ट्रायम्फ मोटरसाइकिल इंडिया ने अपनी रेट्रो-स्टाइल वाली प्रीमियम मोटरसाइकिल ट्रायम्फ स्पीड T4 को नए कलर ऑप्शन के साथ लॉन्च किया है। इसे 'बाजा ऑरेंज' नाम दिया गया है। नई कलर स्कीम में टैंक पर डुअल-टोन ऑरेंज और ग्रे फिनिश है। इसमें ट्रायम्फ स्पीड T4 लाइनअप में मौजूद अन्य कलर स्कीम की तरह ही लिवरी लेआउट है। नई कलर स्कीम की कीमत 2.05 लाख रुपए (एक्स-शोरूम) है। बाइक 398cc के रिट्यून पेट्रोल इंजन के साथ आती है। इस नई कलर स्कीम के जुड़ने से बाइक अब 5 कलर ऑप्शन के साथ अवेलेबल है। इसके अलावा बाइक में कोई बदलाव नहीं किया गया है। इसमें पहले की तरह ही इंटीग्रेटेड LCD स्क्रीन दिया गया है। यह नियो-रेट्रो रोडस्टर रॉयल एनफील्ड स्क्रैम 411, गुरिल्ला 450, हार्ले डेविडसन X440, जावा 42 FJ 350 को टक्कर देती है। ऑल-LED लाइटिंग और 17-इंच के अलॉय व्हील नई ट्रायम्फ स्पीड T4 कंपनी की स्पीड 400 मोटरसाइकिल पर बेस्ड है और भारत में ये कंपनी की 400CC की मॉडर्न-क्लासिक लुक वाली तीसरी बाइक है। इसे स्पीड 400 में कुछ कॉस्मेटिक बदलावों के साथ पिछले साल सितंबर में उतारा गया था। स्पीड T4 में नए ग्राफिक्स के साथ फ्यूल टैंक, नए बार-एंड मिरर के साथ ऑल-LED लाइटिंग, 17-इंच के अलॉय व्हील और एक इंटीग्रेटेड LCD स्क्रीन जैसे फीचर्स के साथ आती है। इसमें कंफर्ट के लिए मोटे फोम वाली सीट, हाई-प्रोफाइल रेडियल टायर, एडजस्टेबल ब्रेक और क्लच लीवर भी दिया गया है।
दुनिया के सबसे अमीर कारोबारी इलॉन मस्क का स्टारशिप-36 रॉकेट टेक्सास के स्टारबेस टेस्टिंग साइट पर अचानक धमाके के साथ फट गया। इसकी लपटें और धुआं दूर-दूर तक दिखाई दिया। ये धमाका भारतीय समय के अनुसार आज यानी, 19 जून को सुबह करीब 09:30 बजे हुआ। धमाका उस वक्त हुआ जब 29 जून को होने वाले स्टारशिप के 10वें टेस्ट फ्लाइट से पहले रॉकेट का दूसरा स्टैटिक फायर टेस्ट चल रहा था। इस टेस्ट में रॉकेट को जमीन पर ही रखकर उसके इंजन को चालू किया जाता है, ताकि लॉन्च से पहले सब कुछ ठीक हो, ये चेक किया जा सके। ऊपरी हिस्से में विस्फोट हुआ, रॉकेट आग के गोले में बदल गया टेस्ट शुरू होने से ठीक पहले, रॉकेट के ऊपरी हिस्से में, जहां फ्यूल टैंक होते हैं, अचानक विस्फोट शुरू हुआ। देखते ही देखते पूरा रॉकेट आग के गोले में बदल गया। आसपास के इलाकों में रहने वाले लोगों ने बताया कि धमाका इतना जोरदार था कि उनके घरों की खिड़कियां हिल गईं। इस धमाके का जो वीडियो सामने आया है उसमें दिख रहा है कि रॉकेट के नोज यानी, ऊपरी हिस्से से अचानक आग की लपटें निकलती हैं और फिर पूरा रॉकेट धमाके के साथ फट जाता है। कोई हताहत नहीं, लेकिन नुकसान बड़ा स्पेसएक्स ने इस हादसे के बाद बयान जारी कर बताया कि टेस्ट साइट के आसपास पहले से ही सुरक्षा का पूरा इंतजाम था। सभी कर्मचारी सुरक्षित हैं और आसपास के इलाकों में रहने वालों को भी कोई नुकसान नहीं हुआ। कंपनी ने लोगों से अपील की है कि वो टेस्ट साइट के पास न जाएं, क्योंकि अभी भी वहां आग बुझाने और सफाई का काम चल रहा है। कैमरन काउंटी के शेरिफ ऑफिस और स्थानीय पुलिस ने भी पुष्टि की कि कोई घायल नहीं हुआ। फायर डिपार्टमेंट की टीमें तुरंत मौके पर पहुंचीं और आग पर काबू पाने की कोशिश शुरू की। लेकिन रॉकेट और टेस्ट साइट को हुआ नुकसान इतना ज्यादा है कि स्पेसएक्स को अब अपनी 10वीं टेस्ट फ्लाइट की योजना पर फिर से काम करना पड़ेगा। फ्यूल लोडिंग प्रक्रिया शुरू होने के बाद विस्फोट हुआ नासा स्पेसफ्साइट यूट्यूब चैनल पर ये टेस्ट लाइव दिखाया जा रहा था। इस दौरान कमेंट्री में बताया गया कि फ्यूल लोडिंग प्रक्रिया शुरू होने के लगभग 30 मिनट बाद विस्फोट हुआ। स्टैटिक फायर टेस्ट के दौरान रॉकेट के इंजन को लॉन्च माउंट से जुड़े रहते हुए चालू किया जाता है। टेस्ट में रॉकेट के छह रैप्टर इंजनों को एक साथ चालू करना था। इस साल स्टारशिप के लगातार तीन टेस्ट फेल हुए इस साल स्टारशिप के टेस्ट में लगातार असफलताएं मिल रही हैं। सातवें, आठवें और नौवें टेस्ट फ्लाइट में भी रॉकेट या तो उड़ान के दौरान फट गया या फिर कंट्रोल खोकर क्रैश हो गया। स्पेसएक्स का स्टारशिप दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे ताकतवर रॉकेट सिस्टम है, जिसे इंसानों को चांद और मंगल ग्रह पर ले जाने के लिए बनाया जा रहा है। इलॉन मस्क का सपना है कि स्टारशिप के जरिए इंसान एक दिन मंगल पर कॉलोनी बना सकेंगे। ये रॉकेट पूरी तरह से रीयूजेबल है, यानी इसे बार-बार इस्तेमाल किया जा सकता है। अब क्या होगा? इस हादसे ने स्पेसएक्स की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। कंपनी ने 29 जून को 10वीं टेस्ट फ्लाइट का लक्ष्य रखा था, लेकिन अब उसकी टाइमलाइन पूरी तरह से अनिश्चित हो गई है। स्पेसएक्स के इंजीनियर अब डेटा की जांच कर रहे हैं, ताकि ये समझा जा सके कि आखिर गलती कहां हुई। शुरुआती अनुमान में फ्यूल टैंक सिस्टम में खराबी की बात सामने आ रही है। इसके साथ ही, अमेरिका का फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (FAA) भी इस हादसे की जांच करेगा। पहले भी स्टारशिप के असफल टेस्टों की वजह से FAA ने स्पेसएक्स के टेस्ट प्रोग्राम को कुछ समय के लिए रोक दिया था। इस बार भी ऐसा हो सकता है। हालांकि, इलॉन मस्क और उनकी कंपनी स्पेसएक्स का रवैया हमेशा से ही हर असफलता से सीखने का रहा है। मस्क पहले भी कह चुके हैं कि स्टारशिप जैसे जटिल प्रोजेक्ट में असफलताएं स्वाभाविक हैं और हर टेस्ट कंपनी को अपने लक्ष्य के करीब ले जाता है। ऐसे में इस हादसे के बाद भी स्पेसएक्स की टीम जल्दी ही अगले टेस्ट की तैयारी शुरू कर देगी। स्टारशिप व्हीकल की ऊंचाई 403 फीट है स्टारशिप स्पेसक्राफ्ट (ऊपरी हिस्सा) और सुपर हैवी बूस्टर (निचला हिस्सा) को कलेक्टिवली 'स्टारशिप' कहा जाता है। दुनिया के सबसे अमीर कारोबारी इलॉन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स ने इस रॉकेट को बनाया है। इस व्हीकल की ऊंचाई 403 फीट है। ये पूरी तरह से रीयूजेबल है। अभी जो विस्फोट हुआ है वो स्टारशिप स्पेसक्राफ्ट में हुआ है। इसी की टेस्टिंग चल रही थी। ----------------------------------------------- स्टारशिप से जुड़ी ये खबर भी पढ़े... स्टारशिप ने लॉन्चिंग के 30 मिनट बाद खोया कंट्रोल:दुनिया का सबसे शक्तिशाली रॉकेट नहीं कर पाया 9वें टेस्ट को पास दुनिया के सबसे ताकतवर रॉकेट स्टारशिप का 9वां टेस्ट कामयाब नहीं हो पाया। लॉन्चिंग के करीब 30 मिनट बाद स्टारशिप ने कंट्रोल खो दिया, जिस कारण पृथ्वी के वातावरण में एंटर करने पर ये नष्ट हो गया। ये लगातार तीसरी बार है जब स्टारशिप आसमान में ही नष्ट हुआ है। पूरी खबर पढ़े...
फ्लिपकार्ट पर भारत का सबसे बड़ा और महंगा TV बिका है। 115-इंच की TCL X955 Max TV की ऑनलाइन बिक्री 30 लाख रुपए में हुई है। इस TV का साइज आपके कमरे की दीवार जितना है। X955 Max दुनिया की सबसे बड़ी QD-Mini LED TV है। ये 4K Ultra HD रेजोलूशन (38402160 पिक्सल) को सपोर्ट करती है। इसे साथ ही TV में 12 स्पीकर्स दिए गए हैं। X955 Max TV की खासियत साइज: TV की स्क्रीन बहुत बड़ी है। 115 इंच साइज की TV आपके कमरे की पूरी दीवार जितनी बड़ी ही सकती है। इसमें Dolby Vision का सपोर्ट दिया गया है। ब्राइटनेस: TV में 5000 निट्स की ब्राइटनेस दी गई है। इसके अलावा 20,000+ लोकल डिमिंग जोन, 98% DCI-P3 कलर कवरेज दिया गया है। प्रोसेसर: X955 Max TV में TCL AiPQ Pro प्रोसेसर दिया गया है। ये AI बेस्ड कलर, कॉन्ट्रास्ट और क्लैरिटी की फैसिलिटी देता है। इसमें 3GB RAM, 64GB स्टोरेज दिया गया है। ऑडियो: टेलीविजन में Onkyo 6.2.2 Hi-Fi सिस्टम, 12 स्पीकर्स, 120W आउटपुट और Dolby Atmos सपोर्ट के साथ दिए गए हैं। गेमिंग: गेमिंग के लिए 144Hz रिफ्रेश रेट, फ्री सिंक प्रेमिमियम प्रो और गेम मास्टर टेक्नोलॉजी दी गई है। कनेक्टिविटी सपोर्ट: ये Google TV, Apple AirPlay2, HomeKit को सपोर्ट करती है। इसके अलावा कनेक्टिविटी के लिए टीवी में WiFi 6, Bluetooth 5.2, HDMI 2.1 पोर्ट दिया गया है। ग्राहकों का ऑनलाइन खरीदी पर ट्रस्ट बढ़ा TV की बिक्री के बाद TCL के इंडिया हेड फिलिप जिया ने कहा ‘यह सिर्फ बिक्री नहीं, भारत में प्रीमियम इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए ई-कॉमर्स की अपार संभावनाओं का संकेत है।’ वही फ्लिपकार्ट के वाइस प्रेसिडेंट राकेश कृष्णन ने कहा हम भारत के छोटे शहरों तक प्रीमियम टेक पहुंचा रहे हैं। यह टीवी उन ग्राहकों के लिए है जो घर बैठे सिनेमा जैसा अनुभव चाहते हैं।
Google का बड़ा एक्शन, अब आपके साथ नहीं होगी ऑनलाइन धोखाधड़ी
गूगल ने अपने ग्राहकों को ऑनलाइन धोखाधड़ी से बचाने के लिए यहां सेफ्टी चार्टर की शुरुआत की। गूगल इंडिया की कंट्री मैनेजर प्रीति लोबाना ने यहां सेफर विद गूगल इंडिया समिट में सेफ्टी चार्टर की शुरुआत की घोषणा करते हुए कहा कि भारत को विकसित बनाने के लिए, ...
होंडा मोटरसाइकिल एंड स्कूटर्स इंडिया ने अपनी बाइक XL750 ट्रांसलप के अपडेटेड वर्जन को भारत में लॉन्च कर दिया है। इसकी एक्स शोरूम कीमत ₹10.99 लाख है। ये बाइक जुलाई 2025 से होंडा की प्रीमियम बिगविंग डीलरशिप्स पर मिलने लगेगी। ये बाइक लंबे हाईवे टूर और ऑफ-रोड एडवेंचर्स के लिए परफेक्ट है। बाइक पहले से भी ज्यादा स्टाइलिश और टेक-लोडेड हो गई है। इसका डिजाइन होंडा की फ्लैगशिप बाइक अफ्रीका ट्विन से इंस्पायर्ड है। नया ड्यूल LED प्रोजेक्टर हेडलैंप और एरोडायनैमिक वाइजर इसे कूल लुक देता है। साथ ही इसके 5-इंच TFT डिस्प्ले में सनलाइट में भी साफ दिखता है और यह होंडा रोडसिंक कनेक्टिविटी के साथ आता है। सस्पेंशन को भी अपग्रेड किया गया है, ताकि रफ रास्तों पर राइड और स्मूथ हो। डिजाइन और लुक XL750 ट्रांसलप का डिजाइन सिटी और ऑफ-रोड दोनों के लिए सही है। इसका टॉल स्टांस, 218क-इंच फ्रंट और 18-इंच रियर स्पोक व्हील्स इसे रग्ड लुक देते हैं। एरोडायनैमिक वाइजर और ड्यूल LED हेडलैंप्स अफ्रीका ट्विन की तरह प्रीमियम फील देते हैं। बाइक रॉस व्हाइट और ग्रेफाइट ब्लैक दो कलर ऑप्शन्स में मिलेगी। इसकी नई विंडस्क्रीन राइडर को हवा से बचाती है, जिससे लंबी राइड्स कम्फर्टेबल हो जाती हैं। राइडिंग मोड्स और इलेक्ट्रॉनिक फीचर्स इसमें 5 राइडिंग मोड्स हैं- स्पोर्ट, स्टैंडर्ड, रेन, ग्रैवल और यूजर। यानी, आप अपनी जरूरत के हिसाब से इंजन पावर, ब्रेकिंग और ट्रैक्शन कंट्रोल सेट कर सकते हैं। होंडा सिलेक्टेबल टॉर्क कंट्रोल (HSTC) और ड्यूल-चैनल ABS सेफ्टी बढ़ाते हैं। रोडसिंक एप से फोन कनेक्ट करके नेविगेशन, कॉल्स, मेसेज और म्यूजिक कंट्रोल कर सकते हैं। इसके लिए फोर-वे टॉगल स्विच दिया गया है। साथ ही इसमें इमरजेंसी स्टॉप सिग्नल और ऑटो टर्न सिग्नल कैंसिलेशन जैसे स्मार्ट फीचर्स भी हैं। परफॉर्मेंस और माइलेज 755cc का इंजन पावर और टॉर्क का बैलेंस देता है, जो हाईवे पर स्पीड और ऑफ-रोड में कंट्रोल के लिए बेस्ट है। कंपनी का दावा है कि इसका माइलेज 23 kmpl के आसपास है, जो इस साइज की ADV बाइक के लिए ठीक है। लंबी राइड्स के लिए इसका फ्यूल टैंक भी बड़ा है, तो बार-बार पेट्रोल भरने की टेंशन नहीं रहेगी। इंजन बाइक में 755cc पैरलल-ट्विन, लिक्विड-कूल्ड इंजन है, जो 90.5 bhp की पावर (9,500 rpm पर) और 75 Nm का टॉर्क (7,250 rpm पर) देता है। ये इंजन 6-स्पीड गियरबॉक्स के साथ आता है, जिसमें थ्रॉटल-बाय-वायर (TBW) टेक्नोलॉजी है। यानी पावर डिलीवरी स्मूथ और कंट्रोल्ड है। फ्यूल-इंजेक्शन सिस्टम को भी ट्यून किया गया है, ताकि लो और मिड-रेंज में बेहतर रिस्पॉन्स मिले। सस्पेंशन और ब्रेकिंग सिस्टम बाइक में शोवा 43mm USD फ्रंट फोर्क्स और प्रो-लिंक रियर मोनोशॉक हैं, जिन्हें रफ रास्तों के लिए ट्यून किया गया है। 2025 मॉडल में सस्पेंशन की डैंपिंग को बेहतर किया गया है, ताकि बंपी रास्तों पर भी कंट्रोल बना रहे। ब्रेकिंग के लिए ड्यूल 310mm फ्रंट डिस्क और 256mm रियर डिस्क है, जो ड्यूल-चैनल ABS के साथ आता है। यानी सिटी हो या ऑफ-रोड, इसका ब्रेकिंग पावर शानदार है। कॉम्पिटिटर्स भारत में ये बाइक सुजुकि V-स्टॉर्म 800DE, BMW F-900 GS, ट्रायम्फ 900, और KTM 890 एडवेंचर R को टक्कर देगी। XL750 का बैलेंस्ड डिजाइन, स्मूथ इंजन, और अफोर्डेबल प्राइस इसे कॉम्पिटिशन में थोड़ा आगे रखता है। अगर मिडलवेट ADV चाहिए, तो ये एक सॉलिड ऑप्शन है।
इंस्टेंट मैसेजिंग एप वॉट्सएप में अब आपको विज्ञापन भी दिखाई देंगे। ये स्टेटस स्क्रीन पर दिखाई देंगे। यानी जिस तरह इंस्टाग्राम स्टोरीज पर कुछ स्टोरीज देखने के बाद विज्ञापन नजर आते हैं, वैसे ही यूजर को वॉट्सएप पर कुछ स्टेटस अपडेट्स देखने के बाद विज्ञापन नजर आएंगे। इसके लिए 'अपडेट्स' टैब को अपडेट किया जाएगा। कंपनी ने इस टैब में आने वाले 3 नए फीचर्स- चैनल सब्सक्रिप्शन, प्रमोटेड चैनल और स्टेटस में विज्ञापन की जानकारी दी है। मेटा का कहना है कि यूजर्स के पर्सनल चैट्स और कॉल्स सिक्योर रहेंगे। क्या-क्या नया है? यूजर की प्राइवेसी सेफ रहेगी कंपनी का कहना है कि अगर, यूजर एप को सिर्फ पर्सनल चैट और ग्रुप में बात करने के लिए इस्तेमाल करता है तो नए फीचर्स से उसकी प्राइवेसी पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। यानी यूजर्स को चैट, ग्रुप या कॉल्स में किसी भी तरह का विज्ञापन नहीं दिखेगा और ये पूरी तरह से सिक्योर रहेंगे। वॉट्सएप के अनुसार, यूजर्स के चैट्स, कॉल्स और स्टेटस अभी भी एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड रहेंगे। यानी कोई तीसरा व्यक्ति इन्हें देख या सुन नहीं सकता। विज्ञापन दिखाने के लिए वो सिर्फ कुछ बेसिक जानकारी यूज करेंगे, जैसे देश, शहर, भाषा या यूजर किन चैनल्स को फॉलो करते हो। यूजर का फोन नंबर किसी को बेचा या शेयर नहीं किया जाएगा। किसे फायदा मिलेगा फेसबुक और वॉट्सएप की पेरेंट कंपनी मेटा कई सालों से फ्री सर्विस देने के बाद एप पर विज्ञापन दिखाना शुरू करने जा रही है। इससे यह एप भी विज्ञापन से पैसा कमाने वाला प्लेटफॉर्म बन गया है। इससे कंपनी को रेवेन्यु जनरेट करने में मदद मिलेगी। वहीं, बिजनेस करने वाले अब स्टेटस में एड देकर प्रोडक्ट प्रमोट कर सकेंगे। छोटे-मोटे बिजनेस को फायदा होगा, क्योंकि वो डायरेक्ट कस्टमर्स तक पहुंच सकेंगे। यूट्यूबर्स और न्यूज चैनल्स की तरह कॉन्टेंट क्रिएटर्स भी अपने चैनल्स के लिए सब्सक्रिप्शन चार्ज करके पैसे कमा सकेंगे। प्रमोटेड चैनल्स की वजह से नए क्रिएटर्स और बिजनेस को ज्यादा लोग देखेंगे, जिससे उनकी फैन फॉलोइंग बढ़ सकती है। यूजर्स को नए-पुराने प्रोडक्ट्स की इन्फॉर्मेशन और ऑफर्स की जानकारी मिलेगी। इससे ऑनलाइन शॉपिंग करने में मदद मिलेगी।
