बहुत गुस्सैल हैं नेतन्याहू...गाजा पट्टी में जारी खूनखराबे के बीच डोनाल्ड ट्रंप ने कह दी बड़ी बात
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गाजा पट्टी में जारी हमले के बीच इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू पर टिप्पणी की है. ट्रंप ने कहा कि हमें गाजा पट्टी के मुद्दे का समाधान जल्द से जल्द खोजना होगा.
Turkey: 2 लाख लोगों को जिंदा जलवाया... रेप-मर्डर की खुली छूट, कुछ ऐसा था ऑटोमन साम्राज्य
Turkey ottoman: सातवें सुल्तान मेहमेद द्वितीय ने तो सुल्तान बनते ही अपने नवजात भाई को डुबोकर मार डाला. सलीम प्रथम ने सत्ता में आते ही अपने दो भाइयों और पांच भतीजों की हत्या करवा दी थी. ऐसे घिनौने काम उस समय आम हुआ करते थे.
ट्रंप का दावा- भारत ने अमेरिका से की जीरो टैरिफ डील की पेशकश, दावे पर एस जयशंकर का आया बयान
India US Tariff: ट्रंप ने हाल ही में दावा किया है कि भारत ने अमेरिकी वस्तुओं पर जीरे टैरिफ की पेशकश की है. वहीं भारतीय विदेश मंत्री ने टैरिफ वार्ता को जटिल बताया है.
सीरिया-ईरान से दुलार और इजरायल को फटकार... ट्रंप ने मध्यपूर्व देशों के दौरे में दिए कई झटके
US President Donald Trump Middle East Tour: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मिडिल ईस्ट दौरे में सीरिया के राष्ट्रपति से उनकी मुलाकात, जंबो जेट जैसी बड़ी डील और अब्राहम अकॉर्ड को उनके लिए बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है.
PAK के यार अजरबैजान पर भारत का शिकंजा, मगर वहां से क्या आता है..हो जाएगा महंगा?
India Azerbaijan relations: भारत की यह कूटनीतिक रणनीति सिर्फ हथियारों तक सीमित नहीं है. अजरबैजान के साथ व्यापारिक रिश्ते भी खतरे में आ सकते हैं. भारत अजरबैजान से सबसे ज्यादा कच्चा तेल मंगवाता है जो उनके कुल निर्यात का 98% हिस्सा है.
'हाउडी मोदी' से 'नमस्ते ट्रम्प' तक, कई मौकों पर ट्रम्प और मोदी एक-दूसरे को अच्छा दोस्त बता चुके हैं। लेकिन जब जंग के हालात बने, तो ट्रम्प ने भारत को भी पाकिस्तान के बराबर तौल दिया। इससे पहले रेसिप्रोकल टैरिफ में भी कोई रियायत नहीं दी और अब तो iPhone की मैन्युफैक्चरिंग भी भारत में नहीं होने देना चाहते। पीएम मोदी के साथ खुलकर क्यों नहीं खड़े हैं ट्रम्प, क्या भारत को भारी पड़ रही ट्रम्प से ‘दोस्ती’ और सरकार इससे कैसे निपट सकती है; जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में… सवाल-1: भारत-पाकिस्तान संघर्ष के दौरान ट्रम्प के रवैये पर भारत में सवाल क्यों उठ रहे हैं? जवाबः 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादियों ने 26 लोगों की निर्मम हत्या की। धर्म पूछ-पूछकर पुरुषों को अलग किया और उनके परिवार के सामने गोली मार दी। इसका बदला लेने के लिए 6-7 मई की रात भारत ने ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च किया। PoK और पाकिस्तान में मौजूद 9 आतंकी ठिकानों पर सटीक स्ट्राइक की। इसके बाद से ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के रुख पर भारत में सवाल खड़े हो रहे हैं… 7 मई 2025: भारत के ऑपरेशन सिंदूर पर ट्रम्प ने पहली प्रतिक्रिया में कहा- ये शर्म की बात है। हमने अभी-अभी इसके बारे में सुना है। वे लोग दशकों, बल्कि सदियों से लड़ रहे हैं… उम्मीद है कि ये जल्दी खत्म हो। ट्रम्प ने अपने बयान में भारत और पाकिस्तान को समान रूप से संबोधित किया, जबकि भारत खुद को आतंकवाद का शिकार और पाकिस्तान को आतंकवाद का समर्थक मानता है। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि ट्रम्प का रुख आतंकवाद के शिकार और प्रायोजक को एक-समान मानता है, जो भारत के हितों के खिलाफ है। 10 मई 2025: ट्रम्प ने 'ट्रुथ सोशल' में अपने हैंडल पर एक पोस्ट में कहा- अमेरिका की मध्यस्थता में हुई एक लंबी बातचीत के बाद, मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि भारत और पाकिस्तान ने पूर्ण और तत्काल सीजफायर पर सहमति जताई है। अमेरिका की इस घोषणा पर भारत की प्रतिक्रिया गर्मजोशी वाली नहीं थी। भारत ने कहा कि पाकिस्तान के DGMO के भारतीय DGMO को फोन कॉल के बाद दोनों देशों में सहमति बनी है। इसमें अमेरिका की मध्यस्थता का जिक्र नहीं था। यही बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में दोहराई। 11 मई 2025: ट्रम्प ने ट्रुथ सोशल पर लिखा, मैं इन दोनों महान राष्ट्रों के साथ मिलकर कश्मीर मुद्दे, जो एक हजार साल से विवाद में है, उसका समाधान निकालने की आशा करता हूं। ताकि क्षेत्र में शांति और समृद्धि कायम हो सके, और अमेरिका और विश्व के अन्य देशों के साथ व्यापार बढ़ सके! ट्रम्प ने अपने बयान में कश्मीर मुद्दे का जिक्र किया, लेकिन भारत कहता रहा है कि वो किसी तीसरे देश की मध्यस्थता इस मसले में स्वीकार नहीं करेगा। 13 मई 2025: अपनी सऊदी यात्रा के दौरान ट्रम्प ने कहा है, मैंने काफी हद तक व्यापार का इस्तेमाल किया। मैंने कहा कि चलो एक सौदा करते हैं, परमाणु मिसाइलों का ट्रेड रोकते हैं और उन चीजों का व्यापार करते हैं, जिन्हें आप इतनी खूबसूरती से बनाते हैं। भारत ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि बातचीत में व्यापार का कोई जिक्र नहीं हुआ। यह बयान भारत में ट्रम्प की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने का कारण बना। 15 मई 2025: ट्रम्प भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर कराने के बयान से पलट गए। उन्होंने दोहा में कार्यक्रम के दौरान कहा, मैं ये नहीं कहता कि ये (सीजफायर) मैंने किया, लेकिन ये पक्का है कि पिछले हफ्ते भारत-पाकिस्तान के बीच जो हुआ, मैंने उसे सेटल करने में मदद की। सवाल-2: दूसरी बार राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रम्प के किन फैसलों से भारत को बड़ा धक्का लगा है? जवाबः 20 जनवरी 2025 को दूसरी बार अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के बाद 4 फैसलों से भारत को बड़ा धक्का लगा है… 1. भारतीय अवैध प्रवासियों को बेड़ियों में वापस भेजा दूसरे टर्म की शुरुआत से ही ट्रम्प ने अमेरिका से अवैध प्रवासियों को निकालने का अभियान शुरू कर दिया। ट्रम्प ने 5 फरवरी को 104 भारतीयों से भरा सैन्य हवाई जहाज से भारत भेजा। इसमें अवैध प्रवासी भारतीयों के हाथ-पैर बांधकर रखे गए थे। उन्हें वॉशरूम जाने की भी इजाजत नहीं थी। मित्र देश के नागरिकों के साथ ऐसा व्यवहार नहीं किया जाता। अप्रैल तक अमेरिका ऐसे 682 भारतीयों को डिपोर्ट किया है। 2. भारत पर 26% रेसिप्रोकल टैरिफ लगाया 3 अप्रैल को ट्रम्प ने भारत पर 26% टैरिफ लगाया। वहीं UK (10%), इजराइल (17%) और ऑस्ट्रेलिया (10%) जैसे देशों पर भारत से कम टैरिफ लगाया। ट्रम्प कई मौकों पर बोलते आए हैं कि भारत अमेरिका पर बहुत ज्यादा टैरिफ लगाता है और वे भी ऐसा ही करेंगे। हालांकि 9 अप्रैल को उन्होंने रेसिप्रोकल टैरिफ पर 90 दिनों के लिए रोक लगा दी थी। इसके बाद ट्रम्प ने 15 मई को कहा कि भारत ने उनके सामने जीरो टैरिफ का प्रस्ताव रखा है। हालांकि विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि अमेरिका के साथ टैरिफ पर अभी बातचीत जारी है और कोई फैसला नहीं लिया गया है। 3. जंग के हालात में भारत का खुलकर समर्थन न करना भारत-पाकिस्तान के बीच जंग के हालात में ट्रम्प का रवैया किसी भी सूरत में भारत के समर्थन वाला नहीं रहा। उन्होंने आतंकवादी हमला और भारत की आतंकियों पर स्ट्राइक को एक ही तराजू पर तौला। साथ ही सीजफायर पर भी भारत की स्टैंडिंग से अलग बयान दिए। 4. भारत में एपल की फैक्ट्रियां नहीं लगने देना चाहते ट्रम्प ने 15 मई को दोहा में एक कार्यक्रम में बताया कि उन्होंने एपल के CEO टिम कुक से कहा है कि उन्हें भारत में फैक्ट्रियां नहीं लगानी चाहिए। ट्रम्प ने कहा- टिम, तुम मेरे दोस्त हो, मैंने तुम्हारे साथ बहुत अच्छा व्यवहार किया। तुम 500 बिलियन डॉलर लेकर आ रहे हो, लेकिन अब मैं सुन रहा हूं कि तुम पूरे भारत में प्रोडक्शन कर रहे हो। मैं नहीं चाहता कि तुम भारत में प्रोडक्शन करो। सवाल-3: पीएम मोदी को फ्रेंड बताकर भारत को नुकसान क्यों पहुंचा रहे हैं डोनाल्ड ट्रम्प? जवाबः BHU में UNESCO चेयर फॉर पीस एंड इंटर-कल्चरल अंडरस्टैंडिंग के प्रोफेसर प्रियंकर उपाध्याय कहते हैं- 'ट्रम्प कि पॉलिसी ही यह है कि वह किसी को अपना परमानेंट दोस्त या दुश्मन नहीं मानते। चीन के साथ टैरिफ विवाद पर मरने-मारने को उतर आए, लेकिन अब समझौता कर लिया। ट्रम्प जब अगली बार पीएम मोदी से मिलेंगे तो उनकी बहुत तारीफ करेंगे, गले मिलेंगे, लेकिन करेंगे वही जो उन्हें करना होगा।’ प्रियंकर उपाध्याय के मुताबिक, ‘ट्रम्प राजनेता से ज्यादा एक बिजनेसमैन हैं, जो अपना फायदा-नुकसान देखकर ही काम करते हैं। वह ‘अमेरिका फर्स्ट’ की पॉलिसी को तवज्जो देते हैं।’ वहीं JNU में इंटरनेशनल रिलेशंस के एसोसिएट प्रोफेसर राजन कुमार के मुताबिक- ट्रम्प भारत को बैलेंस ऑफ पावर की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्हें चीन के विरोध में एक शक्तिशाली देश चाहिए, जोकि भारत है। वह पाकिस्तान को भी पूरी तरह चीन की गोद में नहीं जाने देना चाहते। साथ ही उन्हें चीन से व्यापारिक फायदा भी है, इसलिए वह उससे भी संबंध रख रहे हैं। राजन कुमार के मुताबिक ट्रम्प ने टिम कुक से iPhone मैन्युफेक्चरिंग भारत में ना करने भी इसलिए कहा क्योंकि उनका फोकस अपने देश में इंडस्ट्री को प्रमोट करना है। भारत को लग रहा था कि चीन में ज्यादा टैरिफ के कारण इंडस्ट्री भारत आ जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं है। अमेरिका अपने देश में यह इंडस्ट्री लगाने पर जोर देगा। सवाल-4: ट्रम्प के सामने भारत ने अभी तक क्या पॉलिसी अपनाई है? जवाबः चाहे टैरिफ का मुद्दा हो या हालिया भारत-पाक संघर्ष... भारत की स्ट्रैटजी अमेरिका के साथ पर्दे के पीछे नेगोशिएशन की है। भारत फिलहाल ट्रम्प के साथ उलझना नहीं चाहता। PM मोदी ने अपने अमेरिका दौरे पर कहा था, ‘हम राष्ट्रीय हित से समझौता नहीं करेंगे, लेकिन अमेरिका के साथ साझेदारी बढ़ाएंगे।' प्रोफेसर प्रियंकर उपाध्याय के मुताबिक- भारत के पीएम मोदी भी चतुर राजनयिक की तरह सभी को अपना दोस्त बताते हैं। वह भी किसी को अपना दुश्मन नहीं बताते। अमेरिका में मोदी की BJP ट्रम्प की रिपब्लिकन पार्टी से ज्यादा लगाव महसूस करती है। प्रोफेसर राजन कुमार कहते हैं कि भारत और अमेरिका के बीच कोई जियो-पॉलिटिकल मुद्दा नहीं है। अमेरिका भारत को एक पार्टनर की तरह देखता है। अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे भारतीय प्रवासियों के मुद्दे या किसी व्यापारिक मामले पर भारत, अमेरिका से बातचीत के जरिए मतभेद सुलझाने पर काम करता आया है। सवाल-5: क्या अब अमेरिका को लेकर भारत को अपनी स्ट्रैटजी में कुछ बदलाव करना चाहिए? जवाबः प्रोफेसर राजन कुमार के मुताबिक, अमेरिका से अच्छे संबंंध रखना भारत की मजबूरी है। चीन उसके खिलाफ खड़ा हुआ है। ऐसे में जियो-पॉलिटिकल स्थितियां बैलेंस करने के लिए भारत को अमेरिका से अच्छे संबंध रखने ही होंगे। वहीं अमेरिका, चीन और पाकिस्तान की तुलना में भारत से ज्यादा करीब है। भारत को अगर पाकिस्तान से कोई लड़ाई लड़नी है तो उसे अपने दम पर लड़नी चाहिए, अमेरिका के जरिए नहीं। हालांकि डिफेंस एक्सपर्ट अजय साहनी का मानना है कि आप ट्रम्प के सामने अगर खड़े नहीं होंगे तो ट्रम्प अपनी जगह बनाएंगे ही। आप उन्हें जगह देंगे तो वह फैलते जाएंगे। ट्रम्प बिना बुलाए तो भारत-पाकिस्तान मुद्दे में नहीं आए। उनके जरिए ही भारत पाकिस्तान सीजफायर के बारे में बात कर रहे थे। अगर ऐसा नहीं है और सिर्फ DGMO स्तर पर बात हुई है, तो ट्रम्प के शामिल होने की बात को झुठलाना चाहिए। ----------------- भारत-पाक संघर्ष से जुड़ा अन्य एक्सप्लेनर... भास्कर एक्सप्लेनर- तीन युद्धों का बोझ नहीं उठा सकती दुनिया:ट्रम्प ने कराया भारत-पाक के बीच सीजफायर, जानें 6 बड़ी वजहें 10 मई की शाम को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का बयान सामने आया। उन्होंने कहा- मुझे ये बताते हुए खुशी हो रही है कि अमेरिका की तरफ से पूरी रात की बातचीत के बाद भारत और पाकिस्तान तत्काल पूरी तरह से सीजफायर के लिए तैयार हो गए हैं। पूरी खबर पढ़िए...
साल 2007, जून का महीना और 15 तारीख। शाम के 5 बज रहे थे। करनाल से करीब 20 किलोमीटर पहले सफेद स्कॉर्पियो अचानक हरियाणा रोडवेज की एक बस के सामने आकर रुकी। उसमें से 8-10 लोग उतरे और तेजी से बस में चढ़ गए। उन्होंने बस से मनोज नाम के लड़के और उसके साथ बैठी 18-19 साल की एक लड़की को जबरन उतार लिया। दोनों को लाठियों से पीटा। लड़की को हाथ-पैर बांधकर अंदर ठूंस दिया। लड़के को रस्सी से स्कॉर्पियो के पीछे बांधकर करीब 3 किलोमीटर तक घसीटा। तपती डामर रोड पर लड़के की खाल उधड़ गई। तभी स्कॉर्पियो कैथल के करोड़ा गांव के पास एक खेत में रुकी। वहां स्कॉर्पियों से उतरे 24-25 साल के लड़के ने मनोज के गुप्तांग में डंडा डाल दिया। एक तेज चीख से उसकी सांसें थम गईं। इसके बाद उसी लड़के ने लड़की का मुंह दबाकर जबरन उसे सल्फास खिला दी। इन हमलावरों ने दोनों की लाश बोरियों में भरकर कुछ दूर नहर में फेंक दिया। एक हफ्ते बाद करीब 100 किलोमीटर दूर हिसार के नारनौंद इलाके में नहर किनारे दोनों सड़ी-गली लाशें मिलीं। पुलिस ने पोस्टमॉर्टम करवाया। कुछ दिनों बाद लावारिस समझकर दोनों का अंतिम संस्कार कर दिया गया। दैनिक भास्कर की सीरीज ‘मृत्युदंड’ में करनाल डबल मर्डर केस के पार्ट-1 में इतनी कहानी तो आप जान ही चुके हैं। आज पार्ट-2 में आगे की कहानी… मनोज तो मर चुका था, लेकिन उसकी मां चंद्रपति और बहन सीमा घर पर इंतजार कर रहे थे। मनोज के पिता फौज में थे, 1991 में ही बीमारी की वजह से उनकी मौत हो चुकी थी। कभी मां तो कभी बहन, शाम पांच बजे से ही मनोज को फोन कर रहे थे। उधर से हर बार यही सुनाई देता- फोन स्विच ऑफ है। देर रात मां चंद्रपति मनोज की बहन सीमा से बोली, ‘कुछ ठीक नहीं लग रहा है। मनोज ने तो कहा था कि दिल्ली की बस में बैठ गया है। रात में फोन करने को भी कहा था।’ इसी उधेड़-बुन में रात गुजर गई… सूरज उगते ही चंद्रपति और सीमा, मनोज के दोस्त और रिश्तेदारों को बारी-बारी फोन करने लगे। एक ही सवाल ‘मनोज आया था क्या?’ हर जगह से एक ही जवाब ‘नहीं’। ऐसे ही पूरा दिन गुजर गया। अगले दिन चंद्रपति किसी काम से अपने घर से निकली, तभी एक गांववाले ने आकर उससे धीरे से कहा, ‘कुछ लोग कह रहे हैं कि मनोज को मार दिया है।’ ‘मार दिया।’ सुनते ही चंद्रपति दहाड़ें मारकर रोने लगी। बदहवास सी घर पहुंची। सीमा से बोली-‘लोग कह रहे हैं कि मेरे मनोज को मार दिया।’ चंद्रपति और सीमा भागे-भागे कैथल में अपने गांव से 15 किलोमीटर दूर राजौंद थाने पहुंचीं। मां ने थानेदार से कहा- ‘साहब, मेरा बेटा तीन दिन से गायब है। लोग कह रहे हैं कि उसे मार दिया। आप कुछ पता करिए।’ थानेदार डांटते हुए बोला- ‘तुम्हारा बेटा क्या हमें बताकर गया है। जाओ यहां से। खुद ही ढूंढो उसे।’ रोते बिलखते चंद्रपति और सीमा घर लौट आए। सीमा ने कुछ रिश्तेदारों को फोन किया और उन्हें साथ लेकर मनोज को ढूंढने निकल गई। कुरुक्षेत्र के पिपली, कैथल, करनाल, नीलोखेड़ी हर जगह मनोज को ढूंढा। उसके जानने वालों से पूछा। पर उसका पता नहीं चला। अब दोनों करनाल के बुटाना थाना पहुंचे। इसी थाने में वह टोल नाका आता है, जहां से मनोज को स्कॉर्पियो में बिठाया गया था। ASI धर्मपाल ने रोती हुई चंद्रपति से पूछा, ‘क्या हुआ। इतनी घबराई हुई क्यों हो? कहां की रहने वाली हो।’ चंद्रपति बोली, ‘साहब, कैथल की हूं। रिपोर्ट लिखवानी है। मेरा बेटा 4 दिनों से गायब है। फोन भी नहीं लग रहा।' ‘4 दिनों से, अभी तक कहां थी। कैथल की रहने वाली हो, तो करनाल में रिपोर्ट लिखाने क्यों आई।’ ASI धर्मपाल ने चंद्रपति से अकड़कर पूछा। सिसकती चंद्रपति ने जवाब दिया, ‘15 जून को शाम 4 बजे बेटे ने फोन किया। वह कुरुक्षेत्र के पिपली बस स्टैंड पर था। वहां से करनाल और फिर करनाल से दिल्ली जाने वाला था, लेकिन एक घंटे बाद ही उसका फोन बंद हो गया। अब गांववाले कह रहे हैं कि मनोज को लड़की के घरवालों ने मार दिया।’ ASI धर्मपाल ने चौंकते हुए पूछा, ‘लड़की…कौन लड़की?’ चंद्रपति बोली, ‘साहब… बबली नाम है उसका, गांव की ही है, दोनों एक-दूसरे को पसंद करते हैं।’ थाने के SHO सुभाष चंदर भी वहीं थे। उन्होंने ने ASI धर्मपाल से कहा, ‘उस शाम पास के टोल नाके से एक फोन आया था। कुछ लोग एक लड़के और लड़की को किडनैप करके पीटते हुए कैथल की तरफ ले जा रहे थे। एक वायरलेस मैसेज भी सभी थानों में फ्लैश हुआ था।’ इतना सुनते ही रोती-सिसकती सीमा बोल पड़ी, ‘मेरे भाई को ढूंढ दो।’ SHO चंदर उसी वक्त चंद्रपति और सीमा को लेकर नीलोखेड़ी टोल नाके के पास पहुंच गए। SHO ने कड़क आवाज में वहां मौजूद लोगों से पूछा, ‘कुछ रोज पहले यहां से किसी ने पुलिस को फोन किया था?’ डरते-डरते टोल के ठेकेदार कुलदीप ने कहा, ‘साहब, मैंने ही फोन किया था। 8-10 लोग थे। एक लड़के को घसीटते हुए ले जा रहे थे। कैथल की तरफ ले जा रहे थे। अंदर एक लड़की भी थी।’ सीमा ने पर्स से मनोज का फोटो निकालकर कुलदीप को दिखाया। ‘हां, यही लड़का था। मेरे पास एक जूता भी है। स्कॉर्पियो के निकल जाने के बाद सड़क किनारे मिला था।’ कुलदीप भागता हुआ टोल नाके के एक किनारे गया। झोले से जूता निकाल कर ले आया। चंद्रपति और सीमा रोते-रोते कहने लगे, ‘मेरे मनोज का जूता…कहां गया मेरा मनोज, उन लोगों ने क्या किया मनोज के साथ। वो जिंदा भी है या नहीं…।’ दोनों, उस जूते को चूमने लगीं। माथे से लगाने लगीं। चंद्रपति बेहोश हो गई। SHO सुभाष ने कुलदीप से पूछताछ की। 15 जून की शाम की टोल की डायरी देखी। इसके बाद चंद्रपति, सीमा को लेकर थाने चले आए। थोड़ी देर SHO कुछ सोचने लगा, फिर अचानक उसकी टोन बदल गई, ‘देखो ताई, यह मामला हमारे थाने का नहीं है। कैथल की रहने वाली हो, वहीं पर रिपोर्ट दर्ज कराओ।’ उसने डांटकर दोनों को भगा दिया। अब दोनों रोते-बिलखते डीएसपी करनाल के दफ्तर पहुंचे। चंद्रपति अब टूट चुकी थी। DSP के सामने वह चीख-चीख कर रोने लगी। सीमा ने किसी तरह उसे संभाला। चंद्रपति ने कहानी बतानी शुरू की, ‘कैथल के करोड़ा गांव की हूं। चार बच्चे हैं। मनोज सबसे बड़ा है। मनोज ने गांव में ही बिजली के सामान की दुकान खोली थी। गांव की ही बबली कभी-कभी दुकान पर आती थी। धीरे-धीरे दोनों एक दूसरे को पसंद करने लगे। दोनों छुपकर घंटों फोन पर बातें करते। एक-दो बार जब मैंने मनोज को टोका भी था, गांव की लड़की है, उसके घरवालों को पता चला तो आफत हो जाएगी। दरअसल, बबली भी जाट है लेकिन गोत्र भी एक ही है, बनवाला। गांव, परिवार कोई भी इस रिश्ते के लिए तैयार नहीं होता। फिर भी मनोज की जिद पर मैं बबली का हाथ मांगने घर गई थी, लेकिन उसकी मां और भाई ने मुझे गाली देकर भगा दिया था। 6 अप्रैल को मनोज ये बोलकर घर से गया कि ‘एग्जाम है, शाम तक घर आएगा’ लेकिन उस दिन से घर नहीं लौटा। अगले दिन मनोज ने फोन करके बताया कि उसने चंडीगढ़ में हाईकोर्ट में बबली से शादी कर ली है। इधर, बबली के घरवाले मेरे दरवाजे पर आकर धमकी देने लगे- ‘ मनोज को वापस बुलाओ, नहीं तो तुम्हारी दोनों बेटियों को भी नहीं छोड़ेंगे। 26 अप्रैल को बबली की मां ने राजौंद थाने में मनोज और हम सब पर किडनैपिंग की रिपोर्ट दर्ज करा दी। पुलिस रोज मेरे घर आने लगी। हर बार एक ही बात कहती, तुम्हें तो पता ही होगा मनोज कहां है। नहीं बुलाओगे तो सबको जेल में डाल देंगे।' चंद्रपति ने बताया, 'गांववालों ने एकतरफा पंचायत बुला ली और मनोज को देखते ही मार देने का फरमान सुनाया। हमारे पूरे घर का हुक्का-पानी भी बंद कर दिया। फैसला न मानने वालों को 25 हजार रुपए के जुर्माने का ऐलान कर दिया।' चंद्रपति रोते हुए बोली, 'बबली की मां ने हम पर जो अपहरण की एफआईआर दर्ज कराई थी, 12 जून को उस केस में हमको कैथल कोर्ट से जमानत मिली, लेकिन अदालत ने दो दिन बाद 15 जून को मनोज और बबली को बुला भी लिया। कोर्ट ये जानना चाहता था कि बबली अपनी मर्जी से गई है या उसका वाकई अपहरण हुआ है।' 15 तारीख को दोनों ने पहले राजौंद थाने में बयान दर्ज कराए। फिर कैथल कोर्ट में बयान दर्ज कराए कि दोनों ने मर्जी से शादी कर ली है और बबली के घरवालों से उन्हें खतरा था। इसपर कोर्ट ने दोनों को पुलिस सुरक्षा देने का आदेश दे दिया। ' चंद्रपति ने आगे बताया, 'मनोज फोन पर बता रहा था कि कोर्ट से निकलते ही पुलिस ने उन्हें कुरुक्षेत्र में पिपली के पास छोड़ दिया। इस बीच बबली के मामा, चाचा कई और लोग उनका पीछा कर रहे थे। जब वो लोग एक बस में बैठे तो इनमें से दो लोग भी उसी बस में बैठ गए। तब मनोज ने पुलिस को फोन करके फिर बुला लिया। पुलिस ने दोनों को इस बस से उतारकर दूसरी बस में बैठा दिया। मनोज का कहना था कि वो दिल्ली जा रहे हैं।' ये पूरी कहानी सुनते ही DSP के सामने तस्वीर साफ हो गई। मामला एक ही गोत्र में प्रेम संबंधों का था। लड़की के घरवाले तैयार नहीं थे, दोनों ने छिपकर शादी कर ली तो घरवाले शायद उन्हें मारना चाहते थे। हालांकि, नारनौंद में मिली लाशें मनोज-बबली की हैं, ये बात अब तक किसी को नहीं थी। उन्हें तो नारनौंद पुलिस ने लावारिस समझकर जला दिया था। DSP ने तुरंत बुटाना थाने में फोन किया और SHO सुभाष को आदेश दिया, ‘इन्हें भेज रहा हूं, एफआईआर दर्ज करिए।’ उसी दिन SHO सुभाष ने IPC की धारा 364 यानी अपहरण करने, 302 यानी कत्ल, 201 यानी सबूत मिटाने, 120-B यानी आपराधिक साजिश रचने की एफआईआर दर्ज कर ली। पुलिस ने करोड़ा गांव में बबली के घर और रिश्तेदारों के यहां छापे मारे, लेकिन वहां कोई मिला नहीं। हालांकि पुलिस को बबली के चाचा, मामा और मामा के बेटे का मोबाइल नंबर मिल गया। अब पुलिस ने टोल नाके के ठेकेदार कुलदीप से स्कॉर्पियो का नंबर लिया। नंबर से पता चला कि वो किराए की स्कॉर्पियो थी। उसके मालिक से पूछताछ की। चार दिन बाद पुलिस ने स्कॉर्पियो के ड्राइवर मनदीप को गिरफ्तार कर लिया। करीब एक हफ्ते बाद बुटाना थाने में खबर आई कि 23 जून को हिसार के नारनौंद थाने में दो लावारिस लाशें मिली थीं। सुनते ही मनोज की मां और बहन हिसार के नारनौंद थाने पहुंचे। पुलिस ने दोनों डेड बॉडी की तस्वीरें दिखाते हुए कहा कि लाश में कीड़े लग गए थे। देखते ही चंद्रपति माथा-कलेजा पीटने लगी। सीमा ने मनोज को उसकी शर्ट और बबली को उसके पाजेब से पहचान लिया। ये पाजेब मनोज ने ही दी थीं। पुलिस अंतिम संस्कार कर चुकी थी, चंद्रपति और सीमा, मनोज की राख लेकर घर लौट आईं। इधर, गांव में जब मनोज का छोटा भाई मोबाइल रिचार्ज कराने गांव की ही एक दुकान पर गया, तब दुकानदार ने इनकार कर दिया। बहन सीमा भाई की अस्थियों के लिए मिट्टी का कलश लेने कुम्हार के यहां गई तो वो बोला- 'तेरे घर का हुक्का-पानी बंद है, मैं नहीं दे पाऊंगा।' सीमा पड़ोस के एक गांव पहुंची और सहेली की मदद से कलश खरीदा। सब्जीवालों ने सब्जी देना भी बंद कर दिया था। ऑटो, जीप वालों ने गाड़ी में बिठाना बंद कर दिया। गांव में जो भी सीमा और चंद्रपति से मिलता एक ही सलाह देता, केस वापस ले लो, जो हुआ सो हुआ। लाश की पहचान तो हो चुकी थी, लेकिन हत्या का कोई चश्मदीद अब पुलिस को नहीं मिला था। आखिर बिना चश्मदीद के कोर्ट में ये मर्डर साबित कैसे होगा? आगे की कहानी कल यानी रविवार को करनाल डबल मर्डर केस पार्ट-3 में पढ़िए... पुलिस ने स्कॉर्पियो के ड्राइवर मनदीप को गिरफ्तार कर लिया। उसने पूछताछ में पुलिस को बताया कि 8-10 लोग थे। उन्होंने 1300 रुपए में ये कहते हुए स्कॉर्पियो बुक की थी कि उनके घर की बेटी एक लड़के के साथ भाग गई है उसे पकड़ना है। उन लोगों ने बस रुकवाकर एक लड़के और एक लड़की को उतार लिया। फिर कैथल के करोड़ा गांव की तरफ चल पड़े। वहां एक खेत में मैंने सबको उतार दिया था। पूरी कहानी पढ़िए करनाल डबल मर्डर केस पार्ट-3 में...
