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राष्‍ट्रपति हो तो ट्रंप जैसा! 'हमारा सामान खरीद लो, मैं आपके यहां...'सऊदी अरब को दिया ऐसा ऑफर, सुनकर हो जाएंगे फैन

Trump International Trips: अमेरिका के राष्‍ट्रपति बनते ही डोनाल्‍ड ट्रंप को लेकर यह कयास लगने लगे हैं कि वो पहली अधिकारिक यात्रा पर कौनसे देश जाएंगे? इसे लेकर खुद ट्रंप ने सऊदी अरब को ऐसा ऑफर दिया है, जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे.

ज़ी न्यूज़ 23 Jan 2025 1:05 pm

युद्ध में जूझ रहे रूस से संभलता नहीं था देश, अमेरिका को कौड़ियों के दाम बेची थी अपनी जमीन

Interesting Facts About Russia: आज भले ही रूस दुनिया में अपना दबदबा बनाने की कोशिश में हरसंभव कोशिश कर रहा है. इसके लिए 3 साल से खुद को जंग के मैदान में झोंके हुए है लेकिन पहले ऐसा नहीं था. एक वक्‍त रूस को अपनी जमीन तक बेचनी पड़ी थी.

ज़ी न्यूज़ 23 Jan 2025 12:23 pm

एलन मस्‍क और ओपन AI के सीईओ भिड़े, सोशल मीडिया पर स्टारगेट को लेकर छिड़ी तकरार

Elon Musk News: एक्सएआई के मालिक एलन मस्क और ओपनएआई के सीईओ सैम ऑल्टमैन सोशलइ मीडिया प्‍लेटफॉर्म X पर भिड़ गए हैं. ये लड़ाई स्टारगेट प्रोजेक्ट को लेकर हो रही है.

ज़ी न्यूज़ 23 Jan 2025 11:28 am

7-8 महीने में ही बच्‍चे को जन्‍म देने जबरन C-सेक्शन करवा रहीं भारतीय मांएं, अमेरिका के अस्‍पतालों में लगी लाइन

US Birthright Citizenship : अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप की नीतियों का खौफ ऐसा है कि अमेरिका में भारतीय मांएं अपने अजन्‍मे बच्‍चे की जान जोखिम में डालकर 7-8 महीने में ही सी-सेक्‍शन करवा रही हैं. ताकि जल्‍द से जल्‍द बच्‍चे को जन्‍म दे सकें.

ज़ी न्यूज़ 23 Jan 2025 11:02 am

विदेशियों में महाकुंभ का जबरदस्‍त क्रेज, केवल इस एक देश से आ रहे हजारों श्रद्धालु

Foreigners in Kumbh Mela: प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में देश-दुनिया के कोने-कोने से श्रद्धालु पहुंच रहे हैं और त्रिवेणी में स्‍नान कर रहे हैं. आने वाले दिनों में बड़ी तादाद में विदेशी कुंभ में हिस्‍सा लेने आएंगे.

ज़ी न्यूज़ 23 Jan 2025 10:26 am

अमेरिका के स्कूल में गोलीबारी: 17 साल के शूटर ने छात्र को गोली मारकर खुद को भी उड़ा लिया

Firing in America School:बुधवार को अमेरिका के स्कूल में 17 वर्षीय शूटर ने बंदूक से हमला करके एक 16 साल के छात्र को मार दिया. इसके बाद हमलावर ने खुद को भी गोली माली और मौके पर ही खुद अपनी जान दे दी. इस मामले पर व्हाइट हाउस ने भी अपना संदेश जारी किया.

ज़ी न्यूज़ 23 Jan 2025 10:11 am

'ट्रंप की हत्‍या होगी...' पुतिन के ब्रेन रासपुतिन ने दी चेतावनी, विशेषज्ञ बोले- 'टुकड़े-टुकड़े' हो जाएगा रूस

Trump on Russia Ukraine: अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप की हत्‍या हो सकती है. रूसी राष्‍ट्रपति पुतिन के ब्रेन कहे जाने वाले अलेक्जेंडर दुगिन ने साफ शब्‍दों में यह चेतावनी दी है.

ज़ी न्यूज़ 23 Jan 2025 7:34 am

क्या 29000 मंदिरों से निकलेगा BJP की जीत का रास्ता:पुजारी बोले- केजरीवाल को मौलवी प्यारे, राम वालों को जिताएंगे

'कौए को कितना भी रंग दो, वो हंस नहीं बन सकता है। जैसे चोर अपनी प्रवृत्ति नहीं छोड़ता, वैसे ही केजरीवाल जी की झूठ बोलने की आदत है। हमें BJP ने मंदिर प्रकोष्ठ के नाम पर जोड़ा। पहले किसी के भी साथ रहे हों, लेकिन अब हम BJP के साथ हैं।' चुनाव का जिक्र आते ही दिल्ली के केशवपुरम में सनातन धर्म मंदिर के पुजारी आचार्य शिव तिवारी अपनी नाराजगी रोक नहीं पाते। वे इस बात पर गुस्सा हैं कि दिल्ली सरकार मौलवियों को कई साल से सैलरी दे रही है, तब पुजारियों की याद नहीं आई। अब चुनाव से पहले पुजारी-ग्रंथी सम्मान योजना का ऐलान कर रहे हैं। वो भरोसा दिलाते हुए कहते हैं, ‘इस बार BJP ही आएगी।’ दिल्ली में 5 फरवरी को विधानसभा चुनाव होने हैं। करीब 29 हजार मंदिर और उनके पुजारी चर्चा में हैं। BJP और AAP दोनों ही इन्हें साधने का मौका नहीं छोड़ रहीं। BJP ने 2022 की शुरुआत में मंदिर प्रकोष्ठ बनाया था। ये प्रकोष्ठ अयोध्या में राम मंदिर बनने के बाद लोगों को दर्शन के लिए ले जाने का इंतजाम कर रहा था। अब यही संगठन दिल्ली चुनाव में पुजारियों को एकजुट कर रहा है। AAP भी ये वोट बैंक हाथ से नहीं निकलने देना चाहती है। लिहाजा चुनाव से ऐन पहले पार्टी ने पुजारी ग्रंथी सम्मान योजना का ऐलान किया है। BJP और AAP की प्लानिंग का जमीन पर कितना असर है और पुजारियों-ग्रंथियों को इसमें क्या फायदा नजर आता है, पढ़िए ये रिपोर्ट… दिल्ली चुनाव में मंदिर प्रकोष्ठ BJP का पायलट प्रोजेक्टदिल्ली में 6 जनवरी को प्रदेश BJP दफ्तर में पुजारियों की भीड़ जुटी। पार्टी के मंदिर प्रकोष्ठ की बैठक हुई, जिसमें 250 से ज्यादा पुजारी शामिल हुए। मकसद था- दिल्ली चुनाव में पंडित पुजारियों को एकजुट करना। प्रकोष्ठ के संयोजक करनैल सिंह बैठक के बारे में बात करने से बचते हैं। हालांकि उन्होंने इतना जरूर बताया, 'ये इंटरनल मीटिंग थी। इसमें चुनाव को लेकर योजना बनाई गई।' प्रकोष्ठ के सहसंयोजक आचार्य राकेश शुक्ला कहते हैं, 'मंदिर में भगवान को प्रणाम करने हर कोई जाता है। बड़ी संख्या में लोग पंडित-पुजारियों से जुड़े होते हैं। इनकी बातों का बहुत असर होता है।' यानी इस बार चुनाव में BJP पंडित-पुजारियों के जरिए वोटरों तक पहुंचने के प्लान पर काम कर रही है। BJP में हमारे सोर्स ने बताया, 'दिल्ली चुनाव को ध्यान में रखकर 2022 में पीएम मोदी के निर्देश पर ये प्रकोष्ठ बनाया गया। देश में अभी सिर्फ दिल्ली में ही इसकी नींव रखी गई है। यानी पुजारी पॉलिटिक्स के लिए ये BJP का पायलट प्रोजेक्ट है। चुनाव में असर दिखा तो देश के बाकी हिस्सों में भी ऐसे प्रकोष्ठ बनेंगे।' ये प्रकोष्ठ कितना अहम है, इसका अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि प्रकोष्ठ के संयोजक करनैल सिंह शकूर बस्ती से पार्टी के उम्मीदवार भी हैं। उनके सामने AAP के सीनियर लीडर सत्येंद्र जैन हैं। दिल्ली के पुजारियों की बात…हम किसी पार्टी से नहीं, लेकिन मंदिर बनेंगे तो फायदा पुजारियों को होगा BJP के मंदिर प्रकोष्ठ का जमीन पर कितना असर है, ये समझने के लिए हम दिल्ली के कुछ मंदिरों में पहुंचे। मयूर विहार फेज-2 के नीलम माता वैष्णो मंदिर में पुजारी राहुल तिवारी से मिले। चुनावी घोषणा का जिक्र करते हुए पुजारी नाराजगी रोक नहीं पाए। वे कहते हैं, 'चुनाव के वक्त ही हमारी याद क्यों आई। क्या इससे पहले मंदिर में पुजारी नहीं थे। मौलवियों को सैलरी दी जा रही थी, तब इन्हें (AAP) हमारे सम्मान की याद क्यों नहीं आई। जब चुनाव आता है, तब इन्हें सबके सम्मान की याद आ जाती है। वोट बैंक बनाने के लिए ये कुछ भी वादे कर सकते हैं।' हालांकि BJP के मंदिर प्रकोष्ठ की चर्चा पर वे साफ कहते हैं, 'मैं किसी पार्टी से नहीं जुड़ा हूं। पार्टी कोई भी हो वो वोट बैंक की राजनीति करती है।’ आगे ये भी कहते हैं, 'जहां-जहां मंदिर बने हैं वहां पुजारी भी रखे गए हैं। अगर वहां पुजारी हैं, तो उनका जीवन यापन भी हो ही रहा है। मतलब साफ है कि जितने मंदिर बनेंगे, उससे फायदा पुजारियों को ही होगा।' इसके बाद हम त्रिनगर विधानसभा सीट के राजनगर में श्रीराम मंदिर पहुंचे। यहां के पुजारी रामदास शास्त्री आम आदमी पार्टी की पुजारियों को सम्मान देने की योजना की प्लानिंग पर ही सवाल उठा देते हैं। वे कहते हैं, 'एक मंदिर में एक पुजारी नहीं होता। इसी मंदिर में 3 पुजारी और 7 सेवादार हैं। हम कुल मिलाकर 10 लोग हैं। फिर ये कैसे तय करेंगे कि किस पुजारी को वेतन देंगे।' पुजारी संदेश दे रहे- राम नाम ही सत्य है, जय श्रीराम बोलो, हिंदू हमारा जोड़ोदिल्ली के नरेला में खेड़ा खुर्द के प्रसिद्ध पंचमुखी मंदिर के पुजारी श्रीभगवान भगत कहते हैं, 'हमने 3 साल पहले केजरीवाल के घर के बाहर धरना दिया था और पुजारियों के लिए सुविधाओं की मांग की थी। तब हमारी एक नहीं सुनी गई। चुनाव आया तो पुजारी याद आ गए। वो हमारे लिए कुछ नहीं करेंगे। हिंदुओं के लिए प्रधानमंत्री मोदी और हमारे हनुमान योगी ही सही हैं।' भक्तों से क्या कह रहे हैं? इसके जवाब में पुजारी भगत कहते हैं, 'हम भक्तों को बोलते हैं- जय श्रीराम का नारा बोलो, हिंदू हमारा जोड़ो।' केशवपुरम के सनातन धर्म मंदिर के पुजारी आचार्य शिव तिवारी कहते हैं, 'हमें BJP ने मंदिर प्रकोष्ठ के नाम पर जोड़ा। पहले किसी के भी साथ रहे हों, लेकिन अब हम BJP के साथ हैं।' क्या कथा-पूजा में आप भक्तों से BJP को वोट देने के लिए कहते हैं, 'कथा तो क्या, हम क्रिया में भी बोलते हैं- राम नाम सत्य है। इस बार BJP ही आएगी। मंदिर के पुजारी, सेवादार और यहां आने वाले भक्त सब इनके साथ हैं। सारे ब्राह्मण BJP के साथ हैं, राम के साथ हैं।' मौलवियों का वोट खिसकता दिखा, तब पुजारी याद आएइसके बाद हम घोंडा विधानसभा में आने वाले दुर्गा फकीरी मंदिर पहुंचे। यहां के सेवादार विजय कुमार भगत कहते हैं, '2020 के दंगों के दौरान मंदिर लूटा गया था। पुजारी को मार दिया गया था। केजरीवाल तब कहां थे। अब उन्हें पुजारियों के सम्मान की याद आई है।' वो केजरीवाल को चैलेंज देते हुए कहते हैं, 'अगर पुजारी प्रिय हैं तो एक नोटिफिकेशन जारी करें कि 12-13 साल से मौलवियों को जितना वेतन दिया गया है, पुजारियों को पहले वो सारा एरियर देंगे। पुजारियों का बिजली और पानी कनेक्शन फ्री करें। तब हम समझेंगे कि केजरीवाल सनातनी बनने लायक हैं। अब जब मौलवियों का वोट कांग्रेस की ओर खिसकता दिख रहा है, तब उन्हें पुजारियों की याद आ रही है।' वो आगे कहते हैं, 'चाहे वाल्मीकि मंदिर हो, रैदासपंथी हो या फिर कोई और मंदिर, उनके पुजारी बैठक कर रहे हैं। उनकी BJP को लाने की तैयारी है।' कोंडली विधानसभा के सिद्ध हनुमान मंदिर के पुजारी राहुल दीक्षित हंसते हुए कहते हैं, 'केजरीवाल को डाउट हो रहा है कि इस बार कुछ गड़बड़ हो सकती है, तो पुजारियों को भी जोड़ो। हम उनके बहकावे में नहीं आएंगे। हम सनातन धर्म की बात करने वाली पार्टी के साथ हैं। ये सबको पता है कि कौन सी पार्टी सनातन और हिंदुत्व को जागृत करने का काम कर रही है।' वे आगे कहते हैं, 'मंदिर में हनुमान चालीसा और सुंदरकांड हमेशा होता है। ये BJP के कहने पर नहीं हो रहा, लेकिन ये बात सही है कि हम लोगों से बोलते हैं कि जहां सनातन की बात आए वहां खुलकर खड़े रहना है। पब्लिक भी जानती है कि सनातन के साथ कौन है।' त्रिलोकपुरी के खाटू श्याम मंदिर के पुजारी भागवत प्रसाद शर्मा का मानना है कि BJP अपना काम कर रही है। हालांकि वो मंदिर में आने वाले लोगों को चुनावी संदेश देने की बात से इनकार करते हैं। वे कहते हैं, 'भक्तों को पता है कि मुहर किसे लगानी है। राम मंदिर किसके राज में बना।’ पॉलिटिकल पार्टियों का दावा…BJP ने मंदिर और पुजारियों का कैलकुलेशन कर पूछा, इतना बजट है क्या BJP मंदिर प्रकोष्ठ के संयोजक करनैल सिंह का दावा है, 'दिल्ली में 29 हजार रजिस्टर्ड मंदिर हैं। इसमें से 14,780 मंदिर प्रकोष्ठ से जुड़े हैं। इन मंदिरों में प्रकोष्ठ की कार्यशाला चलती है। इसमें 252 वाल्मीकि मंदिर हैं और 180 रैदासपंथी मंदिर हैं।' प्रकोष्ठ के सह संयोजक आचार्य राकेश इस गणित को और बड़ा करके बताते हैं। वे कहते हैं, 'प्रकोष्ठ के नेटवर्क में करीब 1 लाख 47 हजार पुजारी आते हैं।’ केजरीवाल ने योजना का ऐलान करते हुए कहा था कि पुजारी सम्मान रोका, तो पाप लगेगा। इस पर प्रकोष्ठ के सह संयोजक आचार्य राकेश सवाल करते हुए कहते हैं, '30 हजार मंदिर के पुजारियों और 15 हजार गुरुद्वारों के ग्रंथियों के लिए क्या दिल्ली सरकार के पास बजट है। हर एक मंदिर में औसतन 4-4 पुजारी और हर गुरुद्वारे में 4-4 ग्रंथी जोड़िए, कितने हुए? क्या दिल्ली सरकार के पास इतना बजट है?' AAP: आंकड़े नहीं याद, लेकिन सैलरी का पक्का प्लान दिल्ली सरकार में कानून मंत्री और AAP के प्रदेश उपाध्यक्ष जितेंद्र सिंह तोमर इस कैलकुलेशन पर बहुत गंभीर नहीं होते। BJP के सवाल पर वो कहते हैं, 'मुझे अभी कैलकुलेशन तो नहीं पता है, लेकिन बजट जरूर बना होगा। मेरे पास अभी इसकी सटीक जानकारी नहीं है। केजरीवाल बिना पक्की प्लानिंग के कुछ नहीं करते। केजरीवाल की नकल हर पार्टी करती है।' वे कहते हैं, 'सभी राजनीतिक पार्टियों को राजनीति करना अरविंद केजरीवाल ने सिखाया। केजरीवाल जैसी योजना लाते हैं, सब उसकी नकल करते हैं।' चुनाव में पुजारियों की याद क्यों आई, AAP क्या BJP की मंदिर प्रकोष्ठ पॉलिटिक्स से डर गई? इस पर जितेंद्र सिंह कहते हैं, 'हमें किसी का डर नहीं। केजरीवाल ने हर वर्ग को सम्मान देने का काम किया।' एक्सपर्ट बोले- BJP की पुजारियों को जोड़ने की रणनीति का जवाब AAP की योजनाहमने BJP और AAP की स्ट्रैटजी समझने के लिए सीनियर जर्नलिस्ट अनंत मित्तल से बात की। वे कहते हैं, ‘BJP को मंदिर मुद्दा तो लाना ही था। BJP अगर यहां से भटकेगी, तो उनके कोर वोटर के लिए क्या बचेगा।’ वे आगे कहते हैं, ‘BJP केजरीवाल के उस बयान को भी प्रमोट कर रही है, जिसमें उन्होंने राम मंदिर की जगह अस्पताल बनाने की बात कही थी। BJP के लिए पुजारी सिर्फ एक वोटर नहीं हैं, उससे एक बहुत बड़ा वर्ग जुड़ा है। पुजारियों के सहारे BJP उसे अपनी ओर लाने की कोशिश कर रही है।’ ‘मंदिर प्रकोष्ठ के जरिए BJP की पुजारियों को जोड़ने की रणनीति ने AAP को डिफेंसिव किया। इसी वजह से अरविंद केजरीवाल को पुजारियों के लिए सैलरी का ऐलान करना पड़ा। इससे पहले केजरीवाल मौलवियों के बीच जाते रहे हैं, लेकिन इस बार नहीं गए। अभी वक्फ बोर्ड का इतना बड़ा मुद्दा उठा, लेकिन उन्होंने एक बयान नहीं दिया।‘ ‘BJP ने केजरीवाल के फ्रीबीज मॉडल का तोड़ भी निकाल लिया है। उन्होंने अपने मैनिफेस्टो में इसे और बड़ा करके दिखाया। AAP महिलाओं को 2100 रुपए दे रही है, तो BJP ने 2500 देने का वादा किया है।‘ अनंत के मुताबिक, कुल मिलाकर BJP को इस स्ट्रैटजी का फायदा मिलेगा और AAP को नुकसान उठाना पड़ेगा। ................................ स्टोरी में सहयोग: श्रेया नाकाड़े, भास्कर फेलो................................ दिल्ली चुनाव पर 'हम भी दिल्ली' सीरीज की स्टोरी पढ़िए...1. क्या ‘वोट जिहाद’ करने वाले हैं बांग्लादेशी और रोहिंग्या, हिंदू कह रहे- इन्हें हटाना जरूरी रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठिए, दिल्ली चुनाव में बड़ा मुद्दा हैं। BJP नेता कह रहे हैं कि AAP अपने वोट बैंक के लिए इन्हें बसा रही है। वहीं AAP लीडर्स का कहना है कि घुसपैठियों के बहाने BJP यूपी से आए लोगों को टारगेट कर रही है। जिन रोहिंग्या और बांग्लादेशियों का नाम लिया जा रहा है, वे क्या कह रहे हैं, पढ़िए पूरी रिपोर्ट... 2. झुग्गियों के लोग बोले- केजरीवाल ने बिजली-पानी-दवा फ्री किए, वही जीतेंगे दिल्ली की सर्द सुबह में चूल्हे पर हाथ सेंक रहीं वनीता को सरकार से बहुत शिकायतें हैं। 60 साल से ज्यादा उम्र हो गई, लेकिन बुजुर्गों वाली पेंशन नहीं मिलती। पीने का पानी लेने दूसरी कॉलोनी में जाना पड़ता है। फिर भी उन्हें अरविंद केजरीवाल का काम पसंद है। वनीता की तरह की दिल्ली की झुग्गियों में रह रहे 3 लाख परिवारों की कहानी हैं। बाकी परिवारों की क्या शिकायतें हैं, पढ़िए पूरी रिपोर्ट...

दैनिक भास्कर 23 Jan 2025 5:20 am

आज का एक्सप्लेनर:क्या भारत में फिर लौटेगा TikTok, इलॉन मस्क की 75 दिनों में खरीदने की तैयारी; वो सबकुछ जो जानना जरूरी है

20 जनवरी 2025 को शपथ लेते ही डोनाल्ड ट्रम्प के तमाम फैसलों में एक था- TikTok बैन पर 75 दिनों की मोहलत देना। दरअसल, बाइडेन सरकार ने TikTok को अमेरिका में बैन किए जाने का कानून बनाया था। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर मुहर लगाते हुए कहा कि TikTok बैन तभी रुक सकता है, जब इसकी पेरेंट चीनी कंपनी ‘बाइटडांस’ इसे किसी अमेरिकी कंपनी को बेच दे। 19-20 जनवरी को सर्विस बंद होने लगी थी, लेकिन ट्रम्प ने 75 दिनों का वक्त देते हुए कहा, 'अगर मस्क चाहें तो इसे खरीद सकते हैं। मैं भी इसे खरीदना चाहूंगा। अगर इससे बैन नहीं हटेगा, तो ये बेकार है। परमिशन मिली, तो इसकी कीमत ट्रिलियन डॉलर के बराबर है।' क्या 75 दिनों में चीनी कंपनी अपनी हिस्सेदारी बेचेगी, इसे मस्क या ट्रम्प कौन खरीदेगा और क्या भारत में बैन TikTok फिर लॉन्च होगा; जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में... सवाल-1: अमेरिका में 17 करोड़ TikTok यूजर, फिर बैन की नौबत क्यों आई?जवाब: अगस्त 2020 में डोनाल्ड ट्रम्प ने पहले राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान TikTok को बैन करने का मुद्दा उठाया था। ट्रम्प का कहना था कि TikTok से राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हो सकता है। ट्रम्प ने माइक्रोसॉफ्ट पर TikTok खरीदने के लिए दबाव बनाया था, लेकिन यह डील नहीं हो सकी। बाइडेन के राष्ट्रपति बनने के बाद TikTok पर बैन की मांग तेज हो गई। 20 जनवरी को ट्रम्प ने 75 दिनों का समय दिया। इस दौरान TikTok की पेरेंट कंपनी बाइटडांस को TikTok की 50% हिस्सेदारी एक अमेरिकी नागरिक को बेचनी होगी। ट्रम्प ने TikTok के मालिक झेंग यिमिंग से कहा कि अमेरिका में TikTok को खरीदने वाले कई लोग मिल जाएंगे। अगर इस डील को मंजूर नहीं किया तो अमेरिका इसे विरोधी कार्रवाई समझेगा। सवाल-2: TikTok को लेकर ट्रम्प की स्ट्रैटजी क्या है?जवाब: फॉरेन एक्सपर्ट ए.के. पाशा कहते हैं कि ट्रम्प 2020 से TikTok को खरीदना चाहते थे, लेकिन उनकी सरकार चली गई। इसके बावजूद ट्रम्प ने TikTok के लिए प्लानिंग जारी रखी। नतीजतन, TikTok अमेरिका में बैन हो गया। यह प्लानिंग TikTok की मार्केट वैल्यू गिराने के लिए की गई थी। ऐसे में ट्रम्प TikTok को औने-पौने दामों में खरीद लेंगे। इसे ट्रम्प की ‘डिक्रीज डील’ भी कह सकते हैं। TikTok की मार्केट वैल्यू लगभग 150 से 200 बिलियन डॉलर है, लेकिन अमेरिका में बैन लगने के बाद ट्रम्प का इसे 40 से 50 बिलियन डॉलर में ही खरीदने की उम्मीद है। सवाल-3: TikTok कौन खरीदेगा- ट्रम्प, मस्क या कोई और?जवाब: 21 जनवरी को ट्रम्प ने एक पत्रकार के सवाल का जवाब देते हुए कहा, ‘मैं भी TikTok को खरीदना चाहूंगा। मुझे इस डील में जाने का अधिकार है।’ हालांकि ट्रम्प के बयान से यह साफ नहीं हुआ कि वे TikTok को अपने निजी पैसे से खरीदेंगे या यह डील सरकारी खजाने से की जाएगी। TikTok को खरीदने वालों में सबसे आगे इलॉन मस्क का नाम चल रहा है। इसकी 3 प्रमुख वजहें हैं… ट्रम्प और मस्क के अलावा ओरेकल के चेयरमैन लैरी एलिसन भी TikTok को खरीदने के लिए दिलचस्पी दिखा चुके हैं। यूट्यूब के सबसे ज्यादा फॉलो किए जाने वाले कंटेंट क्रिएटर मिस्टरबीस्ट, एम्प्लॉयर डॉट कॉम के फाउंडर जेसी टिंसले भी TikTok को खरीदने की इच्छा जता चुके हैं। इसके अलावा लॉस एंजिलिस डोजर्स के पूर्व चेयरमैन फ्रैंक मैककोर्ट और शार्क टैंक इन्वेस्टर केविन ओ'लोरी ने भी इस डील में शामिल होने का ऐलान किया है। सवाल-4: क्या इस डील के बाद भारत में भी शुरू होगा TikTok?जवाब: इस सवाल का जवाब समझने के लिए पहले जानना होगा कि भारत में TikTok बैन क्यों हुआ था। 29 जून 2020 को भारत ने TikTok समेत 59 चाइनीज ऐप्स पर बैन लगा दिया था। सरकार ने बैन लगाने के पीछे 3 प्रमुख वजहें बताई थीं... इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर ने इन्हें बैन करने की सिफारिश की थी। संसद के अंदर और बाहर भी इन ऐप्स को लेकर चिंताएं थीं और जनता भी एक्शन की मांग कर रही थी। इंडियन साइबरस्पेस की सुरक्षा और सम्प्रभुता के लिए ऐप्स को बैन करने का फैसला लिया गया था। ए.के. पाशा कहते हैं, ‘अगर इलॉन मस्क TikTok को खरीद लेते हैं, तो यह भारत में दोबारा शुरू हो सकता है। भारत सरकार ने सुरक्षा कारणों की वजह से इस ऐप पर बैन लगाया था क्योंकि भारतीय नागरिकों का डेटा चीन के पास भेजा रहा था, लेकिन अमेरिका की ओनरशिप के बाद भारतीय नागरिकों का डेटा अमेरिका के पास जाएगा, जिससे यह डेटा सुरक्षित रहने की उम्मीद है।’ ए.के. पाशा का कहना है कि गूगल, फेसबुक और वॉट्सएप जैसे सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का डेटा अमेरिकी जांच एजेंसी CIA के पास इकट्ठा रहता है। अभी तक डेटा लीक होने या दुरुपयोग होने की बात सामने नहीं आई है। अगर मस्क TikTok खरीदते हैं तो वो ट्रम्प सरकार के जरिए भारत पर बैन हटाने का दबाव भी बना सकते हैं। सवाल-5: क्या कोई भारतीय बिजनेसमैन TikTok को खरीद सकता है?जवाब: TikTok को खरीदने के लिए अभी जिन कारोबारियों के नाम सामने आए हैं, इनमें से कोई भी भारतीय नहीं है। बैन से पहले TikTok के लिए भारत बहुत बड़ा बाजार रह चुका है, लेकिन इसे खरीदने के लिए कोई भी भारतीय कारोबारी जोखिम नहीं उठाना चाहता। इसकी 4 बड़ी वजहें हैं... 1. कानूनी बाधाएं: TikTok एक चाइनीज कंपनी है, जिसे भारत में राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों से बैन किया गया था। ऐसे में अगर कोई भारतीय TikTok को खरीदता है, तो उसे भारतीय यूजर्स के डेटा की सिक्योरिटी का जिम्मा लेना होगा। अगर किसी वजह से डेटा लीक हुआ तो इसकी जवाबदारी TikTok के मालिक की होगी। 2. आर्थिक और कारोबारी चुनौती: TikTok की वैल्यू अरबों रुपए में हैं। इसके लिए बड़े इन्वेस्टर्स की जरूरत पड़ेगी। इसके अलावा भारत में पहले से ही फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब के करोड़ों यूजर्स हैं। ऐसे में TikTok को दोबारा ऊंचाइयों तक पहुंचाना बहुत मुश्किल होगा। 3. ग्लोबल डिजिटल मार्केट पर फोकस: TikTok को चलाने के लिए भारतीय इन्वेस्टर्स को ग्लोबल डिजिटल मार्केट पर फोकस करना होगा। जिससे भारत में TikTok के यूजर्स दोबारा बढ़ने लगें। 4. सेंसिटिव कंटेंट पर कड़ी नजर: भारत में TikTok पर बैन से पहले कंटेंट को लेकर आपत्ति उठाई गई थी। ऐसे में भारतीय इन्वेस्टर्स को सामाजिक और सांस्कृतिक मुद्दों को सुलझाना भी बड़ी चुनौती होगी। सवाल-6: क्या चीन की सरकार इस डील को मंजूरी देगी?जवाबः विदेश मामलों के जानकार और JNU के प्रोफेसर राजन कुमार कहते हैं, चीन TikTok को बेचने के लिए मंजूरी दे सकता है, क्योंकि ट्रम्प ने चीन पर चारों तरफ से प्रेशर बना दिया है। अमेरिकी न्यूज वेबसाइट एग्जियोस की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन की सरकार ने बाइटडांस पर TikTok की डील को लेकर दबाव बनाया हुआ है। TikTok को खरीदने के लिए अमेरिकी नागरिक सामने आने लगे हैं, लेकिन चीन की नाराजगी की वजह से बाइटडांस फैसला नहीं कर पा रही है। 20 जनवरी को चीन की विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि देश की सभी प्राइवेट कंपनियों को अपने फैसले लेने का अधिकार है। कंपनियां बिजनेस से जुड़े फैसले अपनी मर्जी से ले सकती हैं, लेकिन चीनी कंपनियों को कानूनों और नियमों के तहत फैसला लेना होगा। सवाल-7: आखिर चीनी ऐप TikTok को खरीदने के लिए कितने रुपए चाहिए?जवाब: अमेरिकी नेशनल फाइनेंशियल एडवाइजर फर्म वेडबुश के एनालिस्ट डैन इविस के मुताबिक, TikTok की कीमत वर्तमान एल्गोरिदम के साथ 100 बिलियन डॉलर से ज्यादा है। बाइटडांस के एल्गोरिदम के साथ कंपनी की वैल्यू 200 बिलियन डॉलर तक हो सकती है। अगर TikTok के खास एल्गोरिदम को हटा दिया जाए तो इसकी वैल्यू घटकर 40-50 बिलियन डॉलर रह जाएगी। TikTok का एल्गोरिदम बेहद स्मार्ट टेक्नोलॉजी पर आधारित है। जो यूजर्स को उसकी पसंद के मुताबिक कंटेंट दिखाता है। इस एल्गोरिदम की वजह से यूजर्स को उसके इंट्रेस्ट, सर्च हिस्ट्री और इंटरएक्शन के आधार पर रिलेटेड वीडियोज दिखाई जाती हैं। इस वजह से कंपनी की वैल्यू कई बिलियन डॉलर तक बढ़ गई है। रिसर्च सहयोग- गंधर्व झा ----------- ट्रम्प से जुड़ी अन्य खबर पढ़ें आज का एक्सप्लेनर: ग्रीनलैंड, पनामा और कनाडा पर कब्जा क्यों चाहते हैं ट्रम्प, इसके लिए किस हद तक जाएंगे; वो सबकुछ जो जानना जरूरी है 29 नवंबर 2024 को कनाडा के PM जस्टिन ट्रूडो अमेरिका के प्रेसिडेंट इलेक्ट डोनाल्ड ट्रम्प से मिले। डिनर टेबल पर ट्रम्प ने कहा कि कनाडा को अमेरिका का '51वां राज्य' बन जाना चाहिए। इस मुलाकात से जुड़ी पोस्ट में भी ट्रम्प ने कनाडा के PM को 'गवर्नर ट्रूडो' कहा। ट्रम्प के इस विस्तारवादी रवैये की खूब चर्चा हुई। पूरी खबर पढ़ें...

