ईरान पर कब हमला करेगा अमेरिका? सामने आ गई तारीख! जानिए खामनेई के पास कितना वक्त
US Vs Iran:अब अमेरिकी सेना के स्ट्राइक ग्रुप का मूवमेंट बताता है कि हमले से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ईरान को चारों तरफ से घेरना चाहते हैं ताकि युद्ध में ईरान को किसी किस्म की विदेशी मदद ना मिल सके.
DNA: खामेनेई का 'पुष्पा' वाला तेवर! इजरायल को कर दिया धुआं-धुआं; कई इमारतों को किया 'ध्वस्त'
DNA Analysis:खामेनेई का मुकाबला दुनिया के सबसे ताकतवर मुल्क अमेरिका और इज़रायल से है. आज ईरान कीहाइपरसोनिक और बैलिस्टिक मिसाइलों ने इज़रायल की राजधानी तेल अवीव को दहला दिया.इज़रायल पर सबसे भीषण हमला करके ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामेनेई ने भी एक तरह से एलान कर दिया. वो भी झुकेंगे नहीं.
ईरान और इजरायल के बीच जंग जारी है. इस जंग में इजरायल के अमेरिका है लेकिन ईरान अकेला खड़ा नजर आ रहा है. इसी को लेकर कुछ लोगों का कहना है कि ईरान को बेटियों का श्राप लगा है.
40 फाइटर जेट, 100 बम... कैसे इजरायल ने ईरान की न्यूक्लियर पावर खत्म कर उसे घुटनों पर ला दिया
Israel Iran war: 40 लड़ाकू विमान और 100 बमों के साथ इजरायल ने ईरान पर ऐसा हमला किया कि उसकी सारी न्यूक्लियर साइट्स को भी लपेट लिया. ईरान कुछ नहीं कर पाया. इजरायली फाइटर जेट्स ने दर्जनों ईरानी बिल्डिंग्स पर 100 से अधिक सटीक-गाइडेड हथियार दागे, जिनमें अराक हैवी वाटर रिएक्टर और परमाणु हथियारों से जुड़ी एक साइट भी ध्वस्त हो गई.
ईरान के कैसे समर्थक? बगदाद से लेकर बेरूत तक सब खामोश, 'कोई नहीं उठा रहा फोन'
Israel Iran war:ईरान लंबे वक्त से मिडिल-ईस्ट में इसी “एक्सिस ऑफ़ रेसिस्टेंस” नाम के सहयोगी समूह के ज़रिए अपनी ताक़त बढ़ाता आया है. लेकिन जब इज़रायल ने पहली बार ईरानी धरती पर बड़े पैमाने पर हमले किए, तो ये ग्रुप चुप्पी साधे रहे.ऐसे में सवाल उठता है कि क्या ईरान ये जंग अकेले लड़ रहा है? और ये संगठन चुप्पी क्यों साधे हुए हैं.
ईरान ने दागी बैलेस्टिक मिसाइल जान बचाकर भागे नेतन्याहू? वायरल वीडियो को सच क्या है
Israel Iran war news: अब परमाणु बम फूटेगा या हाइपरसोनिक हथियार छूटेगा या ईरान दहलेगा, चंद घटों में मिडिल-ईस्ट की सबसे ख़तरनाक पिक्चर दिखाई देने वाली है. जिसका असर पाकिस्तान पर पड़ सकता है क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ऐलान कर दिया है कि कुछ बड़ा होने वाला है, घड़ी की सुइंया परमाणु धमाके से भी ख़तरनाक संकेत दे रही हैं.
Iran-Israel: इजरायली शख्स के अपने मंत्री को घेरने के गलत दावे से वीडियो वायरल
बूम ने पाया कि यह वीडियो साल 2022 का है जब इजरायल के दो नेताओं के बीच आपस में बहस हो गई थी.
इजरायल का सबसे बड़ा अस्पताल तबाह, बेड से उठकर भागे मरीज, अस्पताल के अंदर का खौफनाक मंजर वायरल
Israel hospital video: ईरानी मिसाइल के हमले के बाद इजरायल केसोरोकाअस्पताल में विनाशलीला दिखी. 1000 बिस्तरों वाले अस्पताल पर ईरानी मिसाइल के हमले के बाद दहशत के खौफनाक निशान नजर आए. अस्पताल कर्मचारियों को धुएं से भरे गलियारों से बाहर भागते देखा गया. वहां कांच के टुकड़े फर्श पर बिखरे थे.वीडियो जिसने भी देखा उसका दिल दहल गया.
बांग्लादेश के लिए ही 'भस्मासुर' बन गए रोहिंग्या मुस्लिम, शरणार्थियों ने उठाए हथियार तो हिली सरकार
रोहिंग्या मुसलमानों को शरण देने वाले बांग्लादेश के लिए ये शरणार्थी भस्मासुर बन सकते हैं.रोहिंग्या समुदाय एक विद्रोही गुट ने म्यांमार के रखाइन प्रांत में सक्रिय अराकान सेना के खिलाफ हथियार उठा लिए हैं.
Mahmoud Moradkhani On Iran-Israel War: ईरान केसर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के भतीजे ने ही अपने चाचा क खिलाफ बगावत की हुंकार भर दी है. भतीजे महमूद मोरदखानी ने खुलेआम कहा है किइस्लामिक गणराज्य का अंत ही असली शांति का रास्ता है.
एलन मस्क के SpaceX बेस में बड़ा धमाका, ज्वालामुखी जैसे हजारों फीट ऊंची आग की लपटें उठीं
Spacex Base exploded during Starship Testing: एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स के टेक्सास शहर में स्थित बेस में गुरुवार को बड़ा धमाका हुआ. स्टारशिप टेस्टिंग के दौरान ये विस्फोट हुआ, जिसमें आग की ऊंची लपटें उठीं.
कनाडा की खुफिया एजेंसी CSIS ने एक ऐसी रिपोर्ट जारी की है, जो भारत के लिए बड़ी जीत है और कनाडा के पूर्व पीएम जस्टिन ट्रूडो के लिए करारा तमाचा. आप सभी को पता है कि जस्टिन ट्रूडो के कार्यकाल के दौरान भारत से रिश्ते कनाडा के कैसे रहे थे.
अमेरिका से ही 55 साल पहले मिला था जो घातक हथियार, उसी से इजरायल को दहला रहा ईरान
Iran Israel War: अमेरिका ने दोस्ती के दौर में ईरान को अपना सबसे घातक हथियार दिया था, लेकिन वही हथियार अब इजरायल के लिए बुरा सपना साबित हो रहा है. ईरान इन्हीं हथियार का इस्तेमाल कर इजरायल के शहरों में मिसाइलें दाग रहा है.
ईरान को लगा 16 साल की लड़की का श्राप! सेक्स स्कैंडल में सूली पर लटकाई गई साहालेह फिर चर्चा में
Iran Israel War on Social Media: इजरायल से ईरान में दिख रहे बर्बादी के मंजर के बीच सोशल मीडिया पर वहां की सरकार और अदालतों के जुल्मों की कहानियां भी सामने आ रही हैं. ऐसा ही एक मामला 16 साल की लड़की अतेफेह साहालेह का है, जिसे फांसी दे दी गई थी.
Israel iran war:न्यूज एजेंसीरॉयटर्स में एक छपी खबर ने पूरी दुनिया को हिला दिया है. डोनाल्ड ट्रंप ने रात में चुपके से ईरान को तबाह करने की मंजूरी दे दी है. यानी अब अमेरिका इजरायल के साथ खामनेई के देश का मिटा देगा भूगोल! जानें पूरी खबर.
Iran Israel War in Hindi: ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह खामेनेई ने इजरायल के खिलाफ जंग का ऐलान कर दिया है. इससे पहले उन्होंने फारसी भाषा में इस्लामी आयतें पढ़ीं और उसके बाद युद्ध की घोषणा कर दी.
इंसानी शरीर से वेस्ट की तरह निकली यूरीन अब नए अवतार में शरीर के अंदर दांतों और हड्डियों के इंप्लांट यानी प्रत्यारोपण की तरह काम करेगी. लेकिन ये कैसे होगा. साइंटिस्ट्स को ये आइडिया कैसे आया? इससे क्या फायदा होगा. पूरी जानकारी के लिए ऊपर दी गई इमेज पर क्लिक कर देखें वीडियो
तारीख थी 20 मार्च 2000 और शाम को करीब साढ़े 7 बजे थे। अनंतनाग के चित्तीसिंहपुरा गांव में हम सभी सिख रेडियो पर समाचार सुन रहे थे। उस दिन अमेरिका के राष्ट्रपति बिल क्लिंटन भारत में थे। अचानक बिजली कट गई, पूरे गांव में अंधेरा हो गया। आर्मी की वर्दी में दो गाड़ियों से कुछ लोग आए और सिक्योरिटी चेक के नाम पर सभी मर्दों को घर से बाहर निकालने लगे। उनके हाथ में बंदूकें थीं। उन लोगों ने सरदारों को गुरुद्वारे के बाहर एक लाइन से खड़ा कर दिया और गोलियां बरसाने लगे। गोलियों की आवाज सुनते ही मैं जान-बूझकर नीचे गिर पड़ा। कोई जिंदा तो नहीं बचा ये तसल्ली करने के लिए उन्होंने फिर गोलियां बरसाईं। इस बार गोली मेरी कमर में लगी, लेकिन मैं अपनी जगह से हिला भी नहीं। आतंकियों ने गांव के 35 सरदार मार दिए, लेकिन 25 साल बाद भी वो पकड़े नहीं गए। पहलगाम हमले में भी आतंकियों ने यही किया। वो भी अभी तक पकड़े नहीं गए हैं। ब्लैकबोर्ड में कहानी जम्मू-कश्मीर के चित्तीसिंहपुरा गांव के उन सरदार परिवारों को जिन्हें आतंकियों ने मार दिया था और 25 साल बाद भी आतंकी पकड़े नहीं गए अनंतनाग जिले के चित्तीसिंहपुरा गांव में घुसते ही ऐसा लगता है जैसे पंजाब हो। दूर से ही गुरुद्वारे की अरदास सुनाई देती है। गुरुद्वारे की दीवार पर आज भी गोलियों के निशान हैं। गोलियों के निशान के बीच उन सरदारों की फोटो भी लगी है, जिन्हें आतंकियों ने गोलियों से भून दिया था। यहां रहने वाले सरदार परिवारों के जेहन में वो दिन भी किसी तस्वीर की तरह छपा हुआ है। यहां रहने वाले 65 साल के नानक सिंह वही सरदार हैं जो उस दिन जिंदा बच गए थे। अपने कमरे में कंबल ओढ़े बैठे नानक सिंह कहते हैं कि 'ऐसा कोई दिन नहीं बीतता जब वो मंजर याद न आता हो। मैं उस दिन जिंदा तो बच गया था लेकिन मेरा पैर खराब हो गया था। उन आतंकियों ने जाने से पहले टॉर्च जलाकर ये तसल्ली की थी कि कोई जिंदा न बचे। मुझे कमर में गोली लगी फिर भी चिल्लाया नहीं। मन ही मन वाहे गुरु, वाहे गुरु जपता रहा।' नानक सिंह कहते हैं, 'अगर मुझे समय पर इलाज मिल जाता तो मेरा पैर खराब ना होता। मैं अब लंगड़ा कर चलता हूं। उस दिन मेरे घर के पांच लोग मारे गए, जिसमें मेरा बेटा, मेरा छोटा भाई और मेरे तीन कजिन थे।' अपने बेटे की तस्वीर की तरफ इशारा करते हुए नानक सिंह कहते हैं कि 'ये मेरे बेटे गुरमीत की तस्वीर है। उस वक्त 16 साल का था। ये तस्वीर उसने मौत के 15 दिन पहले ही खिंचवाई थी। गुरमीत ने उसी साल 10वीं पास की थी। उस रोज मेरा बड़ा बेटा घर पर नहीं था, वरना आतंकी उसे भी मार देते।' ये कहते ही नानक सिंह की आंखों में आंसू आ जाते हैं। कुछ देर रुककर वो अपने आंसू पोंछते हुए कहते हैं- 'आज भी उस दिन को याद करते हुए अपने आंसू रोक नहीं पाता हूं। आंखों के सामने अपने बेटे को मरते हुए देखना कितना पीड़ा देता है, इस बात को कोई नहीं समझ सकता। कई तो ऐसे घर थे, जहां कोई मर्द बचा ही नहीं, उन्होंने बाप-बेटे सबको मार दिया था। घटना को 25 साल बीत चुके हैं, लेकिन आज तक उन आतंकियों को सजा नहीं मिली। उन्हें तो आज तक कोई पकड़ भी नहीं पाया।' कुछ देर रुककर गहरी सांस लेते हुए नानक सिंह कहते हैं, 'किसी का सुहाग उजड़ गया तो किसी के घर का चिराग बुझ गया। कई बच्चे अनाथ हो गए। हमारी जिंदगी में एक खालीपन आ गया, जिसे कभी नहीं भरा जा सकता है। निर्दोष लोगों के साथ ये नहीं होना चाहिए। हमें यहां से निकालने की बहुत कोशिश की गई, लेकिन बाकी कश्मीरी पंडितों की तरह हमने घाटी नहीं छोड़ी। उनके लिए तो सरकार ने कई योजनाएं बनाईं लेकिन हमारे बारे में किसी ने नहीं सोचा। हम आज भी यहां खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करते। बच्चे शाम में देर तक बाहर खेलते हैं तो हमें डर लगा रहता है। आज भी हमारे गांव में अस्पताल जैसी बेसिक सुविधा तक नहीं है।' नानक सिंह हाल ही में हुए पहलगाम हमले को लेकर कहते हैं, 'उस घटना ने एक बार फिर हमारे जख्म हरे कर दिए। मैं कितनी भी बातें बोल दूं लेकिन जिनका अपना जाता है उसके खोने का दुख वही जानता है। लोगों का हंसता-खेलता परिवार बिखर गया। लोगों की खुशी चंद मिनटों में मातम में बदल गई।' नानक सिंह के घर के पास ही नरेंद्र कौर का घर है। वो अपने घर में अकेली रहती हैं। उनकी दो बेटियां हैं, जिनकी शादी हो चुकी है। उस दिन को याद करते हुए नरेंद्र कहती हैं कि 'मेरे पति राशन लेकर घर लौटे ही थे तभी आतंकी अचानक घर में घुसे और पति के साथ देवर को भी बाहर ले गए। घर के सामने ही सभी को लाइन में खड़ा करके गोली मार दी। मेरी आंखों के सामने ही मेरा सुहाग उजड़ गया। मैं वहां खड़ी थी, लेकिन कुछ कर नहीं सकी। ऐसा लगा जैसे किसी ने मेरे शरीर से रूह अलग कर दी हो।' ये कहते हुए नरेंद्र इमोशनल हो जाती हैं। रुंधे गले से कहती हैं कि 'वो मेरी जिंदगी का सबसे मुश्किल दौर था। मैंने अकेले अपने बच्चे पाले हैं। विधवा के लिए बच्चे पालना कितना मुश्किल होता है ये कोई सोच भी नहीं सकता। हर रात गोलियों की आवाज मेरे कानों में गूंजती हैं और हर सुबह उसकी कमी खलती है। मेरे घर के 11 लोग मारे गये थे। मेरे परिवार के सारे मर्द मार दिए।' पति की फोटो दिखाते हुए नरेंद्र कौर कहती हैं कि 'हमारी शादी को 9 साल हुए थे। आंसू पोछते हुए आगे कहती हैं कि ये ऐसा जख्म है जो कभी नहीं भर सकता। मेरी बच्चियों की शादी हो गई और मैं घर में अकेली रहती हूं। ये अकेलापन मुझे खाता है। मुझे आज भी डर लगता है। मैं दीवारों से बातें करती हूं और खुद से झगड़ा करती हूं।' वह रुंधे गले से कहती हैं कि 'तमाम मुश्किलों के बाद मैंने बच्चों को पढ़ाया, उनकी शादी की। मुझे इस बात का अफसोस हमेशा रहेगा कि बच्चों को ज्यादा समय नहीं दे पाई। पति के जाने के बाद नौकरी तो मिल गई लेकिन तनख्वाह से घर का खर्च चला पाना भी मुश्किल था।' नरेंद्र खीझते हुए कहती हैं, 'यहां सरदारों को कोई नहीं पूछता। उस घटना के बाद भी हमें कोई देखने नहीं आया, किसी को हमारी परवाह नहीं। कश्मीरी पंडितों को बसाने के लिए तो बहुत सी योजनाएं लाई गईं लेकिन सरदारों को कश्मीर में बनाए रखने के लिए कुछ नहीं किया गया। हमें बोला गया कि बच्चों को नौकरियां देंगे, लेकिन कुछ नहीं मिला। मेरी एक बेटी ने बीडीएस किया है, दूसरी ने मैथ्स में एमएमसी किया है लेकिन दोनों के पास नौकरी नहीं है।' नरेंद्र आगे कहती हैं कि 'उन हत्यारों को पकड़ा नहीं गया। कश्मीर में सरदारों को लगातार निशाना बनाया गया फिर भी हमने अपनी जमीन नहीं छोड़ी। वो चाहते थे कि हम यहां से चले जाएं लेकिन हम नहीं गये। हमारे लिए कोई कोटा नहीं है, कोई योजना नहीं है लेकिन हम यहां से नहीं जाएंगे। ये हमारा घर है, हमारी जमीन है। अपनी सिक्योरिटी हम खुद हैं। पहलगाम हमले के बाद हमारा डर फिर से ताजा हो गया है। मर्दों को चुन-चुन कर मारा, ठीक वैसे ही जैसे हमारे साथ किया था।' शीतल सिंह भी उस घटना के चश्मदीद हैं। वो कहते हैं कि 'पहलगाम हमले के बाद फिर से मन में एक डर पैदा हो गया। हमारे मन में ये सवाल है कि जिस तरीके से हमारे साथ घटना हुई थी ठीक उसी तरीके से इस घटना को भी अंजाम दिया गया। अगर आतंकी पकड़े नहीं जाएंगे तो ये सब होता ही रहेगा। कश्मीर में सिख अल्पसंख्यक हैं, फिर भी वो लाभ नहीं मिल रहा जो कश्मीरी पंडितों को मिलता है। कश्मीरी पंडितों को स्पेशल पैकेज दिया गया है लेकिन हमें कोई पूछता भी नहीं है।' शीतल कहते हैं कि 'उस वक्त जो शहीद हुए उनके परिवार के लोग ज्यादा पढे़-लिखे नहीं थे इसलिए उन्हें क्लास 4 जॉब मिली। गुजारा मुश्किल था लिहाजा लोगों ने बहुत ही कम दामों में अपनी पुश्तैनी जमीनें बेच दीं। आने वाली पीढ़ी के लिए यहां अब ना जमीन है और ना नौकरी। इसलिए हमारे बच्चे यहां रहना नहीं चाहते। अगर नौकरी नहीं मिली तो आने वाले 10-20 सालों में सिख यहां से पलायन कर जाएंगे।' इसी गांव के रहने वाले ज्ञानी राजेंद्र सिंह बताते हैं, 'उस दिन मारे गए 35 सिखों का अंतिम संस्कार गुरुद्वारे में हुआ था। शहीद सिखों की याद में वहां एक हॉल बना दिया गया है, जहां उनकी तस्वीरें टंगी हैं। लोग अफसोस तो जताते हैं लेकिन हमारे लिए कुछ करते नहीं। हमारे बच्चे पढ़े-लिखे हैं लेकिन यहां नौकरी नहीं है, इसलिए घाटी छोड़कर जा रहे हैं। गांव में अब ज्यादातर बूढ़े ही बचे हैं। एक समय आएगा जब सब लोग यहां से पलायन कर जाएंगे।' 50 साल की कुलवंत कौर के घर वाले भी इस घटना में मारे गये थे। वो कहती हैं, 'मेरे घर के 5 लोगों को आतंकियों ने मार दिया था। उसी शाम मेरा भाई मुझसे मिलने आया था। वो जैसे ही घर में घुसा आतंकी उसे पकड़कर ले गए और गोली मार दी। पति और भाई दोनों एक साथ इस दुनिया से चले गए। उस वक्त मेरे तीनों बच्चे बहुत छोटे थे। उनकी देखभाल करना और परिवार चलाना बहुत मुश्किल था। एक-एक दिन बहुत मुश्किल से गुजरा। ये कहते ही कुलवंत की आंखें डबडबा जाती हैं। रुंधे गले से वह कहती हैं कि मुझे हर दिन ये बात खाती है कि मेरी वजह से वो मारा गया। पति और भाई के एक साथ जाने के बाद मैं टूट गई, अकेली हो गई। मेरा घर तो खाली हो गया। आज भी कोई शाम नहीं गुजरती जब मैं उन्हें याद करके रोती नहीं। सरकार से बस ये उम्मीद है की हमारे लोगों के कातिल तो नहीं पकड़े गये पर ये पकड़े जाने चाहिए। आतंकियों को ये बताना जरूरी है कि हमारी जिंदगी इतनी सस्ती नहीं।'
New Baba Vanga Prediction in Hindi: 'न्यू बाबा वैंगा' की एक भविष्यवाणी की वजह से दुनिया में डर फैलता जा रहा है. उन्होंने कहा है कि 5 जुलाई को बड़ी सुनामी आएगी, जो भारी तबाही मचा देगी. इससे लोगों में अफरा-तफरी मची है.
