डीग के मेला मैदान में एक करोड़ रुपए की लागत से चौपाटी बनाई जाएगी। केंद्र सरकार ने नगर परिषद को एक करोड़ की राशि मंजूर की है। चौपाटी का निर्माण दिसंबर तक पूरा हो जाएगा। इसकी क्षमता 1500 की रहेगी। अब यहां साफ-सुथरी पक्के फुटपाथ बनेंगे। पारंपरिक दुकानों की श्रृंखला तैयार की जाएगी। लोकल व्यापारियों को स्थायी स्टॉल मिलेंगे। बच्चों के लिए खेल और मनोरंजन क्षेत्र बनेगा। युवाओं के लिए फोटो जोन होगा। परिवारों के लिए बैठने और घूमने की जगह बनेगी। पर्यटकों के लिए यह नया आकर्षण होगा। चौपाटी सिर्फ जगह नहीं, एक अनुभव होगी। यह मेले की यादों को संजोएगी। विधायक डॉ. शैलेष सिंह का मानना है कि चौपाटी बनने के बाद स्थानीय व्यापार को नया पंख मिलेगा। डीग की छवि बदलेगी। रोजगार बढ़ेगा। छोटे व्यापारियों को अवसर मिलेगा। युवाओं और परिवारों को आउटिंग स्पॉट मिलेगा। मेला मैदान की असली पहचान लौटेगी। एक करोड़ रुपए की लागत से बनने जा रही यह चौपाटी अब सिर्फ योजना नहीं, डीग का भविष्य है। विधायक ने साफ कर दिया कि अवैध कब्जे हटेंगे। चौपाटी बनेगी। जनता को मिलेगा सुंदर, स्वच्छ और व्यवस्थित सार्वजनिक स्थान। डीग अब चौपाटी के रास्ते आगे बढ़ने को तैयार है। उल्लेखनीय है कि सरकार द्वारा सभी शहरों में चौपाटी बनवा रही है, जिससे लोगों को खाने-पीने और मनोरंजन के संसाधन एक ही स्थान पर मिल सकें। जनता के लिए चौपाटी बनेगी नया आउटिंग स्पॉट... मेला मैदान में बनने वाली चौपाटी से शहरवासियों को कई फायदे होंगे। यहां युवाओं और परिवारों को घूमने की नई जगह मिलेगी। छोटे व्यापारियों को रोजगार का अवसर मिलेगा। चौपाटी पर खाने-पीने के स्टॉल लगेंगे। इससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा। पर्यटकों के लिए भी यह नया आकर्षण बनेगा। मेला मैदान की पहचान फिर से लौटेगी। प्रशासन का मानना है कि इससे शहर की रौनक बढ़ेगी। आयुक्त ने कहा- व्यापार को बढ़ावा मिलेगा नगर परिषद आयुक्त कुलदीप सिंह ने बताया कि चौपाटी भारतीय शहरों की सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान बन चुकी है। चौपाटी आमतौर पर शहर के बीच या किनारे पर बनाई जाती है। यहां दुकानों की लाइनें होती हैं। छोटे-छोटे स्टॉल्स पर स्ट्रीट फूड, हस्तशिल्प, खिलौने, चाट, कुल्फी, गोलगप्पे जैसे स्वादिष्ट व्यंजन मिलते हैं। माहौल मेले जैसा होता है, लेकिन साफ-सुथरा और व्यवस्थित। बच्चों के लिए झूले, रिमोट कार, बाउंसर जैसे खेल के साधन होते हैं। पानीपुरी, भेलपुरी, पावभाजी, कुल्फी, आइसक्रीम, चाय, मोमोज़, चाट और राजस्थानी पकवान यहां आसानी से मिलते हैं। चौपाटी सिर्फ टूरिस्ट स्पॉट नहीं होती। यह स्थानीय व्यापार को बढ़ावा देती है।
दरभंगा में मोहर्रम का मिलान:100 से अधिक निशान के साथ सरफा ने जीता मुकाबला, त्योहार शांतिपूर्ण संपन्न