दैनिक भास्कर 23 Jan 2025 5:11 am

CM पद छोड़ा और DTC बस से घर चले गए:दिल्ली में फिर कभी नहीं जीती BJP; साहिब सिंह वर्मा के किस्से

12 अक्टूबर 1998 को दिल्ली के सीएम साहिब सिंह वर्मा ने इस्तीफा दिया। वो अपने पैतृक घर मुंडका जाने की तैयारी कर रहे थे, लेकिन 5 हजार जाटों ने सीएम हाउस घेर रखा था। सीएम हाउस के बाहर एक सरकारी बस खड़ी थी। रास्ता रोककर खड़े बुजुर्ग से साहिब सिंह ने कहा, 'ताऊ जाने दे।' बुजुर्ग बोले, ऐसे कैसे इस्तीफा ले लेंगे। तू जाट है… तू कैसे चला जावेगा। हम तुझे जाने ही नहीं देंगे। वरिष्ठ पत्रकार मनोज कुमार मिश्र अपनी किताब 'दिल्ली दरबार' में लिखते हैं कि मदन लाल खुराना से लड़ाई में साहिब सिंह को इस्तीफा देना पड़ा था। बीजेपी ने उन्हें बहुत बुरी तरह पद से हटाया था। वे दिल्ली के मुख्यमंत्री आवास से निकले और डीटीसी की सरकारी बस में बैठकर अपने घर मुंडका चले गए। इसके बाद 27 साल हो गए, दिल्ली में चुनाव जीतकर बीजेपी सरकार नहीं बना सकी है। ‘मैं दिल्ली का सीएम सीरीज’ के दूसरे एपिसोड में साहिब सिंह वर्मा के सीएम बनने की कहानी और उनकी जिंदगी से जुड़े किस्से... दूध-जलेबी की वजह से अटल बिहारी से मुलाकात हुई दिल्ली हरियाणा बार्डर से लगे जाट बाहुल्य गांव में 15 मार्च 1943 को साहिब सिंह वर्मा का जन्म हुआ था। पिता मीर सिंह वर्मा जमींदार परिवार से थे। साहिब को किताबों से प्यार था। उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से एमए और फिर लाइब्रेरी साइंस में पीएचडी की। दिल्ली आए तो नगर निगम की लाइब्रेरी में काम मिल गया। साहिब सिंह वर्मा के बड़े बेटे प्रवेश वर्मा बताते हैं, 'शुरुआती दिनों में नौकरी के लिए जहां मेरे पिताजी रहते थे, उसके पास एक मशहूर हलवाई की दुकान थी। वहां दूध-जलेबी खाने के लिए जनसंघ के नेता अटल बिहारी वाजपेयी आया करते थे। एक दिन दोनों की मुलाकात हो गई और मेरे पिता पहले संघ और फिर बीजेपी के होकर रह गए।' 1977 में वे दिल्ली नगर निगम के पार्षद बने। 1991 में बाहरी दिल्ली से लोकसभा लड़े, लेकिन सज्जन कुमार से हार गए। 1993 में दिल्ली विधानसभा का पहला चुनाव हुआ। शालीमार बाग से 21 हजार वोटों से जीते और मदन लाल खुराना की सरकार में शिक्षा मंत्री बने। साहिब सिंह को सीएम न बनाने पर अड़ गए थे खुराना साहिब सिंह वर्मा के समय मंत्रालय की रिपोर्टिंग करने वाले वरिष्ठ पत्रकार दिलबर गोठी बताते हैं कि जैन हवाला कांड में नाम आने के कारण लाल कृष्ण आडवाणी इस्तीफा दे चुके थे। दिल्ली के सीएम मदन लाल खुराना का नाम भी उस डायरी में था। आडवाणी की सलाह पर खुराना ने भी इस्तीफा दे दिया। पार्टी को लगा कि मदन लाल खुराना के बाद कोई ऐसा नेता होना चाहिए, जिसका बड़े इलाके में दबदबा हो। साहिब सिंह वर्मा ऐसे ही नेता थे। लेकिन मदन लाल खुराना, उन्हें सीएम बनाने के पक्ष में नहीं थे। वे आलाकमान के सामने गिड़गिड़ा गए। अब मंथन चला कि किसे सीएम बनाया जाए। अरुण जेटली ने राज्य की राजनीति में शामिल होने से इनकार कर दिया। सुषमा स्वराज से भी कहा गया, लेकिन पार्टी के भीतर के नेताओं का कहना था कि वो बाहरी हैं। अंबाला से लड़ती हैं। वे दिल्ली के मिजाज काे नहीं समझ पाएंगी। इसके बाद खुराना के मंत्रिमंडल में शामिल रहने वाले और उनकी पसंद के नेता डॉ. हर्षवर्धन के नाम पर विचार हुआ, लेकिन कहा गया कि वे अभी बहुत जूनियर हैं। जब समस्या का निदान नहीं हो पाया तो विधायकों से पूछा गया कि वही बताएं कि किसे सीएम देखना चाहते हैं। 23 फरवरी 1996 को दिल्ली में बीजेपी विधायक दल की बैठक हुई। इसमें साहिब सिंह का नाम चला। रायशुमारी हुई तो साहिब के पक्ष में 48 में से 31 ने सहमति दी। 3 दिन बाद 26 फरवरी को साहिब सिंह वर्मा ने सीएम पद की शपथ ली। वरिष्ठ पत्रकार गुलशन राय खत्री बताते हैं कि साहिब सिंह वर्मा के लिए ये चुनौती थी। कई मंत्री कैबिनेट की मीटिंग में नहीं जाते थे। बहुत सारे मंत्री ऐसे थे जो मदन लाल खुराना के पक्ष में खड़े थे। साहिब सिंह वर्मा के कई फैसलों पर वो कैबिनेट मीटिंग्स में सवाल भी खड़ा करते थे, लेकिन वर्मा ने धीरे-धीरे काउंटर करने की कोशिश की, अपने मंत्री बनाए। खत्री के मुताबिक, 'साहिब सिंह को सीएम चुनने से पंजाबी-बनिया की बीजेपी, गांव-देहात की पार्टी भी बन गई। साहिब सिंह के चलते एक बड़ा हिस्सा जिसे 'दिल्ली देहात' कहते हैं, बीजेपी से जुड़ा। जब साहिब सिंह मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने देहात के लिए मिनी मास्टर प्लान बनाया। गांवों में कम्युनिटी सेंटर, डेवलेपमेंट सेंटर और तरह-तरह के प्रयोग शुरू किए।' साइकिल से मंत्रालय जाते, DDA फ्लैट में रहते थे वरिष्ठ पत्रकार रामेश्वर दयाल बताते हैं कि दिल्ली में बिजली-पानी की दिक्कत थी। केंद्र से फंड भी नहीं मिल रहा था। जब साहिब सिंह वर्मा सीएम बने तो उन्होंने विरोध का नया तरीका निकाला। उन्होंने सरकारी गाड़ी लेने से इनकार कर दिया। वर्मा ने कहा, 'मैं गाड़ी पर नहीं, साइकिल पर चलूंगा।' कई दिनों तक वो साइकिल पर चलते रहे। उस समय लोग देखकर हंसते थे और गर्व भी करते थे कि दिल्ली का मुख्यमंत्री साइकिल पर चल रहा है। उनकी सिक्योरिटी में लगे जवान जीप में साइकिल के आगे-पीछे चलते थे। ऐसा ही एक किस्सा वरिष्ठ पत्रकार अपर्णा द्विवेदी बताती हैं- साहिब सिंह ने एक बार फोन किया और कहा कि दिल्ली में पानी की कमी है, हरियाणा ने पानी रोका है। मैं हैदरपुर में अपनी कैबिनेट करने जा रहा हूं। जब हम लोग वहां पहुंचे तो वर्मा जी वहीं खटिया डालकर बैठे हुए थे। 3-4 और खटिया उनकी कैबिनेट के लिए तैयार हो रही थी। फिर हम लोगों ने शूट किया। उन्होंने 2 दिन तक वहां कैबिनेट लगाई। जो प्रॉब्लम सॉल्व होने में हफ्ता गुजर जाता, वो 2-3 दिन में सुलझ गया। मुख्यमंत्री बनने के बाद शुरुआती दौर में वे अपने शालीमार बाग के डीडीए फ्लैट में ही रहते थे। यहां सुरक्षा का मसला खड़ा हो गया। सवाल था कि सीएम की सुरक्षा में लगे जवान कहां रहेंगे। जवानों ने उनके फ्लैट के बाहर कॉलोनी के पार्क में ही टेंट लगा दिया था। पार्क पर सरकारी 'अतिक्रमण' से लोग परेशान हो रहे थे। लोगों ने सीधे वर्मा से कहा, 'आपकी सिक्योरिटी के चक्कर में पार्क में अब वॉक करना भी मुश्किल हो गया है।' वर्मा ने कॉलोनी वालों से कहा, 'मैंने इनसे कई बार कहा है कि मुझे कोई सुरक्षा की जरूरत नहीं है। ये कहते हैं, ये हमारा काम है।' हालांकि कुछ दिन बाद वे श्याम नाथ मार्ग वाले बंगले में शिफ्ट हुए तब जाकर पार्क से टेंट हटे। जब CM की पत्नी ने कहा- आप लोग बाहर जाएं, मुझे कपड़े बदलने हैं वरिष्ठ पत्रकार गुलशन राय खत्री एक रोचक किस्सा बताते हैं- ‘साहिब सिंह जिस 9, श्याम नाथ मार्ग के घर में रहते थे, वहां हम लोग बहुत जाया करते थे। उनके घर का कोई ऐसा कमरा ही नहीं था कि जिसे आप कह सकें कि ये आपके लिए प्रतिबंधित है। एक बार हम पत्रकार लोग बैठे हुए थे, थोड़ी देर बाद उनकी पत्नी आईं और उन्होंने कहा कि 5 मिनट के लिए कमरा खाली कर दें, मुझे कपड़े बदलने हैं। बाद में समझ आया कि वो उनका बेडरूम है।’ खत्री कहते हैं, 'साहिब सिंह एकदम ठेठ देहाती की तरह हाथ में लेकर खाते, किसी की भी रोटी तोड़ लेते थे और ये दिखावा नहीं, स्वाभाविक लगता था। जब वे आपसे बात करते थे तो देसीपन लगता था। साहिब सिंह शाकाहारी थे, नॉनवेज के भारी विरोधी थे। उन्होंने शराब, बीड़ी-सिगरेट प्रतिबंधित करा दिया था। उस समय दिल्ली में बिल भी आया था, हर्षवर्धन जी लेकर आए थे। दिल्ली में उसी समय से सिगरेट-गुटखा प्रतिबंधित है।' जब CM से एक ताऊ बोले- साइन तो तूने कर दिए, मुहर भी लगा दे! साहिब सिंह वर्मा केवल 4 घंटे सोते थे। उनका दिन सुबह 4 बजे शुरू हो जाता था। इसके बावजूद भी वे समय के पाबंद नहीं थे। सुबह 6 बजे से ही उनके घरों में मिलने वालों की भीड़ जमा हो जाती थी। वरिष्ठ पत्रकार सुशील कुमार सिंह बताते हैं, 'एक बार उन्होंने मुझे कहा कि सुशील तू कल नाश्ता मेरे साथ कर। मैंने कहा ठीक है। उन्होंने कहा, कल सुबह 5 बजे मेरी गाड़ी लेने आएगी। मैंने कहा इतनी जल्दी? मैं दो बजे ताे घर ही पहुंचता हूं। इसके बाद उन्होंने कहा ठीक है तू 6 बजे आ जा। मैं मना नहीं कर सका और सोचा कि कोई 6 बजे नाश्ते के लिए बुलाता है क्या!' 'सुबह पौने 6 बजे मेरे घर के दरवाजे पर दस्तक हुई। मैं बिस्तर छोड़कर उठा तो दो पुलिस वाले और दो ऑफिसर टाइप लोग थे। उन्होंने कहा सीएम साहब ने आपको बुलाया है। गाड़ी भेजी है, चलिए। मैंने कहा बीस मिनट रुको चलते हैं।' सुशील आगे बताते हैं, 'जब मैं उनके बंगले पर पहुंचा तो देखा कि वहां इतनी सुबह ही जबरदस्त भीड़ थी। वे लोगों से मिल रहे थे। हर कमरे में लाेग भरे हुए थे। उनके डाइनिंग एरिया में भी आउटर दिल्ली से आए लोग बैठे हुए थे। उन्होंने मेरी तरफ देखा और बैठने का इशारा किया। वो लोगों की एप्लीकेशन ले रहे थे। थोड़ी देर बाद आए और मुझे अंदर के कमरे में ले गए। वहां देखा कि उनकी वाइफ चूल्हे पर गरम-गरम पराठे बना रही थीं। मैंने उनसे पूछा भाभीजी को क्यों परेशान कर रहे हैं, साहिब सिंह बोले, मैं तो अपनी घरवाली के हाथ का ही खाना खाता हूं। आज तू मेहमान है। हम अपने मेहमानों को अपने हाथ से बनाकर खिलाते हैं। वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ मिश्रा बताते हैं, 'एक बार मैं जब उनके चेंबर में गया तो देखा कि ढेर सारी चेयर्स लगी थीं। वो एक कोने में एक टेबल लगाकर बैठे लोगों की शिकायतें सुन रहे थे। तभी एक बुजुर्ग के किसी कागज पर उन्होंने साइन करके कहा कि अब काम हो जाएगा।' बुजुर्ग ने कहा, 'दस्तखत तो तूने कर दिए, मोहर भी लगा दे ताकि काम पक्का हो जाए।' तब साहिब सिंह ने कहा, 'ताऊ सील बाहर से लगवा लेना वहां लड़का बैठा है।' वरिष्ठ पत्रकार मनोज कुमार मिश्रा बताते हैं, 'एक बार मैंने उनसे कहा कि आप मिलने वालों का टाइम फिक्स क्यों नहीं कर देते। वे बोले, 'यार ये इतनी दूर से मिलने आते हैं। अगर दो मिनट मिल लूंगा तो मेरा क्या जाएगा।' जुकाम होता तो अपने सिर की खुद मालिश करते मनोज कुमार मिश्रा अपनी किताब 'दिल्ली दरबार' में लिखते हैं कि साहिब सिंह वर्मा 24 घंटे में 18 घंटे काम करते थे और क्या काम करते थे, ये किसी को पता नहीं चलता था। उनके चेहरे पर कभी थकान नजर नहीं आती थी। वे शायद ही कभी बीमार हुए हों। जब कभी उन्हें जुकाम होता तो वे खुद अपने सिर की तेल से मालिश करते और जुकाम ठीक कर लेते थे। साहिब सिंह के प्रयासों से दिल्ली विधानसभा परिसर में हर तरह का नशा प्रतिबंधित हुआ था। वे अपने सरकारी बंगले पर गाय रखते थे। उसी देसी गाय का दूध रोज पीते। उसी दूध का बना घी खाते थे। उन्हें नौकरों के हाथ का खाना पसंद नहीं था। मनोज लिखते हैं, साहिब सिंह सुबह 4 बजे उठकर नहर पर टहलने जाते थे। लोग भी जुड़ जाते थे। उनकी आदत थी कि वो कंधे-पीठ पर हाथ रख कर पूछते थे कि क्या हाल हैं तेरे?' साहिब वर्मा बताते थे कि वे बचपन में अपने गांव मुंडका से सब्जियां लेकर मंडी में बेचने जाया करते थे। वो कॉलेज में लाइब्रेरियन भी रहे। साहिब सिंह ने कहा- गरीब नहीं, अमीर प्याज खाते हैं वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ मिश्रा बताते हैं कि सबसे पहले उनकी सरकार का सामना 'ड्रॉप्सी' नाम की बीमारी से हुआ। मदर डेयरी के ऑयल धारा में सप्लायर ने मिलावटी तेल सप्लाई कर दिया था। इससे ड्रॉप्सी हुआ और कई बच्चों की मौत हुई। बाद में पता चला कि सप्लायर साहिब सिंह वर्मा का परिचित था। इससे उनकी बहुत बदनामी हुई। एक बार पानी में जहर फैल गया। असल में पीने के पानी के टैंकर में मरा हुआ सांप था। इससे पानी जहरीला हो गया था। कई लोग बीमार हो गए थे। इसके बाद प्याज महंगी हो गई। वरिष्ठ पत्रकार गुलशन राय खत्री बताते हैं कि मीडिया प्याज को लेकर बार-बार सरकार से सवाल पूछ रही थी। सस्ते दामों पर प्याज बेचने की कोशिश हुई, लेकिन ये कारगर साबित नहीं हुई। प्याज के दाम नीचे नहीं आए। कांग्रेस ने अभियान चलाया, कांग्रेस नेता प्याज की मालाएं पहन कर जाते थे। कांग्रेस के लोगों ने कई जगहों पर महंगे प्याज खरीदकर लोगों को सस्ते दामों पर बेचने शुरू किए। वो कैम्पेन इतना असरदार हो गया कि साहिब सिंह वर्मा से जब पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'गरीब आदमी तो उतना प्याज नहीं खाता है। ये तो मिडिल क्लास और एलीट क्लास वाले खाते हैं।' वो शायद अंदाजा नहीं लगा पाए कि मेरे बयान का क्या मतलब निकाला जाएगा। ये बयान एक तरह से वायरल हो गया और उनके बहुत खिलाफ चला गया। दूसरी तरफ मदन लाल खुराना के विरोध का भी दबाव था। वरिष्ठ पत्रकार गुलशन राय खत्री बताते हैं, 'जब साहिब सिंह को हटाया गया, उससे पहले हम साहिब सिंह को कहने गए थे कि आप पहले चुनाव करा लें। उन्होंने मना कर दिया। कहा कि नहीं, अटल जी की सरकार बनेगी। दिल्ली को स्टेटहुड दिलवाऊंगा और फिर चुनाव होंगे। उसकी नौबत ही नहीं आई, उनको हटा दिया गया। उन्होंने पूरी तरह से ड्रामा किया, बस से अपने घर गए। कई दिनों तक उनके घर पर धरना चला। लेकिन फिर बतौर सीएम वापसी नहीं हो सकी। 1999 के लोकसभा चुनाव में साहिब सिंह बाहरी दिल्ली से दो लाख से ज्यादा वोटों से जीते। 2002 में वे अटल सरकार में श्रम मंत्री बने। 30 जून 2007 को जयपुर-दिल्ली हाईवे पर कार दुर्घटना में उनका निधन हो गया था। ________ मैं दिल्ली का सीएम से जुड़ी अन्य खबरें... 3 लाख घूस का आरोप, CM पद छोड़ा:पछताए मदन लाल खुराना; नींद में पत्नी से बोले- बहनजी मुझे ही वोट दीजिए! दिल्ली के पूर्व सीएम मदन लाल खुराना ने लालकृष्ण आडवाणी की देखा-देखी इस्तीफा दे दिया था। उनको लगा, 'जब मैं वापसी करूंगा, तो मुझे कुर्सी मिल जाएगी।' 3 महीने बाद मदन लाल को क्लीनचिट तो मिली, लेकिन CM कुर्सी दूर होती चली गई। इस फैसले का उन्हें जिंदगी भर मलाल रहा। क्यों रहा ये मलाल ये जानने के पूरी खबर पढ़ें

दैनिक भास्कर 23 Jan 2025 5:11 am

ब्लैकबोर्ड-पड़ोसियों से शादी करने की मजबूरी:खून की उल्टियां और गले फेफड़े, गोली खाकर ही आती है नींद

सर्द दोपहरी में मुस्कान अपने घर के बाहर कुर्सी पर बैठी हैं। प्लास्टिक के पुराने डिब्बे और कुछ पॉलीथिन जलाकर मुस्कान आग सेंक रही हैं। दुबली-पतली कमजोर सी मुस्कान काफी बीमार लग रही हैं। उन्हें उम्मीद है कि ये तपिश उनके बीमार शरीर को कुछ राहत देगी। 22 साल की मुस्कान ये भी जानती हैं कि ये धुआं उनके लिए ठीक नहीं। जलती हुई प्लास्टिक का ये जहरीला धुआं पहले से खराब हो चुके उसके फेफड़ों को और खराब कर देगा। फिर भी, कमजोर हो चुके ठिठुरते शरीर को राहत देने का ये उनके पास सबसे सस्ता और आसान तरीका है। ‘टूटी-फूटी हिंदी में मुस्कान कहती हैं कि मेरे सीने में बहुत दर्द रहता है। कुछ खाती हूं तो जलन होती है। खांसी इतनी तेज उठती है कि खून की उल्टियां होने लगती हैं। कभी-कभी सांस लेने में इतनी दिक्कत होती है कि आंखों के आगे अंधेरा छा जाता है। मैं चक्कर खाकर गिर जाती हूं। डॉक्टर ने बताया कि मेरा एक फेफड़ा गल चुका है। दूसरा भी धीरे-धीरे खराब हो रहा है। डॉक्टर ने साफ शब्दों में कह दिया है कि अगर यही हालात रहे तो तुम्हारा बचना मुश्किल है। स्याह कहानियों की सीरीज ब्लैकबोर्ड में आज कहानी उन लोगों की, जिनकी जिंदगी कूड़े के ढेर ने बर्बाद कर दी.... मुस्कान रोजी रोटी के लिए अपने पति के साथ कूड़ा बीनने का काम करती हैं। मुस्कान कहती हैं कि कुछ महीने पहले मेरे पति दिलबाग को टीबी हो गया। हम दोनों की खराब स्थिति देखकर डॉक्टर ने कहा था कि अगर ठीक होना है तो इस गंदगी से दूर चले जाओ। मुस्कान कहती हैं हमें कुछ और काम भी नहीं आता तो कहां जाएं। इसी गंदगी में काम करना पड़ता है और बीमारी भी झेलनी पड़ती है। हमारे दो छोटे-छोटे बच्चे हैं, दिन-रात यही टेंशन रहती है कि हमें कुछ हो गया तो इनको कौन देखेगा। हमारे बाद मेरे बच्चों का कोई नहीं है, एक बूढ़ी विधवा मां है, जो दिन-रात दुआओं में मेरी लंबी उम्र मांगती है। मुस्कान कहती हैं कि यहां हर तरह का कूड़ा फेंका जाता है, सैनिटरी पैड, पेशाब से भरे डायपर और सड़ी गली चीजें। जिनकी बदबू कोई आम आदमी तो बर्दाश्त ही नहीं कर सकता। हवा में फैली सड़ी-गली चीजों की बदबू नाक में घुसते ही अजीब सी बेचैनी पैदा कर देती है। जब मैंने ये काम शुरू किया था तो रोज उल्टी कर दिया करती थी। खाना खाने का मन भी नहीं करता था। फिर मेरी एक दोस्त बोली कि तू गुटखा खाना शुरू कर तभी ये काम कर पाएगी। तब से मुझे गुटखे की लत लग गई। अब मेरा फेफड़ा और खराब होता जा रहा है। बच्चे मेरी हालत देखकर रोते हैं। टेंशन इतनी ज्यादा है कि रात को नींद की गोली खाकर सोना पड़ता है। मुस्कान कहती हैं कि मैं दसवीं तक पढ़ी हूं। कभी नहीं सोचा था कि मेरी पूरी लाइफ कूड़े में बीतेगी। जब छोटी थी तब सोचती थी कि शादी के बाद मेरी एक अच्छी साफ सुथरी जिंदगी होगी। मेरा घर अच्छी सोसाइटी में होगा, लेकिन हमारे इलाके में न तो कोई बाहर की लड़की देता है, ना यहां की लड़की लेता है। बाहर से कोई आता है तो हमें देखकर घिन्न करता है, पास नहीं बैठता, मास्क लगा लेता है। इसलिए हम लोगों की शादियां आसपास में ही हो जाती हैं। जिंदगी कूड़े से शुरू होकर कूड़े पर दम तोड़ देती है। मुस्कान बताती हैं कि परेशानी कोई एक तरह की नहीं है। कई बार कचरा बीनते वक्त कांच या नुकीली नुकीली चीजें लग जाती हैं। आवारा जानवर हमारे पीछे पड़ जाते हैं। दो बार मुझे कुत्ते भी काट चुके हैं। डॉक्टर भी हमें देखकर मुंह बनाने लगते हैं। इसलिए घरेलू उपचार से ही काम चलाना पड़ता है। मुस्कान उत्तरी-पश्चिमी दिल्ली के भलस्वा डंपिग यार्ड के पास ही रहती हैं। भारत में सबसे बड़ा दिल्ली का भलस्वा लैंडफिल साइट कूड़े का एक ऐसा डंपिंग यार्ड है, जिसे दूर से पहली बार देखने वाला व्यक्ति आम पहाड़ समझने की भूल कर बैठता है। इसके कुछ पास पहुंचने पर हवा में फैली बदबू और पहाड़ के ऊपर मंडराते चील-कौए सोचने पर मजबूर कर देते हैं कि आखिर ये है क्या। इसके पास रहने वाले कई परिवारों का चूल्हा इस पहाड़ की वजह से चलता है। रोटी देने के बदले ये राक्षस रूपी पहाड़ मानो चुन-चुन के हर घर से बलि मांगता हो, क्योंकि घनी आबादी वाले इस इलाके में शायद ही ऐसा घर मिले जहां कोई बीमार न हो। इस इलाके के लोगों को कैंसर, टीबी, अस्थमा, मलेरिया, टाइफाइड और सांस संबंधित कई बीमारियों का सामना करना पड़ता है। यहां बसी ज्यादातर आबादी कचरा बीनने का काम करती है। यहां रहने वाले लोग हर पल इस गंदगी के पहाड़ को कोसते हैं, लेकिन ये कहना भी नहीं भूलते की यही कचरा और गंदगी उनकी रोजी-रोटी का साधन है। कचरा बीनते-बीनते कब कैंसर हुआ, पता नहीं चला भलस्वा लैंडफिल साइट के पास बसे जे जे कॉलोनी में रहने वाली 32 साल की रानी कब कैंसर का शिकार हुईं, उन्हें पता भी नहीं चला। रानी कहती हैं कि हम पति-पत्नी दोनों कूड़ा बीनकर अपना गुजारा करते हैं और दोनों ही बीमार हैं। मेरे हाथों की उंगलियों से दर्द शुरू होता है और पूरे शरीर में फैल जाता है। कभी-कभी भयंकर सिरदर्द होने लगता है, अंधेरा छा जाता है। पूरा शरीर कांपने लगता है फिर मैं कुछ काम ही नहीं कर पाती हूं। मेरे पति को किडनी की समस्या है। जब कूड़े का काम किया था तब मेरे पति ने नशा करना शुरू कर दिया था। अब अक्सर इस बात को लेकर बहस हो जाती है कि कौन पहले मरेगा। इसका असर हमारी दोनों बेटियों पर पड़ता है। रानी की बड़ी बेटी अलिना 13 साल की है और छोटी बेटी आलिया 8 साल की। मां कैंसर से पीड़ित हैं और कई-कई दिन खाना नहीं खाती, तो अलिना भी खाना नहीं खाती। वो बहुत अच्छे से समझ चुकी हैं कि उसकी मां किसी भी वक्त ये दुनिया छोड़ कर जा सकती हैं। पूरी-पूरी रात अलिना अपनी मां की सांसें देखती रहती हैं कि कहीं उखड़ तो नहीं रही। रानी कहती हैं कि बड़ी बेटी मेरी बहुत फिक्र करती है। कभी-कभी उसे इतनी घबराहट होती है कि उसके पेट में दर्द उठने लगता है। मुझे 3 साल पहले ही डॉक्टर्स ने कह दिया था कि नहीं बचूंगी। करीब 1 साल अस्पताल में भर्ती रही, सर्जरी हुई और यूटरस भी निकाल दिया। कीमोथैरेपी भी चली, लेकिन कैंसर ठीक नहीं हुआ। अब ऊपर वाला कब बुला ले कुछ नहीं पता। मैं लेटे-लेटे बस यही सोचती हूं कि काश अपनी लड़कियों की शादी देख पाती। रानी की आंखें तो पथरा गई हैं, लेकिन जब भी वो बोलती हैं तो उनकी आवाज में दर्द साफ नजर आता है। आंखों में आंसू लिए वो कहती हैं कि बच्चों की जिंदगी में मां का सबसे बड़ा हाथ होता है। मेरे मरने के बाद कोई भी उन्हें मां जैसा प्यार नहीं दे पाएगा। हर टाइम मुझे डर लगा रहता है कि मेरे बाद बड़ी लड़की का क्या होगा। रानी बताती हैं कि हमारे इलाके में इतनी गंदगी है कि घरों के बाहर कूड़ा भरा पड़ा है। इस इलाके में रहकर कोई बीमारी से बच नहीं सकता। मैं चाहती हूं कि मेरी बच्चियां पढ़-लिखकर इस गंदगी से निकल जाएं। भलस्वा लैंडफिल साइट के आस-पास बसे लोगों की दुनिया इतनी गंदी और जहरीली हो चुकी है कि मानो बीमारियों से उनकी दोस्ती हो गई है। ‘लड़कियां मेरा मजाक उड़ाती हैं, मुझे देखकर मुंह बनाती हैं’18 साल की जैस्मिन सांवले रंग की हैं। जैस्मिन कहती हैं कि बचपन से ही मेरी स्किन बहुत फटती है और चकत्ते हो जाते हैं। बहुत पहले डॉक्टर ने कहा था ठीक होना है तो साफ-सफाई में रहो। हम बहुत गरीब लोग हैं, इस कूड़े से निकलकर कहां जाएंगे। मेरे मां बाप दोनों बीमार रहते हैं। कई-कई दिन कूड़ा बीनने नहीं जा पाते, तब हमें एक टाइम का खाना भी मुश्किल से नसीब होता है। कोई मेरे पास बैठना पसंद नहीं करता। सबको लगता है जो मेरे पास आएगा उसे भी ये बीमारी हो जाएगी। कभी-कभी मैं बहुत रोती हूं और ऊपर वाले से कहती हूं कि मुझे ही ऐसा जीवन क्यों दिया। दो बार लड़के वाले मिलने आए, लेकिन मुझे देखते ही रिश्ते से इनकार कर दिया। मैं भी सोचती हूं कि शादी हो भी गई तो सब ताना मारेंगे कि तू ऐसी है, तेरे बच्चे भी ऐसे ही होंगे। इस डर की वजह से शादी से इनकार कर देती हूं। अब तो मैं सपने में भी यही देखती हूं कि मेरी स्किन थोड़ी ठीक हो जाए। मेरा सबके साथ उठना-बैठना हो। ऐसी स्किन की वजह से मैं अकेली रह गई। जैस्मिन की मां साहिबा कहती हैं कि जब ये पेट में थी मैं पूरा-पूरा दिन कूड़ा बीनती थी। जलते कूड़े का जहरीला धुआं मेरे अंदर जाता रहा, शायद इसी वजह से जैस्मिन आज ऐसी है। उसके पूरे शरीर पर खुश्की दिखती है। फिर मैं घर पर रखा तेल उसको लगा देती हूं। पेट भरने के पैसे तो हमारे पास हैं नहीं, इलाज के लिए पैसे मैं कहां से लाऊं। मेरा पति कई साल पहले गिर गया था, उसका एक पैर खराब हो गया। अब वो कोई काम नहीं कर पाता। मेरी छाती में दर्द रहता है जिसकी वजह से मैं भी कमाने लायक नहीं बची। चूल्हे पर रोटी बनाने से सीने में दर्द की दिक्कत और बढ़ जाती है। एक मां के लिए शायद ही इससे बड़ा कोई दुख होगा कि वो रोज अपने बच्चों को भूख से तड़पता हुआ देखती है। कूड़े का काम जब तक करूंगी, तब तक ही चूल्हा जलता है। भलस्वा डेयरी में रहने वाली रुखसाना भी कूड़ा बीनती हैं और एक एनजीओ के साथ लोगों को जागरूक करने का काम करती हैं। रुखसाना कहती हैं कि कूड़े और गंदगी का समाधान करने के लिए न ही कोई नेता और ना ही कोई सरकार आगे आती है। ये कूड़ा लोगों के लिए जानलेवा बन चुका है। हम लोगों की मदद करने के लिए घर-घर घूमते हैं तो लोग अपनी बीमारी बताने से भी डरते हैं कि समाज कहीं उनसे दूरी ना बना ले। रुखसाना कहती हैं कि खत्ते के पास रहने वाले लोगों की जिंदगी कीड़े-मकोड़े से भी बदतर है। यहां की सड़कों का भराव भी इसी कूड़े से होता है। -------------------------------------------------------- ब्लैकबोर्ड सीरीज की ये खबरें भी पढ़िए... 1. ब्लैकबोर्ड- मेरा आधा चेहरा देखकर भागते हैं लोग:एक दिन सोचा लिपस्टिक लगाकर ही रहूंगी, करीब से खुद को देखा तो रोने लगी मैं जानती हूं लोग मुझे देखना पसंद नहीं करते। इसलिए हर वक्त मास्क लगा कर रहती हूं। मैं जब छोटी थी तो हर वक्त मास्क लगाकर रहना पसंद नहीं था। हमारे मोहल्ले में कोई मास्क नहीं लगाता, लेकिन मुझे लगाना पड़ता था। पूरी खबर पढ़ें... 2. ब्लैकबोर्ड- डायन बताकर सलाखों से दागा, दांत तोड़ डाले:मर्दों ने पीटा, आंख फोड़ दी, भीलवाड़ा में डायन 'कुप्रथा' का खेल मैं छत पर नहा रही थी, उसी वक्त मेरी देवरानी ने अपने परिवार वालों को फोन करके बुलाया। उसका भाई मेरा हाथ पकड़कर मुझे बाथरूम से घसीटता हुआ बाहर ले आया। मेरे शरीर पर कपड़े नहीं थे, फिर भी देवरानी के घर के मर्दों को शर्म नहीं आई। वो लोग मुझे बुरी तरह पीट रहे थे। पूरी खबर पढ़े... 3. ब्लैकबोर्ड- प्रॉपर्टी की तरह लीज पर बिक रहीं बेटियां: कर्ज चुकाने के लिए पैसे लेकर मां-बाप कर रहे सौदा मैंने सन्नी को एक लाख रुपए के बदले एक साल के लिए बड़ी बेटी बिंदिया दे दी। उसने मेरी 10 साल की बेटी पता नहीं किसे बेच दी। मुझसे कहा था बीच-बीच में बिंदिया से मिलवाता रहेगा। उसे पढ़ाएगा-लिखाएगा। मिलवाना तो दूर उसने कभी फोन पर भी हमारी बात नहीं करवाई। पूरी खबर पढ़िए...

