पटना हाईकोर्ट भर्ती के लिए परीक्षा का आयोजन 14 मई, 2022 को किया गया था। परीक्षा राज्य में निर्धारित केंद्रों पर सीबीटी मोड में आयोजित की गई थी।
BPSC Lecturer Result: बीपीएससी ने जारी किया लेक्चरर भर्ती परीक्षा का परिणाम, ऐसे चेक करें रिजल्ट
BPSC ने लेक्चरर भर्ती के लिए जारी किए गए परिणाम के अनुसार कुल 8119 उम्मीदवारों ने इस परीक्षा में सफलता प्राप्त की है।
सरकारी नौकरियों और सरकारी रिजल्ट के बारे में आपको जानकारी देने के लिए हम लेकर आए हैं यह लाइव ब्लॉग।
AHC Exam Result: इलाहाबाद हाइकोर्ट भर्ती परीक्षा का परिणाम जारी, ऐसे चेक करें अपना रिजल्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा इस भर्ती के माध्यम से कुल 97 रिक्त पदों पर योग्य उम्मीदवारों का चयन किया जाना निर्धारित किया गया है।
JKPSC CCE Pre Result: जम्मू-कश्मीर सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम जारी, ऐसे चेक करें
जम्मू-कश्मीर लोक सेवा आयोग द्वारा राज्य में सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा का आयोजन 31 जुलाई, 2022 को किया था।
भर्ती परीक्षा को सुचारू रूप से आयोजित कराने के लिए असम के मुख्यमंत्री हेमंत सरमा ने अधिकारियों के साथ बैठक की थी। इस बैठक में सभी जिला कलेक्टरों को अहम दिशा-निर्देश दिए गए हैं।
मछली के कान की हड्डियाँ बताएंगी पुरातन समुद्री तापमान
महासागर पृथ्वी की सतह के तीन-चौथाई हिस्से को कवर करते हैं और विभिन्न जीव-रूपों को आश्रय प्रदान करते हैं। सैकड़ों वर्ष पूर्व समुद्री जल का तापमान कैसा रहा होगा, इसका पता लगाने के लिए वैज्ञानिक पुरातन समय में समुद्री जल के तापमान की रूपरेखा उकेरने का प्रयास करते रहे हैं। हालाँकि, अध्ययन के लिए जीवाश्म के रूप में समुद्री जल की उपलब्धता नहीं होने से बीते हुए कालखंड में समुद्री जल के तापमान का अनुमान लगाना आसान नहीं है। भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी), बेंगलूरू के शोधकर्ताओं ने मछली के अंदरूनी कान में पायी जाने वाली छोटी हड्डियों (Otoliths) की गहन पड़ताल के आधार पर प्राचीन समुद्री जल के तापमान का अनुमान लगाने का एक तरीका खोज निकाला है। इसे भी पढ़ें: शोधकर्ताओं ने विकसित किया रोगाणुनाशी पोर्टेबल इलेक्ट्रोस्टैटिक उपकरण आईआईएससी के सेंटर फॉर अर्थ साइंसेज (CEaS) के वैज्ञानिक प्रोफेसर रामानंद चक्रवर्ती और उनके पीएचडी शोधार्थी सुरजीत मंडल एवं सीईएएस के प्रोफेसर प्रोसेनजीत घोष के सहयोग से किया गया यह अध्ययन केमिकल जियोलॉजी में प्रकाशित किया गया है। प्रोफेसर चक्रवर्ती बताते हैं कि जब आप समय के साथ वापस जाते हैं, तो आपके पास जीवाश्म के रूप में समुद्री जल नहीं होता है, जो पुराने समय में जल के तापमान का अनुमान लगाने में मदद कर सके। शोधकर्ताओं का कहना है कि इस चुनौती को दूर करने में मछली के अंदरूनी कान में पायी जाने वाली छोटी हड्डियाँ, जिन्हें ओटोलिथ (Otoliths) कहा जाता है, मददगार हो सकती हैं। कोरल की तरह, ओटोलिथ कैल्शियम कार्बोनेट से बनी होती हैं, और समुद्री जल से खनिज जमा करके मछली के पूरे जीवनकाल में विकसित होती हैं। पेड़ के छल्ले के समान, ओटोलिथ मछली की उम्र, प्रवासन पैटर्न और मछली के पानी के प्रकार के बारे में भी सुराग दे सकती है। कई सालों से, प्रोफेसर चक्रवर्ती और उनकी टीम कोरल या फोरामिनिफेरा (Foraminifera) और छोटे जीवों में पाये जाने वाले कैल्शियम कार्बोनेट के जमाव को ट्रैक कर रहे हैं। इस अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने ओटोलिथ को चुना है, क्योंकि वैज्ञानिकों ने जुरासिक काल (172 मिलियन वर्ष पूर्व) के ओटोलिथ जीवाश्म नमूनों की खोज की है। इस अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने उत्तरी अमेरिका के पूर्वी तट से सटे विभिन्न भौगोलिक स्थानों से एकत्र किये गए छह वर्तमान ओटोलिथ नमूनों का उपयोग किया है। इन ओटोलिथ नमूनों में विभिन्न कैल्शियम समस्थानिकों (Isotopes) के अनुपात का थर्मल आयनीकरण मास स्पेक्ट्रोमीटर (TIMS) पद्धति से विश्लेषण किया गया है। नमूनों में कैल्शियम आइसोटोप के अनुपात को मापकर शोधकर्ताओं को इसे उस समुद्री जल के तापमान से सह-संबंधित करने में सफलता मिली है, जहाँ से मछली नमूने एकत्र किये गए थे। इसे भी पढ़ें: भोपाल में भारत के राष्ट्रीय विज्ञान फिल्म महोत्सव के 12वें संस्करण का आयोजन प्रोफेसर चक्रवर्ती कहते हैं, हमने दिखाया है कि कैल्शियम समस्थानिक पानी के तापमान का मजबूत संकेतक हैं, और सुरजीत के प्रयास हमारी प्रयोगशाला को देश की एकमात्र प्रयोगशाला बनाते हैं, जो वास्तव में इन समस्थानिक विविधताओं को मापने में सक्षम है। कैल्शियम आइसोटोप के अलावा, हमारी टीम ने स्ट्रोंटियम, मैग्नीशियम, और बेरियम जैसे अन्य तत्वों की सघनता और एक ही नमूने में उनके अनुपात का भी विश्लेषण किया है, और वास्तविक मूल्य की तुलना में शून्य से एक डिग्री सेल्सियस (कम अथवा अधिक) की सीमा में समुद्री जल के तापमान का सटीक मूल्य प्राप्त करने के लिए डेटा को एक साथ मिला दिया है। शोधकर्ता बताते हैं कि समुद्र में रहने वाले जीव तापमान के प्रति बेहद संवेदनशील होते हैं, और तापमान में दो डिग्री की वृद्धि से कई प्रजातियां विलुप्त हो सकती हैं। इसके अलावा, प्रोफेसर चक्रवर्ती कहते हैं - वातावरण में मौजूद बहुत-सी कार्बन डाइऑक्साइड अंततः समुद्र में घुल जाती है। कार्बन डाइऑक्साइड को सोखने की यह क्षमता समुद्री जल के तापमान से जुड़ी होती है – समुद्री जल का तापमान जितना कम होता है, वह उतनी ही अधिक कार्बन डाइऑक्साइड को सोख सकता है। जैसे एक कार्बोनेटेड पेय गर्म होने पर अपनी फ़िज़ खो देता है, वैसे ही समुद्र गर्म होने पर कार्बन डाइऑक्साइड को धारण करने की क्षमता खो देता है। कैल्शियम आइसोटोप अनुपात और तापमान के बीच घनिष्ठ संबंध के कारण, शोधकर्ताओं को विश्वास है कि उनका दृष्टिकोण अब जीवाश्म नमूनों पर उपयोग किया जा सकता है। वे कहते हैं कि पृथ्वी के इतिहास को बेहतर ढंग से समझने के लिए समुद्री जल के शुरुआती तापमान का मानचित्रण करना महत्वपूर्ण है। प्रोफेसर चक्रवर्ती कहते हैं, बीते हुए समय में क्या हुआ था की जानकारी, “भविष्य में क्या होगा” के बारे में हमारी समझ का दायरा बढ़ाने में उपयोगी हो सकती है।
SSC Answer key: एसएससी सीएचएसएल टियर-1 की फाइनल आंसर की जारी, ऐसे चेक करें
कर्मचारी चयन आयोग की ओर से SSC CHSL Tier-2 परीक्षा का आयोजन 18 सितंबर, 2022 को किया जाएगा। परीक्षा में डिस्क्रिप्टिव रूप के प्रश्न पूछे जाएंगे।
HPSC Lecturer Result 2022: हरियाणा पीएससी लेक्चरर भर्ती का परिणाम जारी, ऐसे चेक करें
हरियाणा लोक सेवा आयोग की ओर से जारी की गई लेक्चरर भर्ती परीक्षा के परिणाम में चयनित उम्मीदवारों को अब भर्ती के अगले चरण वाइवा के लिए आमंत्रित किया जाएगा।
अगर आपको सरकारी नौकरी की तलाश है तो आप हमारे इस लाइव ब्लॉग की मदद से विभिन्न सरकारी भर्तियों और रिजल्ट के बारे में सभी जरूरी अपडेट प्राप्त कर सकते हैं।
शोधकर्ताओं ने विकसित किया रोगाणुनाशी पोर्टेबल इलेक्ट्रोस्टैटिक उपकरण
रोगजनक बैक्टीरिया के संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की चंडीगढ़ स्थित घटक प्रयोगशाला केंद्रीय वैज्ञानिक उपकरण संगठन (सीएसआईआर-सीएसआईओ) के वैज्ञानिकों ने एक नया रोगाणुनाशी पोर्टेबल इलेक्ट्रोस्टैटिक उपकरण विकसित किया है। कोरोना वायरस सहित अन्य रोगजनक सूक्ष्मजीवों के प्रसार को रोकने में यह उपकरण प्रभावी पाया गया है। यह एक हैंडहेल्ड उपकरण है, जिसे विशेष रूप से हाथ में पकड़कर उपयोग के लिए डिजाइन किया गया है। यह उपकरण इलेक्ट्रोस्टैटिक प्रौद्योगिकी पर आधारित है, जो दो मोर्चों पर काम करती है। सबसे पहले, विसंक्रमित करने वाले तरल पदार्थों का छिड़काव करते समय इस उपकरण से विद्युत से आवेशित बूंदें निकलती हैं, जो हवा में वायरस को मारने में सक्षम होती हैं। दूसरी ओर, उपकरण से निकली आवेशित बूंदें किसी भी लक्ष्य के छिपे हुए क्षेत्रों में पहुँच सकती हैं, जहाँ वायरस हो सकते हैं। इसे भी पढ़ें: भोपाल में भारत के राष्ट्रीय विज्ञान फिल्म महोत्सव के 12वें संस्करण का आयोजन सीएसआईआर-सीएसआईओ के वैज्ञानिक डॉ मनोज कुमार पटेल के नेतृत्व में शोधकर्ताओं की एक टीम द्वारा यह उपकरण डिजाइन एवं विकसित किया गया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह तकनीक उपयोग में आसान, पोर्टेबल है, जिसका उपयोग छोटे दुकानदार, घरों और छोटे कारोबारियों द्वारा किया जा सकता है। नागपुर स्थित मैसर्स राइट वाटर सॉल्यूशंस (आई) प्राइवेट लिमिटेड को व्यावसायीकरण और बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए सीएसआईआर-सीएसआईओ द्वारा यह प्रौद्योगिकी हस्तांतरित की गई है। सीएसआईआर-सीएसआईओ के निदेशक प्रोफेसर एस. अनंत रामकृष्ण ने कहा है कि रोगजनक कीटाणुशोधन उपकरण के उपयोग में सुगमता से जुड़ी उपयोगकर्ताओं की माँग को ध्यान में रखते हुए, सीएसआईआर-सीएसआईओ ने यह उन्नत और पोर्टेबल इलेक्ट्रोस्टैटिक उपकरण विकसित किया है, जो सार्वजनिक स्थानों को रोगजनक सूक्ष्मजीवों के संक्रमण से मुक्त करने के लिए एक शक्तिशाली तकनीक है। इसे भी पढ़ें: सूक्ष्म और नैनो प्लास्टिक प्रदूषकों का पता लगाने के लिए नई तकनीक अभिजीत गण, निदेशक मैसर्स राइट वाटर सॉल्यूशंस और सीएसआईआर-सीएसआईओ के वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक और प्रमुख, व्यवसाय विकास एवं परियोजना प्रबंधन डॉ ए.के. शुक्ला द्वारा प्रौद्योगिकी हस्तांतरण करार पर हस्ताक्षर किए गए हैं। दोनों पक्षों के बीच प्रौद्योगिकी हस्तांतरण कार्यक्रम ऑनलाइन रूप से आयोजित किया गया था। इस अवसर पर, सीएसआईआर-सीएसआईओ के निदेशक प्रोफेसर एस. अनंत रामकृष्ण और संस्थान के अन्य विभागीय प्रमुख उपस्थित थे। डॉ पटेल बताते हैं कि “सार्वजनिक स्थानों, विशेष रूप से अस्पतालों, पॉल्ट्री, ट्रेनों एवं बसों, हवाईअड्डों तथा हवाईजहाजों, क्लासरूम, होटल और कार्यालयों में कीटाणुशोधन और स्वच्छता को सुनिश्चित करने के लिए इलेक्ट्रोस्टैटिक छिड़काव की यह नवीन प्रौद्योगिकी विकसित की गई है। यह उपकरण स्वस्थ जीवनशैली और स्वास्थ्य देखभाल में योगदान देने में कारगर है, और भारत सरकार के ‘स्वस्थ भारत मिशन’ से सीधे जुड़ा हुआ है। (इंडिया साइंस वायर)
BECIL recruitment 2022: मेडिकल ऑफिसर, पीआरओ और नर्स के पदों पर भर्तियां, जल्दी करें आवेदन
ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग कंसल्टेंट्स इंडियन लिमिटेड की ओर से जारी की गई विभिन्न पदों पर भर्ती के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। संस्थान ने आवेदन की आखिरी तारीख 31 अगस्त, 2022 को निर्धारित की है।
UKPSC Admit Card: उत्तराखंड लोअर पीसीएस मुख्य परीक्षा के लिए प्रवेश पत्र जारी, ऐसे डाउनलोड करें
परीक्षा में शामिल होने जा रहे उम्मीदवार इस बात का विशेष ध्यान रखें कि प्रवेश पत्र परीक्षा के लिए एक अहम दस्तावेज है और इसे लेकर ही परीक्षा केंद्र पर पहुंचे। बिना इसके उम्मीदवारो को केंद्र पर प्रवेश नहीं मिलेगा।
Top Jobs Of The Week: सरकारी नौकरी का है सपना तो जल्दी करें इन विभागों में आवेदन
सरकारी नौकरी की तैयारी करने वाले उम्मीदवारों के लिए हम लेकर आए हैं इस हफ्ते की पांच बड़ी भर्तियों के बारे में जानकारी, जहां आवेदन कर के आप अपने लिए एक बेहतरीन सैलरी और पद वाली सरकारी नौकरी प्राप्त कर सकते हैं।
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भोपाल में भारत के राष्ट्रीय विज्ञान फिल्म महोत्सव के 12वें संस्करण का आयोजन
