धौलपुर जिला फुटबॉल संघ की ओर से आयोजित समर फुटबॉल लीग का समापन इंदिरा गांधी स्टेडियम में हुआ। फाइनल मुकाबले में चंबल रॉयल्स ने मचकुंड को 2-0 से हराकर खिताब जीता। प्रतियोगिता में धौलपुर के ऐतिहासिक स्थलों के नाम पर 10 टीमों ने हिस्सा लिया। मुख्य अतिथि प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ. विजय सिंह ने विजेता टीमों को बधाई दी। समापन समारोह में राष्ट्रीय खिलाड़ी दिव्या परमार का विशेष सम्मान किया गया। दिव्या ने राजस्थान का प्रतिनिधित्व किया था। जिला फुटबॉल संघ ने उन्हें माल-साफा और स्मृति चिन्ह भेंट किए। हॉकी खिलाड़ी और पार्षद अकील अहमद ने धौलपुर के प्रतिभाशाली खिलाड़ियों की सराहना की। जिला खेल अधिकारी अशोक कुमार ने सरकार की खेल नीतियों पर प्रकाश डाला। प्रतियोगिता में भूपेंद्र सिंह, राकेश परमार, असलम खान और अंगद तोमर ने निर्णायक की भूमिका निभाई। मंच संचालन रंजीत दिवाकर ने किया। एक विशेष उल्लेखनीय क्षण तब आया जब एक्सीडेंट में चोटिल उप जिला शिक्षा अधिकारी विजय उदैनियां छड़ी के सहारे मैदान पर पहुंचे। उन्होंने खिलाड़ियों का उत्साहवर्धन किया। कार्यक्रम में जिला फुटबॉल संघ के सचिव संदीप राना, कोच चंद्र मोहन त्रिवेदी और जिला बैडमिंटन संघ के सचिव मोहम्मद जाकिर हुसैन सहित कई लोग मौजूद रहे।
22 अक्टूबर 1947, पाकिस्तानी कबाइलियों ने जम्मू-कश्मीर पर धावा बोल दिया। जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरि सिंह यह मानकर चल रहे थे कि उनकी फौज कबाइलियों को खदेड़ देगी, लेकिन उनके मुस्लिम सैनिक दुश्मन से मिल गए। तीन दिन के भीतर कबाइली लूट-पाट, बलात्कार, कत्लेआम मचाते हुए बारामूला तक पहुंच गए। महूरा पावर स्टेशन को डायनामाइट से ब्लास्ट करके उड़ा दिया। पूरे कश्मीर में अंधेरा छा गया। महाराजा के महल में जल रहे हजारों बल्ब बुझ गए। अब कबाइलियों का टारगेट था श्रीनगर, जो बारामूला से महज 70 किलोमीटर दूर था। घबराए महाराजा हरि सिंह ने फौरन दिल्ली टेलीग्राम भेजा- ‘मुझे सैन्य मदद चाहिए।’ इस पर भारत ने जवाब दिया- ‘पहले कश्मीर का भारत में विलय कराइए, उसके बाद ही मदद भेजी जाएगी।’ टेलीग्राम भेजने के बाद हरि सिंह ट्रकों में बेशकीमती सामान भरकर जम्मू के लिए निकल पड़े। उन्होंने जम्मू पहुंचते ही अपने सेक्रेटरी से कहा- मैं सोने जा रहा हूं। दिल्ली से वीपी मेनन यहां आएं तो ही मुझे जगाना। अगर वो सुबह से पहले यहां नहीं पहुंचते हैं, तो मेरी पिस्तौल से सोते में मुझे गोली मार देना। 26 अक्टूबर को ही मिनिस्ट्री ऑफ स्टेट्स के सेक्रेटरी वीपी मेनन जम्मू पहुंच गए। वे सीधे हरि सिंह के कमरे में गए। उनके हाथ में विलय पत्र था, जिस पर फौरन हरि सिंह ने दस्तखत कर दिए। वीपी मेनन विलय पत्र लेकर दिल्ली लौट आए। अगले दिन ही भारतीय फौज श्रीनगर पहुंच गई और महीनेभर में ही दो तिहाई कश्मीर बचा लिया। 'पाकिस्तान पर फतह' सीरीज के पहले एपिसोड में आज कहानी 1947-48 में भारत-पाकिस्तान के बीच हुई पहली जंग की… 18 जुलाई 1947, ब्रिटिश संसद ने इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट 1947 पारित किया। इसके तहत देश को दो डोमिनियन में बांटा गया- ‘भारत और पाकिस्तान।’ उस वक्त देशभर में 565 रियासतें थीं। इन रियासतों को छूट दी गई कि वो भारत या पाकिस्तान से जुड़ सकती हैं, या खुद को आजाद भी रख सकती हैं। 15 अगस्त 1947 तक ज्यादातर रियासतें भारत या पाकिस्तान में शामिल हो चुकी थीं। सिर्फ 3 रियासतों के विलय का मामला उलझा था- जूनागढ़, हैदराबाद और जम्मू-कश्मीर। जून 1947 में भारत के आखिरी वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन महाराजा हरि सिंह से मिलने कश्मीर गए, लेकिन हरि सिंह ने बीमारी का बहाना बनाकर उनसे मुलाकात नहीं की। कुछ समय बाद माउंटबेटन के चीफ ऑफ स्टाफ लॉर्ड हेस्टिंग्स कश्मीर गए और अपने नोट में लिखा- ‘जब भी मैंने विलय की बात करनी चाही, महाराजा हरि सिंह ने विषय बदल दिया।’ एक आर्टिकल में महाराजा हरि सिंह के बेटे कर्ण सिंह बताते हैं- ’भारत में लोकतंत्र लाया जा रहा था, जो महाराजा को पसंद नहीं था। पाकिस्तान मुस्लिम देश बनने जा रहा था, उसके साथ जाना भी ठीक नहीं था। इसलिए हरि सिंह आजाद रहना चाहते थे।’ लैरी कॉलिंस और डोमिनिक लैपिएर अपनी किताब 'फ्रीडम एट मिडनाइट' में लिखते हैं- ‘24 अगस्त 1947 की बात है। पाकिस्तान को आजाद हुए 10 दिन बीत चुके थे। टीबी और फेफड़े के कैंसर से जूझ रहे मोहम्मद अली जिन्ना कुछ दिन कश्मीर में गुजारना चाहते थे। उन्होंने अपने सेक्रेटरी कर्नल विलियम बर्नी को कश्मीर जाकर दो हफ्ते की छुट्टियों का इंतजाम करने को कहा। पांच दिनों बाद बर्नी कश्मीर से लौटकर पाकिस्तान पहुंचे। उन्होंने जिन्ना से कहा- ’महाराजा हरि सिंह नहीं चाहते कि जिन्ना कश्मीर की जमीन पर कदम रखें, एक टूरिस्ट के तौर पर भी नहीं।’ जिन्ना ये जवाब सुनने के लिए तैयार नहीं थे। उन्हें सदमा-सा लगा। दरअसल, जिन्ना को लगता था कि आज नहीं तो कल कश्मीर पाकिस्तान का होगा। बंटवारे के वक्त उन्होंने कहा भी था- Kashmir was a ripe fruit which would fall into his lap only यानी, कश्मीर पके फल की तरह पाकिस्तान की झोली में ही गिरेगा। अभी 48 घंटे भी नहीं बीते कि जिन्ना ने एक सीक्रेट एजेंट को कश्मीर भेज दिया। एजेंट ने लौटकर जिन्ना को रिपोर्ट दी- ‘हरि सिंह किसी भी कीमत पर पाकिस्तान के साथ जाने के लिए तैयार नहीं हैं।’ पाकिस्तान ने साजिश के तहत अपने आर्मी चीफ को लंदन भेजा, फिर कश्मीर पर हमला सितंबर 1947 में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री लियाकत अली ने लाहौर में एक सीक्रेट मीटिंग की। मकसद था महाराजा हरि सिंह को किसी भी तरह कश्मीर का पाकिस्तान में विलय करने के लिए मजबूर करना। मीटिंग में सीधे-सीधे कश्मीर पर अटैक करने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया। पाकिस्तानी सेना को लगता था कि ऐसा करने से भारत के साथ जंग छिड़ जाएगी। कर्नल अकबर खान ने दूसरा प्रस्ताव रखा कि कश्मीर की असंतुष्ट मुस्लिम आबादी को राजा के खिलाफ विद्रोह भड़काने के लिए हथियार और पैसा दिया जाए, लेकिन इसमें एक दिक्कत थी। दिक्कत ये कि इसमें काफी वक्त लग सकता है। इसलिए ये प्रपोजल होल्ड कर दिया गया। तीसरा प्रपोजल था कि पठान कबाइलियों को हथियारों के साथ कश्मीर भेजा जाए और उन्हें पीछे से सेना मदद करे। मीटिंग में इस प्रपोजल पर मुहर लग गई। पाकिस्तान ने इस मिशन को नाम दिया ऑपरेशन गुलमर्ग। तब जनरल सर फ्रैंक वाल्टर मेसर्वी पाकिस्तान आर्मी के कमांडर इन चीफ थे। उन्हें जानबूझकर हथियारों की खरीद के लिए इंग्लैंड भेज दिया गया, ताकि उन्हें इस ऑपरेशन की भनक नहीं लगे। कबाइली पठानों के 10 लश्कर तैयार किए गए। हर लश्कर में एक हजार लड़ाके, पाकिस्तानी सेना से एक मेजर, एक कैप्टन और दस जूनियर कमीशंड अफसर शामिल किए गए। सैनिकों का चुनाव पठानों में से ही किया गया। वो कबाइलियों जैसे ही कपड़े पहनते थे। लश्कर को आगे बढ़ने के लिए लॉरियों और पेट्रोल की व्यवस्था भी पाकिस्तान ने की। इसके अलावा फोर्स ने उन्हें जंग के लिए स्पेशल ट्रेनिंग दी।’ कबाइलियों ने गैर-मुस्लिम महिलाओं को गुलाम बनाया, जो कलमा नहीं पढ़ पाए, उनकी हत्या कर दी 22 अक्टूबर 1947 की रात की बात है। एक पुरानी फोर्ड स्टेशन वैगन धीरे-धीरे रेंगते हुए झेलम नदी के पुल से सौ गज पहले आकर रुक गई। उसकी बत्तियां बुझी हुई थीं। गाड़ी में मुस्लिम लीग का युवा नेता सैराब हयात खान बड़ी बेचैनी से अपनी मूंछें ऐंठ रहा था। उसके पीछे ट्रकों की लंबी कतार थी। हर ट्रक में कुछ लोग चुपचाप बैठे हुए थे। ये पुल पार करते ही जम्मू-कश्मीर की रियासत शुरू हो जाती थी। लापिएर और कॉलिंस लिखते हैं- ‘अचानक स्टेशन वैगन में बैठे लोगों को रात के अंधेरे में आसमान में आग की लपटें दिखाई दीं। ये इस बात का संकेत था कि पुल के पार हरि सिंह के मुसलमान सैनिकों ने बगावत कर दी है। श्रीनगर की टेलीफोन लाइन काट दी गई है। स्टेशन वैगन के ड्राइवर ने अपना इंजन स्टार्ट किया और पुल पार कर गया।’ कश्मीर की लड़ाई शुरू हो चुकी थी। पाकिस्तान का टारगेट था 26 अक्टूबर से पहले श्रीनगर पर कब्जा करना और एक वैकल्पिक सरकार का गठन करके कश्मीर का पाकिस्तान में विलय कराना। कबाइलियों ने सबसे पहले धावा मुजफ्फराबाद पर बोला। वहां महाराजा के करीब 500 सैनिक थे। इनमें शामिल मुस्लिम सैनिक पाला बदलकर कबाइलियों के साथ मिल गए। कुछ ही घंटों में मुजफ्फराबाद कबाइलियों के कब्जे में था। कबाइलियों ने लूट-पाट, मारकाट और आगजनी शुरू कर दी। एक रिपोर्ट के मुताबिक जो लोग कलमा नहीं पढ़ पाए, उनकी हत्या कर दी। गैर-मुस्लिम महिलाओं को गुलाम बना लिया। सैराब हयात खां सोच रहे थे कि वे जल्द ही कश्मीर फतह कर लेंगे, लेकिन कबाइलियों ने तीन दिन मुजफ्फराबाद में गुजार दिए। इसके बाद कबाइली डोमल, पुंछ, रावलकोट और उरी पर हमला करते हुए बारामूला तक पहुंच गए। वहां भी लूट-पाट और कत्लेआम मचाया। इतना सामान लूटा कि उनके पास रखने तक की जगह नहीं बची। कई कबाइली तो ट्रकों में सामान, जानवर और औरतों को भरकर वापस भी लौट गए। एक रिपोर्ट के मुताबिक कश्मीर की मुस्लिम महिलाएं कबाइलियों को खाना खिलाने की पेशकश कर रही थीं, लेकिन पठानों को डर था कि इसमें जहर हो सकता है। पठानों ने जबरन उनकी बकरियां पकड़ लीं और उन्हें भूनकर खा गए। कबाइलियों ने महूरा पावर स्टेशन को डायनामाइट से ब्लास्ट करके उड़ा दिया। पूरे कश्मीर में अंधेरा छा गया। यहां तक कि महाराजा के महल में जल रहे हजारों बल्ब बुझ गए। महाराजा हरि सिंह समझ गए कि अब उनका श्रीनगर में रहना खतरे से खाली नहीं है। 