Igor Kirillov: रूसी जनरल की हत्या का गुनहगार पकड़ा गया! स्कूटर में फिट किया था बम
Russia Ukraine News: घटना की जांच कर रही रूसी इन्वेस्टीगेटिव कमेटी ने कहा कि संदिग्ध को यूक्रेनी स्पेशल सर्विसेज ने हायर किया था और इस हत्याकांड को अंजाम देने के लिए रूस भेजा गया था.
Mary Jane Veloso News: इंडोनेशिया में मौत की सजा सुनाए जाने के बाद अगले 15 साल तक मैरी जेन वेलोसो के सिर पर तलवार लटकती रही. वह अब सही-सलामत अपने घर - मनीला (फिलीपींस) पहुंच गई हैं.
क्या सच में परमाणु बम का खतरा है, जो अमेरिका में प्राइवेट बंकर की डिमांड बढ़ गई
Nuclear bunker sales increase: दुनिया के कई कोनों पर जंग छिड़ी हुई है. हर कोई परमाणु बम की धमकी देता है. आप जानकर हैरान हो जाएंगे कि अमेरिका में प्राइवेट बंकर की डिमांड बढ़ गई. जानें किसने कही ये बात. क्या है पूरा मामला.
South Korea: कहीं तस्वीरों में ही कैद होकर न रह जाए ये देश, पेरेंटल लीव नहीं ले रहे लोग
South Korea Birth Rate Decline: दक्षिण कोरिया में पेरेंटल लीव लेने वालों की संख्या में साल 2023 में जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई.
Israel incursion into buffer zone: सीरिया में तख्तापलट के बाद देश में हाहाकार मचा है. असद की सत्ता चली गई है. इसी बीच इजरायल ने सीरिया के उस इलाके में कब्जा कर लिया है, जहां से वह बहुत आसानी से सीरिया, लेबनाम में हमला करता है. यानी सीरिया के सिर पर इजरायल बैठा हुआ है. जिसको लेकर कई देशों ने विरोध जताया है, लेकिन इजरायल ने बहुत साफ कर दिया है कि वह इस जगह को नहीं छोड़ने वाला है.
तेज रफ्तार से आसमान की तरफ जा रहा था रॉकेट, लोगों बजाई ताली तो अचानक लौट आया वापस
Japan Space Agency: जापान की एक स्पेस फर्म ने दूसरी बुधवार को एक रॉकेट लॉन्च किया लेकिन एक बार फिर उसे नाकामी का सामना करना पड़ा. इससे पहले मार्च में भी इस कंपनी ने लॉन्चिंग की थी लेकिन तब भी तकनीकी खराबी के चलते लॉन्चिंग सफल नहीं हो पाई थी.
Georgia से आखिरी कॉल...'जिस बेटे के लिए गए उसका चेहरा तक नहीं देख पाए'
Georgia Tragedy: जॉर्जिया में मारे गए रविंदर की पत्नी ने भारत सरकार से शव लाने की गुहार लगाई, बोलीं- वीडियो कॉल पर ही देखा था बेटे का चेहरा
रूसी जनरल को घर में घुसकर मारा, पुतिन के तिलिस्म को तोड़ा; SPYGAME में SBU की खौफनाक एंट्री
SBU operation: रूस के यूक्रेन पर पूर्ण पैमाने पर हमले के बाद SBU ने कई हाई-प्रोफाइल हमले किए हैं. इनमें रूसी सैन्य अधिकारियों और पुतिन के करीबी सहयोगियों को निशाना बनाना शामिल है.आइए इस एजेंसी के बारे में समझते हैं.
सीरिया की खूंखार जेल से बाहर आया रहस्यमयी 'ओसामा'? इस कैदी ने मचाई मुस्लिम जगत में खलबली
Syrian jail: सीरिया की बहुत ही कुख्यात जेल से यह कैदी रिहा हुआ है. इस कैदी ने पूरे मध्य पूर्व में हलचल मचा दी है. इस कैदी के बारे में दुनियाभर की मीडिया का ध्यान गया है. इसका कारण इस कैदी की कहानी है. इस कैदी पर एक नहीं कई परिवारों ने दावा ठोक दिया है.
बमबारी इजरायल कर रहा है लेकिन फिलिस्तीनियों ने अमेरिका पर क्यों ठोका मुकदमा?
Palestine: इजरायल की लगातार कार्रवाइयों के चलते फिलिस्तीनियों को तरह-तरह की परेशानियों को सामना करना पड़ रहा है. इसी को लेकर अमेरिका के खिलाफ फिलिस्तीनियों ने मुकदमा दर्ज कराया है. साथ ही एक कानून का उल्लंघन करने समेत कई संगीन आरोप लगाए हैं.
मॉस्को में घुसकर यूक्रेन ने जिस अफसर को स्कूटर बम से उड़ाया, वो रूस के परमाणु हथियारों का रक्षक था
यूक्रेन ने रूस के एक सीनियर अधिकारी को मार गिराया है. बताया जा रहा है कि रूस के परमाणु हथियारों के रक्षक इगोर किरिलोव को घर में घुसकर मार दिया है. यूक्रेन का आरोप है कि किरिलोव वॉर क्रिमिनल है और उसने 4800 से ज्यादा बार रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया है.
अगर कहें कि पहली बार सांसद बनी प्रियंका गांधी वाड्रा की सदन में एंट्री धमाकेदार रही, तो गलत नहीं होगा. चाहे संसद में उनका पहला भाषण हो या फिर 'बैग पॉलिटिक्स', प्रियंका लगातार चर्चा में बनी हुई हैं. प्रियंका के बैग पर क्यों मचा है बवाल? इस पर बीजेपी आक्रामक क्यों है और पड़ोसी देश पाकिस्तान क्यों कर रहा है इसकी तारीफ, जानते हैं स्पॉटलाइट में…
सबसे पहले पिछले 5 दिनों की कुछ खबरें और उनकी क्रोनोलॉजी देखिए... सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद संभल में मिले पुराने बंद मंदिरों की कहानी और CM योगी के बयान के मायने; जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में... सवाल-1: संभल, ज्ञानवापी जैसी मस्जिदों के सर्वे पर अचानक रोक क्यों लगी? जवाबः सुप्रीम कोर्ट में CJI संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच 1991 के प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट को चुनौती देने वाली 6 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। 12 दिसंबर यानी गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में CJI ने निर्देश जारी करते हुए कहा- जब मामला हमारे सामने लंबित है, तो यह सही नहीं होगा कि अन्य अदालतें इन मामलों की सुनवाई करें। इसी के साथ देशभर के हाईकोर्ट और निचली अदालतों को धार्मिक स्थलों के मालिकाना हक से जुड़े नए मुकदमे दर्ज करने या फैसला सुनाने पर रोक लग गई। सर्वे के आदेश देने पर भी प्रतिबंध लग गया। इस दौरान अदालत ने केंद्र सरकार को अपना पक्ष रखने के लिए 4 हफ्तों का समय दिया। CJI खन्ना ने कहा, ‘हम चाहते हैं कि भारत सरकार का रुख रिकॉर्ड पर लाया जाए।’ केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया और याचिकाओं की सुनवाई के बाद ही इस मामले पर कोई फैसला लिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले का हवाला देते हुए कहा, ऐतिहासिक गलतियों को सही करने के लिए कानून को हाथ में लेना उचित नहीं है। इस आदेश के 3 बड़े असर होंगे... सवाल-2: इस बीच संभल में जामा मस्जिद से इतर एक नया मंदिर मिलने का मामला क्या है?जवाबः 14 दिसंबर 2024 को संभल में बिजली चोरों को पकड़ने के लिए प्रशासनिक अधिकारी चेकिंग कर रहे थे। तभी खग्गू सराय इलाके में बुलडोजर से खुदाई करते हुए अचानक शिव मंदिर मिला। धूल और मिट्टी से भरे इस मंदिर में भगवान हनुमान, शिवलिंग, नंदी और कार्तिकेय की मूर्तियां और एक कुआं मिला। पुलिस ने एक्शन लेकर मंदिर को अवैध कब्जे से आजाद कराया। यह मंदिर संभल के सपा सासंद जियाउर्रहमान के घर से 200 मीटर की दूरी पर मिला। संभल के कलेक्टर राजेन्द्र पेनसिया ने कहा, यह मंदिर 400 साल से भी ज्यादा पुराना है। इस मंदिर पर कब्जा करने की तैयारी थी और अगर बिजली चोरी की चेकिंग नहीं होती तो मंदिर हमें कभी नहीं मिलता। पुलिस-प्रशासन की इंटरनल रिपोर्ट के मुताबिक, 1978 के बाद यह मंदिर कभी नहीं खोला गया। इस इलाके में पहले बड़ी संख्या में हिन्दू परिवारों की मौजूदगी का दावा किया गया। 1978 में यहां दो बड़े दंगे होने के बाद खग्गू सराय में रहने वाले 100 हिंदू परिवार पलायन कर गए। इनमें ज्यादातर कारोबारी थे। सवाल-3: यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने संभल पर ऐसा क्या कहा, जिसकी चर्चा हो रही है? जवाबः 16 दिसंबर को उत्तर प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान CM योगी आदित्यनाथ ने 1978 के संभल दंगे का मुद्दा उठाया। योगी ने नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि 1978 के दंगों में 184 हिंदुओं को जिंदा जला दिया था। पुलिस की इंटरनल रिपोर्ट के मुताबिक, इनमें कई लोगों की लाशें तक नहीं मिलीं। उनके पुतले बनाकर दाह संस्कार किए गए थे। योगी आदित्यनाथ ने कहा, ‘1947 से अब तक संभल में हुए दंगों में 209 हिंदुओं की हत्या हुई। घड़ियाली आंसू बहाने वाले लोगों ने निर्दोष हिंदुओं के बारे में दो शब्द नहीं कहे। 1978 में दंगा हुआ। तब एक वैश्य ने सबको पैसा उधार दे रखा था। दंगा होने के बाद हिंदू उनके घर में इकट्ठे हुए, तो उन्हें घेर लिया गया। उनसे कहा गया कि इन हाथों से सूद का पैसा मांगोगे। इसलिए पहले हाथ, फिर पैर और फिर गला काट दिया गया। सौहार्द की बात करने पर इन्हें शर्म नहीं आती।’ सवाल-4: संभल में 1978 में क्या हुआ था, जिसका जिक्र योगी आदित्यनाथ कर रहे हैं? जवाबः यूपी पुलिस-प्रशासन की इंटरनल रिपोर्ट के मुताबिक, 25 मार्च 1978 को होली थी। इस दिन संभल में दो समुदायों के बीच टकराव हुआ। अफवाह फैली कि एक दुकानदार ने दूसरे समुदाय के दुकानदार को मार दिया। इसके तीन दिन बाद 29 मार्च 1978 को संभल में सबसे बड़ा दंगा हुआ। कई लोगों ने उस वक्त के SDM रमेश चंद्र माथुर के ऑफिस में छिपकर जान बचाई थी। रिपोर्ट में बताया गया कि तब खग्गू सराय को बनियों का मोहल्ला कहते थे। वहां रहने वाला एक वैश्य, लोगों को उधार देता था। दंगों के बाद हिंदू उनके घर में इकट्ठा हो गए, तो उन्हें घेर लिया गया। उनसे कहा गया कि इन हाथों से सूद का पैसा मांगोगे। इसलिए पहले हाथ, फिर पैर और फिर गला काट दिया गया। इसके बाद दंगे और भड़क गए। डेक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, 29 मार्च से 20 मई यानी 53 दिन तक कर्फ्यू लगा रहा था। इन दंगों से जुड़े 169 मामले दर्ज हुए थे। इनमें 3 मामले पुलिस ने और बाकी 166 मामले दोनों समुदायों के लोगों ने दर्ज कराए थे। इस दौरान लूटमार व भगदड़ के साथ आगजनी हुई थी। 