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अब इस देश में सड़कों पर उतरे हजारों GEN Z; राष्ट्रपति के खिलाफ खोला मोर्चा, क्या है विवाद?

Mexico Zen G Protest: मेक्सिको में राष्ट्रपति क्लाउडिया शीनबाम की सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया जा रहा है. इसको लेकर कई सारे प्रदर्शकारी सड़कों पर उतरे हैं.

ज़ी न्यूज़ 16 Nov 2025 12:28 pm

पुतिन और नेतन्याहू ने फोन पर की बातचीत, यूएन में गाजा पर प्रस्ताव पेश करने के बाद की बात, जानिए किन मुद्दों पर हुई चर्चा

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने शनिवार को फोन पर बातचीत की। मॉस्को और यरूशलम ने आधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि की है। पुतिन की पहल पर दोनों नेताओं की बातचीत हुई

देशबन्धु 16 Nov 2025 12:25 pm

ट्रंप ने फल, बीफ, कॉफी समेत 200 चीजों पर टैरिफ हटाने का किया ऐलान, ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री ने फैसले का किया स्वागत

लंबे समय तक टैरिफ वॉर में फंसे देशों को अब अमेरिका ने राहत देना शुरू कर दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फल, बीफ, कॉफी समेत 200 चीजों पर टैरिफ हटाने का ऐलान किया है। उनके इस फैसले की ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री पेनी वोंग ने स्वागत किया है

देशबन्धु 16 Nov 2025 11:41 am

'मेरी तरफ देखना भी मत...,' 2028 में अमेरिकी राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ेंगी मिशेल ओबामा? पूर्व फर्स्ट लेडी ने किया खुलासा

Michelle Obama For 2028 Presidential Run: अमेरिका की पूर्व फर्स्ट लेडी मिशेल ओबामा ने हाल ही में अपने साल 2028 के राष्ट्रपति चुनाव लड़ने की संभावनाओं के बारे में बात की.

ज़ी न्यूज़ 16 Nov 2025 10:38 am

मेक्सिको सिटी में सरकार के खिलाफ जेन-जी का विरोध प्रदर्शन, अपराध, भ्रष्टाचार और दंड से मुक्ति को लेकर सड़को पर उतरे युवा

मेक्सिको सिटी में सरकार के खिलाफ सिटी में सरकार के खिलाफ का गुस्सा फूट पड़ा है। हजारों की संख्या में जेन जेड सड़कों पर उतर आए। यह विरोध प्रदर्शन बढ़ते अपराध, भ्रष्टाचार और दंड से मुक्ति को लेकर हो रहा है

देशबन्धु 16 Nov 2025 10:26 am

मस्क के बाद अब इस करीबी ने छोड़ा ट्रंप का साथ... राष्ट्रपति पर लगाया जान से मारने की धमकी का आरोप

Marjorie Taylor Greene VS Trump: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उनकी सहयोगी और जॉर्जिया हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स की सदस्य मार्जोरी टेलर ग्रीन के साथ मतभेद बढ़ गए हैं.

ज़ी न्यूज़ 16 Nov 2025 9:36 am

ट्रंप को साइड कर क्या खिचड़ी पका रहे हैं नेतन्याहू और पुतिन! 2 महीने में दूसरी बार फोन पर हुई बात

Putin And Netanyahu Phone Call: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू के बीच हाल ही में फोन पर बातचीत हुई, जिसमें दोनों देशों के नेताओं ने कई मुद्दों पर चर्चा की.

ज़ी न्यूज़ 16 Nov 2025 7:04 am

संडे जज्बात-खरीदी गई दुल्हन हूं, लोग हमें पारो कहते हैं:पति की मौत के बाद ससुरालवाले बोले- तुम्हें बेच देते हैं, लाख रुपए मिल जाएंगे

मेरा नाम उर्मिला है। मैं मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के एक गांव में पैदा हुई। एक दलाल ने मुझे शादी के बहाने धोखा दिया। उसने हरियाणा के जींद के रहने वाले कुबूल लाठर के हाथों बेच दिया। हरियाणा में इस तरह खरीदकर लाई जाने वाली दुल्हनों को ‘पारो’ या ‘मोलकी’ कहा जाता है। इन्हें बहू नहीं माना जाता, बल्कि एक तरह की नौकरानी की तरह रखा जाता है। इन्हें 20 हजार से लेकर दो लाख रुपए तक में खरीदा जाता है। शादी के बाद मेरे पति कुबूल लाठर मुझे अपने गांव लेकर नहीं आए। वह मुझे मेरे मायके में ही एक किराए के घर में रखा। जब मेरे माता-पिता ने दबाव बनाया, तब वह मुझे हरियाणा के अपने गांव करसौला लेकर आए थे। यहां आई तो, उनके माता-पिता ने मुझे घर में घुसने नहीं दिया। वह मुझे बहू मानने को तैयार नहीं थे। इसके बाद मेरे पति ने गांव में ही एक किराए का कमरा ले लिया और मैं वहीं रहने लगी। इस दौरान मैं उनके माता-पिता के खेत में मजदूरी करती थी, जिसके बदले वे थोड़ा अनाज देते थे। जब मेरे आदमी की कैंसर से मौत हुई तो उनके मां-बाप ने मुझे दोबारा बेचने की कोशिश की। मैंने साफ मना कर दिया। उनकी नजर मेरी बेटी पर थी। दरअसल, हम चार भाई-बहन थे और घर में बहुत गरीबी थी। कई बार खाने तक को कुछ नहीं होता था। पिताजी के पास इतने पैसे नहीं थे कि वे मेरी शादी करवा सकें। मैं उस समय सिर्फ 16 साल की थी। तभी एक बिचौलिया मेरे माता-पिता से मिला। उसने कहा कि वह मेरी शादी हरियाणा के एक ट्रक ड्राइवर से करवा देगा- जिसका नाम कुबूल लाठर था। कुबूल अक्सर ट्रक लेकर हमारे गांव आता-जाता था। बिचौलिए ने मेरे माता-पिता से कहा कि कुबूल अच्छी कमाई करता है और मुझे अच्छे से रखेगा, और शादी में कोई पैसे नहीं लेगा। उसने मुझसे भी कहा कि मुझे कोई तकलीफ नहीं होगी और सब सुविधा मिलेगी। गरीबी के कारण माता-पिता उसकी बातों में आ गए। बाद में पता चला कि बिचौलिए ने कुबूल से पैसे लिए थे- यानी उसने वास्तव में मुझे बेच दिया था। कितना पैसा लिया था, आज तक पता नहीं चला। 2010 में मेरी शादी एक मंदिर में करा दी गई। शादी के बाद मेरे पति मुझे अपने गांव नहीं लाए। उन्होंने मेरे मायके में ही किराए पर एक कमरा लिया और उसमें मुझे ढाई साल से ज्यादा समय तक रखा। मैं छोटी थी, ज्यादा समझ नहीं थी। वे दो-तीन महीने में एक बार आते, एक-दो दिन रहते और फिर चले जाते। इस बीच घर वालों को पता चला कि बिचौलिए ने मुझे बेच दिया था। 2013 की बात है। उस दिन मेरे पति आए हुए थे। मेरी मां उनसे मिलने पहुंचीं और उन्होंने कहा- 'अगर आप मेरी बेटी को अपने साथ नहीं ले जाएंगे तो हम इसकी कहीं और शादी कर देंगे।' इस दबाव के बाद मेरे पति मुझे हरियाणा के जींद जिले के अपने गांव करसौला लेकर आए। लेकिन वहां पहुंचते ही सास-ससुर ने साफ कह दिया- 'तू बाहर से बहू लाया है, इसे घर में घुसने नहीं देंगे।' तभी मुझे समझ आया कि मेरे पति मुझे इतने सालों तक अपने गांव क्यों नहीं लाए थे। मजबूरी में उन्होंने गांव में किराए का कमरा लिया और मैं वहां रहने लगी। आखिर, मायके में तीन साल किराए पर रहने के बाद अब अपने पति के गांव में भी आकर किराए पर रहने लगी। इसी दौरान मेरी एक बेटी हुई। मैं उसकी देखभाल में लगी रहती थी। एक दिन मेरे ससुर आए और बोले- 'खेत में गेहूं की फसल तैयार है, तुम्हें काटनी पड़ेगी। तुम्हें खरीदकर लाया हूं, सारा पैसा वसूल करूंगा।' मैंने मना कर दिया, तो वे लौट गए। कुछ दिन बाद मेरे पति आए, तब उनके पिता फिर आए और कहा- 'पारो को खेत में भेजो, फसल तैयार है।' उस दिन मेरे पति ने मुझे बहुत समझाया। कहा- अपने घर का काम है, कर लो। पति के कहने पर मैं तैयार हुई और रोज सुबह से शाम तक गेहूं की कटाई करने लगी। कई बार बिना खाए-पिए ही। इसके बदले मुझे थोड़ा-बहुत गेहूं मिलता था। इस तरह मैं अपने ही ससुराल में मजदूरी करने लगी। फिर एक दिन मेरे ससुर जी ने कहा- 'काम करके कमरे पर मत आया करो, घर आ जाया करो। घर का भी काम करना है।' इसके बाद मैं उनके घर भी जाने लगी- झाड़ू, पोंछा, बर्तन, कपड़े धोना, गोबर उठाना- सब काम करती, लेकिन रसोई में जाने की इजाजत नहीं थी। चूल्हा-चौका छूने नहीं देती थीं, क्योंकि वे मुझे अछूत मानते थे। जब ससुराल वालों को मालूम हुआ कि मेरे माता-पिता भी गरीब हैं, तो उन्होंने उन्हें भी सिवनी से बुला लिया और उनसे भी मजदूरी करवाने लगे। मैं तो पहले ही नौकरानी की तरह थी, अब मेरे माता-पिता भी मजदूर बन गए। जब ससुराल वालों के रिश्तेदारों के यहां शादी-ब्याह होता तो वहां भी मुझे लेकर जाते। वहां भी सारा काम करती। एक रिश्तेदार के यहां शादी थी। वहां गई तो पता चला कि मेरे पति ने पहले से ही दो शादियां कर रखी हैं। उस दिन मैं बहुत परेशान हो गई। जब उनसे पूछा तो कहने लगे- रहता तो मैं तेरे ही साथ हूं न, तुझे क्या दिक्कत है। तुझे किस चीज की कमी है। वह मुझे डांटने लगे। मैंने आखिर दिल पर पत्थर रख लिया। उस बारे में फिर दोबारा बात नहीं की। 2019 में मेरे पति के गले में कैंसर का पता चला। उन्होंने ड्राइविंग छोड़ दी और घर पर रहने लगे। घर चलाने के लिए मैंने गांव में मजदूरी करनी शुरू की। बेटी छोटी थी, उसे भी साथ ले जाना पड़ता था। कुछ समय बाद उनकी हालत बहुत खराब हो गई। इलाज के पैसे नहीं थे। मैंने सास-ससुर से मदद मांगी तो उन्होंने कहा- हमारे पास पैसे नहीं हैं, लेकिन तुम हमारे घर में आकर रह सकती हो, ताकि तुम्हारे कमरे का किराया बचे। मजबूरी में मैं ससुराल में रहने लगी। मैंने गांव से चंदा इकट्ठा करके पति को अस्पताल में भर्ती कराया। हालत लगातार बिगड़ती जा रही थी। एक दिन उनके भाई ने मुझसे कहा- 'घर जा, तुम्हें यहां रहने की जरूरत नहीं है।' वह नहीं चाहते थे कि आखिरी समय में मैं अपने पति के साथ रहूं। मैं रोते हुए घर लौट आई। अगले दिन जेठ आए और बताया कि कुबूल की मौत हो गई है। अभी पति की मौत को एक दिन भी नहीं हुआ था कि ससुराल वाले बोलने लगे- 'हमारे दूसरे बेटे से शादी कर लो।' वे नहीं चाहते थे कि ‘फ्री में मिली नौकरानी’ कहीं चली जाए। मैंने साफ मना कर दिया और कहा- मुझे अपना हिस्सा चाहिए, ताकि मैं अपनी बेटी को पाल सकूं। वे हिस्सा देने को तैयार नहीं थे। बोले- 'या तो हमारे दूसरे बेटे से शादी करो, नहीं तो हम तुम्हारी कहीं और शादी कर देंगे। तुम्हें एक लाख रुपए और अंगूठी भी देंगे।' यानी वे मुझे दोबारा बेचने की तैयारी में थे। लेकिन मैंने दूसरी शादी से इनकार कर दिया। मुझे लगा था कि वे मुझे जान से न मार देंगे। मदद के लिए पुलिस थाने पहुंची। वहां पुलिस वाले कहने लगे- आखिर जब तुम्हारी दूसरी शादी की जा रही है, तो क्यों नहीं कर लेती! इस तरह पुलिस ने मदद नहीं की। फिर थाने से वापस घर लौट आई। मुझे बेटी की चिंता सताती थी- अगर मुझे कुछ हो गया तो उसका क्या होगा? कहीं उसे भी नौकरानी न बना दें या आगे चलकर बेच न दें। यह 2021 की बात है। तभी पता चला कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर हमारे इलाके में आने वाले हैं। मैंने ठान लिया कि उनसे मिलूंगी। जिस रास्ते से उनका काफिला गुजरना था, मैं वहीं बैठ गई और रास्ता रोककर मदद की गुहार लगाई। कहा- 'मेरे पति की मौत हो चुकी है। मेरे पास न घर है, न खाने को कुछ। मेरी एक बेटी है। कृपया मदद कीजिए।' सीएम ने डीसी को निर्देश दिए। वे मेरे साथ आए और दबाव डालकर ससुराल वालों से एक कमरा दिलवाया। उसमें न शौचालय था, न बाथरूम, लेकिन किसी तरह रहने लगी। अब मेरे ससुराल के लोग न मुझसे बात करना एकदम से बंद कर दिया। मेरी बेटी से भी बात नहीं करते। अब मेरी बेटी स्कूल जाने लगी है, लेकिन वहां उसके साथ भेदभाव होता है। बच्चे उसे पारो की बेटी कहकर चिढ़ाते है। एक दिन मैंने स्कूल में जाकर शिकायत की, लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा। अब मैं इसी कमरे में बेटी के साथ रहती हूं। मुझे आज तक बहू का दर्जा नहीं मिला। मैं बीमार हूं, डॉक्टरों ने बताया है कि मेरे दिल में छेद है, लेकिन इलाज के लिए पैसे नहीं हैं। इस बीच, सीएम खट्टर का रास्ता रोकने वाला मेरा वीडियो वायरल हो गया था। वीडियो देखकर दिल्ली की एक संस्था ने मेरी मदद की। कुछ वकील भी आए, जो हरियाणा में पारो महिलाओं की सहायता करते हैं। उन्होंने मेरा हौसला बढ़ाया और बाकी पारो महिलाओं के लिए काम करने को कहा। मैंने ‘सखी संघ’ के रूप में एक समूह बनाकर काम शुरू कर दिया है। इस संघ के जरिए हम जींद जिले में पारो महिलाओं को उनके अधिकारों के लिए जागरूक करते हैं। इस जागरूकता के दौरान एक दिन मेरी मुलाकात एक पारो से हुई। उसको बच्चा हुआ था। उसके आदमी के घर वालों ने उसका बच्चा छीन लिया था और उसे घर से निकाल दिया था। बाद में पता चला कि उसे दूसरी जगह बेच दिया गया। इस तरह हरियाणा में गरीबी और बेबसी के कारण पारो महिलाओं को बार-बार बेचा जाता है। कुछ आदमियों ने तो शराब के पैसे के लिए पारो दुल्हन को बेच दिया। कुछ पारो को मार दिया गया, जिनकी आज तक लाश नहीं मिली। कुछ महीने पहले ही एक पारो ने फांसी लगाई थी। कई बार तो मैंने भी जहर खाने की सोचा। इस तरह हमारी जिंदगी जानवरों से भी बदतर है। अंत में कहूंगी कि- हमारे पति की मौत के बाद हमें घर में रहने दिया जाए। हमें बहू का दर्जा मिले। उनकी जायदाद में हिस्सा दिया जाए। पारो को दोबारा बेचने की परंपरा पर रोक लगे। यही नहीं, हम यह भी चाहते हैं कि हमें पारो कहकर अपमानित करना बंद किया जाए। इन सबके लिए हम सभी पारो बहनों ने एक मांग पत्र भी तैयार किया है। ------------------------------------------ (उर्मिला ने अपने ये जज्बात भास्कर रिपोर्टर मनीषा भल्ला से साझा किए हैं।) 1-संडे जज्बात-मैं मुर्दा बनकर अर्थी पर भीतर-ही-भीतर मुस्कुरा रहा था:लोग ‘राम नाम सत्य है’ बोले तो सोचा- सत्य तो मैं ही हूं, थोड़ी देर में उठकर साबित करूंगा मेरा नाम मोहनलाल है। बिहार के गयाजी के गांव पोची का रहने वाला हूं। विश्व में शायद अकेला ऐसा इंसान हूं, जिसने जिंदा रहते अपनी शव यात्रा देखी। यह बात चंद करीबी लोगों को ही पता थी। मरने का यह सारा नाटक किसी खास वजह से किया गया था। पूरी स्टोरी यहां पढ़ें 2- संडे जज्बात-फौजी विधवा की 8 साल के देवर से शादी:मैं मेजर जनरल थी, उसकी बात सुनकर कांप गई; मन करता है कैसे भी उससे मिल लूं अस्पताल में इलाज के दौरान एक युवा सिपाही की मौत हो गई। वह शादीशुदा था और उसकी विधवा पत्नी की उम्र लगभग 22 साल थी। सिपाही की मौत के बाद एक दिन उसकी पत्नी रोते हुए मेरे पास आई। कहने लगी कि मुझे बचा लीजिए। मेरे ससुराल वाले और मायके के लोग मेरी शादी देवर से कराने जा रहे हैं। पूरी स्टोरी यहां पढ़ें

दैनिक भास्कर 16 Nov 2025 5:35 am

दिल्ली में 213 साल पुरानी फूलवालों की सैर पर ब्रेक:जिस मेले में नेहरू-इंदिरा आए, उसे परमिशन नहीं; आयोजक बोले- अधिकारी टालमटोल करते रहे

'दिल्ली की हस्ती मुनासिर कई हंगामों पर हैकिला, चांदनी चौक, हर रोज मजमा जामा मस्जिदहर हफ्ते सैर जमुना के पुल कीऔर दिल्ली में हर साल मेला फूलवालों काये पांच बातें अब नहीं, फिर दिल्ली कहां’ दिल्ली के बारे में ये बात मशहूर शायर मिर्जा गालिब ने कही थी। बात 1857 के गदर से पहले की है। दिल्ली बेरौनक हो रही थी, इसलिए गालिब मायूस थे। अब किला है, चांदनी चौक है, जामा मस्जिद पर मजमा है, जमुना का पुल है, बस इस साल मेला फूलवालों का नहीं है। गालिब ने जिसे मेला फूलवालों का कहा, वो दिल्लीवालों के लिए फूलवालों की सैर नाम का उत्सव है, जो महरौली में मनाया जाता है। 213 साल पहले 1812 में शुरू हुए उत्सव को इस साल परमिशन नहीं मिली। इसके लिए 2 नवंबर से 8 नवंबर की तारीख तय थी। आयोजकों का कहना है कि दिल्ली डेवलपमेंट अथॉरिटी यानी DDA ने कहा कि फॉरेस्ट वालों से परमिशन लीजिए। फॉरेस्ट डिपार्टमेंट ने जवाब दिया कि यह हमारे दायरे में आता ही नहीं है, तो परमिशन कैसे दें।​​​​​​ ये मेला इतना मशहूर हुआ कि जवाहर लाल नेहरू हर साल यहां आते थे। इंदिरा गांधी, मोरारजी देसाई भी आते रहे। इस मसले पर हमने महरौली के लोगों, आयोजकों, DDA और वन विभाग के अफसरों से बात की। लोग बोले- सरकार जो चाहे करे, हम क्या कर सकते हैंमहरौली में एक से दो किमी के दायरे में कुतुब मीनार, राजाओं की बावली, जहाज महल, 1230 में बना हौज-ए-शम्सी तालाब, कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी की दरगाह और योगमाया मंदिर है। फूलवालों की सैर का इतिहास क़ुतुबुद्दीन बख्तियार काकी की दरगाह और योगमाया मंदिर को जोड़ता है। सबसे पहले हम जहाज महल पहुंचे। ये जगह हौज-ए-शम्सी तालाब से सटी है। फूल वालों की सैर के दौरान इस जगह कव्वाली होती है। यहां 80 साल के नंदलाल मिले। नंदलाल भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के बाद दिल्ली आकर बसे थे। 63 साल से फूलवालों की सैर में शामिल होते रहे। इस बार मायूस हैं क्योंकि ये उत्सव नहीं हो पाया। नंदलाल कहते हैं, ‘इस बार त्योहार की परमिशन ही नहीं मिली। सरकार जो चाहे करे, अब उसके आगे हम क्या कर सकते हैं।’ ‘त्योहार कई साल से मन रहा, DDA को अब फॉरेस्ट लैंड दिखा’महरौली के रहने वाले महेश कुमार DDA से परमिशन न मिलने पर सवाल उठाते हैं। वे कहते हैं, ‘ये त्योहार कई साल से DDA के पार्क में हो रहा है। DDA को अब वहां फॉरेस्ट लैंड दिख रहा है। पहले तो कभी नहीं दिखा।’ महेश आगे कहते हैं, ‘ये फेस्टिवल बहुत जरूरी है। यह भाईचारे की जगह है। हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, सब इसमें शामिल होते हैं। मेरे जन्म से पहले ये परंपरा चल रही है।’ 37 साल के सिराज शेख महरौली में ऑटो चलाते हैं। वे हमें महरौली के आम बाग में मिले। फूल वालों की सैर का मेला यहीं लगता है। सिराज कहते हैं, ‘मेले के दौरान हम मंदिर और मस्जिद दोनों जगह जाते थे। पिछली बार भी मेला नहीं लगा था, सिर्फ कव्वाली हुई थी। ये त्योहार हर धर्म और जाति के लोगों को जोड़ता है।’ महरौली के स्थानीय पत्रकार अजीज अहमद बताते हैं, ‘मेरी जिंदगी यहीं बीती है। इस फेस्टिवल में अलग-अलग राज्यों से पंखे आते हैं। उनमें आधे दरगाह और आधे योगमाया मंदिर में जाते हैं। ये फेस्टिवल हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है।' 'आजादी के बाद ये दोबारा शुरू हुआ, तब जवाहर लाल नेहरू हर साल यहां आए। इंदिरा गांधी, मोरारजी देसाई, बाद में दूसरे राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री भी आते रहे। दिल्ली के उपराज्यपाल तो हर साल आते हैं।’ सूफी संत की दरगाह, भगवान कृष्ण की बहन का मंदिरमेले के दौरान दिल्ली के उपराज्यपाल हजरत कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी की दरगाह पर पंखा और फूलों की चादर चढ़ाते हैं। फिर योगमाया मंदिर में फूलों के पंखे पेश किए जाते हैं। इसके लिए यात्रा निकाली जाती है। किर्गिस्तान से भारत आए कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी एक सूफी संत थे। यहां चिश्ती सूफी परंपरा के संस्थापक ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती के शिष्य बन गए। बाद में मुइनुद्दीन चिश्ती ने बख्तियार काकी को अपना आध्यात्मिक उत्तराधिकारी बना दिया। बख्तियार काकी ने पूरी जिंदगी दिल्ली में ही बिताई। 1235 में इंतकाल के बाद उन्हें महरौली में दफनाया गया। विभाजन के बाद दंगाइयों ने बख्तियार काकी की दरगाह को नुकसान पहुंचाया था। हत्या से तीन दिन पहले महात्मा गांधी यहां आए थे। उन्होंने अपील की थी कि दरगाह की मरम्मत कर मुसलमानों को सौंप दिया जाए। इसी तरह योगमाया मंदिर भी काफी पुराना है। मंदिर परिसर में लगे बोर्ड पर मंदिर का इतिहास लिखा है। इसके मुताबिक योगमाया भगवान कृष्ण की बहन थीं। मथुरा के राजा कंस ने योगमाया को कृष्ण समझकर मारने की कोशिश की थी। तब योगमाया का सिर इसी जगह गिरा था। इस मंदिर में योगमाया का शीश पिंडी रूप में है। इसी की पूजा होती है। आयोजक बोले- बार-बार परमिशन मांगी, आखिरी वक्त तक नहीं मिली1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान अंग्रेजों ने इस मेले पर रोक लगा दी थी। पद्मश्री से सम्मानित सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज योगेश्वर दयाल ने 1961 में फूल वालों की सैर दोबारा शुरू करने की पहल की। इसके बाद प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 1962 में इसे दोबारा शुरू करवाया। तभी से यह त्योहार हर साल मन रहा था। इसका आयोजन अंजुमन सैर-ए-गुल फरोशां नाम की संस्था कराती है। पूर्व जज योगेश्वर दयाल की बेटी ऊषा दयाल इसकी जनरल सेक्रेटरी हैं। वे कहती हैं, ‘पिछले साल भी आखिरी वक्त में मौखिक अनुमति दी गई थी। कोई लेटर नहीं दिया गया। हमने इस साल मार्च से ही DDA से अनुमति लेने के लिए संपर्क करना शुरू कर दिया था। तब उन्होंने कहा कि फॉरेस्ट डिपार्टमेंट से नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट लाना होगा। हमने फॉरेस्ट डिपार्टमेंट को लेटर लिखा। कई बार रिमाइंडर के बावजूद जवाब नहीं मिला।’ जुलाई में हमने उपराज्यपाल को लेटर लिखा। वहां से भी जवाब नहीं आया। सितंबर में DDA से फिर परमिशन मांगी। हमें कोई जवाब नहीं मिला। ऊषा बताती हैं, ‘मंत्री कपिल मिश्रा ने भी DDA वालों से पूछा कि 2023 तक परमिशन मिल रही थी, तो अभी क्या दिक्कत है। DDA ने कोई जवाब नहीं दिया। हमने फैसला लिया कि इस साल आयोजन नहीं करेंगे। आम बाग में साफ लिखा है कि ये DDA पार्क है। इसके बावजूद पिछले साल से वे अड़चन लगा रहे हैं।’ हम महरौली में अंजुमन सैर-ए-गुल फरोशां के उपाध्यक्ष विनोद शर्मा से भी मिले। वे 50 साल से ज्यादा वक्त से इससे जुड़े हैं। विनोद कहते हैं, ‘देश में अभी जैसा माहौल है, उसमें ऐसे फेस्टिवल की और ज्यादा जरूरत है।’ वे कहते हैं, ‘शुरुआत में मेला एक दिन का होता था। फिर तीन दिन का होने लगा। अब एक हफ्ते तक लगता है। दरगाह में चादर चढ़ाई जाती है, तो हिंदू भी जाते हैं। मंदिर में पंखे रखे जाते हैं, तब मुस्लिम आते हैं। शुरू में तो ये दिल्ली का फेस्टिवल था, लेकिन अब पूरे हिंदुस्तान का हो चुका है। हर जगह से पंखे आते हैं। तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश से लोग आते हैं।’ विनोद कहते हैं कि DDA की तरफ से इस बार भी टाल-मटोल होता रहा। इसलिए संस्था ने फैसला लिया कि जब तक अनुमति नहीं मिलती, मेले का आयोजन नहीं किया जाएगा। 22 अक्टूबर को 'अंजुमन सैर-ए-गुल फरोशां' के लेटर का DDA ने जवाब दिया था। इसमें बताया गया कि कार्यक्रम के लिए जिस पार्क की अनुमति मांगी जा रही है, वो रिजर्व फॉरेस्ट एरिया है। वहां कोई नॉन-फॉरेस्ट एक्टिविटी की इजाजत नहीं दी जा सकती। इसके लिए DDA ने फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के आदेश का हवाला दिया और कहा कि आवेदन को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि एलजी ने अधिकारियों को परमिशन देने के लिए कहा था। हमने इस पर DDA के बुकिंग डिपार्टमेंट के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर कनव महाजन से बात की। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम के लिए सशर्त अनुमति दे दी गई है। हालांकि उन्होंने परमिशन लेटर शेयर करने से इनकार कर दिया। वहीं, आयोजक बताते हैं कि उन्हें कोई ऑफिशियल लेटर नहीं मिला है। अब ये कार्यक्रम अगले साल मार्च में करेंगे, क्योंकि एक महीने पहले से तैयारी करनी पड़ती है। हमने इस मुद्दे पर दिल्ली के संस्कृति मंत्री कपिल मिश्रा से बात करने की कोशिश की। उनका जवाब नहीं मिला। दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना को भी ईमेल भेजा है। जवाब आने पर खबर अपडेट करेंगे। मुगल बादशाह ने शुरू कराई फूलवालों की सैरइतिहासकारों के मुताबिक इस त्योहार की शुरुआत मुगल बादशाह अकबर शाह द्वितीय के राज में हुई थी। तब अंग्रेज मजबूत हो रहे थे। राजकाज में अंग्रेज सरकार के प्रतिनिधि आरकिबाल्ड स्टेन का दबदबा था। अकबर शाह द्वितीय बड़े बेटे अबू जफर के बदले छोटे बेटे मिर्जा जहांगीर को गद्दी सौंपना चाहते थे। ये बात स्टेन को नामंजूर थी। एक दिन जहांगीर ने स्टेन का मजाक उड़ाया। स्टेन ने जहांगीर को दिल्ली से इलाहाबाद भेजकर नजरबंद करवा दिया। इतिहासकार राणा सफवी बताती हैं, ‘ये फेस्टिवल 1812-13 के आसपास शुरू हुआ था। अकबर शाह द्वितीय की बेगम मुमताज महल ने मन्नत मांगी थी कि अगर बेटा सही-सलामत वापस आ जाएगा, तो हजरत कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी की दरगाह पर चादर चढ़ाऊंगी। जहांगीर लौटे तो मुमताज महल चादर चढ़ाने नंगे पैर दरगाह तक गईं। मिर्जा फरहतुल्लाह बेग अपनी किताब 'बहादुर शाह जफर और फूल वालों की सैर' में लिखते हैं कि नंगे पैर जाती हुई मुमताज बेगम के लिए फूल वालों ने रास्ते में फूल बिछा दिए थे। तब अकबर शाह ने कहा कि हम यहां चादर चढ़ाएंगे, तो योगमाया मंदिर पर भी छत्र चढ़ाएंगे। दिल्ली वालों की मांग पर बादशाह अकबर शाह ने कहा कि अब ये सैर हर साल भादो के महीने में होगी। इसके बाद ये हर साल त्योहार की तरह मनाया जाने लगा। राणा सफवी एक और किस्सा बताती हैं। 1857 में आजादी की लड़ाई चल रही थी। तब भी बहादुर शाह (द्वितीय) वहां चादर और छत्र चढ़ाने गए थे। एक साल ऐसा हुआ था कि बहादुर शाह मंदिर में छत्र नहीं चढ़ा पाए थे, फिर वे दरगाह भी नहीं गए। उन्होंने कहा था कि हिंदू-मुसलमान सब मेरे बच्चे हैं। अगर मैंने एक जगह चढ़ाई और दूसरी जगह नहीं चढ़ाई तो लोगों को बुरा लगेगा। राणा आगे कहती हैं कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अंग्रेजों ने इसे बंद कर दिया था। आजादी के बाद फिर जवाहर लाल नेहरू ने इसे शुरू किया था।

