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स्पॉटलाइट-प्यार करके शादी तो 10 गुना रकम, ब्रेकअप पर 0:रिलेशनशिप का अनोखा बीमा, बड़े फायदे के साथ बड़ा जोखिम भी

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दैनिक भास्कर 16 Apr 2025 5:00 am

आज का एक्सप्लेनर:क्या मार्क जुकरबर्ग से इंस्टाग्राम और वॉट्सएप छीनेंगे ट्रम्प, मेटा पर क्यों लगे मोनोपॉली के आरोप; दोषी पाए जाने पर क्या होगा?

फेसबुक, इंस्टाग्राम, वॉट्सएप जैसे एप्स की पेरेंट कंपनी मेटा के खिलाफ 14 अप्रैल को ट्रायल शुरू हो गया है। US फेडरल ट्रेड कमीशन यानी FTC ने मेटा और इसके फाउंडर मार्क जुकरबर्ग पर सोशल मीडिया में एकाधिकार यानी मोनोपॉली और इसके गलत इस्तेमाल का आरोप लगाया है। ये आरोप इतने गंभीर है कि 1.3 ट्रिलियन डॉलर की मेटा का बंटवारा तक हो सकता है। करीब 17 हजार करोड़ यूजर्स वाला वॉट्सएप और इंस्टाग्राम बिक सकता है। आखिर मेटा पर सोशल मीडिया मोनोपॉली के आरोप क्यों लगे, इसमें अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प का क्या रोल है और क्या इंस्टाग्राम, वॉट्सएप बिक जाएंगे; जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में.... सवाल-1: मार्क जुकरबर्ग की कंपनी मेटा पर अवैध एकाधिकार का मामला क्या है?जवाब: 9 दिसंबर 2020 को अमेरिका की फेडरल ट्रेड कमीशन यानी FTC और 46 राज्यों ने वॉशिंगटन डीसी की डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में मेटा के खिलाफ दो अलग-अलग मुकदमे दायर किए, जिसमें कहा गया… पहला मुकदमा FTC ने दायर कियाजून 2021 में जज जेम्स बोसबर्ग ने FTC के मुकदमे को खारिज कर दिया था। तब FTC साबित नहीं कर पाई कि मेटा के पास सोशल नेटवर्किंग बाजार में एकाधिकार था। जज ने कहा, 'FTC ने मार्केट शेयर के सही आंकड़े नहीं दिए।’ अगस्त 2021 में FTC ने फिर से केस दायर किया और सबूत दिया कि 2018 में मेटा का सोशल नेटवर्किंग मार्केट में 60% से ज्यादा हिस्सा था। मेटा ने जानबूझकर स्नैपचैट जैसे कॉम्पिटिटर्स को दबाया। इस मुकदमे को कोर्ट ने मंजूर कर आगे बढ़ा दिया। इसका पहला ट्रायल 14 अप्रैल 2025 को वॉशिंगटन डीसी की कोर्ट में हुआ। दूसरा मुकदमा 46 राज्यों ने दायर कियावॉशिंगटन डीसी, गुआम, अलास्का और कैलिफोर्निया जैसे 46 राज्यों की ओर से न्यूयॉर्क की अटॉर्नी जनरल लेटिटिया जेम्स ने केस लड़ा। FTC की तरह, इन राज्यों ने भी कहा कि मेटा ने इंस्टाग्राम और वॉट्सएप की खरीद के जरिए अवैध एकाधिकार बनाया। जून 2021 में जज बोसबर्ग ने इस मुकदमे को भी खारिज कर दिया। जज ने कहा कि राज्यों ने मुकदमा दायर करने में देर कर दी, जबकि इंस्टाग्राम और वॉट्सएप की खरीद को 8-10 साल गुजर चुके थे और कानूनी समय सीमा खत्म हो गई थी। राज्य यह साबित नहीं कर पाए कि मेटा की पॉलिसी से उनके नागरिकों को सीधा नुकसान हुआ या नहीं। सवाल-2: FTC ने मेटा पर क्या आरोप लगाए और मांग क्या है?जवाब: FTC ने मेटा पर 4 बड़े आरोप लगाए हैं… 1. मेटा की Buy-or-Bury स्ट्रैटजी: मेटा ने अपनी कॉम्पिटिटर कंपनियों को खरीद लिया या उन्हें बाजार से बाहर कर दिया। मेटा को लगा कि इंस्टाग्राम फेसबुक के लिए खतरा बन सकता था, इसलिए इंस्टाग्राम को खरीदकर अपने प्लेटफॉर्म में शामिल कर लिया। FTC ने कहा कि मेटा के पास सोशल नेटवर्किंग मार्केट का बड़ा हिस्सा था। मेटा ने नई कंपनियों के लिए मुकाबला करना मुश्किल कर दिया। 2. कॉम्पिटिटर्स को बढ़ने से रोका: मेटा ने छोटी कंपनियों को बढ़ने से रोका। इससे यूजर्स को नए सोशल मीडिया एप्स के ऑप्शन नहीं मिले। मेटा ने स्नैपचैट जैसे कॉम्पिटिटर्स को कमजोर करने की कोशिश की और अन्य एप्स के फीचर्स कॉपी कर इंस्टाग्राम पर लॉन्च किए। 3. डेटा स्ट्रैटजी से मार्केट पर कंट्रोल: मेटा ने अपनी मर्जी से डेटा स्ट्रैटजी अपनाई और पर्सनल सोशल नेटवर्किंग पर कब्जा किया। इन एप्स पर यूजर्स अपने परिवार और दोस्तों के साथ कनेक्ट होते थे। 2018 में मेटा का सोशल नेटवर्किंग मार्केट पर 60% से ज्यादा कब्जा था। 4. एड-मार्केट में मोनोपॉली बनाई: मेटा ने एड-मार्केट यानी विज्ञापन बाजार पर कब्जा किया। साथ ही अपनी मर्जी से विज्ञापनों के रेट तय किए, जिससे विज्ञापन देने वाली कंपनियों को ज्यादा कीमत चुकानी पड़ी। यह शर्मन एंटीट्रस्ट एक्ट और क्लेटन एक्ट के सेक्शन 7 का उल्लंघन है। ये नियम ऐसी खरीद को रोकता है, जिससे कॉम्पिटिशन कम हो। इसके अलावा FTC ने मेटा के इंटरनल ई-मेल और डॉक्यूमेंट्स पेश किए। इनमें मार्क जुकरबर्ग के 2012 के वो ई-मेल भी शामिल थे, जिसमें इंस्टाग्राम को खरीदने की जरूरत बताई थी, ताकि यह फेसबुक के लिए खतरा न बने। मुकदमे में FTC की 3 बड़ी मांगें... सवाल-3: मार्क जुकरबर्ग ने मुकदमे पर सफाई में क्या कहा?जवाब: वॉशिंगटन डीसी की कोर्ट में मार्क जुकरबर्ग ने 14 अप्रैल को 7 घंटे जवाब दिए और अगले दिन भी ये जारी रहा। अपने पहले ट्रायल में जुकरबर्ग ने मेटा का बचाव करते हुए 5 बड़ी बातें कहीं… सवाल-4: सोशल मीडिया पर एकाधिकार करना अवैध क्यों है?जवाब: सोशल मीडिया पर एकाधिकार यानी मोनोपॉली करना अवैध है क्योंकि यह कॉम्पिटिशन को सीमित करता है। यूजर्स को नुकसान पहुंचाता है और नए एप्स को बढ़ने से रोकता है। एकाधिकार की वजह से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर यूजर्स के डेटा पर पूरा कंट्रोल कर सकते हैं, जिससे डेटा के लीक होने का खतरा रहता है। उदाहरण से समझें- किसी शहर में किराने की एक बड़ी दुकान है, जो सारी चीजें बेचती है। अगर वह दुकान छोटी दुकानों को खरीद ले या उन्हें बंद करवा दे, तो ग्राहकों के पास कोई दूसरा ऑप्शन नहीं बचेगा। वे उसी बड़ी दुकान से मनमाने दामों पर सामान खरीदने को मजबूर होंगे। FTC का कहना है कि मेटा ने सोशल मीडिया और मैसेजिंग बाजार में ऐसा ही किया। सवाल-5: मेटा और जुकरबर्ग से जुड़े इस मामले में डोनाल्ड ट्रम्प का क्या रोल है?जवाब: ट्रम्प और मेटा के बीच विवाद कुछ नया नहीं है। 2020 में ट्रम्प के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव हारने के बाद उनके समर्थकों ने कैपिटॉल बिल्डिंग पर हमला कर दिया था। डोनाल्ड ट्रम्प ने सोशल मीडिया पर इससे जुड़े कई पोस्ट किए। फेसबुक ने ट्रम्प के पोस्ट को कंपनी के नियमों का उल्लंघन बताते हुए उन्हें फेसबुक और इंस्टाग्राम से बैन कर दिया था। ये बैन 2023 में हटाया गया। ट्रम्प के पहले टर्म के दौरान ही FTC ने मेटा पर केस कर दिया था। हालांकि जब ट्रम्प अपने दूसरे टर्म के लिए वापस आए तो उनके और जुकरबर्ग के रिश्ते बेहतर होते दिखे। इससे ये अंदाजा लगाया जा रहा था कि ट्रम्प FTC को यह केस वापस लेने को कहेंगे, लेकिन अभी तक उन्होंने ऐसा नहीं किया है। ट्रम्प और जुकरबर्ग के रिश्ते के बारे में सिलसिलेवार पढ़िए… सवाल-6: क्या मार्क जुकरबर्ग मेटा का बंटवारा कर इंस्टाग्राम और वॉट्सएप बेच देंगे?जवाब: FTC और मेटा के केस का शुरुआती ट्रायल 37 दिनों तक जारी रह सकता है। अगर फैसला आता है तो पेनल्टी अगले साल तक तय होगी। फिर अगर कोई पक्ष फैसले के खिलाफ अपील करता है तो उसके निपटारे में भी और एक साल लगेगा। ऐसे में अभी मार्क जुकरबर्ग मेटा का बंटवारा कर इंस्टाग्राम और वॉट्सएप बेचने के बारे में नहीं सोचेंगे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मेटा कोर्ट में ये दावा कर सकती है कि मेटा के इंस्टाग्राम खरीदने के बाद से यूजर्स का अनुभव बेहतर हुआ है। कंपनी का दावा है कि उन्होंने इंस्टाग्राम और वॉट्सएप को बेहतर करने और फेसबुक के साथ ग्रो करने के लिए खरीदा था। इसके अलावा जुकरबर्ग लगातार ट्रम्प से रिश्ते बेहतर करने की कोशिश कर रहे हैं। अगर ट्रम्प की इस मामले में एंट्री हो जाती है तो मेटा के लिए हालात बेहतर हो सकते हैं। ऐसे में जुकरबर्ग अभी ही इंस्टाग्राम और वॉट्सएप को बेचने के बारे में नहीं सोचेंगे। हालांकि अगर मेटा ये केस हार जाती है तो ये नौबत आ सकती है। ******* रिसर्च सहयोग- श्रेया नाकाड़े ------------ मार्क जुकरबर्ग से जुड़ी अन्य खबर पढ़ें मार्क जुकरबर्ग को बेचना पड़ सकता है इंस्टाग्राम-वॉट्सएप: कॉम्पिटिशन खत्म करने के इरादे से प्लेटफॉर्म्स खरीदने का आरोप, अमेरिका में एंटीट्रस्ट केस की सुनवाई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स- फेसबुक, वॉट्सएप और इंस्टाग्राम की पेरेंट कंपनी मेटा को अपने दो प्लेटफॉर्म वॉट्सएप और इंस्टाग्राम को बेचना पड़ सकता है। वजह है कंपनी के खिलाफ अमेरिका के वाशिंगटन में एंटीट्रस्ट मामले की सुनवाई। पूरी खबर पढ़ें...

दैनिक भास्कर 16 Apr 2025 4:30 am

देश में पुलिस, जेल, न्यायपालिका और कानूनी मदद का हाल:बड़े राज्यों के टॉप-5 में कोई बीजेपी शासित राज्य नहीं, पश्चिम बंगाल सबसे पीछे

देश में पुलिसिंग के मामले में तेलंगाना पहले नंबर पर और पश्चिम बंगाल आखिरी पायदान पर है। ज्यूडिशियरी के मामले में केरल टॉप पर और पश्चिम बंगाल आखिरी नंबर पर है। बजट, वैकेंसी, इंफ्रास्ट्रक्चर, SC,ST,OBC और महिलाओं की नियुक्ति जैसे 32 पैमानों पर पुलिस और 25 पैमानों पर ज्यूडिशियरी को आंका गया है। मंगलवार, 15 अप्रैल को सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट ने ‘इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2025’ जारी की। इस रिपोर्ट में देश में पुलिस, जेल, ज्यूडिशियरी और कानूनी मदद का हाल बताया गया है। इन सब के ओवर ऑल मामले में टॉप-5 राज्यों में एक भी बीजेपी शासित राज्य नहीं है। 18 बड़े राज्यों में यूपी 17वें नंबर पर है। इंडिया जस्टिस रिपोर्ट के हवाले से जानिए देश में पुलिस और ज्यूडिशियरी का हाल… एमपी और इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक जज पर 15 हजार केस का बोझ पुलिसिंग में 90% महिलाएं कॉन्स्टेबल, बिहार में एक पुलिसकर्मी के जिम्मे 1522 लोग -------- हाईकोर्ट से जुड़ी ये खबर पढ़ें बच्ची का प्राइवेट पार्ट पकड़ना, सलवार का नाड़ा तोड़ना बलात्कार की कोशिश नहीं है; इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले का क्या असर होगा किसी लड़की के निजी अंग पकड़ लेना, उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ देना और जबरन उसे पुलिया के नीचे खींचने की कोशिश से रेप या 'अटेम्प्ट टु रेप' का मामला नहीं बनता। सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ये फैसला सुनाते हुए दो आरोपियों पर लगी धाराएं बदल दीं। पूरी खबर पढ़ें...

दैनिक भास्कर 16 Apr 2025 4:29 am

‘इंजन में वॉशरूम नहीं, बोतल में यूरिन करते हैं लोको-पायलट’:महिला स्टाफ बोलीं- 8-8 घंटे टॉयलेट नहीं जाते, पीरियड्स में क्या करें

इस स्टोरी की शुरुआत दो लोको पायलट यानी ट्रेन ड्राइवरों के बयान से, एक मेल और दूसरी फीमेल, दोनों की परेशानियां अलग-अलग हैं, लेकिन वजह एक। परेशानी और वजह उन्हीं से जान लीजिए… ‘हम जो ट्रेन चलाते हैं, उनमें हमारे लिए टॉयलेट नहीं होते। कई बार ट्रेन लगातार 3-4 घंटे चलती हैं। इस दौरान टॉयलेट जाना हो, तो बहुत परेशानी हो जाती है। अगला स्टेशन आने तक हम यूरिन रोके रहते हैं। बहुत से मेल लोको पॉयलट पॉलिथीन और बोतल में यूरिन कर लेते हैं और बाहर फेंक देते हैं, लेकिन फीमेल एम्पलाई क्या करेंगी।’-संतोष सिंह, लखनऊ डिवीजन ‘टॉयलेट का प्रेशर तो हम रोक भी लें, लेकिन पीरियड्स में बहुत दिक्कत हो जाती है। वॉशरूम हो तो कम से कम चेंज तो कर सकते हैं। बिना चेंज किए लगातार 8-10 घंटे रहना मुश्किल है। इमरजेंसी में इंजन के अंदर जाकर सैनिटरी नेपकिन चेंज करते हैं।’ - अंजलि, सीनियर असिस्टेंट लोको पायलट, रांची डिवीजन इंडियन रेलवे के लोको पायलट लंबे अरसे से ड्यूटी के दौरान टॉयलेट और खाना खाने के लिए ब्रेक मांग रहे हैं। झारखंड की राजधानी रांची में तो वे 4 अप्रैल से हड़ताल पर हैं। लोको पायलट की मांगों पर रेलवे ने 26 जुलाई, 2024 को एक कमेटी बनाई थी। कमेटी को एक महीने में रिपोर्ट देनी थी, लेकिन अब 9 महीने बाद उसकी सिफारिशें सामने आई हैं। कमेटी ने लोको पायलट की मांगें खारिज कर दी हैं। कहा कि सेफ्टी और टाइमिंग की वजह से ब्रेक देना मुमकिन नहीं है। एक मामला इंजन में कैमरे लगाने का भी था। लोको पायलट प्राइवेसी का हवाला देकर इसका विरोध कर रहे थे। कमेटी ने इसे प्राइवेसी का उल्लंघन नहीं माना है। रेलवे बोर्ड ने 4 अप्रैल को सभी जोनल मैनेजर को कमेटी की सिफारिशें लागू करवाने के लिए लेटर लिखा है। लेटर सामने आते ही लोको पायलट नाराज हो गए। दैनिक भास्कर ने इस मसले पर अलग-अलग डिवीजन के लोको पायलट से बात कर उनकी परेशानी समझी। साथ ही एक्सपर्ट्स से भी पूछा कि वे कमेटी के फैसले को कैसे देखते हैं। संतोष सिंहलोको पायलट, लखनऊ डिवीजन, उत्तर प्रदेशसंतोष सिंह को रेलवे में नौकरी करते हुए करीब 30 साल हो चुके हैं। वे काम के घंटे और ब्रेक को लेकर नाराज हैं। उन्हें सबसे ज्यादा परेशानी टॉयलेट ब्रेक न मिलने से है। वे कहते हैं, ‘जहां ट्रेन 5 या 10 मिनट के लिए खड़ी होती है, वहीं कोशिश करते हैं कि जल्दी से कुछ खा लें और टॉयलेट कर लें। मैं लगातार लंबी दूरी वाली ट्रेनें चलाता हूं। यूरिन रोकने से किडनी पर बुरा असर होता है। सरकार को हमारे ड्यूटी आवर्स कम करने चाहिए।’ बीके तिवारीलोको पायलट, बिलासपुर डिवीजन, छत्तीसगढ़बीके तिवारी पहले मालगाड़ी चलाते थे, अब पैसेंजर ट्रेन में लोको पायलट हैं। ड्यूटी के बारे में कहते हैं, ‘11-12 घंटे की ड्यूटी तो आराम से हो जाती है। लोकोमोटिव में सीटें ऐसी हैं, जिन पर लगातार बैठने से नसें खिंच जाती हैं।’ वे बताते हैं, ‘आम लोगों के लिए नियम तय हैं कि 8 घंटे काम, 8 घंटे आराम और 8 घंटे परिवार के लिए। हमें सिर्फ 30 घंटे का वीकली रेस्ट मिलता है। हमारे लिए बोला जाता है कि ये सेफ्टी कैटेगरी में हैं, इन्हें रेस्ट की ज्यादा जरूरत है। 30 घंटे का पीरियॉडिक रेस्ट भी हर जगह चार के बदले ढाई-तीन दिन ही मिल रहा है। लोको पायलट की कमी है, इसलिए काम का बोझ हमारे ऊपर है। हम ठीक से सो भी नहीं पा रहे हैं।’ झुन्नू कुमारमुजफ्फरपुर, ईस्ट-सेंट्रल रेलवे, बिहारझुन्नू कुमार 15 साल से लोको पायलट हैं। अभी बिहार के मुजफ्फरपुर में क्रू कंट्रोलर का काम करते हैं। वे कहते हैं, ‘लोको पायलट्स को 9 से 11 घंटे तक काम करना पड़ रहा है। इसके बाद वे 8 घंटे आराम करते हैं। फिर उन्हें 9-10 घंटे के लिए काम पर लगा दिया जाता है। ये सेफ्टी के लिहाज से ठीक नहीं है।’ झुन्नू कुमार आगे कहते हैं, ‘लोको पायलट 15 से 17 घंटे भी काम कर रहे हैं। मान लीजिए कि दिल्ली से कोई ट्रेन लेकर 8-9 घंटे में जम्मू पहुंचा। जम्मू आउट स्टेशन है, इसलिए उसे 8 घंटे ही रेस्ट मिलेगा। फिर 8 घंटे के बाद वो ट्रेन वापस लेकर आएगा। यानी फिर 8-9 घंटे ट्रेन चलाएगा। इस तरह वो 24 घंटे में दो बार ड्यूटी कर रहा है।’ कैलाश चंदलोको पायलट, बिलासपुर, छत्तीसगढ़कैलाश चंद को ड्यूटी करते हुए 29 साल हो चुके हैं। वे कहते हैं कि समय से ब्रेक नहीं मिलता इसलिए लोको पायलट बीमार रहने लगे हैं। कई लोग ये जॉब छोड़ना चाहते हैं। यूरिन कंट्रोल करके कोई अगर ट्रेन चलाता रहेगा, तो उसका गलत असर पड़ेगा। थकान से परेशान होकर ट्रेन खड़ी की, एक साल सैलरी नहीं बढ़ीसियालदह डिवीजन में मालगाड़ी चलाने वाले एक लोको पायलट ने हमसे बात की। पहचान न बताते हुए वे कहते हैं, ‘मैं महीने में कई बार 12 घंटे से ज्यादा ड्यूटी करता हूं। इतनी लंबी ड्यूटी करने के बाद सिर्फ 8 घंटे का रेस्ट मिलता है। हमारे डिवीजन में स्टाफ की कमी है। इसलिए ऐसा हो रहा है। हेडक्वार्टर रेस्ट 16 घंटे है, लेकिन समय पूरा होने से 2 घंटे पहले ही कॉल आ जाता है। कभी-कभी ऐसा होता है कि आप घर में जाकर सोए और कॉल आ गई।’ ‘मुझसे लगातार चार नाइट ड्यूटी करवाई जाती है। रेलवे के सारे स्टाफ को 48 घंटे का वीकली रेस्ट मिलता है, लेकिन लोको पायलट्स को सिर्फ 30 घंटे मिलते हैं। इसके लिए भी झगड़ा करना पड़ता है। मेरा अपना अनुभव है। कई बार आप झल्ला जाते हैं। एक बार मैंने थकान से परेशान होकर रात में ढाई बजे ट्रेन रोक दी थी। मुझे चार्जशीट कर दिया गया। एक साल तक मेरी सैलरी नहीं बढ़ी।‘ अंजलिसीनियर असिस्टेंट लोको पायलट, रांचीअंजलि 12 साल से ट्रेन चला रही हैं। वे रांची में चल रही लोको पायलट्स की हड़ताल में शामिल होती हैं। अंजलि बताती हैं, ‘ड्यूटी के दौरान टॉयलेट जाना हो, तो कोई सुविधा नहीं है। अगर ट्रेन रोक दें तो मैनेजमेंट कहता है कि आप समय का नुकसान कर रहे हैं।’ अंजलि आगे कहती हैं, ‘प्रेग्नेंसी के दौरान भी महिला लोको पायलट्स की ड्यूटी लगाई जा रही है। रांची डिवीजन में दो लोको पायलट ने प्रेग्नेंसी के वक्त ऑफिस ड्यूटी मांगी थी, लेकिन उन्हें नहीं मिली। महिलाएं प्रेग्नेंसी के 4-5 महीने तक रनिंग स्टाफ के तौर पर ड्यूटी कर रही हैं।’ अंजलि अक्टूबर, 2024 में लोको पायलट्स के साथ रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से मिली थीं। अंजलि बताती हैं, ‘मैंने उनसे कहा कि हमें इंजन के नीचे टॉयलेट करना पड़ता है क्योंकि बहुत देर तक ट्रेन रोककर दूर नहीं जा सकते। हमारे ऊपर बहुत प्रेशर है। टाइम काउंट होता है कि गाड़ी कितनी देर तक रुकी रही। महिलाएं प्रेग्नेंसी में चार-पांच महीने तक ड्यूटी कर रही हैं। इस पर उन्होंने कहा था कि बहन आप भरोसा कीजिए, सभी समस्याओं को दूर करने की कोशिश करेंगे।’ रीना सिंहलोको पायलट, कोटा डिवीजन, राजस्थानरीना 20 साल से लोको पायलट हैं। वे कहती हैं, ‘रेलवे ने महिला रनिंग स्टाफ की भर्ती कर ली है, लेकिन उन्हें जरूरी सुविधाएं नहीं दी जा रहीं। 8 घंटे तक हम वॉशरूम नहीं जा पाते। लोकोमोटिव में वॉशरूम नहीं है, इसलिए कम पानी पीते हैं।’ ‘हमारे ड्यूटी आवर्स तय नहीं हैं। सोचकर जाते हैं कि 5 घंटे की ड्यूटी है, फिर पता चलता है कि दो दिन बाद वापस जा पाएंगे।’ आशिमामुरादाबाद डिवीजन, उत्तर प्रदेशआशिमा ने 2021 में नौकरी जॉइन की थी। दो साल पहले वे लोको केबिन से उतरते हुए गिर गईं। इंजरी की वजह से काम नहीं कर रही हैं। आशिमा कहती हैं, ‘एक बार पीरियड्स के दौरान मैं सैनिटरी नैपकिन नहीं बदल पाई थी। इन वजहों से हम मानसिक तौर पर बहुत परेशान रहते हैं। बेबस महसूस करते हैं। पहले महिलाएं इंजन में पीछे जाकर सैनिटरी पैड चेंज कर लेती थीं। अब वहां भी कैमरे लगा दिए गए हैं।’ ‘वॉशरूम जाने के लिए स्टेशन मास्टर को बताना पड़ता है’मुंबई डिवीजन में काम करने वाली एक महिला लोको पायलट 9 साल से रेलवे में हैं। मालगाड़ी चलाती हैं। अपनी पहचान उजागर नहीं करना चाहतीं। वे बताती हैं, ‘अगर टॉयलेट नहीं करेंगे, तो काम पर असर होगा। पूरे वक्त दिमाग में चलता रहेगा कि वॉशरूम जाना है। आप हमें इंसान नहीं समझ रहे हैं। हम रोबोट नहीं हैं।’ ‘मालगाड़ी का कुछ फिक्स नहीं होता कि कब कहां रुकेगी। कभी लूप लाइन में खड़ी करते हैं, तो वहां से स्टेशन करीब 1 किलोमीटर होता है। हमें पहले स्टेशन मास्टर को बताना होता है कि वॉशरूम यूज करना है।’ काम के घंटों पर वे कहती हैं- आमतौर पर 12 घंटे की ड्यूटी हो ही जाती है। महीने में सिर्फ 10 दिन ही 8-9 घंटे की ड्यूटी होती है। 4 दिसंबर, 2024 को रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में बताया था कि रेलवे में 2037 महिला लोको पायलट काम कर रही हैं। ये नंबर 31 मार्च 2024 तक के थे। रेलवे में कुल महिला कर्मचारियों की संख्या 99,809 है। हमने जितनी भी महिला लोको पायलट्स से बात की, सभी ने कहा कि बुनियादी सुविधाएं न होने से काम करना मुश्किल हो रहा है। हमने रेलवे का पक्ष जानने के लिए अधिकारियों से बात की, लेकिन उन्होंने जवाब देने से इनकार कर दिया। ‘या तो लोको पायलट को ब्रेक दें या वर्किंग आवर कम करें’फरवरी, 2025 में मालदा डिवीजन में एक असिस्टेंट लोको पायलट महारानी कुमारी की ट्रेन से टकराकर मौत हो गई थी। बताया जाता है कि वे टॉयलेट के लिए इंजन से नीचे उतरी थीं। लौटने के लिए ट्रैक पार कर रही थीं, तभी नवद्वीप धाम एक्सप्रेस से टकरा गईं। इसके बाद लोको पायलट्स एसोसिएशन ने कई दिन तक प्रदर्शन किया था। देशभर में रेलवे ड्राइवर्स का संगठन 'ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन' रेलवे के हालिया फैसले से नाराज है। 9 अप्रैल को लोको पायलट्स ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना दिया था। एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी एसपी सिंह कहते हैं, ‘रेलवे का फैसला एकतरफा है। किसी का सुझाव नहीं माना गया। लोको पायलट्स 12-13 घंटे काम करते हैं। आप अगर खाने और टॉयलेट के लिए ब्रेक नहीं देंगे, तो हम नौकरी नहीं कर पाएंगे। बीमार पड़ जाएंगे। सरकार को फिर से सोचना चाहिए। पद खाली होने से लोको पायलट के ड्यूटी आवर्स ज्यादा हो रहे हैं। उन्हें आराम नहीं मिल पा रहा है।’ संगठन के जॉइंट सेक्रेटरी जनरल आरके राणा कहते हैं कि लोको पायलट्स ने 10 मिनट ब्रेक की मांग की थी। अगर ऐसा नहीं होता है तो हमारा वर्किंग आवर्स कम कर दें। अभी लोको पायलट्स या असिस्टेंट लोको पायलट्स के 40% पद खाली हैं। इसलिए 60 लोगों को 100 लोगों के बराबर काम करना पड़ रहा है।’ एक्सपर्ट बोले- खाने के ब्रेक के हिसाब से ट्रेन शेड्यूल नहीं कर सकतेरेलवे में 38 साल नौकरी करने वाले सुधांशु मणि चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री के जनरल मैनेजर रह चुके हैं। उन्हें 'वंदे भारत' ट्रेन का क्रिएटर माना जाता है। सुधांशु मणि कहते हैं, ‘रेलवे ड्राइवर्स का कम्फर्ट देखा जाना जरूरी है। टॉयलेट ब्रेक या मील ब्रेक देना ठीक बात तो नहीं है।’ ‘ट्रेन चलने के दौरान या स्टेशन पर रुकने के दौरान ड्राइवर खाना खा सकते हैं। ट्रेन ऐसे शेड्यूल नहीं की जा सकती कि उन्हें खाने के लिए ब्रेक दिया जाए। ये भी है कि सारे लोकोमोटिव में टॉयलेट बनाने का टाइम आ गया है। शुरुआत हुई है, लेकिन ठीक से नहीं हो पाई है।’ क्या रेल हादसों और लोको पायलट्स के ज्यादा वक्त तक काम करने के बीच कोई संबंध है? सुधांशु जवाब देते हैं कि कोई कनेक्शन तो नजर नहीं आता है। हाल में जो हादसे हुए हैं, उसमें ऐसा कुछ निकलकर नहीं आया है। 10 साल में 51,856 लोको पायलट भर्तीजनवरी 2024 में आई वैकेंसी से पहले रेलवे में कई साल तक असिस्टेंट लोको पायलट की भर्ती नहीं की गई। आखिरी बार 2018 में भर्ती हुई थी। 2019 से 2023 के बीच कोई भर्ती नहीं निकली। 6 साल बाद 5,697 पदों के लिए भर्ती का नोटिफिकेशन जारी किया गया, लेकिन तैयारी करने वाले अभ्यर्थी नाराज हो गए। कई शहरों में प्रदर्शन हुए। छात्रों का कहना था कि लोको पायलट्स के 20 हजार से ज्यादा पद खाली हैं। 6 साल बाद भी इतने कम पदों पर भर्ती निकाली गई। इसके बाद जून में वैकेंसी बढ़ाकर 18,799 कर दी गईं। ऐसा कंचनजंघा एक्सप्रेस हादसे के ठीक एक दिन बाद किया गया, जिसमें 10 लोगों की मौत हो गई थी। मार्च में ही रेल मंत्रालय ने लोकसभा में बताया कि 2014 से 2024 के बीच असिस्टेंट लोको पायलट या लोको पायलट के पद पर 51,856 उम्मीदवारों की भर्ती की गई है। इस दौरान, 15,300 लोको पायलट रिटायर भी हुए। पिछले महीने रेलवे भर्ती बोर्ड ने असिस्टेंट लोको पायलट के 9,970 पदों के लिए फिर से वैकेंसी निकाली है। सिर्फ 10% इंजन में ही टॉयलेटरेलवे को कवर करने वाले सीनियर जर्नलिस्ट राजेंद्र आकलेकर कहते हैं, ‘पिछले 10 साल में हुए हादसों का एनालिसिस करेंगे तो पता चलता है कि ट्रेन के बाहर, जैसे सिग्नल देने वाले या दूसरे लोगों की मानवीय भूल के कारण हादसे हुए हैं। ऐसे कुछ केस हो सकते हैं कि लोको पायलट्स की थकान की वजह से हादसा हुआ हो, लेकिन ज्यादातर केस ऐसे नहीं हैं। राजेंद्र भारतीय रेल के इतिहास और रेल से जुड़े विषयों पर कई किताबें लिख चुके हैं। रेलवे के हालिया फैसले पर वे कहते हैं, ‘अनुशासन के हिसाब से तो ये सही है क्योंकि ट्रेन समय पर और स्पीड से चलनी है। फिर भी रेलवे को इंतजार करना चाहिए था। पहले सारे रेल इंजन में टॉयलेट बनाने चाहिए थे। उसके बाद ये सवाल ही नहीं आता। अभी तो सिर्फ 10% इंजन में ही टॉयलेट लगे हैं।’ कांग्रेस ने कहा- रेलवे का फैसला गलत, लोको पायलट बीमार हो रहेलोको पायलट को टॉयलेट के लिए ब्रेक न देने के रेलवे के फैसले को कांग्रेस ने असंवेदनशील बताया है। पार्टी का कहना है कि इससे लोको पायलट्स को इंफेक्शन और किडनी से जुड़ी बीमारियां हो सकती हैं। कांग्रेस इस मुद्दे को पहले भी उठाती रही है। 5 जुलाई, 2024 को पार्टी के नेता राहुल गांधी नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर देशभर से आए 50 लोको पायलट्स से मिले थे। उनकी समस्याएं पूछी थीं।लोको पायलट्स ने राहुल से ड्यूटी में कम आराम दिए जाने की शिकायत की थी। इस पर राहुल ने कहा कि वे रेलवे के निजीकरण और भर्ती की कमी का मुद्दा उठाते रहे हैं और आगे भी उठाते रहेंगे। हालांकि, BJP ने दावा किया था कि राहुल जिनसे मिले, वे असली लोको पायलट नहीं थे। BJP नेता अमित मालवीय ने कहा कि पूरी संभावना है कि वे पेशेवर एक्टर्स थे, जिन्हें उनकी (राहुल) टीम ने बुलाया था। .................................... ये ग्राउंड रिपोर्ट भी पढ़िए... 2020 में फिल्म सिटी का ऐलान, अभी सिर्फ बोर्ड लगा, किस हाल में है CM योगी का ड्रीम प्रोजेक्ट दिल्ली से करीब 55 किमी और जेवर में बन रहे नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट से महज 15 मिनट की दूरी पर यमुना एक्सप्रेसवे के किनारे खाली जमीन पड़ी है। यहां बोर्ड लगा है, जिस पर लिखा है प्रस्तावित स्थल-फिल्म सिटी।इस बोर्ड से पता चलता है कि यूपी के CM योगी आदित्यनाथ का ड्रीम प्रोजेक्ट यहीं बनना है। फिल्मसिटी में शूटिंग के लिए ताजमहल, वाराणसी के घाट के साथ देश के ऐतिहासिक किले और महल भी होंगे। पढ़िए पूरी खबर...

