डोनाल्ड ट्रंप की Apple को फिर धमकी; कहा-आप iPhone भारत में बनाइए लेकिन...
Donald Trump threatens Apple:डोनाल्ड ट्रंप ने Apple को फिर धमकी दी है. उन्होंने Apple के CEO टिम कुक के साथ हुई चर्चा का हवाला देते हुए बड़ा बयान दिया है.
भारत के संदर्भ में सीवर टैंक की सफाई की वायरल तस्वीर बांग्लादेश की है
बूम ने फैक्ट चेक में पाया कि लोकगायिका नेहा सिंह राठौर और अन्य सोशल मीडिया यूजर द्वारा भारत के संदर्भ में शेयर की जा रही तस्वीर ढाका सिटी कॉरपोरेशन के एक सीवर क्लीनर को दिखाती है.
इतनी अकड़ किसलिए...न्यूजीलैंड की मंत्री बोलीं- नहीं देती इंडियन्स के ईमेल का जवाब, मचा हड़कंप
New Zealand:न्यूजीलैंड की आव्रजन मंत्री एरिका स्टैनफोर्ड भारतीयों पर दिए अपने बयान को लेकर विवादों में घिर गई हैं और आलोचकों के निशाने पर आ गए हैं.एरिका ने कहा है कि वह भारतीयों के ईमेल का कभी जवाब नहीं देती हैं.
1256 की हत्या, 13 महिलाओं से रेप... मुक्ति संग्राम में कत्लेआम करने वाला जमात-ए-इस्लामी नेता बरी
Bangladesh News:मुहम्मद यूनुस की अगुआई वाली अंतरिम सरकार ने सत्ता संभालते ही जमात-ए-इस्लामी और उसकी छात्र शाखा 'इस्लामी छात्र शिबिर' पर लगी रोक खत्म कर दी थी. अब इस कट्टरपंथी समूह के नेता टीएम अजहरुल इस्लाम को बांग्लादेश की सुप्रीम कोर्ट ने बरी कर दिया है.
Australia machete ban: ऑस्ट्रेलिया मेंछुरे(खंजर) को बेचने पर बैन लगा दिया गया है. मेलबर्न के एक शॉपिंग सेंटर में हुए हमले के बाद इस हथियार की बिक्री पर बैन लगाया गया है. जानें पूरी खबर.
डोनाल्ड ट्रंप को लुटेरा कहते कतर के अमीर का वीडियो डीपफेक है
बूम ने जांच में पाया कि वायरल वीडियो को कतर के अमीर शेख तमीम अल थानी के 2017 के एक इंटरव्यू की फुटेज के साथ छेड़छाड़ कर एआई द्वारा बनाया गया है.
Pagasa Island: फिलीपींस के नियंत्रण वाले पगासा द्वीप की इन दिनों खूब चर्चा हो रही है. मात्र 37 हेक्टेयर में फैले इस द्वीप को किसकी नजर लगी, आखिर क्यों है पगासा की चर्चा जानें सबकुछ.
Bangladesh Army: बांग्लादेश में सेना और अंतरिम सरकार के बीच चल रहे मनमुटाव के अफवाहों के बीच पहली बार सेना ने खुलकर बात की है. बांग्लादेशी सेना के अधिकारियों ने इस मामले में बात करते हुए बहुत सारी अफवाहों पर विराम लगा दिया है. जानें पूरी खबर.
India's Air Defense System Project: भारत के S-400 ने हाल में हुए ऑपरेशन सिंदूर मे पाकिस्तान की हेकड़ी निकाल दी. चीन और तुर्किए की ओर से उसे दिए हुए सारे हथियार भारत के सामने फेल हो गए. ऐसे में शहबाज-मुनीर एक बार फिर तुर्किए खलीफा की शरण में पहुंच गए हैं.
27 मई, 1964 को संसद का विशेष सत्र बुलाया गया था। प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू कश्मीर मुद्दे पर कुछ सवालों के जवाब देने वाले थे। नेहरू जब दोपहर तक सदन नहीं पहुंचे, तो सांसद सवाल उठाने लगे। उन्हें बताया गया कि प्रधानमंत्री की तबीयत अचानक बिगड़ गई है। थोड़ी देर बाद केंद्रीय मंत्री चिदंबरम सुब्रमण्यम लोकसभा में दाखिल हुए और कहा- 'रोशनी चली गई।' उस रोज दोपहर 1:44 बजे देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने आखिरी सांस ली थी। आज इस घटना को 61 साल पूरे हो रहे हैं। जानिए कैसे रहे नेहरू की जिंदगी के आखिरी दिन… निधन से 11 महीने पहलेः चीन से मिली हार के बाद कंधे झुक गए, बेटी-पोतों के साथ पहलगाम गए नेहरू भारत और चीन के बीच लद्दाख में अक्साई चिन और अरुणाचल प्रदेश में तवांग के इलाके को लेकर विवाद था। 1962 में चीन ने भारत पर हमला कर दिया। प्रधानमंत्री नेहरू, उनके सलाहकारों और रक्षा मंत्री वी. के. कृष्ण मेनन को चीन से किसी हमले की उम्मीद ही नहीं थी। एक महीने चले युद्ध में भारत, चीन के सामने सैन्य संख्या, तैयारियों, हथियारों हर मायने में कम था, जिसका उसे नुकसान उठाना पड़ा। चीन ने 20 नवंबर 1962 को एकतरफा युद्धविराम की घोषणा की और कहा कि वह 1 जनवरी 1959 की स्थिति तक पीछे हट जाएगा। लेकिन अक्साई चिन पर चीन का कब्जा बना रहा और आज तक जारी है। नेहरू को इस हार के लिए जिम्मेदार ठहराया जाने लगा। बीच युद्ध में ही 31 अक्टूबर 1962 को रक्षा मंत्री मेनन को इस्तीफा देना पड़ा। देश भर से मिलती आलोचनाओं ने नेहरू को कमजोर कर दिया था। रामचंद्र गुहा अपनी किताब ‘इंडिया आफ्टर गांधी’ में लिखते हैं, ‘नेहरू के कंधे झुक गए थे। उनके चेहरे पर थकान साफ दिख रही थी। कमर में अलग तरह का उभार दिखाई दे रहा था।’ बिगड़ती तबीयत के बीच नेहरू 18 जून, 1963 को कश्मीर गए। उनके साथ इंदिरा गांधी और दोनों पोते राजीव और संजय भी थे। यहां उन्होंने जम्मू-कश्मीर विधानसभा के मंत्रियों, स्पीकर, डिप्टी स्पीकर और विधान परिषद के चेयरमैन की मीटिंग ली। श्रीनगर में कुछ और ऑफिशियल काम निपटाकर, नेहरू पहलगाम के लिए निकले। यहां वे राजनीति से दूर कुछ समय बिताना चाहते थे। इंदिरा और बच्चों के साथ वे आरू वैली और कोलाहोई ग्लेशियर घूमने गए और तस्वीरें खिंचाई। पहलगाम में 24 जून 1963 को उन्होंने उड़ीसा के मुख्यमंत्री बिजू पटनायक के साथ भी मीटिंग की। करीब 10 दिन कश्मीर में परिवार के साथ बिताकर 28 जून को नेहरू वापस दिल्ली लौट गए। निधन से 9 महीने पहलेः नेहरू के खिलाफ आजाद भारत का पहला अविश्वास प्रस्ताव आया युद्ध के बाद नेहरू की लोकप्रियता पर बड़ी चोट पड़ी। 1963 में कांग्रेस तीन लोकसभा सीटों पर उपचुनाव भी हार गई। यह हार कांग्रेस के कम होते प्रभाव की ओर ही इशारा कर रही थी। इस बीच संसद के मानसून सत्र में 19 अगस्त को विपक्ष की ओर से जे. बी. कृपलानी ने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला दिया। यह आजाद भारत का पहला अविश्वास प्रस्ताव था। चार दिन चले डिबेट में नेहरू हर दिन मौजूद रहे। कृपलानी ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा- 'भारत को चीन से समझौता करने की कोई जरूरत नहीं थी। हमें शारीरिक और मानसिक रूप से चीनियों को अपनी सीमा से बाहर निकाल फेंकने के लिए तैयार रहना चाहिए था।' नेहरू पर गलत नीतियां अपनाने, मिलिट्री तैयार न रखने जैसे आरोप लगे। डिबेट के आखिरी दिन जब नेहरू जवाब देने उठे तो उन्होंने इस प्रस्ताव को ही अवास्तविक बताया। उन्होंने कहा, 'अविश्वास प्रस्ताव सरकार में मौजूद पार्टी को हटाने के लिए लाया जाता है। लेकिन अभी ऐसी कोई स्थिति नहीं दिख रही, इसलिए यह प्रस्ताव थोड़ा अवास्तविक है।' इस अविश्वास प्रस्ताव को सदन में सिर्फ 62 वोट मिले, जबकि इसके खिलाफ 347 सांसदों ने वोट किया और नेहरू बड़े आराम से यह परीक्षा पार कर गए। लेकिन अब तक इन मुश्किल इम्तिहानों का असर उनके सेहत पर दिखने लगा था। सितंबर 1963 में जब नेहरू सदन पहुंचते थे तो पहले से कई ज्यादा बूढ़े दिखाई देते थे। उनके पर्सनल सेक्रेटरी रहे एच.वी. कामथ ने इस दौरान उनकी स्थिति के बारे में कहा था, ‘नेहरू बूढ़े, कमजोर और थके हुए दिख रहे थे, उनकी चाल में झुकाव और लड़खड़ाहट थी। नीचे उतरते समय सहारे के लिए बेंचों की पिछली सीट पकड़ रहे थे।’ इंदिरा गांधी ने भी अपनी एक दोस्त को पत्र में नेहरू की तबीयत के बारे बताया, मेरे पिता के ब्लड प्रेशर, वजन और पेशाब की हर हफ्ते जांच होती है। वे शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक तनाव से गुजर रहे हैं, जिसके कारण वे थके हुए दिखाई दे रहे हैं। इसका सिर्फ एक ही इलाज है, और वो है आराम। कांग्रेस की कमजोर होती स्थिति को उबारने के लिए तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के. कामराज ने एक सुझाव दिया। सुझाव था कि पार्टी के सीनियर मंत्रियों को इस्तीफा दे देना चाहिए और कांग्रेस को फिर से मजबूत करने के काम में लग जाना चाहिए। इस प्लान के तहत सीनियर केंद्रीय मंत्री- जगजीवन राम, मोरारजी देसाई और लाल बहादुर शास्त्री तक ने इस्तीफा दिया। कामराज सहित कांग्रेस के 6 मुख्यमंत्रियों ने भी पद छोड़ दिया। नेहरू ने इस्तीफा नहीं दिया। वे देश के हर कोने की यात्रा कर रहे थे। दिसंबर 1963 में नेहरू मद्रास, मदुरई, चंडीगढ, कलकत्ता, बिहार और दो बार बॉम्बे गए थे। निधन से 4 महीने पहलेः भरी मीटिंग में नेहरू को स्ट्रोक आया, एक हिस्सा पैरालाइज हो गया 6 जनवरी 1964 को नेहरू को भुवनेश्वर में कांग्रेस की वार्षिक बैठक में शामिल होना था। वे 5 तारीख को ही उड़ीसा पहुंच गए थे। एयरपोर्ट से राजभवन के बीच करीब 5 किलोमीटर तक नेहरू को देखने लोगों की भीड़ उमड़ी हुई थी। वरिष्ठ पत्रकार और पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री एम. जे. अकबर अपनी किताब 'नेहरू: द मेकिंग ऑफ इंडिया' में लिखते हैं, ‘नेहरू एक ओपन जीप में सवार होकर जनता का अभिवादन कर रहे थे। लेकिन इस दौरान भी नेहरू के चेहरे में सूजन, आंखों में गड्ढे और धीमी चाल साफ दिखाई दे रही थी।’ अगले दिन बीच मीटिंग में ही नेहरू की तबीयत खराब हो गई। पास बैठी इंदिरा गांधी को एहसास हो गया। इंदिरा ने तुरंत नेहरू की खड़े होने में मदद की और लोगों के बीच से उन्हें छिपाते हुए ले गईं। कांग्रेस और इंदिरा नेहरू की बीमारी छिपाने की पूरी कोशिश कर रहे थे। 7 जनवरी को आधिकारिक तौर पर बताया गया कि हाई ब्लड प्रेशर के कारण नेहरू की तबीयत बिगड़ी थी। लेकिन उन्हें स्ट्रोक हुआ था और मीडिया ने ली तस्वीरों से यह बात अब सभी को समझ आने लगी थी। स्ट्रोक की वजह से नेहरू के दाएं हिस्से पर असर पड़ा था। स्ट्रोक के बाद नेहरू पहली बार 26 जनवरी को देश के सामने आए। उन्होंने गणतंत्र दिवस की परेड में भाग लिया। लगातार होती फिजियोथेरेपी से अब वे चल-फिर पा रहे थे, लेकिन उनका शरीर का दायां हिस्सा अभी भी पूरी तरह ठीक नहीं हुआ था। फरवरी में हुए बजट सत्र के दौरान उन्होंने बैठकर ही भाषण दिया। निधन से 2 महीने पहले: कश्मीर समस्या सुलझाने की आखिरी कोशिश की भारत के आखिरी वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन, नेहरू के अच्छे दोस्त थे। उन्होंने अप्रैल 1963 में नेहरू से कहा था, 'उनकी प्रसिद्धि ने एक समय में दुनिया में भारत को प्रतिष्ठा दिलाई थी। लेकिन अब कश्मीर की समस्या न सुलझा पाने के चलते उनकी और भारत की छवि धूमिल हो रही है।‘ नेहरू ने अप्रैल 1964 में, 11 साल से जेल में बंद शेख अब्दुल्ला को रिहा करने का फैसला लिया। शेख अब्दुल्ला नेहरू के अच्छे दोस्त और नेशनल कॉन्फ्रेंस के फाउंडर थे। विभाजन के समय अब्दुल्ला कश्मीर के भारत का हिस्सा बनने के पक्ष में थे। यहां तक की कश्मीर को आर्टिकल 370 के तहत स्पेशल स्टेसस देना भी नेहरू और अब्दुल्ला का ही विचार था। बाद में सरकार को अब्दुल्ला के भारत के प्रति समर्पण और पाकिस्तान से संबंध का शक होने लगा, जिसके चलते उन्हें 1953 में गिरफ्तार कर लिया गया। 8 अप्रैल 1964 को अब्दुल्ला जम्मू जेल से रिहा हुए। नेहरू के इस फैसले से विपक्ष के साथ-साथ कांग्रेस पार्टी का भी एक धड़ा खुश नहीं था। अब्दुल्ला के नेहरू से दिल्ली मिलने आने के एक दिन पहले, जन संघ ने राजधानी में विशाल मार्च निकाला। इसमें अब्दुल्ला और नेहरू के खिलाफ नारे लगे। अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा, 'नेहरू, शेख अब्दुल्ला को बता दें कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग बन चुका है। इसमें अब बातचीत की कोई गुंजाइश नहीं है।' शेख अब्दुल्ला, नेहरू के तीन मूर्ति भवन में ही ठहरे। 29 अप्रैल को अब्दुल्ला नेहरू से मिले। प्रत्यक्षदर्शियों के हवाले से रामचंद्र गुहा, 'इंडिया आफ्टर गांधी' में लिखते हैं, 'दोनों ने गर्मजोशी से एक-दूसरे को गले लगाया। वे 11 साल बाद मिल रहे थे, लेकिन दोनों में कोई शर्मिंदगी नहीं थी। उन्होंने अपनी कड़वाहट मिटा दी थी।' नेहरू और अब्दुल्ला के बीच कश्मीर का मुद्दा सुलझाने बातचीत और प्लानिंग हुई। 11 मई को अब्दुल्ला ने मीडिया से कहा था, 'नेहरू भारत का प्रतीक हैं। मुझे उनके बाद इतनी शिद्दत से कश्मीर की समस्या सुलझाने की क्षमता किसी में दिखाई नहीं देती।' 22 मई की प्रेस कॉन्फ्रेंस में नेहरू ने कश्मीर को लेकर उनके प्लान के बारे में कुछ भी बताने से मना कर दिया। दो दिन बाद 24 मई को अब्दुल्ला इस मुद्दे पर बात करने दो हफ्ते के लिए पाकिस्तान गए। उनकी बातचीत पूरी हो पाती इससे पहले ही नेहरू का निधन हो गया। कहा जाता है कि कश्मीर तनाव के बावजूद पाकिस्तान ने नेहरू के निधन पर एक दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया और अपना झंडा आधा झुकाया था। निधन से 5 दिन पहलेः नेहरू ने पत्रकारों से कहा- अभी मैं नहीं मरूंगा नेहरू के पर्सनल सेक्रेटरी और करीबी रहे एम. ओ. मथाई अपनी किताब ‘रेमिनिसेंस ऑफ नेहरू एज’ में लिखते हैं, ‘मैं नेहरू से आखिरी बार 27 अप्रैल 1964 को मिला था। मैंने उन्हें कुछ नोट्स दिए। दो बार पढ़ने के बाद भी वे उन्हें समझ नहीं पाए। मैंने उन्हें बोला कि चिंता करने की जरूरत नहीं है। नेहरू उस समय कोई भी जरूरी काम करने की स्थिति में नहीं थे।’ भुवनेश्वर में आए स्ट्रोक के बाद नेहरू ने पहली बार 22 मई को प्रेस कॉन्फ्रेंस की। कुछ 38 मिनट चली कॉन्फ्रेंस में, आधे घंटे तक नेहरू ने मीडिया के सवालों के जवाब दिए। यह नेहरू की सबसे छोटी प्रेस कॉन्फ्रेंस थी। पत्रकारों ने नेहरू से पूछा, ‘क्या आपको जीते जी ही अपना उत्तराधिकारी तय नहीं कर देना चाहिए?’ जवाब में नेहरू ने कहा, ‘मैं इतने जल्दी मरने नहीं वाला।’ यह सुनकर वहां मौजूद करीब 200 पत्रकारों की तालियों की आवाज से कमरा गूंज उठा। प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद नेहरू देहरादून के लिए निकल गए। बीमारी में अपने पिता का ध्यान रखने इंदिरा भी उनके साथ गई। निधन से 4 दिन पहलेः देहरादून गए, घंटों कपूर के पेड़ के नीचे गुमसुम बैठे रहते थे 23 मई को नेहरू देहरादून पहुंचे। वे घंटों गेस्ट हाउस में लगे कपूर के पेड़ के नीचे चुपचाप बैठे रहते। कभी सर्किट हाउस में घूमते या फिर घंटो सिर्फ उड़ते पक्षियों को देखते और उनकी आवाज सुनते बैठे रहते। वे कभी-कभी अपनी डायरी में कुछ लिख भी लिया करते। देहरादून में नेहरू सरकार में कैबिनेट मंत्री और आजादी के दौर से उनके साथी रहे, श्री प्रकाश भी रहते थे। 25 मई को नेहरू और इंदिरा उनके घर गए। तीनों ने साथ में दोपहर का खाना खाया, जिसके बाद इंदिरा और नेहरू सर्किट हाउस वापस लौट आए। थोड़ी देर बाद दोनों सहस्त्रधारा भी गए। इस बार नेहरू का मन देहरादून में इस कदर रम गया था, कि वे वापस दिल्ली आना ही नहीं चाहते थे। नेहरू की देहरादून में ठहरने की इच्छा देखकर, वहां के डीएम ए.पी. दीक्षित ने जून तक देहरादून रूकने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा, 'जरूरी फाइलें देहरादून ही मंगा लेंगे और काम यहीं से हो जाएगा।' जवाब में नेहरू ने कहा, 'हां काम तो सब हो जाएगा।' अगले दिन 27 मई को नेहरू की दिल्ली में मीटिंग थी, जिससे पहले उन्हें कुछ फाइलों पर भी काम करना था। ऐसे में चाहते हुए भी नेहरू देहरादून नहीं रुक सकते थे। 26 मई की दोपहर को ही वे और इंदिरा, दिल्ली के लिए निकल गए। अधिकारियों, राजनेताओं और पत्रकारों के दल ने उन्हें विदाई दी। शाम तक दोनों अपने घर तीन मूर्ति भवन पहुंच गए। नेहरू को देहरादून से विदाई दे रहे लोगों के समूह में पत्रकार और लेखक राज कंवर भी शामिल थी। वे कहते हैं, 'लौटते हुए नेहरू ने हमें एक हल्की मुस्कान दी, जिसे देखकर मैं चौंक गया। मैंने पहली बार नेहरू को इतनी रूखी मुस्कान देते हुए देखा था।' राज कंवर बताते हैं, 'नेहरू ने अपना बायां हाथ उठाकर हमें अलविदा कहा। लेकिन ऐसा लग रहा था कि उन्हें हाथ उठाने में उन्हें काफी मेहनत लग रही है। उनका दायां हाथ ज्यादा सक्रिय नहीं था। वहीं उनका दायां पैर भी ठीक से उठ नहीं पा रहा था। शायद भुवनेश्वर में आए स्ट्रोक के चलते ऐसा हो रहा था।' निधन से एक रात पहलेः देर तक जागते रहे, नींद की गोली खाई फिर भी सुबह 6 बजे उठ गए 26 मई की रात नेहरू और इंदिरा देहरादून से लौटे। सोने से पहले नेहरू ने कई फाइलें पूरी की। रात में उन्हें जब बहुत देर तक नींद नहीं आई तो नेहरू के सहयोगी नत्थू ने उन्हें नींद की दवा दी। इसके बावजूद अगली सुबह नेहरू 06:25 बजे उठ गए। सुबह उठने के बाद से ही उनके शरीर में दर्द था, लेकिन नेहरू ने किसी को जगाकर इसके बारे में नहीं बताया। थोड़ी देर बाद नत्थू जागा और पूरे घर को नेहरू की तबीयत का पता चला। डॉक्टर को बुलाया गया। चेकअप में पता चला की नेहरू की बड़ी धमनी अरोटा डैमेज हो गई है। कुछ देर बाद नेहरू बेहोश हो गए। डॉक्टर के मुताबिक वे कोमा में चले गए थे। इस नींद से नेहरू कभी नहीं उठे। दोपहर 01:44 बजे भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल को मृत घोषित कर दिया गया। नेहरू की इच्छा थी कि उनकी अस्थियों का एक हिस्सा इलाहाबाद में गंगा नदी में बहाया जाए। बाकी की अस्थियां एयरफोर्स के हवाई जहाज से देश के अलग-अलग हिस्सों में बिखेर दी जाए जहां भारत के किसान मेहनत करते हैं। एम. जे. अकबर की किताब, 'नेहरू: द मेकिंग ऑफ इंडिया' के मुताबिक, '12 जून को इंदिरा गांधी ने एयरफोर्स अधिकारी की मदद से पहलगाम के ऊपर से नेहरू की जन्मभूमि कश्मीर और हिमालय में अस्थियां बिखेर दी।' ----------- यह खबर भी पढ़िए... भारत का पहला न्यूक्लियर टेस्ट जिसने बदल दी दुनिया:बौखलाया था अमेरिका-चीन; 20 रुपए बीघा पर खरीदी गई टेस्टिंग साइट, फ्लाइट-सड़क से पहुंचे थे पुर्जे 18 मई 1974 की सुबह यानी आज से ठीक 51 साल पहले। प्रधानमंत्री आवास में सुबह से ही चहल-पहल थी। इंदिरा गांधी लोगों से मिल जरूर रही थीं, लेकिन अंदर से बेचैन थीं। उन्होंने करीब 8.30 बजे अपने सेक्रेटरी पीएन धर को आते देखा, तो लगभग दौड़ते हुए खुद ही उनके पास पहुंच गईं। इंदिरा ने पूछा- क्या हुआ... पूरी खबर पढ़िए
