Donald Trump: 'डोनाल्ड ट्रंप के कान में सच में लगी थी गोली'... आखिर क्यों FBI देनी पड़ी ये सफाई

US News: डोनाल्ड ट्रंप 13 जुलाई को पेनसिल्वेनिया में एक रैली में उस समय बाल-बाल बच गए, जब 20 वर्षीय एक हमलावर ने उन पर कई गोलियां चलाईं. इस हमले में वह जख्मी हो गए थे और उनके दाहिने कान के ऊपरी हिस्से पर चोट आई थी.

ज़ी न्यूज़ 27 Jul 2024 1:25 pm

Ella Emhoff: कमला हैरिस की सौतेली बेटी, फैशन की दुनिया में किया बड़ा नाम, गाजा पर एक पोस्ट बनी विवाद की वजह

Kamala Harris Stepdaughter: एला एमहॉफ ने हाल ही में डेमोक्रेटिक नेता जेडी वेंस की अपमानजनक टिप्पणी का करारा जवाब दिया था जो डेमोक्रेटिक नेता ने उनकी सौतली मां कमला हैरिस को लेकर दी थी.

ज़ी न्यूज़ 27 Jul 2024 12:53 pm

पैकर्स का जॉर्डन लव 4 साल, $220 मिलियन के विस्तार के लिए सहमत हुआ, सबसे अधिक वेतन पाने वाला क्यूबी बन गया: सूत्र

लीग सूत्रों ने शुक्रवार को कहा कि ग्रीन बे पैकर्स और क्वार्टरबैक जॉर्डन लव चार...

वर्ल्ड नाउ 27 Jul 2024 11:48 am

US Election: ‘हर वोट के लिए कड़ी मेहनत करूंगी’- राष्ट्रपति चुनाव के लिए कमला हैरिस ने आधिकारिक तौर पर की अपनी उम्मीदवारी की घोषणा

Kamala Harris News: पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी कमला हैरिस के लिए अपना समर्थन व्यक्त करते हुए कहा कि वह ‘संयुक्त राज्य अमेरिका की एक शानदार राष्ट्रपति होंगी.’

ज़ी न्यूज़ 27 Jul 2024 9:19 am

Donald Trump: 'तीसरा विश्व युद्ध छिड़ सकता है अगर'...ट्रंप ने इजरायली पीएम नेतन्याहू से क्यों कही ये बात

Benjamin Netanyahu's US Visit: डोनाल्ड ट्रंप की इजरायली प्रधानमंत्री के साथ फ्लोरिडा स्थित उनके घर पर मुलाकात हुई. बेंजामिन नेतन्याहू ने इस सप्ताह की शुरुआत में वाशिंगटन डीसी में राष्ट्रपति जो बिडेन और उपराष्ट्रपति से मुलाकात की थी.

ज़ी न्यूज़ 27 Jul 2024 8:39 am

Inside Story: ‘पिता का बदला और एक धोखा’- अमेरिका ने कैसे दुनिया के सबसे ताकतवर ड्रग माफिया को किया गिरफ्तार

US News: अमेरिका ने कुख्यात ड्रग तस्करएल मेयो' जाम्बाडा को अरेस्ट करने में कामयाबी पा ली. हालांकि उसके साथ गिरफ्तारजोआक्विन गुज़मैन लोपेज ने गिरफ्तारी की योजना बनाई थी.

ज़ी न्यूज़ 27 Jul 2024 7:13 am

भास्कर एक्सप्लेनर-कमला हैरिस ने 3 दिन में जुटाए ₹2000 करोड़:अमेरिकी चुनाव में फंडिंग कैसे होती है; क्या बाइडेन को चंदा लौटाना पड़ेगा

21 जुलाई 2024, दोपहर 1 बजकर 46 मिनट। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने राष्ट्रपति चुनाव न लड़ने का ऐलान कर दिया। 27 मिनट बाद यानी 2 बजकर 13 मिनट पर बाइडेन ने कमला हैरिस के नाम का समर्थन किया। कमला हैरिस ने फौरन एक टीम बनाई और डेमोक्रेटिक पार्टी के ताकतवर नेताओं को फोन करना शुरू किया। उन्होंने महज 10 घंटे में 100 से ज्यादा कॉल किए। नतीजा 48 घंटे में ही उनके प्रतिद्वंद्वी बहुत पीछे रह गए। कमला हैरिस को पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा का भी समर्थन मिला है। इस दौरान महज 3 दिनों में उन्होंने 2 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की फंडिंग भी जुटा ली है। भास्कर एक्सप्लेनर में जानेंगे अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में फंडिंग कैसे होती है, बाइडेन ने जो पैसे जुटाए उनका क्या होगा, कैंडिडेट्स इन पैसों को कैसे खर्च कर सकते हैं… सवाल-1: अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार कितना पैसा खर्च करते हैं? जवाब: अमेरिका का राष्ट्रपति चुनाव दुनिया का सबसे महंगे चुनावों में से एक माना जाता है। 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में 14 बिलियन डॉलर यानी करीब 1.17 लाख करोड़ रुपए खर्च किए गए। 2016 में हुए चुनाव की तुलना में ये रकम दोगुनी है। मीडिया इन्वेस्टमेंट कंपनी ग्रुप-एम के मुताबिक, 2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में 15.9 बिलियन डॉलर यानी करीब 1.33 लाख करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। सवाल-2: अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव के लिए कैंडिडेट इतना फंड कहां से लाते हैं? जवाब: कैंडिडेट दो तरीके से फंड जुटा सकते हैं- पब्लिक फंड और प्राइवेट फंड। ज्यादातर कैंडिडेट पब्लिक फंड यानी सरकारी पैसों का इस्तेमाल नहीं करते, क्योंकि इसमें शर्त है कि पब्लिक फंड इस्तेमाल करने वाले कैंडिडेट प्राइवेट फंड नहीं ले सकते। पब्लिक फंड लिमिटेड होता है, जबकि प्राइवेट फंड जुटाने की कोई सीमा नहीं। कैंडिडेट्स को प्राइवेट इंस्टीट्यूशंस, कंपनियों, कॉर्पोरेशंस और लोगों से फंड मिलते हैं। सवाल-3: सरकारी या पब्लिक फंडिंग कैसे जुटाई जाती है? जवाब: टैक्सपेयर्स से जुटाई गई पब्लिक फंडिंग लिमिटेड और नियमों से बंधी हुई है। 1907 में 26वें राष्ट्रपति थियोडोर रूजवेल्ट ने चुनाव के लिए प्राइवेट डोनेशन पर रोक लगाकर जनता के जरिए फंड सिस्टम बनाने की बात कही थी। इसके 64 साल बाद 1971 में अमेरिकी कांग्रेस ने पब्लिक फंड बनाया। इससे बड़े डोनर्स पर कैंडिडेट्स की निर्भरता और चुनाव में धांधली कम करने का काम किया गया। हर साल सरकार टैक्सपेयर्स से फॉर्म 1040 के जरिए 1 डॉलर (84 रुपए) डोनेशन लेती थी, जो 1993 में बढ़कर 3 डॉलर (250 रुपए) हो गई। इससे टैक्सपेयर्स के टैक्स पर कोई फर्क नहीं पड़ता, वो चाहे इसे दें या न दें। सवाल-4: कैंडिडेट्स को चुनाव लड़ने के लिए पब्लिक फंड यानी सरकारी पैसा कैसे मिलता है? जवाब: पब्लिक फंड का इस्तेमाल वही कैंडिडेट कर सकते हैं, जिन्हें लोगों का अच्छा सपोर्ट हो। इसे साबित करने के लिए कैंडिडेट को प्राइमरी इलेक्शन के दौरान 50 में से 20 राज्यों में मिनिमन 5,000 डॉलर (4.15 लाख रुपए) प्रत्येक राज्य से जुटाने होते हैं। यानी कुल 1 लाख डॉलर (83 लाख रुपए) से ज्यादा फंड जुटाना होता है। इसमें वह केवल छोटे डोनेशन इकट्ठे कर सकते हैं, जो 250 डॉलर (20,000 रुपए) से कम होंगे। साथ ही कैंडिडेट कोई प्राइवेट डोनेशन नहीं ले सकते और उन्हें लिमिटेड खर्च करना होता है। इलेक्शन में कैंडिडेट खुद के 50 हजार डॉलर (41 लाख रुपए) से ज्यादा खर्च नहीं कर सकते हैं। उन्हें चुनावी खर्च को ऑडिट कराने के लिए खर्च की रिपोर्ट इलेक्शन कमीशन को देनी होगी। इन शर्तों को पूरा करने वाले कैंडिडेट प्राइमरी और जनरल इलेक्शन में पब्लिक फंड का इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन पार्टियां इस फंड का इस्तेमाल नहीं कर सकती हैं। सवाल-5: आखिरी बार किस कैंडिडेट ने पब्लिक फंडिंग का इस्तेमाल किया? जवाब: 2008 में पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा पहले प्रमुख उम्मीदवार थे, जिन्होंने पूरा चुनाव पब्लिक फंड पर लड़ा था। इसके बाद से किसी प्रमुख कैंडिडेट ने पब्लिक फंड का इस्तेमाल नहीं किया। सवाल-6: बचे हुए पब्लिक फंड का इस्तेमाल कहां किया जाता है? जवाब: बीते कई सालों में किसी कैंडिडेट ने पब्लिक फंड का इस्तेमाल नहीं किया है। इसके कारण पब्लिक फंड बढ़ते-बढ़ते 31.6 करोड़ डॉलर यानी 2654 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। इसके कारण सरकार इसका इस्तेमाल चुनाव से इतर करने लगी। जैसे- 2014 में कांग्रेस ने पार्टी सम्मेलनों के लिए फंडिंग बंद कर कैंसर पीड़ित बच्चों की रिसर्च के लिए पब्लिक फंड से पैसा दिया था। सवाल-7: कैंडिडेट्स प्राइवेट फंडिंग कैसे जुटाते हैं, PAC और सुपर PAC क्या है? जवाब: कैंडिडेट्स के लिए फंड जुटाने और खर्च करने लिए पॉलिटिकल एक्शन कमेटी यानी PAC बनाई जाती है। विदेशी नागरिकों और सरकारी कॉन्ट्रैक्टर्स के अलावा किसी भी डोनर से PAC अन-लिमिटेड डोनेशन ले सकती है। PAC के अलावा सुपर PAC भी फंड इकट्ठा करती है। PAC और सुपर PAC में फर्क सिर्फ इतना है कि PAC उम्मीदवारों के साथ कॉर्डिनेट कर उनके चुनाव पर फंड खर्च कर सकती है। लेकिन सुपर PAC केवल इंडिपेंडेंट खर्चों पर काम करती है। यानी वो किसी पार्टी या कैंडिडेट को फंड नहीं देती और न ही इसके लिए कैंडिडेट उनसे संपर्क करते हैं। इसके चलते सुपर PAC अन-लिमिटेड फंड इकट्ठा कर सकती है। कॉर्पोरेशंस और एनजीओ सुपर PAC के जरिए पॉलिटिकल और इलेक्टोरल कैम्पेन में फंड खर्च करती हैं। इस तरह किसी कैंडिडेट से सीधे तौर पर जुड़े बगैर उनकी मदद की जाती है। जैसे- रिपब्लिकन नेता निक्की हेली समर्थक सुपर PAC एएफपी एक्शन ने पहली रिपब्लिकन डिबेट के बाद 91 करोड़ रुपए खर्च किए। कोच इंडस्ट्री के सीईओ चार्ल्स कोच से जुड़ी एएफपी एक्शन ने यह फंड हेली के समर्थन में डिजिटल विज्ञापनों पर खर्च किए। सवाल-8: 2024 के प्रेसिडेंट इलेक्शन के लिए कैंडिडेट्स ने कितना फंड इकट्ठा किया है? जवाब: फेडरल इलेक्शन कमीशन के मुताबिक, डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रेसिडेंशियल कैंडिडेट रहे जो बाइडेन ने 1 जनवरी 2021 से लेकर 30 अप्रैल 2024 तक लगभग 195 मिलियन डॉलर यानी 1,638 करोड़ रुपए का चंदा जुटाया है। वहीं रिपब्लिकन कैंडिडेट डोनाल्ड ट्रंप ने 15 नवंबर 2022 से लेकर 30 अप्रैल 2024 तक 124 मिलियन डॉलर यानी 1,041 करोड़ रुपए का फंड इकट्ठा किया है। सवाल-9: रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रम्प सबसे ज्यादा फंड कहां खर्च कर रहे हैं? जवाबः ट्रम्प खुद को कानूनी रूप से बचाने के लिए अपने छोटे डोनर्स के पैसे खर्च कर रहे हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि टेक्निकली ट्रम्प राष्ट्रपति चुनाव के लिए ऐसा कर सकते हैं क्योंकि ज्यादातर मामले उन्हीं से जुड़े हुए हैं। कानूनी तौर पर सुरक्षित नहीं होने पर ट्रम्प को चुनाव में दिक्कतें आ सकती हैं। अक्सर ट्रम्प अपने वकीलों की फीस देने के लिए अपने समर्थकों के पैसों का उपयोग करते हैं। इसके लिए 2021 और 2022 में ट्रम्प ने अपनी 'सेव अमेरीका' PAC के जरिए 132 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किए हैं। जून 2023 तक उन्होंने कानूनी फीस के तौर पर 315 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किए हैं। ट्रम्प ने फ्लोरिडा, जॉर्जिया, न्यूयॉर्क और वॉशिंगटन डीसी चलने वाले मामलों के लिए वकीलों को पैसे दिए हैं। पब्लिक फाइलिंग्स के मुताबिक, सेव अमेरीका ने कई केस के गवाहों के वकीलों को भी पैसे दिए हैं। इनमें कैपिटल हिल जैसे मामले भी शामिल हैं। सवाल-10: ट्रम्प कैसे फंड एकट्ठा करते हैं? जवाब: ट्रम्प पैसे जुटाने के लिए कोई मौका नहीं छोड़ते हैं। कोर्ट के हर प्रतिकूल आदेश के बाद उनकी कैम्पेन टीम समर्थकों से दान करने के लिए कहती है। जैसे- कोलोराडो अदालत ने कैपिटल हिल पर हुए हमले में ट्रम्प का हाथ होने के कारण उन्हें चुनाव के लिए अयोग्य करार दिया था। इसके बाद ट्रम्प की कैम्पेन टीम ने समर्थकों को ईमेल भेजकर चंदा देने के अपील की। सवाल-11: क्या फंडिंग से इलेक्शन में धांधली हो सकती है? जवाब: ओपन सीक्रेट्स के डेटा के मुताबिक, 2219 सुपर PAC काम कर रही हैं। इनके जरिए 17.8 हजार करोड़ रुपए इकट्ठे और 4.7 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं। कभी-कभी सुपर PAC में चुनावी फंडिंग से जुड़ी गड़बड़ियां होती हैं। नियमों के मुताबिक, किसी कैंडिडेट से जुड़े बगैर सुपर PAC उनकी मदद करती है, लेकिन ऐसा नहीं होता है। अक्सर कैंडिडेट्स की कैम्पेन टीम सुपर PAC से कॉर्डिनेशन करती है। इसके अलावा इलेक्शन कमीशन हर कैंडिडेट की खर्च रिपोर्ट का ऑडिट करता है कि कैंडिडेट्स ने हवाले के पैसे का इस्तेमाल किया है या नहीं। इसमें भ्रष्टाचार होने की ज्यादा गुंजाइश है। सवाल-12: डोनेशन की लिमिट कैसे तय होती है? जवाब: प्रेसिडेंट इलेक्शन की फंडिंग के लिए इलेक्शन कमीशन हर दो साल में महंगाई के आधार पर चंदा तय करता है। 2023-24 के राष्ट्रपति चुनाव के लिए एक चुनाव में प्रति व्यक्ति 3300 डॉलर (2.74 लाख रुपए) डोनेशन दे सकता है। यानी प्राइमरी और जनरल इलेक्शन में कोई व्यक्ति किसी कैंडिडेट को पर्सनली 6600 डॉलर (5.38 लाख रुपए) दे सकता है। वहीं, कोई भी व्यक्ति PAC को 5000 डॉलर (4.15 लाख रुपए) सालाना और नेशनल पार्टी कमेटी को 41,300 डॉलर (34.3 लाख रुपए) सालाना देकर कैंडिडेट्स को चंदा दे सकता है। सवाल-13: कैंडिडेट एक व्यक्ति से कितना चंदा ले सकते हैं? जवाब: कैंडिडेट के कैम्पेन के लिए मैक्सिमम 100 डॉलर (8300 रुपए) कैश ले सकते हैं। साथ ही गुप्त दान करने के लिए 50 डॉलर की सीमा तय है। कैंडिडेट्स को गिफ्ट, वस्तुएं और सामान्य धन लेने की मनाही है। कैंडिडेट्स अपना कैम्पेन खुद भी फंड कर सकते हैं। 2016 में डोनाल्ड ट्रम्प ने कर्ज जरिए अपने कैम्पेन का 77% फंड जुटाया था। इसके लिए किसी भी प्रकार की सीमा नहीं है, लेकिन फंड और खर्च से जुड़ी जानकारियां इलेक्शन कमीशन को देनी होगी। इलेक्शन कमीशन के मुताबिक, नेशनल बैंक, गवर्नमेंट कॉर्पोरेशंस और लेबर यूनियन कैम्पेन कैंडिडेट्स को फंड नहीं दे सकते हैं। साथ ही कैंडिडेट्स के कैम्पेन को अकाउंटिंग सिस्टम अपनाना जरूरी है, जिससे प्राइमरी और जनरल इलेक्शन के फंड में अंतर किया जा सके। सवाल-14: क्या चुनाव नहीं लड़ने पर कैंडिडेट को चंदा लौटाना होगा? जवाब: हां, अगर कोई कैंडिडेट प्राइमरी इलेक्शन से पहले ही फंड जुटाता है और प्राइमरी इलेक्शन हार जाता है या अपना नाम वापस लेता है तो कैंडिडेट की प्रिंसिपल कैम्पेन कमेटी 60 दिनों के भीतर रिफंड की व्यवस्था करेगी। सवाल-15: नाम वापस लेने के बाद बाइडेन के फंड का क्या होगा? जवाब: बाइडेन-हैरिस कैम्पेन से डेमोक्रेटिक पार्टी को 762 करोड़ रुपए चंदे के तौर पर मिले हैं। दरअसल, कमला भी बाइडेन के इलेक्टोरल टिकट का हिस्सा थीं। ऐसे में बाइडेन के फंड का इस्तेमाल कमला कर सकती हैं। फेडरल इलेक्शन कमीशन की कमिश्नर डेरा लिंडेनबाम ने एक इंटरव्यू में कहा, 'अगर कमला हैरिस डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से प्रेसिडेंशियल कैंडिडेट तय होती हैं, तो ये सारा फंड उन्हें मिल सकता है और वो इसे इस्तेमाल कर सकती हैं।' हालांकि नियमों के मुताबिक, बाइडेन को ये चंदा डोनर्स रिफंड करना होगा। ऐसे में कमला ने अपने सोशल मीडिया पर डोनर्स से चंदा देने की अपील की है, जो कि कारगर साबित हो रही है। बीते तीन दिन में कमला हैरिस ने 2095 करोड़ रुपए की फंडिंग जुटा ली है।

दैनिक भास्कर 27 Jul 2024 5:21 am

ओरेगॉन जंगल की आग से लड़ने वाला टैंकर विमान लापता पाया गया, पायलट की मौत हो गई

गुरुवार को ओरेगॉन में जंगल की आग से लड़ते समय लापता हुआ एक पायलट वाला...

वर्ल्ड नाउ 27 Jul 2024 3:47 am

US China News: चीन को सबक सिखाने के लिए अमेरिका ने बना ली 'मेका', महज 12 मिनट में ड्रैगन को मिला देगी खाक में

US Mecha Missile: चीन के बढ़ रहे खतरे को देखते हुए अमेरिका भी लगातार अपनी तैयारियों में जुटा हुआ है. उसने दुनिया की सबसे खतरनाक और तेज रफ्तार से चलने वाली मिसाइल विकसित कर ली है.

ज़ी न्यूज़ 27 Jul 2024 12:03 am

India China News: मोदी सरकार की 'साइलेंट स्ट्रैटजी', जिसने चीन को दे दिया बड़ा झटका; अपना सिर पीट रहे जिनपिंग

India China News in Hindi: भारत ने 'साइलेंट स्ट्रैटजी' अपनाकर चीन को बहुत बड़ा झटका दे दिया है. इस झटके के बाद से चीन तिलमिलाया हुआ है लेकिन असर इतना गहरा है कि वह कुछ कह भी नहीं पा रहा है.

ज़ी न्यूज़ 26 Jul 2024 4:45 pm

Paris Olympics: पेरिस ओलंपिक ओपनिंग सेरेमनी से पहले फ्रांस रेलवे नेटवर्क पर हमला, कई ट्रेन कैंसल- लाखों पैसेंजर फंसे

French Train Network Sabotage: पेरिस ओलंपिक ओपन‍िंग सेरेमनी से महज कुछ घंटे पहले फ्रांस के हाई-स्पीड रेल नेटवर्क को ठप कर दिया गया. रिपोर्ट के मुताबिक, पेरिस में रेलवे लाइन पर आगजनी और तोड़फोड़ की वारदात को अंजाम दिया गया है. अधिकारियों ने कहा कि इस दुर्भावनापूर्ण घटना से फ्रांस के ट्रांसपोर्ट स‍िस्टम पर बेहद बुरा असर पड़ा है.

ज़ी न्यूज़ 26 Jul 2024 4:15 pm

Historical Discovery: नील नदी की गहराई में मिली तूतनखामेन के दादा की नक्काशी, खोज से आर्कियोलॉजिस्ट भी दंग

Historical Discovery in the Nile River: खोज टीम के मेंबर्स ने चट्टान पर बनी नक्काशी की अच्छी हालत पर हैरान जाहिर की. उन्होंने भविष्य में और अधिक कलाकृतियां मिलने की उम्मीद जताई.

ज़ी न्यूज़ 26 Jul 2024 9:22 am

स्टाफ न बिल्डिंग, फर्जी कंपनी को पेपर प्रिंटिंग का ठेका:बिहार में पेपर लीक का आरोप, यूपी में उसी कंपनी को कैसे मिला टेंडर

