Trump administration will give a stipend of $1,000: डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने अवैध प्रवासियों के लिए एक नई योजना शुरू की है. अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे प्रवासियों को स्वेच्छा से अपने देश लौटने के लिए 1,000 डॉलर का 'स्टाइपेंड' और यात्रा खर्च दिया जाएगा. जानें पूरी बात
Bangladesh News: भारत और पाकिस्तान में तनाव के बीच बांग्लादेश में भी बड़ा सियासी बड़ा बदलाव होने के आसार दिख रहे हैं. भारत विरोधी रुख वाले बड़े राजनीतिक दल के नेता की लंदन से ढाका में एंट्री हुई है.
हिंदुओं को पूजा से रोकने के लिए कट्टरपंथियों ने किया महापाप, बांग्लादेश से आया वीडियो
Bangladesh News: वैसे तो बंटवारे के बाद से ही ईस्ट पाकिस्तान हो या बाद में बने बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार हो रहे हैं लेकिन हाल के महीनों में हालात काफी खराब हो गए हैं. हिंदू असुरक्षित महूसस कर रहे हैं. उनके परिवार और संपत्तियों को कट्टरपंथियों से खतरा है. अब उन्हें पूजा करने से भी रोका जा रहा है.
हूतियों के बंदरगाह पर इजरायल ने दना-दन बरसाए बम, आग की लपटों से सना हुदैदाह, पूरा किया ये बदला
Israel Houthi Attack: हूती विद्रोहियों की ओर से इजरायल के एयरपोर्ट पर किए गए हमले के जवाब मे इजरायली डिफेंस फोर्स ने तियों के बुनियादी ढांचों को निशाना बनाया.
UNSC Meeting on India Pakistan Tension: भारत की ओर से संभावित जवाबी कार्रवाई की आशंका के बीच पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अर्जी लगाई है. यूएनएससी की मीटिंग बंद कमरे में हुई.
भारत पहलगाम में हुए आतंकी हमले का मुंहतोड़ जवाब देने की तैयारी में है, उधर तुर्किये ने पाकिस्तान के कराची बंदरगाह पर अपना सबसे खतरनाक युद्धपोत खड़ा कर दिया है। तुर्किये ने भले ही इसे रूटीन दौरा बताया हो, लेकिन इसकी टाइमिंग कई सवाल खड़े कर रही है। पिछले दिनों तुर्किये के 7 मिलिट्री कार्गो प्लेन के पाकिस्तान में उतरने की खबरें आई थीं, जिनमें हथियार और ड्रोन की सप्लाई का अंदेशा जताया गया। हालांकि तुर्किये ने इससे इनकार किया था। क्या तुर्किये भारत के खिलाफ खुलकर आ गया है, राष्ट्रपति एर्दोगन के पाकिस्तान को सपोर्ट करने की क्या वजहें हो सकती हैं और भारत इससे कैसे निपटेगा; जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में… सवाल-1: भारत-पाक तनाव के बीच तुर्किये की नेवी का युद्धपोत कराची क्यों पहुंचा?जवाबः 4 मई 2025 को तुर्किये नौसेना का युद्धपोत TCG बुयुकडा (F-512) पूरे बेड़े के साथ पाकिस्तान के कराची पोर्ट पर पहुंचा। पाकिस्तानी नौसेना ने कहा है कि इस पोर्ट टूर का मकसद दोनों देशों के बीच समुद्री सहयोग को मजबूत करना है। तुर्किये ने भी इसे तालमेल बढ़ाने वाला कदम बताया। तुर्किये का वॉरशिप ऐसे समय में कराची पहुंचा, जब पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की सेनाएं किसी भी कार्रवाई के लिए अलर्ट पर हैं। TCG बुयुकडा उस बैठक के बाद कराची पहुंचा है, जिसमें तुर्किये के राजदूत डॉ. इरफान नेजीरोग्लू ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से एकजुटता का वादा किया था। एक्सपर्ट्स का मानना है कि जंग शुरू होने की कशमकश में पाकिस्तान ने तुर्किये का वॉरशिप मंगाया होगा, जिससे भारत को संदेश दिया जा सके। तुर्किये के इस जहाज के 7 मई तक कराची में ही खड़े रहने की संभावना है। रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल सतीश दुआ कहते हैं, ‘भारत के साथ तनातनी के माहौल के बीच तुर्किये पाकिस्तान को अपना समर्थन दिखाना चाहता है। इसीलिए उसने तुर्किये TCG बुयुकडा को पाकिस्तान भेजा है।’ सवाल-2: क्या तुर्किये ने पाकिस्तान को हथियार, गोला-बारूद और ड्रोन्स भी भेजे हैं?जवाबः 27 अप्रैल को तुर्किये के 7 C-130 हरक्यूलिस विमान पाकिस्तान में लैंड हुए। इनमें से 6 इस्लामाबाद और एक कराची के एयरफोर्स बेस ‘फैसल’ पर उतरा। इनमें बायरेक्टर TB2 ड्रोन, छोटे हथियार, स्मार्ट बम और गाइडेड मिसाइल सिस्टम होने का दावा किया गया। हालांकि तुर्किये ने इससे इनकार किया। 2018 में दोनों देशों के बीच MİLGEM प्रोजेक्ट का समझौता हुआ। इसके तहत तुर्किये ने पाकिस्तान के साथ चार Ada-क्लास कोरवेट युद्धपोत सप्लाई करने का करार किया। इनमें से दो जहाज तुर्किये में और दो पाकिस्तान में बनाए जा रहे हैं। 2023 में पहला जहाज PNS बाबर कमीशन हुआ था। TCG बुयुकडा इसी प्रोजेक्ट का हिस्सा है। 2018 में तुर्किये और पाकिस्तान के बीच 30 T129 हेलिकॉप्टर का सौदा हुआ। इसके अलावा 4 मिल्जम-क्लास कोरवेट्स का भी सौदा हुआ, जिसकी डिलीवरी 2025 में होनी है। इसके अलावा दोनों देशों के बीच पाकिस्तान और तुर्किये में संयुक्त सैन्य अभ्यास भी होते हैं। सवाल-3: क्या जंग की स्थिति में तुर्किये पाकिस्तान के साथ मिलकर भारत के खिलाफ लड़ेगा?जवाबः तुर्किये और पाकिस्तान के बीच ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सैन्य संबंध बहुत मजबूत हैं। दोनों देश इस्लामिक सहयोग संगठन यानी OIC के सदस्य हैं और कई मुद्दों पर एक-दूसरे का समर्थन करते हैं। 1971 के भारत-पाक युद्ध में भी तुर्किये ने पाकिस्तान को कूटनीतिक समर्थन दिया था। हालांकि सैन्य सहायता सीमित थी। JNU के रिटायर्ड प्रोफेसर और विदेश मामलों के जानकार राजन कुमार कहते हैं, तुर्किये पहले भी कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का सपोर्ट करता रहा है। 2019 और 2020 में यूनाइटेड नेशन्स यानी UN की जनरल असेंबली में तुर्किये के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोगन ने कश्मीर को 'विवादित क्षेत्र' बताया था। इसके अलावा 2019 में कश्मीर से 'आर्टिकल 370' को हटाने के भारत के फैसले का विरोध किया था। प्रो. राजन कुमार के मुताबिक, ‘इसमें कोई शक नहीं कि अगर भारत से युद्ध हुआ तो तुर्किये पाकिस्तान का साथ देगा। तुर्किये अपने आप को इस्लामिक देशों के लीडर के रूप में देखता है। पाकिस्तान भी एक इस्लामिक देश है, इसलिए तुर्किये पाकिस्तान का साथ देने से पीछे नहीं हटेगा। इससे तुर्किये की ओर से वेस्ट एशिया में संदेश जाएगा कि वह यहां भी इस्लामिक देशों को लीड करने की ताकत रखता है।' सवाल-4: भारत के खिलाफ जंग में तुर्किये पाकिस्तान की कैसे मदद कर सकता है? जवाब: एक्सपर्ट्स मानते हैं कि जंग की स्थिति में तुर्किये 3 तरह से पाकिस्तान की मदद कर सकता है... 1. आर्टिलरी देकर: तुर्किये पाकिस्तान को हथियार, ड्रोन, युद्धपोत या खुफिया जानकारी दे सकता है। तुर्किये की ड्रोन टेक्नोलॉजी काफी बेहतर है। ऐसे में तुर्किये पाकिस्तान को ड्रोन्स देकर भारत में निगरानी या हमला करने में मदद कर सकता है। तुर्किये ने पहले भी पाकिस्तान को बायरेक्टर TB2 ड्रोन, MİLGEM कोरवेट युद्धपोत समेत कई हथियार सप्लाई किए हैं। PNS बाबर इसका मौजूदा उदाहरण है। 2. आर्थिक सहायता: तुर्किये पाकिस्तान को पैसे देकर आर्थिक मदद कर सकता है, लेकिन यह बहुत ज्यादा सीमित होगी, क्योंकि तुर्किये भी इकोनॉमिकली मजबूत नहीं है। तुर्किये की ओर से मदद सीमित हो सकती है। दूसरी तरफ तुर्किये यह भी देखेगा कि पाकिस्तान पर कर्ज का बोझ कम नहीं है। पाकिस्तान पर इस समय 21.6 लाख करोड़ से ज्यादा कर्ज है, जिसे चुकाना बेहद मुश्किल हो रहा है। 3. कूटनीतिक मदद: तुर्किये UN या OIC जैसे ऑर्गनाइजेशन में भारत के खिलाफ प्रस्ताव लाकर या कश्मीर मुद्दे को उठाकर पाकिस्तान का समर्थन कर सकता है। तुर्किये का कश्मीर पर रुख पाकिस्तान के साथ जुड़ता है। ऐसे में तुर्किये की कूटनीतिक मदद की संभावना बढ़ जाती है। प्रो. राजन कुमार कहते हैं, 'तुर्किये अपने सैनिक भेजकर भारत जैसे बड़े और सैन्य रूप से शक्तिशाली देश के खिलाफ सीधे युद्ध में शामिल होने से बचेगा। भारत के INS विक्रांत और INS कुठार जैसे जहाज तुर्किये के TCG बुयुकाडा से ज्यादा ताकतवर हैं।' राजन कुमार आगे कहते हैं, तुर्किये नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन (NATO) का सदस्य है। अगर तुर्किये भारत के खिलाफ युद्ध में सीधे तौर पर शामिल होता है, तो उसे NATO और अमेरिका जैसे पश्चिमी देशों का विरोध झेलना पड़ सकता है। इसके अलावा तुर्किये और भारत के बीच 4,565 किलोमीटर की दूरी है। तुर्किये की सेना भारत के खिलाफ युद्ध के लिए पाकिस्तान के रास्ते या समुद्र के रास्ते से लड़ने की स्थिति में नहीं है। यह रसद यानी लॉजिस्टिक्स के लिहाज से बहुत मुश्किल और महंगा होगा। इस वजह से तुर्किये सीधे लड़ने की जगह पाकिस्तान को बैक सपोर्ट करेगा। सवाल-5: तुर्किये पाकिस्तान के साथ और भारत के खिलाफ खुलकर क्यों खड़ा है?जवाबः प्रो. राजन कुमार कहते हैं… तुर्किये और भारत के बीच पिछले कुछ वक्त से रिश्ते अच्छे नहीं रहे हैं। 10 जुलाई 2024 को उसने भारत को सैन्य उपकरण बेचने पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी क्योंकि वो कश्मीर को भारत का हिस्सा नहीं मानता। सवाल-6: तुर्किये और पाकिस्तान की दोस्ती से भारत कैसे निपटेगा? जवाबः तुर्किये पाकिस्तान की मदद कर जंग को लम्बा खींच सकता है, लेकिन भारत को हरा नहीं सकता। तुर्किये की कार्रवाई पर भारत पूरी ताकत से जवाब दे सकता है। भारत हिंद महासागर में तुर्किये के शिप ब्लॉक कर सकता है और जरूरत पड़ने पर सैन्य कार्रवाई भी कर सकता है। तुर्किये 3 बड़े हथियारों से पाकिस्तान की मदद कर सकता है। हालांकि भारत के पास इनका जवाब देने के लिए ज्यादा बेहतर हथियार हैं… 1. बायरेक्टर टीबी2 ड्रोनतुर्किये का बायरेक्टर टीबी2 ड्रोन दुनिया के सबसे बेहतरीन ड्रोन में से एक है, जो 27 घंटे तक उड़ान भर सकता है। यह 150 से 300 किमी की रेंज में सटीक हमले कर सकता है और लेजर-गाइडेड स्मार्ट म्यूनिशन ले जा सकता है। भारत के पास मजबूत एयर डिफेंस सिस्टम: यह ड्रोन स्टील्थ टेक्नोलॉजी और सटीकता की वजह से पहाड़ी इलाकों में भारत के लिए मुसीबत बन सकता है। हालांकि भारत के पास S-400 और आकाश जैसा एयर डिफेंस सिस्टम है, जो आमतौर पर ड्रोन के हमलों को रोकने में कामयाब होता है। लेकिन बायरेक्टर की स्पीड, सटीकता और छोटे आकार की वजह से चुनौती जरूर होगी। 2. स्मार्ट बम और गाइडेड मिसाइल सिस्टमतुर्किये ने रॉकेटसन MAM-L, MAM-C और ATMACA जैसे एंटी-शिप मिसाइल सिस्टम बनाए। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 28 अप्रैल को तुर्किये ने C-130 विमान से पाकिस्तान को यह हथियार भेजे। यह पाकिस्तान के JF-17 फाइटर जेट या ड्रोन्स में लग सकते हैं, जिससे हमले की क्षमता बढ़ जाएगी। भारत की हवा में मारने वाली मिसाइलें: भारत S-400, आकाश एयर डिफेंस सिस्टम, सतह से हवा में मारने वाली MR-SAM मिसाइल स्पाइस-2000 बमों से जवाब दे सकता है। भारत के ये हथियार तुर्किये के स्मार्ट बम और गाइडेड मिसाइलों को हवा में मार गिराने में सक्षम हैं। 3. युद्धपोत और ड्रोन कैरियरतुर्किये पाकिस्तान को TCG अनादोलु जैसे ड्रोन कैरियर और MILGEM कैटेगरी के फ्रिगेट और कोरवेट दे सकता है, जो भारतीय नौसेनिक ठिकानों पर हमला कर सकते हैं। TCG अनादोलु तुर्किये का पहला लाइट एयरक्राफ्ट कैरियर है, जिसे 2023 में कमीशन किया गया। इसके अलावा इस्तांबुल फ्रिगेट एडवांस्ड टेक्नोलॉजी वाला जहाज है, जो बख्तरबंद गाड़ियों और बंकरों को भी तबाह कर सकता है। भारत की नौसेना ज्यादा ताकतवर: भारत के पास 150 वॉरशिप और सबमरीन्स हैं, जो तुर्किये के जहाजों को जंग में हरा सकती हैं। भारत के INS विक्रांत, INS विक्रमादित्य, INS विशाखापट्टनम और पनडुब्बियां हैं, जो तुर्किये के हमलों को रोक सकती हैं और जवाबी कार्रवाई में तबाह कर सकती हैं। इसके अलावा भारत तुर्किये को सबक सिखाने के लिए आर्मेनिया और इजराइल को सपोर्ट कर सकता है, क्योंकि इन दोनों पड़ोसी देशों की तुर्किये से अदावत है। ------------------ भारत-पाकिस्तान से जुड़ी अन्य खबर पढ़ें आज का एक्सप्लेनर: जंग हुई तो पाकिस्तान इन 5 चाइनीज हथियारों की टेस्टिंग करेगा, 540 करोड़ का फाइटर जेट भी; भारत कितना तैयार पाकिस्तान जंग को उतावला है। कम से कम उसकी लीडरशिप के बयानों से तो यही लगता है। 1 मई को तिल्ला फील्ड फायरिंग रेंज पहुंचे पाक आर्मी चीफ आसिम मुनीर ने टैंक पर खड़े होकर कहा- भारत की किसी भी सैन्य हिमाकत का तुरंत और उससे भी बड़ा जवाब दिया जाएगा। पूरी खबर पढ़ें...
22 अप्रैल को बायसरन घाटी में हुए आतंकी हमले के बाद पूर्व CM और PDP चीफ महबूबा मुफ्ती 5 मई, सोमवार को पहलगाम पहुंचीं। लोकल लोगों से मिलीं। इसी दौरान दैनिक भास्कर ने महबूबा मुफ्ती से बात की। उन्होंने हमले के अलावा, अब तक हुई जांच और देश में कश्मीरियों के खिलाफ बने माहौल से जुड़े सवालों के जवाब दिए। साथ ही 4 मई को कुलगाम के संदिग्ध ओवर ग्राउंड वर्कर इम्तियाज अहमद की मौत पर सवाल उठाए। पुलिस और जांच एजेंसियों ने उसके नदी में कूदने और डूबकर मरने का दावा करते हुए वीडियो जारी किया है। महबूबा कहती हैं कि इस पर यकीन करना मुश्किल है। जांच के नाम पर किलिंग रोकना चाहिए। पढ़िए पूरा इंटरव्यू… सवाल: पहलगाम में जिस तरह अटैक किया गया, आपको लगता है कि ये गहरी साजिश थी?जवाब: इस हमले से सबसे ज्यादा दुख पहलगाम के लोगों को हुआ है। उन्होंने सालों-साल से हमारे भाईचारे की रिवायत को जिंदा रखा हुआ है। यहां आतंकवाद चरम पर था, तब भी अमरनाथ यात्रा चलती रही। लोग उन्हें कंधों पर लेकर जाते थे। किसी पर मुसीबत आती थी, तो घरों में रखते थे। अब इस घटना से तो हम सबका दिल दहल गया है। सब लोग दुखी हैं। शॉक्ड भी हैं। और डर भी है क्योंकि धरपकड़ का माहौल शुरू हो गया है। सोचिए, जिन्होंने किसी को बचाने के लिए खून दिया, टूरिस्ट के लिए गाड़ियां फ्री कर दीं, होटल फ्री कर दिया, तो मदद करने वाले इन लोगों और उन टेररिस्ट में कोई फर्क नहीं कर रहे हैं। टेररिस्ट ने गोलियां चलाईं और जो बेचारे वहां चाय बेच रहे थे, शॉल बेच रहे थे, उन्हें थाने में पूछताछ के लिए बुलाते हैं। शाम तक बंद रखते हैं। और भी कई लोगों को बंद कर रखा है। इसलिए मुझे लगता है कहीं ना कहीं कश्मीरियों का दिल दुख रहा है। यहां तो आज सभी लोग खुलकर मुल्क के साथ आ गए हैं। हड़ताल भी की, प्रोटेस्ट भी किया। फिर वो सोच रहे हैं कि मेरे साथ ये सुलूक क्यों हो रहा है। मुझे लगता है कि आप जैसे जो लोग हैं, जांच एजेंसी, मीडिया, उन्हें पूरे मुल्क तक ये पैगाम पहुंचाने की जरूरत है कि हमें आतंकवाद से लड़ना है और आम कश्मीरियों को बचाना है। सवाल: कश्मीर में पहली बार टूरिस्ट पर इतना बड़ा अटैक हुआ है। जांच में पाकिस्तानी की साजिश सामने आ रही है। इस पर आप क्या सोचतीं हैं?जवाब: अभी इन्वेस्टिगेशन चल रही है। मैं कैसे कह सकती हूं कि किसने साजिश की, क्यों साजिश की। हम किसी पर इल्जाम तो नहीं लगा सकते। अब सवाल तो ये भी बनता है कि बायसरन घाटी जहां अटैक हुआ, वहां से 3 किमी पर ही आर्मी कैंप था, तो वे क्या कर रहे थे। अगर आप एक-दूसरे पर इल्जाम लगाने के लिए आएंगे, तो फिर हमारा ध्यान हट जाएगा। सवाल: डॉ. फारूक अब्दुल्ला कहा कि पहलगाम हमले में किसी से हेल्प जरूर मिली है। यानी उन्होंने लोकल सपोर्ट की बात कही है, क्या कहेंगी?जवाब: फारूक साहब का बयान एक लीडर के तौर पर, एक कश्मीरी के तौर पर बहुत ही बदकिस्मती वाला बयान था। मुझे कई लोगों ने कहा कि फारूक साहब के उस बयान के बाद कश्मीर में लोगों की धरपकड़ और ज्यादा शुरू हो गई। एक लीडर इस किस्म का लापरवाही वाला बयान देता है, तब पूरे मुल्क में मैसेज चला जाता है। ये कश्मीरी शॉल वाला है, उसे पीटो। ये भी मिला हुआ सकता है क्योंकि फारूक साहब ने कहा था कि इसमें लोकल शामिल हो सकता है। अब सोचिए, ऐसी घटना में कोई लोकल एक शामिल होगा या दो होंगे। सारा कश्मीर तो नहीं शामिल हो जाएगा। इसलिए मेरे ख्याल में फारूक साहब का वो बयान ठीक नहीं था। उन्हें ऐसा बयान नहीं देना चाहिए था। उसके बाद मुल्क के अंदर जहां कश्मीरी स्टूडेंट्स हैं, हमारे जो कारोबारी हैं, उन्हें और ज्यादा तकलीफ हो सकती है। सवाल: हमले में लोकल सपोर्ट या फिर ओवर ग्राउंड वर्कर्स की चर्चा है। अटैक में किसने मदद की होगी?जवाब: इस पर मैं यही कहना चाहती हूं कि 4 लोगों ने इतना बड़ा हादसा कर दिया। पर उन्हें सपोर्ट करने में हजारों की तादाद में तो नहीं हो सकते। ये बहुत बड़ी ज्यादती है। अब तक दो किलिंग हो चुकी हैं। ओवर ग्राउंड वर्कर्स अपनी मर्जी से तो आते नहीं। आपने थाने बुलाया, तब वे जाते हैं। आपने आर्मी कैंप बुलाया। वे चले जाते हैं। अगर दो मिनट के लिए मान लें कि वो ओवर ग्राउंड वर्कर है। पहले तो आपके पास सबूत नहीं है। अगर सबूत है तो उसे अदालत में पेश करिए। उसे जेल भेज दीजिए। हमारे तो हजारों यूथ बिना सबूत के जेलों में बंद हैं। फिर कहा जाता है कि उसका एनकाउंटर हो गया। या फिर उसने दरिया में छलांग लगा दी। ये यकीन करने वाली बात तो नहीं है। ऐसे में फिर दिल और दुखता है। वो कहता है कि मैं और क्या करूं। अपने आप को साबित करने के लिए कि मैं मुल्क के साथ खड़ा हुआ हूं। सवाल: पहलगाम अटैक के बाद पहली बार कश्मीर के लोग लाल चौक पर विरोध करने पहुंचे। क्या कश्मीर में ये बड़ा बदलाव हुआ है?जवाब: इस बदलाव के पीछे मैं ही हूं। मैंने ही सबसे पहले कॉल किया था। यहां के लोग बंद करना चाहते थे, प्रोटेस्ट करना चाहते थे, लेकिन घबरा रहे थे कि कैसे करें। मैंने कॉल दी, सड़कों पर निकलीं। तब लोग सड़कों पर उतरे। मेरी बंद की अपील पर और लोगों ने भी इसे मुद्दा बनाया। यानी उन्हें लगा कि महबूबा मुफ्ती कह रही है तो फिर हमें डरने की जरूरत नहीं है। अब इस चीज का फायदा भारत सरकार को उठाना चाहिए क्योंकि अगर कश्मीरी इस वक्त दिल की छोटी सी खिड़की खोल रहा है तो आपको दरवाजा खोल देना चाहिए। ये नहीं आप उसे फेक एनकाउंटर में या दरिया में डुबा-डुबोकर मारोगे, फिर कहेंगे कि कश्मीरी हमारे साथ क्यों नहीं हैं। सवाल: आप इसे किलिंग बता रही हैं लेकिन अगर आप CM होतीं तो क्या करतीं, आपका एक्शन क्या होता?जवाब: ये तो हाइपोथेटिकल सवाल है। सेंट्रल गवर्नमेंट या होम मिनिस्टर से बात करने के लिए मुझे CM बनने की जरूरत नहीं है। हमारे कश्मीरी स्टूडेंट्स की कॉल आने लगीं कि उन्हें तंग किया जा रहा है, फिर मैंने 6-7 साल के बाद होम मिनिस्टर से बात की। 2019 (जब आर्टिकल-370 हटाया गया) के बाद से मैंने कभी बात नहीं की थी। इसलिए यही कहूंगी कि बात करने के लिए चीफ मिनिस्टर बनने की जरूरत नहीं है। मुझे लगता है कि मेरे फोन करने से लोगों का भला हो जाएगा, स्टूडेंट्स को मदद मिलेगी, तो हजार बार मैं फोन कर सकतीं हूं। सवाल: आपके फोन पर होम मिनिस्टर का कैसा रिस्पॉन्स था?जवाब: उनका अच्छा रिस्पॉन्स था। मेरे फोन करने के बाद काफी जगह से फीडबैक मिले। हमें बताया गया कि वहां पुलिस के लोग हमारे स्टूडेंट्स और कारोबारियों को फोन कर रहे हैं। मदद कर रहे हैं। मीडिया ने इतना जहर फैलाकर रखा है, इस अटैक को हिंदू-मुस्लिम बनाकर रख दिया है। आप सोचिए वो 4 लोग थे, जिन्होंने हिंदू-मुस्लिम की बात की। यहां जम्मू-कश्मीर में तो 1 करोड़ 30 लाख लोग हैं। ये तो हिंदू-मुस्लिम नहीं करते हैं। हम सब तो एक साथ रहते हैं। इन्होंने तो अपना खून दिया है। कुछ मीडिया ने इतना जहर फैलाया है कि होम मिनिस्टर, चीफ मिनिस्टर के दखल के बाद भी कभी उत्तराखंड में, कभी हिमाचल प्रदेश में कश्मीरियों को तकलीफ देने की शिकायतें आ रहीं हैं। कुलगाम के युवक का शव नदी में मिला, हिरासत में मौत का दावामहबूबा मुफ्ती ने जिस इम्तियाज का जिक्र किया उसकी डेडबॉडी 4 मई को पहाड़ी नाले में मिली। 22 साल का इम्तियाज अहमद माग्रे जम्मू-कश्मीर के कुलगाम जिले का रहने वाला था। उसकी डेडबॉडी अहरबल इलाके में अदबल नाले से निकाली गई थी। परिवार का आरोप है कि सुरक्षाबल के जवान इम्तियाज को पहलगाम हमले के बारे में पूछताछ के लिए ले गए थे। वहीं, पुलिस ने बताया कि इम्तियाज ने आतंकवादियों का ओवर ग्राउंड वर्कर होने की बात कबूल की थी। 23 अप्रैल को आतंकियों से मुठभेड़ हुई थी। उस दिन दो आतंकवादी भाग निकले थे। इस मुठभेड़ से भी इम्तियाज का लिंक था। उसने लश्कर-ए-तैयबा के ठिकाने की जानकारी होने की बात कबूल की थी। इसके बाद इम्तियाज को जंगल में उसकी बताई जगह पर ले जाया जा रहा था। इसी दौरान वो नदी में कूद गया। पुलिस ने ड्रोन फुटेज जारी किए है, जिसमें इम्तियाज नाले में कूदते और बहते दिख रहा है। महबूबा का 2800 लोगों को हिरासत में लेने पर सवालइम्तियाज की मौत पर महबूबा मुफ्ती ने कहा कि दरिया में छलांग लगाकर मरने वाली बात पर यकीन नहीं हो रहा है। उन्होंने पहलगाम अटैक के बाद 2800 से ज्यादा लोकल लोगों को शक के आधार पर डिटेन किए जाने पर भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने लोगों को परेशान नहीं किए जाने का भरोसा भी दिया। साथ ही मुंबई से पहलगाम आए टूरिस्ट ग्रुप से भी मुलाकात की। ...................................... पहलगाम हमले पर ये ग्राउंड रिपोर्ट पढ़ें 1. पाकिस्तानी कमांडो हाशिम मूसा ने हमले के लिए क्यों चुनी बायसरन घाटी पहलगाम में हमले से पहले आतंकियों ने बेताब घाटी, अरु घाटी और एम्यूजमेंट पार्क की रेकी की थी। आखिर बायसरन घाटी को हमले के लिए चुना गया। वजह- पहलगाम आने वाले टूरिस्ट यहां जरूर आते हैं, यहां सिक्योरिटी नहीं होती है और आने-जाने का रास्ता ऐसा नहीं है कि हमले के बाद आर्मी तेजी से पहुंच सके। इसके पीछे पाकिस्तानी कमांडो हाशिम मूसा का दिमाग था। पढ़िए पूरी खबर... 2. 26 टूरिस्ट का कत्ल करने वाला आदिल कैसे बना आतंकी,साइंस और उर्दू में डिग्री पहलगाम से करीब 55 किमी दूर अनंतनाग के गुरी गांव में आदिल का घर है। कभी बच्चों को पढ़ाने वाला आदिल अब 20 लाख का इनामी आतंकी है। सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक वो पहलगाम हमले में शामिल था। हमले के बाद पुलिस और सेना आदिल के घर पहुंची थीं। इसी दौरान ब्लास्ट में आदिल का घर तबाह हो गया। पढ़िए पूरी खबर...