24 अक्टूबर की रात 11 बजे उन्होंने दिल्ली संदेश भिजवाया कि कश्मीर पर हमला हो चुका है। भारत जल्द से जल्द सैन्य मदद भेजे। 26 अक्टूबर को वीपी मेनन विलय पत्र के दस्तावेज अपने साथ लेकर जम्मू पहुंचे, राजा हरि सिंह से दस्तखत करवाया और दिल्ली लौट आए। श्रीनगर की धूल भरी मिट्टी की हवाई पट्टी पर उतरी भारतीय फौज, महीनेभर में दो-तिहाई कश्मीर को बचाया कबाइली तेजी से श्रीनगर की तरफ बढ़ रहे थे। उनका टारगेट था श्रीनगर एयरफील्ड पर कब्जा करना। भारत को हर हाल में इसे बचाना था, वर्ना पूरा कश्मीर हाथ से निकल सकता था। तब भारत के पास मालवाहक विमानों की कमी थी। सरकार ने टाटा ग्रुप से मदद मांगी। इसके बाद टाटा DC-3 डकोटा विमान एयरफोर्स को सौंप दिया। डकोटा अमेरिकी डिजाइन ट्रांसपोर्ट विमान था, इसका इस्तेमाल दूसरे वर्ल्ड वॉर के दौरान भी हुआ था। 27 अक्टूबर, सुबह 5 बजे। सिख रेजिमेंट की फर्स्ट बटालियन ने DC-3 डकोटा विमान से श्रीनगर के लिए दिल्ली से उड़ान भरी। सुबह 7 बजे सिख रेजिमेंट की एक टुकड़ी ने श्रीनगर में मोर्चा संभाल लिया और दूसरी टुकड़ी को पट्टन भेज दिया गया। पट्टन बारामूला जिले में ही आता है। सुबह करीब 11 बजे श्रीनगर बारामूला हाईवे पर भारतीय सेना का मुकाबला कबाइली लड़ाकों से हुआ। कबाइलियों की संख्या कहीं ज्यादा थी। सिख रेजिमेंट के जवानों ने कबाइली लड़ाकों को आगे नहीं बढ़ने दिया, लेकिन इस कोशिश में 24 जवान और लेफ्टिनेंट कर्नल रंजीत राय को जान गंवानी पड़ी। कर्नल राय को मरणोपरांत महावीर चक्र से नवाजा गया। वे आजादी के बाद पहला गैलेंट्री अवॉर्ड पाने वाले सैनिक थे। कर्नल राय की वजह से भारत को कश्मीर में फिर से सैनिक भेजने का मौका मिल गया। इसके बाद 161 इन्फेंट्री श्रीनगर पहुंची। जिसे लीड कर रहे थे ब्रिगेडियर एलपी सिंह। साथ ही 1 पंजाब, 1 कुमाऊं और 4 कुमाऊं की बटालियन भी श्रीनगर उतर चुकी थी। 2 नवंबर को आर्मी को खबर मिली कि करीब 1 हजार लड़ाके बडगाम पर हमला करने वाले हैं। भारत का पहला परमवीर चक्र: 1 भारतीय सैनिक पर 7 कबाइली, फिर भी दुश्मन को 6 घंटे रोके रखा 3 नवंबर 1947, 4 कुमाऊं की 3 कंपनियों को बडगाम भेजा गया। इसकी एक टुकड़ी यानी डेल्टा कंपनी को लीड कर रहे थे मेजर सोमनाथ शर्मा। दोपहर 2.30 बजे कबाइलियों ने मेजर शर्मा की कंपनी को तीन तरफ से घेर लिया। तब मेजर शर्मा के दाहिने हाथ में प्लास्टर चढ़ा था। कुछ दिन पहले ही हॉकी खेलने के दौरान उनका हाथ फ्रैक्चर हो गया था। कबाइलियों की संख्या करीब 700 थी और मेजर शर्मा की कंपनी में महज 100 सैनिक थे। एक सैनिक 7 कबाइलियों से लड़ रहा था। दोनों तरफ से भयंकर गोलाबारी हो रही थी। एक के बाद एक मेजर शर्मा के साथी शहीद हो रहे थे। अपने सैनिकों का हौसला बढ़ाने के लिए मेजर शर्मा एक-एक पोस्ट पर जाकर मैगजीन पहुंचाने लगे, ताकि किसी पोस्ट पर गोलियां खत्म न हों। इसी बीच मेजर शर्मा ने हेडक्वार्टर संदेश भेजा कि दुश्मन हमसे बस 45 मीटर की दूरी पर है। हमारे हथियार-गोला खत्म हो रहे हैं, लेकिन हम एक इंच भी पीछे नहीं हटेंगे। हम आखिरी गोली और आखिरी जवान रहने तक लड़ेंगे। इसी बीच, एक मोर्टार सोमनाथ शर्मा को लगा और वे शहीद हो गए। उनकी टुकड़ी के 20 जवानों ने शहादत दी। डेल्टा कंपनी ने कबाइलियों को 6 घंटे तक रोक के रखा। इतना समय काफी था, पिछली टुकड़ी को आने के लिए। मेजर शर्मा को मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च सैन्य सम्मान परमवीर चक्र से नवाजा गया। आजादी के बाद परमवीर चक्र पाने वाले वे पहले सैनिक थे। सरदार पटेल ने कमांडर से कहा- ‘श्रीनगर को बचाना ही है, आपको जो चाहिए मिलेगा’ 161वीं इन्फेंट्री ब्रिगेड के कमांडर एल.पी. सेन अपनी किताब ‘स्लेंडर वज द थ्रेड: कश्मीर कॉन्फ्रंटेशन 1947-48’ में लिखते हैं- 4 नवम्बर की सुबह, जब मैं जंग के हालातों को लेकर रिव्यू कर रहा था। तभी मुझे मैसेज मिला कि डिप्टी प्राइम मिनिस्टर सरदार वल्लभ भाई पटेल और रक्षा मंत्री सरदार बलदेव सिंह घाटी में आ चुके हैं। वे मेरे हेड ऑफिस आ रहे हैं। मुझसे मिलते ही सरदार पटेल ने कहा- ‘श्रीनगर को बचाना ही है।’ मैंने कहा- ‘मुझे और ज्यादा सैनिक चाहिए। संभव हो तो कुछ तोपखाने भी। जितना जल्दी होगा उतना बेहतर होगा।’ सरदार पटेल उठे। उन्होंने कहा- मैं तुरंत दिल्ली लौट रहा हूं। आपको जो चाहिए वो जल्द से जल्द मिलेगा। उसी शाम मुझे मैसेज मिला कि पैदल सेना की दो बटालियन, बख्तरबंद गाड़ियों का एक स्क्वॉड्रन और फील्ड आर्टिलरी की एक यूनिट बाय रोड घाटी में भेजी जा रही है। इंजीनियरों ने पठानकोट से जम्मू तक सड़क पर कई पुलियाओं को पाट दिया था। अब घाटी तक बड़ी संख्या में सैनिक पहुंच सकते थे।’ जिन्ना ने ब्रिगेडियर उस्मान का सिर कलम करने पर 50 हजार का इनाम रखा था 7 नवंबर को कबाइलियों ने राजौरी पर कब्जा कर लिया और जमकर कत्लेआम मचाया। 24 दिसंबर को झंगड़ पर भी कबाइलियों ने कब्जा कर लिया। उनका अगला टारगेट नौशेरा था। उन्होंने इस शहर को चारों तरफ से घेर लिया। तब नौशेरा की कमान 50 पैरा ब्रिगेड के कमांडर ब्रिगेडियर उस्मान खान संभाल रहे थे। बंटवारे से पहले ब्रिगेडियर उस्मान को जिन्ना ने पाकिस्तान सेना प्रमुख बनाने का ऑफर दिया था, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया। इस पर नाराज जिन्ना ने उनका सिर कलम करने वाले को 50 हजार इनाम देने की घोषणा की थी। 4 जनवरी, 1948 की शाम नौशेरा पर कबाइलियों ने हमला बोला, लेकिन भारतीय सैनिकों ने उस हमले को नाकाम कर दिया। दो दिन बाद उन्होंने उत्तर पश्चिम से दूसरा हमला बोला। ये भी नाकाम रहा। उसी शाम 5000 कबाइलियों ने तोपखाने के साथ एक और हमला बोला, लेकिन ब्रिगेडियर उस्मान और उनके साथियों ने तीसरी बार भी नौशेरा को बचा लिया। इसके बाद ब्रिगेडियर उस्मान ने नौशेरा के पास के सबसे ऊंचे इलाके कोट पर जीत हासिल की और 18 मार्च 1948 को भारतीय सेना ने झंगड़ वापस हासिल कर लिया। जनरल वीके सिंह, ब्रिगेडियर उस्मान की जीवनी में लिखते हैं- ‘भारतीय सेना के हाथ से झंगड़ निकल जाने के बाद ब्रिगेडियर उस्मान ने प्रण किया था कि वो तब तक पलंग पर नहीं सोएंगे, जब तक झंगड़ दोबारा भारतीय सेना के कब्जे में नहीं आता। जब झंगड़ पर कब्जा हुआ तो एक गांव से पलंग उधार ली गई और ब्रिगेडियर उस्मान उस रात उस पर सोए।’ 3 जुलाई 1948 को पाकिस्तानी कबाइलियों से लड़ते वक्त ब्रिगेडियर उस्मान शहीद हो गए। उनके जनाजे में भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड माउंटबेटन और प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों के साथ मौजूद थे। इसके तुरंत बाद ब्रिगेडियर उस्मान को मरणोपरांत महावीर चक्र देने की घोषणा कर दी गई। भारत ने एक महीने के भीतर बारामूला, उरी, बडगाम सहित कश्मीर के बड़े हिस्से से कबाइलियों को खदेड़ दिया था। मीरपुर, गिलगिट-बाल्टिस्तान जैसे कुछ इलाकों में ही कबाइलियों का कब्जा रह गया था। भारत की फौज अब मुजफ्फराबाद की तरफ बढ़ने ही वाली थी। इसी बीच 1 जनवरी 1948 को भारत इस मसले को लेकर यूएन चला गया। 1 साल 2 महीने और 5 दिन जंग चली। यूएन की दखल के बाद 31 दिसंबर 1948 को पाकिस्तान सीजफायर पर राजी हो गया। जम्मू-कश्मीर का करीब दो-तिहाई हिस्सा भारत के पास रहा, जबकि करीब 30% हिस्सा पाकिस्तान के पास चला गया। --------------------पाकिस्तान पर फतह सीरीज के दूसरे एपिसोड में कल यानी 6 मई को पढ़िए... 1965 की जंग का किस्सा, जब भारत की सेना लाहौर तक पहुंच गई थी।
गार्डेन सूख गए, जिम के उपकरण टूटे, बड़ा सवाल... कहां करें वॉक
बास्केटबॉल का नेट सड़ा, टूट गईं कुर्सियां, शराबी लगा रहे अड्डा कचहरी रोड और अपर बाजार क्षेत्र का इकलौता ओपन स्पेस जयपाल सिंह मुंडा स्टेडियम निगम की लापरवाही की भेंट चढ़ गया है। तीन साल पहले पांच करोड़ की लागत से इस स्टेडियम का सौंदर्यीकरण कराया गया था। यहां फुटबॉल, हॉकी स्टेडियम के साथ बास्केटबॉल व टेनिस कोर्ट बनाया गया। रंग-बिरंगी डेकोरेटिव व फ्लड लाइट लगाई गई। चिल्ड्रन जोन बनाकर निगम को हैंडओवर किया गया। लेकिन इतना पैसा खर्च करने के बाद भी निगम ऑपरेशन और मेंटनेंस कराना भूल गया। नतीजा हुआ कि स्टेडियम नशेडिय़ों का अड्डा बन गया। वे शराब की बोतल, चिलम आदि मैदान में ही फेंक कर चले जाते हैं। मैदान के चारों ओर झाड़ी उग आई है। मच्छरों की वजह से यहां बैठना मुश्किल हो गया है। फ्लड लाइट और डेकोरेटिव लाइटों की चोरी हो गई है। शाम ढ़लते ही अंधेरा पसर जाता है। इस वजह से मॉर्निंग और इवनिंग वॉक करने वालों की संख्या कम हो गई है। पहले महिलाएं भी यहां आती थी,लेकिन असमाजिक तत्वों की वजह से महिलाओं ने आना बंद कर दिया है। मैदान का मेंटनेंस करने का निर्देश है, इसकी जांच कर कार्रवाई करेंगे 4. ओपन जिम लगाया गया है। लेकिन देख-रेख के अभाव में जिम के कई उपकरण क्षतिग्रस्त हो गए हैं। सभी उपकरण में जंग लग गया है। इससे जिम उपकरण का इस्तेमाल नहीं हो रहा है। 