मारुति सुजुकी ने आज (17 जून) अपनी पॉपुलर SUV ग्रैंड विटारा का सीएनजी वर्जन लॉन्च कर दिया है। CNG का ऑप्शन डेल्टा और जेटा वैरिएंट में मिलेगा, जिनकी कीमत 13.48 लाख रुपए और 15.62 लाख रुपए है। दो महीने पहले ही कंपनी ने स्मार्ट हाइब्रिड SUV का 2025 ईयर अपडेट मॉडल भारत में लॉन्च किया था। इसकी एक्स-शोरूम कीमत ₹11.19 लाख से ₹20.68 लाख के बीच है। कंपनी का दावा है कि ग्रैंड विटारा में CNG के साथ 26.6km/kg माइलेज मिलेगा, जबकि हाइब्रिड इंजन के साथ ये 27.97kmpl का माइलेज देती है। SUV अब ऑल व्हील ड्राइव (AWD) ऑप्शन के साथ 6-स्पीड ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन के साथ आती है। इसके साथ ही इसमें 17 इंच के नए डुअल टोन अलॉय व्हील्स, पावर्ड ड्राइवर सीट और 6 एयरबैग्स स्टैंडर्ड मिलेंगे। मारुति ग्रैंड विटारा का मुकाबला हुंडई क्रेटा, किआ सेल्टोस, टोयोटा हाइराइडर, स्कोडा कुशाक, फोक्सवैगन टाइगन और एमजी एस्टर से है। इंटीरियर और फीचर : 8 तरह से इलेक्ट्रिक एडजस्टेबल ड्राइवर सीट2025 ग्रैंड विटारा में 8 तरह से इलेक्ट्रिक एडजस्टेबल ड्राइवर सीट, डिजिटल डिस्प्ले के साथ एक एयर प्यूरीफायर, रियर विंडो सनशेड और LED केबिन लाइट दी गई है।इसमें पहले की तरह 9-इंच टचस्क्रीन, एक डिजिटल ड्राइवर डिस्प्ले, रियर वेंट्स के साथ ऑटो AC, वेंटिलेटेड फ्रंट सीट, हेड्स-अप डिस्प्ले, वायरलेस फोन चार्जर और पैनोरमिक सनरूफ जैसे फीचर मिलते हैं। सेफ्टी के लिए कार में 6 एयरबैग स्टैंडर्ड और इलेक्ट्रॉनिक पार्किंग ब्रेक (केवल ऑटोमैटिक वैरिएंट के साथ) दिए गए हैं। कॉम्पैक्ट SUV कार में पहले की तरह 360 डिग्री कैमरा, हिल होल्ड असिस्ट और सभी पहियों पर डिस्क ब्रेक जैसे सेफ्टी फीचर भी मिलना जारी हैं। परफॉर्मेंस: ऑल व्हील ड्राइव के साथ 6-स्पीड ऑटोमैटिक गियरबॉक्स 2025 मॉडल अपडेट के साथ ग्रैंड विटारा में ऑल व्हील ड्राइव (AWD) सेटअप के साथ 6-स्पीड ऑटोमैटिक गियरबॉक्स दिया गया है। इससे पहले इस ड्राइवट्रेन के साथ सिर्फ मैनुअल गियरबॉक्स दिया गया था, जिसे अब डिस्कंटीन्यू कर दिया गया है। इसके अलावा कार के परफॉर्मेंस में कोई बदलाव नहीं हुआ है।
बजाज ऑटो ने अपनी आइकॉनिक चेतक रेंज में एक नया इलेक्ट्रिक स्कूटर बजाज चेतक 3001 लॉन्च कर दिया है। इस स्कूटर की शुरुआती एक्स शोरूम कीमत 99,990 रुपए है। ये चेतक लाइनअप का सबसे सस्ता मॉडल है। ये स्कूटर पुराने चेतक 2903 की जगह लेगा। ये स्कूटर तीन रंगों में उपलब्ध है - लाल, पीला और नीला। इसकी डिलीवरी जल्द शुरू होने की उम्मीद है। चेतक 3001 का मुकाबला टीवीएस आईक्यूब, ओला S1 Z, एथर रिज्टा और हीरो विडा VX2 जैसे इलेक्ट्रिक स्कूटर्स से होगा। बजाज चेतक की रेंज, चार्जिंग और फीचर्स बैटरी और रेंज: स्कूटर में 3.0 kWh की बैटरी लगी है, जो पुराने चेतक 2903 की 2.9 kWh बैटरी से थोड़ी बड़ी है। कंपनी का दावा है कि ये सिंगल चार्ज में 127 किलोमीटर तक चल सकता है, जो 2903 की 123 किमी रेंज से बेहतर है। यानी, शहर में रोजमर्रा के सफर के लिए ये एकदम फिट है। डिजाइन और स्टेबिलिटी: चेतक 3001 में बैटरी को फ्लोरबोर्ड के नीचे लगाया गया है, जिससे स्कूटर का बैलेंस बेहतर होता है। इससे स्कूटर चलाने में आसानी होती है, खासकर टर्न लेते वक्त। साथ ही इसमें 35 लीटर का बूट स्पेस मिलता है, जिसमें हेलमेट या सामान आसानी से रखा जा सकता है। मोटर और चार्जिंग: स्कूटर में 3.1 kW (लगभग 4.2 हॉर्सपावर) की इलेक्ट्रिक मोटर है, जो इसे 62 किमी/घंटा की टॉप स्पीड देती है। ये स्पीड शहर के ट्रैफिक के लिए काफी है। इसमें 750W का चार्जर आता है, जो बैटरी को 0 से 80% तक 3 घंटे 50 मिनट में चार्ज कर देता है। फीचर्स: इसमें सॉलिड मेटल बॉडी, स्मार्ट फीचर्स जैसे ब्लूटूथ कनेक्टिविटी, स्मार्टफोन अलर्ट्स, और हिल होल्ड फीचर मिलता है, जो ढलान पर स्कूटर को पीछे खिसकने से रोकता है। साथ ही, इसका क्लासिक लुक चेतक की पुरानी विरासत को जिंदा रखता है। साइज और वजन: स्कूटर की लंबाई 1914 मिमी, चौड़ाई 725 मिमी, ऊंचाई 1143 मिमी और ग्राउंड क्लीयरेंस 168 मिमी है। ये 12-इंच के पहियों पर चलता है। बजाज की चेतक रेंज में अभी चार मॉडल हैं: प्रेसिडेंट एरिक वास बोले- नई जनरेशन के प्लेटफॉर्म पर बना है स्कूटर बजाज ऑटो के अर्बनाइट बिजनेस यूनिट के प्रेसिडेंट एरिक वास ने लॉन्च के मौके पर कहा, “चेतक 3001 इलेक्ट्रिक स्कूटर्स को आम लोगों तक पहुंचाने का एक नया बेंचमार्क है। नई जनरेशन के प्लेटफॉर्म पर बना ये स्कूटर रेंज और परफॉर्मेंस में वो सब देता है, जो भारतीय राइडर्स चाहते हैं। ये राइडिंग को आसान और टेंशन-फ्री बनाता है, साथ ही बजाज की भरोसेमंद सर्विस का वादा भी देता है।” क्या ये स्कूटर आपके लिए है? अगर आप शहर में रोज के सफर के लिए एक किफायती, स्टाइलिश और भरोसेमंद इलेक्ट्रिक स्कूटर चाहते हैं, तो चेतक 3001 एक अच्छा ऑप्शन हो सकता है। इसकी 127 किमी रेंज और 35 लीटर बूट स्पेस इसे प्रैक्टिकल बनाता है, और बजाज का नाम इसे भरोसेमंद। लेकिन अगर आप ज्यादा स्पीड या प्रीमियम फीचर्स चाहते हैं, तो चेतक 3501 या 3502 जैसे हाई-एंड मॉडल्स देख सकते हैं।
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने ऑनलाइन बेटिंग एप्स के प्रचार और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े एक मामले में पूर्व भारतीय क्रिकेटर हरभजन सिंह, युवराज सिंह, सुरेश रैना, एक्टर सोनू सूद और उर्वशी रौतेला से पूछताछ की है। ED के मुताबिक, ये हस्तियां 1xBet, फेयर प्ले, परीमैच और लोटस 365 जैसे प्रतिबंधित बेटिंग प्लेटफॉर्म्स के विज्ञापनों से जुड़ी थीं। NDTV प्रॉफिट ने इस बात की जानकारी दी है। सालाना ₹27,000 करोड़ का टैक्स लॉस इन लोगों से हुई पूछताछ QR कोड से यूजर्स को बेटिंग साइट्स पर रीडायरेक्ट करते हैं रिपोर्ट के मुताबिक, ये बेटिंग प्लेटफॉर्म विज्ञापन में 1xbat और 1xbat स्पोर्टिंग लाइन्स जैसे सेरोगेट नामों का उपयोग कर रहे हैं। विज्ञापनों में अक्सर क्यूआर कोड होते हैं जो यूजर्स को सीधा इन बेटिंग साइट्स पर रीडायरेक्ट कर देते हैं, जो भारतीय कानून का उल्लंघन है। ED के एक अधिकारी के मुताबिक, ये इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (IT) एक्ट, फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट, प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट, और बेनामी लेनदेन अधिनियम सहित कई भारतीय कानूनों का उल्लंघन है। स्किल बेस्ड गेम के रूप में प्रमोशन लेकिन रिजल्ट भाग्य भरोसे ED के अधिकारी ने बताया कि कुछ मशहूर हस्तियों को पहले ही नोटिस जारी किए जा चुके हैं, जबकि अन्य को जल्द ही नोटिस जारी किए जाने की संभावना है। ED अधिकारियों ने कहा कि ये प्लेटफॉर्म खुद को स्कील बेस्ड गेम के रूप में प्रमोट करते हैं, लेकिन भाग्य पर आधारित रिजल्ट देते हैं। इसके लिए ये प्लेटफॉर्म्स रिग्ड एल्गोरिदम का उपयोग करते हैं। -------------------- ये खबर भी पढ़ें... ऑनलाइन गेमिंग में 500 जीते, फिर 7 करोड़ हारे: गेम खिलाने वाले बोले- फंसाते नहीं, लोग खुद फंसते, फिर मर जाते हैं ‘एक दिन मेरे मोबाइल पर मैसेज आया। उसमें गेमिंग एप्लिकेशन का लिंक था। मैंने सोचा खेलकर देखता हूं। गेम का नाम रमी लोटस था। शुरुआत में मैं जीतने लगा। 500 रुपए लगाए, तो 700 रुपए मिले। 1000 लगाए तो 1500 मिल गए। ये करीब 7 से 8 दिन तक चला। फिर मैं हारने लगा। धीरे-धीरे ढाई लाख रुपए हार गया। हारा पैसा वापस पाने के लिए और रुपए लगाता गया, वो भी हार गया।’ पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें...
निसान मैग्नाइट एक किफायती सब-कॉम्पैक्ट SUV है, जो इंडियन मार्केट में अपने स्टाइलिश डिजाइन, फीचर्स और वैल्यू-फॉर-मनी के लिए जानी जाती है। अब कंपनी ने इसके साथ CNG (ऑर्थराइज्ड डीलरशिप से रेट्रोफिटमेंट) का ऑप्शन भी दे दिया है। दैनिक भास्कर की ऑटो डेस्क टीम ने इसे लगभग 1000 किलोमीटर चलाकर देखा। तो आइए जानते हैं इस कार में खास है। हम यहां इसके डिजाइन, परफॉर्मेंस, फीचर्स, माइलेज और प्रैक्टिकालिटी जैसे पॉइंट्स कवर करेंगे। डिजाइन और लुक्स: 16 इंच डुअल टोन अलॉय व्हील्स निसान मैग्नाइट का फेसलिफ्ट पिछले साल अक्टूबर में आया था, लेकिन अब भी इसका डिजाइन काफी अट्रेक्टिव और मॉडर्न है। 2024 फेसलिफ्ट के बाद यह पहले ज्यादा प्रीमियम फील देती है। एक्सटीरियर: मैग्नाइट में बोल्ड फ्रंट ग्रिल, बूमरैंग-स्टाइल LED डे-टाइम रनिंग लाइट्स के साथ स्लीक हेडलैंप्स और 16-इंच डुअल-टोन अलॉय व्हील्स दिए गए हैं। नया सनराइज कॉपर ऑरेंज कलर और ग्लॉस ब्लैक फिनिश ग्रिल इसे और अट्रेक्टिव बनाते हैं। 205mm का ग्राउंड क्लीयरेंस और चारों ओर बॉडी क्लेडिंग इसे SUV जैसा रग्ड लुक देता है। यह भारतीय सड़कों के लिए बढ़िया है। इंटीरियर: केबिन में डुअल-टोन (कॉपर/ब्लैक) लेदरेट अपहोल्स्ट्री और टेक्सचर्ड मटेरियल्स का इस्तेमाल किया गया है, जो प्रीमियम फील देता है। डैशबोर्ड का लेआउट साफ-सुथरा है, लेकिन कुछ जगहों पर (जैसे- ग्लवबॉक्स और B/C-पिलर्स) पैनल गैप्स नजर आते हैं, जो फिट-फिनिश में कमी दिखाते हैं। परफॉर्मेंस: टर्बो पेट्रोल इंजन के साथ अब CNG का भी ऑप्शनमैग्नाइट दो पेट्रोल इंजन ऑप्शन के साथ आती है। इसमें एक 1.0 लीटर का नेचुरली एस्पिरेटेड पेट्रोल इंजन मिलता है, जो 72PS की पावर और 96Nm का टॉर्क जनरेट करता है। इसके साथ 5 स्पीड मैनुअल (MT) और 5 स्पीड AMT गियरबॉक्स का ऑप्शन मिलता है। यह इंजन बेसिक ड्राइविंग के लिए ठीक है, लेकिन यह चढ़ाई या ओवरटेकिंग के समय यह अंडर पावर लगता है और रिफाइनमेंट में भी कमी महसूस होती है। इस इंजन के मैनुअल गियरबॉक्स के साथ अब 70 हजार रुपए एक्स्ट्रा देकर आप CNG किट भी लगवा सकते हैं। दूसरा 1.0 लीटर का टर्बो-पेट्रोल इंजन मिलता है, जो 100PS की पावर और मैनुअल गियरबॉक्स के साथ 160Nm और CVT इंजन के साथ 152Nm का टॉर्क जनरेट करता है। यह इंजन ज्यादा पेप्पी और रेस्पॉन्सिव है, खासकर हाईवे ड्राइविंग के लिए। CVT ऑटोमैटिक स्मूथ है, लेकिन थोड़ा स्लो रेस्पॉन्स देता है। ड्राइविंग एक्सपीरियंस: टर्बो-पेट्रोल के साथ मैग्नाइट शहर और हाईवे दोनों में मजेदार ड्राइविंग देती है। सस्पेंशन सिटी की छोटी-मोटी गड्ढों को अच्छे से हैंडल करता है, लेकिन हाई स्पीड पर राइड क्वालिटी थोड़ी हार्ड लगती है। स्टीयरिंग रेस्पॉन्स ठीक है, लेकिन प्रीमियम SUV जैसे किआ सोनेट या महिंद्रा XUV 3XO जितना शार्प नहीं है। माइलेज: नेचुरली एस्पिरेटेड इंजन का ARAI क्लेम्ड माइलेज MT के साथ 17.9kmpl और AMT के साथ 19.7kmpl है। रियल-वर्ल्ड में 17 से 18kmpl के बीच माइलेज मिलता है। वहीं, टर्बो पेट्रोल इंजन में CVT गियरबॉक्स के साथ शहर में 13-14kmpl और हाईवे पर 18+ kmpl का माइलेज मिलता है। CNG में 19.6km/kg का माइलेज मिलता है, जो किफायती ड्राइविंग के लिए अच्छा ऑप्शन है। स्पेस और प्रैक्टिकलिटीमैग्नाइट 5-सीटर है, जिसमें रियर सीट पर 3 लोग आराम से बैठ सकते हैं। 336-लीटर का बूट स्पेस छोटी फैमिली के लिए पर्याप्त है। इसे 60:40 स्प्लिट रियर सीट्स के साथ इसे 690 लीटर तक बढ़ाया जा सकता है। रियर सीट पर लंबे सफर में थोड़ा क्रैम्प्ड फील हो सकता है, क्योंकि केबिन की चौड़ाई कुछ कॉम्पिटिटर्स जैसे- XUV 3XO से कम है। हालांकि ये टाटा पंच और हुंडई एक्सटर से ज्यादा चौड़ी है। मैग्नाइट का मुकाबला टाटा पंच, नेक्सॉन, मारुति फ्रॉन्क्स हुंडई एक्स्टर, वेन्यू, किआ सोनेट, रेनो काइगर और महिंद्रा XUV 3XO से है। इसकी कीमत और फीचर्स इसे टाटा पंच और रेनो काइगर के करीब लाते हैं, लेकिन प्रीमियम SUV जैसे सोनेट और XUV 3XO के मुकाबले इंटीरियर क्वालिटी और रिफाइनमेंट में थोड़ा पीछे रहता है। फाइनल वर्डिक्ट निसान मैग्नाइट बजट-फ्रेंडली, स्टाइलिश और फीचर-लोडेड SUV चाहने वाले लोगों के लिए अच्छा ऑप्शन है। खासकर छोटी फैमिली या फर्स्ट-टाइम बायर्स के लिए CNG ऑप्शन इसे और किफायती बनाता है। SUV में मिलने वाले 20 से ज्यादा सेगमेंट फर्स्ट फीचर्स और सेफ्टी के लिए 6 एयरबैग के साथ 360-डिग्री कैमरा जैसे 40+ फीचर इसे वैल्यू-फॉर-मनी कार बनाते हैं। अगर आपका बजट 10-12 लाख है और आप एक स्टाइलिश, फीचर-रिच SUV चाहते हैं, तो मैग्नाइट टॉप वैरिएंट एक दमदार ऑप्शन है। हां अगर आपको प्रीमियम इंटीरियर्स, सनरूफ या ज्यादा रिफाइंड ड्राइविंग एक्सपीरियंस चाहिए तो दूसरे ऑप्शन देखने होंगे।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की कंपनी ट्रम्प ऑर्गनाइजेशन ने सोमवार (16 जून) को ट्रम्प मोबाइल नाम से एक नया स्मार्टफोन ब्रांड और नेटवर्क सर्विस लॉन्च की। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, स्मार्टफोन के सेल और मोबाइल नेटवर्क सर्विस सितंबर-2025 से शुरू होगी। ऑर्गनाइजेशन ने T1 नाम से एक 5G स्मार्टफोन भी पेश किया, जिसकी कीमत 499 अमेरिकी डॉलर (यानी लगभग 42,913 रुपए) रखी गई है। ये पूरी तरह मेड इन अमेरिका फोन होगा। इसे ऑफिशियल वेबसाइट से 100 डॉलर में बुक किया जा सकता है। इसके साथ 'द 47 प्लान' नाम से एक सब्सक्रिप्शन मंथली प्लान भी पेश किया गया, जिसकी कीमत 47.45 अमेरिकी डॉलर (लगभग ₹3,950) है। इसमें 100 देशों में अनलिमिटेड कॉलिंग कर सकेंगे। एपल को टक्कर देंगे ट्रम्पहाल ही में ट्रम्प ने एपल को धमकी दी थी कि अगर आईफोन भारत या बाहर बनाए गए तो 25% टैरिफ लगेगा। बावजूद इसके टिम कुक की कंपनी भारत में मैन्युफैक्चरिंग बढ़ा रही है। अब ट्रम्प मोबाइल लॉन्च करके एपल को टक्कर देंगे। 3 वायरलेस सर्विस प्रोवाइडर्स से नेटवर्क कैपेसिटी खरीदेगी कंपनीन्यूयॉर्क के ट्रम्प टॉवर में डोनाल्ड ट्रम्प जूनियर और एरिक ट्रम्प ने इस नई कंपनी को लॉन्च किया। डोनाल्ड ट्रम्प जूनियर ने कहा कि, 'इस प्लान के तहत ग्राहक को सिर्फ मोबाइल नेटवर्क ही नहीं, बल्कि और भी कई सुविधाएं एक साथ मिलेंगी। हमने इंडस्ट्री से जुड़े बेहतरीन एक्सपर्ट के साथ पार्टनरशिप की है। हम सुनिश्चित करना चाहते हैं कि अमेरिका के लोगों को सही दाम में मोबाइल कैरियर के सबसे बेहतरीन सर्विस मिले। ट्रम्प की टेलीकॉम कंपनी मोबाइल वर्चुअल नेटवर्क ऑपरेटर के रूप में काम करेगी, जो 3 प्रमुख अमेरिकी वायरलेस सर्विस प्रोवाइडर्स से नेटवर्क कैपेसिटी खरीदेगी।' जूनियर ट्रम्प ने बताया कि उनकी कंपनी अमेरिका में 250 सीटों वाला कस्टमर सर्विस सेंटर भी शुरू करेगी। यह ऑटोमैटिक सिस्टम नहीं होगा, बल्कि इसमें वास्तविक लोग काम करेंगे। यह कस्टमर सपोर्ट सेंटर अमेरिका से 24/7 काम करेगा।
सिट्रोएन इंडिया ने आज (16 जून) अपनी एंट्री लेवल हैचबैक कार सिट्रोएन C3 का स्पोर्ट एडिशन भारत में लॉन्च कर दिया है। इस लिमिटेड एडिशन की शुरुआती कीमत 6.44 लाख रुपए से 10.21 लाख रुपए (एक्स-शोरूम, पैन इंडिया) के बीच रखी गई है। सिट्रोएन C3 स्पोर्ट एडिशन की कीमत रेगुलर मॉडल से 21 हजार रुपए ज्यादा है। कार के एक्सटीरियर और इंटीरियर डिजाइन में कुछ कॉस्मेटिक चेंजेस किए गए हैं। इसके साथ इसमें नया गार्नेड रेड कलर ऑप्शन भी जोड़ा गया है। हैचबैक 6 एयरबैग के साथ आती है। कार का मुकाबला मारुति वैगन आर, सेलेरियो और टाटा टियागो से है। सिट्रोएन C3 स्पोर्ट एडिशन: वैरिएंट वाइस प्राइस परफॉर्मेंस: CNG में 17.4 km/kg का माइलेज सिट्रोएन C3 स्पोर्ट एडिशन में मैकेनिकली कोई भी बदलाव नहीं किया गया है। इसमें पहले की तरह ही 1.2-लीटर नैचुरली-एस्पिरेटेड पेट्रोल इंजन दिया गया है, जो 81Bhp और 115Nm जनरेट करता है। इस इंजन को 5 स्पीड मैनुअल गियरबॉक्स के साथ ट्यून किया गया है। कार के साथ 1.2-लीटर टर्बो पेट्रोल इंजन का ऑप्शन भी मिलता है, जो 109hp और 190Nm का टार्क जनरेट करता है। इसके साथ अब 6-स्पीड मैनुअल और 6 स्पीड ऑटोमैटिक गियरबॉक्स का ऑप्शन मिलता है। कार का मैनुअल और ऑटोमैटिक दोनों ट्रांसमिशन के साथ ARAI-प्रमाणित माइलेज 19.3kmpl है, लेकिन रियल वर्ल्ड कंडिशन में यह शहरी क्षेत्र में 11.5-15.18kmpl और हाईवे पर 15.75 - 20.27kmpl का माइलेज देती है। वहीं, CNG में 17.4 km/kg का माइलेज मिलता है। फीचर्स : सेफ्टी के लिए 6 एयरबैग मिलेंगे सिट्रोएन C3 स्पोर्ट एडिशन हैचबैक में पहले की तरह वायरलेस एंड्रॉइड ऑटो और एपल कारप्ले के साथ 10.2-इंच टचस्क्रीन इंफोटेनमेंट सिस्टम, स्टीयरिंग-माउंटेड ऑडियो कंट्रोल, रिमोट लॉकिंग/अनलॉकिंग और हाइट-एडजस्टेबल ड्राइवर की सीट जैसे फीचर्स मिलते हैं। सेफ्टी के लिए C3 स्पोर्ट एडिशन में अब 6 एयरबैग भी दे दिए गए हैं। इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक स्टेबिलिटी कंट्रोल, एक हिल होल्ड असिस्ट, एक टायर प्रेशर मॉनिटरिंग सिस्टम (TPMS) और सेंसर के साथ एक रियर पार्किंग कैमरा जैसे फीचर्स मिलते हैं।