1978 के संभल दंगे में 184 हिंदू मारे गए, पलायन से डेमोग्राफी बदलीसंभल नगर पालिका एरिया में आजादी के वक्त 55% मुस्लिम और 45% हिंदू रहते थे। लेकिन संभल में 1978 के दंगों के बाद हालात पूरी तरह से बदल गए। इतिहासकार संजय शंखधर ने बताया कि 184 हिंदूओं को जिंदा जला देने वाली घटना के बाद हिंदू आबाद इस जगह से पलायन करने लगी। 1978 में हुए दंगों से पहले संभल में 65% मुस्लिम और 35% हिंदू थे। अब करीब 80 % मुस्लिम हैं। हिंदू करीब 20% ही बचे हैं। संभल के रहवासी सगीर खान ने कहा, आखिरी हिंदू फैमिली 15-20 साल पहले गई थी। कुछ लोग दुर्गा कॉलोनी चले गए। कुछ पढ़ाई के लिए, तो कुछ बिजनेस के लिए बाहर चले गए। यहां हीरा लाल रहते थे। उनके बच्चे सबसे आखिर में गए। उन बच्चों से आप पूछ सकते हैं। उन्हें कोई परेशानी होती थी, तब हम उनके घर जाते थे। संभल के एक और रहवासी मुकेश रस्तोगी का कहना है कि ‘पहले यहां रोज पूजा होती थी। दीये जलाते थे। फिर लोग चले गए, तभी से मंदिर बंद था। एक पुजारी कभी-कभार पूजा करने आते थे। उनके पास मंदिर की चाबी भी है।’ सवाल-5: क्या यूपी में दशकों से बंद पड़े और मंदिर भी खोजे जा रहे हैं? जवाबः 17 दिसंबर को संभल में एक और मंदिर मिला। यह हयात नगर के सरायतरीन में स्थित है। शिव मंदिर और इस नए मंदिर के बीच 2 किलोमीटर की दूरी है। प्रशासन को बिना नाम के पत्र में मंदिर बंद होने की जानकारी मिली थी। पुलिस और राजस्व की टीम ने मौके पर पहुंचकर स्थानीय लोगों से बातचीत की। लोगों का कहना है कि 'मंदिर काफी समय से बंद था। पहले यहां 30-40 हिंदू परिवार रहते थे, जो 1978 के दंगे के बाद पलायन कर गए।' इससे पहले 16 दिसंबर को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर एक पेज पर शिव मंदिर से जुड़ा पोस्ट किया गया। इसके मुताबिक, वाराणसी के मदनपुरा गली में मकान नंबर D-31 के पास एक मंदिर है, जो 150 साल पुराना है और 40 सालों से बंद है। इस पोस्ट के वायरल होने के बाद सनातन रक्षा दल के कार्यकर्ता मौके पर पहुंच गए। उन्होंने मंदिर खोलने की मांग की। पुलिस को जानकारी मिलते ही अधिकारी भी मौके पर पहुंचे। पुलिस ने दल के कार्यकर्ताओं को समझाइश देकर मामला शांत कराया। काशी जोन के DCP गौरव बंसवाल ने बताया, इस मंदिर के गेट पर ताला बंद है। कोई यह नहीं बता सका कि मंदिर का मालिकाना हक किस के पास है। प्रशासन की टीम मौके का मुआयना कर जांच करेगी। एहतियातन मौके पर पुलिस तैनात की गई है। सवाल-6: क्या सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद सीएम योगी का रुख बदला है? जवाबः सीनियर जर्नलिस्ट और पॉलिटिकल एक्सपर्ट हर्षवर्धन त्रिपाठी मानते हैं कि यूपी में मंदिरों का मिलना सुप्रीम कोर्ट की रोक का तोड़ नहीं है। वे कहते हैं, ‘सुप्रीम कोर्ट को विशेषाधिकार है और उन्होंने ऐसी रोक लगाई है। लेकिन ऐसी रोक संविधान में हिंदुओं के दिए गए मूल अधिकार के खिलाफ है। रही बात प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट की तो इसे 1990 के दशक में राम जन्मभूमि आंदोलन के तोड़ के तौर पर कांग्रेस लेकर आई थी। आज यूपी में पुराने मंदिरों का मिलना, एक अनायास घटना है। इसमें सरकार या प्रशासन की कोई प्री-प्लानिंग नहीं है।’ हर्षवर्धन त्रिपाठी कहते हैं, पलायन और मंदिर जैसे मुद्दों को बीजेपी राजनीतिक रूप से और RSS इसे सामाजिक रूप से उठाती रही। इस बात का नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने में भी रोल रहा, जिसे अब योगी आदित्यनाथ आगे बढ़ा रहे हैं। लखनऊ की बाबू बनारसी दास यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. मुलायम सिंह कहते हैं, ‘योगी आदित्यनाथ की पूरी पॉलिटिक्स पलायन और मंदिर के मुद्दे पर टिकी है। योगी ध्रुवीकरण की राजनीति करते हैं। प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट के मुताबिक देश के धार्मिक स्थलों की स्थिति ज्यों की त्यों रहनी चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट की रोक के बावजूद यूपी में पुराने मंदिर खोजे जा रहे हैं। इस तरह सुप्रीम कोर्ट की रोक का तोड़ निकालने की कोशिश हो रही है।’ ------------- रिसर्च सहयोग- आयुष अग्रवाल ------------- संभल से जुड़ी अन्य खबर पढ़ें संभल में एक और बंद मंदिर मिला: 1978 के दंगे के बाद हिंदू परिवार पलायन कर गए थे, तब से बंद है मंदिर संभल में 4 दिन में 2 बंद मंदिर मिले हैं। दोनों मुस्लिम बहुल इलाके में हैं। पहला कार्तिकेश्वर मंदिर 14 दिसंबर को जामा मस्जिद से डेढ़ किलोमीटर खग्गूसराय में मिला था। दूसरा आज यानी मंगलवार को हयात नगर के सरायतरीन में मिला। मंदिरों की बीच की दूरी 2 किलोमीटर है। पूरी खबर पढ़ें...
‘हमारे लोग भारत से नाराज हैं क्योंकि वो शेख हसीना की मदद कर रहा है। शेख हसीना वहां रहकर स्पीच दे रही हैं। भारत उन्हें वापस भेजे, इससे बांग्लादेश के साथ उसके रिश्ते सुधरेंगे।’ ये बात कहने वाले 26 साल के आसिफ महमूद कुछ महीने पहले तक नॉर्मल स्टूडेंट थे। फिर बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ अगस्त में हुए प्रोटेस्ट का चेहरा बन गए। शेख हसीना को देश छोड़कर भागना पड़ा। आसिफ महमूद अब बांग्लादेश की अंतरिम सरकार में एडवाइजर हैं। उनके पास यूथ अफेयर्स एंड स्पोर्ट्स, लोकल गवर्नमेंट और रूरल डेवलपमेंट डिपार्टमेंट की जिम्मेदारी है। दैनिक भास्कर ने उनसे हिंदुओं पर हमले, भारत से रिश्तों और बांग्लादेश को आजाद कराने वाले शेख मुजीबुर्रहमान के खिलाफ बढ़ रहे गुस्से पर बात की। दैनिक भास्कर से बातचीत में आसिफ महमूद ने कहा कि भारत के कई नेता बांग्लादेश के खिलाफ नफरत फैला रहे हैं। हमारे यहां लोग हिंदुत्व के खिलाफ हैं। पढ़िए पूरा इंटरव्यू… सवाल: अंतरिम सरकार बने 4 महीने हो गए। शेख हसीना सरकार के खिलाफ आंदोलन करते वक्त आपने जो सोचा था, वो कर पाए या नहीं?जवाब: हमने 10 तरह के रिफॉर्म कमीशन बनाए हैं। वे लोगों और पॉलिटिकल पार्टियों से बात कर रहे है कि बांग्लादेश में कैसे सुधार ला सकते हैं। उन्हें काम करते हुए 3 महीने हो गए हैं। हम रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं। उसके आधार पर ही काम करेंगे। सवाल: बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले हो रहे हैं। अल्पसंख्यक संगठन भारत और पाकिस्तान की तरह माइनॉरिटी कमीशन बनाने की मांग कर रहे हैं। इस पर क्या सोचते हैं?जवाब: अल्पसंख्यकों पर हमले पॉलिटिकल इश्यू है। शेख हसीना की सरकार में भी अल्पसंख्यकों पर हमला होता था। बस इंडियन मीडिया ने उसे उतना नहीं दिखाया, जितना अभी दिखा रहा है। पिछले साल दुर्गा पूजा पर हिंदुओं पर कई हमले हुए थे। इस बार दुर्गा पूजा का आयोजन बहुत शांति से हुआ है। अल्पसंख्यक समुदाय से आने वाले नेता नए सुधारों से संतुष्ट हैं। वे इस बदलाव का हिस्सा बनना चाहते हैं। कुछ पॉलिटिकल पार्टियां इसमें मुद्दा ढूंढ रही हैं। सवाल: ढाका में इस्कॉन और BJP के खिलाफ रोज प्रोटेस्ट हो रहे हैं। क्यों?जवाब: ये प्रोटेस्ट BJP या किसी खास पार्टी के खिलाफ नहीं हैं। BJP भारत में सरकार चला रही है। उनका मैनिफेस्टो हिंदू घोषणापत्र है। बांग्लादेश के लोगों को हिंदुत्व पसंद नहीं है। हम हिंदुत्व के खिलाफ हैं। 2019 में भारतीय संसद ने CAA-NRC एक्ट पास किया। हमने इसका विरोध किया क्योंकि इससे दोनों देशों के बीच हालात नाजुक हो सकते हैं। भारत से बड़ी संख्या में प्रवासी बांग्लादेश वापस आ सकते हैं। ये पॉलिसी मुसलमानों के खिलाफ है। इससे साउथ एशिया का सेक्युलर फैब्रिक बिगड़ सकता है। हमें इससे खतरा महसूस हो रहा है। हाल में भारत के डिफेंस मिनिस्टर राजनाथ सिंह, होम मिनिस्टर अमित शाह और पश्चिम बंगाल के नेताओं ने बांग्लादेश पर अटैकिंग बयान दिए हैं। खासकर शुभेंदु अधिकारी बांग्लादेश के खिलाफ नफरत फैला रहे हैं। BJP नेताओं ने हमारे खिलाफ बयान दिए। इससे बांग्लादेश के लोगों और सरकार में अविश्वास पैदा होता हैं। अच्छे रिश्ते बनाने में ये बड़ी रुकावटें हैं, जिन पर भारत को सोचना होगा। सवाल: चटगांव और ढाका में जगह-जगह भारत के खिलाफ पोस्टर लगे हैं। दीवारों पर 'बैन इंडिया' लिखा है। क्या बांग्लादेश में एंटी-इंडिया सेंटिमेंट है?जवाब: भारत के खिलाफ गुस्सा पिछले 4 महीने से नहीं है। ये शेख हसीना के सत्ता में आने के बाद से है। भारत सरकार खुलकर उनका सपोर्ट कर रही थी। शेख हसीना अपने लोगों पर जुल्म करती थीं। देश में बोलने की आजादी नहीं थी। हम उन लोगों के खिलाफ हैं, जो शेख हसीना सरकार के साथ थे। यही भारत के लिए नफरत की वजह है। इसीलिए बांग्लादेश के लोग इंडियन प्रोडक्ट बैन करने की मांग कर रहे हैं। लोगों में एंटी इंडिया सेंटिमेंट हैं। पड़ोसी होने के नाते हम भारत से अच्छे रिश्ते चाहते हैं, लेकिन रिश्तों में सुधार लाने के लिए भारत को भी कुछ करना होगा। सब जानते हैं कि शेख हसीना इस्तीफा देकर भारत भाग गईं। इसलिए हमारे लोग भारत से नाराज हैं। मैंने भारत को दुश्मन देश घोषित करने की मांग वाला कोई पोस्टर नहीं देखा। हमारी सरकार तो दोस्ती चाहती है। सवाल: अल्पसंख्यकों पर हमले के बाद अमेरिका ने कहा कि वो इस पर नजर बनाए हुए है। क्या इन हमलों से दुनिया में बांग्लादेश की इमेज खराब हुई है?