रूस में आए भूकंप से जोड़कर पुराने और असंबंधित वीडियो वायरल
बूम ने पाया कि एक वीडियो म्यांमार में मार्च 2025 में आए भूकंप के दौरान का है. जबकि बेलुगा व्हेल को रेस्क्यू किए जाने का वीडियो अगस्त 2023 का है.
ट्रंप ने कनाडाई टैरिफ को 35% तक लगाने की घोषणा की, मार्क कार्नी ने जताई निराशा
कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने अमेरिका द्वारा कनाडा के कुछ निर्यात उत्पादों पर 35 फीसदी टैरिफ लगाने की घोषणा पर निराशा जताई है
ट्रंप ने भारत पर लगाए गए टैरिफ को किया स्थगित, जानें नई तारीख
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व वाली सरकार ने भारत से आयातित वस्तुओं पर लगाए गए 25 प्रतिशत टैरिफ को एक हफ्ते के लिए स्थगित कर दिया है। अब यह टैरिफ 1 अगस्त की बजाय 7 अगस्त से प्रभावी होगा
भारत और पाकिस्तान के बीच हुए सीजफायर में अमेरिका की भूमिका पर देश में हंगामा मचा ही था कि ब्रिटेन की एक रिपोर्ट ने और भी हल्ला मचा दिया है. ब्रिटेन ने तो बकायदा भारत को दमनकारी देश बताने हुए एक पूरी लिस्ट तैयार कर दी है. जिसमें जो आरोप लगाया गया है. वह बहुत गंभीर है. जानें पूरी बात.
Trump clashes with reporter tariffs policy: अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें वह एक रिपोर्टर से भिड़ते हुए दिख रहे हैं. और टैरिफ लगाने के लिए IEEPA के समय पर सवाल उठाने पर उसे पागल तक कह दिया. आइए देखें वह वीडियो, जानें पूरा मामला.
Give Trump Nobel Please Prize:अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दुनियाभर में कई देशों के बीच चल रहे झगड़ों को खत्म करवाकर शांति कायम की है. ये दावाव्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविटने किया है. उनका कहना है कि ट्रंप हर महीने औसतन एक शांति समझौता करा रहे हैं. इसके लिए उन्हें नोबेल देना चाहिए. जानें पूरी खबर.
हवाई के पोआकाई खाड़ी में उभरे रहस्यमयी चिन्ह, क्या थी पूर्वजों की चेतावनी?हवाई के ओआहु द्वीप पर पोआकाई खाड़ी के तट पर 1000 साल पुराने 26 रहस्यमयी चिन्ह अचानक फिर से नजर आए, और अब लोग इन्हें रूस में आए भयंकर भूकंप से जोड़कर देख रहे हैं. जानें पूरी कहानी.
तो इसलिए भारत से चिढ़ गए ट्रंप... अमेरिकी विदेश मंत्री ने पहली बार कैमरे पर निकाल दी खुन्नस
Trade Deal: रुबियो ने माना कि भारत अमेरिका का रणनीतिक साझेदार है और दोनों देशों के बीच कई क्षेत्रों में सहयोग है. लेकिन हर मुद्दे पर 100 प्रतिशत सहमति नहीं हो सकती है.
एक तरफ टैरिफ पर तनातनी, दूसरी तरफ ट्रंप की नाक के नीचे US में धीमे से भारत ने कर दिया बड़ा 'खेल'
India America Relation: विदेश मंत्रालय के आंकड़े के मुताबिक अमेरिका में करीब 54 लाख भारतीय मूल के लोग रहते हैं. इनमें से लगभग 20 लाख एनआरआई हैं. यह समुदाय भारत-अमेरिका के रिश्तों को मजबूत करने में एक महत्वपूर्ण कड़ी रहा है.
हाल ही में रूस में आए 8.8 तीव्रता के भूकंप और जापान की सुनामी की भविष्यवाणी 1999 में ही हो गई थी. वैसे ही जैसे कोरोना महामारी की हो गई थी.खास बात ये है कि ये भविष्यवाणी एक ही महिला ने की थी जो सच हुई. महिला को न्यू बाबा वांगा के नाम से क्यों जाना जाता है. ऐसी ही करीब 15 भविष्यवाणियां करने वाली ये महिला आखिर है कौन? इनकी कीतनी बातें सच हुई हैं? पूरी कहानी के लिए ऊपर दी गई इमेज पर क्लिक कर देखें वीडियो...
महाराष्ट्र के मालेगांव में रहने वाले सैयद निसार का बेटा अजहर नमाज पढ़ने निकला था। शाम को लौटते वक्त वह भीकू चौक पहुंचा। अजहर एक बाइक के बगल से गुजर रहा था, तभी ब्लास्ट हो गया। 19 साल के अजहर के अलावा 5 और लोग मारे गए। जवान बेटे की मौत से सैयद उस दिन खूब रोए। उस दिन तारीख 29 सितंबर 2008 थी। 17 साल बाद सैयद निसार की आंखों में फिर आंसू हैं। 31 जुलाई, 2025 को मालेगांव ब्लास्ट पर कोर्ट का फैसला आया। NIA की स्पेशल कोर्ट ने ब्लास्ट के सभी सात आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, रिटायर्ड मेजर रमेश उपाध्याय, अजय राहिरकर, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी और समीर कुलकर्णी को बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ मामला साबित नहीं कर सका। अब 80 साल के हो चुके सैयद निसार कहते हैं, ‘कोर्ट के फैसले ने बेटे की मौत का दर्द फिर से ताजा कर दिया। यह फैसला नाइंसाफी है, बिल्कुल गलत है।’ विक्टिम बोले- इंसाफ के लिए हर कोर्ट जाएंगेअदालत के फैसले के बाद दैनिक भास्कर मालेगांव पहुंचा। हम ब्लास्ट में जान गंवाने वालों के परिवार से मिले। सबसे पहले सैयद निसार के घर गए। कांपती आवाज और नम आंखों के साथ सैयद उस दिन को याद करते हैं। वे बताते हैं, ‘मेरा बेटा नमाज पढ़कर मस्जिद से निकला था। वह कोई आवारा लड़का नहीं था। हमेशा वहां जाता था। उसका उस रास्ते से गुजरना, एक बाइक के पास पहुंचना और उसी पल उस बाइक में धमाका हो जाना, यह सब एक पल में हो गया।’ सैयद निसार आगे कहते हैं, ‘मेरे बेटे की उम्र उस वक्त सिर्फ 19 साल थी। 17 साल बीत गए। मैं इंसाफ के लिए इंतजार करता रहा। आज अदालत ने हमें यह दिन दिखाया। फिर भी हम चुप नहीं बैठेंगे।’ वे सरकार से अपील करते हुए कहते हैं, हम बस यही चाहते हैं कि असली गुनहगारों को पकड़ा जाए और उन्हें सख्त सजा दी जाए। हम इंसाफ के लिए हर अदालत तक जाने के लिए तैयार हैं। 10 साल की फरहीन वड़ा पाव लेने निकली थी, ब्लास्ट में मौतसैयद निसार जैसा ही दर्द मालेगांव के लियाकत शेख का भी है। उनकी 10 साल की बेटी फरहीन वड़ा पाव लेने निकली थी। ब्लास्ट में उसकी मौत हो गई। लियाकत कहते हैं, ‘हमने इंसाफ के लिए 17 साल गवां दिए। अब यह फैसला आया है। यह बिल्कुल गलत है। हम इसे नहीं मानते।’ बेटी की मौत के बारे में लियाकत बताते हैं, ‘मेरी बच्ची घर से वड़ा पाव लेने निकली थी। अचानक जोरदार धमाके की आवाज आई। मैं घबराकर बाहर भागा, तो चारों तरफ अंधेरा और धुआं था। मैं घर लौट आया। मेरी बीवी ने कहा कि फरहीन अब तक वापस नहीं आई। मैंने उसे दिलासा दिया कि आ जाएगी। कुछ ही देर में कोई भागता हुआ आया और बोला कि घायलों में एक छोटी बच्ची भी है।’ ‘यह सुनते ही हम फौरन फरहान हॉस्पिटल भागे। वहां मैंने अपनी बच्ची को देखा। मुझसे उसकी पहचान के लिए आईडी मांगी गई। सदमे की हालत में मुझे कुछ दिखाई-सुनाई नहीं दे रहा था।’ लियाकत आगे कहते हैं, ‘पहले ATS ने जांच की थी, उसका नतीजा गलत था। उसके बाद हेमंत करकरे ने सबूतों के साथ असली गुनहगारों को पकड़ा था। आज अदालत कह रही है कि वे गुनहगार नहीं हैं। अगर वे बेगुनाह हैं, तो फिर असली गुनहगार कौन हैं। उन्हें हमारे सामने लाओ।’ उस्मान का भतीजा चाय पीने रुका, तभी ब्लास्ट हो गयामालेगांव ब्लास्ट ने जिनका सब कुछ खत्म कर दिया, उनमें उस्मान खान भी शामिल हैं। उन्हें पता था कि कोर्ट का फैसला आने वाला है। वे सुबह से ही बार-बार घड़ी देख रहे थे। कोर्ट ने जैसे ही फैसला सुनाया, उनकी आंखों से आंसू बहने लगे। उस्मान कहते हैं, ‘मैं इस फैसले से बिल्कुल खुश नहीं हूं। फैसला तो हुआ ही नहीं है। हमारा सवाल ये है कि आखिर मुजरिम है कौन। मसला तो मुजरिम को सजा दिलाने का था।’ वे बताते हैं, ‘मेरा भतीजा ऑटो चलाता था। रमजान का मुबारक महीना था। त्योहार की वजह से खरीदारी चल रही थी। मेरे भतीजे ने चाय पीने के लिए ऑटो खड़ा किया था।’ उस्मान एक पल के लिए खामोश हो जाते हैं। फिर कहते हैं, ‘जैसे ही वह चाय पीने गया, धमाका हो गया। उसके जिस्म का पिछला हिस्सा पूरी तरह खत्म हो चुका था। हम उसे लेकर भागे। पहले हम फरहान हॉस्पिटल पहुंचे। उन्होंने नासिक ले जाने को कहा। हम नासिक ले गए। वहां से उसे मुंबई के जेजे अस्पताल में भर्ती कराया। वहीं उसकी मौत हो गई।’ क्या सरकार या पुलिस ने आपसे कॉन्टैक्ट किया? उस्मान जवाब देते हैं, ‘हां, पुलिस आई थी। उसके कपड़े वगैरह लेकर गई थी। बाद में जमीयत उलेमा ए हिंद ने बहुत मदद की। उन्होंने ही हमें गवाही देने के लिए तैयार किया। हम 6 लोग बॉम्बे हाईकोर्ट गए थे। बयान दर्ज कराए। कोर्ट की तरफ से हमें मालेगांव तक का किराया और दूसरे खर्चे भी दिए गए थे।’ कोर्ट ने कहा- आरोपियों के खिलाफ सबूत नहींकोर्ट ने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ मामला साबित नहीं कर सका। धमाके में इस्तेमाल बाइक का मालिकाना हक साबित नहीं हुआ। RDX लाने या रखने का कोई सबूत नहीं मिला। साजिश की बैठकों के भी पुख्ता सबूत नहीं मिले। 323 गवाहों में से करीब 40 गवाह बयान से पलट गए। अदालत ने माना कि जांच में गंभीर चूकें हुईं। ब्लास्ट वाली जगह का पंचनामा ठीक से नहीं हुआ। मेडिकल सर्टिफिकेट में हेरफेर पाया गया। रिटायर्ड मेजर रमेश उपाध्याय से संगठन अभिनव भारत को आतंकी संगठन साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं मिला। केस की जांच पहले महाराष्ट्र ATS ने की थी। हेमंत करकरे की अगुआई में साध्वी प्रज्ञा और बाकी आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। ATS ने इस ब्लास्ट को अभिनव भारत संगठन की साजिश बताया था। 2011 में जांच NIA को सौंप दी गई। NIA ने ATS की जांच पर सवाल उठाए। मकोका की धाराएं हटाईं। कहा कि ATS ने RDX प्लांट किया और गवाहों पर दबाव डाला। इससे अभियोजन पक्ष की कहानी कमजोर हो गई। दो जांचें और दोनों में कई अंतरमालेगांव ब्लास्ट केस में महाराष्ट्र ATS और फिर NIA ने जांच की थी। दोनों एजेंसियों की जांच में बड़ा अंतर है। ATS ने दावा किया कि धमाके की साजिश अभिनव भारत संगठन के सदस्यों ने रची थी। इसमें साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, रमेश उपाध्याय, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी और अजय राहिरकर को मुख्य आरोपी बनाया गया। ATS ने कहा कि धमाके में प्रज्ञा की बाइक का इस्तेमाल हुआ। बाइक का चेसिस और इंजन नंबर मिटाया गया था। सुधाकर द्विवेदी के लैपटॉप से कथित बैठकों की रिकॉर्डिंग भी मिली। ATS ने आरोपियों पर MCOCA, UAPA और IPC के तहत केस दर्ज किया। एजेंसी ने दावा किया कि धमाके का मकसद मुस्लिम बहुल इलाके में सांप्रदायिक तनाव फैलाना था। ATS की जांच पर सवाल भी उठे। आरोप लगे कि गवाहों पर दबाव डाला गया और सबूतों को गलत तरीके से पेश किया गया। 2011 में NIA ने जांच संभाली। एजेंसी ने साध्वी प्रज्ञा, शिवनारायण कलसांगरा, श्याम बावरलाल साहू और प्रवीण तक्कलकी के खिलाफ आरोप हटा दिए। लोकेश शर्मा और धन सिंह को आरोपी बनाया गया, लेकिन 2008 के धमाके में उनकी भूमिका साबित नहीं हुई। NIA ने कहा कि ATS की ओर से दर्ज कबूलनामे मकोका हटने के बाद कानूनी रूप से अमान्य हो गए। कई गवाहों ने बयान वापस ले लिए या उनमें विरोधाभास पाया गया। कुछ गवाहों ने आरोप लगाया कि ATS ने उन्हें गलत तरीके से हिरासत में रखा और टॉर्चर किया। NIA ने मकोका हटाकर सिर्फ UAPA और IPC के तहत मुकदमा चलाया। 31 जुलाई 2025 को विशेष NIA अदालत ने सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया। अदालत ने माना कि धमाका हुआ, लेकिन यह साबित नहीं हो सका कि बम उसी बाइक पर लगाया गया था, जिसे साध्वी प्रज्ञा से जोड़ा गया था। यह भी साबित नहीं हुआ कि पुरोहित ने RDX का इंतजाम किया या बम बनाया। ATS और NIA की जांच में बड़ा फर्क था। ATS ने 12 से ज्यादा लोगों को आरोपी बनाया। NIA ने कई आरोपियों को क्लीन चिट दी और आखिर में 7 लोगों पर मुकदमा चला। ATS ने गवाहों के बयान, कबूलनामे और बाइक को सबूत माना। NIA ने इन्हें कमजोर या अमान्य बताया। ATS ने ‘भगवा आतंकवाद’ और ‘अभिनव भारत’ की साजिश पर जोर दिया। NIA ने कहा कि यह साबित नहीं हो सका। फैसले के बाद हिंदू संगठनों ने जश्न मनायाकोर्ट के फैसले के बाद महाराष्ट्र में हिंदू संगठनों ने जश्न मनाया। BJP नेता और मंत्री नितेश राणे ने कहा कि भगवा आतंकवाद का झूठ फैलाने वालों को माफी मांगनी चाहिए। भगवा आतंकवाद शब्द जानबूझकर फैलाया गया। कोर्ट के फैसले से उन कोशिशों को करारा जवाब मिला है। आरोपी के वकील बोले- भगवा आतंकवाद का नैरेटिव खत्मबरी हुए आरोपी सुधाकर चतुर्वेदी रणजीत सांगले ने कोर्ट के फैसले के बाद कहा कि यह ऐतिहासिक है। अदालत ने फंडिंग समेत सभी आरोपों को खारिज कर दिया। यह फैसला उस झूठे भगवा आतंकवाद के नैरेटिव पर करारा प्रहार है, जिसे कांग्रेस सरकार ने फैलाया था। अब वह फेक नैरेटिव पूरी तरह खत्म हो गया है।’ ‘मामले में कई कानूनी खामियां थीं। UAPA के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी सही अथॉरिटी से नहीं ली गई थी। यह गंभीर गलती थी। मकोका के तहत लगे आरोप पहले ही खारिज हो चुके थे। ATS ने दावा किया था कि सुधाकर चतुर्वेदी के घर से RDX मिला था। बाद में NIA ने अपनी चार्जशीट में इस थ्योरी को ही खारिज कर दिया।’ ‘इस केस में न्याय पाने में 17 साल लग गए। साध्वी प्रज्ञा अपनी बेगुनाही को लेकर शुरू से आश्वस्त थीं। उन्होंने 17 साल तक मानसिक प्रताड़ना और अपमान झेला। उन्हें गंभीर शारीरिक यातनाएं दी गईं। इससे उन्हें स्थायी चोटें आईं। आज भी वे उस पीड़ा से जूझ रही हैं। फैसले के बाद वे भावुक हो गईं। उनका भावुक होना स्वाभाविक था।’
‘हमारा परिवार बंगाल से दिल्ली काम करने के लिए आया, लेकिन यहां हमें परेशान किया जा रहा है। हम बंगाली बोलते हैं और मुस्लिम भी हैं। भाषा और धर्म के आधार पर हमें टारगेट किया जा रहा है। हमें बांग्लादेशी बताकर बेदखल क्यों किया जा रहा है। हम तो अपने देश में ही सुरक्षित नहीं हैं।‘ अमानुर शेख पश्चिम बंगाल के नदिया जिले से 20 साल पहले दिल्ली आ गए थे। पिछले 5 साल से गुरुग्राम से सटे कापा शेरा की एक बस्ती में रह रहे हैं। 19 जुलाई को भाई हफीजुल को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। तब से वो अपनी और परिवार की नागरिकता साबित करने की जद्दोजहद में लगे हुए हैं। दिल्ली-NCR में अवैध बांग्लादेशी-रोहिंग्या की पहचान के लिए अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत पुलिस ने 200 से ज्यादा प्रवासी मजदूरों को हिरासत में लिया है। इनमें गुरुग्राम से करीब 74 लोग हैं, जिनमें 11 पश्चिम बंगाल और 63 असम के हैं। पुलिस को शक है कि ये सभी अवैध तौर पर रह रहे घुसपैठिए हैं। गुरुग्राम के डिटेंशन सेंटर में रखकर इनसे पूछताछ और डॉक्यूमेंट्स का वेरिफिकेशन किया जा रहा है। पश्चिमी बंगाल की CM ममता बनर्जी ने पुलिस पर पश्चिमी बंगाल के मुस्लिमों को बेवजह परेशान करने का आरोप लगाया है। हालांकि इन सबके बीच बंगाल और असम के प्रवासी मजदूर दिल्ली छोड़कर अपने घर लौट रहे हैं। दैनिक भास्कर की टीम ने गुरुग्राम पहुंचकर इनमें से कुछ प्रभावित परिवारों से मुलाकात की और पूरा मामला समझा। गुरुग्राम की कापा शेरा बस्ती…अमानुर शेख'फैक्ट्री से भाई को डिटेंशन सेंटर ले गए, भारतीय होने का सबूत मांग रहे'सबसे पहले हम गुरुग्राम की कापा शेरा की एक झुग्गी बस्ती में पहुंचे। यहां रहने वाले अमानुर शेख के भाई हफीजुल शेख को पुलिस बांग्लादेशी बताकर डिटेंशन सेंटर ले गई। हम अमानुर से बात ही कर रहे थे कि तभी उन्हें गुरुग्राम के सेक्टर-10 पुलिस स्टेशन से एक फोन आया। अधिकारी ने फोन पर ही पूछा, 'हफीजुल शेख के माता-पिता, पत्नी और गांव का नाम क्या है? उसका कॉन्टैक्ट नंबर बताओ।' अमानुर ने उसकी पत्नी जैसमिन बीबी का फोन नंबर बताया। सामने से अधिकारी ने कहा, 'क्या हफीजुल देश से बाहर गया था।' इस पर अमानुर कहते हैं, हां, वो 6 साल पहले सऊदी गया था। कुछ साल वहां काम करने के बाद भारत लौट आया। तब से हमारे साथ दिल्ली में रह रहा है। उसके बीवी और दो बच्चे हैं। कुछ साल पहले मलेशिया भी गया था, लेकिन तीन ही महीने में लौट आया। इस फोन कॉल के बाद अमानुर हमें बताते हैं, 'मेरा भाई पास की एक फैक्ट्री में नाइट शिफ्ट में काम करता है। 19 जुलाई की रात 8 बजे वो रोज की ही तरह ड्यूटी के लिए घर से निकला था। तभी उसे पुलिस पकड़ ले गई और गुरुग्राम में पुलिस स्टेशन में हिरासत में रखा था।' वो आरोप लगाते हुए कहते हैं कि पुलिस भाई को बंगाली भाषा में बात करने और मुस्लिम होने के कारण पकड़कर ले गई। उसके पास आधार कार्ड, वोटर आईडी, राशन कार्ड, बैंक खाता और पासपोर्ट सब है। सब नदिया में हमारे घर के एड्रेस पर रजिस्टर्ड है। फिर भी पुलिस हमारी नहीं सुन रही।’ फोन से विदेशी नंबर्स मिले इसलिए पुलिस का शक बढ़ाअमानुर आगे बताते हैं, '19 की ही रात पुलिस स्टेशन से फोन आया। अधिकारी ने कहा कि तुम्हारे भाई को बांग्लादेशी होने के शक में पकड़ा है। उससे पूछताछ चल रही है। उसके सभी डॉक्यूमेंट थाने लेकर आ जाओ। अगर वो भारतीय होगा, तभी छोड़ेंगे। अगर बांग्लादेशी निकला तो गुरुग्राम सेक्टर 10-ए में बने डिटेंशन सेंटर भेज देंगे। फिर वहां से बांग्लादेश भेज दिया जाएगा।' 'मैं तुरंत पुलिस स्टेशन पहुंचा। हफीजुल के साथ उस दिन 75 और लोग थे। हालांकि उनमें ज्यादातर असम के रहने वाले थे। पुलिस ने हफीजुल का मोबाइल चेक करके मुझसे कहा कि वो किसी बांग्लादेशी ग्रुप से जुड़ा हुआ है।' अमानुर कहते हैं, 'हफीजुल ने मुझे बताया कि वो खुद उस ग्रुप से नहीं जुड़ा था, बल्कि उसे किसी ने जोड़ा था। उसमें भारतीयों के अलावा और देशों के लोग भी थे। बांग्लादेश का तो सिर्फ एक व्यक्ति जुड़ा हुआ था। मैंने पुलिस को भी बताया कि मेरा भाई दो बार विदेश गया था। इन्हीं सब वजहों से वो बाहर के कुछ एजेंट और ट्रैवल ग्रुप से जुड़ गया, लेकिन वो मानने को तैयार नहीं हुए।' 'पुलिस बार-बार हफीजुल से कह रही थी कि तुम्हारे दस्तावेज फर्जी हैं। मैंने 20 जुलाई को अपने गांव पत्थर घाटा में पंचायत सभापति से बात की। उन्होंने लोकल पुलिस स्टेशन को सूचना दी। जिसके बाद पश्चिम बंगाल पुलिस ने भाई का वेरिफिकेशन कर NOC दिल्ली पुलिस को भेजी है।' 'हालांकि NOC अब तक गुरुग्राम पुलिस को नहीं मिली है। बता रहे हैं कि ये प्रॉपर चैनल के जरिए गुरुग्राम पुलिस तक पहुंचेगी। तब तक हम केवल इंतजार कर सकते हैं।' बंगाली बोलते हैं, मुस्लिम भी हैं इसलिए टारगेट परअमानुर का मानना है कि उनकी दोहरी पहचान के कारण उन्हें और उनके जैसे तमाम परिवारों को निशाना बनाया जा रहा है। वे कहते हैं, 'मुझे लगता है कि खासकर बंगाली मुस्लिमों को टारगेट किया जा रहा है क्योंकि हम बंगाली भी बोलते हैं और मुस्लिम भी हैं। भाषा और धर्म के आधार पर हमें परेशान किया जा रहा है।' पुलिस को तो मुझ पर भी शक हुआ। हालांकि मैंने अपने सभी डॉक्यूमेंट पुलिस को दिखाए। उन्होंने मुझसे भी पूछताछ की, लेकिन उसके बाद मुझे जाने दिया। 'मुझे उम्मीद है कि मेरा भाई भी जल्द छूट जाएगा। हालांकि अब ऐसे माहौल में हमें यहां रहने में डर लगने लगा है। हम अपने देश में ही सुरक्षित नहीं हैं, लेकिन इसे छोड़कर कहां जाएंगे? हम पुलिस का सहयोग करने को तैयार हैं, लेकिन फिर भी हमें बांग्लादेशी बताकर भारत से बेदखल करने की कोशिश की जा रही है।' वे आगे कहते हैं, 'हफीजुल के न होने से उसके बीवी-बच्चे परेशानी से जूझ रहे हैं। यहां तो रोज कमाना और खाना है। अब वो नहीं है तो उसके परिवार को कौन देखेगा। वहीं थाने में पुलिस हफीजुल को जो खाना दे रही है, वो खाने लायक नहीं है। हम रोज शाम को उससे मिलने और खाना पहंचाने जाते हैं।' जुल्फिकर शेखआधार-वोटर आईडी सब, फिर भी बेटे को उठा ले गई पुलिसइसी बस्ती में हमारी मुलाकात जुल्फिकर शेख से हुई। यहां रहने वाले बाकी लोगों की तरफ वो भी कचरा बीनने का काम करते हैं। 24 जुलाई को पुलिस उनके घर भी आई थी। उनके बेटे को पकड़कर ले गई। जुल्फिकर बताते हैं, 'दोपहर 3 बजे का वक्त था। 15-20 पुलिसवाले मेरे घर आए थे। उस वक्त मैं और मेरी पत्नी काम पर गए हुए थे। घर पर मेरे दोनों बेटे ही थे। पुलिस ने उनसे पूरे परिवार का आधार कार्ड मांगा। छोटे बेटे ने दिखा दिया। तभी एक पुलिस वाला उसके हाथ से मोबाइल छीनकर चेक करने लगा। वहीं दूसरा बड़े बेटे की तरफ देखकर बोल रहा था कि इसे पुलिस स्टेशन लेकर चलो।' मोबाइल में कुछ न मिलने पर पुलिस ने छोटे बेटे को तो छोड़ दिया, लेकिन बड़े बेटे राकिब को साथ ले गई। वो कह गए कि अगर शाम को माता-पिता स्टेशन नहीं आए तो तुम सबका इंतजाम किया जाएगा। खबर मिलते ही मैं राकिब के सभी डॉक्यूमेंट लेकर स्टेशन पहुंचा। उनकी जांच कर पुलिस ने राकिब को छोड़ दिया।' जुल्फिकर आगे कहते हैं, 'मुझे समझ नहीं आ रहा हमारे साथ ऐसा क्यों किया जा रहा है। हमें बांग्लादेशी घुसपैठिया बताया जा रहा है। किसी को भी सड़क से उठाकर ले जा रहे हैं।' 'मुझे डर है कि पुलिस हमें कभी भी उठाकर ले जाएगी और फिर मारेगी-पीटेगी। मैं यहां डर में नहीं जीना चाहता, मैं दिल्ली से जाना चाहता हूं। मुश्किल यही आ रही है कि सफदरजंग अस्पताल में मेरा टीबी और रीढ़ की हड्डी का इलाज चल रहा है। इसलिए मैं घर नहीं लौट पा रहा। डॉक्टर कहते हैं कि इलाज अभी एक साल और चलेगा।' गुरुग्राम का खटोला गांव…'पुलिस दस्तावेज देखने को भी तैयार नहीं'इसके बाद हम गुरुग्राम के खटोला गांव पहुंचे। इस इलाके में असम के मुसलमानों की बड़ी आबादी रहती है। सड़क के एक ओर अमेरिकन एक्सप्रेस जैसे कॉर्पोरेट दफ्तरों वाली ऊंची इमारतें हैं। जबकि दूसरी तरफ झुग्गियां है। इस बस्ती में असम के प्रवासी मजदूर रहते हैं, जो इन्हीं दफ्तरों में सफाईकर्मी से लेकर बाकी कई तरह के काम करते हैं। आस-पास रहने वाले बताते हैं, ‘यहां पहले करीब 2,000 लोग रहा करते थे, लेकिन अब पूरा इलाका सुनसान पड़ा है। ज्यादातर घरों के बाहर ताले लगे हुए हैं। कुछ घरों में महिलाएं मिलीं, जिनका आरोप है कि पुलिस ने उनके पति को बिना कोई डॉक्यूमेंट्स देखे उठा लिया। बाद में भी दिखाने पर नहीं देखा।‘ बिना कैमरे पर आए यहां रहने वाली सायरा बीबी बताती हैं, 'पुलिस मेरे पति रोकीबुज हुसैन को पकड़कर ले गई। वो डिटेंशन सेंटर में किस हाल में हैं, मुझे नहीं पता। पुलिस ने मुझसे पूछा था कि मैं कहां की रहने वाली हूं। मैंने बताया कि असम से हूं। फिर वो बिना कुछ देखे कहने लगे तुम सब बांग्लादेश से हो, तुम सबको ले जाएंगे।' 'जबकि हमारे परिवार का नाम नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (NRC) में शामिल है। फिर भी वे हमारे घर के मर्दों को ले गए। हमने पूछा कि उन्हें कब छोड़ा जाएगा, तो पुलिस ने हमें शहर छोड़कर जाने को कह दिया। इन सबके बाद रातों-रात लोग यहां से ट्रेन पकड़कर असम लौट गए।' 10 अवैध बांग्लादेशी नागरिक मिलेगुरुग्राम से पकड़े गए 70 से ज्यादा मजदूरों और सफाई कर्मचारियों में से अब तक 10 के पास जरूरी डॉक्यूमेंट्स नहीं मिले हैं। लिहाजा उन्हें अवैध प्रवासी बता दिया गया है। गुरुग्राम पुलिस PRO संदीप बताते हैं, 'गृह मंत्रालय की गाइडलाइंस के मुताबिक कुछ होल्डिंग सेंटर या डिटेंशन कैम्प बनाए गए हैं। संदिग्ध बांग्लादेशी नागरिकों को वहां रखा जा रहा है। उन सेंटरों पर उन्हें सभी बेसिक सुविधाएं, जैसे- मेडिकल सर्विस वगैरह दी जा रही है।' हम उनके मानवाधिकारों का सम्मान करते हैं। उनमें से अगर कोई खुद को भारतीय नागरिक बताता है, तो हम संबंधित जिलाधिकारियों (DM) से संपर्क करते हैं। अगर DM उनकी भारतीय नागरिकता की पुष्टि करते हैं, तो उन्हें रिहा कर दिया जाता है। जिनकी नागरिकता की पुष्टि नहीं होती है, उनके खिलाफ डिपोर्टेशन की प्रोसेस शुरू कर दी जाती है।' 'CAA-NRC के कारण शक के घेरे में सिर्फ बंगाली-मुस्लिम'इस पूरे मामले को लेकर हमने जामिया मिलिया इस्लामिया में असिस्टेंट प्रोफेसर नजीमुद्दीन सिद्दीकी से बात की। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है जिसमें उन्होंने 'पुश बैक' के नाम पर हो रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन पर कोर्ट से संज्ञान लेने को कहा है। नजीमुद्दीन बताते हैं, 'अगर कोई गैरकानूनी तरीके से देश में दाखिल होता है तो हम इसमें प्रशासन के साथ खड़े हैं। ऐसे लोगों को वापस भेजना चाहिए। यहां अवैध प्रवासियों के नाम पर असम और बंगाल के लोगों को निशाना बनाया जा रहा है।' असम में एक सरकारी टीचर को जबरदस्ती पकड़कर बॉर्डर पार करवा दिया गया। अपने ही देश के नागरिक के साथ ऐसा व्यवहार करना संवैधानिक रूप से भी गलत है। 'ये 'पुश बैक' नहीं है। ये अपने ही लोगों को फेंकना होता है। ऐसे कई मामले हमारे सामने हैं। इसके तार CAA-NRC से भी जुड़े हैं। इस कानून के तहत आप हिंदू बांग्लादेशी को नागरिकता देते हैं। इसलिए 'घुसपैठिया' या 'अवैध' होने के शक का दायरा सिर्फ मुस्लिमों पर है। हिंदू कभी घुसपैठिया नहीं हो सकते।' पॉलिटिकल पार्टियों के क्या हैं आरोपगुरुग्राम में हो रही इस कार्रवाई को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 'भाषायी आतंकवाद' करार दिया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, 'डबल इंजन सरकारों के भारत में बंगालियों पर किए जा रहे इस अत्याचार को देखकर हैरान हूं। आप क्या साबित करना चाहते हैं? ये अमानवीय और निंदनीय है। हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे।' तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने वीडियो मैसेज जारी कर इस कार्रवाई की तुलना जर्मनी के नाजी शासन से की। ............................... ये खबर भी पढ़ें...'हम बांग्लादेशी नहीं, दिल्ली के वोटर, हमारे घर क्यों तोड़े' 'मैं बांग्लादेशी नहीं, UP के प्रतापगढ़ जिले से हूं। UP वालों को क्यों हटाया जा रहा है। चुनाव से पहले BJP ने वादा किया था कि जहां झुग्गी है, वहीं मकान देंगे। हमें भी उम्मीद थी, लेकिन उन्होंने झुग्गी की जगह मकान देने के बजाय पूरा मैदान बना दिया। BJP को वोट देना हमारी सबसे बड़ी गलती थी।' दिल्ली के भूमिहीन कैंप में जन्म से रह रहीं सुनीता का घर 5 जुलाई को कब्जा बताकर तोड़ दिया गया। राशन कार्ड नहीं है, इसलिए मकान भी नहीं मिला। पढ़िए पूरी खबर...