फरवरी, 2024: यूपी में सिपाही भर्ती परीक्षा का पेपर लीक हुआअक्टूबर, 2023: बिहार में सिपाही भर्ती परीक्षा का पेपर लीक हुआ 19 महीने के अंतर से दो पेपर हुए, दोनों लीक हो गए, आखिर में दोनों एग्जाम रद्द हो गए। एक और बात जो कॉमन थी, दोनों की प्रिंटिंग का जिम्मा उन कंपनियों के पास था, जिन पर पहले भी पेपर लीक का आरोप लग चुका था। नतीजा ये हुआ कि एक बार फिर पेपर लीक हो गया। उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड ने तो जिस कंपनी को टेंडर दिया था, उसका मालिक पेपर लीक के आरोप में जेल जा चुका है। उसकी कंपनी बिहार में ब्लैकलिस्ट थी। वहीं, बिहार केंद्रीय चयन पर्षद ने एक शेल कंपनी को टेंडर दे दिया। शेल कंपनियां कागज पर ही चलती है और मनी लॉन्ड्रिग का जरिया होती हैं। इससे कुछ सवाल खड़े होते हैं 1. बिहार केंद्रीय चयन पर्षद और उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड ने शेल और ब्लैकलिस्टेड कंपनियों को टेंडर कैसे दे दिया?2. टेंडर देने की प्रक्रिया क्या है, इसे देने से पहले कंपनियों के बैकग्राउंड की जांच कौन और कैसे करता है?3. अगर टेंडर देने में धांधली हो रही है तो क्या बिहार EOU और UP-STF की रडार पर केंद्रीय चयन परिषद और उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड के अधिकारी भी हैं? दैनिक भास्कर ने इन सवालों का जवाब जानने के लिए इकोनॉमिक ऑफेंस विंग, यानी EOW की इन्वेस्टिगेशन को देखा। बिहार केंद्रीय चयन पर्षद (सिपाही भर्ती) के चेयरमैन जितेंद्र कुमार और रिटायर्ड अधिकारियों से बात की। पहले दोनों पेपर लीक की मोडस ऑपरेंडी जान लीजिए। बिहार में एक कमरे और बिना स्टाफ वाली शेल कंपनी को पेपर प्रिंटिग का टेंडरअक्टूबर, 2023 में बिहार में पुलिस भर्ती परीक्षा होनी थी। बिहार के केंद्रीय चयन पर्षद ने एग्जाम के लिए जिस कंपनी को पेपर की प्रिंटिंग, पैकेजिंग और जिला कोषागारों तक सुरक्षित पहुंचाने का टेंडर दिया था, वो शेल कंपनी निकली। इस कंपनी ने दूसरी कंपनी को टेंडर आउटसोर्स कर दिया। जिस कंपनी को टेंडर आउटसोर्स किया गया, वो यूपी और उत्तराखंड में दो पेपर लीक केस में आरोपी थी। दोनों कंपनी के मालिक एक ही हैं। दरअसल, केंद्रीय चयन पर्षद (सिपाही भर्ती), बिहार ने 2023 में 21,391 पदों पर भर्ती निकाली थी। 18 लाख कैंडिडेट्स ने इसके लिए फॉर्म भरा। 1 अक्टूबर, 7 अक्टूबर और 15 अक्टूबर को 2-2 शिफ्ट में एग्जाम होना था। 1 अक्टूबर को एग्जाम शुरू होने से पहले ही पेपर और आंसरशीट सोशल मीडिया पर वायरल हो गए। 1 अक्टूबर का एग्जाम रद्द कर दिया गया, जबकि 7 और 15 अक्टूबर को होने वाले एग्जाम स्थगित कर दिए गए। केंद्रीय चयन पर्षद ने पेपर की प्रिंटिंग, पैकेजिंग और इन्हें जिला कोषागारों तक पहुंचाने के लिए कोलकाता की कैलटेक्स मल्टीवेंचर प्राइवेट लिमिटेड के साथ कॉन्ट्रैक्ट किया था। पड़ताल में सामने आया कि ये एक शेल कंपनी है। कंपनी के पते पर सिर्फ एक कमरा है और कंपनी में कोई भी कर्मचारी नहीं है। इस कंपनी के पास न अपनी प्रिंटिंग प्रेस है न वेयर हाउस, लॉजिस्टिक का इंतजाम भी नहीं है। जांच में ये भी पता चला कि कैलटेक्स मल्टीवेंचर प्राइवेट लिमिटेड ने सारा काम ब्लेसिंग सिक्योर्ड प्रेस प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी को दे दिया। इस कंपनी का मालिक कौशिक कर है, जो उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा पेपर लीक का आरोपी रहा है। ब्लेसिंग सिक्योर्ड प्रेस प्राइवेट लिमिटेड का नाम अरुणाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग की असिस्टेंट इंजीनियर एग्जाम लीक मामले में भी आ चुका है। कंपनी के कर्मचारी दिलीप साहा को अरुणाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष के साथ 2022 में जेल भेजा गया था। 2017-18 में पेपर लीक में नाम आने के बाद कौशिक ने 2021 में कैलटेक्स मल्टीवेंचर प्राइवेट लिमिटेड नाम की शेल कंपनी बनाई। पत्नी को कंपनी का डायरेक्टर बनाया। उसने पुरानी कंपनी ब्लेसिंग सिक्योर्ड प्रेस प्राइवेट लिमिटेड के वर्कर्स सुमन बिस्वास और संजय दास के साथ अपने मार्केटिंग कंसल्टेंट सौरभ बंदोपाध्याय को कंपनी में डायरेक्टर बनाया। जिला कोषागार की बजाय लॉजिस्टिक कंपनी के वेयरहाउस में रखे पेपरबिहार सिपाही भर्ती पेपर लीक की जांच कर रही आर्थिक अपराध शाखा की इनवेस्टिगेशन में पता चला है कि प्रिंटिंग के बाद क्वेश्चन पेपर जिला कोषागारों तक पहुंचाने की बजाय वेयरहाउस में रखे गए। इन्हें बिना सिक्योरिटी के खुली गाड़ियों में कोलकाता में डीपी वर्ल्ड एक्सप्रेस लॉजिस्टिक प्राइवेट लिमिटेड के वेयरहाउस भेजा गया था। वहां से क्वेश्चन पेपर्स लाने के बाद भी उन्हें जिला कोषागारों में नहीं भेजा गया, बल्कि पटना में इसी कंपनी के वेयरहाउस में उतारा गया। कंपनी का पता भी गलत, रजिस्टर्ड एड्रेस पर फैमिली रह रहीदैनिक भास्कर की टीम कोलकाता में राजा बागान लेन पर कैलटेक्स मल्टीवेंचर प्राइवेट लिमिटेड के रजिस्टर्ड एड्रेस पर पहुंची। इस एड्रेस पर अभी चौधरी परिवार रहता है। पहचान न बताते हुए परिवार ने बताया कि इस पते पर कोई कंपनी नहीं हैै, न ही यहां कोई किराए पर रहता है। पुलिस भी कंपनी के बारे में पूछताछ करने आई थी। इसके बाद हमने पुलिस कमिश्नर और लोकल पुलिस स्टेशन को लेटर लिखकर सब बताया है। कोलकाता में डीपी वर्ल्ड एक्सप्रेस लॉजिस्टिक प्राइवेट लिमिटेड के रजिस्टर्ड एड्रेस पर भी हमें वेयरहाउस नहीं मिला। यहां कुछ दुकानें और हाउसिंग अपार्टमेंट है। यहां के लोगों ने बताया कि यहां किसी कंपनी का ऑफिस या वेयरहाउस नहीं है। जगह-जगह रुकते हुए कोषागारों तक पहुंची पेपर ले जा रहीं गाड़ियांपेपर्स को जिला कोषागारों तक भेजने के लिए जेनिथ लॉजिस्टिक एंड एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी को आउटसोर्स किया गया था। EOU की जांच में पता चला है कि पेपर को गोडाउन से कोषागारों तक भेजने के दौरान ट्रांसपोर्ट कर रही गाड़ियां कई जगहों पर रुकते हुए पहुंची थीं। उनके GPS लॉग की मॉनिटरिंग भी नहीं की गई थी। डीपी वर्ल्ड एक्सप्रेस लॉजिस्टिक प्राइवेट लिमिटेड के वेयरहाउस में पेपर लोड होने के बाद मोतिहारी जाने वाली गाड़ी करीब 6 घंटे तक पटना में रुकी रही। यहां पेपर लीक गैंग के सरगना संजीव मुखिया की गिरोह ने एग्जाम के 4 दिन पहले ही पेपर लीक कर दिया। इन्होंने जेनिथ लॉजिस्टिक एंड एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड के दो मुंशियों रमेश कुमार और राहुल पासवान के साथ मिलकर पेपर लीक किया। रमेश और राहुल ने भी सिपाही भर्ती परीक्षा का फॉर्म भरा था। राहुल ने 1 अक्टूबर को एग्जाम दिया था, जो रद्द हो गया। रमेश कुमार का एग्जाम 7 अक्टूबर को होना था। वेयरहाउस के पते पर दूसरी कंपनी का ऑफिसदैनिक भास्कर की टीम पटना के कंकड़बाग में जेनिथ लॉजिस्टिक एंड एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड के दफ्तर पहुंची। यहां पेपर लीक पर कोई बोलने को तैयार नहीं हुआ। रमेश और राहुल के बारे में पूछने पर स्टाफ ने कहा कि दोनों यहां काम नहीं करते। इसके बाद हम पटना बाईपास के रामकृष्ण नगर थाना एरिया में कृष्णा निकेतन स्कूल के पास पहुंचे। यहां डीपी वर्ल्ड एक्सप्रेस लॉजिस्टिक प्राइवेट लिमिटेड के वेयरहाउस का एड्रेस बताया गया था। 3 घंटे तक खोजने के बाद भी इस नाम की कंपनी का वेयरहाउस नहीं मिला। फिर पता चला कि सालभर पहले जिस बिल्डिंग में डीपी वर्ल्ड एक्सप्रेस लॉजिस्टिक प्राइवेट लिमिटेड का वेयरहाउस था, वहां अब किसी दूसरी कंपनी का ऑफिस है। EOU की जांच में ये भी पता चला है कि केंद्रीय चयन पर्षद ने जिस कैटलेक्स कंपनी के साथ कॉन्ट्रैक्ट किया था, उसका एक डायरेक्टर सुमन बिस्वास दूसरी कंपनी एसएस एंटरप्राइज का भी डायरेक्टर है। ये कंपनी कैटलेक्स और ब्लेसिंग्स कंपनियों को कागज सप्लाई करती है। कंपनी के अकाउंट से संजीव मुखिया गैंग के दो सदस्यों के साथ परीक्षा से पहले हुए मनी ट्रेल का भी पता चला है। अब बात यूपी में मिले टेंडर कीबिहार में ब्लैकलिस्ट कंपनी को यूपी में मिला टेंडर, फिर लीक हुआ पेपर17-18 फरवरी, 2024 को हुई उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड की सिपाही भर्ती परीक्षा का पेपर लीक हुआ। 63,244 पदों के लिए 48 लाख से ज्यादा कैंडिडेट्स ने फॉर्म भरा था। गुजरात की जिस एडुसेट सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को टेंडर दिया गया, वो न सिर्फ दूसरे राज्यों में पहले ही ब्लैकलिस्ट हो चुकी थी, बल्कि उसका मालिक पेपर लीक के आरोप में जेल भी जा चुका था। 2017 में बिहार में SSC एग्जाम का पेपर लीक हुआ था। तब बिहार पुलिस की SIT ने बिहार कर्मचारी आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष सुधीर कुमार समेत अहमदाबाद की पेपर प्रिंटिंग कंपनी कॉन्फिसेक प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर विनीत कुमार को गिरफ्तार किया था। विनीत फिलहाल जमानत पर है। बाहर आने के बाद विनीत ने 1 जुलाई, 2017 को अपनी कंपनी कॉन्फिसेक प्राइवेट लिमिटेड का नाम बदलकर एडुसेट सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड कर दिया। इसके बाद कंपनी ने बिहार में और भी कई एग्जाम कराए। इनमें 2022 और 2023 में माध्यमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा, 2023 में Dled संयुक्त प्रवेश परीक्षा शामिल हैं। इन सभी एग्जाम में भारी गड़बड़ी के आरोप लगे। बिहार स्कूल एग्जामिनेशन बोर्ड ने इन गड़बड़ियों पर एडुसेट कंपनी से जवाब मांगा, लेकिन जवाब नहीं मिला। बोर्ड ने 10 अक्टूबर, 2023 को कंपनी को लापरवाही बरतने और अनप्रोफेशनल रवैये की वजह से 3 साल के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया। बिहार में ब्लैकलिस्ट होने के बावजूद कंपनी को यूपी में सिपाही भर्ती का टेंडर मिला और इस एग्जाम का पेपर भी लीक हो गया। सिपाही भर्ती परीक्षा का पेपर लीक होने के बाद यूपी सरकार ने 20 जून, 2024 को एडुसेट सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को ब्लैकलिस्ट कर दिया है। यूपी STF ने कई बार विनीत आर्य को नोटिस भेजा, लेकिन वो पेश नहीं हुआ। अहमदाबाद के वेयरहाउस से लीक हुआ था पेपरयूपी STF के मुताबिक, पुलिस भर्ती का पेपर अहमदाबाद के वेयरहाउस से लीक हुआ था। इसमें पेपर लीक माफिया रवि अत्री का नाम आया। उसने अंकित मिश्रा नाम के शख्स की मदद से अहमदाबाद की ट्रांसपोर्ट कंपनी TCI में काम कर चुके अभिषेक शुक्ला को सेट किया। वो हर महीने उसके खाते में 20-30 हजार रुपए भेजता था। रवि ने अंकित और अभिषेक को बता रखा था कि जब एग्जाम के पेपर आते हैं तो ट्रंक पर स्टील की टेप और कॉन्फिडेंशियल मुहर लगी होती है। अभिषेक TCI में काम करने वाले अपने दो दोस्तों शिवम गिरि और रोहित पांडेय से हर दिन 2-3 बार बात करके इस तरह के ट्रंक आने के बारे में पूछता था। 2 फरवरी को शिवम ने अभिषेक को फोन करके बताया कि यूपी का पेपर मटीरियल आया है, जिसे 12 फरवरी तक बांटना है। इसके बाद 5 फरवरी को रवि अत्री ने राजीव नयन मिश्रा और पटना से सील बॉक्स खोलने में माहिर डॉ. शुभम मंडल को अहमदाबाद बुलाया। उसी रात सभी खेड़ा में TCI कंपनी के वेयरहाउस पहुंचे और ट्रंक को पीछे से खोलकर यूपी सिपाही भर्ती परीक्षा के 2 सेट के पेपर लीक कर लिए। इसके बाद 8 फरवरी को एक और सेट का पेपर लीक किया। हालांकि वे चौथे सेट का पेपर लीक नहीं कर पाए। दोनों राज्यों में अफसरों को हटाया, लेकिन टेंडर प्रोसेस पर कोई सफाई नहींपेपर लीक होने के बाद बिहार में केंद्रीय चयन पर्षद (सिपाही भर्ती) के अध्यक्ष रहे एसके सिंघल को हटा दिया गया। यूपी में भी उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड की चेयरमैन रेणुका मिश्रा को भी हटा दिया गया। दागी कंपनियों को टेंडर कैसे दिया गया, इसके बारे में दोनों ही राज्य सरकारों की तरफ से कोई सफाई नहीं आई है। पूर्व डीजीपी बोले- शेल कंपनी को टेंडर देना गलती नहीं, आपराधिक षड्यंत्र हैभर्ती बोर्ड की तरफ से टेंडर निकालने और कंपनियों को काम सौंपने की प्रोसेस समझने के लिए हमने यूपी के पूर्व DGP विक्रम सिंह से बात की। वे कहते हैं, ‘टेंडर देने की प्रोसेस में जरूरी सावधानी नहीं बरती गई। शेल कंपनी को टेंडर देना गलती नहीं, बल्कि आपराधिक षड्यंत्र है। इसमें सब बराबर के हिस्सेदार हैं।’ विक्रम सिंह के मुताबिक, ‘कोई विभाग जब किसी सरकारी काम कराता है, तो शासन से मान्यता वाली कंपनियों को ही टेंडर दे सकता है। न्यूनतम बिड करने वाली कंपनी को अनुभव के आधार पर विचार-विमर्श करने के बाद टेंडर दिया जाता है।’ ‘जिस कंपनी को काम दिया जाता है, उनसे शपथ पत्र लिया जाता है कि वो किसी अपराध में शामिल नहीं रहे हैं। पिछला रिकॉर्ड बेदाग रहा है और आपने नकल विहीन परीक्षा कराई है। इसे ड्यू डिलिजेंस, बैकग्राउंड चेक और इंटेलिजेंस इंक्वायरी कहते हैं। अगर इस प्रकिया में कहीं भी दिक्कत दिखती है, तो कंपनी को काम नहीं मिलना चाहिए।’ वहीं, यूपी के DGP रह चुके प्रकाश सिंह कहते हैं कि किसी कंपनी को पेपर की प्रिंटिंग या डिस्ट्रीब्यूशन की जिम्मेदारी दी जाएगी, तो उसका बैकग्राउंड चेक होगा कि कंपनी भरोसेमंद है। यूपी में रेणुका मिश्रा के नेतृत्व में सिपाही भर्ती हुई थी। उन पर कभी भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगा है। दूसरे प्रदेशों में रेणुका के बनाए यूपी मॉडल की चर्चा होती है। ये जांच का विषय है कि फिर किसने खराब पृष्ठभूमि वाली कंपनी को टेंडर दिलाया।’ शेल कंपनी को टेंडर दिए जाने पर हमने बिहार केंद्रीय चयन पर्षद (सिपाही भर्ती) के चेयरमैन जितेंद्र कुमार से बात की। उन्होंने क्या कहा, पढ़िए… सवाल: शेल कंपनी को टेंडर कैसे मिल गया, क्या इसकी जांच कराई गई है?जवाब: बेहतर रहेगा कि केस के बारे में आप इन्वेस्टिगेटिंग एजेंसी से सूचना लें। केस अभी इन्वेस्टिगेशन में है, इसलिए मैं कुछ नहीं बोलना चाहूंगा। सवाल: टेंडर देने की प्रोसेस क्या है, कंपनी का बैकग्राउंड वेरिफिकेशन और उनकी हिस्ट्री किस लेवल पर चेक करते हैं?जवाब: आप इन्वेस्टिगेटिंग एजेंसी से ही संपर्क करके सूचना लीजिए। सवाल: लेकिन वो इस बारे में कैसे बता पाएंगे?जवाब: मुझे इसके बारे में नहीं पता, मैं ट्रेड सीक्रेट्स और गोपनीय जानकारियां किसी को नहीं दूंगा। सवाल: लेकिन पर्षद पर आरोप लग रहे हैं?जवाब: ओके, थैंक यू। बिहार में सिपाही भर्ती पेपर लीक की जांच कर रही EOU के DIG मानवजीत सिंह ढिल्लो से कॉन्टैक्ट नहीं हो सका। हमने उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड के चेयरमैन राजीव कृष्णा और यूपी STF चीफ अमिताभ यश को कई बार फोन किए, उनकी ओर से मीटिंग में बिजी होने का मैसेज मिला। इन अधिकारियों से बात होने पर उनका पक्ष स्टोरी में अपडेट किया जाएगा।

दैनिक भास्कर 26 Jul 2024 5:18 am

मुस्लिम गांववाले, जो कारगिल जंग में सेना के आंख-कान बने:पहले बताया पाकिस्तानी घुस आए हैं, रात में सैनिकों तक गोला-बारूद पहुंचाया

तारीख: 8 मई, 1999समय: सुबह करीब 9 बजेजगह: कारगिल के द्रास क्षेत्र में मुश्कू वैली‘मैं 3-4 दोस्तों के साथ ऊपर पहाड़ी पर घोड़े लेकर गया था। वहां मैंने किल नाले की तरफ से कुछ फौजियों को आते देखा। उनकी वर्दी देखकर मैं समझ गया कि ये इंडियन फौज के बंदे तो नहीं हैं। गौर से देखा तो उनके कंधे पर पाकिस्तान का झंडा था। हमें समझ आ गया कि वे पाकिस्तानी आर्मी से हैं।’ ‘पहाड़ पर बर्फ की मोटी परत जमी थी। लोगों के पैरों के निशान बर्फ की सतह पर साफ दिख रहे थे। वहीं सिगरेट के कुछ पैकेट भी मिले, जिन पर उर्दू में कुछ लिखा था। मैं भागता हुआ लौटा और आर्मी के लोकल अफसरों को पाकिस्तानियों की घुसपैठ के बारे में खबर दी।’ 70 साल के यार मोहम्मद खान को 25 साल पुराना ये वाकया अब भी अच्छे से याद है। यार मोहम्मद की वजह से ही भारतीय सेना को कारगिल में पाकिस्तान की घुसपैठ का पता चला था। यार मोहम्मद खान कारगिल से करीब 12 किमी दूर मुश्कू गांव के रहने वाले हैं। कारगिल जंग में मुश्कू सबसे चैलेंजिंग सेक्टर था। जंग के दौरान यार मोहम्मद कारगिल के शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा के साथ भी रहे। बतौर पोर्टर वे उनकी टीम को पहाड़ों में रास्ता दिखाते थे। आज, 26 जुलाई को कारगिल युद्ध में जीत के 25 साल पूरे हो रहे हैं। जंग के वक्त ये एरिया जम्मू-कश्मीर का हिस्सा था, अब लद्दाख में आता है। दैनिक भास्कर कारगिल सेक्टर में 160 किमी में फैले उन इलाकों तक पहुंचा, जहां युद्ध लड़ा गया। हम श्रीनगर से सोनमर्ग होते हुए, जोजिला घाटी पार कर लद्दाख के रास्ते कारगिल में दाखिल हुए। मुश्कू वैली, द्रास, टाइगर हिल, काकसर हुंदुरमान और बटालिक सेक्टर तक गए। उन गांवों तक पहुंचे, जो कारगिल युद्ध के गवाह बने थे। कारगिल में गांव के लोगों ने दी घुसपैठ की जानकारीयार मोहम्मद खान ने मुश्कू वैली में घुसपैठ की कहानी सुनाई, लेकिन कारगिल के बटालिक सेक्टर में भी ऐसा ही वाकया हुआ। कारगिल से 60 किमी दूर गारकौन गांव में रहने वाले चरवाहे ताशी नामग्याल का याक खो गया था। वे याक को तलाशते हुए पहाड़ियों पर पहुंचे। वहां उन्होंने पाकिस्तानी घुसपैठियों को देखा। फिर सेना को जानकारी दी। भारतीय सेना को स्थानीय लोगों से कारगिल सेक्टर के करीब 130 किमी के इलाके में अलग-अलग जगहों से पाकिस्तानी घुसपैठ की जानकारी मिली। सेना ने इसकी पड़ताल करने के लिए पहाड़ियों पर पेट्रोलिंग पार्टियां भेजीं। ये मई के पहले और दूसरे हफ्ते की बात है। भारतीय फौज को अंदाजा हो गया था कि घुसपैठ हुई है, लेकिन पहले वो दुश्मन की चाल समझना चाहती थी। सारी जानकारी इकट्ठा करने के बाद बाद पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़ने का प्लान तैयार किया गया। कारगिल में पाकिस्तानी घुसपैठ को नाकाम करना और एक-एक घुसपैठिए को बाहर निकालने के लिए ऑपरेशन विजय शुरू किया गया। इसके बाद शुरू हुआ कारगिल युद्ध, जो 16-18 हजार फीट की ऊंचाई पर लड़ा गया। ये सबसे ऊंचाई पर लड़े गए युद्धों में से एक था। इस तरह के हाई-एल्टीट्यूड में जंग लड़ने का भारतीय फौज का ये नया अनुभव था। ऊंची पहाड़ियों के इलाके समझने और युद्ध लड़ने के लिए जरूरी तैयारी करने में गांव के लोगों ने भी मदद की। घुसपैठ की जानकारी मिलने से लेकर इलाके का नक्शा बनाने और युद्ध लड़ने की रणनीति बनाने में लोकल चरवाहों ने मदद की। फायरिंग, गोले, मोर्टार की बरसात के बीच वे भारतीय फौज के लिए रसद भी पहुंचाते रहे। पाकिस्तान का ‘ऑपरेशन बद्र’ और लेह-सियाचिन को काटने का मंसूबा1999 में भारत ने पाकिस्तान के साथ लाहौर समझौता किया था। इसके साथ-साथ पाकिस्तानी फौज कारगिल में घुसपैठ की रणनीति पर काम कर रही थी। उसके सैनिकों ने कश्मीरियों के भेष में कारगिल की पहाड़ियों पर घुसपैठ शुरू कर दी। तब लाइन ऑफ कंट्रोल की ऊंची पहाड़ियां खाली थीं, क्योंकि सर्दी के मौसम में भारतीय जवान बंकर छोड़कर निचले इलाकों में आ जाते थे। पाकिस्तान ने इसी का फायदा उठाकर कारगिल की पहाड़ियों पर बंकर बना लिए। बंकरों में हथियार, गोला-बारूद भी जमा करके रख लिया। पाकिस्तान का मंसूबा ये था कि श्रीनगर से कारगिल के लिए जाने वाले नेशनल हाईवे-1ए को काट दिया जाए। सामरिक रूप से नेशनल हाईवे-1 ए श्रीनगर को द्रास, कारगिल, लेह और सियाचिन से जोड़ता है। अगर पाकिस्तान यहां कब्जा कर लेता तो आगे के इलाके खतरे में आ सकते थे। फिर लौटते हैं कारगिल के मुश्कू गांव में। भारतीय सेना में पोर्टर रहे यार मोहम्मद बताते हैं कि 13 मई से भारतीय फौज ने अपना फॉर्मेशन बना लिया और दोनों तरफ से फायरिंग शुरू हो गई। 13 मई की सुबह भारतीय सेना ने बोफोर्स तोप से पाकिस्तानी बंकरों पर गोले बरसाने शुरू किए। हमारा पूरा गांव खाली हो चुका था, लेकिन मैंने गांव नहीं छोड़ा। फौज ने मुझे अपने साथ पोर्टर बनाकर रख लिया। ‘हमारे गांव में सैकड़ों भेड़-बकरियां थीं। हम गर्मियों के दिनों में पहाड़ियों पर भेड़ चराने जाते थे, इसलिए हमें वहां के चप्पे-चप्पे की जानकारी थी। किस चोटी पर किस रास्ते से पहुंचना है, ये हम अच्छे से जानते हैं। मई के दूसरे हफ्ते से पाकिस्तानी सेना जबरदस्त फायरिंग करने लगी थी। शुरुआती दिनों में बहुत डर लगता था, लेकिन कुछ ही दिनों में हम इसके आदी हो गए।’ ‘दिनभर गोलीबारी होती थी, तब हमारे आराम का समय होता था। सूरज ढलते ही अंधेरा हो जाता था, तब हम अपने घोड़ों पर खाना-पानी, गोला-बारूद लादकर पहाड़ियों पर भारतीय पोस्ट की तरफ चल देते। रात के अंधेरे में बिना आग या लाइट जलाए जाना होता था। अगर गलती से कोई बीड़ी भी जला लेता था तो पाकिस्तान की ओर से फायरिंग होने लगती थी।’ यार मोहम्मद खान ने कारगिल युद्ध में तीन महीने तक फौज के साथ काम किया। उन्होंने आर्मी की अलग-अलग बटालियन 8 सिख रेजिमेंट, 13 ग्रेनेडियर, 13 राष्ट्रीय राइफल्स, 12 महार रेजिमेंट, 21 सिख रेजिमेंट, 2 नागा और 6 पैरा के साथ बतौर पोर्टर काम किया। द्रास सेक्टर में बत्रा टॉप, टाइगर हिल, थ्री पिंपल, गन हिल और तोलोलिंग को फतह करने में मुश्किल लड़ाइयां लड़ी गईं। कैप्टन विक्रम बत्रा के नाम पर ही 4875 पहाड़ी का नाम बत्रा टॉप रखा गया। यार मोहम्मद ने कैप्टन विक्रम बत्रा के साथ भी काम किया। वे बताते हैं- ‘बत्रा साहब पर गजब का जुनून सवार रहता था। वे जो ठान लेते थे, उसे पूरी शिद्दत से करने में जुट जाते थे। गोले बरसने लगे तो फौज को मस्जिद में जगह दीनेशनल हाईवे- 1 पर द्रास सेक्टर से करीब 60 किमी आगे चलने पर काकसर गांव आता है। यहां से पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर का इलाका साफ दिखता है। कारगिल की लड़ाई में काकसर सेक्टर काफी अहम रहा। यहां रहने वाले 60 साल के मोहम्मद अली बताते हैं, ‘मई का महीना था, मेरे गांव के लोग कैप्टन सौरभ कालिया की पेट्रोलिंग पार्टी के साथ इंडियन पोस्ट को देखने के लिए गए थे। वे अपने घोड़े लेकर गए थे, लेकिन नहीं लौटे।’ कैप्टन सौरभ कालिया के लापता होने के बाद ही कारगिल की जंग शुरू हुई। पाकिस्तान आर्मी ने करीब एक महीने बाद कैप्टन कालिया का पार्थिव शरीर बुरी हालत में लौटाया। मोहम्मद अली बताते हैं, ‘पाकिस्तानी आर्मी ने कैप्टन कालिया की बॉडी हमें न देकर बटालिक सेक्टर में दी।’ ‘मैंने खुद देखा कि कैप्टन कालिया के साथ पाकिस्तानी फौजियों ने कितना बुरा बर्ताव किया था। उनकी बॉडी पर जगह-जगह पर चाकुओं के घाव और सिगरेट से दागने के निशान थे। कान और नाक पर सिगरेट बड के निशान थे। उनकी बॉडी देखकर वहां जितने जवान थे, सबको रोना आ गया।’ ‘इसके बाद शुरू हुआ युद्ध तीन महीने चला। हमारा गांव युद्ध में भी खाली नहीं हुआ। हम सब किसी एक सेफ हाउस में बैठते थे और गोलीबारी रुकने की दुआ करते थे। मैं भी आर्मी के साथ काम करता था। मुझे काकसर की पहाड़ियों पर घुसपैठ का अंदेशा हुआ था, तब से मैं आर्मी के साथ काम कर रहा था।’ ‘दिन में बेस कैंप में इंतजार करता और रात में घोड़े पर सामान लादकर निकलता। भारत ने पाकिस्तानी फौज पर हमला शुरू किया, तब उसके फौजी अपना सामान, डायरी, कागजात, रसद, बंकर छोड़कर भागने लगे। वे अपने जवानों की डेडबॉडी भी छोड़कर भाग गए। हम उस लोकेशन पर पहुंचे, तो हमने इस्लामिक रीति-रिवाज से उन्हें दफनाया।’ मोहम्मद अली बताते हैं, ‘जहां मेरा खेत है, कारगिल युद्ध के समय वहां आर्मी की पोस्ट थी। मैं एक साथी के साथ घोड़ों पर आर्मी का सामान लादकर ले जा रहा था। तभी एक जोरदार धमाका हुआ। मैंने आगे बढ़कर देखा, तो मेरे साथी पर गोला गिरा था। मैंने उसे तड़प-तड़पकर मरते देखा। वो सिर्फ 18 साल का था।’ मोहम्मद अली बताते हैं, ‘3 महीने चले युद्ध में हमारे सामने ऐसे कई हादसे हुए, जिसमें हमने आर्मी के जवानों और गांव वालों को खो दिया। हमारे काकसर गांव के ही 13 लोगों की मौत हुई। अब इस गांव की आबादी करीब 1300 है। गांव में क्रिकेट का बड़ा मैदान है। इसी मैदान में गांव वाले कैप्टन सौरभ कालिया की याद में क्रिकेट टूर्नामेंट कराते हैं।’ मोहम्मद अली आगे कहते हैं कि हम 1947 से ही भारत के साथ हैं। हमने सोचा कि पाकिस्तान हमारी जमीन ले रहा है। वो गोलीबारी करके हमारे स्कूल, घर और मस्जिदें गिरा रहा है, इसलिए हमने भारतीय फौज का साथ दिया। गांव में घूमते हुए हम गांव के इमामबाड़े की मस्जिद के पास पहुंचे तो मोहम्मद अली को एक किस्सा याद आया। वे बताते हैं, ‘मस्जिद के पास वाले स्कूल पर एक गोला आकर गिरा। इसके बाद तुरंत आर्मी आ गई। तब यहां कमांडिंग अफसर जीडी बख्शी थे। पाकिस्तान की तरफ से जबरदस्त गोलीबारी होने लगी। उन्होंने पूछा कि क्या गांव में बचने के लिए कोई जगह है। मैंने कहा कि मस्जिद में चलते हैं, वहां शायद जान बच जाए। उनके साथ करीब 50 लोग थे। हम शाम तक मस्जिद में ही रुके रहे।’ कारगिल का हुंदुंरमान गांव, जहां से दिखती हैं पाकिस्तानी फौज की चौकियांकारगिल का हुंदुरमान LoC पर आखिरी गांव है। इसे यहां लास्ट विलेज ऑफ इंडिया भी कहते हैं। इस गांव की कहानी भी दिलचस्प है। ये गांव भारत में 1947 में नहीं, बल्कि 1971 में शामिल हुआ। 1971 के युद्ध के वक्त भारतीय सेना यहां पहुंची और इस गांव को भारत में शामिल किया। गांव के लोग सीमा पार ही छूट गए और फिर कभी वापस नहीं आ पाए। ये गांव कई सारे बिछड़े परिवारों का दर्द भी समेटे हुए है। हुंदुरमान में हम 45 साल के अली से मिले। कारगिल युद्ध के समय अली भी आर्मी के लिए पोर्टर का काम कर रहे थे। वो उन दिनों को याद करते हुए कहते हैं, ‘लोगों को लगता है कि कारगिल युद्ध सिर्फ 1999 में लड़ा गया। इस गांव में 1996 से लेकर 2004 तक गोलीबारी होती रही।' 'पाकिस्तान की फायरिंग में गांव को दूसरे इलाकों से कनेक्ट करने वाला ब्रिज टूट गया। हमारा पूरा गांव फौज के साथ डटा रहा। लोग गोलीबारी के बीच गांव के पास ही एक गुफा में टिके रहे।’ अब ये गांव बॉर्डर टूरिज्म के लिए मशहूर हो रहा है। अली यहां आने वाले टूरिस्ट्स को दूरबीन से LoC का नजारा दिखाते हैं। यहां से दूरबीन से देखने पर पाकिस्तानी चौकियों पर टहलते पाकिस्तानी रेंजर्स नजर आते हैं। भारतीय पोस्ट पर मुस्तैदी से तैनात इंडियन आर्मी के जवान और आखिरी पोस्ट पर फहराता तिरंगा भी दिखता है।

दैनिक भास्कर 26 Jul 2024 5:12 am

कारगिल विजय के 25 साल:‘राजा रामचंद्र की जय’ बोलकर दुश्मन के सामने आए कैप्टन हनीफ; गोली खाई ताकि सटीक लोकेशन मिल सके

