नवादा के शारीरिक शिक्षक संतोष कुमार वर्मा को राष्ट्रीय विद्यालय हैंडबॉल प्रतियोगिता के लिए हेड ऑफ डेलिगेशन सह दल प्रबंधक नियुक्त किया गया है। यह प्रतियोगिता कर्नाटक के तुमकुर में 25 से 29 नवंबर 2025 तक आयोजित की जाएगी। इस प्रतियोगिता में बिहार राज्य से चयनित बालक वर्ग के कुल 16 खिलाड़ी हिस्सा लेंगे। इन खिलाड़ियों का नेतृत्व संतोष कुमार वर्मा करेंगे, जो नवादा जिले के इंटर विद्यालय आती कादिरगंज में कार्यरत हैं। मार्गदर्शन में कई राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक भी जीते गए संतोष कुमार वर्मा का खेलों से गहरा जुड़ाव रहा है। उन्होंने अब तक 32 राष्ट्रीय स्तर के खेलों में खिलाड़ी, कोच, रेफरी और दल प्रबंधक के रूप में भाग लिया है। उनके मार्गदर्शन में कई राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक भी जीते गए हैं। उनकी इन उपलब्धियों को देखते हुए, राज्य सरकार ने वर्ष 2024 में उन्हें शिक्षा, खेल और समाज सेवा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए राजकीय शिक्षक सम्मान से सम्मानित किया था। कर्नाटक जाने वाली बिहार टीम के खिलाड़ियों का राज्य स्तरीय चयन नवादा के हरिश्चंद्र स्टेडियम में आयोजित प्रतियोगिता के माध्यम से किया गया था। इसी चयन प्रक्रिया के आधार पर बिहार राज्य की टीम का गठन हुआ है। मगध प्रमंडल की टीम ओवरऑल चैंपियन रही इस चयन प्रतियोगिता में मगध प्रमंडल की टीम ओवरऑल चैंपियन रही थी, जिसमें नवादा जिले के सर्वाधिक खिलाड़ी शामिल थे। इन्हीं उपलब्धियों और उनके अनुभव को देखते हुए संतोष कुमार वर्मा का चयन कोच एवं दल प्रबंधक के रूप में किया गया है। विभिन्न गणमान्य व्यक्तियों ने बधाई और शुभकामनाएं दी उनकी इस उपलब्धि पर जिले के खेल प्रेमियों और विभिन्न गणमान्य व्यक्तियों ने बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। बधाई देने वालों में शिवकुमार प्रसाद, अलखदेव प्रसाद, रामविलास प्रसाद, विक्रम कुमार, गुलशन कुमार, तथा स्काउट एंड गाइड से संतु कुमार एवं राजीव कुमार प्रमुख हैं।
दो दशक में दसवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री बने नीतीश कुमार
पटना। दो दशक में दसवीं बार! नीतीश कुमार ने लोकतंत्र की जननी कहीं जाने वाली भूमि बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में गुरुवार को लगभग दो दशक में दसवीं बार शपथ लेकर देश की राजनीति में एक नया कीर्तिमान बनाया है। ढ़लती उम्र, थकान और स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों के साथ-साथ लंबे समय तक शासन में […] The post दो दशक में दसवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री बने नीतीश कुमार appeared first on Sabguru News .
हरियाणा के कुरुक्षेत्र में चल रहे अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव (IGM) गुरुवार शाम ब्रह्मसरोवर में एक महिला डूब गई। उसे तुरंत राज्य प्रतिक्रिया बल (SDRF) की टीम ने पानी से बाहर निकाला और तुरंत अस्पताल भेज दिया। जहां महिला की मौत हो गई। पुलिस के मुताबिक, महिला के पास से आधार कार्ड मिला है, जिससे उसकी पहचान शांति देवी (42) हाल किराएदार धुराला (कुरुक्षेत्र का झांसा) के रूप में हुई। महिला मूल रूप से बिहार के बेगूसराय की रहने वाली थी। शांति ब्रह्मसरोवर पर महोत्सव में आई हुई थी। फिलहाल पुलिस ने उसके शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है। पानी में तैरता दिखा कुछ SDRF के इंचार्ज राजेश हुड्डा ने बताया कि उनकी पूरी टीम ब्रह्मसरोवर में बोट से गश्त कर रही थी। तभी टीम को ब्रह्मसरोवर के पूर्वी तट पर कुछ तैरता हुआ दिखा। घाट के आसपास कुछ लोग भी इकट्ठा थे। टीम ने नजदीक जाकर जांच की तो पानी में महिला डूब रही थी। टीम ने तुरंत उसे रेस्क्यू करके बाहर निकाला और एम्बुलेंस से LNJP अस्पताल भेज दिया। अस्पताल में तोड़ा दम अस्पताल में महिला ने दम तोड़ दिया। उधर, थाना झांसा के SHO गुलाब सिंह ने बताया कि महिला के पास मिले आधार कार्ड से उसकी पहचान हुई है। हालांकि पुलिस उसके परिजनों की तलाश कर रही है। उनके बयान के आधार पर आगे की कार्रवाई होगी।
रोहतक में मार्केट कमेटी बोर्ड के नवनियुक्त चेयरमैन अशोक चौधरी व वाइस चेयरमैन सतीश झांसवा के शपथ ग्रहण समारोह में पहुंचे पूर्व मंत्री मनीष ग्रोवर ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि बिहार चुनाव की घोषणा से पहले राहुल गांधी वोट चोरी के आरोप लगाते रहे और घोषणा के बाद विदेश भाग गए। मनीष ग्रोवर ने कहा कि बिहार चुनाव में राहुल गांधी की मात्र 10 रैली रही, जबकि राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की एक रैली रही। जब महागठबंधन को वोट मिलते नहीं दिखे तो राहुल गांधी ने एक तालाब पर मछली पकड़ने के लिए छलांग लगा दी, शायद यहां से वोट मिल जाए। लेकिन बिहार की जनता ने एनडीए की झोली में 200 पार सीट डाली। महागठबंधन की स्थिति विपक्ष का नेता चुनने की भी नहीं मनीष ग्रोवर ने कहा कि बिहार की जनता ने महागठबंधन को विपक्ष का नेता बनने की स्थिति में भी नहीं छोड़ा। प्रदेश में कांग्रेस वोट चोर का आरोप लगाकर प्रदर्शन कर रही है, अगर वोट चोरी करते हुए हरियाणा में दीपेंद्र हुड्डा को साढे लाख वोट कैसे मिले। जनता को गुमराह कर रहे है। जब कांग्रेस जीत जाए तो चुनाव आयोग सही है और अगर हार जाए तो चुनाव आयोग पर आरोप लगाते है। मनीष ग्रोवर के होते हुए मुख्यातिथि बनाना शोभनीय नहीं हांसी से भाजपा विधायक विनोद भयाना ने कहा कि जहां मनीष ग्रोवर बैठे हो, वहां उन्हें मुख्यातिथि बनाना शोभा जनक नहीं है। मनीष ग्रोवर ने विधायक से अधिक रोहतक की जनता की लड़ाई लड़ने का काम किया है। हर सप्ताह दो दिन चंडीगढ़ लोगों के काम करवाने जाते है। भाजपा ने राजनीति के मायने बदलने का काम कियाविनोद भयाना ने कहा कि 2014 से भाजपा सरकार है और भाजपा ने सही मायने में राजनीति को बदलने का काम किया है। कांग्रेस के समय नौकरी भाई भतीजावाद व पर्ची खर्ची से मिलती थी, लेकिन भाजपा ने मेरिट के आधार पर नौकरी देने का काम किया। वोट चोरी करने वाले लगा रहे वोट चोर का आरोप विनोद भयाना ने कहा कि जो लोग खुद वोट चोरी करते है, आज वो भाजपा पर वोट चोरी का आरोप लगा रहे है। वोट चोर तो खुद कांग्रेस है। जातिवाद के नाम पर व किसान के नाम पर वोट चुराए। लेकिन कभी किसान का भला नहीं किया। लोगों को आपस में लड़वाने का काम किया है। कांग्रेस को जनता ने घर बैठायाविनोद भयाना ने कहा कि कांग्रेस को देश की जनता ने घर बैठा दिया है। कांग्रेस गली गली में वोट चोरी का शोर मचा रही है, लेकिन खुद के गिरेबान में नहीं झांक रही। पहले आतंकवादी देश में आकर सैनिकों को मौत के घाट उतार देते थे, लेकिन कांग्रेस ने कभी कार्रवाई नहीं की। लेकिन भाजपा सरकार ने मुंहतोड़ जवाब दिया है।
बिहार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की जीत के बाद नीतीश कुमार ने दसवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उनकी सरकार बनने की खुशी में बलिया के जीराबस्ती स्थित भाजपा कार्यालय में जश्न मनाया गया। इस अवसर पर कार्यकर्ताओं ने एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर बधाई दी। भाजपा जिलाध्यक्ष संजय मिश्रा के नेतृत्व में आयोजित इस कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि बिहार में 'डबल इंजन' की सरकार राज्य को विकसित बनाएगी। उन्होंने जोर दिया कि आज भी बिहार के लोग नीतीश कुमार पर विश्वास करते हैं। मिश्रा ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार पर लोगों का काफी विश्वास है, क्योंकि वे जो कहते हैं, उसे करके भी दिखाते हैं। इस अवसर पर संजीव कुमार, कृष्णा पाण्डेय, मयंक शेखर, आलोक सिंह, मिथिलेश तिवारी और संजय सिंह सहित कई अन्य कार्यकर्ता मौजूद रहे।
गयाजी टाउन विधानसभा सीट से चुनाव में 9वीं जीत दर्ज करने वाले डॉ. प्रेम कुमार बिहार विधानसभा के अध्यक्ष बनेंगे। जदयू-बीजेपी में इसको लेकर सहमति बन गई है। डॉ. प्रेम कुमार गया टाउन विधानसभा क्षेत्र से इस बार 9वीं बार विधायक बने हैं। प्रेम कुमार चंद्रवंशी समाज से बड़े चेहरे माने जाते हैं। वे 1990 से गया टाउन से लगातार जीतते आए हैं। प्रेम कुमार बिहार सरकार में स्वास्थ्य इंजीनियरिंग विभाग, सड़क निर्माण विभाग और शहरी विकास विभाग के मंत्री रह चुके हैं। विधायक रहते ही प्रेम कुमार ने मगध यूनिवर्सिटी से पीएचडी की डिग्री ली थी। 1990 में पहली बार गया सीट से प्रेम कुमार विधायक बने थे। तब से लेकर अब तक उनकी जीत का सफर जारी है। खास बात यह भी कि एक ही पार्टी और एक ही सीट से लगातार विधायक चुनते आ रहे हैं। इस बार के विधानसभा चुनाव में डॉ. प्रेम कुमार ने कांग्रेस कैंडिडेट अखौरी ओंकारनाथ को 26 हजार 423 वोटों के अंतर से हराया। पिता बैंक में कर्मचारी थे, जेपी आंदोलन से प्रभावित हुए थे प्रेम कुमार प्रेम कुमार के पिता बैंक में कर्मचारी थे। उनका परिवार बेहद साधारण था। गयाजी के बुजुर्ग वोटर्स बताते हैं कि जब प्रेम कुमार छात्र थे, तब जेपी आंदोलन चला था। प्रेम कुमार आंदोलन में शामिल हुए और जेल भी भेजे गए। जेल से निकलने के बाद अपना दवा का कारोबार भी शुरू किया। बाद में कुछ और कारोबार शुरू किया। छात्र जीवन में प्रेम कुमार अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से भी जुड़े थे। 1980 में उन्होंने भाजपा की सदस्यता ली थी। इसके बाद वे लगातार पार्टी के काम में जुटे रहते थे। करीब 10 साल बाद यानी जब 1990 में बिहार विधानसभा चुनाव की बारी आई तो भाजपा ने पहली बार प्रेम कुमार को टिकट दिया। प्रेम कुमार ने पहले विधानसभा चुनाव में ही जीत दर्ज कर ली। बिहार सरकार में 20 साल का अनुभव 2005 में नीतीश कुमार की पहली सरकार में प्रेम कुमार पहली बार मंत्री बने थे। तब से लेकर आज तक वह लगभग हर बड़े विभाग की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। जनस्वास्थ्य एवं अभियंत्रण मंत्री, सड़क निर्माण मंत्री, नगर विकास मंत्री, कृषि मंत्री, सहकारिता व वन मंत्री, राज्य में विपक्ष के नेता के रूप में 2015 से 2017 तक काम किया। 1990 में पहली बार चुनाव लड़े, जीतकर विधानसभा पहुंचे प्रेम कुमार ने पहली बार 1990 में गया टाउन सीट से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। तब से अब तक वे लगातार 9 बार विधायक बने हैं। अपने कार्यकाल में उन्होंने बिहार सरकार में कई अहम विभागों की जिम्मेदारी संभाली है। वे कृषि, नगर विकास एवं आवास, पर्यटन, खान एवं भूतत्व, पर्यावरण एवं वन जैसे विभागों के मंत्री रह चुके हैं। पिछली नीतीश सरकार में डॉ. प्रेम कुमार सहकारिता मंत्री थे। भाजपा में डॉ. प्रेम कुमार का नाम उन नेताओं में शामिल है, जिन्होंने पार्टी की पहचान को गयाजी में मजबूत किया। वे संगठन के साथ-साथ जनता से गहरे जुड़ाव के लिए जाने जाते हैं।
बिहार की राजनीति में संगठनात्मक मजबूती, स्पष्ट कार्यशैली और सादगीपूर्ण व्यवहार के लिए पहचाने जाने वाले भाजपा नेता विजय कुमार सिन्हा एक बार फिर सुर्खियों में हैं। 20 नवंबर को उन्हें नीतीश मंत्रिमंडल में दोबारा शामिल किया गया है। पटना के गांधी मैदान में मंत्री पद की शपथ दिलाई गई। साधारण परिवार में जन्म, पर बड़े लक्ष्य लखीसराय के चानन प्रखंड अंतर्गत तिलकपुर गांव स्थित ननिहाल में 5 जून 1967 को जन्मे सिन्हा एक साधारण परिवार से आते हैं। पिता शारदा रमण सिंह शिक्षक और माता सुरमा देवी गृहिणी थीं। परिवार से मिले संस्कारों ने उन्हें बचपन से ही शिक्षा, अनुशासन और समाजसेवा की भावना से जोड़ा। छात्र जीवन से राजनीति की शुरुआत छात्र राजनीति के दौरान विजय कुमार सिन्हा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े और संघ की विचारधारा से प्रेरित होकर भाजपा संगठन में सक्रिय हो गए। बेगूसराय के बरौनी स्थित राजकीय पॉलिटेक्निक से सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा करते समय ही उनकी राजनीतिक सक्रियता बढ़ने लगी। 2005 में पहली बार चुनाव, फिर लगातार सफलता भाजपा ने 2005 में उन्हें लखीसराय से टिकट दिया और पहली ही बार में उन्होंने जीत दर्ज की। पुनर्मतदान में 80 वोटों से हारने के बाद उन्होंने इसे चुनौती की तरह लिया। इसके बाद 2010, 2015 और 2020 में लगातार जीत दर्ज कर उन्होंने क्षेत्र में अपना जनाधार और मजबूत किया। मंत्री से विधानसभा अध्यक्ष तक2017 में उन्हें श्रम संसाधन मंत्री बनाया गया, जहां उन्होंने श्रमिक कल्याण और कौशल विकास पर काम किया। 2020 में वे बिहार विधानसभा अध्यक्ष चुने गए। उनकी कठोर, नियम-आधारित और प्रक्रिया-निष्ठ कार्यशैली चर्चा में रही। नेता प्रतिपक्ष बनकर निभाई मजबूत भूमिका राजनीतिक समीकरण बदलने पर 2022 में उन्होंने अध्यक्ष पद छोड़ा और नेता प्रतिपक्ष बने। इस दौरान उन्होंने सक्रिय विपक्ष की भूमिका निभाते हुए सरकार को हर मोर्चे पर घेरा। 2024 में उपमुख्यमंत्री और बड़े विभागों की जिम्मेदारी जनवरी 2024 में सरकार के पुनर्गठन में भाजपा ने उन पर भरोसा जताते हुए उन्हें बिहार का उपमुख्यमंत्री बनाया। उन्हें पथ निर्माण, युवा एवं संस्कृति, कृषि और खनन जैसे महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी सौंपी गई, जहां उन्होंने प्रशासनिक दक्षता दिखाई। 2025 में फिर बने मंत्री 2025 में एक बार फिर भाजपा नेतृत्व ने उन पर भरोसा जताया और नई कैबिनेट में शामिल किया। 20 नवंबर को उन्होंने मंत्री पद की शपथ ली। संगठन, अनुशासन, प्रशासनिक पकड़ और जनता से उनके गहरे जुड़ाव ने उन्हें बिहार भाजपा का केंद्रीय चेहरा बना दिया है।
बिहार चुनाव में एसआईआर के बाद हुए चुनाव में बीजेपी नीत एनडीए को भारी बहुमत से जीत मिली है. अब इसके बाद बंगाल में भी एसआईआर की तैयारी चल रही है. ऐसे में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की चिंता बढ़ गई है. ममता ने एसआईआर शुरू होने से पहले ही चुनाव आयोग के मुख्य अधिकारी ज्ञानेश कुमार को चिट्ठी लिखी है.
Shreyasi Singh : नीतीश कुमार की नई एनडीए सरकार में मंत्री बनीं अंतर्राष्ट्रीय निशानेबाज़ और ‘गोल्डन गर्ल’ श्रेसी सिंह सुर्खियों में हैं। दिल्ली में पढ़ी और प्रतिष्ठित राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखने वाली श्रेसी ने 2020 में राजनीति में प्रवेश किया और अब बिहार कैबिनेट का युवा चेहरा बनकर उभर रही हैं। उनका खेल और राजनीतिक सफर दोनों ही प्रेरणादायक हैं।
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने बिहार में पार्टी कार्यकर्ताओं पर कथित पुलिस कार्रवाई को गंभीर मुद्दा बताते हुए प्रदेश सरकार से निष्पक्ष जांच की मांग की है
पूर्वी चंपारण के चकिया में विराट रामायण मंदिर का निर्माण हो रहा है। इसमें दुनिया का सबसे बड़ा शिवलिंग स्थापित किया जाएगा। यह शिवलिंग 21 नवंबर को तमिलनाडु के महाबलीपुरम से बिहार के लिए रवाना होगा। इसके लिए महावीर मंदिर के सुपरिटेंडेंट के. सुधाकरण और जनसंपर्क पदाधिकारी अजय कुमार सिंह आज महाबलीपुरम जा रहे हैं। वहां पहले शिवलिंग की पूरे विधि-विधान से पूजा होगी। फिर 96 चक्कों की गाड़ी से यह शिवलिंग करीब डेढ़ महीने में कैथवलिया पहुंचेगा। जिस ट्रक से इसे लाया जाएगा, उसकी रफ्तार 5 किलोमीटर प्रति घंटे होगी। अधिक वजन से कहीं सड़क न धंस जाए, इसलिए चकिया से कैथवलिया तक 12 किलोमीटर विशेष तकनीक से सड़क व पुल-पुलिया का निर्माण हुआ है। विश्व का सबसे बड़ा मोनोलिथ स्ट्रक्चर का शिवलिंग महावीर मंदिर न्यास के सदस्य सायण कुणाल ने कहा कि यह विश्व का सबसे बड़ा मोनोलिथ स्ट्रक्चर का शिवलिंग है। इस शिवलिंग की ऊंचाई और गोलाई भी 33 फीट है। वहीं, वजन 210 मीट्रिक टन है। इसके साथ एक हजार छोटे शिवलिंग भी होंगे। इसे सहस्रलिंगम के रूप में जाना जाता है। बिहार पहुंचने पर शिवलिंग का जगह-जगह स्वागत और पूजा किया जाएगा। वोल्वो हाइड्रोलिक पुलर गाड़ी से यह शिवलिंग बिहार पहुंचेगी। इस गाड़ी के साथ-साथ एक स्क्वाड भी मौजूद रहेगा। चांदी के 15 फीट ऊंचे अरघा पर होगा स्थापित इस शिवलिंग को सहस्रलिंगम कहा जाता है। इसके साथ एक हजार छोटे शिवलिंग होते हैं। तमिलनाडु के महाबलीपुरम में ब्लैक ग्रेनाइट पत्थर की चट्टान को तराशकर इस शिवलिंग का निर्माण किया गया है। चांदी के 15 फीट ऊंचे अरघा पर यह शिवलिंग स्थापित होगा। 540 फीट चौड़ा होगा यह मंदिर विराट रामायण मंदिर का निर्माण महावीर मंदिर न्यास समिति की ओर से कराया जा रहा है। विराट रामायण मंदिर का प्रवेश द्वार, गणेश स्थल, सिंह द्वार, नंदी, शिवलिंग, गर्भ गृह का पाइलिंग का काम पूरा हो चुका है। आकार में यह मंदिर 1080 फीट लंबा और 540 फीट चौड़ा होगा। इसमें कुल 18 शिखर और 22 मंदिर होंगे और मुख्य शिखर की ऊंचाई 270 फीट, चार शिखर की ऊंचाई 180 फीट, एक शिखर की ऊंचाई 135 फीट, आठ शिखर की ऊंचाई 108 फीट और एक शिखर की ऊंचाई 90 फीट होगी। दो साल पहले हुआ था शिलान्यास 20 जून 2023 को शिलान्यास के बाद विराट रामायण मंदिर का निर्माण कार्य शुरू किया गया है। विराट रामायण मंदिर का निर्माण बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के केसरिया और चकिया के बीच जानकीनगर में हो रहा है। पटना से इस मंदिर की दूरी लगभग में 120 किलोमीटर है। विराट रामायण मंदिर में चार आश्रम होंगे। यह मंदिर आचार्य किशोर कुणाल का ड्रीम प्रोजेक्ट है।
नीतीश कुमार के रिकॉर्ड 10वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने की इनसाइड स्टोरी?
बिहार की राजधानी पटना का ऐतिहासिक गांधी मैदान आज नीतीश कुमार के रिकॉर्ड 10वीं बार मुख्यमंत्री की शपथ लेने का साक्षी बना। शपथ ग्रहण खास इसलिए भी रहा क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहली बार बिहार में किसी मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण के समारोह में ...
नीतीश कुमार ने 10वीं बार संभाली बिहार की कमान, जानिए इस दिग्गज बिहारी नेता के पास कितनी संपत्ति?
Nitish Kumar News in Hindi : नीतीश कुमार ने आज 10वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में पद और गोपनियता की शपथ ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह, जेपी नड्डा, योगी आदित्यनाथ समेत कई दिग्गज इसके साक्षी बने। जानिए कितनी संपत्ति के मालिक हैं ...
कुशीनगर के नारायणी नदी के जरिए शराब तस्करी के बड़े खेल का पर्दाफाश बुधवार देर रात हुआ, जब एक टाटा नेक्सॉन कार में 25 पेटी अंग्रेजी शराब लेकर दो तस्कर 31 किलोमीटर का सफर बिना किसी पुलिस चेकिंग के पार करते हुए पनियहवा पुल तक पहुंच गए। यहां से शराब को नाव से बिहार भेजने की तैयारी थी, लेकिन ग्रामीणों की सक्रियता और दैनिक भास्कर की टीम की निगरानी से पूरा मामला बेनकाब हो गया। भास्कर टीम को पिछले एक हफ्ते से इनपुट मिल रहा था कि महराजगंज की शराब नदी के रास्ते बिहार भेजी जा रही है। बुधवार रात करीब 11 बजे संदिग्ध टाटा नेक्सॉन (UP56AW7001) पनियहवा पुल के नीचे के रास्ते की ओर जाती दिखी। पीछा करने पर कार रुकी और स्थानीय लोगों के साथ जब इसकी जांच की गई, तो आगे की सीट, बीच की सीट और डिग्गी में 25 पेटी अंग्रेजी ब्रांड की शराब भरी मिली। कार में दो तस्कर मौजूद थे। पकड़े गए एक तस्कर ने बताया कि वह महाराजगंज जिले के सिंदुरिया थाना क्षेत्र के मुजहा गांव का निवासी है और शराब बिपिन जैसवाल के ठेके से लाया गया माल है।उसने कहा, “रास्ते में हमें कहीं रोका नहीं गया।” दूसरे तस्कर ने बताया कि “पनियहवा पुल से शराब नाव के जरिए बिहार के बगहा जिले के कैलाशनगर भेजी जानी थी, मैं पहली बार इस काम में आया हूं।” कार इन जगहों से आसानी से गुजर गई महाराजगंज में सिंदुरिया थाना चिउटहा पुलिस चौकी कोठीभार थाना बॉर्डर पर महराजगंज पुलिस पिकेट कुशीनगर में बॉर्डर पिकेट खड्डा थाना हनुमांगंज थाना पनियहवा पुलिस चौकी खड्डा थाने की सालिकगपुर पुलिस चौकी इसके बाद कार पनियहवा पुल के नीचे पहुंच गई, जहां से नाव पहले से तैयार थी। बिहार में शराबबंदी लागू है। हाल के विधानसभा चुनाव के बाद शराब की डिमांड बढ़ने से यूपी की सीमाओं पर तस्करी और तेज हो गई है। तस्कर दोगुने दाम पर इसकी सप्लाई कर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं।सीओ खड्डा वी.के. सिंह मौके पर पहुंचे और दोनों तस्करों को कार और शराब के साथ थाने भेजा। कुशीनगर एसपी केशव कुमार लंबे समय से चेकिंग और तस्करी रोकने के लिए अभियान चलाने की बात कर रहे हैं, लेकिन यह मामला जमीनी हकीकत को उजागर करता है कि तस्कर 31 किमी की पुलिस चेकिंग को बिना किसी बाधा के पार कर गए।
Samrat Choudhary Networth: नीतीश कुमार आज बिहार के सीएम के तौर पर 10वीं बार शपथ लेंगे. इसके अलावा सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं. आइए जानते हैं संपत्ति के मामले में कौन ज्यादा आगे हैं?
Congress Tension: बिहार में बुरी तरह हारी कांग्रेस, अब यूपी में बिना चुनाव झटका लगने वाला है?
Congress Bihar Result: कांग्रेस के लिए गहन मंथन का वक्त है. चुनावी हार के चलते वह गहरे निराशा में फंस चुकी है. बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों को देख महाराष्ट्र में टेंशन तो दिख ही रही थी, अब यूपी में हलचल तेज हो गई है.