इस साल केदारनाथ इलाके में हेलिकॉप्टर क्रैश या इमरजेंसी लैंडिंग से जुड़ी कुल 5 घटनाएं सामने आईं हैं। क्रैश हुए हेलिकॉप्टर बेल कंपनी के हैं। वहीं इमरजेंसी और क्रैश लैंडिंग में एयरबस, अगस्ता वेस्टलैंड के हेलिकॉप्टर शामिल हैं। ये पायलट या हेलिकॉप्टर ऑपरेट करने वाली कंपनी की किसी गलती से हो रहा है, तकनीकी दिक्कत या खराब मौसम इसकी वजह है। आइए इसे डिटेल में समझते हैं... सबसे पहले हेलिकॉप्टर की टेक्नोलॉजी... हेलिकॉप्टर के मुख्य हिस्से और उनका काम: 1. मेन रोटर ब्लेड: ये हेलीकॉप्टर को हवा में उठाने और दिशा देने का काम करते हैं। ब्लेड्स हवाई जहाज के पंखों जैसे एयरफॉइल होते हैं। जब ये तेजी से घूमते हैं, तो हवा को नीचे धकेलते हैं, जिससे लिफ्ट बनती है और हेलीकॉप्टर ऊपर उड़ता है। पायलट ब्लेड्स के कोण को कलेक्टिव (सभी ब्लेड्स एकसाथ) या साइक्लिक (हर ब्लेड अलग-अलग) तरीके से बदलता है। इससे हेलीकॉप्टर ऊपर-नीचे, आगे-पीछे, या दाएं-बाएं जा सकता है। ये ब्लेड्स फ्लेक्सिबल होते हैं। 2. टेल रोटर: ये हेलिकॉप्टर की पूंछ पर लगा छोटा पंखा होता है, जो हेलिकॉप्टर को दिशा देने और स्थिर रखने का काम करता है। पायलट फुट पेडल्स से टेल रोटर के ब्लेड्स के कोण बदलता है, जिससे हेलिकॉप्टर दाएं या बाएं मुड़ पाता है। 3. इंजन: ये हेलिकॉप्टर का दिल है, जो इसे चलाने की ताकत देता है। ज्यादातर हेलिकॉप्टर्स में टर्बोशाफ्ट इंजन होता है, जो पावर को एक शाफ्ट के जरिए मेन रोटर और टेल रोटर तक भेजता है। ये जेट इंजन जैसा है, लेकिन हवा का धक्का देने की जगह शाफ्ट घुमाता है। अब समझिए हेलिकॉप्टर उड़ता कैसे हैं… हेलिकॉप्टर के रोटर ब्लेड तेजी से घूमते हैं और हवा को नीचे की तरफ धकेलते हैं। न्यूटन का एक नियम है- हर क्रिया की बराबर और उल्टी प्रतिक्रिया होती है। तो, जब ब्लेड हवा को नीचे धकेलते हैं, हेलिकॉप्टर को ऊपर की तरफ उठाने वाली ताकत मिलती है। बस यही लिफ्ट हेलिकॉप्टर को हवा में उड़ाती है। अब, हेलीकॉप्टर को इधर-उधर, आगे-पीछे या ऊपर-नीचे ले जाने के लिए पायलट उन ब्लेड्स के कोण को बदलता है। मतलब, ब्लेड्स को थोड़ा तिरछा कर दो, तो हेलीकॉप्टर उस दिशा में जाता है। वहीं टेल रोटर हेलीकॉप्टर को दाएं-बाएं मोड़ने और एक जगह स्थिर रखता है। उसे इधर-उधर घूमने से रोकता है। केदारनाथ इलाके में हेलिकॉप्टर क्रैश या इमरजेंसी लैंडिंग से जुड़ी 5 घटनाएं... 1. 8 मई 2025: उत्तरकाशी में गंगनानी के पास क्रैश में 6 की मौत ये बेल 407 हेलीकॉप्टर था, जिसे एयरोट्रांस सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड ऑपरेट करी रही थी। हेलीकॉप्टर श्रद्धालुओं को लेकर गंगोत्री धाम जा रहा था। इसमें पायलट सहित सात लोग सवार थे। छह यात्रियों की घटनास्थल पर ही मौत हो गई। एक यात्री घायल हुआ था। ये घटना खराब मौसम, तकनीकी खराबी, या पायलट की गलती से हुई इसकी जांच की जा रही है। फाइनल रिपोर्ट आने के बाद ही दुर्घटना का सटीक कारण पता चल पाएगा। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। 2. 12 मई 2025: उखीमठ में स्कूल के मैदान में आपातकालीन लैंडिंग ये एयरबस का AS350 B3 हेलिकॉप्टर था जिसे हिमालयन हेली सर्विसेज ऑपरेट करती है। ये हेलिकॉप्टर बद्रीनाथ से श्रद्धालुओं को लेकर सिरसी लौट रहा था। खराब विजिबिलिटी के कारण उखीमठ में एक स्कूल के मैदान में इसे इमरजेंसी लैंडिंग करनी पड़ी। सभी श्रद्धालु सुरक्षित थे। 3. 17 मई 2025: एम्स ऋषिकेश के हेली एम्बुलेंस की क्रैश लैंडिंग ये एयरबस का AS350 B2 हेलिकॉप्टर था। हेलिकॉप्टर सांस की तकलीफ से जूझ रही श्रीदेवी नाम की महिला को रेस्क्यू करने के लिए केदारनाथ जा रहा था। टेल रोटर में खराबी आने के कारण हेलिकॉप्टर को केदारनाथ हेलीपैड से 10-20 मीटर पहले क्रैश लैंडिंग करनी पड़ी। इस हादसे में हेलिकॉप्टर में सवार तीन लोग यानी, पायलट, एक डॉक्टर, और एक नर्सिंग स्टाफ सुरक्षित बच निकला। हेलिकॉप्टर में आई तकनीकी खराबी की सटीक वजह जांच पूरी होने के बाद ही स्पष्ट होगी। 4. 7 जून 2025: रुद्रप्रयाग में हाईवे पर आपातकालीन लैंडिंग ये अगस्ता वेस्टलैंड का AW119 हेलिकॉप्टर था, जिसे केस्ट्रेल एविएशन ऑपरेट करता है। ये हेलिकॉप्टर रुद्रप्रयाग जिले में बदासु (सिरसी) हेलीपैड से केदारनाथ धाम की ओर जा रहा था। उड़ान भरने के तुरंत बाद तकनीकी खराबी के कारण इसे राष्ट्रीय राजमार्ग पर आपातकालीन लैंडिंग करनी पड़ी। हेलिकॉप्टर में सवार पांच यात्री पूरी तरह सुरक्षित रहे और उन्हें कोई चोट नहीं आई। पायलट को पीठ दर्द की शिकायत हुई, जिसके लिए उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया, लेकिन उनकी चोटें मामूली थीं। हादसे के बाद DGCA ने केस्ट्रेल एविएशन की उड़ानों को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया। 5. 15 जून 2025: केदारघाटी के पास हेलिकॉप्टर दुर्घटना में 7 की मौत ये बेल 407 हेलिकॉप्टर था, जिसे आर्यन एविएशन ऑपरेट करती थी। यह हेलीकॉप्टर केदारनाथ धाम से 6 श्रद्धालुओं (5 वयस्क और 1 बच्चा) को लेकर गुप्तकाशी की ओर जा रहा था। हादसे का प्राथमिक कारण खराब मौसम और कम दृश्यता बताया गया है। सुबह करीब 5:20 बजे, जब हेलिकॉप्टर ने केदारनाथ हेलीपैड से उड़ान भरी, तो गौरीकुंड के जंगलों में घने बादल और कोहरा था। उत्तराखंड के मौसम विभाग ने उस दिन पर्वतीय जिलों में बारिश और कोहरे की चेतावनी दी थी, जो उड़ान के लिए जोखिम भरा था।
महिंद्रा एंड महिंद्रा ने अपनी पॉपुलर SUV स्कॉर्पियो-एन का नया वैरिएंट Z4 ऑटोमेटिक वैरिएंट लॉन्च किया है। इसे बेस वैरिएंट Z2 के ऊपर रखा गया है। इससे ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन वाली स्कॉर्पियो एन और भी सस्ती हो गई है। इससे पहले Z4 वैरिएंट सिर्फ 6-स्पीड मैनुअल गियरबॉक्स के साथ अवेलेबल था। अब इसमें पेट्रोल और डीजल दोनों इंजन ऑप्शन के साथ 6-स्पीड टॉर्क कन्वर्टर ऑटोमैटिक गियरबॉक्स दे दिया गया है। इसके अलावा कार में कोई बदलाव नहीं किया गया है। Z4 पेट्रोल ऑटोमैटिक की एक्स-शोरूम कीमत 17.39 लाख रुपए है, जबकि Z4 डीजल ऑटोमैटिक की कीमत 17.86 लाख रुपए है। इस अपडेट से पहले स्कॉर्पियो-एन में ऑटोमैटिक गियरबॉक्स का ऑप्शन डीजल में Z6 वैरिएंट (कीमत ₹18.91 लाख) और पेट्रोल में Z8 सेलेक्ट वैरिएंट (कीमत ₹19.06 लाख) में मिलता था। इसकी तुलना में नए स्कॉर्पियो Z4 ऑटोमेटिक मॉडल पेट्रोल में 1.05 लाख रुपए और डीजल 1.67 लाख रुपए सस्ते हैं। भारत में इसका मुकाबला टाटा हैरियर और सफारी से है, वहीं इस प्राइस रेंज में इसकी टक्कर हुंडई क्रेटा और किया सेल्टोस के टॉप लाइन वैरिएंट से भी है। परफॉर्मेंस : डीजल इंजन के साथ 4 व्हील ड्राइव ऑप्शन भी महिंद्रा स्कॉर्पियो-एन 2.0-लीटर का mStallion टर्बोचार्ज्ड पेट्रोल इंजन और mHawk डीजल इंजन के साथ आती है। पेट्रोल इंजन वाली SUV 6-स्पीड मैनुअल ट्रांसमिशन के साथ 203hp की पावर और 370NM का पीक टॉर्क जनरेट करती है। 6-स्पीड टॉर्क कन्वर्टर ऑटोमैटिक गियरबॉक्स के साथ जोड़े जाने पर यही इंजन 10Nm ज्यादा टॉर्क जनरेट करता है। वहीं, डीजल इंजन मैनुअल गियरबॉक्स के साथ 175hp और 370NM पीक टॉर्क जनरेट करता है। 6-स्पीड टॉर्क कन्वर्टर के साथ यही इंजन 400Nm का टॉर्क जनरेट करता है। स्कॉर्पियो-एन डीजल इंजन के साथ 4 व्हील ड्राइव (4WD) ऑप्शन भी है। फीचर्स : एंड्रॉइड ऑटो और एपल कारप्ले के साथ 8-इंच टचस्क्रीन स्कॉर्पियो-एन 70 से ज्यादा कनेक्टेड फीचर्स के साथ आती है। इसके Z4 ट्रिम में 8-इंच टचस्क्रीन, वायर्ड एंड्रॉइड ऑटो और एपल कारप्ले, स्टीयरिंग-माउंटेड कंट्रोल, सेकेंडर रो में AC वेंट, हैलोजन हेडलाइट्स, LED टर्न इंडिकेटर्स, प्लास्टिक कवर वाले 17-इंच व्हील, रियर स्पॉइलर, पावर विंडो और फैब्रिक अपहोल्स्ट्री जैसे फीचर्स मिलते हैं। सेफ्टी फीचर्स : 6 एयरबैग और टायर प्रेशर मॉनिटरिंग सिस्टम सेफ्टी के लिए महिंद्रा ने सभी व्हील में डिस्क ब्रैक, 6 एयरबैग, हिल होल्ड कंट्रोल, हिल डिसेंट कंट्रोल,सेंसर के साथ रिवर्स कैमरा, टायर प्रेशर मॉनिटरिंग सिस्टम, क्रूज कंट्रोल और रियर डिस्क ब्रेक जैसे कई फीचर्स दिए हैं।
12 जून 2025 का दिन। एअर इंडिया की फ्लाइट AI-171 ने दोपहर 1 बजकर 38 मिनट 40 सेकेंड पर अहमदाबाद एयरपोर्ट से लंदन के लिए टेकऑफ किया। प्लेन 625 फीट की ऊंचाई तक पहुंचता है और 174 नॉट्स की टॉप स्पीड हासिल करता है, फिर तेजी से नीचे आने लगता है। पायलट सुमीत सभरवाल और को-पायलट क्लाइव कुंदर एयर ट्रैफिक कंट्रोल यानी ATC को मेडे कॉल करते हैं। सुमित सभरवाल कहते हैं- मेडे, मेडे, मेडे... थ्रस्ट नहीं मिल रहा, प्लेन उठ नहीं रहा। नहीं बचेंगे। सुमित को 8,200 घंटे से ज्यादा का फ्लाइंग एक्सपीरियंस था। को पायलट को भी 1,100 घंटे का फ्लाइंग एक्सपीरियंस था। फिर ऐसा क्या हुआ कि चंद सेकेंड में ही एअर इंडिया की ये फ्लाइट एक बड़ा आग का गोला बन गई। ये पायलट की किसी गलती से हुआ या बोइंग के प्लेन में आई किसी तकनीकी दिक्कत से। इस हादसे में 242 यात्रियों और क्रू मेंबर्स में से 241 की मौत हो गई। सिर्फ एक भारतीय मूल के ब्रिटिश यात्री की जान बची। यह बोइंग 787-8 के इतिहास का पहला क्रैश था। हादसे की जांच शुरू हो चुकी है और शुरुआती अनुमानों में इस क्रैश लेकर एक्सपर्ट्स की 4 तरह की थ्योरी है... 1. दोनों इंजन में खराबी 2. फ्यूल कंटेमिनेशन यानी दूषित ईंधन 3. बिना फ्लैप्स के टेकऑफ 4. पायलट ने गलती से फ्लैप्स उठा दिए इन चारों थ्योरीज में कितना दम है इसका एक्सपर्ट के साथ बारी-बारी से एनालिसिस करते हैं। लेकिन इसे आसानी से समझने के लिए प्लेन के उड़ने की साइंस को भी समझना होगा। इसलिए सबसे पहले हवाई जहाज के मुख्य हिस्से और उनका काम जान लेते हैं… अब समझिएं टेकऑफ, क्रूज और लैंडिंग… टेकऑफ: प्लेन के विंग्स में एयरफॉइल होते हैं, जो ऊपर से कर्व और नीचे से थोड़े फ्लैट होते हैं। इस शेप के कारण जब जहाज रनवे पर तेजी से दौड़ता है, तो हवा विंग्स के ऊपर और नीचे से गुजरती है। विंग्स के ऊपर की हवा तेजी से निकलती है, जिससे वहां कम एयर मॉलिक्यूल्स जमा होते हैं और प्रेशर भी कम बनता है। विंग्स के नीचे की हवा धीमी होती है, इसलिए वहां ज्यादा एयर मॉलिक्यूल्स जमा हो जाते हैं और प्रेशर भी ज्यादा बनता है। ये प्रेशर का फर्क और नीचे की तरफ जमा ज्यादा एयर मॉलिक्यूल्स जहाज को ऊपर धकेलते हैं। इसे न्यूटन के नियम से भी समझ सकते हैं। न्यूटन का तीसरा नियम कहता है: हर क्रिया की बराबर और विपरीत प्रतिक्रिया होती है। यानी, अगर कोई वस्तु दूसरी वस्तु पर बल लगाती है, तो दूसरी वस्तु भी पहले पर उतना ही बल, लेकिन उल्टी दिशा में लगाती है। प्लेन के विंग्स हवा के मॉलिक्यूल्स को नीचे दबाते हैं और ये मॉलिक्यूल्स विपरीत दिशा में बल लगाते हैं, जिससे प्लेन ऊपर उठ जाता है। आसान भाषा में कहे तो जहाज के पंख हवा को नीचे दबाते है जिससे जहाज ऊपर उठता है और फ्लाई कर पाता है। यहां एक और बात समझना जरूरी है कि जहाज की स्पीड जितनी ज्यादा होगी उतने ही ज्यादा एयर मॉलिक्यूल जमा होंगे और जहाज को उतना ही लिफ्ट मिलेगा। टेकऑफ के दौरान पायलट टर्बोफैन इंजन को फुल थ्रॉटल देता है, जिससे जहाज रनवे पर तेज दौड़ता है। इसके अलावा जहाज को ऊपर उठाने में एंगल ऑफ अटैक यानी विंग्स का हवा से टकराने के कोण का भी बड़ा रोल है। एंगल ऑफ अटैक के ज्यादा होने से लिफ्ट बढ़ जाती है। इसे टेक ऑफ के समय टेल में लगे एलिवेटर से बढ़ाया जाता है। एलिवेटर को ऊपर उठाने से प्लेन की टेल नीचे और नोज ऊपर हो जाती है। हवाई जहाज के फ्लैप्स और स्लैट्स यानी, विंग्स के पीछे और आगे की मूविंग प्लेट्स भी लिफ्ट जनरेट करने में मदद करते हैं। जहां रनवे छोटे होते हैं वहां इनकी मदद से ही प्लेन को ज्यादा लिफ्ट मिलती है। क्रूज: हवाई जहाज को हवा में टिके रहने के लिए लगातार तेजी से चलना पड़ता है, ताकि विंग्स से लिफ्ट मिलती रहे। अगर स्पीड कम हुई, तो वजन की वजह से जहाज नीचे गिर जाएगा। हवा में टर्न करने के लिए टेल काम आती है। एलिवेटर ऊपर-नीचे की मूवमेंट के लिए है। दाएं-बाएं टर्न के लिए रडर होता है, जो हवा के दबाव से जहाज को मोड़ता है। पायलट कॉकपिट से ये सब कंट्रोल करता है। लैंडिंग: पायलट इंजन की स्पीड कम करता है, जिससे लिफ्ट कम हो और जहाज धीरे-धीरे नीचे आए। फ्लैप्स और स्लैट्स खोलकर कम स्पीड में भी कंट्रोल बनाए रखा जाता है। स्पॉइलर्स (विंग्स पर छोटी प्लेट्स) खुलते हैं, जो लिफ्ट कम करते हैं और हवा का रेजिस्टेंस बढ़ाते हैं। इंजन में रिवर्स थ्रस्ट लगाकर हवा को आगे फेंका जाता है, जिससे जहाज धीमा होता है। टायरों में ब्रेक्स भी लगते हैं और जहाज रनवे पर रुक जाता है। एअर इंडिया के बोइंग 787-8 विमान क्रैश की 4 थ्योरी को एविएशन एक्सपर्ट और कॉमर्शियल पायलट कैप्टन स्टीव से समझतें है। कैप्टन स्टीव ने बोइंग 777 और बोइंग 787 दोनों उड़ाए हैं… 1. दोनों इंजन में खराबी: कुछ लोगों का मानना है कि विमान के दोनों इंजनों ने एक साथ काम करना बंद कर दिया, जिसके कारण विमान की लिफ्ट खत्म हो गई। लेकिन कैप्टन स्टीव के मुताबिक, यह थ्योरी कमजोर है। वीडियो में इंजनों से कोई आग, धुआं या चिंगारी नहीं दिख रही, जो आमतौर पर इंजन फेल होने पर दिखती है। अगर पक्षियों का झुंड इंजनों में घुस गया होता, तो भी कुछ निशान दिखते, लेकिन ऐसा कुछ नहीं है। कैप्टन स्टीव ने यह भी कहा कि बोइंग 787 एक इंजन पर भी उड़ सकता है, और अगर एक इंजन फेल भी होता, तो विमान इतनी जल्दी क्रैश नहीं होता। दोनों इंजनों का एक साथ फेल होने की संभावना काफी कम है। 2. दूषित ईंधन: अगर फ्यूल कंटेमिनेशन होता, तो टेकऑफ से पहले, जब पायलट्स ने इंजनों की शक्ति बढ़ाई तो इंजनों में खराबी के संकेत मिलते। उदाहरण के लिए, इंजन स्पटरिंग यानी, रुक-रुक कर चलने की आवाज करते या असामान्य व्यवहार करते। लेकिन वीडियो फुटेज और प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, विमान ने सामान्य गति से रनवे पर दौड़ लगाई, सामान्य रोटेशन स्पीड पर नोज ऊपर उठाया, और टेकऑफ शुरू किया। इससे पता चलता है कि टेकऑफ के शुरुआती चरण में इंजनों में कोई स्पष्ट खराबी नहीं थी। 3. बिना फ्लैप्स के टेकऑफ: तीसरी थ्योरी यह है कि विमान ने बिना फ्लैप्स के टेकऑफ किया। लेकिन यह भी लगभग असंभव है। बोइंग 787 में इलेक्ट्रॉनिक चेकलिस्ट होती है, जो सुनिश्चित करती है कि फ्लैप्स सही पोजीशन में हों। अगर फ्लैप्स न लगे होते, तो कॉकपिट में लाल बत्तियां जलतीं, जोरदार हॉर्न बजता, और पायलट्स को तुरंत पता चल जाता। इतनी सारी चेतावनियों को नजरअंदाज कर टेकऑफ करना नामुमकिन है। 4. गलती से फ्लैप्स उठा लिए गए: कैप्टन स्टीव की सबसे संभावित थ्योरी यह है कि टेकऑफ के बाद को-पायलट ने गलती से लैंडिंग गियर यानी, पहिए उठाने की बजाय फ्लैप्स उठा लिए। स्टीव कहते हैं कि टेकऑफ के बाद पायलट ने अपने को-पायलट से लैंडिंग गियर उठाने को कहा होगा, लेकिन को-पायलट ने गलती से फ्लैप्स उठा दिए जिससे विमान की लिफ्ट अचानक कम हो गई। वीडियो में दिखता है कि लैंडिंग गियर टेकऑफ के बाद भी नीचे ही रहे, जो सामान्य नहीं है। गियर को टेकऑफ के 50 फीट बाद उठा लिया जाता है, लेकिन इस केस में विमान के 600 फीट की ऊंचाई तक जाने के बाद भी ऐसा नहीं हुआ। इस केस में ऐसा हो सकता है कि लैंडिंग गियर की जगह फ्लैप्स के अचानक उठने से विमान की स्पीड कम हुई, वह संतुलन खो बैठा। पायलट ने नोज ऊपर खींचकर लिफ्ट बनाने की कोशिश की, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। पायलट के पास रिकवरी का समय नहीं था। ये सब कुछ ही सेकेंड में हुआ। अब आगे क्या होगा? कैप्टन स्टीव ने कहा- यह थ्योरी अभी केवल एक अनुमान है। आने वाले दिनों में ब्लैक बॉक्स (फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर) की जांच से सच्चाई सामने आ सकती है। प्लेन हादसे की जांच में 8 एजेंसियां कर रहीं है। इसमें नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी, गुजरात पुलिस, एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टीगेशन ब्यूरो (AAIB) डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA), यूनाइटेड किंगडम की एयर एक्सीडेंट्स इन्वेस्टीगेशन ब्रांच (UK-AAIB) यूनाइटेड स्टेट्स की नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी बोर्ड (NTSB), फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (FAA) शामिल है।
