भारत और कुवैत को डिप्लोमेसी ने नहीं, दिलों ने आपस में जोड़ा है... PM मोदी के संबोधन की 5 बड़ी बातें
PM Modi Kuwait Visit: कुवैत में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि 'भारत और कुवैत, अरब सागर के दो किनारों पर बसे हैं. हमें सिर्फ डिप्लोमेसी ने ही नहीं, बल्कि दिलों ने आपस में जोड़ा है.'
Kuwait airlift:2 अगस्त 1990 को जब इराक के राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन के आदेश पर कुवैत पर हमला किया था तो लाखों लोग बेघर हो गए थे. उस समय कुवैत में करीब 1,70,000 भारतीय रहते थे, जिनकी जान अचानक खतरे में पड़ गई. इराक की सेना ने कुवैत के कुछ शहरों को लूट रही थी. वहां के लोग लाचार थे और सद्दाम के सैनिकों के आतंक का खौफ लोगों के दिलो दिमाग में तारी था.
Adani Group And The US Department of Justice: नॉर्वे के राजनयिक एरिक सोलहेम ने अडानी समूह पर अमेरिकी मुकदमे को पूर्णतः अमेरिकी अतिक्रमण करार दिया है. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि इस प्रकार का अमेरिकी अतिक्रमण दुनिया के लिए भी नुकसानदेह है.
Russia Ukraine War Update: यूक्रेन ने ड्रोन्स के जरिए रूस के कजान शहर में रिहायशी इमारतों को निशाना बनाया है. तीन दिन पहले, मास्को में टॉप रूसी जनरल और केमिकल वेपंस चीफ इगोर किरिलोव को मौत के घाट उतार दिया गया था. हालिया घटनाक्रम से, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की टेंशन जरूर बढ़ गई होगी.
सड़क पर खड़े होकर जहां तक नजर जाती है, सिर्फ टूटी इमारतें दिखती हैं। ये सीरिया की राजधानी दमिश्क से करीब 7 किमी दूर बसा अल यारमुक शहर है। 14 साल पहले तक खुशहाल था, अब किसी भुतहा शहर की तरह दिखता है। यहां के लोग असद सरकार और विद्रोहियों के बीच चली जंग की जिंदा कहानी हैं। इनमें ज्यादातर फिलिस्तीन के शरणार्थी हैं, जो 1948 में अरब-इजराइल युद्ध के दौरान बेघर हो गए थे। यहां मिले बच्चे बताते हैं कि जब वे पैदा हुए, तब भी बम बरस रहे थे। असद आर्मी ने टैंकों से हमारे घर तोड़ दिए। ऊपर दिए वीडियो में देखिए अल यारमुक की कहानी। .................................. सीरिया से जुड़ी ये खबरें भी पढ़िए... सीरिया के तख्तापलट से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें... 1. खुला बॉर्डर, चेकिंग नहीं, HTS लड़ाका बोला- वेलकम टू न्यू सीरिया मासना चेक पॉइंट लेबनान और सीरिया के बीच इंटरनेशनल बॉर्डर है। यहां से सीरिया की राजधानी दमिश्क करीब 50 किमी दूर है। बॉर्डर के एक तरफ तो लेबनानी जनरल सिक्योरिटी के जवान हैं, लेकिन दूसरी तरफ चेक पोस्ट खाली है। सेना या सिक्योरिटी फोर्स की जगह विद्रोही संगठन HTS के लड़ाके हैं। वे कहते हैं, असद भाग गया है। अब नए सीरिया में आपका स्वागत है। पढ़ें पूरी खबर... 2. वीडियो में देखिए दमिश्क की सुबह, तानाशाह असद के देश छोड़ने पर क्या कह रहे लोग सीरिया की कवरेज के पहले दिन भास्कर रिपोर्टर वैभव पलनीटकर राजधानी दमिश्क की सुबह देखने निकले। दिन शुक्रवार था। इस दिन छुट्टी होती है, इसलिए सड़कों पर चहल-पहल कम दिखी। वैभव ने लोगों से पूछा कि असद सरकार गिरने पर वे क्या सोचते हैं। इसी दौरान असद सरकार को हराने वाले संगठन हयात तहरीर अल शाम (HTS) के एक लड़ाके से मुलाकात हो गई। वीडियो में देखिए
Murder of Samuel Paty: मुस्लिम धर्म प्रचारक अब्देलहकीम सेफ्रीउई को पैटी के खिलाफ ऑनलाइन घृणा अभियान चलाने के लिए 15 साल की सजा दी गई. पैटी की हत्या के समय ब्राहिम की बेटी 13 साल की थी. उसकी बेटी ने दावा किया था कि जब पांच अक्टूबर 2020 को पैटी ने कार्टून दिखाए तो उसे उनकी कक्षा से बाहर कर दिया गया था.
66 साल पुरानी बंदर की बीमारी ने 2024 में मचाया कोहराम, 1260 लोगों की मौत, 70 हजार लोगों की जान अटकी
Africa mpox outbreak: अगर आपसे हम कहें कि जो बीमारी आज से 1958 में बंदरों में पाई जाती थी, वह अब 2024 में इंसानों को मार रही है तो आप शायद यकीन ही न करें. लेकिन यह सच है. अफ्रीका में एमपॉक्स नामक बीमारी से कई सौ लोगों की मौत हो चुकी है. हजारों परेशान हैं. जानें पूरी खबर.
China’s H-20 Stealth Bomber: दुनिया में सबसे अधिक ताकतवर कौन? इस बात की हमेशा से चर्चा होती रहती है. अमेरिका और चीन में इसको लेकर आए दिन बयानबाजी भी होती है. लेकिन चीन अमेरिका को टक्कर देने के लिए अब बयानबाजी तक ही सीमित नहीं है, बल्कि ऐसे हथियार बना रहा है, जिसके दमपर वह पूरी दुनिया में खुद की ताकत का लोहा मनवा पाए. कुछ ऐसा ही हुआ है इस बार खतरनाक स्टेल्थ फाइटर जेट H-20 के बारे में जानें पूरी कहानी.
कौन है शेख हसीना को हटाने वाला और यूनुस का चहीता महफूज आलम? भारतीय राज्यों को बता रहा अपना
Who is Mehfooz Alam: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख डॉ मोहम्मद यूनुस ने हाल ही में अपनी चहीते महफूज आलम को लेकर कई तरह के दावे किए हैं. साथ ही उसकी एक पोस्ट को लेकर भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी कड़ा रुख अपनाते हुए बांग्लादेश के सामने अपनी शिकायत रखी है.
No-Confidence Motion Against Justin Trudeau: भारत का विरोध करने वाले कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कभी सोचा ही नहीं होगा कि एक दिन उनके ही देश में उनकी ऐसी भद्र पिटने वाली है. भारत को आंख दिखाने वाले कनाडा के प्रधानमंत्री की कुर्सी जाने के आसार दिखने लगे हैं. आइए जानते हैं आखिर किसने ट्रूडो के खिलाफ कर दी बगावत, कौन कुर्सी लेने की कर रहा बात. क्या है ट्रूडो के पास अब विकल्प.
जिजेल से बलात्कार के दोषी पूर्व पति डोमिनिक पेलीकोट समेत 51 लोगों को फ्रांस में सजा सुनाई गई है। डोमिनिक अपनी पत्नी को नींद और नशे की गोलियां खिलाकर अनजान पुरुषों से बलात्कार करवाता था। उसने अपनी बेटी और प्रेग्नेंट बहू की भी अश्लील तस्वीरें ली थीं। जिजेल की बहादुरी की वजह से ये केस एक मिसाल बन चुका है। पूरा मामला क्या है, अपनी ही पत्नी का रेप क्यों करवाता था डोमिनिक, फ्रांस जैसे विकसित देशों में 10 साल तक इसका खुलासा क्यों नहीं हो पाया; जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में… सवाल 1: जिजेल पेलीकोट के साथ पति और अनजान लोगों के मास रेप का खुलासा कैसे हुआ?जवाबः 70 वर्षीय डोमिनिक पेलीकोट साउथ फ्रांस के एक छोटे शहर माजान में अपनी पत्नी जिजेल के साथ रहता था। वो बिजली कंपनी से रिटायर्ड कर्मचारी है और पत्नी जिजेल एक मल्टीनेशनल कंपनी में मैनेजर थी। दोनों की 1973 में शादी हुई और उनके 3 बच्चे हैं। 12 सितंबर 2020 को भी डोमिनिक माजान के एक सुपरमार्केट में महिलाओं के अश्लील वीडियो बना रहा था। तभी वहां मौजूदा गार्ड ने उसे पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया। पुलिस को उसके मोबाइल की जांच में कई महिलाओं के अश्लील वीडियो मिले। इसके बाद पुलिस ने डोमिनिक के घर पर जांच के लिए छापा मारा। पुलिस को डोमिनिक के घर से दो फोन, एक कैमरा, एक वीडियो रिकॉर्डर और लैपटॉप जब्त किया। जांच में पुलिस को उसके कंप्यूटर से 20 हजार से ज्यादा अश्लील वीडियो और फोटो मिले। ये डेटा डोमिनिक के कंप्यूटर में ‘अब्यूस्ड’, ‘हर रेपिस्ट’ और ‘नाइट अलोन’ नाम के फोल्डर में मौजूद था। 2 नवंबर 2020 को पुलिस ने जिजेल को पुलिस स्टेशन बुलाया और उसके पति के लैपटॉप से मिले वीडियो और फोटो दिखाए। इस डेटा में जिजेल के भी वीडियो थे। जिजेल के साथ नशे की हालत में 72 पुरुषों ने रेप किया था। सवाल 2ः जांच और ट्रायल में क्या-क्या सामने आया, जिसे सुनकर दुनिया दंग गई?जवाबः 2010 में डोमिनिक को पहली बार गिरफ्तार किया गया था। वे पेरिस के एक शॉपिंग मॉल में महिलाओं की स्कर्ट के नीचे से वीडियो बनाते हुए पकड़ा गया था। वे एक पेन में हिडेन कैमरा लगाकर वीडियो बना रहा था। डोमिनिक को गिरफ्तार करके 100 यूरो का जुर्माना लगाया गया था। 2011 से डोमिनिक ने पत्नी जिजेल को नशीली दवा देना शुरू किया। वे जिजेल के खाने-पीने की चीजों में नशीली दवाएं मिलाने लगा। इस दौरान जिजेल को महसूस हुआ कि वह बिना किसी वजह के दिनभर सोती रहती हैं। उन्हें यह भी याद नहीं रहता कि पिछली शाम उनके साथ क्या-क्या हुआ। जिजेल को लगा उन्हें अल्जाइमर और सर्वाइकल की बीमारियां हो गई हैं। जिजेल को दवाओं का आदी बनाने के बाद डोमिनिक अपने घर के आसपास रहने वाले लोगों को सेक्स गेम खेलने के लिए बुलाने लगा। डोमिनिक ने लोगों से कहा, इस गेम में वे लोग जिजेल के साथ सेक्स करेंगे और इसमें जिजेल की भी रजामंदी है। डोमिनिक सावधानी के लिए कई निर्देश भी देता था। वे आरोपियों को जिजेल को छूने से पहले उनके हाथ गरम पानी से धुलवाता था ताकि ठंडे हाथों से छूने पर जिजेल की नींद न खुले। सिगरेट, परफ्यूम या कोई भी निशानी कमरे में प्रतिबंधित थी। पुलिस को जांच में डोमिनिक के गैरेज से एक पेनड्राइव भी मिली। इसमें वे सभी अश्लील वीडियो और फोटोज का डेटा इकट्ठा करता था। डोमिनिक के पास से अपनी बेटी केरोलिन, बहू अरॉर और सेलिन की अश्लील तस्वीरें भी मिलीं। इसके बाद जिजेल ने 2020 में डोमिनिक को तलाक दे दिया। सवाल 3: जिजेल का पति डोमिनिक अनजान लोगों से अपनी पत्नी का रेप क्यों करवाता था?जवाबः डोमिनिक के साइक्लॉजी एक्सपर्ट डॉ. लॉरेंट लेयेट के मुताबिक, डोमिनिक मानसिक रूप से बीमार नहीं था। वे स्प्लिट पर्सनालिटी का शिकार है। डोमिनिक के दिमाग में दो तरह के इंसान हैं। एक वो जो महिलाओं के अश्लील वीडियो बनाता था। अपनी पत्नी के साथ 72 अलग-अलग पुरुषों से रेप करवाया और वीडियो बनवा ली। जिसने अपनी प्रेग्नेंट बहू की नहाते समय फोटोज खींच ली। वहीं, उसकी दूसरी पर्सनालिटी एक फैमिली मैन की है। डोमिनिक की दूसरी पर्सनालिटी पारिवारिक व्यक्ति की थी। डोमिनिक को फ्रांस के ग्रामीण इलाकों में साइकिल चलाना पसंद था। वे अपने बेटे और पोते को फुटबॉल मैच दिखाने ले जाता था। डोमिनिक के बड़े बेटे डेविड ने कहा, मेरे माता-पिता हमारे लिए बर्थडे की सरप्राइज पार्टी ऑर्गनाइज करते थे। हमारे सभी दोस्त इस पार्टी में शामिल होते थे। मेरे दोस्त मेरे पिता को रोल मॉडल के रूप में देखते थे। मेरे पिता मेरे दोस्तों के साथ नाचते थे और साथ बैठकर खाना खाते थे। आज मेरे दोस्तों को यकीन नहीं होता कि मेरे पिता फ्रांस के इतिहास के सबसे भयानक रेपिस्ट बन गए। सवाल 4: जिजेल के मास रेप के आरोपी पुरुष कौन हैं?जवाबः जिजेल के मास रेप में डोमिनिक के अलावा 50 अन्य पुरुष आरोपी बने। एविगनन की कोर्ट ने 47 लोगों को रेप का दोषी पाया। 2 लोगों को रेप करने की कोशिश और 2 को यौन उत्पीड़न का दोषी करार दिया। रेप करने वाले 50 अन्य लोगों में फायर मैन, ट्रक ड्राइवर, बैंक कर्मचारी, बिल्डर, मजदूर और पत्रकार जैसे अलग-अलग प्रोफेशन के लोग शामिल थे। इनमें से ज्यादातर आरोपी माजान के 50 किलोमीटर की रेंज में मौजूद गांव-कस्बों में रहते हैं। इन्होंने 2013 से 2020 के बीच जिजेल से रेप किया। इस दौरान इन आरोपियों की उम्र 23 साल से 73 साल के बीच थी। वीडियो फुटेज के आधार पर जिजेल के साथ रेप करने वाला पहला आरोपी एड्रियन लॉन्गरॉन था। एड्रियन ने 2014 में जिजेल के साथ रेप किया था। इस समय उसकी उम्र सिर्फ 24 साल और जिजेल की 62 साल थी। इसके अलावा आरोपियों में 63 साल के रोमेन वी भी हैं। रोमेन ने HIV पॉजिटिव होने के बावजूद जिजेल के साथ 6 बार बिना प्रोटेक्शन के सेक्स किया। इसके अलावा 2 बेटियों के पिता क्रिस्टियन लेस्कोल ने भी जिजेल के साथ रेप किया। 43 वर्षीय बिल्डर हुसामेत्तिन डोगन भी रेप में शामिल है। वहीं, 40 वर्षीय रेडौने अजूगाघ ने जिजेल के साथ रेप किया। रेडौने की दो पत्नियां हैं, जिनसे 4 बच्चे भी हैं। रेडौने पर घरेलु हिंसा के भी आरोप लग चुके हैं। सवाल 5: दोषी सजा तक कैसे पहुंचे और उन्हें कितनी सजा हुई है?जवाबः 9 नवंबर 2021 को डोमिनिक के फोन कॉल, स्काइप, व्हाट्सएप से मिले सबूतों के आधार पर आरोपियों की पहली गिरफ्तारी हुई। इसके साथ ही पुलिस ने फुटेज में दिख रहे लोगों की तलाश शुरू कर दी थी। इसके बाद 50 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया। बाकी 21 आरोपियों की पहचान नहीं हुई। 2 सितंबर, 2024 को फ्रांस की एविगनन की अदालत में डोमिनिक सहित 51 आरोपियों पर मुकदमा शुरू हुआ। सुनवाई के दौरान कुछ आरोपी तो निडर दिखे लेकिन ज्यादातर जजों के सवालों का जवाब देते हुए नजरें झुकाए हुए थे। क्रिस्टियन एल ने सफाई देते हुए कहा कि मेरा शरीर रेप कर रहा था, लेकिन मेरा दिमाग नहीं। BBC की रिपोर्ट के मुताबिक, 54 साल के अहमद ने कहा कि अगर वे किसी के साथ रेप करना चाहते तो 60 साल से ऊपर की महिला को नहीं चुनते। इसके अलावा कुछ ने कहा कि उन्हें ऐसा करने के लिए डोमिनिक ने धमका कर कहा था। इन सभी बातों का डोमिनिक ने खंडन किया और कहा कि उसने पहले ही बता दिया था कि उनकी पत्नी इससे अनजान है। जिजेल ने कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि ऐसा नहीं है कि बंदूक रखकर किसी ने आरोपियों से यह करवाया हो। उन्होंने मेरा बलात्कार अपनी इच्छा से किया। उन्होंने यह फैसला सोच-समझकर लिया। जिजेल ने कहा, अगर ऐसा नहीं था तो सेक्स करने के बाद भी इनमें से कोई पुलिस के पास क्यों नहीं गया? अगर किसी ने एक फोन भी पुलिस को किया होता, तो मेरा जीवन बचाया सकता था। लेकिन उनमें से किसी एक ने भी ऐसा नहीं किया। कोर्ट ने भी केस में वीडियो सबूत को आधार बनाया और ये माना कि जब जिजेल के साथ रेप किया गया वो होश में नहीं थी। कोर्ट ने मामले में डोमिनिक को 20 साल की सजा सुनाई। इसके अलावा जिजेल से रेप करने वाले 50 आरोपियों को दोषी मानते हुए 3 से 18 साल की सजा सुनाई गई। रोमेन वी को 18 साल, ज्यां पियरे मार्शेल को 12 साल, शार्ली आर्बो को 13 साल, क्रिस्टियन लेस्को को 9 साल और लायोनेल रॉड्रिग्ज को 8 साल की सजा सुनाई। आरोपियों के पास अपनी सजा के खिलाफ अपील करने के लिए 29 दिसंबर तक का समय है। सवाल 6: जिजेल एक मिसाल कैसे बनीं, उनका स्कार्फ चर्चा में क्यों?जवाबः अल जजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, जिजेल पेलीकोट ने कहा कि वे मानती थीं कि वह एक परफेक्ट मैरिज रिलेशन में थीं। लेकिन डोमिनिक ने उनके साथ जो किया, इससे वे टूट गईं। उन्होंने सभी आरोपियों को सजा दिलाने के लिए मुकदमें में 'नाम न बताने' के अधिकार को खत्म कर दिया। उन्होंने केस के दौरान अपनी पहचान उजागर कर दी, क्योंकि वे महिलाओं के लिए मिसाल बनना चाहतीं थी। जिजेल ने जज को रेप की वीडियो रिकॉर्डिंग जनता और मीडिया के लिए सार्वजनिक करने के लिए भी राजी कर लिया। उनके वकीलों ने जिजेल की वीडियो सार्वजनिक होने के बाद इस फैसले को जीत बताते हुए कहा, अगर यही सुनवाई, अपने प्रचार के जरिए दूसरी महिलाओं के साथ रेप होने से रोक सकती हैं, तो जिजेल को असल न्याय मिल जाएगा। 19 दिसंबर को कोर्ट के फैसले के दिन जिजेल पेलीकोट गले में स्कार्फ पहनकर पहुंची। यह स्कार्फ उन्हें ऑस्ट्रेलिया की ओल्डर वूमन नेटवर्क ऑर्गनाइजेशन की ओर से तोहफे में दिया गया। जिजेल को उनकी बहादुरी के लिए यह तोहफा मिला था। जिजेल ने यह स्कार्फ सभी सुनवाई के दौरान पहना। ऑर्गनाइजेशन ने जिजेल से कहा, ‘देखिए, आप अकेली नहीं है। दुनियाभर की महिलाएं आपका समर्थन कर रही हैं।’ सवाल 7: इस केस ने फ्रांस जैसे विकसित देश को भी कैसे झकझोर दिया, क्या भारत में भी कोई असर?जवाबः यूरोपियन इंस्टिट्यूट फॉर जेंडर इक्वॉलिटी के मुताबिक, फ्रांस में करीब 44% महिलाएं हिंसा का शिकार हैं। यह आंकड़ा यूरोपीय संघ के औसत 11% के आकड़े का 4 गुना है। फ्रांस में पति या बॉयफ्रेंड की ओर से की गई हिंसा से हर तीसरे दिन एक महिला की मौत होती है। 14 सितंबर 2024 को जिजेल के समर्थन में फ्रांस के करीब 30 शहरों में महिला अधिकार समूहों ने रैलियां निकाली। इन रैलियों में कई महिलाओं की तख्तियों पर लिखा था 'हम सर्वाइवर पर भरोसा करते हैं।' रैली में शामिल एक महिला ने कहा, मैं यहां जिजेल और बाकी महिलाओं का समर्थन करने आई हूं, क्योंकि हमारे आस-पास और भी कई जिजेल हैं। इस मामले में जिजेल के साथ मास रेप ही नहीं, बल्कि उनका मानसिक शोषण भी किया गया। 62 साल की उम्र में उनके साथ 24 साल के लड़के ने रेप किया। HIV पॉजिटिव पुरुष ने रेप किया और सभी 72 पुरुषों के रेप करने की वीडियो भी बनाई गई। इनमें भी कई लोग 1 से ज्यादा बार जिजेल के साथ रेप कर चुके। जिजेल का केस सिर्फ यौन हिंसा के आंकड़ों पर निर्भर नहीं है। यह यौन हिंसा के बाद पीड़िता के साथ सामाजिक बर्ताव को भी बदलता है। आमतौर पर ऐसी हिंसा के बाद पीड़िता को ही शर्मिंदा किया जाता है। भारत में ये आम बात है, लेकिन इसके बाद नजरिया बदलने की संभावना है। गलत को गलत कहे जाने की उम्मीद है। जिससे पीड़ित महिलाओं को न्याय मिल सके और महिलाओं के खिलाफ अपराध में कमी आए। रिसर्च सहयोग- आयुष अग्रवाल ---------- रेप से जुड़ी अन्य खबर पढ़ें वीके सिंह बोले-पाकिस्तान आर्मी ने 400 महिलाओं से रेप किया: कैंप में कई नग्न, कुछ गर्भवती थीं, रिटायर्ड जनरल ने बताए 1971 की जंग के हालात 16 दिसंबर के ही दिन 1971 के युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को खदेड़ा और बांग्लादेश बनाया था। इस लड़ाई में भारतीय सेना के पूर्व अध्यक्ष जनरल वीके सिंह भी शामिल हुए। उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच जंग के हालात को लेकर रायपुर में दैनिक भास्कर से बातचीत की। वे यहां एक मैराथन इवेंट में शामिल होने पहुंचे थे। पूरी खबर पढ़ें...
