भारत दौरे पर पुतिन की ‘ऑरस सीनेट’ कार सुर्खियों में रही। ये दुनिया की सबसे महंगी कार मानी जाती है। जो बुलेट, ग्रेनेड के साथ केमिकल अटैक भी झेल सकती है। इसमें प्रीमियम लेदर-वुड इंटीरियर, मसाज वाली सीटें, मल्टिपल स्क्रीन और फ्रिज कम्पार्टमेंट जैसी लग्जरी है। 5 दिसंबर की रात वो अपने 'फ्लाइंग क्रेमलिन' विमान में सवार होकर रूस लौट गए। भास्कर एक्सप्लेनर में पुतिन की लग्जरी-सीक्रेट लाइफ की रोचक कहानी… क्रेमलिन के ऑफिशियल डॉक्यूमेंट्स के मुताबिक, पुतिन की एनुअल सैलरी 1 लाख 40 हजार डॉलर है यानी करीब 1 करोड़ 26 लाख भारतीय रुपए। पुतिन के पास 800 स्क्वायर फुट का अपार्टमेंट और तीन कार हैं। ये वो ऑफिशियल डेटा है जिसे उन्होंने सार्वजनिक किया है। हालांकि, कुछ एक्सपर्ट मानते हैं कि पुतिन दुनिया के सबसे अमीर राष्ट्रपति हैं। अमेरिकी मूल के ब्रिटिश फाइनेंसर और जाने माने पॉलिटिकल एक्टिविस्ट बिल ब्राउनर के मुताबिक, पुतिन की नेटवर्थ 200 बिलियन डॉलर यानी लगभग 18 लाख करोड़ रुपए तक हो सकती है। ब्राउनर पहले रूस में सबसे बड़े फॉरेन इन्वेस्टर थे। उन्होंने 2017 में बताया कि पुतिन ने ये दौलत तब बनानी शुरू की, जब रूसी ओलिगार्क मिखाइल खोदोरकोव्स्की को 2003 में धोखाधड़ी और टैक्स चोरी के मामले में जेल भेजा गया। पुतिन का आधिकारिक आवास मॉस्को का ग्रैंड क्रेमलिन पैलेस है, जिसे रूस की सत्ता का प्रतीक माना जाता है। 1990 के दशक में इस पैलेस को रेनोवेट किया गया था, जिसमें उस समय करीब 1 बिलियन डॉलर यानी 8 हजार करोड़ रुपए खर्च हुए थे। ग्रैंड क्रेमलिन पैलेस करीब 25,000 स्क्वायर मीटर में फैला है और इसमें 700 से ज्यादा कमरे हैं। इस पैलेस के इंटीरियर को सोने और महंगे क्रिस्टल से सजाया गया है, जिनका वजन कई टन तक है। इसके अंदर 5 शाही हॉल हैं जिनमें से सेंट एंड्रयू हॉल को सबसे ज्यादा लग्जरी माना जाता है। इस हॉल में सोने के तीन शाही सिंहासन रखे हैं। इस पैलेस के नीचे और दीवारों के भीतर सोवियत काल के सुरक्षित बंकर और सुरंगें हैं, जो इसे दुनिया की सबसे सुरक्षित इमारतों में से एक बनाते हैं। इसके अलावा पुतिन के कई सीक्रेट पैलेस भी हैं। ब्लैक सी के किनारे बना सीक्रेट ‘पुतिन पैलेस’ रूस के विपक्षी नेता एलेक्सी नवलनी ने साल 2021 में एक वीडियो जारी कर दावा किया कि ब्लैक सी के किनारे बना पुतिन का जेलेंडजिक सीक्रेट पैलेस मोनाको देश से 39 गुना बड़ा है। मोनाको का एरिया 2 स्क्वायर किमी है और पुतिन के सीक्रेट पैलेस का एरिया करीब 77-78 किमी स्क्वायर हो सकता है। तब विपक्षी नेता ने कहा था कि ये भ्रष्टाचार से बना है। हालांकि, तब पुतिन ने उस वीडियो और एलेक्सी नवलनी के दावे को भी खारिज कर दिया था। बाद में नवलनी को जेल हुई और 2024 में उनकी मौत हो गई। नवलनी के मुताबिक इस पैलेस की कीमत लगभग 1.35 बिलियन डॉलर यानी करीब 11 हजार करोड़ रुपए है। पूरी तरह से इटैलियन शैली में बना ये महल लग्जरी फीचर्स के लिए जाना जाता है। इस पैलेस एरिया में स्वीमिंग पूल, हुक्का बार या स्ट्रिप क्लब, कसीनो, थिएटर, आइस पैलेस जैसे ढेरों सुविधाएं मौजूद हैं। पैलेस के इंटीरियर को इटैलियन ब्रैंड्स के फर्नीचर से सजाया गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस सीक्रेट पैलेस के नीचे 16 मंजिला अंडरग्राउंड कंस्ट्रक्शन है। जिसे मांद कहते हैं। पुतिन पैलेस को नो-फ्लाई जोन है, जहां किसी भी विमान के उड़ने की परमिशन नहीं है। पैलेस के चारों तरफ लगभग 7,000 हेक्टेयर का सिक्योरिटी बफर जोन है जिसे रूस की फेडरल सिक्योरिटी सर्विस (FSB) कंट्रोल करती है. पैलेस के नीचे से कई सुरंगें भी हैं जो अलग-अलग दिशा में खुलती हैं। चारो तरफ से ऊंची दीवारों से घिरा नोवो-ओगार्योवो- 'द रियल होम' पुतिन जिस घर में सबसे ज्यादा रहते हैं वो है मॉस्को के बाहरी इलाके 'रूबलियोवका' में बना नोवो-ओगार्योवो। पुतिन साल 2000 से यहां रह रहे हैं। उन्होंने क्रेमलिन ऑफिस जाने के बजाय इस जगह को इसलिए चुना ताकि रास्ते के ट्रैफिक से बचा जा सके। वैसे तो ये आलीशान घर साल 1950 में ही बन चुका था, लेकिन पुतिन के लिए इसे पूरी तरह से रिनोवेट किया गया। इंग्लिश गॉथिक स्टाइल में बना ये लग्जरी हाउस अपनी सुविधाओं के लिए भी काफी मशहूर है। नोवो-ओगार्योवो में एक स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स है जिसमें एक बड़ा स्विमिंग पूल, जिम और अस्तबल है। यहां पुतिन के पसंदीदा घोड़े रहते हैं। इस घर के अंदर एक छोटा चर्च भी है। इसके अलावा आधिकारिक मुलाकातों के लिए 'रिसेप्शन हाउस', सिनेमा हॉल, हेलिपैड और सीक्रेट बंकर भी मौजूद है। रूस की इंडिपेंडेंट इन्वेस्टिगेटिव मीडिया आउटलेट के मुताबिक, पुतिन के नोवो-ओगार्योवो ऑफिस की तरह ही बाकी के पैलेस में भी हूबहू ऑफिस बनाए गए हैं। जिससे किसी भी स्थिति में दुश्मन को कन्फ्यूज किया जा सके। जंगलों में बना पुतिन का सबसे सुरक्षित फॉरेस्ट पैलेस पुतिन का एक ठिकाना मॉस्को और सेंट पीटर्सबर्ग के बीच घने जंगलों और झील के बीच भी है। इसे फॉरेस्ट पैलेस कहा जाता है। पुतिन यहां जाने के लिए हवाई जहाज या कार की जगह सीक्रेट आर्मर्ड ट्रेन का इस्तेमाल करते हैं। डोजियर सेंटर की रिपोर्ट के मुताबिक, इस पैलेस के पास सीक्रेट रेलवे स्टेशन भी है, जो आम नागरिकों के लिए नहीं है। यह स्टेशन चारों तरफ से ऊंची फेंसेस और सुरक्षा गार्ड्स से घिरा है। इस घर में रेसिंग ट्रैक, बड़ा खेल का मैदान, स्विमिंग पूल, मड बाथ और क्लिनिक भी मौजूद है। माना जाता है कि पुतिन के बच्चे भी यहीं रहते हैं। पुतिन की सबसे ज्यादा दिलचस्पी मार्शल आर्ट में है- खासकर जूडो और सांबो में। 11 साल की उम्र में ही उन्होंने जूडो की ट्रेनिंग शुरू कर दी थी। 1975 में उन्होंने लॉ की पढ़ाई के लिए ‘लेनिनग्राद स्टेट यूनिवर्सिटी’ में एडमिशन लिया। इस दौरान पुतिन जूडो में लेनिनग्राद के चैंपियन बने। 1978 में उन्हें ‘मास्टर ऑफ स्पोर्ट्स’ का खिताब मिला। उन्होंने जूडो पर किताब भी लिखी, जिसका नाम है- जूडो: हिस्ट्री, थ्योरी, प्रैक्टिस। पुतिन इस किताब के को-ऑथर हैं। इसके अलावा जूडो पर उन्होंने कई वीडियोज भी बनाए हैं। जूडो की ट्रेनिंग पर, पुतिन के करीबी और कोच इजिओ गाम्बा कहते हैं- ‘पुतिन ट्रेनिंग ऐसे करते हैं जैसे कोई बच्चा लेगो (ब्लॉक्स से खेला जाने वाला क्रिएटिव गेम) से खेल रहा हो। पुतिन पूरी गंभीरता से जूडो खेलते थे।’ आज भी पुतिन फिटनेस के लिए जू़डो खेलते हैं। डायरेक्टर ओलिवर स्टोन की डॉक्यूमेंट्री ‘द पुतिन इंटरव्यूज’ में बताया गया कि वे सप्ताह में सातों दिन एक्सरसाइज करते हैं। वे पहले जिम जाते हैं, फिर स्विमिंग करते हैं। सर्दियों में पुतिन अल्पाइन स्कीइंग करते हैं। पुतिन इसको एक्टिव रहने और फिटनेस बनाए रखने का बेहतरीन तरीका बताते हैं। 60 साल की उम्र में पुतिन पहली बार स्केट्स पर चढ़े। एक इंटरव्यू में इसे याद करते हुए पुतिन कहते हैं- मैं पहले से ही एक बूढ़ा अंकल था। सच कहूं तो, मैंने सोचा कि उन्हें तुरंत फेंक देना चाहिए। क्योंकि स्केट्स को रोकना मुश्किल हो रहा था, मैं सीधे किनारे से टकरा जाता था। बाद में हॉकी खिलाड़ी अलेक्सी कसातोनोव ने पुतिन को ट्रेनिंग दी, जिसके बाद वे रेगुलर तौर पर आइस-हॉकी खेलने लगे। वे कभी नाइट हॉकी लीग के मैचों में खेलते, तो कभी सुरक्षा सेवा (FSO) के कर्मचारियों के साथ। पुतिन ने कई बार गाला आइस हॉकी के मैच खेले हैं और कई गोल भी किए हैं। एक मैच में उन्होंने 8 गोल दागे थे। 2016 में एक आइस हॉकी मैच के दौरान पुतिन फिसलकर गिर गए थे। ये मैच रूस के नाइट हॉकी लीग के गाला में हुआ था। आइस हॉकी मैच पर पुतिन कहते हैं- एक मैच में मेरा 1.5-2 किलो वजन कम हो जाता है। यह बहुत स्ट्रेसफुल खेल है। पुतिन को एक्सट्रीम एक्टिविटीज का भी शौक है। वे कई बार नदियों में राफ्टिंग कर चुके हैं उन्होंने खुद को फॉर्मूला-1 ड्राइवर के रूप में भी आजमाया। पुतिन ने कई बार तो 240 किमी/घंटा की स्पीड से रेसिंग कार चलाई। वे बाथिस्काफ यानी छोटी पनडुब्बी जैसी मशीन में बैठकर बैकाल झील की गहराइयों में भी उतर चुके हैं। कई बार वे टीयू-160 और टीयू-160एम जैसे मिलिट्री बॉम्बर्स के कॉकपिट में बैठकर उड़ान भर चुके हैं, जहां सिर्फ प्रोफेशन पायलट्स बैठते हैं। 2009 में कहा जाने लगा कि पुतिन अब बूढ़े और कमजोर हो चुके हैं। वह राजनीतिक रूप से थका हुआ महसूस कर रहे हैं। लेकिन तभी अगस्त 2009 में पुतिन की कुछ तस्वीरें सामने आईं, जिनमें वह दक्षिणी साइबेरिया के तुवा रीजन में बिना शर्ट के घोड़े की सवारी करते हुए, मछली पकड़ते हुए और स्विमिंग करते हुए दिखे। मॉस्को टाइम्स के मुताबिक, इन तस्वीरें के जरिए पश्चिमी देश के नेताओं को ये दिखाया गया कि पुतिन मानसिक और शारीरिक रूप से बिल्कुल फिट हैं। यह तस्वीर दुनिया भर में खूब वायरल हुई। 2017 में भी पुतिन ब्लागोवेशचेन्स्क जाते हुए अचानक दक्षिणी साइबेरिया में रुक गए थे। इसको रोमांचकारी बताते हुए पुतिन कहते हैं - मैं मुश्किल पहुंच वाली ताइगा में गया, पहाड़ी झीलों में मछली पकड़ी, धूप में लेटा, पहाड़ी नदियों और रैपिड्स से नीचे उतरा, नहरों में मोटरबोट और राफ्ट चलाए, हाइकिंग की और एटीवी चलाते हुए पहाड़ों से गुजरा। इसके बाद भी पुतिन कई बार साइबेरिया आते रहे। इसके अलावा पुतिन अक्सर बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको के साथ वलाम भी जाते हैं। वलाम मठ को पुतिन ‘रूस का मिरर’ कहते हैं, एक ऐसी जगह जहां उन्हें आध्यात्मिक सुकून मिलता है। पुतिन को किताबों का भी शौक है। वे बताते हैं कि उन्होंने यंग एज में जैक लंदन, जूल्स वर्न और अर्नेस्ट हेमिंग्वे जैसे राइटर्स की किताबें पढ़ीं। पुतिन रुसी, जर्मन और अंग्रेजी भाषाएं जानते हैं. उनके प्रेस सेक्रेटरी दिमित्री पेस्कोव बताते हैं कि इन भाषाओं में खुद को एक्सिलेंट बनाए रखने के लिए पुतिन जर्मन और अंग्रेजी टीवी चैनल्स देखते हैं और अखबार पढ़ते हैं। उनकी बेडसाइड वाली टेबल पर अक्सर इतिहास की किताबें और संस्मरण रखे होते हैं। फिक्शन में उनके पसंदीदा लेखक रूसी साहित्यकार लेर्मोनतोव हैं। इसके अलावा पुतिन को बचपन से ही रुडयार्ड किपलिंग भी पसंद है। कई बार वे पॉलिटिक्स या इंटरनेशनल सिचुएशन को समझाने के लिए किपलिंग के किरदारों- जैसे शेर खान का उदाहरण देते हैं। पुतिन रूसी, जर्मन और अंग्रेजी भाषाएं बोलते हैं। उनके प्रेस सेक्रेटरी दिमित्री पेस्कोव बताते हैं- जर्मन और अंग्रेजी भाषा में पकड़ बनाए रखने के लिए वे जर्मन और अंग्रेजी टीवी चैनल्स देखते हैं। हफ्ते में कई बार वे अंग्रेजी अखबार पढ़ते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि वे अपना शब्द-भंडार कम नहीं होने देना चाहते। खाने में पुतिन को ऑर्गेनिक और पारंपरिक रूसी खाना पसंद है। मछली उनका सबसे फेवरेट फूड है। वे कम शुगर वाली आइसक्रीम खाना भी पसंद करते हैं। पुतिन अपनी फिटनेस पर काफी ध्यान देते हैं.. इसलिए वे कई तरह के सलाद भी खाते हैं। इसके अलावा रूस के राष्ट्रपति कभी-कभी खाना भी बनाते हैं। 2018 में एक मीडिया फोरम में उन्होंने कहा कि, ‘मैं सलाद बनाता हूँ, बहुत स्वादिष्ट बनता है।’ एक बार पुतिन ने सीक्रेट मैरीनेट में बने रुसी कबाब तैयार किए थे, जिसकी तारीफ तुवा गणराज्य के पूर्व प्रमुख, शोल्बान कारा-ओल ने की थी।---------पुतिन से जुड़ी ये खबर भी पढ़िए-पुतिन का 60 साल में तलाक, 31 साल छोटी गर्लफ्रेंड: बच्चों को ब्रिटेन से पढ़ाने आते हैं टीचर; रूसी राष्ट्रपति की सीक्रेट फैमिली रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 2 दिन के दौरे पर भारत आए। उनके साथ करीब 100 लोगों की टीम है, लेकिन इसमें परिवार का एक भी सदस्य नहीं है। 2012 में आखिरी बार पुतिन अपनी पत्नी के साथ दिखे थे। इसके बाद विदेश दौरे तो क्या रूस में भी पुतिन का परिवार कहीं नहीं दिखा। पूरी खबर पढ़िए...
