ACL Tear: क्या है एसीएल इंजरी? लक्षण, कारण और बचाव के उपायों को अच्छे से समझ लें
एसीएल यानी एंटीरियर क्रूसीएट लिगामेंट घुटने की हड्डियों को जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण लिगामेंट होता है. जब यह लिगामेंट टूट जाता है तो इसे एसीएल इंजरी कहते हैं.
100 की स्पीड से फर्टिलिटी बढ़ाते हैं ये 5 फूड्स, पुरुषों के लिए बहुत कारगर
Foods For Male Infertility: बांझपन की शिकायत सिर्फ महिलाओं में ही नहीं बल्कि पुरुषों में भी होती है. इसे नेचुरल से दूर करने में ये 5 फूड्स बहुत मददगार साबित हो सकते हैं.
दिनभर छाया रहता है आंखों में नींद का सुरूर, ये 5 गंभीर परेशानी हो सकती हैं वजह, ना करें नजरअंदाज
Reason Excessive sleepiness: कितना भी सो लो लेकिन नींद नहीं पूरी हो रही है, तो यह लेख आपके लिए बहुत जरूरी है. इसकी मदद से आप दिनभर रहने वाली थकान के पीछे की वजह जान सकते हैं.
Causes Of High Triglycerides: एलडीएल कोलेस्ट्रॉल की तरह ट्राइग्लिसराइड्स भी दिल की सेहत के लिए एक बड़ा खतरा हैं. इनको नियंत्रण में रखना बहुत जरूरी है. स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर दिल के दौरे और स्ट्रोक के खतरे को कम कर सकते हैं.
दो साल तक खांसी ने किया परेशान, जांच करवाई को पैरों तले खिसक गई जमीन! जानें क्यों?
चीन के झेजियांग प्रांत के रहने वाले 54 साल के एक व्यक्ति को पिछले दो साल से लगातार खांसी की समस्या थी. इतनी लंबी और तेज खांसी के चलते वह कैंसर होने के डर से परेशान थे.
आपके जीवन को 25% तक बढ़ा सकती है एक नई दवा, वैज्ञानिकों ने ढूंढ निकाला उम्र बढ़ाने का फॉर्मूला!
क्या आप हमेशा जवां और हेल्दी रहना चाहते हैं? क्या आप अपनी उम्र को 25% तक बढ़ाना चाहते हैं? अगर हां, तो यह खबर आपके लिए है.
हार्ट अटैक का खतरा बढ़ाती हैं ये चीजें, इनका परहेज करना जरूरी
दिल हमारे शरीर का सबसे जरूरी हिस्सा है, जो आजकल की खराब लाइफस्टाइल से सबसे ज्यादा प्रभावित होता है. कुछ और भी कारण हैं जो हार्ट अटैक जैसी गंभीर समस्या का खतरा बढ़ाते हैं. आइए जानते हैं इस लेख के माध्यम से.
थकान और कमजोरी के साथ शरीर दे रही ये संकेत, विटामिन बी12 की कमी के हो सकते हैं लक्षण
Vitamin B12 Deficiency: शरीर में दिनभर थकान और कमजोरी से लेकर सांस लेने में तकलीफ होना विटामिन बी12 की कमी के संकेत हो सकते हैं. इसके साथ और भी लक्षण हैं जिन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.
सेब का सिरका पीने से होते हैं ये चमत्कारी फायदे, आज से पीना कर दें शुरू
आजकल लोग स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए तरह-तरह के उपाय अपना रहे हैं. इनमें से एक है प्राकृतिक उपचारों का इस्तेमाल. ऐसी ही एक चीज है सेब का सिरका, जिसे अक्सर सिर्फ खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि सेब का सिरका आपके स्वास्थ्य के लिए भी बेहद फायदेमंद हो सकता है? इसमें मौजूद एसिटिक एसिड और अन्य पोषक तत्व आपके शरीर को कई बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं. आइए जानते हैं सेब के सिरके के कुछ अद्भुत फायदों के बारे में.
एक मां, जुड़वां बच्चे और 2 पिता, 'बैड न्यूज़' मूवी वाला केस कैसे मुमकिन है? गायनेकोलॉजिस्ट से समझें
Bad Newz Movie: 'बैड न्यूज़' मूवी देखकर आप भी सोच में पड़ गए होंगे कि एक औरत, दो अलग-अलग मर्द से एक ही वक्त में कैसे प्रेग्नेंट हो सकती है. इसके लिए आपको 'हेटरोपैटरनल सुपरफेकंडेशन' के बारे में जानना होगा.
Sore Throat Home Remedies: गले में दर्द की समस्या से ऐसे पाएं राहत, अपनाएं ये 5 घरेलू उपाय
Sore Throat Home Remedies: गले का दर्द, जिसे Sore Throat भी कहा जाता है, एक बहुत ही आम समस्या है जो हर किसी को कभी न कभी होती है। यह कई कारणों से हो सकता है, जैसे सर्दी-जुकाम, वायरल संक्रमण, बैक्टीरियल संक्रमण, एलर्जी, धूम्रपान या गले में जलन। गले ...
Gastritis: हद से ज्यादा भोजन करने से पेट में हो गई गैस? इन चीजों की मदद से दूर करें पेट की परेशानी
Gastritis Problem Home Remedies: गैस की समस्या काफी लोगों को परेशान करती हैं, अगर आप भी कभी इस तरह की समस्या का सामना करें तो बचने के लिए कुछ खास चीजों का सेवन कर सकते हैं.
Kidney Failure: इन बुरी आदतों की वजह से किडनी हो सकती है फेल, आज ही इन पर लगा दें फुल स्टॉप
Kidney Disease: किडनी अगर सही तरीके से काम करती रहेगी तो बॉडी के ज्यादातर फंक्शन में प्रॉब्लम नहीं आएगी, लेकिन हमारी खुद की कई ऐसी आदतें हैं जिनकी वजह से इस अहम अंग को नुकसान पहुंचता है.
रात में पैरों में दर्द और सुन्नपन? हो सकता है दिल का बड़ा खतरा, जानें कोलेस्ट्रॉल ब्लॉकेज के 7 संकेत
रात में नींद के दौरान पैरों में दर्द या सुन्नपन का अनुभव होना कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने और धमनियों में रुकावट का संकेत हो सकता है, जो दिल के दौरे जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है.
कौन सी कैंसर दवाएं होंगी सस्ती? जानिए किस तरह के Cancer में होता है इनका इस्तेमाल
बजट 2024 में कैंसर मरीजों को बड़ी राहत देते हुए तीन महत्वपूर्ण कैंसर दवाओं पर सीमा शुल्क माफ करने का निर्णय लिया है. सरकार का यह फैसला कैंसर से जूझ रहे लाखों मरीजों के लिए एक बड़ी राहत की खबर है.
केले में दिमाग को तेज करने के साथ होते हैं ये महत्वपूर्ण गुण, आज ही डाइट में करें शामिल
कहा जाता है एक केला रोज, डॉक्टर को दूर भगाए - वैसे तो ये कहावत सेब के लिए है, लेकिन केले के मामले में भी कुछ ऐसा ही है. केला पौष्टिक तत्वों से भरपूर होता है और कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है. आइए जानें विज्ञान के नजरिए से केला किस तरह से हमें जवां बनाए रखने में मदद करता है और इसके अन्य फायदे क्या हैं.
ये 5 चीजें नींद की पक्की दुश्मन, घंटों नहीं सो पा रहे लोग, तरक्की कर रहा Sleep Market
Causes Of insomnia: अनिद्रा की समस्या से आज के समय में आधे से ज्यादा लोग परेशान है. और इसका फायदा उठा रहे हैं बड़े- बड़े बिजनेसमैन जो आपको दो मिनट में सुलाने की गारंटी बेचकर लाखों छाप रहे हैं
सावन में खा रहे नॉनवेज फूड्स? गले पड़ सकती हैं ये हेल्थ प्रॉब्लम
Non Veg Foods Side Effects:मानसून में स्वस्थ रहने के लिए संतुलित आहार का विशेष ध्यान रखना जरूरी है. हल्का, पौष्टिक और आसानी से पचने वाला भोजन इस मौसम के लिए उपयुक्त होता है.
PCOS के लक्षण नहीं बनने देंगे मां, स्त्री रोग विशेषज्ञ ने बताया बांझपन से बचने का तरीका
Pregnancy With PCOS: पीसीओएस में प्रेग्नेंसी की संभावना कम हो जाती है. इसे यदि समय पर मैनेज ना किया जाए तो कंसीव करने का एकमात्र तरीका आईवीएफ ही रह जाता है, जो कि काफी महंगा है.
डेंगू के घरेलू उपचार: क्या यह पर्याप्त है या अस्पताल जाना चाहिए?
डेंगू होने पर अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं होती लेकिन अगर आपको कुछ गंभीर लक्षण दिखाई दें तो आपको अस्पताल में तुरंत दिखाना चाहिए. आइए जानते हैं उन लक्षणों के बारे में.
मानसूनी बुखार और डेंगू में क्या होता अंतर? जानें लक्षण और बचाव
Dengue VS Monsoon Fever: बारिश का मौसम आते ही कई तरह की बीमारियां भी साथ आ जाती हैं। इनमें से दो सबसे आम बीमारियां हैं मानसूनी बुखार और डेंगू। दोनों ही बीमारियां बुखार, सिरदर्द और शरीर में दर्द जैसे लक्षणों से शुरू होती हैं, जिससे लोगों को इनके बीच ...
औरतों के लिए कितना खतरनाक है वेजाइनल कैंसर? सर्वाइकल और योनि कैंसर में अंतर, जानें लक्षण और बचाव
What is Vaginal Cancer: हाल में ही कृष्ण कुमार की बेटी तिशा कुमार ने कैंसर से जंग हार दी. सिर्फ 21 साल की उम्र में वह इस दुनिया को अलविदा कह गईं. वहीं, दूसरी ओर हिना खान भी ब्रेस्ट कैंसर से जूझ रही हैं. कैंसर जैसी बीमारी का नाम सुनकर ही इंसान टूट जाता है. चलिए आज आपको वजाइनल कैंसर के बारे में बताते हैं. वेजाइनल कैंसर कैसे सर्वाइकल कैंसर से अलग है और क्या लक्षण होते हैं.
Coconut Water: इन बीमारियों का तोड़ है नारियल का पानी, बस पिएं और अच्छी सेहत की तरफ बढ़ाएं कदम
Coconut Water Benefits: नारियल पानी को हमें अपनी रोजाना की आदत में शुमार कर लेना चाहिए, ये न सिर्फ हमारी प्यास बुझाता है, बल्कि कई बीमारियों से भी रक्षा कर सकता है.
