छत्तीसगढ़ की किरण के मजबूत डिफेंस से जीता भारत:22 साल बाद एशियन कप में पहुंची भारतीय महिला फुटबॉल टीम, थाईलैंड को 2-1 से हराया

भारतीय महिला फुटबॉल टीम ने लंबे इंतजार के बाद बड़ी उपलब्धि हासिल की है। 22 साल बाद भारतीय टीम ने एएफसी महिला एशियन कप 2026 के लिए क्वालिफाई कर इतिहास रच दिया है। इस गौरवशाली उपलब्धि में छत्तीसगढ़ के बालोद की बेटी किरण पिस्दा का नाम विशेष रूप से शामिल है। किरण ने बतौर डिफेंडर निर्णायक मुकाबले में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। बता दें कि किरण यूरोपीय क्लब से खेलने वाली छत्तीसगढ़ की पहली महिला फुटबॉलर भी हैं। थाईलैंड को 2-1 से हराया क्वालिफाइंग टूर्नामेंट थाईलैंड में खेला गया। जहां ग्रुप-बी के सभी मुकाबलों में भारतीय टीम विजयी रही। रविवार को खेले गए मुकाबले में भारत ने मेजबान थाईलैंड पर 2-1 से जीत दर्ज की। इस मैच में मिडफील्डर संगीता बसफोर ने 2 गोल कर टीम को बढ़त दिलाई। लेकिन आखिरी समय तक डिफेंस को मजबूत बनाए रखने में किरण पिस्दा की भूमिका बेहद सराहनीय रही। परिवार की खुशियों का ठिकाना नहीं किरण के पिता महेश राम पिस्दा जिला संयुक्त कार्यालय में सहायक अधीक्षक हैं। उनकी मां मिलापा पिस्दा गृहणी हैं। बेटी की इस उपलब्धि पर भावुक और गर्वित हैं। किरण के माता-पिता का कहना है कि यह पल न केवल परिवार के लिए, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ जिले के लिए गौरव की बात है। भारत से लेकर यूरोप तक दमदार सफर देशभर में खेल चुकी हैं राष्ट्रीय मुकाबले किरण 2014 से अब तक कटक, गोवा, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, अंडमान-निकोबार जैसे दर्जनों राज्यों में आयोजित जूनियर, स्कूल और सीनियर नेशनल फुटबॉल प्रतियोगिताओं का हिस्सा रही हैं। 2022 में नेपाल में आयोजित साउथ एशियन चैंपियनशिप में भी उन्होंने भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया था। गोल्डन गर्ल बनीं बालोद की किरण फुटबॉल के प्रति समर्पण और कठिन मेहनत ने किरण को अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहुंचाया है। आज वे न केवल बालोद, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ की पहचान बन चुकी हैं। आने वाले समय में उनसे भारतीय महिला फुटबॉल को और ऊंचाइयों पर पहुंचाने की उम्मीद है। बालोद लौटने पर रोजाना 6 घंटे अभ्यास किरण के पिता महेश पिस्दा जिला निर्वाचन कार्यालय में क्लर्क हैं। किरण ने खेल की शुरुआत बालोद के संस्कार शाला मैदान से की थी। जब भी वे बालोद आती हैं तो सुबह 5 से 8 और शाम 4 से 7 बजे तक नियमित अभ्यास करती हैं। उनके वार्ड में मैदान नहीं होने के कारण रोजाना 500 मीटर दूर अभ्यास करने जाती थीं। सरकारी मदद नहीं, खुद के दम पर हासिल की पहचान परिजनों और वार्डवासियों का कहना है कि किरण ने बिना किसी सरकारी सहायता के यह मुकाम हासिल किया है। शुरू से ही उबड़-खाबड़ मैदानों में मेहनत और लगन से अभ्यास करती रहीं। अब उनके कठिन परिश्रम का फल उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिल रहा है। पढ़ाई के साथ-साथ खेल में भी अव्वल किरण ने कक्षा पहली से दसवीं तक पढ़ाई संस्कार शाला बालोद में की और 11वीं–12वीं की पढ़ाई महावीर इंग्लिश मीडियम स्कूल से पूरी की। इसके बाद वे आगे की पढ़ाई के लिए रायपुर चली गईं। जहां उन्होंने खेल को भी जारी रखा। नेशनल में भी शानदार प्रदर्शन, गोल्ड मेडल दिलाया जून 2023 में भुवनेश्वर में आयोजित जनजातीय नेशनल चैंपियनशिप में छत्तीसगढ़ की टीम ने गोल्ड मेडल जीता था। फाइनल मुकाबला झारखंड से हुआ था जिसमें बालोद की किरण और बस्तर की मुस्कान ने एक-एक गोल कर टीम को जीत दिलाई थी। यूरोपीय क्लब से खेलने वाली छत्तीसगढ़ की पहली महिला फुटबॉलर