दैनिक भास्कर 23 Jan 2025 5:11 am

स्पॉटलाइट- क्या सैफ अली खानदान की प्रॉपर्टी होगी जब्त:शत्रु संपत्ति कानून के घेरे में आई 15 हजार करोड़ की जायदाद

पटौदी परिवार की 15 हजार करोड़ की संपत्ति सरकार की हो सकती है, इससे करीब 5 लाख आम लोगों के जीवन पर क्या असर होगा, शत्रु संपत्ति कानून क्या होता है, जानेंगे स्पॉटलाइट में

दैनिक भास्कर 23 Jan 2025 5:11 am

Trump Russia Message: 'मैं राष्ट्रपति होता तो युद्ध नहीं होता' पुतिन को ट्रंप का खुला मैसेज, इसे रोकिए वरना...

Donald Trump Russia Message:अमेरिका की सत्ता संभालते ही राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने पुराने तेवर में आ गए हैं. राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद उन्होंने कई ऐसे फैसले लिए, जो चौंका देने वाले हैं. अब उन्होंने रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध को लेकर बड़ा बयान दिया है.

ज़ी न्यूज़ 22 Jan 2025 11:18 pm

ट्रंप के शपथग्रहण से जयशंकर को पीछे किए जाने का दावा गलत है

बूम ने फैक्ट चेक में पाया कि एक स्टाफर ने जयशंकर के आगे खड़ी महिला कैमरापर्सन से पीछे जाने का आग्रह किया था.

बूमलाइव 22 Jan 2025 7:42 pm

Rishi Sunak: प्रधानमंत्री की कुर्सी छूटी तो रोजगार खोजने लगे ऋषि सुनक.. यहां पूरी हुई नौकरी की तलाश, दिखेंगे नए रोल में!

Rishi Sunak New Job:ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने अपने करियर में नई राहें चुनी हैं. उन्होंने हाल ही में घोषणा की कि उन्हें ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के हूवर इंस्टीट्यूट में दो नए रोल मिले हैं.

ज़ी न्यूज़ 22 Jan 2025 4:46 pm

तुर्की मे क्यों घोषित हुआ राष्ट्रीय शोक? ऐसी क्या आपदा आई बिल्डिंग की छत से कूदे लोग

Turkey hotel fire latest: तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तय्यप एर्दोगान ने उत्तर-पश्चिमी तुर्की के बोलू प्रांत के कार्तलकाया स्की रिसॉर्ट के एक होटल में लगी भीषण आग के बाद 24 घंटे के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है. इस आग में कम से कम 76 लोगों की मौत हो गई और कई घायल हैं, लोगों ने अपनी जिंदगी बचाने के लिए खिड़कियों से कूद गए. जानें पूरा मामला.

ज़ी न्यूज़ 22 Jan 2025 3:18 pm

इधर हमास से इजरायल की डील, उधर हिजबुल्लाह के टॉप कमांडर को किसने गोलियों से किया छलनी?

Hamas Leader Death: हिजबुल्लाह के एक टॉप लीडर शेख मुहम्मद अली हमादी की हत्या कर दी गी है. यह हत्या तब हुई है जब इजरायल और हमास आपस में सीजफायर डील कर रहे हैं. हमास के लीडर हत्या किसने की है यह अभी तक आशंका का विषय बिना हुआ है.

ज़ी न्यूज़ 22 Jan 2025 3:01 pm

ट्रंप ने लिया जन्मजात नागरिकता खत्म करने का फैसला, अब तिलमिला उठे भारतीय-अमेरिकी, गुस्से में कहा ये सब

USA Birthright Citizenship: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के जन्मजात नागरिकता कानून में बदलाव लाने के फैसले पर अमेरिका में रह रहे भारतीय-अमेरिकी नागरिकों ने नाराजगी जाहिर की है. उन्होंने ट्रंप के इस फैसले को असंवैधानिक बताया है.

ज़ी न्यूज़ 22 Jan 2025 2:15 pm

इस देश के PM ने मोदी को कहा दुनिया का BOSS, उनके फॉर्मूले को अपनाने पर दिया जोर

Fiji Prime Minister: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विश्व स्तर पर कितनी अहमियत रखते हैं, ये तो सभी जानते हैं. दुनिया के तमाम लीडर पीएम मोदी के मुरीद हैं. हाल ही में फिजी के प्रधानमंत्री ने पीएम मोदी दुनिया का बॉस कहकर पुकारा है. साथ ही कहा है कि उनके विजन की जरूरत सारी दुनिया को है.

ज़ी न्यूज़ 22 Jan 2025 1:50 pm

चीन को बड़ा झटका देंगे ट्रंप? ड्रैगन की नकेल कसने के लिए USA की ये बड़ी चाल

USA Tarrifs On China: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने शपथ ग्रहण के बाद कई बड़े लिए हैं. वहीं उन्होंने अब एशियाई देश चीन पर शुल्क लगाने का फैसला लिया है. उनका यह फैसला एक नशीले पदार्थ से जुड़ा होगा.

ज़ी न्यूज़ 22 Jan 2025 1:23 pm

'मुसीबत पड़ने पर पहले बॉस को बताएं..', मैनेजर के इस बयान पर क्यों आग बबूला हो उठे लोग?

South Korea: साउथ कोरिया के लोकप्रिय बबल टी ब्रांड के एक मैनेजर का बयान वायरल हो रहा है. यह बयान साउथ कोरिया में पिछले महीने हुए भयानक विमान हादसे से जुड़ा है. इसको लेकर लोगों ने इंटरनेट पर अपना गुस्सा जाहिर किया है.

ज़ी न्यूज़ 22 Jan 2025 1:08 pm

ट्रंप के समारोह में बुश के सामने क्या फुसफुसाए ओबामा? बाहर आ गई बात

Obama-Bush Conversation: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा और जॉर्ज बुश हाल ही में ट्रंप के शपथ समारोह में साथ दिखे थे. इस दौरान ओबामा और बुश के बीच छोटी सी हंसी-ठिठोली देखने को मिलती है, जिसे एक लिप रीडर ने डिकोड करने की कोशिश की है.

ज़ी न्यूज़ 22 Jan 2025 11:37 am

अमेरिका की नागरिकता अब कितनी मुश्किल? कितने भारतीयों के लिए मुसीबत बनेगा नया कानून

US Citizenship: अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के आने से कए बड़े बदलाव हो गए हैं. इसमें अमेरिका की नागरिकता हासिल करना भी है. डोनाल्ड ट्रंप ने जन्मजात नागिरकता देने के कानून को खत्म कर दिया है. इसका असर बड़ी तादाद में भारतीयों पर भी पड़ेगा.

ज़ी न्यूज़ 22 Jan 2025 10:58 am

चर्च पहुंचे ट्रंप से बिशप ने कही ऐसी बात, तुरंत चिढ़ गए अमेरिका के नए राष्ट्रपति

Donald Trump: अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप वाशिंगटन नेशनल कैथेड्रल के राष्ट्रीय प्रार्थना सेवा पर पहुंचे थे. इस दौरान चर्च की बिशप ने ट्रंप से ट्रांसजेंडर और अप्रवासियों पर दया करने की बात कही, जिसको लेकर ट्रंप बाद में चिढ़े हुए नजर आए.

ज़ी न्यूज़ 22 Jan 2025 10:22 am

ट्रंप ने ड्रग्स केस में शामिल उम्र कैद के दोषी को किया रिहा, बोले- 'मां से वादा किया था...'

Ross William Ulbricht: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने6 जनवरी 2021 को यूएस कैपिटल में हुए दंगे में हिस्सा लेने वाले लगभग 1500 लोगों के रिकॉर्ड मिटाने के आदेश तो दे ही दिए हैं, लेकिन अब उन्होंने ड्रग्स केस में शामिल एक उम्र कैद के दोषी को भी माफ कर दिया है. साथ ही उनका कहना है कि उसे पागलों ने सजा दी थी.

ज़ी न्यूज़ 22 Jan 2025 10:06 am

राष्ट्रपति बनते ही ट्रंप के इस फैसले को चुनौती, US के 22 राज्यों ने ठोका मुकदमा

USA Birthright Citizenship: ट्रंप ने सत्ता में आते ही अमेरिका के दशकों पुराने जन्मजात नागरिकता कानून को खत्म करने का फैसला लिया है. वहीं ट्रंप के इस फैसले को लेकर 22 राज्यों के अटॉर्नी जनरल ने मुकदमा दायर किया है.

ज़ी न्यूज़ 22 Jan 2025 8:52 am

अमेरिका में भारत का दबदबा! पूरी दुनिया देखती रही, ट्रंप के शपथ लेते ही सबसे पहले जयशंकर से मिले नए US विदेश मंत्री

S Jaishankar at Quad Meeting in US: विश्व के सबसे पुराने और सबसे बड़े लोकतंत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले दो शीर्ष राजनयिकों के बीच यह बैठक विदेश विभाग के फॉगी बॉटम मुख्यालय में हुई, जो उसी भवन में पहली क्वाड मंत्रिस्तरीय बैठक के तुरंत बाद हुई. ट्रंप के शपथ लेते ही विदेश मंत्री की पहली मीटिंग भारत के विदेश मंत्री से होना इसके कई मायने हैं.

ज़ी न्यूज़ 22 Jan 2025 7:21 am

अमेरिकी जेल से रिहा हुआ ओसामा बिन लादेन का चहेता, रहम के बदले US को मिली ये सौगात

US Taliban Deal:अमेरिका ने तालिबान की जेल में कैद 2 अमेरिकी नागरिकों के बदले अमेरिका में कैद 1 अफगानी नागरिक को रिहा किया है. ये दोनों अमेरिकी नागरिक अफगानिस्तान में ड्रग ट्रैफिकिंग और आतंकवाद के मामले में जेल में बंद थे.

ज़ी न्यूज़ 22 Jan 2025 7:20 am

सत्ता मिलते ही ट्रंप का भूचाल, कोस्ट गार्ड की कमांडेंट को किया बर्खास्त, निकाले जा सकते हैं व्हाइट हाउस के सैकड़ों कर्मचारी

America: अमेरिकी कोस्ट गार्ड की कमांडेंट एडमिरल लिंडा ली फगन को अपने पद से हटा दिया गया है. उनके पद से हटाए जाने के कारण को लेकर अभी कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है, लेकिन माना जा रहा है कि उनके खराब नेतृत्व के कारण उन्हें बर्खास्त किया गया है.

ज़ी न्यूज़ 22 Jan 2025 6:27 am

आज का एक्सप्लेनर:बॉयफ्रेंड को जहर देने पर सजा-ए-मौत, कोलकाता रेप-मर्डर के दोषी को सिर्फ उम्रकैद क्यों; वो सबकुछ जो जानना जरूरी है

20 जनवरी 2025 को देश की दो अदालतों ने दो अहम फैसले सुनाए… इन दोनों ही मामलों में पीड़ित की दर्दनाक मौत हुई, लेकिन कोर्ट ने केरल मर्डर केस को ही 'रेयरेस्ट ऑफ रेयर' यानी 'दुर्लभतम से भी दुर्लभ' मामला माना। आखिर जहर देकर बॉयफ्रेंड की हत्या करने पर मृत्युदंड और डॉक्टर से रेप-मर्डर के दोषी को सिर्फ उम्रकैद की सजा क्यों दी, रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस क्या है और क्या ग्रीष्मा फांसी से बच पाएगी; जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में… सवाल-1: केरल कोर्ट ने शेरोन राज मर्डर केस में क्या फैसला सुनाया?जवाब: 20 जनवरी को केरल की नेय्याट्टिनकारा एडिशनल सेशन कोर्ट के जज ए. एम. बशीर ने कन्याकुमारी की रहने वाली ग्रीष्मा को मौत की सजा सुनाई। 24 साल की ग्रीष्मा को IPC की 4 धाराओं के तहत सजा हुई… दरअसल, 2022 में ग्रीष्मा ने तिरुवनंतपुरम के परसाला में रहने वाले 23 वर्षीय बॉयफ्रेंड शेरोन राज की जहर देकर हत्या की थी। इस हत्याकांड में ग्रीष्मा की मां सिंधु और चाचा निर्मलकुमारन को सह-आरोपी बनाया गया। चाचा निर्मलकुमारन को IPC की धारा 201 के तहत 3 साल की कैद और 50 हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई गई। मां सिंधु के खिलाफ पुख्ता सबूत नहीं मिलने पर उन्हें बरी कर दिया गया। 20 जनवरी को कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा, इस हत्या से समाज में यह संदेश गया है कि एक लड़की अपने प्रेमी से रिश्ता टूटने के बाद उसे आसानी से मार सकती है। इससे प्रेमी और दोस्तों में दहशत फैल गई है। सवाल-2: ग्रीष्मा ने बॉयफ्रेंड शेरोन का मर्डर क्यों किया?जवाब: 2021 में ग्रीष्मा और शेरोन की मुलाकात एक बस में सफर के दौरान हुई थी। कन्याकुमारी के एक प्राइवेट कॉलेज में ग्रीष्मा इंग्लिश लिटरेचर और शेरोन रेडियोलॉजी की पढ़ाई कर रहे थे। करीब एक साल तक दोनों रिलेशनशिप में रहे, लेकिन मार्च 2022 में ग्रीष्मा के परिवार ने उसकी शादी एक मिलिट्री ऑफिसर से तय कर दी। बॉयफ्रेंड होने के बावजूद ग्रीष्मा शादी के लिए तैयार हो गई। शादी तय होने के बाद ग्रीष्मा और शेरोन के बीच झगड़े शुरू हो गए और शेरोन ने ब्रेकअप से मना कर दिया। ग्रीष्मा को डर लगने लगा कि कहीं शेरोन रिलेशनशिप के बारे में उसके मंगेतर को न बता दे। केरल के न्यूज ब्रॉडकास्टर मातृभूमि की रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रीष्मा की कुंडली में दोष था कि उसके पहले पति की कम उम्र में मौत हो जाएगी। इस वजह से ग्रीष्मा ने शेरोन को पति मानकर उसे जान से मारने की साजिश रची। विशेष सरकारी वकील वी.एस. विनीत कुमार ने कोर्ट में कहा, ग्रीष्मा, शेरोन के साथ अपने रिश्ते को खत्म करना चाहती थी, क्योंकि ग्रीष्मा के परिवार ने केरल के एक अन्य व्यक्ति के साथ उसकी शादी तय कर दी थी। सवाल-3: ग्रीष्मा ने शेरोन को जान से मारने की साजिश कैसे रची?जवाब: ग्रीष्मा ने शेरोन को जहर देने के लिए ऑनलाइन स्टडी की। ग्रीष्मा ने पहले पैरासिटामॉल की गोलियों वाला पानी शेरोन को पिलाया, लेकिन उसे कुछ नहीं हुआ। इसके बाद ग्रीष्मा ने शेरोन को फलों के जूस में गोलियां मिलाकर पिलाईं। इससे भी शेरोन पर असर नहीं हुआ। ऐसे में ग्रीष्मा ने गूगल पर जहर के बारे में रिसर्च शुरू की। वी.एस. विनीत कुमार ने कोर्ट में डिजिटल सबूत भी पेश किए। 14 अक्टूबर 2022 को ग्रीष्मा का परिवार घर में नहीं था। उसने शेरोन को अपने घर मिलने के लिए बुलाया। सुबह करीब 10:30 बजे ग्रीष्मा ने शेरोन को एक आयुर्वेदिक दवा पीने को दी, जिसमें जहर मिला था। दवा कड़वी थी, इसलिए शेरोन को कुछ अजीब नहीं लगा। जहर देने के कुछ घंटे पहले ग्रीष्मा ने इंटरनेट पर खोजा कि इंसान के शरीर पर इस जहर का क्या असर होता है? ग्रीष्मा को पता चला कि पैराक्वाट की 15 मिलीग्राम की खुराक जानलेवा होती है। ग्रीष्मा के चाचा निर्मलकुमारन ने उसे पैराक्वाट खरीदकर दिया। सवाल-4: 11 दिन तड़पने के बाद शेरोन की मौत कैसे हुई?जवाब: 14 अक्टूबर 2022 को ग्रीष्मा के घर से निकलने के बाद शेरोन की तबीयत खराब होने लगी थी। शेरोन परसाला के सरकारी अस्पताल गया, जहां से उसे तिरुवनंतपुरम मेडिकल कॉलेज में रेफर कर दिया गया। ब्लड रिपोर्ट नॉर्मल होने के कारण शेरोन को डिस्चार्ज कर दिया गया। अगले दिन यानी 15 अक्टूबर 2022 को शेरोन की हालत खराब होने लगी। उसे दोबारा तिरुवनंतपुरम अस्पताल में एडमिट कराया गया। इस बार शेरोन की ब्लड रिपोर्ट नॉर्मल नहीं थी। उसे आईसीयू में शिफ्ट किया गया। शेरोन के इंटरनल ऑर्गन डैमेज हो चुके थे। 10 दिन तक उसका इलाज चला। इस दौरान शेरोन के अंदरूनी अंग सड़ते रहे। वो पानी तक नहीं पी पाता था। 11वें दिन यानी 25 अक्टूबर को शेरोन के अंगों ने काम करना बंद कर दिया। इसके बाद शेरोन को दिल का दौरा आया और उसकी मौत हो गई। सवाल-5: इसका खुलासा कैसे हुआ और ग्रीष्मा ने कोर्ट से क्या रियायत मांगी?जवाब: मौत से पहले शेरोन ने अपने दोस्त से कहा था कि ग्रीष्मा ने उसे धोखा दिया है और जहर देकर मारने की कोशिश की है। इसके बाद शेरोन के परिवार ने ग्रीष्मा के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। 31 अक्टूबर 2022 को ग्रीष्मा को गिरफ्तार कर लिया। निर्मल कुमारन और सिंधु को सबूत मिटाने के जुर्म में गिरफ्तार किया गया। हालांकि, सितंबर 2023 में ग्रीष्मा को जमानत मिल गई। मुकदमे के दौरान कोर्ट में ग्रीष्मा की ओर से 3 बातें कही गईं… कोर्ट ने इन सभी तर्कों को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा, ‘ग्रीष्मा ने बहुत सोच-समझकर शेरोन की हत्या की। उसे पूरी सजा मिलनी चाहिए।’ सवाल-6: केरल कोर्ट ने इस मामले को ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’ क्यों कहा?जवाब: जज ए.एम. बशीर ने ग्रीष्मा को सजा सुनाते हुए इस केस को ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’ बताया। ‘रेयरस्ट ऑफ रेयर केस’ का मतलब बेहद घिनौने, क्रूर और हिंसक मामलों से है। किसी भी केस को ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’ कहने के लिए कोर्ट 2 तरह की तुलना करता है… 1. क्राइम टेस्टइस टेस्ट से यह तय किया जाता है कि जुर्म कितना गंभीर है और क्या ये किसी प्लानिंग के तहत किया गया है। इसके आधार पर सजा तय की जाती है। क्राइम टेस्ट मौत या उम्रकैद जैसी सख्त सजा के फैसले में मदद करता है। कोर्ट का तर्क: ग्रीष्मा ने शेरोन को मौत से पहले भयानक तरीके से दर्द पहुंचाया। ये जुर्म इतनी क्रूरता से किया गया कि शेरोन को 11 दिनों तक एक घूंट पानी भी नहीं मिल पाया। इससे आरोपी के 'क्रूर मकसद' का पता चलता है। 2. क्रिमिनल टेस्टइस टेस्ट में जुर्म करने की परिस्थितियों को देखा जाता है, जो जुर्म की गंभीरता तय करने और सजा में नरमी बरतने की वजह बनती हैं। क्रिमिनल टेस्ट में आरोपी की परिस्थितियों या खास हालात की वजह से जुर्म की गंभीरता कम आंकी जा सकती है और दोषी की सजा कम हो सकती है। कोर्ट का तर्क: ग्रीष्मा के मेंटल और इमोशनल डिस्टरबेंस का कोई सबूत नहीं मिला। इस वजह से उसे कोई रियायत नहीं दी जा सकती। उसे सुधारा नहीं जा सकता। जज ए. एम. बशीर ने कहा, कोई महिला अपने प्रेमी या पति के प्यार में रहते हुए उसकी जान नहीं ले सकती। इस केस में महिला ने पीड़ित को कई बार जान से मारने की कोशिश की। इसलिए दोषी को दया का हकदार नहीं माना जा सकता। मैं यही मानता हूं कि आरोपी का यह अपराध क्रूर और शैतानी है। सवाल-7: कोलकाता रेप-मर्डर केस की तरह ग्रीष्मा को सजा में राहत क्यों नहीं मिली?जवाब: सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट अश्विनी दुबे कहते हैं, ‘कोलकाता रेप-मर्डर केस और केरल मर्डर केस दो अलग मामले हैं। कोर्ट ने कोलकाता केस को 'रेयरेस्ट ऑफ रेयर कैटेगरी' में नहीं रखा था। इस वजह से कोर्ट ने संजय रॉय को उम्रकैद की सजा सुनाई। हालांकि, वह केस भी बहुत ज्यादा क्रूर और भयानक था। जूनियर डॉक्टर के परिवार वाले 'रेयरेस्ट ऑफ रेयर' केस की कैटेगरी में सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर सकते हैं।’ कोलकाता रेप-मर्डर केस में कोर्ट ने कहा, 'मॉडर्न जस्टिस के जमाने में 'आंख के बदले आंख' या 'जीवन के बदले जीवन' जैसी सोच से ऊपर उठना होगा। हमारा कर्तव्य न्याय की गहरी समझ के जरिए मानवता को ऊपर उठाना है। कोर्ट को जनता के दबाव या इमोशनल अपील के आगे नहीं झुकना चाहिए।' अश्विनी दुबे कहते हैं कि केरल मर्डर केस बहुत सोची-समझी साजिश थी। इसमें पीड़ित को क्रूरता के साथ तड़पाकर मारा गया। इसमें शेरोन ग्रीष्मा को प्यार करता था और उसपर बहुत भरोसा करता था। जबकि कोलकाता केस में आरोपी संजय रॉय और पीड़िता के बीच कोई रिश्ता नहीं था। इसलिए केरल केस को ज्यादा गंभीर मानकर 'रेयरेस्ट ऑफ रेयर' कहा गया होगा, वहीं ग्रीष्मा के साथ नरमी नहीं बरती गई। सवाल-8: क्या ग्रीष्मा फांसी से बच सकती हैं?जवाब: 'रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस' के तहत, जब किसी व्यक्ति को हत्या या गंभीर अपराध के लिए फांसी की सजा दी जाती है, तो उसके पास बचने के कुछ कानूनी रास्ते होते हैं। ग्रीष्मा के मामले में फैसला जिला अदालत ने सुनाया है। फांसी से बचने के लिए वह केरल हाईकोर्ट और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकती हैं। अश्विनी दुबे बताते हैं, 'अगर मामला हाईकोर्ट में जाता है तो ग्रीष्मा को यह साबित करना पड़ेगा कि सजा अत्यधिक कठोर है या अपराध के सभी पहलुओं को सही तरीके से नहीं समझा गया।' फांसी से बचने के लिए दो अन्य तरीके भी हैं… 1. न्यायिक पुनर्विचारकोर्ट से फांसी की सजा मिलने के बाद दोषी पुनर्विचार याचिका दायर कर सकता है। ये याचिका हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की जाती है, जहां फिर से मामले की जांच होती है। इस दौरान अगर कोई कानूनी गलती मिली, तो सजा को बदला जा सकता है। 2. राष्ट्रपति से दया याचिकाफांसी की सजा मिलने के बाद दोषी राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर कर सकता है। इसमें राष्ट्रपति से अपील की जाती है कि कोर्ट के फैसले को दया या मानवता के आधार पर बदला जाए। राष्ट्रपति केस को देख कर सजा कम कर सकते हैं या बदल सकते हैं। --------- रिसर्च सहयोग- गंधर्व झा --------- मर्डर केस से जुड़ी अन्य खबर पढ़ें आज का एक्सप्लेनर: कोलकाता रेप-मर्डर केस में कई ट्विस्ट, आखिर दोषी सिर्फ संजय रॉय ही मिला; वो सबकुछ जो जानना जरूरी है कोलकाता के आरजी कर हॉस्पिटल में ट्रेनी डॉक्टर से रेप और मर्डर का दोषी संजय रॉय ही है। 18 जनवरी को सियालदाह कोर्ट के स्पेशल जज अनिर्बान दास ने कहा कि CBI ने बलात्कार के जो सबूत पेश किए हैं, उससे अपराध साबित होता है। पूरी खबर पढ़ें...

दैनिक भास्कर 22 Jan 2025 5:00 am

स्पॉटलाइट- अमेरिका की पहली हिंदू ‘सेकेंड लेडी’ ऊषा वेंस:पति ही नहीं डोनाल्ड ट्रम्प भी हैं उनके फैन, जे.डी. वेंस को कैसे किया प्रभावित

नए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारतीय मूल की ऊषा के बारे में ऐसा क्या कहा कि हर तरफ उनकी चर्चा होने लगी, जे.डी. वेंस से कब और कैसे हुई थी उनकी मुलाकात, जानेंगे स्पॉटलाइट में

दैनिक भास्कर 22 Jan 2025 4:59 am

छोटे-छोटे कमरों में IAS-IPS बनने की तैयारी, खर्च 6-8 लाख:एस्पिरेंट बोले- सरकार कुछ न करे, सस्ते PG और लाइब्रेरी ही बनवा दे

