिरा सकती है। इसकी रेंज में दुनिया के आधे से ज्यादा देश आते हैं। नाम है K6 हाइपरसोनिक मिसाइल। क्या K6 ब्रह्मोस जैसी सुपरसोनिक मिसाइल से भी ज्यादा घातक है? इसे किस तरह की पनडुब्बी से लॉन्च किया जा सकता है और भारत के लिए K6 हाइपरसोनिक मिसाइल कितनी जरूरी है जानने के लिए इमेज पर क्लिक कर वीडियो देखें।
‘सुबह के 9:30 बजे थे। काम शुरू हुए आधा घंटा ही हुआ था। तभी जोरदार धमाका हुआ। पूरी फैक्ट्री हिल गई। एक पल के लिए लगा जैसे कोई बम गिरा हो या भूकंप आ गया हो। हम लोग डरकर बाहर भागे। सामने वाली फैक्ट्री में धुआं उठता देखा, तो भागकर वहां गए।' 'बहुत भयानक मंजर था। लोग बुरी तरह से जले हुए थे। शरीर पर कपड़े तक नहीं थे। पूरे शरीर पर सफेद पाउडर था। तीन मंजिला फैक्ट्री ढह चुकी थी। मैंने जिंदगी में पहली बार इतना भयानक मंजर देखा।’ बिहार के आरा के रहने वाले घनश्याम तेलंगाना की फैक्ट्री में हुए ब्लास्ट के गवाह हैं। ये हादसा 30 जून की सुबह संगारेड्डी जिले के पाशमिलारम इंडस्ट्रियल एरिया में हुआ। ये जगह राजधानी हैदराबाद से करीब 65 किमी दूर है। ब्लास्ट फार्मा कंपनी सिगाची इंडस्ट्रीज के प्लांट में हुआ। 36 लोग मारे गए। इस प्लांट में एक शिफ्ट में 100 लोग काम करते थे। इनमें 60 मजदूर और 40 बाकी स्टाफ हैं। अभी करीब 50 लोग लापता हैं। यानी मरने वालों की तादाद बढ़ सकती है। ज्यादातर मजदूर मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं। दैनिक भास्कर हादसे के अगले दिन फैक्ट्री साइट पर पहुंचा। बाहर लापता लोगों के परिवार मिले। सभी की दर्दभरी कहानियां हैं। हम कुछ चश्मदीदों से भी मिले। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… पहली कहानी संगीता देवी कीबेटी ने बच्चे को जन्म दिया, उसी दिन दामाद लापता फैक्ट्री के टूटे गेट और दीवार के बाहर बैठीं संगीता देवी पथराई आंखों से मलबे का ढेर देख रही थीं। हवा में केमिकल की गंध घुली है, लेकिन संगीता का ध्यान इस पर नहीं है। एक दिन बीत गया उन्हें अपने दामाद का इंतजार है, लेकिन ये इंतजार खत्म नहीं हो रहा। 30 जून की सुबह उनकी बेटी ने बच्चे को जन्म दिया था। इसी सुबह उनके दामाद और बेटा फैक्ट्री में काम करने आए थे। घर में बच्चे के जन्म की खुशी शुरू भी नहीं हुई थी कि हादसे की खबर आ गई। संगीता बोलने की कोशिश करती हैं, लेकिन शब्द गले में अटक जाते हैं। बिलखते हुए वे बताती हैं, ‘मेरा बेटा राधेश्याम और दामाद अब तक नहीं मिले हैं। सुबह 4 बजे से यहां बैठी हूं। आप ही बताइए सर, मैं क्या करूं। बेटी की अभी-अभी डिलीवरी हुई है और उसका पति अंदर फंसा हुआ है। अभी तो बेटी का ख्याल रखना चाहिए और मैं यहां बैठी हूं।’ दूसरी कहानी ज्योत्सना की19 दिन पहले भांजे ने नौकरी जॉइन की, पहली सैलरी भी नहीं ले पायाफैक्ट्री के बाहर भीड़ में खड़ी ज्योत्सना को 19 साल के भतीजे अजय मंडल का इंतजार है। अजय पहली बार घर से बाहर निकला था। वो काम के लिए ज्योत्सना के पास आया था। वे बताती हैं, ‘उसने बीती 11 तारीख को फैक्ट्री में काम शुरू किया था। पेपर कटिंग का काम करता था। 30 जून को सुबह 7:30 बजे काम के लिए निकला था। फैक्ट्री में एंट्री से पहले मोबाइल फोन सिक्योरिटी के पास जमा कर दिया था। अब न उसकी खबर मिल रही है और न लाश। उसके सुपरवाइजर ने बताया कि उसका नाम पाटनचेरु हॉस्पिटल से आई लिस्ट में है। मैं वहां गई, तो वो नहीं मिला, न घायलों में और न मरने वालों में।’ तीसरी कहानी रामतीरथ कीफैमिली को कोई खबर नहीं, एक से दूसरे हॉस्पिटल भाग रहे प्रयागराज से आए रामतीरथ हाल ही में पिता बने थे। उनके बहनोई प्रवीण इसी कंपनी में बस चलाते हैं। प्रवीण बताते हैं, ‘हादसे का पता चला, मैं भागकर यहां आया। मैं कल से उन्हें ढूंढ रहा हूं। हॉस्पिटल भी गया। वहां इतनी लाशें हैं कि अंदर जाकर देखने नहीं दिया जा रहा।’ ‘हमें कहीं से मदद नहीं मिल रही। सब एक से दूसरी जगह दौड़ा रहे हैं। कोई हेल्प डेस्क तक नहीं है। पुलिसवाले महिलाओं और घरवालों को धक्का मारकर हटा रहे हैं। कंपनी ने अब तक सुध नहीं ली है।’ रामतीरथ की बहन रेखा का दर्द और भी गहरा है। वे अपने सगे भाई के साथ चचेरे भाई को भी खोज रही हैं। रेखा कहती हैं, ‘हमें 30 जून की दोपहर 1 बजे हादसे का पता चला। हम तभी से यहां हैं। हमें अंदर नहीं जाने दे रहे। भाई की कोई खबर नहीं है।’ चौथी कहानी मुइनुद्दीन खान कीपत्नी की डेडबॉडी का पता चला, लेकिन लाने के लिए पैसे नहींमुइनुद्दीन खान की पत्नी रुखसाना फैक्ट्री में काम करती थीं। हादसे में उनकी मौत हो गई। डेडबॉडी का पता चल गया है, लेकिन मुइनुद्दीन की मुश्किलें खत्म नहीं हुई हैं। वे बताते हैं, ‘मेरी पत्नी की डेडबॉडी पाटनचेरु हॉस्पिटल में है। मेरी जेब में एक रुपया नहीं है।’ पांचवी कहानी स्नेहा कीभाई ने दो दिन पहले ही फैक्ट्री में काम शुरू किया, अब उसका पता नहीं स्नेहा दो दिन से अपने भाई जस्टिन को ढूंढ रही हैं। वे बताती हैं, ‘जस्टिन ने 28 जून को ही फैक्ट्री जॉइन की थी। 30 जून को सुबह 7:30 बजे काम पर गया था। फिर उसका पता नहीं चला। दो दिन से हर जगह तलाश लिया, अस्पताल में भी देखा, लेकिन वो नहीं मिला।’ ‘दो साल पहले मां गुजर गई थीं। घर में पापा, मैं, बहन और जस्टिन हैं। हम किसी से जस्टिन के बारे में पूछते हैं, तो हमें भगा देते हैं। मुख्यमंत्री आए और चले गए, लेकिन कुछ नहीं हुआ। एंबुलेंस से डेडबॉडी ला रहे हैं, लेकिन हमें देखने तक नहीं दिया जा रहा।’ जस्टिन की दूसरी बहन शिल्पा कहती हैं, ‘हादसे को 24 घंटे से ज्यादा हो गए हैं, अब तक सभी डेडबॉडी नहीं निकाली गई हैं। रेस्क्यू टीम आराम से खा-पी रही है, हमारे अपने अंदर फंसे हैं। कंपनी और अधिकारी सच्चाई छुपा रहे हैं। कह रहे हैं कि ड्यूटी पर सिर्फ 174 लोग थे। यहां एक शिफ्ट में 500 लोग काम करते हैं।’ ‘हम कल से बिना खाए-पिए सड़कों पर हैं। जिम्मेदार लोग आराम से हैं। हमें सरकार का पैसा या मुआवजा नहीं चाहिए। हमें हमारे लोग वापस चाहिए। कंपनी को तुरंत सीज किया जाए। ये मजदूरों की जान से खिलवाड़ कर रही थी। इसकी बनावट इतनी खराब थी कि किसी को भागने का मौका तक नहीं मिला।’ छठी कहानी चांदनी कीभाई, जीजा, ताऊ मलबे में दबे, पुलिस मदद नहीं कर रहीबिहार की राजधानी पटना की रहने वालीं चांदनी के भाई, जीजा और ताऊ मलबे में दबे हैं। चांदनी बताती हैं, ‘भैया और जीजा पैकिंग का काम करते थे। दोपहर 1 बजे मम्मी का फोन आया कि फैक्ट्री में आग लग गई है। मैं भागकर पहुंची तो मम्मी रो रही थीं। अब तक कोई कुछ नहीं बता रहा। पुलिस भी मदद नहीं कर रही। ऐसा लग रहा है कि यहां सिर्फ तेलुगु बोलने वालों की सुनी जा रही है।’ सातवीं कहानी नरेंद्र कीएक साथी जख्मी, तीन लापता, पूछने पर पुलिस ने पीटापटना के रहने वाले नरेंद्र तिवारी इसी फैक्ट्री में काम करते हैं। वे बताते हैं, ‘मेरा एक साथी पटनाचेरू के हॉस्पिटल में घायल मिला। डॉक्टर कह रहे हैं कि उसकी हालत गंभीर है। बचने के चांस सिर्फ 50% हैं। तीन और साथी दिलीप गोसाईं, राजेन्द्र पासवान और दीपक कुमार तीन दिन से लापता हैं।’ चश्मदीद बोले- धमाका हुआ और पूरी बिल्डिंग ढह गईइंडस्ट्रियल एरिया में काम करने वाले घनश्याम हादसे के चश्मदीद हैं। उनकी फैक्ट्री हादसे वाली जगह के ठीक सामने है। ब्लास्ट के बाद वे सबसे पहले वहां पहुंचे थे। घनश्याम बताते हैं, ‘धमाका इतना तेज था कि हमारी फैक्ट्री का शेड तक हिल गया। हमारे सारे मजदूर डरकर बाहर भागे। हम ब्लास्ट वाली जगह पहुंचे। वहां लोग बुरी हालत में थे । बाहर भागकर आ रहे स्टाफ को हमने एक बस में बिठाकर हॉस्पिटल भेजा। आधे घंटे में पुलिस और NDRF की टीमें आ गईं। इसके बाद हमें पीछे हटा दिया गया।’ घनश्याम भले आधे घंटे में मदद पहुंचने की बात कहें, लेकिन एक और चश्मदीद प्रमोद का आरोप है कि रेस्क्यू काफी देर से शुरू हुआ। वे कहते हैं, ’हादसे के बाद प्रशासन का रवैया बहुत ढीला था। घटना सुबह 9:30 बजे हुई, लेकिन फायर ब्रिगेड की गाड़ी दोपहर 12 बजे आई। बचाव का काम तो दोपहर 2 बजे शुरू किया गया, यानी पूरे 5 घंटे की देरी से।’ ड्रायर में खराबी से ब्लास्ट, 100 मीटर दूर जा गिरे मजदूरशुरुआती जांच के मुताबिक, फैक्ट्री की रिएक्टर यूनिट में एक ड्रायर में खराबी आने की वजह से ये ब्लास्ट हुआ। धमाके की आवाज दो किमी दूर तक सुनाई दी। तीन मंजिला बिल्डिंग पूरी ढह गई। उसमें काम कर रहे मजदूर 100 मीटर दूर तक जा गिरे। संगारेड्डी के SP परितोष पंकज ने मंगलवार शाम तक मरने वालों की संख्या 36 बताई है। इसमें 31 शव फैक्ट्री से मिले। 5 लोगों ने हॉस्पिटल में दम तोड़ा। 30 से ज्यादा लोग घायल हैं। फैक्ट्री में एक शिफ्ट में 100 से ज्यादा लोग काम करते थे। इनमें ज्यादातर उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के प्रवासी मजदूर थे। हादसे के बाद NDRF, SDRF और फायर ब्रिगेड की टीमें रेस्क्यू में जुट गईं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मरने वालों के परिवारों को 2-2 लाख और घायलों को 50-50 हजार रुपए की मदद का ऐलान किया है। तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी 1 जुलाई को ब्लास्ट वाली साइट पर पहुंचे। उन्होंने मरने वालों के परिवार को एक करोड़ रुपए मुआवजा देने का ऐलान किया। मामले की जांच के लिए हाई लेवल कमेटी बनाई गई है। ब्लास्ट मामले में गैर इरादतन हत्या की FIR दर्ज जिला पुलिस ने फार्मा कंपनी के प्लांट में हुए ब्लास्ट के केस में FIR दर्ज की है। SP परितोष पंकज ने बताया कि हमने इस मामले में BNS की धारा 105, 110 और 117 के तहत केस दर्ज किया है। धारा 105 गैर इरादतन हत्या के लिए सजा से जुड़ी है। धारा 110 गैर इरादतन हत्या करने के प्रयास से संबंधित है। धारा 117 स्वेच्छा से गंभीर चोट पहुंचाने के अपराध से जुड़ी है।’ तेलंगाना के फैक्ट्री विभाग के एक अधिकारी ने भी कहा कि हम इस घटना पर फार्मा प्लांट के मैनेजमेंट के खिलाफ केस दर्ज करेंगे। हम जांच कर रहे हैं। हम फैक्ट्री अधिनियम 1948 के तहत लाइसेंस धारक और यूनिट के प्रबंधक के खिलाफ नोटिस जारी करेंगे और उनसे चूक के बारे में जवाब मांगेंगे।’ अधिकारी ने कहा कि नोटिस कुछ दिनों में जारी होने की संभावना है।
यूपी में कासगंज के बहादुरनगर से करीब 25 किमी दूर गंज गुंदवाड़ा नाम का गांव है। यहीं प्रियंका का घर है। प्रियंका के कमरे में उनकी फोटो लगी है। फोटो पर माला चढ़ी है। 20 साल की प्रियंका अब जिंदा नहीं हैं। ठीक एक साल पहले हाथरस के सिकंदराराऊ में सूरजपाल बाबा का सत्संग सुनने गई थीं। इसमें भगदड़ मची तो प्रियंका भीड़ में दब गईं। प्रियंका के घर में अब भी सूरजपाल बाबा उर्फ नारायण हरि साकार की फोटो लगी है। सूरजपाल बाबा का आश्रम बहादुरनगर में ही है। उन्हें भगदड़ मामले में क्लीन चिट मिल चुकी है। प्रियंका की मां राधा भी बाबा को दोष नहीं देतीं। कहती हैं, ‘जिनका समय आ गया था, वे भगवान के पास चले गए। ये उनका नसीब है।’ 2 जुलाई, 2024 को सिकंदराराऊ में सूरजपाल बाबा का सत्संग हुआ था। बाबा जाने लगे तो भक्त उनके पीछे भागे। सत्संग वाली जगह मिट्टी गीली थी, इसलिए लोग फिसलकर गिरने लगे। भगदड़ मची और 121 लोग मारे गए। केस अभी कोर्ट में है। मामले में 11 सेवादारों को आरोपी बनाया गया, सभी जमानत पर हैं। अगली सुनवाई 19 जुलाई को होनी है। इस घटना के बाद से सूरजपाल बाबा एक बार ही सामने आए हैं। भगदड़ के एक साल बाद भी कुछ सवाल बाकी हैं-1. भगदड़ कैसे मची, इसमें किसकी लापरवाही थी?2. कहा गया कि सूरजपाल बाबा की चरणरज लेने के लिए लोग उनके पीछे भागे थे, क्या सच में ऐसा था?3. सत्संग के आयोजकों ने गलती की या पुलिस-प्रशासन की लापरवाही इतनी मौतों की वजह बनी?4. सत्संग में भगदड़ हादसा था या साजिश? दैनिक भास्कर ने इन सवालों की पड़ताल की। सत्संग में तैनात लोकल इंटेलिजेंस यूनिट यानी LIU के पुलिसवालों के बयान से लेकर जांच के लिए बने न्यायिक आयोग की 1670 पेज की रिपोर्ट भी हमारे पास है। हम घटना में मारे गए लोगों के परिवार तक पहुंचे। सूरजपाल बाबा के आश्रम गए। उनके वकील से भी बात की। जांच आयोग की रिपोर्टभगदड़ की जांच के लिए यूपी सरकार ने 3 जुलाई 2024 को न्यायिक आयोग बनाया था। इसमें रिटायर्ड जस्टिस बृजेश कुमार श्रीवास्तव, रिटायर्ड IAS हेमंत राव और रिटायर्ड IPS भावेश कुमार सिंह शामिल थे। 20 फरवरी, 2025 को आयोग ने 1670 पन्ने की रिपोर्ट सरकार को सौंपी। 5 मार्च को इसे विधानसभा में पेश किया गया। आयोग ने जांच से जुड़े सभी अधिकारियों और कर्मचारियों के बयान लिए। सभी से 30 से 50 सवाल पूछे गए। सूरजपाल उर्फ भोले बाबा समेत मौके पर मौजूद लोगों के बयान लिए गए। इसके बाद रिपोर्ट तैयार की गई। रिपोर्ट में भगदड़ की वजहें लिखी हैं। आखिर में आयोग ने करीब 27 पेज में निष्कर्ष दिया है। वजह-1: बिना जांच जल्दबाजी में परमिशन दी18 को आवेदन, 19 जून को परमिशन, कोई अधिकारी जगह देखने नहीं गयाआयोग ने लिखा है कि सत्संग के मुख्य आयोजक देव प्रकाश मधुकर ने 18 जून, 2024 को 80 हजार लोगों के आने की जानकारी देते हुए सत्संग की परमिशन मांगी थी। इस पर मौके से जांच रिपोर्ट लाकर अनुमति देने की जिम्मेदारी पुलिस की थी। कचौरा चौकी इंचार्ज मनवीर सिंह को ये रिपोर्ट देनी थी। जांच रिपोर्ट जिस दिन मांगी गई, उसी दिन मनवीर सिंह ने कार्यक्रम को परमिशन देने की मंजूरी दे दी। इसके बाद इंस्पेक्टर आशीष कुमार और सीओ आनंद कुमार ने एप्लिकेशन SDM रविंद्र कुमार को सौंप दी। इसके बाद 19 जून को परमिशन दे दी गई। जांच में पता चला कि परमिशन देने से पहले कोई अधिकारी सत्संग वाली जगह देखने नहीं गया। सभी ने बिना जांच किए कार्यक्रम की परमिशन दे दी। वजह-2: परमिशन लेटर में लोगों की अनुमानित संख्या का कॉलम खाली छोड़ासत्संग की अनुमति वाले आदेश में कुल 13 कॉलम थे। इसमें एक कॉलम आने वाले लोगों की अनुमानित संख्या का था। ये कॉलम खाली छोड़ दिया गया। आवेदन देते वक्त 80 हजार लोगों के आने की संभावना जताई गई थी। वीडियो और चश्मदीदों की गवाही से साफ है कि कार्यक्रम मे 2.5 से 3 लाख लोग थे। वजह-3: सूरजपाल बाबा के आने-जाने का रूट नहीं बनायारिपोर्ट में लिखा है कि पुलिस-प्रशासन के अफसरों ने अनुमति की शर्तों की जांच नहीं की। पहली शर्त थी कि कार्यक्रम में हथियार, लाठी-डंडे नहीं लाए जाएंगे। एक दिन पहले ही सेवादार डंडे लेकर ड्यूटी कर रहे थे। एक शर्त ये भी थी कि सूरजपाल बाबा के सत्संग वाली जगह तक आने और लौटने के लिए अलग से रूट बनेगा। न ऐसा रूट चार्ट बना और न ही रूट तैयार किया गया। सूरजपाल बाबा को सत्संग में लोगों के बीच से ही रास्ता बनाकर लाया गया। उसी रास्ते से वापस भी ले गए। सत्संग में भूत-प्रेत की बीमारी ठीक करने का दावारिपोर्ट में लिखा है कि सत्संग के बारे में दावा किया गया कि इसमें आने से भूत-प्रेत की बाधाएं दूर हो जाएंगी। इससे अंधविश्वास, कुरीतियों को बढ़ावा देने और भोले लोगों को बहकाने की बात साबित होती है। इसके अलावा आयोजकों ने सत्संग में आने वाले लोगों की सुरक्षा, भीड़ का मैनेजमेंट और ट्रैफिक संभालने की जिम्मेदारी ली थी। उन्होंने पुलिस-प्रशासन से कहा कि सरकारी विभाग निश्चिंत रहें। फिर भी लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी राज्य सरकार की थी। भगदड़ हादसा थी या साजिश, इस पर आयोग ने लिखा कि सभी से बातचीत, दस्तावेज और सबूतों से ये हादसा ही लग रहा है। क्या सूरजपाल बाबा की चरणरज लेने के चक्कर में हादसा हुआइस पर जांच आयोग ने रिपोर्ट में लिखा है कि पुलिस, प्रशासन, दूसरे सरकारी विभागों और चश्मदीदों के बयानों में मंच से चरणरज लेने और उससे सारी समस्या दूर होने की घोषणा की बात है। चरणरज लेने के लिए दौड़ी भीड़ की वजह से ये घटना होना बताया गया है। हालांकि कई श्रद्धालु और खुद सूरजपाल बाबा ने अपने बयान में चरणरज जैसी परंपरा न होने की बात कही है। कई दिनों से सत्संग में जा रहे श्रद्धालुओं ने बयान दिया कि नए श्रद्धालु चरणरज लेते हैं। हादसे में मारे गए लोगों के परिवार ने बताया कि सत्संग में जाने वाले श्रद्धालु वहां से चरणरज लाते थे। जांच के दौरान सूरजपाल बाबा के मंच से निकलकर हाईवे पार करने तक के वीडियो में भी ऐसा कुछ नहीं दिख रहा है। इसलिए चरणरज लेने की वजह से ये हादसा हुआ, ये नहीं कहा जा सकता। भीड़ पर जहरीला स्प्रे करने, साजिश रचने की बात नकारीरिपोर्ट के मुताबिक, सूरजपाल बाबा ने आयोग को भेजे शपथ पत्र में कहा था कि हाफ पैंट-टीशर्ट पहने 15-20 युवकों ने भीड़ पर जहरीला स्प्रे किया और भाग गए। दावा किया गया कि जहरीले स्प्रे से लोग गिरकर बेहोश होने लगे। जांच के वक्त उन्होंने इससे इनकार कर दिया और दूसरा शपथ पत्र दिया। इससे लगता है कि जहरीले स्प्रे की बात शपथ पत्र में लिखवाई गई थी। आयोग को दिए बयानों से साफ है कि ये तथ्य भरोसेमंद नहीं है। LIU ने एक दिन पहले ही कहा था- एक लाख लोग जुट सकते हैंदैनिक भास्कर के पास आयोग की रिपोर्ट के अलावा चार्जशीट भी है। इसमें लोकल इंटेलिजेंस यूनिट इंचार्ज इंस्पेक्टर सुमन लाटियान का बयान है। इसमें कहा गया है कि मुझे आयोजन के बारे में 30 जून, 2024 को पता चला था। 1 जुलाई की शाम मैंने हाथरस एसपी के कैंप कार्यालय में मौखिक रूप से भी जानकारी दी थी। तब 1 लाख लोग जुटने की आशंका जताई गई थी। कार्यक्रम में सूचना जुटाने के लिए हेड कॉन्स्टेबल नरेंद्र सिंह और गौरव कुमार की ड्यूटी लगाई थी। हेड कॉन्स्टेबल नरेंद्र सिंह ने बयान में कहा, 'मैं 2 जुलाई 2024 को सूरजपाल बाबा के कार्यक्रम में गया था। दोपहर 12:10 बजे तक सत्संग सही से चल रहा था। कार्यक्रम पूरा होने के बाद सूरजपाल बाबा निकल गए। फुलरई कट से उनकी गाड़ी मुड़ रही थी। उसी कट पर श्रद्धालुओं की भीड़ जुट गई।' 'बाबा को देखने और रज लेने की प्रथा के कारण भीड़ बढ़ती जा रही थी। बाबा के कमांडो, आयोजक, सेवादार दौड़ते हुए बाबा की गाड़ी निकालने के लिए रास्ता बना रहे थे। उनके हाथ में डंडे भी थे। वे उसी से धकियाते हुए लोगों को साइड कर रहे थे। भीड़ का दबाव ज्यादा होने की वजह से भगदड़ मच गई। लोग एक-दूसरे पर गिरते गए। फायर टेंडर से श्रद्धालुओं पर पानी का छिड़काव भी किया गया।' 