जिस देश ने आधी दुनिया पर किया था राज, वहां शरिया कानून की तैयारी? मचा बवाल
DNA News:ब्रिटेन में इन दिनों एक खास तरह की सोच के खिलाफ आक्रोश दिख रहा है. ब्रिटेन के नाराज लोग पीएम कीर स्टार्मर से सवाल पूछ रहे हैं कि क्या सरकार ने देश में महजबी कट्टरता के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है.
DNA Analysis: ट्रंप ने भारत के साथ बातचीत के विकल्प खुले रखे हैं लेकिन क्या अब भारत अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप में अपना सच्चा मित्र देख पाएगा. इस सवाल का जवाब ज्यादातर लोग नहीं में देंगे. इसकी वजह खुद डोनाल्ड ट्रंप हैं.
Who is Mira Murati: कहते हैं कि अगर आपने कुछ बड़ा करने के लिए सोचा है आपके पास उस काम को करनी की क्षमता है तो आपको कोई भी नहीं डिगा सकता है यहां तक की पैसा भी नहीं. अल्बानियाई-अमेरिकी टेक दिग्गज मीरा मुराती ने भी कुछ ऐसा किया है किया है कि उनकी दुनिया भर में चर्चा हो रही है.
फिलीपींस के राष्ट्रपति 4 अगस्त को भारत की राजकीय यात्रा पर आएंगे
फिलीपींस के राष्ट्रपति फर्डिनेंड आर. मार्कोस जूनियर अगले महीने की चार तारीख को भारत की पांच दिन की राजकीय यात्रा पर आएंगे
मैरिटाइम इंटरैक्शन-2025: रूस और चीन के नौसैनिक करेंगे जापान सागर में अभ्यास
रुस और चीन का संयुक्त नौसैनिक अभ्यास 'मैरिटाईम इंटरैक्शन-2025' एक अगस्त से जापान सागर में शुरू होगा तथा पांच अगस्त तक चलेगा
Jeffrey Epstein scandal: ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने एपस्टीन से संबंध इसलिए तोड़े क्योंकि वह उनके मार-ए-लागो क्लब से काम करने वाली युवा महिलाओं को चुरा लिया था. उन्होंने कहा उनमें गिफ्रे भी शामिल थीं.
पाकिस्तान और ईरान की जेलों में कैद करीब 10 हजार अफगान नागरिक रिहा होकर स्वदेश लौटे
पिछले 12 महीनों में पाकिस्तान और ईरान की जेलों में कैद 9951 अफगानी नागरिक रिहा होकर अपने देश लौट आए हैं
अमेरिका का F-35 फाइटर जेट हुआ क्रैश, करिश्माई तरीके से बाहर निकला पायलट
Fighter Jet Crash: पायलट को विमान से अचानक बाहर निकलना पड़ा. पायलट समय रहते इजेक्ट हो गया और पैराशूट की मदद से सुरक्षित जमीन पर उतरा.
थाईलैंड और कंबोडिया के बीच ऐसी दुश्मनी पनप गई है जो शायद दुनिया में किसी ने देखी हो. सीमा पर तनाव का आलम ये है कि युद्धविराम के बावजूद दोनों देश एक-दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं. आखिर क्या है इस दुश्मनी की वजह और क्यों नहीं सीजफायर के बाद भी थम रहा ये तनाव? जानें सब कुछ.
Hidden FBI room found:अमेरिका में एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है. FBI के डायरेक्टर काश पटेल ने FBI के मुख्यालय में एक गुप्त कमरा खोजा है, जिसमें संवेदनशील दस्तावेजों से भरे ‘बर्न बैग’ मिले हैं. जिसके बाद अमेरिका में हंगामा होना तय माना जा रहा है. जानें पूरी खबर.
'इंडिया भी PAK से खरीदेगा तेल...' भारत को झटका देकर ट्रंप ने पाकिस्तान के लिए कर दिया बड़ा ऐलान
US Pakistan Relation: ट्रंप ने कहा कि हमने पाकिस्तान के साथ एक डील फाइनल की है. जिसके तहत अमेरिका और पाकिस्तान साथ मिलकर उसके तेल भंडार को विकसित करेंगे. कौन जानता है शायद एक दिन पाकिस्तान इंडिया को तेल बेचे.
US Brazil News in Hindi: राष्ट्रपति के रूप में दूसरे कार्यकाल की जिम्मेदारी संभालने के बाद ट्रंप लगातार ब्रिक्स दिशों को कमजोर करने में लगे हैं. वे इसके लिए टैरिफ को हथियार बनाए हुए हैं. उन्होंने रूस, चीन और भारत के बाद अब ब्राजील को निशाना बनाया है.
‘हम कभी बच्चा नहीं पैदा करेंगे, हमें दुनिया घूमना है। हम पति-पत्नी पूरी जिंदगी एक-दूसरे को देना चाहते हैं, बेबी की परवरिश के लिए नहीं। जो पैसा हम बेबी पर खर्च करेंगे वही अपनी सेहत पर खर्च कर सकते हैं और सेविंग्स के लिए रख सकते हैं। बच्चा पैदा हुआ तो वो हमारी प्राथमिकता हो जाएगा और हमारे सपने साइड में चले जाएंगे। ये हमारी चॉइस है, लेकिन बेबी न पैदा होने पर हमें अधूरा कहा जाता है, जिससे हमें एंग्जाइटी होती है।' DINK यानी डुअल इनकम, नो किड्स वाले कपल्स ने ये बातें कहीं। एक तरफ जहां लोग बच्चों के लिए तरसते हैं। डॉक्टरों के चक्कर लगाते हैं, वहीं ये कपल्स बच्चे नहीं चाहते। ब्लैकबोर्ड में इस बार कहानी ऐसे ही जोड़ों की जो परिवार और समाज से तरह-तरह के ताने झेल रहे हैं... दिल्ली के रहने वाले 34 साल के शिव वर्मा बताते हैं- 'लोग कहते हैं तुम पेरेंट्स नहीं बने हो, इसलिए अभी बच्चे हो, इमेच्योर हो। मेरी पत्नी से कहते हैं तुम मां नहीं बनी हो, इसलिए ममता क्या होती है, समझ नहीं पाओगी। अगर हमें सिर दर्द भी होता है, तो लोग कहते हैं बच्चा होता तो सिर दर्द का पता नहीं चलता। उसी के साथ बिजी रहने में टाइम कट जाता। इन बातों से एंग्जाइटी होती है। वह एक जानी-मानी कंपनी में काम करते हैं। चार साल पहले उन्होंने शादी की थी। अब परिवार और समाज की ओर से बार-बार पूछा जाता है- ‘बच्चे कब पैदा कर रहे हो?’ लेकिन शिव और उनकी पत्नी ने शादी से पहले ही यह फैसला कर लिया था कि वे बच्चा नहीं पैदा करेंगे। आपने ये फैसला क्यों लिया? इस पर वो कहते हैं- 'कुछ लोग सोचते हैं कि हमें दुनिया घूमनी है, पैसे कमाने हैं, कहीं बच्चा हो गया तो हम यह सब नहीं कर पाएंगे। बच्चा एक बोझ बन जाएगा।, पर हम ऐसा नहीं सोचते। हमने ये फैसला इसलिए लिया है क्योंकि पत्नी और मुझे काम के सिलसिले में बहुत ट्रैवल करना पड़ता है। हम दोनों महत्वाकांक्षी हैं और करियर ओरिएंटेड हैं, लिहाजा बच्चे को समय नहीं दे पाएंगे। कई लोग तो फाइनेंशियल वजहों से बच्चा नहीं पैदा करते, लेकिन हमारे साथ ऐसा नहीं है। हम दोनों आर्थिक रूप से सक्षम हैं। मैंने बच्चा न पैदा करने की बात जब अपने परिवार के सामने रखी, तो उन्होंने हमारा समर्थन किया। उन्होंने कहा कि बच्चे पैदा करना या न करना तुम्हारा फैसला होगा, लेकिन अगर अपने फैसले पर थोड़ा भी डाउट हो, तो दोबारा विचार जरूर करना। उन्होंने हमें इसका नफा और नुकसान दोनों समझाया। उन्होंने बताया कि बेशक, ऐसा करने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए, लेकिन ज्यादा देर भी नहीं करनी चाहिए। पेरेंट्स बनना थोड़ा जवान उम्र में ही अच्छा होता है।' इस सवाल पर कि बच्चा न पैदा करने पर आपके आस-पास के लोग क्या कहते हैं? शिव कहते हैं- 'लोग मुझसे पूछते हैं कि आपकी तो अरेंज मैरिज हुई थी, तो बच्चा न पैदा करने का फैसला कब ले लिया? दरअसल, लोगों को पता नहीं कि शादी से पहले, जब हमारी पहली मुलाकात हुई थी, तो हमने बातचीत के पहले 10 मिनट में ही बच्चा न पैदा करने का फैसला ले लिया था। मैं उस समय इस बात को लेकर पूरी तरह तैयार था कि अगर हम दोनों में इस पर सहमति नहीं बनी, तो हम शादी नहीं करेंगे। मैंने पत्नी से कहा था- इस फैसले पर समाज का दबाव तुम पर ज्यादा होगा, लेकिन हमें फैसले पर अडिग रहना होगा। शादी के बाद अब जब हम अपने रिश्तेदारों के घर जाते हैं, तो अक्सर लोग कमेंट करते हैं कि देखो फलां आदमी को बच्चा हो गया, तुम कब कर रहे हो? अगर हम अपने किसी परिवार या दोस्त के बच्चे के साथ खेलते हैं, उसका ख्याल रखते हैं तो भी मुझसे कहा जाता है कि बच्चों को इतना पसंद करते हो तो खुद का बच्चा क्यों नहीं कर रहे हो? इस तरह के सवाल पसंद नहीं आते। लेकिन हां, इस पर बहस नहीं करता, क्योंकि पता है कि यह हमारा निजी फैसला हो सकता है, लेकिन यह जरूरी नहीं कि सब मेरी तरह ही सोच रहे हों। आखिर वे हमसे जो अपेक्षा कर रहे हैं, उसमें कुछ गलत भी नहीं है।' शिव सोफा पर रखे कुशन को गोद में रखते हुए बताते हैं, लेकिन हमारे इस फैसले के बाद अब हम दोनों लाइफ में जो कुछ भी सीरियस करना चाहते हैं, उसको वैल्यू कम दी जाती है। हमें अब माना जाता है कि जीवन को लेकर गंभीर नहीं हैं। हमसे कहा जाता है कि तुम्हारी पीढ़ी आगे नहीं बढ़ पाएगी। तुम लास्ट जेनरेशन किड्स हो। यह भी कहा जाता है कि अगर हम पेरेंट्स नहीं बने, तो बच्चे ही रह जाएंगे। इन बातों से दुःख होता है, लेकिन इसे किसी के सामने जाहिर नहीं करते। कई बार हम अकेले में रो लेते हैं, पर किसी से साझा नहीं करते। इस सवाल पर कि क्या आपको अपने इस फैसले को लेकर एंग्जाइटी होती है? वह कहते हैं, ऐसा होता है। हम कई बार सोचते हैं कि जब हम बूढ़े हो जाएंगे, तो हमारा ख्याल कौन करेगा? कई बार लगता है कि कहीं 50 की उम्र में जाकर हमें बच्चे की जरूरत न महसूस होने लगे फिर क्या करेंगे, यह सोच कर एंग्जाइटी होती है। मुझे कई बार लगता है कि ग्रैंड पेरेंट्स की आंखें ज्यादा बोलती हैं। हमारे फैसले का असर उन पर भी पड़ता है। जब वे दूसरों के बच्चों के साथ खेलते हैं, तो हमें अपराधबोध महसूस होता है। इसमें कोई शक नहीं कि बच्चे न पैदा करने से कई बार अकेलापन आता है। जब अपने बच्चे होते हैं तो एक उम्र के बाद उस तरह का फ्रेंड सर्कल भी बड़ा होता है। शादी के बाद दोस्त अब पहले की तरह नहीं मिलते, क्योंकि वे अपने बच्चों के साथ बिजी रहते हैं। अपना बच्चा हो तो कई बार उसके दोस्तों के पेरेंट्स से भी दोस्ती हो जाती है। तब पेरेंट्स वाली जिंदगी का एक्सपोजर बढ़ता है। हालांकि हमें पता है कि हमने जो फैसला लिया है उसके इस तरह के परिणाम होंगे, लेकिन इससे हमारा फैसला नहीं बदलने वाला। बेशक, हम दोनों थोड़ा स्वार्थी हैं कि अपनी खुशियां बांटना नहीं चाहते। हमारे देश में तो माता-पिता को भगवान की तरह माना जाता है। उनसे ‘न’ कह पाना सबसे ज्यादा मुश्किल काम होता है। कई बार वे इमोशनल अत्याचार भी करते हैं। जैसे कि बच्चा पैदा कर लो, उसे संभालने की जिम्मेदारी हमारी होगी। तुम्हें पता भी नहीं चलेगा कि बच्चा कब बड़ा हो गया। आखिर तुम्हें भी तो पाला ही है। यह भी कहते हैं कि बच्चा न पैदा करने पर हमारी मेंटल हेल्थ खराब हो जाएगी। ये सब सुनकर कई बार बहुत अजीब महसूस होता है।' इस सवाल पर कि अगर आपको बेबी होता तो आपकी जिंदगी कैसी होती? शिव कहते हैं कि फिर मुझे अपने सपने और एस्पिरेशन साइड में रखने पड़ते। मैं अपनी जिंदगी में सेकेंड पोजिशन पर चला जाता और बच्चा फर्स्ट प्राथमिकता बन जाता। आखिर बच्चे को पालने के लिए डेडिकेशन चाहिए। मेरी पत्नी को नौकरी छोड़कर कम से कम दो साल बैठना पड़ता। देखभाल के लिए बच्चे को नैनी यानी मेड के सहारे छोड़ना पड़ता, जो कि मैं अन्याय मानता हूं। शुरू के कम से कम दो साल पेरेंट्स को बच्चे के साथ रहना चाहिए। अब आर्थिक पहलू की बात करूं तो जिस तरह की लाइफस्टाइल हम जी रहे हैं, उसे एक आदमी की सैलरी में नहीं जी सकते। मैं सोशल मीडिया पर कंटेंट भी बनाता हूं। एक बार एक कंटेंट पीस में मैं और मेरी पत्नी ने कहा था- हमें बच्चे इसलिए नहीं चाहिए, क्योंकि हम अपने बूढ़े मां-बाप को पाल रहे हैं। उसमें हमारा नजरिया था कि बच्चा न होने पर भी हम उस अनुभव से वंचित नहीं हैं, क्योंकि हमारे मां-बाप ही हमारे लिए बच्चे की तरह हैं। इस पर लोगों ने हमें बहुत ट्रोल किया था, अपशब्द कहे गए थे। कुछ लोगों ने तो कहा था कि तू भी एक दिन बूढ़ा होगा, तू अपने पेरेंट्स को भला कैसे पाल सकता है। इस तरह से लोग पर्सनल अटैक कर रहे थे। मेरी परवरिश पर सवाल उठा रहे थे, लेकिन उनमें काफी लोग ऐसे भी थे जो हमारी तारीफ कर रहे थे। अपने वीडियो कंटेंट में अक्सर उन चीजों पर बात करता हूं, जिन पर बात करने से लोग बचते हैं। दिल्ली ही में रहने वाली तारिका टाटा कंसल्टेंसी (टीसीएस) में काम करती हैं। उनकी शादी को पांच साल हो चुके हैं। वो कहती हैं कि हम भी एक DINK कपल हैं। हमने यह फैसला किसी दिखावे या ट्रेंड में आकर नहीं किया है। दरअसल, हम पति-पत्नी पूरी जिंदगी एक-दूसरे को समय देना चाहते हैं। वो समय जो आमतौर पर बच्चे की परवरिश में चला जाता है। ये हमारा प्यार निभाने का एक तरीका भी है। साथ ही, फाइनेंशियल फ्रीडम भी एक बड़ी वजह है। हम चाहते हैं कि हम अपनी जरूरतों, इच्छाओं और सपनों के लिए आजाद रहें। अपने पति की तरफ देखते हुए तारिका कहती हैं, इस फैसले से हमें सोसाइटी से ज्यादा परिवार और रिश्तेदारों का प्रेशर झेलना पड़ा। परिवार को तो हमने धीरे-धीरे मना लिया, लेकिन रिश्तेदारों को आज भी नहीं समझा पाया हूं। एक बार किसी ने मुझसे कहा कि शायद हमें डॉक्टर को दिखाना चाहिए, कहीं शरीर में कोई दिक्कत न हो। मैं महिला हूं, इसलिए इस तरह के सारे सवाल मुझसे ही किए जाते हैं, लेकिन अब मैं इस दबाव को खुद पर हावी नहीं होने देती। एक वाकया याद कर तारिका कहती हैं कि एक बार एक रिश्तेदार के घर उनकी नन्ही बच्ची को देखने गई थी। वहां, एक आंटी ने मेरे पेट पर हाथ रखकर पूछा- कोई खुशखबरी है क्या? लेकिन उनकी बात को मैंने हंसकर टाल दिया। अब मैं समझ चुकी हूं कि हर किसी को जवाब देना जरूरी नहीं होता। पेशे से स्टैंडअप कॉमेडियन गौरव म्हाना तारिका के पति हैं। पिछले आठ साल से वो कॉमेडी कर रहे हैं। वह कहते हैं कि हमे बच्चे बहुत पसंद हैं। लोग अक्सर सोचते हैं कि DINK कपल्स वो होते हैं, जो पैसों के पीछे भागते हैं, बच्चों की जिम्मेदारी से डरते हैं, लेकिन ये सच नहीं है। हमने सोचा है कि हम कम कमाएंगे, लेकिन खुश रहेंगे। किसी और के लिए नहीं, अपने लिए जिएंगे। हां, यह सच है कि बच्चा होने के बाद जिंदगी बदल जाती है। जो कपल बच्चे से पहले हर वीकेंड पर साथ घूमते हैं, देश-विदेश जाते हैं, बच्चा होने पर उनकी जिंदगी अचानक थम जाती है। दरअसल, पेरेंटिंग दो तरह की होती है। एक वह जिसके बारे में लोग सोचते हैं कि जो मेरे साथ हुआ, वही मेरे बच्चे के साथ भी हो और दूसरे वे लोग होते हैं जो चाहते हैं जैसा उनके साथ हुआ है वैसा उनके बच्चों के साथ न होने पाए। जैसे कई घरों में सास चाहती हैं कि अगर उन्होंने घर में 10 घंटे काम किए हैं, तो उनकी बहू भी करे। आखिर आज की बहुएं 1 लाख रुपए तक महीना कमा रही हैं और 10 हजार रुपए तक नौकर पर खर्च कर रही हैं, तो वे भला ऐसा क्यों करेंगी। गौरव कहते हैं लोग हमसे अक्सर पूछते हैं कि बुढ़ापे में आप लोगों का क्या होगा। एक बार तो इस तरह के सवाल से इतना परेशान हुआ था कि डिप्रेशन में चला गया। उस समय मैंने एक दोस्त से बात की, जो नर्सिंग के पेशे में हैं। उन्होंने बताया वह जिन बुजुर्गों की देखभाल करती हैं, उनमें से ज्यादातर की सेवा उनके बच्चे नहीं, आया करती हैं। उस समय मुझे लगा, मैं सिर्फ इसलिए बच्चे पैदा करूं कि बुढ़ापे में वे मेरा ख्याल रखेंगे, तो यह तो खुदगर्जी होगी। क्यों न वही पैसा मैं अपनी सेहत पर खर्च करूं और सेविंग्स के लिए बचाऊं। कुछ लोग कहते हैं कि शादी का असली मकसद बच्चे पैदा करना ही है, लेकिन मैं यह नहीं मानता। अगर मुझे लगेगा कि मेरी पत्नी अब मुझमें इंटरेस्ट नहीं ले रही है तो हम अलग हो जाएंगे, बजाय एक-दूसरे पर बोझ बनने के। मैंने तो कई कपल्स में देखा है कि बच्चा पैदा होने के बाद उनमें दूरी आ गई। पत्नी का ध्यान भी अक्सर बच्चे पर रहने लगा। एक रात मेरी एक दोस्त का बच्चा बार-बार जाग रहा था और रो रहा था। उस पर पति की भी नींद खुल गई। पत्नी ने सोचा कि पति जगे हैं तो कुछ मदद करेंगे, लेकिन वह दोबारा सो गए, जिस पर वह नाराज हुई। तीन दिन तक दोनों में बात नहीं हुई। मुझे लगता है कि बच्चा पैदा करना बड़ी जिम्मेदारी है और इसके लिए पति-पत्नी में से किसी एक को मिटना पड़ता है। मैंने ऐसी बहुत सी महिलाओं को देखा है जो मैटरनिटी लीव पर जाने के बाद कभी काम पर वापस नहीं लौट पाईं। एक बार जब ‘मां’ की ममता जग जाती है तो वो अपने बच्चे से अलग नहीं हो पाती। काम पर न लौट पाने से कई बार वे डिप्रेशन में चली जाती हैं। आखिर मैं इस तरह का प्रेशर अपने ऊपर नहीं लेना चाहता कि अगर मुझे कुछ हो गया, तो मेरे बच्चे का क्या होगा! गौरव बताते हैं कि एक बार वह अपने रिलेटिव के यहां गए थे। उन्होंने मुझे अकेले में ले जाकर कहा- कोई शारीरिक दिक्कत है तो बता देना, मेरे पास डॉक्टर का नंबर है, दिखा दूंगा। मुझे वह बात बहुत बुरी लगी थी। मैंने उनसे साफ कहा था- मैं चाइल्ड-लेस नहीं, चाइल्ड-फ्री हूं। मैं बच्चा नहीं चाहता। थोड़ा गंभीर होकर गौरव कहते हैं- कंपेनियनशिप उम्र और समझदारी के स्तर पर होती है। वो आपको अपने दोस्तों से भी मिल सकती है। मुझे लगता है उम्रभर साथ देने के लिए हमें किसी को अच्छा दोस्त बनाना चाहिए, न कि बच्चा पैदा करने के लिए। वह बताते हैं कि उनकी तीन बहनें हैं और उनके 6 बच्चे हैं। मैं मजाक में कई बार उन बच्चों से कहता हूं जो भी मेरा ज्यादा ख्याल रखेगा, अपनी प्रॉपर्टी उसी के नाम कर दूंगा। इस पर वे सभी बच्चे कहते हैं- मामा हम आपका ख्याल रखेंगे। दरअसल, मैंने अपनी जिंदगी के बारे में सब कुछ पहले से ही तय कर लिया है, क्योंकि मैं एक चीज नहीं चाहता वो है पछतावा। मुंबई की रहने वाली आकांक्षा बंसल और ऋषभ बंसल की शादी को एक साल हो चुके हैं। वह भी डिंक कपल हैं। आकांक्षा कहती हैं कि जब भी आप कोई अलग फैसला लेते हैं, खासतौर से एक औरत के तौर पर तो आपसे हर कदम पर सवाल किए जाते हैं। मैं एक कंटेंट क्रिएटर हूं। मेरे पति और मैं मिलकर ट्रैवल कंटेंट बनाते हैं। हम दुनिया घूमते हैं, नई जगहें एक्सप्लोर करते हैं। हमें पता है कि बच्चा होने के बाद हम ये सब नहीं कर पाएंगे। आकांक्षा के पति ऋषभ कहते हैं कि हमारा समाज आज भी उतना एडवांस नहीं हुआ है कि 'डिंक' का मतलब समझ सके। यहां तो शादी का मतलब ही बच्चा पैदा करना होता है। अगर आप कह दें कि हमें बच्चा नहीं चाहिए तो आपको ताने मिलते हैं। दरअसल, कोई भी आपकी राय को समझना ही नहीं चाहता। ऐसा इसलिए है क्योंकि पुराने जमाने में अगर किसी को बच्चा नहीं पैदा होता था, तो माना जाता था कि पति-पत्नी में कोई कमी होगी, लेकिन आज जब हम खुद बच्चा न पैदा करने का फैसला ले रहे हैं तो समाज इसे समझने को तैयार नहीं। हमारे लिए डिंक होना कोई मजबूरी नहीं है, बल्कि सोच-समझकर लिया गया फैसला है। डिंक जोड़ी आज की भागमभाग शहरी जिंदगी में तेजी से लोकप्रिय हो रही है। ऐसे जोड़े आमतौर पर अपने करियर, निजी तरक्की और आपसी रिश्ते को प्राथमिकता देते हैं। वे आर्थिक रूप से आजाद होते हैं और अपने वक्त, पैसे का इस्तेमाल यात्रा, निवेश, शौक और सामाजिक जीवन पर करना चाहते हैं। ---------------------------------------------------- ब्लैकबोर्ड सीरीज की ये खबरें भी पढ़िए 1-ब्लैकबोर्ड-बेटी ने लव मैरिज की, 40 रिश्तेदारों ने सिर मुंडाया:लड़के से 70 हजार लेकर पिंडदान, बलि भी दी, वरना कोई बात तक न करता उस लड़की के जाने के ठीक 10 दिन बाद हमने पंडित बुलवाकर उसका अंतिम संस्कार कर दिया, जैसे किसी के मरने के बाद किया जाता है। सिर मुंडवाया, पिंड-दान किया और पूरे परिवार का शुद्धिकरण किया। भले ही वह जिंदा हो, लेकिन हमारे लिए, हमारे समाज के लिए मर चुकी है।’ पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें 2- ब्लैकबोर्ड- पापा को मंदिर की सीढ़ियों से घसीटा, गाली दी:घर जला दिए, 26 साल से हम गांव जाने को तरस रहे हम लोग दलित हैं मंदिर के अंदर तो क्या उसकी सीढ़ियां भी नहीं चढ़ सके। पापा बाहर से ही खड़े होकर दर्शन करने लगे। अचानक उन्हें किसी ने धक्का दिया और वो मंदिर की सीढ़ियों पर गिर पड़े। ये देखते ही मंदिर के पुजारी और आस-पास के लोग पापा को भद्दी गालियां देने लगे। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