नीतीश कुमार 10वीं बार बनेंगे बिहार के मुख्यमंत्री, गांधी मैदान में ऐतिहासिक शपथ ग्रहण
मुख्यमंत्री के रूप में नीतीश कुमार गुरुवार को सुबह 11.30 बजे गांधी मैदान में शपथ लेंगे
राहुल गांधी बोलते हैं, हम जीतते हैं:गोरखपुर में बोले रविकिशन; कहा-वो हमारे सबसे बड़े प्रचारक
गोरखपुर के सांसद रविकिशन शुक्ला ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी पर एक बार फिर तंज कसा है। गोरखपुर स्थित आवास पर मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा राहुल गांधी भाजपा के बहुत बड़े प्रचारक हैं। जितना हो पाए, राहुल गांधी उतना हम लोगों के खिलाफ बोलें। वह बोलना न छोड़ें, वह बोलते हैं, हम जीतते हैं। उनके बोलने में जादू है। रविकिशन ने कहा कि एक दिसंबर से सदन चलेगा। राहुल गांधी से अपील है कि वहां भी चिंघाड़ के बोलें।रविकिशन पिछले तीन दिनों से गोरखपुर में थे। दो दिन वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ अलग-अलग कार्यक्रमों में रहे। बुधवार को रविकिशन ने एक बार फिर राहुल पर निशाना साधा। उन्होंने कहा वोट चोरी से लेकर जितने आरोप वह लगा रहे हैं, बिहार की जनता उसका जवाब दे चुकी है। अभी 5 से 6 राज्यों में उनकी सरकार है। जल्द ही वह भी चली जाएगी। रविकिशन ने कहा कि हम चाहते हैं कि राहुल रुकें नहीं, लगातार बोलते रहें। देश के 272 प्रतिष्ठित लोगों ने कांग्रेस को खुली चिट्ठी लिखकर कहा है कि कांग्रेस और राहुल गांधी संवैधानिक संस्थाओं पर बार-बार हमले कर रहे हैं और वास्तविक सबूत के बिना आरोप लगा रहे हैं। चुनाव आयोग को बदनाम करने और वोट चोरी के आरोप लगाने का आरोप लगा रहे हैं। इस पत्र के संबंध में जब रविकिशन की प्रतिक्रिया पूछी गई तो उन्होंने कहा कि राहुल गांधी भाजपा के बहुत बड़े प्रचारक हैं। वे कृपया बोलना न छोड़ें। उनके गंदे, कड़े व रूखे शब्द भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को आशीर्वाद स्वरूप ही मिलते हैं। एक दिन पहले कहा था-राहुल मछली पकड़ने गए थे रविकिशन ने एक दिन पहले कहा था कि राहुल गांधी बिहार में मछली पकड़ने गए थे लेकिन यह बिहार की मछली है। ऐसे हाथ नहीं आएगी। बिहार में निकाली गई वोटर अधिकार यात्रा के प्रभाव को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में रविकिशन ने कहा था कि राहुल को लगा कि चलो बिहार चलते हैं और कुछ मछलियां पकड़ लेते हैं (Let's go and catch some fishes in Bihar)। तो ये उन लोगों के लिए एक पिकनिक होता है। उसके बाद सुनने में आया कि वह कंबोडिया या कहीं और चले गए। भगवान जाने क्या सच है। राजनीति करनी है तो बिहार जाकर पानी में मत कूदिए। सांसद ने कहा था कि हम लोग वहां एक-एक वोट के लिए पसीना बहाया है। जमीन पर हमने काम किया है। वहां पार्टी की ओर से हर सांसद व विधायक लगाया गया था। हमारी पूरी पार्टी जाकर युद्ध की तरह वहां लड़ रही थी। हम लोगों के लिए चुनाव एक युद्ध होता है, चुनाव नहीं होता है। राहुल की राजनीति को तो...महादेव ही जानें।
नीतीश कुमार 10वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं। BJP और JDU के पोस्टर्स से राजधानी पटी हुई है। चिराग के पोस्टर भी लगे हैं। उन्हें बिहार का शेर बताया जा रहा है। प्रधानमंत्री के पहुंचने से पहले वायुसेना ने गांधी मैदान में रिहर्सल की। बिल्डिंग्स पर राइफल के साथ जवान तैनात हैं। शपथ ग्रहण के लिए लोगों का पहुंचना शुरू हो गया है। शपथ ग्रहण की 11 तस्वीरें... सुरक्षा से जुड़ी पहले 2 तस्वीरें अब गांधी मैदान से जुड़ी 2 तस्वीरें देखिए पटना की सड़कों पर लगे पोस्टर की कुछ तस्वीरें
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी बिहार दौरे के लिए रवाना हो गए हैं। वह वहां आज होने वाले नई नीतीश कुमार की नई सरकार के शपथ ग्रहण में शामिल होंगे। सीएम सैनी चंडीगढ़ एयरपोर्ट से सुबह 9.10 मिनट पर इंडिगो की फ्लाइट से रवाना हुए हैं। सीएम कार्यक्रम में करीब डेढ़ बजे तक रहेंगे। शाम 4 बजे उनकी चंडीगढ़ वापसी होगी। बिहार विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान सीएम नायब सैनी ने 8 विधानसभा सीटों पर रैली और जनसभाएं की थीं, जिसमें से सभी सीटों पर गठबंधन के प्रत्याशियों को जीत मिली थी। 4 नवंबर को गया से प्रचार की शुरुआत की बिहार के गया के वजीरगंज से भाजपा के बीरेंद्र सिंह जीते, यहां नायब ने 4 नवंबर को जनसभा की थी। यहां भाजपा ने कांग्रेस के अवधेश कुमार सिंह को हराया। नायब ने 29 अक्टूबर को भोजपुर की तरारी विधानसभा सीट पर रैली की थी। यहां से भाजपा के विशाल प्रशांत जीते। पूर्वी चंपारण की रामनगर सीट पर भाजपा के नंदकिशोर राम ने राजद के सुबोध कुमार को हराया। यहां नायब ने 9 नवंबर को प्रचार किया था। औरंगाबाद की गोवा सीट पर भाजपा के डॉ. रणविजय कुमार ने राजद के अमरेंद्र कुमार को हरया। गया की गुरुआ सीट पर भाजपा के उपेंद्र प्रसाद ने राजद के विनय कुमार को हराया। रोहतास की डेहरी सीट पर भाजपा गठबंधन के राजीव रंजन सिंह ने राजद के गुड्डू कुमार चंद्रवंशी को हराया। पश्चिमी चंपारण की बगहा सीट पर भाजपा के राम सिंह ने कांग्रेस के जयेश मंगलम सिंह को और भोजपुर की आरा सीट पर भाजपा के संजय सिंह टाइगर ने क्यामुद्दीन अंसारी को हराया। बिहार चुनाव में हरियाणा की सरकार ने की ये प्लानिंग... 1. वोटिंग के लिए सवेतन छुट्टी दी नायब के नेतृत्व में भाजपा ने हरियाणा में बिहार वोटरों को लुभाने को काफी काम किया था। छठ पूजा पर बड़े पैमाने पर कदम उठाए गए थे। सरकार ने बिहार वोटर्स को वोटिंग के लिए वेतन सहित छुट्टी देने को उद्योगपतियों से आग्रह किया था। 2. प्रवासियों के लिए स्पेशल ट्रेन चलाई हरियाणा भाजपा की एक टीम जहां बिहार में मोर्चा संभाले हुए थी, वहीं एक टीम ने हरियाणा में बिहारी मूल के मतदाताओं के साथ लगातार जनसंपर्क किया। हरियाणा से बिहार में वोट डालने के लिए मतदाताओं को प्रोत्साहित करके स्पेशल ट्रेनों से बिहार भेजा गया। पानीपत, सोनीपत और गुरुग्राम आदि शहरों में बिहारी मतदाताओं को उनके मूल क्षेत्रों में रवाना करने के बाद बाकायदा कार्यक्रमों का आयोजन करके इस बात का एहसास दिलाया गया कि वह भले ही अपने घर से दूर हैं, लेकिन लोकतंत्र के इस पर्व में उन्हें भागीदार बनाने के लिए भाजपा के प्रत्येक नेता और कार्यकर्ता एकजुट है। वीडियो में सीएम ने कहा था- मैं बिहारी हूं सीएम नायब सैनी ने बिहार में चुनाव प्रचार के दौरान लोगों से सीधा संवाद करते हुए उन्हें बताया कि हरियाणा सरकार न केवल प्रवासियों की सुविधा के लिए काम कर रही है, बल्कि प्रवासी के पर्व भी अब सरकार द्वारा मनाए जा रहे हैं। छठ पूजा का उदाहरण देते हुए सीएम ने एक जनसभा में कहा कि अब तो उन्हें भी लगने लगा है कि वह भी बिहारी हैं। सीएम की इस बात को बिहार की जनता ने जहां सहर्ष स्वीकार किया वहीं हरियाणा में विपक्ष ने मुद्दा बनाने का प्रयास किया, लेकिन विफल हो गया।
नीतीश कुमार रिकॉर्ड 10वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले रहे हैं। कभी कॉलेज में लालू यादव के लिए पोस्टर चिपकाए, कभी पुलिस की गोली से बाल-बाल बचे और कभी पत्नी से मिलने की ऐसी उत्सुकता की आधी रात बाइक दौड़ा दी; नीतीश की जिंदगी के ऐसी ही रोचक किस्सों को हमने 12 ग्राफिक्स में समेटा है… **** ग्राफिक्स: द्रगचंद्र भुर्जी, अजीत सिंह, और अंकुर बंसल ------ ये स्टोरी भी पढ़िए... प्रशांत किशोर पर छापे क्यों नहीं पड़ते: मोदी के एक फोन पर UN की नौकरी छोड़ी, 6 साल में 6 सीएम बनवाए; PK की पॉलिटिक्स क्या है 12वीं करने के बाद 3 साल पढ़ाई छोड़ दी। नरेंद्र मोदी की कॉल पर यूनाइटेड नेशंस की नौकरी छोड़ दी। मोदी के पीएम बनने के बाद नीतीश के साथ गए। 6 साल में 6 सीएम बनवाने वाला ये शख्स अब खुद बिहार जीतने निकला है। कहता है- इस बार अर्श पर रहूंगा या फर्श पर। विरोधी कहते हैं वो बीजेपी की ‘B-टीम' हैं। पूरी खबर पढ़िए... ----------- क्या आप हैं बिहार के एक्सपर्ट? खेलिए और जीतिए 2 करोड़ तक के इनाम बिहार से जुड़े 3 आसान सवालों के जवाब दीजिए और जीतिए 2 करोड़ तक के इनाम। रोज 50 लोग जीत सकते हैं आकर्षक डेली प्राइज। लगातार खेलिए और पाएं लकी ड्रॉ में बंपर प्राइज सुजुकी ग्रैंड विटारा जीतने के मौके। क्विज अभी खेलने के लिए यहां क्लिक करें - https://dainik.bhaskar.com/vkQR1zsokWb
महाबलीपुरम से दुनिया का सबसे बड़ा शिवलिंग कल बिहार के लिए रवाना होगा
विराट रामायण मंदिर में स्थापित होने वाला दुनिया का सबसे बड़ा शिवलिंग शुक्रवार को तमिलनाडु के महाबलीपुरम से बिहार के लिए रवाना किया जाएगा। इसके लिए महावीर मंदिर के सुपरिटेंडेंट के सुधाकरण और जनसंपर्क पदाधिकारी अजय कुमार सिंह महाबलीपुरम जा रहे हैं। वहां पहले शिवलिंग की पूरे विधि-विधान से पूजा होगी। इसके बाद 156 चक्के वाले ट्रक पर उसे रखा जाएगा। यह ट्रक करीब डेढ़ महीने में कैथवलिया पहुंचेगा। इस शिवलिंग को पूर्वी चंपारण के केसरिया और चकिया के बीच कैथवलिया में निर्माणाधीन विराट रामायण मंदिर में स्थापित किया जाएगा। जनवरी के अंत तक या फरवरी के पहले हफ्ते में इस शिवलिंग को स्थापित किया जाएगा। बिहार की सीमा में पहुंचने पर शिवलिंग का जगह-जगह स्वागत किया जाएगा। मोहनिया, आरा और पटना होते हुए यह शिवलिंग मंदिर पहुंचेगा। चांदी के 15 फीट ऊंचे अरघा पर स्थापित होगा शिवलिंग सिंगल पत्थर से तराश कर निकाला गया यह दुनिया का सबसे बड़ा शिवलिंग है। महावीर मंदिर न्यास के सदस्य सायण कुणाल के अनुसार इस शिवलिंग की ऊंचाई और गोलाई भी 33 फीट है। वजन 210 मीट्रिक टन है। इसके साथ एक हजार छोटे शिवलिंग भी होंगे। इसे सहस्रलिंगम के रूप में जाना जाता है। भारत में आठवीं सदी तक सहस्रलिंगम के प्रमाण हैं। तमिलनाडु के महाबलीपुरम में ब्लैक ग्रेनाइट पत्थर की चट्टान को तराशकर इस शिवलिंग का निर्माण किया गया है। 140 एकड़ में निर्माणाधीन विराट रामायण मंदिर विश्व का सबसे बड़ा मंदिर होगा। मुख्य मंदिर 1080 फीट लंबा, 540 फीट चौड़ा और 270 फीट ऊंचा है। मंदिर में 15 शिखर मंदिर होंगे। 270 फीट ऊंचा एक शिखर भी होगा। इसे अयोध्या से जनकपुर तक बन रहे राम-जानकी मार्ग से भी जोड़ा गया है। 5 किमी की रफ्तार से चलेगा ट्रक शिवलिंग को महाबलीपुरम से कैथवलिया लाने में करीब डेढ़ महीने का समय लगेगा। जिस ट्रक से इसे लाया जाएगा, उसकी रफ्तार 5 किलोमीटर प्रति घंटे होगी। अधिक वजन से कहीं सड़क न धंस जाए, इसलिए चकिया से कैथवलिया तक 12 किलोमीटर विशेष तकनीक से सड़क व पुल-पुलिया का निर्माण हुआ है। ब्लैक ग्रेनाइट पत्थर की चट्टान को तराशकर शिवलिंग को बनाया गया है अभी विश्व के सबसे ऊंचे शिवलिंग तंजौर के वृहदेश्वर मंदिर में 27 फीट ऊंचा शिवलिंग है। भोपाल के पास भोजपुर मंदिर में 20 फीट ऊंचा शिवलिंग है।
10वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री बने नीतीश कुमार, 26 नए मंत्रियों ने ली शपथ, देखिए पूरी लिस्ट
नीतीश कुमार ने पटना के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली और वह 10वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री बन गए। उनके...
नीतीश कुमार ने पटना के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली और वह 10वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री बन गए। उनके...
शपथ की दहाई पूरी करने जा रहे हैं बिहार के ‘सुशासन बाबू’
पटना। बिहार की राजनीतिक विसात के मझे हुए खिलाड़ी के रूप में प्रतिष्ठित जनता दल (यू) के मुखिया नीतीश कुमार गुरुवार को दसवीं बार राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। अपनी प्रशासनिक क्षमता और कार्यशैली से बिहार के ‘सुशासन बाबू’ कहे जाने वाले नीतीश कुमार को बुधवार को यहां राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) विधायक […] The post शपथ की दहाई पूरी करने जा रहे हैं बिहार के ‘सुशासन बाबू’ appeared first on Sabguru News .
पूर्णिया शहर के कांग्रेस ऑफिस गोकुल कृष्ण आश्रम में जिला कांग्रेस कमेटी की बैठक आयोजित की गई। इसमें जिले भर के सभी प्रमुख कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता मौजूद रहे। बैठक की अध्यक्षता जिलाध्यक्ष बिजेंद्र यादव ने की। उन्होंने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन पर गंभीर समीक्षा की आवश्यकता है। इसके लिए सभी विधानसभा क्षेत्रों में एक सप्ताह के अंदर समीक्षा बैठक बुलाई जाएगी। जिलाध्यक्ष ने बताया कि जिला कांग्रेस कमेटी की ओर से प्रत्येक विधानसभा में पांच सदस्यीय कमेटी गठित की जाएगी। ये कमेटी बूथ से लेकर पंचायत स्तर तक हार के कारणों की विस्तृत समीक्षा करेगी। कमेटी सभी बिंदुओं पर रिपोर्ट तैयार कर प्रदेश नेतृत्व को सौंपेगी। उन्होंने कहा कि जब तक जमीनी रिपोर्ट नहीं सौंपी जाती, तब तक हार के प्रमुख कारणों का पता नहीं चल सकेगा। लोकतंत्र की रक्षा के लिए कांग्रेस लड़ाई लड़ती है, लेकिन कुछ लोगों के अनर्गल बयानबाजी और पार्टी गतिविधि के विरुद्ध काम करने पर भी ध्यान दिया जाएगा। जिलाध्यक्ष बोले- ये कांग्रेस नहीं, बिहार की जनता की इच्छा की हार है बिजेंद्र यादव ने कहा कि यह केवल कांग्रेस की हार नहीं, बल्कि बिहार की जनता की इच्छा की हार है। हमने चार सीटों पर पूरे दमखम से चुनाव लड़ा, लेकिन परिणाम बताते हैं कि हमें बूथ स्तर पर अपनी पकड़ मजबूत करनी होगी। इधर, बिहार में कांग्रेस के कमजोर प्रदर्शन पर पूर्णिया जिला कांग्रेस कमेटी के पूर्व महासचिव सह मुख्य प्रवक्ता गौतम वर्मा ने पार्टी नेतृत्व पर सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा कि बिहार में कांग्रेस की हार की सबसे बड़ी वजह प्रदेश और राष्ट्रीय नेतृत्व की नाकामी है। संगठन को मजबूत करने के लिए वर्षों से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। मनमाने ढंग से टिकट वितरण ने कार्यकर्ताओं में नाराजगी बढ़ाई और इसका सीधा असर चुनावी परिणामों पर पड़ा। गौतम वर्मा ने आरोप लगाया कि पूर्णिया में आए प्रभारी नेताओं ने संगठन को मजबूत करने के बजाय लिफाफा बाजी' पर ध्यान दिया। उन्होंने कहा कि पूर्णिया सदर के उम्मीदवार ने मेहनत और निष्ठा से सम्मानजनक वोट प्राप्त किए, जबकि पार्टी के भीतर भीतरघात भी हुआ। राजद के साथ गठबंधन कांग्रेस के लिए नुकसानदेह साबित हो रहा है, लेकिन शीर्ष नेतृत्व इसे समझने को तैयार नहीं। उन्होंने मांग की टिकट वितरण में घिनौना खेल करने वाले नेताओं व प्रभारियों पर तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए। इस बयान ने जिला से लेकर प्रदेश कांग्रेस तक हलचल पैदा कर दी है और अब पार्टी के भीतर व्यापक मंथन की उम्मीद की जा रही है। कांग्रेस की अगली रणनीति समीक्षा रिपोर्ट के आधार पर तय की जाएगी।
नीतीश कुमार होंगे बिहार सीएम, सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा उपमुख्यमंत्री
Bihar Politics : नीतीश कुमार गुरुवार को पटना के गांधी मैदान में बिहार मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे। सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा ही एक बार फिर राज्य के उपमुख्यमंत्री होंगे। इस तरह बिहार की सियासत में एक बार फिर नीतीश, सम्राट और विजय की तिकड़ी ही ...
भाकपा (मार्क्सवादी) की वरिष्ठ नेत्री वृंदा करात ने बिहार चुनाव में चुनाव आयोग की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने आयोग की भूमिका को संसदीय प्रणाली पर हमला बताया। वृंदा करात बुधवार को देवघर परिसदन में पत्रकारों से बात कर रही थीं। पलायन करने वाले लोग अब इसकी शिकायत कहां करेंगे वृंदा करात ने पूछा कि क्या चुनाव आयोग ने पूरे चुनाव में आदर्श आचार संहिता का पालन किया। उन्होंने घुसपैठियों के खिलाफ एसआईआर का जिक्र करते हुए सवाल किया कि क्या कोई घुसपैठिया मिला? उन्होंने आरोप लगाया कि आयोग ने 65 लाख मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटा दिए, जबकि पलायन करने वाले लोग अब इसकी शिकायत कहां करेंगे। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बिहार चुनाव में सांप्रदायिक प्रचार हुआ, जिस पर आयोग ने किसी को एक भी नोटिस नहीं दिया। चुनाव में करोड़ों रुपए खर्च किए गए। वृंदा करात ने बिहार सरकार द्वारा चुनाव के अंतिम समय में महिलाओं को 10 हजार रुपए देने के फैसले पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि आयोग ने इसे लागू होने कैसे दिया, जबकि अन्य राज्यों में इसे आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन बताकर रोक दिया गया था। उन्होंने पूछा कि बिहार सरकार पांच साल तक कहां थी और शुरुआत से ही महिलाओं को यह राशि क्यों नहीं दी गई। प्रधानमंत्री मोदी के 'गमछा लहराने' पर भी टिप्पणी की उन्होंने जनवादी प्रणाली को बचाने के लिए चुनाव आयोग का विरोध करने की आवश्यकता पर जोर दिया। वृंदा करात ने बिहार की जीत के बाद प्रधानमंत्री मोदी के 'गमछा लहराने' पर भी टिप्पणी की और पूछा कि क्या यह किसी प्रधानमंत्री को शोभा देता है और इसके पीछे वे क्या संदेश देना चाहते हैं।
Nitish Kumar Bihar CM। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के परिणाम आने के बाद, राजनीतिक गतिरोध अब समाप्त हो गया है। जनता दल (यूनाइटेड) (JDU) के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार को ... Read more
LIVE: बिहार में शपथ ग्रहण की तैयारी, नीतीश आज पेश करेंगे सरकार बनाने का दावा
Latest News Today Live Updates in Hindi : बिहार में नई सरकार के गठन की कवायद तेज हो गई है। भाजपा और जदयू की बैठक के बाद आज एनडीए की बैठक में नीतीश कुमार को गठबंधन का नेता चुना जाएगा। वे आज ही सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे। पल पल की जानकारी...
19838 पदों के लिए 15 दिसंबर से फिजिकल टेस्ट
सिपाही बहाली के लिए फिजिकल टेस्ट 15 दिसंबर से शुरू होगा। गर्दनीबाग शहीद राजेन्द्र प्रसाद सिंह राजकीय उच्च विद्यालय (पटना हाई स्कूल) में शारीरिक दक्षता परीक्षा होगी। 19838 पदों के लिए लिखित परीक्षा में 99690 को शारीरिक दक्षता परीक्षा के लिए बुलाया गया है। यानी एक पद पर 5 अभ्यर्थियों के बीच मुकाबला होगा। शारीरिक परीक्षा के लिए अभ्यर्थियों का एडमिट कार्ड केंद्रीय चयन पर्षद (सिपाही भर्ती) की वेबसाइट https://csbc.bihar.gov.in के बिहार पुलिस के टैब पर 25 नवंबर से ई-एडमिट कार्ड उपलब्ध रहेगी। जो अभ्यर्थी किसी वजह से ई-प्रवेशपत्र डाउनलोड नहीं कर सकेंगे वे 12 और 13 दिसंबर 2025 को केंद्रीय चयन पर्षद के कार्यालय में 10 बजे से शाम 5 बजे के बीच डुप्लिकेट एडमिट कार्ड ले सकते हैं। किसी भी हालत में एडमिट कार्ड डाक से नहीं भेजा जाएगा। आरक्षण का लाभ बिहार राज्य के मूल निवासी को ही मिलेगा। सिपाही की लिखित परीक्षा में 62822 पुरुष 36834 महिला 34 ट्रांसजेंडर, 867 गृह रक्षक आैर 622 स्वतंत्रता सेनानी के आश्रित पास हुए हैं। केंद्रीय चयन पर्षद के अध्यक्ष जितेंद्र कुमार ने बताया कि शारीरिक परीक्षा के दिन ही अभ्यर्थियों के शैक्षिक, जाति व अन्य प्रमाणपत्रों का सत्यापन होगा। अलग से समय नहीं दिया जाएगा। दौड़ की कार्यवाही एवं समय का आकलन कम्प्यूटरीकृत पद्धति से अभ्यर्थियों के पैरों पर लगाई गई चिप एवं सेंसर के माध्यम से किया जाएगा। 4361 चालक सिपाही के लिए लिखित परीक्षा 10 दिसंबर को केंद्रीय चयन पर्षद (सिपाही भर्ती) की ओर से चालक सिपाही पर बहाली के लिए लिखित परीक्षा 10 दिसंबर को होगी। पटना समेत राज्य के 315 केंद्रों पर 4361 चालक सिपाही के लिए परीक्षा ली जाएगी। 3 दिसंबर से 10 दिसंबर तक अभ्यर्थी केंद्रीय चयन पर्षद की वेबसाइट https://csbc.bihar.gov.in से ई-प्रवेशपत्र डाउनलोड कर सकते हैं। 10 दिसंबर को परीक्षा एक पाली में 12 से 2 बजे तक होगी। इस परीक्षा में करीब डेढ़ लाख अभ्यर्थी शामिल होंगे। एक पद के लिए करीब 34 अभ्यर्थियों के बीच प्रतियोगिता होगी। 25 नवंबर से अभ्यर्थी पर्षद की वेबसाइट से परीक्षा केंद्र के जिला की जानकारी ले सकते हैं। वैसे अभ्यर्थी जो वेबसाइट से ई-प्रवेशपत्र डाउनलोड नहीं कर सके हैं वे 8 दिसंबर को केंद्रीय चयन पर्षद के कार्यालय से डुप्लिकेट ई-प्रवेशपत्र ले सकते हैं। अलग से समय नहीं दिया जाएगा। दौड़ की कार्यवाही एवं समय का आकलन कम्प्यूटरीकृत पद्धति से अभ्यर्थियों के पैरों पर लगाई गई चिप एवं सेंसर के माध्यम से किया जाएगा। सिपाही भर्ती }99690 अभ्यर्थी देंगे परीक्षा
पहले आओ, पहले पाओ आधार पर होगा बीज वितरण
सिटी रिपोर्टर |औरंगाबाद जिले में रबी मौसम के लिए बीज वितरण प्रक्रिया तेज कर दी गई है। समाहरणालय स्थित जिला सूचना एवं जनसंपर्क कार्यालय द्वारा जारी आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार वित्तीय वर्ष 2025-26 में विभिन्न योजनान्तर्गत कुल 28,397.96 क्विंटल रबी बीज वितरण का लक्ष्य तय किया गया है। इसके लिए किसानों को अनिवार्य रूप से ऑनलाइन पंजीकरण कराना होगा। पंजीकरण की पूरी प्रक्रिया https://br bn.bihar.g ov.in पोर्टल पर उपलब्ध है, जिसके माध्यम से किसान स्वयं या पंचायत स्तर पर उपलब्ध कृषि समन्वयक की मदद से निःशुल्क आवेदन कर सकते हैं।प्रशासन ने यह स्पष्ट किया है कि यदि कोई किसान ऑनलाइन प्रक्रिया स्वयं नहीं कर पाता, तो वह अपने पंचायत के किसान सलाहकार या कृषि समन्वयक से संपर्क स्थापित कर निःशुल्क आवेदन करा सकता है। जिला प्रशासन ने कहा है कि किसानों से किसी भी प्रकार का शुल्क लेना पूरी तरह प्रतिबंधित है और ऐसी शिकायत मिलने पर कार्रवाई तय है। इस व्यवस्था का उद्देश्य है कि अधिक से अधिक किसान सरल प्रक्रिया के माध्यम से लाभ प्राप्त कर सकें। अनुदानित दर पर कुल 19,873.56 क्विंटल बीज प्राप्त हो चुका है : जिले में रबी बीज वितरण हेतु प्रत्यक्षण एवं अनुदानित दर पर कुल 19,873.56 क्विंटल बीज प्राप्त हो चुका है। उपलब्ध बीज को बीआरबीएन के अधिकृत विक्रेताओं के माध्यम से सभी प्रखंडों के वितरण केंद्रों पर भेज दिया गया है। प्रशासन का कहना है कि किसानों को बीज वितरण पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर किया जा रहा है, जिससे किसी प्रकार की भीड़ या अव्यवस्था न हो। इस पूरी प्रक्रिया में बायोमेट्रिक सत्यापन को अनिवार्य कर दिया गया है, ताकि वितरण व्यवस्था पूरी तरह पारदर्शी और सुव्यवस्थित रहे।अधिकारियों ने बताया कि किसानों को समय पर बीज उपलब्ध कराना प्राथमिकता है। रबी सीजन में देरी होने पर उत्पादन प्रभावित होता है, इसलिए सभी संबंधित विभागों को समयबद्ध ढंग से कार्य करने का निर्देश दिया गया है। बीज वितरण केंद्रों पर प्रतिदिन मॉनिटरिंग की जा रही है और किसी भी प्रकार की समस्या आने पर तुरंत समाधान सुनिश्चित किया जा रहा है।
नीतीश कुमार फिर बनेंगे बिहार के मुख्यमंत्री, डिप्टी सीएम को लेकर BJP ने तय कर लिए दो नाम
बिहार विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत हासिल करने के बाद मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के चेहरों से...
नीतीश कुमार 20 नवंबर को 10वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। इस बीच उनके साथ शपथ लेने वाले मंत्रियों की संख्या का भी खुलासा हो गया है। मीडिया खबरों के मुताबिक एनडीए के 5 दलों के लगभग 20 मंत्रियों के साथ दसवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद ...
अशोक सिंघल का एक ट्वीट बना विवाद का केंद्र ; ‘गोभी फार्मिंग’ ने ताज़ा की 1989 भागलपुर दंगे की दहशत
असम के मंत्री अशोक सिंघल के “Bihar approves Gobi farming” ट्वीट ने सोशल मीडिया पर तूफान खड़ा कर दिया है। विपक्षी नेताओं ने इसे 1989 के भागलपुर दंगों की स्मृति से जोड़कर सांप्रदायिक और आपत्तिजनक बताया है।
भिवानी के पूर्व मंत्री वासुदेव शर्मा ने कांग्रेस पार्टी छोड़कर इनेलो का दामन थामा। उन्होंने करीब 13 साल बाद घर वापसी की है। इस दौरान भिवानी के बड़ चौक स्थित भगवान परशुराम धर्मशाला में रैली का आयोजन किया गया। जिसमें इनेलो के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौ. अभय सिंह चौटाला पहुंचे। इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला ने बिहार चुनाव परिणामों को लेकर कांग्रेस नेतृत्व पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेताओं ने चुनाव में स्थानीय मुद्दों को नजरअंदाज किया और केवल वोट चोरी का मुद्दा उठाया, जिसका उन्हें नुकसान हुआ। वोट चोरी पर कांग्रेस को घेराचौटाला ने कहा कि यदि कांग्रेस वास्तव में वोट चोरी के आरोप को लेकर गंभीर थी, तो उसे चुनाव का बहिष्कार करना चाहिए था, न कि चुनावी मैदान में उतरना चाहिए था। उन्होंने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा, एक तरफ राहुल गांधी वोट चोरी की बात करते हैं और दूसरी तरफ उसी अविश्वास के बीच चुनाव भी लड़ते हैं। दोनों बातें एक साथ नहीं चल सकतीं। कांग्रेस खो देगी राष्ट्रीय पार्टी का दर्जाइनेलो नेता ने दावा किया कि आने वाले समय में कांग्रेस न केवल राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा खो देगी, बल्कि एक क्षेत्रीय दल के रूप में भी अपना अस्तित्व बनाए रखना उसके लिए मुश्किल होगा। अभय सिंह चौटाला ने यह बात भिवानी में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कही। इस अवसर पर पूर्व मंत्री वासुदेव शर्मा ने कांग्रेस पार्टी छोड़कर इनेलो का दामन थामा। एसवाईएल मुद्दे पर बोले चौटालाएसवाईएल (सतलुज यमुना लिंक) मुद्दे पर भी अभय सिंह चौटाला ने भाजपा और कांग्रेस पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि हरियाणा में एसवाईएल का पानी न तो भाजपा ला सकती है और न ही कांग्रेस, क्योंकि दोनों राष्ट्रीय दल पंजाब के मतदाताओं को नाराज नहीं कर सकते। चौटाला ने दावा किया कि एसवाईएल का पानी केवल इनेलो की सरकार ही हरियाणा में ला सकती है। 1987 में मंत्री बने थे डॉ. वासुदेव शर्मापूर्व मंत्री डॉ. वासुदेव शर्मा ने बताया कि वे वर्ष 1982 में गांव के सरपंच बने थे। इसके बाद 1984 में वे ब्लॉक समिति के चेयरमैन बने। वहीं 1986 में उन्होंने जनता दल ज्वाइन की। साल 1987 में उन्होंने मुंढाल विधानसभा वे विधानसभा चुनाव लड़ा। इसके बाद वे जीते और विधायक बने। हरियाणा सरकार में स्पोर्ट्स सहित अन्य मंत्रालय के मंत्री भी रहे। इसके बाद उन्होंने 1993 में कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की। वहीं 2000 में उन्होंने कांग्रेस पार्टी से पूर्व सीएम बंसीलाल के खिलाफ विधानसभा का चुनाव लड़ा। लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा और दूसरे स्थान पर रहे। इसके बाद वे 2004 में कांग्रेस छोड़कर इनेलो में शामिल हो गए। वहीं 2009 में उन्होंने इनेलो पार्टी के टिकट पर भिवानी विधानसभा से चुनाव लड़ा। इस चुनाव में उनकी हार हुई और वे तीसरे स्थान पर रहे। इसके बाद उन्होंने वर्ष 2012-13 में वापस कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर ली। अब फिर से कांग्रेस पार्टी को अलविदा कह दिया।
बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) 71वीं की प्रारंभिक परीक्षा का रिजल्ट जारी हो गया है। परीक्षा में 13,368 उम्मीदवार पास हुए हैं। इसके अलावा वित्तीय प्रशासनिक अधिकारी (financial administrative officer) के पद के लिए 893 उम्मीदवार सफल हुए है। इस तरह इस कुल 14,261 उम्मीदवार क्वालीफाई हुए हैं। अभ्यर्थी अपना रिजल्ट bpsc.bihar.gov.in पर देख और डाउनलोड भी कर सकते हैं। आयोग के अनुसार, लगभग 4.71 लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था, जिनमें से करीब 3.57 लाख ने एडमिट कार्ड डाउनलोड किया। हालांकि, 3.16 लाख लोग ही एग्जाम दे पाए थे। 37 जिलों के 912 परीक्षा केंद्रों पर हुई परीक्षा परीक्षा का आयोजन राज्य के 37 जिलों के 912 परीक्षा केंद्रों पर हुआ। परीक्षा में अभ्यर्थियों की उपस्थिति लगभग 64.3% रही। इस पहली शिफ्ट की परीक्षा में कुल 150 प्रश्न पूछे गए थे। 1298 पदों पर बहाली होगी। गया में पितृपक्ष मेला होने की वजह से एग्जामिनेशन सेंटर नहीं बनाए गए थे। एग्जाम देकर निकले कैंडिडेट्स ने कहा था, 'करंट अफेयर्स से ज्यादा सवाल थे। पेपर मॉडरेट था।' जानिए, एक्जाम और सिलेक्शन प्रोसेस अब मेंस परीक्षा होगी प्रारंभिक परीक्षा में पास कैंडिडेट अब मेंस में शामिल होंगे।यह परीक्षा तीन विषयों की होगी। इसमें दो अनिवार्य विषय होंगे, पहला सामान्य हिंदी जो 100 मार्क्स का होगा। इस विषय में 30 प्रतिशत मार्क्स लाना अनिवार्य होगा। हालांकि मेरिट लिस्ट में इसके नंबर नहीं जुड़ेंगे। दूसरा सामान्य अध्ययन (पेपर 1 और पेपर 2) प्रत्येक पेपर 300 अंकों का होगा। इसमें अलावा हर अभ्यर्थी को एक ऑप्शनल (ऑप्शनल) विषय चुनना होगा। जिसका पेपर 300 अंकों का होगा। प्रत्येक विषय की परीक्षा 3 घंटे की होगी। इंटरव्यूमेंस में पास होने के बाद अभ्यर्थी इंटरव्यू दे सकेंगे। यह कुल 120 मार्क्स का होगा। उसके बाद फाइनल मेरिट लिस्ट तैयार की जाएगी। फाइनल मेरिट लिस्टमुख्य परीक्षा के 900 अंक और इंटरव्यू के 120 अंक, कुल 1020 अंकों के आधार पर मेरिट लिस्ट तैयारी की जाएगी। आरक्षण कैटेगरी वाइज रिजल्ट जारी किया जाएगा। अगर कुछ अभ्यर्थियों के एक जैसे मार्क्स होंगे तो इस स्थिति में जिस अभ्यर्थी के ज्यादा मार्क्स होंगे, उसे ऊपर रखा जाएगा। अगर मुख्य परीक्षा में भी मार्क्स समान होंगे, तो ऑप्शनल विषय के नंबर देखे जाएंगे।
राहुल के लिए चुनाव जीतना जरूरी नहीं, बिहार चुनाव में हार पर ऐसा क्यों बोले रॉबर्ट वाड्रा
Robert Vadra Defending Rahul Gandhi: रॉबर्ट वाड्रा ने कहा कि राहुल और प्रियंका लोकतंत्र की भावना की रक्षा के लिए लड़ रहे थे और चुनावी जीत-हार उनके लिए ज्यादा मायने नहीं रखती है. वाड्रा ने यह भी कहा कि ऐसा राहुल और प्रियंका ने अपने पूर्वजों से सीखा है. हालांकि, उन्होंने कई जीत और हार देखी हैं लेकिन इनका उन पर कभी कोई असर नहीं पड़ता है.
prashant kishor News : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में जन सुराज पार्टी का खाता भी नहीं खुला। पार्टी के करीब 95 प्रतिशत से ज्यादा उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। इस बीच पार्टी के प्रमुख प्रशांत किशोर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में सवालों के जवाब दिए। ...
