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Pakistan की एयर स्ट्राइक हुई फेल, 70 हजार तालिबानी के जवाबी कार्रवाई की आशंका से दहशत में मुनीर की सेना!

जो कोई भी राक्षसों से लड़ता है, उसे ध्यान रखना चाहिए कि इस प्रक्रिया में वो खुद ही राक्षस न बन जाए। आप अगर लंबे समय तक खाई को घूरेंगे तो खाई भी आपको घूरने लगेगी। जर्मन दार्शनिक नीत्शे का एक क्योट है। डेढ़ सौ साल पहले कही गई ये बात अब हमारे पड़ोस में साकार हो रही है। पाकिस्तान तालिबान को घूर रहा है, लेकिन क्यों ? क्योंकि तालिबान की परछाई उसके अपने घर में आकार ले रही है। आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले पाकिस्तान के लिए इन दिनों सबसे बड़ा खतरा तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान बन चुका है। ये वो आतंकी गुट है जो पाकिस्तान के लिए गले की फांस बन चुका है। टीटीपी के पांच से छह हजार लड़ाकों के अफगानिस्तान में छिपे होने की आशंका है। टीटीपी वही आतंकी समूह है जिसने पिछले कुछ सालों में पाकिस्तान में कई आतंकी हमले किए हैं। पाकिस्तान का मानना है कि अफगानिस्तान से टीटीपी को समर्थन मिलता है। पाकिस्तान के विशेष प्रतिनिधि आसिफ दुर्रानी ने दावा किया कि पांच से छह हजार लड़ाकों के परिवारों को जोड़ दिया जाए तो उग्रवादियों का आंकड़ा 70 हजार तक पहुंच सकता है। टीटीपी की पाकिस्तान के साथ पहले की बातचीत बेनतीजा रही है। पाकिस्तान की नकली एयर स्ट्राइक की खुल गई पोल पूरी दुनिया में पाकिस्तान की नकली और बर्बाद एयर स्ट्राइक की पोल खुल गई है। पाकिस्तान की कमजोर इंटेलिजेंस ने मुल्क की हवा निकाल दी है। दरअसल, पाकिस्तान जिस एयर स्ट्राइक का दावा करके अपनी पीठ थपथपा रहा था वो उस पर ही उल्दी पड़ गई। पाकिस्तान को जिस टॉप कमांडर को इस एयर स्ट्राइक में ढेर करना था। वो अभी भी जिंदा है और अब पाकिस्तान के खिलाफ बड़े हमले की तैयारी में जुट गया है। दरअसल, पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में घुसकर टीटीपी के कई ठिकानों पर भारी एयर स्ट्राइक की। पाकिस्तान ने दावा किया कि उनसे अफगानिस्तान में टीटीपी के दो ठिकानों पर ताबडॉतोड़ एयर स्ट्राइक की जिसमें तालिबान का टॉप कमांडर मारा गया। लेकिन खबर इससे अलग ही आई। पाकिस्तान ने जो दावा किया उसके उलट तालिबान का दावा है कि ये एयर स्ट्राइक फेल साबित हुआ। भीषण परिणाम भुगतने होंगे पाकिस्तान के दावे की हवा टीटीपी ने निकाल दी है। टीटीपी ने एक बयान जारी कर कहा कि उसका कमांडर जिंदा है। इसके साथ ही तालिबान ने ये भी कहा कि पाकिस्तान ने एयर स्ट्राइक में अपने ही लोगों को निशाना बनाया है। एयर स्ट्राइक को लेकर किए जा रहे दावे के बाद पाकिस्तान तालिबान ने एक बयान जारी कर अफगानिस्तान में हवाई हमलों की निंदा करते हुए कहा कि अब्दुल्ला शाह जिंदा है। टीटीपी ने दावा किया कि एयर स्ट्राइक में जिन घरों को निशाना बनाया गया वो पाकिस्तानी शरणार्थियों के थे। जिन्होंने अफगानिस्तान के सीमावर्ती इलाकों में शरण ले रखी थी। टीटीपी ने कहा कि इस हमले में महिलाओं और बच्चों की मौत हुई है। टीटीपी प्रवक्ता ने दोहराया कि टीटीपी सदस्य अफगानिस्तान में नहीं पाकिस्तान में काम करते हैं। इसके साथ ही ये भी साफ किया कि कमांडर अब्दुल्ला शाह जिंदा है। पाकिस्तानी सुरक्षा सूत्रों ने पाक मीडिया से बातचीत में