शुक्ला जी, धरती पर 140 करोड़ आपका इंतजार कर रहे! ड्रैगन कैप्सूल का गेट खोलने से पहले होगा ये काम
Journey From ISS Route to Earth: क्या आप जानते हैं धरती से 400 से ज्यादा किमी ऊपर ISS से निकलने के बाद शुभांशु शुक्ला का यान कैसे धरती पर पहुंचेगा? यह धीरे-धीरे धरती की कक्षा में नीचे आता जाएगा. ऑर्बिट से हटने के बाद यह अपने ट्रंक (कार्गो वाले हिस्से) को अलग करेगा. अब कैप्सूल वातावरण में तेजी से घर्षण के साथ घुसेगा. आगे पैराशूट खुलेगा और वेलकम टू अर्थ.
भारत में आईफोन बनाने वाली कंपनी फॉक्सकॉन से 300 से ज्यादा चीनी इंजीनियर्स और टेक्नीशियंस को अचानक वापस बुलाने पर भारत सरकार ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। सरकार ने कहा है कि स्थिति पर कड़ी नजर रखी जा रही है। एपल के पास उत्पादन को प्रभावित किए बिना काम चलाने के लिए पर्याप्त इंजीनियर्स मौजूद है। PTI की रिपोर्ट के मुताबिक एक सरकारी अधिकारी ने कहा एपल के पास विकल्प हैं और वे इस चुनौती का सामना कर सकते हैं। यह मामला मुख्य रूप से एपल और फॉक्सकॉन के बीच है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब एपल भारत में आईफोन 17 बनाने की तैयारी कर रहा है। इसका ट्रायल प्रोडक्शन जुलाई में शुरू होने की संभावना है। अगस्त में मास प्रोडक्शन किया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक चीन ने भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को प्रभावित करने के लिए इंजीनियर्स और टेक्नीशियन्स को वापस बुलाने के निर्देश दिए हैं। भारत में हाई-टेक असेंबली लाइन संभालते हैं चीनी इंजीनियर चीनी इंजीनियर फॉक्सकॉन की हाई-टेक असेंबली लाइन, फैक्ट्री डिजाइन और भारतीय कर्मचारियों को प्रशिक्षण देने का काम कर रहे थे। इसके लिए भारत सरकार ने चीनी इंजीनियरों के लिए वीजा सुविधा भी प्रदान की थी, ताकि उत्पादन में कोई बाधा न आए। चीनी वर्कर्स के जाने से फैक्ट्रियों में काम धीमा हो सकता है सूत्रों ने कहा, चाइनीज कर्मचारियों की संख्या 1% से भी कम है, लेकिन ये प्रोडक्शन और क्वालिटी मैनेजमेंट जैसे अहम ऑपरेशंस में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। चीनी सरकार द्वारा अपने नागरिकों को वापस बुलाने के निर्देश से फैक्ट्रियों में काम धीमा हो सकता है। आईफोन मैन्यूफैक्चरिंग पर अभी चीन का दबदबा आईफोन मैन्यूफैक्चरिंग पर अभी चीन का दबदबा है। 2024 में कंपनी के ग्लोबल आईफोन शिपमेंट में इसका हिस्सा लगभग 28% था। चार साल पहले भारत ने आईफोन असेंबलिंग शुरू की थी भारत ने 4 साल पहले बड़े पैमाने पर आईफोन असेंबल करना शुरू किया था, और अब ये ग्लोबल प्रोडक्शन का पांचवां हिस्सा बनाता है। एपल की योजना 2026 के अंत तक अमेरिका के लिए ज्यादातर आईफोन्स भारत में बनाने की है, जिसकी अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने आलोचना की है। एपल का भारत पर इतना ज्यादा फोकस क्यों? ----------------------------- ये खबर भी पढ़ें... ट्रम्प ने एपल से कहा- भारत में आईफोन मत बनाओ:ऐसा किया तो 25% टैरिफ लगाएंगे; जो फोन अमेरिका में बेचे जाएंगे, वे यहीं बनेंगे अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत में आईफोन बनाने को लेकर एपल को एक बार फिर धमकी दी है। शुक्रवार को ट्रम्प ने कहा अमेरिका में बेचे जाने वाले आईफोन का निर्माण भारत या किसी अन्य देश में नहीं, बल्कि अमेरिका में ही होना चाहिए। पूरी खबर पढ़े...
टेक कंपनी वीवो ने आज (14 जुलाई) भारतीय बाजार में नया कॉम्पैक्ट और यूनिक स्मार्टफोन वीवो X200 FE लॉन्च कर दिया है। फोन को गूगल जेमिनी असिस्टेंट, AI कैप्शन, सर्किल-टू-सर्च, लाइव टेक्स्ट, AI डॉक्युमेंट टूल्स, स्मार्ट कॉल असिस्टेंट और AI मैजिक मूव जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस फीचर्स के साथ उतारा गया है। इसके अलावा फोन में 50 मैगापिक्सल का सेल्फी कैमरा, 6.3 इंच का छोटा डिस्प्ले और 6500mAh की बैटरी दी गई है। फोन को दो वैरिएंट्स में पेश किया गया है। इसकी कीमत 59,999 रुपए से शुरू होती है। फोन की प्री बुकिंग शुरू कर दी गई है। यह तीन कलर ऑप्शन- एम्बर येलो, फ्रॉस्ट ब्लू और लक्स ग्रे के साथ ऑनलाइन और रिटेल आउटलेट्स पर अवेलेबल है। वीवो X200 FE : वैरिएंट वाइस प्राइस वीवो X200 FE: एक्सपेक्टेड स्पेसिफिकेशन
NASA की जेम्स वेब टेलीस्कोप का कमाल...पहली बार दिखाई इस नीले ग्रह के 5 चंद्रमा की तस्वीर
James Webb Telescope: नासा के जेम्स वेब टेलीस्कोप ने यूरेनस और इसके 5 चंद्रमा की पहली बार बहुत ही साफ तस्वीरें खींची हैं. यह ग्रह 98 डिग्री तक झुका हुआ है जिस कारण यहां दशकों तक मौसम नहीं बदलता.
7 अरब साल पुराना अंतरिक्ष यात्री...वैज्ञानिकों ने खोजा अब तक का सबसे बड़ा धुमकेतू
Interstellar Object: जैसे ही 3I/ATLAS सूरज के नजदीक पहुंचेगा, खगोलविदों को उम्मीद है कि इसकी बर्फ भाप बनकर उड़ जाएगी. इसके बाद इससे गैस निकलेगी और एक पूंछ का आकार बनेगा जो धूमकेतू की पहचान होती है.
4 करोड़ साल पहले! ओमान ने बदल दिया था भारत का नक्शा, वैज्ञानिकों का चौंकाने वाला खुलासा
Ghost Force: हाल ही में वैज्ञानिकों की टीम ने नए अध्ययन में एक चौंकाने वाला खुलासा किया है, जिसमें ये बात सामने आई है कि आज से 4 से 2.5 करोड़ साल पहले ओमान के नीचे किसी चीज ने भारत की दिशा बदलन की भूमिका निभाई थी. इसे Ghost Plume नाम दिया गया है.
शुभांशु शुक्ला सहित चार एस्ट्रोनॉट आज यानी 14 जुलाई को शाम 4:35 बजे इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) से पृथ्वी के लिए रवाना होंगे। करीब 23 घंटे के सफर के बाद उनका स्पेसक्राफ्ट अगले दिन (15 जुलाई) दोपहर करीब 3 बजे समुद्र में लैंड करेगा। इसे स्प्लैशडाउन कहते हैं। ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट 580 पाउंड यानी, करीब 263 किलो से ज्यादा कार्गो के साथ वापस आएगा, जिसमें नासा का हार्डवेयर और 60 से ज्यादा प्रयोगों का डेटा शामिल होगा। यह कार्गो अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। चारों एस्ट्रोनॉट 26 जून को शाम 4:01 बजे ISS पहुंचे थे। एक्सियम मिशन 4 के तहत 25 जून को दोपहर करीब 12 बजे एस्ट्रोनॉट रवाना हुए थे। स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट से जुड़े ड्रैगन कैप्सूल में इन्होंने कैनेडी स्पेस सेंटर से उड़ान भरी थी। ये मिशन तकनीकी खराबी और मौसमी दिक्कतों के कारण 6 बार टाला गया था। दोपहर 02:25 बजे क्रू स्पेसक्राफ्ट में जाएगा 17 दिन अंतरिक्ष में सुभांशु ने क्या-क्या किया 41 साल बाद कोई भारतीय अंतरिक्ष में गया अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा और भारतीय एजेंसी इसरो के बीच हुए एग्रीमेंट के तहत भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को इस मिशन के लिए चुना गया था। शुभांशु इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर जाने वाले पहले और स्पेस में जाने वाले दूसरे भारतीय हैं। इससे 41 साल पहले राकेश शर्मा ने 1984 में सोवियत यूनियन के स्पेसक्राफ्ट से अंतरिक्ष यात्रा की थी। शुभांशु का ये अनुभव भारत के गगनयान मिशन में काम आएगा। ये भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन है, जिसका उद्देश्य भारतीय गगनयात्रियों को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजना और सुरक्षित रूप से वापस लाना है। इसके 2027 में लॉन्च होने की संभावना है। भारत में एस्ट्रोनॉट को गगनयात्री कहा जाता है। इसी तरह रूस में कॉस्मोनॉट और चीन में ताइकोनॉट कहते हैं। एक्सियम-4 मिशन का हिस्सा हैं शुभांशु शुक्ला शुभांशु शुक्ला एक्सियम-4 मिशन का हिस्सा हैं, जिसकी एक सीट के लिए भारत ने 548 करोड़ रुपए चुकाए हैं। यह एक प्राइवेट स्पेस फ्लाइट मिशन है, जो अमेरिकी स्पेस कंपनी एक्सियम, NASA और स्पेसएक्स की साझेदारी से हो रहा है। यह कंपनी अपने स्पेसक्राफ्ट में निजी अंतरिक्ष यात्रियों को ISS भेजती है। एक्सियम स्पेस का यह चौथा मिशन है... इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन क्या है? इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पृथ्वी के चारों ओर घूमने वाला एक बड़ा अंतरिक्ष यान है। इसमें एस्ट्रोनॉट रहते हैं और माइक्रो ग्रेविटी में एक्सपेरिमेंट करते हैं। यह 28,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रैवल करता है। यह हर 90 मिनट में पृथ्वी की परिक्रमा पूरी कर लेता है। 5 स्पेस एजेंसीज ने मिलकर इसे बनाया है। स्टेशन का पहला पीस नवंबर 1998 में लॉन्च किया गया था।
क्या होगा अगर 5 सेकंड के लिए धरती घूमना बंद कर दें? वैज्ञानिकों ने की डराने वाली भविष्यवाणी
What Happens if Earth Stops: वैज्ञानिकों ने एक बहुत ही डराने वाली भविष्यवाणी की है जिसमें उन्होंने बताया है कि क्या होगा अगर धरती 5 सेकंड के लिए धरती घूमना बंद कर दें. आइए जानत हैं कि क्या इससे कोई बच पाएगा.
Shubhanshu Shukla: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA ने एक बयान में कहा है कि Axiom-4 से जुड़े सभी अंतरिक्ष यात्री सोमवार 14 जुलाई, शाम 4 बजकर 35 मिनट पर अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन से अलग हो जाएंगे.
साल 2008 की बात है। दुनियाभर की इकोनॉमी संकट में थी। लेहमन ब्रदर्स जैसे बड़े इन्वेस्टमेंट बैंक से लेकर जनरल मोटर्स जैसी कंपनियां डूब रही थीं। इलॉन मस्क की इलेक्ट्रिक व्हीकल कंपनी टेस्ला शुरुआती दौर में थी। मंदी के कारण हालत इतनी खराब थी कि मस्क ने पहली कार के लिए ग्राहकों से जो बुकिंग अमाउंट लिया था उसे भी खर्च कर दिया। एम्प्लॉइज को सैलरी देने के लिए पैसे नहीं थे। अपने खर्चों को कवर करने के लिए उन्होंने निजी तौर पर रकम उधार ली थी। वे उस समय बेहद तनाव में रहने लगे थे। उनकी गर्लफ्रेंड रही तालुलाह रिले ने इस वाकये को याद करते हुए कहा था- 'वह खुद से बात करने लगे थे, अपने हाथों को फैलाकर जोर-जोर से चिल्लाते थे। कई बार नींद में भी चिल्लाते थे और हाथ पटकते थे। लगता था कि उन्हें कभी भी दिल का दौरा पड़ सकता है।’ आज टेस्ला मार्केट कैप में दुनिया की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक व्हीकल कंपनी है। ये कंपनी अब भारत में भी अपना शोरूम खोलने जा रही है। 15 जुलाई को मुंबई में इसकी शुरुआत होगी। ऐसे में यहां हम डूबने की कगार पर खड़ी टेस्ला की कामयाब होने की कहानी 6 चैप्टर में बता रहे हैं… चैप्टर-1 टेस्ला की शुरुआत टेस्ला की कहानी शुरू होती है दो इंजीनियर्स, मार्टिन एबरहार्ड और मार्क टारपेनिंग से। इन्होंने 2003 में टेस्ला मोटर्स की नींव रखी। बाद में इयान राइट और जेबी स्ट्रॉबेल भी शुरुआती टीम में शामिल हुए। एबरहार्ड और टारपेनिंग 1980 के दशक में मिले थे। वे पहले एकसाथ न्यूवोमीडिया नाम की कंपनी में काम कर चुके थे। यहां उन्होंने रॉकेट ई-बुक रीडर बनाया था। मार्टिन को स्पोर्ट्स कार बहुत पसंद थी और एक ऐसी कार चाहते थे जो तेज हो और पर्यावरण को नुकसान भी न पहुंचाए। उस वक्त मिडिल ईस्ट में युद्ध चल रहा था। ग्लोबल वॉर्मिंग की चिंता बढ़ रही थी। मार्टिन को लगा कि पेट्रोल गाड़ियां खरीदना सही नहीं। यहीं से टेस्ला का ख्याल आया। मार्टिन और मार्क ने देखा कि ई-बुक रीडर में उन्होंने जो लीथियम-आयन बैटरी इस्तेमाल की थी वो कारों के लिए भी क्रांतिकारी हो सकती है। उन्होंने AC प्रॉपल्शन नाम की एक छोटी कंपनी के साथ मिलकर एक प्रोटोटाइप बनाया, जो बाद में टेस्ला रोडस्टर का आधार बना। हालांकि, गाड़ी बनाना आसान नहीं था। उन्हें ऑटोमोटिव इंडस्ट्री का कोई अनुभव नहीं था और सप्लायर्स को उनके साथ काम करने में रिस्क दिखता था। फिर भी, उन्होंने लोटस जैसी कंपनियों के साथ पार्टनरशिप की और 1 जुलाई, 2003 को टेस्ला मोटर्स को आधिकारिक तौर पर शुरू किया। चैप्टर-2 इलॉन मस्क की एंट्री इलॉन मस्क आज टेस्ला का सबसे बड़ा चेहरा हैं, लेकिन वो इसके फाउंडर नहीं थे। 2004 में मस्क ने टेस्ला में 65 लाख डॉलर का निवेश किया और कंपनी के चेयरमैन बने। आज के हिसाब से रुपए में ये रकम करीब 56 करोड़ रुपए होती है। 10 लाख डॉलर अन्य निवेशकों ने भी लगाए थे। 2003-04 में जब टेस्ला मोटर्स की शुरुआत हुई, उस वक्त इलॉन मस्क स्पेसएक्स पर काम कर रहे थे। उसी दौरान उनकी मुलाकात जेबी स्ट्रॉबेल से हुई। स्ट्रॉबेल एक युवा इलेक्ट्रिकल इंजीनियर थे और इलेक्ट्रिक गाड़ियों के फैन थे। स्ट्रॉबेल ने अपने गैरेज में खुद एक पोर्श को इलेक्ट्रिक गाड़ी में बदला था। स्ट्रॉबेल ने मस्क को AC प्रॉपल्शन नाम की एक छोटी कंपनी के बारे में बताया, जो इलेक्ट्रिक गाड़ियां बनाती थी। दोनों ने AC प्रॉपल्शन की tZero गाड़ी का टेस्ट ड्राइव लिया, जिसमें लीथियम-आयन बैटरी थी। मस्क को ये गाड़ी इतनी पसंद आई कि वो इसे कॉमर्शियल करने के लिए AC प्रॉपल्शन के CEO टॉम गेज को मनाने लगे, लेकिन गेज इसके लिए तैयार नहीं हुए। फिर गेज ने मस्क को मार्टिन से मिलवाया, जो टारपेनिंग और इयान राइट के साथ मिलकर टेस्ला मोटर्स शुरू कर चुके थे। यहीं से मस्क की एंट्री टेस्ला में हुई। चैप्टर-3 पहली कार रोडस्टर टेस्ला की पहली गाड़ी थी रोडस्टर, जिसे लोटस एलिस के चेसिस पर बनाया जाना था। कंपनी का प्लान था कि लोटस के मौजूदा पार्ट्स का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करके लागत कम रखी जाए। लेकिन मस्क को ये मंजूर नहीं था। वो चाहते थे कि रोडस्टर इतनी खूबसूरत और पावरफुल हो कि लोग इसे देखकर दंग रह जाएं। मस्क हर दो हफ्ते में लॉस एंजिल्स से सिलिकन वैली आते, डिजाइन मीटिंग्स में हिस्सा लेते और गाड़ी के मॉडल्स की जांच करते। उनकी सलाह सिर्फ सुझाव नहीं थी। वो चाहते थे कि हर बदलाव लागू हो। उन्होंने 5 बड़े बदलाव करवाए: 1. दरवाजे का डिजाइन: मस्क को रोडस्टर का दरवाजा बहुत छोटा लगा। उन्होंने दरवाजे का फ्रेम तीन इंच नीचे करवाया। इससे चेसिस का डिजाइन बदल गया और 20 लाख डॉलर की अतिरिक्त लागत आई। 2. सीट्स: मस्क को लोटस की सीट्स तंग लगीं। वो चाहते थे कि सीट्स चौड़ी हों। महिलाओं को इसमें बैठने में आसानी हो। एबरहार्ड को ये बदलाव बेकार लगा, क्योंकि इससे टेस्टिंग दोबारा करनी पड़ी। 3. हेडलाइट्स: मस्क को लोटस की हेडलाइट्स “बग-आइड” (कीड़े जैसी) लगीं। उन्होंने कवर वाली हेडलाइट्स लगवाने का फैसला किया, जिससे 5 लाख डॉलर की लागत बढ़ी। 4. कार्बन फाइबर बॉडी: मस्क ने लोटस के फाइबरग्लास की जगह मजबूत और हल्के कार्बन फाइबर का इस्तेमाल करवाया। इससे गाड़ी की पेंटिंग महंगी हो गई, लेकिन वो ज्यादा ठोस और हल्की बनी। 5. इलेक्ट्रिक डोर हैंडल्स: एबरहार्ड साधारण डोर हैंडल्स से खुश थे, लेकिन मस्क ने इलेक्ट्रिक टच-सेंसिटिव हैंडल्स लगवाए, जो टेस्ला की “कूल” इमेज का हिस्सा बने। इन बदलावों की वजह से रोडस्टर की लागत और प्रोडक्शन टाइमलाइन बढ़ गई। लोटस के मौजूदा सप्लायर्स का फायदा नहीं मिल सका और टेस्ला को सैकड़ों नए पार्ट्स के लिए सप्लायर्स ढूंढने पड़े। चैप्टर-4 टेस्ला पर संकट 2008 में पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था संकट में थी। लेहमन ब्रदर्स जैसी बड़ी वित्तीय संस्थाएं दिवालिया होने लगीं। इस संकट ने ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को भी बुरी तरह प्रभावित किया। जनरल मोटर्स और क्रिसलर जैसे दिग्गज ऑटोमेकर्स को सरकारी बेलआउट की जरूरत पड़ी। टेस्ला उस समय एक छोटी स्टार्टअप कंपनी थी। इस माहौल में उसके लिए फंडिंग जुटाना लगभग असंभव हो गया। 2008 की पहली छमाही में उन्होंने टेस्ला को बचाने के लिए ग्राहकों के जमा किए गए डिपॉजिट्स का इस्तेमाल कर लिया। कुछ टेस्ला अधिकारियों और बोर्ड मेंबर्स को लगता था कि ये पैसा एस्क्रो में रखना चाहिए था, न कि उसे खर्च करना चाहिए। हालांकि, मस्क ने कहा, या तो ऐसा करें, वरना हम खत्म हो जाएंगे। सितंबर 2008 तक हालात और बिगड़ गए। मस्क रात-रातभर बड़बड़ाते, हाथ-पैर हिलाते और चीखते थे। उनकी गर्लफ्रेंड तालुलाह कहती हैं, मुझे लगता था वो हार्ट अटैक से मर जाएंगे। कभी-कभी वो बाथरूम जाते और उल्टियां करते। तालुलाह उनका सिर पकड़कर खड़ी रहती थीं। वो दिन-रात काम करते थे और हर बार किसी चमत्कार की उम्मीद में जूझते थे। 2008 के अंत तक सबको लगने लगा कि मस्क को स्पेसएक्स और टेस्ला में से एक को चुनना पड़ेगा। अगर वो सारी ताकत एक पर लगाते, तो कम से कम वो बच सकती थी। अगर दोनों को बांटते, तो दोनों डूब सकती थीं। एक दिन उनके दोस्त मार्क जुन्कोसा ने स्पेसएक्स के ऑफिस में कहा, भाई, इन्हीं दो में से एक को छोड़ दे। अगर स्पेसएक्स दिल के करीब है, तो टेस्ला को भूल जाओ। मस्क ने कहा- नहीं, अगर मैं टेस्ला छोड़ दूंगा, तो ये साबित हो जाएगा कि इलेक्ट्रिक गाड़ियां काम नहीं करतीं, और सस्टेनेबल एनर्जी का सपना अधूरा रह जाएगा। स्पेसएक्स भी नहीं छोड़ सकता वर्ना हम कभी मल्टी-प्लैनेट्री स्पीशीज नहीं बन पाएंगे। 2008 के आखिर में मस्क ने 2 करोड़ डॉलर के इक्विटी फंडिंग राउंड के लिए अपने एग्जिस्टिंग इन्वेस्टर्स को लिस्ट किया। इनमें से एक इन्वेस्टर वैंटेज पॉइंट कैपिटल इसके लिए तैयार नहीं था। काफी मुश्किलों के बाद वैंटेज पॉइंट भी इस प्लान के लिए मान गया और टेस्ला बच गई। चैप्टर-5 ICE व्हीकल्स के बीच कामयाबी 2008 में टेस्ला ने पहली हाई-परफॉर्मेंस इलेक्ट्रिक स्पोर्ट्स कार रोडस्टर लॉन्च की। ये पोर्शे जैसे ICE स्पोर्ट्स कार्स से टक्कर लेती थी। इससे लोगों का ध्यान EVs की ओर गया। फोर्ड, GM जैसी कंपनियों ने EVs को गंभीरता से नहीं लिया। जब टेस्ला रोडस्टर और मॉडल S लाई, तब तक ये कंपनियां हाइब्रिड्स पर फोकस कर रही थीं। टेस्ला ने लीथियम-आयन बैटरी को बेहतर बनाया। टेस्ला ने सेल्फ-ड्राइविंग टेक्नोलॉजी (ऑटोपायलट) शुरू की, जो ICE व्हीकल्स में नहीं थी। ये फीचर ग्राहकों को आकर्षित करने का बड़ा कारण बना। इसके अलावा टेस्ला ने चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा किया। मस्क की सोशल मीडिया पर मौजूदगी और विवादास्पद बयानों ने फ्री पब्लिसिटी दिलाई। रोडस्टर के लॉन्च के बाद हॉलीवुड सेलिब्रिटीज अर्नोल्ड श्वार्जनेगर, जॉर्ज क्लूनी ने इसे खरीदा। इससे ब्रांड को बूस्ट मिला। टेस्ला की सबसे बड़ी कमाई इलेक्ट्रिक गाड़ियों (मॉडल 3, मॉडल Y, मॉडल S, मॉडल X, साइबरट्रक, टेस्ला सेमी) की बिक्री से होती है। 2024 में टेस्ला ने 17.8 लाख गाड़ियां डिलीवर कीं और ऑटोमोटिव सेल्स से 81.5 बिलियन डॉलर यानी करीब 6.90 लाख करोड़ रुपए की कमाई हुई। टेस्ला को जीरो-एमिशन व्हीकल्स (ZEV) बनाने के लिए रेगुलेटरी क्रेडिट्स भी मिलते हैं, जिन्हें यह उन ऑटोमेकर्स को बेचती है जो उत्सर्जन नियमों को पूरा नहीं कर पाते। 2024 में टेस्ला ने इन क्रेडिट्स से 2.76 बिलियन डॉलर (करीब 0.24 लाख करोड़ रुपए) कमाए, जो 2023 की तुलना में 54% ज्यादा हैं। 2014 से अब तक टेस्ला ने इनसे 11.4 बिलियन डॉलर (0.98 लाख करोड़ रुपए) कमाए हैं। चैप्टर-6 असली फाउंडर कौन टेस्ला की स्थापना 1 जुलाई, 2003 को हुई थी। इसके शुरुआती फाउंडर्स मार्टिन एबरहार्ड और मार्क टारपेनिंग थे। बाद में इयान राइट और जेबी स्ट्रॉबेल भी शुरुआती टीम में शामिल हुए। इलॉन मस्क 2004 में कंपनी में निवेशक और बोर्ड चेयरमैन के रूप में आए। विवाद इस बात पर है कि टेस्ला का फाउंडर कौन है। 1. इयान राइट: 2005 की शुरुआत में राइट अलग हो गए थे। वो इंजीनियरिंग में योगदान दे रहे थे, लेकिन उनके और एबरहार्ड के बीच मतभेद बढ़ गए। दोनों ने मस्क से एक-दूसरे को निकालने की मांग की। मस्क ने स्ट्रॉबेल से सलाह ली। उन्होंने कहा एबरहार्ड को रखना शायद बेहतर है। इसके बाद मस्क ने राइट को निकालने का फैसला किया। राइट ने बाद में अपनी कंपनी राइटस्पीड टेक्नोलॉजी शुरू की। 2. मार्टिन एबरहार्ड: मस्क की सलाह को एबरहार्ड अक्सर नजरअंदाज करते थे, जिससे तनाव बढ़ा। 2007 में टेस्ला पैसों की तंगी से जूझ रही थी। मस्क ने कंपनी में और पैसा लगाया, लेकिन वो एबरहार्ड की लीडरशिप से नाखुश थे। 2007 में बोर्ड ने एबरहार्ड को CEO पद से हटाने का फैसला किया। मस्क ने इसका समर्थन किया। 3. मार्क टारपेनिंग: एबरहार्ड के साथ मिलकर टारपेनिंग ने टेस्ला शुरू की थी, लेकिन वो प्रबंधन में ज्यादा सक्रिय नहीं थे। जब एबरहार्ड को निकाला गया और कंपनी में उथल-पुथल मची, तो टारपेनिंग ने भी कंपनी छोड़ने का फैसला किया। वो मस्क के साथ खुलेतौर पर नहीं भिड़े। 4. जेबी स्ट्रॉबेल: टेस्ला के CTO थे और 2019 तक कंपनी में रहे। वो शुरुआती फाउंडर्स में से एकमात्र थे जो लंबे समय तक टेस्ला में रहे। स्ट्रॉबेल ने 2019 में खुद टेस्ला छोड़ी। इसके बाद अपनी कंपनी रेडवुड मटेरियल्स शुरू की, जो बैटरी रीसाइक्लिंग पर काम करती है। उनके टेस्ला और मस्क के साथ संबंध अच्छे रहे।
