‘मम्मी कभी मुझसे मिलने आइए, आपकी बहुत याद आती है। मैं जब से हॉस्टल आया हूं, आप एक बार भी मिलने नहीं आईं। पहले आप मुझे दिवाली पर गिफ्ट भेजती थीं। तीन साल हो गए, अब तो आपके गिफ्ट भी नहीं आते।’ झारखंड के धालभूमगढ़ के लोयोला बोर्डिंग स्कूल की बेंच पर बैठकर मम्मी का इंतजार कर रहा 13 साल का ध्रुव आम बच्चा नहीं है। ध्रुव जिन्हें मम्मी कह रहा है, वे देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू हैं। द्रौपदी मुर्मू 2015 में झारखंड की राज्यपाल थीं। तब उन्होंने ध्रुव को गोद लिया था। तब वो सिर्फ तीन साल का था। अब 8वीं में पढ़ता है। तीन साल पहले 25 जुलाई, 2022 को द्रौपदी मुर्मू भारत की 15वीं राष्ट्रपति बनीं। इसके बाद से ही ध्रुव को ‘मम्मी’ का इंतजार है। (ध्रुव की असली मां सुनीति रेप विक्टिम हैं, इसलिए स्टोरी में दोनों के नाम बदले गए हैं ) ‘मम्मी राजभवन बुलाती थीं, गोद में बिठाकर चॉकलेट खिलाती थीं’दैनिक भास्कर की टीम ध्रुव के पास पहुंची तब वो स्कूल के बाहर बेंच पर बैठा था। नाम पूछने पर बस हल्के से मुस्कराकर सिर हिलाया। बातचीत में ध्रुव धीरे-धीरे खुलता है। कहता है, ‘मैं 8वीं में पढ़ता हूं। इस स्कूल में 2019 में आया था। मेरा एडमिशन द्रौपदी मुर्मू ने करवाया था। वे भारत की राष्ट्रपति हैं। और मैं उन्हें मम्मी कहता हूं।’ ‘मैं छोटा था, तो मम्मी राजभवन बुलवाती थीं। चॉकलेट देती थीं। गिफ्ट भेजती थीं। अब तीन साल से कोई बात नहीं हुई। दिवाली आती है, तो पूछता हूं मम्मी ने कुछ भेजा क्या। हर बार जवाब नहीं में होता है।’ लोहे की पेटी में चार कपड़े, तौलिया और चप्पलध्रुव हमें हॉस्टल के अंदर ले गया। उस दिन रविवार होने की वजह से क्लास नहीं थी। कुछ बच्चे खुद से पढ़ रहे थे। ध्रुव ने हमसे पहले फ्लोर पर चलने के लिए कहा। वहां स्टूडेंट्स के लिए डॉरमेट्री है। 60 से 70 बच्चों के बिस्तर लगे हैं। लोहे की रेक में स्टूडेंट्स की पेटियां रखी हैं। इन्हीं में एक बिस्तर और पेटी ध्रुव की है। ध्रुव पेटी खोलकर दिखाता है। अंदर कुछ कपड़े हैं, एक तौलिया और चप्पल। इन्हीं से ध्रुव का गुजारा होता है। ध्रुव तीन साल की उम्र में पहली बार राजभवन गया था। अब उसकी जिंदगी स्कूल तक सिमट गई है। कई बार उसके पास जरूरत की चीजें भी नहीं होतीं। वो उदासी भरी आवाज में कहता है, ‘घर से कुछ नहीं आता। साबुन, वॉशिंग पावडर, पेन तक दोस्तों से मांगना पड़ता है। मैं भी चाहता हूं कि बाकी बच्चों की तरह मेरे पास कपड़े और खाने का सामान हो।’ फिर हल्की मुस्कान के साथ कहता है, ‘पहले मम्मी सब भेजती थीं। उन्हें बहुत याद करता हूं। उनकी याद आती है, तो हॉस्टल में कहीं भी चुपचाप बैठ जाता हूं।’ ‘हॉस्टल में सफाई नहीं करूंगा तो निकाल देंगे’बातों-बातों में हमने ध्रुव से पूरे दिन का रूटीन पूछा। पता चला उसे हॉस्टल में काम भी करना पड़ता हैं। हमने पूछा किस तरह का काम? जवाब मिला- बाथरूम की सफाई, किचन में झाड़ू-पोछा, जैसे काम। हमने पूछा- हॉस्टल में इन कामों के लिए स्टाफ नहीं है? ध्रुव बताता है, ‘नहीं। हम लोग ही सब करते हैं। हम सफाई नहीं करेंगे, तो हॉस्टल गंदा दिखेगा। इसलिए हमें सफाई करने का काम दिया जाता है। काम नहीं करो, तो डांट पड़ती है। कहते हैं, हॉस्टल से निकाल देंगे। इसलिए सभी बच्चे काम करते हैं। ध्रुव की असली मां सुनीति की कहानीध्रुव की असली मां सुनीति झारखंड के जियान गांव में खपरैल वाले मिट्टी से बने घर में रहती हैं। घर के पास एक हैंडपंप लगा है। यहां एक तारीख लिखी है-12 सितंबर, 2015। यही वो दिन था जब सुनीति पहली बार बेटे को लेकर राजभवन पहुंची थीं। ध्रुव के परिवार में 12 लोग है। दो मामा, मामी और उनके बच्चे। नानी और मम्मी भी इसी घर में रहती हैं। घर में सिर्फ दो लोग कमाने वाले है। बड़े मामा मजदूरी करते है और छोटे मामा ड्राइवर हैं। ध्रुव की मां पत्तों से दोने-पत्तल बनाकर बेचती हैं। इससे वे भी कुछ पैसे कमा लेती है। हालांकि, इतने में ध्रुव को उसकी जरूरत की सभी चीजें नहीं दिलवा सकतीं। सुनीति दिव्यांग हैं। गुलाछ मुंडा नाम के एक नक्सली ने उनसे रेप किया था। इससे ध्रुव का जन्म हुआ। गुलाछ पहले से शादीशुदा था। उसके दो बच्चे भी थे। गांव की पंचायत ने गुलाछ से कहा कि वो सुनीति के बच्चे को अपना नाम दे। इसके बावजूद गुलाछ ने ध्रुव को कभी अपने साथ नहीं रखा। इसके एक साल बाद पुलिस के साथ मुठभेड़ में गुलाछ की मौत हो गई। सुनीति के पास बच्चे को पालने के लिए कुछ नहीं था। 2015 में उन्होंने ध्रुव को गोद देने का फैसला लिया। एक अखबार के जरिए अपील की- ‘कोई मेरे बच्चे को गोद ले ले।’ द्रौपदी मुर्मू तक खबर पहुंची और ध्रुव की किस्मत बदल गईसुनीति की अपील तब झारखंड की राज्यपाल रहीं द्रौपदी मुर्मू तक पहुंची। उन्होंने मां-बेटे को राजभवन बुलवाया। ध्रुव को गोद में लिया और सुनीति से कहा कि अब इसकी पढ़ाई और देखभाल की जिम्मेदारी मेरी है। इसके बाद ध्रुव का बोर्डिंग स्कूल में एडमिशन कराया गया। उसकी 10 साल की फीस भर दी गई। त्योहारों पर अफसर उसके लिए गिफ्ट लेकर जाने लगे। ‘द्रौपदी मुर्मू ने कहा था- हमेशा कॉन्टैक्ट में रहूंगी’सुनीति बताती हैं, ‘पहली बार मैं बेटे को लेकर राजभवन गई थी, तब राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कहा था- जो कुछ भी हुआ, वो अमानवीय है। अब आप अकेली नहीं हैं। मैं हमेशा आपके संपर्क में रहूंगी। उन्होंने सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने, घर के बाहर बोरिंग करवाने और पाइप से पानी पहुंचाने के लिए कहा। ये सब तो हो गया, लेकिन उन्होंने कहा था कि काम दिलाएंगी। ये वादा अब तक अधूरा है।’ राष्ट्रपति बनने के बाद ध्रुव से आखिरी मुलाकातराष्ट्रपति बनने के 3 महीने 21 दिन के बाद द्रौपदी मुर्मू भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर उनके गांव उलिहातू आई थीं। ध्रुव को उन्होंने खास मेहमान की तरह बुलाया था। सुनीति भी साथ गई थीं। राष्ट्रपति ने ध्रुव को गोद में लिया। सुनीति से हालचाल पूछा। यही उनसे आखिरी मुलाकात थी। सुनीति कहती हैं, ‘मुझे बेटे पर गर्व है। वो बहुत अच्छा है। घर आता है, तो पूछता है, मम्मी ने कुछ भेजा क्या। मैं मना करती हूं, तो उदास हो जाता है। उससे कहिएगा कि मां उसे बहुत याद करती है। वो पढ़ाई पूरी करके बड़ा आदमी बने।’ ध्रुव के मामा बताते हैं, ‘गुलाछ ने मेरी बहन के साथ गलत काम किया, तब हम घर पर ही थे। तब सभी लोग गुलाछ से डरते थे। इसलिए हमने पुलिस को कुछ नहीं बताया। दो महीने बाद हम लोग गांव से बाहर चले गए। फिर पता चला की बहन प्रेग्नेंट है।' 'हमने गुलाछ से बात की, उसने बच्चे और मेरी बहन को अपनाने से इनकार कर दिया। बच्चा होने के बाद हमने गांव में पंचायत बुलाई। गांव वालों के दबाव से गुलाछ ने बहन से रेप की बात मान ली, बच्चे को नहीं अपनाया।’ स्कूल में राजभवन से लेटर, तब ध्रुव का एडमिशनध्रुव के स्कूल के फादर नीरल देओगम बताते हैं, ‘ध्रुव के एडमिशन में कोई छिपी बात नहीं है। सब कुछ कानूनी तरीके से हुआ है। एडमिशन के लिए राज्यपाल के पर्सनल सेक्रेटरी जेपी दास ने मुझसे बात की थी। बात होने के बाद राजभवन से लेटर हेड आया।’ ‘द्रौपदी मुर्मू के प्रिंसिपल सेक्रेटरी और पर्सनल सेक्रेटरी रांची से जमशेदपुर आए। इसके बाद बच्चे का एडमिशन किया गया। उन्होंने दूसरी क्लास से 10वी़ तक की फीस जमा करवाई। तब स्कूल 10वीं तक ही था। अब 12वीं क्लास तक बनाया जा रहा है।’ ध्रुव के एडमिशन से लेकर मदद पहुंचाने में अधिकारियों से बात की। पहले अधिकारी: अशोक कुमारअशोक कुमार 2015 में ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसर थे, जब ध्रुव और उनकी मां पहली बार राजभवन द्रौपदी मुर्मू से मिलने गए थे। इस बारे में पूछने पर वे कहते है, ‘हां, मै उनके साथ गया था। अब मुझे कुछ पता नहीं है। मेरा वहां से ट्रांसफर हो गया है।’ इतना कहकर उन्होंने फोन काट दिया। दूसरी अधिकारी- स्मिता नागेसियाBDO स्मिता नागेसिया दिवाली पर ध्रुव के लिए गिफ्ट लेकर उसके घर गई थीं। ये गिफ्ट राजभवन से भेजे जाते थे। अब उनका भी ट्रांसफर हो गया है। वे कहती हैं, ‘गिफ्ट राजभवन से आते थे। मैं उनके घर जाकर सौंप देती थी, बस इतना ही था।’ इसके बाद हमने पूर्वी सिंहभूम के डिप्टी कमिश्नर कर्ण सत्यार्थी से बात की। उनसे ध्रुव के बारे में पूछा। उन्होंने जवाब दिया- मुझे अभी इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। राजभवन से पता करके ही कुछ बता पाऊंगा। उन्होंने हमसे बच्चे का नाम और पूरी डिटेल भेजने के लिए कहा। इसके बाद उनका जवाब नहीं आया। मौजूदा राज्यपाल बोले- ये मामला मेरी जानकारी में नहीं हैअफसरों से कोई ठोस जवाब न मिलने पर हमने झारखंड के राज्यपाल संतोष गंगवार से बात की। ध्रुव के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, ‘अभी मैं रांची में नहीं हूं। मैं इसे पता करूंगा। इसके बाद ही कुछ बता पाऊंगा।’ हमने इस बारे में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के प्रेस सेक्रेटरी अजय सिंह से भी बात करने की कोशिश की। मैसेज भेजने और दो बार कॉल करने के बाद भी उनकी ओर से कोई जवाब नहीं मिला। ................................... ये ग्राउंड रिपोर्ट भी पढ़िएतीन तलाक, अनजान शख्स से जबरन हलाला, प्रोफेसर ने मां के लिए शुरू की कानूनी लड़ाई बिहार के किशनगंज के बोहिता गांव की रुकैया खातून का 46 साल पहले मोहम्मद आरिफ से निकाह हुआ था। एक साल बाद पति ने मारना-पीटना शुरू कर दिया। निकाह के 8 साल बाद आरिफ ने दूसरी शादी कर ली। फिर 1994 में रुकैया को तीन तलाक दे दिया। फिर अनजान शख्स से जबरन हलाला करवाया। अब रुकैया के बेटे रकीब उनके लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। पढ़िए पूरी खबर...