दैनिक भास्कर 16 Nov 2025 5:33 am

वो नरसंहार जिसके चलते नीतीश 2 चुनाव हार गए:हाथी पर बैठकर बेलछी पहुंचीं इंदिरा रो पड़ीं; रामविलास ने सदन में रख दी इंसानी हड्डियां

बिहार चुनाव में NDA ने जंगलराज को नैरेटिव बनाने की भरपूर कोशिश की। प्रधानमंत्री मोदी ने हर रैली में जंगलराज और रंगदारी का जिक्र किया। नीतीश ने भी जंगलराज को मुद्दा बनाया। BJP ने सोशल मीडिया पर नरसंहारों का खूब जिक्र किया। विपक्ष इसकी काट नहीं निकाल पाया। आखिर नरसंहारों के दौर वाला बिहार कैसा था। आज कहानी 1977 के बेलछी नरसंहार की... देश से आपातकाल हटे ठीक 64 दिन हुए थे। साल था 1977 और तारीख 24 मई। केंद्र में जनता पार्टी की सरकार थी और मोरारजी देसाई पहले गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री। बिहार में राष्ट्रपति शासन था, लेकिन चुनाव की तारीखें तय हो चुकी थीं। पटना से 90 किलोमीटर दूर एक गांव है बेलछी। 6 बजे थे सुबह के। गांव का दबंग महावीर महतो सिर पर गमछा बांधते हुए बोला- ‘मंगरू सुन रहे हो… जा सिंघवा को बुला लाओ।’ मंगरू- ‘हां काका, अभी जाते हैं।’ महावीर ने 30-35 साथियों को बुला लिया। बोला- ‘देखो आज सिंघवा बचना नहीं चाहिए। मंगरू गया है उसे बुलाने। लाठी-डंडे लेकर सब गली में खड़े हो जाओ। मैंने बंदूक-गोली मंगा ली है। आते ही उस पर टूट पड़ना है।’ कुछ ही देर में मंगरू, सिंघवा के घर पहुंच गया। खटिया पर बैठा सिंघवा दातुन कर रहा था। मंगरू बोला- ‘महावीर काका बुलाए हैं। अभी के अभी घर चलिए।’ सिंघवा की पत्नी बोल पड़ी- ‘उसके घर से तो दुश्मनी है। कल तो उसके लोग मारने आए थे। उसके घर जाना ठीक नहीं है।’ ‘अरे चुप रहो, कुछ नहीं होगा’… कहते हुए सिंघवा, मंगरू के साथ चल पड़ा। पीछे-पीछे उसके ससुर जानकी पासवान भी साथ हो लिए। सिंघवा जैसे ही महावीर के घर में घुसा, पीछे से एक आदमी ने उसके सिर पर लाठी मार दी। वह पलटकर भागना चाहा, लेकिन 4-5 लोगों ने दबोच लिया। लाठी-डंडे से पीटने लगे। यह देखकर जानकी पासवान भागते-भागते दलित बस्ती पहुंचे। कहने लगे- ‘सब चलो, जल्दी चलो… महावीर %^*$% सिंघवा को मार रहा है।’ 10-15 लड़के लाठी-डंडे लेकर चल पड़े। इधर, महावीर के आदमी घात लगाए थे। उन लोगों ने इन्हें देखते ही फायरिंग शुरू कर दी। ज्यादातर लड़के गोली लगते ही गिर पड़े। इसी बीच दोनाली बंदूक ताने खुद महावीर महतो आ गया। बोला- ‘हाथ-पैर बांधकर सबको मेरे सामने ले आओ।’ सिंघवा सहित कुल 11 लोगों के हाथ-पैर बांधकर महावीर के सामने खड़ा कर दिया। अब महावीर बोला- ‘का रे सिंघवा… तू बड़का नेता बन रहा है न। खेत जोतेगा हमारा। चलो आज खेत जोतवाते हैं।’ तभी बंदूक लिए परशुराम धानुक नाम का एक आदमी हांफते हुए आया। बोला- ‘भैया सबको खेत ले चलो। वहां इनके स्वर्ग का इंतजाम कर दिए हैं।’ गांव के बाहर एक खेत में मक्के की फसल लगी थी। उसके बीचों-बीच चिता सजाकर रखी थी। परशुराम ने केरोसिन डालकर आग लगा दिया। कुछ ही मिनटों में ऊंची-ऊंची लपटें उठने लगीं। महावीर बोला- ‘सब *^%$ को लाइन में खड़ा करो।’ महावीर के आदमियों ने सिंघवा और उसके साथियों को घसीटते हुए ले जाकर लाइन में खड़ा कर दिया। अब महावीर और परशुराम ने बंदूक उठाई...धांय धांय की गूंज से गांव दहल गया। किसी के सिर में गोली लगी, तो किसी का सीना पार कर गई। सब जमीन पर गिर पड़े। महावीर बोला- ‘अब इन हरा@#$% को उठाकर आग में झोंक दो।’ महावीर के आदमियों ने सबको आग में डाल दिया। 12 साल का एक लड़का गोली लगने के बाद भी बच गया था। वह बार-बार चिता से उठ जा रहा था। महावीर के आदमी बार-बार पकड़कर उसे आग में फेंक दे रहे थे। गुस्से में महावीर ने गड़ासा उठाया और उसकी गर्दन पर दे मारा। उसकी गर्दन कटकर लटक गई। फिर दो लड़कों ने उठाकर उसे आग में झोंक दिया। कुछ देर बाद परशुराम बोला- ‘आग कम पड़ रही है, कंडे-लकड़ी लाओ।’ चार-पांच औरतें दौड़-दौड़कर कंडे और लकड़ियां लाने लगीं। दो घंटे बाद महावीर के आदमियों ने लाठी-डंडे से उलट-पलटकर देखा सब जल गए थे। फिर हमलावर चलते बने। दोपहर 2.30 बजे गणेश पासवान नाम का चौकीदार भागते-भागते 17 किलोमीटर दूर बाढ़ पुलिस स्टेशन पहुंचा। थाना प्रभारी से बोला- ‘साहब… बेलछी में 11 लोगों को मारकर जला दिया है।’ थाना प्रभारी अवधेश मिश्रा ने आवाज लगाई- ‘अरे जीप निकालो।’ 10-12 पुलिस वालों को लेकर थाना प्रभारी बेलछी के लिए निकल पड़े, लेकिन रास्ते में उनकी गाड़ी का ब्रेक फेल हो गया। कुछ ही दूर पर एक दूसरा थाना था सकसोहरा। थाना प्रभारी ने मदद मांगी, तो सकसोहरा थाना के इंचार्ज बोले- ‘बेलछी हमारे इलाके में नहीं आता। हम मदद नहीं कर सकते।’ किसी तरह देर शाम बाढ़ पुलिस बेलछी पहुंची। मक्के के खेत में अभी भी आग जल रही थी। भीड़ जुटी थी। मृतकों के घर वाले बदहवास बिलख रहे थे। थाना प्रभारी ने गांव वालों से पूछा- ‘ये कत्ल किसने किया, किसी ने देखा क्या?’ गमछा बनियान पहने 40 साल के जानकी पासवान बोले- ‘साहब...गांव के ही महावीर महतो, परशुराम महतो और उसके 30-35 लोग थे। मैंने अपनी आंखों से देखा है सबको मारते हुए। मेरे दामाद सिंघवा को भी मार दिया।’ कैसे मारा, पूरी बात बताओ? ‘साहब… पहले महावीर समझौते के लिए सिंघवा को बुलाया। फिर उसे और उसके साथियों को दबोच लिया। हाथ-पैर बांधकर सबको खेत ले गया। मैं एक छत पर बैठकर दीवार के पीछे से देख रहा था। महावीर और परशुराम ने सबको गोली मारी, फिर आग में झोंक दिया।’ क्यों मारा? जानकी पासवान- ‘साहब… गांव के कुर्मी बहुत दबंग हैं। सब जमीन पर उन्हीं लोगों का कब्जा है। वो लोग काम करवा के भी मजदूरी नहीं देता है। सिंघवा ने लड़कर कई मजदूरों को पैसा दिलवाया था। इसलिए वे लोग इसके पीछे पड़े थे।’ पुलिस ने इसे गैंगवार बताया, लेकिन वामपंथी दल और दलित नेता इसे जातीय नरसंहार बता रहे थे। ये बिहार का पहला जातीय नरसंहार था-'बेलछी नरसंहार। 11 लोगों को मारकर जला दिया। इनमें 8 दलित और 3 सुनार थे... इसी नरसंहार के बाद इंदिरा गांधी के आंसुओं ने सत्ता पलटकर रख दिया... एक हफ्ते के भीतर पुलिस ने महावीर सहित 20-22 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। पटना पुलिस के डिप्टी कमिश्नर के.एन अर्धनारीश्वर ने जांच संभाली। उन्होंने महावीर महतो की कॉलर पकड़ते हुए पूछा- ‘बता, क्यों मारा सबको?’ ठसक भरी आवाज में महावीर बोला- ‘मैंने कुछ नहीं किया। वो उनकी आपसी लड़ाई थी।’ डिप्टी कमिश्नर- ‘ये ऐसे मानेगा नहीं। हाथ-पैर बांधकर इसे उल्टा लटका दो।’ तीन-चार सिपाहियों ने महावीर के हाथ-पैर बांध दिए। डिप्टी कमिश्नर ने जैसे ही हंटर उठाया, महावीर कांपने लगा। बोल पड़ा- ‘साहब मारो मत, सब बताता हूं।’ ‘साहब... 2-3 दिन पहले हमारा एक आदमी सिंघवा के खेत से 5 मन धान चुरा लिया था। सिंघवा उसे पीटते हुए थाने ले जा रहा था। मैंने 5 मन धान देकर उसे छुड़ा लिया। फिर घर पर अपने लोगों को बुलाया और कहा कि धान चुराने से कुछ नहीं होगा। हमें सिंघवा को ही खत्म करना होगा। अगले दिन हमने सिंघवा पर हमला कर दिया।’ बेलछी के जानकी पासवान की गवाही पर पुलिस ने महावीर महतो, परशुराम धानुक सहित 31 लोगों पर हत्या, अपहरण, आगजनी जैसी धाराओं में केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी। जून 1977 में बिहार विधानसभा चुनाव हुए। 5 साल पहले कुल 324 में से 167 सीटें जीतने वाली कांग्रेस 57 सीटों पर सिमट गई। वहीं, नई नवेली जनता पार्टी ने 214 सीटें जीत लीं। यानी दो तिहाई सीटें। 24 जून 1977 को जनता पार्टी के कर्पूरी ठाकुर बिहार के मुख्यमंत्री बने। उन्होंने भी बेलछी कांड को जातीय नरसंहार नहीं माना। जनता पार्टी की लहर के बावजूद एक युवा नेता हार गया। नेता थे नीतीश कुमार। दरअसल, नीतीश नालंदा जिले की हरनौत से चुनावी डेब्यू कर रहे थे। हरनौत, बेलछी से 10-12 किलोमीटर ही दूर है। नीतीश उसी कुर्मी समुदाय से हैं, जिस पर नरसंहार का आरोप लगा था। हरनौत में कुर्मियों का दबदबा भी था। भोला सिंह, जो कभी नीतीश के साथी रहे, चुनाव में उनके खिलाफ उतर गए। भोला अपनी रैलियों में आरोपियों को बेगुनाह बताने लगे। जबकि नीतीश ने पीड़ितों का साथ दिया। इससे नाराज कुर्मी समुदाय भोला के लिए लामबंद हो गया। नीतीश 6 हजार वोट से हार गए। जब राम विलास पासवान ने लोकसभा में बेलछी नरसंहार की अधजली हड्डियां दिखाईं बेलछी का मुद्दा लोकसभा में भी गरमाया हुआ था। गृहमंत्री चौधरी चरण सिंह ने सदन में कहा- 'ये दो गैंग के बीच वर्चस्व का मामला है। इसमें कास्ट एंगल नहीं है।' इस पर उनकी पार्टी के दलित सांसदों ने ही हंगामा कर दिया। विवाद बढ़ा तो जनता पार्टी के दलित नेता रामधन की अगुआई में फैक्ट फाइंडिंग टीम बेलछी भेजी गई। इसमें पहली बार सांसद बने रामविलास पासवान भी थे। 13 जुलाई 1977...रामविलास लोकसभा में बोलने के लिए खड़े हुए। शुरुआती कुछ मिनट उन्होंने आपातकाल और कांग्रेस के खिलाफ बोला। फिर अचानक सदन के पटल पर एक पोटली खोल दी। उसमें इंसानी अधजली हड्डियां थीं। सब हैरान रह गए कि ये किसकी हड्डियां हैं… रामविलास बोले- ‘ये अस्थियां बेलछी नरसंहार में मारे गए लोगों की हैं। हमारे गृहमंत्री चौधरी चरण सिंह बहुत सीधे-सादे व्यक्ति हैं। वे अनुभवी हैं, लेकिन उन्होंने नौकरशाहों के तैयार किए गए बयान को आंख मूंदकर पेश कर दिया। अगर ये नरसंहार आपसी रंजिश था, तो मृतकों के खिलाफ एक भी आपराधिक मामला पहले से क्यों नहीं दर्ज था? क्या सिंघवा कभी जेल गए? किसी अदालत ने उन्हें सजा सुनाई? नहीं। ये नरसंहार इसलिए हुआ क्योंकि दलित भूमिहीन थे और उन्होंने लड़ाई लड़ने का फैसला किया था। याद रखिए जब भी कोई दलित अपनी आवाज उठाने की कोशिश करेगा, तो एक नहीं बल्कि कई बेलछी होंगे।’ दरअसल, 2 जुलाई 1977 को जनता दल के सांसदों के साथ रामविलास बेलछी गए थे। तब मारे गए लोगों की अस्थियां और राख बांध लाए थे। रामविलास के भाषण के बाद गृह मंत्री चौधरी चरण सिंह को बयान बदलना पड़ा। इधर, इमरजेंसी के बाद मिली हार से कांग्रेस सदमे में थी। इंदिरा अपनी सीट भी गंवा चुकी थीं। लोकसभा में बिहार से कांग्रेस का एक भी सांसद नहीं था। चर्चा होने लगी थी कि इंदिरा के दिन लद गए। लेकिन कांग्रेस नेता सीताराम केसरी को बेलछी की आग में अब भी धुआं उठता दिख रहा था। उन्होंने इंदिरा को सलाह दी- ‘मैडम आपको बेलछी जाना चाहिए।' 11 अगस्त 1977, शाम का वक्त। पटना के सदाकत आश्रम में फोन बजा। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष केदार पांडे ने फोन उठाया। उधर से इंदिरा की आवाज आई- ‘मैं पटना आ रही हूं। बेलछी जाना है। तैयारी कर लो।’ 13 अगस्त 1977 की सुबह इंदिरा पटना पहुंचीं। तेज बारिश हो रही थी। बाढ़ जैसे हालात थे। इंदिरा, पटना से बिहारशरीफ के रास्ते बेलछी के लिए निकलीं। इंदिरा को देखने के लिए लोग छतों और पेड़ों पर चढ़ गए। जयकारे लग रहे थे। दूसरी तरफ कुछ लोग इंदिरा का विरोध भी कर रहे थे। वजह थी इमरजेंसी और नसबंदी का फैसला। कार, जीप, ट्रैक्टर कीचड़ में फंस गए, तो हाथी पर बैठकर बेलछी पहुंचीं इंदिरा रास्ते में इंदिरा की कार कीचड़ में फंस गई, तो जीप बुलाई गई, लेकिन आधे रास्ते में जीप भी कीचड़ में फंस गई। बेलछी अब भी करीब 15 किलोमीटर दूर था। कांग्रेस नेताओं ने कहा- ‘मैडम हम गांव जा नहीं पाएंगे। पटना लौट चलिए।’ इंदिरा बोलीं- ‘कुछ तो होगा गांव जाने के लिए। व्यवस्था करिए।’ पास के एक गांव से ट्रैक्टर लाया गया। इंदिरा ट्रैक्टर पर बैठकर चल पड़ीं, लेकिन कुछ देर बाद ट्रैक्टर भी दलदल में फंस गया। लेखक श्रीरूपा रॉय अपनी किताब ‘द पॉलिटिकल आउटसाइडर’ में लिखती हैं- ‘इंदिरा को सलाह दी गई कि वो पटना लौट जाएं, पर वो अड़ गईं। बोलीं- ‘हम पैदल चलकर जाएंगे। भले ही वहां पहुंचने में रात क्यों ना हो जाए।’ उन्होंने साड़ी ऊपर कर लीं और पैदल चलने लगीं।’ जोवियर मोरो अपनी किताब ‘द रेड साड़ी’ में लिखते हैं- इंदिरा ने बेलछी से लौटकर सोनिया को पूरा किस्सा सुनाया। वो कहती हैं- ‘काफी देर पैदल चलने के बाद एक नदी मिली। कोई नाव भी नहीं थी। हमें देखकर कुछ लोग झोपड़ियों से बाहर आ गए। मैंने पूछा कि हम नदी कैसे पार कर सकते हैं? कोई गधा या खच्चर मिल सकता है क्या? उन लोगों ने बताया कि गांव के मंदिर में एक हाथी है, उस पर चढ़कर नदी पार कर सकते हैं। गांव वाले हाथी लेकर आए। मोती नाम था उसका। पहले मैं बैठी और फिर मेरे पीछे प्रतिभा पाटिल। हाथी झूमकर चल रहा था और उसके पेट तक पानी आ रहा था। प्रतिभा ने मेरी साड़ी ऐसे पकड़ रखी थी, जैसे कोई बच्चा डर के मारे मां की साड़ी पकड़ लेता है। लग रहा था कि वह रो ही देगी। हम बेलछी पहुंचे तो दिन ढल चुका था। गांव वालों ने मुझे घेर लिया। वे मुझे उस जगह पर ले गए, जहां नरसंहार हुआ था। लोगों ने बताया कि कैसे उनके अधमरे परिवार वालों को आग में फेंका गया। उनकी बातें सुनकर मेरा दिल दहल गया।’ बेलछी के जानकी पासवान याद करते हैं- ‘इंदिरा हाथी पर बैठे-बैठे ही लोगों से बात करती रहीं। उन्होंने अपनी साड़ी का आंचल फैला दिया था। लोग कागज पर अपनी-अपनी मांगें लिखकर उसमें डालते जा रहे थे।’ 13 अगस्त 1977 की रात इंदिरा बेलछी से पटना के लिए निकलीं। रास्ते में लोग लालटेन लेकर इंदिरा का इंतजार कर रहे थे। हरनौत में इतनी भीड़ जमा हो गई कि इंदिरा को हाथी से उतरकर लोगों से मिलना पड़ा। उन्होंने कहा- 'मैं कोई भाषण देने नहीं आई हूं। आप लोगों का दुख बांटने आई हूं।' फिर वो पटना लौट गईं। अगले दिन अखबारों में इंदिरा गांधी की फोटो छपी। हाथी पर बैठीं इंदिरा की तस्वीर ने सियासी गलियारों में खलबली मचा दी। कांग्रेस कार्यकर्ताओं में फिर से जान आ गई। अगड़ों की पार्टी माने जाने वाली कांग्रेस को दलितों और पिछड़ों का भी समर्थन मिलने लगा। बिहार में नारा गूंजने लगा- ‘इंदिरा तेरे अभाव में हरिजन मारे जाते हैं।’ भूखी रोटी खाएंगे, इंदिरा को लाएंगे। 14 अगस्त की सुबह इंदिरा की कार पटना के कदमकुआं के लिए निकली। कुछ देर बाद उनकी कार एक घर के सामने रुकी। इंदिरा गाड़ी से उतरीं और अंदर चली गईं। ये घर जय प्रकाश नारायण यानी जेपी का था, जिनके आंदोलन की वजह से इंदिरा ने इमरजेंसी लगाई थी। जेपी पलंग से उतरकर खड़े हो गए। उन्होंने इंदिरा के लिए कुर्सी मंगवाई। आधे घंटे तक इंदिरा वहां रुकीं। फिर हाथ जोड़कर आशीर्वाद लिया और दिल्ली के लिए निकल गईं। इंदिरा के बेलछी दौरे के बाद कर्पूरी ठाकुर ने आरक्षण लागू किया, पर सरकार गिर गई इंदिरा के इस सियासी रुख से जनता पार्टी सरकार पर दबाव बढ़ने लगा। ऐसे में सीएम कर्पूरी ठाकुर ने एक दांव चला और अप्रैल 1978 में 26% आरक्षण लागू कर दिया। इसके तहत पिछड़ों को 8%, अति पिछड़ों को 12%, गरीब सवर्णों और महिलाओं के लिए 3-3% आरक्षण दिया। ओबीसी आरक्षण लागू करने वाला बिहार पहला राज्य था। इस फैसले से जनता पार्टी के सवर्ण नेता नाराज हो गए। आखिरकार 21 अप्रैल 1979 को कर्पूरी ठाकुर को इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद दलित समुदाय से आने वाले रामसुंदर दास मुख्यमंत्री बने। इधर, केंद्र में भी जनता पार्टी के भीतर वर्चस्व की लड़ाई छिड़ी थी। 15 जुलाई 1978 को चौधरी चरण सिंह ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया। 19 जुलाई को प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने इस्तीफा दे दिया। कांग्रेस के समर्थन से चौधरी चरण सिंह प्रधानमंत्री बने, लेकिन अगले ही महीने कांग्रेस ने समर्थन वापस लेकर उनकी सरकार गिरा दी। जनवरी 1980 में लोकसभा चुनाव हुए। कांग्रेस के पक्ष में एक तरफा लहर चली। कुल 542 में से 353 सीटें कांग्रेस ने जीत लीं। बिहार में 54 में से 30 सीट कांग्रेस को मिली। जनता पार्टी 8 सीटों पर सिमट गई। इंदिरा फिर से प्रधानमंत्री बनीं। अब बिहार में जनता पार्टी के भीतर उथल-पुथल मच गई। फरवरी 1980 में रामसुंदर दास को इस्तीफा देना पड़ा। राष्ट्रपति शासन लग गया। फांसी पर एकमत नहीं थे हाईकोर्ट के जज, सजा से पहले दोषियों ने खाई दही और मिठाई कर्पूरी ठाकुर के सीएम रहते बेलछी नरसंहार मामले में चार्जशीट दाखिल हो गई थी, लेकिन तीन साल तक सुनवाई नहीं हो सकी थी। इंदिरा के पीएम बनते ही केस की सुनवाई शुरू हो गई। 19 मई 1980 को पटना ट्रायल कोर्ट ने महावीर महतो और परशुराम धानुक को फांसी की सजा और 15 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई। आरोपियों ने पटना हाईकोर्ट में अपील की। अदालत ने आरोपियों को दोषी तो माना, लेकिन महावीर और परशुराम के फांसी के मुद्दे पर दो जजों की राय एकमत नहीं थी। जस्टिस हरिलाल अग्रवाल फांसी के फेवर में थे और जस्टिस मनोरंजन प्रसाद विरोध में। अब इस केस को एक तीसरे जज उदय सिन्हा के पास भेजा गया। जस्टिस सिन्हा बेलछी गए। लोगों से मिले। गवाहों के बयानों को वेरिफाई किया। 11 जुलाई 1982 को जस्टिस सिन्हा ने फैसला सुनाया-‘यह मामला रेयर ऑफ रेयरेस्ट है। इस क्रूरतम अपराध के लिए फांसी से कम सजा हो ही नहीं सकती।’ इसके बाद महावीर और परशुराम ने देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई, पर राहत नहीं मिली। उनकी फांसी के लिए 25 मई 1983 की तारीख मुकर्रर हुई और जगह भागलपुर सेंट्रल जेल। मई 1983, सुप्रीम कोर्ट में गर्मी की छुट्टियां चल रही थीं। आरोपियों ने टेलिग्राम भेजकर फांसी पर रोक लगाने की याचिका दायर कर दी। तब वेकेशन जज थे ए. वरदराजन। उन्होंने याचिका स्वीकार कर ली और 23 मई को फांसी पर रोक लगा दी। यानी फांसी की तय तारीख से 2 दिन पहले। तमिलनाडु से ताल्लुक रखने वाले वरदराजन सुप्रीम कोर्ट के पहले हरिजन जज थे। गर्मी की छुट्टियों के बाद सुप्रीम कोर्ट के 3 जजों की बेंच ने फिर से सुनवाई की और फांसी की सजा बरकरार रखी। आखिरकार नवंबर 1983 में दोनों को फांसी दे दी गई। कहा जाता है कि फांसी से ठीक पहले दोनों ने दही और मिठाई खाने की इच्छा जाहिर की थी। बेलछी नरसंहार के चलते लगातार दूसरी बार हार गए नीतीश जून 1980 में बिहार में विधानसभा चुनाव हुए। यहां के दलित नारा लगा रहे थे- ‘आधी रोटी खाएंगे, इंदिरा को लाएंगे।’ वोटों की गिनती हुई तो कांग्रेस ने 324 में से 169 सीटें जीत लीं। जनता पार्टी 42 सीटें ही जीत पाई। पहली बार चुनाव लड़ रही बीजेपी ने 21 सीटें जीत लीं। पर, नीतीश के लिए बेलछी नरसंहार इस बार भी भारी पड़ा। नीतीश 5 हजार वोट से हार गए। लगातार दो हार से नीतीश को इतना धक्का लगा कि वे राजनीति छोड़ने का मन बना चुके थे। सीनियर जर्नलिस्ट संकर्षण ठाकुर अपनी किताब ‘अकेला आदमी, कहानी नीतीश कुमार की’ में लिखते हैं- ‘लगातार दूसरी हार से नीतीश बुरी तरह टूट गए थे। उन्हें तकलीफ थी कि अपने लोगों ने ही उनका साथ नहीं दिया। उन्होंने राजनीति छोड़ने का भी ऐलान कर दिया था, लेकिन समाजवादी नेता चंद्रशेखर के कहने पर 1985 में नीतीश ने फिर जोर लगाया। इस बार नीतीश के पास चुनाव लड़ने के पैसे नहीं थे। उनकी पत्नी ने 20 हजार रुपए दिए। इस बार नीतीश 22 हजार वोट से जीत गए।’ बेलछी नरसंहार के बाद कांग्रेस ने केंद्र और बिहार में जोरदार वापसी की, लेकिन वो इसे बरकरार नहीं रख पाई। सीनियर जर्नलिस्ट अमरनाथ तिवारी बताते हैं- ‘बेलछी नरसंहार के बाद बिहार में लोअर कास्ट पॉलिटिक्स हावी होती गई। लगातार जातीय नरसंहार होते रहे। राम मंदिर आंदोलन और लालू का साथ देने के चलते सवर्ण कांग्रेस से छिटककर बीजेपी की तरफ शिफ्ट हो गए और पिछड़ा तबका लालू का वोटर बन गया।’ कल दूसरे एपिसोड में पढ़िए कहानी दलेलचक बघौरा नरसंहार की, जहां 54 राजपूतों की हत्या कर दी गई.. नोट : (यह सच्ची कहानी पुलिस चार्जशीट, कोर्ट जजमेंट, गांव वालों के बयान, अलग-अलग किताबें और इंटरनेशनल रिपोर्ट्स पर आधारित है। क्रिएटिव लिबर्टी का इस्तेमाल करते हुए इसे कहानी के रूप में लिखा गया है।) रेफरेंस :