आर्थराइटिस में ना खाएं ये 5 सब्जी, जोड़ों में दर्द से उठना-बैठना हो जाएगा मुश्किल
Worst Foods For Arthritis: आर्थराइटिस के दर्द से यदि आप दिन रात परेशान नहीं रहना चाहते हैं तो डाइट में इन 5 सब्जियों को शामिल करने की भूल ना करें.
Foods Avoid Before Physical Exercise: शरीर और मन को स्वस्थ रखने के लिए व्यायाम जरूरी है. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि व्यायाम से पहले कुछ खाद्य पदार्थ खाने से एलर्जी हो सकती है? यहां आप ऐसे कुछ फूड्स के बारे में जान सकते हैं, जिसको खाने के बाद एक्सरसाइज करना हालत खराब कर सकता है.
एक्स-रे से लेकर कैंसर की दवाओं में छूट तक, जानिए 89 हजार करोड़ के हेल्थ बजट में क्या-क्या है
Budget 2024 For Health: यूनियन बजट 2024 में भारत सरकार हेल्थकेयर सेक्टर को लेकर गंभीर नजर आई. इसमें स्वास्थ्य सेवाओं के विकास से लेकर कई तरह छूट का प्रावधान है.
Yoga For Stress: सोने से पहले करें 5 योगासन, दिनभर का तनाव होगा दूर, आएगी अच्छी नींद
क्या आप रात को सोने के लिए घंटों तक उलटते और पलटते रहते हैं? क्या दिन भर का तनाव आपको नींद नहीं लेने देता? अगर हां, तो योग आपके लिए रामबाण हो सकता है.
आजकल की बिजी लाइफस्टाइल और बदलती खानपान की आदतों ने मोटापे को एक गंभीर समस्या बना दिया है. जंक फूड, प्रोसेस्ड फूड और शुगर ड्रिंक का ज्यादा सेवन लोगों को धीरे-धीरे जहर दे रहा है.
Anemia: खून की कमी के कारण शरीर हो रहा कमजोर? तो चीनी की जगह इस मीठी चीज का करें सेवन
Jaggery For Anemia: हमने अक्सर देखा होगा कि घर के बुजुर्ग रात में खाने के बाद चीनी की जगह गुड़ खाने की सलाह देते हैं, आखिर इसके पीछे की वजह क्या है.
Late sleeping Side effects: सिर्फ सोना ही काफी नहीं है. सेहतमंद रहने के लिए समय पर सोना और पर्याप्त नींद पूरी करना भी जरूरी है. ऐसा नहीं करने का असर आपके मेंटल हेल्थ पर बहुत गंभीर हो सकता है.
Is Epilepsy A Serious Disease: मिर्गी एक गंभीर ब्रेन डिजीज है. इससे समय से पहले मौत का जोखिम दूसरों के मुकाबले काफी ज्यादा होता है. ऐसे में इसके लक्षणों और उपचार को जानना बहुत जरूर है.
किसी इंसान को एक बार डायबिटीज हो जाए तो वो आर्टिफिशियल स्वीटरनर्स का सहारा लेने लगते हैं, लेकिन इसको लेकर चिंताओं को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.
केरल में निपाह वायरस ने ली 14 साल के लड़के की जान, जानिए क्या हैं इस बीमारी के लक्षण
निपाह वायरस केरल में एक बार फिर पैर पसार रहा है, ऐसे में राज्य और केंद्र की सरकार जरूरी कदम उठा रही है. क्या आपको इस वायरस का इतिहास और लक्षण पता हैं?
Side Effects Of Vitamin B12 Deficiency:विटामिन बी12 हमारे शरीर के लिए एक आवश्यक पोषक तत्व है. इसकी कमी को नजरअंदाज करना जान के लिए भी खतरनाक हो सकता है.
What Is Popcorn Brain: मानसिक स्वास्थ्य आज के समय में एक गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है. ऐसे में यदि आप हर समय फोन चेक करते रहते हैं तो यह लेख आपके लिए बहुत मददगार साबित हो सकता है.
Best Time To Eat Sugar: सुबह या शाम, मीठी चीजें खाने का कब है सबसे अच्छा समय?
हम सभी को मीठा खाना पसंद होता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि मीठा खाने का भी एक सही समय होता है? जी हां, अगर आप गलत समय पर मीठा खाते हैं तो यह आपकी सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है.
रात के डरावने सपने देते हैं गंभीर बीमारी की चेतावनी, रिसर्च में हुआ बड़ा खुलासा
रात में अचानक डरते हुए उठना, पसीने से तर होना और दिल की धड़कन तेज होना - ये डरावने सपनों के कुछ आम लक्षण हैं. अक्सर हम इन्हें अनदेखा कर देते हैं.
Weight Loss: 1 महीने में कैसे कम करें 5 kg वजन? AI ने दिया मजेदार जवाब
वजन कम करना एक ऐसी चुनौती है जिसका सामना कई लोग करते हैं. कुछ लोग जल्दी से वजन कम करना चाहते हैं, जबकि कुछ लोग धीरे-धीरे और स्थायी रूप से वजन कम करना चाहते हैं.
Silent Sign Of Cancer: कैंसर होने का मतलब मौत नहीं है. यदि आप इसके संकेतों को शुरुआती स्टेज पर पहचान लें तो इसे आसानी से ठीक किया जा सकता है.
How To Control Blood Sugar: डायबिटीज मरीज के लिए ब्लड शुगर का बढ़ना खतरे की घंटी के समान है. बेहतर जीवन के लिए शुगर को कंट्रोल रखना बहुत जरूरी होता है. इसमें किचन में रखें ये 5 मसाले बहुत फायदेमंद साबित हो सकते हैं.
Exercise Snacking: एक बार के बजाय दिन में कई बार करें थोड़ी-थोड़ी कसरत, मिलेंगे ज्यादा फायदे
एक्सरसाइज स्नैकिंग का मतलब है दिनभर में कई बार थोड़ी-थोड़ी देर के लिए व्यायाम करना. यह ठीक वैसे ही है, जैसे दिन में एक साथ ज्यादा भोजन न कर पाने वाले थोड़ा-थोड़ा कुछ न कुछ खाते रहते हैं.
Breast Cancer की दवा से दिमाग को मिलेगा सुरक्षा कवच, कम हो जाएगा Dementia का खतरा
एक ताजा अध्ययन के अनुसार,एचएमटी का इस्तेमाल करने वाली महिलाओं में अल्जाइमर और संबंधित डिमेंशिया का खतरा कम होता है, लेकिन यह प्रभाव उम्र के साथ कम होता जाता है.
आसमान से बिजली गिरने से पहले शरीर देता है संकेत, भूलकर भी न करें ये 9 गलतियां; हो जाएगी मौत!
Lightning Strike:क्या आप जानते हैं कि बिजली गिरने से पहले हमारा शरीर हमें कुछ संकेत देता है? अगर आप इन संकेतों को पहचान लें और कुछ सावधानियां बरतें, तो आप इस खतरे से बच सकते हैं.
रोजाना मात्र खाएं एक आंवला, सिर से पैर तक मिलेंगे फायदे, जानें खाने का सही तरीका
Benefits Of Amla: आंवला रोजाना खाने से हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को कई तरह के फायदे हो सकते हैं. इसे अपने दैनिक आहार में शामिल करके हम अपने स्वास्थ्य को सुधार सकते हैं और बीमारियों से बच सकते हैं.
How To Get Good Sleep: आज के समय में ज्यादातर लोग नींद ना आने की समस्या से परेशान है. ऐसे में यदि आप भी अच्छी नींद के लिए उपायों को तलाश रहे हैं, तो यह लेख आपके लिए मददगार साबित हो सकती है.
1 दिन में कितना पीना चाहिए नींबू पानी, जानिए क्या है सही मात्रा
Lemon Water: कई लोग नींबू पानी ड्रिंक के रूप में लेना पसंद करते हैं। नींबू पानी स्वास्थ्य के लिहाज से काफी ज्यादा हेल्दी होता है। इसके सेवन से आपके शरीर को भरपूर रूप से विटामिन सी प्राप्त होता है। साथ ही यह इंस्टेंट थकान भी दूर कर सकता है।
HFM Disease: चांदीपुरा वायरस के बीच बच्चों में फैल रही HFMD बीमारी, इस बारे में जानना है जरूरी
HFMD Disease: चांदीपुरा वायरस के कारण गुजरात में मरने वाले बच्चों की संख्या बढ़कर आठ हो गई है. इस बीच दिल्ली में छोटे बच्चों को हाथ, पैर और मुंह की बीमारी अपनी चपेट में तेजी से ले रही है.
स्वच्छ हवा के लिए ईंट भट्ठे बंद होने से खतरे में रोजगार
उत्सर्जन मानकों को पूरा करने के लिए नई दिल्ली के आसपास ईंट भट्ठों के बंद होने की वजह से मजदूर नए काम की तलाश में अपने गांव वापस लौट आए हैं। उन्हें योजनाओं का लाभी भी नहीं मिल पा रहा।
अगर चाहते हैं हरदम निखरी त्वचा तो नियमित करें इन फलों का सेवन
अगर आप भी चेहरे पर होने वाले पिंपल्स और दाग धब्बों से परेशान हो चुके हैं, तो यह खबर आपके लिए है। दरअसल अच्छी त्वचा के लिए संतुलित भोजन की आवश्यकता होती है और भोजन में फलों का शामिल होना बहुत जरूरी है। रोजाना कुछ फलों का सेवन करने से त्वचा संबंधित ...
ऑफिस में बैठे बैठे बीमारियों से बचना है? अपनाएं ये लाइफस्टाइल!
Healthy Lifestyle Corporate Employees: आज के समय में, ऑफिस में बैठे-बैठे काम करना आम बात हो गई है। लेकिन ये लगातार बैठे रहना कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। तो, अगर आप भी ऑफिस में बैठकर काम करते हैं, तो अपनी लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव करके ...
क्या बारिश का पानी पी सकते हैं? जानें कैसे कर सकते हैं बरसात के पानी का इस्तेमाल
Can You Drink Rain Water: बारिश का पानी, प्रकृति का एक अनमोल तोहफा। लेकिन क्या यह पानी पीने लायक होता है? क्या हम इसे सिर्फ इस्तेमाल के लिए ही रख सकते हैं? आइए जानते हैं बारिश के पानी के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें...
काला नमक, अजवाइन और हींग से बनाएं ये मसाला, पेट की हर समस्या हो जाएगी दूर
Constipation Home Remedies: कब्ज एक आम समस्या है जो कई लोगों को परेशान करती है। खानपान में बदलाव, तनाव, और जीवनशैली में बदलाव इसके मुख्य कारण हैं। लेकिन चिंता न करें, देसी नुस्खों में कब्ज का समाधान छिपा है। अजवाइन, काला नमक और हींग का मिश्रण एक ऐसा ...
