पंजाब में मौसम करवट ले रहा है। पहाड़ों से आने वाली ठंडी हवाओं के कारण तापमान में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। बीते 24 घंटों में औसत अधिकतम तापमान में 0.5C की गिरावट आई है। न्यूनतम तापमान कई दिनों से सामान्य से कम बना हुआ है। जिसके चलते राज्य के न्यूनतम तापमान अब 5 डिग्री के करीब पहुंच गया है। मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार राज्य में अधिकतम तापमान सामान्य के करीब बना हुआ है। सबसे अधिक तापमान 29.6C मानसा में दर्ज किया गया। वहीं न्यूनतम तापमान में औसत स्तर पर कोई बदलाव नहीं हुआ, लेकिन यह सामान्य से 2.5C कम दर्ज किया गया। फरीदकोट इस समय सबसे ठंडा जिला रहा, जहां न्यूनतम तापमान 5.6C रिकॉर्ड हुआ। 20 नवंबर तक मौसम रहेगा शुष्क, नहीं होगी बारिश मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार इस सप्ताह बारिश नहीं होगी। मौसम विभाग ने साफ संकेत दिया है कि प्रदेश में किसी तरह की महत्वपूर्ण वर्षा की संभावना नहीं है। 20 नवबर तक उत्तरी और पूर्वी जिलों में तापमान 24–26C और बाकी पंजाब में 26–28C के बीच रहने का अनुमान है। कुल मिलाकर अधिकतम तापमान नॉर्मल के आसपास रहेगा। उत्तर और दक्षिण-पश्चिमी इलाकों में न्यूनतम तापमान 6–8C और अन्य क्षेत्रों में 8–10C के बीच रहने का अनुमान है। न्यूनतम तापमान ज्यादातर इलाकों में सामान्य से नीचे, जबकि कुछ केंद्र और पूर्वी जिलों में नॉर्मल के करीब रहने की उम्मीद है। ठंडी हवाएं अब महसूस होने लगी हैं और अगले एक हफ्ते तक पंजाब में शुष्क और हल्की सर्द मौसम की स्थिति बनी रहने की संभावना है।
रामपुर में 14 ग्राम पंचायत सचिवों का वेतन रोक दिया गया है। फार्मर रजिस्ट्री के कार्य में धीमी प्रगति के कारण मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) ने यह कार्रवाई की है। सभी संबंधित सचिवों को नोटिस भी जारी किए गए हैं। जिले में फार्मर रजिस्ट्री के लिए लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं। इन लक्ष्यों को पूरा करने के उद्देश्य से सीडीओ गुलाब चंद्र ने प्रत्येक ग्राम पंचायत के लिए अलग-अलग लक्ष्य तय किए थे। उन्होंने संबंधित ग्राम पंचायत सचिवों को ग्राम प्रधानों और पंचायत सहायकों के सहयोग से फार्मर रजिस्ट्री के काम में तेजी लाने का निर्देश दिया था। सीडीओ ने ग्राम पंचायतवार फार्मर रजिस्ट्री की प्रगति की समीक्षा की। इस दौरान न्यूनतम प्रगति वाले विकासखंडों के सचिवों पर कार्रवाई की गई। इनमें विकासखंड चमरौआ के अमित कुमार, निशा वर्मा, मोहम्मद फारूक; विकासखंड बिलासपुर की आयुषी, मेघराज गौतम, सूरज कुमार; विकासखंड मिलक के रोहित कुमार, मधुलिका, राजेश कुमार मौर्य; विकासखंड शाहबाद के पवन कुमार, कुणाल चौधरी; विकासखंड सैदनगर के संजय कुमार; और विकासखंड स्वार की रहमत जहां तथा वीरेंद्र कुमार शामिल हैं। इन सभी का वेतन तत्काल प्रभाव से रोक दिया गया है। वेतन रोकने के साथ ही, इन सभी सचिवों को तीन दिन के भीतर अपना स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है। सीडीओ ने चेतावनी दी है कि यदि पंचायत सचिवों द्वारा अपेक्षित सुधार नहीं किया गया, तो उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
करनाल के इन्द्री क्षेत्र में कस्टोडियन जमीन पर कब्जे और रिकॉर्ड में हेरफेर के मामले ने बड़ा रूप ले लिया है। इस गंभीर मामले पर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा पुलिस को जांच के आदेश दे दिए हैं। अदालत के निर्देश पर अब इन्द्री के डीएसपी 15 नवंबर यानी शनिवार से पूरे प्रकरण की जांच शुरू करदी। शिकायत में बताया गया कि पाकिस्तान माईग्रेट कर चुके परिवार की करीब 234 कनाल जमीन को राजस्व विभाग के कुछ अधिकारियों और स्थानीय लोगों ने मिलीभगत से कब्जा कर लिया। निचली अदालत में 2020 से 2024 तक स्टे होने के बावजूद रजिस्ट्रियां होती रहीं। प्रार्थी ने जब विरोध किया तो उसे जान से मारने की धमकियां दी गईं। शिकायतकर्ता को जब कहीं से न्याय नहीं मिला तो वह हाईकोर्ट पहुंचा, जहां से अब जांच की प्रक्रिया शुरू होने जा रही है। कस्टोडियन जमीन पर हेरफेर, जानिए क्या है पूरा विवाद देवी सिंह ने शिकायत में कि गांव नागल के गुलाम असरफ नामक व्यक्ति आजादी के समय पाकिस्तान चला गया था। उसके हिस्से की खेतीबाड़ी वाली जमीन कस्टोडियन भूमि के रूप में दर्ज थी। आरोप है कि राजस्व विभाग के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत से इस जमीन को गलत तरीके से इकलाक अहमद के नाम करवा दिया गया। शिकायत में बताया गया कि यह जमीन करीब 100 करोड़ रुपये मूल्य की है। आरोप है कि 06.12.2024 को रिकॉर्ड में बदलाव कर जमीन की तब्दीली कर दी गई। प्रार्थी की ओर से कहा गया कि इस गड़बड़ी में सतीश पटवारी, कानूनगो राजेश कौशिक और नायब तहसीलदार गौरव शर्मा की भूमिका संदिग्ध है। स्टेटमेंट के बावजूद भी हुए इंतकाल शिकायत में यह भी दर्ज है कि कानूनगो राजेश कौशिक ने 18.11.2020 को अदालत में बयान दिया था कि कोई इंतकाल नहीं बदला जाएगा और कब्जे को लेकर कोई कार्रवाई नहीं होगी। इसके बावजूद भी इंतकाल करवाया गया और जमीन की रजिस्ट्रियां जारी रहीं। शिकायत में कहा गया कि जिन अधिकारियों पर आरोप लगाए गए हैं, उनमें से एक की आज भी इन्द्री तहसील में ड्यूटी है, जिससे निष्पक्षता को लेकर सवाल उठ रहे हैं। गुलाम असरफ के पाकिस्तान जाने के दस्तावेज भी पेश शिकायतकर्ता ने दावा किया कि उसने गुलाम असरफ के पाकिस्तान जाने से संबंधित दस्तावेज भी जुटाए हैं और इन्हें अधिकारियों के सामने प्रस्तुत किया है। शिकायत में कहा गया कि जब इस पूरे मामले पर आवाज उठाई गई तो शिकायतकर्ता और उसके परिवार को विभिन्न तरीकों से धमकियां दी गईं। आरोप है कि जमीन हड़पने वाले लोग कई राज्यों में इसी तरह कस्टोडियन संपत्तियों को गलत तरीके से अपने नाम करवाने का काम करते हैं। इस पूरी कार्रवाई के खिलाफ प्रार्थी ने केंद्र और हरियाणा के गृह मंत्रियों, हरियाणा पुलिस के डीजीपी और करनाल एसपी सहित कई अधिकारियों को शिकायत भेजकर परिवार की सुरक्षा और आरोपियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की थी। हाईकोर्ट ने कार्रवाई में देरी पर जताई नाराजगी हाईकोर्ट में दायर याचिका में बताया गया कि शिकायत 07 जनवरी 2025 को संबंधित विभाग को भेजी गई थी, लेकिन लंबे समय तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस पर अदालत ने टिप्पणी की कि शिकायतों पर कार्रवाई में अनावश्यक देरी न की जाए। याचिकाकर्ता की ओर से रखे गए तर्कों को सुनते हुए कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश जारी किए कि शिकायत को प्राथमिकता के आधार पर निपटाया जाए। राज्य अधिवक्ता ने भी इस मांग का विरोध नहीं किया और कहा कि शिकायत के निपटारे में उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। अदालत ने मामले के मेरिट पर टिप्पणी किए बिना याचिका का निपटारा करते हुए स्पष्ट कहा कि विभाग शिकायत पर जल्द और कानून के अनुसार कार्रवाई करे। अधिकारी को दिए साफ निर्देश, जल्द होगी जांच अदालत ने प्रतिवादी नंबर 4, जो संबंधित विभाग अथवा अधिकारी है, को आदेश दिया कि वह शिकायत को जल्द से जल्द निपटाए और इसमें अनावश्यक देरी न होने पाए। कोर्ट ने कहा कि शिकायत पर कार्रवाई जरूरी है क्योंकि यह मामला गंभीर है और इसमें सरकारी रिकॉर्ड में छेड़छाड़ का आरोप है। अदालत के आदेशों के बाद अब पुलिस की कार्रवाई तेज हो गई है। करनाल पुलिस ने शुरू की तैयारी, नोटिस जारी हाईकोर्ट के आदेशों की अनुपालना करते हुए इन्द्री के डीएसपी सतीश कुमार 15 नवंबर से यानी शनिवार से जांच शुरू कर दी है। पुलिस ने शिकायतकर्ता देवी सिंह को नोटिस जारी कर आवश्यक दस्तावेज, सबूत और अन्य सामग्री के साथ निर्धारित समय पर पेश होने के लिए कहा था। सूत्रों के अनुसार, मामले में कई स्तरों पर जांच होगी। अब नजरें पुलिस जांच पर, कई खुलासों की उम्मीद अदालत के आदेशों के बाद अब पूरा मामला करनाल पुलिस की जांच पर टिका है। डीएसपी इन्द्री की जांच रिपोर्ट से इस जमीन विवाद का वास्तविक सच सामने आएगा। राजस्व विभाग के अधिकारियों पर लगाए गए आरोपों की पुष्टि होने पर बड़ी कार्रवाई हो सकती है।
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ (एकजुट) के प्रदेश संरक्षक डा हरिप्रकाश यादव ने शिक्षा निदेशक (माध्यमिक) को पत्र लिखा है। मांग की है कि अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों (एडेड) के हाल ही में स्थानांतरित शिक्षकों के वेतन भुगतान के संबंध में समय से निर्देश जारी किया जाय ताकि उनको समय से वेतन भुगतान हो सके और शिक्षकों को कोई परेशानी ना हो सके। उन्होंने कहा कि प्रदेश में एडेड विद्यालयों के 1500 शिक्षकों का आफलाइन तबादला हुआ है। 2024 में स्थानांतरण के बाद शिक्षा निदेशक की तरफ से आदेश जारी हुआ था कि मानव संपदा के माध्यम से वेतन भुगतान होने के कारण स्थानांतरित शिक्षक का पूरे माह का वेतन स्थानांतरण वाले जनपद से भुगतान होगा। लेकिन इस वर्ष स्थानांतरण होने के बाद अभी तक वेतन भुगतान का निर्देश होने के कारण डीआईओएस एवं विद्यालयों के प्रधानाचार्य निर्णय नहीं ले पा रहे हैं। DIOS को तत्काल जारी करें निर्देश एकजुट संगठन ने मांग किया है कि स्थानांतरित शिक्षक का वेतन किस प्रकार भुगतान किया जाएगा इस संबंध में पूर्व की भांति तत्काल निर्देश डीआईओएस को जारी होना चाहिए, अन्यथा वेतन भुगतान में देर होगी। उन्होंने कहा कि निर्देश जारी हो जाने पर मानव संपदा कोड को स्थानांतरित जनपद में स्थानांतरित करने की कार्यवाही हो सकेगी । एकजुट के प्रदेश संरक्षक डा. हरि प्रकाश ने कहा कि संगठन ने मांग किया है कि एकल संचालन वाले विद्यालयों से जिन शिक्षकों का स्थानांतरण हुआ है उन्हें प्रधानाचार्यों द्वारा कार्यमुक्त / कार्यभार ग्रहण नहीं कराया जा रहा है जिसके कारण शिक्षक परेशान हो रहे हैं । इस संबंध में निदेशक स्तर से स्पष्ट दिशा निर्देश जारी होना चाहिए ताकि स्थानांतरित शिक्षक कार्ययुक्त / कार्यभार ग्रहण कर सकें।
राजस्थान में आज शीतलहर का अलर्ट:एक हफ्ते तक रहेगा असर, दिन का तापमान भी गिरने लगा
उत्तर भारत से चल रही नॉदर्न विंड ने राजस्थान में ठिठुरन बढ़ा दी है। मौसम केन्द्र जयपुर ने सोमवार को 4 जिलों में कोल्ड-वेव चलने का येलो अलर्ट जारी किया है। अगले एक सप्ताह इसी तरह का मौसम रहने का पूर्वानुमान जारी किया है। रविवार को सीकर, चूरू, झुंझुनूं (शेखावाटी बेल्ट) के अलावा नागौर, जोधपुर, अजमेर, चित्तौड़गढ़, उदयपुर के आसपास के इलाकों में कोल्ड-वेव का प्रभाव रहा। सुबह-शाम सर्द हवा से ठिठुरन रही। दिन में तेज धूप से निकलने से सर्द हवा से थोड़ी राहत रही, लेकिन शाम होने के साथ फिर से सर्दी तेज हो गई। पिछले 24 घंटे के दौरान सबसे कम तापमान सीकर के पास फतेहपुर और नागौर जिले में दर्ज हुआ। इन दोनों शहरों में क्रमश: 5.2 और 5.3 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज हुआ। इन दोनों शहरों के साथ सीकर, चूरू, झुंझुनूं, जोधपुर, चित्तौड़गढ़ और उदयपुर जिलों में कोल्ड-वेव का सर्वाधिक असर रहा। जोधपुर में रविवार न्यूनतम तापमान पहली बार 10 डिग्री से नीचे आकर 9.9 डिग्री सेल्सियस पर दर्ज हुआ। जोधपुर जिले की सीजन की सबसे ठंडी रात रही। इसी तरह चित्तौड़गढ़ में न्यूनतम तापमान 8.2, उदयपुर में 8.5 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज हुआ। जोधपुर के अलावा चित्तौड़गढ़, उदयपुर, नागौर में भी सीजन की सबसे ठंडी रात रही। जयपुर में न्यूनतम तापमान 12 डिग्री सेल्सियस, अजमेर में 10, भीलवाड़ा में 9, वनस्थली (टोंक) में 9.1, अलवर में 9, पिलानी में 8.5, चूरू में 7.9, जालोर में 8.1, करौली में 7.6, दौसा में 6.4, बाड़मेर में 15.1, जैसलमेर में 12.2, कोटा में 12.3, बीकानेर, गंगानगर में 11.2 और झुंझुनूं में 9.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ। अधिकतम तापमान गिरा, दिन में भी ठंडक बढ़ी शीतलहर का असर रहा कि राजस्थान के कई शहरों में रविवार को अधिकतम तापमान में गिरावट हुई। बाड़मेर में अधिकतम तापमान एक डिग्री गिरकर 31.6 डिग्री सेल्सियस पर दर्ज हुआ। बीकानेर में 31.3, चूरू में 29.4, जयपुर में 28, जैसलमेर में 30, जोधपुर में 29.8, कोटा में 26.9 और अजमेर में 28.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ। दिन में सबसे ज्यादा ठंडक सिरोही जिले में रही, जहां अधिकतम तापमान 22.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ। इन जिलों में आज येलो अलर्ट मौसम विज्ञान केन्द्र जयपुर की ओर से 17 नवंबर को सीकर, झुंझुनूं, चूरू, नागौर जिलों में कोल्ड-वेव चलने का येलो अलर्ट जारी किया है। वहीं 18 नवंबर को सीकर के लिए येलो अलर्ट जारी किया है। मौसम विशेषज्ञों ने बताया- राज्य में आगामी एक सप्ताह मौसम शुष्क रहेगा और उत्तरी हवाओं के कारण सर्दी से कोई राहत मिलने की उम्मीद नहीं है।
लुधियाना में पंजाब रोडवेज पनबस और PRTC कॉन्ट्रैक्ट वर्कर यूनियन ने सरकार और मैनेजमेंट पर परिवहन विभाग के निजीकरण की कोशिश का आरोप लगाया। यूनियन ने इसके खिलाफ आज दोपहर 12 बजे से राज्यभर में चक्का जाम हड़ताल का ऐलान किया है। यूनियन का कहना है कि 17 नवंबर को सरकार किलोमीटर स्कीम के तहत निजी बसों का टेंडर खोलने जा रही है, जिसका वह कड़े शब्दों में विरोध करती है। यूनियन का दावा है कि वह पहले ही लिखित और मौखिक रूप से सरकार को इस स्कीम से होने वाले संभावित घाटे और सरकारी बसों की जरूरत के बारे में बता चुकी है। यूनियन ने कहा- हम प्रदर्शन करेंगे किलोमीटर स्कीम बसों को बंद करवाने कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने ठेकेदारी व बिचौलियों को हटाने सर्विस रूल लागू करवाने जैसी मांगों को लेकर आज दोपहर 12 बजे से पंजाब रोडवेज पनबस और PRTC की बसें पूरी तरह खड़ी कर दी जाएँगी। सभी डिपो कमेटियों को डिपो में मौजूद रहने के निर्देश दिए गए हैं।पहला धरना PRTC चेयरमैन और MD के आवास व हेड ऑफिस के बाहर होगा। कल चंडीगढ़ में सीएम आवास का घेराव यूनियन ने चेतावनी दी है कि 18 नवंबर को वे चंडीगढ़ पहुँचकर मुख्यमंत्री आवास के बाहर “पक्का धरना” देंगे और बयान के अनुसार “मांगें माने बिना वापस नहीं लौटेंगे।” संगठन ने सभी डिपो कमेटियों को पूरी तैयारी के साथ चंडीगढ़ पहुँचने को कहा है। सरकार की ओर से प्रतिक्रिया का इंतज़ार सरकारी पक्ष की ओर से अब तक आधिकारिक बयान नहीं आया है। परिवहन विभाग के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि सरकार बसों की संख्या बढ़ाने के लिए ‘पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप’ मॉडल पर विचार कर रही है, ताकि खर्च कम हो और रूट कवरेज बढ़ाया जा सके। यूनियन का कहना है कि वह अपनी मांगों पर “लिखित भरोसा” चाहती है।
सोनभद्र में खदान में ड्रिलिंग के दौरान पहाड़ का 100 फीट हिस्सा टूटकर गिर गया। इस हादसे में एक की मौत हो गई। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, 14 मजदूर अभी भी मलबे में दबे हैं। NDRF और SDRF की टीमें पिछले 35 घंटे से रेस्क्यू में जुटी हैं। डॉग स्क्वायड भी दबे लोगों को ढूंढ रही हैं। हालांकि, खदान में पानी भरा होने की वजह से रेस्क्यू ऑपरेशन में दिक्कत आ रही है। हादसा 15 नवंबर (शनिवार) को दोपहर करीब 3 बजे हुआ था। प्रत्यक्षदर्शी राजू यादव ने बताया कि कृष्णा माइनिंग स्टोन की खदान में नौ कंप्रेशर पर कई मजदूर काम कर रहे थे। इसी बीच पहाड़ टूट गया। कुछ मजदूरों ने भागकर जान बचाई तो कुछ मलबे में दब गए। घटना की सूचना मिलते ही पुलिस टीम पहुंची। रेस्क्यू के लिए बुलडोजर और क्रेन मंगाए गए। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और फायर ब्रिगेड को भी बुलाया। अंधेरा होने की वजह से लाइट की व्यवस्था की गई। इसके बाद शनिवार 8 बजे राहत और बचाव कार्य शुरू हो सका। शनिवार को रातभर मलबे को हटाने का काम चलता रहा। इसके बाद रविवार को भी मलबा हटाया गया। लेकिन, अभी तक टीम स्पॉट तक नहीं पहुंच पाई है। मृतक की जेब में मिले मोबाइल फोन के डायल नंबरों पर कॉल करने पर उसकी पहचान परसोई गांव निवासी राजू सिंह के रूप में हुई। खदान ओबरा क्षेत्र की 400 फीट गहरी राशपहरी पहाड़ी में स्थित है। खदान मेसर्स कृष्णा माइनिंग कंपनी को आवंटित थी। हादसे के बाद खदान मालिक समेत 3 के खिलाफ FIR दर्ज की गई है। खदान मालिक फरार है। डीएम ने हादसे की मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए हैं। 4 तस्वीरें देखिए... डीएम बोले- चट्टान हटने पर स्थिति साफ होगीडीएम बद्रीनाथ सिंह ने बताया कि 70 से 75 टन वजनी चट्टान को हटाने का प्रयास किया जा रहा है। इसके हटने के बाद ही मलबे में फंसे अन्य मजदूरों की संख्या और पूरी स्थिति साफ हो पाएगी। जब तक सभी मजदूर मिल नहीं जाते, तब तक रेस्क्यू ऑपरेशन जारी रहेगा। बचाव कार्य में NDRF, SDRF, पावर कॉर्पोरेशन की टीमें और खनिज विभाग के अधिकारी जुटे हैं। डीजीएमएस (DGMS) और खनिज विभाग के अधिकारी भी मौके पर मौजूद हैं। प्रभावित परिवारों से लगातार बात की जा रही है। सरकार के स्तर पर सहायता दी जाएगी। वहीं, रेस्क्यू टीम के माइंस एक्सपर्ट ने बताया कि जो मशीन लगी है, वह अच्छा काम कर रही है। दूसरा रास्ता बनाकर अंदर जाने की तैयारी हो रही है। रास्ते में पड़े पत्थर तोड़कर आगे जाने की तैयारी है। अभी रेस्क्यू चल रहा है। तीन-चार घंटे और लग सकते हैं। मशीन से पत्थर खींचने में थोड़ा रिस्क जरूर है, इसलिए ब्रेकर मशीन से तोड़ा जा रहा है।
आपको हम बता रहे हैं, भोपाल शहर में आज कहां-क्या हो रहा है। यहां हर वो जानकारी होगी, जो आपके काम आएगी। संगीत-संस्कृति, आर्ट, ड्रामा के इवेंट से लेकर मौसम, सिटी ट्रैफिक, बिजली-पानी की सप्लाई से जुड़ा हर अपडेट मिलेगा। काम की जरूरी लिंक्स
भोपाल की टीला जमालपुरा पुलिस की गिरफ्त में आई अक्सा खान की सीडीआर पुलिस को मिल चुकी है। इसमें पुलिस ने ऐसे पांच नंबरों को चिह्नित किया है, जिन पर युवती ने बीते 28 दिन के अंदर 20 बार तक बात की है। इन नंबरों में एक नंबर युवती की मां-दूसरा उसकी बुआ का शामिल है। जबकि दो नंबर दो युवकों के हैं। इसी के साथ पुलिस को इस बात की भी जानकारी मिली है कि युवती गोवा में रहने वाले एक डीजे संचालक युवक के संपर्क में थी। यह युवक पहले भोपाल में ही रहता था। अब पुलिस इन सभी मोबाइल नंबर धारकों को पूछताछ के लिए नोटिस जारी करने की तैयारी में है। टीआई डीपी सिंह के मुताबिक, शुरुआती जांच में यह साफ हो चुका है कि अक्सा खान को ड्रग भोपाल के रहने वाले एक युवक ने दिया था। युवक अक्सा की गिरफ्तारी के करीब आठ दिन पहले मुंबई गया था, वहां से सड़क मार्ग के रास्ते ड्रग लेकर लौटा था। अक्सा ने गिरफ्तारी के पूर्व एक लाउंज में पार्टी की थी। इस पार्टी में उसके करीबी चार युवक और एक युवती शामिल हुई थी। अक्सा की गिरफ्तारी के साथ ही, उसे ड्रग देने वाला दोस्त अंडर ग्राउंड हो गया है। जल्द उसकी गिरफ्तारी की जाएगी। भोपाल के पॉश इलाके कोहेफिजा में रहती है युवती अक्सा खान (25), निवासी एस-2 चित्रांश अपार्टमेंट, बीडीए कॉलोनी, कोहेफिजा को पुलिस ने शुक्रवार की रात को इस्लामी ग्राउंड के पास से घेराबंदी कर पकड़ा था। वह ग्राहक को डिलीवरी देने आई थी। तलाशी लेने पर उसके पास से पर्स के अंदर छोटी-छोटी 8 पारदर्शी पन्नियों में 9 ग्राम MD ड्रग्स (सफेद रंग का बारीक पाउडर) और एक एपल कंपनी का मोबाइल फोन बरामद हुआ था। जब्त माल की कीमत करीब 1.52 लाख रुपए थी। एनडीपीएस एक्ट के तहत हुई कार्रवाई अक्सा खान के खिलाफ NDPS एक्ट के तहत मामला दर्ज कर कोर्ट में पेश किया गया। जहां से उसे जेल भेज दिया गया है। पुलिस उसके लोकल नेटवर्क की जानकारी जुटा रही है। महिलाओं पर पुलिस आसानी से शंका नहीं करती, इसी का फायदा उठाकर अक्सा खान अपने दोस्त के कहने पर ड्रग डिलीवरी का काम करती थी। इसके एवज में उसे ड्रग की फ्री खुराक और कुल कमाई का बीस प्रतिशत तक दिया जाता था। हाई-प्रोफाइल घर से ताल्लुक रखती है अक्सा आरोपी अक्सा कोहेफिजा के हाई-प्रोफाइल घराने से ताल्लुक रखती है। उसके पिता आजम खान शहर के एयरपोर्ट रोड स्थित बड़वाई स्पोर्ट्स ग्राउंड का संचालन करते हैं। आसिया बीकॉम से ग्रेजुएट है और शहर के अलग-अलग हुक्का लॉज पर उसका उठना-बैठना है। पार्टी में पहली बार ली थी ड्रग की खुराक अक्सा ने पुलिस को बताया कि वह करीब एक साल से ड्रग का सेवन कर रही है। मित्र की बर्थडे पार्टी में पहली बार उसे एक दोस्त ने ड्रग दिया। यह पार्टी एक हुक्का लाउंज में ऑर्गनाइज की गई थी।
स्नातक (बीए) की पढ़ाई के बाद मुझे सहायक अध्यापक की नौकरी मिली, लेकिन वेतन से परिवार की जरूरतें पूरी नहीं हो पा रही थी। खेती में संभावनाएं तलाशने की ठानी। भागलपुर के सबौर कृषि विश्वविद्यालय से प्रशिक्षण प्राप्त किया। आधुनिक तकनीक से खेती की शुरुआत की। लुकुवा मौजा में 40 एकड़ में केला, कटहल और मौसमी और 65 एकड़ भूमि में ताइवान किस्म के हाइब्रिड अमरूद लगाए। लगभग 100 एकड़ भूमि में फल उत्पादन कर रहा हूं। इन बागानों में ड्रिप सिंचाई प्रणाली, मल्चिंग, जैविक खाद, वर्मी कंपोस्ट जैसी उन्नत तकनीकों का सहयोग बहुत लाभकारी रहा। इससे लागत घटने के साथ-साथ उत्पादन और गुणवत्ता दोनों में वृद्धि हुई। ताइवान अमरूद की बाजार में है मांग ताइवान अमरूद आकार में बड़े, स्वाद में मीठे और पोषण से भरपूर होते हैं। इनकी बाजार में जबरदस्त मांग है। हरिहरगंज के फलों की अब आपूर्ति रांची, पटना, कोलकाता जैसी बड़ी मंडियों में की जा रही है। कटकोमा गांव भविष्य में राज्य के लिए आदर्श मॉडल गांव बन सकता है। अगर सरकार किसानों को प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, फसल बीमा योजना जैसी योजनाओं का लाभ दे, तो क्षेत्र में कृषि क्रांति संभव है। अगर इच्छाशक्ति हो तो गांव में ही रोजगार और आत्मनिर्भरता का सपना साकार किया जा सकता है। 15 दिनों के प्रशिक्षण के बाद शुरू किया काम मैं भागलपुर के सबौर कृषि प्रशिक्षण केंद्र में 15 दिन का प्रशिक्षण लिया था। इस दौरान वहां कृषि विशेषज्ञों से खेती करने के आधुनिक तरीके से परिचित हुआ। इरिगेशन तथा सामूहिक खेती कर अधिक उत्पादन करने का प्रशिक्षण प्राप्त किया। साथ ही पउरा खेतों में फलदार पौधे लगाकर अधिक उत्पादन का भी प्रशिक्षण प्राप्त किया । पउरा में बालू और मिट्टी के मिलेजुले अंश होते हैं जो फलों की खेती के लिए बहुत ही लाभकारी सिद्ध होता है। इसका प्रयोग हमने अपने खेतों में बहुतायत में किया जिससे कि फलों के उत्पादन में बंपर वृद्धि हुई। 10 गुना तक बढ़ाई अपनी आमदनी आधुनिक पद्धति अपनाने के बाद मेरी आमदनी में 10 गुना तक की वृद्धि हुई है। मेरी सफलता से प्रेरित होकर आसपास के गांवों लोदिया, लुकुवा, कारीलेबुडा, नौडीहा कला के किसान भी फल उत्पादन की ओर अग्रसर हुए। किसान राजकुमार मेहता, अखिलेश मेहता, दिनेश मेहता, बैकुंठ कुमार, रामकुमार मेहता, सत्येंद्र मेहता, राजू मेहता अब फल उत्पादन कर रहे हैं। खेती से सिर्फ आमदनी नहीं बढ़ी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी बड़ा योगदान मिल रहा है। जानिए... कौन हैं अजय कुमार मेहता अजय कुमार मेहता ग्रेजुएशन हैं। वे अध्यापक की नौकरी के साथ-साथ खेती को भी समान महत्व देते हैं। पत्नी रेणु देवी मैट्रिक पास हैं। परिवार में दो बेटियां और एक बेटा है। एक बेटी की शादी हाे चुकी है। छोटी बेटी बबली कुमारी माइक्रो बायोलॉजी में पढ़ाई कर रही है। पुत्र प्रकाश रंजन बीटेक इंजीनियरिंग कर रहे हैं। भतीजा मनीष कुमार बीटेक और विवेक कुमार ग्रेजुएशन कर रहे हैं और खेती में सहयोग करते हैं। हरिहरगंज प्रखंड अब तेजी से फल उत्पादन का केंद्र (हब) बनता जा रहा है।
नालंदा जिले में हुए विधानसभा चुनावों में पोस्टल बैलेट के जरिए हुए मतदान में भी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने अपना वर्चस्व कायम रखा है। जिले की सातों विधानसभा सीटों पर कुल 6304 पोस्टल बैलेट डाले गए, जिसमें एनडीए को 3456 वोट मिले, जबकि महागठबंधन को केवल 2087 मत प्राप्त हुए। यह आंकड़ा एनडीए की व्यापक स्वीकार्यता को दर्शाता है। चुनावी नतीजों में एक चौंकाने वाला तथ्य यह सामने आया है कि पोस्टल बैलेट के माध्यम से 10 प्रत्याशियों को एक भी वोट नहीं मिला। इनमें हिलसा से दो, नालंदा से तीन, हरनौत से दो और इस्लामपुर से तीन प्रत्याशी शामिल हैं। यह स्थिति इन उम्मीदवारों की जमीनी स्तर पर कमजोर पकड़ को उजागर करती है। बिहारशरीफ के डॉ. सुनील कुमार ने मारी बाजी पोस्टल बैलेट में सर्वाधिक वोट हासिल करने की होड़ में बिहारशरीफ विधानसभा से एनडीए के डॉ. सुनील कुमार शीर्ष पर रहे। उन्हें 573 डाक मतपत्रों से वोट मिले। इस्लामपुर के रुहैल रंजन ने 569 वोटों के साथ दूसरा स्थान हासिल किया। दोनों के बीच केवल तीन वोटों का अंतर रहा, जो कड़े मुकाबले का संकेत देता है। नोटा को भी मिले 55 वोट दिलचस्प बात यह है कि 55 मतदाताओं ने नोटा (None of the Above) विकल्प चुना। यह दर्शाता है कि कुछ मतदाता किसी भी प्रत्याशी से संतुष्ट नहीं थे और उन्होंने अपने असंतोष को व्यक्त करने के लिए नोटा का विकल्प चुना। विधानसभावार पोस्टल बैलेट का विश्लेषण बिहारशरीफ विधानसभा में सर्वाधिक 1095 पोस्टल बैलेट डाले गए, जिसमें एनडीए को 573 और महागठबंधन को 369 वोट मिले।इस्लामपुर में 999 डाक मतपत्रों में एनडीए को 569 और महागठबंधन को 352 वोट प्राप्त हुए।नालंदा विधानसभा क्षेत्र में 925 पोस्टल बैलेट पड़े, जिसमें एनडीए को 490 और विपक्षी गठबंधन को 333 वोट मिले।हिलसा में 864 डाक मतपत्रों में एनडीए को 488 और महागठबंधन को 295 मत मिले।राजगीर में 826 पोस्टल बैलेट के जरिए एनडीए को 444 तो महागठबंधन को 257 वोट प्राप्त हुए।हरनौत विधानसभा क्षेत्र में 820 डाक मतपत्रों में एनडीए ने 483 वोट हासिल किए, जबकि महागठबंधन को केवल 226 वोट मिले।अस्थावां में 775 पोस्टल बैलेट पड़े, जिसमें एनडीए को 409 और विपक्ष को 255 वोट मिले। पोस्टल बैलेट की व्यवस्था पोस्टल बैलेट की व्यवस्था उन मतदाताओं के लिए की जाती है जो अपने जन्मस्थान से दूर सेवा कर रहे हैं। इसमें सशस्त्र बलों के जवान, सरकारी अधिकारी और विदेश में तैनात कर्मचारी शामिल हैं। चुनाव आयोग पहले से ऐसे मतदाताओं की पहचान कर उन्हें डाक मतपत्र भेजता है। मतदाता अपनी पसंद के उम्मीदवार के चुनाव चिह्न पर निशान लगाकर इसे चुनाव आयोग के अधिकृत पदाधिकारी को वापस भेज देते हैं।
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों से साफ है कि इस बार भी महागठबंधन को जनता ने नकार दिया है। जो नतीजे सामने आए हैं, उसमें महागठबंधन को मात्र 35 सीटें मिली है। इनमें राजद को 25 सीटें, कांग्रेस को 6 सीटें, सीपीआई एमएल को 2, सीपीआई और और आईपी गुप्ता की पार्टी आईआईपी को केवल 1-1 सीटें मिली है। इस चुनाव में महागठबंधन ने खासतौर पर EBC वोट बैंक पर फोकस किया था। मुकेश सहनी और आईपी गुप्ता, दोनों ही अति-पिछड़ा समाज से आते हैं। इसी वजह से दोनों को महागठबंधन अपने साथ लाया, लेकिन चुनाव के नतीजों से साफ है कि इसका फायदा नहीं मिला। इसके उलट अति पिछड़ों ने फिर से नीतीश कुमार पर भरोसा दिखाया है। महागठबंधन क्या अति पिछड़ा वोट बैंक साधने से चूक गया? मुकेश सहनी और आईपी गुप्ता की जोड़ी क्यों फेल होती दिख रही है? जानिए दैनिक भास्कर की इस रिपोर्ट में…. मल्लाह जाति के प्रभाव वाले इलाकों में पिछड़े मुकेश सहनी बिहार में मुकेश सहनी की जाति मल्लाह और आईपी गुप्ता की पार्टी आईआईपी दोनों ही अपनी अपनी जातियों को अति पिछड़ी जाति से अनुसूचित जाति में शामिल करने का अभियान चला रहे हैं। इससे जुड़े आंदोलन की बदौलत ये दोनों राजनीति में एक्टिव हैं। मुकेश खुद को मल्लाहों के तो गुप्ता पान-तांती-ततवा के नेता बताते हैं। महागठबंधन में लड़ने के लिए वीआईपी को 15 सीटें और इंडियन इंक्लूसिव पार्टी को 3 सीटें मिलीं, लेकिन दोनों पार्टियां अपनी जाति के प्रभाव वाली सीटों को भी जीतने में नाकाम रहे। इन दोनों नेताओं से जुड़ी अति पिछड़ी जाति के इलाके मिथिलांचल में दरभंगा, मधुबनी और समस्तीपुर हैं। पश्चिमी चंपारण और पूर्वी चंपारण के इलाकों में भी इनका प्रभाव हैं। इसके अलावा सुपौल, मुंगेर, खगड़िया, भागलपुर और कैमूर क्षेत्र में भी इनकी पकड़ है। मुकेश सहनी की पार्टी 15 सीटों पर लड़ी, सभी हारी मुकेश सहनी ने इस वोट बैंक को ध्यान में रखकर औराई से भोगेन्द्र सहनी, बरूराज से राकेश कुमार, दरभंगा सदर से उमेश सहनी, कुशेश्वरस्थान से गणेश भारती, आलमनगर से नवीन निषाद, गौड़ाबौराम से संतोष सहनी, चैनपुर से बाल गोविंद सिंह को टिकट दिया। इसके अलावा सहनी ने सुगौली सीट से शशि भूषण सिंह, सिकटी से हरिनारायण प्रमाणिक, बिहपुर से अर्पणा कुमारी, मंडल, कटिहार से सौरव अग्रवाल, केसरिया से वरुण विजय, लौरिया से रण कौशल प्रताप सिंह, गोपालपुर से प्रेम कुमार और बाबू बरही से बिंदु गुलाब यादव को टिकट दिया। लेकिन वीआईपी --- सीटों पर हार गई। आईपी गुप्ता सहरसा से जीते सके, दो सीटों पर मिली हार महागठबंधन में आईपी गुप्ता की पार्टी आईआईपी को 3 सीटें मिली थी। सहरसा की सीट से आईपी गुप्ता खुद मैदान में उतरे और जीत दर्ज कर अपनी पार्टी का खाता खोला। लेकिन जमालपुर से नरेन्द्र तांती और खगड़िया की बेलदौर सीट से तनीषा भारती को हार का सामना करना पड़ा। जमालपुर में कांग्रेस को अपने सिटिंग विधायक अजय सिंह का टिकट काटना पड़ा। कांग्रेस का प्रस्ताव था कि उसके सिंबल पर आईआईपी के तीन उम्मीदवार लड़ें, लेकिन आईपी गुप्ता तैयार नहीं हुए। आखिरकार कांग्रेस और आरजेडी को झुकना पड़ा और करनी छाप चुनाव चिह्न से आईआईपी पार्टी मैदान में उतरी। नतीजों में आईआईपी अपने ही गढ़ माने जाने वाली 2 सीटों पर हार मिली। महागठबंधन ने खोला वादों का पिटारा, अति पिछड़ों ने नकारा महागठबंधन ने अति पिछड़ा वोट बैंक को साधने के लिए सिर्फ मुकेश सहनी और आईपी गुप्ता को ही साथ नहीं लाया, बल्कि कई वादे भी किए। जैसे कि हमारी सरकार बनेगी तो हम अति पिछड़ों के लिए ये काम करेंगे। लेकिन महागठबंधन के वायदों को पर नीतीश कुमार भारी पड़े। 24 दिसंबर 2024 को महागठबंधन ने अति पिछड़ा कार्ड को मजबूती देने के लिए बड़ा आयोजन किया था। इसमें लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे सहित तेजस्वी यादव भी शामिल हुए थे। इसमें ‘पटना उद्घोषणा’ नाम से अति पिछड़ों के लिए 10 बड़े वायदे महागठबंधन ने किए थे। अति पिछड़ों के लिए महागठबंधन के वायदे
नालंदा में राजग की ऐतिहासिक जीत:नालन्दा में जदयू ने 5,76,335 वोट और भाजपा को मिला 1,09,304 वोट
नालंदा जिले में विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों ने राजनीतिक विश्लेषकों के सामने एक दिलचस्प तस्वीर पेश की है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की 7-0 से क्लीन स्वीप के पीछे की असली कहानी वोट बैंक के गणित में छिपी है, जो महागठबंधन की रणनीतिक कमजोरियों को भी उजागर करती है। चुनाव के आंकड़े बताते हैं कि महागठबंधन का वोट बैंक 2020 की तुलना में घटा नहीं, बल्कि बढ़ा है। वर्ष 2020 में जहां महागठबंधन (राजद, कांग्रेस, माले) को कुल 3,26,215 वोट मिले थे, वहीं 2025 में यह आंकड़ा बढ़कर 4,61,641 हो गया। यानी 1.35 लाख नए वोटों की बढ़ोतरी। लेकिन यह बढ़त राजग के सामने बौनी साबित हुई। राजग ने इस चुनाव में जबरदस्त वोट लामबंदी का प्रदर्शन किया। 2020 में जहां भाजपा और जदयू को मिलाकर कुल 4,58,312 वोट मिले थे, वहीं 2025 में यह संख्या 2.68 लाख की छलांग लगाकर 7,26,539 तक पहुंच गई। प्रति सीट औसत वोट भी 65,473 से बढ़कर 1,02,362 हो गए। चिराग पासवान फैक्टर: खेल बदलने वाला पहलू राजग की जीत का सबसे बड़ा कारक 2020 के 'वोट-कटवा' फैक्टर का वापस राजग में लौटना माना जा रहा है। 2020 के विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी ने राजग से अलग होकर चुनाव लड़ा था और नालंदा की छह सीटों पर 1.08 लाख से अधिक वोट हासिल किए थे। इससे मुख्य रूप से जदयू को भारी नुकसान हुआ था। 2021 में पार्टी के विभाजन के बाद, चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) इस बार राजग के साथ थी। इसका सीधा असर यह हुआ कि 2020 में बंटे हुए वोट इस बार राजग के खाते में आ गए। वहीं, पशुपति पारस के नेतृत्व वाली रालोसपा का प्रदर्शन नगण्य रहा। उदाहरण के लिए, हिलसा विधानसभा क्षेत्र में उन्हें महज 1,646 वोट मिले। महागठबंधन की चुनौती महागठबंधन के लिए यह नतीजा चिंताजनक है। हालांकि उनका वोट बैंक बढ़ा, लेकिन वे राजग की वोट लामबंदी की रणनीति का मुकाबला नहीं कर सके। प्रति सीट औसत के हिसाब से देखें तो महागठबंधन के उम्मीदवारों को औसतन 57,705 वोट मिले, जबकि राजग के उम्मीदवारों को 1,02,362 वोट मिले। सबसे बड़ा झटका राजद को इस्लामपुर सीट के रूप में लगा, जो 2020 में उनके पास थी। इस बार राजग ने यह सीट भी अपने खाते में डाल ली। जदयू का दबदबा नालंदा में जदयू का प्रदर्शन शानदार रहा। पार्टी ने छह सीटें जीतकर कुल 5,76,335 वोट हासिल किए, जो प्रति उम्मीदवार 96,055 वोट के औसत के बराबर है। भाजपा ने एक सीट जीती और 1,09,304 वोट हासिल किए। महागठबंधन में कांग्रेस को तीन सीटों पर कुल 2,11,179 वोट मिले (औसत 70,393), राजद को तीन सीटों पर 1,98,079 वोट (औसत 66,026), और भाकपा (माले) को एक सीट पर 52,383 वोट मिले।
मुजफ्फरपुर के मारीपुर इलाके में सोमवार को बिजली आपूर्ति प्रभावित रहेगी। विद्युत विभाग ने घोषणा की है कि सोमवार को सुबह 10 बजे से 11:30 बजे तक मारीपुर पावर सब-स्टेशन में निर्धारित मेंटेनेंस व तकनीकी जांच के कारण 11 केवी रेवा फीडर को अस्थायी रूप से बंद रखना आवश्यक होगा। इसके चलते आसपास के कई रिहायशी और व्यवसायिक क्षेत्रों में बिजली कटौती होगी। किन इलाकों में रहेगी बिजली कटौती? विभाग की ओर से जारी सूचना के अनुसार, मारीपुर ओवरब्रिज, उर्मिला होटल के पास इमलीचट्टी, जूरन छपरा रोड नंबर 1, 2, 3 और 4, जूरन छपरा मुख्य सड़क, महेश बाबू चौक इन सभी इलाकों में रेवा फीडर की सीधी सप्लाई जाती है। विभाग ने पहले ही अलर्ट जारी कर स्थानीय लोगों और दुकानदारों को सावधानी बरतने की अपील की है। विभाग ने बताया मेंटेनेंस क्यों जरूरी? विद्युत विभाग के इंजीनियरों का कहना है कि पिछले कुछ सप्ताहों से रेवा फीडर क्षेत्र में ओवरलोडिंग और बार-बार ट्रिपिंग की शिकायतें मिल रही थीं। फीडर लाइन की तकनीकी जांच में कुछ हिस्सों में ढीले कंडक्टर, इंसुलेटर की कमजोरी और पुरानी जोड़ों में सुधार की आवश्यकता पाई गई है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार, फीडर लाइन के कई हिस्सों में लोड बैलेंसिंग की जरूरत। सुरक्षा मानकों के लिए उपकरणों की जांच। लाइन फॉल्ट के खतरे को कम करना। त्योहारों और सर्दी के मौसम में बढ़ते लोड को संभालने की तैयारी इन्हीं कारणों से सोमवार को डेढ़ घंटे की शटडाउन तय की गई है, ताकि बिना किसी जोखिम के सुधार कार्य पूरा किया जा सके। विभाग ने की अपील– आवश्यक कार्य पहले निपटा लें विद्युत विभाग ने उपभोक्ताओं से कहा है कि आवश्यक इलेक्ट्रॉनिक कार्य पहले ही पूरा कर लें, मोबाइल और लैपटॉप आदि को पहले ही चार्ज कर लें। संवेदनशील उपकरणों को मेंटेनेंस अवधि में बंद रखें। फीडर चालू होते ही वोल्टेज फ्लक्चुएशन से बचने के लिए सीधे पावर लोड न डालें विभाग का कहना है कि काम पूरा होते ही बिजली आपूर्ति तुरंत बहाल कर दी जाएगी।
जालंधर की मिट्ठू बस्ती में सोमवार देर शाम दो पक्षों में झगड़े के बाद माहौल तनावपूर्ण हो गया। आरोप है कि एक युवक ने अपने जीजा के घर पर पहुंचकर बच्चों और महिलाओं पर हमला कर दिया। पीड़ित पक्ष का कहना है कि आरोपियों की ओर से फायरिंग भी की गई और मौके पर दो तीन गोलियां चलाई गई यह आरोप पीड़ित पक्ष ने लगाए। पड़ोसियों ने बताया कि लड़ाई इन लोगों के फैमिली की थी। घर में औरतें और बच्चे अकेले थे ईंटों से हमला इन लोगों ने बाहर से युवक बुला कर मोहल्ले में गुडा गर्दी की है। लोगों ने कहा अगर मोहल्ले वासी इकट्ठे न होते यहां कुछ भी हो सकता था। इस लड़ाई के बारे में जानकारी देते हुए युवक ने बताया कि मोहल्ले में जोर जोर से आवाजें आ रही थी। जब उसने अपने घर से बाहर निकल कर देखा तो 20 के करीब लोग हमारे पड़ोसी के घर ईंटें बरसा रहे थे। घर के अंदर औरतें और बच्चे अकेले थे। फिर उसने अपने घर से तलवार निकाली और मोहल्ले के दूसरे लोगों को बुलाया उनको वहां से दौड़ाया। विवाद के दौरान पड़ोस के एक युवक ने तलवार निकाल कर पीड़ित परिवार की रक्षा की और हमलावरों को वहां से भगाया। मोहल्ले के लोगों ने भी मौके पर भीड़ को तितर-बितर किया। पीड़ित का साला सास और साडू लोगों को बुला गुंडागर्दी की पीड़ित युवक ने आरोप लगाया कि उसका साडू, सास और अन्य लोग लगभग 20-25 लड़कों के साथ घर पहुंचे और उस पर घर आए थे। पीड़ित ने बताया वो घर पर नहीं था। उसका साडू सुबह से उसको फोन कर रहा था। लेकिन वे अपने काम से गया हुआ था। पीड़ित ने बताया वो अपनी बीबी के साथ बड़े आराम पर अपनी जिंदगी गुजार रहा है। पुलिस से कड़ी कार्रवाई करने की मांग लेकिन मेरा साला, सास , साडू मेरी बीबी को जबरन अपने घर बुलाते हैं लेकिन वो जाती नहीं।मुझे परेशान कर रहे है। उसने बताया कि मै मेरे बच्चे और बीबी बहुत खुशी में अपनी जिंदगी बिता रहे है। यह लोग हमें परेशान कर रहे है। उन्होंने पुलिस प्रशासन मांग की इन लोगो के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। घटना की जानकारी पुलिस को दे दी गई है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। ।
हरदोई में वीरांगना ऊदा देवी पासी को श्रद्धांजलि:शहादत दिवस पर कैंडल जलाकर किया गया याद
हरदोई में 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की वीरांगना ऊदा देवी पासी को उनके शहादत दिवस पर श्रद्धांजलि दी गई। रविवार देर शाम अमर शहीद उद्यान, कम्पनी बाग में आयोजित कार्यक्रम में बड़ी संख्या में समाजजन, मातृशक्ति और युवाओं ने कैंडल जलाकर उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की। श्रद्धांजलि सभा के दौरान वक्ताओं ने वीरांगना ऊदा देवी पासी के असाधारण साहस को याद किया। उन्होंने बताया कि 1857 के संग्राम में ऊदा देवी ने एक पुरानी बंदूक से 36 अंग्रेज सैनिकों का सामना करते हुए मातृभूमि की रक्षा में अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे। उनके इस पराक्रम और शौर्य को भारतीय इतिहास में सदैव सम्मान के साथ स्मरण किया जाता है। वक्ताओं ने कहा कि ऊदा देवी पासी जैसे वीरों के बलिदान के कारण ही देश आज स्वतंत्र वातावरण में सांस ले रहा है। उन्होंने इस बलिदान को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने को समाज का दायित्व बताया। अखिल भारतीय पासी महासभा के प्रदेश महासचिव श्री राम बाबू पासी ने इस अवसर पर कहा कि समाज के हर व्यक्ति को अपने पूर्वजों के संघर्ष और बलिदान को स्मरण करते हुए राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। श्री राम बाबू पासी ने वीरांगना ऊदा देवी के जीवन को त्याग, समर्पण और राष्ट्रप्रेम की अद्वितीय मिसाल बताया, जिसे प्रेरणा के रूप में अपनाने का आह्वान किया। कार्यक्रम के अंत में उपस्थित जनसमूह ने ऊदा देवी पासी के अमर बलिदान को नमन करते हुए देश की एकता, भाईचारे और समाज के समग्र उत्थान का संकल्प लिया।
निरहुआ-आम्रपाली ने ददरी मेले में जमाया रंग:भोजपुरी नाइट्स में उमड़ी भीड़, दर्शकों ने खूब उठाया लुत्फ
बलिया के ऐतिहासिक ददरी मेले में आयोजित भोजपुरी नाइट्स के दौरान भोजपुरी फिल्म अभिनेता और पूर्व सांसद दिनेश लाल यादव 'निरहुआ' तथा अभिनेत्री आम्रपाली दुबे के मंच पर आते ही पूरा पांडाल 'भृगु बाबा' के गगनभेदी नारों से गूंज उठा। इस जोड़ी ने अपनी प्रस्तुति से दर्शकों का खूब मनोरंजन किया। मंच पर आते ही निरहुआ ने सबसे पहले 'भृगु बाबा' का जयकारा लगाया और बागी बलिया की धरती को नमन किया। उन्होंने उपस्थित सभी लोगों का स्वागत, वंदन और अभिनंदन करते हुए आभार व्यक्त किया। निरहुआ ने कहा कि उन्हें सबसे ज्यादा खुशी इस बात की है कि 20 साल पहले बलिया की धरती से जो प्यार और दुलार मिला था, वह आज भी निरहुआ को मिल रहा है। इसके बाद उन्होंने अपने गीतों की शुरुआत आईल दुआरें बानी हे देवी माई... और निरहुआ नाम ह से की। उनके गीत भृगु बाबा के आशीर्वाद चला ले लाला, चल चलीं धन घूमे ददरी के मेला पर लोग झूमने पर मजबूर हो गए। निरहुआ ने भोजपुरी में बुढ़िया मलाई खाले, बुढ़वा खाला लपसी। केहू से ना कम बा पतोहिया पिए पेप्सी जैसे गीत सुनाए। उन्होंने बुल्डोजर बाबा चाप रहे हैं, माफिया हांफ रहे हैं गाकर सभी में जोश भर दिया, जिससे दर्शकों में उत्साह भर गया। दिनेश लाल निरहुआ ने बताया कि रास्ते में आम्रपाली दुबे ने उनसे ददरी मेले की खासियत पूछी थी। उन्होंने आम्रपाली को बताया कि ददरी मेला उत्तर प्रदेश में बहुत मशहूर है और यह कोई साधारण मेला नहीं है, यहां बहुत कुछ देखने को मिलता है। इससे पहले, भाजपा जिलाध्यक्ष संजय मिश्र और जिलाधिकारी मंगला प्रसाद सिंह सहित अन्य अधिकारियों ने दिनेश लाल यादव 'निरहुआ' और आम्रपाली दुबे का स्वागत किया।
दिल्ली बम विस्फोट के मास्टरमाइंड परवेज का हाथरस से कनेक्शन सामने आया है। खुफिया एजेंसियों को जानकारी मिली है कि परवेज ने हाथरस में तब्लीगी जमात के साथ बैठक की थी। अब खुफिया तंत्र इस पूरे मामले की गहनता से पड़ताल कर रहा है। आखिर यह बैठक कब और कहां की थी और इसमें कौन-कौन शामिल था। इसे लेकर खुफिया तंत्र तमाम जानकारियां हासिल कर रहा है। खुफिया एजेंसियां परवेज से जुड़ी समस्त जानकारी जुटाने में लगी हैं। वे उन लोगों की तलाश कर रही हैं जो हाथरस में परवेज के संपर्क में थे या उसकी गतिविधियों में शामिल थे। यह पहली बार नहीं है जब हाथरस का नाम किसी आतंकी गतिविधि से जुड़ा है। इससे पहले भी कई साल पहले एक संदिग्ध आतंकवादी का ड्राइविंग लाइसेंस हाथरस के एआरटीओ कार्यालय से जारी किया गया था। वर्तमान में, खुफिया तंत्र परवेज के हाथरस कनेक्शन को लेकर लगातार छानबीन कर रहा है।
प्रयागराज के थरवई में बेरहमी से मारकर दफनाई गई इंटर की छात्रा के शव के पोस्टमार्टम में खौफनाक खुलासा हुआ है। पता चला है कि चाकू से ताबड़तोड़ वारकर उसे मौत के घाट उतारा गया। गर्दन पर आठ जबकि एक वार ठुड्डी के नीचे किया गया। सिर पर पीछे की ओर ईंट जैसी किसी चीज से भी एक चोट पहुंचाई गई। पोस्टमार्टम के दौरान छात्रा के शरीर पर बर्बरता के निशान देखकर डॉक्टर भी स्तब्ध रह गए। दुपट्टे से गला कसने की भी कोशिशसूत्रों के मुताबिक, पोस्टमार्टम के दौरान यह भी पाया गया कि दुपट्टे से छात्रा का गला कसने की भी कोशिश की गई। दरअसल मौके पर शव जमीन से निकलवाए जाने के दौरान भी गले में दुपट्टा कसा पाया गया था। इससे माना जा रहा है कि पहले उसे गला कसकर मारने की कोशिश की गई। नाकाम रहने पर चाकू से वारकर उसे मौत के घाट उतारा गया। लगातार वार से कट गई थी सांस की नलीयह भी बात सामने आई है कि छात्रा की सांस की नली भी कट गई थी। पोस्टमार्टम में यह नली क्षतिग्रस्त पाई गई है। माना जा रहा है कि चाकू से किए गए ताबड़तोड़ वार के चलते ही ऐसा हुआ और मौत का यह भी कारण बना। हालांकि पोस्टमार्टम में मौत का कारण हेमोरेजिक शॉक यानी अधिक खून बह जाने से संचार तंत्र का कोलैप्स कर जाना सामने आया है जिस दिन अगवा हुई, उसी दिन हुई हत्यापोस्टमार्टम के दौरान यह भी बात सामने आई कि छात्रा की हत्या उसी दिन हुई, जिस दिन उसे अगवा किया गया। यानी 10 नवंबर को ही उसे मार डाला गया। दरअसल डॉक्टरों ने शव के परीक्षण के बाद पाया कि यह लगभग एक हफ्ते पुराना है। पोस्टमार्टम रविवार शाम 4:30 बजे के करीब हुआ। इस हिसाब से अनुमान लगाया जाए तो एक हफ्ते पहले 10 नवंबर का दिन था। कत्ल में एक से ज्यादा लोग उधर सूत्रों के मुताबिक, अब तक कि जांच में जो बात सामने आई है कि उससे यह भी आशंका है कि हत्या में एक से ज्यादा लोग शामिल रहे हों। दरअसल नृशंस तरीके से हत्या के बाद जिस तरह शव को ठिकाने लगाया गया, उससे साफ है कि यह किसी अकेले व्यक्ति का हाथ नहीं। करीबी भी था शामिल छात्रा को जिस तरीके से शहर से 20 किमी दूर ले जाकर बेरहमी से कत्ल किया गया, उससे यह भी आशंका है कि कत्ल की इस वारदात में उसका कोई जानने वाला भी जरूर शामिल रहा होगा। एक शक यह भी है कि हत्यारे का कनेक्शन थरवई या आसपास के इलाके से भी हो सकता है। दरअसल जिस जगह हत्या के बाद शव दफनाया गया, वहां अनजान का पहुंच पाना आसान नहीं। यहां तक जाने का कोई आम रास्ता भी नहीं। ऐसे में माना जा रहा है कि हत्यारे इस जगह से अच्छी तरह परिचित थे। 11 को ही बरामद हुआ था बैगइस मामले में यह खुलासा भी हुआ है कि 11 नवंबर को यानी छात्रा के गायब होने के अगले ही दिन उसका स्कूल बैग सोरांव के देवरिया गांव से बरामद हो गया था। इसमें मृतका का आधार कार्ड के अलावा एक छोटा मिरर भी मिला था। कुछ दूर पर सिंदूर की एक डिबिया भी पड़ी थी। 12 नवंबर की सुबह कैंट पुलिस ने पहुंचकर बैग व अन्य सामान अपने कब्जे में ले लिया था। घर पर छोड़ गई थी मोबाइलछात्रा मोबाइल फोन चलाती थी लेकिन घटना वाले दिन वह अपना मोबाइल घर पर ही छोड़ गई थी। इस मोबाइल में सिम नहीं था। वह घर में लगे वाईफाई से मोबाइल चलाती थी। हालांकि उसके मोबाइल से चैट व मैसेज डिलीट मिले हैं। अफसर बोले...डीसीपी मनीष कुमार शांडिल्य का कहना है कि अलग-अलग तीन टीमें इस मामले के खुलासे के लिए लगा दी गई हैं। छात्रा के जानने वालों का भी पता लगाया जा रहा है। सभी बिंदुओं को ध्यान में रखकर जांच की जा रही है।
आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस(AI) का इस्तेमाल करके क्लासरूम में बच्चों को पढ़ाने से लेकर उनका होमवर्क चेक करने तक सब कुछ आसान हो जाएगा। सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन देशभर के टीचर्स को एआई की ट्रेनिंग देने की शुरुआत आज से कर रहा है। सीबीएसई टीचर्स को एआई जरिए पढ़ाने और टीचिंग से संबंधित अन्य कार्यों को करने के आसान फार्मूले बताएगा। सीबीएसई NCERT के जरिए देशभर के टीचर्स को एआई के बारे में जानकारी देने जा रहा है। आज से 21 नवंबर तक यूट्यूब लाइव स्ट्रीमिंग के जरिए ट्रेनिंग दी जाएगी। सीबीएसई ने सभी स्कूल प्रिंसिपल्स को सख्त हिदायतें की हैं कि अपने टीचर्स को इस ट्रेनिंग सेशन में शामिल करें और ट्रेनिंग के बाद उनसे रिपोर्ट लें। ट्रेनिंग5 दिन तक दोपहर 12:30 बजे से 1.15 बजे तक दी जाएगी। क्या है इस प्रशिक्षण का उद्देश्य AI अब सिर्फ टेक कंपनियों या इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स का विषय नहीं रहा, बल्कि यह स्कूलों में पढ़ने-सीखने की प्रक्रिया का भी महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है। इसीलिए एनसीईआरटी ने यह ट्रेनिंग विशेष रूप से शिक्षकों को ध्यान में रखते हुए डिजाइन की हे। ट्रेनिंग में टीचर्स को बताएंगे AI के इस्तेमाल का तरीका ट्रेनिंग सेशन में एनसीईआरटी के विशेषज्ञ टीचर्स को AI के बारे में जानकारी देंगे और उन्हें बताएंगे कि वो क्लासरूम में और अन्य गतिविधियों में एआई का इस्तेमाल किस तरह से कर सकते हैं। एआई के जरिए बच्चों का अवलोकन कैसे कर सकते हैं। इस ट्रेनिंग सेशन में टीचर्स एक्पर्ट के साथ सवाल जवाब भी कर सकेंगे। टीचर्स के साथ स्टूडेंट्स को मिलेगा इसका फायदा सीबीएसई के डायरेक्टर(स्किल एजुकेशन) प्रोफेसर डॉ बिस्वजीत साहा का कहना है कि टीचर्स को AI की ट्रेनिंग से बहुत फायदा मिलने वाला है। उन्होंने कहा कि इससे जहां टीचर्स के लिए टीचिंग आसान हो जाएगी वहीं इसका फाया स्टूडेंट्स को भी मिलेगा। टीचर्स एआई का इस्तेमाल करके क्लास के हर बच्चे का असेसमेंट करके उसे उसकी जरूरत के हिसाब से पढ़ा सकेंगे। टीचर्स एआई के जरिए हर बच्चे के लिए अलग से होमवर्क, असाइनमेंट व अन्य चीजें तैयार कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि स्टडी में एआई का इस्तेमाल एक गेमचेंजर साबित हो सकता है। एआई के इस्तेमाल से इस तरह होगी टीचिंग आसान जानिए: लेसन प्लान और पढ़ाने की सामग्री तैयार करना एआई की मदद से शिक्षक कुछ ही मिनटों में पूरा लेसन प्लान, वर्कशीट, क्विज़ और प्रेजेंटेशन तैयार कर सकते हैं। इससे शिक्षकों का काफी समय बचेगा और वे बच्चों पर ज्यादा ध्यान दे पाएंगे। एआई विषय के अनुसार अलग-अलग स्तर की सामग्री भी तैयार करेगा, जिससे बच्चों को बेहतर, व्यवस्थित और आधुनिक तरीकों से पढ़ाया जा सकता है। यह क्लासरूम की दक्षता बढ़ाने में बेहद उपयोगी है। हर बच्चे के अनुसार पढ़ाई एआई बच्चों के टेस्ट, होमवर्क और क्लासरूम बिहेवियर का एनालिसिस करके बताएगा कि कौन बच्चा किस लेवल पर है और उसे कैसी सामग्री चाहिए। इससे शिक्षक कमजोर और तेज दोनों प्रकार के छात्रों को उनके स्तर के अनुसार पढ़ा सकते हैं। एआई द्वारा सुझाए गए अभ्यास, क्विज़ और उदाहरण बच्चों की व्यक्तिगत जरूरतों को पूरा करेंगे। इससे बच्चों के सीखने की रफ्तार बढ़ती है और हर बच्चा अपनी क्षमता के अनुसार आगे बढ़ पाएगा। कॉपी जांचने और तुरंत फीडबैक देने में सहायता शिक्षक एआई के माध्यम से स्टूडेंट्स की कॉपियों में भाषाई गलतियां, गणितीय स्टेप्स या तथ्यों की गलतियां जल्दी पहचान सकते हैं। एआई बुनियादी जांच कर तुरंत फीडबैक दे देता है, जिससे शिक्षक का समय बचेगा। स्टूडेंट्स अपनी गलतियां तुरंत सुधार सकते हैं। इससे मूल्यांकन तेज और सटीक हो जाएगा। कठिन विषयों को सरल और रोचक बनाना एआई विज्ञान, गणित जैसे कठिन विषयों को 3D मॉडल, एनिमेशन, इंटरेक्टिव वीडियो और सिमुलेशन के माध्यम से बहुत आसान बना देता है। बच्चे जो बातें सिर्फ किताब में पढ़कर नहीं समझ पाते, उन्हें विजुअल रूप में देखकर तुरंत समझ जाते हैं। इससे जटिल अध्याय सरल हो जाते हैं और क्लास में बच्चों की रुचि बढ़ती है। यह तरीका खासकर उन छात्रों के लिए उपयोगी है जिन्हें विजुअल लर्निंग अधिक पसंद होती है। स्पेशल नीड्स वाले बच्चों की सहायता एआई सुनने, बोलने या पढ़ने में कठिनाई वाले बच्चों के लिए बड़ा सहायक साबित हो रहा है। स्पीच–टू–टेक्स्ट, टेक्स्ट–टू–स्पीच, ऑडियो डिस्क्रिप्शन और व्यक्तिगत अभ्यास जैसे टूल्स उनकी सीख को आसान बनाते हैं। डिस्लेक्सिया वाले छात्रों को पढ़ने में मदद मिलती है, जबकि दृष्टिबाधित बच्चे ऑडियो आधारित सामग्री से पढ़ सकते हैं।
पानी की बचत, लागत कम, मुनाफा चार गुना। ऐसा संभव हुआ परंपरागत धान की खेती छोड़ मिलेट्स की खेती अपनाने से। मिलेट्स अर्थात मक्का, बाजरा और रागी। ऐसा कर दिखाया है भोजपुर जिले के कुल्हड़िया के किसान रवींद्र सिंह ने। रवींद्र उर्फ भोला सिंह ने इन फसलों से होने वाले लाभ के बाद नाबार्ड और कृषि विज्ञान केंद्र, भोजपुर के सहयोग से प्रोसेसिंग यूनिट भी लगा लिया है। इससे वे बाजरा व मक्के का आटा, दरिया, बिस्किट, टोस्ट व ब्रेड बनाते हैं। इन उत्पादों को बिहार के विभिन्न जिलों के अलावा झारखंड तक भेजा जाता है। उनके मिलेट्स उपजाने से इलाके का खेती पैटर्न भी बदल गया है। जो लोग पहले धान की खेती करते थे, उनकी देखादेखी मिलेट्स उपजा रहे हैं। टेल्को की जॉब छोड़कर खेती-किसानी शुरू की रवींद्र ने टेल्को की जॉब छोड़कर खेती-किसानी शुरू की। जमशेदपुर में जॉब करते थे। इसे छोड़कर अपने गांव कुल्हड़िया लौटे। यहां पुश्तैनी जमीन में धान की खेती होती थी। उन्होंने बदलाव की ठानी और मिलेट्स की फसल उपजाना शुरू कर दिया। रवींद्र बताते हैं कि उन्होंने 10 साल पहले धान की खेती छोड़कर मिलेट्स की खेती का रुख किया। ऐसा करने के पीछे तर्क यह है कि धान की खेती में पानी बेहिसाब लगता है। उत्पादन से ज्यादा लाभ नहीं हो पाता। धान की खेती में लागत ज्यादा बैठ जाती है। मक्के व बाजरे की खेती में लागत कम व पानी की खपत भी कम होती है। रवींद्र कुल्हाड़िया में मिलेट्स की खेती करने वाले पहले किसान उन्होंने बताया कि सात बीघा खेत में मिलेट्स की फसल उपजाते हैं। वे कुल्हड़िया में मिलेट्स की खेती करने वाले पहले किसान थे। उनसे प्रेरित होकर अन्य किसानों ने भी धान छोड़कर इसकी खेती शुरू की। अब उनके इलाके के करीब 80 प्रतिशत किसान मिलेट्स उपजाते हैं। धान की तुलना में ज्यादा मुनाफा भी पाते हैं। उन्होंने बताया कि उनके गांव कुल्हड़िया की मिट्टी दोमट है। जिस खेत में पानी ठहरता न हो वैसे खेत के लिए मिलेट्स की खेती ज्यादा उपयुक्त होती है। ऐसे में सिंचाई पर होने वाला खर्च भी काफी कम होता है। धान की तुलना में तो काफी कम पानी लगता है। धान के बाद बुआई, फसल उससे पहले ही तैयार रवींद्र के मुताबिक जिस समय धान की खेती शुरू की जाती है उसके बाद मिलेट्स की बुआई करते हैं और धान से पहले फसल काट भी लेते हैं। धान की फसल अमूमन 135 से 155 दिनों में परिपक्व होता है, जबकि जून में बोई जाने वाली मिलेट्स की फसल 80 से 90 दिनों में तैयार हो जाती है। धान की तुलना में लाभ चार गुना होता है। रवींद्र अब रागी का बिस्कुट बनाने की तैयारी भी कर रहे हैं। इसके अलावा ओट्स भी तैयार करेंगे। उनका कहना है कि परंपरागत खेती की जगह मिलेट्स की खेती में काफी संभावना है। इसे अपनाने से किसान खुशहाल बन सकते हैं। इन प्रगतिशील किसान से और जानें 6201598380 --------------------- यह खबर दूसरों से भी शेयर करें --------------------- आप भी किसान हैं और कोई अनोखा नवाचार किया है तो पूरी जानकारी, फोटो-वीडियो अपने नाम-पते के साथ हमें 8770590566 पर वाट्सएप करें। ध्यान रहे, आपका किया काम किसी भी मीडिया या सोशल मीडिया में जारी न हुआ हो।
राजस्थान में बुजुर्गों को घर बैठे मुफ्त दवा पहुंचाने की योजना इसी साल सरकार के 2 साल पूरे होने पर लागू हो सकती है। पहले चरण में सरकारी सेवा से रिटायर हुए चार लाख से अधिक पेंशनधारियों को राजस्थान गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम (RGHS) कार्ड के तहत उन्हें दवाई की होम डिलीवरी की सुविधा दी जाएगी। अच्छा फीडबैक मिलने पर दूसरे चरण में इसे सभी वर्ग के 70 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों के लिए लागू किया जाएगा। इसके लिए तमिलनाडु में घर-घर राशन पहुंचाने वाले मॉडल की स्टडी की जा रही है। इससे पहले भास्कर ने विभाग के अफसरों से बात कर कई सवालों के जवाब जाना कि योजना पर अभी कितना काम हुआ है? कब तक लागू होने के आसार हैं? घर बैठे दवा पाने की प्रोसेस क्या होगी? पढ़िए मंडे स्पेशल स्टोरी… सरकार के 2 साल पूरे होने पर हो सकती है घोषणाभजनलाल सरकार ने इस बार बजट में 70 वर्ष से अधिक के बुजुर्गों के लिए आवश्यकतानुसार घर पर ही नि:शुल्क दवा उपलब्ध कराने की घोषणा की थी। यह साल के अंत में यह घोषणा मूर्त रूप लेने जा रही है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख सचिव गायत्री राठौड़ के निर्देशों पर राजस्थान गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम और स्टेट हेल्थ एश्योरेंस एजेंसी तेजी से काम कर रही है। शुरुआत में चार लाख 21 हजार पेंशन कर्मियों को इस साल के अंत तक घर पर ही दवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। इसके बाद दूसरे चरण में सभी वर्ग के 70 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्गों के लिए इसे लागू करने का विचार है। योजना पर कितना काम हुआ है?स्टेट हेल्थ एश्योरेंस एजेंसी (RGHS) के सीईओ हरजी लाल अटल ने बताया कि पेंशनर्स को डोर स्टेप डिलीवरी की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए कार्ययोजना बनाई गई है। आरजीएचएस के प्रोजेक्ट डायरेक्टर की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई है। इस कमेटी में आईटी, एकाउंट्स और अन्य एक्सपट्र्स शामिल हैं। ये इसका पूरा प्रस्ताव तैयार कर रहे हैं। संभावना है कि अगले एक सप्ताह में कमेटी अपनी कार्य योजना की रिपोर्ट सौंप देगी। इसके बाद डोर स्टेप डिलीवरी के लिए टेंडर के माध्यम से एजेंसी को हायर किया जाएगा। ये एजेंसी ही पेंशन कर्मियों को घर-घर दवाएं उपलब्ध कराएगी। घर बैठे दवा का फायदा कैसे मिलेगा?पेंशनर्स को आसानी से घर पर दवाएं उपलब्ध कराने का पूरा सिस्टम ऑनलाइन ही होगा। जिस पेंशनर्स को भी दवा की जरूरत है, उसे आरजीएचएस पोर्टल पर लॉगिन करना होगा। पोर्टल के अलावा ऐप लाने का भी विचार चल रहा है। दोनों जगह डोर स्टेप डिलीवरी का चयन करना होगा। वहीं, पेंशनर्स अगर खुद जाकर मेडिकल स्टोर से दवा लेना चाहते है तो उसका ऑप्शन भी दिया जाएगा। स्टेट हेल्थ एश्योरेंस एजेंसी के सीईओ हरजी लाल अटल ने बताया कि टेंडर के जरिए जिस एजेंसी का चयन होगा, वही दवाएं सप्लाई करेगी। इस योजना में अलग-अलग मेडिकल स्टोर को रजिस्टर किया जाएगा। पेंशनर्स द्वारा ओपीडी में दिखाए जाने के बाद पर्ची को पोर्टल या ऐप पर अपलोड करना होगा। जिसके बाद एजेंसी अपने पंजीकृत मेडिकल स्टोर से दवाएं लेकर पेंशनर्स के घर पर सप्लाई करवाएगी। इस पूरी प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए एजेंसी को पेंशनर्स का पूरा डेटा शेयर किया जाएगा। डेटा में पेंशनर का नाम, पता, पिनकोड, मोबाइल नंबर की जानकारी होगी। दवा जल्द से जल्द डिलीवर हो जाए इसे भी सुनिश्चित किया जाएगा। कौन-कौन से शहरों में यह सुविधा दी जाएगी?यह योजना पूरे प्रदेशभर के लिए है। लेकिन डोर स्टेप डिलिवरी स्कीम को पहले पायलट प्रोजेक्ट के तहत बड़े शहरों में ही लागू किया जाएगा। इनमें जयपुर-जोधपुर जैसे बड़े शहर शामिल किए जा सकते हैं, जहां पेंशनर्स की संख्या ज्यादा हो। जैसे-जैसे योजना की कमियां-खामियां सामने आएंगी, उन्हें दुरुस्त कर बाकी शहरों में भी इसे लागू कर दिया जाएगा। स्टेट हेल्थ एश्योरेंस एजेंसी के सीईओ हरजी लाल ने बताया कि स्कीम में सामने आने वाली खामियों को दूर करते हुए चरणबद्ध तरीके से अन्य शहरों में भी विस्तार किया जाएगा। गंभीर बीमारियों से ग्रसित मरीजों को बार-बार पर्ची से राहतगंभीर बीमारियों से ग्रसित ऐसे मरीज जिनकी दवाएं रेगुलर चल रही हैं और उनकी दवा में डॉक्टर ने किसी तरह का कोई बदलाव नहीं किया है तो ऐसे में उस मरीज को बार-बार ओपीडी में डॉक्टर को दिखाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। एक बार दिखाने के बाद हर महीने मरीज की डिमांड पर दवाएं डोर स्टेप डिलीवरी के तहत उपलब्ध करा दी जाएंगी। हालांकि इस श्रेणी में कौन-कौन सी बीमारियों को शामिल किया जाना है, ये आने वाले दिनों में तय किया जाएगा। माना जा रहा है कि डायबिटीज, हृदय रोग, किडनी से संबंधित पेंशनर्स मरीजों को पहले चरण में दवाएं उपलब्ध कराने की मंशा है। 70 साल से अधिक आयु के बुजुर्गों को कब मिलेगी सुविधा?पेंशनर्स के अलावा सभी वर्ग के 70 साल से अधिक आयु के बुजुर्गों को भी इसी डोर स्टेप योजना में शामिल करने पर भी काम चल रहा है। पहले चरण की सफलता के बाद जल्द ही इस मॉडल को लागू करने की योजना है। स्वास्थ्य विभाग ने इसके लिए तमिलनाडु में राशन की होम डिलीवरी करने वाले मॉडल की स्टडी की है। तमिलनाडु में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत राशन सीधे घर-घर पहुंचाया जा रहा है। लेकिन राजस्थान में दवाएं घर-घर पहुंचाने के लिए तमिलनाडु मॉडल राजस्थान में कितना कामयाब हो सकता है, इस पर एक्सपर्ट विचार कर रहे हैं। इसमें ये भी विचार आया है कि आशा सहयोगिनियों के माध्यम से भी दवाएं घर-घर पहुंचाई जा सकती हैं। सरकार के दो साल पूरे होने या फिर नए साल के साथ होगी शुरुआतपेंशनर्स और 70 साल से अधिक आयु के बुजुर्गों को घर पर ही दवाएं उपलब्ध कराने के लिए डोर स्टेप डिलीवरी सिस्टम लागू करने के लिए उद्देश्य से इस पर तेजी से काम हो रहा है। राज्य सरकार के दो साल पूरे होने या फिर नए साल की शुरुआत के साथ इस सिस्टम को लागू कर दिया जाएगा। इसके पीछे मंशा यह है कि बुजुर्ग मरीजों को अस्पतालों में दवाएं लेने के लिए कतारों में घंटों खड़े नहीं रहना पड़े और वे आसानी से घर पर ही दवाएं मंगवा सकें। क्या होता है डोर स्टेप डिलीवरी सिस्टम?डोर स्टेप डिलीवरी का मतलब है कि आपका सामान विक्रेता से सीधे आपके घर तक पहुंचाना। इसके लिए किसी स्टोर या पिकअप पॉइंट पर जाने की जरूरत नहीं है। इससे आपका समय और मेहनत बचती है। किसी दुकान या कूरियर ऑफिस तक गाड़ी चलाने के बजाय, डिलीवरी करने वाला व्यक्ति आपके पते पर आता है। इसे ही डोर-टू-डोर डिलीवरी सेवा कहा जाता है।
बिहार विधानसभा चुनाव में हार के बाद लालू परिवार में अभी कलह की स्थिति है। इसके लिए जिम्मेदार लालू की बेटी रोहिणी आचार्या ने तेजस्वी यादव, रणनीतिकार संजय यादव और रमीज नेमत को ठहराया है। इन सब के बीच लालू प्रसाद के बड़े बेटे तेजप्रताप ने भी अपनी हार पर समीक्षा की। तेजप्रताप ने रविवार को अपनी पार्टी जनशक्ति जनता दल की बैठक अपने आवास पर बुलाई थी। तेजप्रताप यादव महुआ से चुनाव लड़े थे, यहां वे तीसरे नंबर पर रहे। इस सीट से लोजपा (आर) के संजय कुमार सिंह जीते हैं। जनशक्ति जनता दल की बैठक में फैसला हुआ कि पार्टी नीतीश-बीजेपी की सरकार को नैतिक समर्थन देगी। बैठक से पहले एनडीए घटक दल हम के नेता दानिश रिजवान भी तेजप्रताप से मिले थे। इसके अलावा तेजप्रताप यादव ने कार्यकर्ताओं से कहा कि लालू प्रसाद की असली पार्टी जनशक्ति जनता दल है। दीदी रोहिणी आचार्या को हम जनशक्ति जनता दल में लाएंगे और उन्हें पार्टी का संरक्षक बनाएंगे। उनके संरक्षण में जनशक्ति जनता दल को आगे बढ़ाएंगे। तेजप्रताप यादव ने अपनी पार्टी की हार पर कहा कि हम हार पर झुकने वाले नहीं हैं। अब हम बिहार में जिलावार कार्यक्रम करेंगे। हर जिले में बैठक करेंगे और पार्टी को मजबूत करेंगे। पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं को संगठन में पद दिया जाएगा। जनता के जनादेश का हमारी पार्टी सम्मान करती है जनशक्ति जनता दल के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम कुमार ने कहा कि बैठक में तय हुआ है कि जनता ने एनडीए की सरकार को चुना है। जनता के जनादेश का हमारी पार्टी सम्मान करती है, इसलिए पार्टी अपना नैतिक समर्थन देगी। बिहार में तेजप्रताप यादव निकलेंगे और हर जिले में दो-दो दिनों का प्रवास होगा। वे जनता के मुद्दों को उठाएंगे और सरकार से समाधान की मांग करेंगे। प्रेम के अनुसार तेजप्रताप यादव ने बैठक में कहा है कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में सरकार काम करे और बिहार के लोगों का भला हो। रोहिणी आचार्या के पैर पकड़कर मार्गदर्शन का आग्रह करेंगे प्रेम ने कहा कि बड़ी बहन रोहिणी आचार्या से हमलोग मिलेंगे और उनसे पैर पकड़ कर आग्रह करेंगे कि हमारी पार्टी का मार्गदर्शन करें। बिना बड़ी बहन के आशीर्वाद से युद्ध जीतना संभव नहीं है। जिस घर में बड़ी बहन का सम्मान नहीं हो, बड़े भाई का सम्मान नहीं हो उस पर क्या कहना। प्रेम ने कहा कि राष्ट्रीय जनता दल में अब कुछ नहीं रह गया है। लालू प्रसाद यादव और बड़ी बहनों का आशीर्वाद तेजप्रताप यादव के साथ है। उन्होंने कहा कि जयचंदों पर हम चर्चा नहीं करते। जयचंदों की वजह से ही आरजेडी की यह दुर्दशा हुई है। तेजस्वी ने जो किया उसकी स्थिति आप देख रहे हैं। जिन्होंने कृष्ण जैसे भाई तेजस्वी यादव का सम्मान नहीं किया वह अर्जुन नहीं बन पाएगा। आरएसएस को टक्कर देने वाले बीजेपी सरकार को समर्थन दे रहे नीतीश कुमार और भारतीय जनता पार्टी की सरकार को नैतिक समर्थन देने की बात कहकर तेजप्रताप यादव ने साफ कर दिया कि उनकी धारा आरजेडी से बिल्कुल अलग हो चुकी है। वे पहले कह भी चुके हैं कि मर जाना कबूल करेंगे लेकिन आरजेडी में वापस नहीं जाएंगे। तेजप्रताप यादव जब तक आरजेडी में रहे वे बीजेपी के विरोधी रहे। उन्होंने एक संगठन बनाया था डीएसएस (धर्म निरपेक्ष सेवक संघ)। संगठन के बारे में वे कहते थे कि आरएसएस से मुकाबले के लिए उन्होंने डीएसएस बनाया है, लेकिन बदलती राजनीति में उनके विचार बदलते हुए दिख रहे हैं। वे भाजपा की सरकार को नैतिक समर्थन देने की बात कर रहे हैं। चुनाव के समय तेजप्रताप को केंद्र की मोदी सरकार ने वाई प्लस सुरक्षा दी तब भी उनका झुकाव साफ हो गया था। तेजप्रताप पर संदेह, राजद के विरोधी मदद कर रहे हैं, राजनीतिक विश्लेषक ओम प्रकाश अश्क ने बताएं 5 प्वाइंट ... 1. आरजेडी के विरोध में अपनी नई पार्टी जनशक्ति जनता दल बनाना। 2. महुआ के बहाने तेजस्वी के खिलाफ बयानबाजी करना। 3. सेन्ट्रल सिक्यूरिटी वाई प्लस की सुविधा का मिलना। 4. नीतीश सरकार या एनडीए की सरकार को समर्थन देना। 5. रोहिणी को संरक्षक बनाने का ऐलान करना। ये 5 ऐसे प्वाइंट हैं जिससे लगता है कि आरजेडी के विरोधी खेमा से तेजप्रताप को मदद मिल रही है। ये संदेह के बिंदू हैं। ओम कहते हैं कि तेजप्रताप की गतिविधियों का तात्कालिक असर आरजेडी पर नहीं पड़ेगा, लेकिन वे इसी मूड में रहें तो आने वाला समय आरजेडी के लिए मुश्किल भरा हो सकता है। तेजस्वी को ‘फेलस्वी’ तक कह रहे हैं। रोहिणी ने किया था फेसबुक पोस्ट... अब पढ़िए रोहिणी आचार्या ने क्या कहा था ? लालू प्रसाद की बेटी रोहिणी आचार्या ने अपने पोस्ट पर लिखा था कि ‘तेजस्वी यादव, संजय यादव और रमीज ने मुझे परिवार से निकाला है। मुझे गालियों के साथ बोला गया कि मैं गंदी हूं और मैंने अपने पिता को अपनी गंदी किडनी लगवा दी, करोड़ों रुपए लिए, टिकट लिया तब गंदी किडनीलगवाई। सभी बेटी-बहन जो शादीशुदा हैं उनको मैं बोलूंगी कि जब आपके मायके में कोई बेटा-भाई हो तो भूलकर भी अपने भगवान रूपी पिता को नहीं बचाएं , अपने भाई, उस घर के बेटे को ही बोले कि वो अपनी या अपने किसी हरियाणवी दोस्त की किडनी लगवा दे। सभी बहन-बेटियां अपना घर-परिवार देखें, अपने माता-पिता की परवाह किए बिना अपने बच्चे, अपना काम, अपना ससुराल देखें, सिर्फ अपने बारे में सोचें। मुझसे तो ये बड़ा गुनाह हो गया कि मैंने अपना परिवार, अपने तीनों बच्चों को नहीं देखा। किडनी देते वक्त न अपने पति, न अपने ससुराल से अनुमति ली। अपने भगवान, अपने पिता को बचाने के लिए वो कर दिया जिसे आज गंदा बता दिया गया। आप सब मेरी जैसी गलती कभी ना करे किसी घर रोहिणी जैसी बेटी ना हो।’
सरकार बदलने पर कैसे अफसरों के सुर और जांच रिपोर्ट बदल जाती है, ये सतना के 5 साल पुराने कथित जमीन घोटाले के मामले से समझा जा सकता है। शिवराज सरकार के दौरान सतना में हुए 40 एकड़ के कथित जमीन घोटाले में जिस आईएएस अधिकारी को पहली नजर में दोषी मानकर आरोप पत्र थमा दिया गया था, अब उसी अधिकारी को डॉ. मोहन यादव की सरकार में पूरी तरह से दोषमुक्त करार दे दिया गया है। यह पूरा मामला 2012 बैच के आईएएस अफसर अजय कटेसरिया से जुड़ा है, जो फरवरी 2020 से दिसंबर 2021 तक सतना के कलेक्टर थे। उन पर 40 एकड़ से अधिक की बेशकीमती सरकारी जमीन को नियमों को ताक पर रखकर निजी लोगों के नाम करने के गंभीर आरोप लगे थे। हैरत की बात यह है कि जिस रीवा कमिश्नर की जांच रिपोर्ट ने उन्हें दोषी ठहराया था, उसी कमिश्नर कार्यालय ने बाद में उन्हें क्लीन चिट दे दी। जिसके आधार पर सामान्य प्रशासन विभाग ने 7 नवंबर 2025 को उन्हें सभी आरोपों से बरी करने का आदेश जारी कर दिया। यह मामला अब प्रशासनिक और राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है। आखिर कुछ ही महीनों में ऐसा क्या बदला कि जांच की दिशा और नतीजा दोनों ही 180 डिग्री घूम गए...पढ़िए, रिपोर्ट सरकारी जमीनों को निजी व्यक्तियों के नाम कर दियाअजय कटेसरिया जब सतना के कलेक्टर थे, तब उन पर आरोप लगा कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए कई मामलों में सरकारी जमीनों को निजी व्यक्तियों के नाम कर दिया। कुछ मामलों में तो उन्होंने राजस्व दस्तावेजों से 'शासकीय' शब्द को ही विलोपित (डिलीट) करवा दिया। ये आरोप सामने आने के बाद तत्कालीन शिवराज सरकार ने इसे गंभीरता से लिया, क्योंकि कलेक्टर को सरकारी जमीनों का संरक्षक माना जाता है। मामला तूल पकड़ने के बाद दिसंबर 2021 में सरकार ने कटेसरिया का तबादला सतना कलेक्टर के पद से हटाकर मंत्रालय में महिला एवं बाल विकास विभाग में उप सचिव के तौर पर कर दिया और पूरे मामले की जांच बैठा दी। वर्तमान में कटेसरिया सामान्य प्रशासन विभाग में पदस्थ हैं। चार मामले...कटेसरिया को दी चार्जशीट में इनका जिक्र तत्कालीन रीवा कमिश्नर ने कटेसरिया को दोषी माना थामामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच तत्कालीन रीवा कमिश्नर अनिल सुचारी को सौंपी गई। कमिश्नर सुचारी ने अपनी विस्तृत जांच में कलेक्टर अजय कटेसरिया को इन गड़बड़ियों के लिए सीधे तौर पर दोषी पाया। उन्होंने अपनी रिपोर्ट सामान्य प्रशासन विभाग को भेज दी। इसी रिपोर्ट के आधार पर सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) ने 30 मार्च 2022 को कटेसरिया के खिलाफ आरोप पत्र जारी किया और उनसे 15 दिन के भीतर जवाब मांगा। शिवराज ने दी थी चेतावनी- बेईमानों को छोड़ूंगा नहींयह मामला कितना हाई प्रोफाइल था, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसे सार्वजनिक मंच पर उठाया था। 10 अप्रैल 2022 को चित्रकूट में गौरव दिवस के एक कार्यक्रम में उन्होंने कटेसरिया का नाम लिए बिना कहा था कि सतना के पुराने कलेक्टर के बारे में मुझे पता चला है। उन्होंने करोड़ों की सरकारी जमीन निजी कर दीं। मैंने इस मामले में जांच बैठा दी है और कार्रवाई की जाएगी। मैं बेईमानों को छोड़ूंगा नहीं। अब इसके पीछे मैं पड़ जाऊंगा। शिवराज के इस बयान के बाद यह तय माना जा रहा था कि कटेसरिया पर बड़ी कार्रवाई हो सकती है। विवादों में रहा कटेसरिया का कार्यकालअजय कटेसरिया का सतना कलेक्टर का कार्यकाल काफी चर्चित रहा था। कमलनाथ सरकार गिरने से ठीक एक महीने पहले फरवरी 2020 में उनकी पोस्टिंग हुई थी। शिवराज सरकार आने के बाद भी वे पद पर बने रहे। शुरुआत में उन्होंने सरकारी जमीनों को माफिया और नेताओं के कब्जे से छुड़ाने का अभियान छेड़ा, जिससे वे काफी चर्चा में आए। उन्होंने कोर्ट परिसर और पुराने कलेक्ट्रेट से लगी 2 एकड़ जमीन को दोबारा शासकीय घोषित कर दिया था, जिस पर एक रिहायशी कॉलोनी बस गई थी। सूत्रों के अनुसार, जब उन्होंने पूर्व मंत्री और कांग्रेस के कद्दावर नेता राजेंद्र कुमार सिंह की अमरपाटन स्थित जमीन और ब्लॉक कांग्रेस कार्यालय को सरकारी घोषित किया, तो वे सत्तारूढ़ दल की प्रशंसा के पात्र बन गए। जब उनकी कार्रवाई का दायरा बढ़ा और उन्होंने तत्कालीन पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रामखेलावन पटेल की जमीन को भी सरकारी घोषित कर दिया, तो प्रशासनिक गलियारों में यह चर्चा आम हो गई कि अब कलेक्टर का हटना तय है। इसके कुछ ही समय बाद जमीन विवाद के आरोप सामने आए और उन्हें सतना से हटा दिया गया। कैसे दोषी से निर्दोष बन गए कटेसरियाकमिश्नर अनिल सुचारी की रिपोर्ट पर GAD ने कटेसरिया को आरोप पत्र तो दे दिया, लेकिन इसके बाद जांच की प्रक्रिया धीमी पड़ गई। कटेसरिया को हटाने के बाद अनुराग वर्मा को सतना का नया कलेक्टर बनाया गया, जिन्होंने इन विवादित जमीनों की फाइलें फिर से खुलवा दी थीं। इस मामले में सबसे बड़ा मोड़ तब आया, जब कटेसरिया ने GAD द्वारा जारी आरोप पत्र का जवाब दाखिल किया। उनके जवाब के बाद GAD ने नियमों के तहत एक बार फिर रीवा कमिश्नर कार्यालय से अभिमत (ओपिनियन) मांगा। इस दौरान प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हो चुका था और शिवराज सिंह चौहान की जगह डॉ. मोहन यादव मुख्यमंत्री बन चुके थे। कटेसरिया का जवाब और बचावकटेसरिया को पहला आरोप पत्र 30 मार्च 2022 और अतिरिक्त आरोप पत्र 24 जुलाई 2024 को जारी किया गया था। अपने जवाब में कटेसरिया ने कहा- ...और आखिर में मिली क्लीन चिटकटेसरिया के इस जवाब को जब दोबारा अभिमत के लिए रीवा कमिश्नर कार्यालय भेजा गया, तो इस बार की रिपोर्ट उनके पक्ष में आई। नई रिपोर्ट में उनके तर्कों को सही माना गया। इसी नई रिपोर्ट को आधार बनाकर सामान्य प्रशासन विभाग ने 7 नवंबर 2025 को अंतिम आदेश जारी करते हुए अजय कटेसरिया को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया। आदेश में कहा गया कि उन पर लगे आरोप सिद्ध नहीं होते हैं। ये खबर भी पढ़ें... 6 करोड़ का बारदाना खा गए सहकारिता के अफसर ग्वालियर में जिला सहकारी केंद्रीय बैंक और प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से 6 करोड़ रुपए से अधिक के 'बारदाना' (जूट और प्लास्टिक की बोरियां) घोटाले को अंजाम दिया गया। इसमें 29 प्रशासक-समिति प्रबंधक और 143 सोसायटियों के इंस्पेक्टर सीधे तौर पर शामिल थे। पढ़ें पूरी खबर...
मौत को मात देकर, जिंदगी हासिल करने वाली वामिका 17 दिन को हो गई है। यह वही नवजात बच्ची है, जिसके दिल में छेद होने के कारण मुंबई भेजा गया था। 9 दिनों तक वेंटिलेटर के सहारे NICCU में रखने के बाद 16 नवंबर को उसे बिना वेंटिलेटर के सहारे HNCU वार्ड में शिफ्ट किया है। अब जल्द ही वामिका को लेकर पिता वापस जबलपुर आएंगे। 3 नवंबर को जन्म लेने वाली नवजात बालिका के दिल में छेद होने के कारण उसे राज्य सरकार की मदद से एयरलिफ्ट करते हुए नारायणा अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। 5 घंटे लगातार चला आपरेशन3 नवंबर को वामिका ने अपने जुड़वा भाई दिवित के साथ जन्म लिया। भाई तो पूरी तरह से स्वस्थ था, लेकिन जांच के दौरान पता चला कि वामिका के दिल में जन्मजात छेद है। 4 नवंबर को बच्ची के पिता को डाॅक्टरों ने बताया कि बच्ची के दिल में छेद है। इसका इलाज सिर्फ मुंबई के नारायणा हास्पिटल में ही होता है। इलाज के लिए पिता ने 5 नवंबर को आरबीएसके और स्वास्थ्य विभाग से मदद मांगी, जिसके बाद चंद घंटे में ही छुट्टी के दिन दस्तावेज तैयार किए और एयर एम्बुलेंस से नारायणा अस्पताल भेजा गया। 7 नवंबर को डा. प्रदीप कौशिक (सीनियर सर्जन) और डा सुप्रितिम सेन (सीनियर कंसलटेंट,पीडियाट्रिक कार्डियोलाजिस्ट) ने लगातार 5 घंटे तक एक के बाद एक दो मेजर आपरेशन किए। डे-5 लाइफ में हुआ आपरेशन: डॉ. सुप्रितिम नारायण अस्पताल में पदस्थ डाॅ. सुप्रितिम सेन ने दैनिक भास्कर से बात करते हुए बताया कि 3 बच्ची Transposition of the Great Arteries से जूझ रही थी। इसमें जान बचाना है, तो जितनी जल्दी हो सके आपरेशन करना अनिवार्य होता है। 6 नवंबर को मध्यप्रदेश सरकार और आरबीएसके विभाग ने मिलकर एयर लिफ्ट करते हुए इसे मुंबई लाया गया तो यह स्थिर हालत में थी। बच्ची की हालत को देखते हुए फौरन आपरेशन की तैयारी की गई, और फिर महज पांच दिन की बच्ची के दो जटिल आपरेशन किए गए। डा सुप्रितिम सेन ने बताया कि 15 दिन की उम्र में इतना जटिल और कठिन आपरेशन आमतौर नहीं किया जाता है, पर नवाजात की लाइफ को देखते हुए यह कदम उठाया गया। सामान्य हो रही है वामिकाडाॅ. सुप्रितिम सेन का कहना है कि आपरेशन 100 प्रतिशत सफल हुआ है। सिर्फ पांच दिन की बच्ची का इतना कठिन आपरेशन बहुत ही कम होते है। उन्होंने बताया कि बेबी का ब्लड प्रेशर, हार्ट रेट, कार्डियक फन्गसन सब रिकवर हो चुका है। उसका वेंटिलेटर भी अलग कर दिया गया है, जिससे वह स्वंय ही सांस ले रही है। बहुत जल्द बेबी सामान्य बच्चों की तरह हो जाएगी। नारायणा हास्पिटल के डाॅ. का कहना है कि समय रहते मध्यप्रदेश सरकार और जिला स्वास्थ्य विभाग ने बच्ची को यहां पर भिजवाया, जिसके चलते ही उसे नई जिंदगी मिली है। पिता बोले-डाॅक्टरों को धन्यवादवामिका के पिता सत्येंद्र दाहिया जो कि जन्म के बाद से ही उसके साथ में है। मुंबई के नारायणा अस्पताल के डाक्टर ने जब रविवार को उन्हें बताया कि बेबी अब खतरे से बाहर है, और उसका वेंटिलेटर भी अलग कर दिया है, तो उनके चेहरे में मुस्कान था। सत्येंद्र ने मध्यप्रदेश सरकार, आरबीएसके सहित स्वस्थ्य विभाग को धन्यवाद दिया है, सभी के प्रयास से बच्ची की जान बच गई है, और उसे नई जिंदगी मिली है। सत्येंद्र का कहना है, कि डाक्टरों का कहना है, कि जल्द ही उसकी छुट्टी हो जाएगी। सत्येंद्र का कहना है कि वामिका को नई जिंदगी देने वाले डाक्टर भगवान है, जिन्होंने कि इतना जटिल आपरेशन को सफलतापूर्वक किया। जरूरतमंद ले सकते हैं आरबीएसके का लाभ आरबीएसके (राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम) के जिला प्रबंधक सुभाष शुक्ला का कहना है कि यह शासन को सबसे महत्वपूर्ण योजनाओं में से एक है, इसके तहत 0 से 18 साल तक के जन्मजात विकृति से ग्रसित बच्चों का इलाज किया जाता है। इस योजना के तहत अगर मदद लेनी है, तो बहुत कम दस्तावेज लगते हैं।सुभाष शुक्ला ने बताया कि बेबी वामिका के इलाज में शासन ने 1 लाख 90 हजार रुपए की मदद की है, जबकि इलाज में करीब 5 लाख से अधिक का खर्च है, ऐसे में नारायणा फाउंडेशन ने बच्ची के पिता को आश्वासन दिया है, कि इलाज में जितना भी खर्च आएगा, वह पूरा हम उठाएंगे। सीएमएचओ डाॅ. संजय मिश्रा का कहना है कि बेबी वामिका जो कि मध्यप्रदेश की पहली ऐसी बच्ची है, जिसकी जान बचाने के लिए राज्य सरकार ने एयरलिफ्ट करते हुए उसे मुंबई भिजवाया था। बच्ची ठीक है, जल्द ही वह पिता के साथ पूरी तरह से स्वस्थ्य होकर जबलपुर आ रही है। यह खबर भी पढ़ें... MP में पहली बार 2 दिन की बच्ची होगी एयरलिफ्ट मध्य प्रदेश के जबलपुर में दो दिन पहले जन्मी बच्ची के दिल में छेद है। इलाज के लिए आज यानी गुरुवार को उसे मुंबई के लिए एयरलिफ्ट किया जाएगा। बच्ची की बीमारी पता चलने पर बुधवार को गुरु नानक जयंती की छुट्टी के दिन राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम का ऑफिस खोला गया और डेढ़ घंटे में प्रक्रिया पूरी की गई। पूरी खबर पढ़ें
शहर में ट्रैफिक का दबाव कम करने के लिए देबारी से काया के बीच 24 किमी लंबा बाइपास बनाया गया था। लेकिन तकनीकी खामियों के चलते यह हाईवे दोनों तरफ बसी आबादी के लिए सुविधा की जगह दुविधा बन गया है। इस रोड का आधा हिस्सा यानी देबारी से लेकर डाकन कोटड़ा तक का 12 किमी शहर और आसपास से जुड़ी आबादी के बीच से गुजर रहा है। लेकिन यहां रहने वाली 30 हजार से ज्यादा शहरी आबादी को इस रोड पर चढ़ने और उतरने के लिए महज दो जगह सर्विस रोड दिए गए हैं। ऐसे में उन्हें हाईवे पर चढ़ने और उतरने के लिए 3 से 4 किमी का चक्कर लगाना पड़ता है। काया बाइपास के इर्द-गिर्द कलड़वास, कानपुर, डाकन कोटड़ा, मनवा खेड़ा पंचायत, उमरड़ा, लकड़वास, झामर कोटड़ा जैसी पंचायतों के सैकड़ों गांव बसे हैं। लेकिन सड़क निर्माण के दौरान इन गांवों को ध्यान में नहीं रखा गया। सबसे ज्यादा मुश्किल कानपुर खेड़ा, कानपुर और खरबेड़िया गांव के लोगों को उठानी पड़ रही है। यहां लगभग 20 हजार की आबादी निवास करती है। हाईवे के दोनों तरफ इनकी जमीन है। ऐसे में अब खेतों में जाने का रास्ता तक नहीं बचा है, क्योंकि पहले जो कच्चे रास्ते थे, वे हाईवे बनने के बाद बंद हो गए। हाईवे पर जाने के लिए 4 किमी दूर सूखा नाका या 3 किमी दूर कलड़वास जाना पड़ता है। ऐसे में लोग देबारी से हाईवे से होते हुए सीधे कानपुर आने के बजाय प्रतापनगर, एकलिंगपुरा का चक्कर काटते हुए गांव आते हैं। हैरानी की बात यह है कि कानपुर में हाईवे के करीब ही इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम भी बनाया जा रहा है। भविष्य को ध्यान में रखते हुए यहां भी सर्विस लेन बनाना जरूरी था। 12 किमी हाईवे आबादी में, सर्विस लेन सिर्फ दो कानपुर पंचायत के पूर्व उपसरपंच मदन लाल डांगी ने बताया कि जब हाईवे का निर्माण चल रहा था और काम पूरा हो गया था, उस समय कच्ची सर्विस लाइन रोड बना रखी थी। जैसे ही हाईवे का काम पूरा हुआ, इस रोड को पूरी तरह से बंद कर दिया गया। यहां पक्की रोड बनाकर सर्विस लेन बनाई जा सकती है। इससे स्थानीय लोगों के साथ शहर में आने-जाने वाले लोगों को भी फायदा होगा। इस मामले को लेकर कई बार हाईवे अथॉरिटी, जिला प्रशासन, सीएम तक को ज्ञापन दे चुके हैं। एनएचएआई ने सर्विस लाइन के लिए जमीन तक अधिग्रहित कर रखी है। इसके बावजूद काम नहीं किया जा रहा है। खरबेड़िया में विरोध के बाद हाईवे के ऊपर से निकाली काया बाइपास पर खरबेड़िया गांव के ग्रामीणों ने हाईवे पर अंडरपास या फ्लाईओवर बनाने को लेकर विरोध किया था। इस कारण इस गांव में जाने के लिए एनएचएआई को हाईवे पर फ्लाईओवर बनाना पड़ा। इससे ग्रामीण आसानी से हाईवे पार करके गांव आ जा रहे हैं। इसके साथ ही हाईवे से कलड़वास रीको एरिया में वाहनों के आने-जाने के लिए सर्विस लाइन बनी है। हालांकि, उमरड़ा के लिए ऐसी सुविधा नहीं है। यह मिलेगा फायदा : चक्कर बचेगा, शहर में ट्रैफिक घटेगा इस फ्लाईओवर के आसपास सर्विस लाइन बनाने से देबारी से हिरण मगरी, गीतांजली हॉस्पिटल, सविना मंडी और शहर में जाने वाले यात्रियों–वाहन चालकों को फायदा मिलेगा। अभी इन एरिया में जाने वाले लोगों को प्रतापनगर, ठोकर होते हुए शहर में आना पड़ता है। इससे प्रतापनगर वाले रोड पर दिनभर ट्रैफिक जाम की स्थिति बनी रहती है। काया बाइपास के फ्लाईओवर से एकलिंगपुरा रोड की दूरी करीब एक किमी है।
दिल्ली ब्लास्ट से पहले डॉक्टर आदिल आतंकी उमर से मिलने फरीदाबाद गया था। यहां उसके कमरे में डॉ. मुजम्मिल भी था। जांच में पता चला है कि तीनों एक साथ एक ही कमरे में थे। प्लान को कैसे अंजाम तक पहुंचाना है। तीनों ने इस पर चर्चा की। डॉ. शाहीन से कॉल पर बात हुई। इसके बाद डॉ. आदिल 1 नवंबर को सहारनपुर लौट आया। इधर 6 नवंबर को उसके जम्मू कश्मीर वाले घर एटीएस पहुंच गई। घरवालों ने इसकी सूचना आदिल को दे दी। फिर आदिल ने डॉ. मुजम्मिल, डॉ. उमर को इसके बारे में बताया। इसके बाद मोबाइल से कॉल हिस्ट्री और अन्य डाटा को डिलीट किया गया। 6 नवंबर को वह अस्पताल से घर जाने की बात कहकर निकला। रेस्टोरेंट में खाना खाने के दौरान एटीएस ने उसे पकड़ लिया। सूत्रों के अनुसार, डॉ. मुजम्मिल, डॉ. अदील, उमर और शाहीन ने मिलकर करीब 20 लाख रुपये जमा किए थे। ये सारे पैसे उमर को धमाके के लिए सामान खरीदने के लिए दिए गए। इसके बाद उन्होंने गुरुग्राम, नूंह और उसके आसपास के इलाकों से IED तैयार करने के लिए 3 लाख रुपए का सामान खरीदा। इसमें 20 क्विंटल से ज्यादा NPK उर्वरक भी था। वहीं सहारनपुर ARTO में एटीएस की टीम डेरा डाले हुए है। पिछले 3 दिनों से यहां गाड़ियों का डाटा जुटाया जा रहा है। बताया जा रहा है कि जो 32 गाड़ियां पकड़ी गई हैं। उनमें से अधिकतर सहारनपुर की हैं। 31 अक्टूबर को फरीदाबाद गया, आतंकी उमर से मीटिंग की जांच एंजेसियों के मुताबिक, 17 अक्टूबर को नौगाम क्षेत्र में सेना के खिलाफ धमकी भरे जैश-ए-मोहम्मद के पोस्टर लगे मिले थे। शुरुआती जांच में इन पोस्टरों को मौलाना इरफान ने लिखा और छपवाया था। सेना ने उसे पकड़ लिया। 27 अक्टूबर को नौगाम में दोबारा प्रिंटेड पोस्टर लगे मिले। सीसीटीवी खंगाले गए तो उसमें डॉक्टर आदिल पोस्टर लगाता हुआ दिखा। इसके बाद एटीएस ने तय किया कि एक ही दिन और एक ही समय डॉ. आदिल के कुलगाम जिले के वानपुरा गांव में और सहारनपुर में छापा मारा जाएगा। तारीख 6 नवंबर तय हुई। इससे पहले डॉ. आदिल 31 अक्टूबर को फ्लाइट से दिल्ली पहुंचा। फिर यहां से फरीदाबाद गया। फरीदाबाद में वह आतंकी डॉ. उमर के कमरे पर पहुंचा। जहां डॉ. मुजम्मिल भी था। पूछताछ में आदिल ने बताया कि हम लोगों ने तय किया कि अभी कितना विस्फोट और मंगाना है। ताकि 32 गाड़ियों में बराबर-बराबर विस्फोटक रखा जा सके। आदिल के मोबाइल में सहारनपुर के कई मोबाइल नंबर मिले6 दिसंबर को गाड़ियां कहां से और कब निकलनी है, यह भी तय हुआ था। रात में डॉ. आदिल, डॉ. उमर और डॉ. मुजम्मिल एक साथ रहे। अगले दिन डॉ. आदिल वापस आ गया। इधर एटीएस की एक टीम सहारनपुर पहुंची और आदिल को अरेस्ट कर लिया। पूछताछ में उसने कई डॉक्टरों के नाम कबूले। इसके बाद 9 नवंबर को फरीदाबाद से मुजम्मिल और डॉ. शाहीन को अरेस्ट कर लिया। वहीं आतंकी डॉ. उमर ने अपना फोन बंद कर लिया। लेकिन उसका फोन सर्विलांस पर था। सीसीटीवी से उसकी निगरानी की जा रही थी। मगर वह 10 नवंबर को ब्लास्ट करने में सफल हो गया। सुरक्षा एजेंसी सहारनपुर में डेरा जमाई बैठी हैं। डॉक्टर आदिल के नेटवर्क को खंगाल रही हैं। सूत्रों के अनुसार, डॉ. आदिल और डॉ. परवेज के अलावा डॉ.शाहीन और डॉ. मुजम्मिल के मोबाइल में सहारनपुर के कई लोगों के नंबर भी मिले हैं। ARTO कार्यालय में एटीएस कर रही जांच और पूछताछ डॉक्टर परवेज ने भी सहारनपुर में करीब 2 साल तक प्रैक्टिस की है। वहीं डॉक्टर शाहीन भी सहारनपुर में आती जाती रहती थी। डॉक्टर मुजम्मिल भी डॉ.आदिल से मिलने के लिए सहारनपुर में आता जाता रहता था। वहीं सुरक्षा एजेंसियां मोबाइल नंबरों को लेकर सहारनपुर में जांच कर रही है। एटीएस ने 32 गाड़ियां पकड़ी हैं। इन गाड़ियों को लेकर भी जांच की जा रही है कि यह गाड़ियां कहां से और किससे ली गई हैं। सूत्रों के अनुसार, कहीं ना कहीं ज्यादातर गाड़ियों का संबंध सहारनपुर से मिलने की बात सामने आ रही है। यही कारण है कि सहारनपुर के आरटीओ ऑफिस को सुरक्षा एजेंसी खंगाल रही हैं। तीन दिन से यहां जांच की जा रही है। आरटीओ ऑफिस में कई गाड़ियों का रिकॉर्ड मिला है। कौन है डॉ. आदिल डॉ. आदिल जैश से कैसे जुड़ा, जानिए— डॉ. आदिल की श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई के दौरान मुलाकात शोपियां निवासी मौलवी इरफान अहमद से हुई। इरफान श्रीनगर के बाहरी इलाके छनपुरा स्थित मस्जिद अली नक्कीबाग का इमाम है। वह कश्मीर में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का ग्राउंड-लेवल पर सक्रिय सदस्य है, जो लोगों को संगठन से जोड़ने का काम करता है। इरफान आतंकवादियों को हथियारों की सप्लाई करता है और कश्मीरी युवाओं को आतंकी प्रशिक्षण के लिए पाकिस्तान भेजने में मदद करता है। इसके अलावा वह पत्थरबाजी की घटनाओं को भी अंजाम दिलवाता है। इसी दौरान इरफान ने डॉ. आदिल की मुलाकात गांदरबल निवासी जमीर अहमद अहंगर नाम के युवक से कराई। जमीर का काम नए युवाओं को ट्रेनिंग देना और उनका ब्रेनवॉश करना था। उसने डॉ. आदिल का भी ब्रेनवॉश किया और उसे जैश-ए-मोहम्मद से जोड़ दिया। कैसे आदिल तक पहुंची पुलिस जानिए 17 अक्टूबर को मौलवी इरफान ने नौगाम इलाके में जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े पोस्टर लगवाए। पोस्टर लगाने वालों में नौगाम के रहने वाले आरिफ निसार डार उर्फ साहिल, यासिर-उल-अशरफ और मकसूद अहमद डार शामिल थे। ये सभी CCTV कैमरे में कैद हो गए। 19 अक्टूबर को श्रीनगर पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया। श्रीनगर के एसएसपी संदीप चक्रवर्ती की अगुआई में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार किया। पूछताछ में खुलासा हुआ कि पोस्टर मौलवी इरफान और डॉ. आदिल के कहने पर लगाए गए थे। पुलिस ने मौलवी इरफान को पकड़ा। उससे मिले इनपुट के आधार पर जमीर अहमद अहंगर को भी गिरफ्तार किया गया। फिर पुलिस ने डॉ. आदिल की तलाश शुरू की। पुलिस जब जमीर को लेकर डॉ. आदिल के घर पहुंची, तो पता चला कि 1 नवंबर को वह सहारनपुर आया है और यहां एक अस्पताल में नौकरी कर रहा है। 6 नवंबर को यूपी एटीएस की मदद से जम्मू-कश्मीर पुलिस ने डॉ. आदिल को सहारनपुर से गिरफ्तार कर लिया। कानपुर मेडिकल कॉलेज से 2400 कर्मियों का ब्योरा ले गई सुरक्षा एजेंसी डॉ. शाहीन और डॉ. आरिफ के आपस में नेटवर्क का पता चलने के बाद सुरक्षा एजेंसी ने जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के स्टाफ का ब्योरा जुटाया है। करीब 2400 लोगों को ब्योरा ले गई। इसमें अस्पताल में कार्यरत नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ और कर्मचारी शामिल हैं। इसके पहले टीम डॉक्टर का ब्योरा ले गई थी। डॉ. शाहीन फार्माकोलॉजी विभाग में 2006 में भर्ती हुई और 2013 में चली गई थी। इस दौरान क्षेत्र में स्वास्थ्य शिविर लगाए थे। इसी कारण डॉ. शाहीन से जुड़े लोगों की तलाश में सुरक्षा एजेंसियां लगी हैं। वह डॉक्टर और कर्मियों के ब्योरा जुटा रही हैं। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज और कॉर्डियोलॉजी में शनिवार को दिनभर सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारी घूमते रहे। मेडिकल कॉलेज से करीब 13 सौ से ज्यादा कर्मचारी, 550 पैरामेडिकल स्टाफ और 520 नर्सों के नाम, पिता का नाम, राज्य, मोबाइल नंबर और कब से यहां काम कर रहे आदि जानकारी जुटाई है। सुरक्षा एजेंसियों की निगरानी और डॉक्टरों से पूछताछ के चलते हैलट, कॉर्डियोलॉजी, मुरारीलाल चेस्ट और मेडिकल कॉलेज में कार्यरत फैकल्टी, डॉक्टर व जेआर अजीब सी खामोशी में काम कर रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि पहली बार एक बुद्धजीवी वर्ग से किसी ने ऐसा जघन्य काम किया है। जिसकी वजह से पूरे डॉक्टर समाज को शर्मशार होने के साथ ही जांच का सामना करना पड़ रहा है। ........................................ ये खबर भी पढ़िए- सहारनपुर में ATS का 2 अस्पतालों में छापा:डायरेक्टर बोले- आतंकी को जॉब देकर कलंक लगा; ATS ने कांग्रेस सांसद के बारे में पूछा दिल्ली ब्लास्ट के बाद यूपी में एजेंसियां एक्शन मोड में हैं। ATS और पुलिस की टीम ने गुरुवार शाम करीब 4 बजे सहारनपुर के दो अस्पतालों पर रेड मारा है। दोनों अस्पतालों का संबंध कथित आतंकी डॉक्टर आदिल अहमद से है। टीम में जम्मू-कश्मीर (JK), हरियाणा पुलिस, ATS के करीब 20 जवान शामिल हैं। डॉक्टर आदिल की शादी में कौन-कौन शामिल हुआ था, किन मरीजों का इलाज किया, कौन-कौन मिलने आता था, ऐसे तमाम सवालों के जवाब लिखित में लिए गए हैं। पढ़ें पूरी खबर
हिंदुस्तान जिंक की अनोखी पहल:23 ट्रांसजेंडर कॉरपोरेट कर्मी बने; कलीग हंसते थे, अब साथ खाते हैं
ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों को तरक्की व बराबरी का मौका देने के लिए हिंदुस्तान जिंक (वेदांता ग्रुप) ने अपने कार्यालयों में 23 ट्रांसजेंडर्स की नियुक्ति की है। कंपनी ने अगले साल तक सात और लोगों को नियुक्त करने का लक्ष्य रखा है। इनके लिए अलग से समावेशन नीति और गाइडलाइन तैयार की गई है। कंपनी इसे अभियान के तौर पर चला रही है। इसे जिंक्लूजन का नाम दिया है। रामपुरा आगूंचा माइंस में काम करने वाले करण (बदला हुआ नाम) कहते हैं- शुरुआत में कैंटीन जाते थे तो कर्मचारी अलग नजर से देखते थे। हमें भी डर और संकोच होता था। लेकिन अब वही लोग हमारे साथ खाना खाते हैं। फिलहाल हम स्टोर संभाल रहे हैं। खनन क्षेत्र में काम कर रहे अर्जुन (बदला हुआ नाम) कहते हैं- पहले हिचकिचाहट थी, अब खत्म हो गई है। इसी तरह सिक्योरिटी विंग में कार्यरत आर्या (बदला हुआ नाम) कहती हैं- जहां लोग पहले स्वीकार नहीं करते थे, अब वही लोग हमारे नेतृत्व में काम कर रहे हैं। जेंडर री-असाइनमेंट सर्जरी के लिए छुट्टी और 2 लाख रु. दे रहे कंपनी ट्रांसजेंडर कर्मचारियों को प्रोफेशनल एजुकेशन के लिए एक लाख रुपए की आर्थिक सहायता, जेंडर री-असाइनमेंट सर्जरी के लिए छुट्टी और 2 लाख रुपए तक की चिकित्सा सहायता दे रही है। कंपनी ने कानूनी रूप से बच्चा गोद लेने वालों के लिए विशेष नीति और अलग आवास नीति भी तैयार की है। साल 2025 में हिंदुस्तान जिंक ने मेटल और माइनिंग क्षेत्र की विभिन्न व्यावसायिक इकाइयों में 23 ट्रांसजेंडर कर्मचारियों को नौकरी दी है। ये कर्मचारी कॉमर्शियल, एचआर, लॉजिस्टिक्स, हेल्थ केयर, स्टोर और मार्केटिंग में एग्जीक्यूटिव और नॉन-एग्जीक्यूटिव पदों पर काम कर रहे हैं। ये नियुक्तियां कंपनी के हेड ऑफिस तथा सात प्रमुख लोकेशंस पंतनगर (उत्तराखंड), राजस्थान: सलूंबर, उदयपुर, राजसमंद, चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा, अजमेर में की है।
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उत्तर प्रदेश में मेरठ जिले के बिगुल को GI (जीओ ग्राफिकल इंडिकेटर) टैग मिला है। बिगुल एक वाद्ययंत्र है, जो किसी भी आंदोलन/कार्यक्रम की शुरुआत के लिए बजाया (फूंका) जाता है। 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध का बिगुल फूंकना हो या RSS के पहले स्थापना दिवस पर बिगुल बजाना। मेरठ का बिगुल ही हर जगह इस्तेमाल हुआ। देश की ज्यादातर आर्म्ड फोर्सेज के बैंड में आज मेरठ का बिगुल शामिल है। GI टैग मिलने के बाद इसे बनाने वालों को अब क्या संभावनाएं नजर आती हैं? बिगुल का इतिहास क्या है? ये समझने के लिए दैनिक भास्कर मेरठ की जली कोठी में पहुंचा। यहां से दुनियाभर के लिए वाद्य यंत्र बनाए और सप्लाई किए जाते हैं। पूरी रिपोर्ट पढ़िए... मेरठ में 140 साल पुरानी पहली फैक्ट्रीमेरठ के जली कोठी एरिया में नादिर अली एंड कंपनी है। इसी कंपनी ने सबसे पहले वाद्य यंत्र बनाना शुरू किया था। बिगुल का इतिहास समझने के लिए हम इसी कंपनी में पहुंचे। कंपनी के डायरेक्टर फैज आफताब बताते हैं- अंग्रेजों के वक्त से बिगुल इस्तेमाल होता रहा है। जब भी किसी वॉर में जाते हैं, मेहमान आते हैं तो उनके लिए बजाया जाता था। एक तरह से ये बिगुल पूरे बैंड को लीड करता था। इसका इतिहास वैसे तो अंग्रेजों के समय का है। लेकिन, 1885 में मेरठ में हमारे दादा नादिर अली ने एक छोटी यूनिट लगाकर बिगुल बनाना शुरू किया था। बिगुल और ट्रम्पेट (तुरही) से इसकी शुरुआत हुई थी। देश की आजादी के वक्त भी स्वतंत्रता सेनानियों ने अंग्रेजों के खिलाफ यही बिगुल बजाया था। 1971 में भारत-पाक वॉर हुआ, तब सेना के फील्ड मार्शल जनरल सैम मानेकशॉ मेरठ आए। उनके साथ आर्मी के सब एरिया कमांडर और मेरठ जिला प्रशासन के अधिकारी भी थे। उस वक्त उन्होंने हमारी फर्म पर आकर सेना के लिए बिगुल खरीदे थे। इसके अलावा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के पहले स्थापना दिवस पर जो बिगुल बजाया गया था, वो भी मेरठ की इसी फर्म से गया था। कैसे बनता है बिगुल, समझिएब्रास शीट को काटकर उसे हाथ से पीटा जाता है और बिगुल का आकार दिया जाता है। बिगुल की स्पेशल डाई होती है। उसी डाई के ऊपर ब्रास सीट को मोल्ड किया जाता है। इसके कई प्रोसेस हैं, तब ये फिनिशिंग लेवल तक जाता है। उसके बाद माउथ पीस को उस बिगुल में एड-ऑन किया जाता है, तब जाकर वो बज पाता है। फिलहाल तीन तरह के बिगुल बन रहे हैं। इसमें सबसे ज्यादा डिमांड कॉपर के बिगुल की है, जो पूरे हिंदुस्तान में हॉट सेलिंग है। दूसरा गोल्ड लेकर बिगुल है। मतलब उसके ऊपर पूरी फिनिशिंग गोल्ड जैसी है। तीसरा सिल्वर लेकर बिगुल है, जो ऑन डिमांड बनता है। निर्माता बोले- GI टैग से बाहरी मार्केट को मेरठ का इजी एक्सेस मिलेगाबिगुल निर्माता फैज आफताब ने बताया- अब हिंदुस्तान में कहीं भी कोई भी व्यक्ति अगर गूगल पर बिगुल टाइप करेगा तो स्क्रीन पर मैन्युफैक्चरिंग हब मेरठ आएगा। वहां बिगुल की ए-टू-जेड सारी जानकारी उपलब्ध होगी। इसलिए GI टैग से हमारे लिए बाहर की मार्केट अब इजी एक्सेस हो गई हैं। किसी को बिगुल लेना है, तो सीधा गूगल सर्च करके हम तक पहुंच सकता है। फिलहाल बिगुल का मार्केट आर्म्ड फोर्सेज, पुलिस और पैरा मिलिट्री फोर्सेज में है। इसके अलावा अब स्कूल-कॉलेज से भी इसकी डिमांड आना शुरू हो गई है। हर स्कूल में एक बैंड बन गया है। उस बैंड में बिगुल भी शामिल है। क्या होता है GI टैग? किसी भी रीजन का जो क्षेत्रीय उत्पाद होता है, उससे उस क्षेत्र की पहचान होती है। जब उस उत्पाद की ख्याति दुनियाभर में फैलती है, तब उसे प्रमाणित करने की एक प्रक्रिया होती है। इसे GI यानी जीओ ग्राफिकल इंडिकेटर कहते हैं। हिंदी में इसे भौगोलिक संकेतक भी कहा जाता है। संसद में उत्पाद के रजिस्ट्रीकरण और संरक्षण को लेकर दिसंबर-1999 में अधिनियम पारित हुआ था। इस अधिनियम का नाम जीओ ग्राफिकल इंडिकेशन ऑफ गुड्स एक्ट-1999 रखा गया था। इसे 2003 में लागू किया गया। इसके तहत भारत में पाए जाने वाले प्रोडक्ट के लिए GI टैग देने का सिलसिला शुरू हुआ। GI टैग हासिल करने के लिए उस उत्पाद को बनाने वाली एसोसिएशन अप्लाई करती है। इसे अप्लाई करते वक्त ये बताना होता है कि उस उत्पाद को GI टैग क्यों दिया जाए? मतलब प्रोडक्ट की यूनीकनेस, ऐतिहासिक विरासत के बारे में प्रूफ देना होता है। दुनियाभर में बजते हैं मेरठ के वाद्ययंत्रमेरठ का वाद्य यंत्र उद्योग, खासकर ब्रास बैंड और हवा वाले यंत्र विश्व प्रसिद्ध है। ये करीब 200 साल पुराना है। यहां के कारीगर उच्च गुणवत्ता वाले ट्रम्पेट (तुरही), बिगुल, ड्रम और अन्य पीतल और तांबे के वाद्ययंत्र बनाते हैं। ये भारत के साथ दुनियाभर के कई देशों में निर्यात होते हैं। देश-विदेश की सेना भी इन्हें उपयोग करती है। ट्रम्पेट, बिगुल, ड्रम, यूफोनियम, सूसाफोन जैसे कई तरह के वाद्ययंत्र यहां बनते हैं, जिनमें से 90% बड़े आयोजनों में इस्तेमाल होने वाले वायु वाद्ययंत्र मेरठ में ही बनते हैं। यहां के वाद्ययंत्र न केवल पूरे भारत में, बल्कि सऊदी अरब, कतर, जर्मनी और अमेरिका जैसे देशों में भी निर्यात होते हैं और ब्रिटिश सेना व बकिंघम पैलेस में भी इस्तेमाल हुए हैं। -------------------------- ये खबर भी पढ़ें... यूपी में मायावती के साथ आ सकते हैं ओवैसी, बिहार में जीते बसपा विधायक ने AIMIM का पोस्टर लगाया बिहार में एनडीए की प्रचंड जीत के बीच भी बसपा खाता खोलने में सफल रही। चुनाव जीतने के बाद पिंटू यादव मीडिया से बात कर रहे थे। उनके पीछे दो तस्वीर लगी थीं। पहली बसपा की और दूसरी AIMIM की। इस तस्वीर ने चर्चा तेज कर दी है कि क्या यूपी में बसपा-AIMIM साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में है? पढ़ें पूरी खबर
कुरीतियों के खिलाफ युवा : मनीष ने 12 सालों में 300 बाल विवाह रुकवाए
भास्कर संवाददाता| राजगढ़ दांगी समाज का युवा मनीष दांगी पिछले 12 सालों से बाल विवाह और बाल सगाई जैसी कुरीतियों के खिलाफ लगातार संघर्षरत है। समाज के सुधार की भावना के साथ शुरू की गई उनकी मुहिम आज बड़ी प्रेरणा बन चुकी है। मनीष ने अपनी टीम के साथ अब तक 300 से अधिक बाल विवाह रुकवाए हैं, जबकि हजारों बाल सगाइयों को रोककर अनेक बच्चों का भविष्य सुरक्षित किया है। रविवार को राजगढ़ में आयोजित दांगी समाज के जिला स्तरीय कार्यक्रम में उन्हें दांगी समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष विधायक हजारीलाल दांगी व वरिष्ठ समाजजनों ने फूलमालाएं पहनाकर सम्मान किया। मनीष के बारे में वक्ताओं ने मंच से कहा कि युवा उम्र में कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए भी मनीष ने समाज के दबाव के आगे झुकने के बजाय हर मामले को प्रशासन की मदद से सुलझाया। मनीष और उनकी अहिंसा वेलफेयर सोसायटी की टीम ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाकर माता-पिता और युवाओं को कुरीतियों से होने वाले सामाजिक व कानूनी नुकसान के बारे में समझाते हैं। समाजजन मनीष के इस त्याग और निरंतर सेवा भावना को मिसाल मान रहे हैं।
विश्व यादगार दिवस : मृतकों को श्रद्धांजलि दी
राजगढ़|प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के शिव वरदान भवन में सड़क दुर्घटनाओं में मृतकों को श्रद्धांजलि देने और पीड़ित परिवारों को मानसिक संबल देने के लिए विश्व यादगार दिवस मनाया गया। इस अवसर पर ब्रह्माकुमारी बहन सुरेखा ने यातायात नियमों के पालन, धैर्यता और आत्म जागरुकता की आवश्यकता पर जोर दिया। वाहन चलाने से पहले मन को शांत करना और ट्रैफिक नियमों का पालन करना जीवन रक्षा का माध्यम है। कार्यक्रम में ब्रह्माकुमारी कविता बहन ने योग और ट्रैफिक नियमों का पालन करने की शपथ दिलाई। अंत में सभी ने मोमबत्ती जलाकर दिवंगत आत्माओं को श्रद्धांजलि अर्पित की।
भगवान गणेश की संगमरमर की प्रतिमा प्रतिष्ठित की
राजगढ़|12 से 16 नवंबर तक शहर में 5 दिवसीय धार्मिक आयोजन का आयोजन किया गया, जिसमें बिजली घर स्थित भगवान गणेश की 5.5 फीट ऊंची संगमरमर की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की गई। इस दौरान पंडित दिलीप सारस्वत ने विशेष पूजा-अर्चना कर अनुष्ठान संपन्न किया। रविवार को भगवान गणेश प्रतिमा की स्थापना के साथ पूर्णाहुति कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें नगर पालिका अध्यक्ष विनोद साहू और आयोजन समिति के सभी पदाधिकारी शामिल हुए। आयोजन में आरती और भंडारे का आयोजन भी किया गया। जिसमें सैकड़ों श्रद्धालु शामिल हुए। समिति के पदाधिकारी शिव मेवाड़ों और अभिजीत साहू ने बताया कि जयपुर से मंगवाई गई। संगमरमर की प्रतिमा शहर में आकर्षण का केंद्र है।
तस्वीर झुंझुनूं के मंड्रेला रोड के पास की है। यहां से नेशनल हाईवे 11 (न्यू) के लिए एनएचएआई ने एक चरण का सर्वे पूरा कर लिया है। दूसरे चरण का सर्वे शुरू होने वाला है। इससे पहले ही अधिक मुआवजे के लिए लोगों ने हाई-वे से निकलने वाली जगह में लोहे के एंगल पर ढांचा खड़ा कर प्लाई बोर्ड के वेयर हाउस बना लिए। यह निर्माण सिर्फ 2 महीने में हुआ है, ताकि जब यहां से नेशनल हाईवे गुजरेगा तब भूमि अधिग्रहण होने पर पक्के निर्माण दिखाकर पांच गुणा मुआवजा लिया जा सके। फिलहाल, अभी 100 वर्ग मीटर के खाली भूखंड पर 24.60 लाख रुपए मुआवजा मिला है। निर्माण होने पर मुआवजा राशि करीब 1 करोड़ रुपए मिलेगी। गौरतलब है कि नेशनल हाईवे के लिए एनएचएआई ने मई में सर्वे कराया था, तब यहां जमीनें खाली थीं। अगस्त में हाईवे का प्लान लीक होते ही जमीनों की खरीद बढ़ी और निर्माण शुरू होने लगे। शहर से जुड़े हाईवे के तीन किमी में 54 वेयर हाउस बन चुके हैं। अब दुबारा सर्वे कराने की तैयारी चल रही है। 100 गज के भूखंड का मुआवजा 24.60 लाख, निर्माण पर 1 करोड़ मिलेंगे भास्कर ने मुआवजे का खेल समझने के लिए डीएलसी रेट की जानकारी जुटाई। इसमें सामने आया कि वाणिज्यिक रेट तीन गुना है। सड़क पर आवासीय भूमि की डीएलसी रेट 4000 और वाणिज्यिक की 12,300 रुपए प्रति वर्गमीटर है। यानी 100 वर्ग मीटर के खाली भूखंड का अधिग्रहण करने पर एनएचएआई से 4000 रुपए के हिसाब से 4 लाख मुआवजा और 4 लाख की सोलेशियम राशि यानी 8 लाख रुपए ही मुआवजा मिलता। वहीं कॉमर्शियल भूखंड का 12.30 लाख मुआवजा और इतनी ही सोलेशियम राशि मिलाकर 24.60 लाख मिलेंगे। निर्माण होने पर पांच गुना क्लेम यानी 1 करोड़ रुपए तक मुआवजा मिलेगा। 2 माह में सवा दो किमी रूट पर बना लिए 5 दर्जन निर्माण नेशनल हाई वे 11 (न्यू) चौबारी मंडी के पास हमीरी रोड से मंड्रेला रोड होते हुए सोती की तरफ निकलेगी। शहर में सवा 2 किमी के रूट पर मई तक 10 निर्माण ही थे। लेकिन हाईवे का प्लान लीक होने पर एक विशेष समूह ने जमीनें खरीदी। धड़ाधड़ निर्माण शुरू कराए। अब तक यहां पांच दर्जन से अधिक निर्माण कराए जा चुके हैं। सीधी बात- अनुज चाहर, एक्सईएन, एनएचएआई Q. एनएच के लिए जमीन का सर्वे कब हुआ था? A. एनएच-11 न्यू के लिए सर्वे का काम मई 2025 में करा चुके हैं। रिपोर्ट आ चुकी है। अब कुछ लोगों ने दोबारा सर्वे कराने के लिए मांग की है। इसकी जांच करा रहे हैं। Q. पहले सर्वे में जमीन खाली थी, अब निर्माण हैं? A. सही है। कई लोग कॉलोनियां काट रहे हैं। हाइवे पर निर्माण भी कर रहे हैं। एनएच के लिए भूमि अवाप्ति की अधिसूचना के बाद न भूमि की खरीद-फरोख्त हो सकती व न ही निर्माण। Q. अब निर्माण करने वालों काे मुआवजा मिलेगा? A. यह हाई लेवल का मामला है। मुआवजे के प्रावधानों के अनुसार खाली जमीन की डीएलसी रेट व उसके बराबर सोलेशियम राशि दी जाती है। निर्माण की लागत का दोगुना प्रावधान है। Q. पहले बने प्लान को क्यों बदला गया है? A. एनएच की जद में 4 किलोमीटर का बीड़ एरिया आ जाने और एलिवेटेड रोड पर ज्यादा खर्च होने के कारण इसको बदल दिया गया है। अब फाइनल प्लान तैयार हो गया है।
बिरसा मुंडा की जयंती : गौरव दिवस मनाया
झाड़ला| शासकीय सीनियर बालक अनुसूचित जाति छात्रावास में जनजाति गौरव दिवस मनाया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि संकुल प्राचार्य अशोक कुमार रहे। छात्र रिंकू वर्मा ने भगवान बिरसा मुंडा का रूप धारण कर कार्यक्रम की शुरुआत की। अधीक्षक रमेशचंद्र जाटव, भारत सिंह सूर्यवंशी और राकेश अहिरवार सहित वक्ताओं ने बिरसा मुंडा के इतिहास में दिए अमूल्य योगदान की जानकारी दी। कार्यक्रम का संचालन प्रखर सिंह बैस ने और आभार प्रदर्शन देवसिंह राठौड़ ने किया। अलकेश, अमन मालवीय, आकाश वर्मा, ओम, निर्मल, देवराज और नीरज वाल्मीकि का सहयोग सराहनीय रहा।
भाजपा और गठबंधन की जीत पर कार्यकर्ताओं ने मनाया जश्न
भास्कर संवाददाता |झाड़ला भारतीय जनता पार्टी मंडल झाडला ने बिहार में भाजपा और गठबंधन की जीत पर खुशी मनाई। मंडल अध्यक्ष रवि देरवाल ने कहा कि ये जीत केवल बिहार की नहीं, बल्कि पूरे देशवासियों की जीत है। कार्यकर्ताओं ने आतिशबाजी की और जय भाजपा, विजय भाजपा के नारे लगाए। इस अवसर पर डॉ. गोपाल भिलाला, मलखान देरवाल, नीरज मीणा सहित सैकड़ों कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
विधायक ने किया गांव का दौरा, ग्रामीणों को सर्वे की जानकारी दी
झाड़ला| विधायक मोहन शर्मा ने ग्राम झाड़ला का दौरा कर मतदाता सूची के स्पेशल इंटेन्सिव रिवीजन की जानकारी ग्रामीणों को दी। उन्होंने बताया कि निर्वाचन आयोग 2003 से 2025 तक की मतदाता सूची का सत्यापन कर रहा है। विधायक ने गणना पत्रक वितरण की समीक्षा की और स्वयं ग्रामीणों को पत्रक बांटे। बीएलओ को निर्देश दिया गया कि प्रत्येक मतदाता को आवश्यक जानकारी उपलब्ध कराएं। झाड़ला के भाग संख्या 209 में 934 और भाग संख्या 208 में 1097 मतदाताओं का सत्यापन किया जाना है। बीएलओ अवधनारायण वर्मा ने बताया कि घर-घर जाकर पत्रक वितरित कर दिए गए हैं। कार्यक्रम में ग्रामीणों सहित सरपंच व स्थानीय जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे।
वृद्धाश्रम में बड़ी एलईडी टीवी लगवाई, कलेक्टर बोले- बुजुर्गों का सम्मान करें
भास्कर संवाददाता| राजगढ़ राजगढ़ के जिला अस्पताल परिसर में संचालित वृद्धाश्रम में वरिष्ठ नागरिकों की सुविधा के लिए बड़ी एलईडी टीवी लगाई गई है। ये एलईडी मध्य प्रदेश ग्रामीण बैंक, राजगढ़ शाखा के प्रबंधक राजेश रघुवंशी एवं समाजसेवी अज्जू भाई ने दान की है। कार्यक्रम में कलेक्टर एवं रेडक्रॉस सोसायटी के जिला अध्यक्ष डॉ. गिरीश कुमार मिश्रा ने दानदाताओं का सम्मान कर इसे प्रेरणादायी पहल बताया। कलेक्टर डॉ मिश्रा ने कहा कि वृद्धजन परिवार से दूर रहते हैं, इसलिए मनोरंजन व जानकारी के नियमित साधन उनके लिए जरूरी हैं। उन्होंने आश्रम में जल्द और सुविधाएं बढ़ाने की घोषणा की। कार्यक्रम में रेडक्रॉस जिला सचिव संजय शेखर शर्मा, मनोज सिंह हाड़ा, विकास मेवाड़े सहित अन्य सदस्य उपस्थित रहे। वृद्वजनों ने इस सहयोग के लिए आभार जताया। महाकाल दर्शन कराएंगे, कलेक्टर बोले- बुजुर्गों के साथ समय बिताएं कलेक्टर डॉ मिश्रा ने कहा कि लोग समय निकालकर अपने जन्मदिन या विशेष यादगार अवसरों पर वृद्धाश्रम जरूर आएं। बुजुर्गों का सम्मान करें, उनके साथ समय बिताएं। कलेक्टर ने वृद्धजन दिवस पर यहां के बुजुर्गों को महाकाल लोक के दर्शन कराने की बात कही थी। इसी कड़ी में बुजुर्गों के लिए तीर्थ दर्शन के लिए योजना बनाई गई है। दिसंबर माह के पहले सप्ताह में बुजुर्ग उज्जैन के महाकाल लोक के दर्शन करने जा सकते हैं। 25 सीटर वृद्धाश्रम में 20 बुजुर्ग, सबसे ज्यादा उम्र की 82 साल की : अम्मा आशाधाम वृद्धाश्रम के प्रबंधक विकास मेवाड़े ने बताया कि 25 सीटर आश्रम में 20 बुजुर्ग वर्तमान मेंे रह रहे हैं। सबसे ज्यादा उम्र की अम्मा 82 साल की है। ये सभी बुजुर्ग राजगढ़ जिले के ही रहने वाले हैं। अधिकांश निराश्रित हैं, जिन्हें परिवार का सहारा नहीं मिल रहा।
खरीफ फसल बर्बाद, फिर भी किसानों से कर रहे वसूली
झागर|गुना जिले में इस साल अतिवृष्टि से खरीफ की फसलें बर्बाद हो गईं। बमौरी, आरोन और गुना ग्रामीण क्षेत्र के किसानों ने मक्का की फसल बोई थी। लगातार बारिश से खेतों में पड़े भुट्टे भीगकर सड़ गए। किसानों को फसल के उचित दाम नहीं मिल पा रहे हैं। अभा विद्यार्थी परिषद की छात्रनेता प्रगति धाकड़ ने बताया कि फसल नुकसान के बाद भी शासन ने किसानों को कोई मुआवजा नहीं दिया। उल्टा अर्थदंड वसूली की मांग की जा रही है। तहसीलदारों ने हर पटवारी को में 50 हजार अर्थदंड वसूली का लक्ष्य दिया है।
हरप्रीत का पेंशनर संगठन ने किया सम्मान
भास्कर संवाददाता | गुना शहर के नरेंद्र सिंह की पुत्री हरप्रीत कौर परिहार ने सिविल जज परीक्षा में सफलता प्राप्त कर न केवल अपने परिवार का बल्कि पूरे गुना शहर का नाम गौरवान्वित किया है। उनकी इस उल्लेखनीय उपलब्धि पर शासकीय पेंशनर एवं सेवानिवृत्त कर्मचारी संघ के सदस्यों ने उनके निवास पर पहुंचकर बधाई देते हुए उन्हें आशीर्वाद दिया। संगठन के सचिव जैनेन्द्र कुमार ने बताया कि हरप्रीत की सफलता उसकी लगन, मेहनत और दृढ़ संकल्प का परिणाम है। इस अवसर पर संगठन मुरारीलाल शर्मा, राजाराम शिंदे, शैलेंद्र शर्मा, कमलेश श्रीवास्तव, केएन बंसल, हरिओम शर्मा सहित विभिन्न सदस्य उपस्थित थे। संगठन ने कहा कि शहर के किसी भी प्रतिभाशाली बच्चे की सफलता पर वे आगे भी इसी प्रकार सम्मान पहुंचते रहेंगे।
केवी विद्यालय लगा आधार अपडेशन शिविर
भास्कर संवाददाता|गुना बाल दिवस के अवसर पर केंद्रीय विद्यालय गुना में आधार अपडेशन शिविर आयोजित किया गया। प्राचार्य विनोद कुमार राजोरिया के अनुरोध पर अधीक्षक डाकघर ओपी चतुर्वेदी के मार्गदर्शन में शुरू हुए दो दिवसीय शिविर में विद्यार्थियों के आधार से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियों नाम, पिता का नाम, पता, जन्मतिथि एवं मोबाइल नंबर का सुधार किया गया। जिन बच्चों के आधार कार्ड नहीं थे, उनके नए आधार भी बनाए गए। अधीक्षक ओपी चतुर्वेदी ने बताया कि डाक विभाग अंत्योदय के लक्ष्य को साकार करने और समाज के बेहतर भविष्य के लिए निरंतर प्रयासरत है। लगभग एक सैकड़ा विद्यार्थियों ने इस शिविर का लाभ उठाया। कार्यक्रम में केंद्रीय विद्यालय के प्रभारी प्राचार्य सुरेंद्र कुमार चतुर्वेदी, पुस्तकालयाध्यक्ष ऋषिकेश भार्गव, राजेंद्र सिंगोदिया सहित शिक्षक-शिक्षिकाएं उपस्थित रहे। आधार कार्य में ऑपरेटर आयुषी भार्गव एवं संजय लोधी का विशेष सहयोग सराहनीय रहा।
लोधा–लोधी अधिकारी-कर्मचारी संघ की नई कार्यकारिणी गठित
गुना| लोधा–लोधी अधिकारी कर्मचारी संघ का जिला स्तरीय निर्वाचन कुशमोदा स्थित समाज धर्मशाला में आयोजित हुआ। इस अवसर पर समाज के प्रदेश मीडिया प्रभारी राकेश लोधा कंचनपुरा ने बताया कि इस निर्वाचन प्रक्रिया का संचालन निर्वाचन अधिकारी फूल सिंह नरवरिया, राकेश नरवरिया और नारायण सिंह लोधी द्वारा किया गया।निर्वाचन में महेंद्र लोधा को जिला अध्यक्ष, सुशील लोधा को महिला जिला अध्यक्ष तथा अरविंद लोधा को संयोजक नियुक्त किया गया। इसके अलावा प्रमोटर के रूप में रामबाबू लोधा, जिला उपाध्यक्ष पद पर नरेंद्र सिंह और महाराज सिंह महूगढ़ा, अमरसिंह तथा शिवसिंह भूराखेड़ी को दायित्व सौंपा गया। बमोरी ब्लॉक अध्यक्ष के रूप में रंजीत सिंह, महासचिव के रूप में धर्मराज और उपाध्यक्ष पद पर जयप्रताप एवं केदार सिंह को जिम्मेदारी दी गई। आरोन ब्लॉक अध्यक्ष पद पर जीवनलाल नरवरिया एवं रामस्वरूप लोधा को नियुक्त किया गया। मंच संचालन मेघसिंह नरवरिया ने किया और उन्होंने नव–निर्वाचित पदाधिकारियों को शपथ दिलाई।
समाज उत्थान को चरितार्थ करते थे मुंडा :तुलसीदास
गुना|शासकीय पीजी कॉलेज में जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित तुलसीदास दुबे ने कहा कि “सेवा भाव और समाज उत्थान को चरितार्थ करने वाला व्यक्ति बिरसा मुंडा था। उन्होंने कहा कि मात्र 25 वर्ष की अल्पायु में बिरसा मुंडा ने वह कार्य कर दिखाया, जिसके कारण आज वर्ष 2025 में भी पूरा देश उनकी वीरता और त्याग को स्मरण कर रहा है। दुबे ने बताया कि 19वीं शताब्दी के अंत में जब अंग्रेजों ने अपनी कुटिल नीतियों से जनजातीय समाज का शोषण प्रारंभ किया, तब बिरसा ने विद्रोह की पताका फहराई। उन्होंने अंग्रेजी शासन को चुनौती देते हुए जल, जंगल और जमीन की सुरक्षा का अभियान छेड़ दिया। उन्होंने नाकाबंदी कर अपने क्षेत्र को सुरक्षित किया और ब्रिटिश सरकार को स्पष्ट संदेश दिया कि यह भूमि आदिवासियों की है और यहाँ उन्हीं का शासन चलेगा। इसके साथ ही उन्होंने जंगलों में उपलब्ध बहुमूल्य खनिज संसाधनों, जड़ी–बूटियों और मसालों के महत्व को समझा तथा उनकी उपलब्धता अंग्रेजों के लिए बंद करायी। उन्होंने मुंडा संस्कृति और पारंपरिक मान्यताओं के पुनर्जीवन का भी प्रयास किया।
उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी सनसनी उमेश पाल हत्याकांड... इसके बाद यूपी के टॉप माफिया गिरोह IS-227 के सरगना अतीक समेत पूरे कुनबे को नेस्तनाबूत करने को ऑपरेशन चला। अतीक–अशरफ की हत्या हो गई। अतीक के तीसरे नंबर का बेटा असद एनकाउंटर में ढेर हो गया। अतीक अतीत बन गया, लेकिन यूपी राजनीति में उमेश पाल हत्याकांड और अतीक अशरफ हत्याकांड आए दिन चर्चा में ही रहता है। वजह साफ है कि हत्याकांड और उनके बाद के कुछ अनसुलझे पहलू राजनीति गरमा देते हैं। यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य से शनिवार को सहारनपुर में कुछ तीखे सवाल हुए तो एक बार फिर चर्चा तेज हो गई। असद को एनकाउंटर से बचाने के सवाल पर जब असहज हो गए केशवअसल में उमेश पाल हत्याकांड के बाद आरोप लगे कि उत्तर प्रदेश सरकार के एक मंत्री ने बेटे असद को एनकाउंटर से बचाने और सरेंडर कराने की जिम्मेदारी ली थी। अब सहारनपुर में केशव मौर्य के सामने यही सवाल उठ गया। केशव मौर्य से सवाल हुए कि यूपी सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री जिनका संबंध प्रयागराज से ही है, उन्होंने ये जिम्मेदारी ली थी कि अतीक के बेटे का एनकाउंटर न हो। इस सवाल पर डिप्टी सीएम केशव असहज हो गए। हालांकि, केशव मौर्य ने जवाब देते हुए कहा कि अतीक जैसे अपराधी अल्लाह मियां को प्यारे हो गए। अब उसकी चिंता छोड़िये। जो गड़बड़ करेगा, उसके साथ कुछ भी हो सकता है, जो सही रास्ते पर चलेगा सरकार का उसको सपोर्ट रहेगा। शाइस्ता, आयशा नूरी और जैनब ने मंत्री नंदी पर लगाए थे आरोपउमेश पाल हत्याकांड के बाद जब पुलिस टीमें तेजी से कार्रवाई कर रहीं थीं तो अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन, अतीक की बहन आयशा नूरी और अशरफ की पत्नी जैनब फात्मा सामने आईं थीं। तीनों ने पत्रकारों से बातचीत कर आरोप लगाया था कि अतीक अहमद से मंत्री नंदी ने 5 करोड़ रुपए बिजनेस के लिए थे। अब रुपए मांगने पर वह साजिश रच रहे हैं। बाद में मंत्री नंदी ने जवाब देते हुए कहा था कि यह चंडूखाने जैसी बातें हैं। आरोप पूरी तरह गलत और झूठे हैं। उमेश पाल, फिर अतीक-अशरफ हत्याकांड के बाद से लगातार यह यह मामला उठता रहा है। इस मामले पर प्रयागराज में राजनीतिक दलों के नेता चुटकी लेते रहे हैं। बिखर गया माफिया का कुनबायूपी के टॉप गैंग में शुमार अतीक-अशरफ का कुनबा बिखर गया। अतीक और अशरफ की हत्या हो गई। अतीक के तीसरे नंबर के बेटे असद का एनकाउंटर हो गया। अतीक का बड़ा बेटा उमर लखनऊ जेल में बंद है। दूसरे नंबर का बेटा अली नैनी जेल से झांसी जेल भेज दिया गया। चौथे नंबर का बेटा अहजम और सबसे छोटा अबान फिलहाल गुमनाम जिंदगी गुजार रहे हैं। अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन, अशरफ की पत्नी जैनब फात्मा और अतीक की बहन आयशा नूरी फिलहाल फरार हैं। 3000 करोड़ की संपत्ति कुर्क, जब्त हो गईअतीक और उसके गैंग की करीब तीन हजार करोड़ की संपत्ति जब्त और कुर्क की गई। कई राज्यों में फैली अतीक और उसके कुनबे की संपत्तियों को चिह्नित कर कार्रवाई की गई। अतीक गैंग के करीब 1000 लोगों को जेल भेजा गया। --------------------- ये खबर भी पढ़िए- धीरेंद्र शास्त्री बोले- शादी तो जरूर करेंगे: जब मुस्लिम डॉक्टर आतंकी निकल रहे, तो देश खतरे में धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की पदयात्रा वृंदावन पहुंच चुकी है। 10 दिन में 170 किमी की पदयात्रा में 3 बार धीरेंद्र शास्त्री की तबीयत बिगड़ी। वो कहते हैं- राम काज कीन्हें बिनु मोहि कहां विश्राम...। मुझ पर 20 घंटे काम करने का साइड इफेक्ट दिखता है। दिल्ली ब्लॉस्ट पर वो कहते हैं- इस्लामिक भाइयों से कहना चाहता हूं कि उन्हें शिक्षा नीति में बदलाव करने की जरूरत है, ताकि कोई डॉक्टर आतंकवादी न निकले। पढ़ें पूरी खबर...
बाबा रणजीत 12 दिसंबर को नगर भ्रमण पर निकलेंगे। सुबह 5 बजे मंदिर से प्रभातफेरी निकलेगी, जिसमें लाखों भक्त शामिल होते हैं। इस बार मंदिर प्रबंधन 2 झांकियां भी तैयार कर रहा है। इसमें एक मंदिर में चल रही गतिविधियों से संबंधित रहेगी, जबकि दूसरी रामायण की प्रसंग से संबंधित रहेगी। जो प्रभातफेरी में शामिल होंगी। आयोजन को लेकर मंदिर के पुजारी व प्रबंधन के लोग पुलिस और प्रशासन के आला अधिकारियों से मिलेंगे। चार दिन के इस आयोजन को लेकर तैयारियों का दौर शुरू हो रहा है। मंदिर की परंपरानुसार इस साल भी प्रभातफेरी भव्य रूप में निकलेगी। बाबा रणजीत सुसज्जित रथ में विराजमान होकर भक्तों को दर्शन देने निकलेंगे। 9 तारीख से शुरू होगा चार दिनी आयोजन मंदिर के पुजारी पंडित दीपेश व्यास ने बताया कि चार के आयोजन की शुरुआत 9 दिसंबर से होगी। 9 दिसंबर को कलेक्टर ध्वजारोहण कर आयोजन की विधिवत रूप से शुरुआत करेंगे। 10 दिसंबर को मंदिर में दीपोत्सव और भजनसंध्या का आयोजन होगा। जिसमें मंदिर परिसर में हजारों की संख्या में दीपक लगाए जाएंगे। यहां भक्त अपने घरों से भी दीपक लेकर आते है और मंदिर में लगाते हैं। साथ ही यहां फूलों की रंगोली बनाई जाएगी। भगवान का सुंदर श्रृंगार किया जाएगा। रात 8 बजे से भजन संध्या का आयोजन होगा। 11 दिसंबर को बाबा के विग्रह का महाभिषेक किया जाएगा। सवा लाख रक्षा सूत्रों को अभिमंत्रित किया जाएगा, जिन्हें प्रभातफेरी के बाद भक्तों में वितरित किया जाएगा। 12 दिसंबर को सुबह 5 बजे मंदिर परिसर से प्रभातफेरी शुरू होगी। ये रहेगा प्रभातफेरी का रूट प्रभातफेरी के रूट की बात करें तो प्रभातफेरी सुबह 5 बजे मंदिर परिसर से शुरू होगी, जो मंदिर से द्रविड़ नगर चौराहा, महू नाका चौराहा से अन्नपूर्णा रोड पर दशहरा मैदान, अन्नपूर्णा मंदिर से वापस टर्न लेकर नरेंद्र तिवारी मार्ग से होते हुए वापस मंदिर परिसर तक पहुंचेगी। जहां यात्रा का समापन होगा। ये करीब 4 किमी का रास्ता रहेगा। प्रभातफेरी को ये पूरा रास्ता तय करने में करीब 7 घंटे का समय लगेगा। इसमें करीब 3 लाख से ज्यादा भक्त शामिल होते हैं। जिसके बाद यहां पर 25 हजार भक्तों के लिए स्वल्पाहार का आयोजन होगा। 2000 भक्त मंडल के सदस्य होंगे शामिल पं.व्यास ने बताया कि इस आयोजन में सक्रिय रूप से भक्त मंडल के दो हजार सदस्य शामिल होंगे, जो आयोजन की अलग-अलग व्यवस्थाओं को संभालेंगे। इसके अलावा हनुमंत ध्वज पताका के सदस्य आगामी दिनों में मंदिर परिसर में प्रैक्टिस करेंगे। इसके साथ ही आगामी दिनों में बैठकों का दौर भी शुरू हो जाएगा। रथ को चलाने वाले भी प्रैक्टिस करेंगे। दो झांकियां तैयार होगी मंदिर पर इस बार खास आकषर्ण में मंदिर प्रबंधन द्वारा ही दो झांकियां तैयार की जा रही है। जिसे भक्त मंडल के सदस्य ही तैयार करा रहे हैं। पहली झांकी रामायण की थीम पर रहेगी। इसके अलावा दूसरी झांकी में एलईडी लगवाई जाएगी, जिसके माध्यम से मंदिर में चलने वाले सेवा कामों को बताया जाएगा। साथ ही मंदिर में होने विकास कामों को भी इसके माध्यम से बताया जाएगा। कलेक्टर-पुलिस कमिश्नर से मिलेंगे मंदिर के पुजारी पं.व्यास ने बताया कि आयोजन को लेकर आगामी दिनों में संभवत: बुधवार को कलेक्टर शिवम वर्मा से मुलाकात कर सकते हैं। इसके लिए उसने समय मांगा गया है। इसके बाद पुलिस कमिश्नर संतोष कुमार सिंह से भी समय लेंगे और उनसे पुलिस व्यवस्था को लेकर चर्चा करेंगे। पं.व्यास ने बताया कि दिल्ली में हुई घटना के बाद उसने आयोजन को लेकर खास मुस्तैदी रखने का आग्रह किया जाएगा। बता दें कि दो साल पहले प्रभातफेरी में एक युवक की हत्या भी हो गई थी, जिसके बाद से मंदिर प्रबंधन इस आयोजन में पुलिस और प्रशासन से ज्यादा सतर्कता बरतने की मांग करता आ रहा है।
दैनिक भास्कर की इलेक्शन सीरीज 'नरसंहार' के दूसरे एपिसोड में आज कहानी दलेलचक बघौरा नरसंहार की, जिसके बाद 40 साल बिहार में राज करने वाली कांग्रेस फिर कभी अपना सीएम नहीं बना सकी... 29 मई 1987 की रात। जगह- बिहार का औरंगाबाद जिला। वही औरंगाबाद जहां देश का इकलौता पश्चिम मुखी सूर्य मंदिर है। करीब 500 लोगों की भीड़ ‘एमसीसी जिंदाबाद’ नारा लगाते हुए बढ़ रही थी। हाथों में बंदूक, कुल्हाड़ी, गड़ासा और केरोसिन तेल के डिब्बे थे। थोड़ी देर बाद सभी एक जगह रुके। कुछ बात की। फिर आधे बघौरा गांव की तरफ चल पड़े और आधे दलेलचक की ओर। दोनों गांव एक किलोमीटर की दूरी पर हैं। यहां राजपूतों का दबदबा था। बघौरा के गया सिंह वन विभाग में हेड क्लर्क थे। गांव में इकलौता पक्का मकान उन्हीं का था। शौक से बनवाए थे। सिंहद्वार पर दूर से ही आंखें ठहर जाती थीं। रात करीब 8 बजे अचानक कुछ शोर सुनाई पड़ा। उन्होंने दरवाजा खोलकर देखा, तो सामने 200-300 लोगों की भीड़ खड़ी थी। गया सिंह ने हड़बड़ाकर दरवाजा बंद कर लिया। वे दो कदम भी नहीं बढ़े थे कि भीड़ ने धक्का देकर दरवाजा तोड़ दिया। सबसे पहले घर के मर्दों को घसीटकर बाहर निकाला और लाइन में खड़ा कर दिया। इस बीच दो लड़कों ने नजर बचाकर भागना चाहा, लेकिन हमलावरों ने गोली चला दी। दोनों वहीं गिर पड़े। हमलावर उनके नजदीक गया। सांसें अभी पूरी तरह टूटी नहीं थीं। उसने गड़ासा गर्दन पर दे मारी। फिर पसीना पोंछते हुए बोला- ‘अरे देख क्या रहे हो… जाओ इनकी औरतों को उठा लाओ।’ 20-25 हमलावर अंदर घुसे और महिलाओं-बच्चों को उठा-उठाकर बाहर पटकने लगे। सब चीख रहे थे- ‘हमें मत मारो। छोड़ दो। हम तुम्हारे पैर पड़ते हैं।’ एक हमलावर बोल पड़ा- ‘##$% बहुत गर्मी दिखाते हैं ये लोग। हमारी औरतों से मजदूरी कराते हैं। इनके सामने ही औरतों की इज्जत उतारो। तभी बदला पूरा होगा।’ हमलावर, महिलाओं और लड़कियों पर टूट पड़े। उनके कपड़े फाड़ दिए। बलात्कार करने लगे। कुछ देर बाद एक अधेड़ बोल पड़ा- ‘बहुत हो गया। अब सबको काट डालो।’ हमलावर, महिलाओं को घसीटते हुए बरामदे में ले गए। उनकी गर्दन तखत पर रखकर जोर से दबा दी। एक हमलावर ने कुल्हाड़ी उठाई और एक-एक करके पांच महिलाओं की गर्दन उतार दी। पूरे बरामदे में खून फैल गया। हमलावर बोला- ‘ठिकाने लगा दो सबको।’ 8-10 लोग फावड़ा लेकर घर के सामने ही गड्ढा खोदने लगे। कुछ ही देर में गड्ढा तैयार हो गया। हमलावरों ने महिलाओं की लाश गड्ढे में डालकर ऊपर से मिट्टी भर दिया। ‘अब इन #@$%* को बांधकर ले चलो बरगद के पास। गांव वाले भी तो देखें कि हमसे टकराने का अंजाम क्या होता है।’ ये सुनते ही हमलावरों ने गया सिंह और उनके परिवार के लोगों के हाथ-पैर बांध दिए। घसीटते हुए बरगद के पेड़ के पास ले गए। गांव की शुरुआत में ही बड़ा सा बरगद का पेड़ था। अब तक गांव में चीख-पुकार मच चुकी थी। हमलावर राजपूत परिवारों से चुन-चुनकर महिला, पुरुष और बच्चों को घसीटते हुए बरगद पेड़ के पास ला रहे थे। कई लोग छत से कूदकर खेतों की तरफ भाग रहे थे। हमलावर लगातार फायरिंग कर रहे थे। कुछ लोग तो मौके पर ही मारे गए। 40 साल का एक शख्स ट्रैक्टर लेकर घर लौट रहा था। हमलावरों को देखते ही चीख पड़ा- ‘अरे काका हम राजपूत नहीं हैं। हम तो इनके घर काम करते हैं। हम हरिजन हैं हरिजन।’ #$%@#$ झूठ बोल रहा… कहते हुए एक अधेड़ ने उसकी पीठ पर कुल्हाड़ी मार दी। दो हमलावरों ने उसे ट्रैक्टर की सीट से बांध दिया। फिर केरोसिन तेल का डिब्बा ट्रैक्टर पर उड़ेला और आग लगा दी। कुछ ही मिनटों में ड्राइवर तड़प-तड़प कर मर गया। इधर, बगल के गांव दलेलचक में कमला कुंवर कुछ घंटे पहले ही ससुराल से लौटी थीं। पिता भोज की तैयारी कर रहे थे। मेहमान आ चुके थे। अचानक कुत्ते भौंकने लगे। कमला अपनी बहन ललिता से बोली- ‘जाओ देखो तो बाहर कौन है?’ ललिता ने झांककर देखा सैकड़ों हथियारबंद गांव की तरफ बढ़ रहे थे। वो चीख उठी- ‘पापा, मम्मी सब भागो, नक्सली आ गए हैं।’ दोनों बहनें, उनके मम्मी-पापा और बाकी रिश्तेदार खेतों की तरफ भागने लगे। तभी बगल के लोगों ने रोक लिया। कहने लगे- ‘आप लोगों को कोई खतरा नहीं है। घर में ही छिप जाओ।’ कुछ ही मिनटों में भीड़ ने गांव में धावा बोल दिया। राजपूतों के घरों में घुस गए। मारकाट मचाने लगे। कमला और ललिता घर के पीछे भूसे के ढेर में छिप गईं। बाकी परिवार और रिश्तेदार पकड़े गए। दो साल का बच्चा पलंग पर सो रहा था। वो भीड़ देखकर रोने लगा। हमलावर ने चीखते हुए कहा- ‘इस कमीने को सबसे पहले मारो।’ इतना सुनते ही एक अधेड़ ने बच्चे को उठाकर चौखट पर पटक दिया। उसका सिर फट गया। हमलावर ने बाल पकड़कर बच्चे को उठा लिया। दूसरे ने बच्चे की गर्दन पर कुल्हाड़ी दे मारी। बच्चे का सिर हमलावर के हाथ में रह गया और बॉडी नीचे गिर गई। एक ने औरतों की तरफ इशारा करते हुए बोला- ‘इनकी इज्जत लूट लो और काम तमाम कर दो।’ हमलावरों ने वैसा ही किया। बलात्कार करके महिलाओं और लड़कियों की गर्दन उतार दी। कमला के पिता से यह देखा नहीं गया। वे गाली देते हुए हमलावरों पर झपटे, पर उन लोगों ने दबोच लिया। दो हमलावरों ने उनका पैर पकड़ा और दो ने हाथ। 20 साल के एक लड़के ने उनके पेट में कुल्हाड़ी मार दी। वो चीख उठे। तभी हमलावर ने उनके मुंह में बंदूक का बट ठूंस दिया। चंद मिनटों में वे तड़प-तड़पकर शांत हो गए। अब एक हमलावर बोला- ‘टाइम खराब मत करो। सारे मर्दों को बांध दो और ले चलो बरगद के पेड़ के पास।’ हमलावरों ने रस्सी से सभी मर्दों के हाथ पैर बांध दिए और घसीटते हुए उसी बरगद के पेड़ के पास ले जाने लगे। दलेलचक के बाकी घरों में भी ऐसे ही कोहराम मचा था। हमलावरों ने महिलाएं और लड़कियों को बलात्कार के बाद घर में ही मार दिया। जबकि मर्दों के हाथ-पैर बांधकर बरगद के पेड़ के पास बैठा दिया। दलेलचक और बघौरा दोनों गांव से करीब 40-50 लोगों को पकड़कर हमलावरों ने यहां रखा था। कुछ ही देर में हमलावरों ने सबको बरगद के पेड़ से बांध दिया। ये लोग जोर जोर से चीख रहे थे- बचाओ, बचाओ। पर कोई सुनने वाला नहीं था। गांव के गैर राजपूतों ने अपने-अपने दरवाजे बंद कर लिए थे। अब तक रात के 9 बज चुके थे। हमलावरों के मुखिया ने कहा- ‘इन @#$%$#@ के टुकड़े-टुकड़े कर दो।’ भीड़ कुल्हाड़ी और गड़ासा लेकर टूट पड़ी। कुछ ही मिनटों में बरगद के पेड़ से दर्जनों अधकटी लाशें लटक गईं। तभी हवा में फायरिंग करते हुए एक हमलावर बोला- ‘जाओ इनके घरों में आग लगा दो। जो छुपे होंगे वो भी जल मरेंगे।’ भीड़ ने चुन-चुनकर दोनों गांवों के राजपूतों के घरों में आग लगा दी। फिर ‘एमसीसी जिंदाबाद। छेछानी का बदला ले लिया। बदला पूरा हुआ।’ का नारा लगाते हुए हमलावर निकल गए। गांव से महज तीन किलोमीटर की दूरी पर मदनपुर थाना है। भीड़ की धमक, लोगों की चीखें और गोलियों की गूंज थाने तक पहुंच चुकी थीं, पर पुलिस निकलने की हिम्मत नहीं जुटा पाई। करीब 2 घंटे बाद पांच पुलिस वाले गांव के लिए निकले। बगल के दूसरे थाने से पुलिस की एक और टीम दलेलचक पहुंची। कुछ ही देर में औरंगाबाद के एसपी सतीष झा भी पहुंच गए। दोनों गांवों में घरों से अब भी आग की ऊंची-ऊंची लपटें दिख रही थीं। एसपी सतीश झा और बाकी पुलिस वाले आग बुझाने में जुट गए। वे घर-घर जाकर पानी मांग रहे थे, लेकिन किसी ने दरवाजा नहीं खोला। इसी बीच एसपी को कुछ लोगों के कराहने की आवाज सुनाई पड़ी। पुलिस वालों को लेकर वे उस तरफ दौड़े। टॉर्च जलाई। देखा 4 साल का एक बच्चा बिस्तर लपेटे एक कोने में सिसक रहा था। थोड़ी दूर पर 20-25 साल का एक लड़का भूसे के ढेर में छिपा हुआ था। उन्होंने दोनों को बाहर निकाला। इधर, पटना तक नरसंहार की खबर पहुंच गई थी। रात में ही डीजीपी शशिभूषण सहाय और आईजी ललित विजय सिंह, दलेचचक बघौरा के लिए निकल गए, पर गांव तक जाने के लिए पक्की सड़क नहीं थी। उन्हें पहुंचने में काफी देर हो गई। इधर, पूरी रात पुलिस आग बुझाने में जुटी रही, पर आग बुझने का नाम नहीं ले रही थी। अब सुबह के 5 बज गए थे। एक-एक करके लाशें गिनी जाने लगीं। बरगद के पेड़ के पास 29 कटी फटी लाशें मिलीं। सिर जमीन पर बिखरे पड़े थे और बाकी हिस्सा बरगद के पेड़ से बंधा हुआ था। पूरी जमीन खून से सन गई थी। ऐसा लग रहा था जैसे कोई बूचड़खाना हो। पुलिस ने दोनों गांवों में एक-एक घर की तलाशी ली। 26 लाशें मिलीं। इनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे थे। कुल 55 लोग मारे गए थे। 54 राजपूत और एक हरिजन। 7 परिवार ऐसे थे, जिनके घरों में कोई जिंदा नहीं बचा था। आजादी के बाद ये बिहार का सबसे बड़ा जातीय नरसंहार था। आरोप माओवादी संगठन माओइस्ट कम्युनिस्ट सेंटर यानी एमसीसी पर लगा। तब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी और राजीव गांधी प्रधानमंत्री। बिहार में भी सरकार कांग्रेस की थी और बिंदेश्वरी दुबे मुख्यमंत्री। एक ही चिता पर 80 साल के बुजुर्ग और 6 महीने के बच्चे का अंतिम संस्कार अगले दिन यानी 30 मई को सरकार ने नरसंहार में मारे गए लोगों का सामूहिक अंतिम संस्कार करवाया। कई लाशों की पहचान नहीं हो सकी थी। कई मृतकों के घर से कोई आया नहीं। शायद उनके परिवार में कोई बचा ही नहीं था। एक-एक चिता पर 5-7 लाशें रखी गई थीं। एक ही चिता पर 80 साल के बुजुर्ग और 6 महीने के बच्चे का अंतिम संस्कार किया गया। ये सीन देखकर वहां मौजूद लोग और पुलिस वालों की आंखें भर आई थीं। लोग जलती चिताओं से राख उठाकर तिलक लगा रहे थे। शायद ये तिलक बदले का संकेत था। पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर को धक्का मारने लगी भीड़, पत्रकार ने बचाया 31 मई की सुबह पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर दिल्ली से सीधे दलेलचक बघौरा पहुंचे। किताब ‘द जननायक कर्पूरी ठाकुर’ में उपसभापति हरिवंश नारायण उस किस्से को याद करते हैं- ‘मैं एक मैगजीन रिपोर्टर था। गया से औरंगाबाद होते हुए सुबह 6 बजे नरसंहार वाली जगह पहुंचा। मैंने देखा कि एक कोने में कर्पूरी ठाकुर चुपचाप खड़े थे।’ उसी किताब में पटना के वरिष्ठ पत्रकार दीपक कुमार कहते हैं- ‘जब भीड़ कर्पूरी को धकियाने लगी तो मुझे लगा कि उन्हें अपमानित किया जा सकता है। हमारी आंखें मिलीं और वे मेरी स्कूटर पर पीछे बैठ गए। मैं उन्हें औरंगाबाद मेन रोड तक ले गया। वहां से वे अपनी गाड़ी में बैठकर पटना चले गए।’ जलते घर, वीरान गांव, नरसंहार का मंजर देख रो पड़े मुख्यमंत्री बिंदेश्वरी दुबे 31 मई को ही मुख्यमंत्री बिंदेश्वरी दुबे भी दलेलचक बघौरा पहुंचे। अब भी कई घरों में आग बुझी नहीं थी। फायर ब्रिगेड की गाड़ियां मंगाई गईं। फिर आग बुझाई गई। मुख्यमंत्री घर-घर जाकर देख रहे थे, पर गांव के ज्यादातर लोग भाग चुके थे। अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक एक बुजुर्ग, मुख्यमंत्री को देखकर बिलखने लगा। उसकी गोद में दो छोटे-छोटे बच्चे थे। कहने लगा- ‘साहब ये दोनों मेरे पोते-पोती हैं। इनके मां-बाप को मार डाला है। परिवार में बस ये ही बचे हैं। मैं अकेला इनकी देखभाल कैसे करूंगा।’ यह देखकर मुख्यमंत्री भी रोने लगे। कुछ देर बाद वे पटना लौटे और अगले दिन ऐलान किया कि एमसीसी पर बैन लगाया जाएगा। इस नरसंहार में विधायक रामलखन सिंह यादव पर भी आरोप लगा था। कहा गया कि 30 अप्रैल को वे औरंगाबाद के ही एक गांव छोटकी छेछानी में यादव महासभा के लिए गए थे। विपक्ष का दावा था कि मुख्यमंत्री भी यादव महासभा में शामिल हुए थे। एमसीसी ने इस नरसंहार को छोटकी छेछानी का ही बदला बताया था। इसलिए विपक्ष सरकार पर और ज्यादा हमलावर था। 5 जून को जनता पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर, राम विलास पासवान और लोकदल के अजित सिंह गांव पहुंच गए। इन सब घटनाओं से सीएम पर लगातार इस्तीफे का दबाव बढ़ रहा था। जनता पार्टी और बाकी विपक्षी दल सरकार बर्खास्त करने की मांग कर रहे थे। आखिर छोटकी छेछानी में क्या हुआ था, जिसका बदला माओवादियों ने दलेलचक बघौरा में लिया… दरअसल, बघौरा गांव के बगल से कोयल नहर निकलने वाली थीं। इससे वहां की जमीनों की कीमतें अचानक बढ़ गई थीं। इन जमीनों पर राजपूतों का दावा था। जबकि यादव अपना कब्जा चाहते थे। नक्सली संगठन एमसीसी यादवों की मदद कर रहा था। दलेलचक गांव में बोध गया के महंत की सैकड़ों एकड़ जमीनें थीं। एमसीसी वालों ने उनकी कुछ जमीनों पर कब्जा कर लिया था और बटाईदारों के जरिए खेती करवा रहे थे। गांव के ही एक दबंग राजपूत रामनरेश सिंह ने महंत से 46 एकड़ जमीनें खरीद लीं और बटाईदारों को भगा दिया। कहा जाता है कि रामनरेश केंद्रीय मंत्री और बाद में पीएम बने चंद्रशेखर का करीबी था। कुछ ही दिनों बाद रामनरेश के सहयोगी कृष्णा कहार का मर्डर हो गया। सितंबर 1986 में राम नरेश के एक और सहयोगी की हत्या हो गई। आरोप एमसीसी पर लगा। 10 दिनों के भीतर ही जमींदारों ने 5-6 एमसीसी कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी। यहां से बदले की आग और धधकती गई। 20 दिन बाद पास के ही दरमिया गांव में 11 राजपूतों की हत्या हो गई। फिर से आरोप लगा एमसीसी पर। इसके बाद सरकार ने स्पेशल ऑपरेशन चलाया। पुलिस बढ़ा दी गई। सेंट्रल फोर्सेज की तैनाती की कर दी गई। कुछ महीने मामला काबू में रहा। फिर प्रशासन ने ढील दे दी। सेंट्रल फोर्सेज को पंजाब भेज दिया गया। एसपी और टास्क फोर्स वालों को भी पटना बुला लिया गया। दरअसल, उन दिनों पंजाब उग्रवाद के दौर से गुजर रहा था। ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद इंदिरा गांधी की हत्या हो चुकी थी। 19 अप्रैल 1987 को राजपूत जमींदार केदार सिंह की हत्या हो गई। इस हत्या के दो घंटे बाद ही मुसाफिर यादव और राधे यादव परिवार के सात लोगों का कत्ल हो गया। मुसाफिर और राधे यादव एमसीसी के सपोर्टर माने जाते थे। कुछ रोज बाद मदनपुर बाजार में नक्सलियों ने पर्चा बंटवाया। जिसमें लिखा था- ‘सात का बदला सत्तर से लेंगे।’ और अगले ही महीने दलेलचक बघौरा में नरसंहार हो गया। दो साल में 3 मुख्यमंत्रियों का इस्तीफा, फिर कभी कांग्रेस का सीएम नहीं बना इस नरसंहार को लेकर विपक्ष तो हमलावर था ही, सरकार के अंदर भी अलग-अलग खेमे बंट गए थे। पूर्व सीएम जगन्नाथ मिश्रा तो अपने ही सीएम पर लापरवाही का ठीकरा फोड़ रहे थे। आनन-फानन में सरकार ने डीजीपी एसबी सहाय को हटा दिया। आईजीपी लॉ एंड ऑर्डर का भी तबादला हो गया। औरंगाबाद के एसपी भी बदल गए। पर सरकार में सबकुछ ठीक नहीं रहा। इसके बाद सीएम को दिल्ली बुलाया गया। सियासी गलियारों में कयास लगने लगे कि मुख्यमंत्री बदले जाएंगे। आखिरकार 13 फरवरी 1988 को मुख्यमंत्री बिंदेश्वरी दुबे ने इस्तीफा दे दिया। भागवत झा आजाद मुख्यमंत्री बने, लेकिन एक साल बाद उन्हें भी हटा दिया गया। इसके बाद सत्येंद्र नारायण सिंह सीएम बने। पर 7 महीने बाद दिसंबर 1989 में उनका भी इस्तीफा हो गया। अगले चुनाव में दो-तीन महीने ही बचे थे। ऐसे में राज्य की कमान एक बार फिर से जगन्नाथ मिश्रा को मिली। 1990 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 324 सीटों में से महज 71 सीटें मिलीं। पिछले चुनाव से 125 कम। मगध संभाग, जहां ये नरसंहार हुआ था, वहां की 26 सीटों में से सिर्फ 10 सीटें ही कांग्रेस बचा सकी। जबकि पिछले चुनाव में उसे 19 सीटें मिली थीं। यानी आधी सीटें कांग्रेस ने गंवा दी। 122 सीटें जीतकर जनता दल ने लेफ्ट और निर्दलीयों की मदद से सरकार बनाई और लालू यादव मुख्यमंत्री बने। 1990 के अगस्त में मंडल कमिशन की सिफारिशें लागू करने का एलान हुआ और दो महीने बाद ही बीजेपी ने राम रथ यात्रा निकाल दी। इसी दौरान लालू ने बीजेपी नेता लाल कृष्ण आडवाणी को बिहार में गिरफ्तार कर लिया। यहां से लालू को पिछड़ों के साथ ही मुस्लिमों का साथ भी मिलने लगा। दूसरी तरफ आरक्षण और सवर्णों के नरसंहारों की वजह कांग्रेस के कोर वोटर्स बीजेपी की तरफ शिफ्ट होते गए। 1995 के चुनाव में कांग्रेस सिर्फ 29 सीटों ही जीत सकी। इसके बाद साल दर साल कांग्रेस कमजोर पड़ती गई। 40 साल तक बिहार में राज करने वाली कांग्रेस, राजद का छोटा भाई बनने पर मजबूर हो गई। तब से उसका सीएम तो नहीं ही बना, वह मुख्य विपक्षी पार्टी भी नहीं बन पाई। हमलावर 500, आरोपी 177, 8 उम्रकैद काटकर जेल से छूट गए दलेलचक बघौरा गांव में 500 लोगों की भीड़ ने हमला किया था। इनमें से कुल 177 आरोपी बनाए गए। इनमें ज्यादातर यादव थे। दिसंबर 1992 में औरंगाबाद सेशन कोर्ट ने 8 को फांसी की सजा सुनाई गई और बाकी सबूतों के अभाव में बरी हो गए। इस फैसले के बाद नक्सलियों ने गया के बारा गांव के पास एक थाने को घेरकर 5 पुलिस वालों की हत्या कर दी। 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया। इसी साल आठों आरोपी अपनी-अपनी सजा काटकर जेल से छूट गए। नरसंहार के बाद ज्यादातर राजपूत गांव छोड़कर चले गए थे। दोनों गांवों को भूतहा गांव कहा जाने लगा था। आज भी इन गांवों में राजपूतों के गिने-चुने ही घर हैं। कई परिवार तो नरसंहार के बाद लौटे ही नहीं। कल तीसरे एपिसोड में पढ़िए कहानी बारा नरसंहार की, जहां 35 भूमिहारों की हत्या कर दी गई.. नोट : (यह सच्ची कहानी पुलिस चार्जशीट, कोर्ट जजमेंट, गांव वालों के बयान, अलग-अलग किताबें, अखबार और इंटरनेशनल रिपोर्ट्स पर आधारित है। क्रिएटिव लिबर्टी का इस्तेमाल करते हुए इसे कहानी के रूप में लिखा गया है।) रेफरेंस :
शहीदी यात्रा पर शहरवासियों ने बरसाए फूल, गुरु पालकी के समक्ष टेका माथा
भास्कर न्यूज। सिरसा ‘हिंद की चादर’ श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी के 350वीं शहीदी वर्षगांठ के उपलक्ष्य में निकाली जा रही शहीदी यात्रा का रविवार को शहर में विभिन्न स्थानों पर स्वागत किया गया। इस नगर कीर्तन में बड़ी संख्या में श्रद्धालु उमड़े। बाजारों में जगह-जगह पुष्प वर्षा की गई। नगर कीर्तन गुरुद्वारा चिल्ला साहिब से शुरू हुआ और गुरुद्वारा श्री दशम पातशाही तक पूरी श्रद्धा और उत्साह के साथ निकाला गया। शहीदी यात्रा दौरान गुरु साहिब की पालकी के समक्ष माथा टेका और सुख समृद्धि की कामना की। यात्रा में पालकी को फूलों से सजाया गया और श्री गुरुग्रंथ साहिब को विराजमान किया। इस दौरान भारी संख्या में संगत ने गुरु साहिब के प्रति अपनी आस्था व्यक्त की। नगर कीर्तन में गतका पार्टी ने अपने शौर्य और कौशल का अनूठा प्रदर्शन किया। इस दौरान चौक-चौराहों पर गतका पार्टियों ने हैरतअंगेज करतब दिखाए। शहीदी यात्रा दौरान बाजारों में विभिन्न संगठनों द्वारा जल, लंगर, चाय, ब्रेड पकौड़ की सेवाएं उपलब्ध करवाई गईं। रोड़ी से शुरू हुई थी शहीदी यात्रा बता दें कि यह शहीदी यात्रा 8 नवंबर को सिरसा के गांव रोड़ी से शुरू हुई थी, जिसमें हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने शिरकत की। यह शहीदी यात्रा प्रदेश के विभिन्न जिलों से होते हुए कुरूक्षेत्र पहुंचेगी। जहां एक बडे कार्यक्रम के साथ यात्रा का समापन होगा। रोड़ी से आरंभ होने के बाद यह यात्रा कालांवाली, डबवाली, रानियां और ऐलनाबाद सहित जिले के विभिन्न गांवों से होते हुए सिरसा पहुंची है।
इलेक्शन सीरीज 'मुख्यमंत्री' के तीसरे एपिसोड में कहानी जननायक कर्पूरी ठाकुर की… बात 1977 की है। तारीख 11 अक्टूबर। जगह- पटना के कदमकुआं में जय प्रकाश नारायण का घर। उस रोज जेपी का जन्मदिन था। कई नामचीन नेता जुटे थे। जनता पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर और जनसंघ के नेता नानाजी देशमुख दिल्ली से पहुंचे थे। इसी बीच बिहार के CM कर्पूरी ठाकुर भी वहां पहुंचे। फटा कुर्ता, टूटी चप्पल और बिखरे बाल। उन्हें देखते ही किसी ने तंज कसा- 'एक मुख्यमंत्री का तनख्वाह कितना होना चाहिए कि वो अपने लिए ढंग के कपड़े खरीद सके?' यह सुनते ही चंद्रशेखर ने अपने कुर्ते के निचले हिस्से के दोनों किनारों को पकड़ा और फैलाते हुए कहा- 'जो जितना पैसा दे सकता है, इसमें डाल दे।' कुछ ही देर में 150 रुपए इकट्ठे हो गए। चंद्रशेखर ने ये पैसे कर्पूरी ठाकुर को देते हुए कहा- ‘अपने लिए भी कुछ सोचा कीजिए। कुछ नए कुर्ते खरीद लीजिए।' कर्पूरी पैसे लेने से हिचक रहे थे। बाद में चंद्रशेखर की जिद के कारण उन्होंने पैसे तो रख लिए; लेकिन कपड़े नहीं खरीदे, बल्कि उन पैसों को मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा कर दिया। 24 जनवरी 1924, समस्तीपुर जिले कै पितौंझिया गांव के नाई गोकुल ठाकुर की झोपड़ी में एक बच्चे का जन्म हुआ। कड़ाके की सर्दी पड़ रही थी। गोकुल के पास गर्म कपड़े नहीं थे। उन्होंने बच्चे को उसकी मां रामदुलारी के पास सूखी घास पर लिटा दिया। माता-पिता ने बच्चे का नाम रखा कर्पूरी। एक रोज एक साधु उनकी झोपड़ी में पहुंचे। कर्पूरी के माथे को देखते हुए कहा, 'ये बच्चा बहुत बड़ा आदमी बनेगा।' गोकुल मन ही मन सोचने लगे कि साधु-संत तो ऐसा ही बोलते हैं। नाई का बेटा है तो बाल ही काटेगा। कर्पूरी की 6 बहनें और एक भाई कभी स्कूल नहीं गए, लेकिन एक दिन उन्होंने पिता से स्लेट मांग ली। गोकुल ने पत्थर की स्लेट और चूने के कुछ टुकड़े लाकर तो दे दिए, लेकिन वे यही चाहते थे कि कर्पूरी स्कूल न जाकर नाई का काम करें। कुछ रोज बाद उन्होंने देखा कि कर्पूरी ने अपना नाम लिखना सीख लिया है। इसके बाद उन्होंने कर्पूरी का नाम गांव के स्कूल में लिखवा दिया। जब कर्पूरी 8 साल के हुए ही थे कि उनकी शादी हो गई। सीनियर जर्नलिस्ट संतोष सिंह अपनी किताब 'द जननायक कर्पूरी ठाकुर: वॉयस ऑफ द वॉयसलेस' में लिखते हैं, ‘1932 में मुजफ्फरपुर की फुलेश्वरी देवी के साथ कर्पूरी का विवाह हुआ। बड़े होने पर उन्हें शादी के बारे में चुनिंदा बातें ही याद थीं। जैसे- उन्होंने पीले रंग का धोती-कुर्ता और उनकी दुल्हन ने लाल रंग की साड़ी पहनी थी। बैलगाड़ियों पर चढ़कर लोग बारात में पहुंचे थे।’ तीन साल बाद कर्पूरी का गौना हुआ। फुलेश्वरी और कर्पूरी साथ रहने लगे। इस बीच कर्पूरी का दाखिला ताजपुर के बॉयज मिडिल इंग्लिश स्कूल में हो गया। बाद में वे तिरहुत अकादमी में पढ़ने लगे। 10वीं पास की तो जमींदार बोला- ‘अब पैर दबाओ’ बात 1940 की है। कर्पूरी मैट्रिक यानी 10वीं कक्षा में थे। स्कूल में 2 रुपए फीस देनी थी, लेकिन पिता गोकुल के पास इतने पैसे नहीं थे। सीनियर जर्नलिस्ट संतोष सिंह लिखते हैं- गोकुल अपने बेटे कर्पूरी को लेकर गांव के बड़े जमींदार बच्चा सिंह के पास गए। उन्होंने बच्चा सिंह से फीस के लिए 2 रुपए मांगे, लेकिन बच्चा सिंह ने शर्त रख दी। कहा कि मेरे नहाने के लिए कर्पूरी कुएं से 27 बाल्टी पानी निकाले। इसके बाद कर्पूरी ने गहरे कुएं से 27 बाल्टी पानी खींचकर निकाला। जब बच्चा सिंह ने उस पानी से नहा लिया, तब जाकर उसने कर्पूरी को 2 रुपए दिए। इस तरह कर्पूरी ने पढ़ाई करते हुए 10वीं की परीक्षा दी। वे फर्स्ट डिवीजन से पास हुए। ये वो दौर था, जब 10वीं पास बच्चे खोजने पर मिलते थे। कर्पूरी अपने परिवार में 10वीं पास करने वाले पहले थे। गदगद पिता गोकुल बेटे कर्पूरी को लेकर उसी जमींदार बच्चा सिंह के पास गए। गोकुल ने हाथ जोड़ते हुए कहा, ‘हमरो कर्पूरी मैट्रिक पास होय गेले, मालिक।’ बच्चा सिंह ने ठसक के साथ टेबल पर पैर रखते हुए कर्पूरी से कहा, ‘अच्छा, अब मेरे पांव दबाओ।’ कर्पूरी जमींदार के पांव दबाने लगे। संतोष सिंह लिखते हैं- बाद में कर्पूरी ने इस घटना को अपने दिमाग से पूरी तरह निकाल दिया। वे इसे नापसंद करते थे। आजादी के लिए क्रांतिकारी बने, नेपाल में अंडरग्राउंड रहकर बंदूक चलाना सीखी पढ़ाई के दौरान कर्पूरी ने रामधारी सिंह दिनकर, शिवपूजन सहाय, गोपाल सिंह नेपाली जैसे लेखकों को पढ़ा। वे कविताएं, भाषण लिखने और सुनाने लगे। फिर साल आया 1942 का। भारत छोड़ो आंदोलन शुरू हो चुका था। कॉलेज की पढ़ाई छोड़ कर्पूरी आजादी की लड़ाई में कूद पड़े। 9 अगस्त 1942 को दरभंगा में छात्रों की बैठक हुई। कर्पूरी ने जोरदार भाषण दिया। उसका असर यह हुआ कि लोग सरकारी भवनों पर तिरंगा फहराने लगे। रेल की पटरियां उखाड़ने लगे। अंग्रेज कर्पूरी को खोजने लगे। वे नेपाल में जाकर अंडरग्राउंड आंदोलन से जुड़ गए। यहीं जयप्रकाश नारायण से उनकी मुलाकात हुई। उन्होंने नेपाल के सुरंगा पहाड़ में आजाद दस्ते की ट्रेनिंग ली। यहां बंदूक चलाना और बम बनाना सीखा। यहां जयप्रकाश नारायण की सीख काम आई- 'हमें बदला नहीं बदलाव चाहिए। हमें युद्ध की कला नहीं, क्रांति का विज्ञान सीखना है।' इसके बाद कर्पूरी ने सोशलिस्ट पार्टी जॉइन कर ली। जय प्रकाश नारायण, समाजवादी नेता डॉ. राममनोहर लोहिया और कांग्रेस के कुछ नेताओं ने मिलकर 1934 में ये पार्टी बनाई थी। अक्टूबर 1942 की एक रात 2 बजे पुलिस ने कर्पूरी और उनके साथियों को गिरफ्तार कर लिया। एक साल की सजा हुई। बाद में उन्हें भागलपुर जेल भेज दिया गया। 26 महीने बाद नवंबर 1945 में कर्पूरी रिहा हुए। उन्होंने नारा दिया- ‘कमाने वाला खाएगा, लूटने वाला जाएगा, नया जमाना आएगा।’ गांव-गांव में यह नारा गूंजने लगा। डिप्टी CM बने, 10वीं के बच्चे ‘कर्पूरी डिवीजन’ से पास होने लगे आजादी के बाद कर्पूरी गांव के स्कूल में पढ़ाने लगे। पर राजनीति नहीं छोड़ी। 1952 में ताजपुर सीट से उन्होंने पहला चुनाव लड़ा और जीत भी गए। इसके बाद वे कभी चुनाव नहीं हारे। मार्च 1967 में बिहार में पहली गैर-कांग्रेसी सरकार बनी, जिसमें संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, जनसंघ, जन क्रांति दल और प्रजा सोशलिस्ट पार्टी जैसे दल थे। जन क्रांति दल के महामाया प्रसाद सिन्हा CM बने और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के कर्पूरी ठाकुर डिप्टी CM। कर्पूरी को शिक्षा मंत्रालय भी मिला। 'द जननायक कर्पूरी ठाकुर: वॉयस ऑफ द वॉयसलेस' के मुताबिक, डिप्टी CM बनने के 3 महीने बाद कर्पूरी डॉ. राममनोहर लोहिया से मिलने दिल्ली गए। आधे घंटे तक वे इंतजार करते रहे। तभी डॉ. लोहिया के सहायक उर्मिलेश झा ने कर्पूरी से कहा, ‘डॉ. साहब की तबीयत खराब है।’ दरअसल, दो खास काम पूरे न होने के कारण डॉ. लोहिया नाराज थे। कर्पूरी अपने नेता की नाराजगी भांप गए। वे डॉ. लोहिया से मिले बगैर बिहार लौट आए और काम पर जुट गए। सबसे पहले उन्होंने 10वीं बोर्ड परीक्षा में अंग्रेजी की अनिवार्यता खत्म कर दी। दरअसल, उस वक्त 10वीं में अंग्रेजी के नंबर जोड़े जाते थे, लेकिन गरीब और पिछड़े तबके के बच्चों को अंग्रेजी पढ़ने में मुश्किल होती थी और वे फेल हो जाते थे। डॉ. लोहिया चाहते थे कि 10वीं में अंग्रेजी के नंबर न जोड़े जाएं। कर्पूरी ने इस नियम को खत्म कर दिया। उस दौर में जो बच्चे अंग्रेजी के बिना दसवीं पास करते उन्हें मजाक में लोग ‘कर्पूरी डिवीजन’ पास कहते थे। इसके बाद बारी थी- डॉ. लोहिया के दूसरे काम की, जिसके लिए कैबिनेट की मंजूरी जरूरी थी। उन्होंने मीटिंग बुलाई और प्रस्ताव रखा, ‘7 एकड़ से कम जमीन पर खेती करने वाले किसानों का लगान माफ किया जाना चाहिए।’ विधायक भांप गए थे कि ये डॉ. लोहिया की इच्छा है। कोई प्रस्ताव का विरोध नहीं कर पाया। इस फैसले से राज्य के छोटे किसानों को काफी फायदा हुआ। विधायक दल के नेता थे रामानंद तिवारी, पर मुख्यमंत्री बन गए कर्पूरी ठाकुर साल 1969 और महीना दिसंबर का। कांग्रेस (R) के दारोगा प्रसाद राय मुख्यमंत्री थे। तभी बिहार राजपथ परिवहन के एक आदिवासी कंडक्टर को सस्पेंड कर दिया गया। नाराज कंडक्टर ने झारखंड पार्टी के बड़े आदिवासी नेता बागुन सुम्ब्रई से मदद मांगी। सुम्ब्रई ने CM दारोगा को मामला बताया, लेकिन बात नहीं बनी। ऐसे में सुम्ब्रई ने सरकार से समर्थन खींच लिया और दारोगा प्रसाद की सरकार गिर गई। अब नई सरकार बनाने की कवायद शुरू हुई। संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी लामबंदी में जुट गई। भारतीय क्रांति दल, झारखंड पार्टी, स्वतंत्र पार्टी जैसे छोटे दल के विधायक भी जुड़ गए, लेकिन बहुमत का आंकड़ा नहीं जुटा। किताब 'द जननायक कर्पूरी ठाकुर: वॉयस ऑफ द वॉयसलेस' में डॉ. लोहिया के करीबी रहे समाजवादी नेता उमेश प्रसाद सिंह बताते हैं- ‘कर्पूरी के सहयोगी प्रणब चटर्जी ने मुझसे कहा कि मैं कर्पूरी से जाकर कहूं कि कांग्रेस (O) के नेता सत्येंद्र नारायण सिन्हा उनसे तुरंत मिलना चाहते हैं। मैं कर्पूरी से मिलने निकल पड़ा। गांधी मैदान के पास पार्टी के एक नेता के घर पहुंचा। वहां कर्पूरी और रामानंद तिवारी के बीच तीखी बहस हो रही थी। जैसे-तैसे हिम्मत जुटाई और आगे बढ़कर कर्पूरी के कान में फुसफुसा दिया कि सत्येंद्र बाबू मिलना चाहते हैं। दोनों की मुलाकात हुई। कांग्रेस (O) ने सरकार को समर्थन करने की हामी भरी। जनसंघ भी साथ आ गया। उस वक्त संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के विधायक दल के नेता रामानंद तिवारी थे, लेकिन ज्यादातर विधायक कर्पूरी को CM बनाना चाहते थे। रामानंद ने दावा छोड़ दिया। 22 दिसंबर 1970 को कर्पूरी ठाकुर ने पहली बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। वहीं रामानंद को गृह मंत्रालय का जिम्मा मिला। जब देखा कि पिता के पास पैसे नहीं है, तो वृद्धावस्था पेंशन शुरू की मुख्यमंत्री बनने के बाद कर्पूरी ठाकुर पहली बार अपने गांव पितौंझिया पहुंचे। माता-पिता से मिलने उनकी झोपड़ी में गए। उनके पैर छूकर आशीर्वाद लिया। मां रामदुलारी ने उन्हें गुड़ खिलाया और 25 पैसे दिए। पिता गोकुल भी कर्पूरी को आशीर्वाद में कुछ पैसे देना चाहते थे, लेकिन उनके पास पैसे नहीं थे। शर्मिंदगी से बचने के लिए वे चुपचाप झोपड़ी से बाहर चले गए। कर्पूरी पिता की बेबसी समझ चुके थे। वे पटना लौटे और वृद्धावस्था पेंशन स्कीम शुरू की। इसके तहत 60 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों को हर महीने 10 रुपए दिए जाने लगे। 7 हफ्ते में 5 बार मंत्रिमंडल बढ़ाया, फिर भी सरकार नहीं बचा पाए गठबंधन को एकजुट रखने में कर्पूरी को दिक्कतें हो रही थीं। सभी को खुश रखने के लिए उन्होंने 7 हफ्ते में 5 बार मंत्रिमंडल विस्तार किया। मंत्रियों की गिनती 41 हो गई, फिर भी असंतोष कम नहीं हुआ। मई 1947 में विपक्ष में बैठी कांग्रेस (R) ने कर्पूरी के खिलाफ विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दे दिया। कर्पूरी ने अविश्वास प्रस्ताव आने से पहले ही इस्तीफा दे दिया। इस तरह महज 163 दिन बाद 2 जून 1971 को कर्पूरी ठाकुर ने मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ दी। जेपी और नानाजी देशमुख ने मिलकर कर्पूरी को दूसरी बार मुख्यमंत्री बनवाया साल 1977 और महीना जनवरी का। इमरजेंसी के दौरान कांग्रेस (O), जनसंघ, भारतीय लोकदल, समाजवादी दल और कई छोटे दलों ने मिलकर जनता पार्टी बनाई। चंद्रशेखर राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। जेपी ने जनता पार्टी बनाने में अहम भूमिका निभाई। जून 1977 में बिहार में विधानसभा चुनाव हुए। नतीजे आए तो जनता पार्टी को 324 में से 214 सीटें मिलीं। अब बारी थी नेता चुनने की। उस वक्त जनता पार्टी में तीन धड़े थे और तीनों ही धड़ों के नेता मुख्यमंत्री पद पर दावा कर रहे थे। जनसंघ से कैलाशपति मिश्र, कांग्रेस (O) से सत्येंद्र नारायण सिन्हा और लोकदल से कर्पूरी ठाकुर। जनसंघ के कद्दावर नेता नानाजी देशमुख को विधायक दल के नेता का चुनाव कराने की जिम्मेदारी मिली। नानाजी ने सबसे पहले अपनी पार्टी के कैलाशपति मिश्र की दावेदारी खत्म की। फिर उन्होंने सत्येंद्र नारायण सिन्हा को मनाने की कोशिश की, लेकिन वे नहीं माने। सत्येंद्र नारायण ने 45 राजपूत विधायकों के समर्थन के साथ CM बनने का दावा ठोक दिया। आखिरकार विधायक दल का नेता चुनने के लिए वोटिंग शुरू हुई। कर्पूरी को करीब दो-तिहाई वोट मिले। इस तरह 24 जून 1977 को कर्पूरी दूसरी बार मुख्यमंत्री बने। जब नेपाली महिला ने आरोप लगाया- कर्पूरी ने मेरा रेप किया जनवरी 1978 में कर्पूरी ठाकुर फुलपरास सीट से उपचुनाव लड़ रहे थे। तभी काठमांडू की रहने वाली टीचर प्रेमलता राय ने कर्पूरी पर रेप केस कर दिया। प्रेमलता ने आरोप लगाया कि जुलाई 1975 में इमरजेंसी के दौरान कर्पूरी काठमांडू में अपने दोस्त प्रो. एसएन वर्मा के घर में छिपे हुए थे। 20 जुलाई को मैं एक शादी से नशे की हालत में प्रो. वर्मा के घर लौटी और वहीं सो गई। तब कर्पूरी ने मेरा रेप किया। बाद में वे मुझसे माफी मांगने लगे। सीनियर जर्नलिस्ट संतोष सिंह लिखते हैं, 'कर्पूरी पर जब रेप के आरोप लगे तो वे गांधी मैदान में अनशन पर बैठ गए। पांच दिन तक वे अनशन पर रहे। इस दौरान उन्हें लोगों का भरपूर समर्थन मिला। आरोप लगाने वाली नेपाली महिला चाहती थी कि विपक्ष इस मुद्दे को उछाले और बदले में उसे MLC का पद मिल जाए।' हालांकि किताब में इस बात का जिक्र नहीं है कि एक नेपाली महिला को बिहार में MLC कैसे बनाया जा सकता है? 7 मई 1980 को पटना डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने इस केस को खारिज करते हुए कहा कि ये आरोप कर्पूरी के खिलाफ राजनीतिक साजिश लग रही है। इसके बाद प्रेमलता ने पटना हाईकोर्ट में केस दायर किया। हालांकि, 1981 में उन्होंने केस वापस लेते हुए कहा- राजनीतिक दबाव बनाने के लिए मुझसे कर्पूरी पर झूठे आरोप लगवाए गए थे। आरक्षण का दायरा बढ़ाया, तो लोगों ने गालियां दीं; सरकार गिरी 3 नवंबर 1978, पटना का गांधी मैदान। मंच पर प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई और मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर बैठे थे। मोरारजी ने मंच से आरक्षण के खिलाफ कई बातें कहीं, जिस पर भीड़ के एक हिस्से ने जमकर तालियां बजाईं, लेकिन कर्पूरी इससे खुश नहीं थे। कार्यक्रम खत्म होने के बाद कर्पूरी ने मोरारजी को एयरपोर्ट से दिल्ली के लिए विदा किया। फिर सीधे सचिवालय पहुंचे। रात साढ़े 8 बजे उन्होंने पिछड़ों के लिए आरक्षण की अधिसूचना जारी कर दी। एक हफ्ते बाद यानी 10 नवंबर को कर्पूरी सरकार ने तीन प्रस्ताव पास किए। पहले में पिछड़ों के लिए 20% आरक्षण। दूसरे में महिलाओं के लिए 3% और तीसरे में आर्थिक तौर पर कमजोर ऊंची जाति के लोगों के लिए 3% आरक्षण दिया गया। इस तरह OBC के लिए आरक्षण लागू करने वाला बिहार देश का पहला राज्य बन गया। कोटे में कोटा और आरक्षण का दायरा बढ़ाने से अगड़ी-पिछड़ी जातियां भड़क गईं। हिंसक प्रदर्शन हुए। स्कूल-कॉलेज इसकी चपेट में आए। विधायकों और नेताओं ने भी विरोध किया। जनसंघ ने मोर्चा खोल दिया। सीनियर जर्नलिस्ट संतोष सिंह लिखते हैं, ‘उस दौरान कर्पूरी ठाकुर के खिलाफ जातिवादी नारे लगे। ‘ये आरक्षण कहां से आई, कर्पूरी की माई बियाई (आरक्षण कहां से आया, शायद कर्पूरी की मां के पेट से); कर्पूरी-कर्पूरा, छोड़ गद्दी, पकड़ उस्तरा (कर्पूरी बेहतर होगा कि गद्दी छोड़कर उस्तरा उठा लो)।’ अप्रैल 1979 तक कई मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया। विधायक भी छिटक गए। प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई से भी कर्पूरी के मतभेद बढ़ गए। 19 अप्रैल 1979 को विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव आया। कर्पूरी को 105 वोट मिले, जबकि उनके खिलाफ 135 वोट पड़े। कर्पूरी की सरकार गिर गई। इससे नाराज बिहार के 18 सांसदों ने जनता पार्टी सरकार से समर्थन वापस ले लिया। जुलाई 1979 में मोरारजी की सरकार गिर गई। जमींदार ने मुख्यमंत्री के पिता की पिटाई कर दी, कर्पूरी ने DM से कहा- FIR दर्ज नहीं करना बिहार विधान परिषद की मैगजीन 'साक्ष्य' में हरिनारायण ठाकुर लिखते हैं- बेटे के मुख्यमंत्री बनने के बाद भी पिता गोकुल नाई का काम करते रहे। एक बार जमींदार ने गोकुल को घर बुलवाया। तबीयत खराब होने के चलते उन्होंने जाने से मना कर दिया। इससे जमींदार नाराज हो गया। उसके आदमी गोकुल को जबरन उठा लाए और पिटाई की। जिला प्रशासन को इसका पता चला तो सब सकते में आ गए। पुलिस ने जमींदार को हिरासत में ले लिया और पिटाई कर दी। इधर, कर्पूरी को भी ये बात पता चल गई। उन्होंने समस्तीपुर के DM से कहा- ‘FIR दर्ज नहीं करना।’ DM बोले- ‘साहब…ये सरकार की साख का सवाल है।’ कर्पूरी ने कहा, ‘आप मुख्यमंत्री के पिता को तो बचा सकते हैं, लेकिन ऐसे हजारों पिताओं को कौन बचाएगा? गाली देना, मारना उनकी पुश्तैनी आदत है और गाली सुनना, मार खाना हमारी आदत। ये धीरे-धीरे ठीक होगी।’ ऐसा ही एक वाकया उनके बहनोई के साथ हुआ। एक दिन कर्पूरी के बहनोई उनसे मिलने पहुंचे। उन्होंने नौकरी के लिए सिफारिश करने के लिए कहा। बहनोई की बात सुन कर्पूरी गंभीर हो गए। उन्होंने जेब से 50 रुपए निकाल कर बहनोई की हथेली पर रख दिए और कहा- 'जाइए, एक उस्तरा खरीद लीजिए और अपना पुश्तैनी काम कीजिए।' जब कर्पूरी ने लालू से जीप मांगी, जवाब मिला- गाड़ी में तेल नहीं है सीनियर जर्नलिस्ट अनुरंजन झा अपनी किताब 'गांधी मैदान: ब्लफ ऑफ सोशल जस्टिस' में लिखते हैं, 'मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद की बात है। कर्पूरी विधानसभा में विपक्ष के नेता थे। तब वे रिक्शे से या पैदल चलते थे। एक बार उनकी तबीयत खराब हो गई। उन्होंने लालू प्रसाद यादव को संदेशा भिजवाया कि वह अपनी जीप से उन्हें विधानसभा छोड़ दें। उधर से लालू ने जवाब भिजवाया- ‘मेरी जीप में तेल नहीं है।’ दरअसल, लालू ने सांसद बनने के बाद ही एक पुरानी विलीस जीप खरीद ली थी। अनुरंजन झा लिखते हैं, 'कर्पूरी ही लालू को राजनीति में लाए थे। 1977 में लालू को लोकसभा चुनाव लड़वाया। बाद में लालू ने कर्पूरी की राजनीतिक विरासत लेने की कोशिश की, लेकिन नाकामयाब रहे। लालू उनके हाव-भाव की नकल करते हैं; लेकिन बिखरे बालों तक ही कर पाए, क्योंकि उन्हें महंगे कुर्ते और सैंडल पहनने का शौक पहले ही चढ़ चुका था।' नमक का पानी पीने से हार्ट अटैक हुआ और नहीं रहे कर्पूरी 17 फरवरी 1988 को पटना के 1, देशरत्न मार्ग स्थित आवास में कर्पूरी ठाकुर का निधन हो गया। डॉक्टरों ने बताया कि उनकी मौत हार्ट अटैक से हुई, जबकि कर्पूरी के करीबी कहते हैं कि एक षड्यंत्र के तहत उनकी हत्या की गई। दरअसल, कर्पूरी को हाई ब्लड प्रेशर था। 1985 में हल्का दिल का दौरा भी पड़ा था। तब उनकी मुलाकात योग साधक अतुलानंद से हुई और वे कर्पूरी का इलाज करने लगे। उन्हें नमकीन पानी पिलाने लगे। लेखक कुमार अमरेंद्र अपनी किताब ‘कर्पूरी ठाकुर: जन से नायक तक’ में लिखते हैं, ‘अतुलानंद ने 16-17 फरवरी को कर्पूरी को खाली पेट सेंधा नमक मिलाकर 13 लीटर पानी पिलाया और उल्टी कराई।’ 'द जननायक कर्पूरी ठाकुर: वॉयस ऑफ द वॉयसलेस' में कर्पूरी के पर्सनल डॉक्टर सी. पी. ठाकुर बताते हैं कि कर्पूरी की सेहत के लिए नमक जहर जैसा था। कर्पूरी की मौत के बाद अतुलानंद गायब हो गए। आज तक ये पता नहीं चला कि अतुलानंद कौन थे? कर्पूरी की मौत की जांच की मांग बार-बार होती रही। कर्पूरी की याद में उनके गांव पितौंझिया का नाम बदलकर कर्पूरी ग्राम कर दिया गया। जहां उनकी झोपड़ी थी, वहां दो मंजिला ‘कर्पूरी ठाकुर स्मृति भवन’ बनाया गया। 2024 में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिया गया। कर्पूरी के जीते जी उनके परिवार से किसी ने राजनीति में कदम नहीं रखा। उनकी मृत्यु के एक साल बाद 1989 में उनके बड़े बेटे रामनाथ ठाकुर राजनीति में उतरे। अभी वे मोदी कैबिनेट में कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री हैं। कर्पूरी के छोटे बेटे बीरेंद्र ठाकुर पेश से डॉक्टर हैं। **** 'मुख्यमंत्री' सीरीज के चौथे एपिसोड में कल यानी 25 सितंबर को पढ़िए, देखिए और सुनिए... बिहार के ऐसे मुख्यमंत्री की कहानी, जो ताड़ी पीने और पान खाने के लिए मशहूर थे। ---------- मुख्यमंत्री सीरीज के अन्य एपिसोड्स भी पढ़िए एपिसोड-1: गांधीजी की मर्जी के उलट 17 साल CM रहे श्रीबाबू: इंसुलिन लगाकर खाते थे रसगुल्ले; दलितों के लिए मंदिर के पंडों से लड़ गए एपिसोड-2: कंडक्टर को सस्पेंड करने पर CM का इस्तीफा: ट्यूबवेल घोटाले में फंसे थे लालू के गुरु दारोगा राय; तेज प्रताप की पत्नी ऐश्वर्या के दादा की कहानी
संडे मार्केट में खरीरदारी करने पहुंचे जाम में ही खर्च हो गया आधा दिन
भास्कर न्यूज | सिरसा रविवार को सिरसा शहर ट्रैफिक जाम की चपेट में रहा। परशुराम चौक से रेलवे ओवरब्रिज तक वाहनों की एक किलोमीटर लंबी कतारें लगी रहीं। रोड़ी बाजार में लगने वाली संडे मार्केट मुख्य वजह बनी। दुकानों के आगे अतिक्रमण, खरीददारों की भारी भीड़ और वाहन चालकों की लापरवाही से जाम की स्थिति विकराल हो गई। ट्रैफिक पुलिस को जाम खुलवाने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। आखिरकार परशुराम चौक पर बंद पड़े कट को खुलवाया गया और हिसारिया बाजार जाने वाला रास्ता बेरिकेड्स से बंद कर दिया गया। इससे वाहन गोल डिग्गी होते हुए बाजारों में प्रवेश करने लगे, जिससे लोगों को जाम से मुक्ति मिली। संडे मार्केट के चलते रोड़ी बाजार, सदर बाजार, पुरानी कमेटी वाली गली, पीएनबी वाली गली, गीता भवन वाली गली और आर्य समाज रोड पर वाहनों की लंबी कतारें लगी रहीं। खरीदारी करने वालों की भीड़ इतनी थी कि दुकानों के आगे मेजें लगाकर अतिक्रमण कर लिया गया।
नशा तस्करी के मामले में आरोपी पकड़ा
सिरसा| पुलिस द्वारा चलाए जा रहे ऑपरेशन ट्रैकडाउन अभियान के तहत सिरसा पुलिस ने हत्या प्रयास,अवैध हथियार व मादक पदार्थ अधिनियम के दर्ज मामलों में वांछित आरोपी को काबू कर लिया है । सिरसा पुलिस अधीक्षक ने बताया कि शहर थाना पुलिस सिरसा की जेजे कालोनी पुलिस चौकी की एक टीम ने महत्वपूर्ण सूचना के आधार पर कार्रवाई करते हुए हत्या का प्रयास व नशा तस्करी के मामले में घटना के समय से वांछित चल रहे आरोपी अंग्रेज सिंह पुत्र छिंदा सिंह निवासी रानियां चुंगी बाजीगर बस्ती सिरसा को काबू कर लिया है।
दैनिक भास्कर की इलेक्शन सीरीज 'गैंगस्टर' के एपिसोड 2 में आज कहानी सीवान के डॉन 'मोहम्मद शहाबुद्दीन' की... 2004 के अगस्त का महीना। एक रोज बिहार के प्रतापपुर की एक हवेली में फरियादियों का दरबार लगा था। बीचों-बीच लाल रंग की सिंहासन नुमा कुर्सी पर मोहम्मद शहाबुद्दीन किसी सुल्तान की तरह बैठा था। एक-एक कर फरियादी उसके पास आते और अपनी परेशानी बताते। शहाबुद्दीन उन्हें मदद का दिलासा देता। फरियादियों में से एक महिला बोली, ‘साहेब, हेडमास्टर ने बेटे को स्कूल से निकाल दिया है। कहता है दो दिन में फीस नहीं भरी तो परीक्षा में नहीं बैठने देगा। मैं विधवा औरत कहां से दो दिन में पैसे लाऊं।’ शहाबुद्दीन अपने दाईं ओर खड़े आदमी के कान में कुछ फुसफुसाया और कहा, ‘माई, समझो तुम्हारा काम हो गया।’ उसने अपनी कुर्सी से खड़े होकर ऐलान किया, 'अब से जिले में कोई प्राइवेट स्कूल मनमानी फीस नहीं लेगा….डॉक्टरों की फीस भी मैं आज से 50 रुपए तय करता हूं….और हां, कहीं डॉक्टर ड्यूटी पर न मिले तो फौरन मुझे खबर करना...' फरियादी उसकी जय-जयकार के नारे लगाने लगे। उस बूढ़ी औरत ने कहा, 'आप इंसान नहीं, फरिश्ता हैं...' उसकी बात सुन शहाबुद्दीन मुस्कुराया। तभी एक आदमी ने आकर उसके कान में कहा, 'व्यापारी चंदाबाबू के तीनों बेटों को उठा लिया है। आपको अभी चलना चाहिए।' शहाबुद्दीन दरबार छोड़कर फौरन अपने काफिले के साथ तय जगह के लिए निकल लिया। सूरज ढल रहा था। खंडहर हो चुके मकान में लगभग 10 लोग तीन अधमरे लड़कों को घेरे खड़े थे। लड़कों के शरीर में हर जगह से खून बह रहा था और उनमें अब चीखने की ताकत भी नहीं बची थी। पीट-पीटकर उनके दांत, हाथ-पैर तोड़ दिए गए थे। तभी शहाबुद्दीन वहां पहुंचा। 'खातिरदारी में कोई कमी तो नहीं छोड़ी इनकी', उसने पूछा। 'आप खुद ही देख लें। ऐसी हालत की है कि कोई दोबारा प्रोटेक्शन मनी देने से इनकार करने की सोचेगा भी नहीं', जवाब मिला। 'इतने से काम नहीं चलेगा। जाओ, बाहर बैटरी में भरा तेजाब निकालकर लाओ।' शहाबुद्दीन बोला। एक साथी दौड़कर गया और एसिड से भरा एक बीकर लाकर उसे थमा दिया। तीनों अधमरे लड़के अब दहशत से थरथराने लगे। कराहते हुए बोले, ‘पूरे दो लाख घर भिजवा देंगे….बस हमें छोड़ दो, हमें बख्श दो….हमसे गलती हो गई…दोबारा ऐसा कभी नहीं होगा…।’ शहाबुद्दीन का दिल नहीं पसीजा। उसने एक-एक करके दो लड़कों, सतीश और गिरीश को एसिड से तब तक नहलाया, जब तक उनके शरीर से चमड़ी अलग नहीं हो गई। इसके बाद अपने साथियों से कहा, ‘इन पर नमक छिड़ककर बोरे में बांधकर ऐसी जगह ठिकाने लगाना कि इनके बाप को बेटे की लाश तक न नसीब हो…।’ तभी एक साथी बोला, ‘शहाबुद्दीन, इस राजीव का क्या करना है…।’ शहाबुद्दीन ने जवाब दिया, ‘इसे रखो अभी, इसका बाप आएगा बेटे को लेने, उसी के सामने इसे ठिकाने लगाएंगे….।’ कांपती आवाज में उस तीसरे लड़के ने कहा, 'तुम इंसान नहीं, शैतान हो...' शहाबुद्दीन उसकी बात पर पहले मुस्कुराया और फिर हंसते हुए निकल गया। ये पूरी घटना राजेश सिंह ने अपनी किताब 'बाहुबलीज ऑफ इंडियन पॉलिटिक्स' में लिखी है। इस चर्चित 'तेजाब कांड' का इकलौता चश्मदीद राजीव वहां से बच निकला और शहाबुद्दीन के खिलाफ कोर्ट में गवाह बना। कुछ दिन बाद जब वह अपने पिता के साथ स्कूटर पर कोर्ट जा रहा था, तभी उसे गोली मार दी गई। 19 की उम्र में पहला मुकदमा दर्ज हुआ साल 1967, तारीख 10 मई। प्रतापपुर के शेख हसीबुल्लाह के घर मोहम्मद शहाबुद्दीन का जन्म हुआ। पढ़ाई में होनहार शहाबुद्दीन ने जवानी में ही किताबें छोड़कर हथियार पकड़ लिए। वो कम उम्र से ही दोस्तों के साथ छोटे-मोटे अपराधों में शामिल होने लगा। 1986 में 19 साल की उम्र में उसके खिलाफ पहला आपराधिक मामला दर्ज किया गया। 2 फरवरी 1989, जमशेदपुर के टिस्को पावरहाउस के पास एक सफेद एम्बेसडर कार में यूथ कांग्रेस का जिला अध्यक्ष प्रदीप मिश्रा सवार था। उसके साथ जमशेदपुर के बड़े डॉन आनंद राव और जनार्दन चौबे भी थे। तभी बाइक सवार 4 लड़कों ने कार रोक ली। कोई कुछ समझ पाता, उससे पहले ही ऑटोमैटिक पिस्टल से ताबड़तोड़ गोलियां बरसाने लगे। जोगसलाई थाना कुछ ही दूरी पर था। गाड़ी में बैठे तीनों लोग हमले में मारे गए। दिनदहाड़े तीन लोगों की हत्या ने पूरे बिहार को दहला दिया। सवाल था कि कांग्रेस नेता के साथ आनंद राव जैसे बड़े माफिया को मारने की जुर्रत आखिर किसने की? पुलिस जांच में सामने आया कि शहर के ही दूसरे डॉन बीरेंद्र सिंह ने सुपारी किलर्स को बुलाया था। आरोप लगा कि ये सुपारी किलर्स मोहम्मद शहाबुद्दीन के शूटर थे, जिन्हें ‘सीवान के चीते’ कहा जाता था। इस समय शहाबुद्दीन की उम्र केवल 21 साल थी। पुलिस उसके पीछे पड़ गई। वो फरार हो गया था। विधायक ने बेइज्जती की तो खुद चुनाव लड़ा 1989 की ही एक और घटना है। एक रोज शहाबुद्दीन ने अपने लोगों को जीरादेई के कांग्रेस विधायक कैप्टन त्रिभुवन नारायण सिंह के पास किसी काम के लिए भेजा। इस पर विधायक ने कहा, ‘मैं ऐसे बदमाशों के मुंह भी नहीं लगता। इन गुंडों की बात सुनूंगा अब मैं, कतई नहीं।’ शहाबुद्दीन को ये बात चुभ गई। उसने उसी समय सोच लिया कि अब मैं खुद ही विधायक बनूंगा। इसके अगले साल (1990) शहाबुद्दीन ने थाने में सरेंडर कर दिया, क्योंकि फरारी में वो चुनाव नहीं लड़ सकता था। फिर जेल से उसने विधायकी के चुनाव के लिए निर्दलीय नामांकन भर दिया। इस समय शहाबुद्दीन की उम्र सिर्फ 23 साल थी। उम्र को लेकर विवाद भी हुआ, लेकिन दबंगई ऐसी थी कि किसी ने भी खुलकर शहाबुद्दीन के कम उम्र में चुनाव लड़ने को लेकर आवाज नहीं उठाई। चुनाव में शहाबुद्दीन को 23,215 वोट मिले और वो जेल में रहते हुए ही जीत गया। उसने कांग्रेस के त्रिभुवन सिंह को 378 वोट से हरा दिया। प्रतापगढ़ में लगने लगी शहाबुद्दीन की अदालत कहा जाता है कि विधायक बनने के बाद शहाबुद्दीन को मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव का सह मिल गया। कई बार लालू ने उसे अपना छोटा भाई भी कहा। सीवान में SDPO रहे IPS सुधीर कुमार कहते हैं, ‘उसके आगे SP, DSP, DM तक की कुछ करने की हिम्मत नहीं होती। पटना में हाईकोर्ट था, लेकिन सीवान के लोगों के लिए प्रतापगढ़ में शहाबुद्दीन का बंगला ही सुप्रीम कोर्ट बन चुका था। वो यहां हर दिन अदालत लगाता और ऑन द स्पॉट फैसला सुनाता।’ उस समय सीवान में नक्सलियों का डर बहुत था। नक्सली किसानों और जमींदारों को डराते, धमकाते थे। कभी उनसे वसूली करते तो कभी उनकी फसलें काट लेते और जमीनों पर कब्जा कर लेते। ऐसे में शहाबुद्दीन ने लेफ्ट पार्टियों के कुछ कार्यकर्ताओं को टारगेट करना शुरू कर दिया। BBC की एक रिपोर्ट के मुताबिक, लेफ्ट पार्टियों के 153 समर्थक मारे गए। आरोप शहाबुद्दीन और उसके साथियों पर लगा। इससे किसान और जमींदार बहुत खुश थे। वो आपस में कहते, ‘कुछ भी हो, हमारे लिए तो शहाबुद्दीन देवता है।’ अब सीवान में एक समानांतर सरकार चल रही थी, जिसका सुल्तान था मोहम्मद शहाबुद्दीन। 1996 में शहाबुद्दीन लोकसभा चुनाव में उतर गया। लोकल रिपोर्ट्स के अनुसार, अब तक वो इतना ताकतवर हो चुका था कि सीवान में दूसरी पार्टी का झंडा लहराना या नारा लगाना तो दूर, दूसरी पार्टी को वोट देने की बात तक नहीं कह सकते थे। माहौल ऐसा कि या तो शहाबुद्दीन जिंदाबाद कहिए वर्ना कुछ मत कहिए। केवल लेफ्ट पार्टियों के लोग ही शहाबुद्दीन से सीधी टक्कर ले रहे थे। एसपी पर चलाई ताबड़तोड़ गोलियां 3 मई 1996। 8 मई को लोकसभा चुनाव के नतीजे आने थे। शहाबुद्दीन सीवान की सड़कों पर अपना लाव-लश्कर, हथियार लेकर मार्च कर रहा था। इस दौरान सीवान के डीएम अमृत लाल मीणा और एसपी एसके सिंघल थे। बिहार के सीनियर जर्नलिस्ट ज्ञानेश्वर एक वीडियो में बताते हैं, एक रोज एसपी सिंघल ने मार्केट में भीड़ लगी देखी। पास जाकर देखा कि कई लोग हथियारों के साथ सड़क रोककर खड़े हैं। उनमें मोहम्मद शहाबुद्दीन भी था। एसपी करीब से देखने के लिए गाड़ी से उतरे ही थे कि उन पर Ak-47 से गोलियां बरसने लगीं। एसपी सिंघल भागने लगे। एसपी साहब आगे-आगे और शहाबुद्दीन पीछे-पीछे। अचानक हुई इस फायरिंग का पुलिसवाले जवाब नहीं दे पा रहे थे। एसपी जान बचाकर जिले के डीएम अमृत लाल मीणा के पास पहुंचे। दोनों ने एक्शन लेने का फैसला कर लिया। खबर पटना पहुंची, तो लालू यादव ने सीवान के डीएम-एसपी को फोन किया, लेकिन अधिकारी इतना भड़क चुके थे कि उन्होंने मुख्यमंत्री का फोन नहीं उठाया। इसके बाद लालू यादव ने अपने करीबी लोगों को हालात काबू करने के लिए तुरंत सीवान भेजा। डीएम-एसपी को समझाया गया, लेकिन वो नहीं माने। बोले, ‘ये गुंडा एसपी पर गोली चला रहा है और आप चाहते हैं हम इसे छोड़ दें….।’ आखिरकार एक डील की गई। फैसला हुआ कि काउंटिंग के दिन यानी 8 मई 1996 को मोहम्मद शहाबुद्दीन काउंटिंग सेंटर पर नहीं जाएगा। दिख गया तो तुरंत जेल भेज दिया जाएगा। डीएम-एसपी की शर्त मान ली गई और शहाबुद्दीन काउंटिंग सेंटर से दूर ही रहा, लेकिन चुनाव जीत गया। चुनाव जीतते ही जिले के डीएम-एसपी का तबादला कर दिया गया। इसके बाद वो 1998, 1999 और 2004 का लोकसभा चुनाव भी जीता और लगातार 4 बार सांसद बना। जेल में अधीक्षक की कुर्सी पर बैठता था शहाबुद्दीन अगस्त 1996 की बात है। CPI(ML) के नेता तकिर रहीम ने पटना हाईकोर्ट में मोहम्मद शहाबुद्दीन के खिलाफ एक PIL दायर की। इसकी सुनवाई के दौरान जस्टिस डी.पी. वाधवा ने CID और राज्य सरकार को जोरदार फटकार लगाई। हाईकोर्ट ने बिहार सरकार को फटकार लगाते हुए कहा, 'आपको 10 दिन का समय दिया जा रहा है….अगर शहाबुद्दीन गिरफ्तार नहीं हुआ तो अगली सुनवाई पर आपके खिलाफ एक्शन लिया जाएगा।’ पटना हाईकोर्ट का मूड देख लालू यादव की सरकार कांप गई। इसके बाद शहाबुद्दीन ने सीवान के कोर्ट में सरेंडर कर दिया। इस दौरान उसके साथ हजारों समर्थक और बिहार कैबिनेट के तत्कालीन मंत्री अवध बिहारी चौधरी भी पहुंचे थे। शहाबुद्दीन के सरेंडर के दौरान कोर्ट के बाहर नारे लग रहे थे, ‘जेल के फाटक टूटेंगे, शहाबुद्दीन छूटेंगे….।’ गिरफ्तारी के बाद शहाबुद्दीन को जीरादेई लोकसभा सीट छोड़नी पड़ी और उसकी जगह शिवशंकर प्रसाद मैदान में उतरे। शिवशंकर के इंटरव्यू के लिए पटना से पत्रकार नलिनी मोहंती सीवान पहुंचे। उन्होंने सवाल किया, ‘बताया जा रहा है कि आपको शहाबुद्दीन का सपोर्ट नहीं मिल रहा है।’ इसपर शिवशंकर बोले, ‘अरे नहीं, ऐसा नहीं है….मैं तो शहाबुद्दीन का ही आदमी हूं….भरोसा नहीं है तो रुकिए अभी आपकी शहाबुद्दीन से बात करा देता हूं…।’ शिवशंकर ने तुरंत फोन लगाया और नलिनी को थमा दिया। सामने से आवाज आई, ‘वेलकम टू सीवान, मैं हूं शहाबुद्दीन और शिवशंकर जी मेरी ही पसंद हैं…।’ पत्रकार को भरोसा ही नहीं हुआ कि वो शहाबुद्दीन से बात कर रहे हैं। नलिनी ने कहा, ‘क्या मैं आपसे मिल सकता हूं…।’ सामने से आवाज आई, ‘हां जरूर, आइए सीवान जेल में…।’ इसके बाद पत्रकार नलिनी को शहाबुद्दीन का एक आदमी सीवान जेल के पुलिस अधीक्षक के कमरे में लेकर गया। कमरे में जाकर देखा तो पुलिस अधीक्षक की कुर्सी पर खुद शहाबुद्दीन बैठा था। उसके पास लगी दूसरी कुर्सी पर पुलिस अधीक्षक और उनके सामने जमीन पर 30-40 लोग बैठे हुए थे। करीब आधे घंटे दोनों के बीच बातचीत हुई। पत्रकार जब जाने लगे तो शहाबुद्दीन उन्हें छोड़ने जेल के बाहर तक गया। पूर्व JNU अध्यक्ष को बीच चौराहे गोलियों से भून दिया गया 31 मार्च 1997, CPI(ML) ने ठान लिया था कि शहाबुद्दीन के खिलाफ पूरी ताकत लगा देनी है। इसके लिए JNU के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष चंद्रशेखर प्रसाद को पार्टी ने सीवान बुलाया। छात्र नेता चंद्रशेखर इस समय पूरे देश में पॉपुलर थे। उन्होंने CPI(ML) के ‘बिहार बंद’ का प्रचार जोर-शोर से शुरू कर दिया। लाल झंडे लगे टैम्पो दोपहर 12 बजे से शहर में घूम-घूमकर ऐलान कर रहे थे, ‘2 अप्रैल 1997 को सबकुछ बंद रहेगा…..ये बंद शहाबुद्दीन के खिलाफ है, उस शहाबुद्दीन के खिलाफ जो गुंडा है, हत्यारा है….।’ शहाबुद्दीन ने जेल से ही उसे ठिकाने लगाने का आदेश दे दिया। दोपहर करीब 3 बजे कुछ लोगों ने सीवान के जेपी चौक के पास लाल झंडा लगा एक टैम्पो रोका। अंदर चंद्रशेखर हाथ में माइक लेकर बैठा था। हथियारबंद लोगों ने उसे इतनी गोलियां मारीं कि टेम्पो से बहकर सड़क तक खून बिखर गया। वहां मौजूद लोगों ने बताया कि हमला करने वाले शहाबुद्दीन के आदमी थे। इस हत्या के केस में 15 साल बाद शहाबुद्दीन को दोषी पाया गया और उसे जेल जाना पड़ा। कांग्रेस के 8 विधायकों को बंधक बनाया साल 2000 में नीतीश कुमार को विधानसभा में बहुमत साबित करना था। ऐसे में शहाबुद्दीन ने पटना के पाटलीपुत्र होटल में कांग्रेस के 8 एमएलए कैद कर लिए। पत्रकार अरुण श्रीवास्तव बताते हैं, ‘मैं पाटलीपुत्र होटल पहुंचा तो हॉल के बीचोंबीच शहाबुद्दीन कुर्सी डालकर आराम से बैठा हुआ था। उसने सफेद बनियान और लुंगी पहनी थी और कमर में पिस्टल लगाई हुई थी। उसने मुझे बैठने को कहा। थोड़ी देर बातचीत के बाद मैं होटल में घूमने लगा। देखा कि जगदीश शर्मा और कुछ दूसरे एमएलए कॉरिडोर से छिपकर निकलने की कोशिश कर रहे थे। शहाबुद्दीन तुरंत वहां अपने साथियों के साथ पहुंचा और उन पर बंदूक तान दीं…बोला- ऐसी कोशिश दोबारा मत करना…। सभी को अपने कमरों में लौटना पड़ा।’ बीच सड़क डीएसपी को थप्पड़ जड़ा 15 मार्च 2001, उन दिनों RJD नेता मनोज कुमार पप्पू पुलिस की फाइल में वांटेड था। पुलिस को पता चला कि वो शहाबुद्दीन के घर पर बैठा है। बिहार के पत्रकार ज्ञानेश्वर बताते हैं कि डीएसपी संजीव कुमार फोर्स के साथ वहां पहुंचे ही थे कि शहाबुद्दीन बीच में आ गया। बोला, ‘ऐसा किया तो बहुत बुरा होगा…..डीएसपी साहब, तुम यहां से वापस जाओ।’ ‘सांसद साहब, आप बीच में मत पड़िए…पप्पू को ले जाने दीजिए…’, यह कहकर डीएसपी संजीव कुमार आगे बढ़े ही थे कि शहाबुद्दीन ने उनके सीने पर हाथ रखा और एक जोरदार थप्पड़ गाल पर रसीद दिया। ये देख पुलिसवाले शहाबुद्दीन की ओर बढ़े तो उसने अपनी पिस्तौल निकालकर डीएसपी की कनपट्टी पर रख दी और बोला, ‘गोली मार दूंगा, निकल जाओ….अभी के अभी…।’ पुलिसवालों को लौटना पड़ा। पुलिस का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच चुका था। सभी शहाबुद्दीन के खिलाफ एक्शन चाहते थे। वो इतना आक्रोशित थे कि पूरे जिले के पुलिसवाले इकट्ठे सर्किट हाउस पहुंच गए जहां डीएम, एसपी और बाकी अधिकारियों की मीटिंग चल रही थी। गुस्साए पुलिसवाले बैठक के बीच में जाकर शहाबुद्दीन के खिलाफ एक्शन की मांग करने लगे। बोले, ‘अभी के अभी एक्शन लेना होगा, इस गुंडे को उसकी औकात याद दिलानी होगी…उसने हमारी वर्दी पर हाथ डाला है…।’ पूरा मामला सुन सीवान के एसपी बच्चू सिंह मीणा भी पुलिसवालों के साथ हो गए। इसके बाद एक टीम बनाई गई। देवरिया की पुलिस भी उनके साथ आ गई। पुलिस ने मोर्चा खोला, बुर्का पहनकर भागा शहाबुद्दीन दो दर्जन से ज्यादा पुलिसवालों ने सर्किट हाउस से करीब 17 किलोमीटर दूर प्रतापपुर में मोहम्मद शहाबुद्दीन के बंगले पर धावा बोल दिया। शहाबुद्दीन की ओर से भी जवाबी हमला किया गया। 10 घंटे तक दोनों ओर से गोलियां चलती रहीं। बम और विस्फोटकों का भी इस्तेमाल किया गया। इस घटना में 3 पुलिसवाले शहीद हुए और 8 और लोगों की मौत हो गई। पत्रकार ज्ञानेश्वर बताते हैं, 'गोलीबारी के बीच शहाबुद्दीन बुर्का पहनकर गन्ने के खेत से निकलकर फरार हो गया। पुलिसवाले उसके घर में घुसे। यहां से पाकिस्तान में बनी AK47 राइफल, हैंड ग्रेनेड और सैकड़ों गोलियां बरामद हुईं। इसके अलावा हिरण के सींग और एक जिंदा हिरण भी शहाबुद्दीन के घर से पुलिस ने जब्त किया। इस कांड के बाद राबड़ी देवी, लालू यादव सरकार की नींद उड़ गई। लालू यादव सारी रात शहाबुद्दीन से बात करने की कोशिश करते रहे, लेकिन नाराजगी में शहाबुद्दीन ने बात नहीं की। आखिरकार शहाबुद्दीन को खुश करने के लिए बच्चू सिंह मीणा का तबादला कर दिया गया।' महिला SI ने जाल में फंसाकर शहाबुद्दीन को पकड़ा शहाबुद्दीन पर चाबुक चलाने का जिम्मा CBI के लिए काम कर रहे IPS आरएस भट्टी को सौंपा गया। उन्हें सीवान के DIG के तौर पर नियुक्ति दी गई। भट्टी ने शहाबुद्दीन के खिलाफ एक बेहद खुफिया प्लान बनाया। एक न्यूज रिपोर्ट के अनुसार, भट्टी ने पुलिस एकेडमी से एक लड़की गौरी कुमारी का चयन किया और उसे शहाबुद्दीन के पीछे लगा दिया। उसने गौरी से कहा कि उसे बस शहाबुद्दीन का पीछा करते रहना है। गौरी ने अपनी पहचान छुपाकर शहाबुद्दीन से जान-पहचान बढ़ा ली। मौका पाकर 2005 में अचानक एक दिन गौरी ने शहाबुद्दीन को गिरफ्तार कर लिया। गौरी ने उसे किसी को फोन करने तो क्या, चप्पल पहनने या कपड़े बदलने का भी मौका नहीं दिया। शहाबुद्दीन को जब पटना लेकर जाया गया तो एयरपोर्ट पर बड़ी संख्या में उसके समर्थक पहुंचे। हेलिकॉप्टर से उसे सीवान ले जाया गया। फिर जेल भेज दिया गया। 2021 में कोविड में मर गया शहाबुद्दीन जेल में शहाबुद्दीन बहुत ही साफ-सफाई और सलीके से रहता था। जेल के एक आदमी को उसने अपने साथ रखा हुआ था। शहाबुद्दीन और उसके आदमी के अलावा उसकी कोठरी में किसी को आने की परमिशन नहीं थी। वहां एक कोने में अलमारी थी जिसमें कई रंग-बिरंगी कमीजें टंगी रहतीं, जिन्हें देखकर ऐसा लगता, मानो अभी ड्राई-क्लीन होकर आई हों। कमरे के दूसरे कोने में एक रैक रखी थी जिसमें 100-150 किताबें बेतरतीब भरी हुई थीं। ये किताबें देश के इतिहास, राजनीति, धर्म, नियम और कानून के बारे में थीं। शहाबुद्दीन हर दिन जेल से बेटे ओसामा को फोन किया करता। वो बेटे को समझाता कि सुबह-शाम किस तरह व्यायाम करना है। कौन सी एक्सरसाइज करनी है और हर दिन कितनी कसरत की जरूरत है। 2016 में शहाबुद्दीन जब जेल से जमानत पर बाहर आया तो उसके साथ समर्थकों की 1 हजार से भी ज्यादा गाड़ियों का काफिला सड़कों से गुजरा। 2021 में कोरोना महामारी के चलते जेल में ही उसकी मौत हो गई। **** स्टोरी संपादन - रविराज वर्मा (गैंगस्टर शहाबुद्दीन की पूरी कहानी अखबारों की रिपोर्ट्स, किताबों, वरिष्ठ पत्रकारों के संस्मरण और सरकारी अफसरों के इंटरव्यू के आधार पर लिखी गई है। इसे रोचक बनाने के लिए कहानी की तरह लिख गया है।) रेफरेंस : **** 'गैंगस्टर' सीरीज के तीसरे एपिसोड में पढ़िए... बाहुबली अनंत सिंह की कहानी, जिसने नीतीश कुमार को चांदी के सिक्कों से तौला था।
बिहार विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद लालू परिवार में टकराव बढ़ गया है। राजनीति छोड़ने और अपने परिवार से नाता तोड़ने के ऐलान के एक दिन बाद रविवार को रोहिणी आचार्य ने एक के बाद एक 2 सोशल मीडिया पोस्ट कर तेजस्वी यादव और संजय यादव पर गंभीर आरोप लगाए। रोहिणी आचार्य के राबड़ी आवास छोड़ने के बाद रविवार को तीन और बहनों रागिनी, राजलक्ष्मी और चंदा यादव भी अपने परिवार और बच्चों के साथ दिल्ली के लिए निकल गई। अब राबड़ी आवास खाली हो गया है। वहीं दिल्ली में रोहिणी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि 'चप्पल वाली बात सही है। रोहिणी जो बोलती है सही बोलती है। ये बात तेजस्वी, संजय और रमीज से पूछिए। मेरे माता-पिता रो रहे थे। मेरी बहनें रो रही थी मेरे लिए। भगवान न करे कि किसी के घर में मेरी जैसी बेटी हो। अभी मैं ससुराल जा रही हूं। मेरी सास भी रो रही है ये सब तमाशा देखकर। जिस घर में भाई हो तो उस घर में भाइयों का भी योगदान होना चाहिए। क्या सभी योगदान बेटियों को देना होता है?' रोहिणी का इमोशनल पोस्ट, कहा- मुझे अनाथ बनाया गया इससे पहले आज रविवार सुबह रोहिणी ने एक इमोशनल पोस्ट कर कहा- 'मुझसे मेरा मायका छुड़वाया गया। मुझे अनाथ बनाया गया। मैंने रोते-रोते घर छोड़ा है। मुझे मारने के लिए चप्पल उठाई गई। मैंने अपने आत्मसम्मान से समझौता नहीं किया। आप सब मेरे रास्ते कभी न चलें, किसी घर में मेरे जैसी बेटी-बहन न हो।' इस पोस्ट के बाद रोहिणी ने लालू को किडनी देने वाले फोटो-वीडियोज को फेसबुक पर पिन भी किया। 'पिता को किडनी देने को गंदा बताया गया' दूसरे पोस्ट में रोहिणी ने लिखा- कल मुझे गालियों के साथ बोला गया कि मैं गंदी हूं और मैंने अपने पिता को अपनी गंदी किडनी लगवा दी, करोड़ों रुपए लिए, टिकट लिया तब लगवाई गंदी किडनी। सभी बेटी -बहन, जो शादीशुदा हैं, उनको मैं बोलूंगी कि जब आपके मायके में कोई बेटा- भाई हो, तो भूल कर भी अपने भगवान रूपी पिता को नहीं बचाएं, अपने भाई, उस घर के बेटे को ही बोलें कि वो अपनी या अपने किसी हरियाणवी दोस्त की किडनी लगवा दे। सभी बहन बेटियां अपना घर-परिवार देखें, अपने माता - पिता की परवाह किए बिना अपने बच्चे, अपना काम, अपना ससुराल देखें, सिर्फ अपने बारे में सोचें। मुझसे तो ये बड़ा गुनाह हो गया कि मैंने अपना परिवार, अपने तीनों बच्चों को नहीं देखा, किडनी देते वक्त न अपने पति, न अपने ससुराल से अनुमति ली। अपने भगवान, अपने पिता को बचाने के लिए वो कर दिया जिसे आज गंदा बता दिया गया। आप सब मेरे जैसी गलती, कभी, न करें किसी घर रोहिणी जैसी बेटी न हो। रोते-रोते राबड़ी आवास छोड़ा इससे पहले शनिवार देर रात उन्होंने रोते-रोते राबड़ी आवास भी छोड़ दिया। पटना एयरपोर्ट पर पत्रकारों से बातचीत में रोहिणी ने कहा, 'मेरा कोई परिवार नहीं है। उन्होंने ही मुझे परिवार से निकाला है। सारी दुनिया सवाल कर रही है कि पार्टी का ऐसा हाल क्यों हुआ है, लेकिन उन्हें जिम्मेदारी नहीं लेनी है।' तेजस्वी यादव के करीबी संजय यादव और रमीज पर दबाव बनाने का आरोप लगाते हुए रोहिणी ने कहा- 'ये सवाल अब तेजस्वी यादव से पूछिए। सवाल पूछोगे तो गाली दी जाएगी, चप्पल से मारा जाएगा।' इसी साल 25 मई को लालू प्रसाद ने अपने बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को पार्टी और परिवार से निकाला था। तेज प्रताप ने इसके लिए संजय यादव को ही जिम्मेदार ठहराया था। रोहिणी ने X पर लिखा- पार्टी-परिवार से नाता तोड़ रही हूं इससे पहले शनिवार को ही रोहिणी ने X पर पोस्ट कर लिखा, 'मैं राजनीति छोड़ रही हूं और अपने परिवार से नाता तोड़ रही हूं। संजय यादव और रमीज ने मुझसे यही करने को कहा था और मैं सारा दोष अपने ऊपर ले रही हूं।' रोहिणी ने अपनी पोस्ट में ये बताने की कोशिश की है कि संजय यादव और रमीज ही पार्टी के सभी फैसले लेते हैं। संजय राज्यसभा सांसद हैं और तेजस्वी के रणनीतिक सलाहकार हैं। संजय यादव को लेकर हुए विवाद के बाद रोहिणी ने सितंबर में पार्टी से लेकर परिवार के सभी सदस्यों को सोशल मीडिया पर अन फॉलो कर दिया था। तेजप्रताप का फैसला- रोहिणी का बनाया जाए JJD का राष्ट्रीय संरक्षक इधर तेजप्रताप यादव की पार्टी जनशक्ति जनता दल (JJD) ने एनडीए सरकार को नैतिक समर्थन देने का फैसला लिया है। साथ ही पार्टी की बैठक में यह प्रस्ताव भी पास किया गया कि रोहिणी आचार्य को JJD का राष्ट्रीय संरक्षक बनाया जाए। पार्टी प्रवक्ता प्रेम यादव ने बताया कि तेजप्रताप खुद अपनी बहन रोहिणी आचार्य से जल्द इस प्रस्ताव पर बात करेंगे। तेजप्रताप बोले- जयचंदों ने राजद को खोखला किया 14 नवंबर को आए चुनाव के नतीजों में RJD को महज 25 सीटें मिली हैं। जबकि 2020 में पार्टी ने 75 सीटें जीती थीं। तेजप्रताप करीब 50 हजार वोटों से इस चुनाव में हारे हैं। लंबी खींचतान के बाद तेजस्वी अपनी सीट बचा पाए हैं। नतीजों के बाद RJD सांसद संजय यादव को लेकर लालू परिवार में टकराव बढ़ गया है। शनिवार को तेजप्रताप ने भी लिखा था- जयचंदों ने राजद को खोखला किया। रमीज यूपी के बलरामपुर के रहने वाले हैं। जेल में बंद पूर्व सांसद रिजवान जहीर के दामाद हैं। इन पर हत्या समेत कई मुकदमे हैं। ये RJD का सोशल मीडिया और चुनाव का कामकाज देखते हैं। इनकी पत्नी भी विधानसभा का चुनाव लड़ चुकी हैं। शिवानंद बोले- लालू धृतराष्ट्र की तरह बेटे के लिए सिंहासन को गर्म कर रहे थे लालू के पुराने सहयोगी शिवानंद तिवारी ने चुनाव में करारी हार के लिए पिता-पुत्र दोनों को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि लालू धृतराष्ट्र की तरह बेटे के लिए राज सिंहासन गर्म कर रहे थे। तेजस्वी सपनों की दुनिया में मुख्यमंत्री पद की शपथ ले रहे थे। तिवारी ने कहा कि पूरे लालू परिवार ने जोर लगाया, फिर भी सिर्फ 25 विधायक ही जीत पाए। तिवारी के अनुसार उन्होंने तेजस्वी को सचेत किया था। कहा था कि मतदाता सूची के सघन पुनर्निरीक्षण के खिलाफ राहुल गांधी के साथ सड़क पर उतरो। संघर्ष करो, पुलिस की मार खाओ, जेल जाओ। तेजस्वी ने ऐसा नहीं किया। शिवानंद तिवारी ने कहा कि इसके बाद उन्हें राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से हटा दिया गया और कार्यकारिणी से भी बाहर कर दिया गया। संजय यादव के तेजस्वी की गाड़ी के फ्रंट सीट पर बैठने पर शुरू हुआ विवाद 18 सितंबर को लालू यादव की दूसरी बेटी रोहिणी आचार्य ने फेसबुक पर एक पोस्ट शेयर किया था। पोस्ट आलोक कुमार नाम के एक RJD समर्थक का था। पोस्ट में लिखा था- पूरे बिहार के साथ-साथ हम तमाम लोग फ्रंट सीट पर लालू जी और तेजस्वी यादव को बैठे/बैठते देखने के अभ्यस्थ हैं। उनकी जगह पर कोई और बैठे यह हमें कतई मंजूर नहीं। जिन्हें एक दोयम दर्जे के व्यक्ति में एक विलक्षण रणनीतिकार-सलाहकार-तारणहार नजर आता है… ये बात अलग है। संजय की बढ़ती ताकत से घरवाले नाराज कहा जाता है कि लालू यादव ने तेजस्वी यादव को फ्री हैंड दे दिया है। जब से तेजस्वी को पूरी पावर मिली है, उनके करीबी संजय यादव का प्रभाव भी बढ़ गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, तेजस्वी क्या करेंगे, किससे बात करेंगे, उनकी रणनीति क्या होगी, सब संजय यादव तय करते हैं। रोहिणी ने इशारों-इशारों में संजय को निशाने पर लिया है। हालांकि इससे पहले तेज प्रताप यादव खुलेआम आलोचना कर चुके हैं। आजकल तेज प्रताप ‘जयचंद’ कह कर निशाना साधते हैं। कहा जाता है कि उनका इशारा संजय की तरफ ही है। तेज प्रताप के पुराने पोस्ट को पढ़िए… संजय यादव कौन हैं, तेजस्वी के इतने करीब कैसे हैं? संजय यादव हरियाणा के महेंद्रगढ़ के नंगल सिरोही गांव के हैं। चुनावी हलफनामे के मुताबिक, संजय कंप्यूटर साइंस में पोस्ट ग्रेजुएट हैं। 2.18 करोड़ संपत्ति है। तेजस्वी और संजय की मुलाकात दिल्ली में 2012 के आसपास क्रिकेट ग्राउंड पर हुई थी। 2013 में जब लालू यादव चारा घोटाले में जेल गए तब तेजस्वी पटना लौट आए। राजनीति सीखने लगे तब उन्होंने अपने दोस्त संजय को पटना बुला लिया। संजय मल्टी नेशनल IT कंपनी की नौकरी छोड़कर आ गए। सीनियर जर्नलिस्ट संतोष सिंह अपनी किताब ‘जेपी टू बीजेपी: बिहार आफ्टर लालू एंड नीतीश’ में लिखते हैं, ‘संजय ने तेजस्वी को समाजवादी राजनीति से जुड़ी कई किताबें पढ़ने के लिए प्रेरित किया। देश के शीर्ष नेताओं अटल बिहारी वाजपेयी, जॉर्ज फर्नांडीस, कांशीराम, मायावती, चंद्रशेखर और वीपी सिंह के भाषण दिखाते और सुनाते थे। ताकि तेजस्वी अच्छे भाषण की कला और बारीकी सीख सकें। संजय रोज लालू के दिल्ली में तुगलक रोड स्थित आवास पर तेजस्वी के साथ चार से 5 घंटे साथ बिताते थे।’ पॉलिटिकल एक्सपर्ट प्रियदर्शी रंजन बताते हैं, ‘बिहार आकर संजय ने कुछ साल तक यहां की राजनीति को समझा, चुनावी समीकरण और आंकड़ों पर काम किया। जरूरत के मुताबिक RJD में कई तरह के तकनीकी और डिजिटल दौर के बदलाव भी किए।’ अब लालू फैमिली में बवाल मचाने वाले रमीज की कहानी रमीज यूपी के बलरामपुर के रहने वाले हैं। जेल में बंद पूर्व सांसद रिजवान जहीर के दामाद हैं। इन पर हत्या समेत कई मुकदमे हैं। ये RJD का सोशल मीडिया और चुनाव का कामकाज देखते हैं। इनकी पत्नी भी विधानसभा का चुनाव लड़ चुकी हैं। बताया जाता है कि यूपी के कौशांबी में रेलवे लाइन पर एक युवक का शव मिला था। मृतक के परिजनों का आरोप था कि पैसों के लेनदेन को लेकर पूर्व सांसद के दामाद रमीज नेमत ने हत्या को अंजाम दिया है। इसके बाद पुलिस ने उनके ऊपर FIR दर्ज की। रमीज के नाम पर 4.75 करोड़ रुपए की जमीन थी जिसे प्रशासन ने जब्त किया था। यह जमीन रिजवान जहीर ने अपने दामाद के नाम पर खरीदी थी। पुलिस ने इसकी कुर्की करवा दी थी। जमीन की कीमत 4 करोड़ 75 लाख 86 हजार रुपए बताई जा रही है। करीब 6 महीने पहले तेजप्रताप को लालू ने पार्टी-परिवार से निकाला इसी साल 24 मई को तेज प्रताप यादव के फेसबुक अकाउंट से एक तस्वीर पोस्ट की गई थी। जिसमें तेजप्रताप के अनुष्का यादव के साथ 12 साल से रिश्ते में होने की बात थी। हालांकि कुछ ही घंटों बाद उस पोस्ट को डिलीट कर दिया गया। इसके बाद तेज प्रताप यादव ने रात 10:56 बजे X पर पोस्ट कर कहा कि हमारे सोशल मीडिया हैंडल को हैक कर लिया गया है और हमें बदनाम और परेशान करने की कोशिश की जा रही है। इसके बाद तेजप्रताप-अनुष्का के कई फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हुए। अगले दिन 25 मई को लालू यादव ने तेज प्रताप को पार्टी और परिवार से बाहर निकाल दिया। लालू के फैसले को परिवार का समर्थन तेज प्रताप को पार्टी और परिवार से निकालने के फैसले पर तेजस्वी यादव ने कहा, 'हमारी पार्टी के अध्यक्ष ने इस बारे में अपनी भावना स्पष्ट कर दी है। कोई अपनी निजी जिंदगी में क्या कर रहा है, ये किसी से पूछकर नहीं करता। मुझे भी इस बारे में मीडिया के जरिए ही जानकारी मिली है।' लालू की बेटी रोहिणी आचार्य ने X पर लिखा, 'जो परिवेश, परंपरा, परिवार और परवरिश की मर्यादा का ख्याल रखते हैं, उन पर कभी सवाल नहीं उठते हैं, जो अपना विवेक त्याग कर मर्यादित आचरण व परिवार की प्रतिष्ठा की सीमा को बारम्बार लांघने की गलती- धृष्टता करते हैं, वो खुद को आलोचना का पात्र खुद ही बनाते हैं।' बेदखल होने के 35 दिन बाद तेज प्रताप ने की बगावत पार्टी और परिवार से बेदखली के 35 दिन बाद तेज प्रताप ने RJD से बगावत कर दिया। उन्होंने महुआ विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया और 5 छोटे दलों भोजपुरिया जन मोर्चा, विकास वंचित इंसान पार्टी, संयुक्त किसान विकास पार्टी, प्रगतिशील जनता पार्टी और वाजिब अधिकार पार्टी के साथ 'जन शक्ति मोर्चा' बनाया और 43 सीटों पर चुनाव लड़ा। तेजप्रताप के सारे कैंडिडेट हारे, वो अपनी सीट महुआ भी नहीं बचा पाए। ------------ क्या आप हैं बिहार के एक्सपर्ट? खेलिए और जीतिए 3 करोड़ तक के इनाम बिहार से जुड़े 3 आसान सवालों के जवाब दीजिए और जीतिए 3 करोड़ तक के इनाम। रोज 50 लोग जीत सकते हैं आकर्षक डेली प्राइज। लगातार खेलिए और पाएं लकी ड्रॉ में बंपर प्राइज सुजुकी ग्रैंड विटारा जीतने के मौके। अभी क्विज खेलें>> --------------------- ये भी पढ़ें- लालू परिवार में जिसकी वजह से बवाल उन दोनों जानिए:संजय को तेजप्रताप जयचंद बताते हैं; रमीज पर यूपी में हत्या कर चल रहा केस तेजप्रताप यादव जिसे अब तक जयचंद बताते थे उसके खिलाफ अब लालू यादव की बेटी रोहिणी ने भी मोर्चा खोल दिया है। शनिवार को उन्होंने X पर लिखा। 'मैं राजनीति छोड़ रही हूं और अपने परिवार से नाता तोड़ रही हूं। संजय यादव और रमीज ने मुझसे यही करने को कहा था और मैं सारा दोष अपने ऊपर ले रही हूं।' पूरी खबर पढ़ें
खेलने कूदने की उम्र में मुझसे जबरन शारीरिक संबंध बनाया। इसके बाद ब्लैकमेल कर होटलों और कमरे में बुलाकर 6 साल तक शारीरिक संबंध बनाता रहा। इस साल 2025 में मैं बालिग हो गई। मैंने उससे शादी करने के लिए कहा। शादी के नाम पर वह मुंह मोड़ लिया, बोलता है अब, तुमसे मेरा मन भर गया है। यह दर्द इंटर की छात्रा का है। खेलने कूदने की उम्र में ही आरोपी ने उसका बचपन और सुकून छीन लिया, जिंदगी बर्बाद कर दी। गोरखपुर के गोरखनाथ इलाके में नाबालिग छात्रा से जबरन शारीरिक संबंध बनाने और वीडियो वायरल करने व जान से मारने की धमकी देने का मामला सामने आया है। गोरखनाथ थाने की पुलिस ने पीड़ित छात्रा की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर आरोपी को रविवार दोपहर 1:10 बजे गोयल गली मोड़ धर्मशाला बाजार से गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ के बाद उसे देर शाम जेल भेजवा दिया। छात्रा ने आरोप लगाया था कि आरोपी 2 साल से जबरन संबंध बना रहा था। 2025 में बालिग होने पर शादी के लिए कहा तो वह अश्लील वीडियो वायरल करने की धमकी दिया। साथ ही कहीं शिकायत करने पर जान से मारने की धमकी भी दी। आरोपी अभिषेक कुमार सिंह (33) का घर देवरिया जिले के रामपुर कारखाना थाना के देउरवा गांव में है। वह गोरखपुर में एडिडास कंपनी में मैनेजर पद पर काम करता है। शाहपुर के हरसेवकपुर में वह एक घर में रहता है। अब पढ़िए पूरा मामला गोरखनाथ इलाके की रहने वाली 18 साल की छात्रा ने तहरीर देकर एडिडास कंपनी के मैनेजर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। छात्रा ने बताया कि वर्ष 2019 में मैं 12 साल की थी। स्कूल जाती और दिन भर अपने दोस्तों के साथ खेलती कूदती थी। इस दौरान अभिषेक की बुरी नजर मुझपर पड़ी। उसे मैं जानती भी नहीं थी। एक जगह वह मुझसे मिला, पहली बार में ही मुझे पकड़ लिया। इसके बाद वह मेरे साथ गंदी हरकतें करने लगा। काफी चिल्लाई, लेकिन आस-पास कहीं भी मेरी आवाज नहीं पहुंच पाई। इस दौरान उसने जबरन मेरे साथ शारीरिक संबंध बनाया। उस घटना का अश्लील वीडियो भी बना लिया। मैंने रोते हुए शिकायत करने की बात कही। तब उसने अपने मोबाइल में अश्लील वीडियो दिखाकर धमकी दी कि अगर कहीं भी मुंह खोला तो यह वीडियो वायरल कर जिंदगी बर्बाद कर दूंगा। इसके बाद मुझसे प्यार भरी बातें करके शादी करने के लिए कहने लगा। कमरे में बुलाकर बनाता था शारीरिक संबंध छात्रा ने कहा अब मेरे पास कुछ भी बचा नहीं था। कर भी क्या सकती थी। मुझे इस बात की उम्मीद थी, चलो शादी होगी तो, सब ठीक हो जाएगा। एक बार मेरे साथ जबरदस्ती करने के बाद वह आए दिन मुझे डराकर अपने कमरे और होटलों में बुलाने लगा। स्कूल के लिए निकलती थी। लेकिन अभिषेक के डर से स्कूल बंक कर उसके कमरे पर जाती थी। पूरे दिन वह मेरे साथ शारीरिक संबंध बनाता था। होटल में ले जाकर की मारपीट छात्रा ने बताया- वर्ष 2023 में मुझे एक होटल में बुलाया। उसके बुलाने पर वहां गई। तब वह मेरे साथ फिर जबरदस्ती करने लगा। मैंने साफ मना कर दिया और घर जाने लगी। तब उसने मुझे गंदी गालियां दी और खूब पिटाई की। इसके बाद जबरन मेरे साथ शारीरिक संबंध बनाया। शादी की बात कहने पर देने लगा धमकी छात्रा ने बताया- वर्ष 2025 में मैं 18 साल की हो गई। अभिषेक ने मुझे फिर कमरे पर बुलाया। मैं सोचकर गई कि अब तो हर हाल में शादी की बात तय करके ही आउंगी। मैं उसके कमरे में पहुंची। तुरंत मैंने उससे शादी की बात कही। मैंने कहा मेरी जिंदगी बर्बाद हो जाएगी। अब हम लोगों को शादी हर हाल में कर लेनी चाहिए। इतना सुनते ही अभिषेक नाराज हो गया। वह गालियां देने लगा। बोला कि मैं तुम्हारे जैसी लड़की से शादी नहीं कर सकता हूं। मेरा अब तुमसे मन भर चुका है। यह कहते हुए मुझे धमकी दी कि अश्लील वीडियो मेरे पास है, उसे वायरल कर दूंगा। अगर शिकायत की तो जान से भी मार दूंगा। मेरा कोई कुछ बिगाड़ नहीं पाएगा। धर्मशाला से पकड़ा गया आरोपी गोरखनाथ थाना प्रभारी शशिभूषण राय ने बताया कि छात्रा की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर आरोपी को धर्मशाला बाजार से गिरफ्तार कर लिया गया है। आरोपी ने पूछताछ बताया कि वह एडिडास कंपनी में मैनेजर पद पर काम करता है। उसके खिलाफ अग्रिम कार्रवाई की गई।
अमृतसर के हल्का मजीठा के गांव बाबोवाल में सात साल के एकम प्रीत सिंह की रहस्यमयी मौत ने पूरे गांव को दहला दिया है। इस दर्दनाक घटना से गांव में मातम पसरा हुआ है और परिजन गहरे सदमे में हैं । परिवार का कहना है कि एकम प्रीत परिवार का इकलौता बेटा था और उसकी एक बड़ी बहन भी है। दोपहर वह घर से कुछ दूरी पर खेल रहा था, लेकिन थोड़ी देर बाद उसकी लाश एक कोठे के पीछे संदिग्ध हालात में मिली। परिजनों ने आरोप लगाया कि बच्चे को किसी ने मार दिया है। उनका कहना है कि मौके पर इंटें और रोड़े बिखरे पाए गए, जिससे शक और गहरा हो गया है। सरपंच ने मौके का हाल बताकर शक जताया घटना की जानकारी मिलते ही गांव के सरपंच शमशेर सिंह मौके पर पहुंचे। उन्होंने बताया कि उन्हें शाम लगभग 5 बजे फोन पर सूचना मिली कि एक बच्चा बेहोशी की हालत में पड़ा है। वहां पहुंचकर उन्होंने देखा कि एकम प्रीत गंभीर स्थिति में था और उसके आस-पास निर्माण सामग्री और रोड़े पड़े हुए थे। सरपंच ने भी माना कि मौके की स्थिति यह संकेत दे रही थी कि मामला सिर्फ एक हादसा नहीं लग रहा। पुलिस ने शव पोस्टमॉर्टम को भेजकर जांच शुरू की इस बीच, पुलिस टीम ने तुरंत गांव पहुंचकर जांच शुरू कर दी। अधिकारियों ने परिवार के बयान दर्ज किए और बच्चे के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया। पुलिस का कहना है कि मौत का असली कारण सिर्फ पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा। फिलहाल परिवार द्वारा जताए गए हत्या के शक को ध्यान में रखते हुए हर पहलू से जांच की जा रही है। पुलिस ने आश्वासन दिया है कि जो भी व्यक्ति इस घटना में शामिल पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
बिहार नतीजों के बाद हरियाणा की राजनीति में बदलाव के संकेत कांग्रेस नेता चौधरी बीरेंद्र सिंह ने दिए हैं। बीरेंद्र सिंह महेंद्रगढ़ में अपने बेटे, पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह की सद्भाव यात्रा में शामिल हुए थे। हरियाणा के अनुभवी नेताओं में से एक और लंबे समय से कांग्रेस से जुड़े बीरेंद्र सिंह ने कहा कि थोड़े समय में राजनीति में बदलाव होगा। बीरेंद्र सिंह ने दावा किया कि पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और हरियाणा कांग्रेस के प्रधान राव नरेंद्र लोगों के बीच आएंगे। यहां तक कि वे बृजेंद्र सिंह की यात्रा में भी शामिल होंगे। यह बयान बीरेंद्र सिंह ने तब दिया है जब बिहार में कांग्रेस बुरी तरह हारी है और इसके बाद दिल्ली में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर हार की समीक्षा हुई। राजनीति के जानकार बीरेंद्र सिंह के इस बयान को कांग्रेस की राजनीति में बदलाव का संकेत मानते हैं। पूर्व IAS अधिकारी एवं हिसार के सांसद रहे बृजेंद्र सिंह ने 5 अक्टूबर को जींद के उचाना हलके से यात्रा शुरू की थी, जो 6 चरणों में सभी 90 हलकों में जाएगी। चौधरी बीरेंद्र सिंह ने यह दिया बयान- अब तो राजनीति में ऐसा हो रहा है, जैसे कब्जा कर लो कब्जा। कई नेता नहीं आए फिर आएंगे आगे तो कहेंगे मैं बीमार हो गया था। मुझसे महेंद्रगढ़ में पत्रकारों ने पूछा कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा क्यों नहीं आया, नया प्रधान बना है राव नरेंद्र सिंह वो भी नहीं आया। एक-दो नाम और बोले। मैंने कहा कि अभी मेरा चालू हुआ है महीना सवा महीना हुआ है। मैंने कहा- बालक होते हुए भी नौ-नौ महीने लग जाते हैं और जब हो जाए तब सारे थालियां बजाते हैं। तो ये सब थाली बजाएंगे। आएंगे आपके बीच में भी आएंगे। कांग्रेस को असहज करने वाले बीरेंद्र सिंह के 2 बयान... हरियाणा में दो गुटों में बंटी है कांग्रेसबता दें कि हरियाणा कांग्रेस में गुटबाजी हावी है और इसके कारण कांग्रेस को कहीं न कहीं नुकसान भी हो रहा है। कांग्रेस हाईकमान भी इसे मानता है और इसे दूर करने के कई बार प्रयास कर चुका है। मगर हरियाणा में भूपेंद्र सिंह हुड्डा को हाईकमान चाह के भी अनदेखा नहीं कर पा रहा है। 4 अक्टूबर को भूपेंद्र सिंह हुड्डा को नेता प्रतिपक्ष बनाया गया। वहीं राव नरेंद्र को प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया, मगर वह भी हुड्डा गुट के साथ ही ज्यादा दिखाई दे रहे हैं। बीरेंद्र सिंह कांग्रेस के दूसरे गुट कुमारी सैलजा के साथ दिखाई देते हैं। यही कारण रहा कि बृजेंद्र सिंह की यात्रा में हुड्डा गुट से कोई नेता शामिल नहीं रहा। यहां तक की राव नरेंद्र सिंह ने इसे बृजेंद्र सिंह का निजी कार्यक्रम बताया था। दिसंबर में हरियाणा आ सकते हैं राहुल गांधीबीरेंद्र सिंह का हुड्डा व राव नरेंद्र वाला बयान तब आया है जब हरियाणा में अगले महीने राहुल गांधी के आने की चर्चाएं चल रही हैं। राहुल के हरियाणा के आने से पहले बृजेंद्र सिंह अपनी कई किमी की यात्रा का अनुभव शेयर कर सकते हैं और उनके सामने इस यात्रा में बड़े नेताओं के शामिल न होने की बात भी वह रख सकते हैं। बृजेंद्र सिंह की यात्रा में सैलजा गुट से सभी नेता शामिल हो चुके हैं, मगर भूपेंद्र सिंह हुड्डा गुट का कोई नेता शामिल नहीं हुआ। हिसार के सांसद जयप्रकाश जो हुड्डा के करीबी हैं वो एक भी दिन यात्रा में शामिल नहीं हुए और बल्कि उन्होंने बृजेंद्र सिंह को लेकर बयान बाजी भी की थी।
इंदौर में एक 22 साल के युवक को उसकी प्रेमिका ने इस कदर धमकाया कि उसने सुसाइड कर लिया। मौत के दो दिन बाद एक वीडियो कॉल सामने आया है। जिसमें युवती पंखे में लगे फंदे को अपने लगे में लगाती दिख रही है। यही नहीं वह गले और पेट पर तलवार रखकर कहती है कि अगर मुझे छोड़ा तो जान दे दूंगी। दूसरी तरफ वीडियो कॉल पर मौजूद युवक उसे ऐसा नहीं करने की समझाइश दे रहा है। परदेशीपुरा इलाके के शिवाजी नगर में रहने वाले अभिषेक प्रजाप्रत ने 14 नवंबर को घर में फांसी लगा थी। अब परिजनों का कहना है कि युवती के परिजनों ने अभिषेक से मारपीट की थी। वे उसे युवती से दूर रहने के लिए दबाव बना रहे थे। इधर, पुलिस ने युवक का मोबाइल जब्त कर जांच शुरू कर दी है। तस्वीरों में देखिए कैसे धमकाती थी... पिता बोले- लड़की के परिवार वाले धमका रहे थेअभिषेक के पिता रामहित प्रजाप्रत ने खुशी नाम की युवती के परिजनों पर धमकाने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि खुशी और अभिषेक के बीच में काफी समय से प्रेम संबंध थे। दोनों साथ में पढ़ाई करते थे। वह अभिषेक का साथ नहीं छोड़ना चाहती थी। जबकि उसी के परिवार वाले बेटे को धमका रहे थे। वह बेटे को ब्लैकमेल भी कर रही थी। उसने कई बार सुसाइड की धमकी दी थी। कुछ दिन पहले उसने बेटे से वीडियो कॉल पर बात की थी। जिसमें उसका कहना था कि अगर वह उसे छोड़ेगा तो फंदा लगा लेगी। उसने अपने गले और पेट पर तलवार रखकर जान देने की बात भी कही थी। इस दौरान अभिषेक उसे समझाता रहा। खुशी के परिवार वालों ने की थी मारपीटअभिषेक के पिता ने बताया कि कुछ समय पहले अभिषेक के साथ खुशी के परिजनों ने मारपीट की थी। उसकी झूठी शिकायत कर भागीरथपुरा चौकी में बंद करवा दिया था। इसके बाद बमुश्किल बेटे को छुड़वाया। उसे पुलिसकर्मियों ने धमकाया भी था कि वह लड़की को भूल जाए। अभिषेक के साथ खुशी के परिवार के लोगों ने मारपीट भी की थी। सबसे पहले बहन ने फंदे पर लटका देखाअभिषेक को शुक्रवार शाम (14 नवंबर) को छोटी बहन ने फंदे पर देखा था। इसके बाद उसने पिता को बताया। परिवार में एक भाई और दो बहन हैं। पिता नाश्ते की दुकान चलाते हैं। अभिषेक साउंड सिस्टम चलाता था। फिलहाल पुलिस ने अभिषेक का मोबाइल जब्त कर लिया है। परिवार का कहना है कि उसने सुसाइड के पहले खुशी से बात की थी। उसे अभिषेक की मौत को लेकर पूरी जानकारी है। यह खबर भी पढ़ें... 36 साल की महिला के प्रेम में फंसा, किया सुसाइड ग्वालियर में प्यार में धोखा और मौत की एक कहानी इस समय चर्चा में है। 20 साल के एक लड़के को 36 साल की विवाहिता और चार बच्चों की मां ने खुद को 22 साल की कुंवारी बताकर प्यार के जाल में फंसा लिया। इतना ही नहीं दो साल तक उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए। पूरी खबर यहां पढ़ें...
भोपाल में चल रहे आलमी तब्लीगी इज्तिमा का आज सबसे अहम दिन है। दुआ-ए-खास सुबह 10 बजे से 10:30 बजे के बीच होगी। इज्तिमा प्रबंधन के अनुसार इस बार 10 से 12 लाख से ज्यादा जायरीन के शामिल होने की संभावना है। फजिर की नमाज के बाद की तकरीर मौलाना जकरिया हफीज करेंगे। जबकि दुआ से पहले का बयान और दुआ-ए-खास हजरत मौलाना सआद साहब फरमाएंगे। ट्रैफिक और सुरक्षा के लिए कड़े इंतजामइतनी बड़ी भीड़ के चलते प्रशासन ने सुरक्षा और यातायात दोनों स्तरों पर खास रणनीति बनाई है। इज्तिमा स्थल की ओर आने वाले प्रमुख मार्गों पर पुलिस, होमगार्ड और ट्रैफिक स्टाफ तैनात है। भीड़ को देखते हुए रूट डायवर्जन, अतिरिक्त पार्किंग और पैदल मार्गों को सुव्यवस्थित किया है। रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड पर भी अतिरिक्त टिकट काउंटर, ATVM मशीनें और सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है। गाड़ी खराब या पंचर होने पर मिलेगी तुरंत मददलाखों जायरीन और हजारों वाहनों की आवाजाही को देखते हुए इज्तिमा कमेटी ने इस बार मैकेनिक और पंचर खिदमत जमात भी तैनात की है। इज्तिमा में शामिल किसी जायरीन की गाड़ी खराब होने या पंचर होने पर कमेटी से जुड़े मैकेनिक मौके पर पहुंचकर मदद करेंगे। यह सुविधा केवल इज्तिमा में आए जायरीनों के लिए उपलब्ध होगी। इन नंबरों पर मिलेगी मदद 30 हजार लोग संभालेंगे व्यवस्थाएंइज्तिमा स्थल की व्यवस्था 30 हजार प्रशिक्षित और अनुभवी लोगों के हाथों में होगी। इनमें 25 हजार वॉलंटियर्स इज्तिमा कमेटी के हैं, जबकि 5 हजार अमला नगर निगम, प्रशासन और पुलिस बल से जुड़ा है। ये टीमें सफाई, सुरक्षा, ट्रैफिक और पंडाल व्यवस्था को संभालेंगी। वहीं दमकल टीम चौबीसों घंटे इज्तिमा स्थल पर रहेगी। फायर फाइटर वाहनों को अलग-अलग बिंदुओं पर भी तैनात किया जा रहा है। रेलवे स्टेशन पर करीब 500 वॉलंटियर प्रति शिफ्ट तैनात रहेंगे। इज्तिमा में बना 50 हजार लोगों का खानाभोपाल स्टेशन पर इज्तिमा कमेटी ने जायरिनों के लिए खास इंतजाम किए गए। इज्तिमा कमेटी ने यहां पर करीब 40 से 50 हजार लोगों का खाना बनाया जाएगा। इसके अलावा, रेलवे ने यहां स्पेशल टिकट काउंटर लगाए गए। ATVM (ऑटोमैटिक टिकट वेडिंग मशीन) की संख्या भी बढ़ाई है। मैदान में मेडिकल और इमरजेंसी सर्विस तैनातइज्तिमा प्रबंधन ने दुआ-ए-खास के मद्देनजर रात से ही विशेष इंतजाम किए हैं। सभी एंट्री-पॉइंट्स पर मेडिकल हेल्प, स्वयंसेवक और सुरक्षा कर्मी तैनात किए गए हैं। भीड़ को नियंत्रित करने और आपात स्थितियों से निपटने के लिए संयुक्त कंट्रोल रूम भी सक्रिय है। सुबह दुआ-ए-खास के साथ इज्तिमा का सबसे महत्वपूर्ण क्षण पूरा होगा, जिसमें लाखों लोग दुनिया भर की अमन-शांति, भाईचारे और खुशहाली के लिए दुआ करेंगे। रेलवे ने भीड़ को देखते हुए जोड़े अतिरिक्त कोचपश्चिम मध्य रेलवे भोपाल मंडल ने इज्तिमा को देखते हुए 2 प्रमुख ट्रेनों में एक-एक अतिरिक्त सामान्य कोच जोड़ने का निर्णय लिया है। यह व्यवस्था 17 और 18 नवंबर को लागू रहेगी। जिन दो कोच में अतिरिक्त कोच लगेंगे उनमें भोपाल बिलासपुर एक्सप्रेस (18235) और भोपाल–जोधपुर एक्सप्रेस (14814) शामिल है।
प्राय: किसान कोई भी फसल उगाते हैं और उसे बेचकर अगली फसल बोने की तैयारी करते हैं लेकिन छतरपुर जिले में डिकौली गांव के किसान हरिओम अग्निहोत्री ने क्षेत्र के किसानों को नई राह दिखाई है। वह सामान्य उपज के बजाय गेहूं का बीज तैयार करके बेचते हैं। इससे सामान्य फसल के मुकाबले कई गुना मुनाफा प्राप्त होता है। 120 किलो बीज 1.29 लाख रुपए में खरीदाकिसान हरिओम ने बताया कि मैं प्रमुख रूप से गेहूं की खेती करता हूं। उचित मुनाफे के लिए सामान्य उपज के बजाय गेहूं का बीज तैयार करता हूं। कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर और भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में गेहूं की जो नई वैरायटी विकसित होती है, उसका प्रजनक (ब्रीडर) बीज हासिल करता हूं। हाल ही भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने गेहूं की नई किस्म एचआई-1650 विकसित की है। इसके एक क्विंटल बीज की बोवनी की जाए तो लगभग 40 क्विंटल उत्पादन प्राप्त होता है। मध्य प्रदेश में सबसे पहले छतरपुर जिले में मैंने यह बीज प्राप्त किया है। अब मैं इससे फाउंडेशन बीज और उसके बाद सर्टिफाइड बीज तैयार कर रहा हूं, जो किसानों को उपलब्ध कराऊंगा। पिछले साल इस किस्म का 120 किलो बीज मुझे 1.29 लाख रुपए में मिला। इससे मैंने करीब दो एकड़ खेत में बोवनी की तो लगभग 48 क्विंटल फाउंडेशन बीज तैयार हुआ है। इस साल इस पूरे बीज की 100 एकड़ में बोवनी करूंगा। अपनी जमीन के साथ ही भाइयों और गांव के कुछ किसानों की जमीन को बोवनी को तैयार कर रहे हैं। बोवनी के बाद कृषि वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन में खाद-पानी देंगे। इस साल 1920 क्विंटल उत्पादन होने का अनुमान है। इसकी ग्रेडिंग करके एचआई-1650 गेहूं का सर्टिफाइड बीज बाजार में उपलब्ध कराएंगे। बीज तैयार करने में लगता है समयकिसान हरिओम ने बताया कि सामान्य गेहूं का वर्तमान भाव 2550-2600 रुपए प्रति क्विंटल है। जबकि राज्य सरकार ने गेहूं बीज की रेट 4300 रुपए प्रति क्विंटल तय की है। किसान हरिओम बताते हैं कि बीज तैयार करने में किसान को थोड़ा समय जरूर लगता है लेकिन इससे फायदा अच्छा मिल जाता है। देश में अभी जरूरत के मुकाबले केवल 22 प्रतिशत गेहूं बीज ही तैयार हो पा रहा है। इस कारण बीज में बहुत संभावनाएं हैं। किसान बीज तैयार करके अच्छा मुनाफा अर्जित कर सकते हैं। आप भी भेज सकते हैं नवाचारआप भी किसान हैं और खेती में ऐसे नवाचार किए हैं जो सभी किसान भाइयों के लिए उपयोगी हैं, तो डिटेल व फोटो-वीडियो हमें अपने नाम-पते के साथ 9685881032 पर सिर्फ वॉट्सएप करें। ध्यान रखें, ये नवाचार किसी भी मीडिया में न आए हों।
करोड़ों रुपए का सरकारी बजट उड़ाकर भी वन विभाग अरावली के जंगल हरे भरे नहीं कर सका, लेकिन दो गांव के लोगों ने दो दशक पहले तक सूखे 3 वर्ग किमी के पहाड़ में घना जंगल तैयार कर दिया। अलवर शहर से 30 किमी दूर घाटीतला व कुशलपुरा के पास इस जंगल में सफेद खैर, खेणा, खीप, धोंक, बरगद, पीपल, नीम, कालाखेर, केर, गूलर सहित करीब 30 किस्मों के पेड़ पूरी तरह विकसित हो चुके हैं। जंगल की निगरानी के लिए दोनों गांवों ने 12 लोगों की कमेटी बना रखी है। पेड़ काटने पर सर्व सम्मति से 1100 रुपए का जुर्माना लगा रखा है। जिसका नतीजा है कि पहाड़ हमेशा हरा-भरा रहता है। रात-दिन लगाते हैं पहरा, पेड़ काटने पर 1100 रुपए जुर्माना, नतीजा: कटान पूरी तरह बंद: निगरानी टीम में शामिल चेतराम, सुंदरलाल, जयनारायण, मंगतू ने बताया कि दो दशक पहले तक पहाड़ पूरी तरह सूखा था। सिर्फ जंगली कीकर के कुछेक पेड़ थे। गांव के काफी परिवार पशु पालते हैं। जंगल जाते तो पशुओ को भी छांव नहीं मिलती थी। सब इससे परेशान थे। तब गांव के कुछ पढ़े-लिखे लोगों ने एक कमेटी बनाकर जंगल में पेड़ लगाने की मुहिम उठाई। साल-दर साल सबकी मदद से पेड़ लगाए जाते हैं। अब तक करीब 15 हजार पेड़ लगा चुके हैं। रात-दिन गांव के लोग जंगल की सुरक्षा भी करते हैं। पूर्व सरपंच जय किशन गुर्जर, मंतुराम, सहीराम, पूर्व सरपंच रतीराम, संपत राम, रामस्वरूप, जगराम, गणेश, लीलाराम, हिरेलाल, पप्पू राम ने बताया कि पेड़ काटने पर 1100 रुपए का जुर्माना वसूला जाता है। यह पैसा कमेटी जंगल की सुरक्षा व मेंटिनेंस में ही खर्च करती है। हालांकि गांव की सहमति होने के कारण लोग खुद ही पेड़ नहीं काटते। पहाड़ी पर एक आश्रम भी बना हुआ है।
बिहार विधानसभा चुनाव और रिजल्ट वाली शाम। सत्ता की सबसे बड़ी उम्मीदें राख में बदल चुकी थीं। राबड़ी आवास के बाहर जैसे-जैसे अंधेरा बढ़ रहा था…अंदर किसी तूफान की आहट तेज हो रही थी। कम रोशनी, सभी लोग चुप। सिर्फ घड़ी की टिक-टिक। घर में सब थे—लालू, मीसा, रोहिणी और तेजस्वी के करीबी संजय और रमीज। हार किसकी वजह से हुई? सबके दिल में सवाल था…पर ज़ुबान किसी की नहीं खुल रही थी। तभी गुस्से में रोहिणी बोलतीं हैं- हार की वजह साफ है… गलत फैसले हुए हैं… और इसके पीछे जिम्मेदार कौन है, सब जानते हैं। बस… इतना सुनते ही कमरे का माहौल गर्म हो गया। जिस बात को सब कहने से डर रहे थे… वो अब तीर की तरह उड़कर कमरे में घूम रही थी। एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में पढ़िए, 14 नवंबर की शाम से 16 नवंबर तक लालू फैमिली में क्या क्या हुआ…। तारीख 14 नवंबर। शाम का वक्त। टेलीविजन स्क्रीन पर बिहार चुनाव की मतगणना के रुझान लगातार सामने दिख रहे थे। नतीजों में राजद एक के बाद एक सीटें हार रही थी। घर में मौजूद सभी टकटकी निगाहों से टीवी को निहार रहे थे। पार्टी और परिवार की बागडोर तेजस्वी के हाथ में होने के कारण सभी इसका जिम्मेदार उसे ही मान रहे थे। लेकिन किसी की हिम्मत नहीं थी कि यह बात बोल सकें। सब चुप-चाप बैठे हुए थे, लेकिन रोहणी से रहा नहीं गया। वो इस हार का ठीकरा संजय यादव पर फोड़ने लगी। रोहिणी झल्लाते हुए बोलीं- ‘यह सब संजय की वजह से हुआ है।’ कमरे में एक तरफ लालू, मीसा, राबड़ी बैठे थे, जो सब कुछ चुप-चाप सुन रहे थे। दूसरी तरफ तेजस्वी, संजय और रमीज थे। अचानक दूसरी तरफ से झुंझलाहट में चिल्लाते हुए आवाज आई- ‘गंदी औरत, तुम अपना मुंह बंद रखो…तुमने अपनी गंदी किडनी बेची है…हमसे करोड़ों रुपए लिए और अपने मनपसंद लोगों को टिकट दिलवाया…अच्छा होगा कि तुम यहां से चले जाओ।’ यह सुनते ही रोहिणी अवाक रह गईं। कुछ देर तक अपने छोटे भाई को बस निहारती रही। उसके मन में सवाल था कि जिसे गोद में खिलाया, उसने उसका ये सिला दिया। फिर आवाजें और तेज होने लगी। तेजस्वी की तरफ से आवाज आई- ‘मुंह क्या देख रही हो…तुम्हारी वजह से हम हारे हैं…यहां से अभी के अभी निकलो…तुम्हारा इस घर और परिवार से कोई रिश्ता नहीं है।’ रोहणी बोलना तो बहुत कुछ चाह रही थी, लेकिन जुबान साथ नहीं दे रहे थे। आंखों से सिर्फ आंसू बह रहे थे। उसके आंखों के सामने अस्पताल की वह तस्वीरें झलक रही थी, जब वो खुशी-खुशी अपने पिता को किडनी देने के लिए ऑपरेशन थिएटर में जा रही थी। रोहिणी कुछ देर तक रुकीं, अपने पूरे परिवार को देखी। लालू, राबड़ी और मीसा, सभी की आखों में आंसू थे, लेकिन सभी ने चुप्पी साथ रखी थी। तारीख 15 नवंबर। दोपहर का वक्त। यह रात बीत गया। 15 नवंबर की दोपहर 2.52 बजे रोहिणी ने सोशल मीडिया 'एक्स' पर पोस्ट कर बताया- 'मैं राजनीति छोड़ रही हूं और अपने परिवार से नाता तोड़ रही हूं…संजय यादव और रमीज ने मुझसे यही करने को कहा था और मैं सारा दोष अपने ऊपर ले रही हूं।' रोहिणी की पोस्ट के बाद ही राबड़ी आवास में हलचल और तेज हुई। चारों तरफ चीखने-चिल्लाने की आवाज गूंजने लगी। कुछ घंटे तक यह सब चलता रहा। तारीख 15 नवंबर। रात का वक्त। शनिवार रात में रोहिणी अपना बैग उठाकर एयरपोर्ट निकल गई। पटना एयरपोर्ट पर उन्होंने पत्रकारों से बातचीत किया। रोहिणी ने कहा- 'मेरा कोई परिवार नहीं है…उन्होंने ही मुझे परिवार से निकाला है…सारी दुनिया सवाल कर रही है कि पार्टी का ऐसा हाल क्यों हुआ है….लेकिन उन्हें जिम्मेदारी नहीं लेनी है।' रोहिणी ने तेजस्वी यादव के करीबी संजय यादव और रमीज पर दबाव बनाने का आरोप लगाया। रोहिणी ने कहा- 'ये सवाल अब तेजस्वी यादव से पूछिए….सवाल पूछोगे तो गाली दी जाएगी….चप्पल से मारा जाएगा।' पटना से दिल्ली पहुंचते ही रोहिणी एक बाद एक सोशल मीडिया पोस्ट कर अपनी भड़ास निकालने लगी। तारीख 16 नवंबर। सुबह 11.20 का वक्त। रोहिणी आचार्य ने X पर रविवार सुबह 11.20 बजे फिर पोस्ट कर लिखा- ‘कल एक बेटी, एक बहन, एक शादीशुदा महिला, एक मां को जलील किया गया….गंदी गालियां दी गयीं….मारने के लिए चप्पल उठाया गया।’ रोहिणी ने आगे लिखा- ‘मैंने अपने आत्म सम्मान से समझौता नहीं किया….सच का समर्पण नहीं किया….सिर्फ और सिर्फ इस वजह से मुझे बेइज्जती झेलनी पड़ी। रोहिणी ने मायका छुड़वाने और अनाथ बनाने का आरोप लगाते हुए लिखा- ‘कल एक बेटी मजबूरी में अपने रोते हुए मां-बाप बहनों को छोड़ आयी….मुझसे मेरा मायका छुड़वाया गया….मुझे अनाथ बना दिया गया। ‘आप सब मेरे रास्ते कभी ना चलें….किसी घर में रोहिणी जैसी बेटी-बहन पैदा ना हो।’ तारीख 16 नवंबर। दोपहर 12.16 का वक्त। रविवार को अपने पहले पोस्ट के 1 घंटे बाद रोहिणी का तीसरा पोस्ट सामने आया। रोहिणी ने लिखा- ‘कल मुझे गालियों के साथ बोला गया कि मैं गंदी हूं….मैंने अपने पिता को अपनी गंदी किडनी लगवा दी…करोड़ों रूपए लिए…टिकट लिया…तब लगवाई गंदी किडनी।’ रोहिणी ने तेजस्वी और संजय यादव पर तंज कसते हुए लिखा- ‘सभी बेटी-बहन, जो शादीशुदा हैं…उनको मैं बोलूंगी कि जब आपके मायके में कोई बेटा-भाई हो…तो भूल कर भी अपने भगवान रूपी पिता को नहीं बचाएं….अपने भाई, उस घर के बेटे को ही बोलें कि वो अपनी या अपने किसी हरियाणवी दोस्त की किडनी लगवा दे रोहिणी ने - ‘सभी बहन-बेटियां अपना घर-परिवार देखें…अपने माता-पिता की परवाह किए बिना अपने बच्चे…अपना काम…अपना ससुराल देखें…सिर्फ अपने बारे में सोचें…मुझसे तो ये बड़ा गुनाह हो गया कि मैंने अपना परिवार, अपने तीनों बच्चों को नहीं देखा।’ रोहिणी ने आगे लिखा- ‘किडनी देते वक्त न अपने पति…न अपने ससुराल से अनुमति ली…अपने भगवान…अपने पिता को बचाने के लिए वो कर दिया जिसे आज गंदा बता दिया गया…आप सब मेरे जैसी गलती कभी ना करें…किसी घर रोहिणी जैसी बेटी ना हो’ रोहिणी आचार्य के राबड़ी आवास छोड़ने के बाद रविवार को तीन और बहनों रागिनी, राजलक्ष्मी और चंदा यादव भी दिल्ली रवाना हो गई है। ये तीनों बहनें अपने परिवार और बच्चों के साथ चली गई हैं। अब राबड़ी आवास खाली हो गया है। घर में सिर्फ लालू, राबड़ी और तेजस्वी रह गए हैं। ------------------------ नोट- लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य की X पोस्ट की बातों का हमने सीन क्रिएट किया है।
जब भी चुनाव होता है 'परिवारवाद' की चर्चा खूब होती है। हर पार्टी दूसरे पर नेताओं के रिश्तेदारों को टिकट देने के आरोप लगाती है। गौर करें तो NDA भी 'परिवारवाद' से अछूता नहीं। JDU और BJP के 11-11 विधायक नेताओं के रिश्तेदार हैं। जीतन राम मांझी की पार्टी हम के 80% विधायक परिवारवादी हैं। उपेंद्र कुशवाहा भी पीछे नहीं। उनकी पत्नी स्नेहलता विधायक बनी हैं। दैनिक भास्कर की खास रिपोर्ट में जानें NDA के कौन से परिवारवादी विधायक चुने गए हैं? उनका किस नेता से नाता है? जीतन राम मांझी की बहू, समधन और दामाद बने सांसद परिवारवाद के मामले में HAM पार्टी के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी सबसे आगे हैं। NDA की ओर से उन्हें 6 सीट मिले थे। इनमें से 5 पर परिवारवादियों को टिकट दिया। 3 तो उनके अपने रिश्तेदार हैं। मांझी की बहू, समधन और दामाद चुनाव जीतकर विधायक बन गए हैं। भाजपा के 12.35% विधायक नेताओं के रिश्तेदार 'परिवारवाद' के तहत टिकट पाने वाले NDA के 29 (14.35%) प्रत्याशियों ने चुनाव जीता है। भाजपा ने 101 उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा। पार्टी को 89 सीटों पर जीत मिली। जीतने वाले 11 विधायक (12.35%) राजनीतिक परिवार से हैं। इनमें सम्राट चौधरी, नीतीश मिश्रा और श्रेयसी सिंह जैसे बड़े चेहरे शामिल हैं। जदयू के 11 विधायकों का राजनीतिक परिवार से नाता जदयू को 101 सीटों पर प्रत्याशी उतारने का मौका मिला। पार्टी को 85 सीटें मिलीं। भाजपा की तरह इसके भी 11 (12.9%) ऐसे प्रत्याशी जीते जो किसी न किसी राजनीतिक परिवार से नाता रखते हैं। इसमें अनंत सिंह, ऋतुराज कुमार और चेतन आनंद जैसे बड़े नाम शामिल हैं। उपेंद्र कुशवाहा की पत्नी स्नेहलता बनीं विधायक पूर्व केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा भी पीछे नहीं हैं। NDA की ओर से इनकी पार्टी को 6 सीटों पर प्रत्याशी देने का मौका मिला। कुशवाहा ने सासाराम सीट से अपनी पत्नी स्नेहलता को चुनाव लड़ाया। जीतकर वह विधायक बन गईं। कुशवाहा ने नीतीश सरकार में मंत्री संतोष सिंह के भाई आलोक कुमार सिंह को दिनारा सीट से टिकट दिया। वह भी जीत गए हैं। RLM के चार विधायक बने हैं। इनमें से 2 (50%) नेताओं के संबंधी हैं। पूर्व सांसद अरुण कुमार के बेटे और भतीजा बने विधायक भूमिहार जाति से आने वाले प्रो. अरुण कुमार जहानाबाद के पूर्व सांसद हैं। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बेटे ऋतुराज कुमार के साथ जदयू में शामिल हो गए। जहानाबाद के घोषी सीट से बेटे को टिकट दिलाया। बेटे ने चुनाव जीत लिया। अरुण कुमार ने जीतन राम मांझी की पार्टी से अपने भाई अनिल कुमार और उनके बेटे यानि अपने भतीजे रोमित को टिकट दिलाई। भाई को टिकारी तो भतीजे को अतरी सीट से टिकट मिला। अनिल कुमार हार गए। रोमित कुमार को जीत मिली है। जीतन राम मांझी की पार्टी 'हम' में हावी 'परिवारवाद' NDA में किस तरह से 'परिवारवाद' हावी है, इसका सबसे बड़ा उदाहरण केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी HAM है। 'हम' के संरक्षक जीतन राम मांझी केंद्रीय मंत्री हैं। इनके बेटे संतोष मांझी बिहार सरकार में मंत्री रहे हैं। बहू दीपा कुमारी गया के इमामगंज, समधन ज्योति देवी गया के बाराचट्टी और दामाद प्रफुल्ल मांझी जमुई के सिकंदरा से चुनाव जीतकर विधायक बन गए हैं। HAM को 6 में से 5 सीटों पर जीत मिली। इनमें से 4 (80%) नेताओं के परिवार से हैं। चौथा नाम अतरी से चुनाव जीतने वाले रोमित कुमार हैं। वह पूर्व सांसद प्रो. अरुण कुमार के भतीजे हैं। चिराग पासवान की पार्टी LJP R को 19 सीटों पर जीत मिली। इसने बाहुबली राजन तिवारी के भाई राजू तिवारी को गोविंदगंज से टिकट दिया। वह जीत गए हैं। राजद के 20% विधायक नेताओं के रिश्तेदार NDA के नेताओं ने लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद की आलोचना परिवारवाद के चलते खूब की है। चुनाव में राजद के 25 उम्मीदवार जीते। इनमें से 5 (20%) नेताओं के रिश्तेदार हैं। पहला नाम राजद नेता तेजस्वी यादव का आता है। तेजस्वी लालू यादव के सबसे छोटे बेटे हैं। पार्टी का नेतृत्व कर रहे हैं। राघोपुर सीट से चुनाव लड़े और जीते। दूसरे प्रमुख नाम की बात करें तो ओसामा साहब हैं। मो. शाहबुद्दीन के बेटे ओसामा को रघुनाथपुर से जीत मिली है। पूर्व मुख्यमंत्री दारोगा राय की पोती करिश्मा राय को परसा, पूर्व मंत्री जगदीश शर्मा के बेटे राहुल कुमार को जहानाबाद और पूर्व सांसद राजेश कुमार के बेटे कुमार सर्वजीत को बोध गया सीट से जीत मिली है। पेशा बन गया है परिवारवाद सीनियर जर्नलिस्ट व एक्सपर्ट राकेश प्रवीर कहते हैं कि राजनीति एक पेशा बन गया है। राजनीतिक दलों पर इसके आरोप लगते रहे हैं पर उनके लिए ये कोई मायने नहीं रखता है। इसलिए ये अभी रूकेगा, ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। यही वजह है कि इस चुनाव में परिवारवाद बड़े स्तर पर हावी रहा है। पुराने नेताओं के रिश्तेदारों को टिकट दिया गया। उसमें कई उम्मीदवार चुनाव जीत कर आए भी हैं। वे सिर्फ विपक्ष पर लगाते रहे हैं आरोप कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता ज्ञान प्रकाश ने कहा, ‘NDA परिवारवाद खुद करती है और विपक्ष के ऊपर इसका आरोप लगाती है। इन्हें सिर्फ विपक्ष के खिलाफ नैरेटिव सेट करना आता है। ये सिर्फ लोगों को बरगलाते हैं। याद रखिए, आंकड़ें झूठ नहीं बोलते। इस बार के विधानसभा चुनाव को रिजल्ट आप देखेंगे तो NDA के कई विधायक परिवारवाद के कारण बने हैं। जबकि, कांग्रेस पार्टी ने एक भी नेता के बेटे, भाई, पत्नी या किसी रिश्तेदार को टिकट नहीं दिया।’ भाजपा प्रवक्ता बोले-हमारे यहां नहीं पार्टी जेब में रखने की व्यवस्था परिवारवाद पर अपनी पार्टी का पक्ष रखते हुए भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता कुंतल कृष्ण ने कहा कि हमारे यहां कोई एक परिवार पूरी पार्टी को जेब में लेकर नहीं चलाता। सालों संघर्ष के बाद अगर किसी की दूसरी पीढ़ी राजनीति में आती है तो वो सेवा भाव से आती है। भाजपा में पार्टी को जेब में रखकर चलाने की कोई व्यवस्था नहीं है। कांग्रेस और राजद एक परिवार के इर्दगिर्द चलती है।
मुकदमों की छंटनी:राजस्व मंडल की बेवजह तारीखों में चल रहे 5401 मुकदमों पर अब स्ट्राइक की तैयारी
राजस्व मंडल अब राजस्थान काश्तकारी अधिनियम (आरटीए-212) के तहत बेवजह तारीखों में चल रहे 5 हजार से अधिक मुकदमों को एक साथ समाप्त करने की तैयारी में है।राजस्व मंडल प्रशासन ऐसे मुकदमों की छंटनी करवा रहा है जिनके मूल वाद का निस्तारण जिलों की निचली राजस्व अदालतों में हो चुका है और फिर भी मंडल में तारीखों में चल रहे हैं। राजस्व मंडल ने सभी कलेक्टरों को पत्र लिख ऐसे मुकदमों की निगरानी याचिकाओं की जानकारी भेजते हुए रिपोर्ट मांगी है। कुछ प्रकरणों में यह पाया गया है कि निगरानी याचिका विचाराधीन होने के दौरान ही मूल राजस्व वाद का निस्तारण हो चुका होता है, लेकिन जानकारी के अभाव में ये निगरानियां अभी भी राजस्व मंडल न्यायालय में विचाराधीन हैं। अब तक 2036 मुकदमों की जानकारी कलेक्टरों ने भेजी है, जिनमें 854 विचाराधीन हैं। इनमें से राजस्व मंडल ने 1046, रेगुलर बेंच ने 590, जबकि 456 मुकदमों का निपटारा स्पेशल बेंच द्वारा किया गया है। मंडल में आरटीए एक्ट-212 के तहत कुल 5401 मुकदमे हैं। इनमें 2943 पेंडिंग केस हैं। जनवरी से अब तक 1200 मूल वाद का निर्णय हो चुका है, जबकि राजस्व मंडल में उन दावों से संबंधित निगरानी याचिकाएं तारीखों में ही चल रही हैं। जिलों की आरटीए एक्ट-212 की निगरानी याचिकाओं का हाल, अजमेर में 82 केस पेंडिंग राजस्व मंडल में अजमेर जिले की आरटीए एक्ट-212 के तहत 82 निगरानी याचिकाएं पेंडिंग हैं। इसी तरह अलवर में 133, उदयपुर 84, करौली 57, कोटा 108, खैरथल-तिजारा 17, श्रीगंगानगर 193, चित्तौड़गढ़ 57, चूरू 68, जयपुर 302, जालौर 38, जैसलमेर 14, जोधपुर 117, झालावाड़ 35, झुंझुनूं 64, टोंक 92, डीग 45, डीडवाना-कुचामन 71, डूंगरपुर 7, दौसा 79, धौलपुर 20, नागौर 115, पाली 52, प्रतापगढ़ 4, फलौदी 11, बांसवाड़ा 9, बीकानेर 112, बूंदी 63, भरतपुर 125, भीलवाड़ा 65, ब्यावर 23, बालोतरा 14, बारां 113, बाड़मेर 54, राजसमंद 37, सवाईमाधोपुर 120, सिरोही 31, सीकर 161, सलूंबर 2 और हनुमानगढ़ की 118 निगरानी याचिकाएं तारीखों में चल रही हैं। राजस्व मंडल में एक्ट वाइज पेंडेंसी राजस्व मंडल में 70,095 मुकदमे पेंडिंग हैं। इनमें— अधिकारियों के तबादले, फिर भी चल रहे 500 मुंतकिल प्रार्थना पत्र राजस्व मंडल में 500 मुंतकिल (हस्तांतरित) प्रार्थना पत्र से संबंधित मुकदमे पेंडिंग हैं। जबकि इनसे जुड़े पीठासीन अधिकारियों—संभागीय आयुक्त, राजस्व अपील अधिकारी, कलेक्टर, अतिरिक्त जिला कलेक्टर, उपखंड अधिकारी—का स्थानांतरण हो चुका है। इससे मंडल पर अतिरिक्त भार पड़ रहा है।मुंतकिल प्रार्थना पत्र वे होते हैं जिनमें निचली अदालत में चल रहे मुकदमों में पक्षकार को एकतरफा सुनवाई होने, उसकी बात नहीं सुने जाने, या पीठासीन अधिकारी के किसी प्रभाव में आने पर मुकदमा उनके अलावा सुनवाई करवाने के लिए पेश किए जाते हैं। सदस्यों के 20 में से 10 पद खाली राजस्व मंडल में सदस्यों की संख्या 20 है, जिसमें से 10 पद खाली चल रहे हैं। सदस्यों की कमी का असर मुकदमों की सुनवाई पर पड़ रहा है। संभागों पर भेजी जाने वाली सर्किट बेंचों में भी सुनवाई प्रभावित हो रही है।
झांसी में पिता की हत्या कर नाबालिग बेटे को पीटकर अधमरा करने वाले दो आरोपियों का पुलिस ने रविवार देर रात एनकाउंटर कर दिया। विनोद यादव और सचेंद्र यादव उर्फ चच्चा के पैर में गोली लगी है, जबकि हत्याकांड का मुख्य आरोपी मृतक का रिश्तेदार जितेंद्र उर्फ जीतू प्रजापति अभी फरार है। एसपी सिटी प्रीति सिंह ने बताया- अभी तक की पूछताछ में पता चला कि सभी लोग रमेश प्रजापति उर्फ कल्लू माते के मकान पर शराब पार्टी कर रहे थे। तभी किसी बात को लेकर उनके बीच विवाद हो गया। विवाद इतना बढ़ किया कि आपस में मारपीट होने लगी। तभी रमेश का 17 साल का बेटा प्रियांशु आ गया। तीनों आरोपियों ने हाथ-पैर बांधकर बिजली केबिल से रमेश का गला घोंट दिया। बेटे प्रियांशु को भी पीटकर अधमरा कर दिया। इसके बाद मौके से भाग गए थे। लूटपाट की बात सामने नहीं आई है। गिरफ्तार दोनों आरोपियों से दो तमंचा और कारतूस बरामद हुए हैं। तीसरे आरोपी जितेंद्र प्रजापति की लाश की जा रही है। हत्या की वारदात 13 नवंबर को कोतवाली थाना क्षेत्र के अंजनी माता मंदिर के पास हुई थी। अब पूरा मामला विस्तार से पढ़िए घिरता देख पुलिस पर फायरिंग की एसपी सिटी प्रीति सिंह ने बताया- रविवार रात को सूचना मिली हत्या करने वाले दो आरोपी नगरिया कुआं से हाइवे की ओर जाने वाले रास्ते पर खड़े हैं। इस पर कोतवाली पुलिस ने घेराबंदी की। पुलिस टीम को आते देख आरोपी झाड़ियों की तरफ भागने लगे। तब पुलिस ने उनको रुकने काे कहा। तब वे तमंचा से फायरिंग करने लगे। काउंटर अटैक में मध्य प्रदेश के निवाड़ी के छोटी बनियानी गांव निवासी विनोद यादव पुत्र राजाराम और सचेंद्र यादव उर्फ चच्चा पुत्र प्रहलाद के पैर में गोली लगी। दोनों को जिला अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। अभी ओरछा के रठ्ठन गांव निवासी जितेंद्र उर्फ जीतू प्रजापति फरार है। जो रमेश का दूर का रिश्तेदार है। शराब पीकर पहुंचे थे घर एसपी सिटी आगे बताया- घटना वाले दिन तीनों आरोपी सुबह से ही शराब पी रहे थे। नशे की हालत में रमेश के घर पहुंचे। वहां भी शराब पी। इसके बाद हत्या की और मौके से भाग गए थे। सतेंद्र यादव पर पहले भी चोरी, गैंगस्टर समेत अन्य धाराओं में 6 केस दर्ज हैं। वहीं, विनोद का आपराधिक रिकॉर्ड खंगाला जा रहा है। भतीजी की शादी की लगन के दिन हत्या रमेश प्रजापति उर्फ कल्लू माते (45) जुगयाना मोहल्ले का रहने वाला था। उसने करीब एक साल पहले अंजनी माता मंदिर के पास अपना नया घर बनवाया था। इसके बाद से रमेश अपनी पत्नी रानी, बेटी महक (19) और बेटा प्रियांशु (17) के साथ नए घर में शिफ्ट हो गया था। पत्नी रानी ने बताया था- हमारे जेठ की बेटी मुस्कान की 22 नवंबर को शादी है। 13 नवंबर को मुस्कान की लगन की रस्म थी। इसलिए पूरे परिवार को जेठ के घर जगुयाना मोहल्ला जाना था। दोपहर में मेरी बुआ की बेटी का बेटा जितेंद्र प्रजापति अपने 2 दोस्तों को लेकर घर आया। तब बेटी ने उनके लिए चाय-पोहा बनाया। इसके बाद मैं बेटी महक को लेकर जेठ के घर चली गई। फोन बंद आने पर बेटी पहुंची घर रानी ने बताया था- मैंने 3:30 बजे पति को फोन लगाया तो वो कहने लगे कि ये लोग रोटी बना रहे हैं। इसके बाद आ रहे हैं। फिर 4:30 बजे फोन लगाया। थोड़ी देर बाद फिर फोन लगाया, तो नंबर स्विच ऑफ आने लगा। मुझे लगा कि ये लोग मोबाइल चुराकर तो नहीं ले गए। इसके बाद मैंने बेटी महक को घर भेजा। महक घर आई, तो जितेंद्र और उसके दोनों दोस्त भागते हुए नजर आए। महक अंदर गई तो नीचे वाले कमरे में भाई प्रियांशु लहूलुहान पड़ा था। उसके गले में तार कसा था। जबकि ऊपर वाले कमरे में पिता रमेश की लाश पड़ी थी। अभी प्रियांशु का इलाज चल रहा है।
भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए 7 नवंबर को दिल्ली से बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने सनातन हिंदू एकता पदयात्रा शुरू की। 10 दिन तक 150 किलोमीटर पदयात्रा करते हुए हजारों यात्रियों के साथ 16 नवंबर को वृंदावन की पावन धरा पर पहुंचे तो वह भावुक हो गए। वृंदावन की पावन धरा पर कदम रखने से पहले उन्होंने लेटकर प्रणाम किया और फिर प्रवेश किया। उन्होंने कहा कि तन की यात्रा विश्राम हुई, मन के विचारों की यात्रा जारी रहेगी। अंतिम दिन 20 किलोमीटर चले सनातन हिंदू एकता पदयात्रा दसवें दिन अपने अंतिम रात्रि पड़ाव स्थल राधा माधव मंदिर से पूरे जोश के साथ आगे बढ़ी। यात्रा का अंतिम दिन और पूरी होने की खुशी यात्रियों के चेहरे पर दिखाई दे रही थी। हाथ में भगवा झंडा और मुंह से जय श्री राम जय श्री कृष्ण के जयकारे लगाते हुए पदयात्री वृंदावन पहुंचे। जहां उन्होंने बांके बिहारी के दर्शन कर अपनी पदयात्रा पूरी की। एक किलोमीटर चले मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री अंतिम दिन पदयात्रा में शामिल होने के लिए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव भी मथुरा पहुंचे। मुख्यमंत्री मोहन यादव काफिले से पदयात्रा कर रहे धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के पास पहुंचे। जहां उनका स्वागत धीरेंद्र शास्त्री ने मुरली भेंट कर किया। इसके बाद मुख्यमंत्री मोहन यादव पैदल ही पदयात्रा करते हुए बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर के साथ चल दिए। M P के C M ने इस दौरान करीब एक किलोमीटर की पदयात्रा की। रास्ते में किया भोजन सनातन हिंदू एकता पदयात्रा जब जैंत गांव से आगे पहुंची तो कुछ देर के लिए अल्प विश्राम के लिए रुकी। यहां बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने दिल्ली आगरा नेशनल हाई वे पर ही बैठकर भोजन किया तो मुख्यमंत्री मोहन यादव भी वहीं बैठ गए और पत्तल लगाकर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के साथ भोजन करने लगे। बागेश्वर महाराज ने कहा संतति और संपत्ति बचाने एक जुट रहे हिंदुओं को एकजुट करने का संकल्प लेकर बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने 10 दिवसीय सनातन हिंदू एकता पदयात्रा निकाली।बागेश्वर महाराज ने कहा कि यह यात्रा तन से भले ही पूरी हो गई हो लेकिन मन के विचारों की यात्रा जारी रहनी चाहिए। पदयात्रा में सभी लोग इसलिए साथ चले ताकि संतति और संपत्ति बची रहे, भारत में दंगा नहीं गंगा की जय बोले। बागेश्वर महाराज ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि गर्व से कहो हम हिंदू हैं यह कहने की जरूरत नहीं पड़ना चाहिए। बच्चों को कट्टर सनातनी बनाएं। हम हिंदू हैं, हिंदुस्तान हमारा है। यात्रा ने विरोधियों के मुंह पर जोरदार तमाचा मारा है। यात्रा एकता और समर्पण का संदेश देने में सफल हुई है। नहीं बनना हिंदू हृदय सम्राट धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि न तो हमें हिंदू हृदय सम्राट बनना है और न ही हमें किसी पार्टी को बनाकर राजनीति करना है, हम सिर्फ सनातन के सिपाही हैं और यही बनकर रहना है। महाराज श्री ने कहा कि हिंदू अपना दर छोड़कर बाहर निकले इसीलिए यह यात्रा की है। सवाल यह है कि यह यात्रा शोभायात्रा और कलश यात्रा बनकर न रह जाए। सभी लोग एकजुट बने रहेंगे तो विधर्मी हिंदुओं पर अत्याचार करने से घबराएंगे। उन्होंने कहा कि कई सैनिक छुट्टी लेकर यात्रा में शामिल हुए हैं जब उनसे पूछा गया तो सैनिकों ने कहा कि यह यात्रा बहुत जरूरी है। पदयात्रियों को दिलवाए पांच प्रण धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने सभी पद यात्रियों को पांच प्रण दिलवाए। पहला प्रण जुड़ो और जोड़ो यानी लोगों से सतत संपर्क बनाएं और दूसरे लोगों को जोड़ें। दूसरा संकल्प भगवा अभियान, अपने घर के साथ-साथ आसपास भी लोग अपने घरों में भगवा ध्वज लगाएं। तीसरा प्रण साधु संतों का कमंडल और बागेश्वर धाम का सुंदरकांड मंडल, यानि कि गांव गांव सुंदरकांड मंडलों के माध्यम से धर्म की गंगा बहे। चौथा प्रण घर वापसी अभियान है, जो भी व्यक्ति किसी कारण से हिंदू धर्म छोड़कर चले गए उन्हें वापस हिंदू धर्म में लाना। पांचवां अपने देश के तीर्थ और उनके आसपास के क्षेत्र में मांस मदिरा की दुकान बंद करवाने में अपना योगदान दें। ब्रजभूमि को प्रणाम करते ही भावुक हुए , सजल हुए नेत्र धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जैसे ही यात्रा के साथ वृंदावन की सीमा गरुड़ गोविंद के पास पहुंचे वैसे ही उन्होंने साष्टांग दंडवत प्रणाम करते हुए वृंदावन की रज माथे पर लगाई। ब्रज भूमि को प्रणाम करते ही उनके भाव से आंखें सजल हो गई। उन्होंने कहा कि यह वह रज है जहां भगवान कृष्ण ने गायें चराई। इस पवित्र रज की कृपा से लोगों के भाव में परिवर्तन आएगा। बागेश्वर महाराज के साथ कथा व्यास देवकीनंदन ठाकुर, इंद्रेश उपाध्याय एवं पुंडरीक गोस्वामी जी ने भी ब्रज रज को प्रणाम किया। यात्रा ने सबका दंभ तोड़ दिया: जगतगुरु तुलसी पीठाधीश्वर बागेश्वर महाराज के गुरु तुलसी पीठाधीश्वर जगतगुरु रामानंदाचार्य रामभद्राचार्य महाराज की उपस्थिति में 10 दिवसीय यात्रा का विराम हुआ। उन्होंने बागेश्वर महाराज को अपने हृदय से लगाया। आयोजित धर्म सभा की अध्यक्षता कर रहे तुलसी पीठाधीश्वर जगतगुरु रामानंदाचार्य रामभद्राचार्य महाराज ने कहा कि यह हिंदू एकता महाकुंभ का आयोजन हुआ है। यात्रा ने सबका दंभ तोड़ दिया। पदयात्रा का विश्राम हुआ है लेकिन सबके भीतर यात्रा का उद्देश्य जीवित रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि हिंदू सो रहा है इसीलिए अत्याचार हो रहे हैं । अब ओम शांति नहीं ओम क्रांति कहना सीखें। जगतगुरु रामानंदाचार्य रामभद्राचार्य महाराज ने कहा कि सभी संत अपने मत मतांतर भुलाकर एक हों , उपासना अपनी करते रहे लेकिन भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए एक हो जाए। कथावाचकों और संतों ने किया संबोधित सनातन एकता पदयात्रा विश्राम के समय कथा वाचकों ने अपने वचनों से सभी पदयात्रियों को संबोधित किया। बालक योगेश्वर दास महाराज, गीता मनीषी ज्ञानानंद महाराज , देवकी नंदन ठाकुर महाराज, पुंडरीक गोस्वामी, इंद्रेश उपाध्याय, अनिरुद्ध आचार्य महाराज, महंत राजू दास महाराज,आचार्य मृदुल कांत शास्त्री सहित अन्य संतों एवं कथा वाचक ने यात्रियों को संबोधित किया। बागेश्वर महाराज की पदयात्रा संपन्न, बांके बिहारी से लिया आशीर्वाद बागेश्वर महाराज की सनातन हिंदू एकता पदयात्रा 7 नवंबर को दिल्ली के छतरपुर के मां कात्यायनी माता मंदिर से प्रारंभ हुई, जो 150 किलोमीटर पैदल चलकर तीन राज्यों से होते हुए रविवार को वृंदावन के बांके बिहारी जी के चरणों में प्रणाम कर आशीर्वाद लिया और यह बागेश्वर-बांके बिहारी मिलन पदयात्रा संपन्न हुई। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने अंतिम दिन 20 किलोमीटर पैदल चलकर यात्रा पूरी की।
बिहार विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद तेजस्वी यादव आज यानी सोमवार को समीक्षा करेंगे। समीक्षा बैठक सुबह 11 बजे एक पोलो रोड स्थित सरकारी आवास में होगी। इसको लेकर सभी जीते और हारे हुए प्रत्याशियों को बुलाया गया है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, तेजस्वी यादव ने चुनाव में हारने वाले सभी प्रत्याशियों को विशेष रूप से बुलाया है। वे प्रत्येक उम्मीदवार से फीडबैक लेंगे और यह समझने की कोशिश करेंगे कि जमीनी स्तर पर क्या गलत हुआ। पार्टी यह भी पता लगाने की कोशिश करेगी कि किन कारणों से RJD का पारंपरिक वोट बैंक खिसका और किन इलाकों में संगठन कमजोर हुआ। बैठक में इन मुद्दों पर होगी चर्चा चुनावी हार के पीछे स्थानीय असंतोष, संगठनात्मक राजनीति, बूथ मैनेजमेंट की कमी और चुनावी मुद्दों को सही तरीके से जनता तक न पहुंचा पाने जैसी संभावित वजहों पर विस्तार से चर्चा की उम्मीद है। तेजस्वी यादव टिकट वितरण की प्रक्रिया का भी विश्लेषण करेंगे। क्या कैंडिडेट सिलेक्शन में चूक हुई या पार्टी कार्यकर्ताओं में असंतोष को खत्म नहीं कर सका। रणनीतिक कमजोरियों पर मंथन सूत्र बताते हैं कि, बैठक में सोशल मीडिया कैंपेन, प्रचार रणनीति और महागठबंधन के सहयोगी दलों से तालमेल की समीक्षा होगी। खासकर सीट शेयरिंग के दौरान हुई नाराजगी भी चुनाव हारने का कारण बना। इस बैठक में सिर्फ हार की समीक्षा नहीं, बल्कि आने वाले समय में पार्टी की नई रणनीतिक दिशा तय करने की शुरुआत मानी जा रही है। तेजस्वी यादव संगठन को फिर से मजबूत करने और युवा नेतृत्व को और अधिक सक्रिय भूमिका देने पर जोर दे सकते हैं।
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद नई सरकार के गठन की प्रक्रिया तेजी हो गई है। आज यानी सोमवार को नीतीश सरकार की मौजूदा कैबिनेट की आखिरी बैठक है, जिसमें विधानसभा भंग करने का प्रस्ताव पारित किया जाएगा। इसके बाद नीतीश कुमार कैबिनेट की इस्तीफा लेकर राज्यपाल से मुलाकात करेंगे। सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज ही राज्यपाल के सामने अपना इस्तीफा पेश करेंगे। इसके साथ ही वे नई सरकार बनाने का दावा भी पेश करेंगे। जानकारी के अनुसार, 20 नवंबर को नीतीश कुमार 10वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं। मुख्यमंत्री आवास पर JDU विधायक दल की महत्वपूर्ण बैठक भी बुलाई गई है। जिसमें शामिल होने के लिए सभी विधायक सीएम हाउस पहुंचेंगे। सीएम आवास पर नेताओं का आना-जाना लगा रहा शपथ ग्रहण समारोह में PM मोदी के शामिल होने की संभावना पटना के गांधी मैदान में शपथ ग्रहण समारोह की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। जिला प्रशासन ने 17 से 20 नवंबर तक गांधी मैदान में आम लोगों की एंट्री बंद कर दी है। सुरक्षा और व्यवस्थाओं को लेकर डीएम ने विशेष निर्देश जारी किए हैं। शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भी शामिल होने की संभावना है। बिहार विधानसभा का मौजूदा कार्यकाल 22 नवंबर को समाप्त हो रहा है। ऐसे में नई विधानसभा के गठन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। चुनाव प्रक्रिया पूरी होने के बाद आचार संहिता खत्म चुनाव आयोग ने बिहार में चुनाव आचार संहिता समाप्त होने की आधिकारिक घोषणा कर दी है। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी विनोद सिंह गुंजीयाल रविवार को राजभवन पहुंचे और 243 नवनिर्वाचित विधायकों की सूची राज्यपाल को सौंपी। इस दौरान उन्होंने कहा कि, अब बिहार में चुनाव आचार संहिता खत्म हो गई है और सरकार गठन की प्रक्रिया सुचारू रूप से शुरू हो सकती है।
18 फरवरी 2024 की सुबह मैं अपनी मॉर्निंग वॉक से लौट रहा था कि कंट्रोल रूम से फोन आया। दौसा बाईपास पर एक कार खाई में गिरी थी, महिला मृत और एक युवक बेहोश था। मैं तुरंत मौके पर पहुंचा। पहली नजर में यह सिर्फ एक्सीडेंट लग रहा था, लेकिन कार की स्थिति और खाई में ढलान से मुझे शक हो गया। गाड़ी लगभग 20 फीट नीचे थी, लेकिन जैसे किसी ने सावधानी से नीचे उतारी हो। 75 मीटर लंबी ढलान और कार के नहीं पलटने से साफ संकेत मिला कि यह कोई आम हादसा नहीं है। मृतका पारूल और उसका पति महेश उस दिन कुंभ स्नान के बहाने जयपुर से निकले थे। मैं महेश से पूछता हूं, क्यों गए थे? उसने जवाब दिया- ऐसे ही घूमने। वैलेंटाइन डे पर अकेले घूमने की बात अजीब लगी, लेकिन वह कुछ नहीं बोला। पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने मेरे शक को और मजबूत किया। रिपोर्ट में साफ लिखा था कि पारूल की मौत मुंह और नाक दबाने के कारण हुई, एक्सीडेंट के निशान नहीं थे। मामले की तह तक जाने पर पता चला कि महेश ने 14 फरवरी को रैकी की, 17 फरवरी को चिप्स खरीदे और घर में गेहूं की बोरी में रखे सल्फॉस की गोली पीसकर उसमें मिला दी। 18 फरवरी सुबह उसने कुंभ जाने का बहाना बनाकर पारूल को चिप्स खिलाए। जैसे ही पारूल बेहोश हुई, उसने मुंह और नाक दबाकर उसकी हत्या कर दी। लोकेशन, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, चिप्स से खुलते गए राज महेश का अतीत भी किसी कहानी से कम नहीं था। पारूल उसकी तीसरी पत्नी थी। पहली पत्नी छोड़ गई थी, दूसरी ने दहेज प्रताड़ना का मामला दर्ज कराया था और तीसरी उसके षड़यंत्र का शिकार हुई। मोबाइल लोकेशन, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, चिप्स और पूछताछ में बदलते-बदलते बयान और सुराग इस साजिश की कहानी बयां कर रहे थे। अंततः सारी कड़ियां जोड़कर यह साबित किया गया कि यह एक्सीडेंट नहीं, योजनाबद्ध हत्या थी। चार्जशीट तैयार कर दी गई। कभी-कभी अपराधी सोचते हैं कि उनका प्लान स्मार्ट है, लेकिन भूल जाते है कि पुलिस केवल प्लान नहीं पढ़ती, वह सच्चाई को देखती है। इस केस में सच्चाई खुद बोल रही थी। -जैसा राजेन्द्र गौतम को बताया।
'पिताजी को खोजने के लिए हम दो भाई 24 घंटे तक दिल्ली में हर ओर चक्कर लगाते रहे, लेकिन कुछ पता नहीं चल रहा था। सूचना मिली थी कि पिताजी बम ब्लास्ट में घायल हुए है, तो मन बेचैन था। लगातार हम दोनों भाई मिलकर चक्कर लगाते रहे। फिर जब LNJP हॉस्पिटल के मॉर्च्युरी में गए तो चार लाशों के बीच पिताजी की लाश पड़ी हुई थी। पुलिस अधिकारी और कर्मचारी ने जब खोलकर दिखाया तो मन बेचैन हो गया। हमने सपने में भी नहीं सोचा था कि पिताजी की ऐसी हालत में लाश मिलेगी।' ये कहते-कहते दिल्ली ब्लास्ट में मारे गए बेगूसराय निवासी मोहम्मद लुकमान का बेटा मोहम्मद सिकंदर फूट-फूटकर रोने लगा। सिकंदर ने बताया कि 11 नवंबर की दोपहर छोटे भाई इमरान ने कॉल कर कहा- पिताजी अपनी दुकान के लिए आर्टिफिशियल ज्वेलरी लाने दिल्ली गए थे। कल से पापा को कॉल कर रहा हूं तो संपर्क नहीं हो रहा था, अभी उनके नंबर से कॉल आया कि आपके पिताजी का मोबाइल मेरे पास है। बम ब्लास्ट वाले जगह से मोबाइल हमको मिला था, वे अस्पताल में भर्ती हैं। इमरान का कॉल आते ही हम बेचैन हो गए और दिल्ली में ही रहने वाले अपने दूसरे भाई जहांगीर के साथ उनको खोजना शुरू कर दिया। 10 नवंबर की शाम दिल्ली के लालकिले के पास हुए ब्लास्ट में मोहम्मद लुकमान (60) की मौत हो गई। शुक्रवार की रात पोस्टमॉर्टम के बाद शव को बेगूसराय लाया गया। लुकमान बम ब्लास्ट के शिकार कैसे हुए, दो दिनों तक उनके बेटे दिल्ली में कहां-कहां पिता को ढूंढते रहे, आखिर में मोहम्मद लुकमान की लाश कैसे और किस हाल में मिली? इन सवालों के जवाब जानने के लिए भास्कर रिपोर्टर मोहम्मद लुकमान के घर पहुंचे और उनके बेटों से बात की। पढ़ें, पूरी रिपोर्ट... बेगूसराय में आर्टिफिशियल ज्वेलरी की दुकान चलाते थे लुकमान लुकमान मूल रूप से खगड़िया के रहने वाले थे। बेगूसराय में वे लंबे समय से किराए के मकान में पोखरिया में रहते थे और कचहरी रोड में आर्टिफिशियल ज्वेलरी की दुकान चलाते थे। ज्वेलरी लाने के लिए ही दिल्ली गए थे, जहां बम ब्लास्ट के शिकार हो गए। लुकमान के बेटे मोहम्मद सिकंदर ने बताया कि पापा ने सदर बाजार से सामान लेकर जामा मस्जिद के पास रख दिया। फिर नाश्ता करने की बात कह कर वहां से निकल गए और थोड़ी देर बाद हुए ब्लास्ट के शिकार हो गए। एक दिन बाद लोकनायक अस्पताल पहुंचा तो लाश देखने नहीं दिया गया। कहा गया कि FIR दर्ज कराएं, तभी हम जाने देंगे और आपकी बात सुनेंगे। फिर वहां से शीशगंज गुरुद्वारा के पास स्थित कोतवाली थाना गए। वहां हमारा बयान लिखा गया। अधिकारी ने अपना नंबर लिखकर लोकनायक अस्पताल भेजा। पुलिस अधिकारी ने कहा- लिस्ट में तुम्हारे पिता का नाम नहीं है मोहम्मद सिकंदर ने आगे बताया कि वहां गए तो पुलिस अधिकारी दीपक कुमार मिले। उन्होंने बताया कि पूरे ब्लास्ट का मामला देख रहा हूं, फिर नाम पता पूछा गया। लिस्ट देखा तो उस लिस्ट में मेरे पापा का नाम नहीं था। न घायलों, न मरने वालों की लिस्ट में पापा का नाम था। इसके बाद उन्होंने 8-10 तस्वीरें दिखाई, जिनकी हालत बहुत बुरी थी। उसमें से एक फोटो देखकर शक हुआ। मैंने इसे पापा की तस्वीर होने की आशंका जताते हुए बॉडी दिखाने का अनुरोध किया। उन्होंने बताया कि इसी बॉडी की 2 दिन से पहचान नहीं हुई है, आपको लगता है कि पिताजी की है तो जाकर देख लीजिए। मॉर्च्युरी में गए तो कई लाशों के बीच एक लावारिस बॉडी पड़ी थी। देखते ही मैं पहचान गया यही मेरे पिता है। मुझे से बॉडी देखा नहीं गया। सिर में चोट था, बांह पर भी चोट के निशान थे। फिर हमने बताया कि यह बॉडी मेरे पिताजी की ही है तो उन्होंने पापा का और मेरा आधार कार्ड लिया। पापा का आधार कार्ड दिल्ली का ही था। पापा भी पहले वही रहा करते थे, कोरोना का लॉकडाउन लगा तो बेगूसराय आ गए और यहीं पर उन्होंने आर्टिफिशियल ज्वेलरी बेचना शुरू कर दिया था। दो-चार महीने में दिल्ली सामान लेने जाते थे तो मेरे और भाई के बच्चों के लिए कपड़ा-सामान लेकर आते थे। लाल किला मार्केट से भी शॉपिंग करते थे। उन्होंने रोड पार किया था, इसी दौरान हादसा हुआ। '13 नवंबर को लाश देने के लिए पुलिस अधिकारी ने बुलाया' सिकंदर के अनुसार कोतवाली थाना के CO ने बताया कि पोस्टमॉर्टम होने के बाद लाश दिया जाएगा। 13 तारीख को आइएगा, पोस्टमॉर्टम होगा। वहां के अधिकारियों ने आश्वासन दिया कि पुलिसकर्मी बिना किसी पैसे के एम्बुलेंस से लाश को घर तक पहुंचाएंगे। जितने भी लोग की मौत हुई है, सभी को मुआवजा सरकार की ओर से मिलेगा। आपको भी दिया जाएगा। जहांगीर बोले- मुख्यमंत्री या एलजी आए थे, अंदर नहीं जाने दिया लुकमान के दूसरे बेटे मोहम्मद जहांगीर ने बताया कि पहले मैं ही अस्पताल के गेट पर गया था तो उस दौरान अंदर नहीं जाने दिया गया। उस दिन मुख्यमंत्री या एलजी में से कोई आए हुए थे, इसलिए रास्ता ब्लॉक कर दिया गया था। इमरजेंसी गेट पर गए तो फिर सभी डॉक्यूमेंट्स मांगा गया, लेकिन मेरे पास कुछ नहीं था, फिर वहां से थाना भेज दिया गया। पिताजी जहां सामान लेते थे खोजते-खोजते वहां पहुंचे तो ब्लास्ट से पहले सामान खरीद कर उन्होंने वहीं रखा था। दुकानदार ने बताया कि शाम में करीब 5:00 बजे चांदनी चौक की ओर गए, लेकिन लौटकर नहीं आए। हमको लगा कि हो सकता है मेरे पास या भाई के पास दिल्ली में ही जहां रहते हैं वहां आने वाले थे। लेकिन पता नहीं कहां जा रहे थे और हादसा हो गया। 'फोन जिसे मिला, उसने मुझे जामा मस्जिद गेट नंबर-3 के पास बुलाया' 11 नवंबर की दोपहर फोन नहीं आता तो मुझे पता भी नहीं चलता की घटना हो गया है। हम काम पर जा रहे थे, इसी दौरान फोन आया। जिसके पास फोन था, उसने जामा मस्जिद के गेट नंबर-3 के पास बुलाया, लेकिन वह नहीं आया। हमने जब पुलिस से हेल्प लिया तब पता चला कि घायल एवं मृतकों को एलएनजेपी अस्पताल और ट्रॉमा सेंटर ले गए हैं। वहां जाकर पता कीजिए, फिर काफी खोज किया तब अज्ञात रूप में रखे पिताजी की बॉडी की पहचान हो सकी। मृतक के छोटे बेटे मो. इमरान ने बताया कि पिताजी 7 नवंबर को महानंदा एक्सप्रेस से दिल्ली गए थे। हम उन्हें ट्रेन पर बैठा दिए थे और 8 दिसंबर की रात में वह दिल्ली पहुंच गए थे। 10 दिसंबर की सुबह बात हुई, शाम में पापा को फोन किए तो स्विच ऑफ बता रहा था। 11 नवंबर को भी सुबह में फोन किया था तो स्विच ऑफ था। 11 नवंबर को दोपहर में फोन आया कि आपका जो आदमी है, वह हादसे में जख्मी हो गया। हम लोगों ने पता लगाना शुरू किया तो कुछ पता नहीं चल रहा था। फोन मेरे नंबर पर ही आया था। मेरे भैया दिल्ली में रहते हैं, उनको फोन किया, फिर थाना में जाकर पता लगाए तब पिता के अस्पताल में होने की जानकारी मिली। शनिवार की रात में बॉडी आया और जनाजे की नमाज के बाद जागीर मोहल्ला के कब्रिस्तान में दफन कर दिया गया है। मैप से समझिए धमाके की लोकेशन
पिता लालू यादव को किडनी देने वाली बेटी रोहिणी आचार्य के टपकते आंसू ने परिवार के अंदर की सियासत को सड़क पर ला दिया है। यह सब तब हो रहा है जब लालू और राबड़ी जिंदा हैं। ऐसे में सियासी गलियारे में सवाल उठ रहा है कि क्या लालू यादव की अब परिवार में चल रही है या नहीं। फैमिली के फैसले भी क्या संजय यादव ले रहे हैं। लालू फैमिली में यह टूट आगे कितना बढ़ेगी। तेजस्वी यादव का आगे क्या होगा। जानेंगे आज के एक्सप्लेनर बूझे की नाहीं में…। सवाल-1ः लालू फैमिली का पूरा मामला क्या है? जवाबः चुनाव में करारी हार के बाद लालू परिवार में टकराव बढ़ गया है। अंदरखाने घमासान मचा है। मीडिया में यह चर्चा में तब आया जब 15 नवंबर की दोपहर 2.52 बजे RJD सुप्रीमो लालू यादव को किडनी देने वाली बेटी रोहिणी आचार्य ने X पर पोस्ट लिखकर राजनीति और परिवार छोड़ने का ऐलान किया। इसके कुछ घंटे बाद रोहिणी राबड़ी आवास से निकली और दिल्ली चली गईं। इस दौरान उन्होंने पटना एयरपोर्ट पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा, ‘मेरा कोई परिवार नहीं है। उन्होंने ही मुझे परिवार से निकाला है। सारी दुनिया सवाल कर रही है कि पार्टी का ऐसा हाल क्यों हुआ है, लेकिन उन्हें जिम्मेदारी नहीं लेनी है।' रोहिणी ने कहा- 'ये सवाल अब तेजस्वी यादव से पूछिए। सवाल पूछोगे तो गाली दी जाएगी, चप्पल से मारा जाएगा।' अगले दिन मतलब 16 नवंबर को रोहिणी ने दो पोस्ट लिखा… सवाल-2ः रोहिणी ने किस पर आरोप लगाया? जवाबः रोहिणी ने अपने छोटे भाई तेजस्वी यादव, उनके सलाहकार और राज्यसभा सांसद संजय यादव और रमीज नेमत पर घर से निकालने और अभद्र व्यवहार करने का आरोप लगाया है। संजय यादव के बारे में जानिए… रमीज नेमत को जानिए… सवाल-3ः क्या परिवार का फैसला भी तेजस्वी के खास संजय यादव ले रहे हैं? जवाबः रोहिणी और तेज प्रताप के बयानों से तो यही लग रहा है। कहा जाता है कि लालू यादव ने तेजस्वी यादव को फ्री हैंड दे दिया है। जब से तेजस्वी को पूरी पावर मिली है, उनके करीबी संजय यादव का प्रभाव भी बढ़ गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, तेजस्वी क्या करेंगे, किससे बात करेंगे, उनकी रणनीति क्या होगी सब संजय यादव तय करते हैं। सवाल-4ः लालू यादव क्या फैसले नहीं ले रहे हैं? जवाबः एक्सपर्ट का मानना है कि रोहिणी प्रकरण ने यह साबित कर दिया है कि लालू यादव की अपने परिवार में ही नहीं चल रही है। परिवार के अंदर भी तेजस्वी यादव फैसला ले रहे हैं। सवाल-5ः लालू परिवार में यह झगड़ा और बढ़ेगा या खत्म होगा? जवाबः पॉलिटिकल एनालिस्ट अभिरंजन कुमार कहते हैं, ‘यह तो अभी शुरुआत है। यह झगड़ा अभी और बढ़ेगा। झगड़ा सड़क पर आ गया है, ऐसे में सुलह की गुंजाइश खत्म हो गई है। अब बयानबाजी तेज होगी और इससे परिवार की इमेज खराब होगी।’ सवाल-6ः इस विवाद से तेजस्वी को क्या नुकसान होगा? जवाबः बिल्कुल होगा। एक्सपर्ट मोटे तौर पर 3 तरह के नुकसान की संभावना जता रहे हैं। 1. तेजस्वी की इमेज खराब होगी पॉलिटिकल एनालिस्ट अभिरंजन कुमार कहते हैं, ‘इस पूरे विवाद ने तेजस्वी यादव की इमेज को काफी नुकसान पहुंचा है। अगर वह मैच्योर पॉलिटिशियन होते तो इस मामले को घर के अंदर सेटल कर लेते। लेकिन ऐसा नहीं कर पाए हैं। यह उनकी कमजोरी को दिखाता है।’ 2. यादव वोटबैंक बिखर सकता है बिहार में यादव समाज की आबादी 14.26% है। लालू यादव के बाद तेजस्वी इस समाज के बड़े नेता हैं। वहीं, अब लालू परिवार बिखर रहा है। तेज प्रताप यादव खुद को लालू यादव का वारिस बता चुके हैं। विरोधी नेता तेजस्वी पर लगातार घर नहीं संभाल पाने को लेकर आक्रामक हैं। अगर लालू परिवार के अंदर का विवाद आगे बढ़ा तो यादव वोटरों में नाराजगी बढ़ सकती है। मोदी सरकार ने तेज प्रताप को Y+ सिक्योरिटी देकर अपनी चाल चल दी है। अगर तेज प्रताप आगे भी बागी बने रहे तो नुकसान तय है। 3. पार्टी में बढ़ सकती है बगावत चुनाव में मिली हार के बाद पार्टी के अंदर से संजय यादव को लेकर नाराजगी बढ़ रही है। पार्टी के बड़े नेता भी बिना नाम लिए निशाना साध रहे हैं। हार के बाद सीनियर लीडर अब्दुल बारी सिद्दीकी ने कहा, 'पार्टी को बड़ा झटका लगा है। बिहार के नेताओं के साथ मिलकर पार्टी को समीक्षा करनी चाहिए।' सवाल-7ः लालू परिवार में फूट का पार्टी पर क्या असर पड़ेगा? जवाबः कोई खास असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि तेजस्वी के पास लालू यादव के बराबर पावर है। यह पावर लालू यादव ने खुद दी है। 11 अक्टूबर 2022 को RJD का दो दिवसीय सम्मेलन दिल्ली में हुआ था। इसमें 2 अहम प्रस्ताव पास हुए। इसके बाद 18 जनवरी 2025 को पटना में आयोजित पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में तेजस्वी यादव को वो सभी शक्तियां भी दे दी गई, जो लालू यादव के पास थी। RJD के संविधान की धारा 35A में संशोधन किया गया और लालू के साथ-साथ तेजस्वी यादव को पार्टी से जुड़े सभी बड़े फैसले और साथ ही चुनाव में सिंबल जारी करने का अधिकार भी मिल गया। प्रियदर्शी रंजन बताते हैं, ‘लालू यादव के फैसलों से साफ है कि उन्होंने एक तरह से पार्टी की कमान और अपनी राजनीतिक विरासत तेजस्वी को सौंप दी है। कागजी कार्रवाई पहले की कर दी गई है।’
‘हम सीमांचल में पूरी ताकत से चुनाव लड़ेंगे तो कोई ये न बोले कि मम्मी-मम्मी हमसे चॉकलेट छीन ली।’ यह बातें असदुद्दीन ओवैसी ने एक इंटरव्यू में तेजस्वी का बिना नाम लिए कही थी। बिहार चुनाव से पहले AIMIM ने महागठबंधन में शामिल होने की कोशिश की थी। तब पार्टी ने RJD से सीमांचल की 6 सीटें मांगी थीं। तेजस्वी यादव गठबंधन के लिए तैयार नहीं हुए। नतीजा यह हुआ कि पिछली बार सीमांचल में 7 सीटें जीतने वाली महागठबंधन का इस बार सूपड़ा साफ हो गया। RJD की सबसे बुरी हार सीमांचल में हुई। सीमांचल के 24 सीटों में RJD महज 1 सीट जीतने में कामयाब रही। हालांकि, यहां की 24 सीटों में 9 सीटों पर RJD लड़ी थी। कांग्रेस 12 सीटों पर लड़ी, जिसमें 4 सीटों पर जीत मिली। VIP- 2 और CPI(ML)- 1 सीट पर लड़ी, लेकिन दोनों हार गए। दूसरी ओर AIMIM पूरे बिहार में 28 सीटों पर चुनाव लड़ी। इसमें से 25 सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार और 3 सीटों पर नॉन मुस्लिम उम्मीदवार उतारे। AIMIM को बिहार में 1.85% वोट के साथ 5 सीटों पर जीत मिली। खास बात है कि इन 28 सीटों में से एक दर्जन से अधिक सीटें ऐसी है, जहां AIMIM की वजह से महागठबंधन को हार का सामना करना पड़ा है। इस स्टोरी में जानेंगे कि AIMIM ने सीमांचल में अपनी पकड़ कैसे मजबूत की है और राजद के M-Y समीकरण को कैसे तोड़ा? इसके साथ ही सीमांचल में महागठबंधन का खेल कैसे बिगाड़ा है?… RJD का M-Y समीकरण पूरी तरीके से ध्वस्त इस चुनाव में RJD का M-Y समीकरण पूरी तरीके से ध्वस्त हो गया। सीमांचल में RJD ने अपने 9 सीटों में से 5 पर मुस्लिम और 1 पर यादव को अपना उम्मीदवार बनाया था, ये सभी हार गए है। 9 सीटों में से सिर्फ अररिया के रानीगंज में अविनाश मंगलम जीते, जो अनुसूचित जाति से आते हैं। यहां कांग्रेस ने अपने 12 उम्मीदवारों में से 7 सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे। इसमें 4 सीटें फारबिसगंज, अररिया, किशनगंज और मनिहारी सीट जीती है। इसमे भी सिर्फ दो मुस्लिम उम्मीदवार अररिया से अबिदुर रहमान और किशनगंज से कमरूल होदा को जीत मिली है। 2020 में भी सीमांचल की 1 सीट पर मिली थी जीत 2020 में भी सीमांचल में राजद को सिर्फ एक सीट ठाकुरगंज से जीत मिली थी। इस बार यहां से JDU के गोपाल कुमार अग्रवाल जीते है। इस सीट से 2020 में गोपाल कुमार अग्रवाल निर्दलीय लड़े थे और दूसरे नंबर पर रहे थे। दूसरे नंबर पर AIMIM के गुलाम हसनैन रहे। वहीं, राजद के मौजूदा विधायक सउद आलम तीसरे नंबर पर रहे। AIMIM की वजह से राजद को यह सीट गंवानी पड़ी है। 2020 में AIMIM सीमांचल की 5 सीटों पूर्णिया के अमौर और बाईसी, अररिया के जोकीहाट और किशनगंज के कोचाधामन और बहादुरपुर जीती थी। माना गया कि यह जीत उनके कैंडिडेट की वजह से मिली, ना कि AIMIM की वजह से। तब AIMIM की लहर को नकार दिया गया था। ओवैसी को छोड़ RJD में शामिल हुए थे AIMIM के 4 विधायक पिछले 2020 चुनाव के बाद अमौर सीट के विधायक अख्तरूल इमाम को छोड़कर बाकी 4 विधायक RJD में शामिल हो गए। इनमें बहादुरगंज के मोहम्मद अंजार नईमी, कोचाधामन के इजहार आसिफ़ी, जोकीहाट के शाहनवाज आलम और बाईसी के रुकनूद्दीन अहमद शामिल थे। उस समय अवैसी ने RJD पर विधायक तोड़ने का आरोप भी लगाया। इस बार AIMIM ने उन चारों सीटों पर उम्मीदवार बदल दिए। पाला बदलने वाले चारों विधायक में से एक शाहनवाज जोकीहाट से राजद के टिकट पर चुनाव लड़े, लेकिन चारों को हार मिली। बाकी तीन को राजद ने टिकट ही नहीं दिया। सीमांचल में AIMIM की नई रणनीति को समझिए पूरे बिहार में AIMIM के चुनाव प्रचार की रणनीति का हिस्सा रहे AIMIM नेता एम जसीमुल हक बताते है कि, ‘सीमांचल की राजनीति में शिक्षा, सड़क और स्थानीय विकास जैसे मुद्दों को केंद्र में लाना बेहद जरूरी है। बिहार में वोटिंग जाति और धर्म के नाम पर होती रही है। यहां मुद्दों से ज्यादा जातिगत समीकरणों को तरजीह दी जाती है, जिससे आम जनता के असल सवाल पीछे छूट जाते हैं।’ ‘मुस्लिम आबादी बिहार में करीब 18% है। इतने बड़े वर्ग को सिर्फ वोट बैंक मान लेना या उन्हें किनारे करना सही नहीं है। नई पीढ़ी के बच्चे पढ़-लिखकर जागरूक हो रहे हैं और वे राजनीति को समझने लगे हैं। इसी वर्ग के लोग अपने अधिकार और हिस्सेदारी की मांग कर रहे हैं, लेकिन उन्हें पर्याप्त भागीदारी नहीं मिल रही।’ ‘हर बूथ और हर कार्यकर्ता’ पर किया फोकस AIMIM नेता एम जसीमुल हक बताते है कि, ‘सीमांचल में अक्सर देखा गया है कि पार्टी के लिए काम करने वाले पेड वर्कर पैसे लेकर चले जाते हैं। लेकिन हमने एक-एक ऐसे कार्यकर्ता बनाए, जो AIMIM की विचारधारा से प्रभावित हुए और हमसे जुड़े। हमारी टीम में जितने लोग थे, वे पूरी मेहनत के साथ बिना किसी पैसे के दो साल तक जमीनी स्तर पर काम करते रहे। हम पूरे बिहार में बीते 11 साल से काम कर रहे हैं।’ मुस्लिम डिप्टी सीएम का ऐलान नहीं करना पड़ा भारी AIMIM नेता एम जसीमुल हक बताते है कि, ‘तेजस्वी यादव और राजद ने कभी भी मुस्लिम समुदाय को उतनी प्राथमिकता नहीं दी, जितनी दी जानी चाहिए थी। गठबंधन में भी कई बार उनके हिस्से को नजरअंदाज किया गया, जिसका परिणाम है कि मुसलमान अपने प्रतिनिधित्व की लड़ाई जारी रखे हुए हैं। इस बार मुकेश सहनी को डिप्टी सीएम का उम्मीदवार बना दिया गया, लेकिन मुस्लिम समुदाय से किसी को डिप्टी सीएम बनाने का ऐलान नहीं किया। इसका मैसेज हमने हर मुसलमानों तक पहुंचाया।‘ मुसलमानों और अन्य अल्पसंख्यकों का कैसे बढ़ा भरोसा AIMIM नेता एम जसीमुल हक बताते है कि, ‘विपक्ष की ओर से बार-बार आरोप लगता रहा है कि कुछ दल बीजेपी को फायदा पहुंचाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं, जिससे सेकुलर वोटों का बिखराव होता है। AIMIM के नेतृत्व में सीमांचल के मुसलमानों और अन्य अल्पसंख्यकों के बीच भरोसा बनने लगा है, क्योंकि हमने उनकी समस्याएं सुनी और विश्वास दिलाया की उनकी समस्याएं सुनी जाएंगी।’ ‘महागठबंधन में मुस्लिम नेताओं को टिकट दिये जाने को लेकर सवाल उठते रहे हैं। महुआ जैसी सीट, जहां मुस्लिम-यादव दोनों बराबर हैं, वहां RJD ने कभी मुस्लिम को उम्मीदवार नहीं बनाया है। हमने लोगों को तक यह मैसेज पहुंचाया कि जितनी हमारी संख्या है, उतनी हिस्सेदारी मिलनी चाहिए।’ ‘यही बातें जमीन पर हमने लोगों तक नुक्कड़ नाटकों, जनसभाओं और स्थानीय नेतृत्व के जरिए आम जनता तक पहुंचाई। अवैसी लगातार सीमांचल में आते रहे और लोगों से मिलते रहे। इधर उनकी छवि राष्ट्रीय स्तर पर बेहतर हुई है और इस सब का हमें फायदा मिला है।’ BJP की स्ट्रेटजी को फॉलो कर रही AIMIM AIMIM की रणनीति को लेकर हमने सीमांचल में चुनाव कवर कर रहे अपने किशनगंज के स्थानीय रिपोर्टर दीपक से बात की। दीपक बताते हैं कि, 2020 का चुनाव हो या 2025 का, हमने ग्राउंड पर उतरकर चुनाव कवर किया। AIMIM की स्ट्रैटजी एकदम बीजेपी की जैसे है। AIMIM के बड़े लीडर भी अपने एक-एक कार्यकर्ताओं से मिलते हैं। दीपक के मुताबिक, 2020 में जब AIMIM ने किशनगंज से 5 सीटें जीती थी तो हमें भी लगा था कि कैंडिडेट अपने दम पर जीते थे, लेकिन इस बार भी पार्टी पांच सीटों पर जीत गई। हालांकि, सभी सीटों पर कैंडिडेट बदल दिए गए हैं। इससे साफ हो गया कि यहां AIMIM की पकड़ मजबूत है और मुस्लिम कोर वोटर बन गए हैं। इसके साथ ही RJD का मुसलमानों को डिप्टी सीएम नहीं घोषित करना और मुकेश को सीएम घोषित करना, मुसलमानों की नाराजगी का सबसे ज्यादा बड़ी वजह बन गई। अब मुसलमान भी अपने हिस्सेदारी की बात कर रहे हैं। ओवैसी की ताबड़तोड़ सभाओं और 'डोर टू डोर कैम्पेनिंग' का मिला फायदा AIMIM के कार्यकर्ता हर घर तक पहुंचे और सभी को घर से निकल कर बूथ तक पहुंचाने का काम भी किया, जिससे इलाके में वोटिंग परसेंट भी बढ़ा। ओवैसी ने भी सीमांचल में ताबड़तोड़ सभाएं की, जिसका उन्हें फायदा मिला। पाला बदलने वाले जिन 3 विधायकों को टिकट नहीं दिया गया, वह भी AIMIM के सपोर्ट में आ गए। AIMIM डोर टू डोर कैम्पेनिंग भी की और लोगों तक मैसेज पहुंचाया कि मुसलमानों के हित का काम सिर्फ AIMIM ही कर सकता है। RJD का AIMIM से गठबंधन नहीं करना भी उन्हें ही भारी पड़ा। वह सीटें, जहां AIMIM ने महागठबंधन का खेल बिगाड़ा.. AIMIM जिन 5 सीटें पर आगे है, वे सभी मुस्लिम बहुल हैं। सभी पर मुस्लिम आबादी 60% से भी ज्यादा है। जोकीहाट में लगभग 65.7%, बहादुरगंज में 68%, कोचाधामन में लगभग 72.4%, अमौर में 70% और बाईसी में लगभग 64% मुस्लिम मतदाता हैं। वह पांच सीटें, जहां AIMIM जीती है अमौर, पूर्णिया- पिछली बार 2020 में AIMIM ने पूर्णिया जिले में अमौर और बाईसी सीटें जीतीं थीं। इस बार भी इन दोनों सीटें जीत ली हैं। अमौर में मौजूदा विधायक अख्तरुल इमाम को 10,0836 वोट मिले। दूसरे नंबर पर जदयू के सबा जफर को 61,908 वोट मिले। जीत का अंतर 38,928 वोटों का रहा। अमौर में तीसरे नंबर पर रहे कांग्रेस के अब्दुल जलील मस्तान को 52,791 वोट मिले। बायसी, पूर्णिया- बाईसी में 2020 में सैयद रुकनुद्दीन अहमद जीते थे, जो बाद में RJD में चले गए। इस बार पार्टी ने चेहरा बदलकर गुलाम सरवर को यहां से उतारा था। वहीं RJD ने भी कैंडिडेट बदलकर अब्दुस शुबाहान को टिकट दिया। यहां से AIMIM के गुलाम सरवर 92,766 वोट पाकर जीत गए हैं। वहीं दूसरे नंबर पर 65,515 वोटों के साथ बीजेपी के विनोद कुमार रहे। RJD खिसककर तीसरे नंबर पर आ गई। तीसरे नंबर पर रहे RJD के अब्दुस शुबाहान को 56,000 वोट मिले। बहादुरगंज, किशनगंज- AIMIM ने 2020 में किशनगंज की बहादुरगंज और कोचाधामन सीटें भी जीतीं थी। बहादुरगंज से जीते मोहम्मद अंजार नईमी RJD में चले गए थे। इस बार पार्टी ने उम्मीदवार बदलकर मोहम्मद तौसीफ आलम को उतारा और वे 87,315 वोट पाकर जीत गए। दूसरे नंबर पर रहे कांग्रेस के मोहम्मद मसावर आलम को 58,589 वोट मिले। वहीं, LJP(R) के इकलौते मुस्लिम प्रत्याशी मोहम्मद कलीमुद्दीन 57,195 वोटों के साथ तीसरे नंबर पर रहे। कोचाधामन, किशनगंज- कोचाधामन से 2020 में मोहम्मद इजहार आसफ़ी जीते थे। उनके RJD में जाने के बाद इस बार AIMIM ने मोहम्मद सरवर अलाम को उतारा था। RJD ने भी प्रत्याशी बदलकर मुजाहिद आलम को टिकट दिया। मोहम्मद सरवर 81,860 वोटों के साथ चुनाव जीत गए। वहीं RJD के मुजाहिद आलम 58,839 वोटों के साथ दूसरे नंबर पर मिले। तीसरे नंबर पर रहीं BJP की बीना देवी को 44,858 वोट मिले। जोकीहाट, अररिया- अररिया के जोकीहाट से 2020 में शहनवाज आलम जीते थे। उनके RJD में जाने के बाद इस बार मोहम्मद मुर्शिद आलम को पार्टी ने उम्मीदवार बनाया। हालांकि RJD ने शहनवाज को ही टिकट दिया। मोहम्मद मुर्शिद आलम 83,737 वोट लाकर चुनाव जीत गए। वहीं दूसरे नंबर पर रहे JDU के मंजर आलम को 54,934 वोट मिले। यहां जन सुराज के सरफराज आलम 35,354 वोटों के साथ तीसरे नंबर पर रहे। इस सीट पर दो भाइयों के बीच लड़ाई ने इसे दिलचस्प बना दिया था। मौजूदा विधायक और RJD प्रत्याशी शहनवाज आलम के सामने उनके ही भाई सरफराज आलम जनसुराज से उतरे थे। लेकिन सरफराज तीसरे वहीं शाहनवाज चौथे नंबर पर ही रह गए। स्ट्राइक रेट में भी RJD के बराबर रही AIMIM AIMIM ने RJD के मौजूदा विधायक वाली 4 सीटें वापस ली हैं। वहीं, एक पहले से उनके पास थी। 28 सीटों पर लड़ी AIMIM का स्ट्राइक रेट महागठबंधन के दलों से बेहतर रहा। AIMIM का स्ट्राइक रेट 17.86% रहा, जबकि RJD का 18.18% है। RJD 143 सीटों पर लड़कर सिर्फ 25 सीटें जीत पाई, जबकि AIMIM को 28 में से 5 सीटें मिली है। AIMIM 2 सीटों पर दूसरे और 14 सीटों पर तीसरे नंबर पर रही। ठाकुरगंज में AIMIM प्रत्याशी गुलाम हसनैन 76,421 वोट पाकर दूसरे नंबर पर रहे। यहां RJD के सऊद आलम 60,036 वोट पाकर तीसरे नंबर पर रहे। इस सीट से JDU के गोपाल कुमार अग्रवाल 85,243 वोट पाकर जीत गए। बलरामपुर में LJP (R) की संगीता देवी 80,459 वोट पाकर जीत गईं। वहीं, दूसरे नंबर पर रहे AIMIM के मोहम्मद आदिल हसन को 80,070 वोट मिले। यहां CPI (ML) के महबूब आलम 79,141 वोट पाकर तीसरे नंबर पर रहे। ये सीट पहले CPI (ML) के पास ही थी। AIMIM फैक्टर से 8 सीटें हार गया महागठबंधन 28 में से 9 सीटों पर AIMIM को जीत-हार के अंतर से ज्यादा वोट मिले हैं। इसमें से 8 सीटों पर महागठबंधन के प्रत्याशी को सीधा नुकसान हुआ, वहीं 1 सीट पर AIMIM ने JDU को भी नुकसान पहुंचाया। इन सीटों का गणित समझते हैं- प्राणपुर: इस सीट में बीजेपी की निशा सिंह 1,08,565 वोट पाकर चुनाव जीत गईं। वहीं दूसरी नंबर पर रही RJD की इशरत परवीन को 1,00,813 वोट मिले। कांटे की टक्कर वाली इस सीट पर हार-जीत का अंतर महज 7,752 रहा। जबकि तीसरे नंबर पर रहे AIMIM के आफताब आलम को 30,163 वोट मिले। गोपालगंज: इस सीट में AIMIM तीसरे नंबर पर रही। यहां पार्ची ने कांग्रेस प्रत्याशी ओम प्रकाश गर्ग को सीधा नुकसान पहुंचाया। AIMIM अनाश सलाम के 14,225 वोट मिले, जबकि BJP के सुभाष सिंह 28 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से चुनाव जीते। कस्बा: इस सीट में LJP(R) के नितेश कुमार सिंह 86,877 वोट पाकर चुनाव जीत गए। दूसरे नंबर पर रहे कांग्रेस के इरफान आलम को 74,002 वोट मिले। इस सीट पर हार-जीत का अंतर 12,875 रहा। जबकि तीसरे नंबर पर रहे AIMIM के मोहम्मद शहनवाज आलम को 35,309 वोट मिले। महुआ: तेज प्रताप यादव की सीट महुआ पर AIMIM ने भारी नुकसान पहुंचाया। इस सीट पर संजय कुमार सिंह 87,641 वोट पाकर चुनाव जीत गए। लेकिन दूसरे नंबर पर रहे RJD के मुकेश रौशन को 42,644 वोट वहीं तीसरे नंबर पर रहे तेज प्रताप को 35,703 वोट मिले। AIMIM प्रत्याशी अमित कुमार उर्फ बच्चा राय को 15,783 वोट मिले। वे चौथे नंबर पर रहे। इस सीट विपक्ष के वोट 3 धड़ों में बंट गए। शेरघाटी: इस सीट में LJP (R) के उदय कुमार सिंह 77,270 वोट पाकर चुनाव जीत गए। दूसरे नंबर पर रहे RJD के प्रमोद कुमार वर्मा को 63,746 वोट मिले। तीसरे नंबर पर जन सुराज के पवन किशोर को 18,982 और चौथे नंबर पर रहे AIMIM के शाने अली खान को 14,754 वोट मिले। इस सीट पर जीत का अंतर 13,524 रहा। जन सुराज और AIMIM ने मिलकर इस सीट पर RJD को काफी नुकसान पहुंचाया। केवटी: इस सीट में बीजेपी के मुरारी मोहन झा 89,123 वोट पाकर चुनाव जीत गए। वहीं दूसरे नंबर पर रहे RJD के फराज फातमी को 81,818 वोट मिले। इस सीट पर जीत का अंतर महज 7305 वोट का रहा। जबकि तीसरे नंबर पर रही AIMIM के मोहम्मद अनीसुर रहमान को 7474 वोट मिले। दरभंगा ग्रामीण: इस सीट में JDU के राजेश कुमार मंडल 80,355 वोट पाकर चुनाव जीत गए। वहीं दूसरे नंबर पर रहे RJD के ललित कुमार यादव को 61,902 वोट मिले। तीसरे नंबर पर रहे AIMIM के जलालुद्दीन साहिल को 16,966 वोट मिले। इस सीट से जीत-हार का अंतर 18,453 वोट का रहा। यहां से जन सुराज ने भी 3,792 वोट निकाले। अररिया: इस सीट में कांग्रेस के अबीदुर रहमान 91,529 वोटों पाकर चुनाव जीत गए। जबकि दूसरे नंबर पर JDU की शगुफ्ता अजीम को 78,788 वोट मिले। यहां हार-जीत का अंतर 12,741 वोट का रहा। जबकि तीसरे नंबर पर रहे AIMIM के मंजूर आलम को 53,421 वोट मिला। ये इकलौती सीट रही, जहां AIMIM ने NDA को सीधा नुकसान पहुंचाया। ओवैसी की जीत बाजीगर वाली- एक्सपर्ट पॉलिटिकल एक्सपर्ट प्रियदर्शी रंजन बताते हैं कि, 'AIMIM की यह बाजीगर वाली जीत है। AIMIM उन सीटों पर फिर से जीत दर्ज की है, जिसे 2020 के विधानसभा चुनाव में जीता था। अख्तरुल इमाम को छोड़कर अन्य 4 विधायक RJD में शामिल हो गए थे। तब ऐसा लगा कि AIMIM ने यह सीटें कैंडिडेट की वजह से जीती हैं। लेकिन इस बार वहां कैंडिडेट बदल दिए गए, इसके बावजूद भी इन सीटों पर AIMIM जीती हैं।' प्रियदर्शी मानते हैं कि AIMIM की सीमांचल में जीत उनकी जमीनी पकड़ के कारण हुई है। वे आगे बताते हैं, “इन इलाकों में AIMIM और ओवैसी की पकड़ मजबूत है। यह साफ हो गया है सीमांचल में RJD और कांग्रेस भी AIMIM के आगे कमजोर है। प्रशांत किशोर मुसलमानों के लिए रहनुमा बनने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन मुसलमानों ने उन्हें भी नकार दिया है।” प्रियदर्शी बताते हैं कि ओवैसी की राष्ट्रीय छवि का बिहार चुनाव में भी उन्हें फायदा मिला है। वे कहते हैं कि ओवैसी ने राष्ट्रीय स्तर पर मुसलमानों के लिए जो छवि बनाई है, उसका ही उन्हें फायदा मिल रहा है। रिजल्ट के बाद ओवैसी ने कहा कि, बिहार और सीमांचल के लोगों को धन्यवाद कहा और कहा की हम कभी भी सीमांचल को नहीं छोड़ेंगे। ओवैसी यही बात पिछले 5 सालों से कहते आ रहे है। इसका भी उन्हे फायदा मिला है।
लगातार दूसरे दिन प्रदेश में सबसे ठंडा कानपुर:पारा पहुंचा 7.8 डिग्री सेल्सियस, अभी चलेगी शीतलहर
कानपुर में लगातार दूसरे दिन उत्तर प्रदेश में सबसे कम तापमान दर्ज किया गया है। रविवार को शहर का न्यूनतम तापमान 7.8 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया, जिससे सर्दी ने लोगों को कंपकंपा दिया। सीएसए मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार, यह सामान्य से 5.3 डिग्री सेल्सियस कम है और पिछले 48 घंटों से कानपुर प्रदेश का सबसे ठंडा शहर दर्ज हो रहा है। शनिवार को यह तापमान 7.6 डिग्री सेल्सियस हुआ था, जिसमें रविवार को 0.2 डिग्री की बढ़ोतरी हुई है। हालांकि अभी भी यह शहर प्रदेश में सबसे ठंडा है। दिन में निकली धूपहालांकि दिन में निकल रही धूप अधिकतम तापमान पर कुछ खास असर नहीं डाल रही है।मौसम विभाग द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक, सोमवार को कानपुर का अधिकतम तापमान 27.5 डिग्री सेल्सियस रहा, जो सामान्य से एक डिग्री कम था। वहीं, न्यूनतम तापमान 7.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। हवा की औसत गति 1.1 किमी/घंटा और हवा की दिशा उत्तर-पश्चिमी रही। शीतलहर की चेतावनी जारीमौसम विभाग ने अगले 24 घंटों के लिए शीतलहर चलने की चेतावनी जारी की है। हालांकि, बाद के दिनों में आसमान साफ रहने का अनुमान है, जिससे वर्षा की कोई संभावना नहीं है। सीएसए के डॉ. नौशाद खान के अनुसार, आने वाले दिनों में ठंड और बढ़ने की संभावना है। ठंड का असर और सलाह अचानक आई इस ठंड ने लोगों के रूटीन पर असर डाला है। सुबह-शाम के समय सर्दी का प्रकोप बढ़ गया है, जिससे सड़कों पर लोगों की आवाजाही कम हुई है। डॉक्टर सर्दी-खांसी और जोड़ों के दर्द की शिकायतों में इजाफे की आशंका जता रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने लोगों से हल्का गर्म पानी पीने, गर्म कपड़े पहनने और ठंडी हवाओं के सीधे संपर्क में आने से बचने की सलाह दी है।
इस बार नवंबर में ही पूरा मध्यप्रदेश ठिठुर रहा है। भोपाल, इंदौर में तो पारा रिकॉर्ड लुढ़का है। वहीं, ग्वालियर, जबलपुर-उज्जैन समेत कई शहरों में कड़ाके की ठंड है। अगले 2 दिन तक कई जिलों में शीतलहर का अलर्ट है। इसके बावजूद प्रदेश में स्कूलों की टाइमिंग नहीं बदली गई है। सिर्फ ग्वालियर, छिंदवाड़ा और देवास कलेक्टर ने ही स्कूल लगने का समय बदला है। बाकी किसी भी जिले में टाइमिंग बढ़ाने से जुड़ा कोई भी आदेश जारी नहीं हुआ है। इस वजह से नन्हें बच्चे ठिठुरते हुए स्कूल जा रहे हैं। भोपाल की ही बात करें तो स्कूल की दूरी ज्यादा होने पर सुबह 6.30 बजे से वैन-बसें बच्चों को लेने पहुंच जाती हैं। ज्यादातर स्कूलों की शुरुआत सुबह 7.30 बजे ही हो रही है। कटारा के सेंट फ्रांसिस को-एड स्कूल में जरूर समय में 30 मिनट का बदलाव किया है। सेज इंटरनेशनल स्कूल ने भी सर्दी के मद्देनजर स्कूल लगने का समय बढ़ा दिया है। कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने कहा कि इस मामले में जिला शिक्षा अधिकारी से बात करके टाइमिंग बढ़ाई जाएगी। जल्द आदेश जारी कर देंगे। ग्वालियर-छिंदवाड़ा में बदला स्कूलों का समयग्वालियर में 1 नवंबर से कुछ स्कूलों ने सुबह 8:20 तो कुछ ने 8:10 से क्लासेस शुरू होने का समय रख दिया था। वहीं, स्कूल की छुट्टी होने का समय दोपहर 1 बजे और इससे अधिक तय कर दिया गया था। भोपाल में स्कूल समय को लेकर फिलहाल दो स्थितियां हैं। निजी स्कूलों में से अधिकांश ने 20 से 30 मिनट समय आगे बढ़ा दिया है, वहीं सरकारी स्कूलों में किसी तरह का बदलाव नहीं हुआ है। इनके समय पहले से ही सुबह 10:30 से शाम 4 बजे तक हैं। मॉडल स्कूल का समय भी पहले से ही गर्मी-सर्दी को ध्यान में रखकर सुबह 9:30 से दोपहर 3:30 बजे तक तय है। छिंदवाड़ा जिला शिक्षा अधिकारी ने आदेश जारी किया है कि सुबह 8:30 से पहले प्राइमरी से हायर सेकंडरी तक कोई भी स्कूल नहीं लगेगा। उज्जैन शिक्षा विभाग के एडीपीसी गिरीश तिवारी ने बताया कि ठंड के कारण सुबह के समय लगने वाले स्कूलों में अभी समय परिवर्तन के लिए कोई निर्णय नहीं हुआ है। इंदौर कलेक्टर शिवम वर्मा के मुताबिक, इंदौर में अभी कोल्ड डे जैसी स्थिति नहीं है। अगर सोमवार को मौसम बहुत ज्यादा सर्दी रही या कोल्ड डे जैसे स्थिति बनी तो शिक्षा विभाग से समन्वय कर स्कूलों के टाइमिंग को लेकर निर्णय लेंगे। भोपाल-इंदौर में 6.4 डिग्री पर पहुंचा पाराशनिवार-रविवार की रात भोपाल में पारा 6.4 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया। इंदौर में भी इतना ही तापमान रहा। यहां सीजन की सबसे सर्द रात रही। 25 साल में पहली बार पारा इतना लुढ़का है। जबलपुर में तापमान 8.5 डिग्री सेल्सियस पर आ गया। उज्जैन में 10.5 डिग्री और ग्वालियर में 10.1 डिग्री सेल्सियस टेम्प्रेचर दर्ज किया गया। रविवार को बालाघाट का मलाजखंड सबसे ठंडा रहा। यहां तापमान 22.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। हिल स्टेशन पचमढ़ी में तापमान 23.2 डिग्री रहा। भोपाल में 25.8 डिग्री, इंदौर में 25.9 डिग्री, ग्वालियर में 27.8 डिग्री, उज्जैन में 27.7 डिग्री और जबलपुर में पारा 25.7 डिग्री सेल्सियस रहा। बैतूल, छिंदवाड़ा, नरसिंहपुर, रीवा, सिवनी, सीधी, उमरिया में भी पारा 27 डिग्री से कम ही रहा। अगले 2 दिन तक शीतलहर का असरमौसम वैज्ञानिक अरुण शर्मा ने बताया कि अगले 2 दिन तक प्रदेश के कई जिलों में शीतलहर का अलर्ट है। सोमवार के लिए भोपाल, राजगढ़, सीहोर, शाजापुर, धार, इंदौर, देवास, शिवपुरी, छतरपुर, पन्ना, सतना, रीवा, मैहर, दमोह, कटनी और जबलपुर में शीतलहर की चेतावनी जारी की गई है। मंगलवार को भी कई जिलों में कोल्ड वेव चलेगी। इधर, शुक्रवार-शनिवार की रात में राजगढ़ में तापमान 6.0 डिग्री सेल्सियस रहा। वहीं, रीवा में 7.5 डिग्री, छतरपुर के नौगांव में 7.8 डिग्री, खजुराहो में 9.4 डिग्री, उमरिया में 8.4 डिग्री, शिवपुरी में 9 डिग्री, सतना-मलाजखंड में 9.6 डिग्री और छिंदवाड़ा में 9.8 डिग्री सेल्सियस टेम्प्रेचर दर्ज किया गया। बाकी शहरों में पारा 10 डिग्री या इससे अधिक रहा। नवंबर में तेज ठंड का ट्रेंडपहाड़ी राज्य- उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में बर्फबारी हो रही है। इसका असर एमपी में भी हो रहा है। उत्तरी हवाएं सीधे प्रदेश में आ रही हैं। इस वजह से रातें ठंडी हैं। दिन में धूप निकलने से ठंड का असर उतना नहीं रहता। प्रदेश में नवंबर में पिछले 10 साल से ठंड के साथ बारिश का ट्रेंड भी है। इस बार भी ऐसा ही मौसम है। वहीं, बारिश के लिहाज से अक्टूबर का महीना उम्मीदों पर खरा उतरा है। इस महीने औसत 2.8 इंच पानी गिर गया, जो सामान्य 1.3 इंच से 121% ज्यादा है। भोपाल में 30 अक्टूबर को दिन का तापमान 24 डिग्री सेल्सियस रहा। मौसम विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार, पिछले 25 साल में अक्टूबर का यह सबसे ठंडा दिन था। उज्जैन, छतरपुर, नरसिंहपुर समेत कई शहरों में पारा 24 डिग्री के नीचे ही रहा। नवंबर में ऐसा रहेगा मौसममौसम विभाग ने अनुमान लगाया था कि नवंबर के दूसरे सप्ताह में ठंड का असर बढ़ेगा। हुआ भी वैसा ही। पारे में खासी गिरावट देखने को मिल रही है। खासकर ग्वालियर-चंबल संभाग के जिलों में, जहां उत्तरी हवाएं सीधी आती हैं, वहां तापमान और भी लुढ़केगा। ग्वालियर में 56 साल पहले नवंबर में रात का टेम्प्रेचर रिकॉर्ड 3 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका है। उज्जैन में 52 साल पहले न्यूनतम पारा रिकॉर्ड 2.3 डिग्री तक जा चुका है। जानिए, नवंबर में 5 बड़े शहरों का मौसम... भोपाल: 10 साल में 3 बार बारिश हो चुकीनवंबर में भोपाल में रात का तापमान 9 से 12 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। पिछले 10 साल से ऐसा ही ट्रेंड रहा है। मौसम विभाग के अनुसार, भोपाल में नवंबर में रात का तापमान 6.1 डिग्री तक पहुंच चुका है। यह 30 नवंबर 1941 को दर्ज किया गया था। यहां इस महीने बारिश होने का ट्रेंड भी है। 10 साल में तीन बार बारिश हो चुकी है। साल 1936 में महीने में साढ़े 5 इंच से ज्यादा पानी गिर चुका है। इंदौर: 5.6 डिग्री तक जा चुका न्यूनतम पाराइंदौर में नवंबर में ठंड का असर रहता है। खासकर दूसरे सप्ताह से पारा तेजी से गिरता है। इस वजह से रातें ठंडी हो जाती हैं। टेम्प्रेचर 10 से 12 डिग्री के बीच रहता है। 25 नवंबर 1938 को पारा 5.6 डिग्री सेल्सियस तक जा चुका है। इंदौर में कभी-कभार बारिश भी हो जाती है। दिन में 31 से 33 डिग्री के बीच तापमान रहता है। ग्वालियर: 1927 में 3 इंच पानी गिरा थापिछले 10 साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो नवंबर में ग्वालियर में तापमान 8 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका है। साल 1970 में टेम्प्रेचर 3 डिग्री तक पहुंच चुका है। यह ओवरऑल रिकॉर्ड है। 2 नवंबर 2001 को दिन का तापमान 37.3 डिग्री तक रहा, जबकि यह सामान्य तौर पर 33 से 35 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है। ग्वालियर में इस महीने बारिश भी होती है। 1927 में पूरे महीने 3 इंच से ज्यादा पानी गिरा था। 10 साल में 3 बार ऐसा ही मौसम रह चुका है। जबलपुर: 1946 में 6 इंच से ज्यादा बारिशजबलपुर में पिछले 10 साल में 2022 में न्यूनतम पारा 7.8 डिग्री सेल्सियस तक जा चुका है। ओवरऑल रिकॉर्ड 12 नवंबर 1989 को दर्ज किया गया था, तब टेम्प्रेचर 3.9 डिग्री तक पहुंच गया था। यहां 1946 में पूरे महीने 6 इंच से ज्यादा पानी गिरा था। 10 साल में दो बार बारिश हो चुकी है। दिन में 30 से 33 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान रहता है। उज्जैन: न्यूनतम तापमान 10-11 के बीचउज्जैन में 30 नवंबर 1974 को रात का तापमान 2.8 डिग्री सेल्सियस पहुंच चुका है। यह ओवरऑल रिकॉर्ड है। वहीं, 6 नवंबर 2008 को दिन का तापमान 36.5 डिग्री रहा था। पिछले 10 साल की बात करें तो न्यूनतम तापमान 10-11 डिग्री के बीच रहा है, जबकि दिन में यह 33 से 35 डिग्री सेल्सियस के बीच रहा है।
मध्यप्रदेश की राजधानी में खराब इंजीनियरिंग का एक और नमूना सामने आया है। लिंक रोड नंबर-1 पर भोपाल नगर निगम ने 5 एकड़ में करीब 40 करोड़ रुपए से 8 मंजिला बिल्डिंग तो बना दी, लेकिन जिम्मेदार मीटिंग हॉल बनाना ही भूल गए। अब पास की खाली 0.25 एकड़ जमीन कलेक्टर से मांगी गई है। नई बिल्डिंग में 10 करोड़ रुपए खर्च होंगे। यानी, जनता के पैसे की बर्बादी...। ये एक ही प्रोजेक्ट नहीं है, बल्कि ऐसे 2 प्रोजेक्ट और हैं, जिसमें खराब इंजीनियरिंग के नमूने सामने आ चुके हैं। 90 डिग्री एंगल वाले ऐशबाग ब्रिज को लेकर पहले ही भोपाल सुर्खियों में रह चुका है। फिर मेट्रो के 2 स्टेशन भी सुर्खियां बंटोर चुके हैं। इन नमूनों को सिलसिलेवार जानिए...। सबसे पहले निगम मुख्यालय का ताजा मामलालिंक रोड नंबर-1 पर ग्रीन बिल्डिंग कॉन्सेप्ट पर नगर निगम का नया मुख्यालय भवन बना है। इसके बाद 10 से ज्यादा लोकेशन पर बने ऑफिस एक ही छत पर आ जाएंगे। करीब 40 करोड़ रुपए से बन रही बिल्डिंग में सिर्फ सोलर पैनल लग रहे हैं तो गार्डनिंग, फोन, इंटरनेट केबल और कुछ फ्लोर पर फर्नीचर का काम चल रहा है। कई मायनों में बिल्डिंग खास है। जब तक नया हॉल नहीं बनेगा, तब तक आईएसबीटी में होंगी बैठकें इन सब अच्छी बातों में एक बड़ी गलती भी हो गई। इस बिल्डिंग में परिषद का मीटिंग हॉल ही नहीं बना है। इसलिए 10 करोड़ रुपए खर्च करके परिषद हॉल बनाने का प्लान है, लेकिन जब तक ये नहीं बन जाता, तब तक आईएसबीटी में ही परिषद की बैठकें होंगी। पड़ताल की गई तो पता चला कि जब बिल्डिंग बनी थी, तब मीटिंग हॉल ही उसमें शामिल नहीं था। जिम्मेदारों का कहना है कि शुरुआत में बिल्डिंग की कुल लागत 22 करोड़ रुपए थी, लेकिन बाद में लागत बढ़ती गई और अब यह 40 करोड़ में आ गई। हॉल में ही परिषद की बैठक होती है। स्ट्रक्चरल इंजीनियर सुयश कुलश्रेष्ठ का कहना है कि जब भी कोई निर्माण कार्य कराया जाता है तो उसकी डिजाइन समेत कई पैमानों पर नजर रखी जाती है। इसके बाद टेंडर प्रक्रिया होती है। नगर निगम अपनी ही बिल्डिंग में मीटिंग हॉल जैसा निर्माण करना ही भूल गया। अब मीटिंग हॉल को लेकर दूसरी बिल्डिंग बनेगी, लेकिन पैसा तो जनता का ही लगेगा, जो टैक्स के रूप में वसूला गया है। एक बिल्डिंग, 3 कमिश्नरबिल्डिंग की पूरी डिजाइन निगम कमिश्नर केवीएस चौधरी कोलसानी ने बनवाई थी। उनकी मौजूदगी में बिल्डिंग का आधे से ज्यादा काम हुआ, जबकि बाकी काम हरेंद्र नारायण के समय हुआ। अब संस्कृति जैन के समय फिनिशिंग हो रही है। 40% बिजली उत्पादन को लेकर बिगाड़ा फ्रंटमुख्यालय के ठीक सामने परिसर में ही पार्किंग बनाई गई है। जिस पर शेड है। इन्हीं शेड के ऊपर सोलर पैनल लगा दिए गए। ताकि, 40 प्रतिशत बिजली निगम खुद ही बना सके, लेकिन ये ऐसी जगह लगाई गई हैं, जिससे पूरी बिल्डिंग ही छिप गई है। यानी, बिल्डिंग का फ्रंट ही बदल गया है। इस मामले में निगम अध्यक्ष किशन सूर्यवंशी का कहना है कि डिजाइन गलत नहीं है। उस समय आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। हालांकि, इसके बाद इस्टीमेट कास्ट बढ़ी है। ये भी सही है कि पुरानी डिजाइन में परिषद हॉल नहीं था। अभी और जमीन लेकर पास में ही परिषद का हॉल बनवा रहे हैं। ताकि, यहां बैठकें हो सकें। पार्किंग की जगह पर आपत्ति जताई है। इस वजह से फ्रंट ढक गया है। सोलर छत पर लगाए जा सकते हैं। नमूना-2 : 90 डिग्री एंगल वाला ऐशबाग ब्रिजभोपाल में ऐशबाग रेलवे ओवरब्रिज का निर्माण मई 2022 में शुरू हुआ था, जिसे 18 महीने में बनना था, लेकिन अब तक यह शुरू नहीं हो सका है। 18 करोड़ रुपए से बने ब्रिज का लंबाई 648 मीटर और चौड़ाई 8 मीटर है। इसमें से ब्रिज का 70 मीटर हिस्सा रेलवे का है। पांच महीने पहले यह ब्रिज 90 डिग्री मोड़ वाली डिजाइन और खराब इंजीनियरिंग की वजह से यह देशभर में सुर्खियों में रहा। इसके मीम्स तक बन गए। पीडब्ल्यूडी मंत्री राकेश सिंह ने नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) से जांच करवाई थी। एनएचएआई ने ब्रिज को लेकर अपनी रिपोर्ट तैयार की थी, जिसमें 35-40 किमी प्रति घंटा से अधिक गति से गाड़ी नहीं चलाने का सुझाव दिया गया है। इससे अधिक स्पीड में गाड़ी चली तो हादसा होने का खतरा है। रिपोर्ट के बाद टर्निंग वाले हिस्से को फिर से बनाने की सहमति बनी, लेकिन यह काम अब तक शुरू नहीं हो पाया है। नमूना-3 : मेट्रो के 2 ठिगने स्टेशनभोपाल में एम्स से करोंद तक मेट्रो की ऑरेंज लाइन पर काम चल रहा है। सुभाषनगर से एम्स तक प्रायोरिटी कॉरिडोर है। जिसमें कुल 8 स्टेशन है। इन्हीं में से दो स्टेशन- सरगम टॉकीज और केंद्रीय स्कूल की ऊंचाई कम होने का मामला सुर्खियों में रह चुका है। सरगम टॉकीज का मामला पिछले साल सामने आया था। इसके बाद नीचे से सड़क की खुदाई कर दी गई। हालांकि, सड़क इतनी नीचे हो गई है कि बारिश के दिनों में जलभराव के हालात बनेंगे। केंद्रीय स्कूल मेट्रो स्टेशन का ताजा मामला है। सड़क से स्टेशन की ऊंचाई 5 मीटर ही है। इस वजह से डंपर भी नहीं गुजर सकता। इस वजह से आधा मीटर खुदाई और की जा रही है। हालांकि, बाद में मेट्रो कॉरपोरेशन ने निर्धारित पैमाने के अनुसार ही काम किए जाने का दावा किया है।
पापा बोलते थे, बेटी एक दिन तुम पुलिस बनकर चोरों को पकड़ना। उस दिन मेरा सीना गर्व से चौड़ा हो जाएगा। मैंने भी ठान लिया कि पापा के सपनों को जरूर पूरा करूंगी। मैं अभी 6 क्लास में पढ़ रही हूं। मेरे पापा मुझे छोड़कर चले गए...यह कहते होटल में काम करने वाले पुरूषोत्तम की 13 साल की बिटिया अनन्या रोने लगी। वहीं उसका भाई और मां से लिपटकर चींखने चिल्लाने लगा। होटल में आगलगी की घटना से पुरूषोत्तम का दम घुट गया और उनकी मौत हो गई। अब परिवार के 2 छोटे बच्चे और मां को उनके बगैर जिंदगी बितानी होगी। गोरखपुर में चार मंजिला होटल में रविवार सुबह भीषण आग लग गई। डरकर बाथरूम में छिपे 55 साल के पुरुषोत्तम अग्रहरी की दम घुटने से मौत हो गई। जिसके बाद से ही परिवार में चीख पुकार मची हुई है। परिवार में पुरुषोत्तम अग्रहरी की पत्नी पूनम, 16 साल के बेटे अनूप और 13 साल की अनन्या का रो-रोकर बुरा हाल है। घटना की सूचना पर दोपहर करीब 12 बजे परिवार के लोग एक कार से पहुंचे। साथ में सहजनवां इलाके के बरईपार में रहने वाले पुरुषोत्तम के भतीजे भी पहुंचे। मृतक का पूरा परिवार ससुराल बलरामपुर जिले के तुलसीपुर में रहता है। मौत की सूचना पर एक कार से दोनों बच्चों के साथ मां गोरखपुर पहुंची। उन्होंने पूरी घटना की जांच कराने की मांग की है। बताया कि पति बरईपार स्थित घर पर बहुत कम ही जाते थे। चार साल से वह गोरखपुर में काम कर रहे थे। अब पढ़िए पूरा घटनाक्रम रामगढ़ताल क्षेत्र के तारामंडल में स्थित चार मंजिला वाटर वेज रेस्टोरेंट में सुबह करीब 4 बजे शार्ट सर्किट से आग लग गई। भोर का समय होने की वजह से उसतरफ किसी का ध्यान नहीं गया। होटल के कमरे में दो लोग ठहरे थे। वहीं एक स्टाफ पुरुषोत्तम फर्स्ट फ्लोर पर सोया था। भोर में धुआं उठते ही होटल में रुके में दो लोगों की नींद खुल गई। वह होटल के बाहर डयूटी कर रहे गार्ड की मदद से नीचे आ गए। वहीं फर्स्ट फ्लोर पर पुरुषोत्तम फंसे रह गए। बताया जा रहा है कि आग फर्स्ट फ्लोर पर ही शार्ट सर्किट से लगी है। इसके बाद तेजी से पूरे होटल में फैल गई। इसके बाद पूरी बिल्डिंग को अपने जद में ले लिया। पुरुषोत्तम ने खुद को आग से बचाने के लिए एक बाथरूम में बंद कर लिया। आग से वह बच गया, लेकिन धुएं की घुटन से दम तोड़ दिए। सुबह करीब 6 बजे होटल में रेस्क्यू करते हुए फायर ब्रिगेड की टीम अंदर पहुंची। तब रेस्क्यू कर बाथरूम से पुरुषोत्तम को बाहर निकाला गया। तत्काल पुलिस ने उन्हें एंबुलेंस से जिला अस्पताल भिजवाया। जहां डाॅक्टरों ने चेक करते ही मृत घोषित कर दिया। उधर करीब 2 घंटे में टीम ने आग बुझाई, लेकिन तब तक सब कुछ जलकर राख हो चुका था। घटना शहर के पॉश इलाके रामगढ़ताल में सुबह 5 बजे हुई। जिसके बाद अफरा-तफरी का माहौल हो गया। इमारत की अनुमानित कीमत 10 से 12 करोड़ बताई जा रही है। फायर ब्रिगेड टीम को लीड कर रहे इंचार्ज शांतनू कुमार यादव ने बताया कि शुरुआती जांच में पता चला है कि आग शॉर्ट सर्किट से लगी। होटल मालिक का नाम मनोज शाही से इस बारे में पूछताछ की गई है। वह शहर के बड़े कैटर्स भी हैं। उन्होंने बताया कि बिल्डिंग और होटल कर्मचारियों को इंश्योरेंस कराया गया है। पीड़ित परिवार को मदद प्रदान कराई जाएगी। शहर में चला चेकिंग अभियान रामगढ़ताल क्षेत्र के होटल में आग की घटना होने के बाद सभी अधिकारी अलर्ट मोड में आ गए। रविवार दोपहर से ही फायर ब्रिगेड की 8 टीमें, पुलिस व प्रशासन की टीम के साथ होटलों में चेकिंग करने पहुंची। शहर में 20 से अधिक होटलों, हॉस्पिटल व गेस्ट हाउस की जांच पड़ताल की गई। इस दौरान वहां लगे फायर सिस्टम की जांच की गई। सिस्टम संचालित है कि नहीं, इसकी जांच की गई। साथ ही सभी कर्मचारियों को ट्रेनिंग देकर आग बुझाने का तरीका भी बताया गया। सीएफओ संतोष राय का कहना है कि शहर में अब लगातार अभियान चलाकर होटल, हॉस्पिटल व गेस्ट हाउस की जांच पड़ताल की जाएगी। टहलने निकले लोग देखने लगे आग भोर में जब आग लगने के बाद सड़कों पर टहलने वाले मॉर्निंग वाकर के कदम भी होटल के सामने आकर ठहर गए। सभी अपने मोबाइल से फोटो वीडियो बनाते दिखे। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया- इतनी भयानक आग कभी नहीं देखी थी। बुझने का नाम नहीं ले रही थी। दो घंटे तक फायर बिग्रेड की टीम 4 टैंकर से आग बुझाती रही। तब जाकर आग पर काबू पाया गया। लेकिन इसके बाद भी करीब 2 घंटे तक काला धुआं पूरी बिल्डिंग में फैला रहा। जिसके हटने तक टीम वहां मुश्तैद रही। आग की तस्वीरें देखिए... 4 सालों से चल रहा था होटल
बठिंडा के एक प्राइवेट कॉलेज से बीएससी करने के बाद बलजिंदर सिंह मान मेट्रोलॉजी में एमएससी करना चाहते थे, लेकिन घरेलू परिस्थितियों के कारण उनका मौसम विज्ञानी बनने का सपना अधूरा रह गया। हालांकि, उन्होंने हार नहीं मानी और खेती के साथ-साथ मौसम की सटीक भविष्यवाणी कर किसानों की मदद करने का रास्ता चुना। पंजाब का पहला सौर ऊर्जा संचालित प्राइवेट वेदर स्टेशनबल्लो गांव के 29 वर्षीय बलजिंदर सिंह मान ने पंजाब में अपनी तरह का पहला सौर ऊर्जा संचालित प्राइवेट वेदर स्टेशन स्थापित किया है, जिसे भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) से प्रमाणित किया गया है। करीब 50 हजार रुपये की लागत से बने इस स्टेशन से मौसम में होने वाले बदलाव, मानसून, हवा की नमी और गति, आंधी-तूफान जैसी स्थितियों की रीयल टाइम जानकारी मिलती है। यह स्टेशन 3-4 घंटे पहले ही किसानों और आसपास के लोगों को संभावित मौसम परिवर्तन के बारे में सचेत कर देता है। बचपन से थी मौसम को समझने की जिज्ञासाबलजिंदर बताते हैं कि बचपन से ही उन्हें यह जानने की उत्सुकता थी कि कभी धूप, कभी छांव और कभी बारिश क्यों होती है। उन्होंने गांव में रहकर ही इस दिशा में कुछ करने का निश्चय किया और फरवरी 2018 में अपने खेत में वेदर स्टेशन लगाने का फैसला लिया। ‘मौसम पंजाब दा’ पेज से जुड़ रहे हजारों किसानउन्होंने सात-आठ साल पहले सोशल मीडिया पर “मौसम पंजाब दा” नाम से एक पेज बनाया, जिसके माध्यम से वे किसानों को मौसम की जानकारी देते हैं। जून 2023 में उन्होंने भारतीय कंपनी का पहला ‘फायलो टेक’ यंत्र लगाया और 2024 में अमेरिकी कंपनी के ‘एमबियंट मॉड’ उपकरण जोड़े, जो लाइव डेटा प्रदान करते हैं। 10 जिलों में लगाए ऑटोमैटिक वेदर स्टेशनबठिंडा के अलावा मुक्तसर, फिरोजपुर, मानसा और लुधियाना में अब तक 10 ऑटोमैटिक वेदर स्टेशन (AWS) लगाए जा चुके हैं। प्रत्येक यंत्र की कीमत 30 से 35 हजार रुपये है। ये उपकरण मौसम का रीयल टाइम डेटा देते हैं और यह जानकारी सुपर कंप्यूटर मॉडलों तक भी पहुंचाई जाती है, जिससे भविष्यवाणी और सटीक हो सके। टॉरनेडो और बाढ़ की भविष्यवाणी साबित हुई सहीबलजिंदर ने दावा किया कि मार्च 2023 में फाजिल्का के बकैनवाला और मार्च 2024 में भगता भाईका (बठिंडा) क्षेत्र में बने टॉरनेडो की भविष्यवाणी उन्होंने पहले ही कर दी थी। उन्होंने 18 जून 2025 को यह भी भविष्यवाणी की थी कि इस साल पंजाब में सामान्य से अधिक बारिश और बाढ़ की स्थिति बन सकती है। उनका कहना है कि यदि सरकार ने उस समय उनकी चेतावनी पर ध्यान दिया होता, तो नुकसान कम हो सकता था। खेती और विज्ञान का संगमबलजिंदर सिंह मान 5 एकड़ में गेहूं, धान और सब्जियों की खेती करते हैं। उनका मानना है कि खेती और विज्ञान का मेल ही भविष्य की जरूरत है। वे कहते हैं, “मौसम को समझना ही खेती की सबसे बड़ी कुंजी है, और अगर किसान समय रहते जानकारी पा जाएं, तो नुकसान से बच सकते हैं।”
फतेहाबाद के चौबारा गांव निवासी भूप सिंह ढाका (40) ने करीब छह साल पहले 9 एकड़ जमीन में जैविक खेती शुरू करने का फैसला लिया। जहां आसपास के किसान रासायनिक खाद और कीटनाशकों के सहारे अधिक पैदावार के पीछे भाग रहे हैं, वहीं भूप सिंह का मानना है कि “कम उपज सही, लेकिन जैविक खेती से जमीन और शरीर दोनों स्वस्थ रहते हैं।” विविध फसलों से बढ़ाई पहचानभूप सिंह की खेती की विविधता ही उनकी सबसे बड़ी पहचान है। वह 3 एकड़ में नरमा (कपास), 1 एकड़ में धान, 2 एकड़ में गन्ना, 2 एकड़ में ज्वार और 1 एकड़ में बाजरा उगाते हैं। सभी फसलें पूरी तरह जैविक तरीके से उगाई जाती हैं। उनका दावा है कि जैविक खेती से वह सालाना करीब 4 लाख रुपए की शुद्ध कमाई कर रहे हैं। जैविक उत्पादों को मिलते हैं दोगुने दामभूप सिंह बताते हैं कि गेहूं और चना जैसी जैविक फसलें रासायनिक खेती से पैदा फसलों की तुलना में दोगुने दामों पर बिक जाती हैं। उनका गेहूं 6 हजार रुपये प्रति क्विंटल के भाव से बिकता है। वह डी-कंपोस्ट, गोबर की खाद और पशु मूत्र का उपयोग करते हैं। उनके पास 10 पशु हैं, जिनसे निकलने वाला मूत्र वे एक टैंक में एकत्र कर पानी में मिलाकर खेतों में सिंचाई के साथ प्रयोग करते हैं। यह मिश्रण फसल के लिए प्राकृतिक खाद और कीट प्रतिरोधक दोनों का काम करता है। गोबर गैस संयंत्र से आत्मनिर्भरताभूप सिंह ने अपने खेत में गोबर गैस संयंत्र भी लगाया हुआ है, जिससे घर की रसोई गैस की जरूरत पूरी होती है। संयंत्र से निकलने वाला अपशिष्ट खेतों में खाद के रूप में उपयोग किया जाता है। उन्हें जैविक खेती की प्रेरणा डॉ. सुरेंद्र दलाल से मिली, जिन्होंने साक्षरता मित्र क्लास के दौरान उन्हें प्राकृतिक खेती के महत्व से अवगत कराया था। कम पैदावार, लेकिन मिट्टी और स्वास्थ्य में सुधारभूप सिंह स्वीकार करते हैं कि उनकी पैदावार पारंपरिक खेती करने वाले किसानों की तुलना में लगभग आधी है, लेकिन उनका कहना है कि “फसल थोड़ी कम है, पर मिट्टी की ताकत बढ़ रही है और परिवार बीमारियों से मुक्त है।” उनके घर का सारा अनाज, सब्जी, दाल और दूध जैविक तरीके से तैयार होता है। रबी सीजन में वे चना, मेथी, गेहूं और बरसीम जैसी फसलें उगाते हैं। अन्य किसानों के लिए प्रेरणा बने भूप सिंहभूप सिंह का कहना है कि उनका यह प्रयोग अब अन्य किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया है। कई किसान उनसे जैविक खाद और खेती की तकनीक सीखने उनके खेत पर आते हैं। घर और रिश्तेदारों तक सीमित बिक्रीभूप सिंह अपनी अधिकतर उपज घर और रिश्तेदारों में ही भेजते हैं। केवल नरमा, गन्ना और कुछ अनाज ही बाजार में बेचते हैं। उनका मानना है कि “जैविक खेती सिर्फ उत्पादन नहीं, बल्कि जीवनशैली है।” उनसे ट्रेनिंग लेने के लिए अब आसपास के गांवों के किसान भी आने लगे हैं। सूचना : आप भी किसान हैं और खेती में ऐसे नवाचार किए हैं, जो सभी किसान भाइयों के लिए उपयोगी हैं, तो डिटेल व फोटो-वीडियो हमें अपने नाम-पते के साथ 8708786373 पर सिर्फ वॉट्सएप करें। ध्यान रखें, ये नवाचार किसी भी मीडिया में न आए हों। सूचना : प्रगतिशील किसान भूप सिंह से और जानें 9518600511
पंजाब के पठानकोट स्थित व्हाइट मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर रईस भट्ट से सुरक्षा एजेंसियों की पूछताछ पूरी हो गई। इसके बाद रविवार को डॉक्टर को भेज दिया गया। मेडिकल कॉलेज पहुंचे डॉक्टर भट्ट ने बताया कि उनसे दिल्ली में ब्लास्ट करने वाले डॉ. उमर नबी के बारे में 3 सवाल पूछे गए। उनसे पूछा गया कि डॉ. उमर से कहां मुलाकात हुई? कभी बातचीत या चैट हुई है क्या? डॉ. भट्ट का कहना है कि उन्होंने इन सभी सवालों का जवाब दिया। इसके बाद मेडिकल करवाकर उन्हें जाने दिया गया। डॉक्टर भट्ट ने कहा- किसी को बिना बताए चले जाने के चलते कॉलेज में पैनिक हो गया था। मुझे टीम ने कहा था कि आपको सुबह ओपीडी टाइम तक भेज दिया जाएगा। पहले पूछताछ अंबाला में होनी थी। बाद में दिल्ली तय हुआ। इसके चलते देरी हो गई। परिवार को भी नहीं बताया था। मैं भी डर गया था। डॉ. रईस भट्ट ने पूछताछ के बारे ये अहम बातें बताईं... चेयरमैन बोले- डॉ. भट्ट अरेस्ट नहीं थेवहीं, व्हाइट मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन स्वर्ण सिंह सलारिया ने कहा- मेरे कॉलेज के बारे में जिम्मेदारी से रिपोर्ट करें। शनिवार को यहां से डॉक्टर को पूछताछ के लिए ले जाया गया था। यह पूछताछ का हिस्सा है। यह मेरे पास बेस्ट सर्जन हैं। इन्हें नौकरी पर रखने से पहले सब कुछ पता किया गया था। यह अल-फलाह मेडिकल कॉलेज में थे, लेकिन इन्हें अरेस्ट नहीं किया गया। केवल पूछताछ के लिए बुलाया गया था।
अमृतसर के हल्का बाबा बकाला के पास स्थित गांव धूलके में बीते दिन एक किराना दुकान पर बैठे दुकानदार पर अज्ञात व्यक्तियों ने फायरिंग कर दी। इस हमले में एक व्यक्ति के छाती में गोली लगी और उसकी मौके पर ही मौत हो गई। बताया जा रहा है कि यह फायरिंग की घटना कोई पहली बार नहीं हुई है। इससे पहले भी इसी दुकानदार के घर पर फायरिंग की गई थी और मामला फिरौती से जुड़ा सामने आया था। मृतक के बेटे लखविंदर सिंह ने इस मामले में जानकारी देते हुए बताया कि 26 तारीख की रात को उनके घर पर भी 5 गोलियां चलाई गई थीं और 50 लाख रुपए की फिरौती की मांग की गई थी। इस धमकी की सूचना तुरंत पुलिस को दी गई थी। पुलिस मौके पर आई, जांच भी हुई, लेकिन उसके बाद परिवार को कोई कॉल नहीं आई। परिवार का कहना है कि उन्हें उम्मीद थी कि मामला शांत हो गया है, लेकिन अचानक दोबारा 2 अज्ञात हमलावर दुकान पर पहुंचे और गोलियां बरसानी शुरू कर दीं। इस दौरान पीड़ित के पिता को गोली मारी गई, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई। परिवार की सुरक्षा मांग, गांव में दहशत घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और पूरे इलाके को सील कर दिया गया। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली जा रही है, ताकि हमलावरों की पहचान की जा सके। साथ ही यह भी जांच की जा रही है कि फिरौती की मांग किसने की थी और क्या दोनों घटनाओं के पीछे एक ही गैंग का हाथ है। पुलिस का कहना है कि आरोपी जल्द ही गिरफ्तार किए जाएंगे। वहीं पीड़ित परिवार ने प्रशासन से सुरक्षा की मांग करते हुए कहा कि अगर पहली शिकायत के बाद कड़ी कार्रवाई होती, तो शायद यह जान न जाती। गांव के लोग भी इस घटना के बाद खौफ में हैं और दोषियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की मांग कर रहे हैं।
पंजाब के तरनतारन उपचुनाव में AAP ने भले ही 10,000 वोट से जीत दर्ज की हो, लेकिन कई बूथों पर उसे 100 से भी कम वोट मिले। वहीं अकाली दल कुछ बूथों पर आगे रहा, तो कांग्रेस केवल दो बूथों पर बढ़त बना सकी। भाजपा की स्थिति सबसे खराब रही, 56 बूथों पर 10 या उससे कम वोट मिले। जगतपुरा के नंबर 16 ऐसा बूथ था, जहां आम आदमी पार्टी कांग्रेस से सिर्फ 1 वोट से आगे रही। यहां कांग्रेस को 132 तो AAP को 133 वोट मिले। 14 बूथ पर आप 100 या 100 से कम वोट पाई। सबसे कम वोट मियांपुर के बूथ नंबर 25 में पड़े, जहां आप को सिर्फ 29 वोट मिले। इसके अलावा मियांपुर के 24 नंबर बूथ पर 34, खैरदीनके के 21 नंबर बूथ पर 39, बुच्चड़ हवेलियां में 41 वोट आम आदमी को मिले। गांव डल्ला में अकाली दल को सिर्फ 18 वोट मिलेचुनावों में तकरीबन 60 बूथ ऐसे थे, जहां अकाली दल ने आम आदमी पार्टी से अधिक वोट हासिल किए। इतना ही नहीं, 4 बूथ ऐसे थे, जहां अकाली दल 1 वोट से आगे रहा। मियांपुर के 24 नंबर बूथ से 561, सराय अमानत खां के 5 नंबर बूथ से 541, मियांपुर के 25 नंबर बूथ से 385, दोदे के 53 नंबर बूथ से 317, पंडारी रां सिंह के बूथ 76 से 306 वोट अकाली दल को पड़े। वहीं डल्ला वे बूथ था, जहां अकाली दल को सिर्फ 18 वोट मिले। कांग्रेस सिर्फ दो बूथों पर रही आगेकांग्रेस तरनतारन उप-चुनाव में खैरदीनके के दो बूथों 20 व 21 में सबसे अधिक वोट लेने में सफल रही। यहां बूथ 21 पर 358 और बूथ 20 में 302 वोट मिले हैं। इसके अलावा बूथ जगतपुरा, जगतपुरा, कसैल, डल्ला, सोहल ठठियां में भी कांग्रेस आगे रही। हैरानी की बात है कि गांव बुर्ज, जहां से उम्मीदवार थे, वहां उन्हें 245 और आम आदमी पार्टी को 270 वोट मिले हैं। अमृतपाल सिंह को हर बूथ में मिली नाकामयाबीअमृतपाल सिंह की पार्टी अकाली दल वारिस पंजाब दे एक भी बूथ पर बढ़त नहीं बना सकी। एक भी बूथ ऐसा नहीं था, जहां सबसे अधिक वोट मिले हों। अमृतपाल सिंह की पार्टी को सबसे अधिक वोट पंडोरी कलां के 84 नंबर बूथ में मिले, जहां उन्हें 223 वोट पड़े। वहीं, झबाल कलां के 65 व मुरादपुरा के 131 नंबर बूथ पर सिर्फ 10-10 वोट पड़े हैं। 56 बूथों पर 10 या इससे भी कम वोट भाजपा को मिलेतरनतारन उप-चुनाव में भाजपा को आनी जमानत जब्त करवानी पड़ी। यहां 56 बूथ ऐसे थे, जहां इन्हें 10 या 10 से कम वोट पड़े। सबसे अधिक वोट 82 नंबर बूथ पर पड़े। यहां 166 वोट पड़े। जबकि 151 नंबर बूथ पर 124 और 193 नंबर बूथ पर 104 ही वोट पड़े। अन्य सभी बूथों पर भाजपा को 100 से कम वोट पड़े हैं। 21, 24 और 97 नंबर बूथ ऐसे हैं, जहां भाजपा को एक भी वोट नहीं पड़ा।
हरियाणा के नारनौल में सवा छह माह के संघर्ष के बाद कोरियावास गांव के लोगों की डिमांड आधी ही पूरी हो पाई। जो नाम यहां के लोग चाहते थे, वह नाम लोगों को मिला, मगर वह भी अधूरा ही रह गया। इसके लिए विधायक से लेकर मंत्री तक ने जोर भी लगाया। गांव कोरियावास में बने मेडिकल कॉलेज का नाम सरकार ने महर्षि च्यवन रखा। नामकरण होते ही ग्रामीणों में रोष व्याप्त हो गया। एक मई से यहां ओपीडी सेवाएं शुरू हुई। मरीजों को महर्षि च्यवन मेडिकल कॉलेज के नाम की ओपीडी स्लीप काटी गई। इसके बाद पांच मई को कॉलेज के मुख्य गेट पर बोर्ड लगाया गया। इस बोर्ड के लगते ही इसको तोड़ यहां छह मई सुबह से लोग धरने पर बैठ गए तथा महर्षि च्यवन के नाम का विरोध कर कॉलेज का नाम राव तुलाराम कराने पर अड़ गए। कई बार निकले ट्रैक्टर मार्च मेडिकल कॉलेज का नाम राव तुलाराम हो। इसके लिए ग्रामीणाें ने खूब संघर्ष भी किया। आपसी भाईचारा भी बिगड़ा, ट्रैक्टर ट्राली मार्च भी कई बार निकले। मगर अंत में सीएम की रैली में हुई घोषणा के बाद सवा छह महीने से संघर्ष कर रहे लोगों को उठना पड़ा। विधायक बोले कॉलेज का नाम हो, मंत्री ने मांगा अस्पताल का नाम नई अनाज मंडी के मैदान में आयोजित महाराज शुर सैनी जयंती पर सभा को संबोधित करते हुए विधायक ओमप्रकाश यादव ने सीएम के सामने मांग रखी कि मेडिकल कॉलेज का नाम राव तुलाराम के नाम से हो। वहीं स्वास्थ्य मंत्री आरती राव ने केवल यह कहा कि मेडिकल कॉलेज के अंदर बनने वाले अस्पताल का नाम राव तुलाराम पर रखा जाए। जिसके बाद अपने संबोधन में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने मेडिकल कॉलेज के अंदर बन रहे अस्पताल का नाम राव तुलाराम रखने की घोषणा कर दी। जब सीएम ने यह घोषणा कि तो राजनीति के जानकारों ने कहा कि सीएम ने एक तीर से दो निशाने लगा दिए। नाम भी नहीं बदला तथा धरना कर रहे लोगों को सांत्वना भी दे दी। आरती ने उठाया लोगों को सीएम की रैली के बाद स्वास्थ्य मंत्री आरती राव, एमपी धर्मवीर सिंह व विधायक ओमप्रकाश यादव धरना स्थल पर पहुंचे। जिसके बाद धरने पर बैठे लोगों को माला पहनाकर उनको धरने से उठाया तथा कहा कि यह उनकी जीत है। जिसके बाद धरना पर बैठे लोगों ने धरना समाप्त कर दिया। चली सोशल मीडिया पर चर्चा वहीं इसकी चर्चा सोशल मीडिया पर जोर शोर से है। कई लोग अलग-अलग प्रतिक्रिया दे रहे हैं। लोगों का कहना है कि यह धरना पर बैठे लोगों को हटाने के लिए केवल एक लॉलीपॉप है।
दिल्ली ब्लास्ट केस में जांच एजेंसियों का केंद्र फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी बन गई है। यूनिवर्सिटी के डॉ. मुजम्मिल शकील और डॉ. शाहीन सईद ने पूछताछ में बताया कि आतंकी मॉड्यूल ने यूनिवर्सिटी को रेडिकलाइजेशन और लॉजिस्टिक कवर के तौर पर इस्तेमाल किया, यानी यूनिवर्सिटी आतंकियों के छिपने और योजना बनाने में इस्तेमाल हो रही थी। पुलिस सोर्सेज के मुताबिक, यह मॉड्यूल युवाओं को कट्टर बना रहा था और उनसे हथियार और विस्फोटक खरीदने, छिपाने और हमले की योजना बनाने जैसे काम करवाता था। कल जांच एजेंसी आमिर को यूनिवर्सिटी परिसर में लेकर पहुंची थी। दिल्ली में ब्लास्ट हुई i-20 कार आमिर के नाम पर ही रजिस्टर्ड थी। आमिर और उमर ने मिलकर ब्लास्ट की साजिश रची थी। अब जांच एजेंसियां डॉ. शाहीन और डॉ. मुजम्मिल को साथ में बिठाकर सवाल पूछेंगी। इससे पहले उनसे अलग-अलग जो बातें पता चली हैं, उन्हें मिलाया जाएगा ताकि पता चल सके कि कौन सच बोल रहा है और कौन झूठ। जांच एजेंसियों को कुल 22 डॉक्टरों और स्टूडेंट्स पर इस मॉड्यूल में शामिल होने का शक है। चार गिरफ्तार डॉक्टरों के मेडिकल रजिस्ट्रेशन रद्द किए जा चुके हैं। इनमें डॉ. आदिल, डॉ. शाहीन सईद, डॉ. मुजम्मिल और डॉ. उमर शामिल हैं। बताया गया है कि 15 डॉक्टर अभी भी अंडर ग्राउंड हैं। अब जानिए रेडिकलाइजेशन और लॉजिस्टिक कवर कैसे किया... एजेंसियों ने यूनिवर्सिटी को बनाया कमांड सेंटर इस मामले में NIA, दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल, फरीदाबाद क्राइम ब्रांच, जम्मू-कश्मीर पुलिस और यूपी ATS मिलकर काम कर रही हैं। इन एजेंसियों ने अल-फलाह यूनिवर्सिटी को जांच पूरी होने तक अपना अस्थाई कमांड कंट्रोल सेंटर बना लिया है। गेट पर सभी अधिकारियों का रिकॉर्ड मेंटेन किया जा रहा है। उनसे यह भी पूछा जा रहा है कि वह किस काम ये यहां आए हैं। वाहनों की तलाशी भी ली जा रही है। वहीं, इन्फोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ED) यह पता लगा रही है कि यूनिवर्सिटी को पैसा कहां से मिल रहा था। रविवार को उनकी टीम आई थी, लेकिन अभी जांच शुरू नहीं हुई है। वे यहां जमीन के कागजात, पैसे से जुड़े रिकॉर्ड, हॉस्टल के रिकॉर्ड और प्रोफेसरों की भर्ती से जुड़ी जानकारी भी देखेंगे। फरीदाबाद पुलिस ने JK पुलिस को सतर्क किया थाफरीदाबाद पुलिस ने जम्मू-कश्मीर पुलिस को पहले ही विस्फोटक सामग्री के बारे में सतर्क किया था, जब डॉ. मुजम्मिल अहमद के किराए के कमरों से विस्फोटक बरामद हुआ था। फरीदाबाद पुलिस ने जम्मू-कश्मीर पुलिस को सावधानी बरतने की सलाह दी थी, क्योंकि विस्फोट का खतरा था। हालांकि, जम्मू-कश्मीर पुलिस ने जब्त सामग्री को नौगाम थाने में ही रख दिया, जिससे विस्फोट हो गया। पुलिस सूत्रों का कहना है कि इस तरह की सामग्री को अलग रखना चाहिए और सावधानी बरतनी चाहिए, लेकिन ऐसा लगता है कि इस मामले में पूरी सावधानी नहीं बरती गई। थानों से सिलेंडर और पटाखे हटाने का आदेशनौगाम थाने में हुए हादसे से सीख लेते हुए फरीदाबाद के पुलिस कमिश्नर सत्येंद्र कुमार ने सभी थाना इंचार्ज को आदेश दिया है कि वे अपने थानों में आग पकड़ने वाली चीजों को अलग रखें। उन्होंने खासकर दीवाली पर जब्त किए गए पटाखों को लेकर सावधानी बरतने को कहा है। साथ ही, थानों में रखे गैस सिलेंडरों को भी हटाने के लिए कहा गया है, क्योंकि उनसे गैस लीक होने से धमाका हो सकता है। ॰॰॰॰॰॰॰ यह खबर भी पढ़ें... दिल्ली ब्लास्ट में डॉक्टर-इमाम-पेशेंट मॉड्यूल:मरीजों की मदद के बहाने फियादीन हमलावर ढूंढते थे डॉ. मुजम्मिल-शाहीन; 3 केस सामने आए दिल्ली ब्लास्ट केस में डॉक्टर-इमाम ही नहीं, अब पेशेंट मॉड्यूल भी सामने आ रहा है। जिसमें डॉ. मुजम्मिल, लेडी डॉ. शाहीन और डॉ. उमर नबी मरीजों की मदद के बहाने ऐसे शिकार ढूंढते थे, जिनका वो जरूरत पड़ने पर इस्तेमाल कर सकें। ये डॉक्टर मरीजों के घर तक पहुंच जाते थे। वहां परिवार को बारीकी से जायजा लेते। फिर अहसान में दबाते। ऐसे 3 केस सामने आ चुके हैं। ऐसे पेशेंट भी अब जांच एजेंसियों को रडार पर हैं। पूरी खबर पढ़ें...
दिल्ली ब्लास्ट केस में डॉक्टर-इमाम ही नहीं, अब पेशेंट मॉड्यूल भी सामने आ रहा है। जिसमें डॉ. मुजम्मिल, लेडी डॉ. शाहीन और डॉ. उमर नबी मरीजों की मदद के बहाने ऐसे शिकार ढूंढते थे, जिनका वो जरूरत पड़ने पर इस्तेमाल कर सकें। ये डॉक्टर मरीजों के घर तक पहुंच जाते थे। वहां परिवार को बारीकी से जायजा लेते। फिर अहसान में दबाते। ऐसे 3 केस सामने आ चुके हैं। ऐसे पेशेंट भी अब जांच एजेंसियों को रडार पर हैं। दिल्ली ब्लास्ट में खुद को उड़ाने वाले डॉ. उमर नबी की लाल रंग की ईको स्पोर्ट्स कार को छिपाने वाला बाशिद इसी मॉड्यूल का हिस्सा है। डॉ. मुजम्मिल ने उसके पिता का ट्रीटमेंट किया था। उसके बाद डॉ. शाहीन व डॉ. उमर नबी से मुलाकात कराई। उसे डॉ. शाहीन के अधीन अल फलाह यूनिवर्सिटी में नौकरी दिलवाई। फिर उससे संदिग्ध सामान इधर से उधर कराने लगे। ऐसे ही नूंह के एक इमाम के बेटे के ट्रीटमेंट के बहाने संपर्क बढ़ाए। धौज मस्जिद के इमाम इश्तियाक से भी डॉ. मुजम्मिल ने यूं ही संपर्क बढ़ाया और फिर उसका कमरा किराए पर लेकर वहां विस्फोटक छिपाया। जांच एजेंसी से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि जम्मू-कश्मीर में भी आतंकियों का डॉक्टर-मौलवी मॉड्यूल सामने आया था। अल-फलाह के मामले में तो इसमें पेशेंट भी जुड़ गए। सबसे पहले पढ़िये…लाल ईको स्पोर्ट्स को छिपाने में मदद करने वाले बाशिद की कहानी पिता को पैरालाइज हुआ, डॉ. मुजम्मिल ट्रीटमेंट के बहाने घर आयादैनिक भास्कर एप की टीम धौज गांव में बाशिद के घर पहुंची। बाशिद को जांच एजेंसियों अरेस्ट कर चुकी हैं। उस पर आतंकी डॉक्टरों की मदद का आरोप है। दिल्ली लाल किले के सामने खुद को आई-20 कार समेत विस्फोट से उड़ाने वाले डॉ. उमर नबी की रेड ईको स्पोर्ट्स कार बाशिद ने ही अपनी बहन के घर छिपाई थी। बाशिद का परिवार कैमरे के सामने आने को तैयार नहीं हुआ। हालांकि ऑफ कैमरा सारी कहानी बताई। उन्होंने कहा- करीब डेढ़ साल पहले बाशिद के पिता राशिद को पैरालाइज हो गया। बाशिद पिता को अल-फलाह यूनिवर्सिटी के मेडिकल कॉलेज में लेकर गया। जहां इमरजेंसी में डॉ. मुजम्मिल से मुलाकात हुई। राशिद कई दिन यहां भर्ती रहे। इसके बाद मुजम्मिल और बाशिद की मुलाकात रोजाना होने लगी। पिता को अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद भी डॉ. मुजम्मिल के संपर्क में रहा। मुजम्मिल इलाज करने घर आने लगा। बाशिद के परिवार के दूसरे लोग भी डॉ मुजम्मिल को जान गए थे। डॉ. शाहीन से मुलाकात कराई, नौकरी दिलवाईपरिवार ने बताया कि करीब एक साल पहले डॉ मुजम्मिल ने बाशिद को अस्पताल में मेडिसिन डिपार्टमेंट की HOD डॉ शाहीन सईद से मिलवाया। डॉ शाहीन सईद ने दिल्ली ब्लास्ट में मारे गए आतंकी डॉ उमर नबी से पहचान कराई। डॉ उमर नबी के कहने पर डॉ. शाहीन ने उसको मेडिसन डिपार्टमेंट में ही क्लर्क की पोस्ट पर लगवा दिया। इसके बाद तीनों बाशिद से अपना काम निकलवाने लगे। अस्पताल में नौकरी लगने से पहले बाशिद एक निजी कंपनी में काम करता था। पिता के बीमार होने के कारण उसने नौकरी छोड़नी पड़ी थी। जिसका फायदा उठाकर डॉ. मुजम्मिल ने बाशिद को नौकरी दिलवाकर अपने नेटवर्क में शामिल कर लिया। रेड ईको स्पोर्ट्स कार यूज करने के लिए दीइस दौरान तीनों अपने निजी काम करवाने के लिए बाशिद को अपनी गाड़ी देकर भेजते रहते थे। दिल्ली ब्लास्ट से करीब पांच महीने पहले से बाशिद से नूंह से सामान मंगवाने का सिलसिला शुरू किया गया। जिसमें कई बार डॉ. उमर भी उसके साथ नूंह तक सामान लेने के लिए गया। परिवार ने बताया कि कई बार उसको अकेले ही सामान लेने के लिए भेज दिया जाता था। अकसर उमर की कार बाशिद के पास रहती थी। उमर ने यूनिवर्सिटी आना छोड़ा तो कार बाशिद के पास रहीइसी बीच जम्मू-कश्मीर में डॉक्टर-मौलवी मॉड्यूल पकड़ में आया। जिसके तार फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़ रहे थे। 30 अक्टूबर के बाद डॉ. उमर ने यूनिवर्सिटी आना छोड़ दिया। तब से रेड ईको कार बाशिद के पास ही रही।जब डॉ. मुजम्मिल को आंतकी गतिविधियों में शामिल होने के चलते अल-फलाह यूनिवर्सिटी के अस्पताल से गिरफ्तार किया तब इको स्पोर्टस कार यूनिवर्सिटी में ही थी। दिल्ली में ब्लास्ट होने के बाद उसने लाल रंग की ईको स्पोर्ट्स कार की तलाश शुरू हुई तो 10 नवंबर को बाशिद यह कार गांव खंदावली में अपनी बहन के घर छोड़ा आया। साथ ही लैपटॉप व दूसरा सामान घर पर रखकर फरार हो गया। बाद में बाशिद ने फोन करके अपने परिवार के लोगों को सारी जानकारी दी। परिवार को बताया-डॉक्टरों ने इस्तेमाल कियापरिवार के अनुसार बाशिद ने उन्हें बताया कि उसे फंसाने के लिए डॉ. मुजम्मिल और डॉ. नबी ने उसका इस्तेमाल किया है। वे उससे उनकी गाड़ी में कुछ गलत सामान मंगवाते हैं। बाशिद ने परिवार को बताया कि डॉ. मुजम्मिल को पुलिस ने पकड़ लिया है। डॉ. उमर की कार उसके पास है और उसे अब डर लग रहा है। वहीं परिवार के लोगों के अनुसार पुलिस को उन्होंने ही लाल कार के बारे में सूचना दी थी। 24 घंटे से ज्यादा चली कार की जांच12 नवंबर की शाम को गांव खंदावली में एनएसजी कमांडो, एनएसजी बॉम्ब स्क्वॉड टीम, एनआईए, सीएफएसएल और हरियाणा पुलिस की टीमों ने संयुक्त रूप से जांच शुरू की। 24 घंटे की लगातार जांच के बाद कार को फरीदाबाद पुलिस के हवाले किया। अब कार को फरीदाबाद के सेक्टर 58 के थाने में रखा गया है। एफएसएल जांच में इस कार में विस्फोटक ढोए जाने के कुछ प्रमाण मिले हैं। अब जानिए…कैसे मदद के बहाने इमाम को मॉड्यूल में शामिल किया डॉ. मुज्जिमल ने यूनिवर्सिटी की मस्जिद के इमाम मोहम्मद इश्तियाक और नूंह के इमाम इमामुद्दीन को भी मदद के बहाने की फंसाया। इश्तियाक का तो आतंक की नर्सरी तैयार करने के मकसद से भी इस्तेमाल किया। साथ ही उसका घर किराये पर लेकर विस्फोटक रखा। पढ़िये दोनों इमामों की कहानी। मस्जिद में नमाज के वक्त इश्तियाक से संपर्क बढ़ायाडॉ. मुजम्मिल व डॉ. उमर अल फलाह यूनिवर्सिटी में बनी मस्जिद में पांचों वक्त नमाज अदा करने आते थे। इसी दौरान मस्जिद के इमाम मोहम्मद इश्तियाक से संपर्क बढ़ाया और उसके भरोसा जीता। डॉक्टर उसके घर दावत पर भी आने लगे थे। इश्तियाक की बीवी हसीना ने दैनिक भास्कर एप से बातचीत में बताया कि डॉ. मुजम्मिल कई बार उनके घर आता था। अकसर मदद भी करता था। कई डॉक्टरों को दूध भी इमाम के घर से ही जाता था। दोस्त का सामान रखने के बहाने घर किराये पर लियाहसीना के मुताबिक डॉ. मुजम्मिल ने यह कहकर उनका फतेहपुरा तगा वाला घर किराये पर लिया था कि दोस्त का सामान रखना है। जांच एजेंसियों की रिपोर्ट के मुताबिक इश्तियाक खुद भी सामान रखवाने डॉ. मुजम्मिल के साथ गया था। तब पड़ोसियों को यही बताया था कि ये खाद के थैले हैं। जो बाद में विस्फोटक सामग्री निकली। ऐसे ही धौज में भी एक कमरा किराये पर लिया था। वहां भी यही कहा था कि बस सामान ही रखना है। अंडर ग्राउंड मदरसा बनाने में फंडिंग कीयूनिवर्सिटी से करीब 700 मीटर दूरी पर 4-5 महीने से एक इमारत बनाई जा रही थी। कुछ दूरी पर मदरसे का बोर्ड लगाया गया था। इस मदरसे में इमाम इश्तियाक को चेहरा बनाया गया जबकि फंडिंग डॉ. मुजम्मिल कर रहा था। बोरवेल लगाने के लिए 35 हजार रुपए की ट्रांजेक्शन भी सामने आई है। इमाम यहां रोजाना 2 घंटे आकर 15-20 बच्चों की दीनी तालीम दे रहा था। अंदेशा है कि बच्चों का ब्रेन वॉश करके स्लीपर सेल बनाया जा रहा था। पत्नी के इलाज को लेकर संपर्क में आया इमामडॉ मुजम्मिल के संपर्क को लेकर सिरोही गांव की मस्जिद के इमाम इमामुद्दीन को भी NIA ने हिरासत में लिया है। गांव खोइरी निवासी इमामुद्दीन करीब दो साल पहले डॉ मुजम्मिल के संपर्क में आया था। वह अपनी पत्नी का इलाज कराने के लिए अल फलाह यूनिवर्सिटी के मेडिकल में गया था। जहां पर इमाम का डॉ मुजम्मिल के संपर्क में आया। इमामुद्दीन के बेटे मुहम्मद जुनैद ने बताया कि उसके पैर का ऑपरेशन भी उसने अल फलाह यूनिवर्सिटी के मेडिकल से ही कराया था। उसके बाद से ही उसके पिता डॉ. मुजम्मिल से दवाओं के लिए बात करते थे। उसने यह भी बताया था कि उनके पास कुछ पैसे की ट्रांजेक्शन दवाओं को लेकर की गई थी। उसने बताया कि उनके घर पर कई बार डॉ मुजम्मिल इलाज करने के लिए आया था।
छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले में शनिवार शाम को 6 दोस्तों ने युवक को डंडे से जमकर पीटा, फिर गला घोंटकर मार डाला। बताया जा रहा है कि गाली-गलौज करने के बाद विवाद बढ़ा। हत्या कर लाश फेंककर आरोपी भाग गए थे। मामला चांपा थाना क्षेत्र का है। जानकारी के मुताबिक मृतक का नाम रोहित महंत है, जो चांपा का रहने वाला था। सभी दोस्तों ने शराब पीने के दौरान गाली-गलौज करने पर मर्डर की साजिश रची थी, फिर युवक की हत्या की। पुलिस ने 6 आरोपियों को अरेस्ट किया है। जानिए क्या है पूरा मामला ? दरअसल, 15 नवंबर की रात करीबन 8 बजे सागर अपने साथियों के साथ शराब पीने की बात कह रहा था। घोघरा नाला के पास आपस में लड़ाई झगड़ा कर रहे थे। इस दौरान रोहित महंत ने सागर कर्ष को गालियां दी। इससे गुस्साए सागर कर्ष ने रोहित को 3-4 थप्पड़ मार दिए। मार खाने के बाद सागर मौके से चला गया। वहीं विवाद के बाद सागर कर्ष अपने दोस्त नागेश्वर नायडू, अश्वनी कुमार सतनामी, विजय श्रीवास, विनय कुर्रे, आकाश उर्फ अज्जू साहू के साथ बैठा था। घोघरा नाला नदी किनारे मुक्तिधाम के पास रात 9:30 बजे रोहित महंत दोबारा पहुंचा। इस दौरान सागर कर्ष और उसके दोस्तों को गाली-गलौज करने लगा। 5 दोस्तों ने पकड़कर रखा, सागर ने मारे डंडे इस दौरान गाली-गलौज से फिर सागर और उसके दोस्त भड़क गए। सभी दोस्त एक राय होकर रोहित महंत को मारने की साजिश रची। रोहित महंत को सभी ने मिलकर जमकर पीटा। इस दौरान नागेश्वर, अश्वनी, विजय, विनय, आकाश और अज्जू ने रोहित के हाथ पैर को पकड़कर रखा। वहीं सागर कर्ष ने डंडे से रोहित महंत के सिर पर जोरदार हमला किया। इससे रोहित बेहोश होकर जमीन पर गिर गया। इसके बाद सागर कर्ष ने साथियों के साथ मिलकर गला घोंटकर हत्या कर दी। मर्डर के बाद सभी आरोपी मौके से भाग निकले। पुलिस ने छापेमारी कर आरोपियों को हिरासत में लिया वहीं मर्डर की खबर मिलते ही चांपा पुलिस मौके पर पहुंची। रोहित की लाश कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा। वहीं विवाद के बाद हत्या की बात सामने आई। पुलिस ने FIR दर्ज कर आरोपियों के ठिकाने पर छापेमारी की। पुलिस ने सभी आरोपियों को हिरासत में लेकर पूछताछ की। जांजगीर चांपा SP विजय कुमार पांडेय ने बताया कि आरोपियों ने पहले गुमराह किया, लेकिन कड़ाई से पूछताछ करने पर हत्या करने की बात स्वीकार की। सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया, जहां से कोर्ट ने जेल भेज दिया है। मामले की जांच की जा रही है। ......................................................... क्राइम से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें... दोस्त को चाकू गोदकर मार डाला, LIVE VIDEO: राजनांदगांव में अपने जन्मदिन के दिन ही किया मर्डर; शराब के नशे में हुआ था विवाद छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में मर्डर का लाइव वीडियो सामने आया है। आरोपी ने अपने दोस्त की दिनदहाड़े चाकू से गोदकर हत्या कर दी। अपने जन्मदिन के दिन ही आरोपी ने वारदात को अंजाम दिया। हत्या की वजह नशे में हुआ मामूली विवाद था। पढ़ें पूरी खबर...
बेटे की गोद में ये पिता हैं एनएसजी कमांडो रहे देशराज यादव। वही देशराज, जिन्होंने हमारी संसद पर अटैक करने वाले आतंकियों से मुठभेड़ की थी। इनकी रीढ़ की हड्डी में इस कदर फ्रैक्चर है कि बिना सहारे बिस्तर से उठ नहीं सकते। कमर से नीचे का हिस्सा लकवाग्रस्त है और 21 साल से इसी हालत में हैं। पत्नी का देहांत हो चुका है। झुंझुनूं के बुहाना में सांतोर गांव के मूल निवासी देशराज की स्कूलिंग गांव में ही हुई। 1995 में 11 कुमाऊं में सिपाही भर्ती हुए। ज्यादातर ड्यूटी जम्मू-कश्मीर, अरुणाचल में रही। देशराज बताते हैं-संसद पर आतंकी हमले के दौरान वे उस एनएसजी कमांडो यूनिट का हिस्सा रहे जिन्होंने आतंकियों को मुठभेड़ में मार गिराया। 2000-04 तक वे एनएसजी कमांडो सर्विस पूरी कर फिर से जम्मू चले गए। देशराज बताते हैं- 19 जून 2005 की रात जिंदगी बदलने वाला वाक्या हुआ। आतंकी घुसपैठ रोकने यूनिट ने एंबुश लगाया था। नोसेरा में एलओसी पर ऑपरेशन रक्षक के दौरान आतंकियो से मुठभेड़ चल रही थी, तभी ब्लास्ट हुआ और एक पेड़ मुझ पर आ गिरा। मेरी रीढ़ की हड्ढडी टूट गई। मिलिट्री हॉस्पिटल उधमपुर, दिल्ली, पुणे में इलाज चला। कमर से नीचे के हिस्से ने काम करना बंद कर दिया। शत फीसदी विकलांगता है। पुराने दिनों को याद कर भावुक देशराज कहते हैं- पत्नी इस दुनिया में रही नहीं, ऐसे में अब दो बेटे ही सहारा हैं। मुझे नहलाना, नित्यकर्म करवाने से लेकर कहीं बाहर ले जाने की पूरी जिम्मेदारी वे ही निभाते हैं। इलाज के खातिर जयपुर के कालवाड़ रोड स्थित निवास पर रहता हूं। देशराज बोले- मुझे किसी से शिकायत नहीं, लेकिन युद्ध विकलांग फौजियों के वक्त बे वक्त हालचाल सरकार को लेते रहना चाहिए। देशराज के 90 वर्षीय पिता भी फौजी रहे हैं। देशराज स्टेट फुटबॉलर रहे। करीब चार सौ फ्लाइट में स्काई मर्शल भी रहे।
ग्वालियर में उगेगा बैंगनी आलू:मिट्टी में दोगुना, एयरोपोनिक्स तकनीक से 100 गुना तक उत्पादन
यदि आप आलू की नई किस्मों के बारे में जानना चाहते हैं, जो विदेशों में बहुतायत में पाई जाती हैं। तो आपके लिए अच्छी खबर है। राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय में आलू की रंगीन किस्मों पर काम किया जा रहा है। यहां स्थापित जीन बैंक में बैंगनी आलू की वैराइटी को तैयार किया गया है। जिसके जीन विश्वविद्यालय ने शिमला से मंगाए थे। अब इन जीन पर स्टडी कर बीज तैयार किए जा रहे हैं। जो पोषक तत्वों से भरपूर होंगे और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाएंगे। इस आलू के जीन अभी जीन बैंक में संरक्षित किए गए हैं। इन्हें एयरोपोनिक्स तकनीक यानि बिना मिट्टी के हवा में उगाया जा रहा है। इस तकनीक के जरिए नए बीज तैयार किए जा रहे हैं। इन बीजों से 400 किलो आलू की पैदावार विवि कैंपस में जमीन में भी की गई है। इसके बाद इन बीजों को किसानों को दिया जाएगा, जो इन पोषक तत्वों से भरपूर आलुओं का उत्पादन कर अपनी आय बढ़ा सकेंगे। एंटीऑक्सीडेंट और आयरन इसमें ज्यादा होता है, आस्ट्रेलिया में ज्यादा पैदावरजैव प्रौद्योगिकी केंद्र प्रभारी व वैज्ञानिक सुषमा तिवारी के अनुसार, यह आलू बाहर से और अंदर से बैंगनी रंग का होता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट और आयरन जैसे पोषक तत्व सामान्य आलू की तुलना में कई गुना अधिक होते हैं। यह किस्म ऑस्ट्रेलिया में सबसे ज्यादा पाई जाती है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट तनाव कम करने में मदद करता है और आयरन खून की कमी पूरा करने में सहायक है। अभी तक आलू की फसल ग्वालियर-चंबल अंचल में नहीं की गई है। जीन बैंक से बीज तैयार होने के बाद इसकी फसल यहां भी होने लगेगी। वायरस फ्री, ज्यादा उत्पादन वाला बीजविश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अरविंद शुक्ला ने बताया कि यह बीज पूरी तरह वायरस फ्री होता है। इसका फायदा यह है कि लंबे समय तक फसल में बीमारी नहीं लगती और उत्पादन क्षमता बढ़ जाती है। जहां सामान्य आलू का 1 किलो बीज 10 किलो पैदा करता है। वहीं बैंगनी आलू का 1 किलो बीज 20 किलो तक उपज देता है। अगर इसी आलू को एयरोपोनिक्स तकनीक से उगाया जाए, तो पैदावार 100 गुना तक पहुंच सकती है। इसके बीज आकार में काबुली चने के बराबर होते हैं। विश्वविद्यालय की टीम वर्तमान में बड़े स्तर पर सीड प्रोडक्शन की दिशा में काम कर रही है।
जीवाजी यूनिवर्सिटी:परीक्षाएं इसी माह, रिजल्ट की चुनौती
जीवाजी यूनिवर्सिटी ने स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों की पहले और तीसरे सेमेस्टर की परीक्षाएं इसी माह शुरू करके दिसंबर में पूरी कराने का लक्ष्य तय किया है। इतना ही नहीं यूनिवर्सिटी प्रबंधन के सामने जनवरी में इनका परिणाम घोषित करने की भी चुनौती रहेगी। उच्च शिक्षा विभाग के शैक्षणिक कैलेंडर में भी यही समय तय है, लेकिन पिछले कुछ सालों से इसका पालन नहीं हो पाया था, इस वर्ष कैलेंडर के अनुसार ही परीक्षा कराने की व्यवस्था बनाई है। करीब 30 हजार छात्र-छात्राएं परीक्षा में शामिल होंगे। इसके चलते जेयू द्वारा नवंबर के आखिरी सप्ताह में कॉलेजों की परीक्षाएं शुरू होंगी। इनके बीच ही बीएड और एमएड की परीक्षाएं भी इसी माह शुरू हो जाएंगी। 18 नवंबर से शुरू हो रही बीएड तृतीय सेमेस्टर के लिए 37 परीक्षा केंद्र बनाए गए है। परीक्षाओं के साथ ही शुरू हो जाएगा मूल्यांकन परीक्षा नियंत्रक राजीव मिश्रा का कहना है इस बार 2 पेपर होने के बाद परीक्षा केंद्रों से उत्तर पुस्तिकाओं का संग्रहण शुरू हो जाएगा। इसके बाद परीक्षा भवन में इनके बंडल बनवाए जाएंगे और मूल्यांकन के लिए भेजे जाएंगे। जनवरी के दूसरे सप्ताह तक मूल्यांकन और चौथे सप्ताह में परिणाम घोषित हो जाएगा।
देश के सबसे लंबे नेशनल हाईवे-44 पर अधिकारियों के संरक्षण से जगह-जगह रेत और गिट्टी की अवैध मंडियां बनी हुई हैं। जो कि आए दिन सड़क दुर्घटना का कारण बन रही हैं। रविवार को 5 युवकों की मौत इसी कारण हुई। केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए नियम और लोगों से वसूले जा रहे टोल टैक्स के अनुसार इस हाइवे की सड़क पर रेत मंडी तो दूर कोई पशु भी नहीं होना चाहिए। लेकिन खनिज विभाग के अधिकारियों के संरक्षण से हाईवे पर 6 जगह रोजाना ये मंडी लगी रहती है। जिला मुख्यालय कलेक्ट्रेट व खनिज विभाग के दफ्तर से करीब 3 किलोमीटर के दायरे में ही रोजाना 200 से ज्यादा ट्रेक्टर-ट्रॉली रेत व गिट्टी बिक रही है। हाइवे के सिकरौदा तिराहा, नैनागिर तिराहा, हुरावली तिराहा, मेहरा टोल के पास, खुरैरी रोड, बड़ागांव फ्लाई ओवर के पास, बरेठा पुल के अलावा मुरार के हुरावली-सिरोल रोड मंडी अफसरों की आंखों के सामने चल रही हैं। जिनमें से बिजली घर के सामने खड़ी होने वाली ट्रॉलियों को खुद कलेक्टर रुचिका चौहान दो बार पकड़कर कार्रवाई करा चुकीं। खनिज विभाग के अधिकारी और पुलिसकर्मी हाईवे पर अपनी रिपोर्ट तैयार करने के लिए कभी-कभी कुछ गाड़ियों पर कार्रवाई करते हैं और बाकी के पास रॉयल्टी न होने पर भी वहीं छोड़ आते हैं। सूत्रों के अनुसार जिन ट्रॉली वालों के पास ओवरलोडिंग के साथ रॉयल्टी नहीं होती है उनसे 700 रुपए प्रति ट्रॉली और जिनके पास रॉयल्टी होती है और ओवरलोडिंग हो तो उनसे प्रति ट्रॉली 400 रुपए लिए जाते हैं। ये वसूली देने के बाद ट्रेक्टर-ट्रॉली वाले बेफिक्र होकर अवैध रेत बेचते हैं। 5 मौत के जिम्मेदार ये 4 चेहरे, जिन्होंने निभाया होता फर्ज तो बच जाती जान खनिज विभाग: घनश्याम यादव, जिला खनिज अधिकारी, ग्वालियर भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण: उमाकांत मीणा, प्रोजेक्ट डायरेक्टर परिवहन विभाग: विक्रमजीत सिंह, जिला परिवहन अधिकारी (आरटीओ) पुलिस विभाग: गोविंद बांगोली, सिरौल थाना प्रभारी पांच मौतों के बाद याद आया ट्रॉली और रेत का ये कारोबार जानलेवा है, 20 वाहन जब्त रविवार की अलसुबह सिकरौदा तिराहे के पास हुए भीषण हादसे के बाद भी खनिज विभाग के अधिकारी नहीं चेते। खनिज विभाग की टीम ने खुद से कहीं कोई कार्रवाई नहीं की। वहीं शहर में कानून व्यवस्था के निरीक्षण पर निकली कलेक्टर रुचिका चौहान ने जब विक्की फैक्ट्री के पास रेत की ट्रॉलियां देखीं तो उन्होंने खनिज अधिकारियों को कार्रवाई के लिए बोला। उसके बाद टीम मौके पर पहुंची। इस टीम ने वहां 17 ट्रेक्टर-ट्रॉली, 2 मिनी ट्रक और एक अतिरिक्त ट्रॉली को जब्त किया। इन वाहन मालिक व चालकों के खिलाफ मप्र खनिज अवैध उत्खनन, परिवहन एवं भंडारण निवारण नियम 2022 के तहत कार्यवाही की गई है। ये सभी वाहन झांसी रोड पुलिस थाने में अभिरक्षा में खड़ा कराया गया है। 3 घरों के इकलौते बच्चे थे, डीडी नगर क्षेत्र में मातम शहर में सिकरौदा हाइवे पर कार-ट्रॉली हादसे से पहले रात 3 बजे तक क्षितिज उर्फ प्रिंस राजावत अपने साथियों के साथ शहर में ही घूम रहा था। प्रिंस अपने ताऊ-चाचा के परिवार में भी बहनों का इकलौता भाई था। घटना में मृत क्षितिज के अन्य दो साथी आदित्य व कौशल भी परिवार में इकलौते बेटे थे। रात में प्रिंस ने अपने घर जाकर कार भी बदली थी। इस दौरान प्रिंस के साथ अधिकांश साथ रहने वाले विनायक को उसके घर पर छोड़ा था। इसके बाद नए जुड़े शिवम राज को अपने साथ लेकर इनौवा को घर पर रखकर फॉरच्यूनर को ले लिया था। शिवम गुरुग्राम में जॉब करते हुए इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है। सभी दोस्तों ने तड़के 4 बजे जौरासी पर नाश्ता करने के बाद सभी वापस ग्वालियर के लिए निकले और सिकरौदा पर दुर्घटना हो गई। देर रात परिजन लगाते रहे फोन, लेकिन उठाया नहीं रात 12 बजे के बाद सभी युवकों के मोबाइल पर परिजनों के फोन आने लगे। इसका कारण रात अधिक होना थी। ऐसे में कुछ युवकों ने एक दोस्त का बर्थ-डे की पार्टी की बात परिजनों को बताई। लेकिन बर्थडे किस का था यह किसी को नहीं पता। परिजन ने पुलिस को भी पार्टी की बात बताई थी। गाड़ी काटकर निकालना पड़े पांचों युवकों के शवदुर्घटना की सूचना पर एएसपी अनु बेनीवाल, सीएसपी नागेंद्र सिंह सिकरवार, सिरोल प्रभारी गोविंद बांगोली मौके पर पहुंचे। अधिकारियों ने कार के गेट कटवा कर 5 युवकों निकलवाया। इस दौरान एंबुलेंस स्टाफ ने युवकों की मौत की पुष्टि कर दी। तीन का संस्कार शहर में दो के शव मुरैना-भिंड गएशहर में क्षितिज व आदित्य के शवों का अंतिम संस्कार डीडी नगर स्थित श्मशान में और कौशल भदौरिया का अंतिम संस्कार मुरार में किया गया। अभिमन्यु के शव को उसके परिजन मुरैना ले गए। शिवम राज के शव को उनके परिजन भिंड के किशूपुरा में ले गए। शहर के बड़े कारोबारी व राजनीतिक संपर्क रखने वाले उमेश सिंह राजावत नंबरों के शौकीन हैं। उनके कारों के काफिले में अधिकांश कारों के नंबर 9006 हैं। इनमें ऑडी सहित अन्य लग्जरी गाड़ियां शामिल हैं। डीडी नगर में आलीशान राजावत भवन का नंबर भी एफएच-906 ही है। ट्रैक्टर चालक भागा मालिक की तलाश थाना प्रभारी गोविंद बांगोली ने बताया कि ट्रैक्टर भूरा गुर्जर के नाम पर बताया यह किसी रामनिवास का साथी बताया गया है। इसकी तलाश में दबिश दी जा रही है। ट्रैक्टर ट्रॉली का व्यवसायिक पंजीयन की जानकारी ले रहे हैं। कार से खाली गिलास और बोतल मिली हैं।
जसदेर तालाब के आगोर में रहने वाले कालबेलिया समाज के 85 परिवारों को आगोर से अन्यत्र स्थापित करने के लिए ग्राम पंचायत बाड़मेर ग्रामीण द्वारा प्रयास किए जा रहे हैं। ग्राम पंचायत ने ग्राम सभा में इस संबंध में प्रस्ताव भी लिया गया। साथ ही इस संबंध में आवेदन लेकर कलेक्टर से बाड़मेर शहर की 10 बीघा गैर मुमकिन भाखरी की जमीन को आबादी में बदलने की कार्रवाई की मांग की। लेकिन पिछले एक साल से ग्राम पंचायत के सभी प्रयास विफल हो रहे हैं। इस संबंध में न तो जमीन आबादी भूमि में कन्वर्ट की गई है और न ही भूमिहीन कालबेलिया समाज के परिवारों को जमीन आवंटित हो पाई है। ये 85 परिवार जसदेर तालाब के आगोर में वर्ष 1981 से काबिज है। तालाब के आगोर की जमीन पर होने के कारण इन परिवारों को रहवास के लिए व सरकारी योजनाओं के संबंध में कोई फायदा नहीं मिल पा रहा है। स्थिति यह है कि यह परिवार 44 साल बाद भी मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे हैं। अतिक्रमियों को कुछ जनप्रतिनिधियों की शह, इसलिए नहीं हो रही जमीन आवंटित वर्ष 1981 में आकर जसदेर तालाब के आगोर में कालबेलिया जाति के कुल 65 परिवार बस गए थे। दो साल पहले जब सर्वे हुआ तो यह आंकड़ा 65 से बढ़कर 85 हो गया। ग्राम पंचायत ने सभी 85 परिवारों से वर्ष 2022 में आवेदन भी लिए। ग्राम पंचायत खुद के पास कहीं भी आबादी भूमि नहीं है। ऐसे में सरपंच ने प्रस्ताव बनाकर कलेक्टर को भेजा और इन परिवारों को जमीन आवंटन की मांग की। लेकिन एक साल बाद भी इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इन 85 परिवारों की आड़ में आसपास सैकड़ों लोगों ने अतिक्रमण कर दिया। अब यदि इन परिवारों को जमीन आवंटित हो गई तो उन्हें भी यहां से हटना पड़ेगा। ऐसे में इसमें राजनीति का पेच भी फंसा हुआ है। कुछ जनप्रतिनिधि भी इन अतिक्रमियों को नहीं हटाने के लिए अधिकारियों पर दबाव बना रहे हैं। इस वजह से इन 85 परिवारों की जमीन आवंटन के मामले को दबाया जा रहा है। विभाग के आदेश पर सर्वे, 85 परिवार चिह्नित ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग द्वारा दिए गए आदेशों की अनुपालना में ग्राम पंचायत बाड़मेर ग्रामीण द्वारा 14 अगस्त 2024 को सर्वे करवाया गया। जिसमें 85 कालबेलिया जाति के इन विमुक्त, घुमंतु एवं अर्द्ध घुमंतु आवासहीन परिवारों को चिह्नित किया गया। इस संबंध में ग्राम पंचायत ने प्रस्ताव भी लिया। इन चिह्नित 85 परिवारों के पास सरकारी व गैर सरकारी आवासीय भूखंड नहीं है। इस कारण बाड़मेर शहर के खसरा संख्या 3902/1431 गैर मुमकिन भाखरी की 10 बीघा जमीन को आवंटित करने का प्रस्ताव भिजवाया। इस संबंध में कलेक्टर ने भी पूर्व में आश्वासन दिया है। कालबेलिया परिवार 1981 में तालाब के आगोर में आकर बस गए थे। तब से समाज के लोग यहीं पर निवासरत हैं। एक साल पहले ग्राम पंचायत ने सर्वे करवाकर 85 परिवारों से आवेदन लिए थे। लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। -भंवरनाथ, निवासी, जसदेर तालाब आगोर जसदेर तालाब के आगोर में बैठे कालबेलिया परिवार को भूखंड आवंटित करने के लिए ग्राम पंचायत के पास जमीन नहीं है। इस कारण 10 बीघा जमीन गैर मुमकिन भाखरी की जमीन को आबादी में कन्वर्ट करने का प्रस्ताव बनाकर कलेक्टर को भेजा था। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। -कमला देवी, सरपंच, बाड़मेर ग्रामीण।
नगर निगम और इंदौर विकास प्राधिकरण के दावे थे कि ब्रिज के बोगदों को संवारकर उनके नीचे खेल सुविधाएं विकसित करेंगे। ये दावे दो साल से कागजी घोषणाओं में ही सिमटे हैं। खजराना, भंवरकुआं, फूटी कोठी, माणिकबाग के लिए तो योजनाएं भी तैयार हुईं, लेकिन इन पर काम शुरू नहीं हो सका। दूसरी ओर इन बोगदों में अतिक्रमण हो रहे हैं। पिछले दिनों जनप्रतिनिधियों ने भी निगम अफसरों के समक्ष बोगदों के अतिक्रमण हटाने और इनके नीचे सुविधाएं जुटाने की मांग दोहराई है। दरअसल, आईडीए ने पीपल्याहाना ब्रिज के नीचे इनडोर मैदान बनाए। इनमें क्रिकेट, हॉकी, स्केटिंग ट्रैक, टेबल टेनिस, बैडमिंटन, बास्केटबॉल की सुविधा दी। चार हिस्सों में पार्किंग की जगह भी बनाई गई। इस पहल को सराहना मिली। वर्तमान में प्राधिकरण ही लीज पर देकर इसका संचालन कर रहा है। आसान शुल्क के साथ यह सुविधाएं आम लोगों को दी जा रही हैं। इसका रखरखाव भी हो रहा है। जहां सर्विस रोड, वहां दुकानें लग जाती हैंशहर में रिंग रोड व मास्टर प्लान की सड़कों के आसपास बने फ्लायओवर व रेलवे ओवर ब्रिज की सर्विस रोड पर ट्रैफिक की परेशानी होती है। इन स्थानों पर दुकानें लग जाती हैं। हॉकर जोन बन जाते हैं? इससे सर्विस रोड संकरी हो जाती है। पिछले दिनों पार्षदों ने अपने क्षेत्रों के ब्रिज के नीचे की बदहाली के मामले उठाए थे। कहीं गंदगी पसरी है तो कहीं असामाजिक तत्वों का कब्जा है। माणिक बाग ब्रिज के नीचे सब्जी की दुकानों के साथ ही ठेले-गुमटियां भी जमे हैं। रहवासी क्षेत्रों में ब्रिज होने से नीचे वाहन पार्क हो रहे हैं। राजेंद्र नगर में प्रतीक सेतु के नीचे रात में अंधेरा रहता है। तीन इमली ब्रिज के नीचे खाली जगह पर मवेशी बांधे जा रहे। दूसरी ओर बनाए गए बोगदों में जाली लगी है। वे खाली पड़े हैं। वहीं कुछ बोगदों के नीचे वाहन पार्क हो रहे हैं। बंगाली चौराहे के नीचे वाले बोगदों में फल व सब्जी वालों का कब्जा है। पीपल्याहाना का उदाहरण आगे नहीं बढ़ा सके पीपल्याहाना का सफल मॉडल देखते हुए प्राधिकरण व नगर निगम ने अन्य फ्लायओवर के बोगदों के नीचे भी ऐसी ही सुविधाएं विकसित करने का दावा किया था। नगर निगम ने फूटी कोठी व केसरबाग के नीचे की जगह के उपयोग का प्लान बनाने की घोषणा की थी। फूटी कोठी के नीचे इनडोर स्टेडियम के साथ हॉकर जोन तैयार किया जाना था। वहीं आईडीए अफसरों ने भंवरकुआं ब्रिज के नीचे शैक्षणिक क्षेत्र को देखते हुए छात्रों के उपयोग की सुविधाएं बनाने और खजराना ब्रिज के नीचे की जगह खजराना मंदिर के साथ जोड़ते हुए गणेश गैलरी व अन्य सुविधाएं जुटाने का प्लान था। जहां सर्विस रोड, वहां दुकानें लग जाती हैंशहर में रिंग रोड व मास्टर प्लान की सड़कों के आसपास बने फ्लायओवर व रेलवे ओवर ब्रिज की सर्विस रोड पर ट्रैफिक की परेशानी होती है। इन स्थानों पर दुकानें लग जाती हैं। हॉकर जोन बन जाते हैं? इससे सर्विस रोड संकरी हो जाती है। पिछले दिनों पार्षदों ने अपने क्षेत्रों के ब्रिज के नीचे की बदहाली के मामले उठाए थे। कहीं गंदगी पसरी है तो कहीं असामाजिक तत्वों का कब्जा है। माणिक बाग ब्रिज के नीचे सब्जी की दुकानों के साथ ही ठेले-गुमटियां भी जमे हैं। रहवासी क्षेत्रों में ब्रिज होने से नीचे वाहन पार्क हो रहे हैं। राजेंद्र नगर में प्रतीक सेतु के नीचे रात में अंधेरा रहता है। तीन इमली ब्रिज के नीचे खाली जगह पर मवेशी बांधे जा रहे। दूसरी ओर बनाए गए बोगदों में जाली लगी है। वे खाली पड़े हैं। वहीं कुछ बोगदों के नीचे वाहन पार्क हो रहे हैं। बंगाली चौराहे के नीचे वाले बोगदों में फल व सब्जी वालों का कब्जा है। यह काम हमारी प्राथमिकता में हैशहर में सभी फ्लायओवर के बोगदों को विकसित करने का काम हमारी प्राथमिकता में शामिल है। - सुदाम खाड़े, संभागायुक्त, चेयरमैन, आईडीए दो ब्रिज के बोगदों की योजना बना रहेफूटी कोठी और एक अन्य ब्रिज के बोगदे को निगम विकसित करेगा। जहां कब्जे हो रहे हैं, उन्हें हटाएंगे। - पुष्यमित्र भार्गव, महापौर
बाड़मेर एयरपोर्ट के लिए राज्य सरकार से भूमि अवाप्ति के नोटिफिकेशन जारी का इंतजार है। एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया से एमओयू हो चुका है। वहीं एयरफोर्स से भी रनवे इस्तेमाल के लिए हरी झंडी मिल चुकी है।अब राज्य सरकार स्तर पर नागरिक उड्डयन विभाग से भूमि अवाप्ति के लिए धारा 11 के तहत नोटिफिकेशन जारी होना है। इस नोटिफिकेशन जारी होने के बाद 125 बीघा निजी खातेदारों की जमीन अवाप्ति का काम शुरू होगा। सरकार ने 64.29 एकड़ सरकारी जमीन तो एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया को हस्तांतरित कर दी है, जबकि निजी भूमि अवाप्ति की जानी है। हालांकि 2019 में एयरपोर्ट की घोषणा हुई थी, लेकिन 6 साल सिर्फ कागजी कार्यवाही में ही बीत गए। अब उत्तरलाई के पीछे के हिस्से में एयरपोर्ट बनेगा। विमान उड़ानों के लिए जोधपुर की तर्ज पर एयरफोर्स का ही रनवे इस्तेमाल होगा। जिला प्रशासन की ओर से इसकी भूमि अवाप्ति की रिपोर्ट बनाकर राज्य सरकार नागरिक उड्डयन विभाग को भेजी जा चुकी है। नोटिफिकेशन जारी होने के बाद बाड़मेर प्रशासन की ओर से 125 बीघा जमीन अवाप्ति के लिए खातेदारों को बॉन्ड जारी किए जाएंगे। किसानों को डीएलसी दर के करीब ढाई गुणा मुआवजा राशि मिलेगी। बाड़मेर में एयरपोर्ट की 2019 में घोषणा हुई थी, लेकिन 6 साल सिर्फ घोषणाओं की क्रियान्विति में बीत गए। घोषणा के बाद एयरपोर्ट के लिए 3-3 ऑप्शन तैयार किए गए, लेकिन अब अंतिम ऑप्शन को एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया से मंजूरी मिलने के बाद सरकारी जमीन को निशुल्क आवंटित कर दिया है। अब भी उड्डयन मंत्रालय से एनओसी का इंतजार है। ऐसे में अब अनुमति भी मिल जाए तो करीब 6 माह भूमि अवाप्ति में बीत जाएंगे। बाहर टर्मिनल बनेगा, एयरपोर्ट के रनवे से विमान उड़ेंगे उत्तरलाई एयरफोर्स के पीछे एयरपोर्ट का टर्मिनल बनेगा। इसके लिए उत्तरलाई रेलवे क्रॉसिंग ओवरब्रिज से टू लेन सड़क बनेगी। उत्तरलाई ओवरब्रिज से एयरपोर्ट टर्मिनल की करीब 5 किमी. दूरी होगी। एयरफोर्स टर्मिनल के लिए सिर्फ एक गेट ही रहेगा। जहां यात्री विमान तक संबंधित एयरलाइंस की बस से जाएंगे। यानि जोधपुर एयरबेस की तरह ही यहां भी एयरफोर्स का रनवे विमानों के लिए इस्तेमाल किया। एयरपोर्ट टर्मिनल के पास कार पार्किंग, ऑफिस स्थापित किए जाएंगे। एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने उत्तरलाई एयरपोर्ट से ए-320 एयरक्राफ्ट को उड़ान की अनुमति दी है। 6 साल में अब तक क्या हुआ >2019: केंद्र सरकार ने उत्तरलाई एयरफोर्स के पास सिविल एयरपोर्ट की घोषणा की।>2021: एयरफोर्स और उत्तरलाई रेलवे स्टेशन के बीच 7.10 बीघा जमीन यूआईटी ने एयरपोर्ट अथॉरिटी को दी। इसे एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने खारिज कर दिया।>2022: एयरपोर्ट अथॉरिटी ने 20 साल की यात्री सुविधा और भार को ध्यान में रखते हुए नई जगह देखने की सलाह दी।>2023: भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण की टीम बाड़मेर आई। ऑप्शन-2 के रूप में एयरफोर्स के पीछे से गेट बनाकर एयरपोर्ट संचालित करने के लिए जमीन देखी।>2024: 5 मार्च 2024 को उत्तरलाई एयरपोर्ट के लिए सरकार के नागरिक उड्डयन विभाग ने 64.43 एकड़ भूमि नि:शुल्क आवंटित की।>2025: निजी खातेदारी की जमीन अवाप्ति के लिए 7 सदस्य कमेटी बनी। सुनवाई के बाद अब फाइनल मुआवजा जारी होगा। इसके बाद एयरपोर्ट बनाने के लिए टेंडर होंगे। एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया से एमओयू और अन्य कार्यवाही पूरी हो चुकी है। अब सिर्फ राज्य सरकार के उड्डयन विभाग से भूमि अवाप्ति के लिए धारा 11 के तहत नोटिफिकेशन जारी होना है। इसके बाद निजी खातेदारों की जमीन अवाप्ति होगी। डीएलसी दर से करीब ढाई गुणा मुआवजा मिलेगा। इसके बाद एयरपोर्ट का काम शुरू होगा। -राजेंद्रसिंह चांदावत, एडीएम, बाड़मेर

