छत्तीसगढ़ चिकित्सा शिक्षा विभाग ने नीट-यूजी काउंसलिंग में नए प्रवेश नियम 2025 और MCC की समय-सारणी का पूर्णतः पालन किया है। विभाग की तत्परता और पारदर्शिता से इस साल बड़ी संख्या में छात्रों को लाभ मिला है। मॉप-राउंड के बाद एनआरआई कोटा की केवल 107 सीटें ही भरी गई। बाकी 26 रिक्त सीटों को प्रवेश नियमों के अनुसार, प्रवेश की अंतिम तिथि से दस दिन पूर्व स्ट्रे राउंड के सीट मैट्रिक्स तैयार करते समय ओपन (मैनेजमेंट) सीटों में परिवर्तित कर दिया गया। इस निर्णय से स्ट्रे राउंड में मैनेजमेंट कोटा के छात्रों को 26 सीटों का लाभ मिल सका। तत्परता से काउंसलिंग, छात्रों को मिला फायदा राज्य नियमों और MCC की समय-सारणी के अनुरूप स्ट्रे राउंड का आवंटन 14 नवंबर को जारी किया गया। 15 नवंबर को जैसे ही MCC ने ऑल इंडिया से आवंटित छात्रों को राज्य सूची से हटाने का नोटिस जारी किया, विभाग ने तत्काल प्रभाव से पिछला आवंटन निरस्त कर दिया और नई मेरिट और आवंटन सूची रात 10 बजे जारी कर दी। पारदर्शिता के साथ काउंसलिंग प्रक्रिया जारी चिकित्सा शिक्षा विभाग ने सभी नए नियमों और MCC की ओर से दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए पारदर्शी तरीके से काउंसलिंग संपन्न की है। इससे अधिक छात्रों को आवंटन मिल सका और निर्धारित समय-सारणी के अनुसार प्रवेश प्रक्रिया भी सुचारू रूप से प्रारंभ हो गई।
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज से चंडीगढ़ आ रहे एक एनआरआई कपल का ऊंचाहार एक्सप्रेस के एसी कोच से पर्स चोरी हुआ। पर्स में आईफोन-14, 25 हजार रुपए, फेडरल व एसबीआई बैंक के एटीएम कार्ड, सोने की कान की बालियां सहित काफी सामान था। इस मामले में जीआरपी चंडीगढ़ थाने में जीरो एफआईआर दर्ज की गई है। वहीं, एनआरआई ने रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव को पूरी घटना टैग कर एक्शन की डिमांड की है। उन्होंने लिखा कि कई घंटे बीत जाने के बाद भी कोई हल नहीं निकला है। हालांकि अभी तक इस मामले में मंत्री या रेलवे का जवाब नहीं आया है। चंडीगढ़ जीआरपी ने केस दर्ज कर जांच के लिए दिल्ली जीआरपी को भेज दिया है। एनआरआई ने रेलवे मंत्री को जो कहानी बताई, उसे चार प्वाइंट में जानिए - लोग भी कर रहे एक्शन की मांग एनआरआई की शिकायत जब चंडीगढ़ में एफआईआर दर्ज हुई तो उसके बाद एनआरआई ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर इसे पोस्ट किया। इसमें उन्होंने अपने सारे तुजुर्बे को शेयर किया। इसके बाद अब लोगों भी उनके साथ खड़े हो गए हैं। लोग भी उनकी पोस्ट को री पोस्ट कर रहे हैं। साथ ही एक्शन की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि रेलवे मंत्रालय इस पर एक्शन ले। इस तरह की वारदातों को रोके। इससे लोगों का विश्वास उठ जाता है।
