भूपेन हजारिका की जयंती पर असम में शुरू हुआ वर्षभर चलने वाला जन्म शताब्दी समारोह
गुवाहाटी। असम के महान गायक और भारत रत्न डॉ. भूपेन हजारिका की जन्म शताब्दी समारोह का शुभारंभ सोमवार को गुवाहाटी में किया गया। इस अवसर पर असम के राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य और मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने हजारिका को श्रद्धांजलि अर्पित की। दोनों नेताओं ने गुवाहाटी विश्वविद्यालय के निकट स्थित डॉ. भूपेन हजारिका सम्मान तीर्थ पर पुष्पांजलि अर्पित की, जहां वर्ष 2011 में उनका अंतिम संस्कार हुआ था। कार्यक्रम के बाद मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पूरे देश की ओर से हजारिका को श्रद्धांजलि देने में नेतृत्व कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री ने भूपेन हजारिका की 99वीं जयंती पर देश के प्रमुख समाचार पत्रों में एक भावनात्मक और सारगर्भित लेख लिखा है। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री के इस प्रयास के प्रति आभार जताते हुए कहा कि हजारिका केवल एक गायक नहीं, बल्कि लोगों की धड़कन थे। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने लेख में लिखा कि हजारिका के गीतों में हमेशा करुणा, सामाजिक न्याय, एकता और गहरी आत्मीयता की झलक रही है। उनके गीतों को सुनकर कई पीढ़ियां बड़ी हुई हैं और वह आज भी लोगों की भावनाओं में जीवित हैं। मुख्यमंत्री ने बताया कि असम सरकार पूरे राज्यवासियों के साथ मिलकर जन्म शताब्दी समारोह को मनाने जा रही है। इसके तहत 13 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गुवाहाटी में एक विशेष श्रद्धांजलि सभा में शामिल होंगे। इस दिन प्रधानमंत्री भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा भूपेन हजारिका की स्मृति में जारी किए जा रहे 100 रुपए के विशेष सिक्के का विमोचन भी करेंगे। राज्य सरकार ने घोषणा की है कि असम के अलावा अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और दिल्ली में भी भूपेन हजारिका की स्मृति में विशेष सभाओं का आयोजन होगा। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता लेखिका अनुराधा शर्मा पुजारी ने भूपेन हजारिका की जीवनी लिखी है। इस जीवनी का अनुवाद सभी प्रमुख भारतीय भाषाओं में किया जाएगा ताकि देश के प्रत्येक पुस्तकालय तक इसे पहुंचाया जा सके। भूपेन हजारिका को संगीत और सिनेमा के क्षेत्र में उनके अभूतपूर्व योगदान के लिए भारत रत्न और दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। कार्यक्रम की रूपरेखा के अनुसार, जन्म शताब्दी समारोह वर्षभर विभिन्न आयोजनों के साथ मनाया जाएगा और इसका समापन 8 सितंबर 2026 को नई दिल्ली में होगा। इस अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू समारोह में शामिल होंगी।