‘हम दिल्ली के युवाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में सक्षम बनाने के लिए एकमुश्त 15 हजार रुपए की मदद देंगे, ताकि वे अच्छी तैयारी कर सकें। उनके मां-बाप पर बोझ न पड़े। परीक्षा केंद्र तक आने-जाने और दो बार आवेदन की फीस भी BJP की सरकार देगी।’ BJP नेता अनुराग ठाकुर ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए जारी संकल्प पत्र में कॉम्पिटिटिव एग्जाम देने वाले स्टूडेंट को मदद देने का वादा किया। ये वादा दिल्ली के स्टूडेंट के लिए है, लेकिन देशभर से पढ़ाई के लिए दिल्ली आने वाले स्टूडेंट अब भी मदद के इंतजार में हैं। उनके लिए अब तक किसी पार्टी ने कोई ऐलान नहीं किया है। ये हर साल फीस और रहने-खाने पर 6 से 8 लाख रुपए खर्च करते हैं। इनकी शिकायत है कि दिल्ली की इकोनॉमी में हमारी भी हिस्सेदारी है, लेकिन सरकार हमारे लिए कुछ नहीं करती। कम से कम सस्ते पीजी ही बनवा दे। दैनिक भास्कर की सीरीज ‘हम भी दिल्ली’ के चौथे एपिसोड में आज इन्हीं स्टूडेंट्स की बात… मुखर्जी नगर और राजेंद्र नगर, IAS-IPS अफसर बनाने की ‘फैक्ट्री’दिल्ली के मुखर्जी नगर और राजेंद्र नगर में हर साल हजारों स्टूडेंट IAS-IPS अफसर बनने की तैयारी करने आते हैं। आते ही शुरू होता है उनका स्ट्रगल। छोटे-छोटे, लेकिन महंगे किराए वाले कमरे, कोचिंग का खर्च और परिवार की उम्मीदों का प्रेशर, इनकी जिंदगी का हिस्सा हो जाता है। मुखर्जी नगर के वर्धमान मॉल में UPSC की कई कोचिंग चलती हैं। मशहूर दृष्टि कोचिंग क्लासेस भी यहां बेसमेंट में चलती थी। जुलाई, 2024 में राजेंद्र नगर की राउज IAS कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में पानी भरने से 3 स्टूडेंट्स की मौत के बाद यहां से शिफ्ट करनी पड़ी। मॉल के सामने टूटी-फूटी और कीचड़ से भरी गलियों वाली बस्ती है। चार मंजिला घरों में 6 से 8 कमरे हैं। दिल्ली के यही कमरे UPSC की तैयारी करने वाले स्टूडेंट्स का पता हैं। दिल्ली में हर तबके के लिए चुनावी वादों की होड़ लगी है। अब तक किसी ने स्टूडेंट्स की जरूरतों पर बात नहीं की। इनके मुद्दे और मन टटोलने हम पहुंचे मुखर्जी नगर। पहली कहानी रामस्वरूप तिवारी की‘अफसर बन गए तो लाखों की सैलरी, उससे पहले रहने लायक जगह भी नहीं’4 मंजिला एक मकान में संकरी और खड़ी सीढ़ियां हैं। गली के पानी और कीचड़ से गीली हो चुकी ये सीढ़ियां किसी अंधेरी सुरंग जैसी लगती हैं। हम ऊपर एक कमरे में पहुंचे। कोने में सलीके से रखी मेज-कुर्सी। मेज पर भारत और कुर्सी के बगल में लगा दुनिया का नक्शा। कमरे के एक तरफ 6 बाई 4 का बेड और दूसरी तरफ किताबों से भरी रैक। ये कमरा रामस्वरूप तिवारी का है। रामस्वरूप 5 साल पहले यूपी के बहराइच से दिल्ली आए थे। UPSC की तैयारी कर कर रहे हैं। उम्र 30 साल हो गई है। पढ़ाई पर हर महीने 11-12 हजार रुपए खर्च होता है। हमने पूछा- घर से कितना पैसा आता है? सिर झुकाए रामस्वरूप कहते हैं- 'सच बोलूं तो अब पैसा नहीं आता। परिवार भी कब तक पैसे भेजेगा। मैं घर में कुछ दे नहीं सकता, तो उनसे कैसे लूं। पापा छोटे किसान हैं। मैं 4 बहनों में अकेला भाई हूं। सबके खर्चे हैं।' हमने रामस्वरूप से पूछा, इस इलाके में कैसी सुविधाएं हैं? रामस्वरूप हल्का सा मुस्कुराते हैं और कहते हैं, आप तो देख ही रही हैं, कैसी सुविधाएं हैं। थोड़ी सी बारिश हो जाए तो सड़क नाला बन जाती है। एक बड़ा नाला बगल में है। 5-10 साल रहते-रहते कई स्टूडेंट्स को सांस की बीमारी हो गई। ‘अभी न्यूज देखी कि यहां दूसरे इलाकों के मुकाबले ज्यादा पॉल्यूशन हैं। हिंदी मीडियम वाले स्टूडेंट्स का यही ठिकाना है। ज्यादातर साधारण घरों से होते हैं। कोचिंग वाले दूसरे इलाके तो और महंगे हैं।' कबसे तैयारी कर रहे हैं? रामस्वरूप जवाब देते हैं, 'इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएशन किया था। एक साल वहीं तैयारी की। एग्जाम के पैटर्न में बदलाव हुआ, तो सोचा दिल्ली में पढ़ाई का अच्छा माहौल मिलेगा। इसलिए यहां आ गया।’ ‘2019 में आया था, तभी से यहां हूं। तैयारी तो UPSC की करने आया था, लेकिन UP-PCS की तैयारी करता हूं। UP-PCS का प्रीलिम्स और मेंस का एग्जाम निकाल चुका हूं, इंटरव्यू क्रैक नहीं कर पाया।' 'तैयारी करते-करते 5 साल, 10 साल कब निकल जाते हैं, पता ही नहीं चलता। आप सोचिए लड़का और करे भी क्या। कोचिंग भी एक तरह का ट्रैप हैं। कोई यहां 1-2 साल रह लेता है, तब उसे पता चलता है कि कोचिंग तैयारी का उतना बड़ा हिस्सा नहीं, जितना बताया जाता है। ये भी है कि हिंदी मीडियम वालों का सिलेक्शन भी ज्यादा नहीं होता।' रामस्वरूप आगे कहते हैं, 'एक साल, दो साल, तीन साल पढ़ते-पढ़ते और यहां रहते-रहते पढ़ाई से लगाव हो जाता है। कई लोग मुझसे भी सीनियर हैं, जो तैयारी छोड़ नहीं पाते। ऐसा लगता है कि जब तक एग्जाम नहीं निकालूंगा, तब तक छोड़ूंगा नहीं। ऐसा लगता है कि बस अब हो ही जाएगा। इसी उम्मीद में साल बीतते जाते हैं।' महीने का खर्च कितना है? जवाब मिला, '11-12 हजार रुपए। कमरे का किराया 5500 रुपए, मेस का 1100 रुपए, लाइब्रेरी का 1500-2000 रुपए। फिर चाय-पानी, सब्जी, कॉपी किताब और कई तरह के खर्च हैं। महीने के अलावा कोचिंग का खर्च बहुत बड़ा है। पूरे सिलेबस के 2 से 2.5 लाख रुपए लगते हैं।’ ‘यहां रहना बहुत खर्चीला है। कमरे के किराए पर लगाम लगे या स्टूडेंट्स के रहने के लिए सरकार पीजी बनवाए। कोचिंग की फीस पर लगाम लगे। इकोनॉमिक वीकर सेक्शन के स्टूडेंट्स के लिए फ्री या कम फीस में कोचिंग की व्यवस्था की जा सकती है।’ ‘सरकार नाकाम रहने वाले स्टूडेंट के लिए भी प्लान बनाए’आपको लगता है कि UPSC एस्पिरेंट्स के लिए सरकार की कुछ जिम्मेदारी है? रामस्वरूप शायद इसी सवाल का इंतजार कर रहे थे। वे कहते हैं, 'बिल्कुल, अभी मैं एक इंटरव्यू देख रहा था। एक भैया हैं, जिन्होंने IAS का मेंस एग्जाम कई बार निकाला है, लेकिन सिलेक्ट नहीं हो पाए। इतने प्रीलिम्स और मेंस निकालने और इंटरव्यू तक पहुंचने वाले स्टूडेंट्स में कोई तो काबिलियत होगी ही न। भले ही वो अफसर नहीं बन पाया।’ ‘सरकार एग्जाम निकालने के करीब तक पहुंचने वाले स्टूडेंट्स के लिए प्लान B तैयार करे। उन्हें हमारे एजुकेशन सिस्टम में लगाए। कोई स्कीम बनानी चाहिए क्योंकि ऐसे एग्जाम का सक्सेस रेट तो 2.5-3% ही है। फिर बाकियों का क्या होगा।' दूसरी कहानी अंजलि पटेल कीलाइब्रेरी में वॉशरूम नहीं, पढ़ाई छोड़कर रूम पर आना पड़ता हैअंजलि 3 साल से मुखर्जी नगर में रह रहीं हैं। जौनपुर से आई हैं। कहती हैं, 'यहां आने वाले ज्यादातर स्टूडेंट लोअर मिडिल क्लास या मिडिल क्लास फैमिली से होते हैं। पापा मुझे 15 हजार रुपए महीना भेजते हैं। मेरी 2 बहनें और एक भाई है। पापा को चारों का खर्च उठाना है। एक आम आदमी कैसे इतने पैसे देगा।’ ‘तैयारी करने वाले स्टूडेंट्स को कुछ तो प्रोवाइड करना चाहिए। मैं जिस कमरे में रहती हूं, उसका किराया 9 हजार रुपए है। सरकार सस्ते पीजी बना सकती है। लाइब्रेरी की व्यवस्था करवा सकती है।' अंजलि आगे कहती हैं, 'ये जगह रहने लायक नहीं है। आप खुद देख रही हैं, लेकिन क्या करें, तैयारी करनी है, तो मजबूरी में रहना पड़ता है। लड़कियों के साथ तो और दिक्कत है। लाइब्रेरी जाओ, तो वहां वॉशरूम नहीं हैं। हैं भी तो बहुत गंदे हैं। अगर पढ़ाई के बीच वॉशरूम जाना हो, तो रूम पर आना पड़ता है। रात में आने-जाने में डर लगता है।' कब तक तैयारी करने का प्लान है? अंजलि कहती हैं, 'बस इसी साल। कब तक तैयारी करेंगे। लड़कियों के साथ दिक्कत ये भी है कि मां-बाप कहे न कहें, पड़ोसी-रिश्तेदार पूछने लगते हैं कि लड़की दिल्ली में क्या कर रही है।’ तीसरी कहानी वैभव कीरूम से सब्जी तक, सब महंगा, किसी को हमारी परेशानी से मतलब नहींहिंदी मीडियम के स्टू़डेंट्स का ठिकाना जैसे मुखर्जी नगर है, वैसे ही इंग्लिश मीडियम से तैयारी करने वाले राजेंद्र नगर में रहते हैं। यहां के हालात मुखर्जी नगर से बेहतर दिखते हैं, लेकिन परेशानियां एक जैसी हैं। यहां हमें वैभव सिंह मिले। बनारस से आए हैं। तैयारी करते हुए 3 साल हो गए। वे कहते हैं, ‘यहां सबसे बड़ा स्ट्रगल रहने के लिए जगह खोजना है। ब्रोकर का बड़ा नेटवर्क एक्टिव है। मकान मालिक सीधे बात नहीं करते। ब्रोकर एक महीने के किराए के बराबर कमीशन लेता है। अगर किसी वजह से कमरा आपको ठीक न लगे, तो फिर वही ब्रोकर दोबारा एक महीने का किराया लेगा, तब नया कमरा खोजकर देगा।’ ‘फिर मकान मालिक को एक महीने का एडवांस और मौजूदा महीने का किराया देना पड़ता है। यानी रूम के लिए पहले तीन महीने का किराया होना चाहिए। एक रूम का किराया करीब 13-14 हजार है। स्टूडेंट्स को शुरुआत में ही 40-42 हजार रुपए देना पड़ता है। मकान मालिकों का रवैया स्टूडेंट्स के लिए अच्छा नहीं होता। वे स्टूडेंट्स की समस्याओं से कोई मतलब नहीं रखते।’ ‘प्रचार ऐसा कि बस पढ़ने आओ और DM बन जाओगे’वैभव आगे बताते हैं, ‘स्टूडेंट टीचर्स के मोटिवेशनल वीडियो और कोचिंग का प्रचार देखकर चले आते हैं। नामी टीचर्स ऐसे रील्स बनाते हैं कि बस आप यहां आए और बन गए डीएम। कोई टीचर ये तक नहीं बताता कि IAS, PCS, IPS, IFS के अलावा कितने और पद हैं।’ ‘आपको पता है 28 पद हैं ऐसे, पर कोई बताता नहीं है। यहां जितने लड़के हैं, उनके सिलेक्ट होने की प्रोबेबिलिटी एक भी नहीं है। एक लाख मे 1000 स्टूडेंट चुने जाएंगे, ये कोई नहीं बताता। ये सब यहां आने के 1-2 साल बाद पता चलता है।’ एक स्टूडेंट का हर साल का खर्च 6-8 लाख रुपएकोचिंग पर कितना खर्च आता है? वैभव इसका गणित बताते हैं, ‘3 से 3.5 लाख लाख कोचिंग का खर्च। जनरल नॉलेज के पेपर की तैयारी 2 लाख में, ऑप्शनल की तैयारी 50-60 हजार रुपए में। सीसैट की तैयारी 10-12 हजार रुपए, अगर किसी सब्जेक्ट में कमजोर हैं तो उसका अलग से देना होगा। अब आप जोड़ लो, कितना हो गया।’ ‘महीने का किराया 14-15 हजार रुपए, मेस और चाय-पानी का 6-7 हजार रुपए, लाइब्रेरी के 3500 रुपए, यानी कम से कम 20-22 हजार रुपए तो हर महीने चाहिए। साल में करीब 2.5 लाख रुपए।’ ‘यहां की इकोनॉमी में स्टूडेंट्स की बड़ी हिस्सेदारी, पर योजनाओं में हम कहीं नहीं’वैभव कहते हैं, ‘यहां की इकोनॉमी में हमारी बड़ी हिस्सेदारी है, भले ही हम वोटर न हों। सरकार सबके लिए कुछ न कुछ ऐलान करती है, पर हमारी तरफ देखती भी नहीं। बेसमेंट में पानी भरने से तीन स्टूडेंट्स की मौत के बाद हमने एक प्लान सरकार के लोगों को सौंपा था। वे हमसे मिलने आए थे। हमने एक सिस्टम बनाने की डिमांड की थी।’ ‘हमारे सुझाव थे कि एक रेंट कमिश्नर बनाया जाए। स्टूडेंट उससे किराए से जुड़ी शिकायतें करें। वो रेंट को रेगुलेट करे। कमिश्नर की डायरी में दर्ज शिकायतों का ऑडिट भी होना चाहिए।’ ‘कोचिंग पर भी एक रेगुलेटरी बॉडी हो। किसी स्टूडेंट ने सारी फीस जमा कर दी। एक महीने बाद उसे लगा कि वो तैयारी नहीं कर पाएगा, तो उसकी फीस कुछ तो वापस होनी चाहिए। सीवरेज की समस्या बहुत है। सफाई की जिम्मेदारी भी तय हो। लाइब्रेरी के लिए अलग से संस्था बने।’ चौथी कहानी देवव्रत शुक्ला की‘कोचिंग की धांधली- टॉपर की फोटो हर इंस्टीट्यूट ने लगाई’देवव्रत दो साल पहले गोरखपुर से दिल्ली आए थे। उनकी परेशानी भी रामस्वरूप और वैभव जैसी ही है। वे कहते हैं, ‘मैं सबके साथ नहीं पढ़ सकता, इसलिए अकेला एक रूम लेकर रहता हूं। रूम का किराया 23 हजार रुपए है। इतना ही पैसा ब्रोकर को दिया। फिर मकान मालिक को दो महीने का किराया दिया। आप रूम देख लो कैसा है।’ ‘रेंट के अलावा बिजली बिल देना पड़ता है। मकान मालिक यूनिट के हिसाब से चार्ज करते हैं। कोई 10 रुपए, कोई 12 रुपए यूनिट तक लेता है।’ देवव्रत लाइब्रेरी में मनमानी का किस्सा सुनाते हैं। कहते हैं, ‘मैंने एक लाइब्रेरी जॉइन की थी। फिक्स सीट के लिए 3500 रुपए फीस थी। मैं 10 मिनट बैठा और मुझे घुटन होने लगी। मैंने लाइब्रेरी छोड़ दी। उस 10 मिनट के लिए मुझे 3500 रुपए देना पड़ा। बहुत लड़ाई -झगड़े के बाद 700 वापस मिले।’ ‘मुझे लगता है कि सरकारी लाइब्रेरी होनी चाहिए। एक है भी, लेकिन वहां सिर्फ 40 सीट हैं। वो भी अभी खुली है, जब बेसमेंट वाले हादसे के बाद स्टूडेंट ने प्रोटेस्ट किया। बेसमेंट की लाइब्रेरी पर लगाम लगी। इसके बाद लाइब्रेरी ऊपर के फ्लोर पर खुलने लगीं। दिक्कत ये हुई कि उन्होंने अपना चार्ज 2500 की जगह 3500 कर दिया। अब इसे कौन रोकेगा।’ ‘कोचिंग की धांधली इस कदर है कि मैं यहां आया तो कन्फ्यूज हो गया। मैं जिस टॉपर का नाम सुनकर आया था, उसकी फोटो हर कोचिंग में लगी थी। समझ ही नहीं आया कि वो कहां-कहां पढ़ा है। कोचिंग किसी का भी एडवर्टाइजमेंट कर रही है। इस पर तो सरकार को कुछ करना चाहिए।’ अलग-अलग शहरों से आए रामस्वरूप, अंजलि, वैभव और देवव्रत की तरह हजारों स्टूडेंट की परेशानियां एक जैसी हैं। इन सबका एक ही सवाल है कि सरकार की योजनाओं में हम कहां हैं। यही सवाल हमने पॉलिटिकल पॉर्टियों से पूछा। पढ़िए उनके जवाब… AAP: कमरों के ज्यादा किराए पर सोचेंगेपार्टी के विधायक कुलदीप कुमार कहते हैं, ‘निश्चित तौर पर अरविंद केजरीवाल ने तैयारी करने वाले स्टूडेंट्स के लिए बहुत कुछ किया है। सबके लिए सरकारी अस्पतालों में इलाज मुफ्त है, वही इनके लिए भी है। तैयारी करने वाली बच्चियां बस से फ्री आ-जा सकती हैं। बिजली फ्री है।' हमने उनसे पूछा कि ये सारे स्टूडेंट तो किराएदार है, बिजली कैसे फ्री है? कुलदीप जवाब देते हैं, ‘अलग-अलग मीटर लगे होंगे, तो बिजली फ्री मिलेगी। रही बात कमरों के ज्यादा किराए की, तो हम इस मुद्दे पर सोचेंगे।’ BJP: सरकार बनेगी तो कुछ न कुछ जरूर करेंगेUPSC एस्पिरेंट के सवाल पर दिल्ली में BJP के जनरल सेक्रेटरी विष्णु मित्तल कहते हैं, 'अरविंद केजरीवाल को तो मतलब ही नहीं है इनसे। कहते थे कि MCD में आएंगे, तो दिल्ली को लंदन बना देंगे। सबने देखा कि कैसे बेसमेंट में पानी भरने से बच्चों की जान चली गई। हमारी प्लानिंग में 100% स्टूडेंट हैं। हमारी सरकार बनेगी, तो गरीब तबके के स्टूडेंट्स के लिए हम कुछ न कुछ जरूर करेंगे।' ..................................... हम भी दिल्ली सीरीज की ये स्टोरी भी पढ़िए...1. क्या ‘वोट जिहाद’ करने वाले हैं बांग्लादेशी और रोहिंग्या, हिंदू कह रहे- इन्हें हटाना जरूरी रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठिए, दिल्ली चुनाव में बड़ा मुद्दा हैं। BJP नेता कह रहे हैं कि AAP अपने वोट बैंक के लिए इन्हें बसा रही है। वहीं AAP लीडर्स का कहना है कि घुसपैठियों के बहाने BJP यूपी से आए लोगों को टारगेट कर रही है। जिन रोहिंग्या और बांग्लादेशियों का नाम लिया जा रहा है, वे क्या कह रहे हैं, पढ़िए पूरी रिपोर्ट... 2. झुग्गियों के लोग बोले- काम के बदले वोट देंगे, 15 लाख वोटर करेंगे 20 सीटों का फैसला दिल्ली के 3 लाख परिवार झुग्गियों में रहते हैं। रोजी-रोटी और अच्छी जिंदगी के तलाश में आए थे, लेकिन छोटे-छोटे कमरों में सिमट कर रह गए। दिन भर मजदूरी करके 400-500 रुपए कमाते हैं। वोट देने के सवाल पर कहते हैं, जो काम देगा उसे वोट देंगे। झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले करीब 15 लाख वोटर 20 सीटों पर फैसला करते हैं। पढ़िए पूरी खबर...

दैनिक भास्कर 22 Jan 2025 4:48 am

सैफ के घर में दिखा शख्स और अरेस्ट आरोपी अलग:फोरेंसिक लैब का दावा- जो CCTV में दिखा वो पुलिस की गिरफ्त में नहीं

16 जनवरी की रात एक्टर सैफ अली खान पर उनके फ्लैट में हमला हुआ। सुबह पुलिस ने संदिग्ध आरोपी का CCTV फुटेज जारी किया। तीन दिन बाद 19 जनवरी को मुंबई पुलिस ने बताया कि सैफ पर हमला करने वाला मोहम्मद शरीफुल इस्लाम शहजाद है और उसे गिरफ्तार कर लिया गया है। इसी दौरान सोशल मीडिया पर बातें होने लगीं कि CCTV फुटेज में दिखे शख्स और शरीफुल का चेहरा मैच नहीं करता। पुलिस के दावों के बीच सवाल उठा कि क्या शरीफुल ही असली हमलावर है। इसका पता लगाने के लिए दैनिक भास्कर ने फोरेंसिक एक्सपर्ट की मदद ली। हमने जांच के लिए सैफ अली खान के घर की सीढ़ियों पर दिखे शख्स की CCTV फुटेज और पुलिस की ओर से जारी गिरफ्तार आरोपी शरीफुल की फोटो लीं। एक्सपर्ट का दावा- दोनों फोटो एक शख्स की नहींफोरेंसिक लैब ब्रिलियंट फोरेंसिक इन्वेस्टिगेशन प्राइवेट लिमिटेड से हमने दोनों फोटो की जांच कराई। फोरेंसिक एक्सपर्ट डॉ. आदर्श मिश्रा ने सैफ पर हमले के आरोपी शरीफुल और उनके अपार्टमेंट में लगे CCTV कैमरे में दिखे संदिग्ध की फोटो का एनालिसिस किया। फोटोग्राफ रिकग्निशन एनालिसिस करने पर दोनों फोटो में बहुत फर्क नजर आया। चेहरे के शेप से लेकर, आंख और होंठ की बनावट तक मेल नहीं खाती है। यानी दोनों फोटो एक शख्स की नहीं हैं। रिपोर्ट में शरीफुल को A1 और CCTV में दिखे शख्स को S1 कहा गया है। रिपोर्ट के अहम पॉइंट... फोरेंसिक लैब की रिपोर्ट पर बात करने के लिए हमने DCP दीक्षित गेदाम को कॉल और मैसेज किया, लेकिन उनकी तरफ से रिप्लाई नहीं आया है। जवाब आते ही स्टोरी में अपडेट किया जाएगा। मुंबई पुलिस का दावा- क्राइम सीन से आरोपी के फिंगरप्रिंट मिलेफोरेंसिक टीम ने 21 जनवरी को सैफ के घर से 19 फिंगरप्रिंट कलेक्ट किए। मुंबई पुलिस का दावा है कि क्राइम सीन के कई हिस्सों से आरोपी मोहम्मद शरीफुल इस्लाम के फिंगरप्रिंट मिले हैं। इनमें बाथरूम की खिड़की शामिल है, जहां से वो अंदर आया और बाहर गया। डक्ट शॉफ्ट से भी फिंगरप्रिंट मिले हैं। जिस सीढ़ी का इस्तेमाल कर वो बिल्डिंग में दाखिल हुआ और सैफ के घर के बाकी हिस्सों से भी आरोपी के फिंगरप्रिंट मिले हैं। पुलिस का कहना है कि ये फिंगरप्रिंट जांच में काफी मदद करेंगे। ये सबूत दिखाते हैं कि शरीफुल घटना के वक्त वहां मौजूद था। पुलिस को यकीन है कि इन सबूतों के जरिए कोर्ट में शरीफुल को दोषी साबित करना आसान होगा। इस केस से जुड़े सवाल और भी हैं। पहले बात CCTV फुटेज की… तारीख: 16 जनवरी, वक्त: रात के 1:37 बजे एक शख्स मुंह पर कपड़ा बांधे और पीठ पर बैग लटकाए सीढ़ियों से ऊपर जाता दिख रहा है। पैर में कुछ पहना नहीं है। ये CCTV फुटेज सातवें से आठवें फ्लोर पर जाने वाली सीढ़ियों की है। तारीख: 16 जनवरी, वक्त: रात के 2:33 बजेदूसरा CCTV फुटेज 56 मिनट बाद का है। रात 2 बजकर 33 मिनट पर वही शख्स सीढ़ियों से नीचे उतरता दिखा। कपड़े और पीठ पर बैग सब पहले जैसा ही था, लेकिन इस बार उसका चेहरा खुला था। लंबे बाल और पैरों में जूते थे। वो बाएं हाथ से रेलिंग पकड़े नीचे उतरता दिखा। ये दोनों फुटेज फोरेंसिक जांच के लिए बहुत अहम हैं। इन्हें दिखाकर हमने फोरेंसिक एक्सपर्ट डॉ. बी.एन. मिश्रा से बात की। वो कहते हैं कि पुलिस ने जिस आरोपी को अरेस्ट किया है, वो असली है या नहीं, इसका पता आसानी से लग सकता है। हमलावर के खिलाफ बड़े सबूतपहला: सीढ़ी की रेलिंग से मिला फिंगरप्रिंट जांच में अहम होगा फोरेंसिक एक्सपर्ट डॉ. बीएन मिश्रा मानते हैं कि CCTV फुटेज केस में सबसे अहम सबूत है। आरोपी घटना के बाद सीढ़ियों से नीचे गया। उस दौरान वो सीढ़ी की रेलिंग पकड़कर उतरता दिख रहा है। रेलिंग पर दो तरह के फिंगरप्रिंट होंगे। एक विजिबिल, जो कलरफुल दिख सकता है, जैसे सैफ पर चाकू से हमले के दौरान उसके हाथ में खून के छींटे जरूर आए होंगे। सीढ़ी की रेलिंग से आसानी से उसका विजिबिल फिंगरप्रिंट मिल सकता है। पकड़े गए आरोपी से इसे मैच कराकर आसानी से साबित किया जा सकता है कि वो क्राइम सीन पर था या नहीं। दूसरा: आरोपी डक्ट एरिया से घुसा, तो वहां भी 2 तरह के फिंगरप्रिंट होंगे फोरेंसिक एक्सपर्ट डॉ. आदर्श मिश्रा कहते हैं, ‘हमने CCTV में देखा है कि आरोपी सीढ़ियों से 7वीं-8वीं मंजिल तक पहुंचा। आरोपी ने पूछताछ में भी बताया है कि सीढ़ियों के बाद वो डक्ट एरिया से पाइप के सहारे 12वीं मंजिल तक पहुंचा। ऐसे में पाइप पर सबसे साफ और क्लियर फिंगरप्रिंट मिलने चाहिए। पाइप से फुटप्रिंट भी मिलने चाहिए। आदर्श आगे कहते हैं कि पाइप पर विजिबल और लेटेंट (छिपे हुए) दोनों तरह के फिंगरप्रिंट मिल सकते हैं। लेटेंट प्रिंट आमतौर पर दिखाई नहीं देते। जैसे- हमारे हाथ में पानी लग जाए या पसीना रहे, जिसे हम हाथ से टच करते हैं तो उसका उसका प्रिंट उस चीज पर आ जाता है। वहां कोई केमिकल या पाउडर डालकर फिंगरप्रिंट का सैंपल लिया जाता है। तीसरा: चाकू-कपड़ों पर खून के निशान, आरोपी के जूते भी अहम सबूतडॉ. बीएन मिश्रा कहते हैं, ‘आरोपी ने सैफ पर चाकू से हमला किया। उनकी बॉडी पर जिस तरह के चोट के निशान बताए जा रहे हैं। उस हालात में आरोपी के कपड़ों और बॉडी पर सैफ के खून के निशान जरूर गए होंगे। अगर उन कपड़े पर ब्लड स्पॉट और चाकू पर फिंगरप्रिंट मिल जाते हैं, तो फोरेंसिक जांच से असली आरोपी की पहचान करना बहुत आसान है।’ आरोपी सीढ़ियां चढ़ते वक्त नंगे पैर था। वहीं सीढ़ियों से लौटते वक्त उसने जूते पहने थे। इसके दो ही मतलब हैं। या तो आरोपी बैग में जूते रखकर ले गया हो और लौटते वक्त पहने हों। अगर ऐसा है, तो ये कोई अहम सबूत नहीं। अगर आरोपी ने ये जूते सैफ या किसी दूसरे फ्लैट से चुराए हों, तब अहम सबूत बन जाते हैं। फोरेंसिक जांच बड़ा सबूत, लेकिन सैफ का शिनाख्त करना अहम इस मामले को लेकर हमने सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट विनीत जिंदल से बात की। वो कहते हैं, ‘पुलिस ने आरोपी को CCTV और मोबाइल सर्विलांस के जरिए पकड़ने का दावा किया है। घटना का कोई CCTV रिकॉर्ड नहीं है। घर में घुसने के भी पुख्ता सबूत नहीं है। ऐसे में साइंटिफिक एविडेंस और चश्मदीद के बयान बेहद अहम हो जाते हैं। इनमें सबसे जरूरी है, घटना में घायल हुए सैफ अली खान की गवाही।‘ ‘शिनाख्त के वक्त 8-10 मिलते-जुलते आरोपियों को साथ खड़ा किया जाता है। फिर थोड़ी दूरी से पर्दे के बीच लगे शीशे से शिनाख्त कराई जाती है। अगर उस दौरान आरोपी की हमलावर के तौर पर पहचान कर ली जाती है, तो केस मजबूत हो जाएगा।’ एक बाइक, AI टेक्नीक और UPI पेमेंट से मिला सुरागमुंबई पुलिस का दावा है कि बांग्लादेशी नागरिक मोहम्मद शरीफुल इस्लाम शहजाद ही सैफ अली खान पर हमले का आरोपी है। उसकी गिरफ्तारी को लेकर अब तक दो थ्योरी सामने आई हैं। पहली थ्योरी में 9 जनवरी के CCTV और AI टेक्नीक के जरिए आरोपी के सुराग मिलने का जिक्र है। पुलिस को 9 जनवरी का CCTV फुटेज मिला था। ये CCTV अंधेरी का है। दोपहर करीब 12 बजे आरोपी एक बाइक पर दिखा था। पुलिस ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस फेस रिकग्निशन टेक्नीक से उसकी पहचान की। जिस बाइक पर वो बैठा था, उसके नंबर की जानकारी जुटाई। पता चला कि बाइक वाला ठाणे में रहता है। उसे ट्रेस कर पुलिस ने आरोपी शरीफुल के नंबर की जानकारी जुटाई। पुलिस को पता चल चुका था कि शरीफुल ठाणे के पास लेबर कैंप में रहता है। 100 से ज्यादा पुलिसकर्मियों ने फोटो के आधार पर उसकी तलाश शुरू की। तब उसका सुराग मिला। दूसरी थ्योरी UPI पेमेंट वाली है। 16 जनवरी को हुई घटना के बाद आरोपी बांद्रा रेलवे स्टेशन के पास एक CCTV में नजर आया। फिर उसकी दादर स्टेशन के बाहर एक दुकान पर लोकेशन मिली। वहां से उसने फोन कवर खरीदा और कैश में पेमेंट किया। इसलिए पुलिस उसे ट्रेस नहीं कर पाई। इसके बाद आरोपी को वर्ली में सेंचुरी मिल के आसपास एक स्टॉल पर देखा गया। पुलिस ने स्टॉल चलाने वाले नवीन एक्का के बारे में जानकारी जुटाई। पूछताछ में पता चला कि आरोपी ने पराठे और पानी की बोतल के लिए UPI पेमेंट किया था। पुलिस को इसी पेमेंट से आरोपी का फोन नंबर मिला। फिर उसकी लोकेशन ट्रेस करते हुए पुलिस ने ठाणे में लेबर कैंप से उसे पकड़ लिया। इन सवालों के जवाब बाकी…1. क्या सैफ का घर आरोपी पहले से जानता था या सिर्फ अमीर ही निशाने परक्या आरोपी जानता था कि ये एक्टर सैफ अली खान का घर है। शरीफुल ने पूछताछ में बताया है कि उसे नहीं पता था कि जिस घर में वो घुसा है, वो सैफ अली खान का है। उसे सुबह न्यूज देखकर पता चला। पुलिस ने भी माना है कि आरोपी पहली बार उस फ्लैट में घुसा था। शरीफुल ने ये भी बताया कि वो जल्द से जल्द लाखों रुपए कमाना चाहता था। इसीलिए उसने मुंबई के बांद्रा में रहने वाले अमीर परिवार चुने। सदगुरु शरण अपार्टमेंट को टारगेट करने की भी यही वजह है। आरोपी ने भी बताया कि उसने इमारत के कई फ्लैट के डक्ट चेक किए थे, लेकिन सभी सील थे। बाकी फ्लैट्स के दरवाजे भी बंद थे इसलिए वो दूसरों के घरों में नहीं घुस सका। बिल्डिंग में सिर्फ सैफ के फ्लैट का ही बैकडोर खुला था। इसीलिए उसने इसे टारगेट किया। 2. क्या गिरफ्तार आरोपी ने ही सैफ पर चाकू से हमला किया मुंबई पुलिस ने सर्विलांस और CCTV फुटेज के आधार पर आरोपी शहजाद को गिरफ्तार किया है। हालांकि उसका हुलिया CCTV में दिख रहे आरोपी से काफी अलग है। दोनों की हेयर स्टाइल में भी फर्क है। मुंबई पुलिस से जब पूछा गया कि क्या इसी ने सैफ अली खान पर हमला किया था तो इस पर पुलिस ने जवाब दिया कि अभी इसकी जांच चल रही है। असल में ये सवाल इसलिए भी है क्योंकि पुलिस ने शक के आधार पर अब तक दो से तीन लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की, लेकिन उनका रोल नहीं मिला। अब भले शरीफुल की गिरफ्तारी हो गई हो, लेकिन फोरेंसिक जांच के आधार पर फिंगरप्रिंट का मिलान नहीं हुआ है। सैफ अली जब तक उसे पहचान नहीं लेते, तब तक ये कन्फर्म नहीं हो सकेगा। 3. क्या घटना के पीछे आरोपी अकेले शामिल था या फिर कोई गैंग है? शरीफुल की गिरफ्तारी के बाद मुंबई पुलिस ने 19 जनवरी को प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। DCP दीक्षित गेदाम ने बताया कि आरोपी की उम्र 30 साल है। वो बांग्लादेशी नागरिक है। उसके पास भारतीय होने का डॉक्यूमेंट नहीं मिला है। ये पूछा गया कि क्या आरोपी सैफ के घर पर पहले भी जा चुका है। इस पर DCP ने कहा कि अब तक की जांच में ऐसा कुछ भी सामने नहीं आया है। DCP ने माना कि वो 5-6 महीने पहले ही मुंबई आया था और पहली बार उस घर में घुसा था। 5 दिनों की रिमांड में पुलिस इस बारे में पता लगा रही है। इसके साथ ही पूरी घटना में शरीफुल के अलावा कोई और भी था या नहीं। इसे लेकर भी स्थिति साफ हो जाएगी। हमले की रात आखिर क्या हुआ…सैफ पर पीछे से 5 बार हमला, जिस रास्ते आया, वहीं से भागा आरोपीअब जानते हैं कि 16 जनवरी की रात आखिर क्या हुआ था। कैसे आरोपी अंदर दाखिल हुआ और कैसे भाग निकला। पुलिस ने जांच के आधार पर इस बारे में कुछ साफ नहीं किया है। घटना की रात की कड़ियां जोड़ने के लिए हमने सैफ की स्टाफ नर्स एलियामा फिलिप के बयान की पड़ताल की। एलियामा ने पुलिस को दिए बयान में कहा था- ‘मैं पिछले 4 साल से सैफ अली खान और करीना कपूर के घर पर स्टाफ नर्स हूं। मैं उनके छोटे बेटे जहांगीर यानी जेह बाबा की देखभाल करती हूं। सैफ की फैमिली 12वीं मंजिल पर रहती है। बड़े बेटे तैमूर की देखभाल गीता नर्स करती हैं। मेरे साथ जूनु भी थी, वो आया का काम करती है।’ ‘15 जनवरी की रात करीब 11 बजे हमने जेह बाबा को खाना खिलाया और फिर सुला दिया। इसके बाद मैं और जूनु दोनों जमीन पर ही बिस्तर लगाकर सो गए। देर रात करीब 2 बजे मेरी नींद खुली। मुझे कुछ आवाज सुनाई दी। देखा तो बाथरूम का दरवाजा खुला था और लाइट जल रही थी। मुझे लगा कि करीना मैम बेटे से मिलने आईं होंगी।‘ ‘ये सोचकर मैं फिर लेट गई, लेकिन तभी मुझे कुछ गड़बड़ लगा। मुझे बाथरूम के पास एक शख्स दिखा। उसने टोपी पहन रखी थी। वो जेह बाबा के बिस्तर की ओर जाने लगा। ये देखते ही मैं तुरंत जेह बाबा के पास पहुंची। वह मुंह पर उंगली रखकर बोला- आवाज मत करना। तब तक जूनु भी उठ गई।‘ ‘हमलावर ने हम दोनों को धमकी दी। उसके एक हाथ में हेक्सा ब्लेड और दूसरे हाथ में लकड़ी का कोई सामान था, जिससे उसने मेरे ऊपर हमला किया। उसे रोकने की कोशिश में मेरे दोनों हाथ की कलाई और बीच वाली उंगली पर चोट लग गई। हमने उससे पूछा कि क्या चाहिए, तो उसने कहा कि एक करोड़ रुपए। उसी वक्त जुनू शोर मचाते हुए कमरे से बाहर निकल गई।‘ ‘उसकी चीख सुनकर सैफ सर और करीना मैम आ गईं। सैफ सर ने भी उससे पूछा कि तुम्हें क्या चाहिए। तभी उसने सैफ सर पर हमला कर दिया। तभी जुनू भी अंदर आ गई। वो भी उससे लड़ने लगी। इसी बीच सैफ सर ने खुद को उससे छुड़ा लिया। हम सभी लोग तेजी से कमरे से बाहर आ गए और दरवाजा बाहर से बंद कर दिया।‘ ‘हम सब बहुत घबरा गए थे। हम सब ऊपर के कमरे में गए। वहां हमने सो रहे दूसरे स्टाफ को जगाया। फिर हम सब मिलकर नीचे आए। जब हमने दरवाजा खोला तो वो हमलावर वहां नहीं मिला।‘ फिलिप ने आगे बताया कि हमले में सैफ को गर्दन पर, दाहिने कंधे के पास, पीठ में बायीं ओर, बाएं हाथ की कलाई और कोहनी पर चोट लगी थी। इस बयान से लग रहा है कि आरोपी ने सैफ पर पीछे से ताबड़तोड़ चाकू और हेक्सा ब्लेड से वार किया। चाकू के टूटे हुए टुकड़े की भी जांच की जा रही है। हालांकि, इस बारे में सैफ अली खान का कोई बयान नहीं आया है। 21 जनवरी को ही वे हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होकर घर लौट गए हैं। डिस्क्लेमर: हमने इस रिपोर्ट में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से दोनों फोटो में अंतर पता लगाने के लिए प्राइवेट फॉरेंसिक लैब से मदद ली है। यह रिपोर्ट पूरी तरह AI टेक्नीक पर आधारित है। इसलिए इसमें त्रुटि की भी संभावना होती है। हमारा मकसद जांच एजेंसी के किसी भी मामले में हस्तक्षेप करने का नहीं है। बस जो सवाल उठ रहे थे, रिपोर्ट के जरिए उनकी पड़ताल की गई है।....................................सैफ अली खान से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... सैफ 5 दिन बाद लीलावती अस्पताल से डिस्चार्ज, कार से उतरकर खुद बिल्डिंग के अंदर गए एक्टर सैफ अली खान को 5 दिन बाद मंगलवार को लीलावती अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है। 15 जनवरी की रात करीब ढाई बजे उन पर चाकू से हमला किया गया था। सैफ के गले और रीढ़ में गंभीर चोटें आई थीं। इसके बाद सैफ ऑटो से लीलावती अस्पताल पहुंचे थे, जहां उनकी सर्जरी हुई और इलाज चला। पढ़िए पूरी खबर...