बालों को हेल्दी रखने के लिए खाएं चिया सीड्स, मिलते हैं ये फायदे
बालों को हेल्दी रखने के लिए बालों की देखभाल के साथ सही पोषण भी जरूरी है। हेल्दी डाइट लेने से बालों को पोषण मिलाता है। चिया सीड्स को भी बालों के लिए फायदेमंद माना जाता है। इसमें मौजूद पोषक तत्व बालों की कई समस्याओं में राहत देते हैं। अगर डेली डाइट ...
इस ग्रीन डिटॉक्स ड्रिंक को अपने आहार में करें शामिल, नहीं होंगी त्वचा और बालों की समस्याएं
बढ़ते प्रदूषण, खराब लाइफस्टाइल, अनहेल्दी फूड्स और शारीरिक गतिविधियों में कमी के कारण चेहरे पर एक्ने, पिग्मेंटेशन और समय से पहले बुढ़ापे के लक्षण नजर आने लगते है। इन सबका असर हमारे बालों पर भी नज़र आता है और हमें बालों के झड़ने और टूटने की समस्या का ...
मानसूनी बुखार और डेंगू में कैसे करें अंतर, जानिए क्या है इनके लक्षणों में फर्क
बरसात का मौसम कई तरह की बीमारियों को साथ लाता है। इन दिनों सबसे ज्यादा खतरा मच्छरों से होने वाली बीमारियों का होता है। बरसात का मौसम मच्छरों के प्रजनन के लिए सबसे अनुकूल होता है और इस मौसम में डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया जैसी बीमारियों का खतरा काफी ...
बारिश के मौसम में बीमारियों की जड़ हैं ये 3 वजहें, जानें कैसे करें बचाव
Monsoon Diseases: मानसून का मौसम आते ही हर तरफ हरी-भरी हरियाली और ठंडी हवाओं का आनंद छा जाता है। लेकिन इस खुशी के साथ-साथ कुछ बीमारियां भी अपना दस्तक देती हैं।
क्या बारिश में मौसम में दही खाना सेहत के लिए सही है?
गर्मी से परेशान लोगों के लिए बारिश राहत लेकर आती है, लेकिन इस मौसम में बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। बरसात में स्वस्थ रहने के लिए खान-पान का विशेष ध्यान रखना जरूरी है। गर्मी और बारिश के मौसम में लोग दही (Curd) खाना खूब पसंद करते हैं। खाने में दही न ...
मैंगोस्टीन कैफ़े और सोशल रिक्शा ने की इंदौर के पहले ब्रन्च क्लब की शुरुआत
मैंगोस्टीन कैफ़े और सोशल रिक्शा ने शहर के पहले ब्रन्च क्लब की शुरुआत की। यह क्लब लगभग एक जैसे व्यक्तियों के मिलने जुलने, गपशप करने, आइडियास शेयर करने का ईवेंट है। ब्रन्च क्लब के पहले अंक में शहर की कुछ खास वुमन एंत्रेप्रिन्योर ने कुछ खास खाने पीने ...
Mixed Fruit Juice पीना चाहिए या नहीं? जानें इसके 4 फायदे और नुकसान
Mix Fruit Juice: मिक्स्ड फ्रूट जूस, सुबह की शुरुआत करने का एक लोकप्रिय तरीका है। कई लोग इसे सेहत के लिए फायदेमंद मानते हैं, लेकिन क्या सच में ये जूस हमारे लिए अच्छा है या नुकसान पहुंचा सकता है? आइए इस सवाल का जवाब ढूंढते हैं।
स्वाद ही नहीं सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद है गरम मसाला, जानें 5 फायदे
Garam Masala Benefits : भारतीय खाने में गरम मसाला का इस्तेमाल सदियों से होता आ रहा है। यह सिर्फ़ स्वाद ही नहीं बढ़ाता, बल्कि सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है।
5 आदतें जो लाती हैं समय से पहले बुढ़ापा, कहीं आप तो नहीं कर रहे ये गलतियां!
Things That Make You Age Faster: जीवन एक सुंदर यात्रा है, लेकिन समय का पहिया कभी रुकता नहीं है। हम सभी बूढ़े होते हैं, यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। लेकिन कुछ आदतें हैं जो इस प्रक्रिया को तेज कर देती हैं और हमें समय से पहले बूढ़ा दिखाती हैं। आज हम ...
बारिश में प्रेग्नेंट महिलाओं को बीमारियों का खतरा ज्यादा, भूलकर भी न खाएं बाहर
Healthy Pregnancy Tips: प्रेग्नेंसी एक ऐसा पीरियड होता है, जिस दौरान महिलाओं को अत्यधिक सावधानी बरतनी चाहिए. इस दौरान छोटी से छोटी गलती सेहत के लिए खतरनाक हो सकती है. बरसात में गर्भवती महिलाओं को खाने-पीने से लेकर चलने-फिरने में कोई रिस्क नहीं लेना चाहिए.
डायबिटीज का खतरा: प्लास्टिक की बोतलों में छिपा है डायबिटीज का खतरा
पानी के लिए प्लास्टिक की बोतलों का इस्तेमाल करना लगभग आम हो गया है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह आपके स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है? हाल ही में अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन के 2024 वैज्ञानिक सत्रों में प्रस्तुत एक अध्ययन ने चिंता जताई है कि प्लास्टिक की बोतलों और खाद्य कंटेनरों में …
Health Tips: प्रोटीन के मामले में चिकन का बाप है ये हरा पाउडर!
स्पिरुलिना के फायदे:चिकन में सबसे ज़्यादा प्रोटीन होता है। अगर आप भी इस बात को सच मानते हैं, तो आज हम आपको एक ऐसे शाकाहारी भोजन के बारे में बता रहे हैं, जिसमें नॉनवेज से ज़्यादा प्रोटीन होता है। प्रोटीन मांसपेशियों और हड्डियों के लिए बहुत ज़रूरी होता है। इसकी कमी से शरीर सिर्फ़ एक …
गर्भाशय महिला शरीर का वह हिस्सा है जहां बच्चा होता है विकसित
गर्भाशय में बनने वाली गांठ, जिसे फाइब्रॉयड ट्यूमर भी कहते हैं, गर्भाशय के ऊतकों के बढ़ने के कारण बनती है। महिलाओं में मासिक धर्म शुरू होने पर इसके होने की संभावना होती है। हालांकि यह कैंसर वाली गांठ नहीं होती और कभी कैंसर में नहीं बदलती। लेकिन गर्भाशय में इसकी मौजूदगी दैनिक दिनचर्या को मुश्किल …
मोटापा कम करने के लिए सबसे अच्छा व्यायाम!
बिना एक्सरसाइज के मोटापेसे छुटकारा पाना नामुमकिन है। लेकिन शरीर में जमा चर्बी को पिघलाने के लिए बहुत कठिन वर्कआउट की जरूरत नहीं होती। इसे बहुत ही आसान एक्सरसाइज की मदद से कम किया जा सकता है। यहां हम आपको ऐसी ही कुछ शारीरिक गतिविधियों के बारे में बता रहे हैं। मोटापे की शुरुआत पेट …
लोग मांसपेशियों के निर्माण के लिए प्रोटीन पाउडर खाते हैं, लेकिन यह सेहत को भी पहुंचा सकता है नुकसान
Foods for Muscle Building: ज्यादातर लोग मसल्स बनाने के लिए प्रोटीन पाउडर खाते हैं। लेकिन यह सेहत को नुकसान भी पहुंचा सकता है। क्योंकि बाजार में कई नकली प्रोटीन पाउडर कम कीमत पर उपलब्ध हैं। ऐसे में नेचुरल प्रोटीन के लिए डाइट में इन 5 फूड्स को शामिल करना बेहतर विकल्प है। एक्सरसाइज करने वाले …
Health Tips: चाय के साथ पकौड़े खाने के नुकसान!
बारिश में चाय पकौड़े खाने के नुकसान:बारिश होने पर बालकनी में पार्टनर या दोस्तों के साथ चाय और पकौड़े का लुत्फ उठाने का मन करता है। कई लोग चाहकर भी खुद को ऐसा करने से रोक नहीं पाते। भले ही आपको इन दोनों फूड आइटम्स का कॉम्बिनेशन पसंद हो, लेकिन सेहत के लिहाज से यह …
पेशाब में जलन इन गंभीर बीमारियों का संकेत देती है!
अगर आपको पेशाब करते समय लगातार जलन महसूस हो रही है, तो यह किसी गंभीर बीमारी का संकेत हो सकता है। इसलिए डॉक्टर से सलाह लेना ज़रूरी है। मूत्र में जलन के कुछ संभावित कारण यूटीआई:यह मूत्र मार्ग का सबसे आम संक्रमण है, जो आमतौर पर बैक्टीरिया के कारण होता है। पुरुषों की तुलना में …
Breast Cancer Symptoms: स्तन कैंसर के शुरुआती लक्षणों को समझें!
टेलीविजन की जानी-मानी अभिनेत्री हिना खान ने हाल ही में सोशल मीडिया पर स्टेज-3 ब्रेस्ट कैंसर होने का चौंकाने वाला खुलासा किया है। हिना खान के इस खुलासे के बाद ब्रेस्ट कैंसर एक बार फिर चर्चा का विषय बन गया है। ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं में होने वाला एक आम कैंसर है, लेकिन अगर इसका समय …
Bilateral Primary Trigeminal Neuralgia: भारत में पहली बार एक दुर्लभ बीमारी का पता चला!
किरण अवस्थी केस:भारत में पहली बार एक दुर्लभ बीमारी का पता चला है। यह इतनी नई और अनोखी है कि भारत में पहले कभी ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया। दुनिया भर के चिकित्सा विज्ञान साहित्य में अब तक केवल 24 मामले ही सामने आए हैं। इनमें से कोई भी भारत से नहीं था। इस …
45 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को यह टेस्ट जरूर करवाना चाहिए!
ऐसा माना जाता है कि हृदय रोग मुख्यतः पुरुषों को प्रभावित करता है, लेकिन इसका प्रभाव महिलाओं पर भी उतना ही महत्वपूर्ण है, हालांकि यह अक्सर दोनों में अलग-अलग रूप में प्रकट होता है। माना जाता है कि हृदय रोग मुख्य रूप से पुरुषों को प्रभावित करता है, लेकिन इसका प्रभाव महिलाओं में भी उतना …
बुखार के कारण मुंह में कड़वाहट? जानिए जीभ का स्वाद वापस लाने का तरीका
बुखार किसी भी मौसम में हो सकता है, लेकिन बदलते मौसम में इसका अटैक बढ़ जाता है ।बुखार में शरीर जलने लगता है और फिर तापमान को बनाए रखने की कोशिश शुरू हो जाती है। बुखार कई तरह का हो सकता है, लेकिन ज्यादातर बुखार में एक बात कॉमन होती है कि जीभ पर कड़वा …
बारिश के बाद जलजनित रोगों का खतरा बढ़ जाता है!