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने कहा कि राज्य सरकार ने मेडिकल कॉलेजों में सीटों का निर्धारण नियमों के अनुरूप है। सुनवाई के बाद कोर्ट ने नया रायपुर स्थित श्री रावतपुरा सरकार इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च की याचिका खारिज कर दी है। कॉलेज प्रबंधन ने सभी एनआरआई कोटे की सीटों को मैनेजमेंट में बदलने को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। रावतपुरा यूनिवर्सिटी ने साल 2025-26 के लिए नीट- यूजी प्रक्रिया में शामिल होने और बची हुई सीटों के लिए अलग काउंसलिंग की अनुमति मांगी थी। नेशनल मेडिकल काउंसिल ने इसे सशर्त मंजूर करते हुए एमबीबीएस की 150 की जगह 100 सीटों की भर्ती की स्वीकृत की थी। मॉप-अप राउंड में शामिल होने मिली थी अनुमति याचिका में बताया गया कि दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के बाद 9 अक्टूबर को पहली बार मॉप-अप राउंड में भाग लेने की अनुमति मिली। मॉप-अप सीट मैट्रिक्स में कॉलेज को 100 सीटें दी गईं, इसमें 43 सरकारी, 42 प्रबंधन और 15 सीटें एनआरआई कोटे की थीं। लेकिन 11 नवंबर को छत्तीसगढ़ के चिकित्सा शिक्षा आयुक्त ने नोटिस जारी कर सभी 15 एनआरआई सीटों को मैनेजमेंट कोटे में बदल दिया। इस आदेश को कॉलेज ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। कॉलेज ने कहा- राज्य सरकार ने मनमाने ढंग से किया सीटों का निर्धारण कॉलेज प्रबंधन ने तर्क दिया कि यह कदम मनमाना है और नियमों का उल्लंघन है। उनका कहना था कि सुनवाई का अवसर दिए बिना संस्थान की सीटें बदली गईं। सीटों का निर्धारण नियमों को दरकिनार कर किया है। राज्य शासन का जवाब- एनआरआई कोटा खाली रहने पर किया बदलाव वहीं, राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि नियमों के अनुसार एनआरआई कोटे में प्रवेश की अंतिम तारीख राज्य की प्रवेश की अंतिम तारीख से 10 दिन पहले होती है। यानी एनआरआई सीटों पर 10 नवंबर 2025 तक ही प्रवेश होना था। चूंकि 10 नवंबर तक एनआरआई कोटे से प्रवेश पूरा नहीं हो पाया, इसलिए नियम के मुताबिक खाली सीटें ओपन कैटेगरी में जानी थीं, जिसे राज्य ने मैनेजमेंट कोटा के रूप में लागू किया।
मेरा नाम उन्होंने नैंसी रख दिया था…हमें लड़की बनकर अमेरिकी लोगों से चैट करने और ठगने का टारगेट मिलता था….टारगेट पूरा किया तो ठीक नहीं तो बंद कमरे में करंट लगाते थे। मैंने 1 महीने में 10 बुजुर्गों को झांसे में लिया, उनमें से 3 में कामयाब हो गया था। ये खौफनाक सच झुंझुनूं के अविनाश (27) ने हमें बताया। अविनाश नौकरी की तलाश में म्यांमार गया था। वहां जाते ही पासपोर्ट छीन लिया। बंधक बनाकर रखा गया था। अविनाश अकेला नहीं है, ऐसे 500 युवा हैं जिन्हें थाइलैंड-म्यांमार से भारत सरकार के एक खास ऑपरेशन के तहत छुड़ाकर भारत लाया गया है। उनमें 20 राजस्थान के युवा हैं। करीब 17 को जयपुर वापस लाया जा चुका है। कुछ युवाओं से इंटेलिजेंस पूछताछ कर रही है। भास्कर टीम ने साइबर ठगों से मुक्त कराए गए ऐसे 3 युवाओं से बात की। पहली बार ऑन कैमरा बताया कि कैसे वो इस जाल में फंसे और साइबर ठग बन गए। पढ़िए ये रिपोर्ट… अमेरिका NRI को फंसाना था टारगेट अविनाश ने बताया- मैं बीएससी