दैनिक भास्कर 22 Jan 2025 4:47 am

Donald Trump: गद्दी संभाले 24 घंटे भी नहीं बीते.. ट्रंप ने दे दिया भारत को बड़ा झटका, 10 लाख इंडियन होंगे मायूस!

US New Citizenship Rules:अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को सत्ता संभाले अभी 24 घंटे भी नहीं बीते हैं.. लेकिन उनके फैसलों ने भारतीयों को चौंका दिया है. ट्रंप के नए आदेश ने वहां रह रहे भारतीय प्रवासियों को चिंता में डाल दिया है.

ज़ी न्यूज़ 21 Jan 2025 9:57 pm

7 अक्टूबर की नाकामी जिंदगी भर मेरे साथ रहेगी... इजरायली मिलिट्री चीफ हर्जी हलेवी का इस्तीफा

IDF chief Halevi announces resign: इजरायल और हमास के बीच रविवार को सीजफायर समझौता लागू होने के बादIDF चीफ ऑफ स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल हर्जी हलेवी ने अपने इस्तीफे का ऐलान कर दिया है. 7 अक्टूबर को आईडीएफ चीफ की नाकामी के लिए अपनी जिम्मेदारी को स्वीकार करते हुए उन्होंने कहा कि वो 6 मार्च को अपना पद छोड़ देंगे.

ज़ी न्यूज़ 21 Jan 2025 8:34 pm

40 Kg के बेटे पर पांच मिनट तक बैठी रही डेढ़ क्विंटल की मां, चली गई जान; मिली ये सजा

America:अमेरिका के इंडियाना राज्य में डेढ़ क्विंटल की मां ने अपने ही 10 साल के बेटे की हत्या करने के आरोप में 6 साल की सजा सुनाई गई है. 48 साल की जेनिफर ली ने बेटे डकोटा लेवी स्टीवंस के ऊपर बैठकर उसकी जान ले ली थी.

ज़ी न्यूज़ 21 Jan 2025 7:50 pm

टीवी शो देखकर देश ही छोड़ दिया, इस गे कपल की कहानी हैरान कर देगी

America: अमेरिका के एक गे कपल मे कोविड के दौरान एक ब्रिटिश रियलिटी टीवी शो देखकर अपनी पूरी लाइफस्टाइल ही बदल दी. ये दोनों कपल टीवी शो से इतना प्रभावित हुए कि इसकी तरह जीने के लिए अपना देश छोड़ दूसरे देश जा बसे.

ज़ी न्यूज़ 21 Jan 2025 7:11 pm

ट्रंप से टिकटॉक को लाइफलाइन मिलने के बाद भी खुश नहीं चीन, आखिर क्यों ?

Donald Trump:डोनाल्ड ट्रंप ने टिकटॉक पर लगे बैन को स्थगित कर दिया है. ट्रंप ने चीनी कंपनी को सुझाव दिया है कि कंपनी को बंद होने से बचने के लिए 50 फीसदी हिस्सेदारी छोड़नी पड़ सकती है. कंपनी ने कहा कि अमेरिका को इस पर गंभीरता से सोचना चाहिए.

ज़ी न्यूज़ 21 Jan 2025 6:12 pm

सोते समय आया तेज भूकंप, घबराए हसबैंड-वाइफ ने जो किया आप भी सैल्यूट करेंगे

Taiwan Earthquake: ताइवान में भूकंप के बीच सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें माता-पिता अपने छोटे से बच्चे को भूकंप से बचाने के लिए शील्ड बनते हैं. यह वीडियो आपको जरूर इमोशनल कर देगा.

ज़ी न्यूज़ 21 Jan 2025 5:12 pm

अमेरिका के लॉस एंजिलिस में लगी आग के बीच अजान देने का गलत दावा वायरल

बूम ने पाया कि वायरल वीडियो पाकिस्तान के कराची का है. जून 2022 में एक डिपार्टमेंटल स्टोर पर आग लगने पर लोग अजान देते नजर आए थे.

बूमलाइव 21 Jan 2025 5:06 pm

Video: जिस पेन के साइन करते ही पूरी दुनिया में मचा खौफ, डोनाल्ड ट्रंप ने उसे शपथ ग्रहण के बाद फेंक क्यों दिया?

Donald throws pens into crowd after signing executive orders: डोनाल्ड ट्रंप ने 47वें अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेते ही अपने तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं. तभी तो ट्रंप ने शपथ ग्रहण के बाद अपनी उस पेन को भी फेंक दिया, जिससे उन्होंने ऊर्जा से लेकर आव्रजन तक के मामलों से संबंधित आदेशों और निर्देशों पर हस्ताक्षर किए थे. जिसका वीडियो खूब वायरल हो रहा है. आप भी देखें वीडियो और समझें पूरा मामला.

ज़ी न्यूज़ 21 Jan 2025 1:14 pm

Taiwan Tsunami Alert: आधी रात को हिलने लगीं ऊंची-ऊंची बिल्डिंग, अब आया सुनामी का अलर्ट, खतरे में 2 करोड़ लोग

Earthquake Today Taiwan: भूकंप के झटकों से आधी रात को ताइवान की धरती हिल गई. रिक्‍टर स्‍केल पर भूकंप की तीव्रता 6.4 थी.

ज़ी न्यूज़ 21 Jan 2025 12:46 pm

संसद पर किया था हमला, फिर भी मिल गई माफी, नहीं देखी होगी राष्‍ट्रपति की ऐसी दरियदिली

Capitol Hill Attack 2021: किसी भी देश की संसद पर हमला करना बहुत बड़ी घटना होती है. अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने शपथ लेते ही अपने समर्थकों को क्षमादान दे दिया है, जिन्‍होंने कैपिटल हिल पर हमला किया था.

ज़ी न्यूज़ 21 Jan 2025 12:04 pm

स्‍टेज पर थे एलन मस्‍क, हाथों से कर दिया हिटलर वाला इशारा! मच गया बवाल; बौरा गए लोग

Elon Musk Nazi Salute: अमेरिका के नए राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में एलन मस्‍क भी जमकर छाए रहे. उन्‍होंने मंच से अपने हाथों से एक इशारा किया कि सोशल मीडिया पर बवाल मच गया.

ज़ी न्यूज़ 21 Jan 2025 11:26 am

तेजी से म्यूटेट हो रहा बर्ड फ्लू, अमेरिका में पहली H5N1 मौत के बाद बढ़ा खतरा! वैज्ञानिकों ने दी चेतावनी

अमेरिका में बर्ड फ्लू (H5N1) से पहली मौत दर्ज होने के बाद वैज्ञानिकों ने इस खतरनाक वायरस के तेजी से म्यूटेट होने की चेतावनी दी है.इस घटना ने दुनियाभर में हेल्थ एक्सपर्ट की चिंता बढ़ा दी है.

ज़ी न्यूज़ 21 Jan 2025 11:24 am

TikTok पर ट्रंप का बड़ा फैसला; नहीं लगेगा बैन, तय कर दी इतने दिन की समयसीमा

TikTok ban in US: डोनाल्ड ट्रंप ने पद संभालते ही फैसलों की झड़ी लगा दी है. इसमें एक अहम फैसला सोशल मीडिया एप TikTok से जुड़ा है. अमेरिका में प्रतिबंधित किए जाने को लेकर इस समय TikTok खासा चर्चा में बना हुआ है.

ज़ी न्यूज़ 21 Jan 2025 10:08 am

चीन पर सख्त, जंग पर दिखाए तेवर...धड़ाधड़ फाइलें साइन करके क्या बोले ट्रंप, 10 बड़ी बातें

Donald Trump Speech: डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति बन गए हैं. शपथ लेने के तुरंत बाद उन्होंने दुनिया को बता दिया कि किस राह पर चले वाले हैं. जिस समय ट्रंप फाइलों पर साइन कर रहे थे, उसी दौरान वो मीडिया के सवालों के भी जवाब दे रहे हैं. पढ़िए उन्होंने क्या कुछ कहा?

ज़ी न्यूज़ 21 Jan 2025 9:31 am

ऐसा क्या दिखा जो इस बिलिनेयर की मंगेतर को टकटकी लगाकर देखते रह गए जुकरबर्ग, वायरल हो गई फोटो

Mark Zuckerberg Viral Photo: अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप की शपथ ग्रहण के दौरान कुछ ऐसे वाकए हुए, जिनके फोटो-वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहे हैं. इसमें मार्क जुकरबर्ग की एक तस्‍वीर और मेलानिया ट्रंप का वीडियो शामिल है.

ज़ी न्यूज़ 21 Jan 2025 8:20 am

Donald Trump के प्रेसिडेंट बनते ही दिखा Elon Musk का जलवा! सुंदर पिचाई के सामने जेब से निकाली ऐसी चीज; वायरल हो गई तस्वीर

Donald Trump Inauguration: डोनाल्ड ट्रम्प का शपथग्रहण समारोह काफी खास था. यहां दुनिया के दिग्गज लोग शामिल हुए. इसी बीच एलन मस्क और सुंदर पिचाई को एक साथ खड़ा देखा गया. जिनकी एक तस्वीर भी काफी वायरल हो रही है.

ज़ी न्यूज़ 21 Jan 2025 8:02 am

Vivek Ramaswamy News: ट्रंप के व्‍हाइट हाउस पहुंचते ही भारतीय मूल के नेता ने छोड़ा अहम पद, सामने आई वजह

Vivek Ramaswamy: भारतीय मूल के उद्यमी विवेक रामास्‍वामी को लेकर व्‍हाइट हाउस ने अहम जानकारी दी है. रामास्‍वामी अब डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (DOGE) का हिस्सा नहीं रहेंगे.

ज़ी न्यूज़ 21 Jan 2025 6:49 am

स्पॉटलाइट- 500 सीसीटीवी फुटेज, जूते का कलर, यूपीआई पेमेंट:72 घंटों में सैफ के हमलावर को पुलिस ने कैसे पकड़ा, मामले में राजनीति ने क्यों पकड़ा तूल

72 घंटों के अंदर कैसे मुंबई पुलिस ने कड़ी से कड़ी जोड़कर आरोपी को पकड़ा, आरोपी के वकील ने पुलिस को झूठा क्यों बताया, मामले में कैसे राजनीति ने पकड़ा तूल, जानेंगे स्पॉटलाइट में

दैनिक भास्कर 21 Jan 2025 5:29 am

आज का एक्सप्लेनर:7 ग्रह एकसाथ आएंगे, क्या ऐसा 396 अरब साल में आज पहली बार; प्लैनेट परेड पर वो सबकुछ जो जानना जरूरी है

रिपब्लिक डे पर सेना की परेड तो आपने जरूर देखी होगी, लेकिन क्या कभी मंगल, शुक्र, पृथ्वी जैसे ग्रहों की परेड देखी है। आज शाम सूर्यास्त के बाद सोलर सिस्टम के ग्रह एक कतार में आकर परेड करेंगे। अंतरिक्ष में सभी 7 ग्रहों की परेड बेहद दुर्लभ है। दावे किए जा रहे हैं कि यह खगोलीय घटना 396 अरब साल में एक बार होती है। प्लैनेट परेड कैसे होती है, क्या ये पहली बार हो रही, भारत में इसे कैसे देखा जा सकता है; जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में… सवाल-1: प्लैनेट परेड क्या होती है?जवाब: हमारे सौरमंडल के सभी ग्रह सूर्य के चारों तरफ घूमते हैं। जब कुछ ग्रह थोड़े वक्त के लिए सूरज की एक तरफ इकट्ठा हो जाते हैं, तो ऐसा लगता है कि वो एक दूसरे के आसपास हैं। जब कुछ ग्रह एक सीधी लाइन में नजर आते हैं, तो इसे प्लैनेट परेड या प्लेनेटरी अलाइनमेंट कहते हैं। आसान भाषा में समझें तो सोलर सिस्टम में 8 ग्रह सूरज का चक्कर लगाते हैं। इनमें से एक पृथ्वी भी है। यह ग्रह हमेशा एक दूसरे से अलाइन होते हैं। सोलर सिस्टम ऐसा ग्रुप नहीं है, जहां ग्रह इधर-उधर भाग रहे होते हैं। बल्कि सोलर सिस्टम एक ऑमलेट की तरह है। ग्रह इसके चारों ओर सर्किल शेप में चक्कर लगाते रहते हैं। हर एक ग्रह किसी दूसरे ग्रह से दूर होता है, इसलिए इन ग्रहों का चक्कर लगाने का समय भी अलग-अलग होता है। ऐसे में जब सभी ग्रह सूरज का चक्कर लगाते हुए एक सीधी लाइन में आ जाते हैं, तो उसे प्लैनेट परेड कहते हैं। जब दो या इससे ज्यादा ग्रह एक लाइन में आ जाते हैं तो इन्हें पृथ्वी से सामान्य आखों से देखा जा सकता है। इसमें बृहस्पति, शुक्र और मंगल जैसे ग्रह दिख जाते हैं, लेकिन यूरेनस और नेपच्यून जैसे ग्रहों को देखने के लिए टेलिस्कोप की जरूरत होती है। ऐसी दुर्लभ घटना कई सालों में एक बार होती है। आमतौर पर इतने सारे ग्रहों को एक साथ देख पाना मुमकिन नहीं होता। सवाल-2: यह परेड कब शुरू होगी और इसमें क्या-क्या होगा?जवाब: अमेरिकी स्पेस रिसर्च वेबसाइट स्टारवॉक के मुताबिक, 21 जनवरी को यह परेड सूरज ढलने के तुरंत बाद शुरू हो जाएगी। जब शुक्र, शनि, बृहस्पति, मंगल, नेपच्यून और यूरेनस एक लाइन में आ जाएंगे। हालांकि ये बिल्कुल सीधी लाइन नहीं होगी, क्योंकि सभी ग्रहों की स्थिति एक-दूसरे से कुछ डिग्री ऊपर और नीचे है। फ्लोरिडा में बिशप म्यूजियम ऑफ साइंस एंड नेचर में प्लेनेटेरियम सुपरवाइजर हन्ना स्पार्क्स ने कहा, 'वे (ग्रह) एक सीधी रेखा में नहीं हैं, लेकिन वे सूर्य के एक तरफ एक दूसरे के काफी करीब हैं।' शुक्र और शनि को टेलिस्कोप की मदद से देखा जाएगा, क्योंकि ये दोनों ग्रह धरती से ज्यादा दूरी पर हैं। शुक्र और शनि पश्चिम दिशा में दिखाई देंगे, जबकि बृहस्पति और मंगल पूर्व दिशा में दिखेंगे। इस परेड को देखने का सबसे अच्छा समय सूर्यास्त के लगभग 45 मिनट बाद का है। इस परेड में सिर्फ 6 ग्रह ही दिखाई देंगे। इसके बाद यह परेड 25 जनवरी को भी होगी। 20 फरवरी को होने वाली परेड में बुध भी शामिल हो जाएगा। इससे यह पृथ्वी के अलावा सोलर सिस्टम के सभी 7 ग्रहों की परेड बन जाएगी। हालांकि, उस समय सभी ग्रहों को देखना मुश्किल होगा क्योंकि शनि, शुक्र और नेपच्यून सूर्य के काफी करीब होंगे। आमतौर पर ग्रह सूर्यास्त के कुछ घंटों बाद दिखाई देते हैं। जब सूर्य की बची हुई रोशनी खत्म हो जाती है। प्लैनेट परेड को देखने के लिए शहर से दूर या किसी अंधेरे वाली जगह पर जाना चाहिए। जहां आसमान साफ नजर आता हो। सवाल-3: क्या इसे सामान्य आंखों से देखा जा सकता है?जवाबः हां। शुक्र, मंगल, बृहस्पति और शनि ग्रहों को रात के अंधेरे में बिना टेलिस्कोप की मदद से सामान्य आंखों से देख सकते हैं। जबकि नेपच्यून और यूरेनस को देखने के लिए टेलिस्कोप की मदद लेनी पड़ेगी। इस बार प्लैनेट परेड के दौरान शुक्र ग्रह सबसे ज्यादा चमकता हुआ दिखेगा। वहीं, मंगल ग्रह दूर से देखने पर लाल रंग की बिंदु जैसी दिखेगी। इसके अलावा शनि धुंधले बिंदु जैसा और बृहस्पति ग्रह सफेद बिंदु की तरह दूर से दिखाई देगा। खास बात ये है कि सारे ग्रह एक साथ आसमान में नजर आएंगे। इन्हें आंखों से देखने में कोई समस्या नहीं होगी, क्योंकि ग्रहों से आने वाली रोशनी सूर्य की तरह तेज या हानिकारक नहीं होती। सामान्य तौर पर खुली आंखों से ग्रह बेहद छोटे नजर आते हैं। यह तारे से अलग छोटे-छोटे चमकदार बिंदुओं की तरह दिखाई देते हैं। इन्हें देख पाना ग्रह की चमक, स्थिति और मौसम पर निर्भर करता है। ग्रह तारों की तरह नहीं टिमटिमाते। इनकी चमक स्थिर रहती है। ग्रहों को देखने के लिए जरूरी है कि आसमान में बादल और वायु प्रदूषण कम हो, जिससे इसे आसानी से देखा जा सके। सवाल-4: क्या ये परेड भारत में देखी जा सकेगी?जवाब: इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इस परेड को भारत में 21 जनवरी से 13 फरवरी तक देखा जा सकेगा। इस दौरान परेड में ग्रह बढ़ते-घटते रहेंगे। बेंगलुरु एस्ट्रोनॉमी क्लब के फाउंडर विजय कपूर का कहना है कि 21 जनवरी को शाम 7.30 बजे खासतौर पर इन ग्रहों का अद्भुत नजारा दिखेगा। इसे घरों की छत, ऊंची बिल्डिंग और किसी ऊंचे स्थान से भी देख सकते हैं। शुक्र, शनि और नेपच्यून को कई जगहों पर रात 11.30 बजे तक देख सकते हैं। इसके बाद मंगल, बृहस्पति और यूरेनस देर रात तक दिखाई दे सकते हैं। हालांकि, मंगल सूर्योदय से ठीक पहले दिखना बंद हो जाएगा। इन ग्रहों की सही दिशा का पता लगाने के लिए फोन में स्टार वॉक, स्टेलेरियम और स्काई पोर्टल ऐप की मदद ले सकते हैं। साथ ही टेलिस्कोप की मदद से बृहस्पति के चारों चंद्रमाओं को भी देखा जा सकता है। ये आसमान में दक्षिण-पश्चिम की ओर दिखाई देगा। सवाल-5: यह प्लैनेट परेड कब और कैसे खत्म होगी?जवाबः फोर्ब्स की रिपोर्ट के मुताबिक, 8 मार्च को यह परेड खत्म हो जाएगी। इस आखिरी परेड में मंगल, बृहस्पति, शुक्र, यूरेनस, नेपच्यून और बुध ग्रह शामिल रहेंगे। इस दौरान आसमान में आधा चांद भी दिखाई देगा। जो इस अद्भुत नजारे को और खास बना देगा। आमतौर पर यह परेड कुछ दिनों तक चलती है, लेकिन इस बार यह 21 जनवरी से 8 मार्च तक चलेगी। एक्सपर्ट्स का कहना है कि प्लैनेट परेड एक अस्थायी घटना होती है और यह ग्रहों की स्थिति बदलने पर खत्म हो जाती है। ग्रहों के ऑर्बिट स्थिर होती हैं, लेकिन वे समय के साथ धीमी गति से बदलते रहते हैं। जैसे ही सभी ग्रह अपने-अपने ऑर्बिट पर चले जाते हैं, तो परेड भी खत्म हो जाती है। हालांकि सूरज का चक्कर लगाने में इन ग्रहों की स्पीड, रास्ता और लगने वाला समय अलग-अलग होता है। सवाल-6: क्या यह परेड 396 अरब साल में पहली बार हो रही है?जवाब: फोर्ब्स की रिपोर्ट के मुताबिक, यूनिवर्स को बने हुए 13.8 अरब साल हुए हैं। इसलिए ऐसा नहीं कहा जा सकता कि यह 396 अरब साल में एक बार होने वाली खगोलीय घटना है। 1997 में जीन मीयस की किताब 'मैथमेटिकल एस्ट्रोनॉमी मोर्सल्स' में '396 अरब साल' का दावा किया गया था। जिसे पूरी तरह से गलत साबित कर दिया है, क्योंकि प्लैनेट परेड यूनिवर्स से पुरानी नहीं हो सकती है। फोर्ब्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रहों का एक साथ आना कोई बहुत बड़ी बात नहीं है। न ही यह कोई अनियमित या अजीब घटना है। हालांकि ये कई सालों में होने वाली एक दुर्लभ घटना जरूर है। इससे पहले यह घटना 28 अगस्त 2024 को सुबह 5.20 बजे हुई थी। जब बुध, मंगल, यूरेनस, नेपच्यून और शनि ग्रह एक सीधी लाइन में नजर आए थे। हालांकि यह घटना केवल लैटिन अमेरिका, अफ्रीका और यूरोप के कुछ हिस्सों में ही दिखाई दी थी। भारत में इसे रात में देखा गया था। 28 मार्च 2023 को भी 5 ग्रह एक कतार में नजर आए थे। शुक्र, मंगल, बृहस्पति, मर्करी और यूरेनस एक सीध में नजर आए थे। भारत समेत दुनियाभर के कई देशों में लोगों ने सामान्य आखों से यह नजारा देखा था। इन 5 ग्रहों में शुक्र सबसे चमकीला नजर आ रहा था। यह शुक्र और बुध के ऊपर दिखाई दे रहा था। सवाल-7: क्या इस परेड से पृथ्वी को नुकसान होगा?जवाब: एक्सपर्ट्स के मुताबिक, प्लैनेट परेड से सोलर सिस्टम को कोई नुकसान नहीं होगा। यह एक अस्थायी घटना है, जो ग्रहों के एक साथ आने पर होती है। इससे ग्रहों की पोजिशन में बदलाव जरूर दिखता है, लेकिन यह सोलर सिस्टम को प्रभावित नहीं करती। सोलर सिस्टम में ग्रहों के ऑर्बिट बहुत स्थिर होते हैं और इनमें ग्रहों की स्पीड अलग-अलग होती है। सभी ग्रहों के एक साथ आने पर इनकी ग्रेविटेशनल फोर्स यानी गुरुत्वाकर्षण शक्ति इतनी ज्यादा नहीं होती कि एक-दूसरे को नुकसान पहुंचा दें। सभी ग्रहों के ऑर्बिट एक-दूसरे से अरबों किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। सवाल-8: अगली प्लैनेट परेड कब होगी?जवाब: इस साल आसमान में ग्रहों की 2 और परेड देखने को मिलेंगी। वहीं अगले 151 सालों में 4 और प्लैनेट परेड होंगी… ------------ रिसर्च सहयोग- गंधर्व झा ------------ स्पेस से जुड़ी अन्य खबर पढ़ें... भास्कर एक्सप्लेनर- जब भरी दोपहर अचानक गायब हो गया सूरज: 3,247 साल पुराना किस्सा, कैसे तबाह हुआ उगारिट साम्राज्य; आज फिर पूर्ण सूर्यग्रहण 8 अप्रैल 2024। अमेरिका में घड़ी 2:04 PM बजाएगी और आसमान में सूरज छिपना शुरू हो जाएगा। करीब 74 मिनट बाद आसमान से सूरज लगभग गायब हो जाएगा। 4 मिनट 28 सेकेंड तक ऐसी ही स्थिति रहेगी। इस दौरान सूर्य 88% ढंक जाएगा और करीब 5 डिग्री सेल्सियस तक तापमान भी गिर जाएगा। पूरी खबर पढ़ें...

दैनिक भास्कर 21 Jan 2025 5:29 am

कोई 32 साल से नहाया नहीं, कोई कांटों पर लेटा:मछली के पेट में मत्स्येंद्रनाथ ने सीखा हठयोग; हठी बाबाओं की कहानियां

एक बाबा हैं गंगापुरी महाराज। उम्र 57 साल और हाइट महज 3 फीट और 8 इंच। हाइट की वजह से लोग उन्हें लिलिपुट बाबा कहते हैं। बाबा ने 32 सालों से स्नान नहीं किया है। ये उनका हठयोग है। वे अपने पैरों में खड़ाऊ और नाक के बीच में बाली पहनते हैं। लंबे समय तक श्मशान में साधना भी कर चुके हैं। गंगापुरी असम के रहने वाले हैं और खुद को जूना अखाड़े का साधु बताते हैं। हालांकि वे अखाड़े से अलग एक छोटी कुटिया में रहते हैं। जन्म से पहले उनके माता-पिता ने सात संतानों को खोया था। उनके जन्म के बाद उनकी माता का निधन हो गया। इसके बाद पिता ने उनका त्याग कर दिया। गंगापुरी को उनकी मां की सहेली ने पाला। गंगापुरी कहते हैं- ‘मेरे मन में एक इच्छा है। जब वो इच्छा पूरी हो जाएगी तो शिप्रा नदी में नहाऊंगा और कामाख्या चला जाऊंगा।’ ‘महाकुंभ के किस्से सीरीज’ के 10वें एपिसोड में आज हठयोग और ऐसा करने वाले अनोखे बाबाओं की कहानी… हठ का शाब्दिक अर्थ है 'जिद्दी'। यानी इंद्रियों और मन के दखल के बिना योग का अभ्यास। हठ योग की उत्पत्ति राज योग से हुई है। आमतौर पर सभी योग मुद्राएं और प्राणायाम हठ योग के अंतर्गत आते हैं। इसका मतलब है कि अगर आप कोई योग, आसन या प्राणायाम करते हैं, तो आप हठ योग कर रहे हैं। हठयोग की सबसे मशहूर और पुरानी किताब ‘हठयोग प्रदीपिका’ के मुताबिक ‘ह’ कार सूर्य स्वर या दायां स्वर का प्रतीक है। जबकि ‘ठ’ कार चंद्र स्वर या बायां स्वर का प्रतीक है। सूर्य और चंद्र स्वरों के योग से ही हठयोग बनता है। सूर्य स्वर को पुरुष शक्ति का प्रतीक और चंद्र स्वर को स्त्री शक्ति का प्रतीक माना गया है। बहुत सालों तक हठ योग सिर्फ साधु-संतों तक ही सीमित था। आम लोग इससे फैमिलियर नहीं थे। कुछ कुलीन परिवारों में थोड़ी-बहुत हठयोग की परंपरा थी। बाद में धीरे-धीरे हठयोग की लोकप्रियता बढ़ने लगी। 18वीं सदी के अंत में अंग्रेजों ने भी इसमें दिलचस्पी दिखानी शुरू की। कई ब्रिटिश फोटोग्राफरों ने हठयोग की तस्वीरें छापीं। इससे विदेशों में भी हठयोग को लेकर दिलचस्पी बढ़ने लगी। कई लोग हठयोग सीखने के लिए भारत आए। साधु-संतों की कुटिया में रहे। फिर अपने देश लौटकर लोगों को हठयोग के बारे में बताया। इस तरह योग भारत के अलावा कई देशों में लोकप्रिय हो गया। हठयोग करने वाले बाबाओं के किस्से…. 9 साल से हाथ ऊपर ही रखा है, एक फुट से ज्यादा बड़े हो गए हैं नाखून हठयोगी नागा संन्यासी महाकाल गिरि ने पिछले 9 सालों से अपने बाएं हाथ को ऊपर उठा रखा है। उनकी उंगलियों के नाखून कई इंच तक लंबे हो गए हैं। उनका दावा है कि उन्होंने अपने हाथ में शिवलिंग बना रखा है। इस हठयोग को उर्धबाहु कहा जाता है। गिरि अपने सभी काम एक हाथ से ही करते हैं। एक हाथ से ही उन्होंने कुटिया के बाहर रेत से शिवलिंग बना रखा है। वे रोटी भी एक हाथ से बना लेते हैं। कहते हैं- ‘अब इस तरह रहने की आदत पड़ गई है। गुरु की कृपा से कोई दिक्कत नहीं आती। आखिरी सांस तक इसी अवस्था में रहूंगा।’ शरीर को इतना कष्ट क्यों दे रहे? इस पर महाकाल गिरि कहते हैं- ’कोई भी तपस्या यूं ही नहीं होती। हर तपस्या के पीछे कोई न कोई मकसद होता है। मेरा संकल्प है कि धर्म की स्थापना हो और गौ हत्या बंद हो।’ महाकाल गिरि 8 साल की उम्र में साधु बने थे। 2001 में प्रयागराज में उन्होंने नागा साधु की दीक्षा ली थी। वे तीन साल नर्मदा की परिक्रमा कर चुके हैं। महाकाल गिरि की तरह जूना अखाड़े के महंत राधेपुरी ने भी 14 साल से एक हाथ को ऊपर उठा रखा है। वे 2011 से ऐसा कर रहे हैं। इससे पहले राधेपुरी 12 साल तक खड़े रहने का हठयोग भी कर चुके हैं। बाबा का हाथ पूरी तरह सुन्न पड़ गया है। वे अपने नाखून भी नहीं काटते हैं। इस वजह से उनके नाखून एक फीट तक लंबे हो गए हैं। वे कहते हैं कि हठ योग तपस्या के बल पर उन्होंने अपनी इंद्रियों को वश में कर लिया है। 35 साल से कांटों पर ही सोते-बैठते हैं बाबा, राम मंदिर के लिए लिया था संकल्प रमेश कुमार कांटे वाले बाबा नाम से मशहूर हैं। बाबा कांटे पर अपना आसन लगाकर रहते हैं। कांटों पर ही वे सो भी जाते हैं। उनके लिए कांटा ही बिस्तर है। वे पिछले 35 सालों तक इसी तरह से साधना करते हुए आ रहे हैं। अब उन्हें इसकी आदत पड़ गई है। बाबा का जन्म प्रयागराज के एक छोटे से गांव में हुआ था। 1990 में जब अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए देशभर में आंदोलन हो रहा था। कारसेवा हो रही थी, तब उनकी उम्र 17 साल थी। वे कारसेवक बनकर अयोध्या गए थे। वे कहते हैं- ‘पुलिस रामभक्तों को लाठियों से पीट रही थी। उनके साथ मार-पीट कर रही थी। इससे आहत होकर मैंने संकल्प लिया कि जब तक राम लला टेंट से हटकर मंदिर में विराजमान नहीं होते, मैं कांटों पर ही रहूंगा।’ पिछले साल अयोध्या में रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा के बाद कांटों वाले बाबा ने दर्शन भी किया, लेकिन अपना प्रण नहीं छोड़ा। बाबा का कहना है कि अयोध्या की तरह ही मथुरा और काशी में भी भव्य मंदिर बनेगा, तब वे अपना प्रण छोड़ेंगे। सिर पर 45 किलो का रुद्राक्ष, भगवान शिव को मनाने के लिए हठयोग संन्यासी गीतानंद महाराज अपने सिर पर सवा लाख रुद्राक्ष धारण किए हुए हैं, जिनका वजन 45 किलो है। पिछले 6 साल से बाबा ये रुद्राक्ष धारण किए हुए हैं। बाबा, 13 अखाड़ों में से एक आह्वान अखाड़ा के सचिव हैं। वे भगवान शिव को मनाने लिए यह हठयोग कर रहे हैं। बाबा बताते हैं कि उनके माता-पिता की कोई संतान नहीं हो रही थी। गुरु के आशीर्वाद से तीन बच्चे हुए। वे दूसरे नंबर पर थे। उनकी मां ने खुश होकर उन्हें गुरु को दान कर दिया। तब उनकी उम्र महज ढाई साल थी। गुरु उन्हें लेकर अपने साथ चले गए। 12-13 साल की उम्र में उनका हरिद्वार में संन्यास कार्यक्रम हुआ। इसके बाद वे संन्यासी बन गए। 14 साल से एक पैर पर खड़े हैं राजेंद्र गिरि, 12 साल की उम्र में लिया था संन्यास योगी राजेंद्र गिरि बाबा 14 साल से एक पैर पर खड़े होकर तपस्या कर रहे हैं। वे पंचदस नाम जूना अखाड़े से जुड़े हैं। लगातार खड़े रहने की वजह से उनका नाम खड़ेश्वरी बाबा पड़ गया है। राजेंद्र गिरि 12 साल के थे, तब उन्होंने संन्यास की दीक्षा ली थी। इसके बाद 6 साल तक उन्होंने तपस्या की। 18 साल की उम्र में उन्होंने एक पैर पर खड़े होने का हठयोग शुरू किया। वे कहते हैं कि जब तक जिंदा रहेंगे एक पैर पर खड़े रहेंगे। बाबा एक झूले की मदद से एक पैर पर खड़े रहते हैं और इसी अवस्था में वे खाना-पीना करते हैं। ----------------------------------------------- महाकुंभ से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... महाकुंभ के किस्से-1 : अकबर का धर्म बदलने पुर्तगाल ने पादरी भेजा: जहांगीर ने अखाड़े को 700 बीघा जमीन दी; औरंगजेब बीमार होने पर गंगाजल पीते थे औरंगजेब गंगाजल को स्वर्ग का जल मानते थे। एक बार वे बीमार पड़े तो उन्होंने पीने के लिए गंगाजल मंगवाया। फ्रांसीसी इतिहासकार बर्नियर ने अपने यात्रा वृत्तांत में लिखा है- 'औरंगजेब कहीं भी जाता था तो अपने साथ गंगाजल रखता था। वह सुबह के नाश्ते में भी गंगाजल का इस्तेमाल करता था।' पूरी खबर पढ़ें... महाकुंभ के किस्से-2 : पहली संतान गंगा को भेंट करते थे लोग:दाढ़ी-बाल कटवाने पर टैक्स लेते थे अंग्रेज; चांदी के कलश में लंदन भेजा जाता था गंगाजल 1827 से 1833 के बीच एक अंग्रेज कस्टम अधिकारी की पत्नी फेनी पाकर्स इलाहाबाद आईं। उन्होंने अपनी किताब ‘वंडरिंग्स ऑफ ए पिलग्रिम इन सर्च ऑफ द पिक्चर्स’ में लिखा है- ‘जब मैं इलाहाबाद पहुंची, तो वहां मेला लगा हुआ था। नागा साधु और वैष्णव संतों का हुजूम स्नान के लिए जा रहा था। मैं कई विवाहित महिलाओं से मिली, जिनकी संतान नहीं थी। उन लोगों ने प्रतिज्ञा की थी कि पहली संतान होगी तो वे गंगा को भेंट कर देंगी।’ पूरी खबर पढ़ें...