'भगदड़ में घायल हुए लोगों को सिकंदराराऊ के हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। तब मोबाइल का नेटवर्क काम नहीं कर रहा था। कुछ दूर जाने पर नेटवर्क आया, तो मैंने प्रभारी को सूचना दी।' उनसे पूछा गया कि सत्संग खत्म होने के बाद हाफ पैंट-टीशर्ट पहने हुए लड़कों को स्प्रे करते हुए देखा था। नरेंद्र सिंह ने जवाब दिया- नहीं। मत्था टेकने सूरजपाल बाबा के आश्रम आ रहे भक्तसूरजपाल बाबा का आश्रम कासगंज के बहादुरनगर में है। ये जगह भगदड़ वाली जगह से करीब 26 किमी दूर है। भगदड़ के बाद भी आश्रम में श्रद्धालुओं का आना नहीं रुका। आश्रम की दीवारों पर जगह-जगह लिखा है कि यहां फोटोग्राफी या वीडियोग्राफी करना सख्त मना है। हम एक घंटा आश्रम के बाहर रुके। इस दौरान 40 से ज्यादा भक्त मत्था टेकने पहुंचे। आश्रम के एंट्री पॉइंट पर एक लाइन में कई हैंडपंप लगे हैं। हमने देखा कि कई महिलाएं आईं, हैंडपंप से पानी लिया और नारायण हरि साकार का नाम लेकर पी लिया। हमने इन महिलाओं से बात करने की कोशिश की, लेकिन वे तैयार नहीं हुईं। इतना जरूर कहा कि पानी पीने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। दिक्कतें दूर हो जाती हैं। आश्रम का गेट किसी महल की तरह है। गेट के अंदर खुला एरिया, फिर बड़ा सा किचन है। किचन में कुछ लोग खाने की तैयारी कर रहे थे। हमने एक सेवादार से पूछा कि क्या यहां सत्संग होता है? उसने बताया, ‘आखिरी बार नवंबर 2014 में हुआ था। श्रद्धालु बढ़े, तो फिर सत्संग बाहर ही होने लगे। यहां सत्संग नहीं होता, लेकिन श्रद्धालु आते हैं।’ ‘यहां दानपेटी नहीं है, न चंदा लिया जाता है। श्रद्धालु मर्जी से आते हैं, मत्था टेकते हैं, फिर चले जाते हैं। आश्रम में सेवादार ही रहते हैं। अभी यहां 70-80 सेवादार हैं।’ आश्रम के गेट के बगल में नारायण हरि साकार ट्रस्ट का स्कूल है। उसके बाद सूरजपाल उर्फ भोले बाबा के रहने की जगह है। यहां 24 घंटे सिक्योरिटी रहती है। किसी की एंट्री नहीं होती। हमने अंदर जाने की कोशिश की, लेकिन रोक दिया गया। विक्टिम फैमिलीभगदड़ में प्रियंका की मौत, उनका परिवार अब भी बाबा का भक्तबहादुरनगर से करीब आधा घंटा दूर गंज गुंदवाड़ा गांव है। हाथरस भगदड़ में मारी गईं प्रियंका इसी गांव से थीं। प्रियंका के घर उनकी मां राधा देवी मिलीं। वे बताती हैं, 'हमारे परिवार में हर महीने कोई-न-कोई बीमार पड़ जाता था। दवा से भी ठीक नहीं हो रहे थे। 7 साल पहले मेरे भाई बाबा के दर्शन करने बरेली जा रहे थे। मैं उनके साथ चली गई। बाबा से प्रभावित होकर फिरोजाबाद में अर्जी लगाई। इसके बाद घर में लोग ठीक होने लगे।' ‘दो साल पहले प्रियंका की तबीयत खराब हो गई थी। उस पर भूत चढ़ गया था। वो पूरे दिन जमीन पर लोटती रहती थी। बाबा घर आते थे। उन्होंने प्रियंका को ठीक कर दिया।' हमने पूछा- क्या प्रियंका के लिए इंसाफ चाहते हैं? राधा जवाब देती हैं, 'मैं अब भी अपने प्रभु जी का गुणगान करती हूं। उनकी पूजा करती हूं। ऐसे ही उनके दर्शन कर लेती हूं। जिनका समय आ गया था वे भगवान के पास चले गए। हम इसमें क्या इंसाफ मांगें।' ‘बाबा और उनके सेवादारों को सजा मिले’प्रियंका की फैमिली से मिलने के बाद हम कासगंज गए। हमारे पास मरने वालों की लिस्ट थी। नाम के सामने मोबाइल नंबर लिखे थे। हमने इन नंबरों पर कुछ लोगों से बात की। ज्यादातर लोगों ने बात नहीं की। इसी लिस्ट में आगरा के सिकंदरा की लक्ष्मी देवी का नाम था। उनके बेटे पवन ने हमसे बात की। पवन बताते हैं, ‘मेरी मां 5 साल से बाबा से जुड़ी थीं। मेरे परिवार को ये पसंद नहीं था। मोहल्ले की महिलाएं बाबा का सत्संग देखने जाती थीं। एक दिन मां भी चली गईं। तब से वो बाबा को फॉलो करने लगीं। मेरी फैमिली में कोई भी बाबा को नहीं पूजता।’ ‘मैंने मां को कई बार रोका। वो झगड़ा करने लगती थीं। हमारे घर में कोई बीमार नहीं था। ये मां की श्रद्धा थी। वो कभी बाबा को नहीं छोड़ती थीं। बाबा और सभी आरोपियों को सजा मिलनी चाहिए।' बाबा के वकील अब भी साजिश की बात पर कायमसूरजपाल बाबा की तरफ से दिल्ली के वकील डॉ. एपी सिंह केस लड़ रहे हैं। हमने उनसे पूछा कि आप भगदड़ के बारे में कोर्ट में क्या दलील दे रहे हैं? वे कहते हैं, 'हमने 80 हजार लोगों की परमिशन ली थी। मैरिज लॉन, स्टेडियम हो या क्लब, इनकी एक क्षमता होती है। हमारा कार्यक्रम खुले मैदान में था। आयोजन में कितने लोग आए, ये गिनने के लिए हमारे पास, पुलिस-फायर ब्रिगेड के पास कोई सिस्टम या मशीन नहीं थी। मेरा कहना है कि साजिश के तहत लोगों पर जहरीला स्प्रे किया गया। उन्हें मारा गया।‘ एक दिन पहले एक जुलाई को कुछ लोगों ने मुख्य आयोजक मधुकर को धमकी दी थी कि अगर उनके आदमी को समिति का अध्यक्ष नहीं बनाया तो आयोजन नहीं होने देंगे। उसी के बाद साजिश के तहत भगदड़ कराई गई। अभी कोर्ट में क्या चल रहा है? डॉ. एपी सिंह कहते हैं, ‘कोर्ट में पुलिस अफसरों का बयान होना है। हमने 1200 लोगों के एफिडेविट दिए हैं। पुलिसवालों ने तो कहा है कि हमारे सेवादारों ने ही अपने लोगों को मार दिया। ऐसा संभव नहीं कि कोई अपने ही भक्तों पर हाथ उठाए। नारायण साकार हरि तो अपनी गाड़ी से उतरे ही नहीं। पुलिस की चार्जशीट झूठी है। वे अपने को बचाना चाहते हैं।’ एक साल हो गए, सूरजपाल बाबा कब लोगों के बीच आएंगे? डॉ. एपी सिंह कहते हैं कि उनकी इच्छा होगी, तब वे खुद आएंगे। वे अभी कहां हैं। इस बारे में कुछ नहीं बता सकते।
‘इस साल यात्रा के लिए पिछले साल से काफी कम रजिस्ट्रेशन हुए हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह पहलगाम में हुआ आतंकी हमला है। लोग अपनी सेफ्टी को लेकर फिक्रमंद हैं। उत्तराखंड में हुए हेलिकॉप्टर हादसों ने भी लोगों के मन में डर पैदा कर दिया है।‘ राकेश कौल जम्मू-कश्मीर में सोशल एक्टिविस्ट हैं। वो भी इस साल अमरनाथ यात्रा पर जा रहे हैं। 22 अप्रैल को हुए पहलगाम हमले के बाद राकेश अपनी सेफ्टी को लेकर थोड़े चिंतित हैं, लेकिन उन्हें प्रशासन के सुरक्षा इंतजामों पर भरोसा भी है। अमरनाथ यात्रा 3 जुलाई से शुरू हो रही है। 38 दिनों की ये यात्रा 9 अगस्त यानी रक्षाबंधन तक चलेगी। इसके दो अलग-अलग रूट हैं। एक पहलगाम बेस कैंप से और दूसरा बालटाल बेस कैंप से अमरनाथ गुफा तक जाता है। यात्रा के लिए जम्मू से पहला जत्था 2 जुलाई यानी आज निकल रहा है। फिर 3 जुलाई को पहलगाम और बालटाल से बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए अमरनाथ की यात्रा शुरू होगी। पिछले साल 5 लाख से ज्यादा श्रद्धालु अमरनाथ यात्रा पर पहुंचे थे। हालांकि इस साल अब तक सिर्फ सवा 3 लाख लोगों ने ही रजिस्ट्रेशन कराया है। आप भी अमरनाथ यात्रा पर जाना चाहते हैं और मन में कई सवाल उठ रहे हैं, जैसे- यात्रा कैसे और कहां से शुरू करें, कितने दिन की छुट्टी लें, कहां से बुकिंग करें, यात्रा के लिए रूट क्या होगा, वहां रुकने के इंतजाम और टोटल कितना खर्च होगा? सुरक्षा के क्या इंतजाम होंगे? अमरनाथ यात्रा शुरू होने से पहले हम जम्मू-कश्मीर पहुंचे। हमने रजिस्ट्रेशन से लेकर रुकने तक के इंतजाम देखे। यात्रा को लेकर हमने कश्मीर के टूर एंड ट्रैवल्स ऑपरेटर्स और सुरक्षा से लेकर तमाम इंतजाम देख रहे अफसरों से भी हालात समझे। अमरनाथ यात्रा से जुड़े अपने सभी सवालों के जवाब के लिए पूरी खबर पढ़िए… सबसे पहले अमरनाथ यात्रा के दोनों रूट जान लीजिएअमरनाथ गुफा तक पहुंचने के दो रास्ते हैं। एक रास्ता पहलगाम से शुरू होता है और दूसरा बालटाल से। इनकी अपनी खासियतें और चुनौतियां हैं। पहलगाम वाला रूट 48 किलोमीटर लंबा है। इसमें चढ़ाई कम है इसलिए इसे आसान माना जाता है। हालांकि ये रूट लंबा है। इस रूट से यात्रा करने में 3 से 5 दिन लग जाते हैं। ये पारंपरिक रूट है। श्रीनगर से 92 किमी दूर पहलगाम बेस कैंप से शुरू होता है। सबसे ज्यादा भीड़ इसी रूट पर रहती है। दूसरा रूट श्रीनगर से 95 किमी दूर बालटाल से शुरू होता है। इस रूट पर सिर्फ 14 किमी की चढ़ाई तय कर श्रद्धालु गुफा तक पहुंच जाते हैं। यात्रा में 1 से 2 दिन लगते हैं। ये रास्ता छोटा जरूर है, लेकिन खड़ी चढ़ाई होने की वजह से जोखिम भरा माना जाता है। यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन जरूरीयात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है। लिहाजा सबसे पहले आपको यात्रा का कोई एक रूट चुनना होगा। ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से रजिस्ट्रेशन हो रहे हैं। रजिस्ट्रेशन के लिए क्या प्रोसेस है, पहले वो समझ लेते हैं… ऑनलाइन रजिस्ट्रेशनये एक आसान और सुविधाजनक तरीका है। इसे श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड (SASB) की ऑफिशियल वेबसाइट (jksasb.nic.in) से किया जा सकता है। रजिस्ट्रेशन 14 अप्रैल 2025 से शुरू हो चुका है। एक में 15,000 रजिस्ट्रेशन हो सकते हैं। इसके लिए आईडी कार्ड जैसे-आधार, पासपोर्ट, वोटर आईडी या पैन कार्ड, पासपोर्ट साइज फोटो और कम्पलसरी हेल्थ सर्टिफिकेट (CHC) देना जरूरी है। हेल्थ सर्टिफिकेट 8 अप्रैल 2025 या उसके बाद जारी हो। रजिस्ट्रेशन के बाद जम्मू या कश्मीर में बने सेंटर्स से RFID कार्ड लेना होगा, जिसके लिए बायोमेट्रिक eKYC वेरिफिकेशन होगा। इस कार्ड के बिना एक्सेस कंट्रोल गेट्स से नहीं गुजर सकते। ऑफलाइन रजिस्ट्रेशनश्रद्धालुओं के पास ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन का भी विकल्प है। 30 जून से ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन शुरू हो गए हैं। इसके लिए देशभर में 533 से ज्यादा बैंक शाखाएं तय की गई हैं। इनमें पंजाब नेशनल बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, जम्मू-कश्मीर बैंक और यस बैंक की शाखाएं शामिल हैं। जम्मू पहुंचकर भी ऑफलाइन टोकन लिया जा सकता है। जम्मू में कुल 5 जगहों पर तत्काल रजिस्ट्रेशन काउंटर बनाए गए हैं। इनमें रेलवे स्टेशन के पास, सरस्वती धाम, वैष्णवी धाम और पंचायत भवन महाजन शामिल हैं। भगवती नगर बेस कैंप में सिर्फ साधु-संतों के लिए स्पेशल रजिस्ट्रेशन सेंटर है। ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए भी वही डॉक्यूमेंट्स लगेंगे, जो ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन में लगते हैं। जम्मू में टोकन लेने के बाद तय सेंटर पर मेडिकल सर्टिफिकेट और बाकी डॉक्यूमेंट्स जमा कर रजिस्ट्रेशन प्रोसेस पूरा किया जा सकता है। भारतीय नागरिकों के लिए ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन फीस प्रति व्यक्ति 120 रुपए और ऑनलाइन की फीस प्रति व्यक्ति 220 रुपए है। रजिस्ट्रेशन के बाद जम्मू आने वाले श्रद्धालु भगवती नगर बेस कैंप से जत्थों के साथ तय रूट के लिए निकल सकेंगे। फिर 3 जुलाई को अमरनाथ गुफा के लिए ट्रैकिंग शुरू करेंगे। यात्रा में कितना खर्च होगा और रहने के क्या इंतजामअगर आप दिल्ली से सफर शुरू कर रहे हैं और 14 किलोमीटर वाले बालटाल रूट से अमरनाथ यात्रा कर रहे हैं। तब कुल खर्च 15,000-20,000 रुपए प्रति व्यक्ति आ सकता है। 48 किलोमीटर वाले पहलगाम रूट पर सफर लंबा है। इसलिए इस रूट से यात्रा करने पर 20,000-25,000 रुपए तक का खर्च आ सकता है। इसमें दिल्ली से बालटाल या पहलगाम पहुंचने, होटल में रुकने और खाने पीने का खर्च शामिल है। इसके अलावा गुफा तक ट्रैकिंग के दौरान पालकी या पोनी लेने का खर्च अलग से देना होगा। पोनी या पालकी के लिए आपको 2,000 से 5,000 रुपए तक खर्च करने पड़ सकते हैं। पहलगाम और बालटाल में ठहरने के लिए श्राइन बोर्ड ने टेंट की व्यवस्था कर रखी है। इसका किराया 500 रुपए से शुरू होता है, जबकि लंगरों में खाना फ्री है। अगर आप यात्रा की डेट से पहले पहुंच रहे हैं तो जम्मू या श्रीनगर में होटल लेकर रुक सकते हैं क्योंकि बेस कैंप में आपको तय डेट पर ही एंट्री मिलेगी। 139 लंगरों में तीर्थयात्रियों को मिलेगा फ्री खाना इस साल जम्मू-कश्मीर के एंट्री गेट लखनपुर से लेकर अमरनाथ गुफा तक करीब 139 लंगर बनाए गए हैं। इन लंगरों में तीर्थयात्रियों को मुफ्त में खाना मिलेगा। पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों के लंगर संगठन इस बार रसोई बना रहे हैं। इसके अलावा जम्मू के भगवती नगर बेस कैंप में 5 लंगर, जम्मू-पठानकोट और जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्गों पर लगभग 50 लंगर होंगे। श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने लंगर संगठनों के लिए खाने का मेन्यू भी तय किया है। पहलगाम हमले के बाद रजिस्ट्रेशन की संख्या घटीयात्रा के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन 14 अप्रैल 2025 से शुरू हुआ। शुरू के 6 दिनों में ही 2.36 लाख लोगों ने रजिस्ट्रेशन करा लिया था। 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम हमले के बाद रजिस्ट्रेशन की रफ्तार घट गई। उसके बाद 30 जून तक 3.50 लाख लोगों ने ही रजिस्ट्रेशन कराया है। 2024 में 5.12 लाख श्रद्धालुओं ने यात्रा की थी। पिछले 12 साल में ये संख्या सबसे ज्यादा थी। इस साल 20% कम रजिस्ट्रेशन हुआ है। वहीं, जिन 2.36 लाख लोगों ने 22 अप्रैल से पहले रजिस्ट्रेशन कराया था, उनमें से अब तक सिर्फ 85,000 लोगों ने यात्रा की प्रॉसेस पूरी की है। सोशल एक्टिविस्ट राजेश कौल बताते हैं कि पहलगाम हमले की वजह से लोग डर रहे हैं। हालांकि यात्रा के लिए पहलगाम रूट को वो आस्था के लिहाज से सबसे अहम बताते हैं। वे कहते हैं, ‘पहलगाम वाला रूट पारंपरिक और हजारों साल पुराना है।’ LG बोले- पहलगाम हमले ने रजिस्ट्रेशन पर असर डाला जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा भी यात्रा में घटी श्रद्धालुओं की संख्या को पहलगाम हमले का असर मानते हैं। वे कहते हैं, ‘पिछले साल 5.12 लाख से ज्यादा तीर्थयात्रियों ने रिकॉर्ड तोड़ा था। इस साल पहलगाम आतंकी हमले के बाद रजिस्ट्रेशन में कमी आई है। इसमें कोई शक नहीं कि आतंकी घटना ने जम्मू-कश्मीर का माहौल प्रभावित किया है।’ ‘हालांकि मुझे उम्मीद है कि यात्रा का सफल आयोजन लोगों का भरोसा बहाल करेगा और हालात सुधरेंगे। हमने सुरक्षा के लिहाज से मल्टी-लेयर सिक्योरिटी के इंतजाम किए हैं। इसमें जम्मू-कश्मीर पुलिस, केंद्रीय अर्धसैनिक बल और सेना मिलकर काम कर रहे हैं।‘ फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम, भगदड़ से निपटने का भी इंतजामयात्रा में सुरक्षा की जिम्मेदारी कश्मीर जोन के IG वीके बिरधी संभाल रहे हैं। वे भरोसा जताते हुए कहते हैं, ‘यात्रा के लिए मल्टी-लेयर सिक्योरिटी है। जम्मू-कश्मीर पुलिस, केंद्रीय अर्धसैनिक बल और सेना के अलावा अतिरिक्त सुरक्षा बलों की भी तैनाती की गई है।‘ गृह मंत्रालय ने यात्रा के रूट और आसपास के इलाकों की बड़े पैमाने पर अर्धसैनिक बलों की तैनाती मंजूर की है। जम्मू-कश्मीर प्रशासन और पुलिस को क्षेत्र में पहले से मौजूद 156 केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) कंपनियों के इस्तेमाल की परमिशन दी गई है। इस बार यात्रा में मॉडर्न तकनीक का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। यात्रा के दौरान भगदड़ से बचने के लिए श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने RFID कार्ड को अनिवार्य किया है। इसके जरिए हर यात्री की गिनती और लोकेशन ट्रैक की जाती है। IG बिरधी ने कहा, ‘हमने फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम और अन्य गैजेट्स का इस्तेमाल किया है। इसमें कानून तोड़ने वाले और शरारती तत्वों का डेटाबेस फीड है। अगर ऐसा कोई व्यक्ति यात्रा के दौरान कहीं दिखता है, तो सिस्टम तुरंत अलर्ट जारी करता है, ताकि उसे पकड़ सकें।‘ ‘साथ ही हाई-राइज सर्विलांस सिस्टम और अन्य तकनीकी उपकरणों की मदद से पूरे इलाके पर कड़ी नजर रख रहे हैं। ताकि किसी भी खतरे का तुरंत जवाब दिया जा सके।‘ श्रद्धालुओं से निजी गाड़ियों से यात्रा न करने की अपील जम्मू जोन के IG भीम सेन तूती ने बताया कि पहलगाम हमले के बाद सुरक्षा को और मजबूत किया गया है। उधमपुर में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों के खिलाफ चल रहे अभियान से भी यात्रा मार्ग को सुरक्षित रखने में मदद मिल रही है। IG बताते हैं, ‘इस बार 40,000 से ज्यादा जवान, हाई-डेफिनेशन सीसीटीवी कैमरे, चेहरा पहचानने वाला सिस्टम (FRS) और ड्रोन तैनात किए गए हैं। मेडिकल और आपदा प्रबंधन की सुविधाएं भी हर कदम पर मौजूद हैं।‘ उन्होंने यात्रियों से काफिले में यात्रा करने और निजी गाड़ियों का इस्तेमाल न करने की सलाह दी है। वहीं, गांदरबल के SSP खलील पोसवाल ने यात्रियों से अपील करते हुए कहते हैं, ‘सभी तय टाइमिंग का पालन करें। सुरक्षा नीतियों के अनुसार चलें। अकेले या एकांत में मूवमेंट करने से बचें। लोकल ड्राइवरों के कहने पर सुनसान रूट्स से न जाएं क्योंकि वहां जोखिम ज्यादा है।‘ SSP पोसवाल ने सुरक्षा कारणों से पर्यटकों को सिंध नदी के किनारे जाने से बचने की सलाह दी है। अमरनाथ यात्रा के टूरिज्म पैकेज पर पिछले साल से 50% की छूटअमरनाथ यात्रा के लिए जम्मू कश्मीर में टूरिज्म पैकेज भी हैं। राज्य टूरिज्म एसोसिएशन के पूर्व प्रेसिडेंट फारुख कुथु बताते हैं, ‘पहलगाम हमले के बाद काम हल्का है, इसलिए ज्यादातर पैकेज पर इस बार 50% तक छूट है।‘ ‘हाई-एंड और मिडिल-सेगमेंट होटलों का बिजनेस कम हुआ है, क्योंकि ज्यादातर यात्री बजट होटल या टेंट में रुकते हैं। हम उम्मीद कर रहे थे कि इस बार रिकॉर्ड बनेगा, लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हुआ। हेलिकॉप्टर सेवाएं बंद होने से भी बुजुर्ग और अमीर वर्ग के यात्री कम आए हैं। ‘ मेक माय ड्रीम टूर एंड ट्रैवल चलाने वाले समीर बताते हैं, ‘अमरनाथ यात्रा के पैकेज में गाड़ी, होटल और खाना शामिल रहता है। जम्मू से 3-4 दिन का पैकेज प्रति व्यक्ति 17,000 रुपए से शुरू होता है, जो पहलगाम और बालटाल दोनों रूट के लिए एक जैसा है। यात्रियों को रजिस्ट्रेशन और मेडिकल सर्टिफिकेट खुद जमा करना होता है।‘ ‘हेलिकॉप्टर सेवा ना लेने वालों को बेस कैंप में टेंट में रुकना पड़ता है, जबकि हेलिकॉप्टर से यात्रा करने वाले उसी दिन पहलगाम या सोनमर्ग में रात रुक सकते हैं। हालांकि इस बार हेलिकॉप्टर की सेवा नहीं है।‘ तीर्थयात्री अपनी सेहत का खास ध्यान रखेंयात्रा से पहले तीर्थयात्रियों को अपनी फिजिकल हेल्थ और मेंटल हेल्थ पर खास ध्यान देना है। अमरनाथ गुफा 3,888 मीटर की ऊंचाई पर है, जहां ऑक्सीजन लेवल कम हो जाता है। ठंड भी ज्यादा होती है। इसलिए यात्रा से 2-3 सप्ताह पहले से रोजाना 4-6 किमी पैदल चलें और प्राणायाम करें, ताकि सेहत दुरुस्त रहे। वहीं सफर के लिए गर्म कपड़े जैसे- थर्मल इनर, जैकेट, दस्ताने, ट्रैकिंग वाले जूते, रेनकोट, टॉर्च और जरूरी दवाइयां साथ रखें। ऊंचाई पर होने वाली शारीरिक दिक्कतें जैसे- सिरदर्द, जी मचलने के लक्षण दिखने पर तुरंत मेडिकल हेल्प लें। यात्रा के रूट में हर 2 किमी पर मेडिकल सुविधाओं का इंतजाम किया गया है। .......................... ये खबर भी पढ़ें... अमरनाथ के लिए जम्मू में ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन शुरू अमरनाथ यात्रा 3 जुलाई से शुरू होगी। इसके लिए सभी इंतजाम लगभग पूरे हो गए है। इस साल अब तक करीब 3.5 लाख श्रद्धालु रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं। जिन श्रद्धालुओं ने अभी तक ऑनलाइन पंजीकरण नहीं कराया है, उनके लिए जम्मू में ऑफलाइन पंजीकरण सोमवार से शुरू हो गया है। हर सेंटर पर रोजाना सिर्फ दो हजार श्रद्धालुओं का ही रजिस्ट्रेशन किया जाएगा। पढ़िए पूरी खबर....