‘मैं बाढ़ वाले दिन रामबाड़ा में था। हर तरफ सिर्फ पानी और मलबा दिख रहा था। मेरी आंखों के सामने ऐसा सैलाब आया कि सब कुछ बहा ले गया। कुछ ही सेकेंड में होटल, दुकानें, लोग और जानवर सब बह गए। लगने लगा था कि अब कभी यहां लोग नहीं आएंगे लेकिन 13 साल बाद देखो...सड़क चौड़ी हो गई, रास्ता चकाचक है।‘ बुजुर्गों को पालकी में बैठाकर गौरीकुंड से केदारनाथ धाम की यात्रा कराने वाले राकेश थापा खुश हैं कि सरकार ने पूरा सिस्टम ठीक कर दिया है। इससे उन्हें भी सुकून हो गया है। 2 मई से केदारनाथ धाम के कपाट खोल दिए गए। 15 मई तक 3 लाख से ज्यादा लोग दर्शन कर चुके हैं। अनुमान है कि इस साल चारधाम यात्रा में 25 लाख लोग सिर्फ केदारनाथ दर्शन के लिए पहुंचेंगे। गढ़वाल कमिश्नर के मुताबिक, मंदिर तक पहुंचने का रास्ता चौड़ा किया जा रहा है। मंदिर के पीछे और मंदाकिनी-सरस्वती नदियों के किनारे 3 लेयर सेफ्टी वॉल बनाई गई है। इससे बाढ़ के हालात में मंदिर सेफ रहेगा। इतने श्रद्धालुओं को उत्तराखंड सरकार और मंदिर समिति कैसे संभाल रही है? डेवलपमेंट किस स्टेज पर है? सुरक्षा के इंतजाम कैसे हैं? 2013 में पूरी तरह तबाह हो चुकी केदार घाटी अब पहले की तुलना में यात्रियों के लिए कितनी सेफ है? इनके जवाब जानने हम केदारनाथ धाम पहुंचे। चारधाम यात्रा में केदारनाथ सबसे ज्यादा श्रद्धालु पहुंचेंगेउत्तराखंड सरकार के ऑफिशियल आंकड़ों के मुताबिक, 2 मई को कपाट खुलने के बाद पहले दिन करीब 31 हजार श्रद्धालु केदारनाथ धाम पहुंचे। 15 मई तक करीब 3.34 लाख श्रद्धालु धाम पहुंच चुके हैं। उत्तराखंड सरकार के मुताबिक, चारधाम यात्रा में सबसे ज्यादा फुटफॉल केदारनाथ में ही होता है। पिछले साल यात्रा में शामिल हुए 46 लाख लोगों में से 16 लाख यात्रियों ने अकेले केदारनाथ के दर्शन किए। ऐसे में जून से अगस्त के बीच अगर मौसम सही रहता है, तो इस बार 25 लाख से ज्यादा लोगों के केदारनाथ धाम पहुंचने का अनुमान है। धाम में 7 हजार लोगों के ठहरने का इंतजाम है। गढ़वाल कमिश्नर विनय शंकर पांडे का मानना है कि केदारनाथ आपदा के बाद धाम में हुए रीडेवलपमेंट ने तीर्थ यात्रियों का भरोसा पहले से दोगुना कर दिया है। विनय शंकर पांडे बताते हैं कि रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट का 80% काम पूरा हो चुका है। इसमें 21 करोड़ की लागत से 18 किमी का गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग, आपदा में तबाह हुए हिस्सों की मरम्मत और मंदाकिनी-सरस्वती नदियों के किनारे नए घाट बनाना शामिल है। तीर्थयात्रियों का लोड मैनेज करने के लिए रामबाड़ा से गरुड़चट्टी तक 5.35 किमी लंबा और 1.8 मीटर चौड़ा रास्ता बनाया जा रहा है। विनय शंकर पांडे कहते हैं, ‘4,081 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले इस रोपवे को पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप यानी PPP मॉडल के जरिए डेवलप कर रहे हैं। अभी ये प्रोजेक्ट टेंडर स्टेज पर है। प्रक्रिया पूरी होते ही कंस्ट्रक्शन शुरू हो जाएगा।’ 21 अक्टूबर 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केदारनाथ रोप-वे परियोजना का शिलान्यास किया था। सोनप्रयाग से केदारनाथ जाने के लिए यात्रियों को 18 किमी पैदल चलना पड़ता है। इसमें करीब 8 से 9 घंटे लगते हैं। रोप-वे बन जाने के बाद केदारनाथ यात्रा बहुत आसान हो जाएगी। सोनप्रयाग से केदारनाथ की दूरी सिर्फ 36 मिनट में पूरी हो सकेगी। करीब 1800 यात्री 1 घंटे में केदारनाथ धाम पहुंच सकेंगे। उत्तराखंड के 2 लाख परिवारों की रोजी-रोटी केदारनाथ यात्रा पर टिकीउत्तराखंड के तीर्थ पुरोहित, टूर एंड ट्रैवल एजेंट, होटल बिजनेस, पिट्ठू और छोटे दुकानदारों को मिलाकर करीब 2 लाख परिवारों की रोजी-रोटी केदारनाथ यात्रा पर निर्भर हैं। आपदा के बाद और कोरोना काल में केदारनाथ धाम के कपाट बंद रहे। उस दौरान यहां के छोटे दुकानदारों को आर्थिक तंगी झेलनी पड़ी। 2022 से लगातार केदारनाथ आने वाले यात्रियों का आंकड़ा 15 लाख से ऊपर पहुंच रहा है। इस बार ये आंकड़ा बढ़ सकता है। केदारनाथ मंदिर में बीते 40 साल से पूजा-पाठ करा रहे राम प्रकाश पुरोहित का घर और दुकान 2013 में आई बाढ़ में बह गया था। सरकार से मिली राहत राशि से उन्होंने दोबारा दुकान शुरू की है। राम प्रकाश कहते हैं, ‘2013 में आई बाढ़ में मेरे सामने ही 2-3 मिनट में सबकुछ बर्बाद हो गया। उस वक्त ये लग रहा था कि शायद अब हम कभी यहां दोबारा नहीं बस पाएंगे। सरकार ने यहां तेजी से रीडेवलपमेंट करवाया है। धाम तक जाने वाला आस्था पथ पूरा बन चुका है।‘ ‘पहले गौरीकुंड से यात्रा छोटी थी, लेकिन यात्रियों को बहुत परेशानी होती थी। छोटे-छोटे रास्तों खच्चर और लोग साथ चलते थे। इसमें जानवरों से टक्कर लगकर गिरने का खतरा रहता है। कई बार खच्चर खुद फिसल कर गिर जाते थे। अब मंदिर तक जाने के लिए नया रास्ता बन गया है। ये पहले से 4 किमी लंबा जरूर है, लेकिन काफी चौड़ा है। इसमें खच्चर और यात्री आसानी से साथ-साथ चल सकते हैं।’ पिछले साल केदारनाथ यात्रा लोकल बिजनेस के लिहाज से भी काफी अच्छी रही। घोड़े-खच्चरों, हेलिकॉप्टर से यात्रा और पैदल यात्रियों की बढ़ी संख्या से लगभग 190 करोड़ का कारोबार हुआ। 2022 में केदारनाथ धाम में अकेले खच्चर और पालकी-पिट्ठू व्यवसायियों ने करीब 109 करोड़ रुपए का रिकॉर्ड कारोबार किया था। इस साल इससे ज्यादा कमाई का अनुमान है। गौरीकुंड से केदारनाथ तक ट्रैक पर कई सुपर जोन, चप्पे-चप्पे पर सुरक्षाचार धामों में सबसे मुश्किल पैदल यात्रा केदारनाथ की है। यहां हमेशा खतरा बना रहता है। 16-17 जून 2013 की त्रासदी के बाद भी यहां समय-समय पर रुकावटें आती रही हैं। पिछले साल 31 जुलाई को केदारनाथ रूट पर भारी बारिश के कारण यात्रा रोक दी गई थी। इसके तुरंत बाद 4 अगस्त को यहां भयानक लैंडस्लाइड हुई, इसमें 15 हजार यात्री फंस गए और 5 यात्रियों की मौत हो गई थी। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए इस बार केदारनाथ में क्या अरेंजमेंट हैं? इस पर गढ़वाल कमिश्नर विनय शंकर पांडे कहते हैं, ‘पिछले साल केदारनाथ में भारी बारिश के कारण जो रूट बह गए थे, उन्हें यात्रा शुरू होने से पहले सही कर दिया गया है।‘ किसी भी आपातकालीन स्थिति में केदारनाथ धाम और मुख्य यात्रा पड़ावों पर SDRF, NDRF, DDRF के अलावा पुलिस, होमगार्ड और PRD के जवान तैनात किए गए हैं। ये लोग हर वक्त यात्रियों की सुरक्षा में तैनात रहते हैं। ‘हम लोगों ने पिछली यात्राओं से सबक लेते हुए यात्रा में कई होल्डिंग पॉइंट भी बनाए हैं। यात्रा के दौरान कई बार मौसम खराब होता है। कई बार लैंडस्लाइड भी होती है। इसे देखते हुए लिमिटेड यात्रियों के जत्थे धाम तक भेजे जाएंगे। जब एक जत्था दर्शन कर लौट आएगा, तब दूसरे को रवाना किया जाएगा। इससे न सिर्फ दर्शन आसान होंगे बल्कि केदारघाटी पर दबाव भी कम पडे़गा।’ 25 लाख यात्रियों का केदारघाटी आने का अनुमान, मंदिर समिति तैयारपिछले साल 16 लाख लोग केदारनाथ धाम के दर्शन करने पहुंचे थे। सरकार का अनुमान है कि इस बार आंकड़ा 25 लाख तक जा सकता है। इतने बड़े क्राउड को मैनेज करने के लिए मंदिर समिति ने क्या तैयारी की हैं? इसे लेकर हमने बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के पूर्व चेयरमैन अजेंद्र अजय से बात की। ये समिति ही यात्रा से जुड़ी व्यवस्थाओं की मॉनिटरिंग करती है। अजेंद्र अजय कहते हैं, ‘2013 की आपदा के बाद लोग केदारनाथ आने से घबराने लगे थे। दहशत ऐसी थी कि 2014 में महज 39 हजार यात्री धाम पहुंचे। इसके बाद 2017 तक केदारनाथ आने वाले यात्रियों की संख्या 5 लाख तक भी नहीं पहुंची।‘ केदारनाथ धाम आने में लोगों का भरोसा बढ़े, इसके लिए खुद पीएम मोदी ने यहां आकर रात बिताई। वो आपदा से बाद से 6 बार यहां के डेवलपमेंट प्रोजेक्ट को देखने आ चुके हैं। ‘केंद्र सरकार के केदारनाथ रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट की मदद से यहां चौड़े यात्रा मार्ग, अस्पताल और ठहरने की अच्छी व्यवस्था बनाई गई है। इसका असर अब पर्यटकों की बढ़ती संख्या में देखने को मिल रहा है।‘ दर्शन के लिए टोकन सिस्टम, मदद के लिए जगह-जगह इमरजेंसी बटनकेदारनाथ मंदिर समिति के मुताबिक, इस बार यात्रियों को केदारनाथ के दर्शन के लिए लंबी लाइन में नहीं लगना पड़ेगा। इसके लिए टोकन सिस्टम लागू किया गया है। यात्री टोकन में दिए गए समय के हिसाब से दर्शन कर रहे हैं। यात्रा रूट पर किसी भी यात्री की तबीयत बिगड़ने पर तुरंत इलाज मिल रहा है। यात्रियों के तुरंत ट्रीटमेंट के लिए केदारनाथ, केदारनाथ बेस कैम्प, लिंचोली, छोटी लिंचोली, रामबाड़ा, भीमबली, जंगल चट्टी, गौरीकुंड और सोनप्रयाग में मेडिकल सेंटर बनाए गए हैं। यहां 24 घंटे डॉक्टर और फार्मासिस्ट रहते हैं। जरूरी दवाइयां भी हर वक्त उपलब्ध रहती हैं। सभी मेडिकल सेंटरों पर ऑक्सीजन की सुविधा भी रहती। रुद्रप्रयाग जिला प्रशासन ने गौरीकुंड से केदारनाथ धाम तक जगह-जगह इंट्रानेट बॉक्स लगाए हैं। पीले रंग के इस बॉक्स पर फोन का सिंबल बना है। यहां दिए गए इमरजेंसी बटन को दबाने पर यात्री अपनी समस्या सीधे कंट्रोल रूम को बता सकते हैं। केदारघाटी में अचानक मौसम बदल जाता है। ऐसे में टैकिंग करते समय कोई भी घटना होने पर यात्री इंट्रानेट नेटवर्क की मदद से अपनी परेशानी बता सकेंगे और उन्हें तुरंत मदद मुहैया कराई जाएगी। CM बोले- केदारनाथ आने वाले हर व्यक्ति की सुरक्षित यात्रा हमारी जिम्मेदारीचारधाम यात्रा शुरू होने से पहले 28 अप्रैल को उत्तराखंड के CM पुष्कर सिंह धामी ने सभी जिलाधिकारियों के साथ बैठक की थी। अब भी CM लगातार इंतजामों की समीक्षा कर रहे हैं। उन्होंने कहा है कि चारधाम यात्रा बिना किसी बाधा के चल रही है। राज्य सरकार चारधाम यात्रा के आसान, सेफ और व्यवस्थित संचालन के लिए प्रतिबद्ध है। यात्रियों की सुरक्षा हमारी सरकार की सबसे पहली प्राथमिकता है। CM ने अधिकारियों से कहा कि सभी सचिवों को समय-समय पर चारधाम यात्रा जायजा लेने के लिए भेजा जाए, ताकि इंतजामों का सही आकलन हो सके। साथ ही यात्रा की रियल टाइम मॉनिटरिंग की व्यवस्था को और प्रभावी बनाया जाए, ताकि किसी भी आपात स्थिति से तुरंत निपटा जा सके। मुख्यमंत्री धामी ने कहा, ‘2013 में आई त्रासदी के बाद PM मोदी ने खुद केदारनाथ धाम के पुर्ननिर्माण को ड्रीम प्रोजेक्ट के तरह लिया। हर साल बड़ी संख्या में लोग धाम पहुंच रहे हैं। इस बार भी बाबा केदारनाथ के दर्शन के लिए सबसे ज्यादा यात्रियों ने रजिस्ट्रेशन करवाया है।‘ पर्यावरण वैज्ञानिक क्या कह रहे...केदारघाटी में अब तक स्केप रूट नहीं, यात्रियों का लोड कम करना जरूरी केदारनाथ यात्रा पहले से कितनी सेफ है। इसे लेकर हमने उत्तराखंड के पर्यावरण वैज्ञानिक डॉ. रवि चोपड़ा से बात की। रवि 2013 की केदारनाथ आपदा के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बनी हाईपावर कमेटी के अध्यक्ष रहे हैं। रवि कहते हैं, '2013 की बाढ़ के बाद जो सबक लेना चाहिए था, उसे उत्तराखंड की सरकारों और रीडेवलपमेंट में लगे इंजीनियरों से नहीं लिया। आज केदारनाथ धाम के रीडेवलपमेंट के बाद मंदिर तक जाना भले आसान हो गया हो, लेकिन आपदा की हालात से निपटने के लिए अब तक कोई कोई स्केप रूट (बचकर जाने का रास्ता) नहीं बनाया गया।' 'हर तीर्थ पर यात्रियों के लिए आपात निकासी जैसी प्लानिंग होनी चाहिए। राज्य सरकार और प्रशासन इस विषय में पूरी तरह लापरवाह रहा है।' '2018 में केदारनाथ पर लंबी स्टडी के बाद हमारी कमेटी ने केदारघाटी में लोड कम करने के लिए कई सुझाव दिए थे। इसमें धाम में 5 हजार यात्रियों की डेली लिमिट की सिफारिश भी थी, लेकिन अब भी चारधाम यात्रा में बेहिसाब रजिस्ट्रेशन हो रहे हैं। सही ये होता कि केदारनाथ में आने वाले यात्रियों की संख्या सीमित रखी जाती। आधिकारिक तौर पर मौजूदा समय में केदारनाथ धाम में रोजाना 15 हजार लोगों को जाने की परमिशन है।' ......................... ये खबर भी पढ़ें... चारधाम यात्रा कैसे पहुंचें, कहां रुकें, खर्च से लेकर गाइडलाइन तक चारधाम यात्रा 30 अप्रैल से 6 नवंबर तक चलेगी। अब तक 20 लाख से ज्यादा श्रद्धालु ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं। रजिस्ट्रेशन अब भी जारी है। उत्तराखंड सरकार ने यात्रा के पहले एक महीने तक VIP दर्शन पर रोक लगा दी है। अगर आप भी चारधाम यात्रा का प्लान कर रहे हैं तो यह स्टोरी आपके लिए ही है। चारधाम कैसे पहुंचें, कहां रुकें, खर्च कितना होगा, तैयारी क्या करें, हर वो जानकारी जो आपके काम की है। पढ़िए पूरी खबर...
‘मेरे भाई आतंकी नहीं थे। वे बच्चों को पढ़ाते थे। पुंछ शहर में उनका अच्छा-खासा नाम था। उनके बारे में क्या खबरें चला दीं। मेरे भाई को पुलवामा हमले का मास्टरमाइंड बताया। कहा कि वे PoK में टेररिस्ट सेंटर चलाते थे।' 'न्यूज चैनल वाले कहीं से भी किसी का फोटो उठाकर चला देंगे क्या। लोगों को तो यही लगेगा कि वे सही बोल रहे हैं। लोग तो यही सोचेंगे कि मौलाना कारी मोहम्मद इकबाल टेररिस्ट था। इन चैनलों पर कार्रवाई होनी चाहिए।’ मौलाना कारी मोहम्मद इकबाल के भाई मोहम्मद असलम मीडिया से गुस्सा हैं। मोहम्मद इकबाल कश्मीर के पुंछ में जामिया जिया उल उलूम नाम के मदरसे में पढ़ाते थे। 7 मई को पाकिस्तान की तरफ से हुई शेलिंग में उनकी मौत हो गई। मौत की खबर नेशनल मीडिया में चली, लेकिन पूरी तरह गलत। न्यूज 18, रिपब्लिक टीवी, एबीपी न्यूज और जी न्यूज जैसे बड़े चैनलों ने खबर चलाई कि मोहम्मद इकबाल लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी थे। एयरफोर्स ने PoK के कोटली में एयरस्ट्राइक कर उन्हें मार गिराया। कारी मोहम्मद इकबाल के बारे में चली खबरें देखिए… न्यूज 18 पर एयरस्ट्राइक के बारे में एंकर खबर पढ़ना शुरू करते हैं- ‘सबसे बड़ी कामयाबी तब मिली, जब PoK में आतंक की फैक्ट्री चलाने वाले कारी मोहम्मद इकबाल के मारे जाने की खबर आई। PoK यानी पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में उसे मौत की नींद सुला दिया गया।’ ‘कारी मोहम्मद इकबाल लश्कर का वो कमांडर था, जिसकी तलाश भारत को लंबे वक्त से थी। लश्कर का ये कमांडर नए आतंकियों को ब्रेन वॉश करने के लिए जाना जाता था। सूत्रों के मुताबिक, 2019 में पुलवामा में सुरक्षाबल के जवानों पर जो हमला हुआ था, उसमें भी कारी मोहम्मद इकबाल की अहम भूमिका थी।’ एबीपी न्यूज ने भी अपनी वेबसाइट पर यही खबर चलाई। इसकी हेडलाइन थी- ‘मिट्टी में मिल गया मोस्ट वॉन्टेड आतंकी कारी मोहम्मद इकबाल, घाटी में ढूंढ रही थीं एजेंसियां, भारत के एयरस्ट्राइक में हुआ ढेर’ रिपब्लिक की वेबसाइट पर खबर चली- ‘Operation Sindoor: Lashkar Terrorist Qari Mohammad Iqbal killed at Kotli Camp’ इंडियन एयरफोर्स ने 6-7 मई की रात करीब एक बजे पाकिस्तान और PoK में ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च किया था। इसके जवाब में पाकिस्तान ने जम्मू–कश्मीर पर हमला शुरू कर दिया। मौलाना कारी मोहम्मद इकबाल के मौत की खबरें 7 मई की शाम से चलने लगीं, लेकिन ये झूठी थीं। न कारी मोहम्मद आतंकी थे, न उनकी मौत PoK में हुई, न वे लश्कर के कमांडर थे, न ब्रेन वॉश करते थे और न ही उनका 14 फरवरी, 2019 में हुए पुलवामा अटैक से कोई लेना-देना था। अब उनकी फैमिली गलत खबर चलाने वाले चैनलों पर केस करने की तैयारी कर रही है। मस्जिद के पास बम गिरा, मोहम्मद इकबाल ने BJP नेता की गोद में दम तोड़ा7 मई की सुबह पुंछ में पाकिस्तान की तरफ से जबरदस्त गोलीबारी, आर्टिलरी शेलिंग और ड्रोन अटैक हो रहे थे। एक धमाका शहर की जियाल मस्जिद के पास हुआ। यहीं वो मदरसा है, जिसमें मोहम्मद इकबाल पढ़ाते थे। वे मदरसे के एक कमरे में बैठे थे, तभी बाहर बम गिरा। मोहम्मद इकबाल बुरी तरह घायल हो गए। हादसे वाली जगह से हॉस्पिटल पास में ही है, लेकिन इलाज मिलने से पहले ही उन्होंने दम तोड़ दिया।। पुंछ के BJP नेता और MLC रहे चुके प्रदीप शर्मा बमबारी के बीच लोगों की मदद कर रहे थे। उन्हें मस्जिद के पास बम फटने की जानकारी मिली। वे भागते हुए मस्जिद पहुंचे, देखा कि मौलाना मोहम्मद इकबाल खून से लथपथ पड़े हैं। प्रदीप शर्मा बताते हैं, ‘बम का स्प्लिंटर दायीं तरफ से मौलाना साहब के चेहरे पर लगा था। उनके चेहरे पर बड़ा जख्म हो गया। वे बुरी तरह तड़प रहे थे। करीब आधे घंटे तड़पते रहे। मैं उन्हें सहारा दे रहा था। उन्होंने मेरी बांहों में ही आखिरी सांस ली।’ प्रदीप शर्मा बताते हैं, ‘पुंछ में इतना कुछ हो रहा था कि मैं नहीं देख पाया मीडिया में क्या चल रहा है। मेरे छोटे भाई ने बताया कि न्यूज में जिस मौलवी को आतंकी बता रहे हैं, ये तो वही हैं जिनकी डेडबॉडी आपने सुबह उठाई थी। मैंने शक्ल मिलाकर देखी, तो एहसास हुआ कि ये तो गलत खबर चल रही है।’ अपने आखिरी पलों में मौलाना साहब दुआएं मांग रहे थे। माफी मांग रहे थे। हाथ जोड़कर मुझसे कह रहे थे कि मुझे बख्श देना, मैंने आपको तकलीफ दी। वे बहुत नेक आदमी थे। कुछ पलों में ही उन्होंने मेरे हाथ में दम तोड़ दिया। ‘अब भी रात में मेरी नींद खुल जाती है। उनका चेहरा सामने आ जाता है। हम हिंदू परंपरा में पुनर्जन्म को मानते हैं। हो सकता है कि वे मेरे पिछले जन्म के भाई हों और ये वाकया भाग्य में लिखा हो। उस पल मौलाना साहब के साथ उनकी फैमिली से कोई नहीं था। मैं उन्हें गले लगाकर रोए जा रहा था।’ ‘20 साल बच्चों को पढ़ाया, उन्हें आतंकी बता दिया’47 साल के मोहम्मद इकबाल पुंछ में ही पैदा हुए थे। शुरुआती पढ़ाई पुंछ में हुई। फिर महाराष्ट्र के अक्कलकुवा में जामिया इस्लामिया इशातुम उलूम से कारी की डिग्री ली। 2004 में महाराष्ट्र से लौटे और जामिया जिया उलूम में पढ़ाने लगे। करीब 20 साल से ज्यादा वक्त तक पढ़ाया। पुंछ में वे मशहूर शख्सियत थे। हजारों बच्चों को इस्लाम की तालीम दी। शहर में उनका अच्छा नाम और सम्मान था। मौलाना मोहम्मद इकबाल का घर पुंछ शहर से करीब 7 किमी ऊपर पहाड़ पर है। घर पर मातम पसरा है। इस बात का गुस्सा भी है कि उनकी मौत के बाद उनके बारे में फेक न्यूज फैलाई गई। मोहम्मद इकबाल की पत्नी नसीम अख्तर अब कम बातें करने लगी हैं। वे कहती हैं, ‘मेरे शौहर की मौत पाकिस्तान की शेलिंग में हुई थी। उनके बारे में कुछ भी फर्जी खबरें चलाई गईं। जिन लोगों ने ऐसा किया, उन्हें सजा मिले।’ मौलाना मोहम्मद इकबाल के छोटे भाई मोहम्मद असलम कहते हैं, ’11 बजे के बाद मैं बड़े भाई की डेडबॉडी घर लेकर आया। तब तक तेज गोलाबारी हो रही थी। भाई की बॉडी से खून बह रहा था इसलिए हमने उन्हें दफनाने का फैसला लिया। परिवार और पड़ोसियों ने मिलकर दोपहर 12 बजे उन्हें दफना दिया।’ ‘लोगों ने मुझे उनके बारे में चल रही खबर दिखाई। मुझे बहुत दुख हुआ। हमें तो सच पता है, लेकिन देश के अलग-अलग इलाकों में रहने वाले लोग तो यही सोचेंगे कि मेरे भाई आतंकी थे।’ ‘टीवी पर फोटो कैसे चली, इसकी जांच हो’मौलाना मोहम्मद इकबाल के भांजे इम्तियाज अहमद कहते हैं, ‘मैंने बचपन से कारी साहब को देखा है। पुंछ शहर का बच्चा-बच्चा उन्हें जानता था। वो बड़े इस्लामिक स्कॉलर थे। हमें भी पता है कि मौत एक न एक दिन आनी ही है, उनकी भी आ गई।’ ‘मामा की मौत से ज्यादा दुख तब हुआ, जब हमने टीवी पर खबर देखी। खबर चल रही थी कि मेरे मामा वॉन्टेड आतंकी थे और उन्हें मार दिया गया। वे पाकिस्तान के हमले में मारे गए। उन्हें तो शहीद का दर्जा देना चाहिए था।’ इम्तियाज आगे कहते हैं, ‘ऐसी बहकी बातें करना मीडिया के लिए शर्मनाक है। आज तक हमारे परिवार के किसी शख्स पर कोई तोहमत नहीं लगी, न किसी आतंकी गुट से हमारा लेना- देना है। पुलिस या जिससे भी जांच करवानी है, करवा लो। अगर मौलाना कारी साहब के बारे में किसी से पूछोगे तो वो उन्हें अच्छा ही बताएगा। हिंदू, मुस्लिम, सिख, हर कोई उनकी तारीफ ही करेगा।’ ‘चैनलों ने माफी मांग ली है, लेकिन इससे काम नहीं चलेगा। हम दिल्ली में केस दायर करने की तैयारी कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट में भी हमारे वकील हैं। हम गलत खबर चलाने वालों को छोड़ेंगे नहीं।’ मोहम्मद इकबाल जिस मदरसे में पढ़ाते थे, वो उनके रिश्तेदार अब्दुल मजीद का है। अब्दुल मजीद भी दुख बांटने उनके घर आए हुए थे। वे कहते हैं कि BJP लीडर प्रदीप शर्मा ने उन्हें खुद उठाया। हॉस्पिटल ले गए। उनकी बाजुओं पर मौलाना साहब की सांस उतरी। वही एंबुलेंस में कारी साहब को लेकर घर आए। जो इंसान दुश्मन मुल्क के गोले से शहीद हो गया, उसके साथ मीडिया ने ऐसा सलूक किया। गलत खबर चलाने पर माफी मांगी, वेबसाइट से खबर डिलीटन्यूज 18 ने अपने शो में मोहम्मद इकबाल को ‘लश्कर कमांडर’ और PoK में ‘आतंक की फैक्ट्री’ चलाने वाला बताया था। हालांकि, बाद में चैनल ने गलत खबर चलाने के लिए माफी मांग ली। वेबसाइट से खबर भी हटा ली। हालांकि, इनकी क्लिप अब भी सोशल मीडिया पर हैं। खबरें सामने आने के बाद पुंछ पुलिस ने सोशल मीडिया पर लिखा कि मौलाना मोहम्मद इकबाल के बारे में फैलाई जा रही खबरें झूठी हैं। उनका आतंकवादियों से कोई संबंध नहीं था। गलत रिपोर्टिंग से दहशत फैलती है। गलत सूचना फैलाने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। पुंछ में सबसे ज्यादा फायरिंग, मौतें भी यहीं6-7 मई की दरमियानी रात भारतीय सेना ने PoK और पाकिस्तान में आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर चलाया। इसके एक घंटे बाद ही पुंछ से सटे PoK से फायरिंग शुरू हो गई। बड़े-बड़े मोर्टार से बमबारी की गई। लोग बताते हैं कि ये अब तक पुंछ में हुई सबसे भयानक बमबारी है। 1965 और 1971 में भी ऐसी फायरिंग नहीं देखी थी। इस बमबारी में पुंछ में 3 महिलाओं और 5 बच्चों सहित 16 लोगों की मौत हुई है। डर की वजह से शहर खाली हो गया। लोग घर छोड़कर चले गए। पाकिस्तान के लिए आसान टारगेट, इसलिए पुंछ को बनाया निशानापुंछ शहर की घाटी में बसा हुआ है और तीनों तरफ पहाड़ियों से घिरा है। जिन पहाड़ियों से पुंछ घिरा है, वे पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर का हिस्सा है। पाकिस्तान ने ऊंची पहाड़ियों पर आर्मी पोस्ट बना रखी है। पाकिस्तानी पोस्ट से पूरा पुंछ शहर साफ-साफ दिखता है। इस तरह से पाकिस्तान के पास पुंछ पर हमला करने के लिए सामरिक बढ़त है। अटैक करने में एल्टीट्यूट सबसे अहम होता है। हाई एल्टीट्यूड वॉरफेयर में जो ऊंचाई पर होता है, उसे बढ़त मिलती है। वैसे भी पाकिस्तान के लिए ऊंचाई से फायर करना आसान था। ........................ जम्मू-कश्मीर से ये ग्राउंड रिपोर्ट भी पढ़ें... 1. पाकिस्तानी फायरिंग से बच नहीं पाया 13 साल का विहान महताब दीन, जम्मू के पुंछ के रहने वाले हैं। अपनी चोट दिखाते हुए महताब LoC के पास वाले इलाकों का हाल बताते हैं। वे कहते हैं, ‘सुबह से ही धमाकों की आवाजें आ रही थीं। मैंने अपने बच्चों के साथ दीवार की आड़ ले रखी थी इसलिए बच सका।‘ इस बमबारी में पुंछ में 3 महिलाओं और 5 बच्चों सहित 16 लोगों की मौत हुई है। 59 लोग घायल हुए हैं। पढ़िए पूरी रिपोर्ट... 2. हार्ट-पेशेंट बेटी को बचाने निकलीं नरगिस पर गिरा पाकिस्तानी रॉकेट जम्मू-कश्मीर में उरी के रजरवानी गांव में रहने वाली नरगिस को बेटी की फिक्र हो रही थी। 14 साल की बेटी को हार्ट की परेशानी है। बाहर पाकिस्तान की तरफ से भारी गोलाबारी हो रही थी। नरगिस को लगा कि बेटी की तबीयत न बिगड़ जाए, इसलिए उन्होंने गाड़ी मंगाई और बेटी को लेकर बारामूला की तरफ चल पड़ीं। बेटी को बचाने निकलीं नरगिस की मोर्टार का छर्रा लगने से मौत हो गई। पढ़िए पूरी खबर...
Edi Rama and Giorgia Meloni :ईपीसी समिट में हिस्सा लेने पहुंची इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी का अल्बानियाई प्रधानमंत्री ईदी रामा ने भव्य स्वागत किया. रेड कार्पेट वेलकम के दौरान ईदी मेलोनी के सामने झुकना और मेलोनी का मुस्कुराकर इशारों-इशारों में जवाब देना दोनों देशों के बीच बढ़ते द्विपक्षीय संबंधों को उजागर करता है.
'ब्रह्मोस के आगे बौने हैं पाक और चीन के एयर डिफेंस सिस्टम...', पूर्व US कर्नल ने दिखाया आईना
India Pakistan Tension: पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को कड़ा सबक सिखाया. भारत ने पाकिस्तान पर जवाबी हमला किया जिसके बाद पाकिस्तानी एयरबेस के परखच्चे उड़ गए. जिसके बाद भारतीय हथियारों को लेकर पूर्व अमेरिकी युद्ध विशेषज्ञ ने बड़ी टिप्पणी की है.
सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के आर्टिकल 142 का इस्तेमाल करते हुए राष्ट्रपति और राज्यपाल के लिए विधेयक पारित करने की समयसीमा तय की थी। अब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संविधान के आर्टिकल 143 का इस्तेमाल करके सुप्रीम कोर्ट से ही 14 सवाल पूछ लिए हैं? क्या है पूरा मामला और इसके पीछे का खेल; भास्कर एक्सप्लेनर में इससे जुड़े 8 जरूरी सवालों के जवाब जानेंगे… सवाल-1: आर्टिकल 143 क्या है और इसके तहत राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट से क्या सवाल किए?जवाब: भारत के संविधान में आर्टिकल 143 के तहत राष्ट्रपति को यह अधिकार मिलता है कि वो सुप्रीम कोर्ट से राय मांग सकते हैं। यह संवैधानिक मुश्किलों को सुलझाने में मदद करता है। इसमें मुख्य रूप से दो तरह की राय के लिए अलग-अलग क्लॉज हैं- आर्टिकल 143 (1): राष्ट्रपति किसी भी कानूनी या तथ्यात्मक सवाल पर सुप्रीम कोर्ट की राय मांग सकते हैं। यह जरूरी नहीं कि वह सवाल किसी मौजूदा विवाद से जुड़े हों। उदाहरण से समझें तो कोई नया कानून बनाने से पहले उसकी संवैधानिक वैधता पर राय ली जा सकती है। आर्टिकल 143 (2): अगर कोई विवाद किसी ऐसी संधि, समझौते या अन्य दस्तावेजों से जुड़ा है, जो संविधान लागू होने यानी 26 जनवरी 1950 से पहले से चल रहा था, तो राष्ट्रपति सुप्रीम कोर्ट से उस पर राय मांग सकते हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आर्टिकल 143 (1) के तहत सुप्रीम कोर्ट से 14 सवाल किए और राय मांगी है। सवाल-2: राष्ट्रपति मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट से ये सवाल अभी ही क्यों किए?जवाब: दरअसल, तमिलनाडु विधानसभा में 2020 से 2023 के बीच 12 विधेयक पारित किए गए। इन्हें मंजूरी के लिए राज्यपाल आरएन रवि के पास भेजा गया। उन्होंने विधेयकों पर कोई कार्रवाई नहीं की, दबाकर रख लिया। अक्टूबर 2023 में तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई। इसके बाद राज्यपाल ने 10 विधेयक बिना साइन किए लौटा दिए और 2 विधेयकों को राष्ट्रपति के पास विचार के लिए भेज दिया। सरकार ने 10 विधेयक दोबारा पारित कर राज्यपाल के पास भेजे। राज्यपाल ने इस बार इन्हें राष्ट्रपति के पास भेज दिया। सुप्रीम कोर्ट ने 8 अप्रैल 2025 को एक अहम फैसले में राज्यपाल के इस तरह विधेयक अटकाने को अवैध बता दिया। जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने राज्यपाल से कहा- 'आप संविधान से चलें, पार्टियों की मर्जी से नहीं।' राज्यपाल ने 'ईमानदारी' से काम नहीं किया। इसलिए कोर्ट ने आदेश दिया कि इन 10 विधेयकों को पारित माना जाए। यह पहली बार था जब राज्यपाल की मंजूरी के बिना विधेयक पारित हो गए। दरअसल, संविधान में यह निर्धारित नहीं किया गया है कि विधानसभा से पारित विधेयक को राज्यपाल या राष्ट्रपति को कितने दिनों के भीतर मंजूरी या नामंजूरी देनी होगी। संविधान में सिर्फ इतना लिखा है कि उन्हें 'जितनी जल्दी हो सके' फैसला लेना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस ‘जितनी जल्दी हो सके’ को डिफाइन कर दिया है… इससे ये सवाल उठा कि क्या सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रपति को भी निर्देश दे सकती है। इसी के बाद राष्ट्रपति द्रोपदू मुर्मू से ये 14 सवाल किए हैं। सवाल-3: क्या सुप्रीम कोर्ट आर्टिकल 143 के तहत राष्ट्रपति के सवालों का जवाब देने के बाध्य है?जवाब: सुप्रीम कोर्ट क्लॉज-1 के तहत राय देने के बाध्य नहीं है। यानी अगर कोर्ट को लगे कि मामला राय देने के लिए उचित नहीं है, तो वह मना कर सकती है। लेकिन क्लॉज-2 के तहत सुप्रीम कोर्ट को राय देना अनिवार्य होता है। सुप्रीम कोर्ट के वकील और संविधान के जानकार विराग गुप्ता कहते हैं, ‘राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट से क्लॉज-1 के तहत 14 सवाल पूछे हैं, यानी सुप्रीम कोर्ट इन सवालों पर राय देने के बाध्य नहीं है। इससे पहले राम मंदिर विवाद पर नरसिम्हा राव की सरकार के रेफरेंस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ऐतिहासिक और पौराणिक तथ्यों के मामलों में राय देना अनुच्छेद 143 के दायरे में नहीं आता।' 1993 में कावेरी जल विवाद पर भी कोर्ट ने राय देने से इनकार कर दिया था। इसके अलावा 2002 में गुजरात चुनावों के मामले में कोर्ट ने कहा था कि अपील या पुनर्विचार याचिका की बजाय रेफरेंस भेजने का विकल्प गलत है। विराग गुप्ता कहते हैं, 'जिस तरह सुप्रीम कोर्ट बाध्य नहीं है, ठीक उसी तरह राष्ट्रपति और केंद्र सरकार भी सुप्रीम कोर्ट की राय मानने के बाध्य नहीं है। यानी अगर कोर्ट किसी मामले पर अपनी राय दे, तो यह राष्ट्रपति और सरकार की मर्जी है कि वह राय माने या न माने। हालांकि, यह राय बहुत महत्वपूर्ण होती है।' सवाल-4: तो क्या सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के दायरे में राष्ट्रपति को निर्देश दिए थे?जवाब: हां। सुप्रीम कोर्ट आर्टिकल 142 के तहत राष्ट्रपति और राज्यपाल को भी निर्देश दे सकती है। दरअसल, भारत के संविधान निर्माताओं ने वो सभी बातें संविधान में शामिल कर लीं, जितनी उस वक्त तक सोची जा सकती थीं। इसके साथ ही आर्टिकल 142 के जरिए सुप्रीम कोर्ट को 'पूर्ण न्याय' करने की विशेष शक्ति दे दी। ताकि जब कानून के मौजूदा प्रावधान पर्याप्त न हों या अस्पष्ट हों, तब भी न्याय सुनिश्चित किया जा सके। इसका मसौदा आर्टिकल 18 की तरह संविधान सभा में बिना बहस और विरोध के अपनाया गया था। डॉ. बी. आर. अंबेडकर ने संविधान सभा में इस अनुच्छेद का समर्थन करते हुए कहा था, There may be many matters where the ordinary law may not be able to give a remedy. Article 142 is a safety valve. यानी, अगर कोई मामला इतना असाधारण हो कि मौजूदा कानून के जरिए न्याय न किया जा सके, तो ये अनुच्छेद सुप्रीम कोर्ट के लिए एक 'सेफ्टी वॉल्व' है। यह आर्टिकल सुप्रीम कोर्ट को सिर्फ संविधान की व्याख्या करने के साथ अंतिम न्याय देने वाली संस्था बनाता है। सवाल-5: इस पूरे मामले के पीछे केंद्र सरकार की राजनीति क्या है?जवाब: विराग गुप्ता कहते हैं, 'इस पूरे मामले के पीछे केंद्र सरकार आर्टिकल 142 को टारगेट कर रही है। सरकार को लगता है कि देश की न्यायपालिका इस आर्टिकल का गलत इस्तेमाल कर रही है। हालांकि, हकीकत इससे जुदा है। केंद्र सरकार के ऑब्जेक्शन से इस आर्टिकल का कुछ नहीं बिगड़ेगा और न ही यह खत्म होगा। केंद्र सिर्फ इस आर्टिकल में बदलाव के प्रावधान कर सकती है।’ 17 अप्रैल को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आर्टिकल 142 का विरोध किया था। उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत कोर्ट को मिला विशेष अधिकार लोकतांत्रिक शक्तियों के खिलाफ 24x7 उपलब्ध न्यूक्लियर मिसाइल बन गया है। जज ‘सुपर पार्लियामेंट’ की तरह काम कर रहे हैं। मौजूदा हालात में राष्ट्रपति के जरिए सुप्रीम कोर्ट से सवाल करने के पीछे केंद्र सरकार की 4 बड़ी वजहें हो सकती हैं- सवाल-6: तो फिर इस मामले में आगे क्या हो सकता है?जवाब: विराग गुप्ता कहते हैं, 'कोर्ट के नियम के मुताबिक तमिलनाडु मामले में केंद्र सरकार को पुनर्विचार याचिका दायर करनी चाहिए, क्योंकि कोर्ट मेरिट पर गए बगैर राष्ट्रपति के सवालों पर राय देने से मना कर सकती है। कोर्ट के पास इसके अधिकार हैं।' हालांकि, विराग गुप्ता ने यह भी कहा, अगर कोर्ट ने राय देने का रेफरेंस स्वीकार कर लिया, तो उसे केंद्र-राज्य संबंध, संघीय व्यवस्था, राज्यपाल के अधिकार और आर्टिकल 142 के बेजा इस्तेमाल पर बहस करनी पड़ सकती है। क्योंकि कोर्ट ने 142 के तहत राज्यपाल और राष्ट्रपति को निर्देश जारी कर दिए थे। सवाल-7: क्या पहले भी आर्टिकल 143 के तहत मामले सामने आए?जवाब: आर्टिकल 143 से जुड़े 3 बड़े मामले सामने आ चुके हैं, जब सुप्रीम कोर्ट ने राय दी... सवाल-8: आखिर भारत में सबसे ऊपर कौन है, क्या अदालतें राष्ट्रपति को आदेश नहीं दे सकतीं?जवाब: ब्रिटेन में संसद सर्वोच्च है, वहां की अदालतें संसद द्वारा बनाए कानून से बंधी होती हैं, लेकिन भारत में ऐसा नहीं है। विराग गुप्ता कहते हैं… ---------------- सुप्रीम कोर्ट से जुड़ी अन्य खबर पढ़ें- गवर्नर-प्रेसिडेंट के लिए डेडलाइन पर कानूनी बहस: पूर्व कानून मंत्री बोले- सरकार और अदालतों में टकराव होगा, वकील बोले- मंत्रिपरिषद की सलाह पर ही चलेगा राष्ट्रपति प्रेसिडेंट और गवर्नर के लिए डेडलाइन बनाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कानून बहस शुरू हो गई है। पूर्व कानून मंत्री अश्विनी कुमार ने कहा- इससे सरकार और अदालतों के बीच टकराव की स्थिति पैदा हो सकती है, जिसे सुलझाना जरूरी है। उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट की बेंच इस पर स्पष्ट राय देगी। पूरी खबर पढ़ें...
जब ट्रंप को देखते ही बाल झटकने लगी महिलाएं...UAE में US राष्ट्रपति का अनोखा वेलकम, वीडियो वायरल
Donald Trump: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूएई का दौरा किया. यहां पर उनका अनोखे तरीके से स्वागत किया गया. जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी के साथ वायरल हो रहा है. आइए जानते हैं इसके बारे में.
Covid-19: आ गई कोरोना की नई लहर! जानें कहां-कहां मचा कोहराम, मौतों से मचा हड़कंप
Coronavirsu News: कोरोना का नाम सुनते ही हर कोई चौकन्ना हो जाता है. कोरोना के दौरान शायद ही कोई परिवार बचा हो जो इसकी चपेट में न आया हो. एक बार फिर कोरोना ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है. जिससे अभी तक 31 लोगों की मौत हो चुकी है. जानें कोरोना की नई लहर कहां आई है.
पाकिस्तान में न्यूक्लियर लीकेज की अफवाह उड़ी थी, अब भारत के इस पड़ोसी को मिली स्पेशल डिवाइस
दुनिया में परमाणु हथियारों को लेकर कई तरह के खतरे बने हुए हैं. पिछले दिनों पाकिस्तान से खूब झूठ फैलाया गया था. अब भारत के एक और पड़ोसी के पास परमाणु रेडिएशन का पता लगाने के लिए एक स्पेशल डिवाइस मिली है.
Nuclear Time: अगर बात भारत और पाकिस्तान की तो यहां परमाणु हथियारों को एक्टिव करने में 30 मिनट से कुछ घंटे तक का समय लग सकता है. भारत की रणनीति नो फर्स्ट यूज पर आधारित है. हथियार तैनात नहीं रहते. वहीं पाकिस्तान की रणनीति त्वरित जवाब देने की है.
Melania Trump: न्यूयॉर्क टाइम्स ने भी यह सवाल उठाया था कि मेलेनिया व्हाइट हाउस से क्यों दूर हैं. ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान दोनों व्हाइट हाउस में एक साथ रहते थे. लेकिन अब मेलेनिया ने वाशिंगटन में राष्ट्रपति निवास में रहना बंद कर दिया है.
Iran-America: अमेरिका और ईरान के बीच विवाद बढ़ता ही जा रहा है. दोनों देशों के बीच करीब चार बार मीटिंग हो चुकी है. लेकिन किसी नतीजा पर अब तक आम सहमति नहीं बन पाई है. इसी बीच ईरान ने फिर अमेरिका को खुले शब्दों में कह दिया है कि उनका देश अपने किसी भी यूरेनियम से जुड़े किसी प्लांट को बंद नहीं करेगा. जबकि अमेरिका लगातार ईरान को धमकी दे रहा है. जानें पूरी खबर.
डोनाल्ड ट्रंप को मारने की साजिश! FBI के पूर्व प्रमुख के 8647 कोड ने क्यों मचाया बवाल
Donald Trump News: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की हत्या की साजिश के दावे से जुड़ी सोशल मीडिया पोस्ट ने बवाल मचा दिया है. सोशल मीडिया यूजर्स के निशाने पर एफबीआई के पूर्व डायरेक्टर जेम्स कोमे हैं.
Love Story: वो राजकुमारी, जिसने आम लड़के से किया प्यार, छोड़ दिया था महल और शाही ठाठ
Markle and Komuro Love Story:शीरीं-फरहाद, हीर-रांझा और लैला-मजनूं की मुहब्बत की कहानियां पूरी दुनिया में आज भी सुनाई जाती है.आज के वक्त में भी ऐसे कई प्रेमी जोड़े हैं, जिनकी मोहब्बत ने समाज की तमाम बंदिशों को तोड़ते हुए एक नई मिसाल कायम की है.
सिर्फ एक टैरिफ से मच जाएगी तबाही.. अब चीन की सबसे मजबूत इंडस्ट्री पर ट्रंप की नजर
US Tariffs: चीन की फार्मा इंडस्ट्री काफी मजबूत मानी जाती है. लेकिन अगर अमेरिका ने उत्पाद दर उत्पाद टैरिफ लगाना शुरू किया तो चीन की API कंपनियों के लिए आगे बढ़ना मुश्किल हो सकता है.
जंग में तबाही मचाएगा चीन का ये नन्हा ड्रोन! चूहे जितना आकार और बुलेट ट्रेन की रफ्तार
चीन के छात्र झु यांग ने असंभव को संभव करते हुए ऐसा माइक्रोड्रोन (सूक्ष्म ड्रोन) तैयार किया है, जो बुलेट ट्रेन की स्पीड से भी ज्यादा रफ्तार से चलता है. झु ने माइक्रोड्रोन के प्रोपेलर 3डी प्रिंटर से तैयार किए.
बात 2007 की है। जून का महीना और 15 तारीख। शाम के 5 बज रहे थे, ढलता सूरज अभी भी तप रहा था। हरियाणा रोडवेज की तेज रफ्तार बस कुरुक्षेत्र से करनाल की तरफ बढ़ रही थी। 20 किलोमीटर पहले सफेद रंग की स्कॉर्पियो अचानक बस के सामने आकर रुकी। 8-10 लोग धड़धड़ाकर उतरे और बस में चढ़ गए। एक ने चिल्लाया, 'ये रहा मनोज, नीचे उतार ले इसे!' उसका इशारा बस की पिछली कोने वाली सीट पर बैठे एक लड़के और लड़की की तरफ था। करीब 19 साल की दुबली सी लड़की, रंग गोरा, माथे पर चटक सिंदूर और हाथों में लाल रंग का चूड़ा था। बस में चढ़े लोगों ने इन दोनों को घसीटते हुए नीचे उतार लिया। पीछे-पीछे बस में सवार दो और लोग भी उतर गए। हड़बड़ाए ड्राइवर ने जैसे ही बस आगे बढ़ाई, नीचे एक लंबे-चौड़े लड़के ने मनोज के हाथ पीछे की तरफ मोड़कर जकड़ लिए। अब चार-पांच लोगों ने उसे लाठियों से पीटना शुरू कर दिया। मनोज चीख रहा था, ‘छोड़ दो मुझे…।’ इस बीच एक लड़का मनोज के साथ वाली लड़की के बाल पकड़कर उसे सड़क पर घसीटने लगा। लड़की चीखी, 'मत मारो! हमने कुछ नहीं किया।’ फिर दो लोग लड़की का हाथ पकड़कर घसीटते हुए सड़क किनारे ले गए। लड़की उसके पैर पकड़कर गिड़गिड़ाने लगी, लेकिन लड़के पर कोई फर्क नहीं पड़ा। उसने पूरी ताकत से चार-पांच थप्पड़ जड़े और फिर उसे उठाकर सड़क पर पटक दिया। तभी एक अधेड़ सा शख्स तेज आवाज में बोला, 'देख क्या रहे हो? गाड़ी से रस्सी लाओ।’ इस शख्स को लड़के गंगाराज ताऊ के नाम से बुला रहे थे। गंगाराज की आवाज सुनते ही एक लड़का दौड़कर रस्सी ले आया। तीन-चार लड़कों ने मिलकर मनोज और उसके साथ वाली लड़की के हाथ-पैर इसी रस्सी से बांध दिए। तभी एक लड़का बोला, ‘ये बहुत चिल्ला रहे हैं, इनके मुंह में कपड़ा ठूंस दो।’ उनमें से एक ने लड़की का दुपट्टा खींचा। उसे फाड़कर पहले लड़की का मुंह बांधा फिर बचे हुए टुकड़े को मनोज के मुंह में ठूंस दिया। दो-तीन लड़के मनोज को घसीटते हुए स्कॉर्पियो के पीछे ले गए और जिस रस्सी से उसके हाथ बंधे थे, उसके दूसरे सिरे को गाड़ी से बांध दिया। लड़की को लाठी से पीटकर स्कॉर्पियो की बीच वाली सीट में धकेल दिया। स्कॉर्पियो कैथल की ओर चल पड़ी। पीछे बंधा मनोज घिसटने लगा। कुछ ही मिनटों में उसके कपड़ों के चीथड़े बन गए। सिर्फ एक पैर में स्पोर्ट्स शू बचा था। जून के महीने में गर्म डामर की सड़कें मनोज की खाल उधेड़ने लगीं। वो छटपटा रहा था। सड़क पर जहां-तहां उसका खून दिख रहा था। अब उसका मांस भी उधड़ने लगा। 2-3 किलोमीटर बाद अंदर बैठा गंगाराज बोला, ‘गाड़ी रोको। उसे डिग्गी में भर दो।’ स्कॉर्पियो रुकी और दो लोगों ने रस्सी खोलकर मनोज को डिग्गी में किसी तरह ठूंस दिया। स्कॉर्पियो धूल उड़ाती हुई तेज रफ्तार से कैथल की तरफ चल पड़ी। भीतर बैठी लड़की भी अब बेहोश हो चुकी थी। 2 घंटे बाद गाड़ी कैथल के करोड़ा गांव के पास सुनसान खेतों के बीच पहुंची। अंधेरा हो चुका था। गंगाराज ड्राइवर से बोला, ‘गाड़ी रोको।’ स्कॉर्पियो के ब्रेक लगे, सभी गाड़ी से उतरे। मनोज और उसके साथ वाली लड़की को गाड़ी से खींचकर उतारा और खेतों में अंदर की तरफ घसीटते हुए ले गए। तभी एक मारुति कार भी वहां पहुंची। कलफ चढ़ा सफेद रंग का कुर्ता-पायजामा पहने दो लोग उतरे। उनके हाथ में कई लाठियां थीं, वो भी सभी के पीछे-पीछे चल दिए। थोड़ी दूर खेत में घसीटने के बाद दो लोग लड़की के पैर और दो लोग उसके दोनों हाथों पर चढ़ गए। उसकी चूड़ियां टूटकर कलाई में धंस गईं। अधमरी लड़की की चीख सुनसान खेतों में गूंज रही थी। भीड़ से गंगाराज की आवाज आई, ‘इसे मारना मत, ताकि ये मनोज को मरते देख सके।’ सभी ने बेसुध पड़े मनोज को पीटना शुरू कर दिया। घूंसे मार-मारकर दांत तोड़ दिए। उसका मुंह खून से भर गया। एक आदमी ने उसका हाथ पकड़ा और एक-एक करके उसकी उंगलियां तोड़नी शुरू कीं। फिर पैर की उंगलियां तोड़ीं। मनोज दर्द से चीखता रहा। लड़की बार-बार कहती रही, ‘उसे छोड़ दो।’ तभी एक आदमी ने उसकी गर्दन पकड़कर मरोड़ दी। लाठी उठाई और गुप्तांग पर मारना शुरू कर दिया। दूसरे ने लाठी उठाई और लड़के के गुप्तांग में डाल दी। मनोज की तेज चीख आई और वो एकदम शांत हो गया। इधर, जमीन पर बेसुध पड़ी लड़की ने आखिरी चीख सुनी, लेकिन कुछ कर नहीं पाई। 22-23 साल का एक लड़का मनोज की लाश को लात मारकर लड़की की तरफ बढ़ा। उसके हाथ में सल्फास की डिब्बी थी। उसने लड़की को कुछ दूर तक बाल पकड़कर घसीटा, फिर लात से कुचल-कुचलकर मारने लगा। लड़की की उधड़ी हुई खाल अब फटे कपड़ों में चिपक गई थी। वह कराहते हुए बोली, ‘उसे तो मार दिया, मुझे भी मार दो।’ लड़की को पीट-पीटकर वो लड़का भी अब थक चुका था। पसीने से तरबतर लड़का जमीन पर बैठ गया। कुछ देर बाद तेजी से उठा और उसने एक हाथ से लड़की की गर्दन पकड़ी और जबरदस्ती दोनों गाल पूरी ताकत से दबा दिए। लड़की का मुंह खोलकर सल्फास की डिब्बी उड़ेल दी और जोर लगाकर उसका मुंह बंद कर दिया। लड़की को उबकाई आने लगी, लेकिन लड़के ने उसका मुंह दबाए रखा। वो छटपटाती रही, हाथ-पैर पटकती रही। लड़की के मुंह से झाग निकलने लगा और धीरे-धीरे उसका शरीर ठंडा पड़ गया। गंगाराज ने उस लड़के से कहा, ‘दोनों मर गए। इन्हें बोरी में लपेटकर नहर में फेंक दो।’ चार लोगों ने दोनों की बॉडी को बोरी में लपेटा और रस्सी से कसकर बांध दिया। लाश उठाकर गाड़ी में रखी और नहर की तरफ चल दिए। कुछ किलोमीटर आगे बढ़ते ही गाड़ी रुकी। लड़की को जहर पिलाने वाला लड़के ने कहा, ‘बहा दो दोनों को यहीं।’ गाड़ी में बैठे लोगों ने घसीटते हुए दोनों की लाश उठाकर नहर में बहा दी। फिर सभी करोड़ा गांव की तरफ चल पड़े। एक हफ्ते बाद, 23 जून 2007, दोपहर के करीब 3 बजे। हिसार के नारनौद के पास खेड़ी चोकटा गांव में एक आदमी घूम रहा था। उसका नाम था कृष्णा। अचानक उसकी नजर बाल समाध नहर के किनारे पर पड़ी सफेद बोरी नुमा चीज पर पड़ी। पास पहुंचा तो सड़े-गले मांस की तेज बदबू आ रही थी। नाक दबाए कृष्णा थोड़ा और पास गया, तो उसे लगा कि डेड बॉडी है, जिसपर कीड़े रेंग रहे थे। कुछ देर तक वह लाश को देखता रहा, तभी उसकी नजर दूसरे छोर पर पड़ी। वहां भी एक और लाश दिखी। ये जगह वहां से करीब 100 किलोमीटर दूर थी, जहां मनोज और उसके साथ वाली लड़की की लाश फेंकी थी। भागता हुआ कृष्णा नारनौद थाने पहुंचा और एसएचओ विनोद कुमार से कहा, 'नहर किनारे दो लाश पड़ी हैं।' एसएचओ विनोद ने पूछा, 'किसकी लाश... कहां पड़ी है?' कृष्णा ने कहा, 'बाल समाध नहर के किनारे।' एसएचओ अपनी टीम के साथ करीब 4 बजे नहर के पास पहुंचे और लाशों की तस्वीरें लीं। फिर पुलिस लाशें निकालकर थाने ले आई। पोस्टमॉर्टम कराने के बाद कई दिनों तक लाशें मॉर्च्युरी में रखी रहीं। जब कोई पूछने नहीं आया तो पुलिस ने लावारिस मानकर दाह-संस्कार कर दिया। मनोज और वो लड़की कौन थे? उनका रिश्ता क्या था? उन्हें बस से घसीटकर क्यों ले जाया गया? दोनों को इतनी बुरी तरह क्यों मारा गया? क्या उन दोनों के घरवालों को अब तक कुछ भी नहीं पता था? आगे की कहानी कल यानी शनिवार को करनाल मर्डर केस पार्ट-2 में पढ़िए... मनोज और उसके साथ वाली लड़की के मर्डर का कोई चश्मदीद नहीं, अब तक उनके घरवालों को भी कुछ नहीं पता, पुलिस कैसे सुलझाएगी ये डबल मर्डर मिस्ट्री मनोज और लड़की को जब घसीटकर ले जा रहे थे तब टोल नाके में काम कर रहे एक शख्स ने ये सब देखा था। उसके पास मनोज के एक पैर का स्पोर्ट्स शू भी था। उसने 100 डायल पर हरियाणा पुलिस को इस बारे में मैसेज भी दिया। पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज करके आस-पास के सभी थानों में एक VT मैसेज फ्लैश कर दिया, लेकिन कोई छानबीन नहीं शुरू की। पूरी कहानी पढ़िए करनाल डबल मर्डर केस पार्ट-2 में...