Waterborne Disease: बारिश के बाद बढ़ जाता है जलजनित बीमारियों का खतरा, एक्सपर्ट से जानें बचाव के उपायबारिश के बाद अक्सर जलजनित बीमारियों में अचानक वृद्धि हो जाती है। जब बारिश का पानी जमा होता है, तो वह गंदगी के साथ मिल जाता है, जिससे दूषित पानी पीने या अन्य तरीकों से बीमारी फैलने का …
Heartburn: सीने की जलन ने बढ़ा दी तकलीफ, इस फल का पाउडर पहुंचाएगा ठंडक
How To get rid of Heartburn: अगर आप एक लिमिट से ज्यादा अनहेल्दी या मसालेदार डाइट लेते हैं तो इससे सीने में जलन होना लाजमी है, लेकिन एक खास चीज के पाउडर का सेवन करेंगे तो ये परेशानी दूर हो जाएगी.
स्किन और बालों से लेकर पेट तक को हेल्दी रखता है ये एक ड्राई फ्रूट, तुरंत नोट करें इसका नाम
Pista Khane Ke Fayde: पिस्ता एक ऐसा ड्राई फ्रूट है जिसमें कई ऐसे न्यूट्रिएंट्स पाए जाते हैं जो हमारी बॉडी के लिए बेहद फायदेमंद है, आइए जानते हैं कि इसकी अहमियत किया है.
शादीशुदा लाइफ को बोझिल बना सकते हैं Emotional Immature पार्टनर, बढ़ सकती है दिक्कतें
शादी या प्रतिबद्ध रिश्ते में भावनात्मक अपरिपक्वता से निपटना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। यह विभिन्न व्यवहारों में प्रकट होता है जो भागीदारों के बीच प्रभावी संचार और समस्या-समाधान में बाधा डालते हैं। भावनात्मक अपरिपक्वता के संकेतों की पहचान करने से इन कठिनाइयों को अधिक प्रभावी ढंग से नेविगेट करने में मदद मिल सकती है। रक्षात्मक व्यवहार: एक महत्वपूर्ण संकेतक यह है कि जब कोई साथी उठाई गई चिंताओं पर रचनात्मक तरीके से प्रतिक्रिया करने के बजाय रक्षात्मक तरीके से प्रतिक्रिया करता है। सुनने और समाधान की दिशा में काम करने के बजाय, वे दोष को टाल सकते हैं या गुस्से से प्रतिक्रिया कर सकते हैं, जिससे मुद्दों को खुले तौर पर संबोधित करना मुश्किल हो जाता है। भावनाओं का मज़ाक उड़ाना या उन्हें अमान्य करना: भावनात्मक अपरिपक्वता तब भी देखी जा सकती है जब कोई साथी आपकी भावनाओं का मज़ाक उड़ाता है या उन्हें कमतर आंकता है। वे आपकी भावनाओं को अत्यधिक संवेदनशील होने के रूप में खारिज कर सकते हैं या आपको तर्कहीन करार दे सकते हैं, जो एक स्वस्थ रिश्ते के लिए महत्वपूर्ण विश्वास और भावनात्मक संबंध को कमजोर करता है। गलतियों से सीखने में विफलता: एक और विशेषता गलतियों से सीखने या अपने कार्यों की जिम्मेदारी लेने में असमर्थता है। वे बार-बार वही गलतियाँ कर सकते हैं और दोष दूसरों पर मढ़ सकते हैं, रिश्ते की चुनौतियों में अपनी भूमिका को स्वीकार करने से इनकार कर सकते हैं। प्रतिकूल परिस्थितियों में बचकानी प्रतिक्रियाएँ: असहमति के समय या जब चीज़ें उनके हिसाब से नहीं होती हैं, तो भावनात्मक रूप से अपरिपक्व व्यक्ति बचकाना व्यवहार अपना सकते हैं। इसमें नाराज़ होना और बातचीत से दूर रहना से लेकर नखरे दिखाना और ज़रूरत से ज़्यादा प्रतिक्रिया करना शामिल हो सकता है, जो संघर्ष के समाधान को जटिल बनाता है। समस्याओं से बचना: समस्याओं का सीधे सामना करने के बजाय, वे समस्याओं को अनदेखा करना चुन सकते हैं, इस उम्मीद में कि वे अपने आप ही गायब हो जाएँगी। यह टालने की रणनीति अंतर्निहित मुद्दों को संबोधित करने की आवश्यकता को अनदेखा करती है, जिससे अनसुलझे संघर्ष और बढ़ती नाराज़गी होती है। जोड़-तोड़ की प्रवृत्ति: भावनात्मक रूप से अपरिपक्व व्यक्ति नियंत्रण बनाए रखने या ज़िम्मेदारी लेने से बचने के लिए जोड़-तोड़ की रणनीति अपना सकते हैं। वे अपनी इच्छाओं के अनुसार स्थिति में हेरफेर करने के लिए भावनात्मक ब्लैकमेल, धमकी या अपने साथी में डर पैदा कर सकते हैं। इन संकेतों को समझना भावनात्मक अपरिपक्वता को संचार में कभी-कभार होने वाली चूक से अलग करने में मदद कर सकता है। इन व्यवहारों को संबोधित करने के लिए धैर्य, सहानुभूति और कभी-कभी रिश्ते के भीतर विकास और आपसी समझ को बढ़ावा देने के लिए पेशेवर मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है। भावनात्मक परिपक्वता के निर्माण में आत्म-जागरूकता और अनुभवों से सीखने की इच्छा शामिल है, जिससे साझेदारी में भावनात्मक जुड़ाव और समग्र संतुष्टि बढ़ती है। बारिश के साथ हुई डेंगू की एंट्री, जानिए इसके लक्षण और बचाव के उपाय वजन घटाना है तो नाश्ते में शामिल कर लें ये 5 भारतीय फूड्स सिरदर्द से हुई शख्स की मौत, भूलकर भी इग्नोर न करें ये लक्षण
मानसून में होने वाली बीमारियों से बचाव के लिए अपनाएं ये उपाय
बरसात के मौसम में कई तरह की बीमारियाँ होती हैं। इस मौसम में सर्दी, जुकाम और बुखार जैसी बीमारियाँ आम हैं। बच्चों से लेकर बड़ों तक हर उम्र के लोग मौसमी बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं। मानसून के मौसम में हल्की और गंभीर दोनों तरह की बीमारियाँ होने का खतरा रहता है। अक्सर लोग बारिश में भीगने के बाद बुखार और जुकाम का अनुभव करते हैं। इसके अलावा, मानसून के मौसम में जमा पानी मच्छरों की संख्या को बढ़ाता है जो डेंगू जैसी बीमारियाँ फैलाते हैं। बारिश के मौसम में त्वचा संबंधी समस्याएँ भी अधिक होती हैं, जैसे खुजली, जलन और रूखापन। बरसात के मौसम में होने वाली आम बीमारियाँ त्वचा संबंधी विकार: बरसात के मौसम में अक्सर त्वचा संबंधी बीमारियाँ होती हैं। नमी बढ़ने के कारण फंगल संक्रमण जैसी बीमारियाँ पनपती हैं, जिससे खुजली, लालिमा और जलन जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। मानसून के दौरान अपनी त्वचा की देखभाल करें रोकथाम: मानसून के दौरान त्वचा संबंधी बीमारियों से बचने के लिए, बारिश में भीगने के तुरंत बाद कपड़े बदलना ज़रूरी है। लंबे समय तक नमी रहने से त्वचा संबंधी समस्याएँ हो सकती हैं, इसलिए यह सुनिश्चित करना ज़रूरी है कि त्वचा अच्छी तरह से सूखी हो। इसके अलावा, व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखना सबसे महत्वपूर्ण है। पेट की समस्याएँ गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएँ: बरसात के मौसम में कई लोगों को पाचन संबंधी समस्याएँ होती हैं। मानसून के प्रभाव के कारण पाचन क्रिया कमज़ोर हो सकती है, जिसके परिणामस्वरूप दस्त, उल्टी और मतली जैसी समस्याएँ हो सकती हैं। पेट की समस्याओं के लिए सावधानियाँ रोकथाम: पेट की बीमारियों से बचने के लिए, हल्का आहार लेने और बाहर का खाना खाने से परहेज़ करने की सलाह दी जाती है जो स्वास्थ्यकर न हो। भोजन के बाद थोड़ी देर टहलने की आदत विकसित करने से पाचन में सहायता मिल सकती है। मलेरिया और डेंगू वेक्टर जनित रोग: बरसात के मौसम में डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों के मामले बढ़ जाते हैं। भारी बारिश के कारण पानी जमा हो जाता है, जो मच्छरों के लिए आदर्श प्रजनन स्थल बन जाता है जो इन बीमारियों को फैलाते हैं। डेंगू, जिसमें प्लेटलेट काउंट में तेज़ी से कमी आती है, रोगियों के लिए एक बड़ा जोखिम बन जाता है। मलेरिया और डेंगू से बचाव सावधानियाँ: इन बीमारियों से बचने के लिए, बारिश के मौसम में पानी जमा न होने देना बहुत ज़रूरी है। साफ-सफाई बनाए रखना और मच्छर भगाने वाली दवाओं का इस्तेमाल करना मच्छरों की आबादी को नियंत्रित करने के लिए प्रभावी उपाय हैं। अंत में, भारत में बारिश का मौसम अपने साथ कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियाँ लेकर आता है, जिसमें सामान्य सर्दी-जुकाम से लेकर गंभीर वेक्टर जनित बीमारियाँ शामिल हैं। व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखने, स्थिर पानी से बचने और पाचन स्वास्थ्य का ध्यान रखने जैसी उचित सावधानियाँ इस अवधि के दौरान बीमार पड़ने के जोखिम को काफी हद तक कम कर सकती हैं। सतर्क रहकर और निवारक उपाय अपनाकर, लोग अपने स्वास्थ्य की सुरक्षा करते हुए मानसून का आनंद ले सकते हैं। बारिश के साथ हुई डेंगू की एंट्री, जानिए इसके लक्षण और बचाव के उपाय आयुर्वेद की मदद से ऐसे छुड़ाएं नशे की आदत बालों को बनाना है घना तो खाना शुरू कर दे ये चीजें, दूर होगी हेयरफॉल की दिक्कत
रोज एक अनार खाने से शरीर में होने लगेंगे ये बदलाव, एक हफ्ते में ही दिखने लगेगा जादू