DNA: तुर्किये में 'शार्ली एब्दो' जैसा कार्टून...अल्लाह हू अकबर से गूंज उठा इस्तांबुल
DNA Analysis:भारत के बंकर बस्टर वाला प्लान सिर्फ चीन और पाकिस्तान को ही नहीं तुर्किये को भी परेशान कर रहा होगा. वैसे, तुर्किये के लिए एक और बड़ी परेशानी खड़ी हो गई है और इस परेशानी की वजह है पैगंबर का एक कार्टून.
israel iran war: इजरायल और ईरान के संबंधों में ऊपरी तौर पर तो शांति दिख रही है, लेकिन अंदरखाने में बड़ा खेल चल रहा है. ईरान के 'दोस्तों' में अब इजरायल को अपने लिए 'संभावनाएं' दिख रही हैं.
वो क्या था! समंदर में अचानक दिखा सैकड़ों फीट ऊंचा दानव, लोगों की हलक में अटकी जान; वीडियो वायरल
Roll Cloud in portugal:पुर्तगाल के समुद्र तट पर डराने वाला मौसम का नज़ारा देखने को मिला.सैकड़ों लोग जो बीच पर धूप का आनंद ले रहे थे, वे इस नजारे को देखकर हैरान रह गए. चलिए जानते हैं आखिर ये क्या था?
Israel News: यरूशलम के सुप्रीम कोर्ट से एक बड़ी खबर सामने आ रही है. यहां पर एक अहम सुनवाई के दौरान तनावपूर्ण माहौल देखने को मिला. मामला इजरायल की सुरक्षा एजेंसी शिन बेट के नए प्रमुख की नियुक्ति से जुड़ा था.
तंग कपड़े, हाई हील्स और कातिलाना मूव्स... रेस्टोरेंट है या कोठा? महिलाओं के डांस पर मचा बवाल
Korea Dance Video: सोशल मीडिया पर डांस के एक वीडियो ने हड़कंप मचा दिया है, कहने को तो यह वीडियो रेस्टोरेंट का है लेकिन कुछ लोग इसका विरोध करते हुए इसकी तुलना कोठे से कर रहे हैं.
कट्टरपंथियों के मुंह पर तमाचा! दो तिहाई मुस्लिम आबादी वाले इस मुल्क में बुर्का-हिजाब पहनने पर बैन
पाकिस्तान, इंडोनेशिया-मलेशिया से लेकर ईरान तक तमाम इस्लामिक देशों में मुस्लिम महिलाओं के लिए हिजाब या बुर्का पहनने का आदेश तो आपने खूब सुना होगा. लेकिन एक ऐसा मुस्लिम देश भी है, जिसने कट्टरपंथियों के मुंह पर तमाचा जड़ा है. इस देश का नाम है कजाकिस्तान.
सिर्फ एक शब्द ने छीन ली पीएम की कुर्सी...थाईलैंड की खूबसूरत नेता को क्यों होशियारी पड़ी भारी
Thailand News: प्रधानमंंत्री और मंत्रियों का पद बेहद जिम्मेदारी भरा होता है, पद एवं गोपनीयता की शपथ का पालन करने के साथ उन्हें संवैधानिक दायित्वों के प्रति बेहद सजग रहना पड़ता है. थाईलैंड की प्रधानमंत्री को एक भूल के कारण पद गंवाना पड़ा है.
We not afraid of Pakistan nuclear threat:अमेरिका की धरती पर भारन ने ऐसी हुंकार भरी है, जिसे सुनकर पाकिस्तान अब दोबारा आतंकी हमला करने के लिए सौ बार सोचेगा.एस. जयशंकर ने साफ-साफ शब्दों में कह दिया है कि भारत ना तो परमाणु धमकी से डरता है और ना ही आतंकवाद को बर्दाश्त करेगा. जानें पूरी खबर जिससे पढ़करट्रंप हक्का-बक्का रह जाएंगे.
How did Pakistan get picked to lead the UN Security Council?:पाकिस्तान जबसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की अध्यक्षता संभाली है. तभी से सभी के जेहन में एक बात यह है कि आखिर पाकिस्तान को यह पद कैसे मिल गया. इससे आने वाले दिनों मेंभारत के लिए क्या नुकसान है.UNSC की अध्यक्षता के बाद अब पाकिस्तान के पास कितनी ताकत होगी, जानें पूरी कहानी.
गाजा में जल्द होगा सीजफायर! नेतन्याहू और ट्रंप की मीटिंग ने जताई उम्मीद, अगले हफ्ते करेंगे बैठक
Netanyahu US Visit: इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू जल्द अमेरिका की यात्रा करने वाले हैं. इस दौरान वह अमेरिकी राष्ट्रपति से मुलाकात करेंगे. माना जा रहा है कि इस मुलाकात के बाद इजरायल-हमास के बीच युद्धविराम हो सकता है.
घट रही भारत-अमेरिका के बीच खटास? जल्द होगा व्यापार समझौता, व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव का दावा
India America Relation: हाल ही में व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी कैरोलिन लेविट ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौता करीब है और यह जल्द होने की उम्मीद है.
ये कर्ज की गुलामी है...मस्क ने फिर राष्ट्रपति ट्रंप पर निकाली भड़ास, नई पार्टी बनाने का ऐलान
टेस्ला के चीफ एलन मस्क और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच थोड़े वक्त तक संघर्षविराम के बाद दोबारा जुबानी जंग देखने को मिली है. एलन मस्क ने ट्रंप सरकार के बिग ब्यूटीफुल बिल की फिर आलोचना की है और इसके पारित होते ही नई पार्टी बनाने की धमकी दी है.
Harvard University Controversy: अमेरिका की ट्रंप सरकार ने विश्व प्रसिद्ध हार्वर्ड यूनिवर्सिटी पर यहूदी और इजरायली छात्रों के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया.
क्या आप जानते हैं कि हमारे फोन में सोना होता है? अब साइंटिस्ट्स ने इसे निकालने का नया तरीका निकाला है, तो क्या घर पर भी फोन या लैपटॉप से अलग कर पाएंगे सोना? जानने के लिए इमेज पर क्लिक कर वीडियो देखें।
‘मैंने 15 साल से बहन को नहीं देखा। हर दिन उसकी याद आती है। एक साथ बचपन बिताया, एक ही आंगन में खेले, लेकिन आज वो कहां है, किस हाल में है, कुछ नहीं जानता। 2011 में दीदी घर से कॉलेज के लिए निकली थीं, लेकिन लौटीं नहीं। उन्हें फिरोजाबाद से लेकर आगरा तक खोजा। टुंडला पुलिस से शिकायत की। मुख्यमंत्री पोर्टल IGRS पर 29 बार शिकायत की, लेकिन अब तक पता नहीं चल सका।‘ ‘दुख इस बात का है कि फिरोजाबाद पुलिस मेरी दीदी को तो नहीं तलाश पाई, उलट उसे शादीशुदा बताकर पति और बच्चों का पता दे दिया। अगर पुलिस मेरी बहन के बारे में इतना सब कुछ जानती है, तो उन्हें सामने क्यों नहीं लाती? अगर ऐसा ही चलता रहा तो मेरे सामने खुदकुशी करने के सिवा दूसरा रास्ता नहीं बचेगा।’ फिरोजाबाद के रहने वाले अंकित देशवार लापता बहन अनुपम को याद कर भावुक हो जाते हैं। वे यूपी पुलिस में कॉन्स्टेबल हैं। अंकित आरोप लगाते हैं कि फिरोजाबाद पुलिस ने जानबूझकर मामला अटका रखा है। जब उन्होंने पुलिस की नाकामी पर सवाल उठाए तो उन्हें एक महीने के लिए कानपुर देहात में ड्यूटी से सस्पेंड कर दिया गया। अंकित के पिता योगेंद्र सिंह डिप्रेशन की हालत में भी इकलौती बेटी को तलाशते रहे, लेकिन कई साल बीतने के बाद भी उनकी रिपोर्ट तक दर्ज नहीं की गई। 12 अगस्त 2023 के IGRS पर 16 जून 2025 को पहली बार गुमशुदगी का मामला दर्ज हुआ है। हालांकि फिरोजाबाद पुलिस लापता अनुपम के ना मिलने की वजह उसके परिवार की लापरवाही को मान रही है। पुलिस के मुताबिक, जब लड़की 2011 में गायब हुई तो उसकी शिकायत 2023 में क्यों दर्ज करवाई गई। इतने साल तक परिवार चुप क्यों रहा। पूरे मामले को जानने के लिए दैनिक भास्कर फिरोजाबाद और कानपुर पहुंचा। हमने पुलिस अधिकारियों और कॉन्स्टेबल अंकित से बात की और पूरा केस समझा। शुरुआत उस दिन से जब अनुपम अचानक गायब हो गई…मां की मौत ने पूरे परिवार को तोड़ दियाफिरोजाबाद में टुंडला का वैशालीपुरम मोहल्ला। योगेंद्र सिंह पत्नी सुमन, दो बच्चों अनुपम और अंकित के साथ यहीं रहते थे। CRPF में दरोगा पद से रिटायर योगेंद्र दोनों बच्चों की पढ़ाई को लेकर बहुत फिक्रमंद रहते थे। वो अनुपम को इंजीनियर और अंकित को पुलिस अधिकारी बनाना चाहते थे। लिहाजा, 12वीं के बाद उन्होंने बेटी का एडमिशन आगरा की डॉ. भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी में करवाया। अनुपम यहीं से कम्प्यूटर साइंस में बीटेक कर रही थी। अंकित टुंडला में ही स्कूली पढ़ाई पूरी कर रहा था। अंकित कहते हैं, ‘हमारी लाइफ एक सामान्य मिडिल क्लास फैमिली की तरह अच्छी चल रही थी। 2009 में मां के अचानक निधन के बाद पूरा परिवार टूट गया। पापा अकेले परेशान रहने लगे। इसी बीच उनका एक्सीडेंट हो गया, उनके सिर पर काफी चोट लगी थी।’ एक्सीडेंट के बाद पापा का दिमागी संतुलन बिगड़ने लगा और वो डिप्रेशन में चले गए। उनका ट्रीटमेंट आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज में हुआ। जहां डॉक्टरों ने उन्हें कम्प्लीट बेड रेस्ट के लिए बोला। ’मां की मौत और पापा की हालत देखकर दीदी भी सीरियस रहने लगी थीं। उनका बीटेक का 2 साल पूरा हो गया था। 2011 में उनका फाइनल सेमेस्टर चल रहा था। वो रोज की तरह कॉलेज के लिए निकलीं, लेकिन घर नहीं लौटीं। मैं उस वक्त बहुत छोटा था। मैंने कॉलेज और घर के आसपास उन्हें बहुत तलाशा, लेकिन कुछ पता नहीं चला।’ ’पापा उस वक्त थाने जाकर शिकायत दर्ज करवाने की कंडीशन में नहीं थे। इस वजह से दीदी की गुमशुदगी का केस दर्ज नहीं हो पाया।’ 2016 में शिकायत करने पहुंचे, दरोगा ने बिना एप्लिकेशन लिए भगाया2011 से 2015 तक योगेंद्र मानसिक संतुलन ठीक न रहने के कारण घर पर ही थे। बेटा अंकित पढ़ाई के साथ-साथ उनकी देखभाल कर रहा था। 2016 में जब योगेंद्र की तबीयत थोड़ी बेहतर होने लगी तब वे टुंडला थाने में बेटी अनुपम के गुमशुदा होने की शिकायत दर्ज करवाने पहुंचे। वहां दरोगा ने उनकी एप्लिकेशन लिए बगैर उन्हें भगा दिया। अंकित कहते हैं, ‘2017 तक पापा पूरी तरह ठीक तो नहीं हुए थे, लेकिन थोड़ा बहुत चलने-फिरने लगे थे। 12वीं के बाद मैं दिल्ली चला गया। घर की आर्थिक हालत ठीक नहीं थी इसलिए वहीं सेवा हॉस्पिटल नर्सिंग होम में 1500 रुपए की जॉब भी करने लगा। इन्हीं पैसों से मैंने सरकारी नौकरी की तैयारी की। 2020 में उत्तर प्रदेश पुलिस कॉन्स्टेबल भर्ती में मेरा सिलेक्शन हो गया।’ ’यूपी पुलिस में सिलेक्शन के बाद एक साल तक ट्रेनिंग पूरी की। 2022 में घर जाकर धीरे-धीरे सब कुछ संभालना शुरू किया। पापा ने मुझे घर के जरूरी कागज और जमीन जायदाद के बारे में बताया। इसी बीच मुझे बहन, मम्मी और पापा के नाम पर ली गईं LIC पॉलिसी के डॉक्युमेंट्स मिले। मैंने पापा से दीदी की गुमशुदगी की रिपोर्ट के बारे में पूछा। तब पता चला कि वो रिपोर्ट लिखवाने थाने गए थे, लेकिन लिखी नहीं गई।’ तब अंकित ने पिता को भरोसा दिलाया कि अब तक भले ही मामला दर्ज न हुआ हो, लेकिन अब वो खुद पुलिस विभाग में है इसलिए वो थाने जाकर FIR दर्ज करवाएगा। टुंडला थाने में इंस्पेक्टर साहब ने बदतमीजी की, FIR भी नहीं कीअंकित फिरोजाबाद पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहते हैं, ‘अक्टूबर 2022 में मैं पापा के साथ बहन की शिकायत दर्ज करवाने पहली बार टुंडला थाने पहुंचा। वहां इंस्पेक्टर साहब ने बहुत बदतमीजी से बात की और FIR दर्ज करने से मना कर दिया। इस रवैये से परेशान होकर मैंने फिरोजाबाद CO अनिवेश सिंह को एप्लिकेशन दिया। उन्होंने एप्लिकेशन रख ली, लेकिन FIR दर्ज नहीं की।‘ ‘जब एक साल तक मामला दर्ज नहीं हुआ तो मैंने कानपुर में अपने सीनियर अफसरों से बात की। उन्होंने मुझे मुख्यमंत्री पोर्टल में ऑनलाइन IGRS शिकायत दर्ज करने की सलाह दी। इसके बाद अक्टूबर 2023 से अगस्त 2024 तक मैंने 28 बार IGRS एप्लिकेशन फाइल की। इसमें से एक एप्लिकेशन पर 20 अगस्त 2024 को फिरोजाबाद पुलिस ने जवाब दिया।‘ पुलिस ने अपनी रिपोर्ट नंबर (40014724012567) में बताया कि मेरी बहन अनुपम ने 8 साल पहले विपिन नाम के व्यक्ति से शादी कर ली है। रिपोर्ट में विपिन का पता बताया गया। मुझे लगा कि 14 साल बाद बहन से मिलूंगा। मैं पुलिस के बताए पते पर आगरा में विपिन के घर पहुंचा। वहां पता चला कि मेरी बहन से विपिन का कोई संबंध नहीं है। ‘विपिन ने बताया कि वो अनुपम नाम की किसी भी लड़की को जानता तक नहीं है। इसके बाद भी मुझे यकीन नहीं हुआ तो मैंने विपिन के बच्चों का बर्थ सर्टिफिकेट देखा। उसमें भी मां का नाम अनुपम नहीं लिखा था। सर्टिफिकेट पर बच्चों की जो उम्र लिखी गई थी, उस हिसाब से वो 12 साल के थे। जबकि फिरोजाबाद पुलिस का कहना था कि मेरी बहन की 8 साल पहले शादी हुई थी। यहीं पुलिस का झूठ पकड़ लिया गया, जब शादी को 8 साल हुए, तो 12 साल के बच्चे कैसे हो गए।‘ अंकित के मुताबिक, रिपोर्ट झूठी साबित होने के बाद उन्होंने फिरोजाबाद पुलिस से दोबारा जवाब मांगा कि अगर उनकी रिपोर्ट सही है तो वे अनुपम, उसके पति और बच्चों को सबके सामने लाएं। बहन के लिए लड़ाई लड़ी तो नौकरी से सस्पेंड कियाअंकित कहते हैं, ‘अनुपम की गुमशुदगी को लेकर 2 साल तक कोई सुनवाई नहीं हुई। दरोगा से लेकर SP तक कोई मेरी बात नहीं सुन रहा था। इन सब से परेशान होकर मैंने सितंबर 2024 में फिरोजाबाद पुलिस के खिलाफ एक ट्वीट किया। मैंने लिखा- ‘उप-निरीक्षक टुंडला विवेक की ओर से मेरी बहन के नकली पति और दो बच्चियां पैदा कर दी गईं। दरोगा साहब के साथ मिलकर झूठी रिपोर्ट लगाई जा रही है।‘ ‘फिरोजाबाद पुलिस के खिलाफ मेरी इस पोस्ट को लेकर 17 सितंबर 2024 को कानपुर पुलिस विभाग से मुझे सस्पेंड कर दिया गया। मेरी 20 हजार रुपए सैलरी काट दी गई। सस्पेंशन के दौरान मैं डिप्रेशन में चला गया। मैंने परेशान होकर अफसरों से कहा कि जांच मेरी बहन की होनी चाहिए थी, लेकिन मुझ पर ही बैठा दी गई।’ ’अब मुझे जीने का कोई अधिकार नहीं है। मैं आत्महत्या करने जा रहा हूं। मैंने यूपी DGP से न्याय की मांग की। तब 17 अक्टूबर 2024 को मेरा सस्पेंशन बहाल किया गया।’ लापता बहन के पैसे LIC एजेंट ने हड़प लिएअंकित के मुताबिक, 2005 में उनके पिता ने मां सुमन, बहन अनुपम और उनके नाम पर LIC की पॉलिसी ली थी। मां के निधन के बाद उन्होंने उनके अकाउंट से सारा जमा पैसा निकाल लिया, लेकिन रोड एक्सीडेंट में उनका मानसिक संतुलन बिगड़ गया था। इसी बीच बहन अनुपम भी लापता हो गई। पिता न गुमशुदगी की शिकायत दर्ज करवा सके और न ही उसकी पॉलिसी में जमा पैसे निकलवा सके। इसी बात का फायदा उठाकर LIC एजेंट्स ने अनुपम की पॉलिसी का सारा पैसा गलत तरीके से दूसरे खाते में ट्रांसफर करवा लिया। अंकित कहते हैं, ‘2015 में मेरी और बहन की पॉलिसी मेच्योर हो चुकी थी, लेकिन पापा की हालत ठीक नहीं थी। इस वजह से पॉलिसी में जमा पैसे नहीं निकाले। इसी बीच LIC एजेंट रामनिवास घर आए। उन्होंने पापा को बहकाया कि वो उनका पैसा निकलवा देंगे। वो पापा से अनुपम का LIC बॉन्ड पेपर लेकर चले गए। उस वक्त मेरी बहन के पॉलिसी में जमा राशि 9400 से 1 लाख रुपए के बीच थी।‘ ‘2023 में जब मैंने बहन की पॉलिसी के बारे में जानने के लिए LIC टुंडला ब्रांच से कॉन्टैक्ट किया। तब LIC ने मार्च 2024 में बताया कि 2017 में ये राशि आगरा के रहने वाले विपिन कुमार को अनुपम का पति बताकर उनकी दोनों बेटियों पायल कुमारी और वैष्णवी कुमारी के नाम पर ट्रांसफर कर दिया गया। जब इस मामले में मेरी मुलाकात विपिन से हुई तो ये बात झूठ निकली। इससे LIC के एजेंटों और अधिकारियों का फर्जीवाड़ा सामने आ गया।‘ LIC एजेंटों पर बहन की हत्या करवाने का शकअंकित को शक हुआ कि कहीं LIC के एजेंटों और अधिकारियों ने अनुपम के नाम का गलत इस्तेमाल कर सारा पैसा किसी दूसरी महिला के नाम ना करवा दिया हो क्योंकि बिना अनुपम की मौजूदगी के ये पैसा ट्रांसफर नहीं किया जा सकता है। ऐसे में इन लोगों ने उसकी हत्या करवाकर किसी दूसरी महिला से पैसे ट्रांसफर करवा लिए हों। अब पूरे मामले पर फिरोजाबाद पुलिस का पक्ष जान लीजिए… लापता लड़की की बात 12 साल तक छिपाई गई, यही सबसे बड़ी फॉल्ट 2023 में जब अनुपम कुमारी के लापता होने की बात सामने आई तो उस वक्त टुंडला के CO अनिवेश सिंह मामले की जांच कर रहे थे। अनिवेश अब सिरसागंज के CO हैं। हमने इस पूरे मामले पर उनसे बात की। अनिवेश कहते हैं, ‘मेरे टाइम पर ये मामला उठा था। 2023 में हमें पता चला कि उस लड़की की शादी कहीं हो चुकी है। हालांकि इस केस में सबसे बड़ा फॉल्ट पीड़ित परिवार का ही है। वो ये बात जानते थे कि उनकी लड़की 2011 से लापता है, इसके बाद भी वो 12 साल तक एक भी बार थाने नहीं आए। उन्होंने 2023 में पहली बार पुलिस से इसे लेकर शिकायत की। इससे प्रार्थी पर ये शक जाता है कि उन्होंने इतने लंबे समय तक क्यों केस को अटकाकर रखा। ‘हमारी जांच में ये बात सामने आई कि लड़की जब गायब हुई थी तो उसकी पॉलिसी मेच्योर नहीं थी। 2017 में जब पॉलिसी मेच्योर हुई तो परिवार को अचानक बेटी की याद आ गई। इसी बीच लड़की के खाते में दो नए नॉमिनी भी जुड़ गए। ऐसे में पॉलिसी का पैसा किसी दूसरे के नाम ना कर दिया जाए। इसलिए लड़की के पिता और भाई बार-बार शिकायतें करते रहे।‘ एडिश्नल SP बोले- केस अब दोबारा खोला गया, नए सिरे से जांच होगीइस मामले पर हमने फिरोजाबाद जिले के एडिश्नल SP रविशंकर प्रसाद से फोन पर बात की। रविशंकर कहते हैं, ‘वैशालीपुरम मोहल्ले की रहने वाली लड़की की गुमशुदगी के मामले में पीड़ित परिवार की तरफ से 2023 में शिकायत दर्ज करवाई गई थी। अब इस मामले में फिर जांच शुरू की गई है। टुंडला थाने की टीम लापता लड़की के परिवार से पूछताछ कर रही है।‘ ‘गुमशुदा लड़की के परिजन से ये कहा गया है कि वो सभी दस्तावेज और सबूत विवेचना अधिकारी को उपलब्ध करा दें। जो तथ्य सामने आएंगे, उसके आधार पर आगे की कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।‘ पहले हुई जांच में पुलिस ने लड़की को शादीशुदा बताया था, इस पर क्या कहेंगे? इस सवाल पर रविशंकर ने बताया कि पहले की जांच में जो भी बातें सामने आई थीं, उन फैक्ट्स की अब नए सिरे से दोबारा जांच होगी, इसके बाद ही कुछ बता पाएंगे। ............................ ये खबर भी पढ़ें... पति की बाइक में GPS लगाया, हत्यारों को लोकेशन दी कुरनूर के गडवाल के रहने वाले 32 साल के तेजेश्वर लैंड सर्वेयर थे। 18 मई को उनकी शादी हुई थी। ऐश्वर्या ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर शादी के एक महीने बाद पति का मर्डर करा दिया। तेजेश्वर की हत्या का आरोप उनकी पत्नी ऐश्वर्या, उसके प्रेमी तिरुमला राव समेत 5 लोगों पर है। ऐश्वर्या ने ये साजिश शादी के बाद रची या शादी के पहले से ये प्लान था, तेलंगाना पुलिस आरोपियों तक कैसे पहुंची? पढ़िए पूरी खबर...