दैनिक भास्कर 16 Apr 2025 4:00 am

प्रतापगढ़ फोर्ट-उग्रसेन की बावली पर खत्म होगा वक्फ का दावा:न दान में मिलीं, न कागजात; ये 256 प्रॉपर्टीज वक्फ से छिनेंगी

दिल्ली में उग्रसेन की बावली हो या पुराना किला, महाराष्ट्र में प्रतापगढ़ गोंदिया फोर्ट हो या बुलढाना की फतेहखेड़ा मस्जिद, अब इन पर वक्फ बोर्ड का दावा खत्म हो जाएगा। यही नहीं, देश में ऐसे 256 राष्ट्रीय स्मारक हैं, जिनका वक्फ के हाथ से निकलना तय माना जा रहा है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यानी ASI के एक सीनियर अफसर ने ये बात कन्फर्म भी की है। ये सभी ASI संरक्षित राष्ट्रीय स्मारक हैं, जिन पर वक्फ बोर्ड ने भी दावा कर रखा है। ये वक्फ बोर्ड को दान में नहीं मिली हैं। इन पर वक्फ के दावे का एक ही आधार है। इसे पहले कभी मुस्लिम धर्म के लोग इस्तेमाल करते थे। इसलिए वक्फ बाई यूजर नियम के तहत बोर्ड ने इसे अपनी प्रॉपर्टी बता दिया। अब जब वक्फ (संशोधन) बिल 8 अप्रैल को नया कानून बन चुका है। तब नए कानून के तहत वक्फ बोर्ड को अगले 6 महीने में अपनी सभी प्रॉपर्टीज की डिटेल और डॉक्यूमेंट्स सेंट्रल ऑनलाइन पोर्टल पर अपलोड करना होगा। अगर वक्फ बाई यूजर वाली प्रॉपर्टी के डॉक्यूमेंट्स नहीं होंगे, तो उन पर बोर्ड का दावा खुद-ब-खुद खत्म हो जाएगा। वो ASI के पास चली जाएंगी। पोर्टल पर डिटेल अपलोड करने के लिए 6 महीने के बाद फिर 6 महीने का एक्सटेंशन दिया गया है। यानी ज्यादा से ज्यादा एक साल में वक्फ बोर्ड के दावे खत्म हो जाएंगे। दैनिक भास्कर ने ASI के ऑफिशियल सोर्सेज से इन स्मारकों पर वक्फ के दावों से जुड़ी डिटेल निकाली। हमने ग्राउंड पर जाकर इन दावों की पड़ताल की। साथ ही ASI अधिकारियों से लेकर वक्फ मामलों के जानकारों से बात की। सबसे पहले ‘वक्फ बाई यूजर‘ का मतलब, इस पर नए कानून का असर समझिएहमने वक्फ बाई यूजर और ऐसी स्मारकों पर वक्फ बोर्ड के दावे को लेकर सेंट्रल वक्फ काउंसिल के पूर्व सेक्रेटरी डॉ. एम.आर. हक उर्फ डॉ. कैसर शमीम से बात की। हमने उनसे पूछा कि आखिर ये वक्फ बाई यूजर का मतलब क्या होता है। नए कानून से इस पर क्या फर्क पड़ेगा। डॉ. कैसर कहते हैं, ‘वक्फ बाई यूजर का मतलब है, कोई ऐसी जगह जहां सदियों पहले से नमाज की जा रही हो। या काफी सालों से मुसलमान उस जगह का इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन उस प्रॉपर्टी के डॉक्यूमेंट्स नहीं हैं। इसलिए उस जगह को वक्फ बाई यूजर बताया जाता है।‘ अब नए बिल में ये कह दिया गया है कि सभी प्रॉपर्टी के कागजात पोर्टल पर अपलोड करना जरूरी है। ऐसे में सदियों पुरानी मस्जिदें और जगहें सरकारी प्रॉपर्टी हो जाएंगी। देश की 256 राष्ट्रीय स्मारकों पर वक्फ और ASI दोनों की ओनरशिपकिस तरह की स्मारकों पर वक्फ बोर्ड का दावा है। साथ ही वो ASI के भी संरक्षण में है। ये जानने के लिए हमने JPC रिपोर्ट और ASI की रिपोर्ट की पड़ताल की। जेपीसी की रिपोर्ट के ANNEXURE-G में ये लिस्ट है। इसमें वक्फ बोर्ड की घोषित प्रॉपर्टी का नाम ASI के रिकॉर्ड के आधार पर दिया गया है। ASI ने अपनी रिपोर्ट में भी डुअल ओनरशिप का जिक्र किया है। इसमें कुल 256 राष्ट्रीय स्मारकों की लिस्ट मिली। - दिल्ली में उग्रसेन की बावली लिस्ट में 22वें नंबर है। पुराना किला 30वें नंबर पर है। इसमें लिखा है कि पुराना किला इंद्रप्रस्थ के पेड़ों से घिरी सड़कें, गार्डन, किला कोहना मस्जिद और कई एंट्रेंस भी ASI के रिकॉर्ड में है। इन्हें वक्फ बोर्ड भी अपनी प्रॉपर्टी बताता है। - 212वें नंबर पर महाराष्ट्र के गोंदिया प्रतापगढ़ फोर्ट का जिक्र है। हमने ASI से महाराष्ट्र के नागपुर सर्कल में वक्फ की प्रॉपर्टी की जानकारी मांगी थी। उसमें बताया गया कि इस सर्कल में राष्ट्रीय स्तर पर संरक्षित कुल 94 स्मारकें हैं। इनमें से 5 को वक्फ अपनी प्रॉपर्टी बताता है। इनमें गोंदिया का प्रतापगढ़ फोर्ट, बुलढाना की फतेहखेड़ा मस्जिद, रोहिनखेड़ मस्जिद, वर्धा का पौनार किला और अकोला का बालापुर फोर्ट शामिल हैं। सबसे पहले बात दिल्ली की स्मारकों की…उग्रसेन की बावली में मौजूद मस्जिद पर वक्फ का दावा, अब यहां नमाज नहीं होतीहमने ASI से जानकारी मांगी थी कि आखिर वक्फ बोर्ड ने उग्रसेन की बावली को लेकर अपने रिकॉर्ड में क्या लिखा है। हमें बताया गया कि वक्फ बोर्ड ने इसे मस्जिद हेली रोड नाम से लिखा है। 16 अप्रैल 1970 को वक्फ बोर्ड ने इसे अपनी प्रॉपर्टी घोषित किया। जब हम इस मस्जिद पर पहुंचे तो यहा हमें मस्जिद और बावली दोनों एक साथ ही मिले। दोनों बिल्कुल सटे हुए है। मस्जिद की हालत बहुत जर्जर हो चुकी है। यहां लगे ASI के बोर्ड में उग्रसेन की बावली का इतिहास लिखा है। उस पर मस्जिद का भी जिक्र है। बोर्ड पर लिखा है कि बावली का निर्माण अग्रवाल समुदाय के पूर्वज राजा उग्रसेन ने कराया था। इसके पश्चिम में 3 एंट्री गेट वाली एक मस्जिद है। इसे 4 खंभों पर बनाया गया है। इसकी छत व्हेल मछली की पीठ की तरह है और दीवारों पर चैत्य आकृति की नक्काशी है। मस्जिद का एक खंभा जर्जर होकर टूट चुका है। हमने यहां मौजूद गार्ड से पूछा कि क्या इस मस्जिद में नमाज होती है। इसके जवाब में गार्ड ने बताया कि वो पिछले कई साल से यहां ड्यूटी कर रहे हैं, लेकिन कभी यहां नमाज होते नहीं देखी। आसपास के लोगों और दुकानदारों ने भी बताया कि उन्होंने यहां कभी नमाज होते नहीं देखी। पुराना किला में मस्जिद कोहना भी वक्फ बोर्ड की प्रॉपर्टीइसके बाद हम पुराना किला पहुंचे। यहां ASI की रिपोर्ट से हमें पता चला कि पुराना किला में कोहना मस्जिद है। इसके आधार पर 16 अप्रैल 1970 को वक्फ ने इसे अपनी प्रॉपर्टी घोषित कर रखा है। हालांकि इसमें कितना एरिया वक्फ बोर्ड के हिस्से में है। रिकॉर्ड में इसकी कोई जानकारी दर्ज नहीं है। हमने दिल्ली वक्फ बोर्ड के अधिकारियों से इस बारे में जानकारी मांगी। उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि 1970 में वक्फ की प्रॉपर्टी घोषित होने के बाद कई बार सर्वे हुआ। मीटिंग के जरिए भी एरिया को लेकर बात हुई, लेकिन किसी भी संबंधित सरकारी विभाग ने इसमें गंभीरता नहीं दिखाई। इसलिए ये कहा जाता है कि पुराना किला वक्फ बोर्ड की प्रॉपर्टी है। जबकि ऐसा नहीं है। हमने पूछा कि क्या वक्फ बोर्ड के पास इसके कोई डॉक्यूमेंट्स हैं। जवाब में हमें बताया गया कि ये वक्फ बाई यूजर नियम के तहत वक्फ प्रॉपर्टी है। पुराना किला में मस्जिद से 50 मीटर दूर श्री कुंती देवी मंदिर जर्जर हालत मेंहमें पड़ताल के दौरान मस्जिद से महज 50 मीटर दूर पुराना किला परिसर में श्री कुंती देवी मंदिर दिखा। वहां मंदिर की देखरेख करने वाली एक बुजुर्ग मुन्नी देवी मिली। मंदिर के बारे में पूछने पर वे बताती हैं, ‘द्वापर युग में माता कुंती सामने वाली बावली में स्नान कर यहां शिव और दुर्गा की पूजा करती थीं। इसलिए इस मंदिर का नाम श्री कुंती देवी माता मंदिर है।‘ ‘हमारा परिवार कुंती देवी मंदिर में ही रहता है। कई पीढ़ियों से हमारा परिवार इस मंदिर की सेवा करता आ रहा है। हमारे दादा ससुर भी यहीं रहे हैं। उनके पूर्वजों ने भी इस मंदिर की सेवा की है।‘ मंदिर का रेनोवेशन न होने को लेकर हमने पुराना किला में मौजूद ASI के एक सीनियर अधिकारी से बात की। वे बताते हैं, ‘अभी मंदिर को लेकर केस कोर्ट में पेंडिंग है। मंदिर परिसर में रहने वाला परिवार ही उस पर मालिकाना हक की मांग कर रहा है। इसलिए फैसला आने के बाद ही मंदिर की मरम्मत का काम शुरू हो सकेगा।‘ अब बात महाराष्ट्र के स्मारकों की…प्रतापगढ़ किले से लेकर पौनार किले भी वक्फ बोर्ड के रिकॉर्ड मेंमहाराष्ट्र वक्फ बोर्ड ने ASI को अपनी प्रॉपर्टी की जो डिटेल भेजी है, उसमें गोंदिया किले का भी नाम है। गोंदिया के प्रतापगढ़ किले को ASI ने 1922 में संरक्षित किया था। इसे हिंदू राजा ने बनवाया था। महाराष्ट्र वक्फ बोर्ड ने 2004 में जब इसे अपनी प्रॉपर्टी के तौर पर दर्ज किया तो इसे ख्वाजा उस्मान गनी हसन दरगाह सोसाइटी प्रतापगढ़ बताया। असल में ये दरगाह और प्रतापगढ़ किला दोनों आसपास हैं। इसलिए कागजात में प्रतापगढ़ का किला भी वक्फ बोर्ड के रिकॉर्ड में आ गया। इसी तरह महाराष्ट्र के वर्धा का पौनार किला भी वक्फ बोर्ड के रिकॉर्ड में है। ASI की रिपोर्ट में इसे 31 मार्च 1932 को संरक्षित स्मारकों में शामिल किया गया था। 5वीं शताब्दी में ये किला हिंदू राजा प्रवर सेना ने बनवाया था। ASI से मिले डॉक्यूमेंट से पता चलता है कि 2004 में वक्फ ने इसे अपनी प्रॉपर्टी घोषित कर दिया। श्री सैयद वाहिद अली के नाम से इसे महाराष्ट्र स्टेट गजट नोटिफिकेशन के पेज नंबर-3747 पर घोषित किया गया है। डुअल ओनरशिप में भी सिर्फ स्ट्रक्चरल मेंटेनेंस ASI की जिम्मेदारीASI कैसे काम करता है। अगर किसी राष्ट्रीय स्मारक पर ASI के साथ वक्फ बोर्ड या किसी और संस्थान की डुअल ओनरशिप हो, तो किस तरह की परेशानियां आती है। इसे समझने के लिए हमने ASI की जॉइंट डायरेक्टर जनरल (स्मारक एंड पब्लिकेशन) डॉ. नंदिनी भट्टाचार्य साहू से बात की। सवाल: देश में कितनी ASI संरक्षित स्मारक हैं। वक्फ बोर्ड और ASI की डुअल ओनरशिप में कितने स्मारकों की पहचान हो पाई है।जवाब: 1861 में ASI संस्थान बना। पहला एक्ट ‘The Ancient Monuments Preservation Act’ (AMPA) 1904 में बना। इसके तहत बहुत से स्मारकों को संरक्षण मिला था। फिर देश की आजादी के बाद 1951 में संरक्षित स्मारकों की नई लिस्ट बनाई गई। अभी पूरे देश में राष्ट्रीय स्तर पर ASI संरक्षित स्मारक करीब 3696 हैं। अभी हाल में जेपीसी रिपोर्ट बनाई गई थी। उसमें वक्फ बोर्ड और ASI की डुअल ओनरशिप वाले स्मारक 250 से ज्यादा (करीब 256) हैं। इनके अलावा भी देश में कई जगह मंदिरों और दूसरे धर्म के प्रतिष्ठानों में भी डुअल ओनरशिप हैं। सवाल: डुअल ओनरशिप होने पर ASI को काम में किस तरह की दिक्कतें आती हैं?जवाब: हां, डुअल ओनरशिप से निश्चित तौर पर थोड़ी दिक्कतें तो आती हैं। इसमें फील्ड में काम करने वालों को ज्यादा दिक्कतें उठानी पड़ती हैं। हालांकि कई बार धर्म से जुड़ी डुअल ओनरशिप में साथ मिलकर करने से काम आसान भी हो जाता है। हालांकि कोई अड़चन आने पर कई बार हम लोग आपस में मीटिंग कर लेते हैं। सवाल: वक्फ संशोधन बिल पर बने नए कानून का डुअल ओनरशिप पर क्या असर पड़ेगा।जवाब: अभी उस पर कोई कमेंट नहीं कर सकती। इस पर संबंधित विभाग के मंत्री, सीनियर अफसर गजट का आकलन कर रहे हैं। उनसे जैसे निर्देश मिलेंगे, आगे उसी के हिसाब से काम करेंगे। वकील बोले- वक्फ प्रॉपर्टी पर अब कोई भी करेगा क्लेम, कोर्ट में बढ़ेंगे पेंडिंग केसनए कानून से क्या-क्या बदलने वाला है। पुराने वक्फ कानून से क्या नया होने वाला है। इसे समझने के लिए हमने वक्फ बोर्ड से जुड़े रहे एडवोकेट रईस अहमद से बात की। नए एक्ट के आने से सबसे बड़ा बदलाव क्या होगा। इतना विरोध क्यों हो रहा है। इसके जवाब में रईस कहते हैं, ‘नए एक्ट में एक बड़ा बदलाव हो रहा है, जिसके तहत अब कोई भी वक्फ की प्रॉपर्टी को अपना बताकर री-क्लेम कर सकेगा। मान लीजिए जैसे- किसी के परिवार में दादा या परदादा ने कोई जमीन वक्फ के नाम पर दान कर दी थी, लेकिन अब उसकी नई पीढ़ी के लोग चाहते हैं कि वो प्रॉपर्टी उन्हें मिल जाए। ऐसे में वो कोर्ट में जा सकेंगे।‘ ‘फैसला आने में ज्यादा दिक्कत होगी क्योंकि ट्रिब्यूनल में वक्फ के जानकार होते थे। सिविल कोर्ट में इसे समझने में भी दिक्कत होने वाली है।‘ कई मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया कि पहले वक्फ ट्रिब्यूनल के फैसले को किसी कोर्ट में चैलेंज नहीं कर सकते हैं। क्या अब इसमें भी बदलाव किया गया है। इसके जवाब में रईस बताते हैं, ‘वक्फ बोर्ड के मामलों की सुनवाई के लिए ट्रिब्यूनल होता है। आजकल मीडिया में ये गलतफहमी फैलाई जा रही है कि ट्रिब्यूनल के फैसले को कभी चैलेंज नहीं किया जा सकता है। ये गलत है। हाईकोर्ट में पहले से ही चैलेंज किया जाता रहा है।‘ ‘वक्फ सेक्शन-83 और सब सेक्शन-9 है। उसमें कोई भी ट्रिब्यूनल के फैसले के खिलाफ जा सकता है। हाईकोर्ट को ये शक्ति है कि वो ट्रिब्यूनल के फैसले को बदल सकता है। उस पर रोक भी लगा सकता है। नए संशोधन बिल में ये जरूर हुआ है कि अब वक्फ बोर्ड के मामलों को लेकर कोई भी सिविल डिस्ट्रिक्ट में जा सकता है।‘ इसे समझने के लिए हम दिल्ली वक्फ बोर्ड के दफ्तर पहुंचे। यहां से हमें वक्फ बोर्ड से जुड़े कोर्ट में पेंडिंग केसेज की डिटेल मिली। वक्फ एक्ट-1995 में सर्वे की बात, लेकिन 29 साल में कोई सर्वे नहीं हुआवक्फ एक्ट में संशोधन की जरूरत क्यों पड़ी। इस पर सेंट्रल वक्फ काउंसिल के पूर्व सेक्रेटरी डॉ. एम.आर. हक उर्फ कैसर शमीम थोड़ी नाराजगी जताते हुए कहते हैं, ‘मुझे नहीं लगता है कि पुराने कानून में बदलाव के पीछे कोई खामी नहीं थी। बल्कि पिछले वक्फ एक्ट-1995 को सही तरीके से लागू ना किया जाना ही बदलाव की मुख्य वजह है।‘ ‘वक्फ एक्ट-1995 में कहा गया था कि सभी राज्य वक्फ कमिश्नर बहाल करें। वो सर्वे करें कि उनके यहां कितनी प्रॉपर्टी हैं। उनकी हालत कैसी है, लेकिन एक भी राज्य ने सर्वे नहीं कराया। ऐसे में सवाल ये है कि जब आपने सर्वे ही नहीं कराया तो फिर सवाल क्यों किया जा रहा है। ये कमी किसकी है। इसके डेटा में ही गड़बड़ी है।‘ वक्फ प्रॉपर्टी पर शिकायत करते ही कमिश्नर की जांच पूरी होने तक रोक, ये बड़ी खामीवक्फ बोर्ड की प्रॉपर्टी पर नए कानून का सबसे ज्यादा असर किस तरह से पड़ेगा। क्या बदलाव होने वाला है। इस पर डॉ. कैसर शमीम कहते हैं, ‘नए कानून के मुताबिक, अब कलेक्टर से सीनियर अधिकारी यानी कमिश्नर वक्फ मामलों का सर्वे करेंगे। नए कानून में अब कोई भी व्यक्ति वक्फ बोर्ड की प्रॉपर्टी को लेकर उसके खिलाफ दावा कर सकेगा। अगर वो दावा करता है कि ये वक्फ की संपत्ति नहीं है तो उसे संज्ञान में लेकर कमिश्नर जांच करेंगे।‘ जब तक जांच चलेगी तब तक उस प्रॉपर्टी पर वक्फ का अधिकार नहीं रहेगा। यानी वक्फ बोर्ड उस प्रॉपर्टी पर कुछ नहीं कर सकता है। ये जांच कब तक पूरी होगी, इसकी कोई तय समय सीमा नहीं है। ‘यानी फैसला लेने में सालों साल लग सकते हैं। ऐसे में अगर किसी वक्फ प्रॉपर्टी में कोई किराएदार रह रहा हो और वो उस संबंध में कमिश्नर के पास जाकर दावा कर दे कि ये वक्फ की प्रॉपर्टी नहीं है, तो फैसला होने तक उसे वक्फ को किराया भी नहीं देना होगा। फिर जरा सोचिए वक्फ बोर्ड को खर्च चलाने के लिए राजस्व कैसे आएगा।‘ ............................. वक्फ पर नए कानून से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... क्या ममता के गढ़ मुर्शिदाबाद में वक्फ कानून के खिलाफ बांग्लादेशियों ने भड़काई हिंसा केंद्र सरकार के नए वक्फ कानून के खिलाफ मुर्शिदाबाद में 7 अप्रैल से छोटे-छोटे प्रदर्शन चल रहे थे, लेकिन 11 अप्रैल को हालात बिगड़ गए। विरोध कर रही भीड़ ने ट्रेनें रोक दीं, पुलिस पर पथराव किया और नेशनल हाईवे बंद कर दिया। हिंसा की शुरुआत सूती कस्बे से हुई, लेकिन जल्द ही इसका असर शमशेरगंज और रघुनाथगंज तक पहुंच गया। पढ़िए पूरी खबर...

दैनिक भास्कर 16 Apr 2025 4:00 am

डोनाल्ड ट्रंप की 'सुन्नी' फोर्स से सहमें आतंकवादी, गाजा के बाद अब किस पर अमेरिकी कहर टूटने वाला है?

US Yemen army meeting:डोनाल्ड ट्रंप ने पहले हूती आतंकियों पर हवाई हमलों का ऑर्डर दिया था. अब बड़ी फौज खड़ी कर हूतियों को जमीन से खदेड़कर नेस्तोनाबूद करने की तैयारी की जा रही है.

ज़ी न्यूज़ 16 Apr 2025 12:54 am

हिंदू मां के बच्चे का जबरन करा दिया धर्म परिवर्तन, इस इस्लामिक देश कोर्ट ने 8 साल बाद सुनाया ये फैसला

Religious conversion in Kuala Lumpur: मलेशिया की अदालत ने अहम फैसला सुनाया है. कोर्ट ने राज्य सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें दो बच्चों के इस्लाम में धर्मांतरण को वेलिड बनाने की मांग की गई थी.

ज़ी न्यूज़ 15 Apr 2025 11:32 pm

Viral: तुम बच्चे के पिता नहीं... कोर्ट में लगा झटका, इस शॉकिंग लव स्टोरी में तगड़ा 'झोल'

Love story:प्यार में धोखा खाए आशिक की हालत तो वैसे भी बिन पानी की मछली जैसी होती है, लेकिन इस मामले में जब भरी अदालत में सच्चाई का खुलासा हुआ तो दिल पर सवार प्यार का भूत उतर गया.

ज़ी न्यूज़ 15 Apr 2025 10:41 pm

WATCH: कैसे-कैसे लोग हैं! नशे में धुत पैसेंजर को सीट बेल्ट से बांधा फिर भी वो बीच उड़ान... हैरान कर रहा VIDEO

Viral: ट्रेन या हवाई जहाज हर जगह कुछ ऐसे नमूने मिल जाते हैं, जिनकी करतूतों से लोगों को बिना वजह परेशान होना पड़ता है. ताजा मामले में एक नशेड़ी ने फ्लाइट में ऐसा बमचक काटा कि पैसेंजर्स के सुकून भरे सफर का मजा किरकिरा कर दिया. इस घटनाक्रम का वीडियो वायरल हो रहा है.

ज़ी न्यूज़ 15 Apr 2025 8:48 pm

Jesus Christ: क्या दुनिया का ये अजूबा है यीशु मसीह का ‘आखिरी ठिकाना'? वैज्ञानिक की खोज से दुनिया में हलचल

Great Pyramid of Egypt:ब्रिटेन के एक मानवविज्ञानी (Anthropologist) डॉक्टर वार्नर ने जीसस क्राइस्ट को लेकर चौंकाने वाला दावा किया है. उनका दावा है कि मिस्र के ग्रेट पिरामिड के नीचे एक गुप्त गुफा में जीसस क्राइस्ट का शरीर और यहूदियों का पवित्र संदूक 'आर्क ऑफ द कोवेनेंट' छिपा हुआ है.

ज़ी न्यूज़ 15 Apr 2025 8:21 pm

अरे ये क्या! अमेरिका की चाल को चीनियों ने रौंद डाला, चलाई ऐसी ट्रिक; पूरी दुनिया में मची हलचल

US China trade war Viral Video: चीन ने अमेरिका के ट्रेड वॉर के बीच एक नया पैंतरा चला है, जिससे इंटरनेट पर हलचल मच गई है।.चीनी कंपनियां अब लग्ज़री ब्रांड्स जैसे Louis Vuitton, Birkin और Chanel के प्रोडक्ट्स बिना ब्रांड लोगो के बेच रही हैं, जिसकी कीमतें भी आधी हैं. इन प्रोडक्ट्स को लोग सीधे चीन से सस्ते में खरीद रहे हैं, जिससे अमेरिका की टेंशन बढ़ गई है.

ज़ी न्यूज़ 15 Apr 2025 4:44 pm

Neela Rajendra: कौन हैं नीला राजेंद्र जिनको नासा ने ट्रंप के आदेश के बाद किया बर्खास्‍त?

NASA: भारतीय मूल की नीला राजेंद्र जो नासा में विविधता, समानता और समावेश (डीईआई) के कामों की प्रमुख थीं, को उनके पद से हटा दिया गया है.

ज़ी न्यूज़ 15 Apr 2025 4:23 pm

बांग्लादेश की ब्यूटी क्वीन को यूनुस ने क्यों भेज दिया जेल? अफेयर और ब्रेकअप का सऊदी कनेक्शन

Who Is Meghna Alam: बांग्लादेश की मॉडल मेघना आलम को ढाका में गिरफ्तार कर लिया गया है. पुलिस के अनुसार, मेघना ने राजदूत को अपने प्रेमजाल में फंसाया और ब्लैकमेल किया. आइए जानते हैं पूरी खबर और जानते हैं आखिर कौन हैं बांग्लादेश की मॉडल मेघना, क्या है इनकी पूरी कहानी.

ज़ी न्यूज़ 15 Apr 2025 4:13 pm

गलती से एल साल्वाडोर की भयानक जेला में भेजा शख्स, अब वापस लाने के लिए ट्रंप प्रशासन कर रहा आना-कानी

America News: अमेरिका में ट्रंप प्रशासन ने गलती से एक शख्स को एल साल्वाडोर की भयानक जेल में भेज दिया गया था. प्रशासन शख्स को वापस लाने में मुकर रहा है.

ज़ी न्यूज़ 15 Apr 2025 1:40 pm

टच स्क्रीन नहीं.. बटन वाले फोन करें यूज, EU ने अमेरिका में अफसरों को ऐसा आदेश क्यों दिया?

EU के अधिकारी जो अगले हफ्ते अमेरिका में होने वाली IMF और वर्ल्ड बैंक की मीटिंग्स में हिस्सा लेने जा रहे हैं, उन पर यह सुरक्षा नियम लागू किए गए हैं. अधिकारियों से कहा गया है कि अमेरिका की सीमा पर अपने मोबाइल फोन बंद कर दें.

ज़ी न्यूज़ 15 Apr 2025 7:30 am

स्पॉटलाइट-IPL मैच रोक कर पांड्या के बैट की चेकिंग:आखिर कैसे हुआ शक, क्रिकेट में बैट को लेकर क्या हैं नियम

आईपीएल 2025 में एक नया ट्रेंड देखने को मिल रहा है- बैट चेकिंग का ट्रेंड। 13 अप्रैल को दो अलग-अलग मैचों में अंपायर्स ने मुंबई इंडियंस के हार्दिक पांड्या, रॉयल चैंलेंजर्स बंग्लुरु के फिल सॉल्ट और राजस्थान रॉयल्स के शिमरॉन हेटमेयर के बैट चेक किये। लेकिन अंपायर्स को शक क्यों हुआ, अगर बैट से छेड़छाड़ होती है तो इसके लिए जिम्मेदार कौन है और कैसी सजा मिलती है? क्रिकेट में बैट को लेकर क्या नियम है, पूरी जानकारी के लिए ऊपर दी गई इमेज पर क्लिक कर वीडियो देखें।

दैनिक भास्कर 15 Apr 2025 5:00 am

आज का एक्सप्लेनर:'जय श्री राम' का नारा लगवाकर घिरे तमिलनाडु के राज्यपाल, इस्तीफे की मांग; जानिए संविधान क्या कहता है

तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि को सुप्रीम कोर्ट से फटकार लगे अभी हफ्ता भी नहीं बीता और एक नया विवाद खड़ा हो गया। 12 अप्रैल को मदुरै के एक कॉलेज में उन्होंने छात्रों से ‘जय श्री राम’ के नारे लगवा दिए। विपक्षी पार्टियों का कहना है कि किसी संवैधानिक पद पर बैठा व्यक्ति ऐसे धार्मिक नारे नहीं लगवा सकता, उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए। क्या होता है संवैधानिक पद, क्या राज्यपाल ‘जय श्री राम’ का नारा नहीं लगवा सकते और कौन हैं विवादों में घिरे आरएन रवि; जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में… सवाल-1: ‘जय श्री राम’ नारे पर मचा पूरा विवाद क्या है?जवाब: तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि 12 अप्रैल 2025 को मदुरै के त्यागराज इंजीनियरिंग कॉलेज के एक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे। उन्होंने साहित्य प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कार बांटे और वहां मौजूद लोगों को संबोधित किया। राज्यपाल ने कम्ब रामायण लिखने वाले कवि चक्रवर्ती कम्बन के सम्मान में स्टूडेंट्स से आग्रह किया, आइए हम उस व्यक्ति को श्रद्धांजलि अर्पित करें जो श्री राम का महान भक्त था। मैं कहूंगा और आप दोहराएंगे- जय श्री राम। इसके बाद राज्यपाल आरएन रवि और स्टूडेंट्स ने तीन बार 'जय श्री राम' का नारा लगाया। तमिलनाडु गवर्नर का यह वीडियो सामने आने के बाद विवाद शुरू हो गया। सवाल-2: राज्यपाल के ‘जय श्री राम’ नारा लगवाने पर विवाद क्यों मच रहा है?जवाब: इस वीडियो पर तमिलनाडु के स्टेट प्लेटफॉर्म फॉर कॉमन स्कूल सिस्टम यानी SPCSS-TN ने कहा कि राज्यपाल आरएन रवि ने अपने पद की शपथ का उल्लंघन किया है। SPCSS-TN के बयान की 3 प्रमुख बातें… राज्यपाल के इस वीडियो पर वेलाचेरी से कांग्रेस विधायक जेएमएच हसन मौलाना ने कहा, आरएन रवि संवैधानिक पद पर हैं। उन्हें ऐसे काम शोभा नहीं देते। रवि किसी धार्मिक नेता की तरह बोल रहे हैं। वे आरएसएस और भाजपा के प्रचार मास्टर बन गए हैं। वहीं, DMK प्रवक्ता धरणीधरन ने कहा, 'यह देश के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के खिलाफ है। राज्यपाल बार-बार संविधान का उल्लंघन क्यों करना चाहते हैं? उन्होंने अभी तक इस्तीफा क्यों नहीं दिया है? वह आरएसएस के प्रवक्ता हैं। हम जानते हैं कि उन्होंने देश के संघीय सिद्धांतों का उल्लंघन कैसे किया और सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें उनकी जगह कैसे दिखाई है।' सवाल-3: क्या होता है संवैधानिक पद, जिसका जिक्र इस विवाद में सभी लोग कर रहे हैं?जवाबः संवैधानिक पदों को भारतीय संविधान में स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है। यह पद देश के शासन, न्याय और प्रशासन को बेहतर तरीके से चलाने के लिए बनाए गए हैं। इन पदों पर बैठे लोगों कh विशेष शक्तियां और जिम्मेदारियां होती हैं और उन्हें संविधान द्वारा सुरक्षा दी जाती है। मसलन- इन पदों पर बैठे व्यक्ति को सिर्फ संसद के विशेष प्रस्ताव यानी महाभियोग से ही हटाया जा सकता है। संविधान के अनुच्छेद 52, 74, 124, 148 में संवैधानिक पदों का उल्लेख किया गया है। सवाल-4: क्या राज्यपाल जैसे संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति ‘जय श्री राम’ का नारा नहीं लगवा सकते?जवाब: संविधान विशेषज्ञ और लोकसभा के महासचिव रहे पीडीटी आचार्य बताते हैं, ‘भारत एक सेक्युलर देश है और सेक्युलरिज्म भारत के संविधान के बेसिक स्ट्रक्चर में है। राष्ट्रपति, राज्यपाल जैसे संवैधानिक पद पर बैठे लोग संविधान की रक्षा की शपथ लेते हैं, इसलिए उन्हें एक खास धर्म की बातें या नारे सार्वजनिक तौर पर नहीं कहना चाहिए।’ सुप्रीम कोर्ट के वकील और संविधान के जानकार विराग गुप्ता कहते हैं, राज्यपाल को कैसे और क्या बोलना चाहिए, इस बारे में संविधान या किसी कानून में जिक्र नहीं है। संविधान के अनुच्छेद-19 के तहत राज्यपाल को भी अभिव्यक्ति की आजादी है। जय श्रीराम बोलना संविधान विरोधी भी नहीं है, लेकिन राज्यपाल के पद पर आसीन व्यक्ति अगर कुछ बोलता है, तो उससे दूसरे धर्म के लोगों को ये एहसास नहीं होना चाहिए कि ये धर्म के आधार पर पक्षपात कर सकते हैं। इसलिए ऐसे नारों से राज्यपाल के पद की संवैधानिक गरिमा का हनन होता है। संविधान के जानकार और मध्यप्रदेश विधानसभा के पूर्व प्रमुख सचिव भगवानदेव इसरानी कहते हैं… 26 जनवरी 1950 में भारत का संविधान लागू हुआ था, तब इसमें 'सेक्युलर' यानी 'धर्मनिरपेक्ष' का कहीं उल्लेख नहीं किया गया, लेकिन 1976 में 42वें संविधान संशोधन में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 'सेक्युलर' शब्द जुड़वा दिया, जिसका हिंदी में अर्थ 'धर्मनिरपेक्ष' नहीं बल्कि 'पंथनिरपेक्ष' लिखा गया। 'धर्मनिरपेक्ष' का मतलब है कि राज्य किसी भी धर्म को प्राथमिकता नहीं देता और धर्म से अलग रहकर काम करता है। जबकि 'पंथनिरपेक्ष' का मतलब होता है कि सरकार किसी भी पंथ या संप्रदाय के लिए पक्षपात नहीं करती और सभी को समान रूप से देखती है। यानी सरकार किसी खास धार्मिक गुट यानी शैव, वैष्णव, शिया या सुन्नी का पक्ष नहीं लेगी। सवाल-5: इन दिनों संवैधानिक पदों पर बैठे लोग ‘पंथनिरपेक्ष’ व्यवहार क्यों नहीं दिखाते?जवाबः पॉलिटिकल एक्सपर्ट रशीद किदवई कहते हैं, 'किसी संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति की पंथनिरपेक्षता उसका व्यक्तिगत फैसला है। पहले पंडित नेहरू, इंदिरा गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी और अब नरेंद्र मोदी या योगी आदित्यनाथ का धर्म को लेकर अलग-अलग नजरिया है। संविधान में धार्मिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेना या न लेने का जिक्र नहीं है। पहले धार्मिक गतिविधियों को संविधान के खिलाफ समझा जाता था और अब इसे संवैधानिक पद पर रहते हुए किया जाता है।' रशीद किदवई कहते हैं, 'भारत की राजनीति के कई दौर रहे। पहले सेक्युलरिज्म को महत्व दिया जाता था और अब हिंदुत्व को, यानी जिसकी लाठी उसकी भैंस। धर्म के नाम पर राजनीति चरम पर है। इस कारण इसका जमकर फायदा उठाया जा रहा है। संविधान में इसका जिक्र नहीं होना सोने पर सुहागा हो गया है।' सवाल-6: भारत में संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के धार्मिक व्यवहार का विवाद कितना पुराना है?जवाब: पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का मानना था कि संवैधानिक पद पर पदस्थ व्यक्ति को न्यूट्रल रहना चाहिए। उसे किसी धार्मिक गतिविधि, आयोजन या धार्मिक स्थलों पर नहीं जाना चाहिए। इससे अन्य धर्मों के लोगों में गलत संदेश जाता है। इससे ऐसा लगता है कि वह व्यक्ति किसी खास धर्म का प्रचार कर रहा है। इससे जुड़ा एक किस्सा भी है… वरिष्ठ पत्रकार दुर्गा दास की किताब ‘इंडिया फ्रॉम कर्जन टु नेहरू’ के मुताबिक, मई 1950 में तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद को गुजरात के सोमनाथ मंदिर के उद्घाटन पर जाने का निमंत्रण मिला, लेकिन तब के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इस पर ऐतराज जताया। नेहरू का मानना था कि राष्ट्रपति के किसी मंदिर के कार्यक्रम में जाने से दूसरे धर्म के लोगों में गलत संदेश जाएगा। लेकिन प्रसाद नेहरू की इच्छा से सहमत नहीं हुए। प्रसाद ने कहा, मैं अपने धर्म में विश्वास करता हूं और अपने आप को इससे अलग नहीं कर सकता। मैंने सोमनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार के उद्धाटन समारोह को सरदार पटेल और नवांनगर के जामसाहेब की उपस्थिति में देखा है। राजेंद्र प्रसाद के इस जवाब से नेहरू बेहद नाराज हुए थे। नेहरू ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को निर्देश दिए थे कि इस मौके पर राजेंद्र प्रसाद के दिए गए भाषण को सरकारी माध्यमों में कवर न किया जाए। सवाल-7: इन दिनों विवादों में रहने वाले तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि कौन हैं?जवाब: आरएन रवि ने पत्रकारिता से अपने करियर की शुरुआत की। इसके बाद वे IPS ऑफिसर बने और अब तमिलनाडु के राज्यपाल हैं... आरएन रवि पहले भी कई बड़े विवादों में घिर चुके हैं... सवाल-8: क्या हालिया विवादों के बाद राज्यपाल आरएन रवि को इस्तीफा देना पड़ सकता है?जवाब: राज्यपाल के पक्षकारों की तरफ से 2 तर्क दिए जा सकते हैं। पहला- राज्यपाल ने गैर-शासकीय कार्यक्रम में यह नारा लगवाया, जिससे संविधान का कोई उल्लंघन नहीं होता। दूसरा- कार्यक्रम का विषय कम्ब रामायमणम था, जिसमें नारा लगवाते हुए कहा कि राम के महान भक्त को श्रद्धांजलि दी जानी चाहिए। विराग गुप्ता कहते हैं, चार दशक पुरानी सरकारिया आयोग की रिपोर्ट से साफ है कि राज्यपाल केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के बजाय सत्तारुढ़ पार्टी के एजेंट के तौर पर काम करने लगे। विधानसभा से पारित बिलों की मंजूरी में विलम्ब के लिए सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के राज्यपाल की कठोर निंदा की है। उसके बावजूद उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया। इसलिए जय श्री राम के नारे पर विवाद के आधार पर उनसे त्यागपत्र की अपेक्षा नहीं की जा सकती। ------------------ राज्यपाल आरएन रवि से जुड़ी अन्य खबर पढ़ें तमिलनाडु गवर्नर को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका: दावा- राज्यपाल लगातार संविधान का उल्लंघन कर रहे; राष्ट्रगान बजाने का आदेश देना उनका कर्तव्य नहीं तमिलनाडु के राज्यपाल को हटाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई गई है। जिसमें राष्ट्रपति के सचिव और अन्य को आरएन रवि को वापस बुलाने का निर्देश देने की मांग की गई है। याचिका में दावा किया गया है कि रवि ने राज्यपाल के दायित्वों का पालन नहीं किया और लगातार संविधान का उल्लंघन किया है। पूरी खबर पढ़ें...

दैनिक भास्कर 15 Apr 2025 4:10 am

क्या ममता के गढ़ मुर्शिदाबाद में बांग्लादेशियों ने भड़काई हिंसा:वक्फ कानून के खिलाफ उकसाया, हिंसा से पहले मीटिंग, अंसार बांग्ला पर शक

'सरकार ने वक्फ बिल पास किया है, उसी वजह से मुसलमान हम पर जुल्म कर रहे हैं। हमारे घर तोड़ दिए। हमें बाहर निकाला और घरों में आग लगा दी। मेरे गले पर चाकू रख दिया। मैं किसी तरह बचकर निकल आई।’ दंगाई भीड़ से बचकर आईं रिया पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद की रहने वाली हैं। नाव से करीब 140 किमी दूर मालदा के लिए निकली हैं। केंद्र सरकार के नए वक्फ कानून के खिलाफ मुर्शिदाबाद में 7 अप्रैल से छोटे-छोटे प्रदर्शन चल रहे थे, लेकिन 11 अप्रैल को हालात बिगड़ गए। विरोध कर रही भीड़ ने ट्रेनें रोक दीं, पुलिस पर पथराव किया और नेशनल हाईवे बंद कर दिया। हिंसा की शुरुआत सूती कस्बे से हुई, लेकिन जल्द ही इसका असर शमशेरगंज और रघुनाथगंज तक पहुंच गया। अब तक तीन मौतें हो चुकी हैं। करीब 50 लोग घायल हैं। इनमें फरक्का के SDPO समेत 16 पुलिसवाले भी शामिल हैं। सूती, शमशेरगंज और रघुनाथगंज से करीब 170 लोगों को अरेस्ट किया गया है। हिंसा के बाद हिंदुओं के पलायन की खबरें हैं। एक दर्द तैफुल को भी मिला है। हिंसा के दौरान उनके 17 साल के बेटे एजाज अहमद को गोली मार दी गई। वो मामा के घर से लौट रहा था। बंगाल पुलिस और BSF ने हिंसा पर रिपोर्ट तैयार की है। इसमें लिखा है कि इसके पीछे सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया यानी SDPI का हाथ हो सकता है। बांग्लादेश के प्रतिबंधित आतंकी संगठन अंसार बांग्ला पर भी शक है। भीड़ और पुलिस के बीच झड़प, फिर शुरू हुई तोड़फोड़-लूटपाटमुर्शिदाबाद से गुजरने वाले नेशनल हाईवे-12 पर सजुर मोड़ और धुलियान नगरपालिका के जाफराबाद शहर में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हुई थी। आरोप है कि प्रदर्शन कर रहे लोग दुकानों और घरों में तोड़फोड़ और लूटपाट करने लगे। इसके बाद हिंदू और मुस्लिम समुदाय के बीच हिंसा शुरू हो गई। इसे रोकने के लिए पुलिस के साथ BSF की 10 और CRPF की 5 कंपनियां तैनात कर दी गईं। एहतियात के तौर पर मुर्शिदाबाद और पास के जिलों मालदा और बीरभूम में इंटरनेट बंद कर दिया गया। मुर्शिदाबाद में 14 अप्रैल यानी सोमवार को भी वक्फ कानून के विरोध में प्रदर्शन हुए। जंगीपुर के बाद कंडी के कुली चौरा एरिया में प्रदर्शनकारियों की पुलिस के साथ बहस हुई। शमशेरगंज के जाफराबाद गांव में आम के बागान से सेंट्रल फोर्स के जवानों पर ईंट-पत्थर फेंके गए। आरोप है कि जवान गांव में गश्त कर रहे थे, तभी उन पर हमला किया गया। जवान बागान के अंदर गए, तो उन पर चारों ओर से हमला शुरू हो गया। उनके साथ शमशेरगंज की पुलिस भी थी। हालात ऐसे बने कि उन्हें उल्टे पांव भागना पड़ा। इसके बाद मौके पर सेंट्रल फोर्स की कंपनियां भेजी गईं। पुलिस के सीनियर अफसर पहुंचे। तैफुल के 17 साल के बेटे को गोली मारीहिंसा में मरने वालों में 17 साल का एजाज अहमद भी शामिल है। उसके पिता तैफुल बताते हैं, 'एजाज 11 अप्रैल को मामा के घर गया था। नदी पार कर घर लौट रहा था। ई-रिक्शा में बैठा था, तभी सजुर मोड़ पर उसे गोली मार दी गई। नहीं पता कि गोली पुलिस ने चलाई या किसी और ने। एजाज को हॉस्पिटल ले गए, लेकिन अगले दिन सुबह 11 बजे उसकी मौत हो गई।' हिंदू परिवार मुर्शिदाबाद से भागकर मालदा आएहिंसा के बाद कई हिंदू परिवार मुर्शिदाबाद छोड़कर मालदा आ रहे हैं। इन्हीं में शामिल जयंत दास परिवार के साथ घर छोड़कर जाते मिले। वे बताते हैं, 'यहां मुसलमान बहुत परेशान कर रहे हैं। हमारा घर तोड़ दिया। कोई सामान नहीं छोड़ा। नहीं पता हम कैसे रहेंगे। पुलिस पूछताछ करने आती है, लेकिन अभी हम यहां से जा रहे हैं।' शमशेरगंज में भीड़ ने 65 साल के हरगोविंद दास और उनके बेटे 35 साल के चंदन दास की पीट-पीटकर हत्या कर दी। ये घटना 12 अप्रैल की है। चंदन की चचेरी बहन शरबानी दास कहती हैं, 'ये सब चार घंटे चला। बम फटने की आवाजें आ रही थीं। हमारे घर में चार बच्चे, मैं, चंदन और ताऊजी थे। हम लोग घर में छिपे हुए थे। तभी भीड़ आई और ताऊ को बाहर खींचकर ले गई। चंदन उन्हें बचाने गया। दंगाइयों ने दोनों को मार दिया। उनका गला काट दिया।' मुस्लिम बोले- दंगाई घर से सब लूट ले गएइसी एरिया में रहने वाले अख्तर बताते हैं, 'मैं हिंदू आबादी वाले इलाके में रहता हूं। इसके अगल-बगल में सभी मुस्लिम इलाके हैं। भीड़ ने हमला किया तो हम सभी घर से बाहर निकल गए। दंगाई घरों में घुसकर तोड़फोड़ कर रहे थे। उस वक्त करीब 4 बजे थे। एरिया के ज्यादातर लोग काम पर गए थे। मरने वाले चंदन और हरगोबिंद दास रोज कमाने-खाने वाले थे। मुझे लगता है ये सब लूटपाट के लिए किया गया है।' यहीं मिले तारिक बताते हैं, 'मेरी मेडिकल शॉप है। घर में दुकान का सामान रखा था। मैं उस वक्त घर पर नहीं था। घर में घुसकर लोगों ने पूरा सामान लूट लिया। हम विधायक के घर के सामने रहते हैं। थाना 100 मीटर दूर है। हमें अगर सुरक्षा नहीं मिल पाई, तो आम लोगों का क्या हाल हुआ होगा।' हिंसा में बांग्लादेश से आए लोगों के शामिल होने का शकमुर्शिदाबाद के जर्नलिस्ट संजीब साहा दैनिक भास्कर को बताते हैं, 'वक्फ के विरोध में चल रहे प्रदर्शन किसी नाम या संगठन के बैनर तले नहीं हो रहे। इसमें बांग्लादेश के कट्टरपंथी संगठनों का नाम आ रहा है, तो ऐसा बिल्कुल हो सकता है। मुर्शिदाबाद से लेकर नदिया तक भारत-बांग्लादेश बॉर्डर खुला हुआ है। यहां से दोनों देशों में आवाजाही आसान है।’ साहा आगे बताते हैं, 'मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा पर BSF के अफसरों ने IG को रिपोर्ट सौंपी है। हिंसा के पीछे बांग्लादेश के संगठन अंसार उल्लाह बांग्ला टीम या अंसार बांग्ला का हाथ बताया गया है। ये संगठन बांग्लादेश में बैन है। रिपोर्ट में आशंका जताई गई है कि पश्चिम बंगाल के बॉर्डर वाले इलाकों में भी इसी तरह की हिंसा हो सकती है।' पहचान उजागर न करते हुए एक पत्रकार बताते हैं- BSF की रिपोर्ट में जंगीपुर में हुई हिंसा में बांग्लादेशी आतंकियों की भूमिका का जिक्र है। जंगीपुर में भारत-बांग्लादेश बॉर्डर का ज्यादातर हिस्सा नदी वाला है। इससे यहां तारबंदी करना मुमकिन नहीं है। ‘BSF की निगरानी के बावजूद बॉर्डर के कई हिस्सों से बांग्लादेशी आते-जाते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले कुछ दिनों से ये लोग भारत में लोगों को भड़का रहे थे। उन्होंने आमने-सामने और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठकें भी की थीं।’ ‘खास तौर पर जंगीपुर सीमा के उस पार बांग्लादेश का चंपई नवाबगंज जिला आतंकियों और अपराधियों का गढ़ माना जाता है। वहीं से आतंकी भारत में लोगों से कॉन्टैक्ट कर उन्हें हिंसा के लिए उकसा रहे थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि दंगाइयों में कुछ बांग्लादेशी नागरिक भी शामिल हो सकते हैं।' सांसद बोले- दंगा करने वाले दूसरे जिलों से आएमुर्शिदाबाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। 2011 की जनगणना के मुताबिक, मुर्शिदाबाद में 66% मुस्लिम आबादी है। मुर्शिदाबाद में लोकसभा की तीन सीटें हैं, तीनों TMC के पास हैं। विधानसभा में मुर्शिदाबाद से चुने गए 22 में से 20 विधायक TMC के हैं। हिंसा के दौरान TMC के नेता भी उपद्रवियों के निशाने पर रहे। फरक्का से विधायक मनिरुल इस्लाम के भाई के घर 12 अप्रैल को हमला हुआ था। वे कहते हैं, 'हमारे इलाके में कभी ऐसी घटना नहीं हुई। बाहरी लोगों के बिना यह संभव ही नहीं है।' जंगीपुर सांसद खलीलुर रहमान भी यही शक जताते हैं। वे कहते हैं, 'हिंसा करने वाले नदिया और मालदा जिले से पानी और सड़क के रास्ते आए थे।' BSF अलर्ट, पुलिस के साथ CRPF भी गश्त कर रहीBSF के साउथ बंगाल फ्रंटियर के IG करणी सिंह शेखावत ने बताया कि जब तक राज्य पुलिस चाहेगी, BSF हिंसा वाले इलाके में तैनात रहेगी। हम पुलिस की पूरी मदद करेंगे। साथ ही किसी भी तरह की आतंकवादी गतिविधि के खिलाफ अलर्ट रहेंगे’। मुर्शिदाबाद हिंसा पर BSF के साउथ बंगाल फ्रंटियर के DIG PRO नीलोत्पल कुमार पांडे कहते हैं, ‘शमशेरगंज के कुछ इलाकों में हमारे जवानों पर पेट्रोल बम और पत्थरों से हमला किया गया। आज हालात में सुधार हुआ है। हमले में BSF के किसी भी जवान को गंभीर चोट नहीं आई।’ मुर्शिदाबाद में हिंसा का इतिहासमुर्शिदाबाद जिला बांग्लादेश की सीमा से सटा है। जिले में मुस्लिमों की आबादी करीब 70% है। यह पश्चिम बंगाल का सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाला जिला है। मुर्शिदाबाद में पहले भी हिंसा होती रही है। दिसंबर, 2019 में नागरिकता संशोधन कानून यानी CAA के खिलाफ प्रदर्शन हुए थे। तब भी मुर्शिदाबाद में हिंसा भड़क गई थी। 14 दिसंबर 2019 को प्रदर्शनकारियों ने रेलवे स्टेशनों और बसों को निशाना बनाया। लालगोला और कृष्णापुर स्टेशन पर 5 ट्रेनों में आग लगा दी गई और सूती में पटरियां तोड़ दीं 2024 में राम नवमी के दौरान मुर्शिदाबाद के शक्तिपुर इलाके में हिंसा भड़की थी। इस दौरान 20 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। हिंदूवादी संगठनों ने आरोप लगाया कि जुलूस पर छतों से पत्थर फेंके गए। इसके बाद दोनों पक्षों के बीच झड़प हुई। पश्चिम बंगाल में अगले साल चुनावपश्चिम बंगाल में करीब 30% आबादी मुस्लिम है। इनकी सबसे ज्यादा तादाद मुर्शिदाबाद, मालदा और नॉर्थ दिनाजपुर में है। BJP ने 2019 के बाद से राज्य में जगह बनानी शुरू की। 2021 के चुनाव में पार्टी सरकार भले नहीं बना पाई, लेकिन 77 सीटें जीतकर विपक्षी दल की भूमिका में आ गई। उसे 38% वोट मिले थे। इसके बाद से ही BJP राज्य में अपने लिए जमीन तलाश रही है। लोकसभा चुनाव 2024 में TMC को 46% वोट मिले। वहीं BJP को 38.2% वोट मिले थे। अगले साल राज्य में विधानसभा चुनाव है। माना जा रहा है कि वोटों का यह फासला कम हो सकता है। ................................. मुर्शिदाबाद हिंसा से जुड़ी ये खबर भी पढ़िए मुर्शिदाबाद के बाद 24 परगना में हालात बिगड़े, पुलिस की गाड़ियां जलाईं, हाईवे जाम किया वक्फ कानून के खिलाफ पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हिंसा के बाद 24 परगना में प्रदर्शनकारियों और पुलिस की झड़प हो गई। बसंती हाईवे पर बैरमपुर में पुलिस ने इंडियन सेक्युलर फ्रंट (ISF) के कार्यकर्ताओं को लेकर जा रही एक गाड़ी को रोका था। भांगर, मिनाखा, संदेशखाली से ISF कार्यकर्ता ने सुबह 10 बजे हाईवे जाम कर दिया था। उन्होंने पुलिस की गाड़ियों में आग लगा दी। पढ़िए पूरी खबर...

दैनिक भास्कर 15 Apr 2025 4:00 am

अतीक के हत्यारों का क्या होगा, फांसी के चांस 1%:आरोपी जेल में, परिवार खौफ में जी रहा; बोले- अतीक की गैंग धमका रही

14 अप्रैल 2023 रात के 2 बज रहे थे। झांसी की मॉर्च्युरी से प्रयागराज के लिए अलग-अलग एंबुलेंस में 2 लाशें भेजी गईं। पहली डेडबॉडी माफिया अतीक अहमद के बेटे असद और दूसरी उसके शूटर गुलाम अहमद की थी। ये बात धूमनगंज थाने में बंद अतीक और अशरफ को पता थी। दोनों उस रात सो नहीं पाए। लगातार पुलिसवालों से असद की लाश घर पहुंचने और दफनाए जाने की खबर लेते रहे। सुबह हुई...अतीक चाहता था कि वो आखिरी बार बेटे को देख ले, लेकिन इजाजत नहीं मिली। उसे 10 बजे असद के दफनाए जाने का पता चला। 15 अप्रैल को पूरा दिन अतीक और अशरफ से UP-ATS पूछताछ करती रही। फिर रात 10:30 बजे दोनों को रूटीन मेडिकल चेकअप के लिए कॉल्विन अस्पताल लाया गया। अस्पताल के बाहर मीडिया ने उन्हें घेर लिया। पत्रकार बेटे के जनाजे पर सवाल पूछने लगे। इसी बीच मीडियाकर्मी बनकर आए 3 लड़के पुलिस के बीच से आगे बढ़े और अतीक के सिर में एक के बाद एक 2 गोलियां मार दीं। अतीक जमीन पर गिर गया। अशरफ पर भी फायरिंग की गई। दोनों की वहीं मौत हो गई। अतीक की मौत के 2 साल बाद उसकी महल जैसी कोठियों की तरह उसका खौफ भी खत्म हो चुका है। अब इस नाम से कोई नहीं घबराता, सिवाय 3 परिवारों के। ये बांदा के लवलेश तिवारी, हमीरपुर के सनी सिंह और कासगंज के अरुण मौर्य के परिवार हैं। अतीक हत्याकांड में तीनों शूटर्स जेल में हैं। इनके परिवार को धमकियां मिल रही हैं। आरोपी कब बाहर आएंगे, ये कोई नहीं जानता। कानून के जानकर ये जरूर मानते हैं कि इन्हें फांसी होने के चांस सिर्फ 1% हैं। गैंगस्टर अतीक और अशरफ हत्याकांड के 2 साल होने पर दैनिक भास्कर ने आरोपी शूटर्स की फैमिली, वकील और पुलिस से बात की। सबसे पहले मास्टरमाइंड सनी की फैमिली की बात…अनजान नंबरों से फोन आते हैं, कहते हैं- अतीक का भतीजा हूं, मार डालूंगाअतीक पर गोली चलाने के बाद सबसे पहले शूटर सनी सिंह ने सरेंडर किया था। यूपी पुलिस ने उसे मुख्य आरोपी बनाया है। उसे बाकी दोनों शूटर्स से अलग आगरा सेंट्रल जेल में रखा गया है। उसका परिवार हमीरपुर के कुरारा गांव में रहता है। यहां सनी का नाम लेने पर लोग तंज कसते हुए कहते हैं- वही सनी न...जिसने पूरे हमीरपुर का नाम रोशन कर दिया। सनी के बारे में पूछते ही उसके भाई पिंटू झुंझलाकर कहते हैं, ‘वो तो जेल में चैन से बैठा है। सारा खतरा हम पर आ गया है।' मोबाइल दिखाते हुए बताते हैं, 'अनजान नंबरों से फोन आते हैं। उधर से कोई बोलता है कि मैं अतीक-अशरफ का भतीजा हूं। तुम्हें मरवाने के लिए 5 लाख की सुपारी दी है। हमने पुलिस से शिकायत भी की, लेकिन परिवार को अब तक सिक्योरिटी नहीं मिली है। मैं पूरे दिन मजदूरी करता हूं, घर पर पत्नी और 3 छोटे बच्चे हैं। उनकी फिक्र रहती है, कहीं कोई ऊंच-नीच न हो जाए।‘ सनी से मिलने जेल जाते हैं, तो क्या बातें होती हैं? पिंटू जवाब देते हैं, ‘चित्रकूट जेल में था, तब मिलने जाते थे। अब उसे आगरा भेज दिया है। वहीं से जेल के फोन पर बात होती है। सनी फोन पर ज्यादा बात नहीं करता। बस यही कहता है कि संभलकर रहना। ज्यादा बाहर मत जाना।‘ सनी की भाभी रंजना पति और बच्चों के लिए फिक्रमंद हैं। वे कहती हैं- सनी के जेल जाने के बाद घर के बाहर 10-15 पुलिसवाले खड़े रहते थे। पिछले साल चुनाव के बाद से सिक्योरिटी हटा दी गई। घर पर होटल था, वो भी बंद हो गया। खाने तक का राशन नहीं है। इस हालत में बच्चों को लेकर कहां जाएं। सनी के परिवार ने बताया कि हमीरपुर में बजरंग दल के लोगों ने सनी का केस लड़ने में मदद करने का भरोसा दिया है। हमने इस बारे में हमीरपुर में बजरंग दल के जिला संयोजक सचिन शर्मा से बात की। उन्होंने सनी के परिवार से बात या मुलाकात करने से इनकार किया है। मां बोलीं- मरने से पहले सनी को एक बार देखना चाहती हूं सनी की मां कृष्णादेवी कुरारा से 60 किमी दूर हमीरपुर-बांदा बॉर्डर पर सिकहौला गांव में रहती हैं। यहां उनका मायका है। पति और बड़े बेटे की मौत के बाद वे मायके में रहने आ गई थीं। तब सनी महज 10 साल का था। 75 साल की कृष्णादेवी सनी से मिलने चित्रकूट जेल भी गई थीं, लेकिन सनी ने पुलिस से मना कर दिया कि वो मां से नहीं मिलना चाहता। वे मायूस होकर घर लौट आईं। अब चाहती हैं कि मरने से पहले एक बार सनी से मिल लें। बेटे के बारे में पूछने पर कृष्णादेवी भावुक हो जाती हैं। वे बताती हैं, ‘सनी बचपन में शरारती था। उसका लड़ाई-झगड़े में ज्यादा मन लगता था।‘ लवलेश की फैमिली की बात…अतीक की हत्या के 5 दिन पहले तक घर पर था, अचानक गायब हुआ अतीक की हत्या के बाद हाथ ऊपर लहराते हुए 'जय श्री राम' का नारा लगाता लड़का आपको याद है। पुलिस के मुताबिक, अतीक के सिर पर लवलेश तिवारी ने ही गोली चलाई थी। वो सनी के घर से 60 किलोमीटर दूर बांदा में रहता है। उसका परिवार संकट मोचन मंदिर से सटे क्योटरा मोहल्ले में किराए के मकान में रहता है। अतीक की मौत के बाद लवलेश के परिवार को कुछ महीने पुलिस लाइन में रखा गया। 6 महीने के बाद उनकी सिक्योरिटी हटा ली गई। लवलेश का छोटा भाई वेद लखनऊ में फूड डिलिवरी कंपनी में काम करता है। परिवार से बात करने के लिए हमने उससे कॉन्टैक्ट किया, तो पता चला घर पर सिर्फ लवलेश के माता-पिता रहते हैं, वो किसी से बात नहीं करते। वेद को काफी भरोसा दिलाने के बाद वे बातचीत के लिए राजी हुए। वेद के दोस्त के साथ हम लवलेश के घर पहुंचे। वहां हमें उसके पिता यज्ञ कुमार तिवारी और मां आशा देवी मिलीं। यज्ञ कुमार बेटे को याद कर कहते हैं, ‘घटना से 5 दिन पहले लवलेश घर पर ही था। वो मां को जिला अस्पताल में दिखाने ले गया था। फिर शाम को अचानक बिना बताए गायब हो गया।‘ ‘हालांकि वो अक्सर हफ्तेभर के लिए दोस्तों से साथ बाहर चला जाता था, फिर लौट भी आता था। वो काफी धार्मिक था। हनुमान जी का भक्त था। रोज सुबह उठते ही नहाकर संकटमोचन मंदिर में दर्शन करने जाता था।‘ यज्ञ कुमार आगे बताते हैं, ‘उसके जेल जाने के बाद से हम बहुत परेशान हैं। मैं बांदा के एक प्राइवेट स्कूल में बस चलाता था। इस घटना के बाद मुझे नौकरी से निकाल दिया गया। बेटों को पुलिस पूछताछ के लिए बुलाने लगी। इससे उनके एग्जाम छूट गए। लवलेश की नासमझी का खामियाजा पूरा परिवार भुगत रहा है।’ लवलेश 4 भाइयों में तीसरे नंबर पर है। वेद सबसे छोटा है। बड़ा भाई रोहित संन्यासी बन चुका है। मोहित शादी के बाद लखनऊ में पुजारी है, पूजा-पाठ कराता है। ‘जेल में लवलेश से पुलिस बात नहीं कराती’ आशा देवी लवलेश के बचपन की तस्वीर दिखाते हुए कहती हैं, ‘जो लवलेश ने किया मैं नहीं चाहती कि मेरे बाकी बेटे उसी राह पर चलें। वो अपने पैरों पर खड़े हों, इसलिए हमने उन्हें बांदा से बाहर कमाने भेज दिया है। बच्चे जो भी कमा रहे हैं, हमारा घर उन्हीं पैसों से चल रहा है। बस उनकी सुरक्षा को लेकर डर लगा रहता है।‘ लवलेश से मिलने जेल जाती हैं, तो वो क्या बात करता है? आशा कहती हैं, ‘पुलिस बात नहीं कराती, सिर्फ देखा-सुनी होती है। बस हम उसे देख लेते हैं, वो हमें देख लेता है।‘ परिवार को शक है कि हमीरपुर जेल में रहते हुए लवलेश और सनी के बीच दोस्ती हुई थी। लवलेश एक लड़की को थप्पड़ मारने के आरोप में जेल में बंद था। अब अरुण के परिवार की बात…अरुण पर पानीपत में मारपीट और कट्टा रखने के मुकदमेबांदा से 400 किलोमीटर दूर हम कासगंज के कातरवाड़ी गांव पहुंचे। यहीं तीसरे शूटर अरुण मौर्य का घर है। सनी और लवलेश की तरह इस गांव में भी लोग अरुण का नाम लेते ही उसके घर का पता बता देते हैं। गांववालों से ही पता चला कि अरुण के पिता दीपक मौर्य सोरों बाजार में गोलगप्पे का ठेला लगाते हैं। मां केला देवी पानीपत में छोटे बेटे के साथ रहती हैं। 15 साल की बहन सपना ने इस घटना के बाद पढ़ाई छोड़ दी। गांव के एक बुजुर्ग ने ही हमें अरुण के घर तक पहुंचाया। एक कमरे के बिना प्लास्टर वाले मकान के बाहर बाइक और साइकिल खड़ी थी। हमारे आवाज देने पर अंदर से अरुण की बहन सपना का जवाब मिला- पापा घर पर नहीं हैं, बाद में आना। हमने कहा- आप से ही बात करनी है। कुछ देर बाद सपना दरवाजे तक आईं। अरुण के बारे में पूछने पर जवाब देती हैं- 'भइया के बारे में पापा ने कुछ भी बोलने से मना किया है। वही मीडिया से बात करते हैं।' इतना कहकर गेट बंद कर लिया। इसके बाद हम गांव के लोगों से अरुण के बारे में जानने पहुंचे। अतीक की हत्या के बाद गांव के कई लोगों ने अरुण को लेकर मीडिया से बात की। इसके बाद पुलिस उनसे पूछताछ करने लगी। लिहाजा, अब गांव वाले कैमरे के सामने आने से बचते हैं। गांव के रहने वाले पंकज ने हमसे अरुण के बारे में ऑफ कैमरा बात की। वो कहते हैं, अरुण घरवालों से ज्यादा मतलब नहीं रखता था। वो हाईस्कूल तक पानीपत में दादाजी के साथ रहा। 8 साल पहले यहां रहने आया था। पानीपत में उस पर मारपीट और देसी कट्टा रखने के मामले दर्ज थे। ‘हत्याकांड के बाद उसके माता-पिता 2 बार प्रतापगढ़ जेल में उससे मिलने जा चुके हैं। शायद इस बार भी वो बेटे से मिलने चित्रकूट गए हैं।‘ शूटर्स जेल में सेफ, जेलर बोले- मैनुअल के हिसाब से रह रहेअतीक-अशरफ हत्याकांड के शूटर्स जेल में कैसे रह रहे हैं। इस पर चित्रकूट जेल अधीक्षक शशांक पांडेय बताते हैं, ‘लवलेश, सनी और अरुण को नवंबर 2023 में प्रतापगढ़ से चित्रकूट जेल भेजा गया था। इस साल जनवरी में सनी को आगरा सेंट्रल जेल भेज दिया गया। बाकी दोनों जेल मैनुअल के हिसाब से रह रहे हैं। ‘ इनके फैमिली मेंबर्स बीच-बीच में मिलने आते हैं। LIU की मौजूदगी में परिवार को मिलवाया जाता है। कुछ दिन पहले अरुण के पिता उससे मिलने आए थे। अतीक-अशरफ हत्याकांड की जांच कहां तक पहुंची14 जुलाई 2023 को पुलिस ने तीनों शूटर्स के खिलाफ 2056 पेज की चार्जशीट दाखिल की। इसमें 2000 पेज ऐसे हैं, जिसमें पुलिस की केस डायरी, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट, गवाहों के बयान, CCTV फुटेज की डिटेल हैं। पुलिस ने अपनी जांच के बाद खुलासा किया कि इस मामले में न तो कोई बड़ी साजिश थी, न ही कोई सुपारी किलिंग। पुलिस को पूरे हत्याकांड के पीछे ऐसा कोई मास्टरमाइंड भी नहीं मिला। चार्जशीट में दावा किया गया कि लवलेश, सनी और अरुण 13 अप्रैल यानी घटना से 2 दिन पहले ही अतीक को मारना चाहते थे, लेकिन सिविल कोर्ट में वकीलों की भीड़ और भारी पुलिस बंदोबस्त की वजह से प्लान कैंसिल कर दिया था। अतीक की हत्या जघन्य अपराधों में नहीं आती क्या लवलेश-सनी-अरुण जमानत पर रिहा हो सकते हैं? इस सवाल पर हमने बांदा सिविल कोर्ट के सीनियर एडवोकेट मनोज कुमार दीक्षित से बात की। शूटर्स की जमानत पर रिहाई के सवाल पर वे कहते हैं, 'जेल मैनुअल एक्ट के मुताबिक, तीनों शूटर्स को जमानत अर्जी डालने का अधिकार है। वो अगर चाहें तो जेलर के जरिए जमानत की एप्लिकेशन फाइल कर सकते हैं। हालांकि मेरा मानना है कि शूटर्स अपनी सेफ्टी को देखते हुए जेल से बाहर नहीं आना चाहते। न ही इनके परिजनों ने इन्हें बाहर निकालने की अब तक कोई कोशिश की है। सजा के सवाल पर एडवोकेट मनोज कहते हैं, 'कानून में रेयर ऑफ द रेयरेस्ट क्राइम के लिए दोषी को फांसी की सजा देने का प्रावधान है। सिर्फ 1% चांस है, जिसमें तीनों आरोपियों को फांसी मिल सकती है। अगर कोर्ट में ये साबित कर दिया जाए कि तीनों लड़कों ने किसी चौथे व्यक्ति से सुपारी लेकर अतीक-अशरफ की हत्या की हो। फिलहाल, इसकी संभावना बहुत कम है।' सरकारी वकील बोले- केस एविडेंस स्टेज पर, हत्यारों को जल्द सजा होगी हमने केस की सुनवाई के बारे में सरकारी पक्ष के वकील ADGC मृत्युंजय त्रिपाठी से बात की। वे कहते हैं, ‘केस में अब तक सभी अहम खुलासे हो चुके हैं। गवाहों के बयान दर्ज हो चुके हैं। मामले में वादी धूमनगंज थाने के इंस्पेक्टर राजेश मौर्य के बयान हो रहे हैं। इसके बाद डिफेंस (शूटर्स के वकील) अपनी दलीलें पेश करेगा।‘ ‘केस की सुनवाई पहले पूरी हो गई होती, लेकिन महाकुंभ की वजह से समय पर गवाहों और वादी के बयान नहीं हो सके। अब हियरिंग में तेजी आई है। उम्मीद है, जल्द फैसला सुनाया जाएगा।’ आरोपियों के वकील बोले- मैं लवलेश, सनी और अरुण से आज तक नहीं मिला अतीक की मौत के बाद तीनों शूटर्स का केस आखिर कौन लड़ेगा, ये बड़ा सवाल था। उस वक्त जिला जज संतोष राय की कोर्ट में DGC गुलाब चंद्र अग्रहरि सरकार की तरफ से पैरवी कर रहे थे। मामले की सुनवाई आगे बढ़ी तो कोर्ट ने सनी के लिए रत्नेश शुक्ला को वकील नियुक्त किया। वहीं, एडवोकेट गौरव सिंह लवलेश और अरुण का पक्ष रख रहे थे। अभी रत्नेश शुक्ला ही आरोपियों की पैरवी कर रहे हैं। रत्नेश कहते हैं, ‘मैं आरोपी पक्ष का वकील नियुक्त हुआ हूं, लेकिन आज तक मुझे सनी, लवलेश और अरुण से मिलने नहीं दिया गया। मैं उनसे मिलूंगा नहीं, तो उनकी बातें कोर्ट में कैसे रखी जाएंगी। यही सबसे बड़ी वजह है कि मामले की सुनवाई आगे नहीं बढ़ रही है।‘ शूटर्स की पैरवी में आप सबसे मजबूत पॉइंट क्या रख रहे हैं, ‘जिस जगह अतीक की मौत हुई, वहां उस वक्त 100 से ज्यादा लोग मौजूद थे, तो फिर माफिया और उसके भाई को छोड़कर दूसरों को गोली क्यों नहीं लगी। सिर्फ 2 लोग ही क्यों मारे गए। इससे पता चलता है कि तीनों लड़कों को सिर्फ कठपुतली की तरह इस्तेमाल किया गया। असली निशाना लगाने वाला कोई और था।‘ ........................................ये खबर भी पढ़ें... अतीक का परिवार अब किस हाल में माफिया अतीक अहमद की हत्या को 2 साल हो गए। उसके परिवार की तीन महिलाएं अभी भी फरार हैं। इसमें अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन, भाई अशरफ की पत्नी जैनब और बहन नूरी शामिल हैं। दैनिक भास्कर की इस सीरीज में अतीक का परिवार अब किस हाल में है, परिवार की फरार तीन महिलाओं तक पुलिस क्यों नहीं पहुंच पाई? पढ़िए पूरी रिपोर्ट...

