18वीं विधानसभा के लिए चुनकर आए विधायकों के लिए विधानसभा को हाइटेक किया गया। 30 करोड़ रुपए खर्च कर टैबलेट-नए माइक लगे, लेकिन बुधवार को राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान अभिभाषण देने पहुंचे तो माइक सिस्टम फेल हो गया। जिन टैबलेट की बड़ी चर्चा रही। कहा गया कि विधानसभा पेपरलेस हो गया है, वे भी तीन दिन से ऑन नहीं हुए। विधानसभा की पूरी कार्यवाही पहले की तरह कागजी हुई। अध्यादेश पेश करने से लेकर स्पीकर के अभिभाषण तक, सारे काम पेपर से हुए। भास्कर की स्पेशल रिपोर्ट में पढ़िए सदन में क्या बदलाव किए गए थे। विधानसभा सत्र के शुरुआती तीन दिनों क्या नजर आया? क्या दावा था, क्या हकीकत नजर आई। नए विधायकों के स्वागत के लिए विधानसभा को हाइटेक बनाया गया था। सेंसर वाले माइक से लेकर विधायकों की सीट के आगे टैबलेट लगाए गए। विधानसभा सूत्रों की माने तो नेशनल ई विधानसभा ऐप के ई-विधान प्रोजेक्ट के तहत इस प्रक्रिया में लगभग 30 करोड़ रुपए खर्च किए गए। 13 करोड़ रुपए अकेले माइक सिस्टम दुरुस्त करने पर खर्च हुए। इसकी क्वालिटी का आलम ये रहा कि सत्र के दौरान राज्यपाल के पहले अभिभाषण में ही पूरा सिस्टम बिगड़ गया। सेंट्रल हॉल में बैठे सदस्यों को भी राज्यपाल की बातें सुनने में परेशानी हुई। प्रेस गैलरी तक तो आखिर तक आवाज नहीं पहुंच पाई। राज्यपाल को बोलना पड़ा- हम ही तेज बोलते हैं हाईटेक और डिजिटल विधानसभा की स्थिति का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि राज्यपाल के भाषण के पहले माइक चेक तक नहीं की गई थी। 10 मिनट तक राज्यपाल की आवाज जब सदस्यों तक नहीं पहुंची तो राज्यपाल को बोलना पड़ा कि हम ही तेज बोलते हैं। तीन दिन में ऑन नहीं हुआ एक भी टैबलेट वहीं, अगर पेपरलेस विधानसभा की बात करें तो 18वीं विधानसभा के पहले सत्र की कार्यवाही बुधवार तक तीन दिन चली है। अभी तक एक दिन भी टैबलेट ऑन नहीं हुआ है। तीसरे दिन स्पीकर के अभिभाषण से लेकर अध्यादेश और सप्लीमेंट्री बजट तक, सबकुछ पहले की तरह पेपर के माध्यम से सदन में पेश किया गया। संविदा कर्मी को मिली थी निगरानी की जिम्मेदारी दैनिक भास्कर ने जब इस पूरी तकनीकी खामियों को समझने की कोशिश की तो विधानसभा के कर्मचारी कैमरे पर बोलने से बचते रहे। नाम नहीं छापने की शर्त पर विधानसभा के टॉप लेवल के एक अधिकारी ने बताया कि काम में कई गलती की गई है। इस पूरे काम के देखरेख की जिम्मेदारी किसी नियमित कर्मचारी की जगह संविदा पर नियुक्त कर्मचारी को दी गई थी। ऐसा क्यों किया गया? क्या-क्या गलती हुईं? ये जांच के बाद ही पता चल पाएगा। अब जानिए, सदन के भीतर क्या-क्या बदलाव किए गए लगाए गए सेंसर वाले माइक विधानसभा में ई-विधान प्रोजेक्ट के तहत नए सेंसर वाले माइक लगाए गए हैं। ये माइक विधायक के बैठने के स्थान के अनुसार चालू या बंद हो जाते हैं। इन्हें माइक कंट्रोलर द्वारा कंट्रोल किया जाता है। सदन की कार्यवाही