30 अप्रैल, नैनीताल में रात करीब 8 बजे एक महिला अपनी 12 साल की बेटी के साथ मल्लीताल थाना पहुंची। बच्ची के साथ रेप हुआ था और आरोप 73 साल के ठेकेदार मोहम्मद उस्मान पर था। विक्टिम की फैमिली ने अभी FIR लिखवाई ही थी, तभी थाने के बाहर भीड़ जमा हो गई। भीड़ ने आरोपी उस्मान को सौंपने की मांग को लेकर थाने के बाहर नारेबाजी शुरू कर दी। थोड़ी ही देर बाद थाने के दूसरी ओर बड़ा बाजार में भीड़ ने पथराव कर दिया और दुकानों में तोड़फोड़ शुरू कर दी। जिसने भी इसका विरोध किया, उसे मारा-पीटा गया। भीड़ यहीं नहीं रुकी। पास में मौजूद जामा मस्जिद पर भी पथराव किया गया। दुकानदारों का आरोप है कि भीड़ ने सिर्फ मुसलमानों की दुकानों को ही निशाना बनाया। भीड़ में नारे लगाए जा रहे थे- मुल्लों को काट डालो। लोकल लोग और नैनीताल व्यापार मंडल के अध्यक्ष किशन सिंह नेगी भी मानते हैं कि मुस्लिमों की दुकानें तय प्लान के तहत तोड़ी गईं। पुलिस ने हिंसा और तोड़फोड़ को लेकर केस दर्ज कर लिया है। रेप का आरोपी मोहम्मद उस्मान भी पुलिस की गिरफ्त में है। घटना के बाद दैनिक भास्कर ग्राउंड जीरो पर पहुंचा और अब तक वहां क्या-क्या हुआ, ये समझने की कोशिश की। सबसे पहले रेप का मामला, जिसके बाद ये हिंसा हुई…पैसों का लालच देकर घर बुलाया, कार में वारदात को दिया अंजामघटना 12 अप्रैल की है। रिपोर्ट के मुताबिक, बच्ची रोज की तरह स्कूल के लिए निकली थी। रास्ते में आरोपी उस्मान ने बच्ची को 200 रुपए देने के बहाने घर बुलाया और गैरेज में खड़ी गाड़ी में उसके साथ रेप किया। घर पर कुछ बताने पर परिवार को जान से मारने की धमकी देकर छोड़ दिया। विक्टिम और आरोपी एक ही इलाके के रहने वाले हैं। बच्ची इतना डर गई कि घर लौटने पर भी उसने कुछ नहीं बताया। उसने स्कूल जाने से भी मना कर दिया। बड़ी बहन ने कई बार उसके गुमसुम रहने और डरने की वजह पूछी, लेकिन तब भी उसने कुछ नहीं बताया। जब परिवार ने बहलाकर-फुसलाकर बच्ची से वजह जानने की कोशिश की, तब उसने घटना के बारे में बताया। मां बच्ची को अस्पताल लेकर गई, तो डॉक्टर ने पुलिस में शिकायत कराने और मेडिकल कराने को कहा। हालांकि वो बिना शिकायत दर्ज कराए घर लौट गई। 30 अप्रैल की रात 8 बजे बच्ची की मां ने मल्लीताल थाने पहुंचकर आरोपी मोहम्मद उस्मान के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। रेप की घटना पर भड़का गुस्सा…पहले भीड़ ने थाने के बाहर नारेबाजी की, फिर दुकानों में तोड़फोड़बच्ची से रेप की खबर नैनीताल के रुकुट कंपाउंड एरिया में रात करीब साढ़े 8 बजे तक फैल गई। देखते ही देखते मल्लीताल थाना के बाहर भीड़ जमा हो गई। मॉल रोड पर मल्लीताल थाना के एक ओर मस्जिद है। दूसरी तरफ बड़ा बाजार, जिसमें ज्यादातर दुकानें मुस्लिमों की हैं। सबसे पहले भीड़ का गुस्सा यहीं फूटा। भीड़ ने न सिर्फ दुकानों में तोड़फोड़ की, बल्कि दुकानदारों को मारा-पीटा भी। यहां कैफे और शॉप चलाने वाले अहमद अंसारी को इस हमले में गंभीर चोटें आई हैं। अंसारी बताते हैं, 'घटना रात करीब 9:30 बजे की है। शुरुआत में कुछ ही लोग नुक्कड़ पर जमा हुए थे। धीरे-धीरे इनकी संख्या 100 के करीब हो गई। इन्होंने ही तोड़फोड़ और मारपीट की।' अहमद अंसारी कहते हैं, 'वे जोर-जोर से चिल्ला रहे थे, मुल्लों को काट डालो, दुकान बंद करो। उन लोगों ने मेरी दुकान पर हमला किया और तोड़फोड़ की। मैं बस उनसे पूछ रहा था कि वे तोड़फोड़ क्यों कर रहे हैं। तभी मुझे भी 10-12 लोगों ने घेर लिया। मुझे भी गंभीर चोटें आई हैं। पैर और पेट के पास 5 टांके लगे हैं।' अंसारी आगे कहते हैं, 'वे आकर आराम से बात करके भी कह सकते थे कि माहौल खराब है इसलिए दुकानें बंद कर दो। हम खुशी से दुकान बंद करके अपने घर चले जाते। उन्होंने सिर्फ मुस्लिम दुकानदारों को निशाना बनाया। अगर किसी ने कोई गलत काम किया है, तो वो मुजरिम है। उसे सजा मिलनी चाहिए।' 'ऐसे माहौल का हमारे कारोबार पर असर पड़ेगा। इन घटनाओं के कारण टूरिस्ट यहां नहीं आना चाहते। मैं भी अपनी दुकान वापस खोलने से डर रहा हूं। क्या पता ये लोग कब दोबारा हमला कर दें।' भीड़ ने मल्लीताल थाने के दरोगा पर किया हमला30 अप्रैल का एक और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इसमें भीड़ ने मल्लीताल थाने में तैनात दरोगा आसिफ खान पर भी हमला कर दिया। उनकी वर्दी खींची, गालियां दीं और उनके साथ मारपीट करने की कोशिश की। बताया जा रहा है कि ये वीडियो दुकानों में तोड़फोड़ से पहले का है। मस्जिद पर पथराव, भीड़ बोली- मस्जिद को आग लगा दो दुकानदारों के साथ मारपीट और तोड़फोड़ के बाद भीड़ मस्जिद की ओर बढ़ी। रात करीब 11 बजे भीड़ ने नारेबाजी करते हुए मस्जिद पर पथराव शुरू कर दिया। ये सब हुआ तब जामा मस्जिद अंजुमन समिति के अध्यक्ष मोहम्मद जुएब अंदर ही थे। वे बताते हैं, 'हम ईशा की नमाज पढ़कर उठे ही थे। ज्यादातर लोग चले गए थे। हम 4-5 लोग ही मस्जिद में थे। तभी अचानक से चिल्लाने की आवाज आई। मस्जिद के बाहर करीब 50-60 लोग जमा थे। मैंने तुरंत मस्जिद का दरवाजा बंद किया। वो नारे लगा रहे थे- आज अगर हिंदू नहीं जागा, तो उनका खून नहीं पानी है।' 'नारे लगाने के 10-15 मिनट बाद वे चले गए। थोड़ी देर बाद दोबारा करीब 300 लोगों की भीड़ आई। वे नारे लगा रहे थे- मस्जिद को आग लगा दो, जला दो। भीड़ ने दरवाजा तोड़ने की कोशिश की। ये सब रात ढाई बजे तक चलता रहा। उस वक्त मस्जिद में हमारे साथ सदर साहब भी थे। उन्होंने तुरंत DIG और कमिश्नर को इसकी जानकारी दी।' क्या भीड़ में मौजूद लोग लोकल ही थे। इसके जवाब में वे कहते हैं, 'मेरे लिए उनकी पहचान करना मुश्किल है क्योंकि वे भीड़ में आए थे। अंधेरा था, तो चेहरे भी साफ नहीं दिख रहे थे। ये 1872 के समय की मस्जिद है। हम परिवार की चौथी पीढ़ी हैं, जो इस मस्जिद की रखवाली कर रहे हैं। आज से पहले कभी मस्जिद पर इस तरह का हमला नहीं हुआ।' जुएब आगे कहते हैं, 'कुछ लोग काफी समय से इलाके का माहौल खराब करना चाहते हैं। नैनीताल की फिजा में हिंदू-मुस्लिम सब साथ मिलकर रहते थे। यहां मंदिर और गुरुद्वारा भी है। कुछ समय से चंद लोग बाहर से आए, जिन्होंने कहना शुरू कर दिया- 'हिंदू-हिंदू, भाई-भाई।' हम भी इस मुल्क के बाशिंदे (नागरिक) हैं।' 'आज ये मस्जिद में हुआ है। कल ये भीड़ मंदिर और गुरुद्वारे न पहुंच जाए, इसके पहले प्रशासन को कार्रवाई करनी चाहिए।' प्रदर्शनकारी बोले- उस्मान का मकान अवैध, उस पर बुलडोजर चलेगाभीड़ का हिस्सा रहे मनोज जोशी बताते हैं, 'मोहम्मद उस्मान ने जो किया, उसे लेकर नैनीताल के लोगों में गुस्सा है। हमारी CM पुष्कर सिंह धामी और DIG से बात हुई। उन्होंने कहा है कि इस मामले में सख्त कार्रवाई होगी। उस्मान का मकान अवैध है। कुछ दिन ही में उस पर बुलडोजर चलेगा।' मनोज के साथ ही इस भीड़ में शामिल विवेक वर्मा कहते हैं, 'आरोपी 3 महीने से नाबालिग बच्ची का यौन शोषण कर रहा था। परिवार ने कोतवाली में FIR लिखवाई है। लड़की के बयान भी हुए हैं। नैनीताल के लोगों में इसे लेकर बहुत नाराजगी है। मैं अपील करता हूं कि इसके विरोध में नैनीताल के सभी बाजार बंद रहें।' प्रदर्शनकारियों की मांग, हिंदुस्तान-नैनीताल से मुस्लिमों का सफाया होअगले दिन यानी 1 मई की सुबह भी लोकल लोगों और हिंदू संगठनों ने आरोपी मोहम्मद उस्मान के खिलाफ प्रदर्शन किया। 100 से ज्यादा लोगों की भीड़ आरोपी के घर जा रही थे। तभी पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की, लेकिन भीड़ बाजार में घुस गई। भीड़ में शामिल रीना कश्यप कहती हैं, ‘हमारे हिंदुस्तान और नैनीताल से इनका (मुस्लिमों) सफाया होना चाहिए। मोहम्मद उस्मान को फांसी दी जानी चाहिए। उसके परिवार को यहां से भगा देना चाहिए। इसका मकान टूटना चाहिए।‘ इसने इलाके में कई मकान किराए पर दे रखे हैं। हमारी बहू और बेटियां यहां सुरक्षित नहीं हैं। अगर प्रशासन कुछ नहीं कर सकता तो उस्मान को हमारे हवाले कर दे। भीड़ रोकने वाली शैला नेगी, जिन्हें मिल रहीं धमकियांबड़ा बाजार में दुकान चलाने वाली शैला नेगी ने भीड़ को रोकने की कोशिश की। इसका एक वीडियो भी सामने आया है। जिसमें शैला प्रदर्शन कर रहे लोगों से कहती हैं, 'आप बेगुनाह दुकानदारों को क्यों मार रहे हैं। हिंदू-मुस्लिम क्यों कर रहे हैं, विक्टिम और रेपिस्ट के बारे में कोई बात नहीं कर रहा। ऐसा नहीं है कि सिर्फ मुस्लिम रेप करते हैं।' शैला से घटना को लेकर हमने बात की। वे बताती हैं, 'हमारी यहां दुकान है। घटना वाले दिन हमारी दुकान भी खुली थी क्योंकि प्रशासन ने दुकानें बंद करने का कोई आदेश नहीं दिया था।' 'तभी भीड़ में शामिल एक महिला ने मेरे पिता से पूछा- आपने यहां दुकान खोल रखी है। आप हिंदू हैं या मुसलमान? मुझे ये सवाल बेतुका लगा। मैंने इसके विरोध में उस महिला से कहा कि जिस पीड़ित बच्ची के लिए आप रैली निकाल रहे हो, उसके समर्थन में तो आप कुछ नहीं बोल रहे। न उसके लिए इंसाफ मांग रहे। सिर्फ सांप्रदायिक दंगों के लिए माहौल बना रहे हो।' 'मैंने किसी को कुछ गलत नहीं बोला। फिर भी मुझे धमकियां मिल रही हैं कि इसके साथ गलत काम होना चाहिए, इसे पाकिस्तान भेज देना चाहिए। इस हंगामे और हिंसा से नुकसान हमारा ही हो रहा है। सड़कें खाली हो गई हैं। सबका काम-धंधा चौपट हो गया।' दुकानों में तोड़फोड़ और हमला सब प्लान के तहत हुआ लोकल लोगों का दावा है कि ये सब सुनियोजित था। भीड़ में BJP नगर मंडल, रामसेवा दल, बजरंग दल, शिवसेना, व्यापार मंडल और अधिवक्ता संघ के कार्यकर्ता शामिल थे। भीड़ का मकसद मुस्लिम दुकानदारों को निशाना बनाना था। कई दिनों से वे इसकी कोशिश कर रहे थे। मोहम्मद उस्मान की गिरफ्तारी ने उन्हें बहाना दे दिया। व्यापार मंडल के अध्यक्ष किशन सिंह नेगी भी ये बात मानते हैं कि सब प्री-प्लान था। किशन बताते हैं, 'मुझे रात 10 बजे बाजार से एक साथी का कॉल आया कि लोग दुकानों में तोड़फोड़ कर रहे हैं। मैंने पहुंचकर तोड़फोड़ की वजह जाननी चाही। पता चला ठेकेदार मोहम्मद उस्मान ने एक बच्ची के साथ गलत काम किया था, ये उसी का विरोध है। उस्मान को पुलिस गिरफ्तार कर चुकी थी। बाजार में उस्मान की कोई दुकान भी नहीं है। ' 'भीड़ में ज्यादातर लोग बाहर से आए थे। उन्हें पीटा और दुकानें तोड़ दी। दुकानदारों को टांकें लगे हैं। एक दुकानदार तो मरते-मरते बचा है।' 'ये सब प्लानिंग के तहत हुआ है। पहले से इन लोगों का ग्रुप बना हुआ है। दुकानदारों पर दो बार हमले हो चुके हैं। दो महीने पहले करीम रेस्टोरेंट में एक शराबी खाना खाने आया और उसने पैसे नहीं दिए। इसे लेकर कस्टमर और मालिक के बीच झगड़ा हुआ। तभी इसे सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की गई। तब भीड़ का नेतृत्व मनोज वर्मा और मनोज जोशी कर रहे थे। 'ये सब लोकल लोग थे। वे बता भी रहे थे कि वे VHP और बजरंग दल से हैं। हम चाहते हैं कि जिन्होंने ये सब किया उन पर कार्रवाई की जाए। इस घटना की वजह से टूरिज्म को बड़ा झटका लगा है। मई में पिछले 10 दिन से काम डाउन चल रहा है। दुकानें तोड़ दी गईं। दुकानदारों को लाखों का नुकसान हुआ है। पूरे देश में नैनीताल की बदनामी कर दी, जिसकी वजह से टूरिस्ट यहां आने से डर रहे हैं। पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ दर्ज की FIR30 अप्रैल को प्रदर्शन के दौरान मस्जिद, दुकानों और दुकानदारों पर हुए हमले को लेकर पुलिस ने बीएनएस की धारा 115(2), 324 (2), 191(2), और 126 (2) के तहत अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है। रेप के मामले में आरोपी मोहम्मद उस्मान के खिलाफ बीएनएस की धारा 65(1), 351 (2) और पॉक्सो के तहत मामला दर्ज कर पुलिस कार्रवाई कर रही है। एसपी प्रह्लाद नारायण मीणा बताते हैं, '30 अप्रैल को हंगामे और प्रदर्शन के बाद पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने की कोशिश की थी। इस दौरान कुछ लोग एक पुलिस कर्मचारी के साथ अभद्रता करते दिख रहे हैं। हमने एफआईआर दर्ज कर ली है।' पुलिस इनकी पहचान कर रही है। इस मामले में जो भी लोग शामिल हैं, ऐसे लोगों की पहचान कर कार्रवाई की जाएगी। चाहे वो दुकानों में तोड़फोड़ करने वाले हों या फिर सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने की कोशिश करने वाले।' स्टोरी में सहयोग: रिहान खान.................................... ये खबर भी पढ़ें... 'यहीं काट दूंगा', मसूरी में कश्मीरी व्यापारियों की पिटाई मसूरी की मॉल रोड। कश्मीर के कुपवाड़ा के रहने वाले इकबाल अहमद यहां पिछले 20 साल से कश्मीरी शॉल और गर्म कपड़े बेच रहे थे। 24 अप्रैल को उन्हें अचानक मसूरी छोड़कर जाना पड़ा। वजह है 22 अप्रैल को पहलगाम में हुआ आतंकी हमला। हमले के अगले दिन यानी 23 अप्रैल को जब इकबाल रोज की तरह सामान लेकर दुकान लगाने पहुंचे तो कुछ युवकों के ग्रुप ने उन्हें दुकान हटाने के लिए धमकाया। पढ़िए पूरी खबर...
ढल गई जवानी आ गया बुढ़ापा; 60 साल बाद अचानक जीवित मिली लापता महिला, ऐसे हुई पहचान
America News: अक्सर देखा जाता है कि हमारे कस्बों, शहर में सालों से लापता लोगों का अचानक कोई न कोई सुराग लग जाता है. अमेरिका में 60 साल से लापता एक महिला का पता चला है. वो पूरी तरह से स्वस्थ हैं.
'बीच में ही रुक जाओ..' जब कश्मीर पर भारत से पहली बार टकराया PAK, कैसे हुआ LOC का जन्म?
Kashmir LOC: नियंत्रण रेखा बनने के बाद जम्मू-कश्मीर का एक हिस्सा भारत के पास रहा जबकि बाकी हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे में चला गया. भारत ने हमेशा इस पर समझदारी दिखाते हुए जम्मू कश्मीर में लोकतंत्र को बनाए रखा. जबकि दूसरी तरफ कभी ऐसा ना हो सका.
खत्म हुई टेंशन; बिना गैस के भी गर्म होगी डिश, जापान के इस जुगाड़ से सिर पकड़ने लगे लोग
Japan Soup: जापान अपनी तकनीकि की वजह से पूरी दुनिया में फेमस है. अब यहां पर डिश को गर्म करने के लिए अनोखी टेक्निक निकाली गई है. जिसे सोशल मीडिया पर काफी ज्यादा पसंद किया जा रहा है.
बस उनको देखना था...शख्स ने सनक में दो बार लगाई अपने घर में आग, बनाया वीडियो
Trending News: कई बार इंसान ऐसी हरकतें कर देता है जो बेहद अजीब होती हैं और फिर उनकी जगह-जगह चर्चा होती है. हाल ही में एक ऐसी की खबर आई है, जहां एक शख्स ने खुद ही अपने घर में आग लगा दी और फिर खुद की फायर फाइटर्स को कॉल किया.
Pakistan Airspace: भारत से पंगा लेने के पाकिस्तान की मुश्किलें हर दिन बढ़ती जा रही हैं. हाल ही में फ्रांस ने पाकिस्तान को चोट पहुंचाने वाले बड़ा फैसला लिया है. फ्रांस की एयर लाइंस ने पाकिस्तान के एयर स्पेस का इस्तेमाल करने से मना कर दिया है.
यहां 50 साल बाद खत्म हुआ बालों को लेकर सख्त नियम, हेयर स्टाइल चुनने की नहीं थी आजादी
Thailand News: थाईलैंड में लंबे वक्त तक सैन्य शासन रहा है. इस दौरान बच्चों के लिए स्कूल में सख्त नियम थे. वहीं अब कोर्ट ने स्कूल में हेयरकट को लेकर बनाए गए नियम को खत्म कर दिया गया है.
हमें बचा लो...भारत के सबसे करीबी दोस्त की चौखट पर पहुंचा पाकिस्तान, 1965 की दिलाई याद
Pakistan News in Hindi: पहलगाम हमले को लेकर तनाव के बीच शहबाज शरीफ सरकार ने अब भारत के सबसे करीबी दोस्त के आगे झोली फैलाई है और तनाव घटाने में मदद करने की अपील की है. उसने ये अपील ऐसे वक्त की है, जब भारत जवाबी कार्रवाई की तैयारी कर रहा है.
ट्रंप शासन में देशों के साथ अब फिल्मों पर भी 100 प्रतिशत टैरिफ, हॉलीवुड को लगेगा बड़ा झटका?
Donlad Trump Tariff On Movies: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में अमेरिका में बनने वाली विदेशी फिल्मों में टैरिफ लगाने का फैसला किया है. इससे फिल्म इंडस्ट्री को झटका लग सकता है.
22 अप्रैल को 4 आतंकवादी पहलगाम के बायसरन घाटी में आए, सैलानियों के धर्म पूछे, ताबड़तोड़ गोलियां बरसाईं और गायब हो गए। पिछले 13 दिनों से भारतीय सुरक्षा बलों ने उन्हें खोजने में एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया, कुछ सुराग हाथ जरूर लगे, लेकिन आतंकी अभी तक पकड़ से दूर हैं। आखिर कहां भाग गए आतंकी और उन्हें पकड़ना इतनी बड़ी चुनौती क्यों है; जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में... सवाल-1: पहलगाम में 26 लोगों का कत्ल करने के बाद कहां भागे चारो आतंकी? जवाब: आतंकियों ने पहलगाम की बायसरन घाटी में बेहद प्लानिंग से हमला किया था। उन्हें पता था कि सुरक्षा बलों को यहां तक पहुंचने में कम से कम आधे घंटे लग ही जाएंगे। इतनी देर में वो आसानी से जंगलों में भाग जाएंगे। हुआ भी यही। बायसरन घाटी टाउन से 6-7 किमी दूर चढ़ाई पर है। ये पूरा रास्ता कच्चा है। यहां पैदल या फिर घोड़े से ही जाया जा सकता है। जब तक सुरक्षा बलों को सूचना मिली और वो हमले वाली जगह पहुंचे, आतंकियों को काफी बफर टाइम मिल गया। जम्मू-कश्मीर के जर्नलिस्ट्स और डिफेंस एक्सपर्ट्स का मानना है कि जिन रास्तों में इन आतंकवादियों को ट्रैक किया गया है, वो लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद जैसी आतंकी संगठनों का एक एस्केप रूट है, जिसका वे लंबे समय से इस्तेमाल करते आ रहे हैं। कोकेरनाग के जंगलों से आगे बढ़ने के बाद वो किश्तवाड़ के जंगलों में घुसते हैं और जम्मू डिवीजन में आते हैं। यहां के जंगल और भी घने हैं। साथ ही किश्तवाड़ में एंटी-टेररिस्ट ग्रिड थोड़ी कम है, जिसका फायदा आतंकी उठाते हैं, लेकिन जम्मू में भी सिक्योरिटी फोर्सेस की तैनाती बढ़ा दी गई है। रिटायर्ड ब्रिगेडियर विजय सागर बताते हैं, त्राल का जंगल पाकिस्तानी और लोकल सपोर्ट वाले आतंकियों का गढ़ है। यहीं से उन्हें सपोर्ट मिलता है। ये बायसरन घाटी से सटा हुआ है। आतंकियों के लिए छिपने की सबसे सेफ जगह त्राल का जंगल ही है। इंटेलिजेंस सूत्रों ने बताया कि पहलगाम हमला करने वाले आतंकी साउथ कश्मीर के जंगलों में छिपे हैं। उनके पास राशन-पानी है, ऐसे में ये इन पहाड़ी इलाकों में लंबे समय तक रह सकते हैं। सवाल-2: भारतीय सेना कितनी तैयारी से आतंकियों को खोज रही है? जवाब: आतंकवादियों की खोज में आर्मी, राष्ट्रीय रायफल्स, पैरा कमांडो यूनिट, CRPF, जम्मू-कश्मीर पुलिस और अन्य अर्धसैनिक बलों के हजारों जवान लगे हुए हैं। शुरुआत में पहलगाम से 10 किमी. के एरिया में खोजबीन की जा रही थी, लेकिन अब ये दायरा बढ़ा दिया गया है। जंगलों और पहाड़ों के साथ-साथ रिहायशी इलाकों में भी तलाश की जा रही है। सिक्योरिटी फोर्सेस की टीमें अनंतनाग के ऊपरी और दक्षिणी कश्मीर के जंगली और पहाड़ी इलाकों में छानबीन कर रही हैं। दिन-रात सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है। 100 से ज्यादा जगहों पर छापेमारी की गई है। करीब 10 आतंकियों के घरों को नेस्तनाबूद किया गया है। आतंकियों की मदद करने वाले ओवर ग्राउंड वर्कर्स यानी OGW के जरिए भी आतंकियों के तार खोजे जा रहे हैं। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने 100 से ज्यादा OGW से पूछताछ की है। करीब 1000 OGW को हिरासत में लिया है। वहीं हमले की जांच कर रही नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी यानी NIA की टीम ने 3000 से ज्यादा पूछताछ की हैं। सुरक्षा एजेंसियों ने बायसरन में हुए हमले में 20 से ज्यादा OGW को संदिग्ध माना है, जिन्होंने आतंकियों की मदद की है। रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल संजय कुलकर्णी बताते हैं, घाटी में अब आतंकियों को लोकल का सपोर्ट नहीं मिलता, लेकिन ओवर ग्राउंड वर्कर्स अभी भी सपोर्ट करते हैं। वे जम्मू-कश्मीर में आतंकियों की आंख और कान हैं। सवाल-3: क्या अभी तक आतंकियों का कोई सुराग हाथ नहीं लगा है? जवाब: इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, आतंकवादियों को पहले पहलगाम तहसील के हापतनार गांव के जंगलों में देखा गया, लेकिन जब तक घेराबंदी की जाती, वे घने इलाके का फायदा उठाकर भाग निकले। इसके बाद उन्हें कुलगाम के जंगलों में देखा गया, जहां मुठभेड़ तो हुई, लेकिन यहां से भी भाग गए। फिर त्राल की पहाड़ियों और कोकेरनाग के जंगलों में उन्हें लोकेट किया गया। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, 28 अप्रैल तक सिक्योरिटी एजेंसियों ने आतंकियों को कम से कम 2 बार लोकेट किया और उन्हें साउथ कश्मीर के जंगलों में घेरने के बेहद करीब पहुंचे। लोकल लोगों, इंटेलिजेंस इनपुट्स और सर्च ऑपरेशंस के जरिए आतंकवादियों को लोकेट किया जा रहा है। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने पहलगाम हमले में शामिल 3 आतंकियों पर 20 लाख का इनाम रखा है और इनके स्केच जारी किए हैं। इसमें आदिल हुसैन ठोकेर, हाशिम मूसा और अली भाई शामिल है। तीनों ही लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े हैं। सूत्रों के मुताबिक जांच एजेंसियों को जिस वक्त घटना हुई, उस वक्त के दो बार अल्ट्रा स्टेट के सिग्नल मिले हैं, जिसके द्वारा मोबाइल को कनेक्ट करके ऑडियो, वीडियो कॉल या मैसेज किया जाता है। इसमें किसी सिम कार्ड की जरूरत नहीं पड़ती। NIA को चीनी सैटेलाइट फोन की मौजूदगी डिटेक्ट हुई। यह फोन भारत में बैन है। इसे पाकिस्तान या किसी और देश से भारत में स्मगल करके लाया गया होगा। सवाल-4: आतंकियों को खोजने में इतनी देर क्यों लग रही है? जवाब: रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जरनल सतीश दुआ के मुताबिक, सर्च ऑपरेशन में सबसे बड़ी चुनौती इंटेलिजेंस होती है। किसी भी खबर का पुख्ता होना और उसका समय से मिलना बेहद जरूरी है। वहां की भौगोलिक स्थिति भी एक चुनौती है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक आतंकियों को खोजने में इतनी देरी के पीछे 3 बड़ी वजहे हैं… 1. इलाके के घने जंगल और दुर्गम रास्तों का फायदा उठा रहे आतंकी पहलगाम और उससे जुड़ने वाले कश्मीर के और इलाकों में कई घने जंगल है। बायसरन घाटी में हमले के बाद आतंकी जंगल के रास्ते ही भागे थे। यहां के जंगलों में 100 से 328 फीट ऊंचे पेड़ हैं। इन इलाकों में कई जगहों पर 10 मीटर से आगे भी देख पाना मुश्किल हो जाता है। कई इलाकों में ड्रोन्स भी सर्विलांस नहीं कर पाते। इसके अलावा आस-पास के इलाकों में 15,000 फीट तक की ऊंची पहाड़ियां हैं। टूटे और उबड़-खाबड़ रास्ते हैं जहां गाड़ियां भी नहीं जा सकतीं। वहीं पहलगाम के ऊपरी हिस्से में किश्तवाड़ा रेंज के पहाड़ हैं। इस मौसम में इन पहाड़ों पर ज्यादा बर्फबारी नहीं होती। ऐसे में आतंकी इन पहाड़ियों में भी कहीं छिपे हो सकते हैं, जिससे सुरक्षाबलों के लिए आतंकियों की खोज करने का एरिया बहुत ज्यादा बढ़ गया है। 2. लोकल सपोर्ट से आतंकियों को खबर मिल जाती है आतंकी हमले के बाद सुरक्षाबलों ने 100 से भी ज्यादा लोकल लोगों से पूछताछ की। इसमें से ज्यादातर लोगों पर आतंकवादियों के समर्थक होने या उनके लिए काम करने का शक है। ऐसे और भी लोग घाटी में हो सकते हैं जो अभी भी आतंकियों की मदद कर रहे हों। हो सकता है कि ये लोग अभी भी छिपे आतंकवादियों को सेना की मूवमेंट की जानकारी दे रहे हों या उन्हें कहीं छिपाकर रखा हो। NIA भी पहलगाम हमले में लोकल सपोर्ट होने की जांच कर रही है। 3. आतंकी इस तरह के ऑपरेशन के लिए ट्रेंड हैं आतंकियों को जंगल में कई दिन बिताने और छिपकर रहने के लिए ट्रेन किया गया है। उनके पास खाने-पीने और सैटेलाइट के जरिए अपने साथियों से संबंध साधने की भी सुविधाएं होने की संभावना है। ऐसे में आतंकी घने जंगलों में बिना गलती करे लंबे समय तक रह सकते है, जिससे सेना का उन्हें ढूंढना और मुश्किल बन जाता है। इंडिया टुडे ने एक रिपोर्ट में सैन्य अधिकारी के हवाले से लिखा, 'अमूमन आतंकी खाने के लिए या तो गांव जाते हैं या फिर किसी के जरिए जंगलों में खाना मंगवाते हैं। इससे हमें इनपुट जुटाने में मदद मिलती है, लेकिन अभी ये काफी सावधान हैं।' एक सैन्य अधिकारी ने कहा, 'यह एक चूहे-बिल्ली का खेल है। कई बार ऐसा हुआ है कि आतंकियों को साफ-साफ देखा गया है, लेकिन जब तक उनकी घेराबंदी होती, तब तक वो भाग चुके थे, लेकिन हमें यकीन है कि हम आतंकियों को पकड़ लेंगे, यह सिर्फ कुछ दिनों की बात है।' सवाल-5: क्या आतंकी देश छोड़कर भाग चुके हैं? जवाब: 3 मई को चेन्नई से कोलंबो पहुंची फ्लाइट UL122 में भारत के एक मोस्ट वॉन्टेड अपराधी के होने की आशंका जताई गई। इसके बाद कोलंबो एयरपोर्ट पर सुरक्षाबलों ने पूरी फ्लाइट की जांच की। हालांकि कुछ संदिग्ध नहीं निकला। श्रीलंकन एयरलाइंस ने इस घटना के संबंध में प्रेस रिलीज भी जारी की है। इसके बाद कुछ रिपोर्ट्स में अंदेशा जताया गया कि इसमें पहलगाम आतंकवादी हमले में वॉन्टेड आतंकी हो सकते हैं। डिफेंस एक्सपर्ट्स का मानना है कि आतंकी अभी भी दक्षिणी कश्मीर में ही मौजूद हैं। उन्होंने जंगलों में ही अपने खाने-पीने का पर्याप्त बंदोबस्त कर रखा है। हालांकि जल्द ही उन्हें उनके अंजाम तक पहुंचाया जा सकता है। **** रिसर्च सहयोग- श्रेया नाकाड़े ------- पहलगाम हमले से जुड़ी ये भी खबर पढ़िए... गोली मारने से पहले आतंकियों ने कलमा पढ़वाया, क्या चुन-चुनकर मारे हिंदू; क्या फिर शुरू होगा कश्मीर से हिंदुओं का पलायन मीडिया रिपोर्ट्स बता रही हैं कि सेना की वर्दी और नकाब पहने आतंकियों ने टूरिस्टों से नाम पूछे, पहचान पत्र चेक किए, कलमा पढ़वाया, पैंट तक उतरवाई… और जो मुसलमान नहीं थे, उन्हें गोली मार दी। पूरी खबर पढ़िए...