कच्चे आम से भरे एक कमरे में कैल्शियम कार्बाइड का छोटा सा टुकड़ा रख दीजिए। इससे निकली खतरनाक एसिटिलीन गैस 2-3 दिनों में पूरे कमरे के आम पका देगी। जिस कैल्शियम कार्बाइड का एक टुकड़ा इतना घातक है, उससे भरे 12 विशाल कंटेनर्स भारत के पास समुद्र में गिर गए हैं। 25 मई को डूबे लाइबेरियाई जहाज में ऐसे 640 कंटेनर्स थे, जिनमें अलग-अलग केमिकल्स और तेल मौजूद था। इनमें से कुछ कंटेनर्स तो बहकर तटों तक पहुंच गए हैं। आखिर 640 कंटेनर्स के साथ कैसे डूबा MSC एल्सा 3 शिप, इनमें ऐसा क्या है कि सरकार कंटेनर्स से 200 मीटर दूर रहने को कह रही है; जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में… सवाल-1: कोच्चि तट पर लाइबेरिया का कार्गो शिप MSC एल्सा 3 कैसे डूब गया?जवाब: 23 मई यानी शुक्रवार को केरल के विझिंजम बंदरगाह से लाइबेरियन कार्गो शिप MSC एल्सा 3 केरल के ही कोच्चि बंदरगाह के लिए रवाना हुआ। केरल के बंदरगाह मंत्री वीएन वासवन ने कहा, जहाज के झुकने का कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है, लेकिन आशंका है कि तेज हवाओं, लहरों या लोडिंग की समस्याओं की वजह से हादसा हुआ होगा। इंडियन कोस्ट गार्ड के मुताबिक, 25 मई को जहाज के होल्ड में तेजी से पानी भरने लगा था, जिस वजह से वह पलटकर डूब गया। कार्गो शिप पर 1 रूसी कैप्टन, 1 यूक्रेनी, 2 जॉर्जियाई और फिलीपींस के 20 लोग शामिल थे। MSC एल्सा 3 को 1997 में बनाया गया था। इसका मैनेजमेंट दुनिया की सबसे बड़ी कंटेनर शिपिंग कंपनी MSC के पास है, जो जिनेवा, स्विट्जरलैंड में स्थित है। 28 साल पुराने इस जहाज का आखिरी पोर्ट स्टेट कंट्रोल निरीक्षण 19 नवंबर 2024 को मैंगलोर में हुआ था, तब इसमें 5 कमियां पाई गई थीं। यह कार्गो शिप 183 मीटर लम्बा और 25 मीटर चौड़ा है। यानी यह साइज में दो फुटबॉल ग्राउंड जितना बड़ा है। सवाल-2: कार्गो शिप पर मौजूद 640 कंटेनर्स में क्या था और उनका क्या हुआ?जवाब: भारत के रक्षा मंत्रालय ने 25 मई को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर ट्वीट कर बताया, 'इस शिप में 640 कंटेनर्स थे। इन 13 कंटेनर्स में खतरनाक केमिकल्स थे और 12 कंटेनर्स में कैल्शियम कार्बाइड था। इसके अलावा जहाज के टैंकों में 84.44 मीट्रिक टन डीजल और 367.1 मीट्रिक टन फर्नेस ऑयल भी था।' इंडियन नेशनल सेंटर फॉर ओशियन इन्फॉर्मेशन सर्विसेज यानी INCOIS के मुताबिक, कंटेनरों या बाहरी चीजों का पता लगाने के लिए खोज और बचाव सहायता उपकरण को एक्टिव कर दिया गया। इसके अलावा किसी भी तेल रिसाव पर नजर रखने के लिए सिमुलेशन चलाए गए हैं। सवाल-3: कार्गो शिप के कंटेनर्स में मौजूद सामान कितने खतरनाक हैं?जवाब: केरल राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण यानी KSDMA ने केरल में तटीय इलाकों पर इमरजेंसी लगा दी है। मछुआरों और लोगों को तटीय इलाकों से दूर रहने की चेतावनी दी गई है। कंटेनर्स में मौजूद केमिकल्स का पानी में मिलने का डर है, जिससे किसी भी समय बड़ा हादसा हो सकता है। लोगों से समुद्र तट पर बहकर आए कंटेनरों या तेल को न छूने और फौरन पुलिस को सूचना देने की अपील की गई है। इस कार्गो शिप में 3 खतरनाक केमिकल्स और फ्यूल मौजूद थे... 1. कैल्शियम कार्बाइड: 12 कंटेनर्स में कैल्शियम कार्बाइड यानी CaC₂ मौजूद है। यह एक केमिकल कम्पाउंड है, जो ग्रे या काले रंग का ठोस पदार्थ होता है। यह इंडस्ट्रियल फॉर्म से एसिटिलीन गैस को बनाने, स्टील निर्माण और फल पकाने में इस्तेमाल किया जाता है। कैल्शियम कार्बाइड पानी के साथ मिलने पर एसिटिलीन गैस (C₂H₂) और कैल्शियम हाइड्रॉक्साइड (Ca(OH)₂) उत्पन्न करता है। एसिटिलीन गैस अत्यधिक ज्वलनशील होती है और हवा में 2.5% से 82% की सांद्रता पर विस्फोट कर सकती है। यह गैस छोटी सी चिनगारी या गर्मी से आग पकड़ सकती है, जिससे समुद्र में विस्फोट भी हो सकता है। अगर कंटेनर में मौजूद कैल्शियम कार्बाइड समुद्र के पानी में मिल गया, तो यह तेजी से एसिटिलीन गैस बनाएगा। यह गैस हवा में जमा हो जाएगी और विस्फोट कर सकती है। कैल्शियम हाइड्रॉक्साइड पानी के pH को बढ़ा देता है, जिससे समुद्र का इकोसिस्टम बिगड़ जाता है। यह मछलियों, कोरल और अन्य पानी वाले जीवों के लिए जानलेवा हो सकता है। 2. मरीन गैस ऑयल: शिप में 84.44 मीट्रिक टन मरीन गैस ऑयल यानी डीजल भी था, जिसका इस्तेमाल जहाज को चलाने के लिए किया जाता है। यह हाइड्रोकार्बन से बना होता है, जिसमें एल्केन और एरोमैटिक कम्पाउंड्स होते हैं। यह पानी की सतह पर तैरता रहता है, जिससे ऑक्सीजन कम होती है और समुद्री जीवन प्रभावित होता है। यह लम्बे समय तक समुद्र में रह सकता है और तटीय इलाकों में जमा हो जाता है। दरअसल, डीजल पानी की सतह पर एक पतली परत बनाता है, जो सूर्य की किरणों और ऑक्सीजन को पानी में जाने से रोकती है। INCOIS के अनुसार, यह 36 से 48 घंटों में अलप्पुझा, कोल्लम, एर्नाकुलम और तिरुवनंतपुरम तक पहुंच सकता है। 3. फर्नेस ऑयल: यह एक भारी ईंधन तेल है, जो जहाजों के इंजन को चलाने के लिए इस्तेमाल होता है। शिप में 367.1 मीट्रिक टन फर्नेस ऑयल मौजूद था। यह डीजल से ज्यादा गाढ़ा और जटिल हाइड्रोकार्बन मिश्रण होता है, जिसमें सल्फर की मात्रा कम होती है। यह पानी में आसानी से नहीं फैलता, लेकिन यह समुद्री तल पर जमा हो सकता है, जिससे लम्बे समय तक प्रदूषण होता है। इसमें भारी धातु यानी निकल, वैनेडियम और PAHs होते हैं, जो पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं। भारी होने की वजह से यह समुद्र तल तक डूब सकता है। यह समुद्री पौधों, मछलियों, पक्षियों और स्तनधारी जीवों को खत्म कर सकता है। इनके अलावा बाकी कंटेनर्स में भी खतरनाक कैमिकल्स मौजूद हैं, जिनकी जानकारी नहीं मिल पाई है। ICG, नौसेना, आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और तटीय पुलिस जहाजों और विमानों के जरिए लगातार निगरानी कर रहे हैं। ICG के मुताबिक यह कंटेनर्स 1 किमी. प्रति घंटे की रफ्तार से तटीय इलाकों की तरफ बढ़ रहे। इसे लेकर केरल में अलर्ट जारी किया गया है। सवाल-4: अगर तेल या केमिकल रिसाव हुआ, तो इसे कैसे साफ किया जाएगा?जवाब: समुद्र में Oil Spill यानी तेल रिसाव को साफ करने के लिए कई तकनीक और तरीके अपनाए जाते हैं, जो रिसाव की मात्रा, उसके प्रकार, जगह और मौसम पर निर्भर करते हैं... 1. तेल को फैलने से रोकना: तेल रिसाव वाली जगह के चारों ओर Booms को फैलाया जाता है, ताकि तेल आगे न फैले। ये लंबी और तैरने वाली रबर या प्लास्टिक की दीवारें होती हैं, जो तेल को एक जगह इकट्ठा करती हैं। इस तकनीक का इस्तेमाल रिसाव के तुरंत बाद किया जाता है। 2. तेल को पानी से निकालना: इसमें मशीन के जरिए तेल हटाया जाता है। इसमें Skimmers मशीनों या बोट्स का इस्तेमाल किया जाता है, जो पानी से तेल खींचकर कंटेनरों में भर देती हैं। इसका इस्तेमाल समुद्री सतह के ठहरे पानी में किया जाता है। 3. तेल को छोटे टुकड़ों में तोड़ना: गहरे पानी में फैले तेल को साफ करने के लिए Dispersants जैसे केमिकल्स डाले जाते हैं, जो तेल को छोटे-छोटे कणों में तोड़ देते हैं। फिर ये पानी में घुलकर बायो डिग्रेड यानी नष्ट हो जाते हैं। हालांकि ये तरीका समुद्री इकोसिस्टम के लिए अच्छा नहीं है। 4. समुद्र पर ही तेल जलाना: अगर तेल ताजा और मोटी परत में है, तो उसे वहीं समुद्र पर जलाया जाता है। इससे 90% तक तेल खत्म किया जा सकता है, लेकिन इससे काफी धुआं और जहरीली गैसें निकलती हैं, जिससे वायु प्रदूषण होता है। 5. तेल सोखने वाले पदार्थ डालना: पुआल, ज्वालामुखीय राख, स्पंज, फाइबर जैसे मैटीरियल तेल सोख लेते हैं। इन्हें तेल रिसाव वाले इलाके में डालकर तेल सोखा जा सकता है। ये छोटे रिसाव या तटीय इलाकों में कारगर होते हैं। 6. तेल को खाने वाले बैक्टीरिया डालना: पैरापरलुसीडिबाका, साइक्लोक्लास्टिकसजैसे बैक्टीरिया या माइक्रोब्स होते हैं, जो तेल को जैविक रूप से तोड़ देते हैं। इनका तेल रिसाव में इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन इसका इस्तेमाल तब होता है, जब सफाई के दूसरे ऑप्शन कमजोर पड़ जाते हैं। सवाल-5: अगर शिप में मौजूद तेल समुद्री पानी में मिल गया तो क्या होगा?जवाब: इसके 3 बड़े इम्पैक्ट होंगे… 1. बड़ी संख्या में समुद्री जीवों की मौत 2. समुद्र की इकोलॉजी को नुकसान 3. इंसानों की सेहत और कमाई पर असर सवाल-6: क्या पहले भी जहाज के डूबने से तेल या केमिकल रिसाव की घटनाएं हो चुकी है?जवाब: हम यहां दुनियाभर के 4 बड़े हादसे बता रहे हैं, इसमें लाखों समुद्री जीवों की मौत हुई और कई लोग मारे गए… कल सुबह 6 बजे ऐसे ही बेहद जरूरी टॉपिक पर पढ़िए और देखिए एक और 'आज का एक्सप्लेनर' --------------------------- जहाजों के डूबने से जुड़ी अन्य खबर पढ़ें- केरल में लाइबेरिया का कार्गो शिप डूबा: नेवी और कोस्टगार्ड ने सभी 24 क्रू मेंबर्स का रेस्क्यू किया; कंटेनर्स में खतरनाक केमिकल थे केरल में कोच्चि तट पर लाइबेरिया का कार्गो शिप MSC एल्सा 3 डूब गया। इंडियन कोस्ट गार्ड (ICG) और नेवी ने सभी 24 क्रू मेंबर्स को बचा लिया गया। शिप पर लदे 640 कंटेनर्स में कैल्शियम कार्बाइड, डीजल, फर्नेस ऑयल समेत कुछ खतरनाक केमिकल्स भरे थे। पूरी खबर पढ़ें...
ऑपरेशन सिंदूर के बाद हुए ऐसे ही कुछ किस्से जब पाकिस्तान का झूठ दुनिया भर के लिए हंसी का विषय बना, ऊपर दी गइ इमेज पर क्लिक कर पूरा वीडिये देखिए
‘मेरी बेटी DPS द्वारका में पढ़ती है। 16 मई की सुबह हम उसे लेकर स्कूल पहुंचे लेकिन बाउंसर्स ने अंदर नहीं जाने दिया। वहां एक टीचर बच्चों की लिस्ट लेकर खड़ी थी। वो बच्चों की पहचान करके बता रही थी कि किसे रोकना है। मेरी बेटी को मेल बाउंसर ने हाथ पकड़कर रोका।‘ दिल्ली में रहने वाली पिंकी पांडे के दोनों बच्चे DPS द्वारका में पढ़ते हैं। बेटा 10वीं और बेटी 6वीं क्लास में हैं। स्कूल के गेट पर ये बर्ताव झेलने वाले सिर्फ पिंक के बच्चे नहीं है। दरअसल दिल्ली पब्लिक स्कूल (DPS) द्वारका में 2025-26 सेशन की फीस बढ़ा दी है, जिसे लेकर विवाद चल रहा है। पेरेंट्स का आरोप है कि स्कूल ने डायरेक्टोरेट ऑफ एजुकेशन (DoE) की मंजूरी के बिना बीते 5 सालों में फीस ₹1,39,630 से बढ़ाकर करीब ₹1,90,000 कर दी। जब पेरेंट्स ने इसका विरोध किया, तो स्कूल ने 32 बच्चों को निकाल दिया और गेट पर बाउंसर खड़े दिए। 100 से ज्यादा पेरेंट्स स्कूल के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचे। हाई कोर्ट ने भी स्कूल को ‘पैसे कमाने की मशीन‘ और बच्चों के साथ व्यवहार को ‘यातना‘ बताया है। फीस को लेकर विवाद क्या है? इसके पीछे स्कूल की क्या दलील है? दिल्ली की BJP सरकार इस पर क्या एक्शन ले रही है? ये जानने के लिए हम ग्राउंड पर पहुंचे। स्कूल के गेट पर बाउंसर्स लगाए, बच्चों को जबरदस्ती घर भेजाफीस बढ़ाने का ये पूरा विवाद 9 मई 2025 को तब शुरू हुआ। जब DPS द्वारका स्कूल ने बढ़ी हुई फीस न भरने पर 32 बच्चों के नाम काट दिए। आरोप है कि 13 मई को जब ये बच्चे स्कूल पहुंचे, तो 4 मेल और दो फीमेल बाउंसर्स ने उनकी आईडी चेक की और उन्हें वापस भेज दिया। इन्हें घर भेजने से पहले पेरेंट्स को बताया भी नहीं गया। ज्योति द्वारका सेक्टर-3 में रहती हैं। उनका बेटा DPS द्वारका में क्लास 4 में पढ़ता है। वे 13 मई का वाकया बताते हुए कहती हैं, जब बेटा स्कूल पहुंचा तो पहले गेट पर बाउंसर्स ने रोका। फिर पुलिस बुलाने पर स्कूल ने बच्चों को अंदर ले लिया। हमारे घर लौटने के थोड़ी देर बाद ही बच्चों को बसों से जबरदस्ती घर भेज दिया गया। ’कोर्ट के ऑर्डर के बाद स्कूल पहुंचने पर भी बच्चों के साथ ऐसा बर्ताव हुआ। बताइए 8 साल के बच्चे को बाउंसर्स रोक रहे हैं। फिर जबरदस्ती घर छोड़कर जा रहे हैं। मैं और मेरे पति दोनों जॉब पर चले जाते हैं। हमें बिना बताए बाउंसर बच्चे को गेट पर छोड़ गए। इत्तेफाक से उस दिन हम घर पर थे, वरना बच्चा कहां जाता।’ ज्योति बच्चों की सेफ्टी को लेकर परेशान हैं। वे इस बारे में बात करने के लिए जब 15 मई को स्कूल में पेरेंट्स-टीचर मीटिंग के लिए गईं, तो उन्हें भी अंदर जाने से रोक दिया गया। वे कहती हैं, ‘ऐसा लग रहा है, जैसे स्कूल कानून से ऊपर हो गया है। इस तरह मनमानी होती रही तो बाकी स्कूल भी यही करेंगे।’ पेरेंट्स का आरोप है कि DPS द्वारका ने 2020 से 2025 तक लगातार फीस बढ़ाई है। बढ़ी फीस जमा नहीं की तो नाम काटा, बच्चों से कैदियों जैसा किया सलूकइसके बाद हम एक और पेरेंट्स शिल्पी सिंह से मिले। उनके दोनों बच्चे भी DPS द्वारका में पढ़ते हैं। बेटी 10वीं और बेटा 6वीं क्लास में है। शिल्पी ने भी बढ़ी हुई फीस जमा नहीं की थी, जिसके बाद स्कूल से उनके दोनों बच्चों के नाम काट दिए गए। शिल्पी आरोप लगाती हैं कि दोनों बच्चों की एक जैसी फीस देने के बाद भी पिछले साल बेटी का नाम काट दिया। फिर उसे लाइब्रेरी में बैठाए रखा। वहां उसके साथ कैदियों जैसा सलूक किया गया। इस साल स्कूल ने बेटे का नाम काट दिया। अब मेरा बेटा स्कूल ही नहीं जाना चाहता। उसे टेंशन में फीवर तक आ गया है।’ ’बच्चे को क्लास के वॉट्सएप ग्रुप तक से निकाल दिया। इसके बाद से क्लास के बाकी बच्चे बेटे को कॉल करके पूछ रहे हैं कि तुम्हारा नाम क्यों काटा। क्या तुम्हारे पापा ने अब तक फीस नहीं भरी? वो बहुत परेशान है। उसकी पढ़ाई का भी नुकसान हो रहा है।’ पुलिस ने भी पेरेंट्स को किया परेशान, स्कूल ने कोर्ट केस से डरकर छुट्टी की दिव्य माटे कोर्ट में बाकी पेरेंट्स की तरफ से हमेशा मौजूद रहते हैं। वे आरोप लगाते हैं कि DPS सभी कानून और कोर्ट के आदेश को धता बता रहा है। वो पेरेंट्स के खिलाफ बदले की भावना से काम कर रहा है। दिव्य का बेटा DPS द्वारका में 11वीं क्लास में ही पढ़ता है। वे पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहते हैं, पेरेंट्स ने मदद के लिए पुलिस को स्कूल बुलाया लेकिन पुलिस वाले नाम के बैच हटाकर स्कूल की ही मदद करने लगे, उल्टा हमें ही गेट पर रोक दिया। मुकेश स्कूलों के फीस बढ़ाने पर आम आदमी पार्टी और BJP दोनों की मिलीभगत का आरोप लगाते हैं। वे कहते हैं कि हमने पिछली सरकार से शिकायत की तब कोई सुनवाई नहीं हुई। अब स्कूल इस सरकार की भी कोई बात नहीं मान रहे हैं। मुकेश का बेटा यहां 5वीं क्लास में पढ़ता है। वे आरोप लगाते हुए कहते हैं, 'हमारे सामने बाउंसर धक्के देकर बच्चों को निकाल रहे थे। ये सब एक प्लान बनाकर किया गया। हमारे फीस के पैसे इस्तेमाल कर हमारे ही बच्चों को परेशान किया जा रहा है।' पिंकी आरोप लगाती हैं कि स्कूल में मामले से डरकर अचानक गर्मी की छुट्टी कर दी। वे कहती हैं, ‘16 मई को केस की कोर्ट में सुनवाई थी। उसी दिन 10वीं के बच्चों को बताया गया कि उनका मिड-टर्म का एग्जाम 19 तारीख से शुरू होगा। कोर्ट में जब DPS के वकील को फटकार लगी तो वकील ने स्कूल बंद होने का हवाला दे दिया।‘ हाई कोर्ट बोला- स्कूल पैसे कमाने की मशीन बनाDPS द्वारका स्कूल में मनमाने तरीके से फीस बढ़ाने का मामला 2024 से ही कोर्ट में है। 14 जुलाई 2024 से लेकर 20 मई 2025 तक दिल्ली हाई कोर्ट केस की कई बार सुनवाई कर चुका है। 16 अप्रैल 2025 को दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस सचिन दत्ता ने इस मामले में स्कूल को फटकार लगाई। उन्होंने स्कूल “पैसे कमाने की मशीन” बताया। कोर्ट ने बच्चों को लाइब्रेरी में कैद करने, कैंटीन-वॉशरूम जाने से रोकने और भेदभावपूर्ण बर्ताव को अमानवीय और चिंताजनक बताया। कोर्ट ने स्कूल को निर्देश दिया कि किसी भी बच्चे के साथ भेदभाव या मानसिक उत्पीड़न न हो। उन्हें रेग्युलर क्लास में शामिल किया जाए। इसके बाद 17 अप्रैल 2025 को भी कोर्ट ने स्कूल के खिलाफ सख्त टिप्पणी करते हुए पूछा, ‘क्या स्कूल को बंद कर देना चाहिए और प्रिंसिपल पर मुकदमा चलाना चाहिए?’ इससे पहले 14 जुलाई 2024 को भी दिल्ली हाई कोर्ट ने पेरेंट्स को अंतरिम राहत देते हुए स्कूल को आदेश दिया था कि 2024-25 सत्र के लिए पेरेंट्स बढ़ी हुई फीस का 50% जमा करें। फीस न देने की वजह से जिन बच्चों के नाम काटे गए थे, उन्हें स्कूल की लिस्ट में दोबारा शामिल किया जाए। जांच में बाउंसर्स तैनात करने वाली बात सही निकलीDPS द्वारका स्कूल से 32 बच्चों निकालने को पेरेंट्स ने कोर्ट और DoE के आदेशों की अवहेलना बताया। 13 मई 2025 को DoE ने स्कूल का दौरा किया और पाया कि स्कूल ने बच्चों को क्लास में जाने से रोका और गेट पर बाउंसर तैनात किए हैं। DoE ने स्कूल को निकाले गए बच्चों को तुरंत बहाल करने और भेदभाव न करने का आदेश दिया। साथ ही स्कूल को 3 दिन में रिपोर्ट जमा करने को कहा। कोर्ट ने कहा- बच्चों को निकालना सैडिस्टिक और अमानवीय 15 मई 2025 को 102 पेरेंट्स ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें स्कूल को दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल (LG) के कंट्रोल में लेने की मांग की। 16 मई 2025 को जस्टिस विकास महाजन ने केस की सुनवाई करते हुए स्कूल से सवाल किया कि बिना नोटिस के 32 बच्चों को कैसे निकाला गया। कोर्ट ने कहा कि स्कूल ने दिल्ली स्कूल एजुकेशन एक्ट, 1973 की धारा 35(4) का उल्लंघन किया, जिसमें निष्कासन से पहले पेरेंट्स को नोटिस देना जरूरी है। कोर्ट ने स्कूल के वकील से नोटिस के सबूत मांगे, लेकिन स्कूल कोई सबूत नहीं दे सका। फिर 20 मई 2025 को जस्टिस सचिन दत्ता ने स्कूल के वकील पुनीत मित्तल से नोटिस के सबूत मांगे, लेकिन स्कूल फिर कोई सबूत पेश नहीं कर सका। कोर्ट ने बच्चों के निष्कासन को ‘सैडिस्टिक‘ और ‘अमानवीय‘ करार दिया। कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है और अब केस में अगली सुनवाई 5 जून को होगी। पेरेंट्स बोले- सख्ती के बाद DPS द्वारका फीस लेने से बच रहाद्वारका में रहने वाले सोमेंद्र यादव के दोनों बच्चे इसी स्कूल में हैं। बेटी 11वीं और बेटा 6वीं क्लास में है। वे बताते हैं, ‘मैं बच्चों की फीस हमेशा स्कूल के नाम चेक से देता हूं। जब मैंने अप्रैल की फीस दी तो स्कूल ने चेक रख लिया लेकिन उसे इनकैश नहीं किया।‘ चेक जमा करने के बाद मैंने प्रिंसिपल और अकाउंट को मेल भी किया लेकिन कोई रिप्लाई नहीं आया। फिर 3 बार रिमांडर डालने के बाद मैंने DoE से शिकायत की। तब जाकर मेरे बच्चों का नाम कटने से बचा है। अगर मैं शिकायत नहीं करता तो मेरे बच्चों का भी नाम काट दिया जाता। DPS द्वारका ने सवालों के जवाब नहीं दिएपरिजन के आरोपों को लेकर हमने DPS द्वारका के मैनेजमेंट से बात करने की कोशिश की। पहली बार हम 17 मई को स्कूल गए और फिर 23 को दोबारा DPS द्वारका पहुंचे। 17 मई की शाम 5 बजे हमें बताया गया कि स्कूल में गर्मी की छुट्टियां हो गई हैं। फिर 23 मई को गेट पर मिले गार्ड ने स्कूल के रिसेप्शन नंबर पर कॉल करने के लिए कहा। हमने स्कूल को कॉल किया और अपने सवाल भी ईमेल किए। खबर लिखे जाने तक कॉल और ईमेल का कोई रिप्लाई नहीं आया है। स्कूल प्रबंधन का जवाब मिलने पर खबर में अपडेट किया जाएगा। 11 स्कूलों को फीस बढ़ाने पर दिल्ली सरकार का नोटिसDPS में फीस बढ़ने का मामला सामने आने के बाद दिल्ली सरकार ने स्कूलों का ऑडिट किया। अप्रैल 2025 तक दिल्ली सरकार ने 600 निजी स्कूलों के फाइनेंशियल रिकॉर्ड का ऑडिट किया। 17 अप्रैल 2025 को दिल्ली के 11 स्कूलों को पिछले 10 सालों तक ऑडिट रिपोर्ट जमा न करने और गैर-कानूनी तरीके से फीस बढ़ाने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। इनमें DPS द्वारका भी शामिल है। इन स्कूलों पर 2024-25 सत्र के लिए फीस बढ़ाने का आरोप हैं। ये फीस DoE की मंजूरी के बिना बढ़ाई गई। पेरेंट्स का आरोप है कि दिल्ली सरकार की कार्रवाई धीमी है। दिल्ली में 1,677 मान्यता प्राप्त निजी स्कूल हैं, जिनमें अभी सिर्फ 600 का ऑडिट हुआ है। शिक्षा मंत्री बोले- निजी स्कूलों के लिए “जीरो टॉलरेंस” दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि सरकार निजी स्कूलों की अनियमितताओं पर “जीरो टॉलरेंस” की नीति अपनाएगी। उन्होंने दावा किया कि AAP के समय में 75 स्कूलों के वार्षिक ऑडिट हुए, लेकिन BJP सरकार ने इसकी तुलना में तेजी से कार्रवाई की है। वहीं मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि उनकी सरकार “शिक्षा माफिया” के खिलाफ है और बच्चों के हितों की रक्षा करेगी। दूसरी ओर विपक्ष में बैठी आम आदमी पार्टी ने BJP पर “शिक्षा माफिया” को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है। पूर्व शिक्षा मंत्री आतिशी ने मुख्यमंत्री को लेटर लिखकर स्कूलों के ऑडिट के लिए CAG-पंजीकृत ऑडिटर नियुक्त करने और फीस वसूली पर रोक लगाने की मांग की। ............................. ये खबर भी पढ़ें... दिल्ली के स्कूल मनमानी फीस नहीं वसूल सकेंगे दिल्ली सरकार ने सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में फीस रेगुलेट करने के लिए बिल पास कर दिया है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की अध्यक्षता में हुई मीटिंग में यह फैसला लिया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा किदिल्ली सरकार ने ‘दिल्ली स्कूल एजुकेशन ट्रांसपेरेंसी इन फिक्सेशन एंड रेगुलेशन बिल 2025’ पास करके अहम और एतिहासिल फैसला लिया है। पढ़िए पूरी खबर...