साइड बिजनेस या पार्ट टाइम काम कर के ज्यादा पैसे सभी कमाना चाहते हैं. लेकिन ब्रेस्ट मिल्क बेचकर दिन के 50,000 से भी ज्यादा कमाने का बिजनेस आइडिया नया है. आखिर मांओं से लेकर बॉडी बिल्डर्स तक क्यों खरीद रहे हैं ब्रेस्ट मिल्क. इस मिल्क बिजनेस से कितना कमा रही हैं महिलाएं? क्या इसके कोई नुकसान भी है.पूरी कहानी के लिए ऊपर दी गई इमेज पर क्लिक कर देखें वीडियो...
ऑपरेशन सिंदूर पर पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने 102 मिनट के भाषण में 74 बार पाकिस्तान और 14 बार नेहरू का जिक्र किया। गृहमंत्री अमित शाह ने भी 74 मिनट के अपने भाषण में कांग्रेस की पुरानी सरकारों और गांधी-नेहरू परिवार को निशाने पर रखा। सरकार के दोनों शीर्ष नेताओं ने इतिहास से जुड़े कई दावे किए, लेकिन इतिहास को संदर्भ के साथ रखने पर ही असली तस्वीर मिलती है। पीएम मोदी और गृहमंत्री शाह के भाषण के 5 बड़े दावे और उनका सच, आइए जानते हैं… अमित शाह का बयान: ‘2005 से 2011 के बीच 27 हमले हुए। करीब एक हजार लोग मारे गए…। हमारे समय में जो भी आतंकी घटनाएं हुईं, वो पाक प्रेरित और कश्मीर सेंट्रिक हुईं। देश के बाकी हिस्से में 2014-2025 के बीच एक भी आतंकी घटना नहीं हुई।’ फैक्ट चेक: बड़े आतंकी हमलों में कमी आई, लेकिन गृहमंत्री का दावा पूरी तरह सही नहीं भारत में आतंकी घटना की परिभाषा 1967 के UAPA एक्ट के आर्टिकल 15 में बताई गई है। इसके तहत ऐसा कोई भी काम जो किसी भी तरह के विस्फोटक के इस्तेमाल से भारत की एकता, अखंडता, सुरक्षा या संप्रभुता को खतरे में डालने या जनता में आतंक फैलाने के इरादे से किया जाए, उसे ‘टेररिस्ट एक्ट’ यानी आतंकी कार्रवाई कहते हैं। ऐसे मामलों को UAPA के तहत दर्ज किया जाता है और NIA जैसी एजेंसियां इनकी जांच करती हैं। गृह मंत्रालय ने 2019 में संसद में बताया था कि पिछले 5 सालों में देश के बाकी हिस्सों में 6 आतंकी घटनाएं हुई हैं। उसके बाद का सटीक डेटा उपलब्ध नहीं, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स में ही ऐसी 5 बड़ी घटनाएं मिल जाती हैं, जिनमें विदेशी आतंकवादी गुटों का हाथ था, इनमें विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया, साथ ही इनकी जांच NIA ने की या कर रही है… i. बेंगलुरु कैफे ब्लास्ट, 2024 ii. बिहारः बोधगया ब्लास्ट, 2018 iii. पंजाबः पठानकोट एयरबेस अटैक, 2016 iv. पश्चिम बंगालः बर्दवान ब्लास्ट, 2014 v. कर्नाटकः बेंगलुरू बम ब्लास्ट, 2014 अमित शाह ने अपने भाषण में बताया कि 2004 से 2014 के बीच जम्मू-कश्मीर में 7,217 आतंकवादी घटनाएं हुईं थी, जबकि 2015 से 2025 के बीच 70% की कमी के साथ 2,150 आतंकवादी घटनाएं हुईं। 2015 से 2025 के बीच 357 आम नागरिकों और 542 सुरक्षाकर्मियों की मौत हुई। हालांकि इसी दौरान जम्मू-कश्मीर में उरी, पुलवामा और पहलगाम जैसे बड़े आतंकी हमले हुए। निष्कर्षः पिछले 11 सालों में देश के बाकी हिस्सों में बड़ी आतंकी घटनाओं में कमी आई। लेकिन एक भी आतंकी घटना नहीं हुई, ये दावा सही नहीं है। जम्मू-कश्मीर में इस दौरान कई बड़े आतंकी हमले हुए। पीएम मोदी का बयानः ‘80% पानी पाकिस्तान को देने के लिए नेहरूजी राजी हो गए। इतना बड़ा हिन्दुस्तान उसको सिर्फ 20% पानी। कोई मुझे समझाए भई, ये कौन सी बुद्धिमानी थी।’ अमित शाह का बयान: ‘1960 में सिंधु जल पर भौगोलिक और रणनीतिक रूप से हम बड़े मजबूत थे। उन्होंने (पीएम नेहरू ने) इस पर समझौता किया और 80% भारत का पानी पाकिस्तान को दे दिया।' फैक्ट चेक: नेहरू ने सिंधु जल संधि की, जिससे पाकिस्तान को ज्यादा फायदा था साउथ एशिया यूनिवर्सिटी (SAU), दिल्ली के इंटरनेशनल रिलेशंस डिपार्टमेंट की प्रोफेसर मेधा बिष्ट कहती हैं कि भारत के पास पाकिस्तान जाने वाला सारा पानी इकट्ठा करने या इसका रास्ता बदलने के लिए उस तरह के बांध या इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं है। वहीं पूर्वी नदियों के 3.3 करोड़ एकड़ फीट पानी में से भी 6% पानी बिना इस्तेमाल हुए पाकिस्तान चला जाता है। निष्कर्ष: सिंधु जलसंधि में पाकिस्तान को 80% पानी मिलने की बात सही है। हालांकि ये संधि नहीं होती, फिर भी पाकिस्तान जाने वाले पानी को बड़े पैमाने पर स्टोर करना संभव नहीं था। अमित शाह का बयान: ‘1948 में कश्मीर में हमारी सेनाएं निर्णायक बढ़त पर थीं, सरदार पटेल न बोलते रहे, लेकिन जवाहर लाल नेहरू जी ने एकतरफा युद्धविराम कर दिया…। मैं इतिहास का विद्यार्थी हूं। अगर पाक ऑक्यूपाइड कश्मीर अस्तित्व में है, तो जवाहर लाल नेहरू के एकतरफा युद्धविराम के कारण है।‘ फैक्ट चेक: यूएन के प्रस्ताव पर नेहरू सीजफायर को राजी हुए, भारतीय सेना भी पस्त हो चुकी थी अब यहां दो वर्जन मिलते हैं… 1. नेहरू ने सीजफायर में जल्दबाजी की, जिससे PoK बना अमित शाह का कहना है कि अगर सीजफायर 3 दिन लेट होता, तो पाक अधिकृत कश्मीर भारत में होता। आर्मी आर्काइव का हवाला देते हुए बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने कहा था कि 14 नवंबर 1947 को उरी सेक्टर और 22 मई 1948 को तिथवाल जीतकर सेना मुजफ्फराबाद जाने वाली थी, लेकिन रोक दिया गया। 2. नेहरू के पास सीजफायर ही इकलौता विकल्प था सरदार पटेल ने 4 जून 1948 को कश्मीर मामलों को देख रहे मंत्री गोपाल स्वामी अयंगर को एक पत्र में लिखा- सेना की स्थिति कोई बहुत अच्छी नहीं है। हम संसाधनों का पूरा दोहन कर चुके हैं। मैं नहीं समझ पा रहा हूं कि आखिर हम कितने दिन तक इस युद्ध को खींच पाने में कामयाब हो पाएंगे। सरदार पटेल की इस चिट्ठी से पता चलता है कि कश्मीर में सेना की हालत अच्छी नहीं थी। उस वक्त भारत के आर्मी चीफ रहे जनरल बुचर और नेहरू के पत्रों से भी यही अंदाजा मिलता है। 22 नवंबर 1948 को बुचर ने नेहरू को सैनिकों की थकान, जूनियर अधिकारियों की कम ट्रेनिंग और हथियारों की कमी के बारे में लिखा। निष्कर्ष: नेहरू कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय दबाव में यूएन ले गए। हालांकि सीजफायर एक रणनीतिक फैसला था। अमित शाह का बयान: ‘अनौपचारिक रूप से अमेरिका ने यह सुझाव दिया कि चीन को संयुक्त राष्ट्र में तो ले लिया जाए, लेकिन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् (UNSC) में नहीं। नेहरू जी ने कहा कि हम इसे स्वीकार नहीं करते, क्योंकि इससे चीन के साथ हमारे संबंध खराब होंगे और चीन जैसे महान देश को बुरा लगेगा। आज चीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में है और भारत बाहर है। इसका कारण जवाहर लाल नेहरू का यह स्टैंड है।' फैक्ट चेक: भारत को UNSC में शामिल होने का कोई औपचारिक प्रस्ताव नहीं मिला, नेहरू ने चीन का समर्थन किया निष्कर्ष: भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता ऑफर किए जाने के कोई दस्तावेजी सबूत नहीं मिलते, लेकिन नेहरू चीन को UNSC का सदस्य बनाए जाने के समर्थक थे। पीएम मोदी का बयानः ‘जब डोकलाम में सेना हमारा शौर्य दिखा रही थी, तब कांग्रेस के नेता चुपके-चुपके किससे ब्रीफिंग लेते थे, वह सारी दुनिया अब जान गई है।’ अमित शाह का बयान: ‘जब डोकलाम में, हमारी सेना के जवान चीन की सेना के सामने आंख में आंख डालकर बैठे थे, तब चीन के राजदूत के साथ राहुल गांधी मीटिंग कर रहे थे।' फैक्ट चेक: डोकलाम विवाद के दौरान राहुल गांधी की चीनी अधिकारियों से मुलाकात हुई, हालांकि चुपके-चुपके ब्रीफिंग लेने की बात निराधार है निष्कर्षः डोकलाम विवाद के दौरान राहुल गांधी चीनी राजदूतों से मिले। ये कोई गुप्त मीटिंग नहीं थी। उन्होंने खुद इसकी जानकारी दी थी। -------------------------- ऑपरेशन सिंदूर पर लोकसभा में बहस की अन्य खबरें... राहुल गांधी ने मेज पीटकर PM मोदी से क्या पूछा:शाह बोले- आतंकियों का धर्म देख दुखी मत होइए; दूसरे दिन की बहस में कौन भारी नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने गुस्से में मेज पर इतनी जोर से हाथ मारा कि स्पीकर ओम बिरला को कहना पड़ा- यह सदन की संपत्ति है, इसे मत तोड़ो। गृहमंत्री अमित शाह के भाषण के दौरान अखिलेश यादव ने ऐसा क्या कहा कि शाह बोले- पाकिस्तान से आपकी बात होती है क्या? PM मोदी ने भी ऑपरेशन सिंदूर पर संसद में भाषण दिया। पढ़िए पूरी खबर...
जम्मू के पुंछ के बैला गांव में मिट्टी से बने एक घर में करीब तीन महीने से मातम पसरा है। ये घर मौलाना कारी मोहम्मद इकबाल का है। कारी मोहम्मद अब दुनिया में नहीं हैं। उनकी 7 मई को पाकिस्तान की बमबारी में मौत हो गई थी। वे पुंछ में जामिया जिया-उल-उलूम नाम के मदरसे में पढ़ाते थे, लेकिन जी न्यूज, न्यूज 18 इंडिया, रिपब्लिक टीवी और एबीपी न्यूज ने उन्हें पाकिस्तानी आतंकी बताकर खबरें चला दीं। खबरों में बताया गया कि कारी मोहम्मद इकबाल आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर थे और 2019 के पुलवामा आतंकी हमले में शामिल थे। परिवार अब उनके सम्मान के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहा है। कारी मोहम्मद की पत्नी नसीम अख्तर गुस्से में कहती हैं, ‘मेरे पति देश के लिए शहीद हुए। मीडिया ने उनके बारे में झूठी खबरें चलाईं। उन्हें बदनाम कर दिया।’ बात यहीं खत्म नहीं हुई। चैनलों को अपनी गलती पता चली, तो उन्होंने माफी मांग ली। नसीम अख्तर को ये माफी मंजूर नहीं है। वे कहती हैं, ‘माफी नहीं, पति की शहादत को झूठा बताने वालों को सजा मिलनी चाहिए।' परिवार ने जी न्यूज और न्यूज-18 इंडिया को 5-5 करोड़ रुपए का मानहानि नोटिस भेजा है। पुंछ पुलिस ने इन चैनलों के खिलाफ FIR दर्ज की है। कारी मोहम्मद इकबाल की मौत को करीब 3 महीने होने वाले हैं। दैनिक भास्कर उनके परिवार का हाल जानने बैला गांव पहुंचा। हम उस मदरसे में भी गए, जहां कारी मोहम्मद पढ़ाते थे। साथ ही मानहानि केस का स्टेटस भी पता किया। कारी मोहम्मद की दो पत्नियां, 8 बच्चे, एक पत्नी को नौकरी मिली कारी मोहम्मद इकबाल के परिवार में उनकी दो पत्नियां और 8 बच्चे हैं। उनका गांव पुंछ शहर से करीब 20 किमी दूर मंडी तहसील में है। संकरे पहाड़ी रास्तों से होते हुए हम उनके घर पहुंचे। एक मंजिल वाले कच्चे मकान में उनकी पत्नियां और बच्चे रहते हैं। कारी मोहम्मद की मौत के बाद छोटी पत्नी शहनाज को सरकार की तरफ से नौकरी दी गई है। वे ऑफिस गई हुई थीं। घर में बड़ी पत्नी नसीम अख्तर मिलीं। वे बताती हैं, ‘सारी जिम्मेदारी अब हमारे ऊपर ही है। भाई मदद कर रहे हैं, लेकिन बच्चों की पढ़ाई मेरे जिम्मे है।’ बगल में ही कारी मोहम्मद के भाई मोहम्मद असलम का भी मकान है। वे उन्हें याद करते हुए बताते हैं, ‘भाई 2004 से मदरसे में पढ़ा रहे थे। उनकी शुरुआती तालीम गांव में हुई थी। फिर जम्मू-कश्मीर और महाराष्ट्र के अकोला में मौलवी की पढ़ाई की। 2004 में गांव लौट आए और यहीं पढ़ाना शुरू कर दिया।’ असलम आगे बताते हैं, ‘हम तीन भाई मिलकर परिवार की देखभाल कर रहे हैं। सरकार ने दोनों भाभी को 4 और 5 लाख रुपए का मुआवजा दिया है। छोटी भाभी शहनाज को मछ्ली पालन विभाग में नौकरी दी गई है। 20 जून को उन्होंने जॉइन किया था।’ चैनलों पर गलत खबर दिखाने पर असलम कहते हैं, ‘शहर में हिंदू, मुस्लिम या सिख, आप किसी से भी बात कर लें, सभी मेरे भाई की देशभक्ति बता देंगे। चैनलों ने बिना जाने उन्हें आतंकी बता दिया। हम चाहते हैं कि इन चैनलों पर सख्त कार्रवाई हो। कुछ चैनलों ने माफी मांगी है, लेकिन कोर्ट ने कहा कि माफी से गलती ठीक नहीं होती। खबरें चलाने से पहले तहकीकात करनी चाहिए।’ कोर्ट ने कहा- सम्मानित टीचर को आतंकी बताना गैर जिम्मेदारानाकारी मोहम्मद इकबाल की मौत के बाद न्यूज चैनलों ने उन्हें आतंकी बताया तो 8 मई 2025 को पुंछ जिला पुलिस ने साफ किया ये खबरें निराधार और भ्रामक हैं। पुलिस ने कहा कि मौलाना कारी मोहम्मद इकबाल सम्मानित शिक्षक और धार्मिक व्यक्ति थे। उनका किसी आतंकी संगठन से संबंध नहीं था। पुंछ के वकील शेख मोहम्मद सलीम ने लोकल कोर्ट में याचिका दायर कर जी न्यूज, न्यूज 18 इंडिया और अज्ञात एडिटोरियल स्टाफ के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग की। इस याचिका पर 28 जून 2025 को पुंछ के सब-जज और स्पेशल मोबाइल मजिस्ट्रेट शफीक अहमद ने FIR दर्ज करने का आदेश दिया। इसके बाद जी न्यूज, न्यूज 18 और कुछ दूसरे न्यूज चैनलों के एडिटर और एंकर के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। ये केस अज्ञात में दर्ज किया गया। सब-जज शफीक अहमद के कोर्ट ने कहा कि आरोपियों की माफी से उनकी गैर-जिम्मेदाराना रिपोर्टिंग से हुआ नुकसान ठीक नहीं होता। यह गलत रिपोर्टिंग उस वक्त की गई, जब भारत ने पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया था।’ कोर्ट ने कहा कि मदरसे में पढ़ाने वाले शिक्षक को बिना जांच के पाकिस्तानी आतंकवादी कहना, जर्नलिस्टिक एरर नहीं माना जा सकता। चैनलों के माफी मांगने को लेकर कोर्ट ने कहा कि माफी सजा में कुछ राहत दे सकती है, लेकिन अगर कोई अपराध हुआ है तो पुलिस का FIR दर्ज करना जरूरी है। कोर्ट ने पुंछ पुलिस को ‘निष्पक्ष, समयबद्ध और ईमानदार जांच’ करने का आदेश दिया। वकील बोले- जी न्यूज से समझौते के लिए कॉल आया एडवोकेट शेख मोहम्मद सलीम बताते हैं, ‘मैंने खुद न्यूज चैनलों के खिलाफ केस किया है। मेरी मौलाना इकबाल के परिवार से बात नहीं हुई। मैंने पुंछ कोर्ट में जी न्यूज, न्यूज 18 और बाकी चैनलों के खिलाफ मानहानि का केस दायर किया। इस पर कोर्ट ने पुलिस को FIR दर्ज करने का आदेश दिया। यह खुली FIR है, जिसमें जांच के बाद दोषी चैनलों को शामिल किया जा सकता है।’ सलीम आगे बताते हैं, ‘मैं भी मौलाना इकबाल के मदरसे से पढ़ा हूं। उन्होंने मुझे भी पढ़ाया था। कारी साहब हमारे लिए जाने-पहचाने थे। उनका स्वभाव बहुत अच्छा था।' मौलाना इकबाल शहीद हुए, लेकिन चैनलों ने बिना सबूत के उन्हें पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के कोटली में मारा गया आतंकवादी बता दिया। सलीम दावा करते हैं कि FIR के बाद जी न्यूज की टीम ने मुझसे कॉन्टैक्ट करने की कोशिश की थी, लेकिन मैंने बात नहीं की। जी न्यूज वाले परिवार से समझौता करना चाहते थे, लेकिन मैंने कहा कि यह परिवार का मामला है। मेरा मकसद देशहित है। चैनलों को खबरें चलाने से पहले तथ्यों की जांच करनी चाहिए।’ वे सवाल करते हैं, ‘खबर देने वाला कौन था, क्या उनका कोई पत्रकार कोटली में था। बिना सबूत के शहीद की फोटो का इस्तेमाल कर बदनाम करना गलत है।’ 5 करोड़ के नोटिस का चैनलों ने जवाब नहीं दियाFIR के अलावा कारी मोहम्मद के परिवार ने जी न्यूज और न्यूज 18 इंडिया को 5-5 करोड़ रुपए की मानहानि का नोटिस भेजा है। इस नोटिस पर जम्मू के एडवोकेट शेख शकील अहमद बताते हैं कि मैंने कारी इकबाल के परिवार की ओर से कानूनी नोटिस भेजा था। FIR पर क्या कार्रवाई हुई, ये जानने के लिए हमने पुंछ SSP शफाकत हुसैन को कॉल किया। उन्होंने कारी मोहम्मद इकबाल के केस की बात सुनने के बाद फोन काट दिया। इसके बाद हमने डिप्टी कमिश्नर ताहिर मुस्तफा मलिक को भी कॉल किया, लेकिन रिसीव नहीं हुआ। प्रिंसिपल बोले- कारी मोहम्मद के परिवार का खर्च मदरसा उठाएगाहम पुंछ में जामिया जिया-उल-उलूम मदरसे में भी गए। यहीं कारी मोहम्मद इकबाल की मौत हुई थी। मदरसे के जिस कमरे में कारी इकबाल की मौत हुई थी, वहां अब गेट बना दिया गया है। कमरे के बाहर भी कंस्ट्रक्शन चल रहा है। प्रिंसिपल सैयद हबीब 7 मई के हादसे के बारे में बताते हैं, ‘कारी साहब 2004 से हमारे मदरसे में पढ़ा रहे थे। सुबह 8 बजे हमारे मदरसे में गोला गिरा। इसमें वे जख्मी हो गए। कुछ देर बाद उनकी मौत हो गई। यह शर्मनाक है कि अगले दिन कुछ चैनलों ने उन्हें लश्कर-ए-तैयबा का आतंकी बता दिया।’ सैयद हबीब बताते हैं, ‘उस दिन मॉक ड्रिल की तैयारी चल रही थी। रात को शुरू हुई गोलाबारी ने सब बदल दिया। हमारे यहां एक हजार से ज्यादा बच्चे पढ़ते हैं। हमने उन्हें सुरक्षित जगह भेज दिया।’ ‘कारी इकबाल शरीफ और देशभक्त इंसान थे। उनके परिवार का इस इलाके में सम्मान है। मीडिया ने उन्हें आतंकवादी बता दिया। इससे उनकी फैमिली, स्टूडेंट्स और हमें गहरी ठेस पहुंची। हालांकि जम्मू-कश्मीर पुलिस ने तुरंत इन खबरों को झूठा करार दिया। सरकार ने कारी इकबाल के परिवार को नौकरी और मुआवजा दिया है। मदरसा उनके परिवार का खर्च उठा रहा है।’ BJP नेता बोले- शहीद को आतंकी बताना देश के साथ गद्दारी7 मई को कारी मोहम्मद के मदरसे पर बमबारी हुई, तब BJP नेता और पूर्व MLC प्रदीप शर्मा 80 मीटर दूर थे। प्रिंसिपल सैयद हबीब के कॉल करने पर प्रदीप शर्मा मदरसा पहुंचे। अस्पताल ले जाते हुए कारी मोहम्मद ने प्रदीप शर्मा के सामने ही दम तोड़ा था। प्रदीप शर्मा बताते हैं, सुबह 7 बजे के करीब भयंकर फायरिंग हो रही थी। कारी साहब और चार बच्चे जख्मी हो गए। मैंने अपने दोस्त मौलवी सैयद साहब के साथ मिलकर कारी साहब को बाहर निकाला और अस्पताल पहुंचाया। कारी साहब मेरे सामने तड़पते हुए शहीद हो गए। मीडिया कवरेज के बारे में प्रदीप शर्मा कहते हैं, ‘किसी शहीद को मिलिटेंट बताना देश के साथ गद्दारी है। माफी मांगने से कुछ नहीं होगा। उनकी इज्जत के साथ खिलवाड़ हुआ है, इसके लिए मुआवजा देना चाहिए। कुछ लोग अभी भी अस्पताल में हैं। उनके बाजू या आंखें चली गईं। उनके लिए सरकार को प्रावधान करना चाहिए।’ पाकिस्तानी बमबारी से पुंछ में सबसे ज्यादा नुकसान 22 अप्रैल को पहलगाम की बायसरन घाटी में आतंकियों ने 25 टूरिस्ट और एक लोकल गाइड की हत्या कर दी थी। हमले के बाद भारतीय सेना ने 7 मई को पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को टारगेट कर ऑपरेशन सिंदूर चलाया। जवाब में अगले दिन सुबह से पाकिस्तान ने भारत के बॉर्डर वाले इलाकों में गोलाबारी शुरू कर दी। इसमें सबसे ज्यादा नुकसान जम्मू के पुंछ जिले को हुआ। बमबारी में सबसे ज्यादा 13 मौतें पुंछ में ही हुईं। पुंछ में एक गुरुद्वारे को भी निशाना बनाया गया, जिसमें 4 लोगों की मौत हुई। लोग बताते हैं कि ये अब तक पुंछ में हुई सबसे भयानक बमबारी थी। 1965 और 1971 में भी ऐसी फायरिंग नहीं देखी। पाकिस्तान के लिए आसान टारगेट, इसलिए पुंछ को बनाया निशानापुंछ शहर घाटी में बसा है और तीन तरफ पहाड़ियों से घिरा है। जिन पहाड़ियों से पुंछ घिरा है, वे पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर का हिस्सा है। पाकिस्तान ने ऊंची पहाड़ियों पर आर्मी पोस्ट बना रखी है। पाकिस्तानी पोस्ट से पूरा पुंछ शहर साफ दिखता है। इस तरह से पाकिस्तान के पास पुंछ पर हमला करने के लिए सामरिक बढ़त है। अटैक करने में ऑल्टीट्यूड सबसे अहम होता है। हाई ऑल्टीट्यूड वॉरफेयर में जो ऊंचाई पर होता है, उसे बढ़त मिलती है। इसलिए पाकिस्तान के लिए ऊंचाई से पुंछ पर बमबारी करना आसान था। ..............................पुंछ से ये ग्राउंड रिपोर्ट भी पढ़िए... पाकिस्तानी बमबारी में जुड़वां बच्चे खोए, घर तबाह, मां बोली- शहीद का दर्जा मिले पुंछ में रहने वाली उरूसा खान के जुड़वां बच्चों ने 7 मई की सुबह पाकिस्तानी गोलीबारी में जान गंवा दी। पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों के खिलाफ चलाए गए भारत के ऑपरेशन सिंदूर के जवाब में ये फायरिंग की गई थी। हमले को ढाई महीने बीत चुके हैं, लेकिन उरूसा उस दिन को याद कर आज भी भावुक हो जाती हैं। पुंछ और राजौरी में अपनों को खोने वाले कई परिवारों के जख्म आज भी ताजा हैं। पढ़िए पूरी खबर...