को सुचारू और पारदर्शी बनाने के लिए इसे लगाया गया है। सैमसंग के 323 टैबलेट लगाए गए सदन को हाइटेक और पेपरलेस बनाने के लिए सैमसंग कंपनी के 323 टैबलेट लगाए गए हैं। सदन की कार्यवाही के दौरान टैबलेट ठीक से काम करे इसके लिए हाई स्पीड वाई-फाई की व्यवस्था की गई है। विधायकों की सीट पर लगे हेड सेट को बदला गया। डिजिटल हेड सेट दिए गए। सदन में 6 बड़े टीवी लगाए गए । वोटिंग के दौरान इनमें रिजल्ट दिखेगा। मतदान के समय सदस्यों की गिनती दिखाई जाएगी। विधायक कैसे पूछेंगे सवाल, कैसे मिलेगा जवाब? सवाल पूछने से लेकर जवाब देने तक, सब कुछ ऑनलाइन किया गया है। इसके लिए ‘नेशनल ई-विधान’ (NeVA) ऑनलाइन प्लेटफॉर्म इस्तेमाल किया गया है। NeVA का इस्तेमाल विधायक सवाल पूछने में कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें टैबलेट या मोबाइल फोन में NeVA ऐप इंस्टॉल करना होगा। इसके बाद यूजरनेम और पासवर्ड डालकर लॉगइन करना होगा। लॉगइन करने के बाद विधायक अपने सवाल या नोटिस ऑनलाइन जमा कर सकते हैं। सवाल जिस मंत्रालय से जुड़ा होगा उसके पास जाएगा। संबंधित मंत्रालय द्वारा जो जवाब दिया जाएगा वह विधायक को मिल जाएगा। क्या है नेशनल ई-विधान? नेशनल ई-विधान एप्लिकेशन (NeVA) डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत एक मिशन-मोड प्रोजेक्ट है। इसका उद्देश्य विधानसभा में डिजिटल फॉर्मेट में कामकाज कराना है। गुजरात, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, बिहार, नगालैंड, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, पुडुचेरी, अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, केरल, आंध्र प्रदेश और गोवा में इस प्रोजेक्ट के तहत काम हो रहा है।
फाजिल्का जिले में अबोहर निवासी और अबोहर पैडलर क्लब के सदस्य हरजीत सिंह हजारा ने 31 दिनों में लगभग 3926 किलोमीटर की साइकिल यात्रा पूरी की है। युवाओं को नशे के खिलाफ जागरूक करने और पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने के उद्देश्य से की गई। यह उनकी दूसरी साइकिल यात्रा थी। अबोहर पहुंचने पर शहरवासियों ने उनका भव्य स्वागत किया। हरजीत सिंह हजारा ने बताया कि आज की युवा पीढ़ी नशे में पड़कर अपना जीवन बर्बाद कर रही है। उन्होंने युवाओं से नशों से दूर रहकर किसी न किसी खेल से जुड़ने का आग्रह किया, जिससे उनका शरीर और मस्तिष्क तंदरुस्त रह सके। बठिंडा और गंगानगर के साथी रहे साथ उन्होंने अपनी यात्रा का विवरण देते हुए बताया कि उन्होंने अरुणाचल प्रदेश के एक गांव से गुजरात के करशेवर गांव तक साइकिल से यह दूरी तय की। इस यात्रा में उनके साथ बठिंडा और गंगानगर के चार अन्य साथी भी शामिल थे। हरजीत सिंह ने यह भी बताया कि उन्होंने वर्ष 2019 में भी साइकिल पर कश्मीर से कन्याकुमारी तक की यात्रा की थी। उनकी इस बेमिसाल साइकिल यात्रा को देखकर शहर के युवा काफी प्रेरित हो रहे हैं। यहां देखिए फोटो...