मासना चेक पॉइंट लेबनान और सीरिया के बीच इंटरनेशनल बॉर्डर है। यहां से सीरिया की राजधानी दमिश्क करीब 50 किमी दूर है। बॉर्डर के एक तरफ तो लेबनानी जनरल सिक्योरिटी के जवान हैं, लेकिन दूसरी तरफ चेक पोस्ट खाली है। इजराइल के हमलों के दौरान सीरिया भागे लेबनानी लौट रहे हैं। उनके लौटने की वजह है, 8 दिसंबर को सीरिया में हुआ असद सरकार का तख्तापलट। सीरिया में अब हयात तहरीर अल शाम (HTS) नाम के संगठन का कब्जा है। ये ISIS और अल कायदा से जुड़ा रहा है और एक घोषित आतंकी संगठन है। करीब ढाई महीने पहले भी 5 अक्टूबर को मैं मासना चेक पॉइंट पर था। तब इजराइल लगातार लेबनान पर बमबारी कर रहा था। लोग सीरिया भाग रहे थे, लेकिन अब नजारा उलटा है। सीरिया के लोग असद के जाने से खुश तो हैं, लेकिन HTS भी सवालों के घेरे में है। बॉर्डर पर कारों की लंबी लाइन है। मासना से थोड़ा आगे बढ़ने पर HTS लड़ाका हमें रोकता है। जैसे ही वो प्रेस कार्ड देखता है, मुस्कुराकर कहता है- ‘वेलकम टू न्यू सीरिया…।’ दिल्ली से दमिश्कतीन देश और 5,690 किमी का सफरHTS के लड़ाके 6 दिसंबर को दारा शहर जीतने के बाद दमिश्क की तरफ बढ़े और दो दिन बाद उस पर कब्जा कर लिया। विद्रोही गुटों ने 24 साल से कायम असद की सत्ता को सिर्फ 11 दिन में हरा दिया। 27 नवंबर से उन्होंने इदलिब से अभियान शुरू किया और 8 दिसंबर को वे दमिश्क में थे। हालांकि, मेरे लिए दमिश्क पहुंचना आसान नहीं रहा। एयरपोर्ट बंद, एम्बेसी बंद, तो ऐसे में वीजा कहां से मिले और जाएं कैसे, यही सबसे बड़ा सवाल था। सीरिया का बॉर्डर 5 देशों से सटा हुआ है- तुर्किए , इराक, जॉर्डन, इजराइल और लेबनान। सीरिया में तख्तापलट के बाद से ही इजराइल ने बॉर्डर पर मौजूद गोलान हाइट्स के एक हिस्से पर कब्जा कर लिया है। उधर से जाने का फिलहाल कोई रास्ता नहीं है। इराक बॉर्डर से लगे सीरियाई हिस्से पर आतंकी संगठन ISIS के कई गुटों का कब्जा है। वहां से दाखिल होने का ऑप्शन ही नहीं था। तुर्किए का बॉर्डर राजधानी दमिश्क बहुत दूर है और ये भी बार-बार बंद हो रहा है। ऐसे में लेबनान से सीरिया में दाखिल होना थोड़ा आसान लगा। अक्टूबर में इजराइल-हिजबुल्लाह की जंग के दौरान मैंने इस बॉर्डर से रिपोर्ट भी की थीं। तय किया कि लेबनान के रास्ते ही सीरिया जाएंगे। इस्तांबुल, बेरूत और फिर दमिश्क का सफरमैंने दिल्ली के IGI इंटरनेशनल एयरपोर्ट से बेरूत की फ्लाइट ली। फ्लाइट कनेक्टिंग थी, तुर्किए की राजधानी इस्तांबुल स्टॉपेज था। यहां कुछ घंटे रुकने के बाद मैं लेबनान की राजधानी बेरूत के लिए निकला। बेरूत जा रही फ्लाइट में भी माहौल बदला हुआ नजर आया। अक्टूबर में जब मैं इसी रूट से बेरूत गया था, तो वहां इजराइली बमबारी जारी थी और फ्लाइट की ज्यादातर सीटें खाली थीं। इस बार ये किसी आम फ्लाइट की तरह ही थी। सीटें भरी हुईं हैं, अच्छी खासी चहल-पहल और बेफिक्र दिख रहे महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग, कामकाजी लोग नजर आ रहे हैं। करीब डेढ़ घंटे के सफर के बाद विंडो से बेरूत शहर दिखने लगा। पिछली बार की तरह इस बार बेरूत के ऊपर काला धुआं नहीं, बल्कि साफ आसमान था। बेरूत एयरपोर्ट से निकलने के बाद मैं उसी दाहिया से गुजरा, जो कभी हिजबुल्लाह का गढ़ था। जंग के निशान अब भी बाकी हैं, चारों तरफ टूटी इमारतों का मलबा पड़ा है। रास्ते में हर जगह हिजबुल्लाह के पुराने चीफ नसरल्लाह के पोस्टर लगे हैं। साथ में नए चीफ नईम कासिम के पोस्टर भी दिख रहे हैं। हम बेरूत से सीरिया की तरफ अल-मासना बॉर्डर चेक पॉइंट की तरफ बढ़ रहे थे। बेरूत से करीब 80 किमी दूर अल-मासना चेक पोस्ट दमिश्क तक जाने वाले हाईवे पर आखिरी चेक पॉइंट है। दो घंटे तक पहाड़ी रास्तों पर सफर कर हम अल-मासना चेक पॉइंट पर पहुंचे। बॉर्डर पार करने के पहले कैब के लिए एक्स्ट्रा डीजल लिया। सीरियन करेंसी भी ले ली। हमें पता चल गया था कि तख्तापलट के बाद से सीरिया में कैश और फ्यूल की सप्लाई कम हो गई है। बॉर्डर पर दोनों तरफ भीड़, जंग से बचकर भागे रिफ्यूजी अपने देश लौट रहेलेबनान और सीरिया के बीच कई बॉर्डर चेक पॉइंट हैं, लेकिन तख्तापलट के बाद से सिर्फ अल-मासना चेक पॉइंट ही खुला है। पूरे इलाके में कारें ही दिख रही थीं। बैग और लोगों से भरी गाड़ियां सीरिया से लेबनान की तरफ भी आ रही हैं। ये लोग अब तक सीरिया में रह रहे थे, लेकिन वहां हुए बदलाव के बाद लौट रहे हैं। शायद उन्हें पहले से युद्ध में फंसा अपना देश ज्यादा सेफ लगने लगा है। दूसरी तरफ लेबनान से सीरिया जाने वाले रास्ते में भी सामान और लोगों से लदी गाड़ियां दिख रही थीं। ये लोग असद सरकार के सताए हुए थे और अब सीरिया अपने घरों को लौट रहे हैं। चेक पॉइंट पर हमने लेबनानी जनरल सिक्योरिटी का स्टांप लगवाया और कागजी कार्रवाई के बाद बॉर्डर पार कर लिया। यही वो जगह थी, जहां से आगे की एंट्री पर हमारा पूरा प्लान टिका था। परमिशन मिलते ही राहत महसूस होने लगी। भारी ट्रैफिक के बीच हम धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे थे। हमें पहले ही हिदायत मिल गई थी कि चेक पॉइंट के आसपास वीडियो या फोटो नहीं लेना है। करीब एक किमी आगे बढ़ने पर हम बफर जोन में पहुंच गए। ये नो मेंस लैंड है, जहां सीरिया और लेबनान दोनों की फौजें नहीं होती। हिजबुल्लाह और इजराइल जंग की कवरेज के दौरान भी हम इस इलाके में आए थे। तब इजराइल ने एयर स्ट्राइक कर हाईवे उड़ा दिया था। इससे सीरिया और लेबनान के बीच कनेक्टिविटी टूट गई थी। अब स्ट्राइक वाली जगह हुआ गड्ढा भर दिया गया है। बफर जोन से गुजरते हुए कई ऐसे लोग दिखे, जो लेबनान से पेट्रोल-डीजल ला रहे थे। सरकार गिरने के बाद सीरिया में पेट्रोल-डीजल महंगे हो गए हैं। इसलिए ये लोग लेबनान से फ्यूल लाकर सीरिया में बेच रहे हैं। यहां से सीरिया में एंट्रीकस्टम पर सरकारी अफसर नहीं, असद को हराने वाले HTS के बंदूकधारी लड़ाकेबफर जोन पार करते ही जगह-जगह सीरिया का नेशनल फ्लैग दिखने लगता है। एंट्री गेट के ऊपर बशर-अल-असद का फटा पोस्टर लगा था। असद की फोटो पर कालिख पुती है। 8 दिसंबर को प्रदर्शनकारियों ने बशर-अल-असद से जुड़े प्रतीकों पर अपना गुस्सा उतारा था। सीरिया में दाखिल होने पर कस्टम डिपार्टमेंट के गेट पर बंदूक लिए एक लड़ाके ने हमें रुकने का इशारा किया। हम रुके और शीशा नीचे करके कहा- ‘सहाफी-सहाफी’ … जर्नलिस्ट को अरबी भाषा में सहाफी कहते हैं। ये सुनते ही बंदूकधारी मुस्कुराया और बोला- ‘यल्ला हबीबी.. Welcome to new Syria.’ हमारे ड्राइवर ने उससे अरबी में बात की। वो बोला- मैं हयात तहरीर अल-शाम का फाइटर हूं। मुझे इस चेकपॉइंट पर तैनात किया गया है। सीरिया में आपका स्वागत है। असद भाग गया है, अब फिक्र की बात नहीं। कस्टम गेट से आगे की सड़क सूनी पड़ी है। सूखे पहाड़ों से गुजरते घुमावदार रास्ते पर हर जगह असद की आर्मी और विद्रोही गुटों की झड़प के निशान दिख रहे थे। लोगों के नाम पर सिर्फ नकाबपोश बंदूकधारी हैं। ये आर्मी की गाड़ियों और बाइक से घूम रहे हैं। रास्ते में असद आर्मी के टूटे टैंक, सैनिक इन्हें छोड़कर भागेआगे बढ़ने पर हमें एक टैंक और आर्मी की जीप दिखी। टैंक के आगे के कुछ हिस्से टूटे हुए थे। जीप के सारे कांच टूटे थे। हम यहां रुके और टैंक को करीब से देखा। अब तक समझ आ चुका था कि विद्रोही गुटों और आर्मी के बीच कोई बड़ी जंग नहीं हुई। असद की आर्मी, विद्रोही गुटों के आने की खबर सुनकर अपने टैंक और गाड़ियां छोड़कर भाग खड़ी हुई। विद्रोही लड़ाकों ने इन टैंकों और गाड़ियों पर कब्जा कर लिया। दमिश्क पर जीत की खुशी में इन्हीं पर चढ़कर खुशी में फायरिंग की। हम फिर दमिश्क के रास्ते पर आगे बढ़े। ये रास्ता पहाड़ों से गुजरता है। पहाड़ की ऊंचाई पर पहुंचने के बाद हमें एक शहर नजर आने लगा। हमारा ड्राइवर बोला- We have reached Damascus my brother, यानी हम दमिश्क पहुंच गए मेरे भाई। दमिश्क में सब नॉर्मल, पुरानी सरकार के अधिकारी भागेहमें लगा था कि दमिश्क में आपाधापी का माहौल होगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं दिखा। सड़कों पर ट्रैफिक है। सारी इमारतों पर सीरिया का झंडा लगा है। तख्तापलट की खुशी में लोगों ने जगह-जगह सीरियाई झंडे लगा रखे हैं। अब हमें इंफॉर्मेशन मिनिस्ट्री जाना था। वहां हयात तहरीर अल-शाम के लोगों से मिलना था। अब तक हमारे पास सीरिया में एंट्री और यहां काम करने की परमिशन नहीं थी। परमिशन लेते किससे, पुरानी सरकार के सारे अधिकारी भाग गए हैं। हम आईटी मिनिस्ट्री पहुंचे, तो वहां कुछ लड़के मिले। उन्होंने हमारा स्वागत किया और बोले- ‘Welcome to home, you are in new Syria. यही बात हमसे बॉर्डर पर लड़ाके ने कही थी। इन बातों से लग गया कि असद सरकार गिरने के बाद सीरिया पहले जैसा नहीं रहा। अब ये नया सीरिया है। कागजी कार्रवाई के बाद हमें अंतरिम सरकार और हयात तहरीर अल-शाम से परमिशन का लेटर मिल गया। अब हम दमिश्क के अलावा सीरिया में अंतरिम सरकार के कंट्रोल वाले हिस्से में कवरेज कर सकते हैं। अगले कुछ दिन आपको वीडियो और एक्सक्लूसिव स्टोरीज के जरिए बताएंगे कैसा है विद्रोहियों के कब्जे वाला नया सीरिया। ग्राफिक में देखिए सीरिया में तख्तापलट की कहानी और अहम किरदार ................................. सीरिया के तख्तापलट से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें1. लोग बोले- असद सरकार का गिरना सपने जैसा, भारत की मुश्किलें बढ़ेंगी 8 दिसंबर को विद्रोही लड़ाकों की फौज सीरिया की राजधानी दमिश्क में घुसी। तभी खबर आई कि राष्ट्रपति बशर अल-असद देश छोड़कर भाग गए हैं। लोग जश्न मनाने लगे। बोले- ये सपने की तरह है। सीरिया में तानाशाही चल रही थी। अब हर कोई खुश दिख रहा है। हालांकि, एक्सपर्ट मानते हैं कि सीरिया में बदलाव का असर भारत समेत दूसरे देशों पर भी होगा। भारत के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं। पढ़ें पूरी खबर... 2. डॉक्टरी की पढ़ाई छोड़ जिहादी बना जुलानी, अल कायदा को धोखा देकर असद की हुकूमत खत्म की 11 दिन में असद को सत्ता से बेदखल करने के पीछे 42 साल का सुन्नी नेता अबू मोहम्मद अल-जुलानी है। वो ISIS बनाने वाले अबू बकर अल बगदादी का लेफ्टिनेंट रह चुका है। 2016 में जुलानी ने अल कायदा से अलग होने का ऐलान कर सबको चौंका दिया। 2018 में अमेरिका ने अल-जुलानी के सिर पर 10 मिलियन डॉलर (84 करोड़ रुपए) का इनाम रखा था। पढ़ें पूरी खबर...
वीडियो में देखिए दमिश्क की सुबह:तानाशाह असद के देश छोड़ने पर क्या कह रहे लोग और HTS के लड़ाके
सीरिया की कवरेज के पहले दिन भास्कर रिपोर्टर वैभव पलनीटकर राजधानी दमिश्क की सुबह देखने निकले। दिन शुक्रवार था। इस दिन छुट्टी होती है, इसलिए सड़कों पर चहल-पहल कम दिखी। वैभव ने लोगों से पूछा कि असद सरकार गिरने पर वे क्या सोचते हैं। कुछ बच्चों से भी मिले। इसी दौरान असद सरकार को हराने वाले संगठन हयात तहरीर अल शाम (HTS) के एक लड़ाके से मुलाकात हो गई। ऊपर वीडियो पर क्लिक करके देखिए लड़ाके ने क्या कहा... ................................ कैसे खत्म हुआ बशर-अल-असद का राज, इस ग्राफिक में पढ़िए ................................. सीरिया के तख्तापलट से जुड़ी ये खबर भी पढ़ेंलोग बोले- असद सरकार का गिरना सपने जैसा, भारत की मुश्किलें बढ़ेंगी 8 दिसंबर को विद्रोही लड़ाकों की फौज सीरिया की राजधानी दमिश्क में घुसी। तभी खबर आई कि राष्ट्रपति बशर अल-असद देश छोड़कर भाग गए हैं। लोग जश्न मनाने लगे। बोले- ये सपने की तरह है। सीरिया में तानाशाही चल रही थी। अब हर कोई खुश दिख रहा है। हालांकि, एक्सपर्ट मानते हैं कि सीरिया में बदलाव का असर भारत समेत दूसरे देशों पर भी होगा। भारत के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं। पढ़ें पूरी खबर...
बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर पर गृह मंत्री अमित शाह की टिप्पणी के बाद दिल्ली की सर्दी में भी सियासी पारा चढ़ा हुआ है। इस मुद्दे पर सरकार को घेरने राहुल गांधी भी पहुंचे। लेकिन उनकी सिग्नेचर सफेद टी- शर्ट में नहीं बल्कि इसबार वो नीली टी- शर्ट पहन कर विरोध करते नजर आए। उनके साथ प्रियंका गांधी वाड्रा भी इस दौरान नीली साड़ी में नजर आईं। संसद के बाहर सत्ता पक्ष और विपक्ष में हुई धक्का-मुक्की के बाद राहुल और प्रियंका के नीले रंग के कपड़ों ने सबका ध्यान खींचा। नीला रंग दलितों की पहचान और प्रतिरोध से जुड़ा है, लेकिन क्यों? इस रंग से बाबा साहेब का क्या है कनेक्शन, जानने के लिए देखिए ये वीडियो।
राष्ट्रपति असद के देश छोड़ने के बाद पहली बार सीरिया पहुंचे अमेरिकी राजनयिक, लेंगे खोज-खबर
US Syria: राष्ट्रपति असद के सीरिया से जाने के बाद भी देश में हलचलें तेज हैं. एक ओर इजराइल बम बरसा रहा है. वहीं अब खोज-खबर लेने के लिए अमेरिकी राजनयिकों का दल सीरिया पहुंच गया है.
Vladimir Putin: 'पोर्न से पाना चाहते हैं छुटकारा, तो...' व्लादिमीर पुतिन ने क्या कह दिया
अपने विशिष्ट अंदाज के लिए मशहूर पुतिन ने पिछले महीने इसी तरह एक अनोखी बात कही थी कि रूस की आबादी बढ़ाने के लिए ये जरूरी है कि लोग ऑफिस में लंच या कॉफी ब्रेक के दौरान सेक्स करें ताकि देश की जन्मदर में बढ़ोतरी हो सकी.
इस देश में फैली अजीब बीमारी...नाम- डिंगा डिंगा, डांस करने लगता है मरीज!
Uganda Pandemic: कोविड महामारी के बाद से दुनिया के कई देशों में एक के बाद एक नई महामारियां सामने आ रही हैं. अफ्रीकी देश युगांडा में एक नई बीमारी सामने आई है, जिससे अब तक 300 से ज्यादा लोग पीड़ित हो चुके हैं.
मेरा स्वास्थ्य अच्छा है। मेरी उम्र 93 साल हो चुकी है और मैं 115 साल तक जिऊंगा। हरियाणा चुनाव से पहले 10 अगस्त को इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला ने ये बात कही थी। लेकिन 5 महीने बाद ही उनका निधन हो गया। हरियाणा के 5 बार सीएम रहे ओम प्रकाश चौटाला को 20 दिसंबर की सुबह हार्ट अटैक आया। इसके चलते उन्हें गुरुग्राम के मेदांता हॉस्पिटल में एडमिट किया। दोपहर करीब 12 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। भास्कर शख्सियत में ओमप्रकाश चौटाला की कहानी और उनसे जुड़े किस्से... देवीलाल की पांच संतानों में सबसे बड़े ओमप्रकाश चौटाला का जन्म 1 जनवरी, 1935 को हुआ। शुरुआती शिक्षा के बाद ही चौटाला ने पढ़ाई छोड़ दी। इसका जिक्र करते हुए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था- ‘उस जमाने में बेटों का बाप से ज्यादा पढ़ा होना अच्छा नहीं माना जाता था। ऐसे में मैंने जल्द ही पढ़ाई छोड़ दी।’ हालांकि 2013 में शिक्षक भर्ती घोटाले के दौरान जब चौटाला तिहाड़ जेल में बंद थे, तब उन्होंने 82 साल की उम्र में पहले दसवीं और फिर बारहवीं की परीक्षा पास की। वरिष्ठ पत्रकार आलोक मेहता एक लेख में लिखते हैं- ‘जब स्कूल में लंच की घंटी बजती तो ओमप्रकाश सबसे पहले हॉस्टल के मेस की तरफ भागते। एक दिन टीचर ने उन्हें रोक लिया तो बोले- भूख बर्दाश्त नहीं होती।’ ओमप्रकाश चौटाला की चुनावी राजनीति 1968 से शुरू होती है। पहला चुनाव देवीलाल की परंपरागत सीट ऐलनाबाद से लड़ा, लेकिन राव बीरेंद्र सिंह की विशाल हरियाणा पार्टी के उम्मीदवार लालचंद खोड़ से हार गए। हार के बाद भी चौटाला शांत नहीं बैठे। उन्होंने चुनाव में गड़बड़ी का आरोप लगाया और हाईकोर्ट पहुंच गए। सालभर चली सुनवाई के बाद कोर्ट ने लालचंद की सदस्यता रद्द कर दी। 1970 में उपचुनाव हुए तो चौटाला ने जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़ा और विधायक बने। घड़ियों की स्मगलिंग में फंसे तो पिता ने घर से निकाला1978 की बात है। ओमप्रकाश चौटाला के पिता चौधरी देवीलाल हरियाणा के मुख्यमंत्री हुआ करते थे। चौटाला साउथ-ईस्ट एशिया के एक सम्मेलन में बैंकॉक गए हुए थे। 22 अक्टूबर को वे भारत लौटे। दिल्ली एयरपोर्ट पर कस्टम विभाग ने जब उनके बैग की तलाशी ली, तो करीब 4 दर्जन घड़ियां और 2 दर्जन महंगे पेन बरामद हुए। जल्द ही खबर फैल गई कि देवीलाल का बेटा ओमप्रकाश चौटाला तस्करी में पकड़ा गया है। देवीलाल उस समय चंडीगढ़ PGI में अपना इलाज करवा रहे थे। जब देवीलाल को इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई। कॉन्फ्रेंस में उन्होंने साफ लहजे में कह दिया, 'ओमप्रकाश के लिए मेरे घर के दरवाजे हमेशा के लिए बंद हो चुके हैं।' हरियाणा के वित्त मंत्री रहे संपत सिंह बताते हैं- ‘चौटाला घड़ियों की स्मगलिंग नहीं कर रहे थे। CM का बेटा होने के नाते विदेश दौरे पर उन्हें गिफ्ट में घड़ियां मिली थीं। जांच हुई तो चौटाला निर्दोष पाए गए। इसके बाद देवीलाल ने भी बेटे को माफ कर दिया।’ देवीलाल केंद्र में गए तो बेटे ओमप्रकाश को हरियाणा का मुख्यमंत्री बनवा दिया1985 में लोगोंवाल समझौता हुआ। इसमें चंडीगढ़ और रावी-व्यास के जल बंटवारे से जुड़ा मामला शामिल था। इसे लेकर हरियाणा में काफी आक्रोश था। देवीलाल के साथ लोकदल के 18 विधायकों ने विधानसभा से इस्तीफा देकर ‘न्याय युद्ध’ छेड़ दिया। चौटाला भी इसका सक्रिय हिस्सा बने। इस दौरान उन्होंने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में भी भाग लिया और राजनीति में अपना नाम चमकाना शुरू किया। 1987 के चुनाव में लोकदल को 90 विधानसभा सीटों में से 60 पर जीत मिली। देवीलाल दूसरी बार CM बने। दो साल बाद हुए लोकसभा चुनाव में जनता दल की सरकार बनी और वीपी सिंह प्रधानमंत्री बने। देवीलाल भी इस सरकार का हिस्सा बने और उन्हें डिप्टी प्राइम मिनिस्टर बनाया गया। अब देवीलाल के सामने सबसे बड़ा सवाल था कि हरियाणा की कमान किसे सौंपी जाए। प्रोफसर संपत सिंह एक और किस्से का जिक्र करते हुए बताते हैं- ‘दिल्ली के हरियाणा भवन में देवीलाल काफी परेशान दिख रहे थे। देर रात तक उन्हें नींद नहीं आ रही थी। दरअसल, वे दिल्ली की राजनीति में जाना चाहते थे, लेकिन उनकी चिंता ये थी कि उनके बाद हरियाणा की कमान कौन संभालेगा। कहीं पार्टी और परिवार बिखर तो नहीं जाएगा। इसी बीच मैंने उनका दरवाजा खटखटाया। उन्होंने कहा- आओ संपत, नींद नहीं आ रही। मैंने पूछा कि क्या हुआ? देवीलाल ने कहा कि मैं दोराहे पर खड़ा हूं। उप प्रधानमंत्री बनूं या मुख्यमंत्री बना रहूं? समझ नहीं आ रहा। मैंने कहा- इसमें सोचने वाली क्या बात है। आपको इतनी बड़ी जिम्मेदारी मिल रही है, आप उप प्रधानमंत्री बनिए। तब देवीलाल ने पूछा कि यहां किसे कमान सौपूं। संपत सिंह ने कहा- आप जो फैसला करेंगे, वो सब मानेंगे। तब देवीलाल ने कहा, ओम कैसा रहेगा? मैंने कहा ठीक रहेगा जी। इसके बाद देवीलाल ने घंटी बजाई और PA को बुलाकर कहा- वीपी सिंह को फोन लगाओ। तब रात के करीब 11 बज रहे थे। देवीलाल ने वीपी सिंह से कहा- मैं भी आपके साथ डिप्टी प्राइम मिनिस्टर की शपथ लूंगा और फोन काट दिया।' अगले दिन दिल्ली में लोकदल के विधायकों की बैठक हुई। देवीलाल ने कहा कि ओम मेरी जगह लेगा और हरियाणा का मुख्यमंत्री बनेगा।’ पिता की सीट पर चुनाव में उतरे, हिंसा भड़की, दो बार इस्तीफा देना पड़ा2 दिसंबर 1989 को ओमप्रकाश चौटाला पहली बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने। तब वे राज्यसभा सांसद थे। CM बने रहने के लिए उन्हें 6 महीने के भीतर विधायक बनना जरूरी था। देवीलाल ने उन्हें अपनी पारंपरिक सीट महम से चुनाव लड़वाया, लेकिन खाप पंचायत ने इसका विरोध शुरू कर दिया। 36 बिरादरी की खाप ने फैसला किया कि देवीलाल के भरोसेमंद और हर चुनाव में उनके प्रभारी रहे आनंद सिंह दांगी को चुनाव मैदान में उतारा जाए, पर देवीलाल इसके लिए तैयार नहीं हुए। खाप ने आनंद सिंह दांगी को निर्दलीय मैदान में उतार दिया। 27 फरवरी, 1990 को महम में वोटिंग हुई, जो हिंसा और बूथ कैप्चरिंग की भेंट चढ़ गई। चूंकि राज्य का मुख्यमंत्री चुनाव लड़ रहा था, इसलिए देश-विदेश की मीडिया इस पर नजर रख रही थी। चुनाव में धांधली का मामला मीडिया की सुर्खियां बन गया। चुनाव आयोग ने आठ बूथों पर दोबारा वोटिंग कराने के आदेश दिए। जब दोबारा वोटिंग हुई, तो फिर से हिंसा भड़क उठी। चुनाव आयोग ने फिर से चुनाव रद्द कर दिया। लंबे सियासी घटनाक्रम के बाद 27 मई को फिर से चुनाव की तारीखें तय की गईं, लेकिन वोटिंग से कुछ दिन पहले निर्दलीय उम्मीदवार अमीर सिंह की हत्या हो गई। चौटाला ने आनंद सिंह दांगी के वोट काटने के लिए अमीर सिंह को डमी कैंडिडेट बनाया था। अमीर सिंह और दांगी एक ही गांव मदीना के थे। आनंद दांगी पर हत्या का आरोप भी लगा। जब पुलिस दांगी को गिरफ्तार करने उनके घर पहुंची तो उनके समर्थक भड़क गए। पुलिस ने भीड़ पर गोलियां चली दीं। इसमें 10 लोगों की मौत हो गई। महम कांड का शोर संसद में भी गूंजने लगा। प्रधानमंत्री वीपी सिंह और गठबंधन के दबाव में देवीलाल को झुकना पड़ा। पहली बार मुख्यमंत्री बनने के साढ़े 5 महीने बाद ही ओमप्रकाश चौटाला को इस्तीफा देना पड़ा। उनकी जगह बनारसी दास गुप्ता को CM बनाया गया। कुछ दिन बाद चौटाला दड़बा सीट से उपचुनाव जीत गए। बनारसी दास को 51 दिन बाद ही पद से हटाकर चौटाला दूसरी बार CM की कुर्सी पर जा बैठे, लेकिन महम कांड का शोर अभी कम नहीं हुआ था। प्रधानमंत्री वीपी सिंह भी चाहते थे कि चौटाला पर जब तक केस चल रहा है वे CM न बनें। मजबूरन 5 दिन बाद ही चौटाला को फिर से पद छोड़ना पड़ा। अब की बार उन्होंने मास्टर हुकुम सिंह फोगाट को CM बनाया। केंद्र की मदद से तीसरी बार सिर्फ 15 दिन के लिए मुख्यमंत्री बनेसाल 1990, मंडल कमीशन और OBC आरक्षण के बाद हिंसा के घाव अभी भरे नहीं थे। इसी बीच वीपी सिंह सरकार को बाहर से समर्थन दे रही भाजपा ने राम मंदिर बनाने के लिए रथयात्रा निकालने का फैसला किया। लालकृष्ण आडवाणी, सोमनाथ मंदिर से यात्रा शुरू करके अयोध्या तक जाने वाले थे। दूसरी तरफ वीपी सिंह सरकार के सहयोगी मुलायम सिंह, लालू यादव जैसे नेता इस यात्रा के विरोध में थे। वीपी सिंह ने आडवाणी से रथयात्रा न निकालने के लिए कहा, लेकिन वे नहीं माने। 23 अक्टूबर की रात 2 बजे बिहार के समस्तीपुर में आडवाणी को गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तारी से नाराज भाजपा ने वीपी सिंह सरकार से समर्थन वापस से लिया। 7 नवंबर 1990 को वीपी सिंह की सरकार गिर गई। सरकार गिरने के साथ ही जनता दल के भी दो टुकड़े हो गए। गुजरात के CM चिमनभाई पटेल, उत्तर प्रदेश के CM मुलायम सिंह यादव और हरियाणा से देवीलाल चंद्रशेखर के साथ गए। जबकि बिहार के CM लालू यादव ने वीपी सिंह का साथ दिया। चंद्रशेखर 64 सांसदों के साथ जनता दल से अलग हो गए। उन्होंने समाजवादी जनता पार्टी बनाई। जिस कांग्रेस का विरोध करके जनता दल सत्ता में आई थी, उसी के समर्थन से चंद्रशेखर प्रधानमंत्री बन गए। चंद्रशेखर ने भी देवीलाल को डिप्टी PM बनाया। चार महीने बाद यानी, मार्च 1991 में देवीलाल ने हुकुम सिंह को हटाकर ओमप्रकाश चौटाला को तीसरी बार हरियाणा का मुख्यमंत्री बनवा दिया। इस फैसले से राज्य में पार्टी के कई विधायक नाराज हो गए। कुछ विधायकों ने पार्टी भी छोड़ दी। नतीजा ये हुआ कि 15 दिनों के भीतर ही सरकार गिर गई। राज्य में राष्ट्रपति शासन लग गया। 15 महीने के भीतर तीसरी बार चौटाला ने CM पद से इस्तीफा दिया था। जब देवीलाल के कहने पर चौटाला ने नामांकन वापस लियाराष्ट्रपति शासन लगने के 2 महीने बाद ही मई-जून 1991 में विधानसभा चुनाव हुए। देवीलाल ने घिराय, ओमप्रकाश चौटाला ने दड़बा और रणजीत चौटाला ने रोड़ी से पर्चा भरा। हालांकि, बाद में देवीलाल ने तय किया कि परिवार से केवल एक व्यक्ति चुनाव लड़ेगा। पिता की बात मानते हुए ओमप्रकाश चौटाला CM होते हुए भी विधानसभा चुनाव नहीं लड़े। महम में हिंसा के कारण देवीलाल चौतरफा घिरे थे। वह महम का रास्ता काटकर दिल्ली जाया करते थे। देवीलाल ने घिराय हलके से फार्म भरा और साथ ही सांसद के चुनाव के लिए रोहतक से भी आवेदन कर दिया, मगर दोनों ही चुनाव देवीलाल हार गए। हरियाणा में कांग्रेस की सरकार आ गई। इसी बीच राजीव गांधी की हत्या कर दी गई और पीवी नरसिम्हा राव को प्रधानमंत्री बना दिया गया। नरसिम्हा राव ने हरियाणा में भजनलाल को मुख्यमंत्री बना दिया। 1993 में कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री चौधरी भजनलाल ने शमशेर सिंह सुरजेवाला को राज्यसभा में भेज दिया। इससे नरवाना विधानसभा की सीट खाली हो गई। उपचुनाव में शमशेर सिंह ने अपने बेटे रणदीप सुरजेवाला को नरवाना से उतारा। इस सीट से ओमप्रकाश चौटाला ने भी चुनाव लड़ा। ओमप्रकाश चौटाला को जीत मिली। इस प्रकार चौटाला फिर से हरियाणा विधानसभा में लौटे। भाजपा-बंसीलाल का गठबंधन नहीं चला, चौटाला को फिर मौका मिला1996 में चुनाव के बाद बंसीलाल की हरियाणा विकास पार्टी ने भाजपा के साथ सरकार बनाई। बंसीलाल CM बने, लेकिन आपसी मतभेदों के चलते 1999 में भाजपा ने समर्थन वापस ले लिया। इसके बाद कांग्रेस ने बंसीलाल सरकार को समर्थन दिया। विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव पर चर्चा हुई तो कांग्रेस की मदद से सरकार बच गई। सरकार बचाने के एवज में तय हुआ था कि बंसीलाल अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय करेंगे और विधानसभा भंग करके चुनाव कराए जाएंगे। इसी सिलसिले में बंसीलाल कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने पहुंचे। इस दौरान चुनाव में टिकट के लिए अपने उम्मीदवारों की लिस्ट भी उन्हें सौंपी। लिस्ट देखकर सोनिया ने कहा- ‘इस पर मैं बाद में सोचूंगी।’ बंसीलाल, इंदिरा गांधी के साथ काम कर चुके थे, बड़े लीडर थे। उन्हें ये बात बर्दाश्त नहीं हुई। बंसीलाल ने भी कह दिया कि फिर मैं भी बाद में सोचूंगा और चले आए। कांग्रेस ने समर्थन वापस ले लिया और बंसीलाल की सरकार गिर गई। उधर चौटाला के पिता देवीलाल ने 1996 में इंडियन नेशनल लोकदल यानी इनेलो नाम से नई पार्टी बना ली थी। 1999 में बंसीलाल की सरकार गिरते ही ओमप्रकाश चौटाला एक्टिव हो गए। उन्होंने बंसीलाल की पार्टी के कुछ विधायकों को तोड़कर सरकार बना ली। 24 जुलाई को ओमप्रकाश चौटाला चौथी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। 2002 के गोलीकांड में 9 किसानों की मौत, तभी से सत्ता से बाहर इनेलो साल 2000, हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने थे। साल भर पहले विधायकों की जोड़-तोड़ से सत्ता में पहुंचे ओमप्रकाश चौटाला की अब असली परीक्षा थी। चौटाला ने किसानों से वादा किया कि उनकी सरकार सत्ता में आती है, तो बिजली फ्री कर देंगे। साथ ही जिन किसानों ने बिजली बिल भरने के लिए कर्ज लिया है, उनका कर्ज भी हम माफ कर देंगे। ओमप्रकाश का ये वादा काम कर गया। चार साल पहले बनी उनकी पार्टी ‘इंडियन नेशनल लोकदल’ यानी इनेलो ने 47 सीटें जीत लीं। ओमप्रकाश चौटाला पांचवीं बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने। सत्ता की कमान संभालने के बाद चौटाला ने गांव-गांव तक बिजली तो पहुंचाई, लेकिन नया मीटर लगने से बिजली बिल अचानक से बढ़ गया। साल 2002, बिजली बिल बढ़ने से किसान ठगा महसूस करने लगे। उन्होंने बिजली बिल भरने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि सरकार ने मुफ्त बिजली का वादा किया था। इधर सरकार ने कई गांवों की बिजली काट दी। नतीजा किसान सड़कों पर आ गए। सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने लगे। जींद हाईवे जाम कर दिया। उसी दौरान जींद के एक गांव कंडेला में किसानों की उग्र भीड़ पर पुलिस ने गोलियां चला दीं। 9 किसानों की मौत हो गई। कंडेला कांड की गूंज पूरे हरियाणा में सुनाई पड़ी। तीन साल बाद यानी, 2005 में हुए विधानसभा चुनाव में चौटाला की पार्टी महज 9 सीटों पर सिमट गई। चौटाला दो सीटों से चुनाव लड़े थे। एक सीट से हार गए। उनके 10 मंत्री भी अपनी सीट नहीं बचा पाए। तब से इनेलो कभी सत्ता में नहीं पहुंची। 2018 में पार्टी टूट गई और 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में एक सीट पर सिमट गई। वहीं 2024 में महज 2 सीटें जीत सकी। टीचर भर्ती घोटाला सामने आया, चौटाला 8 साल तिहाड़ जेल में रहे 1999-2000 में हरियाणा के 18 जिले में टीचर भर्ती घोटाला सामने आया। यहां मनमाने तरीके से 3206 जूनियर बेसिक ट्रेनिंग टीचरों की भर्ती की गई थी। उस समय के प्राथमिक शिक्षा निदेशक संजीव कुमार ने इसे उजागर किया। उन्होंने घोटाले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। कोर्ट के आदेश पर 2003 में CBI ने घोटाले की जांच शुरू की। जांच आगे बढ़ी तो घोटाले की परतें खुलती चली गईं। जनवरी, 2004 में CBI ने CM ओमप्रकाश चौटाला, उनके विधायक बेटे अजय चौटाला, CM के OSD विद्याधर, CM के राजनीतिक सलाहकार शेर सिंह बड़शामी समेत 62 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया। जनवरी, 2013 में दिल्ली में CBI की स्पेशल कोर्ट ने चौटाला और उनके बेटे अजय सिंह चौटाला को IPC और प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के तहत 10 साल की सजा सुनाई। चौटाला इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट तक गए, लेकिन कोर्ट ने उनकी सजा बरकरार रखी। 2018 में केंद्र सरकार की विशेष माफी योजना के तहत ओमप्रकाश चौटाला ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की। इसमें नियम था कि 60 साल या उससे ज्यादा उम्र के जिन कैदियों ने अपनी आधी सजा काट ली है, उन्हें रिहा किया जाएगा। उनकी आधी से ज्यादा सजा पूरी हो चुकी थी और उम्र भी करीब 83 साल थी। ऐसे में उनकी सजा पूरी होने से कुछ समय पहले 2 जुलाई, 2021 को रिहा कर दिया गया।
यूएन ने इजराइल को बताई उसकी 'हद', कहा- सीरिया के साथ अपनी सीमा में रहे तो बेहतर!