दैनिक भास्कर 16 Nov 2025 5:13 am

'बांग्लादेश को लॉन्गटर्म क्राइसिस में झोंक रहे यूनुस', वामपंथी गठबंधन ने मुख्य सलाहकार पर लगाया बड़ा आरोप

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ज़ी न्यूज़ 15 Nov 2025 10:14 pm

पाकिस्तान में 27वें संविधान संशोधन का अदालत में विरोध, अब तक कई जजों ने दिया इस्तीफा

पाकिस्तान के संविधान में 27वें संशोधन का वकील से लेकर जजों तक अदालत में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं

देशबन्धु 15 Nov 2025 10:14 pm

अमेरिका के इतिहास की सबसे कड़वी तारीख, जब गिरा फोर्ट वाशिंगटन और 2800 सैनिकों ने किया सरेंडर

Fall of Fort Washington: अमेरिका आज के दौर में दुनिया का सबसे ताकतवर देश माना जाता है लेकिन एक वक्त पर अमेरिका आजादी पाने के लिए दिन रात लड़ रहा था. आजादी संग्राम संघर्ष के दौरान 16 नवंबर 1776 को फोर्ट वाशिंगटन का पतन अमेरिका की यादों में कड़वी यादों के तौर पर दर्ज है. इस दिन ब्रिटिश सैनिकों ने किराए पर लाए लड़ाकों के साथ मिलकर अमेरिका के 2800 सैनिकों को बंदी बना लिया था.

ज़ी न्यूज़ 15 Nov 2025 10:12 pm

इंडोनेशिया के मध्य जावा में भूस्खलन से तबाही: 11 की मौत, बचाव दल बोला '12 अब भी लापता'

इंडोनेशिया की आपदा प्रबंधन एजेंसी ने बताया कि मध्य जावा में भारी बारिश के बाद हुए भूस्खलन में 11 लोगों की मौत हो गई है। बचाव दल लापता लोगों की तलाश में जुटा है

देशबन्धु 15 Nov 2025 10:00 pm

बिना वॉरहेड के भी खतरनाक! US ने किया इस 'नासूर' परमाणु बम का टेस्ट; दुश्मनों के लिए मौत का पैगाम

US Nuclear Bomb News in Hindi: रूस-चीन की ओर से परमाणु बमों का जखीरा बढ़ाए जाने की खबरों के बीच यूएस ने अपने सबसे संहारक न्यूक्लियर बम का बिना वारहेड लगाए परीक्षण किया है. इसे दुश्मनों के लिए यूएस का पैगाम कहा जा रहा है.

ज़ी न्यूज़ 15 Nov 2025 6:29 pm

Fight in Parliament: यूक्रेन शरणार्थियों को लेकर नाटो देश की संसद में महाभारत, कैमरे के सामने जमकर हुई तू-तू-मैं-मैं

नाटो समर्थित देश जर्मनी के सांसदों के बीच बुंडेस्टाग में तब कैमरे के सामने संसद में झड़प हो गई, जब वहां की एक और सियासी पार्टी एएफडी के सांसदों ने शरणार्थियों को मिलने वाली सुविधाओं को लाभ अधिनियम के तहत एनालॉग को खत्म करने के प्रस्ताव को संसद में आगे बढ़ाया था.

ज़ी न्यूज़ 15 Nov 2025 4:44 pm

H1B वीजा का विरोध करना रिपब्लिकन सांसद को पड़ा महंगा, ट्रंप ने चिल्लाते हुए वापस लिया समर्थन

H1B visa: मार्जोरी की तरफ से एच 1बी वीजा को खत्म करने के लिए विधेयक पेश करने के बयान पर ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म ट्रूथ पर लिखा ' मार्जोरी को बस शिकायत, शिकायत करते हुए देखता हूं'. ट्रंप ने आगे कहा कि कुछ रूढ़िवादी लोग मार्जोरी को जॉर्जिया जिले में प्राथमिक चुनाव लड़ाने की सोच रहे है.

ज़ी न्यूज़ 15 Nov 2025 3:33 pm

जापान की नई महिला पीएम ने चीन को ऐसा क्या कह दिया? भड़क उठा 'ड्रैगन'

China Japan Tension:हालांकि जापान और चीन के बीच आपसी बातचीत के दरवाजे पूरी तरह बंद नहीं हुए हैं. इंटरनेशनल कम्युनिटी खासकर अमेरिका और आसियान देशों, ने दोनों से संयम बरतने की अपील की है. उधर ये भी तय है कि ताइवान का मसला फिर से पूर्वी एशिया की राजनीति के केंद्र में आ गया है.

ज़ी न्यूज़ 15 Nov 2025 3:14 pm

तालिबान के खिलाफ प्रतिबंधों को लेकर भारत ने पाकिस्तान की लगाई क्लास, सुरक्षा परिषद समिति की अध्यक्षता को लेकर घेरा

India-Pakistan Conflict: भारत ने पाकिस्तान की एक बार फिर आलोचना की है. अस बार मुद्दा तालिबान के खिलाफ लगाई गई प्रतिबंधों पर परिषद की समिति का नेतृत्व है.

ज़ी न्यूज़ 15 Nov 2025 1:47 pm

माफी मांगने के बावजूद नहीं माने ट्रंप... BBC पर ठोकेंगे 1 अरब डॉलर का मुकदमा

Trump To Sue BBC: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 'BBC' के खिलाफ मुकदमा करने वाले हैं. दरअसल ब्रिटिश ब्रॉडकास्टर ने उनके एक भाषण को एडिट करके ब्रॉडकास्ट किया था, जिसके बाद हिंसा बढ़ी थी.

ज़ी न्यूज़ 15 Nov 2025 11:53 am

टैरिफ को लेकर ट्रंप ने लिया यू-टर्न, अमेरिका ने कॉफी और फलों से हटाया शुल्क

टैरिफ बम फोड़कर दुनियाभर में बवाल मचाने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अब यू-टर्न ले लिया है। दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति ने खाद्य आयात पर शुल्क में कटौती की है

देशबन्धु 15 Nov 2025 10:55 am

भारतीयों के खिलाफ हिंसा का गढ़ बन रहा यूरोप... लगातार हमले को लेकर आयरलैंड में हुई पहली गिरफ्तारी

First Arrest On Indian Citizen Attack In Ireland: आयरलैंड में भारतीय नागरिक पर हुए हमले को लेकर पहली गिरफ्तारी हुई है. इसपर भारतीय समुदाय ने खुशी जाहिर की है.

ज़ी न्यूज़ 15 Nov 2025 9:26 am

खुद की पार्टी को लगा झटका, तो ट्रंप ने इन चीजों से हटा दिया टैरिफ, बढ़ती महंगाई ने किया मजबूर

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने देश के कंज्यूमर्स को राहत देते हुए कई जरूरी चीजों पर टैरिफ हटा दिए हैं. इससे उनके देश में इन चीजों की कीमतें घट जाएंगी.

ज़ी न्यूज़ 15 Nov 2025 5:23 am

दिल्ली ब्लास्ट से पहले नमाज पढ़ी-फिर पार्किंग में इंतजार:कार की बैटरी से जोड़ा डेटोनेटर, साढ़े 3 घंटे बाद लालकिला पर धमाके की साजिश

10 नवंबर 2025…दिल्ली में लाल किला के पास आतंकी डॉ उमर ने हमले की साजिश को अंजाम दिया। कार में हुए ब्लास्ट में 13 लोगों की मौत हुई, जबकि 20 लोग घायल हुए। इस हमले के कनेक्शन में अब तक डॉ. मुजम्मिल, डॉ. आदिल और डॉ. शाहीन समेत 8 लोग गिरफ्तार किए गए हैं। हमले के 5 दिन बाद भी अब सवाल ये है कि आतंकी उमर कार में विस्फोटक लेकर कब और कैसे दिल्ली पहुंचा? दिल्ली में वो कहां-कहां गया? कार में इतना विस्फोटक होने के बाद क्या रास्ते में ब्लास्ट होने का खतरा नहीं था? आखिर उसने डेटोनेटर और फ्यूज को कब और कैसे कनेक्ट किया? आतंकी उमर के सीसीटीवी फुटेज की पड़ताल करने पर पता चला कि वो कार में विस्फोटक लेकर नूंह-मेवात रूट से हरियाणा से दिल्ली पहुंचा। फिर बदरपुर से होते हुए तुर्कमान गेट के पास आसफ अली रोड पर मौजूद दरगाह पहुंचा। यहां उसने नमाज पढ़ी और और लाल किला के पास सुनहरी बाग पार्किंग में 3 घंटे इंतजार किया। फिर ब्लास्ट की साजिश को अंजाम दिया। सोर्स के मुताबिक, सुनहरी बाग पार्किंग में इंतजार करने के दौरान ही उसने ब्लास्ट देने के लिए डेटोनेटर और फ्यूज को विस्फोटक से कनेक्ट किया था। इस आतंकी हमले का पैटर्न कोई नया नहीं है। इससे पहले 2000 में दीनदार अंजुमन ग्रुप ने भी इसी पैटर्न पर सीरियल ब्लास्ट कराए थे। दैनिक भास्कर ने आतंकी उमर के सीसीटीवी फुटेज खंगाले और आपस में इनके लिंक जोड़े। एक्सपर्ट और सोर्स से बात करके हमने ये भी समझने की कोशिश की कि उमर ने पूरे हमले को कैसे अंजाम दिया। साथ ही इसमें डॉक्टर मॉड्यूल के इस्तेमाल की वजह भी समझी। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… सीसीटीवी में कब-कहां नजर आया आतंकी उमरदिल्ली हमले को लेकर अब तक कई सीसीटीवी फुटेज सामने आए हैं। इसमें धमाके से 17 घंटे पहले के एक सीसीटीवी में रात करीब डेढ़ बजे आतंकी डॉ उमर और उसकी कार नूंह-मेवात रूट पर देखी गई। उस वक्त कार की रफ्तार तेज थी। इसके बाद आतंकी उमर 10 नवंबर की सुबह करीब 8 बजे के दिल्ली बदरपुर बॉर्डर के सीसीटीवी फुटेज में नजर आया। ये फुटेज काफी साफ है। इसमें कार की पिछली सीट पर काले और सफेद रंग का एक बैग दिख रहा है। उमर ने खुद भी काले रंग का मास्क लगा रखा है। ये फुटेज देखने के बाद जांच टीम के सोर्सेज ने बताया कि तब तक कार में मौजूद विस्फोटक को डेटोनेटर और फ्यूज से कनेक्ट नहीं किया था। इसीलिए कार की रफ्तार तेज थी। इसके बाद दोपहर में उमर तुर्कमान गेट के पास आसफ अली रोड पर मौजूद दरगाह पहुंचा था। यहां उसने नमाज पढ़ी। फिर दोपहर करीब 3.19 बजे वो कार लेकर लाल किला के पास सुनहरी बाग पार्किंग पहुंचा था। फिर शाम करीब 6:48 बजे तक यानी करीब साढ़े तीन घंटे यहीं रुका रहा। सोर्स के मुताबिक, इसी दौरान आतंकी उमर ने कार में ही विस्फोटक को डेटोनेटर और फ्यूज से जोड़ा। इसमें महज 3-4 मिनट ही लगते हैं। यानी उसने घटना को अंजाम देने के लिए जानबूझकर शाम होने का इंतजार किया। पोटेशियम क्लोरेट और अमोनियम नाइट्रेट केमिकल से ब्लास्टआखिर डेटोनेटर और फ्यूज को कैसे कनेक्ट किया। क्या ये विस्फोटक अमोनियम नाइट्रेट था या कुछ और था। इसे समझने के लिए हमने फोरेंसिक जांच से जुड़े कुछ सीनियर अफसरों से बात की। इसमें हमें घटनास्थल से पोटेशियम क्लोरेट जैसा केमिकल मिलने की बात कंफर्म हुई है। पूरा मामला समझने के लिए हमने दिल्ली में 2008 में हुए सीरियल ब्लास्ट की जांच से जुड़े दिल्ली के रिटायर्ड पुलिस अफसर कर्नल सिंह से बात की। उन्होंने बताया, पोटेशियम क्लोरेट और अमोनियम नाइट्रेट को मिलाकर काफी पावरफुल विस्फोटक तैयार होता है। इससे पहले 2005 में दिल्ली के सरोजनी नगर में हुए ब्लास्ट में भी आतंकियों ने इसी तरह के विस्फोटक का इस्तेमाल किया था। हमने सवाल किया कि आतंकी उमर विस्फोटक कार में लेकर नूंह और फरीदाबाद से दिल्ली के लाल किला तक गया। क्या इस दौरान रास्ते में ब्लास्ट होने का खतरा नहीं था। इस पर रिटायर्ड अधिकारी कहते हैं, ‘उसने डेटोनेटर और फ्यूज को विस्फोटक से कनेक्ट नहीं किया होगा इसलिए कोई खतरा नहीं हुआ। इस घटना में वैसे भी लिक्विड डेटोनेटर के इस्तेमाल की आशंका है। ये सब कुछ अलग-अलग से रेडीमेड मिल जाते हैं। फिर विस्फोटक को डेटोनेटर और फ्यूज के जरिए बैटरी पावर सप्लाई से कनेक्ट करने में महज 3-4 मिनट ही लगते हैं।‘ ‘इसलिए अब तक यही आशंका जताई जा रहा है कि आतंकी उमर जब सुनहरी बाग पार्किंग में था, तभी उसने कार में विस्फोटक को लिक्विड डेटोनेटर और फ्यूज से कनेक्ट किया होगा।‘ इसे विस्फोट कैसे किया गया होगा? इसके जवाब में कर्नल सिंह कहते हैं कि विस्फोट के लिए रिमोट और मैनुअल दोनों तरीके होते हैं। इस केस में मैनुअल ही कराने का आशंका ज्यादा है या फिर हड़बड़ी में भी ये अचानक ब्लास्ट हो सकता है। हालांकि एक बात साफ है कि आतंकी उमर बहुत बड़े धमाके की साजिश में था। इसीलिए इस ब्लास्ट की इंटेंसिटी इतनी ज्यादा थी। कार की बैटरी से कनेक्ट किया गया विस्फोटकअब तक की जांच और सीसीटीवी फुटेज से साफ हुआ है कि 10 नवंबर की शाम करीब 6:48 बजे जब सुनहरी बाग पार्किंग से कार निकली तो उसका बोनट रस्सी से बंधा हुआ था। इसलिए आशंका ये भी है कि कार की बैटरी से ही डेटोनेटर और फ्यूज को कनेक्ट किया गया। सोर्स के मुताबिक, असल में विस्फोटक को एक्टिवेट करने के लिए भी पावर सप्लाई की जरूरत होती है, जिससे विस्फोटक में आग लगाई जा सके। इसलिए कार की बैटरी से ही डेटोनेटर और फ्यूज से विस्फोटक को कनेक्ट किया गया। इसे तार के जरिए कनेक्ट करने की वजह से बोनट दो से ढाई इंच तक खुला रह गया था। इसे ही कवर करने के लिए आतंकी उमर ने बोनट को रस्सी से बांध दिया था। केमिकल को पेट्रोल या CNG से मिलाकर बनाया हाई एक्सप्लोसिव बमदेश में कई बम धमाकों की जांच से जुड़े रहे एक अन्य सीनियर पुलिस अफसर ने बताया कि धमाके के बाद जिस तरह लोगों के चीथड़े उड़े। घटना के तीन दिन बाद मौके से करीब 300-400 मीटर दूर एक छत से लाश के टुकड़े मिले हैं। धमाके में कई लोगों की शॉक वेव की वजह से सुनने की क्षमता चली गई या बॉडी में इंटर्नल इंजरी हुई। उससे एक बात साफ है कि बम की इंटेंसिटी बहुत ज्यादा थी। सीसीटीवी में विस्फोटक कार की पिछली सीट पर दिख रहा था। कार भी पेट्रोल या CNG वाली थी। सोर्स के मुताबिक, अगर 5 किलो अमोनियम नाइट्रेट और पोटेशियम क्लोरेट के मिक्सर को बैटरी के जरिए लिक्विड डेटोनेटर और फ्यूज से कनेक्ट करके ब्लास्ट किया जाए तो ये पेट्रोल और CNG के साथ मिलकर धमाकेदार अग्नि बम बन जाता है। यही दिल्ली वाले मामले में भी हुआ। इसलिए धमाका काफी तेज हुआ था। ऐसे धमाकों में कई बार डेटोनेटर नहीं मिलता है। क्योंकि हाई इंटेंसिटी के चलते वो घटनास्थल से काफी दूर चला जाता है। दिल्ली ब्लास्ट दीनदार अंजुमन नेटवर्क से कैसे मिलता-जुलताअसल में साल 2000 में मई और जुलाई के बीच आंध्रप्रदेश के ताडेपल्लीगुडेम, वानपर्थी और कर्नाटक के हुबली और गोवा के वास्को में बम धमाके हुए। ये सभी धमाके चर्च के आस-पास हुए लेकिन इन्हें अंजाम देने वालों का कोई खास सुराग नहीं मिला था। इसके बाद जुलाई में ही बेंगलुरु में टारगेट से पहले ही अचानक एक कार में धमाका हो गया। उस धमाके से जांच एजेंसियों को लीड मिली थी। इस बारे में दिल्ली स्पेशल सेल में सीनियर अधिकारी रह चुके कर्नल सिंह बताते हैं, '10 नवंबर को दिल्ली ब्लास्ट का पैटर्न काफी हद तक 2000 में हुए दीनदार अंजुमन नेटवर्क के सीरियल ब्लास्ट जैसा दिख रहा है। जिस तरह 3 महीने के अंदर कर्नाटक, आंध्रप्रदेश और गोवा में कई ब्लास्ट हुए लेकिन सुराग नहीं मिल रहा था। फिर जुलाई में बेंगलुरु में अचानक एक्सिडेंटली एक कार में ब्लास्ट हो गया। उस ब्लास्ट में भी अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल हुआ था।' 'इसकी जांच करते हुए दीनदार अंजुमन नेटवर्क का पता चला था। इस ग्रुप को बाद में भारत सरकार ने बैन कर दिया था। अभी जिस तरह से कारों में बम प्लांट करके अलग-अलग जगहों पर धमाके करने की साजिश की खबरें आ रही हैं। उससे आशंका है कि आतंकी नेटवर्क फिर उसी पैटर्न का इस्तेमाल कर रहा था। हालांकि इसकी पुष्टि जांच रिपोर्ट से ही हो सकेगी।' पढ़े-लिखे लोगों को ब्रेनवॉश कर बना रहे ‘व्हाइट कॉलर टेररिस्ट’दिल्ली ब्लास्ट मामले में डॉक्टरों के ही ज्यादातर लिंक क्यों सामने आ रहे हैं। इसे लेकर रिटायर्ड IPS अफसर कर्नल सिंह बताते हैं, 'मैं सिर्फ डॉक्टर की बात नहीं अच्छे पढ़े-लिखे और कम पढ़े लिखे लोगों से तुलना कर बात करूंगा। असल में साल 2000 से पहले इंडियन मुजाहिद्दीन में काफी पढ़े-लिखे आतंकी थे। इनमें से कई दिल्ली की जामिया यूनिवर्सिटी से पास आउट थे।‘ ‘जब पहले जिहादी नेटवर्क ब्रेनवॉश करके युवाओं को आतंकी बनाते थे तो उसमें लंबा वक्त लगता था। पहले उन्हें किसी धार्मिक जगह जैसे मदरसे पर बुलाया जाता है। फिर बातचीत के दौरान उनका ब्रेनवॉश किया जाता है। हालांकि ये तरीके 2004 से पहले ज्यादा अपनाए जाते थे।‘ हमने पूछा कि आखिर वो क्या तरीके हैं, जिससे पढ़े-लिखे डॉक्टर जैसे लोग भी ब्रेनवॉश के बाद फिदायीन हमले के लिए तैयार हो जाते हैं। इसे समझाते हुए रिटायर्ड अधिकारी कहते हैं कि मैंने आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिद्दीन के ब्रेनवॉश करने वाले एक आतंकी से पूछताछ की थी। उसने जो पूरा प्रॉसेस बताया, उसे हम तीन स्टेप में समझ सकते हैं। ‘पहले ये लोग ऐसे लोगों से संपर्क करते हैं, जो पढ़-लिखकर बड़े पदों पर तो पहुंच जाते हैं लेकिन धार्मिक कार्यों में थोड़ा पीछे हो जाते हैं। पहले उनसे धार्मिक एंगल पर सामान्य बातचीत की जाती है कि जैसे- क्या आपको नमाज पढ़नी आती है। क्या आप वजू कर लेते हैं। अगर वे इस पर ध्यान देते हैं और नमाज या धार्मिक कामकाज में रुचि दिखाने लगते हैं तो इससे तय हो जाता है कि वो कट्टरपंथियों की बातें गंभीरता से ले रहे हैं।‘ इसके बाद उसे दूसरा टास्क दिया जाता है। इसमें उसे धर्म से जुड़े फोटो और वीडियो दिखाए जाते हैं। इनमें ज्यादातर फोटो और वीडियो फेक होते हैं, जिसमें उसे धर्म खतरे में बताकर भड़काया जाता है। ‘तीसरे स्टेप में उन्हें जिहाद के बारे में बताया जाता है और इसके फायदे गिनाए जाते हैं, जैसे- जिहाद करना हज करने से भी ज्यादा बड़ा है, मौत के बाद जन्नत नसीब होगी, पावर मिलेगी। इस तरह उनका ब्रेनवॉश क किया जाता है।‘ वे आगे बताते हैं, ‘जब वो मेंटली दूसरे के कंट्रोल में आ जाता है। तब उसे आखिरी ट्रेनिंग दी जाती है। कई बार ये ट्रेनिंग ऑनलाइन या फिर फिजिकली किसी दूसरे देश में बुलाकर दी जाती है। इसके बाद उसे टेरर एक्टिविटीज से जोड़ दिया जाता है।‘ डॉक्टरों का दुबई और लंदन नेटवर्क, जांच में जुटी एजेंसियां फरीदाबाद डॉक्टर टेरर मॉड्यूल में सबसे पहले गिरफ्तार हुए डॉ. आदिल के भाई के दुबई में होने की आशंका है। इससे पहले मुंबई में हुए 26/11 हमले के आरोपी डेविड हेडली के भी लंदन और दुबई में रुककर साजिश रचने के सबूत मिल चुके हैं। ऐसे में जांच एजेंसियों को शक है कि भारत में आतंकियों के नेटवर्क को विदेश से मदद मिल रही है। बीच-बीच में फंडिंग और ट्रेनिंग के लिए दूसरे देशों का इस्तेमाल किया जा रहा है। दैनिक भास्कर को सूत्रों के जरिए डॉ. शाहीन की एक फोटो मिली है। ये फोटो पुलिस ने 3 नवंबर को फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी में वीजा वेरिफिकेशन के लिए ली थी। आशंका जताई जा रही है कि जब पकड़े जाने का शक हुआ तो डॉ. शाहीन विदेश भागने की फिराक में थी। ये भी पता चला है कि डॉ. शाहीन दुबई या लंदन भागने की तैयारी में थी। कश्मीर में पहले भी डॉक्टर और सरकारी कर्मियों के आतंकियों से लिंक मिलेफरीदाबाद डॉक्टर टेरर मॉड्यूल में ज्यादातर कश्मीर से आए संदिग्ध आतंकी डॉक्टर ही शामिल हैं। इसे लेकर हमने जम्मू कश्मीर के पूर्व DGP के. राजेंद्र कुमार से बात की। वे कहते हैं, ‘ऐसा नहीं है कि पहली बार किसी टेरर अटैक में डॉक्टरों की भूमिका सामने आई हैं। जम्मू कश्मीर में पिछले कुछ सालों में कई सरकारी कर्मचारी टेरर लिंक में बर्खास्त किए जा चुके हैं।‘ ‘इस केस में अब तक शोपियां के मौलवी इरफान के कट्टरपंथी बनाने की बात आई है। इसलिए धर्म के आधार पर इन्हें कट्टरपंथ से जोड़कर आतंक की राह पर ले जाया रहा है।‘ वो आगे कहते हैं कि पहले भी कुछ लोकल फिदायीन अटैक में शामिल रहे हैं। अब अगर दिल्ली तक देश के ही फिदायीन अटैक की साजिश रच रहे हैं, तो ये बेहद खतरनाक हो सकता है। इसके लिए जांच एजेंसियों को ज्यादा अलर्ट रहने की जरूरत है।‘.................... ये खबर भी पढ़ें... दिल्ली ब्लास्ट-कौन है डॉक्टरों का ब्रेनवॉश करने वाला मौलवी इरफान दिल्ली में लाल किले के पास कार में हुए ब्लास्ट के तार पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर तक पहुंच रहे हैं। भारत में आतंकी हमलों के लिए 3-4 महीनों से साजिश रची जा रही थी। इसके पीछे आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा शामिल थे। खुफिया एजेंसियों को इसके संकेत PoK में आतंकियों के इंटरसेप्ट कम्युनिकेशन से मिले हैं। पढ़िए पूरी खबर...