जवाब: शेख हसीना के समर्थक और उनकी पैरवी करने वाले ये कहानियां गढ़ रहे हैं कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यक खतरे में हैं। भारतीय मीडिया इस कहानी को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। बांग्लादेश में अल्पसंख्यक शांति से रह रहे हैं। हम किसी को अल्पसंख्यक नहीं मानते, सभी को देश के नागरिक के तौर पर देखते हैं। देश का नागरिक होने के नाते मेरे कुछ अधिकार हैं और उनके भी। अलग-अलग कल्चर के बावजूद शांति से रहना हमारी परंपरा है। सवाल: अंतरिम सरकार ने जमात-ए-इस्लामी पर से बैन हटा दिया। इस संगठन का नाम हिंदुओं पर हमले में आया है। सरकार ने बैन क्यों हटाया?जवाब: शेख हसीना ने 5 अगस्त से कुछ दिन पहले जमात पर बैन लगाया था। यह शेख हसीना का फैसला था। इसके लिए किसी से सलाह नहीं ली गई। ऐसा सिर्फ समस्या पैदा करने और आंदोलन से जुड़े लोगों को परेशान करने के लिए किया गया। इसीलिए हमने जमात से बैन हटा दिया। सवाल: बांग्लादेश और पाकिस्तान की नजदीकियां बढ़ रही हैं। क्या इसमें भारत के लिए कोई मैसेज है?जवाब: हम पड़ोसी देशों से बिना किसी रुकावट के बात कर सकते हैं। आपको हर देश, खासकर पड़ोसियों से रिश्ते बनाने होंगे। हम हमारे आयात-निर्यात और कारोबार पर किसी एक देश का अधिकार नहीं चाहते। हम दूसरे बाजारों और संबंधों को भी एक्सप्लोर करना चाहते हैं। बांग्लादेश विकासशील देश है। हमें चीन, पश्चिमी देशों और पड़ोसियों की मदद की जरूरत है। शेख हसीना की सरकार में इन देशों के साथ रिश्ते बढ़ाने में कई रुकावटें थीं। हमारी किसी से दुश्मनी नहीं है। हमारा संविधान सभी से दोस्ती बनाने की बात कहता है। सवाल: इस्लामिक पार्टियां कह रही हैं कि अगर चुनाव जीतकर सत्ता में आईं तो कुरान और शरीया कानूनों को संविधान में शामिल किया जाएगा। इस पर आपका क्या सोचना है?जवाब: बांग्लादेश के लोगों की स्थिति को देखते हुए यह मुमकिन नहीं है। पिछले 15 साल में इन पार्टियों ने भी चुनाव लड़े हैं। ये पार्टियां अकेले या अपने दम पर सरकार में नहीं आ सकतीं। बांग्लादेश के ज्यादातर लोग किसी एक विचारधारा की तरफ झुकाव नहीं रखते। हम अच्छी सरकार और डेवलप देश चाहते हैं। वैचारिक और सांस्कृतिक लड़ाई नहीं लड़ना चाहते। मुझे नहीं लगता कि आने वाले वक्त में देश के सेक्युलर ताने-बाने को तोड़ने की कोई कोशिश हो सकती है। सवाल: शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग के नेता कह रहे हैं कि उनकी जान को खतरा है, इसलिए छिपकर रहना पड़ रहा है?जवाब: अवामी लीग के वही लीडर और वर्कर्स छिप रहे हैं, जो लोगों की हत्या में शामिल थे। उनके खिलाफ केस दर्ज हैं। हम डिजिटल युग में हैं। आज हर घटना का वीडियो मौजूद होता है। हम देख सकते हैं कि आंदोलन के दौरान अवामी लीग के लोगों ने हत्याएं की थीं। वे हमसे नहीं छिप रहे है। वे इंसाफ से भाग रहे हैं। उन लोगों को जेल में होना चाहिए था। अवामी लीग के वे नेता, जो नरसंहार में शामिल नहीं थे, आजाद घूम रहे हैं। हमने अब तक सिर्फ 10 हजार लोगों को कैद किया है। आंदोलन के दौरान अवामी लीग की सरकार ने 25 हजार लोगों को अरेस्ट किया था। सवाल: आपका आंदोलन रिजर्वेशन सिस्टम में बदलाव के लिए था, ये शेख मुजीबुर्रहमान और शेख हसीना के खिलाफ कैसे हो गया?जवाब: हम कोटा सिस्टम हटाना चाहते थे। 2018 में हमने आंदोलन शुरू किया। तब कोटा सिस्टम खत्म कर दिया गया। 2024 में हाईकोर्ट ने कोटा सिस्टम फिर से लागू कर दिया। इसलिए हमें सड़क पर उतरना पड़ा। हम शांति से आंदोलन कर रहे थे। अवामी लीग की सरकार ने प्रदर्शनकारियों पर जुल्म किया। पुलिस ने हमले किए। आंदोलन के पहले फेज में करीब 300 लोगों को मार डाला। इसके बाद हमने फैसला लिया कि हम मनमानी और कत्ल करवाने वाली सरकार को नहीं झेल सकते। बांग्लादेश के लोगों में हमेशा से शेख हसीना की तानाशाही सरकार के खिलाफ विरोध था। पिछले तीन चुनावों में लोगों को वोट देने का अधिकार नहीं मिला। शेख हसीना ने आंदोलन में शामिल हमारे लोगों को मारा, तब लोगों की भावना सामने आ गई। इसलिए हमने आंदोलन को फासीवाद के विरोध के तौर पर आगे बढ़ाया। सवाल: जॉय बांग्ला को राष्ट्रीय नारा न मानना, नोटों से शेख मुजीबुर्रहमान की फोटो हटाने की तैयारी, उनकी निशानियों को खत्म करना, ये सब क्यों किया जा रहा है?जवाब: बांग्लादेश ने 1947, 1971 और 1990 में लड़ाई लड़ी है। इसका कोई एक राष्ट्रपिता नहीं हो सकता। आजादी की जंग में कई लोग शामिल थे। हमारे पास मौलाना हामिद खान वसानी, हुसैन सुहरावर्दी और जोगेन मंडल जैसे कई संस्थापक पिता हैं। हम उन नेताओं का भी सम्मान करना चाहते हैं, जिन्होंने क्रांति में हिस्सा लिया। उन्होंने पाकिस्तानी सरकार के खिलाफ लंबी लड़ाई को लीड किया। हम किसी एक शख्सियत को अपना आइकॉन नहीं बना सकते। अवामी लीग ने मुजीबुर्रहमान का चेहरा दिखाकर फासीवादी सरकार चलाई। लोगों की हत्या और उन्हें जबरन गायब करवाने को सही ठहराया। उन्होंने शेख मुजीबुर्रहमान का नाम लेकर अपने हर गलत काम को सही ठहराया। हम मानते हैं कि मुजीबुर्रहमान बांग्लादेश के संस्थापकों में से एक हैं, लेकिन वे राष्ट्र के इकलौते पिता नहीं हो सकते। ...................................... बांग्लादेश से जुड़ी ये खबरें भी पढ़िए... 1. विजय दिवस पर ढाका में लगे नारे- 'दिल्ली का राज नहीं चलेगा', वॉर मेमोरियल सूना 16 दिसंबर को जब बांग्लादेश में 53वां विजय दिवस मना, तब भारतीय सैनिकों की याद में बन रहा आशुगंज का वॉर मेमोरियल सूना पड़ा रहा। आशुगंज में जितना सन्नाटा था, उतना ही शोर ढाका की सड़कों पर सुनाई दिया। यहां भारत और PM मोदी के खिलाफ खुलेआम नारे लगाए गए। एक नारा जो सबसे ज्यादा सुनाई दिया- 'दिल्ली नी ढाका' यानी दिल्ली नहीं ढाका का राज चलेगा। पढ़ें पूरी खबर... 2. जहां हिंदुओं पर हमले, उसी चटगांव में पहुंचा भास्कर, लोग बोले- रोज रो-रोकर जी रहे चटगांव में एक जगह है मेथोरपट्टी। यहां हिंदू आबादी रहती है। इस बस्ती पर 26 नवंबर को भीड़ ने हमला कर दिया था। बस्ती में घुसते ही जले घर दिखने लगते हैं। थोड़ा आगे बढ़ने पर दो मंदिर हैं। गोपाल मंदिर और शारदा मंदिर। गोपाल मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति टूटी है। बगल में एक संत की मूर्ति है, उसका भी चेहरा बिगाड़ दिया गया। यहां के लोग अब भी डर में जी रहे हैं। पढ़ें पूरी खबर...
इस रईसी की दाद दिए बिना नहीं रह पाएंगे, सड़क किनारे बैठकर सोने के कप-प्लेट में पी रहे चाय
Saudi Arabia Luxury Life: दुबई के शेखों की अमीरी के किस्से तो सभी ने सुने हैं लेकिन यहां के आम लोग भी रईसी दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं. इसका उदाहरण एक वायरल वीडियो में देख सकते हैं.
रूस के परमाणु बमों के रक्षा प्रमुख की हत्या, मॉस्को में बनाया निशाना, पुतिन को बड़ा झटका
Russian General Killed in Blast: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के करीबी और रूसी सेना के टॉप जनरल इगोर किरिलोव की हत्या हो गई है. मॉस्को में एक ब्लास्ट के जरिए उन्हें निशाना बनाया गया. वे परमाणु बमों की रक्षा के प्रमुख थे.
राष्ट्रपति हुए तो क्या हुआ! कोर्ट के आगे एक ना चली ट्रंप की, जज ने बरकरार रखी सजा
Donald Trump Case: अमेरिका के नए राष्ट्रपति चुने गए डोनाल्ड ट्रंप को एक अमेरिकी कोर्ट से झटका लगा है. यहां जज ने उनकी एक मामले में सजा रद्द करने की याचिका खारिज कर दी है.
सीरिया छोड़कर भागे पर नहीं गई अकड़, असद का बयान - मैं लड़ना चाहता था, रूसियों ने बाहर निकाला
Statement by bashar al assad: सीरिया पर विद्रोहियों के कब्जा करते ही देश छोड़कर भागे पूर्व राष्ट्रपति बशर-अल-असद का पहली बार बयान सामने आया है. असद का कहना है कि वह तब भी देश नहीं छोड़ना चाहते थे.
शर्मनाक! भारत के पड़ोसी देश में वेश्यावृत्ति करने पर मजबूर हुए डॉक्टर-नर्स, रुला देगी वजह
Prostitution in Myanmar: सोचिए, उस देश के क्या हालात होंगे जहां की शिक्षित महिलाएं जो डॉक्टर, नर्स, शिक्षा जैसे पेशे में हों और मजबूरन वेश्वावृत्ति करने पर मजबूर हों. भारत के पड़ोसी देश म्यांमार में ऐसी ही स्थिति है.
बांग्लादेश ने विजय दिवस को लेकर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के पोस्ट पर आपत्ति जताई है और कड़ी निंदा की है. इसके साथ ही 1971 के युद्ध पर बांग्लादेश ने कहा है कि उस समय भारत सिर्फ एक सहयोगी था.
बाप रे! 17 साल की स्टूडेंट ने पहले टीचर और एक साथी को मारी गोली फिर...टेंशन में बाइडेन
Open Fire in US: अमेरिका में एक दिल दहला देनी वाली घटना में एक छात्र ने गोलीबारी की. जिसमें टीचर और एक साथी की मौत हो गई. इस घटना पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने चिंता जताते हुए सख्त कानून की जरूरत जताई है.
