राजस्थान मतलब रेगिस्तान! ये मिथक अब टूट रहा है। टूटने की वजह है पिछले कुछ सालों में बदला मानसून का पैटर्न। कभी पश्चिमी राजस्थान के जिलों जोधपुर, बाड़मेर, जैसलमेर में सिर्फ रेत के टीले नजर आते हैं, लेकिन आज तस्वीर बदल गई है। जोधपुर के धोरों में गाजर, मूंगफली की खेती की जा रही है। बाड़मेर में गोवा के समुद्र तट जैसा नजारा है। जैसलमेर में पिछले साल इतना पानी बरसा कि बाढ़ के हालात हो गए थे। स्पेशल रिपोर्ट में पढ़िए मानसून के बदले पैटर्न ने कैसे रेगिस्तान को रेनिस्तान में बदल दिया… जोधपुर : कभी जहां रेत के टीले, वहां अब मूंगफली-गाजर की खेती जोधपुर और फलोदी के इलाके। कभी यहां पीने के पानी को तरसना पड़ता था। हर तरफ रेत के टीले थे। आज वहां हरियाली हैं। मूंगफली-गाजर की खेती हो रही है। ये संभव हो पाया है बारिश के बदले पैटर्न के कारण। रेतीले इलाकों में भी लगातार बढ़ रही हरियाली में दो चीजों का याेगदान है- बारिश और भूजल दोहन। रिसर्च के अनुसार मानसून के दौरान (जून-सितंबर) खेती में 66 प्रतिशत योगदान बारिश का तो 34% भूजल का रहता है। वहीं, शेष महीनों में 67% भूजल और 33 प्रतिशत बारिश के पानी का योगदान होता है। पश्चिमी राजस्थान की बात करें तो 2005 से 2024 तक के दो दशकों में केवल तीन साल (2009, 2016, और 2018) ही ऐसे रहे, जब सामान्य से कम बारिश हुई है। वहीं, साल 2019 से 2024 तक लगातार छह साल सामान्य से अधिक बारिश हुई। 2024 में सामान्य से 72% अधिक पानी बरसा। वहीं 2025 में जुलाई तक ही सामान्य से 177% अधिक बारिश हो गई थी। आगे क्या : बारिश बढ़ेगी, धोरों पर छाएगी हरियाली मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट द्वारा वर्ष 2013 में की गई रिसर्च के अनुसार, 2020-2049 के बीच पश्चिमी राजस्थान में वर्षा 20-35% तक बढ़ सकती है। पूर्वी राजस्थान में यह बढ़ोतरी 5 से 20% तक हो सकती है। आईआईटी गांधीनगर के एक रिसर्च में भी सामने आया है कि दुनिया के 14 रेगिस्तानों में से केवल चार (थार, अरब, नेगेव और पूर्वी गोबी) लगातार हरे-भरे हो रहे हैं। इनमें थार रेगिस्तान का स्थान सबसे ऊपर है। आसान नहीं था रेतीले टीलों से हरियाली का सफर जिले के घेवड़ा शिवनगर में किसान पाबूराम 150-200 फीट ऊंचे रेत के टीले पर खेती कर रहे हैं। यहीं के किसान चैनाराम के परिवार ने कॉन्ट्रैक्ट पर जमीन ले रखी है। यहां समतल भूमि के साथ रेत का बड़ा टीला भी है, जहां अलग-अलग खेती की जा रही है। चैनाराम कहते हैं – यह मिट्टी मूंगफली के लिए बहुत अच्छी है, जहां फसल अच्छी क्वालिटी में मिलती है। जैसलमेर : रेगिस्तान में बाढ़, 80 गांवों से टूट गया था संपर्क रेगिस्तान में बाढ़! सुनने में अटपटा लगता है न? पिछले साल जैसलमेर में यही हुआ था। जैसलमेर के सम में मानसून सीजन में औसतन 190 एमएम बारिश होती है। पिछले साल औसत बारिश से तीन गुना से भी ज्यादा यानी 590 एमएम पानी बरसा। नतीजा- रेगिस्तान में बाढ़ आ गई। भारत-पाक बॉर्डर के 80 गांवों का संपर्क टूट गया। ग्रिड सब स्टेशन