दैनिक भास्कर 15 Nov 2025 5:23 am

सीरिया की राजधानी दमिश्क में अचानक हुआ रॉकेट हमला, जानिए कितने लोग हुए हताहत

पूर्व राष्ट्रपति बशर अल-असद की सत्ता का अंत होने के बाद सीरिया में इस तरह का रॉकेट हमला होना अजीब है, लेकिन इसकी वजह का पता लगाया जा रहा है.

ज़ी न्यूज़ 15 Nov 2025 4:50 am

शी चिनफिंग ने थाईलैंड के राजा महा वजिरालोंगकोर्न से मुलाकात की

चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने पेइचिंग के ग्रेट हॉल ऑफ द पीपल में चीन की राजकीय यात्रा पर आए थाईलैंड के राजा महा वजिरालोंगकोर्न से मुलाकात की

देशबन्धु 15 Nov 2025 3:40 am

इस अक्टूबर में स्थिरता के साथ आगे बढ़ी चीनी अर्थव्यवस्था

चीनी राजकीय सांख्यिकी ब्यूरो से 14 नवंबर को जारी आंकड़ों के अनुसार इस अक्टूबर में चीन का उत्पादन और सप्लाई आम तौर पर स्थिर रहा। रोजगार की आम स्थिति भी स्थिर रही और अर्थव्यवस्था स्थिरता के साथ आगे बढ़ी

देशबन्धु 14 Nov 2025 11:36 pm

संयुक्त राष्ट्र महासभा के कार्य को मजबूत और पुनर्जीवित करने के लिए चीन का तीन सूत्रीय प्रस्ताव

संयुक्त राष्ट्र स्थित चीन के उप स्थायी प्रतिनिधि केंग श्वांग ने 13 नवंबर को 80वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा में संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों के कार्यान्वयन और महासभा के पुनरुद्धार के मुद्दे पर संयुक्त बहस में भाषण दिया

देशबन्धु 14 Nov 2025 11:09 pm

बीजेपी मोलभाव कर सकेगी, लेकिन अब भी सहयोगियों पर निर्भर:महिलाओं की कैश स्कीम्स जीत की चाबी, राहुल का क्या; बिहार चुनाव के 7 नेशनल इम्पैक्ट

बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी 90% स्ट्राइक रेट के साथ 92 सीटें जीत रही है, लेकिन जेडीयू भी सभी को चौंकाते हुए 80% स्ट्राइक रेट से 82 सीटों पर आगे चल रही है। नतीजों के बाद बीजेपी की बारगेनिंग पावर जरूर बढ़ेगी, लेकिन नेशनल पॉलिटिक्स में वो अब भी सहयोगियों के भरोसे रहेगी। ब्रांड मोदी से राहुल गांधी तक, महिलाओं की फ्री स्कीम्स से SIR के मुद्दे तक; बिहार चुनाव के ऐसे 7 बड़े नेशनल इम्पैक्ट जानेंगे भास्कर एक्सप्लेनर में… पॉलिटिकल एनालिस्ट अमिताभ तिवारी के मुताबिक, 'महिलाओं को पैसे देकर लुभाना यह एक रेसिपी फॉर सक्सेस हो सकता है। आने वाले चुनाव में अब यह एक फॉर्मूला बन जाएगा और यह हमेशा काम करता है। सरकार, इलेक्शन कमीशन या सुप्रीम कोर्ट ही इसके खिलाफ नियम बनाकर कुछ बदलाव ला सकते हैं।' सीनियर जर्नलिस्ट हर्षवर्धन त्रिपाठी बताते हैं, 'अगर चुनाव के पहले NDA ने जो 10,000 रुपए बांटे हैं, इससे 50% महिलाएं भी कोई उद्यम शुरू करने में सफल होती हैं, तो ये एक अच्छा ट्रेंड बनेगा, लेकिन अगर ऐसा नहीं होता है और यह सिर्फ चुनाव जीतने की स्कीम बनकर रह जाती है तो यह अर्थव्यवस्था के लिए बहुत खतरनाक है। खासकर तब जब हम कह रहे हैं कि चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने वाले हैं।' हर्षवर्धन त्रिपाठी बताते हैं, ‘ब्रांड मोदी अभी भी इनटैक्ट है। भले ही मोदी ने मैं-मैं करके ज्यादा बात नहीं की, लेकिन जिन महिलाओं को 10,000 रुपए मिले वो नीतीश के साथ मोदी का भी नाम ले रही थीं। बदलाव बस इतना आया बीजेपी अब नरेंद्र मोदी का इस्तेमाल जरूरत के हिसाब से और रणनीतिक रूप से करेगी, जैसा उसने पहले हरियाणा, महाराष्ट्र और अब बिहार में भी किया।’ अमिताभ तिवारी बताते हैं, 'बीजेपी अब मोदी के नाम पर चुनाव जीतने के बजाय लोकल मुद्दों और लोकल नेताओं के दम पर चुनाव जीतने की नीति अपना रही है। महाराष्ट्र चुनाव में भी यही हुआ। बीजेपी के लिए यह जरूरी भी है क्योंकि अगले साल जिन 5 राज्यों में चुनाव होने वाले हैं, उसमें एक असम को छोड़ दें तो बीजेपी का कहीं बहुत स्ट्रॉन्ग होल्ड नहीं है।' अमिताभ तिवारी कहते हैं, किसी भी ब्रांड के चार फेज होते हैं- परिचय, विकास, परिपक्वता और अवनति यानी गिरावट। ब्रांड मोदी अभी परिपक्वता की ऊंचाई पर है। हर्षवर्धन त्रिपाठी कहते हैं, 'बीजेपी की उसके सहयोगी दलों पर डिपेंडेंसी तो साफ तौर पर है। बिहार में भले ही वो अब अकेले दम सरकार बना सकती है, लेकिन वो नीतीश कुमार को खारिज नहीं कर सकती। नेशनल लेवल पर बीजेपी चाहेगी कि उसके सहयोगी किसी तरह से बंधे रहें। अच्छी बात यह है कि चंद्रबाबू नायडू छोड़कर जाएंगे नहीं क्योंकि उन्हें अपनी राजनीति के लिए केंद्र की जरूरत है। चिराग पासवान की राजनीति भी बीजेपी पर निर्भर है।’ सी-वोटर के फाउंडर यशवंत देशमुख के मुताबिक, ‘इस चुनाव में अगर कुछ बहुत बुरी तरह से फेल हुआ है तो वो वोट चोरी कैम्पेन है। अगर वोटिंग परसेंट थोड़ा भी कम होता तो हम यह मान सकते थे कि लोगों का लोकतांत्रिक चुनाव प्रक्रिया में भरोसा कम हुआ है, लेकिन वोटर टर्नआउट ने इतिहास बना दिया। इस बार ऐसा भी नहीं हुआ कि आखिरी घंटों में वोटिंग परसेंट बढ़े, बल्कि शुरू से ही ज्यादा टर्नआउट रहा।’ अमिताभ तिवारी कहते हैं, ‘कांग्रेस महागठबंधन की कमजोर कड़ी है। क्षेत्रीय पार्टियां अब कांग्रेस पर हमलावर होंगी कि उसकी वजह से हम चुनाव हारते हैं। कांग्रेस पर सवाल उठेंगे कि वो लोकल लीडर्स को अपने हिसाब से काम नहीं करने दे रही और मुद्दों को भटका रही है।’ पॉलिटिकल एक्सपर्ट रजत सेठी के मुताबिक, वोट परसेंट बढ़ने का सबसे बड़ा कारण SIR है। वोटर्स के रिवीजन की वजह से डुप्लिकेट वोट हटे हैं, जिसकी वजह से स्वाभाविक रूप से पोलिंग परसेंट बढ़ा है। अब बाकी देश में भी SIR की प्रक्रिया शुरू हो गई है। 2026 में पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव होना है। ऐसे में इन चुनावों में भी वोटिंग परसेंट बढ़ सकता है। अमिताभ तिवारी के मुताबिक वोटिंग परसेंट बढ़ने की वजह SIR बिल्कुल नहीं है, बल्कि यह वास्तविक ग्रोथ है। हालांकि हर्षवर्धन त्रिपाठी बताते हैं, 'SIR होगा तो निश्चित रूप से वोटर लिस्ट प्यूरिफाई होगी। जो लोग कहीं और चले गए हैं, उनके नाम कटेंगे और नए लोगों के नाम जुड़ेंगे। इससे एक अच्छी वोटर लिस्ट बनेगी जिसके कारण देश भर के चुनावों में वोट परसेंट बिल्कुल बढ़ेगा।' सी-वोटर के फाउंडर यशवंत देशमुख के मुताबिक, नौकरी और रोजगार के वादों ने युवा वोटर्स खासकर ग्रामीण युवा वोटर्स को आकर्षित किया। ये वो लोग हैं जिन्होंने वो दौर नहीं देखा जिसे लालू का जंगलराज कहकर NDA ने प्रचारित किया। हर्षवर्धन त्रिपाठी बताते हैं, ‘इस चुनाव से यह सुखद संकेत दिखाई दे रहे हैं कि रोजगार अब चुनावी मुद्दा बनेगा, लेकिन यह वोट में कितना तब्दील होगा, यह कहना मुश्किल है। रोजगार का मुद्दा तो उठेगा, लेकिन अभी का ट्रेंड देखकर तो लगता है कि वोटर अपना नेता या अपनी जाति देखकर ही वोट डालेगा।' सीनियर जर्नलिस्ट अरुण दीक्षित के मुताबिक, 'अब रोजगार पर बात करना पार्टियों की मजबूरी होगी। तेजस्वी यादव ने जिस तरह रोजगार का मुद्दा उठाकर युवाओं को साधा, बिहार में यह चुनावी मुद्दा बन गया। आने वाले चुनावों में भी अब पार्टियां इस मुद्दे से बच नहीं सकती।' अमिताभ तिवारी कहते हैं, 'भारत की राजनीति में तीसरे मोर्चे का स्कोप जरूर है, लेकिन इसमें समय लगता है। हर पार्टी आम आदमी पार्टी की तरह नहीं होती, जिसे आंदोलन के कारण पहले चुनाव से ही एक बेस मिल गया था। अगर लगे रहेंगे तो पीके की जगह जरूर बनेगी।' ----------- ये खबर भी पढ़िए... जब प्यार में नीतीश कुमार ने आधी रात दौड़ाई बाइक:साथ रहने के लिए दिल्ली में पत्नी की नौकरी लगवाई, विवाद हुआ तो लालू को लिखी चिट्ठी साल 1985। बिहार के मौजूदा CM नीतीश कुमार तब पहली बार विधायक बने। जब चुनाव जीतकर अपने घर बख्तियारपुर पहुंचे, तो उनका खूब स्वागत हुआ, लेकिन धूम-धाम के बीच नीतीश की आंखें पत्नी मंजू को ढूंढ रही थीं, जो उस समय अपने मायके सेवदह जा चुकी थीं। बेचैन नीतीश ने आधी रात अपने एक साथी से कहा- मोटरसाइकिल निकालो, हम मंजू से मिलने जाएंगे। पूरी खबर पढ़िए...

दैनिक भास्कर 14 Nov 2025 4:39 pm

इंडोनेशिया में लैंडस्लाइड से भारी तबाही, दो की मौत, दर्जनों लापता; राहत-बचाव का काम जारी

Jakarta news: रेस्क्यू में जुटे अधिकारियों के मुताबिकअधिकारी ने फोन पर बताया, 'भूस्खलन रिहायशी इलाकों में हुआ और हताहत हुए. दो लोगों की मौत हो गई. तीन घायल हो गए और 21 अन्य लापता हो गए.'

ज़ी न्यूज़ 14 Nov 2025 10:30 am

रूस के करेलिया में लड़ाकू विमान दुर्घटनाग्रस्त, दो पायलटों की मौत

रूस के करेलिया गणराज्य के प्रियोनेज़्स्की जिले में प्रशिक्षण उड़ान के दौरान एक सुखोई-30 लड़ाकू विमान के दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसके कारण दो पायलटों की मौत हो गयी

देशबन्धु 14 Nov 2025 8:46 am

ढाका छोड़ने के पहले शेख हसीना ने किए थे कौन से 'गुनाह', 72 घंटे बाद सुनाई जाएगी सजा-ए-मौत?

Bangladesh News: जस्टिस मोहम्मद गुलाम मुर्तुजा मजूमदार, जस्टिस मोहम्मद शफीउल आलम महमूद, और जस्टिस मोहम्मद मोहितुल हक इनाम चौधरी की अध्यक्षता वाले तीन सदस्यीय बेंच ने मामले में सजा सुनाने की तारीख 17 नवंबर तय की है.

ज़ी न्यूज़ 14 Nov 2025 8:38 am

हिटलर सेक्सुअल जेनेटिक डिसऑर्डर का था शिकार, पहले कभी नहीं हुआ ऐसा खुलासा

Hitler: जर्मनी की तानाशाह को लेकर एक ऐसा चौंकाने वाला खुलासा हुआ है जिसके बारे में उसके बेहद करीबियों को भी नहीं पता था. दरअसल ये हिटलर की व्यक्तिगत यौन कुंठाओं से जुड़ा मामला था जिसे वो हर किसी से शेयर नहीं करता था.

ज़ी न्यूज़ 14 Nov 2025 8:07 am

जी-7 के तेहरान विरोधी दावे 'निराधार और गैर-जिम्मेदाराना' : ईरान

ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माइल बघई ने जी-7 देशों द्वारा लगाए गए आरोपों को बेबुनियाद और गैर-जिम्मेदाराना बताया है

देशबन्धु 14 Nov 2025 7:35 am

बांग्लादेश में डेंगू से तीन अन्य लोगों की मौत, 2025 में मरने वालों की संख्या 326 हुई

बांग्लादेश में डेंगू का प्रकोप तेजी से बढ़ता जा रहा है। देशभर में संक्रमण और मौतों में वृद्धि देखी जा रही है

देशबन्धु 14 Nov 2025 6:01 am

स्पॉटलाइट-समुद्र के बीच गिरा शख्स, 26 घंटों तक तैरता रहा:शरीर पर चिपकी मांस खाने वाली जेलीफिश, कैसे बचा, देखें वीडियो

कन्याकुमारी के चिन्नमुत्तम बंदरगाह पर मछली पकड़ते वक्त एक शख्स समुद्र में गिर गया. 26 घंटे तक लहरों और मांसाहारी जेलीफिश से लड़ते हुए उसने अपनी जान बचाई. उसकी हिम्मतभरी कहानी जानने के लिए ऊपर दी गई इमेज पर क्लिक कर देखें वीडियो..

दैनिक भास्कर 14 Nov 2025 5:27 am

दिल्ली ब्लास्ट की साजिश का अड्डा अल-फलाह का रूम नंबर-13:उमर-शाहीन ने लैब से केमिकल चुराया-विस्फोटक जुटाए, 200 बम बनाने का प्लान