दैनिक भास्कर 7 Jul 2025 10:03 am

90 साल के हुए दलाई लामा, 'पुनर्जन्म' के 3 संकेत:भारत से और महिला भी हो सकती है उनकी उत्तराधिकारी; चीन क्यों अड़ंगा लगा रहा

बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा आज 90 साल के हो गए। अपने जन्मदिन से 4 रोज पहले, दलाई लामा ने घोषणा की थी कि उनके उत्तराधिकारी का चुनाव तिब्बती परंपरा से होगा और सिर्फ दलाई लामा का गादेन फोडरंग ट्रस्ट यह चुनाव कर सकेगा। वहीं चीन का कहना है कि उसकी सरकार की मंजूरी के बिना अगले दलाई लामा का चुनाव नहीं हो सकता। भास्कर एक्सप्लेनर में जानिए कौन हैं दलाई लामा, कैसे होता है उनका चुनाव, चीन क्यों इसका विरोध कर रहा है और इसमें भारत का क्या रोल… सवाल-1: कौन होते हैं दलाई लामा? जवाब: दलाई लामा तिब्बत के बौद्ध धर्म का सबसे बड़ा धार्मिक पद है। वर्तमान दलाई लामा तेन्जिन ग्यास्तो इस पद को पाने वाले 14वें बौद्ध धर्मगुरु है। माना जाता है कि दलाई लामा की मृत्यु के बाद उनकी आत्मा पुनर्जन्म लेकर आती है और ऐसे यह परंपरा जारी रहती है। 1557 में मंगोल के शासक अलतान खान ने दलाई लामा की परंपरा शुरू की थी। उस समय बौद्ध धर्म के सर्वोच्च धर्म गुरु सोनम ग्यात्सो को तीसरा दलाई लामा बनाया गया। पहले दो दलाई लामा- गेदुन द्रुपा और गेदुन ग्यात्सो को मरणोपरांत दलाई लामा की उपाधि दी गई थी। सवाल-2: दलाई लामा को कैसे चुना जाता है? जवाब: दलाई लामा की मृत्यु के बाद जब शोक का समय खत्म हो जाता है, तब नए दलाई लामा की खोज शुरू होती है… सवाल-3: अगले दलाई लामा की क्या भविष्यवाणी है? जवाब: वर्तमान दलाई लामा की 2 जुलाई को की गई घोषणा के मुताबिक उत्तराधिकारी की परंपरा जारी रहेगी और अगले दलाई लामा का चुनाव तिब्बती परंपरा के मुताबिक ही होगा। यानी दलाई लामा ने इस बात की पुष्टि कर दी है कि उनका 'पुनर्जन्म' होगा। अगले दलाई लामा की पहचान करने की जिम्मेदारी गादेन फोडरंग ट्रस्ट को दी गई है। यह ट्रस्ट ही भारत में दलाई लामा के सभी काम-काज संभालता है। वर्तमान दलाई लामा अपने उत्तराधिकारी के लिए तीन मुख्य भविष्यवाणियां कर चुके हैं... सवाल-4: वर्तमान दलाई लामा को कैसे चुना गया था? जवाब: वर्तमान दलाई लामा का जन्म 1935 में चीन के उत्तर पश्चिम में ताक्तेसर गांव में हुआ था। सिर्फ दो साल की उम्र में उनकी पहचान हो गई थी। 13वें दलाई लामा की छोड़ी निशानियों की मदद से बौद्ध साधुओं का दल इस गांव तक पहुंचा था। यह दल अपने साथ 13वें दलाई लामा का कुछ सामान जैसे चश्मा, घंटी, छड़ी लेकर आए। उन्होंने दलाई लामा का सामान और कुछ और सामान बच्चे के सामने रखा। इनमें से बच्चे ने 13वें दलाई लामा से जुड़ी चीजें उठाकर कहा 'ये मेरा है।' आखिर में उन साधुओं ने बच्चे के सामने कुछ छड़ी रखी। बच्चे ने दलाई लामा की छड़ी उठाकर उसे अपने सीने से लगा लिया। इसके बाद उन साधुओं को यकीन हो गया कि यह बच्चा दलाई लामा का पुनर्जन्म है। 6 साल की उम्र में उनकी पढ़ाई शुरू हुई और 1950 में चीन की तिब्बत में घुसपैठ के बाद उन्होंने दलाई लामा की पूरी शक्तियों के साथ पद संभाला। सवाल-5: दलाई लामा के चुनाव को लेकर चीन की क्या आपत्ति है? जवाब: दलाई लामा की अपने उत्तराधिकारी के बारे में घोषणा करने के बाद, चीन ने दलाई लामा चुनने की प्रक्रिया का विरोध किया है। चीनी विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा है, दलाई लामा, पंचेन लामा और अन्य बौद्ध धर्मगुरुओं का चुनाव स्वर्ण कलश से चिट्ठी निकालकर ही होना चाहिए। और इसमें चीन की सरकार की मंजूरी होनी चाहिए। दरअसल 1792 में स्वर्ण कलश से चिट्ठी निकालकर दलाई लामा और अन्य बौद्ध धर्म गुरुओं के चुनाव की परंपरा शुरू हुई थी, जिससे धर्मगुरु के चुनाव में कोई पक्षपात न हो। 11वें और 12वें दलाई लामा का चुनाव इस प्रक्रिया से हुआ। 13वें दलाई लामा के समय से इसका इस्तेमाल बंद हो गया। आलोचकों का कहना था कि इस प्रक्रिया में चीन हेरफेर कर सकता है। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी धर्म में विश्वास नहीं करती। वह अपने पसंद से दलाई लामा की नियुक्ति करके, तिब्बत से दलाई लामा का प्रभाव खत्म करना चाहता है। चीन की सरकार ने 2007 में तिब्बत के धर्मगुरुओं की नियुक्ति में चीनी सरकार की मंजूरी जरूरी होने का नियम बनाया था। चीन का कहना है कि अगले दलाई लामा चीन से ही होने चाहिए। दूसरे किसी देश में पैदा हुए उत्तराधिकारी को अवैध माना जाएगा। सवाल-6: क्या चीन पहले भी तिब्बती लामा परंपरा का विरोध कर चुका है? जवाब: चीन हमेशा से तिब्बत के लामा चुनने की परंपरा का विरोध करते आया है। 1995 में जब मौजूदा दलाई लामा ने तिब्बत के दूसरे सबसे बड़े धर्म गुरु पंचेन नाम की पहचान की, तब भी चीन ने इसका विरोध किया था। दरअसल, दलाई लामा ने एक 5 साल के बच्चे की पहचान 11वें पंचेन नामा के रूप में की थी। चीन ने इस बच्चे और उसके परिवार को अगवा कर लिया। उस बच्चे का आज तक कोई पता नहीं चल पाया है। वहीं उसकी जगह चीन ने 5 साल के ही दूसरे बच्चे ग्यानकेन नोरबू को पंचेन लामा घोषित किया। 6 जून 2025 को यही पंचेन लामा, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिले थे और उनके प्रति निष्ठा का वादा किया था। सवाल-7: दलाई लामा की घोषणा के बाद भारत ने क्या कहा? जवाब: 3 जुलाई को अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरण रिजिजू ने दलाई लामा की घोषणा का समर्थन करते हुए कहा, दलाई लामा का पद सिर्फ तिब्बत के लिए ही नहीं, दुनिया भर में उन्हें मानने वालों के लिए बहुत महत्व का है। अपना उत्तराधिकारी चुनने का अधिकार दलाई लामा के अलावा और किसी के पास नहीं है। रिजिजू के बयान के बाद 4 जुलाई को चीनी विदेश मंत्रालय ने भारत को चेतावनी देते हुए कहा, ‘तिब्बत से जुड़े मुद्दों पर भारत को सावधानी बरतनी चाहिए।’ इसके बाद 5 जुलाई को भारतीय विदेश मंत्रालय ने मामले में अपना रुख साफ करते हुए कहा, 'भारत सरकार आस्था और धार्मिक प्रथाओं से जुड़े मामलों पर न तो कोई रुख अपनाती है और न बोलती है। आगे भी ऐसा करती रहेगी।' सवाल-8: चीन छोड़कर भारत कैसे आए थे मौजूदा दलाई लामा? जवाब: आज तिब्बत चीन का हिस्सा है, लेकिन हमेशा से ऐसा नहीं था। 1949 में चीन में कम्युनिस्ट पार्टी सत्ता में आई। 1950 में चीनी सरकार ने तिब्बत में अपनी सेना भेजकर कब्जा कर लिया। इसके बाद चीन और तिब्बत की सरकार में समझौता हुआ, जिसमें चीन ने तिब्बत की आजादी बरकरार रखने की बात कही। इसके बावजूद अगले एक दशक तक चीनी सेना तिब्बत के लोगों पर अत्याचार करती रही। वर्तमान दलाई लामा की ऑटोबायोग्राफी के मुताबिक, मार्च 1959 में चीन की सेना दलाई लामा के महल तक पहुंच गई। दलाई लामा एक सिपाही के कपड़े पहनकर तिब्बत से भागे। करीब दो हफ्तों तक कई गांवों और मॉनेस्ट्री ने उन्हें शरण दी। 31 मार्च 1959 को अपने परिवार, अंगरक्षकों और कुछ तिब्बतियों के साथ अरुणाचल प्रदेश के रास्ते दलाई लामा भारत पहुंचे। 2 अप्रैल को आधिकारिक तौर से भारत सरकार ने उनका स्वागत किया और 3 अप्रैल को पंडित जवाहरलाल नेहरू ने दलाई लामा को भारत में शरण देने की घोषणा की। हालांकि ऐसा करने से चीन से रिश्तों पर असर पड़ सकता था इसलिए कई लोगों ने नेहरू के फैसले का विरोध भी किया। भारत सरकार ने दलाई लामा को पहले असम के तेजपुर में रहने की जगह दी। फिर कुछ समय वे मसूरी में रहे और आखिरकार 1960 में धर्मशाला में बस गए। ------------ दलाई लामा से जुड़ी यह खबर भी पढ़िए... 90वें जन्मदिन से पहले दलाई लामा बोले- 130 साल जियूंगा:उत्तराधिकारी के चयन और विवाद पर कहा- अभी 30-40 साल तक लोगों की सेवा करूंगा तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने 90वें जन्मदिन से पहले कहा- मैं अभी 130 साल और जियूंगा। उत्तराधिकारी के चुनाव और विवाद के बीच दलाई लामा ने शनिवार को कहा- कई भविष्यवाणियों को देखते हुए मुझे लगता है कि मुझ पर अवलोकितेश्वर का आशीर्वाद है। पूरी खबर पढ़िए...