सब इंस्पेक्टर भर्ती रद्द होने के बाद लोग फर्जी बोल रहे हैं। मैंने साढ़े 15 साल तक फौज की नौकरी की। कभी नहीं सोचा था कि फौज से रिटायर होने के बाद फर्जी का टैग लग जाएगा। ये दर्द है 26/11 को मुंबई के होटल ताज में हुए हमले के बाद ऑपरेशन में भाग लेने वाले एनएसजी कमांडो भागीरथ सिंह राठौड़ का। फौज से रिटायर्ड होने के बाद एसआई भर्ती में चयनित भागीरथ सिंह राठौड़ का कहना है कि आखिरी दम तक लड़ेंगे। ये लड़ाई अब सम्मान की हो गई है। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… 18 साल की उम्र में साल 2004 में चूरू के सुजानगढ़ निवासी भागीरथ सिंह राठौड़ ने आर्मी टेक्निकल में जॉइन किया। दो साल गोवा में सिग्नल ट्रेनिंग सेंटर में प्रशिक्षण लिया। इसके बाद जम्मू-कश्मीर के अखनूर, राजौरी, पुंछ और बाॅर्डर इलाके हसन पर ड्यूटी की। फौज में रहते हुए ही साल 2008 में एनएसजी के लिए आवेदन किया। हरियाणा के मानेसर में अगस्त से अक्टूबर 2008 यानी तीन महीने की कम्युनिकेशन की ट्रेनिंग लेते ही जीवन के सबसे बड़े ऑपरेशन में भाग लेने का मौका मिला। 26 नवंबर 2008 को मुंबई के ताज होटल पर आतंकवादी हमला हुआ। भागीरथ बताते हैं कि हमले के बाद हरियाणा के मानेसर में हमारे ट्रेनिंग सेंटर पर हूटर बजा। हमें मुंबई जाने के लिए तैयार रहने के ऑर्डर दिए गए। 27 नवंबर को एनएसजी के 200 कमांडो मुंबई के लिए रवाना हुए। मुंबई एयरपोर्ट पहुंचते ही हेलिकॉप्टर से होटल ताज पहुंचे। आठ-आठ कमांडो की टीम ने होटल ताज में प्रवेश किया। टीम में 7 कमांडों और एक कम्युनिकेशन का कमांडो शामिल था। मुझ पर कम्युनिकेशन का जिम्मा था। होटल ताज में घुसते ही लहूलुहान लोग दिखे। हर तरफ चीख पुकार मची हुई थी। लगातार गोलियों की आवाज गूंज रही थी। आज भी बात करते ही वो मंजर आंखों के सामने आ जाता है। श्रीमाधोपुर में बन गए थे पटवारीभागीरथ ने बताया- तीन साल एनएसजी में तैनात रहने के बाद फिर से आर्मी में लौट आया। इस दौरान उधमपुर, असम, अरुणाचल प्रदेश में अलग-अलग जगहों पर पोस्टिंग रही। साल 2020 में चंडीगढ़ से रिटायर हुआ। पिता को गले का कैंसर हो गया। परिवार में इकलौता होने के कारण राजस्थान में ही रहने की ठानी। इस दौरान कई नौकरियों के लिए ट्राई किया। पटवारी एग्जाम में एक्स सर्विसमैन में पहली रैंक हासिल की। श्रीमाधोपुर के मूंडला में नौकरी भी लग गई। पिता की इच्छा थी की सब इंस्पेक्टर बनूं, इसलिए तैयारी की और नौकरी प्राप्त की। सुप्रीम कोर्ट भी जाना पड़ा तो जाएंगे40 साल के भागीरथ सिंह राठौड़ ने एसआई भर्ती में 1434वीं रैंक हासिल की। रिजर्व पुलिस के रूप में तैनात रहे। राठौड़ का कहना है- अब लड़ाई सम्मान की है। माथे पर लगे फर्जी के टैग को मिटाना है। अभी डबल बेंच में गए हैं। जरूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट भी जाएंगे। पीएम मोदी तक जाना पड़े तो जाएंगे। हम हार नहीं मानने वाले हैं। हमारे कई साथियों ने मेहनत कर नौकरी हासिल की है। कुछ लोग फर्जी हो सकते हैं। हम फर्जी नहीं हैं। कोटपूतली के कुचिना गांव के रहने वाले रिटायर फौजी अवनीश कुमार ने बताया कि बच्ची नीट की तैयारी कर रही है। अब या तो बच्ची नीट की तैयारी कर सकती है या फिर मैं फिर से एसआई की तैयारी। अवनीश बताते हैं- साल 2003 में फौज जॉइन की। 