’पहलगाम हमले ने टूरिज्म को गहरी चोट पहुंचाई है। पहले अप्रैल, मई और जून में 90 दिन का पीक सीजन रहता था। हाउस बोट, होटल और ड्राइवर सबके लिए यही कमाई का वक्त था। अब सब ठंडा पड़ा है। उम्मीद थी कि अमरनाथ यात्रा शुरू होगी तो शायद हालात बदलें। यात्रा तो अच्छी चल रही है, लेकिन टूरिस्ट नहीं आ रहे।’ श्रीनगर में हाउस बोट चलाने वाले मोहम्मद याकूब आस-पास पसरे सन्नाटे से मायूस हैं। 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के तीन महीने बाद भी कश्मीर में टूरिज्म ठप पड़ा है। पहले सुरक्षा के चलते 87 में से 48 टूरिस्ट स्पॉट बंद थे। अब वो भी खोल दिए गए हैं लेकिन टूरिस्ट नहीं आ रहे हैं। हालांकि, अमरनाथ यात्रा की वजह से पहलगाम और सोनमर्ग में कुछ जगहें अब भी बंद हैं। कश्मीर में टूरिज्म ही इनकम का जरिया है। टैक्सी, होटल, बोट और घोड़े वालों से लेकर कपड़ा बाजार तक की कमाई इसी पर निर्भर है। न के बराबर टूरिस्ट आने से इनकी जिंदगी मुश्किल हो गई है। कई कर्ज लेकर खर्च चलाने को मजबूर हैं। गुलमर्ग के रहने वाले मोहम्मद सुभान इन्हीं में से एक हैं। वे गुलमर्ग में पिछले 10 साल से ATV बाइक चला रहे हैं। अब पहलगाम के बाद काम ठप हुआ तो बच्चों की पढ़ाई के लिए कर्ज में डूब गए हैं। कश्मीर में सबसे ज्यादा टूरिस्ट्स श्रीनगर, गुलमर्ग, सोनमर्ग और पहलगाम ही पहुंचते हैं। हमले के लगभग 3 महीने बाद अब टूरिज्म किस हाल में है, ये जानने के लिए दैनिक भास्कर कश्मीर पहुंचा। श्रीनगर की डल झील से लेकर बोट हाउस तक सब खालीकश्मीर का जिक्र आते ही जेहन में सबसे पहली तस्वीर श्रीनगर के लाल चौक की आती है। इसके बाद बॉलीवुड फिल्मों की फेवरेट डल-झील याद आती है। कश्मीर आने वाले भी सबसे पहले श्रीनगर में इन दो जगहों पर ही जाते हैं। हम भी सबसे पहले डलझील पहुंचे। ये टूरिस्ट्स का फेवरेट स्पॉट है, लेकिन यहां अब भी सन्नाटा पसरा है। डल-झील पर ज्यादातर टूरिस्ट बोटहाउस में ही रुकते हैं। झील से लेकर बोटहाउस तक सब खाली ही नजर आया। वीकेंड के चलते यहां के कुछ लोकल लोग परिवारों के साथ यहां जरूर दिख गए, लेकिन बाहरी टूरिस्ट बमुश्किल ही आ रहे हैं। कश्मीर हाउस बोट ओनर्स एसोसिएशन के पूर्व जनरल सेक्रेटरी मोहम्मद याकूब हमें बोटहाउस वालों का हाल बताते हैं। डल झील में याकूब का न्यू गोल्डन फ्लावर हाउस बोट है। ये उनके परिवार का खानदानी काम है। 1916 से चल रहे इस काम आगे बढ़ाने वाले परिवार की चौथी पीढ़ी हैं। याकूब के मुताबिक, उनकी हाउस बोट पर माधवराव सिंधिया, लता मंगेशकर, शम्मी कपूर, ओम प्रकाश और जुबिन मेहता जैसे लोग रुक चुके हैं। स्कूल फीस नहीं भर सके, बच्चों की पढ़ाई रुकीयाकूब बताते हैं, ‘पिछले तीन सालों में आर्टिकल-370 हटने के बाद सब बढ़िया चल रहा था। खूब टूरिस्ट आ रहे थे। पहलगाम हमले के बाद उसका 4-5% ही रह गया है। तीन कमरों वाले हाउस बोट से पहले रोज 13,500 रुपए कमा लेता था। पहलगाम हमले से 15 जून तक करीब 1 लाख रुपए का नुकसान हुआ। मेरा 13 लोगों का परिवार इसी पर निर्भर है। अब बच्चों की फीस तक नहीं भर पा रहे हैं। इसी वजह से स्कूल ने उन्हें एग्जाम में नहीं बैठने दिया।‘ याकूब सरकार और प्रशासन से किसी भी तरह की मदद न मिलने से नाराज भी हैं। वे कहते हैं, ‘हाउस बोट और ड्राइवरों का कारोबार हैंड-टू-माउथ है। ये कुदरत का करिश्मा है कि हम जिंदा हैं। कर्ज लेकर और घर का सोना बेचकर हमने प्री-बुकिंग वालों के पैसे लौटाए।‘ लाल चौक सूना, व्यापारी बोले- सरकार बस रोजी-रोटी चलवा देइसके बाद शाम के वक्त हम लाल चौक पहुंचे। आम दिनों में शाम के वक्त यहां काफी भीड़ जमा होती है। लाल चौक का मार्केट खरीदारी के लिए फेमस है। वहीं इसके बीचोंबीच बना क्लॉक टावर (घंटाघर) सेल्फी पॉइंट है। रविवार के दिन भी बमुश्किल ही भीड़ दिख रही थी। अमरनाथ यात्रा से लौटे कुछ लोग जरूर शाम को चौक पर इकट्ठा हुए थे। वो झंडा लेकर फोटो खिंचवा रहे थे। इसके अलावा कुछ लोकल कश्मीरी ही थे। यहां शॉल बेचने वाले एक दुकानदार शौकीन ने कैमरे पर न आने की शर्त पर हमसे बात की। वे कहते हैं, ‘बिजनेस में इतना नुकसान हुआ है कि जवान लोग तो कश्मीर छोड़कर दूसरी जगह काम करने जा रहे हैं। जो बाहर नहीं जा सकते, वो दुकानों पर खाली बैठे हैं।‘ शब्बीर सरकार से व्यापारियों की मदद की अपील करते हुए कहते हैं कि बस रोजी-रोटी चलाने लायक मदद मिल जाए। गुलमर्ग पहुंच रहे टूरिस्ट, लेकिन सिर्फ 20% ही भीड़लाल चौक के बाद हम गुलमर्ग पहुंचे। ये श्रीनगर से करीब 50 किलोमीटर दूर है। श्रीनगर के बाद टूरिस्ट गुलमर्ग ही जाते हैं। यहां सर्दियों में काफी बर्फ रहती है इसीलिए लोग स्कीइंग, स्नो बोर्डिंग और स्केटिंग करने आते हैं। जबकि गर्मी की छुट्टियों में यहां लोग पहाड़ों वाली मोटरबाइक ATV और घंटोला यानी केबल कार की सवारी करते हैं। पहलगाम हमले के बाद सुरक्षा पहले से ज्यादा चाक-चौबंद है। श्रीनगर से निकलते ही हर थोड़ी-थोड़ी दूर पर सेना के जवान तैनात दिखे और चौकियां भी दिखीं। गुलमर्ग पहुंचने पर हमें विदेशी महिला टूरिस्ट्स का एक ग्रुप मिला। बात करने पर पता चला कि ग्रुप में 10 महिलाएं ताइवान और एक 1 इटली से आई हैं। ताइवान से आईं सिल्विया ने हमसे बात की। वो पहली बार कश्मीर आईं हैं। सिल्विया कहती हैं, ‘हमें कश्मीर बहुत पसंद आया। यहां के लोगों में बहुत मेहमान नवाज है। हम श्रीनगर से सफर शुरू करके यहां पहुंचे हैं। ये हमारा दूसरा हॉल्ट है। हम 11 दिन के लिए कश्मीर और लद्दाख घूमने आए हैं।‘ वे सुरक्षा इंतजामों पर कहती हैं कि बहुत सेफ और साफ-सुथरा माहौल है। हर जगह आर्मी है, इसलिए कोई डर नहीं। 3-4 सौ रुपए की कमाई, कर्ज लेकर घर चला रहेटूरिस्ट्स के इंतजार में कई ATV स्टैंड पर खड़ी हैं। हमने ATV चलाने वाले मोहम्मद सुभान से बात की। वे कहते हैं, ‘अच्छे सीजन में दिन के 3-4 हजार रुपए कमा लेते थे। हमले के बाद एक महीने तक कोई आया ही नहीं। परिवार में पांच लोग हैं। तीनों बच्चे पढ़ रहे हैं। मैं अकेला कमाने वाला हूं। अब कमाई नहीं हो रही, तो पड़ोसियों से या बगीचे वालों से कर्ज लेना पड़ता है। यहां हर व्यक्ति पर तकरीबन 2-4 लाख का कर्ज है।‘ गुलमर्ग के रहने वाले शब्बीर अहमद भी 10 साल से ATV ही चला रहे हैं। वे बताते हैं, ‘हमले के बाद से टूरिज्म 80% कम हो गया है। पहले सीजन में हर दिन 10,000 गाड़ियां आती थीं। एक एटीवी ड्राइवर 3-4 हजार रुपए कमा लेता था। हमले के बाद 8-10 दिन सब बंद रहा। अब धीरे-धीरे शुरू हुआ। सिर्फ 100-150 गाड़ियां ही आ रही हैं। कमाई घटकर 300-400 रुपए रह गई है। मेरे साथ 108 लोग एटीवी चलाते हैं, लेकिन अब गाड़ियां खड़ी हैं। शब्बीर कहते हैं, ‘मेरी दो बेटियां हैं, जो चौथी और पहली क्लास में पढ़ती हैं। 22 अप्रैल से स्कूल की फीस नहीं दी। कर्ज लेकर और बचे हुए पैसों से घर चल रहा है। स्कूल वाले फीस मांगते हैं, लेकिन हमें यही कहना पड़ता है कि टूरिस्ट आएंगे तभी तो भर पाएंगे।‘ पहलगाम की वजह से डरे थे, कश्मीर आकर वो भी नहीं रहाजयपुर के कन्हैया लाल भी परिवार के साथ पहली बार कश्मीर घूमने आए हैं। कन्हैया पहले वैष्णो देवी गए, फिर वंदे भारत से श्रीनगर आए। सफर के बारे में पूछने पर कहते हैं, ‘पहलगाम हमले की वजह से थोड़ा डर और चिंता थी। यहां आकर अब वो भी निकल गया है। सुरक्षा के बेहतर इंतजाम हैं। हमें कहीं कोई दिक्कत नहीं हुई। कश्मीर के लोग बहुत अच्छे हैं, सबने बहुत प्यार दिया।‘ वो लोगों से भी अपील करते हैं कि यहां अब डरने की कोई बात नहीं है। कश्मीर में बेखौफ होकर आएं, छुट्टियां एंजॉय करें। कन्हैयालाल के साथ आए 7 लोगों के ग्रुप में अनीता भी हैं। वे कहती हैं, सरकार ने यहां सुरक्षा के कड़े और अच्छे इंतजाम किए हैं। सारी सुविधाएं शानदार हैं। हमें कहीं कोई परेशानी नहीं हुई। चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा इंतजाम, टूरिस्ट्स से कश्मीर आने की अपीलकश्मीर में क्या सुरक्षा इंतजाम हैं। टूरिज्म पर निर्भर लोगों की प्रशासन क्या मदद कर रहा है,? ये जानने के लिए हमने गुलमर्ग डेवलपमेंट अथॉरिटी के CEO तारिक हुसैन से बात की। वे भी टूरिस्ट्स से कश्मीर आने की अपील करते हुए कहते हैं, ‘पहलगाम हमले को लेकर कश्मीर में हर घर में दुख है। टूरिज्म यहां की इकोनॉमी की रीढ़ है। हमारी आबादी का बड़ा हिस्सा इससे जुड़ा है। प्रशासन और सरकार ने कई मीटिंग्स और कॉन्फ्रेंस के जरिए टूरिज्म को फिर से पटरी पर लाने की कोशिश की है। अब धीरे-धीरे इसके नतीजे दिख रहे हैं।‘ सुरक्षा इंतजामों पर वे कहते हैं, ‘गुलमर्ग टूरिस्ट डेस्टिनेशन होने के साथ-साथ रणनीतिक लिहाज से भी अहम है। जम्मू-कश्मीर पुलिस, बीएसएफ, सीआरपीएफ और सेना पूरी तरह अलर्ट है।‘ अमरनाथ यात्रा के चलते सोनमर्ग और पहलगाम टूरिस्ट्स के लिए बंद 3 जुलाई से अमरनाथ यात्रा जारी है। इसके लिए दो रूट तय किए गए हैं। एक पहलगाम और दूसरा बालटाल। ज्यादातर अमरनाथ यात्री पहलगाम होते हुए जाते हैं। बालटाल वाले दूसरे रूट पर सोनमर्ग पड़ता है। इसलिए सुरक्षा इंतजाम के चलते हिल स्टेशन सोनमर्ग फिलहाल बंद है। वहीं पहलगाम में भी ज्यादातर टूरिस्ट स्पॉट बंद रखे गए हैं। हम पहलगाम भी पहुंचे, जहां आतंकी हमला हुआ था। यहां हमले वाली बायसरन घाटी को भी फिलहाल बंद रखा गया है। दूसरी सबसे फेमस बेताब वैली भी फिलहाल बंद है। अमरनाथ यात्रा के चलते पहलगाम की सड़कों पर भारी भीड़ जरूर दिख जाएगी। हालांकि खाली पड़ी दुकानें, होटल और रेस्टोरेंट हर तरफ नजर आते हैं। पहलगाम में टैक्सी चलाने वाले एजाज अहमद लोगों को यहां के मेन मार्केट से 6 किलोमीटर दूर बेताब वैली और 4 किलोमीटर दूर बायसरन घाटी छोड़ते हैं। वे बताते हैं कि अमरनाथ यात्रा शुरू होने से टूरिस्ट स्पॉट बंद हैं। इससे उनके काम पर असर पड़ा है। वे कहते हैं, ‘हमले के बाद ये टूरिस्ट स्पॉट 10-15 दिन के लिए खुले। यात्रा शुरू होते ही फिर बंद कर दिए गए।‘ एजाज कहते हैं कि टूरिस्ट स्पॉट बंद होने से हमारे दूसरे काम ठप हैं। काम सिर्फ यात्रियों तक सीमित हो गया है। हालांकि वे उम्मीद जताते हैं कि जल्द ही सारे टूरिस्ट स्पॉट दोबारा खोल दिए जाएंगे। होटलों में 50% डिस्काउंट, फिर भी खाली पड़ेमार्केट के अलावा पहलगाम में होटल, रिसॉर्ट और रेस्टोरेंट भी खाली पड़े हैं। पहलगाम में फेमस असल रिसॉर्ट में भी सन्नाटा है। रिसॉर्ट के जनरल मैनेजर मुदस्सिर कहते हैं कि 50% डिस्काउंट के बाद भी कमरे खाली हैं। मार्केट के हाल पर वे कहते हैं, 'हमले के दिन भी सारी प्री-बुकिंग्स फुल थीं, लेकिन इसके बाद 80-90% बुकिंग्स कैंसिल हो गईं। हमें पूरा पैसा रिफंड करना पड़ा।' अमरनाथ यात्रा के प्रभाव पर वे बताते हैं, 'यात्रा शुरू होने से थोड़ी उम्मीद जगी थी, लेकिन यात्री बजट होटल्स पसंद करते हैं। हमने 50-65% डिस्काउंट शुरू किया है। पहले 10 हजार रुपए का कमरा अब 5 हजार और 5 हजार का ढाई हजार में उठा रहे हैं। फिर भी टूरिस्ट्स का फुटफॉल बहुत कम है।' टूरिज्म को पटरी पर लाने के लिए क्या कर रही सरकार?2024 में कश्मीर में टूरिज्म अपने पीक पर था। इस साल 29.5 लाख टूरिस्ट आए और इकोनॉमी को काफी फायदा हुआ। अप्रैल 2025 के पहलगाम हमले ने सब कुछ बदल दिया। केंद्र सरकार ने टूरिस्ट्स की मदद के लिए ट्रैवल ऑपरेटर्स और होटल मालिकों को बुकिंग रद्द करने की फीस माफ करने का निर्देश दिया। 80% बुकिंग रद्द हुईं, होटल खाली हो गए, और पर्यटन ठप हो गया। ये लोकल लोगों और अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा झटका था। हालांकि पर्यटन को फिर से शुरू करने के लिए जम्मू-कश्मीर होटल और रेस्तरां एसोसिएशन (JKHARA) ने होटल किराए में 65% छूट दी। लोकल टूरिस्ट्स के लिए खास पैकेज लॉन्च किए हैं। टूरिज्म को वापस पटरी पर लाने के लिए कश्मीर में बंद किए गए 48 पर्यटन स्थलों में से 16 को 14 जून से फिर से खोला गया है। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि अच्छी तादाद में टूरिस्ट कश्मीर में फिर आ रहे हैं। ................... ये खबर भी पढ़ें... पहलगाम में 11 जानें बचाने वाले नजाकत रोजी-रोटी को मोहताज ‘22 अप्रैल की घटना के बाद टूरिज्म बिल्कुल ठप पड़ा है। पहले एक पोनी वाला दिन में 3 हजार से 4 हजार रुपए कमा लेता था, लेकिन हमले के बाद सब ठप हो गया। हमारी रोजी-रोटी टूरिज्म से ही चलती है। मेरी दो बेटियों की पढ़ाई का खर्च भी इसी से निकलता है।‘ पहलगाम में पोनी चलाने वाले गाइड नजाकत अहमद शाह आतंकी हमले के वक्त मौके पर ही मौजूद थे। उन्होंने 11 टूरिस्ट्स की जान बचाई थी। पढ़िए पूरी खबर...
Ahmedabad plane crash: अहमदाबाद में हुए विमान हादसे ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था. इस हादसे की जांच की जा रही है. इसी बीच अमेरिकी परिवहन विभाग की पूर्व महानिरीक्षक मैरी शियावो ने बड़ा दावा करते हुए कहा है कि बोइंग ड्रीमलाइनर सिस्टम पायलट के इंटरफेयर के बिना फ्यूल बंद कर सकता है.
Plane Hijack: हवाई यात्राओं पर जाने कौन सी अपशगुनी लग गई है कि आए दिन आसमान से लेकर रनवे तक कुछ न कुछ गलत देखने को मिल रहा है. अहमदाबाद हवाई हादसा (Ahmedabad crash), Air Indiaplane crash,IndiGo सेSpiceJet की इमरजेंसी लैंडिंग, इंजन फेल और प्लेन के अंदर चाकूबाजी जैसी घटनाएं नहीं बल्कि उससे भी बड़ा कांड हो गया.
'तो जापान कर रहा युद्ध की तैयारी...', 'डिफेंस वाइट पेपर' पर क्यों भड़का उत्तर कोरिया
North Korea News: उत्तर कोरिया ने जापान के 'डिफेंस वाइट पेपर' पर सख्त ऐतराज जताया है. इस रक्षा रिपोर्ट में उत्तर कोरिया को 'खतरा' बताया गया है. बिफरे विदेश मंत्रालय ने इसे 'युद्ध की तैयारी' और आक्रामक इरादों वाला कदम करार दिया है.
Manisha Koirala on Nepal Politics: बॉलीवड की मशहूर अभिनेत्री मनीषा कोइराला के एक बयान ने उनके देश नेपाल में खलबली मचा दी है. नेपाल के इतिहास में लोकतांत्रिक सरकारों में काफी उठापटक देखी गई, इसका उदाहरण देते हुए मनीषा ने राजशाही की डिमांड कर दी है.
कुरान का वो कानून.. जिसका सामना मुस्लिम देश में करेगी भारत की निमिषा, फांसी होगी या बचेगी?
Nimisha Priya Case: जिस कानून के तहत उन्हें सजा मिली है उसका नाम किसास बताया जा रहा है. इस्लामी देशों में माने जाने वाला यह कानून कुरान से लिया गया है. आरोप है कि निमिषा ने तलाल को पूरी प्लानिंग के तहत मारा.
पाकिस्तान पर अमेरिका का हथौड़ा... पहलगाम अटैक के हमलावर TRF को माना आतंकी संगठन
The Resistance Front: अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने 'द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF)' आतंकवादी संगठन को लश्कर-ए-तैयबा का मुखौटा और प्रतिनिधि बताया है, जो संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकवादी समूह है और पाकिस्तान में स्थित है.