जर्मनी में राजनीतिक संकट: गिरी शोल्ज सरकार, 60 दिन के अंदर कराने होंगे चुनाव
German Government: जर्मनी में सरकार गिर गई है, चांसलर ओलाफ शोल्ज की सरकार ने संसद में विश्वास मत खो दिया है. इससे समय से पहले देश में चुनाव होने का रास्ता साफ हो गया है.
‘मैं श्रीलंका के राष्ट्रपति का भारत में स्वागत करता हूं। मुझे खुशी है कि राष्ट्रपति बनने के बाद अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए उन्होंने भारत को चुना है। इस यात्रा से दोनों देशों के रिश्तों में नई ऊर्जा का सृजन हो रहा है।’ श्रीलंकाई राष्ट्रपति अनुरा दिसानायके के साथ जॉइन्ट स्टेटमेंट में ये बात पीएम नरेंद्र मोदी ने कही। पीएम मोदी की ये खुशी लाजिमी भी है। तीन महीने पहले अनुरा कुमारा दिसानायके श्रीलंका के राष्ट्रपति बने, तो भारतीय मीडिया में एक आशंका थी। क्योंकि उनकी पार्टी JVP का स्टैंड भारत विरोधी माना जाता है। इसके बावजूद उन्होंने पहली विदेश यात्रा के लिए भारत को चुना। दिसानायके ने ऐसा क्यों किया और इस यात्रा से क्या हासिल होगा, जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में… सवाल-1: राष्ट्रपति दिसानायके ने 3 दिन के भारत दौरे पर क्या-क्या किया? जवाबः 10वें श्रीलंकाई राष्ट्रपति अनुरा दिसानायके अपनी पहले विदेश यात्रा पर 3 दिन के लिए भारत पहुंचे। उनके साथ श्रीलंका के विदेश मंत्री विजिता हेराथ और वित्त उपमंत्री अनिल जयंता फर्नांडो भी आए। सवाल-2: चीन के करीबी माने जाते हैं, फिर भी दिसानायके ने पहली विदेश यात्रा के लिए भारत को क्यों चुना? जवाबः विदेश मामलों के जानकार और JNU के प्रोफेसर राजन कुमार बताते हैं, श्रीलंका को ये पता है कि जब वहां क्राइसिस आई थी तो भारत ने मदद की थी। भारत ने कई वैश्विक मंचों पर श्रीलंका को सपोर्ट किया है। श्रीलंका पहले भी ये देख चुका है कि वह केवल चीन पर निर्भर नहीं रह सकता है। डॉ. राजन कुमार कहते हैं, ‘भले ही अनुरा की आइडियोलॉजी चीन से मेल खाती हो, लेकिन इकोनॉमी, स्ट्रैटजी और डिफेंस के लिए उन्हें भारत की जरूरत पड़ेगी। इसके अलावा उन्हें ये भी मालूम है कि अगर पश्चिमी देशों से दोस्ती करनी है तो भारत के साथ रिश्ते मजबूत करने होंगे। अगर श्रीलंका चीन की ओर ज्यादा रूख बढ़ाता है तो वह न केवल भारत की अनदेखी करेगा बल्कि पश्चिमी देशों से भी दूर हो जाएगा।’ चेन्नई के लोयोला कॉलेज के प्रोफेसर ग्लैडसन जेवियर ने BBC से कहा, 'श्रीलंका के आर्थिक संकट के दौर में भारत ने मदद की थी और इस लिहाज से दिसानायके भी रिश्तों में जोखिम नहीं लेना चाहेंगे। क्योंकि भारत को अलग करके श्रीलंका को और कठिन हालात में ले जाना समझदारी नहीं होगी।' सवाल-3: दिसायनायके की इस भारत यात्रा का हासिल क्या है? जवाबः अक्टूबर 2024 में श्रीलंका यात्रा पर गए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दिसानायके को भारत आने का न्योता दिया था। इसके दो महीने बाद ही अनुरा नई दिल्ली पहुंचे। इस दौरान अनुरा के साथ मीटिंग में जयशंकर ने भारत की नेबर फर्स्ट पॉलिसी और सागर आउटलुक में श्रीलंका के अहमियत को बताया। जयशंकर ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के साथ बातचीत से नई दिल्ली और कोलंबो के बीच सहयोग बढ़ेगा। 16 दिंसबर को पीएम मोदी के साथ हुई मुलाकात में राष्ट्रपति दिसानायके ने कहा कि उनके देश की जमीन का इस्तेमाल किसी भी भारत विरोधी एक्टिविटी के लिए नहीं किया जाएगा। साथ ही उन्होंने दो साल पहले श्रीलंका के आर्थिक संकट में मदद करने के लिए भारत का आभार व्यक्ति किया। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि भारत ने करीब 5 बिलियन डॉलर (करीब 43 हजार करोड़ रुपए) के कर्ज और ग्रांट के जरिए श्रीलंका को सपोर्ट किया था। सवाल-4: भारत और श्रीलंका दोनों एक-दूसरे के लिए जरूरी क्यों हैं? जवाबः भारत और श्रीलंका हर लिहाज से एक-दूसरे की अहमियत बखूबी जानते है। स्ट्रैटजी, सिक्योरिटी, बिजनेस और ट्रेड्स के हर मोर्चे पर दोनों देश एक-दूसरे की जरूरत और महत्व को समझते हैं। इसे एक टाइमलाइन से समझिए। 23 सितंबर को अनुरा दिसानायके श्रीलंका के राष्ट्रपति बने। महज 12 दिन बाद 4 अक्टूबर को भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर कोलंबो दौरे पर पहुंचे और अनुरा से मिले। तब अनुरा से मिलने वाले पहले हाई-लेवल विदेशी मेहमान जयशंकर ही थे। अब अनुरा अपनी पहली विदेश यात्रा पर भारत आए हैं। प्रोफेसर राजन कुमार मानते हैं कि भारत और श्रीलंका पड़ोसी देश हैं इसलिए दोनों को एक-दूसरे के लिए काफी अहम हैं। वे कहते हैं, ‘मौजूदा वक्त में श्रीलंका पर चीन की नजर है और क्राइसिस से पहले भारत के साथ श्रीलंका के फ्री-ट्रेड एग्रीमेंट और कई व्यापार समझौते थे। ऐसे में पड़ोसी देश के साथ भारत रिश्ते मजबूत करेगा। वहीं भारत ने कभी श्रीलंका का विरोध नहीं किया, बल्कि मदद ही की है, जो श्रीलंका भी जानता है। साथ ही भारत में जो कुछ भी होता है उसका असर श्रीलंका पर जरूर पड़ता है।’ फ्रांस में भारत के राजदूत रहे डॉ. मोहन कुमार मानते हैं कि अनुरा की इस यात्रा से भारत और श्रीलंका के रिश्ते और मजबूत होंगे। मोहन ने अपने आर्टिकल में लिखते हैं, 'ये दौरा पीएम मोदी को अनुरा के साथ पर्सनल बॉन्ड बनाने के मौका देगा। पीएम से उम्मीद है कि वे अनुरा को श्रीलंका की वित्तीय स्थिरता और आर्थिक विकास के लिए भारत के कमिटमेंट को बताएंगे। वहीं श्रीलंका साउथ इंडिया के साथ रीजनल इकोनॉमिक इंटीग्रेशन को सिक्योर करे।' सवाल-5: दिसानायके का भारत को लेकर क्या रूख रहा है, क्या उसमें बदलाव दिख रहा है? जवाबः दिसानायके के अतीत को देखें तो उनका रूख भारत के खिलाफ रहा है। लेकिन अब उसमें काफी बदलाव नजर आ रहा है। प्रोफेसर राजन कुमार बताते हैं, अनुरा की जो आइडियोलॉजी है, वह उन्हें कहीं और खीचती है। लेकिन उनकी आर्थिक और राजनीतिक मजबूरियां उन्हें भारत के साथ जोड़ती है। ऐसे में दिसानायके समझते हैं कि भारत को दरकिनार नहीं किया जा सकता है। दरअसल, पारंपरिक तौर पर दिसानायके और उनकी पार्टी JVP (अब NPP) को चीन समर्थक पार्टी की तरह देखा जाता है। JVP के संस्थापक रोहाना विजेवीरा ने 1980 के दशक में भारत को 'श्रीलंकाई हितों का दुश्मन' बताया था। दिसानायके भी समय-समय पर भारत और भारतीय निवेश के विरोध में बयान देते आए हैं। चुनाव से पहले उन्होंने अडानी ग्रुप की 450 मेगावाट के विंड एनर्जी प्रोजेक्ट को रद्द करने की घोषणा की थी। हालांकि, चुनाव कैंपेन के दौरान उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा कि इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि श्रीलंका के समुद्र, जमीन और हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल इस तरीके से न किया जाए, जिससे भारत या क्षेत्रीय स्थिरता को खतरा हो। उनकी सरकार नेशनल सिक्योरिटी और डिफेंस मामलों में भारत के साथ अच्छे रिश्ते बनाए रखेगी। फरवरी 2024 में दिसानायके भारत सरकार के न्यौते पर नई दिल्ली भी आए थे। उन्होंने विदेश मंत्री जयशंकर और NSA अजीत डोभाल से मुलाकात की। मीटिंग में अनुरा ने द्विपक्षीय संबंधों और उन्हें मजबूत करने पर चर्चा की। वहीं जयशंकर ने कहा था कि भारत हमेशा श्रीलंका का एक विश्वसनीय मित्र और भरोसेमंद साझेदार रहेगा। दिसानायके के भारत को लेकर रुख पर NPP के मेंबर प्रोफेसर अनिल जयंता ने कहा, भारत निश्चित तौर पर हमारा पड़ोसी और एक सुपर पावर है। हमारे नेता श्रीलंका की अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के लिए सभी प्रमुख देशों के साथ काम करना चाहते हैं। सवाल-6: अनुरा दिसानायके श्रीलंका के पहले कम्युनिस्ट राष्ट्रपति कैसे बने? जवाबः दिसानायके को 2019 के राष्ट्रपति चुनाव में केवल 3 प्रतिशत वोट मिले थे, लेकिन इसके बाद दिसानायके के चुनावी एजेंडे का फोकस देश की अर्थव्यवस्था पर रहा। उन्होंने लोगों के वेलफेयर के लिए कई वादे किए। उन्होंने IMF की लोन डील की आलोचना करते हुए डील की शर्तों पर बातचीत करने को कहा। इसके अलावा अनुरा ने कैंपेन के दौरान कहा कि चुनाव जीतने के बाद वे विदेशी निवेशकों का स्वागत करेंगे। उन्होंने श्रीलंका के प्रेसिडेंट सिस्टम को खत्म करने और ब्रिटिश कल्चर के संसदीय लोकतंत्र को वापस लाने का भी वादा किया है। 1978 तक ये व्यवस्था श्रीलंका में मौजूद थी। वहीं देश में आया आर्थिक संकट अनुरा के लिए ‘करप्ट’ पॉलिटिक्स को बदलने का मौका साबित हुआ। अनुरा की ये बातें वोटर्स, खास तौर पर यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स, टीचर्स और मजदूर वर्ग तक पहुंचीं और उनका समर्थन अनुरा को मिला। इसके बाद वे श्रीलंका के 10वें राष्ट्रपति बने और 23 सितंबर को उन्होंने शपथ ली। तब इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप के सीनियर कंसल्टेंट एलन कीनन ने कहा, दिसानायके एक करिश्माई कैम्पेनर और स्पीकर हैं। उन्होंने श्रीलंकाई वोटर्स के बीच एंटी-करप्शन लहर का फायदा उठाया। वह सिस्टम में बदलाव के लिए लड़ रहे हैं। उनके सपोर्टर्स को उनसे बहुत उम्मीदें हैं। ******* रिसर्च सहयोग- आयुष अग्रवाल -------- अनुरा दिसानायके से जुड़ा ये एक्सप्लेनर भी पढ़िए... भास्कर एक्सप्लेनर- हिंदू-तमिलों के कड़े विरोधी हैं अनुरा दिसानायके: कम्युनिस्ट बड़े भाई का हुआ था एनकाउंटर, कैसे मजदूर का बेटा बना श्रीलंका का राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके श्रीलंका के नए राष्ट्रपति हैं। 23 सितंबर को शपथ ग्रहण के साथ ही देश को पहला कम्युनिस्ट राष्ट्रपति मिला। दिहाड़ी मजदूर के बेटे अनुरा ने दशकों से श्रीलंका की सत्ता पर काबिज राजपक्षे परिवार का सफाया कर दिया। कभी हथियारबंद आंदोलन में शामिल रहे अनुरा की पार्टी का स्टैंड इतिहास में भारत विरोधी रहा है। पूरी खबर पढ़ें...