2010 में शांति सेना के रूप में सूडान गया। भारत और चीन के बीच बॉर्डर पर तनाव के बीच 6 महीने तक पैंगोंग लेक पर सेवाएं दीं। 17 साल फौज में सेवा के बाद एसआई भर्ती में सिलेक्ट हुआ था। एसआई भर्ती से पहले पटवारी की नौकरी लगी, लेकिन जॉइन नहीं किया। वीडीओ के लिए नौकरी लगी थी। दौसा में जॉइन भी कर लिया। सब इंस्पेक्टर के लिए चयन हो गया तो नौकरी छोड़ दी। अब हमें कह रहे हैं कि फिर से तैयारी कर लो। हर बार एक जैसी तैयारी कैसे संभव है? एक्स सर्विसमैन शैलेन्द्र शर्मा ने 19 साल की उम्र में भारतीय सेना जॉइन की थी। 15 साल नेवी में रहे। साल 2018 में नेवी में रहते हुए ही प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी शुरू कर दी थी। सब इंस्पेक्टर के लिए चयन हुआ था। आरएएस प्री भी क्लियर किया था। हाईकोर्ट में जेजेए भर्ती में नौकरी भी लग गई थी, लेकिन उन्होंने सब इंस्पेक्टर बनना चुना। कहते हैं- बेरोजगार और जमीन तलाशने की कोशिश में लगे नेताओं ने एसआई भर्ती को लेकर अफवाहें उड़ाई। फर्जी का कलंक सहा नहीं जा रहा है। अब इसके खिलाफ लड़ेंगे। भारतीय सेना की जाट रेजिमेंट में सेवा दे चुके रिटायर फौजी जगदीश प्रसाद जाट बताते हैं कि सियाचिन ग्लेशियर में लास्ट पोस्टिंग थी। इसके बाद यहां आकर वीडीओ भर्ती में सिलेक्शन हुआ। जोधपुर में 6 महीने जॉब की। इसके बाद सब इंस्पेक्टर पद पर चयन हो गया। जगदीश कहते हैं कि जांच चल रही है, जो भी दोषी मिले, उसको सजा दी जानी चाहिए लेकिन निर्दोषों के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए।
छत्तीसगढ़ का स्टील दुनिया के सबसे ऊंचे चिनाब रेलवे ब्रिज, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी, INS विक्रांत बनाने के बाद मिजोरम की राजधानी आइजोल में नया इतिहास रचा है। भिलाई के BSP से भेजा गया 30-35 हजार टन लोहे से पियर ब्रिज बना है, जो देश का दूसरा सबसे बड़ा ब्रिज है। ये कुतुबमीनार से भी ऊंचा है। बइरबी-सायरंग रेल प्रोजेक्ट के तहत ट्रैक, टनल और ब्रिज निर्माण के लिए बिलासपुर जोन के इंजीनियरिंग सपोर्ट, मशीनरी और विशेषज्ञ टीमें भेजी गई थी। इसके साथ ही रेलवे ट्रैक बिछाने में इस्तेमाल होने वाला रेलपांत, गर्डर, लोहा और स्टील मटेरियल भी भेजा गया था। आजादी के बाद पहली बार मिजोरम की राजधानी आइजोल रेल नेटवर्क से जुड़ी है। आने वाले समय में रेल लाइन म्यांमार बॉर्डर तक जाएगी। इस रेल नेटवर्क से मिजोरम की विकास को नई दिशा मिलेगी। इस पियर ब्रिज को बनाने में 10 साल से अधिक का समय लगा। इसके बनने से अब 7 घंटे का सफर 3 घंटे में पूरा होगा। रेलवे के मुताबिक बइरबी-सायरंग रेल प्रोजेक्ट की शुरुआत 2014 में की गई थी, तब इसकी लागत 5 हजार 20 करोड़ रुपए थी, लेकिन ब्रिज और 51.38 किलोमीटर लंबी बइरबी-सायरंग रेल लाइन बनाने में 8 हजार 71 करोड़ रुपए लगे। बताया जा रहा है कि PM नरेंद्र मोदी इसी महीने लोकार्पण कर सकते हैं। इस रिपोर्ट में विस्तार से पढ़िए छत्तीसगढ़ के भिलाई स्टील प्लांट की क्या भूमिका रही, अब तक छत्तीसगढ़ ने किस-किस मेगा प्रोजेक्ट में