एग्रीकल्चर से ग्रेजुएट हूं। यहां ठीक ठाक नौकरी कर रहा था। एक एजेंट ने थाईलैंड की बड़ी कंपनी में नौकरी का झांसा दिया। इसके लिए अपनी पुरानी नौकरी छोड़ विदेश जाने की तैयारी कर ली। पहले मुझे थाईलैंड ले जाया गया, फिर जंगलों के रास्ते म्यांमार पहुंचाया गया। वहां पहुंचते ही उसे एक बड़े परिसर में बंद कर दिया गया, जहां चारों ओर हथियारबंद गार्ड थे। बाहर निकलने की इजाजत नहीं थी। अविनाश ने बताया- वहां अमेरिका के नागरिकों से ठगी करवाने का काम कराया जाता था। सुंदर लड़कियों की तस्वीरों वाले फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट बनाकर उनसे अमेरिकी नागरिकों से बात करने को कहा जाता था। उसमें अलग-अलग लड़कियों के नाम से अकाउंट बने होते थे। कभी नैंसी तो कभी नताशा। उन अकाउंट के जरिए बुजुर्गों का भरोसा जीतकर उनकी निजी जानकारियां और बैंक डिटेल्स निकालवाई जाती थी। कोई टारगेट पूरा नहीं करता था, तो उसे सजा दी जाती थी। कभी 7-8 घंटे तक हाथों में बोतल पकड़वाकर खड़ा रखा जाता था, खाना तक नहीं दिया जाता था। कई बार चार लोगों को सिर्फ एक पैकेट मैगी दिया जाता था। हमसे कहा गया – काम नहीं करोगे तो आर्मी के हवाले कर देंगे राजसमंद के रहने वाले कुलदीप सिंह की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। उसने बताया कि वह पहले टोल बूथ पर फास्ट टैग का काम करता था। एक एजेंट ने कहा कि विदेश में कंप्यूटर ऑपरेटर की नौकरी है। जयपुर से अहमदाबाद और फिर दिल्ली पहुंचने के बाद मुझे बैंकॉक भेजा गया। बैंकॉक से जंगलों के रास्ते म्यांमार ले जाया गया। वहां पहुंचकर जबरन एक एग्रीमेंट साइन कराया गया। मुझसे कहा गया कि अगर वह ठगी का काम नहीं करेगा, तो भारी रकम चुकानी पड़ेगी। कुलदीप ने बताया- हमें अमेरिका में रहने वाले 50 वर्ष से अधिक उम्र के भारतीयों (NRI) को ठगने का टारगेट दिया जाता था। इंस्टाग्राम और फेसबुक पर मॉडल्स की फर्जी प्रोफाइल बनाकर उनसे संपर्क किया जाता, फिर उनकी डिटेल्स निकालकर कंपनी को दी जाती थी। अगर कोई काम से मना करता था, तो उसे 16-17 घंटे तक धूप में खड़ा रखा जाता। कई बार तो इलेक्ट्रिक शॉक (करंट के झटके) देकर प्रताड़ित किया जाता था। SMS में नौकरी छोड़ गया विदेश, वहां मिला साइबर ठगी का काम दौसा जिले के सोहनलाल सैनी ने बताया कि वो पहले एसएमएस अस्पताल में लैब टेक्नीशियन था। एक एजेंट ने बैंकॉक बुलाकर अस्पताल में जॉब देने का झांसा दिया। वहां से म्यांमार भेज दिया गया। रास्ते में एक रात जंगल में रुकना पड़ा। वहां 24 घंटे में 18 घंटे तक काम करवाया जाता था। समय पर नहीं पहुंचने पर फाइन या सजा दी जाती थी। मुझे अमेरिकी नागरिकों से लड़की बनकर मीठी-मीठी चैटिंग करने को कहा जाता था। मैंने 3 अमेरिकियों की संपर्क जानकारी जुटाई थी- उनमें एक रिटायर्ड व्यक्ति और दो बिजनेसमैन थे। अगर कोई गलती करता था, तो उसे धूप में 20 किलो की बोतलें पकड़वाई जाती थी। जब हालात असहनीय हो गए, तो मैंने अपने भाई से संपर्क किया, जिसने भारतीय एंबेसी