22 अक्टूबर 1947, पाकिस्तानी कबाइलियों ने जम्मू-कश्मीर पर धावा बोल दिया। जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरि सिंह यह मानकर चल रहे थे कि उनकी फौज कबाइलियों को खदेड़ देगी, लेकिन उनके मुस्लिम सैनिक दुश्मन से मिल गए। तीन दिन के भीतर कबाइली लूट-पाट, बलात्कार, कत्लेआम मचाते हुए बारामूला तक पहुंच गए। महूरा पावर स्टेशन को डायनामाइट से ब्लास्ट करके उड़ा दिया। पूरे कश्मीर में अंधेरा छा गया। महाराजा के महल में जल रहे हजारों बल्ब बुझ गए। अब कबाइलियों का टारगेट था श्रीनगर, जो बारामूला से महज 70 किलोमीटर दूर था। घबराए महाराजा हरि सिंह ने फौरन दिल्ली टेलीग्राम भेजा- ‘मुझे सैन्य मदद चाहिए।’ इस पर भारत ने जवाब दिया- ‘पहले कश्मीर का भारत में विलय कराइए, उसके बाद ही मदद भेजी जाएगी।’ टेलीग्राम भेजने के बाद हरि सिंह ट्रकों में बेशकीमती सामान भरकर जम्मू के लिए निकल पड़े। उन्होंने जम्मू पहुंचते ही अपने सेक्रेटरी से कहा- मैं सोने जा रहा हूं। दिल्ली से वीपी मेनन यहां आएं तो ही मुझे जगाना। अगर वो सुबह से पहले यहां नहीं पहुंचते हैं, तो मेरी पिस्तौल से सोते में मुझे गोली मार देना। 26 अक्टूबर को ही मिनिस्ट्री ऑफ स्टेट्स के सेक्रेटरी वीपी मेनन जम्मू पहुंच गए। वे सीधे हरि सिंह के कमरे में गए। उनके हाथ में विलय पत्र था, जिस पर फौरन हरि सिंह ने दस्तखत कर दिए। वीपी मेनन विलय पत्र लेकर दिल्ली लौट आए। अगले दिन ही भारतीय फौज श्रीनगर पहुंच गई और महीनेभर में ही दो तिहाई कश्मीर बचा लिया। 'पाकिस्तान पर फतह' सीरीज के पहले एपिसोड में आज कहानी 1947-48 में भारत-पाकिस्तान के बीच हुई पहली जंग की… 18 जुलाई 1947, ब्रिटिश संसद ने इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट 1947 पारित किया। इसके तहत देश को दो डोमिनियन में बांटा गया- ‘भारत और पाकिस्तान।’ उस वक्त देशभर में 565 रियासतें थीं। इन रियासतों को छूट दी गई कि वो भारत या पाकिस्तान से जुड़ सकती हैं, या खुद को आजाद भी रख सकती हैं। 15 अगस्त 1947 तक ज्यादातर रियासतें भारत या पाकिस्तान में शामिल हो चुकी थीं। सिर्फ 3 रियासतों के विलय का मामला उलझा था- जूनागढ़, हैदराबाद और जम्मू-कश्मीर। जून 1947 में भारत के आखिरी वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन महाराजा हरि सिंह से मिलने कश्मीर गए, लेकिन हरि सिंह ने बीमारी का बहाना बनाकर उनसे मुलाकात नहीं की। कुछ समय बाद माउंटबेटन के चीफ ऑफ स्टाफ लॉर्ड हेस्टिंग्स कश्मीर गए और अपने नोट में लिखा- ‘जब भी मैंने विलय की बात करनी चाही, महाराजा हरि सिंह ने विषय बदल दिया।’ एक आर्टिकल में महाराजा हरि सिंह के बेटे कर्ण सिंह बताते हैं- ’भारत में लोकतंत्र लाया जा रहा था, जो महाराजा को पसंद नहीं था। पाकिस्तान मुस्लिम देश बनने जा रहा था, उसके साथ जाना भी ठीक नहीं था। इसलिए हरि सिंह आजाद रहना चाहते थे।’ लैरी कॉलिंस और डोमिनिक लैपिएर अपनी किताब 'फ्रीडम एट मिडनाइट' में लिखते हैं- ‘24 अगस्त 1947 की बात है। पाकिस्तान को आजाद हुए 10 दिन बीत चुके थे। टीबी और फेफड़े के कैंसर से जूझ रहे मोहम्मद अली जिन्ना कुछ दिन कश्मीर में गुजारना चाहते थे। उन्होंने अपने सेक्रेटरी कर्नल विलियम बर्नी को कश्मीर जाकर दो हफ्ते की छुट्टियों का इंतजाम करने को कहा। पांच दिनों बाद बर्नी कश्मीर से लौटकर पाकिस्तान पहुंचे। उन्होंने जिन्ना से कहा- ’महाराजा हरि सिंह नहीं चाहते कि जिन्ना कश्मीर की जमीन पर कदम रखें, एक टूरिस्ट के तौर पर भी नहीं।’ जिन्ना ये जवाब सुनने के लिए तैयार नहीं थे। उन्हें सदमा-सा लगा। दरअसल, जिन्ना को लगता था कि आज नहीं तो कल कश्मीर पाकिस्तान का होगा। बंटवारे के वक्त उन्होंने कहा भी था- Kashmir was a ripe fruit which would fall into his lap only यानी, कश्मीर पके फल की तरह पाकिस्तान की झोली में ही गिरेगा। अभी 48 घंटे भी नहीं बीते कि जिन्ना ने एक सीक्रेट एजेंट को कश्मीर भेज दिया। एजेंट ने लौटकर जिन्ना को रिपोर्ट दी- ‘हरि सिंह किसी भी कीमत पर पाकिस्तान के साथ जाने के लिए तैयार नहीं हैं।’ पाकिस्तान ने साजिश के तहत अपने आर्मी चीफ को लंदन भेजा, फिर कश्मीर पर हमला सितंबर 1947 में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री लियाकत अली ने लाहौर में एक सीक्रेट मीटिंग की। मकसद था महाराजा हरि सिंह को किसी भी तरह कश्मीर का पाकिस्तान में विलय करने के लिए मजबूर करना। मीटिंग में सीधे-सीधे कश्मीर पर अटैक करने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया। पाकिस्तानी सेना को लगता था कि ऐसा करने से भारत के साथ जंग छिड़ जाएगी। कर्नल अकबर खान ने दूसरा प्रस्ताव रखा कि कश्मीर की असंतुष्ट मुस्लिम आबादी को राजा के खिलाफ विद्रोह भड़काने के लिए हथियार और पैसा दिया जाए, लेकिन इसमें एक दिक्कत थी। दिक्कत ये कि इसमें काफी वक्त लग सकता है। इसलिए ये प्रपोजल होल्ड कर दिया गया। तीसरा प्रपोजल था कि पठान कबाइलियों को हथियारों के साथ कश्मीर भेजा जाए और उन्हें पीछे से सेना मदद करे। मीटिंग में इस प्रपोजल पर मुहर लग गई। पाकिस्तान ने इस मिशन को नाम दिया ऑपरेशन गुलमर्ग। तब जनरल सर फ्रैंक वाल्टर मेसर्वी पाकिस्तान आर्मी के कमांडर इन चीफ थे। उन्हें जानबूझकर हथियारों की खरीद के लिए इंग्लैंड भेज दिया गया, ताकि उन्हें इस ऑपरेशन की भनक नहीं लगे। कबाइली पठानों के 10 लश्कर तैयार किए गए। हर लश्कर में एक हजार लड़ाके, पाकिस्तानी सेना से एक मेजर, एक कैप्टन और दस जूनियर कमीशंड अफसर शामिल किए गए। सैनिकों का चुनाव पठानों में से ही किया गया। वो कबाइलियों जैसे ही कपड़े पहनते थे। लश्कर को आगे बढ़ने के लिए लॉरियों और पेट्रोल की व्यवस्था भी पाकिस्तान ने की। इसके अलावा फोर्स ने उन्हें जंग के लिए स्पेशल ट्रेनिंग दी।’ कबाइलियों ने गैर-मुस्लिम महिलाओं को गुलाम बनाया, जो कलमा नहीं पढ़ पाए, उनकी हत्या कर दी 22 अक्टूबर 1947 की रात की बात है। एक पुरानी फोर्ड स्टेशन वैगन धीरे-धीरे रेंगते हुए झेलम नदी के पुल से सौ गज पहले आकर रुक गई। उसकी बत्तियां बुझी हुई थीं। गाड़ी में मुस्लिम लीग का युवा नेता सैराब हयात खान बड़ी बेचैनी से अपनी मूंछें ऐंठ रहा था। उसके पीछे ट्रकों की लंबी कतार थी। हर ट्रक में कुछ लोग चुपचाप बैठे हुए थे। ये पुल पार करते ही जम्मू-कश्मीर की रियासत शुरू हो जाती थी। लापिएर और कॉलिंस लिखते हैं- ‘अचानक स्टेशन वैगन में बैठे लोगों को रात के अंधेरे में आसमान में आग की लपटें दिखाई दीं। ये इस बात का संकेत था कि पुल के पार हरि सिंह के मुसलमान सैनिकों ने बगावत कर दी है। श्रीनगर की टेलीफोन लाइन काट दी गई है। स्टेशन वैगन के ड्राइवर ने अपना इंजन स्टार्ट किया और पुल पार कर गया।’ कश्मीर की लड़ाई शुरू हो चुकी थी। पाकिस्तान का टारगेट था 26 अक्टूबर से पहले श्रीनगर पर कब्जा करना और एक वैकल्पिक सरकार का गठन करके कश्मीर का पाकिस्तान में विलय कराना। कबाइलियों ने सबसे पहले धावा मुजफ्फराबाद पर बोला। वहां महाराजा के करीब 500 सैनिक थे। इनमें शामिल मुस्लिम सैनिक पाला बदलकर कबाइलियों के साथ मिल गए। कुछ ही घंटों में मुजफ्फराबाद कबाइलियों के कब्जे में था। कबाइलियों ने लूट-पाट, मारकाट और आगजनी शुरू कर दी। एक रिपोर्ट के मुताबिक जो लोग कलमा नहीं पढ़ पाए, उनकी हत्या कर दी। गैर-मुस्लिम महिलाओं को गुलाम बना लिया। सैराब हयात खां सोच रहे थे कि वे जल्द ही कश्मीर फतह कर लेंगे, लेकिन कबाइलियों ने तीन दिन मुजफ्फराबाद में गुजार दिए। इसके बाद कबाइली डोमल, पुंछ, रावलकोट और उरी पर हमला करते हुए बारामूला तक पहुंच गए। वहां भी लूट-पाट और कत्लेआम मचाया। इतना सामान लूटा कि उनके पास रखने तक की जगह नहीं बची। कई कबाइली तो ट्रकों में सामान, जानवर और औरतों को भरकर वापस भी लौट गए। एक रिपोर्ट के मुताबिक कश्मीर की मुस्लिम महिलाएं कबाइलियों को खाना खिलाने की पेशकश कर रही थीं, लेकिन पठानों को डर था कि इसमें जहर हो सकता है। पठानों ने जबरन उनकी बकरियां पकड़ लीं और उन्हें भूनकर खा गए। कबाइलियों ने महूरा पावर स्टेशन को डायनामाइट से ब्लास्ट करके उड़ा दिया। पूरे कश्मीर में अंधेरा छा गया। यहां तक कि महाराजा के महल में जल रहे हजारों बल्ब बुझ गए। महाराजा हरि सिंह समझ गए कि अब उनका श्रीनगर में रहना खतरे से खाली नहीं है। 24 अक्टूबर की रात 11 बजे उन्होंने दिल्ली संदेश भिजवाया कि कश्मीर पर हमला हो चुका है। भारत जल्द से जल्द सैन्य मदद भेजे। 26 अक्टूबर को वीपी मेनन विलय पत्र के दस्तावेज अपने साथ लेकर जम्मू पहुंचे, राजा हरि सिंह से दस्तखत करवाया और दिल्ली लौट आए। श्रीनगर की धूल भरी मिट्टी की हवाई पट्टी पर उतरी भारतीय फौज, महीनेभर में दो-तिहाई कश्मीर को बचाया कबाइली तेजी से श्रीनगर की तरफ बढ़ रहे थे। उनका टारगेट था श्रीनगर एयरफील्ड पर कब्जा करना। भारत को हर हाल में इसे बचाना था, वर्ना पूरा कश्मीर हाथ से निकल सकता था। तब भारत के पास मालवाहक विमानों की कमी थी। सरकार ने टाटा ग्रुप से मदद मांगी। इसके बाद टाटा DC-3 डकोटा विमान एयरफोर्स को सौंप दिया। डकोटा अमेरिकी डिजाइन ट्रांसपोर्ट विमान था, इसका इस्तेमाल दूसरे वर्ल्ड वॉर के दौरान भी हुआ था। 27 अक्टूबर, सुबह 5 बजे। सिख रेजिमेंट की फर्स्ट बटालियन ने DC-3 डकोटा विमान से श्रीनगर के लिए दिल्ली से उड़ान भरी। सुबह 7 बजे सिख रेजिमेंट की एक टुकड़ी ने श्रीनगर में मोर्चा संभाल लिया और दूसरी टुकड़ी को पट्टन भेज दिया गया। पट्टन बारामूला जिले में ही आता है। सुबह करीब 11 बजे श्रीनगर बारामूला हाईवे पर भारतीय सेना का मुकाबला कबाइली लड़ाकों से हुआ। कबाइलियों की संख्या कहीं ज्यादा थी। सिख रेजिमेंट के जवानों ने कबाइली लड़ाकों को आगे नहीं बढ़ने दिया, लेकिन इस कोशिश में 24 जवान और लेफ्टिनेंट कर्नल रंजीत राय को जान गंवानी पड़ी। कर्नल राय को मरणोपरांत महावीर चक्र से नवाजा गया। वे आजादी के बाद पहला गैलेंट्री अवॉर्ड पाने वाले सैनिक थे। कर्नल राय की वजह से भारत को कश्मीर में फिर से सैनिक भेजने का मौका मिल गया। इसके बाद 161 इन्फेंट्री श्रीनगर पहुंची। जिसे लीड कर रहे थे ब्रिगेडियर एलपी सिंह। साथ ही 1 पंजाब, 1 कुमाऊं और 4 कुमाऊं की बटालियन भी श्रीनगर उतर चुकी थी। 2 नवंबर को आर्मी को खबर मिली कि करीब 1 हजार लड़ाके बडगाम पर हमला करने वाले हैं। भारत का पहला परमवीर चक्र: 1 भारतीय सैनिक पर 7 कबाइली, फिर भी दुश्मन को 6 घंटे रोके रखा 3 नवंबर 1947, 4 कुमाऊं की 3 कंपनियों को बडगाम भेजा गया। इसकी एक टुकड़ी यानी डेल्टा कंपनी को लीड कर रहे थे मेजर सोमनाथ शर्मा। दोपहर 2.30 बजे कबाइलियों ने मेजर शर्मा की कंपनी को तीन तरफ से घेर लिया। तब मेजर शर्मा के दाहिने हाथ में प्लास्टर चढ़ा था। कुछ दिन पहले ही हॉकी खेलने के दौरान उनका हाथ फ्रैक्चर हो गया था। कबाइलियों की संख्या करीब 700 थी और मेजर शर्मा की कंपनी में महज 100 सैनिक थे। एक सैनिक 7 कबाइलियों से लड़ रहा था। दोनों तरफ से भयंकर गोलाबारी हो रही थी। एक के बाद एक मेजर शर्मा के साथी शहीद हो रहे थे। अपने सैनिकों का हौसला बढ़ाने के लिए मेजर शर्मा एक-एक पोस्ट पर जाकर मैगजीन पहुंचाने लगे, ताकि किसी पोस्ट पर गोलियां खत्म न हों। इसी बीच मेजर शर्मा ने हेडक्वार्टर संदेश भेजा कि दुश्मन हमसे बस 45 मीटर की दूरी पर है। हमारे हथियार-गोला खत्म हो रहे हैं, लेकिन हम एक इंच भी पीछे नहीं हटेंगे। हम आखिरी गोली और आखिरी जवान रहने तक लड़ेंगे। इसी बीच, एक मोर्टार सोमनाथ शर्मा को लगा और वे शहीद हो गए। उनकी टुकड़ी के 20 जवानों ने शहादत दी। डेल्टा कंपनी ने कबाइलियों को 6 घंटे तक रोक के रखा। इतना समय काफी था, पिछली टुकड़ी को आने के लिए। मेजर शर्मा को मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च सैन्य सम्मान परमवीर चक्र से नवाजा गया। आजादी के बाद परमवीर चक्र पाने वाले वे पहले सैनिक थे। सरदार पटेल ने कमांडर से कहा- ‘श्रीनगर को बचाना ही है, आपको जो चाहिए मिलेगा’ 161वीं इन्फेंट्री ब्रिगेड के कमांडर एल.पी. सेन अपनी किताब ‘स्लेंडर वज द थ्रेड: कश्मीर कॉन्फ्रंटेशन 1947-48’ में लिखते हैं- 4 नवम्बर की सुबह, जब मैं जंग के हालातों को लेकर रिव्यू कर रहा था। तभी मुझे मैसेज मिला कि डिप्टी प्राइम मिनिस्टर सरदार वल्लभ भाई पटेल और रक्षा मंत्री सरदार बलदेव सिंह घाटी में आ चुके हैं। वे मेरे हेड ऑफिस आ रहे हैं। मुझसे मिलते ही सरदार पटेल ने कहा- ‘श्रीनगर को बचाना ही है।’ मैंने कहा- ‘मुझे और ज्यादा सैनिक चाहिए। संभव हो तो कुछ तोपखाने भी। जितना जल्दी होगा उतना बेहतर होगा।’ सरदार पटेल उठे। उन्होंने कहा- मैं तुरंत दिल्ली लौट रहा हूं। आपको जो चाहिए वो जल्द से जल्द मिलेगा। उसी शाम मुझे मैसेज मिला कि पैदल सेना की दो बटालियन, बख्तरबंद गाड़ियों का एक स्क्वॉड्रन और फील्ड आर्टिलरी की एक यूनिट बाय रोड घाटी में भेजी जा रही है। इंजीनियरों ने पठानकोट से जम्मू तक सड़क पर कई पुलियाओं को पाट दिया था। अब घाटी तक बड़ी संख्या में सैनिक पहुंच सकते थे।’ जिन्ना ने ब्रिगेडियर उस्मान का सिर कलम करने पर 50 हजार का इनाम रखा था 7 नवंबर को कबाइलियों ने राजौरी पर कब्जा कर लिया और जमकर कत्लेआम मचाया। 24 दिसंबर को झंगड़ पर भी कबाइलियों ने कब्जा कर लिया। उनका अगला टारगेट नौशेरा था। उन्होंने इस शहर को चारों तरफ से घेर लिया। तब नौशेरा की कमान 50 पैरा ब्रिगेड के कमांडर ब्रिगेडियर उस्मान खान संभाल रहे थे। बंटवारे से पहले ब्रिगेडियर उस्मान को जिन्ना ने पाकिस्तान सेना प्रमुख बनाने का ऑफर दिया था, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया। इस पर नाराज जिन्ना ने उनका सिर कलम करने वाले को 50 हजार इनाम देने की घोषणा की थी। 4 जनवरी, 1948 की शाम नौशेरा पर कबाइलियों ने हमला बोला, लेकिन भारतीय सैनिकों ने उस हमले को नाकाम कर दिया। दो दिन बाद उन्होंने उत्तर पश्चिम से दूसरा हमला बोला। ये भी नाकाम रहा। उसी शाम 5000 कबाइलियों ने तोपखाने के साथ एक और हमला बोला, लेकिन ब्रिगेडियर उस्मान और उनके साथियों ने तीसरी बार भी नौशेरा को बचा लिया। इसके बाद ब्रिगेडियर उस्मान ने नौशेरा के पास के सबसे ऊंचे इलाके कोट पर जीत हासिल की और 18 मार्च 1948 को भारतीय सेना ने झंगड़ वापस हासिल कर लिया। जनरल वीके सिंह, ब्रिगेडियर उस्मान की जीवनी में लिखते हैं- ‘भारतीय सेना के हाथ से झंगड़ निकल जाने के बाद ब्रिगेडियर उस्मान ने प्रण किया था कि वो तब तक पलंग पर नहीं सोएंगे, जब तक झंगड़ दोबारा भारतीय सेना के कब्जे में नहीं आता। जब झंगड़ पर कब्जा हुआ तो एक गांव से पलंग उधार ली गई और ब्रिगेडियर उस्मान उस रात उस पर सोए।’ 3 जुलाई 1948 को पाकिस्तानी कबाइलियों से लड़ते वक्त ब्रिगेडियर उस्मान शहीद हो गए। उनके जनाजे में भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड माउंटबेटन और प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों के साथ मौजूद थे। इसके तुरंत बाद ब्रिगेडियर उस्मान को मरणोपरांत महावीर चक्र देने की घोषणा कर दी गई। भारत ने एक महीने के भीतर बारामूला, उरी, बडगाम सहित कश्मीर के बड़े हिस्से से कबाइलियों को खदेड़ दिया था। मीरपुर, गिलगिट-बाल्टिस्तान जैसे कुछ इलाकों में ही कबाइलियों का कब्जा रह गया था। भारत की फौज अब मुजफ्फराबाद की तरफ बढ़ने ही वाली थी। इसी बीच 1 जनवरी 1948 को भारत इस मसले को लेकर यूएन चला गया। 1 साल 2 महीने और 5 दिन जंग चली। यूएन की दखल के बाद 31 दिसंबर 1948 को पाकिस्तान सीजफायर पर राजी हो गया। जम्मू-कश्मीर का करीब दो-तिहाई हिस्सा भारत के पास रहा, जबकि करीब 30% हिस्सा पाकिस्तान के पास चला गया। --------------------पाकिस्तान पर फतह सीरीज के दूसरे एपिसोड में कल यानी 6 मई को पढ़िए... 1965 की जंग का किस्सा, जब भारत की सेना लाहौर तक पहुंच गई थी।
महज सवा सौ साल पहले जम्मू-कश्मीर की सीमा सोवियत रूस को छूती थी। आजादी से पहले और बाद के सालों में ऐसा क्या हुआ कि जम्मू-कश्मीर के 8 हिस्से हो गए। भारत के पास सिर्फ 60% इलाका बचा, 30% जमीन पर पाकिस्तान और 10% पर चीन ने कब्जा कर लिया है। मंडे मेगा स्टोरी के 10 ग्राफिक्स में समझिए जम्मू-कश्मीर के हर हिस्से की कहानी... **** ग्राफिक: अजीत सिंह, अंकुर बंसल और अंकित द्विवेदी ---------- जम्मू-कश्मीर से जुड़ी ये भी खबर पढ़िए... अगर कश्यप ऋषि ने बसाया कश्मीर तो मुस्लिम कैसे बसे: अमित शाह का दावा कितना पुख्ता, जानिए कश्मीर की कहानी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा,'कश्मीर को कश्यप की भूमि के नाम से जाना जाता है। हो सकता है कि उनके नाम से कश्मीर का नाम पड़ा हो।' इसके बाद से कयास लगाए जा रहे थे कि बीजेपी सरकार कश्मीर का नाम बदल सकती है। आखिर कश्मीर को लेकर क्या थ्योरीज हैं, यहां से कश्यप ऋषि का नाम क्यों जुड़ा है, पूरी खबर पढ़िए...
स्पॉटलाइट- 200 सांपों से डसवाया, खून बना जहर की दवा:कौन हैं टिम, कैसे बचा सकते हैं हजारों जानें
सबसे जहरीले सांपों से कटवाने के बाद भी टिम फ्रीडे बिल्कुल नॉर्मल कैसे हैं, फ्रीडे का ये शौक कैसे लाखों-करोड़ों का जीवन बचा सकता है, पूरी जानकारी के लिए ऊपर दी गई इमेज पर क्लिक कर देखें वीडियो
मसूरी की मॉल रोड। कश्मीर के कुपवाड़ा के रहने वाले इकबाल अहमद यहां पिछले 20 साल से कश्मीरी शॉल और गर्म कपड़े बेच रहे थे। मसूरी में उनके शॉल और गर्म कपड़ों को ढेरों पसंद करने वाले भी हैं, लेकिन 24 अप्रैल को उन्हें अचानक मसूरी छोड़कर जाना पड़ा। इकबाल जैसे ही करीब 16 और कश्मीरी व्यापारियों को मसूरी छोड़ना पड़ा। वजह है 22 अप्रैल को पहलगाम में हुआ आतंकी हमला। इस घटना के बाद इकबाल और यहां रह रहे बाकी कश्मीरी व्यापारियों के लिए सब कुछ बदल गया। हमले के अगले दिन यानी 23 अप्रैल को जब इकबाल रोज की तरह सामान लेकर दुकान लगाने पहुंचे तो कुछ युवकों के ग्रुप ने उन्हें दुकान हटाने के लिए धमकाया और आगे भी यहां दुकान न लगाने की धमकी दी। वे रोजी-रोटी के वास्ते शाम तक दुकान लगाए रहे। उन्हें लगा था कि मामला शांत हो जाएगा, तो सब पहले की तरह हो जाएगा। हालांकि ऐसा कुछ नहीं हुआ। शाम को युवकों का ग्रुप दोबारा आया। वो गाली-गलौज और मारपीट करने लगे। वे दुकान न हटाने पर जान से मारने की धमकी देने लगे और कहा- अगर आगे दिखा तो यहीं काट दूंगा। इकबाल का कसूर सिर्फ इतना था कि वो कश्मीर से हैं और मुसलमान हैं। वे कहते हैं- हम अपने देश में भी अनसेफ हैं। 29 अप्रैल को इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ और केस पुलिस तक पहुंचा। पुलिस ने धमकी देने वाले युवकों को अरेस्ट किया, लेकिन फाइन लगाकर छोड़ दिया। पुलिस इसे गंभीर मामला नहीं मान रही। लिहाजा उसने FIR तक दर्ज नहीं की। सबसे पहले इकबाल की आपबीती…‘कश्मीर का रहने वाला है ये, अगर दोबारा दिख गया तो यहीं काट दूंगामसूरी के सबसे पॉश इलाके मॉल रोड पर इकबाल अहमद सड़क किनारे फुटपाथ पर कपड़े की दुकान लगाते आ रहे थे। 23 अप्रैल की सुबह इकबाल के लिए आम सुबह जैसी नहीं रही। वे बताते हैं, ‘जब मैं सामान लेकर दुकान पहुंचा तो 4-5 लोग स्कूटी पर आए और धमकाने लगे। बोले- तू कश्मीर से है ना, फिर तुम लोग यहां क्यों आए हो। अपनी दुकान बंद करो और शाम तक यहां से निकल लो। तुम शाम तक यहां दिखने नहीं चाहिए।’ 26 साल के इकबाल के मन में डर तो था, लेकिन वो दुकान लगाए रहे। वे बताते हैं, ‘शाम होते ही वो लोग दोबारा दुकान पर आ पहुंचे। वो गाली-गलौज, मारपीट और जान से मारने की धमकी देने लगे। वे चिल्लाने लगे- फिर से तेरी दुकान लग गई। तुमको कितनी बार समझाऊं। इतना बोलते ही उनमें से एक ने इकबाल को तमाचा मारा और बोला- मेन तू है न। तुझे समझ नहीं आ रहा क्या। पुलिस वाले ने भी तुम्हें दुकान बंद करने के लिए बोला था। फिर भी बंद नहीं की।’ इकबाल बताते हैं कि लड़कों ने मार पिटाई करने के बाद मेरा आधार कार्ड मांगकर देखा। उनके ग्रुप का एक लड़का गाली देते हुए बोला- ये कश्मीर का रहने वाला है। अगली बार यहां दिख मत जाना। अगर दिख गया तो यहीं काट दूंगा। इकबाल कहते हैं, ‘मैं इन्हें नहीं जानता था। मॉल रोड पर उस दिन कई दूसरे लोगों ने भी दुकान लगाई थी, लेकिन उन्हें कुछ नहीं कहा गया, सिर्फ हमें ही धमकी दी गई।’ ‘मैंने उनसे कहा भी कि हम तो सिर्फ अपना बिजनेस कर रहे हैं। हमें क्यों गालियां दे रहे हैं। फिर उन्होंने मार-पिटाई शुरू कर दी।’ इकबाल बताते हैं कि जिन दो लोगों से मारपीट का वीडियो वायरल हुआ, उसमें मेरे अलावा जो दूसरा व्यक्ति दिख रहा है, वो मेरा दोस्त शब्बीर अहमद है। पुलिस से क्या शिकायत करें, वो पहले ही दुकान लगाने से मना कर चुकी मसूरी में रहकर कपड़े का कारोबार कर रहे इकबाल अहमद अकेले कश्मीरी मुसलमान नहीं हैं। सिर्फ मसूरी में ही करीब 18 कश्मीरी व्यापारियों की परमानेंट दुकानें हैं। वहीं 10-12 व्यापारी सीजन में आकर यहां कारोबार करते रहे हैं। देहरादून और पूरे उत्तराखंड की बात करें तो बहुत से कश्मीरी बिजनेस कर रहे हैं। घटना का दिन याद कर इकबाल कहते हैं, ‘23 अप्रैल को जब ये हादसा हुआ तो हम सब डर गए। हम अपने कमरे पर चले गए। हम पुलिस के पास भी नहीं गए क्योंकि पुलिस खुद हमें दुकान लगाने से मना कर चुकी थी। अगले पूरे दिन हम कमरे से बाहर नहीं निकले। मैं नमाज पढ़कर जब लौटा तो पुलिस वालों से मिलने मसूरी की लाइब्रेरी चौक गया। पुलिस वालों ने कुछ सुनने के बजाय कहा- ‘तुम लोग यहां से चले जाओ।’ इकबाल बताते हैं, 'मैं और मेरे कश्मीरी साथी इतना डरे हुए थे कि हम सबने रातों-रात मसूरी छोड़ दिया। किराए के कमरे में रखा अपना लाखों का माल भी नहीं उठाया। हम रात में 11 बजे अपने कमरे से निकले थे, लेकिन मसूरी से देहरादून जाने के लिए कोई बस या पब्लिक ट्रांसपोर्ट नहीं था। डर की वजह से हम वापस कमरे पर नहीं लौटे।' क्या हम कश्मीरी देश के दूसरे हिस्सों में काम नहीं कर सकतेइकबाल कहते हैं, ‘मसूरी में सिर्फ मेरा ही कमरे पर 2-3 लाख रुपए का माल रखा हुआ है। हम कश्मीर से कपड़े लाकर देश में अलग-अलग जगहों पर बेचते हैं। मसूरी में हम हमेशा भाईचारे के साथ रहते थे। कभी ये महसूस नहीं हुआ कि ऐसा भी हो सकता है कि बात मार-पिटाई और मरने-मारने तक पहुंच जाएगी।‘ ‘मेरा पूरा बचपन कश्मीर से बाहर काम करते हुए बीता है। हम देश के अलग-अलग शहरों में घूमते आए हैं।’ हम मसूरी और देश के दूसरे हिस्सों को भी अपना देश मानते हैं। क्या हम अपने देश में काम नहीं कर सकते? हम सब इंसान हैं, अगर किसी दूसरे ने गलत काम किया तो हमें क्यों निशाना बनाया जा रहा है। ‘हम अपने हिंदुस्तान में काम नहीं करेंगे तो कहां जाएंगे’हमने इकबाल से पूछा कि अब जब वीडियो वायरल हो गया है और सबको घटना के बारे में पता चल गया है तो आप पुलिस से क्या कहना चाहते हैं। इस पर इकबाल कहते हैं, ‘हम चाहते हैं कि इस मामले में एक्शन हो ताकि किसी दूसरे के साथ ऐसा दोबारा ना हो।‘ ‘हमारा रोजगार है तो हम रोजी-रोटी के लिए वापस मसूरी लौटेंगे। हमारे साथ ये सब दोबारा नहीं होना चाहिए। हम अपने हिंदुस्तान में ही काम नहीं करेंगे तो कहां जाएंगे। आप खुद बताओ कमाने के लिए तो काम करना ही होता है ना। अगर हम अपने ही देश में सेफ नहीं हैं, तो कहां होंगे।’ पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बारे में आप क्या सोचते हैं? इकबाल बोले- ‘वो भी परिवार वाले थे। हमें उनके लिए भी दुख है। मैं आपको क्या बताऊं कि हम भी दुखी हैं। जिन्होंने ये काम किया, वो दरिंदे हैं। कोई सामान्य इंसान ये सब करे, इसका सवाल ही पैदा नहीं होता। हम चाहते हैं कि पूरे हिंदुस्तान में हर कोई अमन-चैन से रहे, सुरक्षित रहे।’ ‘हम उत्तराखंड के सीएम से कहना चाहते हैं कि हम रोजी-रोटी कमाने के लिए आते हैं। हमें सताया नहीं जाना चाहिए। हमने किसी का कुछ नहीं बिगाड़ा है। हमारे कश्मीर में भी बाकी देश के लोग काम करते हैं, हम बाहर काम करने के लिए जाते हैं। क्या कश्मीरी लोग इंसान नहीं है, हमें हर जगह क्यों मारा जा रहा है।’ कश्मीरियों को टारगेट करने का डर, जावेद ने भी छोड़ा शहरजावेद भी कश्मीरी हैं और कुपवाड़ा के रहने वाले हैं। वे देहरादून में रहकर पिछले 15 साल से कश्मीरी हैंडीक्राफ्ट का बिजनेस कर रहे हैं। मसूरी की इस घटना के बाद वो कहते हैं, ‘हमें कभी नहीं लगा कि ऐसा कुछ होगा। पहलगाम आतंकी हमले के बाद से हमें डर था कि कहीं कश्मीरियों को टारगेट ना किया जाए और यही हुआ भी।‘ जावेद भी कश्मीर वापस लौट गए। वे कहते हैं कि कश्मीरी व्यापारियों के साथ पिटाई की जानकारी उन्हें तब मिली, जब पिटाई का वीडियो वायरल हुआ। हालांकि देहरादून के SSP अजय सिंह ने उन्हें कॉल किया था और सुरक्षा का भरोसा भी दिलाया। अब सुरक्षा का भरोसा मिलने के बाद जावेद आश्वस्त हैं और फिर से अपने काम पर लौटना चाहते हैं। पुलिस ने 3 युवकों को फाइन लगाकर छोड़ा, FIR दर्ज नहीं कीकश्मीरी व्यापारियों के साथ हुई इस मारपीट और जान से मारने की धमकी के मामले में उत्तराखंड पुलिस ने अब तक FIR दर्ज नहीं की है। पुलिस ने उत्तराखंड पुलिस एक्ट के सेक्शन-81 के तहत 3 युवकों को अरेस्ट किया था। इनमें देहरादून कैम्पटी का रहने वाला सूरज सिंह, हाथीपांव एस्टेट का प्रदीप सिंह और कंपनी गार्डन का रहने वाला अभिषेक उनियाल शामिल है। पुलिस ने इनसे माफीनामा लिखवाकर और फाइन लगाकर छोड़ दिया। देहरादून के SSP अजय सिंह कहते हैं, ‘मार-पिटाई या धक्का-मुक्की जैसा कुछ हुआ था। इस तरह के मामलों के लिए हमारे पुलिस एक्ट में प्रावधान है। हमने FIR नहीं की। अब उन आरोपियों ने माफी भी मांग ली। इसमें कोई सख्त मामला नहीं बनता था।’ हमने SSP से पूछा कि वीडियो में जान से मारने की धमकी साफ सुनाई दे रही है? इस पर SSP अजय सिंह कहते हैं, ‘देशभर में ऐसे छोटे-मोटे करीब 10 हजार केस होते होंगे। हर जगह पुलिस आकर क्या करेगी। पुलिस हर मामले का संज्ञान नहीं ले सकती। इस केस में हमें कोई शिकायत भी नहीं मिली है।’ वायरल वीडियो में युवकों ने जिस तरह की बातें कही हैं, उसके बाद क्या आपने स्वतः संज्ञान लेकर मामला दर्ज नहीं किया? इसके जवाब में SSP अजय कहते हैं, ‘या तो पीड़ित व्यक्ति आकर शिकायत दर्ज कराए या फिर हेट स्पीच का मामला हो, तभी हमने खुद संज्ञान लेकर मामला दर्ज किया है।’ SSP अजय के मुताबिक, उत्तराखंड पुलिस कश्मीरी छात्र-छात्रों, व्यापारियों और रहवासियों की सुरक्षा के लिए लोगों से बातचीत कर रही है। कश्मीरी अपने ही देश में अनसेफ और परायापन झेल रहे, पाकिस्तान यही चाहता हैइसके बाद हमने इस पूरे मामले को उठाने वाले जेके स्टूडेंट एसोसिएशन के नेशनल कन्वीनर नासिर खुएहमी से बात की। वे कहते हैं, ‘इस घटना के बाद काफी शॉल सेलर्स को मसूरी छोड़ना पड़ा। उत्तराखंड में हिंदू रक्षा दल के लोगों ने धमकी दी थी कि 24 घंटे में कश्मीरी राज्य छोड़कर जाएं। ऐसा ही कई और राज्यों में हुआ।‘ ‘कश्मीरी लोगों को उग्रवादी और आतंकी बताया जा रहा है। उन्हें अलगाववाद का समर्थक बताया जा रहा है। उनके साथ जिस पर तरह का व्यवहार देश के फ्रिंज एलिमेंट्स ने किया। जिस तरह उन्हें मारा-पीटा गया, हैरेसमेंट की घटनाएं सामने आईं। असल में पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान यही चाहता है। वो जम्मू-कश्मीर और देश के दूसरे हिस्सों के बीच ऐसी ही दूरी बनाना चाहता है। नासिर कहते हैं, ‘पहलगाम हमले के बाद हमने गृह मंत्रालय से बात की। हमने उनसे गुजारिश की है कि वो कश्मीरियों के साथ देशभर में हो रही ज्यादतियों को लेकर राज्यों की पुलिस को अवेयर करें। साथ ही कश्मीरी स्टूडेंट्स और व्यापारियों की सुरक्षा को सुनिश्चित करें।‘ ‘गृह मंत्रालय ने अलग-अलग राज्यों के पुलिस चीफ से बात करके कार्रवाई का भरोसा दिलाया है। जम्मू कश्मीर से लेकर पंजाब, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा में पुलिस ने कश्मीरी लोगों से बात की और उनको भरोसे में लिया।‘ ............................. ये खबर भी पढ़ें... पाकिस्तानी हिंदू बोले- जेल में डाल दो, वापस नहीं जाएंगे 49 साल के सीताराम (बदला हुआ नाम) दिल्ली के सिग्नेचर ब्रिज के नीचे अस्थायी तौर पर बनी शरणार्थी बस्ती में रह रहे हैं। उनके पास 45 दिन का वीजा था, जो पहलगाम हमले के बाद रद्द कर दिया गया है। हालांकि सीताराम ने लॉन्ग टर्म वीजा के लिए अप्लाई किया है। इसके बाद भी वे पाकिस्तान वापस भेजे जाने की आशंका से डरे हुए हैं। सीताराम अकेले नहीं हैं। पढ़िए पूरी खबर...