क्या योगदान दिया ? सबसे पहले जानिए एशिया के सबसे बड़े स्टील प्लांट BSP के बारे में भिलाई स्टील प्लांट एरिया के हिसाब से एशिया का सबसे बड़ा स्टील प्लांट है। प्रोडक्शन के हिसाब से यह सेल का सबसे बड़ा प्लांट है। इसकी स्थापना सोवियत संघ के सहयोग से वर्ष 1955 में हुई थी। भिलाई को स्टील प्लांट के लिए चुनने का मुख्य कारण स्टील निर्माण के लिए आवश्यक कच्चा माल पास के क्षेत्रों में आसानी से उपलब्ध होना था। भिलाई स्टील प्लांट में आयरन ओर राजहरा माइंस से मंगाया जाता है। यहां से इन माइंस की दूरी लगभग 100 किलोमीटर है। लाइम स्टोन नंदिनी माइंस से लाया जाता है। यहां से इनकी दूरी करीब 25 किलोमीटर है। डोलोमाइट बिलासपुर के हिर्री से मंगाया जाता है। यहां से इसकी दूरी लगभग 140 किलोमीटर है। अब जानिए, बइरबी-सायरंग रेल प्रोजेक्ट में छत्तीसगढ़ का कनेक्शन भिलाई स्टील प्लांट का लोहा देश के दूसरे सबसे बड़े ब्रिज के निर्माण में इस्तेमाल हुआ है। ब्रिज के साथ-साथ टनल और रेलपांत सहित अन्य जरूरी संरचनाओं के लिए भी सेल की अलग-अलग इकाइयों से स्टील की आपूर्ति की गई। अकेले भिलाई प्लांट से 30 से 35 हजार टन लोहा भेजा गया था। रेलवे के इस पुल के निर्माण के लिए सेल ने कुल 17 हजार टन स्टील सप्लाई किया, जिसमें प्लेट्स, टीएमटी बार और स्ट्रक्चर शामिल थे। इसमें 7,590 टन टीएमटी उत्पाद, 1,878 टन स्ट्रक्चरल स्टील और 8,505 टन स्टील प्लेट्स के साथ हॉट स्ट्रिप मिल प्रोडक्ट और चेकर्ड प्लेट भी शामिल हैं। BSP से 60 टन स्ट्रक्चरल स्टील उपलब्ध कराया गया ब्रिज निर्माण के लिए भिलाई इस्पात संयंत्र से ही 6,522 टन टीएमटी स्टील, 7,450 टन प्लेट्स और 60 टन स्ट्रक्चरल स्टील उपलब्ध कराया गया। इसके अलावा सेल की अन्य इकाइयां बर्नपुर स्थित इस्को स्टील प्लांट, दुर्गापुर स्टील प्लांट, राउरकेला स्टील प्लांट और बोकारो स्टील लिमिटेड—से भी शेष स्टील की आपूर्ति की गई थी। दुनिया के सबसे ऊंचे ब्रिज पर भी लगा है BSP का लोहा जम्मू-कश्मीर के चिनाब नदी पर बने दुनिया के सबसे ऊंचे पुल पर सेल की इकाई भिलाई स्टील प्लांट का लोहा इस्तेमाल किया गया है। इस ब्रिज के लिए सेल की अलग-अलग इकाइयों से लोहे की आपूर्ति की गई है। इसमें अकेले 12432 टन लोहा भिलाई के प्लांट से भेजा गया था। रेलवे के इस पुल के निर्माण के लिए सेल ने 16,000 टन लोहे की आपूर्ति की थी, जिसके तहत प्लेट्स, टीएमटी बार और स्ट्रक्चर शामिल हैं। इसमें 6690 टन टीएमटी उत्पाद, 1793 टन स्ट्रक्चरल स्टील और 7511 टन स्टील प्लेट्स सहित हॉट स्ट्रिप मिल प्रोडक्ट और चेकर्ड प्लेट शामिल हैं। भिलाई इस्पात संयंत्र से भेजा गया 5 हजार 922 टन टीएमटी स्टील पुल के निर्माण के लिए सेल ने भिलाई इस्पात संयंत्र से 5922 टन टीएमटी स्टील, 6454 टन प्लेट्स और 56 टन स्ट्रक्चरल स्टील सहित कुल 12,432 टन इस्पात की आपूर्ति की है। सेल के बर्नपुर स्थित इस्को स्टील प्लांट, दुर्गापुर स्टील प्लांट, राउरकेला स्टील प्लांट और बोकारो स्टील लिमिटेड से शेष लोहे की आपूर्ति की गई थी। रेलवे के ज्यादातर