एपल को ट्रम्प की धमकी के बावजूद अमेरिका में बिकने वाले लगभग सभी आईफोन भारत में बन रहे हैं। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक एपल ने मार्च से मई 2025 के बीच भारत से जितने भी आईफोन एक्सपोर्ट किए, उनमें से 97% अमेरिका भेजे गए हैं। इनकी कीमत 3.2 बिलियन डॉलर (27,000 करोड़ रुपए) रही। सिर्फ मई में ही करीब 1 बिलियन डॉलर यानी 8,600 करोड़ के आईफोन भारत से अमेरिका भेजे गए हैं। यानी एपल अब भारत में आईफोन एक्सक्लूसिव तौर पर अमेरिकी बाजार के लिए बना रहा है। जनवरी से मई 2025 तक भारत से अमेरिका को 4.4 बिलियन डॉलर(₹37 हजार करोड़) के आईफोन एक्सपोर्ट हो चुके हैं। ये आंकड़ा 2024 के 3.7 बिलियन एक्सपोर्ट से भी ज्यादा है। 2024 तक अमेरिका में बेचे जाने वाले 50% आईफोन भारत में बनते थे। ट्रम्प ने एपल पर 25% टैरिफ लगाने की धमकी दी थी डोनाल्ड ट्रम्प ने 23 मई को कहा था कि अमेरिका में बेचे जाने वाले आईफोन की मैन्युफैक्चरिंग भारत या किसी अन्य देश में नहीं, बल्कि अमेरिका में ही होनी चाहिए। उन्होंने एपल के CEO टिम कुक को बता दिया है कि यदि एपल अमेरिका में आईफोन नहीं बनाएगा तो कंपनी पर कम से कम 25% का टैरिफ लगाया जाएगा। ट्रम्प ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ पर लिखा, मैंने बहुत पहले एपल के टिम कुक को सूचित कर दिया था कि जो आईफोन अमेरिका में बेचे जाएंगे, वे अमेरिका में निर्मित किए जाएंगे, न कि भारत या कहीं और। यदि ऐसा नहीं होता है, तो एपल को कम से कम 25% का टैरिफ देना होगा। 15 मई को कहा था, इंडिया अपना ख्याल खुद रख लेगा एपल CEO के साथ हुई इस बातचीत की जानकारी देते हुए ट्रम्प ने 15 मई को कहा था कि एपल को अब अमेरिका में प्रोडक्शन बढ़ाना होगा। मुझे कल टिम कुक के साथ थोड़ी परेशानी हुई। मैंने उनसे कहा, टिम, तुम मेरे दोस्त हो, तुम 500 बिलियन डॉलर लेकर आ रहे हो, लेकिन अब मैं सुन रहा हूं कि तुम पूरे भारत में प्रोडक्शन कर रहे हो। मैं नहीं चाहता कि तुम भारत में प्रोडक्शन करो। उन्होंने आगे कहा कि अगर तुम भारत का ख्याल रखना चाहते हो तो तुम भारत में निर्माण कर सकते हो, क्योंकि भारत दुनिया में सबसे ज़्यादा टैरिफ वाले देशों में से एक है। भारत में बेचना बहुत मुश्किल है और उन्होंने हमें एक डील ऑफर की है। इसके तहत वे हमसे कोई टैरिफ नहीं वसूलने को तैयार हैं। मैंने टिम से कहा, देखो, हमने वर्षों तक चीन में तुम्हारे द्वारा बनाए गए सभी प्रोजेक्ट्स को सहन किया, अब तुम्हें अमेरिका में प्रोडक्शन करना होगा, हम नहीं चाहते कि तुम भारत में निर्माण करो। इंडिया अपना ख्याल खुद रख सकता है। एपल का भारत पर इतना ज्यादा फोकस क्यों, 5 पॉइंट्स ट्रम्प नहीं चाहते कि एपल के प्रोडक्ट भारत में बनें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प नहीं चाहते कि एपल के प्रोडक्ट भारत में बने। पिछले हफ्ते ट्रम्प ने कंपनी के CEO टिम कुक से कहा था कि भारत में फैक्ट्रियां लगाने की जरूरत नहीं है। इंडिया अपना ख्याल खुद रख सकता है। एपल CEO के साथ हुई इस बातचीत की जानकारी ट्रम्प ने गुरुवार (15 मई) को कतर की राजधानी दोहा में बिजनेस लीडर्स के साथ कार्यक्रम में दी। उन्होंने कहा था कि एपल को अब अमेरिका में प्रोडक्शन बढ़ाना होगा। इसके बावजूद एपल की सबसे बड़ी कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर फॉक्सकॉन ने भारत में 1.49 बिलियन डॉलर (करीब ₹12,700 करोड़) का निवेश किया है। फॉक्सकॉन ने अपनी सिंगापुर यूनिट के जरिए बीते 5 दिन में तमिलनाडु के युजहान टेक्नोलॉजी (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड में यह निवेश किया है।
अहमदाबाद में एअर इंडिया का बोइंग 787 ड्रीमलाइनर प्लेन क्रैश हो गया। इसमें 242 लोग सवार थे। विमान ने लंदन के लिए उड़ान भरी थी। क्रैश हुआ विमान एक मॉडर्न एयरक्राफ्ट है, जिसे दिसंबर 2013 में बोइंग कॉमर्शियल एयरप्लेन्स ने बनाया था। बोइंग के 787 विमान के 15 साल के इतिहास में यह पहला क्रैश है। ये मिड-साइज, ट्विन-इंजन, वाइड-बॉडी जेट है, जो लंबी दूरी की उड़ानों के लिए डिजाइन किया गया है। ये एक बार में 14,000 किमी तक उड़ सकता है। बोइंग ड्रीमलाइनर की सवाल-जवाब में पूरी जानकारी... सवाल 1: बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर क्या है? जवाब: बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर एक आधुनिक, मिड-साइज, ट्विन-इंजन, वाइड-बॉडी जेट विमान है, जिसे बोइंग ने बनाया है। ये लंबी दूरी की उड़ानों के लिए डिजाइन किया गया है और पुराने बोइंग 767 को रिप्लेस करने के लिए लाया गया। ये फ्यूल-एफिशिएंट विमान है। सवाल 2: इस विमान का इतिहास क्या है? जवाब: बोइंग ने 2003 में इसे 7E7 प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया, जिसका नाम बाद में 5 लाख ऑनलाइन वोट्स से ड्रीमलाइनर रखा गया। पहली उड़ान 2009 में हुई, और पहला विमान 2011 में ANA को डिलीवर हुआ। शुरुआत में कुछ देरी हुई, लेकिन अब ये दुनिया भर में पॉपुलर है। 15 साल के इतिहास में ये विमान पहली बार क्रैश हुआ है। इससे पहले लीथियम आयन बैटरियों में आग और बॉडी के जोड़ों में गैप जैसी शिकायतें आई थी। सवाल 3: भारत से इसका क्या कनेक्शन है? जवाब: भारत में एयर इंडिया इसका इस्तेमाल करती है। 2012 में एयर इंडिया ने साउथ कैरोलिना प्लांट से पहला 787-8 लिया था। ये दिल्ली-न्यूयॉर्क, मुंबई-लंदन जैसे लंबे रूट्स पर उड़ता है। सवाल 4: इसकी रेंज और यात्री क्षमता कितनी है? जवाब: ये 200-250 यात्रियों को ले जा सकता है और करीब 14,000 किमी तक उड़ सकता है। यानी दिल्ली से न्यूयॉर्क या टोक्यो जैसे लंबे रूट्स आसानी से कवर कर सकता है। सवाल 5: ये कितना फ्यूल बचाता है? जवाब: बोइंग 787-8, बोइंग 767 जैसे विमानों से 20-25% कम ईंधन खर्च करता है। सवाल 6: इस विमान में ऐसा क्या खास है? जवाब: इसमें कई खास चीजें हैं: सवाल 7: इसका इंजन और परफॉरमेंस कैसा है? जवाब: इसमें दो इंजन हैं- रोल्स-रॉयस ट्रेंट 1000 या जनरल इलेक्ट्रिक GEnx। ये 60% कम शोर करते हैं। इसकी क्रूज़ स्पीड मैक 0.85 है। इसके पंखों की टिप्स ऊपर मुड़ी हैं, जो टर्बुलेंस और हवा का प्रतिरोध कम करती हैं। सवाल 8: यात्रियों के लिए क्या सुविधाएं हैं? जवाब: सवाल 9: पर्यावरण के लिए ये कितना अच्छा है? जवाब: ये 20-25% कम ईंधन खर्च करता है और 50% कम CO2 उत्सर्जन करता है। इसके इंजन 60% कम शोर करते हैं, जिससे हवाई अड्डों के आसपास कम परेशानी होती है। इसका प्रोडक्शन साउथ कैरोलिना के नेट-ज़ीरो उत्सर्जन प्लांट में होता है। सवाल 10: इसकी कोई कमियां हैं? जवाब: कुछ यात्रियों को इकोनॉमी सीट्स (3-3-3 लेआउट) थोड़ी तंग लगती हैं। 2013 में बैटरी इश्यू की वजह से इसे कुछ समय के लिए ग्राउंड किया गया था, लेकिन अब वो ठीक हो चुका है। विमान हादसे से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें अहमदाबाद में एअर इंडिया का प्लेन क्रैश: गुजरात के पूर्व CM विजय रूपाणी समेत 242 लोग सवार थे अहमदाबाद में एअर इंडिया का बोइंग 787 ड्रीमलाइनर प्लेन क्रैश हुआ है। इसमें गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी समेत 242 पैसेंजर सवार थे। विमान लंदन के लिए उड़ान भर रहा था, तभी टेकऑफ के दौरान एयरपोर्ट की बाउंड्री के पास उसमें धमाका हो गया। एयर इंडिया की फ्लाइट नंबर AI-171 ने दोपहर 1.38 बजे उड़ान भरी थी। दोपहर 1.40 बजे यह क्रैश हो गई। विमान एयर कस्टम कार्गो ऑफिस के पास क्रैश हुआ, जो एयरपोर्ट कैंपस से सटा हुआ है। विमान के गिरते ही पूरे इलाके में धुएं का गुबार दिखाई दिया। पूरी खबर पढ़ें अहमदाबाद प्लेन क्रैश, 10 PHOTOS:टेकऑफ के 2 मिनट बाद फ्लाइट दीवार से टकराई, आग में कई झुलसे; तस्वीरों में हादसा अहमदाबाद में एयर इंडिया का प्लेन क्रैश हुआ है। टेकऑफ के 2 मिनट बाद ही फ्लाइट दीवार से टकरा गई। पूरे इलाके में धुएं का गुबार दिखाई दिया। आग में कई यात्री झुलसे हैं। लंदन जा रहे विमान में 242 यात्री सवार थे। फोटो देखें
रॉयल एनफील्ड ने अपनी दो बाइक्स, हिमालयन 750 और हिमालयन इलेक्ट्रिक को पहली बार ऑफिशियली टीज किया है। इन दोनों बाइक्स को लद्दाख की खारदुंग ला पास पर टेस्ट करते हुए दिखाया गया है, जो 18,380 फीट की ऊंचाई पर है। ये दोनों बाइक्स अभी प्रोटोटाइप स्टेज में हैं, लेकिन हिमालयन 750 प्रोडक्शन के काफी करीब नजर आ रही है। आइए, इन बाइक्स के बारे में डिटेल में जानते हैं। हिमालयन 750: ज्यादा पावर और नए फीचर्स रॉयल एनफील्ड की हिमालयन 750 मौजूदा हिमालयन 450 से बड़ी और ज्यादा पावरफुल होगी। डिजाइन की बात करें तो इसमें हिमालयन 450 से मिलता-जुलता लुक है। डिजाइन और फीचर्स: बाइक में राउंड एलईडी हेडलैंप, टॉल विंडस्क्रीन, और फ्यूल टैंक के चारों ओर गार्ड देखने को मिलता है, जो ऑफ-रोडिंग के दौरान प्रोटेक्शन देता है। इसमें 19 इंच का फ्रंट व्हील और 17 इंच का रियर व्हील है, जो इसे टूरिंग और ऑफ-रोडिंग दोनों के लिए परफेक्ट बनाता है। सस्पेंशन में फ्रंट में अपसाइड-डाउन फोर्क्स और रियर में मोनोशॉक है। ब्रेकिंग के लिए फ्रंट में डुअल डिस्क ब्रेक्स दिए गए हैं। इंजन: इसमें 750cc का ट्विन-सिलेंडर इंजन होने की उम्मीद है, जो मौजूदा 648cc इंजन का अपग्रेडेड वर्जन होगा। ये इंजन करीब 55 बीएचपी की पावर दे सकता है। नया साइड-माउंटेड अपस्वेप्ट एग्जॉस्ट और रेडिएटर डिजाइन इसे और आकर्षक बनाता है। परफॉर्मेंस: ये बाइक हाईवे पर हाई स्पीड टूरिंग और ऑफ-रोडिंग दोनों के लिए डिजाइन की गई है। इसका 19 इंच का फ्रंट व्हील इसे टूरिंग के लिए बेहतर बनाता है, जबकि लंबा सस्पेंशन ट्रैवल और डुअल-स्पोर्ट टायर्स ऑफ-रोडिंग में मदद करते हैं। कीमत और लॉन्च: हिमालयन 750 की कीमत 4 लाख रुपए (एक्स-शोरूम) से शुरू होने की उम्मीद है। इसे 2026 में लॉन्च किया जा सकता है। हिमालयन इलेक्ट्रिक: रॉयल एनफील्ड की पहली इलेक्ट्रिक बाइक हिमालयन इलेक्ट्रिक को HIM-E के नाम से भी जाना जाता है। इसे 2023 और 2024 के EICMA में कॉन्सेप्ट के तौर पर दिखाया था। अब लद्दाख में टेस्टिंग के दौरान इसे प्रोडक्शन के करीब देखा गया है। ये बाइक रॉयल एनफील्ड की पहली इलेक्ट्रिक एडवेंचर बाइक होगी। डिजाइन और फीचर्स: हिमालयन इलेक्ट्रिक का डिजाइन काफी हद तक हिमालयन 450 से मिलता-जुलता है। इसमें राउंड एलईडी हेडलैंप, टॉल विंडस्क्रीन, और स्प्लिट सीट्स हैं। बाइक में एल्यूमिनियम फ्रेम, गोल्ड-कलर्ड अपसाइड-डाउन फोर्क्स, और SM प्रो प्लेटिनम स्पोक्ड व्हील्स हैं, जो कॉन्टिनेंटल ब्लॉक-पैटर्न टायर्स के साथ आते हैं। बॉडी में इको-फ्रेंडली फ्लैक्स फाइबर कंपोजिट्स का इस्तेमाल हुआ है, जो इसे सस्टेनेबल बनाता है। पावरट्रेन: अभी बैटरी और मोटर की डिटेल्स सामने नहीं आई हैं, लेकिन माना जा रहा है कि ये फिक्स्ड बैटरी पैक के साथ आएगी। परफॉर्मेंस के मामले में ये हिमालयन 450 के बराबर हो सकती है। फास्ट चार्जिंग का ऑप्शन भी मिल सकता है। प्रोडक्शन और लॉन्च: हिमालयन इलेक्ट्रिक अभी प्रोटोटाइप स्टेज में है, लेकिन इसका प्रोडक्शन वर्जन 2026 तक लॉन्च हो सकता है। इसकी कीमत 7-8 लाख रुपए के बीच हो सकती है। खास बात: रॉयल एनफील्ड ने इस बाइक के इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए क्वालकॉम के साथ पार्टनरशिप की है। ये बाइक रॉयल एनफील्ड ब्रांड के तहत आएगी। पहले कुछ अफवाहें थीं कि ये फ्लाइंग फ्ली के तहत आ सकती है। लद्दाख में टेस्टिंग का मतलब रॉयल एनफील्ड ने इन दोनों बाइक्स को लद्दाख के खारदुंग ला पास पर टेस्ट किया, जो दुनिया की सबसे ऊंची मोटरेबल रोड्स में से एक है। इस मुश्किल टेरेन पर टेस्टिंग का मतलब है कि कंपनी इन बाइक्स की हाई-एल्टीट्यूड परफॉर्मेंस, ड्यूरेबिलिटी, और रिलायबिलिटी को चेक कर रही है। दोनों बाइक्स पर तमिलनाडु की टेंपरेरी रेड रजिस्ट्रेशन प्लेट्स थीं। मार्केट में पोजिशनिंग हिमालयन 750: ये बाइक हिमालयन 450 के साथ बिक्री में रहेगी और इसका मुकाबला KTM 390 एडवेंचर और CFMoto 450 MT जैसी बाइक्स से होगा। इसका फोकस लंबी दूरी की टूरिंग और ऑफ-रोडिंग पर है। हिमालयन इलेक्ट्रिक: ये रॉयल एनफील्ड की पहली इलेक्ट्रिक बाइक होगी, जिसका मुकाबला हार्ले-डेविडसन EDT 600R इलेक्ट्रिक बाइक से हो सकता है। इसका प्रीमियम प्राइस टैग इसे एक्सक्लूसिव बनाएगा। रॉयल एनफील्ड की रणनीति रॉयल एनफील्ड अपनी 650cc लाइनअप को बढ़ाने के साथ-साथ इलेक्ट्रिक सेगमेंट में भी कदम रख रही है। हिमालयन 750 के साथ कंपनी मिडलवेट एडवेंचर टूरर सेगमेंट में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है, जबकि हिमालयन इलेक्ट्रिक के जरिए वो सस्टेनेबल मोबिलिटी की तरफ बढ़ रही है। इनके लॉन्च से रॉयल एनफील्ड का ग्लोबल मार्केट में दबदबा बढ़ेगा।
मर्सिडीज-बेंज इंडिया आज (12 जून) भारतीय बाजार में अपनी पापुलर एसयूवी AMG G63 का कलेक्टर्स एडिशन लॉन्च कर दिया है। कंपनी ने पहली बार भारत से इन्सपायर्ड किसी कार का स्पेशल एडिशन लॉन्च किया है। G63 कलेक्टर्स एडिशन का डिजाइन भारतीय मानसून से इन्सपायर्ड है। रेगुलर AMG G63 के मुकाबले इसे खास पेंट स्कीम में तैयार किया गया है और इसे अलग दिखाने के लिए कुछ कॉस्मेटिक बदलाव किए गए हैं। लग्जरी SUV की एक्स-शोरूम कीमत 4.3 करोड़ रुपए रखी गई है, जो इसके रेगुलर वैरिएंट से 55 लाख रुपए ज्यादा है। मर्सिडीज-AMG G63 की सिर्फ 30 यूनिट्स बेची जाएंगी। यह सिर्फ उन लोगों के लिए अवेलेबल होगी, जिनके पास टॉप-एंड मर्सिडीज-बेंज है। कलेक्टर्स एडिशन की डिलीवरी 2025 की आखिरी तिमाही से शुरू होगी। इस स्पेशल एडिशन को मर्सिडीज-बेंज इंडिया और मर्सिडीज-बेंज रिसर्च एंड डेवलपमेंट इंडिया के ग्रुप ने मिलकर खास तौर पर भारत के लिए डेवलप किया है। कंपनी का दावा है कि SUV सिर्फ 4.4 सेकेंड में 0 से 100kmph की स्पीड हासिल कर सकती है। मर्सिडीज-AMG G63 कलेक्टर्स एडिशन में नया क्या? स्टैंडर्ड AMG G63 की तुलना में कलेक्टर्स एडिशन में 22-इंच के नए मल्टी-स्पोक गोल्डन एलॉय व्हील्स दिए गए हैं। इसके अलावा साइड में बीडिंग और टेलगेट पर लगे स्पेयर व्हील कवर पर एक स्पेशल कलेक्टर्स एडिशन की बेजिंग दी गई है। कार को दो कलर ऑप्शन के साथ पेश किया गया है। इसमें मॉनसून की हरियाली से इन्सपायर्ड मिड ग्रीन मैग्नो और आयरन रिच सॉइल से इन्सपायर्ड रेड मैग्नो कलर शामिल हैं। कार के केबिन में बेज और ब्लैक कलर कॉम्बिनेशन की थीम दी गई है। जबकि डैशबोर्ड लेआउट और फीचर्स रेगुलर मॉडल वाले ही मिलेंगे। इसमें डैशबोर्ड पर एक कस्टमाइजेबल ग्रैब हैंडल है, जहां आप अपना नाम लिखवा सकते हैं। परफॉर्मेंस : माइल्ड हाइब्रिड इंजन और एक्टिव राइड कंट्रोल सस्पेंशन AMG G63 के स्पेशल एडिशन में मैकेनिकली बदलाव नहीं किया जाएगा। इसमें परफॉर्मेंस के लिए 4.0-लीटर का ट्विन-टर्बोचार्ज्ड V8 इंजन मिलेगा, जो 48V माइल्ड हाइब्रिड टेक्नीक के साथ जोड़ा गया है। यह सेटअप 576hp की मैक्सिमम पावर और 850Nm का टॉर्क जनरेट करता है। एक्सीलरेशन के दौरान 20hp का अतिरिक्त बूस्ट भी अवेलबल है। ट्रांसमिशन की बात करें तो ये इंजन 9-स्पीड ऑटोमैटिक गियरबॉक्स के साथ ट्यून किया गया है। ये SUV ब्रांड के 4 मैटिक ऑल-व्हील ड्राइव सिस्टम से लैस है जो चारों व्हील पर पावर सप्लाई करता है। इसमें नया 'रेस स्टार्ट' फंक्शन भी मिलता है। इससे कार 4.4 सेकेंड में 0 से 100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ सकती है। इसकी टॉप स्पीड 240kmph है। खास बात ये है कि G63 में पहली बार लॉन्च कंट्रोल फीचर दिया गया है। इसके अलावा कार AMG एक्टिव राइड कंट्रोल सस्पेंशन से लैस है। इस सस्पेंशन सिस्टम में एक्टिव हाइड्रोलिक रोल स्टेब्लाइजेशन और एडजस्टेबल डंपिंग शामिल है। इससे हर तरह के सरफेस पर कार स्मूथ परफॉर्मेंस देती है।