‘मनोजीत लड़कियों से बदतमीजी करता था। वो तृणमूल छात्र परिषद का काम देखता था, इसलिए उसकी दादागीरी बहुत बढ़ गई थी। लड़कियों को बुलाता और परिषद के यूनियन ऑफिस में पूरे दिन बिठाकर रखता था। कॉलेज में शराब पीता और दूसरों को भी पिलाता। मर्डर, चोरी, पिटाई, तोड़फोड़, छेड़खानी, मनोजीत पर सारे आरोप लगे, इस बार उसका नाम रेप में आया है।’ ये बता रहीं निरंजना उसी साउथ कोलकाता लॉ कॉलेज में पढ़ती हैं, जहां 25 जून को 24 साल की एक स्टूडेंट से गैंगरेप किया गया। आरोप TMC से जुड़े मनोजीत मिश्रा पर है। इस केस में दो और आरोपी जैब अहमद और प्रमित मुखर्जी हैं। दोनों कॉलेज में पढ़ते हैं, जबकि मनोजीत 2013 से 2017 तक इस कॉलेज में था। दैनिक भास्कर ने कॉलेज के कुछ स्टूडेंट्स से बात की और मनोजीत के बारे में पूछा। पता चला कि उसका क्रिमिनल बिहेवियर रहा है। TMC के बड़े नेताओं से नजदीकी की वजह से उसका कुछ नहीं बिगड़ा। 2016 में उसे जिस लॉ कॉलेज में रस्टीकेट किया गया था, अभी डेढ़ महीने पहले उसे वहीं नौकरी पर रख लिया गया। मनोजीत के बारे में बताने वाली पहली स्टूडेंट- निरंजनानिरंजना ने 2015 में साउथ कोलकाता लॉ कॉलेज में एडमिशन लिया था। मनोजीत उनसे सीनियर था। 2017 में मनोजीत कॉलेज से पास आउट हो गया था। वो अभी लॉ कॉलेज में कैज़ुअल स्टाफ के तौर पर काम कर रहा था। साथ ही अलीपुर कोर्ट में बतौर क्रिमिनल लॉयर वकालत करता था। निरंजना बताती हैं, 'मनोजीत 2013-17 बैच का स्ट्रडेंट था। 2013 में उसने एक युवक को चाकू मार दिया था। लॉ कॉलेज का स्टूडेंट होने की वजह से वो पुलिस से बच गया। कॉलेज आते ही उसने तृणमूल परिषद जॉइन कर ली। धीरे-धीरे उसका नाम बढ़ने लगा। 2016 में उसने कॉलेज में तोड़फोड़ की थी। इसलिए उसे रस्टीकेट कर दिया गया।’ निरंजना आगे बताती हैं, ‘2017 में वो दोबारा कॉलेज आया। उसने स्टूडेंट यूनियम में शामिल होने की कोशिश की थी, लेकिन हमने उसका विरोध किया। उस पर पहले से क्रिमिनल केस चल रहे थे। इसके बाद से उसकी दादागीरी बढ़ गई। वो लड़कियों को तृणमूल परिषद के यूनियन ऑफिस में बुलाता था। हमारे प्रिंसिपल ने उसे कॉलेज आने से मना कर दिया था।' ‘इस पर मनोजीत ने दोस्तों के साथ प्रिंसिपल ऑफिस में तोड़फोड़ की थी। इसके बाद कॉलेज में तृणमूल परिषद को भंग कर दिया गया। 2017 में ही मनोजीत पर कॉलेज कैंपस में CCTV कैमरा तोड़ने, झगड़ने और चोरी के आरोप भी लगे।’ ‘2019 में नए साल के जश्न से पहले उसने दोस्त के अपार्टमेंट से म्यूजिक सिस्टम, सोने की चेन और चश्मा चुरा लिया था। दोस्त ने उसके खिलाफ FIR दर्ज करवाई थी। 2022 में एक महिला ने उसके खिलाफ छेड़छाड़ की शिकायत की थी। अभी पिछले साल उसने सिक्योरिटी गार्ड से मारपीट की थी।’ दूसरी स्टूडेंट: देबोलिना दास‘मनोजीत लड़कियों से कहता था- मुझसे शादी करोगी’ देबोलिना दास लॉ कॉलेज में पढ़ चुकी हैं। इसलिए वे मनोजीत को जानती हैं। देबोलिना बताती हैं, 'मनोजीत लड़कियों को यूनियन रूम में बुलाता था। उनके साथ शराब पीता था। उसने अपने जूनियर को किडनैप करने की भी कोशिश की थी। पिछले कुछ साल में उस पर स्टूडेंट्स को बंधक बनाने, उगाही करने, छेड़छाड़ के केस दर्ज किए गए, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई।’ ‘2022 में फर्स्ट ईयर की एक स्टूडेंट ने थाने में रैगिंग, सेक्शुअल हैरेसमेंट और धमकाने की शिकायत की थी, लेकिन उस पर ध्यान नहीं दिया गया। 2018 में कालीघाट थाने में उसके खिलाफ केस दर्ज किया गया था। इसके बाद वो कुछ दिनों के लिए गायब हो गया था।' तीसरी स्टूडेंट: अनिंदिता मुख़र्जी'TMC की वजह से पुलिस ने FIR में मनोजीत का नाम छिपाया'कॉलेज की फाइनल ईयर स्टूडेंट अनिंदिता मुख़र्जी 26 जून को विक्टिम स्टूडेंट के साथ कस्बा पुलिस स्टेशन पहुंची थी। वे आरोप लगाती हैं कि पुलिस मुख्य आरोपी की पहचान छिपाना चाहती है। पुलिस ने FIR में उनके नाम की जगह 'J', 'P' और 'M' लिखा ताकि किसने क्या किया, ये पता न चले। 'ऐसे मामलों में FIR में सभी आरोपियों का पूरा नाम लिखा जाता है। पहली बार ऐसी FIR लिखी गई है, जिसमे किसी आरोपी की पहचान जाहिर नहीं हो रही। किसी को नहीं पता 'M', 'J' और 'P' कौन है। पुलिस ने जानबूझकर कंफ्यूज करने के लिए ऐसा किया है।' अनिंदिता आगे बताती हैं, 'पीड़िता ने घटना के बाद अपने दोस्त को कॉन्टैक्ट किया था, जो लीगल सेल में है। वो बहुत डरी हुई थी। उन्होंने मुझे कॉल किया था। आरजी कर मेडिकल कॉलेज में जो हुआ, उसके बाद से सभी लड़कियों में हिम्मत आई है कि उन्हें FIR लिखवानी ही चाहिए और ऐसे लोगों को जेल पहुंचाया जाए।’ ‘हमने उसे हिम्मत दी कि उसे पुलिस स्टेशन जाना चाहिए। मनोजीत की तरह ही जैब भी पावरफुल व्यक्ति है। वो कॉलेज में तृणमूल परिषद यूनिट का काम देखता था। इन सबमे मनोजीत उम्र और पावर में सबसे ऊपर है।' FIR में नाम न लिखने पर नेशनल वुमन कमीशन की मेंबर अर्चना मजूमदार भी अनिंदिता से सहमत हैं। वे कहती हैं, 'अगर विक्टिम ने बयान में आरोपी का नाम लिया है, तो FIR में सिर्फ इनीशियल लिखना गलत है। शायद ऐसा आरोपियों की राजनीतिक पहचान बचाने के लिए किया गया है।' एडवोकेट अनिकेत साउथ लॉ कॉलेज में पढ़ चुके हैं। अभी वकालत कर रहे हैं। कॉलेज के स्टूडेंट उनके पास इंटर्नशिप करते हैं। अनिकेत बताते हैं, 'मेरी एक स्टूडेंट ने मुझे बताया है कि मनोजीत छुटभैया नेता की तरह था। वो कैंपस में लड़कियों को छेड़ता था। उन्हें शादी का प्रपोजल देता था। वो सीनियर स्टूडेंट्स को कुछ नहीं कहता था। जूनियर स्टूडेंट पर असर डालने की कोशिश करता था। BJP का आरोप- पहुंच की वजह से आरोपियों को मिला एडमिशनBJP नेता कौस्तव बागची साउथ कोलकाता लॉ कॉलेज से पढ़े हैं। कलकत्ता हाई कोर्ट में वकील हैं। वे बताते हैं, 'कॉलेज के बोर्ड अध्यक्ष अशोक देब की सिफारिश पर मनोजीत मिश्रा को कॉलेज में एडमिशन मिला। अशोक देब की वजह से हर साल कम नंबर लाने वाले स्टूडेंट्स को भी एडमिशन मिल जाता है।’ ‘मनोजीत इनकी गैंग का हिस्सा बन गया। उसे कॉलेज में नॉन टीचिंग स्टाफ के तौर पर शामिल कर लिया गया। उस पर कई बार कैंपस में लड़कियों से छेड़छाड़ का आरोप लगा। हर बार उसके प्रभाव की वजह से मामला शांत हो गया।' वहीं BJP के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने एक और आरोपी जैब अहमद के एडमिशन पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि जैब की 2024 की CUET-UG प्रवेश परीक्षा में 2634वीं रैंक मिली थी। इसके बावजूद कॉलेज में एडमिशन मिल गया। जैब को यह सीट राजनीतिक पहुंच की वजह से मिली। इतनी कम रैंक वाले स्टूडेंट को कॉलेज में एडमिशन किसने दिलाया और उसे कौन बचा दे रहा है। TMC बोली- मनोजीत पार्टी का हिस्सा नहीं, स्टूडेंट विंग का जूनियर मेंबरतृणमूल कांग्रेस ने मनोजीत मिश्रा के पार्टी में होने से इनकार किया है। पार्टी की स्टूडेंट विंग TMCP के लीडर त्रिणांकुर भट्टाचार्य ने कहा कि मनोजीत जूनियर मेंबर था। कॉलेज में हमारे संगठन की एक्टिव यूनिट नहीं है। क्या है पूरा मामला कॉलेज के गार्डरूम में लॉ स्टूडेंट से गैंगरेपसाउथ कोलकाता लॉ कॉलेज में 25 जून को कॉलेज कैंपस के अंदर एक स्टूडेंट से गैंगरेप किया गया। उसका वीडियो भी बनाया गया। तीनों आरोपी स्टूडेंट को घसीटते हुए गार्ड रूम में ले गए। इसका CCTV फुटेज भी सामने आई है। विक्टिम करीब तीन घंटे बाद गार्ड रूम से बाहर आ पाई। मामले की जांच कर रही SIT ने दावा किया है कि यह हमला साजिश के तहत किया गया। विक्टिम पहले दिन से मनोजीत के टारगेट पर थी। आरोपियों ने वीडियो बनाकर उसे बदनाम और ब्लैकमेल करने की साजिश रची थी। मेडिकल रिपोर्ट में विक्टिम से रेप की पुष्टि हो गई है। पुलिस ने तीन आरोपियों मनोजीत मिश्रा, प्रमित और जैब अहमद को 26 जून को ही अरेस्ट कर लिया था। पुलिस ने सिक्योरिटी गार्ड पिनाकी बनर्जी को भी गिरफ्तार किया है। पुलिस ने जांच तेज करने के लिए SIT में मेंबर 5 से बढ़ाकर 9 कर दिए हैं। इनमें फोरेंसिक और डिजिटल एक्सपर्ट भी शामिल हैं। CCTV फुटेज की जांच कर रही टीम ने लगभग 7.5 घंटे का वीडियो रिकॉर्ड जब्त किया है। इस वीडियो में विक्टिम, आरोपी और सुरक्षा गार्ड की गतिविधियां साफ दिख रही हैं। इस वीडियो रिकॉर्डिंग से पीड़िता के पुलिस को दिए बयान की पुष्टि होती है। पुलिस के साथ फोरेंसिक टीम मौके पर पहुंची थी। वहां से हॉकी स्टिक, बालों के गुच्छे और खून / सीमेंस के धब्बे पाए गए हैं। आरोपी और विक्टिम के कपड़े फोरेंसिक जांच के लिए जब्त कर लिए गए हैं। DNA सैंपल भी भेजा जा चुका है। आरोपियों के मोबाइल फोन जब्त कर साइबर फोरेंसिक टीम को भेजे गए हैं। इनमें रेप के दौरान की वीडियो क्लिप और ब्लैकमेल करने वाला कंटेंट मिला है। मेडिकल रिपोर्ट में विक्टिम से बेरहमी की पुष्टिरिपोर्ट में पुष्टि है कि विक्टिम के साथ रेप किया गया। उसके शरीर पर नाखूनों और दांतों से काटने के निशान हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, विक्टिम को मानसिक तौर पर बहुत चोट पहुंची है, इसलिए उसे तुरंत काउंसलिंग की सलाह दी गई है। केस से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें CBI जांच कराने के लिए याचिका दायर, एजुकेशन इंस्टीट्यूट में सिविल वॉलेंटियर के तैनाती की मांग कोलकाता गैंगरेप की CBI जांच के लिए कलकत्ता हाईकोर्ट में 30 जून को जनहित याचिका दायर की गई। इसमें CBI को मामले की प्राइमरी जांच करके कोर्ट में रिपोर्ट सौंपने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। इससे पहले दायर कुछ अन्य याचिकाओं में कोर्ट की निगरानी में मामले की जांच कराने की मांग की गई है। इस हफ्ते के आखिर में इन याचिकाओं पर सुनवाई हो सकती है। पढ़िए पूरी खबर
DNA Analysis: ईरान के सबसे बड़े शिया धर्मगुरु ग्रैंड अयातुल्ला नासिर मकारिम शिराजी ने डॉनल्ड ट्रंप और नेतन्याहू को खुदा का दुश्मन करार दिया है. और दुनिया भर के मुसलमानों से एकजुट होकर इनका तख्ता पलट करने की अपील की है. इस फतवे के जरिए दुनिया भर के मुसलमानों को बताया गया है.
Bangladesh Hindu Woman Rape Case News: बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति इतनी खराब है कि वहां पर जिहादी कट्टरपंथी उन पर हर तरह से हावी होने की कोशिश करते हैं. कुमिला में महज 35 हजार रुपये न चुका पाने पर घर में घुसकर हिंदू महिला के साथ रेप को अंजाम दिया गया.
लैंडिंग के बाद रनवे पर अचानक तिरछा हो गया विमान, कांपी लोगों की रूह; याद आ गया अहमदाबाद प्लेन क्रैश
Indonesia Plane Video: अहमदाबाद में हुए विमान हादसे में कई लोगों की जान चली गई थी. अब इंडोनेशिया से एक खतरनाक वीडियो सामने आया है. जिसमें विमान रनवे पर तिरछा फिसल गया. गनीमत ये रही कि इसकी वजह से कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ.
बिरयानी खिलाने के बाद अमेरिका ने पाकिस्तान को दी ऐसी टेंशन, थर-थर कांपने लगे 25 करोड़ पड़ोसी
Pakistan News:जी हां...जो पाकिस्तान अब तक राफेल से खौफ से नहीं उबर पाया था उस पाकिस्तान को एक और तगड़ा झटका लगने वाला हैं. क्योंकि हिंद का जांबाज लड़ाका तेज बहुत ताकतवर बनने वाला है. पक्की ख़बर मिली है कि तेजस को सुपर पावर अमेरिका से वो टेक्नोलॉजी मिलने जा रहा है, जो पाकिस्तान के एक-एक शहर को कबिस्तान बना सकती है.
Cyber Dome: Iron Dome, Golden Dome हुए बीती बात, जर्मनी लाने जा रहा सबका बाप... नाम है 'साइबर डोम'
Germany Build Cyber Dome: इजरायल की मदद से जर्मनी एक ऐसा डिफेंस सिस्टम डेवलप करने जा रहा है, जो तकनीक की इस दुनिया में एक अनोखी क्रांति लाएगा.
ट्रंप का खौफ या जलवा! दोस्त को बचाने के लिए लगाई ताकत, दूसरे देश की अदालत ने बदल दिया अपना फैसला?
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को बड़ी राहत मिली है. भ्रष्टाचार के एक पुराने मामले में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टिप्पणी के बाद इजरायल की अदालत ने उनकी सुनवाई को टाल दिया है. ट्रंप ने खुद सोशल मीडिया पर इसकी पुष्टि की और इसे बड़ा मुद्दा बनाया हुआ है.
चीन के चमगादड़ों में मिला खतरनाक सुपरवायरस, कोरोना से 20 गुना ज्यादा घातक, महामारी की चेतावनी
Corona virus in Bats: दुनिया में कोरोनावायरस 70 लाख से ज्यादा लोगों की मौत की वजह बना था. लेकिन कोविड-19 जैसे खतरनाक 20 वायरस अब चीन में मिले हैं, जिनसे पूरी दुनिया में फिर महामारी आने की चेतावनी भी दी गई है.
complete story of Superman: सुपरमैन की एक और खास बात यह थी कि उसके कई दोस्त और दुश्मन भी उसके साथ जुड़े थे. उसकी सबसे लोकप्रिय दोस्त और प्रेमिका लोइस लेन थी, जो एक बहादुर और समझदार रिपोर्टर थी. वह सुपरमैन को पसंद करती थी, लेकिन वह उसकी असली पहचान, क्लार्क केंट, से दूर-दूर रहती थी. जानें सुपरमैन की पूरी कहानी.
ओमान की खाड़ी में धधकती आग का गोला बना ऑयल टैंकर, इंडियन नेवी की सूझबूझ से टली बड़ी आपदा
Fire In Oil Tanker: INS तबर ने भारत के कांडला से ओमान के शिनस जा रहे जहाज में लगी भीषण आग को बुझाया है. जहाज के इंजन रूम में आग लग गई थी. इसमें भारतीय मूल के 14 क्रू मेंबर्स मौजूद थे.
Who will be NextDalai Lama:तिब्बती बौद्ध धर्म के सर्वोच्च नेता दलाई लामा के उत्तराधिकारी का ऐलान जुलाई में हो सकता है. इस तैयारी ने चीन को चिंता में डाल दिया है. दलाई लामा के जन्मदिन पर धर्मशाला के मैक्लोडगंज में बड़े धार्मिक आयोजन की तैयारी है.
जेफ बेजोस वेडिंग:तीन दिन तक चले शादी समारोह के बाद अमेजन के संस्थापक जेफ बेजोस और पत्रकार लॉरेन सांचेज ने शादी कर ली। इटली के वेनिस में हुई इस भव्य शादी में दुनियाभर की मशहूर हस्तियां शामिल हुईं। शादी की तस्वीरें सोशल मीडिया पर छाई हुई हैं। लोग अमेजन के संस्थापक की शादी में हुए …
क्या आप जानते हैं कि विश्व में सबसे अधिक कटहल किस देश में उगाया जाता है?
बेंगलुरु:भारत कटहल के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है। हमारा देश सालाना 1.4 मिलियन टन से ज़्यादा कटहल पैदा करता है। कटहल केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, असम और बिहार जैसे राज्यों में बड़े पैमाने पर उगाया जाता है। दुनिया में सबसे ज़्यादा कटहल किस देश में पैदा होता है? : भारत दुनिया में कटहल का …
'हम कड़ा जवाब देने के लिए तैयार...', ईरानी मंत्री का बड़ा ऐलान, वापस शुरू होगी ईरान-इजरायल जंग?
Israel- Iran Conflict: इजरायल और ईरान के बीच जंग को लेकर ईरान के सशस्त्र बलों के प्रमुख अब्दुलरहीम मौसवी का नया बयान सामने आया है, जिसमें उन्होंने इजरायल पर हमले को लेकर बात कही है.
कैप्टन शुभांशु शुक्ला इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में 4 दिन बिता चुके हैं, 10 दिन बाद उनकी वापसी होगी। आखिर ISS में शुभांशु का पूरा दिन कैसे गुजरता है, वो कौन-से एक्सपेरिमेंट कर रहे और उनसे क्या बदलाव आएगा; मंडे मेगा स्टोरी में पूरी कहानी… ISS में शुभांशु ISRO और भारतीय संस्थानों की ओर से तय 7 अहम एक्सपेरिमेंट्स कर रहे हैं। इसके अलावा NASA के 5 एक्सपेरिमेंट्स में भी हाथ बंटा रहे हैं… ***** ग्राफिक्स: अंकुर बंसल और अजीत सिंह ------ ये भी खबर पढ़िए... अंतरिक्ष में धीमे बढ़ती है उम्र: एक दिन में 16 बार सूर्योदय; स्पेस स्टेशन की कहानी, जहां फंसीं थी सुनीता विलियम्स 5 जून 2024। भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स बोइंग के स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट से अंतरिक्ष की ओर उड़ान भरती हैं। करीब 25 घंटे बाद विलियम्स इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन यानी ISS पहुंचीं। उन्हें 8 दिन का मिशन पूरा कर वापस धरती पर आना था, लेकिन तकनीकी दिक्कतों के कारण वो इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में फंस गईं। पूरी खबर पढ़ें...