दिल्ली कार ब्लास्ट में डॉक्टर टेटर मॉड्यूल के बाद अगर सबसे ज्यादा चर्चा में है, तो वो फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी है। यहीं बिल्डिंग नंबर-17 का रूम नंबर-13 वो जगह है, जहां बड़े हमले को अंजाम देने की साजिश रची जा रही थी। डॉ. उमर और मुजम्मिल ने यहीं बैठकर फंडिंग से लेकर विस्फोटक जुटाने तक का प्लान बनाया और उस पर काम किया। हालांकि विस्फोटक जुटाने के बाद इसे कहां और कैसे इस्तेमाल करना है, ये बात फाइनल हो पाती कि उसके पहले ही साजिश का पर्दाफाश हो गया। टेरर मॉड्यूल में अब तक यूनिवर्सिटी के चार डॉक्टरों के लिंक मिले हैं। इनमें मुजम्मिल, आदिल, शाहीन और उमर शामिल हैं। इसके साथ ही यूनिवर्सिटी का प्रोफेसर डॉ निसार अल हसन भी शक के घेरे में है। सोर्स से ये भी पता चला है कि डॉ मुजम्मिल और आदिल बम बनाने के लिए पिछले 4 महीने से फर्टिलाइजर और केमिकल स्टोर करके रख रहे थे। वहीं उमर और शाहीन ने यूनिवर्सिटी के लैब से केमिकल चुराया था। इनकी प्लानिंग करीब 200 बम बनाने की थी। जांच एजेंसियों से जुड़े सोर्स से पता चला है कि थ्रीमा एप के जरिए ही लालकिला ब्लास्ट की प्लानिंग हुई थी। हमने अल-फलाह यूनिवर्सिटी का भी दौरा किया। जांच में शामिल पुलिस और एजेंसियों के सोर्सेज से बात की। साथ ही यूनिवर्सिटी स्टाफ और स्टूडेंट्स से भी बात की। उनके लगाए आरोपों पर यूनिवर्सिटी से सवाल भी पूछे हैं। हमने 4 सवालों के जरिए ब्लास्ट के आइडिया, प्लानिंग, और एग्जीक्यूशन की पड़ताल की। 1- सफेदपोश संदिग्ध आतंकी डॉक्टरों को फंडिंग कहां से मिली?2- संदिग्ध डॉक्टरों की मीटिंग कहां होती थी और कैसे प्लानिंग हुई?3- लैब से केमिकल की चोरी किसने की और ब्लास्ट की क्या तैयारी थी?4- कहां चूक हुई और क्या ये ब्लास्ट हड़बड़ी में करना पड़ा? अब आइए सिलसिलेवार जानते हैं इन सवालों के जवाब…सवाल 1. डॉक्टरों की मीटिंग कहां होती थी और प्लानिंग कैसे हुई?पुलिस ने जांच के दौरान अल-फलाह यूनिवर्सिटी से एक डायरी बरामद की है। इससे दिल्ली बम ब्लास्ट की साजिश के सबूत मिले हैं। सोर्स के मुताबिक, यूनिवर्सिटी की बिल्डिंग नंबर-17 सफेदपोश डॉक्टरों के टेरर नेटवर्क की मीटिंग का अड्डा थी। संदिग्ध डॉक्टरों की मुलाकात इसी बिल्डिंग के रूम नंबर-13 में होती थी। ये दिल्ली ब्लास्ट से लिंक में पकड़े गए डॉ. मुजम्मिल का कमरा था। वो अपनी नेटवर्क के दूसरे डॉक्टर्स से यहीं मिला करता था और यहीं ब्लास्ट की प्लानिंग को अंजाम दिया गया था। पुलिस में हमारे सोर्स के मुताबिक, डॉ उमर और डॉ मुजम्मिल इस मॉड्यूल के मास्टरमाइंड हैं। दोनों किसी बड़ी साजिश को अंजाम देने की तैयारी में थे। हालांकि अभी तक इनका टारगेट तय नहीं हुआ था। इसे तय करने को लेकर बातचीत ही चल रही थी। सवाल 2. सफेदपोश आतंकी डॉक्टरों को फंडिंग कहां से मिली?सोर्स बताते हैं कि संदिग्ध आतंकी डॉ. मुजम्मिल, उमर और शाहीन अपने नेटवर्क के जरिए बड़ी वारदात को अंजाम देने की तैयारी में थे। इसके लिए उन्होंने करीब 26 लाख रुपए कैश भी जुटा लिया था। ये कैश डॉ उमर के पास रखा गया था। बाद में डॉ. मुजम्मिल और उमर ने इसी रकम से कई किस्तों में गुरुग्राम, नूंह और फरीदाबाद की मार्केट से एनपीके फर्टिलाइजर खरीदना शुरू किया। ये फर्टिलाइजर किस्तों में करीब 4 महीने में खरीदा गया। डॉ. मुजम्मिल ने इसे घर पर स्टोर किया। उसका प्लान था कि पहले बड़ी मात्रा में फर्टिलाइजर स्टोर कर लिया जाए और फिर इससे IED बम बनाया जाए। जांच एजेंसियों को शक है कि इतनी मात्रा में खरीदा गया फर्टिलाइजर ही बम ब्लास्ट कॉन्सपिरेसी में इस्तेमाल किया जाना था। अब जांच एजेंसियां एक तरफ इसके लिए हुई फंडिंग को ट्रैक कर रही हैं। तीनों डॉक्टर्स के बैंक अकाउंट की डिटेलिंग ट्रैक कर रही हैं। वहीं फंडिंग का सोर्स भी तलाश रही हैं। दूसरी तरफ जांच एजेंसियों की एक टीम गुरुग्राम, फरीदाबाद और नूंह में लोकल फर्टिलाइजर मार्केट से की गई खरीदारी की तफ्तीश कर रही हैं। अलग-अलग दुकानों पर सीसीटीवी खंगाले जा रहे हैं और फर्टिलाइजर खरीदने के सबूत जुटाए जा रहे हैं। सवाल 3. लैब से केमिकल की चोरी और ब्लास्ट की क्या तैयारी थी।इसकी प्लानिंग भी हॉस्टल के रूम नंबर-13 में ही हुई थी। बम बनाने के लिए फर्टिलाइजर के अलावा दूसरे सामान जुटाने थे। तय हुआ कि पहले लैब से केमिकल चुराकर उसे डॉ मुजम्मिल के कमरे में रखा जाएगा। फिर वहां से उसे मुजम्मिल के धौज गांव वाले कमरे में शिफ्ट किया जाएगा। दरअसल हॉस्टल में मुजम्मिल का रूम लैब से चंद कदम की दूरी पर है। इसलिए वहां केमिकल शिफ्ट करना सबसे आसान था। डॉ उमर और डॉ शाहीन ने लैब से केमिकल निकाला और मुजम्मिल के कमरे में रख दिया। सोर्स के मुताबिक, करीब 350 किलो अमोनियम नाइट्रेट डॉ मुजम्मिल के किराए वाले घर से बरामद किया गया था। पुलिस को यहां से कई पेन ड्राइव, 3 डायरी और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस भी मिली है। पुलिस ने कमरा जांच पड़ताल के बाद सील कर दिया है। वहीं फरीदाबाद में मौलवी इश्तियाक के घर से भी विस्फोटक मिला था। सोर्स के मुताबिक, पुलिस ने मुजम्मिल के कमरे और लैबोरेटरी के केमिकल के सैंपल भी लिए हैं। उन्हें जांच के लिए भेजा गया है। जांच एजेंसियों को शक है कि लैब से चुराया गया केमिकल अमोनियम नाइट्रेट और ऑक्सीडाइजर का इस्तेमाल एक्सप्लोसिव बनाने के लिए किया गया। सवाल 4. कहां चूक हुई और क्या दिल्ली का ब्लास्ट हड़बड़ी में करना पड़ा?जांच एजेंसियों का मानना है कि उमर और मुजम्मिल दोनों एक दूसरे को 2018 से ही जानते थे। ब्लास्ट के लिए फंडिंग से लेकर सामान जुटाने तक की तैयारी की सारी जिम्मेदारी डॉ उमर और मुजम्मिल के पास थी। दोनों ने प्लानिंग के तहत कई महीनों में विस्फोटक, टाइमर और डेटोनेटिव जुटाए। सोर्स ने बताया कि ब्लास्ट की प्लानिंग पूरी हो पाती, इसके पहले ही जम्मू-कश्मीर पुलिस ने फरीदाबाद पुलिस के साथ इस टेरर मॉड्यूल पर रेड कर दी। डॉ मुजम्मिल शुरू में ही गिरफ्तार हो गया, जिससे डॉ उमर घबरा गया था। इसके बाद हड़बड़ी में उसने लालकिला के पास ब्लास्ट का प्लान बनाया और खुद ही इसे अंजाम दे दिया। उमर ने रेड से घबराकर हड़बड़ी में किया ब्लास्टउत्तर प्रदेश पुलिस के पूर्व DGP विक्रम सिंह इस केस की जांच को लेकर कहते हैं, ‘दिल्ली ब्लास्ट केस में जांच की अब तक की दिशा और दशा दोनों ही एकदम सही है। इससे बेहतर तरीके से जांच नहीं हो सकती थी।’ ’28 अक्टूबर को जब से कश्मीर में जैश-ए-मोहम्मद का पोस्टर पकड़ा गया। कश्मीर पुलिस ने गहराई में जाकर इसे आइडेंटिफाई किया और जिस तरह वे केस की तह तक पहुंची वो काबिल-ए-तारीफ है। डॉ उमर और शाहीन की कार से AK-47 रिकवर की और करीब 2900 किलो अमोनियम नाइट्रेट जब्त किया। दरअसल डॉ. उमर इन्हीं सब कार्रवाइयों से घबरा गया और उसने हड़बड़ी में विस्फोट को अंजाम दिया।’ ’जांच में अब तक जो तथ्य सामने आए हैं, उससे पता चलता है कि इनकी प्लानिंग करीब 200 बम बनाने की थी। ये या तो 26/11 की सालगिरह, 6 दिसंबर (बाबरी मस्जिद गिराए जाने की बरसी) या फिर 13 दिसंबर ( संसद अटैक की सालगिरह) जैसे दिन कुछ बड़ा करने की प्लानिंग कर रहे थे।’ विक्रम सिंह आगे कहते हैं, ‘जो AK-47 और AK-56 के साथ बड़े पैमाने पर कारतूस बरामद हुए हैं, इससे साफ है कि इनकी प्लानिंग पहले बम विस्फोट की थी और फिर गोलियां बरसाने की।’ थ्रीमा एप के जरिए करते खुफिया कम्युनिकेशनसोर्स के मुताबिक, अल-फलाह यूनिवर्सिटी के ये तीनों डॉक्टर उमर, मुजम्मिल और आदिल Theerma App के जरिए कॉन्टैक्ट में रहते थे। ये एक एनक्रिप्टेड प्लेटफॉर्म है। आतंकी गतिविधियों से जुड़ी बातचीत करने के लिए तीनों इसी एप पर चर्चा करते थे। तीनों ने एप पर अपना प्राइवेट सर्वर बना रखा था ताकि सीक्रेट बातचीत कर सकें। सोर्स के मुताबिक, डिटेल प्लानिंग और लोकेशन शेयर करने का काम इसी एप के जरिए होता था। तीनों डॉक्टर एनक्रिप्टेड चैट, फाइल शेयरिंग, वॉयस कम्युनिकेशन और लोकेशन शेयरिंग के लिए इसी का इस्तेमाल करते थे। इससे इनको स्टैंडर्ड मोबाइल नेटवर्क का भी इस्तेमाल नहीं करना पड़ा। जांच एजेंसियों से जुड़े सोर्स से पता चला है कि थ्रीमा एप के जरिए ही लालकिला ब्लास्ट की प्लानिंग हुई थी। अब एजेंसियां ये पता करने की कोशिश कर रही हैं कि इनका एप जिस सर्वर पर ऑपरेट हो रहा था क्या उसे भारत में ही होस्ट किया गया था या फिर किसी दूसरे देश से किया गया। अरब मुल्कों से अल-फलाह यूनिवर्सिटी को फंडिंगहमने अल-फलाह यूनिवर्सिटी का भी दौरा किया। फंडिंग के बारे में पूछने पर यूनिवर्सिटी स्टाफ के कुछ लोगों ने नाम ना जाहिर करने की शर्त पर बताया कि यूनिवर्सिटी को अरब मुल्कों से फंडिंग मिला करती थी। वहां के इन्वेस्टर साल में एक बार यूनिवर्सिटी का दौरा करने भी आते थे। भले ही कॉलेज को ट्रस्ट चलाता है लेकिन इन्हें दूसरे देशों से भी फंड मिलता है।’ यूनिवर्सिटी की पिछले 10 सालों की फाइनेंशियल फाइलिंग्स और FCRA रिकॉर्ड्स सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं हैं। हमने ट्रस्ट को मिलने वाली फॉरेन फंडिंग को लेकर अल-फलाह यूनिवर्सिटी को डिटेल में मेल करके जानकारी मांगी है। रिपोर्ट लिखे जाने तक हमें कोई जवाब नहीं मिला है। यूनिवर्सिटी प्रशासन का जवाब आने पर रिपोर्ट में अपडेट किया जाएगा। यूनिवर्सिटी को लेकर पूर्व DGP विक्रम सिंह कहते हैं, ‘अल फलाह यूनिवर्सिटी ने इन आतंकियों को सेफ हाउस दिया। उन्होंने इसे एक ऐसा टापू बना लिया, जहां बाहरी तत्व आसानी से आ जा नहीं सकते थे। इनके चांसलर जवाद अहमद सिद्धिकी चिटफंड केस में तिहाड़ जेल में रह चुके हैं। 2000 में इनके खिलाफ मुकदमा लिखा गया था। हैरानी की बात ये है कि ऐसे सजायाफ्ता मुल्जिम को मंजूरी पर मंजूरी कैसे मिलती चली गईं?‘ ‘अल-फलाह को UGC से मान्यता कैसे मिल गई? 4-5 कमरे में चलने वाले इंजीनियरिंग कॉलेज को इतनी अच्छी रेटिंग कैसे मिल गई? इस यूनिवर्सिटी में तब्लीगी जमात ने एक मस्जिद भी बना रखी है। पहले मस्जिद छोटी थी, अब ये बड़ी हो गई है। कश्मीरी छात्र यहां बड़े पैमाने पर दाखिला कैसे ले रहे हैं, इसकी भी जांच होनी चाहिए।’ फ्री चेकअप और मेडिकल कैंप लगाती थी अल-फलाह यूनिवर्सिटीलोकल लोगों को खुश करने के लिए यूनिवर्सिटी में समय-समय पर फ्री चेकअप, मेडिकल कैंप और निशुल्क इलाज किया जाता था। इसलिए आसपास रहने वाले गांव के लोगों में यूनिवर्सिटी को लेकर एक सहानुभूति भी थी। हमने पास के रहने वाले धौज और फतेहपुर तगा गांव के लोगों से बात की। वहां के लोगों ने भी बताया कि वो यूनिवर्सिटी में इलाज कराने के लिए आते रहे हैं। यहां उनका फ्री में इलाज किया जाता था। यूनिवर्सिटी में करीब 40% स्टूडेंट कश्मीर के पढ़ते थे। इसके साथ ही हरियाणा के मेवात और बिहार के भी कई स्टूडेंट यहां पढ़ाई कर रहे हैं लेकिन यूनिवर्सिटी में स्टाफ भर्ती की प्रक्रिया ट्रस्ट के ओखला वाले दफ्तर से की जाती थी, जिसमें चांसलर सिद्धिकी ही आखिरी फैसला करते थे। दिल्ली ब्लास्ट मामले में 12 नवंबर को यूनिवर्सिटी ने पहली बार बयान जारी किया है। वाइस चांसलर प्रो. भूपिंदर कौर आनंद ने कहा कि हमारे दो डॉक्टर पुलिस की हिरासत में हैं। उनकी ड्यूटी के अलावा यूनिवर्सिटी का इनसे कोई संबंध नहीं है। यूनिवर्सिटी के अंदर किसी भी तरह का केमिकल या विस्फोटक स्टोर नहीं हुआ। हमारी लैब का इस्तेमाल सिर्फ MBBS स्टूडेंट्स को पढ़ाने और ट्रेनिंग देने के लिए होता है। हर काम कानून के हिसाब से किया जाता है। 70 एकड़ कैंपस का चप्पा-चप्पा तलाश रही जांच एजेंसियांपिछले लगातार 4 दिन से अल-फलाह यूनिवर्सिटी में पुलिस और एजेंसियां जांच कर रही हैं। यूनिवर्सिटी के चप्पे-चप्पे की जांच की जा रही है। आरोपी डॉक्टरों के करीबी दोस्तों, स्टूडेंट और सहकर्मियों से पूछताछ की जा रही है। पुलिस ने अभी आधिकारिक तौर पर ये नहीं बताया है कि कितने लोगों को हिरासत में लिया गया है। यूनिवर्सिटी के एक छात्र ने नाम ना लिखने की शर्त पर बताया कि कैंपस में पुलिस का तलाशी अभियान लगातार जारी है। कई लोगों से पूछताछ भी की गई है। हमारे लिए ये चौंकाने वाली बात है कि हम यहीं पढ़ते रहे और हमें भनक ही नहीं लगी कि यहां इतनी बड़ी साजिश चल रही थी।.............. ये खबर भी पढ़ें... दिल्ली ब्लास्ट-कौन है डॉक्टरों का ब्रेनवॉश करने वाला मौलवी इरफान दिल्ली में लाल किले के पास कार में हुए ब्लास्ट के तार पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर तक पहुंच रहे हैं। भारत में आतंकी हमलों के लिए 3-4 महीनों से साजिश रची जा रही थी। इसके पीछे आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा शामिल थे। खुफिया एजेंसियों को इसके संकेत PoK में आतंकियों के इंटरसेप्ट कम्युनिकेशन से मिले हैं। पढ़िए पूरी खबर...

दैनिक भास्कर 14 Nov 2025 4:00 am

बांग्लादेश में थम नहीं रहा डेंगू से मौत का कहर, क्या है आंकड़े बढ़ने की असल वजह?

बांदलादेश में पिछले साल की तरह इस साल भी डेंगू के मरीजों की तादाद लगातार बढ़ रही है, सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद राहत की कमी नजर आ रही है.

ज़ी न्यूज़ 14 Nov 2025 2:17 am

दिल्ली आतंकी धमाके के बाद पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने भारत-अफगानिस्तान को दी धमकी

आतंक को पनाह देने वाला पाकिस्तान इन दिनों खुद परेशान है। दिल्ली में आतंकी धमाके के बाद इस्लामाबाद के कोर्ट परिसर में धमाका हुआ। इसे लेकर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री दोनों की बौखलाहट देखने को मिल रही है

देशबन्धु 13 Nov 2025 2:52 pm

900 उड़ानें रद्द, सरकारी विभाग ठप! आखिरकार ट्रंप ने साइन कर खत्म किया अमेरिका का सबसे बड़ा शटडाउन

अमेरिकी सीनेट और सदन दोनों ने इस पर सहमति जताते हुए फेडरल फंडिंग बिल को मंजूरी दे दी, जिसके बाद इसे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पास भेजा गया. ट्रंप ने बुधवार को इस बिल पर हस्ताक्षर कर दिए, जिससे अब देश की सभी सरकारी एजेंसियों का कामकाज दोबारा शुरू हो जाएगा.

ज़ी न्यूज़ 13 Nov 2025 2:30 pm

'ट्रंप ने यौन पीड़िता के साथ घंटों बिताए...' एक Email से व्हाइट हाउस में मचा हड़कंप, जानिए पूरा मामला

डेमोक्रेटिक पार्टी ने एपस्टीन के पुराने ईमेल्स जारी किए हैं, जिनमें यह दावा किया गया है कि ट्रंप और एपस्टीन के बीच नजदीकी रिश्ते थे और ट्रंप ने उसके घर पर एक यौन पीड़िता के साथ घंटों समय बिताया था.

ज़ी न्यूज़ 13 Nov 2025 2:17 pm

बांग्लादेश : यूनाइटेड किंगडम कंजर्वेटिव पार्टी के नेता की यूनुस सरकार से बड़ी अपील, देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करें

बांग्लादेश में जारी तनावपूर्ण माहौल के बीच चुनावी सरगर्मी तेज हो गई है। जगह-जगह पर हिंसा और आगजनी देखने को मिल रही है। इस बीच यूनाइटेड किंगडम कंजर्वेटिव पार्टी के नेता और सांसद बॉब ब्लैकमैन ने मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार से देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने का आग्रह किया है

देशबन्धु 13 Nov 2025 1:14 pm

ट्रंप-एपस्टीन घंटों रहे साथ, डेमोक्रेट्स ने जारी किए ईमेल, व्हाइट हाउस ने आरोपों का किया खंडन

जेफरी एपस्टीन से दोस्ती अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को भारी पड़ रही है। बुधवार को एपस्टीन फाइल से जुड़े दस्तावेज को सार्वजनिक किया गया, जिसे लेकर अमेरिका के सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई है

देशबन्धु 13 Nov 2025 12:56 pm

US shutdown: 'हमने भैंसें बचाई थी, अब बच्चों के भूख के लिए मार रहे हैं...', अमेरिका में ऐसी क्यों मची त्रासदी?

Tribes restored buffalo killing because shutdown:वुल्फ पॉइंट, मोंटाना, ट्रक रुका, खिड़की से रॉबर्ट मैग्नन झुके, राइफल तानी और पॉप! एक भैंस गिर पड़ी. दो और गोली चलीं. तीन भैंसें मारी गईं. मांस काटा गया, ग्राइंड किया, पैक किया और सीधे गरीब परिवारों के घर पहुंचा दिया गया. ये कोई शिकार नहीं, मजबूरी है. अमेरिका के रिकॉर्ड शटडाउन ने लाखों लोगों को मरने के कगार पर छोड़ा है, जिसमें सबसे अधिक जनजातियों के लोगों को परेशानी उठानी पड़ी है. जो अपने प्यारे भैंसों के झुंड को मारकर भूख मिटा रही हैं. जानें पूरी कहानी.

ज़ी न्यूज़ 13 Nov 2025 12:03 pm

कनाडा ने रूस के खिलाफ प्रतिबंध लगाने की घोषणा की

कनाडा ने रूस के ऊर्जा क्षेत्र, सैन्य क्षमताओं और साइबर बुनियादी ढांचे से जुड़े व्यक्तियों और संस्थाओं के खिलाफ प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है

देशबन्धु 13 Nov 2025 10:48 am

अमेरिका का सबसे लंबा शटडाउन खत्म, ट्रंप ने फंडिंग बिल पर किए हस्ताक्षर

अमेरिका में चल रहा अब तक का सबसे लंबा शटडाउन खत्म हो गया है। अमेरिकी इतिहास के सबसे लंबे शटडाउन को खत्म करने के लिए सीनेट समर्थित विधेयक को सदन ने मंजूरी दी

देशबन्धु 13 Nov 2025 10:08 am

भारत और कंबोडिया के बीच शुरू होगी डायरेक्ट फ्लाइट, इंडिगो ने किया ऐलान

भारत और कंबोडिया के सिएम रीप के बीच डायरेक्ट फ्लाइट की शुरुआत होने जा रही है

देशबन्धु 13 Nov 2025 8:58 am

बांग्लादेश में सड़क से सफर 'खतरनाक', सिर्फ अक्टूबर में दुर्घटनाओं में 500 से अधिक लोगों की मौत

बांग्लादेश में इन दिनों हालात काफी खराब नजर आ रहे हैं। यूनुस की सरकार में देश में अराजकता की स्थिति बनी हुई है

देशबन्धु 13 Nov 2025 8:56 am

'ढाका लॉकडाउन' से पहले धोलाईपार में यात्री बस को उपद्रवियों ने लगाई आग, पुलिस के दावों की खुली पोल

गुरुवार को अवामी लीग ने ढाका लॉकडाउन का ऐलान किया, तो वहीं सिटी पुलिस ने दावा किया कि स्थिति नियंत्रण में है

देशबन्धु 13 Nov 2025 8:47 am

ट्रंप के एच-1बी वीजा कार्यक्रम का बचाव करने के बाद व्हाइट हाउस ने दिया स्पष्टीकरण

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा एच-1बी वीज़ा कार्यक्रम का बचाव करने के एक दिन बाद, व्हाइट हाउस ने कहा कि वह वीज़ा प्रणाली के दुरुपयोग पर सख्त कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध है

देशबन्धु 13 Nov 2025 8:33 am

स्पॉटलाइट-दिल्ली और इस्लामाबाद हमले पर अमेरिका का दोगलापन:पाकिस्तान में हुआ हमला आतंकी बताया, सोशल मीडिया पर छिड़ा कैसा विवाद; देखें वीडियो

दिल्ली और इस्लामाबाद ब्लास्ट के बाद दुनियाभर से प्रतिक्रियाएं आईं, लेकिन अमेरिकी एंबेसी का बयान सबसे ज्यादा चर्चा में रहा. इसी बयान के बाद अमेरिका पर भारत के खिलाफ दोहरा रवैया अपनाने के आरोप क्यों लगे. पूरी कहानी जानने के लिए ऊपर दी गई इमेज पर क्लिक करें.

दैनिक भास्कर 13 Nov 2025 6:00 am

ब्लैकबोर्ड-रात में लड़कों ने पीट-पीटकर कपड़े फाड़े, सेक्सुअल हैरेसमेंट किया:नाचने पर पापा ने घर से निकाला; भारत के फेमस बेली डांसरों की कहानी

