कृष्ण के जन्मदिन पर यहाँ दी जाती है 21 तोपों की सलामी, खेलते हैं दूध-दही की होली
आज देशभर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (Janmashtami) का पर्व मनाया जा रहा है। जी दरअसल आज के दिन भगवान श्रीकृष्ण के मंदिरों को सजाया गया है और उनको भव्य स्वरूप दिया गया है। आपको बता दें कि मथुरा के श्रीकृष्ण मंदिर तो विश्व प्रसिद्ध हैं, हालाँकि राजस्थान में दुनिया का एक अनोखा मंदिर है, जहां जन्माष्टमी की रात प्रभु श्रीकृष्ण के जन्म के समय 21 तोपों की सलामी दी जाती है। जी हाँ और यहाँ विधिवत सुरक्षा व्यवस्था भी की जाती है। इस मंदिर से जब बाल गोपाल के जन्म की सूचना मिलती है तो शुरू होती है 21 तोपों की सलामी। इसको देखने के लिए काफी संख्या में लोग आते हैं। हम आपको बताते हैं इस मंदिर की परंपरा के बारे में। #WATCH | Shrinathji Temple administration presented traditional 21-gun salute on the occasion of Krishna #Janmashtami in Rajsamand, Rajasthan last night pic.twitter.com/lobXG8ql9o — ANI (@ANI) August 31, 2021 कहां है यह श्रीकृष्ण मंदिर- राजस्थान के उदयपुर में नाथद्वारा स्थित श्रीनाथजी का मंदिर वल्लभ संप्रदाय का प्रमुख पीठ है। ऐसे में यहां पर जन्माष्टमी के अवसर पर विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। श्रीनाथजी मंदिर में जन्माष्टमी महोत्सव सबसे अलग होता है। जन्माष्टमी के दिन यहाँ श्रीनाथ जी को पंचामृत और चंदन से स्नान कराया जाता है। उसके बाद उनका वस्त्र और आभूषणों से श्रृंगार होता है। भजन-कीर्तन किए जाते हैं। महाभोग, पंजीरी के बड़े लड्डुओं के भोग लगाए जाते हैं। वहीं उसके बाद रात के समय में जब भगवान श्रीकृष्ण का जन्म होता है तो घंटे और बिगुल बजाए जाते हैं। जी हाँ और जैसे ही बाहर खड़े सुरक्षाकर्मियों को श्रीनाथजी के जन्म का संकेत मिलता है वह श्रीनाथजी को 21 तोपों की सलामी देते हैं। जी हाँ और इसकी आवाज पूरे शहर में गूंज उठती है। उसके बाद नगर के सभी घरों में भी श्रीनाथजी के जन्म का उत्सव मनाया जाता है। केवल यही नहीं बल्कि जन्माष्टमी के अगले दिन सुबह श्रीनाथजी की हवेली में विधिपूर्वक नंद महोत्सव मनाया जाता है। जी हाँ और इसमें लोग दूध और दही से होली खेलते हैं। बिना इस आरती के पूरी नहीं होती श्री कृष्ण की पूजा आज जरूर पढ़े श्रीकृष्ण चालीसा, दूर होंगे सभी दुःख-दर्द अगर आपके शरीर पर हैं श्रीकृष्ण के ये निशान तो बहुत लकी हैं आप
कृष्ण जन्माष्टमी विशेष: कृष्ण अलौकिक हैं, मोह के प्रतिरूप और विरक्ति के साकार स्वरूप भी
कृष्ण के चरित्र की यही विरोधी विशेषताएं ईश्वर के गुणों के मनुष्य में साकार हो जाने का संदेश हैं। इसीलिए कृष्ण सच्चे मनुष्य हैं।
आज घूम आए कान्हा का यह मंदिर जहाँ प्रसाद ना मिलने पर दुबली होने लगती है मूर्ति
भारत में आपको कई मंदिर मिलेंगे जो अपनी अनोखी विशेषताओं के लिए जाने जाते हैं। इसके अलावा कई मंदिर अपने धार्मिक रीति-रिवाजों के लिए भी प्रसिद्ध है। जी हाँ और आज जन्माष्टमी के मौके पर हम आपको ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो अनोखा है। जी दरअसल भारत के राज्य केरल में एक ऐसा ही मंदिर है, जिससे एक विचित्र रहस्य जुड़ा हुआ है। आप सभी को बता दें कि भगवान श्री कृष्ण को समर्पित इस मंदिर में भगवान की मूर्ति भूख में व्याकुल रहती है। कहा जाता है अगर उन्हें प्रसाद का भोग न लगाया जाए, तो ऐसा माना जाता है कि वह दुबली पड़ने लगती है। जी हाँ और जन्माष्टमी का जश्न यहाँ धूम-धाम से मनाया जाता है। आपको बता दें कि श्री कृष्ण का ये मंदिर केरल के जिले कोट्टायम के इलाके तिरुवेरपु या थिरुवरप्पू में मौजूद है। जी हाँ और इसे यहां एक चमत्कारी मंदिर माना जाता है, क्योंकि यहां स्थापित भगवान कृष्ण की मूर्ति को भूख जरा भी बर्दाश्त नहीं है। कहते हैं करीब 1500 साल पुराने इस मंदिर में भगवान कृष्ण को 10 बार प्रसाद खिलाया जाता है। ऐसी भी मान्यता है कि प्लेट में रखा हुआ प्रसाद धीरे-धीरे कम होने लगता है।जी दरअसल धार्मिक मान्यता है कि जब भगवान ने कंस को मारा था, तब उन्हें बहुत भूख लगी थी और तब से भगवान की मूर्ति यहां भूख से व्याकुल रहती है। ऐसे में अगर भगवान को खाना देने में जरा भी देरी हुई, तो मूर्ति अपने आप दुबली होना शुरू हो जाती है। इसी के साथ आपको यह भी बता दें कि इस मंदिर को दिन में सिर्फ दो मिनट के लिए बंद किया जाता है। कहते हैं कि भगवान कृष्ण की मूर्ति सिर्फ 2 मिनट के लिए सोती है। पुजारी को मंदिर की चाबी के साथ कुल्हाड़ी भी दी जाती है और इसकी वजह अगर चाबी से कपाट का ताला न खुले, तो उसे तोड़ देने की अनुमति उसके पास होती है। इस प्रथा का सालों से नियम मानते हुए अपनाया जा रहा है। इस मंदिर के रिवाजों को ध्यान में रखते हुए, इसे ग्रहण में भी बंद नहीं किया जाता है। उल्टा बहता है भारत की इस जगह पर झरना, एक बार जाएं जरूर अक्टूबर में है शादी तो हनीमून मनाने जाएं थाईलैंड, IRCTC दे रहा मौका घूमने जा रहे हैं लद्दाख तो जरूर लें इन मशहूर डिशेज़ का स्वाद
इस मंदिर में स्थापित हुआ श्री कृष्ण के लिए 25 लाख का झूला
श्री कृष्ण के जन्मोत्सव को पूरे भारत में अलग-अलग अंदाज में सेलिब्रेट किया जाता है। ऐसे में आज जन्माष्टमी का पर्व है जो पूरे भारत में मनाया जा रहा है। इसी बीच गुजरात के वडोदरा से एक अनोखा मामला सामने आया है। जी दरअसल यहाँ बाल गोपाल के लिए लाखों रुपये का झूला तैयार किया गया है। आपको बता दें कि इस कीमती झूले की तस्वीरें वायरल हो रहीं हैं और इसको लेकर बताया गया है कि इसे सोने और चांदी से तैयार किया गया है। वहीं इसकी कीमत करीब 25 लाख रुपये बताई जा रही है। आपको बता दें कि वडोदरा में स्थित एक मंदिर में इस झूले को स्थापित किया गया है और इसमें करीब 7 किलो चांदी और 200 ग्राम से ज्यादा सोने का इस्तेमाल किया गया है। आपको यह भी बता दें कि सोने और चांदी को दान की गई राशि से खरीदा गया है। जी दरअसल इसको लेकर मंदिर के अधिकारियों का कहना है कि सोने और चांदी से बने इस झूले को तैयार करने में समय लगा है और इसके लिए राशि को दान के पैसों से जुटाया गया है। फिलहाल इस झूले को देखने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है और इससे मंदिर में अलग ही रौनक नजर आ रही है। आप सभी जानते ही होंगे गुजरात भारत के उन राज्यों में से है, जहां जन्माष्टमी की एक अलग ही रौनक देखने को मिलती है। जी दरअसल यहां कई जगहों पर श्री कृष्ण की रासलीला के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं और इसी के साथ ही ये राज्य द्वारकाधीश जैसे बड़े मंदिर के लिए भी प्रसिद्ध है। इस वीडियो को देखकर पिज्जा खाना छोड़ देंगे आप! घर पर रोज रोटी खाने आता था सांड, शादीशुदा महिला को हुआ प्यार और अब करेगी शादी Video: संस्कृत में तो कई बार सुनी होगी सत्यनारायण कथा, अब अंग्रेजी में भी सुन लीजिये
ऑफिस में युवक ने महिला को लगाया इतनी जोर से गले कि टूट गई तीन पसलियां
दफ्तरों से कई बार बेहद चौंकाने वाली खबरें सामने आ जाती हैं। अब इस बार भी एक ऐसी ही खबर आई है। यह मामला चीन का है। जी दरअसल यहाँ एक शख्स ने अपनी महिला सहकर्मी को इतने जोर से गले लगाया कि उस महिला की तीन पसलियां टूट गईं। बताया जा रहा है अब तक यह पता नहीं चल पाया है कि यह चीन के किसी शहर की है। हालाँकि एक रिपोर्ट में बताया है कि दोनों रोज की ही तरह नॉर्मल तरीके से मिल रहे थे और सब एक दूसरे से बातचीत भी कर रहे थे। इसी बीच महिला जब ऑफिस में एक साथी के साथ बातचीत कर रही थी तभी दूसरा साथी उसके पास आया और मजबूती से गले लगा लिया। इस बीच गले लगने के बाद महिला दर्द से कराह उठी और काफी देर तक उसे सीने में दर्द महसूस होता रहा। वहीँ बाद में महिला जब अस्पताल गई तो पता चला कि उसकी एक नहीं बल्कि तीन हड्डियां टूटी हुई हैं। जी हाँ, एक्सरे स्कैन में पता चला कि महिला की तीन पसलियां टूटी हुई थीं जिनमें से दो पसली दाईं तरफ और एक बाईं तरफ की थी। बाद में इसी दर्द की वजह से उसे ऑफिस से भी छुट्टी लेनी पड़ी। सामने आने वाली रिपोर्ट के मुताबिक हालांकि यह मामला कुछ पुराना है लेकिन यह इसलिए चर्चा में आया क्योंकि अब इस पर कोर्ट की तरफ से एक फैसला आया है। जी दरअसल महिला ने अपने साथी पर आर्थिक नुकसान के लिए हर्जाना मांगते हुए मुकदमा दायर किया था और इस पर कोर्ट ने आदेश दिया कि सहकर्मी महिला को करीब 1.16 लाख रुपये का मुआवजा दे। 1 साल की हुई बेटी तो गोलगप्पे वाले ने मुफ्त खिलाए 1 लाख गोलगप्पे घर पर रोज रोटी खाने आता था सांड, शादीशुदा महिला को हुआ प्यार और अब करेगी शादी Video: संस्कृत में तो कई बार सुनी होगी सत्यनारायण कथा, अब अंग्रेजी में भी सुन लीजिये
कृष्ण जन्माष्टमी विशेष: हर आयाम और रूप में अनूठे हैं श्रीकृष्ण
रास रचाते कन्हैया हों या बांसुरी बजाकर समस्त प्राणी मात्र को रिझाते कान्हा या फिर युद्धक्षेत्र में अर्जुन को गीता ज्ञान देते श्रीकॄष्ण हों, रचनात्मक रूप में श्रीकृष्ण हर एक के लिए प्रेरणा हैं।
लगभग तीन दशक पहले मैं गन्ना किसानों द्वारा अपने बकाया भुगतान की मांग को लेकर किए जा रहे विरोध प्रदर्शन को कवर करने पंजाब के गुरुदासपुर में गया था।
क्या भारत की न्यायपालिका के अंदर विचारधारात्मक खिसकाव है?
वह 1990 के दशक का उत्तरार्द्ध जब इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक अदालत के चैम्बर के 'शुद्धिकरण' का मामला सुर्खियों में था
स्वतंत्रता दिवस के ठीक अगले दिन दक्षिण कश्मीर के शोपियां में आतंकवादियों द्वारा दो कश्मीरी हिंदू भाइयों पर अंधाधुंध गोलीबारी ने फिर वहां गैर मुस्लिमों के वर्तमान और भविष्य को लेकर कई प्रश्न खड़े किए हैं।
बलात्कारियों का सम्मान कर कैसा समाज बना रहे हैं हम?