अनार एक ऐसा फल है जो पोषक तत्वों से भरपूर होने के कारण जाना जाता है और बाजार में इसकी कीमत भी अपेक्षाकृत अधिक है। बहुत से लोग अक्सर खट्टे या संतरे का जूस पीना पसंद करते हैं, लेकिन अनार का जूस स्वास्थ्य के प्रति जागरूक व्यक्तियों के बीच काफी लोकप्रिय हो गया है। इसका सेवन अक्सर कमजोरी या कम रक्त गणना जैसी स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने के लिए किया जाता है। अनार के बीज क्यों खाए जाते हैं? अनार, जिसे वैज्ञानिक रूप से पुनिका ग्रेनेटम के नाम से जाना जाता है, मुख्य रूप से इसके कड़वे स्वाद के कारण इसके बीजों के लिए खाया जाता है। प्रत्येक अनार में लगभग 30 मिलीग्राम विटामिन सी होता है, जो दैनिक विटामिन सी की आवश्यकता से 40% अधिक है। लोग शरीर की सूजन को कम करने और हृदय स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए अनार का जूस पीते हैं। माना जाता है कि अनार के बीज और इसके जूस का सेवन करने से खून बढ़ता है। अनार का जूस पीने के फायदे अनार और अनार के जूस पर शोध जारी है। शोध से अक्सर पता चलता है कि यह शरीर की सूजन, कुछ संक्रमण, दांतों की बीमारी और दिल की सेहत को बनाए रखता है। Jio के बाद अब Airtel ने बढ़ाई कीमतें, अब इतना करना होगा खर्च Pixel 9 सीरीज और Pixel Watch 3 को लेकर Google ने किया ये बड़ा ऐलान टाइम आउट क्या है? बच्चों को डांटने की बजाय आजमाएं ये टोटका
आजकल, बहुत से लोग अपना अधिकांश दिन अपने फोन या लैपटॉप से चिपके हुए बिताते हैं। ऑफिस में लगातार 8 से 10 घंटे बैठने के बाद भी, वे घर लौटने पर राहत पाने में विफल रहते हैं। कई लोग गलत मुद्रा में घंटों तक अपनी गर्दन पर दबाव डालते रहते हैं, जिससे उन्हें काफी असुविधा होती है। यह अनुमान लगाया गया है कि लगभग 10 में से 5-6 व्यक्ति अकड़न, दर्द या ग्रीवा संबंधी असुविधा से पीड़ित हैं, जो अक्सर अत्यधिक मोबाइल उपयोग से बढ़ जाती है। अगर इस समस्या का तुरंत समाधान नहीं किया गया तो यह गंभीर जोखिम पैदा कर सकता है। हालांकि, इस दर्द के शुरू होने से पहले शरीर में कुछ संकेत होते हैं, जिन्हें अगर समझ लिया जाए तो इसे रोका जा सकता है। आइए सर्वाइकल दर्द के कारणों, लक्षणों और उपचार के बारे में विस्तार से जानें... सरवाइकल दर्द के कारण सर्वाइकल दर्द मुख्य रूप से गलत तरीके से सोने और बैठने की स्थिति से होता है। सिर पर भारी वजन उठाना, एक ही स्थिति में लंबे समय तक बैठे रहना और उम्र बढ़ने से सर्वाइकल की परेशानी बढ़ सकती है। इसके अलावा, ऊंचे या बड़े तकिए का इस्तेमाल करना, गर्दन को लंबे समय तक झुकाए रखना और भारी हेलमेट पहनना भी सर्वाइकल दर्द का कारण बन सकता है। सरवाइकल दर्द के शुरुआती लक्षण सिर दर्द गर्दन हिलाने पर अजीब आवाजें आना हाथों और पैरों में कमज़ोरी, चलने में कठिनाई गर्दन और कंधों में अकड़न हाथों और उंगलियों में कमज़ोरी ग्रीवा दर्द से प्रभावित स्थान सरवाइकल दर्द गर्दन के ऊपरी हिस्से से शुरू होकर कमर के नीचे तक फैल सकता है। इसमें अक्सर अकड़न की समस्या होती है। अगर लैपटॉप पर काम करते समय आपको गर्दन हिलाने में तकलीफ होती है, तो यह सरवाइकल दर्द का शुरुआती संकेत हो सकता है। सरवाइकल दर्द का उपचार लम्बे समय तक एक ही स्थिति में बैठने से बचें। काम के दौरान ब्रेक लें, समय-समय पर टहलें। राहत के लिए बर्फ की पट्टियाँ लगाएँ या गर्म सेंक का प्रयोग करें। भौतिक चिकित्सा या मालिश पर विचार करें। गर्दन से संबंधित योग और व्यायाम का अभ्यास करें। यदि दर्द बना रहे तो किसी अच्छे डॉक्टर से परामर्श लें। ESIC में निकली नौकरियां, 140139 तक मिलेगी सैलरी ESIC Kolkata प्रोफेसर, असिस्टेंट और एसोसिएट प्रोफेसर रिक्ति 2024 - 73 पदों के लिए डायरेक्ट वॉक-इन ITBP Head Constable Recruitment 2024 - 112 पदों के लिए ऑनलाइन आवेदन करें
तनाव कम करने में मददगार है ये एक उपाय, एक बार जरूर करें ट्राय
हाल के दिनों में, जीवनशैली में बदलाव के कारण मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। चिंता, अवसाद और तनाव जैसी समस्याएं काफी आम हो गई हैं। इसलिए, मानसिक स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देना महत्वपूर्ण है। प्रकृति में समय बिताना बेहतर मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखने में बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है। प्रकृति के साथ जुड़ने से न केवल मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य भी बेहतर होता है, जिससे तनाव और चिंता जैसी समस्याएं कम होती हैं। प्रकृति में समय बिताने के लाभ: सांस लेने की प्रक्रिया में सुधार: पौधों और पेड़ों के आसपास समय बिताने से ऑक्सीजन निकलती है, जो वायु प्रदूषण को कम करने में मदद करती है। इससे स्वच्छ और शुद्ध हवा मिलती है, जो आपके फेफड़ों के लिए फायदेमंद है, जिससे आप बेहतर तरीके से सांस ले पाते हैं। अवसाद के लक्षणों से राहत: बाहर धूप में कुछ समय बिताने से अवसाद और मौसमी भावात्मक विकार के लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है। सूरज की रोशनी में रहने से विटामिन डी मिलता है, जो मूड को बेहतर बनाता है और अवसाद के लक्षणों को कम करने में मदद करता है। तनाव में कमी: प्रकृति में रहने से आपका दिमाग शांत होता है। क्या आपने कभी महसूस किया है कि हरे-भरे वातावरण में समय बिताने के बाद आप बेहतर महसूस करते हैं? ऐसा इसलिए है क्योंकि प्रकृति में रहने से आपके तंत्रिका तंत्र पर सुखदायक प्रभाव पड़ता है और खुशी के हार्मोन निकलते हैं, जिससे तनाव कम होता है। मजबूत सामाजिक बंधन: बाहर घूमना या प्रकृति में समय बिताना आपको दूसरों से जुड़ने में मदद करता है। यह सामाजिक बंधन को मजबूत करता है, आपको अपनेपन का एहसास कराता है, जो बेहतर मानसिक स्वास्थ्य में योगदान देता है। बेहतर नींद: प्रकृति में समय बिताने से तनाव कम होता है और आपका मूड अच्छा रहता है, जिससे रात में अच्छी नींद आती है। यह अनिद्रा और नींद से जुड़ी अन्य समस्याओं को कम करने में मदद कर सकता है। घर पर ग्रीन स्पेस कैसे बनाएं: वर्टिकल गार्डनिंग: वर्टिकल गार्डनिंग के लिए बालकनी जैसी जगहों का इस्तेमाल करें। इससे आप सीमित जगह में ज़्यादा पौधे उगा सकते हैं। मनी प्लांट, गुलाब, मैरीगोल्ड जैसे पौधे आपकी बालकनी में रंग और सुंदरता जोड़ सकते हैं। इनडोर प्लांट्स: स्नेक प्लांट्स, स्पाइडर प्लांट्स और जेड प्लांट्स जैसे इनडोर प्लांट्स न केवल घर के अंदर की हवा को शुद्ध करते हैं बल्कि आपके घर की खूबसूरती को भी बढ़ाते हैं। छत या टेरेस गार्डनिंग: बागवानी के लिए अपनी छत या बाहरी जगह का इस्तेमाल करें। आप एक सुंदर उद्यान क्षेत्र बनाने के लिए विभिन्न फूल और पत्ते लगा सकते हैं। प्रकृति में समय बिताना केवल एक अवकाश गतिविधि नहीं है, बल्कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखने का एक महत्वपूर्ण पहलू है। चाहे वह घर पर हरियाली वाली जगह बनाना हो या प्राकृतिक वातावरण में जाना हो, प्रकृति को अपनी दिनचर्या में शामिल करने से आपकी समग्र भलाई में काफी सुधार हो सकता है। तो, आज ही कुछ समय प्रकृति से जुड़ने और इसके असंख्य लाभों का लाभ उठाने के लिए निकालें! बारिश के साथ हुई डेंगू की एंट्री, जानिए इसके लक्षण और बचाव के उपाय आयुर्वेद की मदद से ऐसे छुड़ाएं नशे की आदत बालों को बनाना है घना तो खाना शुरू कर दे ये चीजें, दूर होगी हेयरफॉल की दिक्कत
क्या पीरियड्स की वजह से भी आपके चेहरे पर पिंपल्स हो रहे हैं? तो इस तरह इनसे छुटकारा पाएं
मासिक धर्म चक्र के दौरान, कई लड़कियाँ अक्सर अपने चेहरे पर मुंहासों से जूझती हैं। ये मुंहासे अक्सर इस समय होने वाले हार्मोनल परिवर्तनों के कारण होते हैं, जो उनकी त्वचा की बनावट को प्रभावित करते हैं और सुंदरता को लेकर चिंता पैदा करते हैं। यदि आप इस समस्या का सामना कर रहे हैं, तो आपके लिए कई व्यावहारिक सुझाव हैं जिनका पालन करके आप अपने मासिक धर्म के दौरान मुंहासों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित कर सकते हैं। मासिक धर्म के दौरान मुंहासे होना एक आम बात है, क्योंकि हार्मोनल उतार-चढ़ाव के कारण त्वचा की तेल ग्रंथियां प्रभावित होती हैं। इन परिवर्तनों के कारण सीबम का उत्पादन बढ़ सकता है, रोमछिद्र बंद हो सकते हैं और अंततः मुंहासे हो सकते हैं। इन समस्याओं को हल करने का तरीका समझने से त्वचा को साफ रखने और पहले से ही चुनौतीपूर्ण समय में आत्मविश्वास बढ़ाने में मदद मिल सकती है। पीरियड्स के दौरान हार्मोनल मुहांसे को समझना हार्मोनल मुहांसे, खास तौर पर मासिक धर्म के दौरान, मुख्य रूप से एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन के स्तर में बदलाव के कारण होते हैं। ये उतार-चढ़ाव त्वचा की तेल ग्रंथियों को अधिक सीबम बनाने के लिए उत्तेजित कर सकते हैं, जिससे मुंहासे के विकास के लिए अनुकूल वातावरण बनता है। आमतौर पर, मासिक धर्म चक्र से जुड़े मुंहासे मासिक धर्म शुरू होने से कुछ दिन पहले दिखाई देते हैं और मासिक धर्म के