‘गाजा और कश्मीर का एक ही मसला है और दोनों मसलों का एक ही हल है। वो है जिहाद का। हमें भीख नहीं, आजादी चाहिए। फिलिस्तीन और कश्मीर के जो दुश्मन हैं, वो हमारे दुश्मन हैं।’ लश्कर कमांडर अबू मूसा का पहलगाम हमले से 4 दिन पहले का एक वीडियो सामने आया है। इसमें वो गाजा-फिलिस्तीन मसले की तुलना कश्मीर से कर रहा है। वो कहता है- ‘गाजा भी हमारे मीरपुर जैसा है। जब इजराइल को घुटने पर ले आए, तो कश्मीर में भी करेंगे।‘ इस वीडियो में अबू मूसा जिस मंच से बोल रहा है, वहां लगे पोस्टर में कश्मीरी आतंकी बुरहान वानी की भी फोटो लगी है। पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) में ट्रेनिंग देकर भारत भेजे जाने वाले आतंकियों के पीछे गाजा और फिलिस्तीन का क्या लिंक है, इस वीडियो से सामने आया है। पहलगाम आतंकी हमले में हमास की मॉडस ऑपरेंडी यानी हमले के तरीके के सबूत भी मिल रहे हैं। पहलगाम हमले के मास्टरमाइंड सैफुल्लाह खालिद के साथ रह चुके और PoK में ट्रेनिंग ले चुके दैनिक भास्कर के सोर्स ने सैफुल्लाह, लश्कर कमांडर अबू मूसा और हमास ट्रेनिंग को लेकर पहली बार कई बड़े खुलासे किए हैं। खुफिया एजेंसियों से जुड़े हमारे सोर्सेज से ये भी पता चला है कि पिछले दो महीने में PoK में हमास और लश्कर कमांडर अबू मूसा समेत कई लोगों की आपस में कई दौर की मीटिंग हो चुकी है। सैफुल्लाह खालिद उर्फ कसूरी के साथ भी रावलकोट में मीटिंग हुई है। सबसे पहले 3 अहम पॉइंट्स, जिस वजह से पहलगाम आतंकी हमले में हमास जैसी ट्रेनिंग होने की बात सामने आ रही… 1. पहलगाम अटैक में मारे गए सूरत के शैलेश कलाथिया के 5 साल के बेटे नक्ष घटना के चश्मदीद हैं। उन्होंने मीडिया से कहा था कि आतंकियों ने सिर पर कैमरा बांध रखा था। जांच में भी पता चला है कि ये GoPro कैमरे होते हैं। हमास भी इससे अटैक के दौरान वीडियो शूट करता है। 2. बायसरन घाटी में जिप लाइन करते टूरिस्ट का एक वीडियो सामने आया। इसमें आतंकी टूरिस्ट्स को घुटनों के बल बैठाकर पॉइंट ब्लैंक पर गोली मार रहे हैं। ये तरीका हमास का ही होता है। सोर्स ने हमें बताया है कि पाकिस्तान के ट्रेनिंग कैंप में 7-8 महीने से हमास के कुछ कमांडर भी मौजूद हैं। 3. लश्कर कमांडर अबू मूसा के एक वीडियो से भी हमास कनेक्शन सामने आता है। जिसमें उसने कहा है कि गाजा-फिलिस्तीन और कश्मीर का मसला एक ही है। जैसे- गाजा जैसा एक छोटा सा टुकड़ा इजराइल को घुटने टेकने पर मजबूर कर देता है, वैसे ही कश्मीरी मुजाहिद ये काम करेंगे। अब बात सैफुल्लाह खालिद और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में हमास के तरीके से होने वाली ट्रेनिंग की… साउथ कश्मीर का रहने वाला अब कराची में, पाक आर्मी के साथ करता है मीटिंग सैफुल्लाह खालिद के साथ रह चुके और PoK में ट्रेनिंग ले चुके हमारे सोर्स ने हमें कई अहम जानकारियां दीं। उसने बताया कि पहलगाम हमले में जिस सैफुल्लाह खालिद को मास्टरमाइंड बताया जा रहा है। वो मेरे साथ जेल में रह चुका है। ये बात साल 1991 की है। उस वक्त वो डिविजनल कमांडर हुआ करता था। अभी सैफुल्लाह लश्कर-ए-तैयबा का डिप्टी चीफ है। उसे लश्कर के संस्थापक आतंकी हाफिज सईद का बेहद करीबी माना जाता है। सोर्स के मुताबिक, ‘सैफुल्लाह साउथ कश्मीर के अनंतनाग का ही रहने वाला है। इस वक्त वो पाकिस्तान के कराची के बहरिया टाउन में रह रहा है। ये मोस्ट वांटेड सैयद सलाउद्दीन का सबसे खास है। एक तरह से राइट हैंड। इस समय वो यूनाइटेड जिहाद काउंसिल का डिप्टी चीफ है। अभी पाकिस्तानी आर्मी के साथ वो आता-जाता है। इसके कई वीडियो भी हैं।‘ खुफिया एजेंसियों से जुड़े हमारे सोर्सेज ने ये भी बताया कि PoK के मुजफ्फराबाद में पिछले 7-8 महीने से ट्रेनिंग में हमास कमांडर भी मौजूद हैं। कश्मीरी मुजाहिद और पाकिस्तानी आतंकियों के साथ उनकी ट्रेनिंग हुई है। पहलगाम से 4 दिन पहले बोला अबू मूसा... गाजा और कश्मीर की एक समस्या, गोलियों की बौछार से मुजाहिद करेंगे फैसलापहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले से पहले PoK में क्या हुआ था? कैसे आतंकियों को टूरिस्ट्स पर अटैक के लिए तैयार किया गया? इसकी जानकारी जुटाते हुए हमें सोर्स के जरिए कुछ वीडियो मिले। ये वीडियो 15 मार्च से लेकर 18 अप्रैल के बीच के हैं। इसमें सैफुल्लाह खालिद के कुछ पोस्टर भी हैं। इनसे 26 मार्च को PoK के मीरपुर में हुई एक मीटिंग का पता चला। लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर अबू मूसा का भड़काऊ भाषण वाला वीडियो भी मिला, जिसमें वो हमास अटैक का जिक्र कर रहा है। पहले अबू मूसा अपने साथी की मौत का जिक्र करते हुए कहता है- ‘हमारा एक साथी और उसका भाई हाल में शहीद हुए। इनमें से एक ने अपने वसीयतनामे में लिखा है कि हमारा भाई कश्मीर में लड़कर शहीद हुआ है। हम हथियार नहीं भूलेंगे। ये जंग जारी रखनी है।‘ इसके थोड़ी देर बाद अबू मूसा ने गाजा का जिक्र करते हुए कहा- ‘गाजा भी हमारे मीरपुर जितना ही बड़ा है। करीब साढ़े 22 किमी चौड़ा और करीब 40 किमी लंबा है। उसने इजराइल को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया। अगर हम भी आजाद कश्मीर के लोग एकजुट हो जाएं। सियासी पार्टी के पीछे चलना छोड़ दें। हम जिहाद के राह पर चलें तो जैसे मिस्र में मुजाहिद की हुकूमत है। बांग्लादेश में हिंदुओं को मारा गया है, उसी तरह हम कश्मीर में भी करेंगे।‘ इसके बाद वो जम्मू कश्मीर से हटाए गए आर्टिकल 370 का जिक्र करता है। वो आगे कहता है- ‘इंडिया ने आर्टिकल-370 और आर्टिकल-35ए को इसलिए हटाया ताकि इससे जम्मू कश्मीर में मुस्लिमों की पहचान कम हो जाए। डेमोग्राफिक बदलाव आ जाए। हमारे खौफ की वजह से अब तक ऐसा नहीं हो पा रहा है।‘ भारत सरकार ने जो आर्टिकल-370 हटाने का फैसला किया था, वो गलत था। कानून भी उन्हीं का, कोर्ट भी उन्हीं की और जज भी उनका, लेकिन अब इसका फैसला मुजाहिद करेंगे। गोलियों की बौछार से करेंगे। आखिर में अबू मूसा कहता है- ‘अब आर्टिकल- 370 हटे हुए 5 साल से ज्यादा का समय बीत चुका है। फिलिस्तीन और कश्मीर का एक ही मसला है और दोनों मसलों का हल एक ही है। वो हल है जिहाद का। हमें भीख नहीं, आजादी चाहिए। फिलिस्तीन और कश्मीर के जो दुश्मन हैं, वो हमारे दुश्मन हैं। इंडिया का जो यार है, वो गद्दार है।‘ लश्कर के मंच पर बुरहान वानी की फोटो दिखीअबू मूसा के साथ उसी मंच से अब्दुल्लाह खालिद ने भी भाषण था। ये भी लश्कर से जुड़ा है। मंच पर लगे पोस्टर में कश्मीरी आतंकी बुरहान वानी की फोटो लगी दिखी। बुरहान वानी वही आतंकी है, जो एक समय कश्मीर में पोस्टर बॉय के तौर पर सोशल मीडिया पर चर्चा में आया था। वो सोशल मीडिया पर हथियार के साथ फोटो डालता था। उसी दौर में कश्मीर के काफी युवा आतंकी संगठनों से जुड़े थे। पहलगाम से पहले सैफुल्लाह ने कहा था...कश्मीर में जुल्म हो रहा, हम उनके लिए सब कुर्बान करने को तैयारइंटेलिजेंस सोर्सेज के मुताबिक, TRF आतंकी सैफुल्लाह खालिद पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड है। वो सैफुल्लाह कसूरी के नाम से भी जाना जाता है। हमें उसका एक वीडियो भी मिला है, जो मार्च का ही बताया जा रहा है। इसमें सैफुल्लाह ने जम्मू-कश्मीर से 2019 में आर्टिकल 370 हटाने पर भारत का विरोध किया है। उसने पाकिस्तान सरकार और तत्कालीन विदेश सचिव शहरयार खान से कहा- आपने कश्मीरियों के लिए कुछ नहीं किया। हम उनके लिए सब कुर्बान करने के लिए तैयार हैं। भारत कश्मीर के लोगों पर जुल्म कर रहा है। सैफुल्लाह ने आगे कहा- ‘पाकिस्तान सरकार अपने लालच के लिए कश्मीर मुद्दे पर कमजोर पड़ गई है। भारत सरकार ने 6 साल पहले आर्टिकल-370 हटाया था, लेकिन आपने (पाकिस्तान सरकार) इंटरनेशनल फोरम पर कश्मीर की बात नहीं की। हमारा पाकिस्तान दुनिया के सामने झुक गया। आप कश्मीर को ठंडा करोगे और वो बलूचिस्तान को गर्म करेंगे।‘ कश्मीरी मुजाहिद को पाकिस्तान आर्मी देती है ट्रेनिंग और बाकी सुविधाएंलश्कर कमांडर जिस कश्मीरी मुजाहिद की बात कर रहा है। जब हमने सोर्स से उसके बारे में पूछा कि आखिर वो कौन होते हैं। हमारे सोर्स ने बताया कि कश्मीरी मुजाहिद का मतलब वो शख्स है, जो भारत के कश्मीर का रहने वाला होता है। वो आतंकी बनने के लिए PoK में चला जाता है। उसे ही कश्मीरी मुजाहिद का नाम दिया जाता है। सोर्स के मुताबिक, जैसे ही कोई कश्मीरी PoK में एंट्री करता है, तभी पाकिस्तानी आर्मी के वायरलेस पर इसकी जानकारी दी जाती है। फिर वहां से उसे आगे ले जाने के लिए पाकिस्तान आर्मी की गाड़ी आती है। यहां से उसे माचिस फैक्ट्री ले जाया जाता है। यहां 4-5 दिन पैदल और जंगलों के रास्ते ले जाया जाता है। इस रास्ते में घास-फूस खाने की ट्रेनिंग भी दी जाती है। तबीयत बिगड़ने के बाद माचिस फैक्ट्री में पहुंचने पर उसे एक दवा देते हैं, जिससे उसे उल्टी हो जाती है। फिर पहली बार खाने के लिए उसे देसी घी के साथ खिचड़ी दी जाती है। एक-दो दिन आराम करने को मिलता है। इसके बाद उसका आईडी कार्ड बनाया जाता है। उस पर लिखते हैं- कश्मीरी मुजाहिद। इसके बाद उसे कुछ दिन घूमने के लिए भेजा जाता है। गले में आईडी कार्ड और हाथ में राइफल दे दी जाती है। कुछ पैसे भी दिए जाते हैं। ये पैसे 10 से 20 हजार रुपए तक होते हैं। इसके बाद कश्मीरी मुजाहिद पूरे पाकिस्तान में कहीं भी जा सकता है। उसे आईडी कार्ड दिखाकर कहीं भी खाना और रहना फ्री मिल जाता है। इसके बाद उन्हें एके-47 समेत बाकी हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी जाती है। ट्रेनिंग के बाद उसे लॉन्चिंग पैड पर बुलाते हैं। वहां भी 4-5 दिन रुकवाते हैं। LoC पर पाकिस्तानी सेना फायरिंग कर कश्मीरी मुजाहिद को पार कराती है बॉर्डरPoK में ट्रेनिंग के बाद कश्मीरी मुजाहिद को जम्मू-कश्मीर भेजा जाता है। ये सब कैसे होता है, ये पूछने पर हमारे सोर्स ने बताया- ‘एक बार में अब ज्यादा से ज्यादा 2 या 3 लोग ही घुसपैठ करते हैं। इससे ज्यादा कभी भी घुसपैठ नहीं करते। ये सब उस समय होता है, जब LoC पर पाकिस्तानी सेना फायरिंग करती है। उसी फायरिंग की आड़ में कश्मीरी मुजाहिद और पाकिस्तानी आतंकी जम्मू-कश्मीर सीमा में घुसपैठ करते हैं।‘ ‘इस घुसपैठ में पाकिस्तानी सेना की BAT यानी बॉर्डर एक्शन टीम काफी मदद करती है। पाकिस्तान आर्मी की ये यूनिट बेहद खतरनाक है।‘ अब पहलगाम हमले की जांच से जुड़ी अपडेट…75 संदिग्ध पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSA) में अरेस्टपहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के 12 दिन बाद जम्मू कश्मीर पुलिस अब तक 75 लोगों को अरेस्ट कर चुकी है। इन सभी पर PSA यानी पब्लिक सेफ्टी एक्ट लगाया गया है। सोर्सेज से पता चला है कि पहलगाम अटैक के बाद बायसरन घाटी के दुकानदारों, घोड़े वालों, जिप लाइन ऑपरेटर समेत सैकड़ों लोगों को पूछताछ के लिए बुलाया गया था। इनके बयान भी दर्ज किए गए। इन सभी से 22 अप्रैल और उसके आसपास वाले दिन के घटनाक्रम के बारे में सवाल-जवाब किए गए। ऐसी आशंका है कि जिन लोगों के जवाब से शक पैदा हुआ। उन्हें हिरासत में लिया गया। इन्हीं पर PSA लगाया गया है। इन पर ओवर ग्राउंड वर्कर यानी OGW होने का भी शक है। हमले के दिन ही बायसरन घाटी का दुकानदार गायब, पूछताछ जारीहमले की जांच के दौरान एक ऐसा शख्स भी मिला, जिसने बायसरन घाटी में आतंकी हमले से 15 दिन पहले ही दुकान शुरू की थी। 22 अप्रैल को उसने अचानक दुकान बंद कर दी। उससे भी पूछताछ की जा रही है। हालांकि उसका अब तक आतंकियों से जुड़ा कोई लिंक नहीं मिला है। उसे अब तक संदिग्ध ही माना जा रहा है। इसके अलावा इंटरनेट और मोबाइल फोन एक्सेस की भी जांच हो रही है। इसके अलावा NIA ने बायसरन घाटी में हुए आतंकी हमले की जांच का दायरा पहले से ज्यादा बढ़ा दिया है। अब सर्च ऑपरेशन साउथ कश्मीर के इलाकों के साथ जम्मू की चिनाब और पीर पंजाल रेंज में किया जा रहा है। इसमें पुंछ और राजौरी के इलाके भी शामिल किए गए हैं। .......................... पहलगाम से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... दिखने में आम कश्मीरी, लेकिन आतंकियों के मददगार ओवरग्राउंड वर्कर 39 साल सेना में रहे रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल संजय कुलकर्णी साउथ कश्मीर में पोस्टेड रहे हैं। वो उन ओवर ग्राउंड वर्कर्स के बारे में बता रहे हैं, वे जम्मू-कश्मीर में आतंकियों की आंख और कान हैं। वो बताते हैं, ‘वे दुकानदार हो सकते हैं, खच्चर चराने वाले हो सकते हैं, पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर हो सकते हैं, पुलिसवाले भी हो सकते हैं। आपको पता भी नहीं चलेगा कि आम कश्मीरियों की तरह दिखने वाला कोई शख्स आतंकियों का मददगार हो सकता है।’ पढ़िए पूरी खबर...
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Blackrock CEO Larry Fink salary: दुनिया के सबसे अमीर शख्स व ब्लैकरॉक के सीईओ लैरी फिंक की सैलरी को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है. ऐसे में चलिए जानते हैं कि उनकी कितनी सैलरी है.
'सच तो यही है लेकिन..' युद्ध हुआ तो क्या होगा? पाकिस्तानी सांसद ने कर दी असली भविष्यवाणी
India-Pakistan: इस समय भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ा हुआ है. यह बात सही है कि पाकिस्तान काफी घबराया हुआ है और इधर भारत सरकार संजीदगी से इस मामले को हैंडल कर रही है. पूरी दुनिया को पता है कि भारत एक जिम्मेदार देश है.
फ्रांस के कब्रिस्तान में मिली हिंदुओं से जुड़ी ये खास चीज, प्राचीन तलवारों में छिपा था
France News: फ्रांस में 2 तलवारों की खोज की गई है. इन तलवारों में स्वास्तिक का चिन्ह बना है. स्वास्तिक के चिन्ह को लेकर सवाल उठ रहा है कि इसका क्या अर्थ हो सकता है?
रूस के विक्ट्री डे परेड में शामिल नेताओं की जान को खतरा, क्यों ऐसा दावा कर रहे जेलेंस्की?
Russia Ukraine war: यूक्रेन के राष्ट़्रपति वोलोडिमीर जेलेंस्की का कहना है कि रूस द्वारा आयोजित विजय दिवस परेड में शामिल होने वाले मंत्रियों के जीवन को खतरा है.
सिंगापुर चुनाव में बना रिकॉर्ड, 60 साल पुरानी PAP सरकार सत्ता में बरकरार, मिली प्रचंड जीत
Singapore Election Result 2025: सिंगापुर आम चुनाव में पीपुल्स एक्शन पार्टी के अलावा आज तक कोई और राजनीतिक दल सत्ता में नहीं आ पाया है. इस पार्टी की जनता के बीच लोकप्रियता लगातार बरकरार है.
Pakistan News in Hindi: पाकिस्तान की आर्थिक बदहाली और कंगाली किसी से छिपी नहीं है. लेकिन धर्म के आधार पर बने पाकिस्तान की हालत आजादी के वक्त भी ऐसी ही थी. तब बांबे का एक बैंक था, जिसने पाकिस्तान को उभरने के पहले ही डूबने से बचाया.
राजस्थान के भीलवाड़ा जिले का नरसिंहपुरा गांव। तारीख थी 2 अगस्त 2023, शाम के 4 बजे थे। सुनसान खेत में 2 लड़के एक लड़की को टांगों से घसीट कर लाए और खेतों के किनारे बनी एक धधकती भट्ठी में डाल दिया। लड़की के शरीर के निचले हिस्से में कोई कपड़ा नहीं था। लड़कों के साथ एक औरत भी थी। खेत में ऐसी चार और भट्ठियां थीं। इनमें लकड़ी से कोयला बनाया जाता था। लड़कों ने करीब 3 घंटे बाद भट्ठी से अधजली लाश निकाली और फावड़े से सिर अलग करके बाकी शरीर के 20 टुकड़े कर डाले। इन टुकड़ों को बोरी में भरा और ले जाकर नहर में फेंक दिया। उधर, लड़की की मां और उसका चचेरा भाई उसे तलाशते हुए भट्ठी तक पहुंच गए। भट्ठी से उन्हें कड़ा और जले हुए हाथ का टुकड़ा मिला। गांव के प्रधान ने पुलिस बुला ली। भीलवाड़ा के थाना कोटड़ी के डीएसपी श्याम सुंदर ने इस मर्डर की जांच शुरू की। उन्होंने भट्ठी किनारे रहने वाले दो भाई कालू, कान्हा सहित 9 लोगों को पकड़ लिया। सख्ती के बाद कालू और कान्हा ने जुर्म कबूल लिया। कालू ने बताया- ‘साहब… लड़की के पिता उसे लेकर बकरी चराने खेत आए थे। उन्होंने मुझसे कहा कि इसका ध्यान रखना, मैं रिश्तेदारी में जा रहा हूं। इस बात का फायदा उठाकर मैंने और मेरे भाई कान्हा ने बारी-बारी से उसका रेप किया। वो चीख रही थी तो भाई ने उसके सिर पर डंडा मार दिया। वो मर गई, तो उसकी लाश भट्ठी में डालकर आग लगा दी।’ दैनिक भास्कर की सीरीज ‘मृत्युदंड’ में भीलवाड़ा भट्ठी केस के पार्ट-1 और पार्ट-2 में इतनी कहानी तो आप जान ही चुके हैं। आज पार्ट-3 में आगे की कहानी… डीएसपी श्याम सुंदर सोच रहे थे...कालू और कान्हा ने जुर्म कबूल लिया है, लेकिन कोर्ट में मुकर गए तो? न लड़की जिंदा बची न पूरी लाश मिली है, कैसे साबित होगा कि कालू-कान्हा ने ही गैंगरेप किया है? भट्ठी में डालने से पहले लड़की जिंदा है, ये भी तो साबित करना है। पूरी लाश नहीं मिली तो ये भी साबित करना मुश्किल होगा कि इंसानी लाश है या नहीं? डीएसपी श्याम सुंदर ने गुस्से में कान्हा से पूछा- ‘लाश के बाकी टुकड़े कहां है?’ कान्हा ने घबराते हुए कहा- ‘एक और बोरी है,उसमें भी लाश के टुकड़े हैं, उसी नहर में फेंकी है।' डीएसपी, कालू-कान्हा को लेकर दोबारा नहर के पास पहुंचे। थोड़ी देर ढूंढने पर दूसरी बोरी भी मिल गई। बोरी में मिले लाश के टुकड़े पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिए गए। 4 अगस्त 2023, रात के एक बजे। तीन डॉक्टरों की टीम ने लाश के टुकड़ों का पोस्टमॉर्टम करना शुरू किया। उस टीम में शामिल डॉक्टर चेतन जैन बताते हैं- ‘15 हजार से ज्यादा पोस्टमॉर्टम कर चुका हूं। इससे पहले मैंने ऐसी डेड बॉडी नहीं देखी। बोरियों में लाश की जगह मांस के लोथड़े थे। पता ही नहीं चल रहा था कि ये लाश इंसान की है या जानवर की। पोस्टमॉर्टम हाउस में एक-एक टुकड़े को जोड़ना शुरू किया गया। सिर से लेकर पैर तक, ठीक उसी तरह जैसे कोई कागज पर इंसानी शरीर का ढांचा बनाता है। खोपड़ी को हाथ में उठाकर देखा, तो गर्दन का मांस हाथ में आ गया। जब पूरे टुकड़ों को जोड़ा, तब कन्फर्म हुआ कि यह इंसान की बॉडी है। कुल 20 टुकड़ों में लाश थी। जले हुए बालों में एक हेयर क्लिप चिपकी हुई थी। झुलसी हुई नाक में नथ थी। लड़की की मां ने पहचान लिया था कि ये उसकी बेटी की ही नथ है। लाश से भरी दोनों बोरियों का वजन सिर्फ 6300 ग्राम यानी 6 किलो 300 ग्राम था।’ पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से साफ हो चुका था कि बोरियों में मिली लाश इंसान की ही है। अब पुलिस को ये साबित करना था कि कालू और कान्हा ने गैंगरेप किया है। डीएसपी श्याम सुंदर ने फौरन कालू और कान्हा को पेनाइल स्वैब टेस्ट के लिए भेज दिया। ये टेस्ट रेप की घटना के 48 से 72 घंटे के भीतर किया जाता है। इस टेस्ट में गुप्तांगों में लगे एलिमेंट्स की जांच की जाती है। जांच में कालू-कान्हा के गुप्तांगों के डीएनए और लड़की की लाश के डीएनए मैच कर गए। यहां तक कि कालू और कान्हा के सैंपल आपस में भी मैच कर गए। इससे साफ हो गया कि कालू और कान्हा ने बारी-बारी से रेप किया था। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में ये भी पता चला कि सिर के पिछले हिस्से में फ्रैक्चर था। खून के दाग से पता चला कि जिंदा लड़की सिर पर वार किया गया। फोरेंसिक टीम ने लाश का कार्बोक्सीहीमोग्लोबिन टेस्ट किया। इसमें पता किया जाता है कि हिमोग्लोबिन में कार्बन मोनोऑक्साइड है या नहीं। रिपोर्ट पॉजिटिव आई। पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टर चेतन बताते हैं, ‘जब लड़की जल रही थी, तो रगों में खून बह रहा था। सांसें चल रही थीं। तभी कार्बोक्सीहीमोग्लोबिन टेस्ट की रिपोर्ट पॉजिटिव आई।’ सिर और कोहनी की हड्डी से पता चला कि यह किसी 17 साल 9 महीने की लड़की की बॉडी है। यानी लड़की नाबालिग थी। इन सबूतों के आधार पर भीलवाड़ा पॉस्को कोर्ट में दोनों भाई कालू-कान्हा समेत 9 लोगों के खिलाफ गैंगरेप के बाद जिंदा जलाने और सबूत नष्ट करने का मुकदमा शुरू हुआ। सरकार ने लड़की के परिवार की तरफ से महावीर किशनावत को वकील बनाया। किशनावत जयपुर में प्रैक्टिस करते हैं। अब भीलवाड़ा पॉस्को कोर्ट में दोनों तरफ से जिरह शुरू हुई। महावीर किशनावत ने कोर्ट में कहा- ‘माय लॉर्ड… एक नाबालिग लड़की के साथ, दोनों भाइयों ने बारी-बारी रेप किया। उसके सिर पर डंडा मारा और जिंदा ही धधकती भट्ठी में डाल दिया। फोरेंसिक रिपोर्ट और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट इस बात को साबित कर रही है कि लड़की की मौत जलने से हुई है। जिंदा लड़की को इन दोनों ने पेट्रोल छिड़कर जला दिया। क्राइम सीन से पेट्रोल की बॉटल, फावड़ा और दो बोरियों में लाश बरामद हुई है। एक पिता ने जिस इंसान को अपनी बेटी का ध्यान रखने के लिए बोला, उसी ने उसकी बेटी का बलात्कार करके मर्डर कर दिया। इनके बयानों और सबूतों से साफ है कि इन्होंने प्लांड तरीके से रेप किया, फिर हत्या की और सबूत मिटाने के लिए लाश के टुकड़े करके फेंक दिया।' माय लॉर्ड…ये दरिंदे समाज में जिंदा रहने लायक नहीं हैं। ये बच गए तो फिर किसी न किसी को अपना शिकार बनाएंगे। इन्हें मृत्युदंड दिया जाए।’ इसके बाद कालू-कान्हा का बचाव करते हुए उनके वकील ने कहा- ‘जिस रोज ये घटना घटी, एक दाढ़ी वाला व्यक्ति भट्ठी के पास घूम रहा था। इन लोगों ने तो ये भट्ठियां कुछ महीने पहले ही किराए पर पीड़ित परिवार से ली थी। इससे पहले ये भट्ठियां दाढ़ी वाले व्यक्ति के पास थीं। इसका पीड़ित परिवार के साथ झगड़ा था। हो सकता है दाढ़ी वाले ने ही लड़की के साथ गलत किया हो और कालू-कान्हा को फंसाने के लिए भट्ठी में डालकर जिंदा जला दिया। पुलिस ने दबाव डालकर कालू-कान्हा का बयान दर्ज किया है। ये बेगुनाह हैं।' एडवोकेट किशनावत ने उन्हें टोकते हुए कहा, ‘मान लीजिए कि पुलिस के दबाव में दोनों झूठ बोल रहे हैं, लेकिन क्या पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट भी झूठ बोल रही है? क्या फोरेंसिक रिपोर्ट झूठी है? क्या पीड़ित परिवार झूठ बोल रहा है? कालू-कान्हा के फोन कॉल्स की डिटेल्स से साफ है कि 2 अगस्त 2023 को 4 बजे के बाद उस जंगल में ये सब हुआ। और कालू-कान्हा और उनके साथ मौजूद लोगों ने पूरी घटना को अंजाम दिया।' थोड़ा ठहरकर एडवोकेट किशनावत ने फिर से बोलना शुरू किया- आखिरी बार लड़की को उसके पिता ने खेत में देखा था और सामने कालू-कान्हा अपने तंबू में बैठे हुए थे। कानून की ‘Last Seen Theory’ के मुताबिक ये दोनों ही जिम्मेदार हैं। इतना ही नहीं, पेट्रोल वाले ने भी गवाही दी है कि कालू-कान्हा ने कुछ दिन पहले ही एक बॉटल में पेट्रोल भरवाया था। 473 पन्नों की चार्जशीट कोर्ट में पेश की गई है, उसका एक-एक पन्ना इस बात की गवाही दे रहा है कि इन दोनों ने लड़की के साथ गैंगरेप किया और उसे भट्ठी में जिंदा जला दिया।’ कोर्ट में करीब 9 महीने तक ये मामला चला। 43 गवाह पेश किए। 18 मई 2024 को भीलवाड़ा पॉस्को कोर्ट के जज अनिल कुमार गुप्ता ने 100 पन्नों के जजमेंट में फैसला सुनाते हुए कहा- ‘बचाव पक्ष में जो तर्क दिया गया, उसका कोई आधार नहीं है। पुलिस जांच, फोरेंसिक रिपोर्ट और गवाहों के बयानों से साफ है कि इन दोनों ने ही लड़की के साथ गैंगरेप किया। भट्ठी में डाले जाने से पहले लड़की जिंदा थी। ये कल्पना कर पाना मुश्किल है कि बेबस लड़की भट्ठी में किस कदर तड़प रही होगी। हमारे शरीर में कहीं थोड़ी भी आग छू जाती है, तो हम चीखने लगते हैं। अगर ये बच गए, तो समाज में गलत संदेश जाएगा। अब वो लड़की सिर्फ पीड़ित परिवार की बेटी नहीं, समाज की बेटी है। जिस इंसान को एक पिता ने बेटी का ध्यान रखने के लिए कहा, उसी ने रेप करके नृशंस तरीके से उसकी हत्या कर दी। इन दोनों को जीने का कोई हक नहीं है। दोनों को मरते दम तक फांसी के फंदे पर लटकाए जाने की सजा सुनाई जाती है। सबूतों के अभाव में कोर्ट ने कालू और कान्हा की बीवियों, संजय समेत 7 लोगों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। कालू-कान्हा ने फैसले के खिलाफ राजस्थान हाईकोर्ट में अपील की है। उनका कहना है कि दोनों की पत्नी-बच्चे हैं। उन्हें कम-से-कम सजा दी जाए। फिलहाल कालू-कान्हा जयपुर सेंट्रल जेल में बंद हैं। पुलिस ने भी बरी हुए बाकी 7 लोगों के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की है। (नोट- ये पूरी कहानी कोर्ट जजमेंट, भीलवाड़ा के एडिशनल एसपी श्याम सुंदर, एडवोकेट महावीर किशनावत और पीड़िता की मां, भाई और चाचा से बातचीत पर आधारित है। नेहा पीड़िता का काल्पनिक नाम है।) 'मृत्युदंड' सीरीज में अगले हफ्ते पढ़िए एक और सच्ची कहानी... --------------------------------------------------- भीलवाड़ा भट्ठी केस की पहली और दूसरी कड़ी भी पढ़िए... 1. लड़की को टांगों से घसीटकर लाए और भट्ठी में डाला:अधजली लाश निकालकर फावड़े से 20 टुकड़े किए; भीलवाड़ा भट्ठी केस, पार्ट-1 राजस्थान के भीलवाड़ा जिले का नरसिंहपुरा गांव। शाम के 4 बज रहे थे। सुनसान खेत में 2 लड़के एक लड़की को टांगों से घसीटते हुए ले जा रहे थे। उसके शरीर के निचले हिस्से में कोई कपड़ा नहीं था। शरीर से खून रिस रहा था। खेत के किनारे पर लकड़ी से कोयला बनाने वाली 5 भट्ठियां थीं। दोनों ने लड़की को घसीटते हुए भट्ठी में डाला, पेट्रोल छिड़का और आग लगा दी। इन लड़कों साथ एक औरत भी थी। पढ़िए पूरी कहानी... 2. मैंने दो बार रेप किया, छोटे भाई ने एक बार:लड़की बेहोश हुई तो बीवी बोली- इसे भट्ठी में डाल दो; भीलवाड़ा भट्ठी केस, पार्ट-2 मुझे पता चल गया था कि नेहा अकेली है। मैंने दौड़कर उसे पकड़ना चाहा, तो वो भागने लगी। फिर लड़-खड़ाकर गिर गई। मैंने दुपट्टे से उसका मुंह बांध दिया और खेत के किनारे ले गया। वहां मैंने उसके साथ रेप करने लगा। कुछ ही देर में कान्हा वहां आ गया। उसने मुझे हटाया और खुद नेहा के साथ रेप करने लगा। मैं खड़े होकर देखता रहा कि कोई आ तो नहीं रहा। पढ़िए पूरी कहानी...
मैं राजकुमार, कश्मीर में तीन साल पहले स्कूल में रजनी नाम की जिस सरकारी टीचर को आतंकियों ने गोली मारी थी, उसका पति हूं। मैं भी सरकारी टीचर हूं। 15 साल की बेटी भी है, जिसका नाम रजनी ने गुड़िया रखा था। जम्मू के नानके चक गांव का रहने वाला हूं। बीवी के मरने के बाद घर पर अकेला ही रहता हूं। बेटी अब अपने चाचा के घर पर रहती है। मेरी बीवी की पोस्टिंग कुलगांव में थी, जो सबसे ज्यादा मिलिटेंसी वाला जिला था। रजनी का स्कूल इंटीरियर इलाके में जंगल की तरफ था। सेब के बगीचे से होकर जाना पड़ता था। साल 2022 के शुरुआती दिनों में कश्मीर में टारगेट किलिंग शुरू हुई। आसपास के जिलों में लोग मारे जा रहे थे। रजनी कहने लगी कि मुझे स्कूल जाने में डर लगता है। मैंने दिलासा देते हुए कहा कि हम लोग ट्रांसफर के लिए अप्लाई करेंगे। सरकारी दफ्तरों के खूब चक्कर काटे, लेकिन ट्रांसफर नहीं हुआ। आखिरकार हम दोनों श्रीनगर के डायरेक्टोरेट ऑफिस गए। वहां हमने कहा कि ट्रांसफर नहीं हो रहा तो कम से कम हम दोनों की ड्यूटी एक ही स्कूल में लगा दो। उसी दिन शाम को लिस्ट आ गई, जिसमें मेरी और रजनी की पोस्टिंग कुलगाम के एक ही स्कूल में हो गई। वह स्कूल शहर में था और हमारे घर के पास भी था। हम दोनों बहुत खुश थे। श्रीनगर गए, वहां रजनी ने खूब सारी शॉपिंग की थी। हमें क्या पता था कि एक झटके में सबकुछ खत्म हो जाएगा। 31 मई 2022 का वो दिन मुझे कभी नहीं भूलता। सबकुछ आंखों के सामने तैरने लगता है। सुबह सोकर उठा तो रजनी ने चाय बनाकर दी। हम दोनों ने साथ में चाय पी, फिर वो गुड़िया को स्कूल के लिए तैयार करने लगी। मैंने कहा- जल्दी चलो आज तो इस स्कूल में हमारा आखिरी दिन है, फिर साथ ही स्कूल जाया करेंगे। सुबह 9.40 पर हम घर से स्कूल के लिए निकले। रास्ते में पहले रजनी का स्कूल पड़ता था। कार से उतरकर उसे जंगल की तरफ कुछ दूर पैदल जाना पड़ता था। जैसे ही वो कार से उतरकर जाने लगी, मैंने कहा गाड़ी बैक करवा दो। उसने गाड़ी बैक करवाई और मैं अपने स्कूल के लिए निकल गया। रजनी स्कूल से 10-15 मीटर की दूरी पर थी। आतंकी वहां छिपकर बैठे थे। उन लोगों ने अचानक गोलियां चलानी शुरू कर दीं। पीछे से उसके सिर पर गोली मारी। गोलियों की आवाज सुनकर बच्चे स्कूल से बाहर आ गए। देखा तो मेरी बीवी का लाल पर्स और जूतियां एक तरफ पड़ी हुई थीं। उसका खून बहकर उन जूतियों तक पहुंच रहा था। उस स्कूल में मुस्लिम टीचर भी थे, लेकिन आतंकियों के निशाने पर मेरी बीवी ही थी। उधर, मैं अपने स्कूल पहुंचा ही था, तभी हेडमिस्ट्रेस को एक फोन आया। उन्होंने मुझे बुलाकर कहा कि राजकुमार गाड़ी निकालो, मेरी बेटी बहुत बीमार है, हमें अस्पताल जाना है। मैंने आनन-फानन में गाड़ी निकाली और उन्हें साथ लेकर चल पड़ा। वो लगातार कह रही थी कि गाड़ी तेज चलाओ, तेज चलाओ। मैंने कहा कि मैडम घबराएं नहीं सब ठीक हो जाएगा। जैसे ही कुलगाम के सरकारी अस्पताल पहुंचे तो हेडमिस्ट्रेस ने कहा- राजकुमार अंदर जाओ, तुम्हारी बीवी को किसी ने गोली मार दी है। सुनते ही मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई। मन में आया चीखें मारकर रोने लगूं, लेकिन तब किसी भी तरह मुझे अपनी बीवी के पास पहुंचना था। अस्पताल में भीड़ लगी थी। लोग मुझे रजनी के पास जाने नहीं दे रहे थे। मुझे यकीन था कि वह जिंदा होगी, लेकिन जब उन्होंने रजनी को सफेद चादर में लपेट कर दिया, तो सब खत्म हो गया। रजनी को इस तरह देखते ही पहला ख्याल हमारी बेटी का आया और मैं वहीं फूट-फूटकर रोने लगा। ऐसा लगा कि एक सेकेंड में जिंदगी खत्म हो गई। लग रहा था कि कोई मुझे और मेरी बेटी को भी गोली मार दे। हमें भी खत्म कर दे। रजनी के बिना कैसे जिंदा रहेंगे। तभी मेरी बेटी भी अपनी प्रिंसिपल के साथ हॉस्पिटल पहुंच गई। मेरे गले लगकर रोने लगी। हम अस्पताल से रजनी की डेड बॉडी लेकर जम्मू के लिए निकल गए। रजनी एम्बुलेंस में थी, मैं और मेरी बेटी कार में। इससे पहले हम लोग जाने कितने दफा श्रीनगर होते हुए जम्मू तक लॉन्ग ड्राइव पर गए थे, लेकिन इस बार सफर खत्म ही नहीं हो रहा था। हमेशा रजनी कार में बगल वाली सीट पर होती थी। हम गाने सुनते थे, कुछ खाते-पीते जाते थे। आज वो एम्बुलेंस में पड़ी थी। उस सफर को याद करता हूं तो आज भी फूट-फूटकर रोने लगता हूं। हमारे स्कूल में मुस्लिम बच्चे ही पढ़ते थे। हम उन्हें अपने बच्चों की तरह प्यार करते थे। वो बच्चे और उनके पेरेंट्स भी हमसे बहुत प्यार करते थे। हमारा सम्मान करते थे। मुझे याद है कि एक दफा एक बच्चे ने मुझसे कहा कि आपको जन्नत मिलेगी। मैंने कहा कि क्यों, तो कहने लगा कि आप मारते नहीं हैं, प्यार करते हैं। मेरी आंखों में आंसू आ गए थे। रजनी स्कूल के बच्चों को गोद में बिठाकर पढ़ाती थी, सिखाती थीं। रजनी स्कूल के मुस्लिम बच्चों और उनके पेरेंट्स की फेवरेट टीचर थीं, लेकिन उनके अंतिम संस्कार में एक भी मुस्लिम नहीं आया। स्कूल के कुछ साथियों का फोन जरूर आया था, लेकिन वो आए नहीं। शायद डर गए होंगे। रजनी के जाने के बाद जिंदगी में कुछ बचा ही नहीं है। मेरे माता-पिता यहीं पास में रहते हैं। वो लोग कहते हैं हमारे साथ ही रहो, लेकिन मैं मना कर देता हूं। रजनी का बनाया ये घर छोड़कर कहीं नहीं जाना चाहता। इस घर की हर ईंट में रजनी की मौजूदगी महसूस होती है। मुझे लगता है कि वो यहीं है। हर कोने में, हर कमरे में उसकी खुशबू है। आज तक इस गिल्ट से उबर नहीं पाया कि रजनी की जान मेरी वजह से चली गई। अगर उसे नौकरी न करने देता, घर बिठा लेता या हम लोग जम्मू से कश्मीर नहीं जाते तो वो जिंदा होती। वो हमारे घर की रौनक थी। उसके जाने के बाद मेरे लिए सबसे ज्यादा मुश्किल होता है अकेले चाय पीना। चाहे कुछ हो जाए हम दोनों चाय एक साथ पिया करते थे। चाय पर हम इतनी बातें करते थे, गप्पे मारते थे। वो सुकून वाली चाय जिंदगी में फिर कभी नसीब ही नही हुई। फरवरी साल 2008 की बात है। हम दोनों की अरेंज मैरिज हुई थी। पहली बार में ही दोनों ने एक दूसरे को पसंद कर लिया था। रजनी खास थी। सुंदर, पढ़ी-लिखी और व्यवहार एकदम सादा। तब वह जम्मू यूनिवर्सिटी में पॉलिटिकल साइंस में एमफिल कर रही थी। मैं उससे मिलने यूनिवर्सिटी जाता था। दिन कब बीत जाता था पता ही नहीं चलता था। घर जाते वक्त बहुत उदासी होती थी, लगता था शादी कब होगी। आज भी वो दिन भूल नहीं पाता हूं। जब वो मेरे साथ होती थी तो लगता था कोई भरोसेमंद और प्यार करने वाला साथी है। हम दोनों एक साथ स्कूल के लिए निकलते थे। वो हमेशा जल्दी घर आने के लिए कहती थी। मैं शाम को दोस्तों के पास बैठ जाता था। इसलिए वह फिक्रमंद रहती थी और कहती थी कि घर जल्दी आया करो। बाहर बहुत खतरा है। इतना बाहर मत घूमा करो। इस बात पर हमारी लड़ाई भी हो जाती थी। रजनी को पहलगाम घूमना सबसे ज्यादा पसंद था। आज अगर जिंदा होती तो पहलगाम हादसे से वो बिखर जाती, डर जाती। कश्मीर में नौकरी करते हुए मुझे रजनी की चिंता कभी नहीं हुई। हमेशा यही लगता था कि अगर किसी आतंकी ने कुछ किया भी तो मुझे करेगा। किसी महिला और बच्चों के साथ कोई कुछ नहीं कर सकता। कश्मीर के लोगों ने हमें इस बात का एहसास ही नहीं होने दिया कि हम जम्मू से आए हिंदू हैं। ईद पर सभी हमें घर बुलाते थे। कहते थे कि आपके लिए वेज खाना बनेगा। ये सब सुनकर हमें खुशी होती थी, हालांकि हम जाते नहीं थे। अच्छा नहीं लगता था कि कोई हमारी वजह से परेशान हो। अपनी बेटी गुड़िया को पढ़ाना था इसलिए हम दोनों जम्मू आना चाहते थे। कश्मीर में आए दिन स्कूल बंद हो जाते थे। बच्चों की पढ़ाई पर असर पड़ता था। हमने कोशिश भी की जम्मू ट्रांसफर लेने की, लेकिन हुआ नहीं। राजकुमार ने ये सारी बातें भास्कर रिपोर्टर मनीषा भल्ला से शेयर की हैं... ----------------------------------- संडे जज्बात सीरीज की ये स्टोरीज भी पढ़िए... 1. मुगलों की बहू हूं, रहने को छत नहीं:पानी में ब्रेड डुबोकर बच्चे पाले; लालकिला भी टिकट लेकर जाती हूं मेरा नाम रजिया सुल्ताना बेगम है। मैं मुगल सल्तनत के आखिरी बादशाह बहादुर शाह जफर के पड़पोते मिर्जा बेदार बख्त की बीवी हूं। इन दिनों मैं हावड़ा के शिवपुरी इलाके की एक गरीब बस्ती में जिंदगी काट रही हूं। पढ़िए पूरी खबर... 2. संडे जज्बात- भाई की इच्छा थी बेटी का ख्याल रखना:मुस्कान मेरे भाई को खा गई, अब सभी घरवाले नींद की गोली खाकर सोते हैं मैं उसी सौरभ का भाई हूं, जिसकी लाश एक नीले ड्रम के अंदर 4 टुकड़ों में मिली थी। उसकी बीवी मुस्कान ने उसे मार दिया। सौरभ जब आखिरी बार लंदन जा रहा था, शायद तभी उसे अंदाजा हो गया था। पूरी खबर पढ़ें...