दैनिक भास्कर 15 Apr 2025 4:00 am

जिस बंगले में शान से रहता था भगोड़ा चोकसी, वो सरकारी नोटिस से पटा पड़ा, क्या आपको मालूम है इसकी कीमत

Mehul Choksi news:पीएनबी घोटाले (PNB Scam) में भारत का सबसे वांछित भगोड़ा मेहुल चोकसी बेल्जियम में पकड़ा गया. भारतीय जांच एजेंसियों के अफसर उसे प्रत्यर्पण पर लाने के लिए दिन राम काम कर रहे हैं. इस बीच उसका मुंबई स्थित 70 करोड़ रुपये का घर कानूनी पचड़ों में घिरा है.

ज़ी न्यूज़ 14 Apr 2025 11:42 pm

पंजाब मूल की सर्जन की परिवार के 5 सदस्यों के साथ प्लेन क्रैश में मौत, पति था पायलट

US News:राष्ट्रीय परिवहन सुरक्षा बोर्ड (NTSB) ने बताया कि विमान एयरपोर्ट के के दक्षिण में हादसे का शिकार हो गया. NTSB अधिकारी टॉड इनमैन ने कहा, 'विमान मुड़ा हुआ और जमीन में धंसा था'. हादसे से पहले माइकल ग्रॉफ ने कोलंबिया काउंटी एयरपोर्ट के कंट्रोल टॉवर से संपर्क करके विमान में आई खराबी के चलते दोबारा लैंड करने की इजाजत मांगी थी.

ज़ी न्यूज़ 14 Apr 2025 10:58 pm

Quiz: क्या समुद्र से एक बाल्टी पानी निकालने पर उसका वाटर लेवल कम हो जाएगा? 1% लोग जानते होंगे जवाब

Knowledge news: धरती पर मौजूद सभी महासागरों में कुल 137 मिलियन, मिलियन, मिलियन बाल्टी पानी होने का अनुमान है.ऐसे में अगर आप समुद्र में से एक बाल्टी पानी निकाल लें, तो उसके जल स्तर में लगभग 0.0000000000277 मिलीमीटर की कमी आएगी.

ज़ी न्यूज़ 14 Apr 2025 10:29 pm

Japan: 'खाली' होने वाला है भारत का ये पड़ोसी देश! बच्चे ही पैदा नहीं कर रहे लोग; मंडराया खतरा

Japan Population:जापान में आबादी का संकट गहराता जा रहा है. देश की कुल आबादी अक्टूबर 2024 तक घटकर 120.3 मिलियन (12 करोड़ 3 लाख) रह गई है.आधिकारिक आंकड़ों में सामने आया है कि पिछले साल की तुलना में यह 8.98 लाख की भारी गिरावट है.

ज़ी न्यूज़ 14 Apr 2025 8:34 pm

Golkonda Blue Diamond: पहली बार नीलाम होगा ‘द गोलकोंडा ब्लू डायमंड', जिसकी चमक से जुड़ी है भारत की शाही कहानी

Golkonda Blue Diamond Auction:भारत के इतिहास से जुड़ा बेहद खास और दुर्लभ नीला हीरा ‘द गोलकोंडा ब्लू’ अब पहली बार नीलामी के लिए पेश किया जाएगा.

ज़ी न्यूज़ 14 Apr 2025 6:22 pm

कैसे हत्थे चढ़ा PNB घोटाले का किंगपिन भगोड़ा मेहुल चोकसी, जानिए गिरफ्तारी की इनसाइड स्टोरी

Mehul Choksi arrested: पंजाब नेशनल बैंक (PNB) घोटाले का मुख्य आरोपी मेहुल चोकसी ब्ल्ड कैंसर का इलाज कराने के नाम पर बेल्जियम गया था. बेल्जियम पुलिस ने 11 अप्रैल को चोकसी को गिरफ्तार किया था. भारतीय एजेंसियों खासकर सीबीआई (CBI) और ईडी (ED) के आग्रह पर ये गिरफ्तारी हुई है.

ज़ी न्यूज़ 14 Apr 2025 4:12 pm

जबरन धर्मांतरण पर बोलते पाकिस्तान के ईसाई सांसद का पुराना वीडियो भ्रामक दावे से वायरल

बूम ने अपनी जांच में पाया कि वायरल वीडियो में दिख रहे शख्स तारिक मसीह गिल हैं, जो पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की प्रांतीय असेंबली के पूर्व सदस्य हैं और ईसाई धर्म से ताल्लुक रखते हैं.

बूमलाइव 14 Apr 2025 2:58 pm

गाजा को लेकर अब इजरायल में ही बगावती सुर, 200 से ज्यादा सैनिकों ने खोला मोर्चा, गुस्से से लाल हुए नेतन्याहू

Gaza Strip: इजरायल की खुफिया एजेंसी ने इजरायल से गाजा के साथ युद्ध समाप्त करने की अपील की है. इसको लेकर पूर्व अधिकारियों ने सरकार को एक पत्र लिखा है.

ज़ी न्यूज़ 14 Apr 2025 2:29 pm

खुदगर्ज.. सूदखोर.. आग से मत खेलो, यूनुस सरकार पर फिर गरजीं हसीना, दे दी चेतावनी

Bangladesh News: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपने वर्चुअल संबोधन में मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने मोहम्मद यूनुस को चेतावनी दे डाली है.

ज़ी न्यूज़ 14 Apr 2025 2:01 pm

अब अमेरिका को जवाब देने निकले जिनपिंग, ट्रेड वॉर की आग में पड़ोसी देशों पर लगाया दांव

Jinping Asia tour: ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में कुछ इलेक्ट्रॉनिक सामानों पर टैरिफ हटाया है लेकिन चीन का कहना है कि यह नाकाफी है. चीन ने अमेरिका से अपील की है कि वह जवाबी टैरिफ जैसी गलत नीतियों को पूरी तरह खत्म करे.

ज़ी न्यूज़ 14 Apr 2025 12:53 pm

Nikita Casap: हिटलर को मानता है आदर्श, ट्रंप की हत्‍या का था प्‍लान; मां-बाप को मारा

Who is Nikita Casap: अमेरिका में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. जहां पर एक लड़के ने अपने मां-बाप को मार डाला, ट्रंप को भी मारने की साजिश रच रहा था, अब जो खुलासे हुए हैं उसके बाद सभी हैरान हैं. आइए जानते हैं आखिर कौन हैनिकिता कैसाप.

ज़ी न्यूज़ 14 Apr 2025 11:08 am

स्पॉटलाइट- भारतीय कंपनी पर रूस का हमला:यूक्रेन में मौजूद कंपनी को क्यों किया टारगेट, क्या टूटेगा दशकों पूराना रिश्ता

शनिवार को रूस ने यूक्रेन की राजधानी कीव पर एयर अटैक किया जिसमें दवा बनाने वाली एक भारतीय कंपनी कुसुम हेल्थकेयर चपेट में आई। भारत में यूक्रेन एंबेसी ने कहा कि रूस ने जानबूझकर भारतीय कंपनी को निशाना बनाया। तो क्या रूस यूक्रेन में अब भारतीय कंपनियों को निशाना बना रहा है? अगर हां, तो ऐसा क्यों और इससे भारत-रूस की दशकों पुरानी दोस्ती पर क्या असर पड़ेगा जानिए स्पॉटलाइट में।

दैनिक भास्कर 14 Apr 2025 5:00 am

पॉजिटिव स्टोरी-एक्सीडेंट में दोस्त की मौत, बनाया लाइट वाला हेलमेट:पापा बोले- इसमें क्या बिजनेस, अब सालाना 1.5 करोड़ टर्नओवर

‘2010 की बात है। मेरा एक दोस्त था- रवि। हम दोनों स्कूल फ्रेंड थे। गहरी दोस्ती थी। एक रात रवि दिल्ली-जयपुर हाईवे से अपने घर के लिए जा रहा था। रास्ते में एक जगह रुका खड़ा था, तभी रोड-रोलर उसके ऊपर चढ़ गया। उसकी वहीं पर डेथ हो गई। इस घटना की वजह से मैं कई महीनों तक डिप्रेशन में रहा। एक बार रवि की फैमिली से मिलने भी गया था, लेकिन किस मुंह से दुबारा जाता। सच कहूं, तो सच्ची दोस्ती सिर्फ स्कूल की ही होती है। यह दोस्ती तब बनती है, जब हमारे पास कुछ नहीं होता है। छानबीन में रोड-रोलर वाले ने बताया कि रात में उसे दिखा नहीं कि पीछे कोई व्यक्ति खड़ा है। तब मैंने सोचना शुरू किया कि काश! ड्राइवर को समय रहते मेरा दोस्त दिख जाता, तो आज जिंदा होता।’ मैं अभी राजस्थान की राजधानी जयपुर में हूं। रीतेश कोचेता कुछ प्रोडक्ट दिखा रहे हैं। ये सभी रोड सेफ्टी केयर प्रोडक्ट्स हैं। कहते हैं, ‘दोस्त की मौत के बाद मैंने इस तरह के प्रोडक्ट बनाने के बारे में सोच लिया था।’ रीतेश सेफ्टी केयर प्रोडक्ट्स बनाने वाली कंपनी ‘क्रूजर’ के फाउंडर हैं। वह जिस प्रोडक्ट को दिखा रहे हैं, उसमें लाल रंग की ब्लिंक करती हुई लाइटें जल रही हैं। कहते हैं, ‘ जब हम रात में सड़क पर दिखेंगे, तभी तो बचेंगे। गाड़ी ड्राइव करते वक्त सामने तो लाइट जलती है, लेकिन पीछे…? अब पीछे वाले व्यक्ति को यदि मैं दिख रहा हूं, तो वह जानबूझकर तो एक्सीडेंट नहीं करना चाहेगा। कौन चाहता है कि वह किसी को मार दे। सबसे पहला प्रोडक्ट मैंने ये कंधे पर पहनने वाला बनाया था। इसमें लाइटें लगी हुई हैं। रात में ड्राइव करते वक्त यदि कोई इसे पहन लेता है, तो अंधेरे में भी पीछे वाला व्यक्ति उसे देख सकता है। 2017 में सबसे पहले इस तरह के प्रोडक्ट पर काम करना शुरू किया था।’ रीतेश मुझे अपनी यूनिट दिखा रहे हैं। एक डेस्क पर करीब दर्जनभर हेलमेट रखे हुए हैं। दूसरे पार्ट में कुछ स्टाफ असेम्बलिंग कर रहे हैं। एलईडी लाइट्स के बोर्ड्स तैयार कर रहे हैं। उसे सेफ्टी केयर प्रोडक्ट्स, हेलमेट में सेट कर रहे हैं। रीतेश कहते हैं, ‘घर के बेसमेंट में ये कंपनी आप देख रहे हैं। पापा का ज्वेलरी बिजनेस है। मेरा शुरू से रिसर्च और इनोवेशन पर काम करने का पैशन रहा है। यकीन नहीं करेंगे आप, 1998 से मेरा एक लैब रूम रहा है। इसमें मैं कबाड़ की चीजों को तोड़-जोड़ करके कुछ न कुछ बनाता रहता था। मुझे साइंटिस्ट बनने का मन था। 2004-05 की बात है। 12वीं के बाद एरोनॉटिक्स इंजीनियरिंग के लिए उदयपुर चला गया। उस वक्त अमूमन लोग इस सब्जेक्ट को जानते भी नहीं थे। पढ़ाई तो दूर की बात है। कॉलेज के दिनों में मैंने जेट इंजन भी बनाए थे। स्टडी कम्प्लीट करने के बाद अलग-अलग मिनिस्ट्री और एनर्जी डिपार्टमेंट के साथ काम करने लगा।’ पापा चाहते थे कि आप ये सब करें? मुस्कुराते हुए रीतेश कहते हैं, ‘घर के सभी लोग चाहते थे कि मैं फैमिली बिजनेस ही जॉइन कर लूं। जब मैंने लाइट-बल्ब लेकर एक्सपेरिमेंट करना शुरू किया, तो पापा ने कहा- ये सब पैशन के लिए ठीक है। इसमें बिजनेस क्या होगा। दो साल बाद 2019 में घरवालों के खिलाफ जाकर मैंने जॉब छोड़ दी। फुल टाइम प्रोडक्ट को डेवलप करने में लग गया। तब तक मेरी शादी भी हो चुकी थी। पैसे के लिए खुद के खर्च को कम करने लगा। जॉब से जितने कमाए थे। तकरीबन 40 लाख रुपए का इन्वेस्टमेंट किया था। प्रोडक्ट डेवलप करना शुरू किया।’ एक स्टैंड में हेलमेट पहनाया गया है। इस हेलमेट के पीछे लाइट लगी हुई है। पूछने पर रीतेश कहते हैं, ‘जब कोई व्यक्ति इस तरह का सेफ्टी केयर बेस्ड हेलमेट पहनेगा तो कैसा लगेगा। लाइट का रिफ्लेक्शन क्या होगा। पीछे से ड्राइव कर रहे व्यक्ति को यह लाइट कैसी लगेगी। मान लीजिए कि कोई ट्रक या बस ड्राइवर है। इनकी व्हीकल की हाइट ज्यादा होती है। ऐसे में हेलमेट में लगी लाइट इन्हें दिखेगी या नहीं। इन सारे एंगल पर रिसर्च करने के बाद ही हम फाइनल प्रोडक्ट लेकर आते हैं। हम ऐसे प्रोडक्ट बना रहे हैं कि यदि कोई लाइट को बंद कर दे, तो पता भी नहीं चलेगा कि मार्केट में मौजूद हेलमेट से यह अलग है। बहुत बारीकी से इसके भीतर लाइट फिट करते हैं।’ यह जलता कैसे है? रीतेश हेलमेट के एक हिस्से के बटन को दबाते हुए कहते हैं, ‘पूरा सिस्टम चार्जिंग पर बेस्ड है। एक घंटे चार्ज करने पर कोई व्यक्ति 28 घंटे तक इस तरह के हेलमेट का इस्तेमाल कर सकता है। कुछ हेलमेट हमने वायरलेस भी बनाए हैं। यह ब्लूटूथ से कनेक्टेड होता है। बातचीत करने के लिए कान में फोन लगाने की जरूरत नहीं है।’ रीतेश के हाथ में कुछ जैकेट भी हैं। यह जैकेट कंट्रक्शन साइट पर काम करने वाले वर्कर के ड्रेस की तरह लग रही है। रीतेश बताते हैं, ‘इसमें भी हमने एलईडी लाइट लगाई है, ताकि कोई वर्कर कंस्ट्रक्शन साइट पर भी सेफ्टी के साथ काम कर पाए। रात में यदि व्हीकल मूवमेंट हो रहा हो, तो दूर से दिख जाए कि कोई खड़ा है।’ आप इसे बेचते कैसे हैं? ‘मुझे खुद राइडिंग का शौक है। शुरुआत में जब प्रोडक्ट बनाना शुरू किया था, तो अपनी कम्युनिटी के लोगों को टेस्टिंग के लिए फ्री में देता था। बाद में उन्हें ये जरूरी प्रोडक्ट लगने लगा। कई लोग ऐसे भी मिले, जो कहते थे कि सेफ्टी केयर प्रोडक्ट की वजह से उनकी जान बची या उन्होंने दूसरों को एक्सीडेंट से बचा लिया। देशभर के 80 हजार राइडर्स हैं। हम उनके साथ भी प्रोडक्ट सेल करते हैं। ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर भी हमारी सर्विस है। अब हम देशभर के बड़े हेलमेट प्रोड्यूसर से डील कर रहे हैं। इंडिया में हमारी पहली ऐसी कंपनी है, जो इस तरह के एलईडी बेस्ड सेफ्टी केयर प्रोडक्ट्स बना रही है। सालाना तकरीबन डेढ़ करोड़ का बिजनेस कर रहे हैं। सबसे ज्यादा सुकून मिलता है, जब यह प्रोडक्ट किसी की जान बचाता है। इंडिया में 40 परसेंट एक्सीडेंट रात में होते हैं। यानी लो विजिबिलिटी की वजह से ये सब हो रहा है।’

दैनिक भास्कर 14 Apr 2025 4:30 am

मंडे मेगा स्टोरी- अंबेडकर पहले इस्लाम अपनाना चाहते थे:आखिर किन वजहों से बाबा साहेब ने बौद्ध धर्म चुना; 134वीं जयंती पर पूरी कहानी

आज डॉ. भीमराव अंबेडकर की 134वीं जयंती है। उन्होंने सन् 1935 यानी 44 साल की उम्र में कहा था- मैं हिंदू धर्म में पैदा हुआ, लेकिन मैं हिंदू के रूप में नहीं मरूंगा। शुरुआत में वो इस्लाम धर्म अपनाना चाहते थे, लेकिन 20 साल तक अध्ययन करने के बाद मन बदला और 1956 में बौद्ध धर्म अपना लिया। हाल ही में संसद में वक्फ संशोधन बिल पर बहस के दौरान कई सांसदों ने मुस्लिमों के हक की बात करते हुए अंबेडकर का जिक्र किया। मंडे मेगा स्टोरी में जानेंगे कि आखिर बाबा साहेब इस्लाम के बारे में क्या मानते थे और उन्होंने बौद्ध धर्म ही क्यों अपनाया... **** ग्राफिक्स- अंकुर बंसल और अजीत सिंह -------- बुक्स एंड रेफरेंसेस: ------ मुस्लिमों से जुड़ी ये भी खबर पढ़ें... 1947 में बंटवारे के बाद पाकिस्तान क्यों नहीं गए सारे मुसलमान, वक्फ बिल से कैसे छिड़ी बहस 1947 में जब मुल्क बंटा, खून बहा, लोग उजड़े... तब सवाल उठा कि क्या अब सारे मुसलमान पाकिस्तान जाएंगे? लेकिन ऐसा नहीं हुआ। करीब एक-तिहाई मुस्लिम भारत में ही रुके। क्यों? ये सवाल आज भी उठता रहता है। पूरी खबर पढ़िए...

दैनिक भास्कर 14 Apr 2025 4:17 am

आज का एक्सप्लेनर:15 दिन में तीसरी बार UPI पेमेंट क्यों क्रैश हुआ, क्या आपका पैसा खतरे में; लेन-देन अटक जाए तो क्या करें

भारत में हर घंटे ढाई करोड़ से ज्यादा UPI ट्रांजैक्शन होते हैं। ये इतना भरोसेमंद है कि तमाम लोगों ने कैश रखना ही छोड़ दिया। इन्हें 12 अप्रैल को तब झटका लगा, जब अचानक Paytm, GPay, PhonePe जैसे एप्स से पेमेंट फेल होने लगा। कोई समोसे खाकर एप निहारता रहा, कोई सलून में कटिंग के बावजूद पैसा ट्रांसफर न होने की वजह से घंटों बैठा रहा। ऐसा पिछले 15 दिनों में तीसरी बार हुआ है। आखिर इन दिनों बार-बार क्यों क्रैश हो रहा UPI, क्या आगे भी ऐसा होगा और अगर ऐसे में आपकी पेमेंट अटक जाए तो क्या करना चाहिए; जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में… सवाल-1: क्या अचानक बार-बार डाउन होने लगी है UPI सर्विस? जवाब: भारत में डिजिटल पेमेंट को बेहद आसान और फास्ट बनाने वाले UPI की शुरुआत अप्रैल 2016 में हुई थी। महज 9 सालों में ही ये हमारी जिंदगी का जरूरी हिस्सा बन गया। देश में हर रोज करीब 60 करोड़ UPI ट्रांजैक्शन के जरिए करीब 80 हजार करोड़ रुपए का लेन-देन होता है। आमतौर पर ये सर्विस बिना किसी रुकावट के चलती है। हालांकि पिछले 15 दिनों में तीन बार अचानक UPI की सर्विस डाउन हो गई। इस दौरान यूजर्स को पैसे के लेन-देन में देरी हुई या पेमेंट फेल हो गया… सवाल-2: पिछले कुछ दिनों से बार-बार UPI सर्विस डाउन होने की क्या वजह है? जवाब: UPI एक डिजिटल रास्ता है जिससे आप मोबाइल के जरिए अपने बैंक से किसी और के बैंक में तुरंत पैसे भेज सकते हैं। UPI का मालिक और ऑपरेशनल मैनेजर नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया यानी NPCI है। NPCI को रिजर्व बैंक और इंडियन बैंक्स एसोसिएशन ने मिलकर बनाया है। 12 अप्रैल को जब UPI डाउन हुआ तो NPCI ने तकनीकी समस्या को इसकी वजह बताया। इससे पहले जब 2 अप्रैल को UPI डाउन हुआ था तब NPCI ने बताया था कि कुछ बैंकों से ट्रांजैक्शन की सफलता दर में उतार-चढ़ाव के कारण UPI सर्विस आंशिक रूप से डाउन चल रही है। हालांकि पिछले दिनों बार-बार UPI सर्विस क्रैश होने के पीछे कई अन्य वजहें भी हो सकती हैं- हालांकि 12 अप्रैल को UPI डाउन होने के पीछे क्या तकनीकी समस्या थी, इसके बारे में NPCI ने आधिकारिक तौर पर कोई खुलासा नहीं किया है। सिर्फ इतना कहा कि वे तकनीकी खराबी को ठीक करने में जुटे हैं। सवाल-3: क्या आगे भी UPI सर्विस डाउन हो सकती है? जवाब: UPI आने से पहले एक बैंक से दूसरे बैंक में पेमेंट करने के लिए ट्रांजैक्शन फीस लगती थी। सभी बैंकों के अलग एप होते थे। इसे आसान बनाने के लिए NPCI ने UPI लॉन्च किया। अब NPCI का नेटवर्क सभी बैंकों के बीच में पेमेंट के लिए काम करता है। इससे ट्रांजैक्शन फीस हट गई और एक बैंक से दूसरे बैंक में पेमेंट करना आसान हो गया। इसका एक नुकसान भी है। अब किसी भी बैंक के यूजर्स हों, कोई भी UPI ऐप इस्तेमाल करते हों, ट्रांजैक्शन के लिए NPCI का ही नेटवर्क इस्तेमाल होता है। ऐसे में अगर इस नेटवर्क में कोई भी दिक्कत आती है या ज्यादा लोड बढ़ता है तो पूरा UPI सर्वर प्रभावित होता है। RBI और NPCI UPI की क्षमता बढ़ाने और भविष्य में ऐसी समस्याओं को कम करने के लिए नए फीचर्स जैसे UPI लाइट और इंटरनेशनल पेमेंट्स पर काम कर रहे हैं। जब तक ये सभी सुधार लागू नहीं होते, NCPI के सर्वर में कोई तकनीकी समस्या आ सकती है। इससे भविष्य में भी UPI सर्विस डाउन हो सकती है। सवाल-4: अगर आपकी डिजिटल पेमेंट अटक जाए, तो क्या करें? जवाब: जब UPI सर्वर डाउन चल रहा होता है, तो उस समय कई बार UPI ट्रांजैक्शन पेंडिंग बताने लगता है। अगर आपका पेमेंट भी इसी तरह अटक जाता है तो इसमें घबराने की जरूरत नहीं है। आपका पेमेंट या तो रिसीवर के खाते में जाएगा या वापस आपके बैंक खाते में आएगा। आमतौर पर ये कुछ मिनटों में ही क्लियर हो जाता है। इसमें ज्यादा से ज्यादा 72 घंटे का वक्त लगता है। कोई भी पैसा बीच में नहीं अटक सकता। इस दौरान आपको डबल पेमेंट से बचना है। यानी अगर आपका ट्रांजैक्शन पेंडिंग दिखा रहा है और आपने कैश पेमेंट भी कर दिया। बाद में वो UPI ट्रांजैक्शन सक्सेसफुल हो गया तो आपके दोहरे पैसे लग गए। इससे बचने के लिए आपको पेमेंट ट्रांसफर होने का इंतजार करना है। अगर कैश दे भी रहे हैं, तो रिसीवर की कॉन्टैक्ट डिटेल ले लें, ताकि दोहरे पेमेंट की स्थिति में पैसे वापस ले सकें। सवाल-5: क्या बार-बार सर्विस डाउन होने पर बैंक में रखा आपका पैसा सुरक्षित है? जवाब: बैंक में रखा आपका पैसा पूरी तरह सुरक्षित है। UPI सर्विस डाउन होने से उस पर कोई असर नहीं पड़ता। UPI पेमेंट भी सिक्योर होती है। सबसे पहले UPI एप्स (जैसे GPay, PhonePe) में लॉक या फिंगरप्रिंट होता है। हर बार ट्रांजैक्शन से पहले आपको अपना UPI PIN डालना पड़ता है। बैंक और NPCI के सर्वर बहुत सिक्योर होते हैं। इसलिए बिना ट्रांजैक्शन पिन डाले आपके बैंक अकाउंट से पैसे डेबिट नहीं हो सकते। सर्विस डाउन होने के कारण अगर पेमेंट के दौरान अकाउंट से पैसे डेबिट हो जाते हैं, लेकिन ट्रांजैक्शन फेल हो जाता है, तो भी आपके पैसे सुरक्षित हैं। सवाल-6: कैसे काम करता है UPI पेमेंट सिस्टम? जवाब: पहले अगर किसी के बैंक अकाउंट में पैसे भेजने होते थे तो आपको उनका अकाउंट नंबर, बैंक का नाम, ब्रांच का नाम और IFSC कोड पता होना जरूरी होता था। अब सिर्फ फोन नंबर या फिर UPI ID या सिर्फ एक QR कोड से पेमेंट हो जाता है। यह NPCI के माध्यम से हो पाता है। NPCI बैंकों के बीच लिंक का काम करता है जिससे एक बैंक से दूसरे बैंक में रियल-टाइम ट्रांजैक्शन हो पाते हैं। इसे उदाहरण से समझ सकते हैं। मान लीजिए श्रेया का बैंक खाता SBI में है और उसके दोस्त अभिषेक का खाता HDFC में। श्रेया PhonePe इस्तेमाल करती है और अभिषेक GPay। अब श्रेया अपने दोस्त को 500 रुपए भेजना चाहती है। ये प्रोसेस कुछ इस तरह होगा… अगर पेमेंट QR कोड के माध्यम से हो तो कोड में रिसीवर के बैंक अकाउंट की डिटेल होती है जिससे NPCI को उसके बैंक के बारे में पता चलता है। सवाल-7: भारत का ये पेमेंट सिस्टम पूरी दुनिया में क्यों धमक जमा रहा है? जवाब : पिछले साल जनवरी में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैन्युल मैक्रों भारत आए थे। इस दौरान अपनी एक स्पीच में उन्होंने कहा था- ‘मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ पी गई चाय कभी नहीं भूलूंगा, क्योंकि इसका पेमेंट UPI से हुआ है।’ मैक्रों के अलावा विदेशी लीडर्स से लेकर पर्यटक तक सभी भारतीय UPI से प्रभावित हैं। इससे पेमेंट जल्दी, आसानी से और सुरक्षित तरीके से हो जाता है। हर समय अपने साथ कैश या कार्ड रखने की जरूरत नहीं होती। मोबाइल के एक क्लिक पर बड़े से बड़ा पेमेंट हो जाता है। यह खासियत दुनियाभर के लोगों को आकर्षित कर रही है। 2021 में सबसे पहले भूटान ने इसे अपनाया था। इसके बाद UAE, कतर और फ्रांस ने भी UPI से प्रभावित होकर इसे अपने देश में लॉन्च किया। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के चेयरमैन आशीष चौहान ने भी कहा था कि जापान, सिंगापुर, ब्रिटेन और जापान सहित कई देशों ने UPI को अपनाने की मंशा जताई है। ----- मोबाइल एप्स से जुड़ी ये भी खबर पढ़ें... सरकार ने वॉट्सएप चैट से कैसे पकड़े 250 करोड़, क्या आपके मैसेज पढ़ रही सरकार; नए कानून का क्या होगा असर वॉट्सएप चैट और इंस्टाग्राम अकाउंट्स डिकोड करके 250 करोड़ रुपए की बेहिसाब संपत्ति पकड़ी गई। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने 25 मार्च 2025 को संसद में ये बात कही। उन्होंने कहा कि गैरकानूनी लेनदेन के सबूत मिलने के बावजूद इसकी जांच के लिए कोई कानून नहीं है। इसलिए हमने सोचा कि इनकम टैक्स कानून में डिजिटल शब्द जोड़ना होगा। पूरी खबर पढ़िए...