प्रोजेक्ट में छत्तीसगढ़ का लोहा बीएसपी के स्टील का इस्तेमाल बांद्रा-वर्ली सी-लिंक, मुंबई में अटल सेतु, अरुणाचल प्रदेश में सेला सुरंग, हिमाचल प्रदेश में अटल सुरंग और राष्ट्रीय महत्व की कई अन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के निर्माण में किया गया है। CPRO बोले- भारतीय रेल के लिए बड़ी उपलब्धि दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के CPRO डॉ. सुस्कर विपुल विलासराव ने बताया कि, ट्रैक-टनल और ब्रिज निर्माण के लिए बिलासपुर जोन के इंजीनियरिंग सपोर्ट, मशीनरी और विशेषज्ञ टीमें भेजी गई थी। रेलवे ट्रैक बिछाने में इस्तेमाल होने वाला रेलपांत, गर्डर, लोहा और स्टील मटेरियल भी छत्तीसगढ़ से ही मिज़ोरम पहुंचाया गया था। वहीं, असम, पश्चिम बंगाल और मेघालय से भी तकनीकी उपकरण और निर्माण सामग्री लगातार सप्लाई की गई। पहाड़ियों पर बना यह रेल नेटवर्क भारतीय रेल के लिए बड़ी उपलब्धि है। अब जानिए बइरबी-सायरंग रेल प्रोजेक्ट के बारे में ? दरअसल, इस बइरबी-सायरंग प्रोजेक्ट की शुरुआत 29 नवंबर 2014 को हुई थी। सिलचर (असम) से बइरबी तक रेल सेवा पहले से मौजूद थी, लेकिन मिजोरम की राजधानी आइजोल तक पहुंचाने के लिए बइरबी से सायरंग तक नई लाइन बिछाई गई। अंतिम सेक्शन हरतकी-सायरंग को 10 जून 2025 को पूरा किया गया। पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी कपिंजल किशोर शर्मा ने बताया कि यह पूरी रेल लाइन दुर्गम पहाड़ियों और घने जंगलों से गुजरती है। निर्माण के लिए सामान पहुंचाने तक के लिए अलग से 200 किलोमीटर लंबा सड़क नेटवर्क तैयार करना पड़ा। रेलवे ने बनाई 200 KM सड़क पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के CPRO कपिंजल किशोर शर्मा ने बताया कि, यह प्रोजेक्ट बेहद दुर्गम पहाड़ी इलाकों से गुजरता है। लिहाजा, यहां रेल लाइन का काम बहुत ही मुश्किलों भरा रहा है। यहां तक सामान पहुंचाने के लिए रेलवे को 200 किलोमीटर लंबा सड़क नेटवर्क अलग से बनाना पड़ा। लगातार 10 साल की मेहनत के बाद यह सपना साकार हुआ। जानिए इस रेल परियोजना की खासियत इस रेल लाइन में 45 टनल, 153 पुल और 114 मीटर ऊंचाई (देश का दूसरा सबसे ऊंचा पियर ब्रिज) तक के मेगा ब्रिज शामिल हैं। इसके लिए 12.8 किलोमीटर लंबा चट्टानों को काटकर सुरंग का निर्माण किया गया है। इसमें 1.8 किलोमीटर लंबी सबसे बड़ी सुरंग भी है। इस रेल लाइन पर 31% ट्रैक सुरंगों के भीतर और 23% हिस्सा पुलों में हैं। 7 घंटे का सफर अब 3 घंटे में पहले सड़क मार्ग से आइजोल से सिलचर जाने में 7 घंटे लगते थे। वहीं रेल नेटवर्क के जरिए यह दूरी सिर्फ 3 घंटे में तय होगी। गुवाहाटी 12 घंटे और दिल्ली करीब 48 घंटे में पहुंचा जा सकेगा। बरसात के दिनों में भूस्खलन से बंद होने वाले रास्तों की तुलना में अब यात्रा कहीं ज्यादा सुरक्षित और आसान होगी। यह परियोजना न केवल मिजोरम के लिए ऐतिहासिक पल है। बल्कि पूरे पूर्वोत्तर को अंतरराष्ट्रीय व्यापार और कनेक्टिविटी से जोड़ने का मार्ग भी तैयार करेगा। इससे न केवल मिजोरम का देश से संपर्क