कौन हैं सुशीला कार्की? जिन्होंने संभाली नेपाल की सत्ता की कमान
नेपाल इन दिनों जेन जी आंदोलन और विरोध प्रदर्शनों के कारण उथल-पुथल से गुजर रहा है
दैनिक भास्कर की इलेक्शन सीरीज 'नरसंहार' के दूसरे एपिसोड में आज कहानी दलेलचक बघौरा नरसंहार की, जिसके बाद 40 साल बिहार में राज करने वाली कांग्रेस फिर कभी अपना सीएम नहीं बना सकी... 29 मई 1987 की एक रात। जगह- बिहार का औरंगाबाद जिला। वहीं औरंगाबाद जहां देश का इकलौता पश्चिम मुखी सूर्य मंदिर है। करीब 500 लोगों की भीड़ ‘एमसीसी जिंदाबाद’ नारा लगाते हुए बढ़ रही थी। हाथों में बंदूक, कुल्हाड़ी, गड़ासा और केरोसिन तेल के डिब्बे थे। थोड़ी देर बाद सभी एक जगह रुके। कुछ बात की। फिर आधे बघौरा गांव की तरफ चल पड़े और आधे दलेलचक की ओर। दोनों गांव एक किलोमीटर की दूरी पर हैं। यहां राजपूतों का दबदबा था। बघौरा के गया सिंह वन विभाग में हेड क्लर्क थे। गांव में इकलौता पक्का मकान उन्हीं का था। शौक से बनवाए थे। सिंहद्वार पर दूर से ही आंखें ठहर जाती थीं। रात करीब 8 बजे अचानक कुछ शोर सुनाई पड़ा। उन्होंने दरवाजा खोलकर देखा, तो सामने 200-300 लोगों की भीड़ खड़ी थी। गया सिंह ने हड़बड़ाकर दरवाजा बंद कर लिया। वे दो कदम भी नहीं बढ़े थे कि भीड़ ने धक्का देकर दरवाजा तोड़ दिया। सबसे पहले घर के मर्दों को घसीटकर बाहर निकाला और लाइन में खड़ा कर दिया। इस बीच दो लड़कों ने नजर बचाकर भागना चाहा, लेकिन हमलावरों ने गोली चला दी। दोनों वहीं गिर पड़े। हमलावर उनके नजदीक गया। सांसें अभी पूरी तरह टूटी नहीं थीं। उसने गड़ासा गर्दन पर दे मारी। फिर पसीना पोंछते हुए बोला- ‘अरे देख क्या रहे हो… जाओ इनकी औरतों को उठा लाओ।’ 20-25 हमलावर अंदर घुसे और महिलाओं-बच्चों को उठा-उठाकर बाहर पटकने लगे। सब चीख रहे थे- ‘हमें मत मारो। छोड़ दो। हम तुम्हारे पैर पड़ते हैं।’ एक हमलावर बोल पड़ा- ‘##$% बहुत गर्मी दिखाते हैं ये लोग। हमारी औरतों से मजदूरी कराते हैं। इनके सामने ही औरतों की इज्जत उतारो। तभी बदला पूरा होगा।’ हमलावर, महिलाओं और लड़कियों पर टूट पड़े। उनके कपड़े फाड़ दिए। बलात्कार करने लगे। कुछ देर बाद एक अधेड़ बोल पड़ा- ‘बहुत हो गया। अब सबको काट डालो।’ हमलावर, महिलाओं को घसीटते हुए बरामदे में ले गए। उनकी गर्दन तखत पर रखकर जोर से दबा दी। एक हमलावर ने कुल्हाड़ी उठाई और एक-एक करके पांच महिलाओं की गर्दन उतार दी। पूरे बरामदे में खून फैल गया। हमलावर बोला- ‘ठिकाने लगा दो सबको।’ 8-10 लोग फावड़ा लेकर घर के सामने ही गड्ढा खोदने लगे। कुछ ही देर में गड्ढा तैयार हो गया। हमलावरों ने महिलाओं की लाश गड्ढे में डालकर ऊपर से मिट्टी भर दिया। ‘अब इन #@$%* को बांधकर ले चलो बरगद के पास। गांव वालै भी तो देखें कि हमसे टकराने का अंजाम क्या होता है।’ ये सुनते ही हमलावरों ने गया सिंह और उनके परिवार के लोगों के हाथ-पैर बांध दिए। घसीटते हुए बरगद के पेड़ के पास ले गए। गांव की शुरुआत में ही बड़ा सा बरगद का पेड़ था। अब तक गांव में चीख-पुकार मच चुकी थी। हमलावर राजपूत परिवारों से चुन-चुनकर महिला, पुरुष और बच्चों को घसीटते हुए बरगद पेड़ के पास ला रहे थे। कई लोग छत से कूदकर खेतों की तरफ भाग रहे थे। हमलावर लगातार फायरिंग कर रहे थे। कुछ लोग तो मौके पर ही मारे गए। 40 साल का एक शख्स ट्रैक्टर लेकर घर लौट रहा था। हमलावरों को देखते ही चीख पड़ा- ‘अरे काका हम राजपूत नहीं हैं। हम तो इनके घर काम करते हैं। हम हरिजन हैं हरिजन।’ #$%@#$ झूठ बोल रहा… कहते हुए एक अधेड़ ने उसकी पीठ पर कुल्हाड़ी मार दी। दो हमलावरों ने उसे ट्रैक्टर की सीट से बांध दिया। फिर केरोसिन तेल का डिब्बा ट्रैक्टर पर उड़ेला और आग लगा दी। कुछ ही मिनटों में ड्राइवर तड़प-तड़प कर मर गया। इधर, बगल के गांव दलेलचक में कमला कुंवर कुछ घंटे पहले ही ससुराल से लौटी थीं। पिता भोज की तैयारी कर रहे थे। मेहमान आ चुके थे। अचानक कुत्ते भौंकने लगे। कमला अपनी बहन ललिता से बोली- ‘जाओ देखो तो बाहर कौन है?’ ललिता ने झांककर देखा सैकड़ों हथियारबंद गांव की तरफ बढ़ रहे थे। वो चीख उठी- ‘पापा, मम्मी सब भागो, नक्सली आ गए हैं।’ दोनों बहनें, उनके मम्मी-पापा और बाकी रिश्तेदार खेतों की तरफ भागने लगे। तभी बगल के लोगों ने रोक लिया। कहने लगे- ‘आप लोगों को कोई खतरा नहीं है। घर में ही छिप जाओ।’ कुछ ही मिनटों में भीड़ ने गांव में धावा बोल दिया। राजपूतों के घरों में घुस गए। मारकाट मचाने लगे। कमला और ललिता घर के पीछे भूसे के ढेर में छिप गईं। बाकी परिवार और रिश्तेदार पकड़े गए। दो साल का बच्चा पलंग पर सो रहा था। वो भीड़ देखकर रोने लगा। हमलावर ने चीखते हुए कहा- ‘इस कमीने को सबसे पहले मारो।’ इतना सुनते ही एक अधेड़ ने बच्चे को उठाकर चौखट पर पटक दिया। उसका सिर फट गया। हमलावर ने बाल पकड़कर बच्चे को उठा लिया। दूसरे ने बच्चे की गर्दन पर कुल्हाड़ी दे मारी। बच्चे का सिर हमलावर के हाथ में रह गया और बॉडी नीचे गिर गई। एक ने औरतों की तरफ इशारा करते हुए बोला- ‘इनकी इज्जत लूट लो और काम तमाम कर दो।’ हमलावरों ने वैसा ही किया। बलात्कार करके महिलाओं और लड़कियों की गर्दन उतार दी। कमला के पिता से यह देखा नहीं गया। वे गाली देते हुए हमलावरों पर झपटे, पर उन लोगों ने दबोच लिया। दो हमलावरों ने उनका पैर पकड़ा और दो ने हाथ। 20 साल के एक लड़के ने उनके पेट में कुल्हाड़ी मार दी। वो चीख उठे। तभी हमलावर ने उनके मुंह में बंदूक का बट ठूंस दिया। चंद मिनटों में वे तड़प-तड़पकर शांत हो गए। अब एक हमलावर बोला- ‘टाइम खराब मत करो। सारे मर्दों को बांध दो और ले चलो बरगद के पेड़ के पास।’ हमलावरों ने रस्सी से सभी मर्दों के हाथ पैर बांध दिए और घसीटते हुए उसी बरगद के पेड़ के पास ले जाने लगे। दलेलचक के बाकी घरों में भी ऐसे ही कोहराम मचा था। हमलावरों ने महिलाएं और लड़कियों को बलात्कार के बाद घर में ही मार दिया। जबकि मर्दों के हाथ-पैर बांधकर बरगद के पेड़ के पास बैठा दिया। दलेलचक और बघौरा दोनों गांव से करीब 40-50 लोगों को पकड़कर हमलावरों ने यहां रखा था। कुछ ही देर में हमलावरों ने सबको बरगद के पेड़ से बांध दिया। ये लोग जोर जोर से चीख रहे थे- बचाओ, बचाओ। पर कोई सुनने वाला नहीं था। गांव के गैर राजपूतों ने अपने-अपने दरवाजे बंद कर लिए थे। अब तक रात के 9 बज चुके थे। हमलावरों के मुखिया ने कहा- ‘इन @#$%$#@ के टुकड़े-टुकड़े कर दो।’ भीड़ कुल्हाड़ी और गड़ासा लेकर टूट पड़ी। कुछ ही मिनटों में बरगद के पेड़ से दर्जनों अधकटी लाशें लटक गईं। तभी हवा में फायरिंग करते हुए एक हमलावर बोला- ‘जाओ इनके घरों में आग लगा दो। जो छुपे होंगे वो भी जल मरेंगे।’ भीड़ ने चुन-चुनकर दोनों गांवों के राजपूतों के घरों में आग लगा दी। फिर ‘एमसीसी जिंदाबाद। छेछानी का बदला ले लिया। बदला पूरा हुआ।’ का नारा लगाते हुए हमलावर निकल गए। गांव से महज तीन किलोमीटर की दूरी पर मदनपुर थाना है। भीड़ की धमक, लोगों की चीखें और गोलियों की गूंज थाने तक पहुंच चुकी थीं, पर पुलिस निकलने की हिम्मत नहीं जुटा पाई। करीब 2 घंटे बाद पांच पुलिस वाले गांव के लिए निकले। बगल के दूसरे थाने से पुलिस की एक और टीम दलेलचक पहुंची। कुछ ही देर में औरंगाबाद के एसपी सतीष झा भी पहुंच गए। दोनों गांवों में घरों से अब भी आग की ऊंची-ऊंची लपटें दिख रही थीं। एसपी सतीश झा और बाकी पुलिस वाले आग बुझाने में जुट गए। वे घर-घर जाकर पानी मांग रहे थे, लेकिन किसी ने दरवाजा नहीं खोला। इसी बीच एसपी को कुछ लोगों के कराहने की आवाज सुनाई पड़ी। पुलिस वालों को लेकर वे उस तरफ दौड़े। टॉर्च जलाई। देखा 4 साल का एक बच्चा बिस्तर लपेटे एक कोने में सिसक रहा था। थोड़ी दूर पर 20-25 साल का एक लड़का भूसे के ढेर में छिपा हुआ था। उन्होंने दोनों को बाहर निकाला। इधर, पटना तक नरसंहार की खबर पहुंच गई थी। रात में ही डीजीपी शशिभूषण सहाय और आईजी ललित विजय सिंह, दलेचचक बघौरा के लिए निकल गए, पर गांव तक जाने के लिए पक्की सड़क नहीं थी। उन्हें पहुंचने में काफी देर हो गई। इधर, पूरी रात पुलिस आग बुझाने में जुटी रही, पर आग बुझने का नाम नहीं ले रही थी। अब सुबह के 5 बज गए थे। एक-एक करके लाशें गिनी जाने लगीं। बरगद के पेड़ के पास 29 कटी फटी लाशें मिलीं। सिर जमीन पर बिखरे पड़े थे और बाकी हिस्सा बरगद के पेड़ से बंधा हुआ था। पूरी जमीन खून से सन गई थी। ऐसा लग रहा था जैसे कोई बूचड़खाना हो। पुलिस ने दोनों गांवों में एक-एक घर की तलाशी ली। 26 लाशें मिलीं। इनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे थे। कुल 55 लोग मारे गए थे। 54 राजपूत और एक हरिजन। 7 परिवार ऐसे थे, जिनके घरों में कोई जिंदा नहीं बचा था। आजादी के बाद ये बिहार का सबसे बड़ा जातीय नरसंहार था। आरोप माओवादी संगठन माओइस्ट कम्युनिस्ट सेंटर यानी एमसीसी पर लगा। तब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी और राजीव गांधी प्रधानमंत्री। बिहार में भी सरकार कांग्रेस की थी और बिंदेश्वरी दुबे मुख्यमंत्री। एक ही चिता पर 80 साल के बुजुर्ग और 6 महीने के बच्चे का अंतिम संस्कार अगले दिन यानी 30 मई को सरकार ने नरसंहार में मारे गए लोगों का सामूहिक अंतिम संस्कार करवाया। कई लाशों की पहचान नहीं हो सकी थी। कई मृतकों के घर से कोई आया नहीं। शायद उनके परिवार में कोई बचा ही नहीं था। एक-एक चिता पर 5-7 लाशें रखी गई थीं। एक ही चिता पर 80 साल के बुजुर्ग और 6 महीने के बच्चे का अंतिम संस्कार किया गया। ये सीन देखकर वहां मौजूद लोग और पुलिस वालों की आंखें भर आई थीं। लोग जलती चिताओं से राख उठाकर तिलक लगा रहे थे। शायद ये तिलक बदले का संकेत था। पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर को धक्का मारने लगी भीड़, पत्रकार ने बचाया 31 मई की सुबह पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर दिल्ली से सीधे दलेलचक बघौरा पहुंचे। किताब ‘द जननायक कर्पूरी ठाकुर’ में उपसभापति हरिवंश नारायण उस किस्से को याद करते हैं- ‘मैं एक मैगजीन रिपोर्टर था। गया से औरंगाबाद होते हुए सुबह 6 बजे नरसंहार वाली जगह पहुंचा। मैंने देखा कि एक कोने में कर्पूरी ठाकुर चुपचाप खड़े थे।’ उसी किताब में पटना के वरिष्ठ पत्रकार दीपक कुमार कहते हैं- ‘जब भीड़ कर्पूरी को धकियाने लगी तो मुझे लगा कि उन्हें अपमानित किया जा सकता है। हमारी आंखें मिलीं और वे मेरी स्कूटर पर पीछे बैठ गए। मैं उन्हें औरंगाबाद मेन रोड तक ले गया। वहां से वे अपनी गाड़ी में बैठकर पटना चले गए।’ जलते घर, वीरान गांव, नरसंहार का मंजर देख रो पड़े मुख्यमंत्री बिंदेश्वरी दुबे 31 मई को ही मुख्यमंत्री बिंदेश्वरी दुबे भी दलेलचक बघौरा पहुंचे। अब भी कई घरों में आग बुझी नहीं थी। फायर ब्रिगेड की गाड़ियां मंगाई गईं। फिर आग बुझाई गई। मुख्यमंत्री घर-घर जाकर देख रहे थे, पर गांव के ज्यादातर लोग भाग चुके थे। अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक एक बुजुर्ग, मुख्यमंत्री को देखकर बिलखने लगा। उसकी गोद में दो छोटे-छोटे बच्चे थे। कहने लगा- ‘साहब ये दोनों मेरे पोते-पोती हैं। इनके मां-बाप को मार डाला है। परिवार में बस ये ही बचे हैं। मैं अकेला इनकी देखभाल कैसे करूंगा।’ यह देखकर मुख्यमंत्री भी रोने लगे। कुछ देर बाद वे पटना लौटे और अगले दिन ऐलान किया कि एमसीसी पर बैन लगाया जाएगा। इस नरसंहार में विधायक रामलखन सिंह यादव पर भी आरोप लगा था। कहा गया कि 30 अप्रैल को वे औरंगाबाद के ही एक गांव छोटकी छेछानी में यादव महासभा के लिए गए थे। विपक्ष का दावा था कि मुख्यमंत्री भी यादव महासभा में शामिल हुए थे। एमसीसी ने इस नरसंहार को छोटकी छेछानी का ही बदला बताया था। इसलिए विपक्ष सरकार पर और ज्यादा हमलावर था। 5 जून को जनता पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर, राम विलास पासवान और लोकदल के अजित सिंह गांव पहुंच गए। इन सब घटनाओं से सीएम पर लगातार इस्तीफे का दबाव बढ़ रहा था। जनता पार्टी और बाकी विपक्षी दल सरकार बर्खास्त करने की मांग कर रहे थे। आखिर छोटकी छेछानी में क्या हुआ था, जिसका बदला माओवादियों ने दलेलचक बघौरा में लिया… दरअसल, बघौरा गांव के बगल से कोयल नहर निकलने वाली थीं। इससे वहां की जमीनों की कीमतें अचानक बढ़ गई थीं। इन जमीनों पर राजपूतों का दावा था। जबकि यादव अपना कब्जा चाहते थे। नक्सली संगठन एमसीसी यादवों की मदद कर रहा था। दलेलचक गांव में बोध गया के महंत की सैकड़ों एकड़ जमीनें थीं। एमसीसी वालों ने उनकी कुछ जमीनों पर कब्जा कर लिया था और बटाईदारों के जरिए खेती करवा रहे थे। गांव के ही एक दबंग राजपूत रामनरेश सिंह ने महंत से 46 एकड़ जमीनें खरीद लीं और बटाईदारों को भगा दिया। कहा जाता है कि रामनरेश केंद्रीय मंत्री और बाद में पीएम बने चंद्रशेखर का करीबी था। कुछ ही दिनों बाद रामनरेश के सहयोगी कृष्णा कहार का मर्डर हो गया। सितंबर 1986 में राम नरेश के एक और सहयोगी की हत्या हो गई। आरोप एमसीसी पर लगा। 10 दिनों के भीतर ही जमींदारों ने 5-6 एमसीसी कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी। यहां से बदले की आग और धधकती गई। 20 दिन बाद पास के ही दरमिया गांव में 11 राजपूतों की हत्या हो गई। फिर से आरोप लगा एमसीसी पर। इसके बाद सरकार ने स्पेशल ऑपरेशन चलाया। पुलिस बढ़ा दी गई। सेंट्रल फोर्सेज की तैनाती की कर दी गई। कुछ महीने मामला काबू में रहा। फिर प्रशानस ने ढील दे दी। सेंट्रल फोर्सेज को पंजाब भेज दिया गया। एसपी और टास्क फोर्स वालों को भी पटना बुला लिया गया। दरअसल, उन दिनों पंजाब उग्रवाद के दौर से गुजर रहा था। ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद इंदिरा गांधी की हत्या हो चुकी थी। 19 अप्रैल 1987 को राजपूत जमींदार केदार सिंह की हत्या हो गई। इस हत्या के दो घंटे बाद ही मुसाफिर यादव और राधे यादव परिवार के सात लोगों का कत्ल हो गया। मुसाफिर और राधे यादव एमसीसी के सपोर्टर माने जाते थे। कुछ रोज बाद मदनपुर बाजार में नक्सलियों ने पर्चा बंटवाया। जिसमें लिखा था- ‘सात का बदला सत्तर से लेंगे।’ और अगले ही महीने दलेलचक बघौरा में नरसंहार हो गया। दो साल में 3 मुख्यमंत्रियों का इस्तीफा, फिर कभी कांग्रेस का सीएम नहीं बना इस नरसंहार को लेकर विपक्ष तो हमलावर था ही, सरकार के अंदर भी अलग-अलग खेमे बंट गए थे। पूर्व सीएम जगन्नाथ मिश्रा तो अपने ही सीएम पर लापरवाही का ठीकरा फोड़ रहे थे। आनन-फानन में सरकार ने डीजीपी एसबी सहाय को हटा दिया। आईजीपी लॉ एंड ऑर्डर का भी तबादला हो गया। औरंगाबाद के एसपी भी बदल गए। पर सरकार में सबकुछ ठीक नहीं रहा। इसके बाद सीएम को दिल्ली बुलाया गया। सियासी गलियारों में कयास लगने लगे कि मुख्यमंत्री बदले जाएंगे। आखिरकार 13 फरवरी 1988 को मुख्यमंत्री बिंदेश्वरी दुबे ने इस्तीफा दे दिया। भागवत झा आजाद मुख्यमंत्री बने, लेकिन एक साल बाद उन्हें भी हटा दिया गया। इसके बाद सत्येंद्र नारायण सिंह सीएम बने। पर 7 महीने बाद दिसंबर 1989 में उनका भी इस्तीफा हो गया। अगले चुनाव में दो-तीन महीने ही बचे थे। ऐसे में राज्य की कमान एक बार फिर से जगन्नाथ मिश्रा को मिली। 1990 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 324 सीटों में से महज 71 सीटें मिलीं। पिछले चुनाव से 125 कम। मगध संभाग, जहां ये नरसंहार हुआ था, वहां की 26 सीटों में से सिर्फ 10 सीटें ही कांग्रेस बचा सकी। जबकि पिछले चुनाव में उसे 19 सीटें मिली थीं। यानी आधी सीटें कांग्रेस ने गंवा दी। 122 सीटें जीतकर जनता दल ने लेफ्ट और निर्दलीयों की मदद से सरकार बनाई और लालू यादव मुख्यमंत्री बने। 1990 के अगस्त में मंडल कमिशन की सिफारिशें लागू करने का एलान हुआ और दो महीने बाद ही बीजेपी ने राम रथ यात्रा निकाल दी। इसी दौरान लालू ने बीजेपी नेता लाल कृष्ण आडवाणी को बिहार में गिरफ्तार कर लिया। यहां से लालू को पिछड़ों के साथ ही मुस्लिमों का साथ भी मिलने लगा। दूसरी तरफ आरक्षण और सवर्णों के नरसंहारों की वजह कांग्रेस के कोर वोटर्स बीजेपी की तरफ शिफ्ट होते गए। 1995 के चुनाव में कांग्रेस सिर्फ 29 सीटों ही जीत सकी। इसके बाद साल दर साल कांग्रेस कमजोर पड़ती गई। 40 साल तक बिहार में राज करने वाली कांग्रेस, राजद का छोटा भाई बनने पर मजबूर हो गई। तब से उसका सीएम तो नहीं ही बना, वह मुख्य विपक्षी पार्टी भी नहीं बन पाई। हमलावर 500, आरोपी 177, 8 उम्रकैद काटकर जेल से छूट गए दलेलचक बघौरा गांव में 500 लोगों की भीड़ ने हमला किया था। इनमें से कुल 177 आरोपी बनाए गए। दिसंबर 1992 में औरंगाबाद सेशन कोर्ट ने 8 को फांसी की सजा सुनाई गई और बाकी सबूतों के अभाव में बरी हो गए। 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया। इसी साल आठों आरोपी अपनी-अपनी सजा काटकर जेल से छूट गए। नरसंहार के बाद ज्यादातर राजपूत गांव छोड़कर चले गए थे। दोनों गांवों को भूतहा गांव कहा जाने लगा था। आज भी इन गांवों में राजपूतों के गिने-चुने ही घर हैं। कई परिवार तो नरसंहार के बाद लौटे ही नहीं। कल तीसरे एपिसोड में पढ़िए कहानी बारा नरसंहार की, जहां 35 भूमिहारों की हत्या कर दी गई.. नोट : (यह सच्ची कहानी पुलिस चार्जशीट, कोर्ट जजमेंट, गांव वालों के बयान, अलग-अलग किताबें, अखबार और इंटरनेशल रिपोर्ट्स पर आधारित है। क्रिएटिव लिबर्टी का इस्तेमाल करते हुए इसे कहानी के रूप में लिखा गया है।) रेफरेंस :
भारत में अमूमन 10 में से 9 बच्चे 16 साल की उम्र में 10वीं या 11वीं क्लास में पढ़ रहे होते है. और करियर बनाने के लिए अपने असल इंटरेस्ट तलाश रहे होते हैं. वहीं, 16 साल के राउल जॉन अजू हैं, जो अपने ही पिता को नौकरी देने की वजह से सुर्खियों में हैं. लेकिन राउल भारत के सबसे युवा एआई विशेषज्ञों में से एक कैसे बने? आखिर क्या है इस बच्चे की पूरी कहानी? पूरी जानकारी के लिए ऊपर दी गई इमेज पर क्लिक कर देखें वीडियो...