फज़र् कीजिये किसी दिन आपको यह ख़बर मिलती है कि निर्भया के दोषियों को जेल से रिहा कर दिया गया है क्योंकि आज़ादी के मौके पर सरकार ने अच्छी चाल-चलन वाले और बीमार कैदियों को रिहा करने का फैसला किया है
इंसानियत, जम्हूरियत और कश्मीरियत इन तीन चीजों के साथ स्व. अटल बिहारी वाजपेयी ने कश्मीर के संवेदनशील मुद्दे को सुलझाने की कोशिश की थी
विकास के वाहक बनें उच्च शिक्षण संस्थान, ज्ञान की विरासत युवाओं को देगी नए आयाम
वैसे तो हमारे देश में अनेक शोध एवं उच्च शिक्षण संस्थान हैं। वे अच्छा काम भी कर रहे हैं। चूंकि भारत एक विशाल देश है और यहां बड़े स्तर पर विकास कार्य चलाए जा रहे हैं लिहाजा कुछ शोध संस्थाओं के सक्रिय होने से काम नहीं चलेगा।
भारत का अमृतकाल : स्वप्न और चुनौतियां, लक्ष्य प्राप्ति के लिए नेता व जनता दोनों निभाएं कर्तव्य
आपकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तभी तक सुरक्षित है जब तक आप दूसरों के मान-सम्मान और मर्यादा का आदर करते हैं। जैसे यातायात में आपकी सुरक्षा तभी सुनिश्चित हो सकती है जब आप नियमों का ईमानदारी से पालन करें और दूसरों की सुरक्षा का ध्यान रखें।
प्रधानमंत्री रहते हुए स्व गांधी ने कई महत्वपूर्ण काम किए जिन्होंने देश के विकास को नई दिशा प्रदान की | स्व गांधी मानते थे कि युवा पीढ़ी ही भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में अहम भूमिका निभाएगा इसके लिए उनको कंप्यूटर टेक्नोलॉजी और विज्ञान की शिक्षा देना जरूरी है । कंप्यूटर की कीमतें घटाने के ... Read more
1 साल की हुई बेटी तो गोलगप्पे वाले ने मुफ्त खिलाए 1 लाख गोलगप्पे
आज तक आप सभी ने कई जगहों पर सुना होगा कि बेटियां बोझ होती हैं, हालाँकि कई लोगों का मानना है कि ये धारणा गलत है और वह बेटी को बोझ नहीं समझते। ऐसे ही हैं मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के गोलगप्पे बेचने वाले भैया। जी दरअसल यहाँ एक शख्स ने अपनी बेटी के पहले जन्मदिन पर एक लाख गोलगप्पे मुफ्त खिलाए। आप सभी को बता दें कि पिछले साल बेटी होने की खुशी में इसी शख्स ने मुफ्त में 50 हजार गोलगप्पे खिलाए थे और अब उसकी बेटी एक साल की हो गई है और इसी खुशी में उसने एक लाख गोल्गप्पे खिलाए। मिली जानकारी के तहत अंचल गुप्ता नाम का यह शख्स भोपाल के कोलार इलाके में गोलगप्पे बेचता है। बीते बुधवार को अंचल गुप्ता की बेटी अनोखी एक साल की हो गई। ऐसे में अपनी बेटी के पहले जन्मदिन की खुशी सबके साथ साझा करने और बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का संदेश देने के मकसद से अंचल ने एक लाख एक हज़ार गोलगप्पे मुफ्त खिलाए। इस मामले में स्थानीय लोगों के अलावा कोलार मेन रोड से गुजरने वाले लोगों ने भी मुफ्त के गोलगप्पे का लुत्फ उठाया और जब उन्हें इसके पीछे का मकसद मालूम हुआ तो बेटी अनोखी को ढेर सारा आशीर्वाद भी दिया। आप वहीं कोलार के स्थानीय विधायक रामेश्वर शर्मा को जब इसके बारे में पता चला तो वह भी गोलगप्पे के स्टॉल पर पहुंचे और अंचल की बेटी को आशीर्वाद दिया। केवल इतना ही नहीं बल्कि, विधायक रामेश्वर शर्मा ने भी इस दौरान लोगों को अपने हाथों से गोलगप्पे खिलाए। इसी के साथ मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी इस पहल के बाद अंचल की बेटी को जन्मदिन की बधाई देते हुए आशीर्वाद दिया। आपको बता दें कि अंचल गुप्ता कहते हैं कि बेटियां घर की लक्ष्मी होती हैं और घर में समृद्धि लाती हैं। बेटी पूरे वंश को चलाती है। यही वजह है कि अब समाज में लोगों की मानसिकता पूरी तरह से बदल गई है। बेटियां बोझ नहीं होती। Video: संस्कृत में तो कई बार सुनी होगी सत्यनारायण कथा, अब अंग्रेजी में भी सुन लीजिये इस वीडियो को देखकर पिज्जा खाना छोड़ देंगे आप! देशभक्ति में डूबे व्यक्ति ने खर्च किये 2 लाख और जैगुआर को बना डाला तिरंगा
गीता में निष्काम कर्म का संदेश तनाव को दूर करने वाला
पत्रिका का संपादकीय पेज आपको रोज नामचीन लेखकों के विचार, खोजपूर्ण तथ्यों, रोचक जानकारियों और समसामयिक मुद्दों पर संपादकीय पढऩे को मिलता है। पाठकों की राय के अनुरूप समय-समय पर इस पेज के कलेवर व सामग्री में बदलाव भी किया जाता है ताकि एकरसता नहीं रहे। आपको जो भी पसंद आ रहा है वह हमारे लिए बहुत कीमती हैं। व्यस्तता के दौर में ऐसा भी होता है कि कभी आप संपादकीय पेज पूरा नहीं पढ़ पाए हों। ऐसे में आपकी रुचि की जानकारी छूट सकती है। पाठकों के ही सुझाव को ध्यान में रखते हुए अब आपको पत्रिकायन पेज के चुनिंदा आलेख पढऩे के बजाए सुनने को भी मिलेगें। इसके लिए आपको कुछ नहीं करना है। संपादकीय पेज पर प्रकाशित संबंधित आलेख में सबसे नीचे एक क्यूआर कोड दिया जाएगा। आपको सिर्फ इस क्यूआर कोड को अपने मोबाइल से स्कैन करना है। क्यूआरकोड स्कैन करते ही आप आलेख के लिंक पर स्वत: ही आ जाएंगे। तो फिर देर क्यों? आलेख के नीचे क्यूआर कोड स्कैन पर इयरफोन लगाकर तसल्ली से सुनें क्या कुछ लिखा है इस आलेख में। और हां, हमें अपनी प्रतिक्रिया देना नहीं भूलें कि पत्रिकायन में प्रकाशित आलेखों को सुनना आपको कैसा लगा? आपके सुझावों का सदैव स्वागत है।
महोत्सव के बाद अमृत बनाये रखने की चुनौती
रोजगार विहीन विकास किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए सुरक्षित दांव नहीं है। बेरोजगारी न केवल हमारे मानव संसाधनों के इष्टतम उपयोग की अनुमति देती है बल्कि सामाजिक कलह और विभाजनकारी राजनीति के लिए प्रजनन स्थल भी बनाती है। शिक्षा, स्किलिंग, युवा उद्यमियों और नवप्रवर्तन कर्ताओं को उपयुक्त रोजगार और सहायता, शिक्षा और रोजगार के लिए ... Read more
वैष्णव सम्प्रदाय, भगवान विष्णु को ईश्वर मानने वालों का सम्प्रदाय है। वैष्णव धर्म या वैष्णव सम्प्रदाय का प्राचीन नाम भागवत धर्म या पांचरात्र मत है। इस सम्प्रदाय के प्रधान उपास्य देव वासुदेव हैं, जिन्हें, ज्ञान, शक्ति, बल, वीर्य, ऐश्वर्य और तेज – इन 6: गुणों से सम्पन्न होने के कारण भगवान या ‘भगवत’ कहा गया ... Read more
क्या अब ट्रेन में 5 साल से कम उम्र के बच्चों का पूरा किराया लगेगा? फ़ैक्ट चेक
बूम ने पाया कि सोशल मीडिया पर वायरल हो यह दावा भ्रामक है.
अगर आप हाफ पैंट या चप्पल पहनकर स्कूटी या बाइक चलाते हैं तो आपका अच्छा चालान कट सकता है। ट्रैफिक के इन जरुरी नियमों के बारे में हम आज आपको इस रिपोर्ट में विस्तार से बताने जा रहे हैं। ताकि आपको इन नियमों की जानकारी हो और आप ट्रैफिक चालान से बच पाएं।
प्रधानमंत्री का 2047 तक का रोडमैप, भ्रष्टाचार और परिवार वाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई की तैयारी
प्रधानमंत्री ने साफ कर दिया है कि अब भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रही लड़ाई में किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा।
गाड़ी में झंडा लगाने से रोकते मुस्लिम युवक का स्क्रिप्टेड वीडियो वायरल
बूम ने पाया कि वायरल वीडियो एक स्क्रिप्टेड ड्रामा है जिसे मनोरंजन और जागरूकता के उद्देश्य से बनाया गया था.