अपील भी तुम, दलील भी तुम, गवाह भी तुम, वकील भी तुम जिसे भी चाहे हराम कर दो जिसे भी चाहे हलाल कर दो। संसद में संविधान पर चर्चा के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने केंद्र सरकार को घेरते हुए राहत इंदौरी का ये शेर पढ़ा। तो जवाब में बीजेपी ने भी प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पर खुद के और परिवार के फायदे के लिए संविधान को बदलने जैसे तीन बड़े आरोप लगाए। क्या हैं ये तीन आरोप और इनका सच, जानने के लिए देखिए ये वीडियो।
British Army News: ब्रिटेन के एक मंत्री ने चेतावनी दी है कि अगर ब्रिटिश सेना को यूक्रेन संघर्ष जैसा युद्ध लड़ने के लिए मजबूर किया गया तो छह महीने में ही उसका सफाया हो जाएगा.
Golan Heights: गोलान हाइट्स पर क्यों कब्जा नहीं छोड़ना चाहता इजरायल? नेतन्याहू ने झोंक दी सारी ताकत
Golan Heights News:इजरायल सरकार ने हाल ही में गोलान हाइट्स में बस्तियों को बढ़ाने की योजना को मंजूरी दी है. इस योजना का उद्देश्य इस क्षेत्र में इजरायली आबादी को दोगुना करना है.
ना हिंसा ना चोट के निशान, जॉर्जिया के रेस्तरां में मौत का तांडव, कैसे हो गई 12 भारतीयों की मौत?
Indians Killed in Georgia:जॉर्जिया के आंतरिक मामलों के मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि शुरुआती जांच में किसी भी तरह की चोट या हिंसा के कोई निशान नहीं मिले हैं. हालांकि भारतीय मिशन ने कहा कि मरने वाले सभी 12 लोग भारतीय थे, जबकि जॉर्जिया के मंत्रालय ने कहा कि मृतकों में 11 विदेशी थे जबकि एक उसका नागरिक था.
Canada Politics News:कनाडा की वित्त मंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने सोमवार को प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया.
Syria: युवती को कंधे पर बिठाए बशर-अल-असद की तस्वीर वायरल, विद्रोहियों ने लूटा महल
Bashar-al-Assad's Private Pictures Viral:सीरिया के पूर्व राष्ट्रपति बशर अल-असद की शर्टलेस और निजी तस्वीरें इन दिनों सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही हैं. ये तस्वीरें विद्रोहियों ने असद के दमिश्क और अलेप्पो स्थित महलों पर कब्जा करने के बाद वायरल की हैं.
हार्वर्ड से डॉक्टरेट, सियासी भूचाल के बीच संभाला पद; कौन हैं साउथ कोरिया के नए कार्यकारी राष्ट्रपति
South Korea Politics:दक्षिण कोरिया में अल्पकालिक मार्शल लॉ लागू करने का आदेश देने पर संसद में यून के खिलाफ लाया गया महाभियोग का प्रस्ताव शनिवार को 204 और 85 वोट के अंतर से पारित हो गया था और अब अदालत यह तय करेगी कि उन्हें पद से हटाया जाना है या पद पर बनाए रखना है.
तबाह हो गया मुस्लिम द्वीप, चक्रवात चिडो ने एकझटके में 1000 से ज्यादा जानें, दफनाने के लिए नहीं जगह
Cyclone Chido in France: फ्रांस के हिंद महासागर वाले मुस्लिम बहुत द्वीप पर आए चिडो चक्रवात ने भारी तबाही मचाई है. इसने 1000 से ज्यादा लोगों की जान ले ली है. जबकि अभी सटीक आंकड़ा सामने नहीं आया है.
ट्रंप से हार के बाद ये कौनसा चुनाव लड़ने जा रहीं कमला हैरिस? घबराकर दोफाड़ हुए डेमोक्रेटस
Kamala Harris future plans: कमला हैरिस अमेरिका के राष्ट्रपति पद का चुनाव हार गई हैं. ट्रंप से चुनाव हारने के बाद कमला हैरिस के भविष्य को लेकर काफी चर्चा हो रही है. इसे लेकर अब जो खबर सामने आई है, उसे लेकर डेमोक्रेट्स का एक बड़ा तबका टेंशन में है.
सिगरेट पीने के बाद लोग बचा हुआ हिस्सा कहीं भी फेंक देते हैं। इस हिस्से को बट्स कहते हैं। फेंके हुए सिगरेट के 0.2 ग्राम के टुकड़े को पूरी तरह से खत्म होने में 15 साल तक लग सकते हैं। इसे रिसाइकिल कर खिलौने और फैब्रिक बनाए जा सकते हैं। जब पहली दफा मैंने सिगरेट के बट्स से फैब्रिक के बारे में सुना तो हैरान था। इस प्रोसेस को जानने के लिए मैं नोएडा के रहने वाले नमन गुप्ता से मिलने आया हूं। नमन पिछले 6 साल से रूई जैसे दिखने वाले इस फैब्रिक से कुशन, टेडी बियर, सॉफ्ट टॉयज, स्टेशनरी पेपर, डेनिम कपड़े बना रहे हैं। इससे वह सालाना 100 करोड़ का बिजनेस कर रहे हैं। सुबह के तकरीबन 11 बज रहे हैं। नमन की कंपनी ‘कोड एफर्ट्स’ की फैक्ट्री में एंटर करते ही सिगरेट की गंध आने लगती है। काम कर रहे लोग मास्क और ग्लव्स पहने हुए हैं। एक व्यक्ति बोरी में से सिगरेट के बट्स को उड़ेल रहा है। दूसरा उसमें से निकल रहे फैब्रिक को इकठ्ठा कर रहा है। अंदर जाते ही नमन का स्टाफ कहता है, ‘आप भी मास्क लगा लीजिए, नहीं तो सांस की दिक्कत होने लगेगी। यहां सिर्फ सिगरेट के बट्स ही दिखाई देंगे। ’ नमन सिगरेट के बट्स को देख रहे हैं। कहते हैं, ‘हम सूखे हुए सिगरेट बट्स को ही रिसाइकिल करते हैं। यह सिगरेट का फिल्टर वाला हिस्सा होता है। इसे पॉलीमर या फाइबर मटेरियल से बनाया जाता है। यकीन करना मुश्किल है, लेकिन इस छोटी सी चीज को डी-कंपोज होने में 10 साल से ज्यादा वक्त लग जाता है।’ नमन मुझे फैक्ट्री घुमा रहे हैं। कहते हैं- पहले पूरे प्रोसेस देख लेते हैं, इससे आपको हमारे काम को समझने में आसानी होगी। ‘यह जो ढेर है, उसमें 45 हजार से ज्यादा सिगरेट के बट्स हैं। एक किलोग्राम में 3 हजार बट्स होते हैं। सबसे पहले हम इस फिल्टर से पेपर अलग करते हैं। उसके बाद इस फाइबर मटेरियल को निकालकर इकट्ठा किया जाता है। ग्राइंडर मशीन में जैसे मसाला पीसते हैं, उसी तरह से इसे ग्राइंड किया जाता है, ताकि यह बारीक हो जाए। फिर इसे पानी और केमिकल के साथ 24 घंटे के लिए रख दिया जाता है। यह पल्प के फॉर्म में तैयार हो जाता है। फिर इसे ड्रायर में सूखने के लिए डाल देते हैं। जैसे गांव में पहले रजाई-गद्दे बनाने के लिए रूई की धुनाई होती थी, उसी तरह से मशीन में इसे डालकर रूई की तरह तैयार किया जाता है।’ नमन हाथ में रूई लेकर दिखाते हैं। मेरे लिए यकीन कर पाना मुश्किल है कि इस सिगरेट के बट्स जैसी चीज को रिसाइकिल करके इस तरह का मटेरियल भी तैयार हो सकता है। नमन अपने शुरुआती दिनों की बातें बताते हैं। कहते हैं, ‘बचपन से मेरा सपना सीए बनने का था। 2013-14 का साल था। 12वीं के बाद डिस्टेंस से कॉमर्स में एडमिशन ले लिया। कॉलेज के दिनों की बात है। आजकल कॉलेज स्टूडेंट में सिगरेट पीने का एक ट्रेंड है। ज्यादातर बच्चे कूल दिखने के लिए सिगरेट पीते हैं। यह सेहत के साथ-साथ वातावरण के लिए भी खतरनाक है। मैंने आज तक सिगरेट का एक कश भी नहीं लिया, लेकिन लोगों को सिगरेट पीते हुए देखता था। सिगरेट पीने के बाद बचे हुए हिस्से को लोग जूते से रगड़कर आगे बढ़ जाते थे। 2018 की बात है। मैं फाइनल ईयर में था। एक रोज ऐसे ही सिगरेट के बट्स को उठाकर देखा, तो उसमें कुछ रेशे जैसा दिखा। रिसर्च करने बैठा, तो पता चला कि यह एक फाइबर है, जो सालों तक सड़ता नहीं है।’ नमन कहते हैं, ‘मेरे बड़े भाई विपुल गुप्ता ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। मेरा तो कॉमर्स बैकग्राउंड था। भाई को मैंने ऐसे ही बोल दिया कि सिगरेट बट्स रिसाइकिल करके कुछ बना सकते हैं? हम दोनों इस काम में लग गए कि इससे क्या-क्या बनाया जा सकता है। पता चला कि रूई की तरह मटेरियल तैयार करके सॉफ्ट टॉयज बना सकते हैं। पापा से बात की, तो उनका पहला सवाल यही था- इसे कलेक्ट कैसे करोगे? मेरे सामने भी यही चैलेंज था। हमने सिगरेट के बट्स कलेक्ट करने के 3 मॉडल तैयार किए। नमन कहते हैं, ‘जब 2018 में हमने शुरुआत की थी, तब करीब 20 लाख रुपए का इन्वेस्टमेंट किया था। ये सारे पैसे पापा से लिए थे। हमारी फैमिली में शुरू से ही कोई रोक-टोक नहीं है। पापा का भी ऑस्ट्रेलिया में बिजनेस है। हमने सिगरेट बट्स को रिसाइकिल करके रूई तैयार करना शुरू किया। सेफ्टी पेपर्स से यह रूई लैब टेस्टेड होती है। इस रूई से शुरुआत में सॉफ्ट टॉयज बनाना शुरू किया, लेकिन इसका मार्केट उतना नहीं है। मोबाइल के आने के बाद से बच्चों का सॉफ्ट टॉयज के प्रति रुझान कम हो गया है। 3 साल तक हम घाटे में थे। एग्जीबिशन में जाकर जब लोगों को बताते थे कि यह सिगरेट के बट्स से बना हुआ है, तो सभी चौंक जाते थे। थोड़ा समय बीता तो हमने कुछ और चीजें बनाने के बारे में सोचा। हम घर सजाने वाले आइटम्स, पेपर, कपड़े जैसे प्रोडक्ट्स तैयार करने लगे। सॉफ्ट टॉयज और डेकोरेट आइटम्स यहीं की महिलाएं बनाती हैं। इन्हें घर बैठे काम भी मिल जाता है। हमारे साथ ढाई हजार कचरा बीनने वाले लोग, 250 कलेक्शन सेंटर्स, 100 से ज्यादा महिलाएं काम कर रही हैं।’ घाटे में रहने के बाद 100 करोड़ का बिजनेस…? ‘हां, इस साल हम 100 करोड़ का बिजनेस करेंगे। हमारा फोकस सिर्फ धंधा करना नहीं, लोगों को रोजगार देना और वातावरण के लिए काम करना है। जब मार्केट में सॉफ्ट टॉयज की डिमांड कम होने लगी, तब हमने सिगरेट बट्स से पेपर, डेनिम कपड़े तैयार करने शुरू किए। इससे बड़े-बड़े कॉर्पोरेट हाउस हमारे क्लाइंट बन गए। इससे सालाना रेवेन्यू में 3 गुना की ग्रोथ हुई। आज 50 से ज्यादा ऐसे कॉर्पोरेट क्लाइंट्स हैं। हमारा सबसे ज्यादा बिजनेस B 2 B यानी बिजनेस टू बिजनेस में है। हर रोज हम डेढ़ टन के करीब यानी 70 लाख सिगरेट बट्स रिसाइकिल कर रहे हैं। अभी यह टोटल मार्केट का सिर्फ 2 फीसदी है। देश में हर सेकेंड 3 हजार सिगरेट लोग पीकर फेंक देते हैं। 6 साल में हम 10 बिलियन से अधिक सिगरेट बट्स रिसाइकिल कर चुके हैं। भारत में सालाना 120 बिलियन सिगरेट का कंजम्प्शन है। अब आप समझ सकते हैं कि कितना बड़ा नंबर है…। ***** इस सीरीज की अन्य खबरें भी पढ़िए... 1. पॉजिटिव स्टोरी-कॉलेज में मोबाइल कवर बेचा,अब 5 करोड़ का बिजनेस:एक लाख उधार लेकर शुरू की स्पोर्ट्स इवेंट कंपनी; 250 लोग काम करते हैं 'कॉलेज के दिनों की बात है। ग्रेजुएशन में था। बचपन से खेलकूद में खूब मन लगता था। एक बार कॉलेज में एक स्पोर्ट्स इवेंट हुआ। गेम स्टार्ट होने से पहले लगा कि सब कुछ बहुत अच्छा होगा, मजा आएगा, लेकिन जब गेम शुरू हुआ, तो सोचने लगा- इससे अच्छा तो मैं पूरा गेम प्लान कर देता। पूरा मैनेजमेंट खराब था। उसके बाद कॉलेज में जितने भी स्पोर्ट्स इवेंट हुए, सब मैंने ऑर्गनाइज करना शुरू कर दिया। हालांकि, उस वक्त ऐसा सोचा नहीं था कि एक दिन यह कंपनी के तौर पर बन जाएगी और सालाना बिजनेस 5 करोड़ से अधिक का करने लगेंगे।' पूरी खबर पढ़िए... 2. पॉजिटिव स्टोरी-मेले में स्टॉल लगाकर बनाई 50 करोड़ की कंपनी:खेल-खेल में पढ़ने की किट बनाई, कभी लंदन में बनाता था सैंडविच 'हम हर उम्र के बच्चों के लिए अलग-अलग किट तैयार करते है, ताकि उनकी लर्निंग प्रोसेस उनकी उम्र के मुताबिक हो। मान लीजिए कि कोई बच्चा 3 साल का है, तो उसे 1,2,3…, A, B, C, D…, जानवरों की इमेज से नाम पहचानना, इस तरह के कलेक्शन को कलेक्ट करते हैं। इससे करीब 50 करोड़ का बिजनेस कर रहे हैं।’ पूरी खबर पढ़िए...