पानी में डूबने से इलाके में बिजली सप्लाई ठप हो गई। पानी के बीच फंसे लोगों को ट्रैक्टर से सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। पूरा गांव टापू बन गया। बीदा, निम्बा, गांगा, सगरों की बस्ती, मेणुओं की बस्ती व मतुओं की बस्ती का पानी भी सम इलाके में पहुंच गया था। कई कच्चे मकान ढह गए। लोगों को अपने रिश्तेदारों के घर शरण लेनी पड़ी थी। लोगों का कहना था, ऐसी बरसात 25 साल बाद देखी। बाड़मेर : 5 किमी तक पानी ही पानी, कहलाता है मिनी गाेवा बाड़मेर जहां हर तरफ रेत के धोरे हैं। इन्हीं धोरों के बीच है रेडाणा रण, जिसे मिनी गोवा भी कहते हैं। बाड़मेर शहर से करीब 60 किमी. दूर रेडाणा का रण हर मानसून में पानी से लबालब हो जाता है। 5 किमी. एरिया में जहां तक नजर जाती है, पानी ही पानी नजर आता है। रण लोगों के लिए पिकनिक स्पॉट बन जाता है। बाड़मेर ही नहीं, आसपास के दूसरे जिलों के लोग भी यहां पहुंचते हैं। पानी के बीच ऊंट और घोड़े की सवारी का लुत्फ उठाते हैं। बच्चों के लिए झूले भी लगाए जाते हैं। रण करीब 5 किलोमीटर लंबा और 3 किलोमीटर चौड़ा है। चिकनी मिट्टी के चलते पानी लंबे समय तक रहता है। रेडाणा सरहदी जिले बाड़मेर में होने के कारण यहां पर आबादी अन्य गांवों की तुलना में कम है। जिस जगह पानी यह भरता है वहां 10 से 15 किलोमीटर का दायरा खाली पड़ा है। पिछले 5 साल में ये इलाका पिकनिक स्पॉट के रूप में डेवलप हुआ है। अब समझिए क्यों बदल रहा है मानसून का पैटर्न बदलाव की तीन वजह पिछले 25 साल के रिकॉर्ड को देखकर समझें मानसून का मिजाज 2002 और 2009 में अकाल जैसी स्थिति साल 2000 से लेकर 2015 तक की रिपोर्ट देखें तो इन 15 सालों में राजस्थान में मानसून ज्यादातर समय औसत से कमजोर रहा। 9 सीजन ऐसे रहे जब औसत से कम बारिश हुई। तीन सीजन में तो औसत से 20 से 66% तक कम बारिश हुई। साल 2002 और 2009 में अकाल जैसी स्थिति बन गई थी। पिछले 10 साल में 9 बार औसत से ज्यादा बारिश साल 2015 के बाद मानसून के पैटर्न में धीरे-धीरे बदलाव शुरू हुआ। बारिश में इजाफा होने लगा। साल 2015 से 2025 तक यानी पिछले 10 साल में केवल एकमात्र सीजन (साल 2018) ऐसा रहा जब औसत से 9.64 फीसदी कम बारिश हुई है। जबकि शेष सभी 9 सीजन में बारिश औसत से ज्यादा ही दर्ज हुई। इन 10 सालों में 4 सीजन तो ऐसे रहे, जबकि औसत से 20% या इससे ज्यादा बारिश हुई। भारत में ये फैक्टर मानसून को करते हैं प्रभावित ला-नीना में अच्छी बारिश, अल-नीनो में कमजाेर मानसून पहला फैक्टर अलनीनाे और ला-नीना है। ला-नीना कंडीशन होती तो अच्छी बारिश होती है। इस कंडीशन में ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप से लगते प्रशांत महासागर के क्षेत्र में समुद्र का पानी गर्म होता है। वहां लो-प्रेशर कंडीशन बनती है। वहीं दक्षिण अमेरिका महाद्वीप से लगते प्रशांत महासागर एरिया में समुद्र का पानी ठंडा होता है। अल-नीनो कंडीशन बनने पर भारत समेत एशिया में मानसून कमजोर रहने की आशंका होती है। इस कंडीशन में दक्षिण