उल्टा बहता है भारत की इस जगह पर झरना, एक बार जाएं जरूर
दुनियाभर के कई लोग पहाड़ों पर घूमने जाते हैं। वहीं पहाड़ों में ट्रेकिंग करते समय हमें झरने भी दिखाई देते हैं, हालाँकि क्या आपने कभी उल्टा झरना सुना या देखा है? आज हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसे झरने के बारे में जहां पानी नीचे नहीं बल्कि पहाड़ों के ऊपर जाता है। जी हाँ और यह महाराष्ट्र में है। वैसे यह सुनने में बड़ा अटपटा लगता है, लेकिन ये सच है। अब हम आपको बताते हैं इस जगह के बारे में। नानाघाट रिवर फॉल्स कहाँ स्थित है?- यह उल्टा झरना कोंकण बीच और जुन्नार नगर के बीच स्थित महाराष्ट्र राज्य में मौजूद है। पुणे से इसकी दूरी करीब 150 किमी है। जी हाँ और मुंबई से इसकी दूरी करीब 120 किमी है। इसे कई नामों से भी जाना जाता है। जी दरअसल कुछ लोग इसे नानाघाट कहते हैं तो कुछ लोग इसे नाना घाट कहते हैं। ऐसा माना जाता है कि शहर की स्थापना सातवाहन वंश ने की थी क्योंकि नानाघाट गुफा ब्राह्मी और संस्कृत में खुदी हुई है। नानेघाट नदी जलप्रपात से जुड़े तथ्य- अक्सर यह देखा गया है जब कोई वस्तु ऊंचाई से फेंकी जाती है, तो वह गुरुत्वाकर्षण के कारण पृथ्वी पर गिर जाती है। झरने भी गुरुत्वाकर्षण का पालन करते हैं, लेकिन नानेघाट जलप्रपात इस नियम का पालन नहीं करता, बल्कि गुरुत्वाकर्षण के नियमों के विरुद्ध कार्य करता है। जी हाँ और घाट की ऊंचाई से जलप्रपात नीचे गिरने की बजाय ऊपर चला जाता है। यह नजारा देखकर आप दंग रह जाएंगे। नानघाट में पानी नीचे गिरने की बजाय ऊपर की ओर बढ़ता है। इसको लेकर विज्ञान कहता है कि नानघाट में हवा बहुत तेज चलती है। इस वजह से जब झरना नीचे गिरता है तो हवा के कारण ऊपर की ओर जाने लगता है। नानघाट में करने के लिए चीजें- नानेघाट ट्रेकर्स के बीच बहुत लोकप्रिय है। इस वजह से शुरुआती लोगों को ट्रैकिंग के लिए पंजीकरण करना होगा। वहीं नानाघाट घूमने का दिलचस्प मौसम मानसून है, जब पानी बहुत तेज आता है। नानेघाट ट्रेक घाटघर के जंगल का एक हिस्सा है, जो मुंबई से 120 किमी से अधिक और पुणे से लगभग 150 किमी दूर स्थित है। यह ट्रेक स्वयं 4 से 5 किमी लंबा (एक तरफ) है और कठिनाई का स्तर मध्यम है और इसे चालू और बंद दोनों तरह से 5 घंटे की अवधि में कवर किया जा सकता है। कैसे पहुंचे नानेघाट जलप्रपात?- कल्याण बस स्टैंड से जुन्नार के लिए राज्य परिवहन की बस लें। यह जगह वैशाखरे गांव के पास मालशेज घाट रोड पर स्थित है। आपको बता दें कि नानेघाट रोड के माध्यम से आसानी से पहुँचा जा सकता है और इसके अलावा, मुंबई और पुणे में कई ट्रेकिंग समूह चल रहे हैं, जिन्हें ऑनलाइन पाया जा सकता है। वह आमतौर पर प्रति व्यक्ति 750 चार्ज करते हैं। अक्टूबर में है शादी तो हनीमून मनाने जाएं थाईलैंड, IRCTC दे रहा मौका घूमने जा रहे हैं लद्दाख तो जरूर लें इन मशहूर डिशेज़ का स्वाद अक्टूबर में है शादी तो हनीमून मनाने जाएं थाईलैंड, IRCTC दे रहा मौका
विश्व फोटोग्राफी दिवस की शुभकामनाएं
1. विश्व फोटोग्राफी दिवस की शुभकामनाएं 2.एक व्यक्ति कैसा दिखता है, इसका चित्र बनाना एक बात है, यह एक और बात है कि वे कौन हैं, इसका चित्र बनाना दूसरी बात है। 3. एक तस्वीर के बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि यह कभी नहीं बदलती, तब भी जब उसमें मौजूद लोग करते हैं। 4. जब शब्द अस्पष्ट हो जाएंगे, तो मैं तस्वीरों पर ध्यान केंद्रित करूंगा। जब चित्र अपर्याप्त हो जाते हैं, तो मैं मौन से संतुष्ट हो जाऊंगा। 5.फोटोग्राफी में एक वास्तविकता इतनी सूक्ष्म होती है कि वह वास्तविकता से अधिक वास्तविक हो जाती है। 6. तस्वीर में एक चीज होनी चाहिए, वह है उस समय की मानवता। 7. एक तस्वीर लेना, एक पल को फ्रीज करना, यह बताता है कि वास्तव में कितनी समृद्ध वास्तविकता है। 8. फोटोग्राफी महसूस करने का, छूने का, प्यार करने का एक तरीका है। आपने फिल्म में जो पकड़ा है वह हमेशा के लिए कैद हो जाता है... यह छोटी-छोटी चीजें याद रखता है, जब तक आप सब कुछ भूल जाते हैं। 9. हम यह समझने के लिए तस्वीरें बना रहे हैं कि हमारा जीवन हमारे लिए क्या मायने रखता है। 10. एक चीज जो आप मेरी तस्वीरों में देख रहे हैं, वह यह है कि मैं इन लोगों के प्यार में पड़ने से नहीं डरता था। जन्माष्टमी के पावन पर्व पर अपनों को भेजें ये संदेश रवींद्रनाथ टैगोर,'उपदेश देना सरल है, पर उपाय बताना कठिन'... यदि आपको भी है बारिश पसंद, तो अपने प्रियजनों को भेजे ये शायरियां
Sensex Opening Bell: 200 अंकों की गिरावट के साथ लाल निशान पर सेंसेक्स, निफ्टी भी 17900 के नीचे
ज्यादातर भारतीय इंडेक्स गुरुवार को शुरुआती सेशन में लाल निशान पर कारोबार करते दिख रहे हैं। इससे पहले अमेरिकी और एशियाई बाजारों में भी कमजोरी दिखी।
Video: संस्कृत में तो कई बार सुनी होगी सत्यनारायण कथा, अब अंग्रेजी में भी सुन लीजिये
संस्कृत और हिंदी में आज तक कई बार आप सभी ने भगवान सत्यनारायण जी की कथा सुनी होगी हालाँकि आजकल यह कथा अंग्रेजी में होने लगी है। सुनकर वैसे आपको यकीन तो नहीं हो रहा होगा लेकिन यह सच है। जी दरअसल सोशल मीडिया पर इन दिनों एक वीडियो हो रहा है जिसमें सत्यनारायण कथा अंग्रेजी में होते दिखाई दे रही है। आप देख सकते हैं वह वीडियो जो हम आपको दिखाने जा रहे हैं। इस वीडियो में पंडित जी अंग्रेजी में कथा सुनाते नजर आ रहे हैं। जी हाँ और आप देख सकते हैं घरवाले वहीं बैठकर कथा सुन रहे हैं जिसमें पुरुष, महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। पहले सत्यनारायण भगवान जी की कथा संस्कृत में होती थी फिर हिंदी में होने लगी अब इंग्लिश में सत्यनारायण जी की कथा सुनिए। pic.twitter.com/ZQhVDYBLfT — skand shukla (@skandshukla) August 13, 2022 केवल यही नहीं बल्कि इस वीडियो में दिख रही पूजा सामग्री और इसे प्रस्तुत करने का तरीका दक्षिण भारतीय संस्कृति का मालूम पड़ता है। आप सभी जानते ही होंगे कि दक्षिण भारत के कई हिस्सों में अंग्रेजी बोली जाती है। बस यही वजह है कि यह अनुमान लगाया जा रहा है कि वीडियो साउथ इंडिया में स्थित किसी घर का है। जी हाँ और इस समय पूरे सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफार्म्स पर वीडियो को हजारों बार देखा जा चुका है और ढेर सारे कमेंट्स आए हैं। केवल यही नहीं बल्कि इस वीडियो को देखने के बाद सोशल मीडिया यूजर्स ने तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दी हैं। किसी का कहना है यह अनोखा है तो किसी का कहना है अजीब भारत के लोग है। वहीं इस वीडियो को देख एक यूजर ने लिखा, 'चलो हिंदू धर्म का ज्ञान अब अंग्रेजों को भी मिलने वाला है।' वहीं एक अन्य यूजर ने लिखा कि, 'भारत प्रगति पर है।' इसके अलावा कुछ लोगों ने इसे क्रांतिकारी भी बताया है। इस वीडियो को देखकर पिज्जा खाना छोड़ देंगे आप! देशभक्ति में डूबे व्यक्ति ने खर्च किये 2 लाख और जैगुआर को बना डाला तिरंगा 15 अगस्त से पहले भारतीय सेना के जवानों के लिए इस दुकानदार ने किया बड़ा एलान
दक्षिणी राज्यों को केंद्र से उम्मीद : आर्थिक पैकेज और परियोजनाओं पर अधिक तवज्जो की दरकार की खातिर
दक्षिण भारत के छह राज्यों-तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल और पुड्डुचेरी में छह अलग-अलग पार्टियों की सरकारें हैं। उनमें से हरेक का वैचारिक नजरिया कांग्रेस एवं भाजपा को लेकर अलग-अलग है।
राष्ट्रीय पर्व के मौके पर राष्ट्रीयता और भारतीयता की अभिव्यक्ति का जरिया भले ही हिंदी रही हो, लेकिन शायद यह पहला मौका है कि लाल किले के प्राचीर से भारतीय भाषाओं पर गर्व करने की बात की गई हो।
निर्जलीकरण पर अंकुश लगाने लगाना चाहते है ये टिप्स आ सकती है आपके काम
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बिहार का मंत्रिमंडल गठन : भाजपा के लिए वरदान!
भारतीय जनता पार्टी का साथ छोड़कर नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय जनता दल का हाथ पकड़ लिया है
देश में कानून व्यवस्था की बदहाली की बात हर आए दिन होती है। पुलिसकर्मियों का रवैया जनता के लिए कई बार कितना खराब या क्रूर होता है
एक खतरनाक प्रयोग की पुनरावृत्ति, रविवार के बदले शुक्रवार को अवकाश तो बस एक शुरुआत
असम बंगाल और बिहार के सीमावर्ती जिलों में बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियों आवक पहले से जारी है। अकेले झारखंड के संताल परगना में ही बड़ी संख्या में बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठिये आए लेकिन इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया गया।
तांडव गति मुंडन पर नाचत बनवारी
श्री कृष्ण जन्माष्टमी कोई आम त्योहार नहीं है। भारत और भारतीयता में श्रीकृष्ण रचे-बसे हैं, इसलिए यह लोकजीवन से जुड़ा पर्व है। हम कलाकारों के लिए भारत का अर्थ भाव, राग और ताल भी है..........
भ्रष्टाचार मिटाओ बनाम मोदी हटाओ, अब भ्रष्ट रसूखदार लोगों को भी लगने लगा है जेल जाने से डर
भ्रष्टाचार के विरुद्ध देश में इससे पहले भी माहौल बनता रहा है। उसके कारण दो सरकारें बदल गईं। जेपी आंदोलन के बाद 1977 में और बोफोर्स कांड के बाद 1989 में। पर सत्ता में आने के बाद किसी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ कुछ किया नहीं।
रोहिंग्याओं का सवाल, कहीं यह भारत के खिलाफ कोई षड्यंत्र तो नहीं
केवल इससे संतुष्ट नहीं हुआ जा सकता कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिल्ली सरकार को यह निर्देश दिया कि रोहिंग्याओं की बस्ती को डिटेंशन सेंटर घोषित किया जाए। आवश्यक यह है कि रोहिंग्याओं को वापस म्यांमार भेजने के लिए हरसंभव प्रयत्न किए जाएं।
शाहरुख़ खान ने 'पठान' फ़िल्म को लेकर नहीं दिया यह बयान, वायरल दावा फ़र्ज़ी है
बूम ने पाया कि वायरल हो रहा बयान मनगढ़ंत है, फ़र्ज़ी है. शाहरुख़ खान ने हाल-फ़िलहाल किसी इंटरव्यू में ऐसा कोई बयान नहीं दिया.
आजादी का अमृत वर्ष: हमारे संवैधानिक संकल्पों की विकास-यात्रा
पत्रिका का संपादकीय पेज आपको रोज नामचीन लेखकों के विचार, खोजपूर्ण तथ्यों, रोचक जानकारियों और समसामयिक मुद्दों पर संपादकीय पढऩे को मिलता है। पाठकों की राय के अनुरूप समय-समय पर इस पेज के कलेवर व सामग्री में बदलाव भी किया जाता है ताकि एकरसता नहीं रहे। आपको जो भी पसंद आ रहा है वह हमारे लिए बहुत कीमती हैं। व्यस्तता के दौर में ऐसा भी होता है कि कभी आप संपादकीय पेज पूरा नहीं पढ़ पाए हों। ऐसे में आपकी रुचि की जानकारी छूट सकती है। पाठकों के ही सुझाव को ध्यान में रखते हुए अब आपको पत्रिकायन पेज के चुनिंदा आलेख पढऩे के बजाए सुनने को भी मिलेगें। इसके लिए आपको कुछ नहीं करना है। संपादकीय पेज पर प्रकाशित संबंधित आलेख में सबसे नीचे एक क्यूआर कोड दिया जाएगा। आपको सिर्फ इस क्यूआर कोड को अपने मोबाइल से स्कैन करना है। क्यूआरकोड स्कैन करते ही आप आलेख के लिंक पर स्वत: ही आ जाएंगे। तो फिर देर क्यों? आलेख के नीचे क्यूआर कोड स्कैन पर इयरफोन लगाकर तसल्ली से सुनें क्या कुछ लिखा है इस आलेख में। और हां, हमें अपनी प्रतिक्रिया देना नहीं भूलें कि पत्रिकायन में प्रकाशित आलेखों को सुनना आपको कैसा लगा? आपके सुझावों का सदैव स्वागत है।
आपकी बातः क्या सरकार को अपराधियों की रिहाई का अधिकार होना चाहिए?
