पाकिस्तान में भारी बारिश और बाढ़ से हाहाकार, मरने वालों की संख्या पहुंची 1006
पाकिस्तान का पंजाब प्रांत बारिश की वजह से आई बाढ़ की मार झेल रहा है। एक बार फिर प्रांतीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (पीडीएमए) ने बारिश को लेकर चेतावनी जारी की है
भारत-चीन के बीच डायरेक्ट फ्लाइट्स अक्टूबर अंत तक बहाल होंगी : विदेश मंत्रालय
Direct flights between India and China will resume by the end of October: Ministry of External Affairs
नेपाल के बाद फ्रांस में हो रहा विरोध प्रदर्शन, भारी बवाल के बीच एफिल टावर बंद; सड़कों पर उतरे लोग
France Protests: खर्च में कटौती और अमीरों पर ज्यादा कर लगाने की मांग को लेकर गुरुवार को फ्रांस के 200 से ज्यादा कस्बों और शहरों में प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए. पेरिस में हजारों मजदूरों, सेवानिवृत्त कर्मचारियों और छात्रों ने गुरुवार दोपहर प्लेस डी'इटली से मार्च शुरू किया. फ्रांस ने एक बयान में आगंतुकों को सूचित किया कि हड़ताल के कारण एफिल टावर को बंद कर दिया गया है.
Taliban Foreign Minister Visit To India:तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी 9-10 अक्टूबर को नई दिल्ली का दौरा करेंगे. मुत्ताकी की इस यात्रा से भारत-तालिबान संबंधों में मजबूती आने की संभावना है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने मुत्ताकी को भारत यात्रा की अनुमति दे दी है, जो अगस्त के आखिरी हफ्ते में नहीं मिल पाई थी.
वैज्ञानिक ने टैग लगाने के लिए मारा भाला, शार्क ने किया पलटवार; जबड़े में लिया सिर फिर...
Shark Attack Costa Rica: समुद्री वैज्ञानिक मौरिसियो होयोस को कोकोस द्वीप के पास 123 फीट गहराई में 9 फीट लंबी गैलापागोस शार्क ने हमला कर दिया. शार्क ने उनके सिर पर झपट्टा मारा. गनीनत रही की वो बाल-बाल बच गए. मौरिसियो ने बताया कि यह अनुभव बेहद डरावना और दर्दनाक था.
पीछे हटो, दूर जाओ उसके हाथ में बम है...मैनचेस्टर में तड़तड़ाई गोलियां, कैमरे में कैद हुआ खौफनाक मंजर
Manchester News: ब्रिटेन के मैनचेस्टर से एक खौफनाक वीडियो सामने आया है, जिसमें देखा जा है कि पुलिसकर्मी एक युवक पर गोलियां बरसा रहे हैं. आखिर पुलिस ने ऐसा क्यों किया जानते हैं.
2 अक्टूबर के ताजा समाचार और अपडेट्स
2 अक्टूबर को राष्ट्रपिता कहे जाने वाले महात्मा गांधी और देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती है
Rahul Gandhi Colambia Visit: कोलंबिया के ईआईए विश्वविद्यालय में एक कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए लोकसभा में विपक्ष के नेता गांधी ने कहा कि भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौती लोकतंत्र पर हमला है.
ब्रिटेन में खौफ! यहूदी Synagogue के बाहर हमला, 4 घायल; पुलिस ने हमलावर को मारी गोली
Manchester: मैनचेस्टर के एक सभास्थल में एक संदिग्ध व्यक्ति ने अपनी गाड़ी लोगों की भीड़ में घुसा दी और चाकू से हमला कर दिया, जिससे चार लोग घायल हो गए। क्रम्पसॉल स्थित हीटन पार्क सभास्थल पर हुए हमले के बाद सशस्त्र पुलिस ने कथित तौर पर संदिग्ध को गोली मार दी.
China-Taiwan Tension: चीन और ताइवान के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है. इस बीच खुलासा हुआ है कि चीन ताइवानी राष्ट्रपति भवन समेत कई सैन्य अड्डों की रेप्लिका बनाकर उस पर हमले की तैयारी कर रहा है.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) के 60वें सत्र में एक अतिरिक्त कार्यक्रम ने यूरोपीय संघ के साथ पाकिस्तान के तरजीही व्यापार दर्जे पर बहस को फिर से छेड़ दिया, क्योंकि यूरोपीय सांसदों और मानवाधिकार विशेषज्ञों ने मानवाधिकारों के हनन के कारण इस्लामाबाद के जीएसपी+ लाभों को तत्काल अस्थायी रूप
राहुल गांधी ने कोलंबिया के छात्रों से की मुलाकात, कही बड़ी बात
राहुल गांधी इन दिनों दक्षिण अमेरिका के दौरे पर है। वहां उन्होंने कोलंबिया के छात्रों से कई विषयों पर बात की। राहुल गांधी ने कहा जो देश अपने रीजन को साथ लेकर चलेगा वही देश आगे चलकर ग्लोबल पावर बनेगा, भारत उनमें से एक होगा
शेख हसीना के बेटे और पूर्व सलाहकार सजीब वाजेद ने मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार पर कट्टरवाद बढ़ाने का आरोप लगाया है. सजीब वाजेद ने आश्वासन दिया कि आवामी लीग जल्द ही सत्ता में लौटेगी और हर हिंदू बिना डर के अपने धर्म को मान सकेगा.
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद ने आरोप लगाया है कि मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने देश में कट्टरवाद को बढ़ावा दिया है, जिससे धार्मिक उत्पीड़न फिर से सक्रिय हो गया है
गाजा से इजरायल पर रॉकेट हमले, शांति प्रस्ताव से पहले तनाव बढ़ा
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इजरायल और गाजा के बीच चल रहे संघर्ष को खत्म करने के लिए सोमवार को एक प्रस्ताव हमास को भिजवाया था
Pakistan Lectures Others On Human Rights:UNHRC में पाकिस्तान के मानवाधिकार पर भाषण देने की कोशिश पर भारत ने करारा प्रहार किया. भारतीय राजनयिक मोहम्मद हुसैन ने पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों, खासकर बलूचिस्तान में अत्याचारों की पोल खोलकर उसकी बोलती बंद कर दी. अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ता जोश बोव्स ने भी इन चिंताओं का समर्थन किया. भारत ने पाकिस्तान से जवाबदेही की मांग की है. जानें पूरी खबर.
Gen Z protest in Morocco: नेपाल और बांग्लादेश के बाद अब मोरक्को की नई पीढ़ी अपने देश में बदलाव लाने के लिए सड़कों पर उतर आई है. मोरक्को में GenZ 212 के नेतृत्व में युवाओं का आंदोलन अब उग्र हो गया है. अब तक 160 से अधिक कारों में आग लगा दी गई है. 263 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं. 400 लोग गिरफ्तार हुए हैं. जिसमें 300 से अधिक लोग घायल हैं. जानें मोरक्को में क्यों मचा बवाल.
रूस का मुकाबला करने के लिए यूरोपीय नेताओं ने निकाली नई तरकीब, तैनात करेंगे ड्रोन वॉल
यूरोपीय संघ के नेताओं ने कोपेनहेगन में एक अनौपचारिक बैठक की. यहां रूस से मुकाबले के लिए 'ड्रोन वॉल' बनाने की पहल और यूक्रेन को लगातार समर्थन देने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार-विमर्श किया.
ट्रंप की दो टूक, 'अब अगर कतर पर किया गया सशस्त्र हमला तो अमेरिका देगा जवाब'
मिडिल ईस्ट तनाव को कम करने की कोशिश के तहत अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक एग्जिक्यूटिव ऑर्डर पर हस्ताक्षर किया है
कई दिनों की भारी बारिश के बाद लाओस में बाढ़
लाओस के कई प्रांत लगातार बारिश से प्रभावित हुए हैं, जिससे बाढ़ आ गई है
Medvedev mocks Trump elusive’ submarines near Russia: पूर्व रूसी राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर तंज कसा है. इससे पहले ट्रंप ने मेदवेदेव को मूर्ख व्यक्ति कहा था. पूर्व रूसी राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का मजाक उड़ाते हुए कहा कि ट्रंप ने वादा किया था कि वो रूसी तटों पर परमाणु पनडुब्बियां भेजेंगे लेकिन अब तक तो वो नहीं आईं.
मुस्लिम देश की मदद के लिए आखिरकार आगे आया अमेरिका, कहा- यदि कतर पर दोबारा हमला हुआ तो...
अमेरिकी राष्ट्रपति ने हाल ही में एक एग्जिक्यूटिव ऑर्डर पर हस्ताक्षर किया है. इसके तहत अमेरिका कतर की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेगा. ऐसे में अगर कतर पर सशस्त्र हमला किया जाता है तो इसका जवाब अमेरिका जंग के मैदान में आकर देगा.
2 साल 8 महीने की बच्ची देवी कैसे बन गई? भैंसों की बलि, खून पर नाचते नकाबपोश पुरुषों को क्यों देखना पड़ा ?अब आगे कैसा होगा इनका जीवन. कौन है आर्यतारा शाक्य, पूरी जानकारी के लिए ऊपर दी गई इमेज पर क्लिक कर देखें वीडियो
’एनकाउंटर की झूठी कहानी रची गई। उन्हें तो थाने में ही थर्ड डिग्री टॉर्चर देकर मार दिया गया था। पूरे शरीर पर जलने के निशान थे। उनकी डेडबॉडी की तस्वीर में वो निशान साफ दिखते हैं। कमलडोरी पहाड़ी पर तो बस उनकी लाश रखी गई थी।' झारखंड के गोड्डा जिले के आदिवासी नेता सूर्यनारायण हांसदा की मौत के लिए पत्नी सुशीला सीधे सरकार पर आरोप लगाती हैं। वे कहती हैं कि उनके पति की मौत एनकाउंटर में नहीं बल्कि थर्ड डिग्री टॉर्चर से हुई। इन सबके पीछे CM हेमंत सोरेन के करीबी और झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय सचिव पंकज मिश्रा हैं। 11 अगस्त को सूर्यनारायण हांसदा की पुलिस एनकाउंटर में मौत हुई। आदिवासियों के बीच हांसदा की छवि एक समाजसेवी और लीडर की रही। हालांकि उन पर 25 मामले भी दर्ज थे। वो चार बार विधानसभा चुनाव भी लड़ चुके थे। परिवार और करीबियों के आरोप हैं कि हांसदा खनन के खिलाफ लगातार आवाज उठाते रहे इसलिए सरकार ने उन पर जानबूझकर मुकदमे दर्ज किए थे। नाम न छापने की शर्त पर लोकल सोर्स बताते हैं, 'एनकाउंटर से पहले की रात थाने से चिल्लाने की आवाजें सुनीं। 15 मिनट तक चीखने की आवाजें आती रहीं, फिर अचानक सन्नाटा हो गया। वो साफ कहते हैं कि हांसदा की जान पहाड़ी पर हुए एनकाउंटर में नहीं गई, उसे थाने में ही मार दिया गया था। वहीं गांव के बुजुर्ग का कहना है कि यहां कोई मुठभेड़ नहीं हुई। अगर हुई होती तो गोली का कोई खोखा तो मिलता, किसी पेड़ पर निशान तो होता। एनकाउंटर की जांच चल रही है। परिवार और स्थानीय लोग लगातार CBI जांच की मांग कर रहे हैं। दैनिक भास्कर की टीम ने झारखंड के गोड्डा जिले में ग्राउंड पर पहुंचकर पूरा मामला समझा। पत्नी का आरोप- एनकाउंटर नहीं, थर्ड डिग्री टॉर्चर से मारासूर्यनारायण हांसदा का परिवार गोड्डा जिले में ललमटिया थाने के डकैता गांव में रहता है। हम परिवार से मिलने गांव पहुंचे, यहां हमें सूर्यनारायण की पत्नी सुशीला मुर्मू मिलीं। वे कहती हैं, 'जब उनकी बॉडी मिली तो शरीर के कई हिस्से जले हुए थे। क्या गोली लगने पर शरीर जलता है? एनकाउंटर की कहानी ही झूठी है। उन्हें तो थाने में ही टॉर्चर करके मार दिया गया था। CBI जांच होगी तो सबकुछ खुलकर सामने आ जाएगा।’ वे आगे बताती हैं, 'गिरफ्तारी के दिन यानी 10 अगस्त को करीब 3 बजे उन्होंने मुझसे और बच्चों से बात की। वो कह रहे थे कि आज बहुत थकान लग रही है। वे बीमार थे। उनका टायफाइड का इलाज चल रहा था। उन्होंने 2 घंटे बाद फिर फोन करने को कहा था। उसी दिन 5 बजे देवघर के नवाडीह गांव में मौसी के घर से उन्हें पुलिस ने उठा लिया। गिरफ्तारी के बाद हमें इसकी सूचना तक नहीं दी क्योंकि उनकी हत्या की साजिश रची जा चुकी थी।' बेटी ने रोते हुए कहा- वो पापा को मार डालेंगे, उन्हें बचा लो सुशीला अपने आंसू पोछते हुए बताती हैं, 'बड़ी बेटी को जैसे ही पता चला कि पापा को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। वो रोते हुए कहने लगी कि पापा को बचा लो। वो उन्हें मार डालेंगे।' 'दरअसल पुलिस पिछले 2-3 महीनों से कई बार हमारे घर रात 12 बजे छापा मार चुकी है। पुलिस हमें डराती-धमकाती थी। वो लोग बच्चों के सामने ही कहते थे कि सूर्या इस बार नहीं बचेगा। उसका एनकाउंटर होगा। मेरी बड़ी बेटी ये हर बार सुनती थी।' सुशीला आगे कहती हैं, 'हमने तुरंत कुछ पत्रकारों को फोन किया। प्रेस कॉन्फेंस कर बताया कि सूर्यनारायण गिरफ्तार हो गए हैं। हमें लगा कि मीडिया में गिरफ्तारी की खबर चली जाएगी तो वो लोग उन्हें नहीं मारेंगे। प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद बेटी ने मुझसे पूछा कि अब तो पापा सेफ रहेंगे न। मैंने कहा- हां, हमें लगा भी यही था कि अब पुलिस कोई ऐसा कदम नहीं उठाएगी, जिससे उस पर सवाल उठे। हालांकि पुलिस ने तब भी उन्हें मारकर एनकाउंटर की झूठी कहानी सुना दी।' सुशीला बताती हैं कि पुलिस छापा मारने हमेशा रात 12 बजे ही आती। वो पहले इन्हें पूरे घर में तलाशती और फिर कहती कि अब तो हम लोग रोज आएंगे। वो बच्चों के सामने धमकाते हुए कहते इस बार सूर्या पकड़ा जाएगा तो एनकाउंटर कर देंगे। मैंने बीच में रोकते हुए कहा भी- सरेंडर करवा दूंगी। मुझे कुछ मोहलत दीजिए, तो कहने लगे, दूसरा कांड करने के लिए उसे नहीं छोड़ेंगे। मां बोलीं- बेटा कहता था, वो मेरे पीछे लगा है, कुछ भी हो सकता है...