दौरान भी जारी रह सकते हैं। पीरियड्स के दौरान मुंहासों को नियंत्रित करने के प्रभावी टिप्स नियमित रूप से सफ़ाई की दिनचर्या बनाए रखें पीरियड्स के दौरान मुंहासों को नियंत्रित करने के सबसे महत्वपूर्ण कदमों में से एक नियमित रूप से सफाई करना है। अपनी त्वचा के प्रकार के लिए उपयुक्त माइल्ड क्लींजर का उपयोग करके दिन में कम से कम दो बार अपने चेहरे को धीरे से लेकिन अच्छी तरह से धोएँ। यह अतिरिक्त तेल, गंदगी और बैक्टीरिया को हटाने में मदद करता है जो मुंहासों के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। तेल-मुक्त मॉइस्चराइज़र का उपयोग करें मुंहासों से जूझने के बावजूद, अपनी त्वचा को नमीयुक्त रखना ज़रूरी है। एक हल्का, तेल रहित मॉइस्चराइज़र चुनें जो रोमछिद्रों को बंद न करे या मुंहासों को न बढ़ाए। मॉइस्चराइज़िंग त्वचा की बाधा कार्य को बनाए रखने में मदद करता है और अत्यधिक सूखापन को रोकता है, जो विडंबना यह है कि तेल उत्पादन में वृद्धि का कारण बन सकता है। टी ट्री ऑयल से पिंपल्स का इलाज करें टी ट्री ऑयल अपने रोगाणुरोधी गुणों के लिए जाना जाता है, जो इसे मुंहासे पैदा करने वाले बैक्टीरिया से लड़ने में प्रभावी बनाता है। टी ट्री ऑयल को जोजोबा या नारियल तेल जैसे वाहक तेल के साथ पतला करें और इसे कॉटन स्वैब का उपयोग करके सीधे मुंहासों पर लगाएं। यह सूजन को कम करने और उपचार को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है। अपना चेहरा छूने से बचें हार्मोनल मुहांसे के दौरान, अपने चेहरे को अनावश्यक रूप से छूने से बचना बहुत ज़रूरी है। छूने से आपके हाथों से बैक्टीरिया आपके चेहरे पर आ सकते हैं, जिससे मौजूदा मुहांसे बढ़ सकते हैं या नए मुहांसे हो सकते हैं। इस आदत के प्रति सचेत रहें और जितना हो सके अपने हाथों को अपने चेहरे से दूर रखने की कोशिश करें। सूजन कम करने के लिए बर्फ का उपयोग करें पिंपल्स से जुड़ी सूजन और जलन को कम करने के लिए बर्फ एक त्वरित और प्रभावी तरीका हो सकता है। एक साफ कपड़े में बर्फ का टुकड़ा लपेटें और इसे कुछ मिनटों के लिए प्रभावित क्षेत्रों पर धीरे से लगाएँ। यह रक्त वाहिकाओं को सिकोड़ने और चिढ़ त्वचा को शांत करने में मदद करता है। ओवर-द-काउंटर मुँहासे उपचार पर विचार करें बेंज़ोयल पेरोक्साइड या सैलिसिलिक एसिड जैसे तत्वों वाले ओवर-द-काउंटर मुँहासे उपचार मुँहासे बढ़ने की अवधि के दौरान फायदेमंद हो सकते हैं। ये तत्व छिद्रों को खोलने, सूजन को कम करने और मुँहासे पैदा करने वाले बैक्टीरिया को मारने में मदद करते हैं। अपनी त्वचा को ज़्यादा सूखने या जलन से बचाने के लिए उत्पाद के निर्देशों का ध्यानपूर्वक पालन करें। स्वस्थ आहार बनाए रखें फलों, सब्जियों, लीन प्रोटीन और साबुत अनाज से भरपूर संतुलित आहार खाने से समग्र त्वचा स्वास्थ्य को बढ़ावा मिल सकता है। चीनी या प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के अत्यधिक सेवन से बचें, क्योंकि ये मुंहासे को बढ़ावा दे सकते हैं। विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने और अपनी त्वचा को हाइड्रेटेड रखने के लिए दिन भर खूब पानी पीकर हाइड्रेटेड रहें। तनाव के स्तर को प्रबंधित करें तनाव हार्मोनल असंतुलन को बढ़ा सकता है और मुंहासे के प्रकोप को ट्रिगर कर सकता है। तनाव के स्तर को प्रबंधित करने में मदद करने के लिए गहरी साँस लेना, ध्यान, योग या नियमित व्यायाम जैसी तनाव कम करने वाली तकनीकों का अभ्यास करें। हार्मोनल संतुलन और समग्र त्वचा स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त नींद भी आवश्यक है। भारी मेकअप से बचें मुंहासे बढ़ने के दौरान, भारी मेकअप उत्पादों का उपयोग कम से कम करना उचित है। मेकअप रोमछिद्रों को बंद कर सकता है और संभावित रूप से मुंहासे को और खराब कर सकता है। अगर आपको मेकअप लगाना ही है, तो नॉन-कॉमेडोजेनिक उत्पाद चुनें जो विशेष रूप से रोमछिद्रों को बंद न करने के लिए तैयार किए गए हों और सोने से पहले मेकअप को अच्छी तरह से हटा दें। यदि आवश्यक हो तो त्वचा विशेषज्ञ से परामर्श लें अगर पीरियड्स के दौरान आपके मुंहासे गंभीर हैं या घरेलू उपचार और ओवर-द-काउंटर उपचार के बावजूद बने रहते हैं, तो त्वचा विशेषज्ञ से परामर्श करने पर विचार करें। एक त्वचा विशेषज्ञ आपकी त्वचा की स्थिति का आकलन कर सकता है, यदि आवश्यक हो तो दवाएँ लिख सकता है, और मुंहासों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए व्यक्तिगत त्वचा देखभाल दिनचर्या की सिफारिश कर सकता है। पीरियड्स के दौरान मुंहासों को नियंत्रित करने के लिए लगातार त्वचा की देखभाल की आदतों, स्वस्थ जीवनशैली विकल्पों और कभी-कभी, पेशेवर मार्गदर्शन के संयोजन की आवश्यकता होती है। हार्मोनल मुंहासों के अंतर्निहित कारणों को समझकर और लक्षित रणनीतियों को लागू करके, आप प्रभावी रूप से ब्रेकआउट को कम कर सकते हैं और साफ़, स्वस्थ त्वचा बनाए रख सकते हैं। अपनी त्वचा की देखभाल की दिनचर्या के साथ धैर्य रखना याद रखें और उपचारों को काम करने का समय दें, क्योंकि लगातार प्रयास समय के साथ महत्वपूर्ण सुधार ला सकते हैं। इस गांव की पंचायत ने जारी किया अनोखा फरमान, कच्छा-निक्कर पहनने पर लगाई पाबंदी जिस बेटे को डॉक्टर ने बता दिया था मरा हुआ, 33 साल बाद वो लौटा जिंदा पिता ने नहीं दिया प्रॉपर्टी में हिस्सा तो बेटे ने किया ऐसा काम, देखकर लोगों के उड़े होश
इस चीज को कभी भी चाय के साथ न खाएं, हो सकता है खतरनाक
ज़्यादातर लोग अपनी सुबह की शुरुआत एक कप चाय से करते हैं और कुछ लोग तो इतने शौकीन होते हैं कि दिन भर में कई कप चाय पी लेते हैं। कई लोग अक्सर चाय के साथ नमकीन बिस्किट या तले हुए स्नैक्स भी खाते हैं। हालाँकि, एक ऐसा मिश्रण है जो चाय के साथ सेवन करने पर गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा कर सकता है। चाय के शौकीन लोग अक्सर अपने पेय को नमकीन स्नैक्स या तली हुई चीज़ों के साथ मिलाते हैं, यहाँ तक कि घर पर मेहमानों की मेज़बानी करते समय भी यह एक आम बात है। फिर भी, बहुत कम लोग इस लोकप्रिय संयोजन से जुड़ी संभावित स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में जानते हैं। वास्तव में, चाय के साथ नमकीन स्नैक्स या नट्स खाने से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं। कुछ स्नैक्स चाय के साथ प्रतिकूल प्रतिक्रिया कर सकते हैं, जिससे संभावित रूप से पाचन संबंधी परेशानी हो सकती है। चाय में टैनिन होता है जो नमकीन स्नैक्स में पाए जाने वाले आयरन और अन्य पोषक तत्वों के अवशोषण में बाधा डाल सकता है। तले हुए स्नैक्स के साथ चाय पीने से पाचन तंत्र कमजोर हो सकता है, जिससे पाचन संबंधी कई समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए, चाय का आनंद लेते समय नमकीन और बेसन वाली चीजों से बचना उचित है। वे खाद्य पदार्थ जिन्हें आपको चाय के साथ नहीं खाना चाहिए चाय और नींबू चाय के साथ नींबू जैसी अम्लीय चीज़ का सेवन करना उचित नहीं है। नींबू में मौजूद एसिड पेट में चाय के साथ प्रतिक्रिया कर सकता है, जिससे संभावित रूप से सीने में जलन और सूजन हो सकती है। अंडे, सलाद या अंकुरित अनाज चाय के साथ अंडे या प्याज़ से बने व्यंजन खाने से बचें। साथ ही, चाय के साथ अंकुरित अनाज या सलाद खाने से भी बचें। ये खाद्य पदार्थ पोषक तत्वों के अवशोषण को बाधित कर सकते हैं और पाचन स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं। ये सावधानियां चाय के शौकीनों को उनके स्वास्थ्य से समझौता किए बिना अपने पेय का आनंद लेने में मदद कर सकती हैं। एक सुखद और स्वस्थ चाय पीने का अनुभव सुनिश्चित करने के लिए यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि आपकी चाय के साथ क्या-क्या है। करण कुंद्रा और तेजस्वी प्रकाश का ब्रेकअप? इस जोड़े ने अपने तीन साल के रिश्ते को समाप्त कर दिया, किया खुलासा ! 'वड़ा पाव गर्ल' महीने में कमाती है इतने लाख, चंद्रिका दीक्षित ने अनिल कपूर के सामने खोले अपनी कमाई के सारे राज ' लोगों ने मुझे फ्लॉप एक्टर कहा...', जब महाभारत के 'भीष्म पितामह' को करना पड़ा था संघर्ष
थायरॉइड की बीमारी से करना है बचाव तो अपनाएं ये तरीकें