रात का अंधेरा था। सड़क सुनसान थी। 8 लड़कों ने उसे घेर लिया, खूब पीटा और उसके सारे कपड़े फाड़कर निर्वस्त्र कर दिया। उसके साथ सेक्सुअल हैरेसमेंट किया गया। केवल इसलिए कि वह बेली डांसर है- और वह भी एक लड़का होकर। कुछ सालों बाद, आज जब वही लड़का मंच पर आता है, तो तालियां बजाते हैं। लेकिन उसका मन अब भी उन रातों में लौट जाता है, जब उसे तरह-तरह के ताने मिले, पीटा गया और उसके कपड़े फाड़े गए। जो कि उसकी पहचान मिटाने कोशिश थी। आज जब वह लड़का नाचता है, तो केवल मनोरंजन के लिए नहीं, बल्कि अपने वजूद और अपनी पहचान के लिए भी। यही नहीं उसने एमबीए भी किया और डांसर होने के साथ-साथ इंफोसिस कंपनी में फाइनेंशियल एडवाइजर भी है। ब्लैकबोर्ड में इस बार पुरुष बेली डांसरों की स्याह कहानी। औरत कहकर इन डांसरों का मजाक उड़ाया गया। इनके साथ मारपीट की गई और इन्हें घर छोड़ना पड़ा। आज ये देश के चर्चित बेली डांसर हैं। मुंबई के रहने वाले राहुल गुप्ता इस समय हरियाणा के गुरुग्राम में रहते हैं। वह एक बेली डांसर हैं। यह डांस आमतौर पर महिलाएं करती हैं। इसमें डांसर्स अपनी कमर और पैरों की खास मूव करता है, जिससे दर्शक तालियां बजाने को मजबूर होते हैं। राहुल बताते हैं- ‘हां मैं बचपन से ही डांसर बनना चाहता था, लेकिन मुझे नहीं पता था कि बेली डांसर ही बनूंगा।' वह कहते हैं- ‘मैं जब पांच साल का था, तब कथक डांस शुरू किया। मेरी मां ने ही इसके लिए प्रेरित किया था। कथक सीखने के दौरान कई अलग-अलग डांस सीखे, लेकिन किसी में भी मजा नहीं आ रहा था। ऐसा महसूस होता कि मैं खुद से मिल नहीं पा रहा हूं। अपनी आत्मा नहीं ढूंढ़ पा रहा। मतलब डांस तो कर रहा था, लेकिन उससे दिल से कनेक्ट नहीं हो पा रहा था।’ ‘एक दिन टीवी पर पहली बार बेली डांस देखा। उसके बाद तो सब कुछ बदल गया। लगा कि इस डांस में कुछ अलग बात है। फिर इस डांस को आजमाना शुरू किया। इसको करते हुए ऐसा महसूस होता कि इसमें खास ग्रेस यानी खूबसूरती है। सच कहूं तो यही डांस मेरे अंदर की महिला वाली खूबसूरती को सामने लेकर आया। यह खूबसूरती और किसी डांस में नहीं आ पा रही थी।’ ‘लेकिन इसे सीखने के लिए मुझे कोई टीचर नहीं मिल रहा था। मैंने यूट्यूब और टीवी पर देख-देखकर इसे करना शुरू किया। इस दौरान मुझे एक टीचर मिल गए। उनके यहां एडमिशन लेने गया। मेरी मां भी साथ गईं। मैं खुशनसीब था कि मां साथ थीं। मां ने इस डांस को लेकर महिला-पुरुष की मानसिकता से ऊपर उठकर मेरा साथ दिया।’ राहुल आगे जोड़ते हैं- पापा को जब पता चला कि मैं बेली डांस करता हूं तो वो हैरान थे। उन्हें लगा कि लड़का होकर मैं लड़कियों की तरह कमर मटकाता हूं। हालांकि, अपने टीचर के पास मैंने लंबी ट्रेनिंग ली और एक प्रोफेशनल बेली डांसर बन गया। वह कहते हैं कि इस डांस की ट्रेनिंग दौरान लोग बहुत चिढ़ाते थे। कहते- तुम हिजड़े की तरह नाचते हो। 'गे', 'छक्का' हो। 'इम्पोस्टर' यानी 'बहुरूपिया' हो। तब उनसे कहता- आप लोग जिनका नाम ले रहे हों, क्या वे इंसान नहीं हैं? 'इस तरह मेरा बहुत मजाक उड़ाया जाता। कई बार तो ऐसा लगा कि जो कुछ कर रहा हूं वो पाप है। बहुत गंदा काम है। लोग मुझे स्वीकार ही नहीं कर रहे थे। एक बार तो मन बना लिया कि अब से बेली डांस नहीं करूंगा। कुछ दिन के लिए इसे बंद कर दिया। उस दौरान सोचा... अगर इसी तरह लोगों के कहने पर चीजों को छोड़ता रहा, तो अपनी जिंदगी में कुछ भी हासिल नहीं कर पाऊंगा। बहुत सोचने के बाद मैंने ठान लिया- अपनी पहचान से समझौता नहीं करूंगा।' उसके बाद इस डांस को फिर से शुरू किया। इसे एक प्रमाणिक आर्ट और इजिप्शियन यानि मिस्र के क्लासिक डांस के तौर पर देखने लगा। दरअसल, यह डांस कैबरे आर्ट फॉर्म- यानी संगीत, नृत्य, गीत, हास्य और थिएटर की मिली-जुली कला वाला डांस नहीं है। इसको कोई भी ट्राई कर सकता है। राहुल के इस सफर में एक किस्सा घटा। उसने उन्हें घर छोड़ने को मजबूर कर दिया। वह बताते हैं, 'एक बार मैंने एक रियलिटी शो में डांस किया। वहां पापा भी साथ गए थे। मेरे जान-पहचान के भी लोग थे। शो के बाद कुछ लोगों ने मेरे पापा से कहा- आप अपने बेटे से ये क्या करवा रहे हो। इस डांस को तो लड़कियां करती हैं। उस दिन पापा बहुत दुखी हुए थे। वह नाराज होकर घर लौट आए थे।' 'वो दिन मेरे लिए सबसे मुश्किल साबित हुआ। घर आया तो पापा ने मुझे बहुत डांटा और इस डांस को छोड़ने को कहा। बात इतनी बढ़ी कि उन्होंने मुझे मारा और घर से निकाल दिया। उस दिन चेहरे पर मायूसी लेकर घर से निकल गया। उस दिन ठान लिया कि किसी भी कीमत पर रुकूंगा नहीं। लोगों को एक अच्छा बेली डांसर बनकर दिखाऊंगा।’ राहुल कहते हैं कि उस वक्त मेरी मां ने कहा था- मैं जो कर रहा हूं, वो गलत नहीं है। हालांकि पापा को गलत नहीं मानता। उन्हें लगता था कि कुछ चीजें लड़कों के लिए बनीं हैं और कुछ लड़कियों के लिए। वह नहीं समझ रहे थे कि समय बदल गया है। आज अगर लड़कियां माइकल जैक्सन से प्रेरित हो सकती हैं, तो लड़के माधुरी दीक्षित की तरह डांस क्यों नहीं कर सकते? घर से निकाले जाने के बाद राहुल हरियाणा के गुरुग्राम में आकर रहने लगे। यहां जमकर बेली डांस की प्रैक्टिस की। वह कहते हैं कि यहां रहते हुए कई छात्र उनसे बेली डांस सीखने आने लगे। गुरुग्राम में अक्सर मंच पर प्रोग्राम करने जाता। लेकिन यहां भी सुकून नहीं था। लोगों ने तरह-तरह की गालियां दीं। वह कहते हैं, ‘गुरुग्राम जैसे शहर में, रास्ते से गुजरते वक्त कहते- देखो, छक्का जा रहा है। मुझे रां@#’, भां@#, नचनिया कहकर बुलाया। इस डांस की वजह से मुझे बहुत दिक्कतें झेलनी पड़ी। राहुल की आवाज में यह कहते हुए बड़ा दर्द था- ‘आखिर आज जब लड़कियां गाड़ी चलाती हैं या पायलट बनती हैं, तो उन्हें खूब सराहा जाता है। लेकिन अगर कोई लड़का शेफ बन जाए, डांसर बन जाए, डिजाइनर बन जाए तो उस पर तंज कसे जाते हैं। उसे 'गे', 'छक्का', 'हिजड़ा', 'मामू'- और न जाने क्या-क्या कहा जाता है।’ यही नहीं, जब मैंने अपने डांस के कुछ वीडियो सोशल मीडिया पर डाले, तो मुझे उम्मीद थी कि लोग सराहेंगे। लेकिन हुआ उल्टा। लोगों ने मेरा मजाक उड़ाया। कहा- 'तू मर्द के नाम पर कलंक है, मर क्यों नहीं जाता।' कुछ समय पहले सोशल मीडिया पर मेरा एक वीडियो वायरल हुआ। उसके बाद तो मेरा खाना-पीना और सोना हराम हो गया। लोग उस वीडियो की मीम बनाने लगे। उसमें वे मुझे गलत तरीके से दिखाते। 'मैं बहुत डर गया था। खुद को कमरे में बंद कर लिया। कई दिनों तक बाहर नहीं निकला। आस-पास रहने वाले लोगों से डर लगने लगा था। डिप्रेशन में चला गया। डेढ़ साल तक डिप्रेशन में रहा। कई बार लगा कि सुसाइड कर लूं।’ ‘आखिरकार मैं एक मनोचिकित्सक के पास गया। उन्होंने मेरी काउंसलिंग की। कहा कि अगर तुम्हें ठीक होना है, तो दोबारा डांस शुरू कर दो। ऐसा नाचो कि पीछे मुड़कर मत देखो। उस दिन तो मेरे जैसे नया जन्म हुआ था। उसके बाद फिर से अपने पैरों पर खड़ा हो पाया।’ यह कहते हुए उनकी आंखों में अब डर नहीं, चमक है। वो मुस्कुराते हैं। कहते हैं कि कला का औरत-मर्द से कोई लेना-देना नहीं। अगर लड़कियां आज मर्दों वाले काम कर सकती हैं, तो लड़के भी अपनी कमर की लचक से समाज की सोच हिला सकते हैं। आज तो मैं दूसरे देशों के लोगों को भी बेली डांस सिखा रहा हूं। वह कहते हैं- ‘मैं चाहता हूं कि जो मेरे साथ हुआ, वो किसी और के साथ न हो। अगर मेरी तरह कोई दिक्कत में हो तो, वो मुझसे मिल सकता है। मुझे उसकी मदद करके बहुत खुश मिलेगी।’ आखिर में कहूंगा- ‘मैंने बहुत संघर्ष किया है। नहीं चाहूंगा कि अगले जन्म में फिर से ‘राहुल द बेली डांसर’ बनूं। लेकिन इन 15 सालों में आज भारत के सबसे बेहतरीन बेली डांसरों में से एक बन गया हूं।’ राहुल की तरह अभिषेक भी एक बेली डांसर हैं। हिमाचल प्रदेश के रहने वाले अभिषेक इस समय महाराष्ट्र के पुणे में रहते हैं। वो बताते हैं कि 14-15 साल का था। कुछ महिलाओं सज-धज कर एक डांस कर रही थीं। उस डांस में हिप्स और कमर के मूवमेंट बहुत लुभावने थे। उनका डांस बहुत पसंद आया। इतना कि उसी पल तय कर लिया कि अब यही करूंगा, यही मेरी पहचान होगी। वह बेली डांस था। वह कहते हैं उससे पहले फ्रीस्टाइल और हाउस डांस करता था। लेकिन उस बेली डांस ने एक नई दिशा में खींच लिया। ‘अब मुझे लगता है कि इस डांस को मैंने नहीं, इसने मुझे चुना है। जब भी दरबुका म्यूजिक यानि मध्य-पूर्वी, तुर्की, मिस्री और अरबी की पारंपरिक ताल बजती है तो मेरी शरीर अपने आप उस धुन पर थिरकने लगती है।’ अभिषेक कहते हैं, उसके बाद मैंने इसकी ट्रेनिंग लेनी शुरू की। इसके लिए दिन-रात मेहनत किया। आज इस मुकाम पर पहुंच गया हूं कि अपनी मेहनत से खुश हूं। अभिषेक की आवाज अचानक धीमी पड़ जाती है। वह कुछ पल रुककर बताते हैं- ‘एक बार रात में घर से टहलने निकला। उस रात 8 लड़कों ने मुझे घेर लिया और पीटना शुरू कर दिया। उन्हें पता था कि मैं बेली डांसर हूं। उस दिन उन्होंने मेरे सारे कपड़े फाड़ दिए। वे लोग उस दिन मुझे लगभग एक किलोमीटर तक घसीट कर ले गए। उनसे रहम की भीख मांग रहा था, गिड़गिड़ा रहा था, लेकिन वो मेरी एक नहीं सुन रहे थे। उन्होंने मुझे निर्वस्त्र कर दिया। मेरा सेक्सुअल हैरेसमेंट किया। मुझे लात-घूंसे मारे और कहते रहे कि तुम जैसे लोग सोसाइटी के लिए गंदगी हो। वो हालत मेरे लिए बहुत ही खराब थी। जैसे-तैसे मैं उस दिन बचकर आया था।’ वह कहते हैं कि आखिर सोसाइटी ने नियम बनाकर रखा है। लोग तय करते हैं कि फलां काम लड़कों का है और फलां लड़कियों का। हमारे देश में तो रंग का भी जेंडर तय कर दिया गया है। जैसे- पिंक कलर को लड़कियों का कलर माना जाता है। अगर कोई लड़का पिंक कलर के कपड़े भी पहन ले तो उसका मजाक उड़ाया जाता है। वह अफसोस जाहिर करते हुए कहते हैं, ‘इस कला के लोग गलत नजरिये से देखते हैं। जब सीख रहा था तब मेरी जान-पहचान के लोग अक्सर मजाक बनाते। कहते- इस डांस को तो औरतें, मर्दों को रिझाने के लिए करती हैं।’ ‘इसी तरह आज जब इस डांस के वीडियो इंस्टाग्राम पर डालता हूं, तो लोग मेरे शरीर पर कमेंट करते हैं। कहते हैं- ‘तुम पर ये डांस सूट नहीं करता।’ 'तू बहुत मोटा, भद्दा लगता है।’ यह सब सुनते-सुनते एक समय ऐसा भी आया कि सोशल मीडिया पर वीडियो डालने में डर लगने लगा। कहीं भी परफॉर्म करने से पहले बहुत सोच-विचार करने लगा। वह कहते हैं कि आज उन लोगों की सोसाइटी में रहता हूं, जिन्होंने मेरी तरह नफरत झेली। उनके साथ रहते हुए अब अकेला नहीं महसूस करता। लगता है हम सभी एक ही जंग लड़ रहे हैं। खुद को स्वीकारने की जंग। अब हम मिलकर बेली डांस की वर्कशॉप करते हैं। अभिषेक मुस्कुराते हैं। कहते हैं- मैंने अपनी लड़ाई खुद लड़ी। अब मुझे डर नहीं लगता है। मैंने बेली डांस में इतनी मेहनत की है कि अब लोग मेरा डांस देखकर तालियां बजाते हैं। मैंने साथ में पढ़ाई भी जारी रखी। फाइनेंस में एमबीए किया और आज इंफोसिस कंपनी में फाइनेंशियल एडवाइजर हूं। साथ में यह डांस मेरा पैशन है। मैं इसे जिम्मेदारी से निभाता हूं। कोलकाता के रहने वाले 23 साल के तुषार रॉय की कहानी भी राहुल की तरह है। वो कहते हैं कि बचपन से ही मुझे डांस करना पसंद था। मैं जिस सोसाइटी में पला-बढ़ा, वहां बच्चों को शुरुआत से ही डॉक्टर या इंजीनियर बनने का दबाव था, लेकिन मेरा मन सिर्फ डांस में लगता था। जब भी कोई नया गाना आता तो उस पर डांस करता था। तुषार बताते हैं कि एक बार डांस रिहर्सल के दौरान उन्होंने बेली डांस के कुछ मूव करने की कोशिश की। वहां मौजूद कुछ लोगों ने मुझे रोक दिया। उन्होंने कहा कि यह डांस स्टेप तुम्हारे लिए नहीं, यह लड़कियों के लिए है। उनकी बातें बहुत बुरी लगीं और मेरे अंदर घर कर गईं, लेकिन बेली डांस के स्टेप्स को आजमाने लगा था। तुषार बेली डांस में मन लगने का किस्सा बताते हैं। वह कहते हैं- ‘जब मैंने 10वीं पास की, तो उस समय अभिनेत्री रानी मुखर्जी का एक गाना आया था ‘अगा बाई’, जिसकी शुरुआत वो बेली डांस से करती हैं। उनके स्टेप्स को सीखने लगा। कुछ लोगों के उनके स्टेप को कॉपी करके दिखाया तो वे मुझे देखकर हैरान रह गए। उन्होंने कहा कि तुमने बहुत शानदार बेली डांस किया है। उस दिन मुझे पहली बार लगा कि मैं कुछ अलग कर सकता हूं। मुझे बहुत अटेंशन मिलने लगा और तब से मैंने अपना पूरा फोकस बेली डांस पर लगा दिया। तुषार ने उसके बाद खुद को और बेहतर करने की ठानी। वह बताते हैं- मैंने टीचर ढूंढ़ा। उनसे ट्रेनिंग लेना शुरू किया और बेली डांस के सफर आगे बढ़ाता गया। अब तो यह मेरे लिए सिर्फ एक आर्ट नहीं, बल्कि मेरी जिंदगी बन गया है। जब भी मैं बेली डांस करता हूं, तो ऐसा लगता है जैसे मैं खुद को पा रहा हूं। अपनी एक अलग पहचान बनता पाता हूं। ‘मैं मानता हूं कि बेली डांसर बनने लिए औरत या मर्द मसला नहीं है, बस डांस के लिए जुनून होना चाहिए।’ तुषार बताते हैं कि लोगों ने मुझ पर गंदे कमेंट किए। मेरे कपड़ों पर कहते- ‘कुछ पहनने की जरूरत ही क्या है, सारे कपड़े उतार कर डांस कर।’ जब मैंने डांस के दौरान ब्रा पहननी शुरू की तो लोगों ने कहा- 'लड़की क्यों नहीं बन जाते', 'सेक्स चेंज करवा लो'। ये सब सुनकर पहले बहुत तकलीफ होती थी। वहीं, इस दौरान मेरे घर वाले हमेशा मेरे साथ खड़े रहे। यही मेरी सबसे बड़ी ताकत है। (नोट- बेली डांस मध्य-पूर्व एशिया का प्रमुख डांस है। यह अरब देशों का क्लासिकल डांस है। बॉलीवुड फिल्मों- ‘तीस मार खा’ में- ‘शीला की जवानी’, एक था टाइगर में- माशाअल्ला और दिलबर..दिलबर गाने पर अभिनेत्री व डांसर नोरा फतेही ने इस डांस को किया है।) ------------------------------------------ 1- ब्लैकबोर्ड-बेटी ने मारा तो घर छोड़ा:बस के नीचे मरने पहुंचे, भाई ने फर्जी साइन से पैसे हड़पे, वृद्धाश्रम में रोज सुबह सोचते हैं- कोई लेने आएगा मेरे बच्चे नहीं हैं। पत्नी की मौत के बाद अकेला हो गया था। मुझे आंख से दिखाई नहीं देता। एक रिश्तेदार के यहां रहने चला गया। वहां बहुत जलील हुआ तो एक दूसरे रिश्तेदार के यहां रहने पहुंचा, लेकिन उन्होंने अपने यहां रखने से साफ मना करा दिया। उस दिन मन में विचार आया कि सब खत्म कर दूं। सोचा कि यमुना में कूद जाऊं। फिर मरने के लिए एक बस डिपो पर गया। पूरी स्टोरी यहां पढ़ें 2- ब्लैकबोर्ड-पत्नी को लोग कोठेवाली समझते हैं:जीबी रोड का पता देख बच्चों को एडमिशन नहीं मिलता; दोस्त कहते हैं चलो तुम्हारे घर मौज करते हैं हलचल भरी दिल्ली में शाम ढलने लगी थी। मैं शहर के जीबी रोड पहुंची। इसे रेड लाइट एरिया भी कहा जाता है। यह इलाका सेक्स वर्क के लिए बदनाम है। दूर से ही सेक्स वर्कर्स के कोठे नजर आ रहे थे, जिनकी खिड़कियों से सजी-संवरी महिलाएं झांक रही थीं। एक-एक करके ग्राहक बाहर बनी सीढ़ियों से उन कोठों पर जा रहे थे। पूरी स्टोरी यहां पढ़ें

दैनिक भास्कर 13 Nov 2025 5:54 am

भारत–पाक बॉर्डर पर निगरानी आधी हुई:जहां 30 जवान थे, अब आधे भी नहीं; बॉर्डर की आंखों देखी

भारत-पाक बॉर्डर पर जवानों की संख्या आधी रह गई है। जिन बॉर्डर आउट पोस्ट, यानी BOP पर 30 से 40 जवान पहरेदारी करते थे, वो अभी 10 से 12 पर पहुंच गया हैं। पेट्रोलिंग की फ्रीक्वेंसी भी पहले से आधी रह गई है। जवान कम होने से निगरानी का इलाका बढ़ गया है। पहले जहां दो जवान 500 से 600 मीटर का एरिया देखते थे, वो अब डेढ़ से दो किमी हो गया है। इससे घुसपैठ का खतरा बढ़ गया है। मैं भारत-पाक बॉर्डर के राजस्थान से साझा होने वाले हिस्से में हूं। शाम के 4 बजे हैं। यहां आकर पता चला कि BSF की 375 कंपनियां बिहार चुनाव में भेजी गई हैं। बॉर्डर पर जवानों की संख्या कम होने की बड़ी वजह यही है। अक्टूबर के पहले हफ्ते से जवानों का मोबलाइजेशन शुरू हुआ था। वापसी नवंबर के तीसरे हफ्ते तक होगी। जहां 500 जवान होते थे, वहां से 360 हट गए BSF की स्ट्रेंथ को ऐसे समझिए-कुल जवान- 2.65 लाख, ये जवान 193 बटालियन में बंटे हैं। एक बटालियन में 7 कंपनियां होती हैं। इस तरह BSF में करीब 1351 कंपनियां हुईं। हर 7 में से 1 कंपनी मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स, यानी MHA, यानी गृह मंत्रालय के लिए रिजर्व होती है। ऐसे में हर बटालियन से 6 कंपनियों पर ही बॉर्डर संभालने की जिम्मेदारी होती है। इन्हीं में से 375 कंपनियों को चुनावी ड्यूटी के लिए भेजा गया है। एक कंपनी 2 से 3 BOP संभालती है। इसी तरह 6 कंपनियां 16 से 18 BOP संभालती हैं। एक कंपनी में एवरेज 80 का मैदानी मैनपावर होता है, यानी 6 कंपनियों में 500 का मैनपावर हुआ। 6 में से कहीं से 3 तो कहीं से 4 कंपनियां हटाई गई हैं। यानी 500 में से 360 के आसपास जवान हट गए हैं। क्योंकि ये भी नियम है कि जब कोई कंपनी बाहर मोबलाइज करेगी तो कम से कम उसमें 90 जवान होना ही चाहिए। इसे और बारीकी से समझते हैं। BSF की एक बटालियन में औसत 1100 का मैनपावर है। 25 फीसदी छुट्‌टी वालो जवानों को हटा दें तो 825 मैनपावर बचा। इसमें 360 इलेक्शन वाले हटा दें तो 465 जवान बचे। करीब 10 फीसदी बीमारी वाले निकल जाएंगे, ऐसे करीब 400 जवान बचे। इनमें 50 से 60 अटैचमेंट पर होते हैं, कुछ दिल्ली में, कुछ कमांड, सेक्टर या फ्रंटियर में अटैच हैं। इसके बाद करीब 350 जवान बचे। अब इन 350 जवानों को बॉर्डर और बटालियन का हेडक्वार्टर दोनों चलाना है। इसमें 50 से 60 ड्राइवर होंगे। 35 से 40 क्लेरिकल स्टाफ, कम्युनिकेशन सिग्नल वाले, कैमल हैंडलर, सीएमएचओ, कुक हैं। इन सबको हटा दें तो बॉर्डर के लिए करीब 200 जवान बचेंगे। अब इन 200 जवानों को 16 से 18 BOP संभालना है। यानी BOP पर एवरेज 10 से 12 जवान रह गए। ये भी दो शिफ्ट में काम करेंगे। यानी एक शिफ्ट में हर दो से तीन BOP पर 6 से 8 जवान ही सुरक्षा के लिए बचे। एक कंपनी में 140 जवान होना चाहिए। लेकिन छुटि्टयों, ट्रेनिंग कोर्स, टेंपरेरी ड्यूटी, मेडिकल लीव को हटा दें तो एक बार में 80 से 90 जवान ही मैदान में होते हैं। 375 कंपनियों के बिहार जाने का मतलब है कि, BSF की 193 बटालियन में से करीब 53 बटालियन चुनावी ड्यूटी में लगी हैं। यानी बॉर्डर की सुरक्षा में लगे करीब 34 हजार जवान इलेक्शन में ड्यूटी कर रहे हैं। नक्सल और कश्मीर से जवान नहीं हटाए जा सकते कुछ जगहों से जवानों को नहीं हटाया जाता। जैसे, एंटी नक्सल ऑपरेशन यानी NO। इसमें दो फ्रंटियर हैं, करीब 16 बटालियन हैं, 112 कंपनी हैं, इन्हें हटाया नहीं जाता। इसी तरह कश्मीर में BSF की करीब 15 बटालियन हैं, जो भारतीय सेना के साथ मिलकर काम करती हैं, यहां से भी जवान हटाए नहीं जाते। करीब 3 बटालियन दिल्ली में हैं, जो VVIP की सुरक्षा और दूसरे कामों के लिए नियुक्त हैं, इन्हें भी नहीं हटाया जाता। इन सबको मिला लें तो करीब 35 बटालियन ऐसी हैं, जिनका मैनपावर कहीं नहीं जाता। इसके अलावा ट्रेनिंग सेंटर, सेक्टर, फ्रंटियर, आईजी, डीआईजी हेडक्वार्टर वाला मैनपावर भी नहीं हटाया जाता। BSF के एक अफसर कहते हैं, ‘जवान सिर्फ बॉर्डर वाले हटाए जाते हैं।’ 25 फीसदी जवान छुट्‌टी पर होते हैं। नियम है कि, कम से कम 25 फीसदी जवान छुट्‌टी पर रहना चाहिए ताकि सभी को छुटि्टयां मिल सकें। एक जवान को एक साल में ढाई से तीन महीने की छुट्‌टी दी जाती है। कुछ डिफिशिएंसी चल रही है, यानी जितने पद खाली हुए, उसके अगेंस्ट में अभी भर्ती नहीं हुई है, या चल रही है। करीब 10 फीसदी जवान मेडिकल लीव पर होते हैं। बिहार इलेक्शन में BSF का करीब 30 फीसदी मैनपावर लगा है। 15 से 20 फीसदी मैनपावर अलग–अलग ड्यूटीज में कमिटेड है। 25 फीसदी जवान छुटि्टयों पर होते हैं। करीब 10 फीसदी लो मेडिकल कैटेगरी यानी MLC वाले होते हैं। यानी बॉर्डर की सिक्योरिटी के लिए अभी 25 से 30 फीसदी मैनपावर ही है। अब चलिए बॉर्डर पर… शाम के 5 बज रहे हैं। बॉर्डर आउट पोस्ट यानी BOP से जवान बॉर्डर पर जाने की तैयारी कर रहे हैं। बॉर्डर पर जाने से पहले जवान कम से कम आधा घंटे BOP में साफ–सफाई और दूसरे मेंटेनेन्स से जुड़े काम करते हैं। बॉर्डर पर पहुंचने के बाद गश्त शुरू हो जाती है। कुछ जवान पैदल गश्त कर रहे हैं। कुछ व्हीकल पेट्रोलिंग कर रहे हैं तो कोई ऊंट पर भी सवार है। वॉच टॉवर के ऊपर एक जवान खड़ा है। हाथ में दूरबीन है, जो आंखों से सटा हुआ है। रात हो चुकी है, इसलिए बड़े–बड़े पोल्स पर लगे फ्लड लाइट्स ऑन हो चुके हैं। इनका मुंह पाकिस्तान की तरफ है, ताकि वहां से कोई भी मूवमेंट हो तो साफ नजर आ सके। एक जवान ने कहा कि, ‘हमने तो फेंसिंग लगाई है, लाइट्स भी हैं, लेकिन पाकिस्तान ने कुछ इंतजाम नहीं किया। फेंसिंग तक नहीं लगाई। उनके जवान पहरा भी नहीं देते क्योंकि उन्हें पता है कि, भारत से तो कोई घुसपैठ होना नहीं है। वो बेफिक्र हैं, और हमारी निगाहें 24 घंटे उन पर टिकी रहती हैं।’ हर रोज फुटप्रिंट्स की जांच की जाती है एक अफसर कहते हैं, ‘बॉर्डर पर हम रोजाना पैरों के निशान यानी फुटप्रिंट्स और अन्य रिकॉर्ड्स की जांच करते हैं इससे पता चलता है कि उस पार से कोई इंसान या जानवर हमारे एरिया में तो नहीं आया। रात में तारों में करंट भी छोड़ते हैं।’ खैर, जो जवान अभी गश्त कर रहे हैं, वे रात 12 बजे तक बॉर्डर रहेंगे। फिर दूसरी शिफ्ट वाले जवान आएंगे जो सुबह 6 बजे तक रहेंगे, और उनके जान के बाद यही जवान फिर बॉर्डर पर आ जाएंगे। इसी तरीके से 24 घंटे निगरानी चलती रहती है। BSF में एक जवान को एक दिन में 2 शिफ्ट करनी होती है। यदि सुबह 6 बजे वाली शिफ्ट में कोई जवान जाता है तो उसकी शिफ्ट दोपहर 12 बजे खत्म होती है। कैंप में आते-आते 12.30 बज जाते हैं। फिर जवान नहाने, कपड़े साफ करने, कैंप मेंटेनेन्स करने जैसे छोटे-मोटे काम करते हैं। इसके बाद लंच करते हैं और सोते-सोते 2.30 बज जाते हैं। शाम को 6 बजे से फिर दूसरी शिफ्ट पर जाना होता है इसलिए 5 बजे तक उठ जाते हैं और तैयार होकर बॉर्डर पर चले जाते हैं। फिर रात में 12 बजे शिफ्ट ओवर होती है। आते-आते 12.30 बज जाते हैं। रात में फिर एक-डेढ़ घंटा डेली रूटीन एक्टिविटी में लगता है। इस तरह सोना 2 बजे तक हो पाता है और सुबह 5 बजे फिर उठना पड़ता है। ऐसे में जवानों की दोनों शिफ्ट में मिलने वाले गैप को मिलाकर भी 6 घंटे की नींद बमुश्किल हो पाती है। भारत–पाक बॉर्डर पर निगरानी होती कैसे है 3323 किमी लंबी भारत–पाक बॉर्डर की सुरक्षा की मुख्य जिम्मेदारी बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स यानी BSF की है। मोटेतौर पर BSF चार तरीकों ह्युमन सिक्योरिटी यानी हथियार लैस जवान, फिजिकल बैरियर्स जैसे कंटीले तारों की बाड़, टेक्नोलॉजिकल सर्विलांस जैसे सेंसर, कैमरा, ड्रोन और इंटेलीजेंस कोर्डिनेशन जैसे, एजेंसी के बीच शेयरिंग से बॉर्डर की सुरक्षा करता है। इनमें सबसे अहम हथियार लैस जवानों की गश्त होती है। जवान 24 घंटे बॉर्डर पर पहरा देते हैं। यही घुसपैठ रोकते हैं। यही तस्करी रोकते हैं। यही बॉर्डर के पास होने वाले क्राइम को रोकते हैं। BSF में 6 से 12 और 12 से 6 की शिफ्ट लगती है। यानी जवानों को सुबह 6 से दोपहर के 12 बजे तक, दोपहर 12 से शाम के 6 बजे तक, शाम 6 से रात 12 बजे तक और रात 12 से सुबह 6 बजे तक बॉर्डर पर ड्यूटी करनी होती है। एक जवान की एक दिन में दो शिफ्ट लगती हैं। शिफ्ट के दौरान जवान एक BOP से दूसरी BOP के बीच पहरेदारी करते हैं। कहीं यह दूरी 2 से 3 किमी होती है। कहीं 3 से 5 किमी तक होती है। संवेदनशील इलाकों में दूरी कम है, जहां रिस्क ज्यादा नहीं है, वहां दूरी ज्यादा है। जवान कम होने से निगरानी का एरिया दोगुना होता है BSF के रिटायर्ड एडिशनल डीजी एसके सूद कहते हैं, ‘BSF के जवान मणिपुर, कश्मीर और माओवादी इलाकों में भी तैनात हैं, जहां से उन्हें हटाया नहीं जा सकता।’ ‘ऐसे में चुनाव के लिए बची हुई कंपनियों में से ही कुछ को भेजा जाता है। इससे सिक्योरिटी कमजोर होती है। क्योंकि लंबे समय के लिए जवान सीमा से दूर हो जाते हैं। वहीं जो मौजूदा जवान होते हैं, उन पर एक्स्ट्रा बर्डन आता है। जवान पहले ही 12 से 14 घंटे की ड्यूटी कर रहे हैं।’ सूद के मुताबिक, ‘जवान कम होने से जो जवान पहले 10 किमी को देख रहा होगा, अब उसे 20 किमी का एरिया कवर करना होगा। ऐसे में जवान का फिजिकल, मेंटल स्ट्रेस तो बढ़ेगा ही साथ ही निगरानी कमजोर होना लाजिमी है, क्योंकि गश्त की फ्रिक्वेंसी कम होगी।’ वे कहते हैं, ‘1999 के बाद करगिल रिव्यू कमेटी ने कहा था वन फोर्स एक टास्क। यानी जो जवान बॉर्डर पर ड्यूटी कर रहे हैं, वो वही करेंगे। जो अंदरूनी काम में है, वो वहीं देखेंगे। लेकिन कमेटी की सिफारिशें आज तक लागू नहीं हो पाईं।’ कुछ कंपनियां भी कम हो जाएं तो पूरे एरिया पर असर BSF के रिटायर्ड आईजी बीएन शर्मा कहते हैं, ‘बॉर्डर से कुछ कंपनियों को भी निकाला जाए तो उसका असर पूरे एरिया में पड़ता है। बॉर्डर से मिनिमम रिक्वायरमेंट किसी भी हाल में कम नहीं होना चाहिए।’ ‘इलेक्शन में जहां हाइपर सेंसेटिव एरिया हैं, वहां जवानों को भेजा जा सकता है, लेकिन हर जगह ही BSF को लगा दिया जाएगा तो बॉर्डर कौन संभालेगा। BSF की पहली ड्यूटी सीमा सुरक्षा है।’ जून में एक पाकिस्तानी युवक–युवती अंदर घुस आए थे इसी साल जून में राजस्थान के जैसलमेर में एक पाकिस्तानी युवक–युवती बॉर्डर क्रॉस कर भारत में घुस आए थे। भेड़–बकरी पालने वालों ने इनकी लाश देखकर तनोट पुलिस को सूचना दी थी। दोनों भारतीय सीमा में करीब 15 किमी अंदर तक घुस आए थे। दोनों के पास से पाकिस्तानी पहचान पत्र मिले। बाद में पता चला कि, प्यास और डिहाइड्रेशन के चलते दोनों की मौत हुई। इस घटना के बाद बॉर्डर की सुरक्षा पर सवाल खड़े हुए थे। हम उन गांव वालों से मिले, जिन्होंने दोनों पाकिस्तानियों की लाश देखकर पुलिस को सूचना दी थी। भेड़–बकरी पालने वाले पर्वत सिंह ने बताया कि, हम बॉर्डर के नजदीक तक भेड़ें लेकर जाते हैं। हमारे ही एक साथी ने दोनों लाशें देखी थीं। पर्वत सिंह कहते हैं, बाद में पुलिस–BSF सब ने हमसे पूछताछ की। लेकिन वे अंदर कैसे आए ये किसी को पता नहीं चला। बॉर्डर के नीचे से सुरंग करके आए होंगे या ऊपर कई बार रेत आ जाती है, उसे पार करके आए होंगे। इसी गांव में रहने वाले भगवानदास कहते हैं, जब बाड़ नहीं लगी थी तब पाकिस्तानी हथियार लेकर गांव में घुस जाते थे और हमारे मवेशी ले जाते थे। वे कई लोग एकसाथ आते थे, लेकिन जब से बाड़ लगी है, तब से कम से कम जैसलमेर में तो घुसपैठ नहीं होती। कई सालों बाद पाकिस्तानी युवक–युवती कैसे घुस आए ये पता नहीं। BSF में 10 हजार वैकेंसी : पिछले साल गृह मंत्रालय में राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने एक सवाल के जवाब में बताया था कि, BSF में 10 हजार 145 वैकेंसी हैं। वहीं पिछले 5 साल में 7372 नई पोस्ट क्रिएट की गई हैं। उन्होंने जानकारी दी थी कि, बीते 5 सालों में 54 हजार 760 पर्सनेल BSF में रिक्रूट किए गए हैं। हमने इस मामले में मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स के बॉर्डर मैनेजमेंट डिवीजन में सेक्रेटरी डॉ राजेंद्र कुमार से बात करने की कोशिश की, लेकिन बात नहीं हो पाई। हमने उन्हें सवाल आधिकारिक वेबसाइट पर ईमेल किए हैं। मिनिस्ट्री से जैसे ही रिप्लाई आएगा, खबर में अपडेट किया जाएगा। नोट : सुरक्षा के नजरिए से इस खबर में लोकेशन, BOP के नाम, जवानों के चेहरे उजागर नहीं किए जा रहे। ................................................. आप ये इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट भी पढ़ सकते हैं विदेशी लड़कियों को हाथ–पैर बांध, पीटकर बना रहे सेक्स वर्कर:बॉस के चंगुल में फंसाते हैं; उज्बेक, तुर्कमेनिस्तान की लड़कियां टारगेट पर ‘मैं उज्बेकिस्तान की रहने वाली हूं। नौकरी की तलाश में थी। इंस्टाग्राम पर एक लड़की से दोस्ती हुई। उसने दुबई आने को कहा। बोली– एक गर्भवती महिला है, उसके बच्चे को संभालने का काम है।’ ‘मैं उस पर यकीन कर दुबई पहुंची। फिर कहा गया कि, आपको किसी दूसरे शहर में रहना होगा। यह बोलकर मुझे नेपाल ले गए। फिर एक आदमी नेपाल से भारत ले आया।’ पूरी खबर पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें...।