सूर्यनारायण की मां नीलमणि कहती हैं, 'बेटा बोलता था कि वो मेरे पीछे लगा है, कभी भी कुछ हो सकता है।' हमने पूछा कौन पीछे लगा था? जवाब में नीलमणि बेझिझक बोलती हैं- 'पंकज मिश्रा, CM हेमंत सोरेन का राइट हैंड, उसका साथी।' उसने ये नाम कब लिया था, 'घटना से 10-12 दिन पहले भी बताया था।' वे सुशीला की बात का समर्थन करते हुए कहती हैं कि उसे एनकाउंटर वाली जगह पर मारा ही नहीं गया। वहां तो उसे मारकर ही ले जाया गया था। गिरफ्तारी क्यों हुई, पूछने पर वे कहती हैं, ’जिस गोलीकांड की वजह से मेरे बेटे को गिरफ्तार किया गया, वो कोयला खदान में इसी साल 27 मई को हुई थी। उसी दिन मेरी पोती का जन्मदिन था तो हांसदा हमारे साथ घर पर ही था। वो जब कहीं गया ही नहीं, तो गोलीकांड में नाम कैसे आ गया?’ इस सबके एक-दो दिन बाद ही मेरी पोती की तबीयत बिगड़ गई। हांसदा उसे भागलपुर अस्पताल लेकर गया, जहां वो कुछ दिन एडमिट रही। अस्पताल जाने से पहले वो मुझसे कहकर गया था कि पैसा निकालकर रखना, स्कूल की मरम्मत करानी है।’ ECL गोलीकांड की पहली FIR में हांसदा का नाम तक नहींसुशीला आरोप लगाते हुए कहती हैं कि जिस गोलीकांड को आधार बनाकर मेरे पति का झूठा एनकाउंटर किया गया, उस FIR में उनका नाम तक नहीं है। वे बताती हैं, 'सूर्यनारायण बालू और कोयला के अवैध खनन के खिलाफ 1 जून को बड़ा प्रोटेस्ट करने वाले थे। इसे आर्थिक नाकेबंदी के जरिए करना था। यानी खदानों से निकलने वाले कोयले से लदा ट्रक बाहर जाने से रोकना था।' 'इससे पहले ही 27 मई को ललमटिया में ECL खदान में गोलीकांड हो गया। पुलिस ने इन्हें गोलीकांड का आरोपी बनाकर तलाशना शुरू कर दिया। जबकि ओरिजिनल FIR में इनका नाम तक नहीं था। पुलिस ने मामले में कई लोगों को गिरफ्तार किया ताकि कोई उनका नाम ले ले। इसके 3-4 दिन बाद रिपोर्ट में हांसदा का नाम जोड़ा गया। इसे साजिश नहीं तो क्या कहेंगे?' उनसे कोयला और बालू के अवैध खनन के खिलाफ खड़े होने का बदला लिया गया। सुशीला के इस दावे के बाद जब हमने इस केस की पहली FIR देखी तो ये दावा सही नजर आता है। हमारे पास उस FIR की कॉपी भी मौजूद है। ये खदान के ही एक कर्मचारी बलराज ने दर्ज कराई थी। FIR सिर्फ 30-40 अज्ञात लोगों के नाम दर्ज हुई थी। हमने बलराज से बात करने की कोशिश की तो पहले तो उसने मना किया, लेकिन इतना जरूर कहा, 'मैंने अपनी आंखों से जिसे नहीं देखा, उसका नाम कैसे ले लूं।' गांववाले बोले- क्या साइलेंसर लगाकर मुठभेड़ हुई, गोली की आवाज तक नहीं आई इस घटना को लेकर गांव के लोग खौफ में हैं। हमने जब उनसे बात करने की कोशिश की तो कोई कैमरे पर आने को राजी नहीं हुआ। गांववालों का कहना है कि अगर हम बोलेंगे तो हांसदा की तरह ही हमारा हाल भी होगा। वो तो बड़ा आदमी था, उसके लिए कम से कम आप लोग बोल रहे हैं, हमारे लिए तो कोई बोलेगा भी नहीं।' गांव के एक बुजुर्ग कहते हैं, ‘हमारा वीडियो अगर प्रशासन ने देख लिया तो दोबारा बोलने लायक नहीं बचेंगे।‘ जब हमने उन्हें भरोसा दिलाया कि हम उनका वीडियो रिकॉर्ड नहीं कर रहे हैं, तब वो कहते हैं, आप देख रही हो न यहां कितनी शांति है। हवा चल रही है तो उसकी भी आवाज सुनाई दे रही है। फिर गोली की आवाज रात के सन्नाटे में किसी ने कैसे नहीं सुनी। क्या साइलेंसर लगाकर मुठभेड़ हो रही थी? पहाड़ी के पास के गांव में रहने वाली एक महिला कहती हैं, 'मुठभेड़ हुई तो बहुत गोलियां चली होंगी। कम से कम एक गोली की आवाज तो हमें सुनाई देती। आदिवासियों के साथ जब भी कोई मुठभेड़ होती है, कोई गोलियों की आवाज नहीं सुनता।' वे गुस्से में कहती हैं, शायद गोलियां भी प्रशासन और CM के चहेतों से डरती हैं। 12वीं में पढ़ने वाला एक युवक गुस्से में कहता है, ‘सूर्यनारायण हमारा रॉबिनहुड था। समझती है न आप, वो हमारे लिए लड़ता था। हमारा हिस्सा मांगता था। कोयला माफिया को ये सब जमा नहीं तो उसे मार दिया।‘ लोकल सोर्स ने कहा- थाने से चीखने की आवाजें आईं, फिर सन्नाटा पसर गयागांव के ही एक शख्स बताते हैं कि रात करीब 10 बजे वो थाने के पास ही मौजूद थे। उन्होंने थाने के भीतर से चीखने-चिल्लाने की आवाजें सुनीं थीं। ऐसा लग रहा था कि किसी को बहुत टॉर्चर किया जा रहा है, लेकिन फिर 15 मिनट बाद सन्नाटा हो गया। वो कहते हैं कि इस मामले की सच्चाई तभी सामने आएगी, जब जांच सेंट्रल एजेंसी करेगी। CID में राज्य की पुलिस ही होती है। राज्य का प्रशासन ये केस कभी नहीं खोलेगा। वे आगे कहते हैं, 'सूर्या पर 25 केस थे। ऐसा नहीं कि सारे मुकदमे झूठ थे, पर ऐसा भी नहीं कि सारे सच थे। संथाल में सब जानते हैं कि सूर्या भी अपराधी था, लेकिन अपने समाज का मसीहा भी था। गोलीकांड में उसका नाम लाया ही इसलिए गया, ताकि उसे एनकाउंटर का आधार बनाया जा सके। इस मामले में निष्पक्ष जांच इसलिए जरूरी है क्योंकि अपराधी हो या आम आदमी, कानून की प्रक्रिया के तहत ही उसे सजा दी जा सकती है।' संथाल के सुपर CM की थी हांसदा से दुश्मनी केस को लेकर लोकल जर्नलिस्ट कहते हैं, ‘हांसदा संथाल इलाके के आदिवासी नेता थे। वो लगातार गैरकानूनी कोयला, पत्थर खनन के खिलाफ आवाज उठा रहे थे। 1 जून को वो एक बड़ी आर्थिक नाकेबंदी करने वाले थे। इसकी घोषणा वो मई के दूसरे हफ्ते में ही कर चुके थे और 27 मई को कोयला खदान में गोलीकांड हो गया। इसकी पहली FIR में जब हांसदा का नाम नहीं था, फिर 3-4 दिन बाद नाम कैसे आ गया? 'पंकज मिश्रा संथाल परगना के घोषित सुपर CM हैं। पुलिस कार्रवाई से लेकर खनन तक सबकुछ उनके इशारे पर होता है। ईडी ने उन्हें जून 2022 में अवैध खनन और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार भी किया था। दो साल जेल में भी रहे। ईडी की सबसे ताजा चार्जशीट में पंकज मिश्रा पर अवैध खनन के जरिए 1,000 करोड़ रु. से ज्यादा की संपत्ति बनाने का आरोप है।' 'मिश्रा के लिए हांसदा चुनौती बन गया था। वो गैरकानूनी खनन के खिलाफ लगातार सोशल मीडिया पर मोर्चा खोले रहता था।' अधिकारी ने कहा- धमकी से नहीं डरे हांसदा तो एनकाउंटर हुआझारखंड कैडर में हाल ही में अपॉइंट एक अधिकारी कहते हैं, 'प्रशासन या सरकार से अगर झारखंड में किसी ने ठानी तो सबसे पहले उसके खिलाफ दर्जनों FIR करवाई जाती है। फिर उसे गुंडा घोषित किया जाता है। ये यहां का पैटर्न है। उसके बाद धमकी देकर या एनकाउंटर करके उसका मुंह बंद करते हैं। हांसदा धमकी से नहीं दब रहे थे तो एनकाउंटर कर दिया गया।' क्या वाकई एनकाउंटर हुआ? वो गंभीर होते हुए कहते हैं कि पुलिस की फाइल में तो यही दर्ज है। पुलिस में हमारे सोर्स ने बताया, 'हेमंत सोरेन के पूर्व राजनीतिक प्रतिनिधि और पार्टी के केंद्रीय सचिव पंकज मिश्रा इस आर्थिक नाकेबंदी से बहुत परेशान थे। मिश्रा जो सुपर CM कहे जाते हैं, उन्हें संथाल परगना का प्रभारी माना जाता है। गोलीकांड की पहली FIR में जब हांसदा का नाम नहीं आया तो पुलिस को आदेश मिला कि उसका नाम FIR में 1 जून से पहले जुड़ जाना चाहिए।' SP बोले- केस हमारे पास नहीं, कुछ नहीं बोल सकतेकेस को लेकर गोड्डा जिले के SP मुकेश कुमार से भी हमने मिलने की कोशिश की तो जवाब मिला, 'अब केस हमारे पास नहीं है इसलिए हम इस पर कुछ नहीं बोल सकते।' हमारे कई बार रिक्वेस्ट करने के बाद उन्होंने कहा, 'हांसदा एनकाउंटर केस अब CID के पास है। इस मामले में CID के DIG ही कुछ बोल सकते हैं।' JMM ने कहा- आरोप लगाने से कोई दोषी नहीं होतापंकज मिश्रा पर लगे आरोपों को लेकर हमने झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रवक्ता विनोद पांडे से बात की। वे कहते हैं, 'आरोप लगाने से कोई दोषी नहीं हो जाता। सरकार ने तुरंत ये केस CID को सौंपा। वो जांच कर रही है। एक बार रिपोर्ट आने दीजिए, फिर तथ्यों के हिसाब से आगे बढ़ेंगे। जो भी दोषी होगा, उसे सजा मिलेगी।' पार्टी के एक व्यक्ति पर इतना बड़ा आरोप है। क्या जांच होने तक उनका सस्पेंशन किया गया है? वो कहते हैं, ‘कार्रवाई आरोप तय होने पर होगी, आरोप लगने पर नहीं होती।' CM का अब तक कोई बयान न आने पर वे कहते हैं, 'अरे भाई हर घटना पर CM सामने नहीं आता। क्या पंकज मिश्रा आज विधायक प्रतिनिधि बने हैं। हर सीएम का विधायक प्रतिनिधि होता है। CM पर कोई उंगली नहीं उठ रही। ' परिवार की CBI जांच की मांग पर विनोद कहते हैं, 'CID जांच तो होने दीजिए। फिर देखते हैं क्या सामने आता है।'.........................ये खबर भी पढ़ें...धनखड़ के पास थे 2 विकल्प- इस्तीफा या नो-कॉन्फिडेंस मोशन 21 जुलाई की बात है, उसी दिन संसद का मानसून सेशन शुरू हुआ था। जगदीप धनखड़ ने राज्यसभा के सभापति के तौर पर दिनभर सदन की कार्यवाही चलाई। फिर उसी रात अचानक उनके उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने की खबर आ गई। पद छोड़ने के पीछे उन्होंने खराब सेहत का हवाला दिया। इस इस्तीफे को लेकर मीडिया में कई थ्योरीज चलने लगीं। इस चुप्पी को लेकर दैनिक भास्कर ने उनके करीबियों से बात की। पढ़िए पूरी रिपोर्ट...
‘यहां की मिट्टी, यहां की नदी, यहां का जंगल- सब कुछ हमें अपनी मां की तरह लगता है। कुदरत ने यहां इतना सुंदर संसार दिया है कि अपनी इस जन्नत को कैसे छोड़ दूं। हमारे घर और जीवन की क्या यही कीमत है? क्या हम बार-बार उजड़ेंगे? यहां हमारे इष्ट देवता रहते हैं, इन्हें कोई नहीं हटा सकता। इनके बिना हम कैसे रह पाएंगे? क्या कोई हमारे आंसुओं, पीड़ा, हमारी जड़ों की कीमत लगा सकता है? इस बार हम किसी के भी झांसे में नहीं आने वाले। एक बार सब कुछ गंवा चुके हैं, दोबारा वो गलती नहीं दोहराएंगे।’, यह कहना है जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले के सलाल गांव के लोगों का। ब्लैकबोर्ड में इस बार जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में स्थित सलाल गांव के लोगों की दूसरी बार उजड़ने की कहानी। ये लोग डैम बनने के कारण एक बार उजड़े चुके हैं और अब यहां लिथियम का भंडार मिला है, जिससे इन पर दोबारा अपने घर, जमीन को खोने का संकट है। जम्मू-कश्मीर का रियासी जिले का सलाल गांव, चारों तरफ पहाड़ों और हरी-भरी वादियों से घिरा हुआ है, शांति और सुकून ही इसकी पहचान है, लेकिन आज ये गांव चिंता, डर और असमंजस की चपेट में है। वजह है कि यहां लिथियम का भंडार मिला है और सरकार लोगों को यहां से हटाना चाह रही है। गांव की गलियों में लोगों का एक ही सवाल है कि क्या हमें फिर से अपना घर, जमीन, गांव से जाना पड़ेगा। गांव की 45 वर्षीय बिमला देवी की आंखों में अपने घर व गांव को बचाने की छटपटाहट साफ दिखती है। वो कहती हैं कि उनके गांव में लिथियम मिला है, जिससे उन्हें पलायन करना पड़ सकता है। यह उन्हें उनकी जड़ों से उखाड़ने जैसा होगा। उन्हें फिक्र है कि नई जगह उनका जीवन पता नहीं कैसा होगा। वे अपना घर, खेत और पेड़ कैसे लेकर जाएंगी। बिमला देवी अपने घर की ओर देखती हैं, तो उनकी आंखें नम हो जाती हैं। वो कहती हैं कि जब हमने ये घर बनाया था, तो यहां सड़क तक नहीं थी। कंधे पर ईंट, सीमेंट, रेत और बजरी ढो-ढोकर हमने इसकी नींव रखी थी। कई सालों की मेहनत और पसीने से यहां पक्का घर बनाया। वो गुस्से और बेबसी के साथ कहती हैं कि आखिर सरकार पैसों का लालच देकर हमें यहां से हटाना चाहती है, लेकिन उन पैसों का हम क्या करेंगे ? पैसा तो खत्म हो जाएगा, लेकिन घर, गांव, जंगल, रिश्ते और यादें कहां से लाएंगे? नई जगह का पानी कैसा होगा, हवा कैसी होगी। हमें नहीं पता। बिमला याद करती हैं कि जब यहां सलाल डैम बनाया गया तो हमने पलायन का दर्द झेला था। गांव, खेत, जंगल सब पीछे छूट गए थे। अब फिर वही कहानी दोहराई जा रही है। वो अपनी गोद में लिए बकरी के ऊपर हाथ फेरते हुए कहती हैं कि इन जानवरों को कैसे छोड़कर जाऊं। इनकी देखभाल, इनके दूध से ही हमारा जीवन चलता है। बाहर जाकर हमें क्या मिलेगा? नई जगह, नए लोग, नया काम… और ये सब हमारे बस का नहीं है। वह आगे जोड़ती हैं कि यहां दो वक्त की रोटी के लिए सोचना नहीं पड़ता। हमारे पास जमीन और खेत हैं। नई जगह न जमीन होगी, न अपने जानवर। हमारे लिए यह गांव ही हमारी दुनिया है। बिमला देवी बात करते हुए जंगल की ओर ले जाती हैं। वहां पहुंचकर दरांती से लकड़ियां काटते हुए कहती हैं कि ये लकड़ियां हमारे घर का चूल्हा जलाती हैं। इनके हरे पत्ते हम जानवरों को खिलाते हैं। काफी लकड़ियां काटने के बाद वो इन्हें सिर पर लेकर घर लौटती हैं। धीरे-धीरे चलते हुए उनके कदम भारी लगते हैं। मानो हर कदम उनके दिल का बोझ और ज्यादा भारी हो रहा हो। घर पहुंचकर लकड़ियों का गट्ठर सिर से उतारकर वो गहरी सांस लेती हैं। फिर मुस्कुराते हुए कहती