अमेरिका महाद्वीप से लगते प्रशांत महासागर में समुद्र का पानी गर्म होता है। वहां लो-प्रेशर कंडीशन बनती है। वहीं ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप से लगते प्रशांत महासागर में समुद्र का पानी ठंडा रहता है। वहां हाई प्रेशर रहता है, जिससे वाष्पीकरण कम होता है। एशिया प्रायद्वीप से लगते देशों में आने वाली हवाओं में मॉइश्चर का लेवल कम रहता है। IOD निगेटिव का मतलब अच्छे मानसून का संकेत मानसून में एक और महत्वपूर्ण फैक्टर इंडियन ओशन डाइपोल (IOD) होता है। हिंद महासागर में IOD निगेटिव होता है तो ये अच्छे मानसून का संकेत है। मानसून में अच्छी बारिश की संभावना होती है। IOD निगेटिव कंडीशन के दौरान फिलिपींस, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के भाग से लगता हिंद महासागर का पानी गर्म होता है, जबकि मेडागास्कर, अफ्रीका के आसपास लगता हिंद महासागर का पानी ठंडा रहता है। IOD की पॉजिटिव कंडीशन भारत के मानसून के लिए अनुकूल नहीं होती। इस कंडीशन में मानसून कमजोर रहने की संभावना रहती है। इस दौरान फिलिपींस, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के भाग से लगता हिंद महासागर का पानी ठंडा रहता है, जबकि मेडागास्कर, अफ्रीका के आसपास लगता हिंद महासागर का पानी गर्म रहता है। .... मौसम से जुड़ी ये खबर भी पढ़िए... राजस्थान में 2 दिन बाद बारिश का अलर्ट:बढ़ सकती है सर्दी, रात का तापमान 4 डिग्री तक गिरा राजस्थान के मौसम में एक बार फिर से बदलाव होने की संभावना है। मौसम केंद्र के अनुसार 25 अक्टूबर से एक वेदर सिस्टम एक्टिव हो सकता है। पूरी खबर पढ़िए...
FC Goa vs Al-Nassr Match:दुनिया के महानतम फुटबॉल खिलाड़ियों में पुर्तगाल के कप्तान क्रिस्टियानो रोनाल्डो भारत नहीं आ रहे हैं. उन्हें सऊदी प्रो लीग की टीम अल-नासर के लिए भारत के फुटबॉल क्लब एफसी गोवा के खिलाफ एएफसी चैंपियंस लीग 2 मैच में खेलना था
हरियाणा के पंचकूला में नगर निगम के पार्षद स्टडी टूर पर केरल जाएंगें। खास बात यह रहेगी स्टडी टूर पर जाने वाले पार्षदों के साथ-साथ उनकी पत्नियां भी जाएंगी। इन्हें निगम की ओर से केरल और इंदौर भेजा रहा है। पंचकूला से स्टडी टूर पर जाने वाले इन पार्षदों को यह पहला भ्रमण नहीं है। टूर पर पहले भी पार्षद पुणे जा चुके हैं लेकिन तब इनके साथ अधिकारी गए थे। लेकिन इस बार पत्नियों के साथ जाने का प्रस्ताव हाऊस की मीटिंग में पास हुआ है। स्टडी टूर के नाम पर भ्रमण के लिए पार्षदों ने पहले गोवा जाने का प्लान बनाया था लेकिन कमिश्नर ने उसे खारिज कर दिया। जिसके बाद केरल के लिए पार्षद राजी हुए। जनवरी 2026 में कार्यकाल खत्म पंचकूला नगर निगम जिन पार्षदों को स्टडी टूर पर भेज रहा है, उनका कार्यकाल जनवरी 2026 में खत्म हाे रहा है। ऐसे में चर्चा यह भी है कि ये पार्षद स्टडी टूर का लाभ पंचकूला के लोगों के दे पांएगें। क्योंकि अभी तक तो टूर का प्लान बना है और दिसंबर में इसके लिए डेट फाइनल हो सकती है। ऐसे में टूर से लौटने के बाद एक माह के दौरान वहां से सीख कर आई चीजें कैसे यहां पर फलीभूत करवा पांएगें। अगस्त 2022 में गया था टूर पहली बार नगर निगम पंचकूला के 10 पार्षद और पांच अधिकारी स्टडी टूर पर पुणे गए थे। 