‘गांव में 10-15 नक्सली हमेशा घूमते रहते थे। वे हथियार लेकर चलते थे। हमें बाजार भी जाना होता था, तो उनसे पूछकर जाते थे। अगर कोई उन्हें बिना बताए गांव से बाहर चला जाता, तो उसे पुलिस का मुखबिर बताकर पीटते थे। कोई उनकी बात नहीं मानता, तो जनताना अदालत लगाकर सजा देते थे। मुखबिरी का आरोप लगाकर कत्ल तक कर देते थे। नक्सलियों के डर से घर के मर्द खुद बाजार नहीं जाते थे, औरतों को भेजते थे।’ नक्सलियों के आतंक की कहानी सुना रहे श्याम कवासी चांदामेटा गांव के रहने वाले हैं। बस्तर के दरभा ब्लॉक में बसा ये गांव 2022 से पहले नक्सलियों का ट्रेनिंग सेंटर था। नक्सलियों ने यहां छोटे बच्चों को भी बंदूक-बम की ट्रेनिंग दी और बाल सेना बनाई। उन्हें सिखाया कि सिक्योरिटी फोर्स पर कैसे नजर रखनी हैं। ‘नक्सलगढ़ से भास्कर’ सीरीज की पांचवी स्टोरी में पढ़िए चांदामेटा से रिपोर्ट... चांदामेटा ओडिशा बॉर्डर के पास छत्तीसगढ़ का आखिरी गांव है। दोनों राज्यों के बीच तुलसी डोंगरी पहाड़ है, जो 2004 से नक्सलियों का ठिकाना था। 2021 में यहां CRPF ने कैंप बनाने का काम शुरू किया। 2022 के बाद से इस इलाके में हालात बदलना शुरू हुए। इसी साल अगस्त में यहां पहली बार लाल झंडे की जगह तिरंगा फहराया गया। 2004 में पहली बार आए नक्सली, बच्चों को ट्रेनिंग देकर बाल सेना बनाईछिंदगुर पंचायत में आने वाले चांदामेटा में 85 घर हैं। करीब 300 लोग रहते हैं। गांव में पहली बार इसी साल फरवरी में पंचायत चुनाव हुए। इसमें 25 साल के श्याम कवासी वार्ड मेंबर चुने गए। श्याम बताते हैं, ‘चांदामेटा में पहली बार नक्सली 2004 के आसपास आए थे। तब मैं बहुत छोटा था। उन्होंने तुलसी डोंगरी पहाड़ पर ठिकाने बना लिए। माड़िया, धुरवा जनजाति के लोग तुलसी डोंगरी को पवित्र मानते हैं और उसकी पूजा करते हैं।’ धीरे-धीरे ये पहाड़ नक्सलियों का मजबूत गढ़ बन गया। नक्सलियों ने गांव के लोगों को संगठन से जोड़ना शुरू किया। उन्होंने बाल सेना भी बनाई थी। ‘गांव का एक आदमी नक्सलियों का लीडर था। अब उसने सरेंडर कर दिया है। पहाड़ से एक आदमी लीडर के पास आता था। वो बोलता था कि चावल और राशन इकट्ठा करके दो। फिर गांव के लोग चंदा करके सामान जुटाते थे और पहाड़ पर ले जाते थे। पहाड़ी के पास एक मैदान है। वहां आम का बाग है। वहां नक्सली मोर्चा लगाकर ट्रेनिंग देते थे।’ ‘गांववालों को बंदूक चलाना, जवानों पर हमला करना सिखाया’श्याम बताते हैं, ‘नक्सली लोगों को अपनी विचारधारा के बारे में बताते थे। यकीन दिलाते थे कि उनकी लड़ाई सही है। वे कहते थे कि सरकार और पुलिस आदिवासियों की दुश्मन है। गांववालों को लड़ाई की ट्रेनिंग दी जाती थी।’ ‘कम उम्र के लड़कों को आर्मी की तरह बंदूकें और राइफल चलाना सिखाते थे। प्रेशर कुकर, टिफिन बम बनाना और उन्हें जवानों के रास्ते में लगाना सिखाते थे। जंगल में छिपकर रहना, घात लगाकर हमला करना और बचकर भाग जाने के तरीके बताते थे। बच्चों को सिखाते थे कि कैसे सिक्योरिटी फोर्स पर नजर रखें और उनके बारे में पता करें। ट्रेनिंग में दौड़-भाग और एक्सरसाइज भी शामिल थी।’ श्याम आगे कहते हैं, ‘गांव में नक्सलियों का आतंक बढ़ गया था। वे किसी को गांव से बाहर नहीं जाते देते थे। मेरे पापा को कैंसर था। इस वजह से हमें बार-बार हॉस्पिटल जाना पड़ता था। नक्सली कहते थे कि हम पुलिस से मिले हैं, इसलिए बाहर रहते हैं। 2015 में पापा नहीं रहे। हमने गांव में उनका अंतिम संस्कार किया और सब कुछ छोड़कर यहां से चले गए।’ ‘करीब 10 साल रिश्तेदारों के पास रहे। तीन साल पहले 2022 में गांव लौट आए। अब ये गांव पूरी तरह बदल गया है। पहले तो रिश्तेदारों के यहां भी नक्सलियों से पूछकर जाना पड़ता था। अगर आप बोलकर गए हैं कि कल लौट आऊंगा और नहीं आए तो नक्सली सजा देते थे।’ 2023 में पहली बार वोटिंग, 2024 में गांव में बिजली आईचांदामेटा बस्तर के उन गांवों में से है, जहां आजादी के बाद पहली बार 2023 के विधानसभा चुनाव के दौरान वोटिंग हुई। पहले यहां के लोग 7 किलोमीटर छिंदगुर पंचायत में वोट डालने जाते थे। अगस्त, 2022 में पहली बार यहां तिरंगा फहराया गया। इस बारे में हमने CRPF के कमांडेंट लेवल के अधिकारी से पूछा। वे मीडिया से बात करने के लिए आर्थोराइज्ड नहीं हैं, इसलिए अपनी पहचान नहीं बताना चाहते। कमांडेंट कहते हैं, ‘पहले यहां तक प्रशासन की पहुंच नहीं थी, इसलिए आप कह सकते हैं कि पहली बार ही तिरंगा फहराया गया।’ हमने गांव में मिल रहीं सुविधाओं के बारे में श्याम से बात की। वे बताते हैं, ‘दो साल पहले ही गांव में प्राइमरी स्कूल बना है। हालांकि, स्कूल में पढ़ाई नहीं होती। टीचर भी एक ही है।’ श्याम आगे बताते हैं, ‘गांव से सबसे नजदीकी हॉस्पिटल छिंदगुर में है। यहां डॉक्टर कम बैठते हैं, इसलिए कोलेंग जाना पड़ता है। वहां अच्छा इलाज न मिले, तो 35 किलोमीटर दूर दरभा जाते हैं।' 'गांव में दो साल पहले सड़क बनी है। हालांकि ये दो पारा तक ही बनी है। गांव के चार पारा में अब भी सड़क नहीं है। हमारे यहां मोहल्ले को पारा बोलते हैं। सड़क तो बन गई, लेकिन शहर तक बस या कोई और पब्लिक ट्रांसपोर्ट नहीं है।’ ‘पिछले साल ही गांव में बिजली आई है। हालांकि लाइट रहती नहीं है। ये सुविधाएं CRPF कैंप बनने के बाद मिल रही हैं। स्कूल और आंगनवाड़ी भी खुल गए हैं। दो मोहल्लों में पानी की टंकी बनी है। बस गांव में मोबाइल नेटवर्क नहीं है। कुछ ऊंची जगहों पर जाएं, तो नेटवर्क मिल जाता है। गांव में एक जगह नेटवर्क आता है। लोग वहीं जाकर बात करते हैं।’ ‘मजदूरी करने बाहर गए थे, नक्सलियों ने मुखबिर बताकर मार डाला’ श्याम कवासी अकेले नहीं हैं, जिन्हें नक्सलियों की वजह से गांव छोड़ना पड़ा। 22 साल के उर्रा कवासी भी नक्सल हिंसा के पीड़ित रहे हैं। नक्सलियों ने पुलिस का मुखबिर बताकर उनके भाई कोसा की हत्या कर दी थी। उर्रा बताते हैं, ‘भैया मजदूरी करने सुकमा जाते थे। वहां एक-दो महीने रहते थे। नक्सलियों ने कहा कि वो पुलिस के लिए मुखबिरी करते हैं। उन्हें पकड़कर मेले में ले गए और सबके सामने मार दिया।’ उर्रा कहते हैं, ‘2022 के बाद से गांव में नक्सली नहीं दिखे। दो साल से धीरे-धीरे डेवलपमेंट हो रहा है। 2023 में मुझे प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर मिला है। गांव में बिजली आ गई है, लेकिन एक महीने से कटी हुई है। शिकायत करने पर भी सुधार नहीं हुआ।’ ‘नक्सली मुखबिर बताकर, पुलिसवाले नक्सली बताकर पीटते थे’गांव के महादेव कश्यप खेती करते हैं। वे पढ़ नहीं पाए क्योंकि गांव में स्कूल नहीं था। उनका छोटा भाई केसा CPI (माओवादी) से जुड़ा है। भाई के बारे में महादेव बताते हैं, ‘10-12 साल पहले केसा संगठन से जुड़ा था। नक्सलियों के साथ एक-दो बार यहां आया था। लंबे वक्त से इधर नहीं आया।’ महादेव कहते हैं, ‘CRPF कैंप बनने से पहले नक्सलियों के साथ-साथ पुलिस भी परेशान करती थी। नक्सली पुलिस का मुखबिर बताकर मारपीट करते थे। पुलिस नक्सली बोलकर पीटती थी। पुलिसवाले दो-तीन बार मुझे भी पकड़कर ले गए थे। बोले कि मैं नक्सली इलाके में रहता हूं। थाने में मुझे 15 दिन रखा, जबकि मैं कभी नक्सलियों के साथ नहीं गया।’ गांव में CRPF कैंप बना तो नक्सली बम लगाकर चले गए जगदलपुर से चांदामेटा गांव तक रास्ते में CRPF के 5 कैंप हैं। गांव में CRPF की 80 बटालियन तैनात है, जिसमें 135 जवान हैं। गांव में कई जगह CRPF के पोस्टर दिख जाते हैं। इनमें माओवाद का साथ छोड़ने की बातें लिखी हैं। CRPF के एक अधिकारी बताते हैं, ‘2021 में यहां कैंप बनना शुरू हुआ था। कैंप वाली जगह नक्सलियों की जनताना अदालत लगती थी। ये इस इलाके में उनका सबसे बड़ा अड्डा था। गांव के कई लोग नक्सलियों से जुड़े थे। उन्होंने सरेंडर कर दिया। 3-4 लोग अब भी माओवादी संगठन से जुड़े हैं।’ ‘कैंप बन रहा था, तब नक्सलियों ने रुकावट डालने की काफी कोशिश की। वे जगह-जगह IED लगा देते थे। कैंप बनने के बाद भी यहां से IED मिली थीं। नक्सली आसपास हमले करते थे, तो इसके बाद यहीं आकर रुकते थे। 2019 तक यहां उनका प्रभाव ज्यादा था।’ ट्रेनिंग वाली जगह अब भी नक्सलियों का स्मारकचांदामेटा गांव से नक्सली चले गए, लेकिन एक मैदान में आज भी नक्सलियों का स्मारक बना है। छिंदगुर के रहने वाले बुदरु राम बताते हैं, ‘इस जगह नक्सली ट्रेनिंग देते थे। गांववालों को मीटिंग में बुलाते थे। आना-जाना, कोई भी काम उनसे पूछकर करना पड़ता था। CRPF कैंप बनने के बाद स्थिति बदली है। अब रात में 12 बजे भी आ-जा सकते हैं।’ बुदरु कहते हैं, ‘मैं नक्सलियों से मिलने जाता था। वे चावल वगैरह मंगाते थे। हम लोगों को देना पड़ता था।’ सरपंच बोले- अच्छे स्कूल चाहिए, फिर सब ठीक हो जाएगासुखमन चांदामेटा के सरपंच हैं। खुद पढ़े-लिखे नहीं हैं, लेकिन चाहते हैं कि उनके इलाके में स्कूलों की हालत सुधर जाए। कहते हैं, ‘अभी टीचर कभी-कभी आते हैं। एक स्कूल में एक टीचर हैं। पढ़ाई की स्थिति सुधर जाए, तो बहुत कुछ ठीक हो जाएगा। कुछ साल पहले यहां BSNL का टावर लगा था। माओवादियों के विरोध की वजह से पहले दिन ही बंद हो गया।’ बस्तर में नक्सलियों के लौटने का खतराचांदामेटा के बारे में बस्तर के जिला पंचायत CEO प्रतीक जैन कहते हैं कि कैंप बनने से पहले वहां स्कूल, आंगनवाड़ी, सड़क, बिजली, कुछ नहीं था। कैंप बनने के बाद लोग खुश हैं। यहां धीरे-धीरे सरकार की योजनाएं पहुंचाई जा रही हैं। प्रतीक जैन बताते हैं, ‘अप्रैल 2025 से केंद्र सरकार ने बस्तर जिले को लिगेसी एंड थ्रस्ट डिस्ट्रिक्ट्स की लिस्ट में रखा है। पहले ये नक्सल प्रभावित जिलों में शामिल था। लिगेसी एंड थ्रस्ट का मतलब होता है कि पहले यहां नक्सलवाद रहा है, लेकिन ऐसा नहीं है कि ये वापस नहीं आ सकता। हमें अलर्ट रहना पड़ेगा।' 'बस्तर जिले में आखिरी नक्सल हमला हुए तीन-चार साल हो चुके हैं। इसलिए सरकार ने जिले को इस कैटगरी में रखा है।’ IG बोले- गांववाले हमारे साथ, अब हालात पहले से बेहतरचांदामेटा से नक्सलियों के भागने और CRPF के कैंप बनाने पर हमने IG राकेश अग्रवाल से बात की। सवाल: चांदामेटा पहुंचना और उसे सुरक्षित करना कितना मुश्किल रहा?जवाब: चांदामेटा ऊंचाई पर बसा है। हम शुरुआत में वहां गए, तो गांववालों के मन में शंका थी। उन्हें डर था कि सिक्योरिटी फोर्स उनके साथ गलत करेगी। हमारा कैंप बन गया, तो गांववाले हमारे साथ घुल-मिल गए। सवाल: चांदामेटा नक्सलियों का ट्रेनिंग सेंटर था। उनकी तरफ से कैसा विरोध हुआ?जवाब: हम काफी फोर्स लेकर गए थे, इसलिए नक्सली जवाबी कार्रवाई करने की स्थिति में नहीं थे। वे वहां से भाग गए। हमने अपना कैंप उसी जगह बनाया, जहां उनकी ट्रेनिंग होती थी। सवाल: क्या अब भी चांदामेटा में नक्सलियों के लौटने का खतरा है?जवाब: अभी हालात सामान्य हैं। अगर उन्हें कोई नक्सली गतिविधि नजर आती है, तो वे तुरंत हमें बताते हैं। बस्तर डिवीजन के 4 जिले अति नक्सल प्रभावितबस्तर जिला होने के अलावा डिवीजन भी है। इस डिवीजन में छत्तीसगढ़ के सात जिले कांकेर, बस्तर, दंतेवाड़ा, नारायणपुर, कोंडागांव, बीजापुर और सुकमा आते हैं। इनमें कांकेर, नारायणपुर, बीजापुर और सुकमा अति नक्सल प्रभावित जिले हैं। मार्च 2024 तक छत्तीसगढ़ में अति नक्सल प्रभावित जिले की कैटेगरी में सात जिले थे। अप्रैल, 2025 तक ये 4 रह गए। इस कैटेगरी में झारखंड का पश्चिम सिंहभूम और महाराष्ट्र का गढ़चिरौली जिला भी शामिल है। अगली स्टोरी में 21 जून को पढ़िए और देखिए अबूझमाड़ में नक्सलियों के खिलाफ सिक्योरिटी फोर्स का LIVE ऑपरेशन.....................................कैमरामैन: अजित रेडेकर..................................... 'नक्सलगढ़ से भास्कर' सीरीज की स्टोरी यहां पढ़िए