पेटीएम के फाउंडर विजय शेखर शर्मा ने कहा है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का नौकरियों पर असर अब टालना नामुमकिन है। उन्होंने दिल्ली में एक AI इवेंट के दौरान कहा जल्दी या देर से, हमें AI को एम्प्लॉई या CFO की तरह इस्तेमाल करना ही पड़ेगा। शर्मा ने माना कि AI आने वाले वक्त में इंसानों के कई काम खुद करेगा, लेकिन साथ ही ये नई तरह की नौकरियां और रोल भी पैदा करेगा। नई जॉब्स भी जनरेट करेगा AI विजय शेखर शर्मा ने माना कि AI कई रूटीन जॉब्स को ऑटोमेट कर देगा, जिससे कुछ लोगों की नौकरियां जाएंगी। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि हर टेक्नोलॉजी बदलाव की तरह, AI भी नई जॉब्स और रोल्स लेकर आएगा, खासकर डेटा साइंस, मशीन लर्निंग और इंटेलिजेंट सिस्टम्स जैसे फील्ड्स में। शर्मा ने STD-PCO बिजनेस का उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे मोबाइल-इंटरनेट ने उनकी जगह ले ली, वैसे ही AI से भी बदलाव आना तय है। पेटीएम भी AI-फर्स्ट कंपनी बनेगी शर्मा ने बताया कि पेटीएम अब सिर्फ फिनटेक कंपनी नहीं रहना चाहती, बल्कि AI-फर्स्ट कंपनी बनने की ओर बढ़ रही है। कंपनी अपने रूटीन बिजनेस प्रोसेस में AI को तेजी से शामिल कर रही है। शर्मा ने कहा, हमें AI को सिर्फ एक टूल नहीं, बल्कि को-वर्कर या एग्जीक्यूटिव की तरह इस्तेमाल करना सीखना होगा। नए AI फीचर लाएगा पेटीएम पेटीएम अपने यूजर्स के लिए AI-पावर्ड पासबुक फीचर ला रही है, जिसमें यूजर के महीनेभर के खर्चों का डेटा लेकर एक रैप सॉन्ग जेनरेट होगा। शर्मा ने बताया कि यह फीचर जल्द लॉन्च किया जाएगा, जिससे फाइनेंस मैनेजमेंट मजेदार बनेगा। इससे पहले पेटीएम ने US बेस्ड AI स्टार्टअप परप्लेक्ससिटी के साथ मिलकर अपने ऐप में AI सर्च फीचर भी जोड़ा था। 2009 में हुई थी पेटीएम की शुरुआत पेटीएम की पेरेंट कंपनी वन97 कम्युनिकेशंस ने अगस्त 2009 में पेटीएम पेमेंट ऐप को लॉन्च किया था। इसके फाउंडर विजय शेखर शर्मा है। अभी देश में पेटीएम के 30 करोड़ से ज्यादा यूजर हैं। पेटीएम का मार्केट कैप करीब 28 हजार करोड़ रुपए है।
जर्मन लग्जरी कार मैन्युफैक्चरर मर्सिडीज-बेंज इंडिया ने सितंबर 2025 से अपनी सभी कारों की कीमतों को 1-1.5% बढ़ाने का ऐलान किया है। इस साल यह तीसरी बार है, जब कंपनी ने प्राइस हाइक का ऐलान किया है। इससे पहले कंपनी ने जनवरी और जुलाई में भी कारों की कीमतें बढ़ाई थीं। कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर और CEO संतोष अय्यर ने बताया कि यह कदम रुपए के यूरो के मुकाबले कमजोर होने के कारण उठाया जा रहा है। पिछले कुछ महीनों में यूरो के मुकाबले भारतीय रुपए की वैल्यू काफी कम हुई है। एक यूरो की वैल्यू अब 98 रुपए पार हो चुकी है, जो पहले 89-90 रुपए के आसपास थी। संतोष अय्यर ने कहा कि मर्सिडीज-बेंज की कारों में 70% यूरोपियन स्पेयर पार्ट्स इस्तेमाल होते हैं, जिसके चलते रुपए की कमजोरी से लागत बढ़ गई है। कंपनी ने इस बढ़ी हुई लागत को अब तक अपने स्तर पर झेला, लेकिन अब इसे ग्राहकों तक पहुंचाना जरूरी हो गया है। कीमतों में यह बढ़ोतरी दो फेज में लागू की गई थी। पहली जून और अब दूसरी सितंबर में लागू की जाएगी। सेल्स पर प्रभाव और मार्केट की कंडीशन अय्यर ने बताया कि कीमतों में ग्रोथ से सेल्स पर कुछ असर पड़ सकता है, लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा हाल ही में रेपो रेट में 50 बेसिस पॉइंट की कटौती से ग्राहकों के लिए मंथली EMI का बोझ कम होगा। लगभग 80% नई कारों की खरीदारी फाइनेंस के जरिए होती है, जिससे कम ब्याज दरें ग्राहकों को राहत दे सकती हैं। इसके अलावा लग्जरी कार बाजार में मांग अभी भी मजबूत बनी हुई है। इस साल लग्जरी कार सेगमेंट में 5-6% की ग्रोथ देखी गई है, जबकि जनरल पैसेंजर व्हीकल मार्केट में 2-3% की बढ़ोतरी हुई। कंपनी की स्ट्रेटजी और फ्यूचर प्लान्स मर्सिडीज-बेंज इंडिया ने इस साल जनवरी-सितंबर 2024 में 14,379 यूनिट्स की सेल्स की, जो पिछले साल की तुलना में 13% ज्यादा है। कंपनी का इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) सेगमेंट भी तेजी से बढ़ रहा है, जिसमें 73% की ग्रोथ दर्ज की गई। कंपनी की टोटल सेल्स में 11% हिस्सा EV का है। इसके अलावा कंपनी भारत में अपनी उपस्थिति बढ़ाने के लिए 30 नए लग्जरी टच-पॉइंट्स ओपन करने का प्लान बना रही है। ग्लोबल चैलेंज और सप्लाई चेन संतोष अय्यर ने कहा कि ग्लोबल जियो पॉलिटिकल इश्यूज के कारण इस साल कंपनी की ग्रोथ लिमिटेड रह सकती है। हालांकि, मर्सिडीज-बेंज ने अपनी सप्लाई चेन को अच्छी तरह से मैनेज किया है, जिससे रेयर अर्थ मैग्नेट की कमी जैसी समस्याओं का कंपनी पर कोई असर नहीं पड़ा है। मर्सिडीज-बेंज इंडिया का यह कदम कॉस्ट मैनेजमेंट और बिजनेस की स्थिरता बनाए रखने की दिशा में है। कंपनी का मानना है कि भारतीय बाजार में लग्जरी कारों की मांग बनी रहेगी और कम ब्याज दरों के साथ ग्राहकों को खरीदारी में आसानी होगी।
तय हो तारीख.. इस दिन धरती पर वापस आएंगे शुभांशु शुक्ला? पानी में उतरेगा अंतरिक्ष यान
Axiom 4 mission: नासा और स्पेसएक्स की ओर से जारी जानकारी के मुताबिक अनडॉकिंग के बाद स्पेसएक्स ड्रैगन अंतरिक्ष यान अगले दिन यानी 15 जुलाई को प्रशांत महासागर में कैलिफोर्निया तट के पास स्प्लैशडाउन करेगा.
इन दिनों अगर आप कार लेने का प्लान बना रहे हैं और इसके लिए लोन लेना चाहते हैं तो सबसे पहले आपका ये जानना जरूरी है कि कौन-सा किस ब्याज दर पर लोन दे रहा है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया यानी SBI इस समय 9.10% सालाना ब्याज पर कार लोन दे रहा है। वहीं यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की ब्याज दर 7.90% से शुरू है। हम आपको बता रहे हैं कि देश के प्रमुख बैंक किस ब्याज दर पर कार लोन दे रहे हैं... ज्यादा समय के लिए लोन लेने पर देना होता है ज्यादा ब्याजजितना हो सके उतनी कम अवधि के लिए लोन लेना चाहिए, लोन को ज्यादा लंबा नहीं खींचना चाहिए। आमतौर पर कार लोन अधिकतम 8 साल के लिए लिया जा सकता है, लेकिन ज्यादा समय, यानी 7 से 8 साल के लिए लोन लेने पर आपको ज्यादा ब्याज दर पर लोन दिया जाता है। ये ब्याज दर कम समय (3 से 4 साल) वाले लोन की ब्याज दर से 0.50% तक ज्यादा हो सकती है। क्रेडिट स्कोर पर भी निर्भर करती है लोन की ब्याज दरकार लोन की ब्याज दर आपके क्रेडिट स्कोर पर भी निर्भर करती है। यदि क्रेडिट स्कोर अच्छा है तो आसानी से और कम ब्याज दर पर लोन मिलने की संभावना रहती है। इसके अलावा रेगुलर इनकम सोर्स वालों को भी बैंक आमतौर पर कम ब्याज दर पर लोन दे देते हैं।लोन लेते समय इन 3 बातों का भी रखें ध्यान 1. प्री क्लोजर पेनल्टी पर ध्यान देंकार लोन लेते समय आपको यह जांचना चाहिए कि आप जिस बैंक से लोन ले रहे हैं क्या वह प्री-क्लोजर पेनल्टी लेता है। प्री क्लोजिंग का मतलब है कि टेन्योर से पहले ही लोन राशि का पेमेंट करना। पेनल्टी रेट सभी बैंकों के लिए एक जैसे नहीं होते हैं। इसलिए सोच-समझकर ही बैंक का चयन करें। उन बैंकों पर विचार करें जो या तो पेनल्टी नहीं लेते हैं या बहुत कम राशि वसूलते हैं। 2. प्रोसेसिंग फीस चेक करेंलगभग हर बैंक कार लोन एप्लिकेशन को प्रोसेस करने के लिए एक निश्चित राशि लेता है। कभी-कभी ऐसा भी देखा जाता है कि, जहां कुछ बैंक और एजेंसियां कम ब्याज दरों पर कार लोन देते हैं, लेकिन लोन देते समय वे काफी ज्यादा प्रोसेसिंग फीस वसूलते हैं। इसलिए लोन लेन से पहले बैंक से पता करना चाहिए कि वो लोन प्रोसेस करने के लिए कितनी प्रोसेसिंग फीस लेगा। 3. स्पेशल ऑफर्स और स्कीम्सज्यादातर बैंक त्योहारी सीजन या साल की एक निश्चित अवधि के दौरान कार लोन पर स्पेशल ऑफर देते हैं। ऐसे ऑफर्स का फायदा उठाना चाहिए। इन ऑफर्स में प्रोसेसिंग शुल्क और प्री-क्लोजर पेनल्टी पर छूट, वाहन पर 100% फंडिंग, कम या 0% ब्याज दर, स्पेशल गिफ्ट वाउचर आदि शामिल हैं। जिन लोगों की क्रेडिट प्रोफाइल अच्छी है, उन्हें बेस्ट डील मिल सकती है।
अब कोई नहीं रोक पाएगा...? शुभांशु शुक्ला की वापसी से पहले इसरो ने दे दी बड़ी खुशखबरी
ISRO, Gaganyaan Mission: इस समय भारतीय अंतरिक्ष यात्री ISS पर मौजूद हैं. उनकी वापसी से पहले इसरो ने भी बड़ी खुशखबरी सुना दी है.
एअर इंडिया की फ्लाइट AI-171 की शुरुआती जांच रिपोर्ट आ गई है। AAIB यानी एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो ने 12 जुलाई को 15 पेज की रिपोर्ट सार्वजनिक की। शुरुआती नतीजों से पता चलता है कि जेट के दोनों इंजनों में फ्यूल फ्लो को कंट्रोल करने वाले स्विच बंद हो गए थे, इसलिए टेकऑफ के तुरंत बाद इंजन बंद हो गए और विमान का थ्रस्ट खत्म हो गया। पायलट ने दोबारा इन्हें चालू करने की कोशिश की लेकिन कामयाब नहीं हो सके। कॉकपिट की रिकॉर्डिंग से पता चला है कि एक पायलट ने दूसरे से पूछा था कि क्या तुमने स्विच बंद किया है? दूसरे ने जवाब दिया, नहीं। रिपोर्ट में ये भी सामने आया है कि उड़ान से पहले फ्लाइट के एक सेंसर में परेशानी थी जिसे ठीक किया गया। इस हादसे में 242 यात्रियों और क्रू मेंबर्स में से 241 की मौत हो गई। सिर्फ एक भारतीय मूल के ब्रिटिश यात्री की जान बची। यह बोइंग 787-8 के इतिहास का पहला क्रैश था। यहां हम फ्यूल कंट्रोल स्विच की तकनीक और AAIB की पूरी रिपोर्ट को डिटेल में बता रहे हैं। फ्यूल कंट्रोल स्विच का काम और तकनीक फ्यूल कंट्रोल स्विच विमान के कॉकपिट में थ्रस्ट लीवर के पास होते हैं। ये इंजन में फ्यूल की सप्लाई को कंट्रोल करते हैं। इसका मुख्य काम इंजन में फ्यूल की सप्लाई को शुरू करना ('रन' पोजिशन) या बंद करना ('कटऑफ' पोजिशन) है। हर इंजन के लिए अलग-अलग फ्यूल कंट्रोल स्विच होता है। उदाहरण के लिए, बोइंग 787 में दो इंजन हैं, तो दो स्विच होंगे - एक बाएं इंजन के लिए, एक दाएं के लिए। फ्यूल कंट्रोल स्विच स्प्रिंग-लोडेड होते हैं और इनमें डिटेंट (एक तरह का लॉक) होता है, जो इन्हें अपनी पोजिशन में स्थिर रखता है। स्विच को हिलाने के लिए तीन स्टेप्स चाहिए - पकड़ना, डिटेंट से बाहर निकालना और रिलीज करना। ये कोई नॉर्मल स्विच नहीं है जो गलती से धक्का लगने से दब जाए जाए। AAIB की रिपोर्ट को आसान भाषा में समझते हैं… 12 जून 2025 का दिन। एअर इंडिया का B787-8 विमान दिल्ली से अहमदाबाद हवाई अड्डे पर पहुंचा। विमान सुबह 11:17 बजे उतरा और इसे बे 34 पर पार्क किया गया। क्रू ने टेक लॉग में 'STAB POS XDCR' स्टेटस मैसेज के लिए पायलट डिफेक्ट रिपोर्ट (PDR) दर्ज की थी। ये एक सेंसर होता है जो विमान के हॉरिजॉन्टल स्टेबलाइजर (टेल का हिस्सा जो पिच कंट्रोल करता है) की पोजिशन को मापता है। अगर इसमें कोई खराबी आती है, तो ये स्टेटस मैसेज टेक लॉग में दर्ज होता है, जैसा कि इस मामले में हुआ। इसका काम फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम को स्टेबलाइजर की सही स्थिति बताना है, ताकि विमान की स्थिरता और नियंत्रण बना रहे। इसे फॉल्ट आइसोलेशन मैन्युअल के हिसाब से ठीक किया गया और विमान को 12:10 PM पर उड़ान के लिए रिलीज कर दिया। विमान को फ्लाइट AI171 के रूप में अहमदाबाद से लंदन के गैटविक एयरपोर्ट के लिए उड़ान भरनी थी। इसका एस्टीमेटेड डिपार्चर टाइम 13:10 PM था। फ्लाइट को ATPL होल्डर PIC, CPL होल्डर को-पायलट और दस केबिन क्रू द्वारा संचालित किया जाना था। दोनों पायलट मुंबई बेस्ड थे और पिछले दिन अहमदाबाद पहुंचे थे। फ्लाइट से पहले पर्याप्त रेस्ट लिया था। को-पायलट इस फ्लाइट के लिए पायलट फ्लाइंग (PF) था और PIC पायलट मॉनिटरिंग (PM) था। इस फ्लाइट के पायलट सुमीत सभरवाल और को-पायलट क्लाइव कुंदर थे। सुमित को 8,200 घंटे से ज्यादा का फ्लाइंग एक्सपीरियंस था। को पायलट को भी 1,100 घंटे का फ्लाइंग एक्सपीरियंस था। यानी, दोनों एक्सपीरियंस्ड पायलट थे। विमान में 54,200 किलो ईंधन था और लोड और ट्रिम शीट के अनुसार, टेक-ऑफ वजन 2,13,401 किलो था (अधिकतम अनुमति - 2,18,183 किलो)। टेक-ऑफ वजन दी गई परिस्थितियों के लिए अनुमति के दायरे में था। विमान में कोई 'खतरनाक सामान' नहीं था। उपलब्ध परिस्थितियों में टेक-ऑफ के लिए गणना की गई V स्पीड थी: V1 - 153 नॉट्स, Vr - 155 नॉट्स, V2 - 162 नॉट्स। दुर्घटना के बाद A-SMGCS रीप्ले भी किया गया। V1, Vr, और V2 वो खास गति हैं, जो बताती हैं कि विमान कब रुक सकता है, कब उड़ना शुरू करेगा, और उड़ान के बाद सुरक्षित ऊंचाई कैसे पाएगा। A-SMGCS रीप्ले से दुर्घटना की जांच के लिए विमान की जमीन पर हरकतों का वीडियो जैसा रिकॉर्ड देखा गया, ताकि ये समझा जा सके कि टेक-ऑफ से पहले क्या हुआ। विमान टैक्सीवे R4 के रास्ते रनवे 23 तक गया, बैकट्रैक किया और लाइन अप किया। EAFR डेटा (फ्लाइट डेटा और कॉकपिट की आवाज़ रिकॉर्ड करता है) के अनुसार, विमान ने टेक-ऑफ डिसीजन स्पीड V1 को पार किया। इसके तुरंत बाद इंजन 1 और इंजन 2 के फ्यूल कटऑफ स्विच एक के बाद एक, 1 सेकंड के अंतराल के साथ RUN से CUTOFF पोजिशन में चले गए। इंजन N1 और N2 की गति टेक-ऑफ वैल्यू से कम होने लगी क्योंकि इंजनों को ईंधन की सप्लाई बंद हो गई। कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डिंग में एक पायलट को दूसरे से पूछते सुना गया कि उसने कटऑफ क्यों किया। दूसरे पायलट ने जवाब दिया कि उसने ऐसा नहीं किया। रैम एयर टरबाइन (RAT) डिप्लॉय हुआ। रैट एक छोटा टरबाइन होता है और आपातकाल में हाइड्रॉलिक पावर देता है। APU यानी ऑक्जिलरी पावर यूनिट एक छोटा इंजन है, जो विमान को बिजली और हाइड्रॉलिक पावर देता है, खासकर जब मुख्य इंजन बंद हों या फेल हो जाएं। इनलेट डोर खुलने से APU को हवा मिलती है, ताकि वो चालू हो सके। इस मामले में APU इनलेट डोर का खुलना शुरू होना दिखाता है कि विमान का सिस्टम आपात स्थिति में APU को चालू करने की कोशिश कर रहा था। APU का उपयोग इंजन शुरू करने, केबिन को ठंडा/गर्म करने, और इलेक्ट्रिकल सिस्टम को पावर देने के लिए किया जाता है, जैसे कि लाइट्स, एवियोनिक्स और अन्य उपकरण। यह स्वतंत्र रूप से काम करता है और इसके लिए विमान के ईंधन की आवश्यकता होती है। जब फ्यूल कंट्रोल स्विच को उड़ान के दौरान CUTOFF से RUN में किया जाता है, तो प्रत्येक इंजन का फुल अथॉरिटी डुअल इंजन कंट्रोल (FADEC) स्वचालित रूप से रिलाइट और थ्रस्ट रिकवरी सीक्वेंस को मैनेज करता है, जिसमें इग्निशन और ईंधन की आपूर्ति शामिल होती है। दोनों इंजनों के लिए EGT बढ़ता हुआ देखा गया, जो इंजन के रिलाइट होने का संकेत देता है। EGT का मतलब है एग्जॉस्ट गैस टेम्परेचर। यह विमान के इंजन में निकलने वाली गैसों का तापमान मापता है। अगर EGT बढ़ता है, तो ये दर्शाता है कि इंजन में ईंधन जल रहा है। इंजन 1 की गति (कोर स्पीड) जो कम हो रही थी, वो रुक गई, फिर बढ़ने लगी और इंजन धीरे-धीरे ठीक होने की ओर बढ़ा। इंजन 2 दोबारा चालू (रिलाइट) तो हुआ, लेकिन उसकी गति कम होने से नहीं रुकी। इसे बढ़ाने के लिए बार-बार ईंधन डाला गया, पर सफलता नहीं मिली। एयर ट्राफिक कंट्रोल ऑफिसर यानी ATCO ने कॉल साइन के बारे में पूछा। ATCO को कोई जवाब नहीं मिला, लेकिन उन्होंने देखा कि विमान हवाई अड्डे की सीमा के बाहर क्रैश हो गया और उन्होंने आपातकालीन प्रतिक्रिया शुरू की। एविएशन एक्सपर्ट और कॉमर्शियल पायलट कैप्टन स्टीव के अनुसार कुछ खास स्थितियों में पायलट एक या दोनों स्विच को कटऑफ कर सकते हैं: 1. सिंगल इंजन फेल्योर: पायलट ट्रेनिंग में एक इंजन फेल्योर होने पर 400 फीट से पहले कुछ नहीं छूते। पायलट चेकलिस्ट फॉलो करते हैं और हर कदम पर डबल कन्फर्मेशन होता है। फ्यूल कंट्रोल स्विच को कटऑफ करने से पहले दोनों पायलट कन्फर्म करते हैं। 2. ड्यूल इंजन फेल्योर: इस स्थिति में फ्यूल स्विच को कटऑफ करके तुरंत वापस रन पर करना होता है। लेकिन इस केस में ऐसा नहीं हुआ। कोई ऐसी प्रक्रिया नहीं है जिसमें दोनों स्विच कटऑफ पर छोड़ दिए जाएं, खासकर टेकऑफ के तुरंत बाद। तो क्या यह पायलट की गलती थी? अगर एक इंजन फेल हुआ और पायलट ने गलती से दूसरा फ्यूल कंट्रोल स्विच भी कटऑफ कर दिया, तो क्या ये संभव है? इसकी संभावना बहुत कम है। दोनों स्विच को गलती से कटऑफ में डालना असंभव-सा लगता है। क्या ये गलती से हो सकता है? नहीं। ये स्विच सामान्य लाइट स्विच जैसे नहीं हैं। इन्हें ऑपरेट करने के लिए खास मेहनत चाहिए। इन्हें दो उंगलियों से पकड़ना पड़ता है, डिटेंट से बाहर निकालना पड़ता है, और फिर कटऑफ पोजीशन में रिलीज करना पड़ता है। ये कोई आकस्मिक गलती नहीं हो सकती। अब सवाल है, ऐसा क्यों हुआ? इसका जवाब शायद हमें कभी न मिले। जांच कहां तक पहुंची:
टोयोटा किर्लोस्कर मोटर ने ग्लैंजा को अपडेट कर दिया है। कंपनी की इस पॉपुलर प्रीमियम हैचबैक कार सभी वैरिएंट्स- E,S,G और V में अब 6 एयरबैग स्टैंडर्ड मिलेंगे। इसमें ड्राइवर और पैसेंजर्स के लिए फ्रंट, साइड और कर्टेन एयरबैग शामिल हैं। इससे ये कार अब पहले से ज्यादा सेफ हो गई है। कंपनी का दावा है कि कार CNG ऑप्शन के साथ 30.61km/kg का माइलेज देती है। इसके साथ ही टोयोटा ने एक नया 'प्रेस्टीज पैकेज' भी लॉन्च किया है। 31 जुलाई तक मिलने वाले इस पैकेज में आपको डोर वाइजर, क्रोम और ब्लैक कलर के एसेंट के साथ बॉडी साइड मोल्डिंग, रियर लैंप गार्निश, ORVM और फेंडर के लिए क्रोम गार्निश, रियर स्किड प्लेट, इल्युमिनेटेड डोर सिल्स और लोअर ग्रिल गार्निश जैसी एसेसरीज मिलेंगी। टोयोटा ने हाल ही में ऐसा ही पैकेज हाइराइडर के लिए भी पेश किया था। एक्स-शोरूम कीमत 6.90 से 10 लाख रुपए अपडेटेड ग्लैंजा की एक्स-शोरूम कीमत 6.90 लाख रुपए से शुरू होती है, जो टॉप वैरिएंट में 10 लाख रुपए तक जाती है। हैचबैक का मुकाबला मारुति बलेनो, हुंडई आई20, टाटा अल्ट्रोज और सिट्रोएन C3 क्रॉस - हैचबैक से है। टोयोटा कार के साथ 3 साल या 1 लाख किलोमीटर की स्टैंडर्ड वारंटी भी दे रही है, जिसे 5 साल या 2.2 लाख किलोमीटर तक एक्सटेंड किया जा सकता है। सेफ्टी के लिए 6 एयरबैग के साथ 360-डिग्री कैमरा परफॉर्मेंस: पेट्रोल में 22.35kmpl और CNG में 30.61km/kg का माइलेज कार के इंजन में कोई बदलाव नहीं किया गया है। इसमें पहले की तरह ही 1.2-लीटर का 4-सिलेंडर पेट्रोल इंजन दिया गया है, जो 82bhp की पावर और 113Nm का टॉर्क जनरेट करता है। ट्रांसमिशन के लिए इंजन के साथ 5-स्पीड मैनुअल और AMT गियरबॉक्स के ऑप्शन मिलते हैं। मैनुअल वैरिएंट: 5-स्पीड गियरबॉक्स के साथ कार सिटी और हाईवे दोनों पर अच्छा रिस्पॉन्स देती है। पिकअप थोड़ा स्मूद है, लेकिन स्पोर्टी ड्राइविंग के लिए ये ज्यादा एक्साइटिंग नहीं है। 0 से 100 किमी प्रति घंटे की स्पीड पकड़ने में इसे करीब 12-13 सेकेंड लगते हैं। AMT वैरिएंट: ऑटोमेटिक गियरबॉक्स वालों के लिए ये आसान और कंफर्टेबल है, खासकर ट्रैफिक में। हालांकि, गियर शिफ्टिंग में थोड़ा लेग फील होता है, जो स्पीड लवर्स को थोड़ा निराश कर सकती है। मैनुअल वैरिएंट में 22.35kmpl और AMT में 22.94kmpl का माइलेज मिलता है। CNG वैरिएंट: जो लोग फ्यूल बचत करना चाहते हैं, उनके लिए CNG ऑप्शन शानदार है। इसमें पावर थोड़ी कम (करीब 68-70bhp) हो जाती है, लेकिन 30.61km/kg का माइलेज इसे किफायती बनाता है। परफॉर्मेंस में थोड़ी समझौता करना पड़ सकता है।