'गर्दन और ब्रेस्ट के आसपास खरोंच के निशान पाए गए। मुंह या गुप्तांगों में कोई बाहरी चोट नहीं मिली। रेप की संभावना से इनकार नहीं, फॉरेंसिक पुष्टि के लिए तीन स्वैब सैंपल लिए गए हैं। प्रेग्नेंसी टेस्ट नेगेटिव है।' ये मेडिकल रिपोर्ट कोलकाता में 24 साल की छात्रा के साथ हुई ज्यादती की पुष्टि कर रही है। इसके अलावा पुलिस को एक CCTV फुटेज भी मिला, जिसमें आरोपी छात्रा को खींचते दिख रहे हैं। लॉ कॉलेज में हुए गैंगरेप के अब तक क्या-क्या सबूत मिले, अब भी किन सवालों के जवाब तलाश रही पुलिस और क्या आरोपी मनोजीत को बचाने की कोशिश हो रही; जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में... सवाल-1: कोलकाता गैंगरेप केस में पुलिस को अब तक क्या-क्या सबूत मिले? जवाब: कोलकाता पुलिस की अधिकारी बिदिशा कलिता ने बताया कि पुलिस ने कॉलेज कैंपस में 25 जून का CCTV फुटेज खंगाला है। ये फुटेज दोपहर 3:30 बजे से रात 10:50 बजे तक का है। इसमें… वहीं पीड़िता की मेडिकल जांच कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज CNMC में हुई थी। 28 जून को इसकी रिपोर्ट आई। इसमें चार अहम बातें कही गई हैं- इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कोलकाता पुलिस के एक ऑफिसर ने बताया कि इससे पहले भी पीड़ित छात्रा की एक मेडिकल जांच हुई थी। इसमें छात्रा के साथ फोर्सफुल पेनीट्रेशन यानी जबरन संबंध बनाने, काटने के निशान और नाखून की खरोंच के निशान मिले हैं। सवाल-2: क्या अब तक पीड़िता के साथ गैंगरेप की पुष्टि नहीं हुई है? जवाब: मेडिकल रिपोर्ट में रेप की संभावना से इनकार नहीं किया किया गया। कोलकाता पुलिस को भी पीड़िता के आरोपों पर शक नहीं है। रेप की सटीक पुष्टि के लिए बायोलॉजिकल सबूत जैसे डीएनए मैचिंग और बाकी फोरेंसिक जांच जरूरी होती है। फोरेंसिक टीम ने छात्रा के तीन स्वैब लिए हैं। कॉलेज कैंपस में तीन अलग-अलग जगहों से पुलिस को बालों के गुच्छे, कुछ लिक्विड की बोतलें और एक हॉकी स्टिक मिली है। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, तीनों आरोपियों के भी मेडिको-लीगल टेस्ट किए जाएंगे। इन सभी सबूतों की जांच के बाद फाइनल रिपोर्ट के आधार पर पुलिस रेप की पुष्टि हो जाएगी। सवाल-3: पुलिस अब भी किन सवालों के जवाब तलाश कर रही है? जवाब: अभी छात्रा के साथ गैंगरेप की आधिकारिक पुष्टि होनी बाकी है, साथ ही पुलिस को 4 बड़े सवालों के जवाब ढूंढने हैं… 1. क्या छात्रा का रेप प्री-प्लांड था? 2. क्या रेप से पहले पीड़िता के साथ मारपीट हुई? 3. जैब, प्रमित और सिक्योरिटी गार्ड का क्या रोल था? 4. क्या घटना के पीछे कोई राजनीतिक वजह? सवाल-4: बीजेपी ने TMC पर क्या आरोप लगाए, क्या मनोजीत मिश्रा को कोई बचाने की कोशिश कर रहा? जवाब: बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने मनोजीत मिश्रा की सीएम ममता बनर्जी के भतीजे और TMC नेता अभिषेक बनर्जी, सरकार में स्वास्थ्य मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य और TMC की एक अन्य नेता कावेरी बनर्जी के साथ तस्वीरें शेयर करते हुए X पर लिखा, ‘एक बार फिर ममता बनर्जी की सरकार आरोपियों के साथ खड़ी दिख रही है!’ TMC लोकसभा सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा, 'क्या TMC अप्रत्यक्ष रूप से ऐसे नेताओं के साथ है, जो इन अपराधियों को बचा रहे हैं? सीधे तौर पर जिम्मेदार नेताओं पर कार्रवाई के बजाय, सिर्फ ‘अकादमिक बयान’ देने से कुछ नहीं होगा। कल्याण बनर्जी ने यह भी आरोप लगाया कि 2011 के बाद पार्टी में उभरे कुछ नेता खुद ऐसे मामलों में सवालों के घेरे में हैं। 29 जून को राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य अर्चना मजूमदार ने कॉलेज के कैंपस में जाने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने पहले उन्हें अंदर जाने से रोका, बाद में अर्चना ने गार्डरूम का दौरा किया। कॉलेज से निकलकर उन्होंने कहा, 'पुलिस न तो हमें पीड़िता से मिलने दे रही है, न ही क्राइम सीन देखने और उसकी तस्वीरें लेने दे रही हैं।' अर्चना ने कहा, ‘पुलिस ने 24 घंटे में आरोपियों की गिरफ्तारी और मेडिकल रिपोर्ट का काम पूरा कर लिया, लेकिन डिप्टी कमिश्नर को नहीं पता कि पीड़ित कहां है। ये हास्यास्पद है। वे घर पर नहीं हैं, उन्हें कहीं छिपा दिया गया है। हम रिपोर्ट में सब कुछ शामिल करेंगे।’ सवाल-5: कोलकाता गैंगरेप मामले में अब आगे क्या होगा? जवाब: फिलहाल सभी आरोपी पुलिस की हिरासत में हैं। मामले की जांच के लिए एसीपी प्रदीप कुमार घोषाल की अगुआई में 5 लोगों की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम यानी SIT बनाई गई है। 28 जून की शाम को पुलिस पीड़िता को लेकर कॉलेज कैंपस गई थी। इस दौरान क्राइम सीन भी रिक्रिएट किया गया। कोलकाता पुलिस ने X पर एक पोस्ट में लिखा है कि जांच सख्ती से आगे बढ़ाई जा रही है। पुलिस केस से जुड़े लोगों के बयान ले रही है। इसके अलावा रेप की पुष्टि करने के लिए जरूरी सबूत जुटाए जाएंगे। मनोजीत और बाकी आरोपियों के खिलाफ सबूत जुटाने के बाद उन पर कोर्ट में मुकदमा चलेगा। सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट विराग गुप्ता के मुताबिक, अगर अपराधियों का जुर्म साबित हो जाता है, तो धारा-127 के तहत 1 साल की सजा या 5 हजार रुपए जुर्माना या दोनों हो सकता है। धारा-3 (5) और धारा-70 (1) के तहत कम से कम 20 साल और अधिकतम उम्रकैद की सजा हो सकती है। इसके साथ भारी जुर्माना भी लग सकता है। सवाल-6: कोलकाता गैंगरेप का पूरा मामला है क्या, छात्रा ने पुलिस को क्या आपबीती सुनाई? जवाबः 26 जून को कोलकाता के कसबा थाने में एक 24 साल की लॉ स्टूडेंट पहुंची और बताया कि कल शाम कोलकाता यूनिवर्सिटी के साउथ कोलकाता लॉ कॉलेज कैंपस में उसके साथ रेप हुआ है। पीड़िता ने खुद FIR दर्ज कराई, जिसमें गैंगरेप की पूरी आपबीती बताई है। FIR में दर्ज विवरण के प्रमुख हिस्सों को हम यहां हूबहू रख रहे हैं… ‘25 जून को दोपहर 12:05 बजे मैं एग्जाम का फॉर्म भरने कॉलेज गई थी। फॉर्म भरकर मैं स्टूडेंट्स के साथ यूनियन रूम में बैठी थी। तभी मनोजीत अंदर आया। वो अनऑफिशियली कॉलेज की TMCP यूनिट का हेड है। सब उसकी बात सुनते हैं। वो सबको TMCP में पोस्ट दे रहा था। मुझे भी गर्ल्स सेक्रेटरी की पोस्ट दी गई थी। करीब 4 बजे कुछ स्टूडेंट्स जाने लगे तो मैं भी घर जाने के इरादे से निकली। कॉलेज के मेन गेट पर मुझे जनरल सेक्रेटरी मिल गईं। हम यूनियन रूम के सामने बैठकर बातें करने लगे। तभी मनोजीत बिस्किट का एक पैकेट लेकर वापस आया और मुझे TMCP यूनिट के बारे में बात करने के लिए यूनियन रूम में बुलाया। इसी बीच प्रमित ने मुझसे मनोजीत और यूनिट के प्रति वफादारी की बात कही। मैंने बतौर गर्ल्स सेक्रेटरी, TMCP और मनोजीत के लिए वफादारी का वादा किया। कुछ देर बाद मनोजीत ने पूछा कि क्या प्रमित ने तुम्हें सब समझा दिया। मैंने कहा- हां दादा, आप चिंता न करिए, मैं हमेशा यूनिट के साथ रहूंगी। इसके बाद मनोजीत बोला- नहीं, उस बारे में नहीं और फिर उसने मुझे शादी के लिए प्रपोज किया। मैंने मनोजीत को बताया कि मेरा बॉयफ्रेंड है और मैं उसे बहुत प्यार करती हूं। उसे नहीं छोड़ सकती। इस बातचीत के बाद हम यूनियन रूम में चले गए। करीब 7:30 बजे मैं अपना सामान लेकर निकलने लगी, तभी मनोजीत ने मुझे रोका और इशारे से जैब और प्रमित को बाहर भेजा। दोनों ने रूम बाहर से लॉक कर दिया। 'मनोजीत मुझे वॉशरूम के पास ले गया और सेक्स करने के इरादे से जबरदस्ती करने लगा। मैंने मना किया, लेकिन वह नहीं माना। मुझे पैनिक अटैक आया और सांस उखड़ने लगी। मैंने कहा- कम से कम इनहेलर तो ला दो। जैद इनहेलर लेकर अंदर आया। मेरी तबीयत कुछ ठीक हुई तो मैं बाहर आ गई। देखा कि उन्होंने मेनगेट लॉक कर दिया है। गार्ड ने भी मेरी मदद नहीं की। मनोजीत के कहने पर जैद और प्रमित मुझे जबरदस्ती गार्ड रूम में ले गए और गार्ड से बाहर बैठने को कहा। मनोजीत ने मेरे कपड़े उतारे और मेरे साथ रेप करने लगा। जब मैंने खुद को बचाने की कोशिश की, तो उसने मुझे ब्लैकमेल किया और धमकी दी कि वह मेरे बॉयफ्रेंड को मार देगा और माता-पिता को अरेस्ट करवाएगा। उसने मुझे रेप के दौरान बनाए मेरे दो वीडियो दिखाए और कहा- अगर को-ऑपरेट नहीं किया या मेरे बुलाने पर नहीं आई तो सबको वीडियो दिखा देगा। जब मनोजीत मेरा रेप कर रहा था, तब प्रमित और जैद खड़े सब देख रहे थे। मेरे सिर में बहुत चोट आई, लेकिन उसने मुझे नहीं छोड़ा। फिर मैंने संघर्ष करना बंद कर दिया ताकि मैं जल्दी से कमरे से बाहर निकल सकूं। उसने मुझे हॉकी स्टिक से भी मारने की कोशिश की। मैंने खुद को एक लाश की तरह छोड़ दिया। मैं रात को 10:50 बजे कमरे से निकल पाई। उसने कहा- लोगों से कहना कि हम यूनिट के बारे में चर्चा कर रहे थे। मेरा फोन जैद के पास था, मैंने यूनियन रूम में जाकर उससे अपना फोन लिया और कॉलेज से बाहर चली आई। मैंने पापा को कॉल करके बुलाया और पूरी बात बताई। मनोजीत की पावर देखकर मैं FIR लिखवाने में डर रही थी, लेकिन अब मैं पीछे नहीं हटूंगी।' कल सुबह 6 बजे ऐसे ही बेहद जरूरी टॉपिक पर पढ़िए और देखिए एक और 'आज का एक्सप्लेनर' _____________ रिसर्च सहयोग: श्रेया नाकाड़े **** कोलकाता लॉ कॉलेज रेप केस से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें: मनोजीत तीन घंटे मेरा रेप करता रहा, सांस रुकने लगी तो इनहेलर लाए; मदद करने वाले जैब-प्रमित गैंगरेप में बराबर के अपराधी क्यों 'मनोजीत मुझे वॉशरूम के पास ले गया और सेक्स करने के इरादे से जबरदस्ती करने लगा। मैंने उसे धक्का देते हुए कहा कि ये नहीं कर सकती। मेरा एक बॉयफ्रेंड है।' ये आपबीती कोलकाता के लॉ कॉलेज की 24 वर्षीय पीड़िता की है, जिसके साथ 25 जून की शाम कॉलेज कैंपस में ही गैंगरेप हुआ। पूरी खबर पढ़ें...
कांटा लगा गर्ल के नाम से मशहूर एक्ट्रेस शेफाली जरीवाला 42 साल की उम्र में ही इस दुनिया को अलविदा कह गईं. मौत की वजह कार्डियेक अरेस्ट बताई जा रही है.दावा है कि शेफाली 5-6 सालों से उम्र को कम दिखाने का ट्रीटमेंट करवा रहीं थी. लेकिन ये कैसे काम करता है? ग्लूटाथियॉन ड्रग क्या है? क्या एंटी-एजिंग ट्रीटमेंट दिल की दौरे की वजह हो सकता है? पूरी जानकारी के लिए ऊपर दी गई इमेज पर क्लिक कर देखें वीडियो
‘ईद के दिन मंदिर के पास मांस मिलने के बाद माहौल बहुत बिगड़ गया था। हालांकि सबने इसे संभालने की कोशिश की, लेकिन अगले दिन फिर वही घटना हो गई। इस बार तो मंदिर पर पुलिस भी तैनात थी। ये सब देखकर यहां लोग डरे हुए हैं। बच्चे स्कूल-कॉलेज जाने में डर रहे हैं। लोग बाहर निकलने से बच रहे हैं। हम चाहते हैं कि धुबरी में फिर से शांति हो।’ सलीम खान असम के धुबरी जिले में रहते हैं। 7 जून को बकरीद के दिन यहां हनुमान मंदिर के सामने कथित तौर पर गोमांस मिलने के बाद हिंसा भड़क गई। इसके बाद बिगड़े माहौल को लेकर सलीम परेशान हैं। वे कहते हैं कि हम सब यहां मिलजुलकर रहते हैं। पिछले दिनों हालात कैसे बिगड़े, समझ नहीं आ रहा। धुबरी के लोगों का कहना है कि यहां कोई साम्प्रदायिक हिंसा हुई ही नहीं, सिर्फ दंगों की अफवाह फैल गई। हालांकि असम के CM हिमंत बिस्व सरमा इसके पीछे धुबरी में पनप रहे ‘नए बीफ माफिया’ का हाथ बताते हैं। उन्होंने 'नबीन बांग्ला' नाम के एक संगठन पर धुबरी को बांग्लादेश में शामिल करने वाले भड़काऊ पोस्टर लगाने का भी आरोप लगाया। CM हिमंत दो बार धुबरी भी पहुंचे। उनके दौरे के बाद पुलिस ने जिले में शूट-एट-साइट के आदेश दे दिए। धुबरी बांग्लादेश की सीमा से सटा इलाका है, इसीलिए काफी संवेदनशील माना जाता है। हिंसा भड़कने के बाद अब धुबरी में क्या हालात हैं? हिंदू-मुस्लिम पक्ष का क्या कहना है? ये जानने के लिए दैनिक भास्कर ग्राउंड जीरो पर पहुंचा। सबसे पहले जानिए…आखिर 7 जून को धुबरी में हुआ क्या थाअसम का धुबरी जिला ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे बसा है। ये बांग्लादेश की सीमा पर भारत का अंतिम जिला है। यहां मुस्लिम आबादी ज्यादा है। लगभग 19 लाख की आबादी वाले इस जिले में 73.49% मुस्लिम और 26.07% हिंदू हैं। यहां 7 जून को बकरीद के दिन वार्ड नंबर-3 में हनुमान मंदिर के सामने कथित तौर पर गोमांस के टुकड़े मिले। इसे लेकर इलाके में तनाव बढ़ा। हालात देखते हुए जिला प्रशासन ने हिंदू और मुस्लिम पक्ष के लोगों को साथ बैठाकर मीटिंग की। इसमें शांति बनाए रखने की अपील की गई। 8 जून को मंदिर के सामने दोबारा मांस के टुकड़े मिले। इसके बाद हिंसा भड़क गई। रात को ही जिले में कई जगह पत्थरबाजी की घटनाएं हुईं। देखते ही देखते प्रदर्शन हिंसक हो गया। दुकानों और गाड़ियों में तोड़फोड़ की गई। इसके कई वीडियो भी सामने आए। हम धुबरी में कोई तनाव नहीं चाहते, ये माहौल बिगाड़ने की साजिश सलीम खान धुबरी जिला मरकज कमेटी के सेक्रेटरी भी हैं। वे 7 जून की घटना को लेकर सवाल उठाते हुए कहते हैं कि जब मंदिर पर पुलिसबल तैनात था, फिर दोबारा ये घटना कैसे हो गई। उन्होंने बताया-, ‘ईद के एक दिन बाद हम लोग एक साथ बैठे थे। डीसी, उपायुक्त, एसपी और एडिशनल एसपी समेत सभी अधिकारी थे। तब तक मामला ठंडा हो चुका था। रात में वहां पुलिस भी तैनात हो गई। फिर अगले दिन दोबारा ऐसा कैसे हुआ।’ धुबरी के माहौल को लेकर वे आगे कहते हैं, ‘फिलहाल तो यहां माहौल पहले से शांत है, लेकिन लोग अब भी डरे हुए हैं। वे स्कूल-मार्केट जाने से भी डर रहे हैं।’ वे कहते हैं, ‘धुबरी में सब एक साथ रहते हैं, एक साथ उठते-बैठते हैं। हम नहीं चाहते कि यहां माहौल बिगड़े। हर दिन ऐसे ही भाईचारा बना रहे।’ धुबरी के ही रहने वाले सोशल एक्टिविस्ट दिलीप मजूमदार इसे शरारती तत्वों का काम बताते हैं। वे कहते हैं, धुबरी के लिए ये शर्म की बात है कि ऐसी घटनाएं हो रही हैं और इन्हें कवर करने के लिए नेशनल मीडिया आ रहा है। धुबरी का कल्चर हमेशा अच्छा रहा है, यहां का नाम मीडिया में हमेशा अच्छे कामों के लिए आना चाहिए। वे आगे कहते हैं, ‘मंदिर के पास ऐसा कुछ रखने का काम कोई अपराधी ही कर सकता है। मुझे नहीं लगता कोई जानबूझकर ऐसा करेगा। कोई बदमाश ही होगा जो पूरे धुबरी का माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रहा है।‘ अफवाहों पर भरोसा न करने की अपील करते हुए वे कहते हैं, ‘मैं सबसे रिक्वेस्ट करूंगा कि प्लीज अफवाहों पर यकीन मत कीजिए। हमारी गवर्नमेंट अच्छा काम कर रही है। अशांति से लोगों का बिजनेस डिस्टर्ब हो रहा है। धुबरी के लोग बहुत अच्छे हैं। बहुत कोऑपरेटिव हैं। किसी एक के बुरे काम के लिए हम माहौल नहीं खराब करना चाहते।‘ यहां हिंसा नहीं हुई, बस दंगों की अफवाह फैल गई हमने बकरीद पर बने माहौल को लेकर धुबरी के लोगों से भी बात की। यहां रहने वाले दिलीप कुमार दत्त बताते हैं कि अभी तो यहां शांति है। हिंदू-मुसलमान सब पहले की तरह साथ रह रहे हैं। वे कहते हैं, ‘असम के CM ने हालात संभाल लिए हैं। फिलहाल यहां ज्यादा दिक्कत नहीं है।’ दिलीप मानते हैं कि उस दिन भी साम्प्रदायिक हिंसा जैसी कोई स्थिति नहीं बनी थी, बल्कि बस इसकी अफवाह फैल गई। हम शांति पसंद करने वाले लोग हैं। हमारा बिजनेस है और शांतिपूर्ण तरीके से रहना चाहते हैं। पूरे देश में ये अफवाह फैल गई कि धुबरी में साम्प्रदायिक दंगे हो गए, जबकि ऐसी कोई बात ही नहीं है। ‘यहां शांति कमेटी बन गई। यहां रैपिड एक्शन फोर्स, असम पुलिस, CRPF, पैरा मिलिट्री कमांडो वाहिनी मौजूद हैं। सब एकदम अच्छा चल रहा है।‘ दिलीप आगे कहते हैं, ‘लोगों को अफवाहों पर ध्यान नहीं देना चाहिए। अगर कोई गलत जानकारी हो तो उसे लेकर एसपी मैडम को बताएं, खुद कुछ करने की जरूरत नहीं है। धुबरी के रहने वाले सोशल एक्टिविस्ट तौफीक अहमद भी लोगों से अफवाहों पर गौर न करने की अपील करते हैं। वे भी मानते हैं कि यहां का माहौल अफवाहों की वजह से बिगड़ा। वे कहते हैं, ‘धुबरी के लोग अब घबराएं नहीं। बस किसी गलत जानकारी या अफवाह पर ध्यान न दें। शांत रहें और संयम बरतें। अगर कोई दिक्कत आती है, तो तुरंत लोकल प्रशासन, पुलिस अधीक्षक (SP) या अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक से संपर्क करें।‘ घटना के बाद से लोगों में डर को लेकर वे कहते हैं कि अब हालात सामान्य हो रहे हैं। प्रशासन हमेशा हमारे लिए सतर्क रहा है। 150 से ज्यादा अरेस्ट, CM बोले- मंदिरों को नुकसान पहुंचाने वाला खास ग्रुप एक्टिवअसम के CM हिमंत बिस्व सरमा 24 जून को फिर धुबरी पहुंचे। साम्प्रदायिक हिंसा के बाद CM का ये दूसरा दौरा रहा। यहां उन्होंने मीडिया से बात करते हुए दावा किया कि अब तक हिंसा के आरोप में 150 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है। CM ने कहा, ‘हिंसा के पीछे मुख्य साजिशकर्ता की पहचान कर ली गई है। गिरफ्तार किए गए लोगों में 11 लोग असम के बाहर के हैं, जिनके खिलाफ पहले से आपराधिक मामले दर्ज हैं।‘ कर्फ्यू को लेकर उन्होंने बताया कि रात के कर्फ्यू के दौरान गोली मारने का आदेश अब भी लागू है। इससे पहले 13 जून को भी CM हिमंत बिस्व सरमा ने धुबरी का दौरा किया था। तब उन्होंने कहा था कि यहां एक खास ग्रुप हमारे मंदिरों को नुकसान पहुंचाने के इरादे से एक्टिव हो गया है।‘ ‘मंदिरों और पवित्र जगहों को अपवित्र करने वालों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की पॉलिसी है। हमने जिले में देखते ही उन्हें गोली मारने के आदेश जारी किए हैं। हम किसी भी कम्युनिटी के किसी भी वर्ग को इस तरह की गड़बड़ी करने की इजाजत नहीं दे सकते। हमारी सरकार इसे बर्दाश्त नहीं करेगी और धुबरी को हमारे हाथ से जाने नहीं देगी।’ CM ने ‘नबीन बांग्ला’ नाम के एक संगठन पर धुबरी को बांग्लादेश में शामिल करने वाले भड़काऊ पोस्टर लगाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि यहां एक नया गोमांस माफिया उभरा है। यहां पश्चिम बंगाल से हजारों मवेशी लाए गए हैं। वहीं धुबरी जिला आयुक्त दिबाकर नाथ ने बताया था कि शहर में हालात फिलहाल काबू में हैं। हमने देखते ही गोली मारने का आदेश रद्द कर दिया है। दुकानें और बाजार खुल गए हैं। लोगों को डरने की जरूरत नहीं, प्रशासन उनके साथ है। BJP: ये हिंदुओं को धुबरी से भगाने की कोशिश BJP ऐसी घटनाओं के जरिए हिंदुओं को डराने का आरोप लगाती है। असम BJP के चीफ प्रवक्ता किशोर उपाध्याय कहते हैं, ‘धुबरी में हिंदू अल्पसंख्यक हैं। उन्हें भगाने के लिए डराने की कोशिश हो रही है। बीफ को वेपनाइज किया जा रहा है। ये पूरे देश में हो रहा है।’ वे कांग्रेस पर ऐसी घटनाओं को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए कहते हैं, ‘असम कांग्रेस में लीडरशिप चेंज हुई है। उसके बाद से इस तरह की घटनाएं बढ़ी हैं।’ किशोर कथित बांग्लादेश समर्थन वाले पोस्टर लगाए जाने का भी जिक्र करते हैं। वे कहते हैं, ‘जो लोग बांग्लादेश के लिए सोचते हैं, जो इस्लामीकरण के बारे में सोचते हैं, उसके लिए जो भी कड़ा कदम होगा वो उठाया जाएगा। मुस्लिम देशों, पाकिस्तान से लेकर बांग्लादेश के सोशल मीडिया पर कांग्रेस को सपोर्ट किया जा रहा है।’ AUIDF: ये सब मुसलमानों को डराने की साजिश घटना वाला इलाका धुबरी विधानसभा क्षेत्र में आता है। यहां से ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) के नजमुल हक विधायक हैं। हमने नजमुल हक से बात करने की कोशिश की, लेकिन बात नहीं हो सकी। फिर हमने AIUDF के वाइस प्रेसिडेंट अमीनुल हक से बात की। वे BJP पर धुबरी में अशांति फैलाने का आरोप लगाते हैं। वे कहते हैं, ‘हमारे 6 विधायकों के दल ने 20 जून को धुबरी का दौरा किया है। यहां हालात अब भी सामान्य हैं और पहले भी ठीक थे। लोगों में जबरदस्ती का डर पैदा किया जा रहा है।‘ यहां BJP की पॉलिटिक्स का सबसे बड़ा कारण 2026 का चुनाव है। लोगों को बांग्लादेश का घुसपैठिया बनाकर जबरदस्ती पुश बैक कर रहे हैं। घटना पर सवाल करने पर अमीनुल आरोप लगाते हुए कहते हैं, ‘धुबरी में मुसलमानों को डराने के लिए ये सब किया गया है। घटना वाली जगह गोमांस भी नहीं था। वहां बकरी का मीट था। खुद एसपी ने ये बताया है। CCTV कैमरे में दिखा कि उसे मंदिर के सामने एक हिंदू औरत ने रखा। ये लोग जो कहानी बना रहे हैं, वो पूरी क्रिएटेड है।‘ ‘1992 के बाद से यहां हिंदू-मुस्लिम शांति से रह रहे हैं। यहां किसी ने एक-दूसरे को टच भी नहीं किया। फिर भी यहां आर्मी आ रही है। CRPF और BSF आ रही है।‘ कांग्रेस: BJP वाले खुद घटना में शामिल 2024 के लोकसभा चुनावों में सबसे बड़े अंतर से जीत धुबरी सीट पर ही हुई थी। यहां कांग्रेस उम्मीदवार रकीबुल हसन 10.25 लाख के सबसे ज्यादा अंतर से जीते थे। असम CM हिमंत ने कांग्रेस पर सांप्रदायिक तनाव भड़काने का आरोप लगाया है। हिमंत ने सीधे राहुल गांधी का नाम लेकर कहा, ‘ये राहुल गांधी की जहरीली मानसिकता को दिखाता है। अगर कोई हिंदू मांस रखना चाहता है, तो वो सूअर का मांस रखेगा, गोमांस नहीं। ये राहुल गांधी की जहरीली मानसिकता है।‘ हमने सीएम के आरोपों को लेकर असम कांग्रेस मीडिया सेल के प्रभारी बेदब्रत बोरा से बात की। वे कहते हैं कि लखीमपुर के विधायक मानव डेका के घर पर जिन लोगों ने BJP जॉइन की, वे इस घटना में शामिल निकले। ये सब BJP का ही किया धरा है। ‘राहुल गांधी कहते हैं कि जो लोग मांस की पॉलिटिक्स करते हैं, गाय की पॉलिटिक्स करते हैं, वे असली हिंदू नहीं हैं।‘ ....................... ये खबर भी पढ़ें... ‘मुसलमानों से शाहीन बाग का बदला लिया जा रहा‘ दिल्ली के बाटला हाउस में रहने वाले जमील अहमद कहते हैं कि मुसलमानों से शाहीन बाग का बदला लिया जा रहा है। CAA के खिलाफ प्रदर्शन की शुरुआत शाहीन बाग से ही हुई थी। ये कार्रवाई इसीलिए की जा रही है। हम कई साल से यहां रह रहे हैं, हमारे पास सारे कागज हैं, फिर अचानक हमारे घर अवैध कैसे हो गए। हमने सोच लिया है कि यहां से कोई मकान और दुकान खाली नहीं करेगा। पढ़िए पूरी खबर...