प्रेमी के लिए महिला ने पति को छोड़ा फिर प्रेमी ने भी शादी से इनकार किया. एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर के इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा, खुद शादीशुदा होने के बावजूद दूसरे व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध रखने पर कार्रवाई हो सकती है. क्या है पूरा मामला, क्या भारत में एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर क्राइम है, सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा क्यों कहा है पूरी जानकारी के लिए ऊपर दी गई इमेज पर क्लिक कर देखें वीडियो
ओडिशा के केओंझर जिले का धकोटा गांव। तारीख थी 25 मार्च 2019। रात के करीब 8 बज रहे थे। पूर्व कांग्रेस नेता रामचंद्र बेहरा घर पर पत्नी और दोनों बेटियों के साथ डिनर कर रहे थे। बेहरा मुस्कुराते हुए पत्नी प्रसांती से बोले- ‘कल बड़ा दिन है। नई पार्टी जॉइन करनी है।’ तभी अचानक घंटी बजी। प्रसांती बोलीं- ‘लगता है समर्थक मिलने आए हैं। जल्दी जाकर दरवाजा खोलिए, उन्हें अंदर ले आइए।’ बेहरा झटपट उठे और जाकर दरवाजा खोला। सामने गांव के ही पांच लोग थे, संजीव प्रुस्टी, अजीत, अरुण, अलेख और पुरण। सभी ने बारी-बारी से बेहरा के पैर छूए और बोले- ‘बेहरा साहब, नई पार्टी में आपका स्वागत है। कल से आप हमारे नेता बन जाएंगे।’ हंसते हुए बेहरा बोले- ‘चलो अंदर, बैठकर बात करते हैं।’ सभी डायनिंग हॉल में आकर बैठ गए। उन लोगों के अंदर आते ही प्रसांती अपनी बड़ी बेटी मीनारानी से बोली- ‘बेटा चाय-नाश्ते का इंतजाम करो।’ ‘अरे नहीं नहीं भाभी, हम लोग घर से खाना खाकर ही आ रहे हैं।’, उनमें से संजीव नाम का एक शख्स बोला। करीब दो घंटे की बातचीत के बाद रात 10 बजे दूसरा कार्यकर्ता अजीत बोला- ‘नेताजी, अब इजाजत दीजिए। कल कार्यालय में मिलते हैं। एकबार फिर आपका हमारी पार्टी में स्वागत है।’ सभी ने बारी-बारी से नेताजी से हाथ मिलाया और मेन गेट की तरफ चल दिए। दरवाजा बंद करके बेहरा और उनका परिवार भी सोने की तैयारी करने लगा। तभी मेन गेट से आवाज आई- ‘बेहरा साहब, कुछ और कार्यकर्ता आपसे मिलने के लिए आए हैं, बाहर आ जाइए।’ ये जानी-पहचानी आवाज उसी संजीव की थी, जो कुछ देर पहले ही बेहरा से मिलकर गया था। बेहरा जैसे ही मेनगेट से बाहर निकले तो देखा- करीब 10-12 लोग खड़े थे। सभी के हाथ पीछे की तरफ थे। कोई कुछ बोल नहीं रहा था, बस बेहरा को घूरे जा रहे थे। बेहरा उन लोगों के हाव-भाव देखकर घबरा गए। डरी हुई आवाज में बोले- ‘तुम लोग इतने शांत क्यों हो। आलाकमान का फैसला बदल तो नहीं गया है।’ सुनते ही सभी ने धीरे से अपने हाथ आगे की तरफ बढ़ाए और हंसने लगे। सभी के हाथ में भाला, तलवार, लाठियां थीं। देखते ही बेहरा पसीना-पसीना हो गए। चीखते हुए बोले- ‘तुम लोग हथियार लेकर क्यों आए हो? अभी-अभी तो चाय नाश्ता करके मेरे घर से निकले हो।’ भीड़ से एक आदमी दौड़ता हुआ आया और उसने मेनगेट बाहर से बंद कर दिया। बेहरा कुछ समझ पाते, उससे पहले ही सबने उन पर दनादन लाठियां बरसानी शुरू कर दी। वो चीख पड़े। फिर उन लोगों ने तलवार निकाली। चीखें सुनते ही बेहरा की दोनों बेटियां मीनारानी और देबजानी बाहर की तरफ भागीं। देखा कि भीड़ ने हथियारों से बेहरा पर हमला कर दिया है। दोनों बेटियों को देखते ही भीड़ में से एक शख्स चिल्लाया- ‘एक कदम भी आगे बढ़ाया तो सबका यही हाल होगा।’ डर के मारे दोनों के पैर मेनगेट के भीतर ही ठहर गए। तभी भीड़ में से एक अरुण नाम के शख्स ने तलवार निकाली और तेज आवाज में बोला- ‘नेताजी, विधायकी लड़ने का बहुत शौक है न। हमारा नेता बनना चाहते हो, यहां का दबंग बनना है न। आज आपके सारे शौक पूरे हो जाएंगे। विधायक बनेगा ना तू...।’, कहते हुए उसने बेहरा के बाएं हाथ पर तलवार चला दी। खून की छीटे चारों तरफ फैल गए और अधकटा हाथ लटक गया। कुछ ही देर में जमीन पर खून की धार बहने लगी। तभी भीड़ से संजीव नाम का एक शख्स बोला- ‘इस अधकटे हाथ को शरीर से अलग कर दो। आज पूरे गांव को पता चल जाएगा, दबंगई क्या होती है।’ अजीत ने तलवार उठाई और अधकटे हाथ पर पूरी ताकत से दे मारी। कोहनी के पास से बायां हाथ कटकर जमीन पर गिर गया। अजीत ने तलवार फेंकी और जमीन से खून से सना हाथ उठाकर हवा में लहराने लगा। खून के छींटे हर किसी के कपड़े और चेहरे पर पड़ने लगे। हाथ कटते ही रामचंद्र बेहरा चीखते हुए जमीन पर गिर पड़े, ‘बचाओ-बचाओ। मार दिया। मार दिया।’ मेनगेट के इस पार खड़ी दोनों बेटियां चुपचाप सब देखती रहीं लेकिन आगे बढ़ने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी। तभी भीड़ से दो लड़के, आलेख और पुरण भागते हुए पास की एक झोपड़ी में गए और आधा दर्जन भाले उठाकर ले आए। संजीव गाली देते हुए बोला- ‘@#%$ को देख क्या रहे हो। आज ये जिंदा नहीं बचना चाहिए।’ सुनते ही सभी ने भाला उठाया और जमीन पर पड़े तड़प रहे बेहरा के पेट, छाती हर जगह घोंप दिया। कई भाले शरीर से आर-पार हो गए। जमीन खून से सन गई। बेहरा जोर-जोर से चीख रहे थे। अजीत ने तलवार उठाई और दाहिने हाथ की उंगलियां काट दी। फिर कलाई के पास से हथेली भी काटकर अलग कर दी। खून से सनी हथेली और उंगलियां जमीन पर आ गिरी। पास ही एक नाली थी जिसमें पानी के साथ-साथ खून बहने लगा। तभी भीड़ से निकल कर अरुण सामने आया। उसके हाथ में भी तलवार थी। उसने बेहरा के पैर पर तलवार दे मारी। टखने के नीचे से पैर कटकर लटक गया। तभी गुस्से से लाल संजीव बोला- ‘दूसरा पैर भी काट डालो। बचना नहीं चाहिए। @#$% हमारा नेता बनेगा।’ अरुण ने फौरन बेहरा के दूसरे पैर पर तलवार मार दी। अधकटा पैर लटक गया। बेहरा खून से सन गए। चीख-पुकार मच गई। अब उन लोगों ने शरीर के बचे हुए हिस्सों, जांघ, पेट हर जगह तलवार से वार करना शुरू किया। बेहरा का लगभग पूरा शरीर कट-फट चुका था। खाल लटक रही थी। कुछ देर बाद संजीव बोला- ‘अब तो ये नहीं बचेगा। चलो गांव चलते हैं।’ संजीव ने मोटरसाइकिल की किक मारते हुए अजीत और प्रमोद से कहा- ‘बैठो पीछे।’ अजीत ने जमीन पर पड़ा बेहरा का कटा हुआ हाथ और प्रमोद ने बेहरा के दाहिनी हथेली को उठाया और हवा में लहराते हुए मोटरसाइकिल पर बैठा गए। तीनों चीखते हुए NH-20 के उस पार बसे धकोटा गांव की तरफ भाग गए। पीछे-पीछे बाकी लोग भी गाड़ी पर सवार होकर चल दिए। भीड़ के जाते ही मीनारानी और देबजानी भागती हुई पिता रामचंद्र बेहरा के पास पहुंची। पीछे-पीछे उनकी मां प्रसांती भी चीखती हुई आई। खून से सने बेहरा का कटा-फटा शरीर जमीन पर छटपटा रहा था। सांसें अभी भी चल रही थीं। पत्नी और बेटियों को देखते ही धीमी आवाज में बेहरा बोले- ‘मुझे बचा लो। मुझे बचा लो।’ मीनारानी बिलखते हुए इधर-उधर भागकर लोगों को बुलाने लगी। हाथ जोड़कर सबसे कहने लगी- ‘मेरे पापा को हॉस्पिटल ले चलो। कोई गाड़ी लाओ। उनकी सांसें अभी चल रही हैं।’ कोई आगे नहीं आया। तभी मीना की नजर पड़ोसी रंजीत गुप्ता के घर के बाहर खड़ी कार पर पड़ी। वो चीखते हुए अपनी बहन देबजानी से बोली- ‘सामने वाले रंजीत के पास गाड़ी है। जल्दी बुलाओ उसको।’ देबजानी भागती हुई रंजीत के घर की तरफ गई और दरवाजा पीटने लगी। बहुत देर तक दरवाजा पीटने के बाद भी किसी ने गेट नहीं खोला। फिर मीनारानी मदद मांगने के लिए NH20 हाई-वे की तरफ भागी और आनंदपुर की ओर जाने वाली गाड़ियों को हाथ देकर रोकने लगी, लेकिन कोई नहीं रुका। तब तक करीब 15 मिनट बीत चुके थे। प्रसांती अपनी गोद में पति रामचंद्र बेहरा का सिर रखकर लोगों से मदद मांग रही थी। बेहरा दर्द से छटपटा रहे थे। प्रसांती फूट-फूटकर रो रही थी। तभी पड़ोसी गांव का एक आदमी गाड़ी लेकर आया। प्रसांती ने दोनों बेटियों के साथ मिलकर बेहरा को गाड़ी में लादा और आनंदपुर की तरफ चल पड़े। मीनारानी ने पिता का सिर अपनी गोद में रखा था। बेहरा के पूरे शरीर से खून की धार बह रही थी। दोनों पैर कटकर नीचे की तरफ लटक रहे थे। करीब एक घंटे बाद सभी आनंदपुर हॉस्पिटल पहुंचे। वहां डॉक्टर ने इमरजेंसी वार्ड में भर्ती करके इलाज शुरू कर दिया। करीब 20 मिनट बाद एक डॉक्टर भागता हुआ आया और बोला- ‘हालत गंभीर है। बेहतर इलाज के लिए फौरन कटक ले जाइए। शरीर में खून नहीं बचा है।’ सभी बेहरा को लेकर कटक के लिए चल पड़े। रामचंद्र बेहरा का क्या हुआ? जिन लोगों ने बेहरा के घर पर चाय पी, उन्होंने ही अचानक हमला क्यों कर दिया? क्या इनकी बेहरा से कोई दुश्मनी थी? पूर्व कांग्रेसी नेता बेहरा किस पार्टी में जाने वाले थे? वो लोग भागते हुए बेहरा का कटा हुआ हाथ अपने साथ क्यों ले गए? आखिर बेहरा के पड़ोसी रंजीत गुप्ता ने दरवाजा क्यों नहीं खोला? पूरी कहानी बेहरा मर्डर केस पार्ट-2 में… सभी एंबुलेंस में बेहरा को लेकर कटक के लिए निकल गए। अभी आधे रास्ते ही पहुंचे थे कि बेहरा का शरीर ठंडा पड़ने लगा। कुछ देर में गर्दन लटक गई। देखते ही प्रसांती चीखते हुए अपनी बेटी से बोली, ‘पापा के शरीर में कोई हलचल नहीं है। शरीर बर्फ की तरह ठंडा पड़ गया है।’ पूरी कहानी पढ़िए बेहरा मर्डर केस पार्ट-2 में (यह सच्ची कहानी पुलिस चार्जशीट, कोर्ट जजमेंट, एडवोकेट अश्विनी मल्लिक, सब-इंस्पेक्टर बिसी और बलिया बरिक, रामचंद्र बेहरा की बेटी मीनारानी और जर्नलिस्ट श्री कुमार मिश्रा से बातचीत पर आधारित है। सीनियर रिपोर्टर नीरज झा ने क्रिएटिव लिबर्टी का इस्तेमाल करते हुए इसे कहानी के रूप में लिखा है।)
'बार-बार याद आता है। मेरा शौहर मुझे कितना मारता था। गर्म पानी डाल देता था। कभी-कभी लगता था कि जान से ही मार देगा। एक दिन मुझे 3 तलाक दे दिया। 5 महीने बाद मेरा हलाला करवाया। चुपचाप बिना बताए मुझे किसी के पास भेज दिया। तलाक के बाद भी मुझे साथ रखता था। ये तो शरीयत के मुताबिक भी गलत है।' बिहार के किशनगंज के बोहिता गांव की रुकैया खातून की आवाज ये बताते हुए धीमी पड़ने लगती है। वे सिर झुकाए जमीन की तरफ देखती रहती हैं। 46 साल पहले मोहम्मद आरिफ से उनका निकाह हुआ था। एक साल बाद पति ने मारना-पीटना शुरू कर दिया। निकाह के 8 साल बाद आरिफ ने दूसरी शादी कर ली। फिर 1994 में रुकैया को तीन तलाक दे दिया। 31 जुलाई, 2019 से देश में तीन तलाक गैरकानूनी हो गया, लेकिन रुकैया को अब भी इंसाफ का इंतजार है। बीते 21 जून को रुकैया ने जामिया नगर थाने में इन्फॉर्मेटिव पिटीशन दी है कि पति आरिफ से रकीब को खतरा है। महिला आयोग और मानवाधिकार आयोग से भी गुहार लगाई है। मानवाधिकार आयोग ने बिहार DGP को शिकायत भेजकर उस पर जल्द कार्रवाई के लिए कहा है। दैनिक भास्कर ने पूरा मामला समझने के लिए रुकैया और रकीब से बात की। पहली किरदार: रुकैया खातून46 साल की शादी, मारपीट, तलाक, हलाला, सब झेलारुकैया का डिप्रेशन उनकी आवाज और चेहरे पर साफ दिखता है। वे बोलते-बोलते चुप हो जाती हैं। नजरें मिलाने से कतराती हैं। सवालों के जवाब देते-देते घबरा जाती हैं। उनसे बातचीत शुरू करने से पहले ही बेटे रकीब ने हमसे कहा- प्लीज, ज्यादा देर बात मत कीजिएगा। लगेगा कि उन्हें स्ट्रेस हो रहा है, हम बातचीत रोक देंगे। हमने रुकैया से बातचीत शुरू की। सवाल: आपके पति ने किस तरह जुल्म किए?जवाब: मोहल्ले में दौड़ा-दौड़ाकर मारता था। मैं खून से लथपथ हो जाती थी। एक बार दहेज लाने के लिए मुझे मायके भेज दिया। रकीब तब 6 महीने का था। उसे अपने पास रख लिया। रकीब बड़ा हुआ तो उसे भी सब समझ आने लगा। एक बार वो मुझे बचाने आया, तो आरिफ कुल्हाड़ी लेकर उसे भी मारने दौड़ा। सवाल: आपका तलाक कैसे हुआ?जवाब: 3 तलाक दिया था। खाने में कीड़ा गिर गया था, इसी पर भड़क गया और तलाक, तलाक, तलाक बोल दिया। काजी को झूठ बोल दिया कि तीन तलाक नहीं दिया है। आरिफ तलाक के बाद भी मुझे साथ रखता था। ये शरीयत में गुनाह है। तलाक के 5 महीने बाद हलाला करवाया। किसके साथ, ये नहीं पता। मुझे तो चुपचाप भेज दिया था।' पिछले साल तक मैं आरिफ के साथ ही रह रही थी। मुझे घर में हार्ट अटैक आया था। मैं तड़पती रही, पर वो कमरे से बाहर नहीं आया। मैंने बेटी को फोन किया। वो आई और हॉस्पिटल ले गई। फिर बेटा भी पहुंच गया।' सवाल: आपके पति आपको बुलाना चाहते हैं?जवाब: हां, मेरी जमीन के लिए। मैं नहीं जाना चाहती। वो फिर मारेगा-पीटेगा। उससे डर लगता है। डॉक्टर ने कहा है कि वहां गईं, तो मर जाओगी। वहां वो दवाई भी नहीं खाने देता। दूसरे किरदार: रकीब आलमजब से होश संभाला, अम्मी को पिटते देखा44 साल रकीब कहते हैं, 'जब से होश संभाला है, अम्मी को पिटते ही देखा। अब्बू इतना मारते थे कि लगता था, वो मर जाएंगी। मैं बचाने जाता, तो मैं भी पिटता। अम्मी और मुझ पर क्या जुल्म हुए, क्या बताऊं। अम्मी पूरी रात चीखती-चिल्लाती थीं। मैं सुनता रहता था।' 'कई बार तो अब्बू अम्मी को मारते थे कि वो जान बचाने के लिए इधर-उधर भागती थीं। मैं 6-7 साल का था। अम्मी को पिटता देख उन्हें बचाने लगा। अब्बू इतने गुस्से में थे कि कुल्हाड़ी लेकर मेरे पीछे दौड़े। गांव के एक व्यक्ति ने मुझे टोकरे के नीचे छिपा दिया।' ‘मेरी नौकरी लग गई, तो मैं 2012 में अम्मी को दिल्ली ले आया। अब्बू उन्हें जबरदस्ती वापस ले गए। 