2 जनवरी 2024, शाम करीब 6 बजे का वक्त था। गुरुग्राम के एक होटल में 27 साल की मॉडल दिव्या पाहूजा की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। शुरुआती जांच में घटना सिटी पॉइंट होटल के कमरा नंबर-111 में होने का दावा किया गया। हत्या का आरोप बिजनेसमैन अभिजीत पर लगा। अभिजीत ने पहले पुलिस को बयान दिया था कि दिव्या 30 लाख रुपए की डिमांड कर रही थी। उसने पैसों के साथ गुरुग्राम के होटल में एक लेस्बियन (समलैंगिक) पार्टनर की डिमांड की थी। इसी से नाराज होकर अभिजीत ने दिव्या को गोली मार दी थी। फिर दोस्त बलराज और होटल स्टाफ की मदद से लाश नहर में ठिकाने लगा दी। अब इस वारदात के करीब 2 साल पूरे होने वाले हैं। मॉडल की बहन नैना पाहूजा और मां सोनिया पाहूजा अब अभिजीत पर हत्या के आरोप से पलट गई हैं। दोनों ने गुरुग्राम कोर्ट में बयान दर्ज कराया है कि उन्हें दिव्या की हत्या का शक गैंगस्टर संदीप गाडोली के परिवार वालों पर है लेकिन पुलिस ने इस एंगल से जांच ही नहीं की। कोर्ट में अब तक 15 में से 9 गवाहों के बयान दर्ज हुए हैं। सभी अपने बयान से पलट गए हैं। 2 दिसंबर 2025 को चंडीगढ़ हाईकोर्ट ने भी आरोपी अभिजीत को सशर्त जमानत दे दी है। आखिर दिव्या पाहूजा केस में क्या नया मोड़ आया है। होटल के जिस सीसीटीवी फुटेज को पुलिस ने केस में अहम माना था। उसे लेकर होटल स्टाफ ने दावा कर दिया है कि फुटेज उनके होटल के नहीं हैं। दैनिक भास्कर की टीम ने भी गवाहों के कोर्ट में दिए बयान और चार्जशीट की पड़ताल की। सबसे पहले केस में आरोपी अभिजीत की बात…2 दिसंबर को चंडीगढ़ हाईकोर्ट से शर्तों के साथ जमानत मिली मॉडल दिव्या पाहूजा मर्डर केस को लेकर हमने चंडीगढ़ हाईकोर्ट में अभिजीत का पक्ष रख रहे सीनियर एडवोकेट विनोद घई से बात की। उन्होंने बताया, ‘2 दिसंबर को अभिजीत को रेगुलर जमानत का आदेश जारी हुआ। इस केस में शिकायत करने वाली दिव्या की बहन और मां दोनों ने अपना बयान वापस ले लिया।‘ ‘केस में गवाह रहे होटल स्टाफ ने भी लोअर कोर्ट में सीसीटीवी फुटेज को लेकर सवाल उठाए थे। स्टाफ ने बताया था कि पुलिस ने जो सीसीटीवी फुटेज पेश किया है, वो होटल से जब्त नहीं किया गया था। लिहाजा हाईकोर्ट ने शर्तों के साथ अभिजीत को जमानत दे दी है।‘ 15 में से 9 गवाह पलटे, मां-बहन को गैंगस्टर के परिवार पर शक गुरुग्राम कोर्ट में आरोपी अभिजीत का केस देख रहे एडवोकेट प्रशांत यादव कहते हैं, ‘इस केस में वारदात के करीब 88 दिन बाद चार्जशीट फाइल हुई थी। कुल 15 गवाह थे। इनमें से 9 गवाह के बयान कोर्ट में दर्ज किए जा चुके हैं। कोर्ट में दिव्या की मां-बहन और होटल के 5 स्टाफ से सवाल-जवाब हुए हैं। मेघा केस में अप्रूवर थी। उसे भी एग्जामिन किया जा चुका है।‘ ‘सभी ने स्टेटमेंट आरोपी के पक्ष में दिया है। इन्होंने दावा किया है कि उस दिन दिव्या पाहूजा नाम की लड़की होटल में ही नहीं आई थी। मॉडल की बहन नैना और मां सोनिया ने सभी आरोप वापस ले लिए हैं। इन्होंने कहा है कि अभिजीत पर उन्हें शक नहीं है। बल्कि उन्होंने मुंबई में मारे गए गैंगस्टर संदीप गाडोली के परिवार पर शक जताया है।‘ ‘नैना ने बयान में कहा है कि दिव्या मुंबई में संदीप के एनकाउंटर केस में आरोपी थी। उस केस में उसे धमकी भी मिली थी।‘ अब मॉडल की बहन नैना का बयान…आखिर दिव्या की बहन ने कोर्ट में क्या बयान दियामृतक दिव्या पाहूजा के मर्डर के बाद उनकी बहन नैना ने FIR दर्ज कराई थी। पुलिस ने चार्जशीट में नैना का बयान भी दर्ज किया है। जिसमें अभिजीत पर हत्या का आरोप लगाया गया था। हालांकि कोर्ट में गवाहों से हुए सवाल-जवाब के दौरान वो अपने इस बयान से पलट गईं। 13 अगस्त 2025 को ये दर्ज हुआ था। नैना ने बयान में कहा- ‘25 सितंबर 2024 को गुरुग्राम पुलिस के सामने दिया गया बयान मेरी इच्छा से नहीं लिया गया था। तब गुरुग्राम पुलिस ने जैसा कहा था, मैंने वैसा बयान दे दिया था। क्योंकि उस वक्त मैं बहन की मौत की वजह से परेशान थी। पुलिस ने मुझसे जहां साइन करने के लिए कहा, मैंने वहां साइन कर दिए थे। मैंने पुलिस से अभिजीत और बलराज के खिलाफ हत्या को लेकर शिकायत नहीं की है।‘ हमें संदीप गाडोली के परिवार पर शक, पुलिस ने पूछताछ नहीं की नैना ने बयान में आगे कहा, ‘मैंने बहन के मर्डर के लिए गैंगस्टर संदीप गाडोली के परिवार पर शक जताया है न कि आरोपी अभिजीत या अदालत में मौजूद बाकी आरोपियों पर। पुलिस ने इस मामले में जानबूझकर गाडोली परिवार से पूछताछ नहीं की। गैंगस्टर की हत्या में उसके परिवार वालों ने मेरी बहन का नाम बेवजह फंसाया था। इन सबकी वजह से उसे जेल जाना पड़ा और वहां भी उसे परेशान किया गया।‘ ‘तभी संदीप की बहन सुदेश कटारिया और भाई ब्रह्म प्रकाश ने खुलेआम कहा था कि जैसे ही इस मामले में कोई भी आरोपी जमानत पर रिहा होगा, वो उसे मार डालेंगे। उन्होंने ही मेरी बहन को टारगेट किया है लेकिन पुलिस ने मामले को दूसरी दिशा में मोड़ दिया।‘ ‘मैंने आज कोर्ट में पुलिस की पेश किया सीसीटीवी फुटेज देखा लेकिन मेरी बहन फुटेज में कहीं नहीं दिख रही है।‘ अब होटल स्टाफ के बयान की बात…होटल स्टाफ का दावा- हमारे होटल का सीसीटीवी फुटेज ही नहींआरोपी अभिजीत के जिस सिटी पॉइंट होटल में दिव्या पाहूजा के मर्डर की बात कही गई है। उसके 35 साल के रिसेप्शनिस्ट दिनेश के बयान से केस में नया मोड़ आ गया है। दिनेश ने 5 सितंबर 2025 को कोर्ट में बयान दर्ज कराया है, जिसमें कहा है, ‘मैं होटल सिटी पॉइंट में रिसेप्शनिस्ट का काम करता हूं। 3 जनवरी 2024 को पुलिस होटल में आई थी। मुझसे दिव्या पाहूजा के बारे में पूछा गया था।‘ ‘ये भी पूछा गया था कि क्या 2 जनवरी की रात अभिजीत के साथ कोई लड़की होटल में आई थी या नहीं। हमने पुलिस को बताया था कि इस नाम की कोई लड़की 2 जनवरी को होटल में नहीं आई थी। हमने सीसीटीवी फुटेज, सभी कमरे और विजिटर के रिकॉर्ड भी दिखाए थे। पुलिस को उस दिन यहां से कुछ नहीं मिला था और वो लौट गई थी।‘ ‘हमें कोर्ट में जो सीसीटीवी फुटेज दिखाया गया, उसमें भी दिव्या नाम की कोई लड़की नहीं दिख रही है। वास्तव में जो फुटेज दिखाया जा रहा है, वो तो हमारे होटल का भी नहीं है। इस बारे में हमने पहले भी पुलिस को सूचना दी थी।‘ आरोपी अभिजीत का बयान…30 लाख रुपए के लिए ब्लैकमेल कर रही थी इसलिए मारी गोलीदिव्या मर्डर केस को लेकर अभिजीत ने गुरुग्राम पुलिस के सामने दो बार बयान दिए थे। पहले बयान में 30 लाख रुपए को लेकर दिव्या के ब्लैकमेल करने की बात थी। इसी को लेकर गुस्से में हत्या करने की बात कही थी। वहीं दूसरी बार दर्ज कराए बयान में अभिजीत ने दिव्या को लेस्बियन बताया था। उसने अपने बयान में दिव्या पर आरोप लगाया- ‘2014 में मेरी मुलाकात दिव्या से हुई थी। वो गुरुग्राम में मेरे सिटी पॉइंट होटल के नजदीक बस स्टैंड से आती-जाती थी। उसके साथ मेरे अवैध संबंध थे। वो साल 2016 में संदीप गाडोली मर्डर केस में जेल भी चली गई थी। 2023 में उसे जमानत मिली थी। इसके बाद वो फिर मुझसे मिलने लगी।‘ ‘मैं उसे रुपए भी देता था। तब से दिव्या मुझसे 3 लाख 50 हजार रुपए ले चुकी थी। करीब 1 लाख 40 हजार रुपए का एक आईफोन भी दिया था। बाद में उसकी डिमांड बढ़ने लगी। जब देने से मना किया तो वो कहने लगी कि तुम्हारे परिवार और दोस्तों को बता दूंगी। कहने लगी कि इन सबसे बचना है तो 30 लाख रुपए दे दो।‘ ‘मैंने दिव्या को पैसे देने से मना कर दिया। 1 जनवरी 2024 को वो मेरे घर आई थी। वहां मेरा दोस्त बलराज और रवि बंगा भी थे। इनके बाद में मेघा भी आई थी। हालांकि वो जल्दी चली गई थी। फिर दिव्या ने मुझसे पैसे लेने के लिए दबाव बनाया। मैंने सोचा कि दिव्या मेरी बेइज्जती ना कर दे इसलिए हम उसी रात करीब सवा 3 बजे दिल्ली से गुरुग्राम के लिए निकल गए।‘ दिव्या की डिमांड- मैं लेस्बियन, मेरे लिए फीमेल पार्टनर बुलाओअभिजीत बयान में आगे बताते हैं, ‘हम करीब सवा 4 बजे गुरुग्राम के होटल पहुंचे। वहां मैं 114 नंबर रूम अपने लिए परमानेंट बुक रखता हूं लेकिन उस दिन चाबी नहीं मिली। इसलिए हमने रूम नंबर 111 खुलवाया। फिर बलराज चला गया लेकिन मैं और दिव्या वहीं रुक गए। अगले दिन (2 जनवरी) हम दोपहर के बाद सोकर उठे। तभी दिव्या ने बातचीत में कहा कि वो लेस्बियन है। उसे अभी एक पार्टनर चाहिए।‘ ‘फिर मैंने मेघा को फोन कर बुलाया। दिव्या फिर मुझ पर पैसों का दबाव बनाने लगी। मेरे पास देसी पिस्टल थी। शाम करीब 6 बजे ही मैंने दिव्या के सिर पर सामने से गोली मार दी। वो फर्श पर गिर गई। मैं कुछ देर तक बेड पर बैठा रहा।' ‘करीब 7 बजकर 50 मिनट पर मेघा का फोन आया। मैं उसे लेकर रूम नंबर-111 में पहुंचा। मेघा अंदर गई तो खून देखकर बोली कि काका ये आपने क्या कर दिया। मैंने मेघा से बताया कि दिव्या बार-बार पैसे मांगती थी। इसलिए उसे गोली मार दी।‘ ‘मैंने मेघा को दिव्या का फोन और पिस्टल ठिकाने लगाने के लिए दे दिया। रात करीब साढ़े 10 बजे जब बलराज और रवि आए, तब मैंने होटल स्टाफ हेमराज और ओमप्रकाश को 5-5 लाख रुपए का लालच दिया और उनसे दिव्या की डेडबॉडी नहर में फेंकने के लिए कहा।‘ पेट्रोल, सैनिटरी पैड्स से क्राइम सीन पर मिटाए गए खून के धब्बेचार्जशीट के मुताबिक, दिव्या पाहूजा के मर्डर केस में जब फोरेंसिक टीम ने होटल के रूम नंबर 111 की छानबीन की थी, तब वहां से पेट्रोल की गंध आ रही थी। मौके से हरे रंग की पेट्रोल की बोतल भी मिली थी। साथ ही कई सैनिटरी डिस्पोजबल पैड्स मिले थे। इनसे दीवार और फर्श पर लगे खून के धब्बे साफ करने की कोशिश की गई थी। हालांकि, जांच टीम को सीढ़ियों समेत कई जगहों से खून के सैंपल मिले थे। चार्जशीट में लिखा है कि जब नहर से दिव्या पाहूजा की लाश मिली, तब पोस्टमॉर्टम के दौरान पता चला कि मर्डर के दौरान उसे पीरियड्स थे। इसलिए आशंका जताई गई कि दिव्या ही अपने साथ सैनिटरी पैड का पैकेट लाई थी। जिसका इस्तेमाल कर खून के निशान साफ करने की कोशिश हुई थी। नए साल पर पहली बार दिव्या से मिली, 2 जनवरी को पार्टी में बुलायाहमने केस में गवाह रही मेघा के कोर्ट में दिए बयान की भी पड़ताल की। मेघा ने ये बयान 30 जुलाई 2024 को दिया था। इसमें कहा गया- ‘मैं डिलीवरी गर्ल थी। एक पोर्टर एप्लिकेशन के लिए डिलीवरी का काम करती थी। मुझे एक परिचित ने अभिजीत से मिलवाया था।‘ ‘मैं 1 जनवरी 2024 को उनकी न्यू ईयर पार्टी में गई थी। वहीं मैं पहली बार दिव्या से मिली, वो नशे में थी। इससे पहले कई बार उसका नाम सुना था। उसने काफी शार्ट ड्रेस पहनी हुई थी। उसके पास एक छोटी पिस्टल भी थी, जिससे उसने फायर भी किया था। रात करीब 8 बजे मैं पार्टी से निकल गई थी।‘ ‘2 जनवरी की सुबह करीब 11 बजे एक अनजान नंबर से कॉल आया। वो दिव्या का था। उसने मुझे गुरुग्राम के सिटी पॉइंट होटल में पार्टी के लिए बुलाया। उसके बाद मैंने अभिजीत को फोन कर पूछा था कि होटल आना है या नहीं। अभिजीत ने हामी भरी तो मैं शाम को करीब 7 से साढ़े 7 बजे के बीच वहां पहुंची थी।‘ ‘अभिजीत ने पहले मुझे होटल दिखाया, फिर रूम नंबर-111 में ले गए। वहां दिव्या नहीं थी। बेड पर कई शॉपिंग बैग्स पड़े थे। वहां हमने कुछ देर दिव्या का इंतजार किया। अभिजीत ने कई बार दिव्या को कॉल भी किया लेकिन वो कॉल काट रही थी। इसके बाद हम होटल के कमरे से बाहर आ गए।‘ ‘मैं रात 8 से 9 बजे के बीच होटल से निकल गई थी। होटल में इससे पहले क्या हुआ था या क्या नहीं हुआ था, इस बारे में मुझे कुछ नहीं पता।‘..................................ये खबर भी पढ़ें... प्रेमी की लाश से शादी, बोली-जयभीम वाला था, इसलिए मारा ‘मैं और सक्षम 3 साल से रिश्ते में थे। सक्षम दूसरी जाति का था, इसलिए मेरे पापा को हमारा रिश्ता पसंद नहीं था। वे मुझसे कहते थे, कोई भी दूसरा लड़का बताओ, उससे तुम्हारी शादी करवा दूंगा, लेकिन इससे नहीं होने दूंगा। पापा और मेरे भाइयों ने सक्षम को कई बार धमकी दी थी। आखिरकार उसे मार डाला।’ 19 साल की आंचल मामीडकर ये बात बताते हुए रोने लगती हैं। महाराष्ट्र के नांदेड़ में रहने वाली आंचल अनुसूचित जाति से आने वाले सक्षम से प्यार करती थी। पढ़िए पूरी खबर...