GenZ आंदोलन, हिंसा, आगजनी और तख्तापलट। नेपाल ने 5 दिन में वो सब कुछ देख लिया जो इतिहास में पहले कभी नहीं देखा। सोशल मीडिया बैन और करप्शन को लेकर GenZ ने 8 सितंबर को प्रोटेस्ट शुरू किया। अगले दिन देश में माहौल हिंसक हो गया। संसद, सुप्रीम कोर्ट, पॉलिटिकल पार्टियों के ऑफिस, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री-मंत्रियों के घर और काठमांडू के सिंह दरबार समेत सब जला दिया गया। केपी शर्मा ओली को प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ना पड़ा। अब 5 दिन के अंदर देश में एक नई व्यवस्था बनी। 12 सितंबर को देश की संसद भंग कर दी गई। पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं। राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने राष्ट्रपति भवन शीतल निवास में उन्हें शपथ दिलाई। Gen-Z नेता सरकार में शामिल नहीं हुए। वे बाहर से ही सरकार का कामकाज देखेंगे। सुशीला कार्की का नाम 10 सितंबर को ही बढ़ाया गया था। GenZ प्रोटेस्ट का समर्थन करने वाले मेयर बालेन शाह ने उनका समर्थन भी किया था लेकिन GenZ लीडर्स में सहमति नहीं बनी। फिर दो दिन के अंदर ऐसा क्या हुआ कि 73 साल की सुशीला कार्की के नाम पर GenZ एकमत हो गए। उन्होंने किन शर्तों पर अंतरिम सरकार बनने की सहमति दी और इसमें बालेन शाह की क्या भूमिका रही। इन सवालों के जवाब जानने के लिए दैनिक भास्कर ने GenZ लीडर्स की कोर कमेटी, आर्मी के साथ बातचीत का हिस्सा रहे डेलिगेशन और सुशीला कार्की के करीबी सोर्सेज से बात की। वहीं हमने नेपाल के जर्नलिस्ट और पॉलिटिकल एक्सपर्ट से भी बात की। GenZ के साथ 3 दौर की बातचीत कैसे पटरी पर आई नेपाल में 9 सितंबर को तख्तापलट हुआ। दूसरे दिन आर्मी ने देश की सुरक्षा और कानून-व्यवस्था अपने हाथ में ले ली। आर्मी चीफ जनरल अशोक राज सिगडेल ने GenZ प्रदर्शनकारियों को बातचीत का न्योता दिया। इसके बाद आर्मी की निगरानी में ही नेपाल के अगले नेतृत्व और व्यवस्था को लेकर बातचीत शुरू हुई। पहले दौर की बातचीत 10 सितंबर को आर्मी हेडक्वार्टर्स में हुई। देश के मुखिया के लिए सुशीला कार्की का नाम बढ़ाया गया। फिर 11 सितंबर को सेना और GenZ प्रदर्शनकारियों के बीच दूसरे दौर की बातचीत भी आर्मी हेडक्वार्टर्स में रखी गई, लेकिन यहां GenZ के अलग-अलग गुट आपस में भिड़ गए। सुशीला कार्की के नाम पर सहमति नहीं बन सकी। नेपाल के जर्नलिस्ट खगेंद्र भंडारी बताते हैं, ‘GenZ प्रदर्शनकारियों का कोई लीडर न होने की वजह से बातचीत पटरी पर नहीं आ पा रही थी। इसके बाद एक 16 सदस्यीय GenZ डेलिगेशन बनाया गया। इस डेलिगेशन के मेंबर काठमांडू के 16 अलग-अलग इलाकों से चुने गए। तब GenZ के साथ बातचीत का सिलसिला आगे बढ़ा। 12 सितंबर को आखिरी दौर की बातचीत राष्ट्रपति भवन में हुई।‘ GenZ किन शर्तों के साथ सुशीला के नाम पर राजी हुएसभी GenZ शुरू में सिर्फ बालेन शाह को बतौर PM देखना चाहते थे, लेकिन वो अंतरिम सरकार में PM बनने को राजी नहीं थे। लिहाजा उन्होंने बालेन शाह की पसंद सुशीला कार्की के साथ जाने पर सहमति जताई। GenZ डेलिगेशन से जुड़े एक लीडर बताते हैं, 'सुशीला कार्की के नाम पर सहमति के लिए कुछ शर्तें भी रखी गई थीं। इसके तहत कोई भी पॉलिटिकल पार्टी का लीडर सरकार का हिस्सा नहीं होगा। इसलिए कार्की के अलावा किसी और ने मंत्री पद की शपथ नहीं ली। सारे विभाग PM सुशीला कार्की के पास ही होंगे।' GenZ डेलिगेशन ने मांग रखी थी कि सरकार के अलग-अलग विभागों से जुड़े फैसले लेने के लिए एक GenZ एडवाइजरी ग्रुप बनेगा। ये एडवाइजरी ग्रुप एक तरह से मंत्रिपरिषद यानी कैबिनेट की तरह काम करेगा। इस तरह सरकार सुशीला कार्की के नाम की होगी, लेकिन पीछे से GenZ का एडवाइजरी ग्रुप फैसले लेने में अहम भूमिका निभाएगा। सुशीला को बालेन के एकतरफा समर्थन के पीछे क्या वजहसोर्स के मुताबिक, GenZ के लिए PM पद का सबसे चहेता चेहरा काठमांडू के मेयर बालेन शाह थे। वो नेपाल के मौजूदा हालात में कोई रिस्क नहीं लेना चाहते थे। लिहाजा उन्होंने शुरू से ही साफ कर दिया था कि वो अंतरिम सरकार का जिम्मा नहीं संभालेंगे। बालेन 6 महीने बाद चुनाव के जरिए जनमत हासिल करके प्रधानमंत्री पद संभालना चाहते हैं। बालेन को भी ऐसे चेहरे की तलाश थी, जो उनकी बात मानें और जिन्हें GenZ भी पसंद स्वीकार कर लें। सोर्स के मुताबिक, सुशीला कार्की, बालेन की पहली पसंद बनकर उभरीं। सबसे पहले बालेन ने ही उनके नाम का समर्थन किया और इसी वजह से GenZ प्रदर्शनकारियों ने भी उनके नाम पर भरोसा जताया। हालांकि, GenZ सुशीला के नाम पर भी एकदम से सहमत नहीं हुए। नेपाल में भारत विरोध की राजनीति मशहूर है। सुशीला कार्की ने मीडिया को दिए कुछ इंटरव्यू में भारत और PM मोदी के बारे में तारीफ भरे लहजे में बात की। इसकी वजह से GenZ प्रदर्शनकारियों का एक गुट उनके विरोध में उतर आया लेकिन ये विरोध जल्द ही दबा दिया गया और सुशीला को GenZ नेताओं को समर्थन हासिल हो गया। वहीं, अगले 6 महीनों में बालेन शाह जरूरत पड़ने पर PM सुशीला कार्की और GenZ एडवाइजरी ग्रुप को सलाह देंगे। बालेन का मकसद पर्दे के पीछे से अंतरिम सरकार चलाना और अगले 6 महीने तक चुनाव के लिए तैयारी करना है। वो 6 महीने बाद चुनाव लड़ेंगे और फिर मजबूत दावेदारी पेश करके PM बनने की कोशिश करेंगे। PM बनने के लिए कई दावेदार कतार में रहे बालेन और सुशीला के अलावा PM बनने के लिए दूसरे दावेदार भी दावेदारी पेश करने से पीछे नहीं हटे। इंजीनियर सुदन गुरंग, इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड के पूर्व प्रमुख कुलमान घिसिंग और धरान के मेयर हर्क सामपांग भी कतार में थे। ये सभी अपने GenZ समर्थकों के जरिए PM बनने के लिए जोर आजमाइश करते रहे। कई बार आर्मी हेडक्वार्टर और राष्ट्रपति भवन के बाहर इनके समर्थकों में झड़पें भी हुईं लेकिन बात नहीं बन सकी। अब सरकार बनाने में नेपाली आर्मी की भूमिका समझिएअंतरिम सरकार बनाने में आर्मी ने मजबूत मध्यस्थ की भूमिका निभाई है। दरअसल बालेन शाह आर्मी चीफ जनरल अशोक राज सिगडेल के करीबी रहे हैं। जब वो पहली बार काठमांडू के मेयर बने थे, तो सबसे पहले आर्मी चीफ से मिलने पहुंचे थे। इससे जाहिर है कि उनके आर्मी के साथ कितने करीबी संबंध हैं। वहीं आर्मी की पसंद भी बालेन शाह रहे हैं। सोर्स बताते हैं कि तख्तापलट के साथ ही बालेन शाह आर्मी के संपर्क में थे। उन्होंने आर्मी को भरोसे में लिया और सरकार बनाने की कवायद शुरू करने के लिए कहा। आर्मी के पास दो जिम्मेदारियां थीं। पहली, शांति और सुरक्षा कायम करना। दूसरी, अंतरिम सरकार के लिए पहल करना। दोनों ही काम आर्मी ने पूरी जिम्मेदारी के साथ किए। एक्सपर्ट बोले- GenZ आंदोलन नहीं अब नई सरकार का काम देखेंगेसुशीला कार्की के शपथ ग्रहण और नई सरकार के स्वरूप को लेकर हमने नेपाल के पॉलिटिकल एनालिस्ट संजीन हुमागेन से बात की। वे कहते हैं, 'अभी तो देश में अस्थिरता का ही माहौल रहना ही है। अब सबसे अहम बात ये है कि नई सरकार अगले चुनाव को लेकर कितनी संजीदा है और इसके कराने में कितनी जल्दी दिखाती है। अभी यही सबसे बड़ा एजेंडा होगा।' GenZ नई सरकार के फैसले को क्या ज्यादा समय तक स्वीकार कर पाएंगे या फिर आंदोलन की राह पर उतरेंगे? इसके जवाब में संजीन कहते हैं, 'मुझे नहीं लगता कि GenZ अभी इतनी जल्दी रिएक्ट करेंगे। वो देखना चाहेंगे कि नई सरकार किस तरह काम कर रही है। वो ट्रैक पर है या नहीं। इसलिए इतनी जल्दी दोबारा आंदोलन का तो सवाल ही नहीं उठता है। हां उनकी नजर बाकी सियासी दलों और सिविल सोसाइटीज के काम पर जरूर रहेगी।' नई सरकार को लेकर बाकी पॉलिटिकल पार्टियों का क्या रुख है? इस पर वे बताते हैं, ज्यादातर पॉलिटिकल पार्टियां इस फैसले को संविधान के खिलाफ बता रही हैं। अब बस उन्हें अगले इलेक्शन का इंतजार है। उनकी तैयारी अगले चुनाव को लेकर ही रहने वाली है। हालांकि संजीन इस सियासी उठापटक के बीच सेना की भूमिका का सराहना करते हैं। आर्टिकल- 61 के तहत PM बनीं सुशीलानेपाल में नया संविधान के लागू होने के बाद सभी सरकारें आर्टिकल- 76 के तहत बनाई जाती थीं, लेकिन सुशीला कार्की को आर्टिकल- 61 के अनुसार प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया। इसमें सीधे प्रधानमंत्री के पद या शक्तियों का कोई जिक्र नहीं है। इसमें मुख्य रूप से राष्ट्रपति का काम और जिम्मेदारियां बताई गई हैं। आर्टिकल- 61 के मुताबिक, राष्ट्रपति संविधान की रक्षा का काम करते हैं। इसलिए इसी के तहत PM की नियुक्ति की गई है। केपी ओली की पार्टी ने संसद भंग करने का विरोध कियानेपाल में संसद भंग करने के फैसले का सियासी पार्टियों ने विरोध किया है। पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की पार्टी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल के महासचिव शंकर पोखरेल ने इस फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। पोखरेल ने देशवासियों से सतर्क रहने की अपील की। उन्होंने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं और समर्थकों से इस फैसले के खिलाफ सड़कों पर उतरने की अपील की है। सिंह दरबार में नया पीएम ऑफिस तैयारनेपाल के सिंह दरबार में नया पीएम ऑफिस तैयार कर दिया गया है। ये ऑफिस होम मिनिस्ट्री के लिए बनाई गई बिल्डिंग में तैयार किया गया। दो दिन पहले प्रदर्शनकारियों ने सिंह दरबार कॉम्पलेक्स की मुख्य बिल्डिंग में आग लगा दी थी, इस वजह से होम मिनिस्ट्री की बिल्डिंग में नया ऑफिस बनाया गया है। ....................... नेपाल से ये ग्राउंड रिपोर्ट भी पढ़िए... पूर्व PM-वित्त मंत्री को पीटा, संसद-सुप्रीम कोर्ट जलाए, लोग बोले- हमारी सरकार करप्ट गैंग नेपाल की संसद, सुप्रीम कोर्ट, पॉलिटिकल पार्टियों के ऑफिस, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री-मंत्रियों के घर और सबसे खास काठमांडू का सिंह दरबार, सब एक दिन में जल गया। पूरे काठमांडू के आसमान में काला धुआं दिख रहा है। पूर्व PM झालानाथ खनाल की पत्नी को जिंदा जला दिया गया। 20 से 25 साल के लड़के-लड़कियां सरकार के खिलाफ सड़कों पर हैं। इनका कहना है कि हमारी सरकार करप्ट है। पढ़िए पूरी खबर...
India In UNGA: संयुक्त राष्ट्र में फिलिस्तीन को लेकर चल रही थी वोटिंग, भारत ने उठाया बड़ा कदम
India In UNGA:
डोनाल्ड ट्रंप के 'चार्ली' की हत्या के पाकिस्तान में मना 'जश्न', जांच की सुई इस तरफ घूम रही
Charlie Kirk murder: गोली चार्ली की गर्दन पर लगी, मगर जानते हैं एक तरफ इस हमले से अमेरिका में मातम पसर गया वहीं दावा ये भी किया गया कि मुनीर के मुल्क में जश्न मनाया गया और कट्टर पाकिस्तानी खुशी से झूमने लगे आखिर क्यों, खुद जान लीजिए.
DNA Analysis: नेपाल की प्रधानमंत्री के तौर पर सुशीला कार्की के सामने कौन कौन सी चुनौतियां होंगी. तो सुशील कार्की के सामने सबसे बड़ी चुनौती नेपाल में निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव करवाना है क्योंकि नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता और चुनावी धांधली की समस्याएं काफी पुरानी हैं.
America News: डोनाल्ड ट्रंप के सबसे करीबी चार्ली किर्क की हत्या करने वाले आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है. अब उसको लेकर FBI नेकई अहम खुलासे किए हैं. आरोपी टायलर रॉबिन्सन यूटा राज्य का रहने वाला है और चार्ली किर्क को नापसंद करता था. उसका कहना था कि वो 'नफरत फैलाता' था.
UK News:ब्रिटेन मेंपाकिस्तानी मूल के एक डॉक्टर ने एक मरीज को सर्जरी के बीच में छोड़कर ऑपरेशन थिएटर में एक नर्स के साथ यौन संबंध बनाने की बात कबूल की है. 44 साल के डॉ. सुहैल अंजुम ग्रेटर मैनचेस्टर के टेमसाइड जनरल अस्पताल में कार्यरत थे.
BHU से पढ़ीं सुशीला कार्की होंगी नेपाल की अंतरिम PM, आज 8.30 बजे लेंगी शपथ, संसद भंग
नेपाल में एक तरफ प्रदर्शन हो रहा है, काठमांडू की सड़कों पर काफी संख्या में लोग उतरे हुए हैं, इसी बीच एक बड़ी खबर सामने आ रही है.नेपाल में तख्तापलट के बाद अब संसद को भंग कर दिया है और सुशीला कार्की नेपाल की अंतरिम पीएम होंगी, ये भी कहा जा रहा है कि आज रात 8.30 बजे वो शपथ भी लेंगी.
अब खुलेंगे राज, चार्ली किर्क का हत्यारा गिरफ्तार, डोनाल्ड ट्रंप बोले- उनके किसी करीबी ने ही...
Charlie Kirk Murder Case Updates: जाने-माने रूढ़िवादी टिप्पणीकार और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सबसे करीबी सहयोगी चार्ली किर्क के कथित हत्यारे को गिरफ्तार कर लिया गया है और वह हिरासत में है. इसकी पुष्टि खुद प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप ने की है.
Fact Check: पुलिस के साथ प्रदर्शनकारियों की झड़प का यह वीडियो नेपाल का नहीं है
बूम ने जांच में पाया कि यह वीडियो इंडोनेशिया के मेडान शहर (Medan) में हुए एक विरोध प्रदर्शन से जुड़ा है.
मर्द को भी मिलेगा हक! इस देश की अदालत का बड़ा फैसला, पति भी ले सकेंगे पत्नी का सरनेम
Viral News: दक्षिण अफ्रीका की अदालत ने पति को भी पत्नी का सरनेम अपनाने का अधिकार दिया है. इसे पुराने भेदभाव वाले कानून को रद्द कर बराबरी का कदम बताया गया. अब पुरुष और महिलाएं दोनों अपनी पसंद से नाम चुन सकेंगे.
समंदर की गहराइयों में कैसे टूटी इंटरनेट केबल? सुलझ गई गुत्थी; मगर ठीक होने में लगेगा इतना वक्त
Internet Cable: लाल सागर में इंटरनेट केबल कटने से खलबली मची हुई है. इसकी वजह से कई देशों की इंटरनेट स्पीड पर प्रभाव पड़ा है. जानिए ये केबल कैसे कटी और इसे ठीक होने में कितना टाइम लगेगा.
Chile: इस स्कूल ने TikTok-Instagram पर लगाने के लिए फोन को किया बैन, स्टूडेंट्स की बदल रही जिंदगी
Smartphone banned in Chilean's School: स्कूल में बच्चों को फोन की लत से दूर रखने के लिए एक पहल की गई जिसके बाद से छात्रों की जिदंगी में कुछ बदलाव देखे गए. आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं.
नेपाल में जेन-जी के आंदोलन के बाद प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली से लेकर कई मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया। भ्रष्टाचार और कुशासन के खिलाफ युवाओं का देशव्यापी विरोध प्रदर्शन जारी है। इस बीच पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में शपथ दिलाने की तैयारी चल रही है
चार्ली किर्क हत्या मामले में एक नया वीडियो जारी, कॉलेज की छत से कूदकर भागता दिखा हमलावर
संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) ने चार्ली किर्क हत्या मामले में एक नया वीडियो जारी किया है, जिसमें रूढ़िवादी कार्यकर्ता को गोली लगने के कुछ ही देर बाद एक संदिग्ध घटनास्थल से भागता हुआ दिखाई दे रहा है
ब्राज़ील : पूर्व राष्ट्रपति को 27 साल 3 महीने जेल की सजा, सैन्य तख्तापलट की साजिश के आरोप
ब्राज़ील के पूर्व राष्ट्रपति जेयर बोल्सोनारो (70) को सैन्य तख्तापलट की साजिश रचने का दोषी पाए जाने पर 27 साल तीन महीने जेल की सजा सुनाई गई है। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के पाँच न्यायाधीशों के एक पैनल ने पूर्व राष्ट्रपति को दोषी ठहराए जाने के कुछ ही घंटों बाद यह सजा सुनाई
'देश में हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है', कांग्रेस सदस्य ने चार्ली किर्क की हत्या की निंदा की
यूटा के एक विश्वविद्यालय में कार्यक्रम के दौरान रूढ़िवादी विचारक और कार्यकर्ता चार्ली किर्क की गोली मारकर हत्या के एक दिन बाद, अमेरिकी कांग्रेस सदस्य डेबोरा रॉस ने इस घटना पर दुख जताते हुए कहा कि हमारे देश में हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है
WATCH: चार्ली किर्क को गोली मारने के बाद छत से कूदा था शूटर, वीडियो देखकर उड़ जाएंगे होश
ट्रंप के करीबी चार्ली कर्क की बुधवार को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. कर्क को यूटाह वैली यूनिवर्सिटी में एक कार्यक्रम में बोलते समय सबके सामने गोली मारी गई थी. इस बीच, FBI ने चार्ली किर्क हत्या मामले में एक नया वीडियो जारी किया है, जिसमें रूढ़िवादी कार्यकर्ता को गोली लगने के कुछ ही देर बाद एक संदिग्ध घटनास्थल से भागता हुआ दिखाई दे रहा है.