मज़बूत होगा, बल्कि म्यांमार बॉर्डर तक रेल लाइन ले जाने का रास्ता भी साफ हो जाएगा। रेल लाइन म्यांमार बॉर्डर तक ले जाने की योजना CPRO कपिंजल किशोर शर्मा के अनुसार बइरबी-सायरंग लाइन सिर्फ मिजोरम तक सीमित नहीं रहेगी। रेलवे इस परियोजना को और आगे बढ़ाकर म्यांमार बॉर्डर तक ले जाने की योजना पर काम चल रहा है। बहुत जल्द सर्वे पूरा कर डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) केंद्र को सौंप दी जाएगी। 2-3 ट्रेनें चलाने का है प्रस्ताव, राजधानी-वंदेभारत की भी उम्मीद रेलवे प्रशासन ने शुरुआत में यहां 2 से 3 ट्रेनें चलाने की योजना बनाई है। इसमें गुवाहाटी और दिल्ली तक की ट्रेनें प्राथमिकता पर हैं। मिजोरम सरकार ने उम्मीद जताई है कि आगे राजधानी एक्सप्रेस और वंदे भारत जैसी ट्रेनें भी यहां तक पहुंचेंगी, जिससे लोगों का यहां पहुंचना आसान होगा।
बेतिया में मिला सालाज़र पिट वाइपर प्रजाति का सांप:रेस्क्यू कर घने जंगलों में छोड़ा गया
वाल्मीकिनगर विधानसभा के विधायक धीरेन्द्र प्रताप उर्फ़ रिंकू सिंह के निजी आवास के किचन में एक दुर्लभ सांप मिला। वन कर्मी शंकर यादव ने सालाज़र पिट वाइपर प्रजाति के इस सांप का रेस्क्यू किया। यह बिहार में केवल वीटीआर जंगल में पाया जाता है। इसकी समानता बम्बू पिट वाइपर से है, जो भारत के पश्चिमी क्षेत्रों के बांस के झुरमुटों में मिलता है। सालाज़र पिट वाइपर विषैला होने के बावजूद इसका काटना घातक नहीं होता। पीड़ित को अधिकतम एक या दो बार डायलिसिस की आवश्यकता पड़ सकती है। रेस्क्यू के बाद सांप को वीटीआर के घने जंगलों में छोड़ दिया गया। इस प्रजाति को पहली बार 2019 में पश्चिमी अरुणाचल प्रदेश के निचले इलाकों में खोजा गया था। उसी वर्ष वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में भी एक मृत नमूना मिला था। इसका नाम हैरी पॉटर श्रृंखला के सालाज़ार स्लीथेरिन के नाम पर रखा गया है। सालाज़र पिट वाइपर का सिर गहरा हरा होता है। शरीर पर पीले-हरे रंग के शल्क होते हैं। नर और मादा में रंग भिन्न होते हैं। नर में लाल-नारंगी धारियां और पूंछ होती है, जो मादाओं में नहीं पाई जाती। वर्तमान में मानव गतिविधियों से इस प्रजाति का प्राकृतिक आवास खतरे में है।
मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष जीतू पटवारी और सीएम मोहन यादव के शराब को लेकर बयान इन दिनों सोशल मीडिया पर सुर्खियों में है। कांग्रेस अध्यक्ष पटवारी ने भोपाल में कहा- मध्यप्रदेश को यह बदनामी मिली है कि पूरे देश में सबसे ज्यादा शराब पीने वाली महिलाएं यहां की हैं। पटवारी के बयान पर पलटवार करते हुए मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बयान दिया कि पटवारी को महिलाओं से क्षमा मांगनी चाहिए। इसी मुद्दे पर बीजेपी महिला मोर्चा ने कई स्थानों पर विरोध प्रदर्शन किया था। विरोध के बीच जीतू पटवारी ने दावा किया था कि उन्होंने ये बात राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे (NFHS) और विभिन्न सरकारी रिपोर्टों के आधार पर कही है। इस विवाद के बीच दैनिक