दैनिक भास्कर 14 Apr 2025 4:10 am

असम बैंक घोटाला- सवाल पूछने वाले जर्नलिस्ट दिलबर पर केस:बैंक के डायरेक्टर CM-चेयरमैन BJP विधायक, हिमंता बोले- पत्रकार नहीं, पूरा परिवार दलाल

‘25 मार्च को गुवाहाटी में असम को-ऑपरेटिव एपेक्स बैंक के बाहर प्रदर्शन चल रहा था। बैंक पर घोटाले के आरोप लगे थे। मैं प्रदर्शन कवर करने गया। तभी बैंक के MD दंबारू सैकिया वहां पहुंचे। मैंने घोटाले पर उनका रिएक्शन लेना चाहा, लेकिन वो मुझे बैंक के अंदर लेकर चले गए। मैं जैसे ही बैंक से बाहर आया, मुझे पुलिस ने पकड़ लिया और थाने ले गई।‘ दिलबर हुसैन मजूमदार गुवाहाटी में वेब न्यूज पोर्टल ‘The Crosscurrent’ के जर्नलिस्ट हैं। उन पर SC/ST एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया। आरोप है कि उन्होंने बैंक के सुरक्षाकर्मी के खिलाफ जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल किया। अभी वो जमानत पर जेल से छूटे हैं। हालांकि दिलबर आरोपों से इनकार करते हुए कहते हैं कि ये सब बैंक के खिलाफ प्रदर्शन की कवरेज करने के कारण हुआ। मेरे भाई पर भी 4 साल पुराने केस में FIR दर्ज करा दी गई। जिस एपेक्स बैंक पर 50 करोड़ के घोटाले के आरोप लगे हैं, असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा उसके डायरेक्टर हैं। BJP विधायक बिस्वजीत फुकन चेयरमैन हैं। लिहाजा बैंक में कथित घोटाले को कवर कर रहे जर्नलिस्ट की गिरफ्तारी को मीडिया की आजादी पर खतरे की तरह देखा जा रहा है। हालांकि CM हिमंता ने दिलबर के भाई और उनके परिवार को जमीन का दलाल बताया है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने भी असम पुलिस को नोटिस भेजकर रिपोर्ट मांगी है। असम को-ऑपरेटिव एपेक्स बैंक घोटाला क्या है? जर्नलिस्ट दिलबर की गिरफ्तारी का पूरा मामला क्या है? दिलबर की गिरफ्तारी के बाद लोकल जर्नलिस्ट इस केस को कैसे देख रहे हैं? ये जानने के लिए हम गुवाहाटी में ग्राउंड जीरो पर पहुंचे। सबसे पहले जानिए...25 मार्च को आखिर क्या हुआ था?को-ऑपरेटिव एपेक्स बैंक, असम के बड़े बैंक में से एक है, जिस पर 50 करोड़ रुपए की कथित फाइनेंशियल गड़बड़ी के आरोप लगे हैं। 25 मार्च को असम की रीजनल पार्टी असम जातीय परिषद की यूथ विंग जातीय युवा शक्ति इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रही थी। दोपहर के वक्त जर्नलिस्ट दिलबर ये प्रदर्शन कवर करने पहुंचे। उन्होंने बैंक के MD दंबारू सैकिया का रिएक्शन लेना चाहा, तो वे बिना रिएक्शन दिए दिलबर को बैंक में लेकर चले गए। दिलबर जब बाहर आए तो लोकल पान बाजार पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया। करीब 1 बजे पुलिस उन्हें पान बाजार थाने ले गई। दिलबर आरोप लगाते हैं कि पहले कई घंटों तो उन्हें बताया तक नहीं गया कि थाने क्यों लाया गया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर दोपहर 2 बजकर 41 मिनट पर एक और पोस्ट की। उन्होंने लिखा- मेरी आवाज को दबाया नहीं जा सकता। बैंक घोटाले पर MD से सवाल करने पर मुझे पान बाजार थाने में गिरफ्तार कर लिया गया है। दिलबर आगे बताते हैं, ‘इस पोस्ट के बाद पुलिस ने मेरा फोन ले लिया। अगले कई घंटों तक मुझे किसी से मिलने नहीं दिया गया। रात करीब 11 बजे पुलिस ने बताया कि मुझे अरेस्ट कर लिया गया है। SC/ST एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया है। मुझ पर बैंक के सिक्योरिटी गार्ड के साथ जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया गया है।‘ दिलबर को जमानत मिलते ही दूसरा केस लगाया गिरफ्तारी के अगले दिन 26 मार्च को दिलबर को सेशन कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट में जांच अधिकारी गिरफ्तारी के लिए कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर सके। कोर्ट ने पुलिस का दावा खारिज करते हुए कहा कि गार्ड के बयान से ये साबित नहीं होता कि दिलबर ने जानबूझकर अपमान किया। 26 मार्च को ही उन्हें जमानत मिल गई। जज ने पुलिस को फटकार लगाते हुए ये भी कहा- SC/ST एक्ट का मकसद समाज के कमजोर वर्गों को संरक्षण देना है, न कि इसे व्यक्तिगत या राजनीतिक बदले के हथियार के तौर पर इस्तेमाल करना। 26 मार्च की देर शाम जमानत मिलने की वजह से बेल बॉन्ड पुलिस के पास अगले दिन पहुंचा। 27 मार्च को दिलबर जैसे ही जेल से बाहर आए, पुलिस ने उन्हें तुरंत दूसरे केस में अरेस्ट कर लिया। इस बार उनके खिलाफ बैंक के MD डी सैकिया ने FIR कराई। 28 मार्च को दिलबर को कोर्ट में दोबारा पेश किया गया। उसी दिन उन्हें फिर जमानत मिल गई। 29 मार्च को दिलबर जेल से बाहर आए। दिलबर बोले- बैंक MD ने प्रदर्शन बंद कराने को कहा, मना करने पर केस करायाहमने इस मामले को समझने के लिए जर्नलिस्ट दिलबर से बात की। वे 25 मार्च को प्रदर्शन वाले दिन गार्ड से बदतमीजी और बैंक में जबरदस्ती घुसने के आरोप को गलत बताते हैं। MD पर आरोप लगाते हुए वे कहते हैं कि बैंक के अंदर उन्होंने ही बुलाया था। मैं अपनी मर्जी से नहीं गया था। दिलबर कहते हैं, 'बैंक में ले जाने के बाद MD ने मुझे लॉबी में बैठाया और भड़क गए। वे कहने लगे कि प्रोटेस्ट बंद कराओ। मैंने उन्हें बताया कि ये जर्नलिस्ट का काम नहीं है। इसके बाद MD दंबारू और बैंक के बाकी लोगों ने मुझे प्रोटेस्ट की फुटेज डिलीट करने के लिए धमकाया। जब मैं बाहर आ गया, तब तक बैंक से पुलिस को शिकायत पहुंच गई और मुझे थाने बुला लिया गया।’ दिलबर बताते हैं, ‘28 मार्च की रात पुलिस मेरे घर तलाशी लेने पहुंची। घर पर सिर्फ मेरी पत्नी थीं। इसके बावजूद तलाशी की कार्रवाई में कोई महिला पुलिस नहीं थी। The Crosscurrent ने इसका वीडियो भी अपने फेसबुक पेज पर लाइव किया। इसमें दिलबर की पत्नी महिला पुलिस न होने पर सवाल उठाती दिख रही हैं। MD दंबारू सैकिया बोले- दिलबर पर बात नहीं करूंगाइसके बाद हम MD दंबारू सैकिया का पक्ष जानने एपेक्स बैंक पहुंचे। यहां हमने घोटाले के आरोपों और दिलबर केस को लेकर उनसे बात की। वे कहते हैं, ‘उस दिन कुछ लोग बैंक के बाहर प्रोटेस्ट कर रहे थे। जर्नलिस्ट दिलबर भी वहीं थे। कस्टमर्स को बैंक के अंदर आने में दिक्कत हो रही थी। तब गार्ड ने थोड़ा जगह बनाने की अपील की। उसी वक्त गार्ड के साथ बदसलूकी हुई।’ जब हमने दंबारू से दिलबर के आरोपों पर बात की, तो उन्होंने इस पर कोई जवाब देने से मना कर दिया। मामला कोर्ट में होने का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि सारे सबूत पुलिस को सौंप दिए गए हैं। गार्ड के बारे में पूछने पर भी उन्होंने मामला कोर्ट में होने का हवाला दिया। जब हमने गेट पर मौजूद दूसरे सिक्योरिटी गार्ड्स से पूछा तो उन्होंने बताया कि जिस गार्ड के साथ कथित बदसलूकी हुई थी, वो अभी छुट्टी पर हैं। उनकी तबीयत खराब चल रही है। गार्ड का कॉन्टैक्ट देने से भी मना कर दिया गया। कमिश्नर बोले- ये इतना जरूरी केस नहीं कि बार-बार बात करें हमने NHRC के नोटिस, दिलबर और MD दंबारू के आरोपों को लेकर नए सिरे से पुलिस से बात करने की कोशिश की। सबसे पहले हम पान बाजार थाने पहुंचे। यहां मिले थाना इंचार्ज शंकर ज्योति नाथ ने केस पर बात करने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि वे इस पर बात करने के लिए ऑथराइज नहीं हैं। उन्होंने पुलिस कमिश्नर से मिलने की सलाह दी। इसके बाद हम गुवाहाटी पुलिस कमिश्नर ऑफिस पहुंचे। यहां लंबे इंतजार के बाद पुलिस कमिश्नर पार्थ सारथी महंता से हमारी मुलाकात हुई। उन्होंने भी केस पर बात करने से मना कर दिया। उनका कहना था कि पुलिस इसे इतना जरूरी केस नहीं मानती कि बार-बार बात करे। हमें जो बताना था, वो मीडिया को बता चुके हैं। प्रेस क्लब की प्रेसिडेंट बोलीं- सरकार के खिलाफ लिखेंगे तो केस होगा असम प्रेस क्लब की प्रेसिडेंट सुष्मिता गोस्वामी इसे मीडिया की आजादी पर खतरा बताती हैं। वे कहती हैं, ‘ये बहुत ही डरावनी स्थिति है। दिलबर ऑन ड्यूटी थे। वे MD से उनका पक्ष जानने गए थे। एक जर्नलिस्ट पर काम करते हुए केस लगाया गया। दोनों केस फर्जी थे, क्योंकि कोर्ट ने दोनों में आसानी से जमानत दे दी। SC/ST एक्ट के केस में जमानत मिलना आसान नहीं होता।’ ‘दरअसल बैंक का चेयरमैन BJP विधायक है, इसलिए केस किया गया। क्या सरकार के खिलाफ अगर कोई जर्नलिस्ट कुछ लिखेगा, तो उसपर भी केस किया जाएगा। इस सरकार में जर्नलिस्ट काम करने के लिए आजाद नहीं हैं।‘ सुष्मिता और भी मामलों का जिक्र कर पत्रकारों की सुरक्षा की मांग करती हैं। वे बताती हैं कि प्रेस क्लब जल्द ही गवर्नर, सरकार और पुलिस के सामने अपनी मांगों की लिस्ट रखेगी। इसमें सुरक्षा से लेकर डिजिटल पत्रकारों के लिए सिस्टम की मांग की जाएगी। दिलबर के भाई पर 4 साल पुराने केस में FIR दर्ज, जेल में बंददिलबर आरोप लगाते हुए कहते हैं कि इस केस की आंच उनके परिवार तक पहुंच गई है। उनके भाई तैबुर रहमान मजूमदार होजाई जिले के सरकारी स्कूल में टीचर हैं। होजाई पुलिस अधीक्षक (DSP) सौरभ गुप्ता ने बताया, 2021 में तैबुर को राजस्व और सर्किल ऑफिसों में दलालों के खिलाफ कार्रवाई के दौरान गिरफ्तार किया गया था। इसी मामले में 31 मार्च को उसके खिलाफ एक नया केस दर्ज किया गया। दिलबर कहते हैं, ‘भाई के केस में जांच होने पर सब साफ हो जाएगा। हम पिछले कई सालों से मौजूदा सरकार के करप्शन पर रिपोर्टिंग करते आए हैं, इसलिए हमें निशाना बनाया जा रहा है।‘ CM हिमंता बिस्वा बोले- दिलबर का पूरा परिवार जमीन दलालमुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने इस केस पर बयान देते हुए दिलबर के भाई को जमीन का दलाल बताया। उन्होंने दिलबर पर आरोप लगाते हुए कहा, ’दिलबर का भाई जमीन का दलाल है। उसे 2021 में गिरफ्तार किया गया था और चार्जशीट भी दाखिल की गई थी। इसके बावजूद वो स्कूल में पढ़ा रहा था। सरकार ने उसे निलंबित भी नहीं किया था। इससे पता चलता है कि वे सरकार के नीचे कितनी गहराई तक काम कर रहे हैं।’ ’दिलबर खुद एक डंपर बिजनसमैन है। होजाई जाओ और पूछो कि पूरा परिवार जमीन के दलालों के नाम से जाना जाता है।’ दिलबर की गिरफ्तारी के सवाल पर उन्होंने कहा, ’राज्य सरकार दिलबर मजूमदार को मान्यता प्राप्त जर्नलिस्ट नहीं मानती।’ अब जानिए इस मामले पर पॉलिटिकल पार्टीज क्या कह रहीं…घोटाले को लेकर AJP और कांग्रेस ने सरकार को घेरा, प्रेस की आजादी पर हमला बताया25 मार्च को असम जातीय परिषद (AJP) के कार्यकर्ता ही प्रदर्शन कर रहे थे। हमने AJP के प्रवक्ता जिया उर रहमान से बात की। वे दिलबर की गिरफ्तारी को प्रेस की आजादी पर हमला बताते हैं। वे BJP पर आरोप लगाते हुए कहते हैं कि ये सब बैंक घोटाले को कवर करने के लिए किया जा रहा है। राज्य में विपक्ष यानी कांग्रेस लगातार बैंक के शीर्ष पदों पर भर्ती में घोटाले का आरोप लगाती रही है। कांग्रेस लगातार जांच की भी मांग कर रही है। कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई भी निष्पक्ष जांच की मांग को लेकर पीएम मोदी को लेटर लिख चुके हैं। 5 अप्रैल को कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने गुवाहाटी में बैंक के हेड ऑफिस के बाहर कथित घोटाले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी किया। BJP: दिलबर पर कार्रवाई पत्रकार होने की वजह से नहीं हुई, दूसरे केस में हुईअसम BJP प्रवक्ता किशोर उपाध्याय मीडिया की आजादी पर किसी भी तरह के खतरे से इनकार करते हैं। वे कहते हैं, ‘दिलबर को पत्रकार होने के चलते गिरफ्तार नहीं किया गया है। दिलबर पत्रकार, एडवोकेट और बिजनसमैन भी हैं। कोई एक व्यक्ति एक साथ सब कैसे हो सकता है। उन पर दूसरे मामलों में कार्रवाई हुई है।‘ ‘लोग PM से लेकर CM तक को पता नहीं क्या-क्या कहते हैं। उनके खिलाफ लिखते हैं, लेकिन अब तक कभी कोई ऐसे मामले में गिरफ्तार नहीं हुआ। किसी पर इस वजह से कोई कार्रवाई नहीं हुई। ऐसे पत्रकारों पर कार्रवाई करेंगे तो जेल भर जाएगा।‘ बैंक पर कथित घोटाले के आरोपों को लेकर वे कहते हैं कि अगर कोई गड़बड़ी हुई है तो उसकी निष्पक्ष जांच होगी। एपेक्स बैंक पर पहले भी आरोप लगे2022 में भी एपेक्स बैंक पर आरोप लगे थे कि 20.3 करोड़ रुपए के लेनदेन में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के दिशा-निर्देशों को नजरअंदाज किया गया। तब ये फंड कथित तौर पर नॉर्थ ईस्ट प्लांटेशन एंड कॉमर्शियल प्राइवेट लिमिटेड को दिए गए थे। ये राजेश बजाज की कंपनी है, जिनकी केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) शारदा चिट फंड घोटाले के संबंध में जांच कर चुकी है। आरोप है कि राजेश बजाज की कंपनी के साथ लेनदेन ‘डिमांड बिल परचेज‘ से किए गए। 1 जुलाई, 2015 को जारी RBI के एक सर्कुलर में डिमांड बिल परचेज को बैन किया गया था। बजाज को कथित तौर पर एपेक्स बैंक के चेयरमैन बिस्वजीत फुकन का करीबी बताया जाता है। ................................ ये खबर भी पढ़ें... दिल्ली दंगा- 3 साल जेल में रहे, अब बेकसूर निकले मोहम्मद शहाबुद्दीन, मोहम्मद मारूफ और रिजवान, तीनों ऐसे केस में जेल गए, जो उन्होंने किया ही नहीं था। केस भी मर्डर का था। मर्डर केस में पकडे़ गए आरोपी खजूरी खास के रहने वाले हैं। 6 महीने से लेकर साढ़े तीन साल तक जेल में रहे। टॉर्चर झेला। कोर्ट के चक्कर लगाए। अब 5 साल बाद आम जिंदगी में लौट रहे हैं। पढ़िए पूरी खबर...

दैनिक भास्कर 14 Apr 2025 4:00 am

संदेशखाली की गैंगरेप विक्टिम्स 14 महीने बाद भी डर में:बोलीं- शाहजहां शेख के गुंडे धमका रहे; चुनाव बाद कोई पूछने नहीं आया

'ये सब होते-होते 13 साल बीत गए। शाहजहां शेख और उसके लोगों को जो औरत अच्छी लगती, पार्टी की मीटिंग के बहाने ऑफिस में बुला लेते। दो दिन, तीन दिन, चार दिन, जब तक मन होता, ऑफिस में ही रखते। कोई महिला बुलाने पर नहीं आती, तो उसे घर से उठा लेते। 3-4 बार मुझे भी ऑफिस में बुलाया। पहले तो मैं नहीं गई, लेकिन उन लोगों ने मेरे पति को उठवा लिया। उसे मारा-पीटा। मैं क्या करती।' 8 फरवरी, 2024 की बात है। पश्चिम बंगाल के संदेशखाली से ऐसी कई कहानियां सामने आईं। बस विक्टिम अलग थे, लेकिन सबकी आपबीती एक जैसी। कहानी में आरोपी ममता बनर्जी की पार्टी TMC का पूर्व नेता शाहजहां शेख और उसके दो साथी हैं। इन पर सेक्शुअल हैरेसमेंट, गैंगरेप और जमीन पर कब्जा करने के आरोप हैं। इस मामले में 19 केस दर्ज किए गए, जिन्हें कोर्ट के आदेश पर मिलाकर एक कर दिया गया। 2024 के लोकसभा चुनाव में संदेशखाली केस सुर्खियों में रहा। BJP ने विक्टिम रेखा पात्रा को बशीरहाट लोकसभा सीट से टिकट दिया। हालांकि चुनाव से ठीक पहले TMC ने एक वायरल वीडियो जारी किया, जिसमें BJP लीडर गंगाधर कोयल यह कहते देखे गए कि संदेशखाली केस फर्जी था। ये सब BJP लीडर सुवेंदु अधिकारी के इशारों पर हुआ। फिलहाल, लोकसभा चुनाव के बाद से मामला ठंडे बस्ते में हैं। अब तकरीबन एक साल बाद दैनिक भास्कर की टीम कोलकाता से 3 घंटे का सफर तय कर संदेशखाली का हाल जानने पहुंची। हमने विक्टिम्स और बाकी गांववालों से बात की। यहां हमें बात कर समझ आया कि विक्टिम्स अब भी डरी हुई हैं और शाहजहां शेख के लोगों से उन्हें अब भी धमकियां मिल रही हैं। विक्टिम नंबर-1शाहजहां-उसके साथी जेल में, फिर भी आ रहे धमकी भरे फोनसंदेशखाली एक छोटा सा टापू है। यहां तक पहुंचने का जरिया बोट ही है। यहां की जमीन लगभग बंजर हो चुकी है। लगभग हर सड़क खुदी पड़ी है। तालाब खत्म हो चुके हैं। तालाब में या तो पानी नहीं है या फिर मछली नहीं है। गांव में जमीन इस लायक नहीं बची कि उस पर खेती कर लोग अपना गुजारा कर सकें। यहां हमें वसंती (बदला हुआ नाम) मिलीं। वो उन महिलाओं में शामिल हैं, जिन्होंने शेख शाहजहां के खिलाफ यौन उत्पीड़न का केस दर्ज करवाया है। संदेशखाली में महिलाएं आज भी गरीबी और मजबूरी के बीच अपनी जिंदगी गुजार रही हैं। ज्यादातर विक्टिम्स बात करने से डर रही थीं। सिर्फ वसंती ही बात करने के लिए राजी हुईं। पिछले एक साल में क्या बीता? इस पर वसंती कहती हैं, 'पिछले साल जब आंदोलन हुआ, तब मैं उसका हिस्सा थी। शाहजहां शेख हम महिलाओं पर बुरी नजर रखता था। वो हमें अपने ऑफिस बुलाता था। वो और उसके साथी महिलाओं के साथ दुष्कर्म करते थे। मैंने भी उसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। तब से मुझे परेशान किया जा रहा है।' मुझे अब भी धमकी भरे कॉल आते हैं। मैं नहीं जानती कि ये कौन लोग हैं। एक का नाम अमजदुल सरदार है। वो संदेशखाली का बाशिंदा नहीं है। वो खरमपुर से आकर यहां रहता है। 'वो कहता है कि यहां उसके दादा का घर है। वो कभी-कभी यहां आता है। वो मुझे धमकाता है कि तुमने शाहजहां शेख और उसके साथियों के खिलाफ रेप का केस करवाकर सही नहीं किया। वो मुझे जान से मारने की धमकी देता है। वो शिबू हाजरा और आमिर शाहजहां के ग्रुप के लोग हैं।' जब वसंती से पूछा कि शाहजहां के जेल जाने के बाद जिंदगी कितनी बदली? वे जवाब में कहती हैं, 'कुछ फर्क तो पड़ा है। अब हम बिना डर के घर से बाहर निकल सकते हैं। मेरे पति और बड़ा बेटा गुजरात में काम करते हैं। मैं छोटे बेटे के साथ रहती हूं। जब मुझे धमकी मिलती है, तो थोड़ा डर लगता है। यहां किसी पार्टी का कोई भी नेता मदद के लिए नहीं आता। चुनाव के वक्त रेखा भी आती थी, बहुत समय से वो भी यहां नहीं आई।' विक्टिम नंबर-2शाहजहां शेख की गैंग आज भी एक्टिव, हम आज भी डर में जी रहे इसके बाद हम पियाली दास से मिले। संदेशखाली की रहने वाली पियाली कहती हैं कि उन्होंने ही शाहजहां शेख के खिलाफ मुहिम शुरू की थी। इसके बाद BJP नेताओं से मदद मिली। वे बताती हैं, 'पहले चाय की दुकान पर खड़े होकर लोग एक-दूसरे का हालचाल भी नहीं पूछ पाते थे। बहुत खौफ था। अब माहौल ठीक है, लेकिन ममता बनर्जी की सरकार में शाहजहां शेख जेल में बैठकर भी लोगों को धमका रहा है।' 'यहीं नदी पार कर हमारे दोस्त रुबीन मंडल का परिवार रहता है। उनकी सब्जी मार्केट थी, जिसे दो साल पहले शाहजहां शेख ने हड़प लिया और अपने नाम लिखवा लिया। उनके परिवार को आज भी धमकी मिलती है कि जिस दिन बाहर निकलोगे, तुम्हें देख लेंगे। ये धमकी मस्तान नाम का एक बदमाश देता है। वो शाहजहां का ही गुर्गा है।' 'शाहजहां शेख की गैंग अब भी एक्टिव है। मुझे सोशल मीडिया पर आज भी ढेरों धमकियां मिलती हैं। ये सब फेक आईडी से आती हैं।' 'संदेशखाली एक टापू है। हमें इलाज के लिए भी बाहर जाना होता है। हमारे बच्चे बाहर पढ़ते हैं। उनसे मिलने के लिए बासुंदी हाईवे या सेर्बेरिआ से होकर ही जाना पड़ता है। ये शाहजहां का इलाका है।' झूठे केस में फंसाया, महिला आयोग और सुवेंदु अधिकारी ने की मदद पियाली आगे कहती हैं, 'मुझे झूठे केस में फंसाया गया था। करीब 7 दिन मैं जेल में रही। मुझ पर आरोप लगाया गया कि मैं महिलाओं से कोरे सफेद कागज पर साइन करवा रही हूं। उस वक्त महिला आयोग की अध्यक्ष रहीं रेखा शर्मा आई थीं। मैं उनकी टीम के साथ थी। मैंने उन्हें बताया था कि कई महिलाओं ने शिबू हाजरा और शाहजहां शेख के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करवाने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने भगा दिया।' 'तब रेखा शर्मा मुझे अपना अनुवादक बनाकर साथ में पुलिस स्टेशन ले गई। मैं बस उनके साथ खड़ी थी और मेरे ऊपर झूठा आरोप लगा दिया गया कि मैंने सफेद कागज पर महिलाओं से गलत बयान लिखवा लिए हैं। हालांकि मुझे कोर्ट ने बरी कर दिया। इसमें मुझे सुवेंदु अधिकारी ने सपोर्ट किया।' वे कहती हैं, 'मैं घर के सामने शिव मंदिर बनाना चाहती थी, लेकिन शिबू हाजरा कई बार इसका काम रुकवा चुका है। पिछले साल जब यहां सुवेंदु दादा आए, तब हमने उनसे मंदिर बनवाने की गुजारिश की थी। उन्होंने 6 महीने पहले हमें आर्थिक मदद दी, जिसके बाद में ये पहला मंदिर तैयार हो रहा है।' विक्टिम नंबर-3'जमीन खत्म हो गई है, अब इस पर खेती नहीं कर सकते'इसके बाद हमारी मुलाकात जोशना दास से हुई। वो संदेशखाली की ही रहने वाली हैं। जोशना बताती हैं, 'मुझे यहां रहते हुए 40 साल बीत गए। शाहजहां शेख और शिबू हाजरा ने हम पर बहुत जुल्म किए हैं। शिबू ने मेरी जमीन छीन ली। मेरे पास 7.5 बीघा जमीन थी। मेरा परिवार उस पर धान की खेती किया करता था। बगल में ही तालाब भी था। उसमें मछली पालते थे। उसी से घर चलता था।' 'दो साल पहले शिबू हाजरा ने हमारी जमीन पर कब्जा करना चाहा। जब हमने विरोध किया तो उसने मेरे बड़े बेटे की हत्या कर दी। वे मेरे छोटे बेटे को घर से उठा ले जाते और उसे बहुत मारते थे। शाहजहां शेख हमसे हमारी जमीन पर काम करवाता, लेकिन पैसे नहीं देता था। वे लोग हमारी जमीन छीनकर अपने लोगों के नाम कर देते।' हम गरीब थे, अब भी गरीबी में ही जी रहे शाहजहां शेख के जेल जाने के बाद यहां के हालात में कुछ बदलाव आया है या नहीं? इसके जवाब में जोशना कहती हैं, ‘शाहजहां शेख की गिरफ्तारी पर हमें बहुत खुशी हुई थी, लेकिन हम अब भी डरे हुए हैं। अब भी रात को शाहजहां शेख के लोग हमें डराने आते हैं। वो मुंह पर कपड़ा बांधकर आते हैं। उनकी सिर्फ आंखें नजर आती हैं। वे धमकाते हैं कि जब हम वापस आ जाएंगे तो सबको देख लेंगे।' शाहजहां शेख और उसके गुंडे कभी भी जेल से बाहर आ सकते हैं। BJP पिछले साल तक तो यहां एक्टिव रही, लेकिन अब वे लोग भी नहीं आते। TMC के लोग ही आते हैं। 4 महीने पहले यहां TMC के कुछ लोग आए थे। तब उन्होंने वादा किया था कि वो जमीन पर मिट्टी डालकर इसे उपजाऊ बना देंगे, लेकिन किसी ने कुछ नहीं किया।' जोशना आगे कहती हैं, ‘हम पहले भी गरीब थे और अब भी गरीबी में ही जी रहे हैं। यहां पानी खत्म हो चुका है। हमारी कब्जा कर ली गई जमीनें हमें वापस तो मिली है, लेकिन अब हमारे पास इतना पैसा नहीं है कि जमीन पर मिट्टी डालकर इसे फिर से उपजाऊ बना सकें।’ ‘जमीन बंजर हो गई है। इस पर कुछ उगाया नहीं जा सकता। यहां खेती करने के लायक जमीन नहीं है। मेरा पति शहर में ड्राइवर का काम करता है।’ शाहजहां शेख के अरेस्ट होने के बाद गांव में शिव मूर्ति स्थापित कराईशाहजहां शेख और उसके साथियों की गिरफ्तारी के बाद संदेशखाली में पहली बार गांववाले पूजा और मेला लगाना चाहते हैं। हालांकि गरीबी के चलते उनके लिए मुमकिन नहीं हो पा रहा है। फिर भी वो खुश हैं कि अब गांव में मंदिर बनवा सकते हैं। कुछ महिलाओं ने मिलकर एक झोपड़ी में भगवान की मूर्ति स्थापित की है, अब वो इसे पक्का मंदिर बनवाना चाहते हैं। यहीं रहने वाली गौरी सरदार कहती हैं, 'जब शाहजहां बाहर था, तब गांव में कोई त्योहार नहीं मना सकता था। कोई मेला नहीं लगता था। कोई मंदिर नहीं था। अब गांव में शांति है। हमने एक झोपड़ी में मंदिर भी बना रखा है। हम गांव में पक्का मंदिर बनवाना चाहते हैं, लेकिन हमें किसी पार्टी से कोई मदद नहीं मिल रही है।' वे आगे कहती हैं, 'हमारे गांव की दूसरी बड़ी दिक्कत है कि यहां पानी ही नहीं है। तालाब गंदे हो गए हैं। मछली पालने तक के लिए कोई तालाब नहीं बचा। हम सब मजबूर हैं। हमें इसी पानी में नहाना पड़ता है और कपड़े धोने पड़ते हैं। शाहजहां शेख के लोगों ने जमीन छीनकर सब बर्बाद कर दिया। पीने के लिए पानी भरना हो तो हमें नदी पार करके जाना पड़ता है। कोई हमारी सुनने वाला नहीं।' अब पॉलिटिकल पार्टियों की बात…TMC: संदेशखाली अब BJP के लिए डेड इश्यूTMC का मानना है कि BJP ने संदेशखाली मुद्दे का इस्तेमाल करना छोड़ दिया। पार्टी प्रवक्ता अरूप चक्रबर्ती कहते हैं, 'BJP के लिए संदेशखाली एक डेड इश्यू है। इस केस ने हम सबकी आंखें खोल दीं। झूठे रेप केस बनाए गए। एक स्टिंग ऑपरेशन में संदेशखाली में BJP के मंडल अध्यक्ष गंगाधर ने खुद मान लिया कि ये सब सुवेंदु अधिकारी के इशारों पर हुआ। उन्होंने 2000 रुपए देकर महिलाओं के झूठे मामले बनवाए।' 'जानबूझकर ये सब चुनाव से ऐन पहले किया गया। नरेंद्र मोदी पश्चिम बंगाल आए और रेखा पात्रा को बशीरहाट से टिकट देकर अपना चेहरा बनाया। उन्होंने रेखा के साथ ही संदेशखाली की बाकी महिलाओं के साथ मुलाकात की, लेकिन वे मणिपुर की विक्टिम्स से मिलने नहीं जा सके।' 'पश्चिम बंगाल की जनता ये झूठ समझ गई। आरजी कर रेप केस के दौरान BJP ने वॉट्सएप के जरिए मिसइन्फॉर्मेशन फैलाई। महिलाओं का वोट ममता दीदी की ताकत है।' BJP: हम संदेशखाली को भूले नहीं, आरजी कर के साथ इसे भी उठाते रहेंगे पश्चिम बंगाल BJP महिला मोर्चा की अध्यक्ष अग्निमित्रा पॉल कहती हैं, ‘BJP के कारण ही शेख शाहजहां जैसे गुंडे की गिरफ्तारी हो सकी। वो अब भी जेल में है, ये हमारी उपलब्धि है। हालांकि वो जेल से भी लोगों को धमका रहा है। उसका आतंक खत्म नहीं हुआ है। अब भी उसके गुंडे संदेशखाली के आम लोगों को परेशान कर रहे हैं। हालांकि ये पहले से कम हुआ है।’ ’BJP अब भी उस इलाके में एक्टिवली काम कर रही है। हमारी मंडल और जिला अध्यक्ष रेखा पात्रा इस मामले को देख रही हैं। पूरे पश्चिम बंगाल में ऐसे गुंडे, जिन्हें ममता की पुलिस और प्रशासन का सपोर्ट मिला हुआ है। उनकी जमीन उपजाऊ नहीं रही। TMC इसके लिए कुछ क्यों नहीं करती? ये सरकार कोई हल नहीं निकालेगी। ये सरकार उन्हें रहने की दूसरी जगह देकर सम्मान से जीने का अधिकार नहीं दे सकती।’ ’BJP संदेशखाली का मुद्दा उठाती रहेगी। आरजी कर के साथ हमेशा संदेशखाली का नाम भी आता है। हम इसे कभी नहीं भूलेंगे। शाहजहां शेख जेल के अंदर से हमारे सभापति को धमकी देता है।' वकील बोले- मामला अभी कोर्ट में पेंडिंगशाहजहां शेख के वकील राजा भौमिक बताते हैं, 'मामला अभी हाईकोर्ट में पेंडिंग है। इससे ज्यादा मैं कुछ नहीं बता सकता। जिसे लगता है कि उन्हें धमकी मिल रही है, वो कोर्ट जा सकता है।' विक्टिम्स के केस प्रियंका टिबरेवाल लड़ रही हैं। वे बताती हैं, 'मामला कोर्ट में पेंडिंग है। अगली डेट का अंदाजा भी नहीं है। CBI केस की जांच कर रही है। वही बता सकते हैं कि देरी क्यों हो रही है।' स्टोरी में सहयोग: शुभम बोस......................................................... ये खबरें भी पढ़ें... 1. मंदिर में टूटी 300 साल पुरानी परंपरा, पहली बार दलितों को एंट्री पश्चिम बंगाल में पूर्व बर्धमान जिले के गिधग्राम गांव का गिद्धेश्वर शिव मंदिर। यहां बीते 300 साल से दास समुदाय को मंदिर में जाने का हक नहीं था। 12 मार्च को प्रशासन और पुलिस की दखल के बाद समाज के 5 लोगों ने पहली बार मंदिर में जाकर पूजा की। नई व्यवस्था के मुताबिक, हर दिन सुबह 10 से 11 के बीच समुदाय के 2 लोग मंदिर में पूजा कर सकते हैं। पढ़िए पूरी खबर... 2. पश्चिम बंगाल में कौन करा रहा मंदिरों पर हमले पश्चिम बंगाल का नंदीग्राम। 13 मार्च की बात है। रात करीब 12 बजे यहां कमालपुर के हनुमान मंदिर में कुछ लोगों ने हमला किया और भगवान की मूर्ति तोड़ दी। गांववालों को पता चला तो रात में ही वे पुलिस के पास गए, लेकिन केस दर्ज नहीं हुआ। गांववालों का आरोप है कि मंदिर पर हमला मुस्लिम बस्ती के लोगों ने किया। हालांकि, मुस्लिमों का कहना है कि हिंदू पक्ष ने खुद ही मूर्ति तोड़ी है। पढ़िए पूरी खबर...