राष्ट्रीय स्तर पर तीरंदाजी में बिहार का दबदबा एक बार फिर देखने को मिलेगा। छत्तीसगढ़ की राजधानी में 22 से 30 दिसंबर 2025 तक आयोजित होने वाली 45वीं एनटीपीसी जूनियर राष्ट्रीय तीरंदाजी प्रतियोगिता (रिकर्व, कंपाउंड और इंडियन राउंड- बालक/बालिका वर्ग) के लिए बिहार टीम की घोषणा कर दी गई है। इस टीम में भोजपुर जिले के 7 प्रतिभाशाली खिलाड़ियों ने अपनी शानदार जगह बनाई है। ये सभी खिलाड़ी भोजपुर के भोजपुरी तीरंदाजी अकादमी के हैं, जो लगातार अपने प्रदर्शन से जिले और राज्य का नाम रोशन करते आ रहे हैं। जिन 7 खिलाड़ियों का सिलेक्शन किया गया है, उनमें रिकर्व वर्ग में शुभम कुमार, समर्थ कुमार; बालिका वर्ग में राजलक्ष्मी एवं इंडियन राउंड वर्ग में बालक वर्ग के लिए आयुष कुमार एक साथ ही बालिका वर्ग में संस्कृति राज, सोनी कुमारी एवं लकी कुमारी कुमारी शामिल है। भोजपुर जिले से एक साथ 7 खिलाड़ियों का चयन होना जिले के खेल इतिहास में महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है। खिलाड़ियों के चयन की जानकारी सामने आते ही जिलेभर से उन्हें शुभकामनाएं देने वालों की लाइन लग गई। जिला खेल पदाधिकारी जीवन कुमार, जिला शिक्षा पदाधिकारी यशवंत नारायण सिंह, वरिष्ठ खेल प्रेमी कौशल सिंह, सरोज सिंह, अभय भट, रजनीश पाठक, कुमार विजय, संतोष, नवीन गुप्ता, धीरज कुमार, अविनाश ओझा, हरिओम सिंह, विमलेश ओझा सहित कई पदाधिकारी, शिक्षक और खेलप्रेमियों ने खिलाड़ियों के उज्ज्वल भविष्य की कामना की। जिला तीरंदाजी अकादमी के संस्थापक बोले- रायपुर में भी मिलेगा मेडल भोजपुर तीरंदाजी अकादमी के संस्थापक सह कोच नीरज कुमार सिंह ने बताया कि इन खिलाड़ियों ने कठिन परिश्रम और अनुशासन के दम पर यह मुकाम हासिल किया है। उन्होंने कहा कि भोजपुर के खिलाड़ी लगातार राष्ट्रीय स्तर पर जिले का गौरव बढ़ा रहे हैं और इस बार उम्मीद है कि ये सभी रायपुर में भी बिहार को पदक दिलाएंगे। भोजपुर से इतने खिलाड़ियों का एक साथ चयन होना जिले के लिए गर्व की बात है। अभिभावकों, खेल प्रेमियों और स्थानीय लोगों में खुशी का माहौल है। आगामी राष्ट्रीय प्रतियोगिता में खिलाड़ियों के बेहतरीन प्रदर्शन की उम्मीद की जा रही है।
दिल्ली से बिहार आ रही स्लीपर बस मंगलवार सुबह यूपी के कानपुर में पलट गई। हादसे में 5 साल के बच्चे समेत 3 यात्रियों की मौत हो गई। 6 बच्चों समेत 25 से ज्यादा घायल हैं। हादसा इतना भयानक था कि बच्चे का सिर धड़ से अलग हो गया। उसकी मां का पैर कट गया। उनका ICU में इलाज चल रहा। पिता को चोटें आईं। तीनों सीवान के रहने वाले हैं। पिता अपनी छोटी बच्ची को गोद में लेकर अस्पताल में इधर-उधर भटकता रहा। बार-बार बेटे को देखने की जिद करता रहा। फिर वह पोस्टमॉर्टम हाउस पहुंचा। बिना सिर की लाश देखकर घुटनों के बल गिर पड़ा और फूट-फूट कर रोने लगा। पुलिसवालों ने उसे काफी समझाने की कोशिश की, लेकिन वह चिल्ला-चिल्लाकर रोता रहा। बार-बार वह बेटे की सिर कटी लाश देखने की कोशिश करता, लेकिन हिम्मत नहीं जुटा पाया। रोते-रोते वह बेसुध होने लगा। जिसने भी पिता को देखा, अपने आंसू नहीं रोक पाया। एक पिता का दर्द वहां मौजूद हर शख्स ने महसूस किया। हादसे की 4 तस्वीरें... बस में 45 यात्री थे हादसा कानपुर के अरौल में आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर हुआ। बस (BR21P9389) दिल्ली के आनंद विहार से बिहार के सिवान जा रही थी। इसमें कुल 45 यात्री थे। घटना मंगलवार तड़के 3.20 बजे हुई। उस वक्त ज्यादातर यात्री सो रहे थे। स्लीपर बस पहले डिवाइडर पर चढ़ी। फिर पलट गई। बस के आगे का हिस्सा पूरी तरह पिचक गया। एक्सप्रेस-वे पर 50 फीट तक घिसटती चली गई बसघायल यात्रियों ने बताया कि अचानक तेज झटका लगा। चीख-पुकार मच गई। बस की स्पीड इतनी ज्यादा थी कि एक्सप्रेस-वे पर 50 फीट तक घिसटती चली गई। सन्नाटा होने के चलते काफी देर तक यात्री अंदर तड़पते रहे। फिर राहगीरों ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने बस के शीशे तोड़कर घायलों को जैसे-तैसे बाहर निकाला। हादसे की भयावहता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 100 मीटर तक शीशे और पार्ट्स बिखर गए। अंदर यात्री सीटों के बीच फंस गए। अफरा-तफरी के बीच पुलिस टीम पहुंची। सीटें काटकर यात्रियों को निकाला गया। ड्राइवर को झपकी आने से हादसा हुआबस (BR21P9389) नालंदा आरटीओ में साल- 2018 में प्रवीण अग्रवाल के नाम पर रजिस्टर्ड हुई थी। यात्रियों के मुताबिक, रास्ते में ड्राइवर को झपकी आने से बस डिवाइडर पर चढ़कर पलट गई। हादसे के बाद हम लोग करीब 15-20 मिनट तक बस के अंदर फंसे रहे। ड्राइवर नशे में लग रहा था, क्योंकि बस काफी लहराकर चला रहा था। बस में यूपी, बिहार, दिल्ली और हरियाणा के यात्री थेहादसे के बाद चालक और कंडक्टर मौके से भाग गए। अरौल इंस्पेक्टर जनार्दन यादव ने बताया- घायलों को कानपुर के हैलट अस्पताल पहुंचाया गया। बस में यूपी, बिहार, दिल्ली और हरियाणा के यात्री थे। वहीं, मृतकों की पहचान 5 साल के अनुराग पुत्र अजय (शिवांग, बिहार), नसीम आलम (20) पुत्र सुहेल अहमद (बिहार) और शशि कुमार (26) पुत्र धर्मेंद्र गिरी (पश्चिम बंगाल) के रूप में हुई है। अनुराग की मां का पैर कट गया। आईसीयू में उनका इलाज चल रहा, जबकि पिता अजय को भी चोटें आई हैं।
पलामू के छतरपुर थाना क्षेत्र में मोटरसाइकिल चोरी के एक मामले का खुलासा हुआ है। पुलिस ने इस संबंध में एक आरोपी को गिरफ्तार किया है, जो बिहार में शराब तस्करों को चोरी की बाइक बेचने वाले गिरोह का सदस्य बताया जा रहा है। यह मामला 31 अक्टूबर को तब सामने आया जब कर्मदेव यादव ने छतरपुर थाना में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने बताया कि सराईडीह मोड़ के पास से उनकी मोटरसाइकिल चोरी हो गई थी, जब वे सामान खरीदने गए थे। प्राथमिकी दर्ज होने के बाद पुलिस ने जांच शुरू की। अनुसंधान के दौरान यह बात सामने आई कि बिहार से कुछ लोग आकर अलग-अलग जगहों से मोटरसाइकिल चोरी कर रहे थे। इन चोरी की बाइकों को बिहार में अवैध शराब का धंधा करने वालों को बेचा जा रहा था। चोरी की बाइक के साथ एक व्यक्ति को पकड़ा पुलिस ने मानवीय और तकनीकी सूचना के आधार पर कार्रवाई करते हुए चोरी की मोटरसाइकिल के साथ एक व्यक्ति को पकड़ा। पूछताछ में आरोपी ने कबूल किया कि उसने अपने दो अन्य साथियों के साथ मिलकर छतरपुर थाना क्षेत्र के सराईडीह मोड़ से यह मोटरसाइकिल चुराई थी। गिरफ्तार आरोपी की पहचान आयुष कुमार उर्फ आयुष पाठक (18) के रूप में हुई है। वह बिहार के औरंगाबाद जिले के अम्बा थाना अंतर्गत देवरा गांव का निवासी है। उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। पुलिस गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश में छापेमारी कर रही है। पुलिस ने चोरी की नीले और काले रंग की बाइक (बिना नंबर प्लेट) जब्त की है।
बिहार विधानसभा चुनावों में महागठबंधन का सूपड़ा साफ होने के बाद बिहार की हार पर कांग्रेस पार्टी में महामंथन हुआ.
बिहार में सियासी पारा गर्म, नीतीश सरकार में कौन बनेगा डिप्टी सीएम?
Bihar Politics : बिहार में राजग को बंपर जीत मिलने के बाद भी राज्य की सियासत गर्म है। नीतीश कुमार का मुख्यमंत्री बनना तय है लेकिन डिप्टी सीएम, स्पीकर और मंत्रियों के नाम पर भाजपा, जदयू और लोजपा में कशमकश दिखाई दे रही है। लोगों की सबसे ज्यादा ...
गोरखपुर सांसद रवि किशन ने बिहार चुनाव परिणामों के बहाने राहुल गांधी पर जमकर निशाना साधा। कहा- राहुल के लिए बिहार चुनाव एक पिकनिक था। वह वहां मछली पकड़ने गए थे। नाव से कूद गए। लेकिन वह बिहार की मछली है, ऐसे हाथ में नहीं आएगी। उनकी राजनीति को तो महादेव ही जानें। उन्होंने बिहार की जीत पर सभी बिहारवासियों को बधाई दी। पढ़िए रवि किशन की कही 5 बड़ी बातें 1. राहुल के लिए बिहार चुनाव पिकनिकबिहार में निकाली गई वोटर अधिकार यात्रा के प्रभाव को लेकर पूछे गए सवाल का भी रवि किशन ने जवाब दिया। कहा- राहुल को लगा कि चलो बिहार चलते हैं। कुछ मछलियां पकड़ लेते हैं (Let's go and catch some fishes in Bihar)। तो ये उन लोगों के लिए एक पिकनिक होता है। उसके बाद सुनने में आया कि वह कंबोडिया या कहीं और चले गए हैं। भगवान जाने क्या सच है? राजनीति करनी है, तो बिहार जाकर पानी में मत कूदिए। 2. भाजपा ने चुनाव के लिए हर सांसद-विधायक लगाया थाहम लोगों ने वहां एक-एक वोट के लिए पसीना बहाया। हमने जमीन पर काम किया। वहां पार्टी की ओर से हर सांसद और विधायक लगाया गया था। हमारी पूरी पार्टी जाकर युद्ध की तरह वहां लड़ रही थी। हम लोगों के लिए चुनाव एक युद्ध होता है, सिर्फ चुनाव नहीं होता। राहुल की राजनीति को तो...महादेव ही जानें। 3. PK को समझना होगा मैनेजमेंट और जमीन उतरने का अंतरप्रशांत किशोर के प्रदर्शन को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा- प्रशांत किशोर (PK) को यह समझना होगा कि चुनाव का मैनेजमेंट और जमीन पर चुनाव लड़ना। दोनों दो अलग-अलग चीजें हैं। मैनेजमेंट करके उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन जमीन पर वो असर नहीं दिखा। हम उन्हें भविष्य के लिए बधाई देते हैं। जनता बहुत संवेदनशील तरीके से सोचती है। 4. पारिवारिक मामले में टिप्पणी ठीक नहींबिहार में लालू प्रसाद यादव के परिवार में मची कलह को लेकर पूछे गए सवाल पर रवि किशन ने किनारा कर लिया। कहा- ये उनका पारिवारिक मामला है। इसमें किसी तरह की टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। हम ईश्वर से यही कामना करते हैं कि परिवार के सभी लोग मिल-जुलकर रहें। 5. देशद्रोहियों का सपोर्ट करना सबसे बड़ा पापदिल्ली ब्लास्ट को लेकर रवि किशन ने कहा- ऐसा करने वालों को फांसी की सजा होनी चाहिए। ऐसे लोगों को जो भी सपोर्ट कर रहा, बहुत गलत कर रहा। देशद्रोहियों के सपोर्ट में कोई भी व्यक्ति अपनी नेतागिरी चमकाने की कोशिश कर रहा है, तो वह सबसे बड़ा पाप कर रहा। ऐसे लोगों को प्रश्रय नहीं देना चाहिए। आतंकवादी की कोई जाति नहीं होती। इसमें किसी राजनीतिक दल को कोई बयान नहीं देना चाहिए। जिसने देश और समाज में भय पैदा करने की कोशिश की हो, उसे कोई माफी नहीं मिलनी चाहिए। ------------------------------- ये खबर भी पढ़ें.... योगी की चेतावनी- लूट की तो अगले दिन लंगड़ाते मिलोगे, अपराध कतई बर्दाश्त नहीं, कीमत चुकानी पड़ेगी सीएम योगी ने गोरखपुर में कहा- पहली बात तो अब अपराध होता नहीं है। अगर कहीं लूट या छिनैती की घटना हो गई तो अगले दिन अपराधी लंगड़ाते नजर आते हैं। यह नया प्रदेश है, जो अपराध को स्वीकार नहीं करता। अगर अपराध किया तो उसकी कीमत चुकानी होगी। पढ़ें पूरी खबर....
सबसे पहले 3 बयान… बीते 6 महीने में ये 3 बयान जनसुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने 100 से ज्यादा बार दिए। कभी लिखकर तो कभी बोलकर ऐसा दावा करते दिखे। 6 साल में 6 CM बनवाने वाला ये शख्स जब खुद बिहार जीतने निकला तो एक भी सीट नहीं जीत पाया। 1 करोड़ से ज्यादा सदस्यों का दावा करने वाली जनसुराज पार्टी को महज 16.7 लाख वोट मिले। 238 सीटों पर कैंडिडेट उतारे, उसमें से 233 सीटों मतलब 98% सीटों पर जमानत जब्त हो गई। भास्कर स्पेशल स्टोरी में पढ़िए और देखिए, प्रशांत किशोर की पार्टी के दावे और रिजल्ट…। सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी के प्रदर्शन की बात करे तो 238 में से 233 कैंडिडेट मतलब 98% की जमानत जब्त हो गई है। पार्टी एक सीट मढ़ौरा पर दूसरे नंबर तक पहुंच पाई। वह भी तब जब NDA के प्रत्याशी का नामांकन खारिज हो गया था। जनसुराज को करीब 2% वोट मिलता दिख रहा है। इससे अच्छा प्रदर्शन तो असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM और मायावती की BSP की है। AIMIM 28 सीटों पर चुनाव लड़ी और उसे 1.9% वोट शेयर के साथ 5 सीटों पर जीत मिली है। जबकि, 181 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली BSP को 1.6% वोट शेयर के साथ एक सीट पर जीत मिली है। अपने घर में भी जमानत नहीं बचा पाए प्रशांत किशोर प्रशांत किशोर रोहतास जिले से आते हैं। इसमें विधानसभा की 7 सीटें हैं। उनके अपने जिलों की सभी सीटों पर भी पार्टी अपनी जमानत नहीं बचा पाई है। उनकी अपनी विधानसभा करगहर में पार्टी को सिर्फ 7.42% वोट मिला है। प्रशांत किशोर के दावे और हकीकत… चुनाव से पहले प्रशांत किशोर ने बड़े-बड़े दावे किए। जो चुनावी रिजल्ट में धराशाई हो गए। जैसे… 1. JDU 25 से कम सीटें जीतेगी, नीतीश CM नहीं बनेंगे; ऐसा नहीं हुआ तो राजनीति छोड़ दूंगा चुनाव के प्रचार के दौरान प्रशांत किशोर ने दावा किया कि नीतीश कुमार अब मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे। उनकी सरकार जा रही है। 9 नवंबर को एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा- नीतीश सरकार जा रही है। 14 नवंबर के बाद नई सरकार आएगी। 7 अक्टूबर को एक इंटरव्यू में उन्होंने ये तक कहा कि JDU की 25 से कम सीटें आएंगी। अगर ज्यादा सीट आई तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा। हकीकत- आज NDA न सिर्फ सरकार में लौटी है, बल्कि पिछली बार से अच्छा प्रदर्शन करते हुए 202 सीटें जीत गई है। प्रशांत किशोर का खाता तक नहीं खुला है। वहीं JDU 85 सीटें जीती है। और वो विधानसभा में नंबर-3 से नंबर-2 की पोजिशन पर पहुंच गई है। अब देखना होगा कि क्या पीके राजनीति छोड़ देंगे। 2. जनसुराज को 130 सीटें मिली तो भी मैं अपनी हार मानूंगा सितंबर में प्रशांत किशोर ने कई मौकों पर कहा कि 2025 में बिहार इतिहास रचेगा। जनसुराज पार्टी की सरकार बनेगी। अगर 125-130 सीटें आई तो इसे भी मैं अपनी हार मानूंगा। हकीकत- जनसुराज को खाता भी नहीं खुला है। 98% प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई है। 3. महागठबंधन लड़ाई में नहीं है, NDA-जनसुराज मेन प्लेयर है चुनाव से 3 महीने पहले से प्रशांत किशोर यह दावा करते रहे कि इस बार लड़ाई NDA और जनसुराज के बीच है। महागठबंधन लड़ाई में नहीं है। हकीकत- चुनाव नतीजे देखें तो लड़ाई में जनसुराज रही ही नहीं। NDA और महागठबंधन के बीच ही लड़ाई हुई और जीत NDA की हुई। 4. बड़ी-बड़ी बातें की, लेकिन 45% से ज्यादा दागियों को दिया टिकट चुनाव से पहले प्रशांत किशोर दावा करते थे कि हम साफ-सुथरी राजनीति करने आए हैं। समाज के अच्छे लोगों को पार्टी टिकट देगी। हकीकत- ADR की रिपोर्ट के मुताबिक, जनसुराज पार्टी के 231 प्रत्याशियों में से 108 पर क्रिमिनल केस है। इसमें से 100 पर गंभीर क्रिमिनल केस है। 25 प्रत्याशियों पर हत्या के प्रयास का केस, 12 प्रत्याशियों पर हत्या का आरोप, 14 प्रत्याशियों पर महिलाओं के खिलाफ अत्याचार का केस है। 1280 दिन, 6,000KM पैदल चले, फिर भी नतीजा जीरो पार्टी को दिया 98 करोड़ रुपए का चंदा 29 सितंबर को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर प्रशांत किशोर ने पार्टी और अपनी आय के फंडिंग के बारे में जानकारी दी। राजनीति के लिए बनाई प्रोफेशनल्स की मजबूत टीम ----------------------- ये खबर भी पढ़िए... भास्कर के सवाल पर भड़के PK, बोले-कोई गुनाह नहीं किया:हमने बिहार बदलने की बात कही, आपलोग मेरा पोस्टमॉर्टम कर रहे हैं, इतनी बातें मत पकड़िए बिहार विधानसभा चुनाव में जीरो पर आउट होने के बाद पहली बार प्रशांत किशोर ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने हार की जिम्मेदारी लेते हुए माफी मांगी और कहा मैं एक दिन का मौन उपवास करूंगा। प्रेस कॉन्फ्रेंस में PK पहले तो भास्कर के सवाल पर भड़क गए। उनकी आवाज, बात करने का तरीका सब बदल गया। फिर सवालों के बीच ही पीसी छोड़़कर निकल गए। दरअसल, PK ने प्रचार के दौरान दावा किया था कि JDU को 25 से ज्यादा सीटें आईं तो राजनीति छोड़ दूंगा। रिपोर्टर ने इसे लेकर उनसे सवाल किया तो जवाब मिला- मैं किसी पद पर नहीं जो उसे छोड़ दूं। पूरी खबर पढ़िए
तीन साल से है डेरा... बंगाल में बिहार वाला एक्सपेरिमेंट दोहराएगी भाजपा लेकिन तरीका अलग होगा
गंगा जी बिहार से बहते हुए ही बंगाल तक पहुंचती हैं. बिहार ने बंगाल में भाजपा की विजय का रास्ता भी बना दिया है... बिहार की प्रचंड जीत के बाद बधाई भाषण में बोले गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ये शब्द बड़ा मैसेज दे रहे हैं. बिहार जीतते ही भाजपा की चुनावी मशीन बंगाल फतह के लिए एक्टिव कर दी गई है.
कानपुर में बड़ा हादसा हो गया। दिल्ली से आ रही तेज रफ्तार स्लीपर बस पलट गई। हादसे में एक बच्चे समेत 3 यात्रियों की मौत हो गई। फिलहाल मृतकों की शिनाख्त नहीं हो पाई है। 6 बच्चों समेत 25 से ज्यादा घायल हैं। इनमें 10 की हालत गंभीर है। बस में 45 यात्री सवार थे। हादसा कानपुर के अरौल में आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर हुआ। बस (BR23P9389) दिल्ली से बिहार के सिवान जा रही थी। बस में कुल 45 यात्री थे। घटना मंगलवार तड़के 3.20 बजे हुई। उस वक्त ज्यादातर यात्री सो रहे थे। स्लीपर बस पहले डिवाइडर पर चढ़ी। फिर पलट गई। बस के आगे का हिस्सा पूरी तरह पिचक गया। घायल यात्रियों ने बताया कि अचानक तेज झटका लगा। चीख-पुकार मच गई। बस की स्पीड इतनी तेज थी कि एक्सप्रेस-वे पर 50 फीट तक घिसटती चली गई। सन्नाटा होने के चलते काफी देर तक यात्री अंदर तड़पते रहे। फिर राहगीरों ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने बस के शीशे तोड़कर घायलों को जैसे-तैसे बाहर निकाला। कुछ तस्वीरें देख लीजिए... यात्री सीटों के बीच फंस गएहादसे की भयावहता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 100 मीटर तक शीशे और पार्ट्स बिखर गए। अंदर यात्री सीटों के बीच फंस गए। अफरा-तफरी के बीच पुलिस टीम पहुंची। सीटें काटकर यात्रियों को निकाला गया। एक यात्री का पैर कटकर अलग हो गया। बस में यूपी, बिहार, दिल्ली और हरियाणा के यात्री थेहादसे के बाद चालक और क्लीनर मौके से भाग गए। अरौल इंस्पेक्टर जनार्दन यादव ने कहा- घायलों को हैलट अस्पताल पहुंचाया गया। बस में यूपी, बिहार, दिल्ली और हरियाणा के यात्री थे। हादसे के अपडेट के लिए लाइव ब्लॉग से गुजर जाइए...