हैं, आइए, आपको अपने गांव के मंदिर लेकर चलती हूं। रास्ते में चलते हुए वह धीमी आवाज में एक गीत गुनगुनाती हैं। उसमें एक खास मिठास थी, लेकिन एक अनकहा दर्द भी। मंदिर पहुंचकर उन्होंने लकड़ी से बने देवी-देवताओं की ओर इशारा किया और बोलीं, देखिए, सबका पलायन हो सकता है, लेकिन ये हमारे इष्ट देवता हैं, इन्हें छोड़कर जाना तो जैसे अपनी आत्मा को छोड़ देना होगा। ये कहते ही बिमला देवी रोने लगती हैं। वो वहीं बैठ गईं और हाथ जोड़कर भगवान के सामने आंखें बंद कर लीं। कुछ देर तक गहरी चुप्पी छाई रही। उनकी नम आंखों से आस्था और दर्द साथ-साथ बह रहे थे। फिर बात शुरू करती हैं। वो कहती हैं कि सरकार कह रही है कि ये सब विकास के लिए हो रहा है, लेकिन हमारा इसमें कैसा विकास है? हमें लिथियम नहीं, अपनी जमीन, घर, गाय-बकरियां चाहिए। क्या हमारे आंसुओं, पीड़ा, जड़ों की कीमत लगाई जाएगी? ऐसा नहीं हो सकता। प्रीतम सिंह इसी तरह 65 साल के प्रीतम सिंह गांव की एक पुरानी पगडंडी पर खड़े होकर दूर पहाड़ियों की ओर देख रहे हैं। वो कहते हैं कि वो जहां सलाल डैम बना है, पहले वहीं मेरा घर हुआ करता था, लेकिन हमें पलायन करना पड़ा। मेरी थोड़ी-सी जमीन बची थी, इसलिए यहीं बस गए। मुआवजे के नाम पर उस वक्त हमें चार हजार रुपए मिले थे। आप ही बताइए इतने मुआवजे में घर चलता है क्या? वो आगे कहते हैं कि पहले ही अपना घर छोड़कर नई जगह आना पड़ा। यहां घर बनाकर नई जिंदगी शुरू की। हटाते वक्त तो सरकार बड़े-बड़े वादे करती है- नौकरी, रोजगार सबका, लेकिन कुछ नहीं देती। यह कहते हुए प्रीतम सिंह की आंखें नम हो जाती हैं। प्रीतम सिंह बताते हैं कि यहां तो एक वक्त की रोटी के लिए चिंता नहीं करनी पड़ती, लेकिन नई जगह क्या होगा, कुछ पता नहीं। राजेंद्र सिंह राजेंद्र सिंह का भी दर्द कुछ ऐसे ही छलकता है। वो सलाल गांव के डिप्टी सरपंच हैं। उनकी आवाज में गुस्सा और बेबसी है। वो बताते हैं कि 1971 में जब सलाल डैम का काम शुरू हुआ तो उनकी बहुत सारी जमीनें चली गईं। गांव को कोई फायदा नहीं हुआ। न बिजली मिली, न ठीक से मुआवजा। वो कहते हैं कि अब यहां लिथियम का भंडार मिला है, तो मुझे सबसे ज्यादा चिंता है कि फिर से हमारे गांव के लोगों को पलायन करना पड़ेगा। सरकार ने जो सर्वे किया है, उसके मुताबिक 350 परिवारों को यहां से जाना पड़ेगा। सोचिए, जरा इतने लोग उजड़ेंगे तो उनका दर्द किस तरह का होगा? इस बार तो हम अपने बने-बनाए घर, कारोबार को छोड़कर जाने वाले नहीं हैं। हम खेती से अपनी जिंदगी चलाते हैं। बलवान सिंह 71 साल के बलवान सिंह का भी यही ख्याल है। उनकी आवाज में आक्रोश है, जैसे कि उन्होंने भीतर ही भीतर कोई फैसला कर लिया हो। वो कहते हैं कि सुनने में आ रहा है कि हमारी जमीन पर लिथियम मिला है, लेकिन पिछली बार की तरह इस बार सरकार हमें मूर्ख नहीं बना सकती। इस बार सरकार जो रेट तय करेगी, उससे 10 गुना ज्यादा पैसा लेंगे। साथ ही हर परिवार के एक व्यक्ति को नौकरी मिलनी चाहिए। वो कहते हैं कि यहां लिथियम का मिलना देश के लिए खुशी की बात हो सकती है, लेकिन हमारे लिए नहीं। पिछली बार जब डैम बना था तो हमारे घर और जमीन कौड़ियों के भाव चले गए। इस बार पलायन हमारी शर्तों पर होगा। करण सिंह 65 साल के करण सिंह कहते हैं कि शुरू में जब यहां लिथियम का पता चला तो हम खुश थे। हमें लगा था कि ये हमारे गांव के काम आएगा, लेकिन नहीं पता था कि यहां से जाना पड़ेगा। अभी तक हमसे किसी ने सीधे बात नहीं की है। हम नई जगह जाकर बसने को तैयार नहीं हैं। सलाल डैम प्रोजेक्ट के लिए तो हमने बिना सोचे-समझे अपनी जमीनें दे दी थीं, लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा। इस बार सरकार को हमारे लिए पूरी प्लानिंग बनानी होगी। वो कहते हैं- ‘हम दूसरी बार नहीं उजड़ना चाहते’। ------------------------------------------- 1- ब्लैकबोर्ड-56 की उम्र में 20 साल छोटे लड़के से शादी:देवर बोला, भाभी कहूं या बुआ; लोग तंज कसते हैं- देखो मां-बेटे जा रहे 56 साल की थी जब कनाडा में पति ने मुझे तलाक दे दिया। भारत लौटी तो बहुत परेशान थी। यहां मुझे अपने से 20 साल छोटे लड़के निखिल से प्यार हो गया। शादी के लिए जब हम तैयार हुए तो लोगों ने जमकर विरोध किया। निखिल की मां ने मुझसे कहा कि सोचो, अगर तुम्हारा लड़का 20 साल बड़ी लड़की से शादी करता तो तुम एक मां के तौर पर क्या करती? पूरी खबर यहां पढ़ें 2-ब्लैकबोर्ड- पति पीरियड्स में भी संबंध बनाता था:पीटकर दांत तोड़ा, दूसरी शादी भी 9 दिन चली; वृंदावन में कृष्ण भक्त महिलाओं की कहानियां वृंदावन आकर रह रहीं हरियाणा की ज्योति बताती हैं- मायके में मेरे ताऊ के लड़के की शादी थी। अपने बेटे कार्तिक के साथ वहां जाने की तैयारी में लगी थी, लेकिन पति चाहते थे कि न जाऊं। जाने से एक दिन पहले वो रात में मेरे कमरे में आए और मुझे पीटने लगे। इतना मारा कि अधमरा कर दिया। कपड़े फाड़ दिए। गर्दन से पकड़ा और मुंह बेड में लड़ा दिया। मेरा एक दांत टूट गया और होंठ कट गए। खून से सारा कपड़ा भीग गया। वो पीरियड्स में भी मेरे साथ सेक्स करता था। आखिरकार मेरा तलाक हो गया। पूरी खबर यहां पढ़ें
30 जनवरी 1948। जब महात्मा गांधी को गोली मारी गई, उस वक्त गोलवलकर चेन्नई में RSS की एक सभा में थे। एक स्वयंसेवक ने उन्हें इसकी सूचना दी। हत्यारा नाथूराम गोडसे हिंदू महासभा और RSS का सदस्य रहा था। गोलवलकर समझ गए कि RSS के लिए एक कठिन दौर शुरू होने वाला है। उन्होंने चेन्नई से ही प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल को टेलीग्राम पर शोक संदेश भेजा। साथ ही गोलवलकर ने देशभर की शाखाओं के लिए एक निर्देश भी जारी किया… आदरणीय महात्माजी के दुखद निधन पर अपनी संवेदनाएं प्रकट करने के लिए शाखाओं में 13 दिन का शोक रहेगा और सभी दैनिक कार्यक्रम स्थगित रहेंगे। 2 फरवरी 1948 को गोलवलकर की गिरफ्तारी हुई और फिर RSS पर बैन लगा दिया गया। गिरफ्तारी के बाद गोलवलकर ने स्वयंसेवकों के नाम एक संदेश जारी किया- 'संदेह के बादल छंट जाएंगे और हम बिल्कुल बेदाग बाहर निकलेंगे।' 6 महीने की वैधानिक सीमा समाप्त होने के बाद गोलवलकर को रिहा किया गया और 11 जुलाई 1949 को RSS से भी प्रतिबंध हटा लिया गया। प्रतिबंध हटने के बाद गोलवलकर ने RSS के लिए एक नई रणनीति तैयार की। उन्होंने संघ के प्रसार के लिए अलग-अलग सहयोगी संगठन बनाने का फैसला किया। इसी का नतीजा था कि… 1973 में गोलवलकर अपने निधन से पहले RSS को एक ऐसा सांगठनिक स्वरूप दे चुके थे जो कि भविष्य की इसकी सारी सफलताओं की मजबूत नींव साबित हुई। अपने निधन से पहले गोलवलकर ने भी अपने उत्तराधिकारी के तौर पर मधुकर दत्तात्रेय देवरस उर्फ बालासाहब देवरस को चुन लिया। अब बात बालासाहब देवरस के बाद बने सरसंघचालकों की… 1994 में देवरस ने बीमारी की वजह से राजेंद्र सिंह उर्फ रज्जू भैया को संघ प्रमुख बनाया। यह पहला मौका था जब किसी सरसंघचालक ने अपने जीवित रहते पद छोड़ा था। 2000 में केसी सुदर्शन और फिर 2009 से अब तक डॉ. मोहन भागवत संघ प्रमुख हैं। संघ प्रमुख के कार्यकाल को लेकर कोई तय समय-सीमा नहीं है। इस पर सितंबर 2018 में मोहन भागवत ने कहा- सरसंघचालक डॉ. हेडगेवार रहे और उसके बाद गुरुजी। इसलिए वह श्रद्धा का स्थान है। मेरे बाद सरसंघचालक कौन होगा, ये मेरी मर्जी पर है और मैं सरसंघचालक कब तक रहूंगा, ये भी मेरी मर्जी पर है। अब बात RSS के वर्किंग स्ट्रक्चर की… सरसंघचालक RSS का सबसे बड़ा पद है। इसके बाद आता है सरकार्यवाह। ये केंद्रीय कार्यकारी मंडल का प्रमुख भी होता है। इसके बाद सह सरकार्यवाह आते हैं, जो एक से ज्यादा हो सकते हैं। इनके अंडर 5 डिपार्टमेंट के प्रमुख आते हैं- सेवा प्रमुख, प्रचार प्रमुख, बौद्धिक प्रमुख, शारीरिक प्रमुख और निधि प्रमुख। इससे नीचे संघचालक और प्रचारक आते हैं। ये फुल टाइम मेंबर होते हैं, लेकिन उन्हें संघ के किसी काम के लिए किसी तरह की सैलरी नहीं मिलती। प्रचारक के लिए एक अघोषित शर्त यह भी है कि वह शादी नहीं करेगा। हालांकि संघ के संविधान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। वरिष्ठ RSS नेताओं के निर्देशन में आर वैंकटरामा शास्त्री ने 1948 में RSS का संविधान लिखा। इसके आर्टिकल 22 में RSS की फंडिंग के तरीकों का जिक्र है। 1928 में संघ ने गुरुदक्षिणा की शुरुआत की। पहली बार 84 रुपए इकट्ठा हुए थे। हर साल व्यास पूर्णिमा के दिन संघ की हर शाखा में दक्षिणा दिवस मनाया जाता है। उस दिन स्वयंसेवक भगवा ध्वज को गुरु मानकर दान देते हैं। अगर रकम 20 हजार रुपए से ज्यादा हुई, तो चेक के माध्यम से दान दिया जाता है। हालांकि ये चेक किसके नाम पर होता है, इसकी जानकारी गोपनीय होती है। निधि प्रमुख इस फंड की देखरेख करता है। केंद्रीय कार्यकारी मंडल और प्रांतीय कार्यकारी मंडल तय करते हैं कि फंड्स का डिस्ट्रीब्यूशन कब और कैसे करना है। किस साल कितनी रकम दान में मिली, इसे कभी सार्वजनिक नहीं किया जाता। संघ का अपना कोई बैंक अकाउंट नहीं है। संघ कहता है कि उसके स्वयंसेवक बहुत-सी समाज सेवा की गतिविधियां करते रहे हैं और इन सामाजिक कार्यों के लिए स्वयंसेवकों ने ट्रस्ट बनाए हैं, जो कानून के दायरे में रहकर पैसा इकट्ठा करते हैं और अपने खाते चलाते हैं। संघ की प्रार्थना, उसकी यूनिफॉर्म से लेकर उसकी सोच तक में समय-समय पर बदलाव हुए हैं… प्रार्थना: संघ की शुरुआती प्रार्थना मराठी में थी। 1939 में इसे बदलकर संस्कृत में कर दिया गया, जिसकी शुरुआत नमस्ते सदा वत्सले से होती है। यूनिफॉर्म: शुरुआत में RSS की यूनिफॉर्म खाकी शर्ट, खाकी निकर और खाकी टोपी थी। जो 100 साल बाद बदलकर ऐसी हो गई- सफेद शर्ट, खाकी फुल पैंट, काली टोपी और बेल्ट। 1925 के ऐतिहासिक हालातों में बने संघ ने जहां गोलवलकर के रेडिकल विचारों से कदमताल करते हुए विस्तार पाया, वहीं आधुनिकता के अनुसार भी वह बदला है। अलग-अलग मसलों पर संघ की राय भी बदलती रही है... आरक्षण पर संघ: सितंबर 2015 में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने आरक्षण की समीक्षा करने की बात कही। हालांकि 28 अप्रैल 2024 को भागवत ने कहा- आरक्षण जिसके लिए है, उन्हें जब तक आवश्यक लगेगा या भेदभाव जब तक है, आरक्षण जारी रहना चाहिए। संघ अब जातिगत जनगणना का भी समर्थन करता है। अल्पसंख्यकों पर संघ: गोलवलकर की किताब ‘बंच ऑफ थॉट्स’ में बाहर से आए अल्पसंख्यकों, खासकर मुसलमानों को राष्ट्र के लिए आंतरिक संकट बताया गया है, लेकिन सितंबर 2023 में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा- मुसलमान भी हमारे हैं। वो हमसे अलग नहीं हैं। उनकी पूजा पद्धति बदल गई है। यह देश उनका भी है और वह भी यहीं रहेंगे। संघ में महिलाएं: महिलाएं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सदस्य नहीं बन सकतीं। इसे लेकर संघ की आलोचना होती है, लेकिन संघ का कहना है कि जिस समय संघ का गठन हुआ यह उस समय की व्यावहारिकता के अनुसार था। बाद में जब हिंदू महिलाओं के लिए भी एक संगठन की जरूरत महसूस हुई तो लक्ष्मीबाई केलकर ने RSS से विमर्श कर 1936 में राष्ट्र सेविका समिति शुरू की। दोनों का उद्देश्य एक ही है इसलिए महिलाएं राष्ट्र सेविका समिति से जुड़ सकती हैं। नागपुर में 5 लोगों की एक बैठक से शुरू हुआ संघ, आज दुनिया भर में फैला हुआ है। संघ का दावा है कि यह दुनिया का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन है। 40 से अधिक देशों में इसके करीब एक करोड़ स्वयंसेवक हैं। भारत में संघ की हर रोज 83 हजार से अधिक शाखाएं होती हैं, जिसमें लाखों स्वयंसेवक हिस्सा लेते हैं। इसी साल संघ ने दिल्ली के झंडेवालान में अपने भव्य कैंपस केशव कुंज का उद्घाटन किया है। इस कैंपस में 13 टावर्स हैं जिसमें करीब तीन सौ कमरे हैं। नागपुर में संघ के भव्य मुख्यालय के अलावा देश भर में RSS के कई कार्यालय हैं। अपने गठन के बाद पिछले 100 सालों में संघ ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं और यह सिलसिला जारी है। --------------ये भी पढ़ें... 100 साल का संघ, एपिसोड-1: मुस्लिमों का साथ देने पर गांधी से नाराज एक कांग्रेसी ने बनाया RSS, उनकी आखिरी चिट्ठी पढ़ सब हैरान क्यों रह गए 27 सितंबर 1925, उस दिन विजयादशमी थी। हेडगेवार ने पांच लोगों के साथ अपने घर में एक बैठक बुलाई और कहा- आज से हम संघ शुरू कर रहे हैं। लेकिन इसकी पूरी बैकस्टोरी क्या थी, पढ़िए पूरी खबर...