मारुति सुजुकी की पॉपुलर सेडान डिजायर को भारत NCAP क्रैश टेस्ट में 5-स्टार रेटिंग मिली है। एजेंसी के क्रैश टेस्ट रिजल्ट के अनुसार, डिजायर को एडल्ट के लिए 34 में से 29.46 और चाइल्ड सेफ्टी के लिए 49 में से 41.57 पॉइंट मिले हैं। भारत NCAP में पहली बार मारुति की दो कारों का क्रैश टेस्ट किया गया। इसमें फोर्थ जनरेशन डिजायर और बलेनो के अपडेटेड 2025 मॉडल शामिल रहे। डिजायर मारुति की पहली कार है जिसे एडल्ट और चाइल्ड दोनों की सेफ्टी के लिए 5 स्टार रेटिंग मिली है। इससे पहले मारुति की ब्रेजा को ग्लोबल NCAP से सबसे ज्यादा 4 स्टार सेफ्टी रेटिंग मिली थी। वहीं, अब बलेनो को भारत NCAP से एडल्ट के लिए 4 और बच्चों की सेफ्टी के लिए 3 स्टार रेटिंग मिली है। डिजायर मारुति ब्रांड की एकमात्र कार भी बन गई है, जिसका क्रैश टेस्ट भारत और ग्लोबल NCAP दोनों में किया गया और दोनों में 5 स्टार सेफ्टी रेटिंग मिली। थर्ड जनरेशन डिजायर को क्रैश टेस्ट में सिर्फ 2 स्टार सेफ्टी रेटिंग मिली थी। क्रैश टेस्ट की प्रोसेस 1. टेस्ट के लिए इंसान जैसी 4 से 5 डमी को कार में बैठाया जाता है। बैक सीट पर बच्चे की डमी होती है, जो चाइल्ड ISOFIX एंकर सीट पर फिक्स की जाती है। 2. गाड़ी को फिक्स्ड स्पीड पर ऑफसेट डिफॉर्मेबल बैरियर (हार्ड ऑब्जेक्ट) से टकराकर देखा जाता है कि गाड़ी और डमी को कितना नुकसान पहुंचा है। ये तीन तरीके से किया जाता है। 3. टेस्ट में देखा जाता है कि इम्पैक्ट के बाद डमी कितनी डैमेज हुई, एयरबैग और सेफ्टी फीचर्स ने काम किया या नहीं। इन सभी के आधार पर रेटिंग दी जाती है। क्रैश टेस्ट की स्कोरिंग
इलेक्ट्रिक व्हीकल बनाने वाली टेस्ला 22 जून से अपनी रोबोटैक्सी सर्विस शुरू कर सकती है। इसकी जानकारी कंपनी के CEO इलॉन मस्क ने X पर एक पोस्ट में दी। X पर एक यूजर के सवाल के जवाब में मस्क ने कहा, 'टेस्ला टेक्सास के ऑस्टिन में रोबोटैक्सी सर्विस शुरू करने जा रही है। हालांकि, अभी इसकी तारीख फाइनल नहीं है, क्योंकि हम सुरक्षा को लेकर बहुत चिंतित हैं, इसलिए तारीख बदल सकती है।' मस्क ने ये भी बताया कि टेस्ला की पहली ड्राइवरलेस कार 28 जून को फैक्ट्री से सीधे कस्टमर के घर खुद ड्राइव करके जाएगी। अमेरिका में टेस्टिंग के दौरान दिखी थी रोबोटैक्सीमस्क ने हाल ही में एक वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया था, जिसमें टेस्ला की ड्राइवरलेस रोबोटैक्सी को अमेरिका में टेक्सास की राजधानी ऑस्टिन की सड़कों पर टेस्टिंग के दौरान देखा गया था। वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। 8 सेकेंड की वीडियो क्लिप में मॉडल-Y SUV का नया वर्जन दिखाया गया। इस ब्लैक कलर की कार के फ्रंट डोर पर वाइट कलर का रोबोटैक्सी लोगो था। गाड़ी एक चौराहे पर आकर रुकी और पैदल चल रहे लोगों के सड़क पार करने के बाद आगे बढ़ गई। इसके बाद एक यूजर ने मस्क से सवाल पूछा था कि पहली पब्लिक राइड कब शुरू होगी। AI फीचर वाली साइबरकैब बिना ड्राइवर के चलेगी टेस्ला CEO ने पिछले साल अक्टूबर में अमेरिका के कैलिफोर्निया में हुए 'वी-रोबोट' इवेंट में AI फीचर वाली अपनी पहली रोबोटैक्सी 'साइबरकैब' का कॉन्सेप्ट मॉडल रिवील किया था। दो सीट वाली इस टैक्सी में न तो स्टीयरिंग है न ही पैडल। कंज्यूमर 30,000 डॉलर (करीब 25 लाख रुपए) से कम में टेस्ला साइबरकैब खरीद सकेंगे। साइबर ट्रक से इंस्पायर्ड डिजाइन, यह टू-डोर कार साइबरकैप का डिजाइन साइबर ट्रक से काफी मिलता-जुलता है। कार के फ्रंट में एक पतली कनेक्टिंग LED लाइट दी गई है, जो DRL का काम करती है। इसके दोनों सिरों पर प्रोजेक्टर हेडलैंप दिए गए हैं। साइड में बटरफ्लाई-विंग डोर कार के फ्यूचरस्टिक डिजाइन को पेश करते हैं। यह एक टू-डोर कार है। इसके पिछले हिस्से में साइबर ट्रक जैसा स्टोरेज कैबिन दिया गया है। साइबरकैब में न तो स्टीयरिंग न ही पैडल टैक्सियों की एक फ्लीट डेवलप करना चाहते हैं इलॉन मस्क मस्क का प्लान सेल्फ-ड्राइविंग टेस्ला टैक्सियों की एक फ्लीट डेवलप करना है। टेस्ला के ऑनर्स अपने व्हीकल्स को पार्ट टाइम टैक्सियों के रूप में भी लिस्ट कर सकेंगे। यानी, जब ऑनर्स अपनी कार उपयोग नहीं कर रहे हों तो नेटवर्क के जरिए पैसा कमा सकते हैं। नया रोबोटैक्सी मॉडल एक कॉम्पैक्ट, फ्यूचरिस्टिक टू-सीटर है। यह सीधे तौर पर वेमो और क्रूज जैसी स्थापित ऑटोनॉमस टैक्सी सर्विसेज को टारगेट करता है, टेस्ला को इस कॉम्पिटिटिव मार्केट में अपनी जगह बनाने की उम्मीद है। टेस्ला की स्ट्रैटेजी अपने कैमरा-बेस्ड फुली सेल्फ-ड्राइविंग (FSD) सिस्टम पर भरोसा करने की है, जो वेमो जैसे कॉम्पिटिटर्स से काफी अलग है जो लिडार और रडार तकनीक का उपयोग करते हैं। ये टेक्नोलॉजी टेस्ला की टेक्नोलॉजी की तुलना में महंगी है। रोबोवैन भी लाएगी टेस्ला टेस्ला ने अपने वी-रोबोट इवेंट में रोबोटैक्सी के साथ एक और ऑटोनॉमस व्हीकल 'रोबोवैन' को भी पेश किया था जो 20 लोगों को ले जाने में सक्षम है। इसमें सामान भी कैरी किया जा सकेगा। मस्क ने उदाहरण देते हुए बताया कि इसका इस्तेमाल स्पोर्ट्स टीम के ट्रांसपोर्टेशन के लिए किया जा सकता है।
चाइनीज टेक कंपनी वीवो ने आज (11 जून) भारतीय बाजार में नया स्मार्टफोन वीवो T4 अल्ट्रा लॉन्च कर दिया है। स्मार्टफोन में मीडियाटेक डाइमेंशन 9300+ चिपसेट के साथ 50 मेगापिक्सल का पेरिस्कोप टेलीफोटो लेंस दिया गया है। वीवो ने मिड बजट रेंज के इस फोन को कई आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) फीचर्स के साथ मार्केट में उतारा है। इसमें गूगल के सर्किल टू सर्च और AI नोट असिस्ट, AI इरेज, AI ट्रांसक्रिप्ट असिस्ट और AI लाइव कॉल ट्रांसलेशन जैसे अन्य AI फीचर शामिल हैं।
भारत की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी अपनी पहली इलेक्ट्रिक SUV ई-विटारा के प्रोडक्शन में कटौती कर रही है। मारुति सुजुकी का अप्रैल-सितंबर 2025 के बीच 26,500 से ज्यादा गाड़ियां बनाने का प्लान था ,लेकिन अब सिर्फ 8,000 गाड़ियां बनाएगी। हालांकि, कंपनी का कहना है कि वो मार्च 2026 तक अपने पूरे साल के 67,000 गाड़ियों के टारगेट को पूरा करने की कोशिश करेगी। इसके लिए बाद के महीनों में प्रोडक्शन बढ़ाया जाएगा। ई-विटारा की डिलीवरी पर असर मारुति की ई-विटारा भारत में उसकी पहली इलेक्ट्रिक गाड़ी है, जिसे इस साल के अंत तक लॉन्च करने की योजना थी। ये गाड़ी गुजरात के प्लांट में बन रही है और इसे भारत के साथ-साथ एशिया, यूरोप, लैटिन अमेरिका, और अफ्रीका में एक्सपोर्ट करने का प्लान है। कंपनी ने इसे जनवरी 2025 के ऑटो एक्सपो में शोकेस किया था, और ये टाटा मोटर्स, महिंद्रा, और हुंडई की इलेक्ट्रिक गाड़ियों से मुकाबला करेगी। मारुति ने अभी तक लॉन्च टाइमलाइन में बदलाव की बात नहीं कही है, लेकिन कुछ एनालिस्ट्स का कहना है कि अगर मैग्नेट की कमी का मसला जल्द हल नहीं हुआ, तो लॉन्चिंग और डिलीवरी में और देरी हो सकती है। चीन ने रेयर अर्थ मटेरियल पर एक्सपोर्ट प्रतिबंध लगाए इस कटौती की वजह रेयर अर्थ मैग्नेट्स की कमी है, जो EV मोटर, स्पीडोमीटर, सेंसर, और इंजन के कई पार्ट्स में इस्तेमाल होते हैं। ये मैग्नेट्स ज्यादातर चीन से आते हैं, जो दुनिया की 90% से ज्यादा रेयर अर्थ प्रोसेसिंग करता है। लेकिन, 4 अप्रैल 2025 से चीन ने सात रेयर अर्थ मटेरियल के एक्सपोर्ट पर सख्त पाबंदियां लगा दी हैं। अब इनके लिए स्पेशल लाइसेंस चाहिए, जिसकी वजह से भारत को सप्लाई रुक गई है। चीन ने क्यों लगाए प्रतिबंध? चीन ने रेयर अर्थ मैटेरियल्स के एक्सपोर्ट पर सख्ती इसलिए की है, क्योंकि वो इन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा और गैर-सैन्य इस्तेमाल से जोड़ता है। अप्रैल 2025 में लागू हुए नए नियमों के तहत, हर इम्पोर्टर को एंड-यूजर सर्टिफिकेट देना होगा, जिसमें ये साबित करना होगा कि मैग्नेट्स का इस्तेमाल सैन्य कामों या अमेरिका को री-एक्सपोर्ट के लिए नहीं होगा। इस प्रोसेस में कम से कम 45 दिन लगते हैं। इस वजह से देरी बढ़ रही है। चीन का ये कदम अमेरिका के नए टैरिफ्स के जवाब में देखा जा रहा है। मारुति अभी डिमांड के हिसाब से गाड़ियां बना रही मारुति सुजुकी के चेयरमैन आर सी भार्गव ने हाल ही में कहा था कि अभी प्रोडक्शन पर कोई असर नहीं पड़ा है। लेकिन, इंडस्ट्री सूत्रों का कहना है कि अगर ये कमी लंबे समय तक रही, तो मारुति को अपनी दूसरी गाड़ियों के प्रोडक्शन प्लान भी बदलने पड़ सकते हैं। कंपनी अभी डीलर इनवेंट्री और डिमांड के हिसाब से रेयर अर्थ मैग्नेट्स का इस्तेमाल कर रही है, ताकि ज्यादा बिकने वाली गाड़ियों को प्राथमिकता दी जाए। मारुति ने इस मसले पर आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा है, लेकिन कंपनी ने चीनी सप्लायर्स के जरिए इम्पोर्ट के लिए अप्लाई किया है। हालांकि, अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है। सिर्फ मारुति ही नहीं, पूरी इंडस्ट्री पर संकट ये समस्या सिर्फ मारुति सुजुकी तक सीमित नहीं है। टाटा मोटर्स, महिंद्रा, हुंडई, किया, हीरो मोटो, टीवीएस, और बजाज ऑटो जैसी कंपनियां भी इस रेयर अर्थ मैग्नेट की कमी से जूझ रही हैं। खासकर इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) और टू-व्हीलर्स के लिए ये मैग्नेट्स बहुत जरूरी हैं। अगर सप्लाई का मसला जल्द हल नहीं हुआ, तो जुलाई 2025 तक कई कंपनियों का प्रोडक्शन रुक सकता है। जापान में सुजुकी मोटर ने अपनी स्विफ्ट कार का प्रोडक्शन पहले ही रोक दिया है, क्योंकि उन्हें भी मैग्नेट्स की कमी का सामना करना पड़ रहा है। यूरोप में Mercedes-Benz, BMW, और Nissan जैसी कंपनियां भी प्रोडक्शन घटाने पर मजबूर हैं। भारत की ऑटो इंडस्ट्री क्या कर रही है? भारत की ऑटो इंडस्ट्री ने सरकार से तुरंत हस्तक्षेप की मांग की है। सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) और ऑटोमोटिव कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (ACMA) ने सरकार को बताया है कि अगर जल्द समाधान नहीं हुआ, तो जून 2025 से प्रोडक्शन रुक सकता है। सरकार वैकल्पिक सप्लाई चेन तलाश रही कॉमर्स मिनिस्टर पीयूष गोयल ने कहा है कि चीन का ये कदम भारत और दुनिया के लिए एक वेक-अप कॉल है। उन्होंने कहा कि सरकार ऑटो इंडस्ट्री के साथ मिलकर वैकल्पिक सप्लाई चेन तलाश रही है और भारत में रेयर अर्थ प्रोसेसिंग को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है। नेशनल क्रिटिकल मिनरल मिशन (NCMM) के तहत सरकार 34,300 करोड़ रुपए की योजना बना रही है, जिसमें लिथियम, कोबाल्ट, और रेयर अर्थ जैसे मिनरल्स की लोकल प्रोसेसिंग को बढ़ावा दिया जाएगा। लेकिन, ये लंबा प्रोजेक्ट है और तुरंत राहत नहीं देगा। इलेक्ट्रिक के साथ पेट्रोल-डीजल गाड़ियों पर भी असर रेयर अर्थ मैग्नेट्स सिर्फ EV में ही नहीं, बल्कि पेट्रोल-डीजल गाड़ियों, टू-व्हीलर्स, और कॉमर्शियल वाहनों में भी इस्तेमाल होते हैं। अगर ये कमी 30 दिन से ज्यादा चली, तो पूरी ऑटो इंडस्ट्री ठप हो सकती है। SIAM ने चेतावनी दी है कि भारत ने FY24 में 460 टन रेयर अर्थ मैग्नेट्स इम्पोर्ट किए थे, और इस साल 700 टन का टारगेट था, जो अब मुश्किल लग रहा है। बजाज ऑटो ने कहा है कि जुलाई तक उनके ई-स्कूटर प्रोडक्शन पर गंभीर असर पड़ सकता है। TVS मोटर ने भी ऐसी ही चिंता जताई है। ऑटो डीलर्स की बॉडी FADA का कहना है कि हाई इनवेंट्री और टाइट फाइनेंसिंग की वजह से जून में सेल्स ग्रोथ सिर्फ एक-तिहाई डीलर्स को दिख रही है।
टीवीएस मोटर इंडिया ने 2025 TVS अपाचे RTR200 4V को भारत में लॉन्च कर दिया है। इसकी कीमत 1,53,990 रुपए (एक्स-शोरूम दिल्ली) रखी गई है। बाइक में इन्वर्टेड फोर्क सस्पेंशन और सिंगल-पीस हैंडलबार दिया गया है। इसके इंजन को OBD-2B के अनुसार अपडेट किया गया है। बाइक में टर्न बाय टर्न नेविगेशन और क्रैश अलर्ट जैसे फीचर्स दिए गए हैं। बाइक का मुकाबला बजाज पल्सर NS200 और हॉर्नेट 2.0 जैसी 200cc स्ट्रीटफाइटर बाइक से है।
भारत में कई कंपनियां ऐसे लो-स्पीड इलेक्ट्रिक स्कूटर बना रही हैं जो बिना लाइसेंस के चलाए जा सकते हैं। इन वाहनों का RTO में रजिस्ट्रेशन भी नहीं कराना होता है। इन इलेक्ट्रिक स्कूटरों में हीरो इलेक्ट्रिक फ्लैश और ओकिनावा लाइट कई स्कूटर शामिल हैं। आज हम आपको ऐसे ही 5 इलेक्ट्रिक स्कूटर बता रहे हैं जिन्हें चलाने के लिए ड्राइविंग लाइसेंस और RC की जरूरत नहीं रहती। सबसे पहले जानें नियम क्या कहते हैं?भारत में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के नियमों के अनुसार, इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर को दो श्रेणियों में बांटा गया है: हाई-स्पीड और लो-स्पीड। लो-स्पीड इलेक्ट्रिक स्कूटर, जिनकी अधिकतम गति 25 किलोमीटर प्रति घंटा और मोटर पावर 250 वॉट तक होती है, को मोटर वाहन की श्रेणी में नहीं गिना जाता। यही वजह है कि इन्हें चलाने के लिए न तो ड्राइविंग लाइसेंस की जरूरत पड़ती है, न ही वाहन का पंजीकरण (रजिस्ट्रेशन) और न ही बीमा। ये नियम खास तौर पर उन लोगों के लिए फायदेमंद साबित हुए हैं जो ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने की प्रक्रिया से बचना चाहते हैं या जिनकी उम्र लाइसेंस के लिए पर्याप्त नहीं है, जैसे किशोर, छात्र, या बुजुर्ग। हालांकि, सुरक्षा के लिए हेलमेट पहनने की सलाह दी जाती है, भले ही यह अनिवार्य न हो। 1. हीरो इलेक्ट्रिक फ्लैशहीरो इलेक्ट्रिक का फ्लैश मॉडल 250 वॉट की BLDC मोटर और 48V 28Ah लिथियम-आयन बैटरी के साथ आता है। इसकी टॉप स्पीड 25 किमी/घंटा है और यह सिंगल चार्ज पर 85 किलोमीटर तक की रेंज देता है। कीमत लगभग 59,640 रुपए (एक्स-शोरूम) है। यह स्कूटर 18 साल के कम उम्र के बच्चों और छोटे शहरों में छोटी दूरी की यात्रा के लिए सही है। 2. ओकिनावा लाइटओकिनावा ने अपने लाइट मॉडल में 250 वॉट की मोटर और 1.25 kWh की रिमूवेबल लिथियम-आयन बैटरी दी है। यह स्कूटर 60 किलोमीटर की रेंज देता है और 4-5 घंटे में फुल चार्ज हो जाता है। इसकी कीमत करीब 69,093 रुपए है। इसमें LED हेडलाइट्स, डिजिटल इंस्ट्रूमेंट क्लस्टर, और स्टाइलिश डिजाइन इसे आकर्षक बनाते हैं। 3. काइनेटिक जिंग बिग Bकाइनेटिक ग्रीन का जिंग बिग B स्कूटर 1.7 kWh बैटरी के साथ 100 किलोमीटर की रेंज देता है। इसकी कीमत 75,990 रुपए से शुरू होती है। यह स्कूटर घर पर आसानी से चार्ज हो जाता है और इसमें मॉडर्न फीचर्स जैसे रिमोट लॉकिंग और डिस्क ब्रेक शामिल हैं। 4. ओला गिगओला इलेक्ट्रिक का गिग मॉडल खास तौर पर शहरी क्षेत्रों के लिए डिजाइन किया गया है। 250 वॉट मोटर और 1.5 kWh रिमूवेबल बैटरी के साथ यह 112 किलोमीटर की शानदार रेंज देता है। इसकी कीमत 39,999 रुपए से शुरू होती है, जो इसे बजट-फ्रेंडली बनाता है। 5. ओकिनावा R30इस इलेक्ट्रिक स्कूटर की शुरुआती कीमत 61,998 रुपए है। इसमें 250 W पावर वाली मोटर मिलती है। इस स्कूटर की टॉप स्पीड 25Km प्रति घंटा है। वहीं सिंगल चार्ज पर इसकी रेंज 60 किलोमीटर है। कंपनी के मुताबिक ये 4 से 5 घंटे में फुल चार्ज हो जाता है। कंपनी बैटरी पर 3 साल की वारंटी देती है। इन स्कूटरों की खासियत नोट: कीमतें और फीचर्स समय के साथ बदल सकते हैं।