Russia Ukaine war:नए हमलों पर ट्रंप के कड़े बयानों को भी रूस ने भावनात्मक टिप्पणी कहा है. मतलब पुतिन अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप को सीरियस ले ही नहीं रहे. रूस की इस प्रतिक्रिया ने ट्रंप की और ज्यादा फ़जीहत करवा दी है.
Why Alcohol was banned in Saudi:कुरान के सूरह-ए-बकरा की आयत संख्या 219 में शराब को हराम बताया गया है. मक्का और मदीना जैसे पवित्र शहरों वाला सऊदी अरब इस्लामिक रीति-रिवाजों और सख्त शरीयत कानूनों के लिए जाना जाता है.
'बांग्लादेश में न शादी करना और नहीं दुल्हन खरीदना'... चीन ने अपने नागरिकों को क्यों दी ये चेतावनी?
China Bangladeshi Brides:बांग्लादेश में चीन के दूतावास ने अपने नागरिकों को ऑनलाइन मैचमेकिंग घोटालों के जरिए से 'विदेशी पत्नी खरीदने' की 'भ्रामक धारणा' से बचने की चेतावनी दी है.दूतावास ने रविवार को जारी एडवाइजरी में चीनी नागरिकों से गैर-कानूनी क्रॉस बॉर्डर शादी से दूर रहने और ऑनलाइन मैचमेकिंग से बचकर रहने को कहा है.
Liu Blind Love Story:'प्यार अंधा होता है.' ये कहावत चीन के एक शख्स पर सटीक बैठता है. यहां के दक्षिण-पश्चिमी चीन में एक शख्स ने अपनी प्रेमिका के लिए करोड़ों रूपये की ठगी को अंजाम दिया.सितंबर 2019 से लेकर अब तक आरोपी लियू ने 70 से ज्यादा लोगों को धोखा देकर करोड़ों रूपये की ठगी की.
क्या प्लेन में फ्रांसीसी राष्ट्रपति को पत्नी ने चेहरे पर मारा थप्पड़? वायरल वीडियो के बाद मची हलचल
Emmanuel Macron and wife viral video:इस वक्त फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के वियतनाम पहुंचने का एक वीडियो इंटरनेट पर जमकर वायरल हो रहा है. वायरल वीडियो में उनकी पत्नी ब्रिजिट मैक्रों विमान से उतरते ही उनके चेहरे पर तमाचा मारती नजर आ रही हैं. कैमरे में कैद हुई मैक्रों की पत्नी की अजीबोगरीब हरकत चर्चा का विषय बनी हुई है.
मुस्लिम देश घूमने गई थी महिला, बीमार पड़ने से हुई मौत; बाद में पता चला- बॉडी में नहीं था दिल
UK Woman Dies On Vacation In Turkey: इंग्लैंड के पोर्ट्समाउथ की रहने वाली 28 साल की बेथ मार्टिन अपने बच्चों के साथ छुट्टी मनाने के लिए तुर्की गई थीं. लेकिन एक अज्ञात बीमारी की वजह से उनकी मौत हो गई. इसके बाद पोस्टमार्टम रिपोर्ट में जो खुलासा हुआ वो बेहद ही हैरान करने वाला है. उनके शरीर में दिल ही नहीं था. आरोप है कि उनका दिल इलाज के दौरान निकाल लिया गया.
1 मिनट में तीन हजार गोलियां दागेगी ये बंदूक, AK-47 और एके-56 का बाप साबित होगा ये हथियार
चीन ने ऐसी असॉल्ट रायफल तैयार की है, जो एक मिनट में तीन हजार गोलियां दाग सकेगी. चीन की ये कैपेसिटर फ्री कॉयल गन की ताकत देख आप एके-47 और एके-56 भूल जाओगे.
यूक्रेन ने की पुतिन की हत्या की कोशिश? रूसी कमांडर का दावा, पीछे-पीछे आया था कीव का ड्रोन
Putin Assassination Attempt: रूस-यूक्रेन जंग के बीच रूसी कमांडर का एक दावा सामने आया है. उनका कहना है कि यूक्रेन ने राष्ट्रपति पुतिन की हत्या की कोशिश की है.
किम जोंग उन की शान में गुस्ताखी की सजा सिर्फ मौत! युद्धपोत ढहने पर चार बड़े अफसरों पर लटकी तलवार
KIm Jong Un News: उत्तर कोरिया के तानाशाह शासक किम जोंग उन की शान में गुस्ताखी की सजा क्या होती है, ये सब जानते हैं. नार्थ कोरिया के तानाशाह के सामने लॉन्च करते वक्त नए युद्धपोत का एक हिस्सा ढह जाने का मामला अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में है.
Guyana Stands With India Against Terrorism: पूरी दुनिया में जब भी भारत के प्रति सहयोग की बात आती है तो दो देश सबसे आगे होते हैं, दोनों के नाम भी अधिकतर लोगों को पता होंगे, एक रूस दूसरा इजरायल, लेकिन ऑपरेशन सिंदूर के बाद पूरी दुनिया में कई देशों ने भारत के प्रति समर्थन की बात कही, लेकिन एक देश ने तो खुलेआम कह दिया कि आतंकवाद के खिलाफ हम पूरी तरह भारत के साथ खड़े हैं. जानें पूरी बात.
ज्योति मल्होत्रा के साथ मारपीट के दावे से बांग्लादेश का वीडियो हुआ वायरल
बूम ने पाया कि यह वीडियो बांग्लादेश का है. इसका ज्योति मल्होत्रा केस से कोई संबंध नहीं है.
भारत ने निकाली कचूमर, ऑपरेशन सिंदूर का 'घाव' सीने में लिए तुर्की क्यों भागे PM शहबाज-असीम मुनीर?
PM Shehbaz Sharif and Munir meets Turkish President: भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर हुए अभी 15 दिन ही हुए हैं कि पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ औरपाकिस्तानी सेना प्रमुख, फील्ड मार्शल जनरल असीम मुनीर तुर्की की चौखट पर सिर झुकाने पहुंच गए हैं. आइए जानते हैं आखिर क्यों तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोआन को धन्यवाद ये दोनों दे रहे हैं.
अमेरिका में कोविड के नए वेरिएंट ने दी दस्तक, एयरपोर्ट में अफरा-तफरी, इन देशों से पहुंच रहे मरीज
COVID 19 New Variant: दुनियाभर में एक बार फिर कोरोनावायरस के खतरे की स्थिति बढ़ रही है. हाल ही में अमेरिका में भी कोविड के नए वेरिएंट वाले मरीजों का मामला सामने आया है.
उधर रूस ने यूक्रेन पर बरसाए गोले-बारूद वहां पुतिन पर बिगड़े ट्रंप, रूसी नेता को क्यों कह दिया पागल?
Trump On Russia Strike In Ukraine: बीते दिनों रूस ने यूक्रेन के की इलाकों में रात के समय भीषण हवाई हमले किए. इसको लेकर ट्रंप ने पुतिन की आलोचना की है.
उम्र 124 साल, 10000 बच्चों का बाप...मिलिए लोगों को निवाला बनाने वाले नरभक्षक से
Oldest Nile Crocodile: दक्षिण अफ्रीका के क्रोकवर्ल्ड कंजर्वेशन सेंटर में रहने वाला एक विशालकाय नील मगरमच्छ 'हेनरी' ने इस सप्ताह अपना 124वां जन्मदिन मनाया.हालांकि, उनकी सही जन्मतिथि की जानाकारी किसी के पास नहीं है. जबकि हेनरी का जन्मदिन हर साल 16 दिसंबर को मनाया जाता है. चलिए इसके बारे में जानते हैं.
शेख हसीना का तख्तापलट हुए 10 महीने भी नहीं हुए और बांग्लादेश में फिर उथल-पुथल है। पिछले 5 दिनों में हालात बहुत तेजी से बिगड़े और खबरें आईं कि अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस इस्तीफा देने पर विचार कर रहे हैं। बांग्लादेशी सेना प्रमुख जनरल वकार के बयान भी बहुत कुछ इशारा कर रहे हैं। मोहम्मद यूनुस के इस्तीफे तक बात कैसे पहुंची, सेना प्रमुख और राजनीतिक दलों से उनकी क्यों ठनी और बांग्लादेश में आगे क्या होगा; जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में... सवाल-1: आखिर बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस के इस्तीफे तक बात कैसे पहुंची? जवाब: इस सब की शुरुआत होती है 10 महीने पहले जुलाई 2024 से। बांग्लादेश में अवामी लीग सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए। धीरे-धीरे ये प्रदर्शन हिंसक विद्रोह में बदल गया और बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना को इस्तीफा देकर देश छोड़ना पड़ा। उन्हें भारत ने पनाह दी। अब सवाल था कि देश कौन चलाएगा? इसलिए नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस की अगुआई में एक अंतरिम सरकार का गठन हुआ। उन्हें प्रमुख सलाहकार बनाया गया। इस अंतरिम सरकार को प्रदर्शनकारी छात्र नेताओं के अलावा बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) और जमात–ए-इस्लामी समेत कई राजनीतिक दलों और बांग्लादेशी सेना ने पूरा समर्थन दिया था। अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस का झुकाव शुरुआत से ही शेख हसीना के खिलाफ आंदोलन चलाने वाले छात्र नेताओं की तरफ रहा। इन छात्र नेताओं ने नेशनल सिटिजन पार्टी यानी NCP बनाई। BNP अक्सर यूनुस सरकार पर NCP के प्रति समर्थन का आरोप लगाती रही है। वहीं, यूनुस सरकार ने ‘मानवीय कॉरिडोर’ समेत कई अहम मुद्दों पर BNP और दूसरी पार्टियों के साथ सलाह मशविरा नहीं किया। इससे पार्टियों में भारी नाराजगी है। कई और मुद्दों पर भी यूनुस सरकार के खिलाफ देश में राजनीतिक प्रदर्शन हो रहे हैं, आंदोलन की तैयारी चल रही है। इस पर यूनुस ने निराशा जाहिर की है। दरअसल, 20 मई 2025 को बंद कमरे में एक मीटिंग हुई। इसमें मोहम्मद यूनुस और बांग्लादेश की तीनों सेनाओं के प्रमुख शामिल थे। ऊपर से देखने पर तो ये एक सामान्य मीटिंग थी, लेकिन इसी के बाद यूनुस ने अंतरिम सरकार के सभी सलाहकारों को बुलाकर कहा कि वो इस्तीफा देने पर विचार कर रहे हैं। सवाल-2: बांग्लादेश के सेना प्रमुख और मोहम्मद यूनुस के बीच किस बात पर ठन गई है? जवाब: बांग्लादेशी अखबार 'The Daily Star' की रिपोर्ट के मुताबिक जनरल वकार 21 मई को ढाका कैंटोनमेंट में एक बड़ी बैठक को संबोधित कर रहे थे। इसमें देशभर के अफसर कॉम्बैट ड्रेस में मौजूद थे। जनरल वकार ने कहा- बांग्लादेश को राजनीतिक स्थिरता चाहिए और यह केवल एक चुनी हुई सरकार से ही संभव है, न कि किसी बिना चुने गए प्रशासन से। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि इस साल दिसंबर तक देश में चुनाव करवाए जाने चाहिए। हालांकि मोहम्मद यूनुस का कहना है कि चुनाव 2026 के मध्य से पहले नहीं होंगे। जनरल वकार यूनुस सरकार के कुछ और फैसलों के भी खिलाफ हैं। जैसे म्यांमार के राखिन में एक मानवीय कॉरिडोर खोलने के प्रस्ताव पर उन्होंने कहा- कोई गलियारा नहीं होगा। बांग्लादेश की संप्रभुता कोई सौदेबाजी का विषय नहीं है। उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसा कोई कदम बांग्लादेश को किसी और के युद्ध में खींच सकता है। उन्होंने साफ कहा- ऐसे फैसले सिर्फ एक चुनी हुई राजनीतिक सरकार ही ले सकती है। दरअसल, यूनुस सरकार ने पिछले दिनों ऐसे ही कुछ और नीतिगत फैसले लिए। जैसे- चटगांव पोर्ट का मैनेजमेंट विदेशी कंपनी को देना, इलॉन मस्क की सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस स्टारलिंक को मंजूरी देना। जनरल वकार ने कहा- सेना किसी को भी हमारी संप्रभुता के साथ समझौता नहीं करने देगी। सेना प्रमुख के इन बयानों से साफ दिख रहा है कि वो अंतरिम सरकार के फैसलों से परेशान हैं। बांग्लादेश में सेना और सरकार के रिश्ते बिगड़ रहे हैं। सवाल-3: जब यूनुस को बांग्लादेश की कमान सौंपी गई थी, तब क्या तय हुआ था? जवाब: 8 अगस्त 2024 को मोहम्मद यूनुस ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया के तौर पर शपथ ली थी। उन्होंने रक्षा, शिक्षा, ऊर्जा और सूचना जैसे 27 मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाली। अंतरिम सरकार में यूनुस के साथ एक दर्जन से ज्यादा सलाहकार भी हैं। इस सरकार के एजेंडों में तय किया गया... सवाल-4: क्या वाकई मोहम्मद यूनुस देश में चुनाव नहीं कराना चाहते हैं? जवाब: मोहम्मद युनुस चुनाव कराने की बात कई बार कह चुके हैं। एक बार उन्होंने कहा था कि जून 2026 तक देश चुनाव के लिए तैयार हो सकता है, लेकिन उन्होंने क्लियर डेडलाइन नहीं बताई थी। उन पर सेना और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी का दबाव बढ़ता जा रहा है। इसके अलावा यूनुस को कुर्सी पर बनाए रखने के लिए भी सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक लामबंदी की जा रही है। पूरे ढाका शहर में यूनुस के समर्थन में पोस्टर लगे हुए हैं, जिन पर लिखा है- 'यूनुस को पांच साल तक सत्ता में बनाए रखो' और 'सुधार पहले, चुनाव बाद में'। यूनुस के आलोचकों का मानना है कि वह प्रेशर स्ट्रैटजी का इस्तेमाल करके सत्ता में बने रहने की कोशिश कर रहे हैं। उनके समर्थक देशभर में चुनावों के खिलाफ रैली कर रहे हैं। बांग्लादेश की राजनीति को करीब से समझने वाले सीनियर जर्नलिस्ट सुबीर भौमिक लिखते हैं, 'यूनुस 1972 के धर्मनिरपेक्ष संविधान को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं। ये एक ऐसी मांग है, जिसके बाद राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन चुप्पू को हटाकर शायद यूनुस को उनकी जगह पर लाया जा सकता है। उनके आलोचकों का आरोप है कि वह उत्तर कोरिया के किम जोंग-उन की तरह ताउम्र राष्ट्रपति बने रहना चाहते हैं।' सवाल-5: क्या आर्मी चीफ जनरल वकार-उज-जमान तख्तापलट करने की फिराक में हैं? जवाब: नेशनल सिटिजन पार्टी यानी NCP के नेता और अंतरिम सरकार में पूर्व सलाहकार नाहिद इस्लाम ने बांग्लादेश में तख्तापलट होने और सैन्य सरकार बनने की आशंका जताई। उन्होंने कहा, 'बांग्लादेश में तख्तापलट का इतिहास रहा है और सेना का रोल अब भी पावरफुल बना हुआ है। ऐसे में 1/11 स्टाइल मिलिट्री बैक्ड गवर्नमेंट यानी सैन्य समर्थित सरकार फिर से उभर सकती है, जो लोकतंत्र और जनता के खिलाफ है। सेना का काम देश की रक्षा करना है, न कि राजनीति।' दरअसल, बांग्लादेश में सेना ने देश के अलग-अलग हिस्सों में गश्त बढ़ा दी है। बांग्लादेशी अखबार ‘Dhaka Tribune’ ने रिपोर्ट किया है कि पिछले कुछ दिनों में सेना ने ऑपरेशंस में तेजी लाई है। इसके लिए कई जगहों पर तैनाती बढ़ाई गई है। सेना के जवान और अफसर बख्तरबंद गाड़ियों के साथ देशभर में एक्टिव हैं। कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए सेना और एजेंसियों ने पिछले महीने दो हजार से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया। अगस्त 2024 से अब तक सेना ने करीब 10 हजार लोगों को हिरासत में लिया है। हालांकि इस पूरे मसले का दूसरा पहलू भी है। दरअसल, आर्मी चीफ जनरल वकार-उज-जमान को प्रो-डेमोक्रेसी और भारत-समर्थक माना जाता है। वह चाहते हैं कि देश में जल्द से जल्द चुनाव हो। जनता के चुने हुए नेता देश संभालें और पुलिस-प्रशासन कायम हो। इसके अलावा जनवरी से मार्च के बीच जनरल वकार का तख्तापलट करने की खबरें आती रहीं। बांग्ला आर्मी के लेफ्टिनेंट जनरल फैजुर रहमान ने डिवीजनल कमांडरों और सैन्य अधिकारियों को जनरल वकार के खिलाफ लामबंद करने की कोशिश की थी, लेकिन उन्हें भरपूर समर्थन नहीं मिल पाया। इस पूरे घटनाक्रम में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI भी कहीं न कहीं शामिल थी। इसके बाद जनरल वकार ने सभी सैन्य अधिकारियों को चेतावनी दी और ले. जन. रहमान को निगरानी में रखा गया। सवाल-6: अगर मोहम्मद यूनुस सच में इस्तीफा देंगे, अगर देश छोड़ना पड़ा तो कहां जा सकते हैं? जवाबः NCP के नेता नाहिद इस्लाम का कहना है कि अगर देश के सभी वर्ग इस तरह असहयोग करेंगे तो डॉ. यूनुस इस्तीफा दे देंगे। हमने उनसे अनुरोध किया है कि वे इस्तीफा न दें, लेकिन चुनाव से पहले न्याय जरूरी है। राजनीतिक विश्लेषक भी मानते हैं कि मोहम्मद यूनुस के इस्तीफे पर विचार करने की बात सिर्फ भावनात्मक थी। वो फिलहाल इस्तीफा नहीं देंगे। शनिवार को मोहम्मद यूनुस ने सलाहकार परिषद की एक बैठक बुलाई थी। इस बैठक के बाद प्लानिंग एडवाइजर वाहिदुद्दीन महमूद ने कहा- मोहम्मद यूनुस हमारे साथ बने रहेंगे। वो इस्तीफा नहीं दे रहे। न्यूज एजेंसी यूएनबी के मुताबिक सलाहकार परिषद की एक बैठक के बाद जल्द मंत्रियों के साथ बैठक होगी। हालांकि बांग्लादेश में राजनीतिक परिस्थितियां बहुत तेजी से बदलती हैं। अगर मोहम्मद यूनुस को इस्तीफा देना पड़ा और देश छोड़ना पड़ा, तो इन दो जगहों पर जा सकते हैं... बांग्लादेशी-स्वीडिश लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता तस्लीमा नसरीन ने 'X' पर लिखा, सुना है कि मोहम्मद यूनुस इस्तीफा देने वाले हैं। वे बाकी जिंदगी यूरोप या अमेरिका में आराम से गुजारेंगे। मेरा मानना है कि उन्हें उनके अपराधों के लिए ताउम्र जेल में डाल देना चाहिए। उन्हें क्यों बख्शा जाए? यूनुस को जेल भेजने की वजहें बताते हुए तस्लीमा लिखती हैं, 'बांग्लादेश में जैसे ही यूनुस आए, उनके खिलाफ पांच मामले खारिज कर दिए गए। उन्होंने पद पर रहते हुए जिहादी उग्रवादियों और भीड़ को उकसाया, विपक्ष को खत्म करने के लिए नफरत फैलाई, तौहीदी भीड़ को खून-खराबे के लिए उकसाया। बहुत लोगों को नुकसान हुआ, कई की जानें गईं। उन्होंने देश में अशांति ला दी। उन्होंने अनगिनत निर्दोषों को जेल में डाल दिया। उन्होंने कॉरिडोर और बंदरगाह को विदेशी सैन्य शक्तियों को सौंप दिए और पड़ोसियों के साथ रिश्ते बर्बाद कर दिए।' सवाल-7: इस पूरे हंगामे पर बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना का क्या कहना है? जवाबः बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना शुरुआत से ही मोहम्मद यूनुस और उनकी अंतरिम सरकार के खिलाफ बयान देती रही हैं। हाल ही में उन्होंने 'Facebook' पर पोस्ट लिखी कि यूनुस देश को अमेरिका को बेच रहे हैं। हसीना ने यूनुस पर आरोप लगाते हुए लिखा, 'उन्होंने आतंकियों की मदद से सत्ता हथियाई है। हमने इन आतंकियों से बांग्लादेश के लोगों की रक्षा की। एक आतंकी हमले के बाद हमने कड़े कदम उठाए थे। कई को गिरफ्तार किया। अब उन्हें रिहा कर दिया गया है, जेलें खाली हैं। अब बांग्लादेश में उन आतंकियों का शासन है।' उन्होंने लिखा, 'हमारे महान बंगाली राष्ट्र का संविधान हमने लंबे संघर्ष और मुक्ति संग्राम से हासिल किया है। अवैध रूप से सत्ता पर कब्जा किए इस उग्रवादी नेता को संविधान को छूने का हक किसने दिया? उसके पास जनादेश नहीं है, कोई संवैधानिक आधार नहीं है। मुख्य सलाहकार पद का भी कोई आधार नहीं है और वह अस्तित्व में नहीं है। इसलिए वह संसद के बिना कानून कैसे बदल सकते हैं, यह अवैध है। उन्होंने अवामी लीग पर बैन लगा दिया है।' सवाल-8: क्या चुनाव होने की स्थिति में शेख हसीना बांग्लादेश में वापसी कर सकती हैं? जवाबः शेख हसीना के बांग्लादेश छोड़कर जाने के बाद उनकी पार्टी अवामी लीग के नेता साजिब अहमद ने कहा था, 'बांग्लादेश में लोकतंत्र बहाल होते ही शेख हसीना वापसी करेंगी। साथ ही अगले चुनावों में अवामी लीग चुनाव लड़ेगी।' मार्च 2025 में USA अवामी लीग की उपाध्यक्ष रब्बी आलम ने न्यूज एजेंसी ANI से कहा था कि हसीना बांग्लादेश की प्रधानमंत्री के तौर पर वापसी करेंगी। युवाओं ने गलती की है, लेकिन ये उनकी गलती नहीं है, उनके साथ छल किया गया है। अमेरिकी थिंकटैंक विल्सन सेंटर में साउथ एशिया इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर माइकल कुगेलमैन के मुताबिक, 'दक्षिण एशिया में वंशवादी राजनीति का इतिहास देखें, तो समझ आता है कि ऐसी पार्टियों की वापसी संभावना को कभी खारिज नहीं किया जा सकता है, भले ही वे खत्म होती दिख रही हों। शेख हसीना भी वंशवादी राजनीति से आती हैं। उनकी वापसी के कयास लगाए जा सकते हैं।’ बांग्लादेशी थिंक टैंक सेंटर फॉर गवर्नेंस स्टडीज के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर जिल्लुर रहमान के मुताबिक, 'शेख हसीना और उनकी पार्टी के लिए अगले दशक तक बांग्लादेशी राजनीति में कोई महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का कोई रास्ता नहीं है। अगर अंतरिम सरकार बुरी तरह फेल हो जाती है तो बेशक इसमें बदलाव आ सकता है।' -------------------- ये भी खबर पढ़ें... चीन दे रहा J-35A फाइटर जेट, तुर्किये सिखा रहा S-400 से बचने के तरीके; क्या फिर जंग लड़ेगा पाकिस्तान, भारत कितना अलर्ट सीजफायर होने के बावजूद पाकिस्तानी नेता और आर्मी अफसर उकसाऊ बयान दे रहे हैं। वहीं चीन और तुर्किये पाकिस्तान की मदद कर रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि भारत से करारी शिकस्त मिलने के बाद पाकिस्तान कोई साजिश रच रहा है। आखिर क्या भारत से मात खाने के बाद दोबारा जंग की तैयारी कर रहा पाकिस्तान? पूरी खबर पढ़िए...