राजनेताओं और अपराधियों में गठजोड़ बढ़ने की आशंका किसी भी हालात में सरकार को अपराधियों की रिहाई का अधिकार नहीं होना चाहिए। क्योंकि, इससे राजनेताओं और अपराधियों का गठजोड़ बढ़ता है। हां, अपराधियों के लिए सरकारें ऐसे प्रयास करें कि वे ससम्मान जीने के लिए किसी हुनर में कुशल बनकर हीन भावना से ऊपर उठ सकें। अपराध के दलदल से बाहर निकलने की प्रेरणा पा सकें। ताकि उनकी आपराधिक मनोवृत्ति पर लगाम लग सके। कुशल सजायाफ्ता चयनित व्यक्तियों के लिए जेल सजा पाने की जगह न होकर सुधार गृह बने, ऐसे प्रयास सरकारों से अपेक्षित हैं ताकि कानून का इकबाल बना रह सके, राजनीति में सुधार हो सके और साथ ही समाज भी स्वस्थ बन सके। -गोपाल लाल पंचोली, शाहपुरा ...................... न हो राजनीतिक लाभ के लिए सरकारों को अपराधियों की रिहाई का आंशिक अधिकार हो तो जायज है, लेकिन राजनीतिक लाभ के लिए ऐसा करना अपराध को बढ़ावा देना है। बहुत से अपराधी परिवर्तित हो जाते हैं उनको जीवन के मौलिक अधिकारों के तहत एक मौका जरूर दिया जा सकता है। अपराधों की पुनरावृत्ति हो तो अपराधियों को गंभीर अपराधियों में ही शामिल किया जाए तथा ऐसे अपराधियों की रिहाई का अधिकार कतई भी सरकारों के पास न हो। - संजय माकोड़े, बैतूल ...................... सरकार का हक हो विचाराधीन कैदी हों या पूरी सजा काटने वाले कैदी या न्याय के अभाव में लम्बी सजा काटने वाले कैदी या फिर बहुत उम्र के कैदी और ऐसे कैदी भी जो सजा पूरी काटने के बावजूद जुर्माना न दे पाने की वजह से सजा काटने की मजबूरी झेल रहे हों, केंद्र सरकार व राज्य सरकारों को ऐसे अपराधियों को रिहाई के अधिकार होने चाहिए। - शिवजी लाल मीना, जयपुर ...................... न्याय प्रणाली से उठता है भरोसा राजनीति में अपराधियों को बढ़ावा देने में राजनीतिक दलों का योगदान ज्यादा है। माननीय न्यायालयों द्वारा गंभीर अपराधों में दी गई सजा कम करने या जेल से छोड़ने का अधिकार सरकारों को बिल्कुल नहीं मिलना चाहिए। ऐसा करने से जनता का न्याय प्रणाली से भरोसा उठ जाता है। -हरिप्रसाद चौरसिया, देवास, मध्यप्रदेश ...................... अपराधी तो अपराधी ही है किसी को भी अपराधियों की रिहाई का अधिकार नहीं होना चाहिए। अपराधी तो अपराधी ही है। अपराधी का स्थान जेल ही है। यदि झूठी गवाही के आधार पर किसी को अपराधी घोषित किया गया हो तो ऐसी स्थिति में सरकार पारदर्शिता के साथ निर्दोष अपराधियों को रिहा करे ऐसे अधिकार सरकारों के पास होने चाहिए। - रणजीत सिंह भाटी, राजाखेड़ी, मंदसौर
आदमी जब मुफ्तभोगी बन जाता है तब कामचोर बनना उसकी आदत बन जाती है। मुफ्त में फिनायल मिल जाए तो पीने वालों की यहाँ कमी थोड़े न है। बस पिलाने वाला मिल जाना चाहिए। और बात जब रेवड़ी की हो तो कहना ही क्या। वह भी मुफ्त की हो तो पूछिए ही मत। एक दिन की बात ऐसे ही तीन मुफ्तफोगी जो अपने दल के पहुँचे हुए नेता भी थे, को अपने-अपने दलों के लिए मुफ्त की रेवड़ियाँ बाँटने की योजना बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई। तीनों एक-दूसरे पर भारी थे। एक से बढ़कर एक योजना लिए तैयार थे। पहले मुफ्तभोगी नेता ने अपनी योजना बताते हुए कहा- इस बार यदि हमारी जंपर पार्टी जीतती है तो सभी लोगों को हर माह की पर्याप्त सामग्री जैसे आटा, दाल, सब्जी, तेल, नमक, शक्कर आदि के साथ-साथ पेट्रोल-डीजल मुफ्त देंगे। इतना ही यह सारी सामग्री उनके घर पहुँचा दी जाएगी। हमें अपने मुफ्तभोगी जनता को घर से बाहर कदम रखने भर का कष्ट भी नहीं देंगे। उनके कहने से पहले सेवा में हाजिर हो जायेंगे। इसे भी पढ़ें: लोटाबाबू (व्यंग्य) दूसरे मुफ्तभोगी नेता ने कहा- चल-चल! बड़ा आया मुफ्तभोगियों की सेवा करने वाला। हमारी योजना के आगे तुम्हारी योजना किसी काम की नहीं। हमारी जोड़तोड़ पार्टी घर गृहस्थी की सामग्री के साथ-साथ माँस, शराब, सिगरेट-बीड़ी-गुटका आदि का भी प्रबंध करेगी। तब देखना सभी हमीं को वोट देंगे। तीसरे मुफ्तभोगी नेता ने कहा- हमारी योजना के आगे तुम्हारी योजना पानी न माँगे। हमारी नाकरगड़ू पार्टी इन सभी रेवड़ियों के साथ-साथ अपने दो-चार आदमी उन्हीं के घर छोड़ आयेगी। ये लो घर का सारा काम जैसे झाड़ू-पोंछा लगाना, रसोई बनाना, घर के लोगों के खाना खाने के बाद उनका मुँह साफ करना। हाथ धुलाना। पखाना साफ करना, उनके सोकर उठने तक हाथ-पैर दबाना जैसे सभी काम करेगी। अब बताओ किसकी पार्टी जीतेगी? बड़े चले थे हमसे टक्कर लेने। इसे भी पढ़ें: हाई-फाई ट्रिक्स (व्यंग्य) इन सबकी मुफ्त की रेवड़ियों के बारे में सुन जनता बड़ी बेसब्री से इनका इंतजार कर रही है। कब चुनाव हो कब वे जीते। एक बार जीत जाएँ तो मरने तक घर से बाहर निकलने तक की फुर्सत। - डॉ. सुरेश कुमार मिश्रा 'उरतृप्त' (हिंदी अकादमी, तेलंगाना सरकार से सम्मानित नवयुवा व्यंग्यकार)
आरएच 1424 किस्म इन राज्यों में समय पर बुवाई और बारानी परिस्थितियों में खेती के लिए जबकि आरएच 1706 जोकि एक मूल्य वर्धित किस्म है, इन राज्यों के सिंचित क्षेत्रों में समय पर बुवाई के लिए बहुत उपयुक्त किस्म पाई गई है।
जन्माष्टमी के पावन पर्व पर अपनों को भेजें ये संदेश
1.कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक हार्दिक शुभकामनाएं 2.राधा की चाहत है कृष्णा, उसके दिल की विरासत है कृष्णा, चाहें कितना भी रास रचा ले कृष्णा, दुनिया तो फिर भी कहती है, राधे-कृष्णा, राधे-कृष्णा। 3.माखन चोर नन्द किशोर, बांधी जिसने प्रीत की डोर. हरे कृष्ण हरे मुरारी,पूजती जिन्हें दुनिया सारी, आओ उनके गुण गाएं सब मिल के जन्माष्टमी मनाये. 4. गोकुल में जो करे निवास, गोपियों संग जो रचाये रास, देवकी-यशोदा जिनकी मैया, ऐसे हमारे किसन कन्हैया। 5.माखन का कटोरा, मिश्री का थाल, मिट्टी की खुशबू, बारिश की फुहार, राधा की उम्मीद कन्हैया का प्यार, मुबारक हो आपको जन्माष्टमी का त्यौहार। 6. पलके झुका के नमन करे, मस्तक झुका के वंदना करे ! ऐसी नज़र दे मेरे कान्हा, जो बंद होते ही आपके दीदार करे कृष्णा जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाये 7. राधा की भक्ति , मुरली की मिठास , माखन का स्वाद और गोपियों का रास , आओ सब मिलके बनाते हैं जन्माष्टमी का दिन ख़ास। 8. माखन -चोर नन्द -किशोर , बाँधी जिसने प्रीत की डोर , हरे कृष्णा हरे मुरारी , पूजती जिन्हें दुनिया सारी , आओ उनके गुण गायें , सब मिलके जन्माष्टमी मनाएँ 9. नन्द का दुलारा, देवकी का प्यारा, यशोदा की आँख का तारा जय हो तेरी गोकुल के ग्वाला, हम सबको है तेरा सहारा 10. पीला कपड़ा किया है धारण मोर मुकुट भी पहना हैं नृत्य करे संग गोपियों के मुरली इनका गहना है। यदि आपको भी है बारिश पसंद, तो अपने प्रियजनों को भेजे ये शायरियां रवींद्रनाथ टैगोर,'उपदेश देना सरल है, पर उपाय बताना कठिन'... स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
अमेरिकी जनप्रतिनिधियों के ताइवान की यात्रा पर चीन बुरी तरह बौखलाया हुआ है और उसका कहना है कि वह उस क्षेत्र में और ज्यादा मिलिट्री ड्रिल को अंजाम देगा। इससे पहले नैंसी पेलोसी की यात्रा पर भी चीन काफी नाराज हुआ था, लेकिन मिलिट्री ड्रिल के जरिए अपना गुस्सा जाहिर करने के बाद उसने कोई और बड़ा कदम नहीं उठाया, जिससे लग रहा था कि मामला धीरे-धीरे ठंडा पड़ रहा है।
भारतीय कार्यबल में महिलाएं : संरचनात्मक बदलाव से चूक रहीं महिलाएं, आंकड़े कहते हैं सारी कहानी
पिछले तीन दशकों में भारत में तीव्र आर्थिक विकास, प्रजनन दर में गिरावट और महिलाओं की शिक्षा में वृद्धि के बावजूद महिला कार्यबल भागीदारी दर (कामकाजी महिलाओं का अनुपात) देश में अब भी कम बनी हुई है।
प्राचीन : भारतीय सिंधी क्यों नहीं भुला पाते सिंध को, इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं कई घटनाएं
जैसा कि सर्वविदित है कि प्राचीन भारत का इतिहास बहुत वैभवशाली रहा है। भारत को सही मायने में सोने की चिड़िया कहा जाता था। उसकी ख्याति पूरे विश्व में फैली हुई थी।
ध्रुवीकरण की राजनीति और सांझा विरासत पर हमले
लक्ष्य केवल यह है कि आमजनों को धार्मिक और भावनात्मक मुद्दों में उलझाए रखा जाए
75वें स्वाधीनता दिवस पर लालकिले की प्राचीर से प्रधानमंत्री मोदी ने कुछ संकल्प, आजादी के सौवें साल में भारत की तस्वीर और विरासत पर गर्व जैसी कुछ बातें इस बार कहीं
सहमी हुई अभिव्यक्ति की आजादी, कहीं खतरनाक साबित ना हो ऐसी चुप्पी
सलमान रुश्दी पर हमला करने वाला हादी मतर लेबनानी मूल का मुस्लिम है इसलिए इस्लामोफोबिया पर संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के बावजूद इस्लाम को लेकर डर बढ़ने का खतरा पैदा हो गया है। इस खतरे को और बढ़ाने का काम किया है हादी का समर्थन कर रहे लोगों ने।
ध्वस्त हुए तालिबान में सुधार के दावे, संगठन के भीतर भी सब कुछ सहज-सामान्य नहीं
तालिबान के भीतर भी सब कुछ सहज-सामान्य नहीं। इसकी मुख्य वजह है सत्ता हथियाने के बाद इन गुटों में देश की भावी दिशा को लेकर मतभेद होना। लड़कियों की शिक्षा विदेशी आतंकी संगठनों को पनाह और पाकिस्तान के साथ संबंध जैसे अहम मुद्दों पर तालिबान में आमराय नहीं है।
निशाने पर कश्मीरी हिंदू, तो फिर मुश्किल होगा घाटी में आतंकवाद पर लगाम लगाना
यह सही है कि जो आतंकी इस तरह की घटनाओं को अंजाम देते हैं उन्हें देर-सबेर मार गिराया जाता है लेकिन प्रश्न यह है कि क्या इससे डर के साये में रह रहे कश्मीरी हिंदू अपनी सुरक्षा की चिंता से मुक्त हो पाते हैं?
विश्व मंच पर जगह तलाशते तालिबान
अफगानिस्तान में सत्ता पर तालिबानी कब्जे का एक वर्ष पूरा हो गया। पिछले साल अगस्त में ही तालिबान ने वहां की लोकतांत्रिक सरकार को बेदखल कर सत्ता हथिया ली थी। लेकिन उस समय तालिबान जिन मुश्किलों..........