मुंबई से न्यूयॉर्क तक... ये हैं दुनिया के 10 सबसे व्यस्त रेलवे स्टेशन
railway stations in the world: रेलवे स्टेशन किसी भी देश की परिवहन व्यवस्था की जीवन रेखा होते हैं, वो वहां की इकॉनमी में भी अपना रोल निभाते हैं. जब कोई रेलवे स्टेशन ज़्यादा व्यस्त हो जाता है और वहां असाधारण मात्रा में ट्रैफ़िक होता है तो वहां का बुनियादी ढांचा शहरों की कार्यप्रणाली का उदाहरण बन जाता है.
यहां लोगों ने कभी नहीं देखी बिजली, अंधेरे में बीत जाती है जिंदगी; खौफनाक हैं ये देश
African Countries Electricity: बिजली की वजह से हर जगह पर रोशनी रहती है. साथ ही हर काम अच्छे तरीके से होता है लेकिन कई ऐसे देश हैं जहां के निवासी आज तक बिजली क्या होती है इसे जानते ही नहीं हैं. इनका जीवन अंधेरे में ही बीतता है.
Thailand Protest:लीक हुई इस कॉल में शिनावात्रा, हुन सेन को 'अंकल' कहकर संबोधित करती सुनाई दीं और थाई सैन्य कमांडर पर टिप्पणी करते हुए कहा कि उन्होंने सिर्फ कूल दिखने के लिए ऐसे बयान दिए जो किसी काम के नहीं थे.
Boeing jet collides with Airbus on runway: एविएशन इंडस्ट्री संकट के दौर से गुजर रही है. फ्लाइट में लोगों की सुरक्षा का भगवान ही मालिक है. ताजा मामले में दो विमान आपस में टकरा गए तो खौफनाक नजारा देखने को मिला.
हवा में हंगामा...अचानक बंद हो गया फ्लाइट का AC, क्रू मेंबर ने दी ऐसी सलाह, आगबबूला हो गए यात्री
America News: इंटरनेट पर एक वीडियो तेजी के साथ वायरल हो रहा है जिसमें देखा जा रहा है कि कुछ लोग फ्लाइट में गर्मी की वजह से परेशान है और अपने हाथ में पेपर लेकर उससे हवा लेने की कोशिश कर रहे हैं. यह वीडियो अमेरिका की एक फ्लाइट का है.
शाही ठाठ, नवाबी अंदाज...फ्लाइट में जापान की इस खूबसूरत राजकुमारी ने किया कुछ ऐसा, हर कोई हो गया फिदा
Japan Princess Kako: जापान की राजकुमारी काको का एक वीडियो सोशल मीडिया पर जबरदस्त वायरल हो रहा है. इस वीडियो में राजकुमारी इकॉनमी क्लास में चुपचाप खिड़की से सिर टिकाकर सो रहीं हैं.
8 फीट हाइट, अजीब सी रोशनी...जंगलों में दिखा डरावना मंजर, कहीं 'वेयरवोल्फ' तो नहीं?
Danes Dyke: ब्रिटेन के डेन्स डाइक, ब्रिडलिंगटन के जंगलों में खोज के दौरान शोधकर्ताओं ने एक ऐसी तस्वीर ली है जिससे हर कोई हैरान हो गया है. इस तस्वीर ने वेयरवोल्फ के होने की फिर से चर्चा छेड़ दी है.
एसपीडी ने दी एएफडी पर बैन लगाने के प्रस्ताव को मंजूरी
एसपीडी का मानना है कि संवैधानिक संस्थाओं को एएफडी की संवैधानिकता जांचने की जरूरत है ताकि उस पर प्रतिबंध लगाने की दिशा में आगे बढ़ा जा सके
Russia Ukraine war news:इस्तांबुल में जंंग रोकने के लिए रूसी और यूक्रेनी प्रतिनिधिमंडलों के बीच हाल ही में हुई दो दौर की संक्षिप्तवार्ता में कोई नतीजा नहीं निकला है. इसलिए आसमान में धुएं का गुबार है और फिजाओं में बारूद की महक है.
'राज' से शादी करने अमेरिका गई 24 साल की सिमरन कहां लापता, अंग्रेजी नहीं आती, परिवार का पता नहीं
अमेरिका के न्यू जर्सी शहर से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है. वहां से 24 साल की लड़की लापता हो गई है, वो अरेंज मैरिज के लिए अमेरिका गई थी और अब मिल नहीं रही है.
Gaza Relief Packets: इजरायल ने हमास के छापामार युद्ध के बाद गाजा पट्टी में उसके खिलाफ डेढ़ साल पहले जो सैन्य अभियान छेड़ा था, उससे हजारों फलस्तीनी मारे गए हैं. जबकि बड़े पैमाने पर पलायन के कारण उन्हें दो वक्त की रोटी भी नहीं मिल रही है. इस बीच राहत सामग्री को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है.
दरवाजा तोड़ घर में घुसा फज्र अली, फिर की दरिंदगी; रथयात्रा के दिन 21 साल की हिंदू महिला से रेप
Bangladesh Hindu Violence: बांग्लादेश में हिंदुओं के प्रति लगातार हिंसा बढ़ती जा रही है. हाल ही में एक शख्स ने अपने पिता के घर पर रह रही एक महिला के साथ दुष्कर्म किया. घटना का ढाका में काफी विरोध हो रहा है.
Russia Ukraine War: रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन यूक्रेन के खिलाफ निर्णायक जंग की तैयारी में है. दोनों देशों के बीच तीन साल से चल रहे युद्ध के बीच पुतिन ने नया प्लान बनाया है, ताकि वो जीत के साथ संघर्ष को समाप्त कर सकें.
Atomic Bomb: दुनिया की नींद उड़ी क्या ईरान चुपके से बना रहा है एटम बम तीसरे विश्व युद्ध का खतरा बढ़ा
News India live, Digital Desk : Atomic Bomb: दुनिया एक बार फिर एक बड़े खतरे के मुहाने पर खड़ी है। एक खुफिया रिपोर्ट ने ऐसा खुलासा किया है जिससे अमेरिका से लेकर इजरायल तक में हड़कंप मच गया है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान पूरी दुनिया की नजरों से बचकर एक ‘सीक्रेट मिशन’ पर काम …
हमास का मास्टरमाइंड खल्लास, 1200 इजरालियों की मौत का जिम्मेदार था इसा, IDF ने मौत की नींद सुलाया
Hamas attack on Israel: इजरायल ने एयरस्ट्राइक में हमास के उस खूंखार नेता को मार डाला है, जिसने 7 अक्टूबर 2023 के भीषण हमले की साजिश रचने के साथ आतंकियों की ट्रेनिंग की पूरी स्क्रिप्ट लिखी थी.
31 अगस्त 1995, वक्त शाम 5 बजकर 5 मिनट। पंजाब सिविल सचिवालय की बिल्डिंग से पगड़ी बांधे 6 फीट के सरदार जी NSG कमांडो के साथ पार्किंग की तरफ बढ़ रहे थे। उन्हें देखते ही गाड़ियों का काफिला पार्किंग में आकर रुका। सरदार दी एक सफेद रंग की एंबेसडर में बैठ गए। मेन गेट पर गाड़ी में बैठे बलवंत ने दिलावर की पीठ थपथपाई और बोला- ‘सफेद एंबेसडर में सरदार जी बैठे हैं। जा दिलावर, कौम के लिए शहादत देने का वक्त आ गया है।’ पुलिस की वर्दी पहने दिलावर तेजी से एंबेसडर की ओर दौड़ा। वह सरदार जी से चंद कदम ही दूर था कि उसकी कमर में बंधी बेल्ट में ब्लास्ट हो गया। धमाका इतना जोरदार था कि सरदार जी की कार की छत उड़कर 30 फीट ऊंची बिल्डिंग से जा टकराई। धुएं का गुबार छा गया। आस-पास की दर्जनों गाड़ियां धू-धू करके जल गईं। हर तरफ कटी-फटी लाशें पड़ी थीं। कहीं कटा हुआ हाथ, तो कहीं अधजले सिर-पैर और हाथ की उंगलियां। पंजाब सरकार के मंत्री और सरदार जी के साले शमशेर सिंह ढिल्लों और सरदार जी का पोता गुरकीरत सिंह कोटली भी वहां पहुंचे। एंबेसडर के पास जाकर देखा, गाड़ी की पीछे वाली सीट पर एक अधजली लाश पड़ी है। चेहरा झुलसकर काला पड़ चुका है। एक अधजला कटा हुआ हाथ गाड़ी से लटक रहा था। हाथ में एक खास ‘कड़ा’ था, जो पंजाब में एक ही आदमी पहनता था। ये सरदार जी कोई और नहीं, बल्कि पंजाब के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह थे। मौके पर पुलिस पहुंची तो पता चला सीएम समेत 17 लोगों के चीथड़े उड़ गए हैं। कुछ घंटे बाद पाकिस्तान से वधावा सिंह और मेहल सिंह के नाम से दो फैक्स मैसेज आए। फौरन केस सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया गया। पुलिस के मुताबिक ब्लास्ट की प्लानिंग पाकिस्तान में रची गई थी। 1994 की बात है। वधावा और मेहल को पता चला कि पंजाब के तीन जिलों में पुलिस ने फेक एनकाउंटर के बाद करीब 1800 लाशों को दफना दिया है। उनलोगों इनका बदला लेने की ठान ली। भारत से जगतार सिंह हवारा को बुलाया और मानव बम से सीएम बेअंत सिंह को उड़ाने का प्लान बनाना शुरू किया। हवारा अपने साथी के साथ ट्रक लेकर अमृतसर पहुंचा और बॉर्डर पार पाकिस्तान से 14 किलो RDX और बम बनाने का सामान लेकर मोहाली पहुंचा। फिर हवारा अपने साथी बलवंत, दिलावर के साथ मिलकर बम बनाना शुरू किया। टॉस करके हवारा ने फिक्स किया कि दिलावर सिंह मानव-बम बनेगा। अगर दिलावर फेल हुआ तो बलवंत सिंह बनेगा। इसके बाद ही पंजाब के सिविल सचिवालय में धमाका हुआ था। दैनिक भास्कर की सीरीज ‘मृत्युदंड’ में सीएम मर्डर केस के पार्ट-1 और पार्ट-2 की कहानी तो आप जान ही चुके हैं। आज पार्ट-3 में आगे की कहानी… 31 अगस्त 1995 को हुए जोरदार धमाके में सीएम बेअंत सिंह के चीथड़े उड़ गए थे। पुलिस को मौके पर दो पैर मिले। फोरेंसिक रिपोर्ट में पता चला कि ‘ब्लास्ट के बाद जो दोनों कटे हुए पैर मिले वो एक ही व्यक्ति के हैं। इन्हीं दोनों पैर के घुटने के ऊपर RDX जैसा कुछ बांधा गया था, जिससे सिर से लेकर घुटने तक का हिस्सा ब्लास्ट हो गया।’ सीबीआई ने पुलिस के साथ मिलकर जांच शुरू की। धमाके के अगले दिन यानी 1 सिंतबर 1995, पंजाब सिविल सचिवालय के पास सीबीआई को एंबेसडर DBA-9598 से जली हुई एक चिट्ठी मिली। पंजाबी में लिखा था- ‘मेरे साथी इस उम्मीद में मरे हैं कि मैं उनके दुखों को साझा करूंगा, अगर मैं चुप रहूंगा तो उनकी आत्मा को शांति नहीं मिलेगी और वे मुझे परेशान करेंगे।’ पुलिस ने गाड़ी नंबर के साथ कार की फोटो अखबार में छपवा दी। रजिस्ट्रेशन नंबर से पता चला कि यह गाड़ी दिल्ली की रेवा दत्ता ने बसंत सिंह को बेची थी। अगले दिन अखबार देखकर चंडीगढ़ सेक्टर-7 में रहने वाला एक पेंटर थाने पहुंचा। थानेदार से बोला- ‘साहब, 27 अगस्त को दो-तीन आदमी मेरे यहां यह गाड़ी पेंट कराने के लिए आए थे। 30 अगस्त को दिलावर और बलवंत गाड़ी लेकर गए थे।’ तीन दिन बाद पुलिस को पटियाला बस स्टैंड के पास एक लावारिस स्कूटर मिला। तहकीकात में पता चला कि स्कूटर बलवंत सिंह के नाम है। इसी स्कूटर के डिग्गी में एक बेल्ट-बम था, जिसे ब्लास्ट के बाद लखविंदर और बलवंत लेकर भागे थे। सीबीआई तुरंत स्कूटर के रजिस्टर्ड एड्रेस पर पहुंच गई और बलवंत के घर की तलाशी शुरू कर दी। कई किताबें खंगालने के बाद पुलिस को उग्रवादी संगठन बब्बर खालसा का एक लेटर पैड मिला। इस पर पंजाब सिविल सचिवालय के साथ कमांडो का स्केच बना था। तभी उन्हें याद आया कि ठीक ऐसे ही लेटर पैड पर सीएम बेअंत सिंह की हत्या की जिम्मेदारी ली गई थी। ये लेटर पैड UNI न्यूज एजेंसी के दिल्ली दफ्तर में फैक्स से भेजा गया था। जिसमें पाकिस्तान के वधावा और मेहल सिंह की फोटो भी थी। अब सीबीआई ने केस की कड़ी से कड़ी जोड़नी शुरू की। 5 सितंबर 1995 को लखविंदर चंडीगढ़ से गिरफ्तार हुआ। उसकी जेब से एक फटी हुई पर्ची मिली। इस पर हाथ से लिखा था- ‘I want death only, first CM Punjab you know, then PM' यानी- मैं सिर्फ मौत चाहता हूं, पहले सीएम की उसके बाद पीएम की।’ लखविंदर के बैंक अकाउंट खंगाले गए तो 3.75 लाख रुपए मिले। सीबीआई सख्ती दिखाती उससे पहले ही लखविंदर गुनाह कबूल कर लिया। सीबीआई ने पहला सवाल पूछा- ‘ब्लास्ट के लिए RDX कहां से आया?’ लखविंदर बिना घबराए बोला- ‘पाकिस्तान से’ ‘कैसे?’ जवाब मिला- '10 अगस्त को पटियाला का ट्रक ड्राइवर शमशेर हमारे साथी जगतार सिंह हवारा के साथ अमृतसर गया था। जैसे ही रात हुई वो दोनों बॉर्डर के पास पहुंचे, उस पार से दो लोगों ने 13 किलो 700 ग्राम RDX और बम बनाने का सामान बोरियों में भरकर दे दिया।’ उधर, 13 दिसंबर को सीबीआई ने दिल्ली से जगतार सिंह तारा को भी गिरफ्तार कर लिया। तारा ने ही जगतार सिंह हवारा को एंबेसडर कार दिलवाई थी। 17 सितंबर को मोहाली से नवजोत सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया। नवजोत सिंह की कोठी पर जगतार सिंह हवारा, बलवंत सिंह और दिलावर सिंह ने बाकियों के साथ मिलकर बेल्ट-बम, रिमोट बनाया था। पुलिस को नवजोत के घर से RDX, बम बनाने का सामान, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और रिमोट मिले। साथ ही एक डायरी भी मिली। इसमें लिखा था- ‘अब सतलुज यमुना लिंक नहर में पानी नहीं, बेअंत सिंह, केपीएस और उनके भ्रष्ट साथियों का खून बहेगा। भजन लाल का भी खून बहेगा। भारत के लोगों, भारत सरकार यानी चोरों और कालाबाजारियों की सरकार को इस बात पर खुश नहीं होना चाहिए कि उनकी कठपुतली सरकार यानी बेअंत सिंह के जरिए पंजाब में शांति आ गई है। ये हत्यारे डीजीपी गिल के साथ मिलकर फर्जी मुठभेड़ों में सिख युवकों की हत्या कर रहे हैं। सिख संघर्ष को बदनाम करने और जत्थेदारों को खत्म करने के लिए पुलिस ने फेक एनकाउंटर चलाया था, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।’ डायरी में जिस सतलुज यमुना लिंक नहर का जिक्र था वो पंजाब हरियाणा के बीच बहती है। आखिरकार 27 जनवरी 1996 को लुधियाना से बलवंत और हरियाणा से जगतार सिंह हवारा गिरफ्तार हो गए। पूछताछ में बलवंत सिंह और हवारा ने भी अपने गुनाह कबूल कर लिए। पुलिस ने बलवंत से पूछा- ‘मानव बम बनने वाला कौन था?’ मूंछ पर ताव देते हुए बलवंत बोला, ‘अपना साथी दिलावर, जिसका दिल भी बड़ा था। सिख कौम के लिए शहीद हो गया।’ ‘बेअंत सिंह को क्यों टारगेट किया?’, पुलिस ने फिर से पूछा। हवारा ने ठसक से बिना किसी मलाल के बोलना शुरू किया- ‘पंजाब के डीजीपी केपीएस गिल और मुख्यमंत्री बेअंत सिंह, दोनों सिख कौम के दुश्मन बन गए थे। पंजाब के हर गांव से चुन-चुनकर युवाओं को फेक एनकाउंटर में मारा जा रहा था। अमृतसर के तीन गांवों में ही हजारों युवाओं को मार दिया गया। दोनों में से किसी एक को मरना ही था।’ पुरानी फाइलें खोलने पर पता चला कि दिलावर, बलवंत और लखविंदर पंजाब पुलिस में कॉन्स्टेबल रह चुके थे। लखविंदर 7 जून 1993 तक पंजाब पुलिस में था। इस दौरान वह सचिवालय में भी तैनात था। उसे बेअंत सिंह की पूरी सुरक्षा के बारे में पता था। वहां के सुरक्षाकर्मी भी इन लोगों को जानते थे। बलवंत और दिलावर पुलिस की नौकरी के दौरान ही दोस्त बने थे। बलवंत ने अक्टूबर 1987 तक पंजाब पुलिस में नौकरी की थी। फिर पटियाला के जर्नलिस्ट भूषण सिरहिंद का गार्ड बन गया। जबकि दिलावर ने बतौर स्पेशल पुलिस ऑफिसर 9 जून 1993 से 18 सितंबर 1994 तक नौकरी की। उसने बब्बर खालसा संगठन से जुड़ने और पाकिस्तान में रह रहे वधावा सिंह और मेहल सिंह के कॉन्टैक्ट में आने के बाद नौकरी छोड़ दी। जगतार सिंह तारा और परमजीत सिंह के खिलाफ पहले से 1991 में अटेम्प्ट टू मर्डर के केस चल रहे थे, लेकिन दोनों ही बेल पर बाहर थे। जांच में ये भी पता चला कि लखविंदर ने बेल्ट के लिए टेलर से कहा था- ‘मां का ऑपरेशन हुआ है, उनकी सिंकाई के लिए ऐसी बेल्ट बना दो जिसमें गर्म पानी की बॉटल फंसाई जा सके।’ इसी बेल्ट में ब्लास्ट के लिए RDX बांधा गया था। सीबीआई ने कुल 8 आरोपियों- बलवंत, लखविंदर, गुरमीत, जगतार सिंह तारा, नवजोत, नसीब, शमशेर, जगतार सिंह हवारा के खिलाफ सीबीआई स्पेशल कोर्ट में चार्जशीट फाइल कर दी। मुख्य आरोपी बलवंत और हवारा को बनाया गया। दोनों हमले के मास्टरमाइंड थे। चंडीगढ़ स्पेशल सीबीआई कोर्ट में करीब 11 साल मामला चला। बचाव पक्ष में बलवंत और बाकियों ने खुद की पैरवी करने से इनकार कर दिया। सीबीआई की ओर से एडवोकेट ने कोर्ट में दलील देते हुए कहा- ‘दिलावर, बलवंत और लखविंदर खुद पंजाब पुलिस के कॉन्स्टेबल रह चुके थे। उन्होंने पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं के साथ मिलकर इस पूरे कांड का प्लान बनाया। ये लोग कीर्तन जत्था के नाम पर देश का माहौल बिगाड़ने में जुटे हुए थे। ये साजिश करीब 8 महीने पहले रची गई, सचिवालय जैसी सबसे सुरक्षित जगह पर बम ब्लास्ट करके मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के साथ 16 और बेगुनाहों को ब्लास्ट में उड़ा दिया गया। दिलावर ने मानव बम बनकर इस ब्लास्ट को अंजाम दिया। ब्लास्ट में कटे हुए उसके दोनों पैर के सैंपल उसके माता-पिता के डीएनए से मैच कर गए। इन आठों ने अपने इकबालिया बयान में कबूल किया है कि दिलावर मानव बम बना था। जिस स्कूटर से बलवंत सचिवालय गया था, उसकी डिग्गी में भी एक बेल्ट-बम मिला है। माय लॉर्ड, जिस तरह से इस पूरे षड्यंत्र को रचा गया, वह ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’ है। इन्हें फांसी की सजा मिलनी चाहिए। पंजाब के इतिहास के लिए 31 अगस्त 1995 का दिन काला दिन के तौर पर दर्ज हुआ है।’ बलवंत और बाकियों की तरफ से पैरवी करते हुए एडवोकेट अमर सिंह चहल ने कोर्ट में कहा- ‘दिलावर, जिसने इस घटना को अंजाम दिया, उसकी तो ब्लास्ट में ही मौत हो गई। बाकियों के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है। जिस आधार पर उन्हें सजा दी जाए।’ सीबीआई की दलील सुनने, 247 गवाहों के बयान दर्ज होने के बाद सीबीआई स्पेशल कोर्ट के एडिशनल जज रवि कुमार सौंधी ने 27 जुलाई 2007 को 1022 पन्नों के जजमेंट में अपना फैसला सुनाया। फैसला सुनाने की जगह चंडीगढ़ की बुड़ैल जेल यानी मॉडल जेल थी। सभी आरोपी इसी जेल में बंद थे। एडिशनल जज रवि कुमार सौंधी ने 6 आरोपियों को दोषी करार देते हुए कहा- ‘वाकई में 31 अगस्त 1995 पंजाब के इतिहास में दूसरा काला दिन रहा। सीएम बेअंत सिंह समेत 16 बेगुनाहों को बम-धमाके में उड़ा दिया गया। सीबीआई ने जो सबूत पेश किए हैं, उसमें स्पष्ट है कि दिलावर ही मानव बम बना था। टीम को इन्वेस्टिगेशन के दौरान दिलावर के घर से भगत सिंह की एक फोटो और उसके पिछले हिस्से में बेल्ट-बम का एक स्केच मिला था। जांच में ये बात भी सामने आई कि पाकिस्तान से करीब 14 किलो RDX बारूद लाया गया था। पूरी प्लानिंग पाकिस्तान से की जा रही थी। यह मामला रेयरेस्ट ऑफ रेयर है। पूरी बहस के बाद अब हम इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि इस ब्लास्ट के मास्टरमाइंड बलवंत और जगतार सिंह हवारा हैं। इन्हीं दोनों ने पूरी घटना को अंजाम तक पहुंचाया। इसलिए दोनों को मृत्युदंड सुनाया जाता है।’ कोर्ट ने आगे कहा- ‘नसीब सिंह के घर पर पाकिस्तान से लाया गया बारूद और RDX रखा गया था। घटना के वक्त आरोपी की उम्र 63 साल थी। इसलिए नसीब को 10 साल की सजा सुनाई जाती है। गुरमीत, लखविंदर और शमशेर सिंह को उम्रकैद की सजा सुनाई जाती है। बाकी आरोपियों के खिलाफ मुकदमा जारी रहेगा।’ बलवंत और जगतार सिंह हवारा की फांसी की सजा को कन्फर्म करने के लिए चंडीगढ़ स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट भेज दिया। 2010 की 29 मार्च को स्पेशल सीबीआई कोर्ट के एडिशनल जज रवि सौंधी ने बेअंत सिंह मामले में एक आरोपी परमजीत सिंह के खिलाफ उम्रकैद की सजा सुनाई। फिर सभी के खिलाफ मामला 12 अक्टूबर 2010 को हाईकोर्ट पहुंचा। कोर्ट ने अपने फैसले में बलवंत की फांसी की सजा को बरकरार रखा, जबकि जगतार सिंह हवारा की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया। उसके बाद 2012 में चंडीगढ़ सेशन कोर्ट ने बलवंत के खिलाफ डेथ वारंट जारी कर दिया। इसके बाद पूरे पंजाब में आंदोलन होने लगा। सिख समुदाय का एक तबका सड़क पर उतर आया। इसके बाद देश के राष्ट्रपति के पास याचिका दायर की गई। तब से मामला पेंडिंग है। फिर 2023 में बलवंत सिंह की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई। कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए मामले में केंद्र सरकार को फैसला लेने का आदेश दिया। फिर 2025 की जनवरी में सुप्रीम कोर्ट में बलवंत की तरफ से पैरवी की गई। सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने कहा कि फांसी की सजा पाए जेल में बंद कैदी के अधिकार का हनन हो रहा है। केंद्र को इस पर फैसला लेना चाहिए। कोर्ट ने केंद्र को बलवंत सिंह को लेकर फैसला लेने का आदेश दिया, लेकिन अभी तक मामला पेंडिंग है। जगतार सिंह हवारा 2004 में जेल की सुरंग खोदकर भागा था। उसे 2005 में दिल्ली से गिरफ्तार किया गया था। उसके बाद से वह दिल्ली की तिहाड़ जेल में ही बंद है। सीनियर जर्नलिस्ट जगतार सिंह और हरकवलजीत सिंह का मानना है कि- ‘बलवंत सिंह केंद्र सरकार के लिए गले की हड्डी बना हुआ है। न वह इसे निगल रहे हैं और न उगल रहे हैं। बलवंत को फांसी देने से पंजाब में माहौल खराब हो सकता है। 2012 में डेथ वारंट जारी करने के बाद ही सरकार को समझ आ गया था कि स्थिति कंट्रोल से बाहर हो सकती है। बेअंत सिंह देश के बाकी हिस्सों के लिए हीरो होंगे, लेकिन पंजाब का एक वर्ग उन्हें विलेन मानता है। बेअंत सिंह की मौत के तुरंत बाद उनकी पत्नी को लुधियाना से टिकट दिया गया था, लेकिन वह हार गईं। यदि बलवंत को जेल से रिहा किया जाता है या फांसी की सजा को उम्रकैद में बदला जाता है, इससे देश के बाकी हिस्सों में मैसेज जाएगा कि एक पूर्व मुख्यमंत्री के हत्यारों के साथ सरकार ने नरमी बरती है।' बेअंत सिंह के पोते गुरकीरथ सिंह कोटली का कहना है कि 'मेरे परिवार ने इस मामले में कभी पैरवी भी नहीं की। सरकार और कोर्ट का जो फैसला होगा, उसे ही मानेंगे। हमारी कोई मांग नहीं है कि बलवंत को फांसी की सजा ही हो।' 'मृत्युदंड' सीरीज में अगले हफ्ते पढ़िए एक और सच्ची कहानी... (नोट- यह सच्ची कहानी CBI चार्जशीट, कोर्ट जजमेंट, पूर्व CM बेअंत सिंह के पोते और पंजाब के पूर्व मंत्री गुरकीरत सिंह कोटली, सीनियर एडवोकेट अरुण सिंह चहल, जर्नलिस्ट जगतार सिंह और हरकवलजीत सिंह से बातचीत पर आधारित है। सीनियर रिपोर्टर नीरज झा ने क्रिएटिव लिबर्टी का इस्तेमाल करते हुए इसे कहानी के रूप में लिखा है।) ------------------------------------------------- सीएम मर्डर केस की पहली और दूसरी कड़ी पढ़िए 1. बटन दबाते ही बेल्ट में धमाका, 17 लोगों के चीथड़े:कटे हाथ से पता चला मुख्यमंत्री मारे गए; सीएम मर्डर केस, पार्ट-1 तारीख- 31 अगस्त 1995, वक्त सुबह के 6 बजे और जगह चंडीगढ़। दिलावर सिंह, चमकौर सिंह और बलवंत नाम के तीन सरदार सोकर उठे। दिलावर बोला- 'चमकौर, तुम फौरन चंडीगढ़ छोड़कर चले जाओ। हम लोग बड़ा काम करने जा रहे हैं।’ चमकौर सकपका गया। बोला, ‘कौन-सा बड़ा काम पाजी। ऐसे क्यों बोल रहे हो?’ पढ़िए पूरी कहानी... 2. टॉस जीतकर बोला, मैं बनूंगा मानव-बम:1800 लोगों को मरवा चुका है CM, उसे मारा नहीं तो हम भी मरेंगे; CM मर्डर केस, पार्ट-2 पाकिस्तान का लाहौर शहर। साल 1994 और नवंबर का महीना। रात के 8 बज रहे थे। एक कमरे में नारंगी पगड़ी बांधे वधावा सिंह और मेहल सिंह नाम के दो आदमी आपस में बात कर रहे थे- ‘यह सिख कौम का नंबर एक दुश्मन बनता जा रहा है। एक साल के भीतर इस प्लान को मुकाम तक पहुंचाना होगा। नहीं तो, हम भी नहीं बचेंगे। पढ़िए पूरी कहानी...
Israel Pakistan News: अमेरिका के कहने पर ईरान ने इजरायल के साथ युद्ध विराम तो कर लिया है लेकिन इसके साथ ही उसने अगली जंग की तैयारी भी शुरू कर दी है. उसके इस रुख से पाकिस्तान में अजीब सी घबराहट फैली हुई है.
‘दुनिया में कई देशों के पास परमाणु हथियार हैं। आप इजराइल से क्यों नहीं पूछते, आप पाकिस्तान से क्यों नहीं पूछते, भारत से क्यों नहीं पूछते। ईरान क्यों स्पेशल है। मुझे लगता है कि इस वजह से इजराइल को ईरान पर हमला नहीं करना चाहिए था।’ ये इजराइल के यरुशलम में रहने वाले अहमद शराफत का जवाब है। हमने उनसे पूछा था कि ईरान पर इजराइली हमले के बारे में वे क्या सोचते हैं। अहमद सुन्नी मुसलमान हैं और ओल्ड यरुशलम में दुकान चलाते हैं। ओल्ड यरुशलम ऐसा इलाका है, जहां दुनियाभर से टूरिस्ट आते हैं। आम दिनों में यहां रौनक होती है, भीड़ होती है और खूब कारोबार होता है। अब इस पुराने शहर की सड़कें सूनी हैं। न टूरिस्ट हैं, न रौनक है और कारोबार ठप हो गया है। 5 हजार साल पुराना, पत्थरों से बना शहरआप 5 हजार साल पुराने यरुशलम शहर में दाखिल होते हैं, तो आंखें चमक उठती हैं। तेज धूप से भी और सुनहरे पत्थरों से बनी इमारतों से भी। शहर में बनी हर इमारत यरुशलम स्टोन से बनी है। शहर यहूदा पर्वतमाला पर बसा है। यहीं से निकलने वाले लाइमस्टोन से शहर को बनाया और तराशा गया है। इस शहर को धर्मों की जननी कहा जाता है, अब्राहमिक, इस्लाम और ईसाई धर्म की पवित्र जगहें यहीं हैं। यही वजह है कि ईरान ने इस शहर को टारगेट कर हमला नहीं किया। यरुशलम के मशहूर ‘गोल्डन डोम ऑफ द रॉक’ के ठीक बगल से अल अक्सा मस्जिद है। इसी की वजह से पूरे कैंपस को अल-अक्सा कहा जाता है। जुमे की नमाज पर यहां काफी तनाव रहता है। नमाज के बाद भीड़ कई बार प्रोटेस्ट करती है। फिर इजराइली पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प होती है। ये जगह पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा तनाव, हिंसा, दमन और संघर्ष का गढ़ है। एक स्क्वायर किमी से भी कम जगह में बसा ओल्ड यरुशलम पत्थरों की दीवार से घिरा है। 16वीं सदी में ओटोमन सुल्तान सुलेमान ने ये दीवारें बनवाई थीं। उन्होंने ही इस बसे हुए शहर को संवारा। शहर में चार क्वार्टर हैं- यहूदी क्वार्टर, ईसाई क्वार्टर, मुस्लिम क्वार्टर और आर्मेनियन क्वार्टर। ओल्ड यरुशलम में करीब 35 हजार लोग रहते हैं। इनमें सबसे ज्यादा करीब 25 हजार मुस्लिम, 4-5 हजार यहूदी, 3 हजार ईसाई और करीब एक हजार आर्मेनियन हैं। ओल्ड यरुशलम मुस्लिम आबादी वाला इलाका है, इसलिए हम यहां पहुंचे। ये जानने के लिए कि इजराइल-ईरान युद्ध पर यहां के मुसलमानों की राय क्या है। यरुशलम पर इजराइल का कंट्रोल पूरे यरुशलम पर इजराइल का कंट्रोल है। वो इसे अपनी राजधानी मानता है। हालांकि इस जमीन और राजधानी के दावे पर विवाद है। सबसे पहले अमेरिका ने यरुशलम को इजराइल की राजधानी के तौर पर मान्यता दी थी। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया ने 2018 में पश्चिम यरुशलम को इजराइल की राजधानी मान लिया। हालांकि 2022 में उसने अपना फैसला वापस ले लिया। यहां रहने वाले मुस्लिम वैसे तो इजराइली नागरिक हैं, लेकिन वे खुद को फिलिस्तीनी पहचान से जोड़कर देखते हैं। उनका मानना है कि यहां इजराइल का कब्जा है। यही इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष की वजह है। खूबसूरत गलियारे और चमकती दुकानों वाला मुस्लिम क्वार्टरलौटते हैं यरुशलम की गलियों में। यहीं मुस्लिम क्वार्टर है, चारों तरफ सफेद पत्थरों से बने खूबसूरत गलियारे और चमकती हुई दुकानें। यही हमें अहमद मिले, जिनकी बात से हमने स्टोरी शुरू की थी। अहमद कहते हैं, ‘इजराइल-ईरान युद्ध की वजह से बहुत बुरे हालात हैं। दो हफ्ते बाद पहली बार दुकान खोली है। सीजफायर के बाद भी सड़कों पर सन्नाटा है। दूसरे देशों से कोई टूरिस्ट नहीं आ रहा है। एयरपोर्ट बंद है। लोगों को आने से डर लग रहा है।' मेरा बिजनेस 90% घट गया है। गाजा, लेबनान, ईरान हर जगह लड़ाई चल रही है। ऐसे में कोई कैसे आएगा। हम तो यही उम्मीद करेंगे कि हालात बेहतर हो जाएं। ‘ईरान और इजराइल के बीच 45 साल से तनाव रहा है। ईरान में पहले बम बरसाए गए। इजराइल ने जमकर बमबारी की। दुनिया में कोई इजराइल को कुछ नहीं कह रहा है। वो अपनी मनमानी किए जा रहा है। यहां के मुस्लिम-ईसाई दोनों ईरान-इजराइल युद्ध के बीच पिस रहे हैं।’ दो साल पहले सब गुलजार था, अब वीरान मोहम्मद लिफ्ताउई भी यरुशलम के रहने वाले हैं। वे टूरिज्म के कारोबार से जुड़े हैं। सुबह से अपनी दुकान के बाहर बैठे हैं। दोपहर होने को आई, लेकिन एक भी ग्राहक नहीं आया। मोहम्मद कहते हैं, ‘12 दिन की जंग के बाद आज मैंने दुकान खोली है।' 'मैंने इतना खाली यरुशलम कभी नहीं देखा। 2 साल हो गए, कारोबार ठप है। अगर आप अक्टूबर 2023 के पहले आते, तो यही जगह आपको लोगों से गुलजार दिखती। अब न टूरिस्ट हैं, न कारोबारी। हर किसी को डर लगा रहता है।’ यरुशलम में कश्मीरी बर्तनों की दुकान मुस्लिम क्वार्टर में मोहम्मद की बर्तन की दुकान है। ये आम बर्तन नहीं हैं, कीमती मेटल से बने होते हैं। मोहम्मद कश्मीरी बर्तन भी बेचते हैं। वे कहते हैं, ‘जंग के दौरान 12 दिन सब बंद रहा। सरकार ने पूरी ओल्ड सिटी को बंद कर दिया था। मुझे लगता है कि युद्ध के बाद हालात बेहतर होंगे। इस उम्मीद में बैठे हैं कि दुनियाभर से टूरिस्ट आएंगे।‘ हमने मोहम्मद से पूछा कि ईरान और इजराइल में से कौन सही है और कौन गलत? वे जवाब देते हैं, ‘मैं सियासी बातें नहीं करता। अब हमने इन सब बातों की परवाह करना बंद कर दिया है। यहां पहले से बहुत दिक्कतें चल रही हैं। आप गाजा और हमारी दूसरी जमीनों पर देख रहे हैं, क्या चल रहा है। अब हमें फर्क नहीं पड़ता।’ ईरान शिया आबादी वाला देश है। मोहम्मद सुन्नी है। हमने उनसे पूछा यरुशलम में शिया आबादी कहां रहती है। वे बताते हैं, ‘यरुशलम में शिया नहीं रहते। यहां मुस्लिम, क्रिश्चियन और यहूदी हैं और सभी मिलकर रहते हैं।’ इजराइल में शिया नहीं रहते, 1948 में इजराइल बनते ही लेबनान गएइजराइल की आबादी करीब 1 करोड़ है। इसमें मुस्लिम करीब 18% हैं। सारे मुस्लिम सुन्नी ही हैं। शिया न के बराबर हैं। ये अलावी पंथ के शिया हैं। वे गलीलिया, ट्रायंगल और नेगेव एरिया में रहते हैं। हालांकि उनकी आबादी कितनी है, इसका डेटा नहीं है। ब्रिटिश काल में 1920–1948 के बीच उत्तरी गलीलिया में शियाओं के सात गांव तातबिक्हा, सलीहा, मलकियेह, नबी युशा, कादास, हुनिन, और अबिल अल-काम थे। इन्हें 1948 के अरब–इजराइल युद्ध के दौरान खाली करा लिया गया। वहां रहने वाले शिया लेबनान चले गए, जहां शियाओं की अच्छी आबादी रहती है। 1994 में लेबनान ने इजराइल से आए शिया शरणार्थियों को नागरिकता दे दी। इससे वे वहीं बस गए। इजराइल में 18%, संसद में 5% मुस्लिमइजराइली जर्नलिस्ट ओरेन भारत आते रहते हैं। भारत को अच्छी तरह समझते हैं। ओरेन कहते हैं, ‘इजराइल में करीब 18% मुस्लिम हैं। यहां की संसद में सिर्फ 5% मुस्लिम हैं। सरकारी नौकरियों, पुलिस, कोर्ट में भी उनकी हिस्सेदारी कम है। इजराइल में लगभग सभी मुसलमान सुन्नी हैं। शिया न के बराबर हैं।’ ‘हमने अब तक किसी अल्पसंख्यक को ईरान के परमाणु कार्यक्रम का सपोर्ट करते नहीं देखा है। आपको सड़कों पर अरब मुसलमानों का प्रदर्शन नहीं दिखेगा, जिसमें ईरान का समर्थन किया गया हो। हालांकि मुसलमानों को लगता है कि ये युद्ध राजनीति से प्रेरित था। मेरे कई अरब दोस्त हैं। उनमें से ज्यादातर मानते हैं कि ये युद्ध इजराइल की इंटरनल पॉलिटिक्स से जुड़ा है।’ 'युद्ध की शुरुआत जिहादी ग्रुप हमास की वजह से हुई थी। हमास ने साउथ इजराइल में मुसलमानों की भी हत्या की थी। मुझे लगता है कि अरब आबादी की नाराजगी नेतन्याहू की पॉलिटिक्स को स्वीकार नहीं करने की वजह से ज्यादा है।’ फिलिस्तीनियों पर सख्ती, लेकिन यरुशलम पहले से शांत फिर लौटते हैं ओल्ड यरुशलम में। यहां मस्जिद, चर्च, वेस्टर्न वॉल सब कुछ आसपास ही है। तीनों समुदायों की आबादी भी साथ ही रहती हैं। इजराइली यहूदी कोरेन इसी शहर में जवान हुए। उन्होंने तनाव का दौर भी देखा है, जब फिलिस्तीनियों ने इजराइल के खिलाफ इंतिफादा आंदोलन चलाया था। तब हर दिन सड़कों पर पत्थरबाजी और झड़प होती थी। कोरेन बताते हैं, ‘पहले के मुकाबले अब यरुशलम शांत है। कम से कम ऊपर से तो शांत ही दिखता है। कभी-कभार हल्के प्रदर्शन होते हैं। 2 साल से गाजा में चल रहे युद्ध और वेस्ट बैंक में रह रहे फिलिस्तीनियों पर सख्ती के बाद से नाराजगी बढ़ी है। फिर भी कोई बड़ा प्रदर्शन नहीं हुआ।’ कोरेन कहते हैं, ‘अगर आप यरुशलम का धार्मिक इतिहास पढ़ते हैं, तो ऐसा लगता है कि ये सभी धर्मों का केंद्र है। यहां आकर सब मिल जाते हैं। फिर भी दशकों से यहां धर्म के नाम पर लड़ाई चल रही है। मुझे लगता है कि ये धरती एकता की जमीन होनी चाहिए।’ ‘यहूदी और इस्लाम में काफी कुछ मिलता है। हमारे नाम, हमारी लिपि की स्टाइल, हमारे पूर्वज सब एक ही हैं। फिर क्यों लड़ाई हो रही है, क्यों नहीं इसे बात करके हमेशा के लिए खत्म कर दिया जाए और शांति हो। जिन पैसों का इस्तेमाल हिंसा के लिए हो रहा है, उसका इस्तेमाल लोगों की भलाई के लिए भी तो हो सकता है।’ ........................................ ईरान-इजराइल जंग पर ग्राउंड जीरो से ये स्टोरी भी पढ़िए...