भास्कर की टीम ने राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे (NFHS) में छत्तीसगढ़ की रिपोर्ट की जानकारी निकाली। रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ की 2.8 प्रतिशत महिलाएं शराब पीती हैं। इनमें ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं की संख्या ज्यादा है। वहीं आबकारी विभाग की रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ सरकार ने वर्ष 2024-25 में 7299.64 करोड़ का राजस्व कमाया है। महिलाओं के शराब पीने के मामले में कौन-कौन से राज्य छत्तीसगढ़ से ऊपर है? पिछले 5 सालों में प्रदेश में कितनी शराब बिकी? साथ ही मध्य प्रदेश का प्रतिशत कितना है? इस रिपोर्ट में पढ़िए... पहले जानिए नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे क्या है स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय समय-समय पर राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) कराता है। यह सर्वे कई चरणों में किया जाता है, जिसमें अलग-अलग क्षेत्रों से सैंपल लिए जाते हैं। NFHS का पहला सर्वे 1992-93 में हुआ था और अब तक कुल 5 सर्वे पूरे हो चुके हैं। इसके जरिए देश और राज्यों में प्रजनन दर, शिशु और बाल मृत्यु दर, परिवार नियोजन के उपयोग जैसे पहलुओं का आकलन किया जाता है। सर्वे से मातृ और शिशु स्वास्थ्य, प्रजनन स्वास्थ्य, पोषण स्तर, एनीमिया, स्वास्थ्य और परिवार नियोजन सेवाओं की स्थिति की जानकारी मिलती है। वर्ष 2019 से 2021 के बीच किए गए NFHS-5 में पहली बार शराब और तंबाकू के सेवन जैसे नए मुद्दों को भी शामिल किया गया था। इसकी रिपोर्ट स्वास्थ्य मंत्रालय ने 2022 में जारी की थी। टॉप-10 राज्यों के नाम, जहां महिलाएं पीती है सबसे ज्यादा शराब टॉप-10 में एमपी नहीं, छत्तीसगढ़ 8वें नंबर पर इस रिपोर्ट के अनुसार अरुणाचल प्रदेश में सबसे ज्यादा 17.8 फीसदी महिलाएं शराब पीती हैं। 14.8 प्रतिशत के साथ सिक्किम दूसरे नंबर पर है। असम तीसरे और तेलंगाना चौथे नंबर पर है। पांचवे नंबर पर गोवा है। छठवें पर त्रिपुरा, सातवें नंबर पर लद्दाख और 2.8 प्रतिशत के साथ छत्तीसगढ़ 8वें नंबर पर है। इस रिपोर्ट के अनुसार मध्य प्रदेश में महिलाओं के शराब पीने का प्रतिशत 0.4 है। छत्तीसगढ़ में लगातार बढ़ रही शराब की बिक्री छत्तीसगढ़ में शराब की बिक्री से राजस्व में भी लगातार इजाफा हुआ है। आबकारी विभाग के अनुसार 2020-21 में सरकार ने 4636.90 करोड़ की शराब बेची। 2021-22 में 5110.15 करोड़, 2022-23 में 6783.61 करोड़, 2023-24 में 8430.50 करोड़ का रेवेन्यू कमाया, वहीं 2024-25 में 7299.64 करोड़ का राजस्व प्राप्त किया। सोर्स- आबकारी विभाग, छत्तीसगढ़
Bigg Boss 18 : चुम दरांग को मिला अरुणाचल प्रदेश के सीएम का सपोर्ट
सलमान खान का पॉपुलर रियलिटी शो 'बिग बॉस 18' अपने अंतिम दौर में पहुंच गया है। हर कोई इस सीजन का विनर बनने के लिए पूरा जोर लगा रहा है। इन दिनों शो में 'टिकट टू फिनाले' टास्क चल रहा है। इस टास्क में विवियन डीसेना और चुम दरंग आमने-सामने खड़े हैं। वहीं ...