दावा किया कि अफगान सीमा की ओर से तालिबानी सैनिक पाकिस्तान के नागरिक ठिकानों को निशाना बना रहे हैं। पाकिस्तान ने कहा कि तीन तरफ कुर्रन कबायली जिले, उत्तरी वजीरिस्तान और दक्षिणी वजीरिस्तान से तालिबानी सैनिकों ने भारी हथियारों और तोपों की मजज से हमला बोला है। पाकिस्तान के इलाके में कई मोर्टार और गोलियां लगी है। पाकिस्तान ने कहा कि तालिबान के इस हमले का जोरदार तरीके से जवाब दिया जा रहा है। तालिबानी प्रवक्‍ता जबीउल्‍ला मुजाहिद ने माना कि आज उनके इलाके में हवाई हमला किया गया है। उन्‍होंने कहा कि ये हमले खोस्‍त और पाकटीका इलाके में हुआ है। तालिबानी प्रवक्‍ता ने कहा कि पाकिस्‍तान को इस हवाई हमले के भीषण परिणाम भुगतने होंगे। इसे भी पढ़ें: Punjab में भारत-पाकिस्तान सीमा के पास तीन किलोग्राम से अधिक हेरोइन बरामद काफी दिलचस्प रहा है इतिहास अफगान तालिबान का इतिहास बेहद क्रूर और खूंखार है। जहां तक बात टीटीपी की करें तो इसका वजूद पाकिस्तान के चलते ही बना है। लेकिन जिस आतंकी संगठन को पाकिस्तान ने पाला अब वो इतना खूंखार हो गया कि वो न तो आईएसआई की सुनता है और न ही रावलपिंडी में बैठे किसी जनरल की। पाकिस्तान के उत्तर पश्चिम में अफगानिस्तान का बॉर्डर लगता है जो वजीरिस्तान कहलाता है। विश्व विजय पर निकला सिकंदर हो या मुगल बादशाह औरंगजेब अपने अभियान में सभी शासकों ने इस इलाके को नजरअंदाज किया और इसकी वजह ऊंची पहाड़, घने जंगल, धधकते रेगिस्तान और तपा देने वाली गर्मी। गर्मियों में चलती लू और जाड़ों में हड्डियां कंपा देने वाली ठंड। अंग्रेज जब 1890 में इस इलाके में पहुंचे तो एक ब्रिटिश एडमिनिस्ट्रेटर ने वजीरिस्तान के लिए कहा था- ये नेचर का बनाया हुआ एक फोट्रेस है जिसकी हिफाजत पहाड़ किया करते हैं। इस इलाके की पहचान है यहां के कबीले। जिन्होंने न जाने कितनी दफा आक्रमणकारी सेनाओं को लोहे के चने चबवाएं। इसे भी पढ़ें: पाकिस्तान की टीम में असुरक्षा का माहौल बना रहता है: Naseem Shah अच्छा और बुरा तालिबान पंद्रह साल पहले पाकिस्तानी सुरक्षा प्रतिष्ठान ने अच्छे और बुरे तालिबान की संज्ञा दुनिया के सामने रखी थी। अच्छे तालिबान अफगान तालिबान और अन्य समूह थे, जिनमें सुन्नी चरमपंथी समूह शामिल थे और व्यापक अर्थों में जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा सहित क्षेत्र में पाकिस्तान के हितों की सेवा करने वाले समूह शामिल थे। जबकि टीटीपी को बुरे तालिबान की श्रेणी में रखा गया। जिसके पीछे की वजह पाकिस्तान, उसके नागरिकों और सुरक्षा बलों और अन्य राज्य के प्रतीकों जैसे कि बुनियादी ढांचे को निशाना बनाना था। अब अच्छा तालिबान और बुरा तालिबान एक ही तरफ हैं। पाकिस्तान अपने ही बनाए हुए विरोधाभास में फंसता नजर आ रहा है।

प्रभासाक्षी 18 Mar 2024 3:11 pm

रोजगार के बाद कांग्रेस की नारी न्याय गारंटी क्या पलट देगी पूरा खेल? वित्तीय आधार पर कितना खरा उतरता है ये दांव