संभल की शाही जामा मस्जिद से करीब एक किमी दूर है खग्गू सराय मोहल्ला। मेन रोड से करीब 500 मीटर अंदर जाने पर एक पुराना मंदिर दिखाई देता है। करीब 70 गज जमीन पर बने इस मंदिर में 46 साल बाद पहली बार पूजा की गई। 14 दिसंबर को संभल के DM राजेंद्र पेंसिया और SP कृष्ण बिश्नोई टीम के साथ बिजली चोरी पकड़ने खग्गू सराय मोहल्ले में गए थे। इसी दौरान बंद पड़े इस मंदिर का पता चला। दैनिक भास्कर ने आसपास के लोगों से मंदिर के बारे में पता किया तो अलग-अलग कहानियां सामने आने लगीं। इन कहानियों का एक सिरा कॉमन है 1978 के दंगे। पुलिस-प्रशासन की इंटरनल रिपोर्ट के मुताबिक होली के तीन दिन बाद हुए इस दंगे में 184 से ज्यादा लोग मारे गए थे। तभी डर की वजह से खग्गू सराय में रहने वाले 100 हिंदू परिवार पलायन कर गए। इनमें ज्यादातर कारोबारी थे। 24 नवंबर को जामा मस्जिद में सर्वे के दौरान संभल में हिंसा भड़क गई थी। इस शहर में दंगों का पुराना इतिहास है। बीते 88 साल में यहां 16 दंगे हुए हैं। ये आंकड़ा पुलिस-प्रशासन के रिकॉर्ड से मिला है। 1978 में हुआ था सबसे बड़ा दंगा, तभी से बंद था मंदिरसंभल में सबसे बड़ा दंगा 1978 में हुआ था। तब खग्गू सराय को बनियों का मोहल्ला कहते थे। बनियों का मोहल्ला आज भी है, लेकिन उसमें एक भी हिंदू परिवार नहीं रहता। उनकी निशानी के तौर पर पुराना शिव-हनुमान मंदिर ही बचा है। 1978 के दंगे के बाद से मंदिर में लोगों का आना बंद हो गया। शनिवार को पुलिस-प्रशासन के अधिकारी यहां पहुंचे, तो मंदिर जैसा स्ट्रक्चर दिखा। गेट पर ताला लगा था। ताला तोड़ा तो अंदर हनुमान जी की मूर्ति और शिवलिंग मिला। दैनिक भास्कर ने इस मंदिर के बारे में आसपास के लोगों, पुलिस प्रशासन और यहां का इतिहास जानने वाले लोगों से बात की। अचानक कैसे मिला 46 साल से बंद मंदिरसंभल में हिंसा के बाद पुलिस की जांच में पता चला कि दीपा सराय इलाके में लोग बिजली चोरी कर रहे हैं। 150 से ज्यादा पुलिस जवान के साथ एक टीम ने 14 अगस्त की सुबह 5 बजे यहां छापा मारा। सुबह 11 बजे टीम खग्गू सराय के बनिया मोहल्ला पहुंची। बनिया मोहल्ला में बिजली चोरी तो पकड़ी ही गई, पुराना मंदिर भी मिल गया है। ये खबर मीडिया में आते ही दूसरी जगह बस चुके हिंदू परिवार आने लगे। उन्होंने बताया कि मंदिर के पास एक कुआं और पीपल का पेड़ भी था। कुएं से पानी लेकर लोग मंदिर में जल चढ़ाते थे। पीपल की भी पूजा होती थी। पीपल का पेड़ तो अब नहीं है, लेकिन पुलिस ने लोगों की बताई जगह पर JCB से खुदाई कराई, तो कुएं के अवशेष मिल गए। मंदिर कितना पुराना है, ये पता करने के लिए ऑर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया से जांच कराई जाएगी। 1978 तक खग्गू सराय में 100 से ज्यादा हिंदू परिवार थेदैनिक भास्कर ने संभल में इतिहास के जानकार संजय शंखधर से बात की। प्राचीन मंदिर के बारे में वे कहते हैं, ‘संभल के बीच में खग्गू सराय मोहल्ला है। यहां 1978 तक 100 से ज्यादा हिंदू परिवार रहते थे। दंगे के बाद उन्हें मोहल्ले में रहना सेफ नहीं लगा, इसलिए सभी हिंदू आबादी वाले एरिया में बस गए।' 'बाद में कभी-कभी मंदिर जाते रहे, लेकिन पिछले 44 साल से मंदिर पूरी तरह बंद है। 14 दिसंबर को टीम बिजली चेकिंग अभियान चला रही थी। तभी मेरे साथ कुछ लोगों ने पुलिस को बताया कि यहां एक मंदिर पर कब्जा हो गया है। पुलिस ने मंदिर खुलवाया। खुदाई में कुआं भी मिला है। अब साफ-सफाई कर धार्मिक गतिविधियां शुरू की जा रही हैं। दंगे हुए तब संभल में 35% हिंदू थे, अब 20% बचे58 साल के संजय शंखधर कहते हैं, ‘1978 का दंगा यहां के इतिहास में सबसे बड़ा था। यहां लाला मुरारी लाल की बड़ी कोठी थी। दंगे से बचने के लिए कई लोग कोठी में छिप गए थे। दूसरे समुदाय को इसका पता चल गया। उन्होंने कोठी पर हमला कर दिया, जिसमें 26 लोगों की मौत हो गई। इनमें 24 हिंदू थे।’ मुस्लिम बोले- डर की वजह से नहीं, तरक्की के लिए लोग मकान बेचकर गएमंदिर के पास हमें सागीर खान मिले। वे कहते हैं, ‘मेरी उम्र 54 साल है। बचपन से ये मंदिर देख रहा हूं। पूरा मोहल्ला हिंदू आबादी वाला था। हिंदू-मुस्लिम मोहब्बत से रहते थे। यहां पास में एक प्रताप चाचा रहते थे। वे हम बच्चों को छाछ पिलाते थे। फ्री में दूध देते थे। इतना अच्छा माहौल था। फिर धीरे-धीरे लोग तरक्की के लिए मकान बेचकर चले गए।’ ‘आखिरी हिंदू फैमिली 15-20 साल पहले गई थी। कुछ लोग दुर्गा कॉलोनी चले गए। कुछ पढ़ाई के लिए, तो कुछ बिजनेस के लिए बाहर चले गए। यहां हीरा लाल रहते थे। उनके बच्चे सबसे आखिर में गए। उन बच्चों से आप पूछ सकते हैं। उन्हें कोई परेशानी होती थी, तब हम उनके घर जाते थे।’ लोग बोले- 1995 में मोहल्ला छोड़ा, 25 साल बाद मंदिर के दर्शन हुएखग्गू सराय में रह चुके मुकेश रस्तोगी को मंदिर के बारे में पता चला तो वे भी दर्शन के लिए आ गए। वे बताते हैं, ‘1995 में हम ये मोहल्ला छोड़कर चले गए थे। यहां हिंदुओं के 15 से 20 मकान थे। धीरे-धीरे सब चले गए। आज मैं मंदिर देखने आया हूं। 25 साल पहले इसे देखा था।' खबर मिली थी कि कब्जे की वजह से मंदिर में पूजा नहीं होती: ASPखग्गू सराय में मंदिर तक सबसे पहले ASP श्रीश चंद्र और DSP अनुज कुमार पहुंचे थे। दैनिक भास्कर ने ASP श्रीश चंद्र से बात की। वे बताते हैं, 'हमें खबर मिली थी कुछ लोग कटिया डालकर बिजली चोरी कर रहे हैं। पुलिस, प्रशासन और बिजली विभाग की टीम सुबह जांच के लिए निकली थी।’ ‘कार्रवाई के दौरान पता चला कि पास में एक मंदिर है, जिस पर कब्जा हो गया है। 30-40 साल से वहां पूजा नहीं हो रही है। इसके बाद सभी सीनियर अधिकारी पहुंचे। खबर सही निकली। तुरंत मंदिर को खुलवाया गया।' मंदिर में पूजा शुरू, बिजली कनेक्शन और CCTV कैमरे लगेमंदिर के बंद होने से आसपास कब्जा कर लिया गया। मंदिर के तीन तरफ घर बन गए। सिर्फ एक तरफ से मंदिर दिखाई देता है। अब इसकी साफ-सफाई कर दी गई है। दिन में पूजा की गई। बिजली कनेक्शन लग गया। CCTV कैमरे भी लगा दिए गए। DM राजेंद्र पेंसिया ने दैनिक भास्कर को बताया, ‘लाउडस्पीकर से होने वाले ध्वनि प्रदूषण की जांच करने हम सुबह 5 बजे आए थे। उसी समय देखा कि एक मस्जिद का मीटर बंद है। हमने बिजली विभाग की टीम को बुलाया, ताकि चोरी रोकी जा सके। यहां बड़ी मात्रा में बिजली चोरी हो रही थी। ये मामले देखने के दौरान मंदिर का पता चला। ये तीन ओर से ढंका था। चौथी तरफ ईंटें रखी थीं।' मंदिर कितना पुराना है, ये ASI सर्वे के बाद पता चलेगा। मंदिर की सुरक्षा के लिए सिक्योरिटी तैनात कर दी है। एक पुजारी भी रखा गया है। एंट्री-एग्जिट पर CCTV कैमरे लगाए गए हैं। वहीं, संभल के SP कृष्ण बिश्नोई ने बताया कि अतिक्रमण करने वालों की पहचान की जा रही है। आगे असुरक्षा का माहौल ना रहे, इसके लिए इंतजाम कर रहे हैं। दंगों के बारे में SP कृष्ण बिश्नोई बताते हैं, ‘1947 से अब तक संभल में 19 दंगे हुए हैं। 24 नवंबर की हिंसा उपद्रवियों और पुलिस के बीच थी। उससे पहले सभी दंगे कम्युनल थे। 1978 के दंगों का असर पूरे जिले में था। इसमें अनऑफिशियली 184 मौतें हुई थीं। बाकी ज्यूडिशियल कमीशन की रिपोर्ट आएगी तो उससे पता चलेगा।’ 