Alwar Mob Lynching Case: अलवर मॉब लिंचिंग मामले में 7 आरोपी गिरफ्तार, जानें क्या है मामला
अलवर (Alwar) में हुई मॉब लिंचिंग मामले (mob lynching case) में पुलिस ने मंगलवार को कार्रवाई करते हुए 7 लोगों को इस मामले में गिरफ्तार कर लिया है।
अगर आप नए घर में शिफ्ट हुए हैं तो घर बैठे-बैठे आधार में पता कैसे बदलें
क्या आप हाल ही में एक नए घर में शिफ्ट हुए हैं और आधार कार्ड पर भी अपना पता बदलने के बारे में सोच रहे हैं? अब यह बहुत आसान हो गया है। चिंता की कोई बात नहीं है क्योंकि भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने देश के लोगों को यह सुविधा प्रदान की है कि वे अपने मौजूदा पते को तब भी अपडेट कर सकते हैं, जब उनके पास एड्रेस प्रूफ के लिए कोई दस्तावेज न हो। भारत सरकार ने भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (Unique Identification Authority of India - UDAI) के कॉन्फ़िगर होने के ठीक बाद आधार कार्यक्रम की स्थापना की थी। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UDAI) द्वारा प्रशासित आधार कार्ड एक विशिष्ट पहचान पत्र होता है जिसे भारत के प्रत्येक नागरिक को दिया गया है। यह एक 12-अंकीय अद्वितीय संख्या का गठन करता है जिसमें किसी व्यक्ति की जनसांख्यिकीय और बायोमेट्रिक जानकारी शामिल होती है। इस विशिष्ट संख्या में सभी आवश्यक विवरण शामिल होते हैं जो किसी व्यक्ति की पहचान के लिए प्रासंगिक होते हैं। इसे भी पढ़ें: उत्तरप्रदेश मातृभूमि योजना क्या है? सरकार उसमें क्या योगदान देगी? भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UDAI) व्यक्ति के बायोमेट्रिक और जनसांख्यिकीय डेटा जमा करता है, जिसके बाद UDAI द्वारा आधार कार्ड जारी किया जाता है। आधार कार्ड सरकार द्वारा प्रदान किया जाने वाला एक विशिष्ट पहचान पत्र है, जो सरकार से लाभ और सब्सिडी प्राप्त करने की सुविधा भी प्रदान करता है। इस उद्यम का मुख्य उद्देश्य भारत के प्रत्येक नागरिक को हमारी सरकार द्वारा प्रदान की जा रही सेवाओं का लाभ प्रदान करना है। आधार कार्ड में ऑनलाइन एड्रेस अपडेट कैसे करें? अगर आप अपने आधार कार्ड में कोई भी जानकारी अपडेट करना चाहते हैं तो अब आप इसे आसानी से कर सकते हैं। अब आप घर बैठे अपने आधार कार्ड में नाम, पता, जन्मतिथि या लिंग जैसी जानकारी अपडेट कर सकते हैं। बीच में यूआईडीएआई ने इस सुविधा को बंद कर दिया था लेकिन अब एक बार फिर से यह सुविधा शुरू कर दी गई है। आधार भारत सरकार द्वारा जारी एक 12 अंकों की विशिष्ट पहचान संख्या है और यह व्यक्ति की बायोमेट्रिक जानकारी जैसे आईरिस स्कैन, फिंगरप्रिंट, और जनसांख्यिकीय जानकारी जैसे डीओबी और घर का पता आदि के आधार पर जारी किया जाता है। आधार को अपडेट करना न केवल फायदेमंद है बल्कि यह कई ऑनलाइन सेवाओं के लिए भी आवश्यक होता है। आधार से जुड़ी ऑनलाइन सेवाओं का लाभ उठाने के लिए आपको पहले यूआईडीएआई के साथ अपना मोबाइल नंबर पंजीकृत करना होगा, जिसका उपयोग ओटीपी के माध्यम से प्रमाणीकरण के लिए किया जाएगा। इसे भी पढ़ें: मिशन वात्सल्य योजना क्या है? यह किस अम्ब्रेला योजना का अंग है? इससे बचपन कितना प्रोत्साहित हुआ है? आधार कार्ड में पता बदलने के लिए कतारों में खड़े होना तो अब आप भूल जाइए। यूआईडीएआई ने ऑनलाइन पता बदलने का प्रावधान पेश किया है। आपको बस यूआईडीएआई की आधिकारिक वेबसाइट पर जाने की जरूरत है, विवरण भरें और आप अपना एड्रेस अपडेट कर सकते हैं। आप अपने आधार कार्ड में उल्लिखित पते को डाक द्वारा या नामांकन केंद्र पर जाकर ऑफ़लाइन भी बदल सकते हैं। पूरी प्रक्रिया इस प्रकार है - - UIDAI की ऑफिसियल वेबसाइट (https://ask.uidai.gov.in/) पर जाएं और एड्रेस अपडेट रिक्वेस्ट (ऑनलाइन) पर क्लिक करें। - नया पेज खुलने के बाद सबसे नीचे Proceed बटन पर टैप करें। - यहां अपना आधार नंबर दर्ज करें और उसके बाद आपको दिए गए ओटीपी को दर्ज करें। (आपको उसी नंबर पर ओटीपी प्राप्त होगा जो आपके आधार कार्ड से जुड़ा हुआ है)। - इसके बाद आपको यह चुनना होगा कि आप आधार कार्ड के एड्रेस एरिया को पिन कोड से बदलना चाहते हैं या एड्रेस के जरिए। - अब आपको आधार कार्ड में पता बदलने के लिए अपना सही एड्रेस प्रूफ देना होगा। आप पासपोर्ट, बीमा पॉलिसी, क्रेडिट कार्ड स्टेटमेंट, टेलीफोन बिल (लैंडलाइन), संपत्ति कर रसीद आदि से एक प्रमाण चुन सकते हैं। - अंत में आपको बीपीओ सर्विस प्रोवाइडर को चुनना होगा। सेवा प्रदाता का चयन करने के लिए, सेवा प्रदाता के नाम के बाद मौजूद रेडियो बटन पर क्लिक करना होगा और सबमिट बटन पर क्लिक करना होगा। - जे. पी. शुक्ला
लोकहित से ही होगी लोकतंत्र की रक्षा
पत्रिका का संपादकीय पेज आपको रोज नामचीन लेखकों के विचार, खोजपूर्ण तथ्यों, रोचक जानकारियों और समसामयिक मुद्दों पर संपादकीय पढऩे को मिलता है। पाठकों की राय के अनुरूप समय-समय पर इस पेज के कलेवर व सामग्री में बदलाव भी किया जाता है ताकि एकरसता नहीं रहे। आपको जो भी पसंद आ रहा है वह हमारे लिए बहुत कीमती हैं। व्यस्तता के दौर में ऐसा भी होता है कि कभी आप संपादकीय पेज पूरा नहीं पढ़ पाए हों। ऐसे में आपकी रुचि की जानकारी छूट सकती है। पाठकों के ही सुझाव को ध्यान में रखते हुए अब आपको पत्रिकायन पेज के चुनिंदा आलेख पढऩे के बजाए सुनने को भी मिलेगें। इसके लिए आपको कुछ नहीं करना है। संपादकीय पेज पर प्रकाशित संबंधित आलेख में सबसे नीचे एक क्यूआर कोड दिया जाएगा। आपको सिर्फ इस क्यूआर कोड को अपने मोबाइल से स्कैन करना है। क्यूआरकोड स्कैन करते ही आप आलेख के लिंक पर स्वत: ही आ जाएंगे। तो फिर देर क्यों? आलेख के नीचे क्यूआर कोड स्कैन पर इयरफोन लगाकर तसल्ली से सुनें क्या कुछ लिखा है इस आलेख में। और हां, हमें अपनी प्रतिक्रिया देना नहीं भूलें कि पत्रिकायन में प्रकाशित आलेखों को सुनना आपको कैसा लगा? आपके सुझावों का सदैव स्वागत है।
बच्चे की पिटाई करते शिक्षक का यह वीडियो राजस्थान के जालौर का नहीं है
बूम ने पाया कि राजस्थान के जालौर में हुई घटना से जोड़कर वायरल हो रहा यह वीडियो असल में बिहार के पटना का है.
PM की रेस में नीतीश कुमार की दावेदारी में कितना है दम, क्या विपक्ष नेता उन्हें कर पाएंगे स्वीकार?
देश में पिछले कई दिनों से राजनीतिक हलचल तेज है। लेकिन सबसे बड़ा उठापटक इन दिनों बिहार में देखने को मिली। यही कारण है कि प्रभासाक्षी के खास कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में हमने बिहार को लेकर ही चर्चा की। इस कार्यक्रम में हमेशा की तरह मौजूद रहे प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे जी। हालांकि, हमने इस बात पर चर्चा बिल्कुल भी नहीं की कि नीतीश कुमार ने यह कदम क्यों उठाया। हमने सिर्फ नीरज कुमार दुबे से यह जानना चाहा कि क्या नीतीश कुमार 2024 में विपक्ष के लिए प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार हो सकते हैं? इसके जवाब में नीरज कुमार दुबे ने कहा कि इस बात में कोई संदेह नहीं है कि बीजेपी अगला चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ही नेतृत्व में लड़ेगी। पूरे देश को पटना में बीजेपी के सभी मोर्चों की जो बैठक हुई उसके बाद से यही संदेश दिया गया है। बीजेपी शायद इस बात को पहले ही समक्ष चुकी थी कि नीतीश कुमार अपना रंग बदलने वाले हैं। यही कारण है कि पटना में ही भाजपा ने ऐलान कर दिया कि साल 2024 का जो चुनाव है वह नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ही लड़ जाएगा। हालांकि, भाजपा की ओर से यह भी कह दिया गया था कि वह जदयू के साथ गठबंधन में ही चुनाव लड़ेगी और बिहार में नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने रहेंगे। इसी दौरान हमने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के उस बयान का भी जिक्र कर दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि कोई भी क्षेत्रीय दल भाजपा के सामने कुछ नहीं है। इसके जवाब में नीरज दुबे ने कहा कि भाजपा शायद ऐसी एक पार्टी है जिसको सबसे ज्यादा धोखा क्षेत्रीय दलों से ही मिला है। उन्होंने ममता बनर्जी, मायावती, शिवसेना, अकाली दल जैसे दलों और नेताओं का जिक्र किया। यही कारण है कि बीजेपी आत्मनिर्भर की ओर बढ़ रही है। बीजेपी आलाकमान लगातार अपने नेताओं को जमीन पर काम करने के लिए कह रही है। इसी के संदर्भ में जेपी नड्डा का बयान होगा। भाजपा गठबंधन की राजनीति को भी बनाए रखना चाहती हैं और अपने पार्टी को मजबूत भी करना चाहती हैं। इसके बाद एक बार फिर से हमारी चर्चा नीतीश कुमार पर चले गए। नीरज दुबे ने कहा कि नीतीश कुमार को उनके जो नेता है वह लगातार पीएम मैटेरियल बता रहे हैं। इस पर नीरज दुबे ने भी साफ तौर पर तंज कसते हुए कहा कि यह देखना होगा कि नीतीश कुमार पीएम मैटेरियल तो बाद की बात है, क्या वह सीएम मटेरियल हैं? इसे भी पढ़ें: बिहार में 10 लाख नहीं 20 लाख लोगों को मिलेगी नौकरियां, जानिए क्या बोले नीतीश कुमार नीरज दुबे ने कहा कि 2020 में जो बिहार विधानसभा के चुनाव हुए थे, उस दौरान एनडीए ने नीतीश कुमार के ही नेतृत्व में चुनाव लड़ा। लेकिन गठबंधन मुश्किल से बहुमत का आंकड़ा छू पाई थी। नीतीश कुमार की पार्टी तो 43 सीटों पर सिमट गई थी। नीतीश कुमार की लोकप्रियता में काफी गिरावट भी देखने को मिली थी। प्रभासाक्षी के संपादक ने साफ तौर पर कहा कि बिहार ने अभी भी उस तरीके से प्रगति नहीं किया है जिस तरह की उम्मीद थी। उन्होंने कहा कि जो मुख्यमंत्री विशेष राज्य की मांग के मुद्दे पर अड़ा रहे, जाति आधारित जनगणना की मांग पर अड़ा रहे, वह अपने राज्य को कैसे आगे कर पाएगा? इसके साथ ही नीरज दुबे ने बिहार में उद्योग, शिक्षा और स्वास्थ्य की बदहाली पर भी सवाल पूछे। नीतीश के पीएम मैटेरियल पर नीरज दुबे ने कहा कि उन्होंने हाल में ही एक बयान दिया था कि मुझे देश भर में इस मुद्दे को लेकर फोन आ रहे हैं। इसे भी पढ़ें: पलटू राम ने फिर से बहुमत तो पा लिया पर विश्वास खो दिया है इस पर नीरज दुबे ने कहा कि भले ही नीतीश कुमार को फोन आ रहे होंगे। लेकिन प्रधानमंत्री पद की रेस में वह अकेले नहीं हैं। नीतीश कुमार के अलावा ममता बनर्जी, राहुल गांधी, शरद पवार, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव जैसे नेता भी प्रधानमंत्री पद की रेस में अपनी दावेदारी को मजबूत करने की कोशिश में है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि इन विपक्षी नेताओं में आपस में एकता कभी नहीं हो सकती। दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने लगातार कांग्रेस का विकल्प बनने की कोशिश कर रहे हैं। वह लगातार अकेला चलने की भी कोशिश में हैं। अगर कांग्रेस के 2 राज्यों में सरकार है तो केजरीवाल भी दो राज्यों में सत्ता में है। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय नेताओं को छोड़ दें तो असली टक्कर तो भाजपा और कांग्रेस के बीच ही होनी है। क्या कांग्रेस नीतीश कुमार के नाम पर चुनाव लड़ने को तैयार होगी? इसके साथ ही नीरज दुबे ने कहा कि 2024 चुनाव से पहले 11 राज्यों में विधानसभा के चुनाव है। इन 11 राज्यों में आधा से ज्यादा राज्य तो ऐसे हैं जहां बीजेपी और कांग्रेस के बीच मुकाबला है। इसे भी 2024 के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण माना जा सकता है। कांग्रेस का प्रदर्शन अगर ठीक रहता है तो वह नीतीश कुमार को कभी स्वीकार नहीं करेगी। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि नीतीश कुमार के मुताबिक वह विपक्षी एकजुटता को मजबूत करने की कोशिश करेंगे। लेकिन उन्हें सबसे पहले अपनी विश्वसनीयता को साबित करनी होगी। वह ऐसे पाला बदलते रहेंगे तो विपक्ष का कोई भी नेता उन पर आंख मूंदकर यकीन नहीं कर सकता है। - अंकित सिंह
SSC JE 2022 Notification: एसएससी जेई भर्ती परीक्षा के लिए नोटिफिकेशन हुआ जारी, जानिए पात्रता मापदंड
SSC JE 2022 Notification: कर्मचारी चयन आयोग (SSC) ने भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों/विभागों/संगठनों के लिए जूनियर इंजीनियर्स (सिविल, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल और क्वांटिटी सर्वेइंग एंड कॉन्ट्रैक्ट्स) की भर्ती के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं।
आपकी बात, बढ़ती आर्थिक असमानता का क्या असर हो रहा है?