को सूचना दी और इसके बाद उन्हें छुड़ाया गया। पुलिस सूत्रों के अनुसार, राजस्थान के तीन युवाओं को अभी दिल्ली में ही रोका गया है। उनके इस नेटवर्क से सीधे जुड़े होने के शक में उनसे पूछताछ जारी है। माना जा रहा है कि यह तीनों युवक उस गिरोह के भारतीय एजेंटों के संपर्क में थे जो चीन के साइबर फ्रॉड सिंडिकेट के लिए काम करते हैं। दिल्ली पुलिस और इंटरपोल की टीम इनसे नेटवर्क की जड़ों तक पहुंचने की कोशिश कर रही है। अब भी कई भारतीय इन कैंप में फंसे म्यांमार के जंगलों में 'IT पार्क' नाम से साइबर ठगी के कई सेंटर चल रहे हैं। उन पार्कों में युवाओं से साइबर कॉल सेंटर में ठगी का काम कराया जाता है। यह पूरा सेटअप चीनी नागरिकों के नियंत्रण में है, जो अमेरिका सहित अन्य देशों में रहने वाले भारतीयों को ऑनलाइन स्कैम का शिकार बनाते हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इंटरपोल और म्यांमार पुलिस के सहयोग से अब तक करीब 500 भारतीयों को छुड़ाया है। लेकिन अभी भी लगभग 200 भारतीय म्यांमार के ऐसे ही कैंपों में फंसे हैं। 2 बैच में 20 राजस्थानी लौटे घर साइबर एसपी शांतनु कुमार ने बताया कि कुल 500 भारतीयों को दो बैचों में लाया गया है। पहले बैच में 270 और दूसरे बैच में करीब 230 भारतीय शामिल थे। पहले बैच में 16 लोग राजस्थान के थे, जबकि दूसरे बैच में 7 राजस्थानी हैं। इनमें से 3 लोगों को शक के आधार पर दिल्ली में ही रोक लिया गया है और उनसे पूछताछ की जा रही है। वहीं 4 लोगों को जयपुर भेजा गया है, जिनसे उनके संबंधित थाने जांच कर रहे हैं। उसके बाद उन्हें घर भेज दिया जाएगा। गृह मंत्रालय ने चेतावनी जारी की है कि कोई भी व्यक्ति फ्री वीजा या हाई सैलरी की विदेशी जॉब के झांसे में न आए। विदेश में नौकरी के लिए रजिस्टर्ड एजेंट्स से ही संपर्क करें।
नीट : एनआरआई अभ्यर्थियों को फिर से देने होंगे दस्तावेज
उदयपुर| मेडिकल काउंसलिंग कमेटी (एमसीसी) ने ऑल इंडिया 15% कोटा के तहत एमबीबीएस-बीडीएस की स्ट्रे-वैकेंसी राउंड काउंसलिंग के लिए एनआरआई विद्यार्थियों के लिए नया नोटिफिकेशन जारी किया है। एनआरआई कैटेगरी के विद्यार्थी अपने सभी आवश्यक दस्तावेज 11 नवंबर को दोपहर 2 बजे तक ईमेल ug.nri.mcc@gmail.com पर भेज सकते हैं। एमसीसी ने स्पष्ट किया है कि पूर्व में प्रस्तुत दस्तावेज अब मान्य नहीं होंगे, अतः विद्यार्थियों को सभी दस्तावेज पुनः निर्धारित फॉर्मेट में भेजने होंगे। तय समय सीमा के बाद प्राप्त दस्तावेज किसी भी परिस्थिति में स्वीकार नहीं किए जाएंगे। ये दस्तावेज आवश्यक : नीट-यूजी एडमिट कार्ड एवं स्कोर कार्ड, अभिभावक/संबंधी के एनआरआई-स्टेटस संबंधी दस्तावेजों में पासपोर्ट, वीजा/रेजिडेंट परमिट/वर्क परमिट, ओसीआई या पीआईओ कार्ड, विद्यार्थी और संबंधी के बीच सक्षम अधिकारी द्वारा जारी संबंध प्रमाण पत्र, फीस स्पॉन्सर करने का शपथ पत्र, 10वीं और 12वीं की अंकतालिकाएं, जन्म प्रमाण पत्र शामिल हैं।
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