दैनिक भास्कर 21 Jan 2025 5:29 am

नवाज वापस आ गए, तो इमरान की भी वापसी पक्की:पाकिस्तानी फौज की नरमी जरूरी, नहीं तो रिहाई मुश्किल

‘जब पाकिस्तान के पूर्व PM नवाज शरीफ करप्शन केस में दोषी ठहराए जाने और निर्वासन काटने के बाद वतन वापसी कर सकते हैं। फिर इमरान खान के लिए तो रास्ते खुले ही हैं। वो निश्चित तौर पर कमबैक करेंगे और PTI फिर पावर में आएगी।‘ पाकिस्तान के जर्नलिस्ट और ब्लॉगर असद तूर इमरान को मिली सजा को उनके पॉलिटिकल करियर में एक ब्रेक मानते हैं और उनकी वापसी को लेकर उन्हें कोई शक नहीं। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान डेढ़ साल से जेल में हैं। अल कादिर ट्रस्ट घोटाला केस में इस्लामाबाद की कोर्ट ने उन्हें 14 साल जेल और उनकी पत्नी बुशरा बीबी को 7 साल की सजा सुनाई है। असद ये भी मानते हैं कि ये दबाव बनाने की कोशिश है। बात तभी बनेगी, जब इमरान, उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) और सेना आपस में किसी समझौते पर पहुंचें। दोनों के रुख में नरमी आए। पाकिस्तानी मीडिया हाउस डॉन के मुताबिक, PTI चीफ गौहर अली खान ने पिछले हफ्ते ही पाकिस्तानी आर्मी चीफ असीम मुनीर से मुलाकात की है। हालांकि इमरान किसी भी तरह के समझौते की बात से इनकार कर रहे हैं। इमरान ने जेल से ही सोशल मीडिया पर लिखा- ‘मैं नवाज शरीफ नहीं हूं कि जेल से बाहर आने के लिए सरकारों से डील कर लूं।’ इधर इमरान की रिहाई के लिए पार्टी के प्रोटेस्ट लीड कर रहीं बुशरा बीबी भी जेल में हैं। अब दोनों के जेल जाने के बाद इमरान का पॉलिटिकल फ्यूचर क्या होगा? PTI कैसे काम करेगी और उसका फ्यूचर क्या होगा। पार्टी के बड़े मूवमेंट्स कौन लीड करेगा। पढ़िए पाकिस्तान से दैनिक भास्कर की रिपोर्ट… इमरान को जेल सियासी बदले की कार्रवाई, लोग PTI के साथ कराची में रहने वाले नावेद अहमद नए केस में इमरान खान को सजा होने को सियासी बदले की कार्रवाई बताते हैं। वो कहते हैं, ‘ये फैसला किसी मेरिट पर नहीं हुआ। पाकिस्तान में विरोधियों को कमजोर करने के लिए ये परंपरा चली आ रही है। सियासी मामलों में पहले कोर्ट लंबी सजा का ऐलान करते हैं। फिर सरकार की शर्तें मान लेने पर समझौता हो जाता है और सजा माफ हो जाती है।‘ ‘इमरान खान भी पूरी सजा काटेंगे, ये कहना मुश्किल है। ये सिर्फ उन पर दबाव बनाने की राजनीति है, ताकि सरकार अपनी शर्तें मनवा सके।‘ वहीं साजिद अली पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्रियों के नाम गिनाते हुए कहते हैं, ‘ये अकेले इमरान के साथ नहीं हुआ। बारी-बारी सभी के साथ हुआ है। हालांकि ये सब सियासी केस हैं, जिनमें वक्त के साथ सब ठीक हो जाता है। फौज ही इमरान को लेकर आई, अब वो फौज से ही लड़ रहे हैं, तो बात तो बिगड़नी ही है। साजिद कहते हैं, ‘हम तो अपना फ्यूचर लेकर परेशान हैं। अब हमें दूर-दूर तक कोई ऐसा व्यक्ति नजर नहीं आ रहा कि जो इस देश को आगे ले जा सके और हमारा भविष्य सुरक्षित कर सके। दुनिया इतना आगे पहुंच गई, हम आपस में ही लड़ रहे हैं।’ वहीं कराची के ही रहने वाले नावेद फारूखी भी इसे सियासी बदले की कार्रवाई मानते हैं। वे कहते हैं, ‘पाकिस्तान की अवाम को इमरान के लिए सड़कों पर उतरना होगा, वर्ना हम कभी आगे नहीं बढ़ पाएंगे। इमरान खान ने जब प्रधानमंत्री की कुर्सी संभाली थी, तब उन्होंने मुल्क को आगे बढ़ाने की बहुत कोशिश की, लेकिन उन्हें काम नहीं करने दिया। ये उन्हें और हमारे मुल्क को पीछे ले जाने की कोशिश है।’ PTI: इमरान को झुकाने के लिए बुशरा को जेलइमरान और बुशरा को सुनाई गई सजा को लेकर हमने PTI का भी पक्ष जाना। पार्टी लीडर लाल चंद माल्ही कहते हैं, ‘इमरान खान और बुशरा बीबी को बेबुनियाद केस में सजा सुनाई गई है। इस केस में इमरान को न एक पैसे का फायदा हुआ और न ही पाकिस्तान सरकार को एक पैसे का नुकसान हुआ।‘ ‘ये फैसला तीन बार टाला गया और अब ऐसे वक्त में आया है, जब अंदरूनी और बाहरी दोनों तरफ से दबाव है। बुशरा बीबी को जेल भेजने के पीछे भी यही वजह है कि इमरान खान पर दबाव बनाया जा सके। पार्टी वर्कर्स को इमरान खान से मिलने की मनाही थी। बुशरा बीबी उनके मैसेज पार्टी तक पहुंचाती थीं। वो इमरान की रिहाई के लिए पार्टी मूवमेंट का हिस्सा थीं। इसीलिए हुकूमत ने उन्हें निशाना बनाया।‘ माल्ही आगे कहते हैं, ‘9 मई 2023 को PTI के मूवमेंट में 10 हजार वर्कर्स अरेस्ट किए गए। फिर 26 नवंबर 2024 को जब इमरान खान की रिहाई के लिए मूवमेंट चला, तब भी पार्टी वर्कर्स पर गोलियां चलाई गईं। इन केसेज की जांच के लिए इमरान खान ने पार्टी लेवल पर एक कमेटी बनाई है, जो पाकिस्तानी फौज से बातचीत कर रही है।‘ ‘हमारी एक ज्यूडिशियल कमीशन बनाने की मांग है, ताकि इन दोनों मामलों की जांच और सियासी कैदियों की रिहाई हो सके। कमेटी और फौज के बीच तीन दौर की बातचीत हो चुकी है। इसी दौरान इमरान खान को सजा सुनाया जाना सिर्फ दबाव की राजनीति है, ताकि इमरान पाकिस्तानी फौज की शर्तें मान लें। उन्होंने किसी भी तरह के समझौते से इनकार कर दिया है।‘ वे आगे कहते हैं, ‘सरकार अगर ज्यूडिशियल कमीशन बनाने के लिए राजी नहीं होती है, तो PTI इस बातचीत को आगे नहीं बढ़ाएगी। फिर हम आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे। इमरान खान इसके लिए आगे रोडमैप देंगे। पार्टी उसी हिसाब से मूवमेंट को आगे बढ़ाएगी।‘ एक्सपर्ट: इमरान के लिए रास्ते बंद नहीं हुए, वो पावरफुल कमबैक करेंगेइमरान को सजा सुनाए जाने के मामले में पाकिस्तान के जर्नलिस्ट और ब्लॉगर असद तूर कहते हैं, ‘इमरान पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री नहीं हैं, जिन्हें कोर्ट ने करप्शन के केस में दोषी ठहराया है और सजा सुनाई है। इससे पहले जुल्फिकार अली भुट्टो, बेनजीर भुट्टो, नवाज शरीफ और यूसुफ रजा गिलानी भी ऐसे फैसलों का सामना कर चुके हैं।‘ इमरान की वापसी को लेकर असद कहते हैं, ‘इमरान खान और बुशरा बीबी का फ्यूचर सेफ है क्योंकि पाकिस्तान में इमरान खान की जबरदस्त पॉपुलैरिटी है। हालांकि मौजूदा सरकार के चलते उनकी लोकप्रियता को नुकसान पहुंचा है। हालांकि जनता ये भी जानती है कि मौजूदा सरकार लंबी नहीं चलने वाली है। ये जल्द ही गिर जाएगी। उन हालात में लोगों के पास इमरान से बेहतर विकल्प नहीं है।‘ ‘इसलिए इमरान के लिए रास्ते बंद नहीं हुए हैं। वो निश्चित तौर पर कमबैक करेंगे और PTI फिर पावर में आएगी। करप्शन के केस में दोषी ठहराए जाने और निर्वासन काटने के बाद जब नवाज शरीफ वतन वापसी कर सकते हैं, फिर इमरान के पास तो पॉपुलैरिटी और स्पोर्ट्समैन स्पिरिट है। बस देखना ये होगा कि उनकी वापसी का तरीका क्या होगा।’ असद आगे कहते हैं, ’पूर्व PM बेनजीर भुट्टो लंबा निर्वासन काटकर पाकिस्तान लौटी थीं, लेकिन सेना ने उनके पर कतर दिए थे। उनकी ताकतें कम कर दी थीं। अगर इमरान भी सेना या सरकार के साथ कोई डील करके पावर में लौटते हैं, तो उन्हें काफी समझौते करने होंगे। अगर वो बिना झुके अपनी शर्तों पर लौटते हैं, तो तस्वीर अलग होगी। हालांकि दोनों ही हालात में इमरान खान की वापसी तय है।’ रिहाई के लिए पाकिस्तानी फौज के प्रति इमरान की नरमी जरूरीPTI और सरकार के बीच बातचीत को लेकर असद कहते हैं, ‘इमरान खान और सरकार के बीच बातचीत की कोशिशें लंबे समय से जारी हैं। इससे पहले फौज ने इमरान के सामने अपनी कुछ शर्तें भी रखी थीं, लेकिन उन्होंने शर्तें मानने से इनकार कर दिया था। इमरान और फौज के बीच अगर कुछ मसले सुलझा लिए जाएं तो ये सजा खुद ब खुद रद्द कर दी जाएंगी।’ फौज ने इमरान के सामने ये तीन शर्तें रखीं: 1. इमरान पाकिस्तान आर्मी चीफ सैय्यद असीम मुनीर की आलोचना करना बंद करें। 2. इमरान खान और PTI की सोशल मीडिया सेना और सरकार के खिलाफ लिखने से बचे। 3. प्रवासी पाकिस्तानियों की लॉबी को भी पाकिस्तान को लेकर अपना रुख नरम करना होगा। असद के मुताबिक, ‘इमरान और PTI जब तक इस दिशा में काम नहीं करते, तब तक उन्हें राहत मिलनी मुश्किल है। दोनों पक्षों के बीच बातचीत का दौर भले जारी हो, लेकिन राहत तभी मिलेगी, जब दोनों एक दूसरे को रियायतें देने को राजी होंगे।‘ बुशरा बीबी के जेल जाने से नुकसान नहीं, PTI पहले की तरह मजबूतबुशरा बीबी के दोबारा जेल जाने और PTI के फ्यूचर के सवाल पर असद कहते हैं, ‘इमरान की रिहाई के लिए बुशरा बीबी मुहिम चला रही थीं। अब वो खुद जेल में हैं। हालांकि इससे PTI के पॉलिटिकल मूवमेंट्स में ज्यादा फर्क नहीं आने वाला है।‘ ‘PTI ने अभी किसी नए प्रोटेस्ट का ऐलान नहीं किया है। वहीं PTI चीफ गौहर अली खान और खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री अली अमीन गांडापुर पहले से इमरान की रिहाई के लिए कैंपेन चला रहे हैं। वो फौज के साथ बातचीत भी कर रहे हैं। लिहाजा पार्टी के इन दो लोगों की जनता और कार्यकर्ताओं के बीच पकड़ है, वो जेल से बाहर हैं।' अल कादिर ट्रस्ट घोटाले के बारे में जानिए…इमरान खान पर 1 हजार 955 करोड़ रुपए की घूस लेने का आरोपपाकिस्तान के नेशनल अकाउंटेबिलिटी ब्यूरो (NAB) ने अल-कादिर ट्रस्ट मामले में दिसंबर 2023 में केस दर्ज किया। ब्यूरो ने इमरान खान (72), बुशरा बीबी (50) और 5 अन्य लोगों पर मामला दर्ज किया था। इनमें इमरान के पूर्व एडवाइजर शहजाद अकबर, पूर्व मंत्री जुल्फी बुखारी, बहरिया टाउन के मालिक मलिक रियाज, उनका बेटा और बुशरा बीबी की दोस्त फराह शहजादी शामिल हैं। कोर्ट ने इनके खिलाफ परमानेंट अरेस्ट वारंट जारी किया है। इनकी प्रॉपर्टी सीज करने का भी ऑर्डर दिया है। पाकिस्तान सरकार का आरोप है कि इमरान खान ने प्रधानमंत्री बनने के बाद मलिक रियाज को मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसाया। ब्रिटेन में रियाज की अरबों रुपए की प्रॉपर्टी जब्त कराई। फिर लंदन में उसके एक गुर्गे को अरेस्ट कराया, जिससे 1238 करोड़ रुपए (40 अरब पाकिस्तानी रुपए) बरामद हुए। आरोप ये भी है कि इस केस के बाद दो डील हुई। ब्रिटेन सरकार ने रियाज के गुर्गे से बरामद रकम पाकिस्तान सरकार को लौटा दी। इमरान ने कैबिनेट को इस पैसे की जानकारी नहीं दी। बल्कि अल कादिर नाम से एक ट्रस्ट बनाकर मजहबी तालीम देने के लिए एक यूनिवर्सिटी शुरू कर दी। इसके बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में 3 मेंबर थे- इमरान खान, बुशरा बीबी और फराह शहजादी। इस केस की FIR में कहा गया है कि इसके लिए 56 एकड़ जमीन मलिक रियाज ने दी। बुशरा बीबी को डायमंड रिंग भी गिफ्ट की। बदले में रियाज के तमाम केस खत्म कर दिए गए। पूरे मामले को देखते हुए इमरान खान और उनकी पत्नी पर 1 हजार 955 करोड़ रुपए की घूस लेने के आरोप में केस दर्ज किया गया। पाकिस्तान के होम मिनिस्टर राणा सनाउल्लाह ने इमरान की गिरफ्तारी के बाद कहा- ये पाकिस्तान के इतिहास का सबसे बड़ा स्कैम है। सरकारी खजाने को कम से कम 1547 करोड़ रुपए (50 अरब पाकिस्तानी रुपए) की चपत लगी। इसके बावजूद 13 महीने में एक बार भी इमरान या बुशरा पूछताछ के लिए नहीं आए। 3 साल में इस यूनिवर्सिटी में महज 32 स्टूडेंट्स ने ही एडमिशन लिया। .............................. इमरान खान से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें इमरान खान को भ्रष्टाचार केस में 14 साल की जेल, बुशरा को 7 साल सजा पाकिस्तान की एक कोर्ट ने शुक्रवार को पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और उनकी पत्नी बुशरा बीबी को भ्रष्टाचार के मामले में सजा सुनाई है। डॉन की खबर के मुताबिक इमरान को 14 और बुशरा को 7 साल की सजा मिली है। दोनों पर राष्ट्रीय खजाने को 50 अरब पाकिस्तानी रूपए का नुकसान पहुंचाने के आरोप लगे थे। पढ़िए पूरी खबर...

दैनिक भास्कर 21 Jan 2025 5:22 am

अमेरिका में ट्रंप रिटर्न्स! शपथ लेते ही लगा दी घोषणाओं की झड़ी, पीछे बैठे बाइडेन को भी सुनाया

Donald Trump News: डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी को अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेतेही बड़ा फैसला लिया है. उन्होंने दक्षिणी सीमाओं पर इमर्जेंसी की घोषणा कर दी.ट्रंप ने पनामा नहर को भी वापस लेने का वादा करते हुए कहा कि पनामा पर नियंत्रण देना एक 'मूर्खतापूर्ण' फैसला था.

ज़ी न्यूज़ 20 Jan 2025 11:46 pm

अमेरिका में ट्रंप रिटर्न्स से क्यों टेंशन में हैं दुनियाभर के मुसलमान? पहली स्पीच और पुराना ट्रैक रिकॉर्ड वजह!

Donald Trump News:अमेरिका को उसका नया राष्ट्रपति मिल गया. डोनाल्ड ट्रंप ने दूसरी बार अमरिकी राष्ट्रपति पद की शपथ ली. शपथग्रहण के बाद ट्रंप व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस पहुंचें तो उनकी मेज पर कौन सी 5 फाइल्स सबसे पहले मिलेंगी, आइए बताते हैं.

ज़ी न्यूज़ 20 Jan 2025 11:44 pm

Joe Biden: जाते-जाते देश नहीं.. अपनों का भला कर गए बाइडेन! ट्रंप की शपथ से कुछ मिनट पहले ही कर दिया ये बड़ा ऐलान

Joe Biden News:अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अपने कार्यकाल के आखिरी क्षणों में कई चौंका देने वाली घोषणाएं कीं. इनमें से एक बड़ा ऐलान उनके परिवार के सदस्यों को माफी देने का था.

ज़ी न्यूज़ 20 Jan 2025 11:05 pm

Bangladesh: भारत से लगते बॉर्डर पर जवानों को 'कानफोड़ू' ग्रेनेड और आंसू गैस के गोले क्यों थमा रहा बांग्लादेश?

Bangladesh News:बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने सोमवार को एक चौंका देने वाला ऐलान किया. उन्होंने अपने देश के सीमा रक्षकों को नए तरह के हथियार देने का फैसला लिया है.

ज़ी न्यूज़ 20 Jan 2025 10:41 pm

Donald Trump: पापा की कंपनी संभालते ही पहला काम क्या किया? अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पूरी कहानी, 10 प्वाइंट्स में

Donald Trump Biography: डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के इतिहास में शपथ राष्ट्रपति निर्वाचित होने वाले सबसे उम्रदराज व्यक्ति हैं. ट्रंप 20 जनवरी, 2025 को अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ग्रहण करेंगे.

ज़ी न्यूज़ 20 Jan 2025 6:03 pm

इस देश में सट्टेबाजी का ऐसा चढ़ा बुखार, किस्मत आजमाने के लिए सांप लेकर पहुंच रहे लोग

Malaysia: मेलिशिया में चाईनीज न्यू ईयर से पहले लोग टोटो लॉटरी में अपना हाथ आजमा रहे हैं. इस देश में हर उम्र के लोगों पर जैकपॉट जीतने का बुखार चढ़ा है. इसके लिए लोग अलग-अलग तरीके आजमा रहे हैं. एक व्यक्ति तो लॉटरी शॉप में सीधा सांप लेकर पहुंच गया.

ज़ी न्यूज़ 20 Jan 2025 5:53 pm

US-China Realation: चीन ने कुछ ना कहकर भी अमेरिका को दे दिया तगड़ा जवाब, जिनपिंग के इस हिडेन मैसेज पर क्या होगा ट्रंप का रुख?

Donald Trump Swearing in Ceremony:अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में दुनिया भर के नेता शामिल हो रहे हैं. वहीं चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इसमें जाने से इनकार कर दिया. लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती.

ज़ी न्यूज़ 20 Jan 2025 5:28 pm

'मैम प्लीज एक सेल्फी...' भारतीयों की इस डिमांड से परेशान रूसी महिला ने निकाला देसी जुगाड़, कमा लिए खूब पैसे

Russia: भारत के गोवा घूमने आई एक रूसी महिला ने भारतीयों की बार-बार तस्वीरे के लिए पूछने की आदत से परेशान होकर एक क्रिएटिव आईडिया निकाला. महिला के इस आईडिया को सोशल मीडिया पर काफी तारीफ मिल रही है.

ज़ी न्यूज़ 20 Jan 2025 5:23 pm

पाकिस्तान में सगे भाई-बहन की शादी के दावे से वायरल तस्वीर विज्ञापन की है

बूम ने पाया कि वायरल तस्वीर पाकिस्तान की एक मैट्रिमोनियल साइट 'ZAWAJ Marriage Bureau' पर प्रदर्शित होने वाले एक विज्ञापन की है.

बूमलाइव 20 Jan 2025 3:18 pm

इस मुस्लिम देश में अचानक फटा गैसोलीन टैंकर, काल के गाल में गए 86 लोग; मच गई चीख-पुकार

Nigeria Tanker Explosion: अफ्रीकी मुस्लिम देश उत्तरी नाइजीरिया के नाइजर राज्य में एक पेट्रोल टैंकर ट्रक पलटने और फिर विस्‍फोट होने से भयानक त्रासदी पूर्व घटना हुई है. इसमें अब तक 86 लोगों की मौत हो चुकी है.

ज़ी न्यूज़ 20 Jan 2025 2:35 pm

लोहे से भी मजबूत हैं इस महिला की जांघे, 1 मिनट के अंदर तोड़ डाले 5 बड़े-बड़े तरबूज

Turkey: सोशल मीडिया पर तुर्की की एक महिला का गजब का कारनामा देखने को मिल रहा है. इस महिला ने अपनी जांघों से ताबड़तोड़ तरबूज तोड़ने का अनोखा रिकॉर्ड बनाया है. महिला के इस कारनामे को देख आप भी हैरान रह जाएंगे.

ज़ी न्यूज़ 20 Jan 2025 2:29 pm

शपथ से पहले दहाड़े डोनाल्‍ड ट्रंप, शेयर मार्केट से लेकर इंवेस्‍टमेंट तक पर बताया 'ट्रंप इफेक्‍ट'

Trump Rally Today: ट्रंप ने शपथ लेने से पहले अपने समर्थकों और देशवासियों से वादा किया कि वे अमेरिका के हर संकट को दूर करने के लिए तेजी से काम करेंगे. साथ ही उन्‍होंने शेयर मार्केट में उछाल से लेकर अरबों के निवेश को ट्रंप इफेक्‍ट बताया.

ज़ी न्यूज़ 20 Jan 2025 2:06 pm

ब्रिटेन ने भारत से लूटा इतना पैसा, नोटों से 4 बार ढक जाएगी लंदन की धरती, सामने आई अमीरों की काली करतूत

ब्रिटेन ने करीब डेढ़ सौ साल तक भारत को अपना उपनिवेश बनाकर रखा और इस दौरान भारत से इतना धन और सोना लूटा कि उसके आंकड़े हिला देने वाले हैं. ऑक्सफैम इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट ने इसकी पूरी सच्‍चाई खोलकर सामने रख दी है.

ज़ी न्यूज़ 20 Jan 2025 1:37 pm

30,000,000,000 कीमत, टॉयलेट में भी सोने की परत, क्यों इस घर को कहा जा रहा ब्रह्मांड का केंद्र?

Mar-a-Lago Florida: फ्लोरिडा के पाम बीच पर स्थित मार-ए-लागो रिसॉर्ट भव्‍यता के लिए अपने आप में एक बेंचमार्क है. लेकिन अब ये शक्ति का भी केंद्र बन गया है. 3 हजार करोड़ रुपए की कीमत वाले इस घर में दुनिया के सबसे ताकतवर व्‍यक्ति डोनाल्‍ड ट्रंप रहते हैं.

ज़ी न्यूज़ 20 Jan 2025 12:44 pm

बीवी को नहीं चाहिए थे और बच्चे, शख्स ने खुद ही कर डाली अपनी नसबंदी, वीडियो बनाकर इंटरनेट पर किया पोस्ट

Taiwan doctor vasectomy: ताइवान के एक प्लास्टिक सर्जन ने अपनी पत्नी को खुश करने के लिए खुद की ही नसबंदी कर डाली. पेशे से प्लास्टिक सर्जन नॉन्ग की इस हरकत को लेकर सोशल मीडिया पर लोग अलग-अलग तरह से रिएक्ट कर रहे हैं.

ज़ी न्यूज़ 20 Jan 2025 12:34 pm

हिंदुओं पर अत्याचार की हदें पार कर दीं अब भारत के दुश्मन को राष्ट्रपिता बनाएगा यूनुस का बांग्लादेश

Bangladesh: बांग्लादेश में मोहम्मद युनुस की अंतरिम सरकार आने के बाद से वहां राष्ट्रपिता को बदल दिए जाने की मांग की जा रही है. वहीं अब देशभर में भारत के खिलाफ जंग लड़ने वाले जियाउर्रहमान को बांग्लादेश का राष्ट्रपिता बनाए जाने की मांग की जा रही है.

ज़ी न्यूज़ 20 Jan 2025 11:59 am

उधर लॉस एंजेलिस में आग, इधर कुंभ में आग! तो क्‍या सच होंगी 2025 में मंगल के कारण प्रलय की सारी भविष्‍यवाणी?

Prediction for 2025: साल 2025 की शुरुआत ही कई खौफनाक घटनाओं से हुई. अभी लॉस एंजेलिस से लेकर महाकुंभ तक की आग चर्चा में बनी है. साल 2025 मंगल का वर्ष है और इसे लेकर जो भविष्‍यवाणियां की गईं थीं, वे सच होती नजर आ रही हैं.

ज़ी न्यूज़ 20 Jan 2025 10:50 am

ट्रंप खाना खाकर बटोरेंगे 2 हजार करोड़, एक डिनर के लिए बिलिनेयर्स चुकाएंगे 9 करोड़

Trump Dinner Politics: डोनाल्‍ड ट्रंप अपने शपथ ग्रहण समारोह को जितना भव्‍य और रिकॉर्ड ब्रेकिंग बना रहे हैं, वैसे ही वे डिनर करके पैसे बटोरने में भी रिकॉर्ड बनाएंगे. इस समय ट्रंप की डिनर पॉलीटिक्‍स भी खासी चर्चा में बनी हुई है.

ज़ी न्यूज़ 20 Jan 2025 10:03 am

ये क्‍या मजाक है बे...बिल्ली इस्‍तीफा भेज रही, कुत्‍ता बम ला रहा! पालतू जानवरों ने कर डाले गजब कांड

Hilarious Pets: घर के पालतू जानवर आपको बिना शर्त प्‍यार करते हैं, हंसाते हैं, कई बार जान पर खेलकर मालिक की रक्षा करते हैं. वहीं कभी-कभी पेट्स गजब कांड भी कर देते हैं. बिल्‍ली और कुत्‍ते के इन 2 मालिकों के साथ पेट्स ने ऐसा किया कि वे कभी भूल नहीं पाएंगे.

ज़ी न्यूज़ 20 Jan 2025 8:55 am

महाकुंभ की तरह हज में भी लगी थी भीषण आग, 217 की मौत, फिर सऊदी ने किया ऐसा इंतजाम, जानकर रह जाएंगे दंग

Hajj Fire: प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में लगी आग ने करीब 200 कॉटेज जला दिया. हालांकि चाक-चौबंद व्‍यवस्‍था के चलते जल्‍द ही आग पर काबू पा लिया गया. क्‍या आप जानते हैं कई साल मुसलमानों के पवित्र तीर्थ मक्‍का में भी हज के दौरान भीषण आग लगी थी.

ज़ी न्यूज़ 20 Jan 2025 7:58 am

विरोधी गुस्‍से में, समर्थक निराश! वॉशिंगटन डीसी में ट्रंप के शपथ ग्रहण पर बन रहे कई रिकॉर्ड

Trump Oath Ceremony: आखिरकार डोनाल्‍ड ट्रंप के दूसरी बार राजतिलक होने का दिन आ गया है. आज 20 जनवरी को ट्रंप अमेरिका के राष्‍ट्रपति पद की शपथ लेंगे. इस मौके पर वॉशिंगटन डीसी में क्‍या कुछ चल रहा है, जानिए शपथ समारोह के प्रमुख हाईलाइट्स.

ज़ी न्यूज़ 20 Jan 2025 7:09 am

'हम वर्ल्ड वॉर के बेहद करीब लेकिन मैं...', शपथ से पहले ट्रंप की हुंकार, बता दिया अगले 4 साल का खाका

Donald Trump Speech: शपथ ग्रहण समारोह से पहले डोनाल्ड ट्रांप ने एक प्रोग्राम को संबोधित करते हुए अपने अगले 4 वर्षों का खाका पेश कर दिया है. सारी दुनिया को बता दिया है कि वो क्या बड़े कदम उठाने जा रहे हैं और उनके शपथ ग्रहण से पहले ही नतीजे दिखने लग गए हैं.

ज़ी न्यूज़ 20 Jan 2025 6:32 am

स्पॉटलाइट- पहले उल्टी, बेहोशी, कोमा और फिर मौत:जम्मू-कश्मीर में हो रहीं मौतों की क्या है वजह, स्वास्थ्य मंत्री इसे ‘बीमारी’ क्यों नहीं मान रहीं

राजौरी में लगातार हो रही मौतों की वजह क्या है, गृह मंत्री अमित शाह ने इसे लेकर क्या एक्शन लिया, पोस्टमॉर्टम में पाया गया न्यूरोटॉक्सिन कितना खतरनाक है, जानेंगे स्पॉटलाइट में...