अरुणाचल प्रदेश में भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री पेमा खांडू के परिवार की कंपनियों को बड़ी संख्या में ठेके देने पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सख्ती दिखाई। कोर्ट ने कहा कि सरकार के जवाब से स्पष्ट है कि सीएम के परिवार को बड़ी संख्या में काम दिया गया। यह संयोग अद्भुत है। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने सरकार से विस्तृत हलफनामा मांगा है। इसमें 2015 से 2025 तक सभी जिलों में खांडू और परिवार की कंपनियों के ठेकों का ब्योरा देना होगा। याचिकाकर्ताओं के वकील प्रशांत भूषण ने सरकार के पिछले हलफनामे के आधार पर कहा कि तवांग में 10 साल में 188 करोड़ रु. के 31 ठेके दिए गए। 50 लाख से कम के काम बिना टेंडर दिए जाते हैं। सरकार कहती है कि ठेके उन कंपनियों को दिए, जिन पर लोकल लोगों का भरोसा है। ऐसी कंपनी सीएम, उनकी पत्नी की हैं, क्योंकि ये वहीं के हैं। सभी मामलों में सिर्फ 2 कंपनियों ने टेंडर भरा। सीएम से जुड़ी कंपनी 0.01% कम दर का टेंडर देती और उसे काम मिल जाता है। सुनवाई के दौरान की 2 बड़ी बातें... कोर्ट ने 8 हफ्ते में हलफनामा मांगा बेंच ने अरुणाचल सरकार को हलफनामा (Affidavit) दाखिल करने के लिए 8 हफ्ते का समय दिया है। मामले की अगनी सुनवाई 3 फरवरी को होगी। कोर्ट ने कहा कि केवल तवांग का नहीं, बल्कि सभी जिलों का ब्योरा होना चाहिए। जानकारी 2015 से 2025 की अवधि तक की होनी चाहिए (2015 से पहले की नहीं)। उन सभी ठेकों का विवरण होना चाहिए जो मुख्यमंत्री या फिर उनके परिवार के सदस्यों से जुड़ी फर्मों को दिए गए हैं। सीएम रहते 6 महीने में 3 बार पार्टी बदली खांडू इकलौते नेता हैं, जिन्होंने 2016 में सीएम रहते छह महीने में तीन पार्टियां बदलीं। जुलाई में कांग्रेस से सीएम बने, सितंबर में पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल (पीपीए) में आए और दिसंबर में सस्पेंड होने पर पीपीए के 43 में से 33 विधायकों के साथ भाजपा में शामिल होकर सीएम पद पर बने रहे। उनका सियासी दबदबा इतना है कि कई बार उनके खिलाफ उम्मीदवार नहीं मिलते। 2011 और 2024 में वे मुक्तो सीट से निर्विरोध जीते। पर्यटन बढ़ावा फेस्टिवल में वे सलमान खान व किरण रिजिजू संग 10 किमी साइकिल चला चुके हैं। भास्कर इनसाइट... दूसरे सबसे अमीर CM; आरोप- पत्नी, बेटे और भतीजे की कंपनियों को ठेके मिले एडीआर के मुताबिक खांडू दूसरे सबसे अमीर सीएम हैं। 2024 में संपत्ति 332 करोड़ रु. थी। 5 साल में 100% इजाफा हुआ था। खांडू के परिवार को ठेके देने में पक्षपात का आरोप लगाते हुए याचिकाकर्ता 2024 में सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। जुलाई 2025 में सरकार ने बताया था कि तवांग में एक दशक में खांडू के परिवार की 4 कंपनियों को 380 करोड़ रुपए से ज्यादा के ठेके मिले। इन कंपनियों में ब्रांड ईगल्स और फ्रंटियर एसोसिएट्स खांडू की पत्नी त्सेरिंग डोल्मा से जुड़ी हैं। आरडी कंस्ट्रक्शंस उनके बेटे ताशी खांडू और अलायंस ट्रेडिंग भतीजे त्सेरिंग ताशी की पत्नी नीमा द्रेमा से जुड़ी बताई गई है।कुछ ठेके खांडू को निजी हैसियत में मिलने का उल्लेख है। कैग ने कई मामलों में आपत्ति लगाईं।
स्कूली वेटलिफ्टिंग में हरिओम ने उदयपुर को दिलाया पहला रजत