21 मई को नक्सली आंदोलन की रीढ़ पर सबसे बड़ा प्रहार हुआ। सुरक्षाबलों ने 26 नक्सलियों के साथ डेढ़ करोड़ के ईनामी नंबाला केशव राव उर्फ बासवराजू को भी मार गिराया। गृहमंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया ‘X’ पर लिखा- तीन दशकों में पहली बार हमने एक महासचिव स्तर के नेता को मारा है। मोदी सरकार 31 मार्च 2026 से पहले नक्सलवाद को खत्म कर देगी। क्या अगले 10 महीनों में खत्म हो जाएगा 6 दशकों से फैला लाल आतंक, नक्सली कौन हैं और चाहते क्या हैं, कैसे हुई थी इस सब की शुरुआत; मंडे मेगा स्टोरी में पूरी कहानी… क्या नक्सलवाद को जड़ से खत्म किया जा सकता है? ‘नक्सलबाड़ी अबूझमाड़’ किताब लिखने वाले सीनियर जर्नलिस्ट आलोक पुतुल बताते हैं, ‘1967 में शुरू हुआ नक्सलवाद आंदोलन 1973 तक लगभग खत्म हो चुका था। करीब 40 साल बाद केंद्र सरकार ने माना कि ये आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा है। यानी नक्सलवाद फिर से खड़ा हुआ। धरातल से भले ही नक्सलियों को खत्म कर दिया, लेकिन इनकी सोच को खत्म नहीं किया जा सकता। नक्सलवाद फिर से भी पनप सकता है। एक नए तरीके से, एक नए रूप में। चाहे कम हिंसक या फिर पूरी तरह अहिंसक।’ 'नाइटमार्चः एमंग इंडियाज रिवोल्यूशनरी गुरिल्ला' किताब की लेखिका और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स की प्रोफेसर अल्पा शाह डेढ़ साल तक नक्सलियों के बीच रह चुकी हैं। अल्पा के मुताबिक, तमाम मुश्किलों के बावजूद नक्सल आंदोलन चलता रहा। जब-जब सरकार ने सोचा कि नक्सलवाद खत्म हो गया है, तब-तब यह दोबारा उभर कर सामने आया। सीनियर जर्नलिस्ट और HJU में प्रोफेसर त्रिभुवन बताते हैं, सरकार जब तक नक्सलवाद के मुख्य कारणों का समाधान नहीं कर देती, तब तक नक्सलवाद से जुड़ी घटनाएं होती रहेंगी। भले वे छोटी हों या बड़ीं। हालांकि सरकार इसका नेटवर्क खत्म कर सकती है। छत्तीसगढ़ के DGP रहे आरके विज ने एक इंटरव्यू में कहा, ‘हम नक्सली इलाकों में कंट्रोल पा सकते हैं और भरपूर प्रगति कर सकते हैं, लेकिन हर एक नक्सली को पकड़ा या खत्म नहीं किया जा सकता है। हालांकि फोर्सेज के ऑपरेशंस तेजी से बढ़ रहे हैं और सफल भी रहे हैं। नक्सली उनसे टक्कर नहीं ले सकते हैं। ऐसे में नक्सलियों के पास दो ऑप्शन हैं- पहला लीडर बदलकर अपना मूवमेंट जारी रखें या दूसरा एकतरफा सीजफायर करें।’ ***** ग्राफिक्स- अंकुर बंसल ----- ये खबर पढ़ें... एक ही पैटर्न पर आतंकियों का खात्मा: पाकिस्तान में रहस्यमयी तरीके से मारे जा रहे भारत विरोधी आतंकी, किसका है हाथ पिछले 3 सालों में पाकिस्तान में कम से कम 19 आतंकवादी लगभग एक जैसे पैटर्न पर रहस्यमयी परिस्थितियों में मारे गए। पाकिस्तानी अधिकारी इसके पीछे भारतीय खुफिया एजेंसी RAW का हाथ होने के आरोप लगाते रहे हैं। जबकि भारत का कहना है कि विदेशों में टारगेट किलिंग्स हमारी पॉलिसी नहीं है। पूरी खबर पढ़िए...
दुनिया की पहली ऐसी इमारत बनने जा रही है जिसकी नींव धरती नहीं बल्कि अंतरिक्ष में होगी और वो धरती की तरफ उल्टी लटकेगी, कैसे और कहां बनेगी ये इमारत, पूरी जानकारी के लिए ऊपर दी गई इमेज पर क्लिक कर देखें वीडियो
42 डिग्री सेल्सियस टेम्परेचर, 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती हवा और मीलों तक फैला सुनसान रेगिस्तान। गुजरात के कच्छ में जहां जिंदगी की कल्पना भी मुश्किल है, वहां राज्य के आखिरी गांव यानी खावड़ा में अडाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (AGEL) दुनिया का सबसे बड़ा रिन्यूएबल एनर्जी प्लांट लगा रही है। ये प्लांट 538 वर्ग किलोमीटर में फैला है। यहां हजारों इंजीनियर्स और मजदूर दिन-रात काम कर रहे हैं, ताकि इस बंजर जमीन को भारत के एनर्जी फ्यूचर का सेंटर बनाया जा सके। इसे गुजरात हाइब्रिड रिन्यूएबल एनर्जी पार्क भी कहा जाता है, जो सोलर और विंड एनर्जी दोनों का इस्तेमाल करता है। इसकी शुरुआत 2023 में हुई। दो साल में प्लांट में 5000 मेगावाट यानी 5 गीगावाट का काम पूरा कर लिया गया है। अगले 5 साल में कंपनी का 30 गीगावाट की क्षमता पाने का टारगेट है। तब इससे बनने वाली बिजली 1.74 करोड़ घरों को रोशन करने के लिए काफी होगी। इस प्रोजेक्ट को करीब से देखने और समझने के लिए हम कच्छ में ग्राउंड जीरो पर पहुंचे। पढ़िए डिटेल रिपोर्ट… 538 वर्ग किलोमीटर में फैला, आकार में 17 देशों से भी बड़ा खावड़ा के लिए सुबह के 9 बजे हम भुज से निकले। जैसे-जैसे आगे बढ़े हरे-भरे खेतों की जगह सिर्फ रेत और कांटेदार झाड़ियां दिखाई देने लगीं। हम खावड़ा के करीब ही पहुंचे थे कि तभी ड्राइवर ने हमें अलर्ट करते हुए कहा, ‘यहां अचानक तूफान आते हैं, सीट बेल्ट बांध लीजिए।’ कुछ ही देर में हवा भी तेज हो गई। विजिबिलिटी इतनी कम कि दिन में कार की हेडलाइट्स जलानी पड़ीं। 4 घंटे के मुश्किल सफर और दो चेकपोस्ट क्रॉस कर हम खावड़ा पहुंचे। रास्ते में एक चेक पोस्ट BSF का मिला। यहां से एंट्री के लिए BSF की स्पेशल परमिशन लेनी होती है। प्लांट के लिए कोई अलग एंट्री गेट तो नहीं था, सड़क पर बीच-बीच में ‘खावड़ा रिन्यूएबल एनर्जी प्लांट- अडाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड‘ के बोर्ड लगे थे। ये प्लांट मुंबई जितना बड़ा है और पेरिस से करीब पांच गुना बड़ा है। इसकी विशालता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दुनिया के 17 ऐसे देश हैं, जो साइज में इससे छोटे हैं। प्लांट में दाखिल होते ही हमें चारों तरफ क्रेन, ट्रक और मजदूरों की टीमें काम करती दिखीं। 30 गीगावाट की क्षमता वाला होगा प्लांट, स्पेस से भी दिखाई देगा सबसे पहले हम अडाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (AGEL) के एनर्जी नेटवर्क ऑपरेशन सेंटर (ENOC) में पहुंचे। यहां हमारी मुलाकात अडाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (AGEL) के एमडी ऑफिस में वाइस प्रेसिडेंट धवल परमार से हुई। प्लांट के बारे में बताते हुए धवल कहते हैं, ’ये प्रोजेक्ट सिर्फ हमारी कंपनी का नहीं, पूरे देश का सपना है। भारत ने 2030 तक 500 गीगावाट स्वच्छ ऊर्जा का लक्ष्य रखा है। हमारा ग्रुप इसमें 50 गीगावाट का योगदान देना चाहता है।’ खावड़ा उसका सेंटर है। हम यहां 30 गीगावाट बिजली उत्पादन की क्षमता हासिल करेंगे। हमने हैरानी से पूछा कि 30 गीगावाट एक ही जगह से? धवल इस पर मुस्कुराते हुए कहते हैं, ’ये प्लांट इतना बड़ा है कि स्पेस से दिखाई देगा। इसमें 26,000 मेगावाट सोलर एनर्जी और 4,000 मेगावाट विंड एनर्जी होगी। इस प्लांट में हम हाइब्रिड मॉडल यूज कर रहे हैं। ये एक ही जगह पर सोलर और विंड को मिलाकर हाइब्रिड रिन्यूएबल एनर्जी तैयार करेगा।’ प्लांट में ही मिले AGEL के जॉइंट प्रेसिडेंट तीर्थनाथ सिंह हाइब्रिड मॉडल की ताकत बताते हुए कहते हैं, ‘सारे सोलर पैनल्स दिन में बिजली बनाते हैं और टर्बाइन्स रात में। इससे ग्रिड को स्टेबल सप्लाई मिलती है।‘ दुनिया के 167 देशों को रोशन करने की क्षमताप्लांट 30 गीगावाट की क्षमता पूरी करने के बाद सालाना 87.4 अरब यूनिट बिजली बनाएगा। ये 1.74 करोड़ घरों को रोशन करने के लिए काफी होगी। वर्ल्ड पॉपुलेशन रिव्यू (2025) के मुताबिक, दुनिया के 195 में से 167 देश ऐसे हैं, जहां सब मिलाकर 1.74 करोड़ (17 million) से कम घर हैं। यानी यहां से जनरेट होनी वाली बिजली से 167 देश रोशन हो सकेंगे। ढाई बार पृथ्वी को कवर कर सकते हैं यहां लगने वाले पैनलधवल आगे बताते हैं, ‘यहां कुल 6 करोड़ सोलर पैनल लगने वाले हैं। इस प्लांट में सबसे लंबी दूरी की बात करें तो एक हिस्से से दूसरे हिस्से तक पहुंचने में हमें 27 किलोमीटर का सफर करना पड़ेगा। एक सोलर पैनल की लंबाई 6 फीट की है।‘ ‘इस हिसाब से अगर इन्हें एक कतार में रखा जाए तो ये दूरी तकरीबन 1 लाख 500 किलोमीटर से ज्यादा होगी। पृथ्वी की परिधि (भूमध्य रेखा पर पृथ्वी के चारों ओर की दूरी) लगभग 40,075 किलोमीटर है। इसलिए, 1,00,500 किलोमीटर पृथ्वी के चारों ओर की दूरी का लगभग 2.5 गुना है।‘ सूरजमुखी के फूलों की तरह काम करते हैं ये पैनलखावड़ा सिर्फ अपने आकार के लिए नहीं, बल्कि मॉडर्न तकनीक के हिसाब से भी खास है। धवल ने बताया, ‘हम सोलर पैनल्स को सिंगल-एक्सिस ट्रैकर्स पर लगाते हैं। ये सूरज की रफ्तार के साथ घूमते हैं, जिससे 20-30% ज्यादा बिजली बनती है। ये ठीक सूरजमुखी के फूल की तरह काम करते हैं।‘ ‘पानी की कमी को देखते हुए हम पैनल्स की सफाई के लिए रोबोट्स यूज करते हैं। ये रोबोट बिना पानी के पैनल पर पड़ने वाली धूल को ब्रश और सक्शन तकनीक से हटाते हैं। कुछ रोबोट कपड़े, हवा या बिजली से सफाई करते हैं। इन्हें दूर से कंट्रोल किया जा सकता है। रोबोट मौसम देखकर सफाई का वक्त तय करते हैं और रुकावटों से बचते हैं। साथ ही इससे हम अरबों लीटर पानी बचाते हैं।‘ धवल परमार के मुताबिक, इसके अलावा 'डिजिटल ट्विन' तकनीक का भी इस्तेमाल करते हैं। इससे मशीनों की स्थिति और प्लांट का डिस्प्ले दिखता है। इससे मशीन खराब होने की जानकारी पहले मिल जाती है। रोबोट सोलर मॉड्यूल लगाने का काम भी तेजी से करते हैं। इससे वर्क एफिशिएंसी बढ़ती है। रेत पर स्टोन कॉलम तकनीक से खड़े हो रहे विशाल स्ट्रक्चरयहां लगे विंड टर्बाइन्स की कहानी और भी रोचक है। तीर्थनाथ सिंह बताते हैं, ‘ये टर्बाइन्स 120 मीटर ऊंचे हैं। 80 मीटर लंबे ब्लेड्स के साथ इनकी कुल ऊंचाई 200 मीटर है। ये इलाका भूकंप के लिहाज से जोखिम भरा (Zone 5) है। मिट्टी कमजोर है, इसलिए टर्बाइन्स लगाने के लिए हम स्टोन कॉलम तकनीक यूज करते हैं, जो भारत में बहुत कम देखने को मिलती है।‘ ‘एक टर्बाइन 5.2 मेगावाट का है। इनकी नींव भूकंप के खतरे को देखते हुए 20% ज्यादा मजबूत बनाई गई है। एक टर्बाइन की नींव में 700 क्यूबिक मीटर कॉन्क्रीट लगता है।‘ AI और मशीन लर्निंग के सहारे मैनलेस ऑपरेशन बनाने की तैयारी प्लांट के एनर्जी नेटवर्क ऑपरेशन सेंटर (ENOC) में हाईटेक मशीनें और बड़ी LED स्क्रीन पर रियल-टाइम डेटा डिस्प्ले होता रहता है। इस पर मौसम, बिजली उत्पादन और ग्रिड से जुड़ी सारी जानकारी एक ही जगह पर दिख रही थी। AI से लैस ENOC सिस्टम पर सैकड़ों इंजीनियर और टेक्नीशियन 247 सोलर-विंड एनर्जी, ग्रिड कनेक्शन और वाटर लेस क्लीनिंग रोबोट्स की निगरानी करते हैं। काम करने वालों में काफी महिलाएं भी हैं। हमने पूछा कि यहां AI और मशीन लर्निंग (ML) का क्या रोल है? इस पर धवल बताते हैं, ‘हमारी इन-हाउस टेक्नोलॉजी टीम ने AI और ML मॉडल बनाए हैं। ये अगले दिन की बिजली का सटीक अनुमान लगाते हैं। इससे हम ग्रिड को सही सप्लाई दे पाते हैं। पूरा सिस्टम फाइबर नेटवर्क से जुड़ा है और सेंट्रल कंट्रोल रूम से चलता है। हम इसे ‘मैनलेस ऑपरेशन’ बनाना चाहते हैं, जहां इंसान का दखल कम से कम हो।’ धवल आगे बताते हैं, ‘ENOC हमारा मेन कंट्रोल रूम है। यहां से हम पूरे सोलर प्लांट पर नजर रखते हैं। अगर कोई पैनल खराब हो जाए, तो हमें तुरंत पता चल जाता है। कंट्रोल रूम से ही हम पैनल को ठीक करने के लिए निर्देश दे सकते हैं। इसी वजह से हमारा प्लांट लगभग 99% समय ऑपरेशनल रहता है।’ 15 हजार वर्कर्स के लिए एयर कंडीशन्ड रूम, अस्पताल और खेल के मैदान खावड़ा में काम करना किसी जंग से कम नहीं। तीर्थनाथ शुरुआती मुश्किलों की बात करते हुए बताते हैं, ‘यहां से भारत का आखिरी गांव 40 किलोमीटर दूर है। बंजर जमीन, तपती गर्मी और धूल ने शुरू में हमें बहुत परेशान किया। मजदूरों को लाना, उनकी सुरक्षा करना और काम की रफ्तार बनाए रखना आसान नहीं था। फिर भी दो साल में हमने 5,000 मेगावाट का काम पूरा किया। ये हमारी टीम और मैनेजमेंट की मेहनत का नतीजा है।‘ ‘यहां कुछ भी नहीं था। न सड़क, न मोबाइल सिग्नल। हमने 180 किलोमीटर फाइबर नेटवर्क, 100 किलोमीटर सड़क और 15,000-16,000 लोगों के लिए टाउनशिप बनाई।‘ ‘यहां 15,000 मजदूर, इंजीनियर और टेक्नीशियन दिन-रात काम करते हैं। गर्मी, धूल और घर से दूरी उनके लिए रोज एक चुनौती है। मजदूरों की सुरक्षा और सेहत हमारी पहली जिम्मेदारी है।‘ हमने एक छोटी-सी कैंटीन में मजदूरों को खाना खाते देखा। इसके बारे में पूछने पर तीर्थनाथ बताते हैं, ‘यहां चाहे मजदूर हो या मैनेजमेंट का सबसे बड़ा अधिकारी सभी के लिए एक समय पर एक जैसा खाना बनता है।‘ खारा पानी कन्वर्ट करके कंस्ट्रक्शन में इस्तेमाल हो रहातीर्थनाथ आगे कहते हैं, ‘पानी की कमी यहां सबसे बड़ी समस्या थी। यहां का ग्राउंड वाटर खारा है। पानी पीने और काम के लायक नहीं है। हमने चार रिवर्स ऑस्मोसिस (RO) प्लांट्स लगाए। यहां खारे पानी को शुद्ध करके हम पीने, निर्माण और दूसरी जरूरतों के लिए इस्तेमाल करते हैं।‘ यहीं एक टर्बाइन के पास हमारी मुलाकात यहां काम करने वाले इंजीनियर विकास शर्मा से हुई। वे ऑफ द कैमरा बात करते हुए कहते हैं, ‘यहां काम करना आसान नहीं। गर्मी और धूल बहुत परेशान करती है। हालांकि जब मैं इन टर्बाइन्स को घूमते हुए देखता हूं, तब लगता है कि हम इतिहास का हिस्सा बन रहे हैं।‘ कच्छ के रेगिस्तान में जिंदगी की नई रोशनी लाया ये प्रोजेक्ट धवल परमार बताते हैं, ‘हमारी पहली प्राथमिकता लोकल लोग हैं। हर नए मजदूर को BSF गेट पास के बाद ट्रेनिंग दी जाती है। हम उन्हें स्किल सिखाते हैं, ताकि वे इस प्रोजेक्ट का हिस्सा बन सकें। इस प्रोजेक्ट से 15,200 से ज्यादा नौकरियों के मौके मिलेंगे। प्रोजेक्ट के लिए बनी सड़कें, टाउनशिप और सहायक उद्योगों ने कच्छ को नया जीवन दिया है।‘ खावड़ा सिर्फ बिजली नहीं बना रहा, बल्कि कच्छ की तस्वीर बदल रहा है। हम सिर्फ इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं बना रहे। हम सोशल डेवलपमेंट में भी योगदान दे रहे हैं। स्कूल, अस्पताल और सड़कें यहां की अर्थव्यवस्था बदल रहे हैं। प्लांट में मजदूरी करने वाले रमेश भाई और उनके जैसे कई लोग इस प्लांट को वरदान मानते हैं। रमेश बताते हैं, ‘पहले यहां कोई काम नहीं था। इस प्रोजेक्ट की बदौलत काम मिला। अब मैं अपने परिवार का खर्च उठा पा रहा हूं। कंपनी ने हमें काम के लिए बाकायदा ट्रेनिंग भी दी है। इस रेगिस्तान में रोजगार का ये एक अकेला जरिया है।‘ यहीं रहने वाले लक्ष्मणभाई बताते हैं, ‘पहले हमारे बच्चे पढ़ने के लिए भुज जाया करते थे। अब गांव में ही स्कूल है। मेरा बेटा भी यहीं नौकरी करता है। अब परिवार में किसी को दूर जाने की जरूरत नहीं होती है।‘ प्रोजेक्ट शुरू करने से पहले 5 साल तक होती रही जांच प्रोजेक्ट शुरू करने से पहले तक कंपनी ने 5 साल तक कई तरह की टेस्टिंग कीं। इनमें मिट्टी और पत्थरों की मजबूती के लिए जियोटेक्निकल जांच, भूकंपीय अध्ययन (2001 के भुज भूकंप के कारण), सौर-विंड एनर्जी और जमीन की ताकत का आकलन किया गया। पर्यावरण और लोकल लोगों पर असर देखने के लिए ESIA, पर्यावरण-सामाजिक नियमों के अनुपालन (compliance) के लिए ESDD, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव, पानी, वन्यजीव और बाकी संसाधनों के लिए टेस्ट शामिल हैं। ये सभी टेस्ट प्रोजेक्ट की मजबूत नींव के लिए थे। दुनिया के सबसे बड़े हाइब्रिड एनर्जी प्लांट तक कनेक्टिविटीखावड़ा प्लांट, जो गुजरात के कच्छ क्षेत्र में स्थित है, लेकिन इसे बाहरी दुनिया से जोड़ने के लिए कई रास्ते और संसाधन मौजूद हैं। यहां का नजदीकी हाईवे NH-341/GJ-SH-45 है, जो सड़क मार्ग से आने-जाने में मदद करता है। नजदीकी बड़ा शहर भुज है, जो 115 किमी दूर है, जबकि कच्छ 130 किमी और मुंद्रा 190 किमी की दूरी पर हैं। रेल से यात्रा के लिए भुज रेलवे स्टेशन (130 किमी) सबसे करीब है। इसके अलावा गांधीधाम (190 किमी) और भचाऊ (208 किमी) के स्टेशन भी विकल्प हैं। हवाई यात्रा के लिए भुज हवाई अड्डा 130 किमी दूर है, जबकि कांडला (184 किमी) और मुंद्रा (195 किमी) के हवाई अड्डे भी हैं। समुद्री परिवहन के लिए मुंद्रा और कांडला के पोर्ट 200 किमी की दूरी पर हैं। ये कनेक्टिविटी सुनिश्चित करती है कि खावड़ा प्लांट तक सामान, लोग और संसाधन आसानी से पहुंच सकें। ............................ ये खबर भी पढ़ें.... कहां पहुंची देश की पहली बुलेट ट्रेन 16 मई 2025, साबरमती में 42 डिग्री की गर्मी में देश के पहले हाईस्पीड ट्रेन प्रोजेक्ट का काम चल रहा है। ये जगह रेलवे स्टेशन से सिर्फ 300 मीटर दूर है। अहमदाबाद से मुंबई तक बनने वाले इस प्रोजेक्ट का ये गुजरात में पहला स्टेशन है। इसलिए सबसे ज्यादा काम भी यहीं हुआ है। पूरे प्रोजेक्ट की बात करें, तो अब तक 71% काम पूरा हो चुका है। प्रोजेक्ट के तहत नदियों पर कुल 24 ब्रिज बनाए जाने हैं। इनमें से 14 छोटे ब्रिज बनकर तैयार हैं। पढ़िए पूरी खबर...