दैनिक भास्कर 20 Jan 2025 5:13 am

पॉजिटिव स्टोरी- मसाला बेचता था, आज तीन कंपनियां:टर्नओवर 20 करोड़, 20 हजार से शुरुआत; कभी किराए के लिए बेचनी पड़ी थी बाइक

राजस्थान के बीकानेर शहर से 115 किलोमीटर दूर पाकिस्तान बॉडर से सटा खाजूवाला गांव। जहां तक नजरें जा रही हैं, रेत के पहाड़ और छिटपुट घर नजर आ रहे हैं। साथ में सीरियल एंटरप्रेन्योर यानी एक साथ कई बिजनेस करने वाले गोविंद भादू हैं। गोविंद खाजूवाला गांव के ही रहने वाले हैं। वो किस्सा बताते हैं, ‘बचपन में हम लोग गांव में रहते थे, तो पानी की बड़ी किल्लत थी। ऊंट से पानी की ढुलाई होती थी। इसके बदले 50 रुपए देने होते थे। 50 रुपए बचाने के लिए मां पांच किलोमीटर दूर से सिर पर पानी का घड़ा रखकर लाती थीं। गांव से शहर जाने के लिए भी सोचना पड़ता था। गांव में साइकिल भी किसी-किसी के पास होती थी। दादा-पापा भी यहां से 35 किलोमीटर दूर, दूसरे गांव से पलायन करके आए थे क्योंकि वहां रहने-खाने को भी नहीं था। बहुत गरीबी थी। उस वक्त मेरी उम्र 5 साल थी।’ गोविंद हंसते हुए कहते हैं, ‘सब मेहनत और विजन का खेल है। आज खुद की तीन-तीन कंपनी है। इंपोर्ट के बिजनेस से लेकर स्टोन माइनिंग तक का काम है। 100 से ज्यादा लोगों की टीम है। सालाना 20 करोड़ का बिजनेस है। जहां से मैं आता हूं, वहां दूर-दूर तक किसी को पता भी नहीं था कि बिजनेस क्या होता है। घर में खेती और सर्विस का माहौल था। गरीबी भी थी। 1990 के आसपास की बात है। मैं 7वीं, 8वीं में था। स्कूल की फीस महीने की 50 रुपए थी। घरवालों के लिए ये फीस भर पाना भी मुश्किल था। कई बार कहने के बाद स्कूल में फीस जमा होती थी। एक यूनिफॉर्म हम दो-तीन साल पहनते थे। किसी रिश्तेदार के यहां जाते थे तो गरीब होने की वजह से हमारे साथ भेदभाव होता था। ये सारी बातें मेरे दिमाग में खटकती रहती थी। सोचता था कि मेरे पास भी पैसे होते, तो घर की जरूरतें पूरी कर पाते।’ गोविंद कहते हैं, ‘9वीं की बात है। उस वक्त गांव में वीडियो गेम का दौर था। 10 रुपए देकर बच्चे एक घंटे के लिए वीडियो गेम खेलते थे। मैंने एक पुराना टीवी खरीदकर वीडियो गेम का बिजनेस शुरू कर दिया। 7 रुपए के हिसाब से चार्ज करने लगा। मेरे पास लोग वीडियो गेम खेलने के लिए आने लगे। उसके बाद मैंने पुरानी कॉमिक्स खरीदकर रेंट पर देना शुरू कर दिया। मेरे दिमाग में बस एक ही चीज थी कि बिजनेस करना है। जॉब नहीं। भले ही रेहड़ी, ठेला क्यों न लगाना पड़े। जब एक रुपए के बदले दो रुपए आने लगे, तो घरवालों को भी लगा कि ठीक ही है। आवारा घूमने से तो अच्छा ही है कि कुछ करके पैसे कमा रहा है। 12वीं के बाद मुझे लगा कि गांव में ही रहा, तो इसी रेत के बीच रह जाऊंगा। मैंने घरवालों से कहा- बीकानेर जाकर कंप्यूटर सीखना है। चाचा मेरे एग्रीकल्चर में थे। उन्होंने कहा- इसकी पढ़ाई कर लो। जॉब लग जाएगी। मैं एग्जाम देने के लिए गया भी, लेकिन पेपर नहीं लिखा। फेल होने के बाद अब घरवालों के पास भी दूसरा कोई ऑप्शन नहीं था। उन्होंने शहर भेज दिया। उसी के बाद मसाला बेचने लगा।’ मसाला? ‘हां, और क्या करता। घरवालों का कहना था कि रहने-खाने का खर्च खुद उठाओ। वे सिर्फ कंप्यूटर क्लास की फीस देते थे। मेरे एक दोस्त की मसाले की फैक्ट्री थी। मैं छोटे-छोटे पैकेट में मसाले पैक करके शहर की दुकानों में जाकर बेचने लगा। करीब एक-डेढ़ साल तक ये बिजनेस चला। सुबह से लेकर रात तक मोटरसाइकिल पर दुकान-दुकान जाता था। मैं सोचने लगा- पैसे कमाने के लिए बिजनेस शुरू किया था। यह तो जॉब से भी मुश्किल है। इसी के बाद मैंने कई छोटे-छोटे काम करने शुरू किए। प्रिंटिंग से लेकर डिजाइनिंग तक का काम करने लगा। कुछ साल तक मैं दिल्ली से इंडक्शन कुकटॉप जैसे प्रोडक्ट खरीद कर बीकानेर में बेचता था। इससे पैसे बनने लगे। 2005 आते-आते मैंने कुछ दोस्तों के साथ मिलकर स्किन केयर प्रोडक्ट बनाने की कंपनी शुरू करने के बारे में सोचा। घरवालों को भी लगा कि उनका बेटा बिजनेस कर रहा है। करीब 15 लाख रुपए का इन्वेस्टमेंट किया। दो साल के भीतर ही कंपनी बंद करने की नौबत आ गई। दरअसल, मार्केट में इन प्रोडक्ट्स की डिमांड नहीं थी। 25 लोग काम कर रहे थे। सैलरी देने में भी दिक्कत होने लगी। रातों-रात कंपनी बंद करनी पड़ी। घरवालों के 4 लाख रुपए लगे थे। बाकी पैसे मार्केट से लिए थे। हमारे पास इतने पैसे भी नहीं बचे कि कमरे का किराया भर पाएं। मुझे आज भी याद है- बाइक बेचकर किराया चुकाया था।’ कहते-कहते गोविंद थोड़े मायूस हो जाते हैं। कुछ देर ठहरने के बाद कहते हैं, ‘मैंने सोचा कि अब छोटे लेवल से बिजनेस शुरू करूंगा। हम तीन भाई हैं। तीनों ने साथ मिलकर स्किन केयर प्रोडक्ट इंपोर्ट करना शुरू किया। साल 2010-11 के बाद इंडिया में ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म आ चुका था। मैंने बॉडी डिटॉक्स करने वाले फुट पैच या हील पैड जैसे प्रोडक्ट इंपोर्ट करके ऑनलाइन बेचना शुरू किया। ‘यूनिलाइफ’ नाम से कंपनी बनाई। ये ऐसे प्रोडक्ट हैं, जिसकी इंडिया में डिमांड है, लेकिन मैन्युफैक्चरिंग नहीं है। आपको यकीन नहीं होगा। 20 हजार रुपए से मैंने ये बिजनेस शुरू किया था। शुरुआत में दो-चार ऑर्डर आते थे। आज हर रोज 150 के करीब ऑर्डर आते हैं। मैंने ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म को लेकर भी एक खुद की कंपनी शुरू की।’ गोविंद मुझे प्रोडक्ट के कुछ सैंपल दिखा रहे हैं। उनका प्रीमियम स्टोन यानी क्वार्ट्ज ग्रेन का भी बिजनेस है। गोविंद कहते हैं, ‘इस स्टोन की सप्लाई गुजरात के मोरबी में होती है। ग्लास, सेरेमिक और कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री में इसका इस्तेमाल होता है। उदयपुर में हमारी माइनिंग साइट है। यहीं पर क्वार्ट्ज स्टोन तैयार किया जाता है। फिर इसे थर्ड पार्टी को सप्लाई करते हैं।’ क्वार्ट्ज ग्रेन का बिजनेस? ‘जब इंपोर्ट्स इंडस्ट्री में कनेक्शन बनने लगे, तो पता चला कि क्वार्ट्ज ग्रेन की माइनिंग राजस्थान के कुछ जिलों में होती है। हमने थर्ड पार्टी वेंडर्स के साथ कॉन्टैक्ट करके ‘अल्फा नेचुरल्स’ की शुरुआत की। आज 15 से ज्यादा क्लाइंट हैं, जो थोक में स्टोन खरीदते हैं। यह महंगा होता है। इसे ज्यादातर एक्सपोर्ट किया जाता है।’ 2019 तक बिजनेस अच्छा चलने लगा। इसी बीच एक रोज मुझे ब्रेन स्ट्रोक आ गया। आधा शरीर पैरालाइज्ड हो गया। करीब तीन-चार महीने तक मैं बेड पर था। धीरे-धीरे रिकवरी हुई, तो मैंने सोचा कि अब खुद के बिजनेस के साथ-साथ दूसरों के बिजनेस बनाने में भी मदद करूंगा। बतौर बिजनेस मेंटॉर काम करने लगा। करीब 3 सालों में मैंने 50 से ज्यादा सेमिनार्स अटेंड किए हैं। ‘शेप योर ड्रीम’ के नाम से यंग जनरेशन को बिजनेस के बारे में बताता हूं। मैंने एक किताब भी लिखी है- बिजनेस बियॉन्ड लिमिट्स। लोगों के लिए यकीन करना मुश्किल होता है कि एक मसाला बेचने वाला आज तीन कंपनी चला रहा है।

दैनिक भास्कर 20 Jan 2025 5:11 am

आज का एक्सप्लेनर:ट्रम्प की शपथ में 'कचरे वाला ट्रक', सेकेंड्स में सौंपी जाएगी न्यूक्लियर फुटबॉल; वो सबकुछ जो जानना जरूरी है

आज डोनाल्ड ट्रम्प अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति बनेंगे। ट्रम्प की शपथ, सत्ता का ट्रांसफर और बाइडेन की विदाई... पूरी सेरेमनी करीब 6 घंटे चलेगी। इसी दौरान ट्रम्प को न्यूक्लियर फुटबॉल सौंपी जाएगी और व्हाइट हाउस से बाइडेन की सभी निशानियां भी हटा ली जाएंगी। ट्रम्प सरकार के इनॉगरेशन डे की सभी रोचक और जरूरी बातें; जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में... सवाल 1: 20 जनवरी को शपथ ग्रहण से पहले ट्रम्प क्या-क्या करेंगे? जवाब: 20 जनवरी को शपथ ग्रहण के दिन की शुरुआत सेंट जॉन्स एपिस्कोपल चर्च से होगी। इसे 'राष्ट्रपतियों का चर्च' भी कहते हैं। सवाल 2: ट्रम्प के शपथ ग्रहण के दौरान क्या-क्या होगा? जवाब: हमेशा कैपिटल हॉल बिल्डिंग की सीढ़ियों पर शपथ ली जाती है, लेकिन इस साल अमेरिका में 1789 के बाद सबसे कम तापमान रहने वाला है। तब रोनाल्ड रीगन ने -13C टेम्परेचर में शपथ ली थी, इस बार तापमान लगभग -7 C होगा। इसलिए ट्रम्प यूएस कैपिटल हॉल के अंदर की गुंबद के आकार की एक बिल्डिंग 'कैपिटल रोटुंडा' में शपथ लेंगे। बाहर जमा करीब 20 हजार लोग इसे नहीं देख पाएंगे। सबसे पहले वेंस उप-राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे। वेंस को सुप्रीम कोर्ट के जज ब्रेट कैवनोग शपथ दिलाएंगे। शपथ में वेंस को अंग्रेजी में कहना होगा- मैं सत्यनिष्ठा से शपथ लेता हूं कि मैं सभी विदेशी और घरेलू दुश्मनों से अमेरिका के संविधान की रक्षा करूंगा, कि मैं इसके प्रति सच्ची आस्था और निष्ठा रखूंगा; कि मैं इस दायित्व को स्वतंत्र रूप से स्वीकार करता हूं; और कि मैं जिस पद पर आसीन होने वाला हूं उसके कर्तव्यों का भलीभांति और ईमानदारी से निर्वहन करूंगा। अतः हे प्रभु मेरी सहायता करें। सवाल 3: ट्रम्प की शपथ ग्रहण के बाद क्या-क्या होगा? जवाब: शपथ ग्रहण के बाद ट्रम्प अमेरिका की जनता को अपने दूसरे कार्यकाल का पहला भाषण देंगे। पिछले कार्यकाल के लिए 2017 में शपथ लेने के बाद उन्होंने लगभग 17 मिनट का भाषण दिया था। सवाल 4: शपथ ग्रहण समारोह के बाद पूर्व राष्ट्रपति नए राष्ट्रपति को एक ब्रीफकेस देते हैं, इसमें क्या होता है? जवाब: अमेरिका के नए राष्ट्रपति को शपथ ग्रहण के बाद पूर्व राष्ट्रपति एक ब्रीफकेस सौंपते है। इसे न्यूक्लियर फुटबॉल कहते हैं। यह काले रंग का ब्रीफकेस अमेरिका के राष्ट्रपति को न्यूक्लियर बम कंट्रोल करने की शक्ति देता है। इस ब्रीफकेस में न्यूक्लियर वॉर का प्लान और मिसाइल्स के वेरिफिकेशन कोड्स होते हैं। प्रेसिडेंट को परमाणु हमले का आदेश देने के लिए अपनी पहचान बतानी होती है। ये पहचान सिर्फ उनका नाम या उनकी आवाज नहीं हो सकती, उन्हें इस बॉक्स में रखे अपने वेरिफिकेशन कोड बताने होते हैं। बाइडेन जब ट्रम्प की शपथ में शामिल होंगे तब भी उनके साथ यह बॉक्स रहेगा। जैसे ही ट्रम्प शपथ लेंगे, बाइडेन के जिस मिलिट्री ऑफिसर के पास न्यूक्लियर बॉल होगी, वह इसे ट्रम्प के मिलिट्री ऑफिसर को सौंप देगा। इस दौरान दो और ऑफिसर जो ट्रम्प के पीछे एक पिलर के पास खड़े रहेंगे वह, बॉल के इस एक्सचेंज को अपने पीछे छिपा लेंगे। यह बॉक्स हर समय लगभग सभी देशों के मुखिया के साथ रहता है। यानी कोई भी न्यूक्लियर बॉल को एक ऑफिसर के हाथ से दूसरे ऑफिसर के हाथ में जाते नहीं देख पाएगा। ये सब इतना तेजी से किया जाता है कि एक भी पल के लिए ऐसा नहीं हो सकता कि न्यूक्लियर बॉल पर नए या पुराने किसी भी प्रेसिडेंट का कंट्रोल न हो। ये इस बात का प्रतीक है कि अमेरिका हर समय जरूरत पड़ने पर न्यूक्लियर अटैक के लिए तैयार रहता है। सवाल 5: पुराने राष्ट्रपति का सामान हटाने और नए राष्ट्रपति का सामान लाने के लिए सिर्फ 6 घंटे का समय क्यों होता है? जवाब: पुराने राष्ट्रपति यानी बाइडेन शपथ ग्रहण के दिन सुबह 10 बजे के आसपास व्हाइट हाउस छोड़ेंगे। दस बजे व्हाइट हाउस का स्टाफ इकठ्ठा होकर पूर्व राष्ट्रपति और उनकी पत्नी को विदाई देता है। इस दौरान चीफ अशर, बाइडेन को व्हाइट हाउस की लकड़ी की वर्कशॉप में हाथ से बना एक गिफ्ट बॉक्स देगा। इसमें दो अमेरिकन झंडे होंगे, जो बाइडेन ने ओवल ऑफिस में पहले दिन और आखिरी दिन लगाए थे। बाइडेन के व्हाइट हाउस छोड़ने से पहले तक यहां कोई बड़ा बदलाव नहीं किया जा सकता। इसके बाद नए राष्ट्रपति शाम को करीब 4 बजे तक व्हाइट हाउस में दाखिल होते हैं। इसलिए पूरे एग्जीक्यूटिव रेजिडेंस से पुराना सामान हटाने, नया सामान रखने और साफ-सफाई वगैरह के लिए सिर्फ 6 घंटे होते हैं। व्हाइट हाउस के स्टाफ के 100 लोग सुबह 4 बजे जागकर तैयारी शुरू करते हैं, इसमें किसी छोटी सी भी गलती की गुंजाइश नहीं होती। सुरक्षा कारणों से पैकिंग और मूविंग के लिए कोई बाहरी व्यक्ति नहीं बुलाया जाता। पुराने राष्ट्रपति के साथ वह सामान नहीं जाता जो उन्हें बतौर राष्ट्रपति गिफ्ट में मिला होता है। इसे नेशनल आर्काइव में रख दिया जाता है। अगर बाइडेन ऐसा कोई गिफ्ट ले जाना चाहेंगे तो उन्हें मार्केट के हिसाब से उसकी सही कीमत सरकार को देनी होगी। सवाल 6: ट्रम्प के आने से व्हाइट हाउस में क्या-क्या बदल जाएगा? जवाब: पूरी प्लानिंग राष्ट्रपति के चुनाव के दिन से ही शुरू हो जाती है। व्हाइट हाउस के चीफ अशर नए प्रेसिडेंट की टीम को एक सवालों की लिस्ट नए प्रेसिडेंट की ट्रांजीशन टीम को भेजता है। इसमें प्रेसिडेंट क्या खाना पसंद करते हैं, से लेकर वह कौन सा शैंपू इस्तेमाल करते हैं, तक सारे सवाल पूछे जाते हैं। चीफ अशर शुरू से आखिर तक प्रेसिडेंट की पत्नी से संपर्क में रहता है। मिलानिया ट्रम्प ने जो चीजें चुनी होंगी, मैरीलैंड से उन्हें लाकर व्हाइट हाउस में सजाया जाएगा। जिस तरह बाइडेन ने अमेरिका के सामाजिक कार्यकर्ता सीजर शावेज का बुत अपने ऑफिस में रखा था, उसी तरह ट्रम्प भी कुछ चीजें चुनकर अपने ऑफिस में रखवा सकते हैं। कमरों के पेंट से लेकर, कार्पेट के रंग तक मिलानिया का तय किया हुआ होगा। कई बार ये मांग बहुत ज्यादा भी हो सकती है, जैसे प्रेसिडेंट रूजवेल्ट शिकार के शौकीन थे, वह अपने साथ दीवारों पर लगाने के लिए खाल से बने जानवरों के पुतले लाए थे। कई कलाकृतियां और कुछ सामान ऐसा भी है, जिसे नहीं हटाया जा सकता। जैसे 1865 में अब्राहम लिंकन की हत्या के पहले उनका बेडरूम जैसा था, उसे जस का तस रखा जाएगा। हिलेरी क्लिंटन व्हाइट हाउस को उस समय के मॉडर्न आर्ट्स के हिसाब से सजाना चाहती थीं, व्हाइट हाउस हिस्टोरिकल एसोसिएशन ने इसका विरोध किया। वहीं प्रेसिडेंट रीगन लॉन में एक स्विमिंग पूल बनाना चाहते थे, लेकिन उनकी सिक्योरिटी सर्विस ने सुरक्षा कारणों से इसके लिए मना कर दिया। सवाल 7: वाइट हाउस से निकलने के बाद बाइडेन कहां रहेंगे? जवाबः बाइडेन के पास अमेरिका के डेलावेयर प्रांत के विलमिंगटन शहर में एक बड़े तालाब के किनारे 6,850 वर्ग फीट में बना एक शानदार घर है। वह पिछली बार 2017 में उप-राष्ट्रपति पद से हटने के बाद इसी घर में रहने गए थे। वह अपने साथ बड़ी तादाद में कागज ले गए थे, इनमें कुछ क्लासीफाइड डाक्यूमेंट्स भी थे। अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस ने इस मामले की जांच भी की थी। वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट के अनुसार बाइडेन ने 3 बेडरूम वाले इस घर को 3 करोड़ रुपए में खरीदा था। अब इसकी कीमत करीब 17 करोड़ है। बाइडेन ने अपने संस्मरण 'प्रॉमिस मी डैड' में लिखा है कि वह 2017 में अपने बेटे बीयू बाइडेन के कैंसर के इस घर पर दूसरी बार लोन लेने जा रहे थे। उन्होंने तब के अमेरिकी प्रेसिडेंट बराक ओबामा को इस बारे में बताया तो उन्होंने कहा, 'ऐसा मत करो, मैं पैसे दूंगा।' ---------- ट्रम्प से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें मंडे मेगा स्टोरी- अमेरिका में मंगलवार को ही वोटिंग क्यों:राष्ट्रपति को कुछ हुआ तो 18 लोग कुर्सी के लिए हमेशा क्यों तैयार रहते हैं अमेरिका में 50 राज्य हैं। भारत की तरह वहां भी जनसंख्या के हिसाब से हर राज्य की सीटें तय हैं। जैसे उत्तर प्रदेश में 80 लोकसभा सीटें हैं, उसी तरह कैलिफोर्निया में 54 इलेक्टोरल वोट्स हैं। पूरी खबर पढ़ें...

दैनिक भास्कर 20 Jan 2025 5:07 am

जब नागाओं की तरह रेत पर लोटने लगी विदेशी महिला:इंसानी हड्डियों की माला पहनकर संगम में डुबकी; कुंभ की 8 दिलचस्प कहानियां

साल 1942, दुनिया दूसरा विश्वयुद्ध लड़ रही थी। ब्रिटेन ने जबरन भारतीयों को युद्ध में धकेल दिया था। इससे भारत के बड़े नेता नाराज थे। इसी साल इलाहाबाद में कुंभ लगा। कुंभ को लेकर अंग्रेजों की खासी दिलचस्पी होती थी। वे कुंभ को ग्रेट फेयर कहते थे और टैक्स के जरिए इससे कमाई भी करते थे। एक रोज भारत के वायसराय गवर्नर जनरल लॉर्ड लिनलिथगो कुंभ मेला देखने पहुंचे। मदन मोहन मालवीय भी उनके साथ थे। मालवीय का कुंभ से खास लगाव था। वे अक्सर प्रयाग जाते रहते थे। कुंभ में लाखों लोगों की भीड़ और आस्था को देखकर वायसराय दंग रह गए। उन्होंने मालवीय से पूछा- ‘इस मेले में इतनी बड़ी संख्या में लोगों को जुटाने के लिए कितना पैसा प्रचार-प्रसार पर खर्च हुआ होगा?’ मालवीय ने कहा- ‘सिर्फ दो पैसे।’ वायसराय ने हैरान होकर पूछा- ‘क्या कहा आपने, केवल दो पैसे?’ मालवीय ने जेब से पंचांग निकाला और उसे दिखाते हुए कहा- ‘ये दो पैसे में मिलता है, जो हर भारतीय के घर में होता है। इसमें लिखा है कि किस साल और किस तिथि को कुंभ लगेगा और कब कौन सा स्नान होगा। लोग तारीख देखते हैं और उसके हिसाब से घर से निकल पड़ते हैं। इन्हें बुलाने के लिए कोई प्रचार-प्रसार नहीं करना पड़ता।’ आज ‘महाकुंभ के किस्से’ सीरीज के 9वें एपिसोड में कुंभ से जुड़ीं 8 दिलचस्प कहानियां… हड्डियों की माला पहनकर कुंभ का इंतजार, गंगा से कहते हैं- ‘फिर से इस बच्चे को हमारी गोद में देना’ इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर धनंजय चोपड़ा बताते हैं- ‘2001 महाकुंभ की बात है। मैं कवरेज के लिए संगम क्षेत्र में घूम रहा था। मैंने देखा कि कुछ लोग सफेद कपड़ा पहने गुनगुनाते हुए संगम में डुबकी लगाने जा रहे थे। महिला, पुरुष और बच्चे सभी उस ग्रुप में शामिल थे। सबसे आगे चल रहे शख्स के गले में इंसानी हड्डियों की माला थी। मुझे यह जानने की दिलचस्पी जागी कि आखिर ये लोग कौन हैं और गले में हड्ढियों की माला पहनकर क्यों नहाने जा रहे हैं। मैंने उनसे इसकी वजह पूछी। पता चला कि ये लोग मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर से आए हैं। ये एक परंपरा निभा रहे हैं। दरअसल, इनके परिवार में जब कोई कम उम्र में मर जाता है, तो उसे ये लोग दफना देते हैं। फिर घर का मुखिया उसके हड्डियों की माला बनाकर गले में पहन लेता है। ये लोग 12 साल तक कुंभ का इंतजार करते हैं। कुंभ आने पर पूरा परिवार प्रयाग आता है और हड्डियों की माला गंगा में प्रवाहित कर दी जाती है। वे गंगा से प्रार्थना करते हैं कि उस बच्चे के प्रति हमारे कुछ दायित्व थे, लेकिन हम निभा नहीं पाए। हे गंगा मां फिर से बच्चे को हमारी गोद में देना।’ जब नागा साधु ने तलवार की नोक पर टांग लिया फोटोग्राफर का कैमरा प्रयागराज के सीनियर फोटोजर्नलिस्ट स्नेह मधुर बताते हैं- ‘1977 की बात है। मैं कुंभ की कवरेज के लिए संगम पहुंचा था। तब मैं एक मैगजीन के लिए काम करता था। उस दिन नागा साधुओं का स्नान था। मैं नागाओं के जुलूस को फॉलो करने लगा। सुबह का वक्त था। आकाश में बादल थे। अंधेरा सा छाया था। मैंने देखा कि एक जगह घेरा बनाकर नागा साधु तलवारबाजी कर रहे हैं। मैं वहां रुककर तलवारबाजी देखने लगा। अद्भुत दृश्य था। मुझे लगा कि इनकी फोटो लेनी चाहिए। मैंने चुपके से कैमरा निकाला और फोटो खींचने लगा। एक नागा साधु ने मुझे ऐसा करते देख लिया। वो मेरी तरफ दौड़ पड़े और तलवार की नोक पर मेरा कैमरा उठा लिया। सब लोग सकपका गए क्योंकि ऐसा माना जाता था कि नागा गुस्सा होते हैं तो कुछ भी कर गुजरते हैं। मेरे बगल में ही एसपी खड़े थे। नागा साधु ने मुझसे कहा- ‘तुम्हें पता नहीं कि नागा की फोटो खींचना मना है। तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई फोटो खींचने की।’ मैंने कहा- ‘मुझे मालूम नहीं था। मुझे लगा कि फोटो खींच लूंगा तो लोग भी देखेंगे।’ उन्होंने कहा- चलो कैमरे में से रील निकालो। मैंने कहा- फोटो खींची नहीं है। इसके बाद एसपी आ गए। उन्होंने कहा कि बाबा इन्हें छोड़ दीजिए, माफ कर दीजिए। नए हैं, गलती हो गई है। मैं मन ही मन सोच रहा था कि चलो जो भी होगा देखा जाएगा। गलती तो कर ही दी है। पता नहीं क्या हुआ कि नागा साधु का दिल पिघल गया। उन्होंने तलवार से कैमरा मेरे कंघे पर टांग दिया और कहा- ‘चलो मन की मुराद पूरी कर लो। खींच लो मेरी फोटो।’ मैं डरा हुआ था कहीं कुछ गड़बड़ न हो जाए। एसपी ने कहा- ‘बाबा कह रहे हैं, तो फोटो खींच लो। वर्ना ये नाराज हो जाएंगे।’ मैंने नागा साधु की फोटो खींची। बाकी नागा साधु भी उनके पास आ गए थे। वो फोटो एक मैगजीन में छपी भी थी।’ हाथ में बिसलेरी की बोतल, गंदे पानी में डुबकी लगाने के लिए कूद पड़े विदेशी स्नेह मधुर बताते हैं- ‘2007 की बात है। प्रयागराज में अर्धकुंभ लगा था। मैं झूंसी से संगम की तरफ आ रहा था। मैंने देखा कि कुछ विदेशी नदी के पास खड़े थे। वहां पानी कम था और काफी गंदा दिख रहा था। उनके हाथों में बिसलेरी पानी की बोतल थी। उन लोगों ने मुझसे अंग्रेजी में पूछा- ‘क्या हम इसमें स्नान कर सकते हैं?’ मैंने जवाब दिया- ‘नहीं आप लोग यहां मत नहाइए। हेल्थ इश्यू हो सकता है। दूसरी जगह स्नान कर लीजिए।’ पर वे लोग बार-बार दोहरा रहे थे कि ये तो बहुत पवित्र नदी है। दुनिया भर के लोग यहां आते हैं और स्नान करते हैं। हम यहां आए हैं तो नहाकर ही जाएंगे। यहां नहाने का अवसर नहीं खो सकते। मैंने कहा ठीक है जैसी आपकी मर्जी। थोड़ी देर बाद मैंने देखा कि वे लोग अपने कपड़े उतारकर गंदे जल में कूद पड़े। कोई डुबकी लगाने लगा तो कोई आचमन जैसा करने लगा। मैं दंग रह गया कि बिसलेरी की बोतल लेकर चलने वाले इतने गंदे पानी से नहा रहे हैं। ये उनकी श्रद्धा थी। गंगा के प्रति। कुंभ के प्रति। एक विदेशी महिला, नागा साधुओं की तरह बिना कपड़े के संगम की रेत पर लोटने लगी प्रयागराज के सीनियर फोटो जर्नलिस्ट एसके यादव बताते हैं- ‘2001 की बात है। कुंभ की कवरेज के लिए संगम किनारे घूम रहा था। सुबह-सुबह नागा साधु ढोल नगाड़ों के साथ झूमते हुए शाही स्नान के लिए संगम पहुंचे। वे तलवारबाजी कर रहे थे। हर-हर महादेव के नारे लगा रहे थे। जैसे ही नागा साधुओं ने संगम में डुबकी लगाना शुरू किया, 25-30 साल की एक विदेशी महिला अचानक अपने कपड़े उतारने लगी। लोग कुछ समझ पाते, वो बिना कपड़े के तेजी से संगम की तरफ दौड़ी और छलांग लगा दी। कुछ देर बाद महिला स्नान करके बाहर निकली और संगम किनारे रेत के ढेर पर लोटने लगी। नागाओं को देखकर अपने शरीर पर रेत मलने लगी। लोगों के लिए कौतूहल का विषय बन गया। उसे देखने के लिए भीड़ जुट गई। इसी बीच कुछ पुलिस अधिकारी महिला के पास पहुंचे और उसे कंबल ओढ़ाकर थाने में ले गए। बाद में एक मैगजीन ने अपनी कवर स्टोरी में उस महिला की फोटो छापी थी। तब यूपी में बीजेपी की सरकार थी और राजनाथ सिंह मुख्यमंत्री थे। लालजी टंडन के जिम्मे कुंभ मेला था। महिला की फोटो छापने पर लालजी टंडन पत्रकारों से खासा नाराज हुए थे। बाद में कुंभ की रिपोर्टिंग को लेकर पत्रकारों पर लाठीचार्ज भी हुआ। कई दिनों तक पत्रकारों ने धरना भी दिया था। जब कुंभ में एक के बाद एक धमाके हुए, अखबार में लपेटकर रखे गए थे विस्फोटक स्नेह मधुर कुंभ से जुड़ा एक और किस्सा बताते हैं। वे कहते हैं- ‘1989 कुंभ की बात है। शाम का वक्त था। हम लोग संगम क्षेत्र में ‘चलो मन गंगा यमुना तीरे’ कल्चरल प्रोग्राम देख रहे थे। करीब 6 बजे बम फटने जैसी आवाज आई। हम लोग चौंक गए। लगा कोई पटाखा फटा होगा। कुछ सेकेंड बाद एक और धमाका हुआ। हम लोग फौरन बाहर निकले। बाहर देखा तो सबकुछ सामान्य था। इस बीच एक और धमाके की आवाज आ गई। जिधर से आवाज आ रही थी, उधर ही हम आगे बढ़ने लगे। थोड़ी देर में लोग पैनिक होने लगे। इधर-उधर भागने लगे। चूंकि उस दिन मेन बाथिंग डे नहीं था, इसलिए भगदड़ जैसी स्थिति नहीं बनी। जब हम वहां पहुंचे तो देखा बांग्ला भाषा में लिखे अखबार में विस्फोटक रखे हुए थे। जिन्हें पुलिस ने बरामद कर लिया। इसमें कोई हताहत नहीं हुआ था। कुछेक लोगों को हल्की चोटें आई थीं। हालांकि ये पता नहीं चल सका कि धमाके किसने किए और क्यों किए, लेकिन इसका असर अगले कुंभ में देखने को मिला। उस कुंभ में जो एसएसपी आए थे, उनके साथ ब्लैक कमांडोज थे। उनका कहना था कि दहशत फैलाने वालों को ये दिखाना जरूरी है कि हम तैयारी के साथ आए हैं।’ टीन के बने भोंपू से नाम पुकारा जाता था, एक ही दिन हजारों लोग अपनों से बिछड़ जाते थे ‘भारत में कुंभ’ किताब में धनंजय चोपड़ा लिखते हैं- ‘2001 में सदी का पहला कुंभ प्रयाग में लगा। उस रोज मौनी अमावस्या थी। हम लोग स्नान की कवरेज के बाद भूला-भटका शिविर पहुंचे। भीड़ इतनी कि लोग कैंप की बल्लियों पर चढ़कर बिछड़े परिजनों की पर्चियां ले रहे थे। आठ हजार स्क्वायर में बना कैंप दोपहर होने से पहले ही खचाखच भर गया था। किसी की मां खो गई थी, तो किसी की पत्नी भूल गई थी, तो किसी का बेटा भटकते हुए यहां आ पहुंचा था। मैंने देखा कि सैकड़ों की संख्या में बूढ़ी महिलाएं और बच्चे आंखों में आंसू लिए अपनों की राह देख रहे थे। हर कोई चाहता था कि उसका नाम जल्दी से जल्दी एनाउंस कर दिया जाए। शिविर के बाहर भी भूले-भटके लोगों का नाम नोट कराने वालों की भीड़ बढ़ती जा रही थी। पुलिस को लोगों की कतार लगवाने में मशक्कत करनी पड़ रही थी। दिल उस समय और भी दहल गया, जब एक बूढ़ी महिला रो-रोकर बता रही थी कि उसे अपने गांव का नाम तो मालूम है, लेकिन राज्य या जिले का नाम नहीं पता। ऐसी ही कहानी कई महिलाओं और बच्चों की थी।' 'मेला क्षेत्र में लाउडस्पीकर से आवाज गूंज रही थी- 'मुन्ने की अम्मा, मुन्ने की अम्मा... जहां कहीं भी हो.. तुरंत भूले-भटके शिविर में पहुंचो... यहां आपके पति राम नारायण गांव सिहोरी जिला बलिया इंतजार कर रहे हैं। बिछड़ों को मिलाने का जुनून पाले लोग लगातार कोशिश करते रहते हैं कि जो बिछुड़ गया है, उसे जल्दी-से-जल्दी उसके साथियों से मिलवा दिया जाए। ऐसे ही एक जुनूनी थे राजाराम तिवारी। भारत सेवा दल संस्था बनाकर उन्होंने 70 साल तक भूले-भटके शिविर का संचालन किया। कुंभ मेलों और माघ मेलों में बिछुड़े-भटके दस लाख से भी ज्यादा लोगों को उनके परिजनों से मिलाया। 18 की उम्र में 1946 से यह काम करने वाले राजाराम पहले टीन से बने भोंपू से चिल्लाकर नाम पुकारा करते थे। बाद में यह काम लाउडस्पीकर से होने लगा। धीरे-धीरे प्रशासन ने भी उनका साथ देना प्रारंभ कर दिया। राजाराम तिवारी की लोकप्रियता इतनी थी कि वे 'भूले-भटके या 'भूले-भटकों के बाबा' कहे जाने लगे थे। 88 साल की उम्र में 2016 में उनकी मृत्यु हो गई।' ईसाई मिशनरी ने कुंभ में जमीन मांगी, धर्मांतरण के लिए प्रयाग पहुंचा पादरी इतिहासकार हेरंब चतुर्वेदी अपनी किताब ‘कुंभ : ऐतिहासिक वांग्मय’ में लिखते हैं- ‘1840 के प्रयाग कुंभ में एक पादरी धर्मांतरण के नजरिए से मेले में आया। वह दस दिनों तक वहां रहा। उसने अपनी यात्रा के बारे में लिखा- ‘20 जनवरी की बात है। साधु-संतों ने काफी पहले से तैयारी शुरू कर दी थी। पचास-पचास कदमों की दूरी पर फूस की अस्थाई झोपड़ियां बनी थीं। इसके भीतर साफ-सुथरे कमरे बनाए गए थे। हर कुटी के सामने चार फीट ऊंची मिट्टी डाल कर चबूतरा बनाया गया था। इसके ऊपर कुछ इंच ऊंची एक दीवार सिरे के चारों ओर फैली हुई थी। इस पर गेरू की सुंदर लिपाई की गई थी। इन चबूतरों पर दिन में वे धूप-सेवन और धर्म-ग्रन्थों का पाठ करते थे। हर डेरे में एक शानदार झंडा बहुत ऊंचे बांस में लहराता रहता था।’ हालांकि वह धर्मांतरण के एजेंडे में कामयाब नहीं हो सका। ईसाई मिशनरी कुंभ में अपना शिविर लगाते थे। तीर्थयात्रियों की सेवा के साथ-साथ वे धर्मप्रचार भी करते थे। हिंदू साधु-संत उनका विरोध कर रहे थे। प्रयागराज के क्षेत्रीय अभिलेखागार में 30 दिसंबर 1880 की एक चिट्ठी सहेजकर रखी गई है। इसमें कहा गया है कि ईसाई मिशनरियों को चौड़ी सड़क के किनारे मनमाफिक जगह दी जाए, जहां वे अपना शामियाना लगा सके। यह चिट्ठी पादरी जॉनस्टन ने इलाहाबाद के तब के जॉइंट मजिस्ट्रेट मिस्टर विंसन को लिखी थी। स्केच : संदीप पाल महाकुंभ से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... संतों ने चिमटे बजाकर कहा-मोदी को PM बनाओ: प्रधानमंत्री बनते ही कुंभ पहुंचीं इंदिरा; सोनिया का प्रोटोकॉल कोड था-पापा वन, पापा टू, पापा थ्री प्रयाग के कांग्रेस नेता अभय अवस्थी बताते हैं- ‘मेरे पुराने साथी सोनिया गांधी की सुरक्षा में लगे थे। उनके वायरलेस पर बार-बार एक मैसेज आ रहा था- पापा वन, पापा टू, पापा थ्री। मैंने उनसे पूछा कि ये क्या है? तब उन्होंने बताया कि ये सोनिया गांधी का प्रोटोकॉल कोड है। वो स्नान करने के बाद तीन जगहों पर जाएंगी। ये कोडवर्ड उन्हीं तीन जगहों के लिए हैं।’ पढ़िए पूरी खबर... नेहरू के लिए भगदड़ मची, 1000 लोग मारे गए:सैकड़ों शव जला दिए गए; फटे कपड़े में पहुंचे फोटोग्राफर ने चुपके से खींची तस्वीर साल 1954, आजाद भारत का पहला कुंभ इलाहाबाद यानी अब के प्रयागराज में लगा। 3 फरवरी को मौनी अमावस्या थी। मेले में खबर फैली कि प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू आ रहे हैं। उन्हें देखने के लिए भीड़ टूट पड़ी। जो एक बार गिरा, वो फिर उठ नहीं सका। एक हजार से ज्यादा लोग मारे गए। सरकार ने कहा कि कोई हादसा नहीं हुआ, लेकिन एक फोटोग्राफर ने चुपके से तस्वीर खींच ली थी। अगले दिन अखबार में वो तस्वीर छप गई। पढ़िए पूरी खबर... नागा बनने के लिए 108 बार डुबकी, खुद का पिंडदान:पुरुषों की नस खींची जाती है; महिलाओं को देनी पड़ती है ब्रह्मचर्य की परीक्षा नागा साधु कोडवर्ड में बातें करते हैं। इसके पीछे दो वजह हैं। पहली- कोई फर्जी नागा इनके अखाड़े में शामिल नहीं हो पाए। दूसरी- मुगलों और अंग्रेजों के वक्त अपनी सूचनाएं गुप्त रखने के लिए यह कोड वर्ड में बात करते थे। धीरे-धीरे ये कोर्ड वर्ड इनकी भाषा बन गई। पढ़िए पूरी खबर...