UN chief on Syria Israel War: सीरिया को जैसे-तैसे गृहयुद्ध से निजात मिली है लेकिन इजराइल उस पर बम बरसाने से बाज नहीं आ रहा है. बिगड़ते हालात देखकर संयुक्त राष्ट्र ने इजराइल को उसकी हद में रहने के लिए कह दिया है.
'बंद' होने वाली है अमेरिकी सरकार, अहम बिल पर नहीं बन पाई सांसदों की सहमति, अब क्या होगा?
Trump government shutdown: अमेरिका की सरकार का शटडाउन होने वाला है. इसे रोकने के लिए जो कर्ज सीमा बढ़ाने वाला बिल था, वह संसद में पास नहीं हो पाया है. जानिए क्या होता है सरकार का शटडाउन होना?
US के लिए खतरा; अमेरिका ने भांप ली पाकिस्तान की नापाक मंशा, कहा-कायदे में रहो, वरना....
US on Pakistan Ballistic Missile: अमेरिका ने पाकिस्तान की वो मंशा पहचान ली है और दुनिया के सामने ला दी है, जिसे वो सालों से छिपा रहा है. अमेरिका ने खुलकर बता दिया है कि पाकिस्तान जिस तरह अपनी हथियार क्षमता बढ़ा रहा है, वो पूरी दुनिया के लिए खतरा है.
कहानी उस खूंखार सनकी शख्स की.. अपनी ही पत्नी का रेप 70 लोगों से कराया, अब कोर्ट ने दी सजा
Gisele Pelicot Case: शख्स को अपनी पत्नी को नशीला पदार्थ देकर 70 से अधिक अजनबियों को रेप के लिए बुलाने के आरोप में सजा सुनाई गई. यह मामला तब सामने आया जब शख्स को वीडियो बनाते हुए पकड़ा गया.
13 साल के गृहयुद्ध के बाद अब सीरिया विद्रोहियों के कब्जे में है। 11 दिन चली जंग के बाद राष्ट्रपति बशर-अल-असद को देश छोड़कर भागना पड़ा है। अब वहां बचे हैं बर्बादी के निशान, लाखों भूखे लोग, तबाह इमारतें और असद सरकार के जुल्मों की कहानियां। और अब जो सत्ता में आया, वो भी आतंकी संगठन है। सीरिया का हाल बताने के लिए दैनिक भास्कर के रिपोर्टर वैभव पलनीटकर देश की राजधानी दमिश्क में हैं। भास्कर देश का पहला मीडिया ग्रुप है, जिसका रिपोर्टर खतरों के बीच सीरिया पहुंचा है। इससे पहले दैनिक भास्कर के जर्नलिस्ट ने जंग के बीच इजराइल, लेबनान और अशांत बांग्लादेश पहुंचकर कवरेज की है। कल यानी 21 दिसंबर से अगले 10 दिन तक आपको मिलेंगी सीरिया के ग्राउंड जीरो से एक्सक्लूसिव रिपोर्ट, तख्तापलट के बाद कैसे चल रही है सरकार, आतंकी संगठन के कब्जे के बाद कौन है सत्ता का दावेदार, अल्पसंख्यकों के हालात, बशर-अल-असद की बदनाम जेलों की कहानियां और तख्तापलट के अहम किरदारों के इंटरव्यू। तो पढ़ते और देखते रहिए दैनिक भास्कर ऐप…
'बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हुई हर घटना पर हमारी नजर है। हम लोग कहते नहीं हैं, करने पर विश्वास रखते हैं। देश के करोड़ों संत सिर्फ भारत सरकार की अनुमति का इंतजार कर रहे हैं। हमें आज इजाजत मिल जाए, तो हम बांग्लादेश को बता देंगे कि कौन कितना ताकतवर है। उनका नामो निशान तक नहीं बचेगा।' ‘जूना अखाड़े’ के मुख्य संरक्षक महंत हरि गिरी बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा को लेकर फिक्रमंद हैं। वो प्रयागराज महाकुंभ पहुंचे हैं। उनका जूना अखाड़ा 10 लाख से ज्यादा नागा संन्यासियों वाला दुनिया का सबसे बड़ा अखाड़ा है। हरि गिरी दैनिक भास्कर को बताते हैं कि महाकुंभ में 13 अखाड़ों के 1 लाख से ज्यादा संतों का जमावड़ा लगने वाला है। यहां आने वाला हर संन्यासी सनातन धर्म का ध्वज वाहक है। जहां भी हमारे धर्म पर खतरा दिखता है, हम वहां जाकर अपने भाई-बहनों के लिए लड़ने को तैयार हैं। महाकुंभ के दौरान बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा का मसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने रखा जाएगा। महाकुंभ 13 जनवरी, 2025 से शुरू होने वाला है। 45 दिनों तक चलने वाले इस धार्मिक जमघट में देश-विदेश से संत पहुंचने लगे हैं। 12 साल पहले प्रयागराज में जब कुंभ हुआ था, तब सभी अखाड़ों ने एकमत होकर राम मंदिर निर्माण के लिए आवाज उठाई थी। तय हुआ था कि अगले महाकुंभ तक राममंदिर हर हाल में बन जाना चाहिए और वैसा ही हुआ। इस बार अलग-अलग अखाड़ों से बांग्लादेश हिंसा के खिलाफ वैसी ही आवाजें उठ रही हैं। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… प्रयागराज के संगम तट पर हर 12 साल में महाकुंभ होता है। प्रयाग उन 4 पवित्र जगहों (हरिद्वार, उज्जैन, नासिक और प्रयागराज) में से एक है, जहां कुंभ मेला लगता है। 2019 के अर्धकुंभ में 24 करोड़ लोग पहुंचे थे। प्रयागराज प्रशासन इस बार 45 करोड़ लोगों के आने का अनुमान लगा रहा है। महाकुंभ के दौरान उत्तर प्रदेश में जिलों की संख्या 75 से बढ़कर 76 हो जाती है। इस बार नए जिले को 'महाकुंभनगर' नाम दिया गया है। संगम घाट के आस-पास 4000 हेक्टेयर में नया जिला बसाया जा रहा है। गंगा पार दूसरी ओर धार्मिक अखाड़ों के लिए जगह दी गई है। 13 जनवरी को अखाड़ों के शाही स्नान से महाकुंभ की शुरुआत होगी। अखाड़ा क्षेत्र की ओर जाने वाला हर रास्ता ठीक किया जा रहा है। जहां से साधु-संन्यासी स्नान के लिए जाएंगे। महाकुंभ शुरू होने में अभी 3 हफ्ते से ज्यादा का वक्त बाकी है, लेकिन धार्मिक अखाड़ों में हवन-पूजन, संतों की बैठकें शुरू हो गई हैं। पंच अग्नि अखाड़ा अध्यक्ष बोले- मंदिरों की मूर्तियां तोड़ीं, UN कब बोलेगा पंच अग्नि अखाड़ा महाकुंभ में सबसे पहले पहुंचने वाले अखाड़ों में से एक है। हमने इसके प्रमुख श्रीमहंत मुक्तानंद से बात की। वे बांग्लादेश में हिंदुओं पर हिंसा बढ़ने की सबसे बड़ी वजह अंतरराष्ट्रीय शांति संगठनों की चुप्पी को मानते हैं। मुक्तानंद कहते हैं, ‘बांग्लादेश में हिंदुओं की आबादी कम है। इसलिए उन पर लगातार हिंसक हमले हो रहे हैं। पंच अग्नि अखाड़ा इन हमलों की निंदा करता है। हमारे सनातन मंदिरों में मूर्तियां तोड़ी गईं। लोगों को घरों में घुसकर मारा गया। इन घटनाओं पर UN और दूसरे वैश्विक संगठन क्यों चुप हैं। जब तक वे इन घटनाओं पर ठोस कदम नहीं उठाते, बांग्लादेश में हिंदुओं की हालत सुधरना मुश्किल है।’ ‘हम चाहते हैं कि केंद्र बांग्लादेश सरकार से बात करे। वहां पर हमारे जो भी भाई-बहन फंसे हैं, उनके भारत आने के लिए वीजा पर लगी पाबंदियां खत्म की जाएं, ताकि वो भारत आकर सुरक्षित रह सकें।‘ बांग्लादेशी हिंदुओं के हालात पर संत महाकुंभ में लेंगे बड़ा फैसला अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी महाकुंभ में आने वाले अखाड़ों की व्यवस्था देख रहे हैं। वो मेले के आयोजक मंडल में भी शामिल हैं। हमने उनसे कुछ सवाल पूछे। क्या धार्मिक अखाड़ों में बांग्लादेश हिंसा को लेकर गुस्सा है? क्या संत समाज इस मुद्दे को महाकुंभ में केंद्र सरकार के सामने रखेगा। क्या इस पर कोई बैठक हो सकती है? वे कहते हैं, ‘अगस्त से लेकर अब तक जिस तरह बांग्लादेश में हिंदुओं पर 1000 से ज्यादा हमले हुए हैं, उसे लेकर संत समाज में निराशा और गुस्सा दोनों है। लगभग सभी अखाड़ों के महंत इस मुद्दे को लेकर चिंतन कर रहे हैं।‘ ‘फिलहाल, बांग्लादेश से भारत आने वाले नागरिकों के लिए टूरिस्ट वीजा बंद है। ऐसे में वहां से कुंभ स्नान के लिए आने वाले हिंदू भी इस बार नहीं आ पा रहे हैं। इन लोगों में कई संन्यासी भी शामिल हैं, जो कुंभ के लिए सालों-साल से इंतजार कर रहे थे।‘ ‘13 जनवरी को अखाड़ों के शाही स्नान के साथ मेला शुरू हो जाएगा। इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी, अलग-अलग राज्यों के मुख्यमंत्री और नेता कुंभ में शामिल होने आएंगे। इस दौरान सभी अखाड़ों के अध्यक्ष और महामंडलेश्वर उनसे मिलकर बांग्लादेश में हिंदुओं के हाल पर चर्चा कर सकते हैं। संभव है कि तब इस विषय पर कोई बड़ा फैसला लिया जाए।‘ किन अखाड़ों में सबसे ज्यादा गुस्सा है? रविंद्र पुरी कहते हैं, ‘महाकुंभ ही ऐसा वक्त होता है, जब देश के अलग-अलग अखाड़ों के बड़े संत एक जगह पर मिलते हैं। अभी 13 अखाड़ों से छोटे-छोटे जत्थे मेला क्षेत्र पहुंच रहे हैं।‘ ‘14 दिसंबर को कुंभ छावनी में जूना अखाड़े के 10 हजार नागा संतों ने पेशवाई (शक्ति प्रदर्शन) निकाली। इस दौरान साधुओं ने घोड़ों पर सवार होकर हाथ में तलवार और भाला लेकर प्रदर्शन किया था।‘ महाकुंभ में 'बांग्लादेश' की चर्चा होने की वजह क्या है? इस सवाल पर VHP के एक पदाधिकारी कहते हैं, 'बांग्लादेश में मंदिरों में हुई तोड़फोड़ के बाद योगी आदित्यनाथ अलग-अलग मंचों से ये मुद्दा उठाते रहे हैं। हाल ही में उन्होंने अयोध्या में बांग्लादेश और बाबर को जोड़ते हुए जो बयान दिया, उसकी चर्चा अब प्रयाग पहुंच रहे नागा साधुओं के बीच हो रही है।' 'नागाओं का इतिहास रहा कि उन्होंने हिंदुओं की रक्षा के लिए समय-समय पर युद्ध लड़े हैं। चाहे वो 1757 में अहमद शाह अब्दाली के साथ जंग हो या फिर 1664 में औरंगजेब की सेना से लड़ाई। नागा साधुओं ने हमेशा देश और सनातन की रक्षा के लिए शस्त्र उठाए हैं। यही वजह है कि महाकुंभ में पहुंच रहे नागा संन्यासियों ने बांग्लादेश हिंसा के खिलाफ प्रदर्शन किया है।' योगी के वो बयान जिनकी अब महाकुंभ में हो रही चर्चाबीते 5 महीनों में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने महाराष्ट्र, झारखंड, हरियाणा, जम्मू कश्मीर और यूपी में हुए चुनावों के दौरान 30 से ज्यादा जनसभाएं कीं। योगी ने 5 राज्यों में जिन 25 कैंडिडेंट्स के लिए वोट मांगे, उनमें से 21 जीत गए। जिन सीटों पर हिंदू वोटर्स की संख्या सबसे ज्यादा थी, वहां BJP को एकतरफा जीत मिली। UP में 9 सीटों पर उपचुनाव हुए, जिसमें BJP 7 पर जीती। अब महाकुंभ से पहले CM के दो बयान चर्चा में हैं। 5 दिसंबर 2024, योगी अयोध्या के राम कथा पार्क में रामायण मेले का उद्घाटन करने पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने मुगल शासक बाबर, संभल हिंसा और बांग्लादेश को लेकर एक बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा- याद कीजिए कि 500 साल पहले बाबर के आदमी ने कुंभ में क्या किया था। यही बात संभल में भी हुई और यही अब बांग्लादेश में भी हो रही है। तीनों का स्वभाव और उनका DNA एक ही है।’ 26 अगस्त 2024, आगरा में हुई जनसभा में योगी ने कहा- आप देख रहे हैं बांग्लादेश में क्या हो रहा है? वो गलतियां यहां नहीं होनी चाहिए। बटेंगे तो कटेंगे! एक रहेंगे तो नेक रहेंगे, सुरक्षित रहेंगे। पंचदशनाम जूना अखाड़े के नागा साधु श्रीदिगंबर पूर्णम गिरी CM योगी के बयान का समर्थन करते हैं। वे कहते हैं, ‘योगी महाराज ने कहा था, एक रहोगे तो नेक रहोगे। बंटोगे तो कटोगे। यही बात लोगों को समझनी होगी। हिंदुओं में तब तक हिंसा होती रहेगी, जब तक वे एक साथ नहीं खड़े होते। ‘अब भी वक्त है एक हो जाओ, तुम्हारा कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता। भगवान कृष्ण ने भी खुद हथियार न उठाकर अर्जुन से युद्ध लड़ने को कहा था। उसी तरह अब वक्त आ गया है, जब हिंदुओं को अपनी लड़ाई खुद लड़नी होगी।‘ अब बांग्लादेश में हिंदुओं के मौजूदा हालात के बारे में जान लीजिए…भारत ने बीते 8 साल में बांग्लादेश को 8 अरब डॉलर की मदद की है। हर साल 10 अरब डॉलर से ज्यादा का एक्सपोर्ट होता है। लिहाजा, भारतीय विदेश मंत्रालय बांग्लादेश की अंतरिम सरकार पर दबाव बना रहा है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 13 दिसंबर को लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान कहा कि हम बांग्लादेश सरकार से उम्मीद करते हैं कि वो अल्पसंख्यकों को सुरक्षा देगी। वहां अल्पसंख्यकों के साथ जो कुछ भी किया जा रहा है, वो परेशान करने वाला है। भारत की प्रतिक्रिया के बाद बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के चीफ एडवाइजर मोहम्मद यूनुस के सेक्रेटरी शफीकुल आलम का बयान सामने आया। उन्होंने बताया कि बांग्लादेश में 5 अगस्त से 22 अक्टूबर के बीच हिंदुओं के खिलाफ हिंसा के कुल 88 मामले दर्ज हुए हैं। इसमें अब तक 70 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। सरकार हिंसाग्रस्त इलाकों में एक्स्ट्रा फोर्स लगाकर हालात सामान्य करने में जुटी है। बांग्लादेश के विदेश सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन कहते हैं, ‘बांग्लादेश सरकार और भारतीय हाई कमीशन के बीच लगातार बातचीत हो रही है। हम यहां के लोगों की चिंताएं दूर करने के साथ-साथ टूरिस्ट वीजा की बहाली पर काम कर रहे हैं। दोनों देश आपस में मजबूत संबंध चाहते हैं। हालांकि ये रिश्ते आपसी सम्मान और समानता पर आधारित होंगे।‘ संन्यासिनी अखाड़ा- 50 हजार साध्वियों की बांग्लादेश कूच की तैयारीदेश में 50 हजार से ज्यादा महिला संतों वाला संन्यासिनी अखाड़ा बांग्लादेश हिंसा के विरोध में हैं। महाकुंभ के बाद अखाड़ा बड़ा आंदोलन करने जा रहा है। हिंदू महासभा संत प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय अध्यक्ष और संन्यासिनी अखाड़े की महंत अर्चना गिरी कहती हैं, ‘सनातन धर्म पर हमले आज से नहीं बल्कि सदियों से होते रहे हैं, लेकिन हर बार जीत हिंदुओं की हुई है। हम न बंटेगे न कटेंगे।‘ ‘बांग्लादेश में हिंदुओं पर जो हमले हुए, उसके विरोध में संन्यासिनी अखाड़ा पूरे देश में आक्रोश आंदोलन कर रहा है। अभी महाकुंभ में हम सभी साधु-संत एकजुट होकर बांग्लादेश में हुई हिंसा के खिलाफ रणनीति बनाएंगे। वहां हिंदू धर्माचार्यों पर हुआ अत्याचार सरासर गलत है। भारत का संत समाज वहां फंसे संन्यासियों के साथ खड़ा है।‘ सनातन बोर्ड के प्रस्ताव के साथ अखाड़े हिंदू रक्षा का मुद्दा उठाएंगे महाकुंभ में पहुंच रहे 13 अखाड़े इस बार सरकार के सामने सनातन बोर्ड का प्रस्ताव रख सकते हैं। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी कहते हैं, 'महाकुंभ में अलग-अलग अखाड़ों के संत आपस में बैठक करेंगे। इसके बाद सनातन धर्म को एक मंच पर लाने के लिए सनातन बोर्ड का प्रस्ताव सरकार के सामने रखा जा सकता है। इससे सभी सनातनी अखाड़े एक-दूसरे से संपर्क में रहेंगे और धार्मिक मुद्दों पर चर्चा हो सकेगी।' 'महाकुंभ में सभी अखाड़ों से लाखों की संख्या में संत आएंगे। 45 दिन तक चलने वाले सबसे बड़े धार्मिक मेले को सफल बनाने के लिए संत समाज और सरकार मिलकर काम कर रहे हैं। अखाड़ों के अध्यक्ष सरकार तक सीधे अपनी बात पहुंचाएंगे। ऐसे में संभव है कि सनातन बोर्ड के प्रस्ताव के साथ हिंदू रक्षा का भी मुद्दा उठाया जा सकता है।' .......................... बांग्लादेश और कुंभ से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें... हिंदुओं पर हमले, भारत के खिलाफ नफरत के पीछे कौन, मुस्लिम कट्टरपंथियों से नजदीकी बढ़ा रहा चीन बांग्लादेश की हिंदू-बौद्ध-ईसाई काउंसिल के मुताबिक, 5 अगस्त को शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद से अब तक हिंदुओं पर 3 हजार से ज्यादा हमले हुए हैं। इनमें जमात-ए-इस्लामी के मेंबर्स के शामिल होने का शक है। जमात अकेला नहीं है, कवरेज के दौरान पता चला कि जमात समेत 5 संगठन हैं, जिन पर अल्पसंख्यकों को टारगेट करने और एंटी इंडिया कैंपेन चलाने के आरोप हैं। पढ़िए पूरी खबर... महाकुंभ में तय होगा नरेंद्र मोदी के बाद कौन, 2025 में योगी के नाम पर हो सकती है चर्चा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी RSS के प्रांत स्तर के एक पदाधिकारी दैनिक भास्कर को बताते हैं कि प्रयागराज में होने वाले महाकुंभ में BJP के अगले PM कैंडिडेट के नाम का प्रस्ताव आ सकता है। योगी आदित्यनाथ के नाम पर सभी की रजामंदी है। अभी लोकसभा चुनाव दूर हैं, इसलिए सीधे तौर पर उनके नाम का ऐलान नहीं होगा। हालांकि उन्हें प्रोजेक्ट करने की पूरी तैयारी है। पढ़िए पूरी खबर...