‘हम कई साल से यहां रह रहे हैं, हमारे पास सारे कागज हैं, फिर अचानक हमारे घर अवैध कैसे हो गए। हमने सोच लिया है कि यहां से कोई मकान और दुकान खाली नहीं करेगा। हम यहीं जिएंगे, यहीं मरेंगे। किसी के डर से मकान-दुकान खाली नहीं करेंगे।’ जमील अहमद दिल्ली के बाटला हाउस में रहते हैं। वे कहते हैं कि मुसलमानों से शाहीन बाग का बदला लिया जा रहा है। CAA के खिलाफ प्रदर्शन की शुरुआत शाहीन बाग से ही हुई थी। ये कार्रवाई इसीलिए की जा रही है। यहां रह रहे परिवार एक नोटिस पर अचानक घर कैसे छोड़ दें। दरअसल, दिल्ली के बाटला हाउस की मुरादी रोड और खिजर बाबा कॉलोनी में 400 से ज्यादा घरों को अवैध निर्माण का नोटिस मिला है। मुरादी रोड इलाके में दिल्ली विकास प्राधिकरण यानी DDA और खिजर बाबा कॉलोनी में उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग ने नोटिस दिया है। कोर्ट ने खिजर बाबा कॉलोनी के लोगों को तो फिलहाल राहत दे दी है। कार्रवाई पर 3 महीने यानी अगस्त तक रोक लगाई गई है। मुरादी रोड वालों को कोर्ट से राहत नहीं मिली है। कोर्ट ने प्रभावितों को अपील के लिए 3 वर्किंग डे 12 जून से 14 जून तक का वक्त दिया था। इस दौरान 25 लोगों ने पिटीशन लगाई है। हालांकि कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन पर रोक नहीं लगाई है। लोगों को डर है कि उनके घरों पर कभी भी बुलडोजर चल सकता है। दैनिक भास्कर की टीम दिल्ली के बाटला हाउस में ग्राउंड जीरो पर पहुंची और पूरा मामला समझा। बाटला हाउस में कार्रवाई क्यों पूरा मामला 7 मई 2025 को शुरू हुआ, जब सुप्रीम कोर्ट ने ओखला में अवैध निर्माण पर कार्रवाई के लिए दायर याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने दिल्ली विकास प्राधिकरण को बाटला हाउस की मुरादी रोड पर 2.10 बीघा जमीन से अवैध निर्माण तोड़ने का आदेश दिया। कोर्ट ने बाटला हाउस की ही खिजर बाबा कॉलोनी में 3.8 बीघा जमीन पर बने मकानों को भी अवैध करार दिया। यहां कोर्ट ने यूपी सरकार को पीएम उदय योजना के दायरे से बाहर के मकानों को तोड़ने की बात कही है। कोर्ट ने ये भी निर्देश दिया कि तोड़फोड़ से पहले संबंधित लोगों को 15 दिन का नोटिस दिया जाए। इसके बाद 26 मई को मकानों और दुकानों पर नोटिस लगाया गया, जिसमें 15 दिन में घर-दुकान खाली करने का अल्टीमेटम दिया गया था। नोटिस के मुताबिक, 11 जून को घरों को गिराने की कार्रवाई होनी थी। हालांकि 11 जून को तो DDA ने कोई कार्रवाई नहीं की, लेकिन 12 जून की सुबह भारी पुलिस बल मुरादी रोड पहुंचा और सर्वे किया। बाटला हाउस की खिजर बाबा कॉलोनीनोटिस पर बोले- मुसलमानों पर जानबूझकर कार्रवाईसबसे पहले हम बाटला हाउस की खिजर बाबा कॉलोनी पहुंचे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यहां UP के सिंचाई विभाग ने बुलडोजर कार्रवाई का नोटिस जारी किया। ये इलाका भले ही दिल्ली में है, लेकिन प्रशासनिक रूप से सिंचाई विभाग, UP सरकार के अधीन होने का दावा करता है। हालांकि यहां रहने वाले लोगों का दावा है कि UP का सिंचाई विभाग पहले भी कई मामलों में जमीन का मालिकाना हक साबित नहीं कर पाया है और कोर्ट में हार चुका है। नौशाद पिछले 40 साल से बाटला हाउस की खिजर बाबा कॉलोनी में ही रह रहे हैं। मकान के बगल में ही उनका ढाबा है, जिसे वे 10 साल से चला रहे हैं। वे कहते हैं, यहां नोटिस कौन लगाकर गया, मुझे नहीं पता। सुबह जब दुकान खोलने आया, तब चिपका मिला। नोटिस उत्तर प्रदेश के सिंचाई विभाग का है। ‘इसमें लिखा है कि आपको सूचित किया जा रहा है कि ये सरकारी जमीन है। इसे 15 दिन में खाली कर दें। वरना अच्छे-बुरे के जिम्मेदार आप खुद होंगे।’ वे दावा करते हुए कहते हैं, ‘यहां लोगों के पास मकान खरीदने के कागज हैं। लोग टैक्स देते हैं। पानी और बिजली का बिल भी है। इसे लेकर अधिकारियों से बात की, तो वो कहते हैं कि कागज तो हमारे पास भी हैं। हमें अगर स्टे न मिलता तो सब सड़क पर आ जाते। हमें अभी अगस्त तक का वक्त मिला है। हम दोबारा कोर्ट जाएंगे। नौशाद दिल्ली की BJP सरकार पर सिर्फ मुस्लिम इलाकों में कार्रवाई करने का आरोप लगाते हैं। बाटला हाउस का मुरादी रोड इलाकावकील बोलीं- DDA कभी भी मकानों को तोड़ सकता हैखिजर बाबा कॉलोनी के आगे दूसरी गली में ही मुरादी रोड इलाका है। 20 फुट की एक संकरी सड़क दोनों कॉलोनियों को अलग करती है। यहां DDA ने घरों और दुकानों पर अवैध निर्माण के नोटिस लगाए थे और 10 जून 2025 तक इन्हें खाली करने की मोहलत दी थी। इसके बाद यहां रहने वाली सुल्ताना शाहीन समेत 40 लोगों ने याचिका दायर कर सुप्रीम कोर्ट के 7 मई के आदेश को चुनौती दी। उन्होंने दावा किया कि उनका पक्ष सुने बिना कार्रवाई का आदेश दे दिया गया। उनकी प्रॉपर्टी पीएम-उदय योजना के तहत नियमित होने लायक है। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 2 जून 2025 को सुनवाई की और तत्काल रोक से इनकार कर दिया। आम आदमी पार्टी के लोकल विधायक अमानतुल्ला खान ने इसे लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका लगाई थी। अमानतुल्ला खान की तरफ से कोर्ट में वरिष्ठ वकील सलमान खुर्शीद थे। उन्हें असिस्ट करने वाली वकील स्वाति खन्ना ने हमें बताया- हाईकोर्ट ने कहा कि इस मुद्दे को जनहित याचिका में नहीं निपटाया जा सकता। बल्कि DDA के नोटिस से प्रभावित लोगों को संबंधित अधिकारियों के पास जाना चाहिए। कोर्ट ने प्रभावितों को 12 से 14 जून का वक्त दिया था। इन दौरान 25 लोगों ने कोर्ट में नोटिस को चुनौती दी है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने जब DDA से आश्वासन मांगा कि इन तीन दिनों में कोई तोड़फोड़ नहीं की जाएगी, तो DDA के वकील इसके लिए भी सहमत नहीं हुए। जल्दबाजी में दूसरे खसरे वालों के घरों पर भी DDA ने नोटिस चिपकाएमुरादी रोड इलाके में रहने वाले अब तक 6 लोगों को कोर्ट से राहत मिल चुकी है। स्वाति खन्ना के मुताबिक, ये लोग निजी तौर पर कोर्ट गए थे। उनकी दलील थी कि नोटिस वाले खसरा नंबर-279 में नहीं आने के बाद भी उनके घरों पर नोटिस लगा है। खसरा अलग होने के आधार पर इन्हें कोर्ट से राहत मिली है। इन्हीं में से एक जमील अहमद भी हैं। जमील के पिता 60 साल पहले बुलंदशहर से बटला हाउस आए थे। वे तभी से इस इलाके में रह रहे हैं। उनके घर के बाहर भी नोटिस लगाया गया था, लेकिन इसके खिलाफ वे कोर्ट गए। उन्होंने कोर्ट को बताया कि उनका घर खसरा नंबर-283 में आता है। तब जाकर कोर्ट ने उन्हें राहत दी। जमील आरोप लगाते हैं कि मेरे घर की तरह ही DDA ने कई घरों पर बिना सर्वे किए आनन-फानन में नोटिस लगा दिए। DDA को सही से खसरा नंबर भी नहीं पता है। वे बताते हैं, ‘मेरे घर के दोनों तरफ दो दुकानें हैं। मेरा घर खसरा नंबर-283 में है, जबकि मेरी आगे की दुकान खसरा नंबर-279 में है। उस पर नोटिस लगा है।‘ ‘यहां ज्यादातर मकान एक से ज्यादा खसरा में पड़ते हैं। जिस दिन अधिकारी आए थे, उन्होंने बिना कुछ देखे और समझे कहीं भी नोटिस चिपका दिया। उन्हें ये भी नहीं पता था कि कौन-सा खसरा कहां है।‘ यहीं रहने वाले आदिल (बदला हुआ नाम) के घर पर भी नोटिस लगा है। वे कहते हैं कि DDA ने खसरा-279 में आने वाले मकान समझकर जहां भी नोटिस चिपकाया है, वो असल में अलग खसरों में आते हैं। DDA को भी खसरों की सही जानकारी नहीं हैं। वे कहते हैं, ‘DDA पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का प्रेशर था इसलिए नोटिस लगा दिया। इन गलियों में सही खसरा पता लगाना बहुत मुश्किल है। कई लोगों के घर टूटने का डर है। हम सालों से यहां रह रहे हैं, अब अचानक कहां जाकर रहने लगें।‘ किराए पर दुकान वाले भी परेशान, बोले- अचानक कैसे धंधा बंद कर देंमुरादी रोड इलाका में मकान मालिकों के साथ ही किराएदार भी परेशान हैं। यहां कई ऐसे लोग भी मिले, जो किराए पर लेकर दुकान चला रहे हैं। मोहम्मद अब्दुल्ला भी इन्हीं में से एक हैं। E-6 नंबर वाले मकान में उनकी अमान फैशन हब नाम से कपड़ों की थोक और रिटेल दुकान है। वे पिछले 10 साल से यहीं दुकान चला रहे हैं। वे बताते हैं, ‘इलाके में 200 से ज्यादा दुकानें हैं, जिन्हें खाली कराया जा रहा है। सभी दुकान वाले अपना सामान धीरे-धीरे हटा रहे हैं। मेरी दुकान पर 4 लोग काम करते हैं। उनके परिवार को मिलाकर 20 लोगों का गुजारा इसी दुकान के सहारे चलता है।‘ ‘अभी ईद गुजरी है। वैसे हमारे यहां तीन दिन तक त्योहार मनाए जाते हैं, लेकिन इस बार किसी ने त्योहार नहीं मनाया। सबके मन में उदासी है। मार्केट बनता है तो दुकान सेट-अप करने में वक्त और मेहनत दोनों लगता है। हमें लाखों का नुकसान उठाना पड़ेगा। बहुत सारे लोग बेरोजगार हो जाएंगे। DDA को जब पता था, तो ये बिल्डिंग और मार्केट बनते वक्त ही बताना चाहिए था।‘ अब्दुल्ला कहते हैं कि हमें दिल्ली सरकार से उम्मीद थी कि वो जो कहकर सरकार में आए थे वही करेंगे, लेकिन यहां तो सब उसके उलट ही हो रहा है। DDA और सिंचाई विभाग का कोई जवाब नहीं आयाहमने मामले को लेकर DDA के अधिकारियों से बात करने की कोशिश की। सबसे पहले हम DDA हेडक्वॉर्टर पहुंचे। यहां रिसेप्शन पर हमें बताया गया कि विकास भवन में ही नोटिस को लेकर कोई जानकारी मिलेगी। जब हम विकास भवन पहुंचे तो ब्लॉक नंबर-4 में हमें रिसेप्शन पर रोक लिया गया। हमने DDA के डायरेक्टर अजय कादयान से मिलने की कोशिश की, लेकिन रिसेप्शन पर बैठे शख्स ने पहले हमसे जनसुनवाई में आने के लिए कहा। फिर डिप्टी डायरेक्टर और डायरेक्टर के सेक्रेटरी से बात कराई। यहां से हमें डायरेक्टर का नंबर दे दिया गया। हालांकि उन्होंने हमारे कॉल और मैसेज का जवाब नहीं दिया। इसके बाद हमने UP सिंचाई विभाग से भी कॉन्टैक्ट करने की कोशिश की, लेकिन खबर लिखे जाने तक उनकी तरफ से भी कोई जवाब नहीं आया। BJP सरकार बनने के बाद दिल्ली में हुए बुलडोजर एक्शन दिल्ली में BJP सरकार बनने के बाद से बुलडोजर कार्रवाई काफी चर्चा में रही है। 11 जून 2025 को गोविंदपुरी में कथित बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों की अवैध बस्तियां बताकर बुलडोजर चलाया गया। 8 जून 2025 को बुराड़ी के कादीपुर गांव में श्रीश्याम कॉलोनी में 100 से ज्यादा मकानों पर DDA ने अवैध निर्माण को लेकर नोटिस जारी किए हैं। 1 जून 2025 को साउथ दिल्ली के कालकाजी में भूमिहीन कैंप में मौजूद झुग्गियों को तोड़ने के लिए बुलडोजर चलाया गया। 4 मार्च 2025 को यमुना नदी के किनारे बसी झुग्गियों पर बुलडोजर कार्रवाई की गई। ............................... ये खबर भी पढ़ें... 'स्कूल गेट पर मेल बाउंसर ने पकड़े बेटी के हाथ' दिल्ली में रहने वाली पिंकी पांडे के दोनों बच्चे DPS द्वारका में पढ़ते हैं। बेटा 10वीं और बेटी छठी क्लास में हैं। वे बताती हैं, ‘मेरी बेटी DPS द्वारका में पढ़ती है। 16 मई की सुबह हम उसे लेकर स्कूल पहुंचे, लेकिन बाउंसर्स ने अंदर नहीं जाने दिया। वहां एक टीचर बच्चों की लिस्ट लेकर खड़ी थी। वो बच्चों की पहचान करके बता रही थी कि किसे रोकना है। मेरी बेटी को मेल बाउंसर ने हाथ पकड़कर रोका।‘ पढ़िए पूरी खबर...