2024 में अम्मी को हार्ट अटैक आया। वो मरते-मरते बचीं। मैं भागा-भागा घर पहुंचा। डॉक्टर ने कहा, इन्हें अपने साथ दिल्ली में रखो। वहीं इनका इलाज हो पाएगा। इन्हें कई तरह की प्रॉब्लम हैं। हार्ट की एक आर्टरी में 100% ब्लॉकेज था। इसलिए स्टेंट डलवाना पड़ा। फिर मैंने तय कर लिया कि अम्मी मेरे साथ ही रहेंगी।' ‘इसके बाद मैं उन्हें फिर से दिल्ली ले आया। उनकी हालत खराब थी, चेकअप कराया तो एक्यूट डिप्रेशन और पैरासाटिस डिल्यूशन निकला। पैरासाटिस डिल्यूशन में ऐसा लगता है कि शरीर पर कीड़े रेंग रहे हैं। असल में ये मरीज का भ्रम होता है। उन्हें नींद न आने की भी बीमारी है। सारी रात जागती हैं। रीढ़ की हड्डी में दिक्कत हैं।' अब्बू अब भी अम्मी को वापस ले जाना चाहते हैं। वे हमें धमका रहे हैं। उनकी नजर अम्मी को मायके से मिली 5 बीघा जमीन पर है। एक बीघा तो वे बेच भी चुके हैं। ‘खाने में कीड़ा गिरा, मेरे सामने अम्मी को 3 तलाक दिया’ रकीब कहते हैं, ‘मैं 7-8 साल का था। अम्मी ने खाना बनाया। उसमें कीड़ा गिर गया। अब्बू ने इतनी सी बात पर उन्हें तीन तलाक दे दिया। अम्मी अपने मायके चली गईं। शरीयत में है कि तलाक के बाद मियां-बीवी साथ नहीं रह सकते। अब्बू शरीयत के खिलाफ जाकर अम्मी को जबरदस्ती घर लाए और साथ रखा। उन्होंने तलाक से पहले दूसरी शादी भी कर ली थी।' रकीब कहते हैं, 'अब्बू ने अम्मी को तलाक दिया है, ये तो मुझे पता था। कुछ दिन पहले पता चला कि मां का हलाला भी हुआ था। मेरे मामू हाबुल साहेब ने बताया कि तुम्हारी अम्मी का जबरदस्ती हलाला हुआ था। मैं खुद तो अम्मी से पूछ नहीं सकता था। इसलिए किसी के जरिए पुछवाया। तब उन्होंने भी हलाला की बात बताई।' ‘मामू ने बताया कि मैं उस काजी को भी जानता हूं, जिसने हलाला करवाया था। उन्होंने भरोसा दिया है कि अगर उनसे पूछताछ होगी तो पुलिस को बताएंगे कि अम्मी का नाजायज हलाला कैसे हुआ। किसके साथ हुआ।' ‘अब्बू की इस हरकत की वजह से समाज ने हमारा बहिष्कार कर दिया। हमसे कोई बात नहीं करता था। शादी-ब्याह में नहीं बुलाते थे। शरीयत इस्लाम में कानून है और उसे तोड़ने वाला गुनहगार। अब्बू ने मां की नसबंदी भी करा दी ताकि वे दूसरी शादी न कर सकें। ये एक तरह से मेंटल टॉर्चर था।’ ‘आप सोचिए घर में अम्मी को पिटते देखना, समाज में बहिष्कार झेलना, ये सब देखकर 7-8 साल के बच्चे के ऊपर क्या बीतती होगी। मैं हमेशा रोता बिलखता रहता था।' ‘मामू ने हॉस्टल भेजा, ताकि मैं पढ़ सकूं’रकीब कहते हैं, ’घर का माहौल देखते हुए मामू ने मुझे हॉस्टल में भर्ती कर दिया। अम्मी, मामू और फिर मेरे हॉस्टल के टीचर्स ने मुझे यहां तक पहुंचाया। पढ़ाई के बाद मैं PhD करने लगा। अब्बू इससे खुश नहीं थे। अम्मी ने कहा, तुम पढ़ो। मैं प्रोफेसर बन गया, तो अम्मी को दिल्ली ले आया।’ ‘अब्बू ने मेरा बचपन छीना, बड़ा हुआ तो निकाह तुड़वा दिया’अब रकीब सेंट्रल यूनिवर्सिटी में नौकरी करते हैं। हमने पूछा आपकी निजी जिंदगी कैसी है? पहले तो वे हिचकिचाए, फिर बोले, '2018 में मेरी शादी हुई थी। बीवी बहुत नेक और समझदार थीं। घर का माहौल इतना टॉक्सिक था कि हमारी शादी नहीं चल पाई। बीवी इस बात को समझती थीं। वो कहती थीं, रकीब आप बहुत अच्छे हैं, लेकिन आपके अब्बू हमें खुश नहीं रहने देंगे। हम आपसी सहमति से अलग हो गए।’ ‘दरअसल, अब्बू मेरे ससुर को धमकी देते थे। परेशान करते थे। ससुर ने कहा कि मेरी बेटी इस माहौल में नहीं रह सकती। वो बीमार रहने लगी थीं। अब्बू ने मेरा बचपन छीना और शादी तुड़वाकर बाकी जिंदगी भी बर्बाद कर दी। बीवी ने आखिर में यही कहा था कि रकीब हमारा रिश्ता आपकी वजह से नहीं, आपके अब्बू की वजह से टूटा है। आप अपनी अम्मी को इंसाफ जरूर दिलाना।' ‘अम्मी को गुलाम की तरह रखा, अब भी बदनाम करते हैं’रकीब कहते हैं, 'अब्बू ने अम्मी को सालों तक गुलाम की तरह रखा। आज भी अम्मी और मुझे सोशल मीडिया पर बदनाम कर रहे हैं। वे मां को ले जाना चाहते हैं ताकि उनकी जमीन हथिया लें। अम्मी और मुझे पागल करार देने के लिए मेरे सौतेले भाई से सोशल मीडिया पर पोस्ट कराते हैं।' 'मेरा मकसद अम्मी को इंसाफ दिलाना है। अब्बू से पीछा छुड़ाना है। उनके जायज हक की जमीन को बचाना है।’ रकीब ने जामिया नगर थाने में इन्फॉर्मेटिव पिटीशन डाली है ताकि उन्हें सुरक्षा मिले। रुकैया की ओर से दायर इस पिटीशन में उनकी पूरी आपबीती लिखी है। हमने रकीब से पूछा कि FIR क्यों नहीं की? वे कहते हैं कि मेरी मां नहीं चाहती थीं। मेरे नाना ने FIR की थी, लेकिन 8 साल बाद केस बंद हो गया। अब्बू से लड़ते-लड़ते नाना का इंतकाल हो गया। इसलिए मैंने थाने, महिला आयोग और मानवाधिकार आयोग में शिकायत दी है।] मानवाधिकार आयोग ने बिहार DGP तक हमारी शिकायत भेज दी है। उन्हें जल्द कार्रवाई के लिए कहा है। थानों में ऐसी FIR को तरजीह नहीं मिलती। मैंने PMO और CMO में भी शिकायत की है। मैं इस मामले पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से भी मिल चुका हूं। मैं चाहता हूं कि अम्मी के बहाने ये लड़ाई हलाला जैसे गलत परंपराओं के खिलाफ लड़ी जाए।’ किशनगंज एसपी बोले- केस 45 साल पुराना, जांच में वक्त लगेगा नेशनल ह्यूमन राइट कमीशन के एक्टिव होने के बाद बिहार DGP विनय कुमार ने जांच की जिम्मेदारी किशनगंज एसपी सागर कुमार शर्मा को सौंपी है। एसपी सागर कुमार ने दैनिक भास्कर को बताया, 'ये मामला हमारे पास कुछ दिन पहले ही आया है। डॉक्युमेंट्स की फाइल तैयार हो रही है। इसे लोकल थाना कोचधाम के थाना प्रभारी को भेजेंगे। वे आरोपों की जांच करेंगे। विक्टिम से कॉन्टैक्ट किया जाएगा। उनकी तरफ से FIR दर्ज होगी। बयान के बाद केस की जांच शुरू होगी।' मामला पुराना है तो सबूत कैसे मिलेंगे? सागर कुमार कहते हैं, 'घरेलू हिंसा, तलाक और हलाला का आरोप है। घरेलू हिंसा में लगी चोट तो अब मिलेगी नहीं। रिश्तेदार-पड़ोसियों से बात की जाएगी। हलाला हुआ है, तो उसे किसी ने करवाया होगा। उसके गवाहों से भी बात होगी।' इतने पुराने मामले में अगर अपराध साबित हो गया तो सजा का प्रावधान क्या होगा? जवाब मिला, 'इस केस में अपराध साबित करने में वक्त लगेगा। अपराध आज हो या 45 साल बाद। सजा तो कानून में तय है।' ‘हालांकि अभी मामला शिकायती स्तर पर है। पीड़िता या आरोपी से हम नहीं मिले हैं, न उनका बयान लिया गया है। अभी हमारे पास हेडक्वार्टर की तरफ से शिकायत आई है। इसमें भी शिकायत बहुत डिटेल में नहीं है। इसके लिए हो सकता है हम पहले विक्टिम से मिलें, ताकि उनसे पूरी जानकारी मिल सके।’ ............................... ये ग्राउंड रिपोर्ट भी पढ़िए...कोडवर्ड से धर्मांतरण, 30 से कम उम्र की लड़कियां-महिलाएं झांगुर बाबा के टारगेट पर 31 साल की रानी (बदला हुआ नाम) 4 साल पहले तक हिंदू थीं। अब अलीना बन गई हैं। रानी उन 5 हजार लड़कियों में से हैं, जिन्हें जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा ने धर्म परिवर्तन के जाल में फंसाया। छांगुर गैंग ने UP-महाराष्ट्र सहित 5 राज्यों में 1500 लोगों की सीक्रेट टीम बना रखी है। इनके टारगेट पर 30 से कम उम्र की महिलाएं रहीं। वो धर्म परिवर्तन के लिए कोडवर्ड का इस्तेमाल करता था। पढ़िए पूरी खबर...
'मैं बांग्लादेशी नहीं, यूपी के प्रतापगढ़ जिले से हूं। यूपी वालों को क्यों हटाया जा रहा है। चुनाव से पहले BJP ने वादा किया था कि जहां झुग्गी है, वहीं मकान देंगे। हमें भी उम्मीद थी, लेकिन उन्होंने झुग्गी की जगह मकान देने के बजाय पूरा मैदान बना दिया। BJP को वोट देना हमारी सबसे बड़ी गलती थी।' दिल्ली के भूमिहीन कैंप में जन्म से रह रहीं सुनीता का घर 5 जुलाई को कब्जा बताकर तोड़ दिया गया। राशन कार्ड नहीं है, इसलिए मकान भी नहीं मिला। पूरा परिवार सड़क पर आ गया। बीते 5 महीनों में दिल्ली में 8 जगहों से झुग्गियां हटाई गईं और करीब 9 एकड़ जमीन खाली कराई गई। इसमें करीब 27 हजार लोग विस्थापित हुए हैं। इनमें से बहुत से लोगों को अब तक दूसरा मकान नहीं मिला है। इसे लेकर सियासत तब तेज हो गई, जब दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने आरोप लगाया कि इन इलाकों में रहने वाले बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठिए हैं। आम आदमी पार्टी और पूर्वांचल कम्युनिटी ने सिरसा के बयान पर एतराज जताया। AAP का कहना है कि सिरसा ने यूपी-बिहार से आने वाले स्लम के गरीब लोगों को ‘रोहिंग्या-बांग्लादेशी’ कहकर अपमानित किया। इस बुलडोजर एक्शन का प्रभावित इलाकों के लोगों की जिंदगी पर क्या असर पड़ा है, BJP ने सत्ता में आने से पहले 'जहां झुग्गी, वहां मकान' का वादा किया था उसका क्या हुआ, ये जानने के लिए दैनिक भास्कर की टीम ग्राउंड पर पहुंची। 11 जून: भूमिहीन कैंप अगर जमीन सरकार की, तो क्या 70 साल से सो रही थीदिल्ली की झुग्गियों में रहने वाले लोगों का सटीक डेटा नहीं है। यहां पुनर्वास की निगरानी दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड यानी DUSIB करता है। बोर्ड की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, दिल्ली में 675 छोटे-बड़े स्लम हैं, जिनमें 3.5 लाख परिवार और करीब 30 लाख लोग रहते हैं। इन्हीं में से एक कालकाजी का भूमिहीन कैंप है। यहां 11 जून को पूरी बस्ती साफ कर दी गई। 3,480 परिवारों में से सिर्फ 1862 परिवारों को घर मिला। कालकाजी एक्सटेंशन की आशा किरण सोसाइटी में इन्हें घर दिया गया है। हालांकि कैंप में रहने वाली मीना को वो भी नहीं मिला। वो नाश्ते का ठेला लगाती हैं। बुलडोजर कार्रवाई के बारे में पूछने पर बेहद गुस्से में नजर आईं। वे कहती हैं, 'मैं यहीं पैदा हुई। मेरे बच्चे भी यहीं बड़े हुए। मेरे पास वोटर आईडी, पैन कार्ड और बिजली का बिल भी है। सब 2008 के रजिस्टर्ड हैं, लेकिन मकान के लिए राशन कार्ड मांग रहे हैं। 15 साल से दिल्ली में राशन कार्ड ही नहीं बन रहा, इसलिए सर्वे करने आई टीम को भी नहीं दिखा सकी। इसलिए मुझे मकान नहीं दिया गया।' कार्रवाई के बारे में पूछने पर कहती हैं, 'सिर्फ दो दिन पहले नोटिस मिला था। कैंप के लोग सुप्रीम कोर्ट से स्टे ऑर्डर लेने गए थे और फैसला आना था। प्रशासन तो झुग्गी तोड़ने के लिए इतना बेचैन था कि 11 जून की सुबह होने का भी इंतजार नहीं कर सका। आधी रात को 3 बजे बुलडोजर लगा दिया।' 'घरों में घुसकर हमें बाहर निकालने लगे। अगर सरकार ऐसा करेगी तो गरीब आदमी कहां जाएगा। अगर ये जमीन सरकार की थी तो क्या 70 साल से सो रहे थे।' 'BJP ने कहा था- झुग्गी की जगह मकान देंगे, मैदान बना दिया'मीना आगे कहती हैं, 'चुनाव था, तब हर पार्टी के नेता यहां आकर बोलते थे कि तुम्हें मकान देंगे। BJP का नारा था- जहां झुग्गी, वहां मकान। वादा किया था किसी को बेघर नहीं करेंगे। अब छोटी-छोटी वजहों से मकान नहीं दिया। BJP और CM रेखा गुप्ता ने झूठ बोला। जो नेता बोल रहे हैं कि बांग्लादेशियों को हटाया जा रहा है तो क्या उनके पास कोई लिस्ट है।' 'मैं यूपी के प्रतापगढ़ जिले से हूं। बांग्लादेशी नहीं हूं। यूपी वालों को क्यों हटाया जा रहा है। आतिशी यहां आई थीं। उन्होंने लोगों की मदद की, लेकिन वो इस मामले में ज्यादा कुछ नहीं कर सकतीं। उनको पुलिस जबरदस्ती वैन में बैठाकर ले गई।' मीना कहती हैं, 'BJP को वोट देना हमारी गलती थी। हमें नहीं पता था कि हमारे बच्चों के सिर से छत छीन लेगी, वरना कभी वोट नहीं देते। हमें उम्मीद थी कि वो झुग्गी की जगह मकान देंगे। उन्होंने झुग्गी की जगह पूरा मैदान बना दिया।' सरकारी रिकॉर्ड में राशन कार्ड जरूरी नहीं, फिर भी मांग रहेभूमिहीन कैंप में रहने वाले हरिशंकर झुग्गियों के मालिकाना हक के लिए सुप्रीम कोर्ट गए। वे बताते हैं, 'सर्वे 2019 में शुरू हुआ था। जो भी फ्लैट मिले हैं, उनकी नींव कांग्रेस के वक्त में डाली गई थी। इसमें से सिर्फ 1862 को ही मकान मिले हैं।' 'भूमिहीन कैंप में 1029 लोगों को अपात्र घोषित कर दिया गया। 100 से ज्यादा लोगों को सर्वे में शामिल ही नहीं किया गया। जैसे कहा गया कि 2015 से पहले का एक राशन कार्ड चाहिए।' पिछले कई सालों से दिल्ली में राशन कार्ड नहीं बन रहे। मकान के लिए 2015 का कट-ऑफ रखा गया है। इसके पहले का वोटर आईडी कार्ड और सरकार से जारी एक डॉक्यूमेंट होना चाहिए। 'सरकारी दस्तावेजों में लिखा है कि मकान मिलने के लिए राशन कार्ड होना जरूरी नहीं। फिर भी जिनके पास राशन कार्ड नहीं, उन्हें मकान नहीं दिया गया।' 'सर्वे के समय बस्तियों में सिर्फ वॉलंटियर आते थे। 2019 DUSIB या DDA का कोई ऑफिशियल व्यक्ति नहीं आया, जबकि पॉलिसी के मुताबिक, उनके अधिकारियों को झुग्गियों का सर्वे करना था।' हरिशंकर कहते हैं, 'कुछ लोगों को तो मकान देने से इसलिए मना कर दिया क्योंकि 2019 लोकसभा चुनाव की वोटर लिस्ट में उनका नाम नहीं था। कुल मिलाकर सरकार अपने फ्लैट बचाना चाहती है। वहीं बिचौलिए सरकारी मकान के बदले पैसे मांग रहे हैं।' 1 जून: मद्रासी कैंप 40 किलोमीटर दूर घर दिया, वहां न काम न स्कूलइससे पहले जंगपुरा में मौजूद मद्रास कैंप 1 जून को जमींदोज कर दिया गया। रेलवे ने मालिकाना जमीन पर DUSIB के गिनती किए 370 परिवारों में से सिर्फ 189 परिवारों को घर दिया। बाकी 182 परिवार के करीब 900 लोग अब भी अनिश्चितता के दौर में है। जिन्हें मकान मिला, वो भी झुग्गी से 40 किलोमीटर दूर नरेला में मिला। कार्रवाई के चार दिन बाद 5 जुलाई हम मद्रासी कैंप पहुंचे। यहां झुग्गियों का नामोनिशान तक नहीं बचा। यहीं सड़क के दूसरी ओर हमें कई महिलाएं बैठी मिलीं, लेकिन बात करने के लिए राजी नहीं हुईं। आगे बढ़े तो पार्क में कुछ महिलाएं मिलीं, मनामती उनमें से एक हैं। वो बेटी के स्कूल से आने का इंतजार कर रही थीं। मनामती जन्म से दिल्ली में रह रही हैं। उनके पास आधार और राशन कार्ड था। इसलिए सर्वे करने आई टीम के डेटा के मुताबिक, उन्हें नरेला में मकान मिला। हालांकि वो इससे भी खुश नहीं हैं। वे कहती हैं, 'मैं उस मकान में एक ही बार गई थी। वहां न तो हमारे बच्चों के लिए कोई स्कूल है और न कोई काम है।' 'मेरा और मेरे पति का काम यहां जंगपुरा में है। मैं यहां मकानों में सफाई का काम करती हूं। पति यहीं सेंट्रल मार्केट में काम करता है। उसका काम रात को 11-11:30 बजे खत्म होता है। यहां से घर पहुंचने में तीन घंटे लग जाते हैं। जाम मे और लेट हो जाते हैं।' 'यहां (मद्रास कैंप) हमारे बच्चों के लिए स्कूल है, जिसमें तमिल, अंग्रेजी और हिंदी पढ़ाई जाती है। वहां चोरी का डर भी लगा रहता है। कई लोग वहां अपना सामान रखकर गए, लेकिन चोरी हो गया।' राशन कार्ड नहीं, इसलिए मकान नहीं मिला मद्रास कैंप में रहने वाली सुनीता का परिवार पिछले 25 साल से दिल्ली में रह रहा है। वो आसपास की कोठियों में सफाई का काम करती हैं। वे कहती हैं, 'मेरी शादी 2004 में हुई थी। मेरा पति और परिवार पहले से दिल्ली में रह रहा था। मैं शादी के बाद चेन्नई से यहां आई। मेरे पास दिल्ली का आधार कार्ड और वोटर आईडी है, लेकिन राशन कार्ड नहीं। इसलिए मकान नहीं मिला।' 