दैनिक भास्कर 13 Nov 2025 5:49 am

एग्जिट पोल में NDA को बहुमत, क्या नीतीश होंगे CM:5 में से 4 पैरामीटर फेवर में, पोस्टर भी लग गए; पर बढ़ी हुई वोटिंग ने बढ़ाई चिंता

बिहार चुनाव से जुड़े 2 बड़े अपडेट हैं। पहला- इस बार आजादी के बाद सबसे ज्यादा 66.9% वोटिंग हुई है। यानी पिछले चुनाव से करीब 9.6% ज्यादा। दूसरा- 17 एग्जिट पोल में NDA मजबूती के साथ सरकार बना रही है। सिर्फ 2 एग्जिट पोल महागठबंधन के फेवर में हैं। इन दोनों सिनेरियो में सरकार किसकी बन रही और मुख्यमंत्री कौन बनने जा रहा है? हमने 5 अलग-अलग पैरामीटर पर इसका एनालिसिस किया। पता चला कि 4 पैरामीटर्स NDA के फेवर में हैं और नीतीश मुख्यमंत्री बने रहेंगे। चलिए अब एक-एक करके पांचों पैरामीटर जान लेते हैं… 1. पोल ऑफ पोल्स : 17 एजेंसियों के सर्वे में NDA सरकार 17 एजेंसियों के एग्जिट पोल ऑफ पोल्स में NDA को साफ बहुमत मिल रहा है। कुल 243 सीटों में से NDA को 154 और महागठबंधन को 83 सीटें मिलने का अनुमान है। अन्य के खाते में 5 सीटें जा सकती हैं। गठबंधन के हिसाब से बीजेपी को सबसे ज्यादा 75, जदयू को 67 और 12 सीटें बाकी सहयोगियों को। महागठबंधन में राजद को 58, कांग्रेस को 13 और अन्य को 12 सीटें मिल सकती हैं। यानी, NDA की सरकार बन रही और बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी। अब सवाल है कि मुख्यमंत्री कौन होगा…. दरअसल, 16 अक्टूबर को अमित शाह ने एक इंटरव्यू में कहा कि चुनाव बाद विधायक दल तय करेगा कि कौन अगला मुख्यमंत्री होगा? इससे पहले उन्होंने जून 2025 में भी कहा था- ‘चुनाव बाद NDA के विधायक दल की बैठक होगी, उसमें तय हो जाएगा कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा।’ शाह के इस बयान के बाद सियासी गलियारों में चर्चा होने लगी कि बीजेपी बहुमत मिलने पर नीतीश को मुख्यमंत्री नहीं बनाएगी। विपक्ष ने भी इसे मुद्दा बनाया। इसके बाद डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी, केंद्रीय राज्य मंत्री नित्यानंद राय और सांसद राजीव प्रताप रुड़ी जैसे कई नेताओं ने साफ किया कि नीतीश ही सीएम बनेंगे। आखिरकार 1 नवंबर को गृहमंत्री ने भी साफ कर दिया कि नीतीश ही सीएम होंगे। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा-‘इसमें कोई कन्फ्यूजन नहीं है। मैं फिर से एक बार स्पष्ट करता हूं कि नीतीश ही मुख्यमंत्री हैं और चुनाव जीतने के बाद भी वही रहेंगे।’ आंकड़े भी नीतीश के ही साथ हैं। नीतीश के बिना बीजेपी बाकी सहयोगियों के साथ मिलकर भी 75+12=87 तक ही पहुंच पा रही। जबकि सरकार बनाने के लिए कम से कम 122 विधायक चाहिए। यानी एनडीए की सरकार आती है, तो नीतीश का सीएम बनना तय है। निष्कर्ष : नीतीश का सीएम बनना तय 2. भास्कर रिपोर्टर्स पोल : 145-160 सीटों के साथ फिर से NDA सरकार दैनिक भास्कर ने बिहार चुनाव में 400 से ज्यादा रिपोर्टरों को ग्राउंड से मिले इनपुट, 5 सीनियर जर्नलिस्ट, 4 पॉलिटिकल एक्सपर्ट और 2 सेफोलॉजिस्ट से डिस्कशन और पॉलिटिकल पार्टियों के इंटरनल सर्वे से मिले इनपुट के आधार पर सर्वे रिजल्ट तैयार किया है। भास्कर रिपोर्टर्स पोल के मुताबिक NDA को 145-160, महागठबंधन को 73-91 और अन्य को 5-10 सीटें मिल सकती हैं। गठबंधन के हिसाब से देखें तो NDA में बीजेपी को 72-82, जदयू को 59-68 और अन्य को 10-12 सीटें मिल सकती हैं। वहीं, महागठबंधन में राजद को 51-63, कांग्रेस को 12-15 अन्य को 10-13 सीटें मिल सकती हैं। NDA की सरकार बनी, तो मुख्यमंत्री कौन होगा…. भास्कर रिपोर्टर्स पोल के मुताबिक भी आंकड़े नीतीश के साथ ही हैं। नीतीश के बिना NDA अधिकतम 94 सीटें मिल सकती हैं। यानी बहुमत के लिए जरूरी आंकड़े से 28 कम। निष्कर्ष : नीतीश का सीएम बनना तय 3. वोटर टर्नआउट : 5% से ज्यादा वोटिंग घटने-बढ़ने पर बदलाव, अबकी बार 10% ज्यादा आजादी के बाद के 16 विधानसभा चुनाव के वोटिंग पैटर्न को देखें, तो बिहार में जब भी 5% से ज्यादा मतदान बढ़ा या घटा है, तब-तब सरकार बदली है। अब तक ऐसा 4 बार हो चुका है। इसमें से 3 बार 5% से ज्यादा वोट बढ़ने पर बदलाव हुआ है और एक बार 16% कम वोटिंग होने पर। इस बार के चुनाव में रिकार्ड 66.9% वोटिंग हुई है, जो 2020 की तुलना में 9.61% ज्यादा है। यानी अगर वोटिंग बढ़ने-घटने का पुराना रिकॉर्ड कायम रहा, तो नीतीश सरकार बदल सकती है। इससे जुड़ा एक और आंकड़ा भी है। दरअसल, 2025 से पहले बिहार में अब तक सिर्फ तीन बार 60% से ज्यादा वोटिंग हुई है और तीनों बार राजद सरकार बनी है या वापसी हुई है। अब ये ग्राफिक देखिए... निष्कर्ष : नीतीश मुख्यमंत्री नहीं बन रहे। 4. माहौल और पोस्टर : नीतीश को CM बनाने वाले पोस्टर लगे, तेजस्वी का दावा- 18 को शपथ लूंगा पहले फेज की वोटिंग के बाद पटना में कम से कम दो जगह नीतीश के समर्थन में पोस्टर लगे। जिस पर लिखा था- ‘25 से 30 फिर से नीतीश।’ ये पोस्टर जदयू की तरफ से लगवा गया था। हालांकि, बाद में चुनाव आयोग ने इसे हटवा दिया। जानकार इस पोस्टर को प्रेशर पॉलिटिक्स का संकेत मानते हैं। मतलब ये कि जदयू और नीतीश ने एनडीए के भीतर खास करके बीजेपी को यह मैसेज दिया है कि सरकार बनी तो नीतीश ही सीएम होंगे। हाल ही में बीजेपी दफ्तर में लगे पोस्टरों ने भी सबका ध्यान खींचा। जिस पर मोदी और नीतीश की तस्वीर के साथ लिखा था- ‘सोच दमदार, काम असरदार, फिर एक बार NDA सरकार।’ कहा जा रहा है कि पहली बार बीजेपी के दफ्तर में नीतीश की तस्वीर लगी है। इधर, भाजपा कार्यकर्ता पटना में 500 किलो लड्डू बना रहे हैं। कार्यकर्ताओं का कहना है कि NDA की सरकार बनेगी। धीरे-धीरे भाजपा कार्यालय में नेताओं और कार्यकर्ताओं के जुटने का सिलसिला भी शुरू हो गया है। तेजस्वी खेमे में कोई हलचल नहीं 12 नवंबर को महागठबंधन के CM पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा- ‘नीतीश सरकार जा रही है। हमारी सरकार आ रही है। 18 नवंबर को मैं मुख्यमंत्री पद की शपथ लूंगा।’ हालांकि, एग्जिट पोल के बाद RJD दफ्तर में कोई चहल-पहल नहीं दिख रही। कांग्रेस और मुकेश सहनी की पार्टी में भी कोई हलचल नहीं है। निष्कर्ष : NDA सरकार बना सकती है, सीएम नीतीश ही होंगे 5. सट्टा बाजार : NDA को 140 से ज्यादा सीट, बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी दिल्ली सट्टा बाजार के मुताबिक NDA को 142-45 और महागठबंधन को 88-91 सीटें मिल सकती हैं। NDA में बीजेपी को 69-71 और जदयू को 59-61 सीट मिल सकती हैं। जबकि राजद को 67-69 सीटें। फलोदी सट्टा बाजार के मुताबिक NDA को 145-148 और महागठबंधन को 86-89 सीटें मिल सकती हैं। बीजेपी को सबसे ज्यादा 70-72, जदयू को 57-59 और राजद को 66 से 68 सीटें मिल रही हैं। मुंबई सट्टा बाजार का आंकड़ा भी NDA के फेवर में है। उसके मुताबिक NDA को 147-150 और महागठबंधन को 86-89 सीटें मिल सकती हैं। इसमें बीजेपी को 70 और जदयू को 62 सीटें मिल रहीं। इस तरह तीनों NDA की सरकार बनने का दावा कर रहे हैं। तीनों के आंकड़ों में बीजेपी को अधिकतम 72 सीटें मिल रहीं और जदयू को 62 सीट। यानी सरकार बनाने के लिए जरूरी आंकड़े तक पहुंचने के लिए बीजेपी को नीतीश का साथ चाहिए ही होगा। निष्कर्ष : NDA को साफ बहुमत, नीतीश मुख्यमंत्री बन सकते हैं।

दैनिक भास्कर 13 Nov 2025 5:09 am

ट्रंप को तगड़ा झटका, जिन्हें घुसपैठिये बताकर कराया था गिरफ्तार, कोर्ट ने दिया उन 615 लोगों को रिहा करने का आदेश

Immigrants in US: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप घुसपैठियों के मुद्दों को लेकर अक्सर मुखर और कार्रवाई के मूड में रहते हैं, लेकिन अब उनके प्रशासन को एक जिला अदालत से तगड़ा झटका लगा है.

ज़ी न्यूज़ 13 Nov 2025 4:06 am

टेरर मॉड्यूल से कैसे जुड़ा डॉ. निसार का नाम:आतंकी कनेक्शन में नौकरी गई, दिल्ली ब्लास्ट के बाद से गायब; पत्नी बोली- NIA की कस्टडी में

फरीदाबाद और कश्मीर के डॉक्टर टेरर मॉड्यूल से अब एक नाम और जुड़ रहा है। वो है डॉ. निसार उल हसन का। फरीदाबाद की अल-फलाह मेडिकल यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर डॉ. निसार दिल्ली कार ब्लास्ट के बाद से गायब है। ऐसे में जांच एजेंसियों को शक है कि वो भी आतंकी नेटवर्क से जुड़ा हुआ है और गिरफ्तारी के डर से फरार है। हालांकि डॉ. निसार का परिवार फरार होने की बात खारिज कर रहा है। पत्नी डॉ. सुरइया का कहना है कि निसार के बारे में गलत खबरें फैलाई जा रही हैं। उनका ये भी दावा है कि NIA ने यूनिवर्सिटी के बाकी फैकल्टी और स्टाफ की तरह निसार को भी कस्टडी में ले रखा है और पूछताछ कर रही है। डॉ. निसार श्रीनगर के श्री महाराजा हरि सिंह मेडिकल कॉलेज में मेडिसिन का असिस्टेंट प्रोफेसर था। उसे 2023 में आतंकियों से कथित कनेक्शन के आधार पर सरकारी नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था। इस आरोप के बावजूद 2024 में फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी ने उसे प्रोफेसर के तौर पर काम दिया। इधर, दिल्ली बम ब्लास्ट और डॉक्टर टेरर मॉड्यूल से जुड़े डॉ. मुजम्मिल के फोन की जांच के बाद कई बड़े खुलासे हुए हैं। सोर्स के मुताबिक, इस टेरर मॉड्यूल का पहला बड़ा टारगेट इस साल दिवाली पर किसी बड़ा घटना को अंजाम देने का था। हालांकि कामयाबी नहीं मिली। डॉ. मुजम्मिल ने सिर्फ लालकिला ही नहीं कई और जगहों की भी रेकी की थी। दिल्ली कार ब्लास्ट केस में अब तक यूपी, कश्मीर और हरियाणा से 6 डॉक्टर अरेस्ट किए गए हैं। अब पुलिस को डॉ निसार की तलाश है। दैनिक भास्कर ने डॉ निसार का बैकग्राउंड खंगाला और उसके परिवार के दावे जाने। साथ ही डॉ. मुजम्मिल और कश्मीर में अरेस्ट हुए डॉ. तजामुल अहमद को लेकर अब तक क्या जानकारी सामने आई है, वो भी जाना। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… सबसे पहले डॉ. निसार के बारे में जानिए15 साल श्रीनगर के मेडिकल कॉलेज में तैनात रहाडॉ. निसार उल हसन कश्मीर में बारामूला के सोपोर का रहने वाला है। वो करीब 15 साल तक श्रीनगर के श्री महाराजा हरि सिंह मेडिकल कॉलेज में मेडिसिन विभाग में तैनात रहा। कश्मीर डॉक्टर एसोसिएशन से जुड़े एक सीनियर डॉक्टर ने बताया, ‘निसार की गिनती अच्छे डॉक्टरों में रही है। काफी समय तक वो डॉक्टर एसोसिएशन का प्रेसिडेंट भी रहा। 2023 में आतंकियों के साथ संदिग्ध गतिविधियों की जानकारी मिलने के बाद उसे नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था।‘ ‘डॉ. निसार के बारे में बोला गया था कि डॉक्टर होकर वो आतंकवादी विचारधारा को बढ़ावा दे रहा है। इसके अलावा आतंकियों की मदद करने का भी आरोप लगा था।‘ 21 नवंबर 2023 को जम्मू कश्मीर सरकार ने उसे हटाने का नोटिस जारी किया था। इसके बाद डॉ निसार को 2024 में फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी के मेडिसिन विभाग में नियुक्ति मिल गई। सोर्सेज के मुताबिक, जांच एजेंसियों को शक है कि डॉ. निसार को पहले से डॉक्टर टेरर नेटवर्क की पूरी जानकारी थी। वो पहले भी इस नेटवर्क का हिस्सा था। 2023 में जम्मू-कश्मीर सरकार ने जब उसे बर्खास्त किया था, तभी से वो डॉ. उमर, डॉ. आदिल और डॉ. मुजम्मिल से संपर्क में था। पत्नी बोलीं- फरार नहीं, NIA की हिरासत में डॉ निसारदिल्ली बम ब्लास्ट के बाद से डॉ. निसार गायब है। जांच एजेंसियों को शक है कि वो भी डॉक्टर टेरर मॉड्यूल का हिस्सा है और आतंकी नेटवर्क से कनेक्टेड है। हालांकि परिवार इन दावों को सिरे से खारिज कर रहा है। पत्नी सुरइया का कहना है, ‘डॉ निसार फरार नहीं हैं बल्कि NIA की हिरासत में हैं। उनके बारे में झूठी बातें फैलाई जा रही हैं। वो पूछताछ में जांच एजेंसियों का पूरा सहयोग कर रहे हैं।‘ ‘अल-फलाह यूनिवर्सिटी की बाकी फैकल्टी और स्टाफ को हिरासत में लेकर जैसे पूछताछ की जा रही है। उसी तरह डॉ निसार को भी पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है। स्टाफ ही नहीं यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स से भी पूछताछ की जा रही है।‘ डॉ. निसार की बेटी भी अल-फलह यूनिवर्सिटी में MBBS की स्टूडेंट है। जानकारी मिली है कि निसार के फरार होने के बाद जांच एजेंसियों ने बेटी को भी हिरासत में लेकर पूछताछ की है। नकली दवाओं के स्कैंडल में भी आ चुका है डॉ. निसार का नाम2014 में कश्मीर में नकली दवाओं के घोटाले में भी डॉ. निसार का नाम आया था। उस वक्त वो श्रीनगर के सरकारी मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर था। नकली दवाओं की वजह से कश्मीर में कई लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद निसार को सस्पेंड कर दिया गया था। हालांकि 4 साल बाद 13 अगस्त 2018 को उसकी बहाली भी हो गई। इसके बाद डॉ. निसार ने दावा किया था कि उसी ने नकली दवाओं के रैकेट का पर्दाफाश किया है। उसने ये भी दावा किया कि इस रैकेट में उसके सीनियर अधिकारी भी शामिल थे। इन्हीं अफसरों को बचाने के लिए उसे सस्पेंड कर दिया गया था। अब बात टेरर मॉड्यूल से जुड़े डॉ. मुजम्मिल कीपहले दिवाली पर बड़े हमले की थी साजिश, फोन की जांच में खुलासाफरीदाबाद का डॉक्टर टेरर मॉड्यूल देश में कई जगहों पर बड़े धमाके की साजिश रच रहा था। इनका पहला बड़ा टारगेट इस साल दिवाली पर बड़ा हमले को अंजाम देना था। इसका खुलासा फरीदाबाद से पकड़े गए संदिग्ध आतंकी डॉ. मुजम्मिल शकील के फोन की जांच से हुआ है। फोन के लोकेशन लॉग से और भी कई खुलासे हुए हैं। पता चला है कि डॉ. उमर और डॉ. मुजम्मिल दोनों कुछ महीने पहले दिल्ली के लालकिला गए थे। इन्होंने पहले से रेकी करनी शुरू कर दी थी। फोन की लोकेशन हिस्ट्री और गैलरी की जांच से ये भी पता चला है कि लालकिला के अलावा इन्होंने और भी कई जगहों की रेकी की थी। दिवाली पर साजिश क्यों फेल हुई? इसे लेकर सबसे बड़ी वजह विस्फोटक का पूरी तरह तैयार न होना बताया जा रहा है। जांच से जुड़े सूत्रों बताते हैं कि ब्लास्ट कराने वाले मैटीरियल में कुछ खामियां आ रहीं थीं। इसलिए उस समय हमले की साजिश को अंजाम नहीं दिया जा सका। अब इनकी तैयारी 26 जनवरी या इसके आसपास धमाके करने की थी। इसलिए ये विस्फोटक इक्ट्ठा करके उसे तैयार करने में जुटे थे। दिल्ली में लाल किले के पास हुए ब्लास्ट को जांच एजेंसियां शुरू से ही प्री-मैच्योर ब्लास्ट बता रही हैं क्योंकि इनका विस्फोटक अभी पूरी तरह से तैयार नहीं था। जांच एजेंसियों का मानना है कि अगर विस्फोटक पूरी तरह से तैयार होता तो ये धमाका और खतरनाक होता। साथ ही नुकसान भी ज्यादा होता। 2013 से कट्टरपंथ की राह पर डॉ. मुज्जमिलफरीदाबाद से अरेस्ट हुए डॉ. मुजम्मिल की सोशल मीडिया प्रोफाइल की हमने पड़ताल की। उससे पता चलता है कि वो 2013 से ही कट्टरपंथी विचारधारा अपनाने लगा था। उसने 3 मई 2013 को एक न्यूज लिंक पोस्ट की थी। उसमें लिखा था कि अगर सरबजीत शहीद है तो अफजल आतंकवादी कैसे था? हालांकि वेबासाइट ने ये न्यूज लिंक रिमूव कर दिया था लेकिन इस तरह की पोस्ट से उसके कट्टरपंथ की राह पर जाने के सबूत मिलते हैं। मुजम्मिल ने अपने सोशल मीडिया पर आखिरी पोस्ट 20 मई 2014 को की थी, जिसमें उसने कश्मीरी में लिखा है। भारत के खिलाफ भड़काऊ स्पीच देने वाले पाकिस्तानी मौलाना का फॉलोअरडॉ. मुजम्मिल पाकिस्तानी मौलाना तारिक जमील को फॉलो करता है। ताकिर जमील अक्सर भारत के खिलाफ भड़काऊ बयान देता रहता है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद भी उसने भारत के खिलाफ कार्रवाई करने के कई बार दावे किए हैं। मौलाना तारिक जमील को कई वीडियो और इंटरव्यू में गजवा-ए-हिंद की बात करते देखा गया है। कश्मीर में गिरफ्तार डॉ. तजामुल अहमद को छोड़ा गयाजम्मू-कश्मीर के कुलगाम में रहने वाले डॉ. तजामुल मलिक को पुलिस ने 12 नवंबर को गिरफ्तार कर लिया था। वो दिल्ली ब्लास्ट के आरोपी डॉ. उमर के करीबी दोस्त हैं। बताया गया कि इसी वजह से गिरफ्तारी हुई थी। हालांकि डॉ. तजामुल के पिता मोहम्मद अयूब मलिक ने हमारे साथ बातचीत में दावा किया है कि बेटे को श्रीनगर में चल रही एक जांच के सिलसिले में पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया था। बाद में पुलिस ने छोड़ दिया। वो आगे बताते हैं, ‘उसने GMC श्रीनगर से MBBS की पढ़ाई की है और श्रीनगर में ही रहता है। दिल्ली ब्लास्ट मामले में GMC श्रीनगर के 50 से ज्यादा स्टूडेंट से पुलिस ने पूछताछ की है। उसी कड़ी में मेरे बेटे को भी बुलाया था लेकिन पूछताछ के बाद रात करीब 12 बजे छोड़ दिया गया। हालांकि उसे अभी श्रीनगर में ही रहने की हिदायत मिली है। अभी उसका मोबाइल भी बंद करा दिया है।‘ यूनिवर्सिटी ने कहा- ड्यूटी के अलावा डॉक्टरों से कोई संबंध नहींदिल्ली ब्लास्ट मामले में 12 नवंबर को यूनिवर्सिटी ने पहली बार बयान जारी किया है। वाइस चांसलर प्रो. भूपिंदर कौर आनंद ने कहा कि हमारे 2 डॉक्टर, डॉ. मुजम्मिल और डॉ. शाहीन सईद हिरासत में हैं। उनकी ड्यूटी के अलावा यूनिवर्सिटी का इनसे कोई संबंध नहीं है। यूनिवर्सिटी के अंदर किसी भी तरह का केमिकल या विस्फोटक स्टोर नहीं हुआ। हमारी लैब का इस्तेमाल सिर्फ MBBS स्टूडेंट्स को पढ़ाने और ट्रेनिंग देने के लिए होता है। हर काम कानून के हिसाब से किया जाता है। उधर, फरीदाबाद क्राइम ब्रांच के ACP वरुण दहिया के नेतृत्व में टीमें बुधवार को फिर अल-फलाह यूनिवर्सिटी और डॉ. मुजम्मिल के ठिकानों पर पहुंची। टीम ने धौज गांव में मुजम्मिल के मकान मालिक से भी पूछताछ की। दिल्ली से भी केंद्रीय जांच टीमें यूनिवर्सिटी पहुंचीं। दिल्ली ब्लास्ट केस से जुड़ी दूसरी गाड़ी भी मिली​​​​​​​केंद्र सरकार ने दिल्ली कार ब्लास्ट को आतंकी हमला माना है। साथ ही जांच एजेंसियों को कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। दिल्ली पुलिस को इस मामले में एक लाल रंग की ईको स्पोर्ट्स कार के शामिल होने की भी जानकारी मिली है। फरीदाबाद पुलिस ने इसे राउंड अप भी कर लिया है। फरीदाबाद पुलिस के प्रवक्ता यशपाल सिंह ने बताया कार खंदावली गांव के पास खड़ी मिली। गांव वालों के मुताबिक, कार मंगलवार शाम से यहां खड़ी थी। पुलिस ने कार वाले इलाके को सील कर दिया है। मौके पर पहुंचकर NIA और NSG समेत केंद्रीय एजेंसियां ने इसकी जांच की। गांव से एक व्यक्ति को हिरासत में भी लिया गया है। ये गाड़ी दिल्ली ब्लास्ट में मारे गए आतंकी डॉ. उमर उन नबी के नाम पर रजिस्टर्ड है।.................. ये खबर भी पढ़ें... दिल्ली ब्लास्ट-कौन है डॉक्टरों का ब्रेनवॉश करने वाला मौलवी इरफान​​​​​​​ दिल्ली में लाल किले के पास कार में हुए ब्लास्ट के तार पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर तक पहुंच रहे हैं। भारत में आतंकी हमलों के लिए 3-4 महीनों से साजिश रची जा रही थी। इसके पीछे आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा शामिल थे। खुफिया एजेंसियों को इसके संकेत PoK में आतंकियों के इंटरसेप्ट कम्युनिकेशन से मिले हैं।​​​​​​​ पढ़िए पूरी खबर...