हाईजैक हुआ बिहार चुनाव, सरकार में मिला है इलेक्शल कमीशन: अशोक गहलोत
बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की हार को लेकर राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत का कहना है कि लोकतंत्र में चुनाव में हार-जीत चलती रहती है
लोकतंत्र के महापर्व के बीच 17वीं बिहार विधानसभा नवंबर 2020-25 का कार्यकाल अब पूरा हो चुका है। जनता ने मौजूदा बिहार विधानसभा चुनाव में भारी मतों से अपनी NDA को चुन लिया है। बहुमत मिलने के बाद अब NDA गठबंधन नई सरकार के गठन के लिए आगे की प्रक्रिया में जुट गई है। इससे पहले कि 18वीं विधानसभा अपना कार्यकाल शुरू करे, हम एक बार पिछली विधानसभा के 243 विधायकों के 'रिपोर्ट कार्ड' पर एक नजर डालते हैं। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) और बिहार इलेक्शन वॉच ने 17वीं विधानसभा के कामकाज का एक डिटेल्ड एनालिसिस जारी किया है। बिहार विधानसभा सचिवालय से मिले RTI और आधिकारिक डेटा के आधार पर तैयार किया है। यह रिपोर्ट बताता है कि पांच साल में आपके 243 में से कुछ विधायकों ने सवालों की झड़ी लगा दी तो दूसरी ओर 15 माननीय ऐसे भी रहे, जिनके खाते में एक भी सवाल दर्ज नहीं हुआ। 17वीं विधानसभा में कानून बनाने की 'रफ्तार' इतनी तेज थी कि 99 के 99 बिल एक ही दिन में पास कर दिए गए। अधिकतर विधायक तो 'मौन' रहकर सिर्फ कार्यवाही का हिस्सा बने रहे। इन एजेंसियों की एनालिसिस कई चौंकाने वाली आंकड़े भी पेश करती है। सबसे पहले जानते हैं 17वीं बिहार विधानसभा में आपके नेताओं का प्रदर्शन कैसा रहा... विधानसभा की 'हाजिरी': साल में औसतन सिर्फ 29 दिन बैठक किसी भी विधायक के प्रदर्शन को मापने से पहले यह जानना जरूरी है कि उन्हें काम करने का मौका कितना मिला। 17वीं बिहार विधानसभा ने नवंबर 2020 से जुलाई 2025 के बीच कुल 15 सत्र आयोजित किए। इन 15 सत्रों में सदन की कुल 146 बैठकें हुईं। इसका मतलब है कि इन पांच सालों में बिहार विधानसभा में प्रतिवर्ष औसतन सिर्फ 29 दिन की बैठक हुई। यह आंकड़ा बेहद चिंताजनक है। बिहार जैसे राज्य में, जहां मुद्दों की भरमार है, क्या साल में औसतन 29 दिन की बैठक जनसमस्याओं पर चर्चा और कानून बनाने के लिए काफी है? यह एक बड़ा सवाल है, जो हमारी व्यवस्था की गंभीरता को दिखाता है। इन पांच वर्षों में सबसे लंबा सत्र दूसरा और पांचवां सत्र था। इनमें 22-22 बैठकें हुईं, जबकि कई सत्र सिर्फ 5 बैठकों में सिमट गए। दल-बदल का खेल: 17 विधायकों ने बदली पार्टियां 17वीं विधानसभा का कार्यकाल राजनीतिक अस्थिरता का भी गवाह रहा। ADR की रिपोर्ट बताती है कि 2020 के चुनावों के बाद से 17 वर्तमान विधायकों ने अपनी पार्टियां बदलीं। इसमें RJD से BJP में जाना, JDU से RJD में आना, AIMIM के विधायकों का RJD में शामिल होना और INC विधायकों का BJP में जाना शामिल है। यह दलबदल दिखाता है कि विधायकों की राजनीतिक निष्ठा कितनी अस्थिर रही। इसका सीधा असर सदन की स्थिरता और सरकार के कामकाज पर पड़ता है। 'सवालों' के सिकंदर: कौन टॉप पर और कौन रहे 'खामोश' एक विधायक के पास सरकार को जवाबदेह ठहराने का सबसे बड़ा हथियार होता है 'सवाल पूछना'। विधानसभा सत्र के दौरान सदन में पूछे गए 'तारांकित प्रश्न', जिनका मंत्री मौखिक उत्तर देते हैं। दूसरा 'अतारांकित प्रश्न', जिनका लिखित उत्तर मिलता है। यही उनके काम का असली पैमाना है। 17वीं विधानसभा के आंकड़ों के मुताबिक, 251 विधायकों (उप-चुनावों सहित) ने मिलकर कुल 22,505 सवाल पूछे। सदन का औसत प्रति विधायक 179 प्रश्न रहा। लेकिन असली कहानी इस औसत में नहीं, बल्कि टॉपर्स और फेलियर्स की लिस्ट में है। A) टॉप 15 'सक्रिय' विधायक: जिन्होंने सबसे ज्यादा आवाज उठाई इस कार्यकाल में ऐसे 15 विधायक रहे, जिन्होंने सदन में सबसे ज्यादा सवाल पूछकर अपनी सक्रियता का परिचय दिया। इस सूची में BJP, RJD, INC और वामपंथी दलों के विधायक शामिल हैं। यह दिखाता है कि विपक्ष के साथ-साथ सत्ता पक्ष के भी कुछ विधायक अपने क्षेत्र के मुद्दों को लेकर सजग रहे। टॉपर्स का एनालिसिस: B) 15 'खामोश' माननीय: जिनके खाते में 'शून्य' सवाल हैं अब बात करते हैं रिपोर्ट कार्ड के दूसरे पहलू की। 17वीं विधानसभा में 15 विधायक ऐसे भी थे, जिन्होंने पांच साल के कार्यकाल में एक भी सवाल नहीं पूछा। 'शून्य' सवालों का सच: क्या यह 'फेल' हैं? पहली नजर में यह सूची चौंकाती है। एक भी प्रश्न नहीं पूछने वालों में पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी, RJD सुप्रीमो के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव और BJP के कद्दावर नेता नितिन नवीन जैसे बड़े नाम शामिल हैं। वजह 1: मंत्री नहीं पूछते सवाल ऐसे विधायक, जो मंत्री पद पर होते हैं। वह सरकार का हिस्सा होते हैं। इसलिए उनका काम सदन में सवालों का 'जवाब' देना होता है, 'सवाल पूछना' नहीं। इस 'शून्य' सूची में शामिल ज्यादातर नाम (जैसे बिजेंद्र प्रसाद यादव, लेसी सिंह, मदन साहनी, मो. जमा खान, नितिन नवीन, शीला कुमारी, श्रवण कुमार, सुरेंद्र प्रसाद यादव, तेज प्रताप यादव, सुमित कुमार सिंह), इस 5 साल के कार्यकाल के दौरान कभी न कभी मंत्री रहे हैं। जो विधायक पांच साल मंत्री रहे, उनका सवाल न पूछना संवैधानिक प्रक्रिया के तहत लापरवाही नहीं है। लेकिन, विपक्ष में आने के बाद और मंत्री पद पर नहीं रहते हुए सदन में सरकार से प्रश्न न पूछना, उनकी सक्रियता पर सवाल खड़े करता है। वजह 2: अयोग्यता या मृत्यु बिहार में 5 साल में तीन बार सरकार बदली बिहार में 2020 से 2025 तक नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री रहे हैं, लेकिन इस दौरान उनकी सरकार के गठबंधन सहयोगी बदलते रहे। इस अवधि में बिहार में तीन अलग-अलग गठबंधन सरकारें बनीं, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही रहे। - 2020 का चुनाव जीतकर बनाई NDA सरकार सबसे पहले नवंबर 2020 से अगस्त 2022 तक बिहार में NDA सरकार थी। चुनावों के बाद, जनता दल (यूनाइटेड) यानी JDU और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने सरकार बनाई। नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। - अगस्त 2022 में महागठबंधन के साथ जदयू की नई पारी अगस्त 2022 में, नीतीश कुमार ने NDA से गठबंधन तोड़ दिया और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेतृत्व वाले 'महागठबंधन' के साथ मिलकर नई सरकार बनाई। इस सरकार में भी नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री बने रहे, जबकि तेजस्वी यादव उपमुख्यमंत्री बने। - जनवरी 2024 में फिर BJP के साथ वर्तमान सरकार बनाई जनवरी 2024 में नीतीश कुमार ने एक बार फिर पाला बदला। उन्होंने महागठबंधन सरकार से इस्तीफा दे दिया और वापस BJP के नेतृत्व वाले NDA के साथ आ गए। उन्होंने NDA के मुख्यमंत्री के रूप में फिर से शपथ ली और वर्तमान (अक्टूबर 2025) तक इसी पद पर हैं। किस पार्टी के MLA ने उठाए सबसे ज्यादा मुद्दे? विधायकों की व्यक्तिगत सक्रियता के अलावा, यह देखना भी जरूरी है कि एक पार्टी के तौर पर कौन सा दल कितना सक्रिय रहा। ADR की रिपोर्ट ने सभी दलों के विधायकों द्वारा पूछे गए सवालों का औसत निकाला है। यह सूची साफ दिखाती है कि वामपंथी दल CPI-ML(158), CPI-M(125) और कांग्रेस (136) के विधायक सवाल पूछने के औसत में सबसे आगे रहे। मुख्य विपक्षी दल RJD (94) और मुख्य सत्ताधारी दल BJP (86) का औसत लगभग बराबर रहा। JD(U) का औसत 60 और HAM का 59 सवालों के साथ काफी कम रहे। यह इस बात का संकेत है कि इन दलों के ज्यादातर विधायक या तो मंत्री पदों पर थे, जिससे वे सवाल नहीं पूछ सकते थे या फिर वे सदन में कम सक्रिय थे। इन मुद्दों पर सबसे ज्यादा सवाल पूछे गए पिछले पांच साले में कुल 22,505 सवाल पूछे गए। जिन मुद्दों पर प्रश्न पूछे गए थे, उससे पता चलता है कि बिहार के असली सरोकार क्या हैं। ये आंकड़े आईने की तरह साफ हैं। बिहार के विधायकों के लिए आज भी सबसे बड़े मुद्दे सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य ही हैं। ग्रामीण कार्य और सड़क निर्माण को मिला दें तो यह सबसे बड़ा मुद्दा बनता है। इसके बाद शिक्षा और स्वास्थ्य का नंबर आता है। यह दिखाता है कि बिहार की राजनीति अभी भी बुनियादी ढांचे और मूलभूत सुविधाओं के इर्द-गिर्द ही घूम रही है। 100% बिल पास, तो क्या 0% बहस हुई? विधायकों के काम का एक हिस्सा सवाल पूछना (निगरानी) और दूसरा हिस्सा 'कानून बनाना' (विधायी कार्य) है। 17वीं बिहार विधानसभा ने इस दूसरे काम में एक अनोखा रिकॉर्ड बनाया है। ADR की रिपोर्ट के मुताबिक, इन सभी 99 बिलों को उनके प्रस्तुत होने के दिन ही पास कर दिया गया। लोकतंत्र में कानून बनाने की प्रक्रिया में लंबी बहस, संशोधन प्रस्ताव और गहन जांच (जैसे सेलेक्ट कमेटी को भेजना) शामिल होती है। लेकिन 17वीं बिहार विधानसभा के आंकड़े बताते हैं कि यहां 100 फीसदी बिल 'सेम डे' पास हो गए। यह 'रबर-स्टैंप' विधानसभा की तस्वीर पेश करता है। इसका मतलब है कि विपक्ष की आपत्तियों या संशोधनों को कोई खास तवज्जो नहीं मिली और सरकार ने अपने बहुमत का इस्तेमाल कर बिलों को तेजी से पास करा लिया। चाहे वह 'बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक, 2021' जैसा विवादास्पद बिल हो या 'बिहार आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023' जैसा महत्वपूर्ण बिल या विश्वविद्यालयों से जुड़े संशोधन बिल हों। आम जनता से जुड़े सभी बिलों को एक ही दिन में पेश और पास कर दिया गया। यह 'कुशलता' लोकतांत्रिक बहस और जांच-परख की प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े करती है। जनता का 'रिपोर्ट कार्ड' क्या कहता है? 17वीं बिहार विधानसभा (2020-2025) का कार्यकाल विरोधाभासों से भरा रहा। यह रिपोर्ट कार्ड अब जनता के हाथ में है। यह डेटा का एक आइना है जो दिखाता है कि आपका विधायक आपके लिए कितना लड़ा। अब जब ये नेता दोबारा आपके दरवाजे पर वोट मांगने आएं तो यह 'रिपोर्ट कार्ड' आपके हाथ में होना चाहिए। अंतिम फैसला आपको करना है कि इन माननीयों को 'प्रमोट' करना है या 'फेल'। ................................ क्या आप हैं बिहार के एक्सपर्ट? खेलिए और जीतिए 3 करोड़ तक के इनाम बिहार से जुड़े 3 आसान सवालों के जवाब दीजिए और जीतिए 3 करोड़ तक के इनाम। रोज 50 लोग जीत सकते हैं आकर्षक डेली प्राइज। लगातार खेलिए और पाएं लकी ड्रॉ में बंपर प्राइज सुजुकी ग्रैंड विटारा जीतने के मौके। क्विज अभी खेलने के लिए यहां क्लिक करें - https://dainik.bhaskar.com/GXiUvc8h3Wb
मकान मालिक बिहार गए, चोरों ने दिनदहाड़े घर में चोरी की
उदयपुर| सवीना थाना क्षेत्र में चौकीदार ने मालिक के घर में चोरी का मामला दर्ज कराया है। पुलिस अनुसार फांदा निवासी ऊंकार लाल गमेती ने रिपोर्ट दी कि वह बिलिया गांव में रिद्धिनाथ झा के मकान की रखवाली करते हैं। कुछ दिनों पहले झा बिहार गए थे। गत 14 नवंबर की रात वह मकान पर सोने के लिए गए। ताले टूटे मिले। उन्होंने मकान मालिक को सूचना दी। वे अंदर गए तो सामान बिखरा पड़ा था। अलमारी से सामान चोरी हो गया। चोरी हुए सामान की जानकारी मकान मालिक के आने पर लग पाएगी। पुलिस ने मौका मुआयना कर चोरों की तलाश शुरू की है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कहा कि बिहार चुनाव के नतीजों ने यह सबक सिखाया है कि सरकार से लोगों की आकांक्षाएं बहुत अधिक हैं और वे अच्छी नीयत वाले राजनीतिक दलों पर भरोसा करते हैं। मोदी ने छठा रामनाथ गोयनका व्याख्यान देते हुए कहा कि चाहे केंद्र सरकार हो या क्षेत्रीय दलों के नेतृत्व वाली राज्य सरकारें, उनका प्राथमिक ध्यान विकास पर होना चाहिए। ALSO READ: Bihar : NDA सरकार में किसे मिलेगा मंत्री पद, क्या बराबर रहेंगे JDU-BJP के मंत्री, LJP (R) को कितने पद पीएम मोदी ने कहा कि 10-15 साल पहले कांग्रेस में जो अर्बन-नक्सली माओवादी पैर जमा चुके थे, अब वो कांग्रेस मुस्लिम-लीगी माओवादी कांग्रेस बना चुके हैं। आज मैं पूरी जिम्मेदारी से कहूंगा कि मुस्लिम-लीगी माओवादी कांग्रेस अपने स्वार्थ में देशहित को तिलांजलि दे चुकी है। मुस्लिम-लीगी माओवादी कांग्रेस आज देश के लिए बहुत बड़ी खतरा बनते जा रही है। पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस भारत के संविधान को नकारने वाले माओवादी आतंक को पालती-पोषती रही है। सिर्फ दूर-दराज के क्षेत्रों और जंगलों में ही नहीं, कांग्रेस ने शहरों में भी नक्सलवाद के जड़ों को खाद पानी दिया। Edited by : Sudhir Sharma
उत्तर प्रदेश सरकार के उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक आज सोमवार को प्रयागराज पहुंचे थे। यहां एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पहुंचे थे। इसके पहले मीडिया से भी औपचारिक संक्षिप्त बातचीत हुई। प्रयागराज आगमन पर भाजपाइयों ने बमरौली एयरपोर्ट पर स्वागत किया। डिप्टी सीएम ने पत्रकारों के सवाल पर जवाब देते हुए कहा, बिहार में तेजस्वी यादव अपने पिता लालू प्रसाद यादव की तरह जंगल राज लाना चाहते थे। बिहार की जनता ने उनका सुपड़ा साफ कर दिया। अब पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की जंगल राज शासन का सुपड़ा साफ करने की पश्चिम बंगाल की जनता मन बना चुकी है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस, सपा ,राजद,वामदल, तृणमूल कांग्रेस के लोग बिहार विधानसभा के चुनाव में केंद्र की मोदी सरकार उखाड़ने का सपना देख रहे थे लेकिन बिहार की जनता ने उनको ही उखाड़कर फेंक दिया। वहां की जनता ने संदेश दे दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विजय रथ रुकने वाला नहीं है फर्जी वोटरों से राजनीति चमकाने वालों का अंत उन्होंने एसआईआर अभियान को लेकर कहा कि यह लोकतंत्र का महाभियान बन चुका है और इस अभियान के अंतर्गत वास्तविक मतदाता सामने आएंगे और अपने मतदान का पूरा अधिकार पाएंगे और फर्जी घुसपैठी बने मतदाता जो भारतीय लोकतंत्र को लहूलुहान कर रहे थे उनका सफाया होगा। कहा कि कांग्रेस, सपा, वामदल एवं तृणमूल जैसी राजनीतिक दल एसआईआर अभियान आने से आखिर क्यों डर रहे हैं? वो इसलिए डरे हैं क्योंकि फर्जी घुसपैठी बने मतदाताओं के बल पर ही ऐसे दल के लोग अपनी राजनीति चमकाते रहे उस पर पूर्ण विराम लग जाएगा। एयरपोर्ट पर स्वागत करने वालों में विधायक हर्षवर्धन बाजपेई, विधायक दीपक पटेल, पूर्व जिलाध्यक्ष जमुनापार विभव नाथ भारती, मीडिया प्रभारी राजेश केसरवानी, रामलोचन साहू, देवाशीष पांडेय, संतोष त्रिपाठी, हर्षित मिश्रा, रॉबिन साहू, ज्ञान बाबू केसरवानी आदि रहे।
मुजफ्फरपुर स्थित बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय के वाणिज्य एवं प्रबंधन विभाग में आज ‘रोल ऑफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ विषय पर दो दिवसीय सेमिनार की शुरुआत हुई। कार्यक्रम का उद्घाटन विभागीय शिक्षकों, अतिथियों और छात्रों की उपस्थिति में फीता काटकर और दीप प्रज्वलित कर किया गया। मुख्य वक्ताओं ने एआई के सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं पर विचार रखा। सेमिनार के मुख्य वक्ता पटना विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. नागेंद्र कुमार झा और रांची विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एम. एन. जुबैरी रहे। दोनों वक्ताओं ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बढ़ते उपयोग, उसके सकारात्मक प्रभाव, संभावित खतरे और भविष्य की संभावनाओं पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि एआई भविष्य की अर्थव्यवस्था और प्रबंधन का अभिन्न हिस्सा बन चुका है। इसके उपयोग से उत्पादन क्षमता, वित्तीय प्रबंधन और उद्योग क्षेत्र में तेजी आएगी। लेकिन इसके दुरुपयोग, बेरोजगारी की आशंका और डेटा सुरक्षा जैसे खतरे भी अनदेखे नहीं किए जा सकते। कुलपति का संदेश पढ़कर सुनाया कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. आलोक सिंह ने की। कुलपति प्रो. दिनेश चंद्र राय व्यस्तता के कारण कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सके, लेकिन उनका संदेश डॉ. सुमी शर्मा ने पढ़कर सुनाया, जिसमें उन्होंने एआई को बदलते समय की मांग बताया। कार्यक्रम में बिहार विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार प्रो. समीर कुमार शर्मा, कुलानुशासक प्रो. बी. एस. राय सहित कई वरिष्ठ शिक्षकों ने एआई विषय पर अपने विचार व्यक्त किए। डीन और निदेशक ने छात्रों को जागरूक कराया। वाणिज्य संकाय के डीन प्रो. सैयद आले मुज्तबा और वाणिज्य व प्रबंधन विभाग के निदेशक प्रो. रवि कुमार श्रीवास्तव ने छात्रों को एआई के फायदे और नुकसान दोनों से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में एआई ज्ञान छात्रों की सबसे बड़ी पूंजी होगी। कई शिक्षकों ने बताया एआई का बढ़ता महत्व सेमिनार में प्रो. गोविंद कुमार जालान, प्रो. सुभाष कुमार, प्रो. अनिता कुमारी, प्रो. प्रियंका दीक्षित समेत कई शिक्षकों ने एआई को नए युग का अहम उपकरण बताया। दूसरे दिन रिसर्च पेपर प्रस्तुति के साथ होगा समापन सेमिनार के दूसरे दिन बुधवार को छात्र और शोधार्थी टेक्निकल सेशन सेकेण्ड में अपने रिसर्च पेपर प्रस्तुत करेंगे, जिसके बाद कार्यक्रम का विधिवत समापन किया जाएगा।
Nitish Kumar new cabinet : बिहार में NDA की जीत के बाद नई सरकार (Bihar Government) के गठन की प्रक्रिया तेज हो गई है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्यपाल से मिलकर सरकार भंग करने की जानकारी दी। अब 19 तारीख को विधानसभा भंग हो जाएगी और नई सरकार ...
कांग्रेस की मध्य प्रदेश सह प्रभारी आरिफा खान ने बताया कि राज्य में मतदाता सूची पुनरीक्षण (एसआईआर) के तहत 8 दिसंबर को दो सूचियां जारी की जाएंगी। उन्होंने यह बात बुरहानपुर के नेपानगर में आयोजित बीएलओ-2 प्रशिक्षण कार्यक्रम में कही। खान ने स्पष्ट किया कि बिहार में केवल वैध मतदाताओं की सूची जारी की गई थी, जबकि मध्य प्रदेश में एक वैध सूची के साथ उन मतदाताओं की सूची भी जारी होगी जिन्हें अपने दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे। दस्तावेज प्रस्तुत करने का कार्य 9 दिसंबर के बाद शुरू होगा, और ऐसे नाम दावे-आपत्ति प्रक्रिया में शामिल होंगे। मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी द्वारा हर जिले में मतदाता सूची पुनरीक्षण कार्यक्रम के लिए बीएलए-2 और कांग्रेस पदाधिकारियों के प्रशिक्षण आयोजित किए जा रहे हैं। इसका उद्देश्य कांग्रेस कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को मतदाता सूची के महत्व के प्रति जागरूक करना है। नेपानगर में हुए इस प्रशिक्षण में मंडलम प्रभारी, प्रकोष्ठ के अध्यक्ष, पार्षद, अल्पसंख्यक कांग्रेस के पदाधिकारी और महिला पदाधिकारी सहित कई नेता शामिल हुए। इस दौरान जिला कांग्रेस कमेटी ग्रामीण अध्यक्ष रविंद्र महाजन, नेपानगर शहर कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष प्रकाश सिंह बैस और ग्रामीण कांग्रेस कार्यकारी अध्यक्ष जगमीत सिंह जॉली भी मौजूद रहे। नेपानगर के बाद, सोमवार शाम 6 बजे से बुरहानपुर में भी बीएलए-2 प्रशिक्षण आयोजित किया गया। इसमें प्रशिक्षण प्रभारी आरिफा खान के साथ दिनेश बौद्ध, भूपेंद्र मंडलोई और जिले के अन्य कांग्रेस नेता उपस्थित रहे।
बिहार चुनाव में मिली करारी हार के बाद महागठबंधन में शामिल मुख्य घटक दल राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की सोमवार को समीक्षा बैठक हुई
गुना में रविवार रात बिहार के एक मजदूर की हत्या हो गई। पता चला है कि मृतक के दो मामाओं ने पहले उसके साथ मारपीट की, फिर गुस्से में कीचड़ में उसका मुंह तब तक डुबाए रखा, जब तक कि उसकी मौत नहीं हो गई। हत्या के बाद आरोपी उसे वहीं पर छोड़कर चले गए। पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। शुरुआती जांच में हत्या की वजह बिहार चुनाव और नतीजे रहे। आरोपियों और मृतक के बीच इलेक्शन रिजल्ट को लेकर विवाद हुआ था। आरोपियों के RJD नेता तेजस्वी पर कमेंट से विवाद बढ़ा था। रात को साथियों के साथ पार्टी कर रहा थापुलिस के मुताबिक घटना कैंट इलाके की है। सूचना मिली थी कि पुलिस लाइन में बन रहे क्वार्टर में एक मजदूर की लाश पड़ी है। मौके पर पहुंचे तो मृतक की पहचान शंकर पुत्र लल्लन मांझी (22) निवासी बिहार के रूप में हुई। पूछताछ में पता चला कि वह रात में अपने दो परिचितों के साथ पार्टी कर रहा था। पुलिस ने शंकर को अस्पताल भिजवाया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। परिजन को इसकी सूचना दे दी गई है। आरोपी बोले- शंकर मांझी हमारा भांजा थापुलिस ने शंकर मांझी के साथ मौजूद दो युवकों राजेश मांझी पुत्र सुखदेव (25) और तूफानी पुत्र कैलाश मांझी (27) को गिरफ्तार किया है। पूछताछ में उन्होंने बताया कि हम बिहार के शिवहर जिले के रहने वाले हैं। हम दोनों शंकर के साथ दो-तीन दिन पहले ही बिहार से मजदूरी करने गुना आए थे। शंकर हमारा भांजा था। हम यहां पुलिस लाइन में बन रहे नए क्वार्टर्स में मजदूरी कर रहे थे। रविवार रात सभी लोगों ने साथ में खाना बनाया और फिर शराब पार्टी की। नशे में हम तीनों के बीच विवाद हो गया। झगड़ा इतना बढ़ा कि दोनों ने शंकर के साथ मारपीट की। उसका मुंह कीचड़ में डूबा दिया। मुंह में पानी और कीचड़ भरने से उसका दम घुट गया। चुनाव के नतीजों पर तीनों के बीच हुई थी बहसपुलिस सूत्रों की मानें तो तीनों में से राजेश और तूफानी दोनों JDU के समर्थक हैं। वहीं, शंकर RJD समर्थक था। हाल ही में आए बिहार चुनाव के नतीजों को लेकर उनके बीच बहस हुई थी। राजेश और तूफानी ने तेजस्वी के बारे में कुछ बोल दिया। इसी बात को लेकर शंकर आक्रोशित हो गया और अपशब्द बोल दिए। इस पर बहस ज्यादा हो गई और मारपीट होने लगी।
दिल्ली में यमुना नदी का प्रदूषण एक बार फिर सुर्खियों में है। आम आदमी पार्टी (आप) ने सोमवार सुबह भाजपा सरकार पर यमुना सफाई अभियान को लेकर बड़े आरोप लगाए और दावा किया कि सफाई को लेकर चलाया गया अभियान केवल दिखावा था, जो बिहार चुनाव खत्म होते ही बंद कर दिया गया
बिहार की बेरहम बहू, ससुर का प्रायवेट पार्ट ईंट से कुचला, सिर फोड़ दिया
daughter in law crushed father in laws private part in Bihar: बिहार के मोतिहारी जिले में एक सनसनीखेज घटनाक्रम के तहत एक महिला ने बुजुर्ग ससुर का प्रायवेट पार्ट ईंट से कुचल दिया। महिला ने बुजुर्ग के सिर पर भी वार किया, जिससे उसकी मौत हो गई। पुलिस ने ...
सीपीआईएम की वरिष्ठ नेत्री वृंदा करात ने पाकुड़ स्थित पार्टी कार्यालय में मीडिया से बात की। उन्होंने बिहार विधानसभा चुनाव परिणामों के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर आक्रामक रुख अपनाने और विभिन्न राज्यों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया। वृंदा करात ने कहा कि भाजपा झारखंड में विघटनकारी नारों के बावजूद सरकार नहीं बना पाई, बल्कि उसकी सीटें भी कम हो गईं। प्रधानमंत्री सहित भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं ने विभाजनकारी भाषण दिए उन्होंने बिहार चुनाव परिणामों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि चुनाव के दौरान मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट (आचार संहिता) का खुलेआम उल्लंघन किया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री सहित भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं ने विभाजनकारी भाषण दिए, लेकिन चुनाव आयोग ने उन पर कोई कार्रवाई नहीं की। उन्होंने यह भी बताया कि चुनाव से एक दिन पहले मतदाताओं के बैंक खातों में 10,000 रुपए भेजे गए थे। देश की जनता को चौकस रहने की जरूरत वृंदा करात ने चुनाव आयोग की भूमिका पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि बिहार चुनाव ने साबित कर दिया है कि वोट की चोरी केवल मतदाता सूची से ही नहीं, बल्कि अन्य तरीकों से भी हो रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग भाजपा आयोग के रूप में काम कर रहा है और देश की जनता को चौकस रहने की जरूरत है। उन्होंने चेतावनी दी कि भाजपा की विभाजनकारी राजनीति झारखंड में भी घुसपैठ करने का प्रयास करेगी। उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) सरकार से आग्रह किया कि वह सभी दलों के साथ बैठक कर राज्य में वैकल्पिक नीतियों को मजबूती से लागू करने पर बहस करे। वृंदा करात ने झारखंड में रैयतों की जमीन के गलत तरीके से मापी और भुगतान किए जाने का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कोल इंडिया पर निशाना साधते हुए कहा कि वह निजी कंपनियों को कोयला खदानें देकर खुलेआम लूट करवा रही है। उन्होंने कोयला खनन से होने वाले प्रदूषण पर भी चिंता व्यक्त की। सीपीआईएम नेत्री ने घोषणा की कि इन मुद्दों को लेकर पार्टी जल्द ही जिला स्तर पर आंदोलन करेगी।
आल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने दावा किया है कि बिहार में नीतीश कुमार और बीजेपी गठबंधन की भारी जीत और कांग्रेस व राजद की हार की असली वजह अब तक किसी ने समझी ही नहीं है। उनके मुताबिक यह चुनाव पूरी तरह बरेलवी और देवबंदी वोट में बंटे मुस्लिम समाज के फैसले पर टिक गया। वक्फ संशोधन बिल बना चुनावी मोड़ मौलाना ने अपने बयान में कहा कि जब वक्फ संशोधन बिल पास हुआ, तो मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इसका जोरदार विरोध किया। इस विरोध का केंद्र पटना बन गया। इसी दौरान रमजान का महीना आया और नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री आवास पर रोजा इफ्तार का कार्यक्रम रखा। इसमें देवबंदी और बरेलवी दोनों तरह के उलमा को दावत भेजी गई। देवबंदी उलमा का बायकॉट, बरेलवी उलमा की बड़ी भागीदारी देवबंदी उलमा ने इस इफ्तार का बायकॉट कर दिया, जबकि बरेलवी उलमा बड़ी संख्या में शामिल हुए। मौलाना के अनुसार यहीं से बिहार के मुसलमान दो हिस्सों में बंट गए। इसके तुरंत बाद नीतीश कुमार इदारा ए शरिया पटना पहुंचे और बरेलवी नेतृत्व से लंबी बातचीत की। उसके बाद सरकार में कई बरेलवी उलमा को महत्वपूर्ण पद दिए गए। बरेलवी वोट गया नीतीश के साथ, देवबंदी वोट कांग्रेस गठबंधन के साथ मौलाना रजवी का दावा है कि बिहार में करीब साठ फीसदी वोट बरेलवी मुसलमानों का है और इस वोट ने नीतीश कुमार की जीत पक्की की। जबकि देवबंदी समुदाय कांग्रेस गठबंधन के साथ चला गया। उसी वजह से कांग्रेस और राजद की कोशिशें नतीजों में नहीं दिखीं।
Opinion: कांग्रेस को वोट देगा कौन? आपने कभी सोचा है... बिहार की हार पर राहुल गांधी के नाम खुला खत
Rahul Gandhi Bihar Defeat:राहुल जी,अच्छा नहीं लगता लोग आपका मजाक बनाते हैं. शायद कांग्रेस का प्रदर्शन किसी को भी अच्छा नहीं लगता. इस तरह ग्रैंड ओल्ड पार्टी का शर्मनाक तरीके से जनता के दिल से निकल जाना गंभीर सवाल खड़े करता है. यह हर उस कांग्रेसी के लिए दुखद है जो भले ही गिने चुने हों लेकिन काडर के तौर पर खड़े हैं. मेरा बस एक सवाल है.
यूपी के बलिया में चल रहे ददरी मेले में भोजपुरी सिने स्टार गायक, अभिनेता और पूर्व सांसद दिनेश लाल 'निरहुआ' शामिल हुए। वे भोजपुरी एक्ट्रेस आम्रपाली के साथ भारतेंदु मंच पर आयोजित भोजपुरी नाइट्स कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे। इस दौरान उन्होंने यूपी और बिहार की राजनीति पर खुलकर अपनी राय रखी। हाल ही में बिहार में एनडीए की जीत पर निरहुआ ने कहा कि जिस तरह उत्तर प्रदेश में यूपी में ‘बाबा बा’ का नारा गूंज रहा है, उसी तरह अब बिहार में भी ‘बाबा बा’ की गूंज सुनाई दे रही है। इससे पहले दर्शकों ने निरहुआ और आम्रपाली का तालियों की गड़गड़ाहट से स्वागत किया गया। निरहुआ ने गाने गाकर लोगों का मनोरंजन भी किया। आम्रपाली संग थिरकते भी नजर आए। इस दौरान निरहुआ ने यूपी में सीएम योगी की जमकर तारीफ की। बिहार में खेसारी लाल यादव की हार पर भी बोले। विपक्ष पर भी जमकर निशाना साधा। कार्यक्रम की 3 तस्वीरें देखिए... निरहुआ के 5 बड़े बयान पढ़िए... 'अईले बाईस में योगी जी, फिर सताइस में योगी'निरहुआ ने दावा किया कि “जैसे 2022 में योगी जी आए, वैसे ही 2027 में भी योगी जी ही आएंगे।” उन्होंने कहा- आज उत्तर प्रदेश का बच्चा-बच्चा यही बोल रहा है। जब उनसे पूछा गया कि ‘यूपी में काबा’, तो निरहुआ ने मुस्कुराते हुए इस सवाल का जवाब गाने के जरिए दिया- “यूपी के बच्चा-बच्चा के फरमाइश में योगी जी, अईले बाईस में योगी जी, फिर सताइस में योगी।” निरहुआ के इस अंदाज के बाद मंच पर मौजूद लोगों ने इस पर तालियां बजाई और ‘योगी योगी’ के नारे भी लगाए। खेसारी की चुनावी हार पर बोले- छपरा न छोड़े मेरा छोटा भाईभोजपुरी स्टार खेसारी लाल यादव की हालिया चुनावी हार को लेकर निरहुआ ने कहा- “राजनीति में जीत और हार तो लगी रहती है। मैं भी 2019 में हारा था। लेकिन मैंने आजमगढ़ नहीं छोड़ा। जनता के बीच रहा, उनकी सेवा की। तब जाकर जनता ने मुझे स्वीकार किया।” उन्होंने खेसारी को सलाह देते हुए कहा- “मेरा छोटा भाई छपरा न छोड़े। वह वहीं रहे, जनता के बीच रहे, सेवा करता रहे। जनता का प्यार जरूर मिलेगा।” हारें तो ‘वोट चोरी’, जीतें तो चुपनिरहुआ ने विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए कहा- “जब विपक्ष हारता है तो वोट चोरी की बात करता है, लेकिन जब जीत जाता है तो कुछ नहीं कहता। चुप्पी साधकर बैठ जाता है। विपक्ष केवल अपनी हार को छिपाने के लिए 'वोट चोरी' की कहानी गढ़ने लगता है।” बिहार में सभी जातियों ने किया एकजुट वोटउन्होंने बिहार चुनाव का जिक्र करते हुए कहा- वहां जाति की दीवार टूट गई और सभी जातियों ने एकजुट होकर एनडीए को वोट दिया। निरहुआ का दावा है कि यही तस्वीर यूपी में भी दोहराई जाएगी। ‘बाबा यूपी में तहलका मचाए हुए हैं, बिहार में भी असर दिख रहा’निरहुआ ने कहा- “सब लोग बता रहे हैं कि यूपी में बाबा बा, अब बिहार में भी बाबा बा। बाबा वहां भी गए तो तहलका मचाया और बाबा यहां तो तहलका मचा ही रहे हैं। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में कानून-व्यवस्था और विकास को लेकर जनता में भरोसा काफी मजबूत है। ---------------------------------- ये खबर भी पढ़िए... 9 साल की बच्ची से बुजुर्ग ने रेप किया:वाराणसी में शादी से चॉकलेट देकर गेस्ट हाउस ले गया, CCTV में दिखा वाराणसी में रविवार शाम 64 साल के बुजुर्ग ने 9 साल की बच्ची से रेप किया। वह बच्ची को चॉकलेट देकर शादी समारोह से बगल वाले गेस्ट हाउस में ले गया। वहां उसके साथ दरिंदगी की। इसके बाद बच्ची रोते हुए अपनी मां के पास पहुंची और आपबीती सुनाई। बच्ची ने बुजुर्ग को पहचान भी लिया। इस पर उसके घरवालों ने आरोपी को पकड़ लिया। सूचना पर पुलिस पहुंची। बुजुर्ग CCTV में भी बच्ची को लेकर आता दिखा। इसके बाद पुलिस ने आरोपी को अरेस्ट कर लिया। पुलिस बच्ची का मेडिकल करा रही है। घटना कोतवाली के दारानगर इलाके की है। पढ़िए पूरी खबर...
बिहार चुनाव के परिणाम के बाद लालू यादव के समधी कैप्टन अजय यादव का गुस्सा फूट गया है। कैप्टन अजय यादव ने सोशल मीडिया पोस्ट में चुनाव आयोग पर आरोप लगाए हैं। आयोग की निष्पक्षता पर यादव ने सवाल उठाए हैं। कैप्टन अजय यादव ने चुनाव आयोग पर आरोप लगा हुए कहा है कि सवा करोड़ महिलाओं के खाते में चुनाव के दौरान पैसा भेजा गया। इतना ही नहीं प्रवासी मजदूरों के लिए अलग-अलग राज्यों से स्पेशल ट्रेन चलाई गई। उनके खाने-पीने सहित हुई तमाम व्यवस्थाएं करने और उनको घर तक जाने का टिकट दिया गया। लेकिन पूरे मामले पर चुनाव आयोग आंखें बंद किए बैठा रहा। बिहार चुनाव के परिणामों का असर लालू के कुनबे पर भी पड़ रहा है। हार के कारण परिवार में बिखराव चल रहा है। सभी दुखी हैं और इनका दुख सोशल मीडिया जरिए बाहर आ रहा है। कांग्रेस के नेता और लालू के समधी कैप्टन अजय यादव ने भी अपने दर्द का इजहार कर ही दिया है। कैप्टन अजय याद की पोस्ट में 3 अहम बात....1. सवा करोड़ महिलाओं को मिले 10 हजार: एनडीए गठबंधन ने चुनाव से एक महीने पहले महिलाओं को ₹10,000 देने की घोषणा कर दी। हैरानी की बात यह है कि मतदान से ठीक दो दिन पहले तक लगभग 1.25 करोड़ महिलाओं (यानि 1.25 करोड़ परिवारों) के खातों में ₹10,000 भेजे गए। क्या यह चुनावी रिश्वत नहीं ? चुनाव आयोग इस खुले उल्लंघन पर मौन क्यों रहा? 2. प्रवासियों के लिए स्पेशल ट्रेन : बिहार के लगभग 3 करोड़ प्रवासी मजदूर, जो रोज़गार के लिए बाहर रहते हैं। उनके लिए स्पेशल ट्रेनें चलाई गईं, टिकटें BJP-NDA नेताओं द्वारा बुक कराई गईं, खाने-पीने तक की व्यवस्था की गई। यह सब मतदान प्रभावित करने के लिए किया गया, और चुनाव आयोग फिर भी मूक दर्शक बना खड़ा रहा। 3. वोट चोट का जिक्र : इन सब के अलावा वोट चोरी की घटनाएं हुईं, जहां एनडीए 100 में से 90 सीटें जीत रहा है। ये लोकतंत्र पर बड़ा सवाल खड़ा करती हैं। हम मांग करते हैं कि इन सभी गतिविधियों की निष्पक्ष, पारदर्शी और उच्च-स्तरीय जांच हो। लोकतंत्र खरीद-फरोख्त, दबाव और प्रलोभन से नहीं चलता। जनता का विश्वास ही चुनाव की सबसे बड़ी शक्ति है। बिहार में चुनाव प्रचार कियालालू यादव के समधी और हरियाणा कांग्रेस के 6 बार के विधायक-मंत्री रहे कैप्टन अजय यादव का परिवार बिहार चुनाव प्रचार में जुटा हुआ है। लालू के दामाद चिरंजीवी राव जहां मुख्य सभाओं में जा रहे हैं तो समधी कैप्टन अजय यादव तेजस्वी के लिए गांव-गांव और गली-गली वोट करने की अपील करते हुए घूम रहे हैं। सोशल मीडिया पर दोनों के फोटो और वीडियो जमकर शेयर हो रहे हैं। दोनों ही नेता प्रचार के दौरान लालू के साथ अपना रिश्ता बता रहे हैं। पढ़िए बिहार में सभा में चिरंजीवी राव क्या बोले...