पाकिस्तान जंग को उतावला है। कम से कम उसकी लीडरशिप के बयानों से तो यही लगता है। 1 मई को तिल्ला फील्ड फायरिंग रेंज पहुंचे पाक आर्मी चीफ आसिम मुनीर ने टैंक पर खड़े होकर कहा- भारत की किसी भी सैन्य हिमाकत का तुरंत और उससे भी बड़ा जवाब दिया जाएगा। पाकिस्तान के सूचना मंत्री अताउल्लाह तरार ने हाल ही में कहा था कि उनके पास पुख्ता खुफिया जानकारी है कि भारत कुछ दिनों में हमला करेगा। ऐसे किसी भी दुस्साहस का हर हाल में जोरदार जवाब दिया जाएगा। आखिर किन हथियारों के दम पर इतना उछल रहा है पाकिस्तान और भारत इनका मुकाबला किन हथियारों से कर सकेगा; जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में… 1. पाकिस्तान के पास 20 J-10C फाइटर जेट्सपाकिस्तान ने दिसंबर 2021 में चीन से 25 J-10C फाइट जेट्स खरीदने का कॉन्ट्रैक्ट किया। बाद में इसे बढ़ाकर 50 कर दिया गया। पहली डिलीवरी मार्च 2022 में हुई। अभी तक 20 J-10C फाइट जेट्स पहुंच चुके हैं। भारत से संघर्ष की स्थिति में चीन एक्सप्रेस डिलीवरी भी कर सकता है। J-10C से मुकाबले के लिए भारत के पास घातक राफेल जेट्स 2. पाकिस्तान के पास 150 से ज्यादा JF-17 थंडर फाइटर जेट्सJF-17 थंडर फाइटर जेट को चीन की CAC और पाकिस्तान एयरोनॉटिकल कॉम्पलेक्स (PAC) ने मिलकर बनाया। यह 2007 में पाकिस्तान एयरफोर्स में शामिल हुआ। इस समय पाकिस्तान के पास 150 से ज्यादा JF-17 फाइटर जेट्स हैं। JF-17 थंडर पाकिस्तान एयरफोर्स का मुख्य जेट है, जो अमेरिकी F-16 और चीनी J-10C के साथ मिलकर मजबूत हवाई सुरक्षा बनाता है। पाकिस्तान के JF-17 थंडर फाइटर जेट के मुकाबले भारत का तेजस 3. चार साल पहले मिला HQ-9 AD मिसाइल सिस्टमपाकिस्तान ने 14 अक्टूबर 2021 को HQ-9 AD मिसाइल सिस्टम को सेना में शामिल किया। इसे चीन की प्रिसीजन मशीनरी इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट कॉरपोरेशन (CPMIEC) ने बनाया। यह लंबी दूरी तक सतह से हवा में मार करने वाला मिसाइल सिस्टम है। जिसे भारत के राफेल, सुखोई और ब्रह्मोस के हमलों को रोकने के लिए कराची में तैनात किया गया है। HQ-9 AD से कहीं एडवांस भारत का S-400 डिफेंस सिस्टम 4. पाकिस्तान के पास एक मिनट में 6 गोले दागने वाला SH-15 होवित्जरपाकिस्तान ने 2019 में चीन से 236 SH-15 होवित्जर की डील साइन की। 2022 में पहली डिलीवरी हुई। SH-15 की तेज रफ्तार के चलते इसे हिट-एंड-रन स्ट्रैटजी में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। यानी यह अटैक करके दुश्मन के रिएक्शन से पहले ही सुरक्षित स्थान पर पहुंच जाएगा। SH-15 होवित्जर के मुकाबले कहीं एडवांस भारत की K9-वज्र थंडर तोप 5. खराब मौसम में भी सटीक हमला कर सकता पाकिस्तानी CH-4 ड्रोनCH-4 ड्रोन को चीन की चाइना एयरोस्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी कॉरपोरेशन यानी CASC ने बनाया। 2021 में पाकिस्तान की एयरफोर्स ने चीन से 5 CH-4 ड्रोन खरीदे थे। मई 2024 में 24 मिलियन डॉलर यानी करीब 202 करोड़ रुपए के 10 और ड्रोन खरीदे गए। यह दुश्मन पर नजर रखने और हमला करने में सक्षम हैं। CH-4 ड्रोन की तुलना में भारत MQ-9B ड्रोन तैयार कर रहा ****** रिसर्च सहयोग- श्रेया नाकाड़े ------------------ पाकिस्तान से जुड़ी अन्य खबर पढ़ें आज का एक्सप्लेनर: पाकिस्तान पर ₹21.6 लाख करोड़ कर्ज, तिजोरी खाली; 11 हजार करोड़ मिलने वाले थे, भारत वो भी रुकवाने जा रहा पाकिस्तान का हर बच्चा इस वक्त अपने सिर 86.5 हजार रुपए कर्ज लेकर पैदा होता है। तेल और गैस का इम्पोर्ट बिल हो या सैलरी और सब्सिडी जैसे रोजमर्रा के खर्च, पाकिस्तान की पूरी इकोनॉमी ही कर्ज पर चल रही है। लेकिन अब भारत IMF से पाकिस्तान को मिलने वाले लोन के खिलाफ वोट कर सकता है। पूरी खबर पढ़ें...
‘हर बात में BJP के लोगों का तकिया कलाम हो गया कि मुसलमानों में बाबर का DNA है। हिंदुस्तान का मुसलमान तो बाबर को आदर्श नहीं मानता। वे तो मोहम्मद साहब और सूफी संतों की परंपरा को आदर्श मानते हैं। मैं जानना चाहूंगा कि बाबर को लाया कौन। बाबर को इब्राहिम लोदी को हराने के लिए राणा सांगा लाया था। मुसलमान बाबर की औलाद हैं, तो तुम गद्दार राणा सांगा की औलाद हो।’ 21 मार्च को राज्यसभा में दिए इस बयान के बाद समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन क्षत्रिय करणी सेना के टारगेट पर हैं। राज्यसभा की कार्यवाही से तो उनका बयान हटा दिया गया, लेकिन करणी सेना का गुस्सा इससे शांत नहीं हुआ। रामजीलाल सुमन भी अपनी बात पर अड़े हैं। इसके बाद आगरा में उनके घर पर हमला हुआ, अलीगढ़ में काफिले पर हमला हुआ। काफिले पर हमले के 5 लोग अरेस्ट किए गए, लेकिन घर में तोड़फोड़ करने वालों में किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। आखिर ये विवाद खत्म क्यों नहीं हो रहा, यूपी पुलिस ने सांसद के घर और काफिले पर हमला करने वालों पर अब तक क्या कार्रवाई की और करणी सेना आखिर क्या चाहती है, इस पर हमने रामजीलाल सुमन, पुलिस अफसर, एक्सपर्ट के अलावा क्षत्रिय करणी सेना के फाउंडर राज शेखावत से बात की। शेखावत की बातों से लगा कि ये मामला जल्द खत्म नहीं होने वाला। वे कहते हैं, ‘माफी वाला सिस्टम खत्म। अब तो सजा दी जाएगी। हड्डी तोड़ कुटाई करेंगे, चाहे फांसी हो जाए। ’ राणा सांगा, हर मंदिर के नीचे बौद्ध मठ, बयानों से विवादों में रामजी लाल 16वीं सदी में मेवाड़ के शासक रहे राणा सांगा पर दिए बयान के बाद रामजीलाल सुमन पर हमले शुरू हो गए। 26 मार्च को आगरा में उनके घर में तोड़फोड़ की गई। एक महीने बाद 27 अप्रैल को अलीगढ़ में उनके काफिले पर हमला किया गया। इस हमले के लिए रामजी लाल सुमन ने योगी सरकार को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि लोगों ने हमारी गाड़ी पर हमला किया, तेल डाला, साथ की गाड़ियों के शीशे तोड़े गए। वे साजिश के तहत हम पर हमला करने आए थे। हमारी हत्या करने आए थे।’ 14 अप्रैल को उन्होंने एक और बयान दिया। बोले- ‘तुम ये कहोगे कि हर मस्जिद के नीचे मंदिर है, तो फिर हमें कहना पड़ेगा कि हर मंदिर के नीचे एक बौद्ध मठ है। गड़े मुर्दे मत उखाड़ो, वरना भारी पड़ जाएगा।’ रामजी लाल बोले-मुझे सिर काटने, गोली मारने की धमकियां मिल रहीं26 मार्च को रामजी लाल सुमन के घर पर करणी सेना से जुड़े करीब 1000 लोगों ने हमला कर दिया। ये लोग बुलडोजर लेकर पहुंचे थे। पुलिस की मौजूदगी में घर पर तोड़फोड़ की गई। 10 से ज्यादा गाड़ियों के शीशे तोड़े गए। इस झड़प में 14 पुलिसवाले घायल हो गए। क्षत्रिय करणी सेना ने इसकी जिम्मेदारी ली। इसके बावजूद अब तक संगठन के लोगों की गिरफ्तारी नहीं हुई है। हमले के वक्त रामजी लाल सुमन दिल्ली में थे। दैनिक भास्कर से बातचीत में रामजी लाल सुमन कहते हैं, ‘घर पर हमले के बाद पुलिस ने कुछ लोगों को पकड़ा था, लेकिन उन्हें छोड़ दिया। पुलिस ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है। मुझे धमकियां मिल रही हैं। 12 अप्रैल को करणी सेना की सभा हुई थी। प्रशासन ने परमिशन के लिए शर्त लगाई थी कि हिंसक भाषा का इस्तेमाल नहीं करेंगे और हथियार नहीं लाएंगे। इसके बावजूद तलवारें लहराई गईं। मुझे जान से मारने की धमकियां दी गईं। कोई सिर काटने, जीभ काटने की, तो कोई गोली मारने की धमकी दे रहा है।’ सुमन कहते हैं- इन धमकियों का असर मेरे परिवार पर भी पड़ा है। मुझे आगरा से बाहर नहीं निकलने नहीं दिया जा रहा। मुझे कई कार्यक्रमों में जाना था, लेकिन पुलिस हाथ खड़े कर देती है कि यहां मत आइए वरना तनाव हो जाएगा। ‘मैंने राज्यसभा के सभापति (उपराष्ट्रपति) से कहा, केंद्रीय गृह मंत्री और गृह सचिव को बोला, दिल्ली के पुलिस कमिश्नर, उत्तर प्रदेश के DGP और बाकी लोगों से भी कहा, लेकिन कहीं से सुरक्षा की मुकम्मल व्यवस्था नहीं हुई। कोई ऐसी चीज नहीं है, जो प्रशासन की जानकारी में नहीं है। हमारे साथ जो हो रहा है, उसमें मुख्यमंत्री कार्यालय शामिल है।’ क्या आप अपने बयान पर कायम हैं? सुमन कहते हैं, ‘मेरा बयान संसद की कार्यवाही से हटा दिया गया था। ये मामला वहीं खत्म हो जाना चाहिए था। मैंने जो इतिहास की किताब में पढ़ा, वो बोल दिया। कार्यवाही से बयान हटाने के बाद ये मुद्दा बचा ही नहीं था। जानबूझकर इसे हवा देने और तनाव पैदा करने की कोशिश की जा रही है।’ क्षत्रिय करणी सेना के फाउंडर बोले- हड्डी तोड़ कुटाई करेंगेअलीगढ़ में रामजी लाल सुमन के काफिले पर हमले की जिम्मेदारी क्षत्रिय करणी सेना ने ली है। संगठन के युवा राष्ट्रीय अध्यक्ष ओकेंद्र सिंह राणा ने सोशल मीडिया पर वीडियो जारी कर कहा कि क्षत्रिय करणी सेना परिवार के लोगों ने ये हमला किया है। दुख इस बात है कि वह फिर बच गया। सिर्फ कुछ गाड़ियां ही टूट पाई हैं। प्रशासन बार-बार उसे बचा लेता है।’ क्षत्रिय करणी सेना दो साल पहले बना संगठन है। इसके फाउंडर राज शेखावत हैं। पहले वे राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना से जुड़े थे। मतभेदों के बाद उन्होंने अपना संगठन बना लिया। हमने रामजी लाल सुमन को टारगेट किए जाने पर राज शेखावत से बात की। वे कहते हैं, ‘जिस व्यक्ति ने ये बयान दिया, उसे कानून का डर नहीं है। नहीं तो वो संसद में ऐसा नहीं बोलता। उसे कानून की भाषा में समझाने की जरूरत नहीं है। उसे कानून हाथ में लेकर, उस पर प्रहार करके ही समझाया जा सकता है। हमारे महापुरुषों को अपमानित किया गया। ये हम बर्दाश्त नहीं कर सकते। इसलिए हमने कानून अपने हाथ में लिया।’ वे आगे कहते हैं, ‘माफी वाला सिस्टम खत्म, अब तो सजा दी जाएगी। घर में घुसकर मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। हड्डी तोड़ कुटाई की जाएगी। इसके लिए किसी भी हद तक जाना होगा, तो हम जाएंगे। उसने सुरक्षा बढ़वा रखी है। जिस दिन सुरक्षा हटी, उस दिन दुर्घटना घटेगी। हमारे पास यही इकलौता विकल्प है।’ राज शेखावत कहते हैं, ‘संविधान अपना काम करे, हमने नहीं रोका है। आप हमें जेल में डाल दें, फांसी चढ़ा दें, एनकाउंटर में मार दें, हमें कोई आपत्ति नहीं है। इस देश में उन महान पूर्वजों का अपमान बर्दाश्त नहीं होगा, जिनके बलिदानों के कारण हम आजादी से सरकार चला पा रहे हैं।’ अलीगढ़ के हमले में 5 आरोपी अरेस्ट, जमानत भी मिलीअलीगढ़ में हमले के बाद 5 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। उन्हें SDM कोर्ट से जमानत भी मिल गई। आरोपियों में क्षत्रिय करणी सेना के कार्यकर्ता भी शामिल हैं। हालांकि पुलिस ने FIR में किसी का नाम नहीं लिखा है। 10-15 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया हे। ये घटना गभाना थाना एरिया में हुई। यहां तैनात एक पुलिस स्टाफ बताते हैं, ‘घटना से पहले पुलिस ने वहां गश्त भी लगाई थी। लोगों की भीड़ अचानक आई, वे शायद आसपास के होटलों में बैठे थे।’ इस घटना पर हमने अलीगढ़ के सिटी एसपी मृगांक शेखर से बात की। वे बताते हैं, ‘वीडियो के आधार पर 5 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। कुछ और लोगों की पहचान कराई जा रही है। सभी लोग अलग-अलग संगठन से हैं। कुछ लोग करणी सेना के भी हैं। हमले में इस्तेमाल टायर अलग से इकट्ठा नहीं किए गए थे। वहीं मैकेनिक की दुकान थी, उसी दुकान से लोगों ने फेंके थे। लोगों का प्लान काले झंडे दिखाने का था। पुलिस भी अलर्ट थी।’ क्या सड़क पर भीड़ इकट्ठा होने के बारे में पुलिस को जानकारी नहीं थी? एसपी सिटी कहते हैं, ‘तीन-चार जिलों का कोऑर्डिनेशन था। हो सकता है कि इसमें थोड़ी दिक्कत हुई हो। वहां के चौकी इंचार्ज आलोक शर्मा और एक सिपाही को सस्पेंड किया गया है। गभाना थाने के SHO के खिलाफ विभागीय जांच की जा रही है।’ क्या पुलिस ने क्षत्रिय करणी सेना को नोटिस भेजा है? सिटी एसपी कहते हैं- अभी सबूत इकट्ठा किए जा रहे हैं। क्षत्रिय करणी सेना के लोकल हेड से भी पूछताछ की जा रही है। घर पर हमले में एक महीने बाद भी गिरफ्तारी नहीं26 मार्च को आगरा में रामजी लाल सुमन के घर पर हमले के बाद पुलिस ने दो केस दर्ज किए थे। एक केस उनके बेटे ने दर्ज करवाया था। दूसरा केस पुलिस पर हमले का है। दोनों केस आगरा के हरि पर्वत थाने में दर्ज हैं। DCP वेस्ट सोनम कुमार से इस पर बात करने से इनकार कर दिया। सोनम कुमार ने ही 12 अप्रैल को क्षत्रिय करणी सेना को 'रक्त स्वाभिमान सम्मेलन' आयोजित करने की परमिशन दी थी। सम्मेलन में हथियार लाने की परमिशन नहीं दी गई थी। इसके बावजूद लोग हथियार लाए और लहराए भी। हमने हरिपर्वत थाने के SHO इंस्पेक्टर आलोक सिंह से बात की। उन्होंने बताया कि इस केस में अब तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। CCTV फुटेज के आधार पर लोगों की पहचान की जा रही है। संगठन (क्षत्रिय करणी सेना) के लोगों को हम प्राथमिकता पर रखकर जांच कर रहे हैं।’ रामजीलाल ने हाईकोर्ट से सुरक्षा मांगीहमले के बाद सांसद रामजीलाल सुमन ने परिवार और अपनी सुरक्षा के लिए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। उन्होंने हाईकोर्ट से सेंट्रल फोर्स की सुरक्षा देने और हमला करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कोर्ट की निगरानी में हमले की जांच कराने की मांग की थी। 30 अप्रैल को उनकी याचिका पर सुनवाई हुई। जस्टिस राजीव गुप्ता और जस्टिस हरबीर सिंह की बेंच ने केंद्र और राज्य सरकार से तीन हफ्ते में जवाब मांगा है कि रामजी लाल सुमन को पर्याप्त सुरक्षा क्यों नहीं दी गई। अब इस मामले पर 28 मई को सुनवाई होगी। इधर रामजीलाल सुमन का विरोध भी जारी है। 2 मई, शुक्रवार को आगरा के खेरागढ़ में करणी सेना के सदस्यों ने उनका काफिला रोक लिया और नारे लगाए। पुलिस ने कुछ लोगों को हिरासत में ले लिया। क्या राणा सांगा को गद्दार कहना सहीहमने ब्रिटिश कोलंबिया यूनिवर्सिटी, कनाडा में इतिहास के PhD स्कॉलर मणिमुग्धा शर्मा से बात की। उन्होंने 'अल्लाह-हू-अकबर: अंडरस्टैंडिंग द ग्रेट मुगल इन टुडेज इंडिया' नाम की किताब लिखी है। वे कहते हैं, ‘बाबर खुद लिखते हैं कि राणा सांगा का एक दूत आया था उनसे कहा है कि आप आइए और दिल्ली पर फतह करिए।’ ‘बाबर ये भी लिखते हैं कि उन्होंने (राणा सांगा) न्योता तो दिया, लेकिन हम गए तो वे खुद मौजूद नहीं थे। हम आगरा गए, तब भी कोई नहीं था। बाबर ने ये बात नाराजगी में लिखी है।’ राणा सांगा को 'गद्दार' कहे जाने पर मणिमुग्धा शर्मा कहते हैं, ‘ये बोलना गलत है। राणा सांगा ने जो किया, वो अपने दौर में किया। आप उन पर गद्दारी का इल्जाम नहीं लगा सकते। तब सारी सीमाएं खुली थीं। तुर्क, अफगान और एक के बाद एक लोग आए। इसलिए राणा सांगा या उस दौर के किसी भी हुक्मरान को आप गद्दार नहीं बोल सकते। देश होगा, तभी तो गद्दारी होगी।’ मणिमुग्धा शर्मा के मुताबिक, राणा सांगा अपने राज्य को बढ़ाना चाहते थे। उन्हें लगा कि बाबर की मदद ली जा सकती है तो उन्होंने मांगी। उस दौर में हर कोई इस तरह का गठबंधन कर रहा था। अगर आप इतिहास को नहीं मानते हैं, तो वो आपका चुनाव है, लेकिन ये बात बाबर ने अपनी जीवनी में लिखी है।’ समाजवादी पार्टी रामजी लाल के साथ खड़ी रामजी लाल सुमन के बयान पर समाजवादी पार्टी उनके साथ खड़ी है। पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 28 अप्रैल को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘इस घटना से सरकार और यूपी की कानून-व्यवस्था को चुनौती दी गई है। कुछ लोगों को खुली छूट मिली हुई है। ये छूट इसलिए मिली है क्योंकि उन्हीं के स्वजातीय लोग ऊपर से लेकर नीचे तक बैठे हुए हैं।’
‘14 अप्रैल को मैं पाकिस्तान के सिंध से भारत आया था। बच्चे 8-9 महीने पहले ही आ गए थे। तब मेरा वीजा नहीं लगा था। अब जाकर वीजा लगा। पहलगाम हमले के बाद मोदी सरकार ने कह दिया कि पाकिस्तान से आए लोग वापस चले जाएं। हम डरे हुए हैं। दो दिन से खाना अच्छा नहीं लगा है। हम वापस पाकिस्तान गए तो मार दिए जाएंगे। मोदी जी जेल में डाल देंगे, तब भी चलेगा, लेकिन पाकिस्तान नहीं जाएंगे।’ 49 साल के सीताराम (बदला हुआ नाम) दिल्ली के सिग्नेचर ब्रिज के नीचे अस्थायी तौर पर बनी शरणार्थी बस्ती में रह रहे हैं। उनके पास 45 दिन का वीजा था, जो रद्द कर दिया गया है। हालांकि सीताराम ने लॉन्ग टर्म वीजा के लिए अप्लाई किया है। इसके बाद भी वे पाकिस्तान वापस भेजे जाने की आशंका से डरे हुए हैं। सीताराम अकेले नहीं हैं। दिल्ली में सिग्नेचर ब्रिज, यमुना खादर और मजनू का टीला में दो शरणार्थी कैंप हैं। यहां पाकिस्तान से आए करीब 1500 शरणार्थी रह रहे हैं। इंटेलिजेंस ब्यूरो ने दिल्ली पुलिस को एक रिपोर्ट सौंपी है। इसमें दिल्ली में करीब 5 हजार पाकिस्तानी होने की बात कही गई है। इसके बाद से इन शरणार्थी कैंपों में दिल्ली पुलिस सभी के डॉक्युमेंट चेक कर रही है। हाल में आए शरणार्थी इस कार्रवाई से डरे हुए हैं। वे पाकिस्तान वापस जाने की बात सोचकर ही परेशान हो जाते हैं। इन लोगों के कागजों की जांच कहां तक पहुंची, पाकिस्तान से आए शरणार्थी किस हाल में हैं, दोबारा कागजों की जांच से लोगों को क्या समस्याएं आ रही हैं? ये जानने दैनिक भास्कर इन शरणार्थी कैंप में पहुंचा। ‘पाकिस्तान वापस गए तो मार दिए जाएंगे’सिग्नेचर ब्रिज के नीचे करीब 932 पाकिस्तानी हिंदू परिवार रह रहे हैं। इनमें से ज्यादातर ऐसे हैं, जो हाल में भारत आए हैं। कई लोगों की नागरिकता मिलने की प्रोसेस चल रही है। कुछ तो पिछले एक महीने के अंदर ही भारत आए हैं। सिग्नेचर ब्रिज खत्म होते ही हाईवे पर एक किनारे लोग रेहड़ी-पटरियां लगाए दिखते हैं। उनसे बात की तो पता चला कि सभी पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थी हैं। ब्रिज के नीचे उनका कैंप है। काम न मिलने की वजह से ज्यादातर शरणार्थी हाईवे पर रेहड़ी-पटरी लगाते हैं। इसी से उनका घर चलता है। कैंप में ज्यादातर बांस के घर बने हैं। बांस का ही एक छोटा सा मंदिर है। हर 4 से 5 घरों के लिए एक पक्का टॉयलेट है। नए आने वाले शरणार्थी ज्यादातर पहले से रह रहे लोगों के परिवार के ही सदस्य होते हैं। सिग्नेचर ब्रिज के कैंप में हाल में काफी पाकिस्तानी शरणार्थी आए हैं। सीताराम भी इन्हीं में से एक है। सीताराम पहले तो कैमरे पर बात करने के लिए तैयार नहीं थे। वे बताते हैं कि उनके परिवार के करीब 40 सदस्य पहले ही भारत आ गए। मैं 14 अप्रैल को आया हूं। अब भी पाकिस्तान में परिवार के कुछ लोग बचे हैं। सीताराम को डर है कि उनका वीडियो पाकिस्तान में देखा गया, तो वहां रहे रहे परिवार को परेशान किया जाएगा। उन्हें जान का खतरा भी हो सकता है। पहचान उजागर न करने की शर्त पर वे बात करने के लिए तैयार हो गए। वे बताते हैं, ‘मेरा वीजा रद्द हो गया है। जांच अधिकारी ने लॉन्ग टर्म वीजा के लिए अप्लाई करने को कहा है। इसके बाद भी डर है कि मुझे पाकिस्तान भेज दिया जाएगा।’ पाकिस्तान में गुजारे दिनों को याद करते हुए वे बताते हैं, ‘हम वहां सिंध प्रांत के सांग्ली जिले में रहते थे। किसानी और मजदूरी करते थे। पाकिस्तान में हिंदू धर्म की पहचान से काफी दूर हो गए थे। वहां की पुलिस को देखकर शरीर कांप जाता था। बच्चों को छिप-छिपकर पढ़ाते थे।’ ‘मैं चाहता हूं कि बच्चे भारत में ही रहें और यहां के नागरिक बनें। हमें यहां से निकालें नहीं बस। मेरी बेटी अब भी पाकिस्तान में है। उसकी सलामती के लिए काफी डर लगता है। हम भारत आए तो लगा अब सब बदल जाएगा, लेकिन 7-8 दिन बाद यहां भी हालात खराब हो गए।’ पहलगाम हमले के खिलाफ सीताराम के अंदर भी गुस्सा है। वे कहते हैं कि भारत सरकार को दहशतगर्दों को बख्शना नहीं चाहिए। फिर थोड़ा ठहरकर बोलते हैं, ‘लेकिन वहां से आए हिंदुओं का ध्यान रखा जाना चाहिए। अगर वे पाकिस्तान वापस गए तो उन्हें मार देंगे।’ ‘पुलिसवाले रोज आकर हमसे डॉक्यूमेंट्स मांगे रहे’शांतिलाल (बदला हुआ नाम) भी सिग्नेचर ब्रिज के नीचे ही रहते हैं। वे कैमरे पर चेहरा दिखाने और नाम जाहिर होने से डरते हैं। शांतिलाल परिवार के साथ करीब 8-9 महीने पहले पाकिस्तान के सिंध से आए थे। उनके साथ पाकिस्तान से 28-29 लोग आए थे। परिवार से कुल 16 लोग हैं। वे बताते हैं, ‘थोड़ी बहुत दिक्कत है, लेकिन धीरे-धीरे सही हो जाएगा। वहां के मुकाबले यहां अच्छा लग रहा है। वहां पढ़ाई-लिखाई की दिक्कत थी। बच्चे सही से पढ़ नहीं सकते थे, क्योंकि वहां इस्लामिक पढ़ाई थी।’ हालांकि यहां भी उनके बच्चे पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं। शांतिलाल कहते हैं, ‘यहां आकर भी जंगल में बैठ गए हैं। बच्चों को पढ़ाने का कोई इंतजाम नहीं है। एडमिशन नहीं मिल रहा है। 9 महीने हो गए, लेकिन अब तक आधार कार्ड नहीं बना। वहां से पढ़ाने के लिए आए थे, वही नहीं हो रहा है।’ पुलिस की हालिया कार्रवाई पर शांति लाल बताते हैं, ‘रोज आकर हमसे डॉक्यूमेंट मांगे रहे हैं। हमने वीजा बढ़वाने की बात कही है। हम यहां रहना चाहते हैं। हमारा वीजा 45 दिन का था, वो खत्म हो गया था। आगे बढ़ाने के लिए हमने डॉक्यूमेंट्स दिए हुए हैं। यहां हमें कोई डर नहीं है। हम चाहते हैं कि यहां कोई अच्छा घर मिल जाए, कमाने का सिस्टम बन जाए और बच्चे पढ़-लिख लें।’ मजनू का टीला कैंप में करीब 800 लोगहम दूसरे कैंप मजनू का टीला में भी पहुंचे। यहां सड़क किनारे कैंप बने हुए हैं। सिग्नेचर ब्रिज से अलग यहां पक्के घर भी काफी बने हैं। इस कैंप में करीब 700 से 800 लोग रहते हैं। इनमें से 181 लोग ऐसे हैं, जिन्हें नागरिकता मिल चुकी है। 81 लोगों को नागरिकता मिलने की प्रोसेस चल रही है। आपसी सहमति से लोगों ने अपने मुद्दों को प्रशासन तक पहुंचाने के लिए तीन प्रमुख चुने हैं। इनमें सोनादास भी हैं। वे 2011 में भारत आए थे। उनके बाद 8 भाई भी परिवार के साथ 2013 तक भारत आ गए। हम सोनादास के पास पहुंचे, तब वे लोगों के साथ मिलकर कैंप में रहने वालों के कागजों की लिस्ट बना रहे थे। 25 अप्रैल को पुलिस कैंप में आई थी। इसके बाद से ही सोनादास ने सबसे कागज जुटाने शुरू किए। वे कहते हैं कि कैंप में सभी के पास वैध सबूत हैं, इसलिए कोई डरा हुआ नहीं है। कुछ परिवारों के लोग अभी पाकिस्तान में रह गए हैं। वे जरूर डरे हुए हैं। वे बताते हैं, ‘हमारे यहां प्रक्रिया चल रही है। जांच की जा रही है कि कोई अवैध रूप से तो नहीं रह रहा है। यहां ऐसा कोई नहीं है, जो बॉर्डर से घुसकर आया हो। सभी वैध तरीके से आए हैं। जिन्हें नागरिकता नहीं मिली है, उनके पास लॉन्ग टर्म वीजा है।' 'कुछ परिवार हाल में ही आए हैं। उन्होंने भी लॉन्ग टर्म वीजा के लिए अप्लाई किया हुआ है। हालांकि सबके पास वैध कागज हैं। यहां कोई घुसपैठिए नहीं हैं, सब हिंदू परिवार हैं। घुसपैठियों को निकालने का सरकार का फैसला सही है।’ वे अपनी नागरिकता के कागज दिखाकर कहते हैं कि ये कागज हैं, फिर भी हमें दस्तावेज दिखाने पड़ रहे हैं। फिर भी हम सरकार की जांच में हर संभव मदद कर रहे हैं। ‘पाकिस्तान में हिंदू, कसाई के सामने बकरे जैसे’पाकिस्तान के दिनों को याद कर सोनादास बताते हैं कि मैं सिंध से भारत आया था। जमीन-जायदाद सब वहीं छूट गई। भुट्टो साहब के समय माहौल ठीक था। तब हिंदू परिवारों पर खतरा कम था। धीरे-धीरे हालात बिगड़ गए। लोगों में डर बैठ गया।' 'एक दिन में 10 से 20 लड़कियों का जबरन धर्म परिवर्तन कर दिया जाता था। 12 से 14 साल की लड़कियों की ऐसी हालत थी। वहां हिंदू कसाई के सामने बकरे जैसी हालत में रहते हैं। ऐसे में अगर भारत से भी हिंदू भगाए जाएंगे, तो कहां जाएंगे।’ वे कहते हैं कि पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदुओं की हालत खराब है, ऐसे में हिंदू जान बचाकर कहां जाएगा। वे भरोसा जताते हैं कि सरकार हिंदुओं के लिए सही फैसला करेगी। ‘नागरिकता मिली, वोट भी डाला, पाकिस्तान में बहुत जुल्म झेला’नानकी बागड़ी मजनू का टीला वाले कैंप में रहती हैं। वे पाकिस्तान के हैदराबाद से 2013 में भारत आई थीं। परिवार के सभी सदस्य भी बाद में यहीं आ गए। सिंध में वो किसानी करती थीं। उनकी दो लड़कियां और दो लड़के हैं। एक बेटा सब्जी मंडी में काम करता है। वे खुद सिलाई करके घर खर्च चलाती हैं। नानकी बताती हैं कि मुझे भारत की नागरिकता मिल चुकी है। मैं यहां वोट भी डाल चुकी हूं। मेरे सहित परिवार के तीन लोगों को नागरिकता मिली है। परिवार पाकिस्तान में मुसलमानों की जमीन पर किसानी करता था। वहां से वापस आने के पीछे की वजह बताते हुए नानकी कहती हैं, ‘वहां मुसलमान ज्यादा हैं। अब तो वहां ज्यादा घटनाएं होने लगी हैं। अभी 20 हिंदू लड़कियां उठाई गई हैं। क्यों ऐसा हुआ, हमें पता नहीं। पुलिस और सरकार मदद नहीं करती है। हिंदुओं की वहां कोई नहीं सुनता। वहां अन्याय हो रहा है।’ पहलगाम आतंकी हमले को लेकर नानकी कहती हैं, ‘उसके बारे में जानकर दिल कांप उठा।’ पाकिस्तान से आए लोगों से डॉक्यूमेंट्स मांगे जाने के बारे में वे कहती हैं, ‘ये तो अच्छी बात है। सरकार को सबकी जांच करनी चाहिए। हम उनसे बहुत खुश हैं। हम कोई चोरी-छिपे नहीं आए हैं। हमारे पास वीजा हैं, हमें तो नागरिकता भी मिल चुकी है।’ ‘हमें कोई डर नहीं है। सरकार जितनी चाहे हमारी तलाशी कर सकती है। सरकार से हमें कोई दिक्कत नहीं है। सरकार को जांच करनी चाहिए, लेकिन ये वीजा बंद नहीं होना चाहिए। क्या पता वहां हमारे भाई-बहन भी बहुत पैसा खर्च करके, अपना घर बेचकर बैठे हों।’ पुलिस बोली- इंटेलिजेंस और सरकार तय करेंगे किसको भेजना हैजांच प्रक्रिया कब तक चलेगी और इसका क्या असर होगा, ये जानने के लिए हमने जांच अधिकारी से बात करने की कोशिश की। इन दोनों कैंप में कोई पाकिस्तानी शरणार्थी आता है तो उसे तुर्कमान गेट के पास बने पुलिस भवन में जाकर कागज दिखाने होते हैं। अब भी सारे कागज पुलिस भवन जाकर ही दिखाए जा रहे हैं। यहां जाने पर हमें बताया गया कि इंटेलिजेंस ब्यूरो का मामला है तो DCP ऑफिस जाकर ही कुछ पता लगेगा। हम DCP ऑफिस पहुंचे। यहां मीडिया सेल देखने वाले नीरज वशिष्ठ से मिले। उन्होंने हाई लेवल मामला होने की वजह से कुछ भी कहने से मना कर दिया। उन्होंने हमें नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के DC हरेश्वर वी स्वामी से मिलवाया। उन्होंने कैमरे पर बात करने से मना किया। ऑफ कैमरा बताया, ‘इंटेलिजेंस ब्यूरो की तरफ से दिल्ली पुलिस से जानकारी और डेटा मांगा गया था। हम बस जानकारी जुटाकर दे रहे हैं। इन कैंप में लॉन्ग और शॉर्ट टर्म दोनों तरह के वीजा होल्डर हैं। अगले एक दो हफ्ते में सबके कागजों की जांच हो जाएगी। हम फिलहाल सिर्फ इनका स्टेटस ऊपर बताएंगे।’ हमने पूछा कि क्या किसी को वापस भी भेजा जा सकता है? उनका कहना था कि ये फैसला तो IB और सरकार मिलकर करेगी। उन्होंने इसे इंटेलिजेंस का मामला बताकर और कुछ भी बताने से मना कर दिया। हालांकि DCP ऑफिस में एक सूत्र ने हमें बताया कि जांच में देखा जा रहा है कि कोई मुसलमान पहचान छिपाकर तो नहीं रह रहा। किसी हिंदू को पाकिस्तान वापस भेजे जाने को लेकर सूत्र का कहना था कि सिर्फ महीनेभर के भीतर आए लोगों को खतरा है। पहलगाम हमले के बाद कार्रवाई शुरू पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तानी नागरिकों का वीजा रद्द कर दिया। साथ ही 48 घंटे में वापस जाने के लिए कहा गया। हालांकि इसमें लॉन्ग टर्म वीजा वालों को छूट दी गई। इस फैसले के बाद इंटेलिजेंस ब्यूरो ने एक रिपोर्ट दिल्ली पुलिस को सौंपी है। इसमें दिल्ली के अंदर 5000 पाकिस्तानी होने की बात कही गई है। रिपोर्ट में दिल्ली के मजनू का टीला और सिग्नेचर ब्रिज के पास दो शरणार्थी कैंप का भी जिक्र है। इसमें करीब 1500 परिवार रह रहे हैं। IB की रिपोर्ट मिलने के बाद से ही दिल्ली पुलिस पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों के दस्तावेजों की जांच कर रही है। ...................................... पहलगाम हमले पर ये ग्राउंड रिपोर्ट पढ़ें 1. पाकिस्तानी कमांडो हाशिम मूसा ने हमले के लिए क्यों चुनी बायसरन घाटी पहलगाम में हमले से पहले आतंकियों ने बेताब घाटी, अरु घाटी और एम्यूजमेंट पार्क की रेकी की थी। आखिर बायसरन घाटी को हमले के लिए चुना गया। वजह- पहलगाम आने वाले टूरिस्ट यहां जरूर आते हैं, यहां सिक्योरिटी नहीं होती है और आने-जाने का रास्ता ऐसा नहीं है कि हमले के बाद आर्मी तेजी से पहुंच सके। इसके पीछे पाकिस्तानी कमांडो हाशिम मूसा का दिमाग था। पढ़िए पूरी खबर... 2. 26 टूरिस्ट का कत्ल करने वाला आदिल कैसे बना आतंकी,साइंस और उर्दू में डिग्री पहलगाम से करीब 55 किमी दूर अनंतनाग के गुरी गांव में आदिल का घर है। कभी बच्चों को पढ़ाने वाला आदिल अब 20 लाख का इनामी आतंकी है। सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक वो पहलगाम हमले में शामिल था। हमले के बाद पुलिस और सेना आदिल के घर पहुंची थीं। इसी दौरान ब्लास्ट में आदिल का घर तबाह हो गया। पढ़िए पूरी खबर...