दैनिक भास्कर 6 Jul 2025 4:14 pm

लखनऊ विश्वविद्यालय की एनसीसी गर्ल कैडेट का शानदार प्रदर्शन:अरुणाचल में वॉल क्लाइंबिंग-जिप लाइनिंग में जीता मेडल

अरुणाचल प्रदेश के राष्ट्रीय पर्वतारोहण और साहसिक खेल संस्थान में एनसीसी एडवेंचर कोर्स कैंप का आयोजन किया गया। यह कैंप 21 से 30 जून तक चला। लखनऊ विश्वविद्यालय की लांस कॉर्पोरल सिमरन पांडे ने 64 यूपी बटालियन का प्रतिनिधित्व किया। कैडेट्स की यात्रा 18 जून को शुरू हुई। वे 19 जून को गुवाहाटी पहुंचे। यहां 240 ट्रांजिट कैंप में रुके। अगले दिन डिरांग पहुंचे। 21 जून को शिविर का उद्घाटन योग और पीटी सत्र के साथ हुआ। कैंप में कई गतिविधियां कराया गया कैंप में कई साहसिक गतिविधियां हुईं। 22 जून को सर्वाइवल तकनीकों का प्रशिक्षण दिया गया। 23 जून को डिरांग के बौद्ध मठ तक 12 किमी की ट्रैकिंग की गई। 24 जून को 22 फीट ऊंची कृत्रिम दीवार पर चढ़ने का अभ्यास कराया गया।25 जून को कैडेट्स ने 15 किमी की ट्रैकिंग की। 26 जून को ऑब्स्टेकल ट्रेनिंग और रोप क्लास हुई। 27 जून को डिरांग क्षेत्र में 10 किमी की ट्रैकिंग हुआ। 28 जून को 500 मीटर लंबी जिप लाइनिंग का रोमांचक अनुभव मिला।30 जून को समापन समारोह में उत्कृष्ट कैडेट्स को सम्मानित किया गया। कमान अधिकारी कर्नल पी.पी.एस चौहान, एडम ऑफिसर ले. क. अनिमेष राय और एसोसिएट एनसीसी ऑफिसर ले. डॉ. रजनीश यादव ने कैडेट्स को बधाई दी। इस कैंप ने कैडेट्स में अनुशासन, नेतृत्व और आत्मविश्वास के गुण विकसित किए।

