हनुमानगढ़ में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने बांग्लादेश में हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की मॉब लिंचिंग और शव जलाने की घटना के विरोध में प्रदर्शन किया। मंगलवार को जंक्शन स्थित शहीद भगत सिंह चौक पर जिहादी आतंकवाद का पुतला फूंका गया। प्रदर्शन से पहले, कार्यकर्ताओं ने पुतले को मुख्य मार्ग पर घसीटा और फिर उसमें आग लगा दी। यह विरोध प्रदर्शन बांग्लादेश में हिंदुओं पर बढ़ते अत्याचारों के खिलाफ जिले में व्याप्त आक्रोश को दर्शाता है। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि बांग्लादेश सहित कई स्थानों पर हिंदू समुदाय की सहनशीलता को कमजोरी मानकर उन्हें लगातार निशाना बनाया जा रहा है। वक्ताओं ने जोर दिया कि जिहादी प्रवृत्ति के लोगों के खिलाफ सख्त और प्रभावी कार्रवाई आवश्यक है, ताकि भविष्य में ऐसे अमानवीय कृत्यों को रोका जा सके। विश्व हिंदू परिषद के जिलाध्यक्ष डॉ. निशांत बतरा ने कहा कि बांग्लादेश में अंतरिम सरकार बनने के बाद से हिंदुओं पर हमले बढ़े हैं। उन्होंने दीपू दास की हत्या को नृशंस बताया और कहा कि इसने पूरे हिंदू समाज को झकझोर दिया है। डॉ. बतरा ने केंद्र सरकार से मांग की कि बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों के मुद्दे को कूटनीतिक स्तर पर उठाया जाए और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दबाव बनाया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि जिहादी मानसिकता को समाप्त करने के लिए कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है, क्योंकि न्याय, मानवता और धर्म की रक्षा के लिए समाज का एकजुट होना समय की मांग है। इस प्रदर्शन में कुलदीप नरुका, मोहन चंगोई, चेतन जिंदल, सुनील चाहर, सुभाष, प्रवीण सहित बड़ी संख्या में कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
नोहर में बांग्लादेश में हिंदू पर अत्याचार की घटना के विरोध में उग्र प्रदर्शन, आतंकवाद का पुतला दहन
नोहर में बांग्लादेश निवासी हिंदू दीपुदास के साथ कथित अत्याचार और हत्या की घटना के विरोध में विहिप, बजरंग दल व समस्त हिंदू समाज ने जोरदार प्रदर्शन किया। रैली निकालकर आतंकवाद का पुतला दहन किया गया और बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ एकजुटता का संदेश दिया गया।
कटनी में मंगलवार को विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय आवाहन पर बजरंग दल ने बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के खिलाफ कथित अत्याचार, हिंसा और हत्याओं के विरोध में उग्र प्रदर्शन किया। इस दौरान कार्यकर्ताओं ने आतंकवाद का पुतला दहन किया। कार्यकर्ताओं ने आतंकवाद का जलाया पुतला बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता स्थानीय लक्ष्मी बाई चौराहा पर एकत्रित हुए। यहां से नारेबाजी करते हुए वे सुभाष चौक पहुंचे, जहां आतंकवाद के खिलाफ प्रतीकात्मक रूप से पुतला दहन किया गया। प्रदर्शन के दौरान हिंदुओं की हत्या बंद करो, बांग्लादेश सरकार जवाब दो और मानवाधिकारों का सम्मान करो जैसे नारे लगाए गए। बांग्लादेश सरकार पर दबाव बनाने की मांग वक्ताओं ने कहा कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय को सुनियोजित तरीके से निशाना बनाया जा रहा है, जो मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इस विषय पर संज्ञान लेने और बांग्लादेश सरकार पर दबाव बनाने की मांग की, ताकि वहां रहने वाले हिंदुओं की जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
मैनपुरी में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) ने बांग्लादेश में हिंदू परिवारों पर हो रहे अत्याचारों के विरोध में प्रदर्शन किया। शहर के बड़े चौराहे पर बांग्लादेशी आतंकवाद का पुतला दहन किया गया। अभाविप ने आरोप लगाया कि बांग्लादेश में लंबे समय से हिंदू परिवारों पर अत्याचार हो रहे हैं। संगठन के अनुसार, वहां धर्म पूछकर हत्याएं की जा रही हैं और लोगों का शोषण हो रहा है। अभाविप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया है कि वे बांग्लादेश पर कड़ी कार्रवाई करें। उनका कहना है कि इससे बांग्लादेश में रहने वाले हिंदू परिवार सुरक्षित महसूस कर सकेंगे। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पदाधिकारी प्रतीक ने बताया कि पूरे प्रदेश में आज अभाविप द्वारा विरोध प्रदर्शन किया गया है। इसी क्रम में मैनपुरी के बड़े चौराहे पर यह पुतला दहन किया गया। पुतला दहन के दौरान एक पुलिसकर्मी ने पुतला छीनने का प्रयास किया। पुलिसकर्मी को गलतफहमी हुई थी कि वे मुख्यमंत्री का पुतला दहन कर रहे हैं, जबकि यह बांग्लादेशी आतंकवाद का पुतला था। इसके बाद पुतला दहन संपन्न हुआ।
कोबाल्ट लैब्स की भारतीय मूल की को-फाउंडर कल्याणी रामादुर्गम और आशी अग्रवाल ने फाइनेंस कैटेगरी में 2026 के लिए फोर्ब्स 30-अंडर-30 यूनाइटेड स्टेट्स लिस्ट में जगह बनाई है.
राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर बेंच ने 1993 के सिलसिलेवार ट्रेन बम ब्लास्ट के चार दोषियों की समय से पहले रिहाई की अपील को खारिज कर दिया है। चारों को आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधियां (रोकथाम) एक्ट (TADA) के तहत दोषी ठहराए जाने के बाद उम्रकैद की सजा हुई थी। चारों दोषी 20 साल से जेल काट रहे हैं। इन्होंने समय से पहले रिहा करने की याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट जस्टिस सुदेश बंसल और जस्टिस भुवन गोयल की खंडपीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा - आतंकवाद जैसे गंभीर अपराधों में दोषी व्यक्तियों को रिहा करना समाज और देश दोनों की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है। इस तरह की रिहाई से समाज में गलत संदेश जाएगा । इससे राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक शांति पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। बढ़ती उम्र का हवाला देकर रिहाई की मांग की थीहाईकोर्ट ने दौसा निवासी असफाक खान, मुंबई के फजलुर रहमान सुफी, उत्तर प्रदेश के कबीनगर निवासी अबरे रहमत अंसारी और गुलबर्ग के मोहम्मद अजाज अकबर की याचिकाएं खारिज की है। ये सभी पिछले 20 साल से ज्यादा समय से जेल में बंद हैं। दोषियों ने बढ़ती उम्र और स्वास्थ्य कारणों के आधार पर समय से पहले रिहाई की मांग करते हुए याचिका दायर की थी। टाडा में दोषी याचिकाकर्ताओं की तरफ से दलील दी गई कि गृह मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार 20 साल की सजा पूरी होने के बाद रिहाई पर विचार किया जा सकता है। उनके मामलों पर उस नीति के तहत विचार होना चाहिए, जो उनके सजा सुनाए जाने के समय लागू थी। महाधिवक्ता की दलील- टाडा के दोषियों की समय से पहले रिहाई पर प्रतिबंध केंद्र सरकार और राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल भरत व्यास और महाधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद ने याचिकाओं का विरोध किया। सरकार ने कहा- राजस्थान कैदी (सजा में कमी) नियम, 2006 और पूर्ववर्ती नियम, 1958, दोनों में ही टाडा के तहत दोषियों की समय से पहले रिहाई पर साफ तौर पर प्रतिबंध है। नियम 9(5) के अनुसार, ऐसे मामलों पर सलाहकार बोर्ड विचार नहीं कर सकता। 1993 में 6 ट्रेनों में हुए थे सीरियल बम ब्लास्टयह मामला साल 1993 के सीरियल ट्रेन बम ब्लास्ट से जुड़ा हुआ है। 5 दिसंबर 1993 की आधी रात को मुंबई, सूरत, लखनऊ, कानपुर और हैदराबाद में लंबी दूरी की 6 ट्रेनों में सिलसिलेवार बम धमाके हुए थे। इन धमाकों में दो लोगों की मौत हुई थी, जबकि 22 घायल हुए थे। इसके बाद पूरे मामले की जांच सीबीआई ने की। 28 फरवरी 2004 को ट्रायल पूरा होने के बाद कोर्ट ने आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इसके बाद से दोषी जेल में हैं। ये खबर भी पढ़िए- 80 साल के 'डॉक्टर बम' से कैसे हारी सीबीआई:कारपेंटर से बना खूंखार आतंकवादी; दाऊद सहित दुनिया के बड़े आतंकी समूहों से संबंध 5-6 दिसंबर 1993 को देश के पांच शहरों लखनऊ, कानपुर, हैदराबाद, सूरत और मुंबई (तब बॉम्बे) की ट्रेनों में एक के बाद एक सिलसिलेवार बम ब्लास्ट हुए। (पढ़िए पूरी खबर)