भारत के राष्ट्रीय विज्ञान फिल्म महोत्सव (National Science Film Festival of India) के 12वें संस्करण का आयोजन इस बार मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में होने जा रहा है। शनिवार को प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भारत के 12वें राष्ट्रीय विज्ञान फिल्म महोत्सव (12th National Science Film Festival of India)-2022 के पोस्टर एवं विवरणिका का विमोचन किया है। इस अवसर पर उन्होंने देशभर के विज्ञान फिल्मकारों को मध्य प्रदेश में आमंत्रित किया है। विज्ञान प्रसार, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार द्वारा भारत के 12वें राष्ट्रीय विज्ञान फिल्म महोत्सव 2022 (12th National Science Film Festival of India) का आयोजन दिनांक 22 से 26 अगस्त, 2022 को रवींद्र भवन, भोपाल में किया जा रहा है। इस पाँच दिवसीय कार्यक्रम का उद्घाटन 22 अगस्त 2022 को प्रातः 10 बजे किया जाएगा। पुरस्कार वितरण समारोह दिनांक 26 अगस्त 2022 को दोपहर 12 बजे रवींद्र भवन, भोपाल में आयोजित किया जा रहा है। सुविख्यात डाक्यूमेंट्री निर्माता सिद्धार्थ काक एवं वरिष्ठ ऐक्टर राजीव वर्मा फिल्मोत्सव में विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे। इसे भी पढ़ें: सूक्ष्म और नैनो प्लास्टिक प्रदूषकों का पता लगाने के लिए नई तकनीक 12वें राष्ट्रीय विज्ञान फिल्म महोत्सव 2022 में देश के महान वैज्ञानिक आचार्य प्रफुल्ल चंद्र रे के जीवन पर आधारित फिल्म का पहला प्रदर्शन किया जाएगा, जिसमें देश की स्वतंत्रता में उनके योगदान को दर्शाया गया है। इस फिल्म का प्रदर्शन फिल्मोत्सव में उद्घाटन फिल्म के तौर पर किया जा रहा है। इसके साथ ही देश में स्वच्छ सागर तट अभियान के अंतर्गत समुद्र स्वच्छता जागरूकता पर आधारित फिल्म भी उद्घाटन फिल्म के रूप में प्रदर्शित की जाएगी। 12वें राष्ट्रीय विज्ञान फिल्म महोत्सव में देश भर से आमंत्रित 150 से अधिक फिल्मकारों को मध्य प्रदेश की फिल्म संस्कृति, प्रदेश की समृद्ध जैव विविधता, वैज्ञानिक विरासत, वास्तुकला से परिचित कराया जाएगा और मध्य प्रदेश में फिल्म-निर्माण के लिए आमंत्रित किया जाएगा। भोपाल में राष्ट्रीय विज्ञान फिल्म महोत्सव के आयोजन से मध्य प्रदेश के युवा फिल्म निर्माता विज्ञान, प्रकृति, पर्यावरण, स्वास्थ्य, पोषण, कृषि, तकनीक, ऊर्जा, जल, जंगल और फिल्म-निर्माण में सक्रिय होंगे और मध्य प्रदेश की फिल्म नीति को प्रोत्साहन मिलेगा। भारत का राष्ट्रीय विज्ञान फिल्म महोत्सव देश का एकमात्र विज्ञान फिल्मोत्सव है, जिसे विज्ञान प्रसार द्वारा वर्ष 2011 से प्रतिवर्ष देश के विभिन्न भागों में आयोजित किया जा रहा है। इस फिल्मोत्सव का उद्देश्य वैज्ञानिकों और फिल्म निर्माताओं व संचारकों के आपसी समन्वय को प्रोत्साहित करना है, जिससे कि फिल्म जैसे सशक्त माध्यम से आम-जन व विद्यार्थियों में वैज्ञानिक चेतना का विकास हो सके। इसे भी पढ़ें: मस्तिष्क में मिर्गी-क्षेत्र के सटीक निर्धारण के लिए नया उपकरण इस अवसर पर देशभर से प्राप्त चुनिंदा 71 विज्ञान फिल्मों के प्रदर्शन सहित विविध श्रेणियों में विज्ञान फिल्म पुरस्कार समारोह, विज्ञान फिल्म निर्माण पर कार्यशाला, मध्य प्रदेश के सांस्कृतिक एवं संगीत कार्यक्रम इत्यादि का आयोजन किया जाएगा। इस कार्यक्रम में देशभर से विज्ञान व पर्यावरण फिल्मकार, वैज्ञानिक, विज्ञान संचारक, लेखक, नीति-निर्माता, पत्रकार आदि सम्मिलित होंगे। राष्ट्रीय विज्ञान फिल्म महोत्सव से महानायक अमिताभ बच्चन, मधुर भंडारकर, अदूर गोपालकृष्णन, अमोल पालेकर, श्याम बेनेगल, मुजफ्फर अली, पहलाज निहलानी, शेखर कपूर, माइक पांडे, सुहासिनी मुले, डॉ चंद्रप्रकाश द्विवेदी, विक्रम गोखले, सिद्धार्थ काक, किरण कार्णिक जैसी फिल्म जगत की प्रसिद्ध हस्तियां जूरी या मेंटर के रूप में जुड़ी रही हैं। भारत के राष्ट्रीय विज्ञान फिल्म महोत्सव का उद्देश्य विज्ञान, प्रौद्योगिकी, नवाचार, ऊर्जा, पर्यावरण, चिकित्सा, कृषि और पारंपरिक ज्ञान को लोकप्रिय बनाने वाली फिल्मों के माध्यम से वैज्ञानिक सोच को प्रोत्साहित करना है। यह विज्ञान फिल्म निर्माताओं के प्रयासों को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता देने वाला देश का यह पहला और अकेला मंच है, जिसमें स्कूल व कॉलेज के विद्यार्थी, वैज्ञानिक, चिकित्सक, इंजीनियर, शिक्षक, ग्रामीण व शहरी युवक, युवतियों से लेकर व्यावसायिक फिल्म निर्माताओं को अपनी विज्ञान फिल्में प्रदर्शित करने का मौका मिलता है। राष्ट्रीय विज्ञान फिल्म महोत्सव का आयोजन पहली बार वर्ष 2011 में चेन्नई में किया गया था। तब से लेकर यह देश के लगभग सभी भागों जैसे भुवनेश्वर (2012), कोलकाता (2013 और 2017), बैंगलोर (2014), लखनऊ (2015), मुंबई (2016), गुवाहाटी (2018), मोहाली/चंडीगढ़ (2019) और आभासी प्लेटफॉर्म (2020 और 2021 में कोविड के कारण) पर आयोजित किया गया है। इसे भी पढ़ें: लक्षद्वीप में स्थापित किया जा रहा है सागरीय तापीय ऊर्जा रूपांतरण संयंत्र राष्ट्रीय विज्ञान फिल्म महोत्सव में निम्नांकित प्रतिस्पर्धी श्रेणियों में डाक्यूमेंट्री फिल्में, शॉर्ट फिल्म, एनिमेशन फिल्म, डॉक्यू ड्रामा, साइंस फिक्शन आमंत्रित किए जाते हैं एवं लगभग 16 लाख रुपये के नकद पुरस्कारों से फिल्मकारों को सम्मानित किया जाता है। पुरस्कारों की इंटरफेस श्रेणी के अंतर्गत सरकारी और गैर-सरकारी संस्थानों द्वारा वित्त पोषित फिल्में (60 मिनट समयावधि तक), फ्यूजन श्रेणी के अंतर्गत स्वतंत्र फिल्म निर्माताओं / प्रोडक्शन हाउस द्वारा निर्मित फिल्में (60 मिनट समयावधि तक), आउट ऑफ बॉक्स श्रेणी में कॉलेज के छात्रों की फिल्में (30 मिनट समयावधि तक), और इंद्रधनुष श्रेणी में कक्षा छठवीं से 12वीं के स्कूली छात्रों द्वारा निर्मित (10 मिनट समयावधि तक) की फिल्म प्रविष्टियाँ आमंत्रित की जाती हैं। 12वें राष्ट्रीय विज्ञान फिल्म महोत्सव-2022 में कुल 246 फिल्में प्राप्त हुई हैं, जिनमें से 71 नामांकित विज्ञान फिल्मों की स्क्रीनिंग की जाएगी।
SSC JE Recruitment 2022: जूनियर इंजीनियर पदों के लिए आवेदन शुरू, एसएससी ने जारी की अधिसूचना
कर्मचारी चयन आयोग (SSC) ने भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों/ विभागों/ संगठनों के लिए जूनियर इंजीनियर पदों - सिविल, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल और क्वांटिटी सर्वेइंग एंड कॉन्ट्रेक्ट्स के लिए भर्ती हेतु आधिकारिक अधिसूचना जारी की है।
12 अगस्त की रात 8 बजे तक होगा जेईई एडवांस परीक्षा के लिए पंजीकरण
जेईई एडवांस की परीक्षा हेतु पंजीकरण के लिए समय सीमा बढ़ा दी गई है। अब छात्र 12 अगस्त...
FCI Watchman Result 2022: एफसीआई वॉचमैन भर्ती परीक्षा के परिणाम जारी, ऐसे चेक करें अपना रिजल्ट
जो भी उम्मीदवार वॉचमैन भर्ती परीक्षा में सफल हुए हैं, उन्हें अब फूड कोर्पोरेशन ऑफ इंडिया की ओर से भर्ती के अगले चरण पीईटी परीक्षा के लिए आमंत्रित किया जाएगा।
HPCL Answer Key 2022: एचपीसीएल तकनीशियन भर्ती परीक्षा की उत्तर कुंजी जारी, ऐसे डाउनलोड करें
हिंदुस्तान पेट्रोलियम कोर्पोरेशन लिमिटेड द्वारा तकनीशियन के पदों पर भर्ती के लिए परीक्षा का आयोजन 07 अगस्त, 2022 को किया गया था।
BSF Recruitment 2022: बीएसफ में 300 से अधिक पदों पर भर्तियां, जानें कैसे करना है आवेदन
सीमा सुरक्षा बल में जारी की गई भर्ती के लिए रिक्त पदों की कुल संख्या 323 निर्धारित की गई है। इनमें से 312 पद हेड कांस्टेबल के लिए है। वहीं, 11 पद असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर के लिए निर्धारित किए गए हैं।
इवेंट मैनेजमेंट में कैसे बनाएं अपना कॅरियर और क्या है स्कोप
वेंट मैनेजमेंट का अर्थ विशेष रूप से कार्यक्रमों, त्योहारों, संगोष्ठियों आदि जैसे कार्यक्रमों के डिजाइन और संचालन के लिए परियोजना प्रबंधन कौशल को लागू करना है। आज आईपीएल, साहित्य उत्सव, ओलंपिक या राष्ट्रमंडल खेलों सहित सभी प्रमुख आयोजनों का प्रबंधन इवेंट मैनेजमेंट कंपनियों द्वारा ही किया जाता है। मार्केट रिपोर्ट्स के मुताबिक इवेंट मैनेजमेंट इंडस्ट्री बहुत तेजी से बढ़ रही है। इवेंट मैनेजमेंट में एमबीए उन युवाओं के लिए कई अवसर खोलेगा जो एक्शन, विविधता, चुनौती और बाहरी काम के शौकीन हैं। इवेंट मैनेजमेंट सबसे अधिक लाभदायक कॅरियर के रूप में सामने आया है। आयोजन और आयोजन करने वाली कंपनियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इवेंट मैनेजमेंट में कॅरियर बनाने की इच्छा रखने वाले उम्मीदवार इस क्षेत्र में नौकरी के अवसर तलाश कर सकते हैं। इसे भी पढ़ें: वॉयस-ओवर कलाकार कैसे बनें और क्या हैं इसके लिए आवश्यक कौशल इवेंट मैनेजमेंट को कई विश्वविद्यालयों में पेश किए जाने वाले जनसंचार का एक हिस्सा माना जाता है। इसलिए उम्मीदवार यूजी और पीजी स्तर पर इवेंट मैनेजमेंट कोर्स कर सकते हैं। इवेंट मैनेजमेंट खुदरा और विपणन क्षेत्र में बढ़ते रुझान के कारण तेजी से एक हॉट कैरियर विकल्प के रूप में पकड़ रहा है, जिसमें शामिल है: - लक्षित दर्शकों के लिए एक कार्यक्रम आयोजित करना - विज़ुअलाइज़िंग कॉन्सेप्ट्स - योजना - बजट - निष्पादन की घटनाएं - फैशन शो, संगीत कार्यक्रम, सेमिनार, प्रदर्शनियों, शादियों, थीम वाली पार्टियों, उत्पाद लॉन्च आदि पर काम करना। इवेंट मैनेजमेंट में कॅरियर कैसे शुरू करें? इवेंट मैनेजमेंट में अपना कॅरियर शुरू करने के लिए उम्मीदवारों को इस क्षेत्र में एक विशेष डिग्री हासिल करनी चाहिए। प्रत्येक विश्वविद्यालय के लिए प्रवेश प्रक्रिया अलग-अलग होती है। उम्मीदवारों को उस पाठ्यक्रम की तलाश करनी चाहिए जिसका वे अध्ययन करना चाहते हैं और प्रवेश के लिए आवेदन करने के लिए पात्रता की जांच करें। इवेंट मैनेजमेंट में अधिकांश एंट्री-लेवल जॉब्स इवेंट मैनेजमेंट में स्नातक की डिग्री या डिप्लोमा करके किया जा सकता है। हालांकि मेगा इवेंट आयोजित करने वाली बड़ी कंपनियों में प्रबंधकीय पदों या नेतृत्व की भूमिका निभाने के लिए उम्मीदवारों को प्रतिष्ठित संस्थानों से एमबीए या पीजी डिप्लोमा पाठ्यक्रमों की आवश्यकता होगी। इवेंट मैनेजमेंट के लिए पात्रता मानदंड उत्कृष्ट जनसंपर्क और नेटवर्किंग कौशल वाले स्नातक इस क्षेत्र का विकल्प चुन सकते हैं। हालांकि एक प्रतिष्ठित फर्म या कंपनी में इवेंट मैनेजर बनने के लिए अच्छे जनसंपर्क कौशल के साथ एमबीए की डिग्री होनी चाहिए। मार्केटिंग में अपने मास्टर के साथ जनसंपर्क में डिग्री होने से इस पेशे में एक अतिरिक्त लाभ होगा। इसे भी पढ़ें: 12वीं के बाद फॉरेस्ट्री के क्षेत्र में बनाएं अपना कॅरियर, जानें कोर्स, स्कोप, जॉब और सैलरी इवेंट मैनेजमेंट के लिए स्किल्स और एट्रीब्यूट्स एक इवेंट मैनेजर के पास अच्छा संचार कौशल होना चाहिए, चुनौतियों को स्वीकार करने के लिए आश्वस्त होना चाहिए और किसी स्थिति को समझने और ठीक से प्रतिक्रिया करने की क्षमता होनी चाहिए। उसके पास रचनात्मकता और संगठनात्मक कौशल होना चाहिए। टीम भावना और नेतृत्व कौशल अन्य पूर्वापेक्षाएँ हैं। उन्हें घटना के हर मिनट के विवरण को भी देखना होगा। इवेंट मैनेजमेंट में करियर: जॉब प्रोफाइल इवेंट मैनेजमेंट प्रबंधन के नवीनतम क्षेत्रों में से एक है और लोकप्रियता प्राप्त कर रहा है। हालांकि इस क्षेत्र को अक्सर जनसंपर्क उद्योग की एक शाखा माना जाता है, यह बाजार का विस्तार कर रहा है और बहुत सारे रोजगार पैदा कर रहा है। विज्ञापन, पीआर और कॉरपोरेट कम्युनिकेशन कोर्स करने के बाद उम्मीदवार इवेंट मैनेजमेंट में भी अपना करियर बना सकते हैं। इवेंट मैनेजमेंट इंडस्ट्री में ढेरों नौकरियां उपलब्ध हैं। मौजूदा वैश्विक आर्थिक मंदी के बावजूद, इवेंट मैनेजमेंट उद्योग लगातार तेजी से फल-फूल रहा है। बहुत सारे आयोजन होते हैं: शादियों, जन्मदिन पार्टियों और रियलिटी शो, फैशन और सांस्कृतिक शो पूरे देश में हो रहे हैं, जिससे कार्यक्रम योजनाकारों की मांग पैदा हो रही है। इवेंट मैनेजमेंट इंडस्ट्री में उपलब्ध जॉब प्रोफाइल इस प्रकार है: 1. वेडिंग प्लानर: ऐसे जॉब प्रोफाइल में शादी के आयोजन से संबंधित हर मिनट के विवरण पर ध्यान देने की आवश्यकता होती है। एक वेडिंग प्लानर अपने ग्राहकों को विभिन्न विवाह समारोहों की योजना बनाने में मदद करता है। 2. स्टेज डेकोरेटर: स्टेज डेकोरेटर इवेंट के लिए स्टेज लेआउट डिजाइन करने के लिए जिम्मेदार होता है। स्टेज डेकोरेटर की जिम्मेदारी में मंच पर प्रॉप्स को व्यवस्थित करना और रखना और मंच को आयोजन स्थल के अन्य सजावटी तत्वों के बीच खड़ा करना शामिल है। 3. रसद प्रबंधक: रसद प्रबंधक घटना के लिए आवश्यक उपकरण, मेहमानों और अन्य चीजों के परिवहन के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार होता है। इसे भी पढ़ें: बीए करने के बाद आपके पास टॉप कॅरियर विकल्प क्या हो सकते हैं और क्या करें 4. प्रदर्शनी आयोजक: एक प्रदर्शनी आयोजक की नौकरी की रूपरेखा एक कार्यक्रम योजनाकार की तरह होती है। प्राथमिक अंतर यह है कि एक प्रदर्शनी आयोजक योजना बनाता है और साथ ही मेलों और प्रदर्शनियों को निष्पादित करता है। 5. इवेंट प्लानर: इवेंट प्लानर किसी इवेंट के सभी विवरणों की योजना बनाने के लिए जिम्मेदार होते हैं। घटना एक सम्मेलन, कॉर्पोरेट घटना या शादी हो सकती है। एक इवेंट प्लानर थीम, लॉजिस्टिक्स से लेकर बजट तक इवेंट के लिए एक योजना बनाता है। 6. इवेंट मैनेजर: इस जॉब प्रोफाइल में प्रत्येक इवेंट के पहलू के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार होता है। एक इवेंट मैनेजर का काम किसी घटना को बिना किसी परेशानी के अवधारणा बनाना, योजना बनाना, व्यवस्थित करना और निष्पादित करना है। इवेंट मैनेजमेंट में करियर के अवसर: वेतन की पेशकश इवेंट मैनेजमेंट के क्षेत्र में पारिश्रमिक उम्मीदवार की नौकरी की भूमिका और जिम्मेदारी पर निर्भर करता है। इसके अलावा, संगठन का आकार, ग्राहकों की प्रोफाइल, पेशेवर का अनुभव और फर्म का स्थान जैसे कारक भी उम्मीदवार का वेतन तय करते हैं। हालांकि इवेंट मैनेजमेंट में एक फ्रेशर 10,000 रुपये से 15,000 रुपये प्रति माह के बीच मासिक वेतन की उम्मीद कर सकता है। अनुभव और विशेषज्ञता के क्षेत्र के साथ सैलरी बढ़ती है। एक कुशल फ्रीलांसर या एक इवेंट मैनेजमेंट कंपनी के मालिक के रूप में काम करके काफी पैसा कमाया जा सकता है। एक बार जब कोई इवेंट मैनेजर इस क्षेत्र में अनुभव प्राप्त कर लेता है तो वह अपने क्लाइंट के आधार पर 50,000 रुपये से 1 लाख रुपये या उससे अधिक की फीस की उम्मीद कर सकता है। - जे. पी. शुक्ला