कई समस्याओं की जड़ है आर्थिक असमानता आर्थिक असमानता ने विकराल रूप ले लिया है। समाजशास्त्री समय- समय पर यह बात दोहराते रहते हैं कि आर्थिक असमानता कई समस्याओं की जड़ है। आर्थिक असमानता भ्रष्टाचार की जनक भी है। -साजिद अली, इंदौर .................... बढ़ता है समाज में द्वेष आर्थिक असमानता का यह असर होने लगा हैं कि अमीर और अमीर होते जा रहे हैं और गरीब और गरीब। इससे द्वेष-भावना पनपने लगी हैं। - प्रियव्रत चारण, जोधपुर ................ विकास में बाधक बढ़ती आर्थिक असमानता के कारण गरीब और अधिक गरीब तथा अमीर और अधिक अमीर होते जा रहें हैं। गरीब वर्ग आज भी भोजन, कपड़े और मकान जैसे मूलभूत आवश्यकताओं से वंचित हैं। शिक्षा तो उनसे कोसों दूर है। उनके बच्चे कुपोषण और असाध्य बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं। दूसरी ओर अमीर वर्गों के लोगों का बैंक बैलेंस बढ़ता जा रहा है। असमानता की यह खाई देश के विकास में बाधक है। -विभा गुप्ता, मैंगलोर ..................... सामाजिक समरसता पर प्रभाव आर्थिक असमानता सामाजिक समरसता के लिए चुनौती है। देश में अमीर गरीब के बीच की खाई बहुत गहरी हो गई है। एक तरफ जहां देश के धनाढ्य विश्व के धनवान लोगों की सूची के ऊपरी पायदान के इर्द-गिर्द हैं तथा दूसरी तरफ बहुत बड़ी आबादी गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन को मजबूर है। देश के मुट्ठी भर लोगों के पास अधिकांश संसाधन एवं पूंजी है। गरीब गरीब होता जा रहा है और अमीर अमीर होता जा रहा है। -आर के यादव, नीमराना, अलवर ............... बढ़ते हैं अपराध लोगों की आमदनी और रोजगार घटे हैं। महंगाई से जीवन अस्त-व्यस्त चल रहा है। अमीरों को आसानी से बैंक से लोन मिल जाता है। डिफाल्टर होने पर भी कोई कानूनी कार्रवाई शीघ्र नहीं होती है। इसके विपरीत गरीब लोगों को लोन आसानी से नहीं मिलता है। महंगाई काफी बढ़ गई है। इससे सामाजिक ढांचा भी प्रभावित हुआ है। चोरी, डकैती जैसे अपराध बढ़े हैं। -नूरजहां रंगरेज, भीलवाड़ा .............. सिमटती दौलत बढ़ती आर्थिक असमानता से गरीब और गरीब तथा अमीर और अमीर हो रहा है। दौलत चंद लोगों के पास सिमटती जा रही है। - पारुल शर्मा, अंता, बारां ........... आय की असमानता पिछले कुछ सालों में आर्थिक सुधारों और नई आर्थिक नीतियों के लागू होने के बावजूद आर्थिक असमानता ज्यादा ही बढ़ी हैं। इसमें वृद्धि के लिए प्रमुख रूप से तेजी से होता निजीकरण और आय की असमानता जिम्मेदार है। निजीकरण के चलते लोगों को पूरा पारिश्रमिक नहीं मिल रहा है। इससे आर्थिक असमानता की खाई बढ़ रही है। आय असमानता और लाखों की संख्या में रोजगारों की कमी की वजह से गरीब, गरीब ही बना हुआ है और अमीर ज्यादा अमीर बनते जा रहे हैं। भारत के विकास के लिए, आर्थिक असमानता को दूर करने करनी होगी। संसाधनों और अवसरों के समान वितरण की व्यवस्था के बारे सोचना समय की मांग है। -नरेश कानूनगो, देवास, मध्यप्रदेश. ......................... घटता है अपनापन आर्थिक असमानता देश में गरीबी और लोगों में निराशा की वृद्धि का सबसे बड़ा कारण है। इससे समाज में तनाव बढ़ता है, जिसके चलते कई लोगों की जानें जा रही हंै। अपराध की दर बढ़ती है। समाज के लोगो में अपनापन घटता है। - नगेंद्र चारण, जोधपुर ............. आर्थिक स्थिति हुई कमजोर आर्थिक असमानता के साथ स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे आवश्यक क्षेत्र में निवेश में कमी तथा हाल ही आई कोविड महामारी ने मजदूरी और आय की मांग पर विपरीत प्रभाव डाला है। बेरोजगारी और भ्रष्टाचार ने आर्थिक स्थिति को और कमजोर बना दिया। -सवाई तंवर देवातु, जोधपुर
चाणक्य की इन बातों का करें पालन हमेशा रहेंगे रोग मुक्ति, पढ़ें आज की चाणक्य नीति
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कश्मीर के शोपियां (Shopian) जिले में मंगलवार को आतंकवादियों ने कश्मीरी हिंदुओं (Kashmiri Hindus) की गोली मारकर हत्या कर दी।
जातिवाद का मटका कब फूटकर बिखरेगा?
इस देश में दो मराठी महापुरुष आये। दोनों ने देश पर इतना उपकार किया कि ये देश उनका उपकार नहीं भुला सकता। एक ने धर्म कि रक्षा कि छत्रपति शिवाजी महाराज और उनका धर्म था इन्सानियत। दूसरे ने देश को रास्ता बताया भारतीय संविधान लिखकर। हम इन दोनों से कब सीखेंगे? 75 साल पहले हमें ... Read more
इस वीडियो को देखकर पिज्जा खाना छोड़ देंगे आप!
दुनियाभर के कई वीडियो वायरल होते हैं। अब इस समय भी एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। यह वीडियो जिसने भी देखा उसके होश उड़ गए। जी दरअसल यह वीडियो पिज्जा खाने वाले लोगों के लिए हैं जो पिज्जा बहुत पसंद करते हैं। हालाँकि इस वीडियो को देखने के बाद शायद आपको पिज्जा से नफरत हो जाए। जी दरअसल यह वीडियो Dominos पिज्जा के एक शॉप का है जो तेजी से वायरल हो रहा हैं। इस वायरल वीडियो में लोग देख सकते हैं कि पिज्जा बनाने के लिए आटे को सानकर ट्रे पर रखा गया है और उसे के ठीक ऊपर टॉयलेट ब्रश-पोछे लटके हुए दिखाई दे रहे हैं। Here is the video of the scene pic.twitter.com/fuWEZd04cm — Sahil Karnany (@sahilkarnany) August 14, 2022 पिज्जा के आटे के पास टॉयलेट ब्रश और पोछों को लटकता देख लोग तेजी से अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। जी दरअसल ट्विटर यूजर साहिल कर्णनी ने बेंगलुरु में डोमिनोज की एक शाखा से तस्वीरें साझा करने के लिए ट्विटर का इस्तेमाल किया। आप देख सकते हैं इन तस्वीरों में पोछा पिज्जा के आटे की ट्रे पर लटके हुए दिखाई दे रहे हैं। हालाँकि बाद में साहिल ने रेस्टोरेंट के किचन का एक वीडियो भी पोस्ट किया और उन्होंने पोस्ट में बताया कि उन्होंने अपना खाना लेने के लिए रेस्टोरेंट में इंतजार करते हुए तस्वीर और वीडियो लिया था। इन तस्वीरें और वीडियो को देखने के बाद खाने की गुणवत्ता को लेकर चिंतित यूजर्स ने अपना गुस्सा निकालना शुरू कर दिया। एक ट्विटर यूजर ने हैरान होकर लिखा कि, 'डोमिनोज़ में फिर कभी नहीं खाना।' वहीं एक अन्य ने लिखा, 'देखिए।। इस जगह के लोग जिम्मेदार हैं।।पूरे डोमिनोज नहीं…।' इस तरह कई लोगों ने कमेंट किये हैं। देशभक्ति में डूबे व्यक्ति ने खर्च किये 2 लाख और जैगुआर को बना डाला तिरंगा 15 अगस्त से पहले भारतीय सेना के जवानों के लिए इस दुकानदार ने किया बड़ा एलान यहां किराए पर मिल रहे पुलिसवाले, पूरा थाना भी कर सकते हैं बुक
Sensex Opening Bell: सेंसेक्स 300 अंकों की तेजी के साथ खुले, निफ्टी 17760 के पार
मंगलवार को सेंसेक्स 300 अंकों की तेजी के साथ 59,791.32 अंकों के लेवल पर खुला। वहीं निफ्टी भी लगभग 80 अंकों की तेजी के साथ 17,783.05 अंकों पर खुला।
शहीद लांसनायक चंद्रशेखर हर्बोला की छोटी बेटी बबीता की उम्र अब 42 साल है। जिस समय उनके पिता शहीद हुए थे उस समय वह काफी छोटी थीं।
सिर्फ बुराइयों पर पड़े जांच की आंच
जब राष्ट्र अपनी आजादी की 75वीं वर्षगांठ मनाता है, तब यही उम्मीद की जाती है कि वह भू-राजनीतिक रूप से मजबूत, समृद्ध और न्यायप्रिय देश होगा। इसके लिए जरूरी है कि मुल्क में कानून का राज हो और इस तरह से...
देश को खोखला करने वाली धांधली, यह देशद्रोह से कम नहीं
1950 में 18 प्रतिशत साक्षरता 23 विश्वविद्यालय 700 प्राध्यापक और 1.74 लाख विद्यार्थियों वाली उच्च शिक्षा व्यवस्था आज एक हजार से अधिक विश्वविद्यालय 15 लाख प्राध्यापक और 3.85 करोड़ नामांकन के साथ सारे विश्व का ध्यान आकर्षित कर रही है।
जनता और विपक्ष के लिए पीएम का संदेश, विपक्षी नेताओं की कमजोर नस दबाने का किया काम
देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने जिस तरह यह कहा कि भ्रष्टाचार के आरोप में न्यायालयों से सजा पाए नेताओं का भी महिमामंडन करने में शर्म-संकोच नहीं किया जाता वह हमारे समाज की एक कटु सच्चाई है।
स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री के खास संकल्प, अब देश की जनता भी निभाए अपने हिस्से की जिम्मेदारी
प्रधानमंत्री ने लोगों से भारत को विकसित देश बनाने पराधीनता का कोई अंश बचने न देने अपनी विरासत पर गर्व करने और एकजुटता का परिचय देने के साथ नागरिक कर्तव्यों के निर्वहन का संकल्प लेने को भी कहा।
चंद्रमा अशुभ होने के होते हैं नुकसान
चन्द्रदेव नाराज होने के जानें कारण, लक्षण और उपाय ==================== सूर्य के बाद धरती के उपग्रह चन्द्र का प्रभाव धरती पर पूर्णिमा के दिन सबसे ज्यादा रहता है। जिस तरह मंगल के प्रभाव से समुद्र में मूंगे की पहाड़ियां बन जाती हैं और लोगों का खून दौड़ने लगता है उसी तरह चन्द्र से समुद्र में ... Read more
दो साल की बच्ची ने दाँतों से किए साँप के दो टुकड़े, साँप की हुई मौत
वहाँ एक दो साल की बच्ची को साँप ने काट लिया तो बच्ची ने साँप को अपने दाँतों में दबाकर उसे चबा डाला। साँप की न केवल मृत्यु हो गई अपितु उसके दो टुकड़े हो गए। बच्ची बिलकुल ठीक है.....