साल 1990 और तारीख 31 जनवरी। सरस्वती पूजा का दिन। जगह बिहार का मुजफ्फरपुर। शाम ढल रही थी। बाहुबली चंदेश्वर सिंह अपने काफिले के साथ छाता चौक इलाके से गुजर रहा था। 4 गाड़ियों में करीब 10-12 लोग। सभी के पास देसी पिस्टल। अचानक चंदेश्वर की गाड़ी खराब हो गई। काफिला रुक गया और उसके गुर्गे गाड़ी में गड़बड़ी चेक करने लगे। चंदेश्वर ने भी उतरकर अपनी कमर सीधी की और जेब से सिगरेट निकाली। एक गुर्गा भागकर आया और सिगरेट जलाने के लिए माचिस जलाने लगा। इसी बीच एक गोली उसकी पीठ पर लगी और सीना चीरकर निकल गई। चंदेश्वर सिंह कुछ समझ पाता, उससे पहले ही ताबड़तोड़ गोलियों ने सबको छलनी कर दिया। कोई अपनी देसी पिस्टल निकाल भी न सका। जब सबकी लाशें सड़क पर बिछ गईं, तब गोलियों के धुएं के बीच से एक 6 फीट कद, काले घुंघराले बाल और गोरे रंग का शख्स कंधे पर AK-47 टांगे सामने आया। उसने चंदेश्वर के सीने पर पैर रखकर कहा- ‘कहे थे न, आज ही के दिन मारेंगे।’ और AK47 की एक पूरी मैग्जीन उसके बदन में उतार दी। देसी पिस्टल वाले बिहार ने पहली बार AK-47 की तड़तड़ाहट सुनी थी; और ये शोर करने वाला शख्स था, बिहार का सबसे बड़ा डॉन- अशोक सम्राट। दैनिक भास्कर की इलेक्शन सीरीज 'गैंगस्टर' के पहले एपिसोड में कहानी बिहार के पहले डॉन 'अशोक सम्राट' की... पुलिस को चंदेश्वर के शरीर में AK-47 की कुल 40 गोलियां मिलीं। पूरे बिहार में दहशत फैल गई कि अशोक सम्राट के हाथ AK-47 आ गई है। इस वारदात से पहले तक अशोक पर 40 से ज्यादा केस थे, मगर पुलिस के पास उसकी कोई तस्वीर नहीं थी। वो कभी बुलेट मोटरसाइकिल तो कभी खुली जीप में बेखौफ घूमता था। पहनावा फिल्मी हीरो जैसा। जब बिहार पुलिस उसे तलाश रही होती, तो वो राजधानी पटना के सैलून में घंटों बैठा रहता। बिहार के पूर्व DGP गुप्तेश्वर पांडे बताते हैं, ‘बेगूसराय समेत आसपास के कई जिलों में अशोक सम्राट की ही बादशाहत चलती थी। पूरे इलाके का वही मालिक हुआ करता था। जिस रास्ते से उसका काफिला गुजरता, वहां किसी पुलिसवाले की ड्यूटी करने की हिम्मत नहीं होती। उसके ठिकानों पर दबिश देने के लिए कोई तैयार नहीं होता।’ बचपन में खुद को गोली मारी, पुलिस की नौकरी हाथ से गई बेगूसराय जिले का सोखहारा गांव बड़ौनी रेलवे स्टेशन के करीब है। बेगूसराय को उस समय ‘मिनी मॉस्को’ या ‘बिहार का लेनिनग्राद’ कहा जाता था, क्योंकि ये कम्युनिस्टों का गढ़ था। यहीं जन्म हुआ अशोक शर्मा का। वो बचपन से ही पढ़ाई में अव्वल था। उसने डबल MA किया। उसका सपना था- पुलिस की वर्दी पहनना। बचपन से ही उसका गुस्सा आसमान छूने लगा था। छोटी-छोटी बात पर बिगड़ जाना, मारपीट करना उसके लिए रोज की बात होने लगी। इसी वजह से गांव के लोग उसे ‘अशोक पगला’ कहने लगे। बड़ा हुआ तो उसे फुटबॉल का शौक चढ़ा। एक दिन फुटबॉल ग्राउंड पर ही उसकी मुलाकात रामविलास चौधरी से हुई। दोनों गहरे दोस्त बन गए और धीरे-धीरे दोनों हर काम साथ-साथ करने लगे। दोस्ती ऐसी कि गांव में मिसाल दी जाने लगीं। लड़ाई अशोक करता, बदला लेने रामविलास पहुंच जाता। कभी रामविलास परेशान होता, तो अशोक मामला निपटाता। अशोक प्यार से रामविलास को ‘मुखिया’ या ‘मुखू’ कहता था। पढ़ाई में तेज अशोक ने कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद सब इंस्पेक्टर भर्ती का पेपर क्लियर कर लिया। फिजिकल टेस्ट में भी पास हो गया, लेकिन इसी दौरान उसके जिगरी दोस्त रामविलास ने घर के झगड़ों से तंग आकर जहर खा लिया। ये खबर सुनते ही अशोक बदहवास सा हो गया। उसने खुद को कमरे में कैद कर लिया। उसने कहा, ‘अगर मेरा दोस्त जिंदा नहीं रहेगा तो मैं भी मर जाऊंगा।’ और देसी कट्टे से अपने पेट में गोली मार ली। लंबे इलाज के बाद दोनों बच गए, लेकिन अशोक का पुलिस की वर्दी पहनने का सपना हमेशा के लिए टूट गया। खाद की चोरी से कम्युनिस्टों के दुश्मन बने साल 1983-84, उस समय गांवों में खाद और बीज के गोदाम नहीं थे, इसलिए इसे सड़कों पर ही उतारा जाता था। अशोक ये बात जानता था। वो रामविलास के साथ मिलकर रात में खाद चुराने लगा। इस काम में जितना मुनाफा था, उतना ही जोखिम भी। ऐसे में रामविलास ने उसे हथियार खरीदने की सलाह दी। अशोक ने एक बुलेट मोटरसाइकिल खरीदी और शान बढ़ाने के लिए खुली जीप भी ली। अब तक दोनों बेगूसराय के कम्युनिस्ट व्यापारियों की नजर में आ चुके थे। उन्होंने दोनों के बीच फूट डालने का प्लान बनाया। अशोक तो जाल में नहीं फंसा, लेकिन रामविलास झांसे में आ गया। एक दिन अकेला पाकर किसी ने रामविलास को खूब शराब पिलाई और नशे में धुत हो जाने पर कहा, ‘रामविलास, सबकुछ तो तुमने किया है। तुम्हारी वजह से ही नोटों की बरसात हो रही है। तुम ही सारा काम करते हो, लेकिन बॉस वो बन बैठा है। देखो नाम उसी का हो रहा है।’ ये बात रामविलास के दिमाग पर छप गई। वो हर किसी से कहने लगा कि वो अशोक का बॉस है। अशोक को जब ये पता चला तो दोनों दोस्तों के बीच दरार पड़ने लगी। दोनों के बीच आए दिन झगड़े होने लगे। कई मौकों पर मारपीट भी हो गई। आखिरकार दोनों ने संपत्ति बंटवारे का फैसला कर लिया और नौबत पंचायत तक पहुंच गई। चूंकि रामविलास का साथ व्यापारी दे रहे थे, इसलिए सारे हथियार, जमीन, ट्रक, गाड़ी उसे मिले। अशोक को मिली केवल उसकी बुलेट मोटरसाइकिल और एक कबाड़ हो चुकी मैटाडोर। जाहिर है रामविलास ज्यादा ताकतवर हो गया। मगर बंटवारे से झगड़ा खत्म होने के बजाय बढ़ गया। रामविलास ने अशोक को जान से मारने का फैसला कर लिया। बचपन के दोस्त ने किया हमला, बेगूसराय छोड़ना पड़ा बंटवारे में मिली मोटरसाइकिल से एक रात अशोक घर लौट रहा था। रास्ते में उसकी हेडलाइट खराब हो गई। दूर-दूर तक अंधेरा और घने जंगल के अलावा कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। अशोक रास्ते में ही बुलेट की हेडलाइट सुधारने लगा। तभी उसे एक ट्रक आता हुआ दिखाई दिया। ट्रक चलाने वाला विपिन सिंह रिश्ते में अशोक की भतीजी का पति था। विपिन ने उससे कहा- 'बुलेट का हेडलाइट बिगड़ गया है क्या? ऐसा कीजिए, आप बुलेट पर आगे-आगे चलिए, हम ट्रक लेकर पीछे से आते हैं।' ट्रक कुछ दूर ही आगे बढ़ा था कि पीछे से एक जीप ओवरटेक करने की कोशिश करने लगी। जीप से लगातार लोग चिल्ला रहे थे, हॉर्न बजा रहे थे। विपिन समझ गया कि वो रामविलास के लोग थे जो अशोक पर हमला करने आए थे। विपिन ने ट्रक बीच में ही अड़ा दिया और जीप को ओवरटेक नहीं करने दिया। जीप से फायरिंग शुरू हो गई। विपिन घायल हो गया, मगर अशोक ने बड़ौनी थाने के कैंपस में घुसकर अपनी जान बचा ली। इस हमले के बाद अशोक को समझ आ गया कि आज तो जान बच गई, लेकिन अब बेगूसराय सुरक्षित नहीं। इसके बाद वो मुजफ्फरपुर निकल गया। तिलक समारोह में घुसकर पूरे परिवार को खून से नहलाया साल 1986। गर्मियों का दिन था। मुजफ्फरपुर के एक बड़े बाहुबली चंदेश्वर सिंह के बेटे का तिलक चढ़ रहा था। घर में उत्सव का माहौल था और लगातार लोग आ-जा रहे थे। इसी भीड़ में अशोक भी शामिल था। एक घरवाले ने उसे शरबत पीने के लिए पूछा। अशोक ने मुस्कुराकर कहा- 'शरबत नहीं, मुझे तो खून पीना है।' पत्रकार ज्ञानेश्वर बताते हैं, 'अशोक ने जेब से पिस्टल निकाली और वहां मौजूद लोगों पर अंधाधुंध गोलियां बरसा दीं। उसके साथ उसका पार्टनर मिनी नरेश भी बेतरतीब गोलियां चलाने लगा। दोनों का निशाना बाहुबली चंदेश्वर था। गोलियों की आवाज से चंदेश्वर सतर्क हो गया और घर से भाग गया। मगर इस हमले में उसके परिवार के कई लोगों की जान चली गई।' दरअसल, अशोक ने मुजफ्फरपुर आकर छात्र राजनीति के किंग मिनी नरेश से हाथ मिला लिया था। चंदेश्वर और मिनी नरेश का झगड़ा पुराना था। परिवार के लोगों की मौत से चंदेश्वर बौखला गया। 1989 में सरस्वती पूजा के दिन अशोक शहर में नहीं था। मौके का फायदा उठाकर चंदेश्वर पीजी हॉस्टल में घुस गया और मिनी नरेश को तलवार से टुकड़ों-टुकड़ों में काट डाला। इस घटना से अशोक हिल गया। उसने ऐलान किया कि एक साल के भीतर मिनी नरेश का बदला लेगा। अगले सरस्वती पूजा के दिन ही उसने छाता चौक पर चंदेश्वर सिंह को AK47 से भून डाला और अशोक से अशोक सम्राट बन गया। अब अशोक सम्राट का नेटवर्क इतना मजबूत हो चुका था कि उसने बिना बेगूसराय गए ही अपने बचपन के दोस्त और पुराने दुश्मन रामविलास चौधरी को मरवा दिया। पहली नजर में बैंक अधिकारी की बेटी से प्यार हुआ पटना के शास्त्री नगर के अलकनंदा अपार्टमेंट्स में अशोक सम्राट का ठिकाना था। इसी बिल्डिंग में वैशाली से आए शाही जी रहते थे जो बैंक के अधिकारी थे। उनकी तीन बेटियां और पत्नी भी वहीं उनके साथ रहती थीं। एक दिन बिल्डिंग के बाहर अशोक ने शाही जी की बड़ी बेटी भव्या (बदला हुआ नाम) को देखा। उसे पहली नजर में ही भव्या पसंद आ गई। इसके बाद दोनों की मुलाकातें होने लगीं। भव्या भी अशोक को पसंद करने लगी। अशोक सम्राट के परिवार वालों ने कभी इस शादी को कबूल नहीं किया। हालांकि भव्या के घरवालों ने सम्राट को दामाद के रूप में अपना लिया था। शादी के बाद रिसेप्शन बेगूसराय के एक अन्य बाहुबली और नेता रतन सिंह के घर पर हुआ। ये वही रतन सिंह थे जिनके साथ अशोक ठेकों का काम किया करता था। ये रिसेप्शन भव्य था। पूरे बिहार के कई बड़े और नामी लोग इसमें शामिल होने पहुंचे। लोग कहते हैं कि करीब 500 गाड़ियां रिसेप्शन हॉल के बाहर पार्क की गई थीं। सम्राट के इतने भव्य आयोजन के बावजूद बिहार पुलिस उस पर हाथ डालने की हिम्मत नहीं कर सकी। विरोधी को चुनाव हराने के लिए पूरे गांव को धमकाया शादी के बाद अशोक खून-खराबे की जिंदगी से दूर रहना चाहता था। इसके लिए उसे राजनीति का रास्ता मुफीद लगा। 1989 में उसने कांग्रेस के हेमंत शाही को सपोर्ट किया, मगर हेमंत चुनाव हार गए। इसके 2 साल बाद 1991 के चुनाव में कांग्रेस ने हेमंत की जगह विरोधी खेमे के रघुनाथ पांडे को टिकट दे दिया। अशोक को ये बात अच्छी नहीं लगी। वो खुलेआम कांग्रेस के विरोध में उतर आया। वो मुजफ्फरपुर के भूमिहार इलाकों में जाकर कहता कि चुनाव के दिन वोट देने न जाएं। उसके डर से भूमिहर मतदान बहुत कम हुआ। आखिरकार रघुनाथ पांडे हारे और जॉर्ज फर्नांडिस जीत गए। आखिरकार 1995 में वो खुद चुनाव में उतरा। इसके लिए मुजफ्फरपुर का कुढ़नी विधानसभा क्षेत्र चुना गया। अशोक चुनाव में निर्दलीय खड़ा हुआ। उसके सामने थे जनता दल के बसावन प्रसाद भगत, समता पार्टी के सिंहेश्वर सैनी और बीजेपी के चंदेश्वर प्रसाद। चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी भव्या ने संभाली। लेकिन कुढ़नी से जनता दल के बसावन प्रसाद भगत जीत गए, उन्हें 65,604 वोट मिले। वहीं, अशोक सम्राट को सिर्फ 25,124 वोट मिले। पुलिस ने जिसका धोखे में एनकाउंटर किया, वो सम्राट निकला 5 मई 1995 की बात है। पटना पुलिस ने एक बड़ी प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई। DGP जीपी दौरे ने पत्रकारों से कहा, 'कल वैशाली में हुए पुलिस एनकाउंटर में 3 वांटेड अपराधी मारे गए हैं। इनमें अनिल शर्मा और रामा सिंह की पहचान हो गई है, जबकि तीसरे की पहचान नहीं हो पाई है। इस एनकाउंटर में 2 कॉन्स्टेबल भी घायल हुए हैं। अपराधियों के पास से पिस्टल, राइफल और जिंदा कारतूस भी बरामद किए गए हैं।' पुलिस जिस तीसरे अपराधी की पहचान नहीं कर पाई थी, उसका चेहरा पत्थर से कुचला हुआ था। पुलिस ये पता करने में जुट गई कि ये तीसरा आदमी कौन है। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस से ठीक एक दिन पहले अशोक सम्राट एक रेलवे टेंडर के सिलसिले में पटना से सोनपुर के लिए निकला था। वो सुबह नाश्ता करके नीले रंग की मारुति कार से घर से निकला। उसके साथ 5 और गुर्गे आगे दूसरी गाड़ी में थे। जब वो पासवान चौक पर पहुंचा तो पुलिस इंस्पेक्टर शशि भूषण शर्मा ने इनकी गाड़ी को रोक लिया। अशोक पुलिस ने टकराना नहीं चाहता था, सो उसने गाड़ी दूसरी ओर मोड़कर भगा दी। पुलिस फौरन उनके पीछे लग गई। भागते हुए अशोक की मारुति वैन एक पत्थर से टकराकर पलट गई। अब सभी लोग नीचे उतरकर सड़क पर दौड़ने लगे। पुलिसवाले भी उनका पीछा करने लगे। उन्हें डराने के लिए पुलिस ने हवाई फायरिंग भी की, लेकिन अशोक और उसके लोग नहीं रुके। ये भागम-भागम भीषण गर्मी में खुले खेतों में चल रही थी। इन दिनों आसपास के कई गांवों में डकैती की वारदात हुई थी। इसी का फायदा उठाते हुए पुलिस पीछे से डकैत-डकैत चिल्लाने लगी। ये सुनकर गांव वाले भी पुलिस की मदद के लिए अशोक और उसके साथियों का पीछा करने लगे। हालांकि अभी तक पुलिस को पता नहीं था कि वो अशोक सम्राट का पीछा कर रही है। दौड़ते-दौड़ते सभी मानसिंहपुर रसौली गांव पहुंच गए। उन्होंने एक खाली घर देखा और उसमें छिपने चले गए। यह घर विधवा शकुंतला देवी का था। जब सभी घर में घुस रहे थे, तो गांव के एक आदमी ने इन्हें रोकने की कोशिश की, लेकिन अशोक के साथियों ने उस पर गोली चला दी। इससे ग्रामीणों का गुस्सा बढ़ गया। जब सभी घर में घुसे तो शकुंतला देवी घर के बाहर आ गईं और घर का दरवाजा बाहर से बंद कर दिया। अब अशोक सम्राट अपने साथी कांता सिंह, विनोद सिंह और एक अन्य साथी के साथ घर के अंदर बंद हो गया। कुछ ही देर में पुलिस भी वहां पहुंच गई। गांववालों ने उन्हें बाहर निकालने के लिए घर में आग लगा दी। चारों फायरिंग करते हुए घर से बाहर निकले। पुलिस ने भी जवाबी फायरिंग की जिसमें चारों मारे गए। एक गोली अशोक सम्राट के चेहरे पर लगी। गांववालों ने उसका चेहरा भी बिगाड़ दिया। पुलिस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस मुठभेड़ की जानकारी दी तो अशोक के घरवाले भी लाश की पहचान के लिए पहुंचे। घरवालों ने बताया कि वो तीसरी लाश जिसकी पहचान में पुलिस जुटी थी, वो अशोक सम्राट की थी। पुलिस महकमे के लिए यह एनकाउंटर इतना महत्वपूर्ण था कि इसे अंजाम देने वाले इंस्पेक्टर शशिभूषण शर्मा को सीधे डीएसपी बना दिया गया। अशोक अगर उस दिन एक किलोमीटर और भाग लेता तो अपनी पत्नी के गांव पहुंच गया होता। **** स्टोरी संपादन - रविराज वर्मा (गैंगस्टर अशोक सम्राट की कहानी अखबारों की रिपोर्ट्स, किताबों, वरिष्ठ पत्रकारों के संस्मरण और सरकारी अफसरों के इंटरव्यू के आधार पर लिखी गई है। इसे रोचक बनाने के लिए कहानी की तरह लिखा गया है।) रेफरेंस : **** गैंगस्टर सीरीज के अगले एपिसोड में कल 3 अक्टूबर को कहानी सीवान के डॉन मोहम्मद शहाबुद्दीन की।
DNA: US के शहरों में फौज क्यों उतारना चाहते हैं ट्रंप, रडार पर ये शहर, क्या है प्रेसिडेंट की चाल?