उदयपुर } अरुणाचल प्रदेश में आयोजित राष्ट्रीय स्कूल स्तरीय वेटलिफ्टिंग प्रतियोगिता में उदयपुर के हरिओम निषाद मल्ला ने रजत पदक जीता। यह स्कूली प्रतियोगिता में उदयपुर का पहला पदक है। वेटलिफ्टिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष राजकुमार खटवानी ने बताया कि प्रदेश टीम का प्रतिनिधित्व करते हुए हरिओम ने 112 किलो स्नैच और 138 किलो क्लीन एंड जर्क, कुल 250 किलो वजन उठाकर दूसरा स्थान पाया। उदयपुर लौटने पर राष्ट्रीय खिलाड़ी नवीन शर्मा, गोविंद प्रजापत सहित लवकुश स्टेडियम के खिलाड़ियों ने फूल-मालाओं से हरिओम का स्वागत किया।
गोरखपुर के रीजनल स्पोर्ट्स स्टेडियम में ब्रह्मलीन अवैद्यनाथ अखिल भारतीय प्राइजमनी पुरुष कबड्डी प्रतियोगिता की भव्य शुरुआत की गई। उद्घाटन समारोह में युवा कल्याण विभाग के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गिरीश चंद्र यादव पहुंचे। उन्होंने फीता काट काटने और गुब्बारा छोड़ने के बाद खिलाड़ियों से हाथ मिला कर रोमांचक मुकाबले का आगाज किया। पहले दिन के मैच में कुल चार टीमों के बीच 2 मुकाबले हुए। कर्नाटक ने मारी बाजी पहला मुकाबला गुजरात और कर्नाटक बीच खेला गया जिसमें कर्नाटक की टीम विजेता रही। जबकि दूसरा मुकाबला हरियाणा और छत्तीसगढ़ के बीच हुआ। पूरे मैच के दौरान सभी खिलाड़ियों ने अपना जोर लगाया और जीतने के लिए दम लगाते रहे। सभी टीमों के खिलाड़ियों से अपने प्रदर्शन से मुकाबले को बेहद ही रोमांचक बना दिया। मुकाबला इतना शानदार था कि दर्शक अंत तक अपने सीट पर बने रहे। इतना ही नहीं खिलाड़ियों के उत्साह को बढ़ाने के लिए हर बेहतरीन शॉट पर तालियों की गड़गड़ाहट गूंज उठ रही थी। इस प्रतियोगिता का पहला मैच कर्नाटक और गुजरात के बीच खेला गया। दोनों टीमों ने अपना शानदार प्रदर्शन किया। डिफेंस और अटैक का स्ट्रेटजी अपनाते हुए इस दमदार मुकाबले में कड़ी टक्कर देखने को मिली। लेकिन शुरुआत से ही कर्नाटक की टीम गुजरात पर भारी रही। हालांकि फर्स्ट हाफ के बाद मैच पलटता हुआ दिखा। बाजी गुजरात की टीम की ओर जाती दिखी उस समय कर्नाटक की ओर से सिर्फ दो खिलाड़ी ही ग्राउंड पर बचे रहे। हालांकि कर्नाटक की टीम ने फिर हुंकार भरी और एक के बाद एक गोल करके अपने खिलाड़ियों को मैदान में वापस लाते गए। इस दौरान गुजरात की टीम ने भी उन्हें कड़ी टक्कर दी। बड़ी मुश्किल से ही गोल कर पाएं। अंत में कर्नाटक की टीम ने बाजी मारी और गुजरात को हार का सामना करना पड़ा। यह मुकाबला बेहद ही शानदार रहा। देश भर की चुनिंदा 12-14 टीमें हिस्सा लेंगी खेल विभाग उत्तर प्रदेश की ओर से ब्रह्मलीन अवैद्यनाथ अखिल भारतीय प्राइजमनी पुरुष कबड्डी प्रतियोगिता का आयोजन कल यानी सोमवार से 4 दिसंबर तक रीजनल स्पोर्ट्स स्टेडियम में किया जाएगा। यह प्रतियोगिता 2018, 2019, 2021, 2022, 2023 और 2024 में भी लगातार सफल रही है। कबड्डी की इस प्रतिष्ठित चैंपियनशिप में देशभर की चुनिंदा 12-14 टीमें हिस्सा लेंगी। खिलाड़ियों और अधिकारियों के लिए प्रेसिडेंट होटल, गोलघर और सन्नलाजा, खोवा मंडी गली में आवास की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा भोजन, आने-जाने के वाहन, दैनिक भत्ता और अन्य सभी प्रबंध खेल विभाग द्वारा सुनिश्चित कर लिए गए हैं, जिससे टीमों को किसी प्रकार की परेशानी न हो। विजेता को मिलेंगे 2 लाख-उपविजेता