आंतरिक व्यवस्था की मजबूती से हो सकता है देश सशक्त
दत्तात्रेय होसबाले सरकार्यवाह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आज जब हमारे देश की स्वाधीनता को 75 वर्ष पूरे हो रहे हैं, तो देश की उपलब्धियां व चुनौतियां सभी हमारे सामने हैं। कैसे एक राष्ट्र ने स्वतंत्र होते ही विभाजन की त्रासदी का सामना किया और हिंसा का दंश झेला। इसके तुरंत बाद सीमा पर आक्रमण का सामना किया। ये चुनौतियां भी हमारे राष्ट्र के सामथ्र्य को हरा नहीं पाईं। देश लोकतंत्र की बुनियाद को मजबूत करता रहा। आज हम केवल कल्पना कर सकते हैं कि कैसे हमारे देश के नागरिकों ने विभाजन और आक्रमण के दु:ख झेलने के बाद 1952 में लोकतंत्र के सबसे बड़े पर्व को मनाया और भारत में लोकतांत्रिक सरकार की स्थापना हुई। यह भारतवासियों का सामथ्र्य और इच्छाशक्ति ही थी, जिसने 1947 के बाद लगातार भारत के छूटे हुए हिस्से गोवा, दादरा एवं नगर हवेली, हैदराबाद और पुड्डुचेरी को फिर भारत भूमि में मिलाने का प्रयास जारी रखा। अंत में नागरिक प्रयासों से लक्ष्य की प्राप्ति भी की। प्रश्न उठता है कि एक राष्ट्र जिसको राजनीतिक स्वतंत्रता केवल कुछ वर्षों पूर्व मिली हो, इतना जल्दी यह सब कैसे कर सकता है? इसको समझने के लिए हमें भारत के समाज को समझना होगा, जो सभी प्रकार के आक्रमण और संकट को सहते हुए भी अपने एकता के सूत्र को नहीं भूला। भारत के स्वतंत्रता संग्राम को समझने का प्रयास करेंगे, तो पाएंगे कि संघर्ष के पदचिह्न नगरों, ग्रामों, जंगलों, पहाड़ों व तटीय क्षेत्रों हर जगह मिलते हैं। चाहे संथाल का विद्रोह हो या दक्षिण के वीरों का सशस्त्र संघर्ष, सभी संघर्षों में एक ही भाव मिलेगा। सभी लोग केवल अपने लिए ही नहीं, अपितु अपने समाज और सम्पूर्ण राष्ट्र के लिए किसी भी कीमत पर स्वाधीनता चाहते थे। भारतीय समाज की व्याकुलता इतनी थी कि वह इसके लिए हर प्रकार के त्याग और हर प्रकार के मार्ग पर चलने को इच्छुक थे। यही कारण है कि भारत की स्वतंत्रता के लिए लंदन, यूएस, जापान हर जगह से प्रयास हुए। लंदन स्थित इंडिया हाउस तो भारतीय स्वाधीनता का एक प्रमुख केंद्र बन गया था। किसी एक का नाम लेना बेमानी होगा, क्योंकि भारत के स्वाधीनता आन्दोलन में अनेक लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दी। इनमें से कुछ का नाम हम जानते हैं और कुछ का नाम नहीं। यह एक आन्दोलन था, जिसके असंख्य नायक थे। मगर हर नायक का मकसद एक ही था। यही कारण है कि स्वाधीनता के बाद देश को परम वैभव की ओर ले जाने का भाव देश की जनता के मन में था और यह इसके लिए राजनीतिक नेतृत्व पर निर्भर नहीं था। इसी कारण जब देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था पर हमले का प्रयास, आपातकाल के रूप में हुआ तो जनता ने स्वयं ही संघर्ष किया। स्वाधीनता को 75 वर्ष पूरे होने पर हमें यह भी विचार करना होगा कि स्वाधीनता के शताब्दी वर्ष तक हमारे लक्ष्य क्या होंगे? आज जब सम्पूर्ण विश्व कोरोना और वैश्विक अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है, तो एक राष्ट्र के रूप में हमारे क्या लक्ष्य होने चाहिए? इसमें कोई संदेह नहीं कि पिछला दशक भारत के लिए अनेक उपलब्धियों से भरपूर रहा है। चाहे वह नागरिकों को स्वास्थ्य, आवास और वित्तीय समावेशन से जुड़ीं मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करने का विषय हो या फिर कुछ और। सब यही परिलक्षित करता है कि भारत का समाज और नागरिक सशक्त हो रहा है। यह भारत की मेधा शक्ति ही है, जिसने सबसे कम समय में सबसे सस्ती और सबसे सुरक्षित वैक्सीन का निर्माण कर करोड़ों लोगों के जीवन की रक्षा की। इन सभी बातों के बावजूद भारतीय समाज और एक राष्ट्र के रूप में हमें कई आंतरिक और बाह्य संकटों का न केवल सामना करना है, अपितु उसका समाधान भी ढूूंढना है। भारत को अब भी समरसता के लिए और प्रयास करने होंगे, क्योंकि समाज जितना समरस होगा, उतना ही सशक्त होगा। इसलिए इस पर अधिक कार्य करने की आवश्यकता है। आज भारतीय अर्थव्यवस्था तमाम संकटों के बाद भी आगे बढ़ रही है, मगर भारत की बड़ी आबादी की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए इसे और तेजी से प्रगति करनी होगी। इसके लिए आवश्यक है कि हम भारतीय उद्योगों और उपक्रमों को बढ़ावा दें। इसके बिना हम भारत की रोजगार की अपेक्षा को पूरा नहीं कर पाएंगे। भारत सही मायने में तभी सशक्त होगा, जब देश स्वावलंबी होगा। यह आवश्यक है कि हम विचार करें कि क्या भारत के नीति प्रतिष्ठान, वर्तमान के भारत की आकांक्षाओं और अपेक्षाओं के अनुरूप हैं। अगर ऐसा नहीं है, तो परिवर्तन कैसे हो सकता है, इस पर भी विचार करने की आवश्यकता है। आज हम बहुत सी ऐसी व्यवस्था देखते हैं, जिसमें एक साधारण आदमी अपने को असहज और असमर्थ पाता है, चाहे वह आज की न्यायिक व्यवस्था हो या राजनीतिक व्यवस्था। ये एक साधारण आदमी की पहुंच तक सहजता से कैसे पहुंचे, इस पर विचार करने की आवश्यकता है। भारत वैश्विक चुनौतियों का सामना तभी कर सकता है, जब उसकी आंतरिक व्यवस्था मजबूत हो। आंतरिक व्यवस्था न केवल आर्थिक, बल्कि सामाजिक सशक्तीकरण पर निर्भर है। भारत की आंतरिक व्यवस्था का समाधान आर्थिक और सामाजिक दोनों चुनौतियों के समाधान में निहित है।
‘बेहतर ब्रांड निर्माण और वैश्विक स्तर के फोकस की जरूरत’
शुभ्रांशु सिंह, वाइस प्रेसिडेंट, टाटा मोटर्स विश्व की अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं में आर्थिक राष्ट्रवाद को पुनगर्ठित किया जा रहा है। दुनियाभर की शीर्ष आर्थिक इकाइयों की बात करें तो कॉर्पोरेशंस इनमें शुमार हैं और इनका महत्व उतना ही है जितना एक देश का होता है। ये विशाल आकार वाले बिजनेस हैं जो अपनी ब्रांड की ताकत और बाजार में हिस्सेदारी के बूते आर्थिक संकट और हिचकोलों का भी सामना कर लेते हैं। एप्पल, बोइंग, आइबीएम, फेसुबक, गूगल, नेस्ले, कोका कोला या टाटा का उदाहरण देख सकते हैं। यह सभी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान के साथ देखे और पहचाने जाते हैं। यह कहना है टाटा मोटर्स के वाइस प्रेसिडेंट (मार्केटिंग घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार) शुभ्रांशु सिंह का। मार्केटिंग टेलेंट विश्व स्तरीय उन्होंने बताया कि दुनिया की शीर्ष पांच अर्थव्यवस्था में गिनती के साथ सबसे ज्यादा ग्रोथ वाले देशों में शामिल भारत को और पावरफुल ब्रांड्स बनाने पर ध्यान देने की जरूरत है। हमारा मार्केटिंग टेलेंट विश्व स्तरीय है। लगभग सभी पश्चिमी कॉर्पोरेशंस में प्रमुख पदों पर भारतीय होंगे जो उनके मैनेजमेंट और मुख्य मार्केटिंग कार्यक्रमों की समान संभाले हैं। अब सवाल उठता है कि हम भारत और भारतीय कंपनियों के लिए यह कैसे संभव कर सकते हैं? वर्तमान में एप्पल जैसा ग्लोबल ब्रांड कहता है कि डिजाइंड बाय एप्पल इन कैलिफोर्निया, असेंबल्ड इन चीन। लग्जरी सेगमेंट में फ्रांस आगे है। अब 'वेस्ट इज बेस्ट’ नहीं रहा विडंम्बना यह है कि हम जितना अधिक वैश्वीकरण की तरफ बढ़ते हैं, उतनी ही जड़ों से जुड़ने और अपनेपन की इच्छा मजबूत होती जाती है। अब 'वेस्ट इज बेस्ट’ नहीं रहा। भारत को मजबूत ब्रांडेड इंडस्ट्री लीडरशिप की जरूरत है। हम बॉलीवुड, आइटी, योग, संस्कृति, टेक्सटाइल के लिए जाने जाते हैं लेकिन क्या हमारी कंपनियां वास्तव में वैश्विक हैं? उदाहरण के रूप में टीसीएस और एयर इंडिया का नाम ही गिनाया जा सकता है। हमें बेहतर ब्रांड निर्माण, वैश्विक फोकस की जरूरत है। वर्ल्ड लीडर बनने की ओर भारत 1955 की पहली फॉर्च्यून 500 कंपनियों की सूची की वर्ष 2019 की सूची से तुलना कर लीजिए। केवल 52 कंपनियां हैं जो दोनों सूचियों में स्थापना से हैं। 1955 में फॉर्च्यून 500 कंपनियों में से केवल 10.4 प्रतिशत ही सूची में बनी हुई हैं। बाकी पिछड़ गई हैं, दिवालिया हो गईं, विलय हो गया या अधिग्रहण कर लिया गया। एक ब्रांड निर्माता के रूप में मुझे लगता है कि ब्रांड्स क्षमताओं के साथ अपने मूल कॉर्पोरेशंस से आगे निकल रहे हैं।
देशभक्ति में डूबे व्यक्ति ने खर्च किये 2 लाख और जैगुआर को बना डाला तिरंगा
आजादी के रंग में पूरा देश सजा हुआ है। आज कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक ‘हर घर तिरंगा’ अभियान की धूम दिखाई दे रही है। जी हाँ और आजादी के अमृत महोत्सव का जश्न हर कोई अपने-अपने तरीके से मना रहा है। सबसे खासकर युवाओं में जबरदस्त उत्साह है। जी दरअसल देशभक्ति से भरे एक ऐसे ही युवक के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं। बताया जा रहा है इस युवक का नाम सिद्धार्थ दोशी है। सिद्धार्थ दोशी गुजरात के सूरत का रहने वाला है और ‘हर घर तिरंगा’ अभियान से प्रभावित होकर सिद्धार्थ ने अपनी कार पर दो लाख रुपये खर्च किए हैं। #WATCH | Delhi: A youth from Gujarat spent Rs 2 lakhs to revamp his car on the theme of #HarGharTiranga “To make people aware of the campaign, I drove from Surat (Gujarat) to Delhi in my car in 2 days... we want to meet PM Modi & HM Amit Shah, said Sidharth Doshi pic.twitter.com/yC34603HaY — ANI (@ANI) August 14, 2022 आप सभी को बता दें कि उन्होंने अपनी कार पर देशभक्ति का ऐसा रंगा चढ़ाया है, जिस देखकर सब खुश हैं। इस बारे में सिद्धार्थ का कहना है कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘हर घर तिरंगा’ अभियान से प्रभावित हैं। इसी के साथ उन्होंने इस अभियान को और लोगों तक पहुंचाने के लिए उसी कार से सूरत से दिल्ली पहुंचे हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलना चाहते हैं। एक मशहूर वेबसाइट से बातचीत में सिद्धार्थ ने कहा, 'हर घर तिरंगा’ अभियान के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए मैं दो दिनों में अपनी कार से सूरत से दिल्ली पहुंचा हूं। हम प्रधानमंत्री मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मिलना चाहते हैं।' आप सभी को बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा था कि वह ‘हर घर तिरंगा’ मुहिम को मिली शानदार प्रतिक्रिया से बेहद खुश और गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। इसी के साथ उन्होंने कहा कि, 'इस मुहिम में विभिन्न क्षेत्रों के लोगों को रिकॉर्ड भागीदारी करते देखा जा रहा है।' वहीं मोदी ने ट्वीट कर कहा था, ‘हर घर तिरंगा’ मुहिम को मिली शानदार प्रतिक्रिया से अत्यंत खुश और गौरवान्वित हूं। हम जीवन के हर क्षेत्र के लोगों की रिकॉर्ड भागीदारी देख रहे हैं। लाल किले से PM मोदी ने दिलाए ये 5 प्रण फ्री मिल रहा स्पेशल मोबाइल नंबर, बस करना होगा ये काम जेल पहुंचा सकता है एक मामूली सिम कार्ड, कही आप तो नहीं कर बैठे ये गलती
Independence Day 2022: आजादी के अमृत वर्ष में गांधी के सबक
महात्मा गांधी ने आजादी के बाद नए भारत के निर्माण के लिए कुछ बुनियादी सिद्धांत बताए थे। पहला यह कि सामान्य आदमी और सबसे ऊपर के आदमी के बीच के भेद को निरंतर खत्म किया जाए।
Independence Day: आजादी को समृद्ध बनाती प्रौद्योगिकी
प्रधानमंत्री मोदी ने 15 अगस्त, 2015 को डिजिटल इंडिया और स्टार्ट-अप इंडिया का आह्वान किया था। तबसे भारत में डिजिटलीकरण की विशेष प्रगति हुई है।
Azadi Ka Amrit Mahotsav: लोगों के स्वप्नों का मातृदेश, आर्थिक पिछड़ापन बड़ा यथार्थ
भारत में 'भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान', 'भारतीय प्रबंध संस्थान' और 'भारतीय विज्ञान संस्थान' जैसी संस्थाएं हैं। पर प्राथमिक शिक्षा क्षेत्र के समग्र विकास की अनदेखी की गई।
हर तरफ से मिल रही हैं हमारी अखिल भारतीयता को चुनौतिया
भारत की आजादी और भारतीय गणतंत्र की मुकम्मल कामयाबी की एकमात्र शर्त यही है कि जी-जान से अखिल भारतीयता का सम्मान करने वाले क्षेत्रों और तबकों की अस्मिताओं और संवेदनाओं की कद्र की जाए
आजादी के अमृत कलश से छलकता घृणा और विभाजन का हलाहल
भारत के लिये इससे अधिक दुर्भाग्यजनक कुछ हो नहीं सकता कि 'अमृत काल' के नाम से निरूपित स्वतंत्रता का 75वां साल पूरा होने पर जहां एकता, बन्धुत्व और सौहार्द्र का रस बरसाना था
नेहरूजी के आगे खड़े होने की कोशिश
देश में इस वक्त आजादी की 75वीं वर्षगांठ का शोर है। देशभक्ति और राष्ट्रवाद से भरे ओजपूर्ण गीत लाउड स्पीकर पर जोर-जोर से बजाए जा रहे हैं
अमृत महोत्सव विशेष: ग्लोबल स्पेस रेस और इसरो, क्या गगनयान मिशन लिखेगा भारत के नए भविष्य की कहानी?