दैनिक भास्कर 13 Nov 2025 4:00 am

‘जमीन बेची-55 लाख खर्च किए, जंगल में भूखे रहे’:3 महीने में अमेरिका पहुंचे, लेकिन बेड़ियां डालकर लौटाया, बोले- ऐसे कभी मत जाना

’अमेरिका पहुंचने में मुझे पूरे तीन महीने लग गए। इस दौरान डेढ़ महीने जंगल में रहा। वहां खाने-पीने के लिए कुछ नहीं था, भूखे पेट रातें गुजारीं। घरवालों ने अमेरिका भेजने के लिए जमीन बेची और 55 लाख रुपए खर्च कर दिए। बॉर्डर तक पहुंचने के बाद हमें लौटा दिया गया।’ अमेरिका से डिपोर्ट होकर 25 अक्टूबर को दिल्ली पहुंचे करनाल के रिदम ने 11 महीने कैद में गुजारे। ऐसे ही करनाल के गुरप्रीत (बदला हुआ नाम) अमेरिका में एक साल से ज्यादा समय तक जेल में रहे। फिर हाथ-पैर में बेड़ियां डालकर भारत डिपोर्ट कर दिए गए। वे भी डंकी रूट से अमेरिका पहुंचे थे। गुरप्रीत का कहना है कि वो किसी को सलाह नहीं देंगे कि ऐसे अमेरिका या कहीं भी जाए।’ अमेरिका में डोनाल्ड ट्रम्प के दोबारा प्रेसिडेंट बनने के बाद अवैध प्रवासियों के खिलाफ एक्शन जारी है। तब से अब तक ढाई हजार से ज्यादा भारतीयों को अमेरिका से वापस भेजा जा चुका है। अमेरिका से डिपोर्ट हो रहे ज्यादातर लोग हरियाणा, पंजाब और गुजरात के हैं। पिछले महीने हरियाणा के 54 लोगों को अमेरिका से डिपोर्ट किया गया है। ये सभी अवैध तरीके से अमेरिका पहुंचे थे। इनमें ज्यादातर कैथल और करनाल के हैं। हमने डिपोर्ट हुए इनमें से कुछ लोगों से बात की। हालांकि पहचान जाहिर होने के डर से लोग बात करने से बचते दिखे। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… पहले डिपोर्ट हुए परिवारों की बात...डेढ़ महीने जंगल में रहा, 3 महीने बाद अमेरिका पहुंचासबसे पहले हम करनाल के रिदम के घर पहुंचे। उन्होंने 12वीं तक पढ़ाई और एक साल का कंप्यूटर कोर्स किया है। अमेरिका जाने से पहले ITI से एक कोर्स कर रहे थे। इसी बीच एजेंट के संपर्क में आए और अमेरिका जाने का फैसला किया। एजेंट रिदम का रिश्तेदार है और घटना के बाद से फरार है। तीन महीने की मुश्किल यात्रा के बाद वो अमेरिकी बॉर्डर पहुंचे, लेकिन वहीं गिरफ्तार कर लिए गए। अब भारत लौटने के बाद रिदम और उनके पिता सुरेश ने एसपी ऑफिस में एजेंट के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। रिदम ने मीडिया से बताया, मैं 6 अगस्त 2024 को दिल्ली से अमेरिका के लिए निकला था। वहां तक जाने में मुझे पूरे तीन महीने लग गए। इस दौरान डेढ़ महीने जंगल में रहा। वहां खाने-पीने के लिए कुछ नहीं था, न एजेंट ने प्रोवाइड कराया। घर से पैसे मंगवाकर दिन काटे। ‘एजेंट ने बोला था कि लीगल रास्ते से भेजेगा, कोई दिक्कत नहीं होगी, लेकिन डंकी रूट से भेज दिया। आधे रास्ते बाद जब पता चला तो बीच में रुक भी नहीं सकते थे।‘ रिदम 2 अक्टूबर को अमेरिका से डिपोर्ट होकर भारत लौटे। इस दौरान उनके साढ़े 55 लाख रुपए खर्च हो गए। रिदम और उनका परिवार इंसाफ की मांग कर रहा है। जमीन बेचकर 55 लाख रुपए दिए, फ्रॉड बाजी कर डंकी रूट से भेजाकरनाल के कतलाहेरी गांव में घर पर मिले रिदम के पिता सुरेश कुमार इन सबके लिए एजेंट को जिम्मेदार ठहराते हैं। पेशे से सुरेश किसान हैं। वे बताते हैं, ‘उसकी (रिदम) यहां से पहले इथोपिया के लिए फ्लाइट थी। वहां से वो बोलिविया, पेरू, पनामा, कोस्टा रिका होते हुए मेक्सिको तक पहुंचा था। आधे रास्ते में ही उसे डंकी रूट में डाल दिया गया था। कहीं टैक्सी, कहीं बस, कहीं नाव और जंगलों के बीच होते हुए तीन महीने बाद 2 नवंबर 2024 को वो अमेरिकी सीमा पर पहुंचा, लेकिन गिरफ्तार कर लिया गया।’ ’इसके बाद करीब 6 महीने उसे मिसीसिपी के डिटेंशन सेंटर में रखा गया। फिर लुइसियाना के डिटेंशन सेंटर भेज दिया। यानी पिछले महीने डिपोर्ट होने से पहले वो 11 महीने तक हिरासत में रहा।’ एजेंट को कितने पैसे दिए थे। इस पर सुरेश बताते हैं, ’वहां मेरे बेटे को स्टोर, पेट्रोल पंप या रेस्टोरेंट वगैरह में काम मिलता। शुरू में हमने पासपोर्ट के साथ 2 लाख रुपए दिए थे। इसके बाद इथोपिया पहुंचने पर हमने एजेंट को 14 लाख रुपए दिया। फिर आगे बढ़ने पर 14 लाख रुपए और दिए। इस तरीके से बारी-बारी से हमने कुल साढ़े 55 लाख रुपए दिए थे।’ ’हमने डेढ़ एकड़ जमीन बेच दी। सिर्फ इसलिए कि वहां जाकर बेटे का भविष्य बन जाएगा, लेकिन हमारे साथ फ्रॉड बाजी हो गई।’ सुरेश ने तीन एजेंट - विनोद कुमार, प्रवीण कुमार और कुलदीप कुमार के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई है। हालांकि सुरेश खुद को खुशकिस्मत मानते हैं कि उनका बेटा कम से कम सही सलामत वापस आ गया। वे लोगों से अपील भी करते हैं कि कोई डंकी रूट के जरिए अमेरिका या कहीं और न जाएं। इसका अंजाम जो हुआ, वो सबके सामने हैं। डंकी रूट जानकर गए, एजेंट के फंसाने की बातें बेबुनियाद25 अक्टूबर को भी अमेरिका से डिपोर्ट होकर कई लोग भारत आए। इनमें 54 लोग हरियाणा के थे। ये सभी डंकी रूट से अमेरिका गए थे। ज्यादातर करनाल और कैथल जिले के रहने वाले हैं। हमने करनाल के 16 और कैथल के 14 लोगों से बात करने की कोशिश की, लेकिन कोई कैमरे पर आने को राजी नहीं हुआ। हम कई लोगों के घर भी गए, लेकिन किसी ने बात नहीं की। करनाल में लोकल जर्नलिस्ट बताते हैं, ‘लोग बदनामी के कारण अब खुलकर नहीं बोलते हैं। दूसरा फैक्टर ये भी है कि उन्हें एजेंट कुछ रकम लौटाने का भरोसा दे देते हैं। इस वजह से भी वो कैमरे पर नहीं आना चाहते। ये कहना कि एजेंट ने फंसा दिया, ये पूरी तरह से गलत है।‘ ‘उन्हें पहले से पता होता है कि उन्हें किस रास्ते भेजा जा रहा है। उन्हें वीजा मिल नहीं पाता या वो वीजा के लिए क्वालिफाइड नहीं होते हैं इसलिए डंकी रूट का ही विकल्प चुनते हैं। एजेंट बस ये काम करते हैं कि लोगों को इन्हीं अवैध रास्तों के जरिए अमेरिका भेजने का भरोसा दिला देते हैं। फिर इन्हें इनके हाल पर छोड़ देते हैं। डंकी रूट से गया और डिपोर्ट हो गया, दोबारा अमेरिका जाऊंगा इसके बाद हम डिपोर्ट हुए करनाल के 16 लोगों में शामिल एक युवक के गांव पहुंचे। 24 साल के जसमीत (बदला हुआ नाम) ने कैमरे पर बात करने से मना कर दिया। ऑफ द रिकॉर्ड बातचीत में जसमीत कहते हैं, ‘ये बहुत सामान्य बात है। वहां हम डंकी रूट से गए और डिपोर्ट कर दिए गए। ये मीडिया के लिए मसाला है। कोई इन चीजों के बारे में सच्चाई नहीं बताएगा। यहां से लोग जाते ही रहते हैं। मैं 2020 में भी डंकी लगाकर ही अमेरिका गया था। फिर अमेरिका जाऊंगा। जब जिंदगी में कामयाब हो जाऊंगा, तब मेरी स्टोरी करना। बिना कामयाब हुए कोई स्टोरी नहीं है।‘ जसमीत के एक फैमिली मेंबर बताते हैं, परिवार ने उसे अमेरिका भेजने के लिए 60 लाख रुपए खर्च किए थे। करीब 5 महीने की जर्नी के बाद वो वहां पहुंचा था, वहां उसे बेड़ियों में रखा गया। वो करीब 4 महीने डिटेंशन सेंटर में रहा। करनाल के गुरप्रीत (बदला हुआ नाम) ने पहचान जाहिर न करने की शर्त पर बताया कि वो डिपोर्ट होने से पहले 14 महीने अमेरिकी डिटेंशन सेंटर में रहे। वो बताते हैं, ‘मैंने अमेरिका जाने के लिए जमीन बेच दी और करीब 57 लाख रुपए खर्च किए। पिछले साल जनवरी में अमेरिका के लिए निकला था, लेकिन डंकी रूट से दो महीने से भी ज्यादा समय में पहुंचा। मैं एक साल से भी ज्यादा समय तक जेल में रहा। डिपोर्ट होने के दौरान हम सबके हाथों में बेड़ियां लगाई गई थीं। मैं किसी को नहीं बोलूंगा कि कोई इस तरह अमेरिका जाए।’ ग्वाटेमाला में बेटे का मर्डर हुआ, एजेंट्स को फांसी होकैथल जिले के रहने वाले 18 साल के युवराज भी पिछले साल डंकी रूट से अमेरिका जा रहे थे, लेकिन पहुंच नहीं सके। परिवार वालों को अब पता चला है कि डॉनकरों ने लैटिन अमेरिकी देश ग्वाटेमाला में युवराज की हत्या कर दी है। पिता कुलदीप सिंह बेटे की मौत की खबर मिलने के बाद से हताश हैं और आरोपी एजेंट्स के लिए फांसी की मांग कर रहे हैं। युवराज ने 2023 में 12वीं पास की थी। पिता चाहते थे कि वो अमेरिका जाकर अच्छा कमाए। युवराज ने 13 अक्टूबर 2024 को देश छोड़ा था। एजेंट ने परिवार को भरोसा दिलाया था कि वो हर महीने वहां 4-5 लाख रुपए कमा लेगा। कैथल के मोहना गांव में हम युवराज के पिता कुलदीप सिंह से मिले। वे बताते हैं, ‘एजेंट ने बोला था कि बेटे को लीगल तरीके से अमेरिका भेजेंगे, लेकिन आधे रास्ते में उन्होंने डंकी रूट पर शिफ्ट कर दिया। यहां से उसे गुयाना ले जाया गया, लेकिन ब्राजील से डंकी रूट शुरू हो गया था। कभी टैक्सी, कभी जंगल और कभी नाव के सहारे वो आगे बढ़ा। एजेंट जैसा बोलता गया, हम वैसा कर रहे थे।‘ ‘19 दिसंबर 2024 को ग्वाटेमाला में मेरे बेटे को किडनैप कर लिया गया। उसे मारा-पीटा गया और 20 हजार डॉलर (करीब साढ़े 17 लाख रुपए) की डिमांड की गई। उन्होंने हमें बेटे का एक वीडियो भी भेजा था। हालांकि एजेंट ने हमसे तब भी कहा कि उसकी डॉनकर से बात हो गई है, आगे कोई दिक्कत नहीं होगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।‘ एजेंट्स ने पैसे दे दिए होते तो बेटा आज जिंदा होताकुलदीप बताते हैं, ‘पिछले सात-आठ महीने से बेटे का कुछ पता नहीं चल रहा था। फिर अभी कुछ दिन पहले मेरे पास डॉनकर्स का फोन आया। कहा कि 5 हजार डॉलर भेज दो तो बच्चे का पता लगा देंगे। हमने 1500 डॉलर में डील फाइनल की।‘ ‘तब उसने बताया कि मेरे बेटे युवराज की मौत हो गई है। जब हमने 1000 डॉलर और भेजा तो उन्होंने बेटे की डेड बॉडी की फोटो और डेथ सर्टिफिकेट भेजा।‘ कुलदीप कहते हैं कि अगर एजेंट ने पैसे दे दिए होते तो युवराज आज जिंदा होता। एजेंट ने अमेरिका भेजने के नाम पर कितनी रकम ली। इस पर कुलदीप बताते हैं कि एजेंट ने कहा था कि कुल 41 लाख रुपए लगेंगे और अमेरिका पहुंचने के बाद ही पूरे पैसे देने होंगे। बेटा अभी रास्ते में ही था तभी एजेंट ने परेशान करना शुरू कर दिया। पहले 16 लाख रुपए लिए और जब बेटा किडनैप हुआ तो 8 लाख रुपए और मांग लिए। युवराज को भेजने में तीन एजेंट शामिल थे। कुलदीप कहते हैं कि पुलिस को अगर किडनैपिंग की बात पहले बताते तो ये एजेंट पकड़े जाते और उनका बेटा भी नहीं मिलता। इसलिए वे रुक गए। अब जब कई महीनों तक बेटे के बारे में पता नहीं चला, तब मार्च में उन्होंने एजेंट के खिलाफ केस दर्ज करवाया। वे एजेंट्स के लिए फांसी की सजा की मांग करते हैं ताकि किसी और मां-बाप के साथ ऐसा न हो। भारतीय को ईरान में किडनैप करके पीटा गयाइसके बाद हम करनाल के जांबा गांव पहुंचे। यहां रह रहा ऋतिक का परिवार पुलिस और अधिकारियों के चक्कर लगा रहा है। ऋतिक पास के एक गांव दादुपुर के रहने वाले पवन के साथ 22 अक्टूबर को स्पेन के लिए निकला था। ईरान में डॉनकर ने उसे बंधक बना लिया। वो 20 लाख रुपए की मांग कर रहे हैं। दोनों का एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें उन्हें नंगा करके पीटा जा रहा है। जांबा गांव में हम ऋतिक के घर पहुंचे। तब पता चला कि उनकी मां, भाई और घर के बाकी सदस्य करनाल एसपी ऑफिस गए हुए थे। ऋतिक के पिता ने बताया कि बेटे ऋतिक मामले में पत्नी ज्यादा बता पाएंगी। हमने फोन पर ऋतिक के भाई से संपर्क करने की कोशिश की तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। बस इतना कहा कि अभी पुलिस मामला देख रही है। जॉब के लिए कोई खास स्किल नहीं, लेकिन ज्यादा कमाने की चाहतपंजाब यूनिवर्सिटी में समाजशास्त्र के पूर्व प्रोफेसर मनजीत सिंह बताते हैं कि आज की तारीख में खेती घाटे का सौदा हो गई है। पंजाब और हरियाणा पहले इसी पर टिका हुआ था। इसलिए अब किसानों के आंदोलन भी बढ़े हैं। वहां के बच्चे मौजूदा स्थिति से आगे बढ़ना चाहते हैं। मनजीत कहते हैं, ‘जो लोग जा रहे हैं, उनमें न तो कोई खास स्किल है, न ही उन्होंने कोई ऐसी एजुकेशन ली है। यहां उनकी स्किल के हिसाब से कोई खास रोजगार के मौके नहीं हैं। इसलिए वे यहां से निकलना चाहते हैं ताकि बेहतर जिंदगी जी सकें। वे बाहर जाकर मजदूरी, ट्रक ड्राइवर या दूसरे काम करने को तैयार हैं ताकि यहां के मुकाबले ज्यादा पैसे कमा सकें और इसीलिए जोखिम भी उठा रहे हैं।‘ चंडीगढ़ के इंस्टीट्यूट फॉर डेवलपमेंट एंड कम्युनिकेशन (IDC) में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सुची कपूरिया माइग्रेशन के मुद्दे पर काम कर चुकी हैं। माइग्रेशन के लिए अवैध रास्ता चुनने पर वे कहती हैं, ‘यहां के ग्रामीण इलाकों में युवाओं की एजुकेशन सीमित है। वे अंग्रेजी में काम या बात नहीं कर सकते हैं। वे खुद फॉर्म तक नहीं भर सकते हैं। इसलिए अवैध रास्ता चुनते हैं।‘ ‘उनकी इच्छा अच्छी लाइफस्टाइल जीने की है, लेकिन उस हिसाब से यहां काम नहीं है। उन्हें लगता है कि अगर मजदूरी ही करनी है तो बाहर जाकर क्यों न की जाए, जहां वे डॉलर में कमा सकेंगे।‘ लाखों रुपए खर्च करने वाले ये लोग खुद का काम क्यों नहीं कर सकते? इस पर डॉ. कपूरिया कहती हैं, ‘बिजनेस हर किसी के बस की बात नहीं है। हर कोई किराने की दुकान नहीं खोल सकता। वो आसान काम नहीं है। एक चीज ये भी है कि इन लोगों ने अपने रिश्तेदारों, जानकारों को ऐसे ही आगे बढ़ते देखा है।‘ पुलिस ने कहा- एजेंट्स के खिलाफ एक भी शिकायत नहींकैथल की एसपी उपासना बताती हैं कि अभी तक डिपोर्ट हुए लोगों में किसी ने एजेंट के खिलाफ कोई शिकायत दर्ज नहीं करवाई है। अगर शिकायत आएगी तो पुलिस इसके खिलाफ कार्रवाई करेगी। ग्वाटेमाला में युवराज की मौत के मामले में एसपी का कहना है, ‘इस मामले में पहले ही तीन लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं। हरियाणा पुलिस इंटरपोल के जरिए वेरिफाई करने की कोशिश कर रही है कि डेथ सर्टिफिकेट सही है या नहीं। अगर वो सही है तो हम बॉडी वापस लाने की कार्रवाई करेंगे क्योंकि वहां की सरकार की तरफ से कोई जवाब अभी नहीं आया है। इसके लिए एंबेसी की मदद ली जा रही है।‘ करनाल एसपी गंगाराम पुनिया ने बताया कि अवैध तरीके से विदेश भेजने को लेकर जो भी शिकायतें मिली हैं, उन मामलों में तुरंत केस दर्ज कर कार्रवाई की जा रही है। ईरान में बंधक बनाए गए युवकों के मामले में विदेश मंत्रालय के साथ पत्राचार किया गया है। इंटरपोल से भी मदद मांगी गई है। अवैध गतिविधियों में शामिल वीजा एजेंट्स के खिलाफ भी सबूत जुटाए जा रहे हैं। आगे केस दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी।.................. ये खबर भी पढ़ें... सऊदी में ड्राइवर की नौकरी देकर कचरा उठवाया-बकरी चरवाई 59 साल की सूरजकली बेटे राजीव की फोटो देखकर भावुक हो जाती हैं। राजीव मई 2023 में सऊदी अरब में ड्राइवर की नौकरी करने गए थे, लेकिन वहां वो कफाला सिस्टम का शिकार हो गए। उन पर धोखाधड़ी का केस दर्ज हुआ। वे रियाद में 3 साल कैद की सजा काट रहे। उन पर 18 लाख रुपए जुर्माना भी लगा है। ये कहानी सिर्फ राजीव की ही नहीं है। सऊदी में कफाला सिस्टम के शिकार बन चुके तमाम भारतीयों की है। पढ़िए पूरी खबर..

दैनिक भास्कर 13 Nov 2025 4:00 am

Russia Robot: सबके सामने हो गई फजीहत, चलते-चलते अचानक गिरा रूस का AI रोबोट, वीडियो वायरल

Russia Robot:घटना के बाद रोबोट के डेवेलपर्स ने उसे लोगों की आंखों के आगे से हटा दिया. अब इंजीनियर्स उसके बैलेंस सिस्टम और कंट्रोल सॉफ्टवेयर्स की जांच कर रहे हैं. रूस की रोबोटिक्स फर्म आइडल के सीईओ व्लादिमीर वितूखिन ने कहा, उम्मीद है कि इस गलती से हमें सीख मिलेगी.

ज़ी न्यूज़ 12 Nov 2025 11:37 pm

क्रूज शिप का खुशनुमा सफर बन गया आखिरी, 18 साल की लड़की की रहस्यमयी हालात में मौत

नवंबर 2025 के पहले हफ्ते में 18 साल की यंग स्टूडेंट की क्रूज शिप में रहस्यमयी हालात में मौत हो गई, जिसकी जांच अमेरिकी एजेंसी एफबीआई ने अपने हाथों में ले ली है.

ज़ी न्यूज़ 12 Nov 2025 10:59 pm

चलती ट्रेन में ड्राइवर को आ गई नींद! बाल-बाल बचे यात्री, महिला पायलट बोलीं - 'रिलैक्स, रिलैक्स!'

Train Accident News in Hindi: जरा आंख बंद करके कल्पना कीजिए कि आप जिस ट्रेन में सफर कर रहे हों, उसका ड्राइवर ट्रेन को रामभरोसे छोड़कर सो जाए. कुछ ऐसा 24 सितंबर को अमेरिका में यात्रियों के साथ हुआ तो यात्रियों के होश फाख्ता हो गए.

ज़ी न्यूज़ 12 Nov 2025 10:52 pm

सऊदी अरब में मूसलाधार बारिश और तूफान, सड़कों पर भरा पानी, रेंगती दिखी गाड़ियां

सऊदी अरब एक सूखा इलाका है, लेकिन यहां पर आई तूफानी बारिश ने अचानक माहौल बदल दिया. सड़कों पर बारिश का पानी भर गया, जिससे ट्रैफिक की आवाजाही पर असर पड़ा.

ज़ी न्यूज़ 12 Nov 2025 10:11 pm

Israel US News: 'बीबी' को माफ कर दें... 'ट्रंप ने इजरायली राष्ट्रपति को लिखी चिट्ठी, बदले में मिला ये जवाब

Benjamin Netanyahu Latest News: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इजरायल के राष्ट्रपति इसाक हर्जोग को चिट्ठी लिखी है. इस चिट्ठी में उन्होंने पीएम बेंजामिन नेतन्याहू को भ्रष्टाचार केस में माफ कर देने का आग्रह किया है.

ज़ी न्यूज़ 12 Nov 2025 9:56 pm

Peru Holes: पहाड़ पर कहां से आए 5200 रहस्यमयी गड्ढे? 100 साल पुरानी मिस्ट्री पर हैरतअंगेज खुलासा

Peru Holes:रिसर्चर्स ने स्टडी में बताया है कि ये गड्ढे इंका से पहले के मार्केटप्लेस का हिस्सा थे, और बाद में यह टैक्स वसूलने के एक अकाउंटिंग सिस्टम में बदल गया. यह जगह 'छेदों का समूह' के नाम से भी मशहूर है.

ज़ी न्यूज़ 12 Nov 2025 5:25 pm

इस मुस्लिम बहुल देश में किया LGBTQ का प्रचार तो लगेगा तगड़ा जुर्माना, खानी पड़ेगी जेल की हवा

Kazakhstan LGBTQ: कजाख राष्ट्रपति कासिम-जोमार्ट तोकायेव ने हाल के महीनों में बार-बार 'पारंपरिक मूल्यों' को बनाए रखने की जरूरत पर जोर दिया है. ये बिल कानून का रूप तभी लेगा जब इस पर उनके दस्तखत होंगे. सांसदों ने सर्वसम्मति से बैन के पक्ष में वोट किया.

ज़ी न्यूज़ 12 Nov 2025 3:55 pm

रूस-यूक्रेन के बाद अब जंग में कूदेंगे वेनेजुएला और अमेरिका? अलर्ट में रखी सेना; US ने तैनात किए एयरक्राफ्ट कैरियर

America- Venezuela Conflict: अमेरिका और वेनेजुएला के बीच लगातार तनाव बढ़ते जा रहा है. इसको लेकर दोनों देशों ने अपनी सेना को एक्टिव कर दिया है.

ज़ी न्यूज़ 12 Nov 2025 2:40 pm

पाकिस्तान : स्वात में बम धमाका, अवामी नेशनल पार्टी के नेता की गाड़ी के पास हुआ विस्फोट, बाल-बाल बचे खान

पाकिस्तान में बुधवार को खैबर पख्तूनख्वा के स्वात में एक बम धमाका हुआ। अवामी नेशनल पार्टी नेता मुमताज अली खान की गाड़ी के पास विस्फोट किया गया। इस हमले में खान बाल-बाल बच गए उन्हें कोई नुकसान नहीं हुआ

देशबन्धु 12 Nov 2025 2:03 pm

ट्रंप ने एच-1बी वीजा में किया बड़ा बदलाव, कहा- अमेरिका को विदेशी प्रतिभाओं की जरूरत

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एच-1बी वीजा प्रोग्राम का बचाव करते हुए कहा कि अमेरिका को कुछ खास उद्योगों के लिए विदेशी प्रतिभा की जरूरत है

देशबन्धु 12 Nov 2025 11:54 am

बोट में छिपकर यूरोप पहुंच रहे थे प्रवासी, अचानक पलटी नाव; 3 लोगों की मौत

Greece Migrant Boat Capsize: ग्रीस में एक प्रवासी बोट पलटने से 3 लोगों की मौत हो गई. हादसे को लेकर लापता लोगों की खोजबीन की जा रही है.

ज़ी न्यूज़ 12 Nov 2025 11:51 am

ऑस्ट्रेलिया : केबिन में धुआं निकलने के कारण क्वांटास विमान की करानी पड़ी इमरजेंसी लैंडिंग

दक्षिण ऑस्ट्रेलिया से राष्ट्रीय राजधानी कैनबरा जा रहे क्वांटास के एक विमान को बुधवार सुबह उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद केबिन में धुआं निकलने के कारण आपातकालीन लैंडिंग करानी पड़ी

देशबन्धु 12 Nov 2025 11:22 am