सूक्ष्म और नैनो प्लास्टिक प्रदूषकों का पता लगाने के लिए नई तकनीक
हमारे बालों की मोटाई से हजार गुना छोटे-सूक्ष्म और नैनो प्लास्टिक कण पर्यावरण के लिए एक गंभीर खतरा बनकर उभरे हैं। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), बॉम्बे और दक्षिण अफ्रीका के मैंगोसुथु प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने एक ताजा संयुक्त अध्ययन में नैनो एवं सूक्ष्म प्लास्टिक कणों के प्रदूषण का पता लगाने के लिए एक नई तकनीक विकसित की है। प्रयोगशाला नमूनों में परिवेशी प्रकृति को नष्ट किए बिना इस तकनीक को सूक्ष्म एवं नैनो प्लास्टिक कणों की पहचान करने में प्रभावी पाया गया है। आईआईटी, बॉम्बे के प्रोफेसर टी.आई. एल्धो के नेतृत्व में दक्षिण अफ्रीका के मैंगोसुथु प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के शोधकर्ता डॉ अनिल लोनाप्पन के सहयोग से यह अध्ययन किया गया है। वे बताते हैं कि यह अध्ययन माइक्रोवेव के भीतर रखे जाने पर किसी सामग्री के विद्युतीय गुणों में होने वाले परिवर्तन पर आधारित है। शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि पर्यावरण के नमूनों में प्रदूषकों की उपस्थिति का पता लगाने के लिए हैंडहेल्ड डिवाइस विकसित करने में यह अध्ययन मददगार हो सकता है। यह अध्ययन, जर्नल ऑफ हैजार्ड्स मैटेरियल्स में प्रकाशित किया गया है। इसे भी पढ़ें: मस्तिष्क में मिर्गी-क्षेत्र के सटीक निर्धारण के लिए नया उपकरण हाल के वर्षों में, प्लास्टिक प्रदूषकों द्वारा उत्पन्न चुनौतियाँ सार्वजनिक बहस का हिस्सा बनी हैं। लेकिन, नये अध्ययनों से प्लास्टिक प्रदूषकों की एक और किस्म का पता चला है, जिसे नैनो और माइक्रो-प्लास्टिक के नाम से जाना जाता है। नग्न आँखों के लिए अदृश्य और बेहद सूक्ष्म ये प्लास्टिक कण लगभग हर जगह पाये जाते हैं, अंटार्कटिक के वातावरण से लेकर हमारे आंतरिक अंगों तक। अध्ययनों में, पौधों, फलों, मछलियों, पेंगुइन और यहाँ तक कि मानव नाल में प्लास्टिक के इन सूक्ष्म कणों की उपस्थिति का पता चला है। इसके अतिरिक्त, वे जलवायु परिवर्तन में भी भूमिका निभाते दिखाई देते हैं। इस अध्ययन से जुड़े शोधकर्ता और आईआईटी बॉम्बे के पोस्ट डॉक्टरल शोधार्थी डॉ रंजीत विष्णुराधन के अनुसार, “शोधकर्ता सूक्ष्म और नैनो-प्लास्टिक कणों के अज्ञात पर्यावरणीय और स्वास्थ्य प्रभावों की जाँच निरंतर कर रहे हैं। जबकि, सूक्ष्म और नैनो प्लास्टिक प्रदूषकों द्वारा उत्पन्न होने वाले खतरों का दायरा बेहद व्यापक है, और पर्यावरण प्रदूषण के स्तर के बारे में पूरी तस्वीर स्पष्ट नहीं है।” वह बताते हैं कि आईआईटी बॉम्बे की टीम ने प्लास्टिक प्रदूषकों का पता लगाने के लिए माइक्रोवेव विकिरण उपयोग की संभावना की पड़ताल की है। माइक्रोवेव आधारित तकनीकों को आमतौर पर पर्यावरण के अनुकूल माना जाता है। माइक्रोवेव विकिरण विभिन्न प्लास्टिक पॉलिमर के साथ परस्पर क्रिया करता है, और इसके कुछ विद्युत गुणों को बदल देता है। कम आवृत्ति संकेतों (300 किलोहर्ट्ज़ तक) का उपयोग प्रतिरोधकता और चालकता का अध्ययन करने के लिए किया जाता है, उच्च आवृत्ति संकेतों (300 मेगाहर्ट्ज से 4 गीगाहर्ट्ज़) का उपयोग परावैद्युत (Dielectric) मापदंडों के अध्ययन के लिए किया जाता है। इस अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने एस-बैंड (2-4 गीगाहर्ट्ज़) में माइक्रोवेव विकिरणों का उपयोग किया है, और दिखाया है कि परावैद्युत स्थिरांक सूखे और गीले दोनों नमूनों में प्लास्टिक का पता लगाने में उपयोगी है। शोधकर्ताओं ने, सूखे नमूनों में प्लास्टिक उपस्थिति का पता लगाने में दो अन्य गुणों – अवशोषण हानि और परावैद्युत हानि स्पर्शरेखा, को भी उपयोगी पाया है। इसे भी पढ़ें: लक्षद्वीप में स्थापित किया जा रहा है सागरीय तापीय ऊर्जा रूपांतरण संयंत्र उन कुचालक पदार्थों को परावैद्युत (dielectric) कहते हैं, जिनमें विद्युतीय क्षेत्र पैदा करने पर (या जिन्हें विद्युत क्षेत्र में रखने पर) वे ध्रुवित हो जाते हैं। कुचालक (इंसुलेटर) से आशय उन सभी पदार्थों से है, जिनकी प्रतिरोधकता अधिक (या विद्युत चालकता कम) होती है। लेकिन, कुचालक होने के साथ-साथ जो पदार्थ पर्याप्त मात्रा में ध्रुवण का गुण भी प्रदर्शित करते हैं, परावैद्युत कहे जाते हैं। शोधकर्ता बताते हैं कि जिस प्रकार माइक्रोवेव विकिरण माइक्रोवेव ओवन में रखे भोजन में पानी के अणुओं के साथ संपर्क करता है, और इसे गर्म करता है, उसी प्रकार माइक्रोवेव विकिरण माइक्रोवेव कैविटी में रखे जाने पर सामग्री के विद्युत गुणों को बदल देता है। माइक्रोवेव विभिन्न सामग्रियों के साथ अलग-अलग तरह से इंटरैक्ट करते हैं। माइक्रोवेव विकिरण का प्रभाव विभिन्न सामग्रियों के लिए अलग-अलग होता है। यही कारण है कि प्रत्येक प्रकार के प्लास्टिक के लिए परिवर्तन भी अलग होते हैं। इस प्रकार, किसी दिए गए नमूने में प्रदूषक की उपस्थिति की पहचान करने के लिए माइक्रोवेव कैविटी में परावैद्युत गुणों में सावधानी से मापी गई भिन्नताओं का उपयोग किया जा सकता है। सूक्ष्म एवं नैनो प्लास्टिक प्रदूषक कण समुद्री पारिस्थितिक तंत्र के लिए एक बड़ा खतरा बनकर उभरे हैं। देश की करीब 7500 किलोमीटर लंबी तटरेखा को साफ करने के लिए पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा चलाए जा रहे 75 दिवसीय ‘स्वच्छ सागर, सुरक्षित सागर’ अभियान में सूक्ष्म एवं नैनो प्लास्टिक प्रदूषकों को लेकर भी वैज्ञानिक विमर्श खड़ा किये जाने की आवश्यकता है। आईआईटी बॉम्बे का यह ताजा अध्ययन इस दिशा में प्रभावी भूमिका निभा सकता है। (इंडिया साइंस वायर)
AFCAT 2022 Admit Card: वायुसेना ने जारी किया एफकैट परीक्षा का प्रवेश पत्र, ऐसे डाउनलोड करें
एयर फोर्स कॉमन एंट्रेंस टेस्ट में भाग लेने जा रहे उम्मीदवारों को इस बात की सलाह दी जाती है कि वे परीक्षा केंद्र पर अपना प्रवेश पत्र और जरूरी दस्तावेज को लेकर ही पहुंचे।
उत्तराखंड लोक सेवा आयोग द्वारा संयुक्त राज्य (सिविल) अपर सबॉर्डिनेट सर्विस परीक्षा के माध्यम से कुल 318 रिक्त पदों पर नियुक्ति की जाएगी।
HPSC HCS Pre Result: हरियाणा सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा, 2021 के परिणाम जारी, ऐसे चेक करें
हरियाणा लोक सेवा आयोग की ओर से राज्य सिविल सेवा, 2021 की प्रारंभिक परीक्षा का आयोजन 24 जुलाई, 2022 को किया गया था।
देश के विभिन्न राज्य और केंद्रीय विभागों में अभी भर्तियां जारी है। सरकारी नौकरियों और सरकारी रिजल्ट के बारे में नियमित अपडेट पाने के लिए पढ़ें इस लाइव ब्लॉग को।
JKPSC Recruitment 2022: जम्मू-कश्मीर लोक सेवा आयोग में भर्ती, आवेदन की आखिरी तारीख आज
इस भर्ती के लिए आवेदन करने वाले उम्मीदवारों की आयु-सीमा अधिकतम 40 वर्ष निर्धारित की गई है। वहीं, आरक्षित वर्ग के लिए आयु-सीमा अधिकतम 43 वर्ष निर्धारित की गई है।
JEE Advance के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू, जानें एग्जाम शेड्यूल और आवेदन करने का तरीका
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी बॉम्बे (IIT Bombay) ने जेईई मेन परीक्षा के रिजल्ट के जारी होने के बाद जेईई एडवांस के लिए आवेदन की प्रक्रिया (JEE Advanced 2022) शुरू कर दी है। आपको बता दें कि जो छात्र जेईई एडवांस परीक्षा के लिए आवेदन करना चाहते हैं वे ऑफिशियल वेबसाइट jeeadv.ac.in पर जाकर ऑनलाइन अप्लाई कर सकेंगे। अधिसूचना के मुताबिक, जेईई एडवांस के लिए अप्लाई करने की आखिरी तारीख 11 अगस्त 2022 है। ऐसे करें अप्लाई जेईई एडवांस परीक्षा के लिए अप्लाई करने के लिए सबसे पहले जेईई एडवांस की ऑफिशियल साइट jeeadv.ac.in पर जाएं। इसके बाद होम पेज पर उपलब्ध 'जेईई एडवांस 2022' लिंक पर क्लिक करें। इसके बाद अपना लॉगिन विवरण दर्ज करें और एप्लीकेशन फॉर्म भरें। फॉर्म भरने के बाद फीस भरें और सबमिट बटन पर क्लिक करें। भविष्य के इस्तेमाल के लिए फॉर्म की एक हार्ड कॉपी भी रख लें। इसे भी पढ़ें: NIRF Ranking 2022: फार्मेसी के क्षेत्र में हैं अपार संभावनाएं, यहाँ देखें भारत के टॉप फार्मेसी कॉलेज की लिस्ट जेईई एडवांस परीक्षा आवेदन के लिए जरुरी दस्तावेज कक्षा 10वीं की मार्कशीट या जन्म प्रमाणपत्र कक्षा 12 की मार्कशीट जाति प्रमाण पत्र (यदि लागू हो) पीडब्ल्यूडी प्रमाणपत्र (यदि लागू हो) कब होगी जेईई एडवांस परीक्षा जेईई एडवांस परीक्षा 28 अगस्त 2022 को दो शिफ्ट में आयोजित की जाएगी। पेपर 1 सुबह 9 बजे से 12 बजे तक आयोजित किया जाएगा। वहीं, पेपर 2 दोपहर 2:30 से 4:30 तक आयोजित किया जाएगा। - प्रिया मिश्रा
कूपन फंडिंग ग्रुपऑन ने अपने 15 फीसदी कर्मचारियों की छंटनी की
शिकागो स्थित ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस ग्रुपऑन ने पुष्टि की है कि उसने अपने 500 से अधिक...
सौम्या शर्मा ने पहले प्रयास में क्रैक किया था UPSC
सौम्या शर्मा ने पहले प्रयास में क्रैक किया था UPSC सौम्या शर्मा ने पहले प्रयास में क्रैक किया था UPSC
MPPSC Recruitment 2022: बीमा चिकित्सा अधिकारी के पदों पर भर्तियां, जानें कैसे करना होगा आवेदन
बीमा चिकित्सा अधिकारी के पदों पर भर्ती के लिए आवेदन प्रक्रिया की शुरुआत 23 अगस्त, 2022 से होगी। वहीं, आयोग ने आवेदन की आखिरी तारीख 22 सितंबर, 2022 को निर्धारित की है।
देश के विभिन्न राज्य और केंद्रीय विभागों में अभी भर्तियां जारी है। सरकारी नौकरियों और सरकारी रिजल्ट के बारे में नियमित अपडेट पाने के लिए पढ़ें इस लाइव ब्लॉग को।
लक्षद्वीप में स्थापित किया जा रहा है सागरीय तापीय ऊर्जा रूपांतरण संयंत्र
महासागर आधारित ऊर्जा को बढ़ावा देने की दिशा में भारत सरकार द्वारा निरंतर प्रयास किये जा रहे हैं। एक नई पहल के अंतर्गत पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अधीन कार्यरत चेन्नई स्थित राष्ट्रीय समुद्र प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईओटी) द्वारा केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप की राजधानी कावारत्ती में समुद्री तापीय ऊर्जा रूपांतरण संयंत्र (Ocean Thermal Energy Conversion Plant) स्थापित किया जा रहा है। यह संयंत्र समुद्र के पानी को पीने योग्य बनाने के लिए निम्न तापमान ऊष्मीय विलवणीकरण (LTTD) आधारित विलवणीकरण (Desalination) संयंत्र को संचालित करने के लिए ऊर्जा प्रदान करेगा। इस महासागर तापीय ऊर्जा रूपांतरण संयंत्र की क्षमता 65 किलोवाट है, जिसकी सहायता से प्रतिदिन एक लाख लीटर समुद्री जल को पीने योग्य बनाया सकेगा। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह द्वारा यह जानकारी बुधवार को लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में प्रदान की गई है। इसे भी पढ़ें: डिजिटल पेमेंट सॉल्यूशन विकिसित करने के लिए आईआईटी कानपुर और एनपीसीआई की साझेदारी इसी क्रम में पूछे गए एक अन्य प्रश्न का उत्तर देते हुए केंद्रीय मंत्री ने बताया कि पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा संचालित डीप ओशन मिशन के अंतर्गत आगामी वर्षों में गहरे समुद्र की जैव विविधता के अन्वेषण एवं संरक्षण हेतु प्रौद्योगिकी आधारित नवन्मेष तथा जलवायु परिवर्तन से जुड़ी परामर्श सेवाओं का विकास, अंडरवॉटर रोबोटिक्स, गहरे समुद्र में खनन पर जोर दिया जा रहा है। इसमें 6000 मीटर की समुद्री गहराई हेतु रेटिंग किए गए प्रोटोटाइप मानव युक्त सबमर्सिबल को डिजाइन एवं विकसित करना, जिसमें अंडरवॉटर वाहन एवं अंडरवॉटर रोबोटिक्स के लिए प्रौद्योगिकियाँ शामिल हैं। डॉ सिंह ने सदन को बताया कि डीप ओशन मिशन के अंतर्गत 5500 मीटर की गहराई में मध्य हिंद महासागर से पॉलीमेटैलिक नॉड्यूल्स जैसे गहरे समुद्री संसाधनों के खनन हेतु प्रौद्योगिकियों की रूपरेखा का विकास, रिमोट चालित वाहनों के उपयोग से व्यवस्थित सैंपलिंग के माध्यम से उत्तरी हिंद महासागर के गहरे समुद्र वाले जीवों के डीएनए बैंक का विकास, सूची-निर्माण तथा नमूनों का एकत्रीकरण एवं विकास किया जाएगा। इसे भी पढ़ें: अटल इनोवेशन मिशन ने आमंत्रित किये नये केंद्र के लिए आवेदन डीप ओशन मिशन भारत के विशिष्ट आर्थिक क्षेत्रों और महाद्वीपीय शेल्फ पर केंद्रित गहरे समुद्री क्षेत्रों के अन्वेषण के लिए शुरू की गई एक पहल है। इस कार्यक्रम में समुद्र तल की की पड़ताल करने वाले विभिन्न क्रू और बिना क्रू वाली पनडुब्बियां शामिल होंगी। समुद्री जलस्तर में वृद्धि, चक्रवात की तीव्रता एवं आवृत्ति, तूफानी लहरों तथा पवन लहरों, जैव-रासायनिकी, तथा भारत के तटीय समुद्र में हानिकारक एल्गल ब्लूम्स में बदलाव-जन्य जलवायु जोखिम मूल्यांकन हेतु समुद्री जलवायु परिवर्तन परामर्श सेवाओं का विकास डीप ओशन मिशन से जुड़ी गतिविधियों का अहम हिस्सा हैं। (इंडिया साइंस वायर)
JEE (Main) के दूसरे सत्र का रिजल्ट घोषित, 24 छात्रों ने हासिल किए 100 फीसदी अंक !