भारत के इस फैसले से जाएगा कड़ा संदेश... अमेरिका के पूर्व NSA ने पाकिस्तान पर कर दी बड़ी टिप्पणी
Pahalgam Terror Attack: पहलगाम हमले के बाद भारत ने कई बड़े फैसले लिए. जिसके तहत सिंधु जल समझौते को रद्द कर दिया. इसे लेकर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) ने टिप्पणी करते हुए ये बात कही है.
Australia Election Result: 21 वर्षों में पहली बार मिली ऐसी जीत, दूसरी बार पीएम बने एंथनी अल्बानीज
Australia Election Result: शनिवार यानी 3 मई को ऑस्ट्रेलिया में हुई चुनावों में मौजूदा प्रधानमंत्रीएंथनी अल्बानीज ने ऐतिहासिक जीत हासिल की है. एल्बानीज 21 वर्षों में दूसरी बार चुने जाने वाले देश के पहले के प्रधानमंत्री बन गए हैं.
Democracy Sausages: ऑस्ट्रेलिया में आज वोट डाले जा रहे हैं. इस दौरान आ रही तस्वीरें थाड़ी अलग हैं, क्योंकि कुछ लोग स्विम सूट पहनकर वोट डालने पहुंचे और जब वोट डालकर बाहर आ रहे हैं तो उनके साथ में खाने की चीज भी दिखाई दे रही है.
ट्रंप बन गए नए पोप! सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीर, क्या है सच?
Doanld Trump: हाल ही में सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रही है, जिसमें डोनाल्ड ट्रंप को पोप फ्रांसिस की तरह पोज देते हुए देखा जा सकता है. फोटो पर कई तरह के रिएक्शन सामने आ रहे हैं.
इस इस्लामी मुल्क में आसमान से बरसने वाली है आफत, करीब आ रहा है एक-एक पल, अब क्या आई मुसीबत?
Saudi Arabia Rain Alert: सऊदी अरब में इन दिनों भारी बारिश और बाढ़ का खतरा बना हुआ है. इसको लेकर वहां रहने वाले लोगों के लिए अलर्ट जारी किया गया है.
'कोई नहीं जीतेगा लेकिन..' भारत-पाक में जंग हुई तो क्या होगा? AI ने की भविष्यवाणी
AI war prediction: दोनों देश परमाणु संपन्न हैं. भारत और पाकिस्तान दोनों के पास करीब 170-172 परमाणु हथियार हैं. इस युद्ध का असर एशिया तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि ग्लोबल होगा.
Trump On US Economy: अमेरिकी में आर्थिक मंदी की आशंका को लेकर राष्ट्रपति ट्रंप ने अपनी चुप्पी तोड़ी है. उनका कहना है कि आगे कुछ भी हो सकता है. ट्रंप ने मंदी की आशंका को खारिज किया है.
भारत हमला कर ही दे तो बेहतर...PM शहबाज-सेनाध्यक्ष के खिलाफ पाकिस्तानियों में क्यों है गुस्सा
India Pakistan War: पाकिस्तान सरकार और सेना दोनों ही जनता का भरोसा खो चुकी हैं. जनता में उनके खिलाफ बड़ा गुस्सा है और वो अब भारत से युद्ध के संभावित हालातों को लेकर भी तैयार नजर आ रहे हैं.
पाकिस्तान का हर बच्चा इस वक्त अपने सिर 86.5 हजार रुपए कर्ज लेकर पैदा होता है। तेल और गैस का इम्पोर्ट बिल हो या सैलरी और सब्सिडी जैसे रोजमर्रा के खर्च, पाकिस्तान की पूरी इकोनॉमी ही कर्ज पर चल रही है। लेकिन अब भारत IMF से पाकिस्तान को मिलने वाले लोन के खिलाफ वोट कर सकता है। पाकिस्तान के कर्ज से जुड़े 7 जरूरी सवालों के जवाब, जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में… सवाल-1: पाकिस्तान पर कुल कितना कर्ज है?जवाब: पाकिस्तान सरकार की जून 2024 की रिपोर्ट के मुताबिक, इस समय देश पर कुल 256 बिलियन डॉलर यानी करीब 21.6 लाख करोड़ रुपए का सार्वजनिक कर्ज है। ये पाकिस्तान की कुल GDP का 67% है। इसके 2 हिस्से हैं… विदेशी कर्ज वह पैसा है जो पाकिस्तान ने दूसरे देशों, इंटरनेशनल बैंकों या IMF जैसे ऑर्गनाइजेशन से उधार लिया है। यह कर्ज आमतौर पर अमेरिकी डॉलर में होता है और इसे चुकाने के लिए पाकिस्तान को फॉरेन करेंसी यानी डॉलर की जरूरत होती है। स्टैटिस्टिक टाइम्स के मुताबिक, पाकिस्तान के पास सिर्फ 1.3 लाख करोड़ रुपए विदेशी मुद्रा भंडार बचा है, जिससे महज 3 महीने का इम्पोर्ट बिल ही चुकाया जा सकता है। सवाल-2: पाकिस्तान को इतना विदेशी कर्ज किस-किसने दे रखा है? जवाब: द वर्ल्ड बैंक इंटरनेशनल डेब्ट रिपोर्ट 2024 के मुताबिक, दिसंबर 2024 तक चीन ने पाकिस्तान को 28.7 बिलियन डॉलर यानी करीब 2.42 लाख करोड़ रुपए विदेशी कर्ज दिया। पॉलिसी पर्सपेक्टिव फाउंडेशन (PPF) की रिपोर्ट के मुताबिक, 2000-2021 तक चीन ने पाकिस्तान को CPEC के तहत सड़कों, बिजलीघरों और बंदरगाहों के लिए बड़े कर्ज दिए। इस दौरान 433 प्रोजेक्ट्स के लिए कर्ज लिया गया। हालांकि पाकिस्तान सरकार चीन से लिए विदेशी कर्ज की पूरी डिटेल्स जारी नहीं करती। इसके अलावा पाकिस्तान को कर्ज देने वालों में UAE और कतर की भी बड़ी हिस्सेदारी है। सवाल-3: कर्ज के पैसों का इस्तेमाल पाकिस्तान कहां-कहां करता है?जवाब: पाकिस्तान कर्ज के जाल में फंस चुका है। विदेशी कर्ज का इस्तेमाल दो प्रमुख चीजों में किया जाता है… 1. कर्ज चुकाने के लिए नया कर्ज: दिसंबर 2020 में चीन ने पाकिस्तान को करीब 12.6 हजार करोड़ रुपए ($1.5 बिलियन) का कर्ज दिया था। इसी समय पाकिस्तान को सऊदी अरब से लिए लोन की किस्त चुकानी थी, जिसमें करीब 8.4 हजार करोड़ रुपए ($1 बिलियन) चले गए। इसी तरह पिछले साल मार्च में IMF ने पाकिस्तान को लगभग 9.2 हजार करोड़ रुपए ($1.1 बिलियन) का लोन मंजूर किया था। इसके अगले ही महीने पाकिस्तान ने लगभग 8.4 हजार करोड़ रुपए ($1 बिलियन) के मैच्योर हुए यूरो बॉन्ड का पेमेंट कर दिया। 2. विदेशों से जरूरत का सामान खरीदने के लिएः पाकिस्तान पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स और गैस का बहुत बड़ा हिस्सा आयात करता है। सितंबर 2024 के पहले हफ्ते में पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार करीब महज 79.2 हजार करोड़ रुपए ($9.4 बिलियन) बचा था, जिससे वह सिर्फ एक महीना का आयात कर सकता था। इस समय पाकिस्तान विदेशों में काम कर रहे अपने अधिकारियों को सैलरी भी नहीं दे पा रहा था। ऐसे में IMF ने पाकिस्तान के लिए लगभग 59 हजार करोड़ रुपए ($7 बिलियन) के कर्ज को मंजूरी दे दी। चीन, सउदी अरब और UAE जैसे देशों ने भी पाकिस्तान की मदद का आश्वासन दिया था। इसके अलावा कर्ज का कुछ हिस्सा सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से रक्षा बजट को बनाए रखने में जाता है। साथ ही बिजली, पेट्रोल, आटा आदि पर दी जाने वाली सब्सिडी भी कर्ज से फंड की जाती है। प्रशासनिक खर्च, सरकारी वेतन जैसे ऑपरेशनल खर्चों के लिए भी कर्ज लिया जाता है। सवाल-4: क्या भारत के दबाव में अब IMF से पाकिस्तान को नया कर्ज नहीं मिलेगा?जवाब: 9 मई 2025 को IMF के एग्जीक्यूटिव बोर्ड की अगली मीटिंग होगी। इसमें पाकिस्तान को 1.3 अरब डॉलर यानी करीब 10.9 हजार करोड़ रुपए के कर्ज का रिव्यू किया जाएगा। रिपोर्ट के मुताबिक भारत ‘आतंकवाद’ का मुद्दा उठाकर पाकिस्तान को ये पैसा देने का विरोध कर सकता है। पिछली बैठक में भारत ने पाकिस्तान के बेलआउट पैकेट पर वोटिंग नहीं की थी। हालांकि, इस बार भारत पाकिस्तान को लोन देने के खिलाफ वोट कर सकता है। भारत का तर्क होगा कि पाकिस्तान IMF फंड का गलत इस्तेमाल कर रहा है और इससे आतंकवाद की मदद कर रहा है। विदेश मामलों के जानकार और JNU के प्रोफेसर राजन कुमार कहते हैं, 'IMF के किसी देश को लोन देने के अलग पैरामीटर्स हैं। IMF मेम्बर्स कई पैमानों पर तय करते हैं कि किसी देश को लोन देना चाहिए या नहीं। इसमें IMF की शर्तें, FATF रैंकिंग और लोन वापस करने की क्षमता को देखा जाता है। भारत मीटिंग में पाकिस्तान के लोन को रुकवाने की कोशिश जरूर कर सकता है, लेकिन पाकिस्तान का लोन रोक पाना फिलहाल मुश्किल है।' राजन कुमार कहते हैं, भारत के पास पाकिस्तान के खिलाफ पुख्ता सबूत नहीं है। अभी पहलगाम हमले की जांच चल रही है और पाकिस्तान पर इस हमले में शामिल होने के आरोप हैं। सिर्फ इसके दम पर भारत लोन नहीं रुकवा पाएगा। हां, अगर जांच पूरी हो गई होती या आतंकवादियों को पकड़ लिया गया होता और वे पाकिस्तान से संबंध होना कबूल कर लेते तो जरूर एक्शन लिया जा सकता था। ऐसी स्थिति में FATF पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाल देती, जिससे IMF लोन रोक सकती थी। सवाल-5: क्या पाकिस्तान ये कर्ज कभी चुका पाएगा?जवाब: पाकिस्तान को अगले चार सालों में 100 बिलियन डॉलर यानी करीब 8.4 लाख करोड़ रुपए का विदेशी कर्ज चुकाना है। वहीं जुलाई 2025 तक पाकिस्तान को विदेशी कर्ज और ब्याज मिलाकर 30.35 बिलियन डॉलर यानी करीब 2.56 लाख करोड़ रुपए चुकाने है। 27 अप्रैल को स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के गवर्नर जमील अहमद ने बताया था कि जून 2025 तक पाकिस्तान का फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व बढ़कर 14 बिलियन डॉलर यानी करीब 1.18 लाख करोड़ रुपए हो जाएगा। फिर भी पाकिस्तान पर इससे दोगुना कर्ज होगा। ऐसे में कर्ज चुकाना आसान नहीं होगा। मई 2024 में IMF ने पाकिस्तान के कर्ज चुकाने की क्षमता पर संदेह जताया था। IMF ने कहा कि पाकिस्तान की कर्ज चुकानी की क्षमता पर जोखिम है। यह पाकिस्तान की नीतियों और समय पर बाहरी कर्ज मिलने पर निर्भर करेगा की वे लोन चुका पाएंगे या नहीं। सवाल-6: देश पर कर्ज और महंगाई के बीच क्या रिश्ता है?जवाब: कर्ज लेना हमेशा देश के लिए खराब नहीं होता। वहीं आमतौर पर इसका महंगाई से कोई सीधा संबंध भी नहीं है। सरकार कर्ज के पैसे को इनकम बढ़ाने के लिए इस्तेमाल करती है। कर्ज का पैसा जब बाजार में आता है तो इससे सरकार का रेवेन्यू बढ़ता है। केयर रेटिंग एजेंसी के चीफ इकोनॉमिस्ट मदन सबनवीस के मुताबिक अगर कर्ज के पैसे का गलत इस्तेमाल हो तो महंगाई बढ़ भी सकती है। जैसे- कर्ज लेकर पैसा आम लोगों में बांट दिया जाए तो लोग ज्यादा चीजें खरीदने लगेंगे। इससे बाजार में चीजों की मांग बढ़ेगी। मांग बढ़ने के बाद आपूर्ति सही नहीं रही तो चीजों की कीमत बढ़ेगी। पाकिस्तान के मामले में स्थिति अलग है। पाकिस्तान के कर्ज लेने से उसके देश में महंगाई बढ़ी है। इसकी वजह IMF ने पाकिस्तान को लोन देने के बदले सब्सिडी बंद करने की शर्त रखी है। इससे चीजों की कीमतें बढ़ जाती है। पाकिस्तान के अलावा दूसरे देश भी कर्ज लेते हैं, लेकिन वे अपने देश के विकास पर कर्ज के पैसे खर्च करते हैं। पाकिस्तान के केस में ऐसा नहीं है। 2014 में पाकिस्तान की GDP 22.8 लाख करोड़ रुपए ($271 बिलियन) थी अगले 10 सालों में महज 37% बढ़कर 31.5 लाख करोड़ रुपए ($373 बिलियन) हुई। वहीं इसी दौरान भारत की GDP में 92% तक बढ़ोतरी हुई। इससे यह साफ है कि पाकिस्तान कर्ज में लिए पैसों का इस्तेमाल देश के विकास के अलावा दूसरे कामों में करता है। सवाल-7: भारत पर कितना कर्ज है और उसका कर्ज पाकिस्तान के मुकाबले अलग कैसे है?जवाब: दिसंबर 2024 में भारत पर कुल विदेशी कर्ज करीब 60 लाख करोड़ ($717.9 बिलियन) है। भारत पाकिस्तान की तरह आर्मी को फंड करने या कर्ज चुकाने कर्ज नहीं लेता, बल्कि देश के विकास और सरकारी योजनाओं पर कर्ज के पैसे खर्च करता है। भारत की GDP में होती बढ़ोतरी इसका सबूत है। 2014 में जहां भारत की GDP $2,039 बिलियन यानी लगभग 172 लाख करोड़ थी, वह 2024 तक 92% बढ़कर $3,909 बिलियन यानी लगभग 330 लाख करोड़ हो गई है। 2020 में आई कोविड-19 महामारी के बाद से भारत सरकार कई तरह की सब्सिडी भी दे रहा है। जैसे- अर्थशास्त्री सुव्रोकमल दत्ता का मानना है कि कर्ज लेना हमेशा किसी देश के लिए खराब ही नहीं होता है। भारत की इकोनॉमी 3 ट्रिलियन से ज्यादा की हो गई है। इस हिसाब से देखें तो उसका कर्ज उतना ज्यादा नहीं है। ये पैसा सरकार वंदे भारत जैसी ट्रेन चलाने, रोड और एयरपोर्ट बनाने पर खर्च करती है, जो देश के विकास के लिए जरूरी है। **** रिसर्च सहयोग- श्रेया नाकाड़े ------- पाकिस्तान से जुड़ी अन्य खबर पढ़ें आज का एक्सप्लेनर: पाकिस्तानी परमाणु हथियारों से अमेरिका को भी खतरा, 3 सिनेरियो में फौरन कब्जा करेगा; क्या है पूरा प्लान पाकिस्तान के रेलमंत्री हनीफ अब्बासी सबसे विनाशकारी हथियार की धमकी ऐसे दे रहे, मानो दिवाली के पटाखे हों। अमेरिका भी इसके खतरे समझता है। इसलिए कहा जाता है कि उसने पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को कब्जे में लेने का एक ‘कंटिन्जेंसी प्लान’ बना रखा है। पूरी खबर पढ़ें...
राजस्थान के भीलवाड़ा जिले का नरसिंहपुरा गांव। शाम के 4 बज रहे थे। सुनसान खेत में 2 लड़के एक लड़की को टांगों से घसीटते हुए ले जा रहे थे। उसके शरीर के निचले हिस्से में कोई कपड़ा नहीं था। शरीर से खून रिस रहा था। खेत के किनारे पर लकड़ी से कोयला बनाने वाली 5 भट्ठियां थीं। दोनों ने लड़की को घसीटते हुए भट्ठी में डाला, पेट्रोल छिड़का और आग लगा दी। इन लड़कों साथ एक औरत भी थी। 3 घंटे बाद भट्ठी से लाश निकाली और फावड़े से 20 टुकड़े कर डाले। लाश के टुकड़ों को बोरी में भरा और नहर में ले जाकर बहा दिया। रात एक बजे लड़की की मां और चचेरा भाई भट्ठी के पास पहुंचे, उन्हें चांदी का कड़ा और अधजला हाथ मिला। दैनिक भास्कर की सीरीज ‘मृत्युदंड’ में भीलवाड़ा भट्ठी केस के पार्ट-1 में इतनी कहानी तो आप जान ही चुके हैं। आज पार्ट-2 में आगे की कहानी… 2 अगस्त 2023, रात 2 बजे, बदहवासी में चीखती हुई लड़की की मां, अपने भतीजे के साथ प्रधान के घर पहुंची। उसकी आवाज सुनते ही हड़बड़ाकर प्रधान ने जैसे ही दरवाजा खोला, महिला बोली पड़ी- ‘प्रधानजी, किसी ने मेरी बेटी को भट्ठी में जला दिया। प्रधान ने कहा- 'मैं अभी पुलिस को फोन करता हूं।' प्रधान ने मोबाइल निकाला और कुछ नंबर डायल किया। सर… ‘नरसिंहपुरा गांव में एक लड़की को भट्ठी में जला दिया है। हाथ का टुकड़ा मिला है। उसकी मां दहाड़ मारकर रो रही है। जल्दी आइए।’ अगले दिन सुबह पुलिस भट्ठी के पास पहुंची। पीछे-पीछे गांव वालों की भीड़ भी पहुंच गई। कुल 5 भट्ठियां थीं, जिनमें से 4 बंद। एक का दरवाजा खुला था। भट्टी में पानी डाला हुआ था, लेकिन उसकी दीवारें अब भी गर्म थीं। सामने खाली पड़े खेतों में कुछ तंबू गड़े थे। डीएसपी श्याम सुंदर इस केस की जांच कर रहे थे। डीएसपी श्याम सुंदर ने कड़क आवाज में पूछा, ‘ये तंबू किसके हैं?’ ‘कालबेलियों का। 9 लोगों का परिवार रहता है।’ भीड़ से जवाब आया। ‘ये जल रही भट्ठी किसकी है?’ संजय की है साहब, तंबू के पास खड़े कालू ने कहा। डीएसपी श्याम सुंदर- ‘कल रात में किसी ने भट्ठी में जलती हुई लाश देखी क्या?’ ‘जी सरकार’, भीड़ में खड़ा महावीर बोला। दरअसल, महावीर उस लड़की का चचेरा भाई था, जिसे दो लड़कों ने भट्ठी में जला दिया था। वह महाराष्ट्र के नासिक में कैटरिंग का काम करता था। कुछ महीने पहले गांव आया था। डीएसपी- ‘तुमने भट्ठी में क्या देखा?’ महावीर- ‘रात एक बजे मैं काकी के साथ यहां आया था। भट्ठी जल रही थी। जब मैंने डंडे से आग को टटोला तो, कड़ा और जला हुआ हाथ मिला।’ महावीर ने डीएसपी को कड़ा और अधजला हाथ भी दिखाया। डीएसपी श्याम सुंदर ने पूछा- ‘तुम कैसे कह सकते हो कि ये हाथ और कड़ा तेरी बहन का ही है।’ महावीर बोला- ‘महीने भर पहले ये कड़ा मैंने बहन को दिया था।’ इसके बाद डीएसपी श्याम सुंदर, महावीर के घर पहुंचे। महावीर की काकी ने पुलिस को बताना शुरू किया- ‘मेरी बेटी नेहा 17 साल की थी। एकदम गोरी। साढ़े पांच फीट की थी वो। लोग कहते थे कि तुम्हारी बिटिया हीरोइन जैसी लगती है। कल दोपहर की बात है। उसके पापा को रिश्तेदारी में जाना था। मैंने बेटी से कहा कि आज वो बकरियां लेकर खेत में चली जाए। उसके पापा उसे खेत तक छोड़कर लौट आए और खुद रिश्तेदारी में चले गए। शाम के 6 बजे तक बेटी नहीं लौटी तो हमें चिंता होने लगी। फिर सोचा कि आ जाएगी थोड़ी देर में। 6 बजने के बाद भी वो नहीं लौटी, तो मैं महावीर के साथ उसे ढूंढने निकल गई। हम लोग खेत की तरफ जा रहे थे। रास्ते में तंबू में रहने वाला कालू मिला। उसके साथ एक और लड़का था। दोनों बकरियां लेकर आ रहे थे। मैं पहचान गई कि ये बकरियां तो हमारी हैं। मैंने उन लड़कों से पूछा- 'नेहा कहां है? ये बकरियां कहां मिलीं?' कालू ने बताया- नेहा कहां है, मुझे नहीं पता। तंबू के पास बकरियां भटक रही थीं। मुझे लगा कि गांव वालों की हैं, तो उन्हें देने जा रहा था। काफी देर तक हम खेत में और भट्ठियों के आसपास नेहा को तलाशते रहे, आवाज लगाते रहे, फिर थक हारकर घर आ गए। मैंने नेहा के पापा से कहा कि थाने में जाकर रिपोर्ट लिखवा दो। कुछ देर बाद वे थाने जाने के लिए घर से निकलने ही वाले थे, लेकिन मैंने उन्हें रोक दिया। मैंने कहा- एक बार फिर से खेत चलकर देख लेते हैं। हो सकता है नेहा रास्ता भटककर किसी दूसरे गांव चली गई हो। रात के एक बज चुके थे। हम खेत पहुंचे तो देखा कि सभी भट्ठियां बंद थीं, लेकिन एक दरवाजा खुला हुआ था। आग जल रही थी। करीब पहुंची, तो मांस जलने जैसी बदबू आ रही थी। महावीर ने डंडे से भट्ठी की राख को टटोलना शुरू किया, तो उसमें चांदी का कड़ा और अधजला हाथ मिला। कड़ा देखते ही मैं पहचान गई कि ये तो मेरी बेटी का ही है।’ लड़की की मां का बयान दर्ज करने के बाद डीएसपी फिर से भट्ठी के लिए निकल पड़े। एक तंबू के बाहर खड़ा कालू ने जैसे ही डीएसपी को अपनी तरफ आते देखा, घबरा सा गया। भागना चाहा, लेकिन डीएसपी श्याम सुंदर ने उसे दबोच लिया। इसी बीच पुलिस की टीम ने खेत को चारों तरफ से घेर लिया। कालू, उसका भाई कान्हा, उसकी पत्नी लाड देवी और संजय समेत 9 लोग हिरासत में लिए गए। पुलिस इन्हें लेकर थाने के लिए निकल पड़ी। पीछे-पीछे गांव वाले भी थाने पहुंच गए। नरसिंहपुरा गांव में करीब 700 गुर्जर परिवार रहते थे। थाने में डीएसपी श्याम सुंदर ने संजय से पूछा- 'लड़की कहां है? तेरी भट्ठी में मिला अधजला हाथ और कड़ा किसका है? संजय रोते हुए बोला, ‘मुझे लड़की के बारे में कुछ नहीं पता साहब। मैं तो रिश्तेदारी में गया था।’ तेरी भट्टी में लाश के टुकड़े कैसे मिले? इंस्पेक्टर ने सख्ती से पूछा। संजय बोला- ‘मुझे नहीं पता साहब।’ डीएसपी श्याम सुंदर ने थोड़ी और सख्ती दिखाई। संजय टूट गया। बोला- ‘2 अगस्त की शाम मुझे कालू ने फोन किया। मैं भागा-भागा गांव आया। सीधे भट्ठी के पास पहुंचा। देखा कि उसमें लाश जल रही है। कालू कहने लगा कि ये जलकर राख नहीं बन पा रही, अब इसे ठिकाने लगाना पड़ेगा।’ इसके बाद श्याम सुंदर ने कालू और कान्हा से पूछताछ करनी शुरू की। करीब 24 घंटे की कड़ी पूछताछ के बाद कालू ने बताया- ‘साहेब लड़की मर गई थी। तो हमने उसकी लाश भट्ठी में डाल दी।’ लड़की मरी कैसे? कालू बोला, ‘कान्हा ने उसके सिर जोर से डंडा मार दिया। वह मर गई।’ क्यों मारा लड़की को? लगभग कांपते हुए कालू बोला- ‘रोज बकरी चराने नेहा के पापा आते थे। उस रोज नेहा भी उनके साथ थी। उन्होंने मुझसे कहा- ‘मैं रिश्तेदारी में जा रहा। तुम नेहा का ध्यान रखना।’ उनके जाने के बाद नेहा को देखकर मेरी नीयत खराब होने लगी। मैंने अपने भाई कान्हा से कहा कि छाछ लाने गांव में जा रहा हूं। मैं सीधे नेहा के घर चला गया। आवाज लगाई तो उसकी मां बाहर आईं। मैंने कहा काकी छाछ दे दो। फिर पूछा कि काका रिश्तेदारी में चले गए क्या। काकी ने बताया कि हां वो चले गए। मैं छाछ लेकर खेत लौट आया। मुझे पता चल गया था कि नेहा अकेली है। मैंने दौड़कर उसे पकड़ना चाहा, तो वो भागने लगी। फिर लड़-खड़ाकर गिर गई। मैंने दुपट्टे से उसका मुंह बांध दिया और खेत के किनारे ले गया। वहां मैंने उसके साथ रेप करने लगा। कुछ ही देर में कान्हा वहां आ गया। उसने मुझे हटाया और खुद नेहा के साथ रेप करने लगा। मैं खड़े होकर देखता रहा कि कोई आ तो नहीं रहा। लड़की बेहोश सी हो गई थी। इसके बाद मैंने फिर उसका रेप किया। मैंने लड़की को धमकाते हुए कहा- 'चुपचाप घर चली जा, किसी से कुछ कहा तो जान से मार देंगे। लेकिन वो मान ही नहीं रही थी। वो एक ही बात रट रही थी कि पापा से बताएगी। समझ नहीं आ रहा था क्या करूं। वह जैसे भी भागने लगी, कान्हा ने उसके सिर पर डंडा मार दिया। वह गिर पड़ी। हम उसे घसीटकर तंबू में ले गए। मेरी बीवी लड़की देखते ही डर गई। कहने लगी कि ये तो मर गई है। क्यों मारा इसे। मैंने उसे डांटते हुए कहा- ये सब पूछने का टाइम नहीं है। जल्द ठिकाने लगाना है। बताओ क्या करें।' बीवी बोली- इसे भट्ठी में डाल दो। इसके बाद मैंने, कान्हा और मेरी बीवी के साथ मिलकर लड़की को भट्ठी में डाल दिया। पेट्रोल छिड़का और आग लगा दी।’ लाश को जलाने के बाद क्या किया? कालू बोला- ‘पूरी बॉडी तो भट्ठी में ही जल गई।’ इधर, फोरेंसिक टीम ने जब भट्ठी वाली राख की जांच की, तो पता चला कि खोपड़ी, आंख, दांत सब गायब है। भट्ठी के बाहर मिले फावड़े पर लगे खून और मांस के टुकड़े का सैंपल, राख में मिलीं हड्डियों के सैंपल से मैच कर गया। इंस्पेक्टर श्याम सुंदर सोचने लगे कि कहीं इन लोगों ने लाश के टुकड़े-टुकड़े तो नहीं किए। वे कालू और कान्हा को लेकर भट्ठी के पास पहुंचे। इस बार इंस्पेक्टर ने कान्हा से पूछताछ शुरू की। 'लड़की की लाश कहां गई?' कान्हा- 'भट्ठी में जल गई।' डीएसपी श्याम सुंदर ने कान्हा को पीछे से दो हंटर मारा। कान्हा बोल पड़ा- ‘साहब...लड़की मर चुकी थी। तीन घंटे बाद हमने देखा कि लाश पूरी तरह जली नहीं है। हम सोचने लगे कि कोई आ गया तो जलती हुई लड़की को देख लेगा। हमने फावड़े से लाश के टुकड़े-टुकड़े किए और बोरी में भरकर नहर में बहा दिया।’ डीएसपी ने दोनों को जिप में बिठाया और थोड़ी ही देर में नहर के पास पहुंच गए। थोड़ा ढूंढने पर बोरी मिल गई। उसे पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा दिया गया। अगले दिन पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में पता चला कि यह लाश तो अधूरी है। कई अंग गायब हैं। डीएसपी सोच में पड़ गए कि बाकी टुकड़े कहां गए? क्या वाकई में दोनों भाइयों ने बारी-बारी रेप किया था, या ये पुलिस की गढ़ी हुई कहानी थी। अब न तो लड़की जिंदा बची थी और ना ही उसकी पूरी लाश मिली थी। कोई चश्मदीद गवाह भी नहीं था। पुलिस कोर्ट में कैसे साबित करेगी कि लड़की का रेप हुआ है...कल यानी रविवार को भीलवाड़ा भट्ठी कांड के पार्ट-3 में पढ़िए… कालू और कान्हा ने भले ही जुर्म कबूल लिया था, पर बिना चश्मदीद गवाह के पुलिस साबित कैसे करेगी आरोपियों के जुर्म कबूल करने के बाद भी पुलिस के सामने 4 चुनौतियां थीं: पहली- लाश के पूरे टुकड़े जुटाना और साबित करना कि लाश इंसान की ही है। दूसरी- लड़की के साथ गैंगरेप किया गया है। तीसरी- कालू और कान्हा ने ही लड़की साथ गैंगरेप किया है। चौथी- भट्ठी में जलने से पहले लड़की जिंदा थी। पुलिस ने आखिर कैसे दिलाई दोषियों को सजा... पूरी कहानी भीलवाड़ा भट्ठी कांड के पार्ट-3 में...