2. मैदान के अंदर कभी घास की कटाई और साफ-सफाई नहीं होती। चारों ओर झांडियां उग गई हैं। लोगों के बैठने के लिए लगाए गए बेंच के चारों ओर उगे घास से कई बार सांप निकल चुका है। इस डर से लोग बेंच पर बैठने से डरते हैं। 3. मैदान के चारों ओर कूड़ेदान लगाया गया था। लेकिन असमाजिक तत्वों ने इसे भी तोड़ दिया। सभी कूड़ेदान बेकार पड़े हुए हैं। इस वजह से मैदान के चारों ओर कचरा फैला हुआ है। 1. स्टेडियम में पानी नहीं है। दो टंकी लगाई गई थी, पर दोनों टंकी क्षतिग्रस्त होकर एक तरफ पड़ी हुई है। इसमें कचरा जमा है। नल और पानी के पाइप भी टूटे हुए हैं। खिलाड़ियों को भी पानी नहीं मिल रहा है। शौचालय की स्थिति भी खराब है। जयपाल सिंह मुंडा स्टेडियम में फैली अव्यवस्था और बदहाली को बयां करतीं तस्वीरें।
भाखड़ा नहर से पानी के मुद्दे पर पंजाब-हरियाणा सरकार के बीच चल रहे विवाद में हिमाचल की एंट्री पर मुद्दा और तूल पकड़ रहा है। तीनों राज्यों में अलग-अलग सरकारें हैं और तीनों ने अपना अलग-अलग तर्क दिया है। इसे लेकर जालंधर कैंट हलके से विधायक और भारतीय हॉकी टीम के पूर्व खिलाड़ी परगट सिंह ने रिपेरियन कानून के तहत इस विवाद के खत्म होने की सुझाव दिया है। जालंधर कैंट हलके से कांग्रेस के विधायक परगट सिंह ने कहा कि, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान के बीच जल बंटवारे का विवाद पर उन्हें मामले में रिपेरियन कानून के तहत विवाद सुलझाया जाना चाहिए। हमारा मानना है कि पंजाब और हिमाचल दोनों ही रिपेरियन राज्य हैं। विधायक बोले- राजस्थान और हरियाणा रिपेरियन नहीं विधायक परगट सिंह बोले- हिमाचल यह नहीं कह सकता कि यह सिर्फ उनका अधिकार है, पंजाब का भी है। हालांकि, मैं मानता हूं कि राजस्थान और हरियाणा रिपेरियन नहीं हैं और उन्हें कोई इसकी इजाजत नहीं देता। लेकिन पंजाब के साथ यह अन्याय हुआ है। राज्य पुनर्गठन अधिनियम 1956 की धारा 78, 79, 80 के अनुसार इसकी वजह से पंजाब को नुकसान उठाना पड़ा और पंजाब का पानी राजस्थान और हरियाणा में चला गया। हिमाचल जो कह रहा है, वह सही है, राजस्थान और हरियाणा के साथ तो उनकी समस्या हो सकती है, लेकिन पंजाब के साथ इसकी कोई गुंजाइश नहीं है। हिमाचल सरकार द्वारा जो स्टैंड रखा गया है, वह बिल्कुल सही है। मगर पंजाब के साथ सरकार धक्का कर रही है।
18 करोड़ का हॉकी स्टेडियम सूना:बगल के ग्राउंड में क्रिकेट टीमों की लगती है बारी
2015 में रायपुर में 18 करोड़ की लागत से दो हॉकी स्टेडियम बने थे, जिनमें एस्ट्रोटर्फ बिछाया गया था। यह रायपुर ही नहीं, पूरे प्रदेश की पुरानी मांग थी, क्योंकि राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर के मैच इसी टर्फ पर होते हैं। तब लगा कि लुप्त होती हॉकी को नया जीवन मिलेगा। लेकिन 10 सालों के एक टूर्नामेंट के अलावा आज तक यहां कोई बड़ा आयोजन नहीं हुआ। आसपास बने दो स्टेडियमों की हालत खराब है। कुर्सियां टूट गई हैं। इनके अलावा कोटा स्टेडियम की भी हालत ठीक नहीं है। इनकी मरम्मत पर खेल विभाग के 1.91 करोड़ रुपए खर्च होने वाले हैं। राज्योत्सव के समय हाई मास्ट लाइट रिपेयर करने पर 5 लाख रुपए खर्च किए गए थे। कुल मिलाकर दो स्टेडियम उपयोगी कम, खर्चीले ज्यादा साबित हो रहे हैं। किराए पर मिलता है स्टेडियमखेल विभाग के लोगों का कहना है कि यहां सुबह-शाम प्रैक्टिस होती है। सुबह 6.30 से 9.30 बजे और शाम को 4.30 से 7.30 बजे तक अभ्यास होता है। कुछ निजी संस्थाएं मैच कराने के लिए स्टेडियम को किराए से लेती हैं। उनसे एक दिन का किराया 10 हजार रुपए लिया जाता है। सरकारी आयोजन के लिए पांच हजार रुपए लिए जाते हैं। इसमें बिजली का खर्च शामिल होता है। इधर, खिलाड़ियों के लिए जगह नहीं...हॉकी स्टेडियम के बगल में ही साइंस कॉलेज ग्राwउंड है। यहां सुबह क्रिकेट खिलाड़ियों को खेलने के लिए इंतजार करना पड़ता है। एक साथ दर्जनभर से अधिक टीमें खेलते हुए देखी जा सकती हैं। खेलने वाला कोई नहीं, फिर करोड़ों खर्च दो स्टेडियमों में जहां पर खिलने के लिए खिलाड़ी नहीं मिल रहे है। स्टेडियम की कुर्सियां खराब हो गई जिसकी मरम्मत पर खेल विभाग 1.91 करोड़ रुपए खर्च कर दर्शकों के बैठने के लिए नए कुर्सियां लगवा रही और डेंटिंग पेंटिंग के साथ ही इंटरर्नल कार्य करवा रही है। करोड़ों का सामान हो गया खराब10 साल पहले उद्धाटन के बाद आठ देशों के प्रीमियर लीग मैच होने के बाद से स्टेडियम में कोई भी नेशनल और इंटरनेशनल मैच नहीं और देखरेख के अभाव से यहां पर लगे कुर्सियां खराब हो गई। इसको निकालकर परिसर में ही फेंक दिया गया।