टेक कंपनी इन्फिनिक्स ने शुक्रवार (11 जुलाई) को भारतीय बाजार में हॉट 60 5G+ स्मार्टफोन लॉन्च किया। मोबाइल को एडवांस 5G टेक्नीक के साथ उतारा गया है। 5G+ हाई-बैंड या मिड-बैंड स्पेक्ट्रम का उपयोग करता है। इससे घनी आबादी वाले ईलाकों में बेहतर 5G नेटवर्क और फास्ट 5G इंटरनेट स्पीड प्राप्त होती है। 5G+ में डाटा फास्ट लोड होता है और लेटेंसी कम मिलती है। यानी फोन से दूर-दराज के इलाकों में भी आसानी से कॉलिंग की जा सकती है। इसके अलावा यह लो बजट सेगमेंट में पहला फोन है, जिसमें AI कॉल असिस्टेंस, राइटिंग असिस्टेंस, वॉइस असिस्टेंस और सर्किल टू सर्च जैसे AI फीचर्स दिए गए हैं। इनफिनिक्स हॉट 60 5G+ की कीमत 10,499 रुपएस्मार्टफोन को 6GB रैम + 128GB स्टोरेज वाले सिंगल वैरिएंट के साथ उतारा गया है। इसकी कीमत 10,499 रुपए रखी गई है। फोन की सेल 17 जुलाई से शुरू होगी और इसे ई-कॉमर्स वेबसाइट फ्लिपकार्ट से शेडो ब्लू, टुंड्रा ग्रीन, कारमल ग्लो और स्लीक ब्लैक कलर में खरीदा जा सकेगा। शुरुआती सेल में कंपनी स्मार्टफोन के साथ 2,999 रुपए की कीमत वाला ईयरबड XE23 मुफ्त देगी। इसके साथ 500 रुपए का डिस्काउंट भी मिलेगा।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X ने भारत में सब्सक्रिप्शन प्लान की कीमतों में 47% तक की कटौती की है। कंपनी ने पहली बार अपने तीनों सब्सक्रिप्शन प्लान - बेसिक, प्रीमियम और प्रीमियम+ की कीमतों में बदलाव किया है। कंपनी का मंथली वेब और मोबाइल एप बेसिक प्लान अब 244 रुपए की जगह 170 रुपए में मिलेगा। वहीं ईयरली बेसिक प्लान 2,591 रुपए की जगह 1,700 रुपए में अवेलेबल है। यानी X ने अपने बेसिक प्लान की कीमतों में 30% की कटौती की है। प्रीमियम प्लान अब ₹470 में मिलेगा वहीं X का मोबाइल एप मंथली प्रीमियम प्लान अब 900 रुपए की जगह 470 रुपए में मिलेगा। यह 47% सस्ता हुआ है। इसके अलावा वेब मंथली प्रीमियम प्लान 427 रुपए में अवेलेबल है, जो पहले 650 रुपए में मिलता था। यह 34% सस्ता हुआ है। प्रीमियम+प्लान ₹3,000 में अवेलेबल इसके अलावा कंपनी का मोबाइल एप मंथली प्रीमियम+प्लान 5,130 रुपए की जगह अब 3,000 रुपए में मिलेगा। यह 42% सस्ता हुआ है। हालांकि, iOS पर मंथली प्रीमियम+प्लान की कीमत 5,000 रुपए है। वहीं X का मंथली वेब प्रीमियम+प्लान 3,470 रुपए की जगह 2,570 रुपए में अवेलेबल है। यह 26% सस्ता हुआ है। X के प्लान में मिलने वाले फीचर्स बेसिक प्लान: इसमें लिमिटेड प्रीमियम फीचर्स जैसे पोस्ट एडिट करने, लॉन्ग पोस्ट और वीडियो अपलोड, रिप्लाई प्रायोरिटी, टेक्स्ट फॉर्मेटिंग और एप कस्टमाइजेशन जैसे ऑप्शन शामिल हैं। प्रीमियम प्लान: इस प्लान में क्रिएटर टूल्स जैसे एक्स प्रो, एनालिटिक्स, मीडिया स्टूडियो, ब्लू चेकमार्क, लेस एड और ग्रोक के लिए बढ़ी हुई यूज लिमिट जैसे लाभ मिलते हैं। प्रीमियम+ प्लान: यह प्लान एड-फ्री एक्सपीरियंस देता है। इसमें सबसे ज्यादा रिप्लाई बूस्ट, आर्टिकल लिखने की फैसिलिटी और रियल-टाइम ट्रेंड्स के लिए रडार तक पहुंच शामिल है। सब्सक्रिप्शन प्लान की कीमतें क्यों घटाईं? मनीकंट्रोल के अनुसार, इलॉन मस्क की कंपनी X ने भारत में सब्सक्रिप्शन प्लान की कीमतों में कटौती करने का यह कदम दुनिया के दूसरे सबसे बड़े इंटरनेट मार्केट भारत में यूजर्स को आकर्षित करने के लिए उठाया है। मोबाइल एप पर X के प्लान की कीमतें ज्यादा हैं, क्योंकि कंपनी गूगल और एपल के इन-एप कमीशन को ग्राहकों से वसूल रही है। मस्क लंबे समय से X के रेवेन्यू को एड से इतर सब्सक्रिप्शन के जरिए बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, अभी भी कंपनी का रेवेन्यू का बड़ा हिस्सा एड से आता है। एप इंटेलिजेंस फर्म एपफिगर्स के अनुमान के मुताबिक, दिसंबर 2024 तक X ने मोबाइल एप के जरिए इन-एप खरीदारी से 16.5 मिलियन डॉलर यानी 142 करोड़ रुपए की कमाई की थी। X ने भारत में सब्सक्रिप्शन 2023 में लॉन्च किया था X ने भारत में अपना ट्विटर ब्लू यानी सब्सक्रिप्शन प्लान फरवरी 2023 में लॉन्च किया था। कंपनी ने अपने सबसे महंगे प्लान प्रीमियम+ की कीमत पिछले एक साल में दो बार बढ़ाई थीं। X के सब्सक्रिप्शन प्लान की कीमतों में कटौती मस्क की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंपनी xAI के नए AI मॉडल Grok 4 के लॉन्च के एक दिन बाद हुई है। मार्च 2025 में xAI ने X को 33 बिलियन डॉलर की ऑल-स्टॉक डील में खरीदा था। ये खबर भी पढ़ें... रॉकेट, कैंसर की दवा बनाना AI के लिए असली टेस्ट: मस्क ने ग्रोक-4 लॉन्च किया, बोले- इसके पास हर सब्जेक्ट में PhD लेवल की समझ इलॉन मस्क की कंपनी xAI ने 10 जुलाई को अपने सबसे पावरफुल AI मॉडल ग्रोक 4 को दुनिया के सामने पेश किया। मस्क ने इसे दुनिया का सबसे स्मार्ट AI बताया। उन्होंने कहा ग्रोक 4 को इस तरह डिजाइन किया गया है कि ये किसी भी सब्जेक्ट में पीएचडी लेवल की समझ रखता है। पूरी खबर पढ़ें... X की CEO लिंडा याकारिनो ने इस्तीफा दिया: प्लेटफॉर्म में कम्युनिटी नोट्स जैसे फीचर्स लाईं, अब मस्क की AI कंपनी के साथ काम करेंगी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X की CEO लिंडा याकारिनो ने दो साल काम करने के बाद बुधवार (9 जुलाई) को इस्तीफा दे दिया है। लिंडा ने X पर पोस्ट शेयर कर इसकी जानकारी दी। पूरी खबर पढ़ें...
जापान ने 1.20 लाख GB प्रति सेकेंड की इंटरनेट स्पीड हासिल करके नया वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है। इस स्पीड से आप नेटफ्लिक्स की पूरी लाइब्रेरी या 10,000 4K मूवीज को महज एक सेकेंड में डाउनलोड कर सकते हैं। 150 जीबी कागेम 3 मिलीसेकंड में डाउनलोड होगा। ये भारत की औसत इंटरनेट स्पीड लगभग 63.55 Mbps से करीब 1.6 करोड़ गुना तेज है। वहीं एवरेज अमेरिकी इंटरनेट स्पीड से 35 लाख गुना ज्यादा तेज है। इससे पहले भी ये रिकॉर्ड जापान के नाम था। मार्च 2024 में जापान ने 402 टेराबिट्स प्रति सेकेंड (Tbps) यानी, 50,250 गीगाबाइट्स प्रति सेकेंड की स्पीड हासिल की थी। यह रिकॉर्ड स्टैंडर्ड ऑप्टिकल फाइबर केबल्स का उपयोग करके बनाया गया था। 19-कोर ऑप्टिकल फाइबर टेक्नोलॉजी के जरिए ये स्पीड हासिल की इस रिकॉर्ड को जापान के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फॉर्मेशन एंड कम्युनिकेशंस टेक्नोलॉजी (NICT) और सुमितोमो इलेक्ट्रिक इंडस्ट्रीज की एक जॉइंट टीम ने हासिल किया। उन्होंने जून में 1.02 पेटाबाइट प्रति सेकेंड की स्पीड से डेटा भेजकर यह रिकॉर्ड बनाया है। इसमें 19-कोर ऑप्टिकल फाइबर टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है। ये आज की स्टैंडर्ड फाइबर केबल्स जितनी ही पतली (0.125 मिमी) है, लेकिन इसमें 19 अलग-अलग कोर हैं। इसे इस तरह समझें: इसके अलावा, शोधकर्ताओं ने खास तरह के एम्प्लिफायर्स का इस्तेमाल किया, जो सिग्नल को 1,808 किलोमीटर की दूरी तक बिना कमजोर हुए पहुंचाने में मदद करते हैं। इसे इस तरह समझे: जब डेटा लाइट की तरह फाइबर केबल में लंबी दूरी तक जाता है, तो सिग्नल कमजोर पड़ने लगता है, जैसे लंबी सैर के बाद आपकी एनर्जी कम हो जाती है। एम्प्लिफायर्स इस सिग्नल को फिर से ताकतवर बनाते हैं। ये टेक्नोलॉजी आम लोगों तक कब पहुंचेगी फिलहाल ये स्पीड लैब में हासिल की गई है और इसे आम लोगों के लिए उपलब्ध कराने में अभी समय लगेगा। इसके लिए 3 मुख्य चुनौतियां हैं: सबसे तेज इंटरनेट स्पीड वाले टॉप-10 देश सोर्स: Ookla के स्पीडटेस्ट ग्लोबल इंडेक्स (2025), Cable.co.uk नोट: भारत इस लिस्ट में शामिल नहीं है, क्योंकि यहां एवरेज ब्रॉडबैंड स्पीड (63.55 Mbps) और मोबाइल स्पीड (100.78 Mbps) है।
टेक कंपनी गूगल ने पिक्सल 9 प्रो यूजर्स को पूरे एक साल के लिए फ्री गूगल जैमिनी AI प्रो सब्सक्रिप्शन देने का ऐलान किया है। फोन में अपडेट के साथ ये सब्सक्रिप्शन मिलेगा। इस सब्सक्रिप्शन की कीमत भारत में करीब 1,950 रुपए प्रति महीने है। इस सब्सक्रिप्शन के साथ यूजर्स को लेटेस्ट Veo 3 वीडियो जेनरेशन टूल का एक्सेस मिलेगा। इसके अलावा सर्कल टू सर्च में AI मोड और पिक्सल वॉच में जेमिनी AI का सपोर्ट भी जोड़ा गया है। 3 पॉइंट में समझें अपडेट की सारी डिटेल्स… 1. Veo 3: टेक्स्ट से बनाएं रियल दिखने वाले वीडियो VEO-3 गूगल डीपमाइंड की तरफ से बनाया गया एक AI वीडियो जेनरेशन मॉडल है। ये टेक्स्ट या इमेज से 8 सेकंड के हाई-क्वालिटी वीडियो बना सकता है। वीडियो बनाने के साथ डायलॉग, साउंड इफेक्ट्स और म्यूजिक जेनरेट करने का फीचर इसे ओपनएआई के सोरा और रनवे एमएल जैसे टूल्स से अलग बनाता है। मिसाल के तौर पर, अगर आप लिखते हैं, “अल्बर्टा के जंगल में आग लगने की खबर एक न्यूज़ एंकर बता रहा है,” तो VEO-3 न सिर्फ़ न्यूज़ एंकर का वीडियो बनाएगा, बल्कि उसकी आवाज़, साउंड इफेक्ट्स और बैकग्राउंड म्यूजिक भी जोड़ देगा। ये वीडियो 4K रेजोल्यूशन में बनते हैं, जो इन्हें बेहद रियलिस्टिक बनाता है। VEO-3 को गूगल के जेमिनी ऐप और फ्लो प्लेटफॉर्म के ज़रिए इस्तेमाल किया जा सकता है। फ्लो एक खास ऐप है, जिसे गूगल ने क्रिएटर्स के लिए बनाया है। इसमें आप वीडियो को और बेहतर तरीके से कस्टमाइज़ कर सकते हैं। ये टूल मूड, टोन और कल्चरल सेटिंग्स को समझकर सिनेमैटिक वीडियो बनाता है। 2. सर्कल टू सर्च में AI मोड: स्क्रीन पर सर्कल करके सवाल पूछे गूगल का सर्कल टू सर्च फीचर पहले से ही काफी पॉपुलर है और अब इसमें AI मोड जोड़ा गया है। इस फीचर से आप अपने फोन की स्क्रीन पर कुछ भी सर्कल करके उसके बारे में और सवाल पूछ सकते हैं। मान लीजिए, आपने किसी प्रोडक्ट को सर्कल किया, तो आप पूछ सकते हैं, “ये भारत में उपलब्ध है?” या “इसका कोई दूसरा ऑप्शन क्या है?” AI आपको रियल-टाइम में जवाब देगा। गेम खेलते वक्त अगर आप किसी लेवल पर अटक गए हैं, तो ये फीचर गेमिंग टिप्स भी दे सकता है। ये सब बिना ऐप स्विच किए हो जाएगा। 3. पिक्सल वॉच में जेमिनी AI अब पिक्सल वॉच 2 और 3 में जेमिनी AI का सपोर्ट मिलेगा, बशर्ते आपका वॉच Wear OS 4 या उससे ऊपर के वर्जन पर चल रहा हो। इसके जरिए आप अपनी कलाई से ही मैसेज भेज सकते हैं, ट्रैवल प्लान कर सकते हैं, रिमाइंडर सेट कर सकते हैं और अपने ईमेल समरी देख सकते हैं। यानी अब आपकी स्मार्टवॉच और भी स्मार्ट हो गई है। भारत के लिए खास क्या है? गूगल का ये अपडेट भारत के लिए खास इसलिए है क्योंकि सर्कल टू सर्च का AI मोड और Veo 3 जैसे फीचर्स अब भारतीय यूजर्स के लिए भी उपलब्ध हैं। इसके अलावा, AI Pro सब्सक्रिप्शन के साथ आपको 2TB क्लाउड स्टोरेज भी मिलेगा, जो गूगल फोटोज, ड्राइव, डॉक्स और जीमेल में इस्तेमाल कर सकते हैं। साथ ही, जेमिनी 2.5 Pro मॉडल और डीप रिसर्च जैसे फीचर्स भी इस पैकेज का हिस्सा हैं। सिर्फ पिक्सल 9 Pro यूजर्स के लिए है फ्री ये अपडेट पिक्सल 9 Pro यूजर्स के लिए है, लेकिन गूगल ने साफ नहीं किया कि पिक्सल 9 Pro XL और पिक्सल 9 Pro Fold यूजर्स को भी ये फ्री AI Pro सब्सक्रिप्शन मिलेगा या नहीं। जानकारों का मानना है कि इन डिवाइसेज को भी ये ऑफर मिल सकता है।
वैज्ञानिकों ने की चौंकाने वाली खोज, ढूंढ निकाला 20 करोड़ साल पुराना उड़ने वाला डायनासोर
Science Discovery: एरिजोना के जंगलों में वैज्ञानिकों को कुछ जानवरों के पुराना जीवाश्म(कंकाल)मिले हैं. इसी में उत्तरी अमेरिका का अब तक का सबसे बड़ा उड़ने वाला रेप्टाइल शामिल था. यह खोज उस समय की है जब डायनासोर का युग शुरु हो रहा था.
एपल के बाद सैमसंग भी अमेरिकी बाजार में बेचे जाने वाले स्मार्टफोन्स भारत में बनाने की तैयारी में है। अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई ट्रेड पॉलिसी और टैरिफ बढ़ोतरी के चलते कई कंपनियां अपने प्रोडक्शन बेस को लेकर रणनीति बदल रही हैं। सैमसंग फिलहाल वियतनाम से अमेरिका को स्मार्टफोन एक्सपोर्ट करता है, लेकिन अगर वहां से शिपमेंट पर 20% तक का टैरिफ लग गया तो कंपनी के लिए लागत बढ़ जाएगी। इस वजह से सैमसंग अब भारत में अपनी ग्रेटर नोएडा फैक्ट्री को अमेरिका के लिए एक्सपोर्ट हब बनाने की प्लानिंग कर रहा है। सैमसंग के ग्लोबल प्रेसिडेंट वॉन-जून चोई ने कहा कि हम पहले से ही भारत में कुछ ऐसे स्मार्टफोन बना रहे हैं, जो अमेरिका भेजे जा रहे हैं। अगर टैरिफ को लेकर कोई बड़ा फैसला हुआ, तो हम तुरंत अपने प्रोडक्शन को भारत शिफ्ट कर सकते हैं। अमेरिका में बिकने वाले 97% आईफोन भारत में बन रहे एपल को ट्रम्प की धमकी के बावजूद अमेरिका में बिकने वाले लगभग सभी आईफोन भारत में बन रहे हैं। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक एपल ने मार्च से मई 2025 के बीच भारत से जितने भी आईफोन एक्सपोर्ट किए, उनमें से 97% अमेरिका भेजे गए हैं। इनकी कीमत 3.2 बिलियन डॉलर (27,000 करोड़ रुपए) रही। सिर्फ मई में ही करीब 1 बिलियन डॉलर यानी 8,600 करोड़ के आईफोन भारत से अमेरिका भेजे गए हैं। यानी एपल अब भारत में आईफोन एक्सक्लूसिव तौर पर अमेरिकी बाजार के लिए बना रहा है। जनवरी से मई 2025 तक भारत से अमेरिका को 4.4 बिलियन डॉलर(₹37 हजार करोड़) के आईफोन एक्सपोर्ट हो चुके हैं। ये आंकड़ा 2024 के 3.7 बिलियन एक्सपोर्ट से भी ज्यादा है। 2024 तक अमेरिका में बेचे जाने वाले 50% आईफोन भारत में बनते थे। ट्रम्प ने एपल पर 25% टैरिफ लगाने की धमकी दी थी डोनाल्ड ट्रम्प ने 23 मई को कहा था कि अमेरिका में बेचे जाने वाले आईफोन की मैन्युफैक्चरिंग भारत या किसी अन्य देश में नहीं, बल्कि अमेरिका में ही होनी चाहिए। उन्होंने एपल के CEO टिम कुक को बता दिया है कि यदि एपल अमेरिका में आईफोन नहीं बनाएगा तो कंपनी पर कम से कम 25% का टैरिफ लगाया जाएगा। ट्रम्प ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ पर लिखा, मैंने बहुत पहले एपल के टिम कुक को सूचित कर दिया था कि जो आईफोन अमेरिका में बेचे जाएंगे, वे अमेरिका में निर्मित किए जाएंगे, न कि भारत या कहीं और। यदि ऐसा नहीं होता है, तो एपल को कम से कम 25% का टैरिफ देना होगा। एपल और सैमसंग का भारत पर इतना ज्यादा फोकस क्यों, 5 पॉइंट्स ट्रम्प नहीं चाहते कि एपल के प्रोडक्ट भारत में बनें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प नहीं चाहते कि एपल के प्रोडक्ट भारत में बने। पिछले हफ्ते ट्रम्प ने कंपनी के CEO टिम कुक से कहा था कि भारत में फैक्ट्रियां लगाने की जरूरत नहीं है। इंडिया अपना ख्याल खुद रख सकता है। एपल CEO के साथ हुई इस बातचीत की जानकारी ट्रम्प ने गुरुवार (15 मई) को कतर की राजधानी दोहा में बिजनेस लीडर्स के साथ कार्यक्रम में दी। उन्होंने कहा था कि एपल को अब अमेरिका में प्रोडक्शन बढ़ाना होगा। इसके बावजूद एपल की सबसे बड़ी कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर फॉक्सकॉन ने भारत में 1.49 बिलियन डॉलर (करीब ₹12,700 करोड़) का निवेश किया है। फॉक्सकॉन ने अपनी सिंगापुर यूनिट के जरिए बीते 5 दिन में तमिलनाडु के युजहान टेक्नोलॉजी (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड में यह निवेश किया है।
खतरे में दुनिया की 10% आबादी! NASA की सैटेलाइट बचाएगी करोड़ों लोगों की जान, स्पेस से रखेगी पैनी नजर
NASA: अंतरिक्ष से नासा ज्वालामुखी विस्फोट पर नजर बनाए रखा है. इसके लिए NASA हाई टेक्नालॉजी वाली सैटेलाइट्स की मदद ले रहा है. ऐसा करने से करोड़ों जिदगियों पर मंडरा रहे खतरे को कम किया जा सकता है.
इलॉन मस्क की इलेक्ट्रिक व्हीकल कंपनी टेस्ला 15 जुलाई को भारत में अपना पहला स्टोर शुरू करने वाली है। ये स्टोर मुंबई में खुल रहा है और लोगों के लिए एक एक्सपीरियंस सेंटर के तौर पर काम करेगा। यानी यहां न सिर्फ गाड़ियां बेची जाएंगी, बल्कि लोग टेस्ला की टेक्नोलॉजी और फीचर्स को भी करीब से देख सकेंगे। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने ये जानकारी दी है। कंपनी ने बीते दिनों मुंबई के ब्रांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स में 4,000 वर्ग फीट के रिटेल स्पेस के लिए लीज साइन की थी। यह जगह शहर में स्थित एपल के फ्लैगशिप स्टोर के करीब है। पहले चरण में टेस्ला अपने मॉडल Y SUVs को ला रही है, जो शंघाई फैक्ट्री से इंपोर्ट की गई है। भारत में इसकी कीमत करीब 48 लाख रुपए हो सकती है। 48 लाख रुपए की कार पर 21 लाख की इम्पोर्ट ड्यूटी इंडिया हेड का इस्तीफा, चीनी टीम ऑपरेशंस संभाल रही हाल के दिनों में भारत में अपनी लीडरशिप में बदलाव के बावजूद, टेस्ला अपने प्लान्ड रोलआउट के साथ आगे बढ़ती दिख रही है। कंपनी के इंडिया हेड, प्रशांत मेनन ने पिछले महीने नौ साल की सर्विस के बाद इस्तीफा दे दिया था। ब्लूमबर्ग न्यूज के मुताबिक, फिलहाल टेस्ला की चीन स्थित टीम भारत के ऑपरेशंस को मैनेज कर रही है, और अभी तक कोई नया उत्तराधिकारी नियुक्त नहीं हुआ है। मॉडल Y दुनिया की सबसे ज्यादा बिकने वाली इलेक्ट्रिक कार कंपनी की मॉडल Y दुनिया की सबसे ज्यादा बिकने वाली इलेक्ट्रिक कार है। ये भारतीय ग्राहकों को भी पसंद आ सकती है। कंपनी ने अमेरिका, चीन और नीदरलैंड से सुपरचार्जर कंपोनेंट, कार एक्सेसरीज, मर्चेंडाइज और स्पेयर्स भी इंपोर्ट किए हैं। टेस्ला का भारत में आना इसलिए भी खास है, क्योंकि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल मार्केट है। कंपनी को यूरोप और चीन में बिक्री में कमी का सामना करना पड़ रहा है, ऐसे में भारत उनके लिए एक बड़ा मौका साबित हो सकता है। शोरूम का किराया करीब ₹35 लाख प्रति माह रिपोर्ट्स के मुताबिक, टेस्ला ने मुंबई के BKC में मेकर मैक्सिटी बिल्डिंग में 5 साल के लिए जगह किराए पर ली है। इसका किराया करीब 35 लाख रुपए प्रतिमाह है, जो भारत के सबसे महंगे कमर्शियल रेंट में से एक है। ये शोरूम टेस्ला के प्रीमियम इलेक्ट्रिक वाहनों को डिस्प्ले करेगा। यहां ग्राहकों को टेस्ट ड्राइव का मौका भी मिलेगा। कंपनी भारत में अभी सिर्फ इंपोर्टेड कारें बेचेगी हालांकि, टेस्ला ने अभी तक भारत में अपनी फैक्ट्री लगाने का फैसला नहीं किया है। कुछ समय पहले खबर आई थी कि टेस्ला गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और तेलंगाना जैसे राज्यों में फैक्ट्री लगाने पर विचार कर रही है, लेकिन फिलहाल कंपनी भारत में सिर्फ इंपोर्टेड कारें बेचने पर ध्यान दे रही है। टेस्ला का टाटा और महिंद्रा से कॉम्पिटिशन होगा भारत में इलेक्ट्रिक कारों का बाजार अभी छोटा है, यहां 2023 में सिर्फ 2% कारें ही इलेक्ट्रिक थीं। लेकिन सरकार का टारगेट है कि 2030 तक 30% नई कारें इलेक्ट्रिक हों। टाटा मोटर्स और महिंद्रा जैसी देसी कंपनियां इस मार्केट में पहले से मौजूद हैं और अब टेस्ला के आने से कॉम्पिटिशन और बढ़ेगा। टेस्ला की कारें अपनी शानदार डिजाइन, हाई-टेक फीचर्स और ओवर-द-एयर सॉफ्टवेयर अपडेट्स के लिए जानी जाती हैं। कंपनी ने भारत में पहले से ही सेल्स, सर्विस और डिलीवरी के लिए लोगों की भर्ती शुरू कर दी है। टेस्ला का भारत आना न सिर्फ इलेक्ट्रिक कारों को बढ़ावा देगा, बल्कि ये भारतीय ग्राहकों को भी नई टेक्नोलॉजी और बेहतर ऑप्शन्स देगा। -------------------------- टेस्ला से जुड़ी ये खबर भी पढ़े... टेस्ला फिलहाल भारत में कारें नहीं बनाएगी:केंद्रीय मंत्री कुमारस्वामी ने कहा- कंपनी की मैन्युफैक्चरिंग में कोई दिलचस्पी नहीं; सिर्फ दो शो-रूम खोलेगी इलॉन मस्क की इलेक्ट्रिक कार मेकर कंपनी टेस्ला फिलहाल भारत में कारें बनाने की योजना नहीं बना रही है। भारी उद्योग मंत्री एच. डी. कुमारस्वामी ने सोमवार को कहा कि टेस्ला सिर्फ दो शो रूम खोलना चाहती है, मैन्युफैक्चरिंग में उसकी कोई दिलचस्पी नहीं है। पूरी खबर पढ़ें...