JEE (Main) के दूसरे सत्र का रिजल्ट घोषित, 24 छात्रों ने हासिल किए 100 फीसदी अंक !
जेईई (मेंस) के दूसरे सत्र का रिजल्ट घोषित, 24 छात्रों ने हासिल किए 100 फीसदी अंक
नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने सोमवार 8 अगस्त को जेईई (मेंस) के दूसरे सत्र का रिजल्ट भी...
CTET 2022: इसी महीने से शुरू हो सकती है आवेदन प्रक्रिया, CTET में लागू होने वाले कुछ खास नियमों के बारे में जानें यहाँ
डिजिटल पेमेंट सॉल्यूशन विकिसित करने के लिए आईआईटी कानपुर और एनपीसीआई की साझेदारी
ब्लॉकचेन जैसी अत्याधुनिक तकनीकों पर आधारित स्वदेशी डिजिटल भुगतान सॉल्यूशन विकसित करने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर और नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) के बीच एक नई साझेदारी हुई है। यह साझेदारी एनपीसीआई और इसकी सहायक कंपनियों के उत्पादों और सेवाओं के लिए साइबर सुरक्षा नियंत्रण बढ़ाने के प्रयासों को मजबूती प्रदान करेगी। इस पहल के अंतर्गत नवीन विचारों पर आधारित ज्ञान के साझाकरण से जुड़े संयुक्त प्रयासों को तेज करने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर और नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) ने एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। हाल के वर्षों में, आईआईटी कानपुर ने ब्लॉकचेन और अन्य अत्याधुनिक तकनीकों के आधार पर कई साइबर सुरक्षा परियोजनाओं को विकसित और निष्पादित किया है। इसे भी पढ़ें: अटल इनोवेशन मिशन ने आमंत्रित किये नये केंद्र के लिए आवेदन इस करार के बाद, आईआईटी कानपुर एनपीसीआई कर्मियों के लिए साइबर सुरक्षा और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), मशीन लर्निंग (ML), सुरक्षा उत्पाद रोडमैप और वितरित लेजर तकनीकों (DLT) में नये रुझानों पर सूचनात्मक सत्र आयोजित करेगा। जबकि, एनपीसीआई; आईआईटी कानपुर के छात्रों को लाइव प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए इंटर्नशिप की पेशकश करेगा। आईआईटी कानपुर के डोमेन-केंद्रित ज्ञान से एनपीसीआई को उपभोक्ता-उन्मुख समाधान विकसित एवं क्रियान्वित करने में मदद मिलने की उम्मीद है। आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रोफेसर अभय करंदीकर ने कहा है कि “आईआईटी कानपुर डिजिटल लेनदेन और डेटा के भंडारण के लिए सुरक्षित और अभिनव समाधान विकसित करने में अग्रणी रहा है। संस्थान में साइबर सुरक्षा समाधान और साइबर-भौतिक प्रणाली विकसित करने के लिए समर्पित C3i हब है। एनपीसीआई के साथ सहयोग बहु-अनुशासनात्मक अनुसंधान और अवसरों का मार्ग प्रशस्त करेगा।” इसे भी पढ़ें: प्लास्टिक कचरे से कलात्मक चीजें बना रहे हैं छात्र एनपीसीआई के मुख्य सूचना सुरक्षा अधिकारी एंटनी प्रकाश ने कहा “यह साझेदारी उन्नत तकनीकी समाधान विकसित करने का अवसर प्रदान करेगी, जिससे ग्राहकों को सर्वश्रेष्ठ-इन-क्लास और सुरक्षित भुगतान अनुभव प्रदान करने का मार्ग प्रशस्त होगा। यह पहल परिष्कृत डिजिटल भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र के विकास की शुरूआत करेगा, जो सिस्टम में किसी भी संभावित बाधा को दूर करेगा।” एनपीसीआई को 2008 में भारत में खुदरा भुगतान और निपटान प्रणाली के संचालन के लिए एक छत्र-संगठन के रूप में शामिल किया गया था। इसने रुपे कार्ड, तत्काल भुगतान सेवा (आईएमपीएस), एकीकृत भुगतान इंटरफेस (यूपीआई), भारत इंटरफेस फॉर मनी (भीम), भीम आधार, राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह (NETC FasTag) और भारत बिल-पे जैसे खुदरा भुगतान उत्पादों के माध्यम से भारत में भुगतान परिदृश्य को बदलने में योगदान दिया है। (इंडिया साइंस वायर)
IIT Kanpur ने जारी की GATE 2023 की परीक्षा तिथि, जानें कब शुरू होंगे रजिस्ट्रेशन
आईआईटी कानपुर (IIT, Kanpur) ने ग्रेजुएट एप्टीट्यूड टेस्ट इन इंजीनियरिंग (GATE) परीक्षा तिथियों की घोषणा कर दी है। आपको बता दें कि यह परीक्षा 4, 5, 11 और 12 फरवरी, 2023 को आयोजित की जाएगी। GATE 2023 एक कंप्यूटर आधारित परीक्षा (CBT) होगी, जिसके लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन 30 अगस्त 2022 से शुरू होगा। IIT Kanpur की ओर से जारी शेड्यूल के अनुसार आवेदन की प्रक्रिया 30 सितंबर तक चलेगी। कुछ विषयों में दो पेपरों के चयन के विकल्प के साथ 29 विषयों में परीक्षा होगी। गेट क्वालिफाई करने वाले उम्मीदवार को इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी या वास्तुकला के मास्टर प्रोग्राम में दाखिला मिलता है। GATE 2023 महत्वपूर्ण तिथियां गेट 2023 आवेदन पत्र शुरू होने की तारीख- 30 अगस्त गेट 2023 रजिस्ट्रेशन की आखिरी तारीख- 30 सितंबर GATE 2023 लेट फीस के साथ आवेदन प्रक्रिया की आखिरी तारीख- 7 अक्टूबर, 2022 गेट 2023 आवेदन सुधार विंडो- 4 नवंबर से 11 नवंबर, 2022 GATE 2023 की परीक्षा कुल 100 अंकों के लिए है। इस बार यह परीक्षा संयुक्त रूप से आईआईटी बॉम्बे, दिल्ली, गुवाहाटी, कानपुर, खड़गपुर, मद्रास, रुड़की और आईआईएससी बेंगलुरु द्वारा आयोजित की जाएगी। इसे भी पढ़ें: NIRF Ranking 2022: फार्मेसी के क्षेत्र में हैं अपार संभावनाएं, यहाँ देखें भारत के टॉप फार्मेसी कॉलेज की लिस्ट GATE 2023 के लिए ऐसे करें आवेदन सबसे पहले आधिकारिक वेबसाइट gate.iitk.ac.in पर जाएं। अब GATE 2023 registration लिंक पर क्लिक करें। अपनी लॉगिन डिटेल्स दर्ज करें और सबमिट पर क्लिक करें। आवेदन फॉर्म भरें और आवेदन फीस का भुगतान करें। इसके बाद सबमिट पर क्लिक करें और कंफर्मेशन पेज डाउनलोड करें। - प्रिया मिश्रा
अटल इनोवेशन मिशन ने आमंत्रित किये नये केंद्र के लिए आवेदन
अटल इनोवेशन मिशन (एआईएम) ने अपने दो अग्रणी कार्यक्रमों अटल इनक्यूबेशन केंद्र (एआईसी) और अटल कम्यूनिटी इनोवेशन केंद्र (एसीआईसी) के लिये आवेदन आमंत्रित किए हैं। इन दोनों कार्यक्रमों में विश्व स्तरीय संस्थानों की स्थापना के जरिये नवाचार इको-सिस्टम के सृजन तथा समर्थन की परिकल्पना की गई है। इनक्यूबेटरों के मौजूदा इको-सिस्टम को बढ़ाने और विश्वस्तरीय मानकों तथा उत्कृष्ट तौर-तरीकों तक उनकी पहुँच बनाने के उद्देश्य से ये आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। एआईसी, एआईएम, नीति आयोग की पहल है, ताकि नवाचार और उद्यमशीलता की भावना को बढ़ावा दिया जा सके। इसके माध्यम से देश में स्टार्ट-अप और उद्यमियों के लिये सहायक इको-सिस्टम की स्थापना पर जोर दिया जाता है। हर एआईसी को पाँच वर्ष की अवधि में 10 करोड़ रुपये का अनुदान दिया जाता है। वर्ष 2016 के बाद से एआईएम ने 18 राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों में 68 अटल इनक्यूबेशन केंद्र स्थापित किये हैं, जो 2700 से अधिक स्टार्ट-अप की सहायता करते हैं। नीति आयोग द्वारा जारी एक ताजा वक्तव्य में यह जानकारी प्रदान की गई है। इसे भी पढ़ें: प्लास्टिक कचरे से कलात्मक चीजें बना रहे हैं छात्र एसीआईसी की परिकल्पना में स्टार्ट-अप और नवाचारी इको-सिस्टम को ध्यान में रखते हुये देश के उन सभी हिस्सों को शामिल किया गया है, जहाँ तक नवाचारी इको-सिस्टम की पहुँच सीमित है। हर एसीआईसी को पाँच वर्षों के समय में 2.5 करोड़ रुपये का अनुदान दिया जाता है। एआईएम ने देशभर में 14 अटल कम्यूनिटी इनोवेशन केंद्र स्थापित किये हैं। नीति आयोग के सीईओ परमेश्वरन अय्यर ने कहा है कि “विकास के लिये नवाचार एक अद्वितीय माध्यम है और नवाचार में तेजी लाने वाले माध्यम को सामाजिक उद्यमशीलता के साथ जोड़ा जाना चाहिये।” उन्होंने भारत के लिये नवोन्मेष करने और भारत से नवोन्मेष करने में देश के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के माननीय प्रधानमंत्री की परिकल्पना पर भी बल दिया। इसे भी पढ़ें: अनुसंधान के लिए भारतीय विज्ञान संस्थान और नौसेना में करार एआईएम के मिशन निदेशक डॉ चिन्तन वैष्णव ने कहा है, “राष्ट्र के रूप में पाँच ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनने के लिये स्टार्ट-अप इको-सिस्टम की तरफ से भरपूर सहयोग और समर्थन की जरूरत है, और अटल इनोवेशन मिशन इसके लिये प्रतिबद्ध है। आज हम देखते हैं कि समावेशी इनक्यूबेशन पहल पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है, जिससे अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों को लाभ होगा।” नीति आयोग द्वारा शुरू किए अटल इनोवेशन मिशन का उद्देश्य स्कूल, विश्वविद्यालयो, अनुसंधान संस्थानों, लघु, कुटीर एवं मध्यम उपक्रमों और उद्योग स्तरों पर नवाचार एवं उद्यमिता का एक पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करना है। इस मिशन के अंतर्गत बुनियादी ढांचे के निर्माण और संस्था निर्माण दोनों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। अटल इनक्यूबेशन केंद्र (एआईसी) के लिए https://aimapp2.aim.gov.in/aic2022/, और अटल कम्यूनिटी इनोवेशन केंद्र (एसीआईसी) के लिए आवेदक https://acic.aim.gov.in/acic-application/ लिंक के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं। (इंडिया साइंस वायर)
सरकारी नौकरियों और सरकारी रिजल्ट के बारे में आपको जानकारी देने के लिए हम लेकर आए हैं यह लाइव ब्लॉग, जहां आपको हर छोटी बड़ी भर्तियों और रिजल्ट की जानकारी मिलेगी।
SSC CHSL Result 2022: एसएससी सीएचएसएल टियर-1 परीक्षा का परिणाम जारी, ऐसे चेक करें
कर्मचारी चयन आयोग की ओर से CHSL Tier-1 परीक्षा का आयोजन 24 मई, 2022 से लेकर 10 जून, 2022 के बीच किया गया था। परीक्षा देशभर के विभिन्न शहरों में निर्धारित केंद्रों पर हुई थी।
Agneepath scheme के लिए 59,000 से अधिक पंजीकरण
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बढ़ती महंगाई के बीच वॉलमार्ट ने 200 कर्मचारियों की छंटनी की
खुदरा दिग्गज वॉलमार्ट ने कम से कम 200 कॉर्पोरेट कर्मचारियों की...
BPSC 66th Final Results Out: बीपीएससी 66वीं संयुक्त परीक्षा का परिणाम जारी, जानें टॉपर्स और कट ऑफ
बीपीएससी 66वीं संयुक्त परीक्षा का परिणाम जारी, जानें टॉपर्स और कट ऑफ
Fintech प्लेटफॉर्म रॉबिनहुड ने 713 कर्मचारियों को नौकरी से निकाला
Fintech प्लेटफॉर्म रॉबिनहुड ने 713 कर्मचारियों को नौकरी से निकाला
सीयूईटी यूजी : अगस्त की सभी परीक्षाओं के लिए जारी हुए एडमिट कार्ड
चार अगस्त से देशभर के करीब 7 लाख छात्रों के लिए कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी)...