संसद में संविधान पर शुरू हुई चर्चा अंबेडकर पर अमित शाह के बयान, विपक्ष के विरोध प्रदर्शन और गुरुवार को सांसदों की धक्का-मुक्की तक पहुंच गई। कांग्रेस ने मल्लिकार्जुन खड़गे को दलित चेहरा बनाकर मैदान में उतारा, तो बीजेपी ने भी शिवराज सिंह चौहान को आगे कर दिया। अंबेडकर पर बयान से इतनी बड़ी आफत क्यों मची, क्या इस मुद्दे से कांग्रेस का मोमेंटम लौटेगा या बीजेपी इश्यू डायवर्ट कर देगी, जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में... सवाल 1: अमित शाह ने अंबेडकर पर ऐसा क्या कहा, जिसके खिलाफ विपक्ष प्रदर्शन कर रहा?जवाबः 'मान्यवर अभी एक फैशन हो गया है। अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर। इतना नाम अगर भगवान का लेते, तो 7 जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता।' 17 दिसंबर को शाम 7:45 बजे राज्यसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने यह बयान दिया। हालांकि उस वक्त वो एक संदर्भ में बात कर रहे थे कि कांग्रेस की वजह से अंबेडकर को मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा था। शाह को अंबेडकर विरोधी बताते हुए विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया। इसके बाद अगले 48 घंटों की टाइमलाइन… सवाल 2: क्या शाह के बयान पर बीजेपी बैकफुट पर दिख रही है?जवाबः बयान पर हंगामा मचने के बाद पीएम मोदी ने ट्वीट किया, शाह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की, नड्डा ट्वीट पर सफाई दे रहे हैं और बीजेपी कार्यकर्ता हर जगह शाह का पूरा बयान शेयर कर रहे हैं। इलेक्शन एनालिस्ट अमिताभ तिवारी के मुताबिक, बीजेपी डैमेज कंट्रोल कर रही है, न कि बैकफुट पर है। बाबा साहेब से देश की जनता इमोशनली जुड़ी हुई है। ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दलित वोटर्स को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रहे हैं। यही वजह है कि शाह के बचाव में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 6 ट्वीट करने पड़े। सवाल 3: अंबेडकर पर बयान से इतनी बड़ी आफत क्यों आ गई?जवाबः अंबेडकर पर बयान से इतनी ‘बड़ी आफत’ आने की दो बड़ी वजहें हैं… पहली वजहः देश में 20 करोड़ दलित, जो अंबेडकर को भगवान मानते हैं2011 की जनगणना के मुताबिक, देश की करीब 16.6% आबादी दलित है यानी करीब 20.14 करोड़ लोग। इनमें 15.4 करोड़ दलित गांवों में और 4.7 करोड़ दलित शहरों में रहते हैं। दशकों से वंचित रहे तबके को अंबेडकर ने पहचान और अधिकार दिलाया, उन्हें आगे बढ़ाया। यही तबका एक वोट बैंक के तौर पर उभरा, जो अब 'सत्ता की कुंजी' बन चुका है। लोकसभा के हिसाब से 543 में से 84 सीटें अनुसूचित जाति (SC) के लिए रिजर्व हैं। 2024 में बीजेपी ने इनमें 29 और कांग्रेस ने 20 सीटें जीतीं। जबकि 2019 में बीजेपी ने 46 और कांग्रेस ने महज 6 SC-रिजर्व सीटें जीती थीं। यानी सरकार बनाने और बिगाड़ने के खेल में दलितों की अहम भूमिका है। ऐसे में बीजेपी, कांग्रेस जैसी पार्टियां चाहती हैं कि दलितों का रुख उनकी ओर हो। दूसरी वजहः अंबेडकर का अपमान यानी नॉन-प्रोग्रेसिव दिखनाबतौर समाज सुधारक, अर्थशास्त्री, और संविधान निर्माता डॉ. अंबेडकर ने न केवल दलितों के अधिकारों की रक्षा की, बल्कि सामाजिक न्याय को भी बढ़ावा दिया। अंबेडकर ने महाड सत्याग्रह, कालाराम मंदिर आंदोलन जैसे सामाजिक आंदोलनों का नेतृत्व किया। दलित आरक्षण के लिए अंबेडकर महात्मा गांधी तक से भिड़ गए। मानवाधिकार जन-निगरानी समिति के संयोजक डॉ. लेनिन रघुवंशी कहते हैं, अंबेडकर ने एक विचार दिया कि संविधान और बातचीत के जरिए बदलाव लाया जा सकता है, न कि हिंसा के जरिए। नेशनल अलायंस फॉर सोशल जस्टिस के फाउंडर मेंबर डॉ. अनूप श्रमिक के मुताबिक, ‘अगर भारत में तबाही आ जाए तो केवल 2-3 चीजें ही दिखेंगी। एक तो महादेव की मूर्तियां और दूसरी अंबेडकर की प्रतिमाएं। आज अंबेडकर प्रोग्रेसिव विचारों के आइकॉन बन गए हैं।’ डॉ. लेनिन कहते हैं, 'आज हर पार्टी खुद को अंबेडकर से जुड़ा हुआ दिखाना चाहती है। साथ ही ये दलित वोट से जुड़ा हुआ मामला है। ऐसे में कोई पार्टी अंबेडकर के खिलाफ नहीं हो सकती है।' सवाल 4: ऐसे विवाद पर बीजेपी को कैसे सीधा नुकसान होता है?जवाबः इलेक्शन एनालिस्ट अमिताभ तिवारी कहते हैं, ‘ऐसे विवादों से बीजेपी के दलित वोट बैंक को सीधा नुकसान पहुंचेगा। इसका ताजा उदाहरण 2024 के लोकसभा चुनाव के नतीजे हैं। इसमें बीजेपी ने 400 पार सीट लाने का नारा दिया था, जिसे लेकर धीरे-धीरे विवाद गहराता गया।’ दरअसल, कर्नाटक से बीजेपी सांसद अनंत कुमार हेगड़े ने 400 पार के नारे को संविधान बदलने के लिए जरूरी बता दिया। राहुल गांधी और अखिलेश यादव ने चुनावी मंचों से बीजेपी के 400 पार के लक्ष्य के पीछे संविधान खत्म करने की बात कही। विपक्ष ने संविधान को अपने लोकसभा चुनाव का मुख्य मुद्दा बना दिया। नतीजतन, बीजेपी 240 सीटों पर सिमट गई और उसे 63 सीटों का नुकसान हुआ। सोर्स- इंडिया टुडे/माय एक्सेस 2024 के लोकसभा चुनाव में NDA को दलित वोटर्स के प्रभाव वाली सीटों में 2019 के मुकाबले 34 सीटों का नुकसान हुआ। INDIA गठबंधन को 40 सीटों का सीधा फायदा हुआ। इसके साथ ही अन्य सीटों पर जहां दलित वोटर बड़ी संख्या में नहीं है, वहां भी दलितों का ज्यादातर वोट INDIA गठबंधन को मिला। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में कुल वोटर में 17% दलित समाज के वोट हैं। 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा+ को 2019 की तुलना में 6% कम वोट मिले। वहीं, कांग्रेस+ को 2024 लोकसभा चुनाव में 2019 की तुलना में 18% ज्यादा वोट मिला। सोर्स- इंडिया टुडे/माय एक्सेस अमिताभ तिवारी कहते हैं कि 2024 के चुनावी नतीजों में बीजेपी को दलित वोट बैंक से नुकसान हो चुका है इसलिए बीजेपी यह गलती दोबारा नहीं दोहराना चाहती। सवाल 5: शाह के बयान पर कांग्रेस की स्ट्रैटजी क्या है?जवाबः सीनियर जर्नलिस्ट और पॉलिटिकल एक्सपर्ट रशीद किदवई के मुताबिक, ‘कांग्रेस ने शाह के बयान को सिस्टमैटिकली उठाया। राहुल गांधी ने अपनी जगह कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को आगे किया। कांग्रेस ने बीजेपी के दलित वोट बैंक के खिलाफ दलित नेता को ही चेहरा बनाया क्योंकि बीजेपी शाह के बयान पर एक दलित नेता का काट नहीं ला सकती।’ 19 दिसंबर को मल्लिकार्जुन खड़गे ने शाह के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस भी पेश किया। दरअसल, सदन में हर सांसद के पास विशेषाधिकार होते हैं। इन अधिकारों का हनन करने पर नोटिस पेश किया जाता है। इसके लिए एक जांच कमेटी गठित होती है, जो जांच करती है। इसकी रिपोर्ट सदन के अध्यक्ष को सौंपी जाती है, जिस पर आगे कार्यवाही होती है। खड़गे ने कहा, गृह मंत्री ने हम पर अंबेडकर के बारे में 100 बार बोलने का आरोप लगाया और हमसे कहा कि अगर हमने भगवान को इतनी बार याद किया होता तो हम 7 बार स्वर्ग प्राप्त कर सकते थे। सवाल 6: क्या ये कांग्रेस के लिए अपने खोए मोमेंटम को हासिल करने का मौका है?जवाबः लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो यात्रा' और 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' ने पार्टी के लिए पॉजिटिव माहौल बनाया। उन्होंने संविधान और आरक्षण का मुद्दा उठाया और नैरेटिव बनाने में बीजेपी को पीछे छोड़ा। इसके अलावा क्षेत्रीय दलों के साथ गठजोड़ कर INDIA अलायंस बनाया और एकजुट होकर बीजेपी को टक्कर दी। '400 पार' का नारा देने वाली बीजेपी 240 सीटों पर सिमट गई। बीजेपी को सरकार बनाने के लिए NDA की सहयोगी पार्टियों की मदद लेनी पड़ी। वहीं कांग्रेस ने 30% स्ट्राइक रेट के साथ 99 सीटों पर जीत हासिल की, जो बीते 2 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की परफॉर्मेंस से कहीं बेहतर है। कुल मिलाकर कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव 2024 में मोमेंटम गेन किया, जो नतीजों में भी नजर आया, लेकिन आम चुनाव के बाद 4 राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए और यहां कांग्रेस ने अपना मोमेंटम गंवा दिया। हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र और झारखंड की कुल 554 में से महज 75 सीटें ही कांग्रेस जीत सकी। महाराष्ट्र में पार्टी का सबसे बुरा हाल हुआ और 16 सीटों में सिमट गई। हालांकि जम्मू-कश्मीर और झारखंड में क्षेत्रीय दलों के साथ कांग्रेस सरकार में है। अब अंबेडकर का मुद्दा उठाकर कांग्रेस गंवाया हुआ मोमेंटम हासिल करना चाहती है। इलेक्शन एनालिस्ट अमिताभ तिवारी मानते हैं कि संसद में संविधान पर हुई चर्चा में कांग्रेस बैकफुट पर रही। वे कहते हैं, पॉलिटिकल एनालिस्ट रशीद किदवई मानते हैं कि कांग्रेस इस मुद्दे से अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है। वे कहते हैं, सवाल 7: शाह माफी मांगेगे या विपक्ष ठंडा पड़ जाएगा; इस कंट्रोवर्सी में आगे क्या हो सकता है?जवाबः पॉलिटिकल एनालिस्ट रशीद किदवई के मुताबिक, 20 दिसंबर को सदन का आखिरी दिन है, लेकिन यह मामला तूल पकड़ेगा। कांग्रेस इसे संसद के बाद जनता की अदालत में लेकर जाएगी। जिस तरह कांग्रेस ने संविधान बचाने की बात संसद में की और बीजेपी पर इसे मिटाने के आरोप लगाए, कांग्रेस इसे जल्दी ठंडा नहीं होने देगी।’ कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा, अमित शाह ने जो कहा, उसे पूरी दुनिया ने देखा है। यह लाइव टेलीकास्ट था। उसके बाद वह झूठ बोल रहे हैं। यह देश बाबा साहब अंबेडकर का अपमान बर्दाश्त नहीं कर सकता। जब तक अमित शाह इस्तीफा नहीं देते और माफी नहीं मांगते, तब तक हम शांतिपूर्ण तरीके से अपनी आवाज उठाते रहेंगे। वहीं बीजेपी मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए पूरी ताकत से लड़ रही है। 19 दिसंबर को संसद में धक्का-मुक्की का माहौल बना, जिसमें बीजेपी सांसद प्रताप सारंगी को चोट लग गई। पार्टी ने इसका आरोप राहुल गांधी पर लगाया और FIR दर्ज कराई। बीजेपी ने इतिहास के पन्ने भी खोल दिए। PM मोदी ने नेहरू पर अंबेडकर का अपमान करने के आरोप लगाए और उन्हें भारत रत्न न देने की बात कही। बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर ने कहा, नेहरू-गांधी परिवार ने हमेशा अंबेडकर का अपमान किया। नेहरू ने खुद अंबेडकर के खिलाफ साजिश रची ताकि वे चुनाव हार जाएं और राजनीति छोड़ने पर मजबूर हो जाएं। रशीद किदवई का कहना है कि ‘दलित वोट बैंक राजनीतिक रूप से सबसे ज्यादा संवेदनशील है। इसका सीधा असर यूपी, दिल्ली और बिहार जैसे आगामी चुनाव पर भी पड़ेगा। इन जगहों पर कांग्रेस को जीत के लिए बहुत ज्यादा मेहनत करने की जरूरत होगी इसलिए शाह का बयान कांग्रेस के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।’ ------------- रिसर्च सहयोग- आयुष अग्रवाल ------------- अमित शाह से जुड़ी अन्य खबर पढ़ें अंबेडकर-आरक्षण बयान पर सफाई देने आए शाह: कहा- मेरा बयान तोड़ा-मरोड़ा; खड़गे की मांग- रात 12 से पहले PM गृह मंत्री को बर्खास्त करें राज्यसभा में अंबेडकर को लेकर अपनी टिप्पणी पर गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सफाई दी। कहा- 'संसद में बात तथ्य और सत्य के आधार पर होनी चाहिए। भाजपा के सदस्यों ने ऐसा ही किया। जब साबित हो गया कि कांग्रेस अंबेडकर विरोधी पार्टी है, आरक्षण विरोधी है, संविधान विरोधी है, तो कांग्रेस ने अपनी पुरानी रणनीति अपनाते हुए बयानों को तोड़ना-मरोड़ना शुरू कर दिया।' पूरी खबर पढ़ें...
पाकिस्तानी भिखारियों से पूरी दुनिया परेशान है। पाकिस्तान सरकार को करीब 4300 भिखारियों को देश से बाहर जाने से रोकने के लिए नो-फ्लाई लिस्ट में शामिल करना पड़ा। पाकिस्तान में लगातार बढ़ती भिखारियों की संख्या की वजह क्या है और ये दुनियाभर के लिए कैसी परेशानी पैदा कर रहे हैं, जानेंगे स्पॉटलाइट में।
Putin Press Conference:सबसे पहले पुतिन ने देश की आर्थिक स्थिति पर बात की. उन्होंने कहा कि इस साल यह लगभग चार प्रतिशत की दर से आगे बढ़ने की राह पर है. उन्होंने माना कि कंज्यूमर इन्फ्लेशन 9.3 प्रतिशत के उच्च स्तर पर है, लेकिन उन्होंने इसे कम करने के लिए सेंट्रल बैंक की कोशिशों का जिक्र किया और इस बात पर जोर दिया कि इकोनॉमी में स्थिति 'स्थिर' बनी हुई है.
पेड़ों पर खूबसूरत गरम कपड़े क्यों लपेट रहे इस देश के लोग? इमोशनल कर देगी वजह
South Korea Tree: दिनोंदिन पारा नीचे लुढ़कता जा रहा है. धुंध और कोहरे के बीच लोग ढेर सारे गरम कपड़ों में लिपटे नजर आ रहे हैं. लेकिन एक देश ऐसा हैं जहां लोग सर्दियों में अपने साथ-साथ पेड़ों के लिए भी स्वेटर बना रहे हैं और उनपर लपेट रहे हैं.
अपना पेट ही नहीं पालतीं बल्कि टैक्स भी भरती हैं इन देशों की सेक्स वर्कर, बदले में सरकार...
Sex Worker legal in which Country: वेश्यावृत्ति समाज की काली सच्चाई है लेकिन दुनिया के तमाम देशों में वैध या अवैध रूप से यह चल रही है. कुछ देश ऐसे हैं जहां सेक्स वर्कर्स का काम करना वैध है और उन्हें वेश्यावृत्ति के लिए बाकायदा लाइसेंस दिया जाता है.