मोटोरोला ने भारत में अपना नया मिड-रेंज स्मार्टफोन Edge 60 लॉन्च कर दिया है। इसकी कीमत 25,999 रुपए है। 50MP का ट्रिपल कैमरा सेटअप, और 5500mAh की बैटरी वाला ये फोन पोको X7 Pro और वन प्लस नॉर्ड 4 जैसे फोन्स को टक्कर देगा। ये फोन 17 जून 2025 से दोपहर 12 बजे से फ्लिपकार्ट, मोटोरोला की ऑफिशियल वेबसाइट और रिलायंस डिजिटल जैसे ऑफलाइन स्टोर्स पर मिलेगा। फोन दो स्टाइलिश रंगों पैनटोन जिब्राल्टर सी और पैनटोन शेमरॉक में उतारा गया है। दोनों में वीगन लेदर फिनिश है। डिजाइन और बिल्ड: डिस्प्ले: परफॉर्मेंस: प्रोसेसर: फोन में मीडिया टेक डाइमेंसिटी 7400 चिपसेट है। इसमें दो Cortex-A78 परफॉर्मेंस कोर (2.6GHz) और छह Cortex-A55 एफिशिएंसी कोर हैं, जो मल्टीटास्किंग और गेमिंग को आसान बनाते हैं। रैम और स्टोरेज: 12GB LPDDR4X रैम और 256GB UFS 2.2 स्टोरेज के साथ ये फोन तेज और स्मूथ चलता है। हालांकि, माइक्रोएसडी कार्ड से स्टोरेज बढ़ाने का ऑप्शन नहीं है। सॉफ्टवेयर: ये फोन एंड्रॉयड 15 बेस्ड हेलो UI पर चलता है। मोटोरोला ने 3 साल के OS अपडेट्स और 4 साल के सिक्योरिटी अपडेट्स का वादा किया है। यानी ये 2028 तक लेटेस्ट सॉफ्टवेयर के साथ रहेगा। मोटो AI: फोन में मोटो AI फीचर्स हैं, जैसे इमेज स्टूडियो, मैजिक इरेजर और सर्किल टू सर्च। ये फोटो और प्रोडक्टिविटी को बेहतर बनाते हैं। कैमरा: बैटरी और चार्जिंग: कनेक्टिविटी और ऑडियो क्या ये फोन आपके लिए सही है? अगर आप 30,000 रुपए से कम में एक स्टाइलिश, टिकाऊ, और फीचर-पैक्ड फोन चाहते हैं तो इसे ले सकते हैं। इसका डिस्प्ले, कैमरा, और सॉफ्टवेयर अपडेट्स इसे गेमिंग, मूवी देखने, और रोजमर्रा के कामों के लिए शानदार बनाते हैं। वहीं अगर आपको वायरलेस चार्जिंग चाहिए या स्टोरेज बढ़ाने का ऑप्शन चाहिए। साथ ही, सस्ते में ज्यादा पावरफुल चिपसेट चाहते हैं, तो पोको या iQOO के ऑप्शन्स देख सकते हैं।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंपनी OpenAI का पॉपुलर चैटबॉट ChatGPT मंगलवार (10 जून) को ग्लोबल लेवल पर डाउन हो गया है। दुनिया भर में हजारों यूजर्स इस AI प्लेटफॉर्म का यूज नहीं कर पा रहे हैं। सबसे ज्यादा भारत और अमेरिका के यूजर्स ने ChatGPT डाउन होने की शिकायतें दर्ज की हैं। रियल-टाइम मॉनिटरिंग प्लेटफॉर्म डाउनडिटेक्टर के अनुसार, दोपहर 12 बजे के बाद से भारत में यूजर्स ChatGPT डाउन होने की रिपोर्ट कर रहे हैं। दोपहर 3:00 बजे के आसपास भारत से 800 से ज्यादा यूजर्स ने शिकायतें दर्ज की हैं। वहीं UK और अमेरिका में 1,000 से ज्यादा यूजर्स ने इसके डाउन होने की रिपोर्ट की हैं। ChatGPT पर यूजर्स को मिल रहे एरर मैसेज ChatGPT का यूज कर रहे यूजर्स को 'कुछ गड़बड़ हो गई है' और 'नेटवर्क में कोई दिक्कत है', इस तरह के एरर मैसेज दिखाई दे रहे हैं। इसके अलावा प्लीज चेक योर कनेक्शन और ट्राई अगेन जैसे एरर मैसेज भी मिल रहे हैं। OpenAI ने कहा- हम समस्या की जांच कर रहे OpenAI ने अपने स्टेटस पेज पर आउटेज को कंफर्म करते हुए कहा कि API, ChatGPT और सोरा डाउन हुए हैं। AI प्लेटफॉर्म्स पर यूजर्स को हाई एरर रेट और लेटेंसी का सामना करना पड़ रहा है। अभी हम समस्या की जांच कर रहे हैं।' हालांकि, कंपनी ने यह नहीं बताया कि इस समस्या को ठीक होने में कितना समय लग सकता है। इसके अलावा यूजर्स को सलाह दी है कि वे चैटजीपीटी के ऑपरेशनल स्टेट्स की रियल-टाइम अपडेट्स के लिए कंपनी के स्टेटस पेज को चेक करते रहें। कई यूजर्स ChatGPT के डाउन होने पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट शेयर कर रिएक्शन दे रहे हैं। 2022 में ChatGPT को पब्लिकली अनवील किया था OpenAI ने नवंबर 2022 में दुनिया के लिए ChatGPT अनवील किया था। इस AI टूल ने तेजी से लोकप्रियता हासिल की है। म्यूजिक और पोएट्री लिखने से लेकर निबंध लिखने तक, ChatGPT बहुत सारे काम कर सकता है। यह एक कन्वर्सेशनल AI है। एक ऐसा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जो आपको इंसानों की तरह जवाब देता है। OpenAI में माइक्रोसॉफ्ट जैसी बिग टेक कंपनी ने 13 बिलियन डॉलर से ज्यादा का निवेश कर रखा है। कंपनी ने अपने सर्च इंजन ‘बिंग’ में भी ChatGPT को इंटीग्रेट किया है। कई कंपनियां भी ChatGPT का इस्तेमाल करने के लिए आतुर हैं। ऐसे में AI बेस्ड इस चैटबॉट का इस्तेमाल आने वाले दिनों में कहीं ज्यादा फैलने की उम्मीद है। ये खबर भी पढ़ें... गिबली ट्रेंड के कारण चैटजीपीटी डाउन हुआ: करीब 1.5 घंटे एक्सेस नहीं कर पाए यूजर्स; अब दिन में सिर्फ 3 इमेज जनरेट कर सकेंगे OpenAI का आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल चैटजीपीटी (ChatGPT) रविवार को दुनिया भर में डाउन हो गया। चैटजीपीटी, नए अपडेट स्टूडियो गिबली इमेज जनरेटर के ज्यादा यूज के चलते डाउन हुआ। भारत में ये शाम करीब 4 से 5.30 बजे तक डाउन रहा। पूरी खबर पढ़ें...
आईटेल की अल्फा 3 स्मार्टवॉच लॉन्च:कीमत 1499 रुपए, 1.5 इंच का राउंड डिस्प्ले; तीन कलर में अवेलेबल
टेक कंपनी आईटेल ने भारतीय बाजार में अपनी नई स्मार्टवॉच आईटेल अल्फा 3 को लॉन्च कर दिया है। कंपनी ने इसकी कीमत 1499 रुपए रखी है। यह नई स्मार्टवॉच IP67 वाटर और डस्ट प्रूफ रेटिंग के साथ आती है। आईटेल अल्फा 3 में 1.5 इंच का राउंड डिस्प्ले दिया गया है। यह स्मार्टवॉच तीन कलर- डार्क ब्लू, रोज गोल्ड और ब्लैक में अवेलेबल है। आईटेल अल्फा 3 स्मार्टवॉच: फीचर्स आईटेल अल्फा 3 की पीक ब्राइटनेस 500 निट्स है, यानी सीधे सूर्य की रोशनी में भी अच्छी विजिबिलिटी मिलेगी। स्मार्टवॉच प्रीमियम बेजेल डिजाइन के साथ आती है और IP67 रेटिंग इसे धूल और पानी से बचाती है। आईटेल अल्फा 3 में स्पोर्ट्स एक्टिविटी के लिए 100 से ज्यादा मोड्स दिए गए हैं। इसके अलावा इसमें 150 से ज्यादा वॉच फेस थीम मिलेंगी। वहीं, स्मार्टवॉच में पावर बैकअप के लिए 300mAh की बैटरी दी गई है। ब्लूटूथ कॉलिंग के लिए इसमें सिंगल चिप दी गई है, जिससे बेहतर वॉइस कनेक्टिविटी मिलेगी। स्मार्टवॉच में 24/7 हार्ट रेट ट्रैकिंग, SpO₂ मॉनिटरिंग, स्लीप एनालिसिस और एक्टिविटी स्टैट्स जैसे फीचर्स भी हैं। इसमें AI वॉयस असिस्टेंट भी दिया गया है। इस स्मार्टवॉच में आपको इंस्टेंट कॉल और मैसेज अलर्ट मिलेंगे। कंपनी स्मार्टवॉच के साथ 1 साल की वारंटी भी दे रही है।
एपल के आईफोन सहित सभी डिवाइस अब नए आइकन और इंटरफेस के साथ नजर आएंगे। एपल ने अपने सबसे बड़े एनुअल इवेंट WWDC2025 के पहले दिन सोमवार (9 जून) को अपडेटेड ऑपरेटिंग सिस्टम iOS पेश किया। iOS का नया डिजाइन विजनOS से इंस्पायर्ड है। इसमें सबसे खास इसका ट्रांसपेरेंट इंटरफेस है, जिसमें गोल आइकन और डायनामिक लॉक स्क्रीन मिलती है। लॉक स्क्रीन पर टाइम वॉलपेपर के हिसाब से एडजस्ट होता है और 3D इफेक्ट्स फोन हिलाने पर दिखते हैं। iOS सभी ऑपरेटिंग सिस्टम्स iPadOS 26, macOS 26 (Tahoe), watchOS 26, tvOS 26 और visionOS 26 फिलहाल, डेवलपर के लिए बीटा वर्जन में अवेलेबल है और पब्लिक बीटा जुलाई 2025 में आएगा। सितंबर 2025 में सभी यूजर्स आईफोन, आईपेड, मैक, एपल वॉच और विजन प्रो को अपडेट कर नए फीचर्स इस्तेमाल कर सकेंगे। दूसरा बड़ा फीचर विजुअल इंटेलिजेंस है, जो आईफोन 16 के कैमरा कंट्रोल बटन के साथ काम करता है। ये ऑब्जेक्ट, प्लेस, टेक्स्ट या स्क्रीन कंटेंट स्कैन कर इन्फॉर्मेंशन देता है। जैसे रेस्तरां में मेन्यू से किसी डिश के रिव्यू बता सकता है या पोस्टर से इवेंट की पूरी डिटेल्स दे सकता है। आइए अपडेटेड iOS ऑपरेटिंग सिस्टम्स, सभी एप्स और फीचर्स के बारे में जानते हैं... सबसे पहले जानते हैं किन डिवाइसेस में अपडेट हो सकेंगे नए सॉफ्टवेयर 1. लिक्विड डिजाइनलुक और फील: विजन OS से इन्स्पायर्ड ये डिजाइन ट्रांसपेरेंट और डायनामिक है। लॉक स्क्रीन पर टाइम वॉलपेपर के हिसाब से एडजस्ट होता है और 3D इफेक्ट्स फोन हिलाने पर दिखते हैं। होम स्क्रीन एप्स में बदलाव
इलॉन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स अपनी स्टारलिंक सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस भारत में शुरू करने की तैयारी कर रही है। बीते हफ्ते कंपनी को भारत में ऑपरेशन शुरू करने के लिए टेलीकॉम डिपार्टमेंट का लाइसेंस भी मिल गया है। अब मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कंपनी अगले दो महीने में भारत में अपनी सर्विसेज शुरू कर देगी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, स्टारलिंक ने इंडियन मार्केट के लिए अपने प्राइसिंग स्ट्रक्चर को फाइनल कर दिया है। बताया जा रहा है कि सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस के लिए लगने वाली सैटेलाइट डिश डिवाइस की कीमत कंपनी ने लगभग 33,000 रुपए तय की है। इसके अलावा कंपनी अपने मंथली अनलिमिटेड डेटा प्लान के लिए 3,000 रुपए चार्ज करेगी। एक महीने का फ्री-ट्रायल भी देने का प्लान बना रही स्टारलिंक हालांकि, आधिकारिक तौर पर मस्क की कंपनी ने इसकी जानकारी नहीं दी है। रिपोर्ट्स के अनुसार, अपनी लॉन्च स्ट्रेटेजी के हिस्से के रूप में स्टारलिंक हर एक डिवाइस की खरीद के साथ एक महीने का फ्री-ट्रायल भी देने का प्लान बना रही है। जिससे कस्टमर रेगुलर मंथली पेमेंट करने से पहले सर्विस टेस्ट कर सकें। सैटेलाइट इंटरनेट सर्विसेज से भारत के दूरदराज और वंचित इलाकों में भी कनेक्टिविटी मिलने की उम्मीद है। जहां ट्रेडिशनल ब्रॉडबैंड इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित करना चैलेंजिंग रहा है। स्टारलिंक का पृथ्वी की निचली कक्षा का सैटेलाइट ग्रुप उन स्थानों पर हाई-स्पीड इंटरनेट एक्सेस देने का वादा करता है, जहां पहले कन्वेंशनल टेरेस्ट्रियल नेटवर्क नहीं पहुंच पाते थे। स्टारलिंक डिवाइस की कीमत बांग्लादेश-भूटान में भी ₹33,000 प्राइसिंग स्ट्रक्चर में स्टारलिंक ने रीजनल स्ट्रेटेजी अपनाई है, क्योंकि कंपनी के डिवाइस की लागत भारत के पड़ोसी देशों में भी बराबर ही है। स्टारलिंक डिवाइस की कीमत बांग्लादेश और भूटान दोनों देशों में भी 33,000 रुपए ही है। बीते हफ्ते स्टारलिंक को टेलीकॉम मिनिस्ट्री की मंजूरी मिली बीते हफ्ते रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से जानकारी दी थी कि स्पेसएक्स को स्टारलिंक सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस भारत में ऑपरेट करने के लिए टेलीकॉम डिपार्टमेंट का लाइसेंस मिल गया है। अब उसे सिर्फ इंडियन नेशनल स्पेस प्रमोशन एंड ऑथराइजेशन सेंटर यानी, IN-SPACe के अप्रूवल का इंतजार है। स्टारलिंक तीसरी कंपनी है जिसे भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस ऑपरेट करने का लाइसेंस मिला है। इससे पहले वनवेब और रिलायंस जियो को मंजूरी मिली थी। इससे पहले यह भी खबरें आई थीं कि स्टारलिंक भारत में 840 रुपए में महीनेभर अनलिमिटेड डेटा देगा। 6 सवाल-जवाब में जानें स्टारलिंक से जुड़ी जरूरी बातें... सवाल 1: स्टारलिंक क्या है और ये खास क्यों है? जवाब: स्टारलिंक, स्पेसएक्स का प्रोजेक्ट है, जो सैटेलाइट्स के जरिए हाई-स्पीड इंटरनेट देता है। इसके सैटेलाइट्स पृथ्वी के करीब घूमते हैं, जिससे इंटरनेट तेज और स्मूथ चलता है। ये खासकर उन इलाकों के लिए फायदेमंद है, जैसे गांव या पहाड़, जहां आम इंटरनेट नहीं पहुंचता। सवाल 2: भारत में इसके इंटरनेट प्लान्स की कीमत कितना हो सकती है? ANI की रिपोर्ट्स के मुताबिक, सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस के लिए लगने वाली सैटेलाइट डिश डिवाइस की कीमत कंपनी ने लगभग 33,000 रुपए तय की है। इसके अलावा कंपनी मंथली अनलिमिटेड डेटा प्लान के लिए 3,000 रुपए चार्ज करेगी। इससे पहले द इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट में बताया गया था कि स्पेसएक्स भारत में अपनी स्टारलिंक सैटेलाइट इंटरनेट सर्विसेज मंथली 10 डॉलर यानी लगभग 840 रुपए से कम कीमत वाले शुरुआती प्रमोशनल अनलिमिटेड डेटा प्लान से शुरू करेगी। सवाल 3: स्टारलिंक को लाइसेंस मिलने में इतना वक्त क्यों लगा? जवाब: स्टारलिंक 2022 से कोशिश कर रही थी, लेकिन सिक्योरिटी चिंताओं की वजह से देरी हुई। भारत सरकार ने डेटा सिक्योरिटी और कॉल इंटरसेप्शन जैसी शर्तें रखी थीं। स्टारलिंक ने इन शर्तों को माना, और मई 2025 में लेटर ऑफ इंटेंट मिलने के बाद अब लाइसेंस मिल गया। सवाल 4: आम लोगों को क्या फायदा होगा? जवाब: स्टारलिंक से गांवों और दूर-दराज के इलाकों में इंटरनेट पहुंचेगा, जिससे ऑनलाइन एजुकेशन, टेलीमेडिसिन, और बिजनेस को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही, टेलीकॉम मार्केट में प्रतिस्पर्धा बढ़ने से सस्ते और बेहतर प्लान्स मिल सकते हैं। सवाल 5: अब स्टारलिंक का अगला कदम क्या है? जवाब: स्टारलिंक को अब IN-SPACe से फाइनल अप्रूवल और स्पेक्ट्रम चाहिए। अगले 15-20 दिनों में ट्रायल स्पेक्ट्रम मिल सकता है, और फिर कॉमर्शियल सर्विस शुरू होगी। सवाल 6: भारत मस्क के लिए क्यों जरूरी है? जवाब: भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा इंटरनेट मार्केट है। मस्क के लिए ये लाइसेंस बड़ी कामयाबी है, खासकर जब अमेरिका में उनकी डोनाल्ड ट्रम्प के साथ तनातनी चल रही है। इससे स्पेसएक्स के कॉन्ट्रैक्ट्स खतरे में हैं। सैटेलाइट्स से आप तक कैसे पहुंचेगा इंटरनेट? जून 2020 में सरकार ने IN-SPACe स्थापित किया था डिपार्टमेंट ऑफ स्पेस ने जून 2020 में IN-SPACe को स्थापित किया था। यह स्पेस एक्टिविटीज में प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी को रेगुलेट करने और उसे सुविधाजनक बनाने के लिए सिंगल-विंडो एजेंसी के रूप में काम करती है। IN-SPACe नॉन-गवर्नमेंटल एंटिटीज के लिए लाइसेंसिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर शेयरिंग और स्पेस बेस्ड सर्विसेज को बढ़ावा देने का काम भी करती है। स्टारलिंक से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें बांग्लादेश में मस्क का सैटेलाइट वाला स्टारलिंक इंटरनेट शुरू:केबल और फाइबर की जरूरत नहीं; ₹3000 में 300mbps की स्पीड और अनलिमिटेड डेटा बांग्लादेश में इलॉन मस्क की सैटेलाइट इंटरनेट सेवा मुहैया कराने वाली कंपनी स्टारलिंक ने मंगलवार से अपनी सेवाएं शुरू कर दी हैं। बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस ने इसके लिए देश की जनता को बधाई दी। उन्होंने एक फेसबुक पोस्ट में लिखा- देश में स्टारलिंक का हाई-स्पीड, लो-लेटेंसी इंटरनेट दो पैकेज के साथ उपलब्ध हो चुका है। एक प्लान में लोगों को 6000 टका (4,203 भारतीय रुपए) और दूसरे प्लान में 4200 टका (2,942 भारतीय रुपए) खर्च करने होंगे। पूरी खबर पढ़ें...