कांवड़ लेने मत जाना, तुम ज्ञान का दीप जलाना।मानवता की सेवा करके, तुम सच्चे मानव बन जाना।कांवड़ ढोकर कोई वकील, DM-SP नहीं बना है।कांवड़ जल से कोई बनिया, हाकिम, वैद्य नहीं बना है। यूपी के बरेली में सरकारी स्कूल के टीचर रजनीश गंगवार ने 12 जुलाई को बच्चों को ये कविता सुनाई। तब उन्हें ये अंदाजा भी नहीं था कि इसकी वजह से उनके लिए बड़ी मुश्किल खड़ी होने वाली है। कांवड़ यात्रा की जगह पढ़ाई को तरजीह देने वाली इस कविता का वीडियो वायरल हुआ और रजनीश को मारने की धमकियां मिलने लगीं। सोशल मीडिया पर उन्हें 'सनातन का गद्दार' बोला गया। लोग उनके लिए 'मास्टर को जूते से मारने वाले को 1200 रुपए का इनाम देने' जैसी बातें लिखने लगे। विरोध यहीं नहीं थमा, बरेली में VHP और महाकाल सेवा समिति जैसे हिंदू संगठन के लोगों ने कविता को धर्म विरोधी बताया। उन्होंने पहले रजनीश का पुतला फूंका, फिर स्कूल से निकालने की मांग करते हुए उनके खिलाफ FIR दर्ज करवाई। रजनीश और उनका परिवार विवाद के बाद से परेशान है। उन्होंने लगातार धमकियां मिलने के बाद पुलिस से सुरक्षा की मांग की है। हालांकि स्कूल के बच्चे रजनीश को गलत नहीं मानते। उनका कहना है कि सर की कविता में एक शब्द भी 'धर्म' विरोधी नहीं था। उल्टा वो हमें पढ़ाई को लेकर गंभीर रहने की नसीहत दे रहे थे कि कांवड़ लाने से DM-SP नहीं बनते। उन्हें जबरदस्ती विवाद में घसीटा जा रहा है। इस मामले को लेकर दैनिक भास्कर की टीम ने रजनीश गंगवार, स्कूल प्रशासन और वायरल वीडियो में दिख रहे बच्चों से बात की। हम उन लोगों तक भी पहुंचे, जिन्होंने कविता पर एतराज जताया। कांवड़ यात्रा से जुड़े विवाद के बाद क्या टीचर की गिरफ्तारी होगी? बरेली पुलिस का पूरे मामले पर क्या कहना है? इस रिपोर्ट में पढ़िए... शुरुआत 12 जुलाई की सुबह से, जब विवाद की शुरुआत हुई…बरेली शहर से 50 किलोमीटर दूर बहेड़ी कस्बा पड़ता है। यहां रेलवे स्टेशन से बाहर आते ही गेट के ठीक सामने महात्मा गांधी मेमोरियल इंटर कॉलेज है। यहां बहेड़ी और आसपास के गांवों से करीब 1800 बच्चे पढ़ने आते हैं। ये पूरा विवाद स्कूल में हिंदी विभाग के सीनियर टीचर रजनीश गंगवार से जुड़ा है। उनकी कविता से कैसे हंगामा शुरू हुआ, इस बारे में रजनीश कहते हैं, ‘12 जुलाई, शनिवार का दिन था। कॉलेज में रोज की तुलना में कम बच्चे आए थे। उस दिन सुबह की प्रार्थना सभा के बाद मैंने बच्चों के लिए एक कविता पढ़ी। इसे लेकर ऐसा कहा गया कि वो कांवड़ यात्रा के विरोध में थी, जबकि ऐसा कुछ नहीं था।’ मैंने छोटे बच्चों के लिए वो कविता पढ़ी थी, जिसमें उन्हें स्कूल आने और पढ़ाई के प्रति गंभीर रहने के लिए प्रेरित किया गया था। ’मैं तो बच्चों को जागरूक कर अपना शिक्षक धर्म निभा रहा था। अफसोस है कि कुछ लोगों को मेरी कविता में मानवता और शिक्षालय जैसी बातें छोड़ सिर्फ 'कांवड़' शब्द ही नजर आया। किसी भी धर्म से जुड़ा व्यक्ति अगर इंसानियत भूल जाए तो वो धार्मिक नहीं बन सकता। इसलिए मेरा मानना है कि जिन लोगों ने इस विवाद को बढ़ाया, वो हमारे बीच रहने वाले असमाजिक तत्व हैं।’ वीडियो वायरल होने पर 'सनातन का गद्दार' बोला गयाइलाहाबाद यूनिवर्सिटी से हिन्दी साहित्य में PhD कर चुके रजनीश, कवि और लेखक भी हैं। वो अभी एमजीएम इंटर कॉलेज के स्पोक्सपर्सन और स्वच्छ भारत मिशन के कोऑर्डिनेटर की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। रजनीश 12 जुलाई तक ABVP के नगर अध्यक्ष भी थे। हालांकि कविता से शुरू हुए विवाद के बाद उन्हें संगठन से बाहर कर दिया गया है। उनकी जगह डॉ. हरिनंदन कुशवाह को पद दे दिया गया है। रजनीश के मुताबिक, जब से विवाद शुरू हुआ है उन्हें हर दिन कोई-न-कोई नई परेशानी झेलनी पड़ रही है। उन्होंने दावा किया कि लोकल हिंदू संगठनों से जुड़े लोगों ने उन्हें बदनाम करने के लिए झूठी खबरें फैलाईं। वीडियो वायरल होने पर उन्हें खुलेआम मारने तक की धमकियां दी गईं। वो कहते हैं, ‘लोगों ने सोशल मीडिया पर मुझे जूतों से मारने और 'सनातन का गद्दार' जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया। इन धमकियों के बाद मुझे डर था कि ये लोग कभी भी मुझ पर हमला करवा सकते हैं। इसलिए मैंने बहेड़ी पुलिस को तहरीर देकर ऐसे लोगों पर कार्रवाई और अपने लिए सुरक्षा की मांग की। हालांकि पुलिस ने अब तक मेरी एप्लिकेशन स्वीकार नहीं की है।‘ बच्चे बोले- कविता में कुछ भी गलत नहीं, सर को फंसाया जा रहा पूरे विवाद को लेकर हमने एमजीएम इंटर कॉलेज के टीचर्स और स्टूडेंट्स से भी बात की, जो उस दिन प्रार्थना सभा में मौजूद थे। हमने ये जानने की कोशिश कि वो इस पूरे घटनाक्रम को कैसे देखते हैं। पहले छात्रों की बात… स्कूल में 9वीं क्लास में पढ़ने वाले मोहन गौतम कहते हैं, ‘रजनीश सर की कविता में मुझे कुछ भी गलत नहीं लगा। यहां तक कि मैंने घरवालों को भी कविता का वीडियो दिखाया था, उन्हें भी सर की बातें सही लगीं। ये बात सच है कि कांवड़ लाने से कोई DM-SP नहीं बन सकता। आज अगर हम किसी सरकारी परीक्षा के लिए फॉर्म भरते हैं, तो हमसे ये नहीं पूछा जाता कि तुम कितनी बार कांवड़ लेने गए थे, बल्कि ये पूछा जाता है कि आपने कहां तक पढ़ाई की है।‘ ‘आज अगर मैं पढ़-लिखकर इंडियन आर्मी में चला जाता हूं या डॉक्टर बन जाता हूं तो मेरा और मेरे परिवार का नाम होगा। कांवड़ लाने से ये जरूरी नहीं है कि मैं अच्छा इंसान बन जाऊंगा, लेकिन पढ़ाई करके मैं अपनी पहचान बना सकता हूं। यही बात सर ने कविता के रूप में हमें बताई थी।’ 12वीं क्लास में पढ़ने वाली दीक्षा कहती हैं, ’कविता में ‘कांवड़’ शब्द जरूर आया था, लेकिन सर का मकसद किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं था। कुछ लोगों ने इसे नेगेटिव ले लिया। सरकार को एक नियम बनाना चाहिए कि 18 साल की उम्र के बाद ही लोगों को कांवड़ लाने की परमिशन दी जाए, इससे उनकी पढ़ाई बाधित नहीं होगी।’ आखिर कविता क्यों सुनानी पड़ी? इस सवाल पर स्कूल के इंग्लिश टीचर रामनाथ ने बताया कि सावन के महीने में बहेड़ी और आसपास के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोग कांवड़ लेने जाते हैं। इसमें कम उम्र के बच्चे भी होते हैं। लिहाजा स्कूल में पढ़ने आने वाले बच्चों की संख्या कम हो जाती है। हम लोगों पर दबाव भी होता है कि स्टूडेंट्स की संख्या बढ़ाई जाए क्योंकि रजनीश सर अच्छे वक्ता हैं, इसलिए उन्होंने बच्चों को स्कूल आने और पढ़ाई के लिए प्रेरित करने को लेकर ये कविता सुनाई थी। इसके बाद ही विवाद हो गया।’ हिंदू संगठन बोले- टीचर जिहादी सोच वाला, हिंदू बच्चों को भड़का रहाकविता वायरल होने के बाद 14 जुलाई को पुलिस ने रजनीश के खिलाफ BNS की धारा 353 में मुकदमा दर्ज किया। ये कार्रवाई लोकल BJP नेता राहुल गुप्ता और महाकाल सेवा समिति की शिकायत पर हुई थी। FIR दर्ज होने के बाद 15 जुलाई को स्कूल के प्रिंसिपल अशोक कुमार को दिए स्पष्टीकरण में रजनीश ने बताया कि क्लास में विद्यार्थियों की अटेंडेंस लगातार कम हो रही थी। दूसरे स्टूडेंट्स से इस बारे में पूछने पर पता चला कि ज्यादातर बच्चे कांवड़ लेने गए हैं इसलिए स्कूल नहीं आ रहे। ऐसी आदत बच्चों में न बढ़ें इसलिए कविता सुनाई। विवाद तब बढ़ गया जब हिंदू संगठनों ने रजनीश के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। हिंदू महासभा ने जिला विद्यालय निरीक्षक (DIOS) दफ्तर के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। हिंदू महासभा के मंडल अध्यक्ष पंकज पाठक ने टीचर रजनीश को जिहादी सोच वाला व्यक्ति बताया और हिंदू बच्चों को उनके धर्म के प्रति भड़काने का आरोप लगाया। बहेड़ी की महाकाल सेवा समिति के लोगों ने रजनीश के खिलाफ पुलिस को दी गई तहरीर में लिखा- कॉलेज के छात्र-छात्राओं को इकट्ठा कर कांवड़ यात्रा के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी की गई। इससे शिव भक्त कांवड़ियों की भावनाएं आहत हुई हैं। हमने रजनीश के खिलाफ तहरीर देने वाले BJP नेता राहुल गुप्ता से बात की। वो कहते हैं, ‘अगर कोई व्यक्ति 250 किलोमीटर तक भारी-भरकम कांवड़ लेकर चल रहा है, तो निश्चित रूप से भगवान शिव की शक्ति उसके साथ है। अगर उस तथाकथित टीचर को ये ढोंग लग रहा है, तो वो इसे खुद करके देखे। वो 5 किलो वाली फल की थैली 2 किलोमीटर भी लेकर नहीं चल सकता।‘ ‘मास्टर साहब खुद के बचाव में ये कह रहे हैं कि उन्हें सोशल मीडिया पर जानलेवा धमकियां मिल रही हैं। ये सिर्फ खुद को लाइमलाइट में लाने के लिए उनका स्टंट है। हम लोग कानून को मानने वाले लोग हैं, हमें पुलिस प्रशासन की कार्रवाई पर भरोसा है।‘ कविता के वायरल होने पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने X पर लिखा- ‘जो मानवता के मार्ग पर ले जाए, वही सबसे बड़ा धर्म है। टीचर पर केस दर्ज होने के बाद उन्होंने दोबारा ट्वीट किया कि शिक्षक पर FIR और शिक्षालय बंद हो रहे हैं। BJP के लिए क्या यही अमृतकाल है?‘ बरेली पुलिस क्या कह रही…CO बहेड़ी बोले: केस लीगल ओपिनियन के लिए हेडक्वार्टर भेजा गयाकांवड़ यात्रा के मद्देनजर केस की संवेदनशीलता को देखते हुए बरेली पुलिस ने संबंधित टीचर को दोबारा ऐसी टिप्पणी न करने के लिए कहा है। साथ ही कस्बे में कांवड़ रूट पर सख्त निगरानी हो रही है। हमने मामले को लेकर बहेड़ी सर्किल ऑफिसर अरुण कुमार सिंह से बात की। वे कहते हैं, 'एमजीएम इंटर कॉलेज के टीचर रजनीश गंगवार की कविता का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के संबंध में हमें तहरीर मिली थी। जांच के आधार पर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।' रजनीश ने सोशल मीडिया पर धमकियां मिलने की बात कही है। उनकी सुरक्षा को लेकर पुलिस क्या कर रही? इस पर अरुण कहते हैं- हमने दोनों पक्षों की बातें सुनी हैं। केस में जांच जारी है। क्या इस मामले में शिक्षक रजनीश की गिरफ्तारी हो सकती है?इस सवाल पर सुप्रीम कोर्ट के वकील शाश्वत आनंद कहते हैं, 'सरकारी स्कूल के टीचर रजनीश गंगवार के खिलाफ बरेली पुलिस ने अभी BNS की धारा 353 के तहत FIR दर्ज की है। ये धारा तब लागू होती है जब किसी व्यक्ति ने ऐसा बयान दिया हो, जिससे सार्वजनिक शांति भंग होने या फिर दंगा होने की संभावना हो। इसमें अपराध साबित होने पर आरोपी को 3 से 5 साल तक की सजा का प्रावधान है। हालांकि सजा का प्रावधान होने के बावजूद शिक्षक के पास जमानत के अधिकार भी हैं। ........................ ये खबर भी पढ़ें...क्या सुप्रीम कोर्ट-यूपी सरकार से ऊपर है यशवीर महाराज 7 जुलाई, 2024 यानी पिछले साल कांवड़ यात्रा को लेकर मुजफ्फरनगर पुलिस ने एक आदेश जारी किया। कहा गया कि करीब 240 किमी के कांवड़ यात्रा रूट पर सभी दुकानों के मालिकों को अपना नाम और नंबर साफ अक्षरों में लिखना होगा। इसके बाद UP सरकार ने आदेश पूरे राज्य में लागू कर दिया। इस बार UP सरकार ने ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया। फिर भी कांवड़ यात्रा रूट पर दुकानों, होटलों और ढाबों पर चेकिंग जारी है। पढ़िए पूरी खबर...
Who is Lady Vanga: रूस के समुद्र में बुधवार को आए विनाशकारी भूकंप का असर लगातार साफ दिख रहा है. यह भूकंप अनायास नहीं आया. इसकी भविष्यवाणी 4 साल पहले ही एक रहस्यमय लेडी आर्टिस्ट ने कर दी थी.
Justin Trudeau Katy Perry Dating: कनाडा के पूर्व पीएम जस्टिन ट्रूडो अपनी पत्नी से अलग होने के बाद अब एक अमेरिकन पॉप स्टार के साथ डेट कर रहे हैं. एक रेस्टोरेंट में दोनों को एक साथ देखे जाने के बाद से सोशल मीडिया पर हल्ला मचा है.
ट्रंप का बड़ा ऐलान, भारत पर लगाया 25 प्रतिशत टैरिफ, 1 अगस्त से लागू होगा
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को भारत से होने वाले आयात पर 25 प्रतिशत टैरिफ और अतिरिक्त दंडात्मक शुल्क लगाने का ऐलान किया है। यह फैसला 1 अगस्त से लागू होगा
संक्रमण की झलक से ही सक्रिय हो जाता है इंसानी इम्यून सिस्टम
वैज्ञानिकों ने लोगों को बीमार दिखने वाले अवतारों की तस्वीरें दिखाईं और उनके दिमाग की गतिविधि पर लगातार नजर रखी. इस प्रयोग से कई चौंकाने वाले नतीजे मिले हैं
महान विंटर स्पोर्ट्स खिलाड़ी, कारोकोरम के पहाड़ों में लापता
सबसे कड़े खेल मुकाबलों में स्वर्ण पदकों की झड़ी लगा देने वाली जर्मन खिलाड़ी लॉरा डालमायर, पाकिस्तान में अब भी लापता हैं. लाइला पीक पर चढ़ाई के दौरान एक चट्टानी टुकड़े ने 31 साल की लॉरा को पूरी टीम से जुदा कर दिया
बांग्लादेश में छात्रा को प्रताड़ित करने का वीडियो पश्चिम बंगाल के दावे से वायरल
बूम ने पाया कि यह वीडियो बांग्लादेश की दो साल पुरानी घटना का है. दो स्कूल स्टूडेंट के बीच उनके एक दोस्त को लेकर झगड़ा हो गया था.
Baba Venga Prediction: आज रूस में भयानक तूफान आया जिसकी वजह से लोगों में डर का माहौल है. इस भूकंप के बाद एक बार फिर बाबा वेंगा की भविष्यवाणियों पर जोर दिया है. बाबा वेंगा ने 5 जुलाई को रूस और जापान में भीषण सुनामी की चेतावनी दी थी.
what is July Charter draft:बांग्लादेश में कई राजनीतिक दलों ने 'जुलाई नेशनल चार्टर' के मसौदे पर आपत्तियां उठाई हैं. इनमें जमात-ए-इस्लामी, नेशनल सिटीजन्स पार्टी (एनसीपी) और इस्लामी आंदोलन शामिल हैं. स्थानीय मीडिया ने बुधवार को यह जानकारी दी.
ब्रिटिश पीएम के बयान पर भड़के इजराइली प्रधानमंत्री, दे डाली नसीहत
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर की उस योजना पर कड़ी आलोचना की है, जिसमें उन्होंने फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र राज्य के रूप में मान्यता देने की बात कही। नेतन्याहू ने इस कदम को हमास के भयावह आतंकवाद को इनाम देने के बराबर बताया
इजरायल-फिलिस्तीन तनाव को कम होने और गाजा की तबाही रूकने का इंतजार पूरी दुनिया को है. इसको लेकर हर कोई अपने स्तर पर प्रयास कर रहा है. कुछ इसी तरह दुनिया के बड़े-बड़े देश न्यूयॉर्क में इजरायल-फिलिस्तीन मसले पर बात करने बैठे, तो भारत ने ऐसा बयान दिया कि सबके कान खड़े हो गए.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस को यूक्रेन के साथ चल रहे युद्ध को समाप्त करने के लिए 10 दिन की समय सीमा दी है। यह घोषणा उन्होंने स्कॉटलैंड की यात्रा से वाशिंगटन लौटते समय पत्रकारों से बातचीत में की
Japan Tsunami: रूस में शक्तिशाली भूकंप के बाद जापान में सुनामी ने दस्तक दे दी है. इसको लेकर अलर्ट जारी किया गया है. सुनामी की पहली लहर होक्काइडो क्षेत्र के पूर्वी तट पर नेमुरो में देखी गई.
जापान में सुनामी की लहरों ने साबित कर दी इस आर्टिस्ट की भविष्यवाणी, कोरोना पर भी सच निकला अनुमान
Ryo Tatsuki prediction: मैंगा आर्टिस्ट रायो तातसुकी की भविष्यवाणी सही साबित होती दिख रही है. यह भविष्यवाणी उन्होंने अपने ग्राफिक नॉवेल में की थी. उन्होंने कोविड.. फ्रेडी मर्करी और प्रिंसेस डायना की मौत की भी सटीक भविष्यवाणी की थी.