Houthis Israel Ballistic Missile: हूतियों ने बैलिस्टिक मिसाइलों से मध्य इजराइल पर जो हमला किया है, उसका वीडियो सामने आया है. वहीं इन हमलों के बाद इजराइल ने काउंटर अटैक किया, जिसमें 9 लोगों की मौत हो गई.
महिलाएं नाजुक फूल..बोले ईरान के आका खामेनेई, क्या समझ गए 'फ्लावर नहीं फायर हैं' वो?
Iran Hijab Protest: ईरान में एक ओर महिलाओं के अधिकारों को कुचलने वाले कानून लाए जाने के विरोध में जमकर प्रदर्शन हो रहे हैं. सरकार को इन कानून पर रोक लगानी पड़ गई है. इसी बीच सुप्रीम लीडर खामेनेई ने महिलाओं को 'नाजुक फूल' करार दिया है.
मुस्लिम देश की ये तकनीक बचाएगी दुनिया को! वैज्ञानिक भी हुए मुरीद, मिल पाएगा भोजन-पानी
Water Conservation in Agriculture: भोजन-पानी के बिना जीवन की कल्पना करना संभव नहीं है. लेकिन दुनिया में बढ़ रहे जलसंकट के बीच खेती करना भी मुश्किल है. इसके लिए वैज्ञानिकों की रिसर्च में एक अहम बात सामने आई है.
30 हजार फीट की ऊंचाई पर था अमेरिकी विमान, फिर आ गई बाढ़! अजीब हालात में फंसे यात्री, देखें Video
Flight toilet viral video: कैसा हो कि पैसेंजर 30 हजार फीट की ऊंचाई पर विमान में हों और उन पर नई आपदा आ जाए. हाल ही में एक अमेरिकी एयरलाइन के विमान में बैठे यात्रियों के साथ एक ऐसी घटना हुई कि वे दहल गए. घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है.
Israel Lebanon War: इजराइल हिजबुल्लाह को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है और रोजाना उसे तबाह करने के लिए आगे बढ़ता जा रहा है. अब इजराइल ने हिजबुल्लाह के अंडरग्राउंड कमांड सेंटर को भी तबाह कर दिया है.
दुनिया का सबसे बड़ा समुद्री जहाज हादसा, जिसमें मरे थे टाइटेनिक से 7 गुना ज्यादा लोग
World Biggest Ship Accident: मुंबई में गेट वे ऑफ इंडिया के पास हुए यात्री बोट हादसे में 13 लोगों की जान चली गई. इस दुखद घटना ने दिमाग में टाइटेनिक समेत देश-दुनिया के ऐसे हादसों की याद ताजा कर दी. जानिए दुनिया का सबसे बड़ा शिप हादसा कौनसा था, जिसमें हजारों लोगों की जान गई थी. इस समुद्री जहाज हादसे में टाइटेनिक से ज्यादा लोग मारे गए थे.
मेरे तीन छोटे बच्चे थे और कमाई एक रुपए भी नहीं थी। कई साल ऐसे बीते जब मेरे पास कोई काम नहीं था। मेरे पास न खेती के लिए जमीन थी और न ही चराने के लिए कोई मवेशी। उधार लेकर और छोटे मोटे काम कर जैसे-तैसे अपने परिवार को एक वक्त का खाना खिला पाता था। धीरे-धीरे कर्ज बढ़ता गया। मैं लाखों रुपए के कर्ज में डूब गया। गांव के एक जानने वाले ने मुझे सन्नी से मिलवाया और कहा ये तुम्हारी मदद कर सकता है। सन्नी के पास गया तो उसने पूछा घर में कौन-कौन है। मैंने बताया दो बेटी, एक बेटा, मैं और मेरी पत्नी। उसने तुरंत कहा बड़ी बेटी मुझे दे दो और पैसे ले जाओ। मैंने सन्नी को एक लाख रुपए के बदले एक साल के लिए बड़ी बेटी बिंदिया दे दी। उसने मेरी 10 साल की बेटी पता नहीं किसे बेच दी। मुझसे कहा था बीच-बीच में बिंदिया से मिलवाता रहेगा। उसे पढ़ाएगा-लिखाएगा। मिलवाना तो दूर उसने कभी फोन पर भी हमारी बात नहीं करवाई। गोपीचंद के इतना बोलते ही उनकी पत्नी संगीता रोने लगती हैं। कहती हैं- मैं अपनी बच्ची को देखने के लिए तरस गई। सन्नी ने कहा था एक साल बाद पैसे लौटा देना, बेटी वापस ले जाना। सालों बीत गए, लेकिन बेटी घर नहीं आई। ब्लैकबोर्ड में आज स्याह कहानी राजस्थान के उस गांव की जहां मां-बाप कर्ज उतारने के लिए लीज पर भेज रहे बेटियां… शाम के अभी 6 ही बजे हैं, कोटा से 110 किलोमीटर दूर नादियाखेड़ी की कंजर बस्ती में सन्नाटा पसरा है। दिसंबर की सर्द रात में यहां दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आता। अंधेरे को चीरते मेरी गाड़ी गोपीचंद के घर पहुंची। गोपीचंद अपनी पत्नी संगीता के साथ घर के बाहर चूल्हे के पास बैठे हुए थे। मैंने पूछा पूरी बस्ती में अंधेरा है, लाइट कब तक आएगी। जवाब मिला यहां बिजली का कनेक्शन नहीं है। इस बस्ती में कोटा पत्थर से बने हुए 10-15 मकान हैं और किसी भी मकान पर प्लास्टर नहीं है। यहां कंजर समुदाय के लोग रहते हैं जिनके पास आय का कोई स्थायी जरिया नहीं है। न खेत, न मवेशी और न ही कोई व्यवसाय। मैंने गोपीचंद से पूछा आप क्या करते हैं? वो कहते हैं मेरे पास कोई काम नहीं है। कभी किसी के मवेशी चरा देता हूं या मजदूरी कर लेता हूं। कभी घर आ जाता हूं तो कभी घर भी नहीं आता। घर में कौन कौन है? इस पर गोपीचंद बताते हैं मेरी बीवी और एक बच्ची। एक बेटा था जो अब शांत (गुजर) हो गया। फिर मैंने पूछा कि आपकी बड़ी बेटी कहां है? इस पर गोपीचंद थोड़ा घबरा जाते हैं। कहते हैं- मेरी एक ही बेटी है जो सामने बैठी है। बार-बार पूछने पर कहते हैं कि मैंने सन्नी को एक लाख रुपए के बदले बड़ी बेटी बिंदिया दे दी थी। सन्नी हमारी बच्ची को जाने कहां ले गया और बेच दिया। मैंने बेटी उसको देने से पहले कई बार पूछा था कि मिलवाने तो लाएगा ना, उसने हां भी कहा था, फिर भी कभी वापस नहीं आया। मैंने पूछा ये सन्नी कौन है? क्या आप इसको पहले से जानते थे? गोपीचंद ने कहा हमारे ऊपर कर्ज बहुत बढ़ गया था। कमाई का कोई साधन नहीं था इसलिए चुका नहीं पा रहे थे। गांव के जानने वाले ने हमे सन्नी से मिलवाया। मैं उससे पहले कभी नहीं मिला था। सन्नी ने कहा वो एनजीओ से है और हम जैसे गरीब लोगों की मदद करता है। एक लाख रुपए के बदले उसने मेरी 10 साल की बिंदिया को रख लिया। सन्नी ने वादा किया था कि बिंदिया को पढ़ाएगा, लिखाएगा अच्छे कपड़े देंगे और साल भर बाद जब हम एक लाख रुपए वापस करेंगे तो बेटी वापस कर देगा। उसने कागज पर हमसे अंगूठा भी लगवाया था, वो कागज भी सन्नी अपने साथ ही ले गया। बिंदिया की कोई तस्वीर है आपके पास? ये पूछते ही संगीता घर के अंदर गई। संगीता के घर में दीवारों के अलावा कुछ भी नहीं था। उन्हीं दीवारों के बीच बंधी रस्सी से संगीता ने एक गुलाबी पोटली खोलकर मुझे बिंदिया की तस्वीर दिखाई। सांवला रंग, बड़ी-बड़ी सुंदर कजरारी आंखें, सफेद लहंगा-चोली पर बने गुलाबी फूल और हाथों में रंग बिरंगी चूड़ियां पहने बिंदिया फोटो में मां के साथ खड़ी है। आंखों में आंसू लिए संगीता कहती हैं मेरी बेटी अच्छी, समझदार थी। मेरा साथ देती थी और घर का काम करवाती थी। आज मेरे पास पैसे होते तो मैं अपनी बेटी को वापस ले आती। मेरे पास कमाई का कोई जरिया नहीं है, ये मकान है जिसकी छत से पानी रिसता है। मैं संगीता से बात ही कर रही थी, पीछे से आवाज आई मैडम क्या आपको बिंदिया के बारे में कुछ पता है क्या? पलट के देखा तो, गुलाबी रंग का लहंगा चोली पहने एक लड़की खड़ी थी। नाम पूछा तो बोली गुड्डी। मेरे पास आकर गुड्डी मेरी तरफ उम्मीद भरी नजरों से देखती है। कुछ देर चुप रहती है, फिर कहती है, बिंदिया मेरी बहुत अच्छी सहेली थी, मुझे उसकी बहुत याद आती है। पता नहीं वो कहां होगी, कैसे जीती होगी। हम दोनों नीम के पेड़ पर झूला बांधकर घंटों झूलते थे। अब वो धंधे पर चली गई क्या? गुड्डी के इतना बोलते ही संगीता तुरंत बोल पड़ी, वो धंधे पर नहीं गई, हमने उसे सन्नी को दिया था। हमारी बेटी एक दिन वापस आएगी। धीरे-धीरे गोपीचंद के घर के बाहर भीड़ इकट्ठा होने लगती है। हमारे आने की खबर पूरी बस्ती में फैल जाती है। उसी भीड़ में से एक लड़का आकर हमें सलाह देता है कि जितना जल्दी हो आप यहां से निकल जाइए। जिसके बारे में आप लोग बात कर रहे हैं वो बहुत ही खतरनाक लोग हैं। उनको पता चल गया है कि आप यहां आई हैं। आपके लिए तो ये खतरनाक है ही, गोपीचंद और संगीता भी मुश्किल में पड़ सकते हैं। गोपीचंद और संगीता भी आगे कुछ कहने से मना कर देते हैं, तो हम उठकर वहां से चल देते हैं। जाते-जाते संगीता मेरा हाथ पकड़कर कहती है मैडम आपके लंबे हाथ हैं, आप मेरी बिंदिया को ला सकती हो। मैं उसे गले लगाकर गाड़ी में बैठ गई और मुड़कर पीछे देखने की हिम्मत ना जुटा पाई। ये कहानी सिर्फ एक परिवार की नहीं बल्कि आसपास के कई गांवों की है, जहां लोग कर्ज उतारने और रोजी-रोटी के लिए अपनी बेटियों को दूसरे राज्यों के दलालों को लीज पर देते हैं। ऐसे ही कुछ और परिवारों को ढूंढते हुए मैं बीड़ीयाखेरी गांव की कंजर बस्ती में पहुंची। इस बस्ती का हाल भी नादियाखेड़ी जैसा ही था। मूलभूत सुविधाओं के अभाव में जी रहे कंजर समुदाय के ये लोग एक वक्त की रोटी के लिए हर रोज संघर्ष करते हैं। हाथ में बेटियों की पासपोर्ट साइज तस्वीर लिए रूपचंद कहते हैं, मेरी तीन बेटियां थीं। अब वो जाने किस नरक में हैं। मैंने पैसे के बदले तीनों बेटियों को लड़के पर दे दिया था। मैंने पूछा लड़के पर दे दिया था का क्या मतलब?इस पर रूपचंद समझाते हैं, मतलब जिसको दी थी वो पढ़ा-लिखाकर लड़की के बड़ा होने पर उसकी अच्छी जगह शादी करवा देंगे। राजरानी ने वादा किया था कि वो बीच-बीच में बेटियों से मुझे मिलवाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।राजरानी ने मेरी लड़कियों को धंधे पर लगवा दिया। मैंने इसकी शिकायत पुलिस में भी की, लेकिन किसी ने मदद नहीं की। मुझे पता चला है कि अब तो मेरी बड़ी बेटी के भी एक लड़की हो गई है। आपकी बेटियों की उम्र क्या थी?मेरी बड़ी बेटी रीना की उम्र 15 साल थी और उसको घर से गए 15 साल बीत चुके हैं। पूजा की उम्र 10 साल थी और उसको दिए हुए 12 साल हो गए हैं। मेरी छोटी बेटी चंदा अब 13 साल की हो चुकी है, उसे 7 साल की उम्र में दिया था।हमें ये भी बोला गया था कि समय-समय पर तुम्हें और पैसे भी दिए जाएंगे। आज तक न बेटी आई और न पैसे मिले। रीना को वो महज 5 हजार रुपए देकर ले गए थे। पूजा को 10 हजार और चंदा को 50 हजार देकर ले गए थे। इतने कम पैसों से हम अपना कर्ज भी नहीं उतार पाए। हमें कोई सही रास्ता दिखाने वाला नहीं था और परेशानी इतनी थी कि कोई दूसरा रास्ता सूझा ही नहीं। इसी मजबूरी का दलालों ने फायदा उठा लिया। ऐसी क्या मजबूरी थी कि आपको अपनी बेटियां देनी पड़ीं?इस पर रूपचंद कहते हैं पुलिस वालों ने मेरे ऊपर केस लगा दिए थे। हम कंजर समुदाय से हैं हमारे साथ यही होता है। कहीं भी चोरी या लूट होती है तो पुलिस हमें उठाकर ले जाती है। बहुत पहले से ही हमारे समुदाय पर अपराधी होने का कलंक लगा हुआ है। गरीबी इतनी थी कि कुछ पैसों के लिए मैंने अपनी बेटियां दे दीं।लड़कियों को वापस लाने की बहुत कोशिश की, लेकिन नहीं ला पाया और पुलिस वाले भी मदद नहीं करते। मुझे रात भर नींद नहीं आती। हर वक्त अपनी बेटियों रीना, पूजा और चंदा की याद आती है। रूपचंद की पत्नी सरिता बेटियों को याद कर फूट-फूटकर रोने लगती हैं। वो कहती हैं कि हमने कभी सोचा नहीं था कि उनको धंधे पर लगा दिया जाएगा। वो मेरे साथ होतीं तो उनकी शादी करवाती और उनका घर बसाती। कई साल हो गए अपनी बेटियों को देखा तक नहीं।सरिता रूपचंद की तरफ इशारा करके कहती हैं आज इसकी वजह से मेरी बेटियां मेरे साथ नहीं हैं। मेरी दो बेटियां और हैं, मुझे डर लगा रहता है कि कहीं ये उनको भी लीज पर न रख दे। बस्ती वालों से बात करने पर पता चला कि इसी बस्ती में राकेश नाम के व्यक्ति ने भी अपनी 6 साल की बेटी को लीज पर दे रखा है। हम राकेश के घर पहुंचे तो उसने हमसे बात करने से साफ मना कर दिया। हमने पूछा बेटी कहां है तो वो कहते हैं कि हमने राजी-खुशी से दूर की बुआ के घर भेज दिया।मैंने पूछा बुआ कौन से गांव में रहती है इस पर राकेश कहते हैं गांव का नाम मुझे याद नहीं। इतना कहते ही वो घर का दरवाजा बंद करने लगते हैं। घर के अंदर से उनकी पत्नी सुधा चीखने लगती हैं। कहती हैं, झूठ क्यों बोलता है, बताता क्यों नहीं है कि पैसे के बदले बेटी दे दी है। सुधा रोती हुई घर से बाहर आती हैं, मेरे पास आकर कहती हैं, मेरे पास अगर पैसे होते तो मैं अपनी लड़की वापस ले आती। इसने मेरी लड़की को 50 हजार में बेच दिया। इस पर राकेश कहता है बेचा नहीं है लड़के पर दी है, वहां उसका ख्याल रखा जाएगा।हम उसको यहां क्या खिलाते, हमारे पास तो खुद कुछ खाने को नहीं है। उसके इतना बोलते ही राकेश और सुधा में लड़ाई होने लगती है। राकेश के घर के बाहर और लोग भी जुटने लगते हैं। लोग कहते हैं कि सच-सच क्यों नही बताता कि लड़की लीज पर दी है। क्या पता तेरे सच बोलने पर सरकार ही मदद कर दे। इस पर राकेश कहता है मुझे किसी को कुछ नहीं बताना, मैडम आप यहां से चली जाइए। अगर उन लोगों को पता चल गया कि मैने मीडिया से बात की है तो मैं बहुत बड़ी मुसीबत में फंस जाऊगा। तब मेरी मदद के लिए कोई नहीं आएगा। हमारी तो न सरकार है और न पुलिस। लड़कियों को लीज पर दिए जाने की पूरी प्रक्रिया (मोडस ऑपरेंडी) क्या है, ये जानने के लिए हम सामाजिक कार्यकर्ता विजय (बदला हुआ नाम) के पास पहुंचे। विजय बताते हैं कि अगर किसी के घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, तो ये लोग उसे समझाकर लड़की ले जाते हैं। कहते हैं हम लड़की का लालन-पोषण कर अच्छे लड़के से शादी करवा देंगे। कुछ पैसे देकर ये लड़की ले जाते हैं और आगे बेच देते हैं जिसमें मोटी कमाई होती है। बाद में परिवार कोशिश करता है लड़की को वापस लाने की, लेकिन लड़की नहीं मिलती। मामला पंचों तक भी पहुंचता है। वहां भी आपस में सुलह करवाकर परिवार को कुछ और रकम पकड़ाकर मामला रफा-दफा कर दिया जाता है। हमने कॉल सेंटर पर फोन करके दो लड़कियों को वापस भी बुला लिया था, लेकिन माता-पिता ने वो लड़कियां कुछ टाइम बाद दलाल को दोबारा दे दी। ऐसे अधिकतर मामलों में सौदा ऑन पेपर यानी दस्तावेज के आधार पर होता है। अगर लड़की भागती है या वापस अपने माता-पिता के पास आ जाती है, तो माता-पिता की ये जिम्मेदारी होती है कि जब तक लीज पूरी ना हो, लड़की को वापस दलाल के पास भेज दें। विजय बताते हैं कि यहां आसपास के गांव जरेले, चांदियाखेड़ी, नादियाखेड़ी, नारायणपुरा, किशनपुरा, बीड़ीयाखेड़ी में ये धंधा फल-फूल रहा है। गरीबी के कारण ये लोग अपने बच्चों को पढ़ा-लिखा भी नहीं पाते। ये बोलते हैं कि हमने अपनी लड़की लीज पर दे दी तो कर्ज मुक्त हो जाएंगे, लेकिन इनको पैसे भी इतने नहीं मिल पाते कि ये कर्ज मुक्त हो जाएं। बिचौलिए इनको बेवकूफ बनाकर ठग लेते हैं। -------------------------------------------------------- ब्लैकबोर्ड सीरीज की ये खबरें भी पढ़िए... 1. ब्लैकबोर्ड-लड़के दहेज देकर कर्ज में डूबे:मां-बाप कर रहे आत्महत्या, MP का गांव जहां पैसे देकर लाते हैं बहू जेता के पति मान सिंह मुन्ना ने 21 दिन पहले आत्महत्या कर ली। इकलौते बेटे की शादी में मान सिंह ने उधार लेकर दहेज दिया था। इस कर्ज को मान सिंह उतार नहीं पाए और परेशान होकर फांसी लगा ली। पढ़िए पूर खबर... 2.ब्लैकबोर्ड- मारा,कपड़े फाड़े और पति को मेरे कंधे पर बिठाया:शक में मिली सजा, मध्यप्रदेश की ‘घोड़ी लाडी’ कुप्रथा का दर्द 'उस दिन लोगों ने मुझे बहुत मारा। औरतों ने मेरे कपड़े फाड़ दिए। डंडे, बैट जिसके जो हाथ लगा उसी से पीटा। मेरे साथ गंदी हरकत की। मुझे इतना मारा कि मैं बेहोश हो गई।' पूरी खबर पढ़िए... 3.ब्लैकबोर्ड- मर्द हूं, किन्नर बनकर रहने को मजबूर:15 लाख कर्ज, बैंक वाले गाड़ी खींच ले गए; क्यों किन्नर बनकर घूम रहे मर्द 'कोई मीठा बोलता है, तो कोई छक्का या हिजड़ा। आते-जाते टच भी करते हैं। शुरुआत में बुरा लगता था। बड़ी ही मुश्किल से खुद को कंट्रोल कर पाता था, लेकिन अब धीरे-धीरे ये सब सुनने और सहने की आदत सी हो गई है। कहने को तो अपने घर में मर्द हूं, पत्नी है और बच्चे भी हैं।' पूरी खबर पढ़िए...