Israel Iran War Latest News: ईरान-इजराइल में जंग लगातार घातक होती जा रही है. दुनिया में डर है कि अगर यह जंग परमाणु युद्ध में बदली तो क्या होगा. कहीं ऐसा न हो कि इससे तीसरा विश्व युद्ध ही शुरू हो जाए.
DNA: ईरान का 'ऐलान-ए-जंग', तीसरे विश्वयुद्ध की आहट... क्या अलबर्ट आइंस्टीन की आशंका होगी सच?
DNA Analysis:ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामेनेई ने इज़रायल के खिलाफ आधिकारिक तौर पर जंग का एलान कर दिया है. खामेनेई ने कहा ईरान दुश्मनों पर कोई रहम नहीं करने जा रहा.जंग में पहली बार हाइपरसोनिक हथियारों का इस्तेमाल भी शुरू हो गया है.
Israel-Iran Airstrike:अमेरिकी एयरफोर्स ने 30 विमान मिडिल ईस्ट के लिए रवाना किए हैं. ये सभी विमान टैंकर एयरक्राफ्ट हैं. यानी ये हवा में ही फाइटर जेट में ईंधन भर सकते हैं. अमेरिकी मीडिया में ऐसी भी खबरें हैं कि वायुसेना ने चार B-52 बॉम्बर्स भी सऊदी अरब और इराक के सैन्य अड्डों पर भेजे हैं.
DNA: तेहरान की तबाही पर मौन है सुन्नी मुल्क...ईरान-इजरायल युद्ध कैसे हो गया 'शिया बनाम सुन्नी'?
DNA Analysis: ईरान और इज़रायल के बीच चल रही जंग में अब तक ईरान के 585 लोग मारे गए हैं. और 1 हजार 326 लोग घायल हुए हैं. इस जंग में मुस्लिम मुल्क जॉर्डन ने खुलकर इज़रायल की मदद करनी शुरू कर दी है.
DNA: कभी एक-दूसरे पर जान छिड़कते थे ईरान-इजरायल; फिर कैसे हो गई गब्बर और ठाकुर जैसी दुश्मनी
Iran-Israel War:दोस्ती दुश्मनी में ऐसी बदली कि एक तरफ ईरान इजरायल के खिलाफ प्रॉक्सी वॉर में उतरा तो वहीं ईरान दूसरे देशों में ईरानी बेस पर हमले करने लगा. जो दो मुल्क 1979 तक कट्टर दोस्त थे, वो आज आर-पार की जंग लड़ रहे हैं.
PM Modi Croatian Visit News: दुनिया में भारत की साख लगातार बढ़ रही है, जिसे सभी देश महसूस कर रहे हैं. पीएम मोदी आज क्रोएशिया पहुंचे तो उनके स्वागत के लिए वहां के पीएम खुद एयरपोर्ट पहुंच गए.
Ayatollah Ali Khamenei Vs Benjamin Netanyahu: इजरायल को सबक सिखाने की कसम खाने के साथ ही ईरान के सुप्रीम लीडर खामनेई ने इजरायल और अमेरिका को मारने का चक्रव्यूह रच दिया है. हालांकि तेहरान का प्लान कितना कामयाब होगा ऐसी संभावनाओं से इतर पाकिस्तान की मरण मानो तय हो गई है. ईरान जीते या इजरायल जानकार कह रहे हैं कि पाकिस्तान की मौत तय है.
Pakistan News:पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल असीम मुनीर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ व्हाइट हाउस में लंच करने वाले हैं. लेकिन इससे पहले ही उनका जमकर मजाक उड़ाया जा रहा है.
चीन में विस्फोट का पुराना वीडियो इजरायल-ईरान संघर्ष से जोड़कर वायरल
बूम ने पाया कि वायरल विस्फोट का यह वीडियो चीन में 2015 में हुए एक केमिकल एक्सप्लोजन का है.
अंदर से खा जाता है शरीर, इस देश में फैल रहा खतरनाक फंगस, वैज्ञानिकों के भी फूले हाथ-पैर
Aspergillus Fumigatus:अमेरिका के कई शहरों में एकघातक और दवा प्रतिरोधी कवक तेजी से फैल रहा है. वैज्ञानिकों ने इस खतरनाक को फंगस को लेकर चेतावनी जारी की है.एस्परगिलस फ्यूमिगेटस के नाम से जाना जाने वालाफंगल संक्रमण काफी डराने वाला है.
ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई ने इजरायल के खिलाफ युद्ध का ऐलान कर दिया है. खामनेई ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दी जानकारी में संदेश लिखा है कि चाहे कुछ हो जाए इजरायल को न बख्शेंगे और ना ही उसके ऊपर कोई नरमी बरतेंगे.
Israel-iran war:पिछले कुछ दिनों से ईरान और इजरायल के बीच तनाव चरम पर है. दोनों देशों के बीच पहले सिर्फ बयानबाजी होती थी, इस बार जमकर जंग हो रही है. इसी बीचसंयुक्त राष्ट्र में ईरान के राजदूत अली बहरैनी ने साफ-साफ बता दिया है कि अगर इजरायल ने हमले किए, तो ईरान इसका जवाब बिना किसी हिचकिचाहट के देगा, यानी अब ईरान ने जंग में पूरी तरह उतरने का मन बना लिया है.
Iran News: खतरे में ईरान के खामेनेई! तब इराक में सद्दाम हुसैन के साथ अमेरिका ने क्या किया था?
Iran Leader Ali Khamenei:86 साल के ईरान के सुप्रीम लीडर अली खामेनेई के बारे में खबर है कि वे सीक्रेट बेस में छिप गए हैं. अमेरिका ने कहा हैं कि हमें पता है. चेतावनी दी गई है कि वही हाल होगा जो सद्दाम हुसैन के साथ हुआ था. सद्दाम हुसैन के बारे में आज की पीढ़ी को शायद नहीं पता होगा. क्या हुआ था आज से करीब 20 साल पहले.
G7 Summit: गले लगाते ही PM मोदी ने मैक्रों की ले ली मौज! जानिए ऐसा क्या कह दिया कि लगने लगे ठहाके?
Modi-Macron Meet: पीएम मोदी की दुनिया के तमाम देशों के राष्ट्राध्यक्षों से अच्छी दोस्ती है. इन्हीं दोस्तों में एक हैं फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों. G7 शिखर सम्मेलन के दौरान मैक्रों से मुलाकात का एक वीडियो बड़ी तेजी से वायरल हो रहा. पूरी वजह जानने के लिए पढ़ें ये खबर.
ट्रंप ने दे दिया सिग्नल, ईरान पर बरसेंगी अमेरिकी मिसाइलें, अरब सागर में नेवी का बेड़ा तैयार
Iran Isreal War: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सब्र का बांध टूटता नजर आ रहा है. इजरायल के छह दिनों के मिसाइल हमलों के बावजूद ईरान अड़ा है. ईरान के परमाणु हथियार कार्यक्रम को लेकर अब अमेरिका कूटनीति छोड़ जंग के मैदान में कूद सकता है.
Iran Nuclear Plants: इजरायल ने ईरान को परमाणु बम बनाने से रोकने के लिए उस पर 12 जून को मिसाइल हमला बोल दिया था. तब से छह दिन हो गए हैं और दोनों देशों के बीच बमबारी जारी है. इजरायल ने ईरान के परमाणु संयंत्रों को निशाना बनाया है, जहां सेंट्रीफ्यूज में संवर्धित यूरेनियम का भंडार रखा है.
बांग्लादेश में आ रहा नया भूचाल, यूनुस के छूट रहे पसीने, अब कौन छीनेगा सत्ता?
Bangladesh Politics: बांग्लादेश की राजनीतिक स्थित इस वक्त डगमगाई हुई है. वहीं अब इस देश में ऐसे सत्ता संभालने के लिए ऐसे व्यक्ति की वापसी होने जा रही है, जिसपर कई मुकदमें दर्ज हो चुके हैं.
'हो सकता है कि उनके मैनेजर...', एयर इंडिया विमान हादसे पर मस्क ने उठाई उंगली, किस पर किया इशारा?
Air India Plane Crash: टेस्ला के मालिक एलन मस्क ने हाल ही में एयर इंडिया विमान हादसे को लेकर बोइंग के मैनेजमैंट स्ट्रक्चर की आलोचना की है. इसको लेकर उन्होंने एक पोस्ट शेयर किया है.
मिडिल ईस्ट के इन 8 देशों में अमेरिका के 19 सैन्य ठिकाने, मिनटों में मटियामेट हो जाएगा ईरान
Israel Iran War: मध्य पूर्व में 17 से 18 देश हैं, इनमें से आठ देश ऐसे हैं, जहां अमेरिकी सेना ने अपने स्थायी और अस्थायी ठिकाने बना रखे हैं. अगर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ईरान पर हमले का आदेश देते हैं, तो कुछ मिनटों ही तेहरान के आसमान में अमेरिकी लड़ाकू विमान पहुंच जाएंगे.
ट्रंप के साथ लंच करेंगे असीम मुनीर, व्हाइट हाउस ने जारी की लिस्ट... तो PAK के ही लोग भड़क गए
Trump to meet Pakistan Asim Munir:जहां एक तरफ मिडिल ईस्ट में हाहाकार मचा हुआ है. वहीं दूसरी तरफपाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर अमेरिका के डोनाल्ड ट्रंप के साथ लंच करने वाले हैं. आखिर ऐसा क्या हुआ कि पाकिस्तानी लोग मुनीर पर भड़क गए हैं. जानें पूरी खबर.
नाम है मोजतबा... खामेनेई का बेटा अचानक चर्चा में क्यों? ट्रंप के बयान पर एक्टिव हुआ 'ईरान का भविष्य'
Mojtaba Khamenei: खुद अयातुल्ला खामेनेई पिछले 35 साल से ईरान पर शासन कर रहे हैं. वे 1989 में खुमैनी के उत्तराधिकारी बने थे और तब से सेना न्यायपालिका मीडिया और काउंसिल्स पर उनका पूरा नियंत्रण रहा है. अब जबकि वे बुरी तरह घिर गए हैं तो ईरान में हड़कंप मचा हुआ है.
Who Is Reza Pahlavi? ईरान-इजराइल जंग के बीच एक नाम की चर्चा ने पूरे ईरान में तहलका मचा दिया है. खामनेई की सत्ता उखाड़ फेंकने की हुंकार भरने वाले एक शख्स की पूरी दुनिया में चर्चा हो रही है. आइए जानते हैं कौन हैंरजा पहलवी? जिन्होंने ईरान में बगावत का फूंक दिया बिगुल, खामनेई से 40 साल पूरानी दुश्मनी की आग में कुछ इस तरह झुलसे हैं रजा कि अगर मौका मिला तो ईरान की सत्त्ता भी ले लेंगे और अली खामनेई का कलेजा भी फाड़ देंगे.जानें पूरी कहानी.
Israel Iran war latest updates: क्या अब अमेरिका भी ईरान के खिलाफ युद्ध का मोर्चा खोलने वाला है? पिछले 24 घंटे में ट्रंप की लगातार 3 सख्त चेतावनियों के बाद इस तरह की आशंका बढ़ती जा रही है. ऐसा हुआ तो क्या खामेनेई भी दूसरे सद्दाम हुसैन बन जाएंगे.