दैनिक भास्कर 20 Jan 2025 5:05 am

दैनिक भास्कर नो निगेटिव मंडे के 10 साल:पायल के हाथ कटे तो पैरों से पढ़ने लगीं, गांववालों ने पहाड़ काटा, पीएम मोदी ने की तारीफ

हर सोमवार को छपने वाले दैनिक भास्कर के खास एडिशन ‘नो निगेटिव मंडे’ के आज 10 साल पूरे हो गए। भास्कर पिछले 10 सालों में 522 सोमवार को ऐसी सैकड़ों पॉजिटिव खबरें पब्लिश चुका है, जिससे हजारों लोगों की जिंदगी बदल गई। ये दुनिया का ऐसा पहला इनीशिएटिव है। पीएम मोदी इसकी तारीफ कर चुके हैं। ऐसी ही चुनिंदा कहानियों पर बनी दैनिक भास्कर की विशेष डॉक्यूमेंट्री देखने के लिए ऊपर थंबनेल पर क्लिक करिए…

दैनिक भास्कर 20 Jan 2025 5:04 am

‘केजरीवाल ने वादा तोड़ा, लेकिन BJP तो घर छीन लेगी’:कचरे के पहाड़ पर जिंदगी- दबकर मरो या बीमारी से, शिकायत की तो बेघर

‘एक दिन कचरे का ढेर ढह गया। मेरे पति के भाई उसमें दब गए। मेरी सास खूब रोईं, तब से ही बीमार हैं। हमने डर से FIR भी नहीं कराई। पुलिस आती तो काम रुक जाता, बस्ती भी उजाड़ देते। आज तक लाश नहीं मिली। मेरी 4 साल की बेटी भी पेट के इन्फेक्शन से मर गई।’ दिल्ली के गाजीपुर में दूर से ही जो कचरे का पहाड़ नजर आता है, उसी के पास बस्ती में रुखसाना रहती हैं। ये रुखसाना की कहानी है। जब वो ये सुना रही होती हैं तो उनकी सास रुकैया बस हमें देखती रहती हैं। लेकिन ये अकेली कहानी नहीं है। पास ही रहने वाली अजमीरा भी लैंडफिल साइट पर कचरा बीनती हैं। गंदगी में रहने की वजह से फेफड़ों में इंफेक्शन हो गया। सांस लेने में तकलीफ है। काम से कोई शिकायत नहीं। बस यहां सुविधाएं न मिलने से नाराज हैं। AAP विधायक से गुस्सा हैं, लेकिन ये भी नहीं चाहती कि BJP आए। कहती हैं, ‘BJP आई तो बस्ती उजाड़ देगी। हम कहां जाएंगे।’ दिल्ली में रोज 11 हजार टन कचरा निकलता है। ये कचरा 3 लैंडफिल साइट्स गाजीपुर, ओखला और भलस्वा में जाता है। सिर्फ गाजीपुर में 84 लाख टन कचरा और 3500 टन गंदा पानी जमा है। दिल्ली कचरे से बोझ से दबी जा रही है। इससे होने वाला पॉल्यूशन भी बड़ा मसला है, लेकिन विधानसभा चुनावों में ये कचरा और यहां रहने वाले लोगों की दिक्कतें कोई मुद्दा नहीं हैं। दिल्ली में 5 फरवरी को विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग होनी है। दैनिक भास्कर की स्पेशल सीरीज ‘हम भी दिल्ली’ के तीसरे एपिसोड में हम तीनों लैंडफिल साइट्स से प्रभावित दो तरह से किरदारों से मिले। इनके जरिए समझिए लैंडफिल साइट्स वाली कोंडली, बादली और ओखला विधानसभा सीट पर क्या चुनावी माहौल है। यहां रहने वाले लोगों के बीच ये कितना बड़ा चुनावी मुद्दा है। पॉलिटिकल पार्टीज से उनकी क्या उम्मीदें हैं। सबकी परेशानी की वजह कचरा, लेकिन शिकायतें अलग-अलगमोनू, अजमीरा और उनके जैसे लोगों की परेशानियां और उनके लिए चुनाव के मायने समझने हम उनकी बस्ती में पहुंचे। यहां एक तबका आसपास की कॉलोनियों में रहने वाला मिला, जो चाहते हैं कि उनके घर के सामने से कचरे का पहाड़ हट जाए। वे चाहते हैं कि इसे शहर से दूर ले जाना चाहिए। कहानी के दूसरे किरदार वो लोग हैं, जो इसी कचरे के ढेर पर जिंदगी गुजार रहे हैं। इनका घर कचरे से होने वाली कमाई से चलता है। उनकी परेशानियों की वजह भी यही कचरा है। वे फिर भी नहीं चाहते कि लैंडफिल साइट्स और उनकी बस्ती यहां से हटाई जाए। बस्ती के लोगों की बात…किरदार: रुखसानागंदे पानी से बेटी की जान गई, जेठ कूढ़े के ढेर में दबकर मरेसबसे पहले हम गाजीपुर लैंडफिल साइट पहुंचे। यहां कचरे का 65 मीटर ऊंचा पहाड़ है। ये दिल्ली की मशहूर कुतुबमीनार से सिर्फ 7 मीटर कम है। इस पर चढ़ने में करीब एक घंटा लगता है। यहां की आबोहवा में भयंकर बदबू और जहरीली गैस घुली हुई है। दोपहर 12 बजे से लोग यहां कचरा बीनने आने लगते हैं। चेहरे पर न मास्क, न शील्ड या न ही किसी के हाथ में दस्ताने। यहां हमारी मुलाकात रुखसाना से हुई। वे इस कचरे के पहाड़ से सिर्फ 100 मीटर दूर झुग्गी में रहती है। हम उनसे बात कर ही रहे थे, तभी प्लांट में काम कर रहे लोग वहां आ गए और वीडियो बनाने से रोक दिया। रुखसाना हमें अपने घर ले गईं। पति पास में ही गार्बेज प्लांट में सफाई कर्मचारी है। घर में चार बच्चे और सास रुकैया हैं। पिछले साल रुकैया के बड़े बेटे अंसार की कचरे के ढेर में दबने से मौत हो गई। तभी से वे बीमार रहती हैं। रुखसाना के घर के एक कमरे में कचरे की बोरियां भी रखी हैं और चूल्हा भी। वे बताती हैं, 'हम कचरा घर ले आते हैं। यहीं प्लास्टिक, डिब्बे, बोतल और इलेक्ट्रॉनिक सामान अलग-अलग करते हैं। कुछ सामान बोरियां में भरकर घर पर भी रखते हैं, ताकि जरूरत पड़ने पर बेच सकें।’ रुखसाना का दिन सुबह 6 बजे से शुरू हो जाता है। वे बताती हैं, ‘यहां पीने का पानी नहीं है। थोड़ी दूर से लाना पड़ता है। बाकी कामों के लिए पड़ोसी से पानी मांग लेते हैं। उनके घर में बोरिंग है। इसके लिए हर महीने 1200 रुपए देते हैं।’ ‘पानी इतना खारा है कि आंखों में जलन होती है। शरीर पर खुजली होती है। पिछले साल मेरे पूरे परिवार को एलर्जी हो गई थी। शरीर पर छोटे दाने निकल आए थे। डॉक्टर ने बताया कि ये गंदा पानी पीने की वजह से हुआ है। पानी में सफेद रंग का कुछ निकलता था। कीड़े भी आते थे। अब पानी कपड़े से छानकर लाती हूं।' इसी गंदे पानी की वजह से 3 साल पहले रुखसाना की बेटी की मौत हो गई थी। वे बताती हैं, '2022 में बेटी को डबल निमोनिया हो गया था। वो सिर्फ 4 साल की थी। कलावती अस्पताल में उसका इलाज कराया। पानी की वजह से पेट में इंफेक्शन भी हो गया था। हम उसे नहीं बचा सके।' जेठ अंसार की मौत के बारे में पूछने पर रुखसाना बताती हैं, ‘कूड़े के ढेर में दब गए थे। आज तक डेडबॉडी नहीं मिली। हम FIR लिखवाना चाहते थे, बस्ती के लोगों ने रोक दिया। कहने लगे कि अगर शिकायत करेंगे तो यहां काम बंद हो जाएगा। बस्ती खाली करा देंगे।’ केजरीवाल ने फ्री बिजली दी, BJP आई तो हमें उजाड़ देगीइतनी तकलीफों के बीच भी रुखसाना को दिल्ली सरकार से कोई शिकायत नहीं। वे कहती हैं, 'कुछ दिन पहले विधायक आए थे। यहां काम पहले से अच्छा हो गया है। बिजली फ्री हो गई है। बस फ्री मिलती है। मां से मिलने फ्री में चले जाते हैं। अरविंद केजरीवाल ने सड़क बनवाने का वादा किया है। वो पानी की लाइन डालेंगे। नाली का काम शुरू हो गया है।’ किरदार: अजमीरान साफ पानी, न टॉयलेट, सिर्फ बीमारियां और लाचारी मिलीरुखसाना के घर से कुछ दूर अजमीरा रहती हैं। वे भी गाजीपुर लैंडफिल साइट पर कचरा बीनती हैं। परिवार में तीन बच्चे हैं। अजमीरा बताती हैं, 'कचरे के पहाड़ तक पहुंचने में एक घंटा लग जाता है। वहां तक जाए बिना काम नहीं होता क्योंकि ताजा कचरा पहाड़ पर सबसे ऊपर मिलता है। इसके बाद दिनभर गंदगी के बीच रहते हैं। खांसी, गले में खराश और कभी-कभी सीने में दर्द पीछा नहीं छोड़ता।’ ’20 दिन पहले की बात है। मुझे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। फिर एक रात सीने में भी दर्द होने लगा। एक्स-रे कराया, तो फेफड़ों में इंफेक्शन का पता चला। डॉक्टर ने कुछ दिन आराम करने को कहा। अब अगर आराम करेंगे तो बच्चों का पेट कौन भरेगा। अब मैं दवा खाकर काम पर जाती हूं।' 'महीने के 4 से 6 हजार रूपए कमाते हैं। उसी में मुश्किल से गुजारा होता है। झुग्गियों में सिर्फ एक टॉयलेट है, वो भी 500 मीटर दूर है। वहां रात में जाना सेफ नहीं होता है।’ BJP की सरकार नहीं चाहिए, वो आए तो झुग्गी हटा देंगे चुनाव के जिक्र होते ही अजमीरा के मन की बात सामने आ जाती है। वो कहती हैं, 'नेताओं के वादे हवा में उड़ जाते हैं। एक बार सड़क बनी थी, लेकिन अब वो भी टूट चुकी है। विधायक कुलदीप कुमार ने जीतने के बाद कभी झुग्गियों की सुध नहीं ली। BJP से तो हमें पहले ही उम्मीद नहीं है। वो सिर्फ झुग्गी हटाने का काम करती है।' किरदार: लाड़लीकचरा और गंदगी से परेशान, बीमारी की वजह से काम छूटा इस झुग्गी में बिहार, यूपी और पश्चिम बंगाल से आए कई लोग रहते हैं। कोलकाता से आकर यहां बस गईं लाड़ली कहती हैं, 'बिजली की कोई परेशानी नहीं है। सबके घर में मीटर लगे हैं। जब से आई हूं, तबसे यहां कचरे का पहाड़ देख रही हूं। इसी से कबाड़ बीनकर यहां कई लोगों के घर चल रहे हैं। मैं भी पहले कचरा बीनती थी। अब बीमारी की वजह से नहीं जाती हूं।' किरदार: रीता देवीकीचड़ में रहते 10 साल हो गए, फिर भी AAP सरकार ठीक हैआगे बढ़े तो रीता देवी घर के बाहर भरा गंदा पानी हटाती मिलीं। वो 10 साल पहले बिहार के दरभंगा से आकर यहां बसी थीं। दिल्ली की ही वोटर हैं। पति रिक्शा चलाते हैं। रीता कहती हैं, ‘यहां पानी और कीचड़ बहुत ज्यादा है। आपको तो यहां तक आने में दिक्कत हुई। हम तो इसी में रहते हैं।‘ ‘बर्तन अंदर धोती हूं, तो पानी बाहर आ जाता है। यहां नाली नहीं बनी है। पानी न हटाऊं तो झुग्गी वाले झगड़ा करते हैं। इसी गंदगी में सब काम करना पड़ता है। 10 साल पहले जब मैं यहां आई थी, तब हालात बेहतर थे। अब यहां भीड़ बढ़ गई है।‘ चुनावी माहौल पूछते ही रीता कहती हैं, ‘अरविंद केजरीवाल को इतने साल में हमारी याद नहीं आई। अब चुनाव के वक्त सड़क बनवाने का वादा करके गए हैं। फिर भी BJP से AAP बेहतर है। बिजली फ्री है। महिलाओं को 2100 रुपए देने के लिए फॉर्म भरवा लिया है। झुग्गी भी नहीं हटाएंगे। BJP आई तो हमें डर है कि हमारी झुग्गी हटा दी जाएगी।’ 2024 तक खत्म होना था कूड़े का पहाड़भलस्वा, ओखला और गाजीपुर की लैंडफिल साइट का कैपेसिटी से ज्यादा इस्तेमाल कर लिया गया है। दिल्ली में म्यूनिसिपल एरिया से रोजाना 11 हजार टन कचरा निकलता है। दिल्ली सरकार ने बीते दिसंबर में सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि रोज सिर्फ 8000 टन कचरा ही ट्रीट हो पाता है। लिहाजा रोज 3000 टन कचरा डंप कर दिया जाता है। 2020 में विधानसभा चुनाव के वक्त गाजीपुर में कचरे के पहाड़ की ऊंचाई 65 मीटर तक पहुंच गई थी। दिल्ली की सबसे पुरानी और सबसे बड़ी गाजीपुर लैंडफिल 2002 में ही बंद होनी थी। दूसरी जगह न होने से यहां कचरा डंप करना जारी रहा। 2019 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने तीनों डंपिंग साइट्स हटाना शुरू करने का आदेश दिया था। दिल्ली म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन ने ओखला में दिसंबर 2023, भलस्वा में मार्च 2024 और गाजीपुर में दिसंबर 2024 तक कचरे का पहाड़ खत्म करने का टारगेट रखा था। तय समय पर कचरा नहीं हटाया जा सका और अब इसे बंद करने की तारीख बढ़ाकर दिसंबर 2028 कर दी गई है। BJP विधानसभा चुनाव में इसे लेकर AAP को घेर रही है। अब लैंडफिल साइट्स के पास बसे कॉलोनी वालों की बात…बारिश में बदबू से यहां जीना मुश्किल, बस ये कचरा हट जाएभलस्वा लैंडफिल साइट के पास ही स्वामी श्रद्धानंद कॉलोनी है। यहां रहने वाले जेपी मिश्रा के लिए चुनाव में कचरा मुद्दा तो नहीं है, लेकिन वो चाहते हैं कि इसे हटाया जाए। वे कहते हैं, ‘मैं पिछले 20 साल से ये कचरा देख रहा हूं। हम यहां रहने आए थे तब कचरा था, लेकिन समतल जमीन हुआ करती थी। फिर ये बढ़ता ही गया और पहाड़ खड़ा हो गया।‘ ‘यहां का पानी बहुत गंदा है। सड़क ठीक नहीं है। बारिश में तो बदबू से सांस लेना मुश्किल हो जाता है। तेज हवा चलती है कि सूखा कचरा उड़कर घर में आ जाता है। पानी-जमीन सब पॉल्यूडेट हैं। यहां रहने वालों को तरह-तरह की बीमारियां हो रही हैं। यहां बहुत मुश्किलों में जी रहे हैं। ‘हालांकि कचरा पहले से कम हुआ है। केजरीवाल सरकार ने यहां काम किया है, लेकिन अब भी बड़ा हिस्सा हटना बाकी है। यहां सरकार चाहे किसी की भी आए, अभी इसे हटने में 3 से 4 साल लग जाएंगे।‘ यहीं रहने वाले मोनू कहते हैं, ‘हम बचपन से यहां कचरे का पहाड़ देख रहे हैं। इसे हटाना इतना आसान नहीं है। बहुत टाइम लगेगा। मेरे ससुराल वाले जब घर आए थे, तब वो भी कह रहे थे कि ये कहां रह रहे हो। हम सब चाहते हैं कि यहां से कचरा पूरी तरह से हटे और यहां कॉलोनी बनाई जाए। कचरा ही नहीं यहां इसके अलावा भी दिक्कतें हैं। यहां नाली, सीवर और गंदे पानी की समस्या है। बारिश में हर तरफ पानी भर जाता है।‘ भलस्वा में ही राजकुमार की दुकान कचरे के पहाड़ के ठीक सामने हैं। वो कहते हैं, ‘हम इसे तब से देख रहे हैं, जब यहां कुछ नहीं था। AAP के अजेश यादव दो बार से चुनाव जीत रहे हैं, लेकिन कोई विकास नहीं किया। 10 साल से सब उसी हाल में है।‘ क्या चुनाव में कचरे का पहाड़ मुद्दा है? राजकुमार कहते है, ‘चुनाव में असली मुद्दा तो पानी, सड़क और सफाई है। यहां पानी की निकासी का कोई सिस्टम नहीं है। कचरा भी मुद्दा है, लेकिन इसे हटाना अब सरकार के लिए चैलेंज हो गया है। इसे हटा पाना आसान नहीं है। ये हट जाएगा, तो यहां के लोगों की सेहत बेहतर हो जाएगी।’ अब बात पॉलिटिकल पार्टीज की…BJP: AAP कचरा हटाने का वादा कर MCD में आई, किया कुछ नहींBJP प्रवक्ता विष्णु मित्तल कहते हैं, ‘दिल्ली के MCD चुनाव में अरविंद केजरीवाल सबसे पहले कचरे के पहाड़ पर फोटो खिंचवाने गए थे। तब उन्होंने कहा था कि अगर हम MCD में आए, तो एक साल में इसे हटवाएंगे। MCD चुनाव जीते 2 साल से ज्यादा हो गए, लेकिन कुछ नहीं हआ। MCD में AAP आई है, तब से कूड़े के ढेर बढ़ गए हैं। केजरीवाल को कच्ची बस्तियों में जाकर देखना चाहिए।’ AAP: BJP ने 15 साल कुछ नहीं किया, हम कचरे का पहाड़ हटाएंगे आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता जय रौनक ठाकुर कहते हैं, ‘दिल्ली को साफ रखने की जिम्मेदारी नगर निगम की है। 15 साल MCD में BJP का शासन रहा। 2022 में जनता ने हमारी पार्टी को चुना। पूर्व CM अरविंद केजरीवाल का प्लान है कि नया कचरा वहां तक न पहुंचे। लेटेस्ट स्टोरेज वेस्ट मैनेजमेंट प्लान के तहत इसका निवारण किया जाए। दिल्ली को कचरे के पहाड़ों से निजात मिलने वाली है।‘ .................................. हम भी दिल्ली सीरीज की पहली और दूसरी स्टोरी...1. क्या ‘वोट जिहाद’ करने वाले हैं बांग्लादेशी और रोहिंग्या, हिंदू कह रहे- इन्हें हटाना जरूरी रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठिए, दिल्ली चुनाव में बड़ा मुद्दा हैं। BJP नेता कह रहे हैं कि AAP अपने वोट बैंक के लिए इन्हें बसा रही है। वहीं AAP लीडर्स का कहना है कि घुसपैठियों के बहाने BJP यूपी से आए लोगों को टारगेट कर रही है। जिन रोहिंग्या और बांग्लादेशियों का नाम लिया जा रहा है, वे क्या कह रहे हैं, पढ़िए पूरी रिपोर्ट... 2. झुग्गियों के लोग बोले- केजरीवाल ने बिजली-पानी-दवा फ्री किए, वही जीतेंगे दिल्ली की सर्द सुबह में चूल्हे पर हाथ सेंक रहीं वनीता को सरकार से बहुत शिकायतें हैं। 60 साल से ज्यादा उम्र हो गई, लेकिन बुजुर्गों वाली पेंशन नहीं मिलती। पीने का पानी लेने दूसरी कॉलोनी में जाना पड़ता है। फिर भी उन्हें अरविंद केजरीवाल का काम पसंद है। वनीता की तरह की दिल्ली की झुग्गियों में रह रहे 3 लाख परिवारों की कहानी हैं। बाकी परिवारों की क्या शिकायतें हैं, पढ़िए पूरी रिपोर्ट...

दैनिक भास्कर 20 Jan 2025 4:59 am

हमास के आतंकियों ने तीन महिलाओं को छोड़ा, तो इजरायल ने भारत को शुक्रिया क्यों कहा?

Ceasefire in Gaza:गाजा में हमास और इजरायल के बीच सीजफायर लागू हो गया है. हमास ने तीन बंधकों को भी छोड़ दिया है. दोनों पक्षों के बीच युद्ध विराम समझौता 15 महीने के संघर्ष के बाद हुआ है. सीजफायर होने के बाद इजरायल ने भारत का भी शुक्रिया अदा किया.

ज़ी न्यूज़ 19 Jan 2025 11:34 pm

बांग्लादेश में तख्तापलट और सैफ पर हमले के बीच कनेक्शन? 'पिशाच पड़ोसी' का ऑपरेशन 'M स्टार'... साजिश गहरी है

Bangladesh and Saif Ali Khan:बांग्लादेश में तख्तापलट और सैफ पर हमले के बीच एक और गजब का संयोग दिखा है. 6 महीने पहले ही तख्तापलट के बाद यूनुस सरकार गठित हुए और बताया जा रहा है कि सैफ पर हमला करने वाला शहजाद भी पिछले 6 महीने से मुंबई में रह रहा था.

ज़ी न्यूज़ 19 Jan 2025 11:32 pm

TikTok पर अमेरिका में बैन होते ही डोनाल्ड ट्रंप ने उठाया ये कदम, चीन हो गया होगा खुश

TikTok ban in USA:अमेरिका में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘टिकटॉक’ पर बैन लगने के कुछ ही घंटे बाद नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बड़ा फैसला लिया है. राष्ट्रपति ट्रंप ने संकेत दिया है कि वह पदभार संभालते ही टिकटॉक को फिर से बहाल कर सकते हैं.

ज़ी न्यूज़ 19 Jan 2025 10:24 pm

Joe Biden: बतौर राष्ट्रपति अपना आखिरी दिन कहां बिता रहे जो बाइडन? चुनी ये खास जगह

Joe Biden Last day as President:अमेरिका के निवर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडन ने अपने कार्यकाल का अंतिम दिन साउथ कैरोलिना में बिताने का फैसला किया है. यह राज्य बाइडन के राजनीतिक सफर में बेहद खास महत्व रखता है.

ज़ी न्यूज़ 19 Jan 2025 10:16 pm

हमास के चंगुल से छूटे तीन बंधक पहुंचे इजरायल, उधर अमन की खबर से गाजा लौटने लगे लाखों फलस्तीनी

Gaza War:फलस्तीनी ग्रुप और इजरायल बीच रविवार को संघर्ष विराम लागू होने के बाद हमास ने तीन बंधकों को छोड़ दिया है. तीनों को लेकर रेड क्रॉस का काफिला इजरायल पहुंच गया है. उधर, अमन की खबर सुनकर लाखों बेघर अपने घर की तरफ लौटने लगे हैं.

ज़ी न्यूज़ 19 Jan 2025 10:00 pm

इस देश में जेल की सलाखों के पीछे जाने को तरस रहे बुजुर्ग, बेहद हैरान करने वाली है वजह?

Japan Elderly:जापान की सबसे बड़ी महिला जेल के अंदर का नजारा किसी नर्सिंग होम जैसा लगता है. झुकी हुई कमरें, झुर्रियों से भरे हाथ और सहारे से चलती बुजुर्ग महिलाएं. कर्मचारियों की मदद से ये महिलाएं नहाती हैं.. खाना खाती हैं और अपनी दवाइयां लेती हैं.

ज़ी न्यूज़ 19 Jan 2025 9:39 pm

आ गई ट्रंप के राज्याभिषेक की शुभ घड़ी, शपथ ग्रहण में क्या-क्या होगा? गुलाबी कैप लगाकर लोग क्यों कर रहे विरोध

Donald Trump Inauguration LIVE Updates:परंपराओं के मुताबिक 20 जनवरी यानी अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप की शपथ ग्रहण की शुभ घड़ी आ गई है. सुपरपावर देश के राष्ट्रपति का चुनाव और शपथ ग्रहण दोनों राजा-महाराजा के राज्याभिषेक जैसा होता है, जो कई दिन चलता है. इनॉग्रेशन में अब तक क्या-क्या हो चुका है और आयोजन कैसेआगेबढ़ेगा, आइए जानते हैं.

ज़ी न्यूज़ 19 Jan 2025 9:09 pm

अफ्रीका के इस देश में बड़ी अजीब परंपरा, महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग-अलग है भाषा

Nigeria: नाइजीरिया के एक गांव में अनोखी परंपरा देखी जाती है, जहां पुरुष और महिलाएं अलग-अलग भाषा बोलते हैं. इस गांव में बच्चे पहले महिलाओं की भाषा बोलते हैं और फिर बड़े होने पर पुरुषों की भाषा बोलने लगते हैं.

ज़ी न्यूज़ 19 Jan 2025 7:17 pm