'पति कई साल से घर तक नहीं आया। सास और ससुर के पास राशन कार्ड, आधार कार्ड और वोटर आईडी कार्ड सब था, लेकिन 5 साल पहले वो गुजर गए।' इस साल जनवरी में कुछ लोग सर्वे करने आए थे। हमारी डिटेल ले गए और कहा था कि हमें घर देंगे, लेकिन सब छीन लिया। सिर्फ नोटिस चिपकाया कि दो दिन में झुग्गी साफ कर दी जाएगी। हमें इतना वक्त भी नहीं दिया कि हम रहने का इंतजाम कर लें। सुनीता का दावा है कि झुग्गी टूटने के बाद से इलाके में मकानों के किराए बढ़ गए हैं। वो बताती हैं, 'मकान मालिक हमारी मजबूरी का फायदा उठा रहे हैं। एक कमरे का किराया 8 हजार रुपए है। हम महीने का 6 हजार रुपए ही कमा पाते हैं। समझ नहीं आ रहा कि इस महीने का किराया कैसे भरेंगे। खाने को राशन भी लाना पड़ता है। हमारे लिए जीना मुश्किल हो गया है।' 8 जुलाई: जय हिंद कैंप10 दिन पहले बिजली काटी, अब कहीं मकान न छीन लेंदिल्ली के वसंतकुंज इलाके में बंगाली प्रवासियों की एक बस्ती की बिजली काट दी गई। बस्ती में करीब 5 हजार लोग रहते हैं। ज्यादातर पश्चिम बंगाल के कूचविहार के रहने वाले हैं। लोगों का आरोप है कि 8 जुलाई की सुबह 10 बजे बिजली विभाग के अधिकारी पुलिस बल के साथ आए और बिजली कनेक्शन हटा दिया। इसके बाद से लोगों को बस्ती खाली कराए जाने का डर सता रहा है। फातिमा कूचविहार की रहने वाली हैं। बीते 16-17 साल से इसी बस्ती में रह रही हैं। वो इस इलाके में सरकारी 'जन सुविधा परिसर' की केयरटेकर हैं। वे कहती हैं, ‘अधिकारियों के आने से पहले ना कोई नोटिस मिला और ना हमें कुछ बताया गया। हम 11-12 साल से बिजली बिल भर रहे हैं। कनेक्शन काटने से पहले हमें नोटिस देना चाहिए।‘ कई लोगों से बात करने पर पता चला कि यहां के लोगों को डर है कि बस्ती खाली कराई जा सकती है। उनके घरों को तोड़ा जा सकता है। बस्ती के लोगों के 'बाहरी' होने के आरोपों पर फातिमा खारिज करती हैं। जय हिंद बस्ती में बिजली के दो ही मीटर हैं। एक मंदिर में काशी बर्मन के नाम और दूसरा मस्जिद में सनाउल्लाह खां के नाम से है। लोगों ने सब-मीटर के जरिए इन्हीं दो मीटर से कनेक्शन ले रखा है। ये सब-मीटर अवैध हैं। पिछले साल 14 मई को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने दोनों मीटर अवैध बताए थे। हटाने का आदेश भी दिया था। बिजली के अलावा जय हिंद कैंप की जमीन का मामला भी कोर्ट में लंबित है। जलील शेख भी सालों से इसी बस्ती में रह रहे हैं। वे कहते हैं, ‘यहां कोई बांग्लादेशी नहीं रहता है, जो बातें फैलाई जा रही हैं वो पूरी तरह गलत हैं।‘ 2014 में इस झुग्गी में आग लगी थी। तब उपराज्यपाल खुद बोलकर गए थे कि आप लोग यहीं रहिए, ये जमीन सरकारी है। अभी तक तय नहीं हुआ है कि ये किसकी जमीन है। अब जानिए पॉलिटिकल पार्टियां क्या कह रहीं…BJP बोलीं- कोर्ट के आदेश पर हो रहा एक्शनदिल्ली की CM रेखा गुप्ता ने साफ किया है कि दिल्ली में चलाया जा रहा अभियान कोर्ट के निर्देश पर किया जा रहा है। BJP प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर से कहते हैं, ‘जिन भी झुग्गियों को तोड़ गया है वो या तो कोर्ट के आदेश पर हटाई गई हैं या वो नालों पर बनी हुई थीं।‘ ‘2013 में रीलोकेशन के लिए जो मकान बनाए गए थे, वो खड़े-खड़े खंडहर हो गए। उसके बाद अरविंद केजरीवाल का समय आया लेकिन उन्होंने भी ये मकान किसी को अलॉट नहीं किए। BJP इस कोशिश है कि जिन लोगों को किसी भी आधार पर मकान नहीं मिला, उन्हें जगह दी जाए।‘ AAP: प्रधानमंत्री का वादा BJP ने तोड़ाआम आदमी पार्टी प्रवक्ता सर्वेश कहते हैं, ‘पीएम नरेंद्र मोदी ने दिल्ली की जनता से वादा किया था कि एक भी झुग्गी तोड़ी नहीं जाएगी। सबकी झुग्गियां तोड़ दी गईं। इन झुग्गियों में ज्यादातर यूपी और बिहार के लोग रहते हैं।‘ ‘मजिंदर सिंह सिरसा स्विट्जरलैंड में छुट्टियां मनाकर आए हैं इसलिए उन्हें पूर्वांचली बांग्लादेशी लगते हैं। BJP सरकार ने यूपी और बिहार के लोगों को दिल्ली से भगाने का काम किया है। हमारे नेता अरविंद केजरीवाल ने जंतर-मंतर से आह्वान दिया है कि अगर झुग्गियों पर कार्रवाई नहीं रुकी तो हम अभियान चलाएंगे।‘ ....................... ये खबर भी पढ़ें... क्या शकूरबस्ती होगी ‘श्रीरामपुरम', दिल्ली में नाम बदलने की सियासत ’पहले यहां शकूरपुर गांव हुआ करता था। बंटवारे के बाद उसी के बगल में पाकिस्तान के मुल्तान से आए लोगों की एक बस्ती बसाई गई और नाम शकूर बस्ती पड़ गया। उसी आधार पर शकूर बस्ती विधानसभा बनाई गई। अब पुराने नाम से आखिर क्या परेशानी है, जो लोग उसे बदलने पर आमादा हो गए हैं।’ दिल्ली के न्यू मुल्तान नगर में रहने वाले रिटायर्ड प्रोफेसर सर्वेश कुमार को नाम बदलने की मांग समझ नहीं आ रही है। पढ़िए पूरी खबर...
नेतन्याहू का ट्रंप को बारूदी चैलेंज! इजरायल का हमला सीरिया पर या ट्रंप पर?
अमेरिका की ट्रंप सरकार ने सीरिया पर इजरायली हमलों पर चिंता जताई है. इसके साथ ही साथ अमेरिका ने सीरिया में सरकार और DRUZE मुसलमानों के बीच मध्यस्थता कराने का भी फैसला किया है.
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DNA: फिलिस्तीन में सबकुछ तबाह करने के बाद इजरायल ने गाजा से गधे चुरा रहा है. बताया जा रहा है कि इन गधों को इजरायल फ्रांस जैसे देशों को बेच रहा है.
Muslims grew at a fasterin world: पूरी दुनिया में मुस्लिम आबादी सबसे अधिक बढ़ रही है. रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ जगहों परआज हर पांच में से एक इंसान मुस्लिम है. जानें पूरी रिपोर्ट.
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Donald Trump: ट्रंप ने कहा कि हम भारत के साथ बातचीत कर रहे हैं. शायद हमारे पास अगला समझौता भारत के साथ हो. जब मैं एक चिट्ठी भेजता हूं तो वो अपने आप एक डील बन जाती है.
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अहमदाबाद में एयर इंडिया के प्लेन क्रैश के बाद जारी इंवेस्टिगेशन के बीच ये ख्याल सभी के मन में आ रहा है कि जब प्लेन में वॉइस रिकॉर्डर होता है तो वीडियो रिकॉर्डर क्यों नहीं? कितनी पुरानी है ये डिमांड? और पायलट्स क्यों हैं इसके खिलाफ, पूरी जानकारी के लिए ऊपर दी गई इमेज पर क्लिक कर देखें वीडियो
‘दलाल ने रायपुर ले जाने के बहाने मेरे साथ 11 मजदूरों को ट्रेन में बैठाया, लेकिन जब हमें पता चला कि वह रायपुर के बजाय कहीं और लेकर जा रहा है, तो दूसरी बोगी में बैठे 10 मजदूर अगले स्टेशन पर कूदकर भाग गए। हम दो मजदूर दलाल के साथ अलग बोगी में थे, इसलिए फंसे रह गए।’ ‘वह हम दोनों को विशाखापट्टनम ले गया और एक छोटे से अंधेरे कमरे में बंद कर दिया। वहां वह बार-बार कहता कि मैं अपने दो लाख वसूलूंगा। वह एक रात शराब पीकर आया। हम दोनों को कमरे से बाहर निकाला और एक जंगल में घसीटते हुए लेकर गया। उसके हाथ में कुल्हाड़ी थी।’ ‘वहां ले जाकर जोर-जोर से कहने लगा कि आज अपने 2 लाख वसूलूंगा। उसने मुझे जमीन पर लिटाया और दाएं हाथ पर कुल्हाड़ी से वार किया। मेरा हाथ कटकर अलग हो गया। मैं जमीन पर गिरकर लोटने लगा, फिर उसने इसी तरह हमारे साथी मजदूर के हाथ पर वार किया और उसका भी हाथ काट दिया। वह भी जमीन पर लोटने लगा। हमारा दर्द से बुरा हाल था। हम बस मौत का इंतजार कर रहे थे।’ यह बताते हुए ओडिशा के कालाहांडी जिले के पिपलहुंडा गांव के दयालु की आवाज कांपने लगती है। ब्लैकबोर्ड में इस बार कहानी ओडिशा के बंधुआ मजदूरों की, जिनसे जबरदस्ती 16-17 घंटे काम करवाया जाता है और उन्हें टॉर्चर किया जाता है- दयालु आगे बताते हैं, ‘मैंने कभी नहीं सोचा था कि कोई इंसान किसी का हाथ इस तरह काट सकता है। सुबह होते ही वह दलाल हमें लेकर जंगल से निकला। एक ढाबे पर रुका, शायद वह हमें किसी गाड़ी से ले जाने का प्लान बना रहा था, लेकिन उस ढाबे के मालिक ने हमें देख लिया। वह मेरे पास आए और धीरे से पूछा- क्या हुआ बेटा? मैंने उन्हें सब बता दिया।’ ‘उन्होंने चुपचाप पुलिस को फोन कर दिया। थोड़ी देर में पुलिस पहुंच गई और मिडिल मैन यानी दलाल को गिरफ्तार कर लिया। मुझे और मेरे साथी को अस्पताल पहुंचाया गया।’ ‘डॉक्टरों ने वहां हमारा हाथ देखकर कहा, ‘इतना खून बहने पर भी बच जाना किसी चमत्कार से कम नहीं है।’ ‘महीनों अस्पताल में रहा। पुलिस की मदद से मां मुझे देखने पहुंचीं। वह मेरी हालत देखकर फूट-फूटकर रोने लगीं। सीने से लगाया, बाल सहलाया और कहा- अब कहीं नहीं जाने दूंगी।’ ‘मैं सोच रहा था कि हाथ कट गया तो अब क्या ही फायदा जीने का, लेकिन मां की आंखों में खुद को देखा तो फिर से जीने की उम्मीद जगी।’ ‘वहां से जब गांव पहुंचा तो मजदूरी करने की हालत में नहीं था। गांव वाले सहानुभूति जताते, लेकिन काम कोई नहीं देता। रिश्तेदार भी कहने लगे- अब इनसे कौन बेटी की शादी करेगा, इनके तो हाथ ही नहीं है।’ ‘हाथ कटने से जितना दर्द हुआ था, अब उससे ज्यादा इन बातों से होने लगा।’ ‘शादी की बात आते ही लोग मुंह फेर लेते हैं। मां चाहती थीं कि मेरी भी एक गृहस्थी हो, लेकिन जहां भी रिश्ता जाता है सिर्फ इनकार मिलती है।’ ‘मैं अब मां के साथ रस्सी बनाने का काम करता हूं। हालांकि इस काम को भी करने में दिक्कत होती है, लेकिन मुश्किल से ही सही, कर लेता हूं। मां कहती हैं कि पैसे कम मिलते हैं तो क्या हुआ, तू मेरी आंखों के सामने तो है। अब मेरे लिए हर दिन एक नई परीक्षा है, लेकिन मां की खुशी से मुझे सुकून मिलता है।’ ‘कभी-कभी सोचता हूं, काश पापा होते तो कुछ और होता। शायद जिंदगी को यूं ना खींचना पड़ता, लेकिन किस्मत को कोई नहीं टाल सकता।’ दरअसल, दयालु की जिंदगी सामान्य नहीं रही। पिता की मौत के बाद घर की सारी जिम्मेदारी बहुत कम उम्र में उनके कंधों पर आ गई। मां, छोटी बहन और दो छोटे भाइयों के साथ वह जैसे-तैसे जिंदगी की गाड़ी खींच रहे थे। वह बताते हैं, ‘मैं स्कूल जाने की उम्र में खेतों में मजदूरी करने लगा था। मां भी दूसरों के घरों में बर्तन मांजने जाती थीं, लेकिन दोनों मिलकर भी घर का खर्च नहीं चला पा रहे थे।’ ‘पापा को एक दिन बुखार हुआ। तबीयत लगातार बिगड़ती चली गई और अस्पताल ले गए तो वहां उन्होंने दम तोड़ दिया। मां ढांढस बंधाती थीं चिंता मत करो, मैं जिंदा हूं, लेकिन मैं जानता था कि अब सब कुछ बदल गया है। सारा बोझ मेरे ऊपर आ गया है।’ एक दिन गांव में कुछ लोग आए। कहा- रायपुर के पास एक ईंट-भट्ठे पर काम है, रोज 300 रुपए मजदूरी मिलेगी, रहने-खाने की भी व्यवस्था है। साथ में 10,000 रुपए एडवांस भी मिलेंगे। दयालु को लगा- जैसे जिंदगी कोई मौका दे रही हो। मां से कहा- बस कुछ महीनों की बात है। जा रहा हूं, लौटूंगा तो पैसे भी होंगे और इज्जत भी, लेकिन दयालु के साथ फिर ये घटना घटी और अब उनका एक हाथ नहीं है। यह कहानी सिर्फ दयालु की नहीं। ओडिशा के कालाहांडी, नुआपाड़ा, बोलांगीर, कोरापुट, मलकानगिरि और रायगढ़ा के गरीब परिवार अक्सर काम की तलाश में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, कर्नाटक और तमिलनाडु जाते हैं, जहां उनके साथ इस तरह का अत्याचार होता है। रायगढ़ जिले के एक छोटे से गांव कुदुभटा की मानसी कुम्हार कहती हैं कि बाकी महिलाओं की तरह मेरी भी ख्वाहिशें थीं- अपने बच्चों को पढ़ाना, पति की बीमारी का इलाज कराना और घर को हंसी-खुशी चलाना, लेकिन जिंदगी सिर्फ चाहने से नहीं चलती। कभी-कभी यह वहां धकेल देती है, जहां सांस भी कर्ज बन जाती है। ‘दरअसल, हमारा परिवार कर्ज में डूबा था। घर में किसी के पास काम भी नहीं था। पति का लिवर खराब हो चुका था। उनकी तबीयत लगातार बिगड़ रही थी, लेकिन इलाज के लिए पैसे नहीं थे।’ ‘इस दौरान मेरे जीजा ने हमें बताया कि गांव में गंजम जिले से कुछ लोग आए हैं। वहां ईंट-भट्ठे पर काम दे रहे हैं। अच्छा पैसा देंगे, रहने के लिए घर, खाना और मजदूरी सब मिलेगी। लगा शायद अब रास्ता मिल गया है।’ ‘हमने तय किया कि पूरा परिवार जाएगा। मेरे साथ पति, भाई, पापा सभी गए, लेकिन वहां हकीकत कुछ और थी। हमें घर देने की बात कही गई थी, पर वहां बस एक आधी-अधूरी दीवार थी, जिसके ऊपर पॉलिथीन बांधकर कामचलाऊ घर बनाए गए थे।’ ‘बारिश होती तो उसमें पानी टपकता था और जमीन पर बिछा हमारा बिस्तर गीला हो जाता था। हम रातभर जागते रहते। हमें वहां पीने के लिए जो पानी मिलता था, वह भी गंदा होता था। नहाने के लिए तो पानी मिलता ही नहीं था।’ ‘सुबह 3 बजे से ही हमें काम पर लगा दिया जाता था। मालिक इतना काम कराता कि खाने का भी वक्त नहीं देता था।’ ‘वे हमें एक दिन में 1000 ईंट बनाने की बात कहकर ले गए थे, लेकिन वहां पहुंचते ही इसे बढ़ाकर 3000 ईंट कर दिया गया था। वे हर गलती पर गालियां देते और काम धीमा हो तो मारते थे।’ ‘मैं गर्भवती थी। मैंने सोचा था कि शायद मुझे थोड़ा कम काम दिया जाएगा, लेकिन कोई रियायत नहीं दी गई। जिन लोगों का भट्ठा था, वे रात में दारू पीकर आते और हमें बेवजह मारते थे। एक बार मुझे भी मारा। धूप में घंटों खड़ा करके रखा था। चक्कर खाकर गिर गई। किसी ने मुझ पर पानी फेंका, फिर होश आया। मालिक ने उस दिन कहा था कि यहां काम करना है, आराम नहीं।’ ‘कई बार तो वे मुझे पीटने के बहाने गलत तरीके से छूते थे। प्राइवेट पार्ट पर हाथ रख देते थे और रात में मेरे साथ सोते थे। जब भी अकेले में बैठकर सोचती तो उन पर घिन आती थी। हमेशा सोचती कि अगली बार उन्हें छूने नहीं दूंगी, लेकिन मैं मजबूर थी। उनका सामना कैसे कर सकती थी। खून का घूंट पीकर रह जाती थी।’ एक बार उन्होंने मारते हुए मेरे भाई का हाथ तोड़ दिया। पापा की आंखों में डंडा मारा और वह कई दिनों तक ठीक से देख नहीं पाए।’ वे हमेशा हमारी निगरानी करते थे। कोई अकेला बाहर नहीं जा सकता था। सब्जी लाने जाते, पेशाब करने जाते तब भी उनके आदमी हमारे साथ-साथ रहते थे। हम चाहकर भी वहां से भाग नहीं पा रहे थे।’ ‘एक दिन, मेरे बड़े पापा को हमारे बारे में खबर लगी। वह पुलिस की मदद से पहुंचे और वहां से किसी तरह हमें निकलवा कर ले आए। वह ना पहुंचते, तो शायद हम वहीं मर जाते’, यह कहते हुए वह रोने लगती हैं। यहीं से पास के एक गांव फटमाड़ा के प्रेम तांडी बताते हैं, हमारी जिंदगी ठीक चल रही थी, लेकिन बड़े भाई की शादी के लिए पिताजी ने कर्ज ले लिया। हम इसे अभी चुका नहीं पाए और यह बढ़ता चला गया। आज भी हम इसी कर्ज में फंसे हुए हैं। इस दौरान गांव में एक एजेंट आए। उन्होंने कहा कि हैदराबाद में ईंट-भट्ठे पर काम है। हर मजदूर को 6 महीने में 35 हजार रुपए मिलेंगे और परिवार के एक आदमी को एडवांस पेमेंट। लगा अब हम इससे अपना कर्ज चुका देंगे, लेकिन हमें नहीं पता था कि वहां जाकर सब कुछ गंवा देंगे। ‘वहां ईंट-भट्ठा हमारे लिए एक खुली जेल था। सुबह सूरज निकलने से पहले हमें काम पर लगा दिया जाता था। देर रात तक ईंटें बनवाई जाती थीं। हमसे 14-15 घंटे बिना किसी आराम के काम करवाया जाता था।’ ‘कई बार भूखे सोना पड़ता। मालिक और सुपरवाइजर गालियां देते, बेवजह पीटते थे। हमसे कहा गया था कि थकना नहीं है। बीमार होने पर भी काम करना पड़ता था।’ ‘इस दौरान मेरे पिताजी को तेज बुखार और सांस लेने में तकलीफ हुई। हमने भट्ठा मालिक से दवाई मांगी तो उसने हंसते हुए कहा कि मरने नहीं देंगे, लेकिन आराम भी नहीं करने देंगे।’ ‘उसने पिताजी को दवा दी और काम पर लगा दिया। इसके बाद उनकी हालत और बिगड़ने लगी। उन्हें अस्पताल ले गए, जहां उन्होंने दम तोड़ दिया। हम उनके शव के साथ गांव वापस लौटे। परिवार उजड़ गया, कर्ज जस का तस बना हुआ है। मां भी बीमार रहती हैं। वह पूरी रात सो नहीं पातीं’, यह कहते हुए प्रेम की आंखें भर आती हैं। इस इलाके के सामाजिक कार्यकर्ता उमि डेनियल पिछले कई सालों से प्रवासी मजदूरों के लिए काम कर रहे हैं। वह बताते हैं कि 1976 में बना ‘बंधुआ मजदूरी उन्मूलन अधिनियम (Bonded Labour Abolition Act)’ इस दिशा में एक ऐतिहासिक कदम था। इसके बाद कई राज्यों में हजारों मजदूरों को रिहा कराया गया। अकेले ओडिशा में 1980 में लगभग 50,000 मजदूर मुक्त कराए गए थे। कानून के अनुसार, राज्य सरकारों को हर तीन साल में बंधुआ मजदूरी का सर्वेक्षण कराना होता है, लेकिन सच्चाई यह है कि ओडिशा समेत कई राज्यों में या तो ये सर्वेक्षण होता नहीं या फिर कागजों पर होकर रह जाता है। जिन लोगों को बचाया जाना चाहिए, वे सालों तक ईंट-भट्ठों की आग में झुलसते हैं। वह बताते हैं कि हर साल ओडिशा से लगभग 2 लाख लोग काम की तलाश में दक्षिण भारत का रुख करते हैं। इनमें ज्यादातर लोग ईंट-भट्ठों पर काम करते हैं। दलाल इन्हें पैसे का लालच देकर ले जाते हैं और फिर गुलामी में धकेल देते हैं। कई बार यह मानव तस्करी का मामला बन जाता है। डेनियल बताते हैं कि यहां मनरेगा में भी काम नहीं मिलता, क्योंकि लोगों के पास जमीन ही नहीं है। ओडिशा के 93% किसानों के पास 2 एकड़ से भी कम जमीन है। अभी यहां केवल 48% लोग खेती करते हैं, जबकि पहले यह आंकड़ा 60% से अधिक था। साइक्लोन और बाढ़ की वजह से तटीय इलाकों की खेती बर्बाद हो जाती है। युवा खेती नहीं करना चाहते। वे बाहर काम करने की चाह रखते हैं, लेकिन हुनर की कमी के कारण बंधुआ मजदूरी के जाल में फंस जाते हैं। ओडिशा सरकार ने दलालों के साथ पलायन करने वाले मजदूरों की पहचान के लिए एक टास्क फोर्स बनाई है, जिसका मकसद मजबूरी में पलायन करने वाले लोगों की पहचान कर उन्हें बचाना है। राज्य सरकार के ‘विजन 2036’ में प्रवास (Migration) को भी मुद्दा माना गया है, जो एक सकारात्मक कदम है। डेनियल मानते हैं कि अगर इन युवाओं को जरूरी स्किल मिल जाए, तो वे खुद को बंधुआ मजदूर बनने से बचा सकते हैं और आत्मनिर्भर बन सकते हैं।
'मेरी बेटी कॉलेज में एक प्रोफेसर से परेशान थी। उसने सेक्शुअल हैरेसमेंट और टॉर्चर करने की कई बार शिकायत की लेकिन कॉलेज प्रबंधन ने कुछ नहीं किया। अप्रैल में उसकी दोस्त ने भी बताया था कि अपराजिता (बदला हुआ नाम) के साथ गलत हो रहा है। मैंने प्रिंसिपल से शिकायत की लेकिन भरोसे के सिवा कुछ नहीं मिला। अगर एक्शन होता तो मेरी बेटी ने जान नहीं दी होती।' ओडिशा के बालासोर में 20 साल की अपराजिता ने कॉलेज कैंपस में 12 जुलाई को खुद को आग लगाई और 14 को दम तोड़ दिया। पिता अब भी अफसोस में हैं कि जांच और एक्शन वक्त पर होता तो शायद बेटी जिंदा होती। अपराजिता बालासोर के फकीर मोहन ऑटोनॉमस कॉलेज से बीएड कर रही थी। उसने अपने HOD समीर राजन साहू पर सेक्शुअल हैरेसमेंट का आरोप लगाया था। विक्टिम ने कॉलेज प्रिंसिपल दिलीप कुमार घोष से लेकर इंटरनल कंप्लेंट कमेटी (ICC) तक सभी से मामले की शिकायत भी की। पिता का आरोप है कि कॉलेज ने हर बार शिकायत को नजरअंदाज कर दिया। प्रोफेसर समीर और प्रिंसिपल दिलीप ने ही अपराजिता को जान देने के लिए मजबूर किया। मामले के तूल पकड़ते पुलिस ने घटना के दिन ही आरोपी HOD समीर को गिरफ्तार कर लिया। वहीं, 14 जुलाई को कॉलेज के तत्कालीन प्रिंसिपल दिलीप कुमार घोष को भी गिरफ्तार कर लिया गया। घटना के विरोध में बीजू जनता दल (BJD) जगह-जगह पर प्रदर्शन कर रही है। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस भी सरकार को घेर रही है। हमने बालासोर पहुंचकर विक्टिम से परिवार से मुलाकात की और पूरा केस समझा। कॉलेज प्रबंधन से भी जानने की कोशिश की कि आखिरी लापरवाही कहां हुई। सबसे पहले विक्टिम की फैमिली…सेक्शुअल हैरेसमेंट और क्लास में बेइज्जती करता था प्रोफेसरहम जब विक्टिम के घर पहुंचे तो अपराजिता के अंतिम संस्कार की तैयारी चल रही थी। माहौल गमगीन था। अपराजिता के पिता महिला उच्च माध्यमिक विद्यालय में क्लर्क हैं और भाई एमआर है। वो खुद बालासोर के फकीर मोहन कॉलेज से बीएड कर रही थी। पढ़ाई के साथ-साथ वो कई कॉलेज में कराटे भी सिखाती थी। अपराजिता अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से भी जुड़ी थी। पिता बताते हैं कि वो हमेशा से कुछ बड़ा करना चाहती थी। सरकारी नौकरी की भी तैयारी कर रही थी। उसने मुझसे वादा लिया था कि मैं उसे कभी शादी के लिए मजबूर नहीं करूंगा। वो डांस, ड्रामा और कराटे सब करती थी। कई जगहों पर उसे बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड भी मिला।‘ शिकायत को लेकर वे कहते हैं, ‘अपराजिता ने लगभग 6 महीने पहले हमें प्रोफेसर की हरकतों के बारे में बताया था। उसने बताया कि उसे परेशान किया जा रहा है। इसके बाद मैंने अपने बेटे के साथ कॉलेज जाकर मामले में शिकायत भी की थी। प्रिंसिपल को सारी बात बताई।‘ 'मुझे अप्रैल में ही उसकी दोस्त ने बताया कि अपराजिता के साथ कुछ गलत हो रहा है। प्रोफेसर उसे जानबूझकर क्लास से निकाल देता था। अगर वो क्लास के लिए एक मिनट भी लेट हो जाए तो सबके सामने बेइज्जती करता था। मेरी बेटी मेंटली और फिजिकली दोनों तरह से टॉर्चर किया जा रहा था। ये सुनकर जब मैं उससे मिलने पहुंचा तो वो कॉलेज की कैंटीन में बैठी रो रही थी। उसने अपने साथ हो रही हिंसा और शोषण के बारे में बताया। ' प्रिंसिपल और प्रोफेसर ने मिलकर बेटी का मर्डर कियाविक्टिम के पिता आगे बताते हैं, 'मैंने प्रिंसिपल को इसकी जानकारी भी दी लेकिन इसे मामूली सी बात कहकर टाल दिया गया। हालांकि, मास्टर की हरकतें रुकी नहीं। मैं फिर से प्रिंसिपल से मिला। तब उन्होंने मुझे सख्त कार्रवाई करने का भरोसा दिलाया, तब मैं घर लौटा।' 'अपराजिता ने प्रिंसिपल का रवैया देखकर कॉलेज की इंटरनल कंप्लेंट कमेटी (ICC) से भी शिकायत की। कमेटी ने मुझे, मेरी बेटी और प्रोफेसर को बयान के लिए बुलाया भी था। हालांकि मेरी बेटी समझ चुकी थी कि कमेटी भी प्रोफेसर का फेवर करने और उसे क्लीनचिट लेने के लिए बनाई गई है। यहां से इंसाफ नहीं मिलने वाला है।' विक्टिम के पिता इन सबके लिए कॉलेज के प्रिंसिपल और प्रोफेसर समीर को कसूरवार मानते हैं। वे कहते हैं, 'इन लोगों ने मिलकर मेरी बेटी का मर्डर किया है और इन्हें सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए। मेरी बेटी ने जान दे दी, लेकिन कॉलेज में अब भी कई स्टूडेंट्स ये सब झेल रही हैं। सरकार को इनके बारे में सोचना चाहिए।' वे आगे कहते हैं, 'ये सब होने से एक दिन पहले ही मेरी अपराजिता से फोन पर बात हुई थी। मैं उसे अगले दिन अपने साथ ले जाने वाला था।' वहीं अपराजिता की दादी कहती हैं, 'हमने अपनी बेटी को बाहर बड़े कॉलेज में पढ़ने भेजा। उसने इतनी पढ़ाई-लिखाई की लेकिन सब बेकार हो गया। वो अक्सर घर आया करती थी। अभी आखिरी बार बाहुड़ा यात्रा के दिन आई थी, जिस दिन भगवान जगन्नाथ की वापसी होती है।' 'इस बार भी खुशी-खुशी घर से पढ़ने के लिए गई थी लेकिन इस बार वो नहीं उसकी लाश आई। मेरी बेटी की शिकायत को कॉलेज ने सुना ही नहीं इसीलिए ऐसी घटना हुई।' अब विक्टिम की दोस्त…अपराजिता जान गई थी कि केस उसके खिलाफ जा रहाहमने कॉलेज में अपराजिता की दोस्त रहीं कशिश से भी बात की। दोनों कॉलेज के पहले से एक दूसरे को जानते थे। दोनों ने एक साथ सेल्फ डिफेन्स की ट्रेनिंग ली थी। हमने पूछा क्या अपराजिता ने कभी आपसे इन परेशानियों का जिक्र किया था? इस पर कशिश कहती हैं, 'अपराजिता ने बताया था कि क्लास में उसे परेशान किया जा रहा है। मैंने ज्यादा सीरियसली नहीं लिया। मुझे लगा कि थोड़ी बहुत कुछ दिक्कत आ रही होगी।' 'मामला जब थोड़ा सीरियस लगा तो घटना से 15 दिन पहले अपराजिता के साथ हम करीब 10 स्टूडेंट्स प्रिंसिपल से शिकायत करने गए। उन्होंने कहा कि इस मामले में कार्रवाई के लिए उन्हें कुछ वक्त और चाहिए।' हैरान करने वाली ये थी कि जो मुख्य आरोपी समीर राजन साहू के समर्थन में कॉलेज के 100 से ज्यादा लोग थे। वो अपराजिता को खराब कैरेक्टर वाला बताने लगे। हालांकि, अब वही लोग कह रहे हैं कि उसे न्याय नहीं दिला पाए। घटना वाले दिन आपकी अपराजिता से क्या बात हुई थी। इस पर कशिश कहती हैं, 'घटना से 45 मिनट पहले ही मेरी उससे बात हुई थी। वो बिल्कुल नॉर्मली बात कर रही थी। उसने मुझसे कहा था कि तुम लंच करके आओ। फिर हम इस केस को लेकर प्रिंसिपल से दोबारा बात करेंगे। मैं लंच करने गई और तभी मेरे जाते ही उसने इस तरह का कदम उठा लिया।' 'हमें पता चला है कि हमारे जाने के बाद प्रिंसिपल ने उसे बुलाकर कहा था कि मामला उसके खिलाफ जा रहा है। अगर वो साहू के खिलाफ सबूत लाकर दे सके, तभी कुछ एक्शन हो सकता है। अपराजिता इस बात से भी परेशान थी कि जूनियर स्टूडेंट्स उसके कैरेक्टर को लेकर बातें कर रहे थे और अफवाह फैला रहे थे। सोशल मीडिया पर उसके खिलाफ ट्वीट किया जा रहा था।' स्टूडेंट मुझसे मिलने आई, फिर उसने आग लगा लीघटना पर कॉलेज तत्कालीन प्रिंसिपल और आरोपी दिलीप कुमार घोष ने अरेस्ट होने से पहले कहा था- '30 जून को मेरे पास HOD समीर राजन साहू के खिलाफ शिकायत आई थी। कुछ स्टूडेंट्स ने बताया कि समीर उनका मानसिक उत्पीड़न कर रहा है। एक लड़की ने यहां तक कहा था कि गार्डन के पास शिक्षक ने फिजिकल रिलेशन बनाने की मांग की थी। उसी दिन स्टूडेंट्स ने घेराव किया था और पुलिस को बुलाया गया था।' प्रिंसिपल ने कहा कि स्टूडेंट्स की मांग पर हमने इंटरनल कंप्लेंट कमेटी बनाई थी। इसमें सीनियर महिला टीचर, प्रतिनिधि और कुछ बाहरी मेंबर थे। कमेटी ने 7 दिन में रिपोर्ट दी थी। हालांकि कुछ स्टूडेंट तत्काल कार्रवाई की मांग कर रहे थे। '12 जुलाई को स्टूडेंट मुझसे मिलने आई, मैंने 20 मिनट तक उसे समझाया, लेकिन वह कहने लगी कि अब और इंतजार नहीं कर सकती और यहां से चली गई। करीब 15-20 मिनट बाद पता चला कि उसने खुद को आग लगा ली है।' हालांकि, मामला सामने आने के बाद ओडिशा सरकार ने इस मामले में कॉलेज प्रशासन की गंभीर लापरवाही मानते हुए प्रिंसिपल घोष को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया है। सरकार के जारी आदेश में कहा गया है कि प्रिंसिपल घोष बिना अनुमति शहर नहीं छोड़ सकते हैं। इसके बाद 14 जुलाई को बीएनएस की धारा 75(2), 78(2), 79, 351(2), 108, 238, 61(2) के तहत उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। कॉलेज के प्रिंसिपल इंचार्ज बोले…विक्टिम के अस्पताल में भर्ती होने के मिली घटना की जानकारीइसके बाद हमने कॉलेज का पक्ष जानने के लिए प्रिंसिपल इंचार्ज फिरोज कुमार से बात की। वो इसे दुखद घटना बताते हुए कहते हैं, 'हमें इस घटना की जानकारी पीड़िता के अस्पताल में भर्ती होने के बाद मिली। ICC के निर्देशों के मुताबिक, जब भी कॉलेज प्रशासन के पास यौन उत्पीड़न का कोई मामला आता है, तो उस पर तुरंत एक्शन लेना पड़ता है।' 'विक्टिम और आरोपी के बयान लिए जाते हैं। एविडेंस जुटाए जाते हैं। इन्वेस्टिगेशन की जाती है। उसके बाद फाइंडिंग की रिपोर्ट और सुझाव दिए जाते हैं। सुझावों पर एक्शन लेने का काम विभाग का होता है। इस कमेटी में सीनियर प्रोफेसर होते हैं। दो नॉन-टीचिंग स्टाफ होता है। एक री साइडिंग और एक्सटर्नल अफसर भी होता है।' कुछ मामलों में स्टूडेंट्स को भी शामिल किया जाता है। अगर विक्टिम ICC के फैसले से खुश न हो तो पीड़ित पुलिस में भी शिकायत कर सकता है। इस मामले में कमेटी को जांच के लिए 15 दिन का वक्त दिया गया था। कमेटी ने रिपोर्ट भी सौंप दी है। अब इंटरनल कंप्लेंट कमेटी की बात…आरोपी प्रोफेसर के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिलाइसके बाद हमने ICC मेंबर मिनाती सेठी से बात की। मिनाती ने विक्टिम के आरोप तो कंफर्म किए, लेकिन ये भी बताया कि आरोपी के खिलाफ कोई सीधा सबूत नहीं मिला। उन्होंने बताया- 'कमेटी ने आरोपी प्रोफेसर के व्यवहार की जांच के लिए विभाग के करीब 60 स्टूडेंट्स का इंटरव्यू लिया। अन्य किसी भी स्टूडेंट ने आरोपी की पुष्टि नहीं की।' 'सबूतों की कमी के बावजूद ICC ने स्टूडेंट्स के लिए सुरक्षित माहौल बनाने के लिए समीर राजन साहू को HOD पद से तत्काल हटाने की सिफारिश की। 9 जुलाई को कमेटी ने तत्कालीन प्रिंसिपल दिलीप घोष को इसकी एक डिटेल रिपोर्ट सौंपी, जिसमें तत्काल कार्रवाई की मांग की गई। .............................. ये खबर भी पढ़ें... कोलकाता कॉलेज गैंगरेप- शादी का प्रपोजल, मना करने पर रेप 'मैं रोती रही, गिड़गिड़ाती रही, लेकिन उन्होंने मुझे छोड़ा नहीं। मेरे साथ रेप किया और मेरा वीडियो बनाते रहे। मुझे हॉकी स्टिक से पीटा। वो बहुत पावरफुल लोग हैं। मुझे और मेरे परिवार को जान से मारने की धमकी दे रहे थे।' 25 जून को कोलकाता के लॉ कॉलेज की स्टूडेंट 24 साल की कीर्ति (बदला हुआ नाम) ये शिकायत लेकर कस्बा थाना पहुंचीं। आरोप है कि कॉलेज के पूर्व छात्र मनोजीत मिश्रा, छात्र जैब अहमद और प्रमित मुखोपाध्याय ने उससे गैंगरेप किया है। पढ़िए पूरी खबर...
