लखीसराय के दो ताइक्वांडो खिलाड़ी, अमीशा पटेल और आदित्य शिवम, का चयन 69वीं एसजीएफआई नेशनल ताइक्वांडो चैम्पियनशिप के लिए हुआ है। दोनों खिलाड़ी अब राष्ट्रीय स्तर पर बिहार का प्रतिनिधित्व करेंगे। लखीसराय ताइक्वांडो सचिव सह कोच बादल गुप्ता ने बताया कि हाल ही में जिला पदाधिकारी मिथिलेश मिश्र की अध्यक्षता में हुई जिला स्तरीय विद्यालय खेल प्रतियोगिता में दोनों खिलाड़ियों ने स्वर्ण पदक जीता था। इसके बाद मुंगेर प्रमंडलीय विद्यालय खेल प्रतियोगिता में भी उन्होंने बेगूसराय, शेखपुरा और जमुई के खिलाड़ियों को हराकर स्वर्ण पदक हासिल किया। अमीशा पटेल (U-14 बालिका वर्ग) ने पटना, सारण और पूर्णिया प्रमंडल की खिलाड़ियों को पराजित कर मुंगेर प्रमंडल के लिए स्वर्ण पदक जीता। वहीं, आदित्य शिवम (U-17 बालक वर्ग) ने पटना और सारण प्रमंडल के खिलाड़ियों को मात देकर स्वर्ण पदक अपने नाम किया। अमीशा पटेल U-14 वर्ग में लुधियाना में होने वाली राष्ट्रीय प्रतियोगिता में हिस्सा लेंगी, जबकि आदित्य शिवम U-17 वर्ग में ईटानगर (अरुणाचल प्रदेश) में आयोजित होने वाले नेशनल में खेलेंगे। इस सफलता पर खिलाड़ियों के अभिभावकों ने गर्व व्यक्त किया। अमीशा पटेल के पिता अशोक कुमार ने कहा, अमीशा पहले भी एसजीएफआई नेशनल में जा चुकी है, और इस बार हमें पूरा विश्वास है कि वह बिहार के लिए स्वर्ण पदक लेकर लौटेगी। आदित्य शिवम के पिता कुमार भारत ने कहा, यह उसका पहला नेशनल गेम है, लेकिन हमें भरोसा है कि वह शानदार प्रदर्शन करेगा। कोच बादल गुप्ता ने बताया कि दोनों खिलाड़ी लखीसराय खेल भवन में नियमित अभ्यास करते हैं और राष्ट्रीय स्तर पर देश के लिए पदक जीतने की तैयारी में जुटे हैं। जिला खेल पदाधिकारी रवि कुमार ने कहा, लखीसराय के खिलाड़ी लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। हमें उम्मीद है कि ये दोनों खिलाड़ी नेशनल चैम्पियनशिप में बिहार का नाम रोशन करेंगे।
फतेहाबाद जिले के टोहाना की मानवी बिश्नोई ने अरुणाचल प्रदेश में आयोजित स्कूल गेम फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसजीएफआई) राष्ट्रीय बॉक्सिंग चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता है। टोहाना स्थित बजरंगबली बॉक्सिंग अकादमी की इस बॉक्सर ने क्षेत्र का नाम रोशन किया है। बजरंगबली बॉक्सिंग क्लब के संचालक विनय वर्मा और बॉक्सिंग कोच महेश कुमार डांगरा ने मानवी की उपलब्धि पर खुशी व्यक्त की। उन्होंने बताया कि मानवी बचपन से ही खेलकूद में रुचि रखती हैं और पिछले तीन साल से कोच महेश कुमार डांगरा के नेतृत्व में बजरंगबली बॉक्सिंग अकादमी में नियमित रूप से सुबह-शाम अभ्यास कर रही है। मानवी बिश्नोई गांव ठरवा की मूल निवासी हैं। उनके पिता संदीप कुमार ठरवा में अपना निजी व्यवसाय करते हैं। इन लोगों ने मानवी को दी बधाई इस अवसर पर टोहाना के कई प्रमुख मुक्केबाजों और मुक्केबाजी प्रशिक्षकों ने मानवी बिश्नोई को बधाई दी। बधाई देने वालों में पूर्व बॉक्सिंग कोच रणधीर सिंह, दुर्गा महाविद्यालय के प्रिंसिपल रणधीर सिंह, बॉक्सिंग प्रभारी जरनैल सिंह, बॉक्सिंग कोच ज्योति वर्मा, रंगा, राहुल और आशीष डांगरा शामिल थे। इसके अतिरिक्त, टोहाना खंड शिक्षा अधिकारी सत्यपाल सिंह, जिला शिक्षा अधिकारी संगीता बिश्नोई, एसएमओ कुणाल वर्मा, चिराग वर्मा, नगर परिषद सचिव मनीष कुमार, डॉ. शिव सचदेवा, रामकुमार भाकर, राम दिया सोनी और अंजू वर्मा सहित कई समाजसेवियों ने भी विजेता को शुभकामनाएं दीं।
