ढाई साल के फॉर्मूले पर खींचतान,क्या कर्नाटक में बदलेगा मुख्यमंत्री:सिद्धारमैया और शिवकुमार आमने-सामने, बेटे को CM बनाने क्या है खड़गे का 'मास्टर प्लान'

‘हमारी सरकार अगले 5 साल तक चट्टान की तरह खड़ी रहेगी। BJP बुरे ख्वाब देख रही है। उन्होंने कोई डेवलपमेंट नहीं किया। वे सिर्फ झूठी बातें करके लोगों का ध्यान भटका रहे हैं।’ 2 जुलाई को बेंगलुरु के नंदी हिल्स में कर्नाटक के CM सिद्धारमैया का बयान सरकार के अंदर चल रहे तूफान को शांत करने की कोशिश थी। CM को सार्वजनिक तौर पर ये सफाई इसलिए देनी पड़ी क्योंकि कर्नाटक की सियासत में पिछले कई दिनों से चर्चा है कि प्रदेश कांग्रेस दो खेमों में बंट गई है। इस बंटवारे का सेंटर पॉइंट कोई और नहीं बल्कि CM सिद्धारमैया और डिप्टी CM डीके शिवकुमार ही हैं। दोनों पार्टी लीडर्स के बीच CM पद को लेकर खींचतान चल रही है। विवाद की जड़ ढाई-ढाई साल का फॉर्मूला बताया जा रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने ये कहकर दोनों खेमों को शांत कर दिया है कि फैसला हाईकमान करेंगे। वहीं एक्सपर्ट्स मानते हैं कि खड़गे अपने बेटे प्रियांक खड़गे को मुख्यमंत्री पद की दौड़ में लाना चाहते हैं इसलिए वो सिद्धारमैया और शिवकुमार के बीच संतुलन बनाए रखना चाहते हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या कर्नाटक की राजनीति में वाकई सब कुछ ठीक चल रहा है? पार्टी के बड़े लीडर अलग-अलग राह पर हैं? क्या ढाई साल का फॉर्मूला असल में लागू हो पाएगा या BJP इस कलह का फायदा उठा लेगी? इन सभी सवालों के जवाब तलाशने के लिए दैनिक भास्कर ग्राउंड पर पहुंचा और जानने की कोशिश की कि आखिर इस विवाद के पीछे की कहानी क्या है? सबसे पहले समझिए विवाद कैसे बड़ा हुआ...जो ढाई साल का फॉर्मूला कभी समाधान बना, वही अब चुनौती मई 2023 में हुए कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 224 में से 135 सीटें जीतकर सत्ता में जोरदार वापसी की। ये जीत राष्ट्रीय स्तर पर भी पार्टी के लिए काफी मनोबल बढ़ाने वाला पल था। दक्षिण भारत में BJP का एकमात्र मजबूत गढ़ भी कांग्रेस ने ढहा दिया। जीत के बाद सरकार की कमान दो सीनियर लीडर को सौंपी गई। सिद्धारमैया मुख्यमंत्री बनाए गए। वे पहले भी 5 साल तक CM रह चुके हैं। पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक वर्गों में उनकी मजबूत पकड़ है। डीके शिवकुमार डिप्टी CM बनाए गए। वे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भी हैं। संगठन में उनकी पकड़ और चुनाव प्रचार में भूमिका को जीत की बड़ी वजह माना गया। शुरुआत में सबकुछ ठीक रहा, लेकिन कुछ ही महीनों बाद सरकार में मतभेद उभरने लगे। अब ये खुलकर सामने आ गया है। माना जाता है कि 2023 में सरकार बनने के वक्त कांग्रेस आलाकमान, सिद्धारमैया और शिवकुमार के बीच ढाई-ढाई साल के फॉर्मूले पर सहमति बनी थी। पहले ढाई साल मुख्यमंत्री सिद्धारमैया रहेंगे। इसके बाद ये कुर्सी डीके शिवकुमार संभालेंगे। अब ये ढाई साल की समय सीमा नजदीक है। लिहाज दोनों नेताओं के समर्थक विधायक खुलकर सामने आ गए हैं। आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो चुके हैं। हालांकि इस फॉर्मूले को लेकर कभी कोई ऑफिशियल ऐलान नहीं हुआ। न ही पार्टी ने इसे पूरी तरह नकारा। CM बदलने से गलत मैसेज