को 1 लाख प्रतियोगिता की प्राइज़मनी इस बार भी गोरखपुर को खेल मानचित्र पर नई पहचान देगी। विजेता टीम को ₹2,00,000 और उपविजेता टीम को ₹ 1 लाख का नगद पुरस्कार दिया जाएगा। सेमीफाइनल में हारने वाली दोनों टीमों को ₹50,000-₹50,000 का पुरस्कार मिलेगा। ट्रॉफी और मेडल भी खेल विभाग की ओर प्रदान किए जाएंगे। पिछले साल उत्तर प्रदेश रही थी विजेता2024-25 में उत्तर प्रदेश की टीम विजेता बनी थी, जबकि अरुणाचल प्रदेश उपविजेता रहा था। तीसरा स्थान पंजाब और भारत पेट्रोलियम मुंबई ने हासिल किया था। इस वर्ष टीमों की संख्या और प्रतिस्पर्धा दोनों बढ़ने के कारण मुकाबले और भी रोमांचक होने की उम्मीद है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रहेंगे मुख्य अतिथिप्रतियोगिता का उद्घाटन 1 दिसंबर को दोपहर 02:00 बजे खेल एवं युवा कल्याण विभाग के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गिरीश चंद्र यादव करेंगे। समापन व पुरस्कार वितरण समारोह 4 दिसंबर को अपराह्न 03:00 बजे आयोजित होगा। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मुख्य अतिथि होंगे।
बोधगया में 2 से 12 दिसंबर तक 20वें अंतरराष्ट्रीय त्रिपिटक पाठ समारोह का आयोजन किया जा रहा है। विश्व की बौद्ध आध्यात्मिक राजधानी माने जाने वाले बोधगया में भारत पहली बार इस ऐतिहासिक आयोजन की मेजबानी कर रहा है। यह समारोह महाबोधि मंदिर परिसर स्थित पवित्र बोधिवृक्ष के नीचे आयोजित होगा, जिसमें 27 देशों से 20,000 से अधिक बौद्ध भिक्षु और श्रद्धालु शामिल होंगे। आयोजकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी समारोह में शामिल होने के लिए औपचारिक निमंत्रण भेजा है। समारोह का उद्घाटन 2 दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू और उपमुख्यमंत्री चौना मीन करेंगे। केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले 8 दिसंबर को विशेष पूजा में शामिल होंगे, जबकि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी 12 दिसंबर को समापन समारोह में उपस्थित रहेंगे। महाबोधि इंटरनेशनल त्रिपिटक के फाउंडर प्रेसिडेंट संगा सेना और कोषाध्यक्ष भिखूनी शाक्य अहमद हिना ने बताया कि यह समारोह अब तक का सबसे व्यापक और ऐतिहासिक आयोजन होगा। 20,000 से अधिक बौद्ध भिक्षु होंगे शामिल इस वैश्विक धार्मिक आयोजन में थाईलैंड, म्यांमार, श्रीलंका, कंबोडिया, लाओस, वियतनाम, नेपाल, इंडोनेशिया, बांग्लादेश और अमेरिका सहित 27 देशों से 20,000 से अधिक बौद्ध भिक्षु और श्रद्धालु भाग लेंगे। ये सभी 12 दिनों तक पवित्र बोधिवृक्ष के नीचे त्रिपिटक—बौद्ध धर्म के मूल सिद्धांतों का संग्रह—का संयुक्त पाठ करेंगे। इस सामूहिक पाठ का मुख्य उद्देश्य विश्व शांति, करुणा और सद्भाव का संदेश फैलाना है। बड़ी संख्या में अंतरराष्ट्रीय आगंतुकों की उपस्थिति को देखते हुए, प्रशासन ने सुरक्षा, यातायात, आवाजाही, आवास और भोजन के लिए व्यापक प्रबंध किए हैं। शहर के होटल, धर्मशालाएं और अन्य आश्रय स्थल पहले से ही पूरी तरह बुक हो चुके हैं। महाबोधि मंदिर परिसर और कालचक्र मैदान में तैयारियां अंतिम चरण में हैं, और मंदिर परिसर को विशेष रूप से सजाया गया है। यहां दैनिक अनुष्ठान, सांस्कृतिक प्रस्तुतियां और धार्मिक विमर्श भी आयोजित किए जाएंगे। बोधगया फिर बना वैश्विक आध्यात्मिक केंद्र जहां भगवान बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त किया था, वही बोधगया एक बार फिर वैश्विक केंद्र में है। यह समारोह न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रूप से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारत की आध्यात्मिक विरासत को विश्व मंच पर और अधिक प्रतिष्ठा दिलाने वाला यह आयोजन बौद्ध समुदाय के लिए यादगार अवसर बन गया है।