Nepal GenZ Protest: सुशीला कार्की को पीएम बनाने पर बन गई बात, लेकिन इस मुद्दे पर अभी भी फंसा है पेंच
Sushila Karki: नेपाल में सोशल मीडिया बैन को लेकर हुए प्रदर्शन और हिंसा में अब तक 34 लोगों की जान ले ली है और 1368 लोग घायल हैं. यह जानकारी नेपाल के स्वास्थ्य मंत्रालय ने दी.
Brazil ex-president Jair Bolsonaro:ब्राजील की सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए पूर्व राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो को 27 साल की सजा जैसे सुनाई ट्रंप इस फैसले से नाखुश हो गए. अमेरिका आखिर ब्राजील के पूर्व राष्ट्रपति की सजा पर क्यों गुस्सा है. ट्रंप क्यों भड़के हैं जानते हैं इसके पीछे की कहानी.
काठमांडू में भारतीयों को ले जा रही बस पर हमला; बैग और मोबाइल लूटे; अंतरिम सरकार पर गतिरोध जारी
नेपाल में प्रदर्शनकारियों ने काठमांडू में भारतीय बस पर हमला किया है. जानकारी के मुताबिक, इस हमले में कई यात्री घायल हो गए. घटना उस समय हुई जब बस यात्रियों के साथ काठमांडू से भारत वापस लौट रही थी.
वॉशिंग मशीन के झगड़े ने ली जान! अमेरिका में 50 साल के भारतीय की बेरहमी से हत्या, सिर धड़ से किया अलग
Indian Man Beheaded: डलास, यूएसए के एक मोटल से दुखद घटना सामने आई है. यहां चंद्रमौली नागमल्लैया नाम के 50 वर्षीय भारतीय व्यक्ति को उनके परिवार के सामने ही बेरहमी से हत्या कर दी गई. हत्या की वजह वॉशिंग मशीन को लेकर हुए झगड़े को बताया जा रहा है.
Trump Poland Drones: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरूवार को कहा कि वह पोलैंड पर रूसी ड्रोन हमले की पूरी स्थिति से खुश नहीं हैं और उम्मीद करते हैं कि ये जल्द खत्म होगा.
अमेरिकी सीनेट की विदेश संबंध समिति में भारत में अगले अमेरिकी राजदूत के रूप में नामित सर्जियो गोर ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप क्वाड के साथ बैठकें जारी रखने और इसे मजबूत करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं. सर्जियो गोर ने कहा कि हम इसे सर्वोच्च प्राथमिकता देंगे कि भारत को अपनी ओर खींचा जाए और चीन से दूर किया जाए. उन्होंने कहा कि हालांकि हमारे (भारत-अमेरिका) बीच अभी कुछ अड़चनें आ रही हैं, लेकिन हम इसे सुलझाने की राह पर हैं.
भारत में स्वेच्छा से निजी स्थान पर सेक्स वर्कर यानी प्रोस्टीट्यूट के तौर पर काम करना अपराध नहीं है. लेकिन, वेश्यालय चलाना, सार्वजनिक स्थानों पर ग्राहक ढूंढ़ना, दलाली करना और अब केरल हाईकोर्ट के मुताबिक ग्राहक होना भी अपराध है जो जेल की हवा भी खिलवा सकता है.लेकिन जब सुप्रीम कोर्ट ने खुद साल 2022 में प्रोस्टीट्यूशन को पेशे के तौर पर मान्यता दी है. तो फिर केरल हाईकोर्ट का ग्राहक वाला फैसला किस ओर इशारा करता है? क्या प्रोस्टीट्यूट के पास सेक्स के लिए जाना अपराध है या नहीं.पूरी जानकारी के लिए ऊपर दी गई इमेज पर क्लिक कर देखें वीडियो...
चुनावी माहौल में दैनिक भास्कर लाया है बिहार के 10 बड़े नरसंहारों की कहानी, जिनका राजनीति में अब भी गहरा असर है। पहले एपिसोड में आज कहानी बेलछी नरसंहार की... देश से आपातकाल हटे ठीक 64 दिन हुए थे। साल था 1977 और तारीख 24 मई। केंद्र में जनता पार्टी की सरकार थी और मोरारजी देसाई पहले गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री। बिहार में राष्ट्रपति शासन था, लेकिन चुनाव की तारीखें तय हो चुकी थीं। पटना से 90 किलोमीटर दूर एक गांव है बेलछी। 6 बजे थे सुबह के। गांव का दबंग महावीर महतो सिर पर गमछा बांधते हुए बोला- ‘मंगरू सुन रहे हो… जा सिंघवा को बुला लाओ।’ मंगरू- ‘हां काका, अभी जाते हैं।’ महावीर ने 30-35 साथियों को बुला लिया। बोला- ‘देखो आज सिंघवा बचना नहीं चाहिए। मंगरू गया है उसे बुलाने। लाठी-डंडे लेकर सब गली में खड़े जाओ। मैंने बंदूक-गोली मंगा ली है। आते ही उस पर टूट पड़ना है।’ कुछ ही देर में मंगरू, सिंघवा के घर पहुंच गया। खटिया पर बैठा सिंघवा दातुन कर रहा था। मंगरू बोला- ‘महावीर काका बुलाए हैं। अभी के अभी घर चलिए।’ सिंघवा की पत्नी बोल पड़ी- ‘उसके घर से तो दुश्मनी है। कल तो उसके लोग मारने आए थे। उसके घर जाना ठीक नहीं है।’ ‘अरे चुप रहो, कुछ नहीं होगा’… कहते हुए सिंघवा, मंगरू के साथ चल पड़ा। पीछे-पीछे उसके ससुर जानकी पासवान भी साथ हो लिए। सिंघवा जैसे ही महावीर के घर में घुसा, पीछे से एक आदमी ने उसके सिर पर लाठी मार दी। वह पलटकर भागना चाहा, लेकिन 4-5 लोगों ने दबोच लिया। लाठी-डंडे से पीटने लगे। यह देखकर जानकी पासवान भागते-भागते दलित बस्ती पहुंचे। कहने लगे- ‘सब चलो, जल्दी चलो… महावीर %^*$% सिंघवा को मार रहा है।’ 10-15 लड़के लाठी-डंडे लेकर चल पड़े। इधर, महावीर के आदमी घात लगाए थे। उन लोगों ने इन्हें देखते ही फायरिंग शुरू कर दी। ज्यादातर लड़के गोली लगते ही गिर पड़े। इसी बीच दोनाली बंदूक ताने खुद महावीर महतो आ गया। बोला- ‘हाथ-पैर बांधकर सबको मेरे सामने ले आओ।’ सिंघवा सहित कुल 11 लोगों के हाथ-पैर बांधकर महावीर के सामने खड़ा कर दिया। अब महावीर बोला- ‘का रे सिंघवा… तू बड़का नेता बन रहा है न। खेत जोतेगा हमारा। चलो आज खेत जोतवाते हैं।’ तभी बंदूक लिए परशुराम धानुक नाम का एक आदमी हांफते हुए आया। बोला- ‘भैया सबको खेत ले चलो। वहां इनके स्वर्ग का इंतजाम कर दिए हैं।’ गांव के बाहर एक खेत में मक्के की फसल लगी थी। उसके बीचों-बीच चिता सजाकर रखी थी। परशुराम ने केरोसिन डालकर आग लगा दिया। कुछ ही मिनटों में ऊंची-ऊंची लपटें उठने लगीं। महावीर बोला- ‘सब *^%$ को लाइन में खड़ा करो।’ महावीर के आदमियों ने सिंघवा और उसके साथियों को घसीटते हुए ले जाकर लाइन में खड़ा कर दिया। अब महावीर और परशुराम ने बंदूक उठाई...धांय धांय की गूंज से गांव दहल गया। किसी के सिर में गोली लगी, तो किसी का सीना पार कर गई। सब जमीन पर गिर पड़े। महावीर बोला- ‘अब इन हरा@#$% को उठाकर आग में झोंक दो।’ महावीर के आदमियों ने सबको आग में डाल दिया। 12 साल का एक लड़का गोली लगने के बाद भी बच गया था। वह बार-बार चिता से उठ जा रहा था। महावीर के आदमी बार-बार पकड़कर उसे आग में फेंक दे रहे थे। गुस्से में महावीर ने गड़ासा उठाया और उसकी गर्दन पर दे मारा। उसकी गर्दन कटकर लटक गई। फिर दो लड़कों ने उठाकर उसे आग में झोंक दिया। कुछ देर बाद परशुराम बोला- ‘आग कम पड़ रही है, कंडे-लकड़ी लाओ।’ चार-पांच औरतें दौड़-दौड़कर कंडे और लकड़ियां लाने लगीं। दो घंटे बाद महावीर के आदमियों ने लाठी-डंडे से उलट-पलटकर देखा सब जल गए थे। ये बिहार का पहला जातीय नरसंहार था-'बेलछी नरसंहार। 11 लोगों को मारकर जला दिया। इनमें 8 दलित और 3 सुनार थे... दोपहर 2.30 बजे गणेश पासवान नाम का चौकीदार भागते-भागते 17 किलोमीटर दूर बाढ़ पुलिस स्टेशन पहुंचा। थाना प्रभारी से बोला- ‘साहब… बेलछी में 11 लोगों को मारकर जला दिया है।’ थाना प्रभारी अवधेश मिश्रा ने आवाज लगाई- ‘अरे जीप निकालो।’ 10-12 पुलिस वालों को लेकर थाना प्रभारी बेलछी के लिए निकल पड़े, लेकिन रास्ते में उनकी गाड़ी का ब्रेक फेल हो गया। कुछ ही दूर पर एक दूसरा थाना था सकसोहरा। थाना प्रभारी ने मदद मांगी, तो सकसोहरा थाना के इंचार्ज बोले- ‘बेलछी हमारे इलाके में नहीं आता। हम मदद नहीं कर सकते।’ किसी तरह देर शाम बाढ़ पुलिस बेलछी पहुंची। मक्के के खेत में अभी भी आग जल रही थी। भीड़ जुटी थी। मृतकों के घर वाले बदहवास बिलख रहे थे। थाना प्रभारी ने गांव वालों से पूछा- ‘ये कत्ल किसने किया, किसी ने देखा क्या?’ गमछा बनियान पहने 40 साल के जानकी पासवान बोले- ‘साहब...गांव के ही महावीर महतो, परशुराम महतो और उसके 30-35 लोग थे। मैंने अपनी आंखों से देखा है सबको मारते हुए। मेरे दामाद सिंघवा को भी उन लोगों ने मार दिया।’ कैसे मारा, पूरी बात बताओ? ‘साहब… सुबह ही मारा। पहले महावीर समझौते के लिए सिंघवा और उसके साथियों को बुलाया। फिर घेरकर फायरिंग करने लगा। मैं भागकर गांव वालों को बुलाने चला गया। फिर देखा कि वो लोग सबको बांधकर खेत ले जा रहे हैं। मैं एक छत पर छिपकर दीवार के पीछे से देख रहा था। महावीर और परशुराम ने सबको गोली मारी, फिर आग में झोंक दिया। जब वे चले गए तो मैंने जाकर चौकीदार गणेश पासवान को ये बात बताई।’ क्यों मारा? जानकी पासवान- ‘साहब… गांव के कुर्मी बहुत दबंग हैं। सब जमीन पर उन्हीं लोगों का कब्जा है। हम लोग मजदूरी करते हैं। वो लोग काम करवा के भी मजदूरी नहीं देता है। सिंघवा ने लड़कर कई मजदूरों को पैसा दिलवाया था। इसलिए वे लोग इसके पीछे पड़े थे।’ पुलिस ने इसे गैंगवार बताया, लेकिन वामपंथी दल और दलित नेता इसे जातीय नरसंहार बता रहे थे। एक हफ्ते के भीतर पुलिस ने महावीर सहित 20-22 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। पटना पुलिस के डिप्टी कमिश्नर के.एन अर्धनारीश्वर ने जांच संभाली। उन्होंने महावीर महतो की कॉलर पकड़ते हुए पूछा- ‘बता, क्यों मारा सबको?’ ठसक भरी आवाज में महावीर बोला- ‘मैंने कुछ नहीं किया। वो उनकी आपसी लड़ाई थी।’ डिप्टी कमिश्नर- ‘ये ऐसे मानेगा नहीं। हाथ-पैर बांधकर इसे उल्टा लटका दो।’ तीन-चार सिपाहियों ने महावीर के हाथ-पैर बांध दिए। डिप्टी कमिश्नर ने जैसे ही हंटर उठाया, महावीर कांपने लगा। बोल पड़ा- ‘साहब मारो मत, सब बताता हूं।’ ‘साहब... 2-3 दिन पहले हमारा एक आदमी सिंघवा के खेत से 5 मन धान चुरा लिया था। सिंघवा उसे पीटते हुए थाने ले जा रहा था। मैंने 5 मन धान देकर उसे छुड़ा लिया। फिर घर पर अपने लोगों को बुलाया और कहा कि धान चुराने से कुछ नहीं होगा। हमें सिंघवा को ही खत्म करना होगा। अगले दिन हमने सिंघवा पर हमला कर दिया। उधर से उसके लोग भी गोली चलाने लगे। रातभर लड़ाई चलती रही। वो लोग एक मकान में छुप गए थे। सुबह मैंने चाल चली और सिंघवा को सुलह के लिए बुला लिया। वो जैसे ही आया हमारे आदमी उस पर टूट पड़े।’ बेलछी के जानकी पासवान की गवाही पर पुलिस ने महावीर महतो, परशुराम धानुक सहित 31 लोगों पर हत्या, अपहरण, आगजनी जैसी धाराओं में केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी। जून 1977 में बिहार विधानसभा चुनाव हुए। 5 साल पहले कुल 324 में से 167 सीटें जीतने वाली कांग्रेस 57 सीटों पर सिमट गई। वहीं, नई नवेली जनता पार्टी ने 214 सीटें जीत लीं। यानी दो तिहाई सीटें। 24 जून 1977 को जनता पार्टी के कर्पूरी ठाकुर बिहार के मुख्यमंत्री बने। उन्होंने भी बेलछी कांड को जातीय नरसंहार नहीं माना। जनता पार्टी की लहर के बावजूद एक युवा नेता हार गया। नेता थे नीतीश कुमार। दरअसल, नीतीश नालंदा जिले की हरनौत से चुनावी डेब्यू कर रहे थे। हरनौत, बेलछी से 10-12 किलोमीटर ही दूर है। नीतीश उसी कुर्मी समुदाय से हैं, जिस पर नरसंहार का आरोप लगा था। हरनौत में कुर्मियों का दबदबा भी था। भोला सिंह, जो कभी नीतीश के साथी रहे, चुनाव में उनके खिलाफ उतर गए। भोला अपनी रैलियों में आरोपियों को बेगुनाह बताने लगे। जबकि नीतीश ने पीड़ितों का साथ दिया। इससे नाराज कुर्मी समुदाय भोला के लिए लामबंद हो गया। नीतीश 6 हजार वोट से हार गए। जब राम विलास पासवान ने लोकसभा में बेलछी नरसंहार की अधजली हड्डियां दिखाईं बेलछी का मुद्दा लोकसभा में भी गरमाया हुआ था। गृहमंत्री चौधरी चरण सिंह ने सदन में कहा- 'ये दो गैंग के बीच वर्चस्व का मामला है। इसमें कास्ट एंगल नहीं है।' इस पर उनकी पार्टी के दलित सांसदों ने ही हंगामा कर दिया। विवाद बढ़ा तो जनता पार्टी के दलित नेता रामधन की अगुआई में फैक्ट फाइंडिंग टीम बेलछी भेजी गई। इसमें पहली बार सांसद बने रामविलास पासवान भी थे। 13 जुलाई 1977...रामविलास लोकसभा में बोलने के लिए खड़े हुए। शुरुआती कुछ मिनट उन्होंने आपातकाल और कांग्रेस के खिलाफ बोला। फिर अचानक सदन के पटल पर एक पोटली खोल दी। उसमें इंसानी अधजली हड्डियां थीं। सब हैरान रह गए कि ये किसकी हड्डियां हैं… रामविलास बोले- ‘ये अस्थियां बेलछी नरसंहार में मारे गए लोगों की हैं। हमारे गृहमंत्री चौधरी चरण सिंह बहुत सीधे-सादे व्यक्ति हैं। वे अनुभवी हैं, लेकिन उन्होंने नौकरशाहों के तैयार किए गए बयान को आंख मूंदकर पेश कर दिया। अगर ये नरसंहार आपसी रंजिश था, तो मृतकों के खिलाफ एक भी आपराधिक मामला पहले से क्यों नहीं दर्ज था? क्या सिंघवा कभी जेल गए? किसी अदालत ने उन्हें सजा सुनाई? नहीं। ये नरसंहार इसलिए हुआ क्योंकि दलित भूमिहीन थे और उन्होंने लड़ाई लड़ने का फैसला किया था। याद रखिए जब भी कोई दलित अपनी आवाज उठाने की कोशिश करेगा, तो एक नहीं बल्कि कई बेलछी होंगे।’ दरअसल, 2 जुलाई 1977 को जनता दल के सांसदों के साथ रामविलास बेलछी गए थे। तब मारे गए लोगों की अस्थियां और राख बांध लाए थे। रामविलास के भाषण के बाद गृह मंत्री चौधरी चरण सिंह को बयान बदलना पड़ा। इधर, इमरजेंसी के बाद मिली हार से कांग्रेस सदमे में थी। इंदिरा अपनी सीट भी गंवा चुकी थीं। लोकसभा में बिहार से कांग्रेस का एक भी सांसद नहीं था। चर्चा होने लगी थी कि इंदिरा के दिन लद गए। लेकिन कांग्रेस नेता सीताराम केसरी को बेलछी की आग में अब भी धुआं उठता दिख रहा था। उन्होंने इंदिरा को सलाह दी- ‘मैडम आपको बेलछी जाना चाहिए।' 11 अगस्त 1977, शाम का वक्त। पटना के सदाकत आश्रम में फोन बजा। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष केदार पांडे ने फोन उठाया। उधर से इंदिरा की आवाज आई- ‘मैं पटना आ रही हूं। बेलछी जाना है। तैयारी कर लो।’ 13 अगस्त 1977 की सुबह इंदिरा पटना पहुंचीं। तेज बारिश हो रही थी। बाढ़ जैसे हालात थे। इंदिरा, पटना से बिहारशरीफ के रास्ते बेलछी के लिए निकलीं। इंदिरा को देखने के लिए लोग छतों और पेड़ों पर चढ़ गए। जयकारे लग रहे थे। दूसरी तरफ कुछ लोग इंदिरा का विरोध भी कर रहे थे। वजह थी इमरजेंसी और नसबंदी का फैसला। कार, जीप, ट्रैक्टर कीचड़ में फंस गए, तो हाथी पर बैठकर बेलछी पहुंचीं इंदिरा रास्ते में इंदिरा की कार कीचड़ में फंस गई, तो जीप बुलाई गई, लेकिन आधे रास्ते में जीप भी कीचड़ में फंस गई। बेलछी अब भी करीब 15 किलोमीटर दूर था। कांग्रेस नेताओं ने कहा- ‘मैडम हम गांव जा नहीं पाएंगे। पटना लौट चलिए।’ इंदिरा बोलीं- ‘कुछ तो होगा गांव जाने के लिए। व्यवस्था करिए।’ पास के एक गांव से ट्रैक्टर लाया गया। इंदिरा ट्रैक्टर पर बैठकर चल पड़ीं, लेकिन कुछ देर बाद ट्रैक्टर भी दलदल में फंस गया। लेखक श्रीरूपा रॉय अपनी किताब ‘द पॉलिटिकल आउटसाइडर’ में लिखती हैं- ‘इंदिरा को सलाह दी गई कि वो पटना लौट जाएं, पर वो अड़ गईं। बोलीं- ‘हम पैदल चलकर जाएंगे। भले ही वहां पहुंचने में रात क्यों ना हो जाए।’ उन्होंने साड़ी ऊपर कर लीं और पैदल चलने लगीं।’ जोवियर मोरो अपनी किताब ‘द रेड साड़ी’ में लिखते हैं- इंदिरा ने बेलछी से लौटकर सोनिया को पूरा किस्सा सुनाया। वो कहती हैं- ‘काफी देर पैदल चलने के बाद एक नदी मिली। कोई नाव भी नहीं थी। हमें देखकर कुछ लोग झोपड़ियों से बाहर आ गए। मैंने पूछा कि हम नदी कैसे पार कर सकते हैं? कोई गधा या खच्चर मिल सकता है क्या? उन लोगों ने बताया कि गांव के मंदिर में एक हाथी है, उस पर चढ़कर नदी पार कर सकते हैं। गांव वाले हाथी लेकर आए। मोती नाम था उसका। पहले मैं बैठी और फिर मेरे पीछे प्रतिभा पाटिल। हाथी झूमकर चल रहा था और उसके पेट तक पानी आ रहा था। प्रतिभा ने मेरी साड़ी ऐसे पकड़ रखी थी, जैसे कोई बच्चा डर के मारे मां की साड़ी पकड़ लेता है। लग रहा था कि वह रो ही देगी। हम बेलछी पहुंचे तो दिन ढल चुका था। गांव वालों ने मुझे घेर लिया। वे मुझे उस जगह पर ले गए, जहां नरसंहार हुआ था। लोगों ने बताया कि कैसे उनके अधमरे परिवार वालों को आग में फेंका गया। उनकी बातें सुनकर मेरा दिल दहल गया।’ बेलछी के जानकी पासवान याद करते हैं- ‘इंदिरा हाथी पर बैठे-बैठे ही लोगों से बात करती रहीं। उन्होंने अपनी साड़ी का आंचल फैला दिया था। लोग कागज पर अपनी-अपनी मांगें लिखकर उसमें डालते जा रहे थे।’ 13 अगस्त 1977 की रात इंदिरा बेलछी से पटना के लिए निकलीं। रास्ते में लोग लालटेन लेकर इंदिरा का इंतजार कर रहे थे। हरनौत में इतनी भीड़ जमा हो गई कि इंदिरा को हाथी से उतरकर लोगों से मिलना पड़ा। उन्होंने कहा- 'मैं कोई भाषण देने नहीं आई हूं। आप लोगों का दुख बांटने आई हूं।' फिर वो पटना लौट गईं। अगले दिन अखबारों में इंदिरा गांधी की फोटो छपी। हाथी पर बैठीं इंदिरा की तस्वीर ने सियासी गलियारों में खलबली मचा दी। कांग्रेस कार्यकर्ताओं में फिर से जान आ गई। अगड़ों की पार्टी माने जाने वाली कांग्रेस को दलितों और पिछड़ों का भी समर्थन मिलने लगा। बिहार में नारा गूंजने लगा- ‘इंदिरा तेरे अभाव में हरिजन मारे जाते हैं।’ भूखी रोटी खाएंगे, इंदिरा को लाएंगे। 