राजपुताना राइफल्स के युद्ध घोष ‘राजा राम चंद्र की जय’ के साथ भारतीय सेना की एक टुकड़ी घुसपैठ कर चुके पाकिस्तानी सैनिकों की अंधाधुंध गोलीबारी के बीच से गुजर रही थी। मिशन था 18,500 फीट की ऊंचाई पर पॉइंट 5590 कैप्चर करना। इस टुकड़ी का नेतृत्व कर रहे थे कैप्टन हनीफ उद्दीन। ‘कारगिल: अनटोल्ड स्टोरीज फ्रॉम द वार’ की लेखिका रचना बिष्ट रावत बताती हैं, ‘हनीफ मुस्लिम सोल्जर थे मगर वह राजपुताना राइफल्स में भर्ती हुए थे और राजपुताना राइफल्स की वॉर क्राई होती है राजा राम चंद्र की जय। तो जब कैप्टन हनीफ लड़ने के लिए गए तो राजा राम चंद्र की जय की ललकार के साथ गए। 26 जुलाई को कारगिल विजय के 25 साल पूरे हो रहे हैं। इस अवसर पर हम कारगिल जीत के योद्धाओं को याद कर रहे हैं। इस स्टोरी में कहानी शहीद कैप्टन हनीफ उद्दीन की। मुस्लिम पिता अजीज उद्दीन और हिंदू मां हेमा अजीज के घर 23 अगस्त, 1974 को दिल्ली में हनीफ का जन्म हुआ। 8 साल की उम्र में ही पिता की मृत्यु हो गई। मां शास्त्रीय गायिका थीं। जिसका असर हनीफ पर भी दिखा। इंडियन आर्मी में कैप्टन बनने के बाद भी कई बार वो म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट्स अपने साथ रखते। कठिन परिस्थितियों में संगीत के जरिए वे अपने साथियों का मनोबल बढ़ाते। ग्रेजुएशन के दौरान कॉलेज में उन्हें मिस्टर शिवाजी की उपाधि मिली। हनीफ ने 1996 में इंडियन मिलिट्री एकेडमी (IMA) में एंट्री ली और 7 जून 1997 को कमीशन हासिल कर कैप्टन बने। आर्मी जॉइन करने के सिर्फ 2 साल के अंदर ही कैप्टन हनीफ उद्दीन को कारगिल युद्ध लड़ने का मौका मिला। कारगिल युद्ध के दौरान राजपुताना राइफल्स पॉइंट 5500 कैप्चर करने के बाद अगले टारगेट पॉइंट 5590 को कैप्चर करना चाहती थी। इसके लिए ऑपरेशन थंडरबोल्ट चलाया गया। जिसके तहत भारतीय सेना को तुरतुक इलाके में 18,500 फीट की ऊंची चोटी पर कब्जा करना था। कैप्टन हनीफ उद्दीन इस ऑपरेशन का हिस्सा थे। लेखिका रचना बिष्ट रावत बताती हैं, ‘हनीफ तुरतुक क्षेत्र में लड़ाई करने गए थे। उस समय वहां पर मालूम ही नहीं था कि कितनी ऊंचाई पर दुश्मन बैठा हुआ है और कहां पर अटैक किया जाए।’ दुश्मन को मारने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी था उसकी सटीक लोकेशन का पता लगाना। इस काम की जिम्मेदारी कैप्टन हनीफ ने ली। रचना बिष्ट कहती हैं कि कैप्टन हनीफ ने डे टाइम पैट्रोल करने की बात कही। जिससे दुश्मन उन्हें देख पाएगा। जब वह फायरिंग या बमबारी करेगा तो उससे दुश्मनों के छिपे होने की सटीक लोकेशन का पता चल जाएगा। इसके बाद कैप्टन हनीफ ऊंची पहाड़ी और जीरो डिग्री सेल्सियस टेम्परेचर में बिना डरे और रुके चोटी के करीब पहुंचते रहे। रचना बिष्ट बताती हैं, ‘जैसा उन्होंने कहा था वैसा ही हुआ। दुश्मन ने उन्हें देख लिया और उन पर फायरिंग की। जिससे उसके बाकी साथियों को पता चला कि फायरिंग किधर से हो रही है और दुश्मनों के पास कौन से हथियार हैं। कैप्टन हनीफ ने मैप पर दुश्मनों की सटीक लोकेशन को मार्क कर लिया।’ सेना को छिपे हुए दुश्मनों की लोकेशन तो मिली, लेकिन इस दौरान कैप्टन हनीफ लड़ते हुए शहीद हो गए। उनके साथ जूनियर कमीशन अधिकारी नायब सूबेदार मंगेज सिंह और राइफलमैन प्रवेश कुमार ने भी अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। शहीद होने के बाद उनकी बॉडी कई दिनों तक वापस नहीं आ पाई। तत्कालीन सेना प्रमुख वेद प्रकाश मलिक ने इसके लिए शहीद कैप्टन हनीफ की मां से माफी भी मांगी। लेखिका रचना बिष्ट बताती हैं- हनीफ की मां ने जनरल मलिक से कहा कि आप मेरे बेटे को वहीं रहने दीजिए। मैं नहीं चाहती कि मेरे बेटे की बॉडी लाने के लिए किसी और मां का बेटा शहीद हो जाए। कैप्टन हनीफ के अदम्य साहस और देशभक्ति के जज्बे के लिए मरणोपरांत भारत सरकार ने उन्हें वीर चक्र से सम्मानित किया। *** ये भी पढ़ें- सगाई की अंगूठी ऑफिसर को सौंपी, कहा- न लौटूं तो मंगेतर तक पहुंचा देना; शहीद कैप्टन अनुज नैय्यर की कहानी

दैनिक भास्कर 26 Jul 2024 5:09 am

Brutal Video: सिर पर लात मारी.. घुटने से किया वार, बेरहम पुलिस वाले का ये वीडियो देख हो जाएंगे आगबबूला

Viral Video:ब्रिटेन में गिरफ्तारी का एक खौफनाक वीडियो सोशल मीडिया पर हंगामा मचा रहा है. मैनचेस्टर एयरपोर्ट पर गिरफ्तारी के दौरान एक पुलिस वाले ने बेरहमी की सारी हदें पार कर दीं.

ज़ी न्यूज़ 25 Jul 2024 6:44 pm

Germany Blue Mosque: जर्मनी की ब्लू मस्जिद को किया गया बंद, सरकार ने क्यों उठाया ये कदम?

Germany News: यह मस्जिदराष्ट्रव्यापी शिया मुस्लिम नाम का संगठन चलता है जिस पर भी सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया है.

ज़ी न्यूज़ 25 Jul 2024 2:56 pm

Netanyahu's US Visit: जिस होटल में ठहरे थे बेंजामिन नेतन्याहू वहां छोड़ दिए कीड़े, अमेरिका में इजरायली पीएम की यात्रा का भारी विरोध

Benjamin Netanyahu in the US: सिर्फ आम लोग ही नहीं बल्कि कई सांसदों ने संसद में इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू के भाषण का वहिष्कार कर अपना विरोध जताया.

ज़ी न्यूज़ 25 Jul 2024 2:03 pm

UK: कैदी के साथ स्टोररूम में सेक्स किया, उसके बच्चे की मां बनी... फिर भी जेल जाने से बची प्रिजन ऑफिसर

UK Prison: जेल अधिकारी और कैदी के संबंधों का खुलासा तब हुआ जब जेल कर्मचारियों को सेल में तीन अंतरंग तस्वीरें और एक सेक्सी लव लेटर मिला.

ज़ी न्यूज़ 25 Jul 2024 11:08 am

Bangladesh Violence: ममता बनर्जी के बयान से बांग्लादेश में मच सकती है उथल-पुथल! ढ़ाका से आए खत में और क्या लिखा है?

Bangladesh News:बांग्लादेश के विदेश मंत्री हसन महमूद (Hasan Mahmud) ने कहा, ‘पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से पूरे सम्मान के साथ मै कहना चाहूंगा कि उनके साथ हमारे बेहद अच्छे संबंध हैं. हमारे बीच गहरे संबंध हैं, लेकिन उनकी टिप्पणियों से कुछ हद तक भ्रम की स्थिति पैदा हुई है.

ज़ी न्यूज़ 25 Jul 2024 10:38 am

Japan में लगातार 15वें साल आबादी में गिरावट दर्ज, एक साल में जितने बच्चे हुए पैदा उससे दोगुनी तादाद में लोगों की हुई मौत

Japan Population: सर्वेक्षणों के अनुसार, युवा जापानी शादी करने या बच्चे पैदा करने से दूर हो रहे हैं.सरकार ने 2024 के बजट में युवा दंपतियों को अधिक बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित करने के के लिए 34 अरब अमेरिकी डॉलर का प्रावधान किया है.

ज़ी न्यूज़ 25 Jul 2024 9:43 am

US Travel Advisory: भारत के जम्मू-कश्मीर, मणिपुर समेत इन इलाकों में न जाएं, अमेरिका की अपने नागरिकों के लिए ट्रैवल एडवाइजरी

US News: भारत के लिए संशोधित यात्रा एडवाइजरी में अमेरिका के विदेश विभाग ने कहा कि उसने पूर्वोत्तर राज्यों की जानकारी के साथ इसे अपडेट किया है.

ज़ी न्यूज़ 25 Jul 2024 9:06 am

Benjamin Netanyahu: अमेरिकी संसद में इजरायली PM के संबोधन का कई सांसदों ने किया बहिष्कार, हजारों लोग विरोध में सड़कों पर उतरे

Benjamin Netanyahu in US:इजरायली पीएम के भाषण के विरोध हजारों लोगों ने देश की राजधानी वाशिंगटन की ओर मार्च किया. उन्हें रोकने के लिए पुलिस ने मिर्च स्प्रे का इस्तेमाल किया.

ज़ी न्यूज़ 25 Jul 2024 8:06 am

Joe Biden Speech: ‘नई पीढ़ी को मशाल सौंपने का समय…’ बाइडेन ने देश को बताई चुनावी दौड़ से हटने की वजह

US Elections 2024: चुनावी दौड़ से हटने के अपने चौंकाने वाले फैसले के बाद पहले टेलीविजन संबोधन में राष्ट्रपति जो बाइडेन ने उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की तारीफ की.

ज़ी न्यूज़ 25 Jul 2024 7:28 am

अंगूठी और मंगेतर की तस्वीर कमांडिंग ऑफिसर को सौंपी:घायल होकर भी 9 दुश्मन ढेर किए; कैप्टन अनुज नैय्यर की कहानी

'अभी तक कोई ऐसा माई का लाल नहीं मिला जो मुझसे जीत पाए। वो दिन कभी नहीं आएगा जब मुझे हार का स्वाद चखना पड़ेगा। डर नाम का कोई वर्ड उस डिक्शनरी में है ही नहीं जो आपने मुझे दी है।' ये शब्द कैप्टन अनुज नैय्यर के हैं। ये खत उन्होंने शहीद होने से पहले अपने पिता को लिखा था। 26 जुलाई को कारगिल विजय के 25 साल पूरे हो रहे हैं। हम याद कर रहे हैं इस जीत के योद्धाओं को। इस स्टोरी में कहानी द्रास के टाइगर कैप्टन अनुज नैय्यर की... जाट रेजिमेंट भारतीय सेना की लंबे समय से सेवा करने वाली रेजिमेंटों में से एक है। 6 जुलाई 1999 को 17वीं जाट रेजिमेंट की टीम ने अपना नारा लगाया जाट बलवान, जय भगवान। कारगिल की पॉइंट 4875 चोटी पर दुश्मन का कब्जा था। अपनी जमीन को वापस लाने की जिम्मेदारी इसी टीम पर थी। टीम की कमान 24 साल के कैप्टन अनुज नैय्यर के पास थी। वे कुछ दिन पहले ही लेफ्टिनेंट से प्रमोट होकर कैप्टन बने थे। ऊंचाई पर बैठा दुश्मन हमारे जवानों पर सीधा अटैक कर रहा था। दुश्मन ऐसी पोजिशन पर था कि आसानी से भारतीय जवानों को मार सकता था। इस कारण फैसला किया गया कि रात के अंधेरे में दुश्मन से लोहा लिया जाएगा। दिन ढलते ही कैप्टन अनुज की टीम ने चढ़ाई शुरू की। जबरदस्त सर्दी के बीच भूखे-प्यासे जवान आगे बढ़ रहे थे। सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन शातिर दुश्मन की नजर पड़ गई। अचानक दनादन फायरिंग होने लगी। कैप्टन अनुज की टीम ने भी जवाबी फायरिंग शुरू की। दुश्मन पूरी तैयारी से मोर्चा जमाए बैठा था। न सिर्फ उसके पास ज्यादा मैन पावर था। गोला-बारूद भी भरपूर था। छिपने की जगह थी नहीं, इसलिए एक के बाद एक अनुज की टीम के कई साथी शहीद होते गए। कैप्टन अनुज भी जख्मी हुए, लेकिन पीछे नहीं हटे। वे आगे बढ़ते रहे। खून से सनी उंगलियां बंदूक के ट्रिगर से हटने का नाम नहीं ले रही थीं। वे लगातार दुश्मन पर फायरिंग कर रहे थे। एक के बाद एक कैप्टन अनुज ने 9 पाकिस्तानियों को मार गिराया। पाकिस्तानी सेना के तीन बड़े बंकर बर्बाद कर दिए। रात तेजी से कटती जा रही थी। सुबह के करीब 5 बज चुके थे। उजाला हो चुका था। दुश्मन अब आसानी से हमारे जवानों को देख सकते थे। जब अनुज ने अपने आसपास देखा तो कई साथी शहीद पड़े हुए थे। शहीदी के कुछ घंटे बाद जीत गए थे चोटी अनुज ने जैसे कसम खा रखी थी कि आज ही मैं पॉइंट 4875 चोटी पर तिरंगा लहरा कर रहूंगा। 24 साल का गर्म खून उबाल ले रहा था। अनुज ने तय किया कि आगे बढ़ना चाहिए। उनके साथी ने रोका कि अब उजाला हो गया है। हालात दुश्मन के फेवर में हैं। हमें रात तक फिर इंतजार करना चाहिए। अगर आगे बढ़े तो दुश्मन देख लेगा। अनुज को अपने पिता की बात याद थी कि जंग में पीठ मत दिखाना। उन्होंने सिर पर कफन बांधा और पाकिस्तान के चौथे बंकर के ऊपर टूट पड़े। उन्होंने जैसे ही फायरिंग शुरू की, बम का एक गोला उनके ऊपर आकर गिरा और वे शहीद हो गए, लेकिन कैप्टन अनुज अपनी शहादत के साथ ही जीत की बुनियाद रख गए थे। कुछ ही घंटों बाद पॉइंट 4875 पर तिरंगा फहराने लगा। मरणोपरांत कैप्टन अनुज को महावीर चक्र सम्मान से नवाजा गया। इतने हिम्मती कि बचपन में बिना एनेस्थीसिया के लगवा लिए 22 टांके कैप्टन अनुज का जन्म 28 अगस्त 1975 को दिल्ली में हुआ। उनके पिता एसके नैय्यर प्रोफेसर थे। मां मीना नैय्यर दिल्ली यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी में काम करती थीं। अनुज की मां अपने बेटे को याद करते हुए कहती हैं कि अनुज बचपन से ही बहादुर था। वो कभी किसी चीज से नहीं डरता था। स्कूल में भी वह एक्टिविटी में लीड करता था। पढ़ाई के साथ स्पोर्ट्स में भी वह आगे रहता था। उसे शुरू से मिलिट्री और गन को लेकर दिलचस्पी रही थी। उसके दादा आर्मी में थे, उनसे वह काफी अटैच्ड था। एक हादसे को याद करते हुए वे बताती हैं कि एक बार अनुज को चोट लग गई थी। घाव गंभीर था, उसके शरीर में 22 टांके लगे थे। तब अनुज ने एनेस्थीसिया का इंजेक्शन लिए बिना ही ऑपरेशन करा लिया था। उसकी बहादुरी देखकर डॉक्टर भी अचंभित रह गए थे। 12वीं के बाद पहले ही अटेम्प्ट में अनुज का NDA में सिलेक्शन हो गया। तब होटल मैनेजमेंट और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (NIFT) में भी उनकी अच्छी रैंक आई थी, लेकिन उन्होंने आर्मी जॉइन की। साल 1993 में उनकी ट्रेनिंग शुरू हुई। 1997 में वे कमीशंड हुए। दो साल बाद यानी 1999 में कारगिल की जंग छिड़ गई और अनुज को जंग के लिए बुलावा आ गया। मां से कहते- मैं जंग में नहीं, सेफ जोन में हूं मीना नैय्यर बताती हैं कि हमें उसके जंग में शामिल होने की जानकारी नहीं थी। वह जब भी फोन करता था या चिट्‌ठी लिखता था तो यही कहता था कि वह सेफ जोन में है। वहां कोई जंग नहीं हो रही है। हमें उसके एक दोस्त के जरिए पता चला था कि वह भी कारगिल की जंग में लड़ रहा है। अनुज अपनी मां से जंग की बातें शेयर नहीं करते थे। हां, अपने पिता से वे जरूर जंग की बातें शेयर करते थे। तब उनके एक खत के जवाब में एसके नैय्यर ने कहा था कि बेटा जंग में हो, कुछ भी हो जाए कभी दुश्मन को अपनी पीठ नहीं दिखाना। उस वाकये को याद करते हुए अनुज की मां कहती हैं कि पिता का ही वचन याद रहा होगा जो वह अपने साथी के कहने के बाद भी पीछे नहीं हटा और शहीद हो गया। एक मां के नाते कई बार मुझे लगता भी है कि अनुज तब आगे नहीं बढ़ा होता तो बच जाता। यह भी सच है कि युद्ध में बहादुर पीछे नहीं हटते। उसमें तो बहादुरी कूट-कूट कर भरी थी। मुझे पता है कि मेरा लाल कभी पीछे हटने वालों में से नहीं था, इसलिए वो तिरंगे में लिपटा आया था। 'मुझे देखना है कि सियाचिन ताकतवर है या मैं'अनुज की मां बताती हैं कि उसे सियाचिन बहुत पसंद था। काफी पहले से वहां जाने की उसकी इच्छा थी। एक बार एक रिपोर्टर ने कैप्टन अनुज से पूछा था कि वे आर्मी में क्यों भर्ती हुए हैं, तब अनुज ने कहा था कि मैं यह देखना चाहता हूं कि सियाचिन ज्यादा ताकतवर है या मैं। शादी की तारीख भी तय हो गई थीमीना बताती हैं कि अनुज अपने साथ पढ़ी एक लड़की को पसंद करता था। दोनों दस साल से एक-दूसरे को जानते थे। दोनों की सगाई हो गई थी। शादी की तारीख भी तय कर दी गई थी। 10 सितंबर 1999 को अनुज की शादी होनी थी। हमारे घर में एक और सदस्य बढ़ने वाला था, लेकिन वक्त को कुछ और ही मंजूर था। लड़ाई के दौरान अनुज ने अपनी सगाई की अंगूठी उतारकर अपने ऑफिसर को यह कहते हुए दे दी थी कि अगर वे जंग से जिंदा लौटते हैं तो वे अंगूठी वापस ले लेंगे। अगर शहीद होते हैं तो उनकी मंगेतर तक यह अंगूठी पहुंचा दी जाए। वे नहीं चाहते कि उनके प्यार की निशानी दुश्मन के हाथ लगे। अनुज की शहादत के बाद उनके शव के साथ वह अंगूठी भी उनके घर पहुंची थी। आखिर में अनुज की वह आखिरी चिट्ठी जो उन्होंने जंग पर जाने से ठीक पहले लिखी थी... डियर डैडआपका पिछला खत मिला, आप बिल्कुल चिंता मत कीजिए। अभी तक कोई ऐसा माई का लाल नहीं मिला जो मुझसे जीत पाए। वो दिन कभी नहीं आएगा जब मुझे हार का स्वाद चखना पड़ेगा। डर नाम का कोई वर्ड उस डिक्शनरी में है ही नहीं जो आपने मुझे दी है। आप 200% सही थे, जमीनी हवा कुछ नहीं छिपाती। मैं अब हथियार चलाने में माहिर हो गया हूं। यहां तक कि मैं अब बिना हथियार के भी किसी का मुकाबला कर सकता हूं। आप चिंता मत कीजिए। आपके बेटे को कभी कोई हालात हरा नहीं सकते। मुझे सिर्फ आपकी चिंता लगी रहती है। आप लोग अपना ध्यान रखें। आपकी अगली एनिवर्सरी हम साथ मनाएंगे।

दैनिक भास्कर 25 Jul 2024 5:11 am

ब्लैकबोर्ड-किसी की बेटी कपड़े फाड़कर घूमती, बेटा साड़ी पहनता:भूत भगाने के लिए दरगाह के पास कॉलोनी बसी; गांववाले सो नहीं पाते

महाराष्ट्र का बुलढाणा जिला। यहां से मुंबई करीब 6 घंटे की दूरी पर है। सड़कों पर ठक-ठक करतीं तिपहिया गाड़ियां आ-जा रही हैं। मुझे ब्लैकबोर्ड की स्टोरी के लिए यहां से करीब 35 किलोमीटर दूर पिंपलगांव जाना है। शुरुआत में तो मुझे सब कुछ सामान्य लगता है, लेकिन पिंपलगांव से करीब दो किलोमीटर पहले कुछ अजीब सा लगने लगता है। कोई सड़क किनारे बेसुध पड़ा है, तो कोई चीख रहा है। कुछ लोग एकटक लगाए एक धार्मिक स्थल की तरफ देख रहे हैं, तो कुछ लोग चीखते हुए अपने कपड़े फाड़ रहे हैं। सड़क किनारे बांस-बल्ली के सहारे झोपड़ियां, दोनों तरफ ‘पूजा-प्रसाद सामग्री’ की दुकानें। जैसे-जैसे आगे बढ़ता हूं, दुकानों की संख्या बढ़ती जाती है। मुझे जिस जगह जाना है, वो मुख्य सड़क से 200 मीटर अंदर है। रास्ते में नींबू-मिर्च, काली गुड़िया, चाकू, तरह-तरह के रुद्राक्ष, लोबान, चादर, अगरबत्ती जैसी चीजें बिक रही हैं। यह जगह सैलानी बाबा की दरगाह है। लोग यहां ‘हाजिरी’ लगाने आते हैं। इसके पीछे उनकी मान्यता है कि उससे भूत-प्रेत और टोना-टोटका छूट जाता है। इस दरगाह के अगल-बगल दो किलोमीटर के दायरे में दर्जन भर और दरगाहें हैं। सभी दरगाहों पर हाजिरी लगाई जाती है। दरगाह के ठीक पीछे की तरफ दूर-दूर तक अस्थाई बस्तियां हैं। बजबजाते रास्ते के दोनों तरफ टीनशेड के घर बने हैं। यहां 3500 से ज्यादा लोग रहते हैं। कोई 30 साल से यहां रह रहा है, तो कोई 20 साल से। कोई टीनशेड की कुंडी के सहारे बंधा है, तो किसी के हाथ-पैर लोहे की चेन से बंधे हैं। ज्यादातर घरों में ताला बंद है। इसका मतलब है कि लोग ‘हाजिरी’ लगाने दरगाह पर गए हैं। रुक्मिणी गायकवाड़ अपनी बेटी, पति और बेटे के साथ यहां रहती हैं। वो 20 साल से यहां हाजिरी लगा रही हैं। अपने टीनशेड के 20 बाई 10 वाले कमरे का वो एक हजार रुपए महीना किराया देती हैं। कमरे में न वॉशरूम है और ना ही किचन की कोई जगह। पांच सौ मीटर दूर से पानी भर के लाना पड़ता है। महाराष्ट्र के परभणी जिले से यहां आकर बस चुकीं रुक्मिणी कहती हैं- ‘मेरी बेटी 15 साल की थी, तब उस पर किसी ने ‘करनी’ कर दी। वह रात को नींद से उठकर चिल्लाने लगती थी, कपड़े फाड़ लेती थी। राह चलते किसी को भी पत्थर मार देती थी। किसी ने मुझसे कहा कि सैलानी बाबा के यहां जाओ, बेटी ठीक हो जाएगी। इसके बाद मैं उसे सैलानी बाबा के दरगाह लेकर आई। कुछ दिन बाद वो ठीक हो गई। कपड़े फाड़ना और चीखना बंद कर दिया। उसे घर लेकर गई, तो एक महीने के भीतर ही बेटा भी बीमार रहने लगा। एक दिन वो अचानक से साड़ी पहन कर बाहर निकला। मैं डर गई। इसके पापा ने उसे मारा-पीटा, लेकिन उस पर कोई असर नहीं हुआ। कभी लिपस्टिक लगा लेता था, तो कभी पैरों में आलता लगा लेता था। मैं उसे हॉस्पिटल लेकर गई। मेरे पास पैसे नहीं थे, तो गांव वालों ने तीस हजार रुपया चंदा जुटाकर इलाज कराया। इलाज से कोई फायदा नहीं हुआ। फिर मैं उसे सैलानी बाबा के यहां लेकर आई। यहां आने के बाद उसने मारपीट और गाली देना बंद कर दिया। अब मैंने सोच लिया कि जब तक ये पूरी तरह ठीक नहीं होगा, मैं वापस घर नहीं लौटूंगी। कुछ दिनों बाद जब उसने पहले वाली हरकतें बंद कर दीं, तो मैंने उसकी शादी करा दी और गांव भेज दिया।’ हालांकि रुक्मिणी के बेटे की शादी ज्यादा दिनों तक नहीं चली। दो साल बाद ही उसकी पत्नी दो बच्चों के साथ अलग रहने लगी। जिसके बाद बेटा लौटकर रुक्मिणी के पास आ गया। मैंने उनके बेटे से बात करने की कोशिश की, तो वो मुस्कुराने लगे, लेकिन कुछ कहा नहीं। मैंने रुक्मिणी से पूछा- आपके घर में और कौन-कौन हैं? आपको गांव-घर की याद नहीं आती? रुक्मिणी बताती हैं- ‘याद तो बहुत आती है। मैं यहां से जाना भी चाहती हूं। जहां तक हाजिरी लगाने की बात है, तो वो काम तो मैं गांव से आकर भी कर सकती हूं, लेकिन गांव में लोग हमें बहुत परेशान करते हैं। वापस जाने पर जीना दूभर हो जाएगा। कोई बेटे को पागल बोलता है तो कोई हिजड़ा। गांव का प्रधान तो बेटी का आधार कार्ड तक नहीं बनने देता है। कहता है कि वो पागल है। यहां कम से कम सुकून तो है।’ रुक्मिणी के भाई पैसे वाले हैं, उनके बच्चों ने मकान बना लिए हैं। ये बात उन्हें बहुत दुखी करती है। वो मेरा हाथ पकड़ कर कहती हैं- ‘मैं जब भाई के घर को देखती हूं, तो मुझे चक्कर आने लगता है। मैं वहां जाती हूं, तो उसके घर में ज्यादा देर तक रुकने की इच्छा नहीं होती। मैं सोचने लगती हूं कि मेरे बच्चों के पास भी उनका मकान होता। वे भी मजे में होते, लेकिन आज तो मेरी हालत ऐसी हो गई है कि कोई पांच-दस रुपए भी दे देता है तो खुश हो जाती हूं।’ इलाज के अभाव में बसे यहां लोगों के लिए न पीने का पानी है न बिजली-सड़क जैसी बेसिक सुविधाएं। सड़क पर बनी दुकानों में मोबाइल चार्जिंग पॉइंट हैं, जहां मोबाइल चार्ज करने के लिए प्रतिघंटा के हिसाब से पैसे देने पड़ते हैं। आधा किलोमीटर दूर लाइन लगाकर पानी के लिए जाना पड़ता है। एक दरगाह के पास किसी पेड़ पर काली गुड़िया में नींबू और मन्नत की पर्ची टांगी गई है। एक दरगाह के बगल में बड़ा पीपल का पेड़ है, जो आधा गिर चुका है। मान्यता है कि इस गिरे हुए पेड़ के नीचे से निकलते वक्त, अगर व्यक्ति जड़ में फंस जाता है, तो उस पर किसी भूत या जिन्न का साया है। मैंने यहां बैठे बाबाओं से बात करने की कोशिश की। एक बाबा के करीब गया, तो उन्होंने मेरे सिर पर मोर के पंख से बनी लाठी मारी। मैंने पूछा इससे क्या होता है? बाबा ने बताया- ‘इससे बुरी बलाएं दूर रहती हैं। मन में कुछ हो, तो मांग लेना चाहिए। सैलानी बाबा की दुआ लगेगी।’ आप यहां कब से हैं? बाबा ने मेरे इस सवाल का जवाब नहीं दिया। बार-बार पूछने पर उन्होंने मेरा कार्ड मांग लिया और कैमरा बंद करके चले जाने को कह दिया। ये सब बातें वहां बैठे शेख तैय्यब सुन रहे थे। वो बेटे और पत्नी के साथ रहते हैं। बीते चार साल से बेटे का इलाज करा रहे हैं। कोरेगांव के रहने वाले तैय्यब के बेटे को लोहे की चेन से बांधा गया है। शेख बताते हैं- ‘ मेरा बेटा कमरे में पेशाब कर देता था। चीखता-चिल्लाता था। मारने दौड़ता था। हर दिन हजार रुपए दवाई पर खर्च हो जाते थे। सात साल तक इलाज कराया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। फिर मुझे सैलानी बाबा के बारे में पता चला। यहां आने पर कुछ फायदा है। अब उसकी पहले वाली हरकतें छूट गई हैं।’ तैय्यब के यहां रुकने का एक कारण यह भी है कि उनके दिनभर का खर्च अब 200-300 रह गया है। वो कहते हैं, मैं ड्राइवर था। रोज कुआं खोदो और रोज पानी पियो। पैसा कमाने जाता था, तो इलाज नहीं करा पाता था। सात लाख रुपए की जमीन बेच के इलाज कराने के बाद अब यहां आ गया हूं। यहां 200 में दिन भर का खर्च चल जाता है, लेकिन बेटे को देखता हूं तो आंसू नहीं रुकते हैं।’ पूरे इलाके में 500 से लेकर 1500 रुपए महीने तक के किराए वाले घर हैं। जहां लोग मानसिक बीमारियों को भूत-प्रेत का साया समझते हैं, लेकिन स्थानीयों के लिए ये मुसीबत बन कर रह गया है। लोग कैमरे पर बोलने को तैयार नहीं होते हैं, लेकिन दबी जुबान से जाहिर करते हैं कि यहां जो कुछ भी हो रहा है, वो ठीक नहीं है। ये सब बंद होना चाहिए। एक शख्स मुझे बताते हैं- ‘सैलानी बाबा की दरगाह ऐतिहासिक है। सैलानी बाबा सूफी संत थे। मरने से पहले मेरे परदादा से बोल रखे थे कि मेरी दरगाह यहीं रखना। परदादा ने 1907 में इसे बनवाया था। मैं श्रद्धा या अंधश्रद्धा पर कमेंट नहीं करना चाहता हूं, लेकिन मुख्य दरगाह के आस-पास दर्जनों ऐसी और जगहें बन गई हैं। कहीं नींबू काटकर ठीक किया जाता है तो कहीं कुछ। देर रात चीखने-चिल्लाने की आवाज आती हैं। यहां न बिजली आ सकती है न पानी का प्रबंध है। एक स्थायी पुलिस चौकी तक नहीं है। दरगाह को ट्रस्ट के हवाले कर दिया गया है। मेरे हाथ में तो कुछ भी नहीं है। उल्टे मेरी जमीन पर लोग बसते जा रहे हैं।’ सैलानी बाबा की दरगाह पर साल में एक बार लाखों लोग जुटते हैं। भीड़ देखकर ही कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं और डॉक्टरों का ध्यान इस इलाके पर गया। मेरी मुलाकात यहां अंधश्रद्धा निर्मूलन के लिए काम कर रहीं डॉ. गार्गी से हुई। डॉ. गार्गी एक साल से यहां काम कर रही हैं। ‘दवा भी-दुआ भी’ कॉन्सेप्ट पर काम कर रहीं गार्गी मुझे कुछ और लोगों से मिलवाती हैं। 500 रुपए किराए वाले टीनशेड में रहने वाले भीमराव कोली, खेती से पैसे जुटाने के बाद वो सारा पैसा 14 साल की बेटी के इलाज में लगा चुके हैं। वो कहते हैं- ‘बेटी पर किसी ने करनी की है। वो कपड़े फाड़ लेती थी, लोगों पर थूक देती थी। अपनी मां को मारने लगती थी। एक बार करनी हुई तो ठीक हो गई, लेकिन जब 6 साल की थी, तो शरीर पर किसी ने कुछ कर दिया। मेरी बेटी का पूरा बदन ऐंठा रहता है, बस ये ठीक हो जाए तो चले जाएंगे। यहां वो धीरे-धीरे ठीक हो रही है, कपड़े वगैरह नहीं फाड़ती है। मैडम की दवाई खाने के बाद बहुत आराम है।’ गार्गी बताती हैं- ‘इनकी बेटी को साइकोसिस था। इसमें इंसान अपने आस-पास एक दुनिया बना लेता है और उसी में खोया रहता है। एक ही बात बार-बार दोहराता है। हमने काउंसलिंग की और दवाइयां दीं। अब काफी आराम है। इनकी बेटी को मसल एट्रॉफी है, जो क्लोज रिलेशन में शादी करने से होती है। इसका कोई इलाज नहीं है। एक्सरसाइज करने से कुछ सुधार हुआ है।’ हमने गार्गी से यहां के बारे में कुछ और समझने की कोशिश की। वो कहती हैं, ‘लोग यहां बिना डॉक्टर का ट्रीटमेंट लिए आते हैं। फिर उनकी आगे की पूरी जिंदगी यहीं गुजर जाती है। कुछ 15-16 साल के बच्चे को लेकर आते हैं और 20-25 साल तक यहीं पर रह जाते हैं। एक लड़की जब 10 साल की थी, तो उसके पापा के गुजर जाने के बाद उसे साइकोसिस की प्रॉब्लम आ गई। वह अकेले रहने लगी और खुद में बुदबुदाने लगी। उसकी मां उसे यहां लेकर आ गई। यहां वो और बीमार हो गई। फिर उसे जंजीर में बांधकर रूम में रख दिया गया। बहुत छोटा रूम था, ढंग की फ्लोरिंग नहीं थी। रूम में चूहे दौड़ रहे थे। जब उसे बांधा गया तो उसकी उम्र 10 साल थी, जब मैंने उसे देखा तब वह 25 साल की थी। जंजीर उसके हाथ के भीतर धंस गई थी, क्योंकि उसका हाथ बढ़ता गया और जंजीर वैसे ही रही। वो मेरी हमउम्र थी। उसकी लाइफ के सबसे जरूरी 10 साल यहीं गुजर गए। उसकी मां मुझसे कन्विंस नहीं थी। फिर मैं रोज आने लगी, काउंसलिंग करने लगी। मेरे छह महीने लगातार आने के बाद वो कन्विंस हुईं। अभी भी वह अंडर ट्रीटमेंट है और पहले से बेहतर जिंदगी जी रही है। बाहर निकलती है, बात करती है। यहां मैंने 500 से अधिक लोगों को दवाइयां दी हैं। बहुत से लोग ठीक हुए हैं। कुछ लोग बीच में दवाई छोड़ देते हैं।’ डॉ. गार्गी ने मुझे कई ऐसे परिवारों से मिलाया, जो इलाज और दवाइयों के सहारे ठीक हो चुके हैं। कुछ ऐसे भी लोग हैं, जो अभी दवाइयां ले रहे हैं। वे दवाइयां लेकर दरगाह पर प्रसाद की तरह चढ़ाते हैं और फिर मरीज को खिलाते हैं। उनका मानना है कि दवा भी सैलानी बाबा की कृपा से ही काम कर रही है।