बिहार में पहली बार खेलो इंडिया यूथ गेम्स का आयोजन 4 से 15 मई 2025 तक होगा। इस प्रतियोगिता में अंडर-18 आयु वर्ग के 28 खेलों का आयोजन पांच जिलों में किया जाएगा। पटना में एथलेटिक्स, रग्बी, वॉलीबॉल, बास्केटबॉल और बॉक्सिंग होंगे। राजगीर में तलवारबाजी, कबड्डी, भारोत्तोलन, हॉकी और टेबल टेनिस के मुकाबले होंगे। गया में मलखंब, योगासन, गतका और खो-खो खेले जाएंगे। भागलपुर में तीरंदाजी और बैडमिंटन, जबकि बेगूसराय में फुटबॉल प्रतियोगिताएं होंगी। उद्घाटन समारोह 4 मई को शाम 6 बजे पटना के पाटलिपुत्र स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, केंद्रीय खेल मंत्री मनसुख मांडविया और बिहार के खेल मंत्री सुरेंद्र मेहता कार्यक्रम में उपस्थित रहेंगे। 8500 खिलाड़ी लेंगे हिस्सा प्रतियोगिता में 36 राज्यों के 8500 खिलाड़ी और 1500 प्रशिक्षक और तकनीकी अधिकारी हिस्सा लेंगे।मपश्चिम चंपारण से 20 खिलाड़ियों का चयन हुआ है। फुटबॉल में प्रियंका, रानी, गीता और रागिनी कुमारी शामिल हैं। एथलेटिक्स में प्रीति, बिंदिया और दीपिका कुमारी चयनित हुई हैं। तलवारबाजी में जूही कुमारी, खो-खो में प्रियांशु, गोलू, आनंद और धीरज कुमार का चयन हुआ है। खो-खो बालिका वर्ग में आशा, संजना, गुंजन और कविता कुमारी शामिल हैं। योगासन में सारांश कुमार, अभिषेक कुमार और अनन्या कुमारी तथा फुटबॉल बालक वर्ग में अजीत, अनिल, रितेश और सुधीर कुमार टीम में जगह बनाई है। खिलाड़ियों को 5 लाख रुपए की वार्षिक छात्रवृत्ति खेलो इंडिया यूथ गेम्स में प्रतिवर्ष चयनित 1000 श्रेष्ठ खिलाड़ियों को 8 साल तक 5 लाख रुपए की वार्षिक छात्रवृत्ति दी जाती है। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य जमीनी स्तर से ओलंपिक के लिए खिलाड़ी तैयार करना है।
पलामू जिले के पाटन थाना क्षेत्र में एक व्यवसायी के बकाया पैसे मांगने पर मारपीट का मामला सामने आया है। घटना 1 मई को सुबह करीब 11 बजे किशुनपुर पंचायत सचिवालय के पीछे स्थित दुकान पर हुई। व्यवसायी शुभम क्रांति ने बताया कि सतौवा पंचायत के कुम्हुआ निवासी हरेंद्र सिंह डेढ़ साल पहले उनकी दुकान से मकान बनाने के लिए छड़-सीमेंट ले गए थे। इनका 4 लाख रुपए बकाया था। कई बार मांगने पर भी वे टालते रहे। आरोपियों ने गाली-गलौज करते हुए हॉकी स्टिक से शुभम की पिटाई की 1 मई को हरेंद्र सिंह अपने भाई गजेंद्र सिंह, पप्पू सिंह, दीपक सिंह, अभिषेक सिंह, अमरजीत, गोलू सिंह और ड्राइवर रामू के साथ दुकान पहुंचे। आरोपियों ने गाली-गलौज करते हुए हॉकी स्टिक से शुभम की पिटाई की। उन्होंने लाइसेंसी हथियार से गोली मारने की धमकी भी दी। पूरी घटना दुकान में लगे सीसीटीवी में रिकॉर्ड हुई है। शुभम ने एफआईआर में आरोप लगाया है कि आरोपियों ने उनके गले की चेन और दुकान से 4.5 लाख रुपए की नकदी भी लूट ली। घटना का वीडियो वायरल होने के बाद एसपी रिष्मा रमेशन ने पाटन थाना प्रभारी को आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए जल्द कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज गृह जिला नालंदा के दौरे पर रहेंगे। राजगीर खेल अकादमी सह खेल विश्वविद्यालय परिसर में इंडोर हॉल संख्या-2, बास्केटबॉल कोर्ट, हैंडबॉल कोर्ट, वॉलीबॉल कोर्ट और हॉकी प्रैक्टिस टर्फ सहित कई अत्याधुनिक खेल सुविधाओं का उद्घाटन करेंगे। ये सुविधाएं न केवल राज्य के खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप प्रशिक्षण प्रदान करेंगी, बल्कि बिहार को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेल प्रतियोगिताओं की मेजबानी करने में भी सक्षम बनाएंगी। डिप्टी सीएम कार्यक्रम में होंगे शामिल कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के तौर पर डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा शामिल होंगे। इसके अलावा जल संसाधन सह प्रभारी मंत्री विजय कुमार चौधरी, ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार, भवन निर्माण मंत्री जयंत राज, खेल मंत्री सुरेन्द्र मेहता, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. सुनील कुमार, नालंदा के सांसद कौशलेन्द्र कुमार और राजगीर के विधायक कौशल किशोर मौजूद रहेंगे। खेल पर विशेष ध्यान पिछले कुछ वर्षों में बिहार सरकार ने खेल के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर विशेष ध्यान दिया है। राजगीर खेल अकादमी सह खेल विश्वविद्यालय परिसर का निर्माण इसी दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है। इस