WATCH: बाढ़ में फंसा था बच्चा, तभी 'देवदूत' बनकर आया ड्रोन; फिर मिनटों में ऐसे खींच लाया बाहर
Drone Ka Video: बाढ़ में फंसे तीन बच्चों को एक किसान ने अपने कृषि ड्रोन की मदद से बचा लिया. किसान ने ड्रोन में रस्सी बांधी और बच्चों तक पहुंचाया. दो बच्चों को ड्रोन से निकाला गया, तीसरे को नाव से बचाया गया. वीडियो वायरल हो गया और लोग किसान की जमकर तारीफ कर रहे हैं.
DNA Analysis: पिछले चौबीस घंटों से इजरायली वायुसेना लगातार सीरिया में बमबारी कर रही है. बमबारी के पहले चरण में उन इलाकों को निशाना बनाया गया. जहां DRUZE समुदाय के लोग रहते हैं और बमबारी के दूसरे चरण में इजरायली वायुसेना ने दमिश्क में सीरियाई सेना के हेडक्वार्टर को निशाना बनाया है.
Dating Trend: न्यूयॉर्क में डेटिंग की मुश्किलों से जूझ रही महिलाएं अब रेस्टोरेंट्स से पुरुषों का सलाद चुराकर उनसे LinkedIn पर संपर्क कर रही हैं. वे मैसेज में माफी मांगते हुए बात शुरू करती हैं. यह अनोखा ट्रेंड सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.
जर्मनी का नया ट्रेंड, एकला रहो रे
जर्मनी में अकेले रहने का चलन बढ़ता जा रहा है. देश की करीब 20.6 फीसदी आबादी अकेले रह रही है
जर्मनी में मजदूर संघ इतने शक्तिशाली क्यों हैं?
जर्मनी में टैक्स सुधारों के लिए सक्रिय एक लेबर यूनियन ने मांग की है कि आम कर्मचारियों के लिए टैक्स रिटर्न फाइल करने की अनिवार्यता को खत्म किया जाए. लेकिन जर्मनी में मजदूर संघ इतने शक्तिशाली कैसे हैं?
Paranormal Investigator: अमेरिका के पेंसिल्वेनिया में भूतिया एनाबेल डॉल के साथ टूर कर रहे पैरानॉर्मल इन्वेस्टिगेटर डैन रिवेरा की रहस्यमयी मौत हो गई. कमरे से चीखने की आवाज आई थी और बाद में वो बेहोश मिले. CPR देने पर भी जान नहीं बची. मौत की वजह अब तक साफ नहीं है.
सत्यजीत रे का वो घर जिसमें वो कभी नहीं रहे, उसके तोड़े जाने पर क्यों भारत में है नाराजगी?
Satyajit Ray House:भारत सरकार की मदद की पेशकश के बावजूद बुधवार सुबह बांग्लादेश सरकार ने सत्यजीत रे का पुश्तैनी घर तोड़ दिया. इस घर को गिराने से एक दिन पहले ही सरकारी अधिकारियों ने इसका खुलासा किया था.
बांग्लादेश के कट्टरपंथियों को पता ही नहीं, सत्यजीत रे का घर गिराकर अपना ही नुकसान कर लिया
Satyajit Ray News: हिंदी सिनेमा प्रेमी तो उन्हें 'शतरंज के खिलाड़ी' से खूब पहचानते हैं. उनकी फिल्में क्लासिक हैं. उन्होंने बांग्ला भाषा में बहुत काम किया. भारतीय सिनेमा को वैश्विक पहचान दिलाई लेकिन ऐसी हस्ती की यादगार निशानियों को संभालने की बजाय कट्टरपंथियों के प्रभाव वाली बांग्लादेश सरकार ने खंडहर बना दिया है. पड़ोसी देश से आई तस्वीरें बंगालियों ही नहीं, पूरे भारत को आक्रोश से भर रही हैं.
America News: सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है. जिसमें एक महिला को अमेरिकी पुलिस हथकड़ी पहना रही है. इस महिला पर टारगेट स्टोर से 1 लाख से ज्यादा के सामान की चोरी का आरोप लगा है.
बांग्लादेश में चुनाव से पहले सुधारों को लेकर छिड़ी राजनीतिक दलों के बीच जुबानी जंग
बांग्लादेश में आम चुनाव के नजदीक आते ही प्रमुख राजनीतिक दलों के बीच चुनावों से पहले सुधारों की जरूरत को लेकर तीखी बहस छिड़ गई है
'खून के बदले सिर्फ प्रतिशोध' निमिषा प्रिया की फांसी टलते ही यमन के परिवार ने फंसाया पेच
सुन्नी मुस्लिम ग्रैंड मुफ्ती Kanthapuram A P Aboobacker Musliyar के दखल से निमिषा प्रिया को कुछ समय की राहत जरूर मिली है लेकिन खतरा अभी टला नहीं है. ब्लड मनी पर अभी समझौता नहीं हुआ है. इस बीच भाई ने आगाह किया है कि कोई समझौता नहीं होगा. खून के बदले खून चाहिए.
Thailand monk sex blackmailing scandal:थाईलैंड में एक ऐसा कांड सामने आया है, जिसने बौद्ध भिक्षुओंकी पवित्र छवि को तार-तार कर दिया. कई सारेथाईलैंड के बौद्ध भिक्षुओंइन दिनों सेक्स स्कैंडल में फंस गए हैं. इस स्कैंडल में एक 35 साल कीविलावन एम्सावट जिसे 'सीका मिस गोल्फ' या 'मिस गोल्फ' का नाम सामने आया है. जिस पर आरोप है कि उसने अपने हुस्न के जाल में बहुत सारे बौद्ध भिक्षुओं को फंसाया है, उसके मोबाइल में5,600 आपात्तिजनक वीडियो मिले हैं. जानते हैं पूरी खबर.
नहीं माना बांग्लादेश.. गिरा दिया सत्यजीत रे का घर, मिट्टी में बांग्ला संस्कृति की धरोहर!
Satyajit Ray House Demolished: भारतीय सिनेमा को ऊंचे मुकाम तक पहुंचाने वाले सत्यजीत रे के बांग्लादेश स्थित पैतृक घर को ढहा दिया गया है. ये इमारत 100 साल पुरानी थी.
बेटी को पढ़ने के लिए विदेश भेजना नेता को पढ़ा भारी, भरी सभा में मांगनी पड़ी माफी
South Korea Education: साउथ कोरिया की एक नेता को अपनी बेटी को पढ़ाई के लिए बाहर भेजने के आरोप में सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी पड़ी. नेता पर कानून का उल्लंघन करने का आरोप लगा है.
रूस-ईरान के बाद अब जंग की तैयारी में जुटे भारत के पड़ोसी देश, एशिया में छिड़ेगा महायुद्ध?
Cambodia And Thailand Border Tension: कंबोडिया और थाईलैंड के बीच इन दिनों तनाव बढ़ा हुआ है. दोनों देश कभी भी युद्ध की स्थिति में आ सकते हैं. इसके लिए कंबोडिया ने तैयारी शुरू कर दी है.
'रूस से व्यापार करने वाले...', भारत-चीन जैसे देशों को क्यों खुलेआम धमकी दे रहा NATO?
NATO Chief Warning To India: हाल ही में NATO के चीफ की ओर से चीन-भारत और ब्राजीन जैसे देशों पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने की धमकी दी गई है. ये धमकी ट्रंप की एक घोषणा के बाद आई है
Lawrence Bishnoi gang as a terrorist group:लॉरेंस बिश्नोई गैंग से भारत ही नहीं कनाडा भी अब परेशान हो गया है. हालात यह हैं कि लॉरेंस गैंग को कनाडा में आतंकी संगठन घोषित करने की मांग उठी है. जानें पूरी खबर.
निमिषा को बचाने के लिए मौलवी ने लगा दी जान, टाली फांसी की सजा
Nimisha Priya Execution Postponed: यमन की जेल में बंद भारतीय नागरिक निमिषा प्रिया की फांसी की सजा टाल दी गई है. भारत के ग्रैंड मुफ्ती कंथापुरम एपी अबूबकर की ओर से उनकी फांसी की सजा रोकने में सफलतापूर्वक हस्तक्षेप किया गया.
‘तुम कांवड़ लेने मत जाना, ज्ञान का दीप जलाना’, उत्तर प्रदेश के एक अध्यापक की इस कविता ने बड़ी कंट्रोवर्सी खड़ी कर दी है. क्या ये कांवड़ यात्रा के दौरान होने वाली हिंसा की तरफ इशारा है? कांवड़ यात्रा के मायने क्या हैं, पूरी जानकारी के लिए ऊपर दी गई इमेज पर क्लिक कर देखें वीडियो
Duniya ka Sabse Mahanga Desh: घूमने-फिरने का शौक सबको होता है. कई लोग घूमने के लिए विदेश जाना पसंद करते हैं. लेकिन आज हम आपको दुनिया के उस सबसे महंगे देश के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां जाने के लिए सारी जमा-पूंजी दांव पर लगानी पड़ जाती है.