दैनिक भास्कर की इलेक्शन सीरीज 'नरसंहार' के दूसरे एपिसोड में आज कहानी दलेलचक बघौरा नरसंहार की, जिसके बाद 40 साल बिहार में राज करने वाली कांग्रेस फिर कभी अपना सीएम नहीं बना सकी... 29 मई 1987 की रात। जगह- बिहार का औरंगाबाद जिला। वही औरंगाबाद जहां देश का इकलौता पश्चिम मुखी सूर्य मंदिर है। करीब 500 लोगों की भीड़ ‘एमसीसी जिंदाबाद’ नारा लगाते हुए बढ़ रही थी। हाथों में बंदूक, कुल्हाड़ी, गड़ासा और केरोसिन तेल के डिब्बे थे। थोड़ी देर बाद सभी एक जगह रुके। कुछ बात की। फिर आधे बघौरा गांव की तरफ चल पड़े और आधे दलेलचक की ओर। दोनों गांव एक किलोमीटर की दूरी पर हैं। यहां राजपूतों का दबदबा था। बघौरा के गया सिंह वन विभाग में हेड क्लर्क थे। गांव में इकलौता पक्का मकान उन्हीं का था। शौक से बनवाए थे। सिंहद्वार पर दूर से ही आंखें ठहर जाती थीं। रात करीब 8 बजे अचानक कुछ शोर सुनाई पड़ा। उन्होंने दरवाजा खोलकर देखा, तो सामने 200-300 लोगों की भीड़ खड़ी थी। गया सिंह ने हड़बड़ाकर दरवाजा बंद कर लिया। वे दो कदम भी नहीं बढ़े थे कि भीड़ ने धक्का देकर दरवाजा तोड़ दिया। सबसे पहले घर के मर्दों को घसीटकर बाहर निकाला और लाइन में खड़ा कर दिया। इस बीच दो लड़कों ने नजर बचाकर भागना चाहा, लेकिन हमलावरों ने गोली चला दी। दोनों वहीं गिर पड़े। हमलावर उनके नजदीक गया। सांसें अभी पूरी तरह टूटी नहीं थीं। उसने गड़ासा गर्दन पर दे मारी। फिर पसीना पोंछते हुए बोला- ‘अरे देख क्या रहे हो… जाओ इनकी औरतों को उठा लाओ।’ 20-25 हमलावर अंदर घुसे और महिलाओं-बच्चों को उठा-उठाकर बाहर पटकने लगे। सब चीख रहे थे- ‘हमें मत मारो। छोड़ दो। हम तुम्हारे पैर पड़ते हैं।’ एक हमलावर बोल पड़ा- ‘##$% बहुत गर्मी दिखाते हैं ये लोग। हमारी औरतों से मजदूरी कराते हैं। इनके सामने ही औरतों की इज्जत उतारो। तभी बदला पूरा होगा।’ हमलावर, महिलाओं और लड़कियों पर टूट पड़े। उनके कपड़े फाड़ दिए। बलात्कार करने लगे। कुछ देर बाद एक अधेड़ बोल पड़ा- ‘बहुत हो गया। अब सबको काट डालो।’ हमलावर, महिलाओं को घसीटते हुए बरामदे में ले गए। उनकी गर्दन तखत पर रखकर जोर से दबा दी। एक हमलावर ने कुल्हाड़ी उठाई और एक-एक करके पांच महिलाओं की गर्दन उतार दी। पूरे बरामदे में खून फैल गया। हमलावर बोला- ‘ठिकाने लगा दो सबको।’ 8-10 लोग फावड़ा लेकर घर के सामने ही गड्ढा खोदने लगे। कुछ ही देर में गड्ढा तैयार हो गया। हमलावरों ने महिलाओं की लाश गड्ढे में डालकर ऊपर से मिट्टी भर दिया। ‘अब इन #@$%* को बांधकर ले चलो बरगद के पास। गांव वाले भी तो देखें कि हमसे टकराने का अंजाम क्या होता है।’ ये सुनते ही हमलावरों ने गया सिंह और उनके परिवार के लोगों के हाथ-पैर बांध दिए। घसीटते हुए बरगद के पेड़ के पास ले गए। गांव की शुरुआत में ही बड़ा सा बरगद का पेड़ था। अब तक गांव में चीख-पुकार मच चुकी थी। हमलावर राजपूत परिवारों से चुन-चुनकर महिला, पुरुष और बच्चों को घसीटते हुए बरगद पेड़ के पास ला रहे थे। कई लोग छत से कूदकर खेतों की तरफ भाग रहे थे। हमलावर लगातार फायरिंग कर रहे थे। कुछ लोग तो मौके पर ही मारे गए। 40 साल का एक शख्स ट्रैक्टर लेकर घर लौट रहा था। हमलावरों को देखते ही चीख पड़ा- ‘अरे काका हम राजपूत नहीं हैं। हम तो इनके घर काम करते हैं। हम हरिजन हैं हरिजन।’ #$%@#$ झूठ बोल रहा… कहते हुए एक अधेड़ ने उसकी पीठ पर कुल्हाड़ी मार दी। दो हमलावरों ने उसे ट्रैक्टर की सीट से बांध दिया। फिर केरोसिन तेल का डिब्बा ट्रैक्टर पर उड़ेला और आग लगा दी। कुछ ही मिनटों में ड्राइवर तड़प-तड़प कर मर गया। इधर, बगल के गांव दलेलचक में कमला कुंवर कुछ घंटे पहले ही ससुराल से लौटी थीं। पिता भोज की तैयारी कर रहे थे। मेहमान आ चुके थे। अचानक कुत्ते भौंकने लगे। कमला अपनी बहन ललिता से बोली- ‘जाओ देखो तो बाहर कौन है?’ ललिता ने झांककर देखा सैकड़ों हथियारबंद गांव की तरफ बढ़ रहे थे। वो चीख उठी- ‘पापा, मम्मी सब भागो, नक्सली आ गए हैं।’ दोनों बहनें, उनके मम्मी-पापा और बाकी रिश्तेदार खेतों की तरफ भागने लगे। तभी बगल के लोगों ने रोक लिया। कहने लगे- ‘आप लोगों को कोई खतरा नहीं है। घर में ही छिप जाओ।’ कुछ ही मिनटों में भीड़ ने गांव में धावा बोल दिया। राजपूतों के घरों में घुस गए। मारकाट मचाने लगे। कमला और ललिता घर के पीछे भूसे के ढेर में छिप गईं। बाकी परिवार और रिश्तेदार पकड़े गए। दो साल का बच्चा पलंग पर सो रहा था। वो भीड़ देखकर रोने लगा। हमलावर ने चीखते हुए कहा- ‘इस कमीने को सबसे पहले मारो।’ इतना सुनते ही एक अधेड़ ने बच्चे को उठाकर चौखट पर पटक दिया। उसका सिर फट गया। हमलावर ने बाल पकड़कर बच्चे को उठा लिया। दूसरे ने बच्चे की गर्दन पर कुल्हाड़ी दे मारी। बच्चे का सिर हमलावर के हाथ में रह गया और बॉडी नीचे गिर गई। एक ने औरतों की तरफ इशारा करते हुए बोला- ‘इनकी इज्जत लूट लो और काम तमाम कर दो।’ हमलावरों ने वैसा ही किया। बलात्कार करके महिलाओं और लड़कियों की गर्दन उतार दी। कमला के पिता से यह देखा नहीं गया। वे गाली देते हुए हमलावरों पर झपटे, पर उन लोगों ने दबोच लिया। दो हमलावरों ने उनका पैर पकड़ा और दो ने हाथ। 20 साल के एक लड़के ने उनके पेट में कुल्हाड़ी मार दी। वो चीख उठे। तभी हमलावर ने उनके मुंह में बंदूक का बट ठूंस दिया। चंद मिनटों में वे तड़प-तड़पकर शांत हो गए। अब एक हमलावर बोला- ‘टाइम खराब मत करो। सारे मर्दों को बांध दो और ले चलो बरगद के पेड़ के पास।’ हमलावरों ने रस्सी से सभी मर्दों के हाथ पैर बांध दिए और घसीटते हुए उसी बरगद के पेड़ के पास ले जाने लगे। दलेलचक के बाकी घरों में भी ऐसे ही कोहराम मचा था। हमलावरों ने महिलाएं और लड़कियों को बलात्कार के बाद घर में ही मार दिया। जबकि मर्दों के हाथ-पैर बांधकर बरगद के पेड़ के पास बैठा दिया। दलेलचक और बघौरा दोनों गांव से करीब 40-50 लोगों को पकड़कर हमलावरों ने यहां रखा था। कुछ ही देर में हमलावरों ने सबको बरगद के पेड़ से बांध दिया। ये लोग जोर जोर से चीख रहे थे- बचाओ, बचाओ। पर कोई सुनने वाला नहीं था। गांव के गैर राजपूतों ने अपने-अपने दरवाजे बंद कर लिए थे। अब तक रात के 9 बज चुके थे। हमलावरों के मुखिया ने कहा- ‘इन @#$%$#@ के टुकड़े-टुकड़े कर दो।’ भीड़ कुल्हाड़ी और गड़ासा लेकर टूट पड़ी। कुछ ही मिनटों में बरगद के पेड़ से दर्जनों अधकटी लाशें लटक गईं। तभी हवा में फायरिंग करते हुए एक हमलावर बोला- ‘जाओ इनके घरों में आग लगा दो। जो छुपे होंगे वो भी जल मरेंगे।’ भीड़ ने चुन-चुनकर दोनों गांवों के राजपूतों के घरों में आग लगा दी। फिर ‘एमसीसी जिंदाबाद। छेछानी का बदला ले लिया। बदला पूरा हुआ।’ का नारा लगाते हुए हमलावर निकल गए। गांव से महज तीन किलोमीटर की दूरी पर मदनपुर थाना है। भीड़ की धमक, लोगों की चीखें और गोलियों की गूंज थाने तक पहुंच चुकी थीं, पर पुलिस निकलने की हिम्मत नहीं जुटा पाई। करीब 2 घंटे बाद पांच पुलिस वाले गांव के लिए निकले। बगल के दूसरे थाने से पुलिस की एक और टीम दलेलचक पहुंची। कुछ ही देर में औरंगाबाद के एसपी सतीष झा भी पहुंच गए। दोनों गांवों में घरों से अब भी आग की ऊंची-ऊंची लपटें दिख रही थीं। एसपी सतीश झा और बाकी पुलिस वाले आग बुझाने में जुट गए। वे घर-घर जाकर पानी मांग रहे थे, लेकिन किसी ने दरवाजा नहीं खोला। इसी बीच एसपी को कुछ लोगों के कराहने की आवाज सुनाई पड़ी। पुलिस वालों को लेकर वे उस तरफ दौड़े। टॉर्च जलाई। देखा 4 साल का एक बच्चा बिस्तर लपेटे एक कोने में सिसक रहा था। थोड़ी दूर पर 20-25 साल का एक लड़का भूसे के ढेर में छिपा हुआ था। उन्होंने दोनों को बाहर निकाला। इधर, पटना तक नरसंहार की खबर पहुंच गई थी। रात में ही डीजीपी शशिभूषण सहाय और आईजी ललित विजय सिंह, दलेचचक बघौरा के लिए निकल गए, पर गांव तक जाने के लिए पक्की सड़क नहीं थी। उन्हें पहुंचने में काफी देर हो गई। इधर, पूरी रात पुलिस आग बुझाने में जुटी रही, पर आग बुझने का नाम नहीं ले रही थी। अब सुबह के 5 बज गए थे। एक-एक करके लाशें गिनी जाने लगीं। बरगद के पेड़ के पास 29 कटी फटी लाशें मिलीं। सिर जमीन पर बिखरे पड़े थे और बाकी हिस्सा बरगद के पेड़ से बंधा हुआ था। पूरी जमीन खून से सन गई थी। ऐसा लग रहा था जैसे कोई बूचड़खाना हो। पुलिस ने दोनों गांवों में एक-एक घर की तलाशी ली। 26 लाशें मिलीं। इनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे थे। कुल 55 लोग मारे गए थे। 54 राजपूत और एक हरिजन। 7 परिवार ऐसे थे, जिनके घरों में कोई जिंदा नहीं बचा था। आजादी के बाद ये बिहार का सबसे बड़ा जातीय नरसंहार था। आरोप माओवादी संगठन माओइस्ट कम्युनिस्ट सेंटर यानी एमसीसी पर लगा। तब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी और राजीव गांधी प्रधानमंत्री। बिहार में भी सरकार कांग्रेस की थी और बिंदेश्वरी दुबे मुख्यमंत्री। एक ही चिता पर 80 साल के बुजुर्ग और 6 महीने के बच्चे का अंतिम संस्कार अगले दिन यानी 30 मई को सरकार ने नरसंहार में मारे गए लोगों का सामूहिक अंतिम संस्कार करवाया। कई लाशों की पहचान नहीं हो सकी थी। कई मृतकों के घर से कोई आया नहीं। शायद उनके परिवार में कोई बचा ही नहीं था। एक-एक चिता पर 5-7 लाशें रखी गई थीं। एक ही चिता पर 80 साल के बुजुर्ग और 6 महीने के बच्चे का अंतिम संस्कार किया गया। ये सीन देखकर वहां मौजूद लोग और पुलिस वालों की आंखें भर आई थीं। लोग जलती चिताओं से राख उठाकर तिलक लगा रहे थे। शायद ये तिलक बदले का संकेत था। पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर को धक्का मारने लगी भीड़, पत्रकार ने बचाया 31 मई की सुबह पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर दिल्ली से सीधे दलेलचक बघौरा पहुंचे। किताब ‘द जननायक कर्पूरी ठाकुर’ में उपसभापति हरिवंश नारायण उस किस्से को याद करते हैं- ‘मैं एक मैगजीन रिपोर्टर था। गया से औरंगाबाद होते हुए सुबह 6 बजे नरसंहार वाली जगह पहुंचा। मैंने देखा कि एक कोने में कर्पूरी ठाकुर चुपचाप खड़े थे।’ उसी किताब में पटना के वरिष्ठ पत्रकार दीपक कुमार कहते हैं- ‘जब भीड़ कर्पूरी को धकियाने लगी तो मुझे लगा कि उन्हें अपमानित किया जा सकता है। हमारी आंखें मिलीं और वे मेरी स्कूटर पर पीछे बैठ गए। मैं उन्हें औरंगाबाद मेन रोड तक ले गया। वहां से वे अपनी गाड़ी में बैठकर पटना चले गए।’ जलते घर, वीरान गांव, नरसंहार का मंजर देख रो पड़े मुख्यमंत्री बिंदेश्वरी दुबे 31 मई को ही मुख्यमंत्री बिंदेश्वरी दुबे भी दलेलचक बघौरा पहुंचे। अब भी कई घरों में आग बुझी नहीं थी। फायर ब्रिगेड की गाड़ियां मंगाई गईं। फिर आग बुझाई गई। मुख्यमंत्री घर-घर जाकर देख रहे थे, पर गांव के ज्यादातर लोग भाग चुके थे। अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक एक बुजुर्ग, मुख्यमंत्री को देखकर बिलखने लगा। उसकी गोद में दो छोटे-छोटे बच्चे थे। कहने लगा- ‘साहब ये दोनों मेरे पोते-पोती हैं। इनके मां-बाप को मार डाला है। परिवार में बस ये ही बचे हैं। मैं अकेला इनकी देखभाल कैसे करूंगा।’ यह देखकर मुख्यमंत्री भी रोने लगे। कुछ देर बाद वे पटना लौटे और अगले दिन ऐलान किया कि एमसीसी पर बैन लगाया जाएगा। इस नरसंहार में विधायक रामलखन सिंह यादव पर भी आरोप लगा था। कहा गया कि 30 अप्रैल को वे औरंगाबाद के ही एक गांव छोटकी छेछानी में यादव महासभा के लिए गए थे। विपक्ष का दावा था कि मुख्यमंत्री भी यादव महासभा में शामिल हुए थे। एमसीसी ने इस नरसंहार को छोटकी छेछानी का ही बदला बताया था। इसलिए विपक्ष सरकार पर और ज्यादा हमलावर था। 5 जून को जनता पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर, राम विलास पासवान और लोकदल के अजित सिंह गांव पहुंच गए। इन सब घटनाओं से सीएम पर लगातार इस्तीफे का दबाव बढ़ रहा था। जनता पार्टी और बाकी विपक्षी दल सरकार बर्खास्त करने की मांग कर रहे थे। आखिर छोटकी छेछानी में क्या हुआ था, जिसका बदला माओवादियों ने दलेलचक बघौरा में लिया… दरअसल, बघौरा गांव के बगल से कोयल नहर निकलने वाली थीं। इससे वहां की जमीनों की कीमतें अचानक बढ़ गई थीं। इन जमीनों पर राजपूतों का दावा था। जबकि यादव अपना कब्जा चाहते थे। नक्सली संगठन एमसीसी यादवों की मदद कर रहा था। दलेलचक गांव में बोध गया के महंत की सैकड़ों एकड़ जमीनें थीं। एमसीसी वालों ने उनकी कुछ जमीनों पर कब्जा कर लिया था और बटाईदारों के जरिए खेती करवा रहे थे। गांव के ही एक दबंग राजपूत रामनरेश सिंह ने महंत से 46 एकड़ जमीनें खरीद लीं और बटाईदारों को भगा दिया। कहा जाता है कि रामनरेश केंद्रीय मंत्री और बाद में पीएम बने चंद्रशेखर का करीबी था। कुछ ही दिनों बाद रामनरेश के सहयोगी कृष्णा कहार का मर्डर हो गया। सितंबर 1986 में राम नरेश के एक और सहयोगी की हत्या हो गई। आरोप एमसीसी पर लगा। 10 दिनों के भीतर ही जमींदारों ने 5-6 एमसीसी कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी। यहां से बदले की आग और धधकती गई। 20 दिन बाद पास के ही दरमिया गांव में 11 राजपूतों की हत्या हो गई। फिर से आरोप लगा एमसीसी पर। इसके बाद सरकार ने स्पेशल ऑपरेशन चलाया। पुलिस बढ़ा दी गई। सेंट्रल फोर्सेज की तैनाती की कर दी गई। कुछ महीने मामला काबू में रहा। फिर प्रशासन ने ढील दे दी। सेंट्रल फोर्सेज को पंजाब भेज दिया गया। एसपी और टास्क फोर्स वालों को भी पटना बुला लिया गया। दरअसल, उन दिनों पंजाब उग्रवाद के दौर से गुजर रहा था। ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद इंदिरा गांधी की हत्या हो चुकी थी। 19 अप्रैल 1987 को राजपूत जमींदार केदार सिंह की हत्या हो गई। इस हत्या के दो घंटे बाद ही मुसाफिर यादव और राधे यादव परिवार के सात लोगों का कत्ल हो गया। मुसाफिर और राधे यादव एमसीसी के सपोर्टर माने जाते थे। कुछ रोज बाद मदनपुर बाजार में नक्सलियों ने पर्चा बंटवाया। जिसमें लिखा था- ‘सात का बदला सत्तर से लेंगे।’ और अगले ही महीने दलेलचक बघौरा में नरसंहार हो गया। दो साल में 3 मुख्यमंत्रियों का इस्तीफा, फिर कभी कांग्रेस का सीएम नहीं बना इस नरसंहार को लेकर विपक्ष तो हमलावर था ही, सरकार के अंदर भी अलग-अलग खेमे बंट गए थे। पूर्व सीएम जगन्नाथ मिश्रा तो अपने ही सीएम पर लापरवाही का ठीकरा फोड़ रहे थे। आनन-फानन में सरकार ने डीजीपी एसबी सहाय को हटा दिया। आईजीपी लॉ एंड ऑर्डर का भी तबादला हो गया। औरंगाबाद के एसपी भी बदल गए। पर सरकार में सबकुछ ठीक नहीं रहा। इसके बाद सीएम को दिल्ली बुलाया गया। सियासी गलियारों में कयास लगने लगे कि मुख्यमंत्री बदले जाएंगे। आखिरकार 13 फरवरी 1988 को मुख्यमंत्री बिंदेश्वरी दुबे ने इस्तीफा दे दिया। भागवत झा आजाद मुख्यमंत्री बने, लेकिन एक साल बाद उन्हें भी हटा दिया गया। इसके बाद सत्येंद्र नारायण सिंह सीएम बने। पर 7 महीने बाद दिसंबर 1989 में उनका भी इस्तीफा हो गया। अगले चुनाव में दो-तीन महीने ही बचे थे। ऐसे में राज्य की कमान एक बार फिर से जगन्नाथ मिश्रा को मिली। 1990 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 324 सीटों में से महज 71 सीटें मिलीं। पिछले चुनाव से 125 कम। मगध संभाग, जहां ये नरसंहार हुआ था, वहां की 26 सीटों में से सिर्फ 10 सीटें ही कांग्रेस बचा सकी। जबकि पिछले चुनाव में उसे 19 सीटें मिली थीं। यानी आधी सीटें कांग्रेस ने गंवा दी। 122 सीटें जीतकर जनता दल ने लेफ्ट और निर्दलीयों की मदद से सरकार बनाई और लालू यादव मुख्यमंत्री बने। 1990 के अगस्त में मंडल कमिशन की सिफारिशें लागू करने का एलान हुआ और दो महीने बाद ही बीजेपी ने राम रथ यात्रा निकाल दी। इसी दौरान लालू ने बीजेपी नेता लाल कृष्ण आडवाणी को बिहार में गिरफ्तार कर लिया। यहां से लालू को पिछड़ों के साथ ही मुस्लिमों का साथ भी मिलने लगा। दूसरी तरफ आरक्षण और सवर्णों के नरसंहारों की वजह कांग्रेस के कोर वोटर्स बीजेपी की तरफ शिफ्ट होते गए। 1995 के चुनाव में कांग्रेस सिर्फ 29 सीटों ही जीत सकी। इसके बाद साल दर साल कांग्रेस कमजोर पड़ती गई। 40 साल तक बिहार में राज करने वाली कांग्रेस, राजद का छोटा भाई बनने पर मजबूर हो गई। तब से उसका सीएम तो नहीं ही बना, वह मुख्य विपक्षी पार्टी भी नहीं बन पाई। हमलावर 500, आरोपी 177, 8 उम्रकैद काटकर जेल से छूट गए दलेलचक बघौरा गांव में 500 लोगों की भीड़ ने हमला किया था। इनमें से कुल 177 आरोपी बनाए गए। इनमें ज्यादातर यादव थे। दिसंबर 1992 में औरंगाबाद सेशन कोर्ट ने 8 को फांसी की सजा सुनाई गई और बाकी सबूतों के अभाव में बरी हो गए। इस फैसले के बाद नक्सलियों ने गया के बारा गांव के पास एक थाने को घेरकर 5 पुलिस वालों की हत्या कर दी। 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया। इसी साल आठों आरोपी अपनी-अपनी सजा काटकर जेल से छूट गए। नरसंहार के बाद ज्यादातर राजपूत गांव छोड़कर चले गए थे। दोनों गांवों को भूतहा गांव कहा जाने लगा था। आज भी इन गांवों में राजपूतों के गिने-चुने ही घर हैं। कई परिवार तो नरसंहार के बाद लौटे ही नहीं। कल तीसरे एपिसोड में पढ़िए कहानी बारा नरसंहार की, जहां 35 भूमिहारों की हत्या कर दी गई.. नोट : (यह सच्ची कहानी पुलिस चार्जशीट, कोर्ट जजमेंट, गांव वालों के बयान, अलग-अलग किताबें, अखबार और इंटरनेशनल रिपोर्ट्स पर आधारित है। क्रिएटिव लिबर्टी का इस्तेमाल करते हुए इसे कहानी के रूप में लिखा गया है।) रेफरेंस :
'पिताजी को खोजने के लिए हम दो भाई 24 घंटे तक दिल्ली में हर ओर चक्कर लगाते रहे, लेकिन कुछ पता नहीं चल रहा था। सूचना मिली थी कि पिताजी बम ब्लास्ट में घायल हुए है, तो मन बेचैन था। लगातार हम दोनों भाई मिलकर चक्कर लगाते रहे। फिर जब LNJP हॉस्पिटल के मॉर्च्युरी में गए तो चार लाशों के बीच पिताजी की लाश पड़ी हुई थी। पुलिस अधिकारी और कर्मचारी ने जब खोलकर दिखाया तो मन बेचैन हो गया। हमने सपने में भी नहीं सोचा था कि पिताजी की ऐसी हालत में लाश मिलेगी।' ये कहते-कहते दिल्ली ब्लास्ट में मारे गए बेगूसराय निवासी मोहम्मद लुकमान का बेटा मोहम्मद सिकंदर फूट-फूटकर रोने लगा। सिकंदर ने बताया कि 11 नवंबर की दोपहर छोटे भाई इमरान ने कॉल कर कहा- पिताजी अपनी दुकान के लिए आर्टिफिशियल ज्वेलरी लाने दिल्ली गए थे। कल से पापा को कॉल कर रहा हूं तो संपर्क नहीं हो रहा था, अभी उनके नंबर से कॉल आया कि आपके पिताजी का मोबाइल मेरे पास है। बम ब्लास्ट वाले जगह से मोबाइल हमको मिला था, वे अस्पताल में भर्ती हैं। इमरान का कॉल आते ही हम बेचैन हो गए और दिल्ली में ही रहने वाले अपने दूसरे भाई जहांगीर के साथ उनको खोजना शुरू कर दिया। 10 नवंबर की शाम दिल्ली के लालकिले के पास हुए ब्लास्ट में मोहम्मद लुकमान (60) की मौत हो गई। शुक्रवार की रात पोस्टमॉर्टम के बाद शव को बेगूसराय लाया गया। लुकमान बम ब्लास्ट के शिकार कैसे हुए, दो दिनों तक उनके बेटे दिल्ली में कहां-कहां पिता को ढूंढते रहे, आखिर में मोहम्मद लुकमान की लाश कैसे और किस हाल में मिली? इन सवालों के जवाब जानने के लिए भास्कर रिपोर्टर मोहम्मद लुकमान के घर पहुंचे और उनके बेटों से बात की। पढ़ें, पूरी रिपोर्ट... बेगूसराय में आर्टिफिशियल ज्वेलरी की दुकान चलाते थे लुकमान लुकमान मूल रूप से खगड़िया के रहने वाले थे। बेगूसराय में वे लंबे समय से किराए के मकान में पोखरिया में रहते थे और कचहरी रोड में आर्टिफिशियल ज्वेलरी की दुकान चलाते थे। ज्वेलरी लाने के लिए ही दिल्ली गए थे, जहां बम ब्लास्ट के शिकार हो गए। लुकमान के बेटे मोहम्मद सिकंदर ने बताया कि पापा ने सदर बाजार से सामान लेकर जामा मस्जिद के पास रख दिया। फिर नाश्ता करने की बात कह कर वहां से निकल गए और थोड़ी देर बाद हुए ब्लास्ट के शिकार हो गए। एक दिन बाद लोकनायक अस्पताल पहुंचा तो लाश देखने नहीं दिया गया। कहा गया कि FIR दर्ज कराएं, तभी हम जाने देंगे और आपकी बात सुनेंगे। फिर वहां से शीशगंज गुरुद्वारा के पास स्थित कोतवाली थाना गए। वहां हमारा बयान लिखा गया। अधिकारी ने अपना नंबर लिखकर लोकनायक अस्पताल भेजा। पुलिस अधिकारी ने कहा- लिस्ट में तुम्हारे पिता का नाम नहीं है मोहम्मद सिकंदर ने आगे बताया कि वहां गए तो पुलिस अधिकारी दीपक कुमार मिले। उन्होंने बताया कि पूरे ब्लास्ट का मामला देख रहा हूं, फिर नाम पता पूछा गया। लिस्ट देखा तो उस लिस्ट में मेरे पापा का नाम नहीं था। न घायलों, न मरने वालों की लिस्ट में पापा का नाम था। इसके बाद उन्होंने 8-10 तस्वीरें दिखाई, जिनकी हालत बहुत बुरी थी। उसमें से एक फोटो देखकर शक हुआ। मैंने इसे पापा की तस्वीर होने की आशंका जताते हुए बॉडी दिखाने का अनुरोध किया। उन्होंने बताया कि इसी बॉडी की 2 दिन से पहचान नहीं हुई है, आपको लगता है कि पिताजी की है तो जाकर देख लीजिए। मॉर्च्युरी में गए तो कई लाशों के बीच एक लावारिस बॉडी पड़ी थी। देखते ही मैं पहचान गया यही मेरे पिता है। मुझे से बॉडी देखा नहीं गया। सिर में चोट था, बांह पर भी चोट के निशान थे। फिर हमने बताया कि यह बॉडी मेरे पिताजी की ही है तो उन्होंने पापा का और मेरा आधार कार्ड लिया। पापा का आधार कार्ड दिल्ली का ही था। पापा भी पहले वही रहा करते थे, कोरोना का लॉकडाउन लगा तो बेगूसराय आ गए और यहीं पर उन्होंने आर्टिफिशियल ज्वेलरी बेचना शुरू कर दिया था। दो-चार महीने में दिल्ली सामान लेने जाते थे तो मेरे और भाई के बच्चों के लिए कपड़ा-सामान लेकर आते थे। लाल किला मार्केट से भी शॉपिंग करते थे। उन्होंने रोड पार किया था, इसी दौरान हादसा हुआ। '13 नवंबर को लाश देने के लिए पुलिस अधिकारी ने बुलाया' सिकंदर के अनुसार कोतवाली थाना के CO ने बताया कि पोस्टमॉर्टम होने के बाद लाश दिया जाएगा। 13 तारीख को आइएगा, पोस्टमॉर्टम होगा। वहां के अधिकारियों ने आश्वासन दिया कि पुलिसकर्मी बिना किसी पैसे के एम्बुलेंस से लाश को घर तक पहुंचाएंगे। जितने भी लोग की मौत हुई है, सभी को मुआवजा सरकार की ओर से मिलेगा। आपको भी दिया जाएगा। जहांगीर बोले- मुख्यमंत्री या एलजी आए थे, अंदर नहीं जाने दिया लुकमान के दूसरे बेटे मोहम्मद जहांगीर ने बताया कि पहले मैं ही अस्पताल के गेट पर गया था तो उस दौरान अंदर नहीं जाने दिया गया। उस दिन मुख्यमंत्री या एलजी में से कोई आए हुए थे, इसलिए रास्ता ब्लॉक कर दिया गया था। इमरजेंसी गेट पर गए तो फिर सभी डॉक्यूमेंट्स मांगा गया, लेकिन मेरे पास कुछ नहीं था, फिर वहां से थाना भेज दिया गया। पिताजी जहां सामान लेते थे खोजते-खोजते वहां पहुंचे तो ब्लास्ट से पहले सामान खरीद कर उन्होंने वहीं रखा था। दुकानदार ने बताया कि शाम में करीब 5:00 बजे चांदनी चौक की ओर गए, लेकिन लौटकर नहीं आए। हमको लगा कि हो सकता है मेरे पास या भाई के पास दिल्ली में ही जहां रहते हैं वहां आने वाले थे। लेकिन पता नहीं कहां जा रहे थे और हादसा हो गया। 'फोन जिसे मिला, उसने मुझे जामा मस्जिद गेट नंबर-3 के पास बुलाया' 11 नवंबर की दोपहर फोन नहीं आता तो मुझे पता भी नहीं चलता की घटना हो गया है। हम काम पर जा रहे थे, इसी दौरान फोन आया। जिसके पास फोन था, उसने जामा मस्जिद के गेट नंबर-3 के पास बुलाया, लेकिन वह नहीं आया। हमने जब पुलिस से हेल्प लिया तब पता चला कि घायल एवं मृतकों को एलएनजेपी अस्पताल और ट्रॉमा सेंटर ले गए हैं। वहां जाकर पता कीजिए, फिर काफी खोज किया तब अज्ञात रूप में रखे पिताजी की बॉडी की पहचान हो सकी। मृतक के छोटे बेटे मो. इमरान ने बताया कि पिताजी 7 नवंबर को महानंदा एक्सप्रेस से दिल्ली गए थे। हम उन्हें ट्रेन पर बैठा दिए थे और 8 दिसंबर की रात में वह दिल्ली पहुंच गए थे। 10 दिसंबर की सुबह बात हुई, शाम में पापा को फोन किए तो स्विच ऑफ बता रहा था। 11 नवंबर को भी सुबह में फोन किया था तो स्विच ऑफ था। 11 नवंबर को दोपहर में फोन आया कि आपका जो आदमी है, वह हादसे में जख्मी हो गया। हम लोगों ने पता लगाना शुरू किया तो कुछ पता नहीं चल रहा था। फोन मेरे नंबर पर ही आया था। मेरे भैया दिल्ली में रहते हैं, उनको फोन किया, फिर थाना में जाकर पता लगाए तब पिता के अस्पताल में होने की जानकारी मिली। शनिवार की रात में बॉडी आया और जनाजे की नमाज के बाद जागीर मोहल्ला के कब्रिस्तान में दफन कर दिया गया है। मैप से समझिए धमाके की लोकेशन
कुशीनगर के विशुनपुरा थाना क्षेत्र में हुए सड़क हादसे में बिहार निवासी एक युवक की मौत हो गई, जबकि दूसरा गंभीर रूप से घायल हो गया। यह दुर्घटना एक ट्रैक्टर-ट्रॉली और अपाची बाइक की टक्कर के कारण हुई। मृतक की पहचान बिहार के हथूहवा निवासी सुधाकर (लगभग 35 वर्ष) के रूप में हुई है। वहीं, बिहार के उलटहवा निवासी सूरज यादव गंभीर रूप से घायल हैं, जिनका इलाज जारी है। यह घटना शुक्रवार को बांसगांव के टोला जटवलिया में हुई। स्थानीय लोगों ने बताया कि तेज रफ्तार ट्रैक्टर-ट्रॉली ने सामने से जा रही अपाची बाइक को जोरदार टक्कर मार दी। हादसे में बाइक पर सवार दोनों युवक सड़क पर गिरकर बुरी तरह घायल हो गए और मौके पर ही अचेत हो गए। स्थानीय लोगों ने तुरंत पुलिस और एम्बुलेंस को सूचना दी। निजी वाहन की मदद से दोनों घायलों को दुदही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया गया। वहां चिकित्सकों ने एक युवक को मृत घोषित कर दिया। घायल सूरज यादव ने बताया कि वे दुदही बाजार से खरीदारी कर घर लौट रहे थे, तभी बांसगांव के पास टोला जटवलिया में यह दुर्घटना हो गई। घटना की सूचना मिलते ही विशुनपुरा थाना पुलिस दुदही सीएचसी पहुंची और शव को कब्जे में लेकर अग्रिम विधिक कार्रवाई में जुट गई है।
बिहार की जनता चुनाव परिणाम से खुश नहीं है। जो हुआ वो चुनाव आयोग के कारण हुआ है। ये परिणाम चुनाव आयोग की मदद से आए और उससे कोई भी सहमत नहीं है। बिहार में दोबारा चुनाव होना चाहिए। ये बात रविवार को इंदौर पहुंचे कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा ने कही है। राबर्ट वाड्रा ने कहा कि राहुल गांधी से सभी युवाओं से जुड़ेंगे और लोकतंत्र के लिए आंदोलन करेंगे। बिहार में दोबारा चुनाव हुए तो रिजल्ट पलटेगा। सरकार जो भी कर रही है, गलत कर रहीरॉबर्ट वाड्रा ने कहा- देश को बदलाव चाहिए। सरकार जो भी कर रही है, गलत कर रही है। यह आज के यूथ को पसंद नहीं है। इसके लिए हम लड़ेंगे जिसके लिए शिव कि शक्ति चाहिए। 2 दिन MP में रहेंगे, नर्मदा स्नान भी करेंगेवाड्रा ने कहा कि मैं उज्जैन आता हूं। मेरा भरोसा है कि इससे शिव की शक्ति मिलती हैं। मेरा धार्मिक दौरा पूरे देश में होता है और यहीं से शुरू होता है। बता दें रॉबर्ट वाड्रा मध्य प्रदेश की दो दिवसीय धार्मिक यात्रा पर आए हैं। वे 17 नवंबर को उज्जैन, ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग दर्शन करेंगे। इसके साथ ही नर्मदा में स्नान और पूजन करेंगे। ये खबर भी पढ़ें...रॉबर्ट वाड्रा पर ₹58 करोड़ की अवैध कमाई का आरोपप्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अपनी चार्जशीट में दावा किया है कि कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा ने 58 करोड़ रुपए अवैध रूप से कमाए। उन्होंने इस रकम का इस्तेमाल प्रॉपर्टी खरीदने और इन्वेस्टमेंट में किया। साथ ही अपने ग्रुप की कंपनियों को लोन दिया और उनके कर्ज चुकाने में भी किया। पढ़ें पूरी खबर...