गर्दन में स्थित थायरॉयड ग्रंथि, थायरॉयड हार्मोन का उत्पादन करके हमारे शरीर के चयापचय को विनियमित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। ये हार्मोन विभिन्न शारीरिक कार्यों को प्रभावित करते हैं, और थायरॉयड ग्रंथि के स्वास्थ्य को बनाए रखना समग्र स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। थायरॉयड फ़ंक्शन का समर्थन करने के लिए कुछ पोषक तत्व विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं, जिनमें आयोडीन, जिंक, विटामिन डी, विटामिन बी, मैग्नीशियम और सेलेनियम शामिल हैं। इनमें से, आयोडीन और सेलेनियम विशेष रूप से थायराइड स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं। आयोडीन: आयोडीन थायराइड हार्मोन T3 (ट्राईआयोडोथायोनिन) और T4 (थायरोक्सिन) के उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण है। आयोडीन युक्त खाद्य पदार्थ जैसे आयोडीन युक्त नमक, ट्यूना, मैकेरल और डेयरी उत्पादों को पर्याप्त मात्रा में सेवन सुनिश्चित करने के लिए आहार में शामिल किया जाना चाहिए। विटामिन डी: विटामिन डी हाइपोथायरायडिज्म को रोकने में मदद करता है, जहां इस विटामिन का अपर्याप्त स्तर ऑटोइम्यून हाइपोथायरायडिज्म में योगदान कर सकता है। मशरूम, अंडे, वसायुक्त मछली (जैसे ट्यूना, सार्डिन, मैकेरल) और फोर्टिफाइड डेयरी उत्पादों जैसे विटामिन डी युक्त खाद्य पदार्थों का नियमित सेवन करने की सलाह दी जाती है। सेलेनियम: सेलेनियम थायरॉयड ग्रंथि को थायरॉयड हार्मोन के उत्पादन के दौरान मुक्त कणों से होने वाले नुकसान से बचाकर स्वस्थ रखने में मदद करता है। संतुलित मात्रा में सेलेनियम का सेवन करना महत्वपूर्ण है; स्रोतों में नट्स, सैल्मन, सूरजमुखी के बीज और अंडे शामिल हैं। मैग्नीशियम: मैग्नीशियम इष्टतम थायरॉयड फ़ंक्शन के लिए आवश्यक है क्योंकि यह T4 हार्मोन को सक्रिय T3 हार्मोन में बदलने में सहायता करता है। आहार में पालक, डार्क चॉकलेट, टोफू और एवोकाडो जैसे मैग्नीशियम युक्त खाद्य पदार्थों को शामिल करना थायरॉयड स्वास्थ्य का समर्थन करता है। जिंक: जिंक थायरॉयड हार्मोन के स्राव के लिए आवश्यक है। अपर्याप्त जिंक स्तर थायरॉयड हार्मोन के उचित स्राव में बाधा डाल सकता है, इसलिए नट्स, सीप, बीज, मछली और मांस जैसे जिंक युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करना फायदेमंद होता है। अपने आहार में इन पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों को शामिल करने से थायरॉयड फ़ंक्शन और समग्र चयापचय स्वास्थ्य का समर्थन करने में मदद मिल सकती है। हालाँकि, संतुलित आहार बनाए रखना और व्यक्तिगत सलाह के लिए स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से परामर्श करना महत्वपूर्ण है, खासकर अगर थायरॉयड विकारों का प्रबंधन करना हो या महत्वपूर्ण आहार परिवर्तनों पर विचार करना हो। थायरॉयड ग्रंथि की देखभाल करने से यह सुनिश्चित होता है कि यह बेहतर ढंग से कार्य कर सके और समग्र स्वास्थ्य में योगदान दे सके। बारिश के साथ हुई डेंगू की एंट्री, जानिए इसके लक्षण और बचाव के उपाय आयुर्वेद की मदद से ऐसे छुड़ाएं नशे की आदत बालों को बनाना है घना तो खाना शुरू कर दे ये चीजें, दूर होगी हेयरफॉल की दिक्कत
मौसम में बदलाव के कारण गंभीर हो सकती है माइग्रेन की समस्या, इन तरीकों से करें इसे मैनेज
माइग्रेन एक न्यूरोलॉजिकल स्थिति है जिसमें बार-बार सिरदर्द होता है जो मध्यम से लेकर गंभीर तक हो सकता है। यह अक्सर एक सुस्त दर्द के रूप में शुरू होता है और फिर एक धड़कते हुए दर्द में बदल जाता है जो एक तरफ या पूरे सिर को प्रभावित कर सकता है। सिरदर्द के दर्द के अलावा, माइग्रेन के साथ मतली, उल्टी, प्रकाश, ध्वनि या गंध के प्रति संवेदनशीलता जैसे लक्षण भी हो सकते हैं, जो दैनिक गतिविधियों को और भी जटिल बना सकते हैं। सर्दियों के दौरान, माइग्रेन के एपिसोड कई कारणों से खराब हो सकते हैं। मौसम के पैटर्न में बदलाव, जैसे अत्यधिक ठंडी या शुष्क हवा, आर्द्रता के स्तर में बदलाव और बैरोमीटर के दबाव में बदलाव, रोगियों द्वारा बताए गए सामान्य ट्रिगर हैं। ठंड के महीनों के दौरान प्रचलित ये पर्यावरणीय परिवर्तन माइग्रेन की घटनाओं में वृद्धि में योगदान करते हैं। इसलिए, माइग्रेन से पीड़ित व्यक्तियों के लिए इन ट्रिगर्स के बारे में जागरूक होना महत्वपूर्ण है, खासकर ठंडे तापमान वाले वर्तमान मौसम के दौरान। माइग्रेन को कई कारकों से ट्रिगर किया जा सकता है, जिसमें आहार संबंधी आदतें जैसे कि अत्यधिक कैफीन या शराब का सेवन, भावनात्मक तनाव, तेज रोशनी, तेज आवाज, अनियमित नींद पैटर्न, हार्मोनल परिवर्तन (विशेष रूप से महिलाओं में), तीव्र शारीरिक गतिविधि, भोजन छोड़ना, नमक या प्रसंस्कृत सामग्री वाले खाद्य पदार्थों का सेवन, कुछ दवाएं और मौसम की स्थिति में बदलाव शामिल हैं। माइग्रेन को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए इन ट्रिगर्स को पहचानना आवश्यक है। जबकि माइग्रेन का कोई इलाज नहीं है, उन्हें दवाओं और जीवनशैली में बदलाव के माध्यम से प्रबंधित किया जा सकता है। माइग्रेन को प्रबंधित करने में लक्षणों की पहचान करना शामिल है - जैसे कि दृश्य गड़बड़ी या आभा - और ट्रिगर्स के संपर्क को कम करने के लिए सक्रिय उपाय करना। इसमें एक शांत, अंधेरे कमरे में वापस जाना, मौसमी फल, सब्जियाँ और साबुत अनाज को शामिल करने के लिए आहार विकल्पों को समायोजित करना और अतिरिक्त नमक, चीनी और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों से बचना शामिल हो सकता है। पर्याप्त हाइड्रेशन और नियमित भोजन का समय भी महत्वपूर्ण है। एक नियमित नींद का शेड्यूल बनाए रखना, प्रति रात 7-8 घंटे की नींद लेना और ध्यान, योग या श्वास अभ्यास जैसी तनाव प्रबंधन तकनीकों को सीखना माइग्रेन के हमलों की आवृत्ति और तीव्रता को कम करने में मदद कर सकता है। इसके अतिरिक्त, दैनिक दिनचर्या में नियमित मध्यम व्यायाम को शामिल करना समग्र स्वास्थ्य सुधार में योगदान देता है। माइग्रेन से पीड़ित व्यक्तियों के लिए अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता के साथ मिलकर काम करना महत्वपूर्ण है ताकि उपयुक्त दवाएँ मिल सकें और अपने माइग्रेन एपिसोड पर नज़र रख सकें। माइग्रेन डायरी रखने से पैटर्न और ट्रिगर्स के बारे में मूल्यवान जानकारी मिल सकती है, जिससे बेहतर प्रबंधन रणनीतियाँ संभव हो सकती हैं। निष्कर्ष में, जबकि माइग्रेन दैनिक जीवन को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकता है, विशेष रूप से ठंड के मौसम में, जीवनशैली में बदलाव और चिकित्सा हस्तक्षेप के माध्यम से ट्रिगर्स को समझना और सक्रिय रूप से प्रबंधित करना व्यक्तियों को इस पुरानी स्थिति के बावजूद अधिक आरामदायक जीवन जीने में मदद कर सकता है। बारिश के साथ हुई डेंगू की एंट्री, जानिए इसके लक्षण और बचाव के उपाय आयुर्वेद की मदद से ऐसे छुड़ाएं नशे की आदत बालों को बनाना है घना तो खाना शुरू कर दे ये चीजें, दूर होगी हेयरफॉल की दिक्कत
बारिश आते ही कई बीमारियों की दस्तक, ऐसे करें बचाव
मानसून अपनी ठंडी बारिश के साथ गर्मी की तपती धूप से राहत तो देता है, लेकिन साथ ही कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियां भी लेकर आता है। बारिश के मौसम में नमी और तापमान में उतार-चढ़ाव बैक्टीरिया, वायरस और फंगस के पनपने के लिए अनुकूल परिस्थितियां बनाता है, जिससे कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होती हैं। मानसून के दौरान होने वाली आम बीमारियों में सर्दी, फ्लू, वायरल बुखार, डेंगू, मलेरिया, टाइफाइड, गैस्ट्रोएंटेराइटिस, चिकनगुनिया, फंगल संक्रमण और सांस संबंधी समस्याएं शामिल हैं। मानसून के दौरान इन स्वास्थ्य समस्याओं से बचने के लिए योग का अभ्यास बेहद कारगर है। योग शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है और कई तरह की बीमारियों से बचाव में मदद करता है। अगर आप बारिश के मौसम में बीमार पड़ने से बचना चाहते हैं, तो आप इन योगासनों का अभ्यास तुरंत शुरू कर सकते हैं। पाचन दुरुस्त रखता है धनुरासन बारिश के मौसम में पेट संबंधी दिक्कतें हो सकती है। इसका प्रभाव त्वचा पर भी पड़ता है तथा अन्य रोगों का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में धनुरासन का अभ्यास पेट की मसल्स को मजबूत बनाता है। पाचन संबंधी समस्याओं से छुटकारा दिलाने में धनुरासन फलदायी है। बारिश के मौसम में धनुरासन का नियमित अभ्यास करना चाहिए। इस आसन से पीठ दर्द की शिकायत भी दूर हो सकती है। बाल झड़ने से रोकता है उत्तानासन ज्यादातर लोगों की शिकायत होती है कि बारिश का मौसम आते ही बाल झड़ना आरम्भ हो जाते हैं। मानसून में बढ़ते हेयर फाॅल को रोकने के लिए उत्तानासन का अभ्यास कर सकते हैं। इस आसन को करने के लिए सिर को नीचे झुकाया जाता है, जिससे ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है तथा स्कैल्प को नॉरिशिंग में मदद मिलती है। वायरल से दूर रखता है सेतुबंधासन वर्षा के मौसम में सेतुबंधासन का अभ्यास सर्दी-जुकाम, गले में संक्रमण जैसी सामान्य बीमारियों से बचाता है। ये इम्यूनिटी को बूस्ट करने में सहायक है, जिससे सर्दी-जुकाम से बचाव हो सकता है। सेतुबंधासन के अभ्यास के चलते ब्लड सर्कुलेशन सिर की ओर अच्छी प्रकार से होता है। इस आसन को करने के लिए गले की मसल्स की मसाज भी होती है औ गले की मांसपेशियों में खिंचाव आता है, जिससे थायराइड ग्रंथि सक्रिय होती है। बारिश के साथ हुई डेंगू की एंट्री, जानिए इसके लक्षण और बचाव के उपाय आयुर्वेद की मदद से ऐसे छुड़ाएं नशे की आदत बालों को बनाना है घना तो खाना शुरू कर दे ये चीजें, दूर होगी हेयरफॉल की दिक्कत