जाएगा, कांग्रेस शायद ही बदले ​​​​सोर्स के मुताबिक, कांग्रेस ने जब कर्नाटक में सरकार बनाई, तब सिद्धारमैया ने उम्र का हवाला देकर पहले दो साल की मांग की थी। शिवकुमार ने इसे ठुकरा दिया। उन्होंने राजस्थान और छत्तीसगढ़ का उदाहरण दिया, जहां ऐसे वादे पूरे नहीं हुए। शिवकुमार चाहते थे कि उन्हें पहला कार्यकाल मिले, चाहे वो दो साल का हो या तीन साल का। अब शिवकुमार का खेमा इस फॉर्मूले को पक्का वादा मान रहा है। उनका कहना है कि अब नेतृत्व परिवर्तन होना चाहिए। वहीं सिद्धारमैया के समर्थक इसे सिर्फ एक राजनीतिक जरूरत बताते हैं, जो अब बदल चुकी है। सीनियर जर्नलिस्ट हर्षवर्धन मानते हैं कि कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद को लेकर फैसले जटिल होते हैं। वे कहते हैं, 'राहुल गांधी की लीडरशिप में केंद्रीय नेतृत्व की भूमिका अहम होती है। सचिन पायलट और ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे नेताओं को ही देख लीजिए। इन्हें वादा तो मिला, लेकिन पद नहीं।' हर्षवर्धन का मानना है कि कांग्रेस शायद ही मुख्यमंत्री बदले। इससे पार्टी के अंदर और बाहर गलत मैसेज जाएगा। अब ये फॉर्मूला सिर्फ समझौता नहीं, बल्कि राजनीतिक नैरेटिव बन गया है। वे कहते हैं, ‘शिवकुमार के समर्थक इसे वादे की पूर्ति मानते हैं, न कि बगावत। इससे आलाकमान पर दबाव बढ़ गया है। एक पक्ष का समर्थन करने पर दूसरा नाराज हो सकता है।।‘ CM बदला तो पार्टी में कलह और बढ़ेगीसीनियर जर्नलिस्ट यासिर मुश्ताक का मानना है कि सरकार बनने के समय ढाई-ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद साझा करने की बात सामने आई थी। हालांकि कांग्रेस ने इसे कन्फर्म नहीं किया था। ढाई साल नवंबर में पूरे हो रहे हैं। उसी वक्त बिहार में विधानसभा चुनाव है। सोर्स के मुताबिक, ऐसे वक्त में कांग्रेस आलाकमान शायद ही इतना बड़ा फैसला ले। अगर मुख्यमंत्री बदला गया तो पार्टी में कलह और बढ़ सकती है। शिवकुमार का गुट दबाव बना रहा है, लेकिन सिद्धारमैया का गुट भी मजबूत है। इसलिए इस साल मुख्यमंत्री नहीं बदले जाएंगे। यासिर कहते हैं, ‘पिछले एक साल से कई नेता सिद्धारमैया के खिलाफ बयान दे रहे हैं। ये बयानबाजी नवंबर में होने वाले कैबिनेट फेरबदल को लेकर है। नाराज विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल करने की कोशिश हो रही है। कई विधायक आखिरी चुनाव लड़ रहे हैं। वे मंत्री बनना चाहते हैं। इसलिए बयानबाजी कर मंत्रियों को निशाना बना रहे हैं।‘ कांग्रेस में घमासान, विधायक बोले- सरकार में भ्रष्टाचार, कुशासनकर्नाटक के रामनगर से विधायक इकबाल हुसैन ने सबसे पहले नेतृत्व परिवर्तन की मांग उठाई। उन्होंने कहा कि अगले दो-तीन महीने में डीके शिवकुमार मुख्यमंत्री बन सकते हैं। उन्होंने ये भी दावा किया कि 138 में से 100 से ज्यादा विधायक शिवकुमार के साथ हैं। ये मांग किसी की निजी महत्वाकांक्षा नहीं, बल्कि कांग्रेस के भविष्य और संगठन की मजबूती के लिए है। हुसैन ने कहा कि 2023 की जीत शिवकुमार की मेहनत और रणनीति का नतीजा थी। अब उन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इस बयान से सिद्धारमैया खेमे में हलचल मच गई। इसी बीच कांग्रेस विधायक बीआर पाटिल का एक ऑडियो क्लिप वायरल हुआ। वे मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर तीखा हमला करते हुए कहते हैं, सिद्धारमैया किस्मत से मुख्यमंत्री बने हैं। मैंने ही उन्हें सोनिया गांधी से मिलवाया था। उनके ग्रह अच्छे थे, इसलिए CM बन गए। पार्टी में उनका कोई गॉडफादर नहीं है। इतना ही नहीं पाटिल ने कांग्रेस सरकार के आवास विभाग पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि सरकारी आवास उन्हीं को मिले, जिन्होंने मोटी घूस दी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाटिल ने कांग्रेस के कर्नाटक प्रभारी रणदीप सुरजेवाला से मिलकर सिद्धारमैया के खिलाफ सबूत भी सौंपे। कई अन्य विधायकों ने भी सरकार के कामकाज पर सवाल उठाए। कागवाड के विधायक राजू कागे ने विकास कार्यों में देरी और फंड न मिलने पर नाराजगी जताई। कहा- मंत्री मिलने तक को तैयार नहीं। वोटर्स को जवाब देना मुश्किल हो रहा है। उन्होंने विधायक पद से इस्तीफे की चेतावनी भी दी। सिद्धारमैया का डिफेंसिव रुख, शिवकुमार ने अपनाई सेफ स्ट्रैटजीहालांकि सिद्धारमैया ने इन आरोपों पर डिफेंसिव रुख अपनाया। उन्होंने कहा कि सरकार चट्टान की तरह मजबूत है। पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगी। बीआर पाटिल के ‘लकी लॉटरी’ वाले बयान पर तंज कसते हुए बोले- हां, मैं मुख्यमंत्री हूं, इसलिए भाग्यशाली हूं। अगर उन्होंने ऐसा कहा है, तो मैं क्या करूं? उधर डी.के. शिवकुमार ने सेफ स्ट्रैटजी अपनाई। नेतृत्व परिवर्तन की मांग कर रहे विधायकों से शिवकुमार ने अनुशासन की बात कही। इकबाल हुसैन को कारण बताओ नोटिस देने की चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि किसी विधायक को मीडिया में पार्टी के अंदरूनी मामलों पर बोलने की जरूरत नहीं। मेरा ध्यान सरकार को मजबूत करने पर है। सोर्स बताते हैं कि शिवकुमार का ये रुख कांग्रेस आलाकमान को संदेश देने की कोशिश है कि वो अनुशासित नेता हैं। पार्टी की एकता को प्राथमिकता देते हैं। वहीं, उनके समर्थक पर्दे के पीछे से उन्हें मुख्यमंत्री बनाने की तैयारी में जुटे हैं। कांग्रेस हाईकमान के बयान से बढ़ा भ्रमकर्नाटक कांग्रेस में बढ़ती अंदरूनी कलह के बीच पार्टी हाईकमान ने दखल दिया। हालांकि ये दखल संकट सुलझाने के बजाय और उलझा गया। पार्टी के दो बड़े नेताओं रणदीप सुरजेवाला और मल्लिकार्जुन खड़गे के बयानों में विरोधाभास सामने आया। इससे कांग्रेस की फैसले की प्रक्रिया पर सवाल खड़े हो गए। असंतुष्ट विधायकों की नाराजगी के बीच कांग्रेस ने महासचिव रणदीप सुरजेवाला को बेंगलुरु भेजा। उन्होंने बीआर पाटिल और राजू कागे जैसे नाराज विधायकों से मुलाकात की। सोर्स की मानें तो विधायकों ने सरकार के कामकाज पर खुलकर नाराजगी जताई। इन बैठकों के बाद सुरजेवाला ने उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार के साथ जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने अपने दौरे को संगठनात्मक कवायद बताया और साफ कहा कि नेतृत्व परिवर्तन नहीं होगा। दौरे का मकसद पंचायत चुनावों से पहले संगठन को मजबूत करना है। सुरजेवाला के इस बयान के कुछ ही घंटे बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का बयान आया। उन्होंने कहा, ‘फैसला हाईकमान करेगा। किसी को नहीं पता हाईकमान के दिमाग में क्या चल रहा है।