तमिलनाडु में दिखी मछली को 'डूम्सडे' फिश यानी कयामत के दिन वाली मछली क्यों कहा जाता है. क्या है इसकी खासियत? जापान में इसे लेकर डर क्यों है, पूरी जानकारी के लिए ऊपर दी गई इमेज पर क्लिक कर देखें वीडियो
'हिसार पुलिस ने जासूसी के आरोप में ज्योति के खिलाफ 16 मई को केस दर्ज किया। 17 मई को हिसार से उसे अरेस्ट कर लिया गया। इसके बाद उसे दो बार 5 और 4 दिन की रिमांड पर लेकर पूछताछ की। 3 मोबाइल फोन और 1 लैपटॉप पुलिस के कब्जे में है, लेकिन उसने अब तक कोर्ट में कोई सबूत नहीं दिया।' ये दावा कोर्ट में ज्योति की पैरवी कर रहे एडवोकेट कुमार मुकेश का है। उनका ये भी कहना है कि पुलिस ने ज्योति को आरोपी उसी के बयान के आधार पर बनाया है। जबकि कोर्ट में ये बयान ही मान्य नहीं है, ऐसे में इसे आधार बनाकर FIR लिखना गलत है। ज्योति की गिरफ्तारी के बाद 3 जून को पंजाब से जसबीर सिंह को अरेस्ट किया गया। उनके एडवोकेट माधव शुक्ला का भी कहना है कि पुलिस ने जसबीर के ISI से लिंक को लेकर कोर्ट में कोई पुख्ता सबूत नहीं दिए हैं। हालांकि, जांच से जुड़े अधिकारी कह रहे हैं कि चार्जशीट में सारे सबूत पेश किए जाएंगे। ऑपरेशन सिंदूर के बाद ज्योति और जसबीर की गिरफ्तारी सबसे चर्चित रही। दैनिक भास्कर ने इन केसेज की बारीकी से पड़ताल की। इसे लेकर कोर्ट में पुलिस ने क्या जानकारी दी है, ये केस कितने मजबूत हैं, कितनी सजा हो सकती है, सबूतों को लेकर क्या स्थिति है, दोनों के वकील क्या कह रहे हैं, पढ़िए पूरी रिपोर्ट... पहले बात ज्योति मल्होत्रा की…वकील बोले- ज्योति के बयान के आधार पर FIR असंवैधानिकहम ज्योति मल्होत्रा केस की पड़ताल करते हुए हिसार पहुंचे। यहां हमने ज्योति के वकील कुमार मुकेश से मुलाकात कर केस को समझा। मुकेश अब तक ज्योति से दो बार मिल चुके हैं। ज्योति और उसके परिवार से हुई बातचीत के आधार पर कुमार मुकेश बताते हैं, ’15 मई को पुलिस ने ज्योति को पूछताछ के लिए बुलाया, लेकिन शाम को छोड़ दिया। अगले दिन सुबह यानी 16 मई को पुलिस ने फिर ज्योति को थाने बुलाया था। वो अपनी स्कूटी से पुलिस स्टेशन गई थी। कुछ घंटे बाद ही पुलिस ने उसे अरेस्ट कर लिया था।’ ज्योति के पिता ने भी दैनिक भास्कर को यही कहानी सुनाई थी। कुमार मुकेश आगे कहते हैं- पुलिस ने ज्योति के बयान के आधार पर उसे अरेस्ट किया और FIR दर्ज की है। FIR में लिखा है कि ज्योति ने बताया कि उसने पाकिस्तान के लिए जासूसी की है। मतलब पुलिस को पहले से इसकी जानकारी नहीं थी। इसलिए FIR असंवैधानिक हो जाती है। ’संविधान का आर्टिकल-20 हमारे अधिकारों से जुड़ा है। ये सेल्फ इंक्रिमिनेटिंग यानी आत्म दोषारोपण कराने वाला मामला है। पुलिस ने ज्योति का बयान लेकर उसी के खिलाफ इस्तेमाल किया। कानून के तहत पुलिस आपको ही आपके खिलाफ सबूत नहीं बना सकती है या आपको गवाह नहीं बना सकती है। एडवोकेट कुमार मुकेश आगे कहते हैं कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा-25 और 23ए के तहत पुलिस कस्टडी में दिया गया बयान कोर्ट में मान्य नहीं होता। पिछले दिनों ज्योति की जमानत पर बहस के दौरान कोर्ट ने पूछा कि क्या सबूत मिले हैं। इस पर पुलिस ने कहा कि अभी एनालिसिस चल रहा है। 3 मोबाइल फोन और 1 लैपटॉप पुलिस के कब्जे में है, लेकिन अब तक कुछ नहीं मिला। ज्योति के दादा-दादी पाकिस्तान से, इसलिए वहां गईहमने पूछा कि घूमने के लिए कई देश हैं, आखिर ज्योति पाकिस्तान ही क्यों जाना चाहती थी। क्या इसके पीछे कोई खास कारण है, इस बारे में ज्योति और उसके परिवार ने क्या बताया है? इस पर एडवोकेट कुमार मुकेश बताते हैं, ‘ज्योति कोरोना के पहले नौकरी करती थी। नौकरी छूटने के बाद वो ट्रैवल व्लॉगर बन गई। वो सिर्फ पाकिस्तान ही नहीं गई, कई देशों का सफर कर चुकी है। ज्योति के पाकिस्तान जाने के पीछे एक बड़ी वजह उसका परिवार है। असल में भारत-पाकिस्तान बंटवारे के वक्त काफी लोग पाकिस्तान चले गए और कई लोग भारत में आकर बस गए।‘ ज्योति के दादा-दादी पाकिस्तान से भारत आए थे। वो हमेशा अपना पुश्तैनी घर देखना चाहती थी। इसलिए उसने करतारपुर साहिब जाने के लिए धार्मिक वीजा का आवेदन किया था। पाकिस्तानी दानिश से कैसे मिली ज्योति, हरकीरत की क्या भूमिकाइसे लेकर एडवोकेट कुमार मुकेश बताते हैं, ‘13 मई 2025 से पहले दानिश से मिलना ऑफिशियल था। उसकी दिल्ली में पाकिस्तान हाई कमीशन में पोस्टिंग थी। दानिश से मिलने की वजह भी वीजा है। ज्योति को पाकिस्तान का वीजा मिलने में दिक्कत हो रही थी। इसके लिए वो पहले हरियाणा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी पहुंची। ज्योति ने कमेटी में हरकीरत सिंह से मुलाकात की।‘ ‘पाकिस्तान जाने के लिए वीजा के सभी मामले दानिश ही देखते थे। इसलिए हरकीरत के कहने पर ज्योति ने दानिश से कॉन्टैक्ट किया। पुलिस ने हरकीरत से भी पूछताछ की है। उससे 2 मोबाइल फोन रिकवर किए हैं। उनकी जांच की जा रही थी।‘ पुलिस ने कैसे लिखा- ज्योति की कमाई 1 लाख रुपए महीनाइस पर एडवोकेट कुमार मुकेश कहते हैं, ‘जो व्यक्ति पुलिस की कस्टडी में होता है, उससे कोई जांच अधिकारी कुछ भी लिखवा सकता है। कोई भी बयान ले सकता है इसलिए कोर्ट उसे सच नहीं मानता है।‘ ‘ये सही है कि पुलिस ने अपने रिकॉर्ड में ज्योति की हर महीने की इनकम 1 लाख रुपए लिखी है। असल में ज्योति को यूट्यूब और दूसरे सोशल मीडिया से इनकम होती है। साथ में स्पॉन्सरशिप से भी पैसे आते हैं। ये सब मिलाकर इनकम हो जाती है।‘ ज्योति की पाकिस्तान में शादी करने की खबरें गलतइस पर एडवोकेट ने बताया- ‘कई मीडिया रिपोर्ट्स में इस तरह की खबरें चल रही थीं कि ज्योति पाकिस्तान में शादी करने वाली थी या शादी कर चुकी है। हालांकि असल में ऐसा कुछ नहीं है। ज्योति ने खुद इस बात से इनकार किया है। इससे पहले हिसार पुलिस ने भी ऐसी किसी संभावना से साफतौर पर इनकार कर दिया था।' ज्योति पर अभी जो धाराएं लगी हैं, उसमें उसे क्या सजा हो सकती है? इस पर एडवोकेट कहते हैं, ‘ज्योति पर जो धाराएं लगी हैं, उसमें 3 से 7 साल तक की ही सजा है।‘ ज्योति ने कहा- कुछ गलत नहीं कियाएडवोकेट कुमार मुकेश के मुताबिक, ज्योति जासूस कहे जाने से काफी परेशान है। उसने जासूसी के आरोपों पर कहा- 'मैंने कुछ गलत नहीं किया है। मुझे यकीन है कि मेरे साथ भी गलत नहीं होगा। जो कुछ मीडिया में चल रहा है, मैं उससे बहुत दुखी हूं। केस कोर्ट में है, लेकिन मुझे जासूस घोषित कर दिया गया। कोर्ट से मुझे पूरी उम्मीद है। न्याय जरूर मिलेगा।' हमने ज्योति मल्होत्रा केस को लेकर SP हिसार से कई बार संपर्क किया, लेकिन बात नहीं हो सकी। इसके बाद हमने जांच से जुड़े कुछ अधिकारियों से बात की। नाम न जाहिर करने की शर्त पर उन्होंने कहा कि ज्योति मल्होत्रा के मोबाइल फोन, लैपटॉप और बैंक खातों में ट्रांजैक्शन को लेकर कुछ अहम सबूत मिले हैं। हम चार्जशीट तैयार कर रहे हैं। चार्जशीट में ही सबूत पेश किए जाएंगे। ज्योति को दो बार पुलिस रिमांड पर लिया, क्या-क्या पता चलाहमने हिसार कोर्ट में दिए पुलिस के उन दो आवेदनों की भी पड़ताल की, जो रिमांड के लिए दाखिल किए गए थे। साथ ही ये भी जाना कि इस मामले में पुलिस ने अब तक कोर्ट में क्या-क्या जानकारी दी। ग्राफिक्स में पढ़िए... वकील के मुताबिक, पुलिस ने कोर्ट में ये भी बताया कि 25 मई को ही फोरेंसिक लैब CFL पंचकूला से कुछ जांच के नतीजे मिले, जिसका एनालिसिस किया जा रहा है। आखिर में पुलिस ने कोर्ट में कहा कि मामला देशद्रोह से जुड़ा है। इसलिए ज्यादा डिटेल नहीं लिख सकते। अब आरोपी से पूछताछ हो चुकी है। इसके बाद 26 मई को कोर्ट ने ज्योति मल्होत्रा को 14 दिन की ज्यूडिशियल कस्टडी में जेल भेज दिया। अब जसबीर सिंह की बात…ज्योति की गिरफ्तारी, दानिश के साथ फोटो वायरल होते ही अरेस्ट हुआ जसबीरपंजाब से गिरफ्तार जसबीर सिंह के खिलाफ 3 जून को FIR दर्ज की गई थी। पंजाब पुलिस ने उसे 4 जून को अरेस्ट किया था। हमने केस को लेकर जसबीर के एडवोकेट माधव शुक्ला से बात की। एडवोकेट माधव बताते हैं, ‘ज्योति मल्होत्रा की अरेस्टिंग के साथ ही जांच-पड़ताल शुरू हो गई थी। उस दौरान पाकिस्तान हाई कमीशन में हुई पार्टी के फोटो-वीडियो वायरल हुए थे। उसमें जसबीर भी था। सोशल मीडिया पर जसबीर की ज्योति के साथ भी फोटो आई। तभी से 17 मई से रोपड़ पुलिस ने जांच शुरू कर दी थी। ’ एडवोकेट का दावा है कि 21-22 मई को जसबीर सिंह को फिर थाने बुलाया गया। उससे बैंक की सारी डिटेल्स मांगी गई, जिससे फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन की जांच की जा सके। पुलिस तब तक रूटीन जांच कर रही थी। इसी बीच जसबीर को हिसार में पूछताछ के लिए एक समन मिला। उसने इस बारे में पंजाब पुलिस को बताया। जसबीर को 6 जून को हिसार बुलाया गया था। उसने पंजाब पुलिस को 3-4 दिन पहले ही इसकी सूचना दे दी कि वो 6 जून को थाने नहीं आ सकेगा। इसके बाद अचानक 3 जून को पंजाब पुलिस ने उसे अरेस्ट कर लिया। 4 जून को कोर्ट में पेश कर दिया गया। पुलिस ने जसबीर का ISI से लिंक बताया, आर्मी के मूवमेंट की जानकारी देने का आरोपएडवोकेट माधव ने ये भी बताया कि रिमांड पर जसबीर के पास से क्या-क्या मिला। उस पर क्या आरोप लगे हैं। वे बताते हैं, ‘पुलिस ने FIR में लिखा है कि जसबीर सिंह का ISI से लिंक है। इसकी जांच करना जरूरी है। इसके बाकी साथी भी जासूसी में शामिल हैं। उसने भारतीय सेना के मूवमेंट की ISI को सूचनाएं दी हैं।‘ जसबीर सिंह की गिरफ्तारी के बाद उसे 3 दिनों के लिए पुलिस रिमांड पर भेजा गया था। तब कोर्ट में कहा गया कि जसबीर ने देश की सूचनाएं पाकिस्तान को भेजी हैं। इसलिए उसके मोबाइल फोन, लैपटॉप और दूसरे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की जांच कराना जरूरी है। ये कब्जे में लेकर जांच कराई गई।‘ असल में एक पाकिस्तानी महिला को लेकर खबर आई थी। कहा गया कि वो जसबीर सिंह से भी मिली थी। पुलिस ने कोर्ट को दिए रिमांड आवेदन में भी एक महिला का जिक्र किया है। हालांकि उस महिला के न तो नाम का खुलासा किया है, न ही ये कहा है कि वो पाकिस्तानी है। इसे लेकर हमने जसबीर सिंह के वकील से पूछा। वे कहते हैं कि जसबीर ने भी किसी महिला का जिक्र नहीं किया है। हमारे सोर्स ने ये भी बताया है कि वो महिला ज्योति मल्होत्रा भी हो सकती है। इसलिए पंजाब पुलिस जल्द ही ज्योति मल्होत्रा से भी पूछताछ कर सकती है। नासिर से कभी नहीं मिला जसबीर, वीजा के लिए चैट पर मांगी थी मददहमने पूछा कि पाकिस्तानी कथित ISI एजेंट नासिर ढिल्लों और जट रंधावा को लेकर जसबीर सिंह ने क्या कहा है? इस पर एडवोकेट बताते हैं, ‘अभी तक पुलिस ने कोर्ट में नासिर ढिल्लों या किसी जट रंधावा से लिंक को लेकर कोई जानकारी नहीं दी है।' 'हालांकि मीडिया ने इस बारे में कई बार खुलासे किए हैं। जसबीर का भी यही कहना है कि नासिर ढिल्लों से वो कभी नहीं मिला। हां, इतना जरूर है कि वीजा में मदद के लिए उससे चैट पर बात की है।‘ एडवोकेट माधव शुक्ला ने ये भी बताया कि जसबीर सिंह के फोन में काफी पाकिस्तानियों के नंबर सेव मिले, लेकिन नंबरों से जासूस होने के सबूत नहीं मिलते हैं। इनका ये भी दावा है कि अब तक उसके बैंक अकाउंट में संदिग्ध ट्रांजैक्शन को लेकर पुलिस ने कोर्ट में कोई जानकारी नहीं दी है। हालांकि पंजाब पुलिस के DGP गौरव यादव ने शुरू में ही बयान जारी कर कहा था कि पुलिस के पास जसबीर के खिलाफ कई अहम सबूत हैं। जासूसी के आरोप में अब तक 15 अरेस्टऑपरेशन सिंदूर के बाद से पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से कुल 15 लोग गिरफ्तार किए गए। इन पर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के लिए जासूसी करने का आरोप है। इनमें यूट्यूबर से लेकर स्टूडेंट और चौकीदार तक शामिल हैं। पुलिस को शुरुआती जांच में पता चला कि ये सभी एक बेहद संगठित नेटवर्क से जुड़े थे। जासूसी केस में माधुरी गुप्ता और सौरव शर्मा को मिल चुकी है सजाज्योति और जसबीर की तरह ही 2010 में माधुरी गुप्ता का केस सामने आया था। वे पाकिस्तान के इस्लामाबाद में इंडिया हाई कमीशन के प्रेस एंड इन्फॉर्मेशन में सेकेंड सेक्रेटरी थीं। उस केस में भी माधुरी दो पाकिस्तानी खुफिया एजेंट के संपर्क में थी। करीब 8 साल बाद 18 मई 2018 को न्यू दिल्ली डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने माधुरी गुप्ता को दोषी ठहराया और 3 साल की सजा सुनाई। पिछले साल अगस्त 2024 में लखनऊ NIA कोर्ट ने पाकिस्तान से जुड़े जासूसी के मामले में पूर्व सैनिक सौरव शर्मा को अधिकतम 5 साल की सजा सुनाई और जुर्माना लगाया। सौरव यूपी के हापुड़ का रहने वाला है। इंडियन आर्मी में सिग्नल मैन था। सौरव शर्मा को जनवरी 2021 में अरेस्ट किया गया। उसी वक्त ISI के संपर्क में आया और उसने कई सीक्रेट जानकारी लीक की थी। ........................................ ये खबर भी पढ़ें... ISI एजेंट शाकिर ने जट रंधावा बनकर ज्योति को फंसाया जासूसी के आरोप में अरेस्ट हरियाणा की ज्योति मल्होत्रा ने एजेंसी के सामने कबूलनामे में दो नाम खास हैं- दानिश और शाकिर। दानिश दिल्ली में पाकिस्तानी हाई कमीशन का अफसर था, जिसे 13 मई को भारत सरकार ने देश छोड़ने के लिए कह दिया था। दानिश ने ही पाकिस्तान जाने में ज्योति की मदद की थी। दूसरा शाकिर, जिससे ज्योति पाकिस्तान के लाहौर में मिली थी। पढ़िए पूरी खबर...
DNA Analysis: पिज्जा इंडेक्स थ्योरी किसी देश के खिलाफ अमेरिका के युद्ध में शामिल होने की प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष भविष्यवाणी है. इसे पेंटागन पिज्जा इंडेक्स भी कहा जाता है. इस थ्योरी के मुताबिक जब अमेरिका के पेंटागन के आसपास पिज्जा के ऑर्डर अचानक बढ़ जाते हों तो दुनिया में कहीं बड़ा हमला या सेना का एक्शन होता है.
Israel Missile Attack Iran:ईरान पर इजरायली हमले का विरोध तो हर इस्लामिक देश कर रहा है. लेकिन असल जमीन पर आकर कोई ईरान की सैन्य मदद नहीं कर रहा है. मिडिल ईस्ट के इस्लामिक देश तो अमेरिका का नाम लेने तक से बच रहे हैं और जो पाकिस्तान कल तक ईरान के साथ खड़े रहने का दावा कर रहा था आज वही पाकिस्तान इजरायली हमले का डर दिखाकर विक्टिम कार्ड खेल रहा है.
DNA Analysis: मोसाद की वजह से सिर्फ ईरान में ही अफरातफरी नहीं मची है. कनाडा से अमेरिका तक हड़कंप मचा है. ट्रंप ने 24 सेकेंड का एक ऐसा बयान दिया है जिससे अफरातफरी और ज्यादा बढ़ सकती है.
DNA Analysis:जियोपॉलिटिक्स में मध्यस्थता अपना-अपना मतलब साधने के लिए होती है. ट्रंप G-7 की बैठक बीच में ही छोड़ कर लौट गए. इतना कहा कि ईरान कुछ कहना चाह रहा है. इजरायल और ईरान में डील करवानी है. ये नहीं बताया कि वे करने क्या करने जा रहे हैं.
Donald Trump Warning to Iran: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान को बड़ी धमकी दी है. ट्रंप ने कहा है कि अमेरिका का सब्र जवाब देता जा रहा है. खामेनेई का खात्मा किया जा सकता है और वह आसान टारगेट है लेकिन फिलहाल ऐसा नहीं किया जाएगा.