दैनिक भास्कर 14 Apr 2025 4:00 am

इस शहर में आज भी मौजूद हैं एलियंस! मरे हुए शख्स के गले पर मिला था ये रहस्यमयी निशान

Alien: UK के एक शहर में लोग यू.एफ.ओ. (Unidentified flying object) हॉटस्पॉट होने की उम्मीद करते हैं. यहां पर कुछ ऐसी घटनाएं हुई जिसके बाद ये कहा जाता है कि यहां एलियंस भी हैं.

ज़ी न्यूज़ 13 Apr 2025 10:33 pm

कौन चुरा ले गया अमेरिका के परमाणु हथियार? आंखें फाड़े ढूंढ रहा सुपरपावर, धरे रह गए सारे दांव

United States: अमेरिका में कोल्ड वॉर के दौरान छह परमाणु हथियार गायब हो गए थे और उन्हें कभी बरामद नहीं किया जा सका. यहां का परमाणु शस्त्रागार परेशान करने वाली घटनाओं से भरा पड़ा है.

ज़ी न्यूज़ 13 Apr 2025 6:48 pm

लॉरेंस को भूल जाएंगे.. जब इस खतरनाक क्रिमिनल गैंग की कहानी सुनेंगे, दुनिया में है तहलका

Yakuza Gang: इस गैंग ने अपने प्रतिद्वंदी से यह संघर्ष खत्म करने की इच्छा जाहिर की है. यामागुची-गुमी के प्रमुख सदस्यों ने हाल ही में पुलिस मुख्यालय में एक चिट्ठी सौंपी जिसमें उन्होंने कोबे यामागुची-गुमी से इस खूनी संघर्ष को समाप्त करने का वादा किया है.

ज़ी न्यूज़ 13 Apr 2025 2:33 pm

साउथ कोरिया के पूर्व राष्ट्रपति पर चलेगा आपराधिक मुकदमा, जानें क्या मामला और क्या हैं आरोप?

दक्षिण कोरिया के पूर्व राष्ट्रपति यून सुक येओल के खिलाफ पहला आपराधिक मुकदमा इस सप्ताह शुरू होने वाला है. यून आपराधिक मुकदमे का सामना करने वाले पांचवें पूर्व राष्ट्रपति होंगे.

ज़ी न्यूज़ 13 Apr 2025 2:24 pm

अब अमेरिका में भारत की इन मेडिकल कंपनियों पर खतरा! वापस मंगाई गईं दवाइयां

Drug Recall: इन गोलियों का उपयोग मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं जैसे सिजोफ्रेनिया और बाइपोलर डिसऑर्डर के इलाज के लिए किया जाता है. यह रिकॉल एन-नाइट्रोसो-डेसमेथिल क्लोरप्रोमजाइन नामक अशुद्धता के कारण किया गया जो स्वीकार्य सीमा से अधिक पाया गया.

ज़ी न्यूज़ 13 Apr 2025 2:22 pm

रेगिस्तान में भूख-प्यास से तड़पता रहा परिवार, खाए पत्ते और गाड़ी के रेडिएटर का पिया पानी, आखिर में....

Family Stuck In Sand: सऊदी अरब में एक परिवार गाड़ी में समस्या के कारण कई दिनों तक रेगिस्तान में फंसा रहा. परिवार जान बचाने के लिए रेडिएटर के पानी पर निर्भर था.

ज़ी न्यूज़ 13 Apr 2025 12:42 pm

WATCH: आर्कटिक से ऑरलैंडो तक! अनाथ बेबी वालरस को मिला नया घर, जानें दिल छूने वाली कहानी

Animal Video Viral: अनाथ बेबी वालरस उकी को आर्कटिक में घायल और अकेला पाया गया था. विशेषज्ञों ने 24 घंटे के बचाव मिशन में उसे बचाया और Alaska SeaLife Center में इलाज किया. अब वह SeaWorld ऑरलैंडो में सुरक्षित है, जहां उसे प्यार और देखभाल मिल रही है.

ज़ी न्यूज़ 13 Apr 2025 12:22 pm

अब अमेरिका में चौबीसों घंटे साथ रखने होंगे डॉक्यूमेंट्स नहीं तो खानी पड़ेगी जेल की हवा, लागू हुआ नया कानून

America News: अमेरिका में रह रहे अप्रवासियों के लिए एक नया नियम लागू किया गया है. अब अप्रवासियों को चौबीसों घंटे अपने साथ अपना ID कार्ड रखना होगा.

ज़ी न्यूज़ 13 Apr 2025 9:17 am

एम्स्टर्डम की महंगाई देख दंग रह गए टेक एक्सपर्ट, बोले- बेंगलुरु से 3 गुना महंगा, दोस्तों ने कहा 'Europoor'

Amsterdam Viral News: टेक एक्सपर्ट प्रीतम भोसले ने एम्स्टर्डम में छह महीने बिताने के बाद बेंगलुरु से तुलना करते हुए बताया कि वहां रहना तीन गुना महंगा है. €2000 किराया, €500 ग्रॉसरी, महंगा खाना और कमजोर हेल्थकेयर ने हैरान कर दिया. दोस्तों ने मजाक में उन्हें 'Europoor' कहा.

ज़ी न्यूज़ 13 Apr 2025 8:24 am

टैरिफ तो बहाना है.. डोनाल्ड ट्रंप के माइंड में 5 बड़े टारगेट, कितना पूरा कर पाएगा अमेरिका?

US Trade Deal: ट्रंप के टैरिफ प्लान का असली निशाना चीन है. उनके मुताबिक चीन ने अमेरिका से व्यापारिक रूप से सबसे ज्यादा फायदा उठाया है. व्हाइट हाउस के अधिकारी भी मानते हैं कि चीन इस व्यापार संघर्ष का मुख्य कारण है. ट्रंप का यह संदेश साफ है कि वह चीन से सख्ती से निपटना चाहते हैं.

ज़ी न्यूज़ 13 Apr 2025 7:49 am

मेगा एंपायर-6 लाख उधार लेकर शुरू हुई फॉक्सकॉन:कभी टीवी के प्लास्टिक पार्ट बनाती थी, आज बनी आईफोन फैक्ट्री, रेवेन्यू 17 लाख करोड़

ताइवान की कंपनी फॉक्सकॉन जल्द ही इंडिया में एपल के ऑडियो वियरेबल्स AirPods की मैन्युफैक्चरिंग शुरू करेगी। AirPods इंडिया में बनने वाला एपल का दूसरा प्रोडक्ट होगा। कभी टेलीविजन कंपनी के लिए प्लास्टिक पार्ट्स बनाने वाली ये कंपनी आज एपल, एचपी, डेल, सोनी, माइक्रोसॉफ्ट जैसी बड़ी कंपनियों के लिए कई प्रोडक्ट बनाती है। 6 लाख के उधार से शुरू हुई फॉक्सकॉन का रेवेन्यू आज 17.68 लाख करोड़ रुपए है। मेगा एंपायर में आज कहानी ताइवान की इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी फॉक्सकॉन की- फॉक्सकॉन को Hon Hai Precision Industry Co. Ltd. के नाम से भी जाना जाता है। एयर-पॉड्स प्रोडक्शन के लिए फॉक्सकॉन ने करीब ₹3,500 करोड़ का इन्वेस्टमेंट किया है। फॉक्सकॉन ये प्रोडक्शन अपनी हैदराबाद वाली फैक्ट्री में करेगी। भारत में एयर-पॉड्स का प्रोडक्शन शुरू होने से एपल की चीन पर निर्भरता कम होगी। कंपनी इंडिया में आइफोन की मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने के लिए भी 276 करोड़ इन्वेस्ट कर रही है। साल 1974 में ताइवान में फॉक्सकॉन की शुरुआत टेरी गाउ (Terry Gou) ने की थी। टेरी गाउ का जन्म ताइपेई में हुआ था। 24 साल की उम्र तक उन्होंने रबर फैक्ट्री और दवा बनाने वाली फैक्ट्री में काम किया। इसके बाद टेरी ने एयरफोर्स में एंटी-एयरक्राफ्ट आर्टिलरी ऑफिसर के रूप में भी काम किया। साल 1974 में दोस्त और परिवार से करीब 6 लाख रुपए उधार लेकर टेरी ने कंपनी की नींव रखी। 10 बुजुर्ग कर्मचारियों के साथ मिलकर वर्कशॉप शुरू हुई, जिसका नाम Hon Hai Precision Industry Co. Ltd. रखा। जिसे आज हम फॉक्सकॉन के नाम से जानते हैं। तब यह कंपनी ब्लैक-एंड-व्हाइट टीवी के लिए प्लास्टिक पार्ट्स बनाती थी। तब ताइवान में टीवी का चलन बढ़ रहा था। टेरी ने बाजार की डिमांड को भांपते हुए इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री के पार्ट्स की मैन्युफैक्चरिंग शुरू कर दी। ऑर्डर लेने के लिए टेरी खुद फैक्ट्री के बाहर खड़े हो जाते थे। उनका फोकस छोटे कस्टमर पर था। कस्टमर्स को अपने प्रोडक्ट और उसकी क्वालिटी के बारे में टेरी खुद बताते थे। यही उनके बिजनेस की बुनियाद बनी। साल 1980 के दशक में कंप्यूटर का जमाना शुरू हुआ। तब टेरी की कंपनी ने कंप्यूटर के कनेक्टर्स पर फोकस किया। उन्होंने अमेरिका की कंपनी IBM के साथ डील की। यही डील उनके लिए टर्निंग पॉइंट साबित हुई। फॉक्सकॉन ने IBM के लिए कंप्यूटर कनेक्टर्स बनाए। देखते ही देखते फॉक्सकॉन एक ग्लोबल सप्लायर बन गया। धीरे-धीरे फॉक्सकॉन ने अपना नेटवर्क बढ़ाना शुरू कर दिया। साल 1990 के दशक में फॉक्सकॉन ने कई नए इलेक्ट्रॉनिक्स पार्ट्स बनाने शुरू किए जैसे मदरबोर्ड, ग्राफिक्स कार्ड और कंप्यूटर के कई दूसरे पार्ट। इससे कंपनी अलग-अलग टेक्निकल कंपनियों के लिए एक प्रमुख सप्लायर बनी। साल 2001 में फॉक्सकॉन को एपल ने पहला मैन्युफैक्चरिंग कॉन्ट्रैक्ट दिया। ये कॉन्ट्रैक्ट एपल के लिए कुछ एक्सेसरीज और कंप्यूटर पार्ट्स बनाने के लिए मिला था। साल 2007 में एपल ने पहला आईफोन लॉन्च किया। इसके बाद ही फॉक्सकॉन को आईफोन मैन्युफैक्चरिंग का जिम्मा मिला। यही से फॉक्सकॉन की पहचान एपल की फैक्ट्री के रूप में बनने लगी। इसके बाद साल 2010 में चीन के झेंगझौ में फॉक्सकॉन ने अपनी सबसे बड़ी फैक्ट्री बनाई, जिसे बाद में iPhone City नाम दिया गया। इस प्लांट में फॉक्सकॉन के लाखों कर्मचारी आईफोन, आइपैड और MacBooks बनाने लगे। इस दशक में फॉक्सकॉन ने ब्राजील, मेक्सिको और वियतनाम जैसे देशों में भी अपने मैन्युफैक्चरिंग ऑपरेशंस शुरू किए। साथी ही कई अन्य टेक कंपनियों के लिए प्रोडक्शन शुरू किया। Apple के अलावा फॉक्सकॉन ने Amazon, soni, HP, Microsoft Dell और Lenovo जैसी प्रमुख कंपनियों के साथ भी डील की। जिससे उनकी कस्टमर की लिस्ट और भी बड़ी हो गई। साल 2016 में कंपनी ने जापान की प्रमुख कंपनी Sharp को टेकओवर किया, जिसके बाद उसने Display, TV और स्मार्ट डिवाइस को मैन्युफैक्चर करना शुरू कर दिया। इस दौरान फॉक्सकॉन ने अमेरिका में बड़े इन्वेस्टमेंट की योजना बनाई। इसके बाद Wisconsin में फैक्ट्री लगाने की घोषणा की, जिसे टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट का प्रतीक माना गया। साल 2020 के बाद फॉक्सकॉन ने भारत और वियतनाम जैसे देशों में भी एपल प्रोडक्ट्स की मैन्युफैक्चरिंग शुरू की, ताकि चीन पर निर्भरता कम की जा सके। कोरोना महामारी के दौर में भी कंपनी ने iPhone 12 और अन्य डिवाइसेज के प्रोडक्शन को जारी रखा। साल 2021 में फॉक्सकॉन ने इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) के बारे में सोचा और MIH प्लेटफॉर्म की शुरुआत की। ये EV निर्माताओं के लिए एक ओपन-सोर्स बेस प्लेटफॉर्म है। इसके साथ ही कंपनी ने कई EV स्टार्टअप और बैटरी कंपनियों के साथ साझेदारी की। साल 2022 से फॉक्सकॉन ने भारत में iPhone 13 और 14 की मैन्युफैक्चरिंग शुरू की। इसी दौरान कंपनी ने तमिलनाडु, कर्नाटक और तेलंगाना में कई इन्वेस्टमेंट योजनाओं की घोषणा की। इसके साथ ही साल 2023 में फॉक्सकॉन ने भारत में लगभग 12 हजार 525 करोड़ का इन्वेस्टमेंट किया। फॉक्सकॉन भारत में आईफोन के कई मॉडल बना रही है। इसके अलावा बेंगलुरु में सेमीकंडक्टर और चिप प्लांट लगाने की योजना भी बना रही है। साल 2024 तक फॉक्सकॉन सिर्फ एक मैन्युफैक्चरिंग कंपनी नहीं रही। बल्कि यह स्मार्ट फैक्ट्री, AI बेस्ड प्रोडक्शन और ग्रीन टेक्नोलॉजी को प्राथमिकता दे रही है। कंपनी की इंडिया में प्रेजेंस एपल के प्रोडक्शन के जरिए और अधिक मजबूत हो रही है। जिससे भारत वैश्विक iPhone प्रोडक्शन का एक मुख्य सेंटर बन चुका है। आज फॉक्सकॉन पांच महाद्वीपों में फैल चुकी है। इसके 30 से ज्यादा देशों में 200 से अधिक प्लांट्स हैं। इनमें सबसे प्रमुख देश हैं चीन जहां सबसे बड़ा प्लांट झेंगझौ में है। यहां 3 लाख से ज्यादा कर्मचारी काम करते है। इस जगह को iPhone City के नाम से भी जाना जाता हैं। इसके अलावा भारत (चेन्नई, नोएडा, बेंगलुरु), वियतनाम, मेक्सिको, ब्राजील, अमेरिका, हंगरी, जापान, कोरिया, मलेशिया में भी इसके प्लांट्स मौजूद हैं। फॉक्सकॉन कंपनी में 10 लाख से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं। साल 2019 में टेरी गॉउ के बाद यंग लियू कंपनी के चेयरमैन बने। लियू इलेक्ट्रिक व्हीकल्स, AI और स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग में कंपनी को आगे बढ़ा रहे हैं। इसके अलावा लिन बाओझोंग इंडिया ऑपरेशंस हेड हैं। ये भारत में फॉक्सकॉन की योजनाओं, विस्तार और प्लांट सेटअप को संभालते हैं। फॉक्सकॉन B2B यानी बिजनेस टू बिजनेस मॉडल पर काम करती है। इसका मतलब है कि कंपनी आम लोगों को प्रोडक्ट नहीं बेचती बल्कि वो बड़ी कंपनियों के लिए मैन्युफैक्चरिंग करती है। हालांकि फॉक्सकॉन अब सिर्फ मोबाइल या कंप्यूटर के पार्ट्स नहीं बना रही बल्कि इलेक्ट्रिक गाड़ियां, हेल्थ टेक्नोलॉजी और रोबोट बनाने के काम भी कर रही है। कंपनी का मानना है कि आने वाले समय में इनकी ज्यादा जरूरत होगी। इसी सोच के साथ फॉक्सकॉन ने 3+3 स्ट्रैटजी बनाई है यानी 3 इंडस्ट्री और 3 टेक्नोलॉजी पर फोकस। फॉक्सकॉन अब स्मार्ट फैक्ट्री यानी ऐसी फैक्ट्री पर काम कर रही है जिसमें ज्यादातर काम मशीनें और रोबोट करेंगे। इसके लिए फॉक्सकॉन ने NVIDIA नाम की कंपनी के साथ पार्टनरशिप की है। इस पार्टनरशिप के जरिए वह AI फैक्ट्री बनाने जा रही हैं जो बिना इंसानों के मशीनों से काम करवाएगी। इससे काम और तेज, सस्ता और सही तरीके से होगा। फॉक्सकॉन अपने सामान को कम लागत में बनाने के लिए ऐसे देशों में फैक्ट्रियां खोलती है जहां मजदूरी कम होती है, जैसे भारत, वियतनाम और मेक्सिको। इससे कंपनी का खर्च कम और प्रॉफिट ज्यादा होता है। रिसर्च-बिपाशा, रतन प्रिया ------------------------------------------- मेगा एंपायर की ये खबर भी पढ़िए... 1. मेगा एंपायर- हिटलर के सपने से बनी कंपनी:आज ऑडी, पोर्शे, लैम्बोर्गिनी, स्कोडा, बुगाटी की पैरेंट कंपनी है फॉक्सवैगन; 153 देशों में बिकती हैं कारें जर्मनी के एक शहर फॉलर्सलेबेन में नाजी पार्टी की भव्य रैली थी। रैली में जर्मनी के तानाशाह एडोल्फ हिटलर ने मंच से कहा- हम ऐसी कार बना रहे हैं जो हर जर्मन के लिए होगी। यहीं से शुरू हुई जर्मन ऑटोमोबाइल कंपनी फॉक्सवैगन। जिसका रेवेन्यू आज 30.72 लाख करोड़ है। पूरी खबर पढ़े... 2. मेगा एंपायर- पहली प्राइवेट कंपनी जिसने भेजे अंतरिक्ष में इंसान:मंगल पर कॉलोनी बसाने के लिए बनी स्पेसएक्स, पहला रॉकेट 25 सेकंड में गिरा था ​​​​​​अंतरिक्ष यात्रियों को वापस लाने वाली अमेरिकी एयरोस्पेस कंपनी स्पेसएक्स की। जिसकी नींव इलॉन मस्क ने 2002 में रखी थी। आज इसका रेवेन्यू 1.12 लाख करोड़ रुपए है। दुनिया भर में कंपनी के 13 हजार कर्मचारी कार्यरत है। पूरी खबर पढ़े...

दैनिक भास्कर 13 Apr 2025 4:30 am

संडे जज्बात-मुगलों की बहू हूं, चूड़ी बेचकर बच्चे पाले:मुगल तो आज भी देश को दे रहे हैं, मैं टिकट खरीदकर लाल किला जाती हूं

मेरा नाम रजिया सुल्ताना बेगम है। मैं मुगल सल्तनत के आखिरी बादशाह बहादुर शाह जफर के पड़पोते मिर्जा बेदार बख्त की बीवी हूं। पंद्रह अगस्त साल 1965 को हमारी शादी हुई, तब मैं 12 साल की थी। मूल रूप से लखनऊ की रहने वाली हूं लेकिन परवरिश कोलकाता में नाना के यहां हुई है। इन दिनों मैं हावड़ा के शिवपुरी इलाके की एक गरीब बस्ती में जिंदगी काट रही हूं। आज जो माहौल चल रहा है दुख होता है उसे देखकर। कब्रें खोदी जा रही हैं। कब्र में न तो मुर्दे हैं न उनकी हड्‌डी है, तो फायदा क्या है। लोग कहते हैं कि मुगल लुटेरे थे। बाबर, तैमूर लंग से लेकर बहादुर शाह जफर तक सभी यहीं मरे, कौन था जो लूट कर ले गया और ले गया तो कहां ले गया। अरे उन लोगों ने फतेहपुर सीकरी बनाया, लाल किला बनाया, ताजमहल बनाया, हुमायूं का मकबरा बनाया। देश को सोने की चिड़िया बनाया। ब्रिटिश कोहिनूर ले गए, लाल किले से सब हीरे ले गए। ब्रिटिश से सवाल करो, उनपर उंगली उठाओ। मैं तो कहती हूं कि सभी सड़कों के नाम हटा दो, शहरों के नाम बदल दो लेकिन यह तो बताओ किसके नाम पर रखोगे। कोई इतिहासकार है क्या हिंदोस्तान को संवारने वाला। मुगल आज भी देश को दे रहे हैं, मैं मुगल खानदान की बहू हूं लेकिन लाल किले में 50 रुपए टिकट देकर जाती हूं। हुमायूं के मकबरे में 40 रुपए देकर जाती हूं। जबकि वो मेरे खानदान की रियासत है। मुगल कहां ले गए लूट कर एक का नाम बता दो तो मैं सिर झुका लूंगी। कब्र खुदे या रहे ये सरकार की जिम्मेदारी है। अगर विदेश से उधम सिंह की राख वापिस आ सकती है, तो रंगून से बहादुर शाह जफर की कब्र की मिट्‌टी क्यों नहीं आ सकती। क्या बहादुर शाह जफर वतन के गद्दार थे। उनकी हसरत थी कि उन्हें अपने वतन में दफन किया जाए। जब वो यहां से गए तो वतन की मिट्‌टी ले गए थे और कह गए थे कि अगर मैं मर जाऊं तो मेरे सीने पर वतन की मिट्‌टी रख देना। बेदार साहब की कुछ बातें बहुत याद आती हैं। अक्सर कहते थे कि शाहजहां तो मोहब्बत में ताजमहल बना गए लेकिन हम तेरी मोहब्बत में बांस का ताजमहल बनाएंगे। खुद ही बांस के ताजमहल में सो गए हमेशा के लिए। बात-बात पर कहते थे कि तुझे फख्र होना चाहिए कि तेरी शादी किस से हुई है। फिर कहते तौबा करो, ऐसा बोलना सही नहीं है। मेरी खाला और बेदार साहब की खाला दोस्त थी। खाला ने बाजी से कहा कि अकबर के खानदान का लड़का है, सुल्ताना की शादी कर दो। कुछ बोझ कम होगा। मेरी शादी एक मुगल शासक के खानदान में हुई है यह बात बेदार साहब के साथ रहकर पता चली। जब शादी हुई उस वक्त बेदार साहब कोई काम नहीं करते थे। उन्हें मुगल खानदान का होने के नाते 250 रुपया पेंशन मिलती थी। उसी से गुजारा होता था। वो कहते थे कि हमारे खानदान में कभी किसी ने काम नहीं किया है, इसलिए मैं भी काम नहीं करुंगा। काम करना मेरे बस का नहीं है। नवाब साहब नग भी बेचा करते थे। उनकी लिखी एक गजल मेरे पास है अभी भी है कि - दुनिया का हर जर्रा हुआ है बेदार, हाए बेदार मुकद्दर मेरा बेदार….यह गजल नवाब सहाब ने लिखी थी। यानी की अल्लाह ने सभी कि किस्मत बदल दी लेकिन हमारी नहीं बदली। शादी के बाद दो बच्चे हुए। खर्च भी बढ़ गया। बेदार साहब को हर दिन गोश्त के साथ बढ़िया वाला चावल। गोश्त के बिना उनके गले से निवाला नहीं उतरता था। दिन में गोश्त और शाम में कलेजी पराठा। सिर्फ जुमे के दिन गोश्त नहीं बनता था। उनकी ये सब ख्वाहिशें पूरी करने के लिए मुझे फिर से काम करना पड़ा। शादी से पहले जिल्द बांधने, लाख की चूड़ी बनाने का काम सीखा था, वही सब फिर से शुरु किया। निब वाले पैन का सॉकेट लगाना, किताबों की जिल्द बांधना जैसे काम करने पड़े। नवाब साहब का कहना था कि घर बैठे इज्जत का काम करो। बस किसी के यहां चूल्हा चौका करने नहीं जाना है। फिर उनकी मौत के बाद तो बहुत गुरबत के दिन आ गए। नवाब साहब ने मुझसे वादा लिया था कि अगर मैं मर गया तो बच्चों को पानी पिलाकर रखना लेकिन किसी के आगे हाथ नहीं फैलाना। मैंने अपने बच्चों को पानी के साथ ब्रैड खिलाई है लेकिन कभी किसी से मांगा नहीं। मैं हमेशा ये सोचती थी मुगल सल्तनत की बहू हूं और क्या काम कर रही हूं। कैसी जिंदगी है। नवाब साहब को इससे फर्क नहीं पड़ता था। उनसे कई दफा कहती थी कि रस्सी जल गई लेकिन एंठन नहीं गई। वो किसी की शादी में नहीं जाते थे। कहते थे कि मोहताजगी का खाना नहीं चाहिए। आखिरी दिनों में उन्हें लकवा मार गया था। अस्पताल में भर्ती थे। एक दिन कहने लगे सुल्ताना हमें घर ले चलो, खैराती इलाज नहीं चाहिए। उन्हें समझाया कि इलाज के पैसे नहीं हैं, लेकिन वो नहीं माने। तब डॉक्टर से छुट्‌टी मांगी और उन्हें घर ले आई। आखिर वो नहीं बचे। उस वक्त मैं 27 साल की थी, वो 60 साल के थे। उनकी मौत पर उस वक्त पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री रहे ज्योति बसु ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया और तीन बंदूकों की सलामी दी थी। नवाब साहब की मौत के बाद बच्चों को लेकर मायके चली गई, क्योंकि खर्च नहीं चला पा रही थी। मायके जाकर भी काम करने लगी। कुछ दिन बाद नवाब साहब की 400 रुपए की पेंशन मेरे नाम हुई। यहां फिर से लाख की चूड़ी बनाने लगी। रोड पर चाय की दुकान लगाई। मोती पिरोए। फैक्ट्री से साड़ियों का गट्ठर लेकर आती, धागे तोड़ती फिर उन्हें लौटा देती। एक हजार साड़ी के 100 रुपए मिलते। बस यह है कि किसी से मांगा नहीं। मेरे नाना अख्तर हुसैन के पास खूब पैसा हुआ करता था। वो नौकरी की तलाश में लखनऊ से कोलकाता आए थे। बाद में नानी और अम्मी भी यहां आ गई। अम्मी की शादी लखनऊ में काकोरी के पास कसमंडी गांव में हुई थी। निकाह के वक्त नाना ने वालिद के सामने शर्त रखी कि अगर बेटी इस गांव में खुश नहीं रहेगी तो अपने साथ कोलकाता ले जाएंगे। जिंदगी भर बेटी और उसके बच्चों का खर्च उठाएंगे। शादी के दो साल बाद ही नाना, अम्मी को कोलकाता ले आए। उस वक्त उनका कारोबार बहुत अच्छा था। अम्मी के बाद मेरे वालिद भी कोलकाता आ गए। नाना ने वालिद से कहा कि कुछ काम करो, वरना लोग कहेंगे ससुराल की रोटी तोड़ रहे हो। उस वक्त हम कोलकाता के तलतला स्ट्रीट में रहा करते थे। वक्त अच्छा कट रहा था। हमारे पास किसी चीज की कमी नहीं थी। पास में एक दादी के यहां अरबी पढ़ने जाते थे। मैं हमेशा पैंट बुशर्ट पहनती थी। गिल्ली डंडा और कंचे खेलती, पतंग उड़ाती। खुशनुमा अल्हड़ बचपन था। नाना की मौत के बाद हमारे दिन ही पलट गए। ऐसी गरीबी आई कि एक वक्त की रोटी तक नहीं मिलती थी। वालिद की तो बहुत कमाई थी नहीं। जब मामी कहती थी कि आओ खाना खा लो, तो हम कह देते कि भूख नहीं है। हमें पता था कि खाना तो है नहीं, इसलिए झूठ बोल देते थे कि पेट एकदम भरा हुआ है। जबकि इतनी तेज भूख लगी होती थी कि खाना दिख जाए तो छीन कर खा लें। मामा उस वक्त सात आने का आटा, चार आने का गोश्त और एक आने की दाल लाते थे। मुश्किल से एक-एक रोटी ही सबके हिस्से आती थी। एक रोटी अगली सुबह के लिए रख देते थे। जब तेज भूख लगती तो कई बार अम्मी से कहते वो चूल्हे में कागज जलाकर ऊपर खाली पतीली चढ़ा देती थी। कहती थी कि सो जाओ, खाना पक जाएगा तो जगा दूंगी। हम खाने के इंतजार में सो जाते थे। कुछ दिन बाद हम लोग काम करने लगे। मामू के घर में हमने बुक बाइंडिंग का काम किया, लिफाफे बनाए, लाख की चूड़ी बनाई। एक कुरान शरीफ की जिल्द बांधने के काम का दो रुपया मिल जाता था। एक हजार लिफाफे बनाने का चार आना मिलता था। रूमाल पर माड़ लगते थे। एक हजार रूमाल पर माड़ लगाने के चार आना मिलते थे। फिर शादी हो गई तो यही सब काम दोबारा शुरू किया। कुछ साल पहले किसी ने प्रतिभा पाटिल जी से मिलवाया था। उन्होंने अपनी मर्जी से पेंशन छह हजार रुपए कर दी। उसमें से 2500 रुपए घर का किराया है। 3500 में घर का सामान और मेरा इलाज। जब सभी राजा महाराजा को उनके घर वापिस मिले हैं, तो बहादुर शाह जफर के क्यों नहीं। वो भी तो बादशाह थे, कोई भिखारी तो थे नहीं। मुझे भी मेरा घर चाहिए। मैं उनके पड़पोते की बीवी हूं। हमें हमारा महल वापिस मिले। न हमारे पास जायदाद, न शहंशाही पेंशन, न रहने को छत। मैं कितने साल से कह रही हूं, कोई सुनवाई नहीं। सरकार ने टीपू सुल्तान, हैदराबाद, मीर जाफर, वालिद शाह को खूब दिया लेकिन हमें नहीं। नवाब साहब कहते थे कि काश बहादुर शाह ने भी घुटने टेक दिए होते लेकिन फिर कहते कि आज दुनिया में जो हमारा नाम है, उनकी वफादारी की ही वजह से है। बहादुर शाह जफर ने वतन से गद्दारी नहीं की तो हमारी आने वाली नस्लें भी सिर उठा कर जी पाएंगी। ये जज्बात रजिया सुल्ताना बेगम ने भास्कर रिपोर्टर मनीषा भल्ला से साझा किए। ------------------------------------------------------ संडे जज्बात सीरीज की ये स्टोरीज भी पढ़िए... 1. संडे जज्बात- भाई की इच्छा थी बेटी का ख्याल रखना:मुस्कान मेरे भाई को खा गई, अब सभी घरवाले नींद की गोली खाकर सोते हैं मैं उसी सौरभ का भाई हूं, जिसकी लाश एक नीले ड्रम के अंदर 4 टुकड़ों में मिली थी। उसकी बीवी मुस्कान ने उसे मार दिया। सौरभ जब आखिरी बार लंदन जा रहा था, शायद तभी उसे अंदाजा हो गया था। पूरी खबर पढ़ें... 2. संडे जज्बात- 6 महीनों में मेरी मौत तय:22 दिन में लास्ट स्टेज पहुंचा कैंसर, अब लगता है घरवाले एक पल भी दूर न रहें मेरा नाम संतोष कुमारी है। मैं पंजाब के मोहाली में रहती हूं। रोज रात में जब सोती हूं तो लगता है शायद कल का सूरज न देख पाऊं, इसलिए अपनी हर खास चीज को एकबार याद कर लेती हूं। डॉक्टर ने कहा है कि मेरे पास ज्यादा से ज्यादा 6 महीने का वक्त है। पूरी खबर पढ़ें... 3.संडे जज्बात-आसाराम को उम्रकैद दिलाने के लिए लड़ा:केस छोड़ने के लिए 30 करोड़ का ऑफर, जहर के डर से लड़की का परिवार दूध तक नहीं खरीदता मैं एडवोकेट पूनम चंद सोलंकी,मेरी ही पैरवी पर जोधपुर कोर्ट ने आसाराम बापू को 2018 में आजीवन कारावास यानी मरते दम तक जेल में रहने की सजा सुनाई थी। पूरी खबर पढ़ें...