‘पहले कागज पर सवाल लिखकर विधानसभा अध्यक्ष के चेंबर के बाहर रखे बॉक्स में डालता था। अब सब कुछ बदल गया है। मोबाइल से ही सवाल पूछिए, जवाब ऑनलाइन। कागज ढोने की जरूरत नहीं।’ बिहारीगंज से चुनाव जीतने वाले JDU विधायक निरंजन मेहता चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान लिए बताते हैं। विधायक के रूप में 10 साल काम करने का अनुभव है। तीसरे कार्यकाल के लिए चुने गए हैं। 18वीं, विधानसभा के लिए सदन में कई बड़े बदलाव किए गए हैं। इसे पेपरलेस कर दिया गया है। सवाल पूछने से लेकर जवाब पाने तक विधायक सभी काम टैबलेट की मदद से करेंगे। उनकी सीट पर टैबलेट लगाए गए हैं। संडे बिग स्टोरी में पढ़िए पेपरलेस सिस्टम कैसे काम करेगा? कामकाज कितना आसान हो गया है? सदन के अंदर और बाहर किस तरह के बदलाव किए गए हैं? हाईटेक बना सदन, विधायकों के लिए लगे टैबलेट 1 दिसंबर से 18वीं विधानसभा का पहला सत्र शुरू होगा। विधानसभा में कई बड़े बदलाव दिखेंगे। अब पेपर सिस्टम खत्म हो गया है। सभी काम डिजिटल फॉर्मेट में होंगे। विधानसभा में 243 विधायकों के बैठने की जगह है। इसके साथ ही विधानसभा अध्यक्ष व अन्य अधिकारियों की सीट है। सदन में आसन और विधायकों के सीट पर टैबलेट लगाए गए हैं। इसी पर MLA को पूछे गए सवालों के जवाब मिलेंगे। विधायक अपने भाषण या सवाल पहले ऐप पर अपलोड करेंगे। इसके बाद जरूरत के अनुसार उसका इस्तेमाल करेंगे। विधानसभा अध्यक्ष सदन की कार्यवाही टैबलेट की मदद से चलाएंगे। विधानसभा सचिव समेत अन्य कर्मियों को भी टैबलेट दिए गए हैं। इससे पूरे सदन का लुक हाईटेक हो गया है। NeVA की मदद से विधायक पूछेंगे सवाल, ऑनलाइन मिलेगा जवाब सवाल पूछने से लेकर जवाब देने तक, सब काम ऑनलाइन होंगे। इसके लिए ‘नेशनल ई-विधान’ (NeVA) ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया जा रहा है। विधायक अपने मोबाइल फोन या टैबलेट पर NeVA ऐप इंस्टॉल करेंगे। यह एंड्रॉइड और आईओएस दोनों तरह के ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए उपलब्ध है। विधायक अपने सवाल NeVA ऐप के जरिए पूछेंगे। उन्हें जवाब ऑनलाइन मिलेंगे। मंत्री विधानसभा के अंदर टैबलेट का इस्तेमाल कर विधायक के सवाल का जवाब देंगे। सदस्य अपने भाषण ऐप के जरिए अपलोड कर सकते हैं और विधानसभा में टैबलेट देखकर दे सकते हैं। टैबलेट मूवेबल है। क्या है नेशनल ई-विधान? नेशनल ई-विधान एप्लिकेशन (NeVA) डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत एक मिशन-मोड प्रोजेक्ट है। इसका उद्देश्य विधानसभा में डिजिटल फॉर्मेट में कामकाज कराना है। गुजरात, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, बिहार, नगालैंड, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, पुडुचेरी, अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, केरल, आंध्र प्रदेश और गोवा में इस प्रोजेक्ट