दरभंगा में दसवीं मोहर्रम का मिलान शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुआ। जिला मोहर्रम कमेटी के अध्यक्ष आकिब नजर और सचिव रुस्तम कुरैशी के नेतृत्व में आयोजित मिलान में सरफा की टीम ने जीत हासिल की। मिलान में करीब 100 निशान शामिल हुए। इस अवसर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री मोहम्मद अली अशरफ फातमी और विधायक ललित कुमार यादव प्रमुख अतिथि के रूप में मौजूद रहे। कार्यक्रम में अधिवक्ता अंबर इमाम हाशमी, अजीमुद्दीन कुरैशी, डब्बू खान, जावेद अनवर और नफीसुल हक रिंकू समेत कई गणमान्य लोग उपस्थित थे। कमेटी के कोषाध्यक्ष महमूद आलम, उपाध्यक्ष अहमद रजा और संयुक्त सचिव शाहिद अतहर ने भी कार्यक्रम में हिस्सा लिया। जिला मोहर्रम कमेटी की ओर से आकिब नजर और रुस्तम कुरैशी ने जिला प्रशासन, मीडिया प्रतिनिधियों, खिलाड़ियों और सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया। मीडिया प्रभारी नासिर हुसैन समेत अन्य पदाधिकारी भी मौजूद रहे।
बड़वानी जिले में आदिवासी समाज ने फसलों की बोवनी के बाद पहले रविवार को पारंपरिक दित्वारिया त्योहार मनाया। यह पर्व होली तक हर रविवार को मनाया जाता है। इस अवसर पर सभी परिवार अपने घरों के बाहर भोजन बनाते हैं। गांव के लोग पटेल के घर इकट्ठा होकर प्रकृति की पूजा करते हैं। इसमें पटेल, पुजारी, वारती, गांव मुखिया और चौकीदार शामिल होते हैं। पूजा में खैर की लकड़ी की खिल्ली, उड़द, ज्वार, प्याज, नींबू, सिंदूर, लाल मिर्च, तलवार, शराब, सिक्के और नीम-आम की पत्तियों का उपयोग किया जाता है। गांव का पुजारी पूजा कर गांव की सुख-शांति की कामना करता है। घर को बुरी नजर से बचाने के लिए नीम, आम की पत्ती, लाल मिर्च और प्याज से बने तोरण को मुख्य दरवाजे पर लगाया जाता है। परिवार की सुरक्षा के लिए खैर की लकड़ी की खिल्ली घर के मुख्य दरवाजे पर गाड़ी जाती है। बीमारियों से बचाव के लिए ज्वार और उड़द के दानों को कपड़े में लपेटकर परिवार के सदस्यों के कमर या गले में बांधा जाता है। बूदी, बमनाली और लिम्बी समेत आसपास के गांवों में भी यह त्योहार धूमधाम से मनाया गया। सामाजिक कार्यकर्ता भाकर सिंह सोलंकी के अनुसार, अच्छी फसल के लिए खेतों में बांस की टहनी और मटकी लगाई जाती है, जिसे उज्ज्वल करना कहा जाता है।आदिवासियों का मानना है कि ऐसा करने से फसल नीरोगी रहती है। फसल को बुरी नजर नहीं लगती है। देखें त्योहार की तस्वीरें
होली को छपरियों का त्योहार बताकर फंसीं फराह खान, दर्ज हुआ केस
फिल्ममेकर-कोरियोग्राफर फराह खान इन दिनों कुकिंग रियलिटी शो 'सेलिब्रिटी मास्टशेफ' को जज करती नजर आ रही हैं। हाल ही में शो के एक एपिसोड में फराह खान ने होली को 'छपरी लोगों का फेवरेट फेस्टिवल' बताया था। इसके बाद फराह मुश्किलों में घिर गई हैं। फराह खान ...