वर्तमान समय में हेल्थकेयर सेक्टर बहुत तेज़ी से विकास कर रहा है। ऐसे में फार्मेसी सेक्टर में भी कॅरियर की अपार संभावनाएं हैं। इस क्षेत्र में सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों में कॅरियर के ऑप्शन उपलब्ध हैं। इसके अलावा आप इस फील्ड में खुद का बिजनेस भी शुरू कर सकते हैं। आज के इस लेख में हम आपको बताएंगे कि आप फार्मेसी सेक्टर में कॅरियर कैसे बना सकते हैं - योग्यता फार्मासिस्ट बनने के लिए फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथ्स और बायोलॉजी के साथ 12वीं पास होना जरुरी है। 12वीं के बाद आप फार्मेसी में डिप्लोमा कोर्स (डी फार्म) कर सकते हैं। इसके अलावा आप बारहवीं के बाद फार्मेसी में ग्रेजुएशन डिग्री (बी फार्म) भी हासिल कर सकते हैं। यदि आप बी फार्म करते हैं तो आप उसके बाद फार्मेसी में मास्टर डिग्री (एम फार्म) और डॉक्टर ऑफ फार्मेसी (फार्म डी) भी कर सकते हैं। इसे भी पढ़ें: वॉयस-ओवर कलाकार कैसे बनें और क्या हैं इसके लिए आवश्यक कौशल कहाँ मिलेगी नौकरी हॉस्पिटल फार्मेसी क्लिनिकल फार्मेसी टेक्निकल फार्मेसी रिसर्च एजेंसीज मेडिकल डिस्पेंसिंग स्टोर सेल्स ऐंड मार्केटिंग डिपार्टमेंट एजुकेशनल इंस्टिट्यूट्स हेल्थ सेंटर्स मेडिकल रिप्रेजेन्टेटिव क्लिनिकल रिसर्चर मार्किट रिसर्च ऐनालिस्ट मेडिकल राइटर ऐनालिटिकल केमिस्ट फार्मासिस्ट ऑन्कॉलजिस्ट रेग्युलेटरी मैनेजर क्या होगी सैलरी फार्मेसी में डिग्री कोर्स और ट्रेनिंग के बाद बतौर फार्मासिस्ट आपको लगभग 25 हजार रूपए महीने सैलरी मिलती है। वहीं, रिसर्च के क्षेत्र में आपको 40 हजार रुपए तक सैलरी मिल सकती है। अनुभव बढ़ने के साथ-साथ सैलरी भी बढ़कर 40,000 रूपए महीने तक हो सकती है। इसे भी पढ़ें: 12वीं के बाद फॉरेस्ट्री के क्षेत्र में बनाएं अपना कॅरियर, जानें कोर्स, स्कोप, जॉब और सैलरी NIRFरैंकिंग लिस्ट हर साल शिक्षा मंत्रालय एनआईआईएफ रैंकिंग लिस्ट (NIRF Ranking List) के जरिए भारत के टॉप फार्मेसी कॉलेज की लिस्ट जारी करता है। इस लिस्ट के जरिए छात्र कॉलेज की रैंकिंग के बारे में जान पाते हैं, जिससे उन्हें कॉलेज चुनने में आसानी होती हैं। 1. जामिया हमदर्द, दिल्ली 2. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, तेलंगाना 3. पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ 4. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च मोहाली, पंजाब 5. बिरला प्रौद्योगिकी और विज्ञान संस्थान रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान, राजस्थान 6. जेएसएस कॉलेज ऑफ फार्मेसी ऊटी, तमिलनाडु 7. रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान, महाराष्ट्र 8. जेएसएस कॉलेज ऑफ फार्मेसी मैसूर, कर्नाटक 9. मणिपाल कॉलेज ऑफ फार्मास्युटिकल साइंसेज, कर्नाटक 10. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, गुजरात 11. एसवीकेएम के नरसी मोंजी इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज, मुंबई 12. एस.आर.एम. विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान चेन्नई, तमिलनाडु 13. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च गुवाहाटी, असम 14. अमृता विश्व विद्यापीठम कोयंबटूर, तमिलनाडु 15. अन्नामलाई विश्वविद्यालय अन्नामलाईनगर, तमिलनाडु 16. महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय वडोदरा, गुजरात 17. एमिटी विश्वविद्यालय गौतमबुद्ध नगर उत्तर प्रदेश 18. जादवपुर विश्वविद्यालय कोलकाता, पश्चिम बंगाल 19. लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी फगवाड़ा, पंजाब 20. चितकारा विश्वविद्यालय राजपुरा, पंजाब 21. फार्मेसी के पूना कॉलेज पुणे, महाराष्ट्र 22. दिल्ली फार्मास्युटिकल साइंसेज एंड रिसर्च यूनिवर्सिटी दिल्ली 23. बनस्थली विद्यापीठ बनस्थली राजस्थान 24. महर्षि मार्कंडेश्वर अंबाला, हरियाणा 25. पंजाबी विश्वविद्यालय पटियाला, पंजाब 26. पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय बठिंडा, पंजाब 27. राष्ट्रीय औषधि शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान रायबरेली लखनऊ, उत्तर प्रदेश 28. निरमा विश्वविद्यालय अहमदाबाद, गुजरात 29. आईएसएप कॉलेज ऑफ फार्मेसी मोगा पंजाब 30. महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय - प्रिया मिश्रा
अनुसंधान के लिए भारतीय विज्ञान संस्थान और नौसेना में करार
बेंगलूरू स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान और भारतीय नौसेना के बीच हुई एक नई साझेदारी के बाद दोनों पक्ष अब विमानन अनुसंधान और विकास के क्षेत्र में मिलकर काम करेंगे। इस पहल के अंतर्गत ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लक्ष्यों के अनुरूप भारतीय नौसेना की आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने की दिशा में बढ़ने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इस साझेदारी के तहत भारतीय विज्ञान संस्थान और भारतीय नौसेना डिजाइन और शिक्षा प्रौद्योगिकी सहित एयरोस्पेस / वैमानिकी इंजीनियरिंग के क्षेत्र में परस्पर समन्वय से कार्य करेंगे। इस तालमेल के अंतर्गत प्रणोदन एवं प्रणोदन प्रणाली, इस्पात प्रौद्योगिकी, धातुकर्म एवं सामग्री विज्ञान, संक्षारण विज्ञान, सिस्टम एवं नियंत्रण, इंस्ट्रुमेंटेशन एवं सेंसर, पर्यावरण विज्ञान एवं इंजीनियरिंग, ऊर्जा विज्ञान एवं इंजीनियरिंग, प्रबंधन (तकनीकी और रसद), औद्योगिक इंजीनियरिंग एवं परिचालन अनुसंधान, नैनो प्रौद्योगिकी एवं एमईएमएस (माइक्रो इलेक्ट्रो-मैकेनिकल सिस्टम), आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डेटा एनालिटिक्स एवं मशीन लर्निंग जैसे विषयों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। भारतीय विज्ञान संस्थान द्वारा इस संबंध में जारी वक्तव्य में कहा गया है कि यह साझेदारी भारतीय नौसेना को भारतीय विज्ञान संस्थान में संबंधित संकाय सदस्यों के साथ मिलकर पारस्परिक हित के क्षेत्रों में संयुक्त अनुसंधान कार्यक्रमों को बढ़ावा देने के लिए औपचारिक आधार प्रदान करेगी। इसे भी पढ़ें: संकटग्रस्त ‘मैंग्रोव पारिस्थितिक तंत्र’ के संरक्षण की जरूरत! कैप्टन श्रीधर वारियर, रजिस्ट्रार, भारतीय विज्ञान संस्थान; और कैप्टन पी. विनयगम, कैप्टन (एपीपी), भारतीय नौसेना द्वारा समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए हैं। इस अवसर पर रियर एडमिरल दीपक बंसल, वीएसएम, एसीएनएस (एयर मैटेरियल) और कमोडोर राजा विनोद, कमोडोर अधीक्षक, एनएवाई (गोवा) सहित नौसेना के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। भारतीय विज्ञान संस्थान में मैकेनिकल साइंस डिविजन से सम्बद्ध विभागों; और अनुसंधान अनुदान कार्यालय के प्रमुख भी इस अवसर पर उपस्थित थे। इसे भी पढ़ें: शोधकर्ताओं ने कृषि कचरे से रोगाणुरोधी कोटिंग विकसित की कैप्टन श्रीधर वारियर ने कहा कि “पारस्परिक हित के इन महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भारतीय नौसेना के साथ सहयोग करना हमारे लिए सौभाग्य की बात है। हम इस साझेदारी से उभरने वाले कई रोमांचक अनुसंधान और विकास परिणामों की आशा करते हैं।” इस पहल से भारतीय विज्ञान संस्थान के संकाय सदस्यों और भारतीय नौसेना के अधिकारियों के बीच नियमित तौर पर परस्पर सहयोग को भी बढ़ावा मिलने की उम्मीद की जा रही है। (इंडिया साइंस वायर)
एयर होस्टेस/ केबिन क्रू एयर होस्टेस/ केबिन क्रू
सीयूईटी पीजी की तारीख घोषित, 1 से 11 सितंबर तक चलेगी परीक्षा
पीजी दाखिलों के लिए कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी पीजी) की तारीख घोषित कर...
आईबीपीएस पीओ/IBPS PO भर्ती के लिए आवेदन प्रक्रिया की शुरुआत आज मंगलवार 02 अगस्त, 2022 से शुरू कर दी जाएगी। संस्थान ने आवेदन की आखिरी तारीख 22 अगस्त, 2022 तक निर्धारित की है।
TNPSC recruitment 2022: इस राज्य लोक सेवा आयोग में हजार से अधिक पदों पर भर्ती, ऐसे करें आवेदन
तमिलानाडु लोक सेवा आयोग की ओर से जारी की गई इस भर्ती के लिए आवेदन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इच्छुक उम्मीदवार अपना आवेदन जल्द से जल्द करें।
PPSC Recruitment 2022: पंजाब पीएससी में निकलीं सीनियर असिस्टेंट के पद पर भर्ती, मिलेगा शानदार वेतन
पंजाब लोक सेवा आयोग की ओर से जारी की गई सीनियर असिस्टेंट (अकाउंट) ग्रुप-बी भर्ती में रिक्त पदों की कुल संख्या 30 निर्धारित की गई है।
प्रेशर में कैसे रखें खुद को शांत? इन टिप्स की मदद से कर पाएंगे बेहतर परफॉर्म
किसी भी कठिन परिस्थिति में तनाव या चिंता होना स्वाभाविक है। लेकिन केवल टॉप परफॉर्मेस को पता होता है कि उन्हें प्रेशर के दौरान खुद को कैसे शांत रखना है। किसी भी प्रेशर या तनाव वाली स्थिति में आप खुद को शांत रख कर अपनी कार्यक्षमता को सुधार सकते हैं। हालांकि ऐसी स्थिति में खुद की इमोशंस को कंट्रोल करना मुश्किल है। लेकिन अगर आप यह कला सीख लें तो आपकी परफॉर्मेंस में काफी सुधार आ सकता है। आज के इस लेख में हम आपको बताएंगे कि आप किस तरह प्रेशर के दौरान भी खुद को शांत रख सकते हैं- जो है, उसकी अहमियत पहचानें अगर आप प्रेशर में खुद को शांत रखना चाहते हैं तो आपके पास जो है, उसकी अहमियत को पहचानें। जो आपके पास नहीं है, उसे पाने के चक्कर में, जो आपके पास है उसे नजरंदाज ना करें। ऐसा करने से आपके स्ट्रेस हॉर्मोन में कमी आएगी और मूड भी अच्छा तरह। इससे आप काम बेहतर ढंग से कर पाएंगे। इसे भी पढ़ें: वॉयस-ओवर कलाकार कैसे बनें और क्या हैं इसके लिए आवश्यक कौशल काम शुरू करने से पहले ही परिणाम के बारे में ना सोचें किसी भी कठिन परिस्थिति में घबराहट होना सामान्य है। लेकिन अगर आप किसी भी काम को शुरू करने से पहले ही उसके परिणाम के बारे में सोचकर डरते रहेंगे तो इससे आपकी परफॉर्मेंस खराब होगी। इसलिए बेहतर है कि आप डर को अपने मन से निकाल दें और अपने काम को अच्छी तरह पूरा करने पर ही ध्यान दें। ब्रेक है जरूरी काम के दौरान नियमित रूप से ब्रेक लेना भी जरूरी है। अगर आप लगातार काम करते रहेंगे तो उससे फ्रेश होना स्वाभाविक है। ऐसे में कुछ देर के लिए खुद को काम से दूर करें। इस दौरान अपने फोन से भी दूरी बना लें और सिर्फ आराम करें। ऐसा करने से आप खुद को प्रेशर या स्ट्रेस की स्थिति से बचा सकते हैं। इसे भी पढ़ें: 12वीं के बाद फॉरेस्ट्री के क्षेत्र में बनाएं अपना कॅरियर, जानें कोर्स, स्कोप, जॉब और सैलरी पॉजिटिव सोचें जीवन में सकारात्मक रहते हुए आप कठिन से कठिन परिस्थिति को भी पार कर सकते हैं। सकारात्मक विचार प्रेशर और स्ट्रेस को कम करने में मदद करते हैं। प्रेशर के स्थिति में अपने दिमाग को शांत रखते हुए अच्छी चीजों के बारे में सोचिए। - प्रिया मिश्रा
SSC CGL Admit Card: एसएससी सीजीएल 2021 टीयर-2 के प्रवेश पत्र जारी, ऐसे चेक करें
कर्मचारी चयन आयोग की ओर से CGL 2021 Tier-II परीक्षा का आयोजन 8 और 10 अगस्त, 2022 को किया जाना निर्धारित किया गया है।
रिवियन ने लगभग 800 कर्मचारियों को अलविदा कहा : रिपोर्ट
अपने इलेक्ट्रिक वाहनों के भविष्य के संस्करणों को बेहतर बनाने के उद्देश्य से इलेक्ट्रिक...
संकटग्रस्त ‘मैंग्रोव पारिस्थितिक तंत्र’ के संरक्षण की जरूरत!
मैंग्रोव उष्ण-कटिबंधीय वृक्ष और झाड़ियाँ हैं, जो ज्वारीय क्षेत्रों में समुद्र के किनारे, लवणीय दलदल और कीचड़ भरे तटों पर पाये जाते हैं। जलवायु परिवर्तन का सामना करने, जैव विविधता की रक्षा, और सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाओं के जोखिम को कम करने में मैंग्रोव अहम् भूमिका निभाते हैं। समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र की मजबूत कड़ी होने के साथ-साथ पर्यावरण, अर्थव्यवस्था तथा समुदायों को लाभ पहुँचाने के लिए विख्यात मैंग्रोव विभिन्न मानवीय गतिविधियों के कारण आज स्वयं संकट में हैं। जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) के एक अनुमान के मुताबिक दुनियाभर में करीब 67% मैंग्रोव आवास नष्ट हो चुके हैं, या फिर उनका क्षरण हो रहा है। सुंदरबन, भितरकनिका, पिचवरम, चोराओ और बाराटांग इत्यादि भारत के कुछ खूबसूरत मैंग्रोव क्षेत्रों के रूप में जाने जाते हैं, जो आज सबसे अधिक संकटग्रस्त मैंग्रोव पट्टियों में शामिल हैं। इसे भी पढ़ें: शोधकर्ताओं ने कृषि कचरे से रोगाणुरोधी कोटिंग विकसित की मैंग्रोव दुनिया में पेड़ों की एकमात्र प्रजाति है, जो खारे पानी को सहन करने में सक्षम है। मैंग्रोव जैव-विविधता का एक अनूठा पारिस्थितिकी तंत्र है, जिसमें सैकड़ों मछलियाँ, सरीसृप, कीट, सूक्ष्मजीव, शैवाल, पक्षी और स्तनपायी प्रजातियाँ पायी जाती हैं। वे ज्वार की लहरों के अवशोषक के रूप में कार्य करते हैं, और अपनी उलझी हुई जड़ प्रणालियों के साथ तलछट को स्थिर करके मिट्टी के कटाव को रोकने में मदद करते हैं। मैंग्रोव न केवल जीवों एवं पादप प्रजातियों को आवास प्रदान करते हैं, बल्कि उनकी खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए, तटीय समुदाय के लोगों के जीवन का समर्थन करने के साथ-साथ कार्बन सिंक के रूप में भी प्रभावशाली भूमिका निभाते हैं। मैंग्रोव आवास क्षेत्र; उन्हें दुनिया के अधिकांश निम्न और मध्यम आय वाले देशों में विशेष रूप से महत्वपूर्ण बनाते हैं, जहाँ वे पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं और आजीविका की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करते हैं। वन सर्वेक्षण रिपोर्ट (आईएसएफआर)-2021 के मुताबिक देश में कुल मैंग्रोव क्षेत्र 4,992 वर्ग किलोमीटर है। वन सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, यह सही है कि वर्ष 2019 के आकलन की तुलना में देश के मैंग्रोव क्षेत्र में 17 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है। लेकिन, नुकसान के अनुपात में यह भरपाई नाकाफी ही कही जाएगी। मैंग्रोव क्षेत्र में वृद्धि दिखाने वाले शीर्ष तीन राज्य ओडिशा (08 वर्ग किलोमीटर), इसके बाद महाराष्ट्र (04 वर्ग किलोमीटर) और कर्नाटक (03 वर्ग किलोमीटर) हैं। अन्य तटीय राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को भी इस दिशा में प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है, जिससे मैंग्रोव कवर को बढ़ाया जा सके। इसे भी पढ़ें: कुशल बैटरी विकसित करने में मदद करने के लिए नया कम्प्यूटेशनल ढांचा मैंग्रोव के महत्व को देखते हुए इसके संरक्षण की तीव्रता से आवश्यकता महसूस की जा रही है। संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) मैंग्रोव की निगरानी, वैज्ञानिक अनुसंधान और सतत् उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए गहनता से कार्य कर रहा है। यूनेस्को द्वारा निर्दिष्ट साइटों, जैसे बायोस्फीयर रिजर्व, विश्व धरोहर स्थलों और ग्लोबल जियोपार्क में मैंग्रोव को शामिल करने से दुनियाभर में मैंग्रोव पारिस्थितिक तंत्र से संबंधित ज्ञान, प्रबंधन और संरक्षण गतिविधियों में सुधार करने में योगदान मिलता है। अन्नामलाई विश्वविद्यालय के मानद प्रोफेसर और यूजीसी-बीएसआर फैकल्टी फेलो के. काथिरेसन ने अत्यधिक दोहन, खराब प्रबंधन, बुनियादी ढांचे के उपयोग में वृद्धि, तेजी से बढ़ती जलीय कृषि और चावल की खेती को मैंग्रोव क्षेत्रों के संकटग्रस्त होने के कारणों के रूप में रेखांकित किया है। प्रोफेसर काथिरेसन मैंग्रोव की मैपिंग, और इस तरह सर्वाधिक उपयुक्त मैंग्रोव प्रजातियों का चयन करके, मैंग्रोव पट्टियों को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता पर जोर देते हैं। भारत में मैंग्रोव संरक्षण एवं संवर्द्धन की पहल सरकारी एवं गैर-सरकारी स्तरों पर की जा रही है। सरकार ने देश में वनों के संरक्षण और संवर्धन के लिए