दैनिक भास्कर 5 Jul 2025 11:16 pm

दलाई लामा पर भारत बोला-धार्मिक मामले पर बात नहीं करते:रिजिजू ने कहा था- दलाई लामा चुनें उत्तराधिकारी, चीन का जवाब- हमारे मामलों में संभल कर बोलें

भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) ने शुक्रवार को दलाई लामा के उत्तराधिकार पर कहा- भारत सरकार आस्था और धार्मिक प्रथाओं से जुड़े मामलों पर न तो कोई रुख अपनाती है और न बोलती है। आगे भी ऐसा करती रहेगी। हमने दलाई लामा के बयान से संबंधित रिपोर्ट्स देखी हैं। विवाद की शुरुआत तब हुई, जब दलाई लामा ने खुद 2 जुलाई को हिमाचल में कहा था कि उनके उत्तराधिकारी को मान्यता देने का एकमात्र अधिकार तिब्बती बौद्ध गुरुओं को है। दलाई लामा ने चीन का नाम लिए बगैर कहा था कि किसी और को इस मामले में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। भारत के केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने 3 जुलाई को दलाई लामा के इस बयान का समर्थन किया था। रिजिजू ने कहा था कि दलाई लामा को अपने उत्तराधिकारी चुनने का अधिकार होना चाहिए। इस बयान पर चीन ने नाराजगी जताई थी। चीन ने शुक्रवार को कहा- तिब्बत से जुड़े मुद्दों पर भारत को सावधानी बरतनी चाहिए।चीन ने यह भी कहा कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी को चीन की सरकार की मंजूरी लेनी होगी। चीनी कानूनों, नियमों के साथ-साथ धार्मिक अनुष्ठानों और ऐतिहासिक परंपराओं का भी पालन करना होगा। हिमाचल में 3 दिन चला 15वां तिब्बती धार्मिक सम्मेलन​​​​​​ हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में 2 जुलाई को 3 दिवसीय 15वां तिब्बती धार्मिक सम्मेलन शुरू हुआ था। यहां दलाई लामा ने दोटूक कहा था- दलाई लामा की संस्था भविष्य में भी जारी रहेगी। साथ ही उन्होंने यह भी क्लियर किया कि उनके देहांत के बाद उनके उत्तराधिकारी का चयन भी तिब्बती बौद्ध परंपराओं के अनुसार ही होगा। तिब्बत और बौद्ध धर्म में चीन के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए दलाई लामा ने यह भी स्पष्ट रूप से कहा था कि उनके उत्तराधिकारी के चयन में चीन की कोई भूमिका नहीं होगी। अगर चीन ऐसा करने की कोशिश भी करता है तो उसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।इस पर चीन ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। चीन का कहना है कि धर्मशाला स्थित दलाई लामा लाइब्रेरी एंड आर्काइव में 3 दिवसीय धार्मिक सम्मेलन शुरू हुआ था, जिसमें तिब्बती बौद्ध धर्म की विभिन्न परंपराओं के प्रमुख लामाओं, तिब्बती संसद, सिविल सोसाइटी, संगठनों और दुनिया भर से आए तिब्बती समुदाय के प्रतिनिधि ने भाग लिया था। गादेन फोडंग ट्रस्ट को सौंपी जिम्मेदारी14वें दलाई लामा तेनजिन ग्यात्सो ने वीडियो संदेश के माध्यम से बताया था उन्होंने अपने उत्तराधिकारी के चयन की जिम्मेदारी 'गादेन फोडंग ट्रस्ट' को सौंपी है। दलाई लामा ने स्थापना 2015 में दलाई लामा की संस्था से संबंधित मामलों की देखरेख के लिए इस ट्रस्ट की स्थापना की थी। तेनजिन ग्यात्सो ने कहा था कि अगले दलाई लामा की पहचान और मान्यता की पूरी प्रक्रिया का अधिकार केवल ट्रस्ट को है। कोई अन्य व्यक्ति, संगठन या सरकार इस प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं कर सकती। चीन भी नहीं कर सकता नियुक्तिदलाई लामा ने कहा था कि ट्रस्ट के अलावा कोई और अगले दलाई लामा की नियुक्ति नहीं कर सकता है। इस घोषणा ने उन चर्चाओं पर विराम लगा दिया, जिनमें कहा जा रहा था कि चीन मौजूदा दलाई लामा की मौत के बाद खुद 15वें दलाई लामा की नियुक्ति कर देगा। दलाई