Israel Iran War:मंगलवार को ईरान ने अपने सैन्य ढांचे पर इजरायली हमलों के जवाब में मध्य इजरायल पर ताबड़तोड़ हमला किया. जबकि इजरायल ने कई ईरानी परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया है, लेकिन वो फोर्डो ईंधन संवर्धन प्लांट को भेदने में विफल रहा.
Japan Vending Machine: जापान अपनी तकनीक की वजह से दुनिया भर में फेमस है. यहां के लोग टेक्नोलॉजी का अच्छी तरीके से इस्तेमाल करते हैं. जापान की सड़कों पर आपको ऐसी वेंडिंग मशीनें मिलेंगी जिससे आपको गर्मागर्म खाना सहित कई चीजें मिल जाएंगी.
Mossad Iran News: इजरायल की 'भूतिया आर्मी' से घबराया ईरान, अब घरों के परदे भी चेक कर रहा
Mossad Ghost Army:इजरायल के हमलों के बाद ईरान ने अपनीराजधानी तेहरान में खुफिया एजेंसी मोसाद से जुड़ी एक ड्रोन फैक्ट्री पकड़ी है. हैरानी की बात है कि मोसाद ने अपने ईरानी एजेंटों के दम पर पहले ही तबाही की तैयारी कर ली थी. अब सहमे ईरान ने लोगों के मास्क, चश्मे और घरों के परदों को भी चेक करना शुरू कर दिया है.
ईरान को एक और झटका, इजरायल ने मार गिराया खामेनेई का राइट हैंड! जंग में अब तक क्या-क्या हुआ?
Iran Israel war: इजरायल और ईरान के बीच भीषण जंग छिड़ गई है. दोनों देश एक दूसरे पर आग के गोले बरसा रहे हैं. दिन- रात मिसाइल अटैक किया जा रहा है. इसी बीच इजराइल ने ईरान के सबसे वरिष्ठ सैन्य अधिकारी और खामेनेई के सबसे करीबी सैन्य सलाहकार अली शादमानी को मार गिराया है. ऐसा दूसरी बार है जब इजराइल ने 5 दिन के अंदर किसी बड़े सैन्य अधिकारी को मिट्टी में मिलाया है.
Asim Munir News:पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल सैयद आसीम मुनीर को अमेरिका भारी शर्मिंदगी का सामन करना पड़ा है. वाशिंगटन में मुनीर के होटल के सामने पाकिस्तानी मूल नागरिकों ने जमकर नारेबाजी की और देश में लोकतंत्र बहाल करने की मांग की.
Indian Students in Iran: तेहरान में कोई बड़ा हमला हो सकता है. आशंका जताई जा रही है कि इजरायल कोई बड़ा धमाका ईरान की राजधानी पर कर सकता है. ऐसे में भारतीयों को वहां से निकाला गया है. पड़ोस में ही अजरबैजान है तो भारत ने अपने स्टूडेंट्स को बचाने का क्या प्लान बनाया है. मैप से समझिए.
पाताललोक में ईरान का खुफिया परमाणु ठिकाना, 14 टन वजनी महाबम से इसे तबाह करेगा अमेरिका
Israel Iran War: ईरान के भूमिगत परमाणु संयंत्र का पता चला है, जो पहाड़ों के सैकड़ों फीट नीचे बना है. दावा किया जाता है कि किसी भी सामान्य मिसाइल हमले में इसे निशाना नहीं बनाया जा सकता. सिर्फ अमेरिका के पास वो ताकत है.
कौन है ईरान की जांबाज न्यूज एंकर, मिसाइल हमला भी नहीं हिला पाया, धमाके के बाद लाइव शो कर दिखाया जोश
Iran Israel War: ईरान की राजधानी तेहरान में इजरायल के ताबड़तोड़ मिसाइल हमले जारी हैं. 16 जून को ऐसे ही एक हमले में मिसाइल ईरानी सरकार के टीवी चैनल की बिल्डिंग पर गिरी, जब वहां लाइव न्यूज शो हो रहा था.
भारतीय छात्रों के लिए आफत बनी इजरायल-ईरान जंग, अर्मेनिया बॉर्डर पहुंचाए गए 100 छात्र
Indians In Iran: ईरान-इजरायल की जंग के बीच तेहरान में कई भारतीय और भारतीय छात्र फंसे हुए हैं. ऐसे में उन्हें सुरक्षित जगहों पर पहुंचाने के लिए इंडियन एंबेसी प्रयास कर रही है.
israel iran war: इजरायल और ईरान के बीच जंग के पांचवें दिन जिस तरह जंग के हालात बने हैं. उसके बादपूरी दुनिया अब ईरान से अपने नागरिकों को निकालने की मुहिम शुरू कर दी है. भारत के लिए भीईरान में फंसे भारतीय छात्रों की सुरक्षा बड़ा मुद्दा है. आइए जानते हैं कि जिंदगी और मौत के बीच में फंसे भारतीयों को सुरक्षित निकालने के लिए क्या प्लान बनाया है. जानें पूरी खबर.
पिज्जा ऑर्डर की बाढ़ का मतलब तबाही के संकेत! अमेरिका के इस शहर ने फिर की सटीक भविष्यवाणी
Pentagon Pizza Order: इजरायल के ईरान पर हमले के कुछ घंटों पहले ही अमेरिका के इस शहर ने ऐसी बड़ी तबाही के संकेत दे दिए थे. वहां पिज्जा ऑर्डर में उछाल आने का मतलब होता है कि दुनिया में कुछ बड़ा होने वाला है..
Iran Supreme Leader Khamenei: ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्लाह अली खामनेई के उत्तराधिकारी की तलाश तेज हो गई है. खामनेई की बड़ती उम्र और खतरे को देखते हुए ईरान में नए सुप्रीम लीडर को लेकर कयास तेज हैं.
Israel-Iran Conflict News: इजरायल और ईरान के बीच संघर्ष में दोनों देशों को काफी नुकसान हुआ है. दोनों देशों के कई नागरिकों की भी इसमें मौत हो चुकी है.
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Hongkong To Delhi Flight U Turn: हांगकांग से दिल्ली का आ रहा एयर इंडिया का विमान 200 से अधिक यात्रियों को लेकर जा रहा था, हालांकि तकनीकी खराबी के संदेह पर विमान कुछ ही समय बाद वापस हांगकांग लौट आया.
'शेख हसीना वापस आएंगी...', बांग्लादेश में बगावत की बही बयार, मुहम्मद यूनुस की जा सकती है कुर्सी!
Muhammad Yunus: बांग्लादेश में इन दिनों सब कुछ ठीक नहीं है.अगस्त 2024 में सत्ता संभालने के बाद से यूनुस सरकार ने आम लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है. यह दावा है शेख हसीना की पार्टीअवामी लीग का. यूनुस के इस्तीफा के लिए अवामी लीग जबरदस्त विरोध प्रदर्शन कर रही है. क्या यूनुस की कुर्सी जाएगी.
36 घंटे, 3 U-टर्न, 1 इमरजेंसी लैंडिंग... खौफ में पायलट, आसमान में मची दहशत से संकट में विमान यात्री
Air India Plane Crash: एयर इंडिया विमान हादसे के बाद से पिछले 24 घंटों में 4 चार फ्लाइट्स के यू टर्न लेने और एक फाइटर जेट के इमरजेंसी लैंडिंग के बाद डार का माहौल बना हुआ है.
ईरान में तख्तापलट होगा! ट्रंप ने तेहरान तुरंत खाली करने को कहा, इजरायल-अमेरिका का ब्लूप्रिंट तैयार
Israel Iran War: ईरान और इजरायल युद्ध के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तेहरान की जनता से तुरंत ही राजधानी छोड़ने को कहा है. परमाणु डील न करने पर अड़े ईरान के खिलाफ अमेरिका अब सख्त रुख अपना सकता है.
पारंपरिक जनगणना से कितनी अलग है डिजिटल जनगणना. आम आदमी को इसके क्या फायदे और नुकसान हो सकते हैं? इसे कैसे लागू किया जाएगा? पूरी जानकारी के लिए ऊपर दी गई इमेज पर क्लिक कर देखें वीडियो
‘ईरान के पास करीब 20 हजार मिसाइलें हैं। अगर हमने एक दिन में 200 मिसाइलें भी दागीं, तो इस हिसाब से हमारे पास 100 दिन तक लगातार दागने के लिए मिसाइलें हैं। इजराइल और अमेरिका दोनों के पास इतना बड़ा डिफेंस सिस्टम नहीं है कि इन्हें रोक पाए।’ ईरान के डायरेक्टर ऑफ डिप्लोमेटिक हाउस हामिद रेजा गोलामजादेह पूरे यकीन से कहते हैं कि अगर इजराइल, ईरान से लड़ना चाहता है तो इसकी कीमत भी चुकाने के लिए तैयार रहे। इजराइल और ईरान के बीच 13 जून से लगातार जंग के हालात बने हुए हैं। इजराइल एयरफोर्स ने 16 जून को ईरान की राजधानी तेहरान में सरकारी टीवी चैनल इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान ब्रॉडकास्टिंग (IRIB) की बिल्डिंग पर बम गिराए। इजराइल डिफेंस फोर्स का दावा है कि इससे पहले उसने मिसाइल लॉन्चर्स से लदे कई ट्रकों को निशाना बनाया, जो तेहरान की तरफ जा रहे थे। पिछले चार दिनों में हुए इजराइली हमलों में ईरान में 224 लोग मारे गए हैं। 1,277 से ज्यादा घायल हैं। वहीं ईरान के हमलों से इजराइल में 24 लोग मारे गए हैं, 600 से ज्यादा घायल हैं। दैनिक भास्कर ने हामिद रेजा गोलामजादेह से ईरान-इजराइल संघर्ष पर बात की। पढ़िए पूरा इंटरव्यू… सवाल: इजराइल के हमलों में अब तक कितना नुकसान हुआ है?जवाब: मैं तेहरान में हूं। 13 जून की अल सुबह मेरी नींद धमाकों से खुली। घर के पास ही धमाके हुए थे। एक के बाद एक पूरे शहर के अलग-अलग इलाकों में धमाकों की आवाजें आती रहीं। इजराइल ने पहले ईरान की सुरक्षा में सेंधमारी करके एयर डिफेंस सिस्टम तबाह किया। इसके बाद हमारे मिलिट्री कमांडर और न्यूक्लियर साइंटिस्ट को टारगेट कर मार दिया। इजराइल ने इराक और तुर्की से लगने वाले बॉर्डर के एयर डिफेंस सिस्टम को तबाह करने की कोशिश की है। एयर डिफेंस तबाह करने के बाद उसने ईरान की न्यूक्लियर फेसिलिटी पर हमला किया। हालांकि दोपहर तक ईरान ने अपने एयर डिफेंस सिस्टम पर फिर से कंट्रोल हासिल कर लिया। तब तक नए कमांडर्स की तैनाती की गई। दोपहर बाद इजराइल से आने वाली मिसाइल और ड्रोन को रोका जाने लगा। हमारे डिफेंस सिस्टम ने इजराइल के कई फाइटर जेट मार गिराए हैं। इसके बाद रात से ईरान ने इजराइल पर मिसाइल अटैक शुरू किया। सवाल: इजराइल ने हमला किया, ईरान ने उसका जवाब दिया। अब ईरान का टारगेट क्या है?जवाब: ईरान, इजराइल के साथ युद्ध नहीं चाहता था। हम शुरू से खासतौर पर पिछले 2 साल से फिलिस्तीनियों का समर्थन करते आ रहे हैं। इजराइल ने पिछले साल सीरिया की राजधानी दमिश्क में ईरानी दूतावास पर हमला किया और हमारे अधिकारियों को मार दिया। इजराइल ने हमास चीफ इस्माइल हानिया और हिजबुल्लाह के हेड हसन नसरल्लाह को मार गिराया। इजराइल के इस रवैए के बाद ईरान ने जवाबी कार्रवाई की। हमने कभी तनाव नहीं बढ़ाया। इजराइल का मैसेज साफ है, वो कोई ऑपरेशन नहीं कर रहा बल्कि वो ईरान के खिलाफ युद्ध लड़ रहा है। अब इजराइल के खिलाफ सिर्फ ईरान नहीं, बल्कि सभी मुस्लिम मुल्क एकजुट हो रहे हैं। इजराइल ने जो फिलिस्तीनी जमीन हथियाई है, ये लड़ाई उसके खिलाफ है। सवाल: क्या ईरान और इजराइल के बीच हमलों को जंग माना जाए?जवाब: ईरान अब भी खुलकर युद्ध नहीं लड़ना चाहता है। ईरान को पता है कि जायनिस्ट रिजीम (इजराइल) अंदर ही अंदर खोखली हो रही है और वो खुद ही गिर जाएगी। मुझे नहीं लगता है कि मुस्लिम देशों को कुछ ज्यादा करने की जरूरत है। हां, अगर वो जंग चाहते हैं, तो हम उसके लिए भी तैयार हैं। इजराइल को उम्मीद ही नहीं थी कि ईरान इतनी जल्दी पलटवार करेगा। उसे लग रहा था कि ईरान को अपनी फोर्स को फिर से खड़ा करने में 3-4 हफ्ते लग जाएंगे। हमने 12 घंटे में ही खुद को तैयार कर लिया और इजराइल को मुंहतोड़ जवाब दिया। हमने इजराइल के दो फाइटर प्लेन मार गिराए हैं। एक पायलट हिरासत में है। सवाल: क्या इजराइल की स्ट्रैटजी में कोई बदलाव आया है?जवाब: इजराइल ने ईरान के अंदर से ही कार का इंतजाम करके ड्रोन लॉन्च किए। कई लोगों ने वो कारें देखी हैं, जिनसे ड्रोन निकलकर उड़ते हुए देखे गए। इन ड्रोन्स के जरिए ही इजराइल ने पहले ईरानी एयर डिफेंस सिस्टम को तबाह किया। शुक्रवार को जितनी तादाद में ड्रोन देखे गए थे, अब उसकी तुलना में काफी कम इजराइली ड्रोन आ रहे हैं। 15 जून से इजराइल ने ईरान पर हमले की रणनीति बदली है। उसने पहले तेहरान शहर पर बमबारी की, नागरिक ठिकानों पर हमले किए। साथ ही ऑयल रिजर्व को भी निशाना बनाया। इससे पूरे शहर में काला धुआं हो गया। इजराइल का फोकस तेहरान में लोगों को डराने पर था। उत्तरी तेहरान में पानी की सप्लाई करने वाले पाइप को इजराइल ने बम से उड़ा दिया। पूरे शहर में पानी की सप्लाई प्रभावित हो गई। हमने रविवार शाम तक उसे भी दुरुस्त कर लिया। इजराइल सिविलियन इन्फ्रास्ट्रक्चर पर हमला कर रहा है। सवाल: इजराइल ने कहा कि वो बचाव के लिए हमले कर रहा है। इजराइल को ईरान से किस बात का डर है?जवाब: इजराइल हो या अमेरिका, ईरान को न्यूक्लियर वेपन बनाने से कोई नहीं रोक सकता। ईरान ने खुद कहा है कि वो न्यूक्लियर पावर का इस्तेमाल हथियार बनाने के लिए नहीं बल्कि ऊर्जा के लिए करेगा। ईरान ने हमेशा अपने न्यूक्लियर प्रोग्राम का इस्तेमाल जनता की भलाई के लिए किया है और हम इसके लिए प्रतिबद्ध हैं। इजराइल और अमेरिका न्यूक्लियर वेपन की आड़ में ईरान को तबाह करना चाहते हैं, यहां सत्ता बदलाव करना चाहते हैं। ईरान के लोग ये बात अच्छी तरह समझते हैं। इन हमलों ने ईरान के लोगों को एकजुट कर दिया है और मजबूती के साथ जायनिस्ट ताकत के खिलाफ लड़ने के लिए लामबंद किया है। अब हमले का जवाब हमले से होगा। इंटरनेशनल रिलेशन की दुनिया में कहा जाता है कि न्यूक्लियर वेपन बढ़ने से तबाही ला सकते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। भारत और पाकिस्तान दोनों न्यूक्लियर पावर हैं। उनके बीच भी हाल में ही तनाव हुआ है, लेकिन किसी ने न्यूक्लियर पावर का इस्तेमाल नहीं किया। सवाल: कहा जा रहा है कि अगर ईरान न्यूक्लियर डील के लिए तैयार नहीं हुआ तो इजराइल के साथ अमेरिका भी युद्ध में शामिल हो जाएगा?