14 अगस्त की सुबह इंदिरा की कार पटना के कदमकुआं के लिए निकली। कुछ देर बाद उनकी कार एक घर के सामने रुकी। इंदिरा गाड़ी से उतरीं और अंदर चली गईं। ये घर जय प्रकाश नारायण यानी जेपी का था, जिनके आंदोलन की वजह से इंदिरा ने इमरजेंसी लगाई थी। जेपी पलंग से उतरकर खड़े हो गए। उन्होंने इंदिरा के लिए कुर्सी मंगवाई। आधे घंटे तक इंदिरा वहां रुकीं। फिर हाथ जोड़कर आशीर्वाद लिया और दिल्ली के लिए निकल गईं। इंदिरा के बेलछी दौरे के बाद कर्पूरी ठाकुर ने आरक्षण लागू किया, पर सरकार गिर गई इंदिरा के इस सियासी रुख से जनता पार्टी सरकार पर दबाव बढ़ने लगा। ऐसे में सीएम कर्पूरी ठाकुर ने एक दांव चला और अप्रैल 1978 में 26% आरक्षण लागू कर दिया। इसके तहत पिछड़ों को 8%, अति पिछड़ों को 12%, गरीब सवर्णों और महिलाओं के लिए 3-3% आरक्षण दिया। ओबीसी आरक्षण लागू करने वाला बिहार पहला राज्य था। इस फैसले से जनता पार्टी के सवर्ण नेता नाराज हो गए। आखिरकार 21 अप्रैल 1979 को कर्पूरी ठाकुर को इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद दलित समुदाय से आने वाले रामसुंदर दास मुख्यमंत्री बने। इधर, केंद्र में भी जनता पार्टी के भीतर वर्चस्व की लड़ाई छिड़ी थी। 15 जुलाई 1978 को चौधरी चरण सिंह ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया। 19 जुलाई को प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने इस्तीफा दे दिया। कांग्रेस के समर्थन से चौधरी चरण सिंह प्रधानमंत्री बने, लेकिन अगले ही महीने कांग्रेस ने समर्थन वापस लेकर उनकी सरकार गिरा दी। जनवरी 1980 में लोकसभा चुनाव हुए। कांग्रेस के पक्ष में एक तरफा लहर चली। कुल 542 में से 353 सीटें कांग्रेस ने जीत लीं। बिहार में 54 में से 30 सीट कांग्रेस को मिली। जनता पार्टी 8 सीटों पर सिमट गई। इंदिरा फिर से प्रधानमंत्री बनीं। अब बिहार में जनता पार्टी के भीतर उथल-पुथल मच गई। फरवरी 1980 में रामसुंदर दास को इस्तीफा देना पड़ा। राष्ट्रपति शासन लग गया। फांसी पर एकमत नहीं थे हाईकोर्ट के जज, सजा से पहले दोषियों ने खाई दही और मिठाई कर्पूरी ठाकुर के सीएम रहते बेलछी नरसंहार मामले में चार्जशीट दाखिल हो गई थी, लेकिन तीन साल तक सुनवाई नहीं हो सकी थी। इंदिरा के पीएम बनते ही केस की सुनवाई शुरू हो गई। 19 मई 1980 को पटना ट्रायल कोर्ट ने महावीर महतो और परशुराम धानुक को फांसी की सजा और 15 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई। आरोपियों ने पटना हाईकोर्ट में अपील की। अदालत ने आरोपियों को दोषी तो माना, लेकिन महावीर और परशुराम के फांसी के मुद्दे पर दो जजों की राय एकमत नहीं थी। जस्टिस हरिलाल अग्रवाल फांसी के फेवर में थे और जस्टिस मनोरंजन प्रसाद विरोध में। अब इस केस को एक तीसरे जज उदय सिन्हा के पास भेजा गया। जस्टिस सिन्हा बेलछी गए। लोगों से मिले। गवाहों के बयानों को वेरिफाई किया। 11 जुलाई 1982 को जस्टिस सिन्हा ने फैसला सुनाया-‘यह मामला रेयर ऑफ रेयरेस्ट है। इस क्रूरतम अपराध के लिए फांसी से कम सजा हो ही नहीं सकती।’ इसके बाद महावीर और परशुराम ने देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई, पर राहत नहीं मिली। उनकी फांसी के लिए 25 मई 1983 की तारीख मुकर्रर हुई और जगह भागलपुर सेंट्रल जेल। मई 1983, सुप्रीम कोर्ट में गर्मी की छुट्टियां चल रही थीं। आरोपियों ने टेलिग्राम भेजकर फांसी पर रोक लगाने की याचिका दायर कर दी। तब वेकेशन जज थे ए. वरदराजन। उन्होंने याचिका स्वीकार कर ली और 23 मई को फांसी पर रोक लगा दी। यानी फांसी की तय तारीख से 2 दिन पहले। तमिलनाडु से ताल्लुक रखने वाले वरदराजन सुप्रीम कोर्ट के पहले हरिजन जज थे। गर्मी की छुट्टियों के बाद सुप्रीम कोर्ट के 3 जजों की बेंच ने फिर से सुनवाई की और फांसी की सजा बरकरार रखी। आखिरकार नवंबर 1983 में दोनों को फांसी दे दी गई। कहा जाता है कि फांसी से ठीक पहले दोनों ने दही और मिठाई खाने की इच्छा जाहिर की थी। बेलछी नरसंहार के चलते लगातार दूसरी बार हार गए नीतीश जून 1980 में बिहार में विधानसभा चुनाव हुए। यहां के दलित नारा लगा रहे थे- ‘आधी रोटी खाएंगे, इंदिरा को लाएंगे।’ वोटों की गिनती हुई तो कांग्रेस ने 324 में से 169 सीटें जीत लीं। जनता पार्टी 42 सीटें ही जीत पाई। पहली बार चुनाव लड़ रही बीजेपी ने 21 सीटें जीत लीं। पर, नीतीश के लिए बेलछी नरसंहार इस बार भी भारी पड़ा। नीतीश 5 हजार वोट से हार गए। लगातार दो हार से नीतीश को इतना धक्का लगा कि वे राजनीति छोड़ने का मन बना चुके थे। सीनियर जर्नलिस्ट संकर्षण ठाकुर अपनी किताब ‘अकेला आदमी, कहानी नीतीश कुमार की’ में लिखते हैं- ‘लगातार दूसरी हार से नीतीश बुरी तरह टूट गए थे। उन्हें तकलीफ थी कि अपने लोगों ने ही उनका साथ नहीं दिया। उन्होंने राजनीति छोड़ने का भी ऐलान कर दिया था, लेकिन समाजवादी नेता चंद्रशेखर के कहने पर 1985 में नीतीश ने फिर जोर लगाया। इस बार नीतीश के पास चुनाव लड़ने के पैसे नहीं थे। उनकी पत्नी ने 20 हजार रुपए दिए। इस बार नीतीश 22 हजार वोट से जीत गए।’ बेलछी नरसंहार के बाद कांग्रेस ने केंद्र और बिहार में जोरदार वापसी की, लेकिन वो इसे बरकरार नहीं रख पाई। सीनियर जर्नलिस्ट अमरनाथ तिवारी बताते हैं- ‘बेलछी नरसंहार के बाद बिहार में लोअर कास्ट पॉलिटिक्स हावी होती गई। लगातार जातीय नरसंहार होते रहे। राम मंदिर आंदोलन और लालू का साथ देने के चलते सवर्ण कांग्रेस से छिटककर बीजेपी की तरफ शिफ्ट हो गए और पिछड़ा तबका लालू का वोटर बन गया।’ कल दूसरे एपिसोड में पढ़िए कहानी दलेलचक बघौरा नरसंहार की, जहां 54 राजपूतों की हत्या कर दी गई.. नोट : (यह सच्ची कहानी पुलिस चार्जशीट, कोर्ट जजमेंट, गांव वालों के बयान, अलग-अलग किताबें और इंटरनेशल रिपोर्ट्स पर आधारित है। क्रिएटिव लिबर्टी का इस्तेमाल करते हुए इसे कहानी के रूप में लिखा गया है।) रेफरेंस :
11 सितंबर को काठमांडू में आर्मी हेडक्वार्टर पर नेपाली सेना और GenZ प्रदर्शनकारियों के बीच दूसरे दौर की बातचीत होनी थी। इसी में अंतरिम सरकार के मुखिया का नाम तय होना था। एक के बाद एक GenZ ग्रुप्स आर्मी हेडक्वार्टर पहुंचने लगे। तभी इनमें से कुछ गुटों के बीच बहस शुरू हो गई। देखते ही देखते मारपीट की नौबत आ गई और प्रदर्शनकारी एक-दूसरे पर टूट पड़े। नेपाल में तख्तापलट हुए 3 दिन बीत चुके हैं। अब भी तय नहीं हो सका है कि नेपाल की अंतरिम सरकार का मुखिया कौन होगा और सरकार का स्वरूप क्या होगा। GenZ करीब 10 अलग-अलग गुटों में बंटे हुए हैं। सबकी अपनी दावेदारियां हैं। कुछ गुटों का आरोप है कि सेना ने बातचीत के लिए बुलाया लेकिन हेडक्वार्टर के अंदर नहीं जाने दिया। कुछ इस बात से नाराज हैं कि सेना ने बातचीत में राजनीतिक पार्टियों को क्यों बुला लिया। वहीं, सेना के लिए ये तय करना मुश्किल हो गया है कि वो प्रदर्शनकारियों के इतने गुटों में से किससे बात करे। GenZ प्रदर्शनकारियों के सभी गुट सिर्फ काठमांडू के मेयर बालेन शाह के नाम पर एकमत हैं, लेकिन बालेन खुद मुखिया नहीं बनना चाहते। वहीं नेपाल की पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की का नाम प्रधानमंत्री पद के लिए बढ़ाया गया था लेकिन सहमति नहीं बनी क्योंकि GenZ युवा PM चाहते हैं। दैनिक भास्कर ने काठमांडू में GenZ के अलग-अलग गुटों से बात कर समझने की कोशिश की कि आखिर अंतरिम सरकार का मुखिया चुनने में दिक्कत कहां आ रही है। साथ हमने नेपाल में अपने सोर्स से भी पूरा मामला समझने की कोशिश की। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… सबसे पहले जानिए लीडरशिप को लेकर कन्फ्यूजन क्यों…अंतरिम सरकार बनाने में बढ़ रहा गतिरोध, सहमति नहीं बन रही नेपाल की राजधानी काठमांडू में सेना ने मोर्चा संभाल रखा है। चप्पे-चप्पे पर आर्मी की तैनाती है। दिन भर पूरे शहर पर कर्फ्यू लगा रहा। शाम को सिर्फ 2 घंटे कर्फ्यू में ढील दी गई। सेना कानून-व्यवस्था को पटरी पर लाने में जुटी हुई है। आने-जाने वाले हर शख्स की तलाशी ली जा रही है। वहीं लूटे गए हथियार लोगों से सरेंडर करने की अपील की जा रही है। नेपाल में GenZ प्रोटेस्ट, तोड़फोड़ और आगजनी के बाद अब अंतरिम सरकार बनाने में भी दिक्कत आ रही है। GenZ प्रदर्शनकारियों के बीच किसी भी नाम को लेकर सहमति नहीं बन पा रही है। 11 सितंबर को आर्मी हेडक्वार्टर में दूसरे दौर की बातचीत के लिए GenZ लीडर्स, सेना और अंतरिम सरकार के संभावित लीडर्स जुटे। हालांकि, हेडक्वार्टर के बाहर ही GenZ युवाओं के बीच लड़ाई-झगड़े शुरू हो गए। 10 सितंबर को नेपाल की पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की का नाम अंतरिम प्रधानमंत्री के तौर पर चला था, लेकिन इस पर अंतिम मुहर नहीं लग पाई। क्योंकि सभी इसे लेकर सहमत नहीं दिखे। दरअसल GenZ युवाओं को लीड करने वाला कोई चेहरा या डेलिगेशन अब तक नहीं बन सका है। इसकी वजह से आर्मी को भी बातचीत आगे बढ़ाने में दिक्कत आ रही है। अब तक देश का लीडर चुनना तो दूर की बात है, नई सरकार की व्यवस्था क्या होगी इसे लेकर भी सहमति नहीं बन सकी है। इन 3 पॉइंट्स में समझिए दिक्कत कहां आ रही…1. आर्मी चीफ का मानना है कि काठमांडू के मेयर बालेन शाह जो बोलेंगे, वही होगा। बालेन शाह ने कहा है कि संसद भंग हो, लेकिन इसे लेकर एकराय नहीं है। 2. GenZ के कुछ ग्रुप्स चाहते हैं कि संविधान और संसद की मौजूदा व्यवस्था में ही सरकार का गठन हो और राष्ट्रपति इसका नेतृत्व करें। 3. नेपाल की सभी प्रमुख पॉलिटिकल पार्टियों ने ऐलान किया कि वो संसद भंग नहीं करना चाहते और मौजूदा सिस्टम में ही नई सरकार का गठन करना चाहते हैं। हमारे सोर्स के मुताबिक, 10 सितंबर की रात सेना ने GenZ लीडर्स को कहा कि वो अपनी दावेदारी पेश करें। GenZ प्रदर्शनकारियों के 10 से ज्यादा गुट अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। ऐसे में नेपाली आर्मी के सामने भी चुनौती है कि वो किससे बात करें और किसकी अनदेखी करे। जिसे चर्चा में शामिल नहीं किया जा रहा है, वो गुट लड़ाई-झगड़े और हंगामा कर रहे हैं। GenZ लीडर्स सेना के रोल पर सवाल उठा रहे आर्मी हेडक्वार्टर के बाहर दावेदारी जताने वाले GenZ लीडर्स ने बताया कि आर्मी उन्हें अंदर नहीं जाने दे रही, न ही बातचीत में शामिल कर रही है। इनमें से पहचान जाहिर न करने की शर्त पर एक लीडर ने बताया, ‘आर्मी ने ही हमसे यहां आने के लिए कहा था, लेकिन अब वही हमें अंदर नहीं जाने दे रही है। अगर ऐसा ही होगा तो हमें आर्मी की सरकार बनाने की प्रक्रिया पर भरोसा नहीं रहेगा।’ GenZ की पोस्टर गर्ल तनुजा पांडे और रक्षा बम कहती हैं, ‘आर्मी ने बातचीत करने के लिए पहले हमें बुलाया था। अब इस बातचीत में राजावादी नेता दुर्गा प्रसाई और RSP (राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी) के नेताओं को बुला लिया। इसे लेकर हम नाराज हैं। हम अब आर्मी चीफ से बात नहीं करेंगे। हम सिर्फ राष्ट्रपति से बात करेंगे और ये बातचीत राष्ट्रपति भवन में होनी चाहिए।’ रक्षा आगे कहती हैं, ‘जब हम आर्मी हेडक्वार्टर पहुंचे तो आर्मी चीफ ने बताया कि दुर्गा प्रसाई और RSP से भी इसे लेकर बातचीत करनी चाहिए। हमने इससे इनकार कर दिया है।’ ‘संसद भवन जल गया लेकिन संविधान जिंदा है’ वहीं GenZ लीडर तनुजा पांडे कहती हैं, ‘हम संविधान और मौजूदा लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत ही सत्ता परिवर्तन चाहते हैं। अब अंतरिम सरकार के लिए बातचीत आर्मी चीफ से नहीं बल्कि राष्ट्रपति से होगी। आर्मी का काम सुरक्षा और शांति बहाल करना है, वो वही करें। किसी भी सरकार को बनाने और गिराने में हमें आर्मी की भूमिका मंजूर नहीं।’ सेना को बताना चाहिए कि राष्ट्रपति कहां हैं और इस चर्चा में राष्ट्रपति को शामिल करना चाहिए। हम संसद का विघटन स्वीकार नहीं करेंगे। नई सरकार मौजूदा संविधान के दायरे में ही बनाई जानी चाहिए। हम संविधान की रक्षा करेंगे और यही सर्वोच्च है। GenZ लीडर की मांग- राजशाही की वापसी होइधर GenZ लीडर्स में से एक रवि किरण अमाल राजशाही के समर्थक हैं। वे GenZ स्टूडेंट कोऑर्डिनेटर हैं और राजशाही समर्थक पार्टी राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (RPP) के केंद्रीय सदस्य भी हैं। रवि को GenZ प्रोटेस्ट के दौरान संसद में घुसपैठ के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन 9 सितंबर को तख्तापलट के साथ रिहा कर दिया गया। वे राजशाही की वापसी की मांग कर रहे हैं। एक GenZ नेता ने पहचान जाहिर न करने की शर्त पर बताया कि हमारी मांग है कि बालेन शाह को प्रधानमंत्री बनना जाए। अगर वो PM नहीं बनते तो हर्क सामपांग को अंतरिम सरकार का प्रधानमंत्री बनना चाहिए। GenZ लीडर्स के ग्रुप से अलग राजनीतिक पार्टियों की स्टूडेंट्स यूनिट ने भी प्रदर्शन किया। उनकी मांग है कि संसद को भंग नहीं किया जाना चाहिए और संसदीय लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत ही नई सरकार का गठन होना चाहिए। अब जानिए PM पद की रेस में कौन-कौन से नाम... 1. बालेन शाह, काठमांडू के मेयर अगर बालेन शाह अंतरिम सरकार का मुखिया बनने का ऐलान कर देते हैं तो GenZ के बीच कोई गतिरोध नहीं रह जाएगा। ज्यादातर गुट उनकी लीडरशिप मंजूर कर लेंगे। हमारे सोर्स ने बताया कि बालेन शाह खुद अंतरिम सरकार का मुखिया नहीं बनना चाहते बल्कि उन्होंने सुशीला कार्की का नाम आगे बढ़ाया था। बालेन अंतरिम सरकार के बाद चुनाव लड़कर पूर्णरूप से प्रधानमंत्री बनने का विचार कर रहे हैं। उनकी मांग है कि मौजूदा संसद भंग की जाए और नई शासन व्यवस्था बनाई जाए। 2. सुशीला कार्की, पूर्व चीफ जस्टिससुशीला कार्की की छवि एक ईमानदार जज की रही है और उनको लेकर काफी सहमति भी है। सबसे बड़ी बात जो उनके पक्ष में जाती है कि खुद बालेन शाह ने उनका समर्थन किया है। हालांकि सुशीला के नाम पर GenZ गुटों में पूरी तरह सहमति नहीं दिख रही। कई मतभेद भी हैं। GenZ का कहना है कि या तो बालेन खुद PM बनें या फिर कोई युवा GenZ को ही बागडोर संभालनी चाहिए। सुशीला पर असहमति की दूसरी वजह ये है कि उन्हें भारत की तरफ झुकाव रखने वाली शख्सियत के तौर पर देखा जा रहा है। इसके चलते भी उन्हें लेकर सहमति नहीं बन पा रही। 3. हर्क सामपांग, धरान के मेयरहर्क धरान से निर्दलीय मेयर हैं। उन्होंने मेयर बनने के बाद श्रमदान का एक अभिनव प्रयोग किया, जिसकी वजह से उन्हें नेपाल में पहचान मिली और वो युवाओं के बीच मशहूर चेहरा बन गए। हर्क को लेकर भी GenZ के बीच अच्छा समर्थन है, लेकिन उन्हें बालेन शाह का समर्थन हासिल नहीं है और यही बात उनके खिलाफ जाती है। हर्क धरान से आए अपने समर्थकों के साथ काठमांडू में डेरा डाले हुए हैं। उन्होंने आर्मी चीफ से भी मुलाकात की है, लेकिन उनके पक्ष में एकमत राय बनती नहीं दिख रही है। हमने आर्मी हेडक्वार्टर्स के बाहर उनसे बातचीत भी की। हालांकि वो ज्यादातर सवालों के जवाब देने से बचते रहे। उन्होंने मुस्कुराकर बस इतना कहा कि बातचीत चल रही है। देखते हैं क्या होता है। 4. कुलमान घिसिंग, इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड के पूर्व चीफपेशे से इंजीनियर रहे कुलमान अपनी साफ सुथरी छवि की वजह से नेपाल में मशहूर हैं। उन्हें नाइट मैन कहा जाता है। नेपाल में लो शेडिंग बड़ी दिक्कत थी, लेकिन कुलमान के इलेक्टिसिटी बोर्ड का जिम्मा संभालने के बाद नेपाल में बिजली समस्या का स्थायी समाधान निकला। इसकी वजह से उनकी लोगों के बीच लोकप्रियता बढ़ी। लेकिन उनके लिए जनता की दीवानगी तब और ज्यादा बढ़ गई जब पूर्व PM केपी ओली ने उन्हें पद से हटा दिया था। 5. सुदन गुरंग, इंजीनियर और सोशल एक्टिविस्टसुदन गुरंग नॉन रेसिडेंट नेपाली हैं। उनका नाम भी अंतरिम प्रधानमंत्री की रेस में शामिल है। वे हामी नेपाल नाम से संगठन चलाते हैं। इस संगठन के लिए वो विदेश में रहने वाले नेपालियों से मदद लेकर अभियान चलाते हैं। उनके संगठन ने कोविड के दौर में नेपाल में काफी सोशल वर्क किया था। सुदन ने GenZ प्रोटेस्ट को मोबलाइज करने का काम किया। वो युवाओं के बीच काफी मशहूर हैं, लेकिन लीडरशिप को लेकर उनके नाम पर सहमति नहीं बन पा रही है। क्या बालेन के पास सत्ता की चाबीनेपाल में अंतरिम सरकार की सत्ता चाबी सिर्फ काठमांडू के मेयर और युवा लीडर बालेन शाह के पास है। वो अगर खुद अंतरिम सरकार में PM बनने की दावेदारी पेश करते हैं तो उनके नाम पर GenZ के बीच सहमति बन जाएगी। लेकिन वो मौजूदा शासन व्यवस्था और संविधान को खत्म कर संविधान में व्यापक पैमाने पर बदलाव की मांग कर रहे हैं। उनकी सबसे बड़ी मांग प्रत्यक्ष चुनाव की है। वहीं बाकी सियासी पार्टियां इसके लिए तैयार नहीं है। इसी की वजह से गतिरोध जारी है और वक्त बीतने के साथ ये गतिरोध बढ़ता जा रहा है। ..................... नेपाल से ये ग्राउंड रिपोर्ट भी पढ़िए... पूर्व PM-वित्त मंत्री को पीटा, संसद-सुप्रीम कोर्ट जलाए, लोग बोले- हमारी सरकार करप्ट गैंग नेपाल की संसद, सुप्रीम कोर्ट, पॉलिटिकल पार्टियों के ऑफिस, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री-मंत्रियों के घर और सबसे खास काठमांडू का सिंह दरबार, सब एक दिन में जल गया। पूरे काठमांडू के आसमान में काला धुआं दिख रहा है। पूर्व PM झालानाथ खनाल की पत्नी को जिंदा जला दिया गया। 20 से 25 साल के लड़के-लड़कियां सरकार के खिलाफ सड़कों पर हैं। इनका कहना है कि हमारी सरकार करप्ट है। पढ़िए पूरी खबर...