लामा ने अपने वीडियो संदेश में कहा था कि 1969 में ही हमने यह स्पष्ट कर दिया था कि संस्था को जारी रखने का निर्णय संबंधित लोगों को करना चाहिए। पिछले 14 सालों में हमें दुनिया भर से, विशेषकर तिब्बत से, संस्था को जारी रखने के आग्रह मिले हैं। उन्होंने कहा कि 24 सितंबर 2011 को भी उन्होंने कहा था कि जब वह 90 वर्ष के आसपास हो जाएंगे, तब इस विषय पर निर्णय लेंगे। CTA नेता बोले- चीन इस परंपरा का फायदा उठाना चाह रहा हैकार्यक्रम के दौरान सेंट्रल तिब्बतियन एडमिनिस्ट्रेशन (CTA) के नेता पेन्पा शेरिंग ने धर्मशाला में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में चीन पर आरोप लगाया कि वह दलाई लामा के उत्तराधिकार को राजनीतिक हथियार बना रहा है। उन्होंने कहा था- चीन इस परंपरा को राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहा है, जो पूरी तरह निंदनीय है। यह आध्यात्मिक प्रक्रिया है और हम इसमें किसी भी बाहरी हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं करेंगे। पेन्पा शेरिंग ने यह भी कहा कि वर्तमान में चीन सरकार की नीतियां तिब्बती पहचान, भाषा और धर्म को मिटाने की कोशिश कर रही हैं। शी जिनपिंग की सरकार तिब्बती लोगों की सांस्कृतिक और धार्मिक जड़ों को निशाना बना रही है। दलाई लामा किताब में भी ये बातें कह चुकेमौजूदा दलाई लामा 6 जुलाई को 90 साल के हो जाएंगे। इसके बाद उनके उत्तराधिकारी पर निर्णय संभव है। इस साल मार्च में प्रकाशित हुई दलाई लामा की किताब वॉयस फॉर द डायसलेस में भी उन्होंने लिखा है कि उनका पुनर्जन्म चीन के बाहर एक स्वतंत्र दुनिया में होगा, जहां तिब्बती बौद्ध धर्म की स्वतंत्रता बनी रहे। उन्होंने लिखा है कि उनके पुनर्जन्म का उद्देश्य उनके कार्य को आगे बढ़ाना है। इसलिए, नया दलाई लामा एक स्वतंत्र दुनिया में जन्म लेगा, ताकि वह तिब्बती बौद्ध धर्म का नेतृत्व और तिब्बती लोगों की आकांक्षाओं का प्रतीक बन सके। चीन ने दलाई लामा का बयान खारिज कियाकिताब में कही बात पर चीन की ओर से भी प्रतिक्रिया आई थी। चीनी के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने दलाई लामा के किताब में लिखे बयान को खारिज किया। साथ ही कहा कि दलाई लामा को तिब्बती लोगों का प्रतिनिधित्व करने का कोई अधिकार नहीं है। प्रवक्ता ने कहा कि बुद्ध की वंशावली चीन के तिब्बत में विकसित हुई। इस हिसाब से उनके उत्तराधिकारी का चयन भी चीनी कानून और परंपराओं के अनुसार ही होगा। उन्होंने दावा किया कि साल 1793 में किंग राजवंश ने गोल्डन अर्न प्रक्रिया शुरू की थी। उसके तहत चीन को ही दलाई लामा के उत्तराधिकारी को मंजूरी देने का अधिकार है। दलाई लामा बोले- यह प्रक्रिया उपयोग में नहींहालांकि, तिब्बती समुदाय और दलाई लामा ने चीन के इस दावे को खारिज किया। उन्होंने कहा कि गोल्डन अर्न प्रक्रिया केवल 11वें और 12वें दलाई लामा के लिए उपयोग की गई थी। 9वें, 13वें, और 14वें दलाई लामा के चयन में इसका उपयोग नहीं किया गया। ........................दलाई लामा से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... अरुणाचल प्रदेश के सीएम धर्मशाला पहुंचे: दलाई लामा के जन्मदिवस समारोह में शामिल होंगे, 6 जुलाई को कार्यक्रम अरुणाचल प्रदेश के सीएम पेमा खांडू शुक्रवार को धर्मशाला पहुंचे। वे तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा के 90वें जन्मदिवस और दीर्घायु प्रार्थना कार्यक्रम में विशेष अतिथि होंगे। धर्मशाला के होटल हयात में केंद्रीय तिब्बती प्रशासन की सुरक्षा मंत्री कालोन डोलमा ग्यारी ने उनका स्वागत किया। पूरी खबर पढ़ें...