मध्य प्रदेश के चुनाव के वक्त लाडली बहना कार्यक्रमजिसमें शिवराज सिंह की सरकार ने वादा किया था कि सभी बहनों को हर महीने पहले 1000, फिर 1250 रुपए और उसके बाद यह राशि बढ़ाकर 3 हजार रुपए प्रति महीना कर दिया जाएगा। परिणामस्वरूप बीजेपी को राज्य में धमाकेदार जीत दर्ज की। वहीं पीएम मोदी की फ्री राशन स्कीम यानी पांच किलो अनाज वाले मुद्दे ने भी बीजेपी को कई राज्यों में लाभांवित किया है।वहीं इतिहास के अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही ग्रैंड ओल्ड पार्टी कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में एक अदद जीत की आस के साथ चुनावी पिटारों से वादों की बरसात शुरू कर दी है। महिलाओं को ध्यान में रखकर कांग्रेस ने नारी न्याय गारंटी का ऐलान किया है। पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने 13 मार्च को नारी न्याय गारंटी का ऐलान करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस की सरकार बनती है तो महिलाओं को केंद्र सरकार की नौकरियों में आधा हक दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि कुल मिलाकर 5 घोषणाएं की गई हैं। महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पांच वादे 2019 के चुनाव घोषणापत्र का एक ताज़ा संस्करण प्रतीत होता है। 2019 के आम चुनाव से पहले, कांग्रेस ने सत्ता में आने पर न्यूनतम आय सहायता कार्यक्रम (MISP) या न्यूनतम आय योजना (न्याय) शुरू करने का वादा किया था। इसमें रुपये का नकद हस्तांतरण शामिल था। सभी भारतीय परिवारों में से सबसे गरीब 20 प्रतिशत (लगभग 5 करोड़ परिवार) को 72,000 प्रति वर्ष देने की बात कही गई थी। उस वक्त भी पार्टी ने कहा था कि 'जहां तक ​​संभव होगा पैसा परिवार की किसी महिला के खाते में ट्रांसफर किया जाएगा। उस वक्त अर्थशास्त्री ज्यां ड्रेज़ ने न्याय के कारण कुल वार्षिक खर्च 3,60,000 करोड़ रुपये या भारत की जीडीपी का लगभग 2% होने का अनुमान लगाया था। इसे भी पढ़ें: अगर विपक्षी गठबंधन ‘INDIA’ सत्ता में आया तो यह किसानों की आवाज़ बनेगा : Rahul Gandhi महालक्ष्मी गारंटी घोषित पांच वादों में से सबसे बड़ा, कम से कम वित्तीय निहितार्थ के संदर्भ में वादे को महालक्ष्मी कहा जाता है और इसमें एक गरीब परिवार की महिला को हर साल 1 लाख रुपये हस्तांतरित करना शामिल है। हालाँकि, इसका लक्ष्य कितने गरीब परिवारों को लक्षित करना है, इसकी सटीक संख्या का कोई उल्लेख नहीं है। जैसा कि हालात हैं, भारत का गरीबी अनुमान अलग-अलग पद्धतियों के आधार पर काफी भिन्न है। उदाहरण के लिए, नीति आयोग के बहुआयामी गरीबी सूचकांक में गरीबी अनुपात लगभग 11% आंका गया है, जबकि इसके सीईओ ने कथित तौर पर दावा किया है कि अगर पिछले महीने जारी उपभोग व्यय सर्वेक्षण के नवीनतम आंकड़ों को ध्यान में रखा जाए तो गरीबी 5% तक कम हो सकती है। विश्व बैंक ने प्रति दिन 2.15 अमेरिकी डॉलर (या क्रय समता के संदर्भ में 48.9 रुपये) पर रहने वाले लोगों की अंतरराष्ट्रीय गरीबी रेखा के आधार पर 2022-23 में भारत का गरीबी अनुपात 11.3% आंका है। तो अगर कांग्रेस चालू वित्तीय वर्ष में महालक्ष्मी वादे को लागू करती है तो सरकार को कितना नुकसान होने की संभावना है? अर्थशास्त्री संतोष मेहरोत्रा ​​का कहना है कि अगर सरलता के लिए कोई गरीबी अनुपात 10% मान लेता है, तो इसका मतलब है कि लक्षित लाभार्थी 14 करोड़ परिवार होंगे (कुल जनसंख्या 140 करोड़ मानते हुए)। यदि प्रत्येक गरीब परिवार से एक महिला को लक्षित किया जाए यानी 2.8 करोड़ महिलाएं तो कुल व्यय 2.8 लाख करोड़ रुपये होगा। यह 2024-25 में भारत की जीडीपी (328 लाख करोड़ रुपये) का 0.8% है (फरवरी में प्रस्तुत केंद्रीय बजट के अनुसार)। यदि गरीबी अनुपात 5% है, जैसा कि नीति आयोग का दावा है, तो व्यय