प्रोत्साहन के साथ-साथ नियामक उपायों के माध्यम से कदम उठाए हैं। मैंग्रोव और प्रवाल भित्तियों के संरक्षण और प्रबंधन पर राष्ट्रीय तटीय मिशन कार्यक्रम के अंतर्गत जागरूकता प्रसार के प्रयास किये जा रहे हैं। इसके तहत, सभी तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मैंग्रोव संरक्षण और प्रबंधन के लिए वार्षिक कार्ययोजना कार्यान्वित की जाती है। हाल में, भारत की जिन पाँच आर्द्रभूमियों को रामसर की अंतरराष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि के रूप में मान्यता मिली है, उनमें तमिलनाडु का पिचवरम मैंग्रोव क्षेत्र शामिल है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय तटीय संसाधनों के संरक्षण के उद्देश्य से तीन राज्यों - गुजरात, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के तटीय हिस्सों में एकीकृत तटीय क्षेत्र प्रबंधन परियोजना का संचालन कर रहा है, जिसकी गतिविधियों में मैंग्रोव का रोपण उल्लेखनीय रूप से शामिल है। इसके अलावा, महाराष्ट्र सरकार द्वारा मैंग्रोव संरक्षण के लिए समर्पित एक ‘मैंग्रोव सेल’ की स्थापना की गई है। मैंग्रोव और समुद्री जैव विविधता संरक्षण फाउंडेशन भी मैंग्रोव कवर को बढ़ाने और वन विभाग के तहत अनुसंधान और आजीविका गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया है। इसे भी पढ़ें: एंटी-बायोटिक प्रतिरोधी बैक्टीरिया का मुकाबला करने के लिए नई रणनीति केरल के वेम्बनाड और कन्नूर क्षेत्रों में मैंग्रोव का संरक्षण और प्रबंधन, तटीय क्षेत्रों में रोपण के लिए कैसुरिना के पौधे और मैंग्रोव से जुड़ी प्रजातियों को जनता को वितरित किया जाता है। वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (WWF) द्वारा महाराष्ट्र, गोवा, गुजरात, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक समेत नौ तटीय राज्यों के नागरिकों को ‘मैजिकल मैंग्रोव’ अभियान के माध्यम से मैंग्रोव संरक्षण से जोड़ने की पहल की गई है। यह जानकारी, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे द्वारा कुछ समय पूर्व राज्य सभा में प्रदान की गई है। मैंग्रोव संरक्षण और प्रबंधन के लिए; सर्वेक्षण एवं सीमांकन, वैकल्पिक एवं पूरक आजीविका, सुरक्षा उपायों और शिक्षा तथा जागरूकता गतिविधियों सहित कार्य-योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए केंद्र प्रायोजित योजना के तहत सरकार तटीय राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को सहायता प्रदान करती है। पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986; वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972; भारतीय वन अधिनियम, 1927; जैव विविधता अधिनियम, 2002; और समय-समय पर संशोधित इन अधिनियमों से जुड़े नियमों के तहत तटीय विनियमन क्षेत्र (सीआरजेड) अधिसूचना (2019) के माध्यम से विभिन्न नियामक उपाय इन प्रयासों को बल प्रदान करते हैं। जलीय प्रदूषण के अन्य स्रोतों के साथ-साथ तटीय क्षेत्रों में प्लास्टिक एवं अन्य कचरा जमा होने से भी मैंग्रोव वनों को नुकसान हुआ है। इस बात को पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने समझा है, और 75 दिनों तक चलने वाला अब तक का सबसे व्यापक समुद्र तटीय स्वच्छता अभियान शुरू किया है। 05 जुलाई को शुरू हुए ‘स्वच्छ सागर - सुरक्षित सागर’ नामक इस अभियान का औपचारिक समापन 17 सितंबर, 2022 को ‘अंतरराष्ट्रीय तटीय स्वच्छता दिवस’ के अवसर पर होगा। स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में भारत की 7500 किलोमीटर लंबी समुद्री तटरेखा की सफाई के लिए शुरू किया गया ‘स्वच्छ सागर - सुरक्षित सागर’ अभियान नागरिकों की व्यापक भागीदारी के साथ संचालित किया जा रहा है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अलावा, पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS), भारतीय तटरक्षक बल, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, सीमा जागरण मंच, एसएफडी, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, पर्यावरण संरक्षण गतिविधि, और अन्य सामाजिक संगठनों एवं शैक्षणिक संस्थानों की भागीदारी से यह अभियान संचालित किया जा रहा है। उम्मीद की जानी चाहिए कि जन-भागीदारी से तटीय स्वच्छता सुनिश्चित करने के साथ-साथ मैंग्रोव पारिस्थितिक तंत्र के संरक्षण में मदद मिल सकेगी। (इंडिया साइंस वायर)
वॉयस-ओवर कलाकार कैसे बनें और क्या हैं इसके लिए आवश्यक कौशल
यदि आपके पास अच्छा अभिनय कौशल और एक अच्छी आवाज है तो आप एक आवाज अभिनेता बनने के लिए प्रयास करना शुरू कर सकते हैं। अच्छी आवाज के अभिनय में बहुत मेहनत, धैर्य और लगन की आवश्यकता होती है, लेकिन यह एक मजेदार अनुभव भी हो सकता है। वॉयस-ओवर अभिनेता क्या होता है? एक वॉयस-ओवर अभिनेता ऐसा कलाकार होता है जो अपनी आवाज का उपयोग विज्ञापनों, एनीमेशन, ऑडियोबुक, वीडियो गेम और शैक्षिक सामग्री के मनोरंजन, वर्णन या बाजार के उत्पादों के लिए करता है। मिमिक्री या चरित्र आवाजों के अलावा एक आवाज अभिनेता के पास अभिनय कौशल भी होना चाहिए। चूंकि आवाज अभिनेताओं को परदे पर कम ही देखा जाता है इसलिए उनकी आवाज ही उनकी भावनाओं को व्यक्त करने का एकमात्र साधन होती है। वॉइस-ओवर एक्टर्स को हमेशा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन देने के लिए अच्छी तरह से अभ्यास करना चाहिए और अपने मुखर कौशल में सुधार करना चाहिए। इसे भी पढ़ें: 12वीं के बाद फॉरेस्ट्री के क्षेत्र में बनाएं अपना कॅरियर, जानें कोर्स, स्कोप, जॉब और सैलरी वॉयस-ओवर अभिनेता क्या करता है? एक आवाज अभिनेता कॉपी, स्क्रिप्ट, या अन्य लिखित सामग्री को पढ़ता है और रिकॉर्ड करता है और परियोजना की आवश्यकताओं के आधार पर सीधे या प्रदर्शनात्मक रूप से लाइनें वितरित करता है। कार्यक्रम या साउंडबाइट के लिए आवश्यक प्रदर्शन प्राप्त करने के लिए अलग-अलग डिलीवरी प्रदान करता है, त्रुटिहीन रूप से उच्चारण करता है और अपना स्वर बदलता है। वॉयस-ओवर अभिनेता कार्टून, एनीमे, वीडियो गेम, विज्ञापनों, कथन, ऑडियोबुक, डबिंग, ई-लर्निंग और प्रोमो के लिए अपनी आवाज प्रदान करते हैं। कई पेशेवर वॉयस-ओवर कलाकारों ने रिकॉर्डिंग, ऑडिशन या अभ्यास के लिए अपनी एक ध्वनिरोधी होम स्टूडियो की स्थापना भी की है। वॉयस-ओवर अभिनेता कैसे बनें? एक सफल आवाज-अभिनय कॅरियर स्थापित करने के लिए आप यहां कुछ इस तरह के कदम उठा सकते हैं: 1. अभिनय कक्षाएं लें सकते हैं। ध्वनि अभिनय केवल एक पृष्ठ पर शब्दों को पढ़ना नहीं है बल्कि इसके लिए अच्छे अभिनय कौशल की आवश्यकता होती है। एक अभिनय कोच के साथ ट्रेनिंग लेना आपकी क्षमताओं को सुधारने और परिष्कृत करने में मदद कर सकता है, जिससे आप अधिक आत्मविश्वास और विश्वसनीय कलाकार बन सकते हैं। 2. एक आवाज-अभिनय कोच किराए पर लें सकते हैं। फनी आवाज का उपयोग करने या इंप्रेशन बनाने से ज्यादा आवाज अभिनय की आवश्यकता होती है। एक आवाज-अभिनय कोच आपके तकनीकी कौशल जैसे श्वास, उच्चारण, अभिव्यक्ति और वितरण को बेहतर बनाने में आपकी मदद कर सकता है ताकि आप जान सकें कि प्रत्येक पंक्ति को यथासंभव सर्वश्रेष्ठ कैसे किया जाए। 3. पेशेवरों को सुन सकते हैं। अपने पसंदीदा पेशेवर आवाज अभिनेता के काम का अध्ययन करने के लिए विज्ञापन, कार्टून देखें या वीडियो गेम खेलें। उनकी डिलीवरी में उनके द्वारा किए गए विकल्पों को सुनें और इस बात पर ध्यान दें कि वे अपने स्वर और परिवर्तन को कैसे बदलते हैं। पेशेवर आवाज अभिनेता विशिष्ट भूमिकाओं तक कैसे पहुंचते हैं, इस बारे में सुझाव प्राप्त करने के लिए आप वॉयस-एक्टिंग पॉडकास्ट भी सुन सकते हैं। 4. एक डेमो रिकॉर्ड करें। एक वॉयस-ओवर डेमो रील एक पारंपरिक अभिनेता के लिए सिज़ल रील के समान है, सिवाय इसके कि कोई अकंपनी विसुअल नहीं हो। एक आवाज प्रतिभा की पेशेवर डेमो रील अनिवार्य रूप से विभिन्न आवाजों में प्रदर्शन की गई विभिन्न पंक्तियों या संवादों का एक मिश्रण होता है। अधिकांश आवाज अभिनेताओं के पास उनकी व्यावसायिक क्षमताओं और चरित्र कार्य के लिए अलग-अलग डेमो होते हैं। आप इन डेमो को ऑडिशन साइटों पर अपलोड कर सकते हैं या प्रतिभा एजेंसियों को देख सकते हैं जो अवांछित सबमिशन स्वीकार करेंगे और संभावित रूप से आपको क्लाइंट के रूप में ले सकते हैं। 5. ऑडिशन आवाज-अभिनय प्रक्रिया का एक अनिवार्य हिस्सा होता है क्योंकि यह शो करता है कि आप कैसे नौकरी करते हैं। केवल उन भूमिकाओं के लिए ऑडिशन दें जो अनावश्यक अस्वीकृति को दूर करने के लिए आपकी प्रतिभा के लिए सबसे उपयुक्त हों। इंटरनेट पर ओपन कास्टिंग कॉल की तलाश करें या एक समर्पित वॉयस टैलेंट वेबसाइट खोजें जहां आप ऑडिशन ढूंढ और जमा कर सकें। अपने ऑडिशन को रिकॉर्ड करने से पहले अपने पक्ष पढ़ें, अच्छे उच्चारण का अभ्यास करें और धूम्रपान या अम्लीय पेय पीने से बचें। 6. अभ्यास करें। जब आप पेशेवर रिकॉर्डिंग स्टूडियो में न हों तब भी अभ्यास करना महत्वपूर्ण होता है। कई पेशेवर वॉयस-ओवर अभिनेताओं के पास वॉयस-ओवर अभिनय ऑडिशन रिकॉर्ड करने और उनके रिकॉर्डिंग कौशल को दिखाने के लिए होम स्टूडियो हैं। एक बार जब आपका पूरा सेटअप तैयार हो जाए तो कॉपी पढ़ने और अपनी रिकॉर्डिंग को सुनने का अभ्यास करें। अभ्यास से आपको एक पेशेवर-ध्वनि वाली आवाज़ विकसित करने में मदद मिलेगी जो कास्टिंग निर्देशकों और दर्शकों को पसंद आएगी। 7. आप रोजगार के अवसरों के लिए नेटवर्किंग का उपयोग कर सकते हैं, दोस्ती बना सकते हैं, और अपने आवाज-अभिनय करियर के विभिन्न पहलुओं के बारे में अधिक जान सकते हैं। अपने सोशल नेटवर्क का विस्तार करने से आपके किसी जानने वाले के माध्यम से अवसर आने की संभावना बढ़ सकती है। नेटवर्किंग एक दोतरफा रास्ता है और अपने कनेक्शन को किसी भी तरह से मदद करने के लिए यह महत्वपूर्ण होता है। इसे भी पढ़ें: IIM में पढ़ने का है सपना तो जरूर जान लें कोर्सेज, फीस और एडमिशन प्रोसेस एक सफल आवाज अभिनेता बनने के लिए आवश्यक स्किल्स एक सफल आवाज अभिनेता को धाराप्रवाह रूप से पढ़ना चाहिए। ऑडियोबुक्स, लॉन्ग-फॉर्म नैरेशन, ई-लर्निंग मॉड्यूल और बहुत ऐसे मामले में यह कौशल आवश्यक होता है। एक आवाज अभिनेता को वह जो पढ़ रहा है उसके पीछे के इरादे को समझना चाहिए। इसके अलावा उसके पास उचित स्वर के साथ साथ निम्नलिखित कौशल भी होने चाहिए- - आवाज स्पष्टता और लचीलापन - अभिनय कौशल - तकनीकी ज्ञान - प्रवाह पढ़ना - जे. पी. शुक्ला
CTET 2022: आयोजित होते हैं दो पेपर्स, जानें किस पेपर में ज्यादा अभ्यर्थी हासिल करते हैं सफलता
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कुशल बैटरी विकसित करने में मदद करने के लिए नया कम्प्यूटेशनल ढांचा
माइग्रेशन बैरियर एक महत्वपूर्ण लेकिन खराब अध्ययन वाला पैरामीटर है जो बैटरी के प्रदर्शन को निर्धारित करता है। यह उस दर को निर्धारित करता है जिस पर आयन बैटरी के अंदर एक इलेक्ट्रोड के माध्यम से आगे बढ़ते हैं और अंततः वह दर जिस पर यह चार्ज या डिस्चार्ज होता है। क्योंकि लैब में माइग्रेशन बैरियर को मापना कठिन है, शोधकर्ता आमतौर पर माइग्रेशन बैरियर वैल्यू का शीघ्रता से अनुमान लगाने के लिए विभिन्न कंप्यूटर सिमुलेशन या सन्निकटन का उपयोग करते हैं। हालाँकि, इनमें से बहुत कम सिमुलेशन को अब तक प्रयोगात्मक रूप से सत्यापित किया गया है। एक नए अध्ययन में भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) के शोधकर्ताओं और उनके सहयोगियों ने व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली कम्प्यूटेशनल तकनीकों का व्यापक विश्लेषण किया। उन्होंने प्रयोगशाला माप में देखे गए वास्तविक डेटा के खिलाफ प्रवासन बाधा मूल्यों की अपनी भविष्यवाणियों को सत्यापित किया। उनके विश्लेषण के आधार पर, टीम शोधकर्ताओं को परीक्षण सामग्री के लिए सबसे सटीक कम्प्यूटेशनल ढांचा चुनने में मदद करने के लिए मजबूत दिशानिर्देशों का एक सेट प्रस्तावित करती है जिसका उपयोग भविष्य में अत्यधिक कुशल बैटरी विकसित करने के लिए किया जा सकता है। इसे भी पढ़ें: एंटी-बायोटिक प्रतिरोधी बैक्टीरिया का मुकाबला करने के लिए नई रणनीति लिथियम-आयन बैटरी, जो मोबाइल फोन और लैपटॉप को शक्ति प्रदान करती है, में तीन प्रमुख घटक होते हैं: एक ठोस नकारात्मक इलेक्ट्रोड (एनोड), एक ठोस सकारात्मक इलेक्ट्रोड (कैथोड), और एक तरल या ठोस इलेक्ट्रोलाइट जो उन्हें अलग करता है। चार्ज या डिस्चार्ज करते समय, लिथियम-आयन इलेक्ट्रोलाइट में माइग्रेट करते हैं, जिससे संभावित अंतर पैदा होता है। लिथियम-आयन बैटरी में इलेक्ट्रोड 100% ठोस नहीं होते हैं। उन्हें स्पंज की तरह समझें। उनके पास 'छिद्र' होते हैं जिनके माध्यम से लिथियम आयन को गुजरना पड़ता है, साई गौतम गोपालकृष्णन, सामग्री इंजीनियरिंग विभाग, आईआईएससी में सहायक प्रोफेसर और एनपीजे कम्प्यूटेशनल सामग्री में प्रकाशित पेपर के संबंधित लेखक बताते हैं। उस दर को निर्धारित करने वाला एक महत्वपूर्ण पैरामीटर जिस पर लिथियम आयन इन छिद्रों में प्रवेश करते हैं, प्रवासन बाधा है- इलेक्ट्रोड के माध्यम से पार करने के लिए आयनों को ऊर्जा सीमा को पार करने की आवश्यकता होती है। मैटेरियल्स इंजीनियरिंग विभाग में पीएचडी की छात्रा और अध्ययन की पहली लेखिका रेशमा देवी कहती हैं, माइग्रेशन बैरियर जितना कम होगा, आप उतनी ही तेज़ी से बैटरी को चार्ज या डिस्चार्ज कर सकते हैं। गोपालकृष्णन बताते हैं कि एक ही माइग्रेशन बैरियर मान की गणना एक समूह द्वारा एक कम्प्यूटेशनल तकनीक का उपयोग करके और दूसरे द्वारा दूसरी तकनीक का उपयोग करके की जाती है। मूल्य समान हो सकते हैं, लेकिन हम निश्चित रूप से यह नहीं जान सकते हैं।” इसे भी पढ़ें: एसटीईएम लाया लड़कियों का आभासी समुदाय बनाने के लिए नया ऐप दो विशिष्ट सन्निकटन, जिन्हें स्ट्रॉन्गली कॉन्स्ट्रेन्ड एंड लगभग नॉर्म्ड (SCAN) और जनरलाइज्ड ग्रैडिएंट एप्रोक्सिमेशन (GGA) कहा जाता है, कम्प्यूटेशनल रूप से माइग्रेशन बैरियर तक पहुंचने के लिए सबसे व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली विधियाँ हैं, लेकिन प्रत्येक के अपने नुकसान हैं। हमने नौ अलग-अलग सामग्री ली, रेशमा देवी बताती हैं। हमने जाँच की कि कौन से सन्निकटन प्रत्येक के लिए प्रायोगिक मूल्यों के सबसे करीब आते हैं। टीम ने पाया कि स्कैन कार्यात्मक में समग्र रूप से बेहतर संख्यात्मक सटीकता थी, लेकिन जीजीए गणना तेज थी। शोधकर्ताओं का सुझाव है कि जीजीए को विशिष्ट सामग्रियों (जैसे लिथियम फॉस्फेट) में माइग्रेशन बाधा की गणना में उचित स्तर की सटीकता मिली है, और यदि त्वरित अनुमान की आवश्यकता होती है तो यह एक बेहतर विकल्प हो सकता है। गोपालकृष्णन कहते हैं कि ऐसी अंतर्दृष्टि उन वैज्ञानिकों के लिए मूल्यवान हो सकती है जो बैटरी से संबंधित अनुप्रयोगों के लिए अनुकूलित होने से पहले अपने प्रदर्शन के लिए नई सामग्री का परीक्षण करना चाहते हैं। मान लीजिए कि आपके पास एक अज्ञात सामग्री है, और यदि आप जल्दी से यह देखना चाहते हैं कि यह सामग्री आपके आवेदन में उपयोगी है या नहीं, तो आप ऐसा करने के लिए गणनाओं का उपयोग कर सकते हैं, बशर्ते आप जानते हों कि कौन सा कम्प्यूटेशनल सन्निकटन आपको निकटतम मान देता है। जब सामग्री की खोज की बात आती है तो यह उपयोगी होता है। टीम मशीन लर्निंग टूल्स विकसित करने पर भी काम कर रही है जो विविध प्रकार की सामग्रियों के लिए माइग्रेशन बाधाओं की भविष्यवाणियों को तेज करने में मदद कर सकते हैं। (इंडिया साइंस वायर)
सीबीएसई बोर्ड: मार्क्स वेरिफिकेशन और उत्तरपुस्तिका की फोटो कॉपी हासिल कर सकते हैं छात्र
देशभर के ऐसे छात्र जो सीबीएसई 10वीं व 12वीं बोर्ड के परिणाम से संतुष्ट नहीं हैं, उनके लिए...