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा, बिहार में वोट चोरी नहीं, डकैती हुई है। मतदाता पुनरीक्षण यानी SIR (Special Intensive Revision) के नाम पर उन बूथों का रिविजन अधिक हो रहा है, जहां भाजपा चुनाव हारती रही है। अखिलेश यादव रविवार को बैंगलुरू में विजन इंडिया कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। कार्यक्रम मऊ से सपा सांसद राजीव राय और पूर्व मंत्री अभिषेक मिश्रा ने होस्ट किया। अखिलेश यादव ने कहा, ये वोट चोरी से ऊपर का मामला है। ये वोट चोरी नहीं है। इसे तो डकैती बोला जाएगा। भाजपा की बिहार चुनाव की तैयारी सब इंस्टीट्यूशन पर कब्जा करने की तैयारी है। क्योंकि जब बिहार जीत रहे हैं तो वे और लोगों को डराना चाहते हैं। बीजेपी के सबसे बड़े नेता ने कहा कि बिहार से जो गंगा बह रही है वो बंगाल तक जाएगी। बिहार चुनाव के परिणाम पर जब अखिलेश यादव से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि अभी हमने बूथ लेवल पर एनालिसिस नहीं किया है। लेकिन जो यूथ फेस था, पॉपुलर फेस था वो तेजस्वी का था, तेजस्वी काे ज्यादा वोट भी मिले। महागठबंधन की एक पॉजिटिव अप्रोच थी। हमारा विजन पाजीटिव है। दूसरी तरफ जो लोग थे, वो डिवीजन की बात ज्यादा कर रहे थे। पुरानी बात ज्यादा कर रहे थे। पीछे मुड़ कर देख रहे थे। जो विजन की बात करते हैं, वो आगे की ओर देखते हैं। जो डिवीजन की बात करेंगे, वो पीछे मुड़कर देखेंगे। भास्कर पोल में हिस्सा लेकर अपनी राय दे सकते हैं... अखिलेश ने कांग्रेस को नसीहत दीअखिलेश यादव ने कहा, कांग्रेस हमारी गठबंधन की साथी है। इंडिया गठबंधन जो बना है, वो इस लिए बना है कि जो रीजनल पार्टी जहां सबसे पॉपुलर है, उसी की लीडरशिप में सभी पार्टी मिलकर काम करें। हम कर्नाटक की बात करें तो जब एसेंबली का चुनाव हुआ तो उस वक्त कांग्रेस नंबर वन थी। लेकिन जब लोकसभा का चुनाव हुआ तो रिजल्ट दूसरी तरह का था। यूपी का लोकसभा का रिजल्ट दूसरी तरह का था। हर रिजल्ट अलग होता है। इलेक्शन असेंबली का है तो अलग रिजल्ट आएगा। पार्लियामेंट का इलेक्शन है तो अलग रिजल्ट आएगा। लेकिन यूपी के बारे में कह सकता हूं कि जो पार्लियामेंट जीतता है, वही एसेंबली जीतता है। जहां तक रीजनल पार्टी की बात है, मैं अपनी बात करूं तो सबसे अच्छा रिजल्ट दिया। वहां दिया जहां सरकार कहती थी कि डबल इंजन हैं। हम लोगों ने अपनी मेहनत से और कम संसाधन से यूपी में हम लोगों ने बीजेपी का मुकाबला किया है। बाबा साहेब के संविधान को जाे समय समय पर लोग ठेस पहुंचा रहे हैं, उसकी वजह से लोगों ने हमें वोट दिया। रिविजन उन बूथ का अधिक हो रहा है, जहां भाजपा हार रहीअखिलेश ने कहा, एसआईआर में आधार कार्ड को शामिल करना चाहिए। आधार कार्ड सरकार ने बनाया। सरकार अपनी ही चीज को स्वीकार नहीं कर रही है। इससे ज्यादा खराब और क्या सोच हो सकती है। ये एसआईआर रिविजन आफ वोट हो जाए, हमें कोई दिक्कत नहीं है। आप रिविजन किसका ज्यादा कर रहे हो। जिस बूथ पर आप हार रहे हो। उसमें फोकस्ड हैं आप। पूरे एडमिनिस्ट्रेटिव और हर लेवल पर। ये लोग किसी का भी वोट बनवा लें। ये कैसा एसआईआर। इसी लिए हम आरोप इलेक्शन कमीशन पर लगाते हैं कि हमारी शिकायत पर काम क्यों नहीं करते हैं। हमारा विजन पाजीटिव, उनका विजन डिवीजनअखिलेश ने कहा, विजन इंडिया, प्रोग्रेसिव होना, इनक्लूजिव ग्रोथ के लिए काम करना ये हमारा विजन इंडिया है। विजन के साथ हम आगे बढ़ रहे हैं। उनका विजन डिवीजन है। हमारे विजन में पॉजिटिविटी है। इनक्लूसिवनेस है। हमारे विजन में सबको साथ लेकर चलने का काम है। अपनी मुश्किलें और कमियों के रास्ते तलाशने के लिए यूपी जैसे राज्य जहां बहुत सारी समस्या है। स्टार्टअप के लिए सबसे बड़ी पाजीटिव बात है क्योंकि हर समस्या का समाधान स्टार्टअप है। हर प्राब्लम का सोल्यूशन स्टार्टअप है। इससे हमने यूथ को और लोगों को मैसेज देने की कोशिश की है। यूपी से आकर हम लोगों ने सीखा है। यहां हम लोगों को बहुत सारा सपोर्ट मिल सकता है। जॉब्स हमारे यूथ की जरूरत है। इससे पहले कार्यक्रम में अखिलेश यादव ने भारत के सिलिकॉन वैली कहे जाने वाले इस शहर को उन्होंने स्टार्टअप हब बताते हुए यहां से नई शुरुआत का ऐलान किया। समिट में अखिलेश ने केंद्र सरकार पर 'हिंदुस्तानियत का आपातकाल' पैदा करने का आरोप लगाया और विविधता में एकता की भारतीय पहचान पर संकट बताते हुए एकजुटता की अपील की। अखिलेश ने कहा, विजन इंडिया को हम बैंगलुरु से शुरू कर रहे हैं। सभी लोग बैंगलुरु की ओर देखते हैं। भारत का सिलिकॉन वैली बैंगलुरु को कहा जाता है। इसलिए हम यहां से शुरू कर रहे हैं। उन्होंने विजन इंडिया को आगे ले जाने की बात करते हुए सभी भारतीयों को जोड़ने पर जोर दिया। 'हिंदुस्तानियत का आपातकाल' क्या है?अखिलेश ने स्पष्ट किया कि भारत की पहचान 'विविधता में एकता' रही है, लेकिन वर्तमान में एकरूपता थोपने और एकरंगी विचारधारा लादने की कोशिश हो रही है। कुछ साल पहले हम ऐसी बहसें नहीं करते थे, जो अब करनी पड़ रही हैं। हिंदुस्तानियत पर संकट पैदा यह सरकार कर रही है। उन्होंने कहा कि दूरियां पैदा करने वाली बातें बढ़ रही हैं, इसलिए विजन इंडिया का मकसद एकजुटता लाना और हिंदुस्तानियत को पहचानना है। एकता में अनेकता को आगे ले जाना है। प्रोग्रेसिव, पॉजिटिव और प्रो-पीपुल विजन अखिलेश ने विजन इंडिया को प्रोग्रेसिव, पॉजिटिव और प्रो-पीपुल बताया। कहा, निगेटिविटी को काउंटर करना है। प्रोग्रेसिव का मतलब भेदभाव मिटाना, बराबरी का मौका देना। इंक्लूसिव का अर्थ आखिरी व्यक्ति को साथ लेना, पिछड़ेपन दूर करना, दमितों और महिलाओं के साथ हुए व्यवहार को सुधारना। उन्होंने युवाओं को जोड़ने पर बल दिया। कहा, आज का युवा पॉजिटिव और जागरूक है। स्टार्टअप हब बैंगलुरु से हमें सीखने का मौका मिला। यूथ मुश्किलें दूर कर सकता है। स्टार्टअप और समस्याओं का समाधानअखिलेश ने स्टार्टअप को समस्याओं का समाधान बताया। कहा, समस्या जितनी ज्यादा, समाधान उतना अधिक। हर स्टार्टअप एक सोल्यूशन है। यूपी जैसे राज्य में कदम-कदम पर समस्या है, इसलिए ज्यादा सोल्यूशन लाने होंगे। उन्होंने बैंगलुरु को नया काम शुरू करने का आधार बताया। --------------------- यह भी पढ़ें:- रोहिणी ने रमीज का नाम लिया...वो मेरे भाई का कातिल:बलरामपुर में पूर्व चेयरमैन के भाई बोले- लालू परिवार बर्बाद किया, दर्द समझते हैं 'बिहार में लालू यादव की बेटी डॉक्टर रोहिणी आचार्य ने जिस रमीज नेमत का नाम लिया है, वह मेरे ही क्षेत्र का रहने वाला है। वह पूर्व सांसद रिज़वान ज़हीर का दामाद है। रमीज पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। वह मेरे भाई की हत्या के मामले में जेल में बंद था। वो अब लालू परिवार में भी मारपीट करा दी। हम रोहिणी के दर्द को समझ सकते हैं।' ये कहना है कि यूपी के बलरामपुर में पूर्व नगर पालिका चेयरमैन के भाई अफरोज आलम का। पढ़ें पूरी खबर...
लखनऊ में गोमती तट स्थित बीरबल साहनी मार्ग पर भव्य उत्तराखंड महोत्सव चल रहा है। रविवार को महोत्सव के 8वें दिन सीएम योगी महोत्सव में पहुंचे। उन्होंने कहा- बिहार चुनाव की वजह से महोत्सव में नहीं आ पा रहा था। योगी के साथ केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री गजेंद्र शेखावत भी हैं। शेखावत ने कहा- मैं सीएम योगी के साथ पहली बार मंच साझा कर रहा। आने वाले समय में उत्तराखंड देश का नेतृत्व करेगा। इस दौरान करीब 2 हजार लोग मौजूद हैं। उद्घाटन समारोह में उत्तराखंडी परिधानों में सजी महिलाओं के 30 झोड़ा दलों ने पारंपरिक वेशभूषा और वाद्ययंत्रों ढाल, तलवार, मशकबीन, तुरही और रणसिंह के साथ अपनी प्रस्तुतियों से वातावरण को जीवंत कर दिया। महोत्सव में मुनस्यारी का राजमा और अल्मोड़ा की बाल मिठाई जैसे उत्पादों के स्टॉल्स हैं। महोत्सव का शुभारंभ 9 नवंबर को उद्घाटन यूपी के संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने किया था। 3 तस्वीरें देखिए... उत्तराखंड महोत्सव के अपडेट्स के लिए लाइव ब्लॉग पढ़िए...
'बिहार में निष्पक्ष चुनाव नहीं होने से कई सीटें हमारे हाथ से निकल गईं। इसके बावजूद कैमूर जिले की रामगढ़ सीट से बसपा के सतीश कुमार सिंह यादव की शानदार जीत हुई। यह कार्यकर्ताओं की बहादुरी का नतीजा है। विरोधी दलों और प्रशासन पर षड्यंत्रों को हमारे बहादुर कार्यकर्ताओं ने फेल कर दिया।' यह बात बसपा सुप्रीमो मायावती ने बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों को लेकर सोशल मीडिया X पर पोस्ट किया। पढ़िए मायावती ने और क्या कहा प्रशासन-विरोधियों का खेल फेलमायावती ने कहा- रामगढ़ सीट पर सतीश यादव की जीत पार्टी के हर सदस्य की मेहनत का फल है। सभी को हार्दिक बधाई। बसपा प्रत्याशी को हराने का काफी प्रयास किया गया। इसके लिए वोटों की गिनती को बार-बार कराने के बहाने प्रशासन और सभी विरोधी पार्टियां एकजुट हो गईं। बीएसपी उम्मीदवार को हराने का पूरा-पूरा प्रयास किया गया। लेकिन, हमारे बहादुर कार्यकर्ताओं ने डटे रहकर सबको करारा जवाब दिया। उनका षड्यंत्र नाकाम कर दिया। खबर में पोल है, आगे बढ़ने से पहले हिस्सा ले सकते हैं मायावती ने इसे लोकतंत्र पर हमला करार दिया। उन्होंने कहा कि बिहार के इस क्षेत्र की अन्य सीटों पर भी बसपा ने कांटे की टक्कर दी। फीडबैक के मुताबिक, अगर चुनाव पूरी तरह निष्पक्ष होता तो हम और भी कई सीटें जीत जाते। लेकिन, ऐसा नहीं हो सका। बसपा आगे से खून-पसीना बहाकर बिहार को डॉ. अंबेडकर और कांशीराम के सपनों की धरती बनाएगी। मायावती बोलीं- घबराओ मत, तैयारी दोगुना करोचुनावी हार-जीत के बीच मायावती ने पार्टी कार्यकर्ताओं का हौसला भी बढ़ाया। कहा कि पार्टी के लोगों को घबराने की कोई जरूरत नहीं। हम आगे और ज्यादा तैयारी के साथ काम करेंगे। उन्होंने बिहार चुनाव में 'खून-पसीना' बहाने वाले सभी छोटे-बड़े पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं और शुभचिंतकों का आभार जताया। मायावती ने कार्यकर्ताओं से आह्वान किया- बिहार में पूरे जी-जान से लगे रहें। जिससे यह धरती 'सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय' के सपनों को साकार करे। बसपा ने 7 सीटों पर दमदार मौजूदगी दर्ज कराईबसपा ने बिहार की सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की थी। हालांकि, चुनाव में वह 181 सीटों पर ही लड़ी। कई सीटों पर बीच में प्रत्याशियों ने साथ छोड़ दिया। बिहार की जिम्मेदारी राज्यसभा सांसद रामजी गौतम के साथ मायावती के भतीजे आकाश आनंद को सौंपी गई थी। आकाश ने बिहार में 6 से अधिक रैली और नुक्कड़ सभाएं की थीं। बसपा का पूरा फोकस यूपी से सटे कैमूर और रोहतास जिलों पर था। दोनों जिलों में बसपा ने 7 सीटों पर अपनी दमदार मौजूदगी दर्ज कराई है। कैमूर जिले की रामगढ़ सीट सतीश कुमार यादव उर्फ पिंटू यादव कांटे के मुकाबले में 30 मतों के अंतर से जीतने में सफल रही। बसपा का वोट प्रतिशत 2020 की तुलना में 1.02% बढ़कर 1.62% तक पहुंचा है। बसपा ने रामगढ़ के अलावा करगहर विधानसभा पर जदयू को कड़ी टक्कर दी। यहां पार्टी प्रत्याशी उदय प्रताप सिंह 56 हजार से ज्यादा वोट पाकर दूसरे नंबर पर रहे। महागठबंधन में शामिल कांग्रेस तीसरे नंबर पर रही। जबकि मोहनिया, भभुआ, चैनपुर, बक्सर और राजपुर विधानसभा सीटें महागठबंधन बसपा की दमदार प्रदर्शन के चलते हारी। इन सीटों की त्रिकोणीय लड़ाई में एनडीए जीतने में सफल रही। --------------------------- ये खबर भी पढ़ें राबड़ी आवास खाली, रोहिणी के बाद 3 बेटियां दिल्ली रवाना, रोहिणी बोलीं-मुझे मारने के लिए चप्पल उठाई बिहार विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद लालू परिवार में टकराव बढ़ गया है। राजनीति छोड़ने और अपने परिवार से नाता तोड़ने के ऐलान के एक दिन बाद रोहिणी आचार्य ने एक के बाद एक 2 सोशल मीडिया पोस्ट कर तेजस्वी यादव और संजय यादव पर गंभीर आरोप लगाए। पूरी खबर पढ़ें
हिसार के कांग्रेस सांसद जयप्रकाश ने आज राज्य एवं केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि बिहार के विधानसभा चुनाव में वोट चोरी किए गए हैं। इसी के साथ सांसद ने ऐलान किया कि 18 नवंबर को कांग्रेस पार्टी वोट चोरी, किसानों के मुआवजे, खेतों में पानी भरने, निकासी में देरी जैसी जनसमस्याओं को लेकर जोरदार प्रदर्शन करेगी। इस प्रदर्शन में हजारों कार्यकर्ताओं के शामिल होने की संभावना जताई गई। उन्होंने कहा कि कांग्रेस लगातार वोट चोरी के मुद्दे को उठा रही है, लेकिन इनेलो इस पर चुप्पी साधे हुए है। उन्होंने आरोप लगाया कि “इनेलो पार्टी भाजपा की बी टीम के रूप में काम कर रही है,” इसलिए वह चुनावी अनियमितताओं पर कोई सवाल नहीं उठा रही। चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल बिहार चुनाव पर बोलते हुए सांसद जयप्रकाश ने चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर गंभीर प्रश्नचिन्ह लगाया। उन्होंने कहा कि बिहार में सत्ता बचाने के लिए धन, बल और सरकारी मशीनरी का खुला दुरुपयोग किया गया। सांसद बोले- बैलेट पेपर से चुनाव हों सांसद ने कहा कि आरजेडी को 1.80 करोड़ वोट मिलने के बावजूद केवल 25 सीटें मिलीं, जबकि बीजेपी को 90 लाख वोटों पर 89 सीटें कैसे मिल गईं? यह अपने आप में बड़ा सवाल है। उन्होंने कहा कि जनता का विश्वास ईवीएम से उठ रहा है और अब चुनाव बैलेट पेपर से ही करवाए जाने चाहिए, तभी लोकतंत्र मजबूत रह सकता है। जयप्रकाश का कमल गुप्ता पर हमला पूर्व स्वास्थ्य मंत्री डॉ. कमल गुप्ता के हालिया बयान पर भी सांसद ने पलटवार किया। कमल गुप्ता ने कहा था कि महात्मा गांधी ने आजादी से पहले कहा था कि स्वतंत्रता के बाद कांग्रेस को खत्म कर देना चाहिए। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए जयप्रकाश ने कहा कि कमल गुप्ता को इतिहास ही मालूम नहीं है। उन्होंने टिप्पणी की, “पहले वह यह बताएं कि महात्मा गांधी की हत्या किसने की थी? ऐसे बयान देकर वे जनता को गुमराह कर रहे हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि इंटरनेशनल एयरपोर्ट के नाम पर कमल गुप्ता पहले से ही झूठ बोलकर लोगों को भ्रमित कर रहे हैं, और इस कारण वह अब बौखलाहट में बयान दे रहे हैं।
बिहार विधानसभा चुनाव में हार के बाद राष्ट्रीय जनता दल (राजद) में अंतर्कलह थमने का नाम नहीं ले रही है। लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने राजनीति छोड़ने का ऐलान किया। तेजस्वी यादव के करीबी संजय यादव और रमीज नेमत का नाम लिया। रमीज का नाम आते ही यूपी में राजनीतिक हलचल शुरू हो गई। रमीज नेमत मूल रूप से यूपी के बलरामपुर के रहने वाले हैं। रमीज का आपराधिक इतिहास है। हत्या के मुकदमे में वो जमानत पर हैं। 4 जनवरी 2022 को पूर्व चेयरमैन फिरोज़ पप्पू की हत्या हुई थी। उसमें हत्याकांड में भी रमीज नामजद हैं और 20 नवंबर को इसी मामले में अदालत का अहम फैसला आने वाला है। इस बीच पूर्व चेयरमैन फिरोज पप्पू के भाई अफरोज अहमद ने एक वीडियो जारी कर रमीज पर हमला बोला है। साथ ही रोहिणी आचार्या का समर्थन करते हुए कहा है कि हम उनके दर्द को समझ सकते हैं। अब पढ़िए अफरोज अहमद ने क्या कहा अफरोज अहमद कहा- रमीज नामक व्यक्ति जिसका नाम रोहिणी ने भी लिया है, वो मेरे ही क्षेत्र का निवासी है और पूर्व सांसद रिज़वान ज़हीर का दामाद है। इस रमीज पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। वह मेरे भाई की हत्या के मामले में जेल में बंद था। रमीज ज़मानत पर बाहर आया और उत्तर प्रदेश में ठिकाना न मिलने के बाद बिहार में शरण ले ली। यह व्यक्ति अब तेजस्वी यादव के संपर्क में बताया जा रहा है, जिससे मैं चिंतित हूं। वो अब लालू परिवार में भी मारपीट करा दी। तेजस्वी अपराधी को साथ लेकर कैसे मुख्यमंत्री बन पाएंगे तेजस्वी यादव जैसे बड़े राजनीतिक परिवार से आने वाले नेता को ऐसे व्यक्तियों से दूरी बनाए रखनी चाहिए। वो खुद अपने घर को बर्बाद करके वहां बैठा हुआ है। तेजस्वी उसको हेलिकॉप्टर में बिठाकर ले जाते हैं। तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री बनने का सपना देख रहे हैं वो एक अपराधी को लेकर कैसे सीएम बन सकते हैं। मुझे आश्वचर्य है कि तेजस्वी एक अपराधी को साथ में लेकर घूम रहे हैं। इसलिए मैं कहूंगा कि वहां जंगलराज है क्योंकि ऐसे अपराधियों को पालना जंगलराज है। वहां की जनता को धन्यवाद है कि उन्होंने एनडीए की सरकार को चुना। इसका ससुर रिजवान हत्या के आरोप में ललितपुर जेल में बंद है। इसके कई गुर्गे जेल में बंद हैं। रमीज ने अपना घर बर्बाद किया, लालू का परिवार भी तोड़ा मैं रोहिणी के दुख को समझ सकता हूं। तेजस्वी जैसे लोग इतने बड़े घराने के होने के बावजूद ऐसे अपराधी को साथ लेकर चल रहे हैं। उसने अपना घर बर्बाद कर दिया, मेरा घर बर्बाद कर दिया। अब उसने लालू यादव का घर भी बर्बाद कर दिया है, क्योंकि राजद सिमट गई। 78 से 35 सीटों पर आ गई। अभी भी समय है कि तेजस्वी उसे बाहर कर दें तो शायद परिवार में कुछ बच जाए। मैं मांग करता हूं कि बिहार की सरकार ऐसे आरोपी व्यक्ति को शरण न दे। रमीज, उसकी पत्नी और उसके ससुर के खिलाफ उनके भाई की हत्या का मामला चल रहा है और यूपी पुलिस उन्हें तलाश रही है। अब जानिए रमीज का इतिहास 14 नवंबर 1986 को जन्मे रमीज़ नेमत बलरामपुर जिले के भंगहा कलां गांव के निवासी हैं। उन्होंने दिल्ली पब्लिक स्कूल (मथुरा रोड) से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की और जामिया मिलिया इस्लामिया से राजनीति विज्ञान में बीए तथा एमबीए की डिग्री हासिल की। इसके बाद वे चुनाव प्रबंधन और डिजिटल रणनीति के क्षेत्र में सक्रिय हो गए। उनके पिता नियामतुल्ला जामिया मिलिया इस्लामिया में सोशल वर्क के प्रोफेसर रहे हैं, जबकि उनकी मां जामिया स्कूल में शिक्षिका हैं। उनका परिवार लंबे समय से दिल्ली की न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में रहता है। गांव से उनका संपर्क मुख्य रूप से पारिवारिक आयोजनों तक ही सीमित रहा है। रमीज़ नेमत के पिता नियामतुल्ला और पूर्व सांसद रिज़वान जहीर चचेरे भाई हैं। इस पारिवारिक संबंध के चलते 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद रमीज़ का विवाह रिज़वान जहीर की बेटी जेबा से हुआ। इसके बाद रमीज़ बलरामपुर में पूर्व सांसद के आवास पर रहने लगे, जिससे स्थानीय स्तर पर उनकी पहचान बनी। 12 साल की उम्र में क्रिकेट खेला, अंडर 22 का कप्तान बने रमीज़ ने 12 साल की उम्र से क्रिकेट खेलना शुरू किया और दिल्ली के लिए अंडर–14, अंडर–16 और अंडर–19 तक प्रतिनिधित्व किया। बाद में वह झारखंड चले गए, जहां 2008–09 में उन्हें अंडर–22 टीम का कप्तान बनाया गया और वहीं से उनके प्रथम श्रेणी क्रिकेट करियर की शुरुआत हुई। रमीज़ नेमत की राजनीतिक पहचान को मजबूत करने में उनके ससुर, पूर्व सांसद रिज़वान ज़हीर, की भूमिका अहम मानी जाती है। रिज़वान ज़हीर बलरामपुर लोकसभा क्षेत्र से दो बार सांसद रह चुके हैं और यूपी के सबसे कम उम्र के विधायकों में गिने जाते हैं। रमीज़ की पत्नी जेबा रिज़वान भी राजनीति में सक्रिय रही हैं और तुलसीपुर विधानसभा सीट से दो बार चुनाव लड़ चुकी हैं। एक बार कांग्रेस से और एक बार निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में। राजनीति विज्ञान और मैनेजमेंट की पढ़ाई के कारण रमीज़ नेमत चुनाव प्रबंधन और डिजिटल रणनीति में सक्रिय हो गए।माना जाता है कि वह तेजस्वी यादव के बेहद करीबी, उनके युवा टीम का हिस्सा और चुनाव प्रचार व संगठनात्मक गतिविधियों के अहम मैनेजर रहे हैं। अप्रैल से जमानत पर हैं रमीज 2021 में पंचायत चुनाव के दौरान हुए संघर्ष में उन पर मामला दर्ज हुआ था, जिसमें बाद में अदालत ने उन्हें दोषमुक्त कर दिया। 2022 में तुलसीपुर नगर पंचायत के पूर्व चेयरमैन फिरोज पप्पू की हत्या प्रकरण में उन्हें नामजद किया गया, जिसके बाद उन पर एनएसए और गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की गई। कौशांबी जिले के कोखराज थाने में भी उनके खिलाफ एक हत्या का मुकदमा दर्ज है। कुल मिलाकर रमीज पर 11 आपराधिक केस दर्ज हैं। लंबे समय तक बलरामपुर जेल में रहने के बाद वह अप्रैल 2025 में जमानत पर रिहा हुए।
भारत के सबसे गरीब राज्य बिहार के 90% नए विधायक करोड़पति
गैर सरकारी संगठन असोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की रिपोर्ट के मुताबिक इस बार बिहार विधानसभा चुनावों में जीते 90 फीसदी विधायक करोड़पति हैं और करीब 53 फीसदी के ऊपर आपराधिक मामले दर्ज हैं
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एक्सप्रेस में बम होने की सूचना मिलते ही अलीगढ़ रेलवे स्टेशन पर हड़कंप मच गया। ट्रेन को तुरंत रोका गया और संदिग्ध व्यक्ति को नीचे उतारकर उसके बैग की तलाशी ली गई। आरपीएफ, जीआरपी, क्राइम इन्वेस्टिगेशन टीम, डॉग स्क्वाड और सिविल पुलिस ने संयुक्त रूप से जांच की। जनरल कोच में यात्रा कर रहे व्यक्ति और उसके बैग को भी तलाशी के लिए नीचे उतारा गया। तलाशी के बाद किसी प्रकार की विस्फोटक सामग्री नहीं मिलने पर संदिग्ध को छोड़ दिया गया। प्लेटफॉर्म 3 पर पुलिस ने दौड़ लगाईदिल्ली से बिहार जा रही स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एक्सप्रेस ट्रेन के जनरल कोच में यात्रा कर रहे एक यात्री के पास बम होने की सूचना मिलने पर शनिवार देर रात अलीगढ़ रेलवे स्टेशन पर अफरा-तफरी मच गई। सूचना मिलते ही आरपीएफ और जीआरपी की संयुक्त टीम सक्रिय हो गई। ट्रेन के प्लेटफॉर्म संख्या 03 पर पहुंचते ही टीम ने चेकिंग शुरू कर दी। सूचना के आधार पर संदिग्ध व्यक्ति को उसके बैग सहित नीचे उतारकर तलाशी ली गई। प्रयागराज डिविजन से मिली फोटो सहित सूचनाजांच के दौरान संदिग्ध यात्री के बैग में केवल अमरूद, खाने-पीने का सामान और कपड़े मिले। कोई भी विस्फोटक या संदिग्ध वस्तु बरामद नहीं हुई। फिलहाल पुलिस टीम उससे पूछताछ कर रही है। आरपीएफ के सहायक आयुक्त गुलजार सिंह ने बताया-15 नवंबर की रात करीब 11:05 बजे प्रयागराज डिविजन कंट्रोल से फोटो सहित सूचना मिली थी कि दिल्ली से बिहार जा रही स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एक्सप्रेस (12560/12562) के फ्रंट साइड जनरल कोच में एक यात्री के पास बम जैसी वस्तु होने की आशंका है। बिहार के मधुबनी का रहने वाला था यात्रीसूचना मिलते ही आरपीएफ, जीआरपी, क्राइम इन्वेस्टिगेशन यूनिट, डॉग स्क्वाड और सिविल पुलिस की टीमें सक्रिय हो गईं। ट्रेन के इंजन से दूसरे जनरल कोच में सीट संख्या 247503/सी पर संदिग्ध व्यक्ति को पाया गया और तुरंत उसे नीचे उतारकर पूछताछ शुरू की गई। पूछताछ में उसने अपना नाम सुशील सैनी (35 वर्ष), पुत्र राजकुमार सैनी बताया। वह बिहार के मधुबनी के थाना अरेर क्षेत्र के बिचखाना गांव का रहने वाला है। फरीदाबाद की डबुआ फल मंडी में करता है कामसुशील सैनी ने पूछताछ में बताया कि वह फरीदाबाद की डबुआ फल मंडी (दुकान नंबर 62) में काम करता है। वह अपने माता-पिता को लेने गांव जा रहा था। उसके बैग में मिले सभी सामान की एक-एक कर जांच की गई, लेकिन किसी तरह की संदिग्ध वस्तु नहीं मिली। फिलहाल पुलिस उसके आपराधिक इतिहास की भी जांच कर रही है।