देश इस साल अपनी आजादी के 75 वर्षपूरे कर रहा है। वैश्विक, आर्थिक और राजनीतिक दृष्टि से हमारी आजादी के 75 वर्षोंका ये सफर काफी उतार-चढ़ावसे भरा रहा।
इस देश में अच्छे लोग बहुत मिलेंगे
आपको विदित होगा कि वह (भारत की जनसंख्या) रूस रहित समस्त यूरोप की जनसंख्या से अधिक है। यह जनसंख्या 31 करोड़, 90 लाख है और रूस रहित यूरोप की जनसंख्या 31 करोड़, 70 लाख है। एक एकात्मक सरकार के अधीन...
प्रज्वलित रहे स्वतंत्रता की दीप शिखा, भारत की जय-गाथा में हो हम सबका हिस्सा
लंबी दासता के बाद 1947 में न चाहते हुए भी अखंड भारत के विभाजन के साथ भारत को अंग्रेजों से राजनीतिक आजादी मिली और भारतीयों की सरकार बनी। भारत लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत उत्थान के प्रयास में संलग्न रहा और विविधताओं के साथ आगे बढ़ने के लिए कई कदम उठाए।
भारत की गौरव गाथा, देश ने अपने कर्म तप से 75 वर्ष में बहुत कुछ पाया
स्वतंत्र भारत ने देश की रिद्धि सिद्धि समृद्धि का संकल्प लेकर अपना काम शुरू किया था। कृषि विज्ञानी डा. एमएस स्वामीनाथन के नेतृत्व में हरित क्रांति हुई। इसने भारत की इतनी बड़ी आबादी के लिए खाद्यान्न आवश्यकता को पूरा किया। आज देश खाद्यान्न निर्यात की स्थिति में भी है।
आजादी का अमृत, राष्ट्रीय हितों की रक्षा हो नागरिकों की सर्वोच्च प्राथमिकता
यह एक तथ्य है कि भारत अब एक बलशाली और वैभवशाली राष्ट्र है। विश्व समुदाय के बीच भारत की प्रतिष्ठा भी बढ़ी है और महत्ता भी। वस्तुत इसी करण विश्व समुदाय अब भारत के प्रति कहीं अधिक आशावान है।
जिन्होंने कविताओं से फिरंगियों के खिलाफ किया क्रांति का आह्वान
जिन्होंने कविताओं से फिरंगियों के खिलाफ किया क्रांति का आह्वान अतुल कनक साहित्यकार और लेखक काजी नजरूल इस्लाम का नाम भारतीय स्वतंत्रता चेतना के इतिहास में हमेशा महत्त्वपूर्ण रहेगा। उन्होंने अपनी कविताओं से न केवल अंग्रेजों की साम्राज्यवादी अनीतियों का विरोध किया, बल्कि आमजन में स्वतंत्रता प्राप्ति के प्रति उत्साह भी जगाया। काजी नजरूल इस्लाम का व्यक्तित्व किसी के भी लिए प्रेरणाप्रद हो सकता है। वे भारत के उस सांस्कृतिक सद्भाव के पोषक थे, जिसे आम बोलचाल में गंगा-जमुनी तहजीब कहते हैं। मदरसे में शिक्षा पाने और एक मस्जिद के मुअज्जिन होने के बावजूद नजरूल इस्लाम ने बंगाली भाषा में कृष्ण भक्ति के कई गीत लिखे। उनके लिखे गीतों को आज भी धार्मिक अवसरों पर श्रद्धा के साथ गाया जाता है। उनके लिखे एक गीत का अनुवाद है -'जगजन मोहन संकटहारी/ कृष्णमुरारी श्रीकृष्णमुरारी/रास रचावत श्याम बिहारी/ परम योगी प्रभू भवभयहारी। ' काजी नजरूल इस्लाम का बचपन संंकट में बीता। उनके जीवन की विसंगतियों के कारण उनके कुछ रिश्तेदारों और मोहल्ले वालों ने तो उन्हें दुक्खू मियां कहकर ही संबोधित करना शुरू कर दिया था। इसके बावजूद उन्होंने दुखों के सामने कभी हार स्वीकार नहीं की। वे परिस्थितियों से लड़ते रहे । अंतस की इसी ऊर्जा ने उन्हें 'बिरोधी कवि ' अर्थात् 'विद्रोही कवि ' की पहचान दे दी। 22 सितंबर 1922 को अपने प्रकाशन धूमकेतु के पूजा अंक में उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के समर्थन में अपनी एक कविता 'आनंद मोयीर अगमने ' (एक प्रसन्न माता का आगमन) का प्रकाशन किया। उन्हें गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया। जेल में उन्होंने जेल अधिकारियों के बर्ताव के खिलाफ भूख हड़ताल करके ब्रिटिश हुक्मरानों को हिला दिया। इसी दौरान उन्होंने कई कविताओं का सृजन किया, जिनमें से एक 'बिरोधी ' उनकी पहचान का पर्याय हो गई। उनकी लंबी कविता 'अग्निवीणा भी इसी साल सामने आई। यानी यह नजरूल इस्लाम की क्रांतिकारी चेतना के उत्कर्ष का शताब्दी वर्ष है। उनकी लोकप्रियता का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि स्वयं रविन्द्र नाथ टैगोर ने वर्ष 1923 में अपना नाटक 'बसंत ' नजरूल इस्लाम को समर्पित किया था। कविताओं का संग्रह 'बिशेर बंशी (विष की बांसुरी) अंग्रेजों ने प्रतिबंधित किया, तो क्रांतिकारियों ने उसे चोरी-छुपे अपने साथियों तक पहुंचाया। 'बिशेर बंशी ' की कविताएं फिरंगियों के खिलाफ क्रांति का आह्वान करती थीं। बांग्लादेश (तब पूर्वी पाकिस्तान) में जब स्वतंत्रता आंदोलन प्रारंभ हुआ, तो नजरूल की कविताओं ने जैसे उस आंदोलन में प्राण फूंके। 1971 में बांग्लादेश को एक स्वतंत्र देश के रूप में पहचान मिली। 24 मई 1972 को बांग्लादेश की सरकार उनको भारत सरकार की सहमति से ढाका ले गई। वर्ष 1976 में उन्हें बांग्लादेश की नागरिकता दी गई। बांग्लादेश ने उन्हें अपने राष्ट्र कवि का दर्जा दिया। भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण से अलंकृत किया था। 29 अगस्त 1976 को भक्ति और विद्रोह की चेतना के इस अनूठे संगम ने हमेशा के लिए आंखें मूंद लीं।
*वैचारिकी- तिरंगा-तमाशा नहीं, त्यौवार है*
आज से लगभग पच्चीस वर्ष पूर्व “तिरंगा “शीर्षक से एक मंचीय कविता लिखी थी। कविता में आम आदमी की छत पर फहरते तिरंगे को लेकर व्यंग्य, विसंगति और राष्ट्रप्रेम का लोकप्रिय मुहावरा था..यह वह समय था जब स्वतंत्रता और गणतंत्र के आलवा अन्य दिनों में आम छतों पर तिरंगा फहराना निषेध था..बाद में ऐसा नहीं ... Read more
पुलिस ने हादसे को अंजाम देने वाले वाहन चालक के खिलाफ लापरवाही का मामला दर्ज किया है। फिलहाल फरार हुए आरोपी की पहचान नहीं हो पाई है।
आमिर खान ने 'लाल सिंह चड्ढा' फ्लॉप होने पर देश छोड़ने का बयान नहीं दिया
बूम ने पाया कि वायरल पोस्ट में किया गया दावा फ़र्ज़ी है. आमिर खान ने हाल फ़िलहाल में ऐसा कोई बयान नहीं दिया है.
छात्रा संग ऐसी हालत में दिखा पति, देखकर पत्नी ने कर दिया बुरा हाल
अपनी छात्रा के साथ गुमशुदा हुए एक व्यक्ति को उसकी पत्नी ने रंगे हाथ पकड़ लिया। शख्स बीते 6 महीने से बिना बताए घर से गायब था। इस के चलते ना उसने पत्नी की सुध ली तथा ना ही बच्चे की। मगर हाल ही में हवाईअड्डे पर उसकी पत्नी ने उसे छात्रा संग देख लिया। तत्पश्चात, पत्नी ने अपने ही अंदाज में 'धोखेबाज' पति को सबक सिखाया। वही एक वायरल वीडियो में महिला को हवाईअड्डे पर पति को डांटते हुए देखा गया। उसने हवाईअड्डे पर पति को किसी अन्य लड़की के साथ रंगे हाथ पकड़ लिया था। लड़की उसकी छात्रा थी, जिसे वह वायलिन सिखाता था। महिला बोलती हैं कि पति 6 महीने से गुमशुदा था। इस के चलते उसने एक बार भी कॉल नहीं किया। ऐसे में महिला ने पति को रंगे हाथ पकड़ने की योजना बनाई। इस बीच जब उसे खबर मिली कि पति अपनी छात्रा संग सिंगापुर के चांगी हवाईअड्डे से कहीं जा रहा है तो वह फौरन मौके पर पहुंच गई ततः उन्हें पकड़ लिया। मिल रही खबर के अनुसार, जब छात्रा ने पति का बचाव करने का प्रयास किया तो महिला ने उसे भी डांट लगा दी। वो बोलती है- 'माफ करिए, मैं अपने पति के साथ बात कर रही हूं। तुम कौन हो, बीते 6 महीने से कहां गायब थे?' इस पर दोनों चुप रह जाते हैं। महिला पति पर चीख रही थी तथा पति चुपचाप उसकी डांट सुन रहा था। महिला ने कहा कि लड़की के साथ घूम रहे उसके पति ने अपने 4 वर्ष के बेटे तक को भी फोन नहीं किया। उसका नंबर बीते 6 माह से संपर्क से बाहर था। उसे यह नहीं भूलना चाहिए था कि एक बेटा एवं पत्नी मलेशिया में उसकी प्रतीक्षा कर रहे हैं। वह दावा करती है कि उसका पति 2021 के आखिर में एक नौकरी के लिए इंटरव्यू देने मलेशिया से बाहर गया था, मगर तब से घर वापस नहीं लौटा। महिला बोलती है कि जब मेरा बच्चा मुझसे पूछता है कि पिता कहां हैं, तो मैं उसे जवाब देती हूं कि वह रूपये कमाने के लिए सिंगापुर में कड़ी मेहनत कर रहे हैं। किन्तु पति की हरकत से मेरा दिल टूट गया। फिलहाल, अब वह पति से तलाक लेने का निर्णय ले चुकी है। यहां तिरंगे की पूजा के बाद किया जाता है रोज अन्न-जल ग्रहण, 1917 से चली आ रही है परम्परा शादी के माहौल में पसरा मातम, सड़क हादसे में बालक समेत 6 लोगों की दर्दनाक मौत भारत में बैन हुआ VLC मीडिया प्लेयर!
आंतरिक व्यवस्था की मजबूती से देश होगा सशक्त
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