‘ खड़गे के इस बयान ने सुरजेवाला के दावे को कमजोर कर दिया। इससे नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें फिर तेज हो गईं। खड़गे खुद कर्नाटक से हैं। राज्य की राजनीति को अच्छी तरह समझते हैं। इसके बावजूद उन्होंने खुद को फैसले से अलग बताया। इससे ये सवाल उठा कि कांग्रेस में असली पावर कौन है? क्या खड़गे खुद फैसला नहीं ले सकते या फिर फैसला गांधी परिवार ही करता है, जैसा विपक्ष आरोप लगाता रहा है? शिवकुमार-सिद्धारमैया में संतुलन बनाना खड़गे की सियासी चालसीनियर जर्नलिस्ट हर्षवर्धन कहते हैं, ‘खड़गे जानबूझकर अस्पष्टता बनाए रखना चाहते हैं। उनका मकसद डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया के बीच संतुलन बनाए रखना है। साथ ही वे अपने बेटे प्रियांक खड़गे को मुख्यमंत्री पद की दौड़ में लाना चाहते हैं। खड़गे चाहते हैं कि दोनों नेताओं के बीच सहमति न बने। ताकि अंत में प्रियांक को तीसरे यानी सहमति के उम्मीदवार के रूप में पेश किया जा सके।‘ इस घटनाक्रम ने कांग्रेस हाईकमान की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए। इससे ये साफ नहीं हुआ कि हाईकमान के भीतर ही मतभेद हैं या फिर जानबूझकर स्थिति को अस्पष्ट रखा जा रहा है। कर्नाटक की पॉलिटिक्स को समझने वाले सीनियर जर्नलिस्ट यासिर मुश्ताक कहते हैं, ‘ये विवाद नया नहीं है। डीके शिवकुमार मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं। सिद्धारमैया ने भी उनके सपने का समर्थन किया है, लेकिन ये तय नहीं कि कब उन्हें मौका मिलेगा।‘ ‘फिलहाल डीके शिवकुमार प्रदेश अध्यक्ष हैं। उन्होंने पार्टी को एकजुट करने की कोशिश की है लेकिन उनके खिलाफ ईडी के कई मामले दर्ज हैं। कांग्रेस आलाकमान को डर है कि अगर उन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया तो पार्टी को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।‘ मतभेद नहीं सुलझे तो खड़गे सबसे मजबूत विकल्पयासिर मुश्ताक का मानना है कि मुख्यमंत्री पद के लिए कई नाम चर्चा में हैं। अगर किसी मंत्री को ये जिम्मेदारी दी गई तो पार्टी में एकता बनाए रखना मुश्किल होगा। ऐसे में मल्लिकार्जुन खड़गे सबसे मजबूत विकल्प माने जा रहे हैं। वे सीनियर लीडर हैं। पहले भी राज्य सरकार में रह चुके हैं। सभी नेता उनका सम्मान करते हैं। वे फिलहाल कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। ’पार्टी को लगता है कि अगर सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच मतभेद नहीं सुलझे तो खड़गे को CM बनाया जा सकता है। उनके नाम पर शायद ही कोई विरोध करे।’ हालांकि यासिर का मानना है कि इस साल मुख्यमंत्री नहीं बदले जाएंगे, लेकिन खड़गे एक मजबूत विकल्प बने हुए हैं क्योंकि अगर डीके शिवकुमार को CM बनाया गया तो सिद्धारमैया के समर्थक नाराज हो सकते हैं। उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर किया जा सकता है। इससे पार्टी में फिर से गुटबाजी शुरू हो जाएगी। मौके का सियासी फायदा उठाने के लिए BJP की खींचतान पर नजरयासिर कहते हैं कि BJP इस स्थिति पर नजर रखे हुए है। वो चाहती है कि कांग्रेस में खींचतान बनी रहे, ताकि जनता नाराज हो और BJP को इसका फायदा मिले। राहुल गांधी और सोनिया गांधी के रुख पर यासिर मुश्ताक ने कहा कि सरकार बनने के वक्त भी ये सवाल उठा था कि कौन-किसके साथ है। डीके शिवकुमार दावा करते रहे कि सोनिया गांधी उनके साथ हैं, लेकिन मुख्यमंत्री सिद्धारमैया बने। इससे साफ है कि राहुल गांधी सिद्धारमैया के साथ हैं। यासिर कहते हैं, ’पिछले ढाई साल में जब भी विवाद हुआ, राहुल गांधी ने सिद्धारमैया का समर्थन किया। सोनिया गांधी ने इस पर कुछ नहीं कहा, लेकिन लगता है कि दोनों नेता साथ रखने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। राहुल गांधी का झुकाव सिद्धारमैया की तरफ है। सोनिया गांधी डीके शिवकुमार को महत्व देती दिखती हैं।’ वे आगे बताते हैं कि कांग्रेस में सिर्फ दो गुट नहीं हैं। एमपी पाटिल, सतीश जारकीहोली और डॉ. परमेश्वर जैसे नेता भी मुख्यमंत्री पद की दौड़ में हैं। उन्होंने अपने-अपने समर्थक जुटा रखे हैं। .................... ये खबर भी पढ़ें... कर्नाटक CM पद पर फिर विवाद कर्नाटक कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद को लेकर अंदरूनी खींचतान तेज हो गई है। इस बीच कांग्रेस नेता और कर्नाटक प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला बेंगलुरु दौरे पर पहुंचे हैं और पार्टी विधायकों के साथ लगातार मीटिंग कर रहे हैं। डिप्टी CM डीके शिवकुमार के करीबी विधायक इकबाल हुसैन ने दावा किया कि करीब 100 विधायक मुख्यमंत्री बदलने के पक्ष में हैं। अगर अब बदलाव नहीं हुआ, तो 2028 का चुनाव कांग्रेस नहीं जीत पाएगी। पढ़िए पूरी खबर...

दैनिक भास्कर 7 Jul 2025 4:00 am

BJP विधायक के बेटे को भारी पड़ा जश्न; दर्ज हुई FIR, मेले में फायरिंग कर मनाया था जश्न

Karnataka News: कर्नाटक के बेलगावी में आयोजित एक मेले में बीजेपी विधायक ने हवाई फायरिंग की. इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. वीडियो वायरल होने के बाद वो मुसीबत में फंस गए हैं.

ज़ी न्यूज़ 6 Jul 2025 11:23 pm

सीकर का इनामी बदमाश कर्नाटक से गिरफ्तार:नाबालिग से छेड़छाड़ का आरोपी; पांच राज्यों में मजदूरी कर काट रहा था फरारी

सीकर की सदर थाना पुलिस को बड़ी सफलता हाथ लगी है। पुलिस ने नाबालिग लड़की से छेड़छाड़ करने के मामले में 2 साल से फरार चल रहे 2 हजार के इनामी बदमाश को पकड़ा है। आरोपी अलग-अलग राज्यों में रहकर फरारी काट रहा था। पुलिस उसे पकड़ नहीं पाए इसलिए अपने पास मोबाइल भी नहीं रखता था। थानाधिकारी इंस्पेक्टर इंद्राज मरोड़िया के अनुसार 26 अगस्त 2023 को नाबालिग लड़की के चाचा ने मुकदमा दर्ज करवाया कि आरोपी चतरराम ने उनकी भतीजी से छेड़छाड़ की। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की। लेकिन आरोपी चतरराम फरार हो गया। उसने मोबाइल रखना भी बंद कर दिया। हाल ही में पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली कि आरोपी कर्नाटक के हसन जिले में ग्रेनाइट की फैक्ट्री में मजदूरी करता है। पुलिस ने इंडस्ट्रियल एरिया में स्थित 70-80 ग्रेनाइट फैक्ट्रियों में आरोपी की तलाश की। धीरज ग्रेनाइट फैक्ट्री में आरोपी चतरराम (29) पुत्र हनुमानाराम रैगर निवासी पुराबड़ी मजदूरी करता मिला, जहां से उसे गिरफ्तार कर लिया गया। थानाधिकारी ने बताया कि आरोपी घटना के बाद आंध्र प्रदेश, हैदराबाद, महाराष्ट्र, गुजरात और कर्नाटक में मजदूरी करके फरारी काट रहा था। आरोपी पर 2 हजार रुपए का इनाम घोषित था। आरोपी को गिरफ्तार करने में कांस्टेबल बाबूलाल की अहम भूमिका रही।

दैनिक भास्कर 5 Jul 2025 7:59 pm