1978 का दंगा, जिसकी वजह से हिंदुओं का पलायन हुआदैनिक भास्कर ने 1978 में हुए दंगों की पड़ताल की। इस दौरान हमें पुलिस-प्रशासन की एक इंटरनल रिपोर्ट मिली। उस रिपोर्ट में संभल में अब तक हुए सभी दंगों का जिक्र है। इनमें सबसे ज्यादा नुकसान 1978 के दंगों में हुआ था। एक अफवाह से दंगा भड़का, लाशें नहीं मिलीं तो पुतलों का दाह संस्कार कियाइंटरनल रिपोर्ट के मुताबिक, 29 मार्च, 1978 को संभल में सबसे बड़ा दंगा भड़का था। उस साल 25 मार्च को होली थी। होली जलाने पर दोनों समुदायों में तनाव था। उसी समय अफवाह उड़ी कि एक दुकानदार ने दूसरे समुदाय के शख्स को मार दिया है। इसके बाद दंगे शुरू हो गए। तब कई लोगों ने SDM रमेश चंद्र माथुर के ऑफिस में छिपकर जान बचाई थी। दंगे के बीच कारोबारी बनवारी लाल ने दुकानदारों को अपने साले मुरारी लाल की कोठी में छिपाया था। दंगाइयों ने कोठी का गेट ट्रैक्टर से तोड़ दिया और 24 लोगों की हत्या कर दी थी। उस वक्त 30 से ज्यादा दिन तक कर्फ्यू लगा था। रिपोर्ट में लिखा है कि संभल के आसपास के हर गांव में लोग मारे गए थे। रिपोर्ट में 184 से ज्यादा लोगों की मौत का जिक्र है। इनमें कई लोगों की लाशें तक नहीं मिलीं। उनके पुतले बनाकर दाह संस्कार किए गए थे। बनवारी लाल के हाथ-पैर-गला काटा, सबूत न मिलने से 48 आरोपी बरीरिपोर्ट में जिक्र है कि कारोबारी बनवारी लाल को बहुत बेरहमी से मारा गया था। वे परिवार के रोकने के बावजूद दंगे वाले इलाके में चले गए थे। उन्होंने परिवार से कहा कि सभी मेरे भाई और दोस्त हैं। उपद्रवियों ने उन्हें पकड़ लिया और हाथ-पैर काट दिए। बनवारी लाल ने कहा कि मुझे काटो मत, गोली मार दो। फिर भी उनका गला काटकर हत्या कर दी गई। उनके साथ 24 और लोगों को मारा गया। फिर सभी की लाशें जला दी गई थीं। इस केस में 48 लोगों को आरोपी बनाया गया था, सबूत न मिलने पर 2010 में सभी बरी हो गए। तब जज ने अपने कमेंट में कहा था कि मैं सोच भी नहीं सकता कि ऐसे लोगों को फांसी नहीं हो रही है। बनवारी लाल के परिवार ने 1995 में संभल छोड़ दिया था। टीचर की बेटी से रेप, पत्नी को अगवा कियारिपोर्ट में 1978 में एक टीचर के परिवार से बर्बरता का जिक्र है। लिखा है कि दंगाइयों ने टीचर की पत्नी और बेटी को अगवा कर लिया था। पत्नी को लोगों ने छुड़ा लिया, लेकिन बेटी से रेप किया गया। फिर कई दिन बाद छोड़ा। इस घटना के बाद परिवार ने संभल छोड़ दिया। संभल हिंसा के बाद बनी रिपोर्ट, 88 साल में हुए दंगों का ब्योरासंभल में 24 नवंबर को हुई हिंसा के बाद पुलिस-प्रशासन ने ये इंटरनल रिपोर्ट बनाई है। इस रिपोर्ट में आजादी से पहले 1936 से 2019 तक हुए 16 दंगों की डिटेल है। रिपोर्ट में लिखा है कि संभल नगर पालिका एरिया में आजादी के वक्त 55% मुस्लिम और 45% हिंदू रहते थे। अब 80-85% मुस्लिम और 15-20% हिंदू आबादी है। ........................................... संभल के जामा मस्जिद विवाद से जुड़ी ये स्टोरी भी पढ़ें... 1. जामा मस्जिद या हरिहर मंदिर, अचानक क्यों जल उठा संभल काशी और मथुरा के बाद अब संभल में जामा मस्जिद की जगह मंदिर होने का विवाद बढ़ गया है। इस पर याचिका लगाने वालों में केला देवी मंदिर के महंत ऋषिराज गिरी भी हैं। महंत कहते हैं, 'हरिहर मंदिर के लिए हमारी लड़ाई काफी साल से चल रही है। बस दुनिया के सामने आज आई है। हम इसे लेकर अब कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। पढ़िए पूरी खबर... 2. मस्जिद में तोड़फोड़ की अफवाह से संभल में भड़की हिंसा 24 नवंबर को सुबह 6 बजे टीम दोबारा मस्जिद का सर्वे करने पहुंची थी। एडवोकेट कमिश्नर, DM, SP के साथ RAF, PAC और उत्तर प्रदेश पुलिस की 8 गाड़ियां थीं। लोग सुबह की नमाज अदा करके मस्जिद से बाहर निकले। तभी अफवाह फैली की मस्जिद के अंदर तोड़फोड़ की जा रही है। इसी से हिंसा भड़की। पढ़िए पूरी खबर...
16 दिसंबर 1971 का किस्सा है। ढाका के रेसकोर्स में एक मेज और दो कुर्सियां लगाई गईं। पहली पर पाकिस्तान के लेफ्टिनेंट ए.ए.के. नियाजी बैठे थे और दूसरी पर भारत के ईस्टर्न थिएटर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा। नियाजी ने एक डॉक्यूमेंट पर दस्तखत किए। इसके बाद कमर पर लगी अपनी पिस्टल जगजीत सिंह को सौंप दी और 93 हजार पाक सैनिकों के साथ दुनिया का सबसे बड़ा सरेंडर किया। सरेंडर की आइकॉनिक तस्वीर को इंडियन आर्मी चीफ के ऑफिस में लगाया गया। देश-दुनिया के तमाम अधिकारियों की विजिट में बैकग्राउंड में ये तस्वीर दिख जाती थी, लेकिन इस सरेंडर की 53वीं एनिवर्सरी पर खबर आ रही है कि आर्मी चीफ के ऑफिस से ये तस्वीर हटा दी गई है। अब वहां 'कर्म क्षेत्र' की एक पेंटिंग है। तस्वीर क्यों बदली गई, नई पेंटिंग के क्या मायने हैं; समझेंगे आज के एक्सप्लेनर में... सवाल-1: आर्मी चीफ के ऑफिस में तस्वीर बदलने की बात कैसे सामने आई? जवाबः अमूमन जब भी आर्मी चीफ किसी सैन्य अधिकारी या विदेशी मेहमानों से मिला करते थे, तो 1971 की ऐतिहासिक पेंटिंग के सामने तस्वीर लेते थे, लेकिन 11 दिसंबर को जब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' पर आर्मी के ऑफिशियल हैंडल 'ADGPI' से आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी के ऑफिस के लाउंज की कुछ तस्वीरें पोस्ट की गईं तो इन तस्वीरों के बैकग्राउंड से सरेंडर वाली तस्वीर नदारद थी। उसकी जगह एक नई पेंटिंग लगी थी। तब खुलासा हुआ कि नई दिल्ली के रायसीना हिल्स के साउथ ब्लॉक में मौजूद आर्मी चीफ के ऑफिस से 1971 की तस्वीर को हटाकर नई पेंटिंग लगाई गई है। सवाल-2: नई 'कर्म क्षेत्र' पेटिंग में क्या उकेरा गया है, इसे किसने बनाया? जवाबः रिपोर्ट्स के मुताबिक ‘कर्म क्षेत्र’ पेंटिंग को 28वीं मद्रास रेजिमेंट के लेफ्टिनेंट कर्नल थॉमस जैकब ने बनाया है। इसमें दायीं ओर लद्दाख में भारत-चीन बॉर्डर की पैंगोंग झील दिखाई गई है, वहीं बायीं ओर गरुड़ और महाभारत के उस रथ को दिखाया गया है, जिस पर अर्जुन सवार हैं और उसके सारथी भगवान कृष्ण हैं। पेंटिंग में बैकग्राउंड में बर्फ से ढंके पहाड़ और बीच में मौर्य काल के रणनीतिकार चाणक्य को उकेरा गया है। इसके अलावा सेना में इस्तेमाल किए जाने वाले हथियारों, ट्रक, टैंक, वाहन, नाव और हेलिकॉप्टर जैसी हाई-टेक चीजों को दिखाया गया। इस नई पेंटिंग का नाम 'Field of Deeds - कर्म क्षेत्र' रखा गया है। इसको लेकर सेना और रक्षा मंत्रालय की ओर से कोई ऑफिशियल स्टेटमेंट जारी नहीं किया गया है। सवाल-3: ‘कर्म क्षेत्र’ में दिखाई गई चीजों का क्या मतलब है? जवाब: डिफेंस एक्सपर्ट्स का मानना है कि ‘कर्म क्षेत्र’ पेंटिंग सेना के मिशन को भारतीय दार्शनिक परंपराओं के साथ जोड़ती है, जो न्याय और कर्तव्य के लिए उसके कमिटमेंट पर जोर देती है। द हिंदू ने सेना के सूत्रों के हवाले से लिखा, 'नई पेंटिंग ‘कर्म क्षेत्र’ में सेना को धर्म के संरक्षक के तौर पर चित्रित किया गया है, जो न केवल देश की रक्षा के लिए लड़ती है, बल्कि न्याय को बनाए रखने और देश की गरिमा की रक्षा के लिए लड़ती है। साथ ही सेना के तकनीकी तौर पर उन्नत और एकजुट होने के विकास को दिखाती है।' सवाल-4: क्या नई पेंटिंग में पाकिस्तान से चीन पर फोकस शिफ्ट करने का संदेश छिपा है? जवाबः डिफेंस एक्सपर्ट्स पेंटिंग्स की अदला-बदली के पीछे गहरा मैसेज छिपा होना मानते हैं। जैसे- 1971 की तस्वीर में पाकिस्तानी सेना के सरेंडर की झलक थी। दशकों तक ये तस्वीर आर्मी चीफ के ऑफिस में लगी रही। हर अहम मीटिंग के बैकग्राउंड में यह तस्वीर रही। इसके जरिए इंडियन आर्मी की मजबूती और दुश्मन को घुटने पर लाने की उसकी क्षमता को दिखाया गया था। अब ‘कर्म क्षेत्र’ पेंटिंग के जरिए भारतीय सेना चीन को मैसेज दे रही है। दरअसल, चीन के प्राचीन मिलिट्री स्ट्रैटजिस्ट सुन त्जु की युद्ध कला को चीनी सेना ने अपनाया है। जबकि भारत के पास अपनी मिलिट्री फिलॉसफी है, जिसमें चाणक्य की स्ट्रैटजी और गीता की सीख है। टाइम्स ऑफ इजराइल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीनी सेना ने कम कोशिश में ज्यादा फायदा, जंग से बचना और इनडायरेक्ट स्ट्रैटजी जैसी सुन त्जु की बातों को अपनाया है। ‘कर्म क्षेत्र’ पेंटिंग पिछली जीतों से आगे बढ़कर भविष्य की चुनौतियों की ओर देखने, भारत की संप्रभुता को सुरक्षित करने और वैश्विक स्तर पर अपनी ताकत को दिखाने का सिंबल है। ये भारत के मिलिट्री फोकस और प्रायोरिटी में एक बदलाव को दिखाता है, जो उभरते खतरों, खासकर चीन से निपटने के लिए मॉडर्न टेक्नीक, प्राचीन ज्ञान और एकजुट मिलिट्री कैपेबिलिटी के साथ भारतीय सेना की तैयारी को दिखाता है। सवाल-5: क्या इसके पीछे कोई पॉलिटिकल वजह भी है, क्योंकि 1971 युद्ध के दौरान इंदिरा गांधी पीएम थीं? जवाबः पूर्व मेजर जनरल अशोक के. मेहता ने अपने आर्टिकल में लिखा, ‘कुछ लोग मानते हैं कि मोदी सरकार 1971 की जीत का बेमन से सम्मान करती है, क्योंकि यह कांग्रेस की सरकार के दौरान हासिल की गई थी। अब मिलिट्री अपनी ऑटोनॉमी का दावा करे, जो राजनीति से हटकर, सेक्युलर और प्रोफेशनल हो। मोदी की पसंदीदा लाइन है कि ‘भारत बुद्ध की भूमि है, युद्ध की नहीं’। इसे शाब्दिक तौर से नहीं अपनाया जाना चाहिए।’ टेलीग्राफ अखबार से बात करते हुए एक पूर्व ब्रिगेडियर ने कहा, ‘पेंटिंग बदलने की वजह केवल पॉलिटिकल हो सकती है। मौजूदा सरकार 1971 की जीत की यादों को मिटाने की कोशिश कर रही है, क्योंकि यह प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के समय की घटना है, लेकिन मोदी सरकार के लिए ये आयरॉनिक है क्योंकि पाकिस्तान को हराने और उसका बंटवारा करने से इंदिरा गांधी RSS की पसंदीदा बन गई थीं।’ सवाल-6: इस पूरे मामले पर आर्मी वेटरन्स का क्या कहना है? जवाबः 1971 की तस्वीर हटाकर नई पेंटिंग लगाने पर कई आर्मी वेटरन्स ने नाराजगी जाहिर की है। वे मानते हैं कि ऐसा करने से सेना की सबसे बड़ी जीत को पीछे किया जा रहा है। नॉर्दर्न आर्मी कमांडर रहे रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल एचएस पनाग ने पेंटिंग हटाने को लेकर नाराजगी जाहिर की। 12 दिसंबर को उन्होंने सोशल मीडिया ‘X’ पर पोस्ट किया, 1000 सालों में और 1971 में एकजुट देश के तौर पर भारत की पहली बड़ी सैन्य जीत की पेंटिंग को एक हायरारकी ने हटा दिया, जो मानता है कि पौराणिक कथाएं, धर्म और बिखरा सामंती अतीत भविष्य की जीत को प्रेरित करेंगे। रिटायर्ड एयर वाइस मार्शल मनमोहन बहादुर ने ‘X’ पर लिखा, आश्चर्य की बात ये है कि 1971 के ढाका सरेंडर की ऐतिहासिक तस्वीर को हटाने के पीछे क्या मकसद है? अन्य देशों के गणमान्य लोग और सैन्य प्रमुख यहां आर्मी चीफ से मिलते हैं और भारत की सबसे बड़ी घटना का सिंबल देखते हैं। --------- 1971 की जंग से जुड़ा ये एक्सप्लेनर भी पढ़िए... फूट–फूटकर रोए पाकिस्तानी जनरल नियाजी: फिर पिस्टल देकर किया सरेंडर, 1971 में आज शुरू हुई थी बांग्लादेश के लिए जंग 53 साल पहले 4 दिसंबर 1971 को भारत और पाकिस्तान के बीच तीसरी जंग शुरू हुई। पाकिस्तानी सेना ने महज 13 दिनों में ही घुटने टेक दिए। 16 दिसंबर को दुनिया का सबसे बड़ा सरेंडर हुआ। इसमें पाकिस्तानी जनरल नियाजी अपने 93 हजार सैनिकों के साथ भारत के लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के सामने सरेंडर किया। पूरी खबर पढ़ें...
25 नवंबर से शुरू हुए संसद के विंटर सेशन में दो नाम गूंज रहे हैं- गौतम अडाणी और जॉर्ज सोरोस। विपक्षी नेता 'मोदी अडाणी भाई-भाई' के नारे लगा रहे हैं तो बीजेपी नेताओं ने सोनिया और सोरोस की साठगांठ का मुद्दा उठाया है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर सोरोस को बूढ़ा, जिद्दी और खतरनाक अमीर कह चुके हैं। मंडे मेगा स्टोरी में जानेंगे अक्सर सुर्खियों में रहने वाले जॉर्ज सोरोस की कहानी। हंगरी में जन्मे एक गरीब लड़के ने कैसे बैंक ऑफ इंग्लैंड तबाह कर अरबों कमाए और अपनी नेटवर्थ से 4 गुना ज्यादा डोनेट किया, आखिर उनसे क्यों चिढ़ती है आधी दुनिया… ------ ग्राफिक्सः अंकुर बंसल, अंकित द्विवेदी ------ शख्सियतों से जुड़ी अन्य खबरें... मद्रास से पिता के टुकड़े समेटकर लाईं:17 की उम्र से प्रचार, अब 52 साल में सांसद बनीं; प्रियंका गांधी के सुने-अनसुने किस्से प्रियंका गांधी का 52 साल की उम्र में आखिरकार चुनावी डेब्यू हो ही गया। 4 लाख 10 हजार वोटों के अंतर से केरल की वायनाड सीट जीतकर सांसद बनीं। जीत के अंतर में उन्होंने अपने भाई राहुल को भी पीछे छोड़ दिया। जानिए प्रियंका गांधी वाड्रा की पर्सनल और प्रोफेशनल जिंदगी के किस्से। पूरी खबर पढ़ें
पुष्पा मूवी जिन दो वजहों से ट्रेंड कर रही है वो है उसका स्टाइल और लाल चंदन की तस्करी। वो लाल चंदन जो दुनिया में सिर्फ एक जगह, भारत में मिलता है। इंटरनेशनल मार्केट में जिसकी बेस्ट क्वालिटी की कीमत 1-2 करोड़ रुपए प्रति टन से भी ज्यादा है। लाल चंदन को रक्त चंदन भी कहते है। आखिर क्या है लाल चंदन और इसकी आसमान छूती कीमत की कहानी? क्या कोई भी कर सकता है इसकी खेती, जानने के लिए देखिए ये वीडियो।
वीकेंड पर मीटिंग्स, आधी रात के बाद भी काम...कौन हैं टाइम मैगजीन की 'CEO ऑफ द ईयर 2024'
Lisa Su AMD CEO:एडवांस्ड माइक्रो डिवाइसेस (AMD) की सीईओ लिसा सु ने कंपनी में एक सख्त और मेहनतकश वर्क कल्चर डेवलप किया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक लिसा सु वीकेंड पर मीटिंग्स करती हैं और अक्सर रात में देर तक कर्मचारियों से संवाद करती हैं.
अमेरिकी आकाश में उड़ते 'रहस्यमयी' ड्रोन से दहशत! आखिर क्यों उठ रहे बाइडेन पर सवाल
UD Drone: ड्रोन की गतिविधियां अमेरिका के पूर्वोत्तर हिस्से में एक महीने से भी ज्यादा समय से जारी हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि ये ड्रोन जासूसी के लिए इस्तेमाल हो सकते हैं और आतंकवादी गतिविधियों में भी इनका उपयोग संभव है.
यून सूक योल पर क्यों खटक रही उत्तर कोरिया की चुप्पी.. आखिर सियोल में क्या हो रहा?
North Korea: दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव का मुख्य कारण उनकी ओर से मंगलवार रात आपातकालीन मार्शल लॉ की घोषणा था. हालांकि, अगले ही दिन संसद ने इसे खारिज कर दिया, जिसके बाद मार्शल लॉ को निरस्त कर दिया गया.
सीरिया के सिर पर 'यमराज' बनकर बैठा इजरायल, दुश्मन को देखते ही पहुंचा देता जहन्नुम
Israel’s incursion into buffer zone: सीरिया में असद की सत्ता चली गई है. इसी बीच इजरायल ने सीरिया के उस इलाके में कब्जा कर लिया है, जहां से वह बहुत आसानी से सीरिया के अंदर हमला करके लोगों का मार रहा है. एक तरफ इजरायल ने साफ शब्दों में कह दिया है कि वह सीरिया के मामलों में कोई दखल नहीं देगा, लेकिन अपने देश को नुकसान से बचाने के लिए किसी को छोड़ेगा भी नहीं. जानें पूरा मामला.
दादा कर रहा था अपनी पोतियों-बहुओं का रेप, बच्चियों ने सांता क्लॉज को लिखी चिट्ठी, पढ़कर रो देंगे
Girl Molestation Case: बेटियां अपने ही घर में सुरक्षित नहीं हैं. ये स्थिति अब दुनिया के कई देशों में फैल चुकी है. इसे लेकर एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसे जानकर आप रो देंगे.
प्यार करती हूं ये अहसास कराने 3 खिलाड़ियों पर लगाए रेप के झूठे आरोप, 18 साल बाद उगला सच
Fake Rape Case: कई बार सख्त कानून का गलत इस्तेमाल कैसे जिंदगी बर्बाद कर देता है, इसका एक ताजा उदाहरण अमेरिका में चर्चा में बना हुआ है. यहां एक महिला ने 18 साल बाद कबूला है कि उसने 3 खिलाड़ियों पर झूठा आरोप लगाया था.
बांग्लादेश सरकार का 3500 लोगों को लेकर शेख हसीना पर बड़ा आरोप, कहा- भारत में बैठकर...!
Sheikh Hasina News: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पर बड़ा आरोप लगा है. अंतरिम सरकार के जांच आयोग ने कहा है कि शेख हसीना ने कई लोगों को जबरन गायब करवाया है.
Donald Trump: डोनाल्ड ट्रंप ने ट्रुथ सोशल के सीईओ डेविन नून्स को अहम जिम्मेदारी सौंपते हुए राष्ट्रपति का खुफिया सलाहकार बोर्ड का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है. उन्होंने 2016 में अमेरिकी चुनावों के दौरान रूस की दखल का उजागर किया था.
17 की उम्र में पति की मौत, कफन के लिए नहीं थे पैसे, एक लड़की जो खादानों में बनी सेक्स वर्कर
Selling sex for gold in the Amazon illegal mines: एक लड़की जिसके पति की 17 साल की उम्र में मौत हो जाती है. अंतिम संस्कार के लिए पैसे नहीं होते, परिवार चलाने के लिए वह मजबूरी में सोने की खादान में सेक्स वर्कर बनती है. जानें ऐसी 34 साल की महिला डेयान लैटी की कहानी.