दैनिक भास्कर 13 Apr 2025 4:30 am

आज का एक्सप्लेनर:2025 में सोना पहले 15 हजार बढ़ा, फिर ₹2,464 गिरा, अब दोबारा ऑल टाइम हाई; क्या इस उथल-पुथल में खरीदना चाहिए

पिछले कुछ वक्त से सोना रोलर कोस्टर पर सवार है। 2025 के शुरुआती 94 दिनों में 14,852 रुपए बढ़कर 91,014 रुपए प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया। फिर दो दिनों में ही करीब ढाई हजार घट गया। 9 अप्रैल से फिर बढ़ना शुरू हुआ और अब 93,353 रुपए प्रति 10 ग्राम के ऑल टाइम हाई पर है। सोने में क्यों मची है इतनी उथल-पुथल, क्या गोल्ड खरीदने का ये सही वक्त है या कुछ दिन इंतजार करना चाहिए; जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में... सवाल-1: 2025 के शुरुआती 94 दिन सोने की कीमतों का ट्रेंड क्या रहा?जवाब: इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन यानी IBJA के मुताबिक, 1 जनवरी 2025 को 24 कैरेट सोने की कीमत 76,162 रुपए प्रति 10 ग्राम थी। सवाल-2: फिर सोने की कीमतें करीब ढाई हजार रुपए प्रति 10 ग्राम कैसे गिर गईं?जवाब: 5 और 6 अप्रैल को बाजार बंद रहा, लेकिन 7 अप्रैल को बाजार खुलते ही सोने की कीमतें करीब 2 हजार रुपए गिर गईं। IBJA के मुताबिक, इस दिन सोना 89,085 रुपए प्रति 10 ग्राम बिका। अगले दिन यानी 8 अप्रैल को भी सोने की कीमतों में गिरावट जारी रही। 10 ग्राम 24 कैरेट सोने का दाम 88,550 पर आ गया। सिर्फ दो कारोबारी दिनों में ही सोने के दाम में 2,464 रुपए की गिरावट आई। केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर अजय केडिया के मुताबिक, ‘इन दो दिनों में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और चीन के बीच टैरिफ के घमासान ने सोने पर दबाव बढ़ा दिया। ट्रम्प ने टैरिफ को लेकर स्थिति साफ नहीं की, जिससे कीमतें कम हो गईं। सभी इसी असमंजस में थे कि 9 अप्रैल से टैरिफ को लेकर क्या होगा। इस दौरान शेयर मार्केट में भारी गिरावट आई, जिससे निवेशकों ने सोने की जगह शेयर्स में इन्वेस्ट किया। इसके अलावा डॉलर की मजबूती की वजह से भी सोने की कीमतों में गिरावट आई।’ सवाल-3: अब दोबारा सोना अपने ऑल टाइम हाई पर कैसे पहुंचा?जवाब: 9 अप्रैल को सोने की कीमतें 1,611 रुपए बढ़ गईं। 24 कैरेट प्रति 10 ग्राम सोना 90,161 रुपए पर पहुंच गया। एक्सपर्ट्स इसके 2 प्रमुख कारण बताते हैं- 10 अप्रैल को मार्केट बंद रहा। 11 अप्रैल को सोने के दामों ने नया ऑल टाइम हाई बनाया। IBJA के अनुसार 10 ग्राम 24 कैरेट सोने का दाम ₹3,192 बढ़कर ₹93,353 पर पहुंच गया। 12 अप्रैल को 10 ग्राम 24 कैरेट सोने की कीमत 93,353 रुपए रही। अजय केडिया ने कहा, डोनाल्ड ट्रम्प ने ऊंचे टैरिफ का ऐलान करके पूरी दुनिया के बाजारों में खलबली मचा दी है। कारोबारी नीतियों के लिहाज से इसे सदी का बदलाव कहा जा रहा है। टैरिफ और ट्रेड वॉर ने दुनियाभर में जो चिंता पैदा की है, उससे सोने की कीमतों ने इस साल कई बार नया रिकॉर्ड बनाया। जब भी अर्थव्यवस्था में अस्थिरता आती है तो सोने की कीमतों को पंख लग जाते हैं। यूके की बेलफास्ट यूनिवर्सिटी के आर्थिक इतिहासकार डॉ. फिलिप फ्लायर्स कहते हैं, 'बड़ी तादाद में लोग अब शेयर जैसे इक्विटी इंस्ट्रूमेंट्स छोड़कर गोल्ड में इन्वेस्ट करने लगे हैं। सरकारें, रिटेल इन्वेस्टर्स और आम लोग भी सोना खरीद रहे हैं। यही वजह है कि गोल्ड की कीमतों में इतनी तेजी आ गई।' सवाल-4: क्या इस उथल-पुथल के बीच सोना खरीदना सुरक्षित है?जवाब: अजय केडिया कहते हैं, 'भले ही ग्लोबल मार्केट में हालात बदलते रहें, लेकिन यह भी याद रखना चाहिए कि गोल्ड में कोई भी बड़ा निवेश वित्तीय बाजार के बड़े खिलाड़ियों के रहमो-करम पर टिका होता है। बड़े खिलाड़ी जो करते हैं, उनका असर सोने की कीमतों पर दिखता है। इसलिए सोने में सोच-समझकर इन्वेस्ट करना चाहिए।' 2020 में कोविड महामारी की वजह से अर्थव्यवस्था में भारी गिरावट आई थी तो गोल्ड के दाम तेजी से आसमान छूने लगे थे। हालांकि ऐसी अस्थिरता गोल्ड की कीमतों को चोट भी पहुंचा सकती है। इस कारण सुरक्षित निवेश का मतलब ये नहीं है कि इसमें जोखिम नहीं है। अजय केडिया ने कहा, 'बाजार में उतार-चढ़ाव को देखते हुए केंद्रीय बैंक इक्विटी मार्केट में अपना निवेश घटाकर थोक के भाव सोना खरीदते हैं। उनका मकसद अपना गोल्ड रिजर्व बढ़ाना होता है। इस स्थिति में आम लोगों के लिए सोना खरीदना जोखिम भरा हो सकता है, लेकिन फिर भी सोने में इन्वेस्टमेंट एक लिहाज से सुरक्षित भी है, क्योंकि यह कभी न कभी फायदा जरूर देता है।' हालांकि डॉ. फिलिप फ्लायर्स के मुताबिक, गोल्ड के दाम जिस तरह से लगातार बढ़ते जा रहे हैं, इस पर दांव लगाना जोखिम भरा हो सकता है। जैसे ही बाजार स्थिर होगा और सरकारें सोच-समझकर फैसला लेने लगेंगी, लोग फिर से गोल्ड में निवेश कम कर देंगे। गोल्ड में इन्वेस्ट करना है तो ज्यादा समय के लिए करें। सवाल-5: सोने की कीमतों में उथल-पुथल भारत में ही है या ग्लोबल मार्केट में भी यही ट्रेंड है?जवाब: किसी भी देश में सोने के दाम इसके इंटरनेशनल रेट के आधार पर तय होते हैं। इंटरनेशनल लेवल पर लंदन बुलियन मार्केट एसोसिएशन (LBMA) सोने के दाम तय और रेगुलेट करता है। यह बाकी देशों के साथ मिलकर काम करता है। 24 कैरेट शुद्धता वाले सोने का प्रति औंस रेट डॉलर में तय होता है। एक औंस 28.3 ग्राम का होता है। LBMA के मुताबिक, जनवरी में सोने की कीमत 2633 डॉलर प्रति औंस थी, जो अप्रैल तक बढ़कर 3230 डॉलर प्रति औंस हो गई। इस दौरान भी सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव देखने को मिले। फरवरी में जहां सोने का हाईएस्ट प्राइस 2936 डॉलर प्रति औंस पहुंच गया था, वहीं मार्च में लोएस्ट 2880 डॉलर प्रति औंस तक गिर गया। हालांकि मार्च के आखिर और अप्रैल में इसमें फिर बढ़ोतरी देखी गई। सवाल-6: सोने की मौजूदा बढ़ोतरी के पीछे क्या-क्या फैक्टर्स हैं?जवाब: सोने की मौजूदा बढ़ोतरी के पीछे 4 बड़े फैक्टर्स हो सकते हैं… 1. डॉलर के गिरने से सोने की मजबूतीडोनाल्ड ट्रम्प के फैसलों का असर सबसे ज्यादा अमेरिकी बाजारों पर पड़ रहा। ट्रम्प की नीतियों की वजह से सोना बीते 10 सालों में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया। 12 अप्रैल को डॉलर के इंडेक्स में 9% गिरावट आई। जिससे यह 99.50 अंक लुढ़क गया। इस कारण सोने की कीमतें लगातार बढ़ने लगी। 2. ट्रेड वॉर की वजह से सोना महंगाडोनाल्ड ट्रम्प ने रेसिप्रोकल टैरिफ पर 90 दिनों की रोक लगा दी पर चीन पर ये बढ़ाकर 145% कर दिया है। वहीं चीन ने भी अमेरिका पर टैरिफ बढ़ाकर 125% कर दिया है। दोनों देशों के बीच जारी ट्रेड वॉर के चलते अभी भी वर्ल्ड मार्केट में अस्थिरता की संभावना है। आर्थिक अस्थिरता के दौर में सोने के दाम में बढ़ोतरी होती है। 3. जियोपॉलिटिकल इश्यूज का सोने पर असरट्रम्प ने इजराइल और हमास युद्ध तो रुकवा दिया, लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध पर लगाम नहीं लगी। इसी के साथ चीन-म्यामांर जैसे कई देशों में युद्ध शुरू होने की खबरें आ रही हैं। चीन भी चुप बैठने को तैयार नहीं है। दुनियाभर में युद्ध की स्थिति बनी रही है, जिस वजह से सोने के भाव तेजी से बढ़ रहे हैं। 4. रिटेल डिमांड में बढ़ोतरीभारत में सोने की मांग में लगातार बढ़ोतरी की एक वजह बढ़ती रिटेल डिमांड है। भारत में शादियों, त्योहारों और अन्य उत्सवों में लोग सोना खरीदते हैं। ऐसे में शादियों और त्योहारों के सीजन में यहां सोने के दाम में बढ़ोतरी दर्ज की जाती है। सवाल-7: सोने की कीमतों का 2025 में क्या प्रोजेक्शन है?जवाब: अजय केडिया कहते हैं कि 2025 में सोने की कीमतें लगातार बढ़ेंगी। इसी साल सोना 99 हजार रुपए प्रति 10 ग्राम के पार पहुंच सकता है। वहीं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सोने की कीमत 3,000 डॉलर प्रति औंस हो सकती है। इसकी 4 बड़ी वजहें हैं… 1. केंद्रीय बैंक की खरीद में उछालदुनियाभर के केंद्रीय बैंक सोने की खरीद बढ़ा रहे हैं। यह खरीदारी रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद शुरू हुई। सोने की खरीदारी अब 2022 से पहले के स्तर से लगभग 3 गुना बढ़ गई है, जो लगातार जारी है। जब सोने की खरीद बढ़ती है, तो कीमतों में भी उछाल आता है। 2. फेडरल रिजर्व के इंट्रेस्ट रेट में कटौतीअमेरिकी फेडरल रिजर्व बैंक इंट्रेस्ट रेट में कटौती कर सकता है, जिससे आने वाले समय में सोने की कीमतें और बढ़ेंगी। इंट्रेस्ट रेट बढ़ने से सोने की खरीदारी कम हो जाती है, क्योंकि इससे फायदा कम मिलता है। अभी अमेरिकी फेडरल रिजर्व का लक्ष्य 4.25% से 4.50% के बीच बना हुआ है। 3. रेसिप्रोकल टैरिफ की बढ़ोतरीअजय केडिया का मानना है, ‘डोनाल्ड ट्रम्प ने फिलहाल टैरिफ पर 90 दिनों के लिए रोक लगा दी है। लेकिन फिर भी 10% टैरिफ लग रहा है। इससे सोने की कीमतों पर भी असर पड़ा है। अगर 90 दिन बाद ट्रम्प ने टैरिफ को बढ़ाकर दोबारा शुरू कर दिया, तो सोने की कीमतें भी तेजी से बढ़ सकती हैं।’ सवाल-8: चांदी की कीमतों का ट्रेंड और अगले 1 साल का प्रोजेक्शन क्या है?जवाब: इस साल चांदी की कीमतों में अब तक 8% की बढ़ोतरी देखी गई है। साल की शुरुआत में चांदी की कीमत 86,017 रुपए प्रति किलो थी जो कि 12 अप्रैल तक 6,912 रुपए बढ़कर 92,929 रुपए प्रति किलो पर पहुंच चुकी है। इसी बीच 28 मार्च को चांदी ने 1,00,934 रुपए का ऑल टाइम हाई बनाया था। सोने और चांदी के प्रोजेक्शन के लिए दोनों का रेश्यो कम्पैरिजन किया जाता है। यह रेश्यो आमतौर पर 30% से 90% के बीच बना रहता है। जनवरी 2025 में सोने और चांदी का रेश्यो 89.3% पर बना हुआ है। अजय केडिया का मानना है कि आने वाले समय में रेश्यो नीचे गिरेगा, जिससे चांदी की कीमतों में उछाल आ सकता है। 2025 में चांदी भारतीय बाजार में 1 लाख 30 हजार रुपए प्रति किलोग्राम तक पहुंच सकती है। **** नोट- यह सामग्री केवल जानकारी के लिए है। निवेश से जुड़ा फैसला सोच-समझकर लें। बाजार जोखिमों के अधीन है। ***** रिसर्च सहयोग- श्रेया नाकाड़े --------------- गोल्ड से जुड़ी अन्य खबर पढ़ें इस हफ्ते सोने-चांदी में रही तेजी: सोना 2,339 रुपए महंगा होकर 93,353 रुपए पर पहुंचा, चांदी 92,929 रुपए किलो बिक रही इस हफ्ते सोने-चांदी के दामों में बढ़त देखने को मिली है। इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन (IBJA) की वेबसाइट के अनुसार पिछले शनिवार यानी 5 अप्रैल को सोना 91,014 रुपए पर था, जो अब (12 अप्रैल) को 93,353 रुपए प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया है। यानी इस हफ्ते इसकी कीमत 2,339 रुपए बढ़ी है। ये सोने का ऑल टाइम हाई भी है। पूरी खबर पढ़ें...

दैनिक भास्कर 13 Apr 2025 4:30 am

‘कपिल मिश्रा को भीड़ जुटाते, दंगे कराते देखा’:शिकायत करने वाले इलियास बोले- सबूत थे तब भी FIR नहीं हुई, गुंडे धमकाने आते थे

तारीख: 23 फरवरी 2020जगह: दिल्ली का जाफराबाद BJP लीडर कपिल मिश्रा ने जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के पास भाषण दिया। इसके कुछ ही घंटों बाद कर्दमपुरी में हथियारबंद भीड़ हंगामा करने लगी। आरोप है कि भीड़ के साथ कपिल मिश्रा कर्दमपुरी में एक सड़क ब्लॉक करते देखे गए। उन्होंने रेहड़ी पटरी वालों की गाड़ियां तोड़ दी। मौके पर नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के डिप्टी पुलिस कमिश्नर और बाकी अफसर खड़े रहे। दिल्ली के शाहीन बाग में उस वक्त नागरिकता संशोधन कानून यानी CAA के विरोध में प्रदर्शन चल रहा था। देखते-देखते ही प्रदर्शन दंगों में बदल गया। 23 फरवरी से 26 फरवरी तक चले दंगे में 53 लोगों की मौत हो गई। अब कपिल मिश्रा दिल्ली सरकार में मंत्री हैं। चांदबाग के रहने वाले मोहम्मद इलियास पिछले 5 साल से उनके खिलाफ केस दर्ज कराने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में इसे लेकर याचिका भी लगाई। 5 साल बाद 1 अप्रैल को कोर्ट ने अर्जी मंजूर की। कोर्ट ने कपिल मिश्रा, दयालपुर थाने के तत्कालीन SHO कालकेश्वर, डिप्टी स्पीकर मोहन सिंह बिष्ट और BJP के पूर्व विधायक जगदीश प्रधान पर FIR का आदेश दिया। हालांकि राउज एवेन्यू कोर्ट ने ही 9 अप्रैल को कपिल मिश्रा की याचिका पर जांच के आदेश पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी है। दिल्ली दंगों को लेकर कपिल मिश्रा पर लगे आरोपों और तब का घटनाक्रम समझने के लिए हम चांदबाग पहुंचे। दंगों के वक्त इलियास ने शिकायत में क्या लिखा…कपिल मिश्रा को दंगा भड़काते और कराते देखा, शिकायत भी की, लेकिन FIR नहीं हुईचांदबाग में हम मोहम्मद इलियास से मिले। वे प्रॉपर्टी डीलर हैं। परिवार में पांच बच्चे और दो भाई हैं। चांदबाग में 23 फरवरी को दंगे भड़क गए थे। इलियास बताते हैं कि दंगे खत्म होने के कुछ दिन बाद से ही वे कपिल मिश्रा के खिलाफ FIR दर्ज करवाने की कोशिश कर रहे हैं। 17 मार्च 2020 को ईदगाह राहत शिविर में इलियास ने शिकायत भी दर्ज कराई थी। तब उन्हें दयालपुर पुलिस स्टेशन की मुहर भी मिल गई थी। उन्होंने शिकायत में लिखा था, 'कर्दमपुरी में पुलिस अधिकारी कपिल मिश्रा और उनके साथियों की मदद कर रहे थे। इसके बाद इलाके में माहौल बिगड़ा।' 'तब DCP रहे वेद प्रकाश सूर्या अलग-अलग गलियों में घुसे और CAA का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों को चेतावनी दी। वे कह रहे थे- अगर प्रदर्शन खत्म नहीं किया तो यहां ऐसे दंगे होंगे कि सभी मारे जाएंगे। इन सबके बाद इलाके में तोड़फोड़ और आगजनी शुरू हो गई। इलियास ने शिकायत में आगे लिखा, ‘अगली सुबह मैं आग लगने के बाद फारुकिया मस्जिद का हाल देखने पहुंचा। वहां दयालपुर के पूर्व SHO तारकेश्वर समेत कई पुलिस अधिकारी, एक लोकल जनरल स्टोर चलाने वाले और इलाके में काफी पावरफुल माने जाने वाले ‘चावला’ पहले से मौजूद थे।‘ ‘पुलिस अधिकारियों और चावला के साथियों ने इलाके में लगे CCTV कैमरे तोड़ने शुरू कर दिए। उन्होंने मस्जिद और उसके पास के मदरसे में भी तोड़फोड़ की। मैंने तारकेश्वर से दखल देने की गुहार लगाई, लेकिन उन्होंने मना कर दिया।‘ पुलिस के सामने कपिल मिश्रा ने 500 लोग इकट्ठे किए, तोड़फोड़ की 23 फरवरी, 2020 का मंजर याद करते हुए इलियास बताते हैं, 'मैंने कर्दमपुरी रोड पर देखा कि कपिल मिश्रा के साथ 500 लोगों की भीड़ जमा थी। पुलिस की मौजूदगी में वो लोग मुसलमानों और दलितों के ऑटो, ठेले और गाड़ियां रोक कर उन पर हमला कर रहे थे।' 'दरअसल उस दिन मुसलमानों और दलितों की CAA के विरोध में एक रैली होनी थी। कपिल मिश्रा ये रैली रोकना चाहते थे। मैंने देखा दोपहर 1 बजे भीड़ तोड़फोड़ करने लगी। उनके हाथों में डंडे थे। वे गाड़ियों का शीशा तोड़ रहे थे। सड़क जाम कर दी थी। इसके बाद ही दंगा भड़का।' 'जहां ये सब हो रहा था, मेरा घर उसके ठीक सामने है। कोई भी घर से बाहर नहीं निकल रहा था। गाड़ियों और दुकानों को आग लगा दी गई। हर तरफ धुआं था। इसमें पूर्व विधायक जगदीश प्रधान भी शामिल थे। मेरे घर के सामने विक्टोरिया स्कूल में आग लगा दी गई। यहां अगले 3 दिन तक हिंसा चलती रही।' 5 साल बुरे दौर से गुजरा परिवार, गुंडे बार-बार घर में धमकाने आते हैंइलियास चाहते हैं कि जिन लोगों ने जुल्म किया है, उन पर कानूनी कार्रवाई हो। वे बताते हैं कि पिछले 5 साल मुझे और मेरे परिवार को बुरे दौर से गुजरना पड़ा। हम पर लगातार केस से पीछे हटने का दबाव बनाया गया। घर में तोड़फोड़ की गई। मेरे भाई मोहम्मद खालिद पर भी झूठे केस में FIR कर दी गई। हालांकि सबूत न मिलने पर पिछले साल उन्हें बेल मिल गई। वे बताते हैं, ‘जब मैं कपिल मिश्रा के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने गया, तब मैं बहुत डरा हुआ था। हालांकि मैंने सोचा कि अगर इन्हें अभी नहीं रोका गया, तो ये बड़ा खतरा बन जाएंगे। मरने वालों में मैं या मेरे परिवार का भी कोई हो सकता है। इनके खिलाफ FIR जरूरी है।‘ ‘पिछले पांच साल से मुझे धमकी भरे कॉल आ रहे हैं। लोग धमकाते हुए घर में घुस आते हैं। मैंने इसकी शिकायत भजनपुरा पुलिस स्टेशन में की थी।' चार साल से कड़कड़डूमा जिला कोर्ट ने मुझे पुलिस प्रोटेक्शन देने का आदेश दिया हुआ है। कई बार गुजारिश करने के बाद भी भजनपुरा और खजूरी थाने से प्रोटेक्शन नहीं मिली। वे पुलिसफोर्स न होने की दलील देते रहे। इलियास कहते हैं, 'पिछले साल भी कुछ लोग मेरे घर में घुस आए और बदतमीजी करने लगे। कोर्ट से मुझे मदद के लिए SHO का नंबर मिला था। जब मैंने उन्हें कॉल करके सारी बातें बताईं तो उन्होंने कहा कि जो भी घर आए हैं, उन्हें पुलिस स्टेशन लेकर आ जाओ।' इलियास कहते हैं कि मेरी फैमिली को भी खतरा है।पुलिस से मुझे कोई मदद नहीं मिली। मुझे उम्मीद है कि चाहे जल्दी या देर से, लेकिन इंसाफ मिलेगा। मुझे अदालत पर भरोसा है। कोर्ट ने 5 घटनाओं को जोड़कर देखा, तब समझ आई भूमिकामोहम्मद इलियास की शिकायत पांच घटनाओं से संबंधित है। कोर्ट ने इन्हीं घटनाओं को जोड़कर देखने के बाद जांच के आदेश दिए। 1. कर्दमपुरी में सड़क जाम कर दी गई। मुस्लिमों और दलितों की गाड़ियां तोड़ी गईं। मौके पर पुलिस अधिकारी मौजूद थे। दावा है कि कपिल मिश्रा भी DCP वेद प्रकाश सूर्या के साथ खड़े दिखाई दिए थे। सड़क जाम करने और तोड़फोड़ का आरोप भी कपिल मिश्रा और उनके साथियों पर है। 2. चांदबाग में 24 फरवरी 2020 को दंगाइयों ने विक्टोरिया स्कूल की बसों में आग लगा दी। 3. टायर मार्केट पर मौजूद मस्जिद में 24 फरवरी 2020 की शाम को कुछ लोगों ने आग लगा दी थी। 4. भजनपुरा पेट्रोल पंप के पास 25 फरवरी 2020 की सुबह महिला प्रदर्शनकारी धरनास्थल पर बैठी थीं। दोपहर करीब 1 बजे मोहन नर्सिंग होम की छत से प्रदर्शनकारियों पर पत्थर बरसाए जाने लगे। आरोप मोहन नर्सिंग होम के मालिक और अन्य लोगों पर लगे। 5. मुस्तफाबाद की फारुकिया मस्जिद के पास 25 फरवरी की शाम लोग इकट्ठा हुए। इन लोगों ने मस्जिद में लोगों पर हमला किया। इसके बाद अगले दिन सुबह करीब 8:30 बजे मस्जिद में लगे CCTV कैमरे तोड़ दिए गए। इसके आगे मौजूद मदरसे को आग लगा दी गई। दंगाइयों ने गोलीबारी, आगजनी और लूटपाट की। वकील बोले: कपिल मिश्रा के खिलाफ गवाह-सबूत दोनों, फिर क्लीनचिट कैसेइसके बाद हम मोहम्मद इलियास के वकील महमूद प्राचा से मिले। वे बताते हैं, 'कोर्ट में जस्टिस मुरलीधरन ने वीडियो चलाकर दिखाया था। उसमें साफ दिख रहा था कि कपिल मिश्रा भड़काऊ बयान दे रहे हैं। उन्होंने पूछा कि वे जो बोल रहे हैं, वो आपराधिक है। फिर FIR दर्ज क्यों नहीं हो रही। इस पर सरकारी वकील अमित प्रसाद ने कहा कि स्थिति FIR दर्ज करने के लिए अनुकूल नहीं है।' 'आप सोचिए कपिल मिश्रा को किस हद तक बचाने की कोशिश की गई। वीडियो में पुलिस और DCP सूर्या साहब भी दिखाई दे रहे हैं। ये कोई हेट स्पीच का मामला नहीं है। कपिल मिश्रा ने साथियों के साथ मिलकर मुसलमानों और दलितों पर हमला किया था।' वे आगे कहते हैं, 'कपिल मिश्रा के खिलाफ गवाह और सबूत दोनों हैं। जहां ये वारदात हुई, उसका CCTV फुटेज सबसे अहम सबूत है। जजमेंट में खुद कोर्ट ने कहा है कि दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल ने इन्हें क्लीनचिट देने की कोशिश की है, जो गलत है।' 'पुलिस ने कपिल मिश्रा और उसके सहयोगियों को FIR- 59 में क्लीनचिट दी है, जो दंगों की साजिश का मामला है। इसमें उमर खालिद, गुलफिशा और बाकी आरोपियों को आतंकवाद के मामले में पकड़ा गया है।' हालांकि खजूरीखास के SHO राकेश यादव कहते हैं, 'किसी भी कोर्ट से अब तक हमें कोई पेपर या नोटिस जारी नहीं मिला है, जिसमें मोहम्मद इलियास को पुलिस प्रोटेक्शन देने के आदेश या निर्देश हों।' जगदीश प्रधान बोले- ये सब झूठ, पुलिस का काम पुलिस करेगी25 फरवरी 2020 की शाम मुस्तफाबाद के बृजपुरी इलाके के लोग मगरिब की नमाज के लिए तैयार हो रहे थे। आरोप है तभी भीड़ के साथ BJP लीडर मोहन सिंह बिष्ट और जगदीश प्रधान ने उन पर हमला किया। इस पर मोहन सिंह बिष्ट कहते हैं, 'मैं 23 से 27 फरवरी तक इलाके में नहीं था। मैं विधानसभा अटेंड कर रहा था। वहां मेरी मौजूदगी का कागज भी मिल जाएगा। बाकी जो होगा वो देख लेंगे।' वहीं जगदीश प्रधान का कहना है, ‘ये सब झूठ है। पुलिस का काम पुलिस करेगी और अदालत का काम अदालत करेगी। मैं सहयोग करूंगा।' इस मामले में कपिल मिश्रा का पक्ष जानने के लिए हमने उनसे संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उनकी तरफ से हमारे मैसेज और कॉल का जवाब नहीं मिला है। कपिल मिश्रा के खिलाफ जांच के आदेश पर फिलहाल रोकदिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट ने कपिल मिश्रा के खिलाफ जांच को लेकर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी है। इस मामले में अगली सुनवाई 21 अप्रैल को होगी। कोर्ट ने कपिल मिश्रा की याचिका पर शिकायतकर्ता मोहम्मद इलियास को नोटिस जारी किया और 21 अप्रैल तक जवाब देने को कहा है। राउज एवेन्यू कोर्ट की जस्टिस कावेरी बवेजा ने सभी पक्षों को नोटिस जारी करते हुए मामले से संबंधित रिकॉर्ड मंगवाए हैं। उन्होंने साफ किया कि कोर्ट का जांच का आदेश अगली सुनवाई तक स्थगित रहेगा। ................................ ये खबर भी पढ़ें... दिल्ली दंगा- 3 साल जेल में रहे, अब बेकसूर निकले मोहम्मद शहाबुद्दीन, मोहम्मद मारूफ और रिजवान, तीनों ऐसे केस में जेल गए, जो उन्होंने किया ही नहीं था। केस भी मर्डर का था। मर्डर केस में पकडे़ गए आरोपी खजूरी खास के रहने वाले हैं। 6 महीने से लेकर साढ़े तीन साल तक जेल में रहे। टॉर्चर झेला। कोर्ट के चक्कर लगाए। अब 5 साल बाद आम जिंदगी में लौट रहे हैं। पढ़िए पूरी खबर...