श्रीनगर से करीब 50 किमी दूर त्राल कस्बे से सटा एक गांव है शरीफाबाद। यहीं का 22 साल का हिज्बुल कमांडर बुरहान वानी कश्मीर में पोस्टर बॉय बन चुका था। बुरहान ने बंदूक के साथ ग्लैमर को जोड़ा। उसके वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल होते रहते थे। उसने दर्जनों युवाओं को हिज्बुल में रिक्रूट किया। सेना उसे बुरी तरह खोज रही थी। 7 जुलाई 2016 की शाम आर्मी कैंप में खबर आई कि बुरहान कोकरनाग के पास बमडूरा गांव के एक मकान में हो सकता है। एक लोकल मुखबिर को पास के कसाई ने बताया कि उस मकान में 'दावत' के लिए यहीं से ढेर सारा मीट गया है। घर के मालिक ने भी एक रिश्तेदार से फोन पर कहा कि 'मुसीबत' आई हुई है। पूरी तरह से कन्फर्म होने के बाद आर्मी ने 100 जवानों और पुलिस SOG के 35-36 जवानों के साथ मिलकर कोकरनाग इलाके में डबल लेयर का घेरा डाल लिया। बुरहान वानी के साथ आतंकी सरताज और परवेज भी थे। उन्होंने तय किया कि वो घेरा तोड़कर भागने का चांस लेंगे, क्योंकि घर पर ब्लास्ट किया जा सकता है। सरताज और बुरहान तेजी से आगे बढ़े और अंधाधुंध फायरिंग करने लगे। जवाबी फायरिंग में सबसे पहले बुरहान को गोली लगी। कुछ ही समय में सरताज और परवेज भी मारे गए। महज 15 मिनट में ऑपरेशन पूरा हो गया। बुरहान के एनकाउंटर ने कश्मीर की आग को फिर कुरेद दिया। ‘मैं कश्मीर हूं’ सीरीज के पांचवे और आखिरी एपिसोड में वाजपेयी से लेकर मोदी तक; कश्मीर में हुई बड़ी हलचल के किस्से और आगे का रास्ता… भारत ने 11 और 13 मई 1998 को पोखरण में परमाणु परीक्षण किया था। इसके बाद पाकिस्तान ने भी परमाणु परीक्षण किया। अब भारत-पाक दोनों परमाणु संपन्न राष्ट्र थे। हम मित्र बदल सकते हैं, लेकिन पड़ोसी नहीं, इस विचारधारा को मानने वाले प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी कश्मीर का समाधान और पाकिस्तान से शांति वार्ता चाहते थे। चार महीने बाद ही सितंबर में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ यूनाइटेड नेशन्स की बैठक के लिए न्यूयॉर्क पहुंचे। यहां दोनों एक मेज पर थे। यहीं पर लाहौर बस यात्रा की बुनियाद पड़ी। वाजपेयी 19 फरवरी 1999 बस से लाहौर गए थे। यह दिल्ली-लाहौर की पहली यात्रा थी। यहां कश्मीर और दोनों देशों में शांति के लिए मशहूर लाहौर समझौता हुआ। नवाज बोले कागजों से कश्मीर नहीं मिलेगा, हमें कब्जा करना होगाइसके तीन महीने बाद ही 17 मई 1999 को इस्लामाबाद से कुछ मील की दूरी पर इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) के ओझरी कैंप ऑफिस में एक प्लान की प्रोग्रेस रिपोर्ट पेश की गई। मीटिंग में चीफ ऑफ जनरल स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल अजीज खान ने प्रधानमंत्री से कहा- सर, आप इतिहास में कश्मीर के मुक्तिदाता कहलाएंगे। दरअसल, ये प्लान कारिगल में घुसपैठ करके कश्मीर पर कब्जे का था। विदेश मंत्री सरताज अजीज ने PM से कहा कि ये लाहौर समझौते का उल्लंघन है। तब नवाज शरीफ ने कहा कि हम कागजों से कभी कश्मीर नहीं पा सकते, हमें ये करना होगा। ये वो ही नवाज शरीफ थे, जिन्होंने तीन महीने पहले ही भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ शांति के लिए दिल्ली-लाहौर बस शुरू की थी। एक तरफ नवाज दोस्ती के लिए गले मिल रहे थे और दूसरी तरफ उसी दोस्त की पीठ पर 'फतह-ए-कश्मीर' का खिताब पाने के लिए छुरा घोंप रहे थे। 8 मई 1999 को कारगिल की आजम चौकी पर पाकिस्तान के करीब 12 जवानों ने कब्जा कर लिया था। इसके बाद वो आगे बढ़ते ही रहे। भारत के सैनिकों ने जांबाजी से लड़ा और 26 जुलाई 1999 तक भारत में घुस आए पाक सैनिक मारे गए या तो भाग खड़े हुए। युद्ध में पाकिस्तान की हार हुई थी। पाकिस्तान में परवेज मुशर्रफ ने तख्तापलट कर दिया। पाकिस्तान अलग-थलग पड़ा था। ऐसे में एक दिन भारत की तरफ से मुशर्रफ को शांति वार्ता का प्रस्ताव आया। मुशर्रफ अपनी छवि सुधारना चाहते थे। उन्होंने तुरंत इसे लपक लिया। इस तरह 14 से 16 जुलाई 2001 तक आगरा में शिखर सम्मेलन की शुरुआत हुई। मुशर्रफ छवि बदलने आए थे, लेकिन कश्मीर को लेकर अपना अड़ियल रुख नहीं बदल पाए। बात कश्मीर को लेकर ही बिगड़ी। भारत में पाकिस्तान के राजदूत रहे अजय बिसारिया अपनी किताब 'एंगर मैनेजमेंट: द ट्रबल्ड डिप्लोमेटिक रिलेशनशिप बिटविन इंडिया एंड पाकिस्तान' में लिखते हैं कि शिखर सम्मेलन के दूसरे दिन मुशर्रफ ने नाश्ते पर देश के प्रमुख समाचार पत्रों और टीवी नेटवर्क के संपादकों के साथ मुलाकात की। उन्होंने कहा कि कश्मीर में जिन लोगों ने हथियार उठाए हैं वो आतंकी नहीं फ्रीडम फाइटर हैं। उन्होंने कहा कि कश्मीर में आतंकवाद के कारण जो हिंसा हो रही है, वो वहां के लोगों की आजादी के लिए लड़ाई है। ये सब लाइव चल रहा था। 'जनरल साहब आपका व्यवहार ठीक नहीं है'वाजपेयी मुशर्रफ की आवभगत दोस्त की तरह कर रहे थे। वाजपेयी को पता ही नहीं था कि मीटिंग रूम के बाहर मुशर्रफ क्या एजेंडा चला रहे हैं। बिसारिया लिखते हैं- मुशर्रफ और वाजपेयी बात कर थे। तभी मैंने एक कागज उन्हों सौंप दिया और कहा कि कुछ महत्वपूर्ण घटनाक्रम हुए हैं। मेरे कमरे से बाहर जाने के बाद वाजपेयी ने उस कागज को देखा और फिर उसे मुशर्रफ को पढ़कर सुनाया। वाजयेपी ने खीझते हुए कहा कि जनरल साहब आपके व्यवहार से शांति वार्ता में कोई मदद नहीं मिल रही है। भारत ने भी कहा कि कश्मीर मसले पर कोई समझौता नहीं करेगा। मुशर्रफ समझ गए कि बात नहीं बनेगी। इसके बाद वे आगरा शिखर सम्मेलन काे अधूरा छोड़कर पाकिस्तान चले गए। वाजपेयी के दौर में कश्मीर सामान्य हो रहा था। BJP सरकार के बाद दस साल तक UPA सरकार रही। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में कश्मीर को लेकर वाजपेयी जैसे कोई ठोस कदम शांति वार्ता के लिए नहीं उठाए गए। 2014 में नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री बने और उन्होंने एक बड़ा कदम उठाया। 25 दिसंबर 2015 को पीएम मोदी अफगानिस्तान के दौरे पर थे। उन्हें तय कार्यक्रम के मुताबिक काबुल से सीधे दिल्ली लैंड करना था। दोपहर ठीक 1:31 बजे मोदी ने ट्वीट किया कि मैं लाहौर में पाकिस्तान के PM नवाज शरीफ से मिलने वाला हूं। इस खबर ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा। 11 साल बाद भारत का कोई PM पाकिस्तान जा रहा था। शाम 4 बजकर 52 मिनट पर इंडियन एयरफोर्स का विमान लाहौर एयरपोर्ट पर उतरा। पहले से मौजूद पाकिस्तान के PM नवाज शरीफ ने मोदी को गले लगाया और कहा- 'आखिरकार आप आ ही गए।' कुछ ही कदमों की दूरी पर पाकिस्तानी सेना का एक हेलिकॉप्टर खड़ा था। मोदी उसी हेलिकॉप्टर में बैठे। उनके साथ नवाज शरीफ, अजित डोभाल और एस जयशंकर भी थे। इससे पहले भारत का कोई प्रधानमंत्री, पाकिस्तानी सेना के हेलिकॉप्टर में नहीं बैठा था। मोदी नवाज के घर रायविंड पहुंचे, जहां उनकी पोती की शादी थी। मोदी ने नवाज की पोती को आशीर्वाद दिया। नवाज की मां के चरण छुए। शाम 6:30 बजे मोदी ने शरीफ और उनके परिवार को अलविदा कहा और हेलिकॉप्टर से वापस हवाई अड्डे पहुंचे। 7:30 बजे विमान लाहौर से भारत के लिए रवाना हुआ और सकुशल मोदी पहुंच गए। भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्तों में सुधार में मोदी का यह बड़ा कदम माना गया, लेकिन 2 जनवरी 2016 में पठानकोट एयरबेस पर आतंकवादी हमला हुआ। इससे भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत फिर रुक गई। कश्मीर में BJP और PDP की गठबंधन सरकार बनी, लेकिन प्रयोग फेल रहा2015 में ही जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव हुए। कुल 87 सीटों में से PDP को 28, BJP को 25, नेशनल कॉन्फ्रेंस को 15 और कांग्रेस को 12 सीटें मिलीं। किसी के पास बहुमत नहीं था। ऐसे में BJP ने पहल की। कश्मीर में शांति और राज्य को स्थिर सरकार देने के लिए BJP ने PDP के साथ गठबंधन किया। मुफ्ती मोहम्मद सईद मुख्यमंत्री बनाए थे और डिप्टी CM BJP के निर्मल सिंह को मिला। 7 जनवरी 2016 सईद के निधन के बाद महबूबा मुफ्ती CM बनीं। महबूबा का फोकस कश्मीर पर था और भाजपा चाहती थी कि जम्मू पर भी ध्यान दिया जाए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा था। CM BJP को कॉन्फिडेंस में लिए बिना पत्थरबाजों को रिहा करने, बक्करवालों को सरकारी जमीन से विस्थापित न करने और धार्मिक संगठनों को वित्तीय सहायता दे रही थीं। आतंकी घटनाएं रुक नहीं रही थीं। इससे BJP को लगने लगा कि उसका नाम खराब हो रहा है। कठुआ में आठ साल की बच्ची की रेप और हत्या के बाद जम्मू में BJP की जमीन हिलने लगी थी। अगले ही साल 2019 में लोकसभा चुनाव थे। BJP का कश्मीर में प्रयोग विफल रहा और उसने जून 2018 में समर्थन वापस ले लिया और सरकार गिर गई। कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। देश में लोकसभा चुनाव का माहौल बना हुआ था। दुनियाभर में वेलेंटाइन डे की धूम थी। उस दिन पुलवामा के लेथपोरा में CRPF जवानों के काफिले पर आतंकी हमला हुआ, जिसमें 40 जवान मारे गए। जम्मू-कश्मीर में तब तैनात रहे IPS ऑफिसर दानेशा राणा अपनी किताब 'एज फॉर एज द सैफरन फील्ड द पुलवामा कॉन्सपिरेसी' में लिखते हैं कि दोपहर पौने दो बजे बजे विस्फोटक से लदी कार ईको कार को लेकर आतंकी आदिल और शाकिर रवाना हुए। कार आदिल चला रहा था। वे तीन बजकर दस मिनट पर हाईवे पहुंच गए। थोड़ी देर में उन्हें एक लाल झंडे वाला वाहन नजर आया। वे समझ गए कि काफिला आने वाला है। आदिल ने अपनी कैसियो डिजिटल घड़ी निकाली और शाकिर को दे दी। शाकिर वहां से चला गया। दोपहर तीन बजकर पांच मिनट पर आदिल ने ईको कार की चाबी घुमाई। धीरे-धीरे हाईवे की तरफ चलने लगा।' हाईवे की सुरक्षा करने वाले ASI मोहनलाल ने आदिल की कार रोकने की कोशिश की। इससे पहले कि कोई पूरी तरह से समझ पाता आदिल ने अपनी आंखें बंद कर लीं और ट्रिगर दबा दिया। काले धुएं के बादल के बीच एक बड़ी आग की गेंद उठी। ASI मोहन लाल भी वहीं शहीद हो गए। धमाका 10 किलोमीटर दूर तक सुना जा सकता था। इस हमले में CRPF के 39 जवान शहीद हुए। शाम 4.03 बजे, श्रीनगर के मीडिया हाउस ग्लोबल न्यूज सर्विस के संपादक को जैश के पाकिस्तान स्थित प्रवक्ता मोहम्मद हुसैन का एक व्हाट्सएप मैसेज मिला। उसमें जिसमें लेथपोरा में आत्मघाती हमले की जिम्मेदारी ली गई थी। जब मैसेज को ट्रेस किया तो उसका IP पाकिस्तान के रावलपिंडी का निकला। सबको लगा सरकार 35A हटाएगी, मोदी सरकार ने 370 हटा दियाजम्मू-कश्मीर में कोई भी फैसला लागू करने के लिए केंद्र को राज्य सरकार की सहमति लेना जरूरी है। BJP-PDP सरकार गिरने के बाद से राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा हुआ था। इस कारण केंद्र को कोई भी फैसला लेने के लिए राज्यपाल की सहमति लेना थी। पत्रकार अनुराधा भसीन अपनी किताब 'द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ कश्मीर ऑफ्टर आर्टिकल 370' में लिखती हैं कि 2 अगस्त को आतंकी हमले के मद्देनजर अचानक अमरनाथ यात्रा पर रोक लगा दी गई। टूरिस्टों से कहा गया कि वे तुरंत जम्मू-कश्मीर छोड़ दें। 4 अगस्त को राज्य में इंटरनेट बंद कर दिया गया। स्कूलों, कॉलेजों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों को बंद कर दिया गया था। सोशल मीडिया में अफवाह चल रही थी कि सरकार आर्टिकल 35A हटाने जा रही है। 370 के तहत आर्टिकल 35A एक विशेष प्रावधान था, जो जम्मू और कश्मीर राज्य को कुछ विशेष अधिकार और स्वायत्तता प्रदान करता था। इसके तहत जम्मू-कश्मीर राज्य सरकार के पास यह अधिकार था कि वह तय कर सके कि राज्य का स्थायी निवासी कौन होगा। स्थायी निवासियों को राज्य में संपत्ति खरीदने, सरकारी नौकरी पाने, और अन्य सामाजिक लाभ पाने का विशेष अधिकार था। दूसरे राज्यों के नागरिक जम्मू-कश्मीर में संपत्ति नहीं खरीद सकते थे और न ही सरकारी नौकरियों या अन्य लाभों के पात्र थे। इसके अलावा अगर राज्य की किसी महिला ने राज्य के बाहर के व्यक्ति से शादी की तो वह और उसके बच्चे स्थायी निवासी के अधिकार खो देते थे। इस अफवाह के बाद कश्मीर के लोग राशन भरने लगे। सरकार की मंशा कुछ और ही उसने 35A की जगह उसकी जड़ 370 को ही खत्म कर दिया। 5 अगस्त को गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में धारा 370 खत्म करने का बिल पेश किया। ये भी प्रस्ताव रखा कि लद्दाख जम्मू-कश्मीर का हिस्सा न होकर नेशनल टेरेटरी होगी। इस तरह एक दिन में ही शोर-शराबे के बीच जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हमेशा के लिए हट गई। 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम की बायसरन घाटी में आतंकियों ने पर्यटकों पर गोलियां बरसाईं। इसमें धर्म पूछकर 26 लोगों की हत्या कर दी गई। ये 2019 के पुलवामा हमले के बाद सबसे बड़ा आतंकी हमला था। वो भी ऐसे समय में जब कश्मीर में हर साल करोड़ों की तादाद में टूरिस्ट पहुंच रहे थे। कश्मीर का सुनहरे भविष्य को एकबार फिर बड़ा झटका लगा है। ****** 'मैं कश्मीर हूं' सीरीज के अन्य एपिसोड एपिसोड-1: कश्मीर का पहला मुस्लिम शासक पहले बौद्ध था:हिंदू राजा को मारकर राजकुमारी से शादी की; घाटी में कैसे फैला इस्लाम एपिसोड-2: औरंगजेब को कश्मीरी औरतों के कपड़ों से दिक्कत थी:राजा गुलाब सिंह ने ₹75 लाख में खरीदा कश्मीर, रूस तक फैली थी रियासत एपिसोड-3: जिन्ना को कश्मीर आने से रोका, फिर हुआ नरसंहार:लाहौर तक पहुंची भारतीय सेना, क्या नेहरू की गलती से बना PoK; क्या इतिहास दोहराना अब संभव एपिसोड-4: 'पंडित मर्द भाग जाएं, औरतें रहें':कार में गैंगरेप फिर आरा मशीन से जिंदा काटा, चावल के ड्रम में मारी गोली; कैसे खदेड़े गए कश्मीरी पंडित
‘वे दुकानदार हो सकते हैं, खच्चर चराने वाले हो सकते हैं, पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर हो सकते हैं, पुलिसवाले भी हो सकते हैं। आपको पता भी नहीं चलेगा कि आम कश्मीरियों की तरह दिखने वाला कोई शख्स आतंकियों का मददगार हो सकता है। अगर भगवान ओवर ग्राउंड वर्कर्स को सींग दे देते, तो यहां बहुत लोगों के सींग दिखते।’ 39 साल सेना में रहे रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल संजय कुलकर्णी लंबे अरसे तक साउथ कश्मीर में पोस्टेड रहे हैं। वे जिन ओवर ग्राउंड वर्कर्स के बारे में बता रहे हैं, वे जम्मू-कश्मीर में आतंकियों की आंख और कान हैं। 22 अप्रैल को पहलगाम की बायसरन घाटी में 3 आतंकी 26 टूरिस्ट का कत्ल कर गायब हो गए, इसकी वजह यही ओवर ग्राउंड वर्कर्स हैं। यानी वे लोग जो आतंकियों को खाना-पीना, ठिकाना और बाकी जरूरी चीजें मुहैया कराते हैं। दैनिक भास्कर ने संजय कुलकर्णी के अलावा PoK में ट्रेनिंग लेने वाले और अब आतंक का रास्ता छोड़ चुके एक शख्स से बात की। उनसे 5 सवाल पूछे- 1. ओवर ग्राउंड वर्कर्स कौन होते हैं और कैसे काम करते हैं? 2. उन्होंने पहलगाम हमले में आतंकियों की कैसे मदद की? 3. रेकी में कैसे ओवर ग्राउंड वर्कर्स का इस्तेमाल किया गया? 4. आतंकियों की मदद करने पर बदले में उन्हें क्या मिलता है? 5. पाकिस्तान से आने वाले आतंकी ओवर ग्राउंड वर्कर्स से कैसे कॉन्टैक्ट करते हैं? पहले जानिए पहलगाम हमले में ओवर ग्राउंड नेटवर्क से मदद मिलने की बात क्यों आ रही है… 1. अटैक से पहले आतंकियों ने कई टूरिस्ट स्पॉट जैसे बेताब घाटी, अरु घाटी और एम्यूजमेंट पार्क की रेकी की थी। ये रेकी ओवर ग्राउंड वर्कर्स की मदद से ही की गई। सुरक्षा एजेंसियों ने 20 से ज्यादा ओवर ग्राउंड वर्कर्स को संदिग्ध माना है। आतंकियों ने उन्हें अलग-अलग टास्क दिए थे। 2. बायसरन घाटी में हुए अटैक में 4 ओवर ग्राउंड वर्कर थे, जिन्होंने आतंकियों की मदद की। रेकी करने से लेकर लॉजिस्टिक सपोर्ट देने में उनकी भूमिका रही। इसी वजह से आतंकी हमला करके आसानी से भाग निकले। अब तक उनकी सटीक लोकेशन भी नहीं मिल पा रही है। 3. सोर्स के मुताबिक, इस हमले में हापतनाड़, कुलगाम, त्राल और कोकरनाग के पहाड़ों और जंगल में आतंकियों को ओवर ग्राउंड वर्कर्स से मदद मिली। ये नेटवर्क कम्युनिकेशन के लिए फोन भी इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं। आतंकी ह्यूमन इंटेलिजेंस के जरिए ओवर ग्राउंड वर्कर्स से कॉन्टैक्ट करते हैं, जिससे इनकी लोकेशन का पता लगाना मुश्किल हो रहा है। 4. अभी इंटेलिजेंस और दूसरी एजेंसियां मुखबिरों की मदद से ओवर ग्राउंड वर्कर्स की तलाश कर रही हैं। पुराने और एक्टिव ओवर ग्राउंड वर्कर्स से पूछताछ की जा रही है। हालांकि, अब तक कोई खास जानकारी नहीं मिल पाई है। ग्राफिक में देखिए आतंकियों ने हमले के लिए कहां-कहां रेकी की पैसों-ड्रग्स का लालच, कुछ दिनों की ट्रेनिंग और ओवर ग्राउंड वर्कर तैयारओवर ग्राउंड वर्कर्स के काम करने का तरीका जानने के लिए हमनेआतंकी रह चुके एक शख्स से बात की। उन्हें आतंकियों के नेटवर्क से लेकर ओवर ग्राउंड वर्कर्स से कॉन्टैक्ट करने के तरीके तक पूरी जानकारी है। वे बताते हैं, ‘अब कश्मीर में लोकल लोग आतंकियों को सपोर्ट नहीं करते। आतंकियों को सिर्फ ओवर ग्राउंड वर्कर्स से ही मदद मिल रही है। वही उन्हें खाना देते हैं। राशन और जरूरी सामान पहुंचाते हैं। पाकिस्तान से आने के बाद आतंकी ओवर ग्राउंड वर्कर्स के भरोसे ही रहते हैं।' 'आतंकियों को हवाला के जरिए पैसे मिलते हैं। सपोर्ट के बदले ओवर ग्राउंड वर्कर्स इसी पैसे से कमीशन लेते हैं। बाकी पैसे आतंकियों तक पहुंचा देते हैं।’ ‘ये लोग सिर्फ पैसों के लिए काम करते हैं। पहले हवाला के पैसों में कमीशन मिल गया। इसके बाद जैसे आतंकियों को किसी चीज की जरूरत है। अगर वो चीज 100 रुपए की है, तो ये उसे 300 रुपए में देते हैं। इस तरह भी उनकी कमाई होती है।’ ‘आतंकी कहां छुपे हैं, इस बारे में सबसे बेहतर ओवर ग्राउंड वर्कर्स ही बता सकते हैं। वे सीधे उनके कॉन्टैक्ट में रहते हैं। इसीलिए आतंकियों का पता लगाने के लिए सबसे पहले उनके करीबी ओवर ग्राउंड वर्कर्स तक पहुंचना होगा।’ ये लोग आतंकियों के कॉन्टैक्ट में कैसे आते हैं, इनकी पहचान कैसे होती है? जवाब मिला, ‘ओवर ग्राउंड वर्कर से सीधे जुड़ने के लिए आतंकी संगठन सीधे किसी गांव या पहाड़ी इलाके से संपर्क नहीं करते। बल्कि इसकी शुरुआत जम्मू-कश्मीर की सेंट्रल जेल से होती है।’ ‘यहां जेल में छोटे क्राइम या ड्रग्स केस में अंदर आए युवाओं को टारगेट किया जाता है। जेल में आतंकियों का नेटवर्क काम करता है। वे वहीं से संपर्क करते हैं। जेल में उन्हें आसानी से फोन और इंटरनेट का एक्सेस मिल जाता है। सारा नेटवर्क ही जेल से चलता है।’ पूर्व आतंकी बताते हैं, ‘पहलगाम में हमला करने वाले पाकिस्तानी टेररिस्ट हैं। पाकिस्तान से आए आतंकी इसी सोच से भारत आते हैं कि उन्हें ज्यादा से ज्यादा लोगों की जान लेनी है। वे मानकर आते हैं कि उनकी मौत तय है। इसलिए वे मरने-मारने के लिए ही आते हैं। उन्हें ओवर ग्राउंड वर्कर्स से रहने और खाने-पीने में मदद मिल जाती है।’ ‘आतंकी उन लड़कों को तलाश करते हैं, जो पहले पत्थरबाज रहे हों, ड्रग्स की लत में हों, क्रिमिनल एक्टिविटी में रहे हों या लालच में आकर कुछ भी करने को तैयार हों। ऐसे भी लड़के होते हैं, जिनका क्रिमिनल रिकॉर्ड नहीं होता, लेकिन वे हर काम करने के लिए तैयार हो जाते हैं।’ ओवर ग्राउंड वर्कर्स को जंगल में थोड़ी ट्रेनिंग दी जाती है। इसमें एके-47 को अलग करना, उसे जोड़ना, कहीं लेकर जाना या पहाड़ों पर ले जाना शामिल होता है। ‘आतंकियों और ओवर ग्राउंड वर्कर्स के लिए बकायदा पाकिस्तान से फंड आता है। ये पैसे हवाला के जरिए सऊदी अरब से आते हैं। सऊदी अरब में ही पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI का भी नेटवर्क है। वहीं कश्मीर के भी लोग होते हैं। हवाला के जरिए पैसे कश्मीर में किसी खास जगह आ जाते हैं। 'अगर ISI ने उन्हें 1 लाख रुपए दिए हैं, तो 35% कमीशन काटकर कश्मीर में 65 हजार रुपए मिल जाएंगे। यही पैसे अलग-अलग आतंकी संगठनों को मिल जाते हैं। पैसे विदेशी आतंकियों को सीधे नहीं दिए जाते। हाइड आउट में छिपे आतंकियों तक उन्हें पहुंचाने में ओवर ग्राउंड वर्कर्स ही मदद करते हैं।’ ‘टारगेट तक खाली हाथ जाते हैं आतंकी, हथियारों की सप्लाई ओवर ग्राउंड वर्कर्स का काम’पाकिस्तान में आतंकी ट्रेनिंग ले चुके शख्स ने बताया, ’टारगेट वाली जगह आतंकी बिना हथियार के जाते हैं, ताकि कोई उन्हें ट्रेस न कर सके। फिर ओवर ग्राउंड वर्कर्स दूसरे रास्ते से उस जगह तक हथियार पहुंचाते हैं। इस नेटवर्क में महिलाएं भी होती हैं। ज्यादातर मामलों में महिलाएं ही हथियार और खाने का सामान पहुंचाती हैं। कई बार बच्चे भी मदद करते हैं। महिलाएं ज्यादा एक्टिव रहती हैं क्योंकि उन पर आसानी से शक नहीं होता।’ ‘ओवर ग्राउंड वर्कर्स का नेटवर्क गांव-गांव और मोहल्ले तक होता है। ये लोग आसपास नजर रखते हैं कि कौन किसके लिए काम कर रहा है। कौन आर्मी और पुलिस के लिए काम कर रहा है। कौन आतंकियों के सपोर्ट में है।' 'आसपास रहने वाले लोगों की सोच क्या है। इससे उन्हें आगे आतंकियों का सपोर्ट करने में आसानी होती है। एक तरह से ये लोग आतंकियों के लिए मुखबिरी का काम करते हैं। किसी भी किलिंग में ओवर ग्राउंड वर्कर्स का बड़ा रोल होता है।’ ओवर ग्राउंड वर्कर पर पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत कार्रवाई होती है, ग्राफिक में इस एक्ट के बारे में पढ़िए एक्सपर्ट बोले- ओवर ग्राउंड वर्कर्स अपने इलाके से वाकिफ, इसलिए आतंकियों के लिए जरूरीओवर ग्राउंड वर्कर्स के नेटवर्क पर हमने डिफेंस एक्सपर्ट संजय कुलकर्णी से बात की। वे बताते हैं, ‘ओवर ग्राउंड वर्कर लोकल लोग होते हैं। वे अपने इलाके को जानते हैं। उन्हें रास्ते पता होते हैं। वे आतंकियों के लिए खाने-पीने का इंतजाम करते हैं। उन्हें रास्ते बताते हैं। रेकी करवाते हैं। उनकी मदद करते हैं।’ ‘बॉर्डर के उस पार बैठे आतंकियों के लोग इधर भी हैं। ये स्लीपर सेल होते हैं। स्लीपर सेल का ताल्लुक ओवर ग्राउंड वर्कर्स से होता है। ओवर ग्राउंड वर्कर्स भी आतंकी मानसिकता के हैं। वे बिकाऊ हैं। उन्हें पैसे और ड्रग्स का लालच दिया जाता है। वे ड्रग्स बेचकर पैसे कमाते हैं। आतंकी तो बाहर के लोग हैं, उन्हें इलाकों के बारे में पता नहीं होता। ऐसे में ओवर ग्राउंड वर्कर्स उनकी मदद करते हैं।’ ‘हमला करके किस गली से भागना है, किस दुकान से बाल कटाकर पहचान बदलनी है, वे सब बताते हैं। बाल काटने वाला, खाना खिलाने वाला, सब इन्हीं के आदमी हैं। इनका पूरा नेटवर्क है। ओवर ग्राउंड वर्कर्स को लगता है कि आतंकी मुजाहिद है, जिहादी है, हमारा मेहमान है, उन्हें लगता है कि ये खुदा का बंदा है, इसलिए उसकी मेेहमाननवाजी करनी है। ‘डोडा, अनंतनाग, पहलगाम में आतंकी ऊपरी इलाकों में घूमते हैं। गांव नीचे पानी के पास होते हैं। आतंकियों के नेटवर्क में महिलाएं भी होती हैं। वे सुबह ऊपर की तरफ घास काटने जाती हैं और अपने साथ खाना ले जाती हैं। उन्हें पता होता है कि खाना कहां छोड़ना है। वे बताई गई जगह पर खाना छोड़कर आ जाती हैं, आतंकी खाना उठाकर ले जाते हैं।’ संजय कुलकर्णी बताते हैं, ‘इनकी मदद से आतंकी एक-दो दिन नहीं, कई बार तो महीनों तक वापस नहीं जाते। लोगों के बीच घुल-मिल जाते हैं। उनके साथ रहते हैं। फिर पता चलता है कि बड़ा टारगेट हाथ आ रहा है, तब घात लगाते हैं।’ ‘कम्युनिकेशन के लिए उनके पास सैटेलाइट फोन हैं। उसे पकड़ना मुश्किल होता है। वॉकी-टॉकी होता है। मोबाइल तो ट्रेस हो जाता है। इसलिए ये क्या करते हैं कि अपना आदमी भेजते हैं। ये आंख और कान का काम करते हैं। इसके बदले उन्हें पैसा, तारीफ, ड्रग्स, हथियार मिलते हैं। हैंडलर्स को सब पता है कि किसके अकाउंट में कितने पैसे जाने हैं। ये सब पाकिस्तान से चलता है।’ ...................................... पहलगाम हमले पर ये ग्राउंड रिपोर्ट भी पढ़ें 1. पाकिस्तानी कमांडो हाशिम मूसा ने हमले के लिए क्यों चुनी बायसरन घाटी पहलगाम में हमले से पहले आतंकियों ने बेताब घाटी, अरु घाटी और एम्यूजमेंट पार्क की रेकी की थी। आखिर बायसरन घाटी को हमले के लिए चुना गया। वजह- पहलगाम आने वाले टूरिस्ट यहां जरूर आते हैं, यहां सिक्योरिटी नहीं होती है और आने-जाने का रास्ता ऐसा नहीं है कि हमले के बाद आर्मी तेजी से पहुंच सके। इसके पीछे पाकिस्तानी कमांडो हाशिम मूसा का दिमाग था। पढ़िए पूरी खबर... 2. 26 टूरिस्ट का कत्ल करने वाला आदिल कैसे बना आतंकी,साइंस और उर्दू में डिग्री पहलगाम से करीब 55 किमी दूर अनंतनाग के गुरी गांव में आदिल का घर है। कभी बच्चों को पढ़ाने वाला आदिल अब 20 लाख का इनामी आतंकी है। सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक वो पहलगाम हमले में शामिल था। हमले के बाद पुलिस और सेना आदिल के घर पहुंची थीं। इसी दौरान ब्लास्ट में आदिल का घर तबाह हो गया। पढ़िए पूरी खबर...