जवाब: ईरान ने 15 जून को कहा कि ये युद्ध इजराइल के खिलाफ है, किसी और के खिलाफ नहीं। अगर अमेरिका इस युद्ध में शामिल होगा तो हम उसे भी करारा जवाब देंगे। अमेरिका ने हाल ही में यमन पर हमला किया था। करीब 50 दिन तक दोनों के बीच तनातनी रही और अमेरिका को यमन के साथ तनाव में कई लोगों को खोना पड़ा। आखिरकार अमेरिका को उस इलाके को छोड़ना पड़ा और अमेरिका ने यमन के साथ सीजफायर कर लिया। साफ है कि अमेरिका, यमन में हूतियों का कुछ नहीं कर पाया। अमेरिका ने इराक और अफगानिस्तान पर भी हमला किया था। बीसियों साल की लड़ाई के बाद भी उसे कुछ हासिल नहीं हुआ। यमन की तुलना में तो ईरान बहुत बड़ा मुल्क है। इराक और अफगानिस्तान में ईरान ने अमेरिका की मदद की थी। हम इजराइल पर मिसाइलें गिरा रहे हैं, लेकिन उसका आयरन डोम उन्हें नहीं रोक पा रहा है। सवाल: ईरान के पास युद्ध जारी रखने की कितनी ताकत है?जवाब: अमेरिका और इजराइल के डेटा को ही लें, तो ईरान के पास करीब 20 हजार मिसाइलें हैं। अगर हम एक दिन में 200 मिसाइलें भी दागें तो, इस हिसाब से हमारे पास कम से कम 100 दिन तक लगातार दागने के लिए मिसाइलें हैं। ये डेटा बताता है कि अगर जंग आगे बढ़ेगी तो इजराइल की हालत खराब हो जाएगी। मेरा मानना है कि डेटा और पेपर पर युद्ध नहीं लड़े जाते। जंग जमीन पर होती है। अमेरिका ने पहले इराक, फिर अफगानिस्तान और हाल ही में यमन में जमीनी हकीकत का स्वाद चखा है। अगर वो ईरान से लड़ना चाहता है तो इसकी कीमत भी चुकाने के लिए तैयार रहे। सवाल: इजराइल का दावा है कि ईरान की मिसाइलें सिविलियन इलाकों में गिर रही हैं। क्या ये हथियारों का गलत इस्तेमाल नहीं है?जवाब: ये सिर्फ कहने वाली बात है। इजराइल खुद ईरान के नागरिक इलाकों और सिविलियंस की इमारतों पर बमबारी कर रहा है। इजराइल ने नागरिकों को मारने के साथ ही इस युद्ध की शुरुआत की है। अब तक 200 ईरानी मारे जा चुके हैं, जिसमें बच्चे और महिलाएं भी शामिल हैं। ज्यादातर टारगेट नागरिक इलाके में ही हुए हैं। सवाल: ईरान का आम नागरिक इस वक्त क्या सोच रहा है? क्या वो ये युद्ध चाहता है?जवाब: मैं खुद ईरान में रहता हूं और लोगों के बीच में हूं। पिछले कई साल के बाद सभी ईरानी एकजुट महसूस कर रहे हैं। मैं अपने ही इलाके की बात करूं तो जो लोग आम दिनों में सरकार के खिलाफ बहुत प्रदर्शन करते थे, अब वही लोग इजराइली हमले के बाद सरकार के साथ एकजुट हो गए हैं। हर ईरानी इसे खुद पर हमला मान रहा है और लड़ने के लिए तैयार है। सड़कों पर इजराइल के खिलाफ नारे लग रहे हैं, रैलियां निकाली जा रही हैं। ईरान की अवाम इजराइल और अमेरिका के जुल्मों के खिलाफ खड़ी है। सवाल: इजराइल लेबनान में हिजबुल्लाह, गाजा में हमास, यमन से हूती के पीछे ईरान को बताता है। क्या हमले के पीछे आपको यही वजह लगती है?जवाब: इस सब के लिए इजराइल खुद जिम्मेदार है। इजराइलियों पर दुनिया में अलग-अलग जगह हमला होता रहा है, क्या सारे हमले ईरानी कर रहे हैं। इजराइल ने फिलिस्तीन पर कब्जा किया, उनकी जमीन हड़प ली। फिलिस्तीनियों के साथ क्रूर व्यवहार किया है। इजराइल किसी की नहीं सुनता। वो किसी इंटरनेशनल लॉ को नहीं मानता। इजराइल के खिलाफ जो खड़ा होता है, वो उसे मारने लगता है। अब यूरोपीय देश भी इजराइल के खिलाफ खड़े होने लगे हैं। सवाल: आप भारत के लोगों को क्या मैसेज देना चाहते हैं?जवाब: इजराइली सत्ता पर काबिज लोग क्रूर हैं। वो गाजा में आम लोगों, महिलाओं और बच्चों की हत्या कर रहे हैं। अब वो ईरान के नागरिकों की हत्या कर रहे हैं। अमेरिका के समर्थन से चलने वाली इजराइली वॉर मशीन को रोकना जरूरी है। मैं जानता हूं कि भारत के इजराइल के साथ अच्छे संबंध हैं, लेकिन भारत के लोगों को समझने की जरूरत है कि वो और उनकी सरकार किसका समर्थन कर रही है। ........................... ये खबर भी पढ़ें... ‘1 करोड़ लोग, 1000 ईरानी मिसाइल इजराइल को मिटा देंगी’ इजराइली हमले के बाद ईरान में क्या माहौल है और लोग इस जंग को कैसे देख रहे हैं, इस पर दैनिक भास्कर ने ईरान के प्रोफेसर जमीर अब्बास जाफरी से बात की। वे मुंबई से हैं, लेकिन 15 साल से कोम शहर में रह रहे हैं। जमीर ईरान की जानी-मानी शख्सियत हैं। वे कहते हैं, ‘अब तक हुए हमले कुछ भी नहीं हैं। ईरान के पास बैलिस्टिक मिसाइल का इतना जखीरा है कि इजराइल का डिफेंस सिस्टम आयरन डोम उन्हें रोक नहीं पाएगा।’ पढ़िए पूरी खबर...
दुबला-पतला शरीर, आंखों में डर, लेकिन चेहरे पर मुस्कुराहट और जुबान पर नक्सलियों के किस्से, ये 34 साल के अरब हैं। 18 साल नक्सली रहे। 2006 में पहली बार बंदूक उठाई, तब 16 साल उम्र थी। उस वक्त छत्तीसगढ़ में सलवा जुडूम आंदोलन चल रहा था। इसमें अरब का घर जला दिया गया। बदले के लिए अरब ने बंदूक उठा ली। शुरुआत में पोस्टर और बैनर लिखने का काम मिला। धीरे-धीरे ओहदा बढ़ा और डिवीजन कमेटी मेंबर जैसा अहम पद मिला। जंगलों में ही नक्सली महिला से शादी कर ली। हिड़मा और बसवाराजू जैसे बड़े नक्सल लीडर्स तक पहुंच हो गई। 2010 में छत्तीसगढ़ में 76 जवानों की हत्या हुई। इस साजिश में अरब भी हिड़मा के साथ शामिल थे। 18 साल जंगलों में रहने के बाद लगा कि नक्सल आंदोलन भटक गया है। इसलिए जनवरी 2025 में सरेंडर कर दिया। सरेंडर करने पर पत्नी ने छोड़ दिया। 21 मई को सिक्योरिटी फोर्स ने अबूझमाड़ के जंगलों में बसवाराजू को मार गिराया। हिड़मा की तलाश जारी है। दैनिक भास्कर ने दोनों के साथ काम कर चुके और माड़ डिवीजन के नेलनार एरिया कमेटी के सेक्रेटरी रहे अरब से बात की। उन्हें जान का खतरा है, इसलिए वे नारायणपुर में कहीं छिपकर रहते हैं। पुलिस की परमिशन के बाद अरब से मुलाकात, पहले तीन बार जांचनक्सली कमांडर, जिसने दो दशक जंगलों में बिताए हों, जिसे जान का खतरा हो, उससे मिलना आसान नहीं था। पुलिस से कई बार बात करने के बाद हमें अरब से बातचीत का वक्त मिला। तीन जगह हमारे आई-कार्ड और डॉक्यूमेंट चेक किए गए। इसके बाद हम अरब तक पहुंच पाए। सरेंडर के बाद अरब को नया नाम मिल गया है। सुरक्षा कारणों की वजह से हम ये नाम नहीं दे रहे हैं। पढ़िए पूरा इंटरव्यू… सवाल: नक्सलियों के साथ कब और कैसे जुड़े?जवाब: 2006 में पार्टी में भर्ती हुआ था। तब 16-17 साल का था। सलवा जुडूम का आतंक था। गांव जलाए जा रहे थे। डर की वजह से गांव के लोग बंट गए। कुछ जंगल में भाग गए और कुछ तेलंगाना चले गए।। मैं 2003-04 से माओवादियों की स्टूडेंट विंग के कॉन्टैक्ट में था। मुझे उनकी 'जल-जंगल-जमीन' की बातें अच्छी लगती थीं। डर और उस वक्त के माहौल की वजह से मैंने भी बंदूक उठा ली। सवाल: संगठन में आपका काम क्या था?जवाब: मेरा काम सिर्फ बंदूक चलाना नहीं था। मैं पढ़ा-लिखा था, इसलिए जल्द ही बड़ी जिम्मेदारी मिलने लगी। हिड़मा, गणपति और बसवाराजू जैसे बड़े लीडर के साथ मीटिंग में शामिल होने लगा। शुरुआत में मेरा काम पोस्टर और बैनर लिखना था। फिर साउथ बस्तर डिवीजन में 'पितुरी' नाम की मैगजीन निकालने की जिम्मेदारी दी गई। 2015 के बाद मैंने माड़ डिवीजन में 'भूमकाल पत्रिका' का काम संभाला। पब्लिशिंग से जुड़े फैसले डिवीजन कमेटी लेती है। ज्यादातर सेक्रेटरी इसे डील करता है। इस तरह धीरे-धीरे संगठन में जगह बनाता गया और डिवीजन कमेटी मेंबर के पद तक पहुंच गया। मैं संगठन में था, तब डिवीजन में 150 सदस्य थे। सवाल: नक्सली कैसे काम करते हैं?जवाब: संगठन की शुरुआत गांव से होती है। यहां 'जन संगठन' या जनता सरकार होती है। ये गांव में गोलबंदी करते हैं। इनमें क्रांतिकारी आदिवासी महिला संगठन और किसान मजदूर संगठन शामिल हैं। ये लोगों को खासकर महिलाओं और किसानों को पार्टी की विचारधारा से जोड़ते हैं और उन्हें पार्टी के कार्यक्रमों में लाते हैं। क्रांतिकारी आदिवासी महिला संगठन गांव-गांव में महिलाओं से मिलता है। महिला कैडर की भर्ती करता है और सपोर्ट जुटाता है। जन संगठन से ऊपर कमेटियां होती हैं। एरिया कमेटी: ये कमेटी 70 से 80 गांव में काम करती है। ये उस पूरे एरिया में संगठन चलाती है। इसके मेंबर लोगों के सुख-दुख में शामिल होते हैं। कोई झगड़ा या कोई परेशानी होती है, तो उसे कमेटी में मीटिंग करके सुलझाते हैं। डिवीजन कमेटी: तीन से चार एरिया कमेटी मिलाकर एक डिवीजन कमेटी बनती हैं। ये कमेटी देखती है कि इन एरिया में क्या हो रहा है, गांवों में संगठन कैसे चल रहा है, कैसे उसे बढ़ाया जाए, क्या दिक्कतें आ रही हैं, भर्ती कैसे होगी। डिवीजन कमेटी के ऊपर ब्यूरो होता है। दंडकारण्य को तीन ब्यूरो में बांटा गया है। एक ब्यूरो में तीन-चार डिवीजन आते हैं। फिर जोन कमेटी होती है। जोन कमेटी स्टेट यूनिट की तरह होती है। छत्तीसगढ़ में एक जोन कमेटी है। उसके बाद रीजनल ब्यूरो होता है। सबसे ऊपर सेंट्रल कमेटी और पोलित ब्यूरो होता है। सेंट्रल कमेटी और पोलित ब्यूरो ही संगठन की दिशा और रणनीति तय करते हैं। देश को भी तीन हिस्से में बांटा गया है। मध्य रीजनल, पूर्वी रीजनल और पश्चिम जोन। पश्चिम जोन में कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल हैं। इसे ट्राइजंक्शन जोन बोलते हैं। मध्य रीजनल में दंडकारण्य और ओडिशा जैसे जोन आते हैं। पूर्वी रीजनल में पश्चिम बंगाल, बिहार और झारखंड है। सवाल: संगठन का स्ट्रक्चर क्या है?जवाब: इसके दो हिस्से होते हैं। मिलिट्री वर्क और मास वर्क। मिलिट्री वर्क में आता है जवानों पर हमला करना। मास वर्क मतलब गांव का संगठन। इसमें जनता को गोलबंद करना, संगठनों की मीटिंग और एजुकेशन का काम होता है। मास वर्क में शामिल लोग भी मिलिशिया हैं। वे लड़ने के लिए तैयार रहते हैं। लड़ने के लिए बनी कंपनी और प्लाटून मास वर्क में शामिल नहीं होते। सवाल: क्या नक्सलियों में आत्मघाती दस्ते होते हैं?जवाब: नहीं, मेरी जानकारी में तो नहीं है। ऐसी ट्रेनिंग भी नहीं दी जाती। सवाल: नक्सलियों के नेता कैसे चुने जाते हैं?जवाब: नक्सली भारत सरकार के नक्शे को नहीं मानते। छत्तीसगढ़ का उनका अपना नक्शा है, जिसमें छत्तीसगढ़, तेलंगाना, महाराष्ट्र के गढ़चिरौली और ओडिशा के इलाके आते हैं। इनके हिसाब से चुनाव होता है। कंपनी में अधिवेशन होते हैं। इसमें कंपनी मेंबर चुने जाते हैं। अधिवेशन में सभी प्रतिनिधि आते हैं। इसमें वोटिंग नहीं होती। लीडर एक नाम पुकारता है, जिसके नाम पर सबसे ज्यादा हाथ उठते हैं, उसे मेंबर चुन लिया जाता है। सब मेजॉरिटी से तय होता है। सवाल: अभी नक्सलियों के सबसे बड़े नेता कौन हैं?जवाब: सेंट्रल कमेटी और पोलित ब्यूरो सबसे ऊपर हैं। बसवाराजू सेंट्रल कमेटी मेंबर था। सेंट्रल कमेटी में टॉप लीडर होते हैं। सरकार में जैसे कैबिनेट होती है, वैसे पोलित ब्यूरो है। पोलित ब्यूरो में हिड़मा, गणपति, देवुजी और सोनू मेरी जानकारी में हैं। इनसे सिर्फ भरोसेमंद लोग ही मिल सकते हैं। हालांकि ये लोग गांवों में जाते हैं, तब कोई भी उनसे मिल सकता है। सवाल: आप हिड़मा और बसवाराजू से कब मिले थे?जवाब: मैं हिड़मा के साथ 2007 से 2014-15 तक रहा। मैं 2010 में उसके साथ था, जब छत्तीसगढ़ में 76 जवानों की हत्या हुई थी। यह नक्सल इतिहास का सबसे बड़ा हमला था। उस हमले का मास्टरमाइंड हिड़मा ही था। मैंने तभी बसवाराजू को देखा था। वो हमले के लिए बनी रणनीति की मीटिंग में शामिल हुआ था। हमले की प्लानिंग उसी ने की थी। सवाल: बसवाराजू की तो मौत हो गई, हिड़मा अभी कहां है?जवाब: इसका आइडिया नहीं है कि वो कहां है। ये पता है कि वो अब भी आराम से रहता है। चल-फिर सकता है। उसके पास अपनी सुरक्षा की पूरी व्यवस्था है। पार्टी में और भी कई नेता हैं, लेकिन संगठन की हालत ऐसी नहीं है कि कोई एक व्यक्ति आसानी से नेतृत्व संभाल सके। देवजी और सोनू जैसे नेता बसवाराजू की जगह ले सकते हैं। सवाल: नक्सली आपस में कम्युनिकेशन कैसे करते हैं?जवाब: बात करने के लिए वॉकी-टॉकी होता है। सिर्फ बड़े लीडर मोबाइल रखते हैं। उन्हें ही इसकी परमिशन है। इसके अलावा टैबलेट-कम्प्यूटर मिलता है। सवाल: क्या कैडर को सैलरी मिलती है?जवाब: नहीं, किसी मेंबर को सैलरी नहीं मिलती। हर यूनिट को पूरे साल का बजट मिलता है। ये कितना होगा, ऊपर से तय होता है। वे पूछ लेते हैं कि आपको कितने पैसों की जरूरत पड़ेगी। उसी हिसाब से देते हैं। इसके अलावा गांववालों से टैक्स के नाम पर साल में एक दिन की मजदूरी ली जाती है। चाहे वो चावल दें या पैसे, जो उनके घर में है, वही ले लेते हैं। सवाल: नक्सली कहां रहते हैं, जंगलों में या गांवों में?