परिसर में अत्याधुनिक प्रशिक्षण सुविधाएं, छात्रावास और अन्य आवश्यक बुनियादी ढांचे का निर्माण किया गया है। युवा खिलाड़ियों को मिलेगा प्रोत्साहन बिहार राज्य खेल प्राधिकरण के डीजी रवीन्द्रन शंकरन ने बताया कि नई सुविधाओं से राज्य के युवा खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा निखारने का बेहतर अवसर मिलेगा। बिहार के खिलाड़ियों को अब उच्च स्तरीय प्रशिक्षण के लिए राज्य से बाहर जाने की आवश्यकता नहीं होगी। यह न केवल उनके प्रशिक्षण की लागत को कम करेगा, बल्कि अधिक से अधिक युवाओं को खेल की ओर आकर्षित करने में भी मदद करेगा। यह पहल बिहार में खेल संस्कृति को बढ़ावा देने और राज्य के युवाओं को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करेगी।
भास्कर न्यूज | जालंधर खेलो इंडिया यूथ गेम्स इस बार 4 से 15 मई को बिहार में खेली जाएंगी। जिसमें पंजाब के खिलाड़ियों का दल भी बिहार के लिए रवाना हो रहा है। इस बार पंजाब के 246 खिलाड़ी 20 गेम्स में हिस्सा लेंगे। स्पोर्टिंग स्टाफ जिसमें कोच, मैनेजर 62 हिस्सा लेंगे। पंजाब के खिलाड़ियों के साथ जिला खेल अधिकारी गुरप्रीत सिंह नोडल अफसर और डीएसओ रूपेश कुमार सीडीएस होंगे। बिहार में होने वाले खेलो इंडिया यूथ गेम्स को लेकर पटना, राजगीर, गया, भागलपुर और बेगूसराय में खेल इवेंट होंगे। यूथ गेम्स का उद्घाटन समारोह भव्य होगा जिसके लिए बिहार सरकार लगातार निरीक्षण कर रही है। खेलो इंडिया यूथ गेम्स में 28 खेलों के लिए 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों से 8500 खिलाड़ी तथा 1500 प्रशिक्षक और तकनीकी अधिकारी शामिल हो रहे हैं। इन गेम्स को लेकर बिहार स्पोर्ट्स डिपार्टमेंट की तरफ से अलग पहल की जा रही है, महिला खिलाड़ियों की सेहत और खास कर खासकर पीरियड जैसे विषयों पर खुलकर बात हो रही है। सिंपली स्पोर्ट्स फाउंडेशन और बिहार स्पोर्ट्स डिपार्टमेंट की साझेदारी से संभव हो रहा है। दोनों संस्थाओं ने मिलकर जमीनी स्तर पर महिला खिलाड़ियों की जिंदगी बदलने का अभियान चलाया है। पंजाब के 246 खिलाड़ी एथलेटिक्स, बॉस्केटबाल, बैडमिंटन, साइक्लिंग, फैंसिंग, जिम्नास्टिक, हॉकी, खो-खो, जूडो, रेस्लिंग, शूटिंग, वालीबाल, वेटलिफ्टिंग, स्विमिंग, आर्चरी, लॉन टैनिस, बॉक्सिंग, गतका, थंगता, मलखंभ गेम्स में हिस्सा लेंगे। पंजाब की हॉकी टीम का कोचिंग कैंप सुरजीत हॉकी स्टेडियम में लगाया गया था। खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025 में बिहार ने दो गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है। 4 मई को उद्घाटन समारोह में प्रदर्शित की जाने वाली विश्व की सबसे बड़ी मधुबनी पेंटिंग के निर्माण का अवलोकन किया। इस मधुबनी पेंटिंग के लिए गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड का सर्टिफिकेट मुख्यमंत्री को सौंपा गया। मिथिला चित्रकला संस्थान, सौराठ, मधुबनी के 50 कलाकारों ने लगातार 50 घंटे तक काम कर इस पेंटिंग को तैयार किया है। रूपेश कुमार ।
खेलो इंडिया यूथ गेम्स : खेलेंगे हम, दिखाएंगे दम... पदक जीतेंगे दनादन
खेलेंगे हम, दिखाएंगे दम... पदक जीतेंगे दनादन... बिहार के खिलाड़ी कुछ इसी तरह के जज्बे के साथ खेलो इंडिया यूथ गेम्स की तैयारी में जुटे हैं। बिहार राज्य खेल प्राधिकरण के कोच खिलाड़ियों को पदक जीतने के लिए तैयार करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। राज्य खेल प्राधिकरण के पदाधिकारियों ने कई खेलों में बिहार के बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद जताई। खासतौर से रेसलिंग, रग्बी, सेपक टाकरा, एथलेटिक्स, बॉक्सिंग, हॉकी, तलवारबाजी और फुटबॉल में पदक मिलने की दावेदारी जताई। किस खेल इवेंट में क्या है तैयारी रेसलिंग: राजगीर में बिहार के 21 लड़के और 10 लड़कियां कुश्ती की बारीकियां सीख रहे हैं। पटना के ज्ञान भवन में देश के अलग-अलग राज्यों के पहलवानों से इनका मुकाबला होगा। कोआर्डिनेटर मुकेश कुमार सिंह ने बताया कि जिस तरह की तैयारी है कुश्ती में पांच पदक पक्का है। बॉक्सिंग: पाटलिपुत्र स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स में ही बॉक्सिंग की ट्रेनिंग चल रही है। 10 लड़के और 6 लड़कियों की ट्रेनिंग हो रही है। कोआर्डिनेटर ईशा की मानें तो दो मेडल का चांस है। हॉकी: हॉकी की दोनों टीम लड़के और लड़कियों की ट्रेनिंग राजगीर में चल रही है। इन्हें भारतीय हॉकी टीम में खेल चुके बिहार के स्टार प्लेयर अजितेश राय ट्रेनिंग दे रहे हैं। हॉकी बिहार के मुकेश सिंह राणा ने बताया कि लड़कों की टीम ज्यादा स्ट्रांग है, पदक जरूर जीतेंगे। एथलेटिक्स: राजगीर में 22 लड़के और 16 लड़कियां मेडल जीतने के इरादे से पसीना बहा रही हैं। एथलीट व बिहार राज्य खेल प्राधिकरण की अधिकारी मोनू ने बताया कि एथलेटिक्स के 17 इवेंट में लड़के और 15 इवेंट में लड़कियां भाग लेंगी। 