‘मां के मरने के बाद लोगों ने तरह-तरह की बातें कहीं। बहुत बुरा लगा, जब उन्हें फाकीबाज (कामचोर) कहा गया। वे स्कूल में बायोलॉजी पढ़ाती थीं। उम्र 53 साल थी। कुछ साल में रिटायर हो जातीं। दो महीने पहले ही उन्हें बीएलओ बनाया गया था। 24 साल की नौकरी में पहली बार ये काम कर रही थीं। SIR के काम की वजह से प्रेशर में थीं। 22 नवंबर की रात उन्होंने सुसाइड कर लिया।’ पश्चिम बंगाल में नादिया जिले के कृष्णानगर में रहने वाले अरिक्तो रिंकू तरफदार के बेटे हैं। रिंकू टीचर थीं, लेकिन पश्चिम बंगाल में SIR यानी स्पेशल इंटेंसिव रिविजन की प्रोसेस शुरू होने के बाद उन्हें बीएलओ का काम मिला था। आरोप है कि रिंकू पर काम समय से पूरा करने के लिए दबाव बनाया जा रहा था। इससे वे परेशान थीं और उन्होंने फांसी लगा ली। सुसाइड नोट में भी उन्होंने काम के दबाव की बात लिखी है। SIR के दूसरे फेज में राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल समेत 9 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों में वोटर लिस्ट के लिए डेटा जुटाया जा रहा है। 30 नवंबर तक 7 राज्यों में 29 बीएलओ की अलग-अलग वजहों से मौत हो चुकी है। सबसे ज्यादा 9 मौतें मध्यप्रदेश में हुई हैं। पश्चिम बंगाल में मार्च-अप्रैल में चुनाव होने हैं। इसलिए यहां SIR की वजह से ज्यादा कंट्रोवर्सी है। सरकार चला रही TMC का दावा है कि SIR के दौरान राज्य में 39 मौतें हो चुकी हैं। इनमें 4 बीएलओ हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने SIR पर तुरंत रोक लगाने की मांग की है। पश्चिम बंगाल में 4 बीएलओ की मौत, दो सुसाइड ‘मेरी आत्महत्या के लिए इलेक्शन कमीशन जिम्मेदार है। मेरा किसी पार्टी से ताल्लुक नहीं है। मैं बहुत साधारण इंसान हूं, जो इलेक्शन कमीशन के इस दबाव को नहीं झेल पा रही हूं। मैंने ऑफलाइन 95% काम पूरा कर लिया है, लेकिन ऑनलाइन नहीं कर पा रही हूं। इसके लिए BDO ऑफिस और सुपरवाइजर को भी बताया, लेकिन उन्होंने एक नहीं सुनी। ऐसा दबाव बाकी बीएलओ पर न डाला जाए।’ ये रिंकू तरफदार के सुसाइड नोट का एक हिस्सा है, जिसमें उन्होंने इलेक्शन कमीशन और वर्कलोड का जिक्र किया था। हमने इस बारे में रिंकू के बेटे अरिक्तो से बात की। रिंकू के भाई कैफे चलाते हैं, अरिक्तो से हमारी मुलाकात उनके कैफे में ही हुई। अरिक्तो बताते हैं, ‘मां दो महीने पहले ही बीएलओ बनी थीं। ये काम पढ़ने-पढ़ाने से एकदम अलग था। वे लगातार परेशान थीं। इलेक्शन कमीशन की ओर से कोई भी नया नोटिफिकेशन आता, तो घबरा जाती थीं।’ ‘मम्मी ने इतने साल एक सेट पैटर्न में बच्चों को पढ़ाया था। इस उम्र में आकर कुछ नया सीखना थोड़ा मुश्किल था। उन्होंने फील्ड का सारा काम लगभग कर लिया था। उन्हें बस डेटा अपलोड करने में परेशानी हो रही थी।' अरिक्तो आगे बताते हैं, 'मैं और मेरी दीदी दोनों घर पर नहीं रहते। कोरोना के दौरान मम्मी को ऑनलाइन क्लास लेनी होती थी। तब मैं या दीदी जूम में क्लास शुरू कर देते थे। इस बार काम थोड़ा मुश्किल था। इलेक्शन कमीशन की तरफ से बार-बार चीजें बदली जा रही थीं।’ ‘मम्मी को डर था, कुछ गलती न हो जाए’अरिक्तो मम्मी के साथ वॉट्सऐप पर 18 नवंबर को हुई चैट दिखाकर बताते हैं, ‘सुसाइड से 4 दिन पहले मम्मी ने मेरे पास इलेक्शन कमीशन का नोटिफिकेशन भेजा था। पूछा था कि इसमें क्या करना है। वे बहुत घबराई हुई थीं। उन्हें डर था ऑनलाइन कुछ गलत हो गया, तो क्या होगा। पहले करेक्शन का भी ऑप्शन नहीं था, न ही कोई हेल्पलाइन नंबर था।’ अरिक्तो बताते हैं, ‘मम्मी की ड्यूटी 18 किलोमीटर दूर थी। उनका स्कूल भी वहीं था। हम 2013 में चापरा से कृष्णानगर शिफ्ट हो गए थे। सारे डॉक्यूमेंट पुराने घर के ही थे, इसलिए मम्मी को बीएलओ का काम भी वहीं के हिसाब से मिला था।’ ‘मम्मी को रोज 18 किमी दूर जाना पड़ता था। ऑनलाइन अपलोड से बढ़ते प्रेशर को देखते हुए उन्होंने बीडीओ को इसकी शिकायत की, ताकि उन्हें काम से हटा दिया जाए। बीडीओ नहीं माने और नौकरी छोड़ने के लिए कहने लगे। मम्मी ने तुरंत नौकरी छोड़ने के लिए हां कर दी थी, लेकिन उन्हें कहा गया तो काम करके देना पड़ेगा।’ ‘नौकरी छोड़ने के बारे में कहा, लेकिन छोड़ नहीं पाईं’आगे की बात अरिक्तो के पास बैठे उनके मामा अर्नब साह बताते हैं। वे कहते हैं, ‘दीदी इस काम को लेकर परेशान थी। उन्होंने पहले स्कूल के प्रिंसिपल को बताया था। उन्होंने बीडीओ से मिलने के लिए कहा। बीडीओ ऑफिस से कलेक्टर ऑफिस जाने के लिए कहा गया। वहां उनसे कहा गया कि नौकरी छोड़ दो। दीदी घर आईं और हमसे पूछा कि मैं नौकरी छोड़ दूं क्या। तीन दिन कहती हैं कि मुझे पता चला है, अगर मैं नौकरी छोड़ भी दूं, तो भी काम पूरा करना ही पड़ेगा। अर्नब आगे कहते हैं, ‘दीदी को नौकरी का लालच नहीं था। उनका परिवार संपन्न है। जीजाजी का बिजनेस हैं। दीदी को सिर्फ 14,500 रुपए सैलरी मिलती थी। पढ़ाना उनका पैशन था। हर किसी को सिर्फ सुसाइड के बारे में जानना है, लेकिन इसके बाद क्या कुछ सुधार होगा। इतनी बड़ी प्रक्रिया के तहत काम किया जा रहा है, लेकिन न कोई हेल्प लाइन नंबर है, न ही कोई हेल्प डेस्क, क्या और बीएलओ की मौत का इंतजार हो रहा है।’ शांतिमणि एक्का आंगनबाड़ी में काम करती थीं। बीएलओ बनाए जाने के बाद वे घर-घर जाकर SIR के फॉर्म बांटती थीं। फिर उन्हें वापस लेने जाती थीं। 19 नवंबर को उन्होंने अपने घर के आंगन में फांसी लगा ली। शांतिमणि की बेटी सुलेखा बताती हैं, ‘मेरी मम्मी के लिए ये काम कर पाना बहुत मुश्किल था। उन पर जल्दी काम करके देने का दबाव था। वे इस प्रेशर को बर्दाश्त नहीं कर पाईं। हमारा घर चाय बागान वाले एरिया में है।’ सुलेखा आगे बताती हैं, ‘ज्यादातर लोग फॉर्म नहीं भर पा रहे थे। सभी मम्मी से ही फॉर्म भरवा रहे हैं। कुछ लोग खुद फॉर्म भर कर दे रहे थे, उसमें कई गलतियां कर रहे थे। लोग बार-बार मम्मी से कह रहे थे अगर कुछ गलत हो गया, तो हमें सरकारी सुविधा नहीं मिल पाएगी। ‘सारा दिन फील्ड में काम करने के बाद घर पर फॉर्म भरती थीं। उस पर भी अधिकारी रोज रात को कहते थे कि जल्दी काम करो, अभी इतना ही काम हुआ है। यह प्रेशर लगातार बढ़ रहा था। मम्मी भाषा और ऑनलाइन फॉर्म भरने को लेकर परेशान थी।' 'वे आंगनबाड़ी वर्कर थीं, उनसे ऑनलाइन काम की उम्मीद नहीं की जा सकती। परेशान होकर मम्मी और भाई जॉइंट बीडीओ मोहम्मद तौकीफ अली के पास गए थे। उनसे कहा था कि ये काम नहीं हो पाएगा। उन्होंने कोई बात नहीं सुनी।' हमने इस बारे में जॉइंट बीडीओ से बात करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया। कहा कि इस बारे में सीनियर अधिकारियों से पूछिए। माल बाजार एसडीओ ने भी बयान देने से इनकार कर दिया। बीएलओ बोले- ऑनलाइन फॉर्म भरने की ट्रेनिंग नहीं मिलीहमने कुछ बीएलओ से SIR की प्रोसेस के दौरान होने आ रही परेशानियों के बारे में बात की। सबोरनी सन्याल मंडल कृष्णानगर की बीएलओ हैं। उनका ऑनलाइन फॉर्म भरने का कुछ काम बाकी रह गया है। सबोरनी बताती हैं, ‘14 नवंबर से SIR का काम शुरू हुआ। उसी दिन से ऑनलाइन फॉर्म भी अपलोड करने थे। इसके लिए कई बार नियम बदले गए। सबसे बड़ी समस्या थी कि फॉर्म में गलती सुधारने का विकल्प नहीं था। इससे बीएलओ परेशान थे कि सरकारी कागज हैं, कोई गलती न हो जाए। शिकायत के बाद इसे ठीक किया गया। 22 नवंबर के बाद सारी चीजें दुरुस्त हुईं। तब से काम सही चल रहा है।’ काम में क्या दिक्कतें आईं? सबोरनी बताती हैं, ‘हमें सिर्फ ऑफलाइन फॉर्म भरने के लिए ट्रेनिंग दी गई है। ऑनलाइन फॉर्म भरने के लिए ट्रेनिंग नहीं मिली। सबसे बड़ी समस्या अपलोडिंग की थी। दिन में तो ज्यादातर वेबसाइट बिजी रहती है। कई बार इतनी हैंग होती कि पूरा फॉर्म भरने के बाद अगर सब्मिट नहीं हुआ, तो दोबारा पूरी प्रोसेस करनी पड़ती है।' 'मैं कई बार फंस गई थी। बाद में मैंने सुबह 4 बजे उठकर फॉर्म भरना शुरू किया। इसके अलावा सीरियल नंबर मिलने में भी देरी हुई। इससे फॉर्म बांटने में परेशानी हुई।’ हालांकि आसनसोल के बीएलओ मोहित कुमार सिंह बताते हैं, ‘हमें एक-एक चीज की ट्रेनिंग दी गई है। कई बार अधिकारी बीएलओ के साथ फील्ड पर गए। एक समस्या भाषा को लेकर हुई, इससे बीएलओ का काम बढ़ गया।’ ‘पूरा फॉर्म बांग्ला में था। हिंदी प्रदेशों से आए लोगों को बांग्ला नहीं आती। फॉर्म अंग्रेजी में भरने का प्रावधान है। मैंने कई वोटर्स को एक-एक चीज अच्छे से बताई, फिर भी गलतियां हुईं। आखिर में मैंने वोटर्स को घर में बुलाकर, सामने बैठाकर फॉर्म भरवाया। इसमें काफी समय लगा, लेकिन गलती की आशंका कम हो गई।’ ‘इसके अलावा ऑनलाइन फॉर्म भरने में परेशानी हुई। कई बार फॉर्म भरने के बाद भी उस पर डेटा अपडेट नहीं होता है। हम लोगों के पास भी 11 दिसंबर तक का समय है। अगर तब तक नहीं दिया, तो ऑनलाइन अपडेट में परेशानी होगी।’ एक परेशानी उर्दू बोलने वाले लोगों को हो रही है। पश्चिम बंगाल के इंडस्ट्रियल इलाके में यूपी-बिहार के ज्यादातर मुस्लिम उर्दू बोलते हैं। इसकी वजह उर्दू स्कूल हैं। फरहद जबी उर्दू भाषा स्कूल में टीचर हैं। उनका घर बर्धमान जिले की कुल्टी विधानसभा सीट में है। फरहद भी बीएलओ हैं। वे कहती हैं, ‘मेरे इलाके में ज्यादातर लोग उर्दू बोलने वाले हैं और फॉर्म बांग्ला में है। मुझे अंग्रेजी का एक ऑनलाइन फॉर्म मिला था। इसके जरिए मैंने वोटर्स को समझा दिया। यह परेशानी मेरे लिए भी थी।’ कुल्टी के नियामतपुर में रहने वाले मोहम्मद तबरेज अंसारी SIR का फॉर्म भरने आए थे। वे कहते हैं, ‘SIR के फॉर्म में भाषा का विकल्प नहीं है। आप फॉर्म तो अंग्रेजी में भर सकते हैं, लेकिन पढ़ना तो बांग्ला में है। इस परेशानी को दूर करने के लिए बांग्ला समझने वाले लड़कों से मदद लेनी पड़ी।’ ममता का वादा- किसी का नाम वोटर लिस्ट से नहीं कटेगापश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी TMC SIR का विरोध कर रही है। कोलकाता के धर्मतल्ला में पार्टी की रैली में ममता ने कहा कि SIR के डर से लोग जान न दें, किसी का भी नाम वोटर लिस्ट से नहीं हटेगा। वहीं मुर्शिदाबाद में हुई रैली में उन्होंने कहा कि SIR के बहाने BJP पश्चिम बंगाल में डिटेंशन कैंप खोलना चाहती है। मैं ऐसा होने नहीं दूंगी। इसके अलावा TMC सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल 28 नवंबर को चीफ इलेक्शन कमिश्नर ज्ञानेश कुमार से मिला था। उन्हें SIR की प्रक्रिया के दौरान मरने वाले 39 लोगों की लिस्ट सौंपी, जिनमें रिंकू तरफदार और शांतिमणि एक्का के अलावा 2 और बीएलओ हैं। BJP बोली- ममता सरकार मदद करती तो बीएलओ पर कम प्रेशर होताबीएलओ के सुसाइड के बारे में पूछने पर BJP की जनरल सेक्रेटरी अग्निमित्रा पॉल ममता सरकार पर आरोप लगाती हैं। वे कहती हैं, ‘इलेक्शन कमीशन ने ऑनलाइन प्रोसेस आसान बनाने के लिए राज्य सरकार से एक हजार डेटा ऑपरेटर मांगे थे, ताकि जिन बीएलओ को ऑनलाइन फॉर्म भरने में परेशानी हो रही है, उन्हें सुविधा मिले। राज्य सरकार ने मदद नहीं की।' SIR के लिए पश्चिम बंगाल में 80,600 से ज्यादा बीएलओ, 8 हजार सुपरवाइजर, 3 हजार AERO और 294 ERO तैनात हैं। नवंबर के आखिरी सप्ताह तक राज्य में करीब 14 लाख फॉर्म ‘अनकलेक्टेबल’ के तौर पर पहचाने गए हैं। ये वोटर या तो गैर-हाजिर थे, डुप्लीकेट थे, मर चुके हैं या हमेशा के लिए कहीं चले गए हैं। SIR का फॉर्म भरने की आखिरी तारीख 4 दिसबंर से बढ़ाकर 11 दिसंबर कर दी गई है। ड्राफ्ट की पहली लिस्ट 16 दिसंबर तक आएगी। सुप्रीम कोर्ट ने 4 दिसंबर को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आदेश दिया कि वे SIR में लगे बूथ लेवल अधिकारियों से काम का दबाव कम करने के लिए अतिरिक्त स्टाफ लगाने पर विचार करें।.....................................SIR पर ये स्टोरी भी पढ़ें बंगाल में SIR के विरोध में BLO का प्रदर्शन SIR के विरोध में एक दिसंबर को कोलकाता में पश्चिम बंगाल के मुख्य चुनाव अधिकारी (CEO) के ऑफिस के बाहर BLO अधिकार रक्षा कमेटी के सदस्यों ने प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस बैरिकेड तोड़ने की कोशिश की। ठीक उसी समय BJP नेता सुवेंदु अधिकारी और पार्टी के MLA चुनाव अधिकारियों के साथ मीटिंग के लिए पहुंचे थे। BJP कार्यकर्ताओं से भी प्रदर्शनकारियों की बहस हुई। पढ़िए पूरी खबर...
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अपने दो दिवसीय भारत दौरे पर हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भरोसेमंद दोस्त राष्ट्रपति पुतिन का भव्य स्वागत किया
दिल्ली में पुतिन का भव्य स्वागत, राष्ट्रपति भवन में औपचारिक समारोह
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अपनी दो दिवसीय यात्रा पर भारत आए थे। इस दौरान उन्होंने राजधानी दिल्ली में आयोजित 23वें भारत-रूस शिखर सम्मेलन में भाग लिया
भारत-रूस: संयुक्त राष्ट्र और बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग के लिए दोनों देश एकजुट
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अपनी दो दिवसीय राजकीय यात्रा पर भारत आए थे। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आर्थिक संबंधों को मजबूत करने और विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग का विस्तार करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई
मेक-इन-इंडिया को मिली रूस की ताकत, अब भारत में बनेंगे रूसी हथियारों के स्पेयर पार्ट्स
Make in India: भारत-रूस ने शेष परमाणु ऊर्जा संयंत्र इकाइयों के निर्माण के साथ-साथ केकेएनपीपी के कार्यान्वयन में हुई प्रगति का स्वागत किया है. इतना ही नहीं उपकरणों और ईंधन की आपूर्ति के लिए दोनों पक्षों ने समय-सीमा का पालन करने पर सहमति भी जताई है.
Cyclone Ditwaha: दित्वाह ने श्रीलंका में किया 'चक्का जाम', लाइफसेवर की भूमिका में उतरा भारत
Cyclone Ditwaha: 28 नवंबर को चक्रवात दित्वाह से श्रीलंका में उत्पन्न भीषण बाढ़ के कारण हुई जनहानि और व्यापक तबाही के बाद भारत ने मोर्चा संभाला और तत्काल खोज एवं बचाव तथा मानवीय सहायता और आपदा राहत समर्थन के लिए ऑपरेशन सागर बंधु शुरू किया था.
दुनिया को खटकने लगी भारत-रूस की दोस्ती, अमेरिकी अखबार ने ट्रंप के सिर फोड़ा ठीकरा
DNA Analysis: अब हम आपके सामने उन प्रतिक्रियाओं का विश्लेषण करने जा रहे हैं, जो पुतिन की भारत यात्रा को लेकर अंतरराष्ट्रीय मीडिया और राजनीतिक हलकों से सामने आ रही हैं. इस विश्लेषण को समझने के लिए आपको सबसे पहले दुनिया के कुछ मशहूर अखबारों की हेडलाइंस गौर से देखनी चाहिए.
Bangladesh: एयर एम्बुलेंस में आई खराबी, बेहतर इलाज के लिए खालिदा जिया की लंदन यात्रा स्थगित
Khaleda Zia Health News: फखरुल के अनुसार खालिदा जिया के ब्रिटेन जाने का अंतिम निर्णय यात्रा के दिन उनके स्वास्थ्य पर निर्भर करेगा. उन्होंने आगे कहा कि गुरुवार रात उनकी हालत थोड़ी बिगड़ गई थी. उन्होंने कहा कि अभी उनका हेल्थ चेकअप किया जाना है, जिसके बाद डॉक्टर तय करेंगे कि वह यात्रा के लिए फिट हैं या नहीं.
जापान पहुंचे पंजाब के सीएम भगवंत मान, आसोका में किया बिजनेस रोड शो
Bhagwant Mann Japan visit: उन्होंने आज ओसाका में उच्च-स्तरीय बैठकों की शृंखला भी की, जिसमें एयर वाटर इंक के साथ औद्योगिक गैसों और इंजीनियरिंग उपकरणों में नए अवसरों पर चर्चा भी शामिल रही.मुख्यमंत्री ने व्यापार, प्रौद्योगिकी और एसएमई सहयोग की संभावनाएं तलाशने के लिए ओसाका चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (ओसीसीआई) के साथ भी आधिकारिक बातचीत की.
पुतिन को 'श्रीमद्भगवद्गीता' देने पर कांग्रेस सांसद ने उठाए सवाल, बोले- फिर कुरान शरीफ भी देते
PM Modi: उन्होंने कहा कि मुझे पीएम का मकसद समझ नहीं आया और मैं इस पर ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहूंगा, लेकिन पीएम को कुरान शरीफ और गुरु ग्रंथ साहिब भी दिए देने चाहिए था. हुसैन ने पीएम की तरफ से पुतिन को श्रीमद्भगवद्गीता के साथ-साथ महाभारत की किताब देने की भी बात कही.