Donald Trump US Army:ट्रंप ने कुछ शहरों के अंदर नेशनल गार्ड्स की तैनाती के ऑर्डर दिए थे और अब डॉनल्ड ट्रंप सीधे फौज को उतारने का ऐलान कर रहे हैं. इस फैसले की अमेरिका में खासी आलोचना भी हो रही है.
मंदी के मुहाने पर US..ट्रंप सब चौपट कर देंगे! अमेरिका में 'शटडाउन', भारत पर कितना असर?
DNA Analysis: सुपरपावर अमेरिका में सरकार के शटडाउन से जो अब से ठीक 12 घंटे पहले शुरु हो चुका है. शटडाउन लागू होते ही गैर आवश्यक सेवाओं से जुड़े सरकारी कर्मचारियों को छुट्टी पर भेज दिया जाता है और उन्हें तनख्वाह भी नहीं दी जाती यानी इस वक्त अमेरिका में तकरीबन 12 लाख सरकारी कर्मचारियों की सैलरी रोक दी गई है.
भारत और उज्बेकिस्तान के बीच आतंकवाद विरोधी सहयोग मजबूत करने पर चर्चा
भारत और उज़्बेकिस्तान ने ताशकंद में आतंकवाद विरोधी संयुक्त कार्य समूह की 9वीं बैठक आयोजित की
उफनते समंदर में 8.2 एकड़ की जमीन, दो मुल्कों का राज, ये 'चमकीली चीज' बन गई सरहद
Market Island:मार्केट द्वीप को फ्रेडरिकशमन की संधि के तहत स्वीडन और फिनलैंड के बीच विभाजित किया गया था. शुरुआत में सीमा एक सीधी रेखा थी लेकिन 1885 में रूसियों द्वारा एक लाइटहाउस का निर्माण करने के बाद इसे बदल दिया गया. 1981 में स्वीडन और फिनलैंड ने सीमा का पुनः निर्धारण किया. सीमा रेखा हर 25 वर्ष में पुनर्मूल्यांकन की जाती है और इसका अंतिम बार अगस्त 2006 में पुनः सर्वेक्षण किया गया था.
अनोखा रिवाज...इस देश में दांतों को रेत कर किया जाता है चपटा; बुरी आत्माओं से क्या है कनेक्शन?
Mapandes Ceremony: बाली का दांत पीसने का समारोह जिसे मेपांडेस या मेटाटाह के नाम से जाना जाता है, इंडोनेशिया के सबसे मनमोहक संस्कारों में से एक है. यह व्यक्ति को किशोरावस्था से वयस्कता की ओर ले जाता है. बाली के लोगों के लिए यह एक सुंदर और आवश्यक समारोह है. इसकी जड़ें गहरी दार्शनिक और आध्यात्मिक मान्यताओं में निहित हैं. मेपांडेस संस्कार सौंदर्यबोध पर नहीं, बल्कि आध्यात्मिक शुद्धि पर केंद्रित है. यह बाली के हिंदू दृष्टिकोण को उजागर करता है. यह एक पूर्ण, संयमित और बुद्धिमान मनुष्य बनने के महत्व को भी दर्शाता है. आइए आपको इस अनूठी परंपरा के बारे में बताते है...
Australia News: ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया शहर में रहने के लिए लोगों को घर नहीं मिल पा रहा है, आलम ऐसा है कि 66117 लोग वेटिंग लिस्ट में लगे हैं. इसके पीछे की क्या वजह है जानते हैं.
भूटान तक ट्रेन चलाएगा भारत, लेकिन इन देशों के बीच पहले से खटाखट दौड़ती है रेल
India Bhutan Rail connectivity: भारत सरकार ने भारत से भूटान तक दो रेल लाइनों की घोषणा की है. जिसका काफी ज्यादा लाभ मिलेगा, ऐसे में हम बताने जा रहे हैं उन देशों के बारे में जिनके बीच ट्रेन से आ जा सकते हैं.
USA: एक हैरान करने वाली घटना अमेरिका के वर्जीनिया से सामने आई है, जहां 64 वर्षीय जेफ गेरासी को वर्कआउट के बाद घर लौटते समय दिल का दौरा पड़ा. गनीमत रही कि उनकी कार सेंटारा हेल्थ में हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. दीपक तलरेजा के मेडिकल ऑफिस के ठीक बगल में दुर्घटनाग्रस्त हो गई, जिसके बाद भारतीय मूल के डॉक्टर ने गेरासी की जान बचाई.
US Visa Appointment Process in Hindi: अगर आप यूएस जाने के लिए वीजा लेना चाहते हैं तो सबसे पहले उसके नियम जान लेने की जरूरत है. ऐसा न करने पर आपका यूएस जाने का सपना टूट सकता है.
ट्रंप सरकार में मजबूत होते अमेरिका-पाकिस्तान रिश्ते से चिंतित क्यों नहीं है भारत
डॉनल्ड ट्रंप भारत के लिए सख्त और पाकिस्तान के लिए नरम दिख रहे हैं. लंबी पारी में भारत के लिए इसके मायने क्या हैं?
LIVE: 1 अक्टूबर के ताजा समाचार और अपडेट्स
म्यूनिख में हुए विस्फोट के बाद बंद किया गया ओक्टोबरफेस्ट
भारत से जापान तक...अब इंसानों के लिए जीना पहले से ज्यादा आसान, ये देश हैं सबसे सेफ
NCRB Report: NCRB की ताज़ा रिपोर्ट साफ बताती है कि भारत और कई बड़े देशों में हत्या (Murder Rate) के मामले पहले से काफी कम हो गए हैं.1957 में भारत में प्रति 1 लाख आबादी पर हत्या की दर 2.6 थी. लेकिन 1992 के बाद लगातार गिरावट आई और 2023 में यह घटकर सिर्फ 2.3 रह गई. ऐसे में चलिए जानते हैं भारत समेत दीगर मुल्कों में क्राइम रेट क्या है?
UK Permanent Residency: बहुत सारे भारतीय, ब्रिटेन पढ़ने या नौकरी की तलाश में जाते हैं. अगर आप भी जाने का प्लान बना रहे हैं तो इससे पहले जान लें, ब्रिटेन ने स्थायी निवास में कई तरह के बदलाव किए हैं, अब आपको ये काम करना पड़ेगा.
क्या सच में अफगानिस्तान में मोबाइल-इंटरनेट सेवा हुई ठप! जानें तालिबानी सरकार ने क्या कहा?
Afghanistan Mobile-Internet Blackout:अफगानिस्तान में तालिबान सरकार ने देशव्यापी इंटरनेट प्रतिबंध की खबरों को खारिज कर दिया है. तालिबानी सरकार का कहना है कि पुराने फाइबर ऑप्टिक केबल खराब हो गए हैं और उन्हें बदला जा रहा है जिसके कारण इंटरनेट सेवाएं ठप हैं.
65 साल के उम्र के लोगों को लगी ऐसी बीमारी, मचा कोहराम, सरकार बचने के लिए कर रही बार-बार अपील
जापान में इन दिनों हीटस्ट्रोक ने ऐसा कोहराम मचाया है, जिससे पूरा देश परेशान है. करीब 1 लाख 1 सौ 43 लोग अस्पताल पहुंच चुके हैं. जिसमें 116 मौतें हुई हैं. सबसे बड़ी बात यह बीमारी 65 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को सबसे अधिक प्रभावित की है. जानें पूरी खबर.
Gaza women are physically exploited In War:गाजा में जंग ने सब कुछ तबाह कर दिया. भूख, बेबसी और बेकारी ने लोगों को मजबूर कर दिया है. इस बीच, कुछ लोग मदद के नाम पर महिलाओं की इज्जत से खेल रहे हैं. एसोसिएटेड प्रेस की एक रिपोर्ट में महिलाओं ने अपनी आपबीती बताई सुनाई है.डर और शर्मिंदगी के चलते कई तो चुप हैं.
Andrej Babis parliamentary election could win:चेक गणराज्य में 3-4 अक्टूबर को होने वाले संसदीय चुनाव यूक्रेन के लिए बड़ा झटका साबित हो सकते हैं. यहां की मौजूदा सरकार यूक्रेन की रूस के खिलाफ जंग में मजबूत साथी रही है, लेकिन अगर अरबपति आंद्रेज बाबिस की पार्टी जीत जाती है, तो चेक गणराज्य भी हंगरी और स्लोवाकिया की तरह रूस के प्रति नरम रुख अपना सकता है.जानें पूरी खबर.
अमेरिका में शटडाउन लागू हो गया। इसकी वजह से अमेरिका में सरकारी कामकाज ठप हो गया। सालों बाद अमेरिका में फिर से यह सरकारी शटडाउन हुआ है। दरअसल, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी अमेरिकी संसद के ऊपरी सदन सीनट में अस्थायी फंडिंग बिल पास नहीं करा पाई
भूकंप से इस देश में हुई तबाही, 69 की मौत, 150 से ज्यादा घायल, कई शहरों में बिजली गुल
Earthquake In Philippines: फिलीपींस में आए भूकंप ने देश में तबाही मची है. भूकंप के चलते अबतक 69 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है और कई लोग घायल हैं.
Trump Gaza peace plan:अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ और आर्मी चीफ आसिम मुनीर को व्हाइट हाउस में बुलाया,जमकर खातिरदारी की. मीटिंग की, तारीफ की, गाजा शांति प्लान में पाकिस्तान का 100 प्रतिशत समर्थन भी ले लिया. उसके बाद पाक के सुझावों ठेंगा दिखा दिया है. पाकिस्तान में क्यों मचा बवाल. सरकार को खूब लानतें भेजी जा रही हैं. जानें पूरी खबर.
फिलीपींस में 6.7 तीव्रता के भूकंप ने मचाई भारी तबाही, 19 की मौत और भारी तबाही
फिलीपींस में भूकंप ने भारी तबाही मचा दी है। स्थानीय मीडिया ने बताया कि मध्य फिलीपींस के सेबू प्रांत में मंगलवार रात 6.9 तीव्रता के भूकंप से धरती हिली
विदेशी छात्रों ने किया फिलिस्तीन का समर्थन, ट्रंप सरकार ने धमकाया; कोर्ट ने अमेरिकी सरकार को फटकारा
Trump Pro-Palestinian Student: ट्रंप सरकार ने कुछ विदेशी छात्रों और शिक्षकों को उनके फिलिस्तीन विचारों की वजह से वीजा रद्द करना और देश से निकालना चाहा. इस पर फेडरल जज ने आपत्ति जताई है. उन्होंने कहा कि सरकारी अधिकारी इस तरह की कार्रवाइयां की जिससे लोगों में डर फैल गया और जो बोलना चाहते थे, उन्होंने चुप्पी साध ली.
यूक्रेनी सांसदों की मांग, ट्रंप को मिले नोबेल शांति पुरस्कार
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किए जाने की मांग यूक्रेन के कुछ सांसदों ने उठाई है
'इस आदमी ने लाखों लोगों की जान बचाई...,' मुनीर की खुशामद से 'मोगेम्बो' की तरह खुश हुए ट्रंप
Trump On India-Pakistan Ceasefire: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत-पाकिस्तान जंग रुकवाने का अपना राग अलापते हुए पाकिस्तानी फील्ड मार्शल असीम मुनीर की जमकर प्रशंसा की है.
Donald Trump Deal With Harvard University: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के बीच विवाद के बाद अब यूनिवर्सिटी ने ट्रंप सरकार के साथ डील कर ली है.
इस शहर में 88 साल के सभी बुजुर्गों का टूट गया दिल, वजह जानकर रह जाएंगे हैरान!
Japan News:जापान के ओकाजाकी शहर ने 88 साल के बुजुर्गों को दी जाने वाली 10,000 येन की बधाई राशि बंद कर दी है.99 साल वालों को यह धन मिलता रहेगा. इससे बुजुर्गों का दिल टूट गया है. जानें इसके पीछे की असली कहानी.
Baba Vanga Future Predictions For World: बाबा वेंगा अपनी सटीक भविष्यवाणियों के लिए जानी जाती हैं. उन्होंने साल 2025-2030 को लेकर भी कई भविष्यवाणियां की हैं.
ट्रंप ने अपने सैनिकों को दी खुली छूट, देश के भीतर इन शहरों में होने जा रही भयंकर 'जंग'?
Military useDangerous US cities training grounds:अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने सैनिकों के लीडर से सीधे तौर पर कह दिया है कि खतरनाक शहरों को ट्रेनिंग ग्राउंड बनाएं. शिकागो में जल्द ट्रूप्स भेजने का ऐलान हो सकता है. ट्रंप ने शिकागो के गवर्नर को 'अक्षम' बताया है. इसके साथ ही देश के अंदर की जंग लड़ने के लिए सैनिकों को छूट दी है. जानें पूरी खबर.
साल 2022 में पंजाबी रैपर सिद्धू मूसेवाला की हत्या, फिर 2023 में करणी सेना के नेता सुखदेव सिंह गोगामेड़ी का मर्डर, पिछले साल एनसीपी विधायक बाबा सिद्दीकी की हत्या और फिर सलमान खान के घर के बाहर फायरिंग.इन सभी घटनाओं की जिम्मेदारी लेने वाले बिश्नोई गैंग को आखिरकार कनाडा की सरकार ने आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया है। अब सवाल उठता है कि बलकरन बरार उर्फ़ लॉरेंस बिश्नोई कौन है, और गैंगस्टर होने के बावजूद कुछ लोग उसे क्यों पसंद करते हैं? पूरी जानकारी के लिए ऊपर दी गई इमेज पर क्लिक कर देखें वीडियो....