दैनिक भास्कर 25 Jul 2024 5:11 am

क्या बाबरी की तरह गिराई जानी थी कोल्हापुर की मस्जिद:छत्रपति शिवाजी के राज में सेफ रही मजार, वंशज के समर्थक बने दुश्मन

1660 की बात है। बीजापुर की आदिलशाही फौज ने पुन्हाना का किला घेर रखा था। छत्रपति शिवाजी इसी किले में थे। 4 महीने तक घेराबंदी नहीं टूटी। रसद खत्म हो रही थी, इसलिए छत्रपति शिवाजी ने किला छोड़ने का फैसला लिया। बीजापुर की फौज को चकमा देकर विशालगढ़ किले पहुंच गए। छत्रपति शिवाजी की शरणगाह बने इस किले से करीब 2 किमी पहले हजरत मलिक रेहान मीरा साहब की मजार है। इतिहासकार बताते हैं कि छत्रपति शिवाजी के दौर में भी ये मजार सुरक्षित रही। उनके बाद उनके पेशवाओं और वारिसों ने भी इसका संरक्षण किया। अब 2024 की बातविशालगढ़ किले से करीब 6 किमी दूर है गजापुर गांव। 14 जुलाई को करीब 500 लोगों ने इस गांव पर हमला किया। एक मस्जिद पर चढ़ गए और हथौड़ों से मस्जिद तोड़ने की कोशिश की। स्थानीय लोगों का आरोप है कि हमलावर कह रहे थे कि इस मस्जिद को भी अयोध्या की बाबरी मस्जिद की तरह तोड़ देंगे। एक आरोप ये भी है कि हमला करने आए लोग शिवाजी के वंशज संभाजी राजे भोसले की अपील पर आए थे। संभाजी राजे भोसले के पिता छत्रपति शाहू महाराज कांग्रेस में हैं और कोल्हापुर से सांसद हैं। BJP की तरफ से राज्यसभा सांसद रहे संभाजी राजे भोसले के समर्थकों ने मुस्लिमों के किसी धार्मिक स्थल को निशाना बनाया हो, ऐसा पहली बार नहीं है। इससे पहले 13 और 14 जुलाई को किले के पास वाली मजार में तोड़फोड़ करने की कोशिश की गई थी। पिछले साल फरवरी में भी मजार के गेट को निशाना बनाकर छोटी तोप जैसे दिखने वाले हथियार से रॉकेट दागा गया था। हिंसा के बाद दैनिक भास्कर यहां का माहौल जानने गजापुर पहुंचा। हमने छत्रपति शिवाजी के वंशज संभाजी राव भोसले का पक्ष भी जाना। साथ ही किलों के आसपास से अतिक्रमण हटाने का अभियान चला रहे लोगों से भी बात की। गजापुर गांव, विशालगढ़भीड़ ने 40 घरों में तोड़फोड़ की, सामान लूट ले गएकोल्हापुर से करीब 90 किमी दूर बसे गजापुर गांव में 700 से ज्यादा परिवार रहते हैं। 14 जुलाई को भीड़ ने गांव पर हमला कर दिया। पहले गांव के बाहर बनी मस्जिद और कब्रिस्तान को तोड़ने की कोशिश की। फिर 40 से ज्यादा घरों में तोड़फोड़ कर आग लगा दी। सामान भी लूट लिया। पुलिस की टीम पहुंची, तो भीड़ ने उस पर भी पथराव किया। हथियारों से हमला कर दिया। पुलिस ने 500 अज्ञात लोगों पर आतंक फैलाने, बलवा करने और हत्या की कोशिश की धाराओं में केस दर्ज किया है। मामले में अब तक 25 लोग अरेस्ट किए गए हैं। गांव के रास्ते में पुलिस तैनात, जांच के बाद ही एंट्रीगजापुर गांव के मुस्लिम वाड़ी मोहल्ले में सबसे ज्यादा हिंसा हुई है। कोल्हापुर से निकलकर हम रायगढ़ की राजधानी रहे पन्हाला होते हुए मलकापुर पहुंचे। यहां पुलिस ने हमें रोक लिया। रजिस्टर में एंट्री और कुछ हिदायतों के साथ ही आगे जाने की परमिशन मिली। मलकापुर से मुस्लिमवाड़ी मोहल्ला करीब 12 किमी दूर है। इस छोटे से रास्ते में तीन बार रोककर जांच की गई। गांव में जगह-जगह टूटी कारें, जले मकानगजापुर गांव में घुसते ही जगह-जगह टूटी कारें, बाइक, जले मकान और लुटी दुकानें दिखने लगती हैं। गांव में सड़क किनारे पुलिसवाले तैनात हैं। हम 40 साल पुरानी उस मस्जिद को देखने पहुंचे, जिसे तोड़ने के वीडियो वायरल हुए थे। मेन रोड से करीब 50 मीटर दूर बनी मस्जिद के कंपाउंड की दीवार टूट गई है। खिड़कियां भी टूटी हुई हैं। अंदर एक हिस्से में टूटा साउंड सिस्टम, अलमारी, इनवर्टर और बक्सा रखा है। मस्जिद की हालत देखकर अंदाजा हो जाता है कि उसके पिलर और मीनारें तोड़कर पूरी तरह ढहाने की तैयारी थी। महिलाएं बोलीं- न भागते तो वे हमें काट डालतेमस्जिद से निकलकर हम हनीफा के घर पहुंचे। 7 दिन बाद भी उनके घर पर चीजें जस की तस पड़ी हैं। भीड़ ने उनकी दुकान तोड़ दी थी। हमले के बारे में हनीफा बताती हैं, ’उस दिन मैं, बहू और उसके दो बच्चे घर में थे। भीड़ मस्जिद में तोड़फोड़ कर रही थी। हम खिड़की से सब देख रहे थे।' 'इसके बाद वे लोग हमारे घर की तरफ आ गए। उन्होंने शेड में खड़ी हमारी दो कारें तोड़ दीं। फिर तलवार और रॉड से घर का दरवाजा तोड़ने लगे। दरवाजा टूटने से पहले हम दूसरे गेट से भाग निकले।’ ‘उन लोगों पर खून सवार था। उन्होंने बच्चों के खिलौने काट दिए, उनमें आग लगा दी। अगर हम उनके हाथ लग जाते, वे हमारा भी यही हाल करते। जान बचाने के लिए हम सुबह 11 बजे से शाम 6 बजे तक जंगल में छिपे रहे। बच्चे भूख से तड़प रहे थे, लेकिन हम बाहर नहीं आए।’ हनीफा आरोप लगाती हैं कि हमें बचाने पुलिस नहीं आई। सब मस्जिद को बचा रहे थे। हमारे सामने हमारा घर लुट रहा था और हम देख रहे थे। भीड़ में शामिल लोग हमारे पैसे और 5 तोला सोने के गहने लूट ले गए। बारिश से चार बार आग बुझी, भीड़ ने बार-बार घर जलायामुस्लिमवाड़ी मोहल्ले में ही 65 साल की आयशा मोहम्मद रहती हैं। भीड़ ने उनके घर में तोड़फोड़ की और लूटपाट कर आग लगा दी। बचने के लिए आयशा बहू और बच्चों के साथ भाग निकलीं। वे बताती हैं, ‘उस दिन बारिश हो रही थी, इसलिए आग बार-बार बुझ रही थी। आग बुझती तो वे फिर से आग लगा देते। उनके पास तलवार, भाले, हथौड़े और फावड़े थे।’ यहीं हमें दिलशाद बानो मिलीं। वे घर का टूटा सामान समेट रही थीं। दिलशाद बानो बताती हैं, ‘हम लोग तो जंगल में भाग गए थे। पुलिस आई, तब 6 घंटे बाद घर पहुंचे। तब तक सब लुट चुका था। 70 हजार रुपए और 4 तोला सोने के गहने गायब थे।’ हिंदू संगठनों ने सोशल मीडिया के जरिए लोगों को बुलायागजापुर में 40 साल से रह रहे इमाम बताते हैं, ‘4 दिन से हिंदू संगठन अपने सोशल मीडिया पेज पर वीडियो पोस्ट कर रहे थे। लोगों से 14 जुलाई को विशालगढ़ में होने वाली महाआरती में शामिल होने के लिए कहा जा रहा था। इनमें संभाजी महाराज का संगठन भी था।’ ‘दोपहर 12:30 बजे मैं मस्जिद में ही था। हम 10-12 लोग बैठे हुए थे। तभी किले की ओर से 50 और नीचे की तरफ से 100 से ज्यादा लोग आए और मस्जिद में घुस गए। कुछ लोग मस्जिद की मीनार तोड़ने लगे, कुछ अंदर तोड़फोड़ कर रहे थे। ये सब शाम 6 बजे तक चला।’ घरों की नेमप्लेट पर भगवा पेंट किया, 51 कारें तोड़ीइमाम बताते हैं, ‘भीड़ में शामिल लोग कह रहे थे कि इसे भी बाबरी मस्जिद की तरह गिरा देंगे। जिन घरों में उन्होंने तोड़फोड़ की, उसकी नेम प्लेट पर भगवा रंग का पेंट कर दिया। 51 गाड़ियों में तोड़फोड़ की है। घरों का सामान लूट लिया, औरतों के पीछे तलवार लेकर दौड़े। लोग इतना डर गए थे कि जंगल से लौटना नहीं चाहते थे। गांव के 80% पुरुष घर छोड़कर चले गए हैं।’ आरोप- 10 दिन पहले से प्लानिंग थी, प्रशासन ने एक्शन नहीं लियाकोल्हापुर मुस्लिम बोर्डिंग के चेयरमैन गनी अजरेकर हमले के बाद सबसे पहले गांव में पहुंचे थे। वे आरोप लगाते हैं, ‘हमला भले 14 जुलाई को हुआ, लेकिन इसकी प्लानिंग 3-4 जुलाई से चल रही थी। सोशल मीडिया पर पुणे, सोलापुर और कोल्हापुर के लोगों के वीडियो-पोस्ट वायरल हो रहे थे। इसमें लोग कह रहे थे कि बाबरी विध्वंस के समय हमें मौका नहीं मिला, लेकिन इस मस्जिद को गिराकर हम अपना सपना पूरा करेंगे।’ संभाजी राजे का संगठन किलों पर अतिक्रमण के खिलाफ चला रहा अभियानगनी अजरेकर बताते हैं, ‘7 जुलाई को कोल्हापुर के 20 से ज्यादा हिंदू संगठनों के लोग अतिक्रमण हटाने के नाम पर पहुंचे थे। वहां उन्हें पता चला कि मामला कोर्ट में है और अदालत ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है, तो वे लौट गए।’ ‘इसके बाद पूर्व राज्यसभा सांसद संभाजी राजे छत्रपति की एंट्री हुई। उनके संगठन ने किले के आसपास से अतिक्रमण हटाने के लिए 13 और फिर 14 जुलाई को लोगों को विशालगढ़ आने के लिए कहा।’ ‘आंदोलन का नाम रखा ‘चलो विशालगढ़’। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भी उनके लोग हथौड़ा लेकर बैठे थे। इससे साबित होता है कि उनकी प्लानिंग पहले से तोड़फोड़ की थी। अगर किसी ने अतिक्रमण किया भी है, तो उसे हटाने की जिम्मेदारी प्रशासन की थी, न कि दंगाइयों की।’ गनी अजरेकर बोले- SP के सामने तोड़फोड़ होती रही, वे देखते रहेगनी आरोप लगाते हैं कि हमले के वक्त SP महेंद्र पंडित भी मस्जिद के पास थे। गनी कहते हैं, ‘माइनॉरिटी कमीशन के सामने SP ने कहा है कि हमले के दौरान उनके हाथ में चोट लगी है। SP के साथ हमेशा 15-20 पुलिसवाले रहते हैं। इतनी पुलिस भीड़ को काबू नहीं कर पाई।’ वहीं, कोल्हापुर SP महेंद्र पंडित ने कहा कि घटना से तीन दिन पहले से विशालगढ़ में पुलिस तैनात थी। रविवार को भी 350 जवान और 50 अधिकारी मौजूद थे। हमने संभाजी राजे से अपील की थी कि वे विरोध-प्रदर्शन आगे न बढ़ाएं क्योंकि भीड़ को कंट्रोल नहीं किया जा सकता। सिर्फ मुस्लिमवाड़ी नहीं, मजार के आसपास भी तोड़फोड़मुस्लिमवाड़ी गांव से निकलकर हम हजरत मलिक रेहान मीरा साहब की मजार पर पहुंचे। कई साल से यहां अतिक्रमण हटाने की मांग हो रही है। यहां भी दो बार हमले की कोशिश हो चुकी है। मजार के पास मौजूद पुलिसवालों ने हमें अंदर नहीं जाने दिया। मजार के पास मिलीं मलिका बताती हैं, ‘किले की तरफ से आई भीड़ ने हमारे घरों में तोड़फोड़ शुरू कर दी। वे टारगेट करके हमारे घरों पर हमला कर रहे थे। भीड़ बाहर की थी, लेकिन उन्हें पता था कि कौन सा घर हिंदू का है और कौन सा मुसलमान का है। उन्हें हमारे बीच के ही कुछ लोग सपोर्ट कर रहे थे।’ यहीं रहने वाली आफरीन मुजावर बताती हैं, ‘14 जुलाई को हिंसा हुई। 15 जुलाई को यहां प्रशासन ने अतिक्रमण हटाना शुरू कर दिया। जिनके पास डॉक्युमेंट थे, उनके घरों को भी गिरा रहे थे। बॉम्बे हाईकोर्ट के स्टे के बाद फिलहाल अभियान रुक गया है।’ हमले के बारे में पूछने पर आफरीन बताती हैं, ‘भीड़ जय शिवाजी और जय श्री राम के नारे लगा रही थी। वे लोग कह रहे थे कि जैसे अयोध्या को बाबरी मुक्त किया, वैसे ही इस जगह को मुसलमानों से मुक्त कर देंगे। कब्रिस्तान को तोड़ने की कोशिश की, घरों पर पत्थर फेंके। प्रशासन के लोग गजापुर तो जा रहे हैं, लेकिन हमारा हाल जानने कोई नहीं आ रहा है।’ संभाजी राजे के सहयोगी बोले- हिंसा को सपोर्ट नहीं करतेइस हिंसा के लिए संभाजीराजे के स्वराज्य संगठन को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। हम उनका पक्ष जानने कोल्हापुर पहुंचे। उनसे बात नहीं हो सकी। संगठन के प्रवक्ता सुखदेव गिरी ने बताया कि हम कई साल से विशालगढ़ में हुए अतिक्रमण के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। 14 जुलाई को हमने शिवभक्तों को किले के आसपास अतिक्रमण हटाने के लिए बुलाया था।’ ‘हमारा मकसद मुस्लिम वाड़ी में तोड़फोड़ का नहीं था। वहां हुई हिंसा का हम समर्थन नहीं करते हैं। पुलिस इस मामले में कार्रवाई कर रही है। हिंसा करने वाले हमारे संगठन से नहीं थे और न ही वे कोल्हापुर के रहने वाले थे। हम उन्हें पहचानते भी नहीं हैं।’ हिंसा में संभाजी राजे के शामिल होने के सवाल पर सुखदेव कहते हैं, ’राजे ने गढ़ के पास हुए अतिक्रमण को हटाने की अपील की थी। हमारा उद्देश्य वहां हो रहे गलत काम बंद करवाने का था। संभाजीराजे दोपहर एक बजे गजापुर गांव पहुंचे, तब तक हिंसा खत्म हो चुकी थी।’ ‘उन्होंने भीड़ को कंट्रोल करने और लोगों को वापस भेजने का काम किया। उन पर लग रहे आरोप गलत हैं। अगर वे हिंसा में शामिल होते, तो क्या पुलिस उनके खिलाफ केस दर्ज नहीं करती। वहां सिर्फ मुसलमानों ने ही नहीं, हिंदुओं ने भी अतिक्रमण किया है। हम पूरा अतिक्रमण हटाना चाहते थे।’ सकल हिंदू समाज ने संभाजी राजे के अभियान से दूरी बनाईसिर्फ संभाजी राजे का संगठन ही नहीं, कोल्हापुर में 20 से ज्यादा हिंदू संगठनों से मिलकर बना ‘सकल हिंदू समाज’ भी छत्रपति शिवाजी के किलों के पास से अतिक्रमण हटाने के लिए आंदोलन कर रहा है। दोनों का मकसद एक होने के बावजूद सकल हिंदू समाज ने संभाजी राजे के आंदोलन से दूरी बना रखी है। हिंदू एकता आंदोलन के अध्यक्ष गजानन नामदेव बताते हैं कि हम कई साल से अतिक्रमण के खिलाफ काम कर रहे हैं। संभाजी राजे अचानक 10 दिन पहले सामने आए। वे BJP की तरफ से राज्यसभा सांसद रह चुके हैं। उनका पूरा परिवार सेक्युलर है। ऐसे में हमें लगा कि इसमें भी कोई पॉलिटिक्स हो सकती है। इसलिए हमने उनसे दूरी बना ली। सकल हिंदू समाज का कोई कार्यकर्ता तोड़फोड़ में शामिल नहीं था।’ हालांकि इसी संगठन के जिला अध्यक्ष दीपक देसाई हिंसा करने वालों का समर्थन करते हैं। वे आरोप लगाते हैं, ‘शिवभक्त किले पर महाआरती करने गए थे। इसी दौरान मुस्लिम महिलाओं ने उन पर पथराव कर दिया। किले के पास ज्यादातर मुस्लिम वाड़ी में रहने वाले लोगों की दुकानें हैं। इसी वजह से हिंसा भड़की।’ देसाई कहते हैं, ‘विशालगढ़ का किला हमारे लिए मंदिर की तरह है। वहां बने लॉज में शराब, जुआ चलता है। हमने कई बार शिकायत की, लेकिन प्रशासन ने एक्शन नहीं लिया। ऐसे में लोगों के सब्र का बांध टूटा और उन्होंने कानून अपने हाथ में ले लिया।’ बेटे का नाम हिंसा में आया, पिता पीड़ितों से मिलने पहुंचेछत्रपति संभाजी राजे फिलहाल किसी पार्टी में नहीं हैं। उनके पिता छत्रपति शाहू महाराज कांग्रेस सांसद हैं। सीनियर जर्नलिस्ट सुधाकर काशिद कहते हैं, पिता-पुत्र की विचारधारा अलग-अलग है। एक कट्टर हिंदुत्व को फॉलो करते हैं और दूसरे की छवि सेक्युलर नेता की है। हिंसा के बाद मौके पर पहुंचे शाहू महाराज ने सरकार से पीड़ितों को तुरंत मुआवजा देने की मांग की। उन्होंने घटना को प्रशासन और पुलिस की नाकामी बताया। इस मामले में शिवसेना (उद्धव गुट) और NCP (SP) ने स्थिति को बढ़ाने के लिए BJP और शिवसेना (शिंदे गुट) को दोषी ठहराया है। वहीं, शिवसेना ने दावा किया कि विपक्षी दल महाराष्ट्र में माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं।

दैनिक भास्कर 25 Jul 2024 5:11 am

किसके पास है 7 साल की पाकिस्तानी हिंदू बच्ची प्रिया:गृहमंत्री बोले- सेफ है, पुलिस बोली- ब्लाइंड केस; धर्म परिवर्तन का शक