ऑफिस में काम के दौरान होने लगती है थकान तो जरूर अपनाएं ये एक ट्रिक, चार्ज हो जाएगा सुस्त पड़ा शरीर
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में आराम के पल पाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। अक्सर काम के बीच में ऊर्जा का स्तर अप्रत्याशित रूप से गिर जाता है, जिससे काम अधूरे रह जाते हैं और थकान महसूस होती है, खासकर सर्दियों के महीनों में। क्या आप जानते हैं कि पावर नैप इन चुनौतियों से निपटने में मदद कर सकते हैं? वे न केवल आपको तरोताजा और तरोताजा महसूस कराते हैं बल्कि आपके शरीर को असाधारण ऊर्जा भी देते हैं। आइए जानें कि पावर नैप क्या हैं और वे आपको कैसे लाभ पहुँचा सकते हैं। पावर नैप क्या है? पावर नैप एक छोटी झपकी को संदर्भित करता है जो शरीर को आराम करने की अनुमति देता है। पावर नैप के लिए आदर्श अवधि आमतौर पर 15 से 20 मिनट के बीच होती है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि पावर नैप आधे घंटे से अधिक नहीं होनी चाहिए, क्योंकि लंबी अवधि शरीर को गहरी नींद में डुबो सकती है, जिससे जागने पर संभावित रूप से सुस्ती हो सकती है। पावर नैप के लाभ: आराम और विश्राम: पावर नैप लेने से शरीर को एक त्वरित ब्रेक मिलता है, जिससे यह ऊर्जा के स्तर को रिचार्ज कर सकता है। हृदय और मानसिक स्वास्थ्य: पावर नैप दिल और मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत बनाए रखने में योगदान देता है। इसके अतिरिक्त, वे सामाजिक संपर्कों को बढ़ा सकते हैं। बढ़ी हुई दक्षता: पावर नैप के बाद, शरीर में नई स्फूर्ति आती है, और दिमाग अधिक गति और उत्साह के साथ काम करता है। बेहतर कार्य प्रदर्शन: पावर नैप के बाद एक आरामदेह शरीर कार्यालय के प्रदर्शन को काफी बढ़ा सकता है। युवाओं के लिए लाभ: अमेरिकन स्लीप एसोसिएशन के अनुसार, पावर नैप युवा व्यक्तियों के लिए फायदेमंद है, तनाव के स्तर को कम करता है और समग्र कल्याण को बढ़ाता है। बेहतर सहनशक्ति: एक संक्षिप्त पावर नैप आपकी सहनशक्ति को बढ़ा सकता है, जिससे काम पर गलतियाँ करने की संभावना कम हो जाती है। आज की तेज़-तर्रार ज़िंदगी में, आराम के पल ढूँढ़ना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। बारिश के साथ हुई डेंगू की एंट्री, जानिए इसके लक्षण और बचाव के उपाय आयुर्वेद की मदद से ऐसे छुड़ाएं नशे की आदत बालों को बनाना है घना तो खाना शुरू कर दे ये चीजें, दूर होगी हेयरफॉल की दिक्कत
मानसून में दही खाना चाहिए या नहीं? जानिए एक्सपर्ट्स की राय
पोषक तत्वों से भरपूर भोजन दही कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है और वैश्विक स्तर पर कई आहारों का अभिन्न अंग है। इसमें कैलोरी, प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, चीनी, कैल्शियम, फास्फोरस, राइबोफ्लेविन, विटामिन बी12 और पोटेशियम जैसे आवश्यक पोषक तत्व होते हैं। दही का नियमित सेवन संभावित रूप से हमारे स्वास्थ्य को कई तरह से बेहतर बना सकता है, बशर्ते इसे उचित मात्रा और रूपों में खाया जाए। दही के सेवन के लाभ: पाचन में सुधार: दही अपने प्रोबायोटिक तत्वों के लिए जाना जाता है, जो आंत के स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है और पाचन में सहायता करता है। मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली: दही में मौजूद प्रोबायोटिक्स आंत में लाभकारी बैक्टीरिया के विकास को बढ़ावा देकर प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत कर सकते हैं। हड्डी और दांतों का स्वास्थ्य: दही में मौजूद कैल्शियम और फास्फोरस हड्डियों और दांतों की मजबूती में योगदान करते हैं। वजन प्रबंधन: दही वजन प्रबंधन में सहायक हो सकता है क्योंकि यह पेट भरने वाला होता है और पौष्टिक नाश्ता या भोजन का हिस्सा हो सकता है। हृदय स्वास्थ्य: कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि दही का सेवन बेहतर हृदय स्वास्थ्य में योगदान दे सकता है। त्वचा के लिए लाभ: दही में मौजूद पोषक तत्व त्वचा के स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी हो सकते हैं। दही का सेवन कब करें: आयुर्वेद के अनुसार, दही का सेवन आदर्श रूप से नाश्ते या दोपहर के भोजन के दौरान किया जाना चाहिए, रात में नहीं। यह सुझाव आयुर्वेदिक सिद्धांतों से निकला है जो रात में दही के सेवन से बचने का सुझाव देते हैं, खासकर मानसून के मौसम में। मानसून के दौरान चिंताएँ: मानसून के दौरान, पारंपरिक मान्यताएँ और आयुर्वेदिक दिशा-निर्देश दही के सेवन के खिलाफ चेतावनी देते हैं। यह सावधानी इस विश्वास पर आधारित है कि दही ठंडा और पचने में भारी होने के कारण इस मौसम में कुछ स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ा सकता है। मानसून के दौरान दही से बचने के कारण और जोखिम: दोषों का बढ़ना: आयुर्वेद के अनुसार, मानसून के दौरान, शरीर के दोष (ऊर्जा) असंतुलित हो सकते हैं, जिससे वात और पित्त दोष बढ़ सकते हैं। दही, जिसे ठंडा और भारी माना जाता है, का सेवन संभावित रूप से इन असंतुलनों को बढ़ा सकता है। संक्रमण का बढ़ता जोखिम: मानसून के मौसम में उच्च आर्द्रता और बैक्टीरिया के विकास के लिए अनुकूल तापमान होता है। गलत तरीके से संग्रहित या तैयार किया गया दही बैक्टीरिया के संक्रमण के कारण संक्रमण का जोखिम पैदा कर सकता है। श्वसन स्वास्थ्य पर प्रभाव: आयुर्वेद में, मानसून के दौरान दही का अत्यधिक सेवन कफ दोष को बढ़ाता है, जिससे संभावित रूप से सर्दी, खांसी और गले में जलन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। सावधानियां: ताज़गी और स्वच्छता सुनिश्चित करें: मानसून के दौरान, बैक्टीरिया के संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए ताज़ा और ठीक से संग्रहित दही का सेवन करना महत्वपूर्ण है। सेवन में संयम: पाचन संबंधी समस्याओं को रोकने के लिए, विशेष रूप से रात में दही का अत्यधिक सेवन करने से बचें। परामर्श: यदि दही के सेवन से संबंधित कोई चिंता या एलर्जी है, तो स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर से परामर्श करना उचित है। हालाँकि दही को आम तौर पर पौष्टिक भोजन माना जाता है, लेकिन मानसून के दौरान इसके सेवन पर सावधानीपूर्वक विचार करने की आवश्यकता होती है। आयुर्वेदिक सिद्धांतों का पालन करना और उचित स्वच्छता बनाए रखना इस मौसम में दही के सेवन से जुड़े संभावित जोखिमों को कम कर सकता है। इन दिशानिर्देशों का ध्यान रखकर, व्यक्ति मानसून के दौरान अपनी सेहत से समझौता किए बिना दही के स्वास्थ्य लाभों का आनंद लेना जारी रख सकते हैं। संक्षेप में, हालांकि दही एक लाभदायक भोजन है, लेकिन इसका सेवन मौसमी विचारों और व्यक्तिगत स्वास्थ्य आवश्यकताओं के अनुरूप होना चाहिए, ताकि पोषण और स्वास्थ्य के प्रति संतुलित दृष्टिकोण सुनिश्चित हो सके। बारिश के साथ हुई डेंगू की एंट्री, जानिए इसके लक्षण और बचाव के उपाय आयुर्वेद की मदद से ऐसे छुड़ाएं नशे की आदत बालों को बनाना है घना तो खाना शुरू कर दे ये चीजें, दूर होगी हेयरफॉल की दिक्कत
घर में सब्जी काटते वक्त बरतें ये सावधानी, नहीं तो आपको धीरे-धीरे खत्म कर देगी एक छोटी सी गलती!
आज के समय में, जब हम सेहत के प्रति ज्यादा जागरूक हो रहे हैं, हम अपने खानपान पर ध्यान देते हैं, नियमित रूप से व्यायाम करते हैं और हेल्दी रहने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपके किचन में एक छोटी सी चीज आपकी सेहत को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचा सकती है?
बचपन में वायु प्रदूषण में ज्यादा रहने वाले बच्चों को जवानी में हो सकता है फेफड़ों की बीमारी
हाल ही में हुए एक शोध के अनुसार, बचपन में वायु प्रदूषण के संपर्क में आने वाले बच्चों को जवानी में फेफड़ों की बीमारियों का खतरा अधिक होता है.