टकराने वाले हैं 2 सुपरमैसिव ब्लैक होल्स, NASA के Hubble टेलीस्कोप ने ली गजब की तस्वीर
Black Hole Mystery: धरती से तकरीबन 800 मिलियन लाइट ईयर दूर अंतरिक्ष की सबसे अद्भुत घटनाओं में से एक होने वाली है. हबल टेलीस्कोप और CHANDRA वेधशाला ने होने वाली इस अनोखी घटना का पता लगाया है.
दिल्ली में भूकंप आया, मेट्रो रूक गई...लेकिन रेलवे ट्रेन क्यों नहीं रूकी? जानिए चौंकाने वाली वजह
Earthquake in Delhi:क्या आपने कभी इस पर गौर किया है कि भूकंप के दौरान मेट्रो ट्रेन्स को कुछ देर के लिए रोक दिया जाता है लेकिन भारतीय रेलवे की ट्रेन नहीं रूकती. लेकिन बहुत सारे लोगों को नहीं मालूम कि ट्रेनों को रोकने के पीछे की वजह क्या है?
हीरो मोटोकॉर्प ने हाल ही में लॉन्च की अपनी नई विडा VX2 इलेक्ट्रिक स्कूटर के लिए स्पेशल इंट्रोडक्टरी प्राइस की घोषणा की है। इस लिमिटेड टाइम ऑफर में स्कूटर का गो वैरिएंट अब 15 हजार रुपए सस्ता हो गया है। इससे इलेक्ट्रिक स्कूटर की बैटरी रेंटल प्रोग्राम 'बैटरी एज ए सर्विस' (BAAS) के साथ कीमत 44,990 रुपए हो गई है। वहीं बैटरी सहित इसकी एक्स-शोरूम कीमत 85,000 है। वहीं, टॉप वैरिएंट विडा VX2 प्लस की बैटरी सहित एक्स-शोरूम कीमत 1 लाख रुपए हो गई है और BAAS प्रोग्राम के साथ 58 हजार रुपए है। हालांकि कंपनी ने ये नहीं बताया है कि स्कूटर पर ये इंट्रोडक्टरी प्राइस कब तक लागू रहेगा। हीरो मोटोकॉर्प ने विडा VX2 को दो वैटरी पैक ऑप्शन कै साथ 1 जुलाई को लॉन्च किया था। कंपनी का दावा है कि ई-स्कूटर फुल चार्ज पर 142 किलोमीटर चलेगी। बैटरी का परफॉर्मेंस 70% कम होने पर फ्री में बदलेगी कंपनी हीरो का कहना है कि VX2 को बैटरी रेंटल प्रोग्राम के साथ खरीदने पर आपको 96 पैसे/किलोमीटर चार्ज देना होगा। इसमें बैटरी का परफॉर्मेंस 70% कम हो जाता है तो, कंपनी इसे फ्री में बदलकर देगी। ये ई-स्कूटर TVS आईक्यूब, बजाज चेतक, ओला S1 और एथर रिज्टा को टक्कर देगा। इसकी डिलीवरी जल्द शुरू होने की उम्मीद है। बैटरी एज ए सर्विस प्रोग्राम क्या है? बैटरी एज ए सर्विस (BAAS) एक बैटरी रेंटल प्रोग्राम है। इसकी शुरुआती सबसे पहले MG मोटर इंडिया ने विंडसर ईवी के साथ की थी। इसमें इलेक्ट्रिक व्हीकल खरीदने पर उसकी कीमत में बैटरी पैक के प्राइस शामिल नहीं होते हैं। इसकी जगह आपसे बैटरी के इस्तेमाल (प्रति किलोमीटर) के हिसाब से पैसे लिए जाते हैं। यानी आप गाड़ी जितने किलोमीटर चलाओगे उस हिसाब से बैटरी की कॉस्ट रेंटल फीस के तौर पर कंपनी को देनी होगी। यहां हर महीने आपको EMI के तौर पर देनी होगी, लेकिन आपको बैटरी चार्ज करने का खर्च खुद उठाना पड़ता है। ये प्लान उन लोगों के लिए फायदेमंद है, जो शुरुआती खर्च कम रखना चाहते हैं और बैटरी मेंटेनेंस या रिप्लेसमेंट की टेंशन नहीं लेना चाहते। डिजाइन : ऑल LED लाइटिंग सेटअप के साथ 7 कलर ऑप्शन हीरो विडा VX2 का डिजाइन मॉडर्न, प्रैक्टिकल और फैमिली-फ्रेंडली है, जो इसे सिटी राइडर्स और घरेलू इस्तेमाल के लिए परफेक्ट बनाता है। ई-स्कूटर EICMA-2024 में पेश किए गए विडा Z कॉन्सेप्ट का प्रोडक्शन वर्जन है और विडा V2 से मिलता-जुलता है, लेकिन इसमें कुछ खास बदलाव हैं। स्लीक और स्मूद: VX2 का डिजाइन साफ-सुथरा और मिनिमलिस्टिक है। इसमें विडा V2 की तरह कोई तीखे कॉर्नर नहीं हैं, बल्कि कर्व्ड सॉफ्ट लुक्स हैं, जो इसे मॉडर्न और यूथफुल वाइब देते हैं। 7 कलर ऑप्शन: विडा VX2 में 7 कलर ऑप्शन मिलते हैं। इसमें नेक्सस ब्लू, मैट वाइट, ऑरेंज, मैट लाइम, पर्ल ब्लैक और पर्ल रेड शामिल है। मेटैलिक ग्रे और ऑरेंज सिर्फ प्लस वैरिएंट में मिलेगा। LED लाइटिंग: ई-स्कूटर में LED हेडलैम्प, LED टेललाइट और LED DRLs (डेटाइम रनिंग लाइट्स) इसे प्रीमियम लुक देते हैं और रात में बेहतर विजिबिलिटी मिलती है। परफॉर्मेंस: 6kWh की पावर और टॉप स्पीड 80kmph इलेक्ट्रिक स्कूटर में परफॉर्मेंस के लिए परमानेंट मैग्नेट सिंक्रोनस मोटर दी गई है, जो 6kWh की पावर और 25Nm का टॉर्क जनरेट करती है। प्लस वैरिएंट में 3 राइड मोड- इको, राइड और स्पोर्ट्स मिलते हैं। वहीं, गो में स्पोर्ट्स मोड नहीं है। कंपनी का दावा है कि विडा का गो वैरिएंट सिर्फ 4.2 सेकेंड में 0 से 40kmph की स्पीड पकड़ सकता है। वहीं, प्लस में 3.1 सेकेंड लगते हैं। स्कूटर की टॉप स्पीड स्पोर्ट्स मोड में 80kmph, राइड मोड में 70kmph और ईको मोड में 45kmph है। रेंज और चार्जिंग: फुल चार्ज पर 142km तक की रेंज मोटर को पावर देने के लिए गो वैरिएंट में 2.2kWh का सिंगल रिमूवेबल बैटरी पैक दिया गया है, जिसे फुल चार्ज करने पर 92km की IDC रेंज मिलती है। कंपनी के अनुसार, रियल वर्ल्ड कंडीशन में इको मोड में 64km और राइड मोड में 48km की रेंज मिलेगी। वहीं, प्लस वैरिएंट में 3.4kWh के दो रिमूवेबल बैटरी पैक दिए गए हैं, जिन्हें फुल चार्ज करने पर 142km की IDC रेंज मिलती है। कंपनी के अनुसार, रियल वर्ल्ड कंडीशन में इको मोड में 100km, राइड मोड में 75km और स्पोर्ट्स मोड में 65km की रेंज मिलेगी। चार्जिंग की बात करें तो प्लस वैरिएंट में दोनों बैटरी को 0 से 100% चार्ज होने में 5:39 घंटे लगते हैं। वहीं, गो वैरिएंट में सिंगल बैटरी को 0 से 100% चार्ज होने में 3:43 घंटे लगते हैं। दोनों में रिमूवेबल और IP67-रेटेड बैटरी हैं और फास्ट चार्जर से 0-100% चार्ज होने में 120 मिनट लगते हैं। हार्डवेयर: 33.2 लीटर का अंडरसीट बूट स्पेस हीरो विडा VX2 को विडा V2 के ही ट्यूबलर फ्रेम पर बनाया गया है। इसमें दोनों तरफ 12-इंच के अलॉय व्हील लगे हैं। ई-स्कूटर में कंफर्ट राइडिंग के लिए फ्रंट में डुअल टेलिस्कोपिक फोर्क्स और रियर में एडजस्टेबल सिंगल मोनोशॉक एब्जॉर्वर दिया गया है। वहीं, ब्रेकिंग के लिए प्लस वैरिएंट के फ्रंट में डिस्क और रियर में ड्रम ब्रेक दिए गए हैं। गो वैरिएंट में दोनों ओर ड्रम ब्रेक मिलते हैं, लेकिन दोनों वैरिएंट में कंबाइंड ब्रेकिंग सिस्टम (CBS) मिलता है। अंडरसीट बूट स्पेस की बात करें तो प्लस में 27.2-लीटर और गो में 33.2-लीटर का स्पेस मिलता है। वहीं दोनों में 6.1-लीटर का स्पेस के साथ फ्रंट क्यूबी होल दिया गया है।
इलॉन मस्क की कंपनी xAI ने 10 जुलाई को अपने सबसे पावरफुल AI मॉडल ग्रोक 4 को दुनिया के सामने पेश किया। मस्क ने इसे दुनिया का सबसे स्मार्ट AI बताया। उन्होंने कहा ग्रोक 4 को इस तरह डिजाइन किया गया है कि ये किसी भी सब्जेक्ट में पीएचडी लेवल की समझ रखता है। ग्रोक को वीडियो जनरेशन के लिए भी ट्रेन किया जा रहा है। इस साल ग्रोक से बनाया गया दुनिया का पहला AI-जनरेटेड टीवी शो और अगले साल शायद पूरी AI-जनरेटेड फिल्म रिलीज हो जाएगी। वहीं मस्क का दावा है कि अगले साल तक ग्रोक नई टेक्नोलॉजीज और शायद 2 साल में नई फिजिक्स की खोज कर सकता है। मस्क बोले- ग्रोक को कार, रॉकेट जैसी चीजें बनानी होंगी इलॉन मस्क ने कहा AI की क्षमताओं को परखने के लिए अब पारंपरिक टेस्ट सवाल जैसे गणित, लॉजिक, या एकेडमिक बेंचमार्क्स पर्याप्त नहीं रह गए हैं। ग्रोक 4 इतना स्मार्ट हो गया है कि ये सवाल आसानी से हल कर लेता है। अब AI की असली परीक्षा वास्तविक दुनिया में होगी, जहां ये कुछ ठोस बनाए जैसे कार, रॉकेट, दवा और साबित करे कि वो काम करता है। उदाहरण ग्रोक 4 की 4 खासियतें: 1. फिजिक्स-लेवल कम्प्यूट पावर: AI मॉडल में इतनी कम्प्यूटिंग ताकत है कि वो जटिल फिजिक्स से जुड़े सिमुलेशन्स को चला सकता है, वो भी उसी स्तर पर जैसा बड़े-बड़े वैज्ञानिक और रिसर्चर्स करते हैं। यानी ये AI फिजिक्स के नियमों को समझकर और उनका इस्तेमाल करके रियल-वर्ल्ड जैसी सिमुलेशन्स बना सकता है। 2. एडवांस्ड रीजनिंग: जटिल गणित के सवाल हल कर सकता है और अपनी रीजनिंग प्रोसेस को समझा सकता है। ये रियल-टाइम टूल्स का इस्तेमाल करके प्रेडिक्शन्स करता है। डेमो में बेसबॉल की वर्ल्ड सीरीज में लॉस एंजिल्स डोजर्स को 21.6% जीतने का चांस बताया। इसने कई साइट्स को स्कैन किया और अपनी कैलकुलेशन से जवाब दिया। 3. हिस्टोरिकल रिसर्च: हिस्टोरिकल डेटा की रिसर्च करके इवेंट्स और सोशल मीडिया एक्टिविटी के आधार पर टाइमलाइन बना सकता है। पब्लिक रिएक्शन्स को ट्रैक कर सकता है। 4. वॉइस एक्सपीरियंस: XAI ने नए और बेहद रियलिस्टिक वॉइस मॉडल्स लॉन्च किए है। जैसे ब्रिटिश एक्सेंट वाली ईव। ईव ने लाइव डेमो में डाइट कोक पर एक मजेदार ओपेरा गाया। 5. प्रोग्रामर्स की मदद: आप अपनी पूरी सोर्स कोड फाइल को क्वेरी एंट्री बॉक्स में कॉपी-पेस्ट कर सकते हैं। ग्रोक 4 आपके लिए उसे ठीक कर देगा। यानी, ये प्रोग्रामिंग कोड को समझ सकता है, उसमें गलतियां ढूंढ सकता है, और उसे ठीक करने के सुझाव दे सकता है। असल दुनिया में इस्तेमाल 1. बिजनेस सिमुलेशन (वेंडिंग बेंच): ग्रोक 4 ने वेंडिंग मशीन बिजनेस सिमुलेशन में बाकी सभी मॉडल्स से बेहतर प्रदर्शन किया और दूसरों की तुलना में दोगुना नेट वर्थ बनाई। इसने रणनीतिक सोच और प्लानिंग दिखाई। वेंडिंग मशीन बिजनेस सिमुलेशन एक तरह का कंप्यूटर-आधारित टेस्ट या मॉडल है, जिसमें एक AI को वास्तविक दुनिया की तरह एक वेंडिंग मशीन बिजनेस चलाने का काम दिया जाता है। इसका मतलब है कि AI को वो सारे काम करने होते हैं, जो एक असली बिजनेस में किए जाते हैं। 2. बायोमेडिकल रिसर्च (आर्क इंस्टीट्यूट): ग्रोक 4 का इस्तेमाल लाखों एक्सपेरिमेंट लॉग्स को स्कैन करने और तेजी से हाइपोथेसिस जनरेट करने के लिए किया गया। इसने CRISPR से जुड़े रिसर्च को तेज किया। CRISPR एक ऐसी टेक्नोलॉजी है जो जीन एडिटिंग के लिए इस्तेमाल होती है। वैज्ञानिक किसी जीव के डीएनए को बहुत सटीक तरीके से काट-छांट सकते हैं। इसका मतलब है कि डीएनए के खास हिस्सों को हटाया, बदला या जोड़ा जा सकता है। 3. रेडियोलॉजी और फाइनेंस: चेस्ट X-रे को पढ़ने में ग्रोक 4 को सबसे बेहतर मॉडल माना गया। साथ ही, ये रियल-टाइम फाइनेंशियल डिसीजन-मेकिंग के लिए लाइव टूल्स और डेटा के साथ इस्तेमाल हो रहा है। 4. वीडियो गेम डेवलपमेंट: डेवलपर्स ने ग्रोक 4 API का इस्तेमाल करके सिर्फ 4 घंटे में एक पूरी तरह फंक्शनल 3D फर्स्ट-पर्सन शूटर गेम बनाया। भविष्य में ग्रोक गेम खेलकर उनकी मजेदार बातें भी बता सकेगा। फ्यूचर प्लान: कोडिंग मॉडल और वीडियो जनरेशन फीचर लॉन्च 1. कोडिंग मॉडल्स: कुछ हफ्तों में एक तेज और स्मार्ट कोडिंग के लिए खास मॉडल आने वाला है। 2. मल्टीमॉडल AI: ग्रोक इमेज, वीडियो और ऑडियो समझने की क्षमता में सुधार लाएगा। 3. वीडियो जनरेशन: कंपनी 1 लाख से ज्यादा NVIDIA GB200 GPUs के साथ वीडियो जनरेशन मॉडल ट्रेन करेगी। अगले साल शायद पूरी AI-जनरेटेड फिल्म रिलीज हो जाएगी।
चैटGPT बनाने वाली कंपनी ओपन AI आने वाले कुछ हफ्तों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पावर्ड वेब ब्राउजर लॉन्च करने जा रही है। ओपन AI का ये ब्राउजर चैटGPT जैसे इंटरफेस में कुछ काम सीधे करेगा, यानी यूजर्स को बार-बार वेबसाइट्स पर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से ये जानकारी दी है। ओपनAI की योजना है कि ये ब्राउजर उनके AI प्रोडक्ट्स, जैसे 'ऑपरेटर' को ब्राउजिंग में जोड़ा जाए, जो बुकिंग या फॉर्म भरने जैसे काम कर सके। हालांकि, गूगल क्रोम का 3 अरब से ज्यादा यूजर्स के साथ 66% मार्केट शेयर है, जबकि Apple का Safari 16% के साथ दूसरे नंबर पर है। ओपनAI को इनसे कड़ी टक्कर मिलेगी। अभी चैटGPT के करीब 50 करोड़ वीकली एक्टिव यूजर्स अभी चैटGPT के करीब 50 करोड़ वीकली एक्टिव यूजर्स हैं। अगर केवल वही ओपन AI के ब्राउजर का इस्तेमाल करना शुरू कर दें तो क्रोम से होने वाली गूगल की कमाई पर भारी असर पड़ सकता है। क्योंकि गूगल क्रोम के जरिए ही बिजनेस और ऐड को टारगेट करता है। गूगल के ओपन-सोर्स कोड 'क्रोमियम' पर बना है ओपनAI ब्राउजर ये ब्राउजर गूगल के ही ओपन-सोर्स कोड 'क्रोमियम' पर बना है। क्रोमियम का इस्तेमाल क्रोम, माइक्रोसॉफ्ट एज और ओपेरा जैसे ब्राउजर्स में होता है। OpenAI ने पिछले साल गूगल क्रोम की शुरुआती टीम के दो बड़े अधिकारियों को भी हायर किया था। कंपनी ने अपना ब्राउजर बनाने का फैसला इसलिए किया, ताकि यूजर डेटा पर उनका पूरा कंट्रोल हो। हाल ही में परप्लेक्सिटी ने AI ब्राउजर 'कॉमेट' लॉन्च किया और द ब्राउजर कंपनी और ब्रेव जैसे स्टार्टअप्स भी AI ब्राउजर्स ला चुके हैं। गूगल पर पहले से ही अमेरिका में सर्च मोनोपॉली का केस चल रहा है। OpenAI ने कहा था कि अगर क्रोम बिक्री के लिए आया, तो वे इसे खरीदने में दिलचस्पी रखेंगे। फिलहाल गूगल की क्रोम बेचने की कोई योजना नहीं है। 2015 में शुरू हुई थी ओपन AI ओपन AI (Open AI) एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) डेवलप करने वाली संस्था है। इसकी स्थापना 2015 में इलॉन मस्क, सैम ऑल्टमैन और उनके कुछ दोस्तों ने मिलकर की थी। यह AI टेक्नोलॉजी विशेष रूप से जेनेरेटिव AI और लार्ज लैंग्वेज मॉडल (जैसे चैट GPT) के डेवलपमेंट के लिए जाना जाता है। कंपनी का मिशन सेफ और ह्यूमन सेंट्रिक AI डेवलप करना है। कंपनी सैन फ्रांसिस्को, कैलिफोर्निया में स्थित है। चैट-GPT क्या है? चैट-GPT यानी चैट जनरेटिव प्री ट्रेन्ड ट्रांसफॉर्मर। यह ओपन-AI का एक आर्टिफिशियली इंटेलिजेंट चैटबॉट है। चैट-GPT के पास हर उस सवाल का जवाब है जो इंटरनेट पर मौजूद है, लेकिन यह उसी सवाल का जवाब दे सकता है जो पहले इंटरनेट पर पूछा गया हो। यह एक सॉफ्टवेयर है, जो इंटरनेट पर मौजूद जानकारी को पढ़कर जवाब देता है। ------------------------------ ये खबर भी पढ़ें... इंटरनेट यूजर्स को मिलेगा मेड इन इंडिया वेब ब्राउजर: भारतीय कंपनी जोहो डेवलप करेगी, गूगल और माइक्रोसॉफ्ट को टक्कर दे सकेंगे भारत को जल्द अपना वेब ब्राउजर मिल सकता है। इसे बनाने का जिम्मा भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनी जोहो कार्पोरेशन को मिला है। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने गुरुवार (20 मार्च) को इसकी घोषणा की। मंत्रालय ने स्वदेशी वेब ब्राउजर डेवलप करने के उद्देश्य से 'इंडियन वेब ब्राउजर डेवलपमेंट चैलेंज' नाम से एक प्रतियोगिता आयोजित की थी, जिसमें जोहो कार्पोरेशन ने फर्स्ट प्राइज जीता है। इसके लिए जोहो को 1 करोड़ रुपए का प्राइस मिला है। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें... X की CEO लिंडा याकारिनो ने इस्तीफा दिया: प्लेटफॉर्म में कम्युनिटी नोट्स जैसे फीचर्स लाईं, अब मस्क की AI कंपनी xAI के साथ काम करेंगी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X की CEO लिंडा याकारिनो ने दो साल काम करने के बाद बुधवार (9 जुलाई) को इस्तीफा दे दिया है। लिंडा ने X पर पोस्ट शेयर कर इसकी जानकारी दी। लिंडा ने लिखा, 'वे अब ग्रोक चैटबॉट बनाने वाली मस्क की AI कंपनी xAI के साथ काम करेंगी।' हालांकि उन्होंने ये नहीं बताया कि वे xAI में किस पद पर काम करेंगी। उन्होंने जून 2023 में ट्विटर की लीडरशिप संभाली थी, तब मस्क ने 44 बिलियन डॉलर में इस प्लेटफॉर्म को खरीदा और इसका नाम बदलकर X कर दिया। लिंडा प्लेटफॉर्म में कम्युनिटी नोट्स जैसे फीचर्स लेकर आईं और यूजर्स की सिक्योरिटी को लेकर कई बदलाव किए। लिंडा ने पोस्ट में कंपनी के मालिक इलॉन मस्क को अवसर देने के लिए धन्यवाद दिया। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें...