12वीं के बाद फॉरेस्ट्री के क्षेत्र में बनाएं अपना कॅरियर, जानें कोर्स, स्कोप, जॉब और सैलरी
अगर आपको प्रकृति से लगाव है तो आप फोरेस्ट्री में अपना कॅरियर बना सकते हैं। आज के समय में पर्यावरण का संरक्षण बहुत जरूरी हो गया है। इसी वजह से आज के समय में फॉरेस्ट्री स्पेशलिस्ट की मांग बढ़ रही है। आप 12वीं पास करने के बाद फॉरेस्ट्री में अपना कॅरियर बना सकते हैं। आज के इस लेख में हम आपको बताएंगे कि फॉरेस्ट्री में कॅरियर कैसे बनाएँ - पात्रता फॉरेस्ट्री में कॅरियर बनाने के लिए आपको 10+2 में फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी में पास होना जरूरी है। इसके बाद आप बीएससी फॉरेस्ट्री का कोर्स कर सकते हैं। इसके बाद आप फॉरेस्ट मैनेजमेंट, कॉमर्शियल फॉरेस्ट्री, फॉरेस्ट इकोनॉमिक्स, वुड साइंस एंड टेक्नोलॉजी, वाइल्डलाइफ साइंस, वेटेरिनरी साइंस आदि कोर्स कर सकते हैं। इसके अलावा आप एमफिल अथवा पीएचडी कर सकते हैं। कई ऐसे संस्थान हैं, जो पीजी डिप्लोमा इन फॉरेस्ट मैनेजमेंट का कोर्स कराते हैं। फॉरेस्ट्री में बैचलर डिग्री के बाद आप यूपीएससी द्वारा आयोजित इंडियन फॉरेस्ट सर्विस की परीक्षा में भी शामिल हो सकते हैं। इसे भी पढ़ें: IIM में पढ़ने का है सपना तो जरूर जान लें कोर्सेज, फीस और एडमिशन प्रोसेस कोर्स बीएससी इन फॉरेस्ट्री एमएससी इन फॉरेस्ट्री बीएससी इन वाइल्डलाइफ एमएससी इन वाइल्डलाइफ एमएससी इन वुड साइंस एंड टेक्नोलॉजी पीजी डिप्लोमा इन फॉरेस्ट मैनेजमेंट पीएचडी इन फॉरेस्ट्री कहाँ मिलेगी नौकरी इस क्षेत्र में बहुत सारे कैरियर के अवसर उपलब्ध हैं। कैरियर के अवसर सार्वजनिक के साथ-साथ निजी क्षेत्र में भी उपलब्ध हैं। सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों में जूलॉजिकल पार्क, वाइल्डलाइफ रेंज, लकड़ी के काम के लिए खुद के प्लांटेशन, वाइल्ड लाइफ रिसर्च इंस्टीट्यूट, इंडियन काउंसिल ऑफ फॉरेस्ट्री रिसर्च एंड एजुकेशन (ICFRE) और इसके संबद्ध संस्थान, वाइल्ड लाइफ डिपार्टमेंट, फॉरेस्ट डिपार्टमेंट, नेशनल पार्क और अभयारण्य में काम शामिल हैं। फॉरेस्टरी में स्नातक की डिग्री रखने वाले लोग केंद्रीय लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित भारतीय वन सेवा (IFS) परीक्षा के माध्यम से केंद्र सरकार के लिए आवेदन कर सकते हैं। आप लेक्चरर के पद के लिए कॉलेजों में भी आवेदन कर सकते हैं। आईएफएस : इंडियन फॉरेस्ट सर्विस यानी आईएफएस एग्जाम पास करने के बाद बतौर फॉरेस्ट रेंज ऑफिसर आपका काम जंगल की देखभाल, नए पौधे लगवाना और पेड़-पौधों की नई प्रजातियों की रक्षा करना है। यूपीएससी हर साल जुलाई में आईएफएस एग्जाम आयोजित करती है। इस एग्जाम के लिए प्री, मेन्स और इंटरव्यू तीन चरणों से होकर गुजरना पड़ता है। इसे भी पढ़ें: JEE Main एग्जाम की तैयारी कर रहे हैं तो फॉलो करें ये टिप्स, जरूर मिलेगी सफलता फॉरेस्टर : बतौर फॉरेस्टर आपका काम जंगल और जंगली जीवों की सुरक्षा करना, लैंड स्केप मैनेजमेंट, जंगल व प्रकृति से संबंधित अध्ययन और रिपोर्ट को तैयार करना होता है। फॉरेस्ट रेंजर : फॉरेस्ट की कटाई व जानवरों के शिकार पर रोकथाम और फॉरेस्ट में नियम-कानून लागू करना फॉरेस्टर का काम है। इनका काम दुर्लभ पौधों की खेती व उनकी पैदावार को बढ़ाना भी है। वाइल्डलाइफ जर्नलिज्म : वाइल्फ लाइफ जर्नलिज्म में भी ढेरों स्कोप हैं। इनका काम एनिमल्स से जुड़ी तमाम जानकारियां लोगों तक पहुंचाना है। एनवायरनमेंट रिसर्चर : रिसर्च के जरिए फॉरेस्ट, फॉरेस्ट में आने वाले चेंज, एनिमल्स में आने वाले चेंजेज और नए-नए पौधों की प्रजातियों का पता लगाना होता है। देश में इंडियन काउंसिल ऑफ फॉरेस्ट्री रिसर्च एंड एजुकेशन, इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल फॉरेस्ट्री ऐंड इको रिहैबिलिटेशन एंड वाइल्डलाइफ रिसर्च इंस्टीट्यूट जैसे कई प्रीमियर संस्थान हैं, जहां बतौर रिसर्चर आप जगह पा सकते हैं। जू क्यूरेटर : जू में जानवरों की केयर जू क्यूरेटर का काम होता है। यह चिड़ियाघर में जानवरों की दिनचर्या को जांचता है। जानवरों के कल्याण और प्रशासन जू क्यूरेटर की जिम्मेदारी होती है। इसे भी पढ़ें: बीए करने के बाद आपके पास टॉप कॅरियर विकल्प क्या हो सकते हैं और क्या करें डेंड्रोलॉजिस्ट : ये पेड़-पौधों के वैज्ञानिक अध्ययनों के स्पेशलिस्ट के तौर पर जाने जाते हैं। डेंड्रोलॉजिस्ट का काम पेड़ों का जीवन चक्र, ग्रेडिंग, क्लासिफिकेशन, मेजरिंग और रिसर्च करना होता है। इथनोलॉजिस्ट : इथनोलॉजिस्ट वनों व जैव संपदा में होने वाले परिवर्तन और उनकी कार्यप्रणाली की स्टडी करता है। ये चिड़ियाघर, एक्वेरियम और लेबोरेटरी में जानवरों की हेल्दी हैबिट्स डिजाइन करने का काम भी करते हैं। कितनी मिलेगी सैलरी फॉरेस्टरी में डिग्री पूरी करने के बाद शुरुआत में आपकी सैलरी 20 से 25 हजार रुपये प्रतिमाह तक हो सकती है। वहीं, कुछ वर्षों के अनुभव के बाद सैलरी 40 से 45 हजार रुपये प्रतिमाह तक हो सकती है। वहीं, सरकारी क्षेत्र में सैलरी सरकार के वेतनमान के अनुसार निर्धारित होती है। - प्रिया मिश्रा
यूनाइटेड स्टेट ऑफ अमेरिका यूनाइटेड स्टेट ऑफ अमेरिका
आईआईटी-कानपुर स्वास्थ्य और कृषि क्षेत्र के स्टार्टअप में मदद करेगा
स्टार्टअप इनक्यूबेशन एंड इनोवेशन सेंटर, आईआईटी-कानपुर में प्रौद्योगिकी व्यवसाय...
एंटी-बायोटिक प्रतिरोधी बैक्टीरिया का मुकाबला करने के लिए नई रणनीति
भारतीय शोधकर्ताओं ने एक ऐसी रणनीति विकसित की है, जिसमें हाइड्रोफोबिक घटकों के साथ प्रचलन से बाहर हो चुकी एंटी-बायोटिक दवाओं के संयोजन के उपयोग से एंटी-बायोटिक प्रतिरोधी क्षमता वाले रोगजनक बैक्टीरिया का मुकाबला किया सकता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि हाइड्रोफोबिक घटकों और पुरानी एंटी-बायोटिक दवाओं का संयोजन रोगजनक सूक्ष्मजीवों का मुकाबला करने के साथ-साथ अप्रचलित हो चुकी एंटी-बायोटिक दवाओं की प्रभावकारिता को पुनर्जीवित करने में मदद कर सकता है। शोधकर्ताओं का दावा है कि यह रणनीति महत्वपूर्ण रोगजनक बैक्टीरिया समूह का मुकाबला कर सकती है, जिससे मौजूदा एंटी-बायोटिक शस्त्रागार को जटिल संक्रमणों के लिए फिर से उपयोग किया जा सकेगा। शोधकर्ताओं का कहना यह भी है कि एंटी-माइक्रोबियल प्रतिरोध के बढ़ते खतरे का मुकाबला करने में भी यह रणनीति मदद कर सकती है। इसे भी पढ़ें: एसटीईएम लाया लड़कियों का आभासी समुदाय बनाने के लिए नया ऐप यह अध्ययन, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग से सम्बद्ध स्वायत्त संस्थान जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च (JNCASR), बेंगलूरू के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा इस संबंध में जारी वक्तव्य में यह जानकारी प्रदान की गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने एसिनेटोबैक्टर बाउमनी (Acinetobacter baumannii), स्यूडोमोनास एरुगिनोसा (Pseudomonas aeruginosa) और एंटरोबैक्टीरियासी (Enterobacteriaceae) बैक्टीरिया का सीमांकन किया है, जो सभी कार्बापेनम (एंटी-बायोटिक एजेंटों का एक वर्ग) के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता वाले महत्वपूर्ण रोगजनकों के रूप में प्रतिरोधी हैं। ऐसे जटिल संक्रमणों के उपचार के लिए विभिन्न एंटी-बायोटिक दवाओं के संयोजन के उपयोग को ट्रिगर करने वाले इन जीवाणुओं के लिए उपचार विकल्प सीमित हैं। ऐसे में, इनसे निपटने के लिए नई गैर-पारंपरिक चिकित्सीय रणनीति विकसित करना समय की माँग है। इस अध्ययन में, वैज्ञानिकों ने मौजूदा एंटी-बायोटिक दवाओं के साथ सहायक घटकों संयोजन का उपयोग करके उन्हें पुनः प्रभावी बनाने का दृष्टिकोण पेश किया है। यह नया विचार अप्रचलित एंटी-बायोटिक दवाओं की गतिविधि को मजबूत करने और जटिल संक्रमणों के इलाज के लिए उन्हें वापस उपयोग में लाने में मदद कर सकता है। इस अध्ययन से जुड़े शोधकर्ताओं, गीतिका ढांडा और प्रोफेसर जयंत हलदर ने ट्रायमाइन युक्त यौगिक में चक्रीय हाइड्रोफोबिक मौएट्स (एक अणु का हिस्सा) को शामिल किया है। इस प्रकार विकसित सहायक घटक बैक्टीरिया की झिल्ली को कमजोर कर देते हैं। इसके परिणामस्वरूप झिल्ली से जुड़े प्रतिरोध तत्वों, जैसे पारगम्यता अवरोध और इफ्लक्स पंपों द्वारा एंटी-बायोटिक दवाओं के निष्क्रमण का मुकाबला किया। जब इन सहायक पदार्थों का उपयोग एंटी-बायोटिक दवाओं के संयोजन में किया जाता है, जो ऐसी झिल्ली से जुड़े प्रतिरोधी तत्वों के कारण अप्रभावी हो गए थे, तो एंटी-बायोटिक्स शक्तिशाली हो गए और संयोजन बैक्टीरिया को मारने में प्रभावी था। इसे भी पढ़ें: आकर्षण का केंद्र बनीं तटीय सफाई अभियान से जुड़ी गतिविधियाँ शोधकर्ताओं का कहना है कि फ्यूसिडिक एसिड, मिनोसाइक्लिन और रिफैम्पिसिन जैसी एंटी-बायोटिक दवाओं के साथ सहायक घटक का संयोजन मल्टी-ड्रग-प्रतिरोधी ग्राम-नकारात्मक बैक्टीरिया को निष्क्रिय कर सकता है। इनमें एसिनेटोबैक्टर बॉमनी, स्यूडोमोनास एरुगिनोसा और एंटरोबैक्टीरियासी शामिल हैं। यह अध्ययन एसीएस इन्फेक्ट जर्नल में प्रकाशित किया गया है। इस कार्य के लिए वास्तविक जीव (In-Vivo) मॉडल में उचित सत्यापन और फिर प्री-क्लिनिकल अध्ययन की आवश्यकता है। (इंडिया साइंस वायर)
IIM में पढ़ने का है सपना तो जरूर जान लें कोर्सेज, फीस और एडमिशन प्रोसेस
12वीं पास करने के बाद जो छात्र मैनेजमेंट की पढ़ाई करना चाहते हैं, उनका सपना होता है कि वे भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) से पढ़ाई करें। IIM देश के सबसे प्रतिष्ठित मैनेजमेंट संस्थानों में से एक है।भारत में विश्व स्तर की मैनेजमेंट शिक्षा देने के लिए IIM की स्थापना की गई थी। देश के प्रमुख शिक्षा संस्थानों में IIM का नाम शामिल है। IIM अहमदाबाद और IIM कलकत्ता भारत के सबसे पुराने IIM हैं। इन दोनों संस्थानों की स्थापना 1961 में की गई थी। इसके बाद IIM बैंगलोर की स्थापना 12 साल बाद 1973 में हुई थी। देश में अभी तक कुल 20 IIM खोले जा चुके हैं। IIM के कोर्सेज - PGP/MBA: देश के सभी IIM में दो साल का पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम इन मैनेजमेंट (PGP) प्रमुख कार्यक्रम है और नियमित MBA प्रोग्राम के समकक्ष माना जाता है। IIM से आप PGP/PGDM।MBA कोर्स कर सकते हैं। इसे भी पढ़ें: JEE Main एग्जाम की तैयारी कर रहे हैं तो फॉलो करें ये टिप्स, जरूर मिलेगी सफलता PGPX: कुछ IIM में ग्रेजुएशन कर चुके ऐसे छात्र जिनके पास वर्क एक्सपीरियंस हो, उनके लिए एक साल का पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा प्रोग्राम भी चलाया जाता है। FPM: कुछ IIM में फेलो प्रोग्राम इन मैनेजमेंट (FPM) भी करवाया जाता है। एक डॉक्टरेट प्रोग्राम है जिसे पीएचडी के बराबर माना जाता है। Certificate Executive Programmes (Short Duration or Part Time): कुछ IIM में सर्टिफिकेट प्रोग्राम और पार्ट टाइम कोर्सेज भी चलाए जाते हैं। Other Unique Programmes: कुछ IIM में खास प्रोग्राम भी चलाए जाते हैं जैसे IIM इंदौर का पाँच वर्षीय इंटरग्रटेड प्रोग्राम और IIM लखनऊ का तीन वर्षीय वर्किंग मैनेजर्स प्रोग्राम। इसे भी पढ़ें: बीए करने के बाद आपके पास टॉप कॅरियर विकल्प क्या हो सकते हैं और क्या करें देश में कहाँ-कहाँ है IIM IIM, अहमदाबाद IIM, बैंगलोर IIM, कलकत्ता IIM, लखनऊ IIM, कोझीकोड IIM, इंदौर IIM, शिलांग IIM, रोहतक IIM, विशाखापत्तनम IIM, तिरुचिरापल्ली IIM, उदयपुर IIM, अमृतसर IIM, नागपुर IIM, रांची IIM, बोधगया IIM, सिरमौर IIM, संबलपुर IIM, काशीपुर IIM, जम्मू IIM, रायपुर IIM में कैसे लें दाखिला? IIM के PGP/MBA कोर्सेज़ में दाखिला कॉमन एप्टीट्यूड टेस्ट (CAT) के स्कोर, रिटेन एबिलिटी टेस्ट (WAT), ग्रुप डिस्कशन और पर्सनल इंटरव्यू के आधार पर होता है। वहीं, एग्जीक्यूटिव PGP कोर्सेज में दाखिले के लिए उम्मीदवारों को CAT और GMAT के आधार पर शॉर्टलिस्ट किया जाता है। जिसके बाद उनका WAT, ग्रुप डिस्कशन और पर्सनल इंटरव्यू होता है। क्या है फीस? देश के सभी IIM में फीस कोर्स के हिसाब से अलग-अलग है। IIM में फीस 9 लाख से 23 लाख तक होती है। - प्रिया मिश्रा
Jobs: नौकरी के लिहाज से शीर्ष-10 में भारत की पांच कंपनियां, माइक्रोसॉफ्ट पहले स्थान पर
नौकरी करने के लिहाज से भारत में माइक्रोसॉफ्ट कर्मचारियों को सबसे ज्यादा आकर्षित करती है। हालांकि, ऐसी शीर्ष-10 कंपनियों में से 5 घरेलू हैं। मर्सिडीज बेंज इस मामले में दूसरे स्थान और अमेजन इंडिया तीसरे स्थान पर है।
History Revisited: क्या आप 18 साल तक एयरपोर्ट पर रहने वाले Terminal Man की कहानी जानते हैं?