पूर्णिया में एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। ये वीडियो अमौर विधानसभा सीट से दूसरी बार विधायक बने AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान के समर्थकों का है। समर्थक सांसद पप्पू यादव से नाराज दिख रहे हैं। डीजे की लाइट के बीच माइक पर सांसद पप्पू यादव से खुलेआम उनका इस्तीफा मांगा जा रहा है। सांसद पप्पू यादव ने बीते दिनों धमदाहा विधानसभा क्षेत्र में राजद प्रत्याशी संतोष कुशवाहा के जनसंपर्क अभियान के दौरान अपना संबोधन दिया था। उन्होंने ओवर कॉन्फिडेंस में ये तक कह डाला कि कांग्रेस से अमौर के प्रत्याशी अब्दुल जलील मस्तान को किसी ने हरा दिया तो वे राजनीत से संन्यास ले लेंगे। 14 तारीख को चुनाव के नतीजे आए। AIMIM के अख्तरुल ईमान ने NDA और महागठबंधन दोनों ही प्रत्याशियों को चौतरफा पटखनी दे दी। कांग्रेस प्रत्याशी तीसरे नंबर पर राहुल गांधी, तेजस्वी यादव और सांसद पप्पू यादव के प्रचार-प्रसार के बावजूद कांग्रेस से अमौर प्रत्याशी अब्दुल जलील मस्तान को हार का मुंह देखना पड़ा। अमौर विधानसभा से AIMIM के अख्तरुल ईमान ने 38928 वोटों से जीत दर्ज की है। इन्हें 100836 वोट मिले। जबकि जदयू के सबा जफर 61908 और कांग्रेस के अब्दुल जलील मस्तान 52791 वोट से संतोष करना पड़ा। चुनाव में मिली जीत के बाद अख्तरुल ईमान ने भास्कर से बातचीत में सांसद पप्पू यादव के बयान पर सवाल उठाते हुए उन्हें बड़बोला कह दिया। ऑन कैमरा इनसे पूछ डाला कि अब पूर्णिया सांसद कब तक इस्तीफा दे रहे हैं। AIMIM के समर्थकों ने मांगा इस्तीफा वहीं, शनिवार को अमौर से विधायक अख्तरुल ईमान के जीत की खुशी में बज रहे डीजे आर्केस्ट्रा के दौरान इन समर्थकों का गुस्सा आखिरकार फूट पड़ा। नाराज समर्थकों ने सरेआम ऑन माइक पहले अपना भड़ास निकाला और पप्पू यादव से उनका इस्तीफा मांग लिया। वीडियो में डीजे लाइट के बीच ऑन माइक समर्थक खुलेआम ये कहते दिख रहे हैं कि 'हम लोग AIMIM को अमौर से जिताकर विधानसभा भेज रहे हैं। पप्पू यादव आप कब इस्तीफा दे रहे हैं। हम लोग इंतजार कर रहे हैं आपके इस्तीफे का। आपने क्या कहा था, आपको याद है ना। अख्तरुल ईमान अमौर से जीत जाएगा, तो मैं सियासत छोड़ दूंगा। हम लोग सोशल मीडिया के माध्यम से चार डीजे लेकर आपके घर पहुंच रहे हैं। आप कब इस्तीफा दे रहे हैं। सीमांचल के लोग आपसे यही मांग कर रहे हैं कि आप इस्तीफा दें।' 'आपने खुदा की खुदाई को चैलेंज किया था। कहा था, ईश्वर और अल्लाह झूठ बोल सकता है, मैं झूठ नहीं बोल सकता। अब आप कहां गए। हम लोग यहां से AIMIM को जिताकर विधानसभा भेज रहे हैं पप्पू यादव। तेजस्वी आपने हमें 6 सीट के काबिल नहीं समझा। अब हम अपने दम पर 6 विधायक विधानसभा भेज रहे हैं। तुमने क्या कहा था कि हमारी पार्टी चरमपंथियों की है। सीमांचल के लोग चरमपंथी हैं। तेजस्वी तुमने सियासत के लिए अपने भाई को घर से बाहर किया। आज सीमांचल की जनता और हम तुम्हें बिहार से बाहर कर रहे हैं। असदुद्दीन ओवैसी साहब आई लव यू। सीमांचल के लोग आपसे प्यार करते हैं।' इसके बाद उत्साहित समर्थक AIMIM पार्टी, असदुद्दीन ओवैसी और जीते हुए सभी प्रत्याशियों के जिंदाबाद के नारे लगाते हैं। फिर वीडियो खत्म हो जाता है।
यमुनानगर के जगाधरी में एक युवक ने फांसी लगाकर सुसाइड कर ली। घटना के वक्त वह अपने कमरे में अकेला था। काम पर न आने पर जब साथी ने फोन किया तो कॉल रिसीव न होने पर कमरे पर पहुंचे और वहां पर उसका फंदे पर लटका शव पाया। सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और जांच के लिए फोरेंसिक टीम को भी मौके पर बुलाया। पुलिस द्वारा शव को फंदे से उतारकर कब्जे में लिया गया और पोस्टमॉर्टम के लिए सिविल अस्पताल जगाधरी पहुंचाया गया। बर्तन फैक्ट्री में करता था काम मृतक की पहचान बिहार के भोजपुर जिला निवासी 23 वर्षीय बजरंगी के रूप में हुई है। बजरंगी यहां जगाधरी में किराए के मकान में रहता था और बर्तन बनाने वाली एक फैक्ट्री में काम किया करता था। मौत की सूचना मिलते ही मृतक का जीजा विमलेश कुमार बिहार से यमुनानगर पहुंचा। विमलेश ने बताया कि बजरंगी अभी अविवाहित था। वह दो साल पहले रोजगार की तलाश में बिहार से यमुनानगर आया था। यहां पर वह जगाधरी में किराए के कमरे में अकेला रहा करता था और बर्तन फैक्ट्री में काम किया करता था।। एक दिन बाद बिहार से आए परिजन उन्हें बताया गया है कि बजरंगी शुक्रवार को बजरंगी काम पर नहीं गया। ऐसे में उसका साथी उसे फोन कर रहा था, लेकिन फोन रिसीव नहीं हुआ। बार-बार कॉल के बाद वह उसे देखता हुआ उसके कमरे पर पहुंचा। कमरे का दरवाजा बंद था। उसके कैसे भी करके दरवाजा खोला तो अंदर देखा बजरंगी ने फंदा लगाया हुआ था। उसने तुरंत इस बारे पुलिस को बताया। सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची। मामले के जांच अधिकारी मान सिंह ने बताया कि युवक के शक को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए सिविल अस्पताल जगाधरी में रखवाया गया था। परिजन बिहार से शनिवार को पहुंचे हैं। ऐसे में शनिवार की देर शाम तक शव का पोस्टमॉर्टम करा उन्हें सौंप दिया गया। मामले की जांच कर रहे हैं।
पहले ये 3 बयान पढ़िए महाराष्ट्र में भी सब ठीक था, यहां भी सब कुछ ठीक होगा। एनडीए में कहीं कोई भ्रम नहीं है। सभी चीजें तय प्रक्रिया के तहत आगे बढ़ रही हैं।- नितिन नवीन, भाजपा नेता बिहार में CM की कोई वैकेंसी नहीं है।- ललन सिंह, केंद्रीय मंत्री, जदयू जनादेश जब नीतीश कुमार को मिला तो CM कोई और बनेगा क्या? बिहार में सुशासन बाबू का काम और पीएम ने बिहार की तरक्की के लिए जो मदद की। बिहार को विकास के रास्ते पर ले चलने के लिए यहां की जनता ने नीतीश कुमार पर विश्वास जताया है।- श्रवण कुमार,जदयू के सीनियर नेता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात के बाद एनडीए के नेताओं ने ये बयान दिए। भाजपा महाराष्ट्र मॉडल को ठीक बता रही है। CM के चेहरे पर साफ बात नहीं कही जा रही। वहीं, जदयू के नेता नीतीश कुमार को CM चेहरा बता रहे हैं। 5 प्वाइंट में जानिए क्या बिहार में सीएम चेहरे पर पेंच फंस गया है। पॉइंट- 1. CM ने 40-45 नेताओं के साथ बैठक की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शनिवार को दिनभर चुनाव जीतने वाले विधायकों से मिले। सुबह 9 बजे से शुरू हुआ यह सिलसिला देर शाम तक चलता रहा। नीतीश ने मुलाकातों के बीच जदयू की बैठक की। बीजेपी के सीनियर नेताओं से भी मुलाकात की। नीतीश कुमार से मिलने वाले बड़े चेहरे कौन-कौन? नीतीश कुमार से मिलने सबसे पहले विजय कुमार चौधरी पहुंचे। इसके बाद चिराग पासवान आए। इस बीच जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा भी CM हाउस पहुंचे। उनके ठीक बाद फुलवारी से नव निर्वाचित विधायक श्याम रजक आए। बिहारशरीफ विधायक और पूर्व मंत्री डॉ. सुनील कुमार, जदयू नेता मनीष वर्मा, मसौढ़ी से नव निर्वाचित विधायक अरुण मांझी, इंजीनियर शैलेन्द्र, जेडीयू प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा, मंत्री और बीजेपी विधायक कृष्ण कुमार मंटू भी मिलने वाले नेताओं में शामिल थे। मंत्री रहे भाजपा नेता नितिन नवीन ने भी मुलाकात की। पॉइंट- 2. विधायक दल की बैठक पर फैसला सोमवार को जदयू विधायक दल की बैठक बुलाने का फैसला लिया गया। इसमें सीएम नीतीश कुमार को जदयू विधायक दल का नेता चुने जाने की औपचारिकता पूरी की जाएगी। पार्टी के चुनाव जीतने वाले सभी विधायकों को रविवार को पटना पहुंचने के लिए कहा है। पॉइंट- 3. शपथ ग्रहण की तारीख पर मंथन नीतीश कुमार 19-20 नवंबर को CM पद की शपथ ले सकते हैं। जदयू सूत्रों के अनुसार तारीख पर अंतिम मुहर विधायक दल की बैठक में लगेगी। पार्टी की ओर से दो तारीख चुने गए हैं। 19 या 20 नवंबर को शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया जा सकता है। जदयू विधायक दल की बैठक में शपथ ग्रहण समारोह पर बात होगी। विधायक दल की यह बैठक काफी अलग होगी। लंबे समय बाद जदयू के इतने अधिक विधायक जीते हैं। पॉइंट- 4. मंत्रिमंडल के चेहरे और संख्या पर बात कितने मंत्री बनेंगे? कौन बनेंगे? इन सवालों पर बातचीत हुई। नीतीश कुमार के शपथ ग्रहण समारोह को भव्य बनाने के लिए तैयारी चल रही है। समारोह में बिहार की जनता को न्योता दिया जाएगा। गाड़ियों में भर-भर कर लोगों को लाया जाएगा। नीतीश राजभवन की जगह पटना के गांधी मैदान में शपथ ले सकते हैं। गांधी मैदान में शपथ लेने की रही है परंपरा पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में शपथ लेने की पुरानी परंपरा रही है। लालू यादव ऐसा करते थे। नीतीश ने भी इस मैदान में शपथ लिए। नीतीश जब पहली बार पूर्ण बहुमत के साथ 2005 में मुख्यमंत्री बने तो गांधी मैदान में शपथ लिया। इसके बाद 2010 और 2015 के चुनाव के बाद गांधी मैदान में ही शपथ ली। जुलाई 2017 में नीतीश कुमार ने महागठबंधन से नाता तोड़ा और बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई तब राजभवन स्थित राजेंद्र मंडप में शपथ ली थी। 2020 में कोरोना महामारी की वजह से नीतीश ने राजभवन में शपथ ग्रहण किया था। लालू यादव ने शुरू की थी गांधी मैदान में शपथ लेने की परंपरा 1990 में राजद सुप्रीमो लालू यादव सीएम बने थे। उन्होंने गांधी मैदान में शपथ लिया था। इसके बाद 1990 से लेकर 2015 तक सीएम बनने वाले नेताओं ने शपथ ग्रहण स्थान गांधी मैदान चुना। पॉइंट- 5. संजय झा और ललन सिंह दिल्ली गए सीएम नीतीश कुमार के साथ बैठक और मुलाकात के बाद जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा और केंद्रीय मंत्री ललन सिंह शनिवार की शाम दिल्ली चले गए। वह केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, विनोद तावड़े और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करेंगे। बिहार में नई सरकार बनाने पर बातचीत होगी। ------------ क्या आप हैं बिहार के एक्सपर्ट? खेलिए और जीतिए 3 करोड़ तक के इनाम बिहार से जुड़े 3 आसान सवालों के जवाब दीजिए और जीतिए 3 करोड़ तक के इनाम। रोज 50 लोग जीत सकते हैं आकर्षक डेली प्राइज। लगातार खेलिए और पाएं लकी ड्रॉ में बंपर प्राइज सुजुकी ग्रैंड विटारा जीतने के मौके। क्विज अभी खेलने के लिए यहां क्लिक करें - https://dainik.bhaskar.com/GXiUvc8h3Wb
बात 1953 की है। गांधीवादी विनोबा भावे ‘भूदान आंदोलन’ की अगुआई करते हुए बिहार पहुंचे। तब उन्हें पता चला कि देवघर के बाबा बैद्यनाथ धाम मंदिर में दलित नहीं जा सकते। उन्होंने दलितों के साथ मंदिर जाने का ऐलान किया। बैद्यनाथ धाम के पंडों को ये नामंजूर था। पंडों ने विनोबा को रोकना चाहा, लेकिन वे नहीं माने और सत्याग्रह पर बैठ गए। गुस्साए पंडों ने विनोबा से मारपीट कर दी। हंगामा खड़ा हो गया। राज्य सरकार पर भी दबाव बढ़ने लगा। तब के मुख्यमंत्री श्रीबाबू ने ऐलान किया- ‘मैं खुद दलितों के साथ बैद्यनाथ मंदिर में प्रवेश करूंगा।’ पंडों में हड़कंप मच गया। उन्होंने श्रीबाबू के परिवारवालों और करीबियों से कहा कि श्रीबाबू ऐसा न करें, नहीं तो अनर्थ हो जाएगा। श्रीबाबू के बड़े भाई देवकीनंदन ने भी विरोध किया, लेकिन वे नहीं माने। फिर तारीख आई 27 सितंबर 1953 की। बैद्यनाथ धाम छावनी बन चुका था। श्रीबाबू ने मंत्री विनोदानंद झा और 700 दलितों के साथ मंदिर में प्रवेश किया और पूजा की। पुलिस की मौजूदगी और नेताओं की मर्जी के सामने पंडे कुछ कर नहीं पाए। श्रीबाबू के इस ऐतिहासिक कदम के बाद राज्य के सभी सार्वजनिक मंदिरों में किसी भी जाति के प्रवेश पर लगी अघोषित रोक खत्म हो गई। श्रीकृष्ण सिंह का गांव मुंगेर जिले के बरबीघा थाना के माउर में था, लेकिन उनका जन्म 21 अक्टूबर 1887 को नवादा जिले के खनवा गांव में हुआ। ये उनका ननिहाल था। वे 5 भाई थे, 3 उनसे बड़े और एक छोटे। पिता हरिहर सिंह मुंगेर के जमींदार और शिवभक्त थे। एक रोज श्रीकृष्ण की मां की तबीयत बिगड़ गई। पता चला कि उन्हें प्लेग हो गया है। कुछ ही दिनों में वो चल बसीं। तब श्रीकृष्ण महज 5 साल के थे। तब से उनकी बड़ी भाभी यानी सबसे बड़े भाई देवकीनंदन सिंह की पत्नी ने देखभाल का जिम्मा संभाला। श्रीबाबू को पिता हरिहर से शुरुआती शिक्षा मिली। सबसे पहले उन्होंने उर्दू सीखी, फिर हिंदी। 1894 में वे गांव के स्कूल में पढ़ने जाने लगे। फिर उनका दाखिला मुंगेर जिला स्कूल में हो गया। वजीफा भी मिल गया। धीरे-धीरे वे कोर्स के अलावा देश-दुनिया की राजनीति से जुड़ीं किताबें पढ़ने लगे। राजनीति में दिलचस्पी बढ़ती गई। वे लोकमान्य तिलक का 'मराठा' और श्री अरविंदो का 'वंदे मातरम' अखबार पढ़ने लगे। दिल्ली यूनिवर्सिटी में हिस्ट्री के एसोसिएट प्रोफेसर नरेंद्र कुमार पांडेय अपनी किताब 'डॉ. श्रीकृष्ण सिंह: इतिहास के आईने में' में लिखते हैं, 'श्रीकृष्ण पर बंगाली और मराठा नेताओं के विचारों, लेखों और किताबों का असर पड़ा। वे क्रांति की ओर बढ़ने लगे। एक रोज वे गंगा नदी में खड़े हो गए। उन्होंने एक हाथ में गीता और दूसरे हाथ में कृपाण लेकर कसम खाई कि चाहे प्राण ही क्यों न चले जाएं, लेकिन देशसेवा की राह से नहीं भटकूंगा।' जॉर्ज पंचम पटना आए, तो खुद को दिनभर कमरे में बंद कर लिया साल 1911, दिसंबर का महीना। ब्रिटेन के राजा जॉर्ज पंचम पटना पहुंचे। तब श्रीकृष्ण पटना कॉलेज में पढ़ते थे और मिंटो हिंदू हॉस्टल में रहते थे। मिंटो हॉस्टल गंगा नदी के किनारे था। किंग जॉर्ज के स्वागत में पूरा शहर सजाया गया। वे नाव में बैठकर शहर देखने निकले। घाटों पर लंबा जाम लग गया। पटना कॉलेज के छात्र भी किंग जॉर्ज को देखने के लिए जाने लगे, पर श्रीकृष्ण सिंह नाराज हो गए। कहने लगे- 'लोग उसे देखने के लिए उतावले हैं, जिसके हम गुलाम हैं।' श्रीकृष्ण को अंग्रेजों से इतनी नफरत थी कि वे दिनभर अपने कमरे से बाहर नहीं निकले। खिड़की-दरवाजे तक बंद कर लिए, ताकि भूल से भी किंग जॉर्ज पर नजर न पड़ जाए। 1913 में MA की डिग्री हासिल करने बाद श्रीकृष्ण पटना के नेशनल कॉलेज में पढ़ाने लगे, लेकिन बड़े भाई देवकीनंदन के कहने पर वे नौकरी छोड़कर वकालत पढ़ने लगे। 1915 में उन्हें डॉक्टरेट ऑफ लॉ की डिग्री मिली। वे मुंगेर में वकालत करने लगे। इस बीच उनकी शादी हो गई। दो बेटे भी हुए- शिवशंकर और बंदीशंकर। फिर साल आया 1916 का। वाराणसी के सेंट्रल हिंदू कॉलेज में एक सभा हुई। यहां महात्मा गांधी ने भाषण दिया। सभा में श्रीकृष्ण भी मौजूद थे। गांधीजी के विचारों ने उनके मन में छाप छोड़ दी। वे गांधीजी के आंदोलनों में भाग लेने लगे। आगे चलकर श्रीकृष्ण का नाम ‘श्रीबाबू’ और ‘बिहार केसरी’ पड़ गया। 1920 में गांधीजी ने असहयोग आंदोलन शुरू किया। अगले ही साल वकालत छोड़ श्रीबाबू भी आंदोलन से जुड़ गए। जेल भी गए। रिहाई के बाद वे कांग्रेस में शामिल हो गए। 1927 में वे बिहार विधान परिषद के सदस्य बन गए। अब बिहार के बड़े नेताओं में श्रीबाबू की गिनती होने लगी थी। गांधीजी की मर्जी के उलट बिहार के प्रधानमंत्री बने साल 1937, अंग्रेजों ने बिहार में पहली बार विधानसभा चुनाव करवाए। कांग्रेस को बहुमत मिला, लेकिन अंग्रेजों ने मुस्लिम इंडिपेंडेंट पार्टी के मोहम्मद यूनुस को बिहार का प्रीमियर बना दिया। तब राज्यों में मुख्यमंत्री के बजाय प्रीमियर यानी प्रधानमंत्री का पद होता था। कांग्रेस ने इस फैसले के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। आखिरकार यूनुस को इस्तीफा देना पड़ा। अब कांग्रेस में विधायक दल का नेता चुनने की कवायद शुरू हुई। महात्मा गांधी की पसंद अनुग्रह नारायण सिंह थे। वे चंपारण सत्याग्रह के दिनों से अनुग्रह नारायण को जानते थे। उन्होंने कद्दावर कांग्रेसी नेता और बाद में राष्ट्रपति बने डॉ. राजेंद्र प्रसाद को चिट्ठी लिखी- ‘अनुग्रह बाबू को विधायक दल का नेता चुना जाए।’ जुलाई 1937, एक दिन पटना के सदाकत आश्रम में कांग्रेसी विधायकों की बैठक हुई। डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने ऐलान किया, ‘गांधीजी चाहते हैं कि अनुग्रह बाबू को नेता चुना जाए।’ इतना सुनते ही कांग्रेसी नेता सर गणेश दत्त सिंह और किसान नेता स्वामी सहजानंद सरस्वती खड़े हो गए। सर गणेश बोल पड़े, ‘अनुग्रह ही क्यों, श्रीबाबू क्यों नहीं?’ दरअसल, अनुग्रह बाबू राजपूत थे और उन्हें कायस्थ लॉबी का समर्थन था। वहीं श्रीबाबू भूमिहार थे और उनके साथ ब्राह्मण गुट था। दरभंगा नरेश कामेश्वर सिंह भी श्रीबाबू के फेवर में थे। अनुग्रह बाबू भांप गए कि श्रीबाबू का पलड़ा भारी है। उन्होंने खुद ही श्रीबाबू का नाम आगे कर दिया। इस तरह गांधीजी की मर्जी के उलट श्रीबाबू विधायक दल के नेता चुने गए और बिहार के प्रीमियर यानी प्रधानमंत्री बन गए। नेहरू के समर्थन से मिली मुख्यमंत्री की कुर्सी 1950 में संविधान लागू होने के बाद राज्यों के प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री कहलाने लगे। यानी श्रीबाबू बिहार के प्रधानमंत्री से मुख्यमंत्री हो गए। 1952 में देशभर में लोकसभा और विधानसभा चुनाव हुए। बिहार की 331 में से 235 विधानसभा सीटें कांग्रेस ने जीतीं। अब बारी थी विधायक दल के नेता चुनने की। पंडित नेहरू ने इस बार भी श्रीबाबू का साथ दिया, लेकिन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद चाहते थे कि अनुग्रह नारायण मुख्यमंत्री बनें। दोनों ओर जबरदस्त लामबंदी हुई। आखिर में नेहरू ने अनुग्रह बाबू से बात की और एक पॉलिटिकल फॉर्मूला सुझाया। अनुग्रह मान भी गए। विधायक दल की मीटिंग में अनुग्रह बाबू ने खुद ही श्रीबाबू का नाम आगे कर दिया। नेहरू के फॉर्मूले के तहत श्रीबाबू CM बने और अनुग्रह बाबू डिप्टी CM। अनुग्रह बाबू को वित्त मंत्रालय भी मिला। दोनों के बीच भले ही राजनीतिक अदावत रही, लेकिन एक दूसरे पर भरोसा कभी कम नहीं हुआ। श्रीबाबू प्रोटोकॉल से बाहर जाकर भी अनुग्रह बाबू की फाइलों और सिफारिशों पर दस्तखत कर देते थे। CM बने तो धुर विरोधी के गले लगकर रोने लगे फरवरी 1957 में बिहार में फिर से विधानसभा चुनाव हुआ। कांग्रेस ने 318 में से 210 सीटें जीतीं। इस बार अनुग्रह बाबू ने खुलकर मुख्यमंत्री पद पर दावा ठोक दिया। अनुग्रह बाबू को लगा कि दिल्ली आलाकमान का अब उतना दबाव नहीं है और अंदरखाने विधायकों का समर्थन भी है। इधर, श्रीबाबू को अंदाजा था कि चुनाव बाद उनके खिलाफ खेमेबंदी होगी। ऐसे में उन्होंने चुनाव से पहले ही एक दांव चला। उन्होंने पार्टी की तरफ से ऑब्जर्वर बनकर आए बंबई के CM मोरारजी देसाई के साथ मिलकर संभावित उम्मीदवारों की लिस्ट में से 70 नाम कटवा दिए। इनमें से ज्यादातर अनुग्रह बाबू के खेमे के थे। वहीं राजपूत जाति से आने वाले अनुग्रह बाबू ने चुनाव के बाद सारा ध्यान दूसरी जाति के विधायकों को मनाने में लगा दिया। इससे नाराज राजपूत श्रीबाबू के खेमे में चले गए। बिहार के कद्दावर कांग्रेसी नेता रहे ललितेश्वर प्रसाद शाही अपनी बायोग्राफी 'बनते बिहार का साक्षी' में लिखते हैं, ‘मार्च महीने के एक दिन हुई बैठक में श्रीबाबू को 145 कांग्रेस विधायकों के वोट मिले, जबकि अनुग्रह बाबू को 109 वोट।’ जीत के बाद श्रीबाबू अपने समर्थकों और गाजे-बाजे के साथ राजभवन के सामने बने घर पहुंचे। जश्न का माहौल था। मिठाइयां बंट रही थीं। श्रीबाबू घर की पहली मंजिल पर थे, तभी उन्हें पता चलता है कि अनुग्रह बाबू वहां आ रहे हैं। भारी-भरकम शरीर वाले श्रीबाबू तेजी से सीढ़ियां उतरे और अनुग्रह बाबू की गाड़ी के दरवाजे तक पहुंच गए। जैसे ही अनुग्रह बाबू गाड़ी से बाहर निकले, श्रीबाबू उनके गले लग गए। दोनों रोने लगे। अनुग्रह बाबू माफी मांगते हुए बोले, 'उकसावे में आपके खिलाफ खड़े होने की गलती कर दी।' श्रीबाबू ने कहा, 'देखो अनुग्रह, अब इस अदावत को यहीं खत्म करो। तुम्हारा जैसा मन हो वैसी सरकार बनाओ।' श्रीबाबू ने कहा- या तो मैं चुनाव लड़ूंगा या मेरा बेटा1957 में चुनाव हो रहे थे। कांग्रेस के कुछ बड़े नेता श्रीबाबू से उनके बेटे शिवशंकर को चुनाव लड़वाने के लिए जोर डालने लगे, लेकिन श्रीबाबू नहीं माने। उन्होंने कहा, 'मैं तैयार हूं, लेकिन फिर मैं चुनाव नहीं लड़ूंगा। एक परिवार से एक ही व्यक्ति को चुनाव लड़ना चाहिए।' यही वजह थी कि श्रीबाबू के रहते उनके परिवार से कोई चुनाव नहीं लड़ा। श्रीबाबू अपने लिए कभी वोट मांगने नहीं जाते थे। फिर भी कभी चुनाव नहीं हारे। श्रीबाबू कहते थे- अगर मैंने काम किया है तो लोग मुझे वोट देंगे। हालांकि, वे आम दिनों में अपने क्षेत्र में जरूर जाते थे। CM रहते जब भी वे अपने गांव जाते, तो सुरक्षाकर्मियों को दूर ही छोड़ देते। उनका मानना था कि अपने गांव में उन्हें किसी से खतरा नहीं हो सकता। खाने के इतने शौकीन कि इंसुलिन लगाकर रसगुल्ला खाते थे श्रीबाबू के परपोते अनिल कुमार सिन्हा ने एक इंटरव्यू में बताया कि बाबा (श्रीबाबू) के बारे में मेरे पिताजी बताते थे कि वे खाने के बहुत शौकीन थे। वे इंसुलिन का इंजेक्शन लगाकर रसगुल्ला खाते थे। यही वजह थी कि उनका वजन बहुत बढ़ा हुआ था। अनिल कहते हैं, 'जब भी बाबा मुजफ्फरपुर या बेगूसराय जाते तो पहले ही अरहर की दाल बनाकर रखने का संदेश भेज देते। वहां रुक के खाना खाना, लोगों से मिलना उनका शौक था। उस वक्त आने-जाने की बेहतर सुविधा नहीं थी। बाबा पालकी या बैलगाड़ी से क्षेत्र का मुआयना करते थे।’ नेहरू से बोले- बिहार में फैक्ट्री नहीं लगी तो इस्तीफा दे दूंगा, अनशन पर बैठ गए श्रीबाबू बिहार में रिफाइनरी और उर्वरक फैक्ट्री लगवाना चाहते थे, लेकिन प्रधानमंत्री नेहरू ने इसके लिए दूसरे राज्य चुन रखे थे। श्रीबाबू इसके खिलाफ अनशन पर बैठ गए। साफ बोले- बिहार में प्रोजेक्ट शुरू नहीं हुए तो इस्तीफा दे दूंगा।’ इसके बाद ही बरौनी में दोनों कारखाने खोले गए। कहते हैं कि प्रधानमंत्री नेहरू को सिर्फ दो ही मुख्यमंत्री 'तुम' कहा करते थे। पहले बंगाल के CM बिधान चंद्र रॉय और दूसरे बिहार के CM श्रीबाबू। परपोते अनिल कुमार सिन्हा के मुताबिक, नेहरू बाबा को इतना पसंद करते थे कि वह उन्हें केंद्र में गृह मंत्रालय देना चाहते थे, लेकिन बाबा बिहार में ही काम करना चाहते थे। 17 साल के कार्यकाल के दौरान श्रीबाबू ने बोकारो में पहला स्टील प्लांट लगवाया। बरौनी में डेयरी शुरू की। हटिया में भारी उद्योग निगम स्थापित किया। गढ़हरा में एशिया का सबसे बड़ा रेलवे यार्ड बनवाया। भागलपुर के सबौर, समस्तीपुर के पूसा और रांची में एग्रीकल्चर कॉलेज बनवाए। कई पुल, हाईवे, ब्रिज बनवाए। इसलिए वे 'आधुनिक बिहार के निर्माता' कहलाए। संपत्ति के नाम पर सिर्फ 24.5 हजार, वो भी परिवार के लिए नहीं31 जनवरी 1961 को श्रीबाबू का निधन हो गया। 12 दिन बाद राज्यपाल डॉ. जाकिर हुसैन, बिहार के तत्कालीन CM दीपनारायण सिंह, जयप्रकाश नारायण और श्रीबाबू के मुख्य सचिव मजूमदार की मौजूदगी में उनकी तिजोरी खोली गई। उसमें 4 लिफाफे निकले। चारों में कुछ-कुछ रकम थी। कुल मिलाकर साढ़े 24 हजार रुपए, वह भी पार्टी और करीबियों के लिए। पहले लिफाफे में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के नाम 20 हजार रुपए थे। दूसरे में उजिहार हुसैन मुनीमी नाम के एक दोस्त की बेटी की शादी के लिए 3 हजार रुपए। तीसरे लिफाफे में बिहार के तत्कालीन मंत्री महेश प्रसाद सिन्हा की छोटी बेटी की शादी के लिए एक हजार रुपए निकले और चौथे में अपने एक भरोसेमंद नौकर के लिए 500 रुपए। । सीनियर जर्नलिस्ट संतोष सिंह अपनी किताब 'द जननायक कर्पूरी ठाकुर: वॉयस ऑफ द वॉयसलेस' में लिखते हैं, '1937 से 1939 तक जब वे बिहार के प्रधानमंत्री थे, तब मंत्रियों को हर महीने 5 हजार रुपए सैलरी मिलती थी। श्रीबाबू ने इसे घटाकर 500 रुपए कर दिया था।' ------------ क्या आप हैं बिहार के एक्सपर्ट? खेलिए और जीतिए 3 करोड़ तक के इनाम बिहार से जुड़े 3 आसान सवालों के जवाब दीजिए और जीतिए 3 करोड़ तक के इनाम। रोज 50 लोग जीत सकते हैं आकर्षक डेली प्राइज। लगातार खेलिए और पाएं लकी ड्रॉ में बंपर प्राइज सुजुकी ग्रैंड विटारा जीतने के मौके। क्विज अभी खेलने के लिए यहां क्लिक करें - https://dainik.bhaskar.com/GXiUvc8h3Wb
केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों की 2 हजार कंपनियां 22 तक बिहार में ही रहेंगी
विधानसभा चुनाव और फिर मतगणना के बाद भी केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों की कंपनियां पटना समेत पूरे बिहार में तैनात रहेंगी। चुनाव परिणाम के बाद बिहार में किसी चुनावी रंजिश को लेकर होने वाली आशंका को देखते हुए केंद्रीय बलों को 22 नवंबर तक रखा जाएगा। 22 को समीक्षा करने के बाद इन्हें आगे भी तैनात रखा जा सकता है। बिहार में चुनाव कराने के लिए एसएसबी, सीआरपीएफ, सीआईएसएफ समेत अन्य केंद्रीय बलों की कंपनियां आई थीं। बिहार में चुनाव कराने के लिए करीब 2 हजार कंपनियां आई थीं। इन कंपनियों के अलावा बिहार के रैफ, सैप, बीसैप व बिहार पुलिस के जवानों और होमगार्ड की चौकसी से चुनाव के साथ ही पूरे बिहार में मतगणना शांतिपूर्ण रही। खास बात यह है कि कहीं भी वारदात नहीं हुई। यही नहीं किसी भी बूथ पर पुनर्मतदान नहीं हुआ। उधर, पटना के शहारी इलाकों से लेकर मोकामा तक केंद्रीय अर्द्धसैनिक बल कैंप कर रहे हैं। मोकामा में दुलारचंद यादव की हत्या के बाद जिस तरह की स्थिति पैदा हुई थी उसे इन जवानों ने पूरी तरह से नियंत्रण में किया। मोकामा में भी चुनाव पूरी तरह शांतिपूर्ण हुआ। इन जवानों को स्थानीय पुलिस के साथ फरार चल रहे आरोपितों को गिरफ्तार करने, सघन वाहन चेकिंग के अलावा संस्थानों की सुरक्षा में लगाया गया है।