तारीख: 19 अगस्त, 2021जगह: पाकिस्तान के सुक्कूर जिले का संगरार शहरराजकुमार और उनकी पत्नी वीना मोहर्रम के जुलूस में शरबत बांट रहे थे। 7 साल की बेटी प्रिया भी मम्मी-पापा के साथ ही काम में लगी थी। अचानक राजकुमार और वीना का ध्यान गया तो प्रिया गायब थी, आस-पास पूछा तो किसी को नहीं पता था वो कहां है। प्रिया की तलाश शुरू हुई। बौखलाए मां-बाप ने प्रिया को हर उस जगह ढूंढा, जहां उसके मिलने की जरा भी उम्मीद थी, लेकिन वो नहीं मिली। परिवार ने पुलिस स्टेशन में बेटी के किडनैप होने की शिकायत दर्ज कराई। उन्हें शक था कि किसी ने उनकी बेटी को अगवा कर लिया है। इस बात पर उन्हें तब और यकीन हो गया, जब सिंध प्रांत के गृह मंत्री जिआउल हसन लंजर ने विधानसभा में कहा- 'प्रिया सेफ है और जल्द ही परिवार के पास होगी।' हालांकि पुलिस इसे अब भी ब्लाइंड केस बता रही है। सीधा मतलब था कि प्रिया की लोकेशन मिल चुकी है, लेकिन राजकुमार और वीना को इसकी जानकारी नहीं दी जा रही। गृह मंत्री के इस बयान के 2 महीने बाद भी प्रिया परिवार के पास नहीं पहुंची। इसी के विरोध में 19 जुलाई को प्रिया के माता-पिता, हिंदू कम्युनिटी और सिविल सोसाइटी के लोगों ने कराची में धरना दिया और उसकी रिहाई की अपील की। लोगों का आरोप है कि पाकिस्तान में हिंदू बच्चियां असुरक्षित हैं और प्रिया का केस भी इसी से जुड़ा है। पाकिस्तान में पिछले साल बच्चों की किडनैपिंग के 1938 मामले दर्ज किए गए। वहीं, स्टेट ऑफ ह्यूमन राइट्स की रिपोर्ट के मुताबिक, जबरदस्ती धर्म परिवर्तन के पिछले एक साल में 136 केस सामने आए। पाकिस्तान में दैनिक भास्कर की टीम ने प्रिया की फैमिली और हिंदू कम्युनिटी के लीडर्स से मुलाकात कर पूरे केस को समझा। सबसे पहले बात प्रिया के परिवार की…पिता बोले- चंद मिनटों में बेटी कैसे गायब हुई पता ही नहीं चलाउत्तरी सिंध के सुक्कूर जिले संगरार में ज्यादातर हिंदू कम्युनिटी के ही लोग हैं। उत्तरी सिंध में हिंदू लड़कियों के कथित अपहरण की खबरें सामने आती रही हैं। साथ ही कम उम्र की लड़कियों के जबरदस्ती धर्म परिवर्तन के आरोप भी लगते रहे हैं। प्रिया के मामले ने इन आरोपों को और तूल दे दिया है। प्रिया का परिवार संगरार में रहता है। पिता राजकुमार दुकान चलाते हैं। तीन साल पहले बेटी के अचानक गायब हो जाने की घटना को याद कर वो आज भी गमगीन हो जाते हैं। राजकुमार बताते हैं, ‘मोहर्रम के दिन जुलूस में शामिल लोगों को हम शरबत पिला रहे थे। प्रिया भी हमारे साथ थी। बस चंद मिनटों के लिए मैं घर के अंदर गया, लौटा तो प्रिया वहां नहीं मिली।’ ‘पहले हमने आस-पास तलाशा। इसके बाद लोकल लोगों के साथ जाकर पुलिस स्टेशन में किडनैपिंग की रिपोर्ट दर्ज करवाई। दो महीने पहले ही सिंध के गृह मंत्री जिआउल हसन लंजर ने विधानसभा में दावा कर हमें उम्मीद दी थी कि प्रिया जिंदा है और सुरक्षित है। जल्द ही उसे परिवार को सौंप दिया जाएगा। इस बयान को दिए अब दो महीने हो चुके हैं।’ राजकुमार बताते हैं, 'कराची में प्रोटेस्ट के दिन भी सिंध के गृह मंत्री जिआउल हसन लंजर ने हमने मुलाकात की। उन्होंने फिर भरोसा दिलाया है कि प्रिया जिंदा है और स्वस्थ है।’ गृह मंत्री के बयान पर पाकिस्तान के अखबार DAWN ने ये खबर भी पब्लिश की थी। हालांकि इस पर प्रिया की मां वीना का कहना है कि अगर उन्हें पता है कि हमारी बेटी सुरक्षित है, तो वे ये भी जानते होंगे कि वो कहां है। वीना ने अथॉरिटीज से अपनी बेटी की रिहाई की अपील की। वे कहती हैं, ‘दुआ के वक्त ही प्रिया बाहर गई और फिर कहां चली गई, पता ही नहीं चला। पुलिस को सब पता है कि प्रिया कहां है, लेकिन फिर भी नहीं दे रही है।’ पुलिस ने 1000 से पूछताछ की, 22 का DNA टेस्ट कराया, लेकिन कोई सुराग नहींसुक्कूर पुलिस के लिए प्रिया का केस चैलेंज बना हुआ है। पुलिस का कहना है कि ये बेहद मुश्किल केस है क्योंकि प्रिया ऐसे वक्त में गायब हुई है, जब मोहर्रम के जुलूस के चलते मोबाइल फोन सर्विस बंद थी और उस दिन पब्लिक ट्रांसपोर्ट न के बराबर था। आस-पास कहीं सीसीटीवी भी नहीं था कि कोई लीड मिल सके। केस को सुलझाने के लिए पुलिस की तरफ से की गई जांच के बारे में सुक्कूर एसएसपी आमिर शहजाद बताते हैं कि घटना के बाद सुक्कूर पुलिस ने 1000 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ भी की। केस को सुलझाने के लिए 22 संदिग्धों के DNA सैंपल्स भी लिए गए, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। इसके साथ ही हमने दरगाह, मंदिरों, आस-पास खानाबदोशों और भिखारियों की बस्तियों की भी जांच की। आमिर का कहना है कि कड़ी पूछताछ और फोरेंसिक टेस्ट्स के बावजूद अब तक कोई पुख्ता सबूत नहीं मिला है। घटना की टाइमिंग को देखते हुए हमारा शक आतंकी संगठनों पर भी जा रहा है। सिंध हाईकोर्ट ने 2021 में ही इस केस की जांच के लिए पुलिस की एक कमेटी बनाई थी। हालांकि इस कमेटी की जांच रिपोर्ट को अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है। हर रोज हिंदू बेटियां किडनैप हो रहीं, कब तक कोर्ट-पुलिस के चक्कर काटेंअपहरण का ये केस अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार समिति (UNHRC) भी मामले को लेकर गंभीर है। ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट मुनव्वर लघारी ने सिंध में बिगड़ती कानून-व्यवस्था को लेकर चिंता जताई है। इधर, प्रिया की सकुशल घर वापसी की मांग को लेकर सिविल सोसाइटी और हिंदू कम्युनिटी के सैकड़ों लोग कराची के तीन तलवार मॉन्युमेंट पर इकट्‌ठा हुए और रैली निकाली। प्रोटेस्ट में शामिल हुए लोगों की शिकायत है कि सिंध सरकार और पुलिस प्रिया की रिहाई कराने में नाकाम रही। सुक्कूर जिले की हिंदू पंचायत के अध्यक्ष मुखी ईश्वर लाल माखेजा सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहते हैं, ‘500 घरों वाले छोटे से कस्बे संगरार में एक बच्ची गायब हो जाती है, वो भी तब जब त्योहार के चलते चप्पे-चप्पे पर पुलिस फोर्स तैनात थी। लोगों की सुरक्षा के लिहाज से ये एक गंभीर मामला है।’ माखेजा की मांग है कि पाकिस्तानी हिंदुओं को भी सुरक्षा मिले, ताकि वे भी देश के सम्मानजनक नागरिकों की तरह जिंदगी गुजार सकें। माइनॉरिटी राइट एक्टिविस्ट गजाला शफीक पाकिस्तान में माइनॉरिटीज खास तौर पर महिलाओं और लड़कियों की बुरी स्थिति पर कहती हैं, ‘हर रोज हमारी बेटियां किडनैप की जा रही हैं। हमारा पूरा दिन कोर्ट और पुलिस स्टेशन के चक्कर काटते हुए बीत जाता है।' सोशल एक्टिविस्ट प्रियंका कपूर भी प्रिया की रिहाई के लिए निकाली गई रैली में शामिल हुईं। प्रियंका कहती हैं, ‘माइनॉरिटी के तौर पर यहां हम अपने रीति-रिवाज तो मनाते हैं, लेकिन कहीं न कहीं असुरक्षित महसूस करते हैं। जब बात हमारी सुरक्षा की आती है तो हमें हमेशा डर रहता है कि कहीं हमारे साथ कोई हादसा न हो जाए, कहीं किडनैप न कर लिया जाए।' 'मुझे नहीं लगता कि यहां की माइनॉरिटी खुद को मुस्लिम अवाम की तरह सुरक्षित महसूस करती है।’ ह्यूमन राइट एक्टिविस्ट शीमा किरमानी हिंदुओं के साथ हो रहे भेदभाव को लेकर सरकार पर सवाल उठाती हैं। वे कहती हैं, ‘जो हम पर शासन चला रहे हैं, उन्हें इस बात की जरा भी चिंता नहीं है कि हमारे साथ क्या हो रहा है। हर रोज हमारी बेटियां गायब हो रही हैं, उठा ली जा रही हैं, लेकिन कोई हमारा हाल पूछने वाला भी नहीं है।’ प्रिया को सुरक्षित फैमिली को सौंपना स्टेट की जिम्मेदारीइस केस को लेकर हमने ह्यूमन राइट कमीशन के वाइस चेयरमैन काजी खिजरे से भी मुलाकात की। वो प्रिया के केस को सुलझाने में हो रही देरी को लेकर सिंध प्रशासन की आलोचना करते हैं। वे कहते हैं, ‘प्रिया का केस कोई सामान्य केस नहीं है। इस मामले में स्टेट एजेंसीज ये जानती हैं कि बच्ची कहां है। इसलिए ये स्टेट की जिम्मेदारी बनती है कि वो प्रिया को सुरक्षित उसके परिवार को लौटाए। एक्टिविस्ट्स प्रिया की रिहाई को लेकर अथॉरिटी पर दबाव बना रहे हैं और सोशल मीडिया पर भी कैंपेन चला रहे हैं। इसी दबाव के चलते सिंध सरकार ने अप्रैल में एक जॉइंट इन्वेस्टिगेशन टीम बनाई। नए सिरे से मामले की जांच शुरू होने के बाद भी अथॉरिटी अब तक प्रिया का पता नहीं लगा सकी है।

दैनिक भास्कर 25 Jul 2024 5:11 am

Donald Trump: कैनेडी मर्डर की डिटेल खंगाली फिर ट्रंप पर चलाई गोली, FBI का चौंकाने वाला दावा

Donald Trump News:संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) के निदेशक क्रिस्टोफर रे ने बुधवार को सांसदों को बताया कि पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर हमला करने के आरोपी से बरामद लैपटॉप से जानकारी मिली है कि उसने घटना को अंजाम देने से पहले गूगल पर तलाश की थी कि ‘‘केनेडी की हत्या करने वाला ओसावाल्ड कितनी दूर खड़ा था?’’

ज़ी न्यूज़ 25 Jul 2024 12:06 am

'वरना हम सभी जल जाएंगे...', 24 घंटे में ही टूट गया सबसे गर्म दिन का रिकॉर्ड, एक्सपर्ट्स ने दी चेतावनी

Hottest Day:84 साल के बाद बना सर्वाधिक वैश्विक औसत तापमान का रिकॉर्ड 24 घंटे के भीतर ही टूट गया है. गर्मी के मासिक रिकॉर्ड की एक सीरीज पर गौर करने से यह पता चलता है कि जून तक, लगातार पिछले 12 महीने से हर महीने वैश्विक तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा पहुंच रहा है.

ज़ी न्यूज़ 24 Jul 2024 10:24 pm

ओलंपिक से पहले पेरिस में दरिंदगी, महिला से 5 लोगों ने किया गैंगरेप.. वीडियो आया तो मचा बवाल

Paris News: ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्रालय ने बुधवार को एक बयान में कहा कि पेरिस में मौजूद ऑस्ट्रेलियाई दूतावास ने फ्रांस की राजधानी में हमले का शिकार हुई अपनी एक नागरिक को सहायता देने की कोशिश की है.

ज़ी न्यूज़ 24 Jul 2024 7:05 pm

Nepal Plane Crash: क्यों विमान हादसों की फैक्टरी है नेपाल का त्रिभुवन एयरपोर्ट? आज काल के गाल में चले गए 18 लोग

Nepal Plane Crash:नेपाल में बुधवार की सुबह काठमांडू एयरपोर्ट से उड़ान भरने के बाद ही एक विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया. विमान में सवार 18 लोगों की मौत हो गई. सिर्फ एक पायलट की जान बच सकी.

ज़ी न्यूज़ 24 Jul 2024 5:05 pm

River of tea: दुनिया में कहां बही ‘चाय की नदी’? NASA की इस सैटेलाइट इमेज में कौन सा सीक्रेट सामने आया

Earth Satellite Images: यह तस्वीर विन्याह खाड़ी की ली गई थी. यह 2020 सितंबर में आए सैली के बाद खींची गई थी.

ज़ी न्यूज़ 24 Jul 2024 2:15 pm

कोरोना के दौर में किया 'गुनाह', मुस्लिमों से अब माफी मांगेगी इस देश की सरकार

Sri Lanka News: कोरोना के दौर में कई देशों ने ऐसे फैसले लिए जिनकी अंतरराष्‍ट्रीय जगत में काफी आलोचना हुई. मुस्लिमों की धार्मिक आस्‍था से जुड़ा ऐसा ही एक विवादित फैसला श्रीलंका सरकार ने लिया था.

ज़ी न्यूज़ 24 Jul 2024 1:51 pm

Donald Trump: इजरायली पीएम के साथ मीटिंग से पहले ट्रंप ने पोस्ट किया फिलिस्तीनी राष्ट्रपति का लेटर, क्या मैसेज दे रहे हैं पूर्व राष्ट्रपति?

Israel-Hamas Conflict: पूर्व यूएस राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इजरायली पीएम की मीटिंग शुक्रवार शाम को होनी है. ट्रंप सोशल मीडिया पर लिखा है कि वह इस मीटिंग को लेकर बहुत उत्साहित हैं.

ज़ी न्यूज़ 24 Jul 2024 1:22 pm

Explainer: अमेरिका और यूरोप हुए फेल, गाजा पर चीन ने वो कर दिखाया जो कोई नहीं कर पाया!

Hamas and Fatah: चीन के सरकारी टीवी CCTV ने कहा कि हमास, फतह और अन्‍य छोटे दल फलस्‍तीन की भलाई के लिए एकजुट होने पर सहमत हो गए हैं.

ज़ी न्यूज़ 24 Jul 2024 12:54 pm

नेपाल प्‍लेन क्रेश का खौफनाक वीडियो आया सामने, Video देख दहल जाएगा दिल, 19 लोग थे सवार

Nepal Plane Crash Video:नेपाल की राजधानी काठमांडू में एक विमान क्रैश हो गया है। हादसे में फिलहाल 5 लोगों की मौत की जानकारी सामने आई है. प्लेन में क्रू समेत 19 लोग सवार थे. यह काठमांडू से पोखरा जा रहा था.

ज़ी न्यूज़ 24 Jul 2024 12:25 pm

Nepal Plane Crash: काठमांडू इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर टेक ऑफ के दौरान प्लेन क्रैश, 19 लोग थे सवार, 5 की मौत

Kathmandu Airport Plane Crash:यह दुर्घटना विमान के उड़ान भरने के दौरान रनवे से बाहर निकल जाने के कारण हुई.पुलिस और दमकलकर्मी दुर्घटनास्थल पर बचाव अभियान चला रहे हैं.

ज़ी न्यूज़ 24 Jul 2024 12:23 pm

Woke Mind Virus: क्या है 'वोक माइंड वायरस'? जिसे एलन मस्क ने बताया अपने बेटे का ‘हत्यारा’

Elon Musk:एलन मस्कपिछले कुछ समय से ‘वोक माइंड वायरस’ की कड़ी आलोचना कर रहे हैं, जिसे उन्होंने 'आधुनिक सभ्यता' के लिए खतरा बताया है.

ज़ी न्यूज़ 24 Jul 2024 8:59 am

लग्जरी लाइफ-किम कार्दशियन के पास 1255 करोड़ का प्राइवेट जेट:कैलिफोर्निया में 500 करोड़ का घर, 3 करोड़ का बैग करतीं यूज

किम कार्दशियन बिजनेसमैन मुकेश अंबानी के बेटे अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट की शादी में शामिल होने मुंबई आई थीं। वेडिंग सेरेमनी की कुछ तस्वीरें उन्होंने अपने इंस्टा अकाउंट पर शेयर की हैं। इन तस्वीरों में से कुछ तस्वीर उन्होंने भगवान गणेश की मूर्ति के साथ भी खिंचवाई है। फोटो के लिए उन्होंने भगवान गणेश की मूर्ति को प्रॉप की तरह इस्तेमाल किया है। लोग इसे हिंदू संस्कृति का अपमान बताकर सोशल मीडिया पर किम को ट्रोल कर रहे हैं। हालांकि किम ने अब यह तस्वीर अपने इंस्टाग्राम से डिलीट कर दी है। कंट्रोवर्सी, मॉडलिंग, एक्टिंग के अलावा किम कार्दशियन अपनी लाइफस्टाइल को लेकर भी चर्चा में रहती हैं। लग्जरी लाइफ में आज बात अमेरिकी सोशलाइट किम कार्दशियन की… किम 14 हजार करोड़ की संपत्ति की मालकिन हैं। एक्टिंग, मॉडलिंग और अपने बिजनेस वेंचर्स से वह सालाना 900 करोड़ की कमाई करती हैं। कैलिफोर्निया में 500 करोड़ की हवेली किम कार्दशियन अपने काम से दूर खाली वक्त में अपने परिवार के साथ कैलिफोर्निया के बेवर्ली हिल्स में बनी अपनी हवेली पर रहना पसंद करती हैं। 2022 में उन्होंने इस हवेली को खरीदा था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 4,239 स्क्वायर फीट में फैली इस हवेली की कीमत 500 करोड़ रुपए है। इस हवेली में 4 बेडरूम, 5 बाथरूम के साथ जिम और थिएटर जैसी सुविधा भी है। निचले फ्लोर पर किचन और फैमिली रूम बना है। वहीं, दूसरे फ्लोर पर मास्टर सुइट है। घर के बैकयार्ड में एक बड़ा सा स्विमिंग पूल, बॉस्केटबॉल कोर्ट और फार्मिंग एरिया है। 1255 करोड़ का प्राइवेट जेट किम कार्दशियन ने 2022 में गल्फस्ट्रीम जेट खरीदा था। जिसकी कीमत 150 मिलियन डॉलर यानी 1255 करोड़ रुपए है। अपने प्राइवेट जेट को उन्होंने 'किम एयर' नाम दिया है। इस जेट में किंग साइज बेड, दो बाथरूम, आरामदायक सीट है। हर सीट के साथ ही फोन चार्जिंग की सुविधा है। प्लेन का इंटीरियर कैशमियर है। इस प्राइवेट जेट में क्रीम कश्मीरी चमड़े (cashmere leather) की सीटें हैं। इसे डार्क और लाइट लेदर के कॉम्बिनेशन से डेकोरेट किया गया है। इस जेट में 16 लोग आसानी से बैठ सकते हैं। हैंडमेड घड़ी से लेकर डायमंड तक की वॉच किम कार्दशियन लग्जरी घड़ियों की भी शौकीन हैं। उनके पास 1 करोड़ की ऑडेमर्स पिगुएट रॉयल ओक कैलेंडर रोजगोल्ड वॉच है, जिसे बनाने में 1 साल से ज्यादा का समय लगता है। ऑडेमर्स पिगुएट SA लग्जरी घड़ी बनाने वाली एक स्विस कंपनी है। ये कंपनी 1875 से घड़ियां बना रही है। इसके दुनियाभर में 400 से ज्यादा डिस्ट्रीब्यूशन सेंटर हैं। किम के पास एक घड़ी 61 लाख की भी है। ऑजैकब एंड को कैसियो जी-शॉक बैप DW-6900 डॉयमंड वॉच नाम की यह घड़ी एक लिमिटेड एडिशन वॉच है। इस मॉडल की केवल 100 घड़ियां बनाई गई हैं। 1300 का चीजकेक खाने जेट से पहुंची पेरिस द सन की रिपोर्ट के मुताबिक, 2013 में प्रेग्नेंट किम को पेरिस के होटल कॉस्टेस का स्पेशल चीजकेक खाने की क्रेविंग हुई। वह अमेरिका में थीं। चीजकेक खाने के लिए वह प्राइवेट जेट से पेरिस पहुंच गईं। किम कार्दशियन ने चंद रुपए के चीजकेक के लिए लाखों रुपए खर्च किए। होटल कॉस्टेस में चीजकेक की कीमत लगभग 1200 से 1300 रुपए है। कोस्टा रिका में मनाती हैं वेकेशन, एक दिन का खर्च 20 लाख तक किम कार्दशियन परिवार के साथ कोस्टा रिका आइलैंड पर छुट्टियां मनाना पसंद करती हैं। वह पेनिनसुला पापागायो (Peninsula Papagayo) में बने विला मंजू (Villa Manzu) वेकेशन रिसॉर्ट में रुकती हैं। Villa Manzu रिसॉर्ट में स्विमिंग पूल, स्पा, थिएटर, प्राइवेट स्टाफ समेत रेंज रोवर, फोर्ड SUV जैसी लग्जरी गाड़ियों से भरी गैराज फैसिलिटी भी मिलती है। कोस्टा रिका के अलावा किम परिवार के साथ अक्सर दुबई, इटली, स्पेन भी घूमने जाती रहती हैं। किम के पास 130 से ज्यादा लग्जरी बैग्स का कलेक्शन किम कार्दशियन बैग्स पर खर्च करना पसंद करती हैं। उन्होंने अपने घर में बैग्स के लिए अलग से कमरा बनवाया है जहां बड़े ब्रांड के लग्जरी बैग्स का कलेक्शन है। वोग के मुताबिक उनके पास हर्मेस का हिमालय क्रोकोडाइल डायमंड बिर्किन हैंडबैग है जिसकी कीमत 3 करोड़ रुपए हैं। यह एक लिमिटेड एडिशन बैग है। नीलोटिकस मगरमच्छ की खाल से बने इस हैंडबैग पर हीरे जड़े हुए हैं। हर्मेस बिर्किन का भी एक ब्लैक हैंडबैग बैग वह इस्तेमाल करती हैं, जिसकी कीमत तकरीबन 58 लाख रुपए है। हर्मेस केली किम का पसंदीदा ब्रांड है। इसके अलावा उनके बैग कलेक्शन में लुई वितों, क्रिश्चियन डियोर, बैलेनसियागा जैसे बड़े लग्जरी ब्रांड्स शामिल हैं। किम के पास 3.5 करोड़ की वैनिटी, सजावट पर 65 लाख खर्च किए किम शूटिंग के दौरान वैनिटी वैन से ही ट्रैवल करना पसंद करती हैं। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि वो ऐसी वैनिटी चाहती थीं, जो उन्हें घर जैसा आरामदायक माहौल दे सके। 3.5 करोड़ की कीमत वाली इस मेबैक मिनीवैन का इंटीरियर क्लासी है। इस वैनिटी वैन में बहुत ज्यादा सामान नहीं रखा है, ताकि शूटिंग के वक्त आराम से तैयार हुआ जा सके। कार कलेक्शन में 7 करोड़ की रोल्स रॉयस घोस्ट किम कार्दशियन लग्जरी कार की भी शौकीन हैं। उनके पास कई महंगी और विटेंज गाड़ियां हैं। उनके गैराज में 7.9 करोड़ की रोल्स रॉयस घोस्ट लग्जरी कार है, जिसे उन्होंने कस्टमाइज करवाया है। इसके अलावा फरारी 458 इटेलिया, लैम्बोर्गिनी उरुस मंसोरी, मर्सिडीज मेबैक GLS 600, लैंड रोवर, रेंज रोवर ऑटोबायोग्राफी, मर्सिडीज मेबैक S580 जैसी लग्जरी कार पार्क हैं। ब्रांड एंडोर्समेंट का लेती हैं 8 करोड़ किम कई बड़े ब्रांड का चेहरा हैं। उनकी कमाई का एक बड़ा हिस्सा ब्रांड एंडोर्समेंट से आता है। वह किसी ब्रांड से जुड़ने के लिए 15 से 20 करोड़ रुपए चार्ज करती हैं। किम के इंस्टाग्राम पर 362 मिलियन (36.करोड़) फॉलोअर्स हैं। वह इंस्टाग्राम पर एक प्रमोशनल पोस्ट के लिए 4 करोड़ रुपए चार्ज करती हैं। वह बलेनसिआगा, एसकेकेएम, डोल्से एंड गबाना, केकेडब्ल्यू ब्यूटी जैसे बड़े ब्रांड का चेहरा हैं।

दैनिक भास्कर 24 Jul 2024 8:56 am

Kim Cheatle: US सीक्रेट सर्विस चीफ का इस्तीफा, कहा- ट्रंप की सुरक्षा में चूक की लेती हूं जिम्मेदारी

US Secret Service:सोमवार को गोलीबारी के बारे में कांग्रेस की विवादास्पद सुनवाई के बाद डेमोक्रेट और रिपब्लिकन दोनों ने किम चीटल से पद छोड़ने के लिए कहा था.

ज़ी न्यूज़ 24 Jul 2024 7:07 am

टॉयलेट पेपर तक का हिसाब रखने वाले अजीम प्रेमजी:एकबार में दान कर दिए थे 1.45 लाख करोड़; 79वें जन्मदिन पर रोचक किस्से

भारत की तीसरी सबसे बड़ी IT कंपनी विप्रो के पूर्व चेयरमैन अजीम प्रेमजी ने एक दिन अपने CEO टीके कुरियन को फोन किया। उनसे विप्रो ऑफिसेज के वॉशरूम में इस्तेमाल होने वाले टॉयलेट पेपर का खर्च पूछ लिया। कुरियन के पास इसका जवाब नहीं था। कुरियन हैरान थे कि बॉस किन बातों को लेकर परेशान हैं। टॉयलेट पेपर तक का हिसाब रखने वाले अजीम प्रेमजी ने 2019 में एक झटके में कंपनी के 67% शेयर डोनेट कर दिए थे। आज उन शेयर्स की कीमत करीब 1.45 लाख करोड़ रुपए है। इसके अलावा हर साल वो अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा डोनेट कर देते हैं। अजीम प्रेमजी के 79वें जन्मदिन पर उनकी जिंदगी के रोचक किस्से… वनस्पति तेल के कारखाने से शुरू हुई विप्रो 1940 के दशक की बात है। अजीम प्रेमजी के पिता मोहम्मद हाशिम प्रेमजी बर्मा के राइस किंग कहे जाते थे। उन्होंने महाराष्ट्र के जलगांव में एक छोटे उद्यमी को लोन दिया था। वो अपना उधार वसूलने गए, तो उद्यमी ने अपनी मिल बेचने की पेशकश कर दी। मोहम्मद हाशिम को यह सौदा बुरा नहीं लगा। उन्होंने इस मिल में वेस्टर्न इंडिया वेजिटेबल प्रोड्क्टस लिमिटेड यानी WVPL की नींव रखी। यहां सनफ्लॉवर ऑयल नाम से वनस्पति तेल और 787 नाम से लॉन्ड्री साबुन बनता था। अजीम हाशिम प्रेमजी का जन्म 24 जुलाई 1945 को मुंबई में हुआ था। 1966 में पिता की अचानक मौत के बाद अजीम प्रेमजी 21 साल की उम्र में भारत लौटे। वे स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में इंजीनियरिंग पढ़ रहे थे। अजीम प्रेमजी ने बिजनेस संभाला तो उन्हें कंपनी का नाम बहुत बड़ा लगा। वनस्पति के अलावा कंपनी के और प्रोडक्ट हो गए थे। अजीम ने कहा- कंपनी का नाम ऐसा होना चाहिए, जो छोटा हो और लाेगों को याद रहे। अजीम ने वेस्टर्न से W, इंडिया से I और प्रोड्‌क्ट्स से Pro लिया। इस तरह विप्रो (WIPRO) नाम रखा गया। इसने आईटी , हार्डवेयर, टॉयलेटरीज, हेयर केयर, साबुन, बेबी टॉयलेटरीज आदि प्रोडक्ट लॉन्च किए। आज ये कंपनी देश की तीसरी सबसे बड़ी IT कंपनी है। इसकी मौजूदा मार्केट कैप करीब 2.65 लाख करोड़ रुपए है। अजीम प्रेमजी की शादी यास्मीन से हुई है। इनके दो बेटे रिशाद और तारिक हैं। जुलाई 2019 में रिशाद प्रेमजी ने विप्रो प्रमुख की जिम्मेदारी संभाली। अमीरी में 17वें नंबर पर, लेकिन डोनेशन में आगे हैं अजीम प्रेमजी फोर्ब्स की लिस्ट के अनुसार विप्रो चेयरमैन अजीम प्रेमजी भारत के 17वें सबसे अमीर शख्स हैं, लेकिन डोनेशन देने के मामले में उनका नंबर दूसरा है। एडेलगिव हुरुन इंडिया ने 2023 में दानवीर अरबपतियों की सूची जारी की, जिसमें अजीम प्रेमजी भारत के दूसरे सबसे बड़ी दानी हैं। अजीम ने अपने परिवार के साथ पिछले साल 1774 करोड़ रुपए का डोनेशन दिया है। यह 2022 के मुकाबले 267% ज्यादा है। वे अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के मार्फत ये डोनेशन देते हैं। अजीम का फाउंडेशन गरीब और जरूरतमंद बच्चों के लिए क्वालिटी एजुकेशन, टीचर्स ट्रेनिंग, डिजिटल क्लासरूम और स्कॉलरशिप देता है। 13 मार्च 2019 को अजीम प्रेमजी ने ऐलान किया कि वे विप्रो की 67% हिस्सेदारी दान कर देंगे। उस वक्त ये रकम करीब 50 हजार करोड़ रुपए थी। जो आज बढ़कर करीब 1.45 लाख करोड़ रुपए हो गई है। ​​​​​लो प्रोफाइल शख्सियतः बीमार भी हों तो किसी को बताना पसंद नहीं करते मई 2019 की घटना है। अजीम प्रेमजी के पास अपने घर बेंगलुरु से चार घंटे की दूरी पर तमिलनाडु के यारकौड में एक रिसॉर्ट है। अजीम अक्सर वीकेंड पर सुकून के लिए यहां जाते हैं। उस दिन अजीम अपने प्रिय डॉगी फॉक्सी काे लेकर वॉक पर अकेले निकले थे। वे एक चट्‌टान पर अपने डॉगी के साथ बैठे थे। अचानक वे फिसले और 15 फुट गहरे गड्‌ढे में गिर गए। 74 साल के अजीम आधे घंटे तक बेहोश पड़े हुए थे। उनका डॉगी फॉक्सी लगातार भौंक रहा था, लेकिन कोई मदद नहीं मिल रही थी। फॉक्सी दो मील दौड़कर रिसॉर्ट गया और ड्राइवर के सामने भौंकने लगा। ड्राइवर समझ गया कि कुछ गड़बड़ है। वो फॉक्सी के साथ चल दिया। जब ड्राइवर मौके पर पहुंचा तो अजीम लहूलुहान पड़े थे। उसने फौरन उन्हें अस्पताल पहुंचाया। पता चला कि अजीम की कॉलरबोन टूट गई थी। सिर पर गहरी चोट थी। बहते खून को रोकने के लिए 15 टांके लगाने पड़े थे। अजीम प्रेमजी की पत्नी यास्मीन, बेटे रिशाद और तारिक उस दिन बेंगलुरु में ही थे। सभी फौरन अस्पताल पहुंचे। बेटों ने इसी दौरान कंपनी के दो-तीन सीनियर ऑफिशियल्स को भी सूचना दे दी। अजीम ने अपने बेटे को भी ये बात अच्छे से बता रखी है कि अपने संकट को खुद निपटो। सबको परेशान करने की जरूरत नहीं है। उन्हें बेंगलुरु के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया। फिर उनकी पीठ की सर्जरी कोयम्बटूर के एक अस्पताल में हुई। रिकवरी में डेढ़ महीने लग गए, लेकिन इस दौरान बहुत कम लोग उनसे मिलने पहुंचे, क्योंकि बहुत कम लोगों को इसकी जानकारी थी। सादगी: जब गार्ड ने सस्ती कार की वजह से अजीम प्रेमजी को गेट पर रोका बीपीओ कंपनी स्पेक्ट्रामाइंड को विप्रो को बेचने वाले रमन रॉय बताते हैं कि हमारी एक मीटिंग होनी थी। अजीम प्रेमजी ने मुझे कहा कि आप रात को मिलने आइए। उस दिन प्रेमजी ने पीएम के साथ बैठक की। मैं ओखला स्थित एक सेंटर पर उनका वेट कर रहा था। गेट पर तैनात गार्ड को बता दिया गया था कि एक वीआईपी आने वाला है। यह वीआईपी करोड़पति है। जब आधी रात को अजीम प्रेमजी आए तो गार्ड ने उन्हें अंदर नहीं आने दिया। उसे बताया गया कि जिन वीआईपी साहब का वेट हो रहा है, वे यही हैं। इसके बाद भी गार्ड मानने के लिए तैयार नहीं हुआ। आखिरकार रॉय पहुंचे और अजीम प्रेमजी को अंदर लाए। दरअसल, गार्ड ने समझा कि एक करोड़पति इंसान मारुति एस्टीम जैसी सस्ती कार में क्यों आएगा। प्रेमजी कभी शो ऑफ में भरोसा नहीं करते। वे हमेशा सामान्य कारों में सफर करने वालों में से हैं। उनके साथ काम करने वाले लोग बताते हैं कि हम शुरुआती दिनों में जब किसी क्लाइंट से मीटिंग के लिए जाते थे, लोग देखकर अचंभे में पड़ जाते थे कि सूट टाई पहने चार-चार लोग एक ही कार से उतर रहे हैं। प्रेमजी के साथ काम करने वाले नितिन मेहता बताते हैं कि गोवा में विप्रो के सीनियर ऑफिसर्स की मीटिंग थी। तब प्रेमजी का परिवार भी आया था। जब हम एयरपोर्ट पर पहुंचे तो देखा कि प्रेमजी के परिवार के लिए मारुति वैन खड़ी थी, बाकी अफसरों के लिए एक बस होटल तक उन्हें ले जाने वाली थी। मैं बस की ओर जा रहा था। तभी उन्होंने कहा तुम हमारे साथ चलो। उस वैन में प्रेमजी आगे बठै थे। मैं, प्रेमजी की पत्नी यास्मिन और दोनों बेटों के साथ पीछे बैठ गया। उन्होंने मारुति वैन में मुझे ले जाकर ये बताने की कोशिश की थी कि हम आप जैसे ही हैं, अलग नहीं। मिसाल: विदेश यात्राओं में खुद कपड़े धोते थे, ऑफिस में कॉफी के कप छोटे करवाए अजीम को चॉकलेट बहुत पसंद है। उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि चाॅकलेट सस्ती है या महंगी। उन्हें अक्सर विप्रो के कैफेटेरिया में चॉकलेट के लिए टहलते हुए देखा जा सकता है। हालांकि अजीम के साथ एक समस्या ये होती है कि उनकी जेब में कभी कैश नहीं होता। यही कारण है कि वे कैफेटेरिया से हमेशा चॉकलेट नहीं ले पाते। अजीम ने कभी भी दिखावे के लिए अपनी पत्नी को कोई महंगा तोहफा नहीं दिया है। कुछ साल पहले तक वे हमेशा इकोनॉमी क्लास वाली हवाई यात्रा करना पसंद करते थे। होटल भी हमेशा सामान्य लेते थे। विप्रो का 93% बिजनेस इंडिया के बाहर है। इसके बाद भी विदेशों में उनकी कोई संपत्ति नहीं है। यहां तक कि ठहरने के लिए कोई अपार्टमेंट तक नहीं है। विप्रो के पूर्व प्रेसिडेंट सुदीप नंदी बताते हैं कि अजीम उन लोगों में से हैं, जो विदेश यात्राओं के दौरान अपने कपड़े खुद धोते थे। वे बताते हैं कि एक बार हम विदेश यात्रा पर गए थे। उन्होंने हमें दिए जाने वाले साबुन से कपड़े धो लिए थे। अजीम का कहना था कि जितने के कपड़े नहीं हैं, उससे ज्यादा तो पैसा कपड़ा धोने में लग जाता है। मैं ये फिजूलखर्च नहीं करूंगा। अजीम ने देखा कि विप्रो की जब मीटिंग होती है, तो कभी भी ऑफिसर्स को परोसी जाने वाली कॉफी का दौर खत्म नहीं होता है। तब उन्होंने मीटिंग में काॅफी का कप छोटा करवा दिया था, ताकि कम कॉफी परोसी जा सके। एक बार उन्होंने देखा कि प्रिंट के लिए एक तरफ का पेपर यूज होता है। अगले दिन आदेश जारी किया कि पेपर का दोनों तरफ से उपयोग किया जाए। ईमानदार: अपनी लकी कार विप्रो से नहीं खरीद पाए अजीम कंपनी के रूल्स फॉलो करने में बेहद कट्‌टर हैं। विप्रो के बोर्ड में रहे एन. वाघुल प्रेमजी कार खरीदी को लेकर बताते हैं कि अजीम ने लंबे समय तक फिएट 118 एनई चलाई। 2000 के बाद उन्होंने फैसला लिया कि अब उन्हें नई कार की जरूरत है। चाहते तो मर्जी से कोई भी कार खरीद सकते थे, लेकिन अजीम ने कम से कम आधा दर्जन लोगों से पूछा कि उन्हें कौन सी कार खरीदनी चाहिए। आखिर में दो कारों पर सहमति बनी। अजीम ने टाटा इनोवा को पसंद किया। अजीम उन लोगों में से हैं जो देश में बनी चीजों को तवज्जो देते हैं। टाटा को लेकर उनके मन में काफी सम्मान है। वे ज्यादातर टाटा की कार को प्रिफरेंस देते रहे हैं। हालांकि कार का मामला यहीं खत्म नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि उनकी पुरानी फिएट कार उनके लिए लकी साबित हुई है। इस कारण मैं इसे खरीदना चाहता हूं। वाघुल समझ नहीं पाए वे क्या कह रहे हैं। दरअसल कार कंपनी के नाम पर थी। इसे अब अजीम व्यक्तिगत रूप से खरीदना चाहते थे। वाघुल ने कहा कि आप ले लीजिए कोई बहुत ज्यादा कीमत नहीं होगी। अजीम ने कहा कि हमें इसके लिए रूल्स फॉलो करना चाहिए। इसके लिए प्रॉपर एक विज्ञापन निकालना चाहिए। ये मामला विप्रो के चीफ फाइनेंस ऑफिसर सुरेश सेनापति के सामने गया। सेनापति आए उन्होंने कहा कि इस मामले को बढ़ाने की जरूरत नहीं, आप कार ले लीजिए। आखिरकार वो कार विप्रो के पास ही रही। दरअसल, सरकारी नियम कंपनी की संपत्ति को प्रमोटर्स को खरीदने के लिए प्रोत्साहित नहीं करते हैं। इसके चलते प्रेमजी अपनी लकी कार नहीं खरीद पाए। इनोवा खरीदने के कुछ साल बाद अजीम की बेस्ट फ्रेंड किरण मजूमदार-शॉ ने वाघुल को फोन किया। बताया कि अजीम ने एक मर्सिडीज खरीदी है। वाघुल शॉक्ड थे। उन्होंने कहा- क्या कह रही हो, अगले ही पल किरण ने कहा सेकेंड हैंड। आदर्श पिता: बेटे को विदेशी कार नहीं दिलाई अजीम प्रेमजी ने अपने दोनों बेटों रिशाद और तारिक को एक मिडिल क्लास परिवार की तरह परवरिश दी है। रिशाद बताते हैं कि जब हम कभी स्कूल बस चूक जाते थे तो हमारे लिए पापा की कोई महंगी कार नहीं होती थी। हमें सरकारी बस में स्कूल जाना होता था। अजीम अपने बच्चों को विदेश में छुटि्टयां मनाने नहीं ले जाते थे। जब कभी छुट्‌टी होती तो वे दोनों बेटों को मुंबई बीच पर ले जाते थे। ऐसा ही एक किस्सा है जब अजीम अरबपति बन चुके थे। छोटे बेटे तारिक ने कहा कि मेरे दोस्तों के पास महंगी विदेशी कारें थीं। मैंने भी कहा कि पापा मुझे भी विदेशी कार चाहिए। इस पर काफी विचार-विमर्श हुआ। अजीम ने अपने छोटे बेटे को रईसी का शौक लगने से बचाने के लिए टाटा इंडिका कार दिलवाई थी। इसके लिए भी अजीम की मां को दखल देना पड़ा था। Sources

दैनिक भास्कर 24 Jul 2024 5:29 am

खाली हॉस्टल, बाहर फायरिंग, दो दिन अकेले फंसी रही गौसिया:बांग्लादेश में हिंसा से 174 मौतें; भारतीयों को बॉर्डर तक छोड़ रही पुलिस

नाम- गौसिया मकसूद। कॉलेज- होली फैमिली रेड क्रिसेंट मेडिकल कॉलेज। शहर- ढाका। 16 जुलाई को बांग्लादेश में आरक्षण के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन शुरू हुए, तो गौसिया भी वहीं फंस गईं। हिंसा का सबसे ज्यादा असर ढाका में है। भारतीय स्टूडेंट घर लौट रहे थे। गौसिया के साथ पढ़ने वाली लड़कियां भी भारत आ गईं, लेकिन गौसिया नहीं निकल पा रही थीं। वजह थी पासपोर्ट न मिलना। अब गौसिया अपने घर श्रीनगर लौट आई हैं, लेकिन अब भी कई स्टूडेंट बांग्लादेश में फंसे हैं। बॉर्डर एरिया में रहने वाले भारतीय स्टूडेंट्स को बांग्लादेश पुलिस BSF तक पहुंचा रही है। बांग्लादेश में हिंसा और प्रदर्शन अब भी जारी हैं। पूरे बांग्लादेश में अगले आदेश तक स्कूल और यूनिवर्सिटी बंद हैं। cbsnews के मुताबिक, अब तक 174 मौतें हो चुकी हैं। 2500 से ज्यादा लोग अरेस्ट किए गए हैं। अब गौसिया की आपबीतीकॉलेज-मार्केट सब बंद था, हॉस्टल में दो दिन अकेली रहींगौसिया मकसूद बताती हैं, ‘16 जुलाई को बांग्लादेश में प्रदर्शन शुरू हुआ। कॉलेज-मार्केट सब बंद कर दिए गए। अगले दिन उपद्रव और बढ़ गया। आगजनी होने लगी। फायरिंग की आवाज सुनाई देती थी। प्रशासन ने हम लोगों को मैसेज किया कि कोई भी स्टूडेंट हॉस्टल से बिना बताए बाहर न निकले।’ गौसिया बताती हैं, ‘मेरे कॉलेज में करीब 150 भारतीय स्टूडेंट हैं। हॉस्टल में हम 92 लड़कियां थीं। सभी बहुत घबराई हुई थीं। इंटरनेट बंद था। मोबाइल नेटवर्क कभी-कभी ही आता था। उसका भी सिग्नल काफी कम रहता। वाईफाई बंद हो गया। 18 जुलाई को अफसरों ने कहा कि हमें बांग्लादेश छोड़कर अपने देश लौटना होगा। हाई कमीशन ने भी एडवाइजरी जारी कर दी थी।’ ‘मैंने श्रीनगर में फैमिली से फोन पर बात की। फ्लाइट टिकट बुक कराने के लिए कहा। पासपोर्ट चेक करने लगी तो पता चला कि पासपोर्ट ही गायब है। मेरे हॉस्टल की सभी इंडियन लड़कियां चलीं गईं।' 'अब मैं अकेली बची थी। दो दिन तक अकेले हॉस्टल में रही। बहुत डर लग रहा था। खाने के लिए बस इंस्टैंट फूड था। पनीर टिक्का और कश्मीर से लाए ड्राई फ्रूट्स खाकर दो दिन निकाले। फोन पर किसी से बात नहीं कर पा रही थी। कभी थोड़ा नेटवर्क आता तो घरवालों से बात हो पाती।' अफसरों ने रात में एंबुलेंस में बैठाकर एयरपोर्ट पहुंचायागौसिया मकसूद आगे बताती हैं, ‘मैंने बांग्लादेश में भारत के हाई कमीशन ऑफिस में कॉन्टैक्ट किया। मेरे भाई ताहिर मकसूद वानी श्रीनगर से दिल्ली पहुंचे। उन्होंने विदेश मंत्रालय में बताया। सोशल मीडिया का सहारा लिया। बांग्लादेश में रहने वाले स्टूडेंट्स से बात की।' 'आखिरकार 21 जुलाई की शाम तक डुप्लीकेट पासपोर्ट मिल पाया। 22 जुलाई की सुबह ढाका से कोलकाता की फ्लाइट बुक की। लोकल प्रशासन ने कॉलेज और आसपास के इलाके में फंसी भारतीय लड़कियों से कॉन्टैक्ट किया।’ ‘आधी रात को हमें हॉस्टल से बाहर बुलाकर एंबुलेंस में बैठाया गया। फ्लाइट सुबह की थी, लेकिन हॉस्टल में रहना सेफ नहीं था। एयरपोर्ट पर काफी सिक्योरिटी है, इसलिए हम लोग रात में ही एंबुलेंस से एयरपोर्ट तक पहुंचे। वहां से सुबह निकले और करीब 1 घंटे बाद साढ़े 10 बजे कोलकाता पहुंचे।' इंडियन बॉर्डर से 5 किमी दूर कॉलेज, 200 स्टूडेंट लौटेढाका से करीब 120 किमी दूर चटगांव के कॉमिला में मैनामोती मेडिकल कॉलेज है। इस कॉलेज में 247 भारतीय स्टूडेंट मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं। कॉलेज के आसपास शांति थी, लेकिन माहौल में तनाव था। 21 जुलाई को यहां के छात्रों को भारत लौट जाने के लिए कहा गया। दैनिक भास्कर ने कॉलेज में पढ़ रहे सैयद मोमीन इकबाल और मोहम्मद ओसामा उमर खान से बात की। सैयद यूपी के रामपुर और उमर मुरादाबाद के रहने वाले हैं। सैयद फोर्थ और उमर थर्ड ईयर स्टूडेंट हैं। मोमीन और उमर के साथ करीब 15 लोग थे। बांग्लादेश पुलिस के साथ सभी 22 जुलाई को त्रिपुरा के श्रीमनपुर बॉर्डर पहुंचे। सुबह 10 बजे BSF ने उनकी भारत में एंट्री कराई। फिर उन्हें अगरतला में सरकार के बनाए कैंप में ठहराया गया। दोनों बताते हैं, ‘मैनामोती मेडिकल कॉलेज इंडिया बॉर्डर से सिर्फ 5 किमी दूर है। यहां के स्टूडेंट में ज्यादातर कश्मीर, यूपी, बिहार, असम, बंगाल, महाराष्ट्र से हैं। अब तक 2 शिफ्ट में 200 स्टूडेंट्स को भारत भेजा जा चुका है। हम लोग इंडियन हाई कमीशन के कॉन्टैक्ट में थे। उनके कहे मुताबिक ही सब कुछ कर रहे थे।’ आरक्षण पर अब तो बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है, फिर क्यों प्रदर्शन चल रहा है? सैयद मोमीन जवाब देते हैं, 'सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण की लिमिट 56% से कम करके 7% कर दी है, लेकिन लोग इससे खुश नहीं है। अब वे चाहते हैं कि शेख हसीना सरकार इस्तीफा दे।' 'अंदाजा है कि आगे माहौल और खराब हो सकता है। इंटरनेट अब भी बंद है। कर्फ्यू लगा है। खराब माहौल को देखते हुए भारतीय छात्र बांग्लादेश से लौटना चाहते हैं।’ छत पर भारत का मोबाइल नेटवर्क मिल रहा, इसी से बात हो रहीसैयद मोमीन आगे कहते हैं, ‘बांग्लादेश में तो इंटरनेट बंद है। हम लोगों का कॉलेज इंडिया बॉर्डर के पास है। हॉस्टल की छत पर जाते हैं तो इंडियन मोबाइल नेटवर्क मिल जाता है। हम लोग उसी की मदद से बात कर रहे थे। इंटरनेट यूज कर रहे थे।' वहीं, उमर खान बताते हैं, ‘हम लोगों ने वॉट्सऐप ग्रुप बना लिए थे। इसके जरिए बांग्लादेश में मौजूद सभी स्टूडेंट्स एक-दूसरे से कॉन्टैक्ट में थे। हालांकि भारतीय स्टूडेंट घरवालों से बात नहीं कर पा रहे हैं। हम लोगों को ग्रुप के जरिए जो भी जानकारी मिल रही है, हम उनके परिवार तक पहुंचा रहे हैं। भारतीय हाई कमीशन के अधिकारियों और स्थानीय प्रशासन ने भी काफी सपोर्ट किया।’ मेडिकल की पढ़ाई के लिए स्टूडेंट भारत से बांग्लादेश क्यों आते हैं? सैयद मोमीन इसका जवाब देते हैं, ‘भारत में सरकारी मेडिकल कॉलेज बहुत कम हैं। प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की फीस ज्यादा है। प्राइवेट कॉलेजों में मेडिकल की पढ़ाई में 90 लाख से सवा करोड़ रुपए तक लगते हैं। वहीं, बांग्लादेश में 30 लाख रुपए में मेडिकल कोर्स पूरा हो जाता है।’ बांग्लादेश के अलावा भारतीय स्टूडेंट मेडिकल की पढ़ाई के लिए रूस, किर्गिस्तान, कजाकिस्तान भी जाते हैं। इन देशों के मुकाबले मेडिकल की पढ़ाई के लिए बांग्लादेश ज्यादा बेहतर है। सैयद इसकी वजह बताते हैं, ‘विदेश में मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्रों को भारत में लाइसेंसिंग एग्जाम देना होता है। इसे FMGE यानी फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जाम कहते हैं। इसमें आमतौर पर बाहर से पढ़ने वाले 20% छात्र ही पास हो पाते हैं। इनमें भी सबसे ज्यादा बांग्लादेश में पढ़ने वाले क्वालिफाई करते हैं।’ इसके पीछे क्या वजह है? सैयद मोमीन कहते हैं’ ‘बांग्लादेश और भारत में मेडिकल पढ़ाई का कोर्स और पैटर्न एक जैसा है। दोनों देशों में एक जैसी किताबें पढ़ाई जाती हैं। पढ़ाने वाले प्रोफेसर भी एक जैसे ही हैं। इसलिए बांग्लादेश में कम खर्च में भारत जैसी पढ़ाई मिल जाती है।’ 21 जुलाई तक 4500 से ज्यादा भारतीय छात्र लौटेभारत के विदेश मंत्रालय ने 21 जुलाई को अपडेट रिपोर्ट जारी की थी। इसमें बताया गया कि इंडियन हाई कमीशन लगातार बांग्लादेश में भारतीयों की मदद कर रहा है। खासकर ढाका, चटगांव, राजशाही, सिलहट और खुलना में हिंसक घटना के बाद से भारतीय नागरिकों की घर वापसी में मदद की जा रही है। भारत और बांग्लादेश के बीच एयर सर्विस के लिए भी लगातार बातचीत चल रही है। विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी रिपोर्ट के अनुसार, अब तक 4500 से ज्यादा स्टूडेंट भारत लौट चुके हैं। भारत ने दूसरे देशों के स्टूडेंट्स की भी मदद की है। नेपाल के 500, भूटान के 38 और मालदीव का एक छात्र भारत आया है। नौकरियों में 56% कोटा सिस्टम का विरोधबांग्लादेश 1971 में आजाद हुआ था। बांग्लादेशी अखबार द डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक देश में इसी साल नौकरियों में 80% कोटा सिस्टम लागू किया गया था। इसमें स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों को नौकरी में 30%, पिछड़े जिलों के लिए 40%, महिलाओं के लिए 10% आरक्षण दिया गया। सामान्य छात्रों के लिए सिर्फ 20% सीटें रखी गईं। 1976 में पिछड़े जिलों के लिए आरक्षण को 20% कर दिया गया। इससे सामान्य छात्रों को 40% सीटें हो गईं। 1985 में पिछड़े जिलों का आरक्षण और घटाकर 10% कर दिया गया और अल्पसंख्यकों के लिए 5% कोटा जोड़ा गया। इससे सामान्य छात्रों के लिए 45% सीटें हो गईं। शुरुआत में स्वतंत्रता सेनानियों के बेटे-बेटियों को ही आरक्षण मिलता था, लेकिन 2009 से इसमें पोते-पोतियों को भी जोड़ दिया गया। 2012 में विकलांग छात्रों के लिए भी 1% कोटा जोड़ दिया गया। इससे कुल कोटा 56% हो गया। PM शेख हसीना का एक बयान और लोगों का गुस्सा भड़कामीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 14 जुलाई को बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना ने आरक्षण पर कहा था कि अगर स्वतंत्रता सेनानियों के पोते-पोतियों को कोटे का फायदा ना मिले तो क्या रजाकारों के पोते-पोतियों को मिलना चाहिए। इस बयान के बाद ही युवाओं में गुस्सा भड़क उठा। सरकारी नौकरियों में 56% आरक्षण को लेकर युवाओं में पहले से गुस्सा था। इस बयान के बाद वे और भड़क गए। हालात बिगड़ने के बाद सरकार ने पूरे देश में कर्फ्यू लगाते हुए प्रदर्शनकारियों को देखते ही गोली मारने के आदेश दे दिए। पुलिस की जगह सेना तैनात कर दी गई। स्थिति को देखते हुए प्रधानमंत्री शेख हसीना ने स्पेन और ब्राजील का दौरा रद्द कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कोटा कम किया, फिर भी प्रदर्शन जारी21 जुलाई को बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट ने बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में हिस्सा लेने वालों के बच्चों के लिए रिजर्वेशन 30% की जगह 5% कर दिया। 2% कोटा अल्पसंख्यकों, ट्रांसजेंडर और विकलांगों के लिए रखा गया। इस तरह बांग्लादेश में योग्यता के आधार पर सरकारी नौकरी के लिए 93% जगह बन गई। हालांकि इस पर अभी बांग्लादेश सरकार का स्पष्ट बयान नहीं आया है। इससे लोग सरकार को ही बर्खास्त करने की मांग कर रहे हैं।

दैनिक भास्कर 24 Jul 2024 5:13 am

खुद्दार कहानी: मां-पापा मजदूर, बेटा इंजीनियर:गेट क्वालिफाई किया, आज 2500 लोगों की टीम लीड करता है

‘मैं देश की जानी-मानी कंपनी हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड यानी HP में ह्यूमन रिसोर्स मैनेजर हूं। 2500 लोगों की टीम को लीड करता हूं, लेकिन इन सब के बीच कई बार ठहरकर सोचता हूं कि वो भी क्या दिन थे, जब पाई-पाई को मोहताज था। पापा और मम्मी दोनों दिहाड़ी मजदूर थे। पापा को तो आज भी फोन रिसीव करने नहीं आता है। जब मैं अपने साथ के लोगों को पिता से बात करते हुए देखता हूं, तो पापा के बारे में सोचकर बहुत अखरता है।' दशरथ पिता की बातों का जिक्र करते हुए भावुक हो जाते हैं। कहते हैं, ‘आज भी पापा रोज सुबह उठकर खेत में जाते हैं। पूरे दिन वहीं मजदूरी करते हैं। बचे समय में गाय चराते हैं। दशरथ बेहद गरीब परिवार से आते हैं। एक समय उनके सिर पर न छप्पर था, न खाने को खाना। जब उनका एडमिशन आईआईटी कानपुर में हुआ, तो पैसे के अभाव में उसे भी छोड़ना पड़ा। सरकारी स्कूल में उधार की किताबें और कपड़ों के सहारे आठवीं और फिर स्कॉलरशिप से बैचलर करने वाले दशरथ की पूरी कहानी जानने के लिए मैं मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल पहुंचा हूं। अपनी चमकती हुई ब्लैक सेडान कार से दशरथ मुझे लेने के लिए आए हैं। औपचारिक स्वागत के बाद हमारी बातचीत शुरू होती है। उनकी कहानी सुनते हुए मुझे ऐसा लग रहा है कि सामने फिल्म की स्क्रिप्ट पढ़ी जा रही है। दशरथ बताते हैं, ‘पापा 9 भाई-बहन थे। जब दादा ने जमीन का हिस्सा लगाया, तो सबके हिस्से दो-दो एकड़ जमीन आई। मेरे पिता को छोड़ बाकी सभी भाई पढ़े-लिखे थे। पाप को तो नोट गिनने भी नहीं आता था। आप ही बताइए, कैसे उनकी जिंदगी गुजरी होगी। सुबह उठना, खेत जाना, दोपहर में गाय चराना और रात को खाना खाकर सो जाना। यही उनकी जिंदगी थी। आज भी वे वैसे ही रहते हैं। मां बताती हैं कि जब वह ब्याहकर आईं, तो उनकी उम्र महज 12 साल थी। शादी के एक-डेढ़ साल के भीतर मैं पैदा हो गया। मां थोड़ी समझदार थीं। पढ़े-लिखे परिवार से थीं। लेकिन यहां तो कुछ था ही नहीं। दिन में खाते, तो रात के लिए सोचते। रात में खाते, तो अगली सुबह के लिए। बरसात के दिनों में छप्पर टपकता रहता था। मैं स्कूल जाना चाहता था, लेकिन मां-पापा बीच रास्ते से ही वापस लौटा लाते थे। मां-पापा का मानना था कि खेत में काम करने जाऊं, ताकि दो रुपए मिलें। स्कूल जाने से क्या हो जाएगा। मेरी उम्र तब 5 साल थी। इतनी कम उम्र में दूसरी-तीसरी क्लास के बच्चों के सवाल हल कर देता था। दशरथ अपनी कुछ पुरानी तस्वीरें दिखाते हैं। कहते हैं, ‘कौन बच्चा होगा, जो मां-बाप से छिपकर स्कूल जाता होगा। मैं गया हूं। पहली से पांचवीं तक एक ही टीचर पढ़ाने के लिए आते थे। जो मैम मुझे पढ़ाने के लिए आती थीं, उनके बच्चे नवोदय विद्यालय में पढ़ते थे। मेरे साथ अच्छा ये हुआ कि मैम ने मुझे नवोदय की तैयारी वाली किताबें देनी शुरू कर दीं। मैं तैयारी करने लगा, लेकिन मां कहां मानने वाली थीं। वो आए दिन कहती थीं कि खेत में काम करो। टीचर मुझे पढ़ाने के लिए बैठतीं और मां मुझे स्कूल से खेत बुला लेतीं। एक दिन जब मेरी टीचर को पता चला, तो उन्होंने मां को घर आकर समझाया। कहा- इसे पढ़ने दीजिए, दो साल बाद इसकी फीस नहीं लगेगी। बाद में हर महीने 10 हजार की नौकरी लग जाएगी। तब मां ने माना। बाद में मेरा एडमिशन नवोदय में हो गया।’ दशरथ का बचपन स्कूल जाने की जिद और मां के साथ मजदूरी करने में बीता। वह बताते हैं, ‘आसपास के इलाकों में जहां-जहां घर बनते थे, मां मजदूरी करने के लिए जाती थीं। सुबह-सुबह वह दिहाड़ी करने के लिए निकल जाती थीं। गांव के पास ही लोकल मार्केट था- मुल्ताई। आम तौर पर मम्मी वहीं मजदूरी करती थीं। छुट्टी के दिन या रविवार को मां मुझे भी अपने साथ रेत-सरिया ढोने के लिए ले जाती थीं। मां के दोनों हाथ गांठ और छाले से पटे होते थे। आज जब इन सब चीजों को याद करता हूं, तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं। मां को मर्दों के बीच रेत से भरी टोकरी माथे पर लेकर दूसरे-तीसरे माले तक लेकर जाना होता था।’ दशरथ को एक वाकया याद आ रहा है। कहते हैं, ‘तीसरी-चौथी क्लास में था, तो स्कूल के बच्चे मुझे चिढ़ाते थे। कहते थे- तुम्हारी मम्मी तो बाहर मर्दों के साथ काम करती हैं। देर रात तक बाहर रहती हैं। मुझे उस वक्त तो इस बात का मतलब नहीं पता था कि मर्दों के साथ काम करने में अलग क्या है? सोचता था कि आखिर बच्चे ऐसा क्यों कह रहे हैं। आज समझ में आता है कि वह मेरी मां के चरित्र पर सवाल उठा रहे थे।’ दशरथ अपने नवोदय के दिनों का किस्सा बताते हैं। कहते हैं, ‘मैं गांव का पहला बच्चा था, जिसका नवोदय में एडमिशन हुआ था। स्कूल में हर हफ्ते रविवार को सभी के मां-बाप मिलने के लिए आते थे। अपने बच्चों के लिए चॉकलेट-बिस्किट लेकर आते थे। मुझे याद है- मां सालभर, छह महीने में एक बार आ जाती थीं। मुझे पांच-दस रुपए दे देती थीं। तब बहुत रोना आता था। दशरथ कहते हैं, ‘मां को उम्मीद थी कि 12वीं के बाद मेरी नौकरी लग जाएगी, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। घर में तो समझिए कि मातम पसर गया कि पढ़-लिखकर भी क्या ही कर लिया। मुझे याद है- इसी दौरान गांव में एक प्रचार गाड़ी आई थी। मैंने उसके ड्राइवर से कहा- मैं नवोदय विद्यालय के सेंटर्ल जोन का टॉपर हूं। दसवीं और बारहवीं में 90% से ज्यादा मार्क्स हैं, मेरा एडमिशन हो जाएगा? ड्राइवर ने डायरेक्टर से बात कराई। अगले दिन डायरेक्टर मेरे गांव आए। इसके बाद चार साल तक मुझे रहने-खाने और पढ़ने पर एक पैसा भी नहीं देना पड़ा। दरअसल मेरा दाखिला राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय यानी RGPV में बीटेक के लिए हो गया। मैंने अपनी यूनिवर्सिटी के 250 कॉलेजों में टॉप किया। मुझे गोल्ड मेडल मिला था। इंजीनियरिंग के दौरान ही ‘गेट’ क्वालिफाई किया। मास्टर्स में आईआईटी कानपुर में दाखिल मिल रहा था, लेकिन फीस के अभाव में पढ़ाई नहीं कर पाया। सच बताऊं, मैंने तो गेट की परीक्षा ही इसलिए दी थी कि मेरी नौकरी लग जाए। घर की जो स्थिति थी, उससे हर रोज रूबरू होना पड़ता था। लगता था, इस गरीबी में जिंदगी कैसे कटेगी। देश की कई कंपनियां गेट क्वालिफाई करने वालों को सीधे जॉब ऑफर करती हैं, लेकिन मुझे दो महीने तक कोई ऑफर नहीं आया। मैंने कर्ज लेकर आईआईटी कानपुर में एडमिशन प्रोसेस किया। अब और फीस के पैसे नहीं थे। मेरा एडमिशन कैंसिल हो सकता था, भगवान की मर्जी देखिए कि इसी दौरान एचपीसीएल में सिलेक्शन हो गया। जीवन के 25 साल मैंने अभाव में बिता दिए, लेकिन पढ़ा-लिखा नहीं होता, तो मां-बाप की तरह मैं भी दिहाड़ी मजदूरी कर रहा होता। जब गेट क्वालिफाई करने के बाद HP में नौकरी लगी, तब मैंने लोन लेकर बहन को पढ़ाया। शादी कराई। गांव में दो मंजिला मकान बनवाया।’