‘हम पुलिस की गाड़ी में थे। लगा था कि वो हमें बचा लेंगे। मैतेई लड़कों की भीड़ ने गाड़ी घेर ली। हमें उतारकर इधर-उधर छूने लगे। उन्होंने कहा- जिंदा रहना है, तो कपड़े उतारो। हमने मदद के लिए पुलिसवालों की तरफ देखा लेकिन उन्होंने मुंह फेर लिया। फिर हमारे पास कोई और रास्ता ही नहीं बचा।’ ये 22 साल की उस कुकी लड़की की कहानी है, जिसे 19 जुलाई को मणिपुर से वायरल हुए एक वीडियो में देखा गया। मणिपुर में 3 मई 2023 को कुकी और मैतेई कम्युनिटी के बीच शुरू हुई हिंसा की ये सबसे शर्मनाक तस्वीर थी। वीडियो में लड़की के साथ दो महिलाएं भी थीं। मैतेई युवकों की भीड़ ने सड़क पर इनकी न्यूड परेड कराई। ये सिर्फ अकेली घटना नहीं थी। मणिपुर में इस जातीय लड़ाई में रेप और मर्डर के ऐसे कई मामले सामने आए। हिंसा में 250 से ज्यादा मौतें हुई और 13 हजार से ज्यादा घरों में तोड़फोड़ और आगजनी की गई। इस हिंसा रोक पाने में मणिपुर सरकार नाकाम रही। CM बीरेन सिंह ने 9 फरवरी 2025 को इस्तीफा दे दिया। 13 फरवरी से मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगा हुआ है। दो साल बाद अब भी मणिपुर पूरी तरह से शांत नहीं हुआ है। कुकी-मैतेई अब भी एक दूसरे के इलाकों में नहीं जा सकते। बफर जोन में अब भी लोग बंदूक लेकर तैनात हैं। केंद्र सरकार ने हिंसा की जांच की जिम्मेदारी 3 सदस्यीय जांच आयोग को सौंपी थी। आयोग दो बार डेडलाइन बढ़ा चुका है लेकिन अब तक रिपोर्ट नहीं सौंप सका। हिंसा के दो साल बीतने पर हमने न्यूड परेड के मामले से लेकर मैतेई और कुकी युवकों के मर्डर तक बड़े केसेज का स्टेटस जाना। पढ़िए पूरी रिपोर्ट... केस नंबर-1मई 2023महिलाओं की सरेआम न्यूड परेड, CBI की जांच दो साल बाद भी जारीजुलाई 2023 में मणिपुर का एक वीडियो वायरल हुआ। इसमें एक लड़की और 2 महिलाओं को मैतेई भीड़ ने निर्वस्त्र कर परेड कराई। लड़की के साथ गैंगरेप भी हुआ। घटना के बाद 2023 में जब हम विक्टिम की फैमिली से मिलने चुराचांदपुर पहुंचे थे। तब लड़की की मां ने अपना दर्द सुनाते हुए बताया था। ‘मेरे पति को मार दिया। बड़े बेटे को मार दिया। बेटी के कपड़े उतारकर घुमाया, उसे पीटा और गैंगरेप किया। एक दिन में मेरा सब कुछ खत्म हो गया। अब इतनी हिम्मत भी नहीं कि बेटी से मिल सकूं।’ इतना कहते हुए वो रोने लगी थीं। उन्होंने गुस्सा जताते हुए ये शिकायत भी की थी कि पूरे देश से मीडिया वाले आए लेकिन अब तक मणिपुर सरकार से एक मंत्री या अफसर नहीं आया। सीएम ने फोन तक नहीं किया। कोई पूछने नहीं आया, मैं कैसी हूं, मुझ पर क्या बीत रही है।’ विक्टिम की फैमिली में अब सिर्फ उसकी मां और छोटा भाई ही बचा है। परिवार अब भी चुराचांदपुर में ही रह रहे है। हालांकि इस घटना के बाद से उन्होंने अपना पिछला घर छोड़ दिया है। इस मामले में पुलिस ने 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया था। केस की जांच की जिम्मेदारी CBI के पास है और जांच अब भी जारी है। यौन हिंसा के मामलों की CBI जांच की निगरानी के लिए सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त दत्तात्रेय पडसलगीकर को नियुक्त कर रखा है। केस नंबर- 2जुलाई 2023डेविड को मैतेई भीड़ ने गोली मारी, सिर काटकर टांगा, जांच का अब तक पता नहींमणिपुर हिंसा के बीच डेविड थीक मर्डरकेस भी काफी सुर्खियों में रहा था। घटना 2 जुलाई 2023 को चुराचांदपुर जिले के लमजा गांव में हुई थी। डेविड थीक अपने 4 कुकी दोस्तों के साथ गांव की सुरक्षा में तैनात थे। ये क्षेत्र कुकी बहुल इलाका है और हिंसा के दौरान सुरक्षा के लिए गांववालों ने स्वयंसेवी सुरक्षा समूह बनाए थे। तभी डेविड थीक को कथित तौर पर मैतेई भीड़ ने पकड़ा। भीड़ ने उसकी हत्या की और उसका सिर काटकर एक बाड़े पर टांग दिया। कुछ दिनों बाद इस घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें डेविड का सिर बाड़े पर टंगा दिखाया गया। जुलाई 2023 में जब हम डेविड के दोस्त 39 साल के मोइपुन से मिले। तब उन्होंने हमें बताया था, ‘2 जुलाई को सुबह करीब 4 बजे का वक्त था। सूरज नहीं निकला था, लेकिन रोशनी थी। गांव की विलेज डिफेंस टीम रातभर निगरानी करके थक चुकी थी। डेविड भी वॉलंटियर था। वो राइफल लेकर रात भर बंकर में तैनात था। हम घर लौटे ही थे कि मणिपुर पुलिस कमांडो और इंडियन रिजर्व बटालियन यानी IRB की करीब 20 गाड़ियां गांव में दाखिल हुईं। उनके साथ मैतेई संगठन अरामबाई टेंगोल और मैतेई लिपुन के लोग भी थे। वो पहले से डेविड को ही ढूंढ रहे थे, चिल्ला रहे थे- डेविड कहां है, बाहर निकलो। उन्होंने घरों पर फायरिंग और तोड़-फोड़ भी की।’ डेविड की हत्या के बाद उनका परिवार चुराचांदपुर के रिलीफ कैंप में रह रहा है। घर और गांव पर अब मैतेई का कब्जा है। डेविड के अंकल बताते हैं, परिवार में बस मैं, उसकी आंटी और उसके पिता हैं। पिता खुमा 65 साल के हैं और दिव्यांग हैं। डेविड फैमिली में अकेला कमाने वाला था। 'कोरोना से पहले तक डेविड मुंबई के एक होटल में वेटर था, लेकिन नौकरी चली गई तो वापस मणिपुर आ गया। वो फिर मुंबई लौटने के बारे में सोच रहा था। तभी 3 मई को हिंसा शुरू हुई और हमारी जिंदगी में सब कुछ बदल गया।' डेविड की बहन जेसिका बताती हैं, 'डेविड के केस में अब तक क्या जांच हुई और क्या हुआ इसके बारे में हमें अब तक कुछ भी पता नहीं चला सका है। हालांकि हम अब भी न्याय की उम्मीद लगाए बैठे हैं।' केस नंबर- 3सितंबर 2023दो मैतेई स्टूडेंट्स का अगवा कर मर्डर, पिता बोले- CBI जांच में दिलचस्पी नहीं ले रही6 जुलाई 2023 को दो मैतेई स्टूडेंट्स 20 साल के फिजाम हेमनजीत और 17 साल के हिजाम लिंथोइंगंबी लापता हो गए। पुलिस रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों का 8 और 11 जुलाई 2023 के बीच मर्डर हुआ। दोनों स्टूडेंट आखिरी बार इंफाल के कीशमपट जंक्शन से एक टूव्हीलर पर सवार होकर बिष्णुपुर जिले के नांबोल में देखे गए। हिजाम का मोबाइल बिष्णुपुर के क्वाथा इलाके (चुराचांदपुर जिले की सीमा से सटा) में आखिरी बार ट्रेस हुआ। 25 सितंबर 2023 को सोशल मीडिया पर दोनों की डेडबॉडी की कथित तस्वीरें सामने आईं। इसके बाद सितंबर 2023 में मणिपुर के मैतेई इलाकों में हिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे। जब हम सितंबर 2023 में हेमनजीत के पिता फिजाम इबुंओबी सिंह से मिले तो वो बहुत गुस्से में थे। उनका गुस्सा मणिपुर पुलिस और सरकार पर था। मणिपुर पुलिस ने FIR दर्ज कर जांच शुरू की। पुलिस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कुकी उग्रवादियों ने जोउपी गांव में दोनों को देखा। उन्हें अगवा कर एक गाड़ी में ले गए और फिर मर्डर कर दिया। फिजाम ने बताया था, ‘बेटा 6 जुलाई को घर से निकला था। इसके बाद उसका पता नहीं चला। 4 दिन बाद उसका मोबाइल फोन ऑन हुआ। पुलिस ने बताया कि मोबाइल में नई सिम लगी है। जिस लोकेशन पर फोन ऑन हुआ, वो चुराचांदपुर में है। मैंने पुलिस से बेटे का पता लगाने के लिए कहा। पुलिसवाले बोले- ये लोकेशन कुकी इलाके में है। हम वहां नहीं जा सकते, अगर गए तो लड़ाई हो जाएगी।’ 23 अगस्त 2023 को मामला CBI को सौंपा गया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने CBI के स्पेशल डायरेक्टर अजय भटनागर के नेतृत्व में एक स्पेशल टीम बनाई, जो 27 सितंबर 2023 को इंफाल पहुंची। CBI ने मणिपुर पुलिस, सेना, असम राइफल्स और केंद्रीय बलों के साथ मिलकर चुराचांदपुर जिले के हेंगलेप क्षेत्र से 4 लोगों को अरेस्ट किया। हेमनजीत के पिता फिजाम अब कहते हैं, ‘हमें नहीं पता कि अब क्या करना है, मेरी पत्नी आज भी हर दिन रोती रहती हैं। हमने बेटे की लाश देने के लिए गवर्नर और सिक्योरिटी अफसर कुलदीप सिंह से गुजारिश की, लेकिन कोई जवाब नहीं आया।‘ जांच को लेकर वे कहते हैं, ‘CBI ने चार्जशीट सबमिट कर दी थी। उसके बाद कोई जानकारी नहीं मिली है। मैंने कई बार CBI के अधिकारियों से बात करने की कोशिश की लेकिन वो इस केस को आगे बढ़ाने में इच्छुक नहीं लग रही है।‘ अब बात मणिपुर हिंसा केस की जांच की…2 बार डेडलाइन बढ़ाई, अब तक रिपोर्ट नहीं सौंपीमणिपुर को जलते हुए 2 साल हो गए हैं, लेकिन कुकी और मैतेई कम्युनिटी के बीच हिंसा, नफरत और बंटवारा खत्म नहीं हुआ है। अब तक ये पता नहीं चल सका है कि हिंसा कैसे फैली, इसके लिए कौन जिम्मेदार है? कौन-कौन सी एजेंसियां जांच कर रही हैं और जांच कहां तक पहुंची है? 4 जून 2023 को केंद्र सरकार ने गुवाहाटी हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश अजय लांबा की अध्यक्षता में मणिपुर हिंसा की जांच के लिए एक तीन सदस्यीय जांच आयोग बनाया। सदस्यों में रिटायर्ड IAS अधिकारी हिमांशु शेखर दास और रिटायर्ड IPS अधिकारी आलोका प्रभाकर शामिल हैं। आयोग को जिम्मेदारी दी गई थी कि हिंसा के कारणों, इसके फैलने के तरीके, प्रशासनिक चूक और हिंसा रोकने के लिए उठाए गए कदमों की जांच करनी है। आयोग को 6 महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी। हालांकि डेडलाइन दो बार बढ़ाई जा चुकी है। पहली बार नवंबर 2023 में 20 नवंबर 2024 तक, दूसरी बार 4 दिसंबर 2024 को 20 मई 2025 तक की गई। गृह मंत्रालय ने साफ किया है कि इसके बाद कोई और विस्तार नहीं दिया जाएगा। जांच अब भी जारी है। अब तक किसी केस में क्लोजर रिपोर्ट नहीं आईकेंद्र सरकार ने हिंसा से जुड़े 6 प्रमुख केस खासतौर पर मणिपुर हिंसा की साजिश और यौन हिंसा के मामलों की जांच के लिए CBI को दी थी। 8 अगस्त 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त दत्तात्रेय पडसलगीकर को यौन हिंसा की CBI जांच की निगरानी के लिए नियुक्त किया। 16 अगस्त 2023 को CBI ने 53 अधिकारियों की एक स्पेशल टीम भी बनाई। 4 मई 2023 को कुकी महिलाओं की न्यूड परेड और यौन उत्पीड़न समेत वायरल वीडियो में एक व्यक्ति को जलाए जाने की घटना (4 मई 2023) की जांच CBI को सौंपी गई। दो मणिपुरी छात्रों के मर्डर (जुलाई 2023 में तस्वीरें वायरल) की जांच भी CBI के पास है। CBI ने कुछ केसेज में शुरुआती जांच पूरी करके गिरफ्तारियां की थीं, लेकिन जांच से जुड़ी ज्यादा डिटेल अब तक सामने नहीं आई है। NIA की जांच: अब तक किसी भी केस में नतीजे तक नहीं पहुंचीNIA मुख्य तौर पर हिंसा में आतंकी साजिश, हथियारों की तस्करी और विदेशी ताकतों के शामिल होने की जांच कर रही है। NIA ने 19 जुलाई 2023 को खुद संज्ञान लेते हुए एक मामला (RC 24/2023/NIA/DLI) दर्ज किया, जिसमें म्यांमार और बांग्लादेश आधारित आतंकी संगठनों के मणिपुर में जातीय अशांति का फायदा उठाकर भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश की जांच की जा रही है। जांच में पता चला है कि म्यांमार से बड़े पैमाने पर AK-47, IED, और ग्रेनेड जैसे हथियार मणिपुर में तस्करी किए गए। ये हथियार लोकल उग्रवादियों को सप्लाई किए गए, जिन्हें म्यांमार और बांग्लादेश के आतंकी संगठनों से फंडिंग मिली थी। इन संगठनों का मकसद मणिपुर में मैतेई और कुकी कम्युनिटी के बीच तनाव बढ़ाना और पूरे पूर्वोत्तर को अशांत करना है। सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांचसुप्रीम कोर्ट ने हिंसा और महिला अत्याचार से जुड़े मामलों की जांच के लिए खुद संज्ञान लिया और जांच की निगरानी के लिए कई कदम उठाए थे। कोर्ट ने रिटायर्ड जजों की एक तीन सदस्यीय जांच टीम बनाई। टीम को मई 2023 से महिलाओं के खिलाफ हिंसा की जांच का जिम्मा दिया गया। कोर्ट ने कहा कि हिंसा का इस्तेमाल कम्युनिटीज को दबाने के लिए किया गया। राज्य को इसे रोकने की जिम्मेदारी है। सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर में संवैधानिक तंत्र के पूर्ण ठप होने का हवाला देते हुए राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की, जिसके बाद फरवरी 2025 में ये लागू हुआ। सुप्रीम कोर्ट की समिति ने कुछ शुरुआती रिपोर्ट्स दीं, जिसमें कुछ NGOs के जरिए हालात भड़काने की बात सामने आई थी। हालांकि, जांच अभी पूरी नहीं हुई है। ............................................ ये खबर भी पढ़ें... मणिपुर के 21 विधायकों ने अमित शाह को लेटर लेखा मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद राज्य में शांति की बहाली के लिए, राज्य के 21 विधायकों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को लेटर लिखा। इसमें लिखा गया कि राज्य में वो सरकार हो जिसका चुनाव जनता करे। लेटर पर 13 भाजपा विधायकों, 3 एनपीपी विधायकों, 3 नगा पीपुल्स फ्रंट विधायकों और विधानसभा के दो सदस्यों ने साइन किए हैं। पढ़िए पूरी खबर...
Chile and Argentina Earthquake:चिली और अर्जेंटीना में शुक्रवार को भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए हैं. मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि यह झटके 7.4 तीव्रता के थे. भूकंप के कई हैरान कर देने वाले वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं.
Hot Bedding: आधा बिस्तर बेचती है लड़की, हर महीने कमाती है लाखों, आखिर क्यों उठाया ये कदम
Hot Bedding: कनाडा में महंगाई से परेशान लोग अपने रोजमर्रा के खर्च पूरे करने के लिए तरह-तरह के तरीके अपना रहे हैं. इन्हीं में से एक तरीका सोशल मीडिया पर काफी चर्चा का विषय बना हुआ है.
Viral news: जरा सोचिए आप शानदार माहौल में मन बहलाने के लिए किसी पॉश इलाके के मशहूर रेस्टोरेंट में हों और हाथ में फेवरेट ड्रिंक हो तो बस मजा ही आ जाएगा, लेकिन अचानक आपके ग्लास में सांप आ जाए तो क्या होगा? अब जिस बारे में आपको बताने जा रहे हैं वो कहानी कुछ ऐसी ही सिचुएशन को बयान करती है.
पाकिस्तान पर हमला हुआ तो चीन के साथ मिलकर पीछे छुरा घोंपेगा बांग्लादेश! उगला जहर
Bangladesh on Northeastern States: बांग्लादेश राइफ्ल के पूर्व प्रमुख मेजर जनरलफजलुर्रहमान ने भारत के खिलाफ जहर उगलते हुए कहा कि अगर भारत पाकिस्तान पर हमला करता है तो बांग्लादेश को चाहिए कि वो भारत के पूर्वोत्तर राज्यों कब्जा कर ले.
Ukraine-Russia Conflict: यूक्रेन-रूस जंग कब खत्म होगी? यह सवाल अभी भी बना हुआ है. इस जंग को कौन रोक पाएगा? यह भी किसी को नहीं पता, अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के दौरान ट्रंप ने जंग में हस्तक्षेप करने की हुंकार तो भरी लेकिन धरातल पर कुछ नहीं दिखा. इसी बीच यूक्रेन-रूस जंग को लेकरअमेरिकी विदेश मंत्री और कार्यवाहक राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मार्को रुबियो ने बड़ा बयान दिया है. जानें पूरी खबर.
जेल में महिला कैदियों के साथ रेप कौन कर रहा? खबर लीक होते ही मचा हड़कंप
America Prison Rape: जेल में महिलाएं सेफ रहें इसीलिए पुरुषों और महिलाओं को अलग-अलग सेल में डाला जाता है. लेकिन अमेरिका में ऐसा क्या हुआ कि वहां जेल के अंदर रेप के मामले बढ़ गए. अब इस खुलासे ने वहां की सरकार और नीतियों को कठघरे में लाकर खड़ा कर दिया है.
Pahalgam terror attack News: पहलगाम आतंकी हमले के बाद पूरी दुनिया भारत के साथ खड़ी है. आतंकवाद को नाश करने के लिए भारत के पीएम मोदी ने पहले हीहुंकार भर दी है. दुनिया भर के देशों ने आतंकवाद के खिलाफ भारत को हर संभव मदद की पेशकश भी की है. इसी बीच भारत ने पूरी दुनिया में पाकिस्तान के चेहरे को बेनकाब करने के लिए एक चक्रव्यूह रचा. जानें क्या है पूरी बात.
तो क्या एलन मस्क ही गौतम बुद्ध के अवतार हैं? DOGE छोड़ते ही ट्विटर के मालिक ने क्या कह दिया
Elon Musk: मस्क ने प्रेस से मुलाकात की और DOGE यानी Department of Government Efficiency छोड़ने की बात कही. इस दौरान उन्होंने खुद की तुलना भगवान बुद्ध से कर दी. हालांकि मस्क का व्हाइट हाउस से नाता पूरी तरह नहीं टूटेगा.
नाटक मत करो...आतंकी अड्डे खत्म करने में भारत की मदद करे पाकिस्तान, अमेरिका ने सुना दी खरी-खरी
Pahalgam Terror Attack: पहलगाम आतंकवादी हमले को लेकर भारत ने पाकिस्तान को जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी है. इसको लेकर पाकिस्तान हुक्मरान दहशत में हैं. पहलगाम टेरर अटैक ऐसे वक्त हुआ था, जब अमेरिकी उप राष्ट्रपति जेडी वेंस भारत दौरे पर थे.
'लापता' पाक सेनाध्यक्ष जनरल आसिम मुनीर सामने आया, भारत को दी गीदड़भभकी
Pahalgam Terror Attack Latest Update: पहलगाम हमले के बाद से लापता चल रहे पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष आसिम मुनीर ने भारत को गीदड़भभकी दी है. चीफ ऑफ आर्मी स्टॉफ जनरल मुनीर ने कहा कि अगर भारत ने किसी भी तरह से हमला किया तो पूरी ताकत से जवाब दिया जाएगा.
तारीख- 25 जून 1990जगह- बांदीपोरा, कश्मीर28 साल की शादीशुदा महिला गिरिजा टिक्कू एक सरकारी स्कूल में लैब असिस्टेंट थीं। घाटी में हालात बिगड़ने पर वो और उनका परिवार जम्मू पलायन कर चुका था। घर में पैसों की सख्त जरूरत थी, इसलिए एक दिन वो अपनी सैलरी लेने लौटीं। बांदीपोरा में गिरिजा अपनी पहचान के एक मुस्लिम परिवार के घर में ठहरी हुई थीं। अचानक उस घर में कुछ हथियारबंद लोग घुस आए। उन्होंने गिरिजा की आंख पर पट्टी बांधी और उसे कार में बिठा ले गए। सभी ने उनका सामूहिक बलात्कार किया। बदहवास गिरिजा उनमें से एक शख्स की आवाज पहचान गईं और उसे नाम से पुकारा। पहचान उजागर होने के डर से बलात्कारियों ने गिरिजा को कार से निकाला और पास की आरा मशीन में ले गए। आरी से गिरिजा के दो टुकड़े कर दिए और शव वहीं फेक दिया। पोस्टमॉर्टम में पता चला कि काटे जाते वक्त गिरिजा की सांसें चल रही थीं। 1990 के दशक का कश्मीर ऐसे ही खूनी किस्सों से सना हुआ था। ‘मैं कश्मीर हूं’ सीरीज के चौथे एपिसोड में आज घाटी में आतंकवाद बढ़ने और उसके सबसे बड़े शिकार कश्मीरी पंडितों की कहानी… सितंबर 1982 में कश्मीर के सबसे बड़े नेता शेख अब्दुल्ला का निधन हो गया। उसके बाद हुए जम्मू-कश्मीर के चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने बहुमत हासिल किया और शेख के बेटे फारूक अब्दुल्ला CM बने, लेकिन 1984 में एक बड़ा खेल हुआ। उस वक्त के राज्यपाल जगमोहन मल्होत्रा ने अपनी किताब 'माय फ्रोजन टर्बुलेंस इन कश्मीर' में लिखते हैं, ‘1 जुलाई 1984 की देर शाम फारूक के बहनोई गुलाम मोहम्मद शाह ने 12 विधायकों के साथ फारूक की सरकार से समर्थन वापस ले लिया। वो कांग्रेस (आई) के साथ मिलकर सरकार बनाना चाहते थे।’ अगली सुबह राज्यपाल ने फारूक की सरकार बर्खास्त कर दी। 2 जुलाई की शाम ही कांग्रेस और अन्य के समर्थन से गुलाम मोहम्मद शाह ने जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। अगले ढाई साल जम्मू-कश्मीर में सबसे भ्रष्ट सरकार का दौर रहा। शाह को कश्मीरी जनता का तीखा विरोध झेलना पड़ा। 7 मार्च 1986 को जीएम शाह की सरकार बर्खास्त कर दी गई। मार्च 1987 में जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव हुए। इसमें राजीव गांधी की कांग्रेस और फारूक अब्दुल्ला की नेशनल कॉन्फ्रेंस ने गठबंधन किया। दूसरी तरफ गिलानी की जमात-ए-इस्लामी जैसी एक दर्जन कट्टरपंथी पार्टियों ने मिलकर यूनाइटेड मुस्लिम फ्रंट यानी MUF बनाया। इस चुनाव में धांधली की हर सीमा पार हो गई। लेखक और राजनीतिक विश्लेषक सुमंत्र बोस अपनी किताब 'कश्मीर: रूट्स ऑफ कॉन्फ्लिक्ट, पाथ टु पीस' में लिखते हैं कि वोटरों को उनके घर भेज दिया गया था। बूथ कैप्चरिंग की गई। सारे मतपत्रों पर नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस की मुहर लगा दी गई। इसमें सरकार और उनकी पूरी मशीनरी काम कर रही थी। नतीजों में भी हेरा-फेरी हुई। लेखक अशोक कुमार पांडेय अपनी किताब ‘कश्मीरनामा’ में इसकी एक बानगी देते हैं। श्रीनगर की आमिर कदल सीट से मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट के यूसुफ शाह उम्मीदवार थे। उसके पोलिंग एजेंट का नाम यासीन मलिक था। बेमिना डिग्री कॉलेज में मतगणना शुरू हुई। रुझानों में यूसुफ बड़े अंतर से जीत रहा था। उसके प्रतिद्वंदी नेशनल कॉन्फ्रेंस के मोइउद्दीन शाह निराश होकर घर चले गए। थोड़ी देर बाद शाह को मतगणना अधिकारी ने घर से बुलाया और विजयी घोषित कर दिया। ऐसा कई जगह हुआ। लोग सड़क पर उतर आए। इसके बाद सरकार ने मोहम्मद यूसुफ शाह और उसके चुनाव प्रबंधक यासीन मलिक को गिरफ्तार कर लिया। इन चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन को जीत हासिल हुई। मोहम्मद यूसुफ शाह दो चुनाव हार चुका था। तीसरी बार धांधली करके जीता चुनाव हरवा दिया गया। 20 महीने बाद जेल से छूटने के बाद यूसुफ शाह ने राजनीति छोड़ दी और सीमा पार पाकिस्तान चला गया। यही यूसुफ शाह आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन का कमांडर बना। उसके पोलिंग एजेंट रहे यासीन मलिक ने जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट नाम का आतंकी संगठन बनाया। कश्मीर एक्सपर्ट क्रिस्टोफर स्नेडेन अपनी किताब 'अंडरस्टैंड कश्मीर एंड कश्मीरी' में लिखते हैं कि इस चुनाव के बाद सिर्फ यूसुफ शाह ही नहीं, तमाम निराश युवा कश्मीरी मुसलमान बॉर्डर पार करके PoK चले गए। वहां पाकिस्तानी सेना और ISI ने उन्हें हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी। जब वे लौटे तो उनके हाथ में आधुनिक हथियार थे। सपोर्ट करने के लिए पैसा था। पाकिस्तान ने ये सब इसलिए किया था कि वो इन आतंकियों के भरोसे भारत के खिलाफ लड़ सके। इन चुनावों में पर्यवेक्षक रहे जी.एन. गौहर के मुताबिक- अगर आमिर कदल और हब्बा कदल सीटों पर चुनाव में धांधली नहीं होती, तो शायद कश्मीर में हथियारबंद संघर्ष को कुछ सालों तक टाला जा सकता था। लेखक अशोक कुमार पांडेय अपनी किताब 'कश्मीर और कश्मीरी पंडित' में लिखते हैं कि ‘हत्याओं का जो सिलसिला उस दौर में शुरू हुआ, भारत और कश्मीर के अपरिपक्व राजनीतिक नेतृत्व के चलते वो एक ऐसे हिंसक चक्रव्यूह में फंसता चला गया, जिससे बाहर निकलना आज तक मुमकिन नहीं हुआ और इसकी कीमत सबको चुकानी पड़ी- बंदूक उठाए लोगों को, बेगुनाह पंडितों और बेगुनाह मुसलमानों को भी।' 1989 वो साल था जिसमें कश्मीर में आतंकवाद हिंसक होना शुरू हुआ। पाकिस्तान से आतंकी ट्रेनिंग लेकर आने वाले युवा कश्मीरी किसी भी कीमत पर पंडितों को घाटी से निकालना चाहते थे। 23 जून 1989 को श्रीनगर में परचे बांटे गए। ये परचे 'हज्ब-ए-इस्लामी' नाम के संगठन ने बांटे थे। परचों में मुस्लिम महिलाओं के लिए लिखा था कि इस्लामिक नियमों को मानना शुरू कर दो, बुर्का पहनो। कश्मीरी पंडित महिलाओं से कहा गया कि वो माथे पर तिलक जरूर लगाएं, ताकि उन्हें आसानी से पहचाना जा सके। जो ये बात नहीं मानेगा उसे खामियाजा भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए। इस दौरान हुई एक घटना ने आतंकियों के हौसले और बुलंद कर दिए। वीपी सिंह को प्रधानमंत्री बने अभी 6 दिन हुए थे। उन्होंने अपनी सरकार में पहली बार एक मुस्लिम नेता मुफ्ती मोहम्मद सईद को गृहमंत्री बनाया था। 8 दिसंबर को दोपहर 3:45 बजे राजधानी दिल्ली के नॉर्थ ब्लॉक में मुफ्ती अपने कार्यकाल की पहली बैठक कर रहे थे। ठीक इसी वक्त दिल्ली से करीब 800 किलोमीटर दूर श्रीनगर में उनकी बेटी रूबैया सईद अपनी ड्यूटी के बाद हॉस्पिटल से घर जाने के लिए निकलीं। रूबैया MBBS करने के बाद इस हॉस्पिटल में इंटर्नशिप कर रही थीं। हॉस्पिटल से निकलकर रूबैया JFK 677 नंबर वाली एक ट्रांजिट वैन में सवार हुईं। ये वैन लाल चौक से श्रीनगर के बाहरी इलाके नौगाम की तरफ जा रही थी। रूबैया जैसे ही चानपूरा चौक के पास पहुंचीं, वैन में सवार तीन अन्य लोगों ने गनपॉइंट पर वैन को रोक लिया। उन लोगों ने रूबैया सईद को वैन से नीचे उतारकर सड़क के दूसरी तरफ खड़ी नीले रंग की मारुति कार में बैठा लिया। उसके बाद वह मारुति कार कहां गई, किसी को नहीं पता। 2 घंटे बाद यानी शाम करीब 6 बजे JKLF के जावेद मीर ने एक लोकल अखबार को फोन करके जानकारी दी कि हमने भारत के गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबैया सईद का अपहरण कर लिया है। JKLF की तरफ से रूबैया को छोड़ने के बदले 20 आतंकियों को छोड़ने की मांग की गई। 13 दिसंबर की दोपहर, यानी 5 दिन तक सरकार और अपहरणकर्ताओं के बीच बातचीत चलती रही। आखिरकार सरकार ने 5 आतंकियों को रिहा कर दिया। बदले में कुछ ही घंटे बाद लगभग 7.30 बजे रूबैया को सोनवर में मध्यस्थ जस्टिस मोतीलाल भट्ट के घर सुरक्षित पहुंचा दिया गया। कश्मीरी पंडितों के खिलाफ नफरत 1989 के आखिर में और जहरीली हो गई थी। उन्हें लाउडस्पीकर पर चेतावनी देकर कश्मीर छोड़ने के लिए कहा जाता था। अशोक कुमार पांडे अपनी किताब 'कश्मीर और कश्मीरी पंडित' में लिखते हैं कि उस समय कश्मीरी पंडितों और अखबारों में घर छोड़ने की जो धमकियां दी गई थीं वो हिजबुल मुजाहिदीन के लेटर पैड पर दी गई थीं। JKLF और हिजबुल हिंसा की अगुआई कर रहे थे। उनके साथ करीब दो दर्जन छोटे-मझोले इस्लामिक संगठन पंडितों की जान के दुश्मन बने हुए थे। हथियारबंद लोगों ने कैसे कश्मीरी पंडितों को घाटी छोड़ने पर मजबूर किया। निर्मम हत्याओं की कुछ बानगी… 1. पंडित मर्द भाग जाएं, उनकी औरतें रहेंवरिष्ठ पत्रकार और कश्मीर की त्रासदी झेलने वाले राहुल पंडिता अपनी किताब 'अवर मून हैज ब्लड क्लॉट' में लिखते हैं कि 19 जनवरी 1990 की रात मैं सो रहा था। मस्जिद के लाउडस्पीकर से लगातार सीटी बजने की आवाज आ रही थी। मेरे मामा का परिवार हमारे घर आ चुका था। मामा और पिताजी कुछ बात कर रहे थे। तभी बाहर जोर से आवाज आई 'नारा ए तकबीर, अल्लाह हू अकबर'। मैंने ये नारा कुछ दिन पहले दूरदर्शन पर आए धारावाहिक 'तमस' में सुना था। फिर आवाज आई, हम क्या चाहते...आजादी, ए जालिमो, ए काफिरो, कश्मीर हमारा छोड़ दो। फिर कुछ देर में नारेबाजी थम गई। जब मेरी मां ने इसे सुना तो वो कांपने लगीं। उन्होंने कहा कि भीड़ चाहती है कि कश्मीर को पाकिस्तान में बदल दिया जाए। उसमें पंडित मर्द न हों, लेकिन उनकी औरतें हों। मां रसोई की ओर भागीं और लंबा चाकू ले आईं। उन्होंने कॉलेज जाने वाली मेरी बहन की तरफ देखकर कहा अगर वे (आतंकी) आए तो मैं इसे मार दूंगी। इसके बाद अपनी जान ले लूंगी। 2. मस्जिद की लिस्ट में नाम आया, अगली सुबह हत्यामार्च 1990। श्रीनगर के छोटा बाजार इलाके में 26 साल के बाल कृष्ण उर्फ बीके गंजू को चेतावनी दी जा चुकी थी कि वे कश्मीर छोड़ दें। उनके पड़ोसी ने बताया कि मस्जिद की लिस्ट में उनका नाम सबसे ऊपर था। अगले ही दिन गंजू और उसकी पत्नी ने श्रीनगर छोड़ने का फैसला किया। वो निकल ही रहे थे कि दरवाजे के बाहर से ही जोर से किसी ने कहा ‘गंजू साहब किधर है? उससे जरूरी काम है।’ पत्नी ने भीतर से कहा कि वो काम पर गए हैं। तब बाहर से आवाज आई अरे इतनी सुबह कैसे जा सकते हैं? मोहतरमा आप परेशानी समझिए हमें गंजू साहब से जरूरी काम है। दरवाजा नहीं खुला तो अजनबी खिड़की तोड़कर कर अंदर आने लगे। गंजू छत पर रखे चावल के ड्रम में छिप गए। आतंकियों ने पूरे घर में गंजू को खोजा। आहट मिलते ही उन्होंने गोली चला दी। बदहवास गंजू की पत्नी वहां पहुंची तो चावल से सनी खून की धार बह रही थी। 3. बाप-बेटों को मारकर लटका दिया, चमड़ी तक उधेड़ दीजम्मू-कश्मीर के दो बार राज्यपाल रहे जगमोहन अपनी किताब 'माय फ्रोजन टर्बुलेंस इन कश्मीर' में सर्वानंद कौल 'प्रेमी के बारे में लिखते हैं। सरकारी स्कूल के प्राध्यापक रहे सर्वानंद कौल केवल टीचर ही नहीं, वे कवि और लेखक भी थे। वे अनंतनाग जिले के शालि गांव में परिवार सहित रह रहे थे। दशतगर्दों की धमकी से पंडित भाग रहे थे, लेकिन प्रेमी ने तय किया वो कहीं नहीं जाएंगे। 30 अप्रैल 1990 को एक दिन तीन हथियारबंद लोगों ने दस्तक दी। परिवार के सभी लोगों को एक कमरे में इकट्ठा किया। प्रेमी को साथ ले जाने लगे तो कुछ मुस्लिम पड़ोसियों ने विरोध किया। बंदूक की नोंक के आगे उनका विरोध नहीं चला। प्रेमी के साथ उनका बेटा भी चल दिया। दो दिन हो गए थे। न प्रेमी लौटे ने उनका बेटा। दोनों की लाश एक जगह लटकी हुई मिलीं। लाशें देखकर पता चल रहा था कि दोनों के हाथ-पैर तोड़ दिए गए थे। बाल नोंचे गए थे। शरीर की चमड़ी जगह-जगह से उधेड़ दी गई थी। शरीर में जगह-जगह जलाने के निशान थे। ****'मैं कश्मीर हूं' सीरीज के पांचवे और आखिरी एपिसोड में कल यानी 3 मई को पढ़िए- वाजपेयी लाहौर में थे और पाक सेना कारगिल में और मोदी सरकार में कितना बदला कश्मीर... **** 'मैं कश्मीर हूं' सीरीज के अन्य एपिसोड एपिसोड-1: कश्मीर का पहला मुस्लिम शासक पहले बौद्ध था:हिंदू राजा को मारकर राजकुमारी से शादी की; घाटी में कैसे फैला इस्लाम एपिसोड-2: औरंगजेब को कश्मीरी औरतों के कपड़ों से दिक्कत थी:राजा गुलाब सिंह ने ₹75 लाख में खरीदा कश्मीर, रूस तक फैली थी रियासत एपिसोड-3: जिन्ना को कश्मीर आने से रोका, फिर हुआ नरसंहार:लाहौर तक पहुंची भारतीय सेना, क्या नेहरू की गलती से बना PoK; क्या इतिहास दोहराना अब संभव