Nepal Protest:नेपाल के हालात लगातार खराब होते जा रहे हैं. पहले GenZ के प्रदर्शन के बाद तख्तापलट हुआ, उसके बाद अब नए पीएम को लेकर के जंग छिड़ गई है. काठमांडू की सड़कों पर एक बार फिर जनसैलाब उमड़ गया है.
जनवरी से अगस्त तक चीन के ऑटोमोबाइल उत्पादों के निर्माण और बिक्री 2 करोड़ से अधिक
एशिया कप 2025 में भारतीय टीम 14 सितंबर को पाकिस्तान से भिड़ेगी। पूर्व क्रिकेटर योगराज सिंह ने कहा है कि भारत-पाकिस्तान मैच को सियासत से दूर रखना चाहिए
DNA: क्या नेपाल 'हिंदू राष्ट्र' बनने वाला है? पहले तख्तापलट अब आपस में 'उठा-पटक'
DNA Analysis: क्या नेपाल एक बार फिर से हिंदू राष्ट्र बनने वाला है? ये सवाल सिर्फ इसलिए नहीं है, कि वहां जोरशोर से हिंदू राष्ट्र की मांग उठनी शुरू हो गई है.
DNA: ट्रंप के 'लाडले' का मर्डर क्यों? क्या अमेरिकी प्रेसिडेंट को चार्ली की हत्या भारी पड़ेगी
DNA Analysis: दुनिया के सामने सबसे बड़ा सवाल है चार्ली कर्क को किसने मारा? चार्ली कर्क की हत्या क्यों की गई. क्या चार्ली कर्क की हत्या अमेरिका में एक बहुत बड़े विभाजन का अलॉर्म बजा रही है. क्या चार्ली कर्क को सिर्फ इसलिए मार दिया गया क्योंकि वो डोनाल्ड ट्रंप के कट्टर समर्थक थे?
सुलग रहा काठमांडू, अचानक क्यों 8 दिन के लिए चीन जा रहे नेपाली आर्मी चीफ; क्या है ड्रैगन का मकसद?
Nepal Army Chief China Tour: नेपाल में संकट लगातार गहराता जा रहा है. इसी बीच एक बड़ी खबर सामने आ रही है. बता दें कि संघर्ष के बीच नेपाल आर्मी चीफ चीन दौरे पर जाने वाले हैं.
Mysterious Tunnel in Brazil: ब्राजील और अर्जेंटीना में ऐसी कई रहस्यमयी सुरंगें हैं जिनके बारे में जानने के लिए लोग बेताब रहते हैं. बहुत कम लोगों को पता होगा कि इन सुरंगों को किसने बनाया था? अगर आप भी अनजान हैं तो हम आपको रूबरू कराने चल रहे हैं.
भारतीय मीडिया ने चलाई नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री की पत्नी की मौत की गलत खबर
नेपाल क्लेफ्ट एंड बर्न सेंटर (Nepal Cleft & Burn Center) की निदेशक डॉ. किरण नकर्मी ने नेपाल फैक्ट चेक से पुष्टि की कि रविलक्ष्मी चित्रकार जिंदा हैं लेकिन हालत गंभीर है.
नेपाल के प्रदर्शन में PM मोदी के बैनर दिखने के दावे से सिक्किम का वीडियो वायरल
बूम ने जांच में पाया कि नेपाल में पीएम मोदी के समर्थन में रैली के दावे से वायरल वीडियो भारत के सिक्किम राज्य का है, लिंबू जनजाति के लोग पीएम मोदी के प्रस्तावित सिक्किम दौरे को लेकर रैली में शामिल हुए थे.
रिपोर्ट: दुनियाभर के अधिकांश देशों में कमजोर हो रहा लोकतंत्र
एक नई रिपोर्ट में वैश्विक लोकतंत्र की स्थिति के बारे में गंभीर चिंताएं जताई गई हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, प्रेस की आजादी में भी 50 वर्षों की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई है
America News: अमेरिकी संसद में एक सुनवाई के दौरान, आश्चर्य करने वाला वीडियो दिखाया गया, जिसमें देखा गया कि यमन के तट पर एक चमकदार वस्तु से टकराकर अमेरिकी सेना की हेलफायर मिसाइल उछल जाती है. जानिए लोग क्यों आश्चर्य में पड़ गए.
चार्ली किर्क की हत्या ने कुरेदे पुराने जख्म, एक साल में हुई पांच हाई प्रोफाइल हत्याएं
अमेरिका को दुनिया का सबसे संपन्न और आजाद ख्याल देश माना जाता है। चार्ली किर्क की हत्या ने पुराने जख्म कुरेद दिए हैं। पिछले एक साल में ही अमेरिका 5 बार ऐसी हाई-प्रोफाइल हत्या या हत्या के प्रयासों का गवाह बना है। इस फेहरिस्त में डोनाल्ड ट्रंप, मिनेसोटा की पूर्व हाउस स्पीकर और निक फ्यूएंट्स का नाम शामिल है
कौन बनेगा का नेपाल का प्रधानमंत्री ? जेन-जी ने दिया कुलमान घीसिंग के नाम का प्रस्ताव
जेन-जी और आर्मी के बीच अंतरिम सरकार के गठन को लेकर बातचीत का दौर भी जारी है, इस बीच जेन-जी की तरफ से एक नाम का प्रस्ताव दिया गया है
आगजनी, तोड़फोड़ और...खुद के पैरों पर Gen-Z ने मारी कुल्हाड़ी? बोलते-बोलते रो पड़ा ये लीडर
Nepal Protest: नेपाल की स्थिति खतरनाक होती जा रही है. पीएम के नाम पर सहमति नहीं बन पा रही है. विवाद लगातार गहराता जा रहा है. इसी बीच जेन-जेड नेता स्थितियों को देखकर रोने लगा.
नेपाल में नहीं थम रहा विवाद, आपस में भिड़े Gen-Z के दो गुट, पीएम के नाम पर नहीं बन रही सहमति
Nepal Protest: नेपाल में पीएम के नाम को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है. काठमांडू की सड़कों पर लोग फिर उतर आए हैं, कोई बालेन को पसंद कर रहा है तो कोई घीसिंग तो कोई कार्की को पसंद कर रहा है. इसी बीच Gen-Z के दो गुट आपस में भिड़ गए हैं.
नेपाल प्रदर्शन : इन चार चेहरों ने बदली आंदोलन की दिशा, ओली सरकार को छोड़ना पड़ा देश
नेपाल में सोशल मीडिया पर प्रतिबंधों के खिलाफ शुरू हुए युवाओं के आंदोलन ने देश की राजनीति को झकझोर कर रख दिया है। राजधानी काठमांडू से लेकर कई शहरों में प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया। संसद भवन और सुप्रीम कोर्ट जैसे संवैधानिक संस्थानों से लेकर नेताओं के घरों में आगजनी हुई
Nepal Nepo Kids: नेपाल में हो रहे विरोध प्रदर्शन के बीच युवा सोशल मीडिया पर कई नेपो किड्स की तस्वीरें और वीडियो शेयर कर रहे हैं. उनका आरोप है कि ये लोग आम जनता के पैसे पर ऐश कर रहे हैं.
नेपाल में हिंसा की नई लहर : जेल तोड़कर भाग रहे कैदियों पर सेना ने की फायरिंग, 2 की मौत
नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता और जनाक्रोश के बीच हालात एक बार फिर चिंताजनक हो गए हैं
नेपाल के भद्रकाली बेस पर जेन जी आंदोलन के प्रतिनिधियों ने सेना के अधिकारियों से मुलाकात की. प्रतिनिधियों ने अंतरिम नेतृत्व के लिए नामों का प्रस्ताव भी रखा. जानकारी के अनुसार, सेना जेन जी आंदोलन के प्रतिनिधियों को सुशीला कार्की के नाम पर सहमत करने में असफल रही. इस बीच, बालेन शाह ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम सरकार का प्रमुख नियुक्त करने के प्रस्ताव का समर्थन किया है.
विदेश मंत्रालय ने नेपाल में फंसे भारतीयों के लिए जारी किए हेल्पलाइन नंबर
नेपाल में पिछले दो दिनों से हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं। नेपाल की सेना ने देश में जारी अशांत स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कर्फ्यू की अवधि बढ़ाने की घोषणा की है
NATO Article 4 Against Russia:रूस-यूक्रेन की जंग के बीच पुतिन की सेना ने पोलैंड के अंदर घुसकर मारने की कोशिश करके, पूरी दुनिया में तहलका मचा दिया है. खासकर यूरोप और नाटो देशों में में तो खलबली मच गई. रूस के हमले के बाद तत्कालनाटो का आर्टिकल 4 लागू हुआ. तो आइए जानते हैं आखिर क्या हैनाटो का आर्टिकल 4? क्या सच में 32 देश एक साथ रूस पर करेंगे हमला. जानें पूरी खबर.
Charlie Kirk death: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के करीबी माने जाने वाले और टर्निंग पॉइंट यूएसए के संस्थापक चार्ली किर्क की मौत हो गई. दरअसल उन्हें उटाह वैली यूनिवर्सिटी में एक कार्यक्रम के दौरान गोली मार दी गई थी. वहीं राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ट्ववीट करके उनकी मौत की पुष्टि की है. साथ ही सम्मान में झंडा झुकाने का आदेश दिया है.
काठमांडू अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से 3 उड़ानें शुरू, यात्रियों के लिए इंडिगो की एडवाइजरी जारी
काठमांडू अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से तीन प्रमुख एयरलाइंस की उड़ानें फिर से शुरू हो गई हैं। नागरिक उड्डयन प्राधिकरण (सीएएन) द्वारा हवाई अड्डे के पुनः संचालन की घोषणा के बाद, कैथे पैसिफिक एयरवेज, एयर इंडिया और हिमालय एयरलाइंस ने अपनी उड़ानों की शुरुआत की
बिहार की सियासत का वो दौर जब बैलेट से ज्यादा बुलेट की धमक थी। रातों-रात गांव के गांव जला दिए जाते। कहीं 2 घंटे के भीतर 58 दलितों की लाशें बिछा दी, तो कहीं जाति पूछकर 34 भूमिहारों की गर्दन काट दी। मुख्यमंत्री पीटे गए, सरकार बर्खास्त हो गई। चुनावी माहौल में दैनिक भास्कर लाया है ऐसे ही 10 नरसंहारों की कहानी, जिनका राजनीति में अब भी गहरा असर है। शुक्रवार, 12 सितंबर से हर रोज सुबह 6 बजे से देखिए, पढ़िए और सुनिए नरसंहार…
वृंदावन आकर रह रहीं हरियाणा की ज्योति बताती हैं- मायके में मेरे ताऊ के लड़के की शादी थी। अपने बेटे कार्तिक के साथ वहां जाने की तैयारी में लगी थी, लेकिन पति चाहते थे कि न जाऊं। जाने से एक दिन पहले वो रात में मेरे कमरे में आए और मुझे पीटने लगे। इतना मारा कि अधमरा कर दिया। कपड़े फाड़ दिए। गर्दन पकड़ा और मुंह बेड में लड़ा दिया। मेरा एक दांत टूट गया और होंठ कट गए। खून से सारा कपड़ा भीग गया। वो पीरियड्स में भी मेरे साथ सेक्स करता था। आखिरकार मेरा तलाक हो गया। बाद में मायके के दबाव में आकर दूसरी शादी की। दूसरा पति भी मुझे दहेज के लिए ताने मारने लगा। वो मेरे साथ अननेचुरल सेक्स करता था। शादी के 9 दिन बाद ही मैंने उसे तलाक दे दिया और वृंदावन में कृष्ण की शरण में आ गई। ये कहते हुए ज्योति रोने लगती हैं। ब्लैकबोर्ड में इस बार उन महिलाओं की स्याह कहानी, जो अच्छी पढ़ाई-लिखाई और नौकरी के बावजूद पतियों, ससुराल वालों और रिश्तेदारों से तंग आकर घर छोड़ दिया और वृंदावन आकर रहने लगीं। यहां ये कृष्ण भक्ति में लगी हैं। 33 साल की ज्योति, हरियाणा के रोहतक की रहने वाली हैं। उन्होंने नर्सिंग की पढ़ाई की और एक अस्पताल में नौकरी भी। लेकिन अब वृंदावन में आकर एक किराए के मकान में रहती हैं। घर का एक कमरा भगवान कृष्ण को समर्पित कर रखा है। वहां बेड पर कृष्ण व राधा की मूर्ति है और साथ में लड्डू गोपाल विराजमान हैं। बातचीत शुरू करने से पहले ज्योति गाती हैं, ‘राधे मेरी स्वामिनी, मैं राधे की दास, जनम जनम मोहे दीजिए राधे, वृन्दावन में वास' वो बताती हैं 2012 में शादी हुई। मेरे पति मुझसे मर्चेंट नेवी में नौकरी का झूठ बोलकर शादी किए ससुराल पहुंची तो सच पता चला, लेकिन मम्मी-पापा की इज्जत का ख्याल रखते हुए ये रिश्ता मैंने स्वीकार कर लिया। लेकिन शादी के कुछ महीनों बाद ही पति मुझे ताने मारने लगे। कहते- ‘तुम्हें कुछ नहीं आता, न अच्छा खाना बना पाती हो और न ही घर की साफ-सफाई कर पाती हो।’ मेरा जन्मदिन आया, उस दिन उन्होंने मुझे बधाई तक नहीं दी। एक साल बीता। शादी की सालगिरह आई, तो उस दिन भी मुंह फुलाए रहे। एक चॉकलेट तक लेकर नहीं आए। फिर भी सब नजरअंदाज करती रही। लेकिन जरूरी चीजें तक लाकर कभी नहीं देते। साबुन, तेल, शैम्पू तक मेरी छोटी बहन लाकर देती थी। ससुराल के लोगों को भी इसकी फिक्र नहीं होती। मेरे कपड़े मायके से मम्मी-पापा भिजवाते थे। जब प्रेग्नेंट हुई, तब भी पति को मेरी कोई परवाह नहीं थी। प्रेग्नेंसी के दौरान एक दिन उनकी बुआ और मैं हंसी-मजाक कर रहे थे। उन्हें पता नहीं क्या हुआ आकर मुझे जोर का थप्पड़ मारे और घर से निकल गए। मैं तो उस दिन सन्न रह गई थी। सोच रही थी आखिर मेरी कोख में उनका बच्चा पल रहा है, लेकिन उन्हें इसका कोई ख्याल नहीं। उसके बाद जब बेटा पैदा हुआ, तो भी उन्हें न मुझसे और न ही बेटे से कोई लेना-देना रहता। हमेशा घर से बाहर रहते। कोई काम करने को कहूं तो मुझे पीटते थे। एक दिन तंग आकर मायके चली गई। मम्मी-पापा से कहकर नर्सिंग कोर्स में दाखिला ले लिया। एक साल बीतने पर ससुराल वाले मुझे लेने आए, लेकिन वापस जाना नहीं चाहती थी। मेरे पति आए। उन्होंने पगड़ी रखकर कसम खाई कि अब वो मुझे नहीं मारेंगे और पूरा ख्याल करेंगे। फिर भी मेरी हिम्मत न हुई, मैंने मना कर दिया। उसके बाद पंचायत बैठी। पंचायत में बुजुर्गों ने बहुत दबाव बनाया। आखिरकार अपने बच्चे के भविष्य के लिए ससुराल जाने को तैयार हो गई। पंचायत ने शर्त रखी- अब से न मोबाइल रखूंगी, न किसी से बात करूंगी, बिना पूछे घर से बाहर नहीं जाऊंगी और न ही टीवी देखूंगी। लेकिन कुछ दिन में ही पति की पहले जैसे हरकतें शुरू हो गईं। मम्मी-पापा से भी बात करने पर भी पाबंदी लगा दी। उनसे तभी बात करती जब वो साथ में खड़े रहते ताकि मैं कोई शिकायत न कर पाऊं। ऐसे लगने लगा जैसे जिंदगी जेल हो गई है। शुरू में जब आई थी तब घर के बाहर का काम नहीं करती थी। लेकिन अब खेत में काम करने और गोबर उठाने का दबाव डाला गया। मम्मी-पापा की बात रखने के लिए वो भी करने लगी। रोज सुबह 5 बजे गोबर साफ करती, घर की साफ-सफाई और फिर खाना बनाती। तबीयत खराब होने पर दवाई खाकर काम करती। ससुराल के लोग कहते- चाहे ज्योति मर जाए, लेकिन काम नहीं रुकना चाहिए। इन सबके बावजूद पति खुश नहीं रहते। कुछ मांगती तो कहते- 'मायके से मांग लो। यहां रोटी मिल रही है, वही बहुत है।' जब मायके से पैसा मंगाती तो वो उसे चुरा लेते और मौज-मस्ती में उड़ाते। पीरियड्स यानी माहवारी में भी मेरे साथ सेक्स करते थे। उन्हें मेरे दर्द से कोई लेना-देना नहीं होता। बस हवस पूरी करते। इस बीच मेरा बेटा बीमार हुआ। वो उस समय मायके में था। मम्मी-पापा उसे अस्पताल ले गए। मैं भी पहुंची। वहां उसका हाथ पकड़कर रो रही थी, लेकिन पति उसे देखने तक नहीं आए। उन्हें उसकी कोई फिक्र नहीं थी। इतना कहते ही ज्योति फिर से रोने लगती हैं। 'पति की हरकतों से इतना परेशान हो गई कि एक दिन नींद की 18-20 गोलियां खा ली। मम्मी-पाप अस्पताल लेकर भागे। हालत खराब थी। मुंह से झाग निकल रहा था, लेकिन इलाज के बाद बच गई। उस दिन मम्मी-पापा को लगा गया कि अब मैं बहुत परेशान हो गई हूं। ठीक हुई तो उन्होंने नौकरी कर अपने पैर पर खड़े होने को कहा। उसके बाद गुड़गांव के एक अस्पताल में नर्सिंग की नौकरी शुरू की। उस दौरान ससुराल वालों मुझे कई बार लेने आए, लेकिन नहीं गई। फिर 2016 में मेरा तलाक हो गया। गुड़गांव में नौकरी करते 4 साल हो गए थे। मम्मी-पापा मेरे भविष्य को लेकर चिंतित थे। वे अक्सर कहते- दूसरी शादी कर लो। एक दिन हम भी नहीं होंगे, तब तुम्हारा क्या होगा, लव मैरिज ही कर लो। लेकिन मेरी दूसरी शादी करने की इच्छा नहीं रह गई थी। उस दौरान कृष्ण भक्ति में मन लगने लगा था। मम्मी-पापा नहीं माने। 2020 में एक लड़का से शादी करा दी। वहां शुरू के 5 दिन तो ठीक रहे, लेकिन छठे दिन फिर पहले पति वाली कहानी शुरू हो गई है। वो भी मुझे ताने मारने लगे। कहते- शादी में तेरे घर वालों ने कुछ नहीं दिया। तू भी कुछ लेकर नहीं आई। वगैरह-वगैरह। ये बातें जब मम्मी-पापा को बताना चाहती तो मेरा फोन छीन लेते। जिद करने पर मारपीट करने लगे। पांच दिन में ही इतना प्रताड़ित किया कि मन हुआ कि सुसाइड कर लूं। इस दौरान मेरे पति ने अननेचुरल सेक्स के लिए भी मजबूर किया। परेशान होकर पुलिस थाने पहुंची। पति के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। उस दौरान मोहल्ले की औरतों कह रही थीं- हम तो सास-ससुर, जेठ से मार खा लेते हैं, तू तो पति की मार से ही परेशान हो गई। लेकिन मैं पिटने के लिए नहीं पैदा हुई थी। शादी के 9 दिन बाद ही पति को छोड़ दिया। अपनी ज्वैलरी उठाई और ले जाकर गिरवी रख दिया। जो पैसा मिला उसे लेकर वृंदावन आ गई। अब यहां मन पूरी तरह कृष्ण में लग गया है। कृष्ण ही अब मेरे लिए बेटा, पति, मां-बाप, सब हैं। मैंने कृष्ण जी के नाम का सिंदूर लग लिया है। अब बृजवासी मुझे ज्योति नहीं, इंदुलेखा नाम से जानते हैं। दूसरे पति से तलाक का केस अब भी चल रहा। नेहा मिश्रा इसके बाद यहां यूपी के देवरिया की रहने वाली 30 साल की ममता मिश्रा से मुलाकात हुई। इन्होंने एलोपैथी में बैचलर्स की पढ़ाई की है और एक प्राइवेट क्लिनिक में प्रैक्टिस भी कर रही थीं। वो बताती हैं कि इतनी पढ़ाई के बाद भी अपनी जिंदगी के फैसले खुद से नहीं ले सकती थी। मम्मी-पापा मेरी शादी के लिए परेशान थे, लेकिन मैं नहीं करना चाहती थी। उनसे कहा- एक नए माहौल में ढल चुकी हूं। बाकी लड़कियों की तरह किसी के घर में फिट नहीं हो पाऊंगी, लेकिन नहीं माने। फरवरी 2024 में एक लड़के से सगाई कर दी। पहले बताया गया था कि लड़का ग्रेजुएट तक पढ़ाई किया है। नौकरी भी करता है। सगाई के वक्त लड़के ने कहा- मेरे मम्मी-पापा नहीं हैं, शादी के बाद आप नौकरी नहीं करेंगी। आपको ही घर संभालना होगा। शादी की तैयारी चल रही थी। किसी ने मम्मी-पापा को बताया कि जिस लड़के से आपकी बेटी की शादी होने जा रही, वो पढ़ा-लिखा नहीं है। फिर मम्मी-पापा ने पता कराया। बात सही निकली। उसके बाद मैंने शादी से इनकार कर दिया। रिश्ता टूटा तो रिश्तेदार ताने मारने लगे- अरे लड़की ही नहीं तैयार हुआ होगा। ये किसी के साथ एडजस्ट ही नहीं कर पाएगी। ये जान-बूझकर लड़कों में कमी निकालती है। आखिर लड़कियों को ज्यादा पढ़ाने-लिखाने का यही अंजाम होता है। नेहा बताती हैं कि उसके बाद मम्मी-पापा ने और कई रिश्ते देखे, लेकिन सबको भारी दहेज चाहिए था। कुछ को शादी के बाद मेरा नौकरी करना मंजूर नहीं था। उस दौरान मेरा मन कृष्ण भक्ति में लगने लगा था। तय किया कि अब कृष्ण जी से शादी करूंगी। इसके लिए मैंने मम्मी-पापा को मना लिया, लेकिन रिश्तेदार तंज कसते- इसका किसी से चक्कर होगा। कुछ ने तो अफवाह फैलाई कि मुझे बच्चा नहीं हो सकता, इसलिए शादी नहीं कर रही। आखिर में सब कुछ ठुकरा कर कृष्ण सेवा के लिए वृंदावन आ गई। अब यहां कृष्ण ही मेरे सच हैं। जिन्होंने मुझे तकलीफ दी, उनका धन्यवाद करती हूं, वर्ना मुझे कृष्ण न मिलते। निशा चौहान हरियाणा के कुरुक्षेत्र की रहने वाली निशा चौहान की कहानी भी ऐसी ही है। उन्होंने मॉडर्न आर्किटेक्ट में इंजीनियरिंग की पढाई की है, लेकिन वृंदावन में कृष्ण की दासी बन गई हैं। वह वृंदावन आने की कहानी बताते हुए कहती हैं- मेरे घर का माहौल हमेशा भक्तिमय रहा है। 