इंडिगो एयरलाइंस की हर 10 में से 9 फ्लाइट्स देरी से उड़ रही या रद्द हो चुकी हैं। पिछले 72 घंटों में 1700 से ज्यादा फ्लाइट्स रद्द हुई, जिससे लाखों यात्री परेशान हैं। इंडिगो का कहना है कि फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन यानी FDTL के नए नियमों को लागू करने में चूक हुई। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि नियम 5 महीने पहले लागू हुए, इंडिगो रियायत पाने के लिए सरकार को 'ब्लैकमेल' करना चाहती थी। फिलहाल नागरिक उड्डयन महानिदेशालय DGCA ने नियमों में अस्थायी राहत दे दी, लेकिन हालात सामान्य होने में वक्त लगेगा। आखिर हजारों फ्लाइट्स थमने की असली वजह क्या है, समस्या की शुरुआत कैसे हुई, इंडिगो को ही सबसे ज्यादा दिक्कत क्यों और अब आगे क्या होगा; भास्कर एक्सप्लेनर में 7 जरूरी सवालों के जवाब... सवाल-1: आखिर पिछले 2-3 दिनों में ऐसा क्या हुआ कि देशभर में हजारों फ्लाइट्स थम गईं? जवाबः दरअसल, पायलट यूनियन ने ज्यादा वर्किंग और थकान के चलते जनवरी 2024 में दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। कोर्ट के आदेश के बाद DGCA ने फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन यानी FDTL नियमों में बदलाव किए। 1 जुलाई 2025 को पायलट्स को आराम देने के लिए 'फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) के नियम लागू किए गए थे। इसके तहत एयरलाइन कंपनियों के लिए पायलटों को हफ्ते में 36 घंटे के बजाय 48 घंटे आराम, यानी दो दिनों का वीकली रेस्ट देना अनिवार्य कर दिया था। इस दौरान किसी छुट्टी को वीकली रेस्ट गिनने पर रोक लगा दी थी। FDTL के दूसरे फेज में 1 नवंबर से नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने पायलटों और अन्य क्रू मेंबर्स के लगातार नाइट शिफ्ट पर भी पाबंदी लगा दी थी। इन नए नियमों के आने के बाद इंडिगो पायलट्स और दूसरे स्टाफ की कमी दूर नहीं कर पाई और पिछले 4 दिनों में इंडिगो ने 1700 से ज्यादा फ्लाइट्स रद्द कीं... DGCA ने कहा है कि FDTL फेज 2 की प्लानिंग में कमी के चलते क्रू की शॉर्टेज हुई है। इंडिगो किसी न किसी तरह के बहाने बनाती रही। जब एक हजार से ज्यादा फ्लाइट्स रद्द हुईं, तो इंडिगो ने आखिरकार गलती मानते हुए यात्रियों से माफी मांगी है। सवाल-2: इंडिगो सॉल्यूशन की बजाय लगातार बहाने क्यों बनाता रहा? जवाबः 2 दिसंबर को फ्लाइट्स रद्द होने के बाद से इंडिगो ने कई बार आधिकारिक बयान जारी करके इसकी अलग-अलग वजहें बताईं, लेकिन साफ तौर पर यह नहीं कहा कि नए नियमों के तहत पायलट्स और क्रू को ज्यादा आराम देने के लिए उसके पास पर्याप्त स्टाफ नहीं हैं… इंडिगो ने माना कि क्रू रिक्वायरमेंट अनुमान से ज्यादा था। इंडिगो ने कहा कि नए क्रू रोस्टरिंग नियमों और बाकी तकनीकी कारणों, मौसम आदि के सम्मिलित प्रभाव के चलते उसकी फ्लाइट्स प्रभावित हुईं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इंडिगो को नए पायलट्स और बाकी स्टाफ हायर करने के लिए 9 महीने का समय दिया गया था, लेकिन इंडिगो ने जरूरत के मुताबिक नई भर्तियां नहीं कीं। इंडिगो ने एक लंबा नोट लिखकर यात्रियों से माफी भी मांगी और जल्दी ही सर्विस बहाल करने की बात कही है। हालांकि कॉमेडियन अभिजीत गांगुली जैसे कई लोगों ने इंडिगो पर आरोप लगाया है कि उसने सरकार को ब्लैकमेल करने के लिए फ्लाइट्स रद्द कीं, ताकि यात्रियों को तकलीफ हो और सरकार इंडिगो को FDTL के नियमों में छूट देने के लिए राजी हो जाए। एक सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा गया है कि जब नवंबर में दूसरे फेज के रूल्स लागू हुए, तभी बेंगलुरु में फ्लाइट्स प्रभावित होने लगी थीं। इंडिगो का स्टाफ कह रहा था कि अभी यह स्थिति करीब एक महीने तक चलेगी। वही हुआ और आखिरकार सरकार इंडिगो को नए रूल्स से राहत देने को तैयार हो गई। एविएशन एक्सपर्ट अनंत सेठी भी कहते हैं कि इंडिगो ने एक सोची समझी हड़ताल की है। नए नियमों को अचानक लागू नहीं किया गया था। स्टाफ की कमी पूरी करने के लिए इंडिगो के पास पर्याप्त समय था, लेकिन इंडिगो के पास भारतीय एविएशन सेक्टर में करीब 65% की हिस्सेदारी है। उसने अपना खर्च कम करने के लिए नए स्टाफ की भर्ती नहीं की और दबाव बनाने के लिए फ्लाइट्स प्रभावित की गईं। सवाल-3: पायलट-क्रू के आराम का पूरा नियम क्या है? जवाबः FDTL के नियमों के तहत… एयरलाइन्स को हर महीने थकान-जोखिम रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी। ऐसा न करने पर 1 करोड़ रुपए तक का जुर्माना लग सकता है। सवाल-4: सरकार ने ये नियम क्यों बनाए और इन्हें लागू करना क्यों जरूरी था? जवाबः DGCA ने पायलटों की थकान से जुड़ी रिपोर्ट्स की समीक्षा करने के बाद ये नियम लागू किए हैं। पिछले 3-4 सालों में समय-समय पर कई पायलेट्स एसोसिएशन ने DGCA को पत्र लिखकर इन नियमों को लागू करने की मांग की थी, ताकि पायलेट्स को जरूरी आराम मिल सके। दिल्ली हाई कोर्ट में 2019 से चली आ रही इन याचिकाओं के बाद DGCA ने ये नियम बनाए हैं। DGCA का कहना है कि पायलेट्स की थकान बड़े हादसों को जन्म दे सकती है। दुनियाभर की एयरलाइंस भी इसे एक बड़ा जोखिम मानती हैं। थकान की वजह से खराब परिस्थितियों में फैसला लेने और रात के वक्त प्लेन लैंड कराने की क्षमता भी प्रभावित हो सकती है। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, DGCA ने 2023 में 1,622 कॉमर्शियल पायलट्स को लाइसेंस जारी करने की बात कही थी, लेकिन फिर भी अगले 5 सालों में 2,375 पायलटों की कमी रह जाएगी। 2029 तक कुल 22,400 पायलटों की जरूरत होगी, जबकि अभी सिर्फ 11,745 पायलेट्स ही हैं। 2022 से 2025 के बीच उड़ानें बढ़ने से पायलेट्स खासकर कैप्टन पर काम का बोझ बढ़ा है। भारत के पायलट ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट्स की क्षमता भी कम है। हर साल सिर्फ 1200-1500 पायलट्स को ही ट्रेनिंग के बाद लाइसेंस मिल पाता है। जबकि रिक्वायरमेंट इससे कहीं ज्यादा है। सवाल-5: अमेरिका और यूके में पायलट्स को कितना रेस्ट मिलता है? जवाबः अमेरिका के फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (FFA) और यूरोप की यूनियन एविएशन सेफ्टी एजेंसी (EASA) ने पायलटों को जरूरी आराम देने के लिए कुछ ऐसे ही नियम बनाएं हैं, जो अमेरिका और यूरोपीय देशों की लगभग सभी एयरलाइंस पर लागू होते हैं… सवाल-6: नए नियमों से सबसे ज्यादा इंडिगो ही क्यों प्रभावित हुआ? जवाबः नए नियमों से इंडिगो सबसे ज्यादा प्रभावित इसलिए है क्योंकि भारत के एयरलाइंस मार्केट में उसकी सबसे ज्यादा 60% हिस्सेदारी है। एयरलाइन दिन भर में लगभग 2,300 घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानें ऑपरेट करती है। यह संख्या एअर इंडिया के एक दिन में संचालित उड़ानों की लगभग दोगुनी है। इतने बड़े पैमाने पर यदि 10–20 प्रतिशत उड़ानें भी देर से चलें या रद्द हों, तो इसका मतलब होता है 200–400 उड़ानें प्रभावित होना। इंडस्ट्री इनसाइडर की रिपोर्ट के मुताबिक, इंडिगो भारत में बड़े पैमाने पर काम करता है। उसका एयरलाइंस मार्केट में दबदबा है। इंडिगो की सबसे ज्यादा और लगातार फ्लाइट रहती है। देर रात और सुबह की उड़ानों पर इंडिगो सबसे ज्यादा ध्यान देता है। इंडस्ट्री इनसाइडर के मुताबिक इसकी तुलना में अन्य एयरलाइंस कंपनियां नए विमानों की डिलीवरी में देरी और मरम्मत के लिए खड़े विमानों से जूझ रही है। ऐसे में इनकी उड़ाने कम और स्टॉफ ज्यादा है। यह एयरलाइंस नए नियमों के हिसाब से आसानी में पायलट्स की ड्यूटी शेड्यूल कर पा रहे हैं। अभी इंडिगो के पास 5,456 पायलट और 10,212 केबिन क्रू मेंबर हैं। 41 हजार से ज्यादा स्थायी कर्मचारी हैं। इंडिगो का कहना है कि नए फ्लाइट टाइम लिमिटेशन नियमों के कारण पायलट और क्रू की कमी हुई है। नए नियमों में पायलटों के उड़ान भरने के नियमों को घटाकर रोजाना 8 घंटे कर दिया गया है। नाइट लैंडिंग 6 से घटाकर 2 कर दी गई हैं। क्रू के लिए 24 घंटे में 10 घंटे आराम का समय रखा है। सवाल-7: इस पूरे मामले में आगे क्या हो सकता है? जवाबः एविएशन एक्सपर्ट अनंत सेठी कहते हैं‘अभी सरकार के पास यात्रियों की समस्या दूर करने का विकल्प नहीं है, इसलिए अभी इंडिगो से बात की जा रही है। DGCA ने इंडिगो से पूछा है कि वह कितने फेज में और किस तरह से नए नियम लागू करेंगे। हो सकता है कि कुछ दिनों में इंडिगो नया शेड्यूल जारी करके कुछ फ्लाइट्स कम कर दे, क्योंकि यही एक चारा है, अचानक पायलट्स बढ़ाना आसान काम नहीं है।’ अनंत के मुताबिक, पायलट्स को 48 घंटे आराम देना जरूरी है, इसलिए सरकार उनके घंटे कम करने पर आसानी से राजी नहीं होगी। ------------------ ये खबर भी पढ़ें... हवा में दो विमानों की टक्कर:पहला विमान पिघलकर क्रैश, पायलट की मौत, दूसरा कैसे सुरक्षित लैंड हुआ; 3D और Ai से देखिए ऑस्ट्रेलिया के सिडनी शहर से 60 किलोमीटर की दूरी पर है NSW स्पोर्ट्स एयरक्राफ्ट क्लब। यहां हर वीकेंड पर पायलट्स हवा में कलाबाजियां करने की प्रैक्टिस करने जाते हैं। 30 नवंबर की दोपहर 4 प्लेन हवा में उड़ान भरते हैं। कलाबाजियां करने के बाद सभी प्लेन जैसे ही रनवे पर लौटने के लिए अलग होते हैं, तभी एक प्लेन दूसरे प्लेन के फ्यूलसेज से टकराता है और क्रैश कर जाता है। 3D मैप, वीडियो और AI के जरिए देखिए पूरी कहानी...
रूसी टूरिस्टों को 30 दिन के लिए फ्री मिलेगा भारत का E-VISA, जानें नॉर्मल वीजा से है कितना अलग
Indian e visa: ई-टूरिस्ट वीजा के लिए आवेदन कर्ता को ऑनलाइन पोर्टल पर अपनी संबंधित जानकारी सांझा करनी होगी.पीएम मोदी की तरफ से रूसी नागरिकों के लिए 30 दिन का फ्री ई-टूरिस्ट वीजा देने की घोषणा के बाद भारत में पर्यटन के लिए रूसी नागरिकों की बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है.
हिंदू या मुस्लिम नहीं, रूस में सबसे ज्यादा रहते हैं इस धर्म के लोग
Religion Population in Russia: रूस की बात करें तो ये क्षेत्रफल के हिसाब से दुनिया का सबसे बड़ा देश है. रूस 2 महाद्वीप में फैला देश है. रूस की कुल आबादी लगभग 14 करोड़ है. ऐसे में चलिए जानते हैं रूस में किस धर्म के कितने लोग रहते हैं.
Zelenskiy Drone Security Alert: यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की की डबलिन यात्रा के दौरान एयरक्राफ्ट के फ्लाइट पाथ के पास पांच संदिग्ध ड्रोन देखे गए हैं, जिसके कारण बड़े सुरक्षा अलर्ट जारी किया गया.
अमेरिकी कांग्रेस की एक प्रमुख कमेटी अगले सप्ताह 10 दिसंबर को एक सार्वजनिक बैठक करने जा रही है, जिसमें भारत–अमेरिका रणनीतिक साझेदारी की दिशा पर चर्चा होगी। इस बैठक में दोनों देशों के बीच बदलते रक्षा, आर्थिक और कूटनीतिक संबंधों पर खास ध्यान दिया जाएगा
अमेरिका ने वर्क परमिट की अवधि कम की, हजारों भारतीय पेशवरों पर पड़ेगा असर
अमेरिका के इमिग्रेशन सिस्टम में एक बड़ा बदलाव करते हुए यूएस सिटीजनशिप एंड इमीग्रेशन सर्विसेज (यूएससीआईएस) ने यह घोषणा की है कि अब एम्प्लॉयमेंट ऑथराइजेशन डॉक्यूमेंट्स यानी ईएडी की अधिकतम वैधता अवधि घटा दी जाएगी
इमरान खान से नहीं मिल पाएंगी उनकी बहन, मंत्री तरार बोले- अब हर दिन तमाशा नहीं होगा
पाकिस्तान के सूचना मंत्री अताउल्लाह तरार ने कहा कि सरकार ने फैसला किया है कि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के संस्थापक इमरान खान की बहन उज्मा को अब अदियाला जेल में उनसे नहीं मिलने दिया जाएगा
मॉस्को टू दिल्ली: पुतिन की फ्लाइट पर थी पूरी दुनिया की नजर, विमान ने बनाया नया रिकॉर्ड
Putin Flight: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत दौरे पर हैं. गुरुवार शाम वह राजधानी दिल्ली के पालम एयरपोर्ट पर पहुंचे थे. जब वो रूस से भारत के लिए निकले तो पूरी दुनिया की नजर उन पर थी. उनके विमान ने एक नया रिकॉर्ड बनाया है. ये रिकॉर्ड बताता है कि पुतिन के भारतीय दौरे पर सभी की नजर है.
Putin India Visit:एक तरफ रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दो दिन की यात्रा पर भारत पहुंच चुके हैं. जिस अंदाज में पीएम मोदी और पुतिन की मुलाकात हुई है, जिसकी खूर्च चर्चा हो रही है. अब इसी बीच ट्रंप ने बहुत बड़ा दावा कर दिया है. जानें पूरी बात.
Pendant Theft New Zealand: यह घटना न्यूजीलैंड की है जहां एक शख्स ने ज्वेलरी शॉप से 17 लाख रुपये का कीमती पेंडेंट चोरी कर उसे निगल लिया. रिपोर्ट के मुताबिक, 6 दिन तक पुलिस उसकी निगरानी करती रही और आखिरकार पेंडेंट टॉयलेट के जरिए बाहर आने पर बरामद कर लिया गया है.
