कर्नाटक के एक ठेकेदार पर बीजापुर के दो मजदूरों को बंधक बनाकर जबरन काम कराने और जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगा है। पीड़ितों ने विधायक जनदर्शन कार्यक्रम में इसकी शिकायत की है। ग्राम केतुलनार निवासी सुमन कश्यप ने विधायक को लिखित शिकायत सौंपी है। शिकायत के अनुसार, करंजी निवासी रामलाल भास्कर दो मजदूरों गणेश कश्यप और महेश कड़ती सहित करीब 10-12 मजदूरों को काम दिलाने के बहाने गीदम ले गए थे। वहां से उन्हें कर्नाटक ले जाकर बंधक बना लिया गया। आरोप है कि कर्नाटक में इन मजदूरों से जबरदस्ती मजदूरी कराई गई। उन्हें न तो समय पर मजदूरी दी गई और न ही उन्हें घर लौटने की अनुमति मिली। ठेकेदार ने आदिवासी मजदूरों को धमकाया शिकायतकर्ता ने बताया कि दोनों मजदूर आदिवासी समुदाय से हैं। कर्नाटक के ठेकेदार द्वारा उन्हें डराया-धमकाया गया और जान से मारने की धमकी भी दी गई। काम छोड़कर वापस बीजापुर आने की बात कहने पर उनके साथ मारपीट और मानसिक प्रताड़ना की गई। दोनों मजदूरों के साथ काम कर रहे अन्य पीड़ित मजदूर किसी तरह वहां से निकलकर वापस बीजापुर लौटे और अपने परिजनों को पूरी जानकारी दी। विधायक जनदर्शन में दिए आवेदन में यह भी उल्लेख है कि ठेकेदार द्वारा मजदूरों से जबरन काम कराना बंधुआ मजदूरी की श्रेणी में आता है, जो कानूनन अपराध है। ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई की मांग शिकायतकर्ता ने विधायक से इस मामले की निष्पक्ष जांच कर संबंधित ठेकेदार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है, साथ ही पीड़ित मजदूरों को न्याय और सुरक्षा देने की अपील की है। इस मामले में बीजापुर विधायक ने त्वरित कार्रवाई करते हुए श्रम अधिकारी और पीड़ितों के बेटे गणेश से फोन पर बात की। विधायक ने ठेकेदार से कहा है कि यदि बीजापुर के युवक जल्दी वापस नहीं आते हैं, तो उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी।
इंडियन नेवी की जानकारी लीक करने वाला तीसरा जासूस भी गिरफ्तार, कर्नाटक पुलिस के हत्थे चढ़ा
गुजरात के आनंद तालुका से गिरफ्तार किए गए हिरेंद्र कुमार इस मामले में तीसरी गिरफ्तारी है, जिसने देश की समुद्री सुरक्षा व्यवस्था में हलचल मचा दी थी. करकला सब-डिवीजन के सीनियर पुलिस अधिकारी हर्ष प्रियंवदा के नेतृत्व वाली जांच टीमों ने टेक्निकल सर्विलांस के ज़रिए कुमार का पता लगाया.
छत्तीसगढ़ में इस बार मानसून सीजन में देर तक हुई भारी बारिश ने टमाटर की खेती की कमर तोड़ दी है। प्रति एकड़ 15 से 20 टन तक की फसल बर्बाद हो गई। इसका असर बाजार पर दिख रहा है। बीते साल दिसंबर में 10 से 12 रुपए किलो मिलने वाला टमाटर इस साल 45 से 50 रुपए किलो बिक रहा है। इसके अलावा धमधा, लुड़ेग और बिलासपुर की बाड़ियों से आवक अभी सीमित है, इस कारण 75% टमाटर कर्नाटक से आ रहा है। कई किसानों की पहली फसल पूरी तरह खराब हुई, जबकि दूसरी फसल भी पिछड़ गई। भास्कर ने धमधा और लुड़ेग के किसानों से बात कर उनकी परेशानियां जानीं। दिवाली के बाद आमतौर पर स्थानीय फसल आने से बेंगलुरु से टमाटर की आवक बंद हो जाती थी। इस बार स्थिति उलट है। बिलासपुर संभाग के 8 जिलों से तिफरा थोक मंडी में रोज 200 टन टमाटर आता है, जबकि दुर्ग और बिलासपुर से 50 टन सप्लाई हो रही है। सबसे बड़े रकबे वाले दुर्ग जिले में तबाही: टमाटर का सबसे ज्यादा रकबा इसी जिले का है। उसमें भी धमधा में ज्यादा खेती होती है। पर इस साल हालात खराब हैं। सूरजपुरा के किसान दिलेश्वर पटेल की 10 में से 8 एकड़ फसल खराब हो गई। गांव के तीन चौथाई फसल तबाह है। डंगनिया, बंधराज और बोरिया में यही हाल है। प्रदेश में 61 हजार हेक्टेयर रकबा, दुर्ग, जशपुर, कोंडागांव में सर्वाधिक छत्तीसगढ़ में 61 हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में टमाटर की पैदावार 10.35 लाख टन से ज्यादा होती है। उद्यानिकी विभाग के अनुसार दुर्ग में सर्वाधक करीब साढ़े 9 हजार हेक्टेयर, जशपुर में 5 हजार, कोंडागांव में 4 हजार, रायगढ़ और बिलासपुर में 3.5 हजार हेक्टेयर में टमाटर उगता है। बीते 5 साल में टमाटर का रकबा 3502 हेक्टेयर घटा है। 2019-20 में 64,717 हेक्टेयर में खेती हुई थी, जो 2023-24 में घटकर 61,215 हेक्टेयर रह गई। पौधों में टमाटर लदे रहते थे, इस बार लगभग गायब जशपुर: बाद में खेती करने वाले किसान निराश, उत्पादन आधा जशपुर के पत्थलगांव, लुड़ेग और आसपास के इलाकों में टमाटर किसानों को दाम तो अच्छे मिल रहे हैं, लेकिन पैदावार आधी है। किसान जितेंद्र खुंटिया के मुताबिक एक एकड़ में जहां 800 कैरेट निकलते थे, इस बार 400 कैरेट भी मुश्किल हैं। लुड़ेग बाजार में 100 पिकअप की जगह अब 20 पिकअप ही आ रहे हैं। सरईटोला, डूमरबहार, लुडेग, चिकनीपानी के किसान नुकसान में हैं। बिलासपुर: दोबारा लगानी पड़ी फसल, फरवरी में फसल आएगी सेंदरी के किसान सुरेंद्र कश्यप बताते हैं कि बारिश से पहले लगाई गई फसल पूरी तरह तबाह हो गई। दोबारा बुवाई करनी पड़ी। विंध्यासार के मनीष कश्यप के अनुसार ब्लाइट रोग ने नुकसान पहुंचाया। रतनपुर के अशरफ बेग कहते हैं कि बारिश से फंगस फैल गया, जिससे पहले जहां एक पौधे से 14 किलो फल मिलता था, अब आधा मिलना भी मुश्किल है। फसल फरवरी में आएगी।
‘गांधी का नाम नहीं मिटाया जा सकता’, जी-राम-जी विधेयक के विरोध में कर्नाटक में आंदोलन का ऐलान
कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने शनिवार को संसद में पारित वीबी-जी-राम-जी विधेयक के खिलाफ...