‘मैंने कहा था कि 31 मार्च, 2026 को यह देश नक्सलवाद से मुक्त हो जाएगा। आज मैं दोहराना चाहूंगा कि जिस तरह से सुरक्षाबलों ने वीरता दिखाई है, हम इस लक्ष्य को हासिल करेंगे। देश नक्सलवाद से मुक्त होगा, वो क्षण आजादी के बाद सबसे महत्वपूर्ण क्षणों में से एक होगा।’ गृह मंत्री अमित शाह ने 23 जून, 2025 को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में ये बात कही। वे बार-बार ये बात दोहरा रहे हैं। संसद में भी कह चुके हैं। साल 2013 में नक्सलियों का 20 राज्यों के 182 जिलों में असर था। अब ये घटकर सिर्फ 38 रह गए हैं। लगातार ऑपरेशन की वजह से नक्सल लीडरशिप खत्म हो रही है, फंडिंग रुकी हुई है। 58 साल पुराना और 40 हजार से ज्यादा जानें ले चुका नक्सलवाद क्या वाकई 31 मार्च 2026 तक खत्म हो जाएगा। दंतेवाड़ा के जंगलों से दिल्ली तक यही सवाल है। ‘नक्सलगढ़ से भास्कर’ सीरीज की आखिरी स्टोरी में हमने इसी सवाल का जवाब तलाशा है। इसके लिए हम छत्तीसगढ़ के नारायणपुर और बीजापुर के उस इलाके में गए, जहां दो महीने से नक्सलियों के एनकाउंटर चल रहे हैं। पिछले 50 साल से बस्तर की खबर कवर कर रहे सीनियर जर्नलिस्ट राजेंद्र बाजपेयी से मिले, जिन्होंने नक्सलवाद को पनपते, फैलते और फिर सिमटते देखा है। नक्सलवाद के बड़े पड़ावसाल: 1954 नक्सलबाड़ी से 13 साल पहले सुकमा में दिखा ‘नक्सलवाद’1967 में पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी गांव में किसान जमींदारों के खिलाफ खड़े हो गए। ये आंदोलन भले कुचल दिया गया हो, लेकिन नक्सलवाद की शुरुआत यहीं से हुई। वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित ये आंदोलन छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और केरल तक फैल गया। राजेंद्र बाजपेयी बताते हैं, ‘नक्सलबाड़ी से 13 साल पहले ही बस्तर में नक्सलवाद की पहली झलक दिख गई थी। तब 1954 में सुकमा में एक रैली हुई थी। जमींदारों के खिलाफ एक मुस्लिम लीडर के पीछे हजारों आदिवासी जुटे थे। तब के एक पुलिस अधिकारी ने शासन को भेजी रिपोर्ट में लिखा था कि यह आंदोलन भविष्य में बड़ा हो सकता है। यह रिपोर्ट केंद्र तक गई जरूर, लेकिन कभी बाहर नहीं आई।’ ‘इसके बाद 1980 के दशक में आंदोलन संगठित हुआ। दिलचस्प बात यह है कि इसे अफसरों ने खुद अनजाने में हवा दी। तब के कलेक्टर ने केंद्र से ज्यादा फोर्स और हथियार पाने के लिए मीडिया से नक्सलियों की मौजूदगी को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने के लिए कहा। पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश में दबाव बढ़ा, तो नक्सलियों ने बस्तर के घने जंगलों को अपना ठिकाना बना लिया।’ ‘यहां उन्होंने आदिवासियों की दुखती रग को पकड़ा। आदिवासियों का सबसे ज्यादा शोषण फॉरेस्ट गार्ड और पटवारी करते थे। नक्सलियों ने 'जन अदालतें' लगाकर करप्ट सरकारी कर्मचारियों की सरेआम पिटाई की। इससे वे आदिवासी समाज के लिए मसीहा बन गए।’ ‘यह रिश्ता सिर्फ डर का नहीं, बल्कि भरोसे का भी था। नक्सली गांववालों की छोटी-छोटी जरूरतों का ध्यान रखते, बीमारों का इलाज करते। तब सरकारी सिस्टम से लोगों को कोई मदद नहीं मिलती थी। नक्सलियों ने आदिवासियों का भरोसा जीता और साउथ बस्तर में अपनी ‘सरकार’ चलाने लगे। दूसरा पड़ाव: सलवा जुडूमनक्सलियों के खिलाफ आंदोलन, जिसने नक्सलवाद को हवा दीराजेंद्र बाजपेयी बताते हैं, 'शुरुआत में बस्तर के जंगलों में एक धारणा बनी हुई थी। पुलिस गुरिल्ला युद्ध नहीं जानती और नक्सली सीधी लड़ाई से बचते हैं। गांवों में सड़कों के साथ सिक्योरिटी फोर्स की गाड़ियां पहुंचीं, तो ये नियम भी टूट गया।' 'जंगलों का सन्नाटा बारूदी धमाकों (IED) से टूटा। नक्सलियों ने घात लगाकर हमला करने को सबसे बड़ा और कारगर हथियार बना लिया। उनका आंख-कान गांव के लोग थे।' 'ताकत मिली तो मनमानी भी शुरू हो गई। नक्सलियों ने लोगों को गणेश पूजा करने से रोक दिया। रोजी-रोटी के सबसे बड़े जरिए तेंदूपत्ता के लिए बाहर जाने पर रोक लगा दी। रोटी पर संकट आया, तो दशकों से दबा गुस्सा फूट पड़ा।’ 'बीजापुर के कुटरू गांव से सलवा जुडूम की शुरुआत हुई। सलवा जुडूम यानी शांति का कारवां कांग्रेस नेता महेंद्र कर्मा के दिमाग की उपज थी। तब राज्य में BJP की सरकार थी, लेकिन कांग्रेस नेता के आंदोलन की शुरुआत में गवर्नर, मुख्यमंत्री, गृहमंत्री, कलेक्टर, एसपी, सब पहुंचे। यह पहली बार था, जब नक्सलियों के खिलाफ आम लोगों ने हथियार उठा लिए। सरकार ने गांव के लड़कों को स्पेशल पुलिस ऑफिसर बनाकर बंदूकें थमा दीं। जल्द ही, ये बंदूकें पुरानी दुश्मनी निकालने का जरिया बन गईं। इसने लोगों में गुस्सा भर दिया। जो लड़ाई नक्सलियों के खिलाफ शुरू हुई थी, वो गांववालों को आपस में लड़ाने लगी। नक्सलियों ने इसका फायदा उठाया और आदिवासियों को वापस अपने पाले में कर लिया। नक्सलवाद का गढ़ बस्तरराजेंद्र बाजपेयी बताते हैं, ‘आज बस्तर सबसे बड़े सैन्य जमावड़े का गवाह है। यहां करीब 1.5 लाख जवान तैनात हैं। हर 5 किलोमीटर पर एक कैंप है। नक्सलवाद अपने सबसे कमजोर दौर में हैं। नक्सलियों का 85% संगठन खत्म हो चुका है। 1500 करोड़ की सालाना फंडिंग लगभग बंद है। अब वे जवानों से हथियार नहीं लूट पा रहे हैं।’ ‘इस कामयाबी के पीछे डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड है। ये जवान यही पले-बढ़े हैं। वे जंगल के भूगोल और नक्सलियों की हर चाल से वाकिफ हैं। नक्सली रह चुके लोग भी DRG में हैं। इससे पुलिस का खुफिया तंत्र अभेद हो गया है। अब जानकारी नक्सलियों को नहीं, सिक्योरिटी फोर्स को मिल रही है।’ ‘नक्सली संगठन सिर्फ बाहरी हमलों से नहीं, अंदरूनी कलह से भी टूट रहा है। बड़े नेताओं के मारे जाने से कैडर का मनोबल गिरा है। ऐसी भी खबरें हैं कि आंध्रप्रदेश के नक्सल लीडर लोकल कैडर के साथ भेदभाव करते हैं। महिला कैडर का शोषण करते हैं। इससे संगठन की जन-योद्धा वाली छवि टूटी है। इसी वजह से नक्सली संगठन छोड़कर सरेंडर कर रहे हैं।’ ‘फिर भी 2026 तक नक्सलवाद खत्म होना मुश्किल’राजेंद्र बाजपेयी मानने को तैयार नहीं हैं कि 2026 तक नक्सलवाद खत्म हो जाएगा। वे कहते हैं, ‘नक्सली बैकफुट पर जरूर है, लेकिन वे अब भी हमला करने की ताकत रखते हैं। 2026 की डेडलाइन राजनीतिक लक्ष्य हो सकती है, लेकिन यह लड़ाई अभी जारी रहेगी।’ बीजापुर के 60% गांव नक्सल प्रभावितजगदलपुर से हम बस्तर के सबसे ज्यादा नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले में पहुंचे। यहां जर्नलिस्ट गणेश मिश्रा से मिले। वे बताते हैं, ‘जिले के 639 गांवों में से 60% नक्सल प्रभावित हैं, खासकर गंगालूर और अबूझमाड़ का इलाका। हालांकि नए कैंप और सड़कों की वजह से नक्सलियों के सुरक्षित ठिकाने खत्म हो रहे हैं। वे अब एक जगह टिककर नहीं रह सकते।’ ‘नक्सलवाद के खिलाफ सरकार की दोहरी रणनीति का असर साफ दिख रहा है। सैन्य अभियान, जिसमें आंध्र और तेलंगाना के बड़े नक्सली लीडरों को टारगेट किया जा रहा है। दो साल में 15 से ज्यादा टॉप कमांडर मारे गए हैं।' 'दूसरी तरफ, उन इलाकों में सुविधाएं दी जा रही हैं, जहां 40% आबादी के पास नागरिकता तक का सबूत नहीं था। सरकार राशन और स्वास्थ्य जैसी सुविधाएं दे रही है, तो नक्सलियों पर उनकी निर्भरता खत्म हो रही है।’ क्या 2026 तक नक्सलवाद खत्म हो सकता है? इस सवाल पर गणेश मिश्रा हां या ना में जवाब नहीं दे पाते। वे कहते हैं ऐसा होना मुमकिन भी है और नहीं भी। मुमकिन क्यों है: लोगों को भरोसा देकर कि सरकार उनके साथ है, नक्सलवाद को खत्म घोषित किया जा सकता है। सरकार ने इस बार जवानों और अधिकारियों को फ्री हैंड दिया है। ऐसा पहले नहीं था। मुश्किल क्यों है: आप ताकत का इस्तेमाल करके नक्सलियों को मार सकते हैं, लेकिन 40 साल पुरानी विचारधारा को खत्म नहीं कर सकते। भले ही आप जंगलों से नक्सलवाद खत्म कर दें, लेकिन शहरों में इसे जिंदा रखने वाले और बढ़ावा देने वाले लोगों को खत्म करना बहुत मुश्किल है। सिर्फ किसी को मारकर नक्सलवाद खत्म करना बहुत मुश्किल है। ‘31 मार्च के बाद लड़ाई नया मोड़ लेगी’जर्नलिस्ट रानू तिवारी नक्सलियों से जुड़ी खबरें कवर करते रहे हैं। वे हाल में सुकमा जिले के एर्राबोरा से आए थे। इसी जगह कोंटा डिवीजन के एएसपी आकाश राव गिरिपुंजे IED ब्लास्ट की चपेट में आकर शहीद हो गए थे। रानू नक्सलवाद के खात्मे के दावों पर अलग नजरिया रखते हैं। वे कहते हैं, ‘सरकार के बयान धीरे-धीरे बदल रहे हैं। पहले कहा गया माओवाद खत्म करेंगे, अब कहा जा रहा है सशस्त्र माओवाद खत्म करेंगे। इसका मतलब है कि हथियारबंद कैडर या तो मार दिया जाएगा या गिरफ्तार कर लिया जाएगा, लेकिन विचारधारा बनी रहेगी।’ ‘सरकार की स्ट्रैटजी हर 10 किमी पर कैंप बनाकर यह घोषित करने की हो सकती है कि इलाका अब हमारे कंट्रोल में है। वह इसकी तुलना ओडीएफ मुक्त गांव से करते हैं। कागजों पर गांव खुले में शौच से मुक्त हो जाता है, लेकिन हकीकत कुछ और होती है। शायद 31 मार्च 2026 को माओवाद को भी इसी तरह खत्म घोषित कर दिया जाएगा।’ रानू कहते हैं, 31 मार्च के बाद यह लड़ाई नया और ज्यादा जटिल मोड़ लेगी। बंदूकों से कैडर खत्म हो सकता है, लेकिन विचारधारा नहीं। बड़े नक्सलियों जैसे बसवाराजू के मारे जाने से लीडरशिप कमजोर हुई है, लेकिन ये एक पार्टी है, उसका एक ढांचा है। रानू तिवारी कहते हैं, ‘सबसे बड़ा सवाल जमीन और संसाधनों का है। ऐसी बातें चल रही हैं कि अबूझमाड़ में सेना के लिए फायरिंग रेंज बनाने की योजना है। इसके लिए 54 गांव खाली कराए जा सकते हैं। इसी इलाके में तीन-चार बड़ी खदानें अलॉट हुई हैं।' 'अगर नक्सलवाद खत्म होने के बाद सरकार इन खदानों में काम शुरू करती है या फायरिंग रेंज बनाती है, तो आदिवासियों के साथ नई लड़ाई शुरू हो सकती है। विस्थापन का हमारा पिछला रिकॉर्ड अच्छा नहीं रहा है।’ IG बोले- नक्सली कुछ जगहों में सिमटे, ज्यादातर इलाके मुक्तबस्तर रेंज के आईजी पी सुंदरराज कहते हैं, सरकार और जनता दोनों की इच्छा है कि नक्सलवाद खत्म हो। सुरक्षाबलों ने इसे संकल्प की तरह लिया है। 2024 और 2025 में जैसी कामयाबी मिली, उससे पूरा भरोसा है कि नक्सल गतिविधियां जल्द खत्म होंगी।’ ‘नक्सल अभियान क्लाइमेक्स स्टेज में है। माओवादियों का एरिया सिमट गया है। कई इलाकों में उनकी गतिविधियां खत्म हो चुकी हैं। अब सिर्फ कुछ पॉकेट्स बचे हैं। ये पॉकेट्स इंटर डिस्ट्रिक्ट और इंटरस्टेट इलाकों में हैं।’ ‘जिलों को नक्सल-मुक्त घोषित करने में जल्दबाजी न हो’पूर्व DGP आरके विज के मुताबिक, नक्सलवाद अपने सबसे कमजोर दौर में है। खुद माओवादी अपना जनाधार घटने की बात मान चुके हैं। उनकी टॉप लीडरशिप बिखर चुकी है। 2007 में 40 से ज्यादा सेंट्रल कमेटी मेंबर थे, आज सिर्फ 17-18 बचे हैं। हालांकि आरके विज चेतावनी देते हैं कि चुनौती अभी खत्म नहीं हुई है। उनके कई सीनियर लीडर अब भी एक्टिव हैं। इसलिए जिलों को नक्सल-मुक्त घोषित करने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। 10 दिन में 6 मर्डर, इनमें एक सरेंडर कर चुका नक्सलीबस्तर में बीते 10 दिन में नक्सलियों ने 6 लोगों की हत्या की है। पामेड़ थाना क्षेत्र में दो लोगों की हत्या की गई, इनमें से एक सरेंडर कर चुका नक्सली था। इससे पहले इसी एरिया में नक्सलियों ने तीन गांववालों की हत्या कर दी थी। सुरक्षा बलों के बढ़ते दबाव की वजह से नक्सली छोटी-छोटी टुकड़ियों में बंट गए हैं। वे सुरक्षित ठिकाने ढूंढ रहे हैं। कभी नक्सलियों के बड़े नेता अपने साथ 200-250 कैडर लेकर चलते थे। उनकी 3 से 4 लेयर की सुरक्षा में 80 से 100 नक्सली तैनात रहते थे। अब ये संख्या 20 से 30 रह गई है। अबूझमाड़ में मारे गए एक करोड़ के इनामी बसवाराजू के साथ भी सिर्फ 35 नक्सली थे। इनमें से 26 को फोर्स ने मार गिराया। बस्तर अब नक्सलवाद से मुक्ति की राह परकेंद्रीय गृह मंत्रालय ने बस्तर जिले को नक्सल प्रभावित जिलों की सूची से हटा दिया है। इसकी वजह अंदरूनी इलाकों तक सड़कें बनाना, नेटवर्क कनेक्टिविटी पहुंचाना और सुरक्षाबलों के कैंप बनाना है। झीरम घाटी और तुलसी डोंगरी एरिया में चार साल पहले जहां फोर्स का पहुंचना मुश्किल था, वहां अब सुरक्षाबलों के कैंप हैं। कभी पूरे बस्तर डिवीजन में फैला नक्सलवाद अब नारायणपुर, दंतेवाड़ा, बीजापुर और सुकमा तक सिमट गया है। 1970 के बाद सबसे खराब दौर में नक्सलवादकेंद्र सरकार के मुताबिक, साल 2025 में अब तक 180 से ज्यादा नक्सली मारे गए हैं। छत्तीसगढ़ की बात करें, तो 2020 से 2023 के 4 साल में 141 नक्सली मारे गए थे। 2024 में 287 नक्सली मारे गए, 1000 अरेस्ट किए गए और 837 ने सरेंडर किया। सरकार के मुताबिक, देश में नक्सल प्रभावित जिले 126 से घटकर अप्रैल 2018 में 90 रह गए थे। जुलाई 2021 में ये 70 हुए और अप्रैल 2024 में सिर्फ 38 रह गए। छत्तीसगढ़ के बाद झारखंड सबसे ज्यादा प्रभावितझारखंड: पश्चिम सिंहभूम और लातेहार, ये दो जिले नक्सल प्रभावित हैं। पश्चिम सिंहभूम में नक्सलियों की एक्टिविटी ज्यादा है। लातेहार और गढ़वा जिले में फैले बूढ़ा पहाड़ पर नक्सलियों का 30 साल कब्जा रहा। 2022 में सुरक्षाबलों ने इसे आजाद कराया। ये जगह राजधानी रांची से करीब 150 किलोमीटर दूर है। झारखंड में 2023 में नक्सलवाद से 129 मौतें हुईं थीं। 2024 में ये घटकर 69 रह गईं। यहां पोलित ब्यूरो के मेंबर मिसिर बेसरा और 25 लाख का इनामी मरकस एक्टिव हैं। सबसे बड़ी चुनौती पश्चिम सिंहभूम के जंगलों में है, जो ओडिशा और छत्तीसगढ़ से लगते हैं। महाराष्ट्र: गढ़चिरौली राज्य का इकलौता नक्सल प्रभावित जिला है। राज्य की C-60 कमांडो फोर्स, जिसे आंध्र प्रदेश के ग्रेहाउंड्स की तर्ज पर बनाया गया है, ऑपरेशन में काफी प्रभावी रही है। उत्तर गढ़चिरौली लगभग नक्सल मुक्त हो गया है। नक्सलियों का प्रभाव छत्तीसगढ़ की सीमा से सटे एरिया तक ही बचा है। ओडिशा: राज्य के मलकानगिरी, कालाहांडी, कंधमाल और नुआपाड़ा नक्सल प्रभावित जिले हैं। राज्य में अब सिर्फ 100 से 120 कैडर एक्टिव होने का अनुमान है। आंध्र प्रदेश-ओडिशा सीमा स्पेशल जोनल कमेटी कभी यहां सबसे ताकतवर थी। जून 2025 में लीडर गजरला रवि की मौत के बाद कमेटी कमजोर हो गई है। अब सिक्योरिटी फोर्स की चिंता मलकानगिरी और कोरापुट जिले की वजह से है, जो आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ के ट्राई-जंक्शन पर हैं। आंध्रप्रदेश और तेलंगाना: आंध्रप्रदेश पुलिस ने 1989 में नक्सलियों से मुकाबले के लिए अलग यूनिट ‘ग्रे हाउंड्स’ बनाई थी। इसकी वजह से राज्य में नक्सलवाद लगभग खत्म हो गया है। आंध्र प्रदेश में अल्लूरी सीताराम राजू और विशाखापट्टनम के मांपा एरिया में नक्सलवाद की जड़ें बची हैं। ग्रेहाउंड्स की कामयाबी देखकर महाराष्ट्र और ओडिशा जैसे राज्यों में भी ऐसी टीमें बनाई गईं। तेलंगाना में सिर्फ एक जिले भद्राद्री-कोथागुडम में नक्सलियों का मूवमेंट बचा है। हालांकि छत्तीसगढ़ से सटे एरिया में अब भी खतरा है। मध्य प्रदेश: मध्य प्रदेश का बालाघाट जिला ऐसा इलाका है, जिस पर फोर्स नजर रखती है। नक्सली इसे कॉरिडोर की तरह इस्तेमाल करते हैं। यह रास्ता मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ को जोड़ता है। नक्सली इस रास्ते का इस्तेमाल एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने, सामान पहुंचाने और पुलिस से बचने के लिए करते हैं। .....................................कैमरामैन: अजित रेडेकर..................................... 'नक्सलगढ़ से भास्कर' सीरीज की स्टोरी यहां पढ़िए
DNA Analysis: राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के दिल में हिंदी और हिंदी भाषियों के लिए कितनी नफरत है, इसकी एक और मिसाल सामने आ गई है. स्कूलों में हिंदी लागू करने के फैसले का विरोध करने के लिए राज और उद्धव दो दशक के बाद एक ही मंच पर आ रहे हैं लेकिन हिंदी का विरोध करने वाले इन ठाकरे बंधुओं को ईरान के खलीफा से सीख लेनी चाहिए.
DNA: 1kg चाय की कीमत 9 करोड़, इस पत्ती के दुनिया में सिर्फ 6 पेड़, अरबों में हो रखा है इंश्योरेंस
चाय के शौकीनों के किस्से तो आपने कई बार सुने होंगे लेकिन आज हम आपको चाय का ही किस्सा बताने जा रहे हैं. यह दुनिया की सबसे महंगी चाय है, जिसे बड़े-बड़े अमीर भी नहीं खरीद पाते हैं.
World Longest Train: आपने बचपन में बहुत बार ट्रेन के डिब्बों को गिना होगा. क्या कभी आपने सोचा है कि दुनिया की सबसे लंबी ट्रेन कौन सी है, बहुत से लोगों को ये पता होगा, अगर आप इससे अनजान हैं तो हम आपको बताने जा रहे हैं.
जर्मनी में पढ़ रहे भारतीय छात्रों की पढाई असल में कितनी मुफ्त
भारत में यह धारणा आम है कि जर्मन भाषा सीख कर आप जर्मनी जा सकते हैं और मुफ्त में पढ़ाई कर सकते हैं. लेकिन इसमें कितनी सच्चाई है? जर्मनी में पढ़ रहे सभी भारतीय छात्र क्या बिलकुल मुफ्त पढ़ रहे हैं या उनका कुछ खर्चा भी है?
जर्मनी की गर्मी में बढ़ी आइसक्रीम की कीमत
जर्मनी में गर्मी के साथ आइसक्रीम की मांग बढ़ी है, लेकिन कीमतों में हुई वृद्धि से कई ग्राहक नाराज हैं
'सफेद राक्षस' की दहशत, दुनिया पर कहर बनकर टूटेगा; 6,623 किमी दूर ये देश बना रहा 'जादुई गैजेट'
Denmark News: आर्कटिक क्षेत्र की बर्फ को लेकर हमेशा से चर्चा होती रही है. ऐसे में अब डेनमार्क के नेतृत्व में एक नया शोध प्रोजेक्ट आईसीएलर्ट शुरू किया गया है. इसका मकसद एक ऐसा सिस्टम बनाना है जो यह पहले से बता सके कि आर्कटिक क्षेत्र में कब गर्मियों में बर्फ पूरी तरह पिघल जाएगी.
टेकऑफ से पहले एयरपोर्ट पर अचानक आ धमका भालू, मच गई अफरा-तफरी, रद्द करनी पड़ी दर्जनों फ्लाइट्स
Japan Airport: जापान के एक एयरपोर्ट पर भालू की चहलकदमी देखी गई, उसे पकड़ने के लिए सुरक्षाकर्मियों ने काफी ज्यादा प्रयास किया हालांकि जब काफी देर तक सफलता नहीं मिली तो उड़ानों को रद्द करना पड़ा.
33,500 करोड़ का मालिक है दुबई का ये राजकुमार, रेस्टोरेंट में पहुंचकर किया ऐसा काम; गदगद हो गए लोग
Prince Sheikh Hamdan: आपने अक्सर देखा या सुना होगा कि लोग कुछ ऐसा काम करते हैं कि वो सुर्खियों में आ जाते हैं. इस समय अपनी उदारता की वजह से दुबई के क्राउन प्रिंस शेख हमदान बिन मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम चर्चाओं में बने हुए हैं. जानिए आखिर उन्होंने ऐसा क्या काम किया है.
डोनाल्ड ट्रंप का दावा, ' गाजा में अगले हफ्ते तक हो सकता है सीजफायर'
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इजरायल-ईरान युद्ध विराम के बाद बड़ा बयान दिया है। ट्रंप ने कहा है कि एक हफ्ते के अंदर अब गाजा पट्टी में भी युद्ध विराम हो जाएगा
दुनिया का वो देश जहां कैलेंडर में चल रहा 2017, समय से 7 साल पीछे क्यों? साल-महीना-तारीख..सब अलग
Geez calendar: इस कैलेंडर के पीछे एक ऐतिहासिक कारण है. अधिकांश देशों में ईसा मसीह का जन्म 1 ईस्वी में माना जाता है. जबकि ऑर्थोडॉक्स चर्च के अनुसार उनका जन्म 7 ईसा पूर्व हुआ था.
इजरायल ने यूएन महासचिव के बयान को नकारा, कहा- 'आईडीएफ कभी भी नागरिकों को निशाना नहीं बनाता'
इजरायल के विदेश मंत्रालय ने शनिवार को संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के बयानों की आलोचना की है। गुटेरेस ने गाजा में भेजी जा रही मानवीय मदद को लेकर इजरायल को जिम्मेदार ठहराया था और वहां युद्धविराम की अपील की थी
दक्षिणी फिलीपींस के तटवर्ती जलक्षेत्र में शनिवार को भूकंप के झटके महसूस किए गए। फिलीपीन ज्वालामुखी एवं भूकंप विज्ञान संस्थान ने यह जानकारी दी है
दुनियाभर में तेजी से इस धर्म को छोड़ रहे लोग, इस स्थिति में हैं हिंदू-मुस्लिम
Pew Report On Religion: हाल ही में सामने आई 'प्यू रिसर्च सेंटर' की एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में ईसाई और बौद्ध धर्म को मानने वाले लोगों में तेजी से गिरावट देखने को मिली है.
भारत के साथ कैसी डील चाहते हैं डोनाल्ड ट्रंप? खुद कैमरे के सामने बोल दी पूरी सच्चाई
Trump Tariff India: ट्रंप ने यह भी कहा कि वह आने वाले 10 दिनों में सभी देशों को एक पत्र भेजेंगे जिसमें यह बताया जाएगा कि उन्हें अमेरिका को कितना टैरिफ देना होगा. हालांकि उन्होंने 9 जुलाई की समयसीमा को लचीला बताया.
गाजा में अगले हफ्ते के अंदर हो सकता है सीजफायर, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप का बड़ा दावा
Gaza Ceasefire: इजरायल की ओर से गाजा में पिछले 20 महीनों से किए जा रहे हमले अब बंद होने की संभावना है. इसके लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का एक बयान सामने आया है.
दुबई: दुनिया भर में काम के कल्चर को लेकर नए-नए प्रयोग हो रहे हैं और इसी कड़ी में दुबई ने एक बड़ा कदम उठाया है। दुबई सरकार ने अपने कर्मचारियों के लिए हफ्ते में केवल चार दिन काम करने की नई नीति की घोषणा की है। इस फैसले के बाद, सरकारी कर्मचारियों को अब शुक्रवार, …
Iran News: हाल ही में ईरान के विदेश मंत्री ने डोनाल्ड ट्रंप की ओर से दिए गए बयान पर आपत्ति जताई है. इसको लेकर उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के जरिए अमेरिकी राष्ट्रपति को लताड़ लगाई है.