USAID ने उठाया ऐसा कदम, 800 करोड़ की लागत वाली महिलाओं की गर्भनिरोधकों को लगाई जाएगी आग
USAID To Destroy Contraceptives:अमेरिका ने नया फैसला लेते हुए 9.7 मिलियन डॉलर के गर्भनिरोधकों को नष्ट करने का फैसा लिया है, जिसमें कुल 167,000 डॉलर का खर्चा आएगा.
भूकंप के तगड़े झटके से डोली रूस की धरती, हड़बड़ाए वैज्ञानिक, इस आपदा की दे दी चेतावनी
Tsunami Alert In Japan After Earthquake: रूस में शक्तिशाली भूकंप आया है, जिसके बाद जापान के लिए सुनामी का अलर्ट जारी किया गया है. इसको लेकर लोगों से सावधानी बरतने के लिए कहा गया है.
विदेश मंत्री एस जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में ऑपरेशन सिंदूर को लेकर चल रही हाई वोल्टेज बयानबाजी के बीच शर्म-अल-शेख का जिक्र करते हुए सोनिया गांधी की यूपीए सरकार को घेरा. क्या है शर्म-अल-शेख मीटिंग? क्या वाकई इसमें भारत ने बलूचिस्तान में दखलंदाजी की बात मानी थी?पूरी जानकारी के लिए ऊपर दी गई इमेज पर क्लिक कर देखें वीडियो
India-US Trade Deal Update: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संकेत दिया है कि अगर 1 अगस्त तक भारत ने यूएस के साथ व्यापार समझौता नहीं किया तो वे उस पर 20-25 प्रतिशत टैरिफ लगा सकते हैं. उन्होंने स्पष्ट किया कि टैरिफ अभी फाइनल नहीं है और दोनों मुल्कों में बातचीत चल रही है.
’महाराष्ट्र में रहने वाले हर व्यक्ति को मराठी आनी ही चाहिए। इसे लेकर मारपीट की इक्का-दुक्का घटनाएं हुई हैं और उसके लिए कानून है।’ शिवसेना-UBT की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी का मानना है कि महाराष्ट्र में रह रहे हैं, तो मराठी बोलने और सीखने में कोई बुराई नहीं। राज और उद्धव के साथ आने को वो मजबूरी नहीं, महाराष्ट्र के जनता की डिमांड बताती हैं। वे कहती हैं, 'BJP ने हमारी पार्टी तोड़ी है। इसलिए अब राज और उद्धव का साथ आना जरूरी हो गया है।' प्रियंका उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर सवाल उठाती हैं। उनका मानना है कि खराब सेहत कोई कारण नहीं है। उन पर दबाव बनाकर इस्तीफा लिया गया है। संसद के मानसून सेशन के बीच दैनिक भास्कर ने शिवसेना-UBT की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी से उद्धव-राज गठबंधन, मराठी भाषा विवाद समेत संसद में चल रहे गतिरोध को लेकर बातचीत की। पढ़िए पूरा इंटरव्यू… सवाल: 20 साल बाद उद्धव और राज ठाकरे एक साथ मंच पर आए, इसकी क्या वजह है?जवाब: मैं प्रोग्राम में मौजूद थी। लोगों की भीड़ इतनी बढ़ गई थी कि पुलिस को एंट्री बंद करनी पड़ी। वहां पर दोनों पार्टियों के कार्यकर्ताओं में गजब की गर्मजोशी थी। BJP ने केंद्र सरकार के जरिए हमारी पार्टी तोड़ने का काम किया। हमारी पार्टी का चुनाव चिह्न उसे (शिवसेना-शिंदे गुट) दे दिया, जिसने हमारे घर में आकर चोरी की। बिहार में जो हो रहा है, वही महाराष्ट्र में हुआ है। चुनाव सिर्फ किसी के इकबाल बुलंद होने का पैमाना नहीं हो सकता है। लोकसभा चुनाव में हमारी पार्टी की ज्यादा सीटें आईं, लेकिन हमारी पार्टी की ब्रांडिंग ही हमसे छीन ली गई। जिस तरह से बालासाहेब ठाकरे की लेगेसी एकनाथ शिंदे लेकर चले गए, इसकी वजह से दोनों भाइयों का साथ आना जरूरी है। सवाल: राज-उद्धव पहले भी साथ आ सकते थे, फिर क्यों नहीं आए?जवाब: महाराष्ट्र में बांटो और राज करो की नीति चलाई गई। यहां दो लोगों को बांटकर रखा गया। अब दोनों साथ आकर महाराष्ट्र के मुद्दे उठाते हैं, तो मुझे लगता है कि ये राज्य के हित में है। ये कहना कि ये सिर्फ BMC के लिए है, तो ऐसा नहीं है। महाराष्ट्र में सिर्फ BMC चुनाव नहीं होते हैं। देश में लगातार चुनाव होते रहते हैं। जनता चाहती है कि दोनों साथ आकर लड़ें तो उसका सम्मान करना चाहिए। महाराष्ट्र की इंडस्ट्री दूसरे राज्यों में जाना, भाषा की राजनीति और भ्रष्टाचार समेत यहां काम करने के लिए तमाम मुद्दे हैं। सवाल: क्या BMC चुनाव के लिए MNS और शिवसेना-UBT के बीच गठबंधन होगा?जवाब: दोनों को साथ मिलकर लड़ना चाहिए या नहीं, इस पर फैसला आलाकमान करेंगे। मुझे ऐसा लगा कि जनता चाहती है कि MNS-शिवसेना को साथ आकर चुनाव लड़ना चाहिए। दोनों को महाराष्ट्र के मुद्दों की लड़ाई साथ मिलकर लड़नी चाहिए। सवाल: उद्धव ठाकरे के लिए ये मुश्किल दौर है। पार्टी टूटी, सिंबल चला गया और फिर चुनाव हार गए, क्या मजबूरी में राज ठाकरे के साथ आना पड़ा?जवाब: विपक्ष में होने का ये मतलब नहीं है कि हमने सरेंडर कर दिया है। राजनीतिक पार्टी जनता के अस्तित्व की लड़ाई लड़ती रहती है। उद्धव साहब एक मिसाल बन चुके हैं। जिन्होंने उनके घर में डाका डाला, अब भी वो लड़ाई सुप्रीम कोर्ट में लड़ रहे हैं। सवाल: शिवसेना में टूट के वक्त क्या आपको किसी पार्टी से ऑफर मिला था?जवाब: मुझ पर बड़ा दबाव बनाने की कोशिश की गई थी और ये दबाव भी कोई छोटा-मोटा नहीं था। मुझे याद है कि मैं दिल्ली से भागकर मुंबई पिता के पास आ गई। मैंने पार्टी को भी इसके बारे में बताया। पापा ने मुझसे कहा कि ये भूलकर भी मत करना, भले ही तुम्हें इस्तीफा देना पड़े। तुम राज्यसभा आई हो। ये सोच लेना कि पार्टी ने तुम्हें जो जिम्मेदारी दी है, उसके साथ ये काम मत करना, पाप होगा। मैं इस बारे में अपनी किताब में जरूर लिखूंगी। सवाल: MNS कार्यकर्ता महाराष्ट्र में हिंदी भाषियों को पीट रहे हैं। क्या शिवसेना इसके सपोर्ट में है?जवाब: महाराष्ट्र में 13 करोड़ लोग रहते हैं। इसमें से करीब 2 करोड़ हिंदी भाषी राज्यों से आते हैं। यहां दूसरे राज्यों से आए लोगों को पूरा सम्मान मिलता है। आज हिंदी फिल्म इंडस्ट्री मुंबई में है। मारपीट के इक्के-दुक्के मामले होते हैं, जिन्हें नेशनल मीडिया में दिनभर चलाया जाता है। मेरे माता-पिता मथुरा से मुंबई आए थे, लेकिन अगर मैं कहूं कि मैं तुम्हारी भाषा क्यों सीखूं, तो क्या ये ठीक है। मुझे लगता है कि तीसरी भाषा सीखने का फैसला बच्चे और उनके पेरेंट्स को करना चाहिए। BJP सांसद निशिकांत दुबे ने भी तो मराठियों को पीटने की बात कही, क्या वो सही है। सवाल: आपके टूटी-फूटी मराठी बोलने की एक क्लिप वायरल हुई, उस पर आपको ट्रोल किया गया। क्या महाराष्ट्र में रहने वाले हर व्यक्ति को मराठी बोलनी चाहिए?जवाब: हां, महाराष्ट्र में रहना है तो मराठी आनी चाहिए। मेरे माता-पिता की पहली भाषा ब्रज है, लेकिन मैं ब्रज भाषा नहीं बोल पाती हूं। भाषा सीखने के मामले में हर किसी की अपनी योग्यता होती है। सवाल: सरकार ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के लिए तैयार थी, फिर संसद में हंगामा क्यों हुआ?जवाब: गतिरोध की वजह वही है, जो हर बार होती है। हम जनता के मुद्दे लेकर पहुंचते हैं, जैसे- किसानों का मुद्दा और युवाओं की बेरोजगारी की बात। सरकार इन पर चर्चा के लिए तैयार नहीं होती। संसदीय कार्य मंत्रालय की जिम्मेदारी होती है कि वो सत्ता और विपक्ष के बीच चर्चा कराकर तय करे कि किन मुद्दों पर चर्चा की जाए। ऑपरेशन सिंदूर के तहत हम भी संसदीय दल के तहत विदेश गए थे, तब हमने मांग की थी कि संसद का विशेष सत्र बुलाया जाए। पहलगाम, ऑपरेशन सिंदूर और एअर इंडिया हादसे के बाद होने वाले मानसून सेशन में पहली प्राथमिकता थी कि इन मुद्दों पर चर्चा हो। बिहार में SIR को लेकर चुनाव आयोग पर सवाल उठ रहे हैं, लेकिन इस पर चर्चा नहीं हो रही है। उम्मीद है कि उस पर चर्चा होगी। सवाल: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर विपक्ष सवाल उठा रहा है। आपको क्या वजह लगती है ?जवाब: जगदीप धनखड़ का सत्ता पक्ष की तरफ जिस तरह का झुकाव था, इसकी वजह से हम अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए थे। जब हम भारतीय न्याय संहिता पर चर्चा कर रहे थे, तब उन्होंने 50 से ज्यादा राज्यसभा सांसदों को सस्पेंड किया था। हम चाहते थे कि उपराष्ट्रपति को हटाया जाए क्योंकि सभापति निष्पक्ष पद होता है। उस कुर्सी पर संविधान की बड़ी जिम्मेदारी होती है। वेंकैया नायडू को उपराष्ट्रपति बनाया गया था, तो उन्होंने पार्टी छोड़ दी थी। अब इस समय उपराष्ट्रपति का इस्तीफा पूरी तरह से चौंकाने वाला है। उनकी खराब सेहत कोई कारण नहीं है। उन पर दबाव बनाकर इस्तीफा लिया गया है। अगर उनकी तबीयत सही नहीं थी, तो वे मानसून सत्र से पहले ही इस्तीफा दे देते। ये सब रातों-रात होना और फिर 3 दिन लगातार संसद के कामकाज को लेकर होने वाली बैठक न होना। ये साफ है कि केंद्र सरकार ने दबाव डालकर उनका इस्तीफा लिया। ये सरकार और सदन के नेता जेपी नड्डा की नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि वो बताएं कि ऐसा क्या हुआ कि दबाव बनाकर उनसे इस्तीफा मांगा गया। सवाल: सोर्स से पता चला है कि धनखड़ ने कांग्रेस लीडर मल्लिकार्जुन खड़गे को ऑपरेशन सिंदूर पर बोलने दिया, इसके बाद नड्डा से तीखी बहस हुई और इस्तीफा हुआ?जवाब: मैं कोई कयास नहीं लगाऊंगी। कयासों को खत्म करने की जिम्मेदारी सरकार की है। कोई कह रहा कि उनका दफ्तर सील कर दिया, उनको विदाई नहीं दी जाएगी। इस तरह से कार्रवाई करना कितना सही है। इससे देश में क्या संदेश जाएगा। राजनीति की बात छोड़ भी दी जाए तो संवैधानिक नजरिए से देश के उपराष्ट्रपति का रातोंरात इस्तीफा होना क्या संवैधानिक परिपाटी के साथ खिलवाड़ नहीं है। सवाल: विपक्ष ने कहा है कि वो पूर्व उपराष्ट्रपति धनखड़ की विदाई के लिए इवेंट करना चाहते हैं, कैसा इवेंट होगा?जवाब: राज्यसभा में परंपरा है कि किसी सांसद की भी विदाई होती है, तो PM सदन में आते हैं और विदाई भाषण देते हैं। सभापति के जाने के बाद ये सब कुछ नहीं हुआ। मैं ये नहीं कहूंगी कि उनको विदाई दी जानी चाहिए या नहीं, लेकिन अगर ये प्रथा रही है तो इसे निभाया जाना चाहिए था। सवाल: मानसून सेशन के पहले इंडिया ब्लॉक ने बैठक नहीं की, AAP अलग हो गई। क्या गठबंधन खतरे में है?जवाब: ये मुद्दा सबसे पहले उद्धव साहब ने उठाया था कि हमें लोकसभा चुनाव के बाद फिर साथ आकर समन्वय बनाना चाहिए। विधानसभा चुनाव में भी हमने यही बात कही थी कि अच्छा समन्वय होना चाहिए। संसद में हम सारे प्रदर्शन एक साथ करते हैं। आम आदमी पार्टी ने साफ कहा है कि वो सिर्फ लोकसभा चुनाव के लिए साथ आए थे। उसके बाद से वो अलग-अलग चुनाव लड़े। सवाल: जब ऑपरेशन सिंदूर के बाद आप डेलीगेशन के साथ दूसरे देशों में गईं, तो वहां आपने क्या देखा ?जवाब: मैं पश्चिमी यूरोपीय देशों में गई। मैं किसी पार्टी का नहीं बल्कि देश का पक्ष रखने गई थी। यूरोप में भारत को लेकर एक अच्छा मत है, वो भारत के साथ कारोबार करना चाहते हैं। वो भारत के साथ कारोबारी समझौते करना चाहते हैं। हालांकि जब तक दुनिया में आतंकवाद है, तब तक बिजनेस का उस पर असर पड़ता रहेगा। हमने उनसे पूछा कि आप पाकिस्तान को कर्ज के रूप में जो पैसा दे रहे हैं, उसका इस्तेमाल कहां हो रहा है। यूरोपियन टैक्स पेयर्स का पैसा कहीं आतंकवाद को बढ़ाने में तो नहीं हो रहा है, हमने इसे लेकर भी बात की। सवाल: इतने डेलीगेशन भेजने के बाद भी किसी देश ने खुलकर भारत का समर्थन नहीं किया?जवाब: मेरा मानना है कि हमें बतौर मुल्क खुद को इतना मजबूत करना है कि दुनिया की तरफ देखने की जरूरत ही न पड़े। मैं मुंबई की रहने वाली हूं। जब 26/11 हुआ, तब मैंने राजनीति की शुरुआत ही की थी। इस तरह के मामलों में सरकार और पार्टी से ऊपर ये भावना होती है कि देश नहीं झुकना चाहिए। हमारी सेनाओं ने देश को नहीं झुकने दिया। पहलगाम में हुआ हमला शर्मनाक और दर्दनाक था। लोगों को धर्म पूछकर मारा गया। हमारे देश में दुनिया की तीसरी बड़ी मुस्लिम आबादी रहती है। पाकिस्तान इस हमले से देश में ध्रुवीकरण करना चाहता था, लेकिन हम लोगों ने एकजुट होकर पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने का फैसला किया। विदेश नीति के मोर्चे पर क्या भूल-चूक हुई, उस पर हम आपस में मिलकर चर्चा कर लेंगे, लेकिन दुनिया को ये कहने से कोई फायदा नहीं है कि आपने हमारा समर्थन क्यों नहीं किया। दुनिया के बड़े देश नहीं सोचते कौन समर्थन करेगा और कौन नहीं। अमेरिका ने अफगानिस्तान और ईरान पर हमला कर दिया। इजराइल को जो करना है, वो कर रहा है। सवाल: पाकिस्तान के साथ तुर्किये और चीन खड़े रहे, लेकिन भारत के साथ इजराइल के अलावा कोई नहीं था, क्या ये विदेश नीति की असफलता है?जवाब: तुर्किये मुस्लिम देश होने की वजह से पाकिस्तान का समर्थन कर रहा है। चीन अपने हित की वजह से पाकिस्तान का समर्थन कर रहा है। पाकिस्तान को हमने साफ कह दिया था कि हमारा निशाना सिर्फ आतंकी ठिकाने हैं। हम तनाव नहीं बढ़ाना चाहते, लेकिन उन्होंने तनाव बढ़ाया तो हमने मुंहतोड़ जवाब दिया।.............................. ये इंटरव्यू भी पढ़ें... RJD सांसद मनोज झा बोले- बिहार में वोटों की चोरी नहीं, डकैती हो रही बिहार में चुनाव आयोग वोटर लिस्ट अपडेट कर रहा है। इससे करीब 52 लाख वोटर कम हो सकते हैं। विपक्ष इसे चुनाव से पहले वोटों की चोरी बता रहा है। सरकार ने इस पर चर्चा कराने से इनकार कर दिया है। इस विरोध को राष्ट्रीय जनता दल यानी RJD लीड कर रही है। पार्टी के सांसद मनोज झा सबसे मुखर हैं। पढ़िए पूरा इंटरव्यू...
India Russia News in Hindi: भारत को स्पष्ट रूप से पता है कि उसे चीन और पाकिस्तान के रूप में दोतरफा खतरा है. इस खतरे से निपटने के लिए अब आयरनफ्रैंड रूस की ओर से उसे दुनिया की सबसे संहारक मिसाइल ऑफर की जा रही है.
नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने गुस्से में मेज पर इतनी जोर से हाथ मारा कि स्पीकर ओम बिरला को कहना पड़ा- यह सदन की संपत्ति है, इसे मत तोड़ो। गृहमंत्री अमित शाह के भाषण के दौरान अखिलेश यादव ने ऐसा क्या कहा कि शाह बोले- पाकिस्तान से आपकी बात होती है क्या? पीएम मोदी ने भी ऑपरेशन सिंदूर पर संसद में भाषण दिया। ऑपरेशन सिंदूर पर दूसरे दिन की चर्चा के दौरान सरकार ने क्या-क्या बताया, विपक्ष ने किन सवालों से घेरा और दूसरे दिन की बहस में किसका पलड़ा भारी रहा; आइए जानते हैं… गृहमंत्री ने तीन आतंकियों के एनकाउंटर की जानकारी से भाषण शुरू किया ऑपरेशन सिंदूर पर लगातार दूसरे दिन मंगलवार सुबह 12 बजे लोकसभा में चर्चा शुरू हुई। चर्चा की शुरुआत गृहमंत्री अमित शाह ने 12.07 बजे की। उन्होंने सबसे पहले सोमवार को हुए ऑपरेशन महादेव की जानकारी दी… जब अमित शाह यह जानकारी दे रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव बीच में खड़े हो गए। दरअसल, अमित शाह ने कहा था, ‘मोदी ने ऑपरेशन सिंदूर करके आतंकवादियों को भेजने वाले आकाओं को जमीन में मिलाने का काम किया था, सेना और CRPF ने आतंकवादियों को भी समाप्त कर दिया।’ इस पर अखिलेश ने बोल दिया, ‘आका तो पाकिस्तान है।’ जवाब में शाह ने पूछा, ‘पाकिस्तान से आपकी बात होती है क्या?’ उन्होंने आगे कहा, ‘आप आतंकवादियों का धर्म देखकर दुखी मत होइए।’ अमित शाह ने इतिहास की बातों से कांग्रेस पर टारगेट किया अमित शाह ने अपने 1 घंटे और 14 मिनट के भाषण में इतिहास की कई घटनाएं याद करते हुए कांग्रेस पर निशाना साधा। उन्होंने पाकिस्तान के साथ आज की स्थिति के लिए जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी को जिम्मेदार ठहराया। शाह ने कहा… अखिलेश यादव ने पूछ लिया- एनकाउंटर कल ही क्यों हुआ चर्चा के दूसरे दिन सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी हिस्सा लिया। उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत सरकार को तंज कसने वाली एक शायरी से की, ‘मैं दुनिया को मनाने में लगा हूं, मेरा घर मुझसे रूठा जा रहा है।’ अपने 26 मिनट के भाषण में उन्होंने ज्यादा ध्यान चीन पर दिया और सरकार को चीन की तरफ भी ध्यान देने की नसीहत दी। अखिलेश ने कहा, सरकार जवाब दे कि पाकिस्तान के पीछे कौन-सा देश खड़ा है। हमें चीन से उतना ही खतरा है जितना देश में आतंकवाद से है। उन्होंने चीन को पाकिस्तान से भी ज्यादा खतरनाक और एक राक्षस बताया जो भारत से जमीन और बाजार दोनों छीन लेगा। इसके बाद अखिलेश ने सरकार पर आतंकवादी हमले और आतंकियों के पकड़े जाने का राजनीतिक लाभ उठाने का आरोप लगाया। उन्होंने ऑपरेशन महादेव के बारे में पूछ लिया कि आखिर एनकाउंटर कल ही क्यों हुआ? प्रियंका बोलीं- हिंदू होने पर शर्म नहीं, शिव मंत्र बोलकर आई हूं अखिलेश यादव के बाद विपक्ष की ओर से प्रियंका गांधी चर्चा में शामिल हुईं। वायनाड से नई सांसद प्रियंका दूसरी बार सदन में किसी चर्चा में हिस्सा लिया। इससे पहले जब शीतकालीन सत्र में प्रियंका संविधान पर चर्चा में शामिल हुई थी, तो ज्यादातर पेपर से पढ़कर भाषण दे रही थीं। इस बार एक-दो बार ही उनके हाथों में पेपर दिखाई दिया। भाषण के दौरान वे बीच-बीच में सांसदों की टोका-टाकी का भी जवाब देती दिखींं। प्रियंका गांधी ने पहलगाम हमले में मारे गए पर्यटकों को हिंदू कहने के बजाय भारतीय कहा। उन्होंने कहा- 22 अप्रैल को बायसरन में जो 26 लोग मारे गए, उनमें से 25 भारतीय थे। इस पर सरकार के सांसद बोलने लगे- हिंदू थे। प्रियंका गांधी ने फिर उन सांसदों की तरफ देखकर कहा- भारतीय थे। इसके बाद प्रियंका ने उन 25 लोगों के नाम पढ़ने शुरू किए। पहला नाम पढ़ते ही सरकार के सांसदों ने कहा- हिंदू। विपक्ष के सांसद कहने लगे भारतीय। प्रियंका मृतकों के नाम पढ़ती गईं और विपक्ष के सांसद उनके आगे भारतीय लगाते गए। प्रियंका ने अमित शाह और राजनाथ सिंह से सवाल किए प्रियंका गांधी ने अपने भाषण में अमित शाह से लेकर राजनाथ सिंह तक को घेरा और कई सवाल पूछे… प्रियंका ने अपने भाषण में अमित शाह के उस बयान का जवाब भी दिया जिसमें उन्होंने UPA सरकार के दौरान 27 आतंकी हमले होने की बात कही थी। प्रियंका ने कहा- गृहमंत्री महोदय ने जब यूपीए सरकार के समय के आतंकवादी हमले गिने तो लगभग 25 गिनवाए थे। पहलगाम हमले की जिम्मेदारी लेने वाले TRF ने कश्मीर में 2020 से 2025 के बीच 25 हमले किए। राहुल बोले- मोदी में हिम्मत हो तो बोलें ट्रम्प झूठ बोल रहे ऑपरेशन सिंदूर पर दूसरे दिन की चर्चा के दौरान लीडर ऑफ अपोजिशन राहुल गांधी एग्रेसिव मोड में दिखे। उन्होंने अपने 39 मिनट के भाषण में ज्यादातर अंग्रेजी में बोला। राहुल ने पीएम मोदी को अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प से सवाल पूछने का चैलेंज दिया। राहुल ने कहा- अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प सारे प्रोटोकॉल तोड़कर पहलगाम हमले के लिए जिम्मेदार आसिम मुनीर को लंच के लिए बुलाते हैं और हमारे प्रधानमंत्री कुछ नहीं कहते। इसके बाद राहुल गुस्से में सदन की मेज पर हाथ पटक कर फिर कहते हैं, प्रधानमंत्री नहीं कह सके कि ट्रम्प की हिम्मत कैसे हुई, मुनीर को लंच पर बुलाने की। इसके बाद स्पीकर ओम बिरला को राहुल से कहना पड़ा- माननीय सदस्य यह सदन की संपत्ति है, इसको मत तोड़ो। राहुल ने बाद में माफी भी मांगी। इसके अलावा उन्होंने पीएम मोदी पर अपनी राजनीति और छवि के लिए एयरफोर्स का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया। राहुल ने कहा- अगर पीएम मोदी में इंदिरा गांधी जैसी हिम्मत हैं, तो बोलें कि ट्रम्प आप झूठ बोल रहे हैं और हमने कोई एयरक्राफ्ट नहीं खोए। 50 परसेंट हिम्मत भी हो तो वे ऐसा बोल देंगे। राहुल बोले- रक्षा मंत्री ने भारतीय पायलट्स के हाथ बांधे राहुल गांधी ने सरकार पर आरोप लगाए कि उन्होंने हमले के तुरंत बाद DGMO के जरिए पाकिस्तान को हमले की जानकारी देकर और मिलिट्री इन्फ्रास्ट्रक्चर पर हमला करने की बात कहकर गलती की। राहुल ने कहा, ‘आपने हमारे पायलट से कहा कि पाकिस्तान पर अटैक करो, लेकिन उनके एयर डिफेंस सिस्टम का सामना भी करो। मतलब उनके हाथ ही बांध दिए। ऐसे में एयरक्राफ्ट तो गिरेंगे ही।’ उन्होंने विदेश मंत्री एस. जयशंकर को भी घेरा और कहा- विदेश मंत्री ने यह नहीं बताया कि पहलगाम के बाद एक भी देश ने पाकिस्तान की निंदा नहीं की। सभी ने आतंकवाद की निंदा की, पाकिस्तान की नहीं। उन्होंने जयशंकर पर आरोप लगाया कि वे चीन से डरते हैं। मोदी ने बताया- पाकिस्तान ने 1000 मिसाइलों से हमला किया था चर्चा के आखिर में पीएम मोदी ने भाषण दिया। उन्होंने शाम करीब 06.14 बजे अपना भाषण शुरू किया। 1 घंटे 42 मिनट के भाषण में उन्होंने 6 जरूरी बातें कहीं... ------------------ ऑपरेशन सिंदूर पर सदन में पहले दिन की चर्चा के हाइलाइट्स... राजनाथ ने ऐसा क्या कहा, तमतमाकर खड़े हुए राहुल: पेंसिल टूटने वाली बात पर गोगोई बोले- हमारे पास सिर्फ 35 राफेल; पहले दिन की बहस में कौन भारी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा- भारतीय सेना के हमलों से पड़ोसी देश पूरी तरह हार मान चुका था, पाकिस्तान की तरफ से सीजफायर की गुहार लगाई गई। राजनाथ की ये बात सुनते ही राहुल गांधी खड़े हो गए और पूछा- फिर आपने ऑपरेशन रोका क्यों? इसके बाद राजनाथ सिंह विपक्ष के नेता को शांत कराते दिखे पूरी खबर पढ़िए...
In the Prophet’s Steps:'पैगंबर के नक्शे कदम पर', मक्का से मदीना तक पैगंबर मुहम्मद (PBUH) के हिजरत की यादों को ताज़ा करने वाला एक अनोखा तजुर्बा है. इस पहल के लिए दुनिया भर के दस लाख से ज़्यादा लोग रजिस्टर्ड करवा चुके हैं. नवंबर में शुरू होने वाला यह प्रोग्राम, विज़न 2030 के तहत है.
चीन के दबाव के बीच अमेरिका ने ताइवान के राष्ट्रपति के न्यूयॉर्क प्रवास पर लगाई रोक
अमेरिका में ट्रंप प्रशासन ने चीन की आपत्तियों के चलते ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते की अगस्त में पराग्वे, ग्वाटेमाला और बेलीज़ की प्रस्तावित यात्रा के दौरान न्यूयॉर्क में उन्हेें रुकने की अनुमति नहीं दी है। यह जानकारी सोमवार को फ़ाइनेंशियल टाइम्स अख़बार ने तीन सूत्रों के हवाले से दी
World Most Expensive Lipstick: दुनिया की सबसे महंगी लिपस्टिक एच. कॉउचर ब्यूटी डायमंड है, जिसकी कीमत 115 करोड़ रुपये है और इसमें 1,200 हीरे जड़े हैं. दूसरी महंगी Guerlain लिपस्टिक 51 लाख रुपये की है. लग्जरी रेंज में बॉन्ड नंबर 9, गर्लेन और वाल्डे ब्यूटी जैसे ब्रांड सस्ते विकल्प भी देते हैं.
बांग्लादेश में यूएन मानवाधिकार कार्यालय खोलने के फैसले का राजनीतिक दलों ने किया विरोध
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार द्वारा संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय (ओएचसीएचआर) की स्थापना को मंजूरी दिए जाने के फैसले का कई राजनीतिक दलों ने कड़ा विरोध किया है। यह घोषणा कट्टर इस्लामी संगठन हिफाजत-ए-इस्लाम द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान की गई
फैक्ट चेक: मालदीव में PM मोदी के पोस्टर पर 'सरेंडर' नहीं लिखा गया
बूम ने फैक्ट चेक में पाया कि मालदीव रक्षा मंत्रालय कीबिल्डिंग की दीवार पर पीएम मोदी की 'सरेंडर' लिखी तस्वीर एडिटेड है.
प्लेन ने किया लैंड, 10 मिनट बाद कॉकपिट से ही पायलट को कर लिया गिरफ्तार
Pilot arrest: ये सनसनीखेजगिरफ्तारी डेल्टा फ्लाइट 2809, बोइंग 757-300 के मिनियापोलिस से आने के कुछ ही देर बाद हुई. इसे लेकर पहले कुछ जानकारी देने से बचा जा रहा था, लेकिन थोड़ी ही देर में एजेंसियों ने पूरा मामला खोल कर रख दिया.
क्या होता है पर्सोना नॉन ग्रोटा नोट? जो नीदरलैंड ने इजरायल के इन 2 मंत्रियों को थमा दिया
PERSONA NON GRATA: 'पर्सोना नॉन ग्राटा' का अर्थ है 'अवांछित व्यक्ति', यह एक ऐसी उपाधि है जो कोई देश अस्वीकार्य विदेशी राजनयिकों को देता है और उनसे देश छोड़ने की मांग करता है.
Bangladesh News: बांग्लादेश में सियासी तूफान थमने का नाम नहीं ले रहा. मोहम्मद यूनुसशेख हसीना से कितनी नफरत करते हैं यह बात किसी से छिपी नहीं हैं.हद तो तब हो गई जब शेख हसीना के नफरत में यूनुस की सरकार अपनी विरासत को ही मिटाने जा रही है. जानें पूरी कहानी.
99 दिन बाद मारे गए पहलगाम हमले के तीन आतंकी:कहां से आए, 13 मिनट में किए 26 कत्ल; हमले की पूरी कहानी
कश्मीर की हरी-भरी बायसरन घाटी, उसकी खूबसूरती को निहारते टूरिस्ट, गोलियां, चीखें, बचने-बचाने की कोशिशें और 26 कत्ल, 22 अप्रैल को हुए पहलगाम अटैक की कहानी बस इतनी ही है। पहलगाम में तीन आतंकी आए और हमेशा का दर्द देकर चले गए। अब हमले के तीन महीने बाद सेना और पुलिस की टीमों ने श्रीनगर से 22 किमी दूर दाचीगाम के जंगलों में तीनों आतंकियों को मार गिराया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को लोकसभा में कहा कि जिन आतंकियों ने बायसरन घाटी में हमारे 26 टूरिस्ट्स की जान ली। उनके खिलाफ ऑपरेशन महादेव चलाया गया और 28 जुलाई को तीनों को ढेर कर दिया गया। इन आतंकियों के नाम सुलेमान, फैजल अफगान और जिब्रान हैं। सुलेमान लश्कर का कमांडर था। इसके ढेरों सबूत हैं। अफगान और जिब्रान ए कैटेगरी के आतंकी थे। इस स्टोरी में पढ़िए, देखिए और सुनिए पहलगाम हमले की पूरी कहानी… शुरुआत ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ यानी बायसरन घाटी सेजम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर से करीब 90 किमी दूर है पहलगाम। यहां से 6 किमी दूर बायसरन घाटी है। हरी घास के बड़े-बड़े मैदान, देवदार के घने जंगल, बर्फ से ढंकी पहाड़ियों की वजह से ये जगह स्विट्जरलैंड का एहसास दिलाती है। इसलिए इसका नाम ही पड़ गया मिनी स्विट्जरलैंड। यहां सिर्फ घोड़े या ट्रैक करके ही जा सकते हैं। पहलगाम से बायसरन घाटी जाने के तीन रास्ते हैं, जो एक पॉइंट पर जाकर मिलते हैं। अप्रैल से जून और सितंबर से नवंबर बायसरन जाने का सबसे अच्छा टाइम माना जाता है। पीक सीजन की वजह से यहां काफी भीड़ होगी, ये बात आतंकी भी जानते थे। इसलिए उन्होंने हमले के लिए अप्रैल का महीना चुना। 22 अप्रैल का दिन, जब बायसरन घाटी में अटैक हुआदोपहर करीब 2 बजे, टूरिस्ट के ग्रुप घाटी में एंजॉय कर रहे थे। वीडियो-फोटो शूट कर रहे थे। एडवेंचर एक्टिविटी कर रहे थे। उसी वक्त तीन आतंकी जंगल की ओर से आए और गोलियां बरसाने लगे। पहली गोली करीब 2.20 बजे चली। शुरुआत में किसी को समझ नहीं आया कि क्या हुआ है। जब लाशें गिरने लगीं, तब लगा कि हमला हुआ है। लोग बचने के लिए भागे, लेकिन उस मैदान में छिपने की जगह ही नहीं थी। अहमदाबाद के ऋषि भट्ट उस वक्त जिप लाइन राइड कर रहे थे। अपना वीडियो बना रहे थे, लेकिन उसमें गोली लगने के बाद जमीन पर गिरते लोग भी रिकॉर्ड हो गए। कुल 13 मिनट तक फायरिंग हुई। उसी वक्त मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा के रहने वाले नवीन चौधरी रील बना रहे थे। वे एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट के सेमिनार में शामिल होने कश्मीर गए थे। नवीन को गोली चलने की आवाज आई। नवीन बताते हैं कि शुरुआत में लगा कि कोई पटाखे फोड़ रहा है। लोगों के चिल्लाने की आवाजें सुनकर और भागते देख समझ आया कि ये आतंकी हमला है। वे हमले वाली जगह से दूर थे, इसलिए सुरक्षित बच निकले। उधर, घाटी में आतंकियों ने लोगों से नाम और धर्म पूछा, कलमा पढ़ने के लिए कहा, जो कलमा नहीं पढ़ पाए उनके सिर में गोली मार दी। मरने वाले 26 लोगों में ज्यादातर की यही कहानियां हैं। पहली कहानी हरियाणा के लेफ्टिनेंट विनय नरवाल और हिमांशी की हरियाणा के करनाल के रहने वाले लेफ्टिनेंट विनय नरवाल पत्नी हिमांशी के साथ हनीमून मनाने कश्मीर गए थे। 16 अप्रैल को ही मसूरी में उनकी शादी हुई। 19 तारीख को करनाल में रिसेप्शन पार्टी रखी गई। 21 अप्रैल को विनय और हिमांशी पहलगाम पहुंचे। विनय और हिमांशी घूम ही रहे थे कि अचानक गोलियों की आवाज आने लगी। हिमांशी ने विनय से कहा, 'फायरिंग हो रही है।’ हिमांशी आगे कुछ बोल पातीं, तभी हाथ में AK-47 लिए, सेना की वर्दी पहने एक शख्स उनके पास आया। हिमांशी और विनय को लगा कि वो आर्मी का जवान है। तभी उस शख्स ने पूछा- क्या तुम हिंदू हो? विनय ने कहा- हां, हिंदू हूं। ये सुनते ही उसने विनय को 3 गोलियां मारीं। विनय की डेडबॉडी के पास बैठीं हिमांशी की फोटो पहलगाम अटैक की सिंबल बन गई। दूसरी कहानी कर्नाटक के मंजूनाथ और पल्लवी की कर्नाटक के शिवमोगा के रहने वाले मंजूनाथ राव, पत्नी पल्लवी और छोटे बेटे के साथ पहली बार कश्मीर घूमने गए थे। बेटे अभिजीत के 12वीं के एग्जाम होते ही टिकट बुक की और पहलगाम पहुंच गए। 46 साल के मंजूनाथ रियल एस्टेट का काम करते थे। आतंकियों ने उन्हें पत्नी के सामने गोली मारी। पल्लवी बताती हैं, ‘आतंकी सिर्फ हिंदुओं को मार रहे थे। उन्होंने पति को गोली मार दी, मुझे और बेटे को छोड़ दिया। मैंने कहा कि मुझे और बेटे को भी मार दो। आतंकी ने जवाब दिया- ‘तुम्हें नहीं मारेंगे, जाओ, जाकर मोदी को बताओ।’ तीसरी कहानी शैलेश कलाथिया और शीतलबेन की सूरत के रहने वाले शैलेश कलाथिया जन्मदिन मनाने कश्मीर गए थे। 23 अप्रैल को वे 44 साल के हो जाते। शैलेश कुछ महीने पहले ही मुंबई शिफ्ट हुए थे। शैलेष की पत्नी शीतल बताती हैं, ‘हम 18 तारीख को मुंबई से जम्मू के लिए निकले थे। फिर श्रीनगर में तीन रात रुके। 22 अप्रैल को दोपहर 1 बजे पहलगाम पहुंचे। वहां से घोड़े लेकर बायसरन वैली चले गए।‘ ‘मुश्किल से 10-15 मिनट ही रुके थे। खाना खा रहे थे, तभी गोलियों की आवाज सुनाई दी। पास के दुकानदारों से पूछा तो वे भी डरे हुए थे। बोले कि इस इलाके में तो पहली बार ऐसी आवाज सुनी है। फिर सबको एहसास हुआ कि ये आतंकी हमला है।‘ शीतल आगे बताती हैं, ’लोग जान बचाने के लिए इधर-उधर भागे, लेकिन छिपने के लिए कोई जगह नहीं थी। तभी आतंकवादी सामने आ गए। एक आतंकी बोला कि जो हिंदू हैं, वो एक तरफ और मुसलमान दूसरी तरफ आ जाएं। हमारे आसपास जो मुसलमान थे, वे मुसलमान…मुसलमान बोलने लगे।’ ’हिंदू और मुसलमान के अलग ग्रुप बन गए। हम जैसे थे, उसी तरह बैठे रहे। आतंकियों ने तीन बार कलमा पढ़ने को कहा। जो मुसलमान थे या कलमा पढ़ सके, उन्हें छोड़ दिया। जो हिंदू थे या कलमा नहीं बोल पाए, उन्हें गोली मार दी। आतंकियों ने शैलेष के सीने में गोली मारी। गोली लगते ही उनका सिर मेरी गोद में आ गिरा।’ चौथी कहानी मध्यप्रदेश के सुशील नथानियल की मध्यप्रदेश के इंदौर में रहने वाले सुशील नथानियल, पत्नी जेनिफर, बेटी आकांक्षा और बेटे ऑस्टिन के साथ कश्मीर गए थे। सुशील LIC में काम करते थे। जेनिफर सरकारी स्कूल में टीचर हैं। बेटी आकांक्षा सूरत में बैंक ऑफ बड़ौदा में फर्स्ट क्लास ऑफिसर और बेटा ऑस्टिन बैडमिंटन खिलाड़ी है। सुशील के भाई विकास बताते हैं, ‘आतंकियों ने पहले सुशील को घुटनों पर बैठाया। पूछा किस धर्म के हो। फिर उन्हें कलमा पढ़ने के लिए कहा। सुशील ने कहा, मैं ईसाई हूं, कलमा कैसे पढूंगा। उन्होंने पत्नी और बच्चों से भागने के लिए कहा। कुछ देर बाद आतंकियों ने सुशील को गोली मार दी।’ पांचवी कहानी यूपी के शुभम और एशान्या द्विवेदी कानपुर के रहने वाले शुभम द्विवेदी पत्नी एशान्या के साथ थे। इसी साल 12 फरवरी को दोनों की शादी हुई थी। 31 साल के शुभम 17 अप्रैल को एशान्या और परिवार के 9 लोगों के साथ कश्मीर गए थे। आतंकियों ने एशान्या के सामने शुभम को गोली मार दी। एशान्या बताती हैं, 'मैं और शुभम मैगी खाने जा रहे थे। पापा वॉशरूम गए थे। तभी एक आदमी पीछे से आया। उसने गन रखकर शुभम से पूछा- हिंदू हो या मुसलमान, अगर मुसलमान हो तो कलमा पढ़कर सुनाओ।’ ‘मैंने हंसते हुए उससे पूछा- क्या हुआ भैया? तब उसने मुझसे भी पूछा- हिंदू हो या मुसलमान? मैंने कहा- हिंदू हूं। इसके बाद उसने मेरे पति को सिर में गोली मार दी। सबसे पहले शुभम को ही गोली मारी गई, फिर वहां लाशें बिछती चली गईं।' छठी कहानी गुजरात के यतीशभाई और स्मित की गुजरात के भावनगर में रहने वाले यतीशभाई परमार, पत्नी काजलबेन और बेटे स्मित के साथ कश्मीर गए थे। हमले में यतीश और स्मित की मौत हुई है। 17 साल का स्मित 11वीं में पढ़ता था। 45 साल के यतीश हेयर सैलून चलाते थे। स्मित 11वीं में पढ़ रहा था। उनका 20 लोगों का ग्रुप था। सभी श्रीनगर में मोरारी बापू की कथा सुनने गए थे। वहीं से घूमने पहलगाम चले गए थे। तभी आतंकियों ने हमला कर दिया। आतंकियों ने काजलबेन को छोड़ दिया। सातवीं कहानी महाराष्ट्र के संतोष जगदाले की संतोष जगदाले बचपन के दोस्त कौस्तुभ गणबोटे के साथ कश्मीर में छुट्टियां मनाने गए थे। संतोष पत्नी और बेटी आसावारी के साथ थे। फायरिंग शुरू हुई तो सभी कैंपिंग टेंट में छिप गए। आतंकियों ने उन्हें ढूंढ लिया। संतोष को बाहर निकालकर कलमा पढ़ने के लिए कहा। इसके बाद तीन गोलियां मार दीं। उनके साथ मौजूद कौस्तुभ गणबोटे को भी गोली मार दी। संतोष की बेटी आसावारी बताती हैं, ‘एक आतंकवादी, जो करीब 20 साल का था, उसने पापा से खड़े होने को कहा। पापा ने उससे कहा कि हमें छोड़ दो। उसने एकदम ठंडे लहजे में कहा कि मैं दिखाऊंगा कैसे मारते हैं। इतना बोलकर उसने तीन गोलियां चलाईं। एक पापा के सिर में लगी, दूसरी कान के आर-पार हो गई और तीसरी उनके सीने में लगी।’ आठवीं कहानी अनंतनाग के आदिल हुसैन की 29 साल के आदिल आतंकी हमले में मरने वाले इकलौते कश्मीरी और मुस्लिम हैं। आदिल गाइड थे और टूरिस्ट को घोड़े पर बिठाकर बायसरन घाटी घुमाने ले जाते थे। हमले वाले दिन आदिल के साथ एक महिला टूरिस्ट और उनके पिता थे। आतंकी आए, नाम पूछा और महिला के पिता को गोली मार दी। आसपास लोग भाग रहे थे, उन्होंने आदिल से कहा- जान बचाना है तो तुम भी भागो। आदिल ने जवाब दिया- 'ये टूरिस्ट मेरी बहन है। मैं इन्हें अकेला छोड़कर नहीं जाऊंगा।' आदिल आतंकियों से भिड़ गए। बोले- ये टूरिस्ट हैं। बेगुनाह हैं। इन पर क्यों अटैक कर रहे हो। उनकी बंदूक छीनने लगे। आतंकियों ने आदिल को तीन गोलियां मारीं। नौंवी कहानी बिहार के मनीष रंजन की आतंकियों के हमले में बिहार के रहने वाले मनीष रंजन भी मारे गए। वे IB के हैदराबाद ऑफिस में सेक्शन ऑफिसर थे। मनीष को पत्नी और 2 बच्चों के सामने गोली मारी गई। उनकी पत्नी आशा और दोनों बच्चे सुरक्षित हैं। गोलियों की आवाज सुनकर मनीष ने पत्नी और बच्चों को दूसरी तरफ भागने के लिए कहा। इसी दौरान वे परिवार से अलग हो गए और आतंकियों ने उन्हें गोली मार दी। पत्नी आशा बच्चों को लेकर वहां से भागीं। रास्ते में उन्हें आर्मी के जवान मिले, जो मदद के लिए आए थे। आशा ने जवानों को आतंकवादी समझ लिया और हाथ जोड़कर बोलीं- मेरे बच्चों को छोड़ दो। जवान ने उन्हें भरोसा दिया कि हम आपको बचाने आए हैं। दसवीं कहानी छत्तीसगढ़ के दिनेश मिरानिया की रायपुर के स्टील कारोबारी दिनेश मिरानिया को आतंकियों ने पत्नी, बेटे और बेटी के सामने गोली मारी। 45 साल के दिनेश को जिस दिन गोली मारी गई, उसी दिन उनकी शादी की सालगिरह थी। इसीलिए वे परिवार के साथ कश्मीर गए थे। बिहार की आशा को जो वीडियो वायरल हुआ, उसी ग्रुप में दिनेश की बेटी लक्षिता भी डरी-सहमी दिखाई दे रही हैं। दिनेश के भतीजे केशव ने बताया, ‘आतंकियों ने चाचा को गोली मारी, तब सिर्फ लक्षिता उनके साथ थी। चाचा को गोली लगी तो वहां मौजूद एक शख्स ने लक्षिता का हाथ पकड़ा और उसे वहां से हटा दिया। आतंकियों ने लक्षिता को बचाने वाले शख्स को भी गोली मार दी।’ आखिर में सज्जाद और नजाकत की कहानी, जिन्होंने टूरिस्ट की जान बचाई सज्जाद अहमद भट बायसरन घाटी जाने के लिए पक्की सड़क नहीं है। रेस्क्यू के लिए लोकल लोग घोड़े या कंधों पर बैठाकर घायलों और डेडबॉडी को एंबुलेंस में लाए। इनमें पहलगाम के सज्जाद अहमद भट भी थे। वे हमले के वक्त घाटी में मौजूद नहीं थे। हमले का पता चला तो तुरंत मौके पर पहुंचे। हमले के वक्त का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें सज्जाद एक बच्चे को कंधे पर उठाकर भाग रहे हैं। सज्जाद बताते हैं, ‘मैं टूरिस्ट गाइड हूं। बायसरन घाटी पहुंचा तो वहां लोग भाग रहे थे। वे घबराए हुए थे। वहां और भी लोकल लोग मौजूद थे। हमारे पास घायलों को नीचे लाने का कोई साधन नहीं था। इसलिए हमने उन्हें कंधे पर बिठाया और नीचे की ओर भागे। तभी किसी ने मेरा वीडियो बना लिया, जो वायरल हो गया।’ नजाकत अहमद शाह, टूरिस्ट गाइड हमले के दौरान टूरिस्ट गाइड नजाकत अहमद शाह ने 11 टूरिस्ट को बचाया। ये सभी छत्तीसगढ़ के चिरमिरी के रहने वाले हैं। इनमें BJYM नेता अरविंद अग्रवाल, BJP की पार्षद पूर्वा स्थापक भी शामिल हैं। नजाकत बताते हैं, ‘छत्तीसगढ़ से आए टूरिस्ट मेरे जानने वाले थे। इसमें 4 कपल और 3 बच्चे थे। सभी 17 तारीख को जम्मू आए थे। मैंने उन्हें गुलमर्ग और जम्मू घुमाया। आखिर में पहलगाम ले आया।’ ‘हम 12:30 बजे घोड़े से बायसरन घाटी पहुंचे। वहां बच्चों के साथ खेल रहे थे। तभी 2-3 बार फायरिंग हुई। टूरिस्ट ने मुझसे पूछा कि क्या हो रहा है। मुझे लगा बच्चे पटाखे फोड़ रहे होंगे। फिर सभी लोग चीखने-चिल्लाने लगे। हम लोग जमीन पर लेट गए।’ ‘फिर मैंने बच्चों को उठाया। एक को गोद में लिया, दूसरे को पीठ पर बिठाया। एक बच्चे को हाथ से पकड़ा। सभी लोगों को साथ लिया। हम भागते-भागते नीचे पहलगाम पहुंचे। नीचे आकर पता चला कि एक महिला ऊपर ही रह गई है। मैं फिर से बायसरन घाटी गया और उन्हें भी लेकर नीचे आया। ये टूरिस्ट मेरे भरोसे आए थे, इसलिए मैंने सोच लिया था कि भले मेरी जान चली जाए, इन्हें कुछ नहीं होने दूंगा।’ त्राल का जंगल आतंकियों का गढ़जम्मू में रहने वाले रिटायर्ड ब्रिगेडियर विजय सागर बताते हैं, ‘बायसरन घाटी दो तरफ से पहाड़ों से घिरी है। दोनों तरफ जंगल हैं। बाईं तरफ वाला जंगल किश्तवाड़ तक फैली पहाड़ी का है। दाईं तरफ त्राल वाले जंगलों की पहाड़ी है।' ‘त्राल का जंगल पाकिस्तानी और लोकल सपोर्ट वाले आतंकियों का गढ़ है। यहीं से उन्हें सपोर्ट मिलता है। ये बायसरन घाटी से सटा हुआ है। आतंकियों के लिए छिपने की सबसे सेफ जगह त्राल का जंगल ही है। मुझे लगता है कि उसी रास्ते से आतंकी बायसरन घाटी में आए होंगे।' 'पहलगाम से त्राल का सड़क से रास्ता करीब 55 किमी है, लेकिन जंगल के रास्ते ये दूरी करीब 20 किमी रह जाती है। आतंकियों ने इसी का फायदा उठाया।’ हमले के जवाब में ऑपरेशन सिंदूरपहलगाम अटैक के 15 दिन बाद भारत ने 7 मई को रात डेढ़ बजे पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकियों के 9 ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की। भारत ने कोटली, बहावलपुर, मुरीदके, बाग और मुजफ्फराबाद में एयर स्ट्राकइ की। इसमें आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का हेडक्वॉर्टर और जैश-ए-मोहम्मद के मुखिया मसूद अजहर का ठिकाना शामिल है। मुजफ्फराबाद पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की राजधानी है और यहीं से आतंकी नेटवर्क ऑपरेट होता है। ऑपरेशन सिंदूर में 100 से ज्यादा आतंकी मारे गए। इनमें कंधार प्लेन हाईजैक, पठानकोट और संसद हमले में शामिल अब्दुल रऊफ अजहर भी शामिल है। रऊफ जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अजहर का भाई था। दैनिक भास्कर ने ये स्टोरी पहलगाम हमले के एक महीने बाद की थी। आज इसे दोबारा पब्लिश किया है।................. ये खबर भी पढ़ें... चीनी डिवाइस का सिग्नल ट्रैक कर मारे पहलगाम के आतंकी 28 जुलाई की सुबह करीब साढ़े 11 बज रहे थे। सेना और पुलिस की टीमों ने श्रीनगर से 22 किमी दूर दाचीगाम के जंगलों में घेराबंदी कर दी। यहां के लिडवास एरिया के जंगलों में आतंकियों की लोकेशन पता चली थी। 6 घंटे चले एनकाउंटर में तीन आतंकी मार गिराए गए। इनके नाम सुलेमान उर्फ आसिफ, जिब्रान और हमजा उर्फ फैजल अफगानी हैं। तीनों पाकिस्तान के रहने वाले थे। पढ़िए पूरी खबर...
ट्रम्प का यूक्रेन युद्धविराम के लिए पुतिन को नया अल्टीमेटम
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने यूक्रेन युद्धविराम पर सहमत होने के लिए रूस को 10 या 12 दिन की एक नयी, छोटी समय सीमा दी है। यूक्रेनी राष्ट्रपति व्लादिमीर ज़ेलेंस्की ने इस अवधि को बेहद महत्वपूर्ण बताया है
बर्थडे लेटर, 'नंगी फोटो' और 10 अरब डॉलर...ट्रंप को रूपर्ट मर्डोक के 94 साल के उम्र का क्यों लगा डर?
