जापान में खूनी खेल... चाकू लेकर लोगों के पीछे दौड़ा सिरफिरा, लिक्विड स्प्रे से किया हमला, 14 घायल
Knife Attack In Japan: जापान में एक शख्स ने लोगों पर चाकू से हमला किया, जिसमें 14 लोग घायल हो गए. हमले के बाद आरोपी ने रबर फैक्ट्री में एक केमिकल भी स्प्रे किया.
Indian Man Dies Of Heart Attack In Canada: कनाडा के एक अस्पताल में भारतीय मरीज के साथ लापरवाही के चलते उसकी मौत हो गई. मृतक प्रशांत की मौत को लेकर उनकी पत्नी ने अस्पताल पर लापरवाही का आरोप लगाया है.
Cyber Crime News in Hindi: साइबर अपराध अब पूरी दुनिया के लिए बड़ी समस्या बनते जा रहे हैं. दूर बीहड़ों में बैठे साइबर ठग लोगों की खून-पसीने से कमाई दौलत को लूटकर कंगाल बना रहे हैं. अब इस अपराध पर पहली बार बड़ी कार्रवाई हुई है.
कंबोडिया ने आरोप लगाया है कि थाईलैंड के F-16 फाइटर जेट्स ने उसके बॉर्डर गांव चोक चेई पर 40 बम गिराए, जिससे घर और सार्वजनिक इमारतें तबाह हो गईं. यह हमला शांति वार्ता चलते हुए हुआ. अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने दोनों देशों से कुआलालंपुर शांति समझौते को पूरी तरह लागू करने की अपील की है. पुराना बॉर्डर विवाद फिर भड़का.
बांग्लादेश केमैमनसिंह में18 दिसंबर को कथित ईशनिंदा के आरोप में दीपूचंद्र दास नाम के हिंदू युवक को भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला और शव को आग लगा दी थी. जांच में कोई सबूत नहीं मिला. हिंदू महाजोत की टीम ने परिवार से मुलाकात की है और साथ में ही 50 हजार टका की मदद भी दी है. जानें पूरी रिपोर्ट.
Bangladesh Unrest:बांग्लादेश चुनाव 2026 से पहले एक समाचार ने खूब हंगामा इन दिनों मचा रखा है. जुलाई क्रांति की छात्र पार्टी NCP कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी से सीट शेयरिंग डील की ओर है. अब्दुल कादर ने फेसबुक पर आरोप लगाया है कि 30 सीटें पर NCP मान गई है, नाहिद इस्लाम को जीते तो PM, हारे तो ओपोजिशन लीडर का पद देने का वादा किया गया है. जानें क्या सच मेंबांग्लादेश चुनाव 2026में बिक गई छात्र क्रांति? पूरी डिटेल्स.
54 year wettest Christmas season to downtown Los Angeles:कैलिफोर्निया में एटमॉस्फेरिक रिवर तूफान ने क्रिसमस को बर्बाद कर दिया है. लॉस एंजिल्स में 54 साल का सबसे दुखद क्रिसमस रहा. राइटवुड शहर में मडस्लाइड से घर और गाड़ियां दब गईं, निकलने की चेतावनी जारी है. तूफान शुक्रवार तक जारी रह सकता है. जानें पूरी खबर.
...तो CIA ने किया था चिली में तख्तापलट? 50 साल पहले चलाया था ये सीक्रेट ऑपरेशन
US News: 50 साल पहले चिली में तख्तापलट हुआ था. जिसे लेकर अब बड़ा खुलासा हुआ है. बता दें कि US कांग्रेस ने एक विदेशी सरकार को गिराने के मकसद से CIA के सीक्रेट ऑपरेशन्स पर अपनी पहली पब्लिक हियरिंग की थी.
मेक्सिको बस हादसा : खाई में गिरी बस, 10 लोगों की मौत, 32 घायल
पूर्वी मेक्सिको के वेराक्रूज़ राज्य के ज़ोंटेकोमाटलान नगर पालिका में एक बस खाई में गिर जाने से 10 लोगों की मौत हो गई और 32 अन्य घायल हो गए
Laurent Vinatier की कहानी जानिए, फ्रांस के नागरिक को रूस ने क्यों पकड़ा
Laurent Vinatier:रूस ने वेस्ट बैंक में 3 साल की सजा काट रहे फ्रांसीसी नागरिक लॉरेंट विनाटियर के मामले पर फ्रांसीसी अधिकारियों से संपर्क किया है. क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा कि रूस ने इस संबंध में फ्रांस को एक प्रस्ताव दिया है. विनाटियर पर रूस की सैन्य जानकारी इकट्ठा करने का आरोप था और उन्हें अक्टूबर 2024 में तीन साल की सजा दी गई.
नहीं गली दाल, अमेरिकी कोर्ट ने खारिज की पाकिस्तानी नागरिक की याचिका; आतंकवाद की सजा रखी बरकरार
Umar Farooq Chaudhry: अमेरिका ने आतंकवाद के आरोप की सजा काट रहे US-पाकिस्तानी नागरिक उमर फारूक चौधरी की ट्रायल की मांग को खारिज कर दिया है. साथ ही साथ उसकी सजा बरकरार रखी है.
क्या है एरिया सी? जहां इजराइल बनाना चाहता है नई बस्तियां, 14 देश क्यों कर रहे ऐतराज
West Bank: 14 देशों ने इजराइल के वेस्ट बैंक में 19 नई बस्तियों की मंजूरी देने की निंदा की है, जिसमें यूनाइटेड किंगडम, स्पेन, फ्रांस, जर्मनी, कनाडा और जापान शामिल हैं. इन देशों का कहना है कि यह कदम अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है और क्षेत्रीय अस्थिरता बढ़ाता है.
एच-1बी नियम में बड़ा बदलाव, सैलरी लेवल बनेगा चयन का आधार
अमेरिकी एच-1बी वीजा सिलेक्शन प्रोसेस में एक बड़े बदलाव से भारतीय टेक्नोलॉजी प्रोफेशनल्स और भारतीय-अमेरिकी परिवारों में नई चिंता पैदा हो गई है
ट्रंप कब क्या कर दे? किसी को कुछ भी नहीं पता. अब ट्रंप ने ऐसा काम करवाया है, जिसको सुनकर पूरी दुनिया में हल्ला मचा है. ट्रंप ने इस बार यूरोप के साथ डिजिटल लड़ाई में तगड़ा झटका देते हुए दुनिया के दिग्गज नेता और पूर्व EU कमिश्नर थिएरी ब्रेटन और चार अन्य यूरोपीय एक्टिविस्ट्स पर वीजा बैन ही लगा दिया. जिसके बाद खूब विवाद हो रहा है. जानें पूरा मामला, समझें पूरी कहानी.
आखिर क्या है तारिक रहमान की ‘योजना’? जिससे सुधरेंगे बांग्लादेश के हालात!
बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के कार्यकारी अध्यक्ष तारिक रहमान ने ढाका में देशवासियों से संबोधन के दौरान कहा कि उनके पास बांग्लादेश और उसके लोगों के लिए एक “प्लान” है
ट्रंप ने लिया ईसाईयों की मौत का बदला, नाइजीरिया में ISIS के ठिकानों पर अमेरिका का बड़ा हमला
Donald Trump: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने रवैये के लिए दुनियाभर में फेमस हैं. अब अमेरिका ने नॉर्थवेस्ट नाइजीरिया में आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट पर बड़ा हमला किया है. हमले के बाद ट्रंप ने ये बात कही है.
‘कुछ दिन पहले मैंने इंस्टाग्राम पर DU के एक प्रोफेसर के खिलाफ वीडियो डाली थी। आज एचओडी ने मुझे अपने रूम में बुलाया और कहा कि प्रोफेसर के खिलाफ जो रील बनाई हैं, उन्हें डिलीट कर दो। तुम इस यूनिवर्सिटी का बहुत छोटा हिस्सा हो। हम तुम्हारा बहुत कुछ बिगाड़ सकते हैं।’ यह बात कहते हुए दिल्ली यूनिवर्सिटी में अफ्रीकन स्टडीज, एमए फर्स्ट ईयर की स्टूडेंट चित्रा सिंह ने एक वीडियो 12 दिसंबर को इंस्टाग्राम पर पोस्ट किया। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रोफेसर स्टूडेंट्स को कमरे में बुलाते हैं और ज्यादा समय बिताने पर अच्छे नंबर दिए जाते हैं। 14 दिसंबर तक यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। आरोप गंभीर थे। नाम दिल्ली यूनिवर्सिटी का था और सवाल सीधे प्रोफेसर और एचओडी पर थे। यूनिवर्सिटी ने चित्रा के आरोपों की जांच के लिए 3 मेंबर की कमेटी बनाई। इस टीम ने रिपोर्ट मैनेजमेंट को दे दी है। इस रिपोर्ट से चित्रा सिंह ही सवालों के घेरे में है। जांच करने वाले प्रोफेसर बोले- स्टूडेंट ने किसी से शिकायत नहीं कीजांच टीम में शामिल रहे प्रो. मनोज सिंह बताते हैं, 'अगर स्टूडेंट को सताया जा रहा था, तो वीडियो बनाने से पहले कहीं न कहीं तो शिकायत दर्ज कराई होगी। हमने उन सारे चैनल को खंगालना शुरू किया। चित्रा सिंह की शिकायत किसी के पास नहीं आई।’ ’उसके साथ पढ़ने वाले किसी स्टूडेंट ने भी नहीं बताया कि चित्रा परेशान थी। एडमिट कार्ड नहीं मिला, बेटी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, तो पेरेंट्स भी एक्टिव होते। उन्होंने भी यूनिवर्सिटी में कॉन्टैक्ट नहीं किया। ’ रिपोर्ट की बड़ी बातें चित्रा पूरे सेमेस्टर क्लास नहीं आई, अटेंडेंस में 1 नंबर मिलाप्रोफेसर मनोज सिंह बताते हैं, 'हमने डिपार्टमेंट के प्रोफेसर्स और चित्रा के साथ पढ़ने वाले स्टूडेंट्स से बात की। फैक्ट्स पर रिपोर्ट बनाई। उसके बिहेवियर और स्टडी को लेकर कई इश्यू थे। तीन इश्यू मौजूदा मुद्दे से जुड़ते हैं। 1. पूरे सेमेस्टर में चित्रा ने सिर्फ 2 क्लास अटेंड कीं। 2. सेमेस्टर में न आने से इंटरनल मार्क्स पर असर पड़ा। डिपार्टमेंट के एक प्रोफेसर ने बताया कि उसे 5 में से एक नंबर मिला था। ये उसकी अटेंडेंस और पढ़ाई को देखते हुए दिए गए थे। 3. चित्रा ने जो आरोप सोशल मीडिया पर लगाए, उस पर वो कभी डीयू मैनेजमेंट, डीन, वीसी, प्रोक्टर के पास नहीं गई। उसके नाम से कोई शिकायत या अपॉइंटमेंट है ही नहीं। 4. साथ पढ़ने वाले स्टूडेंट ने बताया कि चित्रा सोशल मीडिया स्टार बनना चाहती थी। उसे फेमस होने का भूत सवार था। 5. उसने किसी साथी स्टूडेंट्स से भी कभी इस तरह की शिकायत शेयर नहीं की। 6. स्टूडेंट ने बताया कि इंस्टाग्राम पर 2-3 दिन में उसके फॉलोअर 20 हजार से बढ़कर 50 हजार हो गए। प्रोफेसर पर आरोप लगाना फेमस होने की ट्रिक हो सकती है। 7. उसे स्टडी से मतलब होता तो वो लड़ती कि मुझे एग्जाम देना है। उसने सोशल मीडिया पर कहा मुझे डिग्री नहीं चाहिए। डीयू मैनेजमेंट ने अब तक उसका नाम नहीं काटा है, लेकिन वो एग्जाम देने नहीं आई। 8. उसने जिस दिन पोस्ट की, उसके अगले दिन शनिवार था। हमने उसके नंबर और फॉर्म में दिए पेरेंट्स के नंबर पर पूरे दिन फोन किया, लेकिन किसी ने फोन नहीं उठाया। 9. अगर किसी की बेटी के साथ कॉलेज प्रशासन गलत करेगा, तो पेरेंट्स जरूर कॉन्टैक्ट करेंगे, पर न स्टूडेंट और न उसके पेरेंट्स ने कॉन्टैक्ट किया। 10. इससे पहले चित्रा दिल्ली के राजधानी कॉलेज में पढ़ती थी। DU की टीम ने वहां संपर्क किया। पता चला कि वहां भी चित्रा क्लास से गायब रहती थी। उसकी प्रोफेसर्स से कई बार झड़प हुई थी। विवाद के बाद इंस्टाग्राम पर चार गुना बढ़े फॉलोअरDU की जांच टीम में शामिल एक प्रोफेसर बताते हैं, 'ये पूरा खेल फेमस होने के लिए था। यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट फेमस हों, तो हमें अच्छा लगेगा, लेकिन कुछ अच्छा करके, हमें बदनाम करके नहीं।' कैसे पता कि चित्रा ने फेमस होने के लिए पोस्ट किए? प्रोफेसर जवाब देते हैं, ‘उसका इंस्टाग्राम देखिए। हमारी रिपोर्ट जमा होने तक फॉलोअर 20 हजार से बढ़कर 80 हजार से ज्यादा हो गए। जांच में ये भी पता चला कि उसे पढ़ाई नहीं करनी थी। बस किसी तरह फेमस होने का भूत सवार था। उसे सेमेस्टर बर्बाद होने का दुख होता, तो वो ये तमाशा नहीं करती। प्रशासन से बात करती, अपनी दिक्कत बताती और तब भी बात न बनती तो पेरेंट्स को बताती।’ प्रोफेसर बोलीं- 0 इंटरनल मार्क्स और बिना रोल नंबर वाले भी एग्जाम में बैठेअफ्रीकन स्टडीज के एक प्रोफेसर ने पहचान उजागर न करने की गुजारिश पर हमसे कुछ बातें शेयर कीं। वे बताती हैं, 'मेरे सब्जेक्ट का पेपर था। तीन स्टूडेंट के पास रोल नंबर नहीं था। मैंने डिप्टी सुपरिंटेंडेंट को बुलाया और कहा कि सर इनके पास रोल नंबर नहीं है। उन्होंने कहा, आप इनका आईकार्ड चेक कर लीजिए और एग्जाम में बैठने दीजिए।’ ‘पक्का उनकी अटेंडेंस कम होगी, इसलिए रोल नंबर इश्यू नहीं किया गया। फिर भी हमने एग्जाम दिलाया। अगर चित्रा सिंह का एडमिट कार्ड इश्यू नहीं हुआ था, तो उन्हें संपर्क तो करना चाहिए था। वो तो एग्जाम देने आई ही नहीं।' प्रोफेसर आगे कहती हैं, ‘ऐसे भी स्टूडेंट्स ने एग्जाम दिया, जिनके इंटरनल मार्क्स जीरो थे। अगर किसी स्टूडेंट की अटेंडेंस शॉर्ट हैं, तो उसका एडमिट कार्ड इश्यू नहीं होता, ये नियम है। उसे अटेंडेंस का एक नंबर मिला था। यानी वो क्लास में न के बराबर आई होगी। ये सच है क्योंकि मैंने उसे वीडियो में देखा, क्लास में देखा ही नहीं। क्लास में आने वाले स्टूडेंट्स को प्रोफेसर पहचानते हैं। चित्रा के इंटरनल मार्क्स जीरो या शायद 1 था। उसकी अटेंडेंस मेरी क्लास में 2-3 ही थी। साथ पढ़ने वाली स्टूडेंट बोली- डिपार्टमेंट में उसका कोई दोस्त नहींडिपार्टमेंट की एक स्टूडेंट बताती हैं, 'चित्रा क्लास में नहीं आती थी, तो उसके दोस्त भी नहीं बने। मैंने भी उसे एक-दो बार ही देखा था। कभी हाय-हैलो ही हुआ है। हालांकि, वो इंस्टाग्राम में बहुत एक्टिव थी।’ क्लास में कभी उसे प्रोफेसर ने डांटा था? स्टूडेंट बताती हैं, ‘वो क्लास में आती ही नहीं थी, तो डांटा कैसे होगा। मैंने तो उसे डांट खाते नहीं देखा।' क्या डिपार्टमेंट के प्रोफेसर आप लोगों को रूम में बुलाते हैं? जवाब मिला, 'आपने भी पढ़ाई की होगी। प्रोफेसर्स को हॉल और कुछ को रूम मिलते हैं। किसी स्टूडेंट के पढ़ाई से जुड़े कुछ सवाल होते हैं, तो वे टाइम लेकर चले जाते हैं। कई बार टीचर भी कह देते हैं कि क्लास के बाद पूछ लेना। ये तो हर कॉलेज-यूनिवर्सिटी में होता है। इसका मतलब ये नहीं कि टीचर जबरदस्ती बुलाते हैं या फिर वहां कुछ उनके साथ गलत करते हैं।' वे आगे कहती हैं, ‘चित्रा ही नहीं, क्लास में कुछ और बच्चों की अटेंडेंस कम थी। कुछ तैयारी करने वाले बच्चे होते हैं। टीचर के पास जाकर उन्होंने रिक्वेस्ट की, तो तुरंत कंसीडर किया गया। उन्होंने एग्जाम भी दिया।' अटेंडेंस कम होने पर आपसे पूछताछ तो होगी ही, कारण बताना ही होगा। वाजिब कारण पर प्रोफेसर कभी कुछ नहीं कहते। प्रोफेसर ने पुलिस से शिकायत की, सारे आरोप गलत निकलेDU के प्रोफेसर ने मौरिस नगर साइबर थाने में चित्रा सिंह के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। आरोप लगाया कि लड़की बिना किसी सबूत के मेरी इमेज खराब कर रही है। पुलिस ने यूनिवर्सिटी से लेकर चित्रा सिंह के घर तक पूछताछ की। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, जांच में सामने आया कि मामला सिर्फ अटेंडेंस शॉर्ट होने का था। जांच करने वाले एक पुलिस अधिकारी बताते हैं, 'लड़की की अटेंडेंस बहुत कम थी। उसे रोल नंबर इश्यू नहीं किया गया था। शायद वो डर गई थी, इसीलिए प्रोफेसर पर आरोप लगाने लगी। उसने एचओडी और प्रोफेसर पर गंभीर आरोप लगाए थे। यहां तक कहा कि प्रोफेसर उसे रूम में बुलाते हैं। एचओडी धमकाते हैं।' हमने सारे आरोपों की जांच की। हालांकि, एक भी आरोप सच नहीं निकला। सारे आरोप झूठे थे। मामला सिर्फ अटेंडेंस शॉर्ट होने और उसके क्लास से गायब रहने का था। पुलिस बोली- पिता शर्मिंदा, चित्रा को पछतावा नहींचित्रा सिंह का वीडियो इंस्टाग्राम पर पोस्ट किया था। वहां उन्होंने प्रोफेसर और एचओडी पर गंभीर आरोप लगाते हुए मदद मांगी। यह वीडियो ‘एक्स’ पर चित्रा सिंह ने पोस्ट नहीं किया। दूसरे यूजर्स ने इसे रीपोस्ट और शेयर किया। इससे वीडियो वायरल हो गया। साइबर क्राइम की शिकायत पर पुलिस चित्रा के घर पहुंची। चित्रा तब घर पर थी। उनका परिवार यूपी के सहारनपुर में रहता है। पिता सरकारी नौकरी करते हैं। मां हाउस वाइफ हैं। उनका एक भाई भी है। पुलिस सोर्स बताते हैं, 'हमने स्टूडेंट के पिता को पूरा मामला बताया, तो उन्होंने गलती मानी। वे बेटी के वीडियो पर शर्मिंदा थे। चित्रा को बार-बार समझा रहे थे। चित्रा तब तक अड़ी ही रही। उसे कोई पछतावा नहीं था।' चित्रा सिंह ने घर पर पुलिस के आने का भी एक वीडियो पोस्ट किया है। इसमें वे बता रही हैं कि घर पुलिस आई थी और पेरेंट्स से बात की है। इसमें उन्होंने 2 बार क्लास अटेंड करने की बात को भी गलत बताया है। दैनिक भास्कर ने इस पर चित्रा से बात करने की कोशिश की। फोन रिसीव न होने पर सोशल मीडिया पर मैसेज किया, लेकिन उनका जवाब नहीं आया। जवाब आने पर स्टोरी अपडेट की जाएगी। पेरेंट्स को यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट से कोई शिकायत नहीं है? सोर्स बताते हैं, 'नहीं। उन्होंने तो पूछताछ में सहयोग किया। जांच के बाद तथ्य सामने हैं, उससे साफ है कि चित्रा के सारे आरोप गलत थे। चित्रा के वीडियो बोलने की आजादी के तहत आते हैं, इसमें कोई क्राइम नहीं है। हां उसने प्रोफेसर और यूनिवर्सिटी को डिफेम किया। ये मामला सिविल का है। प्रोफेसर या यूनिवर्सिटी चाहे तो सिविल कोर्ट में जा सकते हैं। मानहानि का केस कर सकते हैं।'
'पापा, 1 जनवरी को मेरा जन्मदिन है। आप केक भेज देना। या 500 रुपए भेज देना, मैं यहीं खरीद लूंगा। ये बेटे सिबा से मेरी आखिरी बात थी। 11 दिसंबर को उसके स्कूल से फोन आया कि आपका बच्चा बीमार है। हम पहुंचे तो उसकी लाश मिली। गले पर निशान थे। स्कूल वालों ने कहा कि दिल का दौरा पड़ा है। उसका पोस्टमॉर्टम नहीं कराया। अब पता चला कि मेरे बच्चे को जोकर गैंग ने मार डाला।’ 14 साल के बेटे सिबा को याद करते ही रघुनाथ की आंखें भर आती हैं। सिबा ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर के कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (KISS) में पढ़ता था। दावा है कि 30 हजार स्टूडेंट वाला ये इंस्टीट्यूट आदिवासी छात्रों का दुनिया का सबसे बड़ा आवासीय स्कूल है। आरोप है कि यहां पढ़ने वाले तीन नाबालिग स्टूडेंट्स ने सिबा की गला घोंटकर हत्या कर दी। स्कूल मैनेजमेंट ने मामले को दबाने की कोशिश की, लेकिन जांच में हत्या की बात सामने आ गई। पता चला कि सिबा का खुद को जोकर गैंग कहने वाले स्टूडेंट्स के एक ग्रुप से झगड़ा हुआ था। इसी झगड़े में उसकी हत्या कर दी गई। दैनिक भास्कर ने सिबा के परिवार और पुलिस से बात की। पढ़िए ये रिपोर्ट… बाथरूम में बाल्टी का झगड़ा, सिबा का मर्डरसिबा का परिवार केओनझार जिले के टिकरगुमुरा गांव में रहता है। सिबा 200 किमी दूर भुवनेश्वर में हॉस्टल में रहकर पढ़ाई कर रहा था। 11 दिसंबर, 2025 की रात सिबा बाथरूम गया था। पुलिस के मुताबिक, वहां 14-15 साल के तीन स्टूडेंट वहां मौजूद थे। ये तीनों खुद को 'जोकर गैंग' कहते थे और बाकी स्टूडेंट को डराते-धमकाते थे। झगड़े की शुरुआत एक बाल्टी से हुई। आरोपी नाबालिगों ने सिबा ने बाल्टी मांगी। सिबा ने इनकार कर दिया। इससे गुस्साए आरोपियों ने पहले उसे पीटा, फिर गला दबाकर हत्या कर दी। शुरुआत में स्कूल ने सिबा की मौत को हादसा बताया। 12 दिसंबर की सुबह सिबा को कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (KIMS) ले जाया गया। डॉक्टरों ने बिना पोस्टमॉर्टम के मौत की वजह 'दिल का दौरा' या 'बाथरूम में फिसलकर गिरना' बता दिया। उधर, अफसरों ने परिवार को फोन करके कहा कि बच्चा बीमार पड़ गया है। परिवार भुवनेश्वर पहुंचा, तो डेडबॉडी उन्हें सौंप दी गई। उन्हें कोई मेडिकल रिपोर्ट नहीं दी गई। पुलिस को खबर नहीं दी गई। यह सब इतनी जल्दबाजी में किया गया कि परिवार को शक होने लगा। इसके बाद सिबा के पिता रघुनाथ मुंडा ने 13 दिसंबर को केओनझार पुलिस में जीरो FIR दर्ज कराई। यह FIR भुवनेश्वर के इन्फोसिटी पुलिस स्टेशन में ट्रांसफर हुई। पुलिस ने केओनझार में सिबा का पोस्टमॉर्टम कराया। इसकी रिपोर्ट 16 दिसंबर को आई। रिपोर्ट में मौत का कारण गला दबाने से दम घुटना आया। भुवनेश्वर के पुलिस कमिश्नर एस देव दत्ता सिंह ने बताया कि यह हत्या का मामला है, न कि हादसा। तीनों आरोपियों ने जुर्म कबूल लिया है। तीनों को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के सामने पेश कर ऑब्जर्वेशन होम भेज दिया गया। स्कूल के 8 अधिकारियों को हत्या, सबूत मिटाने और लापरवाही के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। इनमें एडिशनल सीईओ प्रमोद पात्रा, हॉस्टल वॉर्डन शामिल हैं। पिता बोले- स्कूल ने हमें गुमराह किया, सबूत छिपाएदैनिक भास्कर से बातचीत में सिबा के पिता रघुनाथ मुंडा कहते हैं, ‘सिबा तीन भाइयों में सबसे बड़ा था। सिबा को अच्छी पढ़ाई मिले, इसलिए मैंने उसे भुवनेश्वर भेजा था। वहां मुफ्त पढ़ाई होती है। रहना-खाना सब फ्री है। हमारे जैसे गरीब परिवार के लिए यह सपना था। मैं हर महीने सिबा से मिलने जाता था। खाना और पॉकेट मनी देकर आता था। सिबा ने कभी कोई शिकायत नहीं की। वह हमेशा कहता था कि पापा, मैं ठीक हूं। पढ़ाई अच्छी चल रही है।’ रघुनाथ आगे कहते हैं, ‘स्कूल ने हमें गुमराह किया। पुलिस को नहीं बताया, सबूत मिटा दिए। अगर समय पर जांच होती, तो शायद सिबा बच जाता। मैंने उसके गले पर निशान देखा। इससे पता चला उसकी मौत एक्सीडेंट नहीं है। मेरे बच्चे को एक बाल्टी के लिए मार दिया।’ सिबा की मां जेनामणि कहती हैं, ‘सिबा घर आता था, तो छोटे भाइयों को पढ़ाता था। उनके साथ खेलता था। गांव में सब उसे प्यार करते थे।’ तीन स्टूडेंट ने बनाया जोकर गैंगहमने स्कूल के कुछ बच्चों से बात की। उन्होंने बताया कि स्कूल का कुछ स्टाफ बहुत खराब हैं। यहां के मैनेजमेंट में बहुत दिक्कतें हैं। कैंपस के अंदर कई स्टूडेंट ने अपने ग्रुप या गैंग बना रखे हैं। पुलिस के मुताबिक, जोकर गैंग तीन नाबालिग छात्रों का गिरोह था। ये हॉस्टल में आतंक मचाते थे। जोकर फिल्म से प्रेरित होकर उन्होंने अपने ग्रुप का नाम 'जोकर गैंग' रखा। हॉस्टल की दीवार पर उन्होंने चॉक से 'जोकर गैंग' लिखा था। ये सभी छात्र आदिवासी समुदाय के ही हैं। आरोप है कि गैंग पहले भी कुछ छात्रों से मारपीट कर चुका था। एक बार दाल गिरने पर झगड़ा हुआ था। यही सिबा के साथ विवाद की जड़ था। यही गुस्सा बाल्टी के झगड़े में निकला। तीनों ने मिलकर सिबा को पकड़ा और गला दबा दिया। पुलिस बोली- रात करीब 2:45 बजे बच्चे की हत्यास्कूल में चल रहे गैंग और सिबा की हत्या पर हमने इन्फोसिटी थाने के इंस्पेक्टर महेंद्र कुमार साहू से बात की। वे बताते हैं, ‘घटना की रात सिबा मुंडा रात करीब 2 बजे बाथरूम में गया था। इसी दौरान आरोपियों में से एक ने सिबा से उसकी बाल्टी मांगी। बाल्टी देने से इनकार करने पर आरोपी ने अपने बनाए जोकर गैंग के दो लोगों को बुला लिया। तीनों ने मिलकर रात करीब 2:45 बजे सिबा मुंडा का गला घोंटकर हत्या कर दी। उस समय हॉस्टल में ज्यादातर छात्र सो रहे थे। इससे घटना की जानकारी किसी को नहीं हो सकी। स्कूल के स्टाफ ने सबूत मिटाए, डॉक्टरों की भूमिका भी संदिग्धसिबा की जांच करने वाले KIMS के डॉक्टरों की भूमिका भी संदिग्ध है। आरोप है कि उन्होंने बिना पोस्टमॉर्टम डेथ सर्टिफिकेट जारी कर दिया। पुलिस कमिश्नर एस देव दत्ता सिंह ने कहा कि अस्पताल की लापरवाही की जांच होगी। KISS और KIMS एक ही ग्रुप के इंस्टीट्यूट हैं, इसलिए भी मामले को दबाने का आरोप है। स्कूल ने मौत की वजह छिपाई, गवाहों को धमकाया और सबूत मिटाए। KIMS ने फर्जी सर्टिफिकेट दिया। परिवार पर जल्दी शव ले जाने का दबाव डाला। पुलिस में रिपोर्ट नहीं की। ये सब इंस्टीट्यूट की साख बचाने के लिए किया गया। स्कूल ने पुलिस को खबर नहीं थी, इसलिए वह जीरो FIR के बाद एक्टिव हुई। पुलिस ने प्रिंसिपल रश्मिरंजन नायक को 17 दिसंबर को गिरफ्तार कर लिया। एडिशनल CEO प्रमोद कुमार पात्रो को भी गिरफ्तार किया गया है। हमने KIIT की PRO डायरेक्टर श्रद्धांजलि नायक से बात की। उन्होंने बताया कि फिलहाल मामले की जांच चल रही है। अभी मीडिया से बात करने की परमिशन नहीं है। पहले भी विवादों में रहा KISSकलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज यानी KISS पहले भी विवादों में रहा है। संस्थान के फाउंडर अच्युत सामंत BJD के पूर्व सांसद हैं। KISS और इससे जुड़े KIIT कैंपस में पहले भी संदिग्ध मौतें हुई हैं। पहला केस: नेपाली स्टूडेंट की हॉस्टल में मौत16 फरवरी, 2025 को BTech थर्ड ईयर की स्टूडेंट प्रकृति लामसाल ने KIIT यूनिवर्सिटी हॉस्टल में सुसाइड कर लिया था। इसके बाद ओडिशा विधानसभा से लेकर नेपाल की संसद तक हंगामा हुआ। प्रकृति के पिता सुनील लामसाल ने आरोप लगाया कि बेटी को उसका बैचमेट अद्विक श्रीवास्तव परेशान करता था। ये बात यूनिवर्सिटी प्रशासन जानता था। इसी वजह से उसने सुसाइड कर लिया। पुलिस ने अद्विक समेत 11 आरोपियों को अरेस्ट किया था। इसके बाद मई में बीटेक साइंस की स्टूडेंट प्रिसा साह ने सुसाइड कर ली थी। उसकी डेडबॉडी कमरे में पंखे से लटकी मिली थी। पुलिस ने इसे भी आत्महत्या माना था। दूसरा केस: छत्तीसगढ़ के स्टूडेंट ने सुसाइड कियाकलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी के बीटेक फर्स्ट ईयर के स्टूडेंट राहुल यादव का शव उसके हॉस्टल के कमरे में फंदे से लटका मिला था। कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई कर रहा राहुल यादव छत्तीसगढ़ का रहने वाला था। शुरुआती जांच में पता चला है कि राहुल किसी लड़की के साथ रिलेशन में था। राहुल की मां निर्मला यादव ने आरोप लगाया था कि लड़की के पिता राहुल को धमकाते थे। इस वजह से वो मानिसक तनाव में था। मैंने कई बार हॉस्टल प्रशासन से कहा था कि राहुल पर नजर रखना, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया।’
Doomsday prophecy on Christmas Day in Ghana: क्रिसमस पर पूरी दुनिया में प्रलय आएगी और सब लोग उसमें डूब जाएंगे. यह कहकर घाना में एक फर्जी पैगंबर ने लोगों को जमकर डराया और बचने के नाम पर करोड़ों वसूल लिए.