इंडियन आर्मी और असम राइफल्स ने मणिपुर पुलिस के साथ मिलकर सोमवार को एक सर्च ऑपरेशन चलाया। इसमें 29 हथियार और गोला-बारूद बरामद हुए, पिछले डेढ़ साल से हिंसा में उलझे मणिपुर में ये मिलना स्वाभाविक है। लेकिन जिस आइटम ने सबको हैरान किया, वो है स्टारलिंक डिवाइस। स्टारलिंक इलॉन मस्क की सैटेलाइट इंटरनेट कंपनी है, जो सीधा सैटेलाइट से आपके पास इंटरनेट पहुंचा देता है। ये भारत में लीगल नहीं है। मस्क का स्टारलिंक सैटेलाइट कैसे काम करता है, भारत में अवैध है, फिर घुसपैठिए कैसे इसका इस्तेमाल कर रहे, भारत के लिए चिंता का सबब क्यों; जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में… सवाल 1: मणिपुर में पुलिस को घुसपैठियों के पास से स्टारलिंक डिवाइस कैसे मिला?जवाब: भारतीय सेना, असम राइफल्स और मणिपुर पुलिस ने मणिपुर के चुराचांदपुर, चंदेल, इम्फाल पूर्व और कांगपोकपी के पहाड़ी और घाटी इलाकों में एक सर्च मिशन चलाया। टीम ने इम्फाल पूर्वी जिले के खुनौ में मैतेई विद्रोहियों से हथियारों के साथ स्टारलिंक डिश, राउटर और लगभग 20 मीटर की FTP केबल बरामद की है। इसे इंटरनेट सैटेलाइट एंटीना और इंटरनेट सैटेलाइट राउटर भी कहा जाता है। असम राइफल्स ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर तस्वीरें शेयर कीं। इसमें एक सफेद रंग का चौकोर राउटर दिखाया गया, जिस पर स्टारलिंक का लोगो बना हुआ था। तस्वीर में राउटर पर RPF/PLA लिखा हुआ है। PLA का मतलब पीपुल्स लिबरेशन आर्मी और RPF यानी रिवोल्यूशनरी पीपुल्स फ्रंट है। यह म्यांमार से संचालित होने वाला एक मैतेई चरमपंथी ग्रुप है, जिसे केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बैन किया हुआ है। यह ग्रुप मणिपुर को भारत से अलग करने की वकालत करता है। सवाल 2: स्टारलिंक डिवाइस है क्या, ये नॉर्मल इंटरनेट सर्विस से कैसे अलग है?जवाब: इलॉन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स ने 2019 में स्टारलिंक सैटेलाइट प्रोजेक्ट लॉन्च किया था। यह एक लो अर्थ ऑर्बिट्स (LEO) सैटेलाइट है, जो दूर-दराज के इलाकों में इंटरनेट की सुविधा मुहैया कराती है। आसान भाषा में समझें तो ये सैटेलाइट गांव, पहाड़ी इलाके या समुद्री क्षेत्रों में इंटरनेट पहुंचाता है। आमतौर पर इन जगहों पर ब्रॉडबैंड या फिर मोबाइल नेटवर्क की सर्विस नहीं मिलती। सवाल 3: क्या इंडिया मार्ट जैसे B2B प्लेटफॉर्म से यह डिवाइस खरीदा जा सकता है?जवाब: द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, स्टारलिंक डिवाइस को बिजनेस-टु-बिजनेस रिटेल प्लेटफॉर्म इंडियामार्ट पर बिक्री के लिए लिस्टेड किया गया। इंडियामार्ट पर इस डिवाइस की कीमत 15 हजार रुपए से 97 हजार रुपए तक थी। कई डिस्ट्रीब्यूटर्स ने इंडियामार्ट पर इसे लिस्टेड किया था। हालांकि यह साफ नहीं हुआ कि स्टारलिंक डिवाइस असली थे या नहीं। इन डिवाइसेज को भारत में खरीदने पर भुगतान की प्रोसेस के बारे में भी नहीं बताया गया। स्पेसएक्स की ओर से इस बारे में सवाल पूछने पर कोई जवाब नहीं मिला। द हिंदू की रिपोर्ट में बताया कि कुछ समय बाद इंडियामार्ट से कुछ लिस्टिंग हटा दी गई, लेकिन अन्य लिस्टिंग अभी भी बनी हुई है। स्पेसएक्स के प्रवक्ता ने एक ई-मेल के जवाब में कहा, 'एडवर्टाइजर और डिस्ट्रीब्यूटर ने जो डिवाइस वेबसाइट पर बेचने के लिए दिखाया है, उसके बारे में हमारे पास कोई जानकारी नहीं है। यह वेबसाइट पर मौजूद सेल्फ-एडिट टूल की वजह से अपने आप दिखाई दे रही है।' वहीं, केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से भी इस मामले पर कोई जवाब नहीं दिया गया। सवाल 4: भारत में स्टारलिंक लीगल नहीं, फिर घुसपैठिए कैसे इस्तेमाल कर रहे हैं?जवाब: देश में किसी भी कम्पनी को सैटेलाइट से इंटरनेट सुविधा देने के लिए ग्लोबल पर्सनल कम्युनिकेशन बाय सैटेलाइट (GMPCS) लाइसेंस लेना होता है। स्टारलिंक को अभी यह लाइसेंस नहीं मिला है। लाइसेंस में देरी की एक वजह भारत सरकार को सुरक्षा की चिंता भी है। सरकार का मानना है कि बिना लाइसेंस के ऐसे विदेशी गैजेट्स देश की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते हैं। इन डिवाइसेज के जरिए डेटा ट्रांसमिशन के लिए सैटेलाइट सेवाओं का इस्तेमाल आम हो जाएगा, जिस पर सरकार का कंट्रोल नहीं होगा। फर्स्टपोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, सुरक्षा अधिकारी मणिपुर मामले की जांच कर रहे हैं। इस डिवाइस को देश में तस्करी के प्रतिबंधों से बचने के लिए फर्जी जियोटैगिंग करने के लिए लाया गया होगा। ऐसा माना जा रहा है कि इस गैजेट को म्यांमार से भारत में तस्करी कर के लाया गया। भारत और म्यांमार बॉर्डर खुला हुआ है। कुछ किलोमीटर छोड़ दिए जाए तो बाकी पूरी सीमा पर कोई कंटीली बाड़ तक नहीं है, जिसके चलते तस्करी करना आसान है। म्यांमार में डिजिटल डोमेन में बदलावों पर नजर रखने वाले म्यांमार इंटरनेट प्रोजेक्ट के मुताबिक, म्यांमार में लगभग 3 हजार स्टारलिंक कनेक्शन हैं। आम जनता इन डिवाइसेज का इस्तेमाल अलग-अलग जगहों पर करती है। इसके साथ ही सरकार से लड़ने वाले जातीय विद्रोही लोग भी स्टारलिंक डिवाइस को चलाते हैं। सवाल 5: क्या भारत सरकार इससे निपटने को तैयार है?जवाब: साइबर लॉ एक्सपर्ट और सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट पवन दुग्गल के मुताबिक, सैटेलाइट डिवाइसेज का इस्तेमाल भारत की सुरक्षा को तोड़ने के लिए किया जा रहा है। नई टेक्नोलॉजी के जरिए बढ़ रहे अपराधों को रोकने के लिए नए कानून बनाने की जरूरत है। विद्रोही सैटेलाइट इंटरनेट का इस्तेमाल कर आतंकवाद विरोधी अभियानों को बढ़ा सकते हैं। नई टेक्नोलॉजी से उन्हें दूर-दराज के इलाकों में आसानी से इंटरनेट मिल रहा है। इससे वे आसानी से कम्युनिकेशन बना सकते हैं और प्रचार अभियान भी चला सकते हैं। भारत में साइबर अपराधों और इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स से निपटने के लिए आईटी एक्ट यानी सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 बनाया गया। इस कानून के तहत साइबर वॉर और साइबर आतंकवाद से जुड़े मामलों में उम्रकैद हो सकती है। दूसरे मामलों में 3 सात की जेल या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। पवन दुग्गल कहते हैं, भारत सरकार को इस ओर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। देश में साइबर सिक्योरिटी कैपेबिलिटी को बढ़ाना चाहिए। इस तरह के डिवाइसेज के लिए लाइसेंस प्रक्रिया को सख्त करने की जरूरत है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो यह टेक्नोलॉजी देश के खिलाफ नया हथियार बन जाएगी। सरकार को इससे बचने के लिए आईटी एक्ट में बदलाव लाने होंगे। सवाल 6: क्या दूर-दराज के इलाकों और कॉन्फ्लिक्ट जोन में स्टारलिंक के इस्तेमाल का एक पैटर्न बन गया है?जवाब: 2019 में लॉन्च के बाद कई देशों ने इस सैटेलाइट का इस्तेमाल वॉर में करना शुरू कर दिया। इस प्रोजेक्ट की मदद से कई देशों ने मुश्किल इलाकों में भी अपनी पहुंच बना ली। इससे सैटेलाइट के फायदे और नुकसान सामने आने लगे… 1. गाजा के अस्पतालों में इलाज मिलने लगाजुलाई 2024 में स्टारलिंक की ओर से गाजा में सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस शुरू की गई। इलॉन मस्क ने कहा कि स्टारलिंक सैटेलाइट इंटरनेट सेवा को यूएई और इजराइल की मदद से गाजा पट्टी के एक अस्पताल में शुरू किया गया। इसके बाद गाजा के अस्पतालों में वीडियो कॉल के जरिए इलाज होने लगा। 2. साउथ सूडान में दूरदराज इलाके इंटरनेट से जुड़ेजुलाई 2024 में साउथ सूडान के राष्ट्रीय संचार प्राधिकरण (NCA) ने स्टारलिंक को इंटरनेट सर्विस के लिए लाइसेंस दे दिया। जिसके बाद वहां के दूर-दराज इलाके भी इंटरनेट से जुड़ गए। इससे पहले साउथ सूडान की कनेक्टिविटी दर दुनिया में सबसे कम थी। डेटा बताने वाली संस्था केपियोस के मुताबिक, जनवरी 2024 तक यहां सिर्फ 12% लोग ही इंटरनेट का इस्तेमाल करते थे। 3. यूक्रेन-रूस युद्ध में स्टारलिंक सैटेलाइट हथियार बनाफरवरी 2022 में यूक्रेन के डिप्टी PM मिखाइलो फेडोरोव ने मस्क से स्टारलिंक इंटरनेट सर्विस की मांग की। जिस पर मस्क ने यूक्रेन में स्टारलिंक की इंटरनेट सेवा शुरू कर दी। DW की रिपोर्ट के मुताबिक, स्टारलिंक सैटेलाइट की मदद से यूक्रेन की सेना ने रूसी टैंकों और ठिकानों पर ड्रोन से हमले किए। इस सैटेलाइट की मदद से यूक्रेनी सेना को कम नेटवर्क या दूर-दराज के इलाकों में कम्युनिकेशन सुविधा मिली। हालांकि, मार्च 2024 में यूक्रेन ने रूस पर भी स्टारलिंक का इस्तेमाल करने की बात कही। यूक्रेन ने मस्क से रूस पर रोक लगाने की मांग भी की थी। सवाल 7: इसके अवैध इस्तेमाल पर मस्क क्या सोचते हैं, क्या उन्हें बिना लगाम की पावर मिल गई है?जवाब: इलॉन मस्क ने मणिपुर में स्टारलिंक डिवाइस मिलने की बात को नकार दिया। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि 'यह गलत है। भारत में स्टारलिंक सैटेलाइट के बीम्स को बंद कर दिया गया है।' 1. रूस के स्टारलिंक सैटेलाइट के इस्तेमाल को नकार दियाहालांकि यह पहली बार नहीं है जब मस्क ने स्टारलिंक के दुरुपयोग को नकार दिया है। इससे पहले उन्होंने यूक्रेन के दावे को भी खारिज कर दिया था। दरअसल रूस-यूक्रेन जंग के दौरान यूक्रेन ने दावा किया था कि रूस स्टारलिंक सैटेलाइट का गलत इस्तेमाल कर रहा है। इस पर मस्क ने कहा था कि स्टारलिंक रूस में काम नहीं कर सकता। 2. मस्क ने स्टारलिंक के दम पर ब्राजील पर हमला करने की धमकी दीअगस्त 2024 में ब्राजील ने मस्क के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X को फर्जी खबरें फैलाने की वजह से बैन कर दिया था। मस्क की इंटरनेट सर्विस को भी एक्सेस देने से मना कर दिया था। नतीजतन अक्टूबर 2024 में मस्क ने स्टारलिंक सैटेलाइट के जरिए ब्राजील पर हमला करने का ऐलान कर दिया। मस्क ने कहा कि स्टारलिंक सैटेलाइट ब्राजील के उन इलाकों तक पहुंच सकता था, जहां खुद ब्राजील की सेना को पहुंचने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता। हालांकि मस्क ने अपनी युद्ध की बात को वापस लेते हुए ब्राजील के कोर्ट से समझौता कर लिया था। पवन दुग्गल के मुताबिक, ‘दुनिया के सबसे अमीर आदमी के पास बेलगाम पावर होना बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। इस पावर का इस्तेमाल दूसरे राष्ट्रों के खिलाफ किया जा सकता है। इसके लिए सभी देशों की सरकार को गंभीरता से सोचने की जरूरत है।’ रिसर्च सहयोग- आयुष अग्रवाल ---------- स्टारलिंक से जुड़ी अन्य खबर पढ़ें स्टारलिंक की भारत में एंट्री लगभग तय: सिंधिया बोले- डेटा सिक्योरिटी रूल्स मानो तो लाइसेंस मिलेगा, नियमों पर कंपनी पहले से सहमत इलॉन मस्क की सैटेलाइट ब्रॉडबैंड कंपनी स्टारलिंक जल्द ही भारत में इंटरनेट सर्विस प्रोवाइड करना शुरू कर सकती है। केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मंगलवार को कहा कि हम किसी भी कंपनी को लाइसेंस देने के लिए तैयार हैं। पूरी खबर पढ़ें...