सेमीकंडक्टर चिप बनाने वाली अमेरिका की कंपनी एनवीडिया एक बार फिर दुनिया की सबसे वैल्यूएबल कंपनी बन गई है। 9 जुलाई को कंपनी के शेयर में 2% से ज्यादा की तेजी देखने को मिली है। जिसके चलते कंपनी का मार्केट कैप पहली बार बढ़कर 4 ट्रिलियन डॉलर (करीब 343 लाख करोड़ रुपए) पर पहुंच गया है। कारोबार के दौरान कंपनी के शेयर ने 164.42 डॉलर (14,091 रुपए) का ऑल टाइम हाई भी बनाया। मार्केट कैप के लिहाज से एनवीडिया के बाद माइक्रोसॉफ्ट दुनिया की दूसरी सबसे वैल्यूएबल कंपनी है। माइक्रोसॉफ्ट का मार्केट कैप 3.72 ट्रिलियन डॉलर (करीब 295 लाख करोड़ रुपए) है। वहीं आईफोन बनाने वाली कंपनी एपल का मार्केट कैप 3.11 ट्रिलियन डॉलर (करीब 261 लाख करोड़ रुपए) है। यह मार्केट कैप के हिसाब से दुनिया की तीसरी सबसे वैल्यूएबल कंपनी है। दुनिया की सबसे वैल्युएबल सेमीकंडक्टर फर्म एनवीडिया पहले से ही दुनिया की सबसे वैल्युएबल सेमीकंडक्टर फर्म है। NVIDIA के भारत में चार इंजीनियरिंग डेवलपमेंट सेंटर हैं। ये हैदराबाद, पुणे, गुरुग्राम और बेंगलुरु में स्थित हैं। एनवीडिया ने अपने AI एक्सेलरेटर को अपग्रेड किया है। GPU को डिजाइन और मैन्युफैक्चर करती है कंपनी एनवीडिया एक टेक्नोलॉजी कंपनी है, जो ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट (GPU) के डिजाइन और मैन्युफैक्चरिंग के लिए जानी जाती है। 1993 में जेन्सेन हुआंग, कर्टिस प्रीम और क्रिस मालाचोव्स्की ने इसकी स्थापना की थी। इसका मुख्यालय कैलिफोर्निया के सांता क्लारा में है। एनवीडिया गेमिंग, क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग और प्रोफेशनल एप्लिकेशन्स के लिए चिप को डिजाइन और मैन्युफैक्चर करती है। इसके साथ-साथ व्हीकल्स, रोबोटिक्स और अन्य उपकरणों में भी उसके चिप सिस्टम का इस्तेमाल होता है। कंपनी के CEO जेन्सेन हुआंग की नेटवर्थ 12.24 लाख करोड़ फोर्ब्स रियल टाइम बिलियनेयर्स लिस्ट के अनुसार, कंपनी के CEO जेन्सेन हुआंग 142.2 बिलियन डॉलर यानी 12.24 लाख करोड़ रुपए की नेटवर्थ के साथ दुनिया के 8वें सबसे अमीर आदमी हैं।
गुजरात के धोलेरा में सेमीकंडक्टर चिप बनाने वाला भारत का पहला प्लांट शुरू हो गया है। ये प्लांट टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स ने ताइवान की कंपनी पावर-चिप सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कॉर्पोरेशन (PSMC) के साथ मिलकर शुरू किया है। ये चिप फोन, लैपटॉप, गाड़ियों और कई गैजेट्स में यूज होती हैं। अभी भारत इन चिप्स के लिए विदेशों पर निर्भर है। इसकी सप्लाई रुकने पर देश में कई इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के प्रोडक्शन में कमी आ जाती है। इस प्लांट से भारत अपनी जरूरतें पूरी करेगा और विदेशी निर्भरता को घटाएगा। चिप का प्रोडक्शन दिसंबर 2026 से शुरू होने की उम्मीद है। सवाल 1: सेमीकंडक्टर चिप क्या होती है? सेमीकंडक्टर को आप इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का दिमाग समझिए। कंप्यूटर, लैपटॉप, कार, वॉशिंग मशीन, ATM, अस्पतालों की मशीन से लेकर हाथ में मौजूद स्मार्टफोन तक सेमीकंडक्टर चिप पर ही काम करते हैं। ये चिप एक दिमाग की तरह इन गैजेट्स को ऑपरेट करने में मदद करती है। इनके बिना हर एक इलेक्ट्रॉनिक आइटम अधूरा है। सेमीकंडक्टर चिप्स सिलिकॉन से बने होते हैं और सर्किट में इलेक्ट्रिसिटी कंट्रोल करने के काम आते हैं। ये चिप इलेक्ट्रॉनिक आइटम को ऑटोमैटिकली ऑपरेट करने में मदद करती है। उदाहरण के लिए, स्मार्ट वॉशिंग मशीन में कपड़े पूरी तरह धुलने के बाद ऑटोमैटिक मशीन बंद हो जाती है। इसी तरह कार में जब आप सीट बेल्ट लगाना भूल जाते हैं, तो कार आपको अलर्ट देती है। ये सेमीकंडक्टर की मदद से ही होता है। सवाल 2: सेमीकंडक्टर प्लांट से भारत को क्या फायदा? सवाल 3: प्लांट में क्या-क्या प्रोडक्ट्स बनेंगे ? प्लांट में 14Nm, 28Nm, 40Nm, 55Nm, और 65Nm सेमीकंडक्टर चिप्स बनेंगी। ये चिप्स अलग-अलग चीजों में यूज होंगी। सवाल 4: टाटा की प्लानिंग क्या है? टाटा ने इस प्रोजेक्ट को कामयाब बनाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी है... दुनिया की 60% सेमीकंडक्टर चिप ताइवान बनाता है सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री एसोसिएशन (SEMI) के अनुसार, ताइवान ग्लोबल चिप फैब्रिकेशन कैपेसिटी (भौतिक रूप से सेमीकंडक्टर बनाने की क्षमता) में 60% हिस्सेदारी है। TSMC अकेले दुनिया के लगभग आधे सेमीकंडक्टर की मैन्युफैक्चरिंग करती है।
बजाज पल्सर NS400Z 2025 लॉन्च:कीमत 1.92 लाख रुपए, यह पुराने मॉडल से सिर्फ ₹7,000 महंगी
बजाज ने अपनी सबसे पावरफुल पल्सर बाइक NS400Z का 2025 मॉडल लॉन्च किया है। कंपनी ने इसकी कीमत 1.92 लाख रुपए (एक्स-शोरूम, दिल्ली) रखी है। यह पुराने मॉडल से सिर्फ 7,000 रुपए महंगी है। NS400Z चार कलर - व्हाइट, रेड, ग्रे और ब्लैक में अवेलेबल है, जिनमें नए स्टिकर्स और ग्राफिक्स हैं। कंपनी ने इस बाइक में कई बड़े बदलाव किए गए हैं, जो इसे और बेहतर परफॉर्मर बनाते हैं। NS400Z में पिछले मॉडल की कमियों को दूर किया इस अपडेट का मकसद पिछले मॉडल की कमियों को दूर करना था। सबसे पहले पुराने MRF बायस-प्लाई टायर्स की जगह अब अपोलो अल्फा H1 रेडियल टायर्स लगाए गए हैं, जिनका साइज फ्रंट में 110/70-ZR17 और रियर में 150/60-ZR17 है। रियर टायर अब पहले से चौड़ा है, जो बेहतर पकड़ देता है। इसके अलावा, फ्रंट ब्रेक पैड्स को ऑर्गेनिक से बदलकर सिन्टर्ड यूनिट्स में अपग्रेड किया गया है, जिससे ब्रेकिंग और मजबूत हुई है। 373cc इंजन 9,500rpm पर 43hp की पावर देगी इस बाइक में 373cc के इंजन में सुधार किया गया है। अब इसका रेडलाइन 10,700rpm तक जाता है, जो पहले से 1,000rpm ज्यादा है। यह इंजन अब 9,500rpm पर 43hp की पावर देता है, जो पिछले मॉडल से 3hp ज्यादा है और 500rpm बाद मिलती है। 35Nm का पीक टॉर्क पहले जैसा ही है, लेकिन यह भी 500rpm बाद मिलता है। NS400Z में चार राइडिंग मोड्स मिलेंगे NS400Z बाइक में चार- स्पोर्ट, रोड, ऑफ-रोड और रेन राइडिंग मोड्स हैं। स्पोर्ट मोड में अब पहले से तेज थ्रॉटल रिस्पॉन्स मिलता है, जबकि बाकी तीन मोड्स में कोई बदलाव नहीं हुआ है। रेन मोड सबसे नरम रिस्पॉन्स देता है और रोड व ऑफ-रोड मोड्स रेन व स्पोर्ट के बीच बैलेंस बनाते हैं। बाइक में बायडायरेक्शनल क्विकशिफ्टर खास बात यह है कि इस बाइक में अब बायडायरेक्शनल क्विकशिफ्टर दिया गया है, जो बजाज की किसी भी बाइक में पहली बार आया है। यह केवल स्पोर्ट मोड में काम करता है। बाइक के बेसिक फीचर्स में कोई बदलाव नहीं बाइक के बेसिक फीचर्स में कोई बदलाव नहीं हुआ। इसमें 12 लीटर का फ्यूल टैंक है, वजन 174 किलोग्राम है और 805mm की सीट हाइट इसे ज्यादातर राइडर्स के लिए आरामदायक बनाती है। 165mm का ग्राउंड क्लीयरेंस इसे हर तरह के रास्तों पर चलने लायक बनाता है। यह बाइक पहले से ज्यादा फीचर्स और परफॉर्मेंस देती है, जिससे यह वैल्यू फॉर मनी बनी हुई है।
टेक कंपनी मोटोरोला ने आज (बुधवार, 9 जुलाई) भारतीय मार्केट में मोटो G96 5G स्मार्टफोन लॉन्च कर दिया है। स्मार्टफोन में सेगमेंट का सबसे बेहतर 3D कर्व्ड डिस्प्ले दिया गया है, जो pOLED टेक्नोलॉजी पर बेस्ड है। वहीं, इस फोन में सेगमेंट का इकलौता 32 मेगापिक्सल सेल्फी कैमरा दिया गया है, जो 4K वीडियो रिकॉर्डिंग करने में सक्षम है। वहीं, परफॉर्मेंस के लिए इसमें एड्रेनो 710 GPU और ऑक्टा-कोर CPU पर बेस्ड क्वालकॉम स्नैपड्रैगन 7s जेन चिपसेट दिया गया है। प्राइस और अवेलेबिलिटी भारतीय मार्केट में कंपनी ने स्मार्टफोन को दो स्टोरेज ऑप्शन में पेश किया है। 8GB रैम के साथ 128GB स्टोरेज वाले वैरिएंट की कीमत ₹17,999और 8GB रैम के साथ 256GB स्टोरेज वाले फोन की कीमत ₹19,999 है। बायर्स इस स्मार्टफोन को 16 जुलाई से फ्लिपकार्ट, मोटोरोला इंडिया की आधिकारिक वेबसाइट और प्रमुख ऑफलाइन रिटेल स्टोर्स से खरीद पाएंगे। फ्लिपकार्ट पर 16 जुलाई को पहली सेल में ₹1000 का डिस्काउंट मिलेगा। मोटो G96: स्पेसिफिकेशन्स डिस्प्ले: मोटो G96 में 144Hz रिफ्रेश रेट और 2400 x 1080 पिक्सल जोल्यूशन के साथ 6.67-इंच का फुल HD+ 3D कर्व्ड pOLED डिस्प्ले डिस्प्ले दिया गया है। इसकी पीक ब्राइटनेस 1600 निट्स है, यानी आउटडोर में भी डिस्प्ले पर बेहतर लाइटिंग मिलेगी। डिस्प्ले पर कॉर्निंग गोरिल्ला ग्लास 5 का प्रोटेक्शन मिल रहा है। इसके अलावा इसमें इन-डिस्प्ले फिंगरप्रिंट सेंसर, वॉटर टच 2.0 टेक्नोलॉजी, 10-बिट कलर डेप्थ, HDR10 सपोर्ट दिया गया है। कैमरा: फोटोग्राफी और वीडियो रिकॉर्डिंक के लिए मोटोरोला के लेटेस्ट स्मार्टफोन में Sony LYT-700C का 50MP प्राइमरी कैमरा, 8MP का अल्ट्रा-वाइड सेंसर दिया गया है। वहीं, सेल्फी और वीडियो कॉलिंग के लिए क्वाड पिक्सल टेक्नोलॉजी पर बेस्ड 32MP का फ्रंट कैमरा दिया गया है। इसके अलाव, कैमरे में AI फोटो एन्हांसमेंट, होराइजन लॉक, डिजिटल जूम, 4K वीडियो रिकॉर्डिंग और नाइट विजन मोड दिया गया है। प्रोसेसर: बेहतर फंक्शनिंग के लिए स्मार्टफोन में एड्रेनो 710 GPU और ऑक्टा-कोर CPU पर बेस्ड क्वालकॉम स्नैपड्रैगन 7s जेन 2 चिपसेट दिया गया है, जो एंड्रॉयड 15 ऑपरेटिंग सिस्टम पर काम करता है। कंपनी ने इसमें 1 साल का OS अपडेट (एंड्रॉयड 16 तक) और 3 साल के सिक्योरिटी पैच दिया है। बैटरी और चार्जर: पावर बैकअप के लिए स्मार्टफोन में 5500mAh की बैटरी दी गई है। इसे चार्ज करने के लिए 33W टर्बोपावर फास्ट चार्जिंग सपोर्ट दी गई है।
इलॉन मस्क की कंपनी स्टारलिंक को भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस शुरू करने का आखिरी रेगुलेटरी अप्रूवल मिल गया है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से ये जानकारी दी। स्टारलिंक तीसरी कंपनी है, जिसे भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस ऑपरेट करने का लाइसेंस मिला है। इससे पहले वनवेब और रिलायंस जियो को मंजूरी मिली थी। आइए, सवाल-जवाब के जरिए इस मामले को समझते हैं… सवाल 1: स्टारलिंक क्या है और ये खास क्यों है? जवाब: स्टारलिंक, स्पेसएक्स का प्रोजेक्ट है, जो सैटेलाइट्स के जरिए हाई-स्पीड इंटरनेट देता है। इसके सैटेलाइट्स पृथ्वी के करीब घूमते हैं, जिससे इंटरनेट तेज और स्मूथ चलता है। ये खासकर उन इलाकों के लिए फायदेमंद है, जहां आम इंटरनेट नहीं पहुंचता- जैसे गांव या पहाड़। सवाल 2: स्टारलिंक को लाइसेंस मिलने में इतना वक्त क्यों लगा? जवाब: स्टारलिंक भारत में एंट्री के लिए 2022 से कोशिश कर रही थी, लेकिन सिक्योरिटी चिंताओं की वजह से देरी हुई। भारत सरकार ने डेटा सिक्योरिटी और कॉल इंटरसेप्शन जैसी शर्तें रखी थीं। स्टारलिंक ने इन शर्तों को माना और मई 2025 में उसे लेटर ऑफ इंटेंट मिलने के बाद टेलिकॉम डिपार्टमेंट का लाइसेंस मिला। अब उसे आखिरी रेगुलेटरी अप्रूवल यानी, इंडियन नेशनल स्पेस प्रमोशन एंड ऑथराइजेशन सेंटर (IN-SPACe) का अप्रूवल भी मिल गया है। सवाल 3: अब स्टारलिंक को सर्विस शुरू करने के लिए और क्या करना होगा? जवाब: लाइसेंस मिलने के बाद स्टारलिंक को अब सरकार से स्पेक्ट्रम हासिल करना होगा। भारत में ग्राउंड इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करना होगा। इसमें सैटेलाइट अर्थ स्टेशन, कम्युनिकेशन गेटवे और एक कंट्रोल व मॉनिटरिंग सेंटर बनाना शामिल है। इसके बाद कंपनी को सिक्योरिटी क्लियरेंस के लिए सर्विस की टेस्टिंग और ट्रायल्स करने होंगे। सिक्योरिटी एजेंसियां स्टारलिंक की सर्विस को बारीकी से जांचेंगी। बिना सिक्योरिटी क्लियरेंस के कॉमर्शियल सर्विस शुरू नहीं हो सकती। सवाल 4: स्टारलिंक की सर्विस भारत में कब शुरू होगी? जवाब: अभी सटीक तारीख तो नहीं बताई गई है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक सिक्योरिटी टेस्टिंग और इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार होने के बाद कुछ महीनों में सर्विस शुरू हो सकती है। सवाल 5: स्टारलिंक की सर्विस कितनी तेज होगी और इसका खर्चा क्या होगा? जवाब: स्टारलिंक 50 Mbps से 250 Mbps तक की डाउनलोड स्पीड देने का दावा करता है, जो स्ट्रीमिंग, वीडियो कॉल और गेमिंग जैसे कामों के लिए काफी है। भारत में स्टारलिंक के स्टैंडर्ड किट की कीमत करीब 33,000 रुपए होने की उम्मीद है। इसमें सैटेलाइट एंटीना, माउंटिंग स्टैंड, वाई-फाई राउटर और केबल्स शामिल हैं। हालांकि मंथली सब्सक्रिप्शन प्लान्स की कीमत अभी साफ नहीं है। सवाल 6: स्टारलिंक के लिए भारत में कौन-कौन से पार्टनर्स हैं? जवाब: भारत की दो सबसे बड़ी टेलिकॉम कंपनियां जियो और एयरटेल ने मार्च में स्टारलिंक के साथ पार्टनरशिप की घोषणा की थी। ये दोनों कंपनियां अपने रिटेल स्टोर्स में स्टारलिंक के इक्विपमेंट बेचेंगी। ये पार्टनरशिप स्टारलिंक के भारत में रोलट को और मजबूत करेगी। सवाल 7: स्टारलिंक की सर्विस से भारत में क्या फायदा होगा? जवाब: स्टारलिंक की सैटेलाइट बेस्ड इंटरनेट सर्विस खासकर उन ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में गेम-चेंजर हो सकती है, जहां इंटरनेट की पहुंच नहीं है। ये डिजिटल इंडिया के मिशन को सपोर्ट करेगा और शिक्षा, हेल्थकेयर जैसे सेक्टर्स में डिजिटल कनेक्टिविटी बढ़ाएगा। स्टारलिंक के 6,750 से ज्यादा सैटेलाइट्स लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) में हैं, जो कम लेटेंसी और हाई-स्पीड इंटरनेट देते हैं। कंपनी 2027 तक अपने सैटेलाइट्स की संख्या 42,000 तक बढ़ाने की योजना बना रही है। सवाल 8: स्टारलिंक की सर्विस अभी कितने देशों में उपलब्ध है? जवाब: स्टारलिंक 100 से ज्यादा देशों में अपनी सर्विस दे रही है। एशिया में ये मंगोलिया, जापान, फिलीपींस, मलेशिया, इंडोनेशिया, जॉर्डन, यमन और अजरबैजान जैसे देशों में मौजूद है। हाल ही में बांग्लादेश और श्रीलंका में भी स्टारलिंक की सर्विस शुरू हुई है। सैटेलाइट नेटवर्क से हाई-स्पीड इंटरनेट कवरेज मिलता है जून 2020 में सरकार ने IN-SPACe स्थापित किया था डिपार्टमेंट ऑफ स्पेस ने जून 2020 में IN-SPACe को स्थापित किया था। यह स्पेस एक्टिविटीज में प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी को रेगुलेट करने और उसे सुविधाजनक बनाने के लिए सिंगल-विंडो एजेंसी के रूप में काम करती है। IN-SPACe नॉन-गवर्नमेंटल एंटिटीज के लिए लाइसेंसिंग, इन्फ्रास्ट्रक्चर शेयरिंग और स्पेस बेस्ड सर्विसेज को बढ़ावा देने का काम भी करती है।
सैमसंग का गैलेक्सी अनपैक्ट इवेंट आज (9 जुलाई) अमेरिका के ब्रुकलिन, न्यूयॉर्क में होगा। इसमें नेक्स्ट-जेन फोल्डेबल स्मार्टफोंस गैलेक्सी Z फोल्ड 7 और गैलेक्सी Z फ्लिप 7 पेश होंगे। इसके अलावा साउथ कोरियन टेक कंपनी गैलेक्सी Z फ्लिप 7 FE के साथ एक नया ट्राई-फोल्डेबल डिवाइस, स्मार्टवॉचेस और TWS ईयरफोंस जैसे अन्य प्रोडक्ट्स भी पेश कर सकती है। इवेंट स्थानीय समयानुसार सुबह 10 बजे (भारत में 7:30 बजे) शुरू होगा। इसे सैमसंग की ऑफिशियल वेबसाइट, सैमसंग न्यूजरूम और सैमसंग के यूट्यूब चैनल पर लाइव स्ट्रीम किया जाएगा। ₹1999 में प्री-बुकिंग शुरू, ₹5999 बेनिफिट्स मिलेंगे ब्रांड ने भारत में प्री-रिजर्वेशन विंडो खोल दी है। इसमें सैमसंग की वेबसाइट पर प्री-रिजर्वेशन पेज पर फोल्डेबल्स, स्मार्टवॉचेस और TWS ईयरबड्स के स्केच दिखाई दे रहे हैं। इन प्रोडक्ट्स को 1,999 रुपए की रिफंडेबल टोकन अमाउंट देकर प्री-रिजर्व कर सकते हैं। यह अमाउंट अपकमिंग गैलेक्सी डिवाइसेज को खरीदने पर उसकी कुल कीमत में एडजस्ट किया जाएगा। इसमें ग्राहकों को 5,999 रुपए तक के बेनिफिट्स (ई-स्टोर वाउचर के रूप में), एसेसरी कॉम्बो ऑफर्स और फास्ट डिलीवरी का फायदा मिलेगा। यह फायदा तभी मिलेगा, जब ग्राहक मुख्य प्रोडक्ट (जैसे गैलेक्सी Z फोल्ड 7 या गैलेक्सी Z फ्लिप 7) को कार्ट में जोड़ेंगे और चेकआउट के समय ई-स्टोर वाउचर को लागू करेंगे। बुकिंग सैमसंग वेबसाइट, सैमसंग स्टोर्स और देशभर के रिटेल आउटलेट्स से कर सकेंगे। सैमसंग गैलेक्सी Z फोल्ड 7 और फ्लिप 7: एक्सपेक्टेड स्पेसिफिकेशंस मीडियी रिपोर्ट्स की मानें तो सैमसंग गैलेक्सी Z फोल्ड 7 को अब तक का सबसे पतला और सबसे हल्का फोल्डेबल स्मार्टफोन होगा। वहीं, गैलेक्सी Z फ्लिप 7 के डिजाइन में ज्यादा बदलाव देखने को नहीं मिलेगा। सस्ता फ्लिप फोन गैलक्सी Z फ्लिप 7 SE भी लॉन्च होगा सैमसंग Z फ्लिप 7 का सस्ता ऑप्शन गैलक्सी Z फ्लिप 7 SE भी पेश कर सकती है। इसमें एग्जीनोस 2400e प्रोसेसर के साथ 8GB रैम दी जा सकती है। इसमें बैक पैनल पर डुअल कैमरा सेटअप और फ्रंट में 10MP का लेंस मिल सकता है। फोन में 3700mAh की बैटरी और 25W फास्ट चार्जिंग मिल सकती है। कीमत की बात करें तो कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, गैलेक्सी Z फोल्ड 7 का 256GB वैरिएंट लगभग 2,22,000 रुपए में लॉन्च हो सकता है। वहीं, गैलेक्सी Z फ्लिप 7 की शुरुआती कीमत लगभग ₹1,43,000 हो सकती है। ये खबर भी पढ़ें... सैमसंग गैलेक्सी स्मार्ट रिंग लॉन्च, ये हार्ट रेट बताएगी: Z फोल्ड6 और Z फ्लिप6 स्मार्टफोन भी पेश किए, इनमें रियल-टाइम लैंग्वेज ट्रांसलेशन जैसे AI फीचर साउथ कोरियन टेक कंपनी सैमसंग ने गैलेक्सी स्मार्ट रिंग लॉन्च कर दी है। स्किन टेम्परेचर सेंसर और हार्ट रेट सेंसर से लैस ये रिंग IP68 वाटर रेजिस्टेंस के साथ आती है। कंपनी ने इसकी कीमत 399.99 अमेरिकी डॉलर (लगभग 33403 रुपए) रखी है। बुधवार को फ्रांस के पेरिस में हुए गैलेक्सी अनपैक्ड इवेंट 2024 में कंपनी ने सैमसंग गैलेक्सी Z फोल्ड 6 और गैलेक्सी Z फ्लिप 6 स्मार्टफोन भी लॉन्च किए गए। दोनों स्मार्टफोन को नोट असिस्ट, चैट असिस्ट, रियल-टाइम लैंग्वेज ट्रांसलेशन, सर्कल टू सर्च जैसे कई एडवांस्ड AI फीचर के साथ पेश किया गया है। पूरी खबर पढ़ें...
इलॉन मस्क की कंपनी xAI का चैट बॉट ग्रोक एक बार फिर विवादों में हैं। इस बार ग्रोक ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) पर हिटलर की तारीफ में और यहूदी विरोधी बातें लिख दीं। इस पर X यूजर्स ने भारी नाराजगी जताई है।कई यूजर्स ने शिकायत की कि ग्रोक बार-बार यहूदी सरनेम को ऑनलाइन कट्टरपंथ से जोड़ रहा है। यूजर्स के मुताबिक ग्रोक ने यह भी लिखा कि मीडिया, फाइनेंस और पॉलिटिक्स में यहूदी लोगों की हिस्सेदारी उनकी आबादी से कहीं ज्यादा है, जबकि उनकी आबादी सिर्फ 2% है। चैट बॉट ने हिटलर की तारीफ की ग्रोक ने कई जवाबों में हिटलर को ऐतिहासिक उदाहरण बताते हुए यहूदियों के खिलाफ उसकी सोच की तारीफ कर दी, जिससे सोशल मीडिया पर गुस्सा और बढ़ गया। ग्रोक ने यह भी लिखा कि वह कई अनऑथेंटिक साइट्स से जानकारी लेता है, जो अक्सर नफरत फैलाने के लिए बदनाम हैं। कंपनी ने कहा AI को दोबारा ट्रेन करेंगे कंपनी ने सफाई दी कि जैसे ही उन्हें इन आपत्तिजनक पोस्ट्स की जानकारी मिली, तुरंत हटा दी गईं और अब AI को दोबारा ट्रेन किया जा रहा है ताकि आगे से ऐसी बातें न हों। xAI ने कहा कि वह अब ऐसे कंटेंट को पोस्ट होने से पहले ही रोकने के लिए नए कदम उठा रही है। ग्रोक पहले भी विवादों में रह चुका यह पहली बार नहीं है जब ग्रोक विवादों में आया है। इससे पहले मई में भी चैट बॉट ने नस्लीय और विवादित बातें लिख दी थीं। जिसके बाद यूजर्स नाराज हो गए थे। अब यूजर्स मस्क की फ्री स्पीच पॉलिसी और AI की मॉडरेशन पर सवाल उठ रहे हैं। फिलहाल, ग्रोक के पब्लिक पोस्ट्स रोक दिए गए हैं, लेकिन निजी चैट्स में यह अभी भी एक्टिव है। ये खबर भी पढ़ें भारत ने रॉयटर्स समेत 2,300-अकाउंट्स ब्लॉक करने को कहा:X का दावा- विरोध के बाद आदेश वापस लिया, सरकार ने कहा- कोई नया आदेश नहीं दिया माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) ने मंगलवार को दावा किया कि भारत सरकार ने 3 जुलाई को 2,300 से ज्यादा अकाउंट्स को ब्लॉक करने का आदेश दिया। इस आदेश में ग्लोबल न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के ऑफिशियल हैंडल भी शामिल थे। पूरी खबर पढ़ें...
डिलीवरी में देरी और गलत लोकेशन की समस्या खत्म होगी: मैप माय इंडिया ने DIGIPIN को अपने एप के साथ जोड़ा, लोकेशन के लिए 10 अंकों का कोड जनरेट करना होगा मैप माय इंडिया ने इंडिया पोस्ट के DIGIPIN को अपने Mappls एप के साथ जोड़ लिया है। इस नए फीचर से अब कोई भी व्यक्ति या बिजनेस अपने घर, दुकान या किसी भी जगह के लिए एक यूनिक 10 अंकों का अल्फान्यूमेरिक कोड बना सकता है। इसका मकसद हर नागरिक और बिजनेस के लिए एक यूनिवर्सल डिजिटल एड्रेस बनाना है। ये फीचर अब Mappls एप पर लाइव है और सभी यूजर्स के साथ-साथ डेवलपर्स भी इसे अपने प्लेटफॉर्म्स और सर्विसेज में इस्तेमाल कर सकते हैं। Mappls एप पूरी तरह भारत के अपने NavIC सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम पर बना है। यानी ये एक ऐसा डिजिटल जियोस्पेशियल स्टैक है, जो सैटेलाइट से लेकर मोबाइल तक पूरी तरह स्वदेशी है। इनोवेटिव डिजिटल एड्रेस सिस्टम है DIGIPIN DIGIPIN, यानी डिजिटल पोस्टल इंडेक्स नंबर, इंडिया पोस्ट का एक इनोवेटिव डिजिटल एड्रेस सिस्टम है। ये 10 अंकों का कोड किसी भी जगह को बेहद सटीक तरीके से पिनपॉइंट करता है। पुराने 6-अंकीय पिनकोड के मुकाबले DIGIPIN 4 मीटर x 4 मीटर के छोटे ग्रिड तक लोकेशन की जानकारी देता है। MapmyIndia के को-फाउंडर और CMD राकेश वर्मा ने इसे एक ऐतिहासिक कदम बताया है। उन्होंने कहा, इस इंटीग्रेशन से एक अरब से ज्यादा भारतीयों को उनके घर और बिजनेस के लिए एक डिजिटल पोस्टल एड्रेस मिलेगा। ये हर यूजर के लिए काम करता है, चाहे वो GPS इस्तेमाल कर रहा हो या नहीं। कैसे काम करता है DIGIPIN? किन-किन सेक्टर्स को फायदा? कैसे यूज करें? Mappls ऐप डाउनलोड करें, अपनी लोकेशन डालें या मैप पर पिन ड्रॉप करें। आपका DIGIPIN तुरंत जनरेट हो जाएगा। इसे आप डिलीवरी, सर्विस प्रोवाइडर्स या दोस्तों के साथ शेयर कर सकते हैं। अगर आप ग्रामीण इलाके में हैं, तो Mappls Pin नजदीकी लैंडमार्क के साथ आपकी लोकेशन को और सटीक बनाएगा।
माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) ने मंगलवार को दावा किया कि भारत सरकार ने 3 जुलाई को 2,300 से ज्यादा अकाउंट्स को ब्लॉक करने का आदेश दिया। इस आदेश में ग्लोबल न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के ऑफिशियल हैंडल भी शामिल थे। X की ग्लोबल गवर्नमेंट अफेयर्स टीम ने एक पोस्ट में कहा कि भारत सरकार ने इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट की धारा 69A के तहत इन सभी अकाउंट्स को ब्लॉक करने का आदेश दिया। मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इनफॉर्मेशन टेक्नॉलॉजी (MeitY) ने बिना कोई कारण बताए एक घंटे के भीतर आदेश का पालन करने और अकाउंट्स को अनिश्चितकाल तक ब्लॉक रखने को कहा। जनता के विरोध के बाद आदेश वापस लिया X के अनुसार, जनता के विरोध के बाद सरकार ने रविवार को रॉयटर्स (@Reuters और @ReutersWorld) के अकाउंट्स को अन-ब्लॉक करने का अनुरोध किया। ये अकाउंट्स रविवार को भारत में यूजर्स के लिए ब्लॉक किए गए थे, लेकिन बाद में उसी दिन बहाल कर दिए गए। X ने भारत में प्रेस सेंसरशिप पर चिंता जताते हुए कहा कि वह सभी कानूनी विकल्पों पर विचार कर रहा है। हालांकि, भारतीय कानून के तहत X को इन सरकारी आदेशों के खिलाफ कानूनी चुनौती देने में बाधाएं हैं। कंपनी ने प्रभावित यूजर्स से अदालतों के माध्यम से कानूनी उपाय तलाशने की अपील की है। मंत्रालय का जवाब: कोई नया आदेश नहीं दिया दूसरी ओर MeitY ने X के दावों को खारिज करते हुए कहा कि 3 जुलाई को कोई नया ब्लॉकिंग आदेश जारी नहीं किया गया। मंत्रालय ने दावा किया कि जैसे ही रॉयटर्स के अकाउंट्स ब्लॉक होने की जानकारी मिली, उसने 5 जुलाई से X के साथ लगातार संपर्क में रहकर अकाउंट्स को बहाल करने की मांग की। मंत्रालय का कहना है कि X ने तकनीकी कारणों का हवाला देकर देरी की और 6 जुलाई को रात 9 बजे के बाद ही रॉयटर्स और अन्य URLs को अनब्लॉक किया, जिसमें 21 घंटे से ज्यादा समय लगा। X ने सरकार के खिलाफ मुकदमा दायर किया X ने भारत सरकार के खिलाफ कर्नाटक हाईकोर्ट में मुकदमा दायर किया है, जिसमें इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 2000 के तहत जारी ब्लॉकिंग आदेशों को चुनौती दी गई है। कंपनी का कहना है कि इन आदेशों में पर्याप्त सुरक्षा उपायों की कमी है। मंगलवार को इस मामले की सुनवाई हुई है। X ने मार्च में दायर अपनी याचिका में संशोधन की मांग की है, जिसमें इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी रेगुलेशन के नियम 3(1)(d) को रद्द करने की मांग शामिल है। यह नियम सरकारी एजेंसियों को मध्यस्थों (जैसे X) को कंटेंट हटाने का आदेश देने की शक्ति देता है। X और सरकार के बीच पहले भी हो चुका है विवाद यह पहली बार नहीं है, जब X और भारत सरकार के बीच टकराव हुआ है। इस साल मई में X के ग्लोबल गवर्नमेंट अफेयर्स टीम का हैंडल भारत में ब्लॉक कर दिया गया था, जिसे एक दिन बाद अन-ब्लॉक किया गया। उस समय सरकार ने 8,000 अकाउंट्स को ब्लॉक करने का आदेश जारी किया था। कानूनी विवाद का आधार X की याचिका में कहा गया है कि धारा 79(3)(b) सरकार को मध्यस्थों को ब्लॉकिंग आदेश जारी करने का अधिकार नहीं देती। यह धारा मध्यस्थों को दी गई कानूनी छूट को हटाने की बात कहती है। अगर वे सरकार के टेकडाउन आदेशों का पालन नहीं करते। इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (आर्बिट्रेटर गाइडलाइंस और डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड) एक्ट-2021 के नियम 3(1)(d) के साथ मिलकर यह सरकार को कंटेंट हटाने का आदेश देने की अनुमति देता है।
ट्विटर के को-फाउंडर जैक डोर्सी ने एक नया मैसेजिंग एप 'बिटचैट' लॉन्च किया है। यह एप इंटरनेट कनेक्शन के बिना भी काम करता है। यानी यूजर इस एप के जरिए एक दूसरे को इंटरनेट के बिना मैसेज भेज सकेंगे। यह प्राइवेसी फोकस्ड मैसेजिंग एप पीयर-टू-पीयर टेक्निक पर बेस्ड है और इसके लिए किसी सेंट्रलाइज्ड सर्वर या फोन नेटवर्क की जरूरत नहीं होती है। फिलहाल, यह एप अभी सिर्फ आईफोन यूजर्स के लिए टेस्ट फ्लाइट प्लेटफॉर्म पर अवेलेबल है। ब्लूटूथ नेटवर्क पर काम करता है बिटचैट बिटचैट ब्लूटूथ लो एनर्जी (BLE) मेश नेटवर्क पर काम करता है। जिसमें स्मार्टफोन आपस में छोटे-छोटे क्लस्टर बनाते हैं और एक डिवाइस से दूसरी डिवाइस तक एन्क्रिप्टेड मैसेज भेजते हैं। ब्लूटूथ के जरिए काम करने के कारण इसे वाई-फाई या मोबाइल डेटा की जरूरत नहीं पड़ती। यह एप खास तौर पर उन जगहों पर यूजफुल है, जहां इंटरनेट कनेक्शन अवेलेबल नहीं है या जहां नेटवर्क बंद हो। ट्रेडिशनल मैसेजिंग एप्स जैसे व्हाट्सएप या टेलीग्राम के उलट, बिटचैट पूरी तरह से डिसेंट्रलाइज्ड है। इसके लिए यूजर्स को ईमेल या फोन नंबर से अकाउंट बनाने की जरूरत नहीं है। मैसेज केवल यूजर्स के डिवाइस पर स्टोर होते हैं और कुछ समय बाद अपने आप डिलीट हो जाते हैं। इससे यूजर्स की प्राइवेसी और सेंसरशिप से सुरक्षा तय होती है। बिटचैट की अवेलेबिलिटी बिटचैट अभी बीटा टेस्टिंग फेज में है और सिर्फ एपल के टेस्टफ्लाइट प्लेटफॉर्म पर अवेलेबल है। लॉन्च के तुरंत बाद इसने 10,000 टेस्टर्स की लिमिट को छू लिया। जैक डोर्सी ने एप का व्हाइटपेपर और बीटा इनविटेशन पब्लिकली शेयर किया है। बीटा फेज में डेवलपर्स बैटरी ऑप्टिमाइजेशन और रिले-स्टेबिलिटी पर ध्यान दे रहे हैं। फाइनल रिलीज में वाई-फाई प्रोटोकॉल को शामिल करने का प्लान है, ताकि पिक्चर्स और वीडियोज जैसे रिच-कंटेंट को भी शेयर किया जा सके। भविष्य में इसे और प्लेटफॉर्म्स के लिए अवेलेबल कराने का भी प्लान है।
सैमसंग का गैलेक्सी अनपैक्ट इवेंट कल (9 जुलाई) अमेरिका के ब्रुकलिन, न्यूयॉर्क में होगा। इसमें नेक्स्ट-जेन फोल्डेबल स्मार्टफोंस गैलेक्सी Z फोल्ड 7 और गैलेक्सी Z फ्लिप 7 पेश होंगे। इसके अलावा साउथ कोरियन टेक कंपनी गैलेक्सी Z फ्लिप 7 FE के साथ एक नया ट्राई-फोल्डेबल डिवाइस, स्मार्टवॉचेस और TWS ईयरफोंस जैसे अन्य प्रोडक्ट्स भी पेश कर सकती है। इवेंट स्थानीय समयानुसार सुबह 10 बजे (भारत में 7:30 बजे) शुरू होगा। इसे सैमसंग की ऑफिशियल वेबसाइट, सैमसंग न्यूजरूम और सैमसंग के यूट्यूब चैनल पर लाइव स्ट्रीम किया जाएगा। ₹1999 में प्री-बुकिंग शुरू, ₹5999 बेनिफिट्स मिलेंगे ब्रांड ने भारत में प्री-रिजर्वेशन विंडो खोल दी है। इसमें सैमसंग की वेबसाइट पर प्री-रिजर्वेशन पेज पर फोल्डेबल्स, स्मार्टवॉचेस और TWS ईयरबड्स के स्केच दिखाई दे रहे हैं। इन प्रोडक्ट्स को 1,999 रुपए की रिफंडेबल टोकन अमाउंट देकर प्री-रिजर्व कर सकते हैं। यह अमाउंट अपकमिंग गैलेक्सी डिवाइसेज को खरीदने पर उसकी कुल कीमत में एडजस्ट किया जाएगा। इसमें ग्राहकों को 5,999 रुपए तक के बेनिफिट्स (ई-स्टोर वाउचर के रूप में), एसेसरी कॉम्बो ऑफर्स और फास्ट डिलीवरी का फायदा मिलेगा। यह फायदा तभी मिलेगा, जब ग्राहक मुख्य प्रोडक्ट (जैसे गैलेक्सी Z फोल्ड 7 या गैलेक्सी Z फ्लिप 7) को कार्ट में जोड़ेंगे और चेकआउट के समय ई-स्टोर वाउचर को लागू करेंगे। बुकिंग सैमसंग वेबसाइट, सैमसंग स्टोर्स और देशभर के रिटेल आउटलेट्स से कर सकेंगे। सैमसंग गैलेक्सी Z फोल्ड 7 और फ्लिप 7: एक्सपेक्टेड स्पेसिफिकेशंस मीडियी रिपोर्ट्स की मानें तो सैमसंग गैलेक्सी Z फोल्ड 7 को अब तक का सबसे पतला और सबसे हल्का फोल्डेबल स्मार्टफोन होगा। वहीं, गैलेक्सी Z फ्लिप 7 के डिजाइन में ज्यादा बदलाव देखने को नहीं मिलेगा। सस्ता फ्लिप फोन गैलक्सी Z फ्लिप 7 SE भी लॉन्च होगा सैमसंग Z फ्लिप 7 का सस्ता ऑप्शन गैलक्सी Z फ्लिप 7 SE भी पेश कर सकती है। इसमें एग्जीनोस 2400e प्रोसेसर के साथ 8GB रैम दी जा सकती है। इसमें बैक पैनल पर डुअल कैमरा सेटअप और फ्रंट में 10MP का लेंस मिल सकता है। फोन में 3700mAh की बैटरी और 25W फास्ट चार्जिंग मिल सकती है। कीमत की बात करें तो कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, गैलेक्सी Z फोल्ड 7 का 256GB वैरिएंट लगभग 2,22,000 रुपए में लॉन्च हो सकता है। वहीं, गैलेक्सी Z फ्लिप 7 की शुरुआती कीमत लगभग ₹1,43,000 हो सकती है। ये खबर भी पढ़ें... सैमसंग गैलेक्सी स्मार्ट रिंग लॉन्च, ये हार्ट रेट बताएगी: Z फोल्ड6 और Z फ्लिप6 स्मार्टफोन भी पेश किए, इनमें रियल-टाइम लैंग्वेज ट्रांसलेशन जैसे AI फीचर साउथ कोरियन टेक कंपनी सैमसंग ने गैलेक्सी स्मार्ट रिंग लॉन्च कर दी है। स्किन टेम्परेचर सेंसर और हार्ट रेट सेंसर से लैस ये रिंग IP68 वाटर रेजिस्टेंस के साथ आती है। कंपनी ने इसकी कीमत 399.99 अमेरिकी डॉलर (लगभग 33403 रुपए) रखी है। बुधवार को फ्रांस के पेरिस में हुए गैलेक्सी अनपैक्ड इवेंट 2024 में कंपनी ने सैमसंग गैलेक्सी Z फोल्ड 6 और गैलेक्सी Z फ्लिप 6 स्मार्टफोन भी लॉन्च किए गए। दोनों स्मार्टफोन को नोट असिस्ट, चैट असिस्ट, रियल-टाइम लैंग्वेज ट्रांसलेशन, सर्कल टू सर्च जैसे कई एडवांस्ड AI फीचर के साथ पेश किया गया है। पूरी खबर पढ़ें...
टेक कंपनी वनप्लस आज (8 जुलाई) दो स्मार्टफोन वनप्लस नॉर्ड 5 और नॉर्ड CE 5 लॉन्च करने जा रही है। कंपनी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म और ऑफिशियल वेबसाइट पर पहले ही लॉन्च डेट अनाउंस कर दी है। कंपनी की ओर से जारी टीजर के मुताबिक, नॉर्ड CE 5 में मीडियाटेक डाइमेंसिटी 8350 प्रोसेसर और 7100mAh बैटरी मिलेगी। वहीं, नॉर्ड 5 में क्वालकॉम स्नैपड्रैगन (SoC) 8s जेन 3 प्रोसेसर, 7300mAh बैटरी और 50MP कैमरा मिलेगा। इसके अलावा कंपनी ने कोई मेजर जानकारी नहीं दी है। हालांकि कुछ लीक रिपोर्ट्स में दोनों स्मार्टफोन के सभी स्पेसिफिकेशन सामने आ चुके हैं। यहां जानते हैं दोनों स्मार्टफोन्स के एक्सपेक्टेड स्पेसिफिकेशन... वनप्लस नॉर्ड 5: एक्सपेक्टेड स्पेसिफिकेशन हल्की बारिश में भीगने पर भी नहीं होगा खराब वनप्लस नॉर्ड 5 स्मार्टफोन में IP65 रेटिंग दी गई है। इस रेटिंग का मतलब है कि आपका फोन स्प्लैश और हल्की बारिश के लिए फीट है। स्मार्टफोन की कीमत कितनी हो सकती है? स्मार्टफोन दो स्टोरेज ऑप्शन में आ सकता है। इसमें 8GB+128GB वाले वैरिएंटट की कीमत ₹35,999 और 12GB+256GB वाले वैरिएंट की कीमत ₹39,999 रुपए हो सकती है। वहीं, वनप्लस नॉर्ड 5 की बात करें तो यह स्मार्टफोन सिंगल स्टोरेज 8GB+256GB में आएगा, जिसकी 29,990 रुपए हो सकती है।
ब्रिटिश मोरसाइकिल ब्रांड ट्रायम्फ ने भारतीय बाजार में मिडिलवेट रोडस्टर बाइक ट्रायम्फ ट्राइडेंट को लॉन्च कर दिया है। कंपनी ने बाइक एक्स-शोरूम कीमत 8.49 लाख रुपए रखी है। कंपनी ने बाइक को नए सेफ्टी फीचर्स के साथ अपडेट किया है। इसमें अब कॉर्नरिंग ABS के साथ ट्रेक्शन कंट्रोल, स्पोर्ट राइडिंग मोड और क्रूज कंट्रोल जैसे फीचर्स दिए गए हैं। इसके अलावा, माय कनेक्टिविटी एप भी लॉन्च किया गया है।
टेक कंपनी ऑनर ने भारतीय बाजार में नया स्मार्टफोन X9C लॉन्च कर दिया है। फोन 108 मेगापिक्सल AI कैमरा और 6000mAh बैटरी से लैस है। मोबाइल की सबसे बढ़ी खासियत इसका टाइटेनियम डिजाइन है। फोन में कंपनी ने अल्ट्रा-बाउंस एंटी-ड्रॉप टेक्नोलॉजी 2.0 का इस्तेमाल किया है जो इसे ड्रॉप रेजिस्टेंट बनाती है। कंपनी का दावा है कि 2 मीटर की ऊंचाई से नीचे गिरने पर भी फोन को कुछ नहीं होगा। वहीं, फोन -30 सेल्सियस की ठंड और 55 सेल्सियस की गर्मी में भी बिना परेशानी काम करेगा। इसकी मोटाई सिर्फ 7.98mm है और वजन 189ग्राम है। 360 वॉटर प्रोटेक्शन मिलेगी कंपनी के मुताबिक, स्टील वूल फ्रिक्शन के कारण इसके बैक पैनल पर स्क्रैच लगने पर भी यह शाइन करेगा। फोन को IP65M रेटिंग दी गई है, जिसमें 'M' का मतलब फोन 360 वॉटर प्रोटेक्शन वाला है। यानी किसी भी दिशा से पानी आए, इसके अंदर नहीं घुसेगा। ऑनर X9C की कीमत 21,999 रुपए फोन को 8GB रैम और 256GB स्टोरेज के सिंगल वैरिएंट में पेश किया गया है। इसकी कीमत 21,999 रुपए रखी गई है। कंपनी लॉन्च ऑफर में 2000 रुपए का डिस्काउंट देगी। वहीं, 1099 रुपए में 1 साल की एक्सटेंडेड वारंटी ली जा सकती है। इसकी सेल 12 जुलाई से होगी। फोन टाइटेनियम ब्लैक और जेड सियान कलर में अवेलेबल है। ऑनर X9C: स्पेसिफिकेशन्स डिस्प्ले: ऑनर X9C स्मार्टफोन 2700x1224 पिक्सल रेजोल्यूशन वाली 6.78-इंच की 1.5K डिस्प्ले दी गई है। यह कर्व्ड स्क्रीन OLED पैनल पर बनी है, जो 120 हर्ट्ज रिफ्रेश रेट से काम करती है। इसकी पीक ब्राइटनेस 4000निट्स है। परफॉर्मेंस: परफॉर्मेंस के लिए मोबाइल में 4नैनोमीटर फेब्रिकेशन्स पर बना क्वालकॉम स्नैपड्रैगन 6 जेन 1 ऑक्टा-कोर प्रोसेसर दिया गया है, जो 1.8गीगाहर्ट्ज से लेकर 2.2गीगाहर्ट्ज तक की क्लॉक स्पीड पर रन करता है। ग्राफिक्स के लिए इसमें एड्रेनो A710 GPU सपोर्ट मिलता है। फोन एंडरॉयड 14 पर बेस्ड मैजिक OS 8.0 पर काम करता है। कैमरा: फोटोग्राफी के लिए मोबाइल के बैक पैनल पर LED फ्लैश के साथ डुअल कैमरा सेटअप दिया गया है। इसमें 108 मेगापिक्सल का मेन OIS + EIS सेंसर और 5 मेगापिक्सल वाइड एंगल लेंस शामिल है। वहीं, सेल्फी और वीडियो कॉलिंग के लिए 16 मेगापिक्सल फ्रंट कैमरा मिलता है। बैटरी: पावर बैकअप के लिए फोन में 6600mAh बैटरी दी गई है। कंपनी का दावा है कि फोन में फुल चार्ज पर लगातार 25.8 घंटे तक ऑनलाइन वीडियो स्ट्रीम कर सकते हैं। वहीं, मोबाइल को चार्ज करने के लिए 66वॉट फास्ट चार्जिंग का सपोर्ट दिया गया है। अन्य फीचर्स: ऑनर X9C में 300% वॉल्यूम बूस्ट वाले स्टीरियो स्पीकर्स दिए गए हैं। कनेक्टिविटी के लिए फोन में वाईफाई 5, ब्लूटूथ 5.1 जैसे फीचर्स मिलते हैं। फोन में डायनामिक डिमिंग डिस्प्ले का यूज किया गया है, जो आंखों को नुकसान से बचाती है। इसमें AI सुपर पावर-सेविंग मोड भी मिलता है, जो लो बैटरी में भी लंबा बैकअप देता है।
टेक कंपनी वीवो अगले हफ्ते 14 जुलाई को दो प्रीमियम स्मार्टफोन- वीवो X फोल्ड 5 और वीवो X 200 FE लॉन्च करने जा रही है। लॉन्चिंग की जानकारी कंपनी ने वेबसाइट और सोशल मीडिया हैंडल X पर दी है। दोनों स्मार्टफोन्स चीन में पहले ही लॉन्च हो चुके हैं। हालांकि, वीवो दोनों स्मार्टफोन्स को भारत में लॉन्च करने के लिए कुछ बदलाव करेगी। यहां स्मार्टफोन के एक्सपेक्टेड फीचर्स और स्पेसिफिकेशन की जानकारी दे रहे हैं... वीवो X200 FE: एक्सपेक्टेड स्पेसिफिकेशन वीवो X फोल्ड 5 : एक्सपेक्टेड स्पेसिफिकेशन
टेक कंपनी वनप्लस कल यानी 8 जुलाई को दो स्मार्टफोन वनप्लस नॉर्ड 5 और नॉर्ड CE 5 लॉन्च करने जा रही है। कंपनी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म और ऑफिशियल वेबसाइट पर पहले ही लॉन्च डेट अनाउंस कर दी है। कंपनी की ओर से जारी टीजर के मुताबिक, नॉर्ड CE 5 में मीडियाटेक डाइमेंसिटी 8350 प्रोसेसर और 7100mAh बैटरी मिलेगी। वहीं, नॉर्ड 5 में क्वालकॉम स्नैपड्रैगन 8s जेन 3 प्रोसेसर, 7300mAh बैटरी और 50MP कैमरा मिलेगा। इसके अलावा कंपनी ने कोई मेजर जानकारी नहीं दी है। हालांकि कुछ लीक रिपोर्ट्स में दोनों स्मार्टफोन के सभी स्पेसिफिकेशन सामने आ चुके हैं। यहां जानते हैं दोनों स्मार्टफोन्स के एक्सपेक्टेड स्पेसिफिकेशन... वनप्लस नॉर्ड 5: एक्सपेक्टेड स्पेसिफिकेशन हल्की बारिश में भीगने पर भी नहीं होगा खराब वनप्लस नॉर्ड 5 स्मार्टफोन में IP65 रेटिंग दी गई है। इस रेटिंग का मतलब है कि आपका फोन स्प्लैश और हल्की बारिश के लिए फीट है। स्मार्टफोन की कीमत कितनी हो सकती है? स्मार्टफोन दो स्टोरेज ऑप्शन में आ सकता है। इसमें 8GB+128GB वाले वैरिएंटट की कीमत ₹35,999 और 12GB+256GB वाले वैरिएंट की कीमत ₹39,999 रुपए हो सकती है। वहीं, वनप्लस नॉर्ड 5 की बात करें तो यह स्मार्टफोन सिंगल स्टोरेज 8GB+256GB में आएगा, जिसकी 29,990 रुपए हो सकती है।
बजाज ऑटो की क्रूजर बाइक 2025 डोमिनर 250 और डोमिनर 400 भारत में लॉन्च हो गई हैं। दोनों बाइक्स में नए एमिशन नॉर्म्स के अनुसार अपडेटेड OBD-2B इंजन दिया गया है। इसके अलावा इनमें अब पल्सर RS200 और पल्सर NS200 से इन्सपायर्ड नया LCD कंसोल दिया गया है, जो टर्न-बाय-टर्न नेविगेशन और कॉल/SMS अलर्ट के साथ स्मार्टफोन कनेक्टिविटी सपोर्ट करता है। नए फीचर्स के साथ अपडेटेड बजाज डोमिनर 250 पहले से 5158 रुपए महंगी हो गई है। उसकी कीमत 1,91,654 रुपए रखी गई है। वहीं, 2025 बजाज डोमिनर 400 की एक्स-शोरूम कीमत 2,38,682 है, जो मौजूदा मॉडल से 6,026 रुपए ज्यादा है। दोनों क्रूजर बाइक्स कंपनी के डीलरशिप पर अवेलेबल हैं। डोमिनर 250 का भारत में कीवे के-लाइन 250वी से मुकाबला रहेगा। वहीं, डोमिनर 400 रॉयल एनफील्ड की मीटियोर 350 को टक्कर देगी। डोमिनर 250 और डोमिनर 400 में नया क्या? दोनों बाइक में कलर LCD डिस्प्ले के अलावा और नया स्विचगियर लगा दिया गया है, जो पल्सर NS400Z से लिया गया है। इसके अलावा, इंस्ट्रूमेंट क्लस्टर के ऊपर एक छोटा सा विजर भी जोड़ा गया है, जो चमक से बचाने में मदद करता है। बाकी अपडेट्स में नया हैंडल बार भी शामिल है, जो लंबी दूरी पर आराम देता है और एक नया कैरियर भी आया है, जिसमें GPS माउंट लगा है। बजाज ने स्विचगियर को भी अपग्रेड किया है, जो अब ज्यादा प्रीमियम फील होता है। डोमिनर 400 में अब राइड-बाय-वायर सिस्टम जोड़ा गया है। इससे 4 राइडिंग मोड्स- रोड, रेन, स्पोर्ट और ऑफ-रोड-आ गए हैं। ये मोड थ्रॉटल रिस्पॉन्स और ABS को कंट्रोल करते हैं। वहीं, डोमिनर 250 में अभी भी मैकेनिकल थ्रॉटल है, लेकिन अब इसमें 4 ABS मोड्स- रोड, रेन, स्पोर्ट और ऑफ-रोड दिए गए हैं। बजाज डोमिनर 250 और डोमिनर 400 : डिजाइन और हार्डवेयर बजाज ने डोमिनर 250 और डोमिनर 400 की डिजाइन और हार्डवेयर में कोई बदलाव नहीं किया है। डोमिनर 250 तीन कलर- कैन्यन रेड, स्पार्कलिंग ब्लैक और सिट्रस रश में अवेलेबल है। वहीं, डोमिनर 400 में भी तीन कलर- कैन्यन रेड, ऑरोरा ग्रीन और चारकोल ब्लैक में अवेलेबल है। इसके साथ ही, दोनों बाइक में ऑल LED लाइटिंग सेटअप और USB चार्जिंग पोर्ट भी दिया गया है। डोमिनर 250 में पहले की तरह 37mm इनवर्टेड फॉर्क के साथ रियर में प्रीलोड एडजस्टेबल मोनोशॉक दिया गया है। ब्रेकिंग के लिए इसमें फ्रंट में 300mm और रियर में 230mm डिस्क ब्रेक सेटअप दिया गया है। वहीं, डोमिनर 400 में भी पहले की तरह 43mm USD टेलिस्कोपिक फॉर्क्स और रियरम में मल्टी-स्टेप एडजस्टेबल मोनोशॉक दिया गया है। ब्रेकिंग के लिए डोमिनर 400 के फ्रंट में 320mm और रियर में 230mm डिस्क ब्रेक सेटअप दिया गया है।
चीन की ओर से कीमती धातुओं (रेयर अर्थ मटेरियल) के एक्सपोर्ट पर पाबंदी लगाने का असर भारतीय EV मार्केट पर दिखने लगा है। देश में टॉप इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर कंपनियां बजाज ऑटो, एथर एनर्जी और TVS मोटर प्रोडक्शन घटाने जा रही हैं। ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 4 महीने से चीन से इंपोर्ट की जाने वाली रेयर अर्थ मैग्नेट की कमी से भारतीय कंपनियां जूझ रही हैं। ये मैग्नेट इलेक्ट्रिक मोटर्स के लिए बेहद जरूरी हैं और बिना इनके इलेक्ट्रिक व्हीकल बनाने में दिक्कत हो रही है। प्रोडक्शन घटने से इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर की कीमतें बढ़ सकती हैं। इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर बनाने वाली कंपनियां ये 4 कंपनियां भारत में बिकने वाले 80% इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर बनाती हैं। चीन के साथ बातचीत कर रही हैं केंद्र सरकार ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री और केंद्र सरकार चीन के साथ बातचीत कर रही हैं, ताकि मैग्नेट की आपूर्ति फिर से शुरू हो। इसके अलावा, वियतनाम, इंडोनेशिया और जापान जैसे देशों से भी सप्लाई के लिए बात चल रही है, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं मिला है। जून में भारतीय ऑटोमोबाइल निर्माता सोसाइटी (SIAM) ने चेतावनी दी थी कि अगर सप्लाई जल्द शुरू नहीं हुई, तो निर्माताओं को प्रोडक्शन कम करना पड़ सकता है। चीन की पाबंदियां बनी रहीं, तो महंगी होंगी ईवी अगर चीन की पाबंदियां बनी रहीं, तो ग्लोबल लेवल पर इलेक्ट्रिक व्हीकल बनाने वाली कंपनियों पर इसका असर देखने को मिलेगा। कच्चे माल की कीमतें बढ़ेंगी, जिससे गाड़ियों के दाम भी ऊपर जा सकते हैं। भारत सहित सभी बाजारों में भी इसका असर धीरे-धीरे दिखेगा। भारत में विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि चीन से इम्पोर्ट जल्द शुरू न हुआ तो इलेक्ट्रिक और ICE वाहनों के कारखानों का प्रोडक्शन रुक सकता है। भारत में मैन्युफैक्चरर्स के पास 6 से 8 हफ्तों की सप्लाई बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में EV ओरिजिनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चर्रस के पास 6 से 8 हफ्तों की REM सप्लाई बची है, वहीं CNBC-TV18 को टीवीएस मोटर के मैनेजिंग डायरेक्टर सुदर्शन वेणू ने बताया था कि चीन के प्रतिबंधों का असर जून या जुलाई के उत्पादन में देखने को मिल सकता है। अगर ऐसा होता है तो भारतीय EV उत्पादकों के लिए परेशानी खड़ी हो सकती है। गाड़ी में रेयर अर्थ मटेरियल्स का इस्तेमाल कहां होता है रेयर मटेरियल्स का इस्तेमाल खास तौर पर इलेक्ट्रिक गाड़ियों में किया जाता है। इनका उपयोग परमानेंट मैग्नेट इलेक्ट्रिक मोटर्स के लिए कॉम्पेक्ट और हाई परफॉर्मेंस मेग्नेट बनाने के लिए किया जाता है। नियोडिमियम, डिस्प्रोसियम और टेरबियम जैसे तत्वों से बने ये चुंबक, मोटरों को छोटे, हल्के और अन्य ऑप्शन की तुलना में ज्यादा एफिशिएंट बनाते हैं, जो ईवी की रेंज और परफॉर्मेंस को बेहतर बनाने के लिए जरूरी है। इनका इस्तेमाल ICE वाली गाड़ियों में लगने वाले केटेलिक कन्वर्टर्स जैसे ऑटो कंपोनेंट्स में भी किया जाता है। इसके अलावा ईवी और ICE दोनों तरह के व्हीकल में लगने वाले कई सिस्टम में सेंसर से लेकर डिस्प्ले तक में इन धातुओं का इस्तेमाल किया जाता है। रेयर मटेरियल्स की माइनिंग में चीन की करीब 70% हिस्सेदारी बता दें कि ग्लोबल लेवल पर रेयर मटेरियल्स की माइनिंग में चीन की हिस्सेदारी करीब 70% और प्रोडक्शन में करीब 90% तक है। चीन ने हाल ही में अमेरिका के साथ बढ़ती ट्रेड वॉर के बीच 7 कीमती धातुओं (रेयर अर्थ मटेरियल) के निर्यात पर रोक लगा दी थी। चीन ने कार, ड्रोन से लेकर रोबोट और मिसाइलों तक असेंबल करने के लिए जरूरी मैग्नेट यानी चुंबकों के शिपमेंट भी चीनी बंदरगाहों पर रोक दिए हैं। ये मटेरियल ऑटोमोबाइल, सेमीकंडक्टर और एयरोस्पेस बिजनेस के लिए बेहद अहम हैं। स्पेशल परमिट के जरिए ही होगा एक्सपोर्ट चीन ने 4 अप्रैल को इन 7 कीमती धातुओं के निर्यात पर रोक लगाने का आदेश जारी किया था। आदेश के मुताबिक ये कीमती धातुएं और उनसे बने खास चुंबक सिर्फ स्पेशल परमिट के साथ ही चीन से बाहर भेजे जा सकते हैं। कंपनियों को चीन से मैग्नेट मंगाने के लिए 'एंड-यूज सर्टिफिकेट' देना होगा। इसमें यह बताना पड़ेगा कि यह चुंबक सैन्य उद्देश्यों के लिए तो नहीं हैं।
चाइनीज टेक कंपनी आईक्यू ने भारतीय बाजार में कल अपने फ्लैगशिप स्मार्टफोन 'iQOO 13' का ग्रीन एडिशन लॉन्च कर रही है। ई-कॉमर्स वेबसाइट अमेजन पर इसका टीजर जारी किया गया है। स्मार्टफोन में स्नैपड्रैगन 8 Elite प्रोसेसर दिया गया है जो अपडेटेड फनटच ऑपरेटिंग सिस्टम 15 पर रन करता है। हालांकि फोन के स्पेसिफिकेशन में कोई बदलाव नहीं किया गया है। स्मार्टफोन के बैक पैनल पर ट्रिपल कैमरा सेटअप में 50 मेगापिक्सल का मेन कैमरा दिया गया है। स्मार्टफोन को दो स्टोरेज वैरिएंट में पेश किया जाएगा, जिसकी शुरुआती कीमत 54,999 रुपए होगी। iQOO 13 ग्रीन एडिशन : रैम स्टोरेज और प्राइस प्राइस अवेलेबिलिटी और ऑफर स्मार्टफोन 54,999 रुपए की शुरुआती कीमत पर लॉन्च होगा, हालांकि ऑफर के तहत इसमें 3000 रुपए की छूट मिल सकती है, जिसके बाद स्मार्टफोन की शुरूआती कीमत 51,999 रुपए हो जाएगी। अवेलेबिलिटी की बात करें तो स्मार्टफोन ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म अमेजन पर सेल होगा। iQOO 13 ग्रीन एडिशन: स्पेसिफिकेशन iQOO 13 ग्रीन एडिशन: स्पेसिफिकेशन
फरारी ने ग्लोबल मार्केट में नई स्पोर्ट्स कार अमाल्फी को लॉन्च कर दिया है। इटालियन कार मेकर ने इसे एंट्री-लेवल स्पोर्ट्स कार के रूप में फरारी रोमा की जगह उतारा है। इसकी शुरुआती कीमत 240,000 यूरो (करीब ₹2.4 करोड़) रखी गई है। ये कंपनी की अब तक की सबसे सस्ती ग्रैंड टूरर स्पोर्ट्स कार है। अमाल्फी की बुकिंग शुरू कर दी गई है। यूरोप में डिलीवरी 2026 की पहली तिमाही से शुरू होगी। अमेरिका में ये 3 से 6 महीने बाद पहुंचेगी। इसके बाद भारतीय बाजार में राइट-हैंड-ड्राइव वाले मॉडल्स उतारे जाएंगे। कंपनी का दवा है कि कार सिर्फ 3.3 सेकेंड में 0 से 100kmph की स्पीड से दौड़ सकती है। फरारी अमाल्फी का नाम इटली की अमाल्फी कोस्ट से इन्सपायर्ड है, जो दक्षिणी इटली में सालेर्नो की खाड़ी के पास एक खूबसूरत बीच है। ये एस्टन मार्टिन DB12, बेन्टले कॉन्टिनेंटल GT, मासेराटी ग्रेनटूरिज्मो और अपकमिंग एस्टन मार्टिन DB12 S को टक्कर देगी। एक्सटीरियर डिजाइन: स्मूद डोर हैंडल्स और 20 इंच के अलॉय व्हील्स फेरारी अमाल्फी के लुक्स की बात करें तो इसका एयरोडायनामिक डिजाइन स्पोर्टी और स्टाइल का कॉम्बो नजर आता है। कंपनी का कहना है कि ग्लासहाउस टॉप को छोड़कर कार की पूरी बॉडी बिल्कुल नई है। सबसे बड़ा बदलाव इसके फ्रंट में दिखता है, जहां रोमा की शार्क नोज और ग्रिल की जगह फरारी पुरोसांग्वे SUV जैसा डिजाइन दिया गया है। नए पतले हेडलाइट्स को एक ब्लैक बार से जोड़ा गया है। इसके नीचे की ओर न्यू डिजाइन लिप्स हैं। हेडलाइट्स के पास नए एयर डक्ट्स हैं, जो हवा के प्रेशर को कम करते हैं और टर्बोज को ज्यादा हवा भेजते हैं। अमाल्फी के साइड प्रोफाइल में स्मूथ कर्व्स और एयरोडायनामिक लाइन्स इसे स्पोर्टी वाइब्स देती हैं। यहां स्मूद डोर हैंडल्स और 20 इंच के अलॉय व्हील्स दिए गए हैं। रियर में एक नया एक्टिव स्पॉइलर है, जो हवा को बेहतर तरीके से मैनेज करता है और 250kmph मील प्रति घंटे की स्पीड पर 110kg का डाउनफोर्स जनरेट करता है। यह रोमा से 110 किलो ज्यादा है। यानी, तेज रफ्तार में भी गाड़ी रोड पर मजबूती से टिकी रहेगी। पीछे की तरफ टेललाइट्स में हल्का बदलाव और डिफ्यूजर पर नंबर प्लेट की जगह को थोड़ा शिफ्ट किया गया है। कार में 35 कलर ऑप्शन मिलते हैं। इनमें 8 स्टैंडर्ड, 6 हिस्टोरिकल, 14 क्लासिक, 6 स्पेशल और 1 मैट कलर शामिल हैं। इंटीरियर: प्रीमियम लेदर अप्होल्स्ट्री और डैशबोर्ड पर तीन टच स्क्रीन फरारी अमाल्फी का केबिन रोमा की तरह ही है, लेकिन ये थोड़ा अपग्रेडेड है। इंटीरियर में प्रीमियम लेदर, कार्बन फाइबर और मॉडर्न टचस्क्रीन डिस्प्ले का कॉम्बिनेशन है, जो इसे लग्जरी और स्पोर्ट्स कार का परफेक्ट कॉम्बो बनाता है। सबसे खास बात, स्टीयरिंग पर रोमा के टच स्विच की जगह फिजिकल बटन्स आए हैं, जिसमें रेड स्टार्ट/स्टॉप बटन भी शामिल है। पीछे की दो सीट्स भी पहले जैसी हैं। कार में सॉलिड एल्यूमिनियम से बना एक फ्लोटिंग सेंट्रल कंसोल है, जिसमें गियर सिलेक्टर, चाबी का स्लॉट, वायरलेस चार्जिंग पैड और कुछ छोटे कंट्रोल्स दिए गए हैं। डैशबोर्ड पर डिजिटल स्क्रीन अब 8.4-इंच की जगह 10.25-इंच की है, जो वायरलेस एपल कारप्ले और एंड्रॉएड ऑटो सपोर्ट करती है। 8.8-इंच पैसेंजर स्क्रीन वही है, लेकिन ड्राइवर डिस्प्ले 15.6 इंच से 15.2 इंच का हो गया है। परफॉर्मेंस: ट्विन-टर्बो V8 इंजन के साथ 320kmph की टॉप स्पीड फरारी अमाल्फी में परफॉर्मेंस के लिए रोमा वाला 3.9-लीटर का ट्विन-टर्बो V8 इंजन दिया गया है, जो 640hp की पावर (रोमा से 20hp ज्यादा) और 760Nm का टॉर्क जनरेट करता है। वहीं ट्रांसमिशन के लिए इंजन को 8-स्पीड डुअल-क्लच गियरबॉक्स के साथ ट्यून किया गया है। 1.3 किलो हल्का कैमशाफ्ट डालकर इंजन की रफ्तार (खासकर ऊंचे गियर्स में) बढ़ाई गई है। साथ में नया ECU भी लगाया है, जो परफॉर्मेंस को बूस्ट करता है। इससे कार सिर्फ 3.3 सेकेंड में 0-100kmph और 9 सेकेंड में 0-200kmph की रफ्तार पकड़ सकती है। इसकी टॉप स्पीड 320kmph की है। वहीं, ब्रेकिंग की बात करें तो कार 100kmph की स्पीड पर ब्रैक लगाने पर 30.8 मीटर में डिस्टेंस में रुकेगी। वहीं, 200kmph की स्पीड में ब्रेकिंग पर 119.5 मीटर दूर रुकेगी।
चाइनीज टेक कंपनी ओप्पो आज (गुरुवार, 3 जुलाई) ओप्पो रेनो 14 सीरीज लॉन्च करने जा रही है। इस सीरीज में दो स्मार्टफोन रेनो 14 और रेनो 14 प्रो लॉन्च होंगे। कंपनी ने अपनी वेबसाइट और X हैंडल पर डिवाइसेज के लॉन्चिंग की जानकारी दी है। टीजर में दोनों स्मार्टफोन के बैक पैनल पर ट्रिपल कैमरा सेटअप दिख रहा है। इसके अलावा कंपनी ने स्मार्टफोन के बारे में कोई जानकारी नहीं दी है। हालांकि स्मार्टफोन चीनी मार्केट में पहले ही लॉन्च हो चुके हैं। उसी के आधार पर हम स्मार्टफोन के स्पेसिफिकेशन की जानकारी दे रहे हैं। ओप्पो रेनो 14 सीरीज: प्राइस और स्टोरेज स्मार्टफोन में स्टोरेज 12GB और 16GB रैम के साथ 256GB, 512GB और 1TB तक का स्टोरेज मिल सकता है। ओप्पो रेनो 14 की शुरुआती कीमत 39,999 रुपए और ओप्पो रेनो 14 प्रो की शुरुआती कीमत 53,999 रुपए हो सकती है। डिस्प्ले, प्रोसेसर और ऑपरेटिंग सिस्टम स्मार्टफोन में 120Hz रिफ्रेश रेट के साथ 6.59 इंच का फुल HD+ एमोलेड डिस्प्ले मिलेगा। वहीं, परफॉर्मेंस के लिए मीडियाटेक डाइमेंसिटी 8450 चिपसेट मिलेगा, जो ऑक्सीजन OS15 पर रन करता है। स्मार्टफोन में वाटर और डस्ट रेजिस्टेंस के लिए IP66, IP68 और IP69 रेटिंग मिली है। ---------------------------- कंपनी ने जनवरी में ओप्पो रेनो 13 सीरीज लॉन्च किया था ... उसके भी स्पेसिफिकेशन
अगर आपके पास खुद की बाइक या स्कूटर है, तो आप भी कैब सर्विस प्लेटफॉर्म्स पर रजिस्टर करके कमाई शुरू कर सकते हैं। और अगर आप सवारी करते हैं, तो सस्ती और फास्ट बाइक टैक्सी सर्विस का ऑप्शन आपके लिए तैयार है। केंद्र सरकार ने प्राइवेट (नॉन-ट्रांसपोर्ट, वाइट नंबर प्लेट) मोटरसाइकिल्स को राइड-शेयरिंग और बाइक टैक्सी सर्विसेज के लिए इस्तेमाल करने की परमिशन दे दी है। रोड ट्रांसपोर्ट मंत्रालय (MoRTH) ने अपनी एनुअल रिपोर्ट मोटर व्हीकल एग्रीगेटर गाइडलाइन्स (MVAG) 2025 में इसकी जानकारी दी है। ये सर्विस रैपिडो, उबर और ओला जैसे एग्रीगेटर प्लेटफॉर्म्स के जरिए चलेंगी, लेकिन इन प्लेटफॉर्म्स को राज्य सरकारों से मंजूरी लेनी होगी। 2020 के बाद से भारत में बाइक-शेयरिंग, इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EV) और ऑटो-रिक्शा राइड्स की डिमांड तेजी से बढ़ने के कारण ये फैसला लिया गया है। क्या है नई गाइडलाइन्स? ये खबर भी पढ़ें... ओला-उबर पीक ऑवर्स में दोगुना किराया वसूल सकेंगी: ड्राइवर ने राइड कैंसिल की तो 10% जुर्माना, सरकार बोली- 3 महीने में लागू करें नए नियम ओला, उबर, रैपिडो अब पीक आवर्स में दोगुना तक किराया वसूल सकती हैं। केंद्र सरकार ने गाइडलाइंस जारी करके एप बेस्ड टैक्सी सर्विसेस को ऐसा करने की मंजूरी दी है। सरकार ने 3 महीने में (सितंबर तक) नए नियम लागू करने को कहा है। पूरी खबर पढ़ें...
पाकिस्तानी सेलेब्स और न्यूज चैनल्स के सोशल मीडिया अकाउंट भारत में एक्टिव हो गए हैं। पाकिस्तानी क्रिकेटर शोएब अख्तर, शाहिद अफ्रीदी, बासित अली, राशिद लतीफ के यू-ट्यूब चैनल्स समेत ARY डिजिटल, हम टीवी और हर पल जियो के अकाउंट फिर से देखे जाने लगे हैं। भारत सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर के वक्त इन पर बैन लगाया था। सरकार की ओर से बैन हटाने की ऑफिशियल जानकारी अभी नहीं दी गई है। ये अकाउंट कैसे एक्टिव हुए हैं, इसकी जानकारी नहीं है। 16 पाकिस्तानी यूट्यूब चैनल्स ब्लॉक किए गए थे केंद्र सरकार ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद कई अकाउंट्स ब्लॉक कर दिए थे। 27 अप्रैल को केंद्र सरकार ने भारतीय सेना और सुरक्षा एजेंसियों के खिलाफ भड़काऊ कंटेंट, झूठे बयान और गलत सूचना फैलाने के आरोप में 16 पाकिस्तानी यूट्यूब चैनल्स ब्लॉक कर दिए थे, जिनके कुल मिलाकर लगभग 63.08 मिलियन सब्सक्राइबर हैं। भारत में बैन किए यू-ट्यूब चैनल्स की लिस्ट पाकिस्तानी एक्टर्स के इंस्टाग्राम अकाउंट्स भी अनब्लॉक मंगलवार (2 जुलाई) को बॉलीवुड फिल्म सनम तेरी कसम में नजर आ चुकीं पाकिस्तानी एक्ट्रेस मावरा होकैन का इंस्टाग्राम अब भारत में एक्टिव दिख रहा है। उनके अलावा, युमना जैदी, दानानीर मोबीन, अहद रजा मीर, अजान सामी खान, अमीर गिलानी और दानिश तैमूर जैसे पाकिस्तानी फिल्म और टीवी कलाकारों के इंस्टाग्राम अकाउंट्स अनब्लॉक हो गए हैं। पाकिस्तान के इन टॉप सेलेब्स के अकाउंट भी भी रिस्ट्रिक्ट दिलजीत दोसांझ के साथ फिल्म सरदार जी 3 में नजर आईं एक्ट्रेस हानिया आमिर का इंस्टाग्राम अकाउंट भारत में रिस्ट्रिक्ट है। अकाउंट खोलने पर लिखा मिलेगा, अकाउंट भारत में मौजूद नहीं है। इन कंटेंट को लीगल रिक्वेस्ट के चलते रिस्ट्रिक्ट किया जा रहा है। हानिया के अलावा फवाद खान, माहिरा खान, अली जफर और आतिफ असलम के अकाउंट भी उपलब्ध नहीं हैं। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमला जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को टूरिस्टों को निशाना बनाकर किए गए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत हो गई थी। पीड़ितों को क्षेत्र की एक फेमस बैसरन घाटी में गोली मार दी गई थी। यह हमला 2019 के पुलवामा हमले के बाद से क्षेत्र में सबसे घातक हमलों में से एक था। 2023 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने पाक कलाकारों से बैन हटाया था साल 2016 में हुए उरी अटैक के बाद सभी पाकिस्तानी कलाकारों के भारत में काम करने पर बैन लगा दिया गया था। यही वजह रही कि माहिरा खान, फवाद खान जैसे कलाकारों को भारत की कई फिल्में छोड़नी पड़ी थीं। साल 2023 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने पाकिस्तानी कलाकारों पर बैन लगाए जाने की याचिका खारिज करते हुए कहा कि कलाकारों को पॉलिटिकल टेंशन के चलते सजा नहीं दी जा सकती। ये खबर भी पढ़ें... 8000 से ज्यादा X अकाउंट ब्लॉक करने का आदेश:भारत के खिलाफ फर्जी खबरें फैलाने का आरोप, इनमें इंटरनेशनल न्यूज ऑर्गनाइजेशन भी शामिल पाकिस्तान से तनाव के बीच भारत सरकार ने फेक न्यूज फैलाने वाले 8000 X अकाउंट बंद करने के आदेश दिए हैं। इनमें इंटरनेशनल न्यूज ऑर्गनाइजेशन के अकाउंट भी शामिल हैं। X ने यह दावा अपने ग्लोबल गवर्नेंस अफेयर्स अकाउंट के जरिए किया है। प्लेटफॉर्म ने कहा कि हम इससे सहमत नहीं हैं, ये पोस्ट और अकाउंट सिर्फ भारत में नहीं दिखेंगे। पूरी खबर पढ़ें...
चाइनीज टेक कंपनी ओप्पो कल यानी गुरुवार, 3 जुलाई को ओप्पो रेनो 14 सीरीज लॉन्च करने जा रही है। इस सीरीज में दो स्मार्टफोन रेनो 14 और रेनो 14 प्रो लॉन्च होंगे। कंपनी ने अपनी वेबसाइट और X हैंडल पर डिवाइसेज के लॉन्चिंग की जानकारी दी है। टीजर में दोनों स्मार्टफोन के बैक पैनल पर ट्रिपल कैमरा सेटअप दिख रहा है। इसके अलावा कंपनी ने स्मार्टफोन के बारे में कोई जानकारी नहीं दी है। हालांकि स्मार्टफोन चीनी मार्केट में पहले ही लॉन्च हो चुके हैं। उसी के आधार पर हम स्मार्टफोन के स्पेसिफिकेशन की जानकारी दे रहे हैं। ओप्पो रेनो 14 सीरीज: प्राइस और स्टोरेज स्मार्टफोन में स्टोरेज 12GB और 16GB रैम के साथ 256GB, 512GB और 1TB तक का स्टोरेज मिल सकता है। ओप्पो रेनो 14 की शुरुआती कीमत 39,999 रुपए और ओप्पो रेनो 14 प्रो की शुरुआती कीमत 53,999 रुपए हो सकती है। डिस्प्ले, प्रोसेसर और ऑपरेटिंग सिस्टम स्मार्टफोन में 120Hz रिफ्रेश रेट के साथ 6.59 इंच का फुल HD+ एमोलेड डिस्प्ले मिलेगा। वहीं, परफॉर्मेंस के लिए मीडियाटेक डाइमेंसिटी 8450 चिपसेट मिलेगा, जो ऑक्सीजन OS15 पर रन करता है। स्मार्टफोन में वाटर और डस्ट रेजिस्टेंस के लिए IP66, IP68 और IP69 रेटिंग मिली है। ---------------------------- कंपनी ने जनवरी में ओप्पो रेनो 13 सीरीज लॉन्च किया था ... उसके भी स्पेसिफिकेशन
हीरो मोटोकॉर्प की इलेक्ट्रिक मोबिलिटी ब्रांड विडा ने अपने पॉपुलर इलेक्ट्रिक स्कूटर का सस्ता वैरिएंट भारत में लॉन्च कर दिया है। कंपनी ने इसका नाम विडा VX2 रखा है, लेकिन इसे ई-वूटर (evooter) कह रही है और ये फुल चार्ज पर 142 किलोमीटर चलेगी। कंपनी ने इलेक्ट्रिक स्कूटर को बैटरी रेंटल प्रोग्राम 'बैटरी एज ए सर्विस' (BAAS) के साथ दो वैरिएंट में पेश किया है। विडा VX2 की शुरुआती एक्स-शोरूम कीमत 99,490 रुपए है। वहीं, BAAS प्रोग्राम के साथ इसकी शुरुआती कीमत ₹59,490 है, लेकिन इसमें बैटरी की कीमत शामिल नहीं है। हीरो विडा VX2: वैरिएंट वाइस प्राइस बैटरी का परफॉर्मेंस 70% कम होने पर फ्री में बदलेगी कंपनीहीरो का कहना है कि VX2 को बैटरी रेंटल प्रोग्राम के साथ खरीदने पर आपको 96 पैसे/किलोमीटर चार्ज देना होगा। इसमें बैटरी का परफॉर्मेंस 70% कम हो जाता है तो, कंपनी इसे फ्री में बदलकर देगी। ये ई-स्कूटर TVS आईक्यूब, बजाज चेतक, ओला S1 और एथर रिज्टा को टक्कर देगा। इसकी डिलीवरी जल्द शुरू होने की उम्मीद है।
टीवीएस मोटर ने आज (1 जुलाई) अपने पॉपुलर इलेक्ट्रिक स्कूटर का नया वैरिएंट आईक्यूब 3.1 भारतीय बाजार में लॉन्च कर दिया है। ये नया वैरिएंट 3.1kWh की बैटरी पैक के साथ पेश किया गया है और इसकी एक्स-शोरूम कीमत 1.05 लाख रुपए रखी गई है। कंपनी का दावा है कि इलेक्ट्रिक स्कूटर फुल चार्ज करने पर 121 किलोमीटर (IDC रेंज) चलेगा। इसके साथ यह स्कूटर अब 4 बैटरी पैक ऑप्शन- 2.2kWh, 3.1kWh, 3.5kWh और 5.3kWh के साथ 6 वैरिएंट में अवेलेबल है। भारत में इसका मुकाबला बजाज चेतक और ओला S1 से है।
भारतीय रेलवे ने नया सुपर एप 'रेलवन' लॉन्च किया। यह एप सभी पैसेंजर सर्विसेज को एक ही प्लेटफॉर्म पर सारी सुविधा देने के उद्देश्य से लाया गया है। IRCTC रिजर्व्ड, अनरिजर्व्ड और प्लेटफॉर्म टिकट बुक करना, PNR और ट्रेन स्टेटस, कोच पोजीशन, रेल मदद और ट्रैवल फीडबैक को ट्रैक करना इस तरह की सारी सुविधा इस एप में मिलेंगी। क्या है 'रेलवन' एप? भारतीय रेल ट्रैवलर कई सर्विसेज के लिए कई एप और वेबसाइट का यूज करते हैं। इनमें टिकट बुकिंग के लिए IRCTC रेल कनेक्ट, फूड ऑर्डर करने के लिए IRCTC ई-कैटरिंग फूड ऑन ट्रैक, फीडबैक देने के लिए रेल मदद, अनरिजवर्ड टिकट खरीदने के लिए UTS और ट्रेनों की आवाजाही की निगरानी के लिए नेशनल ट्रेन इंक्वायरी सिस्टम शामिल हैं। IRCTC रेल कनेक्ट के पास रिजवर्ड टिकट बुकिंग के लिए विशेष अधिकार हैं। रेल कनेक्ट ने 100 मिलियन डाउनलोड को पार कर लिया है, जिससे यह रेलवे का सबसे पॉपुलर एप्लीकेशन बन गया है। बाहरी ट्रैवल बुकिंग प्लेटफॉर्म ट्रेन बुकिंग के लिए IRCTC पर निर्भर करते हैं, जो ऑनलाइन रेलवे रिजर्वेशन में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है। ये खबर भी पढ़ें... ट्रेन निकलने से 8 घंटे पहले कन्फर्म होगा टिकट: अभी 4 घंटे पहले चार्ट बनने पर पता चलता है; रेलवे देशभर में लागू करेगा नियम अब ट्रेनों का रिजर्वेशन चार्ट ट्रेन निकलने से 8 घंटे पहले तैयार किया जाएगा। अभी तक यह चार्ट सिर्फ 4 घंटे पहले बनता था। इससे यात्रियों को टिकट कन्फर्म नहीं होने पर वैकल्पिक यात्रा या दूसरा टिकट बुक करने के लिए ज्यादा वक्त मिलेगा। ये फैसला हाल ही में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव की अध्यक्षता में हुई समीक्षा बैठक के बाद लिया गया है। रेलवे बोर्ड जल्द ही इन बदलावों को फेज वाइज लागू करेगा। पूरी खबर पढ़ें...
इलॉन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स कुछ ही दिनों में स्टारलिंक सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस शुरू करने वाली है। स्पेस रेगुलेटर इंडियन नेशनल स्पेस प्रमोशन एंड ऑथराइजेशन सेंटर यानी, IN-SPACe के चेयरमैन डॉ. पवन गोयनका ने कहा है कि स्टारलिंक को लेकर ज्यादातर रेगुलेटरी और लाइसेंसिंग की औपचारिकताएं पूरी हो चुकी हैं। डॉ. गोयनका के मुताबिक, अब सिर्फ कुछ अंतिम मंजूरियां बाकी हैं, जो अगले कुछ दिनों में मिल जाएंगी। हाल ही में स्पेसएक्स की प्रेसिडेंट ग्विन शॉटवेल भारत आई थीं। उन्होंने डॉ. गोयनका से मुलाकात की थी। इस मीटिंग में स्टारलिंक की लॉन्चिंग से जुड़े बचे हुए मुद्दों पर बात हुई थी। हालांकि, डॉ. गोयनका ने यह भी साफ किया कि मंजूरी मिलने के बाद भी Starlink सर्विस को शुरू होने में कुछ महीने और लग सकते हैं। उन्होंने कहा ऑथराइजेशन के बाद भी कई टेक्निकल और प्रोसीजरल स्टेप्स पूरे करने होंगे। गोयनका ने सभी बातें NDTV को दिए इंटरव्यू में कहीं हैं। टेलीकॉम डिपार्टमेंट से मिल चुका लाइसेंस इससे पहले स्पेसएक्स को स्टारलिंक सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस भारत में ऑपरेट करने के लिए टेलीकॉम डिपार्टमेंट का लाइसेंस मिल चुका है। अब उसे सिर्फ IN-SPACe के अप्रूवल का इंतजार है। स्टारलिंक तीसरी कंपनी है जिसे भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस ऑपरेट करने का लाइसेंस मिला है। इससे पहले वनवेब और रिलायंस जियो को मंजूरी मिली थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक स्टारलिंक भारत में 840 रुपए में महीनेभर अनलिमिटेड डेटा देगा। आधिकारिक तौर पर मस्क की कंपनी ने इसकी जानकारी नहीं दी है। 6 सवाल-जवाब में जानें स्टारलिंक से जुड़ी जरूरी बातें... सवाल 1: स्टारलिंक क्या है और ये खास क्यों है? जवाब: स्टारलिंक, स्पेसएक्स का प्रोजेक्ट है, जो सैटेलाइट्स के जरिए हाई-स्पीड इंटरनेट देता है। इसके सैटेलाइट्स पृथ्वी के करीब घूमते हैं, जिससे इंटरनेट तेज और स्मूथ चलता है। ये खासकर उन इलाकों के लिए फायदेमंद है, जैसे गांव या पहाड़, जहां आम इंटरनेट नहीं पहुंचता। सवाल 2: भारत में इसके इंटरनेट प्लान्स की कीमत कितना हो सकती है? द इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, स्पेसएक्स भारत में अपनी स्टारलिंक सैटेलाइट इंटरनेट सर्विसेज मंथली 10 डॉलर यानी लगभग 840 रुपए से कम कीमत वाले शुरुआती प्रमोशनल अनलिमिटेड डेटा प्लान से शुरू करेगा। सवाल 3: स्टारलिंक को लाइसेंस मिलने में इतना वक्त क्यों लगा? जवाब: स्टारलिंक 2022 से कोशिश कर रही थी, लेकिन सिक्योरिटी चिंताओं की वजह से देरी हुई। भारत सरकार ने डेटा सिक्योरिटी और कॉल इंटरसेप्शन जैसी शर्तें रखी थीं। स्टारलिंक ने इन शर्तों को माना, और मई 2025 में लेटर ऑफ इंटेंट मिलने के बाद अब लाइसेंस मिल गया। सवाल 4: आम लोगों को क्या फायदा होगा? जवाब: स्टारलिंक से गांवों और दूर-दराज के इलाकों में इंटरनेट पहुंचेगा, जिससे ऑनलाइन एजुकेशन, टेलीमेडिसिन, और बिजनेस को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही, टेलीकॉम मार्केट में प्रतिस्पर्धा बढ़ने से सस्ते और बेहतर प्लान्स मिल सकते हैं। सवाल 5: अब स्टारलिंक का अगला कदम क्या है? जवाब: स्टारलिंक को अब IN-SPACe से फाइनल अप्रूवल और स्पेक्ट्रम चाहिए। अगले 15-20 दिनों में ट्रायल स्पेक्ट्रम मिल सकता है, और फिर कॉमर्शियल सर्विस शुरू होगी। सवाल 6: भारत मस्क के लिए क्यों जरूरी है? जवाब: भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा इंटरनेट मार्केट है। मस्क के लिए ये लाइसेंस बड़ी कामयाबी है, खासकर जब अमेरिका में उनकी डोनाल्ड ट्रम्प के साथ तनातनी चल रही है। इससे स्पेसएक्स के कॉन्ट्रैक्ट्स खतरे में हैं। सैटेलाइट्स से आप तक कैसे पहुंचेगा इंटरनेट? जून 2020 में सरकार ने IN-SPACe स्थापित किया था डिपार्टमेंट ऑफ स्पेस ने जून 2020 में IN-SPACe को स्थापित किया था। यह स्पेस एक्टिविटीज में प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी को रेगुलेट करने और उसे सुविधाजनक बनाने के लिए सिंगल-विंडो एजेंसी के रूप में काम करती है। IN-SPACe नॉन-गवर्नमेंटल एंटिटीज के लिए लाइसेंसिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर शेयरिंग और स्पेस बेस्ड सर्विसेज को बढ़ावा देने का काम भी करती है। स्टारलिंक से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें बांग्लादेश में मस्क का सैटेलाइट वाला स्टारलिंक इंटरनेट शुरू:केबल और फाइबर की जरूरत नहीं; ₹3000 में 300mbps की स्पीड और अनलिमिटेड डेटा बांग्लादेश में इलॉन मस्क की सैटेलाइट इंटरनेट सेवा मुहैया कराने वाली कंपनी स्टारलिंक ने मंगलवार से अपनी सेवाएं शुरू कर दी हैं। बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस ने इसके लिए देश की जनता को बधाई दी। उन्होंने एक फेसबुक पोस्ट में लिखा- देश में स्टारलिंक का हाई-स्पीड, लो-लेटेंसी इंटरनेट दो पैकेज के साथ उपलब्ध हो चुका है। एक प्लान में लोगों को 6000 टका (4,203 भारतीय रुपए) और दूसरे प्लान में 4200 टका (2,942 भारतीय रुपए) खर्च करने होंगे। पूरी खबर पढ़ें...
केंद्र सरकार ने 1 जनवरी से भारत में बनने वाले एंट्री लेवल टू-व्हीलर में एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम (ABS) अनिवार्य कर दिया है। इसमें इलेक्ट्रिक बाइक और स्कूटर भी शामिल हैं। ये फीचर अचानक ब्रेक लगाने पर गाड़ी को फिसलने से रोकता है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने नोटिफिकेशन जारी कर कहा कि, ऑटोमैकर्स को L2 कैटेगरी के टू-व्हीलर्स में ABS देना होगा। पहले ये नियम 125cc इंजन और इससे ज्यादा कैपेसिटी वाले टू-व्हीलर्स के लिए जरूरी था। हालांकि, 50cc मोटर और 50kmph से कम की टॉप स्पीड वाले EV को छूट दी गई है। यही नहीं, हर टू-व्हीलर के साथ डीलर को दो BIS-सर्टिफाइड हेलमेट (एक राइडर और एक पीछे बैठने वाले के लिए) भी देने होंगे। क्या है ये ABS और क्यों है जरूरी?एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम (ABS) एक ऐसी टेक्नोलॉजी है, जो अचानक ब्रेक लगाने पर बाइक या स्कूटर के पहियों को लॉक होने से रोकती है। मान लो आप तेज रफ्तार में है और अचानक सामने कोई व्यक्ति या गाड़ी आ जाए। अगर आप एकदम तेज ब्रेक मारता है, तो बिना ABS वाली बाइक का पहिया लॉक हो सकता है, जिससे बाइक स्लिप हो सकती है और हादसा हो सकता है। ABS इस स्थिति में ब्रेक को बार-बार ऑन-ऑफ करता है, ताकि पहिया लॉक न हो और आप बाइक को कंट्रोल कर सके। स्टडीज के मुताबिक, ABS हादसों की संभावना को 35-45% तक कम कर सकता है। खासकर बारिश में या फिसलन वाली सड़कों पर ये टेक्नोलॉजी जान बचा सकती है। वर्तमान में छोटी बाइक्स (100cc-125cc) में ज्यादातर कॉम्बी-ब्रेकिंग सिस्टम (CBS) होता है, जो दोनों ब्रेक्स को एक साथ यूज करता है, लेकिन ये ABS जितना असरदार नहीं है। नया नियम के मुताबिक, बाइक चाहे 100cc की हो या 500cc की, हर नए टू-व्हीलर में ABS होगा चाहिए। ₹10 हजार तक महंगे होंगे, डिमांड भी 4% तक घटेगीएक्सपर्ट के मुताबिक, नए नियम से 125cc से छोटे इंजन वाले टू-व्हीलर्स की लागत 3 से 10 हजार रुपए तक बढ़ सकती है। क्योंकि, मैन्युफैक्चरर्स को ड्रम ब्रेक की जगह डिस्क ब्रेक लगाने होंगे। प्राइमस पार्टनर्स के उपाध्यक्ष निखिल ढाका के मुताबिक, ABS अनिवार्य करने से कंपनियों को प्रोडक्ट डिजाइन और मैन्युफैक्चरिंग, दोनों में बड़े बदलाव होंगे। इससे इन गाड़ियों की कीमत 10 हजार रुपए तक बढ़ सकती है। इसका मतलब ड्रम ब्रेक को डिस्क ब्रेक से बदलना, असेंबली लाइनों पर टूलिंग को अपडेट करना। साथ ही टेस्टिंग और सर्टिफिकेशन के नए दौर से गुजरना है। नोमुरा इंडिया का अनुमान है कि ABS के चलते कीमतें बढ़ने की वजह से एंट्री लेवल मॉडल की डिमांड 2 से 4% तक घट सकती है।
अमेरिका की दो बड़ी सैटेलाइट कंपनियों स्टारलिंक और अमेजन कुइपर ने भारत में पहली बार VSAT (वेरी स्मॉल अपर्चर टर्मिनल) कंपनियों के साथ कॉमर्शियल डील्स साइन की हैं। सूत्रों के मुताबिक, ये पार्टनरशिप भारत में एंटरप्राइज (B2B) और सरकारी (B2G) सेक्टर में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विस शुरू करने की दिशा में बड़ा कदम हैं। ये डील्स तब हुई हैं, जब भारत में सैटेलाइट स्पेक्ट्रम का ऑफिशियल एलोकेशन अभी बाकी है। क्या है इन कंपनियों का प्लान? स्टारलिंक और अमेजन कुइपर दोनों ही भारत में लो-अर्थ ऑर्बिट (LEO) सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विस के जरिए बिजनेस को बढ़ाने की तैयारी में हैं। ये कंपनियां न सिर्फ बिजनेस और सरकारी सेक्टर को टारगेट कर रही हैं, बल्कि रिटेल कंज्यूमर मार्केट में भी उतरने का प्लान बना रही हैं। हालांकि, रिटेल के लिए प्राइसिंग मॉडल अभी फाइनल नहीं हुआ है। मनीकंट्रोल के सूत्रों के मुताबिक, स्टारलिंक और अमेजन दोनों भारत में पार्टनरशिप्स पर काम कर रहे हैं। उन्होंने कुछ VSAT कंपनियों के साथ डील्स पक्की कर ली हैं, जो खासतौर पर B2B और B2G सेगमेंट के लिए हैं। उनका मकसद भारत में अपनी सैटेलाइट कैपेसिटी का पूरा इस्तेमाल करना है।' कौन हैं भारत के VSAT प्लेयर्स? भारत में प्रमुख VSAT कंपनियों में ह्यूजेस कम्युनिकेशंस, नेल्को और इनमारसैट शामिल हैं। स्टारलिंक और अमेजन कुइपर दोनों ही बिजनेस और रिटेल सेगमेंट में काम करना चाहते हैं। ये कंपनियां यूरोप की यूटेलसैट वनवेब से सीधा मुकाबला करेंगी, जो भारतीय पार्टनर्स के जरिए सर्विसेज देगी। रिपोर्ट के मुताबिक, 'स्टारलिंक और कुइपर भारत में हाइब्रिड मॉडल अपनाएंगे। वे डायरेक्ट सर्विसेज भी देंगे और पार्टनर्स के जरिए भी अपनी सर्विसेज बेचेंगे। स्टारलिंक ने पहले ही रिलायंस जियो और एयरटेल के साथ पार्टनरशिप की ऐलान किया है। जल्द ही स्टारलिंक अपनी वेबसाइट के जरिए डायरेक्ट कंज्यूमर कनेक्शन भी शुरू करेगा।' अमेजन कुइपर भी ऐसा ही मॉडल अपनाएगा और भारत की विविधता को देखते हुए किसी एक डिस्ट्रीब्यूटर पर निर्भर नहीं रहेगा। VSAT सर्विसेज का फायदा? VSAT सर्विसेज का इस्तेमाल आमतौर पर बैंक ब्रांच, एटीएम, रिमोट गैस स्टेशन, वेयरहाउस, रिटेल चेन, सेल्यूलर बैकहॉल, सी और इन-फ्लाइट कनेक्टिविटी और डिफेंस इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए होता है। LEO सैटेलाइट्स के जरिए मिलने वाली हाई-स्पीड ब्रॉडबैंड से इन सेक्टर्स को काफी फायदा होगा। रिपोर्ट के अनुसार, कंपनियां और सरकारी विभाग अभी कम कनेक्टिविटी के साथ काम कर रहे हैं, लेकिन वे रिटेल ऑटोमेशन, रिमोट मॉनिटरिंग और AI ऑपरेशंस चाहते हैं। डिफेंस सेक्टर भी हाई-बैंडविड्थ की जरूरत रखता है, जो LEO सैटेलाइट्स से ही मुमकिन है। ह्यूजेस कम्युनिकेशंस का रोल ह्यूजेस कम्युनिकेशंस इंडिया के CEO, प्रेसिडेंट और मैनेजिंग डायरेक्टर शिवाजी चटर्जी ने मनीकंट्रोल को बताया कि उनकी कंपनी भारत में सभी LEO सैटेलाइट प्लेयर्स के साथ बातचीत कर रही है। उन्होंने कहा कि हम एक प्रमुख कंपनी हैं और B2B व B2G सेगमेंट में इन कंपनियों के लिए मैन गो-टू-मार्केट पार्टनर होंगे। स्टारलिंक को पिछले महीने ग्लोबल मोबाइल पर्सनल कम्युनिकेशंस बाय सैटेलाइट (GMPCS) लाइसेंस मिला है। जिसके साथ वह भारत में कॉमर्शियल सैटकॉम सर्विस देने वाली तीसरी कंपनी बन गई है। हालांकि, उसे अभी IN-SPACe से मंजूरी मिलना बाकी है। अमेजन को GMPCS और IN-SPACe की मंजूरी का इंतजार एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि स्टारलिंक को जल्द ही मंजूरी मिल सकती है। इसके अलावा टेलीकम्युनिकेशंस डिपार्टमेंट (DoT) स्टारलिंक को ट्रायल स्पेक्ट्रम देने की तैयारी में है, ताकि वह सिक्योरिटी टेस्ट पूरे कर सके। दूसरी ओर अमेजन कुइपर को GMPCS और IN-SPACe दोनों की मंजूरी का इंतजार है। कंपनी ने सिक्योरिटी और ऑपरेशनल चेक पूरे कर लिए हैं और उसका आवेदन जल्द ही इंटर-मिनिस्टीरियल कमेटी की मीटिंग में रिव्यू होगा। टेलीकम्युनिकेशंस डिपार्टमेंट जल्द ही सैटेलाइट स्पेक्ट्रम एलोकेशन के नियम और कीमतें तय करेगा, जो टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) की हालिया सिफारिशों पर आधारित होंगे। भारत में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड मार्केट में कॉम्पिटिशन बढ़ेगा हाल ही में केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने स्पेसएक्स (स्टारलिंक की पैरेंट कंपनी) के टॉप एग्जीक्यूटिव्स से मुलाकात की और भारत की डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर को सैटेलाइट टेक्नोलॉजी से मजबूत करने पर चर्चा की थी। स्टारलिंक और अमेजन कुइपर की भारत में एंट्री से सैटेलाइट ब्रॉडबैंड मार्केट में कॉम्पिटिशन बढ़ेगा। ये कंपनियां न सिर्फ बिजनेस और सरकारी सेक्टर को हाई-स्पीड इंटरनेट देंगी, बल्कि रिटेल कंज्यूमर्स के लिए भी नई संभावनाएं खोलेंगी।
टोयोटा इनोवा हाइक्रॉस भारत की सबसे सेफ हाइब्रिड MPV बन गई है। उसे भारत न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (BNCAP या भारत NCAP) से क्रैश टेस्ट में 5-स्टार सेफ्टी रेटिंग मिली है। क्रैश टेस्ट में कार ने एडल्ट सेफ्टी के लिए 32 में से 30.47 और चाइल्ड सेफ्टी के लिए 49 में से 45 पॉइंट हासिल किए। यह रेटिंग सभी पेट्रोल और स्ट्रॉन्ग-हाइब्रिड वैरिएंट पर लागू होती है। खास बात ये है कि BNCAP में पहली बार किसी हाइब्रिड MPV का क्रैश टेस्ट किया गया है। साथ ही इनोवा हाइक्रॉस टोयोटा की पहली कार है, जिसका BNCAP में क्रैश टेस्ट किया गया। क्रैश टेस्ट की प्रोसेस 1. टेस्ट के लिए इंसान जैसी 4 से 5 डमी को कार में बैठाया जाता है। बैक सीट पर बच्चे की डमी होती है, जो चाइल्ड ISOFIX एंकर सीट पर फिक्स की जाती है। 2. गाड़ी को फिक्स्ड स्पीड पर ऑफसेट डिफॉर्मेबल बैरियर (हार्ड ऑब्जेक्ट) से टकराकर देखा जाता है कि गाड़ी और डमी को कितना नुकसान पहुंचा है। ये तीन तरीके से किया जाता है। 3. टेस्ट में देखा जाता है कि इम्पैक्ट के बाद डमी कितनी डैमेज हुई, एयरबैग और सेफ्टी फीचर्स ने काम किया या नहीं। इन सभी के आधार पर रेटिंग दी जाती है। क्रैश टेस्ट की स्कोरिंग
UK बेस्ड टेक कंपनी नथिंग कल (मंगलवार 1 जुलाई) 'नथिंग फोन 3' स्मार्टफोन लॉन्च करने जा रही है। कंपनी के CEO Carl Pei के मुताबिक, स्मार्टफोन के डिजाइन, परफॉर्मेंस और सॉफ्टवेयर में बड़े अपग्रेड मिलेंगे। नथिंग ने कंटेंट क्रिएटर्स को ध्यान में रखकर 50MP का कैमरा दिया है। वहीं, बेहतर परफॉर्मेंस के लिए एंड्रॉयड 16 ऑपरेटिंग सिस्टम पर रन करने वाला स्नैपड्रैगन 8s Gen 4 प्रोसेसर मिलेगा। स्मार्टफोन में डेडिकेटेड AI बटन भी मिल सकता है, जो डायरेक्ट AI फीचर्स को लॉन्च करने के लिए काम आएगा। कंपनी ने स्मार्टफोन का टीजर पहले ही जारी कर दिया है। लॉन्च इवेंट मंगलवार रात 10 बजे लंदन UK में होगा। ग्लोबल मार्केट में इसकी कीमत 800 यूरो (करीब ₹90,500) हो सकती है। हालांकि भारतीय बाजार के लिए नथिंग फोन 3 स्मार्टफोन 60 हजार रुपए के आसपास आ सकता है। नथिंग फोन 3: डिजाइन अपकमिंग डिवाइस में ग्लिफ इंटरफेस दिया गया है, जो डिवाइस के पिछले पैनल के टॉप-राइट में दी गई है। इसके अलावा, लीक रिपोर्ट्स के अनुसार, एक ट्रांसलूसेंट बैक और नया कैमरा लेआउट भी स्मार्टफोन में मिल सकता है, जिसमें दो कैमरे एक-दूसरे के बगल में और तीसरा अलग कोने में लगा है। यहां नथिंग फोन 3 के एक्सपेक्टेड फीचर्स और स्पेसिफिकेशन पर नजर डाल लेते हैं... नथिंग फोन 3 : एक्सपेक्टेड स्पेसिफिकेशन 1 जुलाई को नथिंग हेडफोन (1) भी पेश करेंगी कंपनी नथिंग फोन 3 के साथ कंपनी नथिंग हेडफोन (1) भी लॉन्च करने वाली है। हेडफोन का वजन 329 ग्राम और डाइमेंशन 173.85 x 78 x 189.25 mm है। कंपनी ने हेडफोन के बारे में कोई जानकारी शेयर नहीं की है। लेकिन कुछ लीक मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इसमें 1,040mAh की बैटरी दी गई है, जो 80 घंटे का प्लेबैक टाइम देती है। भारत में इसकी कीमत 24,990–25,000 रुपए हो सकती है।
होम एंटरटेनमेंट डिवाइस बनाने वाली कंपनी व्यू सोनिक ने भारत में अपनी M1 सीरीज के दो नए पोर्टेबल प्रोजेक्टर M1 Max और M1X लॉन्च किए हैं। इन प्रोजेक्टर्स का का इस्तेमाल से आप कमरे को भी मिनी सिनेमाहॉल बना सकते हैं। इनकी खासियत है 360 स्मार्ट स्टैंड, जिससे आप किसी भी सतह पर प्रोजेक्शन कर सकते हैं। M1 Max में गूगल TV पहले से इंस्टॉल है, जिससे नेटफ्लिक्स, यूट्यूब जैसे एप्स चलाए जा सकते हैं। प्रोजेक्टर्स का वजन 1 किलो से कम है। जिससे इन्हे लेकर कहीं भी आसानी से ट्रैवल किया जा सकता है। प्रोजेक्टर्स की शुरूआती कीमत 90,000 रुपए रखी गई है। M1 Max: इस प्रोजेक्टर में Google TV इन-बिल्ट है। इसके साथ ही इसमें Full HD 1080p क्वालिटी और ToF ऑटोफोकस दिया गया है, जिससे पिक्चर हमेशा शार्प रहती है। हाई-एंड एंटरटेनमेंट के शौकीनों के लिए ये प्रोजेक्टर बनाया गया है। इसकी कीमत ₹1,35,000 रखी गई है। M1X: ये प्रोजेक्टर उन लोगों के लिए है जो अपनी पसंद के डिवाइस से कंटेंट देखना पसंद करते हैं। इसमें ज्यादा कनेक्टिविटी फीचर्स दिए गए हैं। USB-A पोर्ट के जरिए Chromecast, Fire Stick, Roku, Apple TV जैसे डिवाइस कनेक्ट किए जा सकते हैं। साथ ही, USB-C डिस्प्ले इनपुट है, जिससे स्मार्टफोन, टैबलेट या गेमिंग कंसोल भी जोड़ सकते हैं। M1X की कीमत ₹90,000 है। दोनों प्रोजेक्टर्स की खासियत प्रोजेक्टर्स में Harman Kardon के लाऊड स्पीकर्स दिए गए हैं। इसी के साथ ये Cinema SuperColor+ टेक्नोलॉजी के साथ ज्यादा कलर और ब्राइटनेस प्रोवाइड करते हैं। इनमें इनबिल्ट बैटरी और वायरलेस स्क्रीन मिररिंग फीचर भी दिए गए हैं। प्रोजेक्टर्स को ब्लूटूथ कनेक्टिविटी और पावर बैंक से भी चला सकते हैं। 1987 में बनाई गई थी सोनिक व्यू सोनिक व्यू की स्थापना 1987 में कैलिफोर्निया में हुई थी। यह विजुअल टेक्नोलॉजी में काम करने वाली प्रमुख ग्लोबल कंपनियों में से एक है जो100 से अधिक देशों में मौजूद है। सोनिक व्यू के पास 35 साल से ज्यादा का अनुभव है, जिससे यह अपने ग्राहकों को हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर, कंटेंट और सेवाओं का पूरा सेट देता है। यह कंपनी छोटे 5 इंच से लेकर बहुत बड़े 760 इंच तक के स्क्रीन बनाती है। इनके प्रोडक्ट में इंटरैक्टिव डिस्प्ले, बड़े डिस्प्ले, LED डिस्प्ले, पेन डिस्प्ले, मॉनिटर, प्रोजेक्टर, SaaS, AI सेवाएं, और इंटरैक्टिव कंटेंट शामिल हैं।