2005 में सोनीपत आकर आर्किटेक्ट की पढ़ाई की। पढ़ाई के बाद 2011 में एक कंपनी में नौकरी शुरू की। उस समय लगा कि अब भविष्य बन गया है। ऑफिस में जब अपने काम में आगे बढ़ने लगी, तो सहकर्मी मुझे पीछे ढकेलने लगे। देर रात तक काम करवाया जाने लगा। कठिन प्रोजेक्ट दिए जाते। एक सीनियर ने तो कहा- लड़कियों की जरूरत किसी कंपनी में नहीं, घर में होती है। वो बात मेरा आत्मविश्वास तोड़ने जैसी थी। फिलहाल, तब काम करना जारी रखा था। आखिर में परेशान होकर दूसरी कंपनी में गई। वहां भी वही माहौल मिला। फिर एक कंपनी में गई। आखिर में परेशान होने लगी। नए ऑफिस में एक सीनियर मुझे अक्सर छूने का बहाना ढूंढते थे। चलते-फिरते कंधों पर हाथ रख देते थे। मम्मी-पापा को नहीं बता रही थी, वर्ना वे मुझे घर बुला लेते। ये कहते हुए निशा रोने लगती हैं। वो बताती हैं जॉब करते हुए कुछ लोग मेरी जिंदगी में आए, लेकिन कोई भी इस बात के लिए नहीं तैयार था कि मैं अपने हिसाब जी सकूं। वे शादी के बाद मुझे घर में कैद करना चाहते थे। इस दौरान काम तो कर रही थी, लेकिन लगने लगा कि प्यार जैसी कोई चीज नहीं होती। शुरुआत में लोग आपके कपड़े, आपकी बात, हंसी सबकी तारीफ करते हैं, लेकिन फिर वही लोग कहने लगते हैं- छोटे कपड़े क्यों पहनती हो, इतना बोलती क्यों हो! लगने लगा कि मेरे लिए जो कुछ हैं बस मम्मी-पापा हैं। इस बीच कोविड महामारी आई। लॉकडाउन लगा। सब घरों में कैद होने लगे। मुझे लगा कि मम्मी-पापा के पास चली जाती हूं। अब उन्हीं के साथ रहूंगी। घर गई, तब तक मन में कृष्ण की भक्ति पैदा हो गई थी। उस दौरान उनकी भक्ति में जो सुकून मिलता, वो कभी नौकरी में नहीं मिला। एक दिन वृंदावन घूमने आई। यहां कृष्ण-राधा के दर्शन किए। उस दिन लगा कि अब तक कहां भटक रही थी। मेरी तो जैसे दुनिया ही बदल गई। यहां से कहीं जाने का मन नहीं हुआ। फिर कृष्ण को ही अपना पति बना लिया। अब यही मेरे प्रेम हैं और जीवन। मेरा नाम यहां नित्या मंजरी रख दिया गया है। ------------------------------------------ 1- ब्लैकबोर्ड-मंगेतर ने कुत्तों का खर्च रोका तो सगाई तोड़ दी:लोग तंज कसते-शादी करके क्या करोगी, तुम्हें तो कुत्तों संग अच्छा लगता है दिल्ली के आजादपुर की भीड़-भाड़ वाली गलियों में जब चंचल शर्मा एक पिल्ले को बचाने गईं, तो वहां मौजूद लोगों ने उन्हें घेर लिया। ‘कुत्ते बचाती हो, इंसान नहीं,’ कहते हुए उनके कपड़े खींचे और धक्का दे दिया। वह किसी तरह जान बचाकर वापस लौटीं। कुत्तों की देखभाल के कारण चंचल की शादी टूट गई। जिस लड़के से उनकी शादी तय हुई थी, उसने कहा- ‘जो पैसे कुत्तों पर खर्च कर रही हो, उसे बचाओ और आने वाले बच्चों के भविष्य के बारे में सोचो।’ इस पर वो इतना नाराज हुईं कि शादी से 20 दिन पहले सगाई तोड़ दी। शादी टूटने के बाद चंचल पर तंज कसा गया- इन्हें तो कुत्तों के साथ अच्छा लगता है। क्या करेंगी शादी करके! चंचल रोज लगभग 450 आवारा कुत्तों को खाना खिलाती हैं, जिस पर महीने के लगभग 3 लाख रुपए खर्च करती हैं। इनके रिश्तेदार अब घर नहीं आते, पड़ोसियों ने दूरी बना ली है। इसी तरह संध्या रस्तोगी ने तो शादी ही नहीं की, डर था कि पति उन्हें इस काम से रोक देगा। उनको 'कुत्ते वाली आंटी', पागल कहा जाता है। वहीं मानवी राय के खिलाफ तो 'एनिमल वेलफेयर' के नाम पर कुछ लोगों ने झूठे केस दर्ज करा दिए, रेप की धमकियां दीं। पूरी खबर यहां पढ़ें 2- ब्लैकबोर्ड-‘राजपूत खानदान में हिजड़ा पैदा हो गया’:देखो-छक्का जा रहा, पैरों में घुंघरुओं की छनक; चेहरे पर मुस्कान, लेकिन संघर्ष कर रहे नाचने वाले मर्द ‘मेरा नाम आशीष है, आशीष सिंह। मैं 11 साल का हुआ था और अपने जन्मदिन की पार्टी में डांस कर रहा था। दादाजी उठे और एक थप्पड़ जड़ दिया। कहा- राजपूतों के खानदान में हिजड़ा पैदा हो गया है। उसके बाद मैं घर से निकला और बनारस के मंदिरों में डांस करना शुरू किया। एक दिन एक मंदिर में डांस कर रहा था। वहां एक शख्स आए और कहा- क्या यह मंदिर में रं@#! का नाच करवाते हो। उसके बाद मुझे वहां नाचने से मना कर दिया गया। फिर बनारस से वृंदावन आ गया। तब से यहां की गलियों में घूम-घूमकर डांस कर रहा हूं और किसी तरह जिंदा हूं।' पूरी खबर यहां पढ़ें
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साइन किए चैक को पकड़े सेक्स ट्रैफिकर जेफ्री एपस्टीन के साथ एक लड़की की तस्वीर वायरल हो रही है. जिससे दावा किया जा रहा है कि इस लड़की को ट्रम्प ने एपस्टीन से 22,500 डॉलर यानी करीब 19 लाख रुपए में खरीदा था. लेकिन इस दावे की सच्चाई क्या है? कैसे ट्रम्प की कभी एपस्टीन से हुई दोस्ती उनकी छवि पर सवाल खड़े करती आई है.पूरी जानकारी के लिए ऊपर दी गई इमेज पर क्लिक कर देखें वीडियो...
GST चोरी की पहली कहानी में आपने एक टैक्स कंसल्टेंट और एक फैक्ट्री ओनर की कहानी पढ़ी। दोनों ने GST चोरी के अलग-अलग रास्ते बताए। अब तक हमें GST चोरी के दो तरीके पता चले। अगली मुलाकात जाकिर नाम के एक प्राइवेट कॉन्ट्रेक्टर से होती है। लोकेशन : महिपालपुर, नई दिल्ली वक्त : दोपहर के 1 बजे जाकिर कंस्ट्रक्शन के बिजनेस में है। हमारी उससे फोन पर बात होती है। हम फिर वही एजेंडा दोहराते हैं और नकली बिलों का जिक्र छेड़ते हैं। जाकिर 10 अगस्त को नई दिल्ली के महीपालपुर में मिलने के लिए कहता है। यहीं पर जाकिर का एक बिल्डिंग बनाने का काम डिफेंस क्षेत्र में चल रहा था। भास्कर रिपोर्टर तय जगह पहुंचते हैं। बातचीत की शुरुआत फर्जी GST बिल और इनपुट क्रेडिट को लेकर होती है। इसी दौरान जाकिर एक नया फॉर्मूला बताता है, जिसके जरिए वो और उसके जैसे लोग टैक्स चोरी कर रहे हैं। जाकिर : मान लो एक करोड़ का बिल कटा, 18% का GST, एक करोड़ 18 लाख का बिल हो गया, हमने दे दिया उसके अकाउंट में। रिपोर्टर : कितना? जाकिर : एक करोड़ का बिल कटा, 18% GST हो गया, बिल हो गया 1 करोड़ 18 लाख का। 1 करोड़ 18 लाख आपको उसके अकाउंट में डालना है। 9 लाख वो अपना काटेगा, GST हमें 18 लाख की देगा, लेकिन वो काटेगा केवल 9 लाख। 9 लाख काट के 1 करोड़ 9 लाख हमें दिए। अब उसमें हमें क्या करना, कैसे करना, उसमें हमारे लिए क्या बेनिफिट है। रिपोर्टर : उसने 1 करोड़ 9 लाख दे दिया कैश में? जाकिर : कैश में दे दिया। रिपोर्टर : वो जो 9% ले रहा है, GST डिपेंड करता है कितना है, सीमेंट पर 28% है, सरिया पर 18% है, ये सही बोल रहा हूं न? जाकिर : हां। रिपोर्टर : उसमें कुछ कम कराइए न, तभी तो कुछ बचेगा, ऐसे थोड़ी न कुछ बचेगा। जाकिर : जैसे वो बंदा, उसके पास GST है, वो 18% हमको दे रहा है, ठीक है, और सिर्फ 9% ले रहा है, 9 दे रहा है न, जबकि 18% सरकार में भर रहा है, वो तो 9 लेगा। रिपोर्टर : बिल जहां से उसने चोरी की, वो तो पहले ही कमा चुका उसपे। जाकिर : तो पहले कमा चुका, इसलिए 9% वो रोक रहा है और 9% वो हमें दे रहा है। रिपोर्टर : अगर आप अपनी कंपनी का बिल काटेंगे तो आप उस पर भी कमीशन लेंगे? जाकिर : मैं हर महीने 4-5 बिल काट रहा हूं। मेरे पास आ भी रहा है और जा भी रहा है। हमारे यहां 9% में हो रहा है। रिपोर्टर :आपके जो बिल्डर साहब हैं, दोस्त-यार हैं आपके, वो जो हैं, इनकी अपनी कंपनी है या शेल कंपनी है? जाकिर : नहीं नहीं, अपनी फर्म से, मैं दूसरे का वो नहीं करूंगा। हमारा सिर्फ सोहना और नूह, दो जगह के बिल आपको मिलेंगे, सोहना गुरुग्राम में आता है और नूह जिला अलग पड़ जाता है, दोनों हरियाणा में हैं। रिपोर्टर : ट्रेंड मतलब 9% का चल रहा है? जाकिर : 9% का। रिपोर्टर : किस कंपनी के नाम से काम कर रहे हैं यहां ? जाकिर : सीएस। रिपोर्टर : सीएस कंस्ट्रक्शन? जाकिर : हूं। रिपोर्टर : आपकी अपनी कंपनी है या जॉब करते हैं ? जाकिर : नहीं नहीं, मेरी तो अपनी फर्म है। रिपोर्टर : सीएस? जाकिर : नहीं, मेरा तो जाकिर कंस्ट्रक्शन के नाम से है, सीएस का मैंने काम ले रखा है। रिपोर्टर : मतलब थर्ड पार्टी आप हैं? जाकिर : हां। रिपोर्टर : जो काम कर रहे हैं आप? जाकिर : हां। रिपोर्टर : तो हमें क्या-क्या फॉर्मेलिटीज करनी होगी ? जाकिर : पहले उसमें सिर्फ यह है, जितने का भी बिल कटवाओ, चाहे 50 लाख कटवाओ, एक करोड़ का कटवाओ, जो उसका GST बनेगा वो भरना है, बिल आपको जब मिलेगा, जब GST के ऊपर का आप दे दोगे और कुछ नहीं। रिपोर्टर : GST तो जमा हो जाएगी, उसमें दिक्कत नहीं है? जाकिर : उसे भी देने में कोई दिक्कत नहीं है। रिपोर्टर : हम लोग ये चाह रहे थे, उन्होंने पैसे ट्रांसफर किए, आपने पैसा कैश हाथों-हाथ दिया, ऐसी पॉसिबिलिटी है? जाकिर : हाथों-हाथ नहीं, एक हफ्ते का टाइम लगेगा, कोई भी कैश देने में समय लगेगा, कुछ पड़ा हुआ है तो अलग बात है। अभी तक की हमारी पड़ताल में सामने आया कि जाकिर का तरीका पहले सुने गए दोनों तरीकों से बिल्कुल अलग है। इस बार खेल सिर्फ बिलों का हेरफेर नहीं था। फॉर्मूला कुछ यूं है— मान लीजिए ₹1 करोड़ का बिल 18% GST के साथ काटा गया। खरीदार सप्लायर के बैंक अकाउंट में ₹1.18 करोड़ डाल देता है। कुछ दिनों बाद सप्लायर कैश में करीब ₹1.09 करोड़ वापस लौटा देता है। बीच का ₹9 लाख (करीब 9%) उसका कमीशन होता है। यानी न कोई माल, न कोई असली सप्लाई, बस कागज़ी खेल। खरीदार इस फर्जी बिल से ₹18 लाख का ITC यानी इनपुट टैक्स क्रेडिट ले लेता है और यही उसकी “कमाई” है। जाकिर ने यहां तक कहा कि कभी-कभी यह सौदा 8% कमीशन पर भी हो जाता है और कैश वापसी में 7–10 दिन का समय लगता है। बिल खरीदने वाले को पैसा कैश में ही मिलेगा… हमारी अब तक की मुलाकातें तीन लोगों से हुई हैं, जिन्होंने अलग-अलग तरीके से GST चोरी के रास्ते बताए। तीनों में एक बात कॉमन है कि, बिल खरीदने वाले को पैसे कैश में वापस मिलेंगे। तीनों मामलों को देखें तो साफ होता है कि यह केवल करोड़ों के टैक्स चोरी का मामला नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक बड़ा कैश फ्लो भी चल रहा है। जैसे, करण ने बताया कि बिल खरीदने वाला पूरे बिल की राशि अकाउंट में ट्रांसफर करेगा और फिर कुछ प्रतिशत काटकर लगभग पूरा पैसा कैश में लौटाया जाएगा। राजीव ने समझाया कि कैश एडजस्ट करने के खर्चे को भी कमीशन के अलावा अलग से देना पड़ता है। आखिर में जाकिर ने बताया कि बिल खरीदने वाला RTGS करेगा और बदले में उसे कैश मिलेगा। सवाल ये है कि अगर 20 करोड़ या 50 करोड़ के फर्जी बिल बन रहे हैं, तो क्या सच में इतना बड़ा कैश ट्रांसफर हो रहा है, या फिर इसके पीछे हवाला रैकेट भी एक्टिव है। रजिस्ट्रेशन वाले दिन से GST चोरी की शुरुआत GST के जानकार सतेंदर अग्रवाल कहते हैं, 'GST चोरी की शुरुआत रजिस्ट्रेशन वाले दिन से होती है। जब कोई बंदा रजिस्ट्रेशन अप्लाई करता है, तो डॉक्यूमेंट प्रॉपर नहीं लगाता। पैन कार्ड किसी और का, बिजली का बिल किसी और का, आधार किसी और का। चोरी यहीं से शुरू होती है।' 'रजिस्ट्रेशन के बाद तैयारी होती है कि बिलिंग कैसे करूं। फेक बिलिंग यहीं से शुरू होती है। फेक इनपुट एडजस्ट करके, आगे बिल काटता है और टैक्स सरकार को जमा नहीं करता। इसके बाद, साल डेढ़ साल या दो साल में बिल काटकर गायब हो जाता है, रिटर्न फाइल नहीं करता। फिर सरकार उसे खोजती रहती है।' राज्य से ज्यादा केंद्र के GST में चोरी होती है वहीं, जीएसटी के पूर्व अधिकारी सैयद हसन मेहदी नकली कहते हैं, 'जब हम कोई चीज खरीदते हैं, तो उसमें इनपुट टैक्स की चोरी के लिए, जिसे GST चोरी भी कहते हैं, बहुत सी फर्जी खरीद–बिक्री दिखाई जाती है, जिसे डिपार्टमेंट में घोषित नहीं किया जाता।' 'नतीजा यह होता है कि जिन लोगों को उन्होंने खरीद दिखाई थी, उन्होंने आईटीसी ले लिया, लेकिन सरकारी खजाने में उसका पैसा नहीं गया। यानी जहां से खरीदा वहां चोरी हुई, और जहां बेचा वहां चोरी हुई। इस तरह से सरकार को दोनों ओर से चूना लगाया गया।' 'ऐसा देखा जाता है कि SGST में कम चोरी होती है और CGST में ज्यादा चोरी होती है। CGST में बारीकी से फॉर्म की जांच नहीं होती, ज्यादातर मामले चोरी के CGST से ही आते हैं।' बिना सप्लाई इनवॉइस काटना अपराध है 7.08 लाख करोड़ रुपए की GST चोरी पकड़ी गई 2020 से 2025 के बीच GST चोरी के कई मामले सामने आए। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में बताया कि, इन पांच सालों में कुल 7.08 लाख करोड़ रुपए की GST चोरी पकड़ी गई। इसमें से लगभग 1.79 लाख करोड़ रुपए केवल इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) की धोखाधड़ी से जुड़े थे। हाल ही में आए GST चोरी के तीन मामले केस स्टडी 1: अंकित बंसल – 704 करोड़ का स्कैम मई 2024, जयपुर की DGGI टीम जब एक छोटी-सी कंपनी Om Sai Traders का रिटर्न चेक कर रही थी, तो उन्हें अंदाजा भी नहीं था कि वे भारत के सबसे बड़े GST घोटालों में से एक की परत खोलने जा रहे हैं। जांच में अंकित बंसल का नाम सामने आया। हरियाणा के सोनीपत का रहने वाला अंकित लोकल स्क्रैप ट्रेडिंग करता था। सिस्टम की कमजोरियों समझने के बाद उसने फर्जी कंपनियों का एक ऐसा जाल बुन दिया जो पूरे देश में फैला हुआ था। बिल तो बनते थे, लेकिन माल कभी भेजा नहीं जाता। A कंपनी से B, B से C और फिर D तक। इन फर्जी इनवॉइस के दम पर 353 कंपनियों ने GST सिस्टम से 704 करोड़ का इनपुट टैक्स क्रेडिट ले लिया। केस स्टडी 2: विनोद सहाय – 512 करोड़ का फ्रॉड मध्यप्रदेश के जबलपुर के गांव टिबरी के विनोद सहाय ने भी जीएसटी चोरी के जरिए सरकार को करोड़ों की चपत लगाई। लोगों को लोन का झांसा देकर उनके आधार, पैन और बैंक स्टेटमेंट इकट्ठा किए और फिर उन्हीं के नाम पर 23 फर्जी कंपनियां बना डालीं। इन कंपनियों के जरिए विनोद ने 512 करोड़ रुपए का टैक्स क्रेडिट ले लिया। भोपाल, इंदौर, जबलपुर में फैला उसका नेटवर्क इतना मजबूत था कि सालों तक किसी को भनक नहीं लगी। GST नंबर, इनवॉइस सब कुछ फर्जी, पर सिस्टम से पैसे असली निकलते रहे। केस स्टडी 3: तुषार गुप्ता - 15,000 करोड़ का रैकेट दिल्ली का 39 साल का युवक तुषार गुप्ता, देश के सबसे संगठित GST रैकेट का हिस्सा था। तुषार ने 35 फर्जी कंपनियां बनाईं और उनके जरिए सरकार को ₹24 करोड़ का नुकसान पहुंचाया। ये अकेले तुषार का खेल नहीं था, ये एक ₹15,000 करोड़ के महाघोटाले का हिस्सा था, जिसमें अब तक 33 से ज्यादा लोग गिरफ्तार हो चुके हैं। तुषार ने फर्जी आधार, पैन और बिलों के जरिए इतनी सफाई से टैक्स क्रेडिट लिया कि सालों तक किसी को शक तक नहीं हुआ। कन्क्लूजन : GST चोरी अब केवल टैक्स सिस्टम की कमजोरी भर नहीं रह गई है, बल्कि यह एक संगठित अपराध का रूप ले चुका है। हर फर्जी बिल और हर नकली कंपनी के पीछे करोड़ों रुपए का कैश फ्लो छिपा होता है। सवाल यही है कि जब सरकार हर साल हजारों करोड़ की चोरी का पता लगाती है, तो फिर इस पर लगाम क्यों नहीं लगा पा रही ? भास्कर ने इस मामले में सरकार का पक्ष जानने के लिए मिनिस्ट्री ऑफ फाइनेंस को सवाल ईमेल किए हैं। अभी तक मिनिस्ट्री की तरफ से कोई जवाब नहीं आया है। जैसे ही रिप्लाई आएगा, हम खबर में अपडेट करेंगे। नोट : GST की दरें अब बदल चुकी हैं। 12% और 28% की पुरानी दरों को हटाकर 5% और 18% की दो नई दरें बनाई गई हैं। ये 22 सितंबर से लागू होंगी। ............................................................ इस सीरीज की पहली स्टोरी आप यहां पढ़ सकते हैं 5% कमीशन पर 20 करोड़ का फर्जी GST बिल:न माल, न सप्लाई और लाखों की कमाई; GST माफिया कैमरे पर एक्सपोज दिल्ली का वजीरपुर इंडस्ट्रियल एरिया। एक पुरानी और जर्जर सी फैक्ट्री। दीवारों पर जमी धूल, टूटी खिड़कियां और जंग लगी चादरें। बाहर से देखने पर यह किसी बंद पड़े गोदाम जैसी लगती है, जैसे बरसों से यहां कोई काम नहीं हुआ हो, लेकिन जैसे ही टीम अंदर दाखिल होती है, नजारा बदल जाता है। पूरी खबर पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें...