Why is Namaz being mocked in Trkiye: खुद को दुनियाभर के मुसलमानों का खलीफा समझने वाले तुर्की में इस्लाम की बुनियाद धीरे धीरे कमजोर हो रही है. वहां की युवा आबादी अब नमाज का मजाक उड़ा रही है और इस्लाम से दूरी का इजहार कर रही है.
दीपू के बाद कौन हैं अमृत मंडल? जिन्हें बांग्लादेश में हिंदू होने की कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी
Bangladesh violence Amrit Mandal news: बांग्लादेश में हिंदू होना अब एक अभिशाप बनता जा रहा है. वहां पर रहने वाले हिंदुओं को अपनी जान देकर धर्म निभाने की कीमत चुकानी पड़ रही है. दीपू के बाद अमृत मंडल इसका नया शिकार बना है.
यमन संकट: सरकार ने सऊदी के दक्षिण प्रांतों में तनाव कम करने की अपील का किया समर्थन
यमन की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सरकार ने सऊदी अरब की दक्षिणी क्षेत्रों (खासकर हदरमौत और अल-महरा प्रांतों) में तनाव कम करने की अपील का समर्थन किया है
बांग्लादेश में हिंसा के बीच शेख हसीना की सीट से चुनाव लड़ेंगे यह हिंदू नेता, कौनसा मुद्दा उठाएंगे?
Hindu Candidate In Bangladesh Elections: बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ बढ़ती हिंसा के बीच पूर्व पीएम शेख हसीना की सीट से एक हिंदू नेता चुनाव लड़ने वाले हैं.
Zelensky Christmas Message Video: यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमीर जेलेंस्की ने हाल ही में क्रिसमस की पूर्व संध्या पर एक वीडियो शेयर किया. इस वीडियो में उन्होंने पुतिन की मौत की कामना की.
Bangladesh Violence Latest News: बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ हिंसा बढ़ती जा रही है. वहां पर दीपू चंद्र दास के बाद एक और हिंदू की बेरहम से हत्या हो गई है. इस बार कट्टरपंथियों ने 29 साल के हिंदू युवक को पीट-पीटकर मार डाला है.
Indian Man Dies Of Heart Pain In Canada: कनाडा के एक अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने से एक भारतीय शख्स की मौत हो गई. शख्स को अस्पताल में 8 घंटे इंतजार करना पड़ा.
भारत और अमेरिका के बीच सालों से मजबूत दोस्ती रही है. लेकिन इस साल चीजें बदल गईं हैं. व्यापार से लेकर सुरक्षा तक हर मोर्चे पर तनाव नजर आ रहा है. अमेरिकी कांग्रेस के बड़े नेता और भारतीय मूल के राजा कृष्णमूर्ति ने इसकी बहुत बड़ी वजह बताई है.
Bangladesh violence:अमेरिकी कांग्रेसमैन राजा कृष्णमूर्ति ने बांग्लादेश में बढ़ती हिंसा पर गहरी चिंता जताई है. उन्होंने कहा कि सुरक्षा स्थिति और खराब हो गई है, खासकर हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमले चिंताजनक हैं. हाल की एक बर्बर हत्या का जिक्र करते हुए चेतावनी दी कि अगर तुरंत कदम नहीं उठाए तो देश अस्थिर हो जाएगा.
Tarique arrives in Dhaka:बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के एक्टिंग चेयरमैन तारिक रहमान 17 साल के निर्वासन के बाद 25 दिसंबर 2025 को लंदन से बांग्लादेश लौट आए हैं. बिमान बांग्लादेश एयरलाइंस की फ्लाइट से पहले सिलहट और फिर ढाका पहुंचे. उनके साथ उनकी पत्नी जुबैदा और बेटी जैमा भी साथ थीं. इस दौरान उनके फेसबुक पर किए गए एक पोस्ट और प्लेन की तस्वीर बहुत वायरल हो रही है. जानते हैं पूरी कहानी.
खालिदा जिया के बेटे तारिक रहमान का बांग्लादेश लौटना भारत के लिए क्यों अच्छी खबर है?
Tarique Rahman का बांग्लादेश लौटना मौजूदा राजनीति के लिहाज से एक बड़ा घटनाक्रम है. उनकी मां खालिदा जिया बीमार है. रहमान 17-18 साल बाद ऐसे समय में स्वदेश लौटे हैं जब माहौल अशांत, राजनीति में कुछ भी स्थिर नहीं, चुनाव नजदीक हैं और उन्हें पार्टी को संभालना है. भारत के लिए इसमें क्या मैसेज छिपा है?
Special Assistant to Chief Adviser Khoda Baksh Chowdhury Resigns:बांग्लादेश की अंतरिम सरकार में उथल-पुथल मची हुई है. छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी की हत्या के बाद उनके भाई ने यूनुस सरकार पर हादी की मौत का जिम्मेदार बताया है. इसी बीचबांग्लादेश के होम अफेयर्स स्पेशल असिस्टेंट खुदा बख्श चौधरी ने इस्तीफा दे दिया. आइए जानते हैं आखिर क्या वजह रही किखुदा बख्श चौधरी का इस्तीफातत्काल प्रेसिडेंट ने स्वीकार क्यों कर लिया.
'कैफे नहीं, आत्मा पर चोट...', बांग्लादेश की ऐतिहासिक कैंटीन में तोड़फोड़, कट्टरपंथी ने लगाए नारे
Bangladesh News: बांग्लादेश राजनीतिक अस्थिरता से गुजर रहा है. कई शहरों में हिंसा हो रही है, इसी बीच सोशल मीडिया पर एक हैरान करने वाला वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें देखा जा रहा है कि युवक ऐतिहासिक मधुर कैंटीन में तोड़फोड़ कर रहा है.
Bangladesh journalist slams On Jamaat-e-Islam:बांग्लादेशी पत्रकार मुक्तदिर राशिद ने छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत का राजनीतिकरण करने के लिए जमात-ए-इस्लामी और उसकी छात्र शाखा छात्र शिबिर की कड़ी आलोचना की है. उन्होंने कहा कि हादी केवल न्याय चाहते थे, लेकिन कुछ पार्टियां सहानुभूति का फायदा उठा रही हैं. राशिद ने बहुत बड़ा आरोप लगाते हुए कहा है कि अमेरिका, फ्रांस और जापान ने बांग्लादेश में हिंसा में आग में घी का काम किया है.जानें पूरी बात.
एक दिन वो भी था, क्रिसमस के मौके पर जब थम गईं बंदूकें और ठहर गया विश्वयुद्ध
Christmas Famous Story: दुनियाभर में क्रिसमस की कई कहानियां फेमस हैं. ऐसे ही हम बात करने चल रहे हैं साल 1914 की उस कहानी के बारे में जब पहले वर्ल्ड वॉर के बीच अचानक सैनिकों ने अपनी बंदूकें रख दीं और फुटबॉल खेलने लगे, जानिए उस दिन ऐसा क्या हुआ था?
इजराइल-हमास जंग के बाद आया कतरगेट घोटाला, अपने ही घर में घिर गए PM नेतन्याहू
What is Qatargate: इजरायल के मंत्री अमिचाई चिकली ने कतरगेट मामले में बेंजामिन नेतन्याहू सरकार के सहयोगियों पर लगे आरोपों की पूरी जांच की मांग की. चिकली ने कहा कि यह मामला चौंकाने वाला है जिसमें कतर के लिए लाभ पहुंचाने और अमेरिकी लॉबिस्ट के माध्यम से धन लेने के आरोप हैं.
'किसी बुरे सांता को नहीं आने देंगे...',क्रिसमस पर ट्रंप का दिखा अलग अंदाज, बच्चों से की बातचीत
Donald Trump: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप क्रिसमस पर बच्चों से बात की और कहा कि वे देश में किसी बुरे सांता को नहीं आने देंगे. हम यह पक्का करना चाहते हैं कि सांता अच्छा रहे, सांता बहुत अच्छे इंसान हैं.
Tarique Rehman return to Bangladesh:आज 25 दिसंबर 2025 को बीएनपी के एक्टिंग चेयरमैन तारिक रहमान 17 साल के लंदन निर्वासन के बाद ढाका पहुंच रहे हैं. पत्नी और बेटी के साथ बिमान फ्लाइट से आ रहे तारिक का भव्यभव्य स्वागत की तैयारी पार्टी और समर्थक कर रहे हैं.खालिदा जिया के बेटे का 3 दिन का शेड्यूल कुछ ऐसा है किफरवरी चुनाव से पहले यह वापसी बीएनपी को सुपर बूस्ट देगी, जबकि यूनुस की अंतरिम सरकार की उल्टी गिनती शुरू हो सकती है.