Donald Trump-Rupert Murdoch News:दुनिया के सबसे ताकतवर राष्टपति में शुमार डोनाल्ड ट्रंप इन दिनों मीडिया दिग्गज रूपर्ट मर्डोक के उम्र को लेकर खौफ में हैं. ट्रंप ही नहीं उनके वकील भी उम्र में को लेकर भय में हैं. आइए जानते हैं पूरा मामला.
UK develops spy balloons: पूरी दुनिया में दुश्मनों को मात देने के लिए हर देश कुछ न कुछ नया जुगाड़ तैयार कर रहा है, इसी बीचब्रिटेन ने एक ऐसा जासूसी गुब्बारा बनाया है जो आम कमर्शियल फ्लाइट्स से लगभग दोगुना ऊंचा उड़ सकता है. ये गुब्बारे इतने ऊंचे उड़ते हैं कि सैन्य रडार भी इन्हें आसानी से पकड़ नहीं सकते. जानें ‘जासूसी गुब्बारे’कहानी.
Britain Captures Russian Superyacht: ब्रिटेन रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर दबाव बनाने के लिए वहां के जहाजों को अपने कब्जे में लेता है. इसमें से एक जहाज को लेकर आज फैसला सामने आएगा.
अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में तड़ातड़ चली गोलियां, 2 की मौत, पुलिसकर्मी समेत 2 घायल
New York Shooting: अमेरिका में शूटिंग का नया मामला सामने आया है, जिसमें एक शख्स ने पुलिस अधिकारी समेत कई लोगों पर हमला कर दिया. हमले में घायल लोगों की हालत गंभीर बताई जा रही है.
पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के चेयरमैन मोहसिन नकवी की अध्यक्षता वाली एशियन क्रिकेट काउंसिल ने मेन्स एशिया कप 2025 में भारत बनाम पाकिस्तान का क्रिकेट मैच 14 सितंबर को फिक्स कर दिया है. इसके बाद से ही सोशल मीडिया पर BCCI को 'शेम ऑन यू' जैसे कमेंट्स मिल रहे हैं. क्या 200 करोड़ के लिए पहलगाम हमला भूल गया BCCI? क्या इतने बवाल के बाद ये मैच कैंसिल हो सकता है? पूरी कहानी के लिए ऊपर दी गई इमेज पर क्लिक कर देखें वीडियो
फिलीपींस सरकार ने कंबोडिया और थाईलैंड में रह रहे अपने नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी की है
संयुक्त राष्ट्र ने पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार की निंदा की, कार्रवाई की मांग
पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ती हिंसा को लेकर संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के मानवाधिकार विशेषज्ञों और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने गहरी चिंता जताई है
'गांव का स्कूल बंद कर रहे हैं। अब बिटिया को पढ़ने के लिए दो किलोमीटर दूर जाना पड़ेगा। वहां तक जाने के लिए रास्ता भी नहीं है, सिर्फ पगडंडी है। 5-6 साल के बच्चे वहां कैसे पढ़ने जा पाएंगे। हम अपने गांव का स्कूल बंद नहीं होने देंगे।' अलीगढ़ के दौलताबाद गांव में रहने वाले बृजमोहन भतीजी की पढ़ाई को लेकर परेशान हैं। गांव का अकेला प्राइमरी स्कूल बंद होने वाला है। अब गांव के बच्चों को पढ़ने के लिए पिलखुनिया प्राइमरी स्कूल जाना होगा, जिसके लिए वो तैयार नहीं हैं। दरअसल यूपी सरकार ने इसी साल 16 जून को प्राइमरी स्कूलों को मर्ज करने का आदेश दिया था। जिन स्कूलों में 50 से कम बच्चे हैं, उन्हें दूसरे स्कूलों में मर्ज किया जाना है। अनुमान के मुताबिक, इस आदेश का असर राज्य के करीब 5 हजार प्राइमरी स्कूलों और उनमें पढ़ने वाले बच्चों पर पड़ेगा। बृजमोहन की तरह तमाम पेरेंट्स और टीचर्स स्कूलों के मर्जर से परेशान हैं। उनका कहना कि छोटे बच्चों को अब स्कूल जाने के लिए ज्यादा दूरी तय करनी पड़ेगी। वहीं सरकार इसे बेहतर एजुकेशन के लिए लिया गया फैसला बता रही है। हालांकि मर्ज होने वाले स्कूलों की संख्या अब तक साफ नहीं है। प्राइमरी स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ा रहे पेरेंट्स की मर्जर के इस फैसले से क्या दिक्कतें बढ़ी हैं। यूपी प्राइमरी शिक्षक संघ फैसले का विरोध क्यों कर रहा है। फैसले का असर बच्चों की पढ़ाई पर कैसे पड़ेगा। ये समझने के लिए दैनिक भास्कर की टीम ग्राउंड पर पहुंची। सबसे पहले अलीगढ़ की बात…2 किमी कच्चा रास्ता, 5-6 साल के बच्चे कैसे जाएंगे स्कूलअलीगढ़ के इगलास ब्लॉक में दौलताबाद प्राइमरी स्कूल का मर्जर पिलखुनिया प्राइमरी स्कूल में हुआ है। स्कूल में 30 बच्चे पढ़ते हैं। जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारी ने 30 जून को मर्जर का आदेश भेजा। हालांकि आज तक यहां के बच्चे दूसरे स्कूल में नहीं गए हैं। बृजमोहन की भतीजी इसी स्कूल में पहली क्लास में पढ़ती है। वे कहते हैं, ‘पिलखुनिया यहां से दो किलोमीटर दूर है। जाने के लिए सिर्फ पगडंडी है। 5-6 साल के बच्चे वहां कैसे जाएंगे। ये गलत फैसला है। मैं भी इसी स्कूल में पढ़ा हूं।‘ दौलताबाद स्कूल के टीचर कैमरे पर बोलने को तैयार नहीं हुए। उन्होंने बताया कि आदेश की कॉपी मिलने के बाद कोई अधिकारी यहां नहीं आया, जिससे पता चले कि आदेश कैसे लागू होगा और उन्हें किस स्कूल में पढ़ाना है। वहीं गांव के लोगों ने 17 जुलाई को बेसिक शिक्षा अधिकारी को एक चिट्ठी लिखी है। इसमें कहा गया कि वे बच्चों को पिलखुनिया पढ़ने नहीं भेजेंगे। अलीगढ़ में अब तक 450 से ज्यादा प्राइमरी स्कूलों के मर्जर का आदेश आ चुका है। इगलास ब्लॉक के ही कुढ़िया प्राइमरी स्कूल का मर्जर बढ़ाकलां प्राइमरी स्कूल में हो रहा है। स्कूल में सिर्फ दो क्लासरूम और दो टीचर हैं। हालांकि गांव वाले नहीं चाहते कि स्कूल मर्ज हों, इसलिए फैसले का विरोध कर रहे हैं। विरोध का नतीजा ये हुआ है कि बीते एक महीने में स्कूल में नामांकन 33 से बढ़कर 52 हो गया है। सरकार के पोर्टल पर भी स्टूडेंट्स की संख्या 52 दिख रही है। यहां पढ़ाने वाले टीचर ऑफ द रिकॉर्ड बताते हैं कि स्कूल को रोकने के लिए गांव वालों ने अपने बच्चों का नामांकन करा दिया है। हमने इसे लेकर अलीगढ़ के बेसिक शिक्षा अधिकारी राकेश सिंह से बात करने की कोशिश की, लेकिन वो तैयार नहीं हुए। गांव में रहने वाले प्रेम कुमार की बेटी इसी स्कूल में फर्स्ट क्लास में पढ़ती है। वे कहते हैं, ‘दूसरा स्कूल 3 किलोमीटर दूर है। इतनी दूर बच्चे पैदल जाएंगे और अगर कोई हादसा हुआ तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? इसलिए हम चाहते हैं कि हमारा स्कूल यहीं रहे।‘ हाथरसबच्चे मेरी तरह ही कहीं अंगूठा छाप न रह जाएं इसके बाद हम हाथरस पहुंचे। यहां मुरसान ब्लॉक के प्राइमरी स्कूल सोगरा का मर्जर पास के प्राइमरी स्कूल खोकिया में हो रहा है। यहां के लोगों ने फैसले का विरोध किया। 2 जुलाई को गांव वालों ने बेसिक शिक्षा अधिकारी को चिट्ठी लिखी कि स्कूल को मर्ज न किया जाए क्योंकि दूसरा स्कूल डेढ़ से दो किलोमीटर दूर है। गांव में रहने वाले अनीस मजदूरी करते हैं। वे पढ़े-लिखे नहीं हैं, लेकिन उनके बच्चे इसी प्राइमरी स्कूल में पढ़ते हैं। स्कूल के मर्ज होने पर अनीस कहते हैं, ‘ये न हो तो बढ़िया है। कोई पढ़ने नहीं जाएगा। बच्चे मेरी तरह ही अंगूठा छाप रह जाएंगे।‘ रायबरेलीस्कूल शिफ्ट करे, तो भेजने का भी इंतजाम करे सरकाररायबरेली के दुल्हागंज गांव में रहने वाले संतोष कुमार निर्मल भी इस फैसले से नाखुश हैं। उनकी दोनों बेटियों रिया और शिवानी को गांव से 4 किलोमीटर दूर पढ़ने जाना पड़ रहा है। संतोष दिहाड़ी मजदूर हैं। वो बच्चियों को स्कूल भेजने की व्यवस्था नहीं कर सकते। इसलिए मजबूरन साइकिल से उन्हें स्कूल छोड़ने जा रहे हैं। संतोष की बड़ी बेटी रिया पांचवी और शिवानी चौथी क्लास में पढ़ती है। वे कहते हैं, स्कूलों को कंपोजिट विद्यालयों में मर्ज किया जा रहा है, लेकिन बच्चों की परेशानियां कोई नहीं देख रहा। अगर स्कूल दूसरी जगह शिफ्ट करना था, तो पहले बच्चों को स्कूल पहुंचाने की व्यवस्था होनी चाहिए। ‘अब तक स्कूल पास था, तो बच्चे पैदल चले जाते थे। अब नए स्कूल की दूरी घर से 4 किलोमीटर है। अगर बच्चों को स्कूल तक पहुंचाने का साधन लगाएंगे, तो इससे बेहतर है कि हम प्राइवेट स्कूल में ही बच्चों का एडमिशन करवा दें।‘ मिर्जापुरधरने पर पेरेंट्स, बोले- पुराना स्कूल दोबारा खोले सरकारयूपी के मिर्जापुर में पहाड़ियों पर बसे ऊंटी गांव के प्राइमरी स्कूल को ऊंटी कंपोजिट स्कूल में मर्ज कर दिया गया है। इससे पेरेंट्स इतना नाराज हैं कि बंद पड़े स्कूल के आगे बच्चों के साथ धरने पर बैठ गए हैं। ऊंटी कस्बे में आने वाली दलित बस्ती की रीना देवी कहती हैं, ‘मेरे बेटा सेकेंड क्लास में पढ़ रहा था। स्कूल घर के पास था इसलिए भेजने में कोई दिक्कत नहीं होती थी। नया स्कूल 3 किलोमीटर दूर है। वहां तक जाने का कोई पक्का रास्ता भी नहीं है। बच्चों को कीचड़ वाला खेत और नाला पार करके जाना पड़ता है, जिससे उन्हें मुश्किल हो रही है।‘ रीना बेटे की पढ़ाई को लेकर फिक्रमंद हैं। वे आगे कहती हैं, ‘नए स्कूल का रास्ता जंगल के बीच से है। कई बार इन रास्तों पर भालू और लकड़बग्घे भी दिखे हैं। ऐसे में अगर बच्चों को कुछ हुआ तो क्या सरकार जिम्मेदारी लेगी।‘ प्राइमरी स्कूल ऊंटी में 24 बच्चों का एडमिशन हुआ था। इसी महीने 14 जुलाई को इसे बंद करके ऊंटी कंपोजिट स्कूल में मर्ज कर दिया गया। यूपी प्राइमरी शिक्षक संघ ने कहास्कूल बंद करने की सरकार की ऐसी क्या मजबूरी8 जुलाई को उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ ने स्कूलों के मर्जर के खिलाफ राज्य भर में प्रदर्शन किया। शिक्षक संघ के अध्यक्ष दिनेश चंद्र शर्मा प्राइमरी स्कूलों का बैकग्राउंड बताते हैं, ‘अगर इस देश में स्कूल खत्म हो जाएंगे तो फिर क्या रहेगा?’ ’1998 से पहले हर गांव में स्कूल नहीं थे। तब विभागीय समीक्षा होती थी कि नामांकन कम क्यों है? इस पर नतीजा निकलता था कि बच्चों के घरों से स्कूल की दूरी ज्यादा है।’ इसके बाद सर्व शिक्षा अभियान शुरू हुआ। गांव के बच्चे पास के स्कूलों में ही पढ़ने लगे। आज सरकार के पास ऐसी कौन सी मजबूरी आ गई है कि स्कूल बंद किए जा रहे हैं। दिनेश शर्मा आरोप लगाते हैं कि ये जल्दबाजी में लिया गया फैसला है, जो न छात्रों के हित में है और न शिक्षक के हित में। इससे बच्चों का नामांकन घट सकता है। 5 साल के बच्चे को बारिश में 2 किलोमीटर दूर कौन भेजेगा? शिक्षक संघ के सदस्य गांव-गांव जा रहे हैं। कोई भी इस फैसले से खुश नहीं है।’ अलीगढ़ में शिक्षक संघ से जुड़े राजेश कटारा कहते हैं, ‘न कोई समीक्षा की और न सर्वे किया गया। ऐसे में जहां स्कूलों को मर्ज किया जा रहा है, वहां बच्चों और शिक्षकों के बैठने की व्यवस्था तक नहीं है। राजेश बताते हैं, ’ज्यादातर स्कूलों में यही हालात हैं। दो कमरों के स्कूल हैं। जब वहां स्कूल मर्ज हो रहे हैं तो बैठने की व्यवस्था या ज्यादा क्लास चलाना कैसे मुमकिन होगा? सरकार ने इन सब चीजों पर कोई विचार नहीं किया। ये थोपा हुआ फैसला है।’ स्कूलों के मर्जर पर सरकार का क्या है तर्कराज्य सरकार ने 16 जून को सभी जिलाधिकारियों को स्कूलों के मर्जर को लेकर लेटर लिखा था। इसमें कहा गया था कि 'छात्र हित' में संसाधनों के ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल के लिए स्कूलों का मर्जर जरूरी है। इसके बाद अलग-अलग जिलों में मर्ज होने वाले स्कूलों की लिस्ट जारी की जा रही है। सरकार का कहना है कि ज्यादा टीचर होने से हर क्लास के लिए एक टीचर होगा। टीचर्स के बीच काम का बंटवारा भी सही से होगा और पढ़ाई की क्वालिटी सुधरेगी। सरकार का ये भी कहना है कि कम नामांकन वाले स्कूलों में स्टूडेंट्स के बीच कम्युनिकेशन के मौके कम होते हैं, जिससे वे अकेलापन या मनोवैज्ञानिक रूप से सुरक्षा की कमी महसूस कर सकते हैं। ज्यादा नामांकन वाले स्कूल में स्टूडेंट्स को बेहतर माहौल मिलेगा। सरकार का एक तर्क ये भी है कि जिन स्कूलों में कम बच्चे होते हैं, वहां सेशन के बीच या सेशन खत्म होने के बाद स्कूल छोड़ने की संभावना ज्यादा होती है। इसलिए एक ही कैंपस में ज्यादा क्लास चलने से स्टूडेंट्स को क्वालिटी एजुकेशन मिलेगी और ड्रॉप आउट रेट कम होगा। हमने सरकार का पक्ष जानने के लिए यूपी के बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह से कई बार संपर्क करने की कोशिश की। संपर्क न होने पर हमने उन्हें और बेसिक शिक्षा विभाग के डायरेक्टर जनरल कंचन वर्मा को ई-मेल के जरिए कुछ सवाल भेजे हैं। जवाब आने पर रिपोर्ट में अपडेट करेंगे। एक्सपर्ट: निचले तबके को सबसे ज्यादा नुकसान, ड्रॉप आउट रेट बढ़ेगा एजुकेशन सेक्टर में काम करने वाले एक्सपर्ट इस तरह के फैसलों से ड्रॉप आउट की आशंका जताते हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय में डिपार्टमेंट ऑफ एजुकेशन की पूर्व डीन अनीता रामपाल इसे 'पुश्ड आउट' कहती हैं क्योंकि सिस्टम उन्हें धकेल रहा है। वो कहती हैं, ’राजस्थान में सबसे पहले मर्जर शुरू हुआ था। वहां देखा गया कि इसका काफी असर ड्रॉप आउट पर पड़ा है। सरकार बदली तो फिर हजारों स्कूल खोले गए। बच्चियों पर इसका सबसे ज्यादा असर होता है। दूरी बढ़ने पर पेरेंट्स सबसे पहले उन्हें ही रोकते हैं।’ अनिता कहती हैं कि इस साल की शुरुआत में पार्लियामेंट स्टैंडिंग कमेटी की मीटिंग हुई थी। इसमें उन्हें भी बुलाया गया था। मार्च में उनकी रिपोर्ट आई है। शिक्षा का अधिकार फोरम, दिल्ली के कोऑर्डिनेटर मित्र रंजन कहते हैं कि इस तरह के फैसले से समाज के निचले तबके को सबसे ज्यादा नुकसान होता है क्योंकि सरकारी स्कूलों में दलित और पिछड़ी कम्युनिटी के बच्चे ज्यादा हैं, जिन्हें सबसे ज्यादा बुनियादी शिक्षा की जरूरत है। वे कहते हैं कि स्कूल मर्ज होने से जो औपचारिक स्कूली शिक्षा है, इसके दायरे से हाशिए के बच्चे बाहर हो सकते हैं। स्कूलों को मर्ज या बंद करने से ज्यादा सरकार को ड्रॉपआउट रेट कम करने पर काम करना चाहिए। शिक्षा का अधिकार कानून पर जोर देते हुए वे कहते हैं, ‘अब भी राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा का अधिकार कानून सिर्फ 25.50% स्कूलों में पूरी तरह लागू है। सरकारी स्कूलों में क्वालिटी एजुकेशन की गारंटी पर काम करने की जरूरत है।’ स्कूलों के मर्जर का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा यूपी सरकार के इस फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। सीतापुर के कुछ बच्चों की तरफ से ये याचिका दायर की गई थी। उनकी तरफ से पेश हुए वकील एल पी मिश्रा और गौरव मेहरोत्रा ने कहा था कि राज्य सरकार का आदेश 6 से 14 साल के बच्चों को दिए गए शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन है, क्योंकि इससे वे अपने नजदीक के स्कूलों में शिक्षा पाने के अधिकार से वंचित रह जाएंगे। इस पर सरकार की तरफ से दलील दी गई कि ये फैसला नियमों के तहत लिया गया है और इसमें कोई खामी नहीं है। राज्य सरकार ने कहा कि कई स्कूलों में बहुत कम छात्र हैं। ये भी कहा कि सरकार ने स्कूलों को 'मर्ज' नहीं किया है बल्कि उन्हें 'जोड़ा' है। कोर्ट से कहा गया कि कोई भी प्राइमरी स्कूल बंद नहीं होगा। सुनवाई के बाद 7 जुलाई को हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। अब ये मामला अब सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच चुका है। 14 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट स्कूलों के मर्जर के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया। याचिकाकर्ता तैय्यब खां सलमानी ने कोर्ट से 16 जून के आदेश पर रोक लगाने की मांग की है। उन्होंने दलील दी है कि सरकार के इस फैसले से प्राइमरी स्कूलों के हजारों बच्चे स्कूल से बाहर हो जाएंगे। .............. ये खबर भी पढ़ें...न वोटर लिस्ट रिवीजन का पता-न फॉर्म भरा, कैसे देंगे वोट 'मैं काफी समय से बिहार नहीं गया। वहां रिश्तेदारों से बात जरूर होती है, लेकिन किसी ने भी मुझे वोटर लिस्ट रिवीजन के बारे में नहीं बताया। मेरे परिवार में 6 लोग बिहार के वोटर हैं। अब फॉर्म ही नहीं जमा कर पाए तो कहीं इनके नाम वोटर लिस्ट से न कट जाएं।’ गाजियाबाद में रहने वाले मधुबनी के सुनील चौधरी स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया से अनजान हैं। अब जब इसके बारे में पता चला तो उन्हें वोट कैंसिल होने का डर सता रहा है। पढ़िए पूरी खबर...