नागपुर में शुक्रवारी तालाब के पास एक 'गणेश मंडल' चलता था। उसके करीब ही एक मस्जिद थी। 1923 में मुसलमानों ने मस्जिद के सामने से हिंदुओं के धार्मिक जुलूस निकालने पर आपत्ति जताई। नागपुर के जिलाधिकारी ने हिंदुओं की झांकी निकालने पर रोक लगा दी। हिंदू भी अड़ गए कि अगर जुलूस की अनुमति नहीं मिली तो गणपति विसर्जन नहीं करेंगे। जिलाधिकारी ने एक कदम आगे बढ़ते हुए मस्जिद के सामने से दिंडी यानी भजन मंडली के गुजरने पर भी प्रतिबंध लगा दिया। दंगे भड़क गए, हिंसा हुई। 'डॉक्टरजी' के नाम से मशहूर 34 साल के केशव बलिराम हेडगेवार को उम्मीद थी कि उनकी पार्टी कांग्रेस के बड़े नेता हिंदुओं के लिए आवाज उठाएंगे, लेकिन उन्हें एक बार फिर निराशा हाथ लगी। हेडगेवार ने जिलाधिकारी के आदेश के खिलाफ 'दिंडी सत्याग्रह' शुरू किया और देखते ही देखते जय विट्ठल का नारा लगाती करीब 20 हजार लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई। इसके बाद हेडगेवार ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और 2 साल के भीतर एक ऐसे संगठन की शुरुआत की, जो 100 सालों से अपनी विचारधारा और गतिविधियों की वजह से हमेशा सुर्खियों में बना हुआ है। 22 जून 1897 का दिन। रानी विक्टोरिया की ताजपोशी की 60वीं सालगिरह थी। पूरे देश की तरह नागपुर में भी सरकारी जश्न मनाया जा रहा था। इस बीच 8 साल का एक बच्चा स्कूल में समारोह छोड़ घर लौट आया। उसे शांत और उदास देख बड़े भाई ने पूछा, 'क्या तुम्हें मिठाई नहीं मिली।' जवाब आया, 'मिली थी। मैंने फेंक दी। हम इन अंग्रेजों के समारोह में कैसे हिस्सा ले सकते हैं?' इस बच्चे का नाम था- केशव बलिराम हेडगेवार। केशव 13 बरस के हुए, तो प्लेग ने माता-पिता को छीन लिया। बड़े भाई महादेव ने उनकी परवरिश की। 15 साल के केशव की दोस्ती बीएस मुंजे से हुई। आंदोलन से जुड़े मुंजे अपने घर बुलाकर हेडगेवार को बम बनाने की ट्रेनिंग देते थे। 1910 में केशव डॉक्टरी पढ़ने कलकत्ता गए। 5 साल बाद डॉक्टर बनकर नागपुर लौटे, लेकिन नौकरी करने के बजाय एक व्यायामशाला खोली। यहां व्यायाम के साथ युवाओं के बीच ज्वलंत मुद्दों पर डिबेट कॉम्पिटिशन कराते थे। 1910 से 1919 के बीच हेडगेवार ने कई छोटे संगठन बनाए, पर उसका कुछ खास परिणाम नहीं निकला। उन्होंने 1919 में कांग्रेस जॉइन कर ली और 1920 में हिंदूवादी नेता एलवी परांजपे के भारत स्वयंसेवक मंडल से जुड़ गए। इस संगठन का काम कांग्रेस के अधिवेशनों के लिए ज्यादा से ज्यादा युवाओं को जुटाना था। 1921 में एक भाषण की वजह से अंग्रेजों ने उन पर देशद्रोह का मुकदमा लगाया। करीब सालभर जेल काटकर जुलाई 1922 में रिहा हुए। इस बीच जेल से लिखी गई विनायक दामोदर सावरकर की किताब 'Hindutva: Who is a Hindu' उन्हें पढ़ने को मिली। यह एक ऐसी किताब थी जिसने उन्हें हिंदुओं का एक संघ बनाने का ठोस विचार दिया। खिलाफत आंदोलन और मालाबार हिंसा में कांग्रेस लीडरशिप के रवैये से हेडगेवार काफी आहत थे। साल 1923 में नागपुर में सांप्रदायिक दंगा हुआ। कलेक्टर ने हिंदुओं की झांकियों पर रोक लगा दी। हेडगेवार को उम्मीद थी कि कांग्रेस इसके विरोध में आवाज उठाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। नाराज हेडगेवार के मन में अब हिंदुओं के लिए अलग संगठन तैयार करने का ख्याल और मजबूत हुआ। तब देश में हिंदू महासभा का गठन हो चुका था। हेडगेवार के मेंटॉर रहे डॉ. बीएस मुंजे हिंदू महासभा के सचिव थे। कुछ समय के लिए हेडगेवार हिंदू महासभा से जुड़े भी, लेकिन उन्हें यह संगठन रास नहीं आया। हेडगेवार का मानना था कि हिंदू महासभा राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के लिए हिंदू हितों से समझौता कर लेगी। आखिरकार हेडगेवार ने एक बड़ा फैसला किया। 27 सितंबर 1925, उस दिन विजयादशमी थी। हेडगेवार ने पांच लोगों के साथ अपने घर में एक बैठक बुलाई और कहा- आज से हम संघ शुरू कर रहे हैं। बैठक में हेडगेवार के साथ विनायक दामोदर सावरकर के भाई गणेश सावरकर, डॉ. बीएस मुंजे, एलवी परांजपे और बीबी थोलकर शामिल थे। 17 अप्रैल 1926 को हेडगेवार के संगठन का नामकरण हुआ- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी RSS। महज 51 साल के हेडगेवार को किसी अज्ञात बीमारी ने जकड़ लिया था। उन्हें तेज बुखार बना रहता था। 20 जून 1940। बीमार हेडगेवार ने माधव सदाशिव गोलवलकर को कागज की एक पर्ची पकड़ाई। अगली सुबह हेडगेवार का निधन हो गया। 13 दिन बाद यानी 3 जुलाई 1940 को संघ के बड़े नेताओं की बैठक में हेडगेवार की पर्ची पढ़ी गई। इस पर लिखा था- इससे पहले कि तुम मेरे शरीर को डॉक्टरों के हवाले करो, मैं तुमसे कहना चाहता हूं कि अब से संगठन को चलाने की पूरी जिम्मेदारी तुम्हारी होगी। ये सुनते ही वहां मौजूद ज्यादातर लोग हैरान रह गए। दरअसल, संगठन में हेडगेवार के दाहिने हाथ अप्पाजी माने जाते थे, लेकिन हेडगेवार ने 34 साल के एक प्रोफेसर को संघ प्रमुख बनाकर सबको चौंका दिया। 19 फरवरी 1906, महाराष्ट्र में रामटेक कस्बे के एक ब्राह्मण परिवार में माधवराव गोलवलकर पैदा हुए। वे बचपन से मेधावी थे। नागपुर में स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद वे बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी पहुंचे। यहां से जूलॉजी में बैचलर और मास्टर्स किया और वहीं लैब असिस्टेंट के तौर पर पढ़ाने लगे। साल 1930 में एक दिन प्रभाकर बलवंत दानी नाम का स्टूडेंट गोलवलकर को BHU में लगने वाली RSS की एक शाखा में ले गया। वहां गोलवलकर ने हिंदू राष्ट्र और दर्शन पर भाषण दिए। उनकी बातों और वेषभूषा की वजह से हर कोई उन्हें 'गुरुजी' कहने लगा। 1932 में जब गोलवलकर नागपुर आए तो पहली बार हेडगेवार से मिले। ये उनके जीवन का टर्निंग पॉइंट बना। उन्होंने बनारस छोड़ दिया और नागपुर में वकालत की पढ़ाई के साथ संघ की गतिविधियों में जुट गए। नवंबर 1936 में गोलवलकर संन्यास लेने रामकृष्ण मिशन के सरगाची आश्रम पहुंचे, लेकिन तीन महीने में ही लौट आए। रामकृष्ण मिशन और RSS के बीच उन्होंने RSS चुन लिया था। नवंबर 1938। गोलवलकर ने अपने विचारों को एक किताब की शक्ल दी। नाम था- वी और अवर नेशनहुड डिफाइंड'। हिंदू राष्ट्र का सपना संजोए इस किताब में हिंदुस्तान में बाहर से आए लोगों के लिए काफी सख्त विचार थे... हिंदुस्तान में बाहर से आए लोगों को हिंदू संस्कृति और भाषा अपनानी होगी, हिंदू धर्म का आदर करना और उस पर श्रद्धा रखना सीखना होगा, अपने किसी भी अलग अस्तित्व को त्याग देना होगा और या फिर पूरी तरह हिंदू राष्ट्र की अधीनता में बिना किसी चीज पर दावा किए, बिना किसी विशेषाधिकार के, नागरिक अधिकारों के बगैर ही देश में रहना होगा। नए युवक की ऊर्जा और विचारों से चमत्कृत होकर ही हेडगेवार ने उन्हें RSS की कमान सौंपने का फैसला किया था। हेडगेवार के पहले मासिक श्राद्ध पर 21 जुलाई 1940 को गोलवलकर ने कहा, RSS अमर है। चाहे इसके संस्थापक की मृत्यु हो गई हो, लेकिन संघ आगे बढ़ता रहेगा। मैं नहीं जानता कि डॉक्टर साहब ने मुझे इस महान उत्तरदायित्व के लिए क्यों चुना, लेकिन मैं इतना कह सकता हूं कि उनका मेरे प्रति अपार प्रेम था। गोलवलकर जानते थे कि कैडर तैयार करने के लिए शाखा एक महत्वपूर्ण टूल है। उन्होंने शाखाओं के नियम बनाए। प्रार्थना, प्रतिज्ञा, व्यायाम, खेल-कूद और विचार-विमर्श को शामिल किया। गोलवलकर खुद साल में कम से कम दो बार देश के हर राज्य में जाते। प्रचारकों और स्वयंसेवकों के साथ घुल-मिल जाना, हर किसी में विश्वास जगा देने की क्षमता, आकर्षक मुस्कान से ही मसलों को सुलझा देने का हुनर गोलवलकर की खासियत थी। नतीजतन, संघ की शाखाओं का नेटवर्क पूरे देश में दूर-दराज के इलाकों तक फैल गया। तब की ब्रिटिश सरकार का डेटा है कि उस वक्त देशभर में 76 हजार लोग संघ की शाखाओं में रेगुलर जाने लगे थे। लेकिन 30 जनवरी 1948 को अचानक… दिल्ली स्थित बिड़ला हाउस के प्रार्थना सभा की ओर जा रहे महात्मा गांधी के सीने में एक शख्स ने एक-एक कर तीन गोलियां उतार दीं। *** आगे की कहानी अगले एपिसोड में जारी… देखिए कल यानी 2 अक्टूबर की सुबह, दैनिक भास्कर ऐप पर
भरभराकर ताश के पत्तों की तरह गिर गई स्कूल की बिल्डिंग, रेस्क्यू के काम को लेकर आई ये खबर
इंडोनेशिया में दर्दनाक हादसा हो गया. जहां एक एक इस्लामिक स्कूल की बिल्डिंग गिर गई.
‘वे पिछले कुछ दिनों से परेशान थे, इतना तो नहीं बताया था कि क्या मामला था। ये कहा था कि स्कूल और हॉस्पिटल के वीडियो बनाए थे, उसके बाद से कई लोगों के फोन आ रहे कि वीडियो डिलीट कर दो, नहीं तो जान से मार देंगे।‘ 18 सितंबर को उत्तराखंड के जर्नलिस्ट राजीव प्रताप के लापता होने के 3 दिन बाद पत्नी मुस्कान ने ये बयान दिया। 10 दिन बाद, 28 सितंबर को नदी में उसकी डेडबॉडी मिली। परिवार का आरोप है कि उत्तरकाशी के जिला अस्पताल और एक लोकल स्कूल पर रिपोर्ट करने के बाद से उन्हें धमकियां मिल रही थीं। राजीव का परिवार मामले की CBI जांच की मांग कर रहा है। 36 साल के राजीव की मौत को लेकर कई तरह का संदेह जताया जा रहा है। वहीं उत्तरकाशी पुलिस का कहना है कि राजीव की डेडबॉडी पर मारपीट के कोई निशान नहीं मिले हैं और न ही हत्या के कोई सबूत। उनकी कार गंगोरी और गरमपानी के बीच भागीरथी नदी में गिर गई थी, इसी हादसे में उनकी मौत हुई। हालांकि पुलिस का कहना है कि वो परिवार के आरोपों की भी जांच कर रही है। दैनिक भास्कर ने राजीव के परिवार, उनके दोस्त और पुलिस से बात कर पूरा घटनाक्रम समझने की कोशिश की। पत्नी बोलीं- धमकियां मिलने से 3-4 दिन से परेशान थेराजीव का परिवार देहरादून में रहता है लेकिन उनका पुश्तैनी घर उत्तरकाशी में है। यहीं वो लगातार लोकल मुद्दों पर रिपोर्टिंग कर रहे थे। राजीव की शादी अभी 9 महीने पहले ही हुई थी। पति की मौत के बाद गमजदा पत्नी मुस्कान मामले में CBI जांच की मांग कर रही हैं। वो 7 महीने की प्रेग्नेंट हैं। वो बताती हैं, ‘जब 18 सितंबर की रात हमारी बात हुई थी, तब वो बिल्कुल नॉर्मल थे। हंसी-खुशी बात कर रहे थे। उसके बाद पता नहीं क्या हुआ कि गाड़ी लेकर गंगोरी की तरफ चले गए।‘ ‘अगले दिन 3 बजे हमें पता चला कि उधर एक गाड़ी नदी में मिली है। मैं देहरादून में थी। रोज हमारी फोन पर बात होती थी। वो तीन-चार दिन से परेशान थे। हाल ही में उन्होंने अस्पताल, स्कूल और सड़कों पर रिपोर्ट बनाई थी। इन सबको लेकर उन्हें धमकियां मिल रही थीं। उन्होंने किसी का नाम नहीं बताया था।‘ मुस्कान आगे कहती हैं, ‘मैंने उनसे कहा था कि हमें पुलिस की मदद लेनी चाहिए लेकिन उन्होंने मना कर दिया। कहा कि जर्नलिस्ट को ऐसी धमकियां मिलती रहती हैं। मैं वहां नहीं थी, इसलिए जो भी बात हुई वो फोन पर ही हुई। वहां होती तो शायद कुछ डिटेल पता चल पाती। उनकी किसी से दुश्मनी नहीं थी। फिर भी मुझे शक है कि किसी ने इस घटना को अंजाम दिया है।‘ मुस्कान कहती हैं, ‘राजीव को पत्रकारिता से प्यार था, इसलिए उन्होंने बाकी सब छोड़कर ये काम चुना था। उन्हें कभी-कभी आर्थिक तंगी भी रही, लेकिन कभी इससे परेशान नहीं होते थे। वो लड़ने वाला इंसान था। किसी भी चीज से हार नहीं मानता था। परिस्थितियों से भागता नहीं था, उसका डटकर सामना करता था।’ ’वे सिर्फ यही कहते थे कि उन्हें जनहित के लिए काम करना है। मैं इसी चीज के लिए बना हूं। इसलिए किसी और फील्ड में करियर नहीं चुना। उन्हें हमेशा से गरीबों के लिए काम करना था, जिनकी कोई नहीं सुन रहा।’ मुस्कान सरकार से मांग कर रही हैं कि उनके पति को इंसाफ मिले और घटना की CBI जांच हो। 28 सितंबर को राजीव की लाश मिलने के बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी शोक जताया। उन्होंने घटना की गहन और निष्पक्ष जांच के भी निर्देश दिए हैं। राजीव को किसी ने गायब किया, वो कहीं जा नहीं सकतेराजीव के लापता होने के तीन दिन बाद ही उनकी पत्नी मुस्कान ने मीडिया को एक बयान दिया था। तब भी उन्होंने यही कहा था, ‘राजीव से मेरी आखिरी बार रात 11 बजे बात हुई थी। उसके बाद से मुझे नहीं पता चला कि वे कहां हैं और क्या कर रहे हैं, किस हालत में हैं। रात 11:50 में मैंने उन्हें मैसेज किया लेकिन वो डिलीवर नहीं हुआ।‘ ‘वे पिछले कुछ दिनों से परेशान थे, इतना क्लियर तो उन्होंने नहीं बताया था कि क्या मामला है।‘ उन्होंने ये बताया था कि स्कूल और हॉस्पिटल का वीडियो बनाया था, उसके बाद से उन्हें कई लोगों के धमकी भरे फोन आ रहे थे। मैंने उनसे कहा था कि पुलिस में शिकायत करते हैं, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। कहने लगे कि पत्रकारों को ऐसे फोन आते रहते हैं। मुस्कान इस वीडियो में आगे कहती हैं, ‘मुझे पूरा भरोसा है कि ये किसी की साजिश है। कोई हमें गुमराह करने की कोशिश कर रहा है। मैं पुलिस-प्रशासन से निवेदन करना चाहती हूं कि हमारा सपोर्ट करें। मेरे पति को ढूंढने में मदद करें। उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया था लेकिन वे हिंट दे रहे थे कि कोई उन्हें धमका रहा था। मेरा पति ऐसे कहीं जा नहीं सकते।‘ राजीव की उन दो न्यूज रिपोर्ट में क्या…राजीव ने हाल में दो न्यूज रिपोर्ट की थी, जिसमें उन्होंने एक सरकारी स्कूल और जिला अस्पताल की स्थिति दिखाई थी। स्कूल वाली रिपोर्ट उत्तरकाशी जिला मुख्यालय के पास कोटियाल गांव की है। इसमें उन्होंने गांव के प्राइमरी स्कूल की खराब हालत दिखाई थी। स्कूल की छत से पानी टपक रहा था। मरम्मत को लेकर फंड मिला था, लेकिन जमीन विवाद के कारण मरम्मत नहीं हो पा रही है। ये रिपोर्ट 9 सितंबर को पब्लिश हुई थी। वहीं दूसरी रिपोर्ट में उन्होंने उत्तरकाशी के जिला अस्पताल की हालत दिखाई थी। इसमें अस्पताल की छत पर शराब की कई खाली पड़ी बोतलें दिख रही हैं। इसके अलावा अस्पताल में साफ-सफाई और सुविधाओं को लेकर राजीव ने सवाल खड़े किए थे। ये रिपोर्ट 14 सितंबर को उनके फेसबुक पेज पर पब्लिश हुई थी। पुलिस को सीसीटीवी में क्या मिला30 सितंबर को जारी पुलिस के प्रेस नोट के मुताबिक, उत्तरकाशी मार्केट में लगे सीसीटीवी कैमरों से पता चलता है कि 18 सितंबर की रात करीब 10:24 बजे राजीव अपने दोस्त के साथ एक होटल में जाते दिखाई दिए। फिर रात को 11:22 बजे उजेली की तरफ दोस्त की कार लेकर वो अकेले जाते दिख रहे हैं। वहीं रात 11:39 बजे वो कार गंगोरी पुल क्रॉस कर रही है। 