ढाका में ब्लास्ट: मोगाबाजार फ्लाई ओवर से फेंका गया बम, युवक की मौत
बांग्लादेश की राजधानी ढाका में बम विस्फोट की खबर है। इस ब्लास्ट में 21 साल के युवक की मौत हो गई है
‘डॉक्टर की बताई थेरेपी के तहत मैं बच्चे से रंगों से जुड़ी एक्टिविटी करवा रही थी, लेकिन वह कर नहीं रहा था। उसे अपने दोनों पैरों के बीच दबा लिया और एक्टिविटी कराने लगी। गुस्से में वह अपने नाखूनों से मुझे नोचने लगा। मेरे हाथों से खून बहने लगा, लेकिन मैं फिर भी नहीं मानी। दोबारा एक्टिविटी शुरू कराई। तभी उसने मेरे हाथ में दांत से काट लिया। मैं रो पड़ी, लेकिन उसे मारा नहीं। जानती थी कि वह सामान्य बच्चा नहीं है। देखा- दांत गड़ने से मेरा हाथ नीला पड़ गया है, फिर उसे छोड़ दिया।’ यह कहते हुए अमिता गौतम की आंखें भर आती हैं। लंबी सांस लेते हुए कहती हैं, ‘ऐसे बच्चों से जिद नहीं करनी चाहिए। जिद करने पर वे हमला कर देते हैं, उन्हें नुकसान का अंदाजा नहीं होता।’ इस दौरान मैं जब अमिता से बातचीत कर रहा था तो उनका बच्चा अविराज डाइनिंग हाल में इधर से उधर भाग रहा था- कभी मेरी मोबाइल छीन लेता, कभी आकर हमारे ऊपर आकर बैठ जाता, तो कभी कोई चीज गिरा देता। वह अभी 8 साल का है। वह ऑटिज्म से पीड़ित है, जिन्हें ऑटिस्टिक भी कहा जाता है। यह एक तरह की मानसिक विकलांगता है। ब्लैकबोर्ड में इस बार ऑटिज्म पीड़ित मां-बाप की स्याह कहानी, जिनकी निजी और सामाजिक जिंदगी अपने बच्चों को संभालने में खत्म हो गई है। अयोध्या नगर, भोपाल की रहने वाली अमिता गौतम बताती हैं, 'दो बेटियों के बाद जब बेटा अविराज पैदा हुआ, तो हमारी खुशी का ठिकाना नहीं था। जन्म के समय वह बिल्कुल सामान्य था। वजन भी ठीक था। जब वह लगभग एक साल का हुआ, तो रात-रातभर रोने लगा। मैं भी उसके साथ पूरी रात जागती। नींद न मिलने से धीरे-धीरे मेरी मानसिक हालत बिगड़ने लगी। ऐसा वक्त आया, जब सब कुछ सहन से बाहर लगने लगा।' वह रुककर कहती हैं- 'वह चुप नहीं होता था और मैं रोने लगती थी।' एक रात वह फिर नहीं सोया। पूरी रात मैं जागती रही। तड़के सुबह, जब आखिरकार उसकी आंख लगी तो मैं बिस्तर से उठकर कमरे में इधर-उधर टहलने लगी। मन में बस एक ही ख्याल था- अब जिंदगी खत्म हो गई है। उस रात मैंने कुछ खाया नहीं था। आंखों से आंसू लगातार बह रहे थे। अचानक गेट के अंदर हॉकर ने अखबार फेंका, तभी एहसास हुआ- रात कब सुबह में बदल गई। ऐसी ही न जाने कितनी रातें बिना सोए गुजर गईं।' इस तरह जब मेरा बच्चा दो साल का हुआ, तब भी न बोलता था, न चलता। आवाज देने पर पलटकर देखता भी नहीं। कोई प्रतिक्रिया नहीं देता। हमारी चिंता गहरी होती गई। एक रविवार मैंने मोबाइल पर खोजा- 'ढाई साल का बच्चा क्यों नहीं बोलता?' वहां डॉक्टर को दिखाने की सलाह मिली। अगले दिन बच्चे को एक डॉक्टर के पास ले गई। सबसे पहले उसके कान टेस्ट कराए। दोनों कान ठीक थे। उसके बाद पति के साथ दूसरे डॉक्टर के पास गई। उन्हें बताया कि बच्चा अंधेरे में अकेले खेलता रहता है, आवाज देने पर पलट कर नहीं देखता। डॉक्टर ने जांच की और बताया- 'बच्चे को ऑटिज्म है।' उस दिन घर आकर मोबाइल पर फिर खोजा- 'ऑटिज्म क्या होता है और इससे बच्चा कब ठीक होता है?' पता चला कि यह कोई बीमारी नहीं, जिंदगीभर रहने वाली अवस्था है। मैं घबरा गई। उसके बाद उस डॉक्टर की सलाह पर थेरेपी शुरू कराई। करीब एक साल तक बच्चे की बोलने की और दूसरी थेरेपी चलीं, लेकिन कोई सुधार नहीं दिखा। एक दिन डॉक्टर ने साफ कह दिया- 'यह बच्चा कभी बोल नहीं पाएगा।' उस दिन मैं पूरी तरह टूट गई। मन में सिर्फ एक सवाल था- अब मेरा बच्चा एक सामान्य जिंदगी कैसे जिएगा? उस समय मैं एक सामान्य स्कूल में शिक्षिका थी। उसके बाद मुझे दिग्दर्शिका रिहैबिलिटेशन सेंटर, भोपाल के बारे में पता चला। वहां से मैंने विशेष बच्चों को पढ़ाने का कोर्स किया। वहां समझ में आया कि इन बच्चों को संभालने के तरीके अलग होते हैं। इस तरह वहां से कोर्स कर मैं सामान्य बच्चों की शिक्षिका से विशेष बच्चों को शिक्षिका बन गई। मैंने भोपाल के ज्योति स्पेशल स्कूल में ऐसे बच्चों को पढ़ाना शुरू किया और वहां सीखे तरीकों को अपने बच्चे पर लागू किया। इसका असर अब दिख रहा है। यह सब करते हुए आप धैर्य कैसे बनाकर रखती हैं? 'हां, यह काम बिल्कुल भी आसान नहीं है। सिर्फ एक विशेष कोर्स कर लेने से ऐसे बच्चों को नहीं संभाला जा सकता। कई बार ये बच्चे दांत से काट लेते हैं। गुस्से में नोच लेते हैं या धक्का दे देते हैं। शिक्षक को उनका मां-बाप बनना पड़ता है। अमिता कुछ पल रुकती हैं। फिर गहरी सांस लेकर कहती हैं- आपको कुछ किस्से बताती हूं… इन्हीं से समझ आता है कि ऐसे बच्चों की दुनिया कितनी अलग होती है। 'पहला किस्सा रसोई से शुरू होता है। एक दिन मैं खाना बना रही थी। गैस पर तवा चढ़ा था। तभी मेरा बच्चा चुपचाप पीछे से आया। मैं कुछ समझ पाती, उससे पहले उसने गरम तवे पर हाथ रख दिया। मैं घबरा गई। लेकिन वह नहीं चौंका। न चीखा, न हाथ खींचा। कुछ पल बाद- उसके चेहरे पर हल्की-सी बेचैनी आई। तब उसे एहसास हुआ कि तवा गरम है। मैं सन्न रह गई।' वह पल भर चुप होती हैं। फिर कहती हैं, 'उसी दिन मैंने फिर उसका हाथ तवे पर रखा। जानना चाहती थी- उसे गर्मी कब और कितनी महसूस होती है। तभी समझ आया कि इन बच्चों को ठंडा-गरम जल्दी महसूस नहीं होता। अमिता की आंखें भर आती हैं। और जब दर्द का एहसास नहीं होता, तो खतरे का भी नहीं होता।' वह दूसरा किस्सा शुरू करती हैं। 'एक दिन मैंने घर में रखी फुटबॉल उठाई। बेटे को सामने खड़ा किया। गेंद सीधे उसके चेहरे की तरफ फेंकी। वह वहीं खड़ा रहा। न आंख झपकी। न सिर हिलाया। न खुद को बचाने की कोशिश की। मेरा कलेजा कांप गया। फिर मैंने दोबारा गेंद फेंकी। इस बार उसे बचना सिखाया। कहा- हटो। मैंने यह बार-बार किया। धीरे-धीरे वह पीछे हटने लगा। चेहरा घुमाने लगा। आज वह खुद को बचा लेता है।' वह कहती हैं, 'तीसरा किस्सा तो काफी खतरनाक घटा। एक दिन मैं घर की टैरेस साफ कर रही थी। पास ही हारपिक की बोतल रखी थी। पल भर के लिए पीठ घुमाई… और उसी पल उसने बोतल उठा ली। ढक्कन खोला। घूंट भर लिया। मेरे हाथ से झाड़ू छूट गई। मैं चिल्लाई। उसे गोद में उठाया और बिना कुछ सोचे सीधे अस्पताल भागी। उस दिन हमने उसे मौत के मुंह से खींचकर निकाला।' 'चौथा किस्सा… सबसे डरावना।' 'वह कई बार घर के सामने सड़क पर चुपचाप खड़ा हो जाता है। गाड़ियां गुजरती हैं, हॉर्न बजते हैं- लेकिन उसे कुछ महसूस ही नहीं होता। एक दिन वह अचानक सड़क पर दौड़ पड़ा। मैं चिल्लाई। उसी पल एक गाड़ी सामने आ गई। ड्राइवर ने पूरी ताकत से ब्रेक मारी। मेरी सांसें थम गईं।' 'पांचवां किस्सा हमारी सोशल लाइफ से टकराता है। एक दिन रिश्तेदार के यहां जन्मदिन की पार्टी थी। मेरा बच्चा केक देखकर रोने लगा। बार-बार केक की तरफ दौड़ता। रोकने पर हाइपर एक्टिव हो गया। आखिरकार मुझे पार्टी बीच में छोड़कर लौटना पड़ा। वह धीमे से कहती हैं- उस दिन रिश्तेदारों के चेहरे पर साफ दिख रहा था- उन्हें मेरे बच्चे की हरकतें पसंद नहीं आईं। मुझे बहुत ठेस लगी। अब मैंने रिश्तेदारों से दूरी बना ली है। ताकि मेरे बच्चे से उन्हें परेशानी न हो। फिर जोड़ती हैं- 'मैं उन्हें गलत भी नहीं मानती। दरअसल, उन्हें ऑटिज्म की गंभीरता का अंदाजा ही नहीं है।' 'आखिरी किस्सा तो लोगों के सामने घटा। एक दिन स्कूल से बच्चे को लाने गई। उसे लाने वाला ऑटो नहीं आया। मजबूरी में बाकी बच्चों के साथ शेयरिंग ऑटो में बैठी। मेरे बच्चे को भीड़ पसंद नहीं। इतना परेशान हुआ कि आधे रास्ते उतरना पड़ा। घर तक सात मिनट पैदल रास्ता था। लेकिन वह आगे नहीं बढ़ रहा था। वह सोच रहा था- ऑटो आएगा और वह अकेले घर जाएगा। मैंने उसे खींचना शुरू किया। उसने बैग फेंक दिया। जोर-जोर से रोने लगा। जमीन पर लेट गया। उठाने लगी तो उसने मेरे हाथ में दांत गड़ा दिए। बाल खींचने लगा।' वह कहती हैं- 'उस दिन लोग अपने घरों से निकल आए। डांटने लगे- कैसा बच्चा है, जो मां को मार रहा है। इसे संस्कार नहीं मिले क्या?' अमिता रुक जाती हैं। धीरे से कहती हैं- 'मुझे पता था- बच्चा अपनी परेशानी से मजबूर था।' अमिता कहती हैं, 'हालांकि अब मेरा बच्चा बेहतर हुआ है। थोड़ा बोलने लगा है। मेरे कुछ शब्दों दोहराता है। बस चाहती हूं कि इतना बोल सके कि अपने साथ होने वाला अच्छा-बुरा बता सके।' वह बोलते-बोलते अचानक रुक जाती हैं। जैसे शब्द गले में अटक गए हों। कुछ पल खामोशी। फिर बहुत धीरे कहती हैं- 'इस बच्चे की वजह से मेरे और पति के बीच दरार आ गई है। वे पैसे खर्च कर देते हैं, लेकिन समय नहीं देते।' इतना कहते ही उनकी आंखें भर आती हैं।' वह आगे कहती हैं- 'मेरे पति बच्चे को स्वीकार नहीं कर पा रहे। उन्हें लगता है वह बिल्कुल नॉर्मल होना चाहिए। इतना पैसा लगाया, फिर भी नॉर्मल क्यों नहीं हुआ? लेकिन मैं जानती हूं, यह बीमारी नहीं है। यह एक कंडीशन है। यह पूरी तरह ठीक नहीं होगी।' वह रुकती हैं। फिर जोड़ती हैं- 'मेरे पति ग्रेजुएट हैं। बीएचएल में मैकेनिकल इंजीनियर हैं। लेकिन बच्चे को लेकर उनकी फीलिंग मेरी जैसी नहीं है।' जब आप नहीं होंगी तब बच्चे के लेकर क्या सोचती हैं? वह एक पल चुप रहती हैं। फिर कहती हैं- 'मेरी बेटियां अच्छी हैं। वे अपने भाई का ध्यान रखती हैं। लेकिन मैं जानती हूं- एक दिन उनकी शादी होगी और वे अपने घर चली जाएंगी।' अमिता की आवाज थोड़ी भारी हो जाती है। फिर कहती हैं, 'इसलिए मैंने पहले से ऐसी संस्थाओं के बारे में पता कर रखा है, जहां इन बच्चों की पूरी देखभाल होती है। खाना, रहना, इलाज- सब कुछ। मैं ऐसी कई संस्थाओं के संपर्क में हूं, ताकि जरूरत पड़े तो अपने बच्चे को वहां सुरक्षित रख सकूं। वहां बड़े होने पर रोजगार की ट्रेनिंग भी मिलती है।' वह कहती हैं कि सरकार की निरामय योजना भी है, लेकिन वह कारगर नहीं है। उसमें थेरेपी के लिए 20 हजार रुपए मिलते हैं, लेकिन 20 हजार तो एक बार में खर्च हो जाते हैं। जबकि थेरेपी हमें सालों लेनी पड़ती है। जब पिता ने ऑटिस्टिक बच्चे को जहर देने की बात कही अमिता के बाद मेरी मुलाकात भोपाल की ही संगीता गिरि गोस्वामी से होती है। वह अपने बच्ची की हालत पर बात करने अमिता के घर ही आ गई थीं। संगीता ज्योति स्कूल में पढ़ाती हैं। उनका बेटा अथर्व ऑटिज्म से पीड़ित है, जो कि 13 साल का है। वह धीरे-धीरे यादों में उतरती हैं- 'अथर्व बिल्कुल सामान्य पैदा हुआ था। लेकिन न हंसा, न मुस्कुराया। एक जगह चुपचाप लेटा रहता। कोई प्रतिक्रिया नहीं। ढाई साल बाद वह सिर्फ बैठ पाया। डॉक्टरों ने कहा- 'कुछ बच्चों का विकास धीमा होता है।' हम उसके चलने का इंतजार करते रहे। तीन साल बीते। बेचैनी बढ़ने लगी। उसे हॉस्पिटल ले गई। कानों की जांच हुई- दोनों ठीक थे। फिर रीढ़ के डॉक्टर के पास गई। वहां एक नया शब्द मिला- 'जेनेटिक समस्या।' आखिरकार डॉक्टरों की सलाह पर उसे सीआरसी- कम्पोजिट रीजनल सेंटर भोपाल ले गई। वहीं पहली बार एक रिपोर्ट से हम हिल गए- 'ऑटिज्म।' कागज हाथ में था। और बच्चे को रोज थेरेपी के लिए बुला लिया गया। संगीता की आवाज हल्की पड़ जाती है। वह कहती हैं- 'शुरुआत में कोई खास सुधार नहीं दिखा। दिन बीतते गए और मेरे पति अंदर से टूटते चले गए। एक रात…बहुत देर तक वे कुछ नहीं बोले। कमरे में सिर्फ घड़ी की टिक-टिक आवाज सुनाई दे रही थी। फिर अचानक, बेहद थकी हुई आवाज में बोले- 'इलाज की पूरी कोशिश करेंगे…अगर ठीक हो गया तो ठीक....नहीं हुआ…तो जब हम बूढ़े हो जाएंगे… कोई देखने वाला नहीं होगा...तो इसे जहर देकर मार देंगे…और खुद भी जहर खा लेंगे।' मेरी सांसें अटक गईं। उस पल लगा जैसे पैरों तले जमीन खिसक गई हो। मैं उस वक्त पति को नहीं, एक टूटे हुए इंसान को देख रही थी, जो उम्मीद छोड़ चुका था। इसके बाद भी जिंदगी रुकी नहीं। सीआरसी में 2017 से 2019 तक थेरेपी चलती रही। दिन, महीने, साल बीतते गए। अथर्व पांच साल का हो चुका था। और फिर…एक दिन अचानक उसके मुंह से पहला शब्द निकला- 'मी।' संगीता की आंखें भर आती हैं। वह कहती हैं, 'उस दिन पहली बार लगा शायद मेरा बच्चा आगे बढ़ सकता है।' उसके बाद मैंने स्पेशल बच्चों को पढ़ाने के लिए स्पेशल डीएड किया। सीखा कि ऐसे बच्चों को कैसे समझा जाता है, कैसे सिखाया जाता है। संगीता कुछ पल चुप रहती हैं। फिर कहती हैं- 'लेकिन उस वक्त हम पूरी तरह आर्थिक तंगी में थे। मेरे पति बार-बार नौकरी छोड़ रहे थे। घर का खर्च…बच्चे की थेरेपी…सब कुछ सिर पर था, लेकिन हाथ खाली थे। पैसे की किल्लत से हमारे रिश्ते में तनाव पैदा हो गया। बच्चे की चिंता, इलाज का दबाव और भविष्य के डर से हर दिन तनाव बढ़ता गया। झगड़े रोज की बात हो गए थे। इतना डर, इतनी बेचैनी थी कि सांस लेना मुश्किल लगने लगा।' फिर वह रुकती हैं। आंखें झुक जाती हैं। 