'हुमायूं कबीर ने मस्जिद के लिए जो जमीन खरीदी है, उसका एग्रीमेंट दिखाए। उसने कोई जमीन खरीदी ही नहीं है, न ही वो कुछ बनाने वाला है। सिर्फ राजनीति कर रहा है। अब उसने मेरा और दूसरे विधायकों का नाम लेना शुरू कर दिया है कि हम अड़ंगा लगा रहे हैं। जब उसने घोषणा की थी, तभी से तय था कि वो सिर्फ इसे राजनीतिक मुद्दा बनाएगा। जब मस्जिद नहीं बन पाएगी तो कहेगा इन विधायकों ने नहीं बनने दी।' मुर्शिदाबाद के बेलडांगा से TMC विधायक हसनुज्जमां शेख बाबरी के नाम पर मस्जिद बनाने के हुमायूं कबीर के ऐलान को बस चुनावी तैयारी बताते हैं। उनका मानना है कि हुमायूं खुद इस ऐलान को लेकर गंभीर नहीं है। ये सिर्फ सियासी फायदे के लिए उठाया गया मुद्दा है। दरअसल, मुर्शिदाबाद के बेलडांगा ब्लॉक के जिस हिस्से में हुमायूं ने 6 दिसंबर को मस्जिद का शिलान्यास करने की बात कही है, वो तीन विधायकों के क्षेत्र में आती है। इसमें हुमायूं के अलावा बेलडांगा के TMC विधायक हसनुज्जमां शेख और रेजिनगर से TMC विधायक रबीउल आलम चौधरी का क्षेत्र भी शामिल है। हुमायूं अब इन दोनों पर जमीन न खरीदने देने का आरोप लगा रहे हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या अब तक मस्जिद के लिए सच में जमीन नहीं मिली है? क्या 6 दिसंबर को बाबरी के नाम पर असल में मस्जिद का शिलान्यास किया जाएगा या फिर ये चुनाव में फायदा लेने के लिए सिर्फ एक सियासी हथकंडा है। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… हुमायूं के प्लान में सिर्फ ऐलान, वो मस्जिद नहीं बनाएगाबाबरी के ऐलान और विवाद को लेकर हमने TMC के उन दोनों विधायकों से बात की, जिन पर हुमायूं जमीन न खरीदने देने का आरोप लगा रहे हैं। इनमें पहला नाम मुर्शिदाबाद के बेलडांगा से विधायक हसनुज्जमां शेख और दूसरा नाम रेजिनगर (मुर्शिदाबाद) से विधायक रबीउल आलम चौधरी का था। हुमायूं का आरोप है कि जिन किसानों से वो जमीन लेने की बात कर रहे हैं, ये दोनों विधायक उन्हें डरा-धमका रहे हैं। जमीन खरीदने में अड़ंगा लगा रहे हैं। इस पर मुर्शिदाबाद के बेलडांगा से TMC विधायक हसनुज्जमां शेख कहते हैं, 'वो सिर्फ ऐलान कर रहा है। उसका प्लान राजनीति करना है, मस्जिद बनाना नहीं। अगर होता तो वो जमीन का मुद्दा ही क्यों उठाता। ये बात वो पिछले साल से कह रहा है। वो चुपचाप जमीन खरीदता और नींव रख देता। उसे शोर मचाना है क्योंकि उसे अपनी राजनीति करनी है।' वो पहले से राजनीति ही तो कर रहे हैं, आखिर वो TMC से विधायक बने, अब और क्या करना है? 'उसके लिए पार्टी में पहले से ही कुछ ठीक नहीं चल रहा था। तीन अलग-अलग मामलों में नोटिस मिल चुका है। इस मुद्दे पर भी फटकार लगी।' इस विवाद के बाद TMC ने हुमायूं को पार्टी से सस्पेंड भी कर दिया है। हुमायूं तो कह रहे हैं कि मस्जिद बनाने के लिए वो जान भी दे देंगे? आप समझिए पहले उसने ऐलान किया। फिर कहा कि हम मस्जिद बनाने नहीं दे रहे हैं। अब नहीं बनाएगा और फिर कहेगा मैं जान दे रहा हूं। मस्जिद का दुश्मन हमें ठहराएगा। लोगों के बीच हमें विलेन बनाकर खुद उनका नेता बन जाएगा और दंगा भड़काएगा। उसका बस इतना ही प्लान है। हम पूरी तरह अलर्ट हैं। यहां दंगा नहीं होने देंगे।' सियासी फायदे उठाने के लिए हुमायूं झूठ बोल रहामुर्शिदाबाद के रेजिनगर से TMC विधायक रबीउल्ला आलम चौधरी तो हुमायूं के सारे दावों को खारिज करते हैं। वो हुमायूं के बारे में ज्यादा कुछ नहीं बोलना चाहते हैं। बस इतना कहते हैं, 'हुमायूं झूठ बोल रहा है और मस्जिद का ऐलान करके सिर्फ राजनीति कर रहा है। वो कुछ नहीं बनाने वाला है, सिर्फ इसी तरह बयान देता रहता है।' 'इसके बाद वो मीडिया इकट्ठा करके कहेगा कि दूसरे विधायक उसके काम में टांग अड़ा रहे हैं। फिर कहानी बनाएगा कि वो पार्टी छोड़ देगा। जबकि वो ऐसा करेगा नहीं क्योंकि पार्टी से उसे पहले ही कई नोटिस मिल चुके हैं, लेकिन अब तक उसने कोई कदम नहीं उठाया।' हुमायूं बोला- मस्जिद मेरी तो नाम भी मैं ही तय करूंगा...इन दोनों विधायकों से बात करने के बाद हमनें हुमायूं कबीर से भी बात की। जमीन के बारे में पूछने पर वो भड़कते हुए कहते हैं, 'आपको सब जानने की इतनी जल्दी क्यों है। मैं हर किसी को एग्रीमेंट तो नहीं दिखाऊंगा न। जो देखना या सुनना है, वो 6 दिसंबर को वेन्यू पर आकर देख लीजिएगा। वहीं हम सबकुछ बोलेंगे और दिखाएंगे।' क्या आपने कुछ जमीन खरीद ली है, क्योंकि आपकी ही पार्टी के विधायकों ने साफ कहा है कि आपके पास कोई जमीन नहीं है? हुमायूं इस पर भड़कते हुए कहते हैं, 'मैंने जमीन पहले ही ले ली थी, लेकिन मैं किसी को कुछ नहीं दिखाऊंगा। मर जाऊंगा, लेकिन मस्जिद की नींव 6 दिसंबर को रखी ही जाएगी।' आपने मस्जिद का नाम बाबरी ही क्यों रखा? जवाब में हुमायूं कहते हैं, अरे बच्चा मेरा तो मैं ही नाम रखूंगा। मस्जिद मेरी है तो नाम भी मैं ही तय करूंगा।' आप कह रहे हैं कि दो विधायक आपको जमीन नहीं खरीदने दे रहे। आपने एक साल पहले मस्जिद बनाने का ऐलान किया था, तब भी ये अड़ंगा लगा रहे थे या अभी शुरू किया है? इस पर हुमायूं भड़कते हुए फिर कहते हैं, 'आपको इतनी जल्दी क्यों है, आपको इतना परेशान नहीं होना चाहिए? 6 दिसंबर को मैं सब बताऊंगा भी और दिखाऊंगा भी। मस्जिद की नींव रखी जाएगी। मेरी जिम्मेदारी मुझे निभाने दीजिए।' हुमायूं मस्जिद का कंस्ट्रक्शन प्लान बताते हुए कहते हैं, '6 दिसंबर को नींव रखी जाएगी। 3 महीने का वक्त DPR (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) अप्रूवल में लगेगा। 3 साल में मस्जिद बनकर तैयार हो जाएगी।' आप अभी किसी को जमीन का एग्रीमेंट नहीं दिखाएंगे क्या? इसके जवाब में हुमायूं कहते हैं, 'क्यों दिखाऊं, मैं अपना प्लान तो बता रहा हूं। जो दिखाना चाहिए, वो दिखा रहा हूं और बता रहा हूं।' TMC बोली- हुमायूं BJP का एजेंट, शुभेंदू अधिकारी के कॉन्टैक्ट में थाTMC प्रवक्ता मानव जायसवाल से जब इस बारे में पूछा गया तो वो कहते हैं, 'पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी ने इस मामले को लेकर जांच बैठाई है। हुमायूं कबीर ने ये ऐलान क्यों किया, किसके कहने पर किया, वो BJP का एजेंडा किसके उकसाने पर चला रहा है, क्या इसके पीछे शुभेंदू अधिकारी हैं? इन सबको लेकर जांच की जा रही है।' अब तक की जांच में क्या निकला? मानव बताते हैं, 'अभी जांच चल रही है। हालांकि BJP लीडर शुभेंदू अधिकारी हुमायूं के संपर्क में थे।' फिर क्या ये सब BJP ने करवाया? इस पर मानव कहते हैं, 'हुमायूं BJP का पुराना साथी रहा है, लेकिन इंटरनल जांच रिपोर्ट आने के बाद ही हम कुछ स्पष्ट कह पाएंगे।' मानव ये भी साफ करते हैं कि पार्टी का मस्जिद बनाने के ऐलान से कोई लेना-देना नहीं है। वे आगे कहते हैं, ‘हम मस्जिद बनाने के समर्थक नहीं हैं। मस्जिद या मंदिर बनाना सरकार का काम नहीं है। ये सब संस्थाओं का जिम्मा है।‘ इसके साथ ही मानव कुछ मंदिरों के नाम भी गिनवाते हैं और कहते हैं, ‘दीघा में जगन्नाथ मंदिर हमने बनवाया, कालीघाट कॉरिडोर रि-डेवलप कराया, दक्षिणेश्नवर कॉरिडोर बनवाया और शांति निकेतन को भी रि-डेवलप किया। हम हर तरह की संस्था के लिए काम करते हैं।' बाबरी के नाम पर मस्जिद बनाने के ऐलान को लेकर TMC ने हुमायूं कबीर को पार्टी से बाहर कर दिया है। 2015 में भी पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते उसे TMC ने 6 साल के लिए निष्कासित किया था। लिहाजा 2018 में वो BJP में शामिल हो गए। 6 साल का निष्कासन पूरा होने के बाद वो फिर TMC में आ गए और भरतपुर सीट से विधायक बने। BJP बोली- विधायक ने ऐसा ऐलान क्यों किया, TMC जवाब देTMC के आरोपों पर BJP प्रवक्ता श्रीरूपा भट्टाचार्या कहती हैं, ‘जवाब तो TMC को देना चाहिए। उनके विधायक रहते हुए कोई इतना विवादित ऐलान कैसे कर सकता है। उसे क्यों सस्पेंड किया गया, ये सब पहले उन्हें बताना है।‘ ‘BJP या शुभेंदु अधिकारी पर आरोप लगाने की बात करें तो इस पर किसी का जोर नहीं है। कोई भी कुछ भी कह सकता है।‘ ये कितना अजीब आरोप है कि उनका विधायक BJP के संपर्क में था इसलिए ऐसा काम किया और फिर उसे सस्पेंड करना पड़ा। BJP ऐसे आरोपों पर जवाब नहीं देगी। मस्जिद को लेकर विवाद साल भर पुरानापूरा विवाद नवंबर 2024 में शुरू हुआ। तब TMC विधायक हुमायूं कबीर ने अयोध्या वाली बाबरी मस्जिद की छोटी प्रतिकृति बनाने की बात कही थी। जब बाबरी नाम के इस्तेमाल को लेकर विवाद खड़ा हो गया, तब उन्होंने कहा था कि बाबरी मस्जिद मुसलमानों के लिए भावनात्मक मुद्दा है। इसके बाद दिसंबर 2024 में ही BJP ने मुर्शिदाबाद में राम मंदिर बनाने की बात कही। हालांकि तब भी BJP नेता शंकर घोष का कहना था कि राम मंदिर को मस्जिद के जवाब के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए। मंदिर संस्कृति का हिस्सा है, जबकि बाबरी मस्जिद का एक खराब इतिहास है, ये बंगाल में कैसे बन सकती है। ‘100 मुसलमान शहीद होंगे तो 500 को ले जाएंगे‘इसके बाद 25 नवंबर को TMC विधायक हुमायूं कबीर ने फिर कहा कि हम 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद की नींव रखेंगे। बाबरी मस्जिद बनाने को लेकर 28 नवंबर 2025 को हुमायूं कबीर ने एक और विवादित बयान दिया। उन्होंने कहा, ‘जो कोई उन्हें रोकने की कोशिश करेगा, उसे गंभीर नतीजे भुगतने होंगे। अगर 100 मुसलमान शहीद होंगे तो वे अपने साथ 500 लोगों को ले जाएंगे।‘ हुमायूं कबीर पहले भी विवादित बयानों को लेकर चर्चा में रहे हैं। 2024 में लोकसभा चुनाव प्रचार अभियान के समय मुर्शिदाबाद के शक्तिपुर में हुमायूं कबीर ने एक जनसभा में कहा, ‘मैं राजनीति छोड़ दूंगा अगर दो घंटे में तुम्हें (हिंदुओं को) भागीरथी नदी में डुबो न दिया। तुम 30% हो, हम 70% (मुस्लिम) हैं। मैं तुम्हें शक्तिपुर में रहने नहीं दूंगा।‘ इस बयान के बाद चुनाव आयोग ने उन्हें नोटिस जारी किया था। वहीं TMC ने इस बयान से दूरी बना ली थी। .............................ये खबर भी पढ़ें... ’मुर्शिदाबाद में बाबरी बनना तय, हिम्मत है तो गिराओ’ ‘6 दिसंबर (2025) को 12 बजे ही बाबरी मस्जिद का शिलान्यास होगा। मुसलमानों का सेंटिमेंट टूटा है, कुछ तो करना पड़ेगा। 1992 में जिन्होंने बाबरी मस्जिद तोड़ी, उनमें हिम्मत है तो मुर्शिदाबाद में आकर गिरा दें।‘ मुर्शिदाबाद के भरतपुर से TMC विधायक हुमायूं कबीर पश्चिम बंगाल में बाबरी नाम से मस्जिद बनाने का दावा कर रहे हैं। पढ़िए पूरी खबर...
पाकिस्तान: महरंग बलूच की हिरासत को कोर्ट ने बताया गलत, माना 'सबूत मनगढ़ंत'
पाकिस्तान की एक अदालत ने मानवाधिकार कार्यकर्ता महरंग बलूच को नौ महीने से बिना किसी ठोस सबूत के हिरासत में रखने पर सवाल खड़े किए हैं
DNA: पुतिन...ट्रंप को अपने जाल में फंसाकर दिल्ली आए हैं, जानिए क्या है पूरा मामला
जो ट्रंप दुनिया के सरपंच बने फिरते हैं, दुनिया भर में युद्ध रोकने का दावा करते हैं, वो ट्रंप वेनेज़ुएला और निकोलस मादुरो का नाम सुनते ही युद्ध की बात करने लगते हैं. यानी शांति के लिए नोबेल पुरस्कार का दावा करने वाले ट्रंप ख़ुद एक युद्ध में उलझ गए हैं और ट्रंप को वेनेज़ुएला के युद्ध में उलझाने में पुतिन की बड़ी भूमिका है.
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत पहुंचते ही सिक्योरिटी प्रोटोकॉल तोड़ दिया। उन्होंने रूस से एयरलिफ्ट करके आई अपनी ऑरस सीनेट कार छोड़ी और पीएम मोदी के साथ एक गाड़ी में बैठकर एयरपोर्ट से रवाना हुए। पुतिन का सिक्योरिटी प्रोटोकॉल दुनिया में सबसे सख्त माना जाता है। उनके खाने की जांच रूस से लाई मोबाइल लैब में होती है। सबसे अनोखी बात- पुतिन का मल-मूत्र तक सील्ड बैग में मॉस्को भेजा जाता है। भास्कर एक्सप्लेनर में पुतिन का पूरा सिक्योरिटी प्रोटोकॉल जानेंगे... **** ग्राफिक्स: अजित सिंह, द्रगचंद्र भुर्जी और अंकुर बंसल ****References and further reading... ------ ये स्टोरी भी पढ़िए... रनवे पर हमेशा तैयार मिलता है एयरफोर्स-1:बाइडेन को बाथरूम में भी अकेला नहीं छोड़ते; अमेरिकी राष्ट्रपति का पूरा सिक्योरिटी प्रोटोकॉल अमेरिकी राष्ट्रपति की विदेश यात्रा के दौरान उनका एयरफोर्स-1 विमान रनवे पर हमेशा तैयार मिलेगा। किसी भी इमरजेंसी में महज कुछ सेकेंड में वो उड़ान भर सकता है। राष्ट्रपति के पहुंचने से पहले एजेंट्स आस-पास के मेंटल हॉस्पिटल से छोड़े गए मरीजों की जानकारी तक खंगालते हैं। इन्हें पोटेंशियल थ्रेट माना जाता है। पूरी खबर पढ़िए...
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और पाकिस्तान-तहरीक-ए-इंसाफ के संस्थापक इमरान खान ने इस्लामाबाद हाई कोर्ट में एक अर्जी दी है। उन्होंने शौकत खानम अस्पताल में अगले तीन दिनों में अपने मेडिकल टेस्ट और जांच कराने की इजाजत मांगी है। स्थानीय मीडिया ने गुरुवार को यह जानकारी दी
Donald Trump Social Media Post: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारतीय दौरे पर पहुंच गए हैं.इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर एक चौंकाने वाला बयान दिया है.
युद्ध और मौत के तांडव के बीच गाजा में बजी शहनाई, 54 जोड़ों ने एक साथ रचाई शादी
Group Marriage in Gaza Patti: हमास इजरायल युद्ध के बीच गाजा पट्टी में54 जोड़ों ने सामूहिक विवाह किया. दक्षिणी गाजा के खान यूनिस में जहां एक तरफ बम और गोलियों के हमलों से इमारतों के मलबे दिखाई दे रहे हैं वहां मंगलवार को शहनाई की गूंज सुनाई दी.
बांग्लादेश चुनाव सिर्फ एक बनावटी रस्म है, नतीजा असल में पहले से तय: अवामी लीग
बांग्लादेश की अवामी लीग पार्टी ने अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। दावा किया है कि अवामी लीग की सभी गतिविधियों पर पाबंदी लगाकर देश के 40 फीसदी मतदाताओं को फरवरी 2026 में चुनाव में हिस्सा लेने से रोका जा रहा है
पुतिन नई दिल्ली पहुंचने के लिए मॉस्को से हुए रवाना, आज शाम 6 बजे तक पर पहुंचेंगे भारत
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत दौरे पर राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली पहुंचने के लिए मॉस्को से रवाना हो चुके हैं। पुतिन आज शाम करीब 6 बजकर 35 मिनट पर भारत पहुंचेंगे। स्थानीय मीडिया की ओर से यह जानकारी साझा की गई है
42 अमेरिकी सांसदों ने मार्को रुबियो को लिखा पत्र, पाकिस्तान के खिलाफ कड़े कदम उठाने का किया आग्रह
पाकिस्तान में हो रहे दमनकारी अभियानों का शोर अमेरिका तक पहुंच रहा है। इस सिलसिले में भारतीय मूल की अमेरिकी कांग्रेस सदस्य महिला प्रमिला जयपाल और कांग्रेस सदस्य ग्रेग कैसर के नेतृत्व में करीब 42 टॉप अमेरिकन सांसदों ने अमेरिकी मंत्री मार्को रुबियो से पाकिस्तान के खिलाफ कड़े कदम उठाने का आग्रह किया है
दिल, दोस्ती, डिप्लोमेसी! मॉस्को से आया भारत का दोस्त, पुतिन की यात्रा से होने वाले 10 बड़े फायदे
Vladimir Putin India Visit: बतौर राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दसवीं बार भारत दौरे पर आ रहे हैं. वो 4-5 दिसंबर तक यहां रहेंगे. पुतिन का यह दौरा बेहद अहम है. इस दौरान व्यापार विस्तार, रक्षा तकनीक हस्तांतरण और ऊर्जा सहयोग मुख्य एजेंडों पर दोनों देशों के बीच बात हो सकती है. आइए जानते हैं भारत को कौन से बड़े फायदे होने की उम्मीद है.