कोलंबिया के आसमान में क्या उड़ रहा था? वैज्ञानिकों के हाथ लगा सुराग; कहीं वो एलियंस का UFO तो नहीं!
UFO News: कोलंबिया शहर में एक बार फिर यूएफओ को लेकर चर्चाएं तेज हो गई है. एक धातु का गोला बुगा शहर में 2 मार्च को देखा गया था. जब वैज्ञानिकों ने जांच शुरू की तो उन्होंने ये बात कही है.
अमेरिका दौरे पर निकली 'शापित' गुड़िया, अनहोनी के खौफ के बीच क्या खुसुर-फुसर कर रहे लोग
Horror News:अलौकिक घटनाओं खासकर रहस्यमयी कथाओं में लिस्टेड एक श्रापित गुड़िया एनाबेले डॉल (Annabelle doll) 'डेविल्स ऑन द रन' कार्यक्रम के तहत अमेरिका दौरे पर है.
Gaboon viper: अफ्रीका के वर्षावनों और सवाना में पाए जाने वाले इस सबसे लंबे और नुकीले दाताों वाले सांप गैबून वाइपर को ढूंढना आसान नहीं होता. इसे तभी देखना संभव है जब आप अकस्मात इसके बहुत करीब न आ जाएं.
Putin: हेलिकॉप्टर से जा रहे थे पुतिन, अचानक यूक्रेन ने कर डाले ताबड़तोड़ ड्रोन अटैक और फिर जो हुआ...
Attack on Putin:डैशकिन ने कहा, क्षेत्र में एयर डिफेंस यूनिट्स को एक साथ विमान-रोधी युद्ध करना था और हवा में राष्ट्रपति के हेलीकॉप्टर की सुरक्षा सुनिश्चित करनी थी. काम पूरा हो गया. दुश्मन के ड्रोन के हमले को विफल कर दिया गया, सभी हवाई लक्ष्यों को निशाना बनाया गया.
डोनाल्ड ट्रंप ने एक और देश को दिया धोखा, खतरे में आया ये मुल्क; आतंकी संगठन होगा बेलगाम?
U.S Military: पूर्वी और पश्चिमी अफ्रीका के कुछ हिस्से अब हिंसा के बड़े मरकज बन गए हैं. 2024 में दुनिया में जितने भी दहशतगर्दी के शिकार हुए, उनमें से आधे से ज्यादा पश्चिम अफ्रीका के साहेल इलाके में मारे गए थे. इस बीच अमेरिका ने अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए अपने कमजोर सहयोगी देशों से कह रहा है कि वे अपनी सुरक्षा के लिए खुद अधिक जिम्मेदार बनें.
इस मुस्लिम देश ने किया चमत्कार, रेगिस्तान में बना रहा बर्फ का शहर... अजूबा बनेगा ये स्की रिजॉर्ट
World First Ski Village: सऊदी अरब के उत्तर-पश्चिम में जेबेल अल लॉज पहाड़ पर दुनिया का पहला वर्टिकल स्की विलेज बन रहा है. इसकी खासियत यह है कि इसमें 30 किलोमीटर की आर्टिफिशियल स्की ढलानें होंगी. ट्रोजना स्की विलेज नियोम के तहत उन छह बड़े प्रोजेक्ट्स में से है, जो मोहम्मद बिन सलमान के लिए बेहद खास है.
Foreign Accent syndrome: एक फ्रांसीसी महिला के साथ एक आश्चर्यजनक घटना हुई, उसने टॉन्सिल सर्जरी करवाई उसके बाद अचानक उसके बोलने का लहजा बदल गया. वो उस भाषा में बात करने लगी जिसे वो थोड़ा बहुत जानती थी.
महिलाएं कृपया ध्यान दें...इस शहर में हाई हील्स पहनने के लिए लेनी होगी परमिशन वरना...
California: कैलिफोर्निया के मोंटेरी काउंटी में मौजूद एक खूबसूरत तटीय शहर, कार्मेल-बाय-द-सी जादुई कहानी, झोपड़ियों, कुदरती खूबसूरती के लिए काफी मशहूर है. हालांकि यहां कि एक असामान्य कानून दुनियाभर में चर्चाओं का केंद्र बना हुआ है. यहां लड़कियों को दो इंच से ज्यादा ऊंची हील वाली जूती पहनकर यहां नहीं घूम सकतीं. चलिए जानते हैं आखिर ऐसा क्यों?
ये क्या! अब AI भी बन गया 'गुंडा', रिप्लेसमेंट की बात सुनी तो इंजीनियर को दे डाली धमकी
AI threats: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) ने काफी हद तक लोगों का काम आसान कर दिया है. हालांकि अब ये धमकियां भी देने लगा है. अमेरिका की एक कंपनी में कुछ ऐसा ही देखने को मिला.
बांग्लादेश के अंतरिम प्रधानमंत्री मोहम्मद युनूस ने घुटने टेके, पड़ोसी मुल्क से जल्द मिलेगी गुड न्यूज
Bangladesh News in Hindi: बांग्लादेश के अंतरिम प्रधानमंत्री मोहम्मद युनूस के तेवर भी ढीले पड़ने लगे हैं. कट्टरपंथियों को हवा देने वाले युनूस पर उनका ही दांव उल्टा पड़ने लगा है. ढाका में अंतरिम सरकार के खिलाफ भी प्रदर्शन हो रहे हैं.
खटाई में पड़ेगी शांति वार्ता? रूस ने फिर से बोला यूक्रेन पर धावा.. कई शहरों पर ताबड़तोड़ मिसाइल अटैक
Russia Ukraine war: इस हमले ने शांति वार्ता की संभावनाओं को गहरा झटका दिया है. दोनों देशों के बीच हाल ही में इस्तांबुल में बातचीत हुई थी और बीते तीन दिन से युद्धबंदियों की अदला-बदली जारी थी. शनिवार को दोनों पक्षों ने 307-307 सैनिकों को रिहा किया.
आखिरकार मिल गया 'डायनासोर का कब्रिस्तान’, 1000 मीटर लंबा हड्डियों का समुद्र, खुलेंगे रहस्य
Dinosaur Grave: वैज्ञानिकों का कहना है कि इन डायनासोरों का एक बड़ा झुंड प्रवास पर था. फिर अचानक आई बाढ़ ने उन्हें खत्म कर दिया. उनकी भारी काया और धीमी गति उन्हें बचा नहीं सकी. फिलहाल ये त्रासदी वैज्ञानिकों के लिए ये एक सुनहरा मौका लेकर आई है.
मन की बात में पीएम मोदी ने सुनाया भारत के इस गांव का किस्सा, आजादी के 77 साल बाद यहां पहुंची बस
PM Modi Mann Ki Baat: पीएम मोदी ने अपने रेडियो प्रोग्राम मन की बात में आज महाराष्ट्र के एक ऐसे गांव के बारे में बताया, जहां आजादी के 77 सालों बाद बस चली है.
Bangladesh Politics: बांग्लादेश में अब मोहम्मद यूनुस की सरकार में भी उथल-पुथल मची है. यूनुस की कुर्सी खतरे में चल रही है. वहीं अब पूर्व पीएम शेख हसीना ने उनपर निशाना साधा है.
America Army: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में यूएस मिलिट्री अकादमी से ग्रैजुएट हो रहे कैडेटों को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने रूस पर मिसाइल चोरी का आरोप लगाया.
नमक को तरस रहा भारत का पड़ोसी देश, हर तरफ मचा हाहाकार, चौंका देगा 1 किलो दाम
Sri Lanka Salt Crisis: श्रीलंका में इन दिनों नमक की भारी कमी हो रही है. यहां सामान्य कीमतों से 4 गुना ज्यादा कीमत में नमक बेचा जा रहा है. यहां लोगों के पास जरूरी इस्तेमाल के लिए भी नमक नहीं है.
शाबाश: प्रसव पीड़ा के दौरान भी लाइव समाचार पढ़ती रही न्यूज एंकर, फिर आई गुड न्यूज
Preganant New Anchor LIVE: मीडिया का जॉब बेहद साहस और मेहनत का है. युद्ध हो या शांतिकाल, उन्हें हमेशा 24 घंटे तैयार रहना पड़ता है. इस बीच ऐसी ही प्रेरणादायक कहानी सामने आई है, जहां महिला न्यूज एंकर ने लेबर पेन के दौरान भी शो नहीं छोड़ा.
पैसों की तंगी झेल रहा हमास, आपस में ही पड़ने लगी फूट, इजरायल के आगे टेक देगा घुटने?
Israel Hamas War: हमास इन दिनों आर्थिक तंगी से जूझ रहा है. बताया जा रहा है कि इस संगठन में पैसों की कमी होने लगी है, जिससे कर्मचारियों में गुस्सा फूटा हुआ है.
सौ साल पहले प्रथम विश्व युद्ध के दौरान तहलका मचाने वाली अमेरिकी पनडुब्बी कैसे हादसे का शिकार हुई और गहरे समुद्र में डूबने के बाद उसका क्या हुआ, इस राज से अब पर्दा उठ गया है.
'ये ISIS के आतंकी जैसे..' मुस्लिम देश में पहुंचकर ओवैसी ने पाकिस्तान को दिखाई औकात
Pakistan ISIS comparison: ओवैसी ने पाकिस्तान के आतंकियों की तुलना ISIS से की और कहा कि इनमें कोई फर्क नहीं है. दोनों ही धर्म के नाम पर लोगों की हत्या को जायज ठहराते हैं. ये आतंक फैलाने के लिए इस्लाम का इस्तेमाल करते हैं जो पूरी तरह गलत है.
Apple कंपनी की बुराई कर रहे थे ट्रंप, बार-बार बजने लगा आईफोन, शर्म से लाल हुए अमेरिकी राष्ट्रपति
Donald Trump News: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इन दिनों एप्पल कंपनी के पीछे पड़े हैं. हाल ही में उनके साथ ओवल ऑफिस में एक ऐसा वाकया हुआ, जिससे वह खुद शर्म से पानी-पानी हो गए.
रूस ने यूक्रेन के छुड़वाए पसीने, रातभर की मिसाइल-ड्रोन की बारिश, कीव की फूली सांसें
Russia Ukraine Conflict: यूक्रेन के मुताबिक रूस ने बीती रात पर उसपर कुछ ड्रोनों से हमला किया है, जिनमें से कुछ ड्रोनों को मौके पर मार गिराया.
मैं सुशील कुमार, साल 2011 के पहले मुझे कोई नहीं जानता था। मैं ‘कौन बनेगा करोड़पति’ यानी केबीसी सीजन-5 का विनर हूं। साल 2011 में पांच करोड़ का इनाम जीता था। इसी से मुझे पहचान मिली। फिलहाल, बिहार में गवर्नमेंट टीचर हूं। रहने वाला मोतिहारी का हूं। पापा नेपाल के बीरगंज में एक स्टील फैक्ट्री में काम करते थे। इसी से घर चलता था। दो कमरे का घर था। पांच भाई, मम्मी-पापा सभी इसी घर में रहते थे। भाइयों की शादी हुई, तब और दिक्कत होने लगी। रहने के लिए घर नहीं था। कोई बरामदे में सोता था, तो कोई किचन में। दो ही कमरे थे, तो क्या करता। एक भाई आज भी वहीं रहता है। गरीबी में बचपन बीता। फटे-पुराने कपड़े पहनता था। रिश्तेदारी या गांव के लोग घृणा से देखते थे। कई बार तो किसी भोज में खाने के लिए जाता, तो उठाकर भगा देते थे। कहते- तुम कहां चले आए हो भोज खाने। जलालत महसूस होती थी। 12वीं में पहुंचा तो अपने खर्च के लिए ट्यूशन पढ़ाने लगा। ग्रेजुएशन के बाद एलआईसी का एजेंट बन गया। साल 2000 के आस-पास 'कौन बनेगा करोड़पति' आया। हमारे यहां तो टीवी था नहीं, इसलिए पड़ोसियों के घर पर देखता था। जब कैमरे पर अमिताभ बच्चन 50 हजार, एक लाख, दो लाख, पांच लाख, एक करोड़… ऐसे बोलते थे, तब मुझे लगता था कि काश! मैं भी इतने पैसे जीत जाता, तो गरीबी दूर हो जाती। करीब 6 साल तक एलआईसी के एजेंट के तौर पर काम करने के बाद मनरेगा में सुपरवाइजर की नौकरी हो गई। महीने की 5-6 हजार रुपए सैलरी थी। पता था कि इस पैसे से सिर्फ पेट पल सकता है। मैंने बीपीएससी, रेलवे की तैयारी करनी शुरू कर दी। इससे जनरल नॉलेज मजबूत होने लगा। लाइब्रेरी जाकर पढ़ाई करता था। इस दौरान कुछ लोग भी मिले, जिन्होंने खूब मोटिवेट किया। तब केबीसी के लिए अप्लाई करने लगा। मुझे आज भी याद है जब केबीसी से कॉल आया था। उन्होंने मुंबई बुलाया। मैं और मेरी पत्नी कभी मोतिहारी से बाहर नहीं गए थे, इसलिए मुंबई जाना ही बड़ी बात थी। पत्नी के साथ मुंबई गया था। पहली बार हम दोनों हवाई जहाज में बैठे थे। केबीसी के सेट पर पहुंचा तो सब सपने की तरह लग रहा था। पहली बार किसी एक्टर और उसमें भी अमिताभ बच्चन से मिल रहा था। जैसे ही हॉट सीट पर बैठा, नर्वस होने लगा। सोचने लगा कि आगे क्या होगा। गेम शुरू हुआ। एक-एक सवाल का जवाब देते हुए एक करोड़ के सवाल तक को जीत लिया। अब था कि इतने पैसे में घर तो बन ही जाएगा। अब खेल को खत्म कर लेते हैं, लेकिन सोचा चांस लेकर पांच करोड़ का भी सवाल देख लेता हूं। कंप्यूटर स्क्रीन पर सवाल फ्लैश होने के बाद तकरीबन 15 मिनट का मैंने समय लिया। पांच करोड़ का सवाल था- 18 अक्टूबर 1868 को किस औपनिवेशिक शक्ति ने निकोबार द्वीप समूह के अधिकार अंग्रेजों को बेचकर भारत में अपनी भागीदारी समाप्त कर दी? मेरे पास एक लाइफलाइन थी- जिसमें दो गलत जवाब के ऑप्शन हट जाते, उसका इस्तेमाल किया। फिर बहुत देर सोचने के बाद मैंने डेनमार्क जवाब दिया। अमिताभ बच्चन ने जैसे ही बोला- सही जवाब, 5 करोड़ आप जीत गए। मैंने पानी की बॉटल खुद के ऊपर उड़ेल ली। खुशी के मारे पैर जमीन पर नहीं थे। जो लड़का हजार, दो हजार के लिए तरस रहा हो, उसे पांच करोड़…। जब केबीसी जीतकर मुंबई से अपने गांव लौटा, तो घर पर 2-3 साल तक लोगों का, मीडिया का, शहर के ब्यूरोक्रेट्स, नेताओं का तांता लगा रहा। लोग उद्घाटन में फीता काटने, दीए जलाने के लिए बुलाते। मुझे भी लगता कि अब तो सेलिब्रिटी बन गया हूं। ऐसा लगता था, यही मेरी जिंदगी है। जितना हो सके नाम कमा लूं, एक अलग पहचान बनाऊं बस यही सोचता रहता था। सच बताऊं, तो ग्लैमर का नशा चढ़ गया था। पॉकेट में करोड़ों रुपए थे, तो लोग भी हर रोज समाज सेवा, खुद की जरूरत, बेटी की शादी, पढ़ाई-लिखाई के नाम पर पैसे मांगते रहते थे। मैं सीधा-साधा गांव का आदमी। उन्हें पैसे दे भी देता था। किसी को दो लाख, तो किसी को चार लाख… 50 हजार से कम तो किसी को देता ही नहीं था। बाद में पता चलता कि वह तो बहाने बनाकर पैसे ऐंठ गया। फिर भी मैं अपने धुन में रहता। इस बात पर पत्नी से रोज लड़ाई-झगड़ा, कलह होता रहता था। वह हमेशा यही कहती- पैसे को इस तरह से पानी में मत बहाइए। पत्नी कहती रहती थी, लेकिन मैं सुनता ही नहीं था। तब लगता था कि पत्नी सोशल वर्क करने से, पहचान बनाने से रोक रही है। अब लगता है कि वो सब एक नशे की तरह था। हम दोनों के बीच बात इतनी बढ़ गई कि तलाक तक की नौबत आ गई। पढ़ाई-लिखाई से दूर होता चला गया। मेरे पास करने को कुछ नहीं था। दोस्तों के साथ रहना, शराब-सिगरेट पीना। यही चलता रहता था। इसी बीच मैंने अनगिनत फिल्में देखीं। तब लगा कि डायरेक्शन, फिल्म इंडस्ट्री में जाना चाहिए। पत्नी परेशान होकर मायके जा चुकी थी और मैं भी मुंबई चला गया। तकरीबन एक साल तक मुंबई में रहा। 6 महीने तो बैठकर ही खाया, कुछ-कुछ किस्से-कहानी लिखता रहता था। फिर एक प्रोडक्शन हाउस में बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर काम मिला। कुछ दिन बाद डायरेक्टर कहने लगा, इस पोजिशन के मुताबिक तुम्हारी उम्र ज्यादा है। वह काम भी हाथ से चला गया। एक साल बीतने के बाद समझ आया कि इंडस्ट्री में गुजारा नहीं है। एहसास हुआ कि ये सब पैसों का भूत है। पीछे मुड़कर देखा, तो पूरा परिवार छूटता दिख रहा था। अपनी सनक के लिए परिवार, पत्नी हर किसी को अनदेखा कर चुका था। गलत रास्ते पर चला गया था। तब गांव लौटने का फैसला किया। सबकुछ इतना बिगड़ चुका था कि संभालने में चार साल लग गए। 2015-16 का साल बीत रहा था। पत्नी अपने मायके में थी। किसी तरह उसे समझा-बुझाकर वापस घर ले आया। अगर समय रहते नहीं ठहरता, तो तलाक हो चुका होता। मेरे पास सब कुछ होता, लेकिन परिवार नहीं होता। साल 2020 में जब मैंने सोशल मीडिया पर शराब, सिगरेट, पत्नी से तलाक, पैसों की बर्बादी… ये सारी बातें लिखीं, तब लोगों ने कहना शुरू किया- केबीसी विनर सुशील कुमार कंगाल हुए। बर्बाद हुए। पत्नी से अलग हुए। कुछ बातें सही थीं, लेकिन बहुत सारी बातें गलत थीं। ये सब देख कर दुख होने लगा कि मेरी छवि क्या से क्या बन गई। दरअसल, मुंबई में रहने के दौरान मैं किस्से-कहानी लिखना सीख चुका था। क्रिएटिविटी के चक्कर में बहुत कुछ बढ़ा-चढ़ाकर लिख देता था। कई बार तो अपने बारे में बताने की एक खास वजह भी थी। दरअसल, लोग मुझे अपना रोल मॉडल समझने लगे थे। सोचते थे कि जब दिहाड़ी करने वाले गरीब परिवार का सुशील केबीसी में जा सकता है। 5 करोड़ का इनाम जीत सकता है, तो हम ऐसा क्यों नहीं कर सकते। कितनों लोगों ने मुझे देखकर ऐसे सपने देखना शुरू कर दिया था। मुझे डर लगता था कि कहीं इनके साथ भी वैसा न हो, जैसे मेरे साथ हो गया। जिन दोस्तों के साथ शराब-सिगरेट पीता था, उन्होंने साथ की कुछ तस्वीरें, वीडियो भी रिकॉर्ड कर लिए थे। तब लगता था कि पब्लिकली ये तस्वीरें-वीडियो सामने आ गए, तो क्या होगा? लोग कहेंगे कि- जिसे रोल मॉडल मानते थे, वो तो शराबी है। धुआं उड़ाता है। एक बार तो एक कार्यक्रम में मुझे बतौर चीफ गेस्ट बुलाया गया था। जब मैं पहुंचा तो ऑर्गनाइजर का एक मेंबर बोला-अरे ! किस शराबी, नशेड़ी को बुला लिए हैं। ये चीफ गेस्ट के लायक है क्या। मैंने ये बातें सुन लीं। थोड़ी ही देर बाद वहां से निकल गया। उसके बाद मैंने कार्यक्रमों में जाना ही बंद कर दिया। केबीसी विनर के तौर पर मुझे पहचान तो मिली, लेकिन धक्के भी बहुत खाए। पटना का एक वाकया मुझे याद है- पासपोर्ट बनवाने के लिए गया था। एक काउंटर पर लोग मेरे साथ फोटो खिंचवा रहे थे। सुशील कुमार, केबीसी विनर… कहते हुए हाथ मिला रहे थे। वहीं दूसरे काउंटर पर अधिकारी मुझे इधर से उधर दौड़ा रहे थे। तब मुझे लगा कि केबीसी विनर का तमगा लेकर घूमने से कुछ नहीं होने वाला है। तब मैंने फिर से पढ़ना-लिखना शुरू कर दिया। घर चलाने के लिए, दाल-रोटी के लिए कोई रोजगार तो चाहिए था। पांच करोड़ में से 30% टैक्स काटकर साढ़े तीन करोड़ रुपए मिले थे। बिजनेस के नाम पर करीब 25-30 लाख रुपए डुबो चुका था। इसके अलावा भी काफी पैसा बर्बाद कर चुका था इसलिए अब रोजगार चाहिए था। सरकारी टीचर में पिछले साल नौकरी लग गई। सोशल वर्क के तौर पर मैंने गौरैया संरक्षण अभियान पर काम करना शुरू किया। शहर में अलग-अलग जगहों पर, लोगों के घरों में लकड़ी के बने घोंसले, धान की सूखी टहनी, गौरैया के पीने के लिए मिट्टी के बर्तन लगाता हूं। चंपारण में चंपा फूल के 70 हजार से अधिक पौधे लगा चुका हूं। लोग मजाक भी उड़ाते हैं। कहते हैं- इतना पढ़ा-लिखा होकर, केबीसी विनर होकर, पांच करोड़ जीतकर चिड़िया का घोंसला लगाता है। पेड़ लगाता है। उन्हें कैसे बताऊं कि जो गरीबी मैंने देखी है, जहां से मैं आता हूं, वहां अपना घर होना कितनी बड़ी बात होती है। मैं खुद बरसों तक एक घर के लिए तरसता रहा। हमारी 15 लोगों की फैमिली 2 कमरे के घर में रहती थी। केबीसी जीतने के बाद मैंने सबसे पहले घर बनवाया था। इस काम से मेरी भावनाएं जुड़ी हुई हैं। मैं भाइयों में तीसरे नंबर पर हूं। पता था कि पापा की कमाई से लंबे समय तक घर नहीं चल सकता है। 8वीं, 9वीं के बाद से ही भाइयों ने कमाना शुरू कर दिया। कोई दवा का काम करने लगा, तो कोई फैक्ट्री में। मैं कई सालों से केबीसी के लिए अप्लाई कर रहा था। इसी साल फरवरी महीने में शादी हुई थी। शादी के बाद घर में रहने के लिए जगह नहीं थी, तब मुझे रेंट पर घर लेना पड़ा। कुछ ही महीने बाद KBC से कॉल आ गया। केबीसी जाने से पहले या अभी भी, मेरे पहनावे, ओढ़ावे में कोई अंतर नहीं आया है। कभी-कभी तो कोई पहचान भी नहीं पाता है कि मैं ही सुशील कुमार हूं। सुशील कुमार ने ये सारी बातें भास्कर रिपोर्टर नीरज झा से शेयर की ----------------------------------- संडे जज्बात सीरीज की ये स्टोरीज भी पढ़िए... 1. संडे जज्बात- स्कूल में मेरी बीवी को गोली मारी:कश्मीरी बच्चों की फेवरेट टीचर थी, खौफ से अंतिम संस्कार में एक भी मुस्लिम नहीं आया मैं राजकुमार, कश्मीर में तीन साल पहले स्कूल में रजनी नाम की जिस सरकारी टीचर को आतंकियों ने गोली मारी थी, उसका पति हूं। पूरी खबर पढ़ें... 2. मुगलों की बहू हूं, रहने को छत नहीं:पानी में ब्रेड डुबोकर बच्चे पाले; लालकिला भी टिकट लेकर जाती हूं मेरा नाम रजिया सुल्ताना बेगम है। मैं मुगल सल्तनत के आखिरी बादशाह बहादुर शाह जफर के पड़पोते मिर्जा बेदार बख्त की बीवी हूं। इन दिनों मैं हावड़ा के शिवपुरी इलाके की एक गरीब बस्ती में जिंदगी काट रही हूं। पढ़िए पूरी खबर...