19 सितंबर को भागीरथी नदी में एक कार दुर्घटनाग्रस्त हालत में देखी गई। पुलिस और SDRF ने छानबीन की तो पता चला कि ये वही कार है जो राजीव चला रहे थे। हालांकि कार में राजीव नहीं मिले। 20 सितंबर को पुलिस ने गाड़ी को नदी से बाहर निकलवाया। कार में चाबी लगी हुई थी और गाड़ी ऑन थी। इसी दिन परिवार की अपहरण की शिकायत पर पुलिस ने एक केस भी दर्ज किया। गाड़ी मिलने के बाद 19 सितंबर से पुलिस, SDRF और NDRF की टीमें राजीव की तलाश में लगी थीं। 10 दिन बाद, 28 सितंबर को जोशियाड़ा बैराज में आखिरकार राजीव की लाश मिली। चाचा बोले- ये हादसा नहीं हत्या, पुलिस की जांच में लापरवाहीराजीव के चाचा कृपाल सिंह ने उत्तरकाशी कोतवाली थाने में 20 सितंबर को जब शिकायत दर्ज करवाई, तब उसमें भी उन्होंने पत्रकार होने के कारण राजीव की 'लोगों से दुश्मनी' का संकेत दिया। उन्होंने FIR में लिखवाया, ‘राजीव 18 सितंबर को रात 8 बजे गाड़ी लेकर बस स्टैंड के पास से भटवाड़ी की तरफ गया और तब से लापता है। राजीव उत्तरकाशी का जाना-माना जर्नलिस्ट है, उससे क्षेत्र में बहुत लोग दुश्मनी रखते हैं। आपसे निवेदन है कि राजीव को ढूंढने में मदद करें। हमें डर है कि उसके साथ कोई अप्रिय घटना न घटे।‘ कृपाल सिंह भी राजीव की मौत पर शक जताते हैं। उन्होंने फोन पर बातचीत में हमें बताया, ‘डॉक्टरों मुताबिक, उसे अंदरुनी चोट लगी थी। हमारा ये कहना है कि रोड से नदी की दूरी 50 फीट की होगी। अगर एक्सीडेंट होता तो उसकी बॉडी सीधे नदी में जानी चाहिए थी और बॉडी के अंदर पानी होना चाहिए था।‘ कृपाल सिंह पुलिस की जांच पर सवाल उठाते हुए कहते हैं कि अब तक कोई ठोस जांच नहीं की गई है। पुलिस इस मामले में लापरवाही बरत रही है। राजीव के कैमरापर्सन बोले- धमकी के बारे में कभी नहीं बतायाराजीव के साथ काम करने वाले मनवीर भी 18 सितंबर की रात उनके साथ थे। मनवीर उनके कैमरा पर्सन भी थे। न्यूज रिपोर्ट और धमकी के बारे में पूछने पर मनवीर कहते हैं, ‘अस्पताल वाले वीडियो के बाद प्रशासन ने सुधार किया था, साफ-सफाई हुई थी। उसके बाद हमने दोबारा फॉलोअप स्टोरी भी की थी। अस्पताल की हालत को लेकर हमारी चीफ मेडिकल अफसर से भी बात हुई थी।‘ मनवीर कहते हैं कि राजीव आर्थिक रूप से थोड़े परेशान थे लेकिन ऐसा कुछ नहीं है कि उन्हें धमकी मिल रही या फिर कहीं से कोई दबाव बनाया जा रहा हो। मैं उस दिन उनके साथ था लेकिन थोड़ा पहले ही निकल गया था। उन्होंने शराब पी थी और फिर अपने दोस्त की गाड़ी लेकर कही निकल गए थे।‘ दोस्त बोला- नशे में था, कार मोड़ने गया और लौटा नहीं18 सितंबर की रात राजीव अपने दोस्त सोबन सिंह की कार लेकर ही निकले थे। सोबन उत्तराखंड पुलिस में कॉन्स्टेबल हैं। वे बताते हैं कि राजीव 2-3 दिनों से मिलने की कोशिश कर रहा था, जब मिले तो हमलोग खाने के लिए होटल चले गए। सोबन के मुताबिक, ‘खाने के बाद गाड़ी में बैठकर वो पत्नी से वीडियो कॉल पर बात कर रहा था। फिर बात करते हुए वो ड्राइविंग सीट पर चला गया। मैंने कहा कि नीचे आ जाओ, मैं कार चला लूंगा। उसने कहा कि गाड़ी मोड़कर लाता हूं। ऐसा करते हुए वो आगे निकल गया।‘ मैंने फोन किया, तब भी उसने मुझे कहा कि वहीं रुको, बस आ रहा हूं। मैं आगे देखने भी गया लेकिन वो नहीं दिखा। मुझे लगा कि ज्यादा आगे चला गया होगा , अभी आ जाएगा। वो पहले भी कभी-कभार अपनी बहन के यहां चला जाता था। सोबन भी मानते हैं कि उस दिन राजीव ने शराब पी हुई थी। वे कहते हैं, ‘उसे आजकल पैसे की थोड़ी-बहुत तंगी थी। पत्नी प्रेग्नेंट है तो उसके बारे में कभी-कभी बात करता था कि क्या और कैसे करना है। बाकी वैसी कोई दिक्कत उसने नहीं बताई थी।‘ पुलिस ने कहा- अब तक हत्या के सबूत नहीं मिलेइस केस के जांच अधिकारी दिलमोहन सिंह बिष्ट बताते हैं कि पुलिस की जांच में अभी तक कोई ऐसा सबूत नहीं मिला है, जिससे साबित हो सके कि राजीव का अपहरण या मर्डर हुआ हो। वे कहते हैं, ‘अब तक हमें वैसा कुछ नहीं मिला है। मैं लोगों से अपील करता हूं कि किसी के पास कुछ सबूत हो तो हमारे पास भेजें। किसी का नाम सामने नहीं आ रहा है। हमने राजीव का विसरा भी फोरेंसिक जांच के लिए भेजा है, उससे भी बातें सामने आएंगी।‘ हमने इस मामले में उत्तरकाशी की पुलिस अधीक्षक (SP) सरिता डोभाल से भी बात की। एसपी ने बताया, ‘18 सितंबर की रात 11:39 बजे की सीसीटीवी फुटेज हमें मिली है, जिसमें राजीव कार से गंगोरी की तरफ जा रहे हैं। गाड़ी में और कोई नहीं था। वहां से 500 मीटर की दूरी पर ही वो जगह है, जहां से वो कार बरामद हुई। अगले दिन जब गाड़ी नदी (भागीरथी) में मिली, उसमें उनकी चप्पल भी थी। इसके बाद हम लगातार उन्हें ढूंढ रहे थे।‘ सरिता आगे बताती हैं, ‘इस वक्त पानी का फ्लो ज्यादा है। हम लगातार सर्च में लगे हुए थे। 28 सितंबर को हमें उनका शव जोशियाडा बैराज के पास मिला। हमने पोस्टमॉर्टम भी करवाया। डॉक्टरों का कहना है कि छाती और पेट में चोट के निशान हैं, जो एक्सीडेंट के दौरान लगी। उसी से मौत हुई है। घटनास्थल का निरीक्षण करने से भी ऐसा ही लग रहा है।‘ परिवार के आरोपों पर एसपी कहती हैं कि शिकायत के आधार पर पुलिस ने FIR दर्ज कर ली थी लेकिन परिवार की तरफ से कोई फैक्ट नहीं मिला है। ‘हालांकि अब भी हम जांच में जुटे हुए हैं। उनके दोस्तों ने पूछताछ में बताया है कि उन्होंने शराब भी पी थी। हम सभी तथ्यों की पड़ताल कर रहे हैं।‘ एसपी डोभाल ने 30 सितंबर को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की। यहां भी उन्होंने बताया परिवार के दिए फैक्ट्स को पुलिस वेरिफाई कर रही है और जांच कर रही है। गाड़ी की टेक्निकल जांच भी कराई जा रही है, उसकी रिपोर्ट अभी आनी बाकी है।..........................ये खबर भी पढ़ें... ऑनलाइन गेमिंग तो बैन, हमारा करोड़ों का कर्ज कौन चुकाएगा महाराष्ट्र के संतोष गंगाशेट्टी कपड़ों का कारोबार करते थे। अच्छी कमाई थी। ऑनलाइन गेम्स के चक्कर में कर्जदार हो गए। मकान तक बेचना पड़ा। अब किराए के घर में रह रहे हैं। हमारा करोड़ों का कर्ज कौन चुकाएगा। ये कहानी सिर्फ संतोष की नहीं है। देश में लाखों लोग ऑनलाइन मनी गेमिंग की लत से जूझ रहे हैं। पढ़िए पूरी खबर...
32 देशों पर टूटा 'आसमान', पुतिन ने उड़ाया मौत का 'सामान', सुपरपावर अमेरिका भी परेशान
Russia News: यूक्रेन के साथ जंग करते हुए रूस ने लगभग आधी दुनिया से दुश्मनी मोल ले ली है. नाटो हो या EU के देश सभी रूस पर लगाम लगाने की कोशिश में हैं. लेकिन पुतिन किसी के रोके नहीं रुक रहे हैं, इस बार उन्होंने 32 देशों को चैलेंज देकर ऐसे हथियार का टेस्ट किया, जिसने पूरी दुनिया में खलबली मचा दी है.
Flight divert: सोंचिए आप किसी हवाई यात्रा के दौरान हजारों फीट ऊंचाई पर अपनी सीट में फुरसत के पल एन्ज्वाय कर रहे हों या आराम से सो रहे हों तभी कुछ पैंसेजर इतना कलेश काट दें कि आपको साक्षात नरक का अहसास हो जाए और आखिर में फ्लाइट किसी और शहर डायवर्ट करनी पड़े तो क्या होगा, जाहिर है आपका मूड और टाइम दोनों खराब हो जाएंगे.
DNA on Haifa of Israel: जिस तरह भारत में वर्षों से बच्चों को गलत इतिहास पढ़ाया जाता रहा है, वैसा ही वर्षों से इजरायल में भी चल रहा था. लेकिन इजरायल ने अब अपनी इस गलती को सुधारने का फैसला कर लिया है. वह अपने इतिहास में अंग्रेजों की कहानी डिलीट कर भारतीय सैनिकों की बहादुरी को पढ़ाएगा.
शी चिनफिंग ने शहीद दिवस पर राष्ट्रीय नायकों को श्रद्धांजलि दी
चीन की राजधानी पेइचिंग के थ्येनआनमन चौक पर राष्ट्रीय शहीदों को पुष्प टोकरियां अर्पित करने का भव्य समारोह आयोजित किया गया
DNA Analysis: ट्रंप ने गाजा को दोबारा खड़ा करने के प्लान का भी एलान किया है. इस योजना को नाम दिया गया है. TRUMP ECONOMIC DEVELOPMENT PLAN. ऐसे संकेत हैं कि इस प्लान के जरिये गाजा का पुनर्निर्माण शायद अमेरिकी राष्ट्रपति की कंपनी.
चीन की जलवायु प्रतिबद्धता : वैश्विक शासन के लिए एक बढ़ावा
24 सितंबर को, चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन में चीन के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान के नए दौर की घोषणा की
Barron Trump Relationship News: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप तो अपनी रंगीन शख्सियत की वजह से सुर्खियों में रहे ही हैं. अब उनके छोटे बेटे बैरन ट्रंप भी इसी राह पर चल पड़े हैं. 19 साल की उम्र में अपनी गर्लफ्रेंड से डेट करने के लिए उन्होंने पूरा फ्लोर खाली करवा लिया.
'मुझे नोबेल नहीं, गाजा में अमन चाहिए...' डोनाल्ड ट्रंप का बड़ा बयान, हमास को दे डाली ये चेतावनी
Donald Trump on Gaza Deal: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को कई बड़े मुद्दों पर बयान दिया. ट्रंप ने कहा कि उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार नहीं चाहिए. उनका असली मकसद गाजा संघर्ष को खत्म कर वहां स्थायी शांति लाना है.
मिडिल ईस्ट के किस देश की करंसी है सबसे पावरफुल, यहां से कमाकर लौटे तो 7 पुश्तें बैठकर खाएंगी
Most Expensive Currency: दुनिया में हर देश की अपनी करेंसी होती है. हर देश की करेंसी की ताकत अलग होती है. क्या आपने कभी सोचा है कि मीडिल-ईस्ट की सबसे मजबूत मुद्रा कौन सी है? चलिए जानते हैं.
नेपाल में हुए प्रदर्शन का वीडियो लद्दाख का बताकर वायरल
बूम ने पाया कि वायरल वीडियो नेपाल में हुए जेन जी प्रदर्शन के दौरान का है, जहां प्रदर्शनकारियों ने 9 सितंबर को चितवन स्थित जिला प्रशासन कार्यालय परिसर में तोड़फोड़ की थी.
नवरात्रि में 'प्रकट' हुई देवी! 2 साल की बच्ची की होगी पूजा, लेकिन जीवनभर रहेगा एक डर
भारत के पड़ोसी देश नेपाल में जीवित एक नई देवी को चुना गया है. हां, यह देवी के जन्म जैसी बात नहीं है. फोटो या मूर्ति नहीं यह जीवित देवी है. इस 2 साल की बच्ची को काठमांडू में परिवार के लोग उसके घर से सम्मान के साथ एक महलनुमा मंदिर में ले गए.
अब ट्रंप को मिलेगा सबसे बड़ा झटका, काम समेटने की तैयारी में अमेरिकी कंपनियां, भारत की आएगी मौज
Donald Trump: ट्रंप लगातार बड़े-बड़े फैसले ले रहे हैं. हाल ही में उन्होंने H1B वीजा नियमों में बदलाव किया है. हालांकि उन्हें अपने इस फैसले को लेकर कई तरह के विरोध का सामना करना पड
भारत ने 17 साल अमेरिका को दी राहत की सांस, प्रत्यर्पण के लिए US भेजा जाएगा भारतीय नागरिक
India-America Extradition Case: भारत ने 17 साल के अंतराल के बाद अमेरिका को प्रत्यर्पण फिर से शुरू कर दिया है. इसी कड़ी में एक भारतीय नागरिक को अपराध के मामले में अमेरिका भेजा गया है.
गाजा संघर्ष पर ट्रंप की 20 सूत्रीय शांति योजना पेश, नेतन्याहू ने किया समर्थन
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गाजा में चल रहे इजरायल-हमास युद्ध को खत्म करने के लिए 20 बिंदुओं वाला शांति प्रस्ताव पेश किया है
नमाज पढ़ने बैठे थे छात्र, धड़ाम से ऊपर गिरी इमारत, इंडोनेशिया के स्कूल में बड़ा हादसा
Indonesia Islamic School Wall Collapse: इंडोनेशिया के एक इस्लामिक स्कूल में अधनिर्मित इमारत गिरने से कई छात्र मलबे के अंदर दब गए. घटना में एक छात्र की मौत हो गई है.
VOA Staff Termination Halt: वॉयस ऑफ अमेरिका के कर्मचारियों की छंटनी पर कोर्ट ने अस्थायी रोक लगा दी है. इससे पहले भी कोर्ट ने ये साफ कर दिया था कि इसके निदेशक को नहीं हटाया जा सकता है, जैसा कि ट्रंप प्रशासन चाहता है.
Trump thanks Pakistan PM and Asim Munir:अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गाजा शांति योजना का ऐलान करने के बाद पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ और आर्मी चीफ आसिम मुनीर की तारीफ की है. उन्होंने कहा कि पाक लीडर्स शुरू से ही इस प्लान के साथ हैं और 100% सपोर्ट कर रहे हैं. जानें पूरी खबर.
डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका से बाहर बनी फिल्मों पर लगाया 100 प्रतिशत टैरिफ
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बड़ा बयान देते हुए कहा है कि अमेरिका के फिल्म उद्योग को अन्य देशों द्वारा चोरी किया जा रहा है
30 सितंबर को क्यों मनाया जाता है इंटरनेशनल ट्रांसलेशन डे? जानें इसके पीछे की वजह
दुनियाभर में 200 से अधिक देश हैं, जहां अलग-अलग तरह की भाषाएं बोली जाती हैं। ऐसे में लोगों को मुश्किल उस समय आती है
Mahatma Gandhi Statue Vandalized In London: लंदन में महात्मा गांधी की एक प्रतिमा के साथ तोड़फोड़ की गई, जिसको लेकर लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग ने नाराजगी जाहिर की है.
चीन से स्पेन तक आसमानी आफत का कहर, बाढ़ की तस्वीरें उड़ा रही हैं होश!
Flood News: स्पेन और चीन दोनों देशों से कई मार्मिक तस्वीरें आ रही हैं. कुदरत का प्रकोप सैलाब बनकर बरसा है. क्वार्टे डे हुएर्वा में गाड़ियां बह गई. हालात ऐसे हुए कि गाड़ियां बाढ़ में डूबने लगीं तो लोगों को गाड़ियों की छतों पर बैठकर जान बचानी पड़ी.
पाकिस्तान के खिलाफ भारत का स्कोर 6.2 ओवर में 3 विकेट पर सिर्फ 46 रन था. जिससे भारतीय टीम और फैंस टेंशन में थे. तभी फील्ड पर 5वें नंबर पर बल्लेबाजी करने आए तिलक वर्मा. जिन्होंने नाबाद 69 रनों की शानदार पारी खेली और भारतीय टीम एशिया कप की चैंपियन बनी. लेकिन ये पहली बार नहीं है जब 22 साल के तिलक वर्मा ने ऐसी पारी खेलकर भारत को संकट से निकाला हो. इस उभरते खिलाड़ी की पूरी कहानी जानने के लिए ऊपर दी गई इमेज पर क्लिक पर देखें वीडियो..
10 प्वाइंट में जानिए क्या है ट्रंप का 20 सूत्रीय गाजा पीस प्लान? 8 इस्लामिक देशों ने किया स्वागत
Donald Trump Netanyahu on Gaza peace plan:अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा है कि व्हाइट हाउस में इजरायली पीएम नेतन्याहू के साथ बैठक के दौरान 20 सूत्री पीस प्लान जारी होने से गाजा में दशकों से चल रहे युद्ध में शांति स्थापित होना एकदम तय है. अब कहां पेंच फंसता दिख रहा है जानिए हमारी इस खास रिपोर्ट में.