‘हम इंडिया से नेपाल घूमने आए थे। अब काठमांडू में फंस गए हैं। यहां हालात ठीक नहीं हैं। हमारे घर वाले टेंशन में हैं कि क्या होगा। किसी को फोन नहीं लगा। हमने इंडियन एंबेसी से बात करने की कोशिश की, लेकिन मदद नहीं मिली। हमारी बात ही नहीं हो पाई।’ महाराष्ट्र के पुणे में रहने वाले श्रीपाद कवाष्ठे भास्कर से बातचीत में अपनी परेशानी बताते हैं। वे 35 लोगों के ग्रुप में नेपाल गए थे, तभी वहां हिंसा भड़क गई। फिलहाल नेपाल में अब तक 30 मौतें हो चुकी हैं। सरकार की गैरमौजूदगी में सेना ने कंट्रोल कर लिया है। काठमांडू की सड़कों पर हर शख्स की तलाशी ली जा रही है। हालांकि शुरुआती दो दिन के मुकाबले 10 सितंबर को हिंसा कम हो गई। PM ओली के इस्तीफे के बाद अंतरिम प्रधानमंत्री के लिए पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की सबसे आगे चल रहा है। उनका नाम GenZ ग्रुप ने तय किया है। इस बीच, पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' की बेटी गंगा दहल के घर से एक डेडबॉडी मिली है। प्रदर्शनकारियों ने ढोलाहिटी के इस घर में आग लगा दी थी। डेडबॉडी किसी पुरुष की है, लेकिन उसकी पहचान नहीं हो सकी है। हिंसा की वजह से नेपाल में 1 हजार से ज्यादा भारतीय फंस गए हैं। इनमें महाराष्ट्र के 300 लोग बताए जा रहे हैं। ‘पूरे दिन होटल में बंद रहे, खिड़की से जलता काठमांडू देखा’हिंसा की कवरेज के लिए पहुंचे भास्कर रिपोर्टर वैभव पलनीटकर को पता चला कि काठमांडू के होटलों में कुछ भारतीय टूरिस्ट फंसे हैं। वे उनसे मिलने पहुंचे। इसी दौरान महाराष्ट्र के श्रीपाद से बात हुई। श्रीपाद बताते हैं, ‘हम दो दिन पहले नेपाल पहुंचे थे। उस दिन भी प्रोटेस्ट चल रहा था। हमारी 10 सितंबर को दोपहर 2 बजे वापसी की फ्लाइट थी। अभी हम कुछ नहीं कह सकते कि क्या होगा। यहां लोगों ने बहुत बुरा हाल कर दिया है। सब कुछ जला दिया। हमारे घरवाले बहुत डरे हुए हैं।’ अमोल शैलार भी महाराष्ट्र से नेपाल घूमने आए थे। वे कहते हैं, पूरे दिन होटल में ही बंद रहे। सिर्फ खिड़की से काठमांडू को देखते रहे। पूरा शहर धुआं-धुआं दिख रहा है। हमारे वापस जाने का कुछ भी रास्ता नहीं बन पा रहा है। अमोल की तरह ही आशीष दाबाड़े भी होटल में फंसे हैं। वे कहते हैं, ‘हम होटल से बाहर निकले थे। बाहर देखा कि लोग चिल्ला रहे हैं। हर तरफ भीड़ थी। ये सब बहुत भयानक था। हमें तो बहुत डर लग रहा था। मोबाइल नेटवर्क भी बंद हो गया। घर पर बात नहीं हो पा रही थी।’ ‘हमने एंबेसी से कॉन्टैक्ट किया। उन्होंने कहा कि आप होटल के कमरे में ही रुको। फिलहाल होटल से बाहर मत निकलना। वे कह रहे हैं कि हमें भारत वापस पहुंचाने का इंतजाम करेंगे। हालांकि अब तक तो कुछ नहीं हुआ। सरकार को हमारी वापसी के लिए फ्लाइट चलानी चाहिए।’ आशीष और अमोल अब एयरपोर्ट खुलने और फ्लाइट शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं। हालांकि नेपाल घूमने आए सुदर्शन दाबाड़े इंतजार नहीं करना चाहते। वे कहते हैं कि हमारे पास सड़क के रास्ते 9 घंटे ट्रैवल करके जाने का भी विकल्प है। हम अभी ये रिस्क लेने की स्थिति में नहीं है। नेपाल में लॉ एंड ऑर्डर खत्म हो गया है। सड़क के रास्ते जाने में बहुत खतरा है। इस बीच एअर इंडिया ने कहा है कि वह भारतीयों को निकालने के लिए दिल्ली और काठमांडू के बीच स्पेशल फ्लाइट चला रही है। 11 सितंबर से शेड्यूल फ्लाइट भी शुरू हो जाएंगी। उधर, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने नेपाल में फंसे एक हजार से ज्यादा लोगों की वापसी के लिए फॉरेन सेक्रेटरी से बात की। खड़गे ने कहा, ‘सरकार को नेपाल में फंसे भारतीय टूरिस्ट की सुरक्षा करनी चाहिए। कई लोग एयरपोर्ट पर हैं। कई सड़कों पर और होटलों में हैं। मैंने इस पर विदेश सचिव से बात की। उन्होंने कहा कि वहां फंसे लगभग 1,000 भारतीयों को जल्द ही वापस लाया जाएगा।’ अब काठमांडू का माहौल जान लीजिए सुबह तक धधकता रहा सिंह दरबार और संसद भवनभारतीयों से मुलाकात के बाद हम काठमांडू में हिंसा के बाद के हालात देखने निकले। सबसे पहले संसद पहुंचे। 9 सितंबर को यहां 10 हजार से ज्यादा लोग घुस गए थे। पूरी बिल्डिंग में आग लगा दी। इससे ये बिल्डिंग पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है। बिल्डिंग के कुछ हिस्से अब भी धधक रहे हैं। पार्लियामेंट में पिलर और छत के अलावा कुछ नहीं बचा। सामान, फर्नीचर, इलेक्ट्रॉनिक आइटम, फाइलें, सब राख हो चुका है। वीरान पड़ी इस बिल्डिंग में अब सिर्फ सेना के जवान हैं। इसके बाद हम सुप्रीम कोर्ट और सिंह दरबार गए। वहां भी हर तरफ आगजनी के बाद काला पड़ चुका मलबा पड़ा हुआ है। नेपाल का पावर हाउस रहा सिंह दरबार बर्बाद हो चुका है। यहां सेना के जवान सफाई करते दिखे। आर्मी आने से काठमांडू में शांति, लेकिन हालात सुधरने में वक्त लगेगा9 सितंबर के हिंसक प्रदर्शन के बाद रात से ही नेपाली आर्मी ने मोर्चा संभाल लिया। संसद भवन, सिंह दरबार, पुलिस मुख्यालय, सुप्रीम कोर्ट जला देने के बाद प्रदर्शनकारियों का गुस्सा भी शांत हो गया। हालांकि अब भी प्रदर्शनकारी सड़कों पर घूम रहे हैं। ऐसे भी लोग हैं ,जो जली इमारतों से सामान चोरी करने आ रहे हैं। आर्मी इन पर कार्रवाई कर रही है। आर्मी ने संसद भवन और सिंह दरबार पर कंट्रोल कर लिया है। लॉ स्टूडेंट बोलीं- सुप्रीम कोर्ट मेरे लिए घर जैसा था, सब जला दियासुप्रीम कोर्ट के बाहर हमें कुछ लॉ स्टूडेंट मिले। ये प्रोटेस्ट में भी शामिल थे। सुप्रीम कोर्ट जला देने से ये दुखी भी हैं। लॉ स्टूडेंट यशोदा बंजारा कहती हैं, ‘हमने कभी नहीं सोचा था कि हमारे प्रोटेस्ट में सुप्रीम कोर्ट, पार्लियामेंट सब जला दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट मेरे लिए घर की तरह है। मैं यहां प्रैक्टिस करती थी। अब सब राख हो गया।’ सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाली यशोदा कहती हैं, ‘सुप्रीम कोर्ट तो संविधान को बचाता है, वही जला दिया। ये सब देखकर अब मेरे पास कुछ कहने के लिए बचा नहीं। ये सब नहीं होना चाहिए था। सारी फाइलें जल गईं। लाखों लोगों को कोर्ट से इंसाफ की उम्मीद थी, अब वे क्या करेंगे।’ ‘हमारा पूरा सिस्टम ढह गया। ये देखकर हम अंदर से टूट गए हैं। हमने कभी नहीं सोचा कि ऐसा होगा। हम सिर्फ सरकार को गिराना चाहते थे, लेकिन ऐसा कभी नहीं सोचा था। ये सब देखकर मैं कुछ भी बोलने की स्थिति में नहीं हूं। कुछ लोग हिंसा करवाना चाहते थे, वे हमारे आंदोलन में घुस गए।’ प्रोटेस्ट का हिस्सा रहे सागर केसी भी लॉ स्टूडेंट हैं। वे कहते हैं, ‘ सरकार इतनी भ्रष्ट हो चुकी थी कि बदलाव जरूरी था। सरकार को हटाना हमारा मकसद था। हिंसा हमारे प्लान में नहीं थी। ये सब कैसे हुआ, समझ नहीं आ रहा है। आंदोलन का मकसद भ्रष्टाचारियों को हटाना था, हम हिंसा नहीं चाहते थे। मुझे लगता है इस आंदोलन को भड़काने में विदेशी ताकतें शामिल हैं। उनके साथ नेपाल के अपराधी गुट भी इसमें शामिल रहे। अंतरिम प्रधानमंत्री के लिए 3 दावेदार, सुशीला कार्की को समर्थननेपाल की लोकल मीडिया में दावा किया गया है कि देश की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की अंतरिम प्रधानमंत्री बन सकती हैं। इन्हें प्रोटेस्ट करने वालों का समर्थन भी है। GenZ ग्रुप ने 5 घंटे चली ऑनलाइन मीटिंग में तय किया कि सुशीला कार्की अंतरिम सरकार का नेतृत्व करेंगी। इस मीटिंग में आंदोलन करने वाले 5 हजार युवा शामिल हुए। कार्की ने भी सरकार की बागडोर संभालने की इच्छा जताई। इसके बाद शाम को वे आर्मी हेडक्वार्टर पहुंचीं और अधिकारियों से मिलीं। हालांकि शाम होते-होते उनका विरोध भी होने लगा। प्रदर्शनकारियों के एक धड़े ने उनके खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। वे काठमांडू के मेयर बालेन शाह को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाने की मांग कर रहे थे। इन दोनों के अलावा नेपाल को बिजली कटौती से मुक्ति दिलाने वाले कुलमान घिसिंग का नाम भी अंतरिम प्रधानमंत्री के लिए चला। हालांकि, देर रात बालेन शाह ने सुशीला कार्की का समर्थन कर दिया। सभी दल भी उनके नाम पर राजी हैं। भीड़ ने हथियार लूटे, अब यही सबसे बड़ा खतराप्रदर्शन और हिंसा के दौरान भीड़ ने पुलिस और सिक्योरिटी फोर्स के हथियार लूट लिए। ये हथियार आम लोगों और अपराधियों के पास हैं। राजधानी काठमांडू में अब भी कर्फ्यू लगा है। आर्मी सड़कों पर सभी लोगों की तलाशी ले रही है। आर्मी के एक अधिकारी पहचान उजागर न करते हुए बताते हैं, ‘हम हथियार सरेंडर करने के लिए मुहिम चला रहे हैं। लोगों से अपील कर रहे हैं कि वे हथियार वापस कर दें। इसके अलावा सर्च ऑपरेशन भी शुरू किया है। राजधानी काठमांडू में जगह-जगह पर आर्मी के जवान तैनात हैं। लोगों के सामान के अलावा कपड़े उतरवाकर भी चेकिंग की जा रही है कि कहीं कोई हथियार लेकर तो नहीं जा रहा। 13 जेलें टूटीं, 7000 कैदी भागेप्रदर्शनकारियों ने 9 सितंबर को 13 जेलें भी तोड़ दीं। यहां कैद 7000 से ज्यादा कैदी भाग निकले। हिरासत में लिए गए 560 आरोपी भी भाग गए। काठमांडू के ललितपुर जिले में नक्खू जेल तोड़ दी गई थी। इसके बाद जेल में बंद सारे कैदी भाग गए। नक्खू जेल में अब आर्मी का पहरा है। यहां अंदर जाना और फोटो-वीडियो लेना सख्त मना है। सड़कों पर सफाई कर रहे लोग, बोले- हम नया नेपाल बनाएंगेहिंसा के बाद सड़कों पर जली चीजें पड़ी हैं। आम लोग इन्हें साफ कर रहे हैं। सफाई कर रहे पल्लव श्रेष्ठ कहते हैं, ‘इसमें जरूरत से ज्यादा हिंसा हुई है। ये हिंसा घुसपैठियों ने की है। GenZ ने ये सब नहीं किया। वे तो कह रहे थे कि सब शांति से होगा। फिर पब्लिक प्रॉपर्टी को जला दिया गया।' 'मुझे लगता है कि पुरानी पार्टी के लोगों ने आंदोलन में घुसपैठ की। GenZ ऐसा नहीं कर सकते। नेताओं के पैसे और प्रॉपर्टी से अब इस नुकसान की भरपाई करनी चाहिए।’ काठमांडू के मेयर बालेन शाह को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाने पर पल्लव कहते हैं, ‘मैं इस पर कुछ नहीं कह सकता। हमारे बुद्धिजीवी, बच्चे इस बारे में ज्यादा जानते हैं। वही फैसला करेंगे। उन्हें ही ये देश बनाना है। ये बच्चे सुबह से सफाई का काम कर रहे थे, उन्हें देखकर मैं भी आ गया।’ विरोध प्रदर्शनों में 30 की मौत, एक हजार से ज्यादा घायलनेपाल की हेल्थ मिनिस्ट्री के मुताबिक प्रोटेस्ट के दौरान देशभर में 30 मौतें हुई हैं। 1033 लोग घायल हुए हैं। 10 सितंबर की शाम तक जारी आंकड़ों के मुताबिक, 713 घायलों को छुट्टी दे दी गई है। 253 मरीज भर्ती किए गए हैं। सबसे ज्यादा मरीज सिविल सर्विस अस्पताल में हैं, जहां 436 लोगों का इलाज चल रहा है। नेशनल ट्रॉमा सेंटर में 161 और एवरेस्ट अस्पताल में 109 मरीज एडमिट हैं। देश के 28 अस्पतालों में घायलों का इलाज चल रहा है। नेपाल से ये ग्राउंड रिपोर्ट भी पढ़िए...पूर्व PM-वित्त मंत्री को पीटा, संसद-सुप्रीम कोर्ट जलाए, लोग बोले- हमारी सरकार करप्ट गैंग नेपाल की संसद, सुप्रीम कोर्ट, पॉलिटिकल पार्टियों के ऑफिस, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री-मंत्रियों के घर और सबसे खास काठमांडू का सिंह दरबार, सब एक दिन में जल गया। पूरे काठमांडू के आसमान में काला धुआं दिख रहा है। पूर्व PM झालानाथ खनाल की पत्नी को जिंदा जला दिया गया। 20 से 25 साल के लड़के-लड़कियां सरकार के खिलाफ सड़कों पर हैं। इनका कहना है कि हमारी सरकार करप्ट है। पढ़िए पूरी खबर...