बात 24 अप्रैल 2007 की है। रात के 9 बज रहे थे। दिल्ली के हैदरपुर बादली गांव के एक घर में दो लोग चिकन खा रहे थे। अचानक एक शख्स उठा और बोला, ‘उपेंद्र, तुम्हें आज सजा देनी है।’ उसने रस्सी से उपेंद्र के हाथ-पैर बांध दिए। उपेंद्र हंसते हुए बोला- ‘कितना मजाक करते हो भइया।’ उस आदमी ने नान-चक फंसाकर उपेंद्र की गर्दन तोड़ दी। उपेंद्र तड़प-तड़पकर शांत पड़ गया। इसके बाद उस शख्स ने गड़ासे से उपेंद्र का सिर धड़ से अलग कर दिया। फिर लाश के हाथ-पैर भी काट दिए। लाश के छह हिस्सों को प्लास्टिक, कपड़े और अखबार से लपेटकर गत्ते के तीन डिब्बों में पैक कर दिया। रात करीब एक बजे इंजन वाली रेहड़ी लाश के डिब्बे लादकर हैदरपुर बादली की तरफ निकल पड़ा। रास्ते में पीतमपुरा में बाबा रामदेव मंदिर के बाहर लगी ग्रिल पर लाश का एक पैर टांग दिया। फिर तीस हजारी कोर्ट में जजों के एंट्री-एग्जिट गेट के पास एक हाथ लटका दिया। दूसरा हाथ कोर्ट बिल्डिंग के बगल में फेंक दिया। फिर रेहड़ी लेकर तिहाड़ जेल के गेट नंबर 3 के पास पहुंचा और धीरे से लाश वाला डिब्बा वहीं रख दिया। सुबह 8 बजे हरिनगर थाने में फोन की घंटी बजी। आवाज आई, ‘एक और लाश तोहफे में भिजवा दिया हूं। तिहाड़ जेल के गेट नंबर-3 पर जाकर देख लो। दम है तो मुझे पकड़कर दिखाओ।’ SHO होशियार सिंह एक कॉन्स्टेबल के साथ तिहाड़ जेल के गेट नंबर 3 पर पहुंचे। सामने एक गत्ते का डिब्बा रखा था जिसमें लाश थी। इसी कातिल ने अक्टूबर 2006 में भी ठीक इसी तरह अनिल नाम के लड़के की हत्या की थी और लाश तिहाड़ जेल के गेट नंबर 3 पर रख दी थी। दिल्ली पुलिस को एक साल के भीतर तिहाड़ जेल के गेट नंबर 3 पर तीन लाशें मिलीं थीं। सभी लाशें कटी-फटी। दो लाश के साथ चिट्ठी भी। जिस पर लिखा था- ‘दिल्ली पुलिस, कान खोलकर सुन लो। अब तक मैं नाजायज केस झेलता रहा, लेकिन अब मैंने हकीकत में मर्डर किया है। मुझे पकड़ कर दिखाओ, तब समझूंगा कि दिल्ली पुलिस ऊपर से नीचे तक के स्टाफ असल मां-बाप की पैदाइश हैं।…तुमलोगों का बाप और तुम्हारा जीजा C.C’ इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर सुंदर यादव केस की जांच में जुटे थे। उन्हें एक फोटो मिली थी। वे पुलिस वालों के इसकी छानबीन में जुटे थे। दैनिक भास्कर की सीरीज ‘मृत्युदंड’ में दिल्ली किलर के पार्ट-1 और पार्ट-2 में इतनी कहानी तो आप जान ही चुके हैं। आज पार्ट-3 में आगे की कहानी… 18 मई 2007, सूरज सिर तक चढ़ चुका था। इन्वेस्टिगेटिव ऑफिसर सुंदर यादव ने अपनी टीम को आजादपुर मंडी की अलग-अलग गलियों में भेजा। यह देश की सबसे बड़ी सब्जी-फलों की मंडियों में से एक है। हेड कॉन्स्टेबल रोहिताश, एसआई नरेंद्र पहलवान और एसआई वीरेंद्र त्यागी के हाथ में चंद्रकांत झा की ब्लैक एंड वाइट धुंधली सी फोटो थी और वे मंडी की गली-गली घूम रहे थे। हेड कॉन्स्टेबल रोहिताश ने ये फोटो आजादपुर मंडी वाले मुखबिर को दिखाई। फोटो देखते ही वो बोला- ‘ऐसा ही एक आदमी पहले मंडी के आसपास रहता था। पल्लेदारी का काम करता था। अब कहां है, पता नहीं।’ एक-एक दुकान में पूछते-पूछते शाम हो गई, लेकिन चंद्रकांत झा का कोई पता नहीं चला। तभी एसआई नरेंद्र पहलवान ने एक और आदमी को फोटो दिखाई, वो देखते ही बोल पड़ा- ‘सामने जो डॉक्टर का क्लिनिक दिखाई दे रहा है, ये वहां आता रहता है।’ रोहिताश और नरेंद्र पहलवान क्लिनिक की तरफ भागे और अंदर चले गए। इंस्पेक्टर सुंदर सिंह थोड़ा दूर रुक गए। अंदर डॉक्टर, एक पेशेंट से कुछ बात कर रहा था। सामने रखी बेंच पर बैठते हुए रोहिताश ने फोटो डॉक्टर के सामने रख दी। पूछा-‘इसे देखा है क्या?’ डॉक्टर के माथे पर पसीना आ गया। लड़खड़ाती जुबान में बोला- ‘नहीं, मैं नहीं जानता। आप लोग बाहर जाइए।’ तभी डॉक्टर के फोन की घंटी बजी। उसने हड़बड़ा कर फोन उठाया। और बोला-हां। ये सुनते ही नरेंद्र पहलवान ने उसे जोर से एक थप्पड़ जड़ दिया। पूछा- ‘उसी का फोन है न?’ कांपते हुए डॉक्टर बोला- ‘हां साहब’। इन्वेस्टिगेटिव ऑफिसर सुंदर सिंह ने रोहिताश से कहा- ‘उठाकर जीप में डालो इसे।’ स्पेशल सेल में डॉक्टर से पूछताछ शुरू हुई। एसआई नरेंद्र पहलवान ने पूछा- ‘बता, कब से जानता है इसको।’ डॉक्टर बोला- ‘उसकी पत्नी ममता मुझसे ही इलाज करवाती है। उसके 5 बच्चे हैं। आज 4 बजे उसे क्लिनिक आना था।’ हेड कॉन्स्टेबल रोहिताश ने डंडा दिखाते हुए कहा- ‘तब तो तुझे सब पता होगा।’ डॉक्टर बोला- ‘साहब वो मेरे साले का जानने वाला है। उसकी वजह से उसे जानता हूं।’ हेड कॉन्स्टेबल- ‘दोनों के फोन नंबर दो।’ डॉक्टर ने फौरन ही चंद्रकांत और उसकी पत्नी के फोन नंबर दे दिए। एसआई नरेंद्र पहलवान ने रोहिताश से कहा, ‘इसके साले का पता लो और उसे भी तुरंत उठा लाओ।’ रोहिताश कुछ ही देर में डॉक्टर के साले को भी स्पेशल सेल ले आया। 19 मई को रोहिताश ने डॉक्टर से कहा- ‘चंद्रकांत को फोन करो। बोलो- वो कल चार बजे क्लिनिक क्यों नहीं आया।’ डॉक्टर ने चंद्रकांत झा को फोन किया। आवाज आई- ‘हां, आज आ रहा हूं।’ इन्वेस्टिगेटिव ऑफिसर सुंदर सिंह ने केला बेचने वाले का भेष बनाया। लुंगी-शर्ट पहनकर क्लिनिक के आस-पास घूमने लगे। टीम के बाकी लोग भी सिविल ड्रेस में इधर-उधर घूम रहे थे। सभी को 4 बजने का इंतजार था, लेकिन… वो आया ही नहीं। सुंदर सिंह यादव ने थाने में कॉल करके ड्यूटी ऑफिसर से कहा- ‘डॉक्टर का साला वहां बैठा हुआ है। तुम लोग चंद्रकांत के बारे में पूछताछ क्यों नहीं कर रहे हो।’ तब ड्यूटी ऑफिसर ने डॉक्टर के साले से पूछा- ‘सच, सच बता चंद्रकांत क्या करता है?' जवाब मिला- ‘साहब, उसके पास इंजन वाली रेहड़ी है।’ इंजन वाली रेहड़ी… ड्यूटी ऑफिसर ने फौरन सुंदर सिंह को फोन किया। सर… ये तो बता रहा है कि चंद्रकांत के पास इंजन वाली रेहड़ी है। सुंदर सिंह ने हेड कॉन्स्टेबल रोहिताश को फोन लगाया और बोले- ‘आसपास देखो कहीं कोई इंजन वाली रेहड़ी है क्या?’ फौरन सभी इंजन वाली रेहड़ी की तलाश में जुट गए। कुछ ही देर बाद एसआई नरेंद्र पहलवान को एक आदमी दिखा। उन्होंने पूछा- ‘यहां कोई इंजन वाली रेहड़ी है क्या?’ उसने करीब ही एक मकान की ओर इशारा करते हुए कहा- ‘वहां है।’ अलीपुर की गुलिया कॉलोनी के उस मकान का नंबर था 592, पास ही एक शिव मंदिर था। रोहिताश और बाकी पुलिसवाले दरवाजा खोलकर जैसे ही अंदर घुसे, देखा कि करीब 35 साल का सांवला सा एक आदमी जमीन पर बैठकर हलवा खा रहा था। सामने पांच बच्चियां बैठी हुई थीं। साथ ही एक महिला भी थी। शायद ये उसकी पत्नी और बेटियां थीं। रोहिताश ने उसे देखते ही जोरदार थप्पड़ जड़ दिया। गाली देते हुए बोला- ‘तू चंद्रकांत झा है न।’ वह आदमी तमतमाता हुआ बोला, ‘मैं तो विकास हूं।’ रोहिताश ने दो थप्पड़ और जड़ दिए। इतनी ही देर में इन्वेस्टिगेटिव ऑफिसर सुंदर सिंह भी आ गए। सुंदर सिंह को देखते ही वो आदमी बोला- ‘अच्छा, तो आप हैं आईओ सुंदर सिंह। सही घर में आए हैं। मैं ही चंद्रकांत झा हूं। आप बाजी जीत गए और मैं हार गया। आपने मुझे पकड़ लिया। हलवा खा लूं फिर चलता हूं।’ सभी पुलिस वाले उसे घेरकर खड़े हो गए और चंद्रकांत हलवा खाता रहा। इसके बाद ठसक से बोला-‘देखो, कोई मुझे मारेगा नहीं। सब बताऊंगा कि मैंने कितने मर्डर किए हैं।’ सुंदर यादव उसे राजौरी गार्डन स्पेशल सेल ले गए। ‘तुमने ये मर्डर किए हैं?’ रोहिताश का पहला सवाल था। बिना किसी हिचकिचाहट के चंद्रकांत बोला- ‘हां, मैंने किए हैं।’ सुंदर सिंह ने अपनी डायरी पलटते हुए चंद्रकांत से पूछा- ‘और कितने मर्डर किए हैं।’ जवाब आया, ‘सात।’ नरेंद्र पहलवान ने पूछा- ‘कब से कर रहा है ये सब?’ ‘1998 से’ रोहिताश ने पूछा- ‘लाश जेल के बाहर क्यों फेंकते थे?’ ‘बलवीर को तंग करने के लिए’, चंद्रकांत झा ने खीझते हुए जवाब दिया। कौन बलवीर…? चंद्रकांत बोला-‘जब मैं तिहाड़ जेल में बंद था, तो हवलदार बलवीर सिंह बहुत तंग करता था। तभी सोच लिया था कि जेल से बाहर निकला तो उसे खूब परेशान करूंगा।’ तुम तिहाड़ जेल में कब बंद थे? आईओ सुंदर सिंह के सवाल पर चंद्रकांत अपनी कहानी बताने लगा- मैं बिहार के मधेपुरा जिले के घोसाई गांव का रहने वाला हूं। मां टीचर थी। पापा सरकारी नौकरी में थे, पर कोई मुझसे प्यार नहीं करता था। 1986 मैं घर से भागकर दिल्ली आ गया। यहां पल्लेदारी का काम करने लगा। फिर आजादपुर मंडी में सब्जी की रेहड़ी लगाने लगा।’ हेड कॉन्स्टेबल रोहिताश ने टोकते हुए पूछा- ‘जब काम मिल गया तो ये सब क्यों करने लगा?’ चंद्रकांत बोला- ‘पुलिसवाले पैसे वसूल रहे थे। मंडी की एक कमेटी थी, मंगल पंडित अध्यक्ष था। वह हफ्ता वसूलता था। मैंने मना किया, तो कई और सब्जीवालों ने भी हफ्ता देना बंद कर दिया। मंगल चिढ़ गया। एक रोज उससे मारपीट हो गई। मेरे हाथ में सब्जी काटने वाला चाकू था, वह मंगल के हाथ में लग गया। खून देखते ही वह भागा-भागा पुलिस के पास चला गया। मुझे जेल में बंद करा दिया। उसने मेरी पत्नी को भी जेल भिजवा दिया, जबकि उसकी कोई गलती नहीं थी। मैं जिस सेल में था, वहां बलवीर नाम का हवलदार था। बहुत परेशान करता था। पैंट उतरवा देता था। कहता था, पैखाना साफ करो। झाड़ू लगाओ।’ ‘1998 में किसको मारा…?’ सुंदर यादव ने पूछा। ‘मंगल पंडित को’ ‘कैसे मारा?’ चंद्रकांत बोला- ‘जेल से आने के बाद मैं मंगल से मिला और दोस्ती कर ली। फिर गांव गया और घरवालों को बिना बताए जमीन बेच दी। डेढ़ लाख रुपए मिले। दिल्ली आया तो मंगल ने बताया कि उसे पैसों की जरूरत है। मैंने उसे पैसे दे दिए, लेकिन वो पैसे लौटा नहीं रहा था। एक रात हैदरपुर बादली वाले कमरे में ले जाकर उसे खिलाया-पिलाया, फिर हाथ-पैर बांधकर बोला, ये पहली गलती है। तुम्हें माफ करता हूं। जल्द पैसे नहीं लौटाए तो अगली बार माफ नहीं करुंगा। कुछ दिन बाद, उसे फिर से उसी कमरे पर लाकर खिलाया-पिलाया। फिर हाथ-पैर बांध दिए, गर्दन में नान-चक फंसाकर खींच दिया। जब वह मर गया, तब उसके टुकड़े-टुकड़े करके आदर्श नगर थाने के बाहर फेंक दिया। पुलिस ने इस केस में मुझे जेल में बंद कर दिया। साथ ही मुठभेड़ की फर्जी धारा लगा दी। कोर्ट ने मर्डर के केस में तो बरी कर दिया, लेकिन मुठभेड़ वाले केस में तीन साल की सजा हो गई। मैं बार-बार कोर्ट से कहता रहा कि मैंने मर्डर किया है, मुठभेड़ में मेरा कोई हाथ नहीं है, लेकिन मेरी नहीं सुनी गई। इसलिए बाद में मैंने उपेंद्र को मारकर उसका हाथ कोर्ट के बाहर लटका दिया था।' ‘तुम पहली बार में छोड़ते क्यों थे?’ एएसआई वीरेंद्र त्यागी ने जोर देकर पूछा। चंद्रकांत हंसते हुए बोला- ‘तुम दिल्ली पुलिसवाले इतना भी नहीं समझते हो। अरे पहली बार छोड़ देता था, ताकि दूसरी बार उसे लगे कि मैं मजाक कर रहा हूं। हाथ-पैर बांधकर छोड़ दूंगा। उसे क्या पता कि अगले ही पल उसकी मौत आने वाली है और मेरे कलेजे को ठंडक।’ ‘तिहाड़ के बाहर 2003 में जो लाश रखी थी, वो किसकी थी?’ ‘उमेश की’ उसे क्यों मारा? ‘वह @%$# मंगलवार को भी मटन खाता था। मैंने कई बार मना किया था। नहीं माना, इसलिए उसे भी मोक्ष दे दिया।’ ‘… और किस-किस के मर्डर किए?’ रोहिताश ने शर्ट की बांहें ऊपर खींचते हुए पूछा। चंद्रकांत ने बताना शुरू किया- ‘1998 में मंगल पंडित, 2003 में शेखर और उमेश, फिर 2005 में गुड्डू को मारकर मंगोलपुरी गंदा नाला के पास बने सुलभ शौचालय के करीब फेंका। उसके बाद अनिल मंडल को 20 अक्टूबर 2006 को मारा, जिसे तुम लोग अमित समझ रहे थे। वह भी क्रिमिनल था। उसने जान बूझकर अमित नाम का टैटू बनवाया था। उसने मुझसे एक हजार रुपए लिए थे, लेकिन लौटाए नहीं। उलटे मेरी बेटी को उठाकर ले गया। एक साल के बाद मिला था। उसी के बाद मैंने उसका नाम फाइल से हटाने का सोच लिया।' आईओ सुदंर यादव ने पूछा- '17 मई 2007 को जिसकी लाश तिहाड़ के बाहर फेंकी वो कौन था?' जवाब मिला- 'वो तो दिलीप की थी... उसका मेरे दोस्त की फ्रेंड के साथ चक्कर था। इसलिए मारने के बाद उसका गला, हाथ-पार और गुप्तांग भी काट दिया था।' सुंदर यादव ने फिर पूछा- ‘मंदिर के बाहर टांग क्यों फेंकी थी?’ चंद्रकांत बोला- ‘अनिल की लाश लेकर जब जा रहा था, तो रेहड़ी खराब हो गई। मैंने मंदिर के पास खड़ी कर दी थी। जब दिन में रेहड़ी बनवाने के लिए गया, तो मैकेनिक ने लात मारते हुए कहा- तुम पैसा देते नहीं हो।’ इसलिए जब दूसरा मर्डर किया, तो लात को मंदिर के बाहर टांग दिया।’ ‘चिट्ठी क्यों लिखते थे?’, रोहिताश ने दोनों चिट्ठी दिखाते हुए पूछा। ‘जब पुलिस ने मुझे झूठे मुकदमे में फंसाकर जेल भेजा। पत्नी को जेल भेज दिया, फिर मैं तुम लोगों को क्यों न परेशान करूं। इसलिए चैलेंज करता था। तिहाड़ के गेट पर दूसरी वाली बॉडी को खोलने के लिए जो आदमी चाकू लेकर आया था, वो मैं ही था। तुम्हारे SHO होशियार सिंह ने कहा था कि पुलिस के सामने पेश हो जाओ। तो मैं चाकू लेकर पेश हो गया। कैसे पुलिस वाले हो तुम लोग @$# मैं सामने था और पकड़ भी न पाए।’ ‘C.C का क्या मतलब’, रोहिताश ने चिट्ठी का आखिरी हिस्सा दिखाते हुए पूछा। हंसते हुए चंद्रकांत बोला- ‘C.C मतलब, चंद्र ही चंद्र।’ इतने में ACP हरगोबिंद सिंह धालिवाल आ गए। उन्होंने पूछा- ‘तुम नान-चक फंसाकर गर्दन कैसे तोड़ते थे।’ बेखौफ चंद्रकांत बोला- ‘आप कुर्सी पर बैठो। मैं तोड़कर बता देता हूं।’ ACP धालिवाल चुप हो गए। चंद्रकांत झा ने अपना जुर्म कबूल कर लिया था, पर आईओ सुंदर यादव सोच में पड़े थे कि कोई चश्मदीद गवाह नहीं है। हथियार भी नहीं मिले हैं, कोई और सबूत भी नहीं है। अगर ये कोर्ट में मुकर गया तो…? उन्होंने चंद्रकात से पूछा- ‘जो लाशें तिहाड़ के बाहर फेकीं, उनके सिर कहां हैं?’ ‘यमुना जी में।’ ‘यमुना जी में क्यों फेंका?’ ‘उनका भी कल्याण हो जाएगा, इसलिए।’ चंद्रकांत झा को गिरफ्तार हुए तीन दिन हो चुके थे। वह पुलिस कस्टडी में था। 23 मई को आईओ सुंदर सिंह, चंद्रकांत झा को लेकर यमुना किनारे पहुंचे। सुबह से लेकर शाम तक कीचड़ से भरी यमुना में खोपड़ी ढूंढते रहे। जब गोताखोर और नाव वाले कुछ नहीं निकाल पाए, तब हेड कॉन्स्टेबल रोहिताश, एसआई नरेंद्र पहलवान और आईओ सुंदर सिंह खुद कपड़े उतारकर यमुना में घुस गए। कई घंटों बाद एक खोपड़ी मिली। चंद्रकांत झा ने कहा- यह खोपड़ी दिलीप की है। उसे 18 मई 2007 को मारा था। खोपड़ी में एक बाल तक नहीं था। डीएनए जांच में खोपड़ी उपेंद्र की निकली, जिसका मर्डर 25 अप्रैल 2007 को हुआ था। खोपड़ी और लाश का डीएनए मैच कर गया। फोरेंसिक टीम चंद्रकांत झा के हैदरपुर बादली और अलीपुर वाले मकानों पर पहुंची। दोनों ही मकानों के फर्श पर लगे खून के धब्बों के सैंपल लिए। कत्ल में इस्तेमाल नान-चक, दरांती और गड़ासे को भी जांच के लिए भेज दिया। अब मामला रोहिणी कोर्ट में चलने लगा। एडिशनल सेशन जज डॉक्टर कामिनी लॉ ने सुनवाई शुरू की। चंद्रकांत झा की तरफ से एडवोकेट दीपक शर्मा पेश हुए। वहीं, दिल्ली पुलिस की तरफ से कई एडवोकेट अलग-अलग तारीखों पर केस लड़े। जिरह के दौरान दिल्ली पुलिस के वकील ने कहना शुरू किया। ‘माय लॉर्ड, इस सनकी आदमी ने एक-एक करके न जाने कितने मर्डर किए हैं। यह खुद कह रहा है कि इसने कम-से-कम 7 मर्डर किए हैं। 20 अक्टूबर 2006 और 18 मई 2007 को मिली चिट्ठियों के फिंगर प्रिंट से पता चल रहा है कि इसी ने लिखे थे। इसने साफ-साफ लिखा था कि यदि यह साल में 7-8 मर्डर नहीं कर लेता है, तो इसका दिमाग पागल होने लगता है। जितनी बर्बरता से यह कत्ल करता है, वह भयावह है। इसने गरीब, मासूम लोगों का कत्ल किया है। ऐसे लोगों का जो अपने परिवार में इकलौते कमाने वाले थे। सब्जी मंडी में काम करते थे। रेहड़ी चलाते थे।’ थोड़ा ठहरकर दिल्ली पुलिस के वकील फिर बोलते हैं- 'मर्डर करने का तरीका देखिए… पहले बहला-फुसलाकर खिलाना-पिलाना, फिर हाथ-पैर बांधकर पहली बार छोड़ देना और दूसरी बार में हाथ-पैर बांधकर नान-चक लगाकर गर्दन तोड़ देना, फिर शरीर के एक-एक हिस्सों को काटकर कभी नाले में, कभी मंदिर के बाहर, कभी कोर्ट के बाहर और लाश को तिहाड़ जेल के बाहर फेंक देना। इतनी बर्बरता कोई इंसान कैसे कर सकता है। ये शैतान है। ये जिंदा बचा, तो ना जाने कितने मर्डर और करेगा। इसे फांसी होनी चाहिए।’ चंद्रकांत के वकील दीपक शर्मा ने बचाव में कहा- ‘कोई चश्मदीद गवाह नहीं है, जो बता सके कि मेरे मुव्वकिल ने ही सबका कत्ल किया है। पुलिस ने जोर-जबरदस्ती जुर्म कबूल करवाए हैं। पुलिस अपनी साख बचाने के लिए इस तरह के सबूत पेश कर रही है।’ कोर्ट ने आदेश दिया- ‘दोनों चिट्ठी और चंद्रकांत झा की हैंडराइटिंग मिलाई जाए।’ जांच में साबित हुआ कि फिंगर प्रिंट और हैंडराइटिंग दोनों चंद्रकांत झा के ही हैं। चिट्ठी पर जो खून के सैंपल मिले थे, उसका ब्लड ग्रुप इन लाशों से मैच हो गया। बचाव में अब चंद्रकांत झा के वकील दीपक शर्मा के पास कोई दलील नहीं थी। कोर्ट में बहस पूरी हो चुकी थी। फिर भी जज कामिनी लॉ खुद में मुतमइन होना चाहती थी। इसलिए उन्होंने एडवोकेट और इन्वेस्टिगेटिव ऑफिसर के साथ हर एक घटनास्थल का जाकर मुआयना किया। उसके बाद 24 जनवरी 2013 को रोहिणी कोर्ट ने चंद्रकांत झा को कत्ल के तीन मामलों में दोषी पाते हुए सजा सुनाई। कोर्ट ने कहा- ‘चंद्रकांत झा ने एक-एक करके बर्बरता से ये सभी कत्ल किए। जिस मानसिकता के साथ उसने इन घटनाओं को अंजाम दिया, वह रेयरेस्ट ऑफ रेयर है। प्री-प्लान करके वह मर्डर करता और लाश को ठिकाने लगाता था। 6 साल तक वह पुलिस को चकमा देता रहा। पुलिस को चैलेंज करता रहा। ऐसे व्यक्ति को समाज में जिंदा रहने का कोई अधिकार नहीं है। उसे तब तक फांसी पर लटकाया जाए, जब तक उसकी मौत न हो जाए।' फैसला लिखने के बाद जज कामिनी लॉ को अपने पेन की निब तोड़ने की परंपरा निभानी थी, लेकिन उससे पहले वो बोलीं- ‘चंद्रकांत झा इस पुलिसिया सिस्टम का बनाया हुआ अपराधी है। दिल्ली पुलिस का आदर्श वाक्य है हमेशा आपके साथ, लेकिन ये सिलसिलेवार हत्याएं हमारी पुलिस व्यवस्था के दूसरे पहलू को नंगा कर रही है। यह सोचने और विचार करने का समय है कि क्या इस तरह की पुलिस व्यवस्था ने एक चंद्रकांत झा को जन्म दिया है और अगर हमारी पुलिस व्यवस्था इसी तरह चलती रही तो और चंद्रकांत झा जैसे और लोग भी जन्म ले सकते हैं। यह वास्तव में सरकार के लिए एक चेतावनी है कि वह लंबे समय से प्रतीक्षित पुलिस सुधारों को लागू करे।’ फैसला सुनाने के बाद जज साहिबा उठकर चली गईं। कठघरे में खड़ा चंद्रकांत झा नीचे जमीन पर बैठ गया। बाहर कोर्ट के बरामदे में बैठी उसकी पांचों बेटियां और पत्नी ममता दहाड़ें मारकर रोने लगीं। 2016 में दिल्ली हाईकोर्ट ने इन चार बातों को आधार मानते हुए चंद्रकांत झा की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया। पहला- इस मामले में यह साबित नहीं हो पाया कि चंद्रकांत झा के अपराध के लिए उम्रकैद की सजा काफी नहीं। दूसरा-मरने वाले अनिल मंडल की पहचान काफी जटिलता से साबित हो सकी। शुरुआत में उसका डीएनए परिवार से मैच नहीं हुआ था। तीसरा- जब उपेंद्र मर्डर केस में चंद्रकांत को मृत्युदंड दिया गया था, तब तक उस पर किसी दूसरे मामले में दोष सिद्ध नहीं हुआ था, इसलिए इस मामले को एक अलग केस माना जाना चाहिए। चौथा-इस बात के पर्याप्त सबूत नहीं हैं कि चंद्रकांत झा में सुधार की गुंजाइश नहीं है या फिर इससे समाज को खतरा है। इन दलीलों के लिए हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के कई पुराने फैसलों का हवाला भी दिया। साल 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट का फैसला बरकरार रखा। अक्टूबर 2023 में चंद्रकांत झा को 90 दिन की पैरोल पर जेल से बाहर आने का मौका मिला, लेकिन उसने तय तारीख को सरेंडर नहीं किया। पुलिस उसे दो साल बाद जनवरी 2025 में पकड़ पाई। तबसे वह तिहाड़ जेल में है। (नोट- यह सच्ची कहानी, केस के जांच अधिकारी रहे रिटायर्ड ACP सुंदर सिंह यादव, सब इंस्पेक्टर रोहिताश, बचाव पक्ष के वकील दीपक शर्मा से बातचीत और केस की चार्जशीट और कोर्ट जजमेंट पर आधारित है। सीनियर रिपोर्टर नीरज झा ने क्रिएटिव लिबर्टी का इस्तेमाल करके इस घटना को कहानी के रूप में लिखा है।) 'मृत्युदंड' सीरीज में अगले हफ्ते पढ़िए एक और सच्ची कहानी...
‘उम्मीद थी कि इस साल ज्यादा टूरिस्ट्स आएंगे। 2024 का रिकॉर्ड टूट जाएगा। 22 अप्रैल को पहलगाम में जो कुछ हुआ, उसके बाद से कश्मीर घाटी में सन्नाटा पसरा है। एक महीने हो गए। इक्का-दुक्का टूरिस्ट भी नहीं आ रहे हैं।’ मोहम्मद याकूब दुन्नू का परिवार पीढ़ियों से श्रीनगर में हाउसबोट का बिजनेस कर रहा है। याकूब कश्मीर में पसरे सन्नाटे से मायूस हैं। 2024 में यहां टूरिज्म पीक पर था। याकूब को उम्मीद थी कि पिछले साल से बेहतर कारोबार होगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पिछले कुछ सालों से मई और जून में टूरिस्ट्स से गुलजार रहने वाला कश्मीर इस बार वीरान है। पहलगाम की वादियों से लेकर श्रीनगर की डल झील तक सब सूना है। इतना सूना है कि जिस दिन दैनिक भास्कर की टीम यहां का हाल देखने पहुंची, हमें बात करने के लिए टूरिस्ट नहीं मिले। अभी सुरक्षा कारणों की वजह से भी कश्मीर में कई टूरिस्ट स्पॉट बंद हैं। टूरिस्ट्स के न आने की एक बड़ी वजह ये भी है। पहलगाम की बायसरन घाटी और उसके आसपास के सारे टूरिस्ट पॉइंट बंद चल रहे हैं। 'पहलगाम हमला हमारी बदकिस्मती, डल झील से लेकर हाउसबोट तक सब खाली'जम्मू कश्मीर के CM उमर अब्दुल्ला ने विधानसभा में बताया था कि 2024 में जम्मू-कश्मीर में 2.35 करोड़ टूरिस्ट आए। 2023 में 2.11 करोड़ टूरिस्ट आए थे। CM ने कहा था कि हम जम्मू कश्मीर में एडवेंचर टूरिज्म, गोल्फ टूरिज्म, इको टूरिज्म, कल्चरल-हेरिटेज टूरिज्म और रिलीजियस टूरिज्म को बढ़ावा देना चाहते हैं। हालांकि, ऐसा होता नहीं दिख रहा। श्रीनगर में डल गेट के बगल से गुजरने वाली बुलवार्ड रोड खाली पड़ी है। ये सड़क पिछले कुछ साल में इतनी खाली कभी नहीं थी। डल झील कश्मीर का सबसे बड़ा अट्रैक्शन है। इसके आसपास होटल, शिकारा, ढाबे और हाउसबोट का बड़ा कारोबार है। आमतौर पर टूरिस्ट्स कश्मीर में ट्रिप की शुरुआत श्रीनगर से करते हैं और डल झील पर हाउसबोट में वक्त जरूर गुजारते हैं। मोहम्मद याकूब दुन्नू के परिवार की चार पीढ़ियां हाउसबोट के कारोबार से जुड़ी रही हैं। हम उनसे जिस हाउसबोट पर मिले, वो करीब 110 साल पुरानी है। ये हाउसबोट उनके परदादा ने बनवाई थी। याकूब कहते हैं, ‘पहलगाम में जो कुछ हुआ, वो हमारे लिए बदकिस्मती है। 2022 से अभी पहलगाम हमले से पहले तक जम्मू-कश्मीर में रिकॉर्ड तोड़ टूरिस्ट आते थे।‘ कश्मीर में हाउसबोट पुराना बिजनेस है। कोई भी नया प्लेयर इस बिजनेस में नहीं उतरना चाहता। अभी कश्मीर में करीब 940 हाउसबोट हैं। मोहम्मद याकूब बताते हैं, ‘एक हाउसबोट बनवाने में कम से कम 3-4 करोड़ रुपए खर्च आता है। इसका मेंटेनेंस भी महंगा है। अगर इतना ही पैसा किसी रियल एस्टेट प्रॉपर्टी में लगाकर होटल खोलें, तो ज्यादा कमाई हो सकती है। हमारा पुश्तैनी बिजनेस है, इसलिए हम काम चला पा रहे हैं।‘ 'जितने टूरिस्ट आएंगे, आतंकियों के मुंह पर उतना बड़ा तमाचा लगेगा'टूरिस्ट्स को फिर से कश्मीर में कैसे लाया जा सकता है? इसके जवाब में मोहम्मद याकूब कहते हैं, ‘आतंकियों का मकसद था कि टूरिस्ट को कश्मीर आने से रोका जाए, ताकि यहां के लोगों को परेशानी हो। ये जंग अब शुरू हो गई है। ये आतंकियों और हमारे बीच है।‘ ‘मैं लोगों को ये भरोसा दिलाता हूं कि आप यहां आइए, तभी हम उन दरिंदों के खिलाफ ये जंग जीत पाएंगे। आप जितनी ज्यादा संख्या में आएंगे, वो आतंकियों के चेहरे पर उतना बड़ा तमाचा होगा। सरकार से गुजारिश है कि कश्मीर के टूरिज्म की बहाली के लिए प्रचार करें। लोगों तक ये मैसेज पहुंचाएं कि कश्मीर उनके लिए सेफ है।’ टैक्सी ड्राइवर बोले…‘टूरिज्म चौपट हो गया, अब टैक्सी की किस्त कैसे भरें’कश्मीर आने वाले टूरिस्ट श्रीनगर को सेंटर बनाकर अलग-अलग टूरिस्ट स्पॉट तक पहुंचते हैं। इसके लिए टूरिस्ट टैक्सी का सहारा लेते हैं। कश्मीर के टूरिज्म में टैक्सी बड़ा बिजनेस है। ये लोकल लोगों को रोजगार देता है। बांदीपोरा के रहने वाले इशफाक अहमद टैक्सी चलाते हैं। वैसे तो उन्होंने कश्मीर से बाहर जाकर पढ़ाई की, लेकिन घरेलू वजहों से घर लौटना पड़ा। कश्मीर में कोई नौकरी नहीं मिली तो गाड़ी खरीदी और टूरिस्ट के लिए टैक्सी सर्विस शुरू कर दी। आम दिनों में वे रोज 3-4 हजार रुपए कमा लेते थे, लेकिन पहलगाम हमले के बाद से खाली बैठे हैं। इशफाक बताते हैं, ‘मैंने पिछले साल 6 लाख रुपए में कार खरीदी थी। उसकी हर महीने 14 हजार रुपए किस्त जाती है। 22 अप्रैल के बाद से मैं किस्त नहीं भर पाया हूं। पिछले एक महीने से बिल्कुल टूरिस्ट नहीं आ रहे हैं। मैंने श्रीनगर के बाहर एक भी ट्रिप नहीं की।‘ घोड़ा-खच्चर वाले बोले…अपने खाने का ठिकाना नहीं, इसलिए घोड़े-खच्चरों को पहाड़ों पर छोड़ा कश्मीर का पहलगाम हो या गुलमर्ग, इन पहाड़ी इलाकों में घोड़े या खच्चर के बिना सफर आसान नहीं है। पहलगाम हमले के बाद कश्मीर में टूरिस्ट आना कम हो गए, तब से इन खच्चर वालों का कारोबार भी ठप हो गया है। अब्दुल वहीद वानी पहलगाम में पोनी एसोसिएशन के प्रेसिडेंट हैं। वे बताते हैं, ‘अब हमने सारे खच्चरों को पहाड़ों पर भेज दिया है क्योंकि अब हमारे पास खुद के खाने-पीने लायक कमाई नहीं हो रही है। यहां पहले और अब के टूरिज्म में इतना फर्क आ गया है, जितना फर्क जमीन और आसमान में होता है। 22 अप्रैल के दिन जो वाकया हुआ, उसके बाद यहां लोगों की तकलीफ बढ़ गई है।‘ ‘पहलगाम में हर दिन कम से कम 500 गाड़ियां आती ही थीं। आज कोई नहीं आ रहा। जो गाड़ियां दिख भी रही हैं, वो कश्मीर के लोकल लोग ही हैं।‘ अब्दुल कहते हैं, ‘पहलगाम हमले से पहले एक घोड़े वाला 800 से 1000 रुपए दिन का कमा लेता था। अब ऐसे हालात हैं कि एक रुपए भी नहीं कमा पा रहे हैं। हमारा घोड़ा तभी चलेगा, जब टूरिस्ट आएंगे। हमने अब अपने घोड़े भी जंगलों में छोड़ दिए हैं, ताकि वो घास खा सकें। हम बिना कमाई के उन्हें कहां से खिलाएंगे।‘ अप्रैल, मई, जून और जुलाई टूरिज्म का पीक सीजन होता है। इसकी कमाई हम ठंड के दिनों में बर्फबारी के वक्त के लिए बचाकर रख देते थे, लेकिन अब हमें वो पैसे भी खर्च करने पड़ रहे हैं। अभी पेट पालना मुश्किल हुआ, बर्फबारी में कैसे गुजारा करेंगेपहलगाम के आसपास रहने वाले ज्यादातर लोग टूरिज्म से ही जुड़े हैं। रईस अहमद भट भी उन्हीं में से एक हैं। वो पहलगाम में घोड़ा चलाते हैं। टूरिस्ट से होने वाली कमाई से उनका घर चलता है। रईस कहते हैं, ‘जो सड़क अभी आपको खाली दिख रही है, 22 अप्रैल से पहले वहां गाड़ी पार्क करना मुश्किल हो जाता था।’ ’मई-जून कश्मीर में टूरिज्म का पीक सीजन होता है। इन्हीं महीनों में हम सालभर के लिए कमाकर रख लेते हैं। मैं अपनी बात करूं तो आराम से अपना परिवार चलाता था और रोज कम से कम हजार रुपए बचा भी लेता था। हालांकि अब ऐसे हालात में हर कोई खाली बैठा है।’ होटल-ढाबा कारोबारी बोले…‘सरकार सुरक्षा जांचकर जल्द टूरिस्ट पॉइंट खोले’निसार अहमद पहलगाम में होटल बिजनेस से जुड़े हैं। वे बताते हैं कि पहलगाम हमले के बाद से बिजनेस पूरी तरह ठप है। दुकानदार से लेकर टूरिज्म सेक्टर से जुड़े दिहाड़ी मजदूर तक हर किसी पर इसका असर हुआ है। निसार कहते हैं, ‘मैं एडमिनिस्ट्रेशन से अपील करता हूं कि कश्मीर में साइट सीन पॉइंट खोले जाएं। अब सरकार को आगे आकर कश्मीर के टूरिज्म का प्रचार करना चाहिए। टूरिस्ट्स को वापस लाने की पहल करनी चाहिए।’ ‘ढाबे पर 10 वर्कर काम करते थे, अब 8 को निकालना पड़ा’वेस्ट यूपी के मुरादाबाद के रहने वाले मोहम्मद शानू का पहलगाम मार्केट के पास एक ढाबा है। आमतौर पर उनका ढाबा टूरिस्ट से भरा रहता था, लेकिन अभी खाली है। अब तक ढाबे पर 10 लोग काम कर रहे थे, लेकिन टूरिस्ट न आने से 8 लोगों को काम से निकालना पड़ा है। जिन लोगों को काम से निकाला गया, वो घर लौट गए हैं। तारिक अहमद साउथ कश्मीर के अनंतनाग के रहने वाले हैं और सोशल एक्टिविस्ट हैं। वे कहते हैं, ‘इस वक्त सबसे अहम सवाल है कि टूरिज्म की बहाली कैसे होगी। मेरी सरकार से गुजारिश है कि सब जगहें सैनेटाइज की जा चुकी हैं। पहले टूरिस्ट स्पॉट खोलें, जिससे ये मैसेज जाए कि वो जगहें क्लियर हो गई हैं।‘ ‘कश्मीर के लोग हमेशा से मेहमान नवाज रहे हैं। कश्मीरियों ने हमेशा टूरिस्ट्स की जान से भी ज्यादा हिफाजत की है। सरकार को उन टूरिस्ट स्पॉट को खोलना शुरू करना चाहिए और पर्यटन के प्रमोशन के लिए काम शुरू करना चाहिए।‘ सिर्फ 1% टूरिस्ट पहुंच रहे, 4-5 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआफारुक कुट्टू करीब तीन दशक से कश्मीर के टूरिज्म सेक्टर में काम कर रहे हैं। कश्मीर ट्रैवल एजेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रहे हैं। वे कहते हैं, ‘फिलहाल हमारे पास आम दिनों के मुकाबले 1% से भी कम फुटफॉल बचा है। इतना नुकसान हुआ है कि मैं उसका कैलकुलेशन भी नहीं कर सकता। हमारे एसोसिएशन का अनुमान है कि 4 से 5 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।‘ ‘आर्टिकल-370 हटाए जाने के बाद पिछले 3-4 साल से कश्मीर की टूरिज्म इंडस्ट्री को गजब का बूस्ट मिला था। टूरिस्ट का फुटफॉल ऑल टाइम हाई पर था, लेकिन अब सब ठप पड़ा है। भारत सरकार और प्रधानमंत्री ने इसे लेकर मीटिंग बुलाई थी और इसे रिकवर करने की कोशिश चल रही है।‘ फारुक कश्मीर में आतंकवाद का दौर याद करते हुए कहते हैं, ‘तब भी टूरिज्म का बहुत नुकसान हुआ था। उसके बाद बाढ़, कोविड और आर्टिकल-370 के कारण बंद हो गया। इसके बाद सरकार ने रिकवरी के लिए हमारी संस्थाओं के साथ मिलकर मार्केटिंग कैंपेन और प्रमोशन चलाए थे। इसकी वजह से पूरे देश में अच्छा मैसेज गया था। अब इसी तरह का कैंपेन सरकार और लोगों को मिलकर चलाने की जरूरत है। ................................ ये खबरें भी पढ़ें... पाकिस्तानी फायरिंग से बच नहीं पाया 13 साल का विहान महताब दीन, जम्मू के पुंछ के रहने वाले हैं। अपनी चोट दिखाते हुए महताब LoC के पास वाले इलाकों का हाल बताते हैं। वे कहते हैं, ‘सुबह से ही धमाकों की आवाजें आ रही थीं। मैंने अपने बच्चों के साथ दीवार की आड़ ले रखी थी इसलिए बच सका।‘ इस बमबारी में पुंछ में 3 महिलाओं और 5 बच्चों सहित 16 लोगों की मौत हुई है। 59 लोग घायल हुए हैं। पढ़िए पूरी रिपोर्ट... हार्ट-पेशेंट बेटी को बचाने निकलीं नरगिस पर गिरा पाकिस्तानी रॉकेट जम्मू-कश्मीर में उरी के रजरवानी गांव में रहने वाली नरगिस को बेटी की फिक्र हो रही थी। 14 साल की बेटी को हार्ट की परेशानी है। बाहर पाकिस्तान की तरफ से भारी गोलाबारी हो रही थी। नरगिस को लगा कि बेटी की तबीयत न बिगड़ जाए, इसलिए उन्होंने गाड़ी मंगाई और बेटी को लेकर बारामूला की तरफ चल पड़ीं। बेटी को बचाने निकलीं नरगिस की मोर्टार का छर्रा लगने से मौत हो गई। पढ़िए पूरी खबर...