पाकिस्तान से भारत लौटने के बाद पूर्णम के साथ क्या होगा, प्रोटोकॉल क्या कहते हैं, और पिछले 20 दिनों में पाकिस्तान में उनके साथ क्या हुआ, पूरी जानकारी के लिए ऊपर दी गई इमेज पर क्लिक कर देखें वीडियो
'8 मई, रात के 10 बज रहे होंगे। कश्मीर से मेरे बेटे नीरज का फोन आया। वो उरी सेक्टर में बॉर्डर पर तैनात है। उसने बताया- पापा यहां फायरिंग तेज हो गई है। ड्यूटी बढ़ाई जा रही है। कुछ दिनों तक फोन नहीं कर पाऊंगा। आप सब परेशान मत होना। 3 दिन तक कोई फोन नहीं आया। 11 मई को गोलीबारी थमी। तब बेटे का दोबारा फोन आया। जब पता चला कि सब ठीक है। तब थोड़ा सुकून मिला।’ फौजी बेटे की बात करते हुए 56 साल के दिनेश सिंह का दिल गर्व से भर जाता है। वो कहते हैं- खुशी होती है जब किसी को बताता हूं कि मेरा बेटा सेना में है। वो देश की रक्षा के लिए सरहद पर ड्यूटी कर रहा है। नीरज, यूपी के गाजीपुर में गहमर गांव के रहने वाले है। उनकी ही तरह गांव के 90 घरों के 200 से ज्यादा बच्चे इस वक्त जम्मू-कश्मीर में ड्यूटी पर तैनात हैं। ये सभी परिवार गांव की 100 साल पुरानी उस परंपरा को निभा रहे हैं, जिसमें मां बच्चों को जन्म देने के बाद उन्हें 'फौजी' बनाने की कसम खाती हैं। गांववालों के मुताबिक, ब्रिगेडियर से लेकर सिपाही तक गांव में 5 हजार से ज्यादा रिटायर्ड फौजी और करीब 10 हजार लोग सेना में ड्यूटी कर रहे हैं। 15 हजार से ज्यादा सैनिक देने वाले गांव की कहानी…यूपी में गाजीपुर से 40 किमी दूर पड़ता है गहमर गांव। आबादी के लिहाज से ये एशिया का सबसे बड़ा गांव है, लेकिन ये इसकी पहचान नहीं है। इसकी पहचान है देशभक्ति का जुनून। यहां हर घर में कोई न कोई व्यक्ति सेना में है या रह चुका है। इस गांव ने भारतीय सेना को अब तक 15 हजार से ज्यादा सैनिक दिए हैं। इसी वजह से लोग गहमर को 'फौजियों वाला गांव' भी कहते हैं। हम गहमर गांव पहुंचे और यहां के फौजियों, सेना में जाने की तैयारी में जुटे युवाओं से भारत-पाकिस्तान के बीच बने हालात पर बात की। 90 साल के बंशीधर सिंह 1971 की जंग लड़ चुके हैं। वे कहते हैं कि सरकार अगर इजाजत दे तो वे आज भी बॉर्डर पर जाकर पाकिस्तान से युद्ध लड़ सकते हैं। गांव में 1965 से लेकर कारगिल युद्ध लड़ने वाले 50 से ज्यादा लोग गांव में घुसते ही हमें हर गेट पर सैनिकों के नाम लिखे मिले। हर घर में फौजियों की तस्वीरें, वर्दियां और सेना के मेडल अलमारियों में सजे हैं। यहां के 50 से ज्यादा लोग पाकिस्तान के खिलाफ 1965 की जंग से लेकर कारगिल तक की लड़ाई लड़ चुके हैं। 72 साल के पूर्व सूबेदार मेजर वीरबहादुर सिंह 1977 से लेकर 2008 तक इंडियन आर्मी में रह चुके हैं। भारत-पाकिस्तान के बीच मौजूदा हालात को लेकर वे कहते हैं, ‘भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ी। 4 से 5 दिन में ही दुश्मन देश के होश फाख्ता हो गए। उसके पास अब रोने के अलावा कुछ नहीं बचा।‘ ‘भारतीय सेना और पाकिस्तानी सेना का कोई मुकाबला ही नहीं है। बीते 10 साल में आर्मी में जो नए हथियार और तकनीकें शामिल हुई हैं, उसका फायदा ये हुआ कि हफ्ते भर में ही पाकिस्तान ने हमारे आगे घुटने टेक दिए और संघर्ष विराम जैसी स्थिति बन गई। हमारी सेना ने जबरदस्त पराक्रम दिखाया।‘ हालांकि वीर बहादुर को एक बात का मलाल भी है। वे कहते हैं, ‘ये वक्त था कि इस बार हम PoK को भारत में मिला सकते थे। अगर ऐसा हो गया होता, तो सीमापार से होने वाली आतंकी घटनाएं हमेशा के लिए खत्म हो सकती थीं। चलिए जो हुआ अच्छा ही हुआ है। मैं भारतीय जवानों से यही कहूंगा कि आप लोग इसी तरह डटे रहो और दुश्मन को जवाब देते रहो। जय हिंद की सेना।‘ ‘जिस दिन सीजफायर हुआ रातभर नींद नहीं आई’गहमर गांव से भारतीय सेना में 42 लेफ्टिनेंट से लेकर 23 ब्रिगेडियर रैंक तक के अधिकारी रहे हैं। मौजूदा समय में भी 45 कर्नल रैंक के अधिकारी सेना में एक्टिव हैं। गांव 22 छोटे टोलों में बंटा हुआ है। हर टोले का नाम किसी न किसी सैनिक के नाम पर रखा गया है, जो गांव के सैन्य इतिहास को दिखाता है। गांव के चंदन सिंह 2006 से लेकर 2015 तक लेह और जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में पोस्टेड थे। वे सीजफायर पर असहमति जताते हुए कहते हैं, ‘आज पाकिस्तान जितना बोल पा रहा है, कहीं न कहीं उसकी वजह चीन का उसके साथ खड़े होना है। आज हमने अमेरिका के दबाव में आकर युद्ध विराम कर लिया। ये बहुत दुखद है। एक भूतपूर्व सैनिक होने के नाते उस रात मुझे नींद नहीं आई।‘ ‘ओडिशा और बाकी राज्यों में इतने सैनिक नहीं हैं, जितने हमारे जिले से बच्चे सेना में जा चुके हैं।‘ ‘ब्रिगेडियर से लेकर सिपाही तक यहां 5000 से ज्यादा रिटायर्ड फौजी और करीब 10 हजार लोग सेना में ड्यूटी कर रहे हैं। अकेले जम्मू-कश्मीर में ही इस वक्त गांव के 200 से ज्यादा बच्चे ड्यूटी पर तैनात हैं।‘ 16 मार्च 2021 को लोकसभा में बताया गया कि देश में कुल 11 लाख 51 हजार 726 जवान सीमा पर तैनात थे। इसमें से 14.5%, यानी 1 लाख 67 हजार 557 सैनिक अकेले यूपी के हैं। दूसरे नंबर पर 7.7%, यानी 89 हजार 88 जवानों के साथ पंजाब है। तीसरे नंबर पर 87 हजार 835 जवानों के साथ महाराष्ट्र है। यूपी के गाजीपुर जिले से मौजूदा समय में 10,350 सैनिक सेना के अलग-अलग हिस्सों में तैनात हैं। इसमें सबसे ज्यादा भागीदारी गहमर गांव से है। पीढ़ी दर पीढ़ी कर रही सरहद की रखवाली गांव में किसी भी परिवार से मिलिए, एक बात कॉमन है। दादा रिटायर होकर खेती बाड़ी कर रहे हैं और उनका बेटा या पोता बॉर्डर पर ड्यूटी में तैनात है। गहमर के लोग 1914 से लेकर 1919 में पहले विश्व युद्ध में भी शामिल हुए। उस वक्त अंग्रेजों के खिलाफ गांव के 228 लोगों ने जंग लड़ी थी, जिसमें से 21 शहीद हो गए। इसके बाद 1965 और 1971 में भारत-पाकिस्तान जंग और कारगिल युद्ध में भी यहां के फौजियों ने अपनी वीरता का लोहा मनवाया। इन्हीं सैनिकों की याद में गांव के बीचोंबीच मैदान में अशोक चक्र स्तंभ बनाया गया है। इस पर गांव के सैनिकों का नाम लिखा है। ग्राउंड के कोने पर पूर्व सैनिक सेवा समिति नाम का दफ्तर है। यहां गांव के रहने वाले पूर्व सैनिकों की बैठक होती है। इस दफ्तर से यहां रहने वाले बच्चों को सेना से जुड़ी परीक्षाओं, सैनिकों की पेंशन के बारे में जानकारी मिलती है। गांव में सैनिकों की संख्या को देखते हुए भारतीय सेना ने गहमर में लोगों के लिए सैनिक कैंटीन की भी सुविधा शुरू की थी। इसके लिए वाराणसी आर्मी कैंटीन से सामान हर महीने गहमर गांव भेजा जाता था, लेकिन कोविड के बाद से ये सुविधा बंद कर दी गई। गहमर गांव में किसी मॉडर्न सिटी जैसी सारी सुविधाएं हैं। गांव में टेलीफोन एक्सचेंज, डिग्री कॉलेज, इंटर कॉलेज, हेल्थ सेंटर से लेकर खुद का रेलवे स्टेशन है। जहां बिहार, बंगाल और यूपी से करीब 20 ट्रेनें रोजाना जाती हैं। बच्चों को सैनिक स्कूल में एडमिशन और उसकी तैयारी करवाने के लिए राफेल एकेडमी नाम की संस्था भी है। इसे गांव के ही रिटायर्ड फौजियों ने शुरू किया है। गांव में आर्मी ट्रेनिंग ग्राउंड, सेना में जाने की बारीकियां सीखते हैं बच्चे 24 साल के कृष्णानंद उपाध्याय के पिता सेना में सूबेदार मेजर रह चुके हैं। बड़ी बहन गुंजन गाजीपुर की पहली महिला लेफ्टिनेंट हैं। सुरेंद्र 4 साल से सेना भर्ती की तैयारी कर रहे हैं। इसके लिए वे हर दिन 3 से 4 घंटे गांव में आर्मी ट्रेनिंग ग्राउंड पर बिताते हैं। इस ग्राउंड को यहां के लोग 'मठिया' कहते हैं। यहां आने पर आपको लगेगा कि आप किसी आर्मी की ट्रेनिंग यूनिट में आ गए हैं। सेना से रिटायर होकर गांव लौटे फौजियों ने ही इस ग्राउंड को डिजाइन किया है। यहां सेना के नियमों के मुताबिक रनिंग ट्रैक, मंकी रोप हर्डल और लॉन्ग जंप एरिया है। आर्मी की हार्डकोर प्रैक्टिस में शामिल होने वाली सभी तरह की सुविधाएं इस मैदान पर मौजूद हैं। आर्मी मेडिकल कोर में 1975 से 1998 तक रहे जवान शिवानंद सिंह कहते हैं, ’एक समय था जब देश में लोग सेना में जाने से घबराते थे, उस समय गहमर के लोग फौज में भर्ती हुए। आर्मी में जो पहले 6 महीने की ट्रेनिंग दी जाती है, वो गहमर से निकला बच्चा पहले से क्वालीफाई किया होता है।’ ’यहां गांव में ही सेना की गाइडलाइन वाले रनिंग ट्रैक, 9 फीट लॉन्ग जंप डिच से लेकर मंकी रोप चढ़ने तक सभी जरूरी चीजें मौजूद हैं। रोजाना बच्चे इनकी प्रैक्टिस करते हैं।’ कश्मीर में तैनात जवानों के लिए मां कामाख्या से प्रार्थना गहमर की रहने वाली विमला देवी के बेटे कुंदन इंडियन नेवी में क्लर्क हैं। वो जब भी छुट्टी पर घर आते हैं, तब विमला उन्हें गांव की कुलदेवी मां कामाख्या के दर्शन कराने ले जाती हैं। विमला कहती हैं, ‘गांव के लोग मां कामाख्या देवी में अटूट आस्था रखते हैं। यहां मान्यता है कि मां कामाख्या सेना में गए हर बच्चे की रक्षा करती हैं।‘ ‘उन्हीं के आशीर्वाद से 1965 के युद्ध के बाद गांव का कोई सैनिक आजतक शहीद नहीं हुआ। गांव की महिलाएं देवी मां के भरोसे ही अपने बच्चों को खुशी-खुशी फौज में भेजती हैं। गांव में जब किसी के भी बच्चे का सेना में सिलेक्शन होता है तो वो मां कामाख्या को प्रसाद जरूर चढ़ाते हैं।‘ विमला आगे कहती हैं, ‘इस वक्त भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव फिर बढ़ गया है। कश्मीर में ड्यूटी पर तैनात कई जवान शहीद हो गए।‘ सांसद अफजाल बोले- देश के हर बॉर्डर पर गहमर का सैनिक गहमर गांव गाजीपुर की जमानिया विधानसभा में आता है। इस गांव को 1,530 में राजा धामदेव राव ने बसाया था। अभी यहां से अफजाल अंसारी सांसद हैं। यहां जवानों को लेकर अफजाल अंसारी कहते हैं, ‘पूरे पूर्वांचल में गहमर गांव अपने पराक्रम को लेकर मशहूर है। देश में चाहे जहां की सरहद हो, गहमर और गाजीपुर के बच्चे वहां ड्यूटी पर तैनात मिल जाएंगे। फौज में भर्ती के मामले में गहमर हमेशा से आगे रहा है। यहां के लोग स्वतंत्रता संग्राम से लेकर कारगिल की जंग तक अपनी बहादुरी दिखा चुके हैं।‘ केंद्र सरकार ने गहमर के लिए अब तक क्या किया है? इस सवाल पर अफजाल कहते हैं, ‘पहले गांव के बच्चों का हर साल सेना में सिलेक्शन होता था, लेकिन अग्निवीर योजना आने के बाद यहां युवाओं का सेना के प्रति रुझान कम पड़ रहा है।‘ जम्मू-कश्मीर में 7 दिन में 8 जवान शहीद, 55 से ज्यादा घायल 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत के बाद पाकिस्तानी गोलाबारी में आर्मी के 6 और BSF के 2 जवान शहीद हुए जबकि 55 से ज्यादा लोग घायल हैं। इसके अलावा 18 सिविलियंस की भी जान गई है। भारत ने भी ऑपरेशन सिंदूर के तहत जवाबी कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान के कई एयरबेस तबाह किए हैं। इन सबके बीच जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ लगातार ऑपरेशन चल रहा है। 13 मई को शोपियां में लश्कर-ए-तैयबा के 3 आतंकी मारे गए। इस ऑपरेशन को केलर नाम दिया गया था। शुकरू के जंगली इलाकों में आतंकियों के छिपे होने की सूचना मिली थी। फिलहाल, भारत और पाकिस्तान सीमा पर तैनात सैनिकों को कम करने की योजना बना रहे हैं। इसके तहत 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान बॉर्डर पर सैनिकों और हथियारों की बढ़ी संख्या को अप्रैल की स्थिति पर लाया जाएगा। ये बात 12 मई की शाम भारत और पाकिस्तान के सैन्य अफसरों (DGMOs) की बातचीत में तय हुई थी। UP में सेना को लेकर फेक इन्फॉर्मेशन फैलाने वाले 25 लोग धरे गए यूपी पुलिस के मुताबिक, सेना के ऑपरेशन सिंदूर को लेकर फर्जी खबरों और अफवाहों से लोगों को भ्रमित करने के आरोपों को लेकर उत्तर प्रदेश के कई जिलों में FIR भी दर्ज की गई हैं। इस मामले में अब तक 25 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। ये मामले बुलंदशहर, कानपुर, संभल, बलरामपुर, संत कबीर नगर और कुशीनगर में दर्ज किए गए हैं। DGP प्रशांत कुमार ने बताया, पुलिस ऐसे सोशल मीडिया अकाउंट पर लगातार नजर बनाए हुए है, जो सेना के ऑपरेशन पर फेक न्यूज फैला रहे हैं। लोगों से अपील की गई है कि वो किसी भी तरह की अनवेरिफाइड इन्फॉर्मेशन को न तो पोस्ट करें और न ही शेयर करें। ऐसा इसलिए क्योंकि मौजूदा वक्त में माहौल बेहद संवेदनशील है। ऐसे पोस्ट शेयर करने से बेवजह अफरा-तफरी का माहौल पैदा हो सकता है। .......................... ये खबरें भी पढ़ें... पंजाब के तरनतारन में पाकिस्तानी PM शहबाज का घर पंजाब के तरनतारन के जाति उमरा गांव से पाकिस्तानी PM शहबाज शरीफ और पूर्व PM नवाज शरीफ की जड़ें जुड़ी हैं। ये इनका पैतृक गांव है, जो अमृतसर से महज 35-40 किलोमीटर दूर है। यहां रहने वाले गुरपाल कहते हैं, ‘शरीफ परिवार में कोई प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री बनता है, तो हमें गर्व होता है। जब कुछ गलत होता है, तो लोग सवाल करते हैं कि आपके गांव का प्रधानमंत्री कुछ करता क्यों नहीं? तब शर्म महसूस होती है।‘ पढ़िए पूरी खबर...
शाहिद अहमद कुट्टे, अदनान शफी और एहसान अहमद शेख, शोपियां और पुलवामा के रहने वाले ये तीनों लड़के एक दिन अचानक घर से गायब हो गए थे। फिर खबर आई कि तीनों आतंकी बन गए हैं। शाहिद तो सिर्फ दो साल में आतंकी संगठन TRF का चीफ ऑपरेशनल कमांडर बन गया। वो मई, 2024 में BJP सरपंच एजाज अहमद की हत्या से चर्चा में आया था। 13 मई को सुरक्षाबलों ने शोपियां में ऑपरेशन केलर चलाकर तीनों को मार गिराया। 15 मई को एक और एनकाउंटर में आमिर नजीर वानी, यावर अहमद भट और आसिफ शेख को ढेर कर दिया। ये तीनों जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े थे। कश्मीर में एक्टिव ये आतंकी पहलगाम की बायसरन घाटी में आतंकी हमले के बाद लंबे समय के लिए हाइड आउट में छिपने की तैयारी में थे। इसके लिए एक महीने का राशन, ड्राई फ्रूट्स और सभी जरूरी चीजें जुटा रहे थे। इसका खुलासा शाहिद, अदनान और एहसान के पास मिली सामान की लिस्ट से हुआ। आतंकियों के पास राशन के हिसाब-किताब की लिस्ट के साथ कई पर्चियां मिलीं हैं। इन पर हाथ से कुछ कोडवर्ड में लिखा है। सिक्योरिटी वजहों से हम वो कोडवर्ड तो नहीं बता सकते, लेकिन राशन और ड्राई फ्रूट्स के हिसाब वाली लिस्ट से साफ है कि आतंकी महीनों तक हाइड आउट में रहने की तैयारी में थे। 12 मई को खबर मिली, अगले दिन एनकाउंटर12 मई की रात आर्मी, खुफिया एजेंसी और जम्मू-कश्मीर पुलिस को इनके बारे में जानकारी मिल गई। पता चला था कि तीन आतंकी शोपियां के केलर के जंगलों में कई दिनों से छिपे हैं। सटीक सूचना पर 12 मई की रात इंडियन आर्मी, शोपियां पुलिस और एजेंसी की टीमें बनाई गईं। इस जॉइंट एक्शन को नाम दिया गया ऑपरेशन केलर। देर रात जंगलों में घेराबंदी शुरू कर दी गई। केलर का जंगल साउथ कश्मीर के सबसे घनों जंगलों में से एक है। यहां आतंकियों के हाइड आउट होने का अंदेशा ज्यादा होता है। 12 मई की देर रात उस हाइडआउट को खोजा जाने लगा, जहां आतंकी छिपे थे। 13 मई की सुबह करीब 9 बजे ऑपरेशन टीम को आतंकियों के हाइड आउट की लोकेशन मिल गई। जिसके बाद जॉइंट टीम ने उस खास जगह की घेराबंदी कर दी। आर्मी की मौजूदगी और घेराबंदी को देखते ही आतंकियों ने एके-47 से फायरिंग शुरू कर दी। चारों तरफ से घेराबंदी की वजह से तीनों आतंकियों को एनकाउंटर में ढेर कर दिया गया। 2 AK-47 राइफल, 10 मैगजीन समेत हथियारों का जखीरा मिला, कोडवर्ड में लिखे नामआतंकियों के एनकाउंटर में मारे जाने के बाद पूरे जंगल में सर्च ऑपरेशन चलाया गया। हाइड आउट में तलाशी ली गई। यहां से दो Ak-47 राइफल, 10 मैगजीन, 500 से ज्यादा गोलियां मिलीं। इसके साथ ही आर्मी जैसी दिखने वाली जैकेट और पाउच भी मिले। दैनिक भास्कर की टीम 14 मई को उस जगह पहुंची, जहां सेना और पुलिस ने तीनों आतंकियों से रिकवर किए सामान की डिटेल्स रखी थी। वहां कागज पर हाथ से लिखी कुछ पर्चियां थीं। एक पर्ची पर लिखा था- 40 किलो चावल, चीनी 30 किलो, घी 3 किलो, आटा-70 किलो, ऑयल 5 लीटर। लिस्ट में और भी जरूरी सामान शामिल हैं। सूत्रों ने हमें बताया कि हाइड आउट में छिपे आतंकियों ने एक से दो महीने का राशन और जरूरी सामान ओवर ग्राउंड नेटवर्क के जरिए मंगा लिया था। इसी नेटवर्क से फोन और इलेक्ट्रॉनिक इक्विपमेंट चार्ज करने के लिए पावर बैंक समेत दूसरा सामान मुहैया कराया गया था। सुरक्षाबलों की वांटेड लिस्ट में थे मारे गए आतंकी22 अप्रैल को हुए पहलगाम हमले के बाद सुरक्षाबलों ने जम्मू-कश्मीर में एक्टिव 14 लोकल आतंकियों की लिस्ट जारी की थी। एनकाउंटर में मारे गए सभी 6 आतंकियों का नाम इस लिस्ट में था। लिस्ट में आतंकियों की कैटेगरी भी थी। एहसान अहमद शेख और अदनान शफी C कैटेगरी के आतंकी थे। यानी इन्होंने हाल में आतंकी संगठन जॉइन किया था। शाहिद अहमद कुट्टे लश्कर-ए-तैयबा के प्रॉक्सी संगठन TRF का साउथ कश्मीर में चीफ ऑपरेशनल कमांडर और A कैटेगरी का आतंकी था। इस कैटेगरी के आतंकी सुरक्षाबलों की हिटलिस्ट में सबसे ऊपर होते हैं। शाहिद सीधे पाकिस्तान में लश्कर के टॉप कमांडर सज्जाद गुल से कॉन्टैक्ट में रहता था। सज्जाद गुल अभी पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में है। दैनिक भास्कर को सोर्स से पता चला कि कश्मीर में आतंकी वारदात के लिए सज्जाद गुल ही टारगेट देता है। लोकल नौजवानों को संगठन में भर्ती करने के नियम भी वही तय करता है। कोई नौजवान आतंकी बनने के लिए तैयार हो जाए, तो उसे या तो कश्मीर में ट्रेनिंग दी जाती है या फिर PoK में बुलाकर ट्रेनिंग दिलाई जाती है। ट्रेनिंग पूरी होने के बाद सज्जाद गुल ही शाहिद अहमद कुट्टे को खबर देकर LoC के रास्ते उसकी घुसपैठ कराता था। जर्मन टूरिस्ट पर फायरिंग, BJP सरपंच के मर्डर में शामिल था शाहिदशाहिद अहमद कुट्टे शोपियां के हीरपोरा का रहने वाला था। 8 मार्च 2023 को उसने TRF जॉइन किया था। वो आर्मी के जवानों पर अटैक के साथ ही टारगेट किलिंग में भी शामिल रहा। 8 अप्रैल 2024 को उसी ने दो जर्मन टूरिस्ट पर फायरिंग की थी। इसके बाद शाहिद ने BJP से जुड़े सरपंच एजाज अहमद शेख का मर्डर किया। ये घटना 18 मई, 2024 को हुई थी। उसी वक्त जम्मू-कश्मीर में लोकसभा चुनाव के लिए वोटिंग होनी थी। दैनिक भास्कर ने एजाज अहमद की पत्नी शबनम से बात की। वे शोपियां में ही रहती हैं। उनके तीन बच्चे हैं। सबसे छोटी बेटी करीब डेढ़ साल की है। हमने शबनम से एजाज अहमद के बारे में पूछा। साथ ही शाहिद अहमद कुट्टे के एनकाउंटर पर बात की। शबनम कहती हैं- इस एनकाउंटर से मेरी तकलीफ तो कम नहीं हुई। वे (एजाज) ही नहीं रहे तो फिर मैं क्या करूं। अब दुश्मन मरेगा, तो भी उनकी कमी पूरी नहीं होगी। ये बच्चे बेसहारा हो चुके हैं। कोई पूछने वाला नहीं है। 'मेरे बच्चे एक सेकेंड भी अपने पिता को नहीं छोड़ते थे। दोनों बार-बार पूछते हैं कि पापा कब आएंगे। मैं झूठ बोल देती हूं कि वो हज करने गए हैं। बच्चे पूछते हैं कि उनका फोन क्यों नहीं लगता? मैं कह देती हूं कि वहां फोन नहीं होता।’ घर में घुसकर गोली मारी, तब बेटी सिर्फ 4 महीने की थीशबनम आगे कहती हैं, ‘18 मई की रात करीब साढ़े 10 बजे की बात है। एजाज साहब इसी कमरे में बैठे थे। तभी एक लड़का आया। उसने सिर्फ इतना पूछा कि आप एजाज हो। उन्होंने कहा हां। लड़के ने उन्हें गोली मार दी। मेरी छोटी बेटी तब सिर्फ 4 महीने की थी। मैं उसके लिए किचन में दूध तैयार कर रही थी।’ ‘वे 5 साल से सरपंच थे। दिन में पीर की गली गए थे। शाम को घर लौटे। फिर दोबारा कभी न घर से निकले, ना ही घर लौटे। उन्हें कोई धमकी भी नहीं मिली थी। न ही कोई विवाद था। अगर धमकी होती तो हम खुद ही पीछे हट जाते। उन्हें गोली मारे जाने के बाद आसपास के लोग पहुंचे। फिर आर्मी और पुलिस आई। घर को सीज कर दिया।’ ‘हम तो जानते भी नहीं किसने मारा, क्यों मारा। पुलिस ने करीब ढाई महीने बाद कहा कि हत्या के पीछे आतंकी शाहिद अहमद कुट्टे हो सकता है। मुझे नहीं पता कि इसमें कितना सच है। उस समय सभी पार्टियों के नेता घर आए थे।' 'मेरे पति खुद BJP में थे। BJP के सभी बड़े नेता आए थे। उन्होंने कहा था कि 3 दिन में नौकरी दे देंगे। अब 1 साल पूरे होने वाला है। कुछ नहीं हुआ। महबूबा मुफ्ती और उनकी बेटी इल्तिजा मुफ्ती ने हमें इंसाफ दिलाने का भरोसा दिलाया था। मैं शोपियां के सरकारी दफ्तरों में हजार बार चक्कर लगा चुकीं हूं।’ बिहार के अशोक की हत्या में शामिल था अदनान शफी डारTRF ने 2024 में कश्मीर में बाहर से आए लोगों को टारगेट करना शुरू किया था। पहला टारगेट बिल्कुल नए आतंकी को दिया गया। ये 18 साल का अदनान शफी डार था। अदनान शोपियां के जैनपोरा का रहने वाला था। ऑपरेशन केलर में अदनान शफी को मार गिराया गया। कश्मीर में एक्टिव 14 आतंकियों की लिस्ट में अदनान शफी का नाम 11वें नंबर पर था। उसने 6 महीने पहले ही आतंकी संगठन जॉइन किया था। अदनान ने बिहार के बांका जिले के काठिया गांव में रहने वाले अशोक चौहान की टारगेट किलिंग की थी। उसने अशोक को मक्के के खेत में मजदूरी के बहाने बुलाया था। फिर गोली मारकर हत्या कर दी। अशोक चौहान को 18 अक्टूबर 2024 की सुबह करीब 7 से 8 बजे के बीच बुलाया गया था। अदनान शफी ने उन्हें किसी और से फोन करवाकर बुलाया था। फिर ये फोन बंद कर दिया गया। अशोक मक्के की कटाई के लिए खेत पर पहुंचे, तभी उन्हें गोली मार दी गई। उसी दिन सुबह करीब 9 बजे उनकी डेडबॉडी मिली थी। जांच के बाद एजेंसियों को TRF से जुड़ चुके अदनान शफी डार का पता चला था। इसके बाद 18 नवंबर 2024 को उसका नाम कश्मीर में एक्टिव आतंकियों की लिस्ट में शामिल किया गया। फोन खरीदते वक्त सेल्फी ली, इसी से एहसान का सुराग मिलाएनकाउंटर में मारा गया तीसरा आतंकी एहसान अहमद शेख साउथ कश्मीर के पुलवामा के मुर्रन गांव का रहने वाला था। सुरक्षा एजेंसियां उसे 2 साल से तलाश रही थीं। अहसान के बारे में कहा जाता है कि वो पुलवामा में बहुत खुफिया तरीके से एक्टिव रहता था। वो 3-4 साल पहले घर से अचानक गायब हो गया था। उसके बाद PoK चला गया। वहां ट्रेनिंग ली। कुछ साल पाकिस्तान में रहा। इसके बाद घुसपैठ करके कश्मीर लौटा। पहलगाम अटैक के बाद एहसान के घर को ब्लास्ट करके तोड़ दिया गया था। सूत्रों के मुताबिक, एहसान शेख ने आतंकी संगठन जॉइन करने से पहले सोशल मीडिया पर फोटो पोस्ट की थी। ये फोटो किसी कपड़े की दुकान की है। उसने कपड़े लेने के बाद ट्रायल करते हुए सेल्फी ली थी। ये फोटो जांच एजेंसियों के हाथ लगी। इसके बाद उसके करीबियों से पूछताछ कर डिटेल निकाली गई। तब एहसान का बैकग्राउंड पता चला। तीन आतंकी त्राल में मारे, मां ने कहा था- सरेंडर कर दोजम्मू-कश्मीर के त्राल में सुरक्षाबलों ने जैश-ए-मोहम्मद के तीन आतंकियों आमिर नजीर वानी, यावर अहमद भट और आसिफ शेख को मार गिराया। तीनों आतंकी एक मकान में छिपे थे। सुरक्षाबलों ने इन्हें ड्रोन की मदद से ढूंढ निकाला और एनकाउंटर कर दिया। एक आतंकी आमिर नजीर वानी का आखिरी वीडियो सामने आया है। 23 सेकेंड के इस वीडियो में वह अपनी मां से बात कर रहा है। मां ने कश्मीरी में आमिर से कहा- बेटा, सरेंडर कर दो। उसने जवाब दिया, सेना को आगे आने दो, फिर देखता हूं। ...................................... पहलगाम हमले पर ये ग्राउंड रिपोर्ट पढ़ें 1. पाकिस्तानी कमांडो हाशिम मूसा ने हमले के लिए क्यों चुनी बायसरन घाटी पहलगाम में हमले से पहले आतंकियों ने बेताब घाटी, अरु घाटी और एम्यूजमेंट पार्क की रेकी की थी। आखिर बायसरन घाटी को हमले के लिए चुना गया। वजह- पहलगाम आने वाले टूरिस्ट यहां जरूर आते हैं, यहां सिक्योरिटी नहीं होती है और आने-जाने का रास्ता ऐसा नहीं है कि हमले के बाद आर्मी तेजी से पहुंच सके। इसके पीछे पाकिस्तानी कमांडो हाशिम मूसा का दिमाग था। पढ़िए पूरी खबर... 2. 26 टूरिस्ट का कत्ल करने वाला आदिल कैसे बना आतंकी,साइंस और उर्दू में डिग्री पहलगाम से करीब 55 किमी दूर अनंतनाग के गुरी गांव में आदिल का घर है। कभी बच्चों को पढ़ाने वाला आदिल अब 20 लाख का इनामी आतंकी है। सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक वो पहलगाम हमले में शामिल था। हमले के बाद पुलिस और सेना आदिल के घर पहुंची थीं। इसी दौरान ब्लास्ट में आदिल का घर तबाह हो गया। पढ़िए पूरी खबर...
DNA: 140 आतंकवादियों और सैनिकों की मौत पर फोटो शूट, पाकिस्तान में मौत का 'नंगा नाच'
DNA Analysis: कल पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ पाकिस्तानी पंजाब के पसरूर में एक मिलिट्री अड्डे पर गये. और शहबाज का ये दौरा भारतीय प्रधानमंत्री के आदमपुर दौरे की सस्ती कॉपी जैसा दिखाई दिया. पाकिस्तान के आर्मी चीफ खुद ही एक ओपन जीप को ड्राइव करके शहबाज शरीफ को छावनी में ले गये. यहां शहबाज ने जिस टैंक के ऊपर खड़े होकर अपना भाषण दिया.
DNA: ट्रंप बने सबसे बड़े आर्म्स डीलर? तुर्किए से कर ली घातक मिसाइल की डील; क्या हैं खासियतें?
US-Turkiye Deal:तुर्किए अमेरिका की अगुवाई वाले NATO गठबंधन का हिस्सा भी है. अमेरिका इस सौदे को NATO देशों के बीच होने वाले आपसी सहयोग का हिस्सा बता रहा है. इस सौदे से भारत के दोस्त ग्रीस को खतरा है, जिसकी दुश्मनी तुर्किए से काफी पुरानी है.
DNA: ट्रंप और शहबाज में क्या फर्क रह गया? एक ने आतंकी से मिलाया हाथ, दूसरा पोंछ रहा आंसू
DNA Analysis:डोनाल्ड ट्रंप आतंकी देश के मददगार तुर्किए को हथियार बेच रहे हैं. तो शहबाज शरीफ लश्कर और जैश जैसे आतंकी संगठनों के लिए ट्रेनिंग और हथियार का इंतजाम करते हैं. इस समय सबसे ज्यादा इस बात की चर्चा है कि शहबाज हाफिज के टेरर हाउस का पुनर्निर्माण कराने जा रहे हैं.
Operation Sindoor:भारत ने'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत पाकिस्तान में घुसकर उनके नौ आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूद कर दिया.भारतीय सेना की इस कार्रवाई की धमक पूरी दुनियां में सुनाई दे रही है. अब एक मशहूर एक्सपर्ट ने भारत की एयर स्ट्राइक के बारे में पूरी जानकारी तफसील में बताई है. तो चलिए जानते हैं.
Donald Trump: राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प कतर की यात्रा के बाद संयुक्त अरब अमीरात पहुंचे हैं, जहां उन्होंने भारत-पाकिस्तान पर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि मैंने पिछले सप्ताह पाकिस्तान और भारत के बीच समस्या को सुलझाने में मदद की.
America News: अमेरिका में एक संघीय अदालत ने बदर खान सूरी को आव्रजन हिरासत से रिहाई का आदेश दिया है. उन्हें 17 मार्च की शाम को वर्जीनिया में उनके अपार्टमेंट परिसर के बाहर नकाबपोश सादे कपड़ों में अधिकारियों ने गिरफ्तार किया था.
Afghan leader Solaimankhil praised Operation Sindoor: ऑपरेशन सिंदूर को जिस तरह अंजाम दिया गया है, अब उसकी धमक पूरी दुनिया में सुनाई दे रही है. तभी तो अफगानिस्तान की नेता मरियम सोलेमंखिल ने कहा कि भारत का ऑपरेशन सिंदूर जरूरी था क्योंकि पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा देता है और कश्मीर में निर्दोष लोगों की जान लेता है. सोलेमंखिल ने कहा कि पाकिस्तान दशकों से झूठ फैला रहा है, और सरकार और आईएसआई भी यही काम करते हैं. जानें पूरी खबर.
Indian officials brief on Pak-based TRF terror group: ऑपरेशन सिंदूर के बाद अब भारत का अगला टारगेट द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) है, जिसनेपहलगाम में हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी ने ली थी. भारत ने इसके लिए बकायदा फाइलें पहुंचा दी है. जानें पूरी खबर.
पाकिस्तान के सैन्य तानाशाहों को मिली बुरी मौत, जिंदगी के आखिरी दिन जलालत में बीते
Pakistan Army History: पाकिस्तान के सैन्य तानाशाहों ने भले ही सत्ता हथिया कर मनमानी की हो, लेकिन उनकी जिंदगी के आखिरी दिन ऐसे बीते हैं कि कोई भी सुनेगा तो सिहर उठेगा. आइए जानते हैं पाकिस्तान के सैन्य तानाशाहों का इतिहास...
Turkey News: तुर्की बोला- अच्छा हो या बुरा वक्त हम पाकिस्तान के साथ, भूल गया भारत का वो एहसान
Turkey Pakistan News: मुस्लिम जगत का चौधरी बनने की कोशिश में लगे तुर्की ने एक बार फिर पाकिस्तान का खुलेआम सपोर्ट करने का ऐलान किया है. यह घोषणा ऐसे समय में की जा रही है जब भारत में तुर्की के सामानों का बहिष्कार करने की मांग जोर पकड़ चुकी है.
बचपन में पानी की बोतलें बेचते थे एर्दोगान, फुटबॉल खिलाड़ी न बन पाए, फिर बने तुर्की के सियासी तानाशाह
Recep Tayyip Erdoğan Latest News in Hindi: तुर्की के राष्ट्रपति रेसिप तैयप एर्दोगान की कहानी भी दिलचस्प है. पाकिस्तान को लगातार समर्थन दे रहे तुर्की के खिलाफ एक ओर भारत में गुस्सा है. वहीं एर्दोगान भी निशाने पर हैं, जो इस्लामिक देशों के खलीफा बनने की फिराक में हैं.
जेलेंस्की से नहीं मिलेंगे रूसी राष्ट्रपति, पुतिन को क्यों कहा जा रहा 'डेड मैन वॉकिंग'?
Russia Ukraine Peace Talks: रूस और यूक्रेन के बीच लंबे युद्ध के बाद शांति वार्ता से कुछ उम्मीदें जगी हैं. हालांकि देखना होगा कि दोनों पक्षों में कहां औऱ किन बातों पर सहमति बन पाती है. यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की और व्लादीमीर पुतिन क्या रुख अपनाते हैं.
अनोखा प्यार: बातों बातों में चैटबॉट को दिल दे बैठी, महिला टीचर ने AI हसबैंड से रचा ली शादी
Love and Relationship story: दुनिया में अकेलेपन से जूझ रहे लोगों की वर्चुअल साधनों पर निर्भरता बढ़ती जा रही है. ऐसा ही तन्हाई में जी रही एक महिला टीचर के साथ देखने को मिल रहा है, वो अब एक एक एआई चैटबॉट को जीवनसाथी मान चुकी है.
आतंकी ठिकानों को हटाने के लिए आप क्या कर रहे हैं...? ब्रिटेन के सांसद ने पाकिस्तान की उधेड़ी बखिया!
UK MP Bob Blackman condemns Pahalgam attack: पहलगाम आतंकी हमले के बाद पूरी दुनिया में इस घटना का जमकर विरोध हो रहा है. इसी कड़ी में ब्रिटेन के सांसद बॉब ब्लैकमैन ने 14 मई को ब्रिटिश संसद में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा की. उन्होंने विदेश सचिव डेविड लैमी से पूछा कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से आतंकी ठिकानों को हटाने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं.