Netanyahu Apologises For Doha Attack: अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में कभी-कभी ऐसे वाकये सामने आ जाते हैं जिन पर पहली नजर में यकीन करना असंभव सा दिखता है. ऐसे ही एक मामला अमेरिकी राष्ट्रपति के अधिकारिक निवास व्हाइट हाउस में सामने आया जहां ट्रंप से चर्चा के बीच इजरायली पीएम नेतन्याहू ने सीधे कतर के प्रधानमंत्री को फोन लगा दिया.
‘एक्सीडेंट के बाद पापा को अगर पास के हॉस्पिटल में ले जाते तो शायद वो जिंदा होते। पहले जो कुछ हुआ, वो तो महज हादसा था। उसके बाद जो किया गया, वो मर्डर है। उन्हें जानबूझकर इलाज के लिए इतनी दूर ले जाया गया। पास में ले जाते और समय पर इलाज मिलता तो उसके बाद जो भी होता, हमें मंजूर था। हमें केस करने की जरूरत ही नहीं पड़ती।‘ दिल्ली में BMW कार हादसे में पिता नवजोत को खो चुके नवनूर को अब भी यह अफसोस है कि पिता को सही वक्त पर इलाज नहीं मिल सका। उनकी मां भी घायल हैं और वेकेंटेश्वर अस्पताल में भर्ती हैं। हादसा 14 सितंबर की दोपहर दिल्ली के कैंट मेट्रो स्टेशन के पास हुआ। एक BMW कार ने डिवाइडर से टकराकर बाइक को टक्कर मारी। बाइक पर वित्त मंत्रालय के डिप्टी सेक्रेटरी नवजोत सिंह (52) और उनकी पत्नी संदीप कौर सवार थे। नवजोत की हादसे में मौत हो गई जबकि पत्नी घायल हैं। हादसे के बाद 15 सितंबर को BMW कार चला रही महिला गगनप्रीत को गिरफ्तार कर लिया गया। हालांकि 27 सितंबर को पटियाला कोर्ट से उसे सशर्त जमानत भी मिल गई। जमानत के पीछे घटनास्थल से मिले CCTV फुटेज को अहम माना जा रहा है। उससे पता चला है कि हादसे के दो सेकेंड बाद ही घटनास्थल पर एक सरकारी एंबुलेंस भी आई थी। इसमें मौजूद पैरामेडिकल स्टाफ घायलों तक भी गया था, लेकिन बिना प्राइमरी ट्रीटमेंट किए ही लौट गया। कोर्ट में एंबुलेंस स्टाफ का भी बयान दर्ज किया गया है। एंबुलेंस स्टाफ ने कोई मेडिकल हेल्प क्यों नहीं की? घटना के बाद आरोपी गगनप्रीत क्या कर रही थी और घायलों को हॉस्पिटल ले जाने में देरी क्यों हुई? इन तमाम सवालों के जवाब तलाशने के लिए दैनिक भास्कर की टीम ने एंबुलेंस स्टाफ के बयान खंगाले। कोर्ट के ऑर्डर, दोनों पक्षों के वकीलों के तर्क जाने और नवजोत सिंह के बेटे नवनूर से बात की। हादसे के बाद सरकारी एंबुलेंस आई, लेकिन बिना मदद किए निकल गईदिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने 27 सितंबर को इस केस में आरोपी महिला गगनप्रीत मक्कड़ को सशर्त जमानत दे दी। कोर्ट की ऑर्डर कॉपी में हादसे के 2 सेकेंड बाद ही सरकारी एंबुलेंस के घटनास्थल पर पहुंचने का जिक्र है। जो बिना मदद किए 40 सेकेंड बाद ही लौट गई। बचाव पक्ष ने इसी को लेकर दलील दी कि जब कोई मदद नहीं मिली तो घबराहट में आरोपी गगनप्रीत ने घायलों की जान बचाने की नीयत से जो समझ में आया, वो किया। इस केस में एंबुलेंस में सवार पैरामेडिकल स्टाफ का बयान भी लिया गया। उनसे पूछा गया कि उन्होंने घायलों की मदद क्यों नहीं की। इस पर स्टाफ ने जवाब दिया, ‘वहां हमने मदद की पेशकश की थी, लेकिन किसी ने कोई जवाब नहीं दिया। घायलों ने भी कोई मदद नहीं मांगी। BMW चला रही आरोपी महिला क्या कर रही थी। इस पर स्टाफ ने बताया कि जब वे पहुंचे थे, तब महिला कार से बच्चों को निकालने में व्यस्त थी। एंबुलेंस स्टाफ के फैसले पर कोर्ट ने माना कि ऐसा लगता कि इन्होंने तुरंत मौके से निकल जाने का फैसला इसलिए किया ताकि इन्हें कोई मदद के लिए न बुला ले। सीसीटीवी से ये भी पता चला है कि हादसे के करीब 7 मिनट बाद तक घायलों को मदद नहीं मिली। इसके बाद इन्हें अस्पताल ले जाया गया। कोर्ट ने आगे कहा कि सीसीटीवी रिकॉर्ड देखते हुए फैसला जमानत के पक्ष में जाता है। 1:37 बजे एक्सीडेंट हुआ, 2:16 बजे अस्पताल पहुंच सके घायलदिल्ली के BMW केस में कोर्ट ने पहली बार सीसीटीवी की ऑफिशियल डिटेल निकलवाई। कोर्ट ने फुटेज भी सीज कर लिया है इसलिए वो सामने नहीं लाया जा सका। कोर्ट में सामने आई सीसीटीवी की डिटेल के मुताबिक, हादसा 14 सितंबर की दोपहर ठीक 1:37:20 बजे हुआ। BMW कार पहले डिवाइडर से टकराई और पलटते हुए बाइक से टकराई। उसी वक्त DTC बस निकल रही थी। बाइक बस के आगे आई और टक्कर हो गई। सीसीटीवी से ये साफ हो गया है कि कार ने बाइक को पीछे से टक्कर नहीं मारी। बल्कि डिवाइडर से टकराकर पलटने के बाद वो किनारे के हिस्से से बाइक में टकराई थी। जबकि FIR में दावा किया गया था कि कार ने पीछे से टक्कर मारी। हादसे में बाइक चला रहे नवजोत सिंह तुरंत बेहोश हो गए। उनकी पत्नी संदीप कौर घायल हुईं, लेकिन होश में थीं। BMW कार महिला गगनप्रीत मक्कड़ चला रही थी। कार में उसके पति और दो बच्चे भी थे। हादसे के करीब 7 मिनट बाद गगनप्रीत ही घायल पति-पत्नी को अस्पताल लेकर गई। वो दोपहर 2:16 बजे जीटीबी के न्यूलाइफ हॉस्पिटल पहुंचे। अस्पताल पहुंचने से पहले ही नवजोत की मौत हो चुकी थी। अस्पताल पहुंचने में करीब 39 मिनट लगे। अगर इसमें मदद न मिलने वाले 7 मिनट कम भी कर दें, तब भी कुल 32 मिनट लगे। अभियोजन पक्ष ने इसी 32 मिनट और आरोपी गगनप्रीत के इरादे को लेकर सवाल उठाए हैं। ट्रॉमा सेंटर के बजाय नर्सिंग अस्पताल ले गई, इरादा इलाज नहीं खुद को बचानाकोर्ट डॉक्यूमेंट के मुताबिक, अभियोजन पक्ष ने कहा कि जिस एरिया में ये हादसा हुआ। वहां 50 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से ही गाड़ी चलाने की परमिशन है। जिस तरह से हादसा हुआ उससे साफ है कि कार की स्पीड 100-110 किमी प्रति घंटे रही होगी। इसी वजह से कार पर कंट्रोल नहीं रहा और हादसा हो गया। हमने केस को लेकर अभियोजन पक्ष के वकील अतुल कुमार से बात की। वो कहते हैं, ‘हमने कोर्ट में कहा था कि आरोपी गगनप्रीत ने सबूत भी मिटाने की कोशिश की है। इसलिए जमानत नहीं मिलनी चाहिए। घायल को बचाने के नाम पर 20 किमी दूर के अस्पताल में ले जाया गया। ऐसा क्यों किया गया, इसके पीछे क्या मंशा थी। हमारे नजरिए से तो ये आरोपी महिला ने सिर्फ और सिर्फ अपने फायदे के लिए किया, न कि घायलों की जान बचाने के लिए।‘ 2-3 मिनट की दूरी पर आर्मी बेस अस्पताल, फिर दूर क्यों ले गई अतुल आगे कहते हैं, ‘ये एक्सीडेंट करीब डेढ़ बजे हुआ। 2 से 3 मिनट की दूरी पर आर्मी बेस हॉस्पिटल था। जिस रूट से आरोपी घायलों को जीटीबी नगर ले गई, उस रास्ते में भी आर्मी अस्पताल पड़ता है, लेकिन वहां नहीं ले गई। इसके अलावा 10-12 मिनट की दूरी पर एम्स ट्रॉमा सेंटर है। सफदरजंग अस्पताल का भी ट्रॉमा सेंटर है।‘ ‘अगर सीरियस एक्सीडेंट हुआ है तो हर किसी को पता है कि इसमें 1-1 सेकेंड कीमती होता है। इसलिए जितना नजदीक हो सके वहां के अस्पताल में ले जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। जीटीबी नगर का न्यूलाइफ अस्पताल एक तरह से नर्सिंग होम है। जहां सिर्फ लेबर रूम और ICU सुविधा है। ऐसे में गंभीर रूप से घायल ट्रॉमा मरीज को नर्सिंग हॉस्पिटल में ले जाना ही सवालों के घेरे में है।‘ अतुल आगे कहते हैं, ‘घायल के इलाज के लिए गोल्डन आवर का एक-एक सेकेंड कीमती होता है। ऐसे में आधे घंटे से ज्यादा का वक्त सिर्फ सड़क पर सफर में गुजारा गया। ऐसा सिर्फ इसलिए किया गया क्योंकि वो अस्पताल आरोपी महिला के रिलेटिव का है। आरोपी गगनप्रीत ने अस्पताल में मेडिकल रिकॉर्ड में गड़बड़ी भी कराई।‘ अब बचाव पक्ष के वकील की बात…हादसे के बाद गगनप्रीत खुद सदमे में थी, फिर भी घायलों की मदद की इसके बाद हमने बचाव पक्ष के वकील प्रदीप राणा से बात की। वो कहते हैं, 'हादसे में गगनप्रीत भी घायल हुईं, लेकिन फिर भी उन्होंने भागने की कोशिश नहीं की। इसलिए उनका इरादा गलत नहीं माना जा सकता। घटना के बाद आरोपी ने खुद अपनी पहचान बताई। पति और दो नाबालिग बच्चों को छोड़कर घायलों को खुद अस्पताल लेकर गई और उनकी जान बचाने की कोशिश की।' 'जहां तक कार की तेज रफ्तार (100 से ज्यादा स्पीड) की बात कही गई है तो सीसीटीवी फुटेज और दूसरे किसी सबूत से इस बात की पुष्टि नहीं हुई है। हादसे में बाइक दूसरे वाहन से भी टकराई है। इसलिए सिर्फ इसमें खराब ड्राइविंग का आरोप नहीं लगा सकते।' वे आगे कहते हैं, 'घटनास्थल पर घायलों को कोई मदद नहीं मिली। इसलिए गगनप्रीत खुद उन्हें अपने साथ ले गईं। इसमें कोई गलत इरादा नहीं था। घायलों को अस्पताल में ले जाते वक्त आरोपी खुद ट्रॉमा और शॉकिंग हालत में थी इसलिए उसे ICU में भर्ती होना पड़ा। दोस्तों संग बर्थडे मनाकर लौटा तो गुरुद्वारे जा चुके थे मम्मी-पापा इसके बाद हम दिल्ली के वेकेंटेश्वर अस्पताल में नवजोत सिंह के बेटे नवनूर से भी मिले। अभी वो घायल मां का इलाज करा रहे हैं। हमने उनकी मौजूदा स्थिति को देखते हुए उनसे कैमरे पर बात नहीं की। वे कहते हैं, ‘इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद अगस्त में मुझे नई जॉब मिली थी। 16 सितंबर को मेरा बर्थडे था, लेकिन वर्किंग डे होने के चलते 13 सितंबर यानी शनिवार को ही मैं दोस्तों के साथ बर्थडे सेलिब्रेट करने चला गया था। रात में दोस्त के घर ही रुका था।‘ ‘अगले दिन 14 सितंबर को करीब 12 बजे के आसपास घर लौटा। तब तक मम्मी-पापा गुरुद्वारे जा चुके थे। वो अक्सर गुरुद्वारे जाते थे। वैसे तो पापा 3-4 किमी के अंदर ही बाइक से जाते थे, लेकिन उस दिन गुरुद्वारे भी बाइक से चले गए और मम्मी को भी साथ ले गए।‘ कुछ ही देर बाद मुझे एक पड़ोसी का फोन आया। उन्होंने बताया कि मम्मी ने किसी राहगीर के फोन से कॉल करके बताया है कि उनका एक्सीडेंट हो गया है। मम्मी-पापा दोनों घायल हैं। उन्हें जीटीबी नगर के न्यूलाइफ अस्पताल ले जा रहे हैं। शुरू में नहीं लगा था कि कोई बड़ा एक्सीडेंट होगा। मैं तुरंत दोस्त को फोन कर अस्पताल के लिए निकला। अस्पताल में मां का इलाज नहीं हो रहा था, आरोपी ICU में एडमिटमुझसे पहले मेरे मामा न्यूलाइफ अस्पताल पहुंच गए। उन्होंने बताया कि कई बार कहने पर अस्पताल में डॉक्टर देखने आए। तब मेरे मामा को दवा की पर्ची दी गई। उन्हें दवा लेने के लिए भी अस्पताल से बाहर जाना पड़ा। आप सोच सकते हैं कि उनका इलाज कैसे किया जा रहा था। जब मैं वहां पहुंचा तो रिसेप्शन के सामने ही मम्मी को स्ट्रेचर पर लिटाया था। थोड़ी ही दूरी पर पर्दे के पीछे पापा थे, लेकिन उनकी मौत हो चुकी थी। मैं हिम्मत जुटाकर उन्हें देखने गया, लेकिन इस हालत में देख नहीं सका। इसी बात का अफसोस है कि आखिरी दिन मेरी पापा से मुलाकात नहीं हो पाई। पापा के मौत की खबर से मैं टूट गया। दोस्तों ने हिम्मत दी, बोले- अब मां को बचाना है। हमें पता चला कि आरोपी महिला खुद ICU में एडमिट है। पुलिस कोई एक्शन नहीं ले रही है। इसलिए वहीं से 112 नंबर पर पुलिस को कॉल किया, ताकि घटना तो रजिस्टर हो सके। इसके बाद हम लोग मां को रेफर कराकर वेंकेटेश्वर अस्पताल ले आए। मेरी मां वेंकेटश्वर स्कूल में ही टीचर हैं। नवनूर आगे कहते हैं कि आरोपी पक्ष के लोग काफी मजबूत हैं। मुझे नहीं लगता है कि हमें इंसाफ मिल पाएगा। मैं अपनी मां की सेवा में लगा हूं। मैं बस यही कहना चाहूंगा कि अगर मेरे पापा को नजदीक के अस्पताल में भर्ती कराते और तब उन्हें कुछ होता तो हम पुलिस केस ही नहीं करते। ये सब जानबूझकर किया गया, इसलिए इंसाफ के लिए लड़ेंगे।........................ये खबर भी पढ़ें... क्या लॉरेंस और गोल्डी बराड़-रोहित गोदारा के बीच छिड़ेगी गैंगवार तारीख 12 सितंबर, 2025, वक्त रात के 3:36 बजे, जगह यूपी का बरेली शहर। सफेद बाइक पर सवार दो लड़के ऊंची दीवारों वाले एक घर के सामने से गुजरे। कुछ सेकेंड बाद उसी घर के पास वापस आए। बाइक पर पीछे बैठा लड़का उतरा, पिस्टल निकाली और घर पर 11 राउंड फायरिंग की। ये सब सिर्फ 30 सेकेंड में हुआ। जिस घर पर फायरिंग की गई, वह बॉलीवुड एक्ट्रेस दिशा पाटनी का है। दावा किया गया कि फायरिंग गैंगस्टर गोल्डी बराड़ और रोहित गोदारा ने कराई। पढ़िए पूरी खबर...
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ट्रंप का एक और टैरिफ बम, अब विदेशी फिल्मों पर लगाया 100% टैक्स, बोले- हमारी इंडस्ट्री को चुरा लिया
Donald Trump Tariff: अमेरिकी राष्ट्रपति ने डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को एक और टैरिफ बम फोड़ दिया है. उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि अब विदेशी फिल्मों पर 100 फीसद टैक्स लगेगा.