सकल घरेलू उत्पाद का आधा यानी 0.4% हो जाएगा। आधी आबादी -पूरा हक़ वित्तीय व्यय का अनुमान लगाने का एक अन्य तरीका सबसे गरीब परिवारों को लक्षित करना है - जिनके पास अंत्योदय राशन कार्ड है -लाभार्थियों की कुल संख्या थोड़ी कम होगी। वर्तमान में अंत्योदय अन्न योजना के अंतर्गत 2.33 परिवार। यदि उनमें से प्रत्येक की महिलाओं को 1 लाख रुपये मिलते हैं, तो कुल वार्षिक खर्च 2.33 लाख करोड़ रुपये होगा - या भारत की जीडीपी का 0.7%। दूसरा वादा - सभी सरकारी रिक्तियों में से आधी महिलाओं के लिए आरक्षित करने का कोई अतिरिक्त वित्तीय बोझ नहीं होगा क्योंकि ये पहले से ही मौजूद रिक्तियां हैं। शक्ति का सम्मान आशा, आंगनवाड़ी और मध्याह्न भोजन तैयार करने में शामिल महिलाओं के मासिक वेतन में केंद्र सरकार के योगदान को दोगुना करने का - सामाजिक कल्याण के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने वाली अर्थशास्त्री दीपा सिन्हा के अनुसार, छोटा ही सही, कुछ वित्तीय प्रभाव पड़ेगा। . ऐसा इसलिए है क्योंकि वेतन स्तर काफी कम है। पिछले साल मार्च तक, 10.5 लाख आशा कार्यकर्ता, 12.7 लाख आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और 25 लाख से अधिक मिड-डे मील रसोइये थे। सिन्हा का कहना है कि इन तीनों समूहों को क्रमशः लगभग 2,000 रुपये, 4,500 रुपये और 1,000 रुपये का मासिक वेतन मिलता है। उदाहरण के लिए, 2021-22 में, केंद्र ने सभी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के वेतन पर 8,908 करोड़ रुपये खर्च किए - और वे तीनों की तुलना में सबसे अधिक वेतन अर्जित करते हैं। इन राशियों को दोगुना करना मान लीजिए कुल 54,000 करोड़ रुपये अभी भी भारत की जीडीपी (328 लाख करोड़ रुपये) का काफी नगण्य प्रतिशत है। इसे भी पढ़ें: Pulwama Attack पर कांग्रेस सांसद की पाकिस्तान को क्लीन चिट! बीजेपी ने कहा- संसद में पैर रखने के लायक भी नहीं अधिकार मैत्री हर पंचायत में महिलाओं के अधिकारों के लिए कानूनी सलाहकारों (अधिकार मैत्री) की नियुक्ति के सटीक वित्तीय बोझ का अनुमान लगाना मुश्किल है। ऐसा इसलिए क्योंकि पारिश्रमिक को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है। प्रत्येक जिले में कामकाजी महिला छात्रावासों के निर्माण की लागत का अनुमान लगाना भी मुश्किल है। मेहरोत्रा ​​बताते हैं कि ये हॉस्टल मुफ़्त नहीं हैं। दूसरे शब्दों में उनकी परिचालन लागत यकीनन कामकाजी महिलाओं द्वारा स्वयं वहन की जा सकती है। जहां तक ​​बिल्डिंग की लागत की बात है तो यह इस बात पर निर्भर करता है कि ये हॉस्टल कितने बड़े हैं। सावित्री बाई फुले हॉस्टल भारत सरकार देश भर में सभी जिला मुख्यालयों में कम से कम एक कामकाजी महिलाओं का HOSTEL बनाएगी और पूरे देश में इन HOSTEL की संख्या दोगुनी की जाएगी। इसके पहले हमने भागीदारी न्याय, किसान न्याय और युवा न्याय घोषित किए हैं। और ये कहने की ज़रूरत नहीं कि हमारी गारंटी खोखले वादे और जुमले नहीं होते। हमारा कहा पत्थर की लकीर होती है। यही हमारा 1926 से अब तक का record है, जब हमारे विरोधियों का जन्म हो रहा था तब से हम Manifestos बना रहे हैं, और उन घोषणाओं को पूरा कर रहे हैं। आप सब अपना आशीर्वाद कांग्रेस पार्टी को देते रहिए और लोकतंत्र और संविधान बचाने की इस लड़ाई में हमारा हाथ मज़बूत करिए।

प्रभासाक्षी 14 Mar 2024 3:14 pm