तमिलनाडु के कोयंबटूर शहर से करीब 40 किमी दूर, एक खूबसूरत और शांत सा कस्बा है- पोल्लाची। 24 फरवरी 2019 को पोल्लाची ईस्ट पुलिस स्टेशन में 19 साल की एक कॉलेज छात्रा अपने भाई के साथ दाखिल हुई। उसने पुलिस को जो बताया, उसके बाद न सिर्फ पोल्लाची की शांति भंग हुई, बल्कि पूरा तमिलनाडु हिल गया। 2019 लोकसभा चुनावों में ये एक बड़ा चुनावी मुद्दा बना। 6 साल बाद 13 मई 2025 को इस केस का फैसला आया है, जिसमें सभी 9 दोषियों को कई-कई बार उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। आखिर उस छात्रा ने पुलिस को ऐसा क्या बताया, कैसे हुआ खुलासा दोस्ती, गैंगरेप और ब्लैकमेलिंग वाले ‘पोल्लाची कांड’ का और दोषियों को कई बार क्यों मिली उम्रकैद; जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में... सवाल-1: 19 साल की कॉलेज छात्रा ने पोल्लाची पुलिस को क्या-क्या बताया?जवाबः 24 फरवरी 2019 को पुलिस स्टेशन पहुंची छात्रा ने बताया- एक लड़के ने फेसबुक पर मुझसे लड़की बनकर दोस्ती की और मिलने के लिए बुलाया। जब मैं मिलने पहुंची तो 4 लड़कों ने मुझे जबरदस्ती कार में बैठाया और चलती कार में मेरे साथ गैंगरेप करने की कोशिश की। जब मैं चीखने-चिल्लाने लगी तो वो मुझे छोड़कर भाग गए। उन्होंने मेरी सोने की चेन भी लूट ली।' छात्रा ने बताया कि लड़कों ने उसके साथ जबरदस्ती का वीडियो बना लिया था और उसे लीक करने की धमकी देकर यौन संबंध बनाने की मांग की। छात्रा ने हिम्मत दिखाते हुए परिवार को घटना की पूरी जानकारी दी और पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराने आ गई। छात्रा के बयान के बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की। धीरे-धीरे जांच आगे बढ़ी तो पुलिस को पता चला कि पोल्लाची में इस तरह के केस की शिकार ये इकलौती छात्रा नहीं है। सवाल-2: ‘पोल्लाची कांड’ का खुलासा कैसे हुआ, जिसकी शिकार स्कूल गर्ल से शादीशुदा महिलाएं तक बनीं?जवाब: छात्रा की शिकायत पर पुलिस ने आरोपियों की शिनाख्त की तो सभी पोल्लाची के ही रहने वाले थे। गिरफ्तारी और जब्ती शुरू हुई। आरोपियों के मोबाइल और लैपटॉप से दर्जनों लड़कियों के वीडियो मिले। इन लड़कियों के साथ 3 साल से गैंगरेप किया जा रहा था और ब्लैकमेल करके पैसे भी वसूले गए। शुरू मे स्थानीय पुलिस ने मामले की जांच की थी। बाद में इसे क्राइम ब्रांच-CID को सौंप दिया गया। हालांकि घटना को लेकर राज्यभर में आक्रोश के बीच तत्कालीन AIADMK सरकार ने मामले को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को ट्रांसफर कर दिया। एजेंसी ने 25 अप्रैल, 2019 से मामले की जांच शुरू की थी। सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन यानी CBI की रिपोर्ट के मुताबिक… इस मामले ने पूरे देश को झकझोर दिया। तमिलनाडु में कई जगह प्रदर्शन भी हुए और आरोपियों को सजा दिलाने की मांग ने जोर पकड़ लिया। आरोपियों ने अपनी करतूत कुबूल की। एक वीडियो में आरोपी कहता दिख रहा है, मैंने उसे (पीड़िता) चूमा तो उसने कोई आपत्ति नहीं की। जब मैंने उसके कपड़े उतारने शुरू किए तो उसने मना किया, लेकिन फिर भी मैं रुका नहीं। जब उसने किस करने पर कुछ नहीं कहा, तो वह कपड़े उतारने पर आपत्ति कैसे कर सकती है। सवाल-3: गैंगरेप के सभी 9 आरोपियों पर किन धाराओं के तहत मामला दर्ज हुआ?जवाब: पोल्लाची पुलिस ने सभी आरोपियों के खिलाफ IPC की 13 धाराओं के तहत गैंगरेप, यौन उत्पीड़न, डकैती, निर्वस्त्र करने और धमकी के साथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम और तमिलनाडु के यौन उत्पीड़न कानून के तहत एफआईआर दर्ज की... इसके अलावा सभी अपराधियों पर तमिलनाडु के कानून TNPHW की धारा 4 (महिलाओं के उत्पीड़न के लिए उकसाना), IT अधिनियम की धारा 66e और 67 (अश्लील और प्राइवेट कंटेंट को अवैध तरीके से फैलाना) के तहत दोषी ठहराया गया। सवाल-4: पोल्लाची गैंगरेप केस का फैसला आने में 6 साल क्यों लग गए?जवाब: लोकल पुलिस पर केस की जांच में लापरवाही के आरोप लग रहे थे। उस समय कोयंबटूर के पुलिस अधीक्षक आर. पांड्याराजन ने एक लाइव प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पीड़िता का नाम बता दिया, जिससे उसकी पहचान उजागर हो गई। इस घटना के बाद अप्रैल 2019 में केस की जांच CBI को सौंपी गई। CBI ने केस की गंभीरता और बारीकी से जांच के लिए लंबा समय लिया। जांच में सामने आया कि लड़कियों से बातचीत करके उन्हें फंसाने से लेकर रेप की वीडियो रिकॉर्डिंग करने तक हर काम के लिए लोग तय थे। CBI ने केस को पुख्ता करने के लिए 200 से ज्यादा दस्तावेज और 400 से ज्यादा इलेक्ट्रॉनिक्स सबूत जुटाए। इसमें गैंगरेप के रिकॉर्ड किए गए वीडियो और मोबाइल फोन शामिल थे। 8 पीड़ित महिलाओं और 48 गवाहों को भी जुटाया। CBI ने कुल 1500 पन्नों की चार्जशीट तैयार की। मद्रास हाईकोर्ट के आदेश पर 2023 में कोयंबटूर की महिला कोर्ट में ट्रायल शुरू हुआ। पीड़ितों की पहचान छिपाए रखने के लिए कोर्टरूम में अलग से कांच की एक दीवार बनाई गई। खास बात यह रही कि CBI ने जितने भी गवाह पेश किए, उनमें से किसी ने अपना बयान नहीं पलटा। फैसला आने के बाद पब्लिक प्रोसिक्यूटर वी. सुरेंद्र मोहन ने भी कहा कि CBI की मेहनत बेकार नहीं गई। सवाल-5: 13 मई को कोयंबटूर की स्पेशल महिला कोर्ट ने क्या फैसला सुनाया?जवाब: 13 मई को कोयंबटूर की स्पेशल महिला कोर्ट में जस्टिस आर नंदिनी देवी ने केस की सुनवाई की। सभी आरोपियों को सलेम सेंट्रल जेल से अदालत लाया गया। जस्टिस नंदिनी ने फैसला सुनाते हुए सभी 9 आरोपियों को IPC की 13 धाराओं के तहत दोषी करार दिया। आरोपियों को 1 से 5 बार तक मृत्यु तक उम्रकैद की सजा सुनाई गई। इसके अलावा कानून की अन्य धाराओं के तहत 10 साल, 7 साल और 3 साल तक की अलग-अलग सजा सुनाई। सभी सजाएं एक साथ चलेंगी। सभी आरोपियों पर डेढ़ लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया। 8 पीड़ितों को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के जरिए 85 लाख रुपए मुआवजा देने का निर्देश दिया। सवाल-6: जस्टिस आर नंदिनी देवी ने सभी आरोपियों को 1 से 5 बार उम्रकैद की सजा सुनाई, इसका मतलब क्या है?जवाब: सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील अश्विनी दुबे कहते हैं, ‘जस्टिस नंदिनी देवी ने सभी 9 अपराधियों को 13 धाराओं के तहत दोषी पाया। इसमें कई धाराओं में उम्रकैद की सजा है। इसके अलावा दोषियों का अपराध बेहद गंभीर होने की वजह से जस्टिस ने आरोपियों पर 1 से 5 बार तक उम्रकैद की सजा सुनाई। यानी उन्हें मृत्यु तक जेल में रहना होगा और उनकी सजा में किसी भी तरह की रियायत या जमानत नहीं दी जाएगी।’ उदाहरण से समझें- जस्टिस नंदिनी ने दोषी टी. वसंत कुमार को कई बार रेप करने के लिए IPC की धारा 376(2)(N) के तहत उम्रकैद दी। वहीं, धारा 370 भी लगाई, जिसमें भी उम्रकैद का प्रावधान है। यानी वसंत कुमार को 2 बार उम्रकैद की सजा मिली। अश्विनी दुबे ने कहा, ऐसी सजा उन मामलों में दी जाती है, जब अपराधी ने उम्रकैद वाले एक से ज्यादा अपराध किए हों। भारत के कानून में सभी जगह उम्रकैद का मतलब मृत्यु तक जेल में रहना नहीं होता। कई मौकों पर उम्रकैद यानी 30 साल की सजा या 20 साल की सजा भी होती है। इस वजह से जस्टिस नंदिनी देवी ने 5 उम्रकैद दी, ताकि आरोपी मृत्यु से पहले जेल से बाहर न आ पाएं। सवाल-7: इस केस में तमिलनाडु की तत्कालीन सत्ताधारी पार्टी AIADMK का नाम कैसे जुड़ा?जवाब: पोल्लाची गैंगरेप केस में जिन 9 आरोपियों को उम्रकैद को सजा सुनाई गई, उनमें से एक अपराधी के. अरुलानंदम पोल्लाची में AIADMK की स्टूडेंट विंग का सेक्रेटरी था। अरुलानंदम को CBI ने 2021 में गिरफ्तार किया, जिसके बाद AIADMK ने उसे पार्टी से निकाल दिया। इससे पहले अरुलानंदम के करीबी और पार्टी की स्टूडेंट विंग के सदस्य ए. नागराज को भी 2019 में गिरफ्तार किया गया था। उस पर पीड़िता के भाई के साथ मारपीट के आरोप थे। नागराज को भी पार्टी से निकाल दिया गया। इस मामले में AIADMK के सदस्यों का नाम आने के बाद विपक्षी DMK पार्टी ने AIADMK पर आरोपियों को बचाने के आरोप लगाए। DMK ने आरोपियों के AIADMK के वरिष्ठ नेताओं से करीबी संबंध होने का भी दावा किया। AIADMK के पहले सदस्य की गिरफ्तारी 2019 के लोकसभा चुनाव के पहले हुई। जबकि दूसरे की गिरफ्तारी 2021 के विधानसभा चुनाव के पहले हुई। ऐसे में मामले ने और ज्यादा राजनीतिक मोड़ ले लिया। 2019 में ही तमिलनाडु के गृह मंत्रालय ने केस की जांच CBI को सौंपी। जांच ट्रांसफर के दस्तावेजों में पीड़ित लड़की, उसके कॉलेज और भाई के नाम का खुलासा हो गया। जबकि भारत में रेप विक्टिम और उसकी पहचान गुप्त रखी जाती है। इस घटना के बाद मामले ने और जोर पकड़ लिया। फैसला आने के बाद भी AIADMK पर आरोपियों का साथ देने के आरोप लगते रहे। ****** रिसर्च सहयोग- श्रेया नाकाड़े -------------- कल सुबह 6 बजे ऐसे ही बेहद जरूरी टॉपिक पर पढ़िए और देखिए एक और 'आज का एक्सप्लेनर' -------------- गैंगरेप से जुड़ी अन्य खबर पढ़ें आरोपियों के तर्क कोर्ट ने एक-एक कर किए खारिज: अदालत में बोले- आर्मी अफसरों ने फंसाया; महू में सिर पर पिस्टल रखकर किया था गैंगरेप महू गैंगरेप केस में फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 24 मार्च को पांचों आरोपियों को उम्र कैद की सजा सुनाई है। सुनवाई के दौरान आरोपियों की तरफ से कोर्ट में अपने बचाव में कई दलीलें दी गई थीं। बचाव पक्ष के वकीलों ने डीएनए रिपोर्ट पर भी सवाल उठाए थे। पूरी खबर पढ़ें...
‘उस रोज जब देर रात तक पति घर नहीं लौटे तो बच्चों को जंगल की तरफ देखने के लिए भेजा। वहां बच्चों को लाश मिली। आतंकियों ने गला रेतकर मेरे पति का कत्ल कर दिया था। खून से लथपथ लाश घर आई। जम्मू में बढ़ रहे आतंकवाद ने हमारी जिंदगी को पूरी तरह बदल कर रख दिया है। जब तक पति जिंदा थे मैं घर से बाहर नहीं निकलती थी। अब बच्चे पालने के लिए पति की दवाई की दुकान चला रही हूं।’ ब्लैकबोर्ड में आज स्याह कहानी उन परिवारों की जिनकी जिंदगी जम्मू में फैले आतंकवाद की वजह से पूरी तरह बदल गई जम्मू शहर से लगभग 85 किमी की दूरी पर पाकिस्तान सीमा से सटा हुआ है कठुआ। इस शहर से कई छोटे-छोटे गांव जुड़े हैं। कठुआ हाईवे से अंदर उबड़-खाबड़ पथरीले रास्ते से होते हुए मैं पहुंची हीरानगर के गांव मेला। यहां जाने के लिए सबसे मुफीद वाहन बाइक ही है। यहीं अमरजीत शर्मा का घर है, जिनकी 9 जून 2024 को आतंकियों ने गला रेत कर हत्या कर दी थी। लोगों से पूछते हुए मैं अमरजीत शर्मा के घर पहुंची। रास्ते में अमरजीत शर्मा के भाई रामगोपाल शर्मा मिले, जो फौज में हैं। रामगोपाल मुझे उस जगह पर ले जाते हैं, जहां उनके भाई की हत्या हुई थी। गांव का आखिरी घर जहां है, वहीं से एक पगडंडी जंगल की तरफ जाती है। यहां खड़े होकर देखो तो आखिरी सिरे पर एक पहाड़ नजर आता है। जो हरे-भरे पेड़ों से ढंका हुआ है। अगर आतंकी यहां छिपे जाएं तो उन्हें ढूंढना बेहद मुश्किल है। रामगोपाल जंगल की तरफ इशारा करते हुए कहते हैं, 'यही वो जगह है जहां मेरे भाई का कत्ल हुआ था। वो हर दिन दवा की दुकान बंद करने के बाद यहां ताजी हवा लेने आता था, फिर घर जाता था। उस रात जब वो आया तो तीन लोग यहां बैठे खाना खा रहे थे। अमरजीत ने उन्हें देखते ही पूछा कौन हो तुम लोग। उनमें से किसी एक ने कहा कि अरे इसे मारना होगा वरना यह गांव वालों को हमारा रूट बता देगा। उन लोगों ने उसी जगह पर मेरे भाई का गला रेत कर हत्या कर दी। उन तीन लोगों के साथ एक शख्स बकरवाल समुदाय का भी था। उसी ने ये सारी बातें हमें बताईं थीं।' रामगोपाल रुंधे गले से कहते हैं, 'यहीं मेरा भाई मरा हुआ पड़ा था। देखकर लग रहा था जैसे मारने से पहले उसे घुटने के बल जमीन पर बैठाया गया। हाथ पीछे की तरफ पकड़कर गला रेत दिया था। उसकी गर्दन भी पीछे की तरफ झुकी हुई थी। मेरे भाई ने भागने की कोशिश की, लेकिन नहीं भाग सका।' इसके बाद रामगोपाल मुझे अपने घर ले जाते हैं। घर में उनके बूढ़े मां-बाप और अमरजीत की पत्नी मिलीं। खुले आंगन की एक दीवार पर अमरजीत की तस्वीर देखते हुए रामगोपाल कहते हैं, 'इसके दो जवान बच्चे हैं। पत्नी के सामने पहाड़ जैसी जिंदगी है। सरकार तो एक लाख रुपए देकर फुरसत हो गई। जिंदगी तो हमारी बर्बाद हुई।' पास ही अमरजीत की पत्नी मंजू बैठी हैं। दुपट्टे से आधा चेहरा ढंका हुआ है। रुंधे गले से कहती हैं, 'जब तक पति जिंदा थे मैं कभी घर से बाहर नहीं निकलती थी। जब अमरजीत कहीं बाहर जाते तब गाहे-बगाहे दुकान जाया करती थी। अब वो दुकान मैं ही चलाती हूं। दिनभर वहीं बैठती हूं।' इतना कहते ही मंजू फफक कर रोने लगती हैं। मैं भी उनसे कुछ पूछने की हिम्मत नहीं कर पाती हूं। थोड़ी देर में खुद को संभालते हुए मंजू कहती हैं, 'बच्चों को देखती हूं तो लगता है इन्हें भी तो संभालना है। बेटा 21 साल का है, अभी पढ़ रहा है। बेटी आठवीं क्लास में है।' मंजू की बातें सुनकर उनकी सास भी अपने आंसू रोक नहीं पाती हैं। वो कहने लगती हैं, ‘हम लोग खाने के लिए अमरजीत का इंतजार कर रहे थे। जब ज्यादा देर हो गई तो मैंने घर के बच्चों से कहा कि अमरजीत को देखकर आओ कहां है, अब तक लौटा नहीं। अमरजीत के भतीजे गांव में उसे ढूंढने के लिए निकल गए। हम लोग छत पर चढ़कर उसे आवाजें लगाने लगे। भतीजे ढूंढते हुए उसी जगह पर पहुंचे जहां मेरा बेटा सुकून की ताजी हवा लेता था। भतीजों ने उन्हें फोन लगाया तो अमरजीत के फोन की लाइट जली। मोबाइल का पीछा करते कुछ और आगे गए तो देखा कि वहां अमरजीत गिरा पड़ा था। पहले तो लगा कि शायद अटैक आ गया है, लेकिन आगे बढ़े तो लाश खून से लथपथ थी। बस फिर क्या था, घर समेत पूरे गांव में कोहराम मच गया।' अमरजीत की मां जमीन पर उसी तरह बैठकर दिखाती हैं जिस तरह अमरजीत की लाश मिली थी। रामगोपाल शर्मा भारी मन से कहते हैं, 'कभी सोचा भी नहीं था हमारे भाई को इस तरह से आतंकी मार देंगे। हमारे लिए तो जम्मू बहुत शांत इलाका था। इस घटना से पहले हम में से कोई यह बात नहीं जानता था कि आतंकी अब इस रूट का इस्तेमाल कर रहे हैं।' हीरानगर के सोशल वर्कर सुदेश कुमार सेठू कहते हैं, 'साल 2014 के बाद कश्मीर की परिस्थितियां थोड़ी सुधरी थीं, लेकिन अब आतंकियों ने रणनीति बदल ली है। बीते कई सालों से आतंकी कश्मीर की बजाय आतंकी घटनाओं के लिए जम्मू का रूट इस्तेमाल कर रहे हैं। वो कश्मीर में जो करते थे, अब जम्मू में करने लगे हैं। इस वजह से बीते दो साल से जम्मू के सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोग दहशत में हैं।' गांव के सरपंच सुशील शर्मा बताते हैं, 'अब यहां के लोग रात के समय घर से नहीं निकलते हैं। पहले तो हीरानगर जैसे इलाकों में ही रात के 12-12 बजे तक घूमना आम बात होती थी, लेकिन अब रात के 8 बजे के बाद कोई सड़कों पर नहीं दिखाई देता है। शादी-ब्याह में भी लोग कम जाते हैं। रात की शादी में तो जाते ही नहीं हैं।' सुशील शर्मा तीखे अंदाज में कहते हैं, 'अमरजीत के कत्ल के बाद से रात आठ बजे तक सभी घरों के अंदर हो जाते हैं। जम्मू के बॉर्डर, जंगल, हर गली-मोहल्ले, चौराहे पर आतंकियों के रिसोर्स हैं। उन्हें जब तक खत्म नहीं किया जाएगा तब तक आतंकवादी खत्म नहीं होंगे।' सोशल वर्कर सुदेश सेठू कहते हैं, 'कुछ साल पहले तक हीरानगर ऐसा इलाका था जहां कोई डर नहीं था। लोग आधी रात तक घूमते रहते थे। अब तो रात में जरा सी देर हो जाए तो परिवार वालों को चिंता हो जाती है। जैसे कुछ दिन पहले पास के एक गांव सानयाल में कुछ आतंकी खाना मांगने के लिए आ गए थे। मजबूरन उन लोगों को खाना देना भी पड़ा। हिंदू बहुल होने की वजह से जम्मू में ऐसी घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। कुछ साल में यह समस्या बेहद गंभीर हो जाएगी। हिंदू-मुस्लिम विवाद को हवा मिलेगी। यहां जंगलों में बकरवाल समुदाय के लोग रहते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि यही बकरवाल समुदाय के लोग आतंकियों को रास्ता बताते हैं और शरण देते हैं। सरकार ने बकरवाल समुदाय के लोगों को पक्के मकान के साथ दूसरी सुविधाएं भी दी हैं।' आतंकियों के नए रूट को लेकर सेठू कहते हैं, 'आतंकियों के इस नए रूट के चलते हीरानगर के आसपास के 26 गांवों में खतरा है। जम्मू में आतंकियों के सात मुख्य रूट हैं कठुआ, सांबा, उधमपुर, डोडा, किश्तवाड़ और पुंछ-राजौरी। इन इलाकों में नदियां-नाले और घने जंगल हैं, जिस वजह से आतंकियों ने इन्हें अपना मुख्य रूट बना लिया है।' शक्ति शर्मा यहां के स्थानीय पत्रकार हैं। नब्बे के दशक में उनका घर जला दिया गया था। शक्ति आंखों में आंसू लिए कहते हैं, 'भाई ने एक आतंकी को पकड़ लिया था। इस बात से नाराज होकर गांव के आतंकी समर्थकों ने उनका घर जला दिया था। घर के आठ लोगों को खिड़की से कूद कर भागना पड़ा था। कुछ समय बाद घर में एक शादी थी। अचानक आतंकियों ने फायरिंग कर दी। मेरे सगे चाचा जगतराम और बहन के देवर की मौत हो गई थी। इन घटनाओं के बाद प्रशासन ने मुझे वीडीसी यानी विलेज डिफेंस कमेटी वाली बंदूक दी है। इन घटनाओं की वजह से आज भी मेरा परिवार दिन-रात दहशत में रहता है। शाम सात बजे के बाद हम घर से बाहर नहीं निकलते। यहां तक कि हम अंदर से दरवाजे पर ताला भी जड़ देते हैं इतना खौफ है। फिर चाहे कोई भी दरवाजे पर आए, हम गेट नहीं खोलते। हम लोग बिस्तर भी जमीन पर लगाते हैं ताकि खिड़की से फायरिंग हो तो दीवार पर लगे। हम राशन और सिलेंडर भी छह-छह महीने का स्टोर करके रखते हैं, क्योंकि हमेशा कर्फ्यू की स्थिति बनी रहती है।' शक्ति कहते हैं, 'जब कभी राजौरी से बाहर बड़े शहरों में जाते हैं तो देखते हैं कि वहां हालात कितने नॉर्मल हैं, रात को भी लोग घूम रहे हैं। खाना खा रहे हैं। हमारे लिए तो रात को घूमना, बाहर कुछ खाने जाना जैसी चीजें सपने की तरह हैं। पिछले साल भी आतंकियों ने मुझे धमकी भरा पत्र भेजा था। इससे पहले पत्रकारों को ऐसी धमकी घाटी में मिला करती थी। यहां आए दिन एनकाउंटर होते रहते हैं। दो साल पहले पुंछ के डीकेजी में आतंकियों ने बम धमाके से सेना का वाहन उड़ा दिया था जिसमें चार जवान शहीद हो गए थे।' -------------------------------------------------------- ब्लैकबोर्ड सीरीज की ये खबरें भी पढ़िए... 1. ब्लैकबोर्ड- जीजा ने मूंछ पर ताव देकर जबरन करवाई शादी:नाबालिग का निकाह; ससुराल जाने से मना किया तो बहन बोली- जिंदा दफना दूंगी मेरे जीजा जी कुछ लोगों के साथ बैठकर शराब पी रहे थे। उन्होंने नशे में मूंछ पर ताव देते हुए कहा- ‘मैं अपनी साली की शादी आपके बेटे से ही करवाऊंगा। पूरी खबर पढ़ें... 2.ब्लैकबोर्ड- 359 दिनों से शव के इंतजार में बैठा परिवार:विदेश में नौकरी के नाम पर रूसी सेना में मरने भेजा, खाने में जानवरों का उबला मांस दिया मेरे भाई रवि ने 12 मार्च 2024 को फोन में आखिरी वीडियो रिकॉर्ड किया था। तब से आज तक हम उसकी डेडबॉडी के इंतजार में बैठे हैं। एजेंट ने नौकरी के नाम पर भाई को रूसी आर्मी में भर्ती करवा दिया। यूक्रेन के खिलाफ जंग लड़ते हुए उसकी मौत हो गई। पूरी खबर पढ़ें...
पाकिस्तान में मौजूद आतंकी ठिकानों को तबाह करने वाला 'ऑपरेशन सिंदूर' 12 मई को होना था, लेकिन इसे 5 दिन पहले 6-7 मई की रात ही लॉन्च कर दिया गया। इसकी वजह पाकिस्तान से मिला स्ट्रॉन्ग इंटेलिजेंस इनपुट था। सेना से जुड़े विश्वस्त सूत्रों ने दैनिक भास्कर को ये बताया है। 23 अप्रैल को बन गया था ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का प्लान22 अप्रैल, 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले ही दिन सऊदी अरब का दौरा बीच में छोड़कर भारत लौटे और देर शाम कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी की बैठक ली। सेना से जुड़े विश्वस्त सूत्रों ने दैनिक भास्कर को बताया कि पहलगाम आतंकी हमले की जवाबी कार्रवाई और पाकिस्तान परस्त आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूद करने वाले ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का नाम पीएम मोदी ने 23 अप्रैल को ही दे दिया था। इसके लिए तारीख भी तय कर दी गई थी, 12 मई 2025 यानी बुद्ध पूर्णिमा। प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान और तीनों सेनाओं के प्रमुखों को पाकिस्तान पर ठोस और निर्णायक जवाबी कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे। भारत की इंटेलिजेंस एजेंसियों ने खुफिया जानकारी के आधार पर पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में कुल 21 आतंकी ठिकानों की लिस्ट बनाई, जिन पर लगातार नजर रखी गई। उरी और पुलवामा आतंकी घटनाओं के बाद भारत की जबरदस्त जवाबी कार्रवाई से पाकिस्तान सतर्क था। उसे पता था कि भारत इस बार पहले से ज्यादा कठोर कार्रवाई करेगा। इसीलिए आतंकी ठिकानों को खाली करा दिया गया था और आतंकी दूसरी जगहों पर जा छिपे थे। भारत की कार्रवाई में देरी से आतंकी वापस ठिकानों पर लौटेसूत्रों के मुताबिक, 12 दिनों तक भारत की तरफ से कोई कार्रवाई न होने पर ISI और आतंकी सरगनाओं को लगा कि शायद भारत जवाबी कार्रवाई नहीं करेगा। इसी गलतफहमी में आतंकी अपने ठिकानों पर लौटने लगे। भारत की इंटेलिजेंस एजेंसियों ने इन ठिकानों पर लगातार नजर बनाई हुई थी। 6 मई की दोपहर बाद भारतीय खुफिया विभाग को जानकारी मिली कि आतंकी ठिकानों पर हलचल बढ़ गई है और आतंकी अब वापस लौट चुके हैं। इंटेलिजेंस और सैटेलाइट सर्विलांस से इसकी पुष्टि होने के बाद तय किया गया कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के लिए 12 मई का इंतजार नहीं करना है। प्रधानमंत्री मोदी को बताया गया तो उन्होंने हरी झंडी दे दी। पीएम के निर्देश के बाद से ही भारतीय सेना ऑपरेशन को लेकर पूरी तरह से तैयार थी। हालांकि तारीख और समय किसी को नहीं पता था। 6 मई की शाम तक सिर्फ 4 लोगों को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बारे में पता था। सेना से जुड़े सूत्रों ने बताया कि ऑपरेशन की गोपनीयता बरकरार रखने के लिए हर संभव कोशिश की गई। किसी भी पायलट या ग्राउंड स्टाफ को विशेष तौर पर नहीं बुलाया गया। क्या ऑपरेशन में महिला पायलट्स भी शामिल थीं? इसका जवाब देते हुए सूत्र ने बताया कि ऑपरेशन के लिए महिला-पुरुष नहीं देखा गया, उस वक्त जो भी मौजूद था, उन सबका इस्तेमाल किया गया। एयरफोर्स के साथ ही आर्मी और नेवी ने भी पूरी मुस्तैदी से ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को अंजाम दिया। मिनिमम डैमेज, मैक्सिमम आउटपुट से भारतीय सेना ने किया आतंकियों का सफाया21 संभावित आतंकी ठिकानों में से सिर्फ 9 को ही क्यों निशाना बनाया गया? इसके जवाब में सूत्रों ने बताया कि ये ऑपरेशन रियल टाइम इंटेलिजेंस इनपुट पर आधारित था। हमारा मकसद सिर्फ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाना नहीं था, बल्कि ज्यादा से ज्यादा आतंकियों को मौत के घाट उतारना था। इसलिए हमें जहां भी मैक्सिमम आउटपुट मिल सकता था, हमने वहां एक्शन लिया। साथ ही, हमें इतनी सटीक कार्रवाई करनी थी कि एक ही कंपाउंड में एक बिल्डिंग बचाते हुए दूसरी बिल्डिंग को ध्वस्त करना था। हम ये सुनिश्चित करना चाहते थे कि हमारी जवाबी कार्रवाई से पाकिस्तान के आम लोगों या पाकिस्तानी मिलिट्री इन्फ्रास्ट्रक्चर को कोई नुकसान न पहुंचे। टारगेट किए गए लोकेशन्स पर मूवमेंट्स हो रही थीं इसलिए रियल टाइम इनपुट्स के आधार पर हमने कुछ टारगेटेड लोकेशन्स को हिट नहीं किया। भारत के हमलों से पाकिस्तान सीजफायर के लिए हुआ मजबूरऑपरेशन सिंदूर के दौरान तमाम विदेशी हथियारों के साथ ही ब्रह्मोस क्रूज मिसाइलों का भी इस्तेमाल किया गया। एयरफोर्स से जुड़े एक अधिकारी ने पाकिस्तान के खिलाफ इस्तेमाल की गई ब्रह्मोस मिसाइलों की संख्या तो नहीं बताई, लेकिन इतना कहा कि जितनी इस्तेमाल करनी चाहिए थी, उतनी ब्रह्मोस मिसाइलों का इस्तेमाल हुआ है। इन हमलों में पाकिस्तान के कई महत्वपूर्ण एयरबेस ध्वस्त किए गए। इनमें से सरगोधा एयरबेस इंटरनेशनल बॉर्डर से सबसे दूर था, जिसकी इंटरनेशनल बॉर्डर से दूरी करीब 180 किमी है। भारतीय सेना के सूत्रों के मुताबिक, इन हमलों के दौरान ज्यादातर पाकिस्तानी रडार काम नहीं कर रहे थे। इनको पहले ही स्ट्रैटिजिकली इलिमिनेट कर दिया गया था। अपने मोस्ट स्ट्रैटजिक मिलिट्री इस्टैबलिशमेंट्स पर हमले के बाद पाकिस्तान को अपने फाइटर जेट्स तक को सुरक्षित रखना मुश्किल हो गया था। पाकिस्तान का एयर डिफेंस सिस्टम पहले ही तबाह हो चुका था, ऐसे में उनके पास सीजफायर के अलावा कोई दूसरा विकल्प मौजूद नहीं था। सीजफायर वॉयलेशन की घटनाओं पर आर्मी सोर्सेज ने कहा कि इनमें ज्यादातर डिस्ट्रैक्शन ड्रोन हैं, पाकिस्तान को पता है कि भारत के एयर डिफेंस सिस्टम को भेद पाना उसके लिए नामुमकिन है। इसलिए वो सीमा पर पैनिक क्रिएट करने और अपनी जनता को खुशफहमी में रखने के लिए ऐसी हरकतें कर रहे हैं। बुद्ध पूर्णिमा को पीएम मोदी ने दिया राष्ट्र के नाम संबोधनप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही 12 मई को ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च नहीं कर पाए, लेकिन उन्होंने इस दिन का इस्तेमाल राष्ट्र के नाम संबोधन देने के लिए किया। महात्मा बुद्ध की जयंती के मौके पर उन्होंने पाकिस्तान को कड़े लहजों में चेतावनी दी और इंदिरा-अटल की तरह ही दुनिया के सामने भारत की शांतिप्रिय छवि को मजबूती से पेश किया। हालांकि सीजफायर के बावजूद भारतीय सेनाओं को फ्री हैंड दिया हुआ है। पाकिस्तान की नापाक हरकतों पर भारतीय सैनिकों को उससे ज्यादा इंटेंसिटी से जवाब देने का निर्देश मिला हुआ है। ------------------------------- ऑपरेशन सिंदूर से जुड़ी अन्य खबरें आज का एक्सप्लेनर:सीजफायर पाकिस्तान चाहता था या भारत, ऐन मौके पर हमने क्यों बंद कर दिए हमले; क्या है असलियत, जानिए 5 थ्योरी 10 मई 2025… भारत और पाकिस्तान के बीच लगातार ड्रोन अटैक और फायरिंग हो रही थी। तभी शाम 5.25 बजे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सोशल मीडिया ट्रुथ पर पोस्ट किया, ‘भारत और पाकिस्तान सीजफायर के लिए राजी हो गए हैं।’ इसके बाद मीडिया रिपोर्ट्स में सीजफायर की कई थ्योरीज सामने आईं। कहीं कहा गया कि अमेरिका को किसी बड़े हमले की सीक्रेट इन्फॉर्मेशन मिली, तो कहीं पाकिस्तान ने अमेरिका से सीजफायर के लिए मिन्नतें कीं। पढ़िए पूरी खबर...