12, 13 और 14 मई को पटना के पाटलिपुत्र स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स के आउटडोर स्टेडियम में मुकाबले होंगे। कम से कम 10 पदक जीतने की प्रबल संभावना है। फुटबॉल: बालक टीम का मुजफ्फरपुर और बालिका टीम का समस्तीपुर में प्रैक्टिस चल रहा है। गोल्ड जीतने का चांस है। कोआर्डिनेटर मो. अफजल आलम के अनुसार बिहार की टक्कर ओड़िशा, पश्चिम बंगाल और झारखंड से होगी। रग्बी: 2022 के बाद रग्बी में बिहार का दम देश-दुनिया में दिख रहा है। नेशनल-इंटरनेशल टूर्नामेंट में कई मेडल जीतने की वजह से बिहार को रग्बी टीम से ज्यादा उम्मीद है। एसोसिएशन के पंकज कुमार ज्योति ने गर्ल्स और ब्वाएज दोनों में गोल्ड मेडल जीतने का दावा किया है। इसके अलावा तलवारबाजी, साईक्लिंग, थांगटा और बैडमिंटन में भी पदक की उम्मीद है। सभी 28 खेलों में भाग लेंगे बिहार के खिलाड़ी रवींद्रण शंकरण, महानिदेशक, खेल प्राधिकरण
नितिन कोहली हॉकी इंडिया के उपाध्यक्ष नियुक्त
जालंधर| हॉकी पंजाब के अध्यक्ष और प्रमुख व्यवसायी नितिन कोहली को मंगलवार को हॉकी इंडिया का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है। हॉकी इंडिया की कार्यकारी समिति की त्रिवेंद्रम में आयोजित बैठक के दौरान लिया। हॉकी इंडिया के महासचिव भोला नाथ सिंह ने कहा कि नितिन कोहली के नेतृत्व में पिछले कुछ समय में पंजाब में हॉकी का काफी विकास हुआ है। हॉकी पंजाब ने पिछले वर्ष जालंधर में जूनियर राष्ट्रीय हॉकी चैंपियनशिप का बेहतरीन तरीके से आयोजन किया था और हॉकी पंजाब ने जूनियर और सीनियर राष्ट्रीय हॉकी चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीते थे। इन प्रयासों को ध्यान में रखते हुए हॉकी इंडिया की कार्यकारी बैठक के दौरान नितिन कोहली को सर्वसम्मति से उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया। नितिन कोहली ने कहा कि यह उनके लिए गर्व की बात है कि हॉकी इंडिया ने उन्हें यह सम्मान दिया है। इस नियुक्ति पर हॉकी इंडिया के अध्यक्ष ओलंपियन डॉ. दिलीप टिर्की, ओलंपियन आरपी सिंह, ओलिंपियन बलविंदर शमी, ओलिंपियन संजीव कुमार, ओलंपियन परगट सिंह, हॉकी पंजाब के जनरल सेक्रेटरी अमरीक सिंह पवार, हॉकी इंडिया के कोषाध्यक्ष शेखर मनोहरन, ऑफिस सेक्रेटरी कुलबीर सैनी, ने उन्हें बधाई दी।
जहीर खान और उनकी पत्नी सागरिका घाटगे ने ‘Akutee’ ब्रांड की शुरुआत की
बेंगलुरु। पल्लू, दुपट्टे और जैकेट पर खूबसूरत रंगों में की गई कढ़ाई और पेंटिंग घाटगे शाही परिवार का एक रहस्य रहा होगा, जिसका इस्तेमाल प्रियजनों के कपड़ों को प्यार से सजाने के लिए किया जाता था। हालांकि क्रिकेटर जहीर खान की व्यावसायिक समझ से अब यह एक ब्रांड अकुती में तब्दील हो गया है। अभिनेत्री, मॉडल एवं राष्ट्रीय स्तर की पूर्व हॉकी चैंपियन सागरिका घाटगे अकुती ब्रांड को अपनी मां उर्मिला घाटगे के साथ चलाती हैं। सागरिका घाटगे ने कहा, “हाथ से पेंटिंग मेरे बचपन का हिस्सा रहे हैं। मेरी मां लंबे समय से यह करती रही हैं। हालांकि शुरू में मैं इसे उतनी गंभीरता से नहीं लेती थी, लेकिन मेरे पति (जहीर खान) ने मुझे इसे एक विशेष कलेक्शन बनाने के लिए प्रोत्साहित किया। मां-बेटी की जोड़ी ने बेंगलुरु में ‘फोर सीजन्स’ में अपने कलेक्शन की शुरुआत की। सोलह मई को होटल में एक दिन के लिए साड़ियों, दुपट्टों और ब्लेजर का संग्रह प्रदर्शित किया गया। घाटगे ने कहा कि जब उन्होंने लगभग एक साल पहले इसकी शुरुआत करने का फैसला किया, तो एक ब्रांड नाम के लिए ‘अकुती’ एक स्वाभाविक पसंद बन गई, जिसका मराठी में अर्थ राजकुमारी होता है। इसे भी पढ़ें: Cannes Film Festival में दिखाई गई श्याम बेनेगल की फिल्म मंथन, अभिनेता नसीरुद्दीन शाह मौजूद खान ने कहा, ‘‘हां, वह एक राजकुमारी है। घाटगे ने कहा कि यह नाम सिर्फ उनके खानदान का संकेत नहीं है, बल्कि उनके परिवार की सभी महिलाओं के लिए एक सम्मान भी है। घाटगे ने कहा, अकुती समय में पीछे ले जाता है। उन्होंने कहा कि डिज़ाइन की प्रेरणा सीधे कोल्हापुर के शाही घाटगे परिवार के बगीचों से आती है। घाटगे ने कहा, मेरी मां वास्तव में बागवानी में रुचि रखती हैं और हमारे बगीचे में खिलने वाले फूल हमारे कपड़ों पर हाथ से पेंट की गई डिजाइन में तब्दील हो जाते हैं।