आप जब कभी भी एयरपोर्ट पर जाते हैं तो आपको हर पल अपनी फ्लाइट का इंतजार रहता है और नजरें विमानों के आगमन/प्रस्थान की जानकारी देने वाली डिस्प्ले बोर्ड पर रहती है। ये अनुभव थोड़ा हटकर होता है। हवाई अड्डे पर आपको हर तरह के लोग देखने को मिलते हैं। कुछ अपनी यात्रा को लेकर उत्साहित होते हैं तो कई खाते-पीते और शॉपिंग करते दिखते हैं। लेकिन क्या आपने कभी किसी व्यक्ति के एयरपोर्ट पर रहने के बारे में सुना है। क्या आप किसी ऐसे इंसान के बारे में जानते हैं जो सालों से एयरपोर्ट पर रह रहा हो। वैसे तो एयरपोर्ट पर कई कर्मचारी रहते हैं। लेकिन शायद ही आपने किसी ऐसे इंसान के बारे में सुना हो जो बिना किसी काम और बिना एयरलाइंस में होते हुए भी एयरपोर्ट पर रहता हो। आज आपको ऐसे ही एक इंसान की कहानी सुनाने जा रहा हूं जो पेरिस एयरपोर्ट पर लगभग 18 साल तक रहा है। ईरान में शाह शासन के विरोध पर देश निकाला 18 साल तक पेरिस एयरपोर्ट पर रहने वाले इस शख्स का नाम मेहरान करीमी नासेरिक है। मेहरान का जन्म साल 1946 में ईरान के मस्जिद सुलेमान शहर में हुआ था। मेहरान बताते हैं कि साल 1977 में उन्होंने ईरान में शाह शासन का विरोध किया था। इसलिए उन्हें देश से निकाल दिया गया। ईरान ने उनसे उनकी नागरिकता छीन ली, सारे दस्तावेज सब ले लिया और कहा कि अब तुम जाओ। अब ये तुम्हारा देश नहीं है। मेहरान करीमी की मां स्कॉटलैंड से थी। मां के जरिये उन्हें काफी मदद मिली और ब्रिटेन में पढ़ाई करने का मौका भी मिला। जब इरान की तरफ से मेहरान की नागरिकता ली गई तो उसने यूनाइटेड नेशन के जरिये रिफ्यूजी का स्टेटस पाने के लिए अलग-अलग देशों में अपील की। लेकिन कई देशों से अपील के बाद काम बना नहीं। कई जगहों पर एप्लीकेशन डालने के बाद मेहरान को बेल्जियम स्थित यूनाइटेड नेशन हाई कमीशनर फॉर रिफ्यूजी इन बेल्जियम ने रिफ्यूजी का सर्टिफिकेट दे दिया। जिसके जरिए वो यूरोप के किसी भी देश में वैध तरीके से रह सकते थे। इसे भी पढ़ें: History Revisited | 95% मुस्लिम आबादी वाला देश, जिनका सबसे पवित्र शहर मक्का नहीं एयरपोर्ट के बाहर जानें की इजाजत नहीं ये बात सच है कि मेहरान ने पेरिस एयरपोर्ट के टर्मिनल वन पर 18 साल गुजारे। लेकिन उन्हें ईरान से निकाला गया। इस पर भी विवाद है। बताया जाता है कि उन्हें इरान से कभी निकाला ही नहीं गया था। 1986 में उन्होंने सोचा की अपनी मां के साथ ब्रिटेन में ही जाकर सेटल हो जाएंगे। 26 अगस्त 1988 में मेहरान लंदन आए। सभी डॉक्यूमेंट उनके पास था। फ्लाइट ली और लंदन के लिए उड़ान भरी। लेकिन जब वो लंदन के हेथ्रो एयरपोर्ट पर उतरते हैं तो वहां के ब्रिटिश हाई कमीश्नर उनसे उनका डॉक्यूमेंट मांगते हैं। इस दौरान में उनका ब्रीफकेस भी चोरी हो जाता है। उसी ब्रीफकेस में उनके सारे डॉक्यूमेंट थे। जिसमें रिफ्यूजी सर्टिफिकेट भी था। उनके पास इमीग्रेशन ऑफिस को दिखाने के लिए कोई पासपोर्ट नहीं था। ब्रिटिश इमीग्रेशन के स्टॉफ ने उन्हें अगली फ्लाइट से पेरिस भेजने का फैसला किया। क्योंकि मेहरान वहीं से फ्लाइट लेकर लंदन आए थे। मेहरान यहां से फ्रांस आए। उन्हें फ्रांस में गिरफ्तार कर लिया गया। पूछताछ में वो सारी आपबीती बताते हैं। ऐसे में वो पेरिस से ही लंदन गए थे तो उनकी पिछली ट्रैवल हिस्ट्री निकाली जाती है। रिकॉर्ड में सारी चीजें लीगल पाई जाती है। बाद में उन्हें छोड़ दिया गया। क्योंकि एयरपोर्ट में उनकी एंट्री लीगल थी। लेकिन उन्हें एयरपोर्ट के बाहर जानें की इजाजत नहीं थी। क्योंकि उनके पास वीजा और बाकी दस्तावेज नहीं थे। मेहरान के पास लौटने के लिए न तो कोई देश था और न ही कोई घर था। इसलिए एयरपोर्ट का टर्मिनल वन ही उनका घर बन गया। पेरिस एयरपोर्ट के डिपार्चर लॉन्ज टर्मिनल नं 1 पर ही रहने को उसे रहने को कहा गया। ये 26 अगस्त 1988 की बात है। मेहरान करीमी उसी डिपार्चर लॉन्ज पर रूके। धीरे-धीरे वक्त बीता और पेरिस के एयरपोर्ट का टर्मिनल 1 मेहरान करीमी का घर बन गया। वो वहीं बैठते, सोते, वहां का वॉशरूम यूज करते। जब एयरपोर्ट के स्टॉफ ने ये सब देखा तो उनकी कहानी सुनने के बाद खाना और अखबार मेहरान को देना शुरू किया। इसे भी पढ़ें: History Revisited: ताज महल या तेजोमहालय और इसके 22 कमरों की कहानी, पहली ईंट रखे जाने से 12 मई के फैसले तक फ्रेंच कोर्ट में पहुंचा मामला 1992 में फ्रेंच ह्यूमन राइट से जुड़े केस लड़ने वाले एक वकील ने जब मेहरान करीमी की कहानी के बारे में जाना तो कोर्ट से इजाजत लेकर वो एयरपोर्ट जाते हैं और उनका केस लड़ने की इच्छा जाहिर करते हैं। कोर्ट में उन्होंने कहा कि इस तरह से एयरपोर्ट पर रोक कर रखना गलता है। सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि मेहरान करीमी की एंट्री पेरिस एयरपोर्ट पर लीगल है, इसलिए इन्हें वहां से हटाया नहीं जा सकता है। लेकिन साथ ही उन्हें पेरिस के अंदर आने की इजाजत भी नहीं दी जा सकती। फिर मेहरान करीमी का परमानेंट घर एयरपोर्ट ही बन गया। इस दौरान उनकी कहानी जानने के लिए आते रहते। समर्थन वाली चिट्ठियां भी आती रहती। लगभग 18 सालों तक ये सिलसिला चलता रहा। द टर्मिनल मैन जुलाई 2006 में मेहरान नारसेरी को अस्पताल में तबीयत बिगड़ने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया इस दौरान मेहरान को टर्मिनल वन में उनके रहने की जगह को हटा दिया गया। बाद में फ्रेंच रेड क्रॉस ने एयरपोर्ट के पास ही एक होटल में एक कमरा लिया और करीमी को वहीं रखा और ये आश्वासन दिया कि वो इससे बाहर कहीं नहीं जाएंगे। 6 मार्च 2007 में पेरिस की चैरिटी रिसेप्शन सेंटर ने मेहरान की जिम्मेदारी लेने का फैसला करते हुए उसे पेरिस के एक घर में रखा। 2008 के बाद से मेहरान वहीं रह रहे हैं। लेकिन इसी बीच 2004 में उनकी आत्मकता द टर्मिनल मैन प्रकाशित हुई। ये किताब उन्होंने ब्रिटिश लेखक एंड्यू डॉन्किन के साथ मिलकर लिखी थी। ब्रिटेन के संडे टाइम्स ने इसे बेहतरीन और दिल को झकझोर देने वाली किताब करार दिया था। बाद में उन पर कई फिक्शनल और नॉन फिक्शनल फिल्में भी बनीं। साल 2003 में ऑस्कर अवार्ड विनर स्टीफन स्पीलबर्ग को मेहरान करीमी की कहानी पता चलने के बाद उनसे इस पर फिल्म बनाने की बात कहते हुए राइटर्स मांगते हैं। बदले में स्पीलबर्ग की कंपनी करीमी को ढाई लाख डॉलर का चेक देते हैं। तो आज हमने आपको एयरपोर्ट पर 18 साल तक रहने वाले शख्स की कहानी बताई। - अभिनय आकाश
1929 में संपन्न हुआ था निर्माण कार्य
1929 में संपन्न हुआ था निर्माण कार्य 1929 में संपन्न हुआ था निर्माण कार्य
एसटीईएम लाया लड़कियों का आभासी समुदाय बनाने के लिए नया ऐप
विज्ञान ज्योति कार्यक्रम (वीजेपी) विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी पहलों में से एक है। एसटीईएम (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) में लिंग समानता बढ़ाने के अंतिम उद्देश्य के साथ भारत का इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, विज्ञान ज्योति कार्यक्रम ने एसटीईएम में युवा मेधावी लड़कियों के परामर्श और प्रशिक्षण के माध्यम से स्कूल स्तर पर मूल्यवान हस्तक्षेप को अनिवार्य/कार्यान्वित किया है। एसटीईएम में लड़कियों का एक आभासी वैश्विक समुदाय बनाने के लिए नवोदय विद्यालय समिति और ईवाई फाउंडेशन द्वारा संयुक्त रूप से एक नया ऐप लॉन्च किया गया है। ईवाई फाउंडेशन ने नवोदय विद्यालय समिति के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए; 200 विज्ञान ज्योति कार्यक्रम (वीजेपी) स्कूलों में ईवाई एसटीईएम ऐप लॉन्च किया। 13-18 वर्ष की आयु की लड़कियों के लिए यह सरलीकृत मोबाइल ऐप यह सुनिश्चित करने के लिए लॉन्च किया गया था कि महिलाओं को विज्ञान और प्रौद्योगिकी उद्योग में प्रवेश करने, रहने और फलने-फूलने का समान अवसर मिले। इसे भी पढ़ें: आकर्षण का केंद्र बनीं तटीय सफाई अभियान से जुड़ी गतिविधियाँ EY STEM ऐप को युवा लड़कियों को STEM पाठ्यक्रम में शामिल होने और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में उच्च विकास करियर बनाने में मदद करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। ऐप का लक्ष्य विज्ञान ज्योति कार्यक्रम के तहत 10,000 छात्राओं तक पहुंचना है। नवोदय विद्यालय समिति और ईवाई फाउंडेशन के तहत विज्ञान ज्योति कार्यक्रम स्कूलों के बीच साझेदारी को प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (पीएसए) के कार्यालय द्वारा सुगम बनाया गया है। EY का लक्ष्य 2022 में वैश्विक स्तर पर 100,000 लड़कियों को EY STEM ऐप के साथ STEM में करियर बनाने के लिए प्रेरित करना है। फ्री-टू-यूज़ ऐप उपयोगकर्ता को एआई और ब्लॉकचेन जैसी नई तकनीकों की खोज से लेकर सीखने की गतिविधियों की एक विस्तृत श्रृंखला से जोड़ता है, यह सीखने के लिए कि कैसे डिजाइन सोच दुनिया की कुछ सबसे कठिन चुनौतियों को हल करने में मदद कर सकती है। अग्रणी महिलाओं की प्रेरणादायक कहानियों द्वारा समर्थित, ऐप का उद्देश्य एसटीईएम में आत्मविश्वास और क्षमता का पोषण करना है, और महत्वपूर्ण सोच और समस्या-समाधान, रचनात्मकता और सिस्टम सोच, और सामाजिक कौशल और टीम वर्क जैसी क्षमताओं का विकास करना है। जैसा कि प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर एक बैठक में उल्लेख किया है, नीति के उद्देश्यों 'पहुंच, इक्विटी, समावेशिता और गुणवत्ता' को प्राप्त करने के लिए कई पहल की गई हैं। इन उद्देश्यों के साथ विभिन्न पहलों के सफल कार्यान्वयन के लिए, सरकार और उद्योग के बीच भागीदारी प्रभाव को तेज करने के लिए महत्वपूर्ण होगी। शिक्षा मंत्रालय की नवोदय विद्यालय समिति और ईवाई फाउंडेशन के बीच साझेदारी इस दिशा में सामयिक और अनुकरणीय है। मैं अपने कार्यालय की ओर से शामिल सभी भागीदारों को ईवाई एसटीईएम ऐप के लॉन्च पर बधाई देता हूं,” प्रो. अजय सूद, पीएसए, भारत सरकार ने टिप्पणी की। इसे भी पढ़ें: कोरोना की संक्रमण क्षमता कम करने के लिए वैज्ञानिकों ने खोजा नया तंत्र ईवाई फाउंडेशन के प्रमुख, संतोष पाठक ने कहा, “ईवाई एसटीईएम ऐप के साथ, हम युवा दिमाग को उच्च विकास एसटीईएम करियर सीखने और आगे बढ़ाने और भविष्य के नेता बनने की उनकी क्षमता प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करने का प्रयास करते हैं। नवोदय विद्यालय समिति के साथ इस साझेदारी के साथ, हम ईवाई एसटीईएम ऐप को और अधिक सुलभ बनाने की उम्मीद करते हैं और आने वाले वर्षों में कई लड़कियों को अपने उच्च अध्ययन में एसटीईएम सीखने के लिए प्रेरित करते हैं।” विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), भारत सरकार द्वारा 2019 में शुरू किया गया विज्ञान ज्योति कार्यक्रम (वीजेपी) एसटीईएम क्षेत्रों में करियर बनाने के लिए मेधावी लड़कियों, विशेष रूप से कक्षा IX से कक्षा XII तक को प्रोत्साहित करने के लिए एक प्रमुख पहल है। जहां महिलाओं का प्रतिनिधित्व कम है। वीजेपी के लिए डीएसटी का कार्यान्वयन भागीदार नवोदय विद्यालय समिति है, जो भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय का एक स्वायत्त निकाय है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में महिलाओं को विभिन्न प्रकार के अवसर प्रदान करने के लिए डीएसटी के पास अंब्रेला योजना विज्ञान और इंजीनियरिंग में महिलाएं-किरण (WISE-KIRAN) के तहत कई अन्य महिला-केंद्रित पहलें हैं। WISE-KIRAN योजना के तहत कार्यक्रम महिलाओं के बीच STEM करियर को बढ़ावा देते हैं और उनकी विभिन्न चुनौतियों का समाधान करते हैं। (इंडिया साइंस वायर)
आखिर हथेली और पैर के तलवे में क्यों नहीं होते बाल?
आखिर हथेली और पैर के तलवे में क्यों नहीं होते बाल? आखिर हथेली और पैर के तलवे में क्यों नहीं होते बाल?
MPPSC PRE Final Answer Key: एमपीपीसी प्रारंभिक परीक्षा की अंतिम उत्तर कुंजी जारी, ऐसे चेक करें
मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग की ओर से राज्य सेवा और राज्य वन सेवा प्रारंभिक परीक्षा, 2021 का आयोजन 19 जून, 2022 को किया गया था। वहीं, परीक्षा की अंतरिम उत्तर कुंजी को 22 जून, 2022 को जारी कर दिया गया था।
किसी भी भर्ती की जानकारी आपसे छूट न जाए, इसलिए हम आपके लिए लेकर आए हैं यह लाइव ब्लॉग। जानें सरकारी नौकरी-रिजल्ट से जुड़ा हर अपडेट।
UP Police SI ASI Result: यूपी पुलिस एसआई एएसआई डीवी पीएसटी का परिणाम जारी, ऐसे चेक करें
उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड ने इस भर्ती के तहत लिखित परीक्षा का आयोजन 4 दिसंबर 2021 और 5 दिसंबर 2021 को किया था।