मान लीजिए रोज की तरह आप सुबह सोकर उठें फ्रेश होने के लिए वॉशरूम जाएं टॉयलेट सीट पर बैठें और अचानक सीट ही ब्लास्ट हो जाए। ग्रेटर नोएडा के सेक्टर 36 में ऐसा ही हुआ जिसमें 20 साल का एक लड़का झुलस गया। आखिर टॉयलेट सीट में ब्लास्ट कैसे हो सकता है, क्या इससे पहले भी ऐसे मामले सामने आए हैं, और इससे कैसे बचा जाए? जानने के लिए ऊपर फोटो पर क्लिक कर वीडियो देखें।
तारीख और समय: 7 मई की सुबह साढ़े 4 बजेजगह: जम्मू का पुंछ शहर वॉर्ड नंबर-3 में रहने वाले रमीज खान और उरुसा गहरी नींद में थे। इसी बीच जोरदार धमाकों की आवाजें सुनाई देने लगीं। इसी रात भारत ने पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को तबाह करने के लिए ऑपरेशन सिंदूर चलाया था। इसके जवाब में पाकिस्तान ने चंद घंटों बाद ही LoC वाले इलाकों में बमबारी शुरू कर दी थी। ऐसे ही एक जोरदार धमाके की आवाज से रमीज और उरुसा की नींद खुली। ये धमाका कहीं दूर नहीं घर के बिल्कुल नजदीक हुआ था। उरुसा ने भाई को फोन करके कहा कि हमें अभी पुंछ शहर से बाहर निकालो। घर पर उस वक्त उरुसा और रमीज के साथ उनके दो जुड़वां बच्चे उर्वा और अयान थे। बमबारी के बीच परिवार ने घर से निकलकर सूरनकोट भागने की सोची, लेकिन ये मुमकिन नहीं हो सका। रमीज और उरुसा घर से महज 10 मीटर ही दूर थे, तभी बम गिरा और स्प्लिंटर पूरी गली में छितर गए। धमाके में उर्वा और अयान की मौके पर ही मौत हो गई। रमीज बच्चों की मौत से अनजान अब भी अस्पताल में जिंदगी-मौत के बीच जंग लड़ रहे हैं। पत्नी उरुसा कहती हैं, ‘मेरे शौहर ICU में हैं इसलिए उनसे ये बात छिपाई। अगर पता चला तो कहीं उन्हें खो न दूं।‘ हादसे के करीब एक हफ्ते बाद अब हमने उर्वा और अयान के परिवार से मुलाकात की और 7 मई की सुबह हुए पूरे घटनाक्रम को करीब से समझने की कोशिश की। लगातार 3 धमाके, घर के सामने ही उर्वा-अयान की मौतउर्वा-अयान की पढ़ाई के लिए रमीज गांव का घर छोड़कर पुंछ आए थे। वो परिवार के साथ वॉर्ड नंबर-3 में किराए के मकान में रह रहे थे। जब हम रमीज खान के घर पहुंचे तो बमबारी के बाद दीवारों पर जगह-जगह स्प्लिंटर से हुए छेद नजर आ रहे थे। खिड़कियों के कांच बिखरे हुए मिले। यहां बाहर ही हमें रमीज के पड़ोसी परवेज मलिक मिले। वो बमबारी के वक्त घर पर ही थे। परवेज बताते हैं, ‘सुबह पहले दो धमाके हुए। पहला बम उर्वा-अयान के पड़ोस वाले घर पर गिरा। घर के सामने आग लग गई। स्कूटी और बाकी गाड़ियां जलकर खाक हो गईं।‘ कुछ ही सेकेंड बाद दूसरा धमाका हुआ। ये सामने वाली दीवार पर हुआ। इस धमाके के बाद ही सामने रहने वाले नसीर घर छोड़कर पुंछ से बाहर चले गए। फिर वो उर्वा-अयान के कमरे की ओर इशारा करते हुए बताते हैं, ‘मुझे अच्छे से याद है कि तब सुबह के 6.46 बज रहे थे। बच्चे कमरे में ही थे। सबसे पहले उनकी मां उरुसा बैग लेकर घर से बाहर निकलीं। मैंने उन्हें रोका और कहा कि शेलिंग हो रही है। अभी रुक जाओ।‘ ‘उरुसा ने कहा- आदिल भाईजान हमें ले जाने के लिए आ गए हैं और तेजी से बैग लेकर घर से निकल गईं। कुछ देर बाद पिता रमीज दोनों बच्चों का हाथ पकड़कर बाहर निकलने लगे। वे घर के गेट से करीब 10 मीटर दूर ही पहुंचे थे कि तीसरा धमाका हुआ और बम से स्प्लिंटर निकलकर पूरी गली में छितर गए।’ ’अयान की सांसें चल रही थीं। उसके पेट में स्प्लिंटर लगे थे। हमने सबसे पहले अयान को उठाकर गाड़ी में डाला। मास्टर जी (रमीज) को कंधे के पास स्प्लिंटर लगा था। उन्हें भी तेज खून बह रहा था। इन सबको अस्पताल पहुंचाया गया।’ परवेज आगे कहते हैं, ’सच पूछिए तो हमारे लिए वो कयामत की रात थी। पाकिस्तानी बम ने उर्वा-अयान की खिलखिलाहट एक झटके में छीन ली।’ बच्चों के साथ हमारे घर की खुशी और रौनक भी चली गईअब उर्वा और अयान के घर पर सन्नाटा पसरा हुआ है। अंदर दाखिल हुए तो मकान मालिक मंजूर अहमद से मुलाकात हुई। उनसे हमने घटना के दिन का हाल जानना चाहा तो वे बोले, ‘उर्वा-अयान के बारे में कुछ मत पूछिएगा, बोलूंगा तो रोना आ जाएगा। उन बच्चों को अपने हाथों में खिलाया है, उनसे हमारा घर चहकता था। अब सब वीरान पड़ा है।‘ ‘अब कुछ करने का मन नहीं करता। वो भले हमारे यहां किराएदार थे, लेकिन उर्वा और अयान मेरे पोते-पोती जैसे थे। उन्हें स्कूल लेकर जाना और वापस लाना हम सब मिलकर करते थे। उनकी हंसी हमारी हंसी थी, अब वो चली गई।’ बच्चों को खो दिया, अब शौहर को नहीं खोना चाहतीरमीज खान अब भी क्रिटिकल हालत में जम्मू गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में एडमिट हैं। हम उनकी पत्नी उरुसा से मिलने के लिए जीएमसी जम्मू पहुंचे। वो बच्चों को खो देने का गम छिपाए रमीज की देखभाल कर रही हैं। रमीज को अब तक नहीं पता है कि उनके दोनों बच्चों की मौत हो चुकी है। उरुसा कहती हैं, ‘हमने उन्हें यही बताया है कि बच्चे घर पर सेफ हैं। इन हालात में हम उन्हें यहां नहीं ला सकते हैं। अगर उन्हें पता चलेगा कि बच्चे नहीं रहे तो शायद वो ये बात बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे।’ उरुसा बताती हैं, ‘उस दिन हुई बमबारी में ‘छोटी’ (उर्वा) को कहां-कहां स्पलिंटर लगे पता ही नहीं चला, उसके शरीर से इतना ज्यादा खून बहने लगा कि कुछ समझ ही नहीं आ रहा था। मैं बेटे को तलाशने लगी तो देखा आसपास के लोग अयान की छाती दबाकर उसे होश में लाने की कोशिश कर रहे थे। स्प्लिंटर अयान के पेट में घुसा था। उसकी अतड़ियां बाहर आ चुकी थीं। उसे हम हॉस्पिटल लेकर गए।‘ ‘उर्वा-अयान के पापा की पीठ पर गहरी इंजरी हुई थी। उनकी पीठ में स्प्लिंटर घुसा और वो लिवर तक चला गया है। उनकी पीठ पर स्प्लिंटर का बहुत मोटा कट हुआ था, लेकिन सांसें चल रही थीं। मेरे भाई आदिल के शरीर से भी बहुत खून बह रहा था। हालांकि अब ठीक हैं।‘ न एंबुलेंस मिल रही थी न ऑक्सीजन का इंतजाम इसके बाद हम घटना के वक्त परिवार के साथ मौजूद मारिया से मिले। वो उर्वा और अयान की मौसी हैं। घटना वाले दिन को याद करते हुए वो बताती हैं, ‘उस तरह के हालात से निपटने के लिए कहीं कोई तैयारी नहीं थी। जीजा जी (रमीज) को क्रिटिकल हालत में लेकर हम पुंछ से सुरनकोट गए थे। हमें एंबुलेंस तक नहीं मिल रही थी। ना ही वहां ऑक्सीजन सिलेंडर थे।‘ ‘हम उन्हें राजौरी जीएमसी शिफ्ट करना चाहते थे। राजौरी जीएमसी में वो थोड़े स्टेबल हुए, इसके बाद हम उन्हें जम्मू के जीएमसी लेकर आए। अभी उनकी लिवर की सर्जरी होनी है। अब भी बम के स्प्लिंटर का एक टुकड़ा शरीर के अंदर रह गया है।‘ हम उनकी लिवर की सर्जरी जीएमसी जम्मू के बजाय एम्स दिल्ली में करवाना चाहते हैं क्योंकि वो काफी क्रिटिकल होगी। हम अब कोई रिस्क नहीं ले सकते हैं। मेरी बहन पहले ही दो बच्चों को खो चुकी है, अब वो अपने शौहर को नहीं खोना चाहती। ’मेरी बहन जब ICU में जाती है तो बिल्कुल नॉर्मल पेश आती है ताकि अयान-उर्वा की मौत का जीजा जी (रमीज) को पता न लग जाए। अब बस हमें एक ही बात की फिक्र है कि उनका अच्छे से इलाज हो जाए। अब बस इतनी ही दरख्वास्त है कि सर्जरी का इंतजाम दिल्ली एम्स में हो जाए और उन्हें बेहतर इलाज मिल जाए।’ ’हमारे नुकसान की कोई भरपाई नहीं कर सकता। न पैसा, न सरकार। वॉर को लेकर अब क्या कहूं- जिसकी फैमिली में ऐसा होता है, उसे ही पता चलता है।’ ‘90% मार्क्स लाऊंगा, गियर वाली साइकिल दिलाना’उर्वा और अयान को लेकर मारिया बताती हैं ‘अभी कुछ दिन पहले ही दोनों का रिजल्ट आया था। अयान के 80% नंबर आए थे। उसने मां से वादा किया था कि इस बार बीमार होने की वजह से ज्यादा अच्छे से पढ़ नहीं पाया। अगली बार 90% से ज्यादा मार्क्स लेकर आऊंगा। तब मुझे गियर वाली साइकिल लेकर दिलानी पड़ेगी।’ ‘उर्वा फिजिकली थोड़ी कमजोर थी, उसकी नाक में इंजरी थी। पढ़ाई में थोड़ी वीक थी, लेकिन इस बार उसने काफी इम्प्रूव किया था। 4 दिन पहले ही उसने मुझे वीडियो कॉल किया। बोली- मुझे स्कूल की मॉर्निंग असेंबली में स्पीच देनी है। आप बताओ कैसे शुरू करना चाहिए और क्या बोलना है। मैंने कहा कि मैं आपको ऑडियो भेजूंगी, आप वो सुनकर लिख लेना। उर्वा से मेरी आखिरी बार यही बात हुई थी।’ 5 मिनट के अंतर पर पैदा हुए थे दोनों, ऐसे ही मौत आई’25 अप्रैल को दोनों का बर्थडे था। दोनों ने कॉल करके बहुत बार बुलाया, लेकिन मेरी तबीयत ठीक नहीं थी। मैंने दोनों के लिए केक भिजवाया था, लेकिन बर्थडे में नहीं जा सकी थी। कौन जानता था कि ये दोनों का आखिरी बर्थडे हो जाएगा।’ मारिया कहती हैं, ’दोनों की पैदाइश भी बुधवार के दिन ही हुई थी। वही दिन हमारे लिए काल बनकर आया। उर्वा और अयान जुड़वां थे और दोनों 5 मिनट के अंतर से पैदा हुए थे। पहले उर्वा पैदा हुई थी और 5 मिनट बाद अयान। 7 मई को भी बुधवार था। मौत भी उन्हें 5 मिनट के अंतर पर साथ ले गई। पहले उर्वा की मौत हुई और 5 मिनट बाद अयान की मौत हो गई।’ विदेश सचिव ने भी बताई थी जुड़वां बच्चों की मौत की बात9 मई को भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया था कि पाकिस्तान ने भारत में स्कूलों को भी निशाना बनाया। मिसरी ने कहा, ‘LoC पर भारी बमबारी के दौरान एक बम पुंछ शहर के क्राइस्ट स्कूल के पीछे जा गिरा। ये स्कूल में पढ़ने वाले दो बच्चों के घर के पास फटा। इस धमाके में दोनों बच्चों की मौत हो गई।’ ऑपरेशन सिंदूर पर की गई दूसरी प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान विदेश सचिव ने ये भी बताया कि 7 मई की सुबह पुंछ में हुई पाकिस्तान की जवाबी बमबारी सबसे जानलेवा थी। 7 मई को ही पुंछ में 13 साल के विहान की भी हुई थी मौतपुंछ में रहने वाले भास्कर शर्मा के भतीजे विहान भार्गव की मौत भी इसी गोलाबारी में हुई थी। भास्कर ने बताया था, ‘ऑपरेशन सिंदूर के तुरंत बाद पुंछ शहर पर इतनी तेज गोलाबारी होने लगी कि उसे बयां करने के लिए शब्द कम पड़ जाएंगे।‘ ‘हमारे बुजुर्गों ने 1965 और 1971 की जंग भी देखी है, लेकिन वो भी कह रहे हैं कि आज तक इतनी खतरनाक गोलाबारी पुंछ शहर पर नहीं देखी। लड़ाई के बदले में निहत्थे नागरिक इलाकों पर हमला करना कायरता है। शहर के बीच मासूम नागरिकों पर मोर्टार से अंधाधुंध फायरिंग कोई कैसे कर सकता है।’ भास्कर कहते हैं, ‘रातभर बमबारी के बीच विहान अपने परिवार के साथ ही था, लेकिन सुबह उन्होंने पुंछ छोड़कर सुरक्षित जगह जाने का फैसला किया। वो एक प्राइवेट गाड़ी से जा रहे थे कि दिलेरा के पास मोर्टार गाड़ी के पास गिरा। मोर्टार के स्प्लिंटर विहान के सिर पर लगे और मौके पर ही उसकी मौत हो गई।’ ........................ ये खबरें भी पढ़ें... पाकिस्तानी फायरिंग से बच नहीं पाया 13 साल का विहान महताब दीन, जम्मू के पुंछ के रहने वाले हैं। अपनी चोट दिखाते हुए महताब LoC के पास वाले इलाकों का हाल बताते हैं। वे कहते हैं, ‘सुबह से ही धमाकों की आवाजें आ रही थीं। मैंने अपने बच्चों के साथ दीवार की आड़ ले रखी थी इसलिए बच सका।‘ इस बमबारी में पुंछ में 3 महिलाओं और 5 बच्चों सहित 16 लोगों की मौत हुई है। 59 लोग घायल हुए हैं। पढ़िए पूरी रिपोर्ट... हार्ट-पेशेंट बेटी को बचाने निकलीं नरगिस पर गिरा पाकिस्तानी रॉकेट जम्मू-कश्मीर में उरी के रजरवानी गांव में रहने वाली नरगिस को बेटी की फिक्र हो रही थी। 14 साल की बेटी को हार्ट की परेशानी है। बाहर पाकिस्तान की तरफ से भारी गोलाबारी हो रही थी। नरगिस को लगा कि बेटी की तबीयत न बिगड़ जाए, इसलिए उन्होंने गाड़ी मंगाई और बेटी को लेकर बारामूला की तरफ चल पड़ीं। बेटी को बचाने निकलीं नरगिस की मोर्टार का छर्रा लगने से मौत हो गई। पढ़िए पूरी खबर...
हलवाई, मजदूर, बस ड्राइवर और खेतों में काम करने वाले, सभी दिनभर मेहनत करके मुश्किल से घर चला रहे थे। अमृतसर जिले के रहने वाले थे। गांव भी आसपास ही थे। 12 मई को पाउच वाली शराब पी। घर लौटे तो सीने में जलन और तेज दर्द होने लगा। जुबान बंद हो गई। बता भी नहीं पाए कि क्या तकलीफ है। घरवाले उन्हें लेकर हॉस्पिटल के लिए निकले, लेकिन रास्ते में ही एक-एक करके सांसें टूटने लगीं। 12 मई की सुबह से 13 मई की शाम तक कुल 23 मौतें। 10 लोग अब भी हॉस्पिटल में हैं। मरने वालों में 25 साल का नौजवान भी है और 80 साल के बुजुर्ग भी। इसके बाद से थ्रीएवाल, पातालपुरी, मराड़ी कलां, तलवंडी खुम्मन, करनाला, भंगवां, जलालपुर और भंगाली कलां गांवों में मातम है। वजह है गांवों में आसानी से मिल रही कच्ची शराब। मरने वालों में दो ऐसे लोग भी हैं, जिन पर शराब सप्लाई करने का आरोप है। पाउच में मिलने वाली ये शराब 35 से 40 रुपए की आती है। डॉक्टरों को अंदेशा है कि मरने वालों ने जो शराब पी, उसमें बहुत ज्यादा मेथेनॉल था। इससे उनका बच पाना मुश्किल हो गया। दैनिक भास्कर प्रभावित एरिया के तीन गांव मराड़ी कलां, भंगाली कलां और थ्रीएवाल पहुंचा। तीनों गांवों में 15 मौतें हुई हैं। हम मरने वालों के परिवार से मिले। पहला गांव: मराड़ी कलांसुखविंदर, तसबीर, सरबजीत शाम को शराब पीकर आए, हॉस्पिटल पहुंचने से पहले मौत50 साल के सुखविंदर सिंह निक्कू बस ड्राइवर थे। घर में पत्नी जसबीर कौर, 26 साल का बेटा जोबनप्रीत और 23 साल का लवप्रीत हैं। सुखविंदर 12 मई को शाम करीब 6 बजे काम से लौटे। बाहर से ही शराब पीकर आए थे। घर आते ही पत्नी जसबीर कौर से बोले- सीने में जलन हो रही है। तेज दर्द भी है। फिर दर्द की गोली खाई, पानी पिया और सो गए। कुछ देर बाद उनकी सांस टूट गई। 35 साल के तसबीर सिंह सिकंदर की कहानी भी सुखविंदर की तरह ही है। 12 मई की शाम करीब 4 बजे घर लौटे। वे देसी शराब का पाउच साथ लाए थे। शराब पीने के आधे घंटे के अंदर तबीयत बिगड़ने लगी। उल्टियां करते-करते बेसुध हो गए और जमीन पर लेट गए। बोलने की ताकत भी नहीं बची। इशारों में बताया कि बहुत दर्द हो रहा है। पड़ोसी हॉस्पिटल ले गए, लेकिन रास्ते में उनकी मौत हो गई। पुलिस ने शराब का पाउच कब्जे में ले लिया है। तसबीर के परिवार में बूढ़ी मां परमजीत कौर और 10 साल की बेटी हरमनप्रीत है। परमजीत कौर की फिक्र यही है कि बेटा चला गया, अब बच्ची को कौन पालेगा। 38 साल के सरबजीत सिंह की मौत भी जहरीली शराब पीने से हो गई। सरबजीत मजदूरी करते थे। उसकी पत्नी हाउस हेल्प का काम करती हैं। उनकी 5 बेटियां हैं। बड़ी बेटी करीब 17 साल की और सबसे छोटी 7 साल की है। सरबजीत के भाई विजय सिंह बताते हैं, ‘मैंने कई बार सरबजीत को सस्ती शराब पीने से मना किया, लेकिन पैसे कम होते थे, तो वो वही शराब पी लेता था।’ विजय सिंह दावा करते हैं कि अब तक गांव में बाहर से शराब सप्लाई होती थी। पाकिस्तान के हमले की वजह से ब्लैकआउट हुआ, एंट्री पॉइंट पर सख्ती बढ़ी तो शराब आनी बंद हो गई। ये शराब रात में बड़ी गाड़ियों में सामान के साथ छिपाकर लाई जाती थी।' 'ब्लैक आउट की वजह से गाड़ियों का मूवमेंट बंद हो गया। शराब आनी बंद हुई तो गांव में ही कुछ लोगों ने मेथेनॉल मिलाकर शराब बनाई। ये शराब जहरीली हो गई। उसे पीने से भाई की मौत हो गई। सरबजीत के घर पहुंचे पंचायत सदस्य निशात सिंह मौतों के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराते हैं। वे कहते हैं, ‘शराब पीने वाले तो कहीं न कहीं से इंतजाम कर ही लेंगे। अभी अंग्रेजी शराब 500 रुपए की मिलती है, सरकार उसे 100 रुपए में दे दे, तो गरीब आदमी भी अंग्रेजी शराब खरीद सकेगा। इससे सस्ती और जहरीली शराब से बच जाएगा।’ दूसरा गांव: भंगाली कलांसबसे ज्यादा 7 मौतें इसी गांव में, मरने वालों में शराब लाने वाला भीमराड़ी कलां से करीब दो किमी दूर भंगाली कलां गांव हैं। यहां जहरीली शराब पीने से 7 लोगों की मौत हुई है। इनमें 25 साल का राजा गिल भी है। आरोप है कि जहरीली शराब राजा ने ही सप्लाई की थी। राजा के एक दोस्त ने ऑफ कैमरा बताया कि मरने वाले तीन लोगों को राजा ने शराब दी थी। राजा की चाची परबजोत बताती हैं- घर में सिर्फ राजा ही कमाने वाला था। उसकी एक बहन है। भाई की मौत के बाद से वो बेसुध है। अब परिवार का क्या होगा, समझ नहीं आ रहा। शराब पीने से मरने वालों में 38 साल के रोबनजीत सिंह भी हैं। वे मजदूरी करते थे। परिवार पत्नी, तीन बेटियां और एक बेटा है। बच्चों की उम्र 1 से 7 साल के बीच है। रोबनजीत की बहन करमवीर कहती हैं, ‘इस हादसे में शराब पीने वाले और सप्लाई करने वाले दोनों दोषी हैं।’ गांव के रमनदीप मजदूरी करते थे। उनकी बहन सिमरनजीत कहती हैं, ‘भाई को तीन बार उल्टी हुई। फिर तबीयत इतनी बिगड़ी कि उसकी घर पर ही मौत हो गई।’ मरने वालों में मेजर सिंह उर्फ सिकंदर भी हैं। उनकी चाची परमजीत कहती हैं, ‘उसने सुबह 4 बजे शराब पी थी। फिर उसकी तबीयत खराब हो गई। हमने पहले गांव के डॉक्टर को दिखाया। उन्होंने कहा कि तुरंत शहर ले जाओ। शहर पहुंचते-पहुंचते उसकी मौत हो गई।’ ‘गांव में शराब कौन बेच रहा था, यह तो नहीं पता, लेकिन यह क्लियर है कि गांव में पुलिसवालों की मिलीभगत से शराब बिक रही थी। शराब नहीं बिकती तो लोग खरीदते कैसे।’ तीसरा गांव: थ्रीएवालइस गांव में जहरीली शराब से तीन मौतें हुई हैं। मरने वालों में 40 साल के जोगिंदर सिंह मन्ना भी हैं। जोगिंदर सिंह हलवाई थे। 12 मई की शाम जोगिंदर की तबीयत बिगड़ गई। बेचैनी में वे घर की दीवार फांदकर बाहर चले गए। लोग उन्हें पकड़कर वापस लाए। वे लगातार उल्टियां कर रहे थे। मुंह से झाग आया और करीब 7:30 बजे वे बेहोश हो गए। हॉस्पिटल पहुंचने से पहले ही उन्होंने दम तोड़ दिया। बीते दो साल में उनके घर में ये चौथी मौत है। दो साल पहले जोगिंदर की दादी, एक साल पहले पत्नी सरबजीत कौर और 9 महीने पहले 16 साल के बेटे हरमन की मौत हो गई थी। अब घर में जोगिंदर के दो बेटे 18 साल का गुरसेवक और 14 साल का ज्योतू रह गए हैं। गुरसेवक बताते हैं, ‘हमने कई बार शिकायत की थी कि पम्मा और मनजीत कौर घर-घर शराब बेचते हैं, पर पुलिस ने हमारी नहीं सुनी। इतनी मौतें हुईं तो सब एक्टिव हो गए।’ गांव के लोग बताते हैं कि जोगिंदर के घर से करीब आधा किलोमीटर दूर दो परिवार अवैध शराब बेचते थे। एक परिवार सीती का था, जिसकी पत्नी निंदर कौर शराब बेचती थी। दूसरा परिवार परमदीप उर्फ पम्मा का है। घटना के बाद पम्मा फरार हो गया था, 13 मई को उसे गिरफ्तार कर लिया गया। उसके घर पर अब ताला लगा है। पत्नी-बच्चे और 21 साल की बहन के साथ कहीं चली गई हैं। निंदर कौर को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। निंदर कौर के 80 साल के पति अजीत सिंह सीती की भी जहरीली शराब से मौत हो गई। पड़ोसी बताते हैं, ‘अजीत की मौत रात करीब 2 बजे हुई। अजीत और निंदर की 5 बेटियां हैं। सभी शादीशुदा हैं। घर चलाने वाला कोई नहीं था, इसलिए निंदर कौर अवैध शराब बेचने लगी। 35 साल के करनैल सिंह ईंट-भट्ठे पर मजदूरी करते थे। पिता का पैर खराब होने की वजह से घर की पूरी जिम्मेदारी करनैल पर ही थी। पिता दलबीर सिंह बताते हैं, ‘करनैल ने दोपहर में शराब पी थी। इसके बाद उसे सीने में तेज दर्द और बेचैनी हुई। शाम करीब 3 बजे वो घर आया।' 'हम उसे हॉस्पिटल ले जाने की तैयारी कर रहे थे, तभी उसकी मौत हो गई। करनैल अपने पीछे पत्नी काजल और तीन बच्चे मनमीत, हरजोत और सोनम छोड़ गए हैं।’ अब तक 16 अरेस्ट, 4 अफसर सस्पेंडजहरीली शराब से 23 मौतों के बाद पंजाब सरकार ने मजीठा के DSP अमोलक सिंह और SHO अवतार सिंह, एक्साइज विभाग के ETO मनीश गोयल और एक्साइज इंस्पेक्टर गुरजीत सिंह को सस्पेंड कर दिया है। DGP गौरव यादव ने बताया कि शराब रैकेट का सरगना साहिब सिंह है। उसे अरेस्ट कर लिया गया है। मेथेनॉल के सप्लायर लुधियाना के पंकज कुमार और अरविंद कुमार को भी गिरफ्तार किया गया है। शराब की सप्लाई प्रभजीत सिंह, कुलबीर सिंह, निंदर कौर, गुरजंट सिंह, अरुण उर्फ काला और सिकंदर सिंह उर्फ पप्पू कर रहे थे। उन्हें भी अरेस्ट कर लिया गया है। ऑनलाइन ऑर्डर करके मंगाया मेथेनॉलसोर्स बताते हैं कि रैकेट के सरगना साहिब सिंह ने लुधियाना और दिल्ली की केमिकल फर्म से ऑनलाइन मेथेनॉल ऑर्डर किया था। इसी से नकली शराब बनाई गई। डॉक्टरों के मुताबिक, मौतों की वजह मेथेनॉल ही है। यह जहरीला केमिकल है। इसकी थोड़ी सी मात्रा भी अंधापन, किडनी फेलियर और मौत की वजह बन सकती है। अमृतसर की चीफ मेडिकल ऑफिसर किरणदीप कौर ने दैनिक भास्कर को बताया कि मरने वालों का पोस्टमॉर्टम हो गया है। विसरा प्रिजर्व कर फोरेंसिक जांच के लिए भेजा है। रिपोर्ट आने के बाद क्लियर हो पाएगा कि किस तरीके का केमिकल उन्होंने कंज्यूम किया था। एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे पुलिस और आबकारी विभागइस हादसे के बाद पुलिस और आबकारी विभाग एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे हैं। पुलिस सूत्रों का कहना है कि एक्साइज पॉलिसी लागू कराना और अवैध शराब की बिक्री रोकना आबकारी विभाग का काम है। वहीं, आबकारी विभाग के सूत्रों का तर्क है कि उनके पास अवैध शराब की बिक्री का पता लगाने के लिए कोई खुफिया तंत्र नहीं है। उन्हें इंडियन रिजर्व बटालियन से फोर्स मिलती है। उसे VIP ड्यूटी या दूसरे कामों में लगा दिया जाता है। हम अवैध शराब बेचने वालों को पकड़कर थाने ले जाते हैं, तो केस दर्ज कराने के लिए घंटों मिन्नत करनी पड़ती है। नई एक्साइज पॉलिसी के तहत आबकारी विभाग का एक अलग थाना बनाया जाना था। विभाग को अपनी फोर्स मिलनी थी ताकि वे खुद केस दर्ज कर सकें। सोर्स बताते हैं कि पॉलिसी बनने के बाद इस बारे में पंजाब पुलिस और आबकारी विभाग के अफसरों की एक भी बैठक नहीं हुई है। पुलिस अफसर अब मामले में बात करने से बच रह हैं। हालांकि SSP मनिंदर सिंह ने घटना पर बयान दिया था। उन्होंने कहा, ‘हमें सूचना मिली थी कि कुछ लोगों ने जहरीली शराब पी है। इसके बाद अलग-अलग गांवों से लोगों के बीमार होने की खबरें आने लगीं। हम विश्वास दिलाते हैं कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा और उन्हें सख्त सजा दिलवाई जाएगी।’ ........................................... पंजाब से ये ग्राउंड रिपोर्ट भी पढ़िए...1. तरनतारन में पाकिस्तानी PM शहबाज का घर, परदादा की मजार संभाल रहे सिख पंजाब के तरनतारन के जाति उमरा गांव से पाकिस्तानी PM शहबाज शरीफ और पूर्व PM नवाज शरीफ की जड़ें जुड़ी हैं। ये इनका पैतृक गांव है। गांव में नवाज शरीफ के परदादा की कब्र है, जिसकी देखरेख अब सिख करते हैं। गुरपाल ने बताया, ‘1976 से पहले तक यहां शरीफ परिवार की हवेली हुआ करती थी। नवाज शरीफ के भाई अब्बास शरीफ ने इसे गांव को दान कर दिया था। पढ़ें पूरी खबर... 2. पाकिस्तान से 50 मीटर दूर रहने वालों का हौसला पंजाब के पठानकोट शहर से सिर्फ 30 किलोमीटर दूर काशीवाड़मा गांव है। पक्की सड़कें, पक्के घर, चौपाल पर ताश खेलते, गपशप करते लोगों को देखकर ये किसी आम गांव सा लगता है। ये पाकिस्तान के सबसे नजदीक बसे गांवों में से एक है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान ने भारत के शहरों पर हमले शुरू किए। तब बॉर्डर से सटे गांव खाली होने लगे। काशीवाड़मा गांव में लोग डटे रहे। पढ़िए पूरी खबर...