28 जुलाई की सुबह करीब साढ़े 11 बज रहे थे। सेना और पुलिस की टीमों ने श्रीनगर से 22 किमी दूर दाचीगाम के जंगलों में घेराबंदी कर दी। यहां के लिडवास एरिया के जंगलों में आतंकियों की लोकेशन पता चली थी। 6 घंटे चले एनकाउंटर में तीन आतंकी मार गिराए गए। इनमें एक सुलेमान उर्फ आसिफ भी है। सुलेमान 22 अप्रैल, 2025 को पहलगाम की बायसरन घाटी में हुए आतंकी हमले में शामिल था। इस हमले में तीन आतंकियों ने पहलगाम घूमने आए 25 टूरिस्ट और एक लोकल गाइड की हत्या कर दी थी। सोर्स के मुताबिक, सुलेमान के साथ मारे गए बाकी दो आतंकी जिब्रान और हमजा अफगानी हैं। तीनों पाकिस्तानी बताए जा रहे हैं। सिक्योरिटी फोर्स को दाचीगाम के जंगलों से कम्युनिकेशन डिवाइस के सिग्नल मिले थे। इसी के बाद यहां सर्च ऑपरेशन चलाया गया। एनकाउंटर में मारे गए तीनों आतंकियों की पहचान पर देर रात तक कन्फ्यूजन बना रहा। कश्मीर जोन पुलिस ने रात 8:16 बजे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर जानकारी दी कि मारे गए तीनों आतंकियों की पहचान की जा रही है। दरअसल कन्फ्यूजन सुलेमान नाम पर रहा। पहलगाम अटैक में शामिल हाशिम मूसा का एक नाम सुलेमान है। हाशिम मूसा के करीबी आतंकी का नाम भी सुलेमान है। वह भी पहलगाम हमले में शामिल था। ऑपरेशन महादेव में मरने वाला हाशिम मूसा है या सुलेमान, सेना ने इसकी पुष्टि नहीं की है। मारे गए तीनों आतंकीदैनिक भास्कर ने अपने सोर्स के जरिए तीनों आतंकी और उनके बैकग्राउंड की जानकारी जुटाई है। 1. सुलेमान उर्फ आसिफ पाकिस्तान का रहने वाला सुलेमान आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का टॉप कमांडर था। ये अक्टूबर, 2024 में सोनमर्ग में टनल प्रोजेक्ट पर हुए आतंकी हमले में शामिल था। इस हमले में 7 लोग मारे गए थे। पहली बार इसकी पहचान 2024 में ही मारे गए आतंकी जुनैद के फोन में मिले फोटो से हुई थी। 2. जिब्रानजिब्रान लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा था। इसका कोड नाम यासिर और हारिस बताया जा रहा है। जिब्रान भी सुलेमान के साथ सोनमर्ग टनल अटैक में शामिल बताया जा रहा है। 3. हमजा अफगानीहमजा अफगानी उर्फ अबू हमजा विदेशी आतंकवादी था। नाम में अफगानी जुड़े होने की वजह से इसे अफगान मूल के होने का अंदेशा है। यह लश्कर-ए-तैयबा मॉड्यूल से जुड़ा था। इसके भी पहलगाम अटैक में शामिल होने का शक है, लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हुई है। 20 किमी में फैले घने जंगल में छिपे थे आतंकीश्रीनगर से करीब 22 किमी दूर दाचीगाम नेशनल पार्क है। इस नेशनल पार्क के आसपास 20 किमी तक घना जंगल है। ये कश्मीर के सबसे घने जंगलों वाला एरिया है। इन जंगलों में आबादी नहीं रहती। दाचीगाम से नीचे की तरफ लिडवास एरिया है। दाचीगाम के दूसरे छोर से पहलगाम से जुड़े त्राल के जंगल हैं। दैनिक भास्कर को आर्मी और जम्मू-कश्मीर पुलिस के सोर्सेज से पता चला है कि इसी जगह आतंकियों ने हाइड आउट यानी खुफिया ठिकाना बना रखा था। करीब दो हफ्ते पहले सिक्योरिटी फोर्स को एक सिग्नल मिला। ये सिग्नल अल्ट्रासेट कम्युनिकेशन डिवाइस का था। ऐसा ही सिग्नल 22 अप्रैल को पहलगाम की बायसरन घाटी में मिलने की जानकारी थी। अल्ट्रासेट सैटेलाइट फोन होता है। आतंकी इसके जरिए एक-दूसरे से कॉन्टैक्ट करते हैं। इसके बाद आतंकियों की सटीक लोकेशन की जानकारी जुटाई गई। इसके आधार पर सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने मिलकर ऑपरेशन शुरू किया। इस जगह के पास में माउंट महादेव है। इस वजह से ऑपरेशन का नाम ऑपरेशन महादेव रखा गया। सोर्स बताते हैं कि बीते 3-4 दिन से इस एरिया में लगातार बारिश हो रही थी। इस वजह से आतंकियों ने अपने ठिकाने के ऊपर तिरपाल लगा लिया था। यहीं खाने-पीने का भी इंतजाम था। इससे घने जंगल में भी आतंकियों की लोकेशन ट्रेस करना आसान हो गया। इसी जंगल में मारा गया था मूसा का करीबी जुनैददाचीगाम का जंगल करीब 20 किमी एरिया में फैला है। घने पेड़ों की वजह से ये पता नहीं चलता कि अंदर कौन रह रहा है। घने जंगलों की वजह से यहां निगरानी करना भी मुश्किल है। 2024 में भी दो बार यहां आतंकियों के छिपे होने का इनपुट मिला था। पहला मामला 10 नवंबर 2024 का है। तब जबारवान-डाचगल के जंगलों में 2 से 3 आतंकियों के छिपे होने की जानकारी मिली थी। सुरक्षा बलों ने तलाशी अभियान चलाया, लेकिन उस समय कोई आतंकी नहीं मिला। इसके बाद 2-3 दिसंबर 2024 को सुरक्षा बलों ने दाचीगाम के जंगलो में ऑपरेशन चलाया था। इसमें आतंकी जुनैद अहमद भट्ट को मार गिराया गया। जुनैद हाशिम मूसा का करीबी था। एनकाउंटर से दो महीने पहले जुनैद अहमद भट्ट गगनगिर में टनल प्रोजेक्ट पर हमले में शामिल था। इस हमले में 6 मजदूरों और एक डॉक्टर की हत्या कर दी गई थी। जुनैद के फोन से एक फोटो मिली थी, जिसमें हाशिम मूसा भी दिख रहा था। इस फोटो में कुल 4 आतंकी थे। इन्हीं आतंकियों के पहलगाम अटैक में शामिल होने की आशंका जताई गई। इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई है। त्राल और दाचीगाम के जंगल आतंकियों के सेफ ठिकानेपहलगाम हमले के बाद दैनिक भास्कर ने डिफेंस एक्सपर्ट के हवाले से अंदेशा जताया था कि बायसरन घाटी में अटैक करने वाले आतंकी त्राल के जंगलों के रास्ते 20 किमी चलकर आए थे। दाचीगाम के जंगल में जहां ऑपरेशन महादेव चलाया गया, वह सड़क के रास्ते पहलगाम से करीब 100 किमी दूर है। हालांकि, जंगल के रास्ते ये दूरी सिर्फ 40 से 50 किमी रह जाती है। पहलगाम से सटे त्राल के जंगलों का आखिरी और दाचीगाम के जंगल का शुरुआती छोर एक दूसरे से मिलते हैं। ये काफी घना जंगल हैं। इनमें बने आतंकियों के हाइड हाउट आसानी से देखे नहीं जा सकता है। इन्हीं हाइड आउट में लगातार छिपे रहने और कोई कम्युनिकेशन सिस्टम इस्तेमाल नहीं करने की वजह से आतंकियों की लोकेशन ट्रेस करना मुश्किल हो रहा था। दाचीगाम के जंगलों से मिले कम्युनिकेशन सिग्नल की मदद से आतंकियों के छिपे होने की जानकारी मिली। इसके बाद खास लोकेशन वाले एरिया में इनकी तलाश शुरू की गई। इसके बाद आखिर 28 जुलाई को आतंकियों को पता चल गया। पहलगाम में जान गंवाने वाले आदिल के पिता बोले- अब खुश हूंपहलगाम अटैक में मारे गए 26 लोगों में सैयद आदिल हुसैन शाह इकलौती कश्मीरी थे। 29 साल के आदिल गाइड थे और टूरिस्ट को घोड़े पर बिठाकर बायसरन घाटी घुमाने ले जाते थे। हमले वाले दिन आदिल के साथ एक महिला टूरिस्ट और उनके पिता थे। आतंकी आए, नाम पूछा और महिला के पिता को गोली मार दी। आसपास लोग भाग रहे थे, उन्होंने आदिल से कहा- जान बचाना है तो तुम भी भागो। आदिल ने जवाब दिया- 'ये टूरिस्ट मेरी बहन है। मैं इन्हें अकेला छोड़कर नहीं जाऊंगा।' आदिल आतंकियों से भिड़ गए। उनकी बंदूक छीनने लगे। आतंकियों ने आदिल को तीन गोलियां मारीं। घटना के करीब 3 महीने बाद आतंकियों के एनकाउंटर पर हमने आदिल के पिता सैयद हैदर शाह से बात की। वे कहते हैं- मुझे पता चला है कि मरने वाले आतंकियों में एक पहलगाम हमले में भी शामिल था। मुझे बहुत खुश हुई। आर्मी और पुलिस ने 26 लोगों की हत्या का बदला ले लिया। एनकाउंटर साइट से मिले तवा, प्लेट और चम्मचएनकाउंटर वाली जगह से मिली चीजों से पता चला है कि आतंकियों ने जहां अपना टेंट लगाया था, वहीं खाना भी बना रहे थे। यहां खाने का सामान जैसे रोटी बनाने वाला तवा, जली लकड़ियां, खाने की प्लेट और चम्मच मिले हैं। मिलिट्री शूज भी मिले हैं। एक आतंकी के पास कपड़े का बैग मिला है। इस पर बारामूला के कुंजेर के एक स्टोर की डिटेल है। ये जगह करीब 40 किमी दूर है। बारिश होने पर टेंट में छिपते हैं आतंकी, ड्रोन से बच नहीं पाएमारे गए तीनों आतंकी जंगल में टेंट लगाकर रह रहे थे। इस पर डिफेंस एक्सपर्ट संजय कुलकर्णी बताते हैं, ‘जंगलों में आतंकियों के हाइड आउट कई तरह के होते हैं। अगर बारिश ज्यादा होती है, तो वे हरे रंग का टेंट लगाते हैं। ये टेंट हरियाली में छिप जाते हैं। दूर से या ऊंचाई से कोई आसानी से उनकी पहचान नहीं कर पाता। एनकाउंटर साइट की फोटो से साफ है कि आतंकी वहीं खाना भी बना रहे थे। यानी लंबे समय से वे यहीं छिपे हुए थे। आर्मी को इनपुट मिला, तो जंगल में ड्रोन के जरिए इनकी लोकेशन का पता लगाया गया होगा। हेलिकॉप्टर से सर्च ऑपरेशन चलाने पर आतंकी उसकी आवाज से अलर्ट हो जाते हैं। ड्रोन से किसी खास एरिया की निगरानी आसान हो गई। इससे आवाज भी नहीं आती, जिससे आतंकी अलर्ट हो जाएं। हाई क्वॉलिटी कैमरों से आसानी से हर एंगल से मॉनिटरिंग कर लोकेशन भी जुटा सकते हैं।’ पहलगाम अटैक, जब आतंकियों ने 13 मिनट में किए 26 कत्ल22 अप्रैल, 2025 से पहले तक पहलगाम कश्मीर आने वाले टूरिस्ट की पसंदीदा जगह थी। ये शहर जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर से करीब 90 किमी दूर है। पहलगाम से 6 किमी दूर बायसरन घाटी है। टूरिस्ट इस घाटी की खूबसूरती निहारने जरूर आते थे। हरी घास के बड़े-बड़े मैदान, देवदार के घने जंगल, बर्फ से ढंकी पहाड़ियों की वजह से ये जगह स्विट्जरलैंड जैसा एहसास दिलाती है। इसलिए इसका नाम ही पड़ गया मिनी स्विट्जरलैंड। 22 अप्रैल को इसी बायसरन घाटी में आतंकी आए और हमेशा का दर्द देकर चले गए। अप्रैल से जून और सितंबर से नवंबर बायसरन जाने का सबसे अच्छा टाइम माना जाता है। पीक सीजन की वजह से यहां काफी भीड़ होगी, ये बात आतंकी भी जानते थे। इसलिए उन्होंने हमले के लिए अप्रैल का महीना चुना। तीन आतंकी जंगल की ओर से आए और इंजॉय कर रहे टूरिस्ट पर गोलियां बरसा दी। चश्मदीदों के मुताबिक, हत्या से पहले लोगों से कलमा पढ़ने के लिए कहा गया, जो कलमा नहीं पढ़ पाए, उन्हें सिर में गोली मार दी गई। तीन आतंकी, एक कश्मीरी, दो पाकिस्तानी पहलगाम हमले के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने तीन आतंकियों के स्केच जारी किए थे। इनमें एक अनंतनाग के गुरी गांव का आदिल हुसैन है। बाकी दो हाशिम मूसा और अली पाकिस्तानी हैं। सुलेमान की पहचान हमले के चश्मदीदों ने की थी। उसका स्केच जारी नहीं किया गया था। हाशिम मूसा पाकिस्तानी की स्पेशल सर्विस फोर्स में कमांडो रह चुका है। हमले को वही लीड कर रहा था। मूसा अभी लश्कर-ए-तैयबा के लिए काम कर रहा है। उसने सितंबर, 2023 में भारत में घुसपैठ की थी। लोकल आतंकी आदिल साइंस से ग्रेजुएट है। उर्दू से MA कर रहा था। प्राइवेट स्कूल में टीचर भी रहा। वो 7 साल पहले गायब हो गया और पाकिस्तान चला गया। वहां लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ गया। तभी से परिवार का उससे कॉन्टैक्ट नहीं हो पाया। हमले के जवाब में ऑपरेशन सिंदूरपहलगाम अटैक के 15 दिन बाद भारत ने 7 मई को रात डेढ़ बजे पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकियों के 9 ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की थी। भारत ने कोटली, बहावलपुर, मुरीदके, बाग और मुजफ्फराबाद में एयर स्ट्राकइ की। इसमें आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का हेडक्वॉर्टर और जैश-ए-मोहम्मद के मुखिया मसूद अजहर का ठिकाना शामिल है। मुजफ्फराबाद पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की राजधानी है और यहीं से आतंकी नेटवर्क ऑपरेट होता है। ऑपरेशन सिंदूर में 100 से ज्यादा आतंकी मारे गए। इनमें कंधार प्लेन हाईजैक, पठानकोट और संसद हमले में शामिल अब्दुल रऊफ अजहर भी शामिल है। रऊफ जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अजहर का भाई था। ...........................ये खबर भी पढ़िए... सीजफायर पर जयशंकर बोले- मोदी और ट्रम्प में कोई बात नहीं हुई लोकसभा में सोमवार दोपहर 2:05 बजे से ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा शुरू हुई। इस दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ट्रम्प के सीजफायर दावे पर कहा- 22 अप्रैल से 17 जून तक ट्रम्प और प्रधानमंत्री मोदी के बीच बातचीत नहीं हुई। किसी भी स्टेज पर अमेरिका से चर्चा के दौरान व्यापार पर बात नहीं हुई। इस बात पर विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया। पढ़ें पूरी खबर...
अब उभरता बाजार नहीं, भारत दुनिया से अपनी शर्तों पर कर रहा संवाद : रिपोर्ट
वैश्विक मंचों पर अब भारत को सिर्फ एक उभरते हुए बाजार या मूक दर्शक के रूप में नहीं देखा जा रहा, बल्कि वह अपनी कूटनीतिक साख को बनाए रखते हुए राष्ट्रीय हितों की रक्षा करते हुए दुनिया से अपनी शर्तों पर संवाद कर रहा है
बांग्लादेश विमान हादसा : 27 बच्चों समेत 33 लोग अब भी अस्पताल में भर्ती, 3 की हालत नाजुक
बांग्लादेश की राजधानी ढाका के मिलस्टोन स्कूल और कॉलेज पर पिछले सप्ताह हुए भीषण विमान हादसे में कई लोग घायल हुए थे
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा- भारतीय सेना के हमलों से पड़ोसी देश पूरी तरह हार मान चुका था, पाकिस्तान की तरफ से सीजफायर की गुहार लगाई गई। राजनाथ की ये बात सुनते ही राहुल गांधी खड़े हो गए और पूछा- फिर आपने ऑपरेशन रोका क्यों? इसके बाद राजनाथ सिंह विपक्ष के नेता को शांत कराते दिखे। ऑपरेशन सिंदूर पर सोमवार को बहस शुरू हुई। पहले दिन लोकसभा में सरकार ने क्या बताया, विपक्ष ने कौन-से सवाल पूछे, अब तक की बहस में किसका पलड़ा भारी, आइए जानते हैं… रक्षा मंत्री ने ऑपरेशन सिंदूर पर बहस का टोन सेट किया सोमवार को तीन बार स्थगन के बाद 2 बजे कार्यवाही शुरू हो सकी। सत्ता पक्ष की तरफ से बहस की शुरुआत रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दोपहर 2 बजकर 3 मिनट पर की। उन्होंने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर में 100 से ज्यादा आतंकवादी, ट्रेनर्स, प्रशिक्षक और हैंडलर मारे गए। भारत की एस-400, आकाश, एयर डिफेंस गन्स बहुत प्रभावी शामिल हुईं। भारतीय वायुसेना के जबरदस्त हमलों, बॉर्डर पर थल सेना की मजबूत जवाबी कार्रवाई और इंडियन नेवी की तरफ से हमले के डर ने पाकिस्तान को झुकने पर मजबूर कर दिया। राजनाथ सिंह ने कहा कि हमारा मकसद युद्ध करना या पाकिस्तान की जमीन पर कब्जा करना नहीं था। विपक्ष को नसीहत दी- विमान गिरने जैसे सवाल नहीं पूछने चाहिए अपने भाषण में राजनाथ सिंह कुछ पुरानी बातों का जिक्र कर विपक्ष को नसीहत भी दे गए… दरअसल, राजनाथ सिंह विपक्ष को ये बताने की कोशिश कर रहे थे कि ऑपरेशन में कितने राफेल गिरे, ऐसे सवाल नहीं पूछने चाहिए। रक्षा मंत्री ने एक एग्जाम्पल भी दिया- लक्ष्य बड़े हो तो अपेक्षाकृत छोटे मुद्दों पर ध्यान नहीं जाना चाहिए क्योंकि जब बच्चा अच्छे मार्क्स लाता है तो यह नहीं पूछते कि उसने पेंसिल कितनी तोड़ी। इस दौरान वो मुस्कुरा रहे थे। चौपाइयों और कोट्स के बीच अंग्रेजी में विपक्ष का धन्यवाद दिया ऑपरेशन सिंदूर पर राजनाथ बोले- यह सिंदूर की लाली, शौर्य की कहानी, भारत के मस्तक पर वीरता की निशानी है। उन्होंने ‘जिन मोहि मारा, ते मैं मारे’ जैसी चौपाई भी कोट की। राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को निशाने पर लेते हुए कहा- बैर और प्रीति बराबरी वालों से करनी चाहिए। शेर यदि मेंढकों को मारे, तो उसका बहुत अच्छा संदेश नहीं जाता है। वी. एस. नायपाल को कोट करते हुए कहा- पाक में अल्टरनेट और विरोधाभाषी रियलटी है- यहां युद्ध ही शांति, गुलामी ही स्वतंत्रता है और अज्ञानता ही ताकत है। राजनाथ सिंह ने एक जगह ऑपरेशन सिंदूर के समय सरकार और सेना का साथ देने के लिए सभी विपक्षी दलों का शुक्रिया भी अदा किया, लेकिन ये बात वो अंग्रेजी में बोले और उसका हिंदी अनुवाद भी नहीं बताया। राजनाथ सिंह का पूरा भाषण 56 मिनट चला। कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने सरकार पर तीखे सवालों की झड़ी लगा दी राजनाथ सिंह के बाद ठीक 3 बजे कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई भाषण के लिए खड़े हुए। गोगोई के हाथ में स्पीच का कोई पेपर नहीं था। उन्होंने सरकार और रक्षा मंत्री पर सवाल दागने शुरू किए… गोगोई ने राजनाथ की दो बड़ी बातों का काउंटर किया कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने राजनाथ सिंह की बातों को कोट करते हुए कहा- अब भी कह रहे कि ऑपरेशन सिंदूर कम्प्लीट नहीं हुआ, क्योंकि पाकिस्तान आगे कुछ कर सकता है। फिर सफल क्या हुआ। गोगोई बोले- आप कह रहे कि हमारा मकसद युद्ध नहीं था। मैं पूछता हूं क्यों नहीं था, होना चाहिए था। आप कहते हैं कि हमारा मकसद जमीन कब्जाना नहीं था। मैं पूछता हूं, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर क्यों नहीं लिया गया? गोगोई बोले- राजनाथ सिंह ने कहा कि अगर कुछ राफेल गिरे, तो वो सवाल जरूरी नहीं हैं। देश में सिर्फ 35 राफेल हैं। ट्रम्प कह रहे 5 फाइटर जेट गिरे। एक-एक जेट करोड़ों रुपए के हैं। ये जरूरी सवाल हैं। गोगोई ने कहा- देश पर विश्वास करें। देश में सच्चाई सुनने का साहस है। आप बताएं कि कितने राफेल गिरे? गोगोई ने 3.25 बजे अपना भाषण खत्म किया। इसके बाद सपा, टीएमसी और अन्य पार्टियों के भाषण शुरू हुए। इस दौरान दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि आपने टेलिफोन करके जो बताया कि हम सिर्फ आतंकी ठिकानों पर हमला कर रहे हैं यह सबसे बड़ी चूक है। उन्होंने कहा- या तो बातचीत करके डोनाल्ड को चुप कराओ या भारत में मैकडोनल्ड बंद करवाओ। जयशंकर ने सीजफायर में अमेरिका का रोल साफ किया दोपहर में शुरू हुई चर्चा का शाम होते-होते समय रात 12 बजे तक बढ़ा दिया गया। करीब 06.35 बजे विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपना भाषण शुरू किया और वे करीब 39 मिनट बोले। जयशंकर ने भारत-पाक संघर्ष पर अमेरिका का रोल साफ करते हुए बताया... अमित शाह बोले- विपक्ष 20 सालों तक वहीं बैठेगा जब जयशंकर भारत-पाक संघर्ष में अमेरिका की भूमिका के बारे में बोल रहे थे, तो विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया। इस पर गृहमंत्री अमित शाह नाराज हो गए। उन्होंने अपनी सीट से खड़े होकर कहा, ‘आपको भारत के शपथ लिए विदेश मंत्री पर भरोसा नहीं है। इसलिए आप वहां बैठे हैं और आने वाले 20 सालों तक वहीं बैठने वाले हैं।’ उन्होंने कांग्रेस पर तंज कसते हुए यह भी कहा, ‘मैं समझ सकता हूं उनकी पार्टी में विदेश का क्या महत्व है।’ थोड़ी देर बाद विपक्ष फिर हंगामा करने लगा तो अमित शाह ने अपनी सीट से खड़े होकर स्पीकर को कहा, ‘जब उनके नेता बोल रहे थे, तब हम सब शांति से सुन रहे थे। आपको उन्हें समझाना चाहिए, वरना हम भी बाद में अपने सदस्यों को कुछ नहीं समझा पाएंगे।’ भारत में क्रॉस बॉर्डर टेररिज्म का विरोध यानी पाक का विरोध एस जयशंकर ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान विदेशों से मिले सहयोग का भी जिक्र किया। उन्होंने BRICS की स्टेटमेंट पढ़ी जिसमें लिखा था, ‘BRICS देश सभी तरह की आतंकी गतिविधियों का विरोध करते हैं। इसमें क्रॉस-बॉर्डर टेररिज्म यानी सीमा के उस पार से होने वाला आतंकवाद भी शामिल है।’ जयशंकर ने कहा, ‘अगर भारत पर अटैक होता है और कोई देश कहता है कि हम क्रॉस-बॉर्डर टेररिज्म का विरोध करते हैं, तो यह स्वाभाविक सी बात है कि किसकी बात कर रहे हैं।’ जयशंकर ने यह भी बताया कि 25 अप्रैल से ऑपरेशन सिंदूर शुरू होने तक उन्होंने 27 देशों को और पीएम मोदी ने 20 देशों को कॉल किया। इस दौरान 40 से ज्यादा देशों ने सहयोग का पत्र भेजा। ---------- ऑपरेशन सिंदूर पर सदन में चर्चा की यह खबर भी पढ़िए... ऑपरेशन सिंदूर पर बहस के VIDEO मोमेंट्स: ललन सिंह ने आतंकियों को शहीद कहा; सीजफायर पर राहुल ने राजनाथ से पूछा- आपने हमले क्यों रोके ऑपरेशन सिंदूर पर लोकसभा में बहस जारी है। इस बीच केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर में मारे गए आतंकियों को शहीद कह दिया। वहीं, आतंकी मसूद अजहर को साहब कहा। उधर, गौरव गोगोई ने गुस्से में आकर उंगली दिखाकर सवाल पूछे पूरी खबर पढ़िए...
बाप रे! इतनी ईमानदारी... 38 घंटे ठप रहा टोल सिस्टम, फिर भी 24,000 लोगों ने खुद भर दिया पैसा
Japan News: जापान में ETC टोल सिस्टम 38 घंटे फेल रहा, लेकिन फिर भी 24,000 लोगों ने खुद आगे आकर ऑनलाइन टोल भरा. यह ईमानदारी और सामाजिक जिम्मेदारी की मिसाल बनी. बाद में कंपनी ने टोल माफ कर रिफंड देने की घोषणा की.
अमेरिकी-ईयू डील से 'कहीं खुशी, कहीं गम'
बिजनेसमैन रह चुके अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने यूरोपीय संघ के साथ अभूतपूर्व डील कर साइन कर ली है. यूरोप के कई उद्योग, इस ट्रेड डील में अपना बिखरता भविष्य देख रहे हैं
बांग्लादेश की राजधानी ढाका की एक अदालत ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश एबीएम खैरुल हक की गिरफ्तारी पर सुनवाई के दौरान न्यायिक कार्य में बाधा डालने के मामले में एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है
अब नहीं चलेंगे रॉकेट लॉन्चर, बम-मिसाइलें, सीजफायर पर थाइलैंड-कंबोडिया राजी, काम आया ये फॉर्मूला
Thailand, Cambodia agree to ceasefire : एक हिंदू मंदिर को लेकर आर-पार की लड़ाई को आमादा थाईलैंड और कंबोडिया दोनों के सैनिकों की तलवारें म्यान में आ गई हैं और गोला-बारूद वाली लड़ाई के लिए बढ़े कदम थम गए हैं. कैसे सीजफायर को राजी हुए ये देश आइए बताते हैं इसकी इनसाइड स्टोरी
SPY in the SKY: ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि उसने स्पाई बलून यानी जासूसी गुब्बारे का सफल परीक्षण कर लिया है. जो 60 से 80 हजार फीट की ऊंचाई पर जाकर कई तरह की जासूसी करने में सक्षम है.
Bangladesh News:ढाका में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में एसएडी के अध्यक्ष रिफात राशिद ने कहा, 'हमने कई घटनाएं देखी हैं, जिनमें शनिवार की घटना भी शामिल है, जहां कुछ लोगों ने एसएडी के नाम का दुरुपयोग कर अनैतिक गतिविधियों को अंजाम देने की कोशिश की. ऐसे में तत्काल प्रभाव से सबको निलंबित किया जाता है, जल्द ही हम बड़ा ऐलान करेंगे.
थाईलैंड और कंबोडिया के बीच जंग की कहानी आपने तो खूब सुन ली होगी, लेकिन इस कहानी में दो पात्र और और कहानी ऐसी है जिससे कोई भी हैरान हो जाए. आइए जानते हैंथाईलैंड और कंबोडिया के बीच जंग की असली कहानी. कौन है इस कहानी के पीछे असली पात्र.
'पहले पत्नी फिर बच्चों को धोखा दिया...', अब ट्रंप ने किसे किया चीट, लगा ये बड़ा आरोप
Donald Trump US President: डोनाल्ड ट्रंप बीते दिनों गोल्फ खेलने स्कॉटलैंड गए थे. उस दौरान उन पर अपने फेवरेट स्पोर्ट में चीटिंग करने का आरोप लगा. इसका एक वीडियो भी सामने आया है.
Who Is Rama Duwaji Zohran Mamdani Wife:युगांडा में जन्मेंजोहरान ममदानी ने फरवरी में 27 साल की रमा दुवाजी के साथ शादी की थी लेकिन उससे जुड़े फंक्शन अब किए गए हैं. जिनकी तस्वीरें लाख कोशिश के बाद भी लीक ही हो गई हैं. जानें पूरी खबर. और जानते हैं कौन हैं जोहरान ममदानी की पत्नीरमा दुवाजी.
UAE Sent Aid To Gaza: गाजा में इजरायली हमलों के बीच फैली भुखमरी को देखते हुए संयुक्त अरब अमीरात ने 'ऑपरेशन शिवेलरस नाइट 3' और 'बर्ड्स ऑफ गुडनेस' एयरड्रॉप मिशन को शुरू करने की घोषणा की है.
इजरायल से व्यापार करने वालों को हूती विद्रोहियों की चेतावनी, नहीं छोड़ेंगे एक भी जहाज...
Houthi Attacking Ships: यमन के हूती विद्रोहियों ने इजरायल और उससे जुड़े सभी विदेशी जहाजों को टारगेट करने का बयान दिया है. ऐसा उसने इजरायल के गाजा में आक्रामकता के खिलाफ प्रतिशोध के रूप में किया है.
गाजा में भुखमरी, ट्रंप बोले- तस्वीरें दर्दनाक, लेकिन 'वो' खाना हड़प रहे
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रविवार को गाजा पट्टी में मानवीय संकट और भुखमरी से संबंधित मौतों की खबरों पर अपनी राय पेश की। ट्रंप ने अफसोस जताया कि अमेरिका ने गाजा ह्यूमैनिटेरियन फाउंडेशन (जीएचएफ) को कथित तौर पर 6 करोड़ डॉलर का दान दिया, लेकिन 'किसी अन्य देश ने कुछ नहीं दिया
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत और पाकिस्तान के बीच हुए सीजफायर काश्रेय लिया है.इसके साथ ही ट्रंपथाईलैंड-कंबोडिया के बीच चल रहे तनाव के बीच 'चौधरी' भी बन रहे हैं.आइए जानते हैं आखिर ट्रंप के पास ऐसा कौन सा 'चूरन'है जिसके दमपर ट्रंप हर देश के बीच चौधरी बन रहे हैं. जानते हैं पूरी खबर.
किम जोंग उन से भी ज्यादा खतरनाक मानी जाती है उनकी बहन, साउथ कोरिया की उड़ा दी नींद
North Korea-South Korea Clash: नॉर्थ कोरियाई तानाशाह किम जोंग उन की बहन किम यो जोंग ने सियोल के कोरिया में सुधार लाने और सैन्य तनाव को कम करने के लिए प्योंगयांग के साथ बातचीत फिर से शुरू करने की मांग के प्रस्ताव को ठुकराया है.
Video: हाथ उठाकर चिल्लाया डोनाल्ड ट्रंप की मौत, प्लेन में बम; मच गया हड़कंप
Passenger forces Scotland bound Easyjet flight to divert: लंदन के ल्यूटन हवाई अड्डे से स्कॉटलैंड जा रही एक आसानजेट फ्लाइट का एक वीडिरयो वायरल हो रहा है. जिसमें एक यात्री ने पहले हाथ उठाकर पांच बार ‘अल्लाह हू अकबर’चिल्लाया और फिर कहा, मैं इस प्लेन को बम से उड़ा दूंगा. देखें वीडियो.