के तहत काम हो रहा है। विधायक कैसे पूछेंगे सवाल, कैसे मिलेगा जवाब? NeVA का इस्तेमाल विधायक सवाल पूछने में कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें टैबलेट या मोबाइल फोन में NeVA ऐप इंस्टॉल करना होगा। इसके बाद यूजरनेम और पासवर्ड डालकर लॉगइन करना होगा। लॉगइन करने के बाद विधायक अपने सवाल या नोटिस ऑनलाइन जमा कर सकते हैं। सवाल जिस मंत्रालय से जुड़ा होगा उसके पास जाएगा। संबंधित मंत्रालय द्वारा जो जवाब दिया जाएगा वह विधायक को मिल जाएगा। सदन में लगाए गए सेंसर वाले माइक विधानसभा में ई-विधान प्रोजेक्ट के तहत नए सेंसर वाले माइक लगाए गए हैं। इससे कार्यवाही अधिक सुचारू और पारदर्शी बनाने में मदद मिलेगी। ये माइक विधायक के बैठने के स्थान के अनुसार चालू या बंद हो जाते हैं। विधायक के माइक का कंट्रोल स्पीकर के हाथ में होता है। विधायक के माइक को ऑन करना है या ऑफ, इसके लिए कंट्रोलर काम करते हैं। जब विधायक के बोलने की बारी आती है तो कंट्रोलर उनकी माइक ऑन करते हैं। विधायक की बात पूरी होते ही माइक ऑफ कर दी जाती है। कोशिश रहती है कि सदन में एक बार में एक सदस्य का माइक ऑन रहे ताकि शोर न हो। लगाए गए 6 बड़े टीवी, नए हेड सेट सदन में 6 बड़े टीवी लगाए गए हैं। वोटिंग के दौरान इनमें रिजल्ट दिखेगा। मतदान के समय सदस्यों की गिनती दिखाई जाएगी। सदन में हाई-स्पीड वाई-फाई की सुविधा दी गई है। विधायक सदन में कही गई बातों को सुनने के लिए हेड सेट इस्तेमाल करते हैं। हंगामे के दौरान इसका महत्व बढ़ जाता है। विधायकों को सुनने के लिए मिले हेड सेट बदले गए हैं। नए हाईटेक हेडसेट लगाए गए हैं। हर सीट पर हेड सेट के साथ डिजिटल डिस्प्ले लगाया गया है। वॉल्यूम कम और ज्यादा करने के लिए सॉफ्ट बटन दिया गया है। डिस्प्ले पर वॉल्यूम डिजिटली दिखाई देता है। रेनोवेट हुआ सदन सदन को रेनोवेट किया गया है। सीट के गद्दों को बदला गया है। नए विदेशी मार्बल लगाए गए हैं। इससे सदन की सुंदरता बढ़ गई है। वेल के हिस्से में कारपेट बदला गया है। विधानसभा परिसर का लुक भी बदला-बदला नजर आ रहा है। कोलकाता से मंगाए गए मैक्सिकन ग्रास विधानसभा परिसर का लॉन सुंदर बनाया गया है। यहां कोलकाता से मंगाकर मैक्सिकन घास लगाई गई है। इसके लिए लॉन की पुरानी मिट्टी हटाई गई और गंगा किनारे से नई मिट्टी लाकर बिछाई गई है। गंगा नदी की मिट्टी बेहद उपजाऊ होती है। यह मैक्सिकन घास के बढ़ने के लिए अच्छी है। घास पर रोज पानी छिड़का जा रहा है। इसपर कदम रखने पर विधायकों को मखमली एहसास मिलेगा। लॉन किनारे गेंदा और गुलदाउदी के पौधे लगाए गए हैं। इम्पोर्टेड स्टोन किनारे को और खुबसुरत बना रहे हैं। बगीचे का रंग रूप भी बदला गया है। 323 टैबलेट और माइक लगाने की है जगह विधानसभा में नई व्यवस्था भविष्य की जरूरत को ध्यान में रखकर बनाई गई है। मौजूदा समय में बिहार में 243 विधायक चुनकर सदन पहुंचते हैं। सदन में 323 टैबलेट और माइक लगाने की जगह दी गई है। इसकी वजह अगले लोकसभा चुनाव से पहले देश में परिसीमन होना है। इसके बाद बिहार में विधानसभा की सीटें 243 से बढ़कर लगभग 323 हो सकती हैं। एनआईसी को मिली जिम्मेदारी विधानसभा सचिवालय ने सदन के काम-काज को हाईटेक करने की जिम्मेदारी एनआईसी को सौंपी है। एनआईसी ने सिस्टम तैयार कर लिया है। इसे फाइनल टच दिया जा रहा है। शपथ ग्रहण से पहले यह काम करने लगेगा। सदन में लगे 248 टैबलेट, 16-17 विधायकों को बगल में झांकना होगा वैसे तो सदन में 248 टैबलेट लगाए गए हैं। सभी विधायक और मंत्री को टैबलेट देना है। स्पीकर, सचिव और टेबल रिपोर्टर के लिए भी टैबलेट लगाए गए हैं, लेकिन विधान परिषद कोटे से बने मंत्रियों के चलते विधायकों के टैबलेट कम पड़ गए हैं। मुख्यमंत्री समेत 6 मंत्री विधान परिषद के सदस्य हैं। दूसरी ओर टैबलेट लगाने में एक और समस्या सामने आई है। कोने के सबसे आगे की लाइन में टैबलेट लगाने की जगह नहीं है। इसके चलते यहां बैठने वाले विधायकों को तत्काल टैबलेट की सुविधा नहीं मिलेगी। इन्हें बगल के सदस्य के टैबलेट का इस्तेमाल करना होगा। कुल मिलाकर 16-17 विधायकों को बगल के साथी के टैबलेट का सहारा लेना होगा। सचिवालय कर्मी बोले- हमारा काम हुआ आसान सदन में काम हो सके इसके लिए विधानसभा सचिवालय के कर्मचारी काफी मेहनत करते हैं। पेपर लेस व्यवस्था होने पर इन्हें भी राहत मिलेगी। नाम नहीं छापने की शर्त पर कुछ कर्मियों ने बताया कि इससे हमारा काम आसान होगा। पुराने वक्त को याद करते हुए एक कर्मचारी ने कहा, ‘हमें 40-50 फीट लंबे पेपर पर लिखना होता था। पेन से लिखते-लिखते उंगलियों पर गड्ढे पड़ जाते थे। इन पेपर की प्रिंटिंग गुलजारबाग स्थित सरकारी प्रेस में होती थी। इसके लिए हमें हार्ड कॉपी लेकर जाना पड़ता था। अब सब कुछ आसान हो गया है। सॉफ्ट कॉपी प्रेस को भेजते हैं। कहीं कुछ गलती मिली तो सुधार कर देते हैं।’ टैबलेट मिलने से विधायक खुश टैबलेट लगाए जाने की सूचना से विधायक भी खुश हैं। बिहारीगंज से चुनाव जीतने वाले निरंजन मेहता को विधानसभा में होने वाली कार्यवाही का 10 साल का अनुभव है। उन्होंने कहा, ‘अभी तक मैं कागज पर लिखकर सवाल पूछता था। इसके लिए स्पीकर के चैंबर के बाहर दो बॉक्स रखे गए थे। एक बॉक्स में तारांकित और दूसरे में अल्पसूचित प्रश्न डालता था। हमें जवाब हार्ड कॉपी के रूप में मिलती थी।’ निरंजन ने कहा, ‘ऑनलाइन प्रश्न पूछने की व्यवस्था पहले भी थी, लेकिन हम लोग इतना इस्तेमाल नहीं करते थे। अब नई व्यवस्था से बड़ी आसानी होगी। हमें कागज लेकर सदन में नहीं जाना होगा। सब काम ऑनलाइन हो गया है।’ 1 दिसंबर से शुरू होगा विधानमंडल सत्र 1 दिसंबर से विधानमंडल का सत्र शुरू होगा। पहले दिन नवनिर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाई जाएगी। 2 दिसंबर को विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव होगा। 3 दिसंबर को दोनों सदनों की बैठक को राज्यपाल संबोधित करेंगे। 4 दिसंबर को राज्यपाल के भाषण पर लाए गए धन्यवाद प्रस्ताव पर सरकार जवाब देगी। 5 सितंबर को द्वितीय अनुपूरक व्यय विवरणी पर चर्चा होगी।
अरुणाचल पर चीन का दावा भाजपा की गलती का नतीजा
चीन ने अपनी विस्तारवादी नीति और हड़पने वाली नीयत का परिचय देते हुए फिर से अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा बताया है
Bigg Boss 18 : चुम दरांग को मिला अरुणाचल प्रदेश के सीएम का सपोर्ट
सलमान खान का पॉपुलर रियलिटी शो 'बिग बॉस 18' अपने अंतिम दौर में पहुंच गया है। हर कोई इस सीजन का विनर बनने के लिए पूरा जोर लगा रहा है। इन दिनों शो में 'टिकट टू फिनाले' टास्क चल रहा है। इस टास्क में विवियन डीसेना और चुम दरंग आमने-सामने खड़े हैं। वहीं ...