‘2019, जुलाई-अगस्त का महीना रहा होगा। अमित उर्फ अबू अंसारी के घर वाले मुझे बलरामपुर में छांगुर बाबा से मिलवाने ले गए थे। मैंने देखा कि एक बड़े से कमरे में बहुत सी महिलाएं बैठी थीं। सुलगते लोहबान के धुएं में उनमें से कुछ अरबी में लिखी किताब पढ़ रही थीं। सामने कुर्सी पर छांगुर पीर बाबा बैठा था। वो औरतों का ब्रेनवॉश कर रहा था।‘ ‘उसने मुझे पास बुलाकर कहा- अगर तुम इस्लाम कबूल लोगी, तो हमेशा खुश रहोगी। यहां तुम्हें पैसा, ऐशोआराम सब मिलेगा। उसने धोखे से मेरा धर्म बदलवाया और अबू अंसारी से निकाह करा दिया। ये शादी मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी भूल थी। आज न तो मेरा परिवार मेरे साथ है और न ही मेरे दोस्त। छांगुर बाबा और उसके लोगों के खिलाफ मैं अकेले लड़ रही हूं।‘ 31 साल की रानी (बदला हुआ नाम) 4 साल पहले तक हिंदू थीं। अब अलीना बन गई हैं। रानी उन 5 हजार लड़कियों में से हैं, जिन्हें बलरामपुर के रेहरा माफी गांव के जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा ने धर्म परिवर्तन के जाल में फंसाया। अक्टूबर 2024 में रानी ने UP-ATS को इस रैकेट के बारे में बताया। रानी की शिकायत पर नवंबर, 2024 में UP-ATS ने बाबा और उसके बेटे महबूब समेत 10 लोगों पर FIR दर्ज की। 5 जुलाई को छांगुर बाबा को नीतू उर्फ नसरीन के साथ लखनऊ से गिरफ्तार कर लिया गया। बताया जा रहा है कि छांगुर गैंग ने यूपी-महाराष्ट्र सहित 5 राज्यों में 1500 लोगों की सीक्रेट टीम बना रखी है। इनके टारगेट पर 30 से कम उम्र की महिलाएं रहीं। वो धर्म परिवर्तन के लिए कोडवर्ड का इस्तेमाल करता था। बाबा के खाते में हुए 106 करोड़ रुपए के ट्रांजैक्शन की भी जांच की जा रही है। दैनिक भास्कर ने छांगुर बाबा और उसके गिरोह का शिकार बन चुकीं विक्टिम्स से बात की। हम ऐसी लड़कियों से मिले जिनका पैसों और डर के दम पर धर्म बदला गया। इन्होंने छांगुर के नेटवर्क, फंडिंग और उसके काम करने के तरीकों को लेकर बड़े खुलासे किए हैं। सबसे पहले विक्टिम्स की आपबीती…विक्टिम-1छांगुर के गुर्गों ने धर्मांतरण करवाया और फिर निकाह कियाहमने सबसे पहले लखनऊ की रानी (बदला हुआ नाम) से बात करने के लिए संपर्क किया। छांगुर ने 2020 में उनका धर्म परिवर्तन करवाया था। जब रानी के परिवार वालों को उनके निकाह के बारे में पता चला, तो उन्होंने अपनाने से मना कर दिया। फिलहाल वो लखनऊ में किराए के मकान में रह रही हैं। छांगुर के रैकेट का खुलासा करने वालों में रानी सबसे अहम किरदार हैं। उन्हें जान के मारने की धमकियां मिल रही हैं। इसी वजह से वो हमसे ऑनलाइन बात करने के लिए तैयार हुईं। रानी कैसे छांगुर बाबा के संपर्क में आईं? वो इसके पीछे की कहानी बताती हैं, 2015 में अमित उर्फ अबू अंसारी से लखनऊ में मेरी मुलाकात हुई। वो हिंदू बनकर मिला था इसलिए शक नहीं हुआ। कुछ दिनों बाद हमने एक-दूसरे से नंबर शेयर किया और अक्सर मिलने लगे। जब अमित की फैमिली से मुलाकात हुई तो भाई-बहन और बाकी परिवार मुझसे हिंदू बनकर ही बात करता था। ‘अबू ने मुझे अपनी बहन उमेर अकीबा से मिलवाया। वो अपना नाम गुड़िया बताती थी। उसी ने मेरी मुलाकात नीतू उर्फ नसरीन से करवाई, जिसे UP-ATS ने छांगुर बाबा के साथ गिरफ्तार किया है। उसका काम ज्यादा से ज्यादा हिंदू लड़कियों को मुस्लिम बनाना था। नीतू मुझसे कहती थी कि इस्लाम धर्म में हिंदू काफिर लड़की से शादी करना हज का सबाब है। उसी ने मुझे पहली बार छांगुर पीर बाबा से मिलवाया था।‘ 'अब तुम काफिर से मुसलमान बन गई हो'रानी ने बताया, ‘मैं अबू अंसारी के फेथ में इतना खो गई कि मेरा ब्रेनवॉश किया गया और मैं समझ ही नहीं पाई। उसके पिता अबू हुरैरा अंसारी और भाई डॉ. सईद अंसारी मेरा धर्म परिवर्तन करवाकर अबू से निकाह करवाना चाहते थे। मैं राजी नहीं हुई तो परिवार वाले कहने लगे कि तुम अपनी आस्था के मुताबिक रहो। हम अभी तुम्हारा निकाह करा देंगे। फिर स्पेशल मैरिज एक्ट में तुम्हारी शादी हो जाएगी। ये सुनकर मैं मान गई।‘ ‘2020 में अबू अंसारी से मेरा निकाह करवाया गया। निकाह के वक्त छांगुर पीर बाबा ने कहा कि जो मैं बोल रहा हूं उसे दोहराती जाओ। उन्होंने मुझे कलमा पढ़वाया, फिर निकाह पढ़ाकर कहा कि अब तुम काफिर से मुसलमान बन गई हो, इस्लाम के हिसाब से रहो।‘ रानी के मुताबिक, शादी के दो-तीन दिन बाद ही अबू का परिवार मारपीट करने लगा। उसने फिजिकल हैरेसमेंट करनी शुरू कर दी। निकाह के बाद रानी के साथ हो रही जोर-जबरदस्ती और शोषण के कारण उन्होंने 2021 में अबू को छोड़ दिया। लखनऊ में उन्होंने विश्व हिंदू रक्षा परिषद की मदद से कानून का सहारा लिया। रानी ने अक्टूबर 2024 में ये आपबीती UP-ATS के अफसरों को बताई। इसके बाद ही UP-ATS ने छांगुर और उसकी गैंग पर शिकंजा कसना शुरू किया। विक्टिम-2वसीम ने राजू बनकर दोस्ती की, फिर गैंगरेप करवाया छांगुर बाबा का नेटवर्क सिर्फ यूपी में ही नहीं बल्कि साउथ में भी एक्टिव है। इसका खुलासा बेंगलुरु की रहने वाली बबीता (बदला हुआ नाम) ने किया। उसने बताया कि 2021 में इंस्टाग्राम पर उसे राजू राठौर नाम के शख्स का मैसेज आया, जिसका असल नाम वसीम था। उसने बातचीत के दौरान खुद को सहारनपुर का बताया और कहा कि वो सऊदी अरब में काम करता है। बबीता ब्यूटीशियन है। वसीम ने उससे कहा कि तुम यहां आ जाओ, अच्छी कंपनी में जॉब लगवा दूंगा। फिर करोड़पति शेख से निकाह करवा दूंगा, जिसके बाद तुम यहीं पर बस जाना। बबीता आरोप लगाती हैं कि वसीम ने उनका फर्जी पासपोर्ट बनवाया और 3 महीने के टूरिस्ट वीजा पर सऊदी बुला लिया। ये सभी कागजात भी उनके पास हैं। बबीता ने बताया, ‘2021 में मैं सऊदी अरब पहुंची। वहां वसीम ने वीडियो कॉल के जरिए छांगुर बाबा से मेरी बात करवाई। कॉल पर छांगुर ने कहा कि उस पर पुलिस की नजर है। इसलिए वो सऊदी नहीं आ सकता है। उसने आदिललाम शहर में रहने वाले अपने मुरीद बदर अख्तर सिद्दीकी से मेरा धर्म परिवर्तन और निकाह कराने के लिए कहा।’ ‘नौकरी देने के बहाने जब मेरे धर्म परिवर्तन की बात होने लगी, तो मैंने मना कर दिया। इस पर वसीम नाराज हो गया और मेरे अश्लील वीडियो बनाकर ब्लैकमेलिंग शुरू कर दी। इसके बाद मैं बेंगलुरु वापस लौट आई और 21 जुलाई 2023 को वसीम के खिलाफ FIR दर्ज कराई। इस पर वसीम के पिता ने मुझे फोन करके सहारनपुर बुला लिया।‘ विक्टिम-3इस्लाम कबूलने पर 15 से 16 लाख रुपए देने का लालच बलरामपुर जिले के चौधरीडीह गांव के नरेंद्र कुमार (बदला हुआ नाम) भी छांगुर बाबा के जाल में फंस चुके हैं। नरेंद्र कहते हैं, ‘2023 में छांगुर बाबा के संपर्क में आए। अप्रैल 2024 में छांगुर ने धर्म परिवर्तन कराने के लिए कहा। जब विरोध किया तो पीर बाबा अपने गुर्गों से जान से मारने की धमकी दिलाने लगा। उसने झूठे मुकदमों में फंसाने का दबाव भी बनाया। इसके बाद से हम लोग छिपकर रह रहे हैं।‘ धर्म परिवर्तन कैसे कराया जाता था? नरेंद्र जवाब देते हैं, ‘छांगुर धर्म परिवर्तन कराने के लिए पहले हिंदुओं से कलमा पढ़वाता था। फिर उन्हें गोमांस खिलाता था। इस पूरी प्रक्रिया का वो बाकायदा वीडियो भी बनवाता था। गरीब वर्ग के लोगों को वो पैसों का लालच देता था। कहता था कि इस्लाम कबूल लो, तुम्हें 15 से 16 लाख रुपए दूंगा। जब लोग उसके कहने पर धर्म बदल लेते थे, तो उसके गुर्गे लोगों को 1000 से 2000 रुपए देकर वहां से लौटा देते थे।‘ गल्फ के सबसे नामचीन अल नाहदा, एमिरेट्स NBD बैंकों में छांगुर के खातेATS के मुताबिक, छांगुर बाबा के बैंक अकाउंट से करीब 100 करोड़ रुपए का ट्रांजैक्शन हुआ है। इसमें से 14 करोड़ रुपए फॉरेन फंडिंग से आए हैं। छांगुर के पास ‘शिजर-ए-तैय्यबा’ किताब भी मिली है। जिसके जरिए हिंदू लड़कियों का कन्वर्जन किया जाता था। फिलहाल, UP पुलिस ने दोनों को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है। मामले की जांच कर रहे UP-ATS के एक सीनियर अफसर ने बताया, 'छांगुर ने दुबई से लेकर सऊदी अरब तक धर्म परिवर्तन से पैसा कमाने का नेटवर्क फैला रखा था। पता चला है कि उसकी ज्यादातर प्रॉपर्टी दूसरों के नाम पर है। उसके सबसे खास गुर्गे नीतू-नवीन के नाम विदेशों से जो फंडिंग होती थी, उससे जुड़े नवीन के नाम पर 8 खाते मिले हैं। इसमें अल नाहदा, एमिरेट्स NBD, मसरफ बैंक, अल अंसारी एक्सचेंज और वोस्ट्रो बैंक के नाम शामिल हैं। ATS ये पता लगा रही है कि इन खातों में कहां से पैसे भेजे जा रहे थे और इनका किस काम के लिए इस्तेमाल होना था।' 'सुरक्षा एजेंसियों को शक है कि छांगुर बाबा का नेटवर्क अंतरराष्ट्रीय कट्टरपंथी संगठनों से भी जुड़ा हो सकता है। लिहाजा जरूरत पड़ने पर ATS अब ED, IB और NIA से भी मदद ले सकती है। छांगुर का सारा कामकाज नवीन और नीतू संभालते थे। 2014 से 2019 के बीच नीतू 16 बार UAE गई। वहीं नवीन 2016 से 2020 के बीच 19 बार गया। ATS दोनों से इन विदेश यात्राओं के बारे में पूछताछ कर रही है।' धर्मांतरण के लिए कोडवर्ड और 1500 मुस्लिम लड़कों की फौज ATS से जुड़े हमारे सोर्स ने बताया कि छांगुर ने लव जिहाद के लिए मुस्लिम युवकों की टीम तैयार की थी। 2023 से अब तक इस टीम में 1000 से 1500 लड़कों को इस काम के लिए पेमेंट दी गई। भारत में छांगुर का नेटवर्क यूपी के अलावा महाराष्ट्र, बिहार, बंगाल, कर्नाटक और तमिलनाडु तक फैला हुआ है। गैंग का सबसे ज्यादा फोकस नेपाल सीमा से सटे 7 जिलों पीलीभीत, लखीमपुर, श्रावस्ती, बहराइच, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर और महाराजगंज पर है। जांच में पता चला है कि छांगुर ने धर्मांतरण के लिए अपने कोडवर्ड भी बनाए थे। इसमें ब्रेनवॉश करने को 'काजल लगाना', धर्म परिवर्तन को 'मिट्टी बदलना', नई लड़की के लिए 'नया केस' या प्रोजेक्ट, बाबा के सामने लड़कियों को लाने पर 'दीदार कराना' कहा जाता था। इन कोडवर्ड के जरिए छांगुर अपने लोगों से बात करता था ताकि किसी बाहरी को पता न चले कि अंदर क्या हो रहा है। इस गिरोह का शिकार बन चुकीं ज्यादातर महिलाओं की उम्र 30 साल से कम है। हिंदू संगठन क्या कह रहे…विश्व हिंदू रक्षा परिषद (VHRP): संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष गोपाल राय ने अब तक छांगुर बाबा का शिकार बन चुके 16 लोगों की मुस्लिम से हिंदू धर्म में वापसी करवाई है। गोपाल राय ने छांगुर बाबा के बैंक खातों में लेनदेन से जुड़े कुछ दस्तावेज यूपी पुलिस को सौंपकर उसके खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। गोपाल दावा करते हैं कि उनके पास छांगुर के 106 करोड़ रुपए के लेनदेन से जुड़े डॉक्युमेंट्स मौजूद हैं। इसमें एक भी भारतीय बैंक नहीं हैं। गोपाल कहते हैं, 'छांगुर बाबा ने कम से कम 4 हजार लोगों का धर्मांतरण कराया है। इसके टारगेट पर हिंदू लड़कियां थीं, जिन्हें पैसों का लालच दिखाकर ये अपना शिकार बनाता था।' अखिल भारतीय हिंदू महासभा (ABHM): ABHM के राष्ट्रीय प्रवक्ता शिशिर चौधरी कहते हैं, 'छांगुर बाबा का केस सामने आने के बाद यूपी पुलिस ने गैंग के 4 लोगों को पकड़ लिया है, लेकिन इसका नेटवर्क अब भी एक्टिव है। विक्टिम्स को प्रताड़ित करने वाले लोग अब भी खुलेआम घूम रहे हैं। सरकार को चाहिए कि ऐसे लोगों को भी जल्द से जल्द हिरासत में लिया जाए, ताकि छांगुर के नेटवर्क को पूरी तरह से ध्वस्त किया जा सके।' ‘छांगुर ज्यादातर समाज के वीकर सेक्शन की महिलाओं को धर्मांतरण के जाल में फंसाता था। इसमें विडो या ऐसी महिलाएं हैं, जिनके पति शराबी हैं और आर्धिक हालत ठीक नहीं है। इसमें हर वर्ग की महिलाओं का रेट बंटा था। ब्राह्मण, सरदार और क्षत्रिय लड़कियों को 15 से 16 लाख रुपए दिए जाते थे। पिछड़ी जाति की लड़कियों को 10 से 12 लाख रुपए और दलित लड़कियों को धर्म बदलने पर 8 से 10 लाख रुपए दिए जाते थे।’ ADG लॉ-एंड-ऑर्डर बोले- नेपाल से सटे इलाके छांगुर के हॉटस्पॉटछांगुर गैंग पर एक्शन के बारे में यूपी के एडीजी लॉ-एंड-ऑर्डर अमिताभ यश कहते हैं, 'ये एक बड़ा धर्मांतरण रैकेट है, जिसकी जांच ATS कर रही है। इसमें छांगुर पीर बाबा और उसकी मुख्य सहयोगी नीतू उर्फ नसरीन को 7 दिन की रिमांड पर लिया गया है। इन दोनों से पूछताछ में गिरोह के नेटवर्क, विदेशी फंडिंग और अवैध रूप से हासिल की गई संपत्तियों की जानकारी जुटाई जा रही हैं।' 'शुरुआती पूछताछ में ये पता चला है कि गैंग के सदस्यों ने अपने नाम और अलग-अलग संस्थाओं के नाम पर 40 से ज्यादा बैंक खाते खुलवाए थे, जिनमें लगभग 100 करोड़ रुपए का लेन-देन हुआ है। छांगुर और उसके साथी कई बार इस्लामिक देशों का दौरा कर चुके हैं। ऐसे में उसकी संदिग्ध भूमिका पर STF ने जांच कर सबूत इकट्ठे किए। इसकी गैंग से जुड़े कई किरदार हैं, जिनकी तलाश ATS और STF कर रही हैं।' ..................... ये खबर भी पढ़ें कैसे सेक्स स्लेव बनाई जा रहीं उज्बेकिस्तानी लड़कियां 'मैं प्रेग्नेंट थी, तब भी मुझे कस्टमर के पास लुधियाना भेज दिया गया। वहां मुझे काफी ब्लीडिंग होने लगी तो जबरदस्ती अबॉर्शन करा दिया। डॉक्टर भी दलालों से मिले हुए थे।' ये उज्बेकिस्तान से नौकरी के लालच में भारत आई और सेक्स वर्क में धकेल दी गई लड़की की आपबीती है। 21 जून को UP की राजधानी लखनऊ में एक सेक्स रैकेट पकड़ा गया। इसमें दो विदेशी लड़कियां भी थीं, जो उज्बेकिस्तान की रहने वाली हैं। पढ़िए पूरी खबर...
DNA: पुतिन से ट्रंप की दोस्ती खत्म... दुश्मनी शुरू, बस 50 दिन बाद शीतयुद्ध सीजन-2!
एक ओर चीनी राष्ट्रपतिजिनपिंग मधुमक्खियों के जरिए जंग लड़ने का प्लान बना रहे हैं. दूसरी तरफ एक और सुपरपावर राष्ट्रपति ने रूस-यूक्रेन युद्ध (russia ukraine war) रोकने का प्लान बनाया है. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने 100 परसेंट वाला प्लान बनाया है.
Volcanic activity in US:अमेरिका के चार प्रमुख राज्यों में ज्वालामुखी गतिविधियों का अचानक से बढ़ जाना एक गहरी चिंता का विषय बन गया है. कुदरत यानी नेचर की सामान्य थ्योरी के तहत अब वैज्ञानिक माउंट रेनियर में भूकंपों पर नज़र रख रहे हैं, आइए जानते हैं कि आखिर क्या हो रहा है?
एक और जंग की आहट! भारत से 91 गुना छोटे देश ने बढ़ाई टेंशन, आसमान की तरफ तैनात कर दीं खतरनाक मिसाइलें
Taiwan: दुनिया के सामने अब एक और बड़ी चिंता सामने आ रही है. दो सबसे ताक़तवर देश अमेरिका और चीन भी आमने-सामने खड़े नजर आ रहे हैं. दोनों देशों के बीच ट्रेड, टैरिफ और ताइवान को लेकर तनाव फिर से बढ़ने लगा है.
Hotel viral video: शुरुआती जानकारी के मुताबिक, महिला कर्मचारी ने अभी-अभी अपनी लंबी नाइट शिफ्ट खत्म की थी और नौकरी से निकाले जाने से परेशान थी. उसी दौरान उस पर किसी सीनियर ने तंज कसा तो उसने होटल को ऐसा नुकसान पहुंचाया कि उसके सीनियर को भी अंजाम भुगतना पड़ा.
Denmark plans to use copyright law to protect against deepfakes:डीपफेक वीडियो बनाने वालों के लिए बहुत बड़ी खबर है. अब आप किसी भी आदमी की डीपफेक वीडियो नहीं बना सकते, अगर वीडियो बनाना भी है तो आपको अनुमति लेनी होगी. जानें कहां बना ऐसा कानून.
लंदन के साउथेंड हवाई अड्डे पर रविवार को एक दिल दहला देने वाला हादसा हुआ. इसमें एक जेट टेकऑफ के चंद सेकंड बाद ही हवा में लहराया और ज़मीन पर जा गिरा. इस भयानक हादसे में चार लोग मारे गए, जिनमें 31 साल की जर्मन नर्स मारिया फर्नांडा रोजास ऑर्टिज़ भी थीं. मारिया के लिए ये उनकी नई नौकरी का पहला दिन था, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था.
भूकंप के झटकों से दहला फिलीपींस, रिक्टर स्केल पर 5.8 दर्ज की गई तीव्रता
फिलीपींस में मंगलवार सुबह भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 5.8 दर्ज की गई। हालांकि, अभी तक किसी बड़े नुकसान की खबर नहीं है
Postman killed girlfriend:एक पोस्टमैन इवान मेथवेन जिसे गर्लफ्रेंड के नौकरी की टाइमिंग ने पेरशान कर रखा था. वह तनाव में जी रहा था. वहगर्लफ्रेंड सेकहता था किउसकी वेट्रेस शिफ्ट उसे अकेला बना देती है. फिर अचानक उसने तीन चाकुओं से अपनी गर्लफ्रेंड के शरीर को गोद दिया और हद तो तब हो गई इसके बाद भी उसका मन नहीं भरा और सिर ही काट दिया. जानें पूरी खबर.
विदेश मंत्री जयशंकर ने राष्ट्रपति जिनपिंग से की मुलाकात, भारत-चीन संबंधों पर हुई चर्चा
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार को बीजिंग में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने भारत-चीन द्विपक्षीय संबंधों की प्रगति पर चर्चा की
बांग्लादेश में लिंचिंग की घटना को न्यूज आउटलेट ने दिया गलत सांप्रदायिक रंग
बूम ने पाया कि मामले में मृतक व्यापारी के हिंदू होने का दावा गलत है. उसकी पहचान मोहम्मद सोहाग उर्फ लाल चंद के रूप में हुई, जो कि मुस्लिम था.