हद से ज्यादा काम करते हैं इन देशों के लोग, डिमांड या कल्चर का हिस्सा? जानें
Workaholic Countries Name: भारत में ज्यादातर कंपनियों में एक दिन में 8 से 9 घंटे काम किया जाता है. इस तरह भारतीय लोग हफ्ते में 45 से 48 घंटे काम करते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि सबसे ज्यादा काम किस देश के लोग करते हैं और कितने घंटे काम करते हैं. चलिए जानते हैं.
6,000 साल पुराने शंख में छिपा मिला ऐसा खजाना, अंदर से आती है आवाज! सुनकर सहमे साइंटिस्ट
Spain Catalonia 6000 Year Old Shell: स्पेन में मिली हजारों साल पुरानी शंख-टरंपेट्स दुनिया के सबसे पुराने संगीत वाद्य हो सकते हैं. वैज्ञानिकों का दावा है कि ये नियोथलिक काल में संगीत और लंबी दूरी की सूचना देने के लिए इस्तेमाल होते थे.
धरती से 1.8 KM ऊपर बना फुटबॉल ग्राउंड, खिलाड़ियों ने मारा गोल और लगा दी नीचे छलांग! देखें Video
Hot Air Balloon Football Match: रूसी एक्सट्रीम स्पोर्ट्स एथलीट्स ने 5,900 फीट की ऊंचाई पर गर्म हवा के गुब्बारों के सहारे लटका मैदान बनाकर फुटबॉल मैच खेला. यह रोमांचक स्टंट अब वर्ल्ड रिकॉर्ड बन चुका है और सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.
ऑस्ट्रेलिया ने यूक्रेन के लिए बढ़ाया मदद का हाथ, 6.2 करोड़ अमेरिकी डॉलर की सैन्य सहायता का किया ऐलान
ऑस्ट्रेलिया ने गुरुवार को यूक्रेन के लिए 9.5 करोड़ ऑस्ट्रेलियाई डॉलर (6.2 करोड़ अमेरिकी डॉलर) के नए सैन्य सहायता पैकेज की घोषणा की, जिसमें रक्षा बल सामग्री एवं उपकरण शामिल हैं
Pakistan PIA Sale: पाकिस्तान ने अपनी कर्ज में डूबी राष्ट्रीय एयरलाइन PIA को IMF की शर्तों के तहत बेचने का फैसला कर लिया है, जिसकी बोली 23 दिसंबर 2025 को होने वाली है. नकली लाइसेंस वाले पायलट, लगातार नुकसान और खराब प्रबंधन ने एयरलाइन को 200 अरब रुपये से अधिक कर्ज में धकेल देने का काम किया है.
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 2 दिन के दौरे पर भारत आ रहे हैं। उनके साथ करीब 100 लोगों की टीम है, लेकिन इसमें परिवार का एक भी सदस्य नहीं है। 2012 में आखिरी बार पुतिन अपनी पत्नी के साथ दिखे थे। इसके बाद विदेश दौरे तो क्या रूस में भी पुतिन का परिवार कहीं नहीं दिखा। भास्कर एक्सप्लेनर में जानेंगे पुतिन की बीवी, गर्लफ्रेंड, बच्चों समेत सीक्रेट फैमिली की पूरी कहानी... वर्ल्ड वॉर-2 के दौरान सोवियत यूनियन के लेनिनग्राद (अब सेंट पीटर्सबर्ग) शहर को जर्मन सेना ने 872 दिनों तक सीज कर रखा था। यहां इतनी ताबड़तोड़ बमबारी हुई कि शहर पूरी तरह से तबाह हो गया। इसी शहर में 7 अक्टूबर 1952 को व्लादिमीर पुतिन का जन्म हुआ। उनके पिता व्लादिमीर स्पिरिडोनोविच, सोवियत नेवी में थे और मां मारिया इवानोव्ना पुतिन एक फैक्ट्री में काम किया करती थीं। पुतिन के दादा सोवियत नेता व्लादिमीर लेनिन और जोसेफ स्टालिन के चीफ शेफ रह चुके थे। पुतिन अपने माता-पिता की इकलौती जिंदा संतान हैं। वर्ल्ड वॉर शुरू होने से पहले उनके सबसे बड़े भाई अल्बर्ट की मौत हो गई थी। युद्ध के बाद जब शहर तबाह हो गया तो छोटे बच्चों को भुखमरी से बचाने अनाथालय भेजा जा रहा था। पुतिन के दूसरे भाई विक्टर को भी ले जाया गया, लेकिन यहां उसकी मौत हो गई। परिवार को यह भी नहीं पता चल पाया कि उसे कहां दफनाया गया है। जंग में जब शहर तबाह हुआ तो पुतिन का परिवार बहुत गरीब हो गया। वे लोग लेनिनग्राद के कम्युनल अपार्टमेंट में रहने लगे। बिल्डिंग के पांचवे फ्लोर पर उनका एक कमरे का घर था। यहां कई परिवारों के साथ किचन और बाथरूम शेयर करना पड़ता। जब पुतिन 12 साल के हुए तो उन्होंने सोवियत रेड आर्मी ने मार्शल आर्ट्स सैम्बो और जूडो की क्लास जॉइन कर ली। पुतिन की मां को ये फैसला पसंद नहीं आया। पुतिन की ऑफिशियल बायोग्राफी के मुताबिक, ‘जब भी पुतिन जूडो क्लास के लिए घर से निकलते तो उनकी मां बड़बड़ाते हुए कहतीं कि फिर से अपनी फाइट के लिए जा रहा है।’ पुतिन बचपन से ही सीक्रेट एजेंट बनना चाहते थे। 23 साल की उम्र में उन्होंने रूस की खुफिया एजेंसी KGB ज्वाइन भी कर ली। इसी बीच एक मूवी शो के दौरान पुतिन के दोस्त ने उन्हें एयरहोस्टेस ल्यूडमिला ओचेरत्नाया से मिलवाया। पुतिन को ल्यूडमिला बहुत अच्छी लगीं और वो दोनों अक्सर मिलने लगे। 1983 में दोनों ने शादी कर ली। ल्यूडमिला कहती हैं, व्लादिमीर में कुछ ऐसा था, जिसने मुझे आकर्षित किया। 3-4 महीने बाद मुझे एहसास हो गया कि ऐसे ही इंसान की मुझे जरूरत थी। KGB के काम से पुतिन को जर्मनी शिफ्ट होना पड़ा तो ल्यूडमिला भी उनके साथ चली गईं। 1990 में पुतिन वापस रूस आ गए और 1996 में उनका राजनीतिक करियर शुरू हो गया। 1999 में वो रूस के प्रधानमंत्री और 2000 में राष्ट्रपति बने। पुतिन की बायोग्राफी लिखने वालीं नताल्या गेवोरक्यान 1999 में ल्यूडमिला से मिली थीं। इस मुलाकात के बारे में वो बताती हैं, पुतिन की शादी में प्यार खत्म हो चुका था। उनकी पत्नी को लगता था कि पुतिन उनसे प्यार नहीं करते। ल्यूडमिला ने उस समय कहा था, 'कुछ औरतें ऐसी होती हैं जिनकी मर्द तारीफ करते हैं। मुझे लगता है मैं उस तरह की औरत नहीं हूं। वो मुझे अपनी बाहों में नहीं लेंगे।' पुतिन के पहले कार्यकाल के दौरान ल्यूडमिला लगभग सभी विदेश यात्राओं में उनके साथ गईं, लेकिन दूसरे कार्यकाल में पुतिन हमेशा अकेले ही दिखे। इस दौरान उनके दूसरी लड़कियों से अफेयर की अफवाह उड़ी, लेकिन पुतिन इन्हें खारिज करते रहे। 2013 में आखिरकार दोनों की दूरियां पब्लिक के सामने आ गई। तब 60 साल के पुतिन ने बताया कि वो और ल्यूडमिला अलग हो गए हैं। उनकी पत्नी ने कहा, 'हम दोनों मुश्किल से मिल पाते हैं, इसलिए हम अलग हो रहे हैं। ये हम दोनों का साझा फैसला है।' शादी के दो साल बाद पुतिन की बड़ी बेटी मारिया वोरोत्सोवा का जन्म हुआ और जर्मनी जाकर 1986 में छोटी बेटी कैटरीना तिखोनोवा पैदा हुई। पुतिन ने अपनी दोनों बेटियों के नाम अपनी मां के नाम पर रखे हैं। जब पुतिन प्रधानमंत्री बने तो उनका परिवार आइसोलेशन में चला गया। सुरक्षा के चलते उनकी बेटियों की पढ़ाई भी घर में कराई जाने लगी। हर समय उनके चारों और बॉडीगार्ड्स रहते। दोनों का यूनिवर्सिटी में एडमिशन भी नकली नामों से हुआ। पुतिन ने अपनी बेटियों के बारे में पब्लिकली बस इतना बताया, मेरी दोनों बेटियों की पढ़ाई रूस में ही हुई है। वो मॉस्को में ही रहती हैं। नताल्या गेवोरक्यान के मुताबिक पुतिन की बेटियां उनका बहुत सम्मान करती थीं लेकिन उन्हें अपने पिता के साथ कभी ज्यादा वक्त नहीं मिल पाता। कैटरीना एक रॉक-एन-रोल डांसर रही हैं और इंटरनेशनल लेवल पर कई डांस पर्फोमेंस कर चुकी हैं। वहीं मारिया ने मेडिसिन की पढ़ाई की है और अब एक मेडिकल रिसर्चर और बिजनेस वुमन हैं। रॉयटर्स के मुताबिक, वो एक अरबपति हैं। रूस से युद्ध शुरू होने के बाद वहां के टेलिग्राम चैनलों पर यह खबर भी चली की मारिया बॉर्डर के पास जवानों के लिए फील्ड हॉस्पिटल बनाने पहुंची हैं। उन्होंने वहां कई घायल सिपाहियों का इलाज भी किया। दोनों ही बेटियां अपने पति और बच्चों के साथ रहती हैं। 2017 में एक इंटरव्यू में पुतिन में बताया था कि उनके नाती-नातिन भी हैं, लेकिन वो चाहते है कि बच्चे आम जिंदगी जिएं। कई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पुतिन कि एक 22 साल की नाजायज बेटी एलिजावेटा ओलेगोवना भी है। यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से वो पेरिस में रह रही है। उसने अपना सोशल मीडिया अकाउंट भी डिएक्टिवेट कर दिया है। 2000 के दशक में एक तरफ पुतिन की उनकी पत्नी से अलग होने की खबरें आने लगी थी। वहीं दूसरी तरफ उनके रूस की जिमनास्टिक में ओलिंपिक गोल्ड मेडलिस्ट एलिना काबेवा से अफेयर के भी चर्चे थे। काबेवा जिस साल पैदा हुई थीं, उसी साल पुतिन ने शादी की थी। 42 साल की काबेवा, पुतिन से 31 साल छोटी है। 2008 में एक शो में काबेवा ने बताया था कि उन्हें अपना 'मिस्टर परफेक्ट' मिल चुका है, लेकिन वो उसका नाम नहीं बता सकतीं। इसी इंटरव्यू में उनसे पूछा गया कि क्या वो अपने प्यार के लिए किसी पत्नी से उसका पति छीन सकती हैं? इस पर काबेवा ने जवाब दिया कि अगर किसी शादी में पहले से ही समस्या है और पुरुष दूसरी स्त्री को तवज्जो दे रहा है तो ऐसा करने में कोई बुराई नहीं है। 2011 के बाद से काबेवा के हाथ में हमेशा एक एंगेजमेंट रिंग दिखी है। द डोजियर सेंटर की रिपोर्ट के मुताबिक, इसके बाद से पुतिन के दोस्तों की तरफ से काबेवा और उनके परिवार को कई प्रॉपर्टी गिफ्ट में मिलने लगी। हालांकि दोनों ने शादी की है या नहीं, इसकी जानकारी नहीं मिल पाई। काबेवा रूस की संसद की सदस्य रह चुकी हैं। 2014 में उन्हें रूस के नेशनल मीडिया ग्रुप का बोर्ड ऑफ डायरेक्टर बना दिया गया। बिना अनुभव इस पद पर चुना जाना काफी विवादित रहा। डोजियर की रिपोर्ट की मुताबिक, 2014 में काबेवा स्विट्जरलैंड गई। यहीं 2015 में रूसी मूल की डॉक्टर ने उनकी डिलीवरी कराई। इसी डॉक्टर ने स्विट्जरलैंड में ही 2019 में उनके दूसरे बेटे की डिलीवरी कराई थी। डोजियर के सूत्रों के मुताबिक ये दोनों बेटे व्लादिमीर पुतिन के हैं। बड़े बेटे का नाम इवान पुतिन और छोटे का व्लादिमीर पुतिन जूनियर है। अब काबेवा बच्चों और युवाओं को जिमनास्टिक सिखाती हैं। डोजियर सेंटर की रिपोर्ट के मुताबिक, पुतिन ने अपने दोनों बेटों को पूरी तरह से छिपा कर रखा है। स्टेट डेटाबेस में उनके नाम नहीं है। इनके नकली दस्तावेज बनाए गए हैं, जोकि आमतौर पर जासूसों के लिए बनाए जाते हैं। बच्चों की सुरक्षा के लिए उनके आस-पास हर समय पुतिन के ही बॉडीगार्ड तैनात रहते हैं। उनकी पढ़ाई भी घर पर ही होती है। बच्चों की देखरेख और पढ़ाई के लिए स्टाफ भी पुतिन के दोस्तों की कंपनियों के जरिए हायर किए जाते हैं। 2024 में एक इंग्लिश नैनी एजेंसी ने विज्ञापन छापा था- सेंट पीटर्सबर्ग में 4 और 8 साल के दो लड़कों के लिए इंग्लिश टीचर की जरूरत है। परिवार आइसोलेशन में रहता है। साउथ अफ्रीकी पासपोर्ट धारक को तवज्जो दी जाएगी। टीचर को भी आइसोलेशन में रहकर ही पढ़ाना होगा। नौकरी शुरू करने से पहले दो हफ्ते तक मेडिकल जांच होगी। समय-समय पर नैनी एजेंसी इस तरह के विज्ञापन छापती रहती है। डोजियर सेंटर के मुताबिक ये विज्ञापन पुतिन के बेटों के लिए ही टीचर हायर करने के हैं। रूस के साउथ अफ्रीका से अच्छे राजनीतिक संबंध होने के कारण पुतिन अपने बच्चों को किसी साउथ अफ्रीकी से अंग्रेजी सिखाना सुरक्षित समझते हैं। ब्रिटेन और न्यूजीलैंड के टीचर भी इन्हें पढ़ा चुके हैं। पुतिन के बेटे अपने घर से बाहर भी नहीं निकल सकते। पुतिन के आधिकारिक आवास के पास ही एक इमारत में उनके बच्चे और स्टाफ रहता है। यहां वे सुबह 8-9 बजे आते हैं। दिन भर पढ़ाई, खेल-कूद और बाकी एक्टिविटी होती है। रात में दोनों अपने माता-पिता के पास आ जाते हैं। यह दोनों इमारतों के बीच कुछ मीटर का अंतर होने के बावजूद दोनों बेटों को हमेशा गाड़ी में ही ट्रैवल करना होता है। कभी-कभी बच्चों से मिलने काबेवा के दोस्तों के बच्चे आ जाते हैं। हालांकि इन्हें भी इवान और व्लादिमीर जूनियर से मिलने से पहले दो हफ्ते क्वारैंटाइन में रहना पड़ता है। डोजियर की रिपोर्ट के मुताबिक कई बार पुतिन अपने बच्चों के साथ शाम को खेलते भी हैं। पुतिन और उनके बेटे इवान के हॉकी खेलने के लिए पुतिन के आवास के पास ही एक हॉकी फील्ड भी तैयार की गई है। इस गेम में पिता-पुत्र के अलावा सिर्फ पुतिन के बॉडीगार्ड हिस्सा लेते हैं। इवान को हॉकी सिखाने कोच भी आते हैं। अपनी फेक आईडी के जरिए वो कई प्रतियोगिताओं में हिस्सा भी लेते हैं। पुतिन अपने बच्चों के साथ कई मौकों पर सीक्रेट ट्रिप पर भी जाते हैं। इसके लिए वो अपने पर्सनल एयरक्राफ्ट, ट्रेन या फिर यैच का इस्तेमाल करते हैं। कई बार इन ट्रिप्स पर बच्चों के टीचर भी साथ होते हैं। पुतिन अपने बच्चों के टीचर्स के लिए अलग से भी ट्रिप प्लान करते हैं। **** References and further reading... Dossier Center Report: https://dossier.center/succession-en/ Putin Official Biography: https://www.reuters.com/investigates/special-report/russia-capitalism-daughters/ Reuters Report: https://www.reuters.com/investigates/special-report/russia-capitalism-daughters/ ------- पुतिन के भारत दौरे से जुड़ी ये खबर भी पढ़िए... पुतिन का मल-मूत्र भी उठा ले जाते हैं बॉडीगार्ड:किले जैसी सुरक्षित कार, खाने की जांच के लिए लैब; पुतिन का पूरा सिक्योरिटी प्रोटोकॉल रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 4 दिसंबर को भारत आ रहे हैं। दो दिन के इस दौरे का सिक्योरिटी इंतजाम हफ्तों से चल रहा है। पुतिन भारत में जो भी खाएंगे, उसकी जांच रूस से लाई गई लैब में होगी। उनकी खास ऑरस सीनेट कार पहले ही एयरलिफ्ट होकर भारत पहुंच जाएगी। पूरी खबर पढ़िए...
कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर पीएम नरेंद्र मोदी का एक AI-जनरेटेड वीडियो पोस्ट किया, जिसमें उन्हें चायवाला दिखाया गया है। यह पहली बार नहीं है जब कांग्रेस ने पीएम पर व्यक्तिगत हमला किया हो। लेकिन अक्सर कांग्रेस के हमले उसी पर भारी पड़ जाते हैं, जिसका भाजपा चुनावी फायदा उठा लेती है। लेकिन कैसे ? ये जानने के लिए ऊपर दी गई इमेज पर क्लिक कर वीडियो देखें।
'उस दिन मेरे बेटे हार्दिक को तेज बुखार था। शरीर टूट रहा था, लेकिन फिर भी उसने कहा- पापा, प्रैक्टिस मिस नहीं कर सकता। वो बिना कुछ खाए घर से निकल गया। जाते-जाते अपनी मां से मुस्कुराकर बोला था-'मां, मेरी पसंद का खाना बना लेना… लौटकर खाऊंगा।' मैदान में खेलते-खेलते अचानक वो बड़ा-सा पोल उसके ऊपर आ गिरा। उसका लीवर फट गया था, अंदर ही अंदर काफी खून बह गया था। जब हॉस्पिटल पहुंचा तो चेहरा पीला पड़ चुका था, होठ सूखकर सफेद पड़ गए थे। मैं उसका हाथ पकड़े बैठा हुआ था, दिल को तो उम्मीद थी कि मेरा बेटा मुझे छोड़कर नहीं जा सकता, लेकिन दिमाग सब समझ चुका था। मैं डॉक्टर से बार-बार कह रहा था इंजेक्शन लगाओ, मेरे बेटे को बचा लो। उसकी एक आंख बिल्कुल स्थिर थी, दूसरी धीरे-धीरे घूम रही थी, सांसें टूट रही थीं। मैं समझ गया था कि मेरा बच्चा.... मेरी जान… मेरे हाथों से फिसल रहा है और मैं कुछ भी नहीं कर पा रहा था।' ब्लैकबोर्ड में इस बार हरियाणा के उन परिवारों की स्याह कहानी, जिनके बच्चे नेशनल लेवल के खिलाड़ी थे, लेकिन प्रशासन की लापरवाही से अपनी जान गंवा बैठे। हरियाणा के रोहतक जिले का लाखन माजरा गांव में एक अजीब सा सन्नाटा पसरा था। बास्केटबॉल का पोल गिरने से मारे गए हार्दिक के घर गांव के लोग इकट्ठा हुए थे। निर्मला अपने बेटे हार्दिक का नाम ले-लेकर बेहोश हो जा रही थीं। पिता संदीप राठी गुमसुम दरवाजे पर बैठे बाहर की ओर देख रहे थे जैसे किसी के आने का इंतजार हो। जिस आंगन में कभी हार्दिक की बास्केटबॉल प्रैक्टिस की आवाज गूंजती थी, आज वही आंगन मातम में डूबा था। दीवार पर बास्केटबॉल नेट अब खाली था जिसमें बॉल डालने वाला हार्दिक अब इस दुनिया में नहीं था। घर का माहौल भारी, मां का हाल बेहाल, और पिता संदीप लंबी सांस लेकर बोलते हैं, ‘हार्दिक 6 बार नेशनल लेवल पर खेल चुका था। तीन बार सब-जूनियर लेवल की प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया। उसका रूटीन किसी प्रोफेशनल एथलीट की तरह था। सुबह 4 बजे स्टेडियम जाता, फिर घर आकर नाश्ता करता और 9 बजे दोबारा प्रैक्टिस पर लौट जाता। शाम को 4 बजे फिर ग्राउंड में होता और रात 8 बजे घर आता। बस एक ही सपना था- देश के लिए गोल्ड मेडल लाना।’ संदीप ये कहते हुए फफक कर रो पड़ते हैं। अपनी हथेलियों की रेखाएं देखते हुए कहते हैं- ‘ मेरा बेटा हमेशा कहता था कि एक दिन दुनिया आपको हार्दिक के पापा के नाम से पहचानेगी। लोग कहेंगे कि देखो, हार्दिक के पापा जा रहे हैं। अब लोग सच में मुझे हार्दिक के पापा कहकर बुलाते हैं, लेकिन ये सब सुनने के लिए वो नहीं है। हमारा घर सूना हो गया है।’ संदीप अपने छोटे बेटे प्रतीक को पास बैठाकर धीमी आवाज में कहते हैं, ‘उस हादसे ने इसे अंदर से तोड़ दिया है। दोनों भाई हर शाम साथ-साथ बास्केटबॉल खेलते थे। खेलते हुए हार्दिक उसकी गलतियां सुधारता, कंधे पर हाथ रखकर हिम्मत बढ़ाता। अब प्रतीक जब स्टेडियम में कदम रखता है, तो हर कोना हार्दिक की याद दिलाता है। हार्दिक की मां खुद को संभाल नहीं पा रहीं। बेटे की तस्वीर देखते-देखते बेहोश हो जाती हैं। होश आता है, तो पहला सवाल यही पूछती है कि हार्दिक कहां है? जैसे उनका मन अभी भी उस एक पल पर अटका हुआ हो, जहां से जिंदगी आगे बढ़ने को तैयार ही नहीं।' हादसे वाले दिन को याद करते हुए संदीप की आंखें फिर भर आती हैं। वो कहते हैं कि 'जिस दिन हादसा हुआ वो स्टेडियम में डंकी प्रैक्टिस कर रहा था। वो कहते हैं उसी दौरान हादसा हो गया पोल उसके सीने पर गिर गया और उसने वहीं दम तोड़ दिया। उसका लीवर फट गया था। 20 मिनट में वो अस्पताल पहुंच गया लेकिन डॉक्टर ने कहा कि ये तो स्पॉट पर ही चला गया था।' संदीप बताते हैं कि स्टेडियम ठीक कराने के लिए हम मंत्री से मिले, मुख्यमंत्री को पत्र भेजा। कहा गया कि एमपी कोटे से 18 लाख रुपए आएंगे। फिर बताया कि 2023 में 12 लाख और भेजे गए हैं, लेकिन सबकुछ अब तक केवल कागजों में हैं। अगर वक्त रहते उस पोल की मरम्मत हो जाती, तो आज हार्दिक हमारे साथ होता। देश ने एक अच्छा खिलाड़ी खो दिया… हमने अपना बेटा।’ संदीप की आवाज थोड़ी तेज होती है, जैसे भीतर जमा हुआ गुस्सा बाहर आ रहा हो। वह कहते हैं, ‘हरियाणा से इतने खिलाड़ी निकलते हैं, इतने मेडल आते हैं… लेकिन कोई नहीं देखता कि उसके पीछे हमारे बच्चों और पूरे परिवारों की कितनी मेहनत होती है। मेडल जीतकर खिलाड़ी लौटते हैं तो सरकार आगे आ जाती है- माला पहनाती है, फोटो खिंचवाती है, लेकिन जब वही खिलाड़ी किसी मुश्किल में फंस जाता है, या उसकी जान चली जाती है… तब उसका परिवार बिल्कुल अकेला रह जाता है।’ हार्दिक के छोटे भाई, प्रतीक राठी कहते हैं- ‘उस दिन हम दोनों भाई मैदान में प्रैक्टिस कर रहे थे। मैं हार्दिक को बॉल पास कर रहा था, उसने कहा तू रहने दे, मैं अकेले प्रैक्टिस कर लूंगा। मैं वहीं आराम करने बैठ गया। तभी अचानक, झटका लगते ही बास्केटबॉल का पोल उसके ऊपर गिर गया।’ प्रतीक की आंखें भर आती हैं और उनकी आवाज टूट जाती है। ‘मेरा भाई मेरे और हमारी टीम के लिए कोच जैसा था। खेलते समय वह मेरी हर गलती पकड़ता और सुधारता था। आज जब वह इस दुनिया में नहीं है, तो मैंने ठान लिया है- अब से बास्केटबॉल उसी के नाम खेलूंगा। उसके सपने पूरे करूंगा। अगले महीने मुझे अपनी पहली राष्ट्रीय प्रतियोगिता खेलनी है, लेकिन उसके बिना मैदान पर प्रैक्टिस करना बेहद मुश्किल हो रहा है।’ हार्दिक के दोस्त रोहित बताते हैं, ‘उस दिन हार्दिक मैदान पर ड्रिब्लिंग प्रैक्टिस कर रहा था। मैं बिल्कुल उसके पास खड़ा था। जैसे ही उसने रिंग पकड़ी, पोल अचानक टूटकर सीधा उसकी छाती पर गिर गया। तुरंत सभी ने पोल हटाया और उसे अस्पताल के लिए ले गए। रास्ते भर वह बस यही कह रहा था छाती में बहुत दर्द हो रहा है। अस्पताल पहुंचने से पहले ही उसकी मौत हो गई।’ रोहित की आवाज में टूटन है, लेकिन वे आगे बताते हैं, ‘हम पांच साल से साथ प्रैक्टिस कर रहे थे। वह हमेशा कहता था कि हम दोनों एक साथ भारत के लिए खेलेंगे और देश के लिए मेडल लाएंगे। हमारा मुख्य ठिकाना अब स्टेडियम बन गया था, लेकिन अब वही जगह डर की वजह बन गई है। जब तक स्टेडियम की व्यवस्थाएं पूरी तरह सुरक्षित नहीं होंगी, ऐसे हादसे होते रहेंगे। बास्केटबॉल का दूसरा पोल भी खराब स्थिति में है- वह भी कभी गिर सकता है। इस हादसे के बाद हम अभी तक प्रैक्टिस के लिए मैदान पर नहीं गए हैं।’ रोहित आगे कहते हैं, ‘हार्दिक हमारी टीम का सबसे उम्दा खिलाड़ी था। उसकी ऊंचाई 6 फुट 2 इंच थी। वह टीम का सबसे लंबा, सबसे मजबूत और सबसे समर्पित खिलाड़ी था। टीम को हमेशा साथ लेकर चलता था। उसके बिना हम अपनी टीम की कल्पना भी नहीं कर सकते।’ हार्दिक के कोच मोहित, आंखों में उदासी लिए, याद करते हुए कहते हैं, ‘वह एक अलग ही तरह का खिलाड़ी था। समय का बिल्कुल पाबंद, एक मिनट भी लेट नहीं होता था। बड़े खिलाड़ियों की इज्जत करता और छोटे खिलाड़ियों का हाथ पकड़कर उनके खेल सुधारता। मुझे पूरा भरोसा था कि वह एक दिन देश, अपने गांव और परिवार का नाम रोशन करेगा।’ कोच की आवाज कड़वी हो जाती है और वे कहते हैं, ‘यह हार्दिक की मौत नहीं है; सरकार की लापरवाही के कारण हुआ मर्डर है। अगर सरकार एक इंडोर स्टेडियम तक नहीं बना सकती, तो और क्या कर सकती है? वह बस पांच लाख का मुआवजा देकर अपनी जिम्मेदारी से बचने की कोशिश कर रही है। उसका जमीर खत्म हो चुका है, लेकिन हम नहीं झुकेंगे। हम चंदा इकट्ठा करके हार्दिक के नाम पर इंडोर स्टेडियम बनवाएंगे।’ मोहित एक और याद साझा करते हुए कहते हैं, ‘अप्रैल का महीना था। राष्ट्रीय स्तर के मुकाबले में हमारा मैच दिल्ली की टीम से था। यह तीसरे स्थान के लिए मुकाबला था। उस दिन हार्दिक के पैर में सूजन थी, लेकिन उसने कहा- ‘हमें यह मैच जीतना है।' 'वह मैदान पर बिल्कुल अलग लेवल पर खेल रहा था। अंत में हमने एकतरफा जीत दर्ज की और यह पूरी तरह हार्दिक की बदौलत था। सच कहूं तो ऐसे खिलाड़ी रोज पैदा नहीं होते, लेकिन हम उन्हें इतनी आसानी से खो देते हैं, सिर्फ इसलिए कि स्टेडियम का पोल टूटा हुआ है और सरकारें आंखें मूंदे सो रही हैं।’ पांच अंतरराष्ट्रीय स्तर के मैच खेल चुके हार्दिक के गांव के वरिष्ठ खिलाड़ी नरेंद्र याद करते हैं, ‘हार्दिक एक अनुशासित खिलाड़ी था। उसकी बॉडी, चाल, हर पहलू इस खेल के लिए पूरी तरह फिट था। मैं खुद पांच अंतरराष्ट्रीय मैच खेल चुका हूं, लेकिन कह सकता हूं कि हार्दिक मुझसे भी आगे जाने वाला खिलाड़ी था। वह कभी प्रैक्टिस से नहीं भागता था, बीमार होने पर भी। उसके समर्पण और मेहनत ने हम सभी को प्रेरित किया।’ नरेंद्र आगे बताते हैं, ‘हमारे लाखन माजरा स्टेडियम से अब तक 10-12 अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी निकले हैं और 30-40 खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय स्तर पर खेला है। इसे ‘खेल गांव’ कहा जाता है। कुछ खिलाड़ी आर्मी या नेवी में हैं, लेकिन इस मैदान की अनदेखी सरकार ने की है। अगर स्टेडियम का रखरखाव समय पर किया गया होता, तो आज हार्दिक हमारे बीच होता।’ उन्होंने पूरे देश की तस्वीर भी उजागर करते हुए कहा, ‘अगर आज पूरे देश में 100 बास्केटबॉल कोर्ट हैं, तो करीब 80 असुरक्षित स्थिति में हैं। हमारी सरकार से गुजारिश है कि इस हादसे से सबक ले और इस मैदान की मरम्मत कराई जाए। यहां बास्केटबॉल, कबड्डी और हॉकी के कई खिलाड़ी देश का नाम रोशन कर चुके हैं, लेकिन बास्केटबॉल के लिए कभी सरकारी कोच नहीं आया। हम सीनियर खिलाड़ी ही जूनियर्स को ट्रेनिंग देते हैं और स्टेडियम का रखरखाव भी खुद करते हैं। अगर यहां सरकारी कोच हो, तो खिलाड़ी और ऊंचाइयों तक पहुंच सकते हैं।’ हार्दिक को याद करते हुए उनकी दादी संतोष भावुक हो उठती हैं। आंखों में आंसू भरे हुए वे कहती हैं, ‘जब भी हार्दिक खेलकर आता, सबसे पहले मुझे ही अपनी जीत और मेहनत के बारे में बताता। मेरे हाथ से दी गई हर चीज वह बड़े प्यार से खाता था। वह बचपन से ही खेल के पीछे पागल था। तीन साल का था तभी से अपने पिता को साथ लेकर बॉल खेलता था। हमने सोचा था कि एक दिन वह खेल के जरिए बड़ा अफसर बनेगा और गांव का नाम रोशन करेगा… लेकिन ऐसा नहीं हुआ।’ हार्दिक के घर पर मौजूद गांव के बाकी लोग भी उसकी अच्छाइयों को याद करते हैं। वे बताते हैं, ‘वह सिर्फ एक खिलाड़ी ही नहीं, बल्कि एक नेक इंसान था। रास्ते में यदि कोई बुजुर्ग मिलता, तो वह उन्हें अपनी स्कूटी से घर तक पहुंचा देता था।’ बहादुरगढ़ में अमन के घर का माहौल भी गम से भारी था। हार्दिक की मौत से ठीक एक दिन पहले अमन पर भी बास्केटबॉल कोर्ट का पोल गिर गया था। उनके पिता सुरेश आंखों में दर्द और भावुकता लिए हमें घटना सुनाते हैं। ‘उस दिन घर में मेहमान आए हुए थे, खुशी का माहौल था। अमन स्कूल से आया था और ट्रेनिंग के लिए स्टेडियम जाना चाहता था, लेकिन मैं और उसके बड़े भाई ने उसे रोक दिया। मां ने भी कहा, ‘आज मत जाओ,’ लेकिन वह नहीं माना,’ सुरेश की आवाज कांपती है। वे आगे बताते हैं, ‘अमन रोज शहीद ब्रिगेडियर होशियार सिंह स्टेडियम में प्रैक्टिस करता था। उसका एक ही सपना था- ओलिंपिक में भारत का नाम रोशन करना।’ सुरेश याद करते हैं कि उस दिन उन्हें अस्पताल से फोन आया, ‘आपके लड़के के साथ दुर्घटना हो गई है। स्टेडियम से उसे सिविल अस्पताल ले जाया गया है। आप लोग जल्दी आ जाइए।’ 'अस्पताल पहुंचे ही थे कि डॉक्टरों ने उसे तुरंत रोहतक पीजीआई रेफर कर दिया। वहां हमें अल्ट्रासाउंड कराने को कहा। हम एक घंटे तक उसी में उलझे रहे। जब तक अल्ट्रासाउंड हुआ, उसके पेट में काफी ब्लीडिंग हो चुकी थी। रिपोर्ट आई, लेकिन तब तक उसकी जान चली गई। अगर समय पर इलाज मिलता, तो मेरा बच्चा आज जीवित होता,’ सुरेश का गला भर आता है। वे आगे अफसोस जताते हैं, ‘उस दिन मेरा बेटा मुझसे पानी मांग रहा था, लेकिन डॉक्टर की अनुमति के बिना उसे नहीं दे सकता था। जब डॉक्टर से बात करके पानी देने गया, तब तक उसकी जान चली गई थी। आखिरी बार उसे पानी भी नहीं पिला सका।’ सुरेश का गुस्सा डॉक्टरों और प्रशासन पर है। ‘जब उसकी मौत हो गई, डॉक्टर अपनी गलती छिपाने में लगे रहे। उसे आईसीयू में भर्ती कर दिया और 24 घंटे केवल कागजी कार्रवाई में उलझे रहे। यहां तक कि उसकी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में उसका जेंडर बदल दिया गया। उम्र को 15 साल की जगह 25 साल लिखा गया और हादसे का समय भी बदल दिया गया। अधिकारी अपनी गलती छिपाने के लिए उसे क्रिकेट खिलाड़ी दिखा रहे थे, जबकि वह हर वक्त बास्केटबॉल लेकर घूमता था।’ सुरेश अपनी आवाज में दर्द के साथ कहते हैं, ‘सच यही है कि मेरे बेटे की मौत पीजीआई में डॉक्टरों की लापरवाही और खेल प्रशासन की बदइंतजामी से हुई। मैं राजनीति नहीं चाहता। बस उसे न्याय मिले। निष्पक्ष जांच हो, सीसीटीवी फुटेज को जांचा जाए और जिम्मेदारों को सजा मिले।’ अमन की बड़ी बहन मानसी हाथ में बास्केटबॉल लिए बैठी हैं। उनकी आंखों में दर्द और यादें दोनों झलक रही हैं। मानसी कहती हैं, ‘अमन दिन-रात इसी बॉल के साथ रहता था। जिस दिन उसने पहला मेडल जीता, वह सबसे पहले मुझे ही दिखाने आया। उसकी आंखों में खुशी ऐसी चमक रही थी, जो कभी भूल नहीं सकती।’ ‘वह स्कूल में हमेशा अच्छे नंबर लाता और खाने-पीने में हर चीज पसंद करता था। उस दिन उसे देखकर मैं बहुत घबरा गई थी। मैंने अपने मोजे उतारकर उसके पैर में पहनाए थे।’ कहते-कहते मानसी फफककर रो पड़ती हैं। अमन के चचेरे भाई रोहित की आवाज में गुस्सा और दर्द दोनों झलकते हैं। वह कहते हैं, ‘अमन के इलाज में लापरवाही हुई। हमें अस्पताल में अल्ट्रासाउंड के लिए एक घंटे तक इंतजार करना पड़ा। वहां मौजूद डॉक्टर की ओर से कोई ध्यान नहीं दिया गया। अंत में जब रिपोर्ट आई, उसी डॉक्टर ने कहा कि यह गंभीर मामला था,’ रोहित की आंखें भर आती हैं। ‘मैं मेडिकल लाइन से जुड़ा हूं, मुझे समझ में आ गया था कि अमन की मौत हो चुकी है। डॉक्टरों ने अपनी गलती छिपाने के लिए उसे सीपीआर दिया और वेंटिलेटर पर रखा। हाथ में पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट दिखाते हुए रोहित कहते हैं, ‘इसमें अस्पताल ले जाने का समय, उम्र और जेंडर सब गलत लिखा गया है। आखिर इतना सब कैसे गलत हो सकता है?’ अमन की दादी कहती हैं कि जिस दिन यह हादसा हुआ, उसी दिन घर में खुशी का माहौल था। उस दिन सब उसे स्टेडियम जाने से रोक रहे थे, लेकिन नहीं माना। किसे पता था उसका आखिरी दिन होगा। हाथ में उसकी तस्वीर लेकर रोते हुए दादी कहती हैं कि वो मुझे ‘मम्मा’ कहकर बुलाता था। उसकी आवाज, उसकी हंसी, उसकी शरारतें सब अब यादें बन गए। हमारा सहारा, हमारा चिराग, हमारा अमन हमें छोड़कर चला गया। ------------------------------------------ 1- ब्लैकबोर्ड- बेटी ने मारा तो घर छोड़ा:बस के नीचे मरने पहुंचे, भाई ने फर्जी साइन से पैसे हड़पे, वृद्धाश्रम में रोज सुबह सोचते हैं- कोई लेने आएगा मेरे बच्चे नहीं हैं। पत्नी की मौत के बाद अकेला हो गया था। मुझे आंख से दिखाई नहीं देता। एक रिश्तेदार के यहां रहने चला गया। वहां बहुत जलील हुआ तो एक दूसरे रिश्तेदार के यहां रहने पहुंचा, लेकिन उन्होंने अपने यहां रखने से साफ मना करा दिया। उस दिन मन में विचार आया कि सब खत्म कर दूं। सोचा कि यमुना में कूद जाऊं। फिर मरने के लिए एक बस डिपो पर गया। पूरी स्टोरी यहां पढ़ें 2- ब्लैकबोर्ड-पत्नी को लोग कोठेवाली समझते हैं:जीबी रोड का पता देख बच्चों को एडमिशन नहीं मिलता; दोस्त कहते हैं चलो तुम्हारे घर मौज करते हैं हलचल भरी दिल्ली में शाम ढलने लगी थी। मैं शहर के जीबी रोड पहुंची। इसे रेड लाइट एरिया भी कहा जाता है। यह इलाका सेक्स वर्क के लिए बदनाम है। दूर से ही सेक्स वर्कर्स के कोठे नजर आ रहे थे, जिनकी खिड़कियों से सजी-संवरी महिलाएं झांक रही थीं। एक-एक करके ग्राहक बाहर बनी सीढ़ियों से उन कोठों पर जा रहे थे। पूरी स्टोरी यहां पढ़ें
‘मेरे पति नौकरी के लिए रूस गए थे। वहां उन्हें धोखे से जंग में भेज दिया। 15 अक्टूबर को उनसे आखिरी बार बात हुई थी। उन्होंने कहा था कि अगर तीन दिन तक कॉल न आए, तो समझ लेना कि मैं नहीं हूं। अब उनसे कोई कॉन्टैक्ट नहीं है। रूस के राष्ट्रपति भारत आ रहे हैं। सरकार उनसे कहे कि भारत के जो लोग रूस में फंसे हैं, उन्हें वापस भेज दें।’ जयपुर की रहने वाली दिव्या अपने पति को बचाने के लिए ये गुहार लगा रही हैं। उनके पति मनोज सिंह शेखावत जून, 2025 में रूस गए थे। वहां उन्हें जबरन रूसी सेना के साथ यूक्रेन के बॉर्डर पर भेज दिया गया। रूस-यूक्रेन के बीच करीब 4 साल से जंग चल रही है। रूसी सेना में कितने भारतीय हैं, इसके अलग-अलग नंबर हैं। विदेश मंत्रालय ने 7 नवंबर को बताया था कि 44 भारतीय रूसी सेना में हैं। वहीं, सांसद हनुमान बेनीवाल ने लोकसभा में ये संख्या 61 बताई है। 4 दिसंबर को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दो दिन के लिए भारत आ रहे हैं। इसकी खबर लगते ही रूस में फंसे लोगों के परिवार दिल्ली आ गए। एक और तीन दिसंबर को प्रदर्शन किया। उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय, विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय को लेटर भी लिखा है, ताकि पुतिन की यात्रा के दौरान इस मुद्दे को उठाया जा सके। दैनिक भास्कर ने 3 पीड़ित परिवारों से बात की और समझा कि किस तरह उनके रिश्तेदार रूस पहुंचे और वहां जंग में धकेल दिए गए। पहली कहानी: मनोज सिंह शेखावत मनोज सिंह शेखावत रूस जाने से पहले दिल्ली में टूर एंड ट्रैवल्स के काम से जुड़े थे। जयपुर के एक एजेंट शंकर सिंह ने उन्हें रूस में काम दिलवाने का वादा किया था। उसने मनोज से 4 लाख रुपए लिए थे। 1 दिसंबर को मनोज की पत्नी दिव्या भी दिल्ली में प्रदर्शन के लिए आई थीं। वे बताती हैं कि एजेंट ने मनोज को 80-90 हजार रुपए महीने सैलरी दिलाने का वादा किया था। इसके बाद वे ई-वीजा के जरिए रूस चले गए। पहले 15 दिन एक फैक्ट्री में काम किया। बदले में उन्हें पैसे नहीं दिए गए। अगले 15 दिन दूसरी फैक्ट्री में लगाया गया। वहां भी सैलरी नहीं मिली। दिव्या कहती हैं, ‘मनोज तीन महीने तक अलग-अलग जगह पर काम करते रहे। उन्हें कहीं पैसे नहीं मिले। ई-वीजा भी सिर्फ 20 दिन के लिए था। इसलिए मनोज वहीं फंस गए।' 'सितंबर में एजेंट के एक साथी जीतू बोचालिया ने मनोज से रूसी सेना का एग्रीमेंट साइन करवा लिया। ये एग्रीमेंट रूसी भाषा में था। उन्हें पता नहीं चला कि उसमें क्या लिखा है। उन्हें बोला गया कि हेल्पर या बंकर खुदवाने का काम दिया जाएगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं था।’ दिव्या आगे बताती हैं, ‘जिस दिन से उन्होंने एग्रीमेंट साइन किया, बातचीत बंद हो गई। 15-20 दिन बाद बात हुई, तो पता चला कि उन्हें मॉस्को से 1600 किमी दूर कहीं भेज दिया गया था। 15 दिन बाद फिर बात हुई तो मनोज ने बताया कि बहुत बड़ा धोखा हो गया है।’ दिव्या कहती हैं, ‘मैंने उनसे कहा कि वहां से भाग जाओ। मनोज ने बताया कि रूस के सैनिक सिर पर राइफल तानकर रखते हैं। कहते हैं कि यहीं मारकर दफना देंगे। रूसी सेना किसी को निकलने नहीं देती है। आगे नहीं जाने की बात करने पर मारपीट करते हैं। उनके एक साथी ने आगे जाने के डर से खुद के पैर पर गोली मार ली थी। वो अभी वहीं हॉस्पिटल में है। मनोज के बारे में कुछ पता नहीं है।’ ‘15 अक्टूबर को मेरी उनसे आखिरी बार बात हुई थी। हमने भारतीय दूतावास से संपर्क किया। दो बार प्रदर्शन किया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। मनोज को अंदाजा नहीं था कि सिर्फ 15 दिन की ट्रेनिंग देकर उन्हें सीधे वॉर जोन में भेज दिया जाएगा।' 'मैंने उनसे लोकेशन मंगवाई थी। वे यूक्रेन बॉर्डर पर थे। उन्हें 20 किलोमीटर और दूर जाना था। वहां से रूस यूक्रेन पर अटैक करता है। उन्होंने एक ऑडियो मैसेज भेजा था, उसमें गोलियों की आवाज आ रही थी।’ मनोज के परिवार ने 18 नवंबर को जयपुर के करधनी थाने में एजेंट्स के खिलाफ केस दर्ज करवाया है। शिकायत में कहा गया है कि एजेंटों ने गिरोह बना रखा है, जो पैसे लेकर राजस्थान और दूसरे राज्यों के लोगों को विदेश भेजते हैं। परिवार का आरोप है कि शिकायत करने पर एक एजेंट की तरफ से कॉल करके जान से मारने की धमकी दी गई। दूसरी कहानी: सुरेंद्र दहिया मनोज की तरह ही कहानी सुरेंद्र दहिया की भी है। उनके साथ पत्नी के भाई महावीर प्रसाद भी रूस गए थे। दोनों से तीन महीने से बात नहीं हो पाई है। सुरेंद्र खेती करते थे। परिवार के मुताबिक, एक अप्रैल को एजेंट को 3.5 लाख रुपए देकर रूस गए थे। उनसे कहा गया था कि कंस्ट्रक्शन का काम मिलेगा। उन्होंने वहां तीन-चार महीने काम किया। फिर प्रदीप नाम के एक एजेंट ने सुरेंद्र को सेना में भर्ती करा दिया। बताया कि उसे गड्ढे खोदने और बंकर बनाने जैसे छोटे-मोटे काम मिल जाएंगे। सुरेंद्र के ममेरे भाई सुनील दिल्ली में प्रदर्शन करने पहुंचे थे। वे बताते हैं, ‘सुरेंद्र से रूसी भाषा में कॉन्ट्रैक्ट साइन करवाया गया था। वे उसे पढ़ नहीं पाए। वहां सारे भारतीय एजेंट ही फंसा रहे हैं। अगस्त में सुरेंद्र और महावीर को सेना में भर्ती कराया गया था। शुरुआत में उन्हें सेंट्रल रूस के इवानोवो शहर ले गए। बाद में दक्षिण की तरफ यूक्रेन बॉर्डर के करीब रोस्तोव भेजा गया। आखिरी बार उनसे 7 सितंबर को बात हुई थी। उन्होंने बताया था कि हमें फ्रंटलाइन पर भेज रहे हैं। अगर 2-3 दिन तक कॉन्टैक्ट न हो, तो हमें वापस लाने की कोशिश करना।’ सुनील कहते हैं कि पिछले तीन महीने से हम लगातार रूस में भारतीय दूतावास से संपर्क कर रहे हैं। एक ही तरह का जवाब आता है कि हम रूसी अधिकारियों के संपर्क में हैं, जल्द अपडेट देंगे। सारे लोगों को ऐसे ही मैसेज आ रहे हैं। अब तक कोई जानकारी नहीं दी गई है।’ सुनील बताते हैं, ‘हम लोग ईमेल कर-करके थक गए हैं। अभी संसद का सत्र शुरू हुआ है। 4 तारीख को रूस के राष्ट्रपति भारत आ रहे हैं। हमने यही सोचा था कि अगर हम प्रदर्शन करेंगे तो हमारी बात मीडिया में जाएगी। धरने के बाद हम पीएमओ, विदेश मंत्रालय, राष्ट्रपति कार्यालय और गृह मंत्रालय में ज्ञापन देकर आए हैं। हमारे बच्चे वापस आ जाएं, इससे ज्यादा हमारी कोई मांग नहीं है।’ तीसरी कहानी: संदीप कुमार संदीप कुमार सितंबर, 2024 में स्टडी वीजा पर रूस गए थे। एक एजेंट ने 6 लाख रुपए लेकर उन्हें मॉस्को के एक रेस्टोरेंट में काम करने भेजा था। कुछ महीने काम करने के बाद बीमार हो गए और भारत आ गए। तीन महीने यहां रहे, फिर जुलाई में वापस रूस चले गए। एक महीने बाद संदीप को रूस में अंबाला का एक एजेंट मिला। उसी ने संदीप को आर्मी में भर्ती करवा दिया। उन्हें बताया गया कि कुक का काम करना है और अच्छी सैलरी मिलेगी। संदीप के मामा श्री भगवान बताते हैं, ‘संदीप की मां ने उसे रूस भेजने के लिए गहने तक बेच दिए थे। कुछ पैसे कर्ज भी लिए। एग्रीमेंट साइन करवाने के बाद एजेंट ने संदीप के अकाउंट में 10 लाख रुपए भेज दिए, लेकिन ये पैसे वो कभी घर नहीं भेज पाया।’ ‘उसे बताया गया था कि तीन महीने की ट्रेनिंग दी जाएगी, लेकिन सिर्फ 10-12 दिन की ट्रेनिंग के बाद उसे रूस के कब्जे वाले यूक्रेन के इलाकों में भेज दिया गया।' 25 सितंबर को किसी रूसी कमांडर ने उसे फोन दिया था। तब संदीप ने बात की थी। 5 दिन लगातार बात होती रही। वो बता रहा था कि यहां जान का खतरा है। गश्त और वॉर फ्रंट पर सामान पहुंचाने जैसे काम दिए जा रहे हैं। संदीप ने एक अक्टूबर को रूस से एक वीडियो भेजा था। इसमें वो कह रहे हैं, ‘प्लीज मुझे यहां से निकलवाओ। मुझे फंसाया गया है। हमें आगे भेजने के लिए बोल रहे हैं। ढाई किलोमीटर दूर रूसी सेना ने यूक्रेन के एक शहर पर कब्जा किया हुआ है, उधर ही मुझे भेजेंगे। वहां बहुत ज्यादा खतरा है। यहां अभी एक बंकर में रखा हुआ है। मेरी मदद करें।’ भगवान कहते हैं कि 1 अक्टूबर को संदीप की परिवार के साथ आखिरी बार बात हुई थी। दो महीने से कोई संपर्क नहीं है। क्या पता वो जिंदा भी है या नहीं। संदीप ने अपने भाई को बताया था कि घरवालों को संभाल लेना। मेरा पता नहीं, वापस आऊंगा या नहीं। मेरा वॉट्सएप ब्लॉक कर दिया जाएगा। मोबाइल लेकर फ्रंटलाइन पर भेजा जाएगा।’ भगवान कहते हैं कि सोशल मीडिया के जरिए पता चला कि संदीप फंस गया है। उसके बाद से परिवार ने लगातार अधिकारियों से संपर्क किया, लेकिन रिस्पॉन्स नहीं मिला है। सरकार डेड बॉडी वहां से ला सकती है, तो जिंदा लोगों को क्यों नहीं ला सकती है। सांसद ने लोकसभा में बताया- 61 भारतीय फंसे हैं1 दिसंबर को पीड़ित परिवारों ने राजस्थान के नागौर से लोकसभा सांसद हनुमान बेनीवाल से मदद मांगी थी। 3 दिसंबर को बेनीवाल ने लोकसभा में रूस में फंसे भारतीयों का मुद्दा उठाया था। उन्होंने बताया कि रूस-यूक्रेन युद्ध में फ्रंटलाइन पर 61 भारतीय फंसे हैं। काम का झांसा देकर इस तरीके से युद्ध में भेजा जाना गंभीर चिंता का विषय है। रूसी सरकार से बात करके उनकी वापसी सुनिश्चित कराई जाए। इससे पहले 24 जुलाई को विदेश मंत्रालय ने राज्यसभा में बताया था कि रूसी सेना में 127 भारतीय नागरिक थे। भारत और रूस सरकार से बातचीत के बाद इनमें से 98 लोगों को निकाला गया। रूसी सेना में गए 12 लोग लापता हैं। 7 नवंबर को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि रूसी सेना में शामिल 44 भारतीयों की पहचान की गई है। उसी दौरान मंत्रालय ने बताया कि भारत सरकार रूसी अधिकारियों और पीड़ित परिवारों के संपर्क में है। जायसवाल ने कहा था, ‘हमें जानकारी मिली है कि कई भारतीय नागरिकों को रूसी सेना में भर्ती किया गया है। हमने रूसी अधिकारियों के सामने ये मुद्दा उठाया है। हमने जल्द इन भारतीयों को छोड़ने और इस प्रैक्टिस को खत्म करने की मांग की है। भारत सरकार पीड़ित परिवारों को लगातार अपडेट दे रही है। उनकी सुरक्षित वापसी के लिए मॉस्को से लगातार बातचीत कर रही है।’ हमने पीड़ित परिवारों के मुद्दों पर विदेश मंत्रालय और मॉस्को में भारतीय दूतावास को ई-मेल किया है। जवाब मिलने पर हम रिपोर्ट अपडेट करेंगे। रूस-यूक्रेन जंग में अभी क्या चल रहाआने वाली फरवरी में रूस-यूक्रेन जंग को 4 साल पूरे हो जाएंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने जंग रोकने के लिए 28 पॉइंट का प्लान तैयार किया है। इसके मुताबिक यूक्रेन को अपना लगभग 20% हिस्सा रूस को देना होगा। इसमें पूर्वी यूक्रेन का डोनबास का इलाका शामिल है। इसके अलावा यूक्रेन सिर्फ 6 लाख जवानों वाली सेना रख सकेगा। NATO में यूक्रेन की एंट्री नहीं होगी। नाटो सेनाएं यूक्रेन में नहीं रहेंगी। रूस के शांति प्रस्ताव मानते ही उस पर लगे सभी प्रतिबंध हटा दिए जाएंगे। साथ ही यूरोप में जब्त की गई लगभग 2000 करोड़ रुपए की संपत्ति डीफ्रीज होगी। इस जंग में यूरोपीय देश यूक्रेन के साथ हैं। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 2 दिसंबर को यूरोपीय देशों को चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि रूस यूरोप से युद्ध नहीं चाहