4 हजार से ज्यादा मैसेज, 18 वीडियो कॉल, जेल अधिकारी को पसंद आया कैदी तो कर डाली ये वारदात
Northamptonshire News: नॉर्थम्पटनशायर के एचएमपी फाइव वेल्स में एक जेल अधिकारी ने अजीबोगरीब हरकत की. उसने एक कैदी के साथ अश्लील वारदात को अंजाम दिया जिसके बाद कोर्ट ने उसे एक साल की सजा सुनाई है.
भारत- श्रीलंका मिलकर करेंगे उजाला; यहां बनी सोलर पावर प्लांट स्थापित करने की सहमति
Solar Power Plant: भारत और श्रीलंका के बीच सौर बिजली संयंत्र की स्थापना को लेकर सहमति बनी है. इसके तहत पूर्वी बंदरगाह के जिले त्रिंकोमाली में सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किया जाएगा.
Bangladesh News: बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमलों की खबर के बीच बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) के महानिदेशक मेजर जनरल मोहम्मद अशरफुज्जमां सिद्दीकी ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि हमलों को बढ़ा- चढ़ाकर पेश किया गया है.
नहीं बचेगा उनके पास कोई देश... जेलेंस्की की किस बात से खफा हैं ट्रंप? दे डाली चेतावनी
Donald Trump: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की को चेतावनी दी है. उन्होंने कहा है कि रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध उनके बिना भी खत्म किया जा सकता है.
प्लीज हमारी मदद करें, हम अपने देश में सुरक्षित नहीं..., US से निर्वासित लोगों ने लगाई मदद की गुहार
US Immigration Enforcement: अमेरिका ने कई भारतीयों समेत करीब 300 प्रवासियों को देश से बाहर निकालकर पनामा के एक होटल में रखा गया है. इनमें से कुछ निर्वासित लोग अपने होटल के खिड़कियों पर नोट लिखकर मदद की गुहार लगा रहे हैं. आइए जानते हैं पूरा मामला..
दुबई की बादशाहत पर खतरा! प्रिंस MBS के हाथ लगा 'नया खजाना', जानें क्या है सऊदी अरब का विजन 2030?
Saudi Arab News:सऊदी अरब ने विजन 2030 को पूरा करने के लिए खरबों डॉलर का निवेश किया है. सऊदी अरब में टूरिज्म इंडस्ट्री तेजी से उभर रहा है औरदुबई को टक्कर देने के लिए नियोम सिटी प्रोजेक्ट समेत कई क्षेत्रों में लगातार काम जारी है.
मैं किसी दूसरे देश से प्लेन मंगवा सकता हूं... स्पेशल एयरफोर्स वन है फिर भी ऐसा क्यों कह रहे ट्रंप?
Donald Trump on Boeing: विमान की डिलीवरी में देरी कर रही बोइंग कंपनी को डोनाल्ड ट्रंप ने सीधा संदेश दे दिया है. उन्होंने कहा कि अगर वो नहीं कर पा रहे हैं तो मैं किसी दूसरे देश से विमान खरीद सकता हूं.
चुनाव जीतने के लिए चली अनोखी चाल, 76 लाख खर्च कर खुद पर ही चलवा ली गोली
Brazil News: ब्राजील में एक अनोखा मामला देखने को मिला है. यहां चुनाव जीतने के लिए एक शहर के मेयर ने खुद पर ही गोली चलवा दी, हालांकि वह फिर भी चुनाव में हार गया.
Philippines: 5 मच्छर पकड़कर लाओ, इनाम में डेढ़ रुपया पाओ; डेंगू से बचाव का निकाला अनोखा तरीका
Philippines News: फिलीपींस में बढ़ते मच्छर और डेंगू की समस्या से जूझ रहे एक गांव ने अनोखा तरीका निकाला है. इसके तहत मच्छर पकड़ने वालों को इनाम दिया जाएगा.
'बिना चुनाव के तानाशाह बने हो, हमारा आधा पैसा डकार गए...', जेलेंस्की पर जोरदार बरसे ट्रंप
Trump Lashes On Zelensky: डोनाल्ड ट्रंप ने अपने एक लंबे सोशल मीडिया पोस्ट में यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की को लताड़ लगाई है. उन्होंने जेलेंस्की को बिना चुनाव के तानाशाह बोला है.
ट्रंप ने देश से भगाया, अब पनामा के होटल में कैद भारतीय समेत 300 लोग, खिड़कियों से मांग रहे मदद
Us Deportation: अमेरिका से डिपोर्ट किए गए गए एशियाई प्रवासियों को पनामा के एक होटल में हिरासत में रखा गया है. ये प्रवासी होटल के कमरों की खिड़की से मदद मांगते नजर आए हैं.
America News: अमेरिका में ट्रंप शासन के वापस लौटते ही अमेरिकी रक्षा विभाग मुख्यालय पेंटागन में भारी कटौती करने का आदेश जारी किया गया है. पेंटागन का साल 2025 के लिए बजट लगभग 850 बिलियन डॉलर है.
कोर्ट ने समय बर्बाद करने पर फटकार लगाते हुए क्या कहा, PVR-INOX ने अपनी दलील में कौन सी बात रखी, शिकायतकर्ता ने किस आधार पर दर्ज किया केस, जानेंगे स्पॉटलाइट में...
‘’मां कुंभ नहाने गई थी। भगदड़ में उनकी जान चली गई। सरकार की तरफ से डेड बॉडी मिली। उसपर 5 नंबर लिखा हुआ था। शव का पंचनामा किया गया। अंतिम संस्कार के वक्त एक पुलिस कॉन्स्टेबल भी साथ था। इसके बावजूद सरकार की तरफ से जारी 30 मृतकों की लिस्ट में मां का नाम नहीं था। इस वजह से हमें ना तो कोई मुआवजा मिला ना ही कोई सरकारी मदद।’’ इतना कहते-कहते प्रयागराज की रहने वालीं सौम्या श्रीवास्तव बिलखने लगती हैं। 28 जनवरी को कुंभ में मची भगदड़ में उनकी मां की जान चली गई थी। ब्लैकबोर्ड में आज कहानी उन परिवारों की, जिन्होंने कुंभ में मची भगदड़ में अपनों को खोया, लेकिन सरकारी लिस्ट में उनका नाम तक नहीं है... कुंभ भगदड़ में जान गंवाने वालीं नीलम श्रीवास्तव का परिवार प्रयागराज के प्रीतम नगर में रहता है। जब मैं उनके घर पहुंची, तो उनके पति केसी श्रीवास्तव का फोन लगातार बज रहा था। हर कोई उनसे उनकी पत्नी के बारे में ही पूछ रहा था। उस मनहूस दिन को याद करते हुए केसी श्रीवास्तव कहते हैं- ‘परिवार के लोग संगम स्नान करने का प्लान बना रहे थे। मैंने कहा था कि 5 तारीख को अपने साथ ले जाकर स्नान करवा दूंगा, लेकिन वे लोग मेरी बात नहीं माने। उस रात मुझे नींद नहीं आ रही थी। बेचैनी हो रही थी। सुबह बेटे ने फोन पर बताया कि मम्मी नहीं मिल रही हैं। फिर एक घंटे बाद मैंने फोन किया, तो बेटे ने बताया कि मम्मी नहीं रहीं।’ आंखों में आंसू लिये वो थोड़ा ठहरकर कहते हैं- ‘जिस दिन उसका जन्मदिन था, उसी दिन उसकी डेथ हो गई। हम साथ में जन्मदिन भी नहीं मना पाए।’ केसी श्रीवास्तव को इस बात का अफसोस है कि उस भगदड़ वाली रात वो परिवार के साथ नहीं थे। 25 साल की सौम्या बताती हैं- ‘हम 7 लोग संगम स्नान करने के लिए जा रहे थे। सब बहुत खुश थे। रात 10 बजे हमलोगों ने खाना खाया। कुछ देर आराम करने के बाद 11.30 बजे संगम नोज की तरफ निकल गए। इस समय तक भीड़ बहुत ज्यादा बढ़ गई थी, लेकिन चलने में दिक्कत नहीं हो रही थी। मम्मी, भैया और मौसी पहले स्नान करने गए। जब वो स्नान करके आए, भीड़ बहुत ज्यादा हो गई थी। हमें लगा कि यहां रुकना अब ठीक नहीं है। आने वाले लोगों की संख्या इतनी ज्यादा थी कि इधर से निकलना मुश्किल हो रहा था। चलने की जगह नहीं बची थी।’ सौम्या कहती हैं- ‘हम भीड़ का हिस्सा बन चुके थे। लोग धक्का दे रहे थे और हमलोग खिसक रहे थे। हमें यह एहसास हो चुका था कि जरा भी पैर इधर-उधर हुआ, तो फिर उठना मुश्किल हो जाएगा। मैंने मम्मी से बोल रखा था कि कुछ भी हो जाए गिरना मत, खुद को संभाले रखना। सब एक-दूसरे का हाथ पकड़े हुए थे। 5 मिनट बाद ही भीड़ का इतना प्रेशर बढ़ा कि हमारा हाथ एक-दूसरे से छूट गया। मम्मी बेटू-बेटू आवाज लगा रही थीं। उनकी आवाज सुनाई पड़ रही थी, लेकिन वो दिखाई नहीं दे रही थीं। मुझे लगा कि भैया जरूर उनके साथ होंगे, लेकिन फिर पता चला कि वो उनके साथ भी नहीं हैं। हमें लगा कि मम्मी भीड़ में कहीं गुम हो गई हैं। कुछ देर बाद हम खोया-पाया केंद्र गए, लेकिन वहां भी मम्मी नहीं मिलीं। कई घंटों तक हम एक हॉस्पिटल से दूसरे हॉस्पिटल तक घूमते रहे। फिर हमें पता चला कि मम्मी मेडिकल कॉलेज में हैं। वहां उनकी लाश रखी थी। पंचनामा के बाद एम्बुलेंस में एक कॉन्स्टेबल को साथ बैठाकर उनकी बॉडी हमें दे दी गई।’ केसी श्रीवास्तव कहते हैं- ‘उस शाम जब सरकार ने मृतकों की लिस्ट जारी की, तो उसमें पत्नी का नाम नहीं था। मुझे बहुत दुख होता है कि भगदड़ में पत्नी की जान चली गई। प्रशासन ने शव का पंचनामा भी कराया, लेकिन अपने आंकड़े में शामिल नहीं किया। हम सबसे कहते हैं कि भगदड़ में पत्नी मारी गई, लेकिन सरकार उसे नहीं मानती।’ केसी श्रीवास्तव को अभी भी उम्मीद है कि मेला खत्म होने के बाद प्रशासन उनके पत्नी की नाम वाली मृतकों की दूसरी लिस्ट जारी करेगी। ऐसा नहीं हुआ तब वे इस बात को प्रशासन के सामने रखेंगे। शिकायत करेंगे। जिस भीड़ से लोग निकलने और जान बचाने की सोच रहे थे, उसी भीड़ में कुछ लोग गंदी हरकतें भी कर रहे थे। इसका जिक्र करते हुए सौम्या कहती हैं- ‘लोग गलत तरीके से छू रहे थे, पकड़ रहे थे, गंदी आवाजें निकाल रहे थे। उनके मुंह से शराब की स्मेल आ रही थी। मैं तो गाली दे रही थी, लेकिन गंदी हरकत करने वालों को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। कोई कमर पर हाथ दबा रहा था तो कोई सीने पर। बहुत गंदा सीन था। समझ नहीं आ रहा था कि लोग कुंभ में स्नान करने आए हैं या बदतमीजी करने।’ सौम्या को उनकी बुआ दीपाली ने बदतमीजी करने वाले लोगों के बीच से निकाला। उस मंजर को याद करते हुए सौम्या बताती हैं- ‘भीड़ से निकलने के बाद मेरा गला सूख गया था। लग रहा था किसी तरह एक बूंद पानी मिल जाए, लेकिन पानी बेचने वाला बिना पैसे पानी नहीं दे रहा था। वहां ऑनलाइन पेमेंट नहीं हो पा रही थी और हमारे पास कैश नहीं था। पास बैठी कुछ महिलाओं ने जब दुकानवाले को डांटा, तो उसने पानी दिया। उस दिन मुझे लगा कि सांस से बड़ी चीज पैसा है।’ वो कहती हैं- ‘भगदड़ के बाद जब हम लोग घर के लिए निकले, तो किसी के पैरों में चप्पल नहीं थी। हमने सोचा कि चप्पल खरीद लेते हैं। जब दुकान पर गई तो देखा कि किसी भी चप्पल का जोड़ा नहीं था। दुकान पर वही चप्पलें थीं, जो भगदड़ में छूट गई थीं। इसके लिए भी दुकानदार 100 रुपए मांग रहे थे। ये सब देखकर मेरे मन में बार-बार आ रहा था कि यहां आने से बेहतर होता हम घर पर ही नहा लेते।’ सौम्या, संगम नोज जाने से पहले की बात याद कर भावुक हो जाती हैं। वो कहती हैं- ‘मैने मां से पूछा था कि आपका जन्मदिन है, क्या खिलाओगी पार्टी में। तब मां ने कहा था कि 12 बजे स्नान करने के बाद हमलोग लड्डू और जलेबियां खाएंगे। मां उस दिन बहुत खुश थीं। घर से वो आलता, नेल पॉलिश लगाकर निकली थीं।’ सौम्या को बीच में टोकते हुए दीपाली कहती हैं- 'शाम 4 बजे हमलोग हंसी खुशी घर से निकले थे। मेले में फोटो ले रहे थे। सोचा था उनका जन्मदिन मनाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।’ दीपाली, सौम्या का हाथ पकड़ लेती हैं। सिसक-सिसक कर रोने लगती हैं। खुद को संभालते हुए कहती हैं- ‘एक्सिडेंट हो जाता या चोट लग जाती तो कम से कम वो कुछ कह तो पातीं, लेकिन हमें तो पता ही नहीं चला कि आखिरी वक्त उनका कैसे गुजरा। किस कष्ट में उनके प्राण निकले।’ मैंने दीपाली से पूछा, क्या हुआ था उस रात... दीपाली बताती हैं- ‘परिवार के 3 लोग स्नान कर चुके थे। 4 लोगों का अभी स्नान करना बाकी था। इतने में अचानक से भगदड़ मच गई। हर तरफ अफरा-तफरी का माहौल था। लोग बिना सोचे-समझे इधर-उधर भाग रहे थे। हम सभी बहुत डर गए थे। एक-दूसरे को पकड़कर वहां से निकलने लगे। हमें लग रहा था आज बचना मुश्किल है। भीड़ की वजह से हमारा हाथ छूट गया। सिर्फ छोटा बेटा मेरे साथ रह गया। वो बहुत ज्यादा डर गया था। रो-रोकर कह रहा था मम्मी कैसे भी बचा लो। मैंने उसे कसकर पकड़ा हुआ था, लेकिन मन में डर था कि कहीं वो दब न जाए। मैं उसे हिम्मत दे रही थी, लेकिन अंदर से हार चुकी थी। किसी तरह से दो लोगों का हाथ पकड़कर मैं भीड़ से बाहर निकली। बेटे के तन पर कोई कपड़ा नहीं था, उसने बस अंडरवियर पहन रखी थी। पुलिस वालों ने बाहर उसे कपड़े पहनाए। जब मैंने बड़े बेटे को फोन किया, तो हमारे जान में जान आई।’ प्रीतम नगर से निकलने के बाद मैं झूंसी पहुंची। 28 जनवरी को कुंभ में हुई दूसरी भगदड़ में आवास विकास कॉलोनी की रहने वाली नगीना मिश्रा की मौत हो गई थी। पूरा मोहल्ला सुनसान पड़ा था। उनके देवर गणेश चंद्र मिश्रा बताते हैं- 'मौनी अमावस्या वाले दिन भैया घर पर नहीं थे, तो भाभी अपने साथ मुझे ले गईं। परिवार के कुछ और लोग साथ थे। भाभी थोड़ा आराम से चल रही थीं, इसलिए पीछे रह गईं। सेक्टर 21 के रास्ते हमलोग संगम की तरफ जा रहे थे। जैसे-जैसे हम आगे बढ़े भीड़ ज्यादा हो गई। ऐसा लग रहा था कि पुलिस लोगों को रोक-रोक कर भेज रही है। भीड़ ज्यादा हुई तो भाभी को भी दिक्कत होने लगी। वो बोलीं हमें साइड लेकर चलो। थोड़ा साइड में ले जाते ही वो गिर गईं। हमने उठाने की कोशिश की पर वो उठ नहीं पाईं और उनके मुंह से झाग सा आ गाया। मैं मदद के लिए फोन मिलाने की कोशिश कर रहा था, लेकिन फोन भी नहीं मिल रहा था। हमने भाभी का फोटो खिंचकर वॉट्सएप पर अपने भतीजे को भेजा। उसे आने में 2 घंटे लग गए, तब तक हम भाभी के लाश के पास खड़े रहे, ताकि कोई उनकी बॉडी को नुकसान नहीं पहुंचा सके।' गणेश चंद्र मिश्रा कहते हैं- '7 घंटे बीत जाने के बाद भी हमारे पास कोई एम्बुलेंस नहीं पहुंच पाया। पुलिस वाले आते थे और देखकर चले जाते थे। इतनी भीड़ में कोई मदद करने वाला नहीं था। ऊपर से कई लोग बदतमीजी कर रहे थे। हमारे ऊपर जूते-चप्पल फेंक रहे थे। शाम में सरकार ने भगदड़ में मारे गए लोगों की लिस्ट निकाली। ये लिस्ट संगम नोज में हुई भगदड़ में मारे गए लोगों की थी। झूंसी में हुई भगदड़ का तो सरकार ने संज्ञान ही नहीं लिया। सरकार मानती ही नहीं कि झूंसी में भी भगदड़ हुई थी। बहुत दुख होता है कि भाभी भगदड़ में मर गईं, लेकिन लिस्ट में उनका नाम तक नहीं है।' आशुतोष, मृतक नगीना के बेटे हैं। वे कहते हैं- '4 लोग घर से मां की डेड बॉडी लेने गए थे। वहां मौजूद प्रशासन या पुलिस ने हमारी मदद नहीं की। बहुत मुश्किल से हमलोग उनकी डेड बॉडी लेकर आए।' -------------------------------------------------------- ब्लैकबोर्ड सीरीज की ये खबरें भी पढ़िए... 1. ब्लैकबोर्ड- किन्नर अखाड़े की महंत हूं, मेरा भी गैंगरेप हुआ:ट्रेन में वॉशरूम तक पीछा करते हैं, कुंभ में हमसे ही आशीर्वाद ले रहे कुंभ नगरी में 13 अखाड़ों के शिविर सेक्टर 20 में हैं। किन्नर अखाड़े का कैंप यहां से बहुत दूर सेक्टर 16 में हैं। यहां मुझे एक किन्नर महंत अपने साथी से फर्राटेदार अंग्रेजी में बात करती दिखीं। पूछने पर किसी ने बताया ये जयंती हैं। पूरी खबर पढ़ें... 2. ब्लैकबोर्ड-पड़ोसियों से शादी करने की मजबूरी:खून की उल्टियां और गले हुए फेफड़े, गोली खाकर ही आती है नींद टूटी-फूटी हिंदी में मुस्कान कहती हैं कि मेरे सीने में बहुत दर्द रहता है। कुछ खाती हूं तो जलन होती है। खांसी इतनी तेज उठती है कि खून की उल्टियां होने लगती हैं। कभी-कभी सांस लेने में इतनी दिक्कत होती है कि आंखों के आगे अंधेरा छा जाता है। मैं चक्कर खाकर गिर जाती हूं। पूरी खबर पढ़ें...
‘BJP ने देशभर के नेता दिल्ली चुनाव में लगा दिए। पैसों और ताकत का इस्तेमाल किया। इसके बावजूद आम आदमी पार्टी को BJP से सिर्फ 2% वोट कम मिले हैं। हमें इतने वोट मिलना सुकून की बात है।’ AAP के दिल्ली संयोजक गोपाल राय विधानसभा चुनाव में हार से मायूस हैं, लेकिन उन्हें इत्मीनान है कि पार्टी का बड़ा वोट बैंक अब भी साथ है। दिल्ली की सत्ता गंवाने के बाद आम आदमी पार्टी हार की समीक्षा कर रही है। पार्टी को लगता है कि अब संगठन के लेवल पर सर्जरी की जरूरत है। अब सिर्फ पंजाब में AAP की सरकार है। ऐसे में पार्टी का फ्यूचर प्लान क्या है, हार के बाद वो संगठन में किस तरह के बदलाव करने वाली है, दिल्ली में सरकार को घेरने की उनकी क्या स्ट्रैटजी होगी? दैनिक भास्कर ने इस पर AAP विधायकों, पार्षदों और पार्टी में सोर्सेज से बात की। इस बातचीत में ये 4 बातें समझ आईं… हार के बाद विधायकों से मीटिंग, इसके बाद एक्शन प्लान बनेगादिल्ली विधानसभा चुनाव में हार के बाद से ही AAP विधायकों की मीटिंग हो रही हैं। पंजाब के उन विधायकों और कार्यकर्ताओं की भी मीटिंग हुई, जो दिल्ली चुनाव में लगे थे। पार्टी दिल्ली में जीतने और हारने वाले कैंडिडेट से वन-टू-वन मीटिंग कर उनका फीडबैक ले रही है। जल्द ही पार्टी की पॉलिटिकल अफेयर कमेटी यानी PAC बड़े फैसले ले सकती है। इसमें नई लीडरशिप से लेकर उसके एक्सपेंशन और आगे के एक्शन प्लान पर बात होगी। AAP के एक विधायक पहचान उजागर न करने की शर्त पर बताते हैं, 'हम पार्टी की हार को हार की तरह नहीं देख रहे। अरविंद केजरीवाल ने अपने सियासी सफर में शिखर पर पहुंचने से लेकर जमीन पर लौटने और जेल जाने तक सब देख लिया है। यहां से पार्टी फिर उठने पर फोकस करेगी।' वे आगे कहते हैं- पिछले कुछ साल से केजरीवाल पार्टी के विधायकों और कार्यकर्ताओं पर ध्यान नहीं दे पाए। संगठन पीछे छूट गया। अब हमारे पास वक्त है। हम समीक्षा कर सकते हैं। अब फैसले लेने का समय है।' वहीं, बुराड़ी से 4 बार के विधायक संजीव झा कहते हैं, 'समीक्षा बैठकें चल रही हैं। लीडरशिप ने विधायकों, हारे उम्मीदवारों और जो भी दिल्ली चुनाव में ड्यूटी पर था, सबके साथ बैठक की है। इनसे निकले पॉइंट्स पर पॉलिटिकल अफेयर कमेटी मीटिंग करेगी। उसके बाद आगे का प्लान तैयार किया जाएगा। इसमें अभी वक्त लगेगा।' केजरीवाल की इमेज बिल्डिंग पर कामAAP विधायक ने बताया, 'BJP ने हमारे नेताओं की इमेज खराब की है। उन्होंने इंदिरा गांधी से महात्मा गांधी तक सबकी इमेज बिगाड़ने का काम किया है। फिर हम तो बहुत छोटी चीज हैं। आम आदमी पार्टी की इमेज भ्रष्टाचार मुक्त और ईमानदार पार्टी की है। इसलिए जनता हमसे जल्दी जुड़ जाती है। हम किसी जाति या धर्म की राजनीति नहीं करते। यही लोगों को पसंद आता है। इसी पर पार्टी काम करेगी।' ‘अरविंद केजरीवाल की इमेज बिल्डिंग पर भी पार्टी काम करेगी। हम अपने नेता की ब्रांडिंग और मैसेजिंग पर फोकस करेंगे। करप्शन के आरोप में जेल जाने के बाद केजरीवाल ने सरकारी बंगला और कुर्सी दोनों छोड़ दिया। वो एक आम नागरिक की तरह रह रहे हैं। इसे हम जनता के बीच भी लेकर जाएंगे।' पार्टी दिल्ली से बाहर दूसरे राज्यों में विस्तार करेगी AAP विधायक कहते हैं, 'पार्टी के हर विधायक को अपने लेवल पर विचार करने को कहा गया है। ज्यादातर समय हमें जनता के बीच मौजूदगी दर्ज करवाने पर ध्यान देना है। अब अरविंद केजरीवाल दिल्ली से फ्री हो गए हैं। अगले कुछ समय तक उनका प्लान उन जगहों पर काम करना होगा, जहां आम आदमी पार्टी मजबूत हो रही है, जैसे पंजाब और गुजरात। वे आगे कहते हैं, 'अब उन पर ये आरोप नहीं लगा सकते कि वे दूसरे राज्यों में व्यस्त रहते हैं और दिल्ली को समय नहीं देते। वो देशभर में प्रचार करेंगे। हमने विधानसभा चुनाव में गुजरात में अच्छा परफॉर्म किया था। आगे का प्लान यही है कि पंजाब को सेफ रखते हुए पार्टी का राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार करेंगे। दिल्ली में जो गलतियां हुईं, उन्हें रिपीट नहीं करना है।' पंजाब में 2017 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 20 सीटें जीतकर जबरदस्त एंट्री की थी। इसके बाद 2022 में 92 सीटें जीतकर आम आदमी पार्टी ने सरकार बनाई। इसी तरह गुजरात में AAP ने 2017 के विधानसभा चुनाव में पहली बार 5 सीटें जीती थीं। पार्टी आतिशी को सौंप सकती है दिल्ली का जिम्माविधायक आगे बताते हैं, 'दिल्ली की जिम्मेदारी अब जल्द ही किसी विधायक को दी जाएगी। मनीष सिसोदिया, अरविंद केजरीवाल, सौरभ भारद्वाज, संजय सिंह, सुशील गुप्ता, एनडी गुप्ता और सत्येंद्र जैन जैसे नेशनल लीडर अब देशभर में पार्टी के विस्तार पर काम करेंगे। इस दौरान नई लीडरशिप तैयार की जाएगी। उत्तर प्रदेश और पंजाब जैसे राज्यों में हमारे लीडर जा रहे हैं।' सोर्स के मुताबिक, पार्टी दिल्ली का जिम्मा पूर्व CM और कालकाजी से विधायक आतिशी को दे सकती है। दिल्ली में पार्टी का कामकाज और विधानसभा में पार्टी का पक्ष रखने की जिम्मेदारी उन्हीं की होगी। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि AAP एक के बाद एक दूसरे राज्यों में चुनाव लड़ती रही, लेकिन संगठन तैयार नहीं किया। इससे पार्टी को नुकसान हुआ। इस पर सोर्स कहते हैं, 'मुझे नहीं लगता पार्टी का दूसरे राज्यों में विस्तार करने से कोई फर्क पड़ा है। अगर हम इन राज्यों में नहीं जाते, तो आज जीरो पर खड़े होते।' 'गुजरात में हमारे पास 5 विधायक हैं। छत्तीसगढ़ और गुजरात नगर निगम में भी हमारे पास सीटें हैं। हम जल्दबाजी नहीं कर रहे हैं। पार्टी बिल्कुल सही दिशा में चल रही है।' 'हमने 2014 में पंजाब से लोकसभा चुनाव लड़ा। तब हमें ऐसा करने से मना कर रहे थे। हमें उसी वक्त पता चल गया था कि पंजाब में आम आदमी पार्टी की जमीन है। आज पंजाब, दिल्ली, गुजरात, गोवा, जम्मू-कश्मीर जैसे प्रदेशों में हमारे चुने हुए नुमाइंदे हैं। वहां हमारे कार्यकर्ता चुनाव लड़ रहे हैं और जीत भी रहे हैं।' AAP को संगठन के स्तर पर मजबूत करेंगेपार्टी के नए सिरे से संगठन बनाने के फैसले पर सोर्स बताते हैं, 'किसी भी बड़े चुनाव के बाद हर पार्टी को रिस्ट्रक्चर किया जाता है। हमारे कुछ विधायक और पार्षद BJP या कांग्रेस में गए हैं। संगठन कमजोर हुआ है। विधायक पार्टी छोड़कर गए, तो उनके साथ कुछ कार्यकर्ता भी चले गए।' 'केजरीवाल के जेल जाने से पार्टी के कामकाज पर असर पड़ा। सही फैसले नहीं लिए गए। उस पर मंथन चल रहा है। दिल्ली चुनाव के नतीजों के बाद पार्षद BJP में चले गए, उनका हम अब कुछ नहीं कर सकते। जो कार्यकर्ता पार्टी के साथ हैं, उन्हें संगठित कर रहे हैं।' 'साथ ही नई लीडरशिप को आगे लाने की तैयारी है। हमारी मौजूदा पार्षदों के साथ मीटिंग जारी है। हालांकि, अब तक कोई बड़ी मीटिंग नहीं हुई है, जैसी विधायकों के साथ हुई है।' कार्यकर्ता बोले- पार्टी हार रही है, इसका अंदाजा थादिल्ली में ग्राउंड पर AAP कहां चूक गई? ये सवाल हमने एक पुराने कार्यकर्ता से पूछा। वे बताते हैं कि हार की सबसे बड़ी वजह कार्यकर्ता और कमजोर संगठन रहा। हम दिल्ली की जिन सीटों पर जीते हैं, उन्हें बचाकर रखना भी चैलेंज है। पार्टी चुनाव हारने वाली है, इसका अंदाजा था। इसीलिए चुनाव हारने के अगले दिन से ही एक के बाद एक मीटिंग हो रही हैं।' 'पार्टी के हारने के कई फैक्टर हैं। सबसे पहला और अहम फैक्टर हमारे कार्यकर्ता ही रहे। वे या तो दूसरी पार्टी में चले गए। या उन्हें लगने लगा कि हम चुनाव हार सकते हैं, तो वे शांत हो गए। पार्टी की योजनाओं को लोगों तक ठीक से नहीं पहुंचा सके।’ 'चुनाव से पहले हमने हर विधानसभा में रेवड़ी पर चर्चा की थीं। उसके तुरंत बाद हमें जनता को समझाना था कि AAP ने हर परिवार को कितना फायदा दिया। अगर AAP की सरकार रहेगी, तो हर परिवार की सालाना कितनी बचत होगी। इसे समझाते हुए हमें डोर-टू-डोर कैंपेन करना था। इसकी एक बुकलेट भी लॉन्च की गई थी। पता नहीं क्यों कार्यकर्ता ऐसा नहीं कर पाए।' 'पार्टी के 8 पॉइंट थे। हमें सामने वाले से पूछना था कि उनके घर पर कितने पुरुष और महिलाएं हैं। फिर हम बताएंगे कि अगर घर में दो महिलाएं हैं और वो फ्री बस का फायदा उठाती हैं, तो उनकी हर महीने 1000 रुपए बचत हो रही है। यानी फ्री बस से सालाना बचत 12 हजार रुपए है। हम इसे घर-घर नहीं पहुंचा पाए।’ ‘चुनाव आते-आते कार्यकर्ताओं में ओवर-कॉन्फिडेंस था। वे चुनाव के आखिर तक पहुंचते ही एक्टिव ही नहीं रह गए। अब इन कमियों को दूर करना है और पार्टी कार्यकर्ताओं को संगठित करना है। देखा जाए तो BJP के मुकाबले AAP का वोट शेयर सिर्फ 2% कम है। इसे कवर करने के लिए पार्टी संगठन को रिस्ट्रक्चर करने की कोशिश कर रही है।' BJP के कामकाज पर रखेंगे नजर, मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाएंगेAAP विधायक संजीव झा बताते हैं, 'BJP मैंडेट खरीदने की कोशिश करती है। दिल्ली की कई विधानसभा सीटों पर खुलेआम शराब और पैसा बांटा। हमारे कार्यकर्ताओं को डराया-धमकाया गया। आम आदमी पार्टी के संगठन और BJP की स्ट्रैटजी को हमने करीब से देखा है।’ 'अब दिल्ली में विपक्ष की चुनौती स्वीकार करते हैं। हम आंदोलन से आए लोग हैं। लीडरशिप ने इसकी जिम्मेदारी ली है। BJP ने जो वादे किए हैं, हम मजबूत विपक्ष बनकर उन्हें लागू करवाएंगे। दिल्ली में केजरीवाल जी ने जो काम कराए हैं, उन पर हमारी नजर रहेगी।' AAP में हमारे सोर्स और एक पार्षद बताते हैं, 'पार्टी जनता के हिसाब से भी स्ट्रैटजी बना रही है। BJP ने आम आदमी पार्टी की योजनाएं जारी रखने का वादा किया है। इस पर हमारी नजर रहेगी कि BJP की सरकार इन योजनाओं को कैसे लागू करती है।' 'जनता को वो सुविधाएं मिलनी चाहिए, जो BJP ने देने का वादा किया है। संगठन के लेवल पर हम एनालिसिस कर रहे हैं कि हम कुछ सीटें और वोट क्यों हारे। हमें कहां से कम वोट मिले और ऐसा क्यों हुआ।' ........................... AAP से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... रेवड़ी-ईमानदारी फेल, AAP को ओवरकॉन्फिडेंस ले डूबा ईमानदारी अरविंद केजरीवाल की सबसे बड़ी ताकत थी। इसी के भरोसे उन्होंने डेवलपमेंट का दिल्ली मॉडल तैयार किया। इसी का वादा करके पंजाब में सरकार बनाई, लेकिन अन्ना आंदोलन से बनी क्लीन इमेज शराब घोटाले की वजह से बर्बाद हो गई। पार्टी के नेता जीत के लिए ओवर कॉन्फिडेंट थे, ये भी उन्हें भारी पड़ा। दिल्ली में क्यों हारी AAP। पढ़िए पूरी खबर...
डोनाल्ड ट्रंप के बेटे को कहा था 'अजीब', अब देना पड़ा इस्तीफा, जानें कौन हैं ये काया वाकर?
Kaya Walker-Barron Trump controversy:प्रेसिडेंट डोवनाल्ड ट्रंप के बेटे बौरोन ट्रंप पर टिप्पणी कर विवादों में फंसी काया वॉकर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. हालांकि, उन्होंने न्यूयॉर्क पोस्ट को दिए गए एक इंटरव्यू में कहा कि वह बैरोन ट्रंप से हमदर्दी रखती हैं.
'महाप्रलय' की चेतावनी तो नहीं! डूम्सडे फिश ने तड़पते हुए तोड़ा दम, जताई जा रही तबाही की आशंका
Las Palmas News: स्पेनिश शहर लास पालमास के समुद्र तट पर एक दुर्लभ मछली समंदर ने निकल कर किनारे पर दम तोड़ दिया. जिसकी वजह से किसी अनहोनी की आशंका जताई जा रही है. जानिए क्या है संकेत.
ऐसे तो दिवालिया हो जाएगा US... एलन मस्क की टेढ़ी नजर अब अमेरिकी नागरिकों पर, क्या करने वाले हैं?
US Money Deficit: मस्क ने चौंकाने वाला खुलासा करते हुए सोशल सिक्योरिटी डेटाबेस में बड़ी गड़बड़ी का दावा किया. उन्होंने बताया कि इस सिस्टम में 20 मिलियन से ज्यादा ऐसे लोगों को जीवित दिखाया गया है जिनकी उम्र 100 साल से अधिक है. यहां तक कि 369 साल तक के लोगों को जीवित दिखाया गया.
फिर टूटेगा पाकिस्तान, निकलेगा नया 'बांग्लादेश'; मौलाना ने भरी पार्लियामेंट में PM को दी वार्निंग
Maulana Fazlur Rehman: पाकिस्तान के धार्मिक नेता और सांसद मौलाना फजलुर्रहमान ने शहबाज शरीफ को खुली वॉर्निंग देते हुए कह दिया है कि अगर सरकार अपना नजरिया नहीं बदला तो जल्द ही 1971 की तरह पाकिस्तान से एक और बांग्लादेश बन सकता है.
बेचारा यूक्रेन.. मारा भी गया दोषी भी बना, अब ट्रंप ने युद्ध के लिए सीधे-सीधे जिम्मेदार बता दिया
Trump on Ukraine war: ट्रंप ने यह भी कहा कि रूस अब युद्ध समाप्त करना चाहता है. उन्होंने खुद को इस संकट का समाधान करने की शक्ति रखने वाला बताया और दावा किया कि वे इस युद्ध को जल्द खत्म कर सकते हैं.
अरे! अमेरिका में कौन सी बीमारी फैल गई.. जिसने कोरोना को भी पीछे छोड़ दिया है?
Influenza 2024: 3.7 लाख से अधिक को अस्पताल में भर्ती करना पड़ा है और 16,000 लोगों की जान जा चुकी है. डॉक्टरों का कहना है कि फ्लू के गंभीर मामलों में एमआरएसए निमोनिया जैसी जटिलताएं देखी जा रही हैं.
सिर्फ 4 अक्षरों में छिपी है रूस-यूक्रेन युद्ध विराम की कहानी, पहली बैठक में यूरोप भी पड़ गया 'ठंडा'
Cease Fire Meeting: रूस-यूक्रेन युद्ध विराम की मीटिंग के बाद जो मसाला निकलकर आ रहा है.. वो उठना मीठा नहीं है जितना दिख रहा है. रूस जो चाहता है उससे जेलेंस्की खुश नहीं है. यूरोप अब लगभग बेबस है उसको अपनीभूमिका अभीतय करनी है. इन सबके बीच रूस-अमेरिका में जो पक रहा है उसकी भी एक क्रोनोलॉजी है.
Viral: भारत से 27 गुना ज्यादा कमाते हैं इस देश के लोग, दुनिया के टॉप 5 में है शामिल
Viral News: कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी दो दिन के दौरे पर भारत आए हैं. यह उनकी भारत की दूसरी यात्रा है.
ओडिशा यूनिवर्सिटी मामले में किसको धमकी दे रहे नेपाली PM ओली? बोले- नहीं देंगे NOC
Kalinga University: ओडिशा की कलिंगा यूनिवर्सिटी में एक 20 वर्षीय छात्रा की खुदकुशी के बाद मामले बड़े स्तर पर पहुंच चुका है. नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने ओडिशा के शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई करने वाले छात्रों को नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) जारी करने को लेकर सख्त चेतावनी दी है
सवाल ये है कि अमेरिका एक के बाद एक अवैध अप्रवासी भारतीयों को तो वापस भेज रहा है लेकिन ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद चीन का एक भी अवैध अप्रवासी अब तक वहां से नहीं निकाला गया, ऐसा क्यों, जानेंगे स्पॉटलाइट में
यूट्यूबर रणवीर अलाहबादिया फिलहाल कोई शो नहीं कर सकेंगे। 18 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी पर रोक के साथ यह पाबंदी भी लगा दी। कोर्ट ने रणवीर के खिलाफ मुंबई, गुवाहाटी और जयपुर में दर्ज 3 FIR को मर्ज करके एक केस चलाने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने आदेश सुनाने के बाद सरकारी वकील एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एश्वर्या भाटी से कहा कि केंद्र सरकार ऑनलाइन अश्लील कंटेंट पर रेगुलेट करे, नहीं तो कोर्ट को खुद ही कुछ करना पड़ेगा। कोर्ट ने रणवीर अलाहबादिया पर क्या पाबंदियां लगाई, आदेश के बाद क्या करियर खत्म होगा और केंद्र सरकार को कैसे नियम बनाने को कहा; जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में… सवाल-1: सुप्रीम कोर्ट ने रणवीर अलाहबादिया की किस याचिका पर सुनवाई की?जवाब: मंगलवार, 18 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने रणवीर अलाहबादिया की याचिका पर सुनवाई की। रणवीर पर आरोप है कि उन्होंने समय रैना के शो 'इंडियाज गॉट लेटेंट' में पेरेंट्स पर अश्लील कमेंट किए थे। रणवीर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर 3 बातें कही थीं… रणवीर अलाहबादिया के अश्लील कमेंट को लेकर देशभर में 3 FIR दर्ज हुई हैं। इसको लेकर रणवीर ने सुप्रीम कोर्ट में 14 फरवरी को याचिका दायर की थी। तब कोर्ट ने कहा था कि एक-दो दिन में इस पर सुनवाई की जाएगी। सवाल-2: सुप्रीम कोर्ट ने रणवीर अलाहबादिया के मामले पर क्या अंतरिम आदेश दिया है?जवाब: रणवीर अलाहबादिया की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने 3 बड़े अंतरिम आदेश दिए… सवाल-3: सुप्रीम कोर्ट ने रणवीर को गिरफ्तारी से राहत देते हुए क्या शर्तें रखीं?जवाब: सुप्रीम कोर्ट ने रणवीर अलाहबादिया की याचिका पर अंतरिम आदेश देते हुए गिरफ्तारी पर रोक तो लगा दी, लेकिन 5 शर्तें भी रख दीं… सवाल-4: सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने रणवीर को क्या फटकार लगाई?जवाब: सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह ने रणवीर अलाहबादिया को जमकर फटकार लगाई। रणवीर के वकील और पूर्व CJI डीवाई चंद्रचूड़ के बेटे अभिनव चंद्रचूड़ से कोर्ट ने ये 3 बड़ी बातें कहीं… सवाल-5: तो क्या सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद रणवीर कभी कोई शो नहीं कर पाएंगे?जवाब: सुप्रीम कोर्ट के वकील विराग गुप्ता कहते हैं, कोर्ट ने फिलहाल रणवीर पर किसी भी तरह का शो करने पर पाबंदी लगाई है। इस मामले में जांच पूरी होने के बाद उन्हें एक एप्लिकेशन देनी होगी। इसके जरिए उन्हें दोबारा शो करने की इजाजत मिल जाएगी। कोर्ट ने रणवीर पर स्थायी नहीं बल्कि अस्थायी प्रतिबंध लगाया है। विराग गुप्ता का कहना है कि अभी कोर्ट ने रणवीर की याचिका पर सुनवाई करते हुए अस्थायी प्रतिबंध लगाया है, लेकिन अगर किसी अन्य व्यक्ति ने रणवीर के शो पर बैन लगाने की याचिका दायर की होती, तब उन पर स्थायी प्रतिबंध लग जाता। यानी रणवीर कभी शो नहीं कर पाते। वहीं, सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट अश्विनी दुबे का कहना है, कोर्ट के अगले आदेश तक रणवीर देश या विदेश में कहीं भी शो या पॉडकास्ट नहीं कर पाएंगे। इसके बावजूद अगर रणवीर ने कहीं शो किया तो उनको मिली राहत खत्म हो जाएगी और उन्हें जेल भेजा जाएगा। जब तक केस चलेगा, तब तक रणवीर को कोर्ट के आदेशों को मानना पड़ेगा। सवाल-6: क्या इस कंट्रोवर्सी में फंसने से रणवीर का करियर खत्म हो जाएगा?जवाब: विराग गुप्ता का कहना है, ‘संविधान के आर्टिकल 19 और 21 में देश के हर नागरिक को व्यवसायिक स्वतंत्रता और जीने का अधिकार है यानी देश में हर व्यक्ति को कमाने-खाने की आजादी है। अन्य इन्फ्लूएंसर की तरह रणवीर भी अपना काम दोबारा शुरू कर सकते हैं और कंटेंट बना सकते हैं। इसलिए कोर्ट के अंतरिम आदेश से रणवीर का करियर खत्म नहीं होगा।’ लेकिन एडवोकेट अश्विनी दुबे मानते हैं कि रणवीर के विवादित बयान से उनके करियर पर इम्पैक्ट जरूर पडे़गा। वे कहते हैं, रणवीर की कंट्रोवर्सी शुरू होते ही उनके यूट्यूबर और इंस्टाग्राम पर हजारों फॉलोअर्स कम हो गए। उनके बयान से सामाजिक और सांस्कृतिक भावनाओं को ठेस पहुंची है। इसलिए अगर वे निर्दोष पाए गए तब भी उन्हें पहले की तरह सम्मान नहीं मिलेगा। सवाल-7: सुप्रीम कोर्ट ने ऑनलाइन कंटेंट को रेगुलेट करने के लिए नियम बनाने की क्या बात कही?जवाब: ऑर्डर सुनाने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने यूट्यूबर समेत अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के अश्लील कंटेंट को रेगुलेट यानी नियंत्रित करने के लिए नियम बनाने की मंशा जाहिर की। इस पर केंद्र सरकार से उसके विचार भी पूछे। कोर्ट ने कहा, अगर सरकार अपने लेवल पर कुछ कदम उठाती है तो हमें खुशी होगी, लेकिन अगर सरकार कुछ नहीं करती, तब भी कोर्ट इस मामले को छोड़ने वाला नहीं है और इस पर कुछ न कुछ जरूर किया जाएगा। साथ ही कोर्ट ने ऑनलाइन कंटेंट के रेगुलेशंस यानी नियमों की खामियां को दूर करने के लिए अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से मदद मांगी। कोर्ट ने ये बातें एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से कही। सवाल-8: सोशल मीडिया कंटेंट पर सख्ती के लिए नए कानून से क्या इम्पैक्ट होगा?जवाब: एडवोकेट अश्विनी दुबे के मुताबिक, आर्टिकल 19 में सोशल मीडिया को लेकर फ्रीडम की बात होती है। कोई व्यक्ति संवैधानिक स्वतंत्रता के दायरे में रहकर सोशल मीडिया पर कंटेंट अपलोड कर सकता है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि कोई कुछ भी बोल सकता है। अगर कानून बनता है तो उसमें कंटेंट अपलोड करने को लेकर नियम तय किए जाएंगे। JNU में समाजशास्त्र के प्रोफेसर सुरिंद्र सिंह जोधका मानते हैं कि सोशल मीडिया रेगुलेट करने के नियम बनाने से यूट्यूबर्स और कंटेंट क्रिएटर्स पर झूठे केस दर्ज हो सकते हैं। प्रो. जोधका कहते हैं, अगर केंद्र सरकार रेगुलेशन कानून बनाती है तो इसका गलत इस्तेमाल भी हो सकता है। झूठे केस दर्ज हो सकते हैं। इससे सोशल मीडिया पूरा ही क्रिमिनलाइज हो जाएगा। अगर आपको हर चीज के लिए गवर्नमेंट का अप्रूवल चाहिए होगा तो बोलना आसान नहीं होगा। वैसे भी सोशल मीडिया को कंट्रोल करना आसान नहीं होगा। विराग गुप्ता बताते हैं, सुप्रीम कोर्ट में ऐसी कई याचिकाएं लंबित हैं, जिनमें सोशल मीडिया कंटेंट को लेकर कानून बनाने की बात कही गई है। वैसे भी किसी जमानत याचिका में कानून बनाने का निर्धारण नहीं हो सकता है। कानून बनाने का अधिकार संसद का है। ---------------- रणवीर अलाहबादिया से जुड़ी अन्य खबर पढ़ें... आज का एक्सप्लेनर: गाली-गलौज वाली कॉमेडी से करोड़ों की कमाई, क्या बुरे फंसे समय रैना; अलाहबादिया को कितनी सजा मुमकिन समय रैना के 'इंडियाज गॉट लेटेंट' शो में रणवीर अलाहबादिया के अश्लील कमेंट पर 2 दिनों से हंगामा मचा है। माफी मांगने और वीडियो हटाने के बावजूद मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। देशभर में उनके खिलाफ शिकायतें दर्ज कराई गईं। मंगलवार को मुंबई पुलिस भी अलाहबादिया के घर समन लेकर पहुंची और संसदीय समिति तक में मामला उठाया गया। पूरी खबर पढ़ें...
‘उनके दिमाग में कुछ बहुत गंदा है, जिसे उन्होंने कार्यक्रम में उगल दिया। आपने जो शब्द इस्तेमाल किए हैं, उनसे माता-पिता शर्मिंदा महसूस करेंगे। पूरा समाज शर्मिंदा महसूस करेगा।’ सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत ने ये बात सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर रणवीर अलाहबादिया के लिए कही। वे 18 फरवरी, सोमवार को रणवीर पर दर्ज FIR के मामले की सुनवाई कर रहे थे। रणवीर पर ये FIR पेरेंट्स पर किए अश्लील कमेंट्स की वजह से दर्ज हुई हैं। रणवीर ने ये कमेंट कॉमेडियन समय रैना के शो ‘इंडियाज गॉट लेटेंट’ में किया था। शो 8 फरवरी को रिलीज हुआ था। रणवीर अलाहबादिया और समय रैना से पहले एक्ट्रेस शिल्पा शेट्टी के पति राज कुंद्रा और एकता कपूर इस तरह के मामलों में फंस चुके हैं। सोशल मीडिया और OTT प्लेटफॉर्म्स पर अश्लील कंटेंट रोकने के लिए सरकार ने 2021 में गाइडलाइन बनाई थीं। एक्सपर्ट बताते हैं कि इसके बावजूद यूट्यूब, फेसबुक, इंस्टाग्राम, X पर अश्लील कंटेंट आ रहा है क्योंकि IT एक्ट के एक नियम ने गाइडलाइंस को बेअसर कर दिया। रणवीर अलाहबादिया केस के बहाने दैनिक भास्कर ने इसकी पड़ताल की है कि सरकार और कोर्ट की सख्ती के बाद भी सोशल मीडिया पर अश्लील कंटेंट क्यों नहीं रुक रहा। दरअसल, IT एक्ट के मुताबिक, कंटेंट की जिम्मेदारी उसके क्रिएटर की होती है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को उसके लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। इसलिए कंटेंट की निगरानी नहीं की जाती। IT एक्ट में मिली छूट का फायदा उठा रहे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मसमय रैना का शो यूट्यूब पर अपलोड किया जाता है। शो में बोल्ड कॉमेडी कंटेंट होता है। समय रैना के यूट्यूब चैनल के 73 लाख से ज्यादा सब्सक्राइबर हैं। सरकार की गाइडलाइन के बावजूद अश्लील कंटेंट कैसे रिलीज किया जा रहा है, ये सवाल हमने सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट विनीत जिंदल से पूछा। उनसे पता चला कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट के सेक्शन-79 में मिली छूट का फायदा उठा रहे हैं। पढ़िए पूरी बातचीत… सवाल: फेसबुक, यूट्यूब और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर गाली-गलौज, अश्लील भाषा और वीडियो वाले काफी वीडियो हैं। इन पर एक्शन क्यों नहीं होता?जवाब: IT एक्ट की धारा-79 में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को बड़ी छूट मिली है। ये खुद कंटेंट क्रिएट नहीं करते। थर्ड पार्टी कंटेंट क्रिएट करती है। वही अपलोड भी करती है। ऐसे में ये छूट मिली है कि उस प्लेटफॉर्म को किसी दूसरे की गलती की सजा न मिले। आसान भाषा में कहें तो किसी प्लेटफॉर्म ने खुद कोई कंटेंट नहीं बनाया है, लेकिन अगर उस पर केस बनता है, तो प्लेटफॉर्म को छूट मिलनी चाहिए। रणवीर अलाहबादिया और समय रैना का केस अलग है। ये खुद कंटेंट क्रिएटर हैं। ये खुद बोल रहे थे। इसलिए इन पर सीधे केस बना है। इन्होंने उसे यूट्यूब पर अपलोड किया है। इस केस में यूट्यूब पर FIR दर्ज नहीं की गई है। सवाल: रणवीर अलाहबादिया और समय रैना पर कौन सी धाराएं लगी हैं?जवाब: रणवीर अलाहबादिया और समय रैना के शो के वीडियो का एक पार्ट सोशल मीडिया पर शेयर हुआ। ये काफी वायरल हुआ। मैंने भी दिल्ली पुलिस से इसकी शिकायत की है। उसमें जिस तरह के शब्द का इस्तेमाल है, उसे हम कैमरे पर कह भी नहीं सकते। माता-पिता और बच्चे के बीच जो संबंध है, उसे शो में अमर्यादित तरीके से कहा गया। हमने भारतीय न्याय संहिता की धारा-79, 294, 295, 296 समेत अलग-अलग धाराओं में शिकायत की है। दिल्ली पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। इसके अलावा मुंबई में दर्ज FIR में 79, 196, 296, 299 और IT एक्ट-67 जैसी धाराएं लगी हैं। सवाल: इनमें कौन सी धारा गैर जमानती है और कितनी सजा मिल सकती है?जवाब: सिर्फ धारा-296 गैर जमानती है। अगर सभी धाराओं को जोड़कर देखें तो अधिकतम 10 साल और न्यूनतम 3 महीने की सजा हो सकती है। सवाल: किसी वीडियो में अश्लील भाषा का इस्तेमाल करना भी कानूनी तौर पर गलत है या अश्लील सीन का होना भी जरूरी है?जवाब: इसे समझने के लिए BNS की धारा-294 और 295 अहम है। इसमें अश्लीलता को परिभाषित किया गया है। सवाल: क्या भारत सरकार ने ऐसा कंटेंट रोकने के लिए नियम बनाए हैं। कोई ये कंटेंट देखता है तो कैसे शिकायत कर सकता है?जवाब: भारत सरकार ने 2021 में एक गाइडलाइन बनाई थी। इसमें सोशल मीडिया की जवाबदेही तय की गई थी। इसे सोशल मीडिया रूल्स भी कहते हैं। इसमें बताया गया है कि किस तरह का कंटेंट दिखा सकते हैं और किस तरह का कंटेंट होना चाहिए। उसी आधार पर पिछले साल अश्लील कंटेंट दिखाने वाले कई एप्स बंद कराए गए थे। कंटेंट पर नजर रखने के लिए ग्रीवांस सिस्टम है। सोशल मीडिया या दूसरे प्लेटफॉर्म पर अश्लील कंटेंट की शिकायत सूचना प्रसारण मंत्रालय की वेबसाइट पर की जा सकती है। प्लेटफॉर्म की वेबसाइट पर भी ग्रीवांस अफसर के ईमेल और फोन नंबर होते हैं। वहां भी शिकायत कर सकते हैं। कंटेंट को लेकर सरकार की गाइडलाइनभारत सरकार ने 2021 में The Information Technology (Intermediary Guidelines and Digital Media Ethics Code) Rules बनाया था। इसे 6 अप्रैल, 2023 को अपडेट किया गया। 30 पेज की गाइडलाइंस में सोशल मीडिया, फिल्म और वेब सीरीज के लिए नियम बताए गए हैं। पेज नंबर-28 पर फिल्म, वेब सीरीज और एंटरटेनमेंट प्रोग्राम के लिए जनरल गाइडलाइंस है। इसमें टारगेट ऑडियंस के आधार पर कैटेगरी तय करना जरूरी है। ये चेतावनी देना भी जरूरी है कि आप क्या कंटेंट दिखा रहे हैं। गाइडलाइंस के मुताबिक, OTT और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ग्रीवांस ऑफिसर रखने होंगे। कंटेंट कानून के हिसाब से होना चाहिए। उसमें सेक्स न हो, एंटी नेशन न हो और बच्चों-महिलाओं को नुकसान पहुंचाने वाला न हो। इसकी निगरानी के लिए दो तरह के नियम हैं…पहला: सेल्फ रेगुलेटरी होना चाहिए। मतलब कंटेंट को अपलोड करने वाला सरकार की गाइडलाइंस का ध्यान रखेगा। इसके लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, OTT, मोबाइल एप्स खुद इनका ध्यान रखेंगे। ये जांचेंगे कि कोई कंटेंट गलत तो नहीं है। चाइल्ड पोर्नोग्राफी नहीं होनी चाहिए। ये भी देखेंगे कि सेक्शुअल कंटेंट किस लेवल का है और भाषा किस तरह की है। दूसरा: अगर किसी को कंटेंट पर आपत्ति है, तो वो शिकायत कर सकता है। इसके लिए कंटेंट पब्लिश करने वाले प्लेटफॉर्म, वेबसाइट, एप पर शिकायत करने के लिए सिस्टम होगा। उस पर ग्रीवांस ऑफिसर का नाम, फोन नंबर और ईमेल आईडी होगी। कोई भी व्यक्ति उस पर शिकायत कर सकेगा। शिकायत अधिकारी 24 घंटे में शिकायत रजिस्टर करेगा। शिकायत करने वाले को एक्नॉलेजमेंट देना होगा। शिकायत की तारीख से 15 दिनों के अंदर उसका हल करना होगा। अगर कंटेंट हटाने की जरूरत होगी, तो उसे हटाना होगा। शिकायत न सुनी जाए, तो सूचना प्रसारण मंत्रालय की वेबसाइट पर भी शिकायत कर सकते हैं। अश्लील कंटेंट केस में फंसे सेलिब्रिटी राज कुंद्रा : मुंबई पुलिस ने 19 जुलाई, 2021 को एक्ट्रेस शिल्पा शेट्टी के पति राज कुंद्रा को पोर्न फिल्में बनाने और उन्हें वेबसाइट-एप्लिकेशन से डिस्ट्रीब्यूट करने के आरोप में अरेस्ट किया था। मुंबई पुलिस ने बताया कि क्राइम ब्रांच ने फरवरी, 2021 में एक केस दर्ज किया था। इस मामले में राज कुंद्रा के शामिल होने के पर्याप्त सबूत हैं। इस मामले में कुंद्रा समेत 12 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने कोर्ट में बताया कि ‘राज कुंद्रा अपने एप हॉटशॉट के जरिए अश्लील वीडियो की डीलिंग कर रहे थे।’ एकता कपूर : 22 अक्टूबर को फिल्म मेकर एकता कपूर और उनकी मां शोभा कपूर के खिलाफ मुंबई के बोरीवली में पॉक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया था। उन पर OTT प्लेटफॉर्म ‘ऑल्ट बालाजी' की वेब सीरीज ‘गंदी बात' में नाबालिगों से जुड़ा अश्लील कंटेंट दिखाने का आरोप लगा। ये सीरीज फरवरी से अप्रैल 2021 के बीच दिखाई गई थी। एकता कपूर ऑल्ट बालाजी की फाउंडर हैं। हालांकि तब उनकी कंपनी ऑल्ट डिजिटल मीडिया एंटरटेनमेंट लिमिटेड ने कहा था कि कंपनी सभी कानूनों का पूरी तरह पालन करती है। बैन एप्स के वीडियो टेलीग्राम पर मिल रहे12 मार्च, 2024 को सूचना प्रसारण मंत्रालय ने अश्लील कंटेंट दिखाने वाले 18 OTT प्लेटफॉर्म्स को ब्लॉक कर दिया। इनके अलावा 19 वेबसाइट, 10 एप और इनसे जुड़े 57 सोशल मीडिया अकाउंट्स भी बंद कर दिए। मंत्रालय के प्रेस नोट में सभी 18 OTT प्लेटफॉर्म के नाम भी दिए गए। प्रेस नोट में लिखा था कि अब इन्हें भारत में कहीं भी एक्सेस नहीं किया जा सकता। हमारी पड़ताल में पता चला कि वेबसाइट और OTT प्लेटफॉर्म तो बंद हैं, लेकिन बैन किए गए 18 एप में से 11 का कंटेंट अब टेलीग्राम पर मिल रहा हैं। एप के नाम से चैनल बने हैं, जिन पर मार्च 2024 के बाद भी वीडियो पोस्ट किए गए हैं। वीडियो प्ले करने के लिए अलग से मोबाइल एप डाउनलोड कराया जा रहा है। इन एप पर 16 फरवरी, 2025 तक वीडियो अपलोड किए गए हैं। नेटफ्लिक्स, ऑल्ट बालाजी और X के खिलाफ भी शिकायतपूर्व सेंट्रल इन्फॉर्मेशन कमिश्नर उदय महूरकर ने सोशल मीडिया और OTT पर अश्लील फिल्मों का मुद्दा कोर्ट में उठाया है। दैनिक भास्कर से बातचीत में वे बताते हैं, ‘हमने नेटफ्लिक्स, ऑल्ट बालाजी और X (अब ट्विटर) के खिलाफ दिल्ली पुलिस में शिकायत की थी।' उदय महूरकर बताते हैं, हमारी शिकायत पर FIR दर्ज नहीं की गई। तब मैं साकेत कोर्ट गया। इस मामले में 6 मार्च, 2025 को सुनवाई होगी। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को भी जवाब देने के लिए बुलाया है। उदय महूरकर आगे कहते हैं, ‘दो OTT प्लेटफॉर्म पर अश्लील नहीं, पूरा पोर्न कंटेंट दिखाया जा रहा है। ये प्लेटफॉर्म भारत सरकार की गाइडलाइन को नजरअंदाज कर रहे हैं।’ कॉमेडियन सुनील पाल बोले: अश्लील कॉमेडी करने वालों की शिकायत करेंगेदैनिक भास्कर ने रणवीर अलाहबादिया और समय रैना के मामले में कॉमेडियन सुनील पाल से बात की। वे कहते हैं, ‘ये अश्लील कॉमेडी करने वाले न कॉमेडियन हैं, न कलाकार हैं। ये कलंककार हैं। कहने के लिए ये कंटेंट क्रिएटर का अवॉर्ड लेते हैं, लेकिन इनके पास न कंटेंट है और न ये क्रिएटर हैं। इन्हें सजा होनी चाहिए।’ राज्यसभा सांसद बोलीं- डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को ही सिस्टम बनाना होगाराज्यसभा सांसद और शिवसेना (उद्धव गुट) की नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अश्लील कंटेंट का मुद्दा संसदीय समिति के सामने उठाया था। वे कहती हैं, ‘हम सिर्फ एक शो की बात नहीं कर रहे हैं। रणवीर अलाहबादिया हो या और भी दूसरे ऐसे शो, सभी फ्रीडम ऑफ स्पीच का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं।’ ‘मेरा मानना है कि यूट्यूब, फेसबुक या जो भी डिजिटल प्लेटफॉर्म हो, इन्हें सेल्फ रेगुलराइजेशन की जिम्मेदारी समझनी होगी।’ प्रियंका चतुर्वेदी आगे कहती हैं, ‘मेरा मानना है कि इसे रोकने के लिए अलग से नियम की जरूरत नहीं है। कंटेंट बना रहे लोगों को ही इसका ध्यान रखना होगा। सरकार हर चैनल की मॉनिटरिंग नहीं कर सकती। प्लेटफॉर्म को ही कम्युनिटी गाइडलाइंस फॉलो कराना पड़ेगा।’ ......................................... रणवीर अलाहाबादिया और समय रैना से जुड़ी ये खबरें भी पढ़िए...1. गाली-गलौज वाली कॉमेडी से करोड़ों की कमाई, कितनी सजा मुमकिन कॉमेडियन समय रैना ने 7 महीने पहले यूट्यूब पर शो शुरू किया था- इंडियाज गॉट लेटेंट। ये 'रॉ' और 'अनफिल्टर्ड' था, जिसमें कॉमेडी के लिए खूब गालियां दी जाती हैं। इसी में 8 फरवरी को शो का मेंबर्स ओनली एपिसोड रिलीज किया गया। इसी में एक कमेंट पर समय रैना और रणवीर अलाहाबादिया फंस गए। समय रैना वीडियो बनाकर करोड़ों रुपए कमाते हैं। पढ़िए पूरी खबर... 2. यूट्यूबर अलाहबादिया को सुप्रीम कोर्ट से फटकार, कहा- इनके दिमाग में गंदगी सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अश्लील कमेंट मामले में रणवीर अलाहबादिया की अपील पर सुनवाई की। अदालत ने अलाहबादिया को गिरफ्तारी से राहत दे दी, लेकिन उन्हें जमकर फटकार भी लगाई। अदालत ने कहा कि आपके कमेंट की भाषा विकृत और दिमाग गंदा है। इससे अभिभावक ही नहीं, बेटियां और बहनें भी शर्मसार हुईं। पढ़िए पूरी खबर...
US Deport Illegal Indians: अवैध भारतीय प्रवासियों को अब अमेरिका भारत नहीं भेजेगा बल्कि अन्य देशों में भेजकर वहां डिटेंशन सेंटर में रखेगा. इसके लिए उसने कई मध्य अमेरिकी देशों से करार किया है. अब वहां पर बड़े पैमाने पर हिरासत केंद्र बनाए जा रहे हैं.
Russia Ukraine War: यूक्रेन का क्या होगा? जेलेंस्की को किनारे कर अमेरिका ने पुतिन को कर लिया रेडी
Ukraine war: जियो पॉलिटिक्स एक्सपर्ट्स लगातार कह रहे हैं कि यूक्रेन युद्ध के मोर्चे से गुड न्यूज़ आने वाली है. पुतिन और ट्रंप के बीच मोटा-मोटी बात (Trump Putin Talks) हो चुकी है. पीस डील यानी युद्ध रोकने की रेसिपी लगभग तैयार हो चुकी है, बस उसे अमल में कैसे लाना है इसे लेकर रियाद तक मंथन जारी है.
ओसामा बिन लादेन को मारने वाली टीम को ओबामा ने क्यों गिफ्ट किया था इंचटेप? दिलचस्प है ये कहानी
US News: कोई कितना बड़ा तीस मार खां हो, तुर्रम खां हो और चाहेओसामा बिन लादेन ही क्यों न हो? वक्त खराब हो तो काम लगने में देर नहीं लगती. बात दुनिया के सबसे मोस्ट वांटेड आतंकवादी ओसामा को निपटाने वाली नेवी सील कमांडो की टीम की जिसे तत्कालीन राष्ट्रपति ओबामा ने एक इंच टेप गिफ्ट किया था.
पंजाब के बराबर साइज, पर अमेरिका से निकाले जा रहे भारतीयों के लिए आगे आया यह देश
Costa Rika: कोस्टा रिका ने भारत और मध्य एशिया के अवैध प्रवासियों को अमेरिका से वापस भेजे जाने में एक 'पुल' के रूप में काम करने पर सहमति व्यक्त की है. राष्ट्रपति रोड्रिगो चावेस रोबल्स के कार्यालय द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, 200 प्रवासियों का पहला समूह बुधवार को एक वाणिज्यिक उड़ान से जुआन सांतामारिया अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचेगा.
Living Nostradamus Predictions: पैरानॉर्मल एक्सपर्ट एथोस सैलोमे को लिविंग नास्त्रेदमस भी कहा जाता है. हाल रही में उन्होंने भविष्य में AI से होने वाले खतरों को लेकर भविष्यवाणी की है.
गूगल पर रूस ने 36 लाख रुपये का मोटा जुर्माना लगाया है. जुर्माने की रकम 36 लाख रुपये है.2024 अक्टूबर में भी रूस ने गूगल पर जुर्माना लगाया था. जानिए ये पूरा मामला क्या है?
टोरंटो में लैंडिंग के बाद पलट गया प्लेन, क्रैश के बाद सामने आया खौफनाक मंजर; उल्टे लटके दिखे यात्री
Toronto Plane Crash Video:टोरंटो में एक और प्लेन हादसा पेश आया है, हादसे बेहद भयानक था, क्योंकि प्लेन पूरी तरह उलटा हो गया था. हालांकि गनीमत यह रही कि सभी लोग सुरक्षित रहे सिर्फ 3 लोग गंभीर रूप से घायल हए हैं. अब प्लेन क्रैश होने से पहले के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं.
सुशांत सिंह राजपूत मौत मामले से आदित्य ठाकरे का क्या कनेक्शन, एक्टर के पिता ने महाराष्ट्र की नई सरकार को लेकर क्या कहा, जानेंगे स्पॉटलाइट में
एजेंट बोलता था- गोली मार दो इसे:35 लाख खर्च कर बेटे को अमेरिका भेजा, अब गांव वाले मजाक उड़ा रहे
'अमेरिका से बेदखल' सीरीज के चौथे एपिसोड में पढ़िए अमेरिका से जबरन पंजाब लाए गए मनदीप सिंह और आकाशदीप की कहानी… गांव के एक एजेंट ने कहा था कि 15 दिन में वो वीजा लगाकर मुझे अमेरिका भेज देगा। 35 लाख रुपए में डील हुई। तब मैं स्पेन में था। एजेंट ने स्पेन से बोलिविया तक ही फ्लाइट करवाई। उसके बाद डंकी रूट में डाल दिया। बोला- ऐसे ही अमेरिका जाना पड़ेगा। वहां से 4 महीने में कार-बस और पनामा के खतरनाक जंगलों से गुजरते हुए मेक्सिको सिटी पहुंचा। रास्ते में हर जगह एजेंट का आदमी यानी डोंकर कहता- तुम्हारे एजेंट ने अभी तक पैसे नहीं भेजे हैं। एजेंट से बात करता तो वो कहता- आज ही भेज दूंगा, कल भेज दूंगा। मैं बोलिविया से मेक्सिको पहुंच गया, लेकिन एजेंट ने डोंकर को पैसे नहीं भेजे। पैसों के लिए डोंकर मुझे मारने-पीटने लगा। मेक्सिको में ही एक सिटी है मैक्सिकली। वहां डोंकर ने मुझे कमरे में बंद कर दिया। बोला- जब तक पेमेंट नहीं मिलेगा, तुम यही रहोगे। डोंकर जब फोन करता तो एजेंट कहता, गोली मार दो उसे। डोंकर का कहना था कि यदि पैसे नहीं मिले, तो सच में गोली मार देंगे। कनपटी पर बंदूक सटा देता था।’ ये किस्सा कहते हुए पंजाब के तरन-तारन जिले के मनदीप सिंह की आवाज भारी हो जाती है। कुछ देर रुककर कहते हैं- रात में मुझे सपने आते हैं कि कहीं डोंकर सच में गोली न मार दे…। पहली कहानी : अमृतसर से सटे तरन तारन जिले के मनदीप सिंह कीमनदीप के घर के बाहर ही सेनेटरी की दुकान है। ये दुकान उनके बड़े भाई गुरु इकबाल सिंह की है। दुकान के बाहर मनदीप की मां शरणजीत कौर और पिता नौनिहाल सिंह बैठे हैं। नौनिहाल सिंह चाय पीते हुए बोल पड़ते हैं, ‘बहुत नुकसान हो गया। 50 लाख रुपए डूब गए। जमीन बेचकर और कर्ज लेकर एजेंट को पैसे दिए थे। सब तबाह हो गया। अब क्या कर सकते हैं। बेटा जिंदा बचकर आ गया, यही मेरे लिए धन है। वो लोग गोली मार देते तो क्या होता।’ ऐसा लगता है कि नौनिहाल सिंह बोलते-बोलते रो पड़ेंगे। दुकान के काउंटर पर मनदीप के बड़े भाई बैठे हैं। मां शरणजीत कहती हैं- 'मनदीप के साथ जो हुआ, उसके बाद से मेरी तबीयत खराब रहने लगी है। चलना-फिरना भी मुश्किल हो गया है। मैंने तो मना ही किया था कि स्पेन में हो। ठीक-ठाक पैसे कमा ही रहे हो। अमेरिका जाना है, तो लीगल तरीके से जाओ। ये एजेंट वाला ठीक नहीं, लेकिन किसी ने नहीं सुनी। अब पछताकर भी क्या कर सकते हैं।’ मैंने मनदीप के बारे में पूछा तो नौनिहाल सिंह रूखे मन से कहते हैं, ‘बस थोड़ी देर में आ रहा है। जब से अमेरिका से आया है, सोता ही रहता है।’ कुछ देर बाद मनदीप मुझे दुकान से घर के अंदर बने आंगन में ले जाते हैं। एक-डेढ़ साल पहले ही मनदीप ने स्पेन की कमाई से यह घर बनवाया है। कहते हैं, ‘हमारे पास खेती नहीं है। दो-तीन कैनाल जमीन थी, वो भी एजेंट को पैसे देने के लिए बेच दी। जब यहां पर कुछ भी नहीं था, तो पापा 1993 में दुबई चले गए। 7-8 साल तक उन्होंने वहां पर ट्रॉली चलाई। फिर गांव आ गए। बड़े भाई ने 7 साल पहले सेनेटरी की दुकान खोली। मैं 12वीं के बाद जॉब की तैयारी कर रहा था। कई सरकारी नौकरी के पेपर दिए, लेकिन किसी में नहीं हुआ। आसपास के कई लोग विदेश में रहते हैं। मैंने भी सोचा कि विदेश जाऊंगा, तो दिन बदल जाएंगे। 2022 की बात है। एक एजेंट ने 15 लाख लेकर स्पेन का वीजा लगवा दिया। वहां करीब 2 साल रहा। पहले रेस्टोरेंट में किचन साफ करने का काम करता था, फिर शेफ का काम करने लगा। दिन के 11 बजे जाता, रात के 3 बजे आता। ओवर टाइम नौकरी करके महीने का डेढ़-दो लाख रुपए हो जाता था।’ फिर अमेरिका जाने का ख्याल कैसे? ‘मेरा एक दोस्त कुछ साल से अमेरिका में ही था। उसने कहा तुम भी आ जाओ। यहां बहुत पैसा है। किसी एजेंट से सेटिंग करवा लो, जल्दी आ जाओगे। मैंने सोचा कि यहां के किसी एजेंट से बात करूंगा, तो शायद धोखा दे देगा। पैसे लेकर भाग जाएगा। मैंने पापा को फोन पर कहा कि मुझे अमेरिका जाना है। पंजाब के किसी एजेंट से बात करो। पापा ने अगल-बगल से पता किया। एक एजेंट ने कहा- '15 दिन में स्पेन से अमेरिका पहुंचा दूंगा।' एजेंट हर दूसरे दिन 2-4 लाख रुपए लेकर जाता था। कहता था- 'ये पैसे आगे दूसरे एजेंट को भेजने हैं।' मनदीप बताते हैं- 'मैं लगातार उससे बात करता रहता कि कब-कैसे निकलना है स्पेन से। पैसे जुटाने के लिए जो कुछ भी था- जमीन जायदाद, जमा-पूंजी, रिश्तेदारों से कर्ज लेकर सब कुछ दे दिया। मेरे एजेंट ने अगस्त में स्पेन से बोलिविया की टिकट करवा दी। वहां पहुंचकर दूसरे एजेंट के पास अपना फोटो लेकर गया। उसने मुझे कहा- तुम्हारा पेमेंट अभी तक नहीं आया है। एजेंट मुझे ग्रुप से अलग कर देते थे। कहते थे- जब तक पैसा नहीं आएगा, तुम्हें आगे लेकर नहीं जाएंगे। मुझे लगा कि फ्लाइट से अमेरिका भेजेंगे, लेकिन आखिर में डंकी रूट से ही ले गया। करीब 4 महीने में बोलिविया से पेरू, इक्वाडोर, कोलंबिया के रास्ते पनामा जंगल होते हुए मेक्सिको पहुंचा। साथ में रास्ता बताने के लिए एजेंट का एक आदमी था, जिसको डोंकर कहते हैं।' मनदीप बताते हैं- 'रास्ते में हर जगह डोंकर मुझे मारते-पीटते थे। कभी थप्पड़ मार देते, कभी लात-घूंसे तो कभी बाल खींचकर पीटते। मैं जब कहता कि मुझे क्यों मार रहे हो, तो गाली देते हुए कहते- तुम्हारे एजेंट ने पैसे नहीं भेजे हैं। जल्दी पैसा भेजने को बोलो। मैं पापा को, भाई को फोन करके कहता, एजेंट को बोलो पैसे भेजे, लेकिन एजेंट हर बार बहाना बनाकर टाल देता। जनवरी में हम मेक्सिको होते हुए अमेरिका पहुंचने वाले थे। इससे पहले ही डोंकर ने मुझे एक होटल के कमरे में कैद कर लिया। 4 दिनों तक बेल्ट से, रॉड से मुझे मारता रहा। मैंने घरवालों को कुछ नहीं बताया, वरना सब परेशान हो जाते। 6 दिन तक डोंकर ने खाना भी नहीं दिया। 6 दिन के बाद मुझे एक पिज्जा दिया। कंबोड का पानी पीना पड़ा। डोंकर ने मेरे कपड़े, मोबाइल, कानों की बाली, सोने की चेन, जो भी था, सब छीन लिया। जब डोंकर फोन पर एजेंट से बात करता तो मैं सुनता रहता था। एजेंट से डोंकर कहता, पैसे नहीं आएंगे, तो इसे गोली मार देंगे। एजेंट कहता- मार दो गोली। हम कुछ नहीं जानते हैं। जब मैंने ये बातें सुनी, तब 13वें दिन घरवालों को फोन किया, कहा- पापा ये मुझे गोली मार देंगे। आप कैसे भी करके, पैसे अरेंज करके इसे भेज दो। मैंने जैसे-तैसे पूरे पैसे दिए, तब उसने मुझे आगे जाने दिया। मनदीप कहते हैं- 'मेक्सिको से अमेरिका में दाखिल होने की दीवार 35-40 फीट ऊंची है। एक जगह दीवार टूटी हुई है, उसी रास्ते से मुझे डोंकर ने अमेरिका में दाखिल करवाया। जैसे ही अमेरिका में दाखिल हुआ, पुलिस ने पकड़ लिया। यहां मुझे करीब 15 दिनों तक रखा। 2 फरवरी की बात होगी। मेरे साथ जितने लोग थे, सभी को अमेरिकी फोर्सेज ने पैर में बेड़ियां और हाथ में हथकड़ी लगाकर एक बस में बिठा दिया। फिर हवाई अड्डे पर सेना के जहाज में एक-एक करके सबको बिठा दिया। बेड़ियों से मेरे पैर छिल गए। 40 घंटे सिर्फ जूस और सैंडविच खाकर रहा। किसी आतंकवादी जैसा सलूक किया जा रहा था। मनदीप मुझे एफआईआर की कॉपी दिखाते हैं। कहते हैं, ‘अमेरिका से भेजे जाने के तुरंत बाद मैंने एजेंट के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवा दी है। अब पुलिस मामले की छानबीन कर रही है। एजेंट भाग गया है। घरवाले पैसे न भेजते, तो डोंकर मुझे गोली मार देते। अब यहीं पर दिहाड़ी करूंगा। चपरासी की भी नौकरी करूंगा, लेकिन कभी अमेरिका जाने का नहीं सोचूंगा। जाऊंगा भी तो लीगल तरीके से, वीजा लगाकर।’ दूसरी कहानी : अमृतसर के आकाशदीप की मनदीप से बातचीत करने के बाद मैं अमृतसर के राजाताल गांव के लिए निकल पड़ता हूं। अटारी से सटे पाकिस्तान बॉर्डर पर बसे इस गांव में लहलहाते खेतों के बीच स्वर्ण सिंह का घर है। इनके बेटे आकाशदीप को अमेरिका ने बेदखल कर दिया है। 65 लाख रुपए खर्च करके वे अमेरिका गए थे। जब मेरी स्वर्ण सिंह से फोन पर बात हुई थी, तो उनका कहना था कि आकाशदीप भी घर पर रहेगा। आ जाइए, लेकिन जब हम वहां पहुंचे, तो आकाशदीप नहीं आए। लाल रंग का टी-शर्ट पहने और माथे पर काले रंग की पगड़ी बांधे स्वर्ण सिंह कहते हैं, ‘जिस दिन आपने फोन किया, मैंने उससे बोला था। उसने कहा कि मैं आ जाऊंगा, लेकिन अब नहीं आ रहा है। जब से अमेरिका से आया है, सदमे में है। दोस्त के यहां ही सोया रहता है। हम लोगों से भी कोई बातचीत नहीं कर रहा है। कुछ बोलता ही नहीं है। इसकी मां दिलजीत डिप्रेशन की दवाई खा रही है। अचानक चीखने-चिल्लाने लगती है। रोने लगती है। कलेजा पीटने लगती है।’ स्वर्ण सिंह चार भाई हैं। सभी का घर एक कतार में बना हुआ है। सबसे पुराना और खस्ताहाल स्वर्ण सिंह का ही घर दिख रहा है। वे कहते हैं, ‘अब बस यही घर बचा है और कुछ भी नहीं। 8 मवेशी थे, वो भी बेच दिया। कुछ जमीन भतीजे को 20 लाख में बेच दी। बाकी की जमीन पर बैंक से लोन ले लिया। अब इतना भी नहीं है कि खेती करूं। हर रोज बैंक वाले ब्याज मांगने आते हैं। कहां से दें। 65 लाख का कर्ज है। अपना खून और किडनी भी बेच दूं, तब भी ये कर्ज नहीं चुका पाऊंगा।’ स्वर्ण सिंह की पत्नी दिलजीत बरामदे से निकलकर दरवाजे पर आ जाती हैं। वे पत्नी को ढांढस बंधाते हुए कहते हैं, ‘कम से कम हमारा बेटा जिंदा आ गया। उनका क्या होता होगा जिनके बेटे वहीं मर गए। चिंता में कई रात जागकर गुजार रहा हूं। अब तो पेट भरना भी मुश्किल है। आकाशदीप इकलौता बेटा है। उम्मीद थी कि बड़ा होकर घर-परिवार संभालेगा। 12वीं तक आकाशदीप पढ़ने में ठीक था। फिर 4 साल तक उसने नौकरी की तैयारी की, लेकिन नहीं मिली, तब वह विदेश जाने के सपने देखने लगा। 2024 के जुलाई की बात है। वह दुबई चला गया। वहां के एजेंट ने उसका वीजा तो बनवाकर भेजा था, लेकिन वर्क परमिट नहीं दिलवाया। इस वजह से 4 महीने तक वह दुबई में फंसा रहा।' स्वर्ण सिंह कहते हैं- 'हर रोज बेटा फोन करके एक ही बात बोलता- पापा जैसे ही अमेरिका पहुंच जाऊंगा, सब कर्ज उतर जाएगा। अपनी गाड़ी-कोठियां होंगी। आपको भी यहीं सेटल करवा दूंगा। बेटा जैसा कहता गया, मैं मानता गया। किसी से पूछा भी नहीं कि जो मैं कर रहा हूं, सही कर रहा हूं या गलत। पहले एजेंट ने बोला कि फ्लाइट से भेजेंगे, फिर डंकी रूट से भेज दिया। जनवरी में वह मेक्सिको पहुंचा, जहां उसे गिरफ्तार कर लिया। 65 लाख डूबने के बाद अब ऐसा लगता है कि ऐशो-आराम के लालच में अपना सब कुछ गंवा दिया। आसपास के लोग मजाक उड़ाते हैं। कहते हैं, ‘गया था अमेरिका, अब यहां दिहाड़ी करेगा। कभी-कभी तो खुद को खत्म करने का भी मन करता है। बेटा को इतना बड़ा सदमा लगा है कि न किसी से मिलता है, न बात करता है। एक दोस्त के यहां शादी थी। सब गए, लेकिन आकाशदीप एक कोने में चादर से मुंह ढंककर सोया हुआ था। ऐसा लगता है कि पागल हो जाएगा…।’ ------------------------ अमेरिका से बेदखल सीरीज की ये खबरें भी पढ़ें : 1. जंगल में 6 दिन गीले कपड़ों में रहा:500 बार में नदी पार की, जमीन बेचकर अमेरिका पहुंचा, हथकड़ी लगाकर वापस भेज दिया एजेंट ने कहा था कि वो 40 लाख रुपए में डंकी रूट से मुझे अमेरिका भेज देगा। मैंने 20 लाख में जमीन बेच दी और बाकी रुपए कर्ज लेकर एजेंट को दे दिए। जिस दिन घर से निकला था, बीवी डेढ़ साल के बेटे को लेकर दरवाजे पर खड़ी रो रही थी। मां भी रो रही थी। मैंने कहा था अमेरिका पहुंच जाऊंगा तो सब ठीक हो जाएगा, लेकिन सब कुछ तहस-नहस हो गया। पढ़िए पूरी खबर... 2. अमेरिका से निकाले गए सभी 33 गुजराती अंडरग्राउंड:इनमें 7 परिवारों के 21 लोग, लेकिन 18 का एड्रेस अलग; दावा-पुलिस ने बात करने से रोका अमेरिका से जबरन भारत भेजे गए सभी 33 गुजराती अंडरग्राउंड हो गए हैं। भास्कर 33 में से 26 लोगों के घरों तक पहुंचा, लेकिन कोई भी प्रवासी सामने नहीं आया। बाकी 7 लोग अपने पते पर नहीं मिले। एक परिवार ने खुलकर दावा किया कि पुलिस ने उन्हें किसी से बात नहीं करने की हिदायत दी है। पढ़िए पूरी खबर...
गाजा और लेबनान के बाद अब ईरान की तबाही की इबारत लिखी जा रही है। रविवार को इजराइल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने अमेरिकी विदेश मंत्री की मौजूदगी में कहा कि ट्रम्प की मदद से ईरान का काम खत्म कर सकते हैं और करेंगे भी। आखिर क्या है इजराइल का नया प्लान, क्या ट्रम्प इसमें साथ देंगे और ईरान की तबाही भारत के लिए कितना बड़ा झटका होगी; जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में… सवाल-1: नेतन्याहू ने ईरान की तबाही की खुली धमकी क्यों दी?जवाब: अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो रविवार को इजराइल में थे। रुबियो से मुलाकात के बाद नेतन्याहू ने कहा कि हमने कई मुद्दों पर चर्चा की, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण ईरान का मुद्दा था। हम इस बात पर सहमत हुए हैं कि अयातुल्लाह (ईरान के सुप्रीम लीडर) के पास परमाणु हथियार नहीं होने चाहिए। मार्को रुबियो ने भी कहा कि हर आतंकवादी समूह के पीछे, सभी हमलों के पीछे और लाखों लोगों को खतरे में डालने के पीछे ईरान है। इसी दौरान नेतन्याहू ने कहा कि ट्रम्प की मदद से हम ईरान का काम खत्म कर सकते हैं और करेंगे। सवाल-2: क्या डोनाल्ड ट्रम्प ईरान का काम तमाम करने के लिए साथ देंगे?जवाब: ईरान को लेकर डोनाल्ड ट्रम्प के 3 बड़े बयान पढ़िए… 5 फरवरी 2025: डोनाल्ड ट्रम्प ने ईरान को खुली चुनौती देते हुए कहा कि अगर तेहरान ने मेरी हत्या करने की कोशिश की, तो मैं उन्हें नेस्तनाबूद कर दूंगा। 25 सितंबर 2024: ट्रम्प ने चुनावी रैली में कहा कि अगर ईरान किसी अमेरिकी व्हाइट हाउस उम्मीदवार या पूर्व राष्ट्रपति को नुकसान पहुंचाने में शामिल है तो उसे तबाह कर देंगे। 10 अगस्त 2024: डोनाल्ड ट्रम्प ने ईरान पर उनके चुनावी अभियान को हैक करने का आरोप लगाया। डोनाल्ड ट्रम्प ने इलेक्शन कैंपेन के दौरान कई बार ईरान को तबाह करने की बात कही, लेकिन राष्ट्रपति बनते ही उनके सुर बदल गए। 8 फरवरी को एक इंटरव्यू के दौरान ट्रम्प ने ईरान पर हमले की बात का खंडन किया। ट्रम्प ने कहा, मैं चाहता हूं कि ईरान एक महान और सफल देश बने, लेकिन ऐसा देश जिसके पास परमाणु हथियार न हो। समय की मांग है कि समझौते पर काम शुरू किया जाए और इस पर हस्ताक्षर होने और पूरा होने पर मिडिल ईस्ट में एक बड़ा जश्न मनाया जाए। ट्रम्प ने आगे कहा, ‘मैं ईरान के साथ गैर-परमाणु समझौता करना चाहता हूं। मैं उस पर बमबारी करने के बजाय शांति समझौता करना पसंद करूंगा।’ यानी ट्रम्प चाहते तो हैं कि ईरान काबू में रहे, लेकिन खुले तौर पर लड़ाई भी नहीं छेड़ेंगे। BHU में यूनेस्को चेयर फॉर पीस के प्रोफेसर प्रियंकर उपाध्याय का कहना है कि ट्रम्प ईरान पर हमले के लिए इजराइल का खुलकर समर्थन नहीं करेंगे। हालांकि ट्रम्प हथियार या फंड देकर इजराइल की मदद कर सकते हैं। जिस तरह गाजा में हमला करने के लिए अमेरिका ने इजराइल को हथियारों की कई खेप भेजी थी और कुछ दिन पहले इजराइल पर हथियार एक्सपोर्ट का बैन हटा दिया। सवाल-3: अगर ट्रम्प ने खुलकर हमले में साथ नहीं दिया तो नेतन्याहू कैसे करेंगे ईरान का काम-तमाम?जवाब: पेंटागन की एक रिपोर्ट के मुताबिक इजराइल दो तरह से ईरान को तबाह करने की प्लानिंग कर रहा है…. 1. ईरान के परमाणु प्रोजेक्ट को खत्म करना: इजराइल अमेरिका की मदद से ईरान में परमाणु प्रोजेक्ट वाले इलाकों को तबाह करना चाहता है, जिससे ईरान परमाणु देश न बन पाए। बाइडेन प्रशासन के एक पूर्व वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘अगर आप एक बड़ा हमला करना चाहते हैं जिसमें आप सबकुछ तबाह कर दें, तो केवल अमेरिका ही ऐसा कर सकता है। इजराइल लगातार ईरान पर हमला करने की योजना बना रहा है।’ 2. मौजूदा ईरानी शासन को खत्म करना: इजराइल, ईरान में खामेनेई की सरकार गिराना चाहता है क्योंकि खामेनेई ने खुलेआम और हमास-हिजबुल्लाह के समर्थन से इजराइल पर कई बार हमले किए। वहीं, JNU के रिटायर्ड प्रोफेसर और विदेश मामलों के जानकार ए. के. पाशा का कहना है कि इजराइल पिछले 20-25 सालों से ईरान में तख्तापलट की योजना बना रहा है, लेकिन अभी तक ऐसा हो नहीं पाया। ईरान की जनता भी जानती है कि इजराइल उनका दुश्मन है। सवाल-4: ईरान की इजराइल से लड़ाई तो समझ आती है, लेकिन अमेरिका से क्या दुश्मनी है?जवाब: प्रियंकर उपाध्याय के मुताबिक यहूदियों का अमेरिका पर बहुत ज्यादा प्रभाव है। अमेरिका में सरकारें बदलती रहती हैं, लेकिन इजराइल का समर्थन नहीं रुकता। अमेरिका का राष्ट्रपति कोई भी हो, वो हर तरह से इजराइल की मदद करते हैं। इसलिए अमेरिका भी ईरान से दुश्मनी माने बैठा है। हालांकि इस दुश्मनी के पीछे कुछ ऐतिहासिक वजह भी हैं… सवाल-5: अगर नेतन्याहू-ट्रम्प ने मिलकर ईरान को घेरा तो भारत पर क्या असर पड़ेगा?जवाब: लंबे वक्त से भारत और ईरान के बीच अच्छे रिश्ते हैं। भारत ने ईरान में इन्वेस्ट किया है। साथ ही ट्रेड भी करता है। अगर अमेरिका और इजराइल ने मिलकर ईरान पर हमला किया तो भारत पर ये असर होंगे… प्रो. राजन कुमार मानते हैं कि इजराइल-ईरान जंग के होने से भारत पर खासा निगेटिव असर पड़ेगा। वे कहते हैं, 'वेस्ट एशिया रीजन में करीब 90 लाख भारतीय रहते हैं। जंग के आसार होने पर ये लोग वापस भारत आ सकते हैं। ईरान के रास्ते अफगानिस्तान और सेंट्रल एशिया में भारत सामान भेजता है। इसके लिए भारत ने ईरान में चाबहार पोर्ट बनवाया है, जो अभी एक्टिव है। हालात बिगड़ने पर ये पोर्ट बंद हो सकता है, जिससे भारत के व्यापार और ट्रेड रूट पर असर पड़ेगा। साथ ही कच्चे तेल की खरीदी भी रुक जाएगी, जिससे भारत में पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ सकते हैं।' सवाल-6: ईरान इस सब का मुकाबला कैसे करेगा, उसका साथ कौन देगा?जवाब: अमूमन ईरान को रूस और चीन का सपोर्ट मिलता रहा है, लेकिन ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के बाद से वैश्विक राजनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंध बदल रहे हैं। अमेरिका ने रूस और चीन के साथ नजदीकियां बढ़ाने की कोशिश की है। ऐसे में एक्सपर्ट्स का मानना है कि रूस और चीन इस जंग में सीधे तौर पर शामिल नहीं होंगे। रूस-ईरान मामलों के जानकार और रशियन इंटरनेशनल अफेयर्स काउंसिल में एक्सपर्ट निकिता स्मैगिन मानते हैं कि ईरान को बचाने के लिए रूस कोई जल्दबाजी नहीं करेगा। स्मैगिन के मुताबिक, रूस और ईरान के बीच अच्छे रिश्ते हैं। ऐसे में रूस इस बात से खुश नहीं होगा कि इजराइल और अमेरिका ने मिलकर उसके कुछ भरोसेमंद अंतरराष्ट्रीय साथियों में से एक ईरान पर हमला कर दिया। हालांकि इससे रूस को कोई खास दिक्कत नहीं होगी। ऐसा ही प्रो. राजन कुमार भी मानते हैं। वे कहते हैं, ‘आमतौर पर रूस और चीन, ईरान को बाहर से मदद करते आएं हैं। अभी रूस-यूक्रेन जंग जारी है और ट्रम्प की पॉलिसी प्रो-रूस है। ऐसे में रूस आगे नहीं आएगा। चीन कुछ मदद कर सकता है, लेकिन कितनी मदद करेगा? ये जंग के दौरान देखना होगा।' इसके अलावा ईरान को एक्सिस ऑफ रेजिस्टेंस का सपोर्ट हैं, जिसे ईरान ने ही मिडिल ईस्ट के मिलिशिया और पॉलिटिकल ऑर्गनाइजेशंस को मिलाकर बनाया है। इसमें इन-फॉर्मल नेटवर्क हिजबुल्लाह, इस्लामिक रेजिस्टेंस, पॉपुलर मोबलाइजेशन फोर्सेस, हूती मूवमेंट जैसे ग्रुप्स शामिल हैं। इस नेटवर्क का काम मिडिल ईस्ट में अमेरिका और इजराइल का मुकाबला करना और उसे चुनौती देना है। ------------- इजराइल से जुड़ी अन्य खबर पढ़ें- नेतन्याहू ने ईरान के खिलाफ कार्रवाई की इच्छा जताई: ट्रम्प से समर्थन मांगा; कहा- गाजा जंग के बाद 16 महीने में ईरान को झटका दिया इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरान के खिलाफ कार्रवाई करने की इच्छा जताई है। उन्होंने रविवार को अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान नेतन्याहू ने कहा- गाजा में जंग शुरू होने के बाद से पिछले 16 महीनों में इजराइल ने ईरान को एक बड़ा झटका दिया है। पूरी खबर पढ़ें...
5 अगस्त, 2024बांग्लादेश में लंबे छात्र आंदोलन के बाद शेख हसीना सरकार का तख्तापलट हुआ। हसीना को देश छोड़कर भागना पड़ा। इसके साथ ही बांग्लादेश में हालात भी बिगड़ गए। पुलिस रातों-रात अंडरग्राउंड हो गई। लॉ एंड ऑर्डर ध्वस्त हो गया। बेकाबू भीड़ के निशाने पर सबसे ज्यादा अल्पसंख्यक खासतौर पर हिंदू आए। बांग्लादेश हिंदू बुद्धिस्ट क्रिश्चियन यूनिटी काउंसिल की रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश में सांप्रदायिक हिंसा में 32 हिंदुओं की हत्या की गई। ये घटनाएं 4 अगस्त 2024 से 31 दिसंबर 2024 के बीच हुईं। रेप और महिलाओं से उत्पीड़न की 13 घटनाएं हुईं। मंदिरों पर हमले के 133 मामले सामने आए। काउंसिल के मुताबिक, तख्तापलट के बाद महज 15 दिन में अल्पसंख्यकों के खिलाफ सांप्रदायिक हिंसा की कुल 2010 घटनाएं हुईं।11 जनवरी 2025 को बांग्लादेश के चीफ एडवाइजर के दफ्तर से बताया गया कि 2010 में से 1769 केस कन्फर्म हैं। इनमें से 1415 मामलों में जांच की जा चुकी है। 354 मामलों का रिव्यू किया जा रहा है। बांग्लादेश सरकार ने 10 दिसंबर तक अल्पसंख्यकों पर हुए हमले के मामलों में 70 लोगों को कस्टडी में लिया। वहीं, कुल 88 केस दर्ज किए हैं। दैनिक भास्कर ने बांग्लादेश हिंदू बुद्धिस्ट क्रिश्चियन यूनिटी काउंसिल के इस डेटा की डिटेल स्टडी की। साथ ही कुछ मामले विक्टिम फैमिली से बात करके क्रॉस चेक भी किए। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… अल्पसंख्यकों पर हमले की रिपोर्ट दो हिस्सों में तैयार की गई ये रिपोर्ट बांग्लादेश हिंदू बुद्धिस्ट क्रिश्चियन यूनिटी काउंसिल ने तैयार की है। इसे बनाने में काउंसिल के महासचिव मुनींद्र कुमार नाथ का अहम रोल रहा। वे कहते हैं, ‘बांग्लादेश में तख्तापलट के दौरान 4 अगस्त से 8 अगस्त के बीच अल्पसंख्यकों पर जबरदस्त हमले हुए। हमने इनका डेटा दो हिस्सों में तैयार किया है।’ ’पहला हिस्सा 4 अगस्त से लेकर 20 अगस्त 2024 के उन 15 दिनों का है, जब सांप्रदायिक घटनाएं चरम पर थीं। देश में पुलिस सिस्टम काम नहीं कर रहा था।’ ’रिपोर्ट के दूसरे हिस्से में 20 अगस्त से 31 दिसंबर 2024 के बीच हुई घटनाएं हैं। ये रिपोर्ट तख्तापलट के बाद उस वक्त की है, जब नई अंतरिम सरकार सत्ता संभाल चुकी थी। उनके दौर में भी सांप्रदायिक हमलों का सिलसिला जारी रहा।’ 4 अगस्त से 20 अगस्त के बीच हुई घटनाएं:तख्तापलट के 15 दिन के अंदर 9 मर्डर, 4 रेप, 953 घरों पर हमलेकाउंसिल की रिपोर्ट के मुताबिक, तख्तापलट के शुरुआती 15 दिन में 2010 सिर्फ सांप्रदायिक घटनाएं हुईं। इसका 1705 अल्पसंख्यक परिवारों पर असर हुआ। 157 परिवारों के घर और दुकान दोनों पर जानबूझकर हमले किए गए। उनके साथ लूटपाट, आगजनी, मारपीट की घटनाएं हुईं। उन्हें घर-दुकान छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा। बांग्लादेश के खुलना डिवीजन में सबसे ज्यादा सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं हुईं। प्रार्थना स्थल पर हमले की 69 घटनाएं हुईं। महज 15 दिन में करीब 50 हजार लोगों पर इन घटनाओं का असर हुआ। ये लोग डर के साए में रहने को मजबूर हुए। 15 दिनों में ही 9 हिंदुओं की हत्याबांग्लादेश में तख्तापलट के बाद शुरू हुई हिंसा के दौरान कई हिंदुओं पर हमले हुए। ये मर्डर के आम मामले नहीं, बल्कि इनमें से ज्यादातर मजहबी दुश्मनी की वजह से की गई हत्याएं थीं। लोगों को बड़ी क्रूरता से मारा गया। किसी की भीड़ ने घर में घुसकर जान ले ली, तो किसी को घर से बाहर बुलाकर सरेआम मार दिया गया। हमने इन घटनाओं का शिकार हुए कुछ परिवारों से भी बात की। 1. टिंकू रंजन दास, मर्डर- 11 अगस्त 2024नारायणगंज के रहने वाले टिंकू रंजन कपड़ा कारोबारी थे। दोपहर 12 बजे उग्र भीड़ ने घर के पास ही उन पर तेज हथियार से हमला कर दिया। भीड़ ने पीट-पीटकर उनकी जान ले ली। टिंकू की हत्या तख्तापलट के एक हफ्ते बाद की गई। 2. सुशांत सरकार, मर्डर- 18 अगस्त 2024 30 साल के सुशांत ब्रहमानबरिया जिले में नसीराबाद गांव के रहने वाले थे। घर से बाहर बुलाकर उनकी हत्या कर दी गई। उनका छोटा सा कारोबार था। जब उनकी हत्या की गई, तब उनका बच्चा सिर्फ दो हफ्ते का हुआ था। परिवार ने बताया- 18 अगस्त की रात गांव के रहने वाले आशिक नाम के युवक ने सुशांत को घर के बाहर बुलाया था। अगले दिन सुबह गांव के पास ही मेघना नदी के किनारे पर सुशांत की डेडबॉडी मिली। 3. स्वपन बिस्वास, मर्डर- 8 अगस्त 2024खुलना जिले के रहने वाले स्वपन भी उग्र भीड़ का शिकार हुए थे। 8 अगस्त को भीड़ ने सिर पर हथौड़ा मारकर उनकी जान ले ली। स्वपन पास के एक बाजार से रात करीब 10 बजे अपने घर लौट रहे थे, तब ये घटना घटी। स्पॉट से जहां उनका शव मिला, उसके पास से एक हथौड़ा भी बरामद हुआ। 4. मृणाल कांति चटर्जी, मर्डर- 5 अगस्त 202465 साल के रिटायर्ड टीचर मृणाल कांति चटर्जी बागेरहाट जिले के छोटापाइकपारा गांव के रहने वाले थे। तख्तापलट के दिन हिंसक भीड़ उनके घर में दाखिल हुई। भीड़ ने पीट-पीटकर उनकी हत्या कर दी। मृणाल की पत्नी और बेटी को भी इस हमले में गंभीर चोटें आईं। उन्हें पास के एक हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। मृणाल की पत्नी शेफाली ने बताया, ‘हिंसक भीड़ ने ना सिर्फ मेरे पति की हत्या की, बल्कि हमें भी पीटा। भीड़ इतनी उग्र थी कि उसने पूरे घर में तोड़फोड़ की और सब लूट ले गए। कुछ भी नहीं बचा।’ 5. प्रदीप कुमार भौमिक, मर्डर- 4 अगस्त 2024 सिराजगंज जिले के रायगंज में रहने वाले जर्नलिस्ट प्रदीप कुमार भौमिक की उस वक्त पीट-पीटकर हत्या कर दी गई, जब वो स्टूडेंट मूवमेंट के दौरान खबर के सिलसिले में जानकारी जुटा रहे थे। 6. हराधन रॉय, मर्डर- 5 अगस्त 2024 हराधन रॉय रंगपुर में रहते थे। वो नगर निगम के वार्ड नंबर-4 के पार्षद थे। हिंसक और उग्र भीड़ ने तख्तापलट के दूसरे दिन ही उनकी सरेआम हत्या कर दी थी। 7. अजीत सरकार, मर्डर- 5 अगस्त 2024 दोमकोना गांव के रहने वाले अजीत सरकार का मर्डर भी तख्तापलट के दिन ही किया गया। 8. रिपन शील, मर्डर- 4 अगस्त 2024रिपन शील हबीबगंज के रहने वाले थे। गृह जिले में ही एक मुस्लिम युवक ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी थी। 9. संतोष चौधरी, मर्डर- 5 अगस्त 2024 संतोष चौधरी भी हबीबगंज के रहने वाले थे। वो बानियाचोंग पुलिस थाने में सब इंस्पेक्टर थे और तख्तापलट के दिन ऑन ड्यूटी थे। हिंसक और उग्र भीड़ ने पीट-पीटकर उनकी हत्या कर दी। फिर उनका शव पेड़ से बांध दिया। 20 अगस्त के बाद 4 महीने में हुई घटनाएं:23 मर्डर, 9 रेप, पूजा स्थल पर हमले की 64 घटनाएंरिपोर्ट के मुताबिक, 20 अगस्त 2024 के बाद बांग्लादेश सरकार में चीफ एडवाइजर मोहम्मद यूनुस ने मोर्चा संभाल लिया था। उसके बाद से 31 दिसंबर 2024 तक 4 महीने और 10 दिन में कुल 174 घटनाएं हुईं, जिनके पीछे मोटिव कम्युनल था। इसमें कुल 23 लोगों का मर्डर हुआ। मंदिरों और पूजा स्थलों पर हमले की 64 घटनाएं हुईं। रेप और महिलाओं से उत्पीड़न के कुल 9 मामले सामने आए। लगातार हुई सांप्रदायिक हिंसा और तनाव का महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों पर बुरा असर हुआ। रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश में रहने वाले सभी अल्पसंख्यक खौफ में जीने को मजबूर हैं। दूसरी तरफ सरकार इस तरह की घटनाओं को सियासी दुश्मनी से हुई वारदातें करार दे रही है। इनकी जांच को भी गंभीरता से नहीं ले रही है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अब बांग्लादेश की नई सरकार अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव कर रही है। उनका उत्पीड़न करने के लिए सरकारी तंत्र का भी इस्तेमाल कर रही है। छात्र आंदोलन से खड़ी हुई सरकार धार्मिक तौर पर भेदभाव करने पर उतारू है। सरकारी टीचर्स को जबरन निशाना बनाकर उनसे इस्तीफा लिया जा रहा है। रिपोर्ट में ये भी दावा है कि हिंदू समुदाय से ताल्लुक रखने वाले नौकरीपेशा लोग अब तक अपने काम पर नहीं लौट पाए हैं। उनके अंदर खौफ बैठ गया है और वो अपनी सुरक्षा को लेकर फिक्रमंद हैं। पुलिस भर्ती से लेकर बांग्लादेश सिविल सर्विसेज में भर्ती तक में सरकार पर अल्पसंख्यकों से भेदभाव के गंभीर आरोप लग रहे हैं। हर जिले से इकट्ठा किया डेटा, फिर पीड़ितों से बात करके बनाई रिपोर्टकाउंसिल के महासचिव मुनींद्र कुमार नाथ कहते हैं, ‘हमने सबसे सांप्रदायिक हिंसा के मामले इकट्ठा करने शुरू किए। हिंदू बुद्धिस्ट क्रिश्चियन यूनिटी काउंसिल के बांग्लादेश में हर जगह कार्यकर्ता हैं। सबसे पहले हमने जिला इकाई से ऐसे मामले इकट्ठे किए। फिर इससे जुड़े फैक्ट जुटाने के लिए कहा।‘ इसके बाद घटनाओं की डिटेल रिपोर्ट तैयार करने के लिए एक मॉड्यूल बनाया गया। इसमें हर जिले से रिपोर्ट इकट्ठा की गई। हमने बांग्लादेश की लोकल मीडिया रिपोर्ट्स की भी मदद ली। हमने सांप्रदायिक हिंसा से प्रभावित हुए लोगों से बात की। हत्या और रेप जैसे गंभीर मामलों में हमने पीड़ित के परिवार से व्यक्तिगत रूप से बात की है। उसके आधार पर केस की डिटेल्स इकट्ठा कीं। हमने चीफ एडवाइजर मोहम्मद यूनुस से भी मुलाकात की और इन मामलों में जांच और न्याय सुनिश्चित करने की भी मांग की है।‘ UN का दावा-बांग्लादेश में हिंसा से 2024 में 1400 की मौतसंयुक्त राष्ट्र (UN) ने बांग्लादेश में पिछले साल सरकार विरोधी छात्र प्रदर्शनों पर की गई कार्रवाई को लेकर बुधवार को एक रिपोर्ट जारी की। UN का दावा है कि इस कार्रवाई में 1400 लोगों की हत्या कर दी गई। इनमें ज्यादातर लोगों की मौत के पीछे सुरक्षा बलों की गोलीबारी जिम्मेदार है। रिपोर्ट में बताया गया कि पिछले साल शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद हिंदुओं के घरों, व्यवसायिक प्रतिष्ठानों और पूजा स्थलों पर हमले हुए। खासतौर पर ग्रामीण और तनाव वाले जिले जैसे ठाकुरगांव, लालमोनिरहाट, दिनाजपुर, सिलहट, खुलना और रंगपुर में हमले हुए। रिपोर्ट के मुताबिक बांग्लादेशी सुरक्षा बलों ने आंदोलन को दबाने के लिए बड़े पैमाने पर गोलीबारी, गिरफ्तारियां और प्रताड़ना का सहारा लिया। ये कार्रवाई राजनीतिक नेतृत्व और शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों के आदेश पर हुई। UN ने इसे 'मानवता के खिलाफ अपराध' करार देते हुए अंतरराष्ट्रीय जांच की मांग की है।................................. बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... बांग्लादेश में एक हफ्ते में 6 मंदिरों पर हमले बांग्लादेश में कट्टरपंथियों ने बीते हफ्ते में 6 हिंदू मंदिरों को निशाना बनाया है। इनमें से चटगांव के हथाजारी में 8 जनवरी को चार मंदिरों पर हमले किए गए। कॉक्स बाजार में 9 जनवरी और लाल मोनिरहाट में 10 जनवरी को एक-एक मंदिर में लूटपाट की गई। पढ़िए पूरी खबर...
चीन से गद्दारी कर रहा पाकिस्तान? जिनपिंग के निशाने पर मुनीर! PLA उतरी तो बर्बाद हो जाएगा PAK फौज
Pakistan News:पाकिस्तान की ज्यादातर आबादी अब मानने लगी है कि पीओके बहुत जल्द भारत का हिस्सा बन जाएगा. पाकिस्तान के विशेषज्ञों ने इस बात का एलान करना भी शुरू कर दिया है कि मुल्क को कई टुकड़ों में बंटने से अब कोई नहीं रोक सकता और इसकी वजह हैं पाकिस्तान की सेना के प्रमुख जनरल आसिम मुनीर और उनकी कारगुजारियां.
आक्रमक नजरिया, PM नेतन्याहू के खास... कौन हैं इयाल जमीर जो होंगे अगले IDF चीफ ?
Who is Next IDF Chief Eyal Zamir:इजरायली कैबिनेट ने रविवार को आधिकारिक रूप से मेजर जनरल (रेस.) इयाल जमीर के पक्ष में वोट किया. यानी वे अब आईडीएफ के अगले चीफ ऑफ स्टाफ होंगे. जमीर निवर्तमान आईडीएफ चीफ ऑफ स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल हर्जी हलेवी की जगह लेंगे.
IDF ने हमास के खूंखार कमांडर 'शाहीन' को किया ढेर.. सीजफायर से पहले इजरायल का लेबनान पर हवाई हमला
Lebanon: गाजा में इजरायल और हमास के बीच सीजफायर जारी है. इसी बीच, इजरायली सेना ने सोमवार को लेबनान के सैदा शहर में एक कार पर निशाना लगाकर हमास के ऑपरेशंस डिपार्टमेंट के चीफ मोहम्मद शाहीन को मार गिराया.
Russia- Ukraine War:रूस औऱ यूक्रेन के बीच करीब तीन साल जंग जारी है. इस जंग को समाप्त करने के लिए कई देशों लगातार मांग कर रहे हैं. इसी बीच इसे लेकर रूस की तरफ से भी अच्छा संकेत आया है. रूस ने कहा कि विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव मंगलवार को अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो समेत टॉप यूएस अधिकारियों के साथ यूक्रेन में जंग को समाप्त करने लिए बातचीत करेंगे.
बेडरूम में प्यार लौटा रहीं लव बुक्स, बेरंग जिंदगी में रोमांच लौटाने के लिए महिलाएं कर रहीं ये काम
Love and Romance: पश्चिमी देशों में महिलाओं की बेरंग हो चुकी जिंदगी में फिर से रोमांच और रोमांस भरने के लिए सुपरनेचुरल सेक्स बुक का सहारा लिया जा रहा है, क्या है ये कांसेप्ट और कितना कामयाब रहा? आइए आपको सबकुछ बताते हैं.
इंसानों का बूचड़खाना! कहानी उस जेल की जहां दी जाती थीं यातनाएं, 13000 लोगों को दी गई दर्दनाक मौत
Syria News: आज हम सीरिया के सबसे भयानक जेलों में से एक उसी सेडनाया जेल की बात करेंगे, जिसमें हजारों लोगों की बेरहमी से असद प्रशासन ने हत्या कर दी थी. आखिर क्यों यह जेल किसी भी आम जेल से अलग थी? यह जेल मौत की फैक्ट्री क्यों कही जाती थी? आइए जानते हैं.
नेतन्याहू की धमकी पर ईरान का पलटवार, अब क्या करेंगे इजरायली PM, क्या मोड़ लेगी जंग?
Iran News:इजरायली प्रधानमंत्री ने ईरान पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि तेहरान के खिलाफ 'अंतिम वार' होगा. अब ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माईल बकाई ने पीएमनेतन्याहू केबयान पर पलटवार किया है. इतना ही नहीं उन्होंने इजरायल को चेतावनी भी दी है.
Viral: डॉलर पाउंड में खेलती थी ये मुस्लिम एक्ट्रेस, मिला ऐसा दर्द; इंडस्ट्री वालों से कर ली तौबा
Viral news: यास्मीना खान (Yasmina Khan) ने इंडस्ट्री में अपनी अलग जगह बनाने और मजबूत कदम जमाने के लिए दिन-रात कड़ी मेहनत की थी. लेकिन उसे अपने शरीर की क्षमता से ज्यादा काम करना महंगा पड़ गया. आज वो 3-3 मेडिकल रीजन के चलते दर्द भरी जिंदगी गुजार रही है.
नास्त्रेदमस और बाबा वेंगा ने की थी भूकंप की भविष्यवाणी, कहीं ये सच तो नहीं साबित हो रही?
Baba Vanga And Nostradamus Prediction: नास्त्रेदमस और बाबा वेंगा की भविष्यवाणियां कई मौकों पर सच साबित होती देखी गई हैं. वहीं उन्होंने भूकंप को लेकर भी कई भविष्यवाणियां की थी. जानते हैं कि इनमें से कौन-कौनसी सच साबित हुई हैं.
20-25 साल की टिकटॉकर के लिए 65 के अधेड़ ने बीवी को दे दिया तलाक, माथा पीट रहे घरवाले
Bizarre News: 65 साल के एक बुजुर्ग को इंटरनेट के जरिए एक 20-25 साल की युवती से प्यार हो गया. वह उसे पैसे भी भेजता रहा है. ऐसे में शख्स के परिवार को चिंता है कि कहीं उसके साथ कोी धोखाधड़ी न हो जाए.
स्पॉटलाइट- जयललिता के 27 किलो सोने पर किसका हक:कोर्ट ने सुनाया फैसला, संपत्ति को लेकर था कैसा विवाद
क्या नीलाम होगी जयललिता की जब्त की हुई जायदाद, उनकी प्रॉपर्टी कानूनी उत्तराधिकारी को क्यों नहीं दी गई, जानेंगे स्पॉटलाइट में...
‘2013-14 की बात है। बड़ा भाई ऑस्ट्रेलिया में था। मुझे कह रहा था कि तुम भी विदेश आ जाओ, लेकिन इसी बीच मां को कैंसर हो गया। दो साल तक हॉस्पिटल, घर यहां-वहां भागते रहे। 2016 के आस-पास मां की डेथ हो गई। खेतों में काम करने वाली महिलाएं ही घर पर हमारे लिए खाना बना देती थीं। घर में पापा अकेले हो गए। तब लगा कि मैं भी विदेश चला जाऊंगा, तो पापा कैसे रहेंगे। उस वक्त एग्रीकल्चर की पढ़ाई कर रहा था। मैंने विदेश जाने का सपना छोड़ दिया। आज देखिए कि लोग 40 लाख, 50 लाख खर्च करके, एजेंट को पैसे देकर दो नंबर से विदेश जा रहे हैं और इस कदर वापस आ रहे हैं। इनके पैसे भी मिट्टी में चले जा रहे हैं। मैंने महज लाख रुपए से इस गुड़ की फैक्ट्री की शुरुआत कर दी। आज 100 से ज्यादा लोग काम कर रहे हैं। पूरी टीम एक परिवार के जैसी लगती है। इससे अच्छी बात पंजाब में रहते हुए क्या हो सकती है।’ जालंधर से तकरीबन 90 किलोमीटर दूर गुरदासपुर का एक इलाका है- सलोपुर। यहीं के रहने वाले कौशल कुमार गुड़ के डिब्बे उठाते हुए ये बातें कह रहे हैं। जालंधर से जब मैं कौशल की फैक्ट्री के लिए निकला, तो रास्ते में जहां तक नजरें गईं, गन्ने के खेत ही खेत नजर आ रहे हैं। मजदूर गन्ने की कटाई कर रहे हैं। कौशल कहते हैं, ‘पंजाब के इन इलाकों में गन्ने का बहुत बड़ा प्रोडक्शन है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक सालाना 84 हजार किलोग्राम प्रति हेक्टेयर गन्ने की खेती होती है। हम अपनी और कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग मिलाकर 200 एकड़ में गन्ने की खेती कर रहे हैं। बचपन से खेती में इंट्रेस्ट था। 2016 की बात है। पढ़ाई के साथ-साथ मैं खेती करने लगा। देखा कि बड़ी-बड़ी कंपनियां किसानों से अनाज खरीदकर अपने मुताबिक रेट तय करके मार्केट में बेचती हैं, लेकिन किसानों को इससे कोई फायदा नहीं होता। अनाज किसान उपजाते हैं और प्रॉफिट कंपनी को मिलता है। मुझे लगा कि यदि किसी फसल से हम खुद प्रोडक्ट बनाते हैं, तब मार्केट प्रॉफिट ज्यादा हो सकता है। कब तक धरना, प्रदर्शन, सरकार के सामने हाथ फैलाते रहेंगे।’ कौशल की फैक्ट्री में कई सारी महिलाएं काम कर रही हैं। वे गुड़ की पैकेजिंग कर रही हैं। फैक्ट्री के एंट्री गेट के बगल में गन्ने का ढेर लगा है। बगल में गन्ने से रस निकालने की मशीन लगी हुई है। कौशल ढेर से एक गन्ना खींचते हुए कहते हैं, ‘पापा शुरू से गन्ने की खेती कर रहे थे। जब मैंने एग्रीकल्चर की पढ़ाई शुरू की, तब लगा कि गन्ने से बने प्योर गुड़ का मार्केट में कोई ब्रांड नहीं है। हम दोनों ने मिलकर गन्ने से गुड़ बनाकर बेचना शुरू किया। रोज तकरीबन 70 किलोग्राम गुड़ बेचते थे। खुद से बाइक पर लादकर मंडी ले जाना और फिर गुड़ बेचना। उस साल करीब 12 लाख का गुड़ बेचा था। आसपास के लोग कहते थे- नौकरी नहीं मिली होगी, इसलिए पढ़-लिखकर अनपढ़ वाला काम कर रहा है। गुड़ बेच रहा है। उसके बाद मैंने सरकारी नौकरी की भी तैयारी की और पेपर दिया। पास भी हो गया। फिर लगा कि करूंगा तो बिजनेस ही।’ कौशल मुझे अपना पैकेजिंग स्टोर और प्रोडक्शन यूनिट दिखा रहे हैं। आधा किलोग्राम, एक किलोग्राम के डिब्बे में गुड़ के छोटे-छोटे टुकड़े पैक करके रखे हुए हैं। कौशल कहते हैं, ‘पूरी पैकेजिंग के पीछे नवनूर कौर का माइंड है। वह हमारी बिजनेस पार्टनर हैं। ब्रांडिंग, मार्केटिंग, सबकुछ नवनूर ही देखती हैं। दरअसल, नवनूर मेरे कॉलेज प्रोफेसर की बेटी हैं। दिल्ली से सटे गाजियाबाद से उन्होंने एमबीए किया है। 2019 की बात है। उस वक्त मैं गुड़ में अलग-अलग तरह के एक्सपेरिमेंट कर रहा था। नवनूर कॉलेज पासआउट होने के बाद बिजनेस एक्सप्लोर कर रही थीं। जब उन्हें गुड़ के प्रोडक्शन के बारे में पता चला, तो कहा- मैं आपके प्लांट आना चाहती हूं। गुड़ बनता कैसे है, इसे देखना चाहती हूं। तबसे से ही वो हमारे साथ जुड़ गईं।’ कौशल जो गुड़ बनाते हैं, उसमें कई कैटेगरी होती है। एक शक्कर की तरह है, तो दूसरा प्लेन और मसाले वाला। कौशल कहते हैं, ‘मार्केट में हमने देखा कि कोई गुड़ का ब्रांड नहीं है, जबकि हर घर में गुड़ का इस्तेमाल होता है। घर में, आसपास देखता था कि हर किसी को डायबिटीज की बीमारी है। हमने सोचा कि इस प्योर गुड़ को घर-घर पहुंचाकर चीनी से रिप्लेस किया जा सकता है। हमने गुड़ की अलग-अलग वैराइटी बनानी शुरू की, ताकि बड़ों के साथ-साथ बच्चों को भी यह खाने में टेस्टी लगे।’ कौशल की जहां पर फैक्ट्री है, वह पूरा गांव का इलाका है। रास्ते ऐसे हैं कि बमुश्किल ही गाड़ियां नजर आती हैं। कौशल उन दिनों को याद करते हुए कहते हैं, ‘हमने ऑनलाइन तो लोगों तक प्रोडक्ट पहुंचाना शुरू किया, लेकिन यहां ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स की बहुत कम सर्विस रही है। एक ऑर्डर 15-15 दिन में डिलीवर होते थे। इससे कस्टमर फीडबैक निगेटिव आने लगा। उसके बाद हमने हरियाणा के मानेसर में अपना वेयरहाउस सेटल किया। अब तीन से चार दिन में प्रोडक्ट की डिलीवरी हो जाती है। हर रोज हम 400 के करीब ऑर्डर डिलीवर कर रहे हैं। सेल करीब 2 लाख का है। सालाना टर्नओवर करीब 7-8 करोड़ का है।’ -------------------------- इस सीरीज की और स्टोरी पढ़िए... 1. पॉजिटिव स्टोरी- ऑनलाइन पलंग-कुर्सी बेचकर 300 करोड़ का बिजनेस:50 हजार कर्ज लेकर शुरू किया काम, आज हर महीने 4 हजार ऑर्डर 1991 का साल बीत रहा था। पापा ने दादा के साथ मिलकर लकड़ी से बने प्रोडक्ट को बेचने की दुकान खोल ली। उन्होंने पलंग, कुर्सी, टेबल जैसे प्रोडक्ट बनाने शुरू कर दिए। पहले तो आसपास के लोग ही लकड़ी का सामान खरीदकर ले जाते थे, फिर आसपास के शहर, दूसरे राज्यों से भी लोग आकर लकड़ी का सामान खरीदने लगे।’ कुर्सी, पलंग, सोफा जैसे फर्नीचर को ऑनलाइन बेचने वाली 300 करोड़ की कंपनी ‘सराफ फर्नीचर’ के को-फाउंडर रघुनंदन सराफ अपने पुराने दिनों को याद कर रहे हैं। फैक्ट्री में आसपास लकड़ी, फर्नीचर आइटम्स और पट्टी का अंबार लगा हुआ है। पूरी खबर पढ़िए... 2. पॉजिटिव स्टोरी- साड़ी के फॉल-अस्तर से डेढ़ करोड़ का बिजनेस:15 साल कॉर्पोरेट जॉब की, पत्नी की 3 लाख की सेविंग्स से बनाई कंपनी 'पाली का साड़ी फॉल, अस्तर, रूबिया, पॉपलीन देशभर में मशहूर है। मैं इसी तरह का कारोबार कर रहे अखिलेश जैन से मिलने आया हूं। सुबह के 10 बज रहे हैं। एक फैक्ट्री में अलग-अलग कलर में दर्जनों कपड़े के गट्ठर रखे हुए हैं। सामने एक शेड में 200 मीटर के थान के कपड़े को वर्टिकल टांगकर सुखाया जा रहा है। अखिलेश इशारा करते हुए कहते हैं, ‘अभी ये कपड़े जोधपुर फैक्ट्री से आ रहे हैं। पाली से जोधपुर 60 किलोमीटर है। सूखने के बाद इसी कपड़े को अलग-अलग साइज में काटकर साड़ी के फॉल, अस्तर के कपड़े, पॉपलीन-रूबिया बनाया जाता है।' पढ़िए पूरी खबर
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के कार्यकाल के आखिरी कुछ दिन बचे हैं। अगले महीने बीजेपी की कमान नए हाथों में जा सकती है। फिलहाल प्रदेश अध्यक्षों के चुनाव की प्रक्रिया जारी है। इसके ठीक बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव किया जाएगा। नड्डा के बाद किसे मिलेगी बीजेपी की कमान, कैसे होते हैं राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव और कितना अहम होता है ये पद; मंडे मेगा स्टोरी में पूरी कहानी… बीजेपी में अब तक 11 नेताओं ने राष्ट्रीय अध्यक्ष पद संभाला। जानिए किस अध्यक्ष के दौरान कैसे रही बीजेपी की पॉलिटिक्स… 1. अटल बिहारी वाजपेयी गांधी के समाजवाद को अपनाया (1980-86) 2. लाल कृष्ण आडवाणी हिंदुत्व और राष्ट्रवाद की ओर बढ़े (1986-90 | 1993-98 | 2004-05) 3. डॉ. मुरली मनोहर जोशी एकता यात्रा निकाली, आडवाणी के रास्ते चले (1991-93) 4. कुशाभाऊ ठाकरे लोकल लेवल पर संगठन मजबूत किया (1998-2000) 5. बंगारू लक्ष्मण रिश्वत लेते दिखे, तो इस्तीफा दिया (2000-01) 6. जना कृष्णमूर्ति दक्षिण में विस्तार की कोशिश की (2001-02) 7. एम. वेंकैय्या नायडू आडवाणी और हिंदू विंग की वापसी (2002-04) 8. राजनाथ सिंह संघ के करीबी, मोदी के लिए लामबंदी की (2005-09 | 2013-14) 9. नितिन गडकरी संघ की पसंद, लेकिन पूर्ति मामले में इस्तीफा (2010-13) 10. अमित शाह इलेक्शन मशीन बनी बीजेपी, बूथ तक संगठन पहुंचा (2014-20) 11. जगत प्रकाश नड्डा संघ की जरूरत नहीं, बीजेपी को ‘सक्षम’ बताया (2020- अब) **** ग्राफिक्स- अंकुर बंसल और अंकित द्विवेदी **** बीजेपी से जुड़ी ये भी खबर पढ़िए... दिल्ली में बीजेपी की जीत और केजरीवाल की हार की 11 वजहें तीन बार लगातार दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे अरविंद केजरीवाल नई दिल्ली से चुनाव हार गए। डिप्टी CM रहे मनीष सिसोदिया भी अपनी सीट नहीं बचा पाए। 12 साल बाद आम आदमी पार्टी दिल्ली की सत्ता से बाहर हो गई है, लेकिन ये तख्तापलट कैसे हुआ? पूरी खबर पढ़िए...
15 फरवरी की शाम 6 बजे से नई दिल्ली रेलवे स्टेशन की भीड़ देखकर लोग भगदड़ की आशंका जताने लगे थे। फिर भी काउंटर से हर घंटे प्रयागराज के 1500 टिकट बेचे जाते रहे। 9.30 बजते-बजते प्लेटफॉर्म पर चीख-पुकार मच गई, लेकिन नॉर्दर्न रेलवे भगदड़ को अफवाह बताता रहा। रात 11.36 बजे रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि सबकुछ कंट्रोल में हैं, जबकि दो घंटे पहले ही अस्पताल में लाशें पहुंचने लगी थीं। रेलवे की किन 3 बड़ी गलतियों से बेमौत मारे गए 18 लोग और क्या सरकार इसे छिपाने में लगी रही; आज के एक्सप्लेनर में जानेंगे दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ का पूरा सच... रिपोर्ट्स के मुताबिक, 15 फरवरी की शाम नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर प्रयागराज के लिए या वहां से होकर जाने वाली 5 ट्रेनें शेड्यूल थीं- 1. प्रयागराज एक्सप्रेस2. प्रयागराज स्पेशल ट्रेन3. मगध एक्सप्रेस4. स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस5. भुवनेश्वर राजधानी एक्सप्रेस इनमें 3 ट्रेनें अपने तय समय से देरी से चल रही थीं। इसलिए उनके यात्री भी प्लेटफॉर्म पर इंतजार कर रहे थे। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक प्लेटफॉर्म पहले से भरे हुए थे। शुरुआती जांच में सामने आया कि इतनी भीड़ के बावजूद काउंटर से हर घंटे प्रयागराज के करीब 1500 टिकट बेचे जा रहे थे। इस वजह से प्लेटफॉर्म पर यात्रियों की संख्या लगातार बढ़ने लगी। खड़े होने तक की जगह नहीं बची। कहां हुआ ब्लंडर: प्रयागराज एक्सप्रेस ट्रेन में जनरल के कुल 2 कोच थे यानी इनमें अधिकतम 250 यात्री आ सकते थे। स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस में जनरल के बजाय 4 सेकेंड सीटिंग अनारक्षित कोच थे, जिनमें 400 पैसेंजर्स आ सकते थे। मगध एक्सप्रेस में जनरल के 2 डिब्बों में 250 यात्री आ सकते थे। भुवनेश्वर-नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस में जनरल डिब्बा नहीं होता है। यानी प्रयागराज के लिए शेड्यूल सभी ट्रेनों में करीब 900 जनरल या अनारक्षित टिकट वाले यात्री यात्रा कर सकते थे। ऐसे में सवाल उठता है कि रेलवे के अधिकारियों ने प्रयागराज के लिए हर घंटे 1500 जनरल टिकट क्यों जारी किए? बीते 2 वीकेंड से नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर प्रयागराज जाने वाले यात्रियों की संख्या बढ़ रही थी। 15 फरवरी को शनिवार यानी वीकेंड था। यानी भीड़ बढ़ने का अंदेशा था। घटना के वक्त नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मौजूद भारतीय वायुसेना के जवान अजीत ने बताया, 'मुझे इस घटना की आशंका शाम को ही हो गई थी, क्योंकि मुझे नई दिल्ली मेट्रो स्टेशन से निकलने में एक घंटे लगे, जो कि दो मिनट का काम है।' रेलवे स्टेशन पर मौजूद कुली सुगन लाल मीणा बताते हैं कि मैं पिछले 46 सालों से कुली का काम कर रहा। एक साथ मैंने स्टेशन पर इतनी भीड़ कभी नहीं देखी। इसके बावजूद मौके पर मौजूद वीडियोज और प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक इक्का-दुक्का सुरक्षाकर्मी दिख रहे थे। इतनी बड़ी भीड़ को कंट्रोल करना 1-2 व्यक्ति के बस की बात नहीं थी। कहां हुआ ब्लंडर: रेलवे प्रशासन ने भीड़ नियंत्रण के लिए कोई रणनीति नहीं बनाई। न ही पर्याप्त RPF जवानों की तैनाती की गई। DCP रेलवे केपीएस मल्होत्रा ने ANI को बताया कि जब प्रयागराज एक्सप्रेस प्लेटफॉर्म नंबर 14 पर खड़ी थी, तो बहुत सारे यात्री ट्रेन में चढ़ने का इंतजार कर रहे थे। वहीं, स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस और भुवनेश्वर राजधानी देरी से चल रही थीं और इन ट्रेनों के यात्री भी प्लेटफॉर्म 12, 13 और 14 पर मौजूद थे। रेलवे पुलिस ने अपने बयान में कहा कि प्लेटफॉर्म पर आने वाली 2 ट्रेनों का नाम एक जैसा था- प्रयागराज एक्सप्रेस और प्रयागराज स्पेशल। जैसे ही अनाउंस हुआ कि प्रयागराज स्पेशल ट्रेन प्लेटफॉर्म 16 से चलेगी तो महाकुंभ जाने वाले यात्रियों के बीच कंफ्यूजन की स्थिति बन गई। कुछ यात्रियों को लगा कि ट्रेन 14 की जगह 16 नंबर प्लेटफॉर्म पर आ रही है। अंतिम समय हुई अफरातफरी की वजह से भगदड़ मच गई। न्यूज एजेंसी एएनआई को एक प्रत्यक्षदर्शी हीरालाल महतो ने बताया, ‘जब यह घोषणा हुई कि प्लेटफॉर्म नंबर 12 पर आने वाली ट्रेन प्लेटफॉर्म 16 पर आएगी, तो इसके बाद दोनों तरफ से लोग आने लगे। ऐसे में भगदड़ मच गई।’ कहां हुआ ब्लंडर: स्टेशन पर भारी भीड़ थी, तभी स्पेशल ट्रेन की घोषणा हुई। जानकारी स्पष्ट तौर पर यात्रियों तक नहीं पहुंच पाई। फिर जब एक प्लेटफॉर्म से दूसरे की तरफ जाते समय फुट ओवर ब्रिज पर अफरा-तफरी मची तो उसे कंट्रोल करने के लिए व्यवस्थाएं नहीं थीं। भगदड़ में अपनी बहन को खो चुके संजय सिंह ने IANS को बताया कि हादसा प्रशासन की लापरवाही की वजह से हुआ है। भीड़ को मैनेज करने के लिए पुलिस और रेलवे की तरफ से कोई नहीं था। इस भगदड़ पर नॉर्दर्न रेलवे का ऑफिशियल वर्जन क्या है? उत्तर रेलवे के प्रवक्ता हिमांशु उपाध्याय ने बताया, जिस समय यह दुखद घटना घटी, उस वक्त प्लेटफॉर्म नंबर 14 पर पटना की ओर जाने वाली मगध एक्सप्रेस और प्लेटफॉर्म नंबर 15 पर जम्मू की तरफ जाने वाली उत्तर संक्रांति एक्सप्रेस खड़ी थी। इस दौरान फुट ओवर ब्रिज से 14 नंबर और 15 नंबर प्लेटफॉर्म की तरफ आने वाली सीढ़ियों पर यात्रियों के फिसलकर गिरने से उनके पीछे के कई यात्री इसकी चपेट में आ गए और यह दुखद घटना हुई। क्या देर रात तक सरकार भगदड़ को छिपाने की कोशिश करती रही?अभी तक की रिपोर्ट और चश्मदीदों के मुताबिक शनिवार रात 9.26 बजे भगदड़ मची। 10.30 बजे तक अस्पताल में बॉडी पहुंचने लगी थी, लेकिन सरकार और प्रशासन 3 घंटे तक इसे छिपाने की कोशिश करता रहा… नई दिल्ली रेलवे स्टेशन की भगदड़ में हुई 18 लोगों की मौत के बाद कांग्रेस, TMC समेत विपक्षी दलों ने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का इस्तीफा मांगा है। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि रेल मंत्री को इस घटना की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए तत्काल प्रभाव से इस्तीफा देना चाहिए। TMC की राज्यसभा सांसद उपनेता सागरिका घोष ने X पर लिखा, पहले मोदी सरकार ने भगदड़ से इनकार किया। फिर इसे अफवाह बताया। फिर कहा कि कुछ लोग घायल हुए हैं। जब शव मिलने लगे, तब मजबूरी में मौतों को स्वीकार किया गया। -------------- भगदड़ से जुड़ी अन्य खबर पढ़ें दिल्ली भगदड़- अस्पताल से पूरी रात की आंखों देखी:पहचान के लिए परिजन को लाशें नहीं, फोटो दिखाए; पीड़ित बोला- पुलिस ने रोने-चिल्लाने से रोका नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मचने के करीब 2 घंटे बाद रात करीब साढ़े 11 बजे दैनिक भास्कर की टीम लोक नायक जय प्रकाश अस्पताल (LNJP) पहुंची। अस्पताल के गेट नंबर-4 से सायरन बजाते हुए केवल एम्बुलेंस की ही एंट्री हो रही थी। सामने की ओर चारों तरफ बैरिकेड्स लगाकर दिल्ली पुलिस की तैनाती थी। यहां से मीडिया की एंट्री पूरी तरह बैन कर रखा था, न सिर्फ मीडिया बल्कि इस गेट से मरीजों की भी एंट्री बंद थी। पूरी खबर पढ़ें...
'अमेरिका से बेदखल' सीरीज के तीसरे एपिसोड में पढ़िए अमेरिका से जबरन पंजाब लाए गए गुरप्रीत सिंह की कहानी… मेरे कई दोस्त और रिश्तेदार कुछ साल पहले अमेरिका गए थे। उन्होंने बड़ी गाड़ियां खरीद लीं। बड़ी-बड़ी कोठियां बनवा लीं। जबकि मैं मजदूरी करके जैसे-तैसे गुजारा करता था। इसलिए मैंने भी अमेरिका जाने की ठान ली। कई बार लीगल तरीके से जाने की कोशिश की, लेकिन वीजा नहीं लगा। एक एजेंट ने कहा 40 लाख रुपए में डंकी रूट से अमेरिका भेज देगा। मैंने 20 लाख में जमीन बेच दी और बाकी रुपए कर्ज लेकर एजेंट को दे दिए। जिस दिन घर से निकला था, बीवी डेढ़ साल के बेटे को लेकर दरवाजे पर खड़ी रो रही थी। मां भी रो रही थी। मैंने कहा था अमेरिका पहुंच जाऊंगा तो सब ठीक हो जाएगा।खुश था कि अपने सपने को पूरा कर पाऊंगा, लेकिन सबकुछ तहस-नहस हो गया। ये कहते हुए पंजाब के सुल्तानपुर लोधी के रहने वाले गुरप्रीत सिंह की आंखों में आंसू आ जाते हैं। पंजाब के कपूरथला से करीब 28 किलोमीटर की दूरी पर है सुल्तानपुर लोधी। कपूरथला से सुल्तानपुर लोधी जाते हुए रास्ते में हर जगह विदेश भेजने वाले इंस्टीट्यूट्स के बोर्ड नजर आते हैं। ठीक वैसे ही जैसे दिल्ली के मुखर्जी नगर, करोलबाग में यूपीएससी की तैयारी कराने वाले इंस्टीट्यूट्स के होर्डिंग्स दिखते हैं। रास्ते में बड़ी-बड़ी कोठियां, बंगले नजर आ रहे हैं। कुछ कोठियों के ऊपर तो हवाई जहाज बने हुए हैं। रास्ते में एक नहर है, जिसके बगल से पतला-सा रास्ता गुरप्रीत सिंह के घर की तरफ जाता है। यहीं मुझे गुरप्रीत मिल गए। मेन रोड से तकरीबन 200 मीटर अंदर गुरप्रीत मुझे अपने घर लेकर चलते हैं। दरवाजे से अंदर घुसते ही सामने गुरप्रीत की मां दर्शन कौर, पत्नी और ढाई साल का बेटा सरताज बैठा है। दर्शन कौर मुझे देखते ही घबरा जाती हैं। कुछ देर बाद कहती हैं, ‘जमीन बेचकर, रिश्तेदारों से कर्ज लेकर बेटे को अमेरिका भेजा था। न अब जमीन रही, न बेटा अमेरिका में रहा। सब कुछ खत्म हो गया। रब का लाख-लाख शुक्र है कि कम-से-कम बेटा तो जिंदा आ गया। अगर इससे भी हाथ धो बैठती, तो हम कहां जाते। इसकी पत्नी और बेटा किसके सहारे रहते। बोलते-बोलते दर्शन कौर की आंखें डबडबाने लगती हैं। गुरप्रीत मां के आंसू पोंछते हुए कहते हैं, बहुत मुश्किल से परिवार को संभाला है। अब नहीं चाहता कि पुरानी बातें याद करके मां रोए। भारी आवाज में गुरप्रीत कहते हैं, जब से लौटा हूं ठीक से सो नहीं पाया हूं। 3-4 घंटे तक छत निहारते लेटा रहता हूं। परिवार को देखकर खुद को स्ट्रॉन्ग करना पड़ रहा है, नहीं तो मर ही जाऊंगा या पागल हो जाऊंगा। मैंने पूछा अमेरिका जाने का ख्याल कैसे आया? गुरप्रीत कहते हैं, पापा मंडी में काम करते थे। इससे गुजारा होना मुश्किल था। 10वीं के बाद मैंने पढ़ाई छोड़ दी। सुल्तानपुर लोधी की ही एक फैक्ट्री में नौकरी करने लगा। मेरे एक जानने वाले ट्रांसपोर्टेशन का धंधा करते थे। मैं भी वही काम करने लगा। 15 साल तक ट्रांसपोर्टेशन का बिजनेस किया। इसी कमाई से सड़क किनारे एक प्लॉट लिया। सोचा था कि इसमें घर बनाऊंगा। 2020 में कोविड आने के बाद से ट्रांसपोर्टेशन का काम धीमा हो गया। एक बिजनेस पार्टनर से खटपट हो गई। आखिर ये काम छोड़ना पड़ा। घर चलाने के लिए दो साल तक मजदूरी भी करनी पड़ी। अब यहां 15-20 हजार रुपए से ज्यादा सैलरी वाली नौकरी ही नहीं मिलती। पंजाब में विदेश का वीजा देने वालों की मंडी है। एजेंट विदेश भेजने का सपना दिखाकर 50 लाख से एक करोड़ रुपए तक ऐंठ लेते हैं। किसी का विदेश जाने का सपना डंकी रूट से पूरा होता है, तो किसी का अधूरा ही रह जाता है। सब जुआ ही है। डंकी रूट?'इसमें एजेंट अवैध तरीके से जमीनी रास्ते से अमेरिका भेजता है। आमतौर पर मेक्सिको और कनाडा बॉर्डर पार कराकर अवैध तरीके से अमेरिका भेजा जाता है। इसे डंकी रूट कहा जाता है।' इससे पहले कई जानने वाले डंकी रूट से अमेरिका जा चुके थे। अब किसे नहीं अच्छा लगेगा कि उसके घर की स्थिति ठीक हो जाए। घरवाले मान गए। पंजाब के ही एक एजेंट से बात हुई। उसने 40 लाख रुपए में अमेरिका पहुंचाने की बात कही। अब इतने पैसे घर में आएंगे कहां से, कई दिन सोचने के बाद एकमात्र जमीन का टुकड़ा भी 20 लाख में बेच दिया। कुछ पापा ने अपने रिश्तेदारों से कर्ज लिए। कुछ मैंने अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से लिया। 40 लाख रुपए जुटाने के बाद एजेंट ने साउथ अमेरिका के गुयाना के लिए वीजा बनवा दिया। मैं 28 अगस्त 2024 को घर से निकल गया। सामने पत्नी गोद में डेढ़ साल के बेटे को लिए खड़ी थी। उसके बगल में बुजुर्ग मां और पापा खड़े थे। सब बस रो रहे थे। पत्नी को मैंने एक रात पहले खूब समझाया था कि ये गरीबी बस कुछ महीनों की है। सब ठीक हो जाएगा। एक दिन अपना भी सब कुछ होगा। नहीं पता था कि ये दिन देखने पड़ेंगे। गुरप्रीत के पास अमेरिका की कोई तस्वीर नहीं है। उनका कहना है कि डंकी रूट के दौरान जब वे पनामा जंगल और नदी से जा रहे थे, तो भीगने से मोबाइल खराब हो गया। कहते हैं, ‘गुयाना जाने के बाद 3 दिन बस में ट्रैवल करके ब्राजील पहुंचा। वहां दो दिन रुका। फिर 4 दिन में बोलिविया पहुंचा। हर 20 घंटे के बाद एक बस से उतरकर दूसरी बस में बैठना होता था। बोलिविया में दो दिन रुकने के बाद कार से पेरू पहुंचा। पेरू से इक्वाडोर के लिए निकलने में 6 दिन लग गए। कभी बस में, तो कभी कार में। इक्वाडोर से 2 दिन बस में ट्रैवल करने के बाद कोलंबिया पहुंचा। वहां तकरीबन डेढ़-दो महीना रुकना पड़ा। एजेंट कहता था कि अभी आगे काम नहीं है। लाइन-अप होने के बाद भेजेंगे। पहले एजेंट ने फ्लाइट से अमेरिका भेजने की बात कही, लेकिन वो काम नहीं हो पाया। एजेंट ने कहा- अमेरिका जाने का आखिरी रास्ता अब पनामा का जंगल और नदी ही है। फिर मैं पनामा जंगल के रास्ते निकल पड़ा। करीब 200 किलोमीटर जंगल, पहाड़, नदी पार करना पड़ता है। मुझे तो सामने सपने में बस अमेरिका दिखाई दे रहा था। जब वीडियो कॉल पर पत्नी से बात होती, तो यही पूछती कि कब पहुंचोगे। मुझे भी नहीं पता था कि कितने महीने, दिन और लगेंगे। पनामा जंगल में रहने के दौरान 6 दिनों तक घरवालों से कोई बातचीत नहीं हो पाई। मोबाइल पानी में खराब हो गया था। ब्रेड और बिस्किट खाकर 6 दिन गुजारे। ऊपर से बारिश, नीचे कीचड़-पानी। जितने दिन जंगल में रहा, सूखा कपड़ा नहीं पहना। पीठ पर जो बैग था, वो भी भीगकर भारी हो गया। करीब 200 किलोमीटर का जंगल-पहाड़, पैदल पार करने में 6 दिन लग गए। साथ में रास्ता बताने के लिए एजेंट का आदमी भी था, जिसे वे लोग डोंकर बोलते हैं। 40-50 किलोमीटर तक साथ में गया। शाम होने के बाद जंगल में ही टेंट लगा लेते थे। हालांकि सांप, बिच्छू का भी डर रहता था इसलिए नींद तो आती नहीं थी। कई बार दूसरे डोंकर पैसे भी छीन लेते हैं। इसलिए जागना पड़ता था। मेरे साथ दूसरे राज्यों के, देश के लोगों का भी ग्रुप था। इसमें 2 साल से 18 साल तक के बच्चे थे। 50 साल की महिलाएं भी जा रही थीं। इन लोगों को देखकर हौसला मिलता था। कहते-कहते गुरप्रीत ठहर जाते हैं। सूजी आंखों से आंसू भरभराकर बहने नहीं देते, रोक लेते हैं। कुछ देर बाद कहते हैं, बहुत भयानक मंजर था। हर पल डर लगा रहता था। पनामा नदी को 500 बार पार करने की कोशिश की होगी। नदी गहरी तो नहीं थी, लेकिन धारा काफी तेज थी। उसी धारा के साथ चलना होता था। जंगल से निकलते ही 4 नवंबर को पनामा बेस कैंप में मुझे अरेस्ट कर लिया गया। 18 नवंबर को वहां से सेंट्रल अमेरिका के एक देश कोस्टा रिका के लिए बस से भेज दिया गया। बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स ने कंट्री आउट दे दिया यानी देश छोड़कर चले जाने का नोटिस। हर जगह डोंकर की सेटिंग होती है। कोस्टा रिका से निकलने के बाद मानागुआ, फिर होंडुरस, उसके बाद ग्वाटेमाला और दिसंबर के पहले हफ्ते में मेक्सिको आ गया। मेक्सिको आने के बाद सांस में सांस आई। लगा कि चलो सालों की अरदास पूरी हो गई। घरवालों को बताया कि मेक्सिको पहुंच गया, तो सब खुश हुए। यहीं मुझे पकड़ लिया था। वहां तकरीबन डेढ़ महीने कैद रहा। सालों से ऐसा हो रहा है। सब कुछ डोंकर पर डिपेंड करता है। लग रहा था कि कुछ दिन बाद अमेरिका में दाखिल हो जाऊंगा, लेकिन उससे पहले ही ट्रम्प सरकार ने इमिग्रेशन को लेकर नया नियम बना दिया। नहीं पता था कि ये नंबर मेरा ही लग जाएगा। ऐसा लगता है उसी पनामा के जगल में, नदी में बैठा हूं। अब तो सब जीरो हो गया। ऊपर से 20 लाख का कर्ज। अभी कुछ दिन तक तो कोई पैसे मांगने नहीं आएगा। उसके बाद तो सब मांगेंगे ही। मेरे 40 लाख रुपए पानी में चले गए। यही सब सोचकर मरा जा रहा हूं। काश! अमेरिकी सरकार पनामा के जंगल से ही अरेस्ट करके डिपोर्ट कर देती, तो 40 लाख नहीं डूबते। तब तक तो 15 लाख ही खर्च हुए थे। गुरप्रीत 3 फरवरी के दिन को याद कर आज भी सहम जाते हैं। कहते हैं, ‘जो लोग अवैध तरीके से मेक्सिको में दाखिल होते हैं, उन्हें बेस कैंप में जाना ही पड़ता है। यहां मुझे अरेस्ट कर लिया गया। करीब दो महीने रहना पड़ा। लग रहा था कि अब यहां से डोंकर अमेरिका में दाखिल करवा देगा। नहीं पता था कि उससे पहले ही इंडिया भेज दिया जाएगा। वो भी जानवरों जैसा सुलूक करके। 2-3 फरवरी की बात है। अचानक अमेरिकी फोर्सेज सभी को बैरक से निकालकर एक-एक करके हाथ में हथकड़ी और पैर में बेड़ियां लगाने लगीं। किसी को पता ही नहीं था कि हमें डिपोर्ट किया जा रहा है। लग रहा था कि ये लोग हमें फ्लाइट में बिठाकर कहीं और छोड़ने जा रहे हैं। हम सभी एक-एक करके जहाज में बैठ गए। एक घंटे के बाद उन्होंने बताया कि हमें वापस इंडिया भेजा जा रहा है। 40 घंटे हाथ-पैर बांधे हुए, कुर्सी पर जैसे बैठते हैं, वैसे ही आना पड़ा। खाने-पीने में सिर्फ जूस और स्नैक्स था। एकमात्र टॉयलेट था। महिलाएं भी बेड़ियों-हथकड़ियों से जकड़ी हुईं थीं। हम सभी को वॉशरूम भी जाना हुआ, तो बेड़ियों-हथकड़ियों में ही। 5 फरवरी को अमृतसर लैंड होने तक घरवालों को नहीं पता था कि उनका बेटा वापस आ गया है। पंजाब पुलिस ने घरवालों को फोन करके बताया। जब घरवालों ने देखा, तो कुछ देर के लिए सभी सन्न रह गए। सभी के दिमाग में एक ही बात थी- जमीन भी गई और हाथ से पैसा भी। अब सबसे बड़ी मुश्किल यही है कि जिनसे कर्ज लिया है, उनके पैसे कैसे चुकाऊंगा। सब कुछ शून्य हो गया।’ कल यानी मंगलवार को पढ़िए अमेरिका से जबरन पंजाब भेजे गए प्रवासी का दर्द... एजेंट से डोंकर बोला- इसे गोली मार देंगे: मवेशी-जमीन बेचकर बेटे को अमेरिका भेजा, अब लौटा तो गांव वाले मजाक उड़ाने लगे गांव के ही एजेंट ने कहा था 35 लाख रुपए में वीजा लगाकर अमेरिका भेज देगा। जब भेजने की बात आई, तो उसने डंकी रूट में डाल दिया। कहा- ऐसे ही अमेरिका जाना होगा। एजेंट ने अमेरिका पहुंचाने वाले एजेंट को पैसे भी नहीं दिए। पैसों के लिए डोंकर मुझे मारने-पीटने लगा। मेक्सिको के शहर मैक्सिकली में डोंकर ने मुझे कमरे में बंद कर दिया। 6 दिन तक खाना नहीं दिया। मुझे बेल्ट से पीटा। पूरी कहानी मंगलवार को पढ़िए 'अमेरिका से बेदखल' सीरीज के चौथे एपिसोड में...
‘15 फरवरी को प्रयागराज के लिए पहली स्पेशल ट्रेन करीब शाम 7 बजे प्लेटफॉर्म नंबर-15 से निकली थी। इसके बाद रात वाली प्रयागराज स्पेशल पहले प्लेटफॉर्म नंबर-16 पर आने वाली थी। फिर अनाउंसमेंट हुआ कि वो प्लेटफॉर्म नंबर-12 पर आ रही है। तभी लोग उस प्लेटफॉर्म की ओर भागे और भगदड़ मच गई।’ ये सब नई दिल्ली स्टेशन पर स्टॉल लगाने वाले दिगंबर मंडल की आंखों के सामने हुआ। वो पिछले 12 साल से प्लेटफॉर्म नंबर-14 और 15 पर स्टॉल लगा रहे हैं। यहीं महाकुंभ जाने वाले श्रद्धालुओं के साथ हादसा हुआ। भगदड़ में 18 लोगों की मौत हो गई। 25 से ज्यादा लोग घायल हुए। रेलवे प्रशासन इसके लिए जरूरत से ज्यादा भीड़ को जिम्मेदार बता रहा है। रेलवे ने मामले की जांच के लिए दो सदस्यीय कमेटी बनाई है। साथ ही हादसे के वक्त ड्यूटी पर तैनात स्टेशन मास्टर से लेकर अनाउंसर तक सभी को सस्पेंड कर दिया गया है। हालांकि RPF का मानना है कि भगदड़ रेलवे प्रशासन की गलती से हुई। RPF अधिकारी ने पहचान जाहिर न करने की शर्त पर दैनिक भास्कर को बताया कि भीड़ रोज जैसी ही थी। इसमें रेलवे की ऑपरेशन यूनिट की गलती है, जिसकी जिम्मेदारी ये तय करने की थी कि ट्रेन किस वक्त और कहां से जाएगी। दैनिक भास्कर इस हादसे के जिम्मेदारों को तलाशने के लिए ग्राउंड जीरो पर पहुंचा। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… चश्मदीद बोले- भीड़ ज्यादा थी, अनाउंसमेंट से कन्फ्यूजन बढ़ा और भगदड़ मचीउत्तर रेलवे ने महाकुंभ में प्रयागराज जाने वाली भीड़ को कंट्रोल करने के लिए नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से तीन स्पेशल ट्रेनें चला रखी हैं। इस प्रयागराज स्पेशल ट्रेन के लिए कोई तय प्लेटफॉर्म नहीं है। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर स्टॉल लगाने वाले दिगंबर मंडल बताते हैं, 'रोजाना चलने वाली प्रयागराज एक्सप्रेस हमेशा प्लेटफॉर्म नंबर-14 पर आती है। ये ट्रेन दिल्ली से रात 10:10 बजे चलती है।' 'जबकि प्रयागराज स्पेशल ट्रेन ज्यादातर प्लेटफॉर्म नंबर-16 से चलती है। ऐसी तीन ट्रेनें हैं। इनमें प्रयागराज के रास्ते दरभंगा के लिए एक स्पेशल ट्रेन और प्रयागराज की ओर जाने वाली दो अतिरिक्त स्पेशल ट्रेन शामिल हैं। इनका प्लेटफॉर्म रोज बदलता है। 15 फरवरी को पहली स्पेशल ट्रेन शाम 7 बजे प्लेटफॉर्म नंबर-15 से निकली थी।' इसके बाद रात वाली प्रयागराज स्पेशल ट्रेन पहले प्लेटफॉर्म नंबर-16 पर आने वाली थी। बाद में अनाउंस हुआ कि वो प्लेटफॉर्म नंबर-12 पर आ रही है। तुरंत लोग उस प्लेटफॉर्म की ओर भागने लगे। तभी भगदड़ मच गई। 'प्लेटफॉर्म नंबर 12-13 से प्लेटफॉर्म-16 तक फुटओवर ब्रिज लोगों की भीड़ से भरा हुआ था। रास्ता जाम था। लोग बचने के लिए प्लेटफॉर्म 14-15 की सीढ़ियों से उतरने लगे। हालत ये हुई कि लोग एक दूसरे पर चढ़ गए। मैं जब दुकान बंद करके जा रहा था, तब यहां से 8 लाशें ले जाई जा रही थीं।' वे आगे कहते हैं, 'हादसे के वक्त प्लेटफॉर्म नंबर-14 पर मगध एक्सप्रेस खड़ी थी। दूसरी तरफ प्लेटफॉर्म नंबर-15 पर संपर्क क्रान्ति खड़ी थी। दोनों के जाने का वक्त हो रहा था। यानी हादसा रात 8.50 बजे से सवा 9 बजे के बीच हुआ।' भीड़ को कंट्रोल करने वाला कोई था ही नहींस्टेशन पर ही हमारी मुलाकात कुछ यात्रियों से भी हुई। वो घटना के वक्त स्टेशन पर मौजूद थे। इनमें से एक अवतार बताते हैं, ‘अचानक इतनी भीड़ कहां से आ गई, हमें पता नहीं चला। कब और कैसे भगदड़ मची, किसी को कुछ भी पता नहीं चला। हादसे में कुछ लोग दब भी गए।‘ हमने पूछा कि भीड़ को कंट्रोल करने के लिए क्या कोई मौके पर नहीं था? इसके जवाब में अवतार कहते हैं, ‘जब ये घटना हो गई, उसके बाद ही सब एक्टिव हुए।‘ अपनी ट्रेन आने का इंतजार कर रहे गुल्लू राम बताते हैं, ‘मैं करीब रात 9 बजे स्टेशन पहुंचा था। सीढ़ियों पर हद से ज्यादा भीड़ थी। पूरी सीढ़ियां जाम थीं। नीचे प्लेटफॉर्म तक किसी तरह पहुंच सका तो देखा कि सीढ़ियों के पास 3 डेडबॉडी पड़ी हैं। 14 और 15 नंबर प्लेटफॉर्म पूरा भरा पड़ा था। भगदड़ 13 और 14 के बीच हुई थी। उसे कंट्रोल करने वाला कोई कर्मचारी नहीं था।‘ वे आगे बताते हैं, ‘मैं भी प्रयागराज जाने वाला था, लेकिन भीड़ देखकर मेरी जाने की हिम्मत ही नहीं हुई। अब तो मैं घर लौट जाऊंगा।‘ प्रशासन कब एक्टिव हुआ? ये पूछने पर गुल्लू राम बताते हैं, ‘घटना के आधे-पौन घंटे के बाद ही पुलिस आई। तब तक डेडबॉडीज और घायलों को अस्पताल ले जा चुके थे। प्लेटफॉर्म की सफाई हो रही थी।‘ RPF अधिकारी बोले- भीड़ रोज जैसी थी, रेलवे की गलती से मची भगदड़इसके बाद हम RPF के पास पहुंचे, जिसकी जिम्मेदारी भीड़ को कंट्रोल करने की थी। कैमरे पर न आने और पहचान न बताने की शर्त पर एक अधिकारी हमसे बात करने को राजी हुए। उन्होंने बताया, '15 फरवरी को स्टेशन पर रोज जितनी ही भीड़ थी। गलती रेलवे प्रशासन से हुई।' 'इसमें सबसे बड़ी गलती ऑपरेशन यूनिट की है। ये तय करना उनकी जिम्मेदारी थी कि ट्रेन किस वक्त और कहां से चलेगी। उसके बाद ही प्लानिंग, टाइम टेबलिंग, पैसेंजर ऑपरेशन और बाकी चीजें तय होती हैं। कुंभ के लिए प्रयागराज स्पेशल ट्रेन चलाई जा रही है। प्रयागराज एक्सप्रेस पहले से चल रही है।' 'प्रयागराज एक्सप्रेस प्लेटफॉर्म नंबर-14 पर आनी थी। महाकुंभ जाने के लिए यात्री प्लेटफॉर्म नंबर-14 पर इंतजार कर रहे थे, क्योंकि प्रयागराज स्पेशल का कोई तय प्लेटफॉर्म नहीं है। तभी अनाउंस हुआ कि प्रयागराज स्पेशल ट्रेन प्लेटफॉर्म नंबर-12 पर आएगी। यात्री प्लेटफॉर्म नंबर- 14 से 12 पर जाने लगे।' ' 10 मिनट बाद ही फिर प्लेटफॉर्म चेंज होने की अनाउंसमेंट हुई। अब प्लेटफॉर्म नंबर-12 पर दूसरी गाड़ी आने वाली थी। लोग पैनिक हो गए। इनमें ज्यादातर लोग जनरल बोगी के थे। उसमें जो पहले चढ़ गया, उसे सीट मिल जाती है। इसलिए पहले पहुंचने की जल्दी में वो भागने लगे।' 'तभी अनाउंस हुआ कि प्रयागराज स्पेशल ट्रेन प्लेटफॉर्म नंबर-14 पर आ रही है। इसके दो मिनट बाद ही अनाउंस हुआ कि ट्रेन प्लेटफॉर्म-16 पर आएगी। भगदड़ के बाद स्पेशल ट्रेन प्लेटफॉर्म-16 से ही चली।' ये सब 5 से 7 मिनट के अंदर हुआ, जिससे भगदड़ मची। ये अनाउंसमेंट डिप्टी स्टेशन सुप्रिटेंडेंट और ऑपरेशन यूनिट ही करवा सकते हैं। वे आगे कहते हैं, 'भीड़ उतनी ही थी, जितनी अमूमन रहती है। हमारे पास फोर्स भी थी। जब भगदड़ होती है, तब 500 की जगह 1000 लोगों को मैनेज करना मुश्किल हो जाता है। गलती हमारी नहीं, रेलवे विभाग की है।' रेलवे प्रशासन ने कहा…भीड़ ज्यादा थी, प्लेटफॉर्म में बदलाव अधिकारियों की मर्जी से हुआइसके बाद हम प्लेटफॉर्म नंबर-16 पर बने कंट्रोल रूम पहुंचे। जहां से प्लेटफॉर्म की मॉनीटरिंग होती है। हादसे के बाद यहां कई आला अधिकारी बैठे मिले। बड़ी स्क्रीन पर सीसीटीवी कैमरे का डिस्पले लगा मिला। जिससे हर प्लेटफॉर्म नजर रखी जा रही थी। हमने यहां मौजूद उप-निरीक्षक से बात करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। इसके बाद रेलवे के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर हमसे बात की। घटना की रात का जिक्र करते हुए वे कहते हैं, 'स्टेशन मास्टर से लेकर अनाउंसर तक जितने लोग हादसे के वक्त ड्यूटी पर थे, सभी को ससपेंड कर दिया गया है। रोज रात 8 बजे ड्यूटी चेंज होती है। घटना के वक्त ड्यूटी पर स्टेशन मास्टर लोकेश कुमार थे।' 'स्टेशन मास्टर, कंट्रोलर और उनके ऊपर के मैनेजर के पास ही अथॉरिटी थी। वही मिलकर शेड्यूल और प्लेटफॉर्म तय करते हैं।' 'ऑपरेशन यूनिट इसमें उनकी मदद करती है। ये एक लंबी चेन है। सबसे आखिर में अनाउंसर को बताया जाता है। अगर कोई बदलाव होता भी है तो स्टेशन मैनेजर महेश यादव और स्टेशन डायरेक्टर को बताकर ही किया जाता है। उन्हें स्किप नहीं कर सकते। ये सब ट्रेन के प्लेटफॉर्म पर लगने से पहले होता है।' वे आगे कहते हैं, 'हालांकि उस दिन भीड़ रोज से बहुत ज्यादा थी।' रेलवे ने जांच के लिए कमेटी बनाई, 10 लाख आर्थिक मदद का ऐलानहादसे की जांच के लिए रेलवे ने दो सदस्यीय कमेटी बनाई है। इसमें उत्तर रेलवे के दो अधिकारी नरसिंह देव और पंकज गंगवार को शामिल किया गया है। कमेटी ने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के सभी CCTV वीडियो फुटेज सुरक्षित करने का आदेश दिया है। वहीं, दिल्ली पुलिस ने भी घटना की जांच शुरू कर दी है। जांच की जिम्मेदारी डीसीपी रैंक के अफसर को दी गई है। दिल्ली एनसीआर के ज्यादातर टीटी को नई दिल्ली स्टेशन बुलाया गया है। इन सभी को प्लेटफॉर्म पर व्यवस्था बनाने की जिम्मेदारी दी गई है। रेलवे ने हादसे के सभी 18 मृतकों के परिजन को 10 लाख रुपए की आर्थिक मदद देने का ऐलान किया है। गंभीर रूप से घायल यात्रियों को 2.5 लाख रुपए की मदद और मामूली रूप से घायलों को 1 लाख रुपए की मदद दी गई है। हादसे के बाद महाकुंभ जाने वाली ट्रेनों के लिए बदलाव किए गए अब हादसे के बाद प्रयागराज जाने वाले यात्रियों की बढ़ती भीड़ को देखते हुए रेलवे ने ट्रेनें बढ़ा दी हैं। 17 फरवरी को महाकुंभ श्रद्धालुओं के लिए 5 और स्पेशल ट्रेन चलाई जा रही हैं। इसके अलावा रेलवे ने यात्रियों से अपील की है कि वे अफवाहों में आकर प्लेटफॉर्म न बदलें और ऑफिशियल अनाउंसमेंट का सख्ती से पालन करें। इसके अलावा नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर रेलवे सुरक्षा बल (RPF) और सरकारी रेलवे पुलिस (GRP) की तैनाती बढ़ा दी गई है। इसके साथ ही पीक आवर्स के दौरान एक ही प्लेटफॉर्म पर भीड़भाड़ रोकने के लिए ये उपाय भी किए गए हैं… ............................................ दिल्ली स्टेशन पर भगदड़ से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें... 1. दिल्ली स्टेशन भगदड़, जांच कमेटी बनी, CCTV फुटेज सील नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर शनिवार रात करीब 9:26 बजे भगदड़ से 18 लोगों की मौत हो गई। मरने वालों में 14 महिलाएं और 4 पुरुष शामिल हैं। मृतकों को दिल्ली के RML अस्पताल लाया गया था। स्टाफ सूत्रों के मुताबिक, ज्यादातर शवों के सीने और पेट में चोटें थीं। उनकी दम घुटने से जान गई। पढ़िए पूरी रिपोर्ट... 2. दिल्ली भगदड़- अस्पताल से पूरी रात की आंखों देखी नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मचने के करीब 2 घंटे बाद रात करीब साढ़े 11 बजे दैनिक भास्कर की टीम लोक नायक जय प्रकाश अस्पताल (LNJP) पहुंची। अस्पताल के गेट नंबर-4 से सायरन बजाते हुए सिर्फ एम्बुलेंस की ही एंट्री हो रही थी। सामने की ओर चारों तरफ बैरिकेड्स लगाकर दिल्ली पुलिस की तैनाती थी। इस गेट से मरीजों की भी एंट्री बंद थी। पढ़िए पूरी रिपोर्ट...