'जिस दिन से मेरा बेटा स्वर्णभ घर के बाहर से गायब हुआ, उसी दिन से पूरा गांव उसे ढूंढ रहा था। सिर्फ उत्पल और उसकी पत्नी सोमा ही थे, जिन्होंने हमारी कोई मदद नहीं की। मुझे तभी से उन पर शक था। फिर बेटे की लाश जिस तालाब से मिली, वो उत्पल के घर के बिल्कुल बगल में है।' ये कहना है पश्चिम बंगाल के नदिया जिले के निश्चिंतपुर इलाके में रहने वाले सत्येंद्र बिस्वास का। जिनका बेटा स्वर्णभ मंडल 5 सितंबर को अचानक गायब हो गया। वो क्लास थर्ड में पढ़ता था। 6 सितंबर की सुबह एक तालाब में तिरपाल में लिपटा हुआ उसका शव मिला। ये देखकर लोकल लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। उन्होंने पड़ोस में रहने वाले पति-पत्नी उत्पल बिस्वास और सोमा बिस्वास को इसका जिम्मेदार ठहराया। बच्चे की किडनैपिंग और मर्डर का आरोप लगाते हुए दोनों को घर से बाहर खींचा और बेरहमी से पिटाई कर दी। घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची। उत्पल और सोमा को अस्पताल पहुंचाया, जहां उनकी मौत हो गई। चश्मदीदों ने बताया कि दोनों पति-पत्नी पर बच्चों के अपहरण और तस्करी में शामिल होने की अफवाह फैल गई थी। तंत्र-मंत्र करने और बलि देने को लेकर भी कानाफूसी हुई। इसके बाद गुस्साई भीड़ ने उन्हें घर से निकालकर पीटना शुरू कर दिया। मंडल परिवार (बच्चे का परिवार) और बिस्वास परिवार के बीच जमीन को लेकर झगड़ा पहले से था। इस दुश्मनी ने शक और गुस्सा बढ़ा दिया। दैनिक भास्कर की टीम नदिया के निश्चिंतपुर इलाके पहुंची। हमने बच्चे के परिवार और आस-पास के लोगों से बात कर पूरा मामला समझा। बच्चे को मारने के पीछे तंत्र-मंत्र की बात में कितना दम है, पुलिस जांच कहां तक पहुंची, हमने ये भी समझने की कोशिश की। पिता बोले- बच्चे को ढूंढने में सिर्फ उत्पल और सोमा ने नहीं की मदद सबसे पहले हम बच्चे के परिवार से मिलने निश्चिंतपुर पहुंचे। परिवार का कहना है कि 5 सितंबर को बच्चा दोपहर में घर से बाहर खेलने गया था, लेकिन वापस नहीं लौटा। परिवार ने तहहत्ता पुलिस स्टेशन में गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई। सोशल मीडिया के जरिए भी खोजबीन शुरू की। बच्चे के पिता सत्येंद्र बिस्वास घटना को लेकर बताते हैं, 'मुझे उत्पल और उसकी पत्नी सोमा पर शुरू से शक था। फिर मेरे बेटे की लाश जिस तालाब से मिली, वहां तक जाने का एक ही रास्ता था। जो उत्पल के घर के सामने से होकर गुजरता है।' 'मुझे लगता है कि उन दोनों ने ही मेरे बेटे का अपहरण किया था और मुझसे पैसा वसूलना चाहते थे।' चश्मदीद बोले- पुरानी दुश्मनी-तस्करी की अफवाह बनी वजहघटना के चश्मदीद सोमेन मंडल बताते हैं, 'गांव में जब बच्चे के लापता होने की खबर फैली, तभी से माहौल खराब हो गया था। शनिवार (6 सितंबर) सुबह ग्रामीणों की नजर गांव के तालाब पर पड़ी। वहां तिरपाल में कुछ लिपटा हुआ पानी में तैरता दिखा। जब लोगों ने इसे निकालकर देखा तो स्वर्णभ की लाश मिली।' 'बच्चे के शरीर पर जख्म के निशान मिले, जैसे उसके साथ मारपीट की गई हो। उसका गला कसकर दबाया गया था और शरीर पर भी संघर्ष के निशान थे।' ये सब देखकर गांव के लोग गुस्से से भर गए। बच्चे की हालत देखकर उन्हें यकीन हो गया था कि ये सब करने वाला कोई बाहरी अपराधी नहीं है। शक गांव के ही उत्पल और सोमा पर गया। 'फिर गुस्साई भीड़ ने कुछ नहीं देखा और पति-पत्नी पर हमला कर दिया। बच्चे का शव जिस तालाब में मिला, वो उत्पल और सोमा के घर के पास ही था। इसलिए अफवाह फैल गई कि स्वर्णभ की हत्या के पीछे इन्हीं का हाथ है। भीड़ में से किसी ने कहा कि वो दोनों बच्चों की तस्करी करते हैं, तो किसी ने बोला कि वे पहले भी संदिग्ध कामों में शामिल रहे हैं।' 'लोगों ने बिना किसी ठोस सबूत के मान लिया कि उत्पल और सोमा ही बच्चे की मौत के जिम्मेदार हैं। गुस्साई भीड़ ने किसी को कुछ समझने या जांच का इंतजार करने का मौका ही नहीं दिया। देखते ही देखते सैकड़ों लोग बिस्वास के घर के बाहर जमा हो गए। भीड़ ने दोनों को घसीटकर घर से बाहर निकाला और लाठी-डंडों से बुरी तरह पीट दिया।' पहले भी एक बच्चे को अगवा करने की कोशिश की नाम जाहिर न करने की शर्त पर गांव के ही एक शख्स ने बताया, 'उत्पल बिस्वास बचपन से ही गांव में रहकर खेती का काम करता था। उसे शराब की लत थी। हमेशा नशे में रहता था। उत्पल पर पहले भी एक बच्चे को अगवा करने की कोशिश करने का आरोप लगा था। वो अपने रिक्शे से अक्सर बच्चों को स्कूल ले जाया करता था।’ ’एक दिन स्वर्णभ ने उसे इसी बात पर चिढ़ाया था। जिसके बाद स्वर्णभ के परिवार और उत्पल में झगड़ा हो गया था। उस वक्त मामला शांत हो गया। हो सकता है बच्चे की मौत का उस झगड़े से कोई ताल्लुक हो।' 'उत्पल शराब पीकर बहुत हंगामा करता था। गांव के कई लोगों ने उसे ज्यादा शराब पीने से रोका भी था। बड़ों को देखकर गांव के बच्चे भी उत्पल को ताने मारते थे। वो इस बात से भी परेशान रहता था' उत्पल का परिवार बोला- लाठी-डंडों से पीटकर जान ले ली, घर भी फूंकाआस-पास के लोगों से बातचीत में पता चला कि बच्चे की मौत के बाद गांव में कानाफूसी शुरू हो गई थी कि इसे तंत्र-मंत्र के लिए मारा गया है। अफवाह फैली कि गांव में रहने वाले एक पति-पत्नी इस हत्या के पीछे हैं। किसी ने कहा कि वे बच्चे की बलि चढ़ाना चाहते थे तो किसी ने आरोप लगाया कि वे मानव तस्करी से जुड़े हैं। निश्चिंतपुर के रहने वाले बबलू मंडल, उत्पल के रिश्तेदार हैं। वे बताते हैं, 'उत्पल का परिवार सालों से गांव में अलग रह रहा था। शुक्रवार को जब बच्चा गायब हुआ तभी से सब उसे ढूंढने में जुट गए। शाम को भी लोग उसी को ढूंढने तालाब पर गए थे, लेकिन कोई लाश नहीं मिली। अगले दिन सुबह किसी को नहीं मालूम लाश कैसे वहां पहुंची।' 'बिस्वास दंपती के घर के बाहर अचानक भीड़ जमा हो गई। उनके हाथों में डंडे और हथियार थे। गुस्साई भीड़ ने उन्हें घर से घसीटकर बाहर निकाला और लाठी-डंडों से तब तक पीटा, जब तक वे मर नहीं गए। उनका जूट का गोडाउन था। उसमें भी आग लगा दी गई।' वे आगे कहते हैं, 'किसी ने उन्हें बचाने की कोशिश नहीं की। कुछ लोग मोबाइल पर वीडियो बनाते रहे तो कुछ घर और प्रॉपर्टी पर हमला करते रहे। पुलिस जब पहुंची, तब तक हालात बिगड़ चुके थे। गंभीर हालत में दोनों को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।’ बच्चे की गला दबाकर हत्या की, केस में अब तक 4 अरेस्टपुलिस के मुताबिक, ये घटना 6 सितंबर की शाम 4 बजे से 6:30 बजे के बीच हुई। मॉब लिंचिंग के दौरान उत्पल बिस्वास का बेटा गंभीर रूप से घायल हो गया। उसका कोलकाता के अस्पताल में इलाज चल रहा है। इलाके में भारी पुलिस बल तैनात किया गया है। पुलिस ने कुछ लोगों को हिरासत में लिया है और मामले की जांच की जा रही है। शुरुआती पूछताछ और सबूतों के आधार पर 4 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनमें छोटू मंडल, सुभ्रिया भौमिक, कार्तिक मंडल और सुचित्रा मंडल शामिल हैं। इन पर अपहरण और हत्या का आरोप लगा है। गिरफ्तार किए गए लोगों में बिस्वास दंपती का बेटा भी शामिल है। दंपती की हत्या में शामिल लोगों की पहचान भी शुरू कर दी गई है। इस सिलसिले में सौम्यजीत बिस्वास नाम के युवक को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस का कहना है कि और भी लोगों की पहचान की जा रही है। बच्चे की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में पुष्टि हुई है कि लड़के की हत्या की गई। रिपोर्ट से पता चला है कि उसकी हत्या गला दबाकर की गई। उसकी गर्दन पर इसके निशान भी मिले हैं। एडिशनल SP ने बताया- भीड़ ने पुलिस को गांव जाने से रोका कृष्णानगर के एडिशनल SP उत्तम घोष ने बताया, 'पुलिस की टीम जब घटनास्थल पर पहुंची तो गांववालों ने हमें आगे नहीं जाने दिया और बीच रास्ते में ही रोक दिया। हमारे साथ फायर ब्रिगेड की भी गाड़ियां थीं, लेकिन भीड़ ने उन्हें भी नहीं जाने दिया। गांव वाले बहुत गुस्से में थे। उन्होंने गांव को घेर लिया था। किसी को भी उत्पल बिस्वास के घर तक नहीं पहुंचने दिया गया। ' 'हमने दोनों मामलों में FIR लिखी हैं। एक मॉब लिंचिंग और दूसरी बच्चे की हत्या की। मॉब लिंचिंग के मामले में अब तक 13 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जबकि बच्चे की हत्या के मामले में 4 लोगों की गिरफ्तारी हुई है।' वजह पूछने पर वे बताते हैं, 'उत्पल और गांववालों के बीच अक्सर लड़ाई-झगड़े होते थे। उसे नशे की लत थी। छह महीने पहले वो एक बच्चे को गांव से दूर ले गया था। बहुत ढूंढने पर भी बच्चा नहीं मिल रहा था। ये खबर उत्पल को पता लगी तो घबराकर वो रात में बच्चे के साथ गांव लौट आया। गांववालों को तभी से उस पर शक था।' हो सकता है इस बच्चे की हत्या में उसी का हाथ हो। हम जांच कर रहे हैं कि क्या हत्या पुराने झगड़े का नतीजा है या फिर ये बाल तस्करी का मामला हो सकता है। घटना के सामने आने के बाद राज्य सरकार ने कहा है कि दोषियों को किसी भी हालत में बख्शा नहीं जाएगा और पुलिस को कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। वहीं विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि राज्य में कानून-व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है और ये घटना उसी का सबूत है। ......................... ये खबर भी पढ़ें...‘कागज दिखाए, फिर भी पूछ रहे, बांग्लादेश से कब आए’ ‘हमारा परिवार बंगाल से दिल्ली काम करने के लिए आया, लेकिन यहां हमें परेशान किया जा रहा है। हम बंगाली बोलते हैं और मुस्लिम भी हैं। भाषा और धर्म के आधार पर हमें टारगेट किया जा रहा है। हमें बांग्लादेशी बताकर बेदखल क्यों किया जा रहा है। हम तो अपने देश में ही सुरक्षित नहीं हैं।‘ अमानुर शेख पश्चिम बंगाल के नदिया जिले से 20 साल पहले दिल्ली आ गए थे। अचानक बदले माहौल से परेशान हैं। पढ़िए पूरी खबर...
DNA on Israel Turkiye Conflict: इजरायल ने कतर की राजधानी दोहा पर हमला कर क्लियर कर दिया है कि हमास आतंकी कहीं भी सेफ नहीं है. अब माना जा रहा है कि वह तुर्किए को टारगेट पर लेने की तैयारी कर रहा है, जो हमास को फंडिंग करता है.
Israel Qatar News in Hindi: इजरायल ने कतर में हमास आतंकी की फैमिली को उड़ाकर इरादे साफ कर दिए हैं कि टेररिस्ट कहीं भी छिप जाएं लेकिन इजरायल उन्हें छोड़ेगा नहीं. उसके इस दुस्साहस ने कतर की हालत भी पतली कर दी है.
DNA: नेपाल जैसी 'बगावत' का DNA टेस्ट, क्या फ्रांस में नेपाल की तरह होगा तख्तापलट?
DNA Analysis: अब हम सबसे पहले, फ्रांस में नेपाल जैसी बगावत का DNA टेस्ट करेंगे. कल नेपाल जल रहा था और आज फ्रांस जल रहा है. Gen Z का आंदोलन आग बनकर कल काठमांडू को जला रहा था और उसी तरह आज फ्रांस की राजधानी पेरिस में इमारतें जलाई गईं.
DNA Analysis: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जब व्हाइट हाउस के नज़दीक एक रेस्टोरेंट गए तो वहां मौजूद महिलाओं ने ट्रंप का विरोध किया और उनकी तुलना हिटलर से की. ट्रंप के साथ उपराष्ट्रपति जे डी वेंस, विदेश मंत्री मार्को रुबियो और रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ भी मौजूद थे.
France Protest Latest News: फ्रांस में एक साल में 4 प्रधानमंत्री बदल दिए गए. क्या इसी वजह ने वहां पर लोगों में ‘क्रांति-बीज’बो दिए या फिर कोई और ऐसी वजह थी, जिसने हजारों लोगों को सड़क पर उतरने को मजबूर कर दिया.
India Switzerland News in Hindi: भारत अब वह गुजरे जमाने का मुल्क नहीं रहा, जो औने-पौने देशों के भी दबाव में आ जाया करता था. अब वह आरोपों का खंडन करना जानता है और साथ ही विरोधी करारा जवाब देना भी. अब स्विट्जरलैंड ने भी इसका स्वाद चख लिया है.
Nepal New PM: नेपाल में विरोध प्रदर्शन के बाद अब नई पीएम के लिए वोटिंग हो रही है. सुशीला कार्की को नेपाल की नई पीएम हो सकती हैं. पद संभालने से पहले उन्होंने बड़ा बयान देते हुए ये टिप्पणी की है.
Nepal News: नेपाल में करीब 30 लोगों की मौत के बाद हिंसा थम गई है और महिला पीएम बनाने की ओर देश बढ़ रहा है. इस बीच, भारत में सोशल मीडिया के साथ-साथ कुछ नेता भी नेहरू को कोसना शुरू कर चुके हैं. आम लोग हैरान हैं कि नेपाल हिंसा में नेहरू का क्या रोल था? वो कौन सी गलती थी जिसके लिए लोग नेहरू का जिक्र कर रहे हैं.
Donald Trump: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूक्रेनी लड़की के हत्यारे को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि कहा कि वो जानवर है और उसे केवल मृत्युदंड की सजा देनी चाहिए.
Nepal Protest:नेपाल में प्रदर्शनकारी युवाओं ने मंगलवार रात चली वर्चुअल मीटिंग में सेना से शांति वार्ता के लिए कई शर्तें रखीं. इस दौरान जेन जी ने नेपाल की पूर्व चीफ जस्टिस रहीं सुशीला कार्की या बालेंद्र शाह को प्रधानमंत्री बनाने की मांग है. आइये जानते हैं इसके अलावा और क्या-क्या शर्तें रखीं.
सोशल मीडिया के लिए सुलगा नेपाल, अब इस ऐप पर हो रही नए PM के लिए वोटिंग, दूसरे नंबर पर Youtuber
Nepal New PM: नेपाल में Gen-Z ने तख्तापलट कर दिया है. जिसके बाद अब युवा नई पीएम के लिए वोटिंग कर रहे हैं. नेपाल की पूर्व चीफ जस्टिस रहीं सुशीला कार्की नई पीएम बन सकती हैं.
नेपाल में 2 दिनों तक हुई जबरदस्त हिंसा के बाद अब हालात धीरे-धीरे सामान्य होते नजर आ रहे हैं. प्रदर्शनकारी युवाओं ने मंगलवार रात करीब 4 घंटे तक चली वर्चुअल मीटिंग के बाद सेना से शांति वार्ता के लिए अपना नेता चुन लिया है.
रेयर अर्थ के लिए म्यांमार के विद्रोहियों से हाथ मिलाएगा भारत?
स्मार्टफोन, ईवी और हाई टेक उपकरणों में इस्तेमाल होने वाले रेयर अर्थ को पाने के लिए भारत म्यांमार के विद्रोही समूह से डील करना चाहता है
फ्रांस में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन, 200 लोग गिरफ्तार; 80 हजार पुलिसकर्मी तैनात
फ्रांस में ‘ब्लॉक एवरीथिंग’ आंदोलन के तहत हो रहे प्रदर्शनों ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। पुलिस ने अब तक 200 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है
जापान के रेस्टोरेंट्स पर अमेरिकी कॉकरोचों का हमला, दहशत में लोग, क्यों छिड़ी नई बहस?
Japan News: जापान के एक रेस्टोरेंट में अमेरिकी कॉकरोच मिले, जिसकी वजह से नई बहस छिड़ गई है. रेस्टोरेंट में खाने वालों के सामने परेशानी खड़ी हो गई है. जानिए क्या है पूरा मामला.
Israel Qatar News: पहले मिसाइल दागी फिर इजरायल ने US को किया कॉल? कतर पर हमले की Inside Story
Israel Attack on Qatar News: इजरायल ने कतर की राजधानी दोहा पर मिसाइल अटैक कर एक नया फ्रंट खोल दिया है. मजे की बात ये है कि मध्य पूर्व के देशों में कतर अमेरिका का सबसे बड़ा सैन्य सहयोगी और अहम मिलिट्री बेस है.
पोलैंड में घुसे रूसी ड्रोनों से हरकत में आया नाटो
नाटो प्रमुख मार्क रुटे पोलैंड के शीर्ष नेताओं के संपर्क में हैं. अपने हवाई क्षेत्र में रूसी ड्रोनों के घुसने के बाद पोलैंड और नाटो ने एयर डिफेंस सिस्टम सक्रिय कर दिए हैं
100 फीट ऊंची लहर, चारों तरफ होगी लाशें ही लाशें...भारत से करीब में आएगा 'महाप्रलय'!
Cascadia Subduction Zone: ओरेगन के तट पर 12 घंटे के भीतर कई भूकंप के झटके दर्ज किए गए. पहला भूकंप 5.8 तीव्रता का था, उसके बाद 2.5 तीव्रता से ऊपर के आफ्टरशॉक आए भूकंप का केंद्र कैस्केडिया सबडक्शन जोन में था, जो एक प्रमुख भूकंपीय क्षेत्र है और विशेषज्ञों का कहना है कि यह एक बड़ा भूकंप पैदा कर सकता है.
ट्रंप बोले, आने वाले हफ्तों में करेंगे पीएम मोदी से बातचीत
-नेपाल में कानून व्यवस्था संभालने में जुटी सेना.-यूक्रेन पर रूस के हमले के दौरान पोलैंड के एयरस्पेस का हुआ उल्लंघन.-जर्मन राजधानी बर्लिन में गुल हुई बत्ती, हजारों घरों में छाया अंधेरा.-ट्रंप ने ईयू से भारत और चीन पर 100 फीसदी टैरिफ लगाने की अपील की.
क्या फ्रांस की आर्थिक उथल-पुथल यूरोजोन का संकट बढ़ा सकती है?
सरकारी खर्चों में कटौती करने के लिए सख्त उपायों को लागू नहीं कर पाने के कारण यूरोपीय संघ की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, फ्रांस की सरकार बीते दिनों गिर गई. जिसके बाद देश का कर्ज नियंत्रण से बाहर होने का डर बढ़ गया है
नेपाल सरकार के खिलाफ प्रदर्शन में उमड़ी भीड़ के दावे से इंडोनेशिया का वीडियो वायरल
बूम ने पाया कि वायरल वीडियो इंडोनेशिया के पाटी में 13 अगस्त 2025 को हुए एक प्रदर्शन का है.
France Protest Latest Updates: नेपाल के बाद अब वहां से हजारों किमी दूर फ्रांस अस्थिरता का शिकार हो गया है. अपनी विभिन्न मांगों को लेकर हजारों प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए हैं. जगह जगह पथराव और आगजनी हो रही है. फ्रेंच आर्मी को हालात कंट्रोल करने के लिए उतारा गया है.
Dhaka court sends Shafiqul Islam to jail:बांग्लादेश की एक अदालत ने पूर्व सचिव भुइयां मोहम्मद शफीकुल इस्लाम को आतंकवाद विरोधी अधिनियम के तहत दर्ज एक मामले में जेल भेज दिया है. स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार ढाका मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट मोहम्मद अरिफुल इस्लाम ने भुइयां की जमानत याचिका खारिज करते हुए यह आदेश जारी किया.
Poland shoots down Russian drones: रूस-यूक्रेन की जंग के बीच पुतिन की सेना ने एक नए जंग का ऐलान कर दिया है. अगरF-35 फाइटर जेट और 32 देशों की ताकत न होती तो शायद अभी पोलैंड में हाहाकार मचा होता. पुतिन की सेना इन 3 शहर को कब्रिस्तान बना चुकी होती? जानें पूरी खबर.
पोलैंड के प्रधानमंत्री का बड़ा ऐलान, बेलारूस के साथ अपनी सीमा पूरी तरह से करेगा बंद
पोलैंड के प्रधानमंत्री डोनाल्ड टस्क ने कहा है कि उनका देश गुरुवार आधी रात से बेलारूस के साथ अपनी सीमा पूरी तरह से बंद कर देगा
एक बच्ची को लगी चोट और चली गई सरकार की कुर्सी! जानें नेपाल में 'तख्तापलट' की कैसे हुई शुरुआत?
Nepal protest Reason: नेपाल में Gen-Z के प्रदर्शन ने तख्तापलट कर दिया. यहां लोगों में बेरोजगारी सहित कई मुद्दों के चलते काफी गुस्सा था और इस गुस्से में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बैन लगने के बाद हुए एक हादसे ने चिंगारी लगा दी. दरअसल एक मंत्री की गाड़ी ने एक छोटी बच्ची को टक्कर मार दी और इसे प्रधानमंत्री ने एक सामान्य हादसा बताया, जिससे लोगों में गुस्सा काफी बढ़ गया.
नेपाल प्रदर्शन : इंडिगो एयरलाइंस ने जारी की नई ट्रेवल एडवाइजरी
इंडिगो एयरलाइंस ने काठमांडू हवाई अड्डे के बंद होने की अवधि बढ़ाए जाने के बाद नई ट्रेवल एडवाइजरी जारी की है
ट्रंप को सुप्रीम कोर्ट से मिलेगा झटका? टैरिफ मामले में जल्द सुनवाई, कोर्ट का फैसला होगा आखिरी लकीर
Trump Tariff: अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने टैरिफ कम करने के फैसले के खिलाफ ट्रंप की अपील पर सुनवाई तेज कर दी है. फेडरल सर्किट कोर्ट ऑफ अपील्स ने ट्रंप की ओर से शुरू ट्रेड वार में लगाए गए पारस्परिक टैरिफ को अवैध घोषित किया गया था.
Nepal Gen Z Protests:नेपाल में Gen-Z के उग्र प्रदर्शनों ने सियासी भूचाल ला दिया है. सोशल मीडिया बैन और भ्रष्टाचार के खिलाफ युवाओं का गुस्सा सड़कों पर ऐसा फूट पड़ा कि पीएम को इस्तीफा देना पड़ा. नेपाल की राजधानी काठमांडू में हिंसक प्रदर्शनों ने ऐसा कोहराम मचाया है, जिसमें कई भारतीय और विदेशी पर्यटक फंस गए हैं. आइए जानते हैंटूरिस्ट ने क्या बताया रूह कंपाने वाला मंजर.
India-America Trade Talks: डोनाल्ड ट्रंप के भारत पर लगाए गए टैरिफ पर अपना बयान देते हुए कहा कि अमेरिका को भारत की रणनीतिक स्वायत्तता का सम्मान करते हुए व्यापार वार्ता को संतुलित रूप में आगे बढ़ाना चाहिए.
अमेरिका की धमकी, नाटो की ताकत भी पुतिन को डरा नहीं पाई. लगभग तीन सालों से चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच पुतिन ने पोलैंड पर हमला करके अब अपना इरादा पूरी दुनिया को बता दिया है. जो भी देश उनके खिलाफ जाएगा. पुतिन की सेना घर में घुसकर मारेगी. आइए जानते हैं कैसे पुतिन ने 32 देशों का 'फाड़ दिया कलेजा'.
भारत-नेपाल सीमा पर सुरक्षा अलर्ट जारी, उपद्रवी तत्व पड़ोसी राज्यों में भड़का सकते हैं हिंसा
नेपाल में पिछले दो दिनों से हो रहे हिंसक प्रदर्शन के चलते केंद्रीय एजेंसियों ने भारत-नेपाल सीमा पर सुरक्षा अलर्ट जारी किया है। आगाह किया गया है कि उपद्रवी तत्व इस अशांति का फायदा उठाकर पड़ोसी भारतीय राज्यों में हिंसा भड़का सकते हैं
नेपाल हिंसा के बीच पशुपतिनाथ मंदिर बंद, सेना ने संभाली सुरक्षा
नेपाल के सबसे पवित्र धार्मिक स्थलों में से एक पशुपतिनाथ मंदिर को देश में बढ़ते हिंसक प्रदर्शनों के कारण बुधवार को दर्शनार्थियों के लिए बंद कर दिया गया है