जवाब: ज्यादातर जंगलों में ही रहते हैं। अगर 10 दिन हैं, तो 8 दिन जंगल में और 2 दिन किसी दूरदराज के गांव में डेरा डालते हैं। एक जगह पर कितने दिन रुकना है, ये काम और सुरक्षा के लिहाज से तय करते हैं। पहले एक जगह पर 10-15 दिन भी रह लेते थे, लेकिन फोर्स के ऑपरेशन बढ़ने से अब ऐसा मुमकिन नहीं है। बोटेर और गुंडेकोट जैसी जगहों पर महीनों रुक जाते थे। अब तो सुबह का खाना एक जगह और शाम का खाना दूसरी जगह बनाना पड़ जाता है। बसवाराजू गुंडेकोट में ही छिपा हुआ था, जहां सिक्योरिटी फोर्स ने उसे मार गिराया। सवाल: महिला और पुरुष नक्सली के बीच शादी की खबरें आती हैं, ये कितनी सच हैं?जवाब: शादी हो सकती है, लेकिन उसके लिए परमिशन लेनी पड़ती है। कंपनी को बताना पड़ता है। कमांडर मान जाते हैं, तो शादी हो सकती है। हालांकि निजी रिश्ते बनाना सख्त मना है। अगर कोई ऐसा करता है, तो उसे पार्टी से निकाल देते हैं। अगर दोनों मर्जी से भी रिश्ता बनाते हैं, तो ये भी पार्टी के नियमों के खिलाफ है। सिर्फ शादीशुदा जोड़े साथ रह सकते हैं। मुझे भी संगठन में रहते हुए प्यार हुआ। उससे शादी भी की। शादी से पहले पुरुष नक्सली को नसबंदी करानी पड़ती है। इसके लिए वहां डॉक्टर होते हैं। मेरी भी नसबंदी हुई है। मैं और मेरी पत्नी अलग डिवीजन में थे। मैं संगठन छोड़ चुका हूं, लेकिन पत्नी अब भी नक्सलियों के साथ है। मैंने उसे कई बार खत लिखा, लेकिन उसने अपने पिता को लेटर भेजकर आने से इनकार कर दिया। सवाल: नियम तोड़ने पर क्या सजा मिलती है?जवाब: कोई गलती करता है तो उसे पद से हटा दिया जाता है या संगठन से निकाल देते हैं। एक नक्सली था। उसने गलती से बम ब्लास्ट कर दिया। एक लड़का मर गया था, इसलिए नक्सली को पद से हटा दिया। ज्यादा गंभीर मामला हो तो गलती करने वाले को घर भेज देते हैं। गलती करने वाला कोई भी हो, उसे सजा मिलती है। संगठन की अपनी जेल नहीं है। जो नक्सली संगठन छोड़ देते हैं, उसे 'गद्दार' करार दिया जाता है। उसे देखते ही जान से मारने का आदेश दिया जाता है। उसका परिवार भी इसकी कीमत चुकाता है। परिवार से कहा जाता है कि उससे रिश्ता न रखें। सवाल: संगठन में आप किस पोजिशन पर थे और सरेंडर करने का ख्याल क्यों आया?जवाब: मैं डिवीजन कमेटी का मेंबर था। एक एरिया कमेटी का इंचार्ज था। तब मेरे साथ 15 से 18 लोग रहते थे। 4 अक्टूबर, 2024 को थुलथुली में एनकाउंटर हुआ था। हमारे 35 साथी मारे गए। तब मुझे लगा कि संगठन अब कमजोर हो गया है। पार्टी सिकुड़ रही थी। बहुत नुकसान हो रहा है। पार्टी अब जीतने वाली नहीं है। रास्ते से भटक गई है। जल-जंगल-जमीन की आजादी की बात करने वाला संगठन अब झूठे आरोप लगाकर बेगुनाह लोगों को मार रहा है। लोगों की आजादी छीन रहा है। तभी मैंने सरेंडर करने का फैसला लिया। सवाल: सरेंडर से पहले आपको डर नहीं लगा?जवाब: शुरू में बहुत डर लगा था। मेरे खिलाफ वारंट था। मुझे लगता था कि पुलिस मुझे गोली मार देगी। फिर भी हिम्मत करके उनसे बात की। अफसरों का बर्ताव मेरी उम्मीद से कहीं बेहतर था। उन्होंने मेरा स्वागत किया और कहा- अच्छी जिंदगी जियो। मैंने संगठन की सारी जानकारी ईमानदारी से दी। इससे उन्हें मुझ पर भरोसा हो गया। सवाल: क्या आपको लगता है कि आपने गलत रास्ता चुन लिया था?जवाब: हां, अब लगता है कि मैंने गलत रास्ता चुना था। 18-19 साल बर्बाद कर दिए। संगठन में कहा कुछ जाता है और करते कुछ और हैं। हम जिस मकसद के लिए लड़ रहे थे, उस पर कोई काम नहीं हो रहा था। मेरे दो भाई हैं। मैं गांव गया और उनसे कह दिया है कि वे मुझसे रिश्ता न रखें। पता चला है कि मेरे परिवार पर दबाव डाला जा रहा है। इसलिए मैं घर पर फोन भी नहीं करता। अब मैं डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड में शामिल होने वाला हूं। मेरी ट्रेनिंग शुरू हो चुकी है। सवाल: नक्सलियों के लिए आपका क्या मैसेज है?जवाब: मेरा यही मैसेज है कि वे संगठन छोड़ दें। पार्टी में अब कोई नेतृत्व नहीं है। संगठन अपने मकसद से भटक गया है। यह आंदोलन अब जनता का भला नहीं कर रहा। सरकार सरेंडर करने वालों को अच्छा मौका दे रही है। उन्हें सरेंडर करके मुख्यधारा में शामिल होना चाहिए और परिवार के साथ अच्छा जीवन जीना चाहिए। सवाल: सरकार कह रही है कि 2026 तक नक्सलवाद खत्म कर देगी। ऐसा हो पाएगा?जवाब: हथियारों वाला संगठन शायद न रहे, लेकिन विचारधारा बची रह सकती है। 2026 तक इसे पूरी तरह खत्म करना असंभव लगता है। सब बुनियाद से जुड़े हैं। इसे खत्म करना इतना आसान नहीं है। (इस सवाल पर साथ खड़े सिक्योरिटी फोर्स के अधिकारी ने कहा कि ये सवाल मत लीजिए) अगली स्टोरी में 19 जून को पढ़िए नक्सलियों के ट्रेनिंग सेंटर रहे चांदामेटा से ग्राउंड रिपोर्ट..............................................कैमरामैन: अजित रेडेकर............................................... 'नक्सलगढ़ से भास्कर' सीरीज की स्टोरी यहां पढ़िए 1.जहां नक्सली बसवाराजू मारा, वहां न रास्ते, न नेटवर्क; ऑपरेशन 'अबूझ' के निशान बाकी अबूझमाड़ का कलेकोट पहाड़ करीब 10 किलोमीटर में फैला है। 1300 मीटर से ज्यादा ऊंचा है। यहीं नक्सलियों का टॉप लीडर नंबला केशव राव उर्फ बसवाराजू मारा गया। ये घने जंगल वाला एरिया है। न रास्ता, न मोबाइल नेटवर्क। यहां पेड़ों पर गोलियों के अनगिनत निशान बने हैं। ये गोलियां बसवाराजू के एनकाउंटर के वक्त चली थीं। पढ़िए पूरी खबर... 2. कंपनी नंबर-7 की ‘गद्दारी’ से मारा गया बसवाराजू, फेक एनकाउंटर का दावा कितना सच 18 मई, 2025, डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड के जवानों ने नारायणपुर जिले में अबूझमाड़ के जंगलों में तीन तरफ से घुसना शुरू किया। उन्हें एक करोड़ के इनामी नक्सली लीडर बसवाराजू का ठिकाना पता चल गया था। बसवाराजू के साथ उसकी सुरक्षा करने वाली कंपनी नंबर-7 के लोगों ने ही गद्दारी की थी। 40 साल से इन जंगलों में छिपा हुआ बसवाराजू 21 मई को कलेकोट की पहाड़ी पर मारा गया। पढ़िए पूरी खबर 3. अबूझमाड़ के लोग बोले- पुलिस ने पीटा, नक्सली राशन ले जाते हैं, हम दोनों तरफ से पिस रहे 'नक्सली गांव में आते हैं। हमसे चावल या जो भी मांगते हैं, हमें देना पड़ता है। उस दिन (19 मई को) पुलिस आई, तो हमने पुलिस को भी सब कुछ दिया। पुलिसवाले यहीं रुके थे, नशा किया और हमें पीटा भी। फिर तीन-चार मुर्गे भी ले गए। हम तो दोनों तरफ से ही पिस रहे हैं।’ ये कहना है गुंडेकोट गांव के रहने वाले मनकू राम मंडावी का। इसी गांव के पास 21 मई को बसवाराजू मारा गया। पढ़िए पूरी खबर..
DNA on Iranian on Iranian Coup: इजरायल पर पलटवार करके ईरान गहरे संकट में फंसता जा रहा है. ईरान धीरे-धीरे गृहयुद्ध की आग में धंसता दिख रहा है. तख्तापलट के बाद गद्दी संभालने वाला दावेदार भी सामने आ गया है. उसने देश के लोगों से साथ देने की अपील की है.
DNA: अमेरिकी सेना की परेड में ऐसा क्या हुआ, जो पूरी दुनिया उड़ा रही ट्रंप का मजाक
US News:आमतौर पर परेड में फौज की टुकड़ियां कदमताल मिलाते हुए जोश के साथ आगे बढ़ती हैं. 26 जनवरी को आपने भी कर्तव्य पथ पर मिलिट्री परेड देखी होगी. लेकिन यहां दुनिया की सबसे शक्तिशाली मानी जाने वाली फौज अपने राष्ट्रपति के सामने परेड के नाम पर सिर्फ चल रही है.
DNA Analysis: ईरान-इजरायल के बीच जंग जारी है. युद्ध के बीच ना तो इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू सुरक्षित हैं और ना ही ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्लाह अली खामेनेई और खतरा अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के ऊपर भी मंडरा रहा है. आखिर ऐसा क्यों कहा जा रहा है जानते हैं.
DNA: इजरायल के पेजर अटैक का 'ईरान चैप्टर; पहले हिला हिजबुल्लाह का लेबनान, अब खामेनेई का देश दहला
आपको याद होगा कि किस तरह इजरायल ने हिजबुल्लाह को सबक सिखाने के लिए पेजर धमाके किए थे. जिसमें लगभग 3 हजार के करीब लोग प्रभावित हुए थे. कुछ ऐसा ही हमला अब तेहरान में हुआ है.
Iran-Israel War:युद्ध की एक पुरानी नीति है. मजबूत दुश्मनों से लड़ाई जीतने के लिए तलवार से ज्यादा ज़रूरत भरपूर खजाने और ताकतवर दोस्त की होती है. खामेनेई के पास खजाना तो है और अब इजरायल से लड़ने के लिए वो मजबूत गठबंधन की योजना बना रहे हैं.
DNA Analysis: इस बीच बड़ी खबर ये है कि इजरायल-ईरान युद्ध में चीन के राष्ट्रपति शी-जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की एंट्री हो गई है. चीन के बीच में कूदने से अटकलों का बाजार गर्म हो गया है, सवाल है कि क्या दुनिया तीसरे विश्व युद्ध की तरफ बढ़ रही है?
इजरायल पर परमाणु हमला करेगा पाकिस्तान... ईरान के दावे पर पीछे हटा PAK, कहा- हम तो नहीं...
ईरान और इजरायल के बीच जारी तनाव में परमाणु हथियारों पर चर्चा शुरू हो गई है. ईरान ने कहा है कि अगर इजरायल हम पर परमाणु हमला करता है तो पाकिस्तान उसके जवाब में परमाणु हमला करेगा. हालांकि पाकिस्तान ने इस बात से इनकार कर दिया है.
Israel-Iran News: इजरायल को ये इल्म है कि ईरान के परमाणु ठिकाने वो चाह कर भी नहीं बर्बाद कर सकता. ईरान ने ऐसी जगहों पर न्यूक्लियर वेपन के लिए जरूरी यूरेनियम को छिपा रखा है जहां बिना अमेरिका की मदद के वो कुछ भी नहीं कर सकता.
Pm Modi Gifted Kashmiri Carpet: पीएम नरेंद्र मोदी ने साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलिड्स को कश्मीरी रेशमी कालीन गिफ्ट किया. इसके अलावा साइप्रस की प्रथम महिला फिलिपा करसेरा को सिल्वर क्लच पर्स गिफ्ट किया है. जिसकी काफी ज्यादा चर्चा हो रही है.
वो इलाका है... तुर्की ने पाकिस्तान को बम-ड्रोन दिए थे, पीएम मोदी तो उस बॉर्डर तक पहुंच गए !
PM Modi Cyprus:तुर्की के करीब द्वीपीय देश साइप्रस जाकर पीएम मोदी ने एर्दोआन को बड़ा संदेश दिया है. पीएम उस बॉर्डर तक पहुंच गए जहां से तुर्की के कब्जे वाले कथित नॉर्थ साइप्रस देश क सीमा लगती है. साइप्रस के राष्ट्रपति ने पीएम को नॉर्थ साइप्रस का झंडा भी दिखाया.
साइप्रस में बड़ा सरप्राइज: पीएम मोदी ने जोड़े हाथ तो अचानक झुकी महिला और छू लिए पैर
Pm Modi in Cyprus: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साइप्रस दौरे पर हैं. यहां उन्हें साइप्रस के सबसे बड़े नागरिक सम्मान से नवाजा गया है. इसके अलावा भारतीयों के लिए एक और पल ऐसा आया जो भावुक कर देने वाला था. यहां एक महिला ने पीएम मोदी के अचानक पैर छू लिए.
फैक्ट चेक: अल्लाह-हू-अकबर बोलते यात्रियों का वीडियो अहमदाबाद विमान हादसे का नहीं है
बूम ने पाया कि फ्लाइट के अंदर 'अल्लाह-हू-अकबर' बोलते यात्रियों का यह वीडियो सितंबर 2024 का अल्जीरियाकाहै.
ईरान और इजरायल के बीच जारी हमलों में लोगों की जिंदगी दरहम-बरहम हो गई है. राजधानी तेहरान में रहने वाले लोग शहर छोड़ने को मजबूर हो गए हैं. ज्यादा तादाद में लोगों के जरिए शहर छोड़ने की वजह से सड़कों पर भी लंबा जाम लग गया है.
G7 summit to focus on global economy, energy security: कनाडा के कनानास्किस में 15 से 17 जून 2025 तक चल रहे 51वें जी7 शिखर सम्मेलन में वैश्विक अर्थव्यवस्था और ऊर्जा सुरक्षा मुख्य मुद्दे हैं. इस बार सम्मेलन को दो दिन का कर दिया गया है, जो 16 जून से शुरू हुआ. दुनिया के बड़े नेता अल्बर्टा के खूबसूरत रॉकी माउंटेन क्षेत्र में जुट रहे हैं.
डोनाल्ड को मारने का प्लान! खामनेई की किलिंग पर ट्रंप का वीटो, बंकर में क्यों छिपे सुप्रीम लीडर?
Israel-Iran war: ईरान और इजरायल के बीच जंग में अब एक नया मोड़ आ गया है. इजरायल ने ईरान के इंटेलिजेंस चीफ को मार गिराया है, दूसरी ओर ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई अब बंकर में छिप गए हैं, तीसरी बात डोनाल्ड ट्रंप की हत्या की साजिश को लेकर एक खुलासा हुआ है.
UK Spy Agency: UK की खुफिया एजेंसी MI6 ने एक महिला ऑफिसर को पहली बार प्रमुख का पद सौंपा है. इसकी जिम्मेदारी टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन की डायरेक्टर जनरल ब्लेज मेट्रेवेली को मिली है.
जल्द खत्म होने वाला है इजरायल-ईरान संघर्ष? ट्रंप का दावा, भारत-पाक की तरह होगा शांति समझौता
Trump On Israel-Iran Conflict: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में इजरायल-ईरान संघर्ष को लेकर एक बयान जारी किया है, जिसमें उन्होंने दोनों देशों के बीच शांति लाने की बात कही है.
ट्रंप की हत्या का इरादा था... ईरान पर हमले के बीच इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने फोड़ा नया बम
Israel Iran War: ईरान और इजरायल के बीच तीन दिन से चल रहे युद्ध के बीच इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का नया सनसनीखेज दावा सामने आया है. उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को लेकर बड़ी बात कही है.