'एक दिन… मैं पूरी तरह टूट चुकी थी। घर में रखा केरोसिन का डिब्बा मैंने उठा लिया। ढक्कन खोला और अपने ऊपर उड़ेल लिया। उस वक्त दिमाग में कुछ नहीं था। न बच्चा, न पति, न दुनिया। बस यह लगा- अब और नहीं सहा जाएगा। माचिस हाथ में थी। मैं खुद को आग लगाने ही वाली थी… तभी अचानक शोर मच गया। आस-पास के लोग दौड़ पड़े। किसी ने मेरे हाथ से माचिस छीन ली। किसी ने मुझे पकड़ लिया और मैं बच गई।' यह कहते-कहते संगीता की आंखें भर आती हैं। आवाज टूट जाती है। कुछ पल तक वह कुछ बोल नहीं पातीं। वह कहती हैं, 'एक किस्सा है… जिसे मैं अक्सर भूलने की कोशिश करती हूं। आठ साल का था मेरा बच्चा। मैं मायके गई थी- दादाजी के समाधि कार्यक्रम में। उस वक्त भी उसे डायपर पहनाती थी। अचानक तेज बारिश शुरू हो गई। पंगत में लोग पत्तलें लगाए बैठे थे। चारों तरफ शोर, भीड़ और अफरा-तफरी थी। उसी बीच- मेरे बच्चे ने कपड़े गंदे कर दिए। मैं उसे चुपचाप उठाकर धुलाने ले जा रही थी कि पीछे से आवाज आई- 'ऐसे बच्चे को घर पर रखना चाहिए। इसे क्यों लेकर आई हो?' वह रुक जाती हैं। गला भर आता है। संगीता कहती हैं, 'उस पल गुस्सा बच्चे पर नहीं उन लोगों पर था…और खुद पर भी। हताशा में मैंने अपने ही बच्चे को पीट दिया। बच्चा रो रहा था और साथ-साथ खुद मैं भी। उस दिन के बाद मैंने फैसला कर लिया- अब मैं अपने बच्चे को लेकर किसी भी रिश्तेदार के घर नहीं जाती। आज मेरा बेटा 13 साल का हो गया है।' वह कहती हैं, 'अभी दो महीनों हुए हैं, जब उसने डायपर पहनाना बंद किया है, लेकिन अब भी तेज आवाज होने पर घबरा कर कपड़े खराब कर लेता है। हां, अब सही-गलत कुछ-कुछ समझने लगा है। नहाते समय गेट बंद कर लेता है। बाहर तौलिया पहनकर निकलता है, लेकिन दरवाजा बंद करके आज भी फ्रेश नहीं हो पाता। डरता है। सामाजिक रूप से अब भी किसी से घुलता-मिलता नहीं।' मेरी सरकार से गुजारिश है कि स्पेशल बच्चों के लिए अधिक शिक्षक उपलब्ध कराए। वर्तमान में जो शिक्षक इन बच्चों को पढ़ाते हैं, उन्हें ही सामान्य बच्चों के लिए भी लगा दिया जाता है, जिससे वे इन पर विशेष ध्यान नहीं दे पाते। ट्रेनिंग के दौरान इन्हें ज्यादा समय देना जरूरी है। सोचिए- मेरा बेटा 13 साल का है। 5वीं में पढ़ता है, लेकिन हिंदी और अंग्रेजी ठीक से न पढ़ पाता है, न लिख पाता है। इसके बाद मेरी बात भोपाल के अवधपुरी स्थित गैलेक्सी सिटी में रहने वाली सीमा से हुई। उनकी 9 साल की बेटी वेदांशी सीवियर कैटेगरी के ऑटिज्म से ग्रसित है। सीमा बताती हैं, ‘जब मेरी बच्ची तीन साल की उम्र तक चलना नहीं शुरू किया, तो डॉक्टर को दिखाया। वहां पता चला कि उसे ऑटिज्म है और यह स्थिति जीवनभर रहेगी। यह सुनते ही मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई।’ वह एक घटना याद करती हैं। कहती हैं, ‘ससुराल में थी। मेरी बेटी खेल रही थी। तभी ताई जी ने तंज कसते हुए कहा- यह पागल है, बाकी बच्चों के साथ खेलने के बजाय अकेले खेलती है।’ इस तरह की बातों से मैं अक्सर टूट जाती थी। बेटी के इलाज के लिए कई जगह भटकी, लेकिन कोई खास सुधार नहीं हुआ। वह रात 2 बजे से पहले सोती नहीं थी, लगातार इधर-उधर भागती है। सीमा कहती हैं, ‘एक दिन बेटी के भविष्य के बारे में सोचते-सोचते मैं बुरी तरह घबरा गई। मन में आया कि हम नहीं रहेंगे तो उसका क्या होगा? उसी बेचैनी में एक ख्याल आया- कहीं उसे किसी अनाथ आश्रम में छोड़ आएं।’ यह बात सीमा कह रही थीं ही उनके पति लक्ष्मण ने टोका। उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं पता तुम ऐसा क्यों सोच रही हो। हमने तो कभी ऐसा सोचा ही नहीं।’ वह कहते हैं, 'मेरी बेटी ऑटिस्टिक है। आमतौर पर लोग मानसिक रूप से कमजोर बच्चों को पागल कह देते हैं, लेकिन ऑटिस्टिक बच्चों की अपनी एक अलग दुनिया होती है। ये दिमाग से तेज होते हैं, लेकिन हाइपर एक्टिविटी के कारण दूसरे बच्चों के साथ तालमेल नहीं बिठा पाते। सामाजिक रूप से घुल नहीं पाते, इसलिए समाज उन्हें पागल समझ लेता है।' लक्ष्मण कहते हैं, 'दुख बस इतना है कि समाज ऐसे बच्चों को स्वीकार नहीं करता। अगर इन्हें सामान्य बच्चों के साथ सहज रूप से रहने दिया जाए, तो ये बच्चे बेहतर हो सकते हैं। लेकिन लोग अपने बच्चों को ऐसे बच्चों के साथ खेलने नहीं देते।' लक्ष्मण कहते हैं, 'हम दूसरा बच्चा चाहते थे, लेकिन आज भी मुझे अपनी बेटी को एक छोटे बच्चे की तरह ही संभालना पड़ता है। उसे नहलाना, खिलाना, बाथरूम ले जाना- हर काम खुद करना पड़ता है। ऐसे में अगर दूसरा बच्चा होता, तो हम उसे और अपनी बेटी- दोनों को ठीक से नहीं संभाल पाते।' ---------------------------------------- 1- ब्लैकबोर्ड-तलाक हुआ तो अनजान डोनर से स्पर्म लेकर मां बनी:विदेश ले जाकर पति ने घर से निकाला, बिना पति के महिलाओं की कहानियां मेरी चीख सुनकर पड़ोसी जमा हो गए। बिस्तर से उठी तो देखा- मेरी सास ही तौलिए से मेरा मुंह दबा रही थीं। वह जोर-जोर से कह रही थीं- तूने मेरे बेटे को खा लिया। तू मांगलिक है। कुलच्छन है। अब अपने बच्चे को लेकर यहां से भाग जा, नहीं तो तुझे जिंदा नहीं छोड़ूंगी। पूरी खबर यहां पढ़ें 2- ब्लैकबोर्ड- बेटी ने मारा तो घर छोड़ा:बस के नीचे मरने पहुंचे, भाई ने फर्जी साइन से पैसे हड़पे, वृद्धाश्रम में रोज सुबह सोचते हैं- कोई लेने आएगा मेरे बच्चे नहीं हैं। पत्नी की मौत के बाद अकेला हो गया था। मुझे आंख से दिखाई नहीं देता। एक रिश्तेदार के यहां रहने चला गया। वहां बहुत जलील हुआ तो एक दूसरे रिश्तेदार के यहां रहने पहुंचा, लेकिन उन्होंने अपने यहां रखने से साफ मना करा दिया। उस दिन मन में विचार आया कि सब खत्म कर दूं। सोचा कि यमुना में कूद जाऊं। फिर मरने के लिए एक बस डिपो पर गया। पूरी स्टोरी यहां पढ़ें
‘पुलिसवाले कहते थे गुनाह कबूल कर लो, वर्ना ऐसा केस लगाएंगे कि बरी नहीं हो पाओगे। थाने में बहुत पीटा। तीन महीने जेल में रहा। बाहर आया, तब भी पुलिस ने बहुत परेशान किया। मुझे कभी भी थाने बुला लेते थे, वहां पता चलता कि मेरे ऊपर एक नया केस है।’ यह कहते हुए मोहम्मद खालिद की आवाज भर आती है। खालिद दिल्ली के चांद बाग में रहते हैं। पुलिस ने उन्हें फरवरी 2020 में हुए दंगों के दौरान भजनपुरा में पेट्रोल पंप जलाने के मामले में आरोपी बनाया था। फिर एक के बाद एक 19 केस में उनका नाम शामिल हो गया। 11 दिसंबर को दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट ने खालिद समेत 5 आरोपियों को पेट्रोल पंप वाले केस में बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि पुलिस इनके खिलाफ कोई सबूत नहीं दे पाई। दैनिक भास्कर ने बरी होने के बाद मोहम्मद खालिद, अब्दुल सत्तार और हुनैन से बात की। एक आरोपी आरिफ मीडिया में नहीं आना चाहते और तनवीर अभी दूसरे केस में जेल में है। इन सभी को दिल्ली दंगों के करीब एक साल बाद गिरफ्तार किया गया था। इन पर भजनपुरा पेट्रोल पंप पर हिंसा, आगजनी, तोड़फोड़ और पत्थरबाजी करने के आरोप लगे थे। हमने उनके वकील से पुलिस की कार्रवाई और कोर्ट में चले केस के बारे में जाना। पहले किरदार: मोहम्मद खालिद मोहम्मद खालिद उत्तर-पूर्वी दिल्ली के चांद बाग में सिलाई का काम करते हैं। ये एरिया भी दंगे की चपेट में आया था। 24 फरवरी, 2020 का एक वीडियो है, जिसमें भीड़ पुलिसवालों को घेरकर पत्थर मार रही है। मोहम्मद खालिद को पुलिस ने दिल्ली दंगों के करीब एक साल बाद 11 जनवरी, 2021 को गिरफ्तार किया था। खालिद कहते हैं, ‘मुझे घर से गिरफ्तार किया था। पुलिसवाले पीटते हुए ले गए थे। थाने में भी पीटा। मुझसे बोलते रहे कि मैं आरोप कबूल कर लूं, तो मैं तीन महीने में बाहर निकल जाऊंगा। हिरासत से बाहर आया, तब कुछ दिन बाद फिर थाने बुलाया गया। पुलिस ने मुझसे 50 सादे कागज पर साइन करवाए थे। इसके बाद मेरे ऊपर 19 केस और दर्ज हो गए।’ खालिद अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज करते हैं। वे कहते हैं कि केस की वजह से काम नहीं कर पा रहा हूं। महीने में 15-16 बार कोर्ट जाना पड़ता है। एक बार आने-जाने में 500 रुपए खर्च होते हैं।’ दूसरे किरदार: अब्दुल सत्तार अब्दुल सत्तार चांद बाग में समोसे-कचौरी की दुकान लगाते हैं। सत्तार की कहानी भी खालिद जैसी ही है। वे कहते हैं कि जमानत मिलने के बाद पुलिस ने मुझसे कोरे कागज पर साइन करवा लिए थे। इसके बाद एक-एक करके 20 केस का पता चला। सत्तार कहते हैं, ‘मैंने इससे पहले कभी थाना अंदर से नहीं देखा था। पुलिसवालों ने जैसा कहा, मैंने कर दिया। प्रदर्शन हो रहा था, इसलिए वहां बहुत लोग थे। उनमें मैं भी था। हां, पेट्रोल पंप पर हुई हिंसा के आरोप गलत हैं। मैं उधर गया भी नहीं था। पुलिस वाले जबरन कबूल करने का बोल रहे थे कि मैंने दंगा भड़काया है। हमारे खिलाफ कोई गवाह नहीं है।’ सत्तार आगे कहते हैं, ‘केस की वजह से बहुत परेशान होना पड़ा। महीने में हर केस की हाजिरी के लिए कोर्ट जाता हूं। अभी 19 और केस हैं। ये सभी भजनपुरा इलाके में हुई हिंसा के हैं।’ तीसरे किरदार: हुनैन बरी हुए एक और आरोपी हुनैन चांद बाग में कचौरी की दुकान चलाते हैं। उन्हें दुकान से ही गिरफ्तार किया गया था। वे कहते हैं, ‘जहां प्रदर्शन हो रहा था, मैं उसी जगह खड़ा था। उसकी फोटो के आधार पर मेरे खिलाफ चार्जशीट दायर की गई।’ ‘पुलिस ने बहुत पीटा। वे फोटो दिखाकर कहते थे कि ये तुम्हारी ही है। मैंने उन्हें बताया था कि मैं प्रदर्शन वाली जगह पर खड़ा था। शुरुआत में सिर्फ एक केस था। बाहर आने के बाद मुझसे बहुत सारे खाली पेज पर जबरन साइन करवा लिए। उन्होंने धमकी दी कि साइन करने ही पड़ेंगे।’ हुनैन करीब डेढ़ महीने तक पुलिस हिरासत में रहे। वे कहते हैं कि बाहर आने के बाद कोर्ट से समन आने शुरू हो गए। एक-एक करके हिंसा से जुड़े 20 केस का पता चला। एक ही फोटो के आधार पर पुलिस ने सारे केस बना दिए। हमारे खिलाफ जो गवाह थे, उन्हें खुद नहीं पता था कि वे गवाह हैं। कोर्ट में आने के बाद उन्हें पता चलता कि गवाही देनी है। पेट्रोल पंप पर हमले का पूरा मामला24 फरवरी, 2020 को दिल्ली में कई इलाकों पर नागरिकता संशोधन कानून यानी CAA के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे थे। उसी दिन भजनपुरा में हिंसा भड़क गई। लोगों ने एक पेट्रोल पंप पर हमला किया और गाड़ियों में आग लगा दी। 25 फरवरी, 2020 को एक पुलिसवाले की शिकायत पर भजनपुरा थाने में केस दर्ज किया गया। FIR में लिखा कि चांद बाग की तरफ से आए सैकड़ों लोगों ने पेट्रोल पंप में आग लगा दी। भीड़ ने आसपास बाइक, कार, दुकानों और मकानों में भी तोड़फोड़ और आगजनी की। FIR में किसी भी संदिग्ध या आरोपी का नाम नहीं लिखा गया। दंगों के एक साल बाद केस के सिलसिले में जनवरी-फरवरी 2021 में अलग-अलग तारीखों पर खालिद और बाकी आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। ये केस 7 मार्च 2020 को भजनपुरा पुलिस स्टेशन में तरुण नाम के एक शख्स की शिकायत पर दर्ज हुआ था। तरुण की शिकायत पर दर्ज FIR में किसी आरोपी का नाम नहीं था। शिकायत में तरुण ने लिखवाया था कि 24 फरवरी, 2020 को दोपहर करीब 1.45 बजे मैं बाइक में पेट्रोल डलवाने भजनपुरा पेट्रोल पंप पर गया था। उसी वक्त चांद बाग की तरफ से पथराव होने लगा। कुछ लड़के लाठी-डंडे लेकर पंप की तरफ आए। वे CAA/NRC के विरोध में नारे लगा रहे थे। उन्होंने गाड़ियों में तोड़फोड़ कर आग लगा दी। मेरी बाइक भी जला दी। मुझे लाठी-डंडों से पीटा। मेरे सिर, पैर और हाथ में चोट लगी। मैं वहीं बेहोश हो गया। होश आया तो पिताजी मुझे सेंट स्टीफन अस्पताल ले जा रहे थे। दंगों के डेढ़ साल से ज्यादा समय बाद, 2 दिसंबर 2021 को तरुण ने भजनपुरा थाने में आरोपियों की पहचान की। उसने पुलिस को बयान दिया, ‘मैं अपने केस में मुआवजा न मिलने की वजह पूछने थाने आया था। वहां पांच लोगों से पुलिस बात कर रही थी। ये पांचों लोग मेरे साथ मारपीट करने में शामिल थे।’ ट्रायल के दौरान तरुण ने कहा कि मैं किसी आरोपी को न तो पहचान सकता हूं और न इनकार कर सकता हूं क्योंकि मुझे उनके चेहरे याद नहीं हैं। दिल्ली पुलिस ने इस केस को साबित करने के लिए तरुण समेत कुल 16 गवाहों को शामिल किया था। हालांकि, ट्रायल के दौरान गवाहों के बयान विरोधाभासी पाए गए। कोर्ट ने कहा- केस सिर्फ तीन गवाहों पर टिका, दो भरोसेमंद नहीं11 दिसंबर को कड़कड़डूमा कोर्ट के एडिशनल सेशंस जज प्रवीण सिंह ने फैसले के दौरान पुलिस की जांच पर कई सवाल उठाए। इस मामले में गवाह बनाए गए तीन पुलिसवालों ने शुरुआती जांच में आरोपियों को पहचानने की बात कही थी। क्रॉस एग्जामिनेशन में उन्होंने आरोपियों को पहचानने से इनकार कर दिया। जज ने कहा कि ये पूरा केस तीन गवाहों पर टिका हुआ है। इनमें से दो पर भरोसा नहीं किया जा सकता क्योंकि दोनों घटना के वक्त पुलिस स्टेशन से दूसरी जगह (नूर-ए-इलाही) के लिए निकले थे। कोर्ट ने कहा कि पुलिस ने मैकेनिकल तरीके से केस की जांच की है। इससे इनकार नहीं किया जा सकता है कि पहली गिरफ्तारी वाले केस को सॉल्व करने के लिए आरोपियों को इस मामले में झूठा फंसाया गया। जांच अधिकारी ने जली बाइक की पहचान करने की भी कोशिश नहीं की। इससे कम से कम ये साबित होता कि शिकायत करने वाले की बाइक जलाई गई है। हमने नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली के DCP आशीष मिश्रा को ई-मेल के जरिए भजनपुरा केस से जुड़े सवाल भेजे हैं। उनकी तरफ से जवाब नहीं मिला है। जवाब आने पर रिपोर्ट में अपडेट करेंगे। वकील बोले- पुलिस की जांच हास्यास्पदआरोपियों की तरफ से केस लड़ रहे सीनियर वकील अब्दुल गफ्फार बताते हैं कि कोर्ट ने इस मामले में साफ कहा है कि गवाहों के बयान भरोसा करने लायक नहीं हैं। उनमें काफी विरोधाभास हैं। गफ्फार कहते हैं, ‘पुलिस की जांच हास्यास्पद है। जांच अधिकारी ने जनवरी 2021 में सबसे पहले इन पांचों आरोपियों को FIR नंबर-62 में गिरफ्तार किया था। उसी अधिकारी ने आरोपियों को जून और दिसंबर में गिरफ्तार किया। मजेदार है कि इस केस में गवाह भी वही हैं, जो पहले केस में हैं। घटना वाली जगह से पुलिस कोई सबूत तक नहीं जुटा पाई। ’ पेट्रोल पंप के कर्मचारी ने बयान दिया था कि हंगामे और हिंसा की आशंका की वजह से सुबह 11:30 बजे ही पंप पर पेट्रोल देना बंद कर दिया था। वहीं तरुण ने बताया था कि वे पेट्रोल लेने के लिए दोपहर 1.45 बजे लाइन में लगे थे। उसे किसी और जगह चोट लगी थी। 'पुलिस ने गलत तरीके से कहानी बनाई थी। इसके अलावा तरुण की मेडिकल रिपोर्ट कहती है कि पिता ने उसे एडमिट करवाया। वहीं, डिस्चार्ज समरी बताती है कि उसे पुलिसवाले अस्पताल लेकर आए। चोट किस तरह की है, इसे साबित करने के लिए पुलिस ने डॉक्टर से बात नहीं की।’ गफ्फार कहते हैं, ‘भजनपुरा में तब जितनी भी हिंसा या आगजनी की घटनाएं हुईं, पुलिस ने सारे केस में इन लोगों का नाम जोड़ दिया। 17 केस इन सभी आरोपियों के खिलाफ हैं। बाकी कुछ के खिलाफ एक या दो केस ज्यादा भी हैं।’ अब्दुल गफ्फार दिल्ली दंगों से जुड़े करीब 100 केस देख रहे हैं। वे कहते हैं कि ज्यादातर मामलों में दिल्ली पुलिस ने सही तरीके से जांच नहीं की है। जो सबूत जुटाए जा सकते थे, वे नहीं जुटाए गए। मैं 100 केस देख रहा हूं, इनमें लगभग 40 में फैसला आ चुका है।’ गफ्फार कहते हैं, ‘कुछ केस में पुलिस के सबूत भरोसेमंद नहीं थे, कुछ मामलों में पुलिस की चार्जशीट को कोर्ट ने इस लायक नहीं समझा कि उस पर ट्रायल किया जाए। ऐसे में लोगों को ट्रायल से पहले ही डिस्चार्ज कर दिया गया। मर्डर जैसे मामलों में कोर्ट ने आरोपियों को डिस्चार्ज किया है। ऐसे केस में भी पुलिस पूरी तरह फेल रही।’ दंगों के 6 साल, आरोपी लगातार बरी हो रहेये पहली बार नहीं है, जब दिल्ली दंगों से जुड़े केस में लोग बरी या डिस्चार्ज हुए हों। खजूरी इलाके में एक ऑटो ड्राइवर की मौत से जुड़े मामले में कोर्ट ने 18 मार्च, 2025 को 11 आरोपियों को डिस्चार्ज कर दिया था। पुलिस की चार्जशीट फाइल होने के बाद भी कोर्ट को इन लोगों के खिलाफ केस चलाने के लिए सबूत नहीं मिले। फैसला सुनाते हुए जज पुलस्त्य प्रमाचला ने कहा था कि ये लोग विक्टिम की मदद करने आए थे। इसी तरीके से सुदामापुरी इलाके में मौजूद अजीजिया मस्जिद के पास हुई हिंसा मामले में भी 6 लोगों को अगस्त में बरी कर दिया गया। फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ झूठा मामला गढ़ा। पुलिस की चार्जशीट में कई बयान विरोधाभासी थे।
DNA on latest situation in Bangladesh: दुनिया के आगे कटोरा फैला-फैला कर भद्द पिटवा चुका पाकिस्तान अब कंगलू बांग्लादेश के साथ सीक्रेट डील की कोशिश में हैं. इसमें उसकी मदद वहां फैल रही नफरत की नई नर्सरी भी कर रही है.
DNA: क्या बांग्लादेश में शेख हसीना की वापसी होने वाली है? मोहम्मद यूनुस को अचानक क्यों आने लगे पसीने
DNA in Hindi on Sheikh Hasina: क्या शेख हसीना की बांग्लादेश में वापसी होने जा रही है. वहां पर अचानक ऐसा क्या हो गया है कि मोहम्मद यूनुस के चेहरे की हवाइयां उड़ने लगी हैं और उन्हें अपने सारे किए कराये पर पानी फिरता नजर आ रहा है.
Bangladesh Attack: बांग्लादेश इन दिनों राजनीतिक उथल-पुथल और हिंसा से जूझ रहा है. आज शाम क्रिसमस से एक दिन पहले वहां बड़ा बम धमाका हुआ. कयास लगाए जा रहे हैं कि अगले 24 घंटे में बांग्लादेश में कुछ बड़ा होने वाला है.
बांग्लादेश नेतृत्व भारत के साथ खराब रिश्ते रखने का रिस्क नहीं उठा सकता : केपी फेबियन
बांग्लादेश हिंसा और अराजकता के बीच सुरक्षा की दृष्टि से भारत ने बांग्लादेश के लिए वीजा सेवा सस्पेंड कर दी
बांग्लादेश में बड़ा बम धमाका, तेज विस्फोट से गूंजा ढाका, 1 गंभीर रूप से घायल
Bangladesh Blast:बांग्लादेश के ढाका स्थित मोघ बाजार में भीषण धमाका होने की खबर सामने आई है. इस बम धमाके में एक शख्स गंभीर रूप से घायल हो गया है. यह घटना बीते कुछ दिनों से वहां चल रही हिंसा के बाद देखने को मिली है.
Viransh Bhanushali Oxford Union Debate: भारतीय छात्र वीरांश भानुशाली ब्रिटेन के प्रतिष्ठित ऑक्सफोर्ड यूनियन में भारत-पाकिस्तान से जुड़े डिबेट में अपने भाषण को लेकर इंटरनेट पर वायरल हो रहे हैं.
H1B Visa Lottery System News: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर भारत को झटका देने जा रहे हैं. वे लॉटरी के जरिए जारी होने वाले H-1B वीजा सिस्टम को खत्म करने जा रहे हैं. इस बदलाव से सीधे तौर पर भारतीयों को बड़ा झटका लगना तय माना जा रहा है.
China claim on Arunachal Pradesh: धोखेबाज चीन एक बार फिर 1962 वाली साजिश रच रहा है. तब उसके निशाने पर अक्साई चिन था, अब उसके निशाने पर अरुणाचल प्रदेश है. इसके लिए उसने टाइमलाइन भी सेट कर ली है.
Operation Devil Hunt Phase-2 In Bangladesh:बांग्लादेश में इन दिनों पुलिस का एक बड़ा ऑपरेशन चल रहा है, नाम है ऑपरेशन डेविल हंट फेज-2. ये कोई नया नहीं है, बल्कि पहले वाले ऑपरेशन का दूसरा दौर है. इसका मकसद है अवैध हथियारों पर रोक लगाना, अपराधियों को पकड़ना और देश में कानून-व्यवस्था बनाए रखना. जानें इसकी पूरी कहानी.
थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा विवाद एक नए लेवल तक पहुंच गया है.आरोप है कि कंबोडिया बॉर्डर के करीब थाई सेना ने विष्णु भगवान की मूर्ति पर बुलडोजर चलवा दिया. मूर्ति गिराने का वीडियो वायरल है.
Yunus govt KilledOsman Hadi:बांग्लादेश में इस समय जो हालात हैं, वह दुनिया के लिए गहरी चिंता का विषय है. चुनाव शेड्यूल के ऐलान के बाद से राजनीतिक हिंसा में भी तेजी से बढ़ोतरी देखी गई है. हाल ही में ढाका-8 से निर्दलीय उम्मीदवार और इकबाल मंच के प्रवक्ता शरीफ उस्मान हादी को दिनदहाड़े गोली मार दी गई. इस घटना में उनकी मौत हो गई.
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज ने कहा है कि उन्होंने गवर्नर-जनरल से अनुरोध किया है कि बोंडी बीच में हुए आतंकी हमले के बाद लोगों की जान बचाने वाले पहले फर्स्ट रिस्पॉन्डर्स और अन्य नायकों के लिए एक विशेष सम्मान सूची बनाई जाए. ऑस्ट्रेलियाई प्रसारण निगम (एबीसी) के अनुसार, इन लोगों के नाम वर्ष 2026 में घोषित किए जाएंगे.
Tarique Rahman Return Bangladesh after 17 years in exile: बांग्लादेश में हंगामा मचा है. इसी बीच अमेरिकी एडवाइजरी जारी की गई है. जर्मनी ने अपना दूतावास 24 दिसंबर और 25 दिसंबर को बंद करने का आदेश दिया है. जानें आखिर 25 दिसंबर को बांग्लादेश में क्या बहुत बड़ा होने वाला है?
कनाडा में भारतीय महिला का कत्ल, पार्टनर पर गई शक की सुई; इंडियन एंबेसी ने कही ये बात
Canada News: कनाडा में भारतीय महिला हिमांशी खुराना की हत्या कर दी. जिसकी वजह से दहशत का माहौल है, मामले को लेकर पुलिस ने संदिग्ध की गिरफ्तारी के लिए पूरे देश में वारंट जारी किया है.
अभी तक एच1-बी वीजा के लिए रैंडम लॉटरी सिस्टम लागू था, लेकिन अब इसे खत्म कर दिया गया है। इसकी जगह 'वेटेड सेलेक्शन प्रोसेस' लागू किया जाएगा।
US Supreme Court rejects Trump military deployment:अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने 6-3 फैसले से ट्रंप प्रशासन की इलिनोइस में नेशनल गार्ड तैनाती की कोशिश को रोक दिया है. इलिनोइस गवर्नर जेबी प्रित्जकर ने इसे अमेरिकी लोकतंत्र की बड़ी जीत बताया है. जानें पूरी बात.
अमेरिकी सांसदों ने यूनुस सरकार को लिखा पत्र, निष्पक्ष चुनाव को लेकर चेतावनी दी
अमेरिका के कुछ प्रभावशाली सांसदों ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार को चेतावनी दी है कि अगर फरवरी में होने वाले चुनावों से पहले राजनीतिक दलों की भागीदारी पर रोक लगाई गई, तो स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना संभव नहीं होगा
Bangladesh News: बांग्लादेश में हुई हिंदू युवक की हत्या के बाद हालात खराब हो गए हैं, इसी बीच अंतरिम सरकार के फाइनेंस एडवाइजर सालेहुद्दीन अहमद ने रिश्ते सुधारने की पहल की है.
Bangladesh Population: बांग्लादेश में हिंदुओं पर जुल्म से सारी दुनिया वाकिफ है, इसी वजह से वहां लगातार हिंदुओं की तादाद कम होती जा रही है. इस खबर में हम आपको बांग्लादेश की आजादी से लेकर अब तक के आंकड़े बताने जा रहे हैं.
अमेरिकी कोर्ट से ट्रंप प्रशासन को बड़ा झटका, इलिनोइस में नेशनल गार्ड की तैनाती पर लगाई रोक
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेशनल गार्ड को इलिनोइस राज्य में भेजने से रोक दिया है, जिससे प्रशासन को झटका लगा है
बांग्लादेश में बवाल के बीच अमेरिकी सांसदों ने लिखा यूनुस को लेटर, चुनाव को लेकर दी बड़ी चेतावनी
Bangladesh News: बांग्लादेश के हालात इस समय खराब हो गए हैं, इसी बीच अमेरिका के कुछ प्रभावशाली सांसदों ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार को निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चेतावनी दी है.
The city of prophets Sanlıurfa:तुर्की के दक्षिण-पूर्व में स्थित सानलिउरफाशहर को “पैगंबरों का शहर” कहा जाता है. यहां इस्लाम, यहूदी और ईसाई धर्म के पैगंबरों की यादें जुड़ी हुई हैं. यह जगह सदियों पुरानी है और अलग-अलग सभ्यताओं का गवाह रही है. जानें क्या है इसकी कहानी.
Pennsylvania Nursing Home Explosion: अमेरिका के पेंसिल्वेनिया राज्य के ब्रिस्टल टाउनशिप में मंगलवार दोपहर करीब 2 बजे एक नर्सिंग होम में बड़ा धमाका हो गया. यह हादसा सिल्वर लेक नर्सिंग होम में हुआ. यह फिलाडेल्फिया से करीब 30 मिनट की दूरी पर है. धमाके के बाद इमारत में आग लग गई और कई लोग अंदर फंस गए.
नेपाल: जेन-जी विरोध प्रदर्शन मामले में पूर्व गृहमंत्री तलब, ओली से भी पूछताछ की तैयारी
नेपाल में जेन जी विरोध प्रदर्शनों की जांच कर रहे आयोग ने पूर्व गृहमंत्री को तलब किया है
हादसा या साजिश! तुर्किये में बड़ा विमान हादसा, लीबिया के आर्मी चीफ समेत 5 लोगों की मौत
Turkiye News: तुर्किये की राजधानी अंकारा में एक बड़ा प्लेन हादसा हो गया, जिसकी वजह से लीबिया के आर्मी चीफ ऑफ स्टाफ, मोहम्मद अली अहमद अल-हद्दाद और चार अन्य लोगों की जान चली गई.