दैनिक भास्कर 24 Jul 2024 5:10 am

भास्कर एक्सप्लेनर- भारत भी बनाएगा समुद्र में तैरने वाला न्यूक्लियर-प्लांट:अमेरिका भी ऐसा नहीं कर सका; वित्त मंत्री ने बजट में क्या बताया

मई 2020। समुद्र किनारे बसा रूस का पेवेक शहर। पहली बार समुद्र में तैरने वाला न्यूक्लियर प्लांट तैनात किया गया। इसके जरिए पूरे शहर को बिजली सप्लाई की जाने लगी। इसके बाद यहां कोयले से बिजली पैदा करने वाले प्लांट को बंद कर दिया गया। रूस की तरह अब भारत भी समुद्र में तैरने वाला स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर न्यूक्लियर प्लांट बनाएगा। 23 जुलाई को पेश बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसका ऐलान किया है। भास्कर एक्सप्लेनर में इस तैरते न्यूक्लियर प्लांट की पूरी कहानी जानेंगे, ये कैसे बिना कोयला और पानी के बिजली बनाएगा… सवाल 1: स्मॉल रिएक्टर या समुद्र में तैरने वाले न्यूक्लियर प्लांट बनाने को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने क्या कहा है?जवाब: बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, विकसित भारत में न्यूक्लियर एनर्जी अहम रोल निभाएगा, इसको लेकर सरकार तीन अहम फैसले ले रही है... 1. प्राइवेट कंपनियों के साथ मिलकर भारत स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर बनाने को लेकर काम करेगा। भारत को रूस जैसे देश स्मॉल मॉड्यूलर न्यूक्लियर रिएक्टर के लिए टेक्नोलॉजी शेयर कर रहे हैं। 2. सरकार न्यूक्लियर एनर्जी के क्षेत्र में रिसर्च और डेवलपमेंट को बढ़ावा देने के लिए 1 लाख करोड़ रुपए खर्च करेगी। 3. परमाणु ऊर्जा के जरिए ज्यादा से ज्यादा बिजली तैयार करने के लक्ष्य पर सरकार काम करेगी। सवाल 2: स्मॉल न्यूक्लियर पावर प्लांट क्या है?जवाब: दुनियाभर में न्यूक्लियर पावर प्लांट आमतौर पर तीन तरह के होते हैं… स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर न्यूक्लियर प्लांट को सामान्य भाषा में फ्लोटिंग न्यूक्लियर पावर प्लांट भी कहा जाता है क्योंकि इसे आसानी से एक से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है। इसमें लगने वाला मॉड्यूलर आमतौर पर बड़े न्यूक्लियर पावर प्लांट के मॉड्यूलर से काफी छोटे होता है। रूस के एग्जाम्पल से समझिए… सवाल 3: दुनिया के कितने देश ऐसा न्यूक्लियर प्लांट बना सके हैं? जवाब: दुनिया में सिर्फ दो देश ऐसे हैं, जहां इस तरह के न्यूक्लियर पावर प्लांट ऑपरेशनल हैं। पहला- रूस का लोमोनोसोव। दूसरा- चीन का HTR-PM न्यूक्लियर प्लांट। रूस का प्लांट 300 MW तो चीन का 210 MW तक बिजली रोजाना पैदा करता है। इसके अलावा अर्जेंटीना, साउथ कोरिया और अमेरिका ऐसे देश हैं, जहां इस टेक्नोलॉजी पर काम चल रहा है। अमेरिका के एनर्जी डिपार्टमेंट के परमाणु नियामक आयोग विभाग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इसकी लाइसेंसिंग प्रोसेस पर काम हो रहा है। इस बात की पूरी संभावना है कि 2035 तक अमेरिका इस रिएक्टर को तैयार कर लेगा। सवाल 4: भारत में बनने वाला स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर पावर प्लांट क्यों खास होगा?जवाब: भारत में जिस स्मॉल न्यूक्लियर रिएक्टर को बनाने का ऐलान किया गया है, उसे बनाने की लागत बडे़ न्यूक्लियर रिएक्टर से करीब 8 गुना कम है। इसके साथ ही ये न्यूक्लियर पावर प्लांट 24 घंटे लगातार काम कर सकता है। इसे समुद्र के किनारे पहाड़ी इलाकों में भी तैनात कर सकते हैं। भारत के सबसे दक्षिणी हिस्से अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के द्वीपों में आज भी जनरेटर से बिजली सप्लाई होती है। अंडमान में भारतीय सेना की इकलौती त्रिस्तरीय कमांड है। उसे भी बिजली के लिए जनरेटरों का सहारा लेना पड़ता है। इन जगहों पर बिजली के लिए इस तरह के पावर प्लांट काफी मददगार साबित होंगे। रूस जिस स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर का इस्तेमाल कर रहा है, उसमें छोटे-छोटे कई सारे माइक्रो रिएक्टर लगे होते हैं। भारत में बनाए जाने वाले स्मॉल रिएक्टर में भी कई सारे माइक्रो रिएक्टर का इस्तेमाल किया जाएगा। सवाल 5: स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर पावर प्लांट में बिजली कैसे पैदा होगी?जवाब: अब तक भारत में बिजली पैदा करने के चार सबसे प्रमुख साधन हैं… 1. कोयला 2. पानी के बडे़-बड़े डैम 3. सौर ऊर्जा 4. पवन ऊर्जा इन सभी माध्यमों से बिजली पैदा करने की लागत काफी ज्यादा है। इस तरह से पैदा होने वाली बिजली से हमारे पर्यावरण में कार्बन भी ज्यादा निकलता है। स्मॉल न्यूक्लियर पावर प्लांट की खासियत ये है कि यूरेनियम का इस्तेमाल कर इसमें केमिकल प्रोसेस से बिजली पैदा की जाती है। इस तरह से बिजली पैदा करने में लागत कम और प्रोडक्शन ज्यादा है। यूरेनियम इतना ताकतवर होता है कि अगर पानी के किसी पाइप से गुजरे तो पाइप का पानी खौलने लगता है। पानी खौलने से जल वाष्प बनता है और इस जल वाष्प का इस्तेमाल ही बिजली पावर प्लांट के टर्बाइन को घुमाने के लिए किया जाता है। इस तरह बिजली तैयार होती है। ऐसे प्लांट को 30 साल में एक बार रिफ्यूलिंग की जरूरत पड़ती है। सवाल 6: स्मॉल न्यूक्लियर पावर प्लांट से भारत सरकार को क्या फायदे हैं?जवाब: भारत 6 वजहों से बड़े न्यूक्लियर पावर प्लांट की तुलना में छोटे-छोटे न्यूक्लियर पावर प्लांट लगाना चाहता है… सवाल 7: दुनिया में बड़े न्यूक्लियर रिएक्टर होने के बावजूद स्मॉल रिएक्टर वाले पावर प्लांट की जरूरत क्यों हुई?जवाब: आमतौर पर बड़े रिएक्टर वाले पावर प्लांट से ज्यादा रेडियोएक्टिव पदार्थ यूरेनियम निकलने की संभावना होती है। इसे कंट्रोल करना बहुत मुश्किल हो जाता है। जबकि स्मॉल रिएक्टर के टेक्निकल खामियों को आसानी से दूर किया जाना संभव है। इसे आसानी से कंट्रोल भी किया जा सकता है। बड़े रिएक्टर वाले पावर प्लांट बेहद खतरनाक हो सकते हैं। इसे चेर्नोबिल की कहानी से समझ सकते हैं… 26 अप्रैल 1986 को चेर्नोबिल न्यूक्लियर प्लांट में टेस्टिंग होनी थी। हादसे से पहले चेर्नोबिल पावर स्टेशन में चार न्यूक्लियर रिएक्टर थे। जब हादसा हुआ तब दो रिएक्टर्स पर काम चल रहा था। 26 अप्रैल की रात टेस्ट शुरू हुआ और रात करीब 1ः30 बजे टरबाइन को कंट्रोल करने वाले वाल्व को हटाया गया। रिएक्टर को आपात स्थिति में ठंडा रखने वाले सिस्टम और रिएक्टर के अंदर होने वाले न्यूक्लियर फ्यूजन को भी रोक दिया गया। अचानक रिएक्टर के अंदर न्यूक्लियर फ्यूजन की प्रक्रिया कंट्रोल से बाहर हो गई। रिएक्टर के सभी आठ कूलिंग पम्प कम पावर पर चलने लगे, जिससे रिएक्टर गर्म होने लगा और इससे न्यूक्लियर रिएक्शन और तेज हो गया। सोवियत संघ के चेर्नोबिल न्यूक्लियर प्लांट में हुआ हादसा दुनिया के सबसे बड़े औद्योगिक हादसों में से है। धमाके के बाद न्यूक्लियर प्लांट में अफरा-तफरी मच गई और रिएक्टर को बंद करने की कोशिशों के बीच ही उसमें जोरदार धमाका हुआ। धमाका इतना जोरदार था कि रिएक्टर की छत उड़ गई। उस हादसे में वहां कार्यरत 40 लोगों की मौत हो गई। इस धमाके से निकला रेडियोएक्टिव रेडिएशन हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए गए परमाणु बम से भी 400 गुना ज्यादा था। अगले कई दिनों तक चेर्नोबिल पावर प्लांट से रेडिएशन निकलता रहा, जो हवा के साथ उत्तरी और पूर्वी यूरोप में फैल गया। रेडिएशन फैलने से रूस, यूक्रेन, बेलारूस के 50 लाख लोग इसकी चपेट में आ गए। रेडिएशन फैलने से कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से 4 हजार लोगों की मौत हो गई। इस हादसे से 2.5 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था। 2000 में चेर्नोबिल में काम कर रहे आखिरी रिएक्टर को भी बंद कर दिया गया।

दैनिक भास्कर 24 Jul 2024 5:05 am

Bangladesh Protest: बांग्लादेश में क्या तूफान से पहले की शांति है आरक्षण विरोधी आंदोलन का थमना? हो गया जंग का ऐलान

Bangladesh Student Protest: बांग्लादेश में आरक्षण विरोधी आंदोलन अचानक थम गया नजर आ रहा है. क्या यह किसी बड़े तूफान से पहले की शांति है.

ज़ी न्यूज़ 23 Jul 2024 11:49 pm

डेल्टा अभी भी पिघल रहा है. यह पूरे सप्ताह चल सकता है

अटलांटा सीएनएन — यात्रियों के लिए बुरी खबर: डेल्टा एयरलाइंस ने पिछले सप्ताह समस्याओं के...

वर्ल्ड नाउ 23 Jul 2024 7:37 pm

बजट पर सरकार-विपक्ष का रिएक्शन:PM बोले- विकसित भारत की नींव रखेगा बजट, राहुल ने कहा- इंटर्नशिप स्कीम हमारी कॉपी

बजट पेश होने के साथ ही इसे लेकर रिएक्शन भी आने लगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे समृद्धि की राह पर ले जाने वाला बजट बताया है। पिछले 10 सालों में 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं। नौजवानों को अनगिनत नए मौके देने वाला बजट है। हालांकि, बजट में बिहार और आंध्र प्रदेश को खास तवज्जो दिए जाने से विपक्ष नाखुश है। विपक्ष के नेताओं ने इसे सरकार बचाओ बजट बताया है। बिहार में इंफ्रा और अन्य प्रोजेक्ट्स के लिए बजट में 58 हजार 900 करोड़ रुपए और आंध्र प्रदेश की नई राजधानी अमरावती के विकास के लिए 15 हजार करोड़ रुपए की घोषणा की गई है। विपक्ष का कहना है कि बजट में भविष्य के लिए कोई रोडमैप नहीं है। महंगाई और बेरोजगारी से लोग परेशान हैं, लेकिन बजट में इसके लिए कोई प्लान नहीं है। बजट पर PM मोदी के भाषण की बड़ी बातें... राहुल और अखिलेश बोले- ये सरकार बचाओ बजटलोकसभा में लीडर ऑफ अपोजिशन राहुल गांधी ने इसे सरकार बचाओ बजट बताया है। उन्होंने कहा कि बजट में सहयोगी पार्टियों का तुष्टिकरण किया गया। युवाओं के लिए सरकार का इंटर्नशिप प्रोग्राम कांग्रेस के घोषणापत्र से कॉपी पेस्ट किया गया है। समाजवार्टी पार्टी के अध्यक्ष और कन्नौज से सांसद अखिलेश यादव ने कहा कि सरकार बचाने के लिए बिहार और आंध्र प्रदेश को विशेष योजनाओं से जोड़ा गया है। देश को प्रधानमंत्री देने वाले उत्तर-प्रदेश जैसे राज्य के किसानों के लिए कोई बड़े फैसले नहीं लिए गए। कांग्रेस सांसद शशि थरूर का कहना है कि बजट में आम लोगों से जुड़े मुद्दे कहीं नजर ही नहीं आए। मनरेगा का कोई जिक्र ही नहीं हुआ। आम आदमी की इनकम बेहतर करने के लिए की गई घोषणाएं नाकाफी हैं। बजट में नई नौकरियों के मौके भी कुछ खास नहीं दिखे। कांग्रेस लीडर जयराम रमेश ने सरकार के युवा इंटर्नशिप प्रोग्राम को लेकर निशाना साधा है। रमेश ने इसे कांग्रेस के 'पहली नौकरी पक्की' प्रोग्राम की कॉपी बताया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में पार्टी के न्याय पत्र में इस प्रोग्राम को प्रपोज किया था, जिससे सीख लेते हुए फाइनेंस मिनिस्टर ने युवा इंटर्नशिप प्रोग्राम की घोषणा की है। बजट से नीतीश और नायडू खुशबिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कहना है कि बिहार को स्पेशल स्टेट का दर्जा देने के लिए हम सरकार से पहले भी कई बार कह चुके हैं। यही वजह कि बिहार को अब मदद मिलनी शुरू हो गई है। आंध्र प्रदेश के CM चंद्रबाबू नायडू ने प्रदेश की जरूरतों को समझने और उसे पूरा करने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को शुक्रिया किया। वहीं, TDP लीडर नारा लोकेश ने कहा कि बजट आंध्र के लिए नया सूर्योदय है। ये आंध्र प्रदेश को डेवलपमेंट का लक्ष्य पूरा करने में काफी मददगार साबित होगा। अब स्टेट के लीडर्स की राय...पप्पू यादव बोले- नीतीश किंगमेकर, फिर भी स्पेशल स्टेट का दर्जा नहीं मिलाबिहार के निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने कहा कि सरकार 4 करोड़ नौकरी देने की बात कर रही है। पहले ये बताए कि 10 साल में कितनी नौकरियां दी गईं। नीतीश कुमार किंगमेकर हैं, फिर भी बिहार को स्पेशल स्टेट का दर्जा नहीं मिला। उन्हें भीख नहीं मांगनी चाहिए बल्कि सरकार से अलग हो जाना चाहिए।' शिवसेना लीडर आदित्य ठाकरे ने केंद्र पर महाराष्ट्र की अनदेखी का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि सरकार बचाने के लिए बिहार और आंध्र प्रदेश को इतना बड़ा बजट दिया गया, लेकिन महाराष्ट्र की क्या गलती है। महाराष्ट्र सबसे बड़ा टैक्स पेयर है। देश के लिए योगदान करने के बदले हमें क्या मिला। क्या बजट में महाराष्ट्र का एक बार जिक्र भी हुआ। BJP आखिर महाराष्ट्र का इतना अपमान क्यों कर रही है। आखिर में बात महिला सांसदों की...प्रियंका चतुर्वेदी बोलीं- 5 साल सरकार चलाने के लिए पार्टनर्स को खुश कियाशिवसेना-UBT से राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि सरकार को महसूस हुआ कि अगर अगले 5 साल तक सरकार चलानी है तो अलायंस पार्टनर्स को खुश रखना होगा। यही वजह है कि बजट में आंध्र प्रदेश और बिहार का खास ख्याल रखा गया। दोनों राज्यों को स्पेशल स्टेट का दर्जा भले नहीं मिला लेकिन फंड दिया गया। समाजवादी पार्टी की सांसद डिंपल यादव ने कहा कि महिलाओं की हेल्थ और सेफ्टी को लेकर बजट में कुछ भी नहीं है। सरकार महंगाई को रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठा रही है। ग्रामीण इलाकों में लोगों की खरीददारी की क्षमता घटती जा रही है, जिस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।

दैनिक भास्कर 23 Jul 2024 4:16 pm

डिफेंस बजट-तीसरे साल भी हथियार खरीद की रकम में कटौती:महज 400 करोड़ रुपए बढ़ा सेना का बजट, 67% सैलरी-पेंशन पर खर्च

डिफेंस बजट 6 महीने पहले पेश हुए अंतरिम बजट का बहुत हद तक कॉपी है। सेना को खर्च के लिए 6,21,940 करोड़ रुपए मिले हैं, जो अंतरिम बजट से महज 400 करोड़ रुपए यानी, 0.064% ज्यादा है। इसमें हथियारों की खरीद और सैलरी-पेंशन को मिलने वाला बजट जस का तस है। 400 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी रक्षा मंत्रालय के हिस्से गई है। लगातार तीसरे साल कैपिटल बजट यानी, हथियारों की खरीद और सेना के मॉडर्नाइजेशन पर होने वाले खर्च में कटौती की गई है। डिफेंस बजट का 67.7% हिस्सा रेवेन्यू और पेंशन बजट को मिला है, जिसका ज्यादातर हिस्सा सैलरी-पेंशन बांटने में खर्च होता है। डिफेंस बजट के 4 पार्ट होते हैं : 1. रेवेन्यू बजट : सैलरी बांटने के लिए बजट का 45% रेवेन्यू बजट का सबसे बड़ा हिस्सा तीनों सेनाओं में सैलरी बांटने में खर्च होता है। अब इसमें अग्निवीरों की सैलरी भी जोड़ दी गई है। इसके अलावा एक्स सर्विसमैन की हेल्थ स्कीम्स, मेंटेनेंस और रिपेयरिंग का खर्च भी रेवेन्यू बजट में शामिल होता है। इस साल रेवेन्यू बजट 2.82 लाख करोड़ रुपए है, जो कुल डिफेंस बजट का 45% है। पिछले साल के मुकाबले 12652 करोड़ रुपए यानी महज 4.6% का इजाफा हुआ है। 2023-24 में रेवेन्यू बजट में 38 हजार करोड़ रुपए की बढ़ोतरी हुई थी। 2. कैपिटल बजट : हथियार खरीदने के लिए 27.6% बजट कैपिटल बजट सेना का सबसे अहम पार्ट होता है। इसका ज्यादातर हिस्सा तीनों सेनाओं के मॉडर्नाइजेशन, फाइटर प्लेन, हथियारों की खरीद और सेना को मजबूत बनाने में खर्च होता है। वित्त मंत्री ने कैपिटल बजट में 1.72 लाख करोड़ रुपए अलॉट किए हैं, जो कुल बजट का 27.6% है। पिछले साल के मुकाबले करीब 9400 करोड़ रुपए यानी 5.7% का इजाफा हुआ है। 2023-24 में सरकार ने कैपिटल बजट में 6.5% की बढ़ोतरी की थी। जबकि, 2022-23 में कैपिटल बजट में 12% का इजाफा हुआ था। 3. पेंशन बजट : सिर्फ 3 हजार करोड़ का इजाफा पेंशन बजट में तीनों सेनाओं के रिटायर्ड सैनिकों की पेंशन और रिटायरमेंट बेनिफिट्स शामिल होता है। इस साल पेंशन के लिए 1.41 लाख करोड़ रुपए मिले हैं, जो कुल डिफेंस बजट का 22.7% है। पिछले साल यह आंकड़ा 1.38 लाख करोड़ रुपए था। यानी, पेंशन बजट में सिर्फ 3 हजार करोड़ रुपए का इजाफा हुआ है। देश में तीनों सेनाओं को मिलाकर रिटायर्ड सैनिकों की संख्या करीब 26 लाख है। 4. रक्षा मंत्रालय (सिविल) बजट : 2951 हजार करोड़ रुपए का इजाफा सरहदी इलाकों में सड़क बनाना, कोस्ट गार्ड, जम्मू कश्मीर लाइट इन्फैंट्री, सेना की कैंटीन और हाउसिंग एक्सपेंडिचर जैसे खर्च इसमें शामिल होते हैं। यह डिफेंस बजट का सबसे छोटा पार्ट होता है। इस साल रक्षा मंत्रालय को 25563 करोड़ रुपए मिले हैं, जो पिछले साल के मुकाबले 2951 करोड़ रुपए ज्यादा है। बजट की बड़ी बात : 67.7% हिस्सा सैलरी-पेंशन बांटने पर खर्च UPA सरकार में 162% तो NDA सरकार में 172% बढ़ा डिफेंस बजट मनमोहन सिंह ने 2004 में जब पहला बजट पेश किया, तब डिफेंस को 77 हजार करोड़ रुपए मिले थे। 2013 में मनमोहन सिंह ने आखिरी बजट पेश किया, तब डिफेंस बजट 2.03 लाख करोड़ रुपए था। यानी, 10 साल में 163% का इजाफा और एवरेज ग्रोथ रेट 16.3%। नरेंद्र मोदी ने 2014 में जब पहला बजट पेश किया, तब डिफेंस को 2.18 लाख करोड़ रुपए मिले थे। 2023 में मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल का जब आखिरी बजट पेश किया, तब डिफेंस बजट 5.93 लाख करोड़ रुपए था। यानी, 10 साल में 172% की बढ़ोतरी और ग्रोथ रेट 17.2%। यानी, UPA के मुकाबले 0.9% ज्यादा। UPA के मुकाबले NDA सरकार में सेना की मजबूती पर 10% कम खर्च UPA और NDA के आखिरी पांच-पांच साल के डिफेंस बजट की तुलना करने पर पता चलता है कि मनमोहन सरकार ने मोदी सरकार के मुकाबले सेना की मजबूती पर ज्यादा फोकस किया। 2010 से 2014 के बीच कुल डिफेंस बजट का औसतन 49.6% सैलरी और पेंशन के लिए अलॉट किया गया था। जबकि हथियारों की खरीद और सेना के मॉडर्नाइजेशन के लिए औसतन 34.4% बजट मिला। वहीं, मोदी के कार्यकाल में 2018 से 2023 के बीच सैलरी-पेंशन के लिए औसतन 60.2% और सेना के मॉडर्नाइजेशन और हथियारों की खरीद के लिए औसतन 24% बजट मिला। इंटरेस्टिंग फैक्ट : अटल ने कारगिल के बाद सबसे ज्यादा 16.73%, तो मोदी ने पुलवामा के बाद सबसे कम 10.9% डिफेंस पर खर्च किया 1999 में पाकिस्तान के साथ कारगिल की जंग के बाद 2000-2001 में अटल बिहार वाजपेयी की सरकार ने डिफेंस को कुल बजट का 16.73% हिस्सा दिया था, जो पिछले 20 साल में सबसे ज्यादा है। वहीं, 2019 में पुलवामा हमला और बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद भी मोदी सरकार ने डिफेंस बजट के लिए कुल बजट का महज 10.96% ही अलॉट किया, जो पिछले दो दशकों में सबसे कम है। पाकिस्तान के कुल डिफेंस बजट से दोगुना भारत पेंशन बांटने पर खर्च कर देता है दुनियाभर में डिफेंस पर खर्च करने वाले टॉप-10 देशों में अमेरिका पहले नंबर पर है। भारत चीन और रूस के बाद चौथे नंबर पर है। अमेरिका डिफेंस पर 76.5 लाख करोड़ रुपए खर्च करता है, जो भारत के मुकाबले 12 गुना से ज्यादा है। दुनिया के टॉप-10 देशों के डिफेंस बजट को मिला दें, तो भी अमेरिका का सेना पर खर्च ज्यादा है। हमारा पड़ोसी देश पाकिस्तान डिफेंस पर खर्च करने के मामले में 30वें पायदान पर है। वह डिफेंस पर 71 हजार करोड़ रुपए खर्च करता है, जो भारत के डिफेंस बजट के मुकाबले करीब 10 गुना कम है। पाकिस्तान के कुल डिफेंस बजट से दोगुना भारत पेंशन बांटने पर खर्च कर देता है। आने वाले सालों में सेना को मिलेंगे स्वदेशी लाइट टैंक और माउंटेड गन सिस्टम रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यानी DRDO ने इसी साल 6 जुलाई को सूरत में स्वदेशी लाइट टैंक 'जोरावर' का सफल परीक्षण किया। 25 टन वजनी जोरावर टैंक 2027 तक इंडियन आर्मी को मिलेगा। हल्का होने की वजह से इसे हेलिकॉप्टर के जरिए कहीं भी ले जाया जा सकता है। ये टैंक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी, AI से लैस होंगे। चीन के पास ऐसे 500 टैंक हैं। FICV एक खास तरह का ट्रांसपोर्ट व्हीकल है, जिसके जरिए मुश्किल पहाड़ी क्षेत्रों में भी मेकेनाइज्ड इंफेंट्री ले जाया जा सकता है। यह व्हीकल रूस की डिजाइन 1980 मॉडल BMP-2 को रिप्लेस करेगी। फिलहाल रक्षा मंत्रालय ने 480 FICV के लिए मंजूरी दी है। जरूरत के मुताबिक आगे इसकी संख्या 2000 तक बढ़ाई जा सकती है। 300 माउंटेड गन सिस्टम की खरीद के लिए रक्षा मंत्रालय ने मंजूरी दी है। इसकी लागत करीब 7500 करोड़ रुपए है। इसे एक गाड़ी पर फिट किया जा सकता है। मुश्किल रास्तों पर चलते वक्त भी इससे आसानी से टारगेट को शूट किया जा सकता है। 1999 के आर्टिलरी मॉर्डनाइजेशन प्रोग्राम के तहत शुरू की गई यह योजना लंबे समय से पेंडिंग थी। सेना ने चीन और पाकिस्तान की सीमा पर तैनात सैनिकों के लिए 80,000 बैलिस्टिक हेलमेट खरीदने की प्लानिंग की है। ये हेलमेट काफी हद तक AK47 की गोली भी बर्दाश्त करने में सक्षम माने जाते हैं। ग्राफिक्स : अंकित पाठक स्केच : संदीप पाल

दैनिक भास्कर 23 Jul 2024 2:47 pm

Palestinian Unity: फिलिस्तीनी एकता की दिशा में बड़ा कदम, हमास और फतह ने खत्म की वर्षों पुरानी दुश्मनी, चीन ने कराई सुलह

Hamas Fatah Reconciliation: हमास और फतह समेत 14 फिलिस्तीनी गुटों ने आपसी मतभेदों को भुलाकर मंगवाल रो बीजिंग में संयुक्त घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए.