दिल्ली के मालवीय नगर से विधायक और प्रदेश सह प्रभारी मध्य प्रदेश सतीश उपाध्याय आज अयोध्या पहुंचे। उन्होंने बिहार चुनाव में प्रचंड जीत का श्रेय पीएम नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को दिया है। सतीश उपाध्याय का कहना है कि यह असाधारण जीत असाधारण व्यक्तित्व के पीएम नरेंद्र मोदी पर जनता का अटूट विश्वास का फल है। उन्होंने कहा कि एग्जिट पोल में भी इस तरह का अकड़ा प्रदर्शित नहीं हुआ था। बिहार में नीतीश सरकार का सुशासन और मोदी जी की नीतियों पर लोगों ने विश्वास किया है। पीएम मोदी के नेतृत्व में देश की आर्थिक तरक्की हुई है। वहीं सनातन भी मजबूत हुआ है। ऐसे में बिहार भी आगे बढ़ना चाहता था। इस चुनाव ने निश्चय कर दिया है कि जाति के नाम पर राजनीति करने वालों को जनता नकार देगी। सतीश उपाध्याय ने कहा कि बिहार में लोगों ने बड़ा बदलाव किया है। एनडीए की शक्तियों के रूप में महिलाओं का विश्वास पीएम मोदी पर विशेष कृपा के रूप में रही है। युवाओं के अवसर ने नए बिहार का निर्माण किया है। 20 साल पहले का जंगल राज और 20 साल बाद के बदलाव की झलक दिख रही है। उन्होंने कहा कि बिहार में उद्योग, महिलाओं और युवाओं के अवसर बढ़े है। बिहार चुनाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लोग देखना चाहते थे। योगी आदित्यनाथ जहां जहां प्रचार किए वहां जीत सुनिश्चित नजर आई। यूपी में योगी आदित्यनाथ सरकार ने परिवर्तन लाया है। माफियाराज का खत्म किया है। अयोध्या में राम मंदिर बना। उन्होंने एक रोल मॉडल प्रस्तुत किया है। सतीश उपाध्याय ने कहा कि स्टार प्रचारक के रूप में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का विशेष योगदान रहा है। उत्तर प्रदेश एक बड़ा राज्य और देश को नेतृत्व देने वाला राज्य है। इसका बिहार चुनाव में असर पड़ा है। बीजेपी का अगला लक्ष्य पश्चिम बंगाल है। जिस तरह से पश्चिम बंगाल को आगे बढ़ना चाहिए था वह नहीं बढ़ा है। बंगाल में तुष्टिकरण की राजनीति खत्म होगी और निश्चित रूप से कमल खिलेगा। लोगों को समझना होगा कि बिहार और पश्चिम बंगाल की दूरी ज्यादा नहीं है। अगला विकास का पड़ाव पश्चिम बंगाल होगा। दिल्ली के विधायक सतीश उपाध्याय ने कहा कि अयोध्या में सनातन का सबसे बड़ा गौरव राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण है। यह गौरव की बात है कि 500 वर्षों के संघर्ष का प्रतीक राम जन्मभूमि मंदिर की आधार शिला पीएम नरेंद्र मोदी के हाथों रखी गई, मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा उन्हीं के हाथों हुई, अब ध्वजारोहण भी उन्हीं के हाथों होगीं। जब राम जन्मभूमि मंदिर पर ध्वजा लहराएगी वह सनातन की ध्वज लहराएगा। इससे बड़ा गौरव का छड़ हम सब देश वाशी सनातनियों के लिए नहीं हो सकता है।
आगरा में यूथ कांग्रेस ने बिहार में एनडीए की जीत पर मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञाने कुमार की फोटो को मिठाई खिलाई। यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने बिहार में एनडीए की जीत में ज्ञानेश कुमार को बधाई दी। यूथ कांग्रेस की ओर से प्रदेश उपाध्यक्ष दीपक शर्मा के नेतृत्व में NDA व भारतीय जनता पार्टी की जीत पर मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार की फोटो को मिठाई खिलाई। दीपक शर्मा ने बताया की आगरा का लाल कर गया कमाल। चुनाव आयोग ने बिहार चुनाव में भरपूर धांधली की। भारत के इतिहास में पहली बार हुआ है बिहार में लोगों के एक नहीं बल्कि दोनों हाथों में स्याही लगी हुई थी। धड़ल्ले से फर्जी वोटिंग हुई। आगरा के लाल ज्ञानेश कुमार द्वारा ही सम्भव हुआ की 1015 के एक कमरे में 2000 से भी अधिक वोटर रह रहे है। ये पहले ऐसे चुनाव अयुक्त है जिन्होंने तीन महीने एक एक व्यक्ति के दो राज्यों मे वोट डलवाये है। चुनाव से पहले पचास लाख से अधिक वोट बिहार में बिना किसी कारण काट दिए। लगता है अब सरकार बनाने के लिये के जनता के पास जाने की वोट मांगने की जरूरत नहीं। सीधी चुनाव आयुक्त से सेटिंग भी सरकार बना सकती है। लोगों का चुनाव आयोग से भरोसा हट गया है। ज्ञानेश कुमार की भूमिका का यूथ कांग्रेस पुरजोर विरोध करती है। प्रदर्शन में मुख्य रूप से यूथ कांग्रेस जिला अध्यक्ष ताहिर हुसैन,बिल्लू चौहान,बन्टी खान, रंगरेज,गोविन्द,दीपक दीक्षित,आसिफ,फरमान,साहिल,रेहान,शंकरलाल,दीपक कुमार,पिन्टू,रवि,फैसल,आदि मुख्य रूप से मौजूद रहे।
हरियाणा भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष मोहनलाल बड़ौली शनिवार दोपहर बाद फतेहाबाद जिले के टोहाना पहुंचे। यहां उन्होंने पूर्व पंचायत मंत्री देवेंद्र सिंह बबली के आवास पर कार्यकर्ताओं से मुलाकात की। उन्होंने टोहाना के विकास कार्यों पर भी चर्चा की। बड़ौली ने कहा कि बिहार के विधानसभा चुनाव में जनता ने लोकतंत्र का सम्मान किया है। अब देश से कांग्रेस नाम की पार्टी जड़मूल से खत्म हो जाएगी। अब वोट चोरी की बात ही नहीं रही, जनता ने तो कांग्रेस को ही चोरी कर दिया। जनता ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को जीत दिलाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों में विश्वास जताया है। लोकल राजनेताओं पर बोले- कहीं तालमेल की कमी नहीं बड़ौली ने लोकल राजनेताओं की आपसी खींचतान के सवाल के जवाब में कहा कि कहीं कोई दिक्कत नहीं है। किसी का कोई टकराव नहीं है। सभी कार्यकर्ता घी-शक्कर की तरह से रहते हैं। लगातार हर कार्यकर्ता पार्टी को मजबूत बनाने में लगा हुआ है। पूर्व सीएम ने जो घोषणाएं की, वो पूरी होंगी बड़ौली ने कहा कि टोहाना सहित पूरे प्रदेश में पूर्व सीएम मनोहर लाल और वर्तमान सीएम नायब सैनी द्वारा की गई सभी घोषणाओं को जल्द पूरा किया जाएगा। बड़ौली ने स्वीकार किया कि घोषणाओं को पूरा करने में समय लग सकता है, लेकिन सभी वादों को निभाया जाएगा। इस मौके पर पूर्व मंत्री देवेंद्र सिंह बबली, बीजेपी जिलाध्यक्ष प्रवीण जोड़ा, मार्केट कमेटी चेयरमैन जगजीत हुड्डा समेत कई कार्यकर्ता मौजूद रहे।
बिहार चुनाव में NDA की रिकॉर्ड जीत के बाद यूपी में सियासी बयानबाजी बढ़ गई है। निषाद पार्टी के प्रमुख और योगी सरकार में मत्स्य मंत्री संजय निषाद ने सुभासपा प्रमुख राजभर पर निशाना साधा है। संजय निषाद ने कहा- ओपी राजभर का बिहार में NDA से अलग होकर चुनाव लड़ने का निर्णय बिल्कुल गलत था। दैनिक भास्कर डिजिटल से बातचीत में उन्होंने कहा- यूपी में भाजपा ने सुभासपा को पूरा सम्मान दिया। ओपी राजभर ने खुद 2022 में सपा के साथ चुनाव लड़ा था। फिर भी भाजपा ने उन्हें NDA में शामिल कर मंत्री और MLC का पद दिया। इसलिए, गठबंधन का सम्मान होना चाहिए। राजभर की पार्टी अभी सिर्फ यूपी में है। राजनीति में वहीं बीज बोना चाहिए जहां हम उसे ढंग से सींच सके। बिहार में सुभासपा का जनाधार नहीं है। इसलिए चुनाव परिणाम सामने है। बता दें कि यूपी में सुभासपा और निषाद पार्टी दोनों एनडीए गठबंधन में हैं। दोनों पार्टी के प्रमुख योगी सरकार में मंत्री हैं। बिहार में राजद और कांग्रेस ने जनता को खूब लूटा। उस जमाने में मीडिया और सोशल मीडिया इतना नहीं था। लेकिन आज मीडिया और डिजिटल मीडिया ने सभी को जागरूक कर दिया। बिहार में बीजेपी की ताकत, पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और राजनीति के चाणक्य अमित शाह के दांव पेंच ने विपक्ष का सुपड़ा साफ कर दिया।
बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए को प्रचंड बहुमत मिलने के बाद पटना में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। मुख्यमंत्री आवास में शनिवार की सुबह से ही नेताओं का आना-जाना जारी है। सबसे पहले मंत्री विजय कुमार चौधरी सीएम हाउस पहुंचे। उसके बाद चिराग समेत अन्य नेता भी पहुंचे। जेडीयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा भी सीएम हाउस पहुंचे। संजय झा अपने हाथों में जीते हुए कैंडिडेट की लिस्ट ले कर आए हैं। इसी क्रम में फुलवारी से नवनिर्वाचित विधायक श्याम रजक भी मुख्यमंत्री आवास पहुंचे। मुलाकात के बाद मीडिया से बात करते हुए श्याम रजक ने स्पष्ट कहा कि बिहार में नेतृत्व का एक ही भरोसेमंद चेहरा है, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार। बिहार में दूसरा कोई चेहरा नहीं है, नीतीश कुमार ही विकल्प हैं। श्याम रजक ने कहा हम अपने नेता से मिलने आए थे। मुख्यमंत्री के नेतृत्व में आम लोगों ने आस्था व्यक्त की है। नीतीश कुमार के काम पर लोगों ने विश्वास किया है। शपथ ग्रहण कब होगा इस पर श्याम रजक ने कहा कि यह मुख्यमंत्री जी तय करेंगे। नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री चेहरा है उनके अलावा कुछ सोचा भी नहीं जा सकता है। कौन क्या कहा है मुझे नहीं पता विनोद तावड़े ने कहा था सभी पार्टी एक साथ बैठकर तय करेंगे की सीएम कौन होगा। इसपर श्याम रजक ने कहा कि कौन क्या कहता है उनसे पूछिए। महाराष्ट्र पैटर्न के भी चर्चा शुरू है, इस पर श्याम रजक ने कहा कि इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। आप लोगों ने तो महागठबंधन को भी कितनी सीटें दी थी, उन्हें क्या कुछ मिला आपलोगों ने देखा है। पूरा एनडीए एकजुट है वहीं, दूसरी ओर से यह दावा किया जा रहा है कि बिना जदयू के भी सरकार बन सकती है। इस पर श्याम रजक ने करारा जवाब देते हुए कहा कि यह केवल एक सपना है, जिसकी कोई वास्तविकता नहीं है। उन्होंने दोहराया कि पूरा एनडीए एकजुट है और भारी जन mandate ने यह साबित कर दिया है कि जनता नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही स्थिर सरकार चाहती है।
हिमाचल प्रदेश के पूर्व अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (ADG) डा. जय प्रकाश सिंह ने बिहार विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमाई, लेकिन उनकी जमानत जब्त हो गई। जेपी सिंह ने चुनाव लड़ने के लिए ऐच्छिक सेवानिवृति (वीआरएस) ली थी। मगर उन्हें करारी हार मिली है। प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने उन्हें टिकट दिया। जेपी सिंह बिहार की छपरा सीट से चुनाव लड़े। लेकिन उन्हें मात्र 3433 वोट मिल पाए। जेपी सिंह छपरा सीट पर 10 उम्मीदवारों में चौथे नंबर पर जरूर रहे। मगर विजय उम्मीदवार से 83 हजार 412 वोटों के अंतर से चुनाव हार गए। चौथे नंबर पर रहे, जमानत जब्त छपरा सीट से भारतीय जनता पार्टी की छोटी कुमारी विधायक चुनी गई। उन्हें 86 हजार 845 वोट लेकर मिले। दूसरे नंबर पर राष्ट्रीय जनता दल के शत्रुघन यादव रहे, उन्हें 79 हजार 245 वोट मिले। तीसरे नंबर पर इंडिपेंडेंट कैंडिडेट राखी गुप्ता को 11 हजार 488 वोट और चौथे नंबर पर जेपी सिंह रहे। साल 2000 बैच के IPS 10 जुलाई 1967 को बिहार में जन्मे जेपी सिंह हिमाचल कैडर के 2000 बैच के IPS अधिकारी रहे हैं। 31 जनवरी 2025 को ही वह ADG प्रमोट किए गए। ADG बनने के 5 महीने बाद ही उन्होंने चुनाव लड़ने का फैसला किया और जुलाई 2025 में समय से पहले रिटायरमेंट ले ली। उनकी रिटायरमेंट 31 जुलाई 2027 को तय थी। यानी दो साल पहले ही जेपी सिंह ने नौकरी छोड़ दी। जेपी सिंह बीए, एलएलबी, के साथ पुलिस मैनेजमेंट में मास्टर डिग्री धारक हैं। चंबा-सिरमौर जिले में SP रहे जेपी सिंह वर्ष 2001 में कांगड़ा में बतौर प्रोबेशनर तैनात हुए। इसके बाद, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ASP) कांगड़ा के पद पर सेवाएं दी। फिर वह राज्यपाल के एडीसी, SP चंबा, SP सिरमौर, कमांडेंट और SP इंटेलिजेंस भी रहे। वे आईजी साउथ रेंज व आईजी नॉर्थ रेंज के अलावा विजिलेंस में भी सेवाएं दे चुके हैं। वीआरएस से पहले वह एडीजीपी सीआईडी पद पर तैनात थे। बिहार के एकमा तेघड़ा गांव के रहने वाले जेपी सिंह बिहार के एकमा के तेघड़ा गांव के रहने वाले हैं। उनका सफर प्रेरणादायक है। वह एक किसान परिवार से निकलकर, पहले सैन्य अधिकारी और फिर आईपीएस अधिकारी बने। हिमाचल पुलिस में विभिन्न पदों पर सेवाएं देने के बाद राजनीति में उतरे। छुट्टी के दौरान गांव के बच्चों को पढ़ाते थे जेपी सिंह छुट्टी के दौरान अपने गांव और आसपास के शैक्षणिक संस्थानों में जाकर विद्यार्थियों को पढ़ाते रहे हैं और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए व्यावहारिक मार्गदर्शन देते हैं।
बंगाल में बिहार जैसी स्थिति नहीं होगी, ममता बनर्जी फिर बनेंगी मुख्यमंत्री
तृणमूल कांग्रेस नेता कुणाल घोष ने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव के परिणामों का पश्चिम बंगाल के आगामी चुनाव पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है
क्या NDA की रिकॉर्ड 202 सीटों के जीतने के पीछे चुनाव आयोग का एक फैसला है? फैसला-आचार संहिता के बावजूद बिहार की महिलाओं को 10-10 हजार रुपए बंटने देना। जबकि, 2004 के बाद कम से कम 5 राज्यों में ऐसी 10 योजनाओं पर आचार संहिता के नाम पर रोक दिया गया। मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के नाम से राज्यभर में 10 हजार करोड़ रुपए बांटे गए। इसकी शुरुआत तो 26 सितंबर को पहली किश्त बांट कर की गई थी, लेकिन 6 अक्टूबर को आचार संहिता लगने के बाद भी 5 बार 10-10 हजार रुपए बांटे गए। एक किश्त तो चुनावों की घोषणा वाले दिन यानी आचार संहिता के ऐलान वाले दिन ही जारी की गई। यही नहीं, नीतीश सरकार ने अक्टूबर में प्रदेश के सभी बड़े अखबारों में विज्ञापन देकर भुगतान की तारीख दिसंबर तक तय कर दी। ये विज्ञापन देखिए- अब सवाल है कि आखिर देश के अलग-अलग राज्यों में एक जैसे नियमों के बावजूद फैसले अलग क्यों हुए? आज के एक्सप्लेनर बूझे की नाहीं में जानिए, कहां-कहां चुनाव आयोग ने योजनाओं को रोका, वहां चुनाव में क्या हुआ…। पॉइंट-1ः 5 राज्यों में रोका तो 3 में सरकार बदल गई राजस्थान: इंदिरा गांधी स्मार्टफोन योजना रोक राजस्थान में कांग्रेस सरकार ने अक्टूबर 2023 में मुफ्त स्मार्टफोन बांटने के लिए 'इंदिरा गांधी स्मार्टफोन योजना' लॉन्च किया। जिसे चुनाव आयोग ने आचार संहिता का हवाला देकर रोक दिया। चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि स्मार्टफोन जैसी चीजों का मुफ्त बांटना आचार संहिता के दौरान सीधे मतदाताओं को लुभाने की श्रेणी में आता है। आयोग ने अपने आदेश में तर्क दिया कि भले ही योजना पहले से लागू हो, लेकिन निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने और चुनाव में सबके लिए समान अवसर को बनाए रखने के लिए, इस पर रोक आवश्यक है। नतीजा- कांग्रेस की मौजूदा सरकार चली गई और भाजपा स्पष्ट बहुमत से लौटी। तेलंगाना में रायथु बंधु योजना पर रोक यह योजना PM-KISAN जैसी ही है। 10 मई 2018 को इसे तत्कालीन सीएम केसीआर ने लॉन्च की। इसमें किसानों को हर साल दो बार पैसा दिया जाता था। 2018 में जब यह योजना शुरू की गई थी तब 50.25 लाख किसान जुड़े थे। तेलंगाना में विधानसभा चुनाव नवंबर 2023 में होने थे। 26 नवंबर 2023 को तेलंगाना के वित्त मंत्री टी. हरीश राव ने कहा कि रायथु बंधु योजना की राशि 28 नवंबर तक (वोटिंग से ठीक दो दिन पहले) दे दी जाएगी। ECI ने मंत्री के इस बयान को आचार संहिता की शर्तों का उल्लंघन माना और योजना को आचार संहिता हटने तक स्थगित कर दिया। नतीजा– चुनाव हुआ तो केसीआर की सरकार चली गई। कांग्रेस स्पष्ट बहुमत से लौटी। आंध्र प्रदेश में YSR चेयुथा सहित 6 योजनाओं पर रोक चुनाव आयोग ने आंध्र प्रदेश में विधानसभा-लोकसभा चुनाव से दो दिन पहले 9 मई 2024 को YSR चेयुथा सहित छह अन्य DBT योजनाओं के भुगतान को तुरंत रोक दिया। अगस्त 2020 में आंध्र प्रदेश के तत्कालीन सीएम वाईएस जगनमोहन रेड्डी ने YSR चेयुथा योजना की शुरुआत की थी। इस योजना के तहत आंध्र प्रदेश की सरकार ने अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ी जाति और अल्पसंख्यक समुदाय के 45-60 साल की महिलाओं को आर्थिक सहायता देनी थी। आयोग के अनुसार, इन योजनाओं में भुगतान 11-12 मई 2024 मतदान से ठीक पहले करने की योजना थी। चुनाव की घोषणा के बाद सत्ता पक्ष की सरकार को किसी भी नई वित्तीय घोषणा या जनहित सहायता का वितरण नहीं करना चाहिए। इसी तरह वाईएसआर आसरा और जगनन्ना विद्या दीवेना योजनाओं को भी चुनाव आयोग ने रोक दिया। इसमें विद्या दीवेना योजना पोस्ट-मैट्रिक स्कॉलरशिप के वितरण से संबंधित थी। इस योजना के तहत, सरकार लाभार्थी छात्रों की माताओं के बैंक अकाउंट में स्कूल फीस सीधे भेजने वाली थी। वहीं, YSR आसरा योजना, बिहार के जीविका योजना की तरह ही स्वयं सहायता समूहों (SHG) की महिला सदस्यों को वित्तीय सहायता प्रदान करने की थी। इन पर भी चुनाव आयोग ने रोक लगा दी। नतीजा- जगनमोहन रेड्डी की सरकार चली गई। 175 में से चंद्रबाबू नायडू की पार्टी ने 135 सीटें जीत लीं। भाजपा भी सरकार में सहयोगी है। ओडिशा: कालिया योजना पर रोक ओडिशा सरकार ने दिसंबर 2018 में 'कृषक सहायता आजीविका और आय संवर्धन' योजना की शुरुआत की। 2019 विधानसभा चुनाव के दौरान रोक दिया गया था। इस योजना को ECI ने आचार संहिता का उल्लंघन माना। KALIA एक नकद सहायता योजना थी, जिसमें खेती करने वाले प्रत्येक परिवार को ₹10,000 हर साल दिया जाता था। साथ ही 2 लाख रुपए का जीवन बीमा कवर और 57 लाख परिवारों के लिये 2 लाख रूपए का अतिरिक्त व्यक्तिगत दुर्घटना कवरेज भी शामिल था। बीजद (बीजू जनता दल) ने चुनाव आयोग पर आरोप लगाया कि इसी तरह की योजना पीएम-किसान निधि के पैसे मिलने जारी हैं, लेकिन उनकी योजना रोक दी गई। इस पर चुनाव आयोग का तर्क था कि पीएम किसान निधि केंद्रीय बजट में पहले से ही आवंटित थी और यह एक पुरानी योजना थी। कालिया योजना की किस्त का वितरण एक नई घोषणा थी, इसलिए उसे आदर्श आचार संहिता के तहत रोक दिया गया। नतीजा- पटनायक सरकार बरकरार रही, लेकिन भाजपा मजबूत हुई। तमिलनाडु: 2004,2011 में रोकी गई दो योजनाएं साल 2004 में लोकसभा चुनाव के ठीक पहले AIADMK (ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम) की सरकार बिजली बिल भुगतान की योजना लेकर आई। इसमें छोटे किसानों को बिजली बिल के भुगतान की भरपाई के लिए मनी ऑर्डर से पैसे भेजे जाते थे। आयोग ने चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद मनी ऑर्डर के वितरण पर रोक लगा दी थी। साल 2006 में तमिलनाडू की DMK (द्रविड़ मुनेत्र कड़गम) सरकार ने रंगीन टीवी बांटने की योजना बनाई। यह पांच साल तक चलती रही, लेकिन 2011 में चुनाव कार्यक्रम जारी होने के तुरंत बाद, चुनाव आयोग ने जिला कलेक्टरों को चुनाव समाप्त होने तक मुफ्त टीवी सेट बांटने पर रोक लगा दिया। नतीजा- 2011 विधानसभा चुनाव में AIADMK गठबंधन ने 234 सीटों में लगभग 203 सीटें जीत लीं। पॉइंट-2ः 2 राज्यों में कैश ट्रांसफर नहीं रोका, सरकार लौटी बिहार में चुनाव के ऐलान के बाद भी महिलाओं को दिया पैसा बिहार में 6 अक्टूबर को चुनाव की आचार संहिता लग गई। आचार संहिता के लागू होने के बाद भी नीतीश सरकार ने महिलाओं के अकाउंट 10-10 हजार रुपए भेजे हैं। इसकी शिकायत RJD ने चुनाव आयोग से की थी, लेकिन उस पर कोई सुनवाई नहीं हुआ। नतीजा- नीतीश सरकार दो तिहाई से ज्यादा बहुमत से सरकार में लौटी है। झारखंड में वोटिंग से एक रात पहले आया मंईयां सम्मान योजना का पैसा झारखंड में विधानसभा चुनाव से ठीक 4 महीने पहले हेमंत सोरेन सरकार ने मईयां सम्मान योजना शुरू की। इसमें 18 से 50 साल तक की महिलाओं को 2500 रुपए हर महीने दिया गया। भाजपा ने आरोप लगाया कि वोटिंग की एक रात पहले तक सरकार ने चुपके से महिलाओं के अकाउंट में पैसा भेजा। भाजपा ने इसकी लिखित शिकायत आयोग से की, लेकिन रोक नहीं लगी। नतीजा- हेमंत सोरेन की सरकार रिपीट हुई। JMM गठबंधन में दो तिहाई बहुमत से सरकार बनाई। एक्सपर्ट बोले- यह ठीक नहीं… पॉलिटिकल एनालिस्ट अभिरंजन कुमार कहते हैं, अगर यह पैसा चुनाव के बीच में जाते रहे तो NDA 200 की बजाय 240 सीट भी जीते तो इसे अनफेयर ही कहा जाएगा। चुनाव के दौरान डायरेक्ट पैसा देना लोकतंत्र को कमजोर करने की प्रैक्टिस है। चुनाव से पहले ये सब करने से जनमत प्रभावित होता है और पांच साल के परफॉर्मेंस का आकलन नहीं हो पाता है। राजनीतिक विश्लेषक राशिद किदवई कहते हैं, ‘भारत का लोकतंत्र ब्रिटिश मॉडल पर है और वहां मर्यादा का बहुत महत्व है। हमारे यहां मर्यादा को लेकर बहुत लचीला रवैया है। चुनाव में सबको बराबर का महत्व मिलना चाहिए। आयोग को इस तरह का कोई काम नहीं करना चाहिए, जिससे किसी को फायदा हो।’ क्या आप हैं बिहार के एक्सपर्ट? खेलिए और जीतिए 2 करोड़ तक के इनाम बिहार से जुड़े 3 आसान सवालों के जवाब दीजिए और जीतिए 2 करोड़ तक के इनाम। रोज 50 लोग जीत सकते हैं आकर्षक डेली प्राइज। लगातार खेलिए और पाएं लकी ड्रॉ में बंपर प्राइज सुजुकी ग्रैंड विटारा जीतने के मौके। क्विज अभी खेलने के लिए यहां क्लिक करें - https://dainik.bhaskar.com/vkQR1zsokWb
प्रदेश के भाजपा नेताओं ने बिहार विधानसभा चुनाव में 55 सीटों पर प्रबंधन, प्रचार, पीएम रैली व सोशल मीडिया की जिम्मेदारी संभाली। उनमें से 49 सीटों पर एनडीए प्रत्याशियों की जीत हुई है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने भी चुनावी सभा को संबोधित किया। वहीं भाजपा नेतृत्व ने पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी, पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष व हरियाणा प्रभारी सतीश पूनियां, सोशल मीडिया इंचार्ज हिरेन कौशिक सहित 20 नेताओं को बिहार चुनाव की जिम्मेदारी दी थी। इन वरिष्ठ नेताओं ने अपने अनुभव के आधार पर स्थानीय नेताओं के साथ मिलकर चुनावी रणनीति बनाई। जिसमें चुनाव प्रचार, सभाएं, सामाजिक व क्षेत्रीय संगठनों के साथ बैठके, रोड शो, सोशल मीडिया पर ट्रेंडिंग, विपक्ष पर पलटवार को लेकर प्लानिंग की गई। भाजपा नेताओं ने राजस्थानियों को लुभाया भाजपा के डेटा के अनुसार 15 लाख से ज्यादा बिहारी मतदाता राजस्थान में रह रहे हैं। इनमें से 5 लाख से अधिक की संख्या तो अकेले जयपुर में है। इसी तरह से 3 लाख प्रवासी राजस्थानी बिहार में रह रहे हैं। भाजपा नेतृत्व ने प्रवासी राजस्थानी-मारवाडियों को लुभाने के लिए नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी दी थी। इसके अलावा स्थानीय नेताओं के साथ मिलकर चुनावी प्रबंधन का काम भी सौपा था। पार्टी के अनुसार भाजपा नेता राजेंद्र राठौड़ ने पाटलीपुत्र, सीपी जोशी ने दरभंगा, सतीश पूनियां को नवादा, अनिवाश गहलोत को मोतीहारी, कुलदीप धनकड़ को साहिबगंज, दामोदर अग्रवाल को सीतामढ़ी लोकसभा क्षेत्र के विधानसभा सीटों की जिम्मेदारी दी गई थी। हिरेन कौशिक को तिरहुत और मिथिला क्षेत्र में आने वाली विधानसभा सीटों के सोशल मीडिया प्रचार की जिम्मेदारी दी गई थी। इन नेताओंं को लगाया था चुनाव में पूर्व प्रदेशाध्यक्ष व सांसद सीपी जोशी, प्रदेश महामंत्री व सांसद दामोदर अग्रवाल, मंत्री अविनाश गहलोत, विधायक कुलदीप धनकड़ व अतुल भंसाली, पूर्व केंद्रीय मंत्री निहाल चंद मेघवाल, प्रदेश महामंत्री ओम प्रकाश भड़ाना, प्रदेश मंत्री वसुदेव चावला व आईदान सिंह भाटी, पूर्व अध्यक्ष महिला आयोग सुमन शर्मा, प्रदेश सह संयोजक अनुराग जांगिड़, विधायक हरलाल सारण, संभाग प्रभारी सोमकांत शर्मा, पूर्व जिलाध्यक्ष विष्णु चेतानी, पूर्व प्रदेश मंत्री सरोज प्रजापत, पूर्व प्रदेश कार्यालय प्रभारी महेश शर्मा, अजमेर डिप्टी मेयर नीरज जैन सहित अन्य नेताओं को लगाया है। इसके अलावा महिला मोर्चा, एससी मोर्चा, एसटी मोर्चा के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं की टीमों को भी बिहार चुनाव में भेजा गया था।