बांग्लादेश की राजधानी ढाका से करीब 80 किलोमीटर दूर, खेतों के बीच दो कच्चे घर बने हैं। इन्हीं में से एक 25 साल के दीपू चंद्र दास का है। 18 दिसंबर की रात दीपू को भीड़ ने ईशनिंदा के आरोप में पीट-पीटकर मार डाला। इसके बाद उसकी डेडबॉडी जला दी गई। दीपू के परिवार को न सुरक्षा मिली, न गांव से कोई दिलासा। उल्टा, उसके एक रिश्तेदार को बाजार में भीड़ ने पीट दिया। अब परिवार को धमकी मिल रही है कि घर छोड़कर चले जाओ। डर की वजह से दीपू के परिवार ने घर की दीवार पर एक पोस्टर चिपका दिया है। उस पर लिखा है-‘ईशनिंदा के आरोप झूठे हैं।’ दैनिक भास्कर के सहयोगी अमानुर रहमान ने दीपू के माता-पिता से बात की। पहले पढ़िए मां शेफाली रानी की बात… सवाल: दीपू से आखिरी बार कब और क्या बात हुई थी, उनकी हत्या के बारे में कैसे पता चला?जवाब: दीपू कपड़े की फैक्ट्री में ढाई साल से काम कर रहा था। सुबह 5 बजे मैंने उससे बोला कि घर में खाने के लिए कुछ नहीं है। दीपू बोला कि शाम को लौटते हुए चावल लेकर आऊंगा। इसके बाद वो काम पर चला गया। शाम को हमने फेसबुक पर एक वीडियो देखा। लोग दीपू को पीट रहे थे। उसे पेड़ से लटका दिया। कुछ देर बाद दीपू के एक दोस्त को फोन आया। उसने बताया कि फैक्ट्री के अंदर क्या हुआ है। सवाल: दीपू की हत्या किसने की है, आपको क्या पता चला?जवाब: पहले उसकी फैक्ट्री के लोगों ने ही पीटा, फिर भीड़ के हवाले कर दिया। सोचिए कोई ऐसा कैसे कर सकता है। सवाल: दीपू को पहले कभी फैक्ट्री में किसी ने धमकी दी थी?जवाब: नहीं, दीपू बहुत ही सुलझा हुआ लड़का था। वो किसी से ज्यादा बात नहीं करता था। इस तरह के लड़ाई-झगड़े से दूर रहता था। अगर ऐसी कोई बात होती तो मुझे, या अपने पापा को या पत्नी को तो बताता। उसने कभी कुछ नहीं कहा। सवाल: क्या आपको सरकार की तरफ से कोई मदद मिली है, कोई लीडर आपके घर आया?जवाब: कोई नहीं आया। मदद की बात छोड़़िए, लोग हमसे बात भी नहीं कर रहे। सवाल: क्या दीपू की हत्या के बाद परिवार को सुरक्षा मिली है?जवाब: नहीं। दीपू को जिस दिन मार दिया, उसी दिन मेरे भतीजे को भीड़ ने बाजार में पीटा। बेटा तो चला ही गया, अब हम खौफ में जी रहे हैं। सरकार ने हमें मरने के लिए छोड़ दिया है। रबी लाल चंद्र दास, दीपू के पिता सवाल: आपको दीपू की हत्या के बारे में कैसे पता चला?जवाब: मुझे दीपू के दोस्त से पता चला। उसने फेसबुक पर दीपू का वीडियो देखा था। उसने बताया कि दीपू की हालत ठीक नहीं है। पुलिस स्टेशन चले जाओ और साथ में किसी नेता को ले जाना। दीपू की फैक्ट्री भालुका में है। हम थाने पहुंचे, तो पुलिस अधिकारी ने कहा कि ये भालुका थाने का मामला नहीं है। वो दूसरी जगह है, जल्दी जाओ। हम दूसरे पुलिस स्टेशन पहुंचते, तब तक दीपू के दोस्त का फोन आ गया कि दीपू अब नहीं रहा। सवाल: क्या पुलिस ने सही कार्रवाई की?जवाब: हर किसी को पुलिस का काम से खुश ही रहना पड़ता है। वे जो भी कर रहे हैं, मैं उससे संतुष्ट हूं। सवाल: आपके बेटे पर लगा ईशनिंदा का आरोप सही है?जवाब: मैं नहीं जानता कि ये सही है या नहीं। मुझे भरोसा है कि मेरा बेटा ऐसा कुछ नहीं कर सकता। सवाल: क्या शेख हसीना की सरकार में ज्यादा सुरक्षित माहौल था?जवाब: मेरे बेटे को मार दिया है। अगर वो जिंदा होता, तो मैं कह सकता था कि ये शेख हसीना से बेहतर सरकार है, लेकिन मेरा बेटा जिंदा नहीं है। सवाल: बेटे की मौत के लिए किसे जिम्मेदार मानते हैं?जवाब: मैं किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराना चाहता। सवाल: इस माहौल में परिवार को कितना सुरक्षित पाते हैं?जवाब: हमें धमकियां मिल रही हैं। कुछ लोग आए थे, बोले कि तुम्हें यहां नहीं रहने देंगे। सवाल: क्या किसी हिंदू संगठन ने आपकी मदद की है?जवाब: हां, मदद मिली है। मैं उनके नाम तो नहीं जानता, लेकिन कई लोगों ने मुझे फोन किया। सवाल: अगर भारत सरकार आपको शरण देती है, तो क्या जाएंगे?जवाब: अगर शरण मिलती है, तो जरूर जाएंगे। भाई बोले- यहां हर रोज हिंदुओं को मारा जा रहादीपू के भाई कार्तिक दास दैनिक भास्कर से कहते हैं कि अगर मेरे भाई ने कुछ गलत किया होता, तो उसका कोई वीडियो जरूर होता। कोई वीडियो नहीं है। आजकल तो हर जगह स्मार्टफोन हैं, बच्चों तक के पास मोबाइल होते हैं, ऐसे में किसी तरह का सबूत न होना शक पैदा करता है। मेरे भाई पर लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं। उसे जानबूझकर मारा गया। ऐसा बांग्लादेश के कई हिस्सों में लगातार हो रहा है। हर दिन हिंदुओं की हत्या हो रही है। सरकार बोली- देश में ऐसी हिंसा के लिए जगह नहींदीपू मेमनसिंह जिले के भालुका में टैक्सटाइल कंपनी पायनियर निटवेयर्स में काम करते थे। सोर्स बताते हैं कि फैक्ट्री में अफवाह फैली कि दीपू ने ईशनिंदा की है। फैक्ट्री के बाहर भी ये खबर पहुंच गई। रात करीब 9 बजे तक फैक्ट्री के बाहर भीड़ इकट्ठा हो गई। कुछ वीडियो सामने आए हैं, जिनमें दीपू पुलिस की कस्टडी में दिख रहा है। आरोप है कि पुलिसवालों ने ही उसे भीड़ को सौंप दिया। भीड़ उसे खींच कर ले गई। लात, घूंसों और डंडों से उसे पीटना शुरू कर दिया। उसके कपड़े फाड़ दिए। इसी दौरान दीपू की मौत हो गई, तो उसके गले में रस्सी का फंदा डालकर डेडबॉडी सड़क किनारे पेड़ से लटका दी। फिर उसमें आग लगा दी। हालांकि, भालुका पुलिस स्टेशन के ड्यूटी ऑफिसर रिपन मियां के मुताबिक, पुलिस मौके पर पहुंचती, तब तक दीपू की मौत हो गई थी। भीड़ भी जा चुकी थी। दीपू चंद्र दास की हत्या पर बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने कहा है कि नए बांग्लादेश में ऐसी हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है। दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। रैपिड एक्शन बटालियन ने इस मामले में 7 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनके नाम मोहम्मद लिमन सरकार, मोहम्मद तारिक हुसैन, मोहम्मद माणिक मिया, इरशाद अली, निजुमउद्दीन, आलमगीर हुसैन और मोहम्मद मिराज हुसैन अकौन हैं। सरकार भले नए बांग्लादेश की बात कर रही है, लेकिन दीपू के छोटे से घर में सन्नाटा पसरा है। घर में दीपू की मां, पिता के अलावा दो भाई हैं। एक भाई वर्कशॉप में काम करता है और दूसरा 8वीं में पढ़ रहा है। पिता मजदूरी करते हैं। पड़ोसी अब दीपू के परिवार से बात नहीं करना चाहते। स्टूडेंट लीडर उस्मान हादी की हत्या के बाद हिंसा भड़कीदीपू चंद्र की हत्या जिस वक्त हुई, उसी दौरान बांग्लादेश में हिंसा भड़की हुई थी। इंकिलाब मंच के लीडर 32 साल के शरीफ उस्मान बिन हादी की मौत के बाद से राजधानी ढाका समेत 4 शहरों में आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाएं हुई हैं। उस्मान हादी अगस्त 2024 में शेख हसीना सरकार के विरोध में हुए छात्र आंदोलन के लीडर थे। वे शेख हसीना और भारत विरोधी माने जाते थे। 12 दिसंबर को उन्हें चुनाव प्रचार के दौरान गोली मार दी गई थी। यूनुस सरकार ने उन्हें इलाज के लिए सिंगापुर भेजा था, लेकिन 18 दिसंबर को हादी की मौत हो गई। इससे भड़की भीड़ ने बांग्लादेश के दो बड़े अखबारों द डेली स्टार और प्रोथोम आलो के ऑफिस में आग लगा दी। आरोप है कि हादी के समर्थक इलियास हुसैन ने फेसबुक पोस्ट के जरिए लोगों से राजबाग एरिया में इकट्ठा होने के लिए कहा था। बांग्ला अखबार प्रथोमो आलो और अंग्रेजी अखबार द डेली स्टार के दफ्तर इसी जगह हैं। उस्मान हादी अपनी तकरीरों में प्रोथोम आलो और द डेली स्टार अखबार की आलोचना करते थे। उन्हें हिंदुओं का पक्षधर बताते थे और इन अखबारों के सेक्युलर होने पर आलोचना करते थे। मीडिया हाउस के ऑफिसों में आग लगाने के अलावा भीड़ ने ढाका के धनमंडी में पूर्व राष्ट्रपति शेख मुजीबुर रहमान के पहले ही ढहाए जा चुके घर में भी तोड़फोड़ की। भीड़ घर के बचे हिस्से गिराने की कोशिश करती दिखी। प्रदर्शनकारियों ने चट्टोग्राम में सहायक भारतीय उच्चायुक्त के घर पर पत्थर फेंके। हालांकि कोई नुकसान नहीं हुआ। हिंदू नेता बोले- घर से निकलने में डर लग रहाबांग्लादेश की कुल आबादी 16.5 करोड़ में करीब 1.31 करोड़ यानी 8% हिंदू हैं। अगस्त, 2024 में प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा की कई घटनाएं सामने आई हैं। सत्ता से हटने के बाद शेख हसीना बांग्लादेश से भारत आ गई थीं। अब हालत ऐसी है कि हिंदू समुदाय के लोग घरों के बाहर निकलने से डर रहे हैं। बांग्लादेश हिंदू बौद्ध क्रिश्चियन यूनिटी काउंसिल के महासचिव महिंद्र कुमार नाथ कहते हैं, ‘हिंदू युवक की हत्या बांग्लादेश में बन रहे माहौल को दिखाती है। यहां पहले भी ईशनिंदा का बहाना बनाकर हत्याएं की गईं हैं।’ ‘बांग्लादेश में कट्टरपंथी हावी हो रहे हैं। वे दूसरे समुदाय के लोगों को अपने आसपास नहीं देखना चाहते। बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के पूजा स्थलों को निशाना बनाना और उनकी हत्याएं आम बात हो गई है।’ महिंद्र कहते हैं, ‘बांग्लादेश का माहौल अब अल्पसंख्यकों के लिए मुश्किल हो गया है। आपके साथ, कब क्या बुरा हो जाए, कुछ नहीं कहा जा सकता। हिंदू नेताओं के घरों पर हमले किए जा रहे हैं। उदारवादी मुस्लिमों पर भी हमले हो रहे हैं। मौजूदा वक्त हसीना सरकार के वक्त से भी ज्यादा खराब है।’
‘मेरा अस्थि विसर्जन तब तक नहीं होना चाहिए, जब तक कि दोषियों को सजा न मिल जाए। अगर इतने सबूत होने के बाद भी कोर्ट दोषियों को बरी कर देता है, तो मेरी अस्थियों को कोर्ट के बाहर किसी गटर में बहा देना चाहिए, ताकि मैं ये जान जाऊं कि इस देश में किसी जिंदगी की क्या कीमत है।’ ये बेंगलुरु के AI इंजीनियर अतुल सुभाष की आखिरी इच्छा थी। 34 साल के अतुल ने 9 दिसंबर, 2024 को 24 पेज का सुसाइड लेटर लिखा, 1 घंटे 20 मिनट का वीडियो बनाया और घर में ही फांसी लगा ली। उन्होंने पत्नी निकिता सिंघानिया और उनकी फैमिली पर परेशान करने, पैसे वसूलने का आरोप लगाया था। एक साल हो गया, अतुल सुभाष की अस्थियां अब भी घर में रखी हैं। निकिता सिंघानिया, उनकी मां निशा और भाई अनुराग जमानत पर बाहर हैं। निकिता पहले दिल्ली में काम करती थीं, अब हरियाणा की टेक कंपनी में नौकरी कर रही हैं। अतुल ने जौनपुर फैमिली कोर्ट की एक महिला जज पर भी आरोप लगाया था। उनका ट्रांसफर और प्रमोशन हो चुका है। हालांकि, अतुल के केस की चार्जशीट दाखिल होने के बावजूद केस में पहली सुनवाई नहीं हुई है। एक साल बाद 4 सवाल बाकी…1. अतुल सुभाष केस में सबूत होने के बावजूद आरोपियों को जमानत कैसे मिली?2. जिस चार्जशीट को 90 दिन में पेश किया जाना था, उसे दाखिल होने में 11 महीने क्यों लगे?3. मामले की सुनवाई क्यों शुरू नहीं हो पा रही है?4. अतुल के बेटे की कस्टडी किसे मिलेगी? इन सवालों के जवाब जानने के लिए हमने अतुल-निकिता की फैमिली और उनके वकीलों से बात की। ‘सुसाइड, सबूत के बावजूद कोर्ट ने कहा- एक साल बाद सुनवाई करेंगे’अतुल के छोटे भाई विकास मोदी दिल्ली में नौकरी कर रहे हैं। माता-पिता बिहार में हैं। अतुल के सुसाइड केस पर विकास कहते हैं, ‘भैया की मौत 9 दिसंबर 2024 को हुई थी। पुलिस उसके आरोपियों को एक हफ्ते तक पकड़ नहीं पाई। 15 दिसंबर को निकिता और उसके घरवालों को गिरफ्तार किया गया। 4 जनवरी को उन्हें जमानत मिल गई। बेंगलुरु से लेकर यूपी तक इस केस की जांच चलती रही, लेकिन आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई।’ ‘नियम के मुताबिक, 90 दिन के अंदर चार्जशीट दाखिल हो जानी चाहिए थी, लेकिन इस केस में 11 महीने बाद 6 नवंबर, 2025 को दायर की गई। अगले दिन सबसे अजीब बात हुई। बेंगलुरु की मजिस्ट्रेट कोर्ट ने केस की पहली सुनवाई की तारीख सीधे 20 नवंबर, 2026 रख दी। यानी अतुल के मौत के करीब दो साल बाद।’ ‘ये बहुत बड़ा गैप था। हमने विरोध किया। सोशल मीडिया पर लोगों ने इस फैसले पर हैरानी जताई। विवाद बढ़ा तो बेंगलुरु कोर्ट ने सुनवाई की नई तारीख मार्च, 2026 तय कर दी। ये भी काफी लंबा वक्त था। हमने सोशल मीडिया पर विरोध जारी रखा। इसके बाद कोर्ट ने 5 दिसंबर, 2025 को पहली सुनवाई की तारीख तय कर दी।’ विकास आगे कहते हैं, ‘अतुल के लिए मम्मी-पापा और मैंने बिहार से बेंगलुरु और फिर जौनपुर तक लड़ाई लड़ी। 5 दिसंबर को हम कोर्ट पहुंचे, तो पता चला कि निकिता और उसका परिवार पेशी पर नहीं आया है। इसलिए सुनवाई नहीं हो पाएगी।’ ‘अतुल ने अपने सुसाइड वीडियो में कहा था कि निकिता कोर्ट आती थी, तो उसे अपने बेटे को देखने तक नहीं देती थी। मेरे मरने के बाद निकिता बच्चे को मोहरा बनाकर ये केस लड़ेगी। आखिरकार, अतुल की बात सच साबित हुई। निकिता के वकील ने कोर्ट को बताया कि बच्चे का एग्जाम है, इसलिए वो सुनवाई में नहीं आ सकती। कोर्ट ने उसकी मांग मानते हुए सुनवाई टाल दी।’ विकास आगे कहते हैं, ‘मैंने सवाल उठाया कि अगर आरोपी नंबर 1 नहीं आ सकती, तो आरोपी नंबर दो (निशा सिंघानिया) और आरोपी नंबर तीन (अनुराग सिंघानिया) क्यों हाजिर नहीं हुए। आरोपी पक्ष के वकील के पास इसका जवाब नहीं था। बावजूद इसके केस की सुनवाई जनवरी 2026 तक टाल दी गई है।’ केस की तारीखें बढ़ने से परेशान विकास मोदी कहते हैं, ‘मेरा भाई सुसाइड नोट में एक-एक सबूत और वीडियो देकर गया है। उन चीजों की जांच क्यों नहीं हुई। अगर जांच हुई भी है, तो उसे क्यों गुपचुप तरीके से बंद कर दिया गया। सच लोगों के सामने क्यों नहीं लाया गया।’ विकास आगे कहते हैं, ‘लोग जानते हैं कि अतुल सुभाष ने सुसाइड कर ली, लेकिन वो अब भी हमारे साथ हैं। उनकी अस्थियां आज भी घर के मंदिर के पास एक कलश में बंद हैं। एक साल से इंसाफ का इंतजार कर रही हैं। मैं, पापा-मम्मी कोशिश कर रहे हैं कि अतुल को जल्द इंसाफ मिले। ऐसा नहीं होता है तो हम अतुल की अस्थियों के साथ खुद को खत्म कर लेंगे।’ अतुल के सुसाइड नोट की अहम बातें…अतुल ने सुसाइड नोट की शुरुआत 'जस्टिस इज ड्यू' यानी 'इंसाफ बाकी है' से की थी। अतुल अपने बारे में लिखते हैं कि मेरी पत्नी ने मेरे खिलाफ 9 केस दर्ज करवाए। 2022 में हत्या की कोशिश और अननेचुरल सेक्स का भी एक मामला है। हालांकि बाद में उसने ये केस वापस ले लिया था। बाकी केस में दहेज प्रताड़ना, तलाक और मेंटेनेंस के मामले हैं, जो जिला कोर्ट और हाईकोर्ट में चल रहे हैं। अतुल ने जौनपुर कोर्ट के प्रिंसिपल फैमिली जज, पत्नी निकिता सिंघानिया, साले अनुराग सिंघानिया, सास निशा सिंघानिया और पत्नी के चाचा सुशील सिंघानिया पर गंभीर आरोप लगाए थे। जौनपुर कोर्ट में काम करने वाले पेशकार माधव पर भी घूस लेने का आरोप लगाया। नोट में उन्होंने सुनवाई के दौरान बातचीत का ब्योरा भी लिखा है। अतुल बताते हैं कि कैसे कोर्ट में ही उनकी पत्नी ने उन्हें खुदकुशी के लिए उकसाया था। पत्नी ने 3 करोड़ मांगे, कहा- तुम आत्महत्या क्यों नहीं कर लेते अतुल के मुताबिक, मेरी पत्नी ने केस सेटल करने के लिए पहले 1 करोड़ रुपए मांगे थे। बाद में 3 करोड़ रुपए मांगने लगी। 3 करोड़ रुपए की डिमांड के बारे में उन्होंने जौनपुर की फैमिली कोर्ट की जज को बताया तो उन्होंने भी पत्नी का साथ दिया। अतुल ने कहा कि मैंने जज को बताया कि NCRB की रिपोर्ट बताती है कि देश में बहुत सारे पुरुष झूठे केस की वजह से आत्महत्या कर रहे हैं, तो पत्नी ने बीच में कहा कि तुम भी आत्महत्या क्यों नहीं कर लेते हो। इस बात पर जज हंस पड़ी और कहा कि ये केस झूठे ही होते हैं, तुम परिवार के बारे में सोचो और केस को सेटल करो। मैं केस सेटल करने के 5 लाख रुपए लूंगी। निकिता ने अतुल पर दहेज और घरेलू हिंसा जैसे 9 केस दर्ज करवाएअतुल की मौत के बाद बेंगलुरु की मराठाहल्ली पुलिस इस केस की जांच कर रही थी। पुलिस ने अतुल के घर से सुसाइड नोट, लैपटॉप, मोबाइल फोन और कुछ दस्तावेज जब्त किए। इन्हीं के आधार पर निकिता सहित उनकी मां और भाई से पूछताछ की गई। जांच के दौरान करीब 3 हफ्ते तक निकिता और उनका परिवार बेंगलुरु पुलिस की कस्टडी में रहा। 4 जनवरी 2025 को सभी आरोपियों को जमानत मिल गई। निकिता ने जौनपुर फैमिली कोर्ट में अतुल के खिलाफ 9 केस दर्ज करवाए थे। इनमें हत्या की कोशिश, दहेज प्रताड़ना, घरेलू हिंसा, मानसिक प्रताड़ना और अवैध संबंधों जैसे आरोप लगाए गए थे। इन मामलों की सुनवाई जौनपुर कोर्ट में चल रही थी। इसी दौरान अतुल ने बेंगलुरु में सुसाइड कर लिया। हमने केस पर बात करने के लिए निकिता को फोन किया। उनका फोन बंद आया। निकिता से बात होने पर खबर में अपडेट किया जाएगा। इसके बाद हमने निकिता के वकील रह चुके विवेक कुमार से बात की। विवेक बताते हैं, ‘अब अतुल और निकिता के पक्षों ने इस केस में अपने पुराने वकीलों को बदल दिया है। नए वकील दिल्ली के हैं।' अतुल ने जिस जज पर करप्शन का आरोप लगाया, उनका ट्रांसफर हुआ अतुल ने सुसाइड नोट में तब की जौनपुर फैमिली कोर्ट की प्रिंसिपल जज और उनके पेशकार माधव पर रिश्वतखोरी के आरोप लगाए थे। उन्होंने लिखा था कि कोर्ट में तारीख और फैसले के लिए रिश्वत देना आम है। माधव हर व्यक्ति से 50 रुपए वसूलता है। कई लोगों को 500 से 1000 रुपए तक देना पड़ता है। अतुल ने ये भी आरोप लगाया कि महिला जज ने 21 मार्च 2024 को उनसे 5 लाख रुपए रिश्वत मांगी थी। माधव ने 2022 में उनसे 3 लाख रुपए की मांग की थी, ताकि आदेश उनके पक्ष में आए। अतुल ने रिश्वत देने से इनकार कर दिया। इसलिए फैमिली कोर्ट उनके खिलाफ हो गई। हमने महिला जज के बारे में पता किया। पता चला कि उनका अक्टूबर में प्रमोशन हो गया। जौनपुर के बाद उनकी पोस्टिंग बतौर जिला एवं सत्र न्यायाधीश अंबेडकर नगर हो गई। इस समय वह हरदोई की जिला जज हैं। अतुल के वकील बोले- बच्चे की कस्टडी के लिए केस फाइल कियाअतुल सुभाष का केस लड़ रहे सीनियर एडवोकेट रूपेश सिंह कहते हैं, ‘निकिता के खिलाफ अतुल की फैमिली ने बेंगलुरु कोर्ट में धारा 306 के तहत आत्महत्या के लिए उकसाने का केस दर्ज करवाया है। उसमें अगली सुनवाई जनवरी 2026 में होनी है।’ रूपेश आगे कहते हैं, ‘इन बातों से ये साबित होता है कि एक साल बाद अब ये केस अब हमारे पक्ष में मुड़ गया है। सुप्रीम कोर्ट के डायरेक्शन पर हमने अतुल के बच्चे की कस्टडी के लिए नया केस फाइल किया है। हमें भरोसा है कि फैसला हमारे पक्ष में जाएगा।’ ........................................ये खबर भी पढ़िए क्या है तलाक-ए-हसन, जिसने बर्बाद की हिना-जरीना की जिंदगी झारखंड की रहने वाली हिना 2018 से एकतरफा तलाक के खिलाफ कोर्ट में केस लड़ रही हैं। उनका आरोप है कि तलाक शरिया कानून के मुताबिक नहीं हुआ। हिना के पति ने उन्हें तलाक-ए-हसन दिया था। इसकी 4 शर्तें होती हैं, जो उनके तलाक में पूरी नहीं की गईं। मुंबई की जरीना की भी ऐसी ही कहानी है। पढ़ें पूरी खबर...
DNA: डोनेशन दो, वापस हो जाएंगे केस...अब क्या करने जा रहे US के 'बॉस', समझें 'ट्रंप वॉरशिप' का मतलब
US Warship:ट्रंप सरकार ने अमेरिकी नौसेना के लिए नए युद्धपोत बनाने का ऑर्डर दिया है. इन नए युद्धपोतों को ट्रंप क्लास वॉरशिप कहा जाएगा. इस प्रोजेक्ट के तहत कुल 25 ट्रंप क्लास वॉरशिप तैयार किए जाएंगे. पहले युद्धपोत का नाम भी तय कर दिया गया है.ट्रंप के नाम पर बनाए जाने वाले पहले युद्धपोत का नाम होगा USS DEFIANT.
एपस्टीन फाइल्स में आया ट्रंप का नाम, 8 बार प्राइवेट जेट में किया सफर, ई-मेल में और क्या मिला?
Epstein files: घिसलेन मैक्सवेल को 2022 में नाबालिगों को अवैध यौन कृत्यों के लिए यात्रा में शामिल होने के लिए उकसाने की साजिश रचने और एक नाबालिग की यौन तस्करी के अपराध में 20 साल की सजा सुनाई गई थी. जिसके बाद अब हाल ही में जारी की गई फाइलों पर न्याय विभाग ने जवाब दिया है.
South Korea demographic crisis: कैसा रहे अगर आपको डेटिंग, शादी और बच्चे पैदा करने पर सरकार की तरफ से लाखों रुपए की सहायता दी जाए. सुनने में अजीब लग रहा है, लेकिन दुनिया का एक ऐसा देश है, जहां पर जोड़ों को डेटिंग, शादी और बच्चे पैदा करने वालों को लाखों रुपए दिए जा रहे हैं. दक्षिण कोरिया वो देश है, जिसने यह कदम उठाया है, लेकिन आप इसके कारण को जानकर चौंक जाएंगे कि आखिरकार सरकार ऐसा क्यों कर रही है.
बांग्लादेश में अब मीडिया भी कट्टरपंथी ताकतों के निशाने पर
बांग्लादेश में आगामी फरवरी में होने वाले आम चुनावों से पहले कट्टरपंथी ताकतें अब मीडिया का गला घोंटने का प्रयास कर रही हैं. देश के दो प्रमुख मीडिया संस्थानों पर हमला और आगजनी के अलावा एक पत्रकार की हत्या इसका सबूत है
Lalit Modi Instagram Post: भारत से भागर लंदन में बैठे भगोड़े ललित मोदी ने अपने इंस्टाग्राम हैंडलल पर एक वीडियो शेयर किया जिसमें वह खुद को भारत के सबसे बड़े भगोड़े बताते हुए दिख रहे हैं.
बांग्लादेश में हिंदू युवक की लिंचिंग के खिलाफ राजधानी दिल्ली में प्रदर्शन
पिछले हफ्ते बांग्लादेश में दीपू चंद्र दास नाम के एक हिंदू युवक की भीड़ ने हत्या कर दी. इस घटना के विरोध में, 23 दिसंबर को नई दिल्ली स्थित बांग्लादेश हाई कमीशन के बाहर प्रदर्शन हुआ, जिसमें शामिल लोगों की संख्या सैकड़ों में बताई जा रही है
बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों पर प्रियंका गांधी का पुराना वीडियो भ्रामक दावे से वायरल
बूम ने पाया कि कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी का यह वीडियो 2024 का है. पिछले साल की शीतकालीन सत्र के दौरान वह बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रही हिंसा के मुद्दे पर सरकार को घेर रही थीं.
श्रीलंका के राष्ट्रपति से मिलकर जयशंकर करेंगे मदद का वादा! सड़कों और पुलों को बनाएंगे चक-चक
S. Jaishankar in Sri Lanka: भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर तूफान दित्वाह के बाद श्रीलंका में हुई तबाही का जायजा लेने और ऑपरेशन सागर बंधु के तहत भारत की मदद की समीक्षा के लिए श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके से मुलाकात करेंगे.
British Man Rape Charges: ब्रिटेन में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है. यहां एक व्यक्ति पर अपनी पूर्व पत्नी को सालों तक नशीला पदार्थ देकर यौन शोषण करने का आरोप लगा है. पुलिस ने इस मामले में कुल छह लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है.
बांग्लादेश में फिर दहशत! NCP के बड़े नेता को मारी गोली, महिला की गिरफ्तारी से हड़कंप
Bangladesh Political Shooting: बांग्लादेश के खुलना शहर से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है. यहां नेशनल सिटिजन पार्टी (NCP) के नेता Mohammad Motaleb Sikder को गोली मार दी गई. यह घटना सोमवार को सोनाडांगा इलाके में गाजी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के पास एक घर में हुई.
US-Venezuela Conflict In Caribbean:कैरिबियन सागर में इन दिनों तनाव सबसे चरम पर है. अमेरिका ड्रग तस्करी रोकने के नाम पर बड़ी सैन्य ताकत दिखा रहा है, तेल टैंकर जब्त कर रहा है. लेकिन इसी बीच रूस ने कुछ ऐसा ऐलान किया है, जिसके बाद समीकरण बदल सकते हैं. वेनेजुएला को एक बड़ा भाई मिल गया है. समझें पूरी बात.
Russia Starlink Satellite Attack Plan: यूक्रेन युद्ध के बीच रूस को लेकर गंभीर आशंका सामने आई है. दो नाटो देशों की खुफिया एजेंसियों का दावा है कि रूस अंतरिक्ष में खतरनाक हथियार बनाने की योजना पर काम कर रहा है. इससे एक साथ कई स्टारलिंक सैटेलाइट्स को नुकसान पहुंचाया जा सके.