अगर आप 15 हजार रुपए के बजट में नया 5G स्मार्टफोन खरीदने की प्लानिंग कर रहे हैं, तो इस कीमत में वीवो, रेडमी, पोको और मोटोरोला जैसे ब्रांड्स के कई फोन आते हैं। इस रेंज के स्मार्टफोन्स में 108MP रियर कैमरा, 6500mAh बैटरी और AI असिस्टेंस जैसे फीचर्स मिल जाएंगे। यहां हम आपको ऐसे 5 बजट 5G स्मार्टफोन के बारे में बता रहें हैं… 1.वीवो T4x 5G वीवो के इस फोन में सबसे खास इसकी 6500mAh की बड़ी बैटरी है। इसके अलावा फोन 50MP के डुअल रियर कैमरा सेटअप से लैस है, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के साथ आता है। कंपनी फोन को तीन वैरिएंट में पेश किया है। इसमें 6GB रैम + 128GB स्टोरेज, 8GB रैम + 128GB स्टोरेज और 8GB रैम + 256GB स्टोरेज शामिल हैं। वीवो ने फोन की शुरुआती वैरिएंट की कीमत 13,999 रखी है। 2.आईक्यू Z10 x Z10 x में 6500mAh की बड़ी बैटरी और 45W की फास्ट चार्जिंग का सपोर्ट दिया गया है। स्मार्टफोन में मीडिया टेक डायमेंसिटी 7300 प्रोसेसर दिया है। जो एंड्रॉयड 15 पर बेस्ड फॉन्टच OS ऑपरेटिंग सिस्टम पर रन करता है। स्मार्टफोन में 50MP कैमरा, 120Hz रिफ्रेश रेट के साथ 6.7 इंच का डिस्प्ले दिया गया है। आईक्यू Z10 x को भी तीन स्टोरेज के साथ पेश किया गया है, जिसकी शुरुआती कीमत ₹13,499 है। ग्राहकों को इसमें भी दो कलर अल्ट्रामरीन और टाइटेनियम मिलेंगे। 3.रेडमी 13 5G स्मार्टफोन में 108 मेगापिक्सल कैमरा और क्वालकॉम स्नैपड्रैगन 4 जनरेशन 2 प्रोसेसर दिया गया है, जो कंपनी के ही 'हाइपर ऑपरेटिंग सिस्टम पर रन करता है। इसके अलावा 'रेडमी 13 5G'में 33W चार्जिंग सपोर्ट के साथ 5530mAh की बैटरी दी गई है। कंपनी ने दावा किया है कि रेडमी 13 5G का डिस्प्ले सेगमेंट का सबसे बड़ा डिस्प्ले होगा। स्मार्टफोन को रेडमी ने तीन कलर ऑप्शन- ब्लैक डायमंड, हवाइअन ब्लू और ऑर्केड पिंक में लॉन्च किया है। स्मार्टफोन में 6GB+128GB और 8GB+128GB स्टोरेज के ऑप्शन मिलते हैं। 6GB+128GB की कीमत 13,999 रुपए है। 4.मोटो g45 फोन में 6.5 इंच LCD HD+ डिस्प्ले, क्वाड पिक्सल टेक्नोलॉजी पर बेस्ड 50 मेगापिक्सल प्राइमरी कैमरा और क्वालकॉम स्नैपड्रैगन 6s जेन 3 प्रोसेसर दिया गया है। मोटोरोला ने मोटो g45 को दो स्टोरेज वैरिएंट 4GB+128GB और 8GB+128GB में लॉन्च किया है। इसके 4GB रैम वाले वैरिएंट की कीमत 10,999 रुपए और 8GB रैम वाले वैरिएंट की कीमत 12,999 रुपए है। 5. M7 प्रो M7 प्रो 5G स्मार्टफोन को कंपनी ने बजट फ्रेंडली फोन को 20MP सेल्फी कैमरा और 5110mAh बैटरी के साथ इंडियन मार्केट में उतारा है। इसमें आपको कम दाम में प्रीमियम फीचर्स मिलेंगे। पोको ने M7 प्रो 5G को दो स्टोरेज वैरिएंट के साथ पेश किया है। 6GB रैम + 128GB स्टोरेज वाले बेस मॉडल की कीमत 14,999 रुपए और 8GB रैम + 256GB स्टोरेज वाले टॉप वैरिएंट की कीमत 16,999 रुपए रखी गई है।
टेक कंपनी मोटोरोला 10 जून को एज 60 सीरीज में नया स्मार्टफोन मोटोरोला एज 60 लॉन्च करने जा रही है। इस सीरीज में ये तीसरा मोबाइल होगा। इससे पहले कंपनी भारत में एज 60 स्टाइलस, एज 60 फ्यूजन और एज 60 प्रो स्मार्टफोन लॉन्च कर चुकी है। मोटोरोला ने अपकमिंग मोबाइल के फीचर्स और स्पेसिफिकेशन्स ऑफिशियल वेबसाइट पर रिवील कर दिए हैं। फोन में 50 मैगापिक्सल का सेल्फी कैमरा, 5500mAh बैटरी और मीडिया डायमेंसिटी 7400 ऑक्टा-कोर प्रोसेसर मिलेगा। मोटोरोला ऐज 60 को भारतीय बाजार में एज 60 फ्यूजन से ऊपर की रेंज में रखा जा सकता है। ऐज 60 फ्यूजन की शुरुआती कीमत 22,999 रुपए है। ऐसे में एज 60 की कीमत 24,999 रुपए हो सकती है। मोटोरोला एज 60 भारत में पैनटोन शेमरॉक और पैनटोन जिब्राल्टर सी कलर में बिकेगा।
दूरसंचार विभाग (DoT) ने लोगों को मोबाइल टावर लगाने के नाम पर हो रही धोखाधड़ी के खिलाफ आगाह किया है। जालसाज लोगों को मैसेज भेजकर टावर लगाने के बदले पैसे वसूल रहे हैं। न्यूज एजेंसी PIB फैक्ट चेक ने इन मैसेज को फर्जी बताते हुए लोगों से सावधान रहने की सलाह दी है। DoT ने कहा है कि उसकी और भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (TRAI) की तरफ से इस तरह का कोई मैसेज नहीं भेजा गया है। नोटिस भेजकर 5,000 डिपॉजिट मांग रहे जालसाजसाइबर अपराधी लोगों को मंथली किराया देने के बदले घर की छत या खाली जमीन पर मोबाइल टावर लगवाने का लालच देते हैं। उनके द्वारा ऐसा लेटर तैयार किया जाता है, जो सरकारी आदेश की तरह नजर आता है। इसकी भाषा भी बिल्कुल सरकारी दस्तावेज की तरह लगती है। इसमें टावर लगवाने के बदले 5,000 रुपए कंपनी के वकील के खाते में जमा कराने को कहा जाता है। कुछ लोग इस झांसे में आकर ठगी का शिकार हो रहे हैं। मोबाइल टावर लगाने के लिए कोई NOC जारी नहीं की जाती TRAI ने कहा कि उसकी तरफ से मोबाइल टावर लगाने के लिए कोई NOC जारी नहीं की जाती है। अगर, इस तरह का कोई मैसेज आपको मिलता है तो यह पूरी तरह से फर्जी है। TRAI ने कहा कि इस तरह का मैसेज आने पर किसी तरह का लेन-देन करने से बचें। आप संबंधित मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर को इस बारे में सूचित करें। दूरसंचार विभाग की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर भी चेक कर सकते हैं और थाने में फ्रॉड की शिकायत दर्ज कराएं। आइए जानते हैं मोबाइल टावर लगाने के नाम पर हो रही ठगी से खुद को कैसे बचाएं और मोबाइल टावर लगवाने का सही प्रोसेस क्या है... सवाल- मोबाइल टावर के नाम पर साइबर ठग लोगों को कैसे अपने जाल में फंसाते हैं? जवाब- साइबर ठग लोगों को उनकी जमीन या छत पर टावर लगवाने के बदले हर महीने मोटी कमाई का झांसा देते हैं। इसके साथ ही टेलिकॉम कंपनी की तरफ से एक व्यक्ति को नौकरी देने का भी वादा करते हैं। यही वजह है कि लोग आसानी से उनके झांसे में आ जाते हैं और ठगी का शिकार हो जाते हैं। सवाल- मोबाइल टावर के नाम पर होने वाले स्कैम से कैसे बच सकते हैं? जवाब- मोबाइल टावर स्कैम में सबसे पहले स्कैमर्स टेलिकॉम कंपनी का प्रतिनिधि होने का दावा करते हैं। इसके बाद वह कंपनी की पॉलिसी के नाम पर आपको नौकरी या बिना कुछ किए मोटी कमाई करने का लालच देते हैं। जब आप एक बार उनके झांसे में आ जाते हैं तो वह कंपनी में रजिस्ट्रेशन करने के नाम पर आपसे फाइल चार्ज मांगते हैं। हमेशा ध्यान रखें कि कभी भी टेलिकॉम कंपनी किसी को इस तरह फोन करके मोबाइल टावर लगाने का ऑफर नहीं देती है। अगर आपके पास ऐसा कोई कॉल आए तो उसके झांसे में न आएं। इसके अलावा नीचे ग्राफिक में दी गई कुछ बातों का जरूर ध्यान रखें। सवाल- मोबाइल टावर लगवाने का सही तरीका क्या है? जवाब- अगर आप अपने प्लॉट या छत पर मोबाइल टावर लगवाना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको टावर ऑपरेट करने वाली कंपनी से संपर्क करना होगा। इसके लिए टावर ऑपरेट कंपनी के ऑफिस जाना होगा। साथ ही ऑनलाइन वेबसाइट पर भी विजिट कर सकते हैं। इसके बाद कंपनी के प्रतिनिधि आपकी प्रॉपर्टी का इंस्पेक्शन करेंगे। मोबाइल टावर को लेकर सरकार द्वारा कुछ नियम तय किए गए हैं। इन नियमों के आधार पर ये तय होता है कि आपकी प्रॉपर्टी में टावर लग सकता है या नहीं। इसे नीचे पॉइंटर्स से समझिए- सवाल- क्या मोबाइल टावर लगाने के लिए कोई सिक्योरिटी मनी भी जमा करनी होती है? जवाब- बिल्कुल नहीं। अगर कोई मोबाइल कंपनी आपकी जमीन पर मोबाइल टावर लगा रही है तो वह किसी भी प्रकार की सिक्योरिटी मनी या फिर पैसे की डिमांड नहीं कर सकती है। इसका सारा खर्च मोबाइल कंपनी के द्वारा ही वहन किया जाता है। सवाल- मोबाइल टावर लगवाने के लिए क्या परमिशन लेनी पड़ती है? जवाब- भारतीय टेलिग्राफ राइट ऑफ वे (संशोधन) नियम 2022 के मुताबिक, निजी संपत्ति पर मोबाइल टावर लगाने के लिए किसी प्राधिकरण से मंजूरी लेने की जरूरत नहीं है। हालांकि टावर लगाने वाली कंपनी को स्थानीय प्रशासन को इसकी लिखित जानकारी देनी होती है। सवाल- मोबाइल टावर लगवाने पर कितना किराया मिलता है? जवाब- इसके लिए टेलिकॉम कंपनी की तरफ से करीब 5000 रुपए से लेकर 60 हजार रुपए तक मासिक किराया मिलता है। यह किराया आपके शहर, जमीन की लोकेशन, ऊंचाई आदि के आधार पर तय होता है। सवाल- अगर मोबाइल टावर से जुड़ी ठगी का शिकार हो जाएं तो क्या करें? जवाब- इस तरह का फ्रॉड होने पर सबसे पहले स्थानीय पुलिस को इसकी सूचना दें। इसके बाद साइबर क्राइम की वेबसाइट या नेशनल हेल्पलाइन नंबर 1930 पर इसकी शिकायत दर्ज कराएं। साइबर पुलिस इस मामले में आपकी मदद करेगी।
गाड़ी का थर्ड पार्टी इंश्योरेंस कराना महंगा हो सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IRDAI) ने सरकार से थर्ड पार्टी इंश्योरेंस प्रीमियम बढ़ाने का सुझाव दिया है। IRDAI ने औसतन 18% प्रीमियम बढ़ाने का सुझाव दिया है, जबकि कुछ गाड़ियों की कैटेगरी में यह बढ़ोतरी 20% से 25% तक हो सकती है। अब इस प्रस्ताव पर अंतिम फैसला सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय लेगा। 2 से 3 हफ्तों में इस पर फैसला लिया जा सकता है। मंत्रालय की मंजूरी के बाद एक ड्राफ्ट नोटिफिकेशन सार्वजनिक सहमति के लिए जारी किया जाएगा। इसके बाद अन्य प्रक्रिया जैसे सुझाव लेना और समीक्षा करना किया जाएगा, तभी यह बदलाव लागू होंगे। पिछले तीन सालों से इस बीमा के प्रीमियम में बदलाव नहीं किया गया है। अब समझें थर्ड पार्टी इंश्योरेंस होता क्या है? थर्ड पार्टी इंश्योरेंस एक प्रकार का वाहन बीमा है, जो भारत में मोटर वाहन अधिनियम के तहत हर वाहन मालिक के लिए अनिवार्य है। इसे आसान भाषा में समझें: थर्ड पार्टी इंश्योरेंस का मतलब: यह बीमा आपके वाहन से किसी तीसरे व्यक्ति (जैसे राहगीर, दूसरा वाहन चालक, या उनकी संपत्ति) को होने वाले नुकसान की भरपाई करता है। यह आपके या आपके वाहन के नुकसान को कवर नहीं करता, बल्कि दूसरों को हुए नुकसान के लिए सुरक्षा देता है। उदाहरण से समझें: मान लीजिए आपकी गाड़ी से दुर्घटना में किसी और का वाहन खराब हो जाता है, या किसी को चोट लगती है, या उसकी संपत्ति को नुकसान होता है। ऐसी स्थिति में थर्ड पार्टी इंश्योरेंस उस नुकसान की भरपाई करता है, जैसे मरम्मत का खर्च या मेडिकल बिल। इसमें क्या-क्या कवर होता है? थर्ड पार्टी इंश्योरेंस क्यों जरूरी है? यह क्या नहीं कवर करता?
2025 सुजुकी वी-स्ट्रॉम 800DE भारत में लॉन्च:एडवेंचर टूरिंग बाइक में 22.7kmpl माइलेज, कीमत ₹10.30 लाख
सुजुकी मोटरसाइकिल इंडिया ने भारतीय बाजार के लिए 2025 सुजुकी वी-स्ट्रॉम 800DE लॉन्च की है। यह एक मिडिलवेट एडवेंचर टूरिंग बाइक है, जिसे हाईवे, शहर और ऑफ-रोड के लिए डिजाइन किया गया है। बाइक 22.7kmpl माइलेज के साथ 450+ किलोमीटर की रेंज देती है। इसकी एक्स-शोरूम कीमत 10.30 लाख रुपए रखी गई है। एडवेंचर बाइक सेगमेंट में ये होंडा XL750 ट्रांसलेप (कीमत ₹10,99,990) को टक्कर देगी।
इलॉन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स को स्टारलिंक सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस भारत में ऑपरेट करने के लिए टेलीकॉम डिपार्टमेंट का लाइसेंस मिल गया है। अब उसे सिर्फ इंडियन नेशनल स्पेस प्रमोशन एंड ऑथराइजेशन सेंटर यानी, IN-SPACe के अप्रूवल का इंतजार है। रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से ये जानकारी दी है। स्टारलिंक तीसरी कंपनी है जिसे भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस ऑपरेट करने का लाइसेंस मिला है। इससे पहले भारती के वनवेब और रिलायंस जियो को देश के भीतर अपनी सर्विस देने के लिए मंजूरी दी गई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक स्टारलिंक भारत में 840 रुपए में महीनेभर अनलिमिटेड डेटा देगा। स्टारलिंक के प्रमोशनल प्लान में अनलिमिटेड डेटा द इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, स्पेसएक्स भारत में अपनी स्टारलिंक सैटेलाइट इंटरनेट सर्विसेज मंथली 10 डॉलर यानी लगभग 840 रुपए से कम कीमत वाले शुरुआती प्रमोशनल अनलिमिटेड डेटा प्लान से शुरू करेगा। स्टारलिंक समेत सैटेलाइट कम्यूनिकेशंस कंपनियों का टारगेट अपने यूजर बेस को तेजी से बढ़ाना है। यह मिड-टू-लॉन्ग टर्म में 10 मिलियन यानी 1 करोड़ कस्टमर तक पहुंच सकता है। इससे कंपनियों को भारी स्पेक्ट्रम कॉस्ट की भरपाई करने में मदद मिलेगी। सैटेलाइट्स से आप तक कैसे पहुंचेगा इंटरनेट? जून 2020 में सरकार ने IN-SPACe स्थापित किया था डिपार्टमेंट ऑफ स्पेस ने जून 2020 में IN-SPACe को स्थापित किया था। यह स्पेस एक्टिविटीज में प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी को रेगुलेट करने और उसे सुविधाजनक बनाने के लिए सिंगल-विंडो एजेंसी के रूप में काम करती है। IN-SPACe नॉन-गवर्नमेंटल एंटिटीज के लिए लाइसेंसिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर शेयरिंग और स्पेस बेस्ड सर्विसेज को बढ़ावा देने का काम भी करती है।
चीन की ओर से कीमती धातुओं (रेयर अर्थ मटेरियल) के एक्सपोर्ट पर पाबंदी लगाने का सीधा असर दुनिया की ऑटो इंडस्ट्री पर दिखने लगा है। मारुति सुजुकी की पैरेंट कंपनी सुजुकी मोटर कॉर्पोरेशन ने जापान में अपने पॉपुलर मॉडल स्विफ्ट का प्रोडक्शन रोकने का एलान किया है। वहीं, यूरोप और जापान की कई ऑटो कंपनियों ने प्रोडक्शन रोक दिया है या कभी भी रोकने की स्थिति में आ गई हैं। इसमें फोर्ड, निसान, BMW और मर्सिडीज जैसी कंपनियां शामिल हैं। इसका असर भारतीय ऑटोमोबाइल सेक्टर पर भी पड़ेगा। इसलिए अगले हफ्ते एक भारतीय दल चीन जाएगा। ऑटो पार्ट्स की कमी से प्रोडक्शन रोकना पड़ रहा हालांकि, मर्सिडीज और BMW जैसी कंपनियां सीधे तौर पर दुर्लभ धातुओं का स्रोत नहीं बनाती हैं, लेकिन उनके टियर-1 सप्लायर्स इन धातुओं का इस्तेमाल इलेक्ट्रिक मोटरों और हाइब्रिड सिस्टम में करते हैं। इससे उन्हें कंपोनेंट्स की कमी का सामना करना पड़ता है। अगले हफ्ते चीन जाएगा भारतीय डेलिगेशनभारत अगले हफ्ते चीन में ऑटो इंडस्ट्री का एक हाई लेवल डेलिगेशन भेजेगा, जिसमें सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (Siam) और ऑटोमोटिव कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (Acma) के प्रतिनिधि शामिल होंगे। यह दल चीन के अधिकारियों से रेयर अर्थ मटेरियल के शिपमेंट के लिए तेजी से मंजूरी देने के लिए बातचीत करेगा, जो ऑटोमोटिव इंडस्ट्री के लिए जरूरी हैं। वहीं, भारतीय विदेश मंत्रालय बीजिंग में भारतीय दूतावास के जरिए सप्लाई की समस्याओं को हल करने में जुटे हैं। चीन की पाबंदियां बनी रहीं, तो महंगी होंगी ईवी अगर चीन की पाबंदियां बनी रहीं, तो ग्लोबल लेवल पर इलेक्ट्रिक व्हीकल बनाने वाली कंपनियों पर इसका असर देखने को मिलेगा। कच्चे माल की कीमतें बढ़ेंगी, जिससे गाड़ियों के दाम भी ऊपर जा सकते हैं। भारत सहित सभी बाजारों में भी इसका असर धीरे-धीरे दिखेगा। भारत में विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि चीन से इम्पोर्ट जल्द शुरू न हुआ तो इलेक्ट्रिक और ICE वाहनों के कारखानों का प्रोडक्शन रुक सकता है। रेयर मटेरियल्स की माइनिंग में चीन की करीब 70% हिसेदारी बता दें कि ग्लोबल लेवल पर रेयर मटेरियल्स की माइनिंग में चीन की हिसेदारी करीब 70% और प्रोडशन में करीब 90% तक है। चीन ने हाल ही में अमेरिका के साथ बढ़ती ट्रेड वॉर के बीच 7 कीमती धातुओं (रेयर अर्थ मटेरियल) के निर्यात पर रोक लगा दी थी। चीन ने कार, ड्रोन से लेकर रोबोट और मिसाइलों तक असेंबल करने के लिए जरूरी मैग्नेट यानी चुंबकों के शिपमेंट भी चीनी बंदरगाहों पर रोक दिए हैं। ये मटेरियल ऑटोमोबाइल, सेमीकंडक्टर और एयरोस्पेस बिजनेस के लिए बेहद अहम हैं। स्पेशल परमिट के जरिए ही होगा एक्सपोर्टचीन ने 4 अप्रैल को इन 7 कीमती धातुओं के निर्यात पर रोक लगाने का आदेश जारी किया था। आदेश के मुताबिक ये कीमती धातुएं और उनसे बने खास चुंबक सिर्फ स्पेशल परमिट के साथ ही चीन से बाहर भेजे जा सकते हैं। कंपनियों को चीन से मैग्नेट मंगाने के लिए 'एंड-यूज सर्टिफिकेट' देना होगा। इसमें यह बताना पड़ेगा कि यह चुंबक सैन्य उद्देश्यों के लिए तो नहीं हैं। चीन ने प्रतिबंध क्यों लगाए?रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, चीन का यह कदम माइनिंग इंडट्री में इसके डोमिनेंस को भी दिखाता है। इसके अलावा, इसे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाड ट्रंप के साथ चल रहे टैरिफ वार में चीन ओर से लाभ उठाने के रूप में देखा जा रहा है।