DNA: ट्रंप के 'अब्राहम प्लान' में फंसा पाकिस्तान, उधर इज़रायल-सऊदी की 'दोस्ती' की आ गई तारीख!
DNA Analysis:ईरान से साझा दुश्मनी होने की वजह से सऊदी अरब और इज़रायल में बैक डोर बातचीत होती रही है. लेकिन यूएई और बहरीन की तरह सऊदी अब तक अब्राहम समझौते में शामिल नहीं हुआ. सऊदी और इज़रायल के बीच चल रही बातचीत भी गाज़ा वॉर के बाद पटरी से उतर गई.
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर अपने बयान को लेकर सुर्खियों में हैं.इस बार मामला और भी चौंकाने वाला है क्योंकि ट्रंप ने एक पूर्व आतंकी को 'यंग और अट्रैक्टिव' कह डाला है.
VIDEO: सड़क पर जा रही थी गाड़ी, अचानक पहाड़ से बरसी मौत, कैमरे में रूह कंपा देने वाला मंजर कैद
ताइवान में सोमवार को एक हादसा हुआ, जहां पहाड़ से गिरे पत्थरों ने सड़क पर चल रही गाड़ियों को निशाना बनाया. इस घटना में एक व्यक्ति घायल हो गया, जबकि दो गाड़ियां बुरी तरह डैमेज हो गईं.
कतर ने ट्रंप को अपशब्द लिखा विमान गिफ्ट नहीं किया, वायरल वीडियो एडिटेड है
बूम ने पाया कि 6 साल पुराने वीडियो को एडिट कर के शेयर किया गया है.
रियाद में आयोजित एक बड़े बिजनेस समिट में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (एमबीएस) की जमकर तारीफ की और उनसे एक अनोखा सवाल पूछ लिया, जिसने सभी को हैरान कर दिया.
Operation Sindoor: '2008 का भारत हमले झेलता था'...अमेरिकी एक्सपर्ट ने कह दी बड़ी बात
John Spencer: पूर्व अमेरिकी सैनिक, लेखक और सैन्य विश्लेषक जॉन स्पेंसर ने 'ऑपरेशन सिंदूर' को भारत की बड़ी जीत बताया है.
चौंकिए मत ! लेटर की तरह तब बच्चे भी दादा-दादी के घर पार्सल हो जाते थे
मोबाइल-इंटरनेट आने के बाद पत्र भेजना भले कम हुआ हो लेकिन बंद नहीं हुआ है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि कभी बच्चों को भी पार्सल की तरह एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाया जाता था. हां, कुछ वैसा ही जैसे डाकिया खत लेकर आता है.
रूस में सेना भेजने के बाद अब किम जोंग को क्या हुआ? आर्मी से कहा-जंग की करिए तैयारी
North Korea Leader Kim Jong Un: उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग-उन ने विशेष अभियानों के संयुक्त सामरिक अभ्यास का जायजा लेने के बाद सशस्त्र बलों को युद्ध के लिए तैयार रहने का आदेश दिया.
Turkey Drone: ये क्या? तुर्की ने पाकिस्तान को लगाया चूना, एर्दोगन का खलीफा बनने का ख्वाब रहेगा अधूरा
Turkey Drone Pakistan: क्या तुर्की ने ऐन वक्त पर पाकिस्तान को धोखा दिया? बड़े-बड़े दावे कर भारत विरोधी भाषा बोलकर तुर्की ने जो ड्रोन उसे बेचे थे वो तो फेल हो गए. जबकि इन्हीं ड्रोनों का इस्तेमाल यूक्रेन ने जंग के शुरुआती दौर में रूस पर अटैक करने के लिए किया था.
World's Largest Cemetery: इराक के नजफ शहर में स्थित वादी उस-सलाम दुनिया का सबसे बड़ा कब्रिस्तान है, जहां 1400 सालों से लाखों लोग दफनाए जा चुके हैं. ये जगह सिर्फ कब्रिस्तान नहीं, बल्कि आस्था, इतिहास और रहस्य का संगम माना जाता है. शिया मुस्लिम मानते हैं कि हर आत्मा आखिर में यहीं आती है.
भारत-पाक के बीच संघर्ष शुरू होने से पहले सोने की कीमत लगातार बढ़ रही थी। 22 अप्रैल को तो 1 लाख के पार पहुंच गई थी। वहीं भारत के ऑपरेशन सिंदूर से पहले, 6 मई तक सर्राफा बाजार में सोने की कीमत 96,888 रुपए थी। लेकिन जैसे ही दोनों देशों के बीच संघर्ष शुरू हुआ, तो सोने की कीमत गिरने लगी और 6 दिनों में ही सोना 4,350 रुपए सस्ता हो गया। यह हैरान करने वाली बात है, क्योंकि आमतौर पर जंग के माहौल में सोना महंगा हो जाता है। आखिर क्यों जंग के माहौल में इतना गिर गया सोना, आगे गिरने की भविष्यवाणी क्या है और अभी खरीदें या इंतजार करें; जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में… सवाल-1: पाकिस्तान पर भारत की मिसाइल स्ट्राइक से पहले सोने की कीमतों का ट्रेंड क्या रहा?जवाब: इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन यानी IBJA के मुताबिक, 1 जनवरी 2025 को 10 ग्राम 24 कैरेट सोने की कीमत 76,162 रुपए थी। ये कीमतें भारत में ऑल टाइम हाई थी। भारत-पाकिस्तान संघर्ष शुरू होने के ठीक पहले तक सोने की कीमतें 1 लाख रुपए के करीब पहुंच गईं। 22 अप्रैल को 10 ग्राम सोना 1 लाख रुपए बिका, जबकि 6 मई को 96,888 रुपए रहा। सवाल-2: भारत-पाक के बीच संघर्ष शुरू होने के बाद कैसे घटे सोने के दाम?जवाब: 6-7 मई की रात को भारत ने पाकिस्तान पर मिसाइल स्ट्राइक कर दी। इसमें पाकिस्तान के 9 आतंकी ठिकाने तबाह हो गए। इसके बाद दोनों देशों के बीच जंग के हालात बन गए। अगले 3 दिन यानी 10 मई तक भारत-पाक के बीच ड्रोन्स अटैक और मिसाइल हमले हुए। इस दौरान सोने की कीमतें गिरने लगीं। IBJA के मुताबिक, 7 मई को सोना 97,426 रुपए था, जो 12 मई को 93,076 रुपए हो गया। 10 और 11 मई को बाजार बंद रहा। हालांकि, 13 मई को 1268 रुपए की बढ़ोतरी के साथ सोने का दाम 94,344 रुपए पर पहुंच गया। सवाल-3: भारत और पाकिस्तान के बीच जंग के हालातों में सोना सस्ता होने के फैक्टर्स क्या हैं?जवाब: केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर और बिजनेस एक्सपर्ट अजय केडिया कहते हैं, 'जब भारत और पाकिस्तान के बीच जंग के हालात शुरू हुए, तब दुनियाभर में 3 बड़े इवेंट्स और चल रहे थे, जिससे सोना सस्ता हो गया... 1. अमेरिका-चीन ने 90 दिन के लिए टैरिफ कम किए 2. अमेरिकी डॉलर में मजबूती 3. रूस-यूक्रेन जंग पर ब्रेक भारत-पाक तनाव के मुकाबले इन तीनों ही फैक्टर्स ने सोने की कीमत पर ज्यादा असर डाला। जब 10 मई को भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर हो गया तो तनाव थोड़ा कम हुआ। ऐसे में सोने के दाम और कम हो गए। सवाल-3: अमूमन जंग के हालातों में सोने के दाम बढ़ने लगते हैं, इसकी वजह क्या है?जवाब: अजय केडिया के मुताबिक, जंग के हालातों में 3 बड़े कारणों से सोने के दाम बढ़ते हैं... 1. शेयर मार्केट का गिरना 2. प्रॉपर्टी मार्केट का गिरना 3. डिजिटल गोल्ड की डिमांड बढ़ना सवाल-5: इस उथल-पुथल के बीच ज्यादा फायदेमंद क्या; सोना खरीदना या बेचना?जवाब: अजय केडिया कहते हैं, 'अगर आपको सेविंग या ज्वेलरी के लिए सोना खरीदना है तो खरीद सकते हैं। लेकिन इन्वेस्टमेंट के लिए अभी सोना खरीदना बेवकूफी होगी। अगर आपने अभी मंहगे दामों में सोना खरीद लिया और आने वाले समय में सोना सस्ता हो गया तो नुकसान होगा। वैसे भी अभी सोना सस्ता होने के ही आसार लग रहे हैं।' अजय केडिया ने कहा, 'भले ही ग्लोबल मार्केट में हालात बदलते रहें, लेकिन यह भी याद रखना चाहिए कि गोल्ड में कोई भी बड़ा निवेश वित्तीय बाजार के बड़े खिलाड़ियों के रहमो-करम पर टिका होता है। बड़े खिलाड़ी जो करते हैं, उनका असर सोने की कीमतों पर दिखता है। इसलिए सोने में सोच-समझकर इन्वेस्ट करना चाहिए।' HDFC सिक्योरिटीज के कमोडिटी हेड अमित गुप्ता का भी यही मानना है। वे कहते हैं, अभी सोने की कीमतों में बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव है, इसलिए हमें कोई रिस्क नहीं लेना चाहिए। सोने की कीमतों में जब तक स्थिरता न आए तो कोई भी फैसला जल्दबाजी होगी। ट्रम्प के अगले फैसले, मंहगाई, ट्रेड वॉर, जियोपॉलिटिकल इश्यू पर नजर रखते हुए सोने की खरीद-फरोख्त करें। सवाल-6: तो क्या आने वाले दिनों में सोना सस्ता होगा?जवाब: अजय केडिया कहते हैं, 'सोने में हमेशा टाइम करेक्शन आता है। 2011 से 2020 के बीच भी सोने में करेक्शन आया था, तब सोना 25 से 30 हजार के बीच बिक रहा था। लेकिन आखिर के 5-6 सालों में मार्केट ज्यादा चला नहीं, जिस वजह से सोने की कीमतें अटक गईं। अब फिर से सोने में करेक्शन आने की संभावना है। इससे अनुमान है कि सोने की कीमतें 85 हजार रुपए प्रति 10 ग्राम तक गिर सकती हैं।' दरअसल, सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स यानी RSI से कैलकुलेट किया जाता है। अगर सोना मंहगा हो रहा है तो ‘ओवरबॉट’ और सस्ता हो रहा है तो ‘ओवरसोल्ड।’ इसे 0 से 100 के स्केल पर मापा जाता है। आसान भाषा में समझें- अगर RSI बढ़ता है तो लोग सोने को बेचने लगते हैं, जिससे कुछ समय बाद सोने की कीमतें कम हो जाती हैं क्योंकि डिमांड घट जाती है। इस समय सोना 55 RSI पर है, जो आने वाले समय में बढ़ सकता है। यानी अब सोने में तेजी से गिरावट आ सकती है। सोने की कीमतें गिरने पर अमित गुप्ता ने कहते हैं, 'सोने में लगातार तेजी आना इसके दामों के गिरने की वजह भी बनती है। 2009 से 2012 के बीच भी सोने में जबरदस्त तेजी आई थी। 2009 में सोना 12,500 रुपए प्रति 10 ग्राम था, जो 2012 में 29,500 रुपए प्रति 10 ग्राम हो गया था। यानी 4 साल में सोना करीब 136% बढ़ा था। सोने के दाम ऑलटाइम हाई पर पहुंच गए थे। लेकिन इसके बाद सोने के दाम 30% गिर गए। ऐसा ही कुछ अब फिर से होने लगा है।' सवाल-7: सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव भारत में ही है या ग्लोबल मार्केट में भी यही ट्रेंड है?जवाब: भारत की ही तरह इंटरनेशनल मार्केट में भी सोने के दामों में उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहे हैं। इंटरनेशनल लेवल पर लंदन बुलियन मार्केट एसोसिएशन यानी LBMA सोने के दाम तय और रेगुलेट करता है। यह कई देशों के साथ मिलकर काम करता है। 24 कैरेट सोने का प्रति औंस रेट डॉलर में तय होता है। एक औंस 28.3 ग्राम का होता है। LBMA के मुताबिक, 9 मई, शुक्रवार को इंटरनेशनल मार्केट में सोने की कीमत 3,324 डॉलर थी। इसके बाद वीकेंड के दो दिन मार्केट बंद रहा। अगले कारोबारी दिन यानी 12 मई, सोमवार को सोने की कीमत करीब 3% गिरकर 3,235 डॉलर पहुंच गई। इससे पहले ग्लोबल मार्केट में जनवरी में सोने की कीमत 2,633 डॉलर प्रति औंस थी, जो 22 अप्रैल तक बढ़कर 3,433 डॉलर प्रति औंस हो गई। इस दौरान भी सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव देखने को मिले। फरवरी में जहां सोने का हाईएस्ट प्राइस 2,936 डॉलर प्रति औंस पहुंच गया था, वहीं मार्च में लोएस्ट 2,880 डॉलर प्रति औंस तक गिर गया। हालांकि मार्च के आखिर और अप्रैल में इसमें फिर से बढ़ोतरी देखी गई। सवाल-8: चांदी की कीमतों का ट्रेंड और अगले 1 साल का प्रोजेक्शन क्या है?जवाब: फिलहाल चांदी की कीमत 1 लाख रुपए प्रति किलो के करीब पहुंच रही है। इस साल चांदी की कीमतों में अब तक 12% की बढ़ोतरी हुई है। 2025 की शुरूआत में चांदी की कीमत 86,017 रुपए प्रति किलो थी, जो बढ़कर 13 मई तक 96,350 रुपए प्रति किलो हो गई है। यानी 10,333 रूपए की बढ़ोतरी हुई। इस बीच 28 मार्च को चांदी ने 1,00,934 रुपए का ऑल टाइम हाई बनाया था। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, सोने और चांदी की कीमतों के प्रोजेक्शन के लिए दोनों का रेश्यो कम्पैरिजन किया जाता है। यह रेश्यो आमतौर पर 30% से 90% के बीच बना रहता है। अभी यह रेश्यो 97.5 है। गोल्ड-सिल्वर रेशो से पता चलता है कि आप कितने ग्राम चांदी से एक ग्राम सोना खरीद सकते हैं। अजय केडिया का मानना है कि आने वाले समय में रेश्यो नीचे गिरेगा, जिससे चांदी की कीमतों में उछाल आ सकता है। 2025 में भारतीय बाजार में चांदी की 1 लाख 30 हजार रुपए प्रति किलोग्राम तक पहुंच सकती है। कल सुबह 6 बजे ऐसे ही बेहद जरूरी टॉपिक पर पढ़िए और देखिए एक और 'आज का एक्सप्लेनर' ------------- भारत-पाकिस्तान से जुड़ी अन्य खबर पढ़ें आज का एक्सप्लेनर: पाकिस्तान से आतंकी हमला हुआ तो क्या जंग छेड़ देगा भारत; क्या है ‘एक्ट ऑफ वॉर’, क्या ऑपरेशन सिंदूर अभी भी जारी 10 मई की शाम को सीजफायर के ऐलान के बाद भारत सरकार ने फैसला लिया कि अब पाकिस्तान की जमीन से कोई आतंकी हमला हुआ तो हम उसे 'एक्ट ऑफ वार' यानी जंग की कार्रवाई मानेंगे। कई मीडिया रिपोर्ट्स में सरकार के सूत्रों के हवाले से ये जानकारी दी गई। पीएम मोदी ने भी 12 मई की शाम अपने भाषण में कहा कि आतंकी हमला हुआ तो फिर सीमा पार मिलिट्री एक्शन होगा। पूरी खबर पढ़ें...
पाकिस्तान के बाद अब तुर्किये को सबक सिखा रहा भारत, बॉयकॉट का लगा नारा, सेब का व्यापार भी किया ठप
Boycott Turkey: भारत-पाकिस्तान के बीच जारी तनाव में तुर्किये के रवैये से भारत काफी नाराज हुआ है. भारतीय व्यापारियों ने तुर्किये के प्रति गुस्सा जाहिर करते हुए वहां से व्यापार बंद कर दिया है.
Bangladesh former President Abdul Hamid: बांग्लादेश में मची उथल-पुथल के बीच देश के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल हामिद लुंगी पहनकर देश छोड़कर भाग गए हैं. वे थाई एयरवेज के प्लेन में बैठकर चुपके से मुल्क से बाहर निकले.
Canada Mark Carney Cabinet: हाल के चुनावों में बड़ी जीत दर्ज करने वाले कनाडा के पीएम मार्क कार्नी ने अपने 38 सदस्यीय मंत्रिमंडल का गठन कर लिया है. अपनी कैबिनेट में उन्होंने 3 भारतवंशियों को भी बड़ी जिम्मेदारी दी है.
12 अप्रैल 1996 को कोल्हापुर के पल्लवी लॉज के कमरे में एक बच्ची 'मम्मी… मम्मी…' बिलख रही थी। रेणुका और सीमा नाम की दो बहनें और उनकी 60 बरस की मां अंजनाबाई भी वहीं थीं। सीमा बोली- 'उषा थिएटर में दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे फिल्म लगी है, चलें?' यह सुनते ही बच्ची और तेज रोने लगी। अचानक अंजनाबाई ने बच्ची गला दबा दिया। फिर चादर में लपेटकर तीन-चार बार दीवार पर दे मारा। तीनों ने बच्ची की लाश एक बैग में भरी और फिल्म देखने पहुंच गईं। इंटरवल में सीमा ने यह बैग टॉयलेट में रख दिया। इससे करीब 8 महीने पहले इन्हीं तीनों ने कोल्हापुर के एक खेत में 9 साल की बच्ची की गला दबाकर मार डाला था। क्रांति नाम की यह बच्ची अंजनाबाई के पहले पति मोहन गावित की दूसरी पत्नी से जन्मी बेटी थी। रेणुका और सीमा बच्ची को बड़ी मम्मी यानी अंजनाबाई से मिलाने के नाम ले गई थीं। कई दिन तलाशने के बाद बच्ची के पिता मोहन ने तीनों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी। इससे पहले ये तीनों ने 1991 में कोल्हापुर में ही ढाई साल के एक बच्चे को लोहे की रेलिंग पर पटककर और 1994 में हडपसर में तीन साल की बच्ची को तीसरी मंजिल से फेंककर मार चुके थे। अक्टूबर 1996 ने पुलिस ने तीनों मां-बेटियों को कोल्हापुर से पकड़ लिया। जांच कर रहे इंस्पेक्टर शशिकांत बोड़े ने महाराष्ट्र में 1990 से 1996 के बीच गायब बच्चों के बारे में पूछताछ की तो अंजनाबाई ने 13 से ज्यादा बच्चों का कत्ल की बात कबूल ली। इस बीच पुलिस जब उनके घर पहुंची तो ऐसा कुछ दिखा कि सभी की आंखें फटी रह गईं। दैनिक भास्कर की सीरीज ‘मृत्युदंड’ में अंजनाबाई केस के पार्ट-1 और पार्ट-2 में इतनी कहानी तो आप जान ही चुके हैं। आज पार्ट-3 में आगे की कहानी… इंस्पेक्टर शशिकांत बोड़े ने अंजनाबाई के घर की तलाशी ली, तो अलमारी में गहने-जेवर और छोटे बच्चों के कई कपड़े मिले। ये कपड़े एक साल से लेकर 10 साल तक के बच्चों के थे। कुछ कपड़ों पर खून जैसे निशान थे। कमरे की दीवारों पर भी खून की तरह लाल धब्बे थे। इंस्पेक्टर बोड़े ने पूछा- 'ये किसके कपड़े हैं?’ किरण- ‘बच्चों के?’ ‘बच्चों के? दर्जनों कपड़े? दीवार पर, कपड़ों पर ये धब्बे कैसे लगे?’ किरण- 'मुझे नहीं पता साहब।' जोर से डांटते हुए इंस्पेक्टर बोड़े बोले- 'सच बता दो, वर्ना हड्डियां तोड़ दूंगा।' किरण ने कोई जवाब नहीं दिया। इंस्पेक्टर बोड़े- 'परदेसी.. इसे थाने लेकर चलो।' थाने में इंस्पेक्टर बोड़े की सख्ती के बाद किरण टूट गया। बोल पड़ा- 'साहब, वो कपड़े किडनैप किए हुए बच्चों के हैं। अंजनाबाई, रेणुका और सीमा तीनों मिलकर ये काम करती हैं।' 'वो बच्चे कहां गए? खून जैसे धब्बे क्यों थे दीवारों पर?' कड़क आवाज में इंस्पेक्टर बोड़े ने फिर पूछा। किरण- 'साहब… तीनों ने मिलकर सारे बच्चों को पटक-पटककर मार दिया। दीवारों पर उन्हीं के खून के निशान हैं।' इंस्पेक्टर बोड़े ने महाराष्ट्र में 1990 से 1996 के बीच अलग-अलग थानों में दर्ज लापता या मार दिए गए बच्चों की लिस्ट निकाली। इसके बाद ये केस C.I.D ऑफिसर सुहाष नादगौड़ा को सौंप दिया गया। C.I.D ने किरण को गायब हुए बच्चों की फोटो दिखाईं। उसने ज्यादातर बच्चों को पहचान लिया। कहने लगा- ‘साहब… ये तो ढाई साल के संतोष की फोटो है। अंजनाबाई और उसकी दोनों बेटियों ने इसे कोल्हापुर से किडनैप किया था। फिर कोल्हापुर बस स्टैंड पर उसे मारकर लाश विक्रम हाई स्कूल के पास ऑटो रिक्शे के नीचे रख दी थी।' फिर कुछ और फोटो देखकर किरण बोला, 'संतोष के बाद बंटी, गुड्डू, अंजली, भाग्यश्री, क्रांति, गौरी, पंकज और स्वप्निल को भी इन लोगों ने मार दिया। सभी छोटे बच्चे थे। कोई एक साल का, कोई दो साल का तो कोई 9 साल का। इन लोगों ने कुछ भीख मांगने वाले बच्चों को भी उठाया था, लेकिन उनको मारा नहीं।’ 'वो बच्चे कहां है अब?' जवाब मिला- 'सबको भीड़ वाली जगह पर छोड़ आए थे। अब वो बच्चे कहां हैं, मुझे नहीं पता।' कोल्हापुर पुलिस ने सभी के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 यानी कत्ल करने, 365- अपहरण, 120 (बी)- आपराधिक साजिश रचने, 342- किसी को बंधक बनाए रखना, 344- किसी को 10 घंटे से ज्यादा समय तक बंधक बनाए रखना समेत कई धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया। C.I.D ऑफिसर सुहाष नादगौड़ा ने 3 महीने के भीतर इन सभी के खिलाफ चार्जशीट फाइल कर दी। चारों को उन जगहों पर ले जाया गया, जहां इन लोगों ने बच्चों को मार कर फेंका था। कुछ डेड बॉडीज के तो कपड़े भी अभी तक नहीं गले थे। चप्पलें भी पास ही पड़ी थीं। एक बच्ची के कान की बाली भी बरामद हुई। C.I.D ऑफिसर नादगौड़ा सोचने लगे- 'इन लोगों ने तो सच में बच्चों को मारा है। पर इनकी चोरी और लूट का बच्चों से क्या कनेक्शन है?' उन्होंने अंजनाबाई और उसकी दोनों बेटियों से पूछा, ‘किडनैप के बाद तुम लोगों ने बच्चों को मारा क्यों?’ अंजनाबाई हंसने लगी। कुछ देर बाद झल्लाते हुए बोली, ‘मारती नहीं तो क्या करती। वो चोरी करने में साथ नहीं दे रहे थे।' 'चोरी करने में बच्चों का साथ…' उन्होंने चारों को धमकाते हुए कहा- 'सच सच बताओ पूरा मामला क्या है, वर्ना सबकी खाल उधेड़ दूंगा।' रेणुका बोलने लगी, ‘एकबार पॉकेट मारते हुए मैं पकड़ी गई। तब मेरा बेटा आशीष गोद में था। लोग मुझे मारने-पीटने लगे तो मैं कहने लगी कि बच्चे के लिए मजबूरी में चोरी कर रही। इस बच्चे के लिए मुझ पर रहम कर दो। बच्चे की बात सुनकर उन लोगों ने मुझे छोड़ दिया।' ये बात मैंने मां अंजनाबाई को बताई, तो उसने कहा कि क्यों न चोरी करते वक्त अपने साथ बच्चों को ले जाएं। मैं अपना बेटा तो हर बार ले नहीं जा सकती, तो हमने बच्चा चोरी करने का प्लान बनाया। कभी अकेली औरतों की मदद करने के बहाने उनके बच्चे चुराए, कभी झुग्गी वालों के बच्चे लेकर भाग निकले। बच्चों को साथ लेकर भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाते, कभी पर्स मारते, कभी मंगलसूत्र छीन लेते। जब पकड़े जाते तो कह देते कि इन्हीं बच्चों के लिए तो कर रहे हैं। लोगों को दया आ जाती और वो हमें जाने देते। जो बच्चे थोड़े बड़े रहते उनसे चोरी भी करवाते। एकबार तो मंदिर में चोरी करते पकड़ी गई, तो कहा बच्चे के लिए कर रही हूं। लोग पुलिस बुलाने की धमकी देने लगे। तब मैंने गुस्से से बच्चे को जमीन पर पटक दिया और चीख-चीखकर कहने लगी- सब इसकी वजह से हुआ है। लोगों को बच्चे का खून देखकर दया आ गई। वो लोग मुझे पैसे देते हुए बोले-बच्चे का इलाज करवा लेना। हालांकि ये बच्चे घर में काफी तंग करते थे। दिन-रात चीखते रहते थे। हम डर गए कि कहीं इनकी आवाज सुनकर कोई आ न जाए। फिर तो हमारा भांडा ही फूट जाएगा। इसलिए हम दो-चार दिन बाद बच्चे को मार देते थे। फिर नया बच्चा उठा लाते थे।’ अब पुलिस ने मुंबई, पुणे, नासिक और कोल्हापुर में लोकल लोगों से चारों के बारे में पूछताछ शुरू की। कई लोगों ने बताया- 'जी साहब पहचानते हैं। ये लोग किराए पर रहते थे। घर से हर वक्त बच्चों के रोने की आवाज आती रहती थी। कई बार अचानक बच्चों की आवाज बंद हो जाती थी।’ अंजनाबाई, रेणुका, सीमा और किरण चारों कोल्हापुर जेल में बंद थे। CID ऑफिसर केस की कड़ियां जोड़ने में जुटे थे। किरण अपनी पत्नी रेणुका, अंजनाबाई और सीमा के खिलाफ गवाही देने को तैयार हो गया। इसलिए उसे सरकारी गवाह बना दिया गया। कोल्हापुर सेशन कोर्ट में अंजनाबाई और उसकी बेटियों के खिलाफ सुनवाई शुरू हुई। इन्वेस्टिगेटिव टीम ने कोर्ट में महालक्ष्मी धर्मशाला के रजिस्टर की एंट्री, पल्लवी लॉज की एंट्री, प्रतिभा, मोहन गावित और किरण के बयान पेश किए। साथ ही जिन माता-पिता ने अपने बच्चे की फोटो और उनके कपड़े पहचाने, उनकी गवाही भी हुई। कुल 156 गवाहों के बयान कोर्ट में पेश किए गए। अंजनाबाई, रेणुका और सीमा का केस लड़ने वाले कोल्हापुर के एडवोकेट मनिक मुलिक याद करते हैं, ‘जेलर के जरिए अंजनाबाई ने मुझे बुलाकर कहा था कि मैं उनका केस लड़ूं। कोर्ट में किरण ने बयान दिया कि इस पूरे मामले की मास्टरमाइंड अंजनाबाई है। ज्यादातर बच्चों की हत्या उसी ने की है। रेणुका और सीमा कुछ ही मामलों में शामिल रही हैं।’ इसी बीच 17 दिसंबर 1997 को अंजनाबाई की जेल में ही हार्टअटैक से मौत हो गई। इस पूरे केस को कवर करने वाले कोल्हापुर के सीनियर जर्नलिस्ट नंदू ओटारी बताते हैं, ‘किरण शिंदे ने कोर्ट में एक-एक बच्चों की किडनैपिंग और कत्ल की कहानी बतानी शुरू की, तो वहां सन्नाटा पसर गया। हर कोई मौन था। इतनी बेरहमी से हत्या वो भी मासूमों की। कौन भला ऐसी कहानियां सुन पाता। एक महीने तक उसके बयान दर्ज किए जाते रहे। गवाही के दौरान एक महिला ने अपने बच्ची की कान की बाली पहचानी। वो देखते ही फूट-फूटकर रोने लगी, कटघरे में ही बेहोश हो गई।’ सरकार की तरफ से सीनियर एडवोकेट उज्ज्वल निकम ने कोर्ट में कहा, ‘कितनी शर्म की बात है माय लॉर्ड कि एक महिला अपनी दोनों बेटी के साथ 4 शहरों से 6 साल में दर्जनों अनाथ, लावारिस, दुधमुंहे बच्चों को किडनैप करती रही, उन्हें मारती रही, लेकिन हम पकड़ नहीं पाए। जब अंजनाबाई के दूसरे पति मोहन गावित की बच्ची को किडनैप किया गया और उसका बेरहमी से मर्डर किया गया, तब इस मामले का खुलासा हुआ। हम देर से आए हैं, लेकिन सभी बच्चों को, उनके माता-पिता को न्याय मिलना चाहिए। पूरे देश की नजर कोर्ट पर है।’ अंजनाबाई के वकील मनिक मूलिक ने यहां एक पैंतरा चला। अंजनाबाई की मौत हो चुकी थी, रेणुका और सीमा के बचने का कोई रास्ता नहीं था। इसलिए उन्होंने पूरा दोष अंजनाबाई के ऊपर मढ़ दिया। उन्होंने कहा, ‘हुजूर, इस केस में कोई चश्मदीद गवाह नहीं है। अंजनाबाई के दामाद और रेणुका के पति किरण ने खुद मजिस्ट्रेट के सामने बयान दिया है कि इस पूरे किडनैपिंग और मर्डर केस में अंजनाबाई का हाथ है। उसकी तो मौत हो गई है। फिर अंजनाबाई के जुर्म की सजा रेणुका और सीमा को क्यों मिले।' हालांकि कोर्ट वकील मनिक मूलिक की बात से सहमत नहीं हुआ। तब उज्ज्वल निकम ने किरण को कोर्ट के सामने पेश किया। इस बार किरण अपने बयान से पलट गया। उसने कहा- 'हुजूर , रेणुका और सीमा भी हर कत्ल में शामिल रही हैं।' मनिक मूलिक ने फिर कहा, 'साहेब... इन दोनों महिलाओं का अगर एक-दो मामले में भी इन्वॉल्वमेंट है, तो कम-से-कम सजा दी जाए।' उज्जवल निकम बोले, ‘जिस मां के अपने 4 छोटे-छोटे बच्चे हैं, उसने 12-13 मासूमों की जान ली है। बेरहमी से, दीवार में, लोहे की रॉड पर पटककर मारा है। ऐसी मानसिकता का व्यक्ति यदि समाज में जिंदा रहेगा, तो पूरा समाज खौफजदा रहेगा। जिस बेरहमी, बर्बरता के साथ तीनों ने मिलकर छोटे-छोटे बच्चों का कत्ल अपने लालच में किया, यह रेयरेस्ट ऑफ रेयर है। यह देश का पहला ऐसा मामला है, और अब ये आखिरी मामला होना चाहिए।’ किडनैप किए जिन दो बच्चों को अंजनाबाई ने छोड़ा था, उन बच्चों ने भी कोर्ट में बयान दिए। 22 जून 2001 को कोल्हापुर सेशन कोर्ट के एडिशनल जज जी.एल एडके ने इसे रेयरेस्ट ऑफ रेयर यानी विरल से विरलतम कहा। उन्होंने 1100 पन्नों के जजमेंट में 9 बच्चों में से 6 बच्चों के मर्डर के मामले में रेणुका और सीमा को दोषी करार देते हुए ‘मृत्युदंड’ सुनाया। जज ने भारी मन से कहा, ‘एक जज के लिए सबसे कठिन काम होता है इस बात को चुनना कि आरोप साबित होने के बाद आरोपी को किस तरह की सजा दी जानी चाहिए। रेणुका और सीमा ने सिर्फ पैसे के लालच में, अपने फायदे के लिए इन बच्चों का इस्तेमाल किया और फिर मार दिया। यह पूरा खूनी-खेल प्री-प्लांड था। इसमें किरण शिंदे के अलावा कोई चश्मदीद नहीं था। हालांकि किरण भी इस अपराध में शामिल था। इससे बड़ा विरलतम मामला क्या हो सकता है, जिसमें दोनों आरोपी ने गौरी नाम की बच्ची का गला दबाकर मर्डर करने के बाद फिल्म देखी और लाश सिनेमा हॉल के टॉयलेट में जाकर फेंक दी। इससे बर्बरता की हद समझी जा सकती है। इन आरोपियों की मानसिकता कितनी क्रूर है। पंकज नाम के बच्चे को छत से नीचे फेंक दिया गया। उसकी बॉडी से पोस्टमॉर्टम टीम ने 42 जख्म के निशान दर्ज किए थे। क्रांति का गन्ने के खेत में मर्डर किया गया। इससे ज्यादा क्रूरता क्या हो सकती है। यह अत्यधिक क्रूर और दिल को विचलित करने वाला है। सभी असहाय बच्चों का कत्ल किया गया। यह इनका सॉफ्ट टारगेट था। सिर्फ और सिर्फ खुद की लग्जरी लाइफ के लिए। रेणुका के शिवाजी कोऑपरेटिव बैंक अकाउंट में 50 लाख रुपए जमा थे। ये सारे पैसे चोरी के थे। जिस तरह से 6 साल में एक के बाद एक जुर्म को अंजाम दिया गया, इन दोनों को सजा-ए-मौत से कम नहीं दी जा सकती। भारत के कानून में यही सबसे बड़ी सजा है, जो दी जा सकती है। यानी इससे भी बड़ी कोई सजा होती, तो मैं वो सजा इन दोनों दोषी को देता। इस पूरे घटनाक्रम को अंजाम देने वाली रेणुका खुद 4 बच्चों की मां है। एक मां ऐसा कैसे कर सकती है। इन दोनों को जीने का कोई हक नहीं है। दोनों को मरते दम तक फांसी के फंदे पर लटकाए जाने की सजा सुनाई जाती है।' सेशन कोर्ट के खिलाफ दोनों बहनों ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका लगाई, जिसे 2004 में कोर्ट ने खारिज कर दिया। इसके बाद दोनों सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं। 2005 में सुप्रीम कोर्ट ने सेशन कोर्ट और हाईकोर्ट की फांसी की सजा को बरकरार रखा। दोनों ने उस वक्त के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के पास दया याचिका भी दाखिल की, लेकिन 2015 में उन्होंने भी इसे खारिज कर दिया। इसी बीच फिर से दोनों बॉम्बे हाईकोर्ट चली गईं। 2022 में हाईकोर्ट ने जजमेंट दिया कि जो कैदी लंबे वक्त से फांसी की सजा का इंतजार कर रहे हैं, उनकी सजा को उम्रकैद में बदला जाता है। अभी रेणुका शिंदे और सीमा गावित पुणे की यरवदा जेल में उम्रकैद काट रही हैं। (नोट- अंजनाबाई केस की पूरी कहानी रिटायर्ड C.I.D ऑफिसर सुहाष नादगौड़ा, कोर्ट जजमेंट, एडवोकेट मनिक मूलिक और जर्नलिस्ट नंदू ओटारी से बातचीत पर आधारित है।) 'मृत्युदंड' सीरीज में अगले हफ्ते पढ़िए एक और सच्ची कहानी...