ज़ी न्यूज़ 23 Jul 2024 1:40 pm

Joe Biden: ‘इसे स्वीकारना आसान नहीं लेकिन...’ चुनावी दौड़ से हटने के बाद अपनी टीम से बोले जो बाइडेन

Kamala Harris: राष्ट्रपति जो बाइडेन कहा कि कोविड-19 संक्रमण के चलते वह अभी लोगों के बीच नहीं जा पा रहे हैं, लेकिन वह जल्द ही उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के साथ चुनाव प्रचार करते नजर आएंगे.

ज़ी न्यूज़ 23 Jul 2024 12:54 pm

Canada Hindu Temple: कनाडा में एक और हिंदू मंदिर को बनाया गया निशाना, दीवारों पर लिखे भारत विरोधी नारे

Canada News: कनाडा में विहिप ने जस्टिन ट्रूडो के नेतृत्व वाली कनाडाई सरकार से 'देश में शांतिप्रिय हिंदू समुदाय के खिलाफ नफरत फैलाने वाली बढ़ती चरमपंथी विचारधारा के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करने' की अपील की.

ज़ी न्यूज़ 23 Jul 2024 12:04 pm

एजुकेशन एंड एम्प्लॉयमेंट बजट:हर साल 20 लाख युवाओं को इंटर्नशिप, 5 हजार महीना मिलेंगे; एजुकेशन लोन पर 3% ब्‍याज सरकार देगी

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शिक्षा के लिए 1.48 लाख करोड़ रुपए का बजट पेश किया। यह पिछले बजट से 32% ज्यादा है। बजट भाषण में वित्त मंत्री ने नौकरियों और स्किल ट्रेनिंग से जुड़ी 5 स्कीम्‍स का ऐलान किया है। स्‍कीम 1: फर्स्‍ट टाइम एम्‍प्‍लॉयमेंट- 1 लाख रुपए से कम सैलरी होने पर, EPFO में पहली बार रजिस्टर करने वाले लोगों को 15 हजार रुपए की मदद तीन किश्तों में मिलेगी। ये किश्‍तें DBT के जरिए सीधे बैंक अकाउंट में ट्रांसफर होंगी। इस स्‍कीम से 210 लाख युवओं को मदद दी जाएगी। स्‍कीम 2: जॉब क्रिएशन इन मैन्‍युफैक्‍चरिंग- इसमें मैन्‍युफैक्‍चरिंग सेक्‍टर से जुड़े फर्स्‍ट टाइम इम्‍प्‍लॉइज को EPFO जमा के आधार पर पहले 4 साल इंसेंटिव मिलेगा। इससे 30 लाख युवाओं को फायदा मिलेगा। स्‍कीम 3: सपोर्ट टू एम्‍प्‍लॉयर- इस स्‍कीम से सरकार एम्‍प्‍लॉयर्स का बोझ घटाने का काम करेगी। इसके तहत नए कर्मचारियों के EPFO कॉन्ट्रिब्‍यूशंस पर एम्‍प्‍लॉयर्स को 2 साल तक हर महीने 3 हजार रुपए का रीएम्‍बर्सेमंट करेगी। स्‍कीम 4: पार्टिसिपेशन ऑफ वुमेन इन वर्कफोर्स- नौकरियों में महिलाओं की हिस्‍सेदारी बढ़ाने के लिए वर्किंग वुमन हॉस्‍टल, बच्‍चों के क्रेच और वुमन स्किलिंग प्रोगाम शुरू किए जाएंगे। स्‍कीम 5: स्किलिंग- 1 करोड़ युवाओं को 5 साल में स्किल्ड किया जाएगा। 1 हजार इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट्स अपग्रेड किए जाएंगे। हर साल 25 हजार स्‍टूडेंट्स को स्किलिंग लोन का फायदा दिया जाएगा। सरकार 500 टॉप कंपनियों में 1 करोड़ युवाओं को इंटर्नशिप देगी। इंटर्नशिप के दौरान 5 हजार रुपए हर महीने का स्‍टाइपेंड मिलेगा। हायर एजुकेशन के लिए 10 लाख तक का लोनजिन स्‍टूडेंट्स को सरकारी योजनाओं के तहत कोई फायदा नहीं मिल रहा है, उन्हें देशभर के संस्थानों में एडमिशन के लिए 10 लाख तक के लोन में सरकारी मदद म‍िलेगी। सालाना लोन पर ब्‍याज का 3% पैसा सरकार देगी। इसके लिए ई-वाउचर्स लाए जाएंगे, जो हर साल 1 लाख स्टूडेंट्स को मिलेंगे। सर्विस सेक्टर के लिए वित्त मंत्री के 5 ऐलान- 10 साल में 7 नए IIT खोले गए1 फरवरी 2024 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अंतरिम बजट पेश किया। बजट भाषण में उन्होंने बताया - शिक्षा बजट पर NDA सरकार में UPA के मुकाबले 1.4% कम खर्च पीएम मोदी के नेतृत्व में NDA सरकार ने UPA के मुकाबले शिक्षा पर कुल बजट का औसतन 1.4% कम खर्च किया। बीते 20 सालों का डेटा देखें- रिसर्च पर NDA ने UPA से आधा खर्च कियाNDA सरकार में पिछले 10 साल में UPA सरकार के 10 साल के मुकाबले 0.01% कम खर्च हुआ। बीते 20 सालों का डेटा देखें- वर्ल्ड टॉप 100 रैंकिंग में एक भी भारतीय यूनिवर्सिटी नहींदुनियाभर में यूनिवर्सिटी की रैंकिंग बताने वाली अमेरिकी संस्थान QS वर्ल्ड रैंकिंग 2024-25 के मुताबिक, टॉप 100 में एक भी भारतीय यूनिवर्सिटी नहीं है। इस लिस्ट में US का MIT यानी मैसेचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, कैंब्रिज टॉप पोजिशन पर है। अक्टूबर 2023 के बाद सबसे ज्यादा बेरोजगारी दर 9.02% जून 2024 मेंबेरोजगारी दर का मतलब है कि देश की वर्कफोर्स यानी क्‍वालिफाइड और काम करने के इच्‍छुक लोगों में से कितने प्रतिशत को रोजगार नहीं मिला। मानव विकास संस्थान और अंतरर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक- NDA सरकार में औसत 6.6% बेरोजगारी रही, UPA में 5.6% थी टॉप 5 सरकारी विभागों में 6 लाख पद खाली2024 तक देशभर में रेलवे विभाग में लगभग 2 लाख पद खाली हैं। डिफेंस में 1.30 लाख पद खाली है। होम अफेयर्स, डाक और बैंकिंग सेक्टर को मिलाकर लगभग 6 लाख पद खाली है। 2023 में 18 हजार कर्मचारियों की छंटनी हुईबड़ी प्राइवेट कंपनियों में खर्च घटाने या मुनाफा कम होने के नाम पर एक साथ कई सारे कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया जाता है। ऐसे बल्‍क टर्मिनेशन को छंटनी या ले-ऑफ कहा जाता है। दुनियाभर में छंटनी का डेटा बताने वाले पोर्टल Layoffs.fyi के मुताबिक- 10 साल में 300% बढ़ा स्‍टार्टअप सेक्‍टर, 90% फेल हुए स्केचः संदीप पाल ग्राफिक्स एंड आर्टवर्कः कुणाल शर्मा, विपुल शर्मा

दैनिक भास्कर 23 Jul 2024 11:44 am

बॉबी विट जूनियर, ‘सिर्फ मजाक कर रहे हैं’, रोटेशन से कतराते हैं

23 जुलाई 2024, 12:20 पूर्वाह्न ईटी कैनसस सिटी, मो. – एक रात जब वह एक...

वर्ल्ड नाउ 23 Jul 2024 11:36 am

US Elections 2024: ‘मुझे पता हैं डोनाल्ड ट्रंप की टाइप’ - पूर्व राष्ट्रपति को इस मुद्दे पर घेरेंगी कमला हैरिस, भाषण में दिया संकेत

Kamala Harris News: हैरिस ने डेलावेयर के विलमिंगटन में कैंपेन हेडक्वार्टर में कार्यकर्ताओं को संबोधित किया. उनके जोशिले भाषण ने इस बात का संकेत दे दिया कि ट्रंप के खिलाफ उनकी रणनीति क्या रहने वाली है.

ज़ी न्यूज़ 23 Jul 2024 8:11 am

रूस में एक साथ दो शहरों में आतंकी अटैक, सड़क पर बिछ गईं लाशें

रूस के उत्तरी काकेशस क्षेत्र दागिस्तान में बड़ा आतंकी हमला हो गया. आतंकियों ने सिनेगॉग, दो चर्च और एक पुलिस पोस्ट को निशाना बनाया. इस आतंकी हमले में 15 से ज्यादा जवानों की मौत हुई है. वहीं जवाबी कार्रवाई में 4 आतंकियों को मार गिराया है. देखिए video

आज तक 24 Jun 2024 7:16 am

क्या है चीन की पांडा डिप्लोमेसी?

ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर पहुंचे चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग ने कहा कि वो ऑस्ट्रेलिया को पांडा की नई जोड़ी देना चाहते हैं. दोनों देशों के बीच कई सालों से ट्रेड वॉर चल रहा है. चीन इन रिश्तों को 'पांडा डिप्लोमेसी' के जरिए सुधारना चाहता है.

आज तक 21 Jun 2024 2:13 pm

फिलीपींस की नौसेना से क्यों हुआ चीनी सैनिकों का टकराव?

चीन ने एक बार फिर गलवान जैसी घटना को अंजाम दिया है. हालांकि इस बार मामला भारत से जुड़ा नहीं है, इस बार उसने दक्षिण चीन सागर में फिलीपींस की नौसेना को टारगेट किया है. हथौड़े और चाकुओं से लैस चीनी सैनिकों ने फिलीपींस के जवानों को घेरा और उनकी नौकाओं पर हमला कर दिया. देखें वीडियो.

आज तक 20 Jun 2024 6:09 pm

पन्नू मर्डर केस: अमेरिकी अटॉर्नी जनरल बोले- निखिल गुप्ता पर चलेगा केस

53 वर्षीय निखिल गुप्ता, जिन्हें निक के नाम से भी जाना जाता है, को न्यूयॉर्क में खालिस्तानी अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश में शामिल होने के आरोप में अमेरिकी सरकार के अनुरोध पर 30 जून, 2023 को चेक गणराज्य में गिरफ्तार किया गया था. उन्हें 14 जून को अमेरिका प्रत्यर्पित किया गया था. गुप्ता को सोमवार को न्यूयॉर्क में एक संघीय अदालत में पेश किया गया.

आज तक 18 Jun 2024 6:14 pm

अमेरिका में फिर गोलीबारी, इस बार वाटर पार्क बना निशाना... 2 बच्चों समेत 10 लोग घायल

ओकलैंड काउंटी पुलिस के मुताबिक संदिग्ध शनिवार शाम करीब 5 बजे रोचेस्टर हिल्स में ऑबर्न स्प्लैश पैड पहुंचा और अपनी गाड़ी से उतरने के बाद उसने गोलीबारी शुरू कर दी. शेरिफ माइकल बाउचर्ड ने बताया कि हमलावर ने 9 एमएम सेमी-ऑटोमेटिक ग्लॉक से करीब 30 राउंड फायरिंग की.

आज तक 16 Jun 2024 10:10 am

लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद बीजेपी, अयोध्या और राहुल गांधी पर पर क्या कह रहा वर्ल्ड मीडिया

लोकसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं जिसमें अनुमान के उलट बीजेपी को बहुमत नहीं मिला है. हालांकि, बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन को बहुमत मिल गया है. इस चुनाव में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी समेत विपक्षी पार्टियों ने शानदार प्रदर्शन किया है जिस पर दुनियाभर की मीडिया प्रतिक्रिया दे रही है.

आज तक 5 Jun 2024 2:01 pm

पहले सीजफायर का प्रस्ताव, फिर जंग तेज करने की धमकी... आखिर क्या चाहता है इजरायल?

अमेरिकी सीनेटर बर्नी सैंडर्स ने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को युद्ध अपराधी बताया है. सोशल मीडिया पर बयान जारी कर बर्नी सैंडर्स ने कहा कि 34 हजार बेकसूर फिलिस्तीनियों को मारने वाले को संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करने के लिए नहीं बुलाया जाना चाहिए.

आज तक 3 Jun 2024 10:13 pm

सिंगापुर: जहरीली गैस की चपेट में आने से भारतीय मूल के व्यक्ति की मौत 

जहरीली गैस की चपेट में आने से सिंगापुर में 23 मई को भारतीय मूल के व्यक्ति की मौत हो गई. शुरुआती जांच में पता चला है कि सुपरसोनिक मेंटेनेंस सर्विसेज के सफाई संचालन प्रबंधक शिवरामन 23 मई को पब्लिक यूटिलिटी बोर्ड के चोआ चू कांग वाटर वर्क्स में एक टैंक की सफाई कर रहे थे. इसी दौरान वह हाइड्रोजन सल्फाइड गैस की चपेट में आ गए.

आज तक 30 May 2024 2:10 am

ICC में उठी इजरायली PM की गिरफ्तारी की मांग

गाजा में हमास के खिलाफ जंग में उतरे इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू पर सीजफायर के लिए चौतरफा दबाव डाला जा रहा है. इसी कड़ी में इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट में नेतन्याहू के खिलाफ अरेस्ट वारंट की मांग की गई है. इस लिस्ट में हमास नेता याह्या सिनवार, इस्माइल हानिए और मोहम्मद दीफ का नाम भी शामिल है. आईसीसी में चारों नेताओं को मानवता के खिलाफ अपराध का आरोपी बताया गया है.

आज तक 21 May 2024 10:10 pm

व‍िवादों से जुड़े थे रईसी, हजारों लोगों को सजा-ए-मौत देने के लगे आरोप

ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी हादसे का शिकार हो गए हैं. रविवार को हेलिकॉप्टर क्रैश में उनकी मौत हो गई. हादसे की वजह मौसम बताई जा रही है. हालांकि, घटना के पीछे कहीं इजरायल तो नहीं, इसकी भी जांच की जा रही है. इब्राहिम रईसी के इतिहास के बारे में पता चलता है कि वह कभी डेथ कमेटी के मेंबर थे, जिसने करीब 5 हजार लोगों को सजा-ए-मौत दी थी.

आज तक 21 May 2024 2:11 pm

हादसा या साजिश... क्या है ईरान के राष्ट्रपति की मौत का 'रहस्य'?

रविवार को ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की एक हेलिकॉप्टर क्रैश में मौत हो गई. इसे लेकर एक कॉन्सपिरेसी थ्योरी सामने आई, जिसमें कहा गया कि रईसी के हेलिकॉप्टर क्रैश के पीछे इजरायल या अमेरिका का हाथ हो सकता है. सवाल उठ रहा है कि केवल रईसी का हेलिकॉप्टर ही कैसे क्रैश हो गया?

आज तक 21 May 2024 2:09 pm

नेपाली प्रधानमंत्री प्रचंड ने जीता विश्वास मत, कितने मिले वोट?

नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड ने सोमवार को संसद में विश्वास मत जीत लिया. जिसके बाद अब देश की गठबंधन सरकार का नेतृत्व करते रहेंगे. प्रतिनिधि सभा में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी के नेता प्रचंड को विश्वास मत के दौरान 157 वोट मिले.

आज तक 20 May 2024 10:10 pm

ईरानी राष्ट्रपति की मौत के पीछे कौन? जानें दोस्ती और दुश्मनी के समीकरण

ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की हेलीकॉप्टर क्रैश में मौत हो गई है. इससे ईरान के लोग शोक में डूबे हुए हैं. हर किसी जुबान पर बस एक ही सवाल है कि ये हादसा है या साजिश? ऐसा तो नहीं है कि किसी दुश्मन देश ने ईरानी राष्ट्रपति के हेलीकॉप्टर को निशाना बनाया है. अगर साजिश ही है तो इसे किसने अंजाम दिया है.

आज तक 20 May 2024 6:44 pm

कौन हैं मोखबर, जो रईसी की मौत के बाद संभालेंगे राष्ट्रपति की कुर्सी?

ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की हेलिकॉप्टर क्रैश में मौत हो गई. हालांकि यह हादसा है या साजिश, यह सवाल लगातार उठ रहा है. इस बीच ईरान की सरकार के नए मुखिया का ऐलान किया गया है. मोहम्मद मोखबर ईरान के नए राष्ट्रपति की कुर्सी संभालेंगे. जानें कौन हैं मोखबर.

आज तक 20 May 2024 6:42 pm

इब्राहिम रईसी की मौत के पीछे इजरायल पर शक, क्या मोसाद ने लिया ईरान से बदला?

ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी हेलीकॉप्टर क्रैश में मारे गए. इसके बाद से ईरानी एजेंसियां जांच में जुटी हुई हैं कि कहीं इसके पीछे ईरान तो नहीं है. कहीं ईरान की खुफिया एजेंसी मोसाद ने तो इस घटना को अंजाम नहीं दिया है. इस शक की वजह क्या है, आइए उसके बारे में जानते हैं.

आज तक 20 May 2024 6:32 pm

रईसी की मौत पर इजरायली मीडिया ने क्या कहा?

हेलिकॉप्टर हादसे में ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की मौत हो गई है. इस बीच इजरायली मीडिया में रईसी की मौत की खबर को लेकर तमाम तरह की टिप्पणियां की जा रही हैं.

आज तक 20 May 2024 2:11 pm

अजरबैजान क्यों गए थे ईरानी राष्ट्रपति, जानें इब्राहिम रईसी के हेलिकॉप्टर हादसे के बारे में सबकुछ

ईरान के राष्ट्रपति का हेलिकॉप्टर अजरबैजान से लौटते समय हादसे का शिकार हो गया है. इसके बाद से उनका कोई पता नहीं चल पा रहा है. रेस्क्यू मिशन के लिए कई टीमें बनाई गई हैं, लेकिन खराब मौसम के कारण रेस्क्यू में परेशानी हो रही है.

आज तक 20 May 2024 6:12 am

ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के हेलिकॉप्टर की हार्ड लैंडिंग, प्रेसिडेंट से नहीं हो पा रहा संपर्क

ईरानी राज्य टीवी ने कहा कि ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी को ले जा रहे एक हेलीकॉप्टर को रविवार को हार्ड लैंडिंग का सामना करना पड़ा.रिपोर्ट में कहा गया है कि रईसी पूर्वी अजरबैजान प्रांत में यात्रा कर रहे थे और यह घटना राजधानी तेहरान से 600 किमी दूर जोल्फा के पास हुई.

आज तक 19 May 2024 6:49 pm

हिंसक विरोध प्रदर्शन के बाद न्यू कैलेडोनिया में फ्रांस ने लगाया आपातकाल

न्यू कैलेडोनिया ऑस्ट्रेलिया के पूर्वी तट से सैकड़ों मील दूर स्थित है. यहां लंबे समय से फ्रांस समर्थकों और आजादी के पक्षधरों के बीच तनाव चल रहा है. फ्रांस सरकार की प्रवक्ता प्रिस्का थेवेनोट ने बताया कि द्वीप पर 12 दिनों के लिए आपातकाल लागू कर दिया गया है.

आज तक 16 May 2024 6:13 am

अफगानिस्तान में बाढ़ ने मचाई तबाही... 300 लोगों की मौत, हजारों लोग हुए बेघर

अफगानिस्तान में आई बाढ़ में अब तक 300 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों घर क्षतिग्रस्त हो चुके हैं. हजारों परिवार बेघर हो गए हैं और हजारों जानवरों की भी मौत हो चुकी है. संयुक्त राष्ट्र खाद्य एजेंसी के मुताबिक बाढ़ के कारण लोगों को खाने पीने की चीजों की भी किल्लत हो गई है. बड़े पैमाने पर मानवीय संकट पैदा हो गया है.

आज तक 13 May 2024 6:12 am

गाजा में इजरायल का भीषण हमला जारी, 24 घंटों में 63 लोग मारे गए, अब तक 35000 की मौत

Israel-Hamas War: गाजा में इजरायल ने जमीनी और हवाई हमले तेज कर दिए हैं. वहीं हमास भी इजरायल पर लगातार रॉकेट से हमले कर रहा है. उधर इजरायल में बंधकों की रिहाई के लिए नेतन्याहू सरकार पर दबाव बढ़ता ही जा रहा है. तेल अवीव में बंधकों के परिजन लगतार प्रदर्शन कर रहे हैं.

आज तक 12 May 2024 10:14 pm

यौन हमला होने पर महिलाएं नहीं कर सकतीं पेपर स्प्रे का उपयोग, किन देशों में बैन?

कर्नाटक हाई कोर्ट ने एक मुकदमे की सुनवाई के दौरान पेपर स्प्रे को खतरनाक बताते हुए कह दिया कि आत्मरक्षा में इसका इस्तेमाल नहीं होना चाहिए. इसके लिए अदालत ने अमेरिका का हवाला दिया, जहां स्प्रे को केमिकल हथियार माना जाता है. लेकिन भारत में आत्मरक्षा के लिए क्या-क्या किया जा सकता है? क्या महिलाएं अपनी सेफ्टी के लिए पेपर स्प्रे साथ रखें तो ये गैरकानूनी है?

आज तक 8 May 2024 2:10 pm

अमेरिकी विदेश मंत्री ने की इजराइली PM से मुलाकात, देखें खबरें दुनिया भर से

अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से मुलाकात की. अमेरिका के विदेश मंत्री ने किबुत्ज का भी दौरा किया जहां पिछले दिनों हमास ने हमला करके सब कुछ तहस नहस कर दिया था. देखें बड़ी खबरें दुनिया भर से.

आज तक 3 May 2024 10:13 am

ईरान के साथ व्यापार करने वाली 3 भारतीय सहित एक दर्जन से ज्यादा कंपनियों पर US ने लगाया बैन

अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने कहा कि इन कंपनियों ने यूक्रेन में रूस के युद्ध के लिए ईरानी मानव रहित हवाई वाहनों (UAV) की गुप्त बिक्री को सुविधाजनक बनाने और वित्तपोषण करने में केंद्रीय भूमिका निभाई है.

आज तक 26 Apr 2024 2:11 am

पाकिस्तान में बर्गर बना हत्या की वजह! गर्लफ्रेंड के लिए किया था ऑर्डर, दोस्त ने खाया तो ले ली जान

जांच अधिकारी ने कहा, 'दानियाल का अली के साथ इस बात को लेकर बड़ा झगड़ा हो गया कि उसने बिना अनुमति के आधा बर्गर क्यों खाया, जो उसकी गर्लफ्रेंड शाजिया के लिए ऑर्डर किया गया था.' अधिकारी ने बताया, 'हमने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है और ट्रायल पूरा होने तक वह जेल में है.'

आज तक 25 Apr 2024 10:14 pm

दुनिया का दूसरा सबसे सस्ता पासपोर्ट बना भारतीय पासपोर्ट, इस मामले में टॉप पर रहा

ऑस्ट्रेलियाई फर्म ने एक स्टडी की है जिसमें भारत के पासपोर्ट ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया है. स्टडी में सभी देशों के पासपोर्ट की तुलना से पता चला है कि भारत का पासपोर्ट दुनिया का दूसरा सबसे सस्ता पासपोर्ट है.

आज तक 25 Apr 2024 10:14 am

US Top-10: राष्ट्रपति बाइडेन के खिलाफ प्रदर्शन, विरोध के बीच दिया संबोधन

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव को लेकर इन दिनों तैयारी तेज हैं इस बीच राषट्रपति जो बाइडेन के खिलाफ फ्लोरिडा के टम्पा में प्रदर्शन हुआ. लोगों ने हाथों में पोस्टर लेकर बाइडेन के खिलाफ नारेबाजी की. देखें यूएस की 10 बड़ी खबरें.

आज तक 25 Apr 2024 10:10 am

तालिबान को 'आतंकी गुट' की लिस्ट से हटाएंगे पुतिन?

अप्रैल की शुरुआत में रूस के राष्ट्रपति भवन ने ऐलान किया था कि वे अफगानिस्तान के तालिबानी नेताओं के साथ चर्चा कर रहे हैं. सबकुछ सही रहा, तो जल्द ही तालिबान टैररिस्ट ऑर्गेनाइजेशन की रशियन लिस्ट से हट जाएगा.

आज तक 24 Apr 2024 6:11 pm

चुनाव में मुइज्जू की जीत से खुश हुआ चीन का ग्लोबल टाइम्स, भारत को दी नसीहत

मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के चीन समर्थक रवैये को मालदीव की जनता का भारी समर्थन मिल गया है. संसदीय चुनावों में मुइज्जू की पार्टी को भारी जीत मिली है जिससे चीन भी काफी खुश है. चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने इस चुनाव पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की है जिसमें भारत का जिक्र किया है.

आज तक 24 Apr 2024 10:13 am

ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी के दौरे को लेकर लाहौर और कराची में सार्वजनिक अवकाश

पाकिस्तान की सरकार ने मंगलवार को लाहौर और कराची में सार्वजनिक अवकाश का ऐलान किया क्योंकि ईरानी राष्ट्रपति की यात्रा से पहले सुरक्षा के नजरिए से प्रमुख सड़कों को पर आवाजही रोक दी गई थी.

आज तक 24 Apr 2024 6:10 am

इजरायल ने ले लिया ईरान से अपना बदला, अब आगे क्या होगा?

इजरायल ने शुक्रवार को ईरान के कई शहरों पर मिसाइल और ड्रोन हमले किए हैं. कहा जा रहा है कि ईरान के परमाणु प्लांट पर भी मिसाइलें गिरी है. ईरान के न्यूक्लियर साइट पर तीन मिसाइलें गिरने की खबर है. इस बीच इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स ने अपने सभी सैन्यअड्डों को हाई अलर्ट कर दिया है. एयर डिफेंस सिस्टम एक्टिवेट कर दिए गए हैं.

आज तक 19 Apr 2024 2:10 pm

दुनिया को वर्ल्ड वॉर की तरफ ले जा सकता है मिडिल ईस्ट, क्यों कभी शांत नहीं रहा माहौल?

इजरायल पर ईरानी हमले के बाद से मिडिल ईस्ट में तनाव बढ़ रहा है. इजरायल ने दो टूक कह दिया कि वो जवाब देगा. फिलहाल गाजा पट्टी में भी जंग जारी है. ज्यादातर मुस्लिम देश इजरायल को खत्म करने की बात करते हैं, लेकिन उनके आपसी रिश्ते भी उठापटक वाले रहते आए. वे एक-दूसरे को नापसंद करते और नुकसान पहुंचाने की फिराक में रहते हैं.

आज तक 16 Apr 2024 6:47 pm

ईरान का प्लान सऊदी अरब और मिस्र ने कैसे किया फेल?

इजरायल ने दावा किया है कि उसने ईरान से दागे गए अधिकतर मिसाइलों और ड्रोन को पहले ही नष्ट कर दिया था. इजरायली डिफेंस फोर्स ने कहा कि उसने 90 प्रतिशत से ज्यादा प्रोजेक्टाइल्स को पहले ही हवा में मार गिराया था. यही कारण है कि ईरान के इस भारी-भरकम हवाई हमले से इजरायल को कोई खास नुकसान नहीं पहुंचा.

आज तक 16 Apr 2024 12:04 pm

क्या है हलाल डेटिंग, किन बातों की सख्त मनाही? इस्लामिक देशों में दिख रहा चलन

हलाल फूड की बात तो जानी-पहचानी है, अब कई और टर्म्स भी चल निकले हैं. इसमें हलाल डेटिंग नया टर्म है. ये शादी से पहले की वो मुलाकात है, जो मुस्लिम युवक-युवतियां कर सकते हैं. इसके कई नियम होते हैं ताकि इस्लामिक सिद्धांतों का पालन हो सके. कई डेटिंग वेबसाइट्स भी हैं, जो हलाल मुलाकात का प्रॉमिस करती हैं.

आज तक 16 Apr 2024 12:04 pm

ईरान द्वारा पकड़े गए इजरायली जहाज में 17 भारतीयों के बीच केरल की महिला भी मौजूद, छुड़ाने के लिए डिप्लोमैटिक कोशिशें जारी

ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स ने 13 अप्रैल को होर्मुज स्ट्रेट से गुजर रहे इजरायल के एक जहाज MSC Aries को कब्जे में लिया था.यह जहाज लंदन काजोडियक मैरिटाइम है, जो इजरायल के अरबपति आइल ओफेर के जोडियक ग्रुप का है.यह जहाजसंयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के एक बंदरगाह से रवाना हुआ था.

आज तक 16 Apr 2024 10:04 am