दैनिक भास्कर 4 Jul 2025 8:05 pm

MP-UP समेत 11 राज्यों में आज बारिश का ऑरेंज अलर्ट:हिमाचल में 11 जगह बादल फटा, 16 लापता; वाराणसी में गंगा मणिकर्णिका घाट तक पहुंची

देश के ज्यादातर हिस्सों में मानसूनी बारिश जारी है। मौसम विभाग ने आज हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पूर्वी राजस्थान, गुजरात, मध्य महाराष्ट्र, गोवा, ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश में बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। हिमाचल प्रदेश के मंडी में पिछले 24 घंटे में 11 जगह बादल फटा। बाढ़ और लैंडस्लाइड से अब तक 5 लोगों की मौत हो चुकी है, 16 लोग लापता हैं। वाराणसी में गंगा हर घंटे 50mm की रफ्तार से बढ़ रही है। 24 घंटे में जलस्तर 2 मीटर तक बढ़ा है। गंगा का पानी मणिकर्णिका घाट तक आ गया है। जिससे गंगा द्वार घाट से संपर्क टूट गया है। बारिश से तबाही की तस्वीरें... देशभर में 1 जुलाई को हुई बारिश मैप में देखिए... देशभर में बारिश से जुड़े अपडेट्स के लिए नीचे दिए ब्लॉग से गुजर जाइए...

दैनिक भास्कर 2 Jul 2025 5:00 am

राजस्थान-गुजरात में जून में सामान्य से 100% ज्यादा बारिश:बिहार समेत 15 राज्यों में कम बारिश हुई; जुलाई में MP-यूपी सहित 23 राज्यों में तेज बारिश होगी

देश के ज्यादातर राज्य में जुलाई की शुरुआत से तेज बारिश हो रही है। मौसम विभाग के अनुसार, जून में सामान्य से 9% ज्यादा बारिश हुई है। 2024 में 11% कम बारिश हुई थी। बिहार, दिल्ली समेत देश के 15 राज्यों में सामान्य से कम बारिश हुई है। राजस्थान में जून महीने में 55 mm बारिश हुई जो सामान्य से 128% ज्यादा है। वहीं गुजरात में सामान्य से 115% (110.8 mm) अधिक बारिश हुई। 21 राज्यों-केंद्र शासित प्रदेशों में पिछले सालों के मुकाबले ज्यादा बारिश हुई है। मौसम विभाग ने बताया कि जुलाई महीने में पूरे देश में सामान्य से 106% ज्यादा बारिश होगी। मध्य प्रदेश, यूपी सहित 23 राज्यों में पिछले सालों की तुलना में ज्यादा बारिश होनी की संभावना है। वहीं, ज्यादातर राज्यों में तापमान सामान्य और उससे कम रहेगा। जुलाई में सामान्य से 106% ज्यादा बारिश का अनुमान मौसम विभाग के अनुसार, जुलाई महीने में सामान्य से 106% ज्यादा बारिश होगी। हालांकि, नॉर्थ-ईस्ट (अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय, मणिपुर, मिज़ोरम, नगालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम) और ईस्टर्न (बिहार, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, सिक्किम) राज्यों में सामान्य से कम बारिश होगी।

दैनिक भास्कर 1 Jul 2025 5:41 pm