3 अगस्त को चंडीगढ़ एयरपोर्ट से यह दल पुणे के लिए रवाना हुआ। चार, पांच और छह अगस्त को पुणे का स्टडी टूर रहा और सात अगस्त को वापस आए। अर्बन लोकल बाडीज की ओर से स्वीकृति मिलने के बाद स्टडी टूर भेजा जा गया। इस टूर पर प्रति व्यक्ति लगभग 30 से 35 हजार रुपये खर्च हुए थे। इंदौर में क्या सीखेंगे पार्षद टूर के दौरान केरल और इंदौर में सफाई-व्यवस्था, कूड़े का निस्तारण, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट, रोड-गली, नाले, सॉलिड बेस्ट और प्रोसेसिंग के लिए कौन सी टेक्नोलॉजी प्रयोग कर रहे हैं, लोगों में फैली जागरूकता के बारे में जानकारी हासिल की जाएगी। टूर में सभी 20 पार्षद, 3 नॉमिनेट पार्षद व उनकी पत्नियां शामिल रहेंगी। जो महिलाएं पार्षद हैं, वे अपने पति को साथ ले जा सकेंगी।
झारखंड ने गोवा को पारी और 113 रनों से हराया
रांची | सीके नायडू ट्रॉफी के मुकाबले में झारखंड ने गोवा पर एक पारी और 113 रनों से शानदार जीत दर्ज की। कीनन स्टेडियम में खेले गए इस मैच में झारखंड के बल्लेबाजों और गेंदबाजों दोनों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया। पहली पारी में गोवा की टीम 183 रन पर सिमट गई। झारखंड के गेंदबाज शुभ शर्मा ने 23 रन देकर 4 विकेट, जबकि शमशाद ने 49 रन देकर 3 विकेट झटके। जवाब में झारखंड ने 552/8 विकेट पर पारी घोषित की। दूसरी पारी में गोवा के बल्लेबाजों ने बेहतर शुरुआत की लेकिन पूरी टीम 256 रन पर ऑल आउट हो गई। गोवा की ओर से वीर यादव ने 43, चित्तम देवनकुमार ने 49, आयुष ने 47 और अमन धूपर ने 52 रन बनाए।
Goa Board HSSC: कक्षा 12वीं की सप्लीमेंट्री परीक्षा कल से होगी शुरू, यहां देखें डिटेल्स
गोवा बोर्ड एचएसएससी यानी कक्षा 12वीं की सप्लीमेंट्री परीक्षा 27 मई से शुरू होगी। परीक्षा का आयोजन उत्तरी गोवा, मापुसा केंद्र, डी.एम.एस पीवीसी एसएम, कुशे हायर सेकेंडरी स्कूल, असगाओ, बर्देज गोवा, साउथ
महाराष्ट्र पुलिस और गोवा के बाद Singham Again में इस राज्य के पुलिस ऑफिसर बनेंगे Ajay Devgan, जाने लेटेस्ट अपडेट
मंगलवार को करीना, कृति और तब्बू की फिल्म का हुआ बुरा हाल, जाने The Goat Life और Family Star का कैसा है हाल
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जल्द ही माँ बनने की खुशखबरी सुनाएंगी The Goat Life फेम एक्ट्रेसAmala Paul, एक्ट्रेस ने शेयर कीगोदभराई की तस्वीरों
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The Goat Life Box Office Collection: साउथ सुपरस्टार पृथ्वीराज सुकुमारन की मलयालम फिल्म 'द गोट लाइफ' ने रिलीज होते ही बॉक्स ऑफिस पर तहलका मचा दिया है। सच्ची घटनाओं पर आधारित यह फिल्म बेन्यामिन के नॉवेल 'आदु जीविथम' पर आधारित है। इस फिल्म में ...
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