'पाकिस्तान से भारत में मिसाइल या बम दागे जाते हैं तो नुकसान ही होता है। शहबाज और नवाज से यही कहना चाहूंगा कि यहां भी आपका घर-परिवार है। अगर आप मिसाइल दागोगे तो वो आपके गांव, आपके भाइयों पर भी गिरेगी। इसमें आपके ही परिवार का नुकसान होगा।' पंजाब के तरनतारन के जाति उमरा गांव के रहने वाले बलविंदर सिंह दोनों देशों के बीच अमन चाहते हैं। भारत के इसी गांव से पाकिस्तानी PM शहबाज शरीफ और पूर्व PM नवाज शरीफ की जड़ें जुड़ी हैं। ये इनका पैतृक गांव है, जो अमृतसर से महज 35-40 किलोमीटर दूर है। गांव के ही रहने वाले गुरपाल भी दोनों देशों के बीच बने तनाव के माहौल से खुश नहीं हैं। वे कहते हैं, ‘शरीफ परिवार में कोई प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री बनता है, तो हमें गर्व होता है। जब कुछ गलत होता है, तो लोग सवाल करते हैं कि आपके गांव का प्रधानमंत्री कुछ करता क्यों नहीं? तब शर्म महसूस होती है।‘ पहलगाम आतंकी हमले के बाद से भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है। इन सबके बीच हम पाकिस्तानी PM के गांव पहुंचे। यहां लोगों से बात कर हमने जानने की कोशिश की कि आखिर इस तनाव भरे माहौल को लेकर लोग क्या सोचते हैं? वो शरीफ परिवार को कैसे याद करते हैं और उनसे क्या उम्मीदें रखते हैं? शहबाज और नवाज के परदादा का पुश्तैनी घर अब गुरुद्वारा बनापंजाब के तरनतारन जिले में बसा जाति उमरा गांव। यहां का शरीफ परिवार दशकों से पाकिस्तान की सियासत पर राज कर रहा है। गांव में घूमते हुए हम सबसे पहले उस जगह पहुंचे, जहां कभी मियां मुहम्मद शरीफ यानी शहबाज और नवाज के पिता का पुश्तैनी घर हुआ करता था। आज उस जगह पर एक विशाल गुरुद्वारा है। यहीं हमारी मुलाकात सेना से रिटायर्ड फौजी गुरपाल सिंह से हुई। वो इन दिनों गुरुद्वारे के एक हिस्से में लंगर हॉल बनवाने के काम में जुटे हुए हैं। वे बताते हैं कि जमीन भले ही नवाज और शहबाज शरीफ के परिवार की है, लेकिन अब इस पर जो भी कंस्ट्रक्शन हो रहा है, वो गांव वालों के चंदे से किया जा रहा है। गुरपाल ने बताया, ‘1976 से पहले तक यहां शरीफ परिवार की हवेली हुआ करती थी। नवाज शरीफ के भाई अब्बास शरीफ ने इसे गांव को दान कर दिया था। अब्बास पेशे से एक बिजनसमैन थे। वो अक्सर यहां आया करते थे। हालांकि अब वे इस दुनिया में नहीं है। 2013 में उनका निधन हो गया।‘ ‘1976 में अब्बास जब गांव आए तो हवेली की जर्जर हालत देखकर दुखी हो गए। यहां उसकी देखभाल करने वाला कोई नहीं था। इसी वजह से उन्होंने इसे गांव को दान दे दिया। उनकी हवेली के बगल में पहले एक छोटा गुरुद्वारा था। उनकी जमीन मिलने के बाद हमने गुरुद्वारे का विस्तार कर दिया। शरीफ परिवार को गांव से लगाव, पाकिस्तान में भी इसी नाम पर गांव बसायागांव में अब लंगर हॉल बन रहा है। नवाज शरीफ के पूर्वजों की मजारें पहले की तरह ही हैं। समय-समय पर उनकी मरम्मत होती रहती है। गांव वाले मिलकर उनके परिवार की हर पुरानी चीज की देखरेख करते हैं। गुरपाल बताते हैं, ‘इस गांव से शरीफ परिवार को इतना प्यार है कि उन्होंने पाकिस्तान के इकबाल तहसील में यूनियन काउंसिल 124 में इसी नाम से एक और गांव बसा लिया। ‘इस गांव में शरीफ परिवार की एक आलीशान हवेली और एस्टेट है। नवाज के पोते जायद हुसैन नवाज की शादी भी यहीं से हुई थी। गांव के लोग उनके संपर्क में रहते हैं। जब हालात खराब हुए, तब संपर्क टूटा। वरना कोई न कोई आता-जाता रहता है।‘ गुरुपाल कहते हैं, ‘गांव वालों को शरीफ परिवार से काफी उम्मीदें हैं। वे चाहते हैं कि दोनों देशों के बीच अच्छे संबंध बनें। व्यापार बढ़े। नवाज शरीफ ने गांव को बहुत कुछ दिया है। उनके कहने पर 2013 में यहां स्टेडियम भी बनवाया गया। गांव को जरूरत से ज्यादा सुविधाएं दी गई हैं।‘ PM और CM बनने पर गर्व, लेकिन आतंकवाद के सपोर्ट से गर्दन झुकीमौजूदा स्थिति पर गुरपाल कहते हैं, ‘जब दोनों देशों के हालात खराब होते हैं, तो दुख होता है। जब नवाज या शहबाज शरीफ कोई अच्छा काम करते हैं, तो गांव वालों को गर्व होता है। जब कुछ गलत होता है, तो लोग सवाल करते हैं कि आपके गांव का प्रधानमंत्री कुछ करता क्यों नहीं? तब शर्म महसूस होती है। हमें ऐसे देखते हैं कि हमारे गांव के किसी लड़के ने आतंकवाद का सपोर्ट किया है।‘ उन्होंने कहा कि नवाज शरीफ की बेटी मुख्यमंत्री बनीं और शहबाज शरीफ प्रधानमंत्री बने तो गांव का मान बढ़ा। लोग कहते हैं कि आपके गांव से प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री बने हैं, लेकिन अभी के हालात से हमारी गर्दन झुकी हुई है। गुरपाल आगे कहते हैं, ‘हम यही संदेश देना चाहते हैं कि यहां भी पंजाबी और पंजाब है, वहां भी पंजाबी और पंजाब है। ये बर्बादी दोनों की है। इस समस्या का हल निकालें और कंट्रोल करें। हम आर्मी में थे। जब सीजफायर होता था, तो एक्टिविटीज रुक जाती थीं। अब एक तरफ सीजफायर होता है, तो दूसरी तरफ से गोलीबारी शुरू हो जाती है। हुक्मरानों को कंट्रोल करना चाहिए।‘ ‘हमारा खून एक जैसा है। दुख होता है, चाहे खबर सच्ची हो या झूठी। जब कुछ शुरू होता है, तो पाकिस्तान से होता है, खत्म हिंदुस्तान में होता है। हम एक परिवार हैं। हमारी बोली, खून और हदें एक हैं। बस थोड़ा सा प्यार और बढ़ाना चाहिए।‘ पूर्व सरपंच बोले- बॉर्डर पार भले गया शरीफ परिवार, लेकिन नाता नहीं तोड़ा गुरुद्वारे से निकलकर जब हम गांव के बीच पहुंचे, तो हमारी मुलाकात पूर्व सरपंच दिलबाग सिंह से हुई। उन्होंने बताया कि मियां मुहम्मद शरीफ यहां अक्सर आया करते थे। उन्होंने ही खानदानी हवेली गांव को दान में दी। शरीफ परिवार भले ही बॉर्डर के उस पार चला गया, लेकिन उन्होंने यहां से नाता नहीं तोड़ा। परिवार की महिलाएं अक्सर कपड़ों की खरीदारी करने अमृतसर आया करती थीं। वे बताते हैं, ‘2024 में नवाज शरीफ के पोते जैद हुसैन नवाज की शादी में भी एक बड़े बिजनेसमैन को इनवाइट किया गया था। गांव के लोगों को भी वॉट्सएप पर इनविटेशन आया था, लेकिन समय कम होने के कारण यहां के लोग वीजा के लिए अप्लाई नहीं कर सके। हालांकि शादी की खबरें हमने अखबारों में पढ़ी।‘ 2022 में जब शहबाज शरीफ के प्रधानमंत्री बनने की उम्मीद दिखी तो इसी गुरुद्वारे में उनके लिए अरदास की गई थी। ये दिखाता है कि गांव ने इस जुड़ाव को अपनाया है और मानवीय रिश्ता बनाए रखा है। पूर्व सरपंच ने बताया कि 1970 से 2013 के बीच उन्होंने इस क्षेत्र में काफी विकास देखा। बादल सरकार के समय में इस गांव को 3.34 करोड़ रुपए की ग्रांट मिली। इससे गांव में पक्की सड़कें, एक पानी की टंकी, इलेक्ट्रिक पोल और स्टेडियम बनकर तैयार हुआ था। शरीफ परिवार आतंक का समर्थक, ये सुनकर तकलीफ होती हैशरीफ परिवार गांव का इकलौता मुस्लिम परिवार था। उनके पिता अक्सर ये कहते थे कि उनके परिवार की तरक्की इसी गांव से जुड़ी हुई थी। यहां के लोगों के आशीर्वाद से ही परिवार तरक्की कर सका। दिसंबर 2013 में पाकिस्तान वाले पंजाब के मुख्यमंत्री रहते हुए शहबाज शरीफ भारत आए थे। तब उन्होंने गांव में अपने परदादा मियां मुहम्मद बख्श की कब्र पर जाकर चादर चढ़ाई थी। उस दौरे को याद करते हुए दिलबाग कहते हैं, ‘हमने पूरे गांव को दुल्हन की तरह सजाया था। शान्ति के प्रतीक सफेद रंग से गांव का हर घर रंगा गया था। शहबाज की पत्नी भी साथ आईं थीं। उन्होंने हवेली वाली जगह देखी और परदादा की कब्र पर चादर चढ़ाई। वे गांव वालों के लिए गिफ्ट भी लाए थे।‘ पाकिस्तान के आतंकवाद को बढ़ावा देने के सवाल पर दिलबाग कहते हैं, ‘सीमा के दोनों ओर अपने परिवार रहते हैं। शांति से दोनों को फायदा और युद्ध से सिर्फ नुकसान होगा। पाकिस्तान का नाम अक्सर आतंकवाद के साथ जोड़ा जाता है। शरीफ परिवार का नाम आतंकवाद को सपोर्ट करने वालों के साथ जोड़ा जा रहा है, इससे पीड़ा हो रही है।‘ ‘मेरा मानना है कि आतंकवाद का समर्थन करने वालों को सजा मिलनी ही चाहिए। भले ही शरीफ परिवार से हमारे संबंध हैं, लेकिन मैं यही कहूंगा कि अगर वे गलत कर रहे हैं तो उन्हें सजा मिलनी चाहिए।‘ पाकिस्तान से ड्रोन आएगा तो शरीफ के परिवार पर ही गिरेगा शहबाज शरीफ के परदादा की मजार की देखरेख बलविंदर सिंह का परिवार करता है। हम जब वहां पहुंचे तो वे मजार के आसपास लगी बेंच साफ कर रहे थे। वे बताते हैं, ‘शरीफ परिवार के लाहौर जाने के बाद हमारे गांव के बुजुर्ग उनकी फैक्ट्रीज में काम करते थे। हमारे लड़के दुबई में इनकी फैक्ट्रीज में काम करते हैं। गांव के लिए वे हमेशा अच्छा ही सोचते हैं।‘ देश के मौजूदा हालात को लेकर कहते हैं, ‘गांव के लोग दोनों देशों की सरहद पर शांति चाहते हैं। पाकिस्तान में जो आतंकवाद फैला है, उसे वहीं खत्म किया जाए। आतंकवादी भारत में आकर नुकसान करता है। इससे देश में तनाव बढ़ता है। पाकिस्तान जो कर रहा है, वो गलत है। हम चाहते हैं कि इसका समाधान बातचीत से हो, न कि युद्ध के मैदान में हो।‘ ‘पाकिस्तान से जब मिसाइल या बम दागे जाते हैं तो नुकसान भारत का ही होता है। शरीफ परिवार से यही कहना चाहूंगा कि वहां भी आपका परिवार है और यहां भी आपका परिवार ही है। अगर मिसाइल गिरेगी तो आपके परिवार का भी नुकसान होगा। दोनों देशों के बीच शांति बनी रहे, ये जरूरी है।‘ 'हमारा गांव आतंकवाद का समर्थन नहीं करता'हमने गांव में कुछ और लोगों से भी बात करने की कोशिश की, लेकिन ज्यादातर कैमरे के सामने बोलने से बचते दिखे। सुखजिंदर ऑफ कैमरा बात करने को तैयार हुए। वे कहते हैं, ‘किसी एक व्यक्ति या कुछ बुरे लोगों की वजह से पूरे गांव या परिवार को दोषी ठहराना गलत है। बुरे लोग हर जगह होते हैं। जो गलत करते हैं, उनसे सरकार निपटे। गांव का इससे कोई लेना-देना नहीं। हमारा गांव आतंकवाद का समर्थन नहीं करता।‘ जब शरीफ परिवार में से कोई प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री बनता है, तो हमें गर्व होता है। लोग कहते हैं कि आपके गांव का व्यक्ति प्रधानमंत्री बना। सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। जब आतंकवाद की बात आती है, तो शर्मिंदगी होती है। लगता है यार, ये हमारे गांव का मुंडा है। गांव वालों को उम्मीद है कि शरीफ परिवार का ये जुड़ाव भारत-पाक रिश्तों को सुधारने में मदद करेगा। दो गांव, एक नाम और तस्वीर अलग-अलगअमृतसर के जाति उमरा गांव की जमीनी हकीकत और लाहौर के जाति उमरा की भव्यता में बड़ा फर्क है। भारत का जाति उमरा एक सामान्य सा गांव है। यहां के लोगों की जिंदगी खेती-किसानी से चलती है। गांव के कुछ लोग शहरों में काम कर रहे हैं। वहीं, लाहौर का जाति उमरा गांव शरीफ परिवार की सत्ता और संपत्ति का गवाह है। ये इत्तेफाक ग्रुप और शरीफ ग्रुप जैसे बड़े व्यापारिक साम्राज्यों का सेंटर है। 1937 में इसी गांव से निकले शरीफ परिवार ने लाहौर ही नहीं पाकिस्तान में भी अपनी अलग जगह बनी ली। ............................... ये खबर भी पढ़ें... पाकिस्तान से 50 मीटर दूर रहने वालों का हौसला पंजाब के पठानकोट शहर से सिर्फ 30 किलोमीटर दूर काशीवाड़मा गांव है। पक्की सड़कें, पक्के घर, चौपाल पर ताश खेलते, गपशप करते लोगों को देखकर ये किसी आम गांव सा लगता है। हालांकि, ये गांव खास है। ये पाकिस्तान के सबसे नजदीक बसे गांवों में से एक है। पाकिस्तान की सरहद यहां से सिर्फ 50 मीटर दूर है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान ने 8 मई से भारत के शहरों पर हमले शुरू किए। तब बॉर्डर से सटे गांव खाली होने लगे। काशीवाड़मा गांव में लोग डटे रहे। पढ़िए पूरी खबर...
आखिर किस आधार पर राहुल गांधी के खिलाफ कोर्ट में शिकायत दर्ज हुई, भगवान राम पर सुप्रीम कोर्ट की किस टिप्पणी का हुआ जिक्र, पूरी जानकारी के लिए ऊपर दी गई इमेज पर क्लिक कर देखें वीडियो
DNA: 'ड्रैगन' को सबक सिखाना चाहते थे ट्रंप, फिर अमेरिका-चीन के बीच कैसे हो गया 'इकोनॉमिक सीजफायर'?
DNA on US China Tariff War News: अमेरिका के राष्ट्रपति ने दोबारा अपने पद की शपथ लेते ही ड्रैगन को सबक सिखाने का प्रण लिया था. इसके लिए उन्होंने चीन पर भारी टैरिफ थोंप दिया लेकिन अब उसी चीन के साथ उन्होंने 'इकोनॉमिक सीजफायर' कर लिया है.
इन शहरों पर मंडरा रहा खतरा, धरती के नक्शे से गायब हो जाएंगे? फटाफट चेक करें पूरी लिस्ट
World news: दुनिया पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है. करोड़ों लोग उससे अनजान है. ऐसे में आप सभी देशवासियों को ये बड़ी खबर ध्यान से पढ़नी चाहिए.
'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद भारतीय सेना ने 13 मई को जम्मू-कश्मीर में 'ऑपरेशन केलर' लॉन्च किया है। इसके तहत जम्मू-कश्मीर के शोपियां इलाके में आतंकियों को ढूंढकर उनका एनकाउंटर किया जा रहा है। सेना ने अब तक तीन आतंकी मार गिराए हैं। आखिर सेना ने इसका नाम ‘ऑपरेशन केलर’ क्यों रखा, शोपियां इलाका आतंकवादियों का गढ़ कैसे बना, क्या अब वहां इस तरह के ऑपरेशन होते रहेंगे, जानेंगे भास्कर एक्सप्लेनर में… सवाल-1: सेना ने इसका नाम ‘ऑपरेशन केलर’ क्यों रखा है? जवाब: 13 मई की दोपहर 12 बजकर 53 मिनट पर भारतीय सेना के असिस्टेंट डायरेक्टर जनरल ऑफ पब्लिक इन्फॉर्मेशन यानी ADGPI ने सोशल मीडिया X पर ऑपरेशन केलर की जानकारी दी। पोस्ट में लिखा- ‘भारतीय सेना की राष्ट्रीय राइफल्स (RR) विंग को खुफिया सोर्सेज से शोपियां के शोकल केलर इलाके में आतंकियों के होने की जानकारी मिली । इसके बाद भारतीय सेना ने ‘सर्च एंड डिस्ट्रॉय’ यानी आतंकियों को ढूंढकर मारने का ऑपरेशन लॉन्च किया।’ दरअसल, ये ऑपरेशन जम्मू-कश्मीर के शोपियां जिले के ‘शोकल केलर’ नाम के गांव में जारी है। ये गांव शोपियां के केलर ब्लॉक में आता है। ये शोपियां कस्बे से 12.5 किमी और श्रीनगर से 47 किमी. दूर है। ये इलाका घने जंगलों से घिरा है, जिसे ‘सुखरू फॉरेस्ट’ कहा जाता है। इस इलाके से अक्सर आतंकी गतिविधियों की खबरें आती रहती हैं। सवाल-2: शोपियां का ये जंगली इलाका आतंकियों का गढ़ क्यों बना हुआ है? जवाब: आतंकवादी और घुसपैठिए पीर पंजाल की पहाड़ियों को बॉर्डर पार करने के लिए सबसे मुफीद मानते हैं। दरअसल, पीर पंजाल की पहाड़ियां पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर यानी PoK और जम्मू-कश्मीर के बीच फैली हुई हैं। इस इलाके में जंगल इतने घने हैं कि महज 100 मीटर दूर से भी किसी हलचल को देख पाना मुश्किल है। शोपियां जिला, पीर पंजाल की पहाड़ियों से सिर्फ 141 किमी दूर है। पीर पंजाल दर्रे से शोपियां की दूरी सिर्फ 40 किमी रह जाती है। पीर पंजाल के आसपास के इलाके जैसे- कुपवाड़ा, उरी, तंगधार, पुंछ और राजौरी में आतंकी लंबे समय से घुसपैठ करते रहे हैं। जम्मू-कश्मीर के सीनियर जर्नलिस्ट जुनैद हाशमी कहते हैं, ‘दक्षिणी कश्मीर में सबसे ज्यादा घुसपैठ पुंछ और राजौरी से होती है। पुंछ, मुगल रोड के जरिए शोपियां से जुड़ता है। इसी रास्ते से आतंकी शोपियां में दाखिल होते हैं। यहां शुकेल केलर गांव के पास का सुखरू एरिया बहुत खूबसूरत और घना जंगल है, जहां आतंकी अपने हाइडआउट बनाते हैं।’ रिटायर्ट लेफ्टिनेंट जनरल संजय कुलकर्णी कहते हैं, ‘कुपवाड़ा, उरी, तंगधार, पुंछ और राजौरी जैसे इलाके पहाड़ी हैं। जबकि शोपियां मैदानी इलाका है, यहां सेब के बागान और घने जंगल हैं। सड़क या ट्रांसपोर्ट की कोई कमी नहीं है। आबादी काफी ज्यादा है। एक बार आतंकी इन इलाकों तक आ गए तो उन्हें अपनी बाकी एक्टिविटीज करने में कोई दिक्कत नहीं होती। ये उनके लिए एक सेफजोन की तरह है।’ सवाल-3: सेना की नजर से बचकर पुंछ से शोपियां में कैसे घुसते हैं आतंकी? जवाब: भारत और पकिस्तान के बीच 3323 किमी लंबा बॉर्डर है। इसमें से करीब 1000 किमी बॉर्डर जम्मू-कश्मीर में मौजूद है। सीमापार से जम्मू-कश्मीर में आतंकियों की घुसपैठ के पीछे दो बड़ी वजहें हैं… 1. पूरे साल बाड़ेबंदी रखना मुमकिन नहीं 2- आतंकियों को लोकल सपोर्ट हालांकि जुनैद ये भी कहते हैं कि जैसे ही ये आतंकी आबादी के इलाकों में आते हैं, इनकी जिंदगी कम हो जाती है। शोपियां से निर्दलीय विधायक शब्बीर अहमद कुल्ले नेशनलिस्ट सोच के माने जाते हैं। उनकी जीत ये बताती है कि यहां ऐसे भी लोग हैं जो आतंकियों को सपोर्ट नहीं करते। आबादी के इलाकों में अगर कोई टेररिस्ट मूवमेंट देखी गई तो उसकी खबर आर्मी और पुलिस को दी जाती है। सवाल-4: ऑपरेशन केलर कब तक चलेगा? जवाब: ऑपरेशन केलर में अब तक 3 आतंकी मारे गए हैं, जो लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े हुए थे। इनमें से दो आतंकियों की पहचान हुई है। पहला आतंकी शाहिद कुट्टे शोपियां के चोटिपोरा हीरपोरा का रहने वाला था। वहीं, दूसरा आतंकी अदनान शफी शोपियां के वंदुना मेल्होरा का रहने वाला था। बताया जा रहा है कि तीसरा की आतंकी पाकिस्तान का है। आर्म्ड फोर्सेज अभी भी ऑपरेशन चला रही हैं। ADGPI ने सोशल मीडिया X पर पोस्ट किया कि राष्ट्रीय रायफल्स को मिले इनपुट के आधार पर ऑपरेशन केलर लॉन्च किया गया है। ये अभी जारी है। सवाल-5: क्या इस कार्रवाई का ऑपरेशन सिंदूर से कोई लिंक है? जवाब: रिटायर्ट लेफ्टिनेंट जनरल संजय कुलकर्णी बताते हैं, ऑपरेशन सिंदूर और ऑपरेशन केलर दोनों अलग-अलग हैं। दोनों का मकसद अलग-अलग है। दरअसल, ऑपरेशन सिंदूर का मकसद आतंकी ठिकानों पर स्ट्राइक कर उन्हें नेस्तनाबूद करना है। यानी आतंक को जड़ से नष्ट करना। जबकि ऑपरेशन केलर का मकसद साउथ कश्मीर के जंगलों में छिपे आंतकियों का एनकाउंटर करना है। फिलहाल ये दोनों ही ऑपरेशन जारी हैं। इसके अलावा पहलगाम आतंकी हमले में शामिल आतंकवादियों की तलाश अभी जारी है। ऑपरेशन केलर भी इसी का हिस्सा है। इसके शुरू होने से पहले सुरक्षा बलों ने जम्मू-कश्मीर के कई जिलों में तीन आतंकियों के पोस्टर लगाए हैं। इनकी पुख्ता जानकारी देने पर 20 लाख रुपए का इनाम दिया जाएगा। सवाल-6: क्या अब ऐसे ऑपरेशन लगातार जारी रहेंगे? जवाब: संजय कुलकर्णी कहते हैं कि ऑपरेशन सिंदूर से पहले भी जम्मू-कश्मीर में सेना आतंकियों के खिलाफ लगातार सर्च और डिस्ट्रॉय ऑपरेशन चलाती रही है। अब सरकार का सीमा पार आतंकवाद पर जो रुख है, उसी हिसाब से अंदर भी ऑपरेशंस में तेजी आएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सेना ने कहा है कि अब पाकिस्तान की तरफ से आतंकवादी गतिविधियों के खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाएगा। 12 मई की रात 8 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नाम संदेश दिया, जिसमें उन्होंने कहा, 'ऑपरेशन सिंदूर न्याय की अखंड प्रतिज्ञा है।' PM मोदी ने ‘अखंड प्रतिज्ञा’ शब्द का इस्तेमाल कर बताया कि भारत आतंकी ठिकानों और आतंकियों को खत्म करने की अपनी नीति जारी रखेगा। यही बात 11 मई को रक्षा मंत्रालय की प्रेस कॉन्फ्रेंस में तीनों सेनाओं के ऑपरेशंस हेड ने भी कही। नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजरी बोर्ड के मेंबर पंकज सरन के मुताबिक, ऑपरेशन सिंदूर ने एक नया बेंचमार्क बनाया है, जो भारत की सिक्योरिटी डॉक्ट्रिन में 'न्यू नॉर्मल' है। यानी अब आतंकवाद के खिलाफ भारत किसी भी तरह का एक्शन लेने से नहीं हिचकेगा, फिर चाहे वो पाकिस्तान में ही क्यों न हो। ------- आतंकवाद से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... PM मोदी बोले- पानी और खून एक साथ नहीं बहेगा:न्यूक्लियर ब्लैकमेलिंग नहीं सहेंगे पाकिस्तान के साथ सीजफायर के 51 घंटे बाद PM मोदी ने सोमवार रात 8 बजे देश को संबोधित किया। अपने 22 मिनट के भाषण में प्रधानमंत्री ने पहलगाम हमला, ऑपरेशन सिंदूर, सीजफायर, आतंकवाद, सिंधु जल समझौते और PoK पर बात की। पूरी खबर पढ़ें...
परमाणु ढांचा नष्ट कर दो..., अमेरिका ने खुलेआम दी धमकी, सीना चौड़ा कर किसने कहा- जो करना है कर लीजिए
Iran and US conclude fourth round of nuclear talks: अमेरिका और ईरान के बीच तनाव एक बार फिर बढ़ गया है. अमेरिका ने ईरान से कहा था कि अपने परमाणु ढांचेको खत्म कर लो, लेकिन ईरान ने साफ शब्दों में कह दिया कि यह नहीं हो सकता. आप कुछ भी कर लीजिए. जानें पूरा मामला.
सीजफायर के बाद जम्मू-कश्मीर में पहला एनकाउंटर, सुरक्षाबलों ने शोपियां में मार गिराए 3 आतंकी
Shopian Terrorist Encounter: जम्मू-कश्मीरे के शोपियां में आतंकवादियों और सुरक्षाबलों के बीच मुठभेड़ जारी है. इनमें से अबतक 3 आतंकियों का एनकाउंटर कर दिया गया है.
Recep Tayyip Erdogan: तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन पिछले कुछ सालों से वैश्विक मंच पर मुस्लिम देशों के नेता बनने की कोशिश में हैं. यानी वह खुद को मुस्लिम समुदाय का 'खलीफा' साबित करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ रहे हैं. लेकिन उनकी नीतियों ने बहुत नुकसान भी पहुंचाया है. सरल शब्दों में कहे तो तुर्की जिस भी देश से दोस्ती करता है वह बर्बाद हो जाता है. जानें कैसे?
कैमरा देखते ही कोकीन छिपाने लगे फ्रांस के राष्ट्रपति, क्या है वायरल वीडियो का सच?
France President: हाल ही में इंटरनेट पर फ्रांसीसी राष्ट्रपति का एक वीडियो खूब वायरल हो रहा है, जिसमें बताया जा रहा है कि वह कोकेन ड्रग्स का सेवन कर रहे हैं.
Trump accept Qatar jet gift as Air Force One: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को कतर के शाही परिवार ने उपहार के तौर पर 400 मिलियन डॉलर के लग्जरी विमान को गिफ्ट किया है. जिसके बाद अमेरिका में बवाल मच गया है. ट्रंप ने इस मामले में अपना बयान जारी किया है.
अमेरिका में 2 भारतीय छात्रों का दर्दनाक एक्सीडेंट, मौके पर हुई मौत
Indian Students In Us: अमेरिका में 2 भारतीय छात्रों की सड़क दुर्घटना में दर्दनाक मौत हो गई है. छात्र तेज स्पीड में गाड़ी चला रहे थे. इस दौरान गाड़ी उनके कंट्रोल से बाहर लनिकल गई.
US China tariff war: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपनी बातों से कब पलट जाएं किसी को कुछ नहीं पता. ट्रंप इसी साल चीन को बर्बाद करने के लिए टैरिफ वार करने लगे थे. 145% ट्रैरिफ लगाकर पूरी दुनिया में हाहाकार मचा दिया था. लेकिन यही ट्रंप अब अचानक बदल गए हैं और हालात यह है कि 115% टैरिफ को घटाकर चीन से व्यापार करने जा रहे हैं. जानें पूरा मामला.