Asia Cup Trophy मिलेगी 5 टेस्ट देशों की वोटिंग के बाद, अजीबो गरीब फैसला
एशिया कप ट्रॉफी और पदकों की स्थिति पर बहुप्रतीक्षित फैसला, जो रविवार को फाइनल के बाद विजयी भारतीय टीम को नहीं दिए गए थे, टाल दिया गया है। एशियाई क्रिकेट परिषद (एसीसी) के सदस्यों ने मंगलवार (30 सितंबर) दोपहर दुबई में बैठक की और इसे एसीसी के पांच ...
एशियाई एक्वेटिक्स चैंपियनशिप: श्रीहरि नटराज ने 100 मीटर फ्रीस्टाइल में कांस्य पदक जीता
वीर सावरकर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स, अहमदाबाद में चल रही 11वीं एशियाई एक्वेटिक्स चैंपियनशिप में पुरुषों की 100 मीटर फ्रीस्टाइल में श्रीहरि नटराज ने कांस्य पदक जीता
झज्जर जिले के बहादुरगढ़ के गांव मांडौठी से देश के जाने-माने पैरा एथलीट योगेश कथुनिया ने दिल्ली में चल रही विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में रजत पदक हासिल किया। लगातार अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों में पदक जीतने वाले योगेश का लक्ष्य हमेशा स्वर्ण पदक रहा है, लेकिन उन्हें रजत पदक से ही संतोष करना पड़ रहा है। पहले टोक्यो और फिर पेरिस में हुए पैरालिंपिक गेम्स में भी योगेश ने रजत पदक ही जीता था। योगेश ने कहा कि पिछले मुकाबलों में अक्सर स्वर्ण से चूकने के पीछे तकनीकी और मानसिक कारण रहे। उन्होंने बताया कि इस बार थ्रो पूरी तरह से सही नहीं गया। बेल्ट टाइट नहीं थी, अंगुलियों से डिस्कस पकड़ पूरी तरह मजबूत नहीं बनी और बड़े इवेंट का प्रेशर उन्हें थोड़ी नर्वस नेस दे गया। गोल्ड जीतने के लिए थ्रो पर होगा पूरा फोकस उन्होंने अपनी रणनीति साझा करते हुए कहा कि, अब ट्रेनिंग में सुधार और अभ्यास की मात्रा बढ़ाना उनकी प्राथमिकता है। पहले वे रोजाना 6-7 घंटे अभ्यास करते थे, अब उन्हें थ्रो की संख्या 30-40 से बढ़ाकर 60-70 करना होगा। साथ ही बड़े मुकाबलों में नियमित भागीदारी से उन्हें प्रेशर का अनुभव मिलेगा और आत्मविश्वास बढ़ेगा। बड़े इवेंट में प्रेशर से दूर रहने की कोशिश करूंगा योगेश ने कहा, “पिछले मुकाबलों से सीख लेकर मैं अपनी तकनीक और मानसिक तैयारी पर फोकस कर रहा हूं। अब हर थ्रो को सही ढंग से करना, बड़े इवेंट का अनुभव लेना और प्रेशर से न डरना मेरी रणनीति है। यही मुझे अक्टूबर 2026 में एशियन गेम्स में स्वर्ण दिलाएगा।”उन्होंने यह भी बताया कि इस सीजन की शुरुआत में उन्होंने यूएसए में हुई प्रतियोगिता में 44 मीटर तक चक्का फेंका था, जो उनके प्रदर्शन की क्षमता को दर्शाता है। 9 साल की उम्र में गिलियन-बैरे सिंड्रोम की वजह से पैरालाइज हुए कथुनिया का जन्म एक गृहिणी मीना देवी और उनके पति ज्ञानचंद कथुनिया ( भारतीय सेना में एक सैनिक) के घर हुआ था । 2006 में जब योगेश पार्क में खेलने गया था, जहां अचानक गिर गया। बाद में पता चला वह पैरालाइज हो गया। अस्पताल लेकर गए तो जांच के बाद डाक्टरों ने बताया कि उसे गिलियन बैरे सिंड्रोम हो गया है। मीना देवी ने बताया कि जिंदगी का यह वक्त परिवार के लिए सबसे कठिन था। तीन साल खूब मेहनत की। इस दौरान खुद ही फिजियोथैरेपी सीखी। फिर जब योगेश पैरों पर खड़ा हुआ, तब कुछ उम्मीद जगी। कालेज के सहपाठी की मदद से फेंकने लगे थे चक्का योगेश ने दिल्ली के किरोड़ीमल कॉलेज में दाखिला लिया था, जहां उन्होंने वाणिज्य में स्नातक की डिग्री हासिल की। कालेज में वर्ष 2017 में एक सहपाठी सचिन यादव की मदद से चक्का फेंक स्पर्धा में खेलने लगा। इस तरह योगेश ने पैरालिंपिक तक का सफर तय किया है। उन्होंने चंडीगढ़ के इंडियन आर्मी पब्लिक स्कूल में पढ़ाई की, जहां उनके पिता चंडी मंदिर छावनी में सेना में कार्यरत थे।
Asia Cup शुरु से अंत तक, पहली बार INDvsPAK खिलाड़ियों के बीच दिखी इतनी तनातनी
भारतीय टीम एशिया कप चैंपियन बनीं लेकिन पूरे टूर्नामेंट में टीम के शानदार प्रदर्शन की जगह भारत और पाकिस्तान के बीच मैदान पर अपेक्षित सौहार्द की जगह तनातनी ने सुर्खियां बटोरी जहां दोनों टीमों के खिलाड़ियों ने मैच के दौरान और इसके बाद आक्रामक रवैया ...
Asia Cup 2025 खिताबी जीत के बाद टीम इंडिया के खिलाड़ियों ने क्या कहा?
पाकिस्तान के खिलाफ एशिया कप 2025 की खिताबी जीत के बाद भारत के उपकप्तान शुभमन गिल ने आधिकारिक प्रसारक से कहा ,‘‘ अद्भुत है। हम पूरे टूर्नामेंट में अपराजेय रहे। बहुत अच्छा लग रहा है।’’गिल ने कहा ,‘‘ हम आपस में ड्रेसिंग रूप में यही बात कर रहे थे कि ...
मनोरंजन जगत से सामने आई बेहद दुखद खबर! Asia की सबसे बड़ी फिल्म सिटीके संस्थापकRamoji Rao का हुआ निधन