21 फरवरी 2025मध्यप्रदेश के रीवा में एक कपल कोर्ट मैरिज करने पहुंचा। लड़के की उम्र 27 साल और लड़की 21 साल की। वकील ने उनके डॉक्यूमेंट देखे, तो पता चला लड़का मुस्लिम है और लड़की हिंदू। बात तुरंत फैल गई। वकील जुट गए और लव जिहाद का आरोप लगाकर लड़के को पीटने लगे। पुलिस ने कपल को बचाया और थाने ले गई। हंगामे की वजह से दोनों की शादी नहीं हो पाई। पुलिस ने केस तो दर्ज किया, लेकिन कोई गिरफ्तारी नहीं हुई। 7 फरवरी 2025मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल। वही कहानी, मुस्लिम लड़का और हिंदू लड़की। स्पेशल मैरिज एक्ट में शादी रजिस्टर करने आए थे। ये बात हिंदूवादी संगठनों को पता चल गई। विश्व हिंदू परिषद और संस्कृति बचाओ मंच के कार्यकर्ता कोर्ट पहुंच गए। लव जिहाद का आरोप लगाया और लड़के को लात-घूंसों से पीटा। कान पकड़कर माफी मंगवाई। शाम को पुलिस ने लड़के पर लव जिहाद का केस दर्ज कर लिया। ये सिर्फ दो घटनाएं हैं। बीते कुछ महीनों से एक ट्रेंड चल पड़ा है। मुस्लिम लड़का और हिंदू लड़की सहमति से शादी करने कोर्ट पहुंचे, तभी वहां हिंदूवादी संगठनों के सदस्य पहुंच गए। लव जिहाद का आरोप लगाकर हंगामा और मारपीट की। कुछ मामले तो ऐसे भी हैं, जिसमें पीटने वाले वकील थे। दैनिक भास्कर ने पड़ताल की, तो पता चला कि ऐसे मामले बिहार के मुजफ्फरपुर और यूपी के फर्रुखाबाद-जौनपुर में भी सामने आए हैं। हमारे सामने कुछ सवाल थे- 1. कोर्ट में घुसकर शादियां रुकवाने वाले कौन हैं? 2. उन्हें कैसे पता चलता है कि हिंदू-मुस्लिम जोड़ा शादी करने आया है? 3. क्या वकील या कोर्ट का स्टाफ कपल्स की जानकारियां लीक करते हैं? 4. क्या इसमें लड़के-लड़की के परिवार की भी कोई भूमिका होती है? जवाब तलाशने के लिए हमने विक्टिम कपल, वकील, एक्टिविस्ट और हिंदूवादी संगठनों के पदाधिकारियों से बात की। इस पूरे मामले को मीना और जुनैद की कहानी से समझिएमीना दिल्ली में रहती हैं। वैसे गुवाहाटी की रहने वाली हैं। मीना और उनके पति जुनैद शादी करना चाहते थे। दोनों के धर्म अलग थे। कानून इसकी मान्यता देता है, लेकिन उन्हें नहीं पता था कि उनके रिश्ते को 'लव जिहाद' बना दिया जाएगा। बचने के लिए दोनों दिल्ली आ गए। जुनैद ने धर्म बदला और विजय बन गए। आर्य समाज में शादी कर ली। एक साल हो गया, लेकिन अब भी दोनों डरे-सहमे रहते हैं। मीना कहती हैं, 'मैं हिंदू हूं। जिस लड़के से प्यार हुआ वो मुस्लिम था। हम बिना धर्म बदले शादी करना चाहते थे। परिवार राजी नहीं थे, इसलिए हमने कोर्ट मैरिज करने का फैसला लिया। कोर्ट में शादी करने पर नोटिस बोर्ड में शादी करने वालों की फोटो लगती है।' 'हमारी यही फोटो किसी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दी। मेरे परिवार से कहा गया कि मेरे साथ लव जिहाद हुआ है। हमें परेशान किया गया। समाज से कितना लड़ते। मेरे पति ने हिंदू धर्म अपना लिया ताकि हमारी शादी हो जाए।' हमने मीना और जुनैद से बात करनी चाही, तो बोले घर मत आइए। डर लगा रहता है कि पड़ोसियों को हमारे बारे में पता न चल जाए। कभी भी पुलिस आ सकती है या किसी संगठन के लोग हंगामा कर सकते हैं। हम उनसे एक मॉल में मिले। बातचीत की शुरुआत वे अपनी कहानी से करते हैं। 28 साल के जुनैद और 26 साल की मीना पहली बार गुवाहाटी में मिले। साल 2021 था। मीना बीकॉम कर रही थीं। जुनैद ग्रेजुएशन के बाद नौकरी की तलाश में थे। दोनों में प्यार हुआ। 2022 में उन्होंने सोचा कि अब शादी कर लेते हैं। परिवार से बात की, लेकिन धर्म अलग होने की वजह से वे राजी नहीं हुए। मीना कहती हैं, 'जुनैद की मां मान भी गईं, लेकिन मेरे मम्मी-पापा और भाई को हमारा रिश्ता मंजूर नहीं था। मैंने पहली बार मां को बताया, तो उन्होंने मुझे कमरे में बंद कर दिया। पापा ने कहा कि मेरी शादी हमारी जाति और धर्म में ही हो सकती है।’ ‘मैंने कोर्ट मैरिज के बारे में पता किया। फिर जुनैद को बताया। फरवरी, 2023 में हम गुवाहाटी हाईकोर्ट गए। वकील से बात की। उसने कहा 20 हजार रुपए दे दो, एक हफ्ते बाद शादी करवा दूंगा। हमारा नाम नोटिस पर डिस्प्ले भी नहीं होगा।' आगे की कहानी जुनैद बताते हैं, 'एक हफ्ते बाद हम वकील के चेंबर में थे। वकील हिंदू थे। वे अचानक आए और बोले कि तुम्हारी शादी नहीं हो सकती। तुम लव जिहाद कर रहे हो। जाओ यहां से।’ हम बेबस थे। दोनों अपने घर चले गए। हमें अंदाजा भी नहीं था, हमारे साथ क्या होने वाला है। हमारे घर पहुंचने से पहले ही किसी ने हमारी फोटो सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दी। तभी मीना बोलने लगती हैं। कहती हैं, 'मैं घर पहुंची, तो बाहर भीड़ जमा थी। मां बहुत रो रही थी। मैंने मां से पूछा-क्या हुआ। उन्होंने मुझे फेसबुक पोस्ट दिखाई। उसमे लिखा था कि एक लड़का लव जिहाद कर रहा है। पोस्ट में मेरी और जुनैद की फोटो थी। मैं हैरान थी।’ ‘पड़ोसी मां से कह रहे थे कि बेटी को घर पर बांधकर रखो, वरना तुम्हें समाज से बाहर कर देंगे। कुछ देर बाद सभी लोग चले गए। मैं घर पर ही रहने लगी। हम दो बार कोशिश कर चुके थे, लेकिन शादी नहीं हो पाई। मुझे लगा दिल्ली जाकर शादी के लिए अप्लाई करना चाहिए। वहां हम सेफ रहेंगे। हमने सोचा था कि सब ठीक हो जाएगा, लेकिन दिल्ली पहुंचने के बाद असली परेशानी शुरू हुई।' वकील ने कहा- दोनों में से कोई एक धर्म बदल लो, शादी हो जाएगीमार्च में मीना और जुनैद ने दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में वकीलों से बात की। जुनैद बताते हैं, 'हम जिस वकील से मिलते, वो यही सलाह देता कि दोनों में से कोई एक धर्म बदल लो। इसके लिए 10 रुपए का एफिडेविट लगेगा। एक गवाह के 500 रुपए लगेंगे। चेंबर में ही शादी या निकाह हो जाएगा।’ ‘मुझे सलाह दी कि आप मुस्लिम हो, इसलिए आप धर्म बदल लो। इससे कोई संगठन विरोध नहीं कर पाएगा। हम स्पेशल मैरिज एक्ट में ही शादी करना चाहते थे। हमने 8 मार्च को शादी के लिए आवेदन दे दिया।’ आगे की कहानी मीना बताती हैं, ‘20 मार्च को मेरे परिवार को एक लेटर मिला। इसमें शादी के हमारे आवेदन की जानकारी थी। उन्होंने मुझे कॉल कर घर लौटने के लिए कहा। धमकी दी कि अगर जुनैद को नहीं छोड़ा तो मुझे मार डालेंगे। मेरी और जुनैद की फोटो सोशल मीडिया पर डाल दी।’ ‘उसमें लिखा कि जुनैद मुझे भगाकर लव जिहाद के लिए दिल्ली ले गया है। जुनैद का परिवार भी हमारे सपोर्ट में नहीं था। आज भी हमारी एप्लिकेशन अटकी हुई है। कोई नोटिस या जानकारी हमें नहीं मिली। हमारे पास वापस जाने का ऑप्शन नहीं था।’ ‘शादी हो गई, लेकिन लड़ाई अब भी खत्म नहीं हुई’मीना और जुनैद शादी से पहले तक हॉस्टल में रह रहे थे। उन्हें घर की तलाश थी। मीना बताती हैं, 'हम बहुत दिनों से दिल्ली में घर ढूंढ रहे थे। यहां हमारा कोई दोस्त नहीं है। जुनैद ने धर्म बदल लिया, लेकिन आधार कार्ड पर उनका नाम नहीं बदला है। मकान मालिक को पता चलता है कि हमारा धर्म अलग है, तो वे घर देने से इनकार देते थे।’ ‘मुश्किल से इस महीने जनकपुरी में घर मिला है। बस एक कमरा है। हमारा डर अब भी खत्म नहीं हुआ है। 3 मई को जनकपुरी थाने से मकान मालिक को कॉल आया था। पुलिसवाले पूछ रहे थे कि हम कहां से आए हैं। हमारी शादी कैसे हुई। उन्होंने आर्य समाज मंदिर में भी कॉल किया था। हमें डर रहता है कि किसी संगठन के लोग घर आकर हंगामा न कर दें। इसलिए हम छिपकर ही रहते हैं।' दूसरी कहानी हामिद और पूजा की शादी करना चाहते थे, हिंदूवादी संगठन उनके ऑफिस पहुंच गएमीना और जुनैद जैसी कहानी हामिद और पूजा की भी है। 36 साल के हामिद और 32 साल की पूजा 2023 में मिले थे। हामिद यूपी के अलीगढ़ से हैं, पूजा पश्चिम बंगाल के नदिया की रहने वाली हैं। पूजा बताती हैं, 'मैं और हामिद गाजियाबाद में एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करते हैं। हमने शादी का फैसला लिया तो हमें रोका गया, डराया गया। हमने कोर्ट मैरिज के लिए ऑनलाइन अप्लाई कर दिया। मैंने लव जिहाद के बारे में सुना था, लेकिन नहीं पता था कि मेरा नाम भी इससे जुड़ जाएगा।' पूजा आगे बताती हैं, 'हमने नवंबर, 2024 में शादी के लिए एप्लिकेशन डाली। अगले ही महीने हिंदूवादी संगठन के लोग मेरे ऑफिस के बाहर प्रदर्शन करने आ गए। पहले मुझे समझ नहीं आया कि ये लोग कौन हैं। फिर हामिद ने बताया कि वे हम दोनों का नाम ले रहे हैं।’ ‘मैं उन लोगों के पास गई। उनसे कहा कि मेरी रजामंदी से शादी कर रहे हैं। ये लव जिहाद नहीं है। उनके पास मेरे घर का पता और पापा का नंबर था। उनमें से एक शख्स ने मेरे पापा को कॉल कर दिया। बहुत हंगामा हुआ। सिक्योरिटी गार्ड ने उन लोगों को जैसे-तैसे हटाया।’ दिसंबर में मजिस्ट्रेट ने हमारी एप्लिकेशन रिजेक्ट कर दी। हम अपनी मर्जी से कोर्ट मैरिज कर रहे थे। हमारे लिए कोई गवाह सामने नहीं आया। दोस्त पीछे हट गए। 'देश में ऐसा माहौल है कि दोस्त भी हमारे पचड़े में नहीं पड़ना चाहते थे। हमें जिसका डर था, वहीं हुआ। अब तक हमारी शादी नहीं हो पाई है।’ पुलिस या नोटिस बोर्ड से लीक होती है जानकारीकोर्ट से शादी की बात लीक कैसे होती है, ये सवाल हमने लखनऊ फैमिली कोर्ट के सीनियर एडवोकेट ब्रिजेश सिंह चौहान से पूछा। वे बताते हैं, 'कोर्ट परिसर में नोटिस बोर्ड लगा रहता है। लोगों की नजरें उस पर पड़ ही जाती हैं।' 'मान लीजिए किसी ने नोटिस बोर्ड पर देख लिया कि हिंदू-मुस्लिम के बीच शादी हो रही है। वो किसी धार्मिक संगठन से जुड़ा हुआ है, तो संगठनों तक खबर पहुंच जाती है। संगठन के लोग शादी रुकवाने में लग जाते हैं।' 'इंटर रिलीजन मैरिज की जानकारी लीक होने का दूसरा बड़ा कारण पुलिस है। कोर्ट ऐसी शादियों के बारे में पुलिस की लोकल इंटेलिजेंस यूनिट को जानकारी देती है। पुलिस लड़के-लड़की के घर जाकर पता करती है कि शादी वैध तरीके से हो रही है या नहीं। कई बार पुलिस ऐसी कॉन्फिडेंशियल डिटेल लीक कर देती है, जो माता-पिता को भी पता नहीं रहती। इस वजह से कपल्स को विरोध झेलना पड़ता है।’ शादी की खबर लगते ही एक्टिव हो जाते हैं हिंदूवादी संगठनअलग धर्म के लड़के-लड़की की शादी की खबर लगते ही हिंदूवादी संगठन कोर्ट या उनके घर पहुंच जाते हैं। हंगामा करते हैं। मारपीट करते हैं। आखिर उन्हें कैसे पता चलता है कि कोई कपल कोर्ट में शादी करने आ रहा है। इस पर हमने हिंदू युवा वाहिनी और सुदर्शन वाहिनी के पदाधिकारियों से बात की। हिंदू युवा वाहिनी: वकील और जजों का स्टाफ खबर देता हैहिंदू युवा वाहिनी के महामंत्री माधव त्रिपाठी दैनिक भास्कर को बताते हैं, 'गांवों से लेकर शहर तक हमारे संपर्क सूत्र है। वे लगातार एक्टिव रहते हैं। कोर्ट में वकीलों से लेकर जजों के लिए काम करने वाले पैरोकार हमसे जुड़े रहते हैं। अगर किसी गैर धर्म वाली शादी का मामला आता है, तो तुरंत हमें फोन करके बताते हैं।’ अगर लड़की सहमति से शादी कर रही हो, परिवार भी राजी हो, क्या तब भी शादी रुकवाते हैं? माधव जवाब देते हैं, 'हमारी कोशिश रहती है कि शादी न हो। हम नहीं चाहते कि हमारी बहनें किसी बहकावे या फिर झूठ में फंसकर दूसरे धर्म वाले व्यक्ति से शादी कर लें।' ‘लव जिहाद के मामले में सभी हिंदूवादी संगठन मिलकर काम कर रहे हैं। किसी के पास ऐसे मामले या शादी की जानकारी आती है, तो वो सबसे पहले सभी संगठनों के महामंत्री को फोन पर बताता है। फिर ये जानकारी वॉट्सएप और इंस्टाग्राम के ग्रुप्स पर भेजी जाती है। ग्रुप कॉल करके लोगों को इकट्ठा किया जाता है। फिर हम लोग एक साथ धावा बोल देते हैं।' सुदर्शन वाहिनी: वॉट्सएप-फेसबुक पर नेटवर्क, यहीं खबर मिलती हैयूपी, हरियाणा और दिल्ली में एक्टिव संगठन सुदर्शन वाहिनी 2017 से काम कर रहा है। आजाद विनोद इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। वे बताते हैं, 'हमारा वॉट्सएप और फेसबुक ग्रुप है। हमें कोई केस मिलता है, तो कार्यकर्ताओं को खबर देते हैं। उन्हें लड़के-लड़की का पता बताते हैं।' 'हम नेटवर्किंग के जरिए काम करते हैं। कार्यकर्ता लड़की के घर जाते हैं। परिवार के सामने उनसे बात करते हैं। उन्हें समझाते हैं कि जब धोखा मिलेगा, तो उन्हें वापस आना ही पड़ेगा।’ दैनिक भास्कर ने धनक फॉर ह्यूमैनिटी के संस्थापक आसिफ इकबाल से भी बात की। उन्होंने 25 साल पहले अंतरधार्मिक विवाह किया था। तभी से वे ऐसे कपल का केस लड़ते हैं, जो स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी करना चाहते हैं। आसिफ कहते हैं, 'जो भी कपल सिविल मैरिज करना चाहते हैं, उनके लिए चीजें और मुश्किल हो गई हैं। इसकी प्रोसेस और आसान बनानी चाहिए। हमारे समय में स्पेशल मैरिज एक्ट में शादी के दौरान लोग गवाह बनने के लिए खुद से वॉलंटियर करते थे। आज गवाह ढूंढना मुश्किल हो गया है।’ ‘सरकार 30 दिन के नोटिस पीरियड पर रोक लगाए। आप अपना आधार दिखाकर कहीं भी शादी कर सकते हैं। एक दिन में शादी हो। अगर किसी ने गलत जानकारी दी है, तो स्पेशल मैरिज एक्ट में सजा का प्रावधान है। सुप्रीम कोर्ट का साल 2018 का जजमेंट है। सुप्रीम कोर्ट ने हर राज्य को ऐसे कपल के लिए स्पेशल शेल्टर होम बनाने के लिए कहा है। इन्हे लागू किया जाना चाहिए।' कोर्ट में मारपीट, लेकिन आरोपियों पर कार्रवाई क्यों नहीं होतीराजस्थान हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस पानाचंद जैन कहते हैं, ‘कुछ समय से ऐसे मामले देखने को मिल रहे हैं, जिसमें इंटर रिलीजन शादियों में किसी संगठन से जुड़े लोग हंगामा करके रुकावट पैदा करते हैं। ऐसे मामलों में वक्त रहते पीड़ित पक्ष को बिना घबराए पुलिस से शिकायत करनी चाहिए।’ ‘भारतीय कानून में कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर में दो तरह के मामले बताए गए हैं। पहला कॉग्निजेबल और दूसरा इनकॉग्निजेबल। कॉग्निजेबल मामलों में कोर्ट खुद केस की सुनवाई शुरू करता है। इनकॉग्निजेबल केस पुलिस जांच से होकर कोर्ट तक पहुंचते हैं।' 'कोर्ट परिसर में हंगामा या मारपीट जैसे मामले इनकॉग्निजेबल कैटेगरी में आते हैं। इसमें पहले पुलिस से शिकायत करनी जरूरी होती है। कोर्ट कभी ऐसे मारपीट या हंगामे वाले मामलों में खुद से कार्यवाही नहीं करती है।’ वहीं यूपी के रिटायर्ड IPS ऑफिसर एसआर दारापुरी कहते हैं, ‘अलग धर्म के कपल का शादी करना अपराध नहीं है। ऐसी शादियों में हंगामा करना सांप्रदायिक एजेंडा बन गया है। पुलिस ऐसे संगठनों पर कार्रवाई करने से बचती है क्योंकि कई बार इनसे जुड़े लोगों का संपर्क पॉलिटिकल पार्टियों से होता है।’ ....................................................... ये रिपोर्ट भी पढ़ें...1. ISI एजेंट शाकिर ने जट रंधावा बनकर ज्योति को फंसाया, दानिश ने लाहौर भेजा पाकिस्तान के लिए जासूसी के आरोप में पकड़ी गई हरियाणा की यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा ने पाकिस्तानी अफसरों से मेलजोल की बात कबूल की है। इस कबूलनामे में दो नाम खास हैं- दानिश और शाकिर। दानिश दिल्ली में पाकिस्तानी हाई कमीशन का अफसर था। उसी के कहने पर वो लाहौर गई और शाकिर से मिली। शाकिर का नंबर जट रंधावा के नाम से सेव है। पढ़िए पूरी खबर... 2. क्या 38 रोहिंग्याओं को समुद्र में फेंका, याचिका पर कोर्ट ने कहा- खूबसूरती से गढ़ी गई कहानी म्यांमार से 2017 में शरणार्थी बनकर आए इस्माइल भारत को ही अपना घर मानते हैं। उनका आरोप है कि उनकी बेटी और बहन को पुलिस ने पकड़ा और उन्हें 38 लोगों के साथ समुद्र में फेंक दिया गया। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। 16 मई को हुई सुनवाई में कोर्ट ने कहा कि ये खूबसूरती से गढ़ी गई कहानी है। उधर, UN ने भारत सरकार से मामले की पूरी जानकारी मांगी है। पढ़िए पूरी खबर...
DNA Analysis on Donald Trump Birthday: लगता है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी चीनी और रूसी राष्ट्रपति के फैन बन गए हैं. उन्हीं की देखादेखी अब ट्रंप भी अपने जन्मदिन पर 400 करोड़ रुपये फूंकने जा रहे हैं.
अब नहीं कह सकेंगे- I will not give you a single penny, वजह जानकर कहेंगे- एक युग का अंत
Paisa News: यहां हम आपको ये भी बताना चाहेंगे कि भारत में साल 1957 में एक आना को बंद किया गया था. 5 पैसे के सिक्के को 1994 में बंद किया गया. 30 जून 20211 को 25 पैसे से कम मूल्य के सिक्कों को बंद कर दिया गया.
सबसे शक्तिशाली इंसान लगातार मुंह की खा रहा! अमेरिका में ट्रंप से ज्यादा पावरफुल कौन?
DNA में अब अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की बड़ी हार और इस हार में भारतीयों की जीत का विश्लेषण. ट्रंप की आदत है कि अक्सर दूसरे देश के राष्ट्राध्यक्षों या फिर अपने देश के संस्थानों से पंगे लेते रहते हैं. कई बार ऐसा करने की कोशिश में ट्रंप ने खुद से ज्यादा अपने पद की गरिमा को धूमिल किया है.
DNA Analysis: भारत में शादी को एक ऐसा संस्कार माना जाता है, जो दो लोगों को जीवन भर के लिए एक साथ जोड़ देता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया में एक देश ऐसा भी है, जहां शादी एक बिजनेस बन गया है. लोग वहां पर खूबसूरत लड़कियों से शादी के लिए जाते हैं और सुहागरात के 15 दिनों बाद तलाक दे देते हैं.
Mohammad Yunus: बांग्लादेश के कार्यवाहक सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस के इस्तीफे को लेकर बड़ा अपडेट सामने आ गया है. ताजा बयान में कहा गया है कि यूनुस इस्तीफा नहीं दे रहे हैं और ना ही उन्होंने इस्तीफा देने की कोई बात की है.
'जैसे को तैसा...', ब्रिटिश एक्सपर्ट ने बताया ऑपरेशन सिंदूर का मकसद, पाकिस्तान पर कही ये बात
Operation Sindoor: पहलगाम हमले के बाद भारत ने आतंकवादियों को कड़ा सबक सिखाया था. ऑपरेशन सिंदूर की चर्चा पूरी दुनिया में है. इसे लेकर एक ब्रिटिश एक्सपर्ट ने टिप्पणी की है.
Gold Rate in India Vs Pakistan: पाकिस्तान में सोने का भाव लगातार आसमान छूता जा रहा है. गोल्ड रेट के बढ़ते दामों से गरीब-मध्यम वर्ग के लिए शादी ब्याह करना मुश्किल है. उनके लिए एक तोला सोने के गहने खरीदना भी मुमकिन नहीं है.
तीसरे विश्व युद्ध की आहट! ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले को तैयार इजरायल, बज गई खतरे की घंटी
US Iran Nuclear Talks: ईरान और अमेरिका में परमाणु वार्ता सही दिशा में आगे बढ़ रही है. ऐसा ईरान के विदेश मंत्री का दावा है, लेकिन इस बीच एक रिपोर्ट ने सनसनी मचा दी है, जिसमें कहा गया है कि इजरायल ईरान के परमाणु संयंत्रों पर हमला कर सकता है.
Harvard University International students: हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे विदेशी छात्रों के लिए नया फरमान जारी किया गया है, जिससे वहां पढ़ रहे सैकड़ों छात्रों के लिए मुसीबत खड़ी हो सकती है.
गजब! इस मुल्क ने रिटायरमेंट की उम्र 70 साल कर दी, सरकारी कर्मचारियों की मौज
दुनिया भर के देशों में सरकारी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की आयु अमूमन 55-60 से लेकर 65 वर्ष तक है, लेकिन यूरोप के इस देश ने बड़ा कदम उठाया है और रिटायरमेंट एज को बढ़ाकर 70 साल करने का फैसला किया है.डेनमार्क की संसद में रिटायरमेंट एज से जुड़ा बिल पेश किया गया ह
Islamic Marriage Tradition Nikah al Mutah: दुनिया के कुछ इस्लामिक देशों में ऐसी शादियां आम हैं, जहां सिर्फ 10-15 दिनों के लिए लड़कियों की शादियां अजनबी लोगों से कर दी जाती हैं. दूसरे देशों से आने वाले पर्यटक कुछ दिनों के लिए ऐसी कांट्रैक्ट मैरिज करते हैं और फिर लौट जाते हैं.
National Security Advisor: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप परेशान हैं. जनवरी में सत्ता संभालने के बाद जिन बड़े अफसरों की नियुक्ति उन्होंने की, उसमें से कई को बर्खास्त कर चुके हैं. व्हाइट हाउस में पुराने डेमोक्रेट अफसरों की भूमिका को लेकर भी वो सशंकित हैं.
कंगाल पाकिस्तान! पेंशनरों से लेकर यूट्यूबर-फ्रीलांसर पर लगाएगा टैक्स, बजट में भरेगा खाली खजाना
Pakistan Budget 2025-26 News: पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की माली हालत किसी से छिपी नहीं है. इस बार जून में पाकिस्तान की संघीय सरकार के बजट में टैक्स में भारी बढ़ोतरी के आसार है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की शर्तों के अनुसार, उसे कड़े फैसले लेने होंगे.
अब पाकिस्तान की खैर नहीं! विदेश मंत्री जयशंकर ने दे दिए 3 मैसेज, जानें क्या है भारत का प्लान
India on Terror: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया है और कहा कि भारत आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति पर कायम है. इसके साथ ही भारत कभी भी परमाणु ब्लैकमेल के आगे नहीं झुकेगा.