दैनिक भास्कर 13 Apr 2025 4:00 am

26/11 के बाद दिल्ली, राजस्थान, गोवा में होते हमले:तहव्वुर राणा ने कहा था- इंडियन आर्मी के इतने अफसर मारेंगे, जितने जंग में नहीं मरे

26 नवंबर, 2008 को मुंबई पर हुए आतंकी हमले से 6 महीने पहले अमेरिका के शिकागो में एक मीटिंग हुई। इसमें पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों के अलावा डेविड हेडली और तहव्वुर राणा मौजूद थे। मीटिंग में हेडली ने हमले का प्रजेंटेशन दिया। बlकायदा ग्राफिक्स और 3D इमेज से दिखाया कि कैसे समुद्र के रास्ते आतंकी मुंबई पहुंचेगे। कैसे ताज होटल पर अटैक होगा। प्रजेंटेशन देखकर तहव्वुर राणा जोर से हंसा। ये देखकर हेडली बोला कि ये बहुत भयानक होने वाला है। आखिर यही हुआ। मुंबई में घुसे लश्कर के 10 आतंकी अलग-अलग जगहों पर 4 दिन तक गोलियां बरसाते रहे। हमले में 160 से ज्यादा लोग मारे गए। हेडली और राणा स्कूल के दोस्त थे और मुंबई हमले की साजिश के सबसे बड़े किरदार बने। मुंबई पर हमले के बाद उनकी प्लानिंग दिल्ली, राजस्थान और गोवा में हमले की थी। दिल्ली में टारगेट नेशनल डिफेंस कॉलेज था, जहां सेना के अफसर पढ़ते हैं। राणा ने हेडली से कहा था कि यहां हमला करके इतने सीनियर अफसरों को मारना है, जितने भारत-पाकिस्तान जंग में भी नहीं मरे होंगे। अमेरिका की जेल में बंद तहव्वुर राणा को 10 अप्रैल को डिपोर्ट करके भारत लाया गया है। दैनिक भास्कर के पास अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट, लोअर कोर्ट में हुई सुनवाई और जांच एजेंसी की रिपोर्ट का 248 पेज का डॉक्यूमेंट है। ये रिपोर्ट दिसंबर, 2024 में तैयार की गई थी। इसमें तहव्वुर राणा, डेविड हेडली और पाकिस्तान की हर साजिश का खुलासा है। सबूतों के साथ सिलसिलेवार तरीके से पढ़िए मुंबई हमले की साजिश कैसे रची गई। रिपोर्ट की बड़ी बातें, जिनसे मुंबई हमले में हेडली-राणा के शामिल होने का पता चला 1. मुंबई पर हमले के बाद 25 दिसंबर, 2008 को लश्कर के पाकिस्तानी हैंडलर ने डेविड हेडली को ईमेल भेजा था। FBI ने ईमेल की जांच की है। इसमें पाकिस्तानी हैंडलर ने डेविड हेडली से पूछा था कि भारत में जो हुआ, उस पर तहव्वुर राणा का क्या रिएक्शन है। वो डरा हुआ है या रिलैक्स है। हेडली ने अगले दिन ईमेल का जवाब दिया। उसने लिखा कि राणा बहुत रिलैक्स है। 2. 7 सितंबर 2009 को राणा और हेडली के बीच करीब 24 मिनट बात हुई। इस दौरान भी दोनों ने मुंबई हमले पर बात की। इसी कॉल पर पहली बार भारत में दूसरे बड़े अटैक की साजिश का जिक्र हुआ था। बातचीत में राणा ने कहा कि मुंबई अटैक में मारे गए 9 आतंकियों को पाकिस्तानी आर्मी का सबसे बड़ा सम्मान निशान-ए-हैदर देना चाहिए। साथ ही हेडली को भी हमले की प्लानिंग के लिए टॉप क्लास का मेडल मिलना चाहिए। 3. तहव्वुर राणा और डेविड हेडली की गिरफ्तारी एक लापरवाही की वजह से हुई। दरअसल, हेडली ने राणा को कोडवर्ड में एक मेल भेजा था, जिसे राणा समझ नहीं पाया। ईमेल में मुंबई हमले का भी जिक्र था। कोडवर्ड समझाने के लिए हेडली ने कॉल किया। यही कॉल FBI ने रिकॉर्ड कर लिया। कॉल रिकॉर्डिंग के 24 दिन बाद 3 अक्टूबर, 2009 को डेविड हेडली को अरेस्ट कर लिया गया। हेडली की गिरफ्तारी के 15 दिन बाद तहव्वुर राणा भी अमेरिकी पुलिस की पकड़ में आ गया। मुंबई के बाद राजस्थान, दिल्ली और गोवा में हमले की साजिश मुंबई अटैक के बाद डेविड हेडली और तहव्वुर राणा ने 2009 में भारत में दोबारा बड़े हमले की तैयारी की थी। अमेरिकी कोर्ट के डॉक्युमेंट के मुताबिक, दोनों मुंबई अटैक के बाद भारत में सीरियल ब्लास्ट करना चाहते थे। भारत के अलावा डेनमार्क में भी हमला किया जाना था। डेनमार्क के न्यूजपेपर जाइलैंड्स-पोस्टेन ने 30 सितंबर 2005 को पैगंबर मोहम्मद के 12 कार्टून पब्लिश किए थे। इसका बदला लेने के लिए डेनमार्क पर हमले की तैयारी थी। भारत में दिल्ली, गोवा, राजस्थान के पुष्कर में हमले किए जाते। दिल्ली में दो टारगेट भी तय थे। नेशनल डिफेंस कॉलेज, जहां भारतीय सेना के अधिकारी पढ़ाई करते हैं। दूसरा पहाड़गंज एरिया में चाबड़ हाउस। चाबड़ हाउस यहूदियों का कम्युनिटी सेंटर है। इजराइल से आने वाले टूरिस्ट भारत में इसे अपना घर मानते हैं। राणा ने कहा- भारत के इतने अफसर मारने हैं, जितने जंग में नहीं मरेहेडली ने नेशनल डिफेंस कॉलेज की रेकी के बारे में तहव्वुर राणा को भी बताया था। 7 सितंबर 2009 को दोनों के बीच लंबी बातचीत हुई थी। इसमें तहव्वुर राणा ने कहा था कि नेशनल डिफेंस कॉलेज पहले से मेरे टारगेट पर है। राणा ने कहा कि ऐसा अटैक करना है, जिससे इंडियन आर्मी के इतने सीनियर अफसर मारे जाने चाहिए, जितने भारत-पाकिस्तान युद्ध में भी नहीं मरे हों। हेडली ने ईमेल आईडी सिक्योर करने के लिए दूसरा ईमेल सेटअप किया। इसके बाद तहव्वुर राणा ने पाकिस्तान में हेडली और लश्कर के मेंबर्स से सीधे कॉन्टैक्ट किया था। इसी दौरान हेडली ने ईमेल पर राणा को कोडवर्ड में जानकारी भेजी थी। तहव्वुर राणा को ये कोडवर्ड समझ नहीं आया। कोडवर्ड समझाने के लिए हेडली ने फोन किया था, जिसे FBI ने रिकॉर्ड कर लिया। असल में हेडली ने एक लिस्ट बनाई थी। इसे वो कागज पर लिखकर ईमेल नहीं करना चाहता था। इसलिए उसने ईमेल पर उसे कोडवर्ड में लिख दिया था। फोन पर बात करते हुए हेडली ने बताया कि अगर मैं कागज पर लिखकर रख लेता और तलाशी में पकड़ा जाता तो फंसने का डर था। इसलिए कभी कोई साजिश की बात कागज पर नहीं लिखी। इसी डिटेल के आधार पर FBI ने डेविड हेडली को शिकागो से 3 अक्टूबर 2009 को अरेस्ट कर लिया। 18 अक्टूबर 2009 को राणा को अरेस्ट किया गया। डेविड हेडली का FBI के सामने कबूलनामा हेरोइन तस्करी में अरेस्ट हुआ, तहव्वुर राणा ने जमानत के लिए घर दे दिया डेविड हेडली ने FBI को राणा से मुलाकात, मुंबई अटैक और दूसरे हमले की साजिश के बारे में बताया था। उसने कहा… मैं और तहव्वुर राणा पहली बार पाकिस्तान में मिले थे। हम आर्मी बोर्डिंग हाईस्कूल में पढ़ते थे। वहीं अच्छे दोस्त बने। पढ़ाई पूरी करने के बाद तहव्वुर राणा ने पाकिस्तानी सेना की मेडिकल कोर जॉइन कर ली। उसे कैप्टन की रैंक मिली थी। बाद में वो सेना से अलग हो गया। इसके बाद वो शिकागो जाने की तैयारी करने लगा। शिकागो जाने से पहले कनाडा की नागरिकता ली। वहां बिजनेस शुरू किए। इमिग्रेशन लॉ-सेंटर खोला। उसके लॉ-सेंटर के ऑफिस शिकागो के अलावा न्यूयॉर्क और कनाडा के टोरंटो में भी थे। इस दौरान मैं (डेविड हेडली) हेरोइन तस्करी करने लगा था। दो बार ड्रग्स केस में दोषी ठहराया गया। 1997 में अमेरिका में पुलिस ने मुझे अरेस्ट कर लिया। तब तहव्वुर राणा ने ही मुझे जमानत दिलाई थी। उसने बॉन्ड के लिए अपने घर को जमानत के तौर पर रखा था। तहव्वुर राणा ने ही खर्च के लिए मुझे पैसे दिए। साल 2000 में मैं पाकिस्तान गया था। वहां पहली बार लश्कर की मीटिंग में शामिल हुआ। जिहाद के भाषण सुने। दिसंबर, 2001 में फिर से अमेरिका से पाकिस्तान गया। 2002 से 2005 तक लश्कर के ट्रेनिंग सेंटर में रहा। हथियार चलाना, आमने-सामने मुकाबला करना, रेकी करना, दूसरे देश में सुरक्षित ठिकाना बनाने का तरीका सीखा। खुफिया ट्रेनिंग वाले कैंप में भी रहा। अगस्त 2005 में अमेरिका लौट आया। यहां तहव्वुर राणा से मिला। उसे लश्कर की ट्रेनिंग के बारे में बताया। तभी पहली बार तहव्वुर राणा से बताया कि लश्कर ने उसे भारत जाकर रेकी करने के लिए कहा है। कहा है कि मुझे नाम बदलना है, जिससे मेरी मुसलमान और पाकिस्तानी होने की पहचान छिप जाए। इसके बाद मैंने फरवरी, 2006 में कानूनी तौर पर नाम बदलकर डेविड कोलमैन हेडली रख लिया। इसी नाम से पासपोर्ट बनवाया। लश्कर के लोगों से फिर मीटिंग की। ये मीटिंग गर्मी में हुई थी। इसमें मुझसे कहा गया कि मैं इंडिया में इमिग्रेशन ऑफिस खोलकर रेकी करूं। उसी समय मैंने लश्कर को तहव्वुर राणा के बारे में बताया। ये भी बताया कि तहव्वुर मेरा अच्छा दोस्त है। वो मुंबई में ऑफिस खोलने में मदद करेगा। तहव्वुर राणा पहले से इमिग्रेशन सेंटर का काम कर रहा था। इसलिए लश्कर भी तैयार हो गया। फिर हम दोनों काम करने लगे। तहव्वुर राणा ने अफसरों से मिलीभगत कर हेडली को भारत का वीजा दिलाया जून 2006 में मैं शिकागो पहुंचा। यहां तहव्वुर राणा से मिला। उससे मुंबई में इमिग्रेशन सेंटर खोलने में मदद मांगी। मुझे इमिग्रेशन ऑफिस चलाने का अनुभव नहीं था। इसलिए तहव्वुर राणा ने ऑफिस खुलवाने से लेकर बाकी सभी काम में मदद की। तहव्वुर राणा ने मुझे इंडिया भेजने के लिए गलत तरीके से डॉक्युमेंट्स बनवाए। उसने ही शिकागो के इंडियन कॉन्सुलेट में डॉक्युमेंट दिए थे। कुछ लोगों की मदद से उसने मुझे बिजनेस वीजा दिला दिया। बिजनेस वीजा इसलिए जरूरी था क्योंकि मुझे ज्यादा वक्त तक इंडिया में रहकर रेकी करनी थी। तहव्वुर राणा ने इमिग्रेशन लॉ सेंटर की मुंबई ब्रांच का ऑफिस खोलने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक के साथ प्रोसेस पूरी करने में भी मदद की। इसके बाद मैं पाकिस्तानी हैंडलर से मिला। मुंबई में ऑफिस खोलने की तैयारी की डिटेल दी। उसने मुझे मुंबई के वीडियो बनाने के लिए कहा। इसमें होटल ताज भी शामिल था। सितंबर, 2006 में मैं मुंबई पहुंचा। यहां कई लोकेशन और स्पॉट के वीडियो बनाए। तभी तहव्वुर राणा के करीबी ने मुझे फोन किया। उसने बताया कि राणा के कहने पर मेरे लिए मुंबई में रहने के लिए घर और खाने-पीने का इंतजाम कर दिया गया है। दिसंबर, 2006 में मैं फिर पाकिस्तान गया। लश्कर के आतंकियों से मिला और उन्हें मुंबई के वीडियो दिखाए। इस मीटिंग में लश्कर के मेंबर्स ने कहा कि मुझे फिर से ताज होटल जाना होगा। वहां के सेमिनार हॉल की वीडियो बनानी होगी। दूसरे फ्लोर का भी वीडियो बनाना है। भारत के बड़े साइंटिस्ट और आर्मी अफसर इसी सेमिनार हॉल में मीटिंग करते हैं। मैं फरवरी से सितंबर 2007 के बीच कई बार मुंबई गया। होटल ताज की दूसरी मंजिल के वीडियो बनाए। फिर पाकिस्तान जाकर लश्कर के लोगों को दिए। जुलाई 2007 में मैं शिकागो गया। वहां तहव्वुर राणा से मिला। हम कई दिन साथ रहे। उसे मुंबई में रेकी से लेकर लश्कर की मीटिंग के बारे में बताया। इसी दौरान मेरा भारत का वीजा खत्म हो गया। तहव्वुर राणा ने फिर फर्जी तरीके से मुझे दोबारा बिजनेस वीजा दिलवाया। 18 जुलाई, 2007 को भारत के अफसरों से 5 साल का मल्टी-एंट्री वीजा मिल गया। दिसंबर, 2007 में मैं पाकिस्तान गया। वहां लश्कर के हेडक्वॉर्टर में सभी हैंडलर और दूसरे आतंकियों से मिला। मार्च 2008 में शिकागो में हमारी मीटिंग हुई। मैंने होटल ताज में घुसने से लेकर सभी जगहों की 3डी इमेज दिखाई। लश्कर के हैंडलर्स ने मुझसे समुद्री रास्ते से मुंबई में घुसने के बारे में डिटेल मांगी। इसके लिए मैं अप्रैल-मई में फिर से मुंबई गया। इस बार समुद्र के रास्ते देखे। नाव से सफर किया। वीडियो बनाए और GPS डिवाइस से लोकेशन की डिटेल ली। ये डिटेल लेकर पाकिस्तान गया और वहां समुद्री रास्तों के बारे में बताया। 26/11 हमले से पहले क्या हुआ...मई, 2008 में हेडली और राणा शिकागो में थे। दोनों कई बार मिले। हेडली ने तहव्वुर राणा को मुंबई में रेकी के बारे में सब बताया। इसके बाद साजिश में शामिल पाकिस्तानी आतंकियों के साथ एक मीटिंग हुई। इसमें पहली बार ग्राफिक्स और 3D इमेज के जरिए हेडली ने बताया कि अटैक कैसे किया जाएगा। कंप्यूटर पर इसकी पूरी मॉकड्रिल दिखाई कि कैसे अटैक करने वाले आतंकी ताज होटल के सामने जाएंगे। उस वक्त उनकी बोट पास में ही समुद्र में ऐसी जगह रहेगी, जहां पानी शांत रहता है। हेडली ने होटल ताज के सामने लैंडिंग साइट के बारे में प्रजेंटेशन दिया तो तहव्वुर राणा बहुत खुश हुआ। इसके बाद हेडली ने तहव्वुर राणा को लश्कर के आतंकियों के साथ ईमेल में जोड़ लिया। सभी बातें अब ईमेल के जरिए होने लगी थीं। इस मीटिंग के बाद जून 2008 में हेडली पाकिस्तान गया और साजिश में शामिल लश्कर के आतंकियों से मिला। उन्होंने मुंबई में टारगेट की लिस्ट सौंपी। उसे एक GPS डिवाइस भी दी। बताया कि मुंबई जाकर हेडली कैसे लैंडिंग साइट की फिर से जांच करेगा। उसे कनाडा वाला ऑफिस बंद करने के लिए कहा गया। जुलाई के पहले हफ्ते में डेविड हेडली मुंबई आ गया। यहां राणा की मदद से ऑफिस खोला। ये दिखाया गया कि इस ऑफिस के जरिए लोगों को काम दिया जाता है। इस बीच हेडली लगातार मुंबई में रेकी करता रहा। रेकी का काम पूरा होने के बाद पाकिस्तान में बैठे लश्कर के हैंडलर्स ने हेडली को ऑफिस बंद करने के लिए कहा। तभी हेडली के सामने एक परेशानी आ गई। उसने बताया कि उस ऑफिस का मालिक किराए के एडवांस पैसे वापस नहीं कर रहा है। अचानक ऑफिस बंद करके जाने से शक हो सकता है। हेडली ने इस पर तहव्वुर राणा से सलाह मांगी। तहव्वुर राणा ने कहा कि अभी कुछ दिन और रुक जाओ। एडवांस दिया पैसा किराए में चला जाएगा। मुंबई अटैक से दो हफ्ते पहले एडवांस किराया भी खत्म हो गया। तब ऑफिस बंद कर हेडली ने भारत छोड़ दिया। फिर वो पाकिस्तान गया और साजिश में शामिल लोगों से मिला। उन्हें मुंबई की रेकी के वीडियो दिए। GPS डिवाइस भी दिया, जिसमें सभी लोकेशन की डिटेल थी। डेविड हेडली पाकिस्तानी हैंडलर के कहने पर 15 लाल ब्रेसलेट भी ले गया था। प्लान ये था कि इन्हें पहनने से लगेगा कि आतंकी हिंदू हैं। इससे उनकी पहचान छिपी रहेगी। तहव्वुर राणा भारत आने वाला था, हेडली ने पाकिस्तानी हैंडलर से दुबई में मिलवाया2008 के आखिर में डेविड हेडली को पता चला कि तहव्वुर राणा चीन, दुबई और भारत जाने वाला है। उसने तहव्वुर राणा और पाकिस्तानी हैंडलर की दुबई में मीटिंग कराई। हैंडलर ने तहव्वुर राणा से कहा कि वो अभी इंडिया न जाए। 26/11 हमले के बाद क्या हुआ...मुंबई अटैक के बाद दिसंबर, 2008 में डेविड हेडली अमेरिका लौट आया। करीब एक साल बाद 7 सितंबर, 2009 को उसने राणा से फोन पर बात की। डेविड हेडली ने उसे मुंबई में बनाए वीडियो की डिटेल दी। बताया कि मुंबई में जहां अटैक हुआ, उसके वीडियो उसी ने बनाए थे। लोकेशन की जानकारी उसी ने दी थी। इसी बातचीत में पहली बार हेडली ने बताया कि 1971 में इंडियन एयरफोर्स ने पाकिस्तान में उसके स्कूल पर अटैक किया था। डेविड हेडली ने तहव्वुर राणा से कहा कि अब मैंने भारतीयों को बराबरी का जवाब दिया है। इस पर तहव्वुर राणा ने कहा था कि भारत के लोग इसी के हकदार हैं। राणा को अमेरिकी कानून के हिसाब से ही सजा दे सकता है भारतभारत डिपोर्ट होने के बाद तहव्वुर राणा को कितनी सजा हो सकती है? ये सवाल हमने सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट अश्विनी दुबे से पूछा। वे कहते हैं, ‘भारत और अमेरिका के बीच 1997 से प्रत्यर्पण संधि है। इसके मुताबिक, अगर अमेरिका में आतंकवाद के लिए फांसी या उम्रकैद की सजा है तो भारत में भी उसे वही सजा दी जा सकती है। अभी तहव्वुर राणा केस में शुरुआती पूछताछ हो रही है। कोर्ट में मुकदमा चलेगा। फिर उसे सजा सुनाई जाएगी। राणा के जरिए भारत में हेडली की मदद करने वालों की पहचान होगी गृह मंत्रालय के पूर्व अंडर सेक्रेटरी आरवीएस मणि मुंबई अटैक के समय मॉनिटरिंग कर रहे थे। हमने उनसे पूछा कि तहव्वुर राणा को भारत लाने और पूछताछ से क्या लीड मिल सकती है? वे बताते हैं, ‘तहव्वुर राणा के भारत आने से काफी फायदा मिलेगा।' 'मुंबई अटैक के बारे में अब तक जो जानकारी नहीं मिली है, वो राणा से मिल सकती है। मुंबई में रेकी के दौरान बॉलीवुड से जुड़े लोगों ने भी मदद की थी। डेविड हेडली को मुंबई में रुकने के लिए घर और खाने-पीने का इंतजाम करने वाला कौन था, जिसे तहव्वुर राणा ने जिम्मेदारी सौंपी थी। ये सब पता चलेगा।’ ‘ये भी पता चलेगा कि ताज महल पैलेस होटल के किचन तक ले जाने में हेडली की किसने मदद की। भारत में स्लीपर सेल की तरह मदद करने वालों के बारे में काफी लीड मिल सकती है।’ ................................. तहव्वुर राणा से जुड़ी ये खबर भी पढ़िए... आतंकी तहव्वुर राणा से पहले दिन 3 घंटे पूछताछ, NIA ने कहा- कोऑपरेट नहीं कर रहा 11 अप्रैल को राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी NIA ने तहव्वुर राणा से 3 घंटे पूछताछ की। एजेंसी ने बताया कि वह कोऑपरेट नहीं कर रहा है। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने राणा को 18 दिन की NIA कस्टडी में भेजा है। कस्टडी के दौरान NIA रोजाना राणा से पूछताछ की एक डायरी तैयार करेगी। आखिरी दौर की पूछताछ के बाद डिस्कलोजर स्टेटमेंट में उसे रिकॉर्ड पर लिया जाएगा। पढ़िए पूरी खबर...

दैनिक भास्कर 13 Apr 2025 4:00 am

भारत की दवा कंपनी पर गिरी पुतिन की मिसाइल, यूक्रेन ने कसा तंज, बोला- ये कैसी दोस्ती?

Russia Ukraine War: रूस- यूक्रेन के बीच लंबे समय से युद्ध चल रहा है. इसी बीच यूक्रेन में भारतीय दवा कंपनी कुसुम के गोदाम पर रूसी मिसाइल से हमला हुआ है. जिसके बाद यूक्रेन की प्रतिक्रिया आई है.

ज़ी न्यूज़ 12 Apr 2025 10:45 pm

जहां रखे जाते हैं 'एलियंस', US के उस Area 51 में दिखा अजीबोगरीब टावर, मचा हड़कंप

America Mysterious Triangular Tower: अमेरिका में मौजूद हाई सिक्योरिटी वाली जगह 'एरिया-51' में एक त्रिकोणीय टावर देखा गया है. इसे लेकर दुनियाभर में कई तरह की अटकलें लगाई जा रही है. गूगल मैप्स पर एक लम्बी छाया बनाने वाली इस अनोखी इमारत ने हड़कंप मचा दिया है.

ज़ी न्यूज़ 12 Apr 2025 10:44 pm

डायमंड-प्लेटिनम नहीं, ये हैं दुनिया के नायाब रत्न; इस देश की आ गई मौज!

Kyawthuite:डायमंड को दुनिया का बेशकीमती और महंगा जवाहारात माना जाता है. लेकिन अगर हम आपसे कहें कि हीरा दुनिया का सबसे महंगा और नायाब रत्न नहीं है, तो क्या आप यकीन करेंगे? लेकिन यह सच है. तो चलिए जानते हैं आखिर वे कौन से नायाब रत्न हैं जो डायमंड से भी महंगे हैं.

ज़ी न्यूज़ 12 Apr 2025 9:54 pm

पत्नी ने सुहाग के लिए दांव पर लगाई जान... 8 फुट लंबे मगरमच्छ से भिड़ गई और फिर...

Woman Alligator Figts: साउथ कैरोलिना में एक साढ़े आठ फुट लंबा मगरमच्छ अचानक से आया और पार्क में काम कर रहे जो पर हमला कर दिया. मगरमच्छ को देखकर पत्नी मैरियन हैरान हो गई. लेकिन मैरियन ने सुहाग को बचाने लिए बहादुरी से मगरमच्छ का सामना किया.

ज़ी न्यूज़ 12 Apr 2025 9:07 pm

115 km की रफ्तार से बह रहा था पानी; लबालब हो गया था खाली भूमध्य सागर, ये थी दुनिया की सबसे भयानक बाढ़

World Biggest Flood: बाढ़ की वजह से लोगों को तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ता है. दुनिया भर में बाढ़ के पानी की वजह से तबाही मचती है. आज के 5 मिलियन वर्ष सबसे बड़ी बाढ़ आई थी. जिसकी वजह खाली भूमध्य सागर भर गया था.

ज़ी न्यूज़ 12 Apr 2025 8:05 pm

ये क्या हो रहा है? इस देश में मेयर ने कर दिया ऐलान- नहीं लड़ूंगा राष्ट्रपति का चुनाव

South Korea News:राष्ट्रपति चुनाव इसलिए हो रहा है, क्योंकि पूर्व राष्ट्रपति यून को दिसंबर में मार्शल लॉ लागू करने की नाकाम कोशिश के बाद पद से हटा दिया गया था. ओह से-हून कहा, असामान्य को सामान्य स्थिति में लाने के लिए मैं एक ऐसे सैनिक की तरह काम करूंगा जो बिना किसी रैंक के हो.

ज़ी न्यूज़ 12 Apr 2025 3:37 pm

जंग के बीच यहां हर 30 मिनट में एक बच्चे का रेप, खौफनाक है दास्तां

डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो जिसे पहले जायरे के नाम से जाना जाता था, वहां जंग के हालात हैं जिसका शिकार काफी छोटे-छोटे बच्चे हो रहे हैं. उनके खिलाफ रेप को हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है.

ज़ी न्यूज़ 12 Apr 2025 1:42 pm

अब जाकर व्हाइट हाउस ने बताया, डोनाल्ड ट्रंप ने क्यों लगाई तमाम देशों पर टैरिफ

Trump tariffs: हालांकि ट्रंप की टैरिफ नीति से बाजारों में उथल-पुथल भी देखी गई. अचानक टैक्स लगाना और फिर उसे 90 दिनों के लिए रोक देना निवेशकों और कंपनियों के लिए चौंकाने वाला रहा. फिर भी व्हाइट हाउस ने इस जरूरी बताया है.

ज़ी न्यूज़ 12 Apr 2025 12:34 pm

टैरिफ का झटका देकर अब भारत आएंगे ट्रंप के डिप्टी, पीएम मोदी करेंगे खास इंतजाम

JD Vance India Visit: अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भारत का दौरा करने वाले हैं. बताया जा रहा है कि पीएम मोदी वेंस के लिए मील होस्ट करेंगे.

ज़ी न्यूज़ 12 Apr 2025 8:08 am

स्पॉटलाइट- जमानत पर बाहर आए मौलवी ने फिर किया रेप:187 साल की जेल, कोर्ट ने किस आधार पर दी जिंदगी से बड़ी सजा

एक मदरसा शिक्षक नाबालिग से रेप केस में जमानत पर बाहर आया और फिर से एक और नाबालिग लड़की के साथ करीब 2 साल तक रेप किया। मामला कोर्ट पहुंचा तो जज ने सुनाई 187 साल की सजा। जब 187 साल जिंदगी नहीं तो फिर इतनी लंबी सजा क्यों, उसपर कौन सी धाराएं लगीं, अमूमन ऐसे मामलों में क्या सजा होती है और नियम क्या कहते हैं जानिए स्पॉटलाइट में।

दैनिक भास्कर 12 Apr 2025 5:00 am

आज का एक्सप्लेनर:इलाहाबाद हाईकोर्ट ने छात्रा से कहा- रेप के लिए तुम ही जिम्मेदार, आरोपी को जमानत दी; इस फैसले से क्या असर होगा?

अगर पीड़ित के रेप के आरोपों को सही मान भी लिया जाए तो भी इस नतीजे पर पहुंचा जा सकता है कि उसने खुद ही मुसीबत को न्योता दिया था और वो रेप के लिए खुद ही जिम्मेदार भी है। गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस संजय कुमार सिंह ने ये कहते हुए रेप के आरोपी को जमानत दे दी। क्या है पूरा मामला, कोर्ट ने क्यों कहा छात्रा ही रेप के लिए जिम्मेदार है और इस फैसले का क्या इम्पैक्ट होगा; जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में... सवाल-1: नोएडा की छात्रा के साथ रेप का मामला क्या है?जवाब: 23 सितंबर 2024… नोएडा की एक यूनिवर्सिटी में MA की छात्रा ने सेक्टर 126 के पुलिस थाना में रेप केस दर्ज कराया। इसमें छात्रा अपने साथ हुई पूरी घटना बताई… छात्रा के शिकायत दर्ज कराने के 79 दिन बाद 11 दिसंबर 2024 को निश्चल की गिरफ्तारी हुई। पुलिस ने निश्चल के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता यानी BNS की धारा 64 के तहत मामला दर्ज किया। इस धारा के तहत रेप करने पर कम से कम 10 साल की जेल या उम्रकैद की सजा मिलती है। इसमें जुर्माने का प्रावधान भी है। सवाल-2: आरोपी निश्चल ने हाईकोर्ट में जमानत के लिए क्या दलीलें दीं?जवाब: आरोपी निश्चल चांडक ने केस की इन्वेस्टिगेशन के दौरान जमानत मांगी। इसके लिए उसने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। निश्चल की ओर से सीनियर एडवोकेट विनय सरन और एडवोकेट बलबीर सिंह ने केस लड़ा। दोनों वकीलों ने जज के सामने निश्चल के बचाव में 4 बड़ी दलीलें दीं… आरोपी निश्चल ने कोर्ट में कहा कि महिला को मदद की जरूरत थी और वह खुद ही मेरे साथ घर पर आराम करने के लिए चलने को तैयार हुई थी। आरोपी ने फ्लैट पर ले जाने और 2 बार बलात्कार करने वाले आरोपों से भी इनकार किया। निश्चल ने दावा किया कि रेप नहीं है, बल्कि सहमति से यौन संबंध बनाया था। सवाल-3: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने किस आधार पर निश्चल को जमानत दी?जवाब: इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस संजय सिंह ने आरोपी निश्चल की दलीलों को सही मानते हुए जमानत दे दी। जस्टिस संजय ने 2 आधारों पर जमानत दी… जस्टिस संजय कुमार सिंह ने कहा, तथ्यों और हालातों पर विचार करने के साथ-साथ अपराध की प्रकृति, सबूत और वकीलों की दलीलों को ध्यान में रखते हुए, मेरा मानना है कि आवेदक (निश्चल) जमानत के लिए उचित मामला बनाया है। इसलिए, जमानत आवेदन स्वीकार किया जाता है। सवाल-4: भारत के कानून में रेप किसे माना जाता है और दोषी को कितनी सजा मिलती है?जवाब: भारतीय कानून में रेप यानी बलात्कार की परिभाषा इंडियन पीनल कोड यानी IPC की धारा 375 के तहत दी गई, जो अब नए कानून BNS की धारा 63 और 64 से बदल दी गई है। इसके तहत… सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट आशीष पांडे कहते हैं, 'रेप का मतलब पेनिट्रेशन करने से होता है। अगर किसी महिला के निजी अंग को छूना, दबाना, वेजाइना में पेनिस या कोई अन्य धातु डालना या यौन संबंध की बातें करना भी रेप कहलाता है। लेकिन मौजूदा केस में रेप के दौरान परिस्थितियों का खुलासा नहीं हुआ। पीड़िता के वर्जन के मुताबिक, रेप हुआ और आरोपी के वर्जन की मानें को सहमति से संबंध बनाया गया। जांच पूरी होने के बाद ही स्थिति साफ होगी।' रेप के मामले में सजा: रेप के सामान्य मामलों में दोषी को कम से कम 7 साल से लेकर उम्रकैद और जुर्माने प्रावधान है। वहीं गंभीर मामलों में कम से कम 10 साल से लेकर उम्रकैद की सजा होती है। जुर्माना भी लगता है। सवाल-5: इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले का क्या इम्पैक्ट पड़ेगा?जवाब: एडवोकेट आशीष पांडे मानते हैं कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने काफी सख्त टिप्पणी की है। वे कहते हैं, सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के मुताबिक, सभी हाईकोर्ट और निचली अदालतों को महिलाओं से जुड़े संवेदनशील मामलों में सोच-समझकर बोलने की हिदायत दी। इसके बावजूद इलाहाबाद हाईकोर्ट से इस तरह की टिप्पणी हुई, जो विक्टिम शेमिंग होती है। इससे अदालतों को बचना चाहिए। आशीष पांडे आगे कहते हैं, 'हाईकोर्ट के ऐसे कमेंट्स से गलत सामाजिक प्रभाव पड़ता है। लोगों का न्याय व्यवस्था से भरोसा उठ सकता है और न्यायपालिका के लिए नाराजगी भी बढ़ सकती है। आजकल युवाओं के बीच माहौल बहुत अलग हो गया है। पबों में मुलाकात और फिर यौन संबंध या रेप के बढ़ने लगे हैं। इसलिए न्याय व्यवस्था को बेहतर बनाने पर गौर करना चाहिए। बीते दिनों इलाहाबाद हाईकोर्ट के अन्य केस पर गलत टिप्पणी ने भी माहौल गर्म कर दिया था, जिस पर सुप्रीम कोर्ट को संज्ञान लेना पड़ा।' करीब 3 हफ्ते पहले 17 मार्च 2024 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अन्य मामले में फैसला सुनाते हुए कहा था कि किसी लड़की के निजी अंग पकड़ लेना, उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ देना और जबरन उसे पुलिया के नीचे खींचने की कोशिश से रेप या 'अटेम्प्ट टु रेप' का मामला नहीं बनता। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए सख्ती जाहिर की थी। सुप्रीम कोर्ट का निर्देश था कि इस विक्टिम शेमिंग से बचना चाहिए और फैसला सुनाते हुए सरल और सभ्य शब्दों का इस्तेमाल करना चाहिए।' सवाल-6: क्या आरोपी निश्चल इस मामले में निर्दोष साबित हो जाएगा?जवाब: सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट अश्विनी दुबे कहते हैं, ‘इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरोपी को सिर्फ जमानत दी है। अभी आरोपी का ट्रायल नहीं हुआ है। पुलिस की जांच होगी फिर सारे सबूत और गवाह कोर्ट में पेश किए जाएंगे। इसके बाद कोर्ट फैसला सुनाएगी कि यह रेप है या नहीं। फिलहाल कोर्ट ने इसे रेप होने से इनकार नहीं किया। कोर्ट ने सिर्फ इतना कहा कि जो भी हुआ, उसकी जिम्मेदार खुद छात्रा है। अगर जांच और सबूतों के बाद आरोपी दोषी पाया जाता है, तो कानून के मुताबिक उसे 10 साल से लेकर उम्रकैद की सजा हो सकती है।’ एडवोकेट अश्विनी दुबे कहते हैं, अगर पीड़ित पक्ष को हाईकोर्ट के जमानत वाले फैसले से आपत्ति है, तो वो सुप्रीम कोर्ट में फैसले के खिलाफ याचिका लगा सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर हाईकोर्ट के फैसले की जांच करेगा और फिर अगर जमानत गैर-जरूरी लगती है, तो आरोपी को फिर से जेल भेज दिया जाएगा। सवाल-7: क्या इससे पहले भी ऐसे मामलों में आरोपी को बरी कर दिया गया?जवाब: इससे पहले भी रेप के कई आरोपियों को बेल पर रिहा कर दिया गया है। हालांकि इसमें पीड़ित की सहमति भी शामिल थी। पहला मामला: 15 साल की लड़की से रेप के आरोपी को जमानतअक्टूबर 2024 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 15 साल की लड़की से रेप के आरोपी अभिषेक को बेल पर रिहा कर दिया था। अभिषेक ने शादी का झांसा देकर लड़की से संबंध बनाए लेकिन जब वह प्रेग्नेंट हुए तो लड़के ने शादी से इनकार कर दिया। जब मामला कोर्ट पहुंचा तो आरोपी ने दलील दी कि वह जेल से रिहा होकर लड़की से शादी कर लेगा और उनकी नवजात बच्ची का भी ध्यान रखेगा। वहीं अभिषेक के वकील ने मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर लड़की की उम्र 18 साल होने का दावा किया। इस केस में लड़की ने भी माना था कि उसके साथ जबरदस्ती नहीं की गई थी। दूसरा मामला: कॉलेज में साथ पढ़ने वाला रेप का आरोपी, जमानत मिलीदिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने जून 2024 में एक 20 साल के कॉलेज स्टूडेंट को रेप केस में जमानत दे दी थी। पीड़ित लड़की ने अपने साथ कॉलेज में पढ़ने वाले लड़के पर रेप का आरोप लगाया था। लड़के के फोन में दोनों की अश्लील फोटो भी मिली। जबकि लड़की ने अपना फोन चेक कराने से मना कर दिया। दोनों के दोस्तों से की गई पूछताछ में भी लड़की के आरोप सही साबित नहीं हुए। वहीं पीड़ित लड़की ने भी आरोपी को बेल दिए जाने का विरोध नहीं किया। ***** रिसर्च सहयोग- श्रेया नाकाड़े ---------------- इलाहाबाद हाईकोर्ट से जुड़ी अन्य खबर पढ़ें आज का एक्सप्लेनर: बच्ची का प्राइवेट पार्ट पकड़ना, सलवार का नाड़ा तोड़ना बलात्कार की कोशिश नहीं है; इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले का क्या असर होगा किसी लड़की के निजी अंग पकड़ लेना, उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ देना और जबरन उसे पुलिया के नीचे खींचने की कोशिश से रेप या 'अटेम्प्ट टु रेप' का मामला नहीं बनता। सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ये फैसला सुनाते हुए दो आरोपियों पर लगी धाराएं बदल दीं। पूरी खबर पढ़ें...

दैनिक भास्कर 12 Apr 2025 4:30 am