हुंडई मोटर इंडिया लिमिटेड ने आज (5 जून) भारतीय बाजार के लिए कॉम्पैक्ट सेडान सेगमेंट में वरना का नया वैरिएंट लॉन्च किया है। इसकी शुरुआती एक्स-शोरूम कीमत 13.79 लाख रुपए है। इसमें 20Kmph माइलेज मिलेगा। इस वैरिएंट को SX और SX (O) वैरिएंट के बीच पोजिशन किया गया है, जिसमें मैनुअल और CVT ऑप्शंस दिए गए हैं। इस वैरिएंट के पेश होने से अब इस कार में वेंटिलेटेड और हीटेड फ्रंट सीट्स, लेदरेट सीट अपहोल्स्ट्री और 8 स्पीकर बोस साउंड सिस्टम जैसे फीचर्स 1 लाख रुपए कम कीमत में मिलेंगे। कॉम्पैक्ट सेडान सेगमेंट में इसका मुकाबला होंडा सिटी, स्कोडा स्लाविया और फॉक्सवैगन वर्टस से है। कार के साथ 3 साल की अनलिमिटेड किलोमीटर वारंटी मिलती है। अब 5 ट्रिम्स और 9 कलर ऑप्शनप्रीमियम सेडान अब 5 ट्रिम्स और 2 इंजन ऑप्शन के साथ अवेलेबल है। इसमें EX, S, SX, SX+ और SX (O) वैरिएंट शामिल है। कार को 7 मोनोटोन कलर ऑप्शन टाइफून सिल्वर, फेयरी रेड, स्टारी नाइट, टाइटन ग्रे, एबिस ब्लैक, एटलस व्हाइट और टेल्यूरियन ब्राउन में खरीदा जा सकता है। इसके अलावा इसमें एटलस व्हाइट और फेयरी रेड डुअल टोन कलर ऑप्शन भी मिलते हैं। इसके साथ ही अब कंपनी ग्रैंड i10, ऑरा, एक्सटर, वेन्यू और वरना में वायरलेस एंड्रॉयड ऑटो और एपल कारप्ले एडॉप्टर एसेसरीज के तौर पर दे रही है। ऑल न्यू हुंडई वरना : वैरिएंट और इंट्रोडक्टरी प्राइस 2025 हुंडई वरना SX+ में न्या क्या?हुंडई वरना SX+ सबसे अफोर्डेबल वैरिएंट है, जिसमें हीटेड और वेंटिलेटेड फ्रंट सीट्स, 8-स्पीकर बोस साउंड सिस्टम और लेदरेट सीट अपहोल्स्ट्री जैसे फीचर्स दिए गए हैं, जो सभी पिछले SX वैरिएंट में नहीं दिए गए हैं। इसके अलावा नए SX+ वैरिएंट में SX वैरिएंट वाले भी फीचर्स दिए गए हैं, जिनमें LED हेडलाइट्स, 16 इंच के अलॉय व्हील, LED DRL और LED टेल लाइट्स दिए गए हैं। इसके केबिन में डुअल-टोन ब्लैक और बेज थीम, लेदरेट रैप्ड स्टीयरिंग व्हील और गियर लीवर मिलते हैं। नए वैरिएंट में अन्य फीचर्स के तौर पर 8-इंच टचस्क्रीन इंफोटेनमेंट, सिंगल-पैनल सनरूफ, रियर वेंट्स के साथ ऑटोमैटिक एसी, वायरलेस फोन चार्जर, कूल्ड ग्लवबॉक्स, एम्बिएंट लाइटिंग और क्रूज कंट्रोल जैसे फीचर्स दिए गए हैं। सेफ्टी के लिए इसमें 6 एयरबैग, हिल स्टार्ट असिस्ट, फ्रंट और रियर पार्किंग सेंसर, रियर पार्किंग कैमरा, इलेक्ट्रॉनिक पार्किंग ब्रेक और टायर प्रेशर मॉनिटरिंग सिस्टम (TPMS) जैसे फीचर्स मिलते हैं। परफॉर्मेंस: 19.60KMPL का माइलेज मिलेगावरना के नए SX+ वैरिएंट में 1.5-लीटर नेचुरली एस्पिरेटेड पेट्रोल इंजन दिया गया है, जो 115PS की पॉवर और 144Nm का टॉर्क जनरेट करता है। इसके साथ 6-स्पीड मैनुअल और 7 स्पीड डुअल टच क्लच ऑटोमेटिक ट्रांसमिशन (IVT) ऑप्शन मिलेगा। ये इंजन एक लीटर पेट्रोल में मैनुअल ट्रांसमिशन के साथ 18.60KMPL और ऑटोमेटिक ट्रांसमिशन के साथ 19.60KMPL का माइलेज देता है। इसके टॉप वैरिएंट्स में एक नया 1.5-लीटर टर्बो पेट्रोल इंजन मिलता है, जो 160PS की पॉवर और 253Nm का टॉर्क जनरेट करता है। इस इंजन को भी 6-स्पीड मैनुअल और 7-स्पीड IVT गियरबॉक्स के साथ ट्यून किया किया गया है। कार में इको, नॉर्मल और स्पोर्ट जैसे तीन ड्राइविंग मोड्स मिलेंगे। दोनों ही इंजन RDE कंप्लाइंट हैं और E-20 पेट्रोल पर भी चलेंगे।
क्लासिक लीजेंड्स प्राइवेट लिमिटेड ने अपनी पॉपुलर बाइक 2025 येज्दी एडवेंचर को नए अवतार में लॉन्च कर दिया है। इस बाइक की शुरुआती कीमत 2.15 लाख रुपए (एक्स-शोरूम) रखी गई है। नई येज्दी एडवेंचर में स्टाइलिश डिजाइन, बेहतर फीचर्स और कुछ कॉस्मेटिक बदलाव किए गए हैं, जो इसे और आकर्षक बनाते हैं। मार्केट में यह बाइक रॉयल एनफील्ड हिमालयन और सुजुकी वी-स्ट्रॉम SX जैसी बाइक्स को टक्कर देगी। नया डिजाइन और फीचर्स 2025 येज्दी एडवेंचर में सबसे बड़ा बदलाव इसका नया हेडलैंप डिजाइन है। इसमें एक तरफ मल्टी-रिफ्लेक्टर हेडलैंप और दूसरी तरफ प्रोजेक्टर लाइट के साथ एसिमेट्रिक डिजाइन दिया गया है। यह नया सेटअप रात में बेहतर लाइट प्रोवाइड करेगा, जो पहले मॉडल की तुलना में काफी बेहतर है। इसके अलावा बाइक में ट्विन LED टेल लाइट्स, रैली-स्टाइल फ्रंट बीक, नए डीकैल्स और अपडेटेड फ्यूल टैंक डिजाइन के साथ नए ग्राफिक्स दिए गए हैं। ये बदलाव बाइक को फ्रेश और मॉडर्न लुक देते हैं। बाइक के चेसिस और सस्पेंशन सेटअप में भी कोई बदलाव नहीं किया गया है। इसमें 220mm ग्राउंड क्लीयरेंस और 15.5-लीटर टैंक बरकरार रखा गया है। यह बाइक छह कलर (तीन मैट और तीन ग्लॉस) में अवेलेबल है, जो इसे और स्टाइलिश बनाते हैं। इसके अलावा इसमें अपडेटेड इंस्ट्रूमेंट क्लस्टर और नए कलर ऑप्शन भी शामिल हैं, जो राइडर्स को बेहतर एक्सपीरियंस देंगे। इंजन और परफॉर्मेंस येज्दी एडवेंचर में पहले की तरह 334cc सिंगल-सिलेंडर लिक्विड-कूल्ड इंजन दिया गया है, जो 29.6 bhp की पावर और 29.9 Nm का टॉर्क जनरेट करता है। यह इंजन 6-स्पीड गियरबॉक्स के साथ आता है और OBD-2B कंप्लायंस को फॉलो करता है। बाइक में डुअल-चैनल ABS के साथ तीन मोड्स - रेन, रोड और ऑफ-रोड दिए गए हैं, जो इसे अलग-अलग रास्तों पर बेहतर कंट्रोल प्रोवाइड करते हैं। पिछले साल अपडेट किए गए सस्पेंशन सिस्टम को इस बार और बेहतर किया गया है। प्राइस और कॉम्पिटिशन 2025 येज्दी एडवेंचर की कीमत 2.15 लाख रुपए (एक्स-शोरूम) से शुरू होती है। इसका टॉप-स्पेक वैरिएंट 2.27 लाख रुपए (एक्स-शोरूम) का है। ये हीरो Xpulse 210 से महंगी, लेकिन KTM 250 एडवेंचर और रॉयल एनफील्ड हिमालयन 450 से सस्ती है। नई येज्दी एडवेंचर क्यों है खास? नई येज्दी एडवेंचर अपने आकर्षक डिजाइन, बेहतर लाइटिंग और किफायती कीमत के साथ एडवेंचर बाइक सेगमेंट में एक मजबूत दावेदार है। यह उन राइडर्स के लिए शानदार ऑप्शन है, जो ऑन-रोड और ऑफ-रोड दोनों तरह की राइडिंग का मजा लेना चाहते हैं।
दक्षिण कोरियाई कंपनी हुंडई मोटर्स ने ओला इलेक्ट्रिक में अपनी पूरी 2.47% हिस्सेदारी बेच दी है। वहीं किया मोटर्स ने भी अपनी 0.6% हिस्सेदारी बेचीं है। दोनों कंपनियों ने कुल मिलाकर करीब ₹692 करोड़ की ब्लॉक डील की है। रायटर्स के मुताबिक हुंडई ने अपनी 2.47% हिस्सेदारी (करीब 10.88 करोड़ शेयर) ₹50.70 प्रति शेयर के भाव पर बेची। जबकि किया ने अपनी 0.6% हिस्सेदारी (करीब 2.71 करोड़ शेयर) ₹50.55 प्रति शेयर के भाव पर बेचे हैं। किया की अब ओला इलेक्ट्रिक में हिस्सेदारी 1% से कम रह गई है। दोनों कंपनियों ने 2019 में ओला इलेक्ट्रिक में कुल 300 मिलियन डॉलर (2500 करोड़ रुपए) का निवेश किया था। कल 8% गिरा था ओला का शेयर ओला इलेक्ट्रिक के शेयरों में मंगलवार को 8% की गिरावट देखने को मिली थी। कंपनी का शेयर 4.10 रुपए गिरकर 49.60 रुपए पर बंद हुआ। वहीं आज 1.20% की तेजी के साथ 50 रुपए पर बंद हुआ है। ओला का घाटा दोगुना हुआ खराब रिजल्ट के कारण ओला इलेक्ट्रिक के शेयर में 30 मई को 10% तक गिरावट देखने को मिली थी। 29 मई को कंपनी ने वित्त वर्ष 2025 की चौथी के तिमाही के नतीजे जारी किए थे। कंपनी का घाटा दोगुना होकर 870 करोड़ रुपए पर पहुंच गया है। एक साल पहले की समान तिमाही में कंपनी को 416 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था। सालाना आधार पर कंपनी का लॉस दो गुने से ज्यादा बढ़ा है। ऑपरेशन से कंपनी के रेवेन्यू की बात करें तो जनवरी मार्च तिमाही में यह 611 करोड़ रुपए रहा है। इसमें 62% की गिरावट है। एक साल पहले की समान तिमाही में कंपनी ने 1,598 करोड़ रुपए का रेवेन्यू जनरेट किया था। वस्तुओं और सेवाओं को बेचने से मिली राशि को रेवेन्यू या राजस्व कहा जाता है। व्हीकल्स की बिक्री में तीसरे नंबर पर पहुंची ओला इसके अलावा ओला इलेक्ट्रिक बिक्री के मामले में तीसरे नंबर पहुंच गई है। वाहन पोर्टल के अनुसार मई महीने में कंपनी की बाजार हिस्सेदारी 20% रह गई है।बीते साल मई के मुकाबले व्हीकल्स की बिक्री में 60% की गिरावट आई है। 2025 के मई महीने में सिर्फ 15,221 वाहन रजिस्टर हुए, जबकि पिछले साल मई में यह आंकड़ा 37,388 था। वहीं पुराने प्लेयर TVS मोटर 25% मार्केट शेयर के साथ पहले नंबर पर है। बजाज ऑटो 22.6% हिस्सेदारी के साथ दूसरे स्थान पर है। एथर एनर्जी का मार्केट शेयर अप्रैल के 14.9% से घटकर मई में 13.1% रह गया। 2017 में ओला इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की हुई थी स्थापना बेंगलुरु स्थित ओला इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की स्थापना 2017 में हुई थी। कंपनी मुख्य रूप से ओला फ्यूचर फैक्ट्री में इलेक्ट्रिक व्हीकल, बैटरी पैक, मोटर्स और व्हीकल फ्रेम बनाती है।
इलॉन मस्क की स्टारलिंक को सैटेलाइट इंटरनेट प्रोजेक्ट के लिए जल्द ही भारत में ऑपरेटिंग लाइसेंस मिलने वाला है। यह बात कम्युनिकेशन मिनिस्टर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कही है। स्टारलिंक को डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशन (DoT) ने पहले ही लेटर ऑफ इंटेंट (LOI) दे दिया है। अब स्टारलिंक को सिर्फ IN-SPACe से फाइनल अप्रूवल मिलना बाकी है। स्टारलिंक के लिए प्रोसेस लगभग पूरी: सिंधिया सिंधिया ने कहा, 'फिलहाल दो कंपनियों- वनवेब और रिलायंस को सैटेलाइट कनेक्टिविटी के लिए लाइसेंस मिले हैं। स्टारलिंक के लिए भी प्रोसेस लगभग पूरी हो चुकी है। LOI जारी कर दिया गया है। मुझे विश्वास है कि स्टारलिंक को जल्द ही लाइसेंस मिल जाएगा। अगला कदम IN-SPACe से मंजूरी हासिल करना है। तीनों लाइसेंस होल्डर्स को ऑपरेशन शुरू करने से पहले इस प्रोसेस से गुजरना होगा।' TRAI स्पेक्ट्रम अलॉटमेंट के लिए पॉलिसी नॉर्म्स देगा सिंधिया ने कहा कि वनवेब और रिलायंस को सिर्फ शुरुआती टेस्टिंग के लिए लिमिटेड स्पेक्ट्रम एक्सेस दिया गया है। स्टारलिंक को ऑफिशियल लाइसेंस मिलने के बाद इसी तरह का रास्ता अपनाने की उम्मीद है। सिंधिया ने कहा, 'इसके बाद टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) एडमिनिस्ट्रेटिव स्पेक्ट्रम अलॉटमेंट के लिए पॉलिसी नॉर्म्स प्रोवाइड करेगा, जो कमर्शियल रोलआउट को कंट्रोल करेगा।' भारत में ₹840 में अनलिमिटेड डेटा देगा स्टारलिंक द इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, स्पेसएक्स भारत में अपनी स्टारलिंक सैटेलाइट इंटरनेट सर्विसेज मंथली 10 डॉलर यानी लगभग 840 रुपए से कम कीमत वाले शुरुआती प्रमोशनल अनलिमिटेड डेटा प्लान से शुरू करेगा। स्टारलिंक समेत सैटेलाइट कम्यूनिकेशंस कंपनियों का टारगेट अपने यूजर बेस को तेजी से बढ़ाना है। यह मिड-टू-लॉन्ग टर्म में 10 मिलियन यानी 1 करोड़ कस्मटर तक पहुंच सकता है। इससे कंपनियों को भारी स्पेक्ट्रम कॉस्ट की भरपाई करने में मदद मिलेगी। स्पेक्ट्रम महंगा, लेकिन स्टारलिंक को दिक्कत नहीं टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (Trai) ने सैटेलाइट कम्यूनिकेशंस कंपनियों से शहरी यूजर्स के लिए मंथली चार्ज ₹500 रखने की सिफारिश की है। जिससे सैटेलाइट कम्यूनिकेशंस स्पेक्ट्रम ट्रेडिशनल टेरेस्टेरियल सर्विसेज की तुलना में ज्यादा महंगा हो जाता है। रिपोर्ट्स के अनुसार, एक्सपर्ट्स का मानना है कि प्रीमियम प्राइसिंग के चलते स्टारलिंक जैसी फाइनेंशियली स्ट्रांग कंपनियों को भारत के शहरी मार्केट में दूसरी कंपनियों के साथ कॉम्पिटिशन करने में कोई दिक्कत नहीं होगी। रेवेन्यू शेयर और लाइसेंस फीस वसूलता है ट्राई ट्राई की सिफारिशों में एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) पर 4% फीस और प्रति मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम पर मिनिमम 3,500 रुपए एनुअल फीस शामिल है। इसके अलावा सैटेलाइट कम्युनिकेशन प्रोवाइडर्स को कॉमर्शियल सर्विसेज देने के लिए 8 लाइसेंस फीस देनी होगी। सभी प्रपोजल को लागू करने से पहले सरकार के आखिरी अप्रूवल का इंतजार है। इन प्राइस पॉइंट्स के बावजूद एक्सपर्ट्स का मानना है कि लिमिटेड सैटेलाइट कैपेसिटी भारतीय यूजर बेस के तेजी से बढ़ने की क्षमता को कम कर सकती है। कंपनियों के लिए कैपेसिटी एक चुनौती साबित होगी IIFL रिसर्च के अनुसार, स्टारलिंक की 7,000 सैटेलाइट का मौजूदा ग्रुप ग्लोबल लेवल पर लगभग 4 मिलियन यूजर्स को सर्विस प्रोवाइड करता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर 18,000 सैटेलाइट्स हों, तो भी स्टारलिंक वित्त-वर्ष 2030 तक सिर्फ 1.5 मिलियन भारतीय कस्टमर्स को ही सर्विसेज प्रोवाइड करने में सक्षम होगा। IIFL रिसर्च ने कहा था, 'कस्टमर की संख्या बढ़ाने के मामले में कैपेसिटी यानी क्षमता की कमी एक चुनौती साबित हो सकती है। यह ग्राहक को जोड़ने के लिए कम कीमत के टूल्स की इफेक्टिवनेस को भी कम कर सकता है। रिपोर्ट में बताया गया है कि स्टारलिंक ने पहले भी अमेरिका और अफ्रीका के कुछ हिस्सों में इसी तरह की कैपेसिटी लिमिट्स के कारण ग्राहकों को जोड़ना बंद कर दिया था।' सैटेलाइट इंटरनेट भारत में होम ब्रॉडबैंड की तुलना में महंगा IIFL के एनालिसिस में कहा गया था कि किसी भी समय भारत को कवर करने वाली सैटेलाइट्स की हिस्सेदारी टोटल ग्लोबल सैटेलाइट काउंट का सिर्फ 0.7-0.8% होगी, जो मोटे तौर पर देश के टोटल लैंड एरिया के प्रोपोर्शनल है। वर्तमान में सैटेलाइट-बेस्ड ब्रॉडबैंड भारत में ट्रेडिशनल होम ब्रॉडबैंड सर्विसेज की तुलना में काफी महंगा है। JM फाइनेंशियल ने बताया कि सैटकॉम ब्रॉडबैंड की लागत स्टैंडर्ड होम इंटरनेट प्लान्स की तुलना में 7 से 18 गुना ज्यादा है। स्टारलिंक को IN-SPACe की मंजूरी का इंतजार सैटेलाइट कम्युनिकेशन सर्विसेज के लिए डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशन की मंजूरी के बाद स्टारलिंक को अब भारत में सर्विसेज शुरू करने के लिए IN-SPACe से अप्रूवल मिलने का इंतजार है। इससे पहले यूटेलसैट वनवेब और जियो सैटेलाइट कम्युनिकेशंस ने 2021 और 2022 में इसी तरह के लाइसेंस हासिल किए थे, लेकिन IN-SPACe की मंजूरी के लिए लगभग दो साल इंतजार किया था। डिपार्टमेंट ऑफ स्पेस ने जून 2020 में IN-SPACe को स्थापित किया था। यह स्पेस एक्टिविटीज में प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी को रेगुलेट करने और उसे सुविधाजनक बनाने के लिए सिंगल-विंडो एजेंसी के रूप में काम करती है। IN-SPACe नॉन-गवर्नमेंटल एंटिटीज के लिए लाइसेंसिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर शेयरिंग और स्पेस बेस्ड सर्विसेज को बढ़ावा देने का काम भी करती है। सैटेलाइट्स से आप तक कैसे पहुंचेगा इंटरनेट?