एक छोटा-सा बैग जिसमें 10 से 12 बांसुरी। हर गाने की ताल के साथ बांसुरी के सुर भी बदल जाते हैं। आर्टिस्ट बैग से बांसुरी निकालकर धीमी आवाज में बजाता है। सुर सटीक नहीं बैठा तो दूसरी बजाकर देखते हैं। ये दृश्य हर गाना बदलते वक्त नजर आता है। जैसे ही बांसुरी के साथ ऑर्गन की धुन सेट हुई तो दोनों कलाकारों ने ‘मैं तेनु समझावां की, ना तेरे बिना लगदा जी, तू की जाने प्यार मेरा...’ गाकर माहौल में रोशनी भर दी। बांसुरी पर रोमी कुमार और ऑर्गन पर मंगलेश ने जुगलबंदी करते हुए ‘दो दिल मिल रहे हैं मगर चुपके चुपके... पंजाबी और हिंदी तराने पेश किए। मौका था जेकेके में आयोजित 3 दिवसीय प्रोग्राम ‘म्यूजिकल सिम्फनी’ के अंतिम दिन का। पंजाब के वोकल आर्टिस्ट रोमी कुमार (बांसुरी) और मंगलेश (कीबोर्ड व ढोलक) की प्रस्तुति से शुरुआत हुई। रोमी ने सिटी रिपोर्टर से कहा- मुझे 9 साल की उम्र में माइग्रेन हुआ था, जिसमें मेरी आंखों की रोशनी चली गई। वहीं मंगलेश ने कहा- जब मैं डेढ़-दो साल का था, तब मेरी दृष्टि चली गई। लेकिन मैं इसे बाइ बर्थ ही मानता हूं। हमारा तीन दोस्तों का ग्रुप है। हमारी पढ़ाई हॉस्टल में हुई है, जहां म्यूजिक क्लास लेना जरूरी होता है। हम हमेशा पॉजिटिव रहते हैं। मैं अक्सर घर से अकेला ही रोड पर निकल जाता हूं। लोग कहते हैं ‘भाई अकेले क्यों निकलते हो, साथ में किसी को लेकर आया करो’। तब मेरा जवाब होता है- मैं घर से निकलूंगा तभी तो मुझे कोई लेने आएगा। पहला कदम हमें खुद को उठाना पड़ेगा। अरुणाचल प्रदेश से आए 4 दोस्तों के ग्रुप ने लेट नाइट मेलोडी बैंड परफॉर्मेंस दी। ग्रुप के मुख्य कलाकार तलौम पहले एक स्टिक के सहारे स्टेज को नापते हैं। स्टेज कितना बड़ा है? स्पीकर और माइक कहां-कहां हैं? कितने कदम चलने पर सीढ़ियों से नीचे उतरेंगे। हालांकि इस बीच एक बार स्पीकर और एक बार मंच से भी टकरा जाते हैं। जैसे ही आजू-बाजू खड़े लोग उठाने लगते हैं तो हंसकर कहते हैं- ‘गिरूंगा तभी तो आप लोग उठाएंगे’। इसके बाद सभी कलाकार अपनी-अपनी पोजिशन लेते हैं। किसी के हाथ में गिटार और माइक है, तो कोई कीबोर्ड और क्लैपबॉक्स पर अपनी पोजिशन ले लेता है। अरुणाचल प्रदेश के आर्टिस्टों ने जब अपने लोकल गीतों के साथ हिंदी और राजस्थानी गीत ‘चौदहवीं का चांद...’ गाया तो हर कोई दंग रह गया। भास्कर ने जब तलौम से इस गाने का रहस्य जाना तो कहा- मुझे दिखता नहीं है, लेकिन 9 भाषाओं में गीत गा लेता हूं। musical symphony जेकेके में हुए इवेंट में पंजाब, गुजरात, अरुणाचल प्रदेश के 10 दृष्टिबाधित कलाकारों ने दी प्रस्तुति
जवाहर कला केंद्र, जयपुर की ओर से आयोजित तीन दिवसीय ‘म्यूजिकल सिम्फनी’ कार्यक्रम के अंतिम दिन की प्रस्तुति अद्भुत रही। जिसके जरिए कलाकारों ने संगीत के सौंदर्य से कलाप्रेमियों को सराबोर करते हुए सभी को नई ऊर्जा और सकारात्मकता से भर दिया। मंच उन कलाकारों के नाम रहा जो भावनाओं के साथ दुनिया को देखते हैं और नकारात्मकता के अंधेरे की उनके जीवन की कोई जगह नहीं है। दरअसल, रंगायन के मंच पर पंजाब, गुजरात और अरुणाचल प्रदेश से आए दृष्टिबाधित 10 कलाकारों के तीन बैंड्स की परफॉरमेंस हुई। हारमोनी नामक इस परफॉरमेंस ने सभी को भावविभोर कर दिया। संगीत और संवेदना के संगम से सजी इस शाम में कलाकारों ने संगीत के माध्यम से एकता, उत्साह और आत्मविश्वास का सुंदर संदेश दिया। ‘आज मौसम बड़ा बेईमान है’ गीत ने माहौल को किया जीवंत गुजरात से आए कलाकारों ने कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए लता मंगेशकर के लीजेंड्री गीतों को अपनी प्रस्तुति में शामिल किया। अंकिता चौहान और राजेश ठाकुर ने ‘नैनों में बदरा छाए’ गीत से मिठास घोली। इसके बाद ‘आज मौसम बड़ा बेईमान है’ गीत ने माहौल को जीवंत कर दिया। इसके बाद भक्तिमय माहौल बनाते हुए उन्होंने ‘राम आएंगे तो अंगना सजाएंगे’ भजन की प्रस्तुति दी गई। राजस्थानी गीतों का सुरीला मैशअप किया प्रस्तुत वहीं, राजस्थानी गीतों का सुरीला मैशअप पेश कर कलाकारों ने राजस्थानी संस्कृति के रंग में सभी को रंग दिया। इस प्रस्तुति में संजय जाधव ने तबले पर और सुजीत परमार ने ऑक्टोपैड पर संगत की। चंडीगढ़ से आए कलाकारों ने दर्शकों को किया मंत्रमुग्ध इसके बाद कार्यक्रम का रुख पंजाब की ओर हुआ और चंडीगढ़ से आए कलाकारों ने ‘मैं तैनूं समझावां की’ गीत से शुरुआत की। कलाकार मंगलेश कुमार ने अपनी बहुमुखी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए वोकल के साथ की-बोर्ड और ढोलक पर संगत की, उनके इस कौशल ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया और सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। मधुर बांसुरी वादन से श्रोताओं का मन मोह लिया रोमी कुमार ने गायन के साथ मधुर बांसुरी वादन से श्रोताओं का मन मोह लिया। इसके बाद 'दो दिल मिल रहे हैं' और ‘लंबी जुदाई’ जैसे गीतों की प्रस्तुति दी और ‘माहियां वे’, ‘अंबर तो आई हुई हूर सोनिये’ , ‘की बनूं दुनिया दां, सच्चे बादशाह’ और ‘छल्ला’ जैसे पंजाबी लोकगीतों से उन्होंने शाम में विविध संस्कृति के रंग भर दिए। नॉर्थ-ईस्ट से आए लेट नाइट मेलोडीज बैंड द्वारा दी अंतिम प्रस्तुति कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति नॉर्थ-ईस्ट से आए लेट नाइट मेलोडीज बैंड द्वारा दी गई। अरुणाचल प्रदेश के कलाकार न्योन्योक तलोम ने ‘जा जिन जा’ लोकगीत से शुरुआत करते हुए माहौल में पूर्वोत्तर की लोकधुनों की मिठास घोल दी। इसके बाद उन्होंने राजस्थान की झलक पेश करते हुए लोकप्रिय गीत ‘चौधरी’ गाया, जिसे दर्शकों ने खूब सराहा। ‘रूप तेरा मस्ताना’, ‘प्यार तेरा दीवाना’ जैसे सदाबहार गीतों से शाम हुई रंगीन साथ ही उन्होंने ‘रूप तेरा मस्ताना’, ‘प्यार तेरा दीवाना’ जैसे सदाबहार गीतों से शाम को रूमानी रंग दिया। इन बेमिसाल कलाकारों ने असम के प्रसिद्ध गायक जुबीन गर्ग को ट्रिब्यूट देते हुए ‘जाने क्या चाहे मन’, ‘फिर दिल क्या करे’ और ‘जरा सी दिल में दे जगह’ जैसे गीतों से शाम को यादगार बना दिया। कुनाल देव ने रैपिंग, क्लैप बॉक्स पर विक्रम धमाई, की-बोर्ड पर प्रीतम ने संगत की।
हिसार जिले के नारनौंद क्षेत्र के गांव खांडा खेड़ी निवासी हवलदार पवन सिंधु अरुणाचल प्रदेश में देश की सेवा करते हुए शहीद हो गए। वे पेट्रोलिंग के दौरान पहाड़ी से गिरने के कारण वीरगति को प्राप्त हुए। गांव खांडा खेड़ी में सुबह से ही लोगों की भीड़ जमा हो रही है। शहीद का अंतिम संस्कार आज (रविवार) शाम करीब 4:30 बजे उनके पैतृक गांव खांडा खेड़ी में पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। इस दौरान सेना, पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहेंगे। राजपूताना राइफल में तैनात थे हवलदार पवन सिंधु 13 राजपूताना राइफल में तैनात थे और इन दिनों अरुणाचल प्रदेश में चीन सीमा के पास बड़ा रूपक क्षेत्र में ड्यूटी पर थे। उनकी यूनिट को 13 दिन की ऊंची पहाड़ी पेट्रोलिंग पर भेजा गया था। शुक्रवार को पेट्रोलिंग के अंतिम दिन पहाड़ी किनारे खड़े होने के दौरान उनका पैर फिसल गया, जिससे वे गहरी खाई में जा गिरे। साथी जवानों ने काफी मशक्कत के बाद उन्हें खाई से बाहर निकाला। हालांकि, सिर पर गंभीर चोट लगने के कारण उन्होंने मौके पर ही दम तोड़ दिया। सेना अधिकारियों के अनुसार, शनिवार को हवलदार सिंधु का पोस्टमार्टम सैन्य अस्पताल में किया गया। उनका पार्थिव शरीर रविवार दोपहर करीब साढ़े 12 बजे दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचेगा, जहां सेना और प्रशासनिक अधिकारी उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। 2003 में सेना में भर्ती हुए पवन शहीद पवन सिंधु वर्ष 2003 में भारतीय सेना में भर्ती हुए थे। वर्ष 2006 में उनका विवाह झमोला निवासी रीतू से हुआ था। उनके दो बेटे हैं, 17 वर्षीय सौम्य और 16 वर्षीय विनय, जो जुलाना के एक निजी स्कूल में 11वीं कक्षा में पढ़ रहे हैं। गांव के लोगों का कहना है कि पवन सिंधु की वीरता और देश के प्रति समर्पण आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेंगे। 2003 में भर्ती हुए थे सेना में शहीद पवन सिंधु ने वर्ष 2003 में भारतीय सेना में भर्ती होकर देश सेवा का सफर शुरू किया था। 2006 में उनकी शादी झमोला निवासी रीतू से हुई थी। उनके दो बेटे 17 वर्षीय सौम्य और 16 वर्षीय विनय हैं। जो जुलाना के एक निजी स्कूल में 11वीं कक्षा में पढ़ाई कर रहे हैं। गांव के लोगों का कहना है कि पवन सिंधु की वीरता और समर्पण आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेंगे।
हरियाणा में हिसार के रहने वाले पवन सिंधु अरुणाचल प्रदेश में शहीद हो गए। पेट्रोलिंग के दौरान वह पहाड़ी से गिर गए थे। उन्हें इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया, यहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। कल पवन सिंधु का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव खांडा खेड़ी आएगा। यहां राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। शहीद पवन सिंधु 13 राजपूताना राइफल में तैनात थे। उनकी अरुणाचल प्रदेश में चीन बॉर्डर के पास बड़ा रूपक क्षेत्र में ड्यूटी थी। पूर्व मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने उनकी शहादत पर शोक व्यक्त किया है। 13 दिन से ऊंची पहाड़ी पर पेट्रोलिंग पर थेपवन सिंधु की यूनिट को 13 दिनों की पेट्रोलिंग के लिए ऊंची पहाड़ी पर भेजा गया था। शुक्रवार (31 अक्टूबर) को पेट्रोलिंग के आखिरी दिन वह पहाड़ी के किनारे खड़े थे, तभी अचानक पैर फिसलने से नीचे जा गिरे। साथी जवानों ने काफी मशक्कत के बाद उन्हें ऊपर निकाला। इसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया। सिर पर गंभीर चोट लगने के कारण उन्होंने दम तोड़ दिया। शाम 4 बजे होगा अंतिम संस्कारशनिवार को उनका पोस्टमॉर्टम कराया गया। रविवार दोपहर को उनका पार्थिव शरीर दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचेगा। इसके बाद सेना की टीम पार्थिव शरीर को गांव खांडा खेड़ी लेकर आएगी। शाम 4 बजे उनका राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा। 2006 में सेना में भर्ती हुए, 2 बेटों के पितापवन सिंधु 2003 में भारतीय सेना में भर्ती हुए थे। 2006 में उनकी शादी झमोला गांव निवासी रितु के साथ हुई थी। उनके 2 बेटे सौम्य (17) और विनय (16) हैं, जो जुलाना के एक प्राइवेट स्कूल में 11वीं कक्षा के छात्र हैं।