‘अब घर से बाहर निकलने से डर लगता है। मेरी नाइट ड्यूटी रहती है। मैंने कई बार कहा कि मेरी दिन की शिफ्ट कर दो। मैं बाहर रहती हूं तो बच्चों की फिक्र होती है। डर लगता है जमात के लोग न घुस आएं। मेरे बच्चों पर हमला न कर दें। सरकार भी हमारी कोई मदद नहीं कर रही।' रेशमा से हमारी मुलाकात बांग्लादेश में कवरेज के दौरान हुई थी। वे चटगांव के मेथोरपट्टी में रहती हैं। हिंदू आबादी वाली इस बस्ती पर 26 नवंबर को भीड़ ने हमला कर दिया था। घर जला दिए। मंदिरों में घुसकर मूर्तियां तोड़ दीं। इसके बाद से रेशमा डरी हुई हैं। उनकी बस्ती पर हमले का आरोप कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी पर लगा था। बांग्लादेश की हिंदू-बौद्ध-ईसाई काउंसिल के मुताबिक, 5 अगस्त को शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद से अब तक हिंदुओं पर 3 हजार से ज्यादा हमले हुए हैं। इनमें जमात-ए-इस्लामी के मेंबर्स के शामिल होने का शक है। जमात अकेला नहीं है, कवरेज के दौरान पता चला कि जमात समेत 5 संगठन हैं, जिन पर अल्पसंख्यकों को टारगेट करने और एंटी इंडिया कैंपेन चलाने के आरोप हैं। ये रहे पांचों संगठन… 1. जमात-ए-इस्लामी2. खिलाफत मजलिस3. हिज्ब-उत-तहरीर4. बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (पॉलिटिकल पार्टी)5. इस्लामी ओइक्या जोते (पॉलिटिकल पार्टी) ऐसी खबरें हैं कि जमात-ए-इस्लामी को पाकिस्तान सपोर्ट कर रहा है। ढाका में पाकिस्तानी उच्चायोग में लगातार मीटिंग हो रही हैं। हाल में जमात-ए-इस्लामी, खिलाफत मजलिस और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के नेता चीन से लौटकर आए हैं। बांग्लादेश में इंडिया आउट कैंपेन, दुश्मन देश घोषित करने की मांगकवरेज के दौरान हमने देखा कि बांग्लादेश में लोग भारत के खिलाफ प्रोटेस्ट कर रहे हैं। सड़कों के किनारे 'इंडिया आउट' लिखा है। लोगों में भारत, BJP और इस्कॉन के खिलाफ गुस्सा है। भारत का बॉयकॉट करने के लिए कहा जा रहा है। ढाका के प्रेस क्लब में BNP के नेता भारत में बनी साड़ियां और बेडशीट जला रहे हैं। संगठन: जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश का सबसे बड़ा इस्लामिक संगठन, अंतरिम सरकार ने बैन हटायाजमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश का सबसे बड़ा और पुराना इस्लामिक संगठन है। इस संगठन ने बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई के वक्त पाकिस्तान का साथ दिया था। 1975 में इसकी बांग्लादेश यूनिट की स्थापना की गई। आज ये पूरे देश में फैला हुआ है। 2013 में शेख हसीना सरकार ने जमात-ए-इस्लामी पर पाबंदी लगा दी थी। 2023 में बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने जमात के चुनाव लड़ने पर रोक लगाई थी। शेख हसीना सरकार गिरने के बाद बनी अंतरिम सरकार ने 28 अगस्त को जमात पर लगा बैन हटा दिया। दैनिक भास्कर ने जमात-ए-इस्लामी के नायब-ए-अमीर यानी वाइस प्रेसिडेंट डॉ. सैयद अब्दुल्लाह मोहम्मद ताहिर से बात की। उनसे अल्पसंख्यकों पर हमले में शामिल होने के आरोपों पर सवाल पूछे। ताहिर ने जवाब दिया, 'अल्पसंख्यकों पर हमले जमात की वजह से नहीं हो रहे। इसके पीछे पॉलिटिकल और सोशल वजहें हैं। इस तरह के हमले मुसलमानों पर भी होते हैं। इसलिए इसमें सांप्रदायिकता का कोई एंगल नहीं है।’ ‘अगर आप कह रहे हैं कि किसी हिंदू महिला ने कहा वो जमात से डरती है, तो मुझे लगता है जमात के बारे में उसने कहीं से सुना है। उसका अपना अनुभव नहीं होगा। जमात ने तो हिंदुओं की रक्षा की है। भारत में हालात खराब होते हैं, तब हम यहां हिंदुओं की सुरक्षा के लिए वॉलंटियर भेजते हैं। जिनके घर पर हमला हुआ है, वे अवामी लीग से जुड़े हैं।' भारत को लेकर स्टैंड क्लियर करते हुए वे कहते हैं, 'जमात ने भारत के खिलाफ बॉयकॉट की मांग नहीं की है। ये सच है कि बांग्लादेशियों में भारत के खिलाफ सेंटिमेंट हैं। 1971 के बाद हर बांग्लादेशी भारत के सपोर्ट में था। भारत को सोचना चाहिए कि ये दुश्मनी में क्यों तब्दील हुआ।' 28 नवंबर को बांग्लादेश से 14 लोगों का डेलिगेशन चीन गया था। ये एक महीने में दूसरा मौका था, जब बांग्लादेशी लीडर चीन गए थे। डेलिगेशन को सैयद अब्दुल्ला मोहम्मद ताहिर ने लीड किया था। डेलिगेशन में जमात-ए-इस्लामी के अलावा खलीफा मूवमेंट और खलीफा काउंसिल के मेंबर शामिल थे। हमने ताहिर से पूछा- क्या पाकिस्तान और चीन से आपकी नजदीकियां बढ़ रही हैं? वे जवाब देते हैं, ‘पाकिस्तान ने कभी जमात-ए-इस्लामी को अपने यहां नहीं बुलाया। यह गलत खबर है। चीन ने जमात-ए-इस्लामी और 4 इस्लामिक पार्टियों को बुलाया था। हम 7 दिन चीन में रहे। यह एक-दूसरे को समझने के लिए मुलाकात की तरह था। किसी हालिया मुद्दे से इसका लेना-देना नहीं है। चीन ने पहली बार जमात को इनवाइट किया था।’ ‘पिछले कुछ दिनों में भारत के नेताओं ने बांग्लादेश के बारे में आपत्तिजनक बयान दिए हैं। अगरतला में हमारी एम्बेसी पर हमला हुआ। लिहाजा सभी पार्टियां और लोग मतभेद भुलाकर भारत के खिलाफ एक प्लेटफॉर्म पर आ गए हैं।' संगठन: खिलाफत मजलिस नूपुर शर्मा केस हो या बाबरी मस्जिद, प्रोटेस्ट करने में सबसे आगेखिलाफत मजलिस 35 साल पुराना संगठन है। इसकी स्थापना बांग्लादेश में खिलाफत आंदोलन और इस्लामी जुबो शिबिर के विलय से हुई थी। 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढहाने के विरोध में इस संगठन ने 2 जनवरी, 1993 को ढाका से अयोध्या तक मार्च शुरू किया था। पार्टी लीडर अजीजुल हक के साथ पार्टी वर्कर्स खुलना बॉर्डर तक पहुंचे, लेकिन बांग्लादेश सरकार ने बॉर्डर बंद कर मार्च खत्म करवा दिया। खिलाफत मजलिस ने 2022 में BJP नेता नूपुर शर्मा की विवादित टिप्पणी के खिलाफ प्रदर्शन किया था। दैनिक भास्कर ने संगठन के जनरल सेक्रेटरी अहमद अब्दुल कादिर से बात की। वे कहते हैं, 'बांग्लादेश में हिंदू-मुस्लिम विवाद नहीं है। ये तनाव अवामी लीग और लोगों के बीच है। हो सकता है कि 5 अगस्त के बाद कुछ हिंदू प्रभावित हुए हों, लेकिन इसकी वजह उनका अवामी लीग से जुड़ाव है। भारत को यह समझना चाहिए।’ 'बांग्लादेश के लोग भारतीयों के खिलाफ नहीं हैं। वे PM मोदी और उनकी बांग्लादेश को लेकर नीतियों के खिलाफ हैं। मोदी ने शेख हसीना सरकार का सपोर्ट किया। ये बांग्लादेश के लोगों को मंजूर नहीं है। हम चाहते हैं कि भारत शेख हसीना को लौटा दे।’ ‘बांग्लादेश में कई साल से भारत के खिलाफ गुस्सा है। भारत और बांग्लादेश के बीच बॉर्डर इश्यू है। बॉर्डर पर हमारे लोगों की हत्या की जा रही है। पानी का मुद्दा है। भारत जब तक इन मसलों का समाधान नहीं करता, बांग्लादेश के साथ उनकी स्थिति ऐसी ही रहने वाली है।' क्या बांग्लादेश में सभी इस्लामिक पार्टियां साथ आ सकती हैं? कादिर जवाब देते हैं, 'हम कोशिश कर रहे हैं कि हम सब एक हो जाएं। चुनाव में एक पार्टी के तौर पर खड़े हों। बांग्लादेश में 92% मुस्लिम, 7% हिंदू और 1% बौद्ध-ईसाई हैं। लोग इस्लामी राज्य चाहते हैं। वे बांग्लादेश को इस्लामिक बनाने का सपना देखते हैं। सच्चे इस्लामी राज्य का मतलब दूसरे धर्मों की बुराई करना नहीं है।’ ‘भारत में हिंदुत्व अलग है। वे हिंदू धर्म की स्थापना के लिए दूसरे धर्मों से लड़ रहे हैं। इस्लाम ऐसा नहीं है। आपने कभी किसी मुसलमान को हिंदुओं पर हमला करते नहीं देखा होगा। हिंदुओं पर हमले में कोई इस्लामिक पार्टी शामिल नहीं है। हमने तो दुर्गा पूजा के दौरान हिंदू मंदिरों की सुरक्षा की।’ संगठन: हिज्ब-उत-तहरीर बांग्लादेश में बैन, लेकिन सड़कों पर भारत विरोध पोस्टर लगाएहिज्ब-उत-तहरीर प्रतिबंधित संगठन है, लेकिन ढाका और चटगांव की सड़कों पर इसके पोस्टर दिख जाते हैं। इन पोस्टर्स में भारत को दुश्मन देश घोषित करने की मांग है। साथ ही बाबरी मस्जिद, फरक्का डैम और बांग्लादेश के शहीद जवानों की फोटो हैं। इसी साल हिज्ब-उत-तहरीर ने ढाका में ISIS के झंडे के साथ मार्च निकाला था। इसमें कॉलेजों के स्टूडेंट भी शामिल थे। यह इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन है, जिसका मकसद बांग्लादेश में खिलाफत की स्थापना है। इस संगठन ने बांग्लादेश के अलावा पाकिस्तान और ब्रिटेन तक नेटवर्क बना लिया है। हालांकि सभी देशों में इस संगठन को बैन कर दिया गया है। हिज्ब उत-तहरीर ने 2000 में बांग्लादेश में एक्टिविटी शुरू की थीं। यहां 2009 में इस पर बैन लगा दिया गया। संगठन: इस्लामी ओइक्या जोते कभी भारत के साथ था, अब रिश्ते तोड़ेइस्लामी ओइक्या जोते 6 इस्लामिक पार्टियों के गठबंधन से बनी है। पार्टी ने 2024 के चुनाव में कैंडिडेट उतारे थे, लेकिन एक भी सीट नहीं जीत सकी। दैनिक भास्कर ने इस्लामी ओइक्या जोते के जनरल सेक्रेटरी मुफ्ती सखावत हुसैन राजी से बात की। वे कहते हैं, 'भारत को अपने यहां मीडिया के खिलाफ भी कदम उठाना चाहिए। भारत के विरोध की वजह बताते हुए मुफ्ती सखावत हुसैन राजी कहते हैं, ‘भारत सरकार मानसून के वक्त बिना खबर किए डैम और बैराज खोल देती है। इससे बांग्लादेश के कई हिस्से बाढ़ में डूब जाते हैं। सरकार अपनी मर्जी से बांग्लादेश आने वाली चीजों की सप्लाई रोक देती हैं।' संगठन: बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP)पार्टी लीडर इंडियन प्रोडक्ट जला रहे, एंटी इंडिया कैंपेन में शामिलशेख हसीना की सरकार में बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी यानी BNP देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी थी। शेख हसीना के बांग्लादेश छोड़ने का सबसे ज्यादा फायदा BNP को ही मिला है। अब वो देश की सबसे बड़ी पार्टी है। पार्टी के लीडर खुलेआम एंटी इंडिया कैंपेन चलाते रहे हैं। BNP के सीनियर जॉइंट जनरल सेक्रेटरी रुहुल कबीर रिजवी ने 5 दिसंबर को ढाका के प्रेस क्लब में एक कार्यक्रम किया था। उन्होंने भारत में बने प्रोडक्ट का बॉयकॉट करने की बात कहते हुए पत्नी की साड़ी जला दी थी। रिजवी ने कहा, 'भारतीयों ने बांग्लादेश के झंडे का अपमान किया है, हम इंडियन प्रोडक्ट का बॉयकॉट कर उन्हें जवाब देंगे।’ रिजवी ने अगरतला की घटना का जिक्र किया, जहां कुछ लोगों ने बांग्लादेशी हाई कमीशन में तोड़फोड़ की थी। आरोप है कि इस दौरान बांग्लादेश का झंडा फाड़ दिया गया। रिजवी ने आगे कहा, 'जब आप हमारा सम्मान नहीं करते, तो हम आपके प्रोडक्ट क्यों खरीदें। हम एक वक्त कम खाना पसंद करेंगे, लेकिन सिर कभी नहीं झुकाएंगे।' दैनिक भास्कर ने BNP के स्टैंडिंग कमेटी के सीनियर मेंबर और पूर्व मंत्री आमिर खुसरो से बात की। वे कहते हैं, 'भारत के कुछ नेता, मीडिया और सिविल सर्विस के अफसर बांग्लादेश में हिंदुओं का मुद्दा भुनाने की कोशिश कर रहे हैं। इससे भारत-बांग्लादेश के रिश्तों को नुकसान पहुंच रहा है।’ ‘इंडियन मीडिया बांग्लादेश की जैसी खबरें दिखा रहा है, वो हकीकत से अलग हैं। लगता है कि ये सब किसी एजेंडे को ध्यान में रखकर किया जा रहा है। बांग्लादेश सेक्युलर देश रहा है। भारत में बाबरी मस्जिद, गोकशी के आरोप में लिंचिंग और अल्पसंख्यकों के घर बुलडोजर से गिराने जैसे कई मुद्दे हैं।' हमने पूछा, BNP को पकिस्तान और चीन एम्बेसी ने इनवाइट किया था। आपकी क्या बात हुई? खुसरो जवाब देते हैं, 'हमारा रिश्ता आपसी हितों पर आधारित है। बांग्लादेश की फॉरेन पॉलिसी अब सभी देशों के लिए खुली हैं। हमें सभी देशों के साथ रिश्ते रखने होंगे।' इस्लामिक पार्टियों को समर्थन देने के सवाल पर खुसरो मुस्कुराते हुए कहते हैं, 'क्या भारत में हिंदू पार्टियां नहीं हैं। ये देश की मर्जी है कि किसे वोट देना है और किसे संसद में भेजना है। अगर बांग्लादेश में धार्मिक पार्टियां चुनाव जीतती हैं तो इसमें हैरान होने की बात नहीं है। ये फैसला लोगों का है।' माइनॉरिटी संगठन बोले- हिंदुओं के खिलाफ नफरत फैला रहे कई संगठनबांग्लादेश हिंदू, बुद्धिस्ट एंड क्रिश्चियन काउंसिल के जनरल सेक्रेटरी महिंद्र कुमार नाथ ने दैनिक भास्कर से बात की। वे बताते हैं, '5 अगस्त के बाद मर्डर की 9, धर्मस्थलों पर हमले की 69 घटनाएं हुई हैं। अल्पसंख्यकों पर हमले की 2010 घटनाएं हमने दर्ज की हैं।’ ‘हमारे पास कोई सबूत नहीं है कि इन घटनाओं के पीछे कौन है। ये पता लगाना सरकार की जिम्मेदारी है। हमने अब तक पुलिस से शिकायत नहीं की है। पीड़ित पुलिस में केस दर्ज करा रहे हैं या शिकायत कर रहे हैं। वही हमें मीडिया के जरिए पता चल रहा है। हमारे पास ऐसे मामलों की सटीक संख्या नहीं है।’ महिंद्र कुमार नाथ आगे कहते हैं, ‘धर्म और राजनीति को अलग करना होगा। किसी एक धर्म को स्पेशल ट्रीटमेंट नहीं मिलना चाहिए। 5 अगस्त के बाद जमात-ए-इस्लामी और दूसरे इस्लामी ग्रुप एक्टिव हो गए हैं। उन्हें अपनी पॉलिटिक्स करने का हक है, लेकिन वो इंसानियत के आधार पर होनी चाहिए।’ बांग्लादेश में एंटी-इंडिया मूवमेंट के पीछे की पॉलिटिक्स को समझने के लिए हमने फॉरेन रिलेशन के जानकार इम्तियाज अहमद से बात की। वे कहते हैं, 'बांग्लादेशियों में आज से नहीं, कई साल से गुस्सा है। कुछ गलती भारत की भी है।' 'कई कार्यक्रमों में भारतीय हाई कमीशन ने हमेशा अवामी लीग के सपोर्टर्स को ही तवज्जो दी। कभी विपक्षी पार्टियों को नहीं बुलाया। इसी वजह से लोगों में एंटी-इंडिया सेंटिमेंट है। पाकिस्तान बांग्लादेश को गाइड करने की हालत में नहीं है। उनके साथ हमारा कड़वा अतीत रहा है।’ मीडिया, स्टूडेंट और ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन भी भारत के खिलाफहम भारत के खिलाफ चल रहे दो प्रोटेस्ट में भी गए। ये प्रोटेस्ट बांग्लादेश सेक्रेटेरिएट से 600 मीटर दूर हो रहे थे। पहला प्रोटेस्ट बांग्लादेश के पत्रकारों का था। यहां हम काजी फखरुल इस्लाम से मिले। वे ढाका जर्नलिस्ट यूनियन के मेंबर हैं। वे कहते हैं, 'हम भारत में अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों के खिलाफ हैं। भारत की सरकार बांग्लादेश में अस्थिरता पैदा करने के लिए इस्कॉन का इस्तेमाल कर रही है। हम चाहते हैं कि लोग जागरूक होने के लिए हमारे आंदोलन का हिस्सा बनें।' प्रोटेस्ट में शामिल वॉयस ऑफ टाइम्स के जर्नलिस्ट फरुक्कुल इस्लाम कहते हैं, 'हमारा प्रोटेस्ट भारत सरकार और वहां की मीडिया के खिलाफ है। भारत कह रहा है बांग्लादेश में अल्पसंख्यक सुरक्षित नहीं है। वहां पश्चिम बंगाल में मुसलमानों को परेशान किया जा रहा है। उनसे जबरदस्ती जय श्री राम बुलवाया जा रहा है। भारत सरकार झूठ फैला रही है, ताकि अपने देश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे जुल्म को छिपा सके।' इसके बाद हम ढाका के नेशनल प्रेस क्लब पहुंचे। यहां एंटी-डिस्क्रिमिनेशन आंदोलन के स्टूडेंट्स ने ग्लोबल बांग्लादेशी अलायंस फॉर ह्यूमन राइट्स के साथ मिलकर फोटो एक्जिबिशन लगाया था। यहां हमें एंटी-डिस्क्रिमिनेशन आंदोलन से जुड़े माहिन सरकार मिले। वे कहते हैं, 'बांग्लादेश छोटा देश है, इसका ये मतलब नहीं कि भारत जैसे देश हम पर हावी हो सकते हैं। हम दिल्ली की पॉलिसी नहीं मानते।' ग्लोबल बांग्लादेशी अलायंस फॉर ह्यूमन राइट्स के कन्वीनर शमसुल आलम कहते हैं, 'बांग्लादेश के लोगों ने हमेशा भारत पर भरोसा किया है। हम भारतीय प्रोडक्ट इस्तेमाल करते हैं। इलाज के लिए भारत जाते हैं। वही भारत प्रदर्शनकारियों की हत्या करने वाली शेख हसीना को शरण दे रहा है। भारत के पास इसका कोई जवाब नहीं है कि वो हसीना को क्यों बचा रहा है।' ...................................... बांग्लादेश से जुड़ी ये खबरें भी पढ़िए... 1. विजय दिवस पर ढाका में लगे नारे- 'दिल्ली का राज नहीं चलेगा', वॉर मेमोरियल सूना 16 दिसंबर को जब बांग्लादेश में 53वां विजय दिवस मना, तब भारतीय सैनिकों की याद में बन रहा आशुगंज का वॉर मेमोरियल सूना पड़ा रहा। आशुगंज में जितना सन्नाटा था, उतना ही शोर ढाका की सड़कों पर सुनाई दिया। यहां भारत और PM मोदी के खिलाफ खुलेआम नारे लगाए गए। एक नारा जो सबसे ज्यादा सुनाई दिया- 'दिल्ली नी ढाका' यानी दिल्ली नहीं ढाका का राज चलेगा। पढ़ें पूरी खबर... 2. जहां हिंदुओं पर हमले, उसी चटगांव में पहुंचा भास्कर, लोग बोले- रोज रो-रोकर जी रहे चटगांव में एक जगह है मेथोरपट्टी। यहां हिंदू आबादी रहती है। इस बस्ती पर 26 नवंबर को भीड़ ने हमला कर दिया था। बस्ती में घुसते ही जले घर दिखने लगते हैं। थोड़ा आगे बढ़ने पर दो मंदिर हैं। गोपाल मंदिर और शारदा मंदिर। गोपाल मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति टूटी है। बगल में एक संत की मूर्ति है, उसका भी चेहरा बिगाड़ दिया गया। यहां के लोग अब भी डर में जी रहे हैं। पढ़ें पूरी खबर...
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Nuclear bunker sales increase: दुनिया के कई कोनों पर जंग छिड़ी हुई है. हर कोई परमाणु बम की धमकी देता है. आप जानकर हैरान हो जाएंगे कि अमेरिका में प्राइवेट बंकर की डिमांड बढ़ गई. जानें किसने कही ये बात. क्या है पूरा मामला.
South Korea: कहीं तस्वीरों में ही कैद होकर न रह जाए ये देश, पेरेंटल लीव नहीं ले रहे लोग
South Korea Birth Rate Decline: दक्षिण कोरिया में पेरेंटल लीव लेने वालों की संख्या में साल 2023 में जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई.
Israel incursion into buffer zone: सीरिया में तख्तापलट के बाद देश में हाहाकार मचा है. असद की सत्ता चली गई है. इसी बीच इजरायल ने सीरिया के उस इलाके में कब्जा कर लिया है, जहां से वह बहुत आसानी से सीरिया, लेबनाम में हमला करता है. यानी सीरिया के सिर पर इजरायल बैठा हुआ है. जिसको लेकर कई देशों ने विरोध जताया है, लेकिन इजरायल ने बहुत साफ कर दिया है कि वह इस जगह को नहीं छोड़ने वाला है.
तेज रफ्तार से आसमान की तरफ जा रहा था रॉकेट, लोगों बजाई ताली तो अचानक लौट आया वापस
Japan Space Agency: जापान की एक स्पेस फर्म ने दूसरी बुधवार को एक रॉकेट लॉन्च किया लेकिन एक बार फिर उसे नाकामी का सामना करना पड़ा. इससे पहले मार्च में भी इस कंपनी ने लॉन्चिंग की थी लेकिन तब भी तकनीकी खराबी के चलते लॉन्चिंग सफल नहीं हो पाई थी.
Mayotte Hurricane: मायोट का इतिहास 1500 ईस्वी में स्थापित माओरे सल्तनत से जुड़ा है. बाद में यह फ्रांस का उपनिवेश बन गया और 1974 और 1976 में हुए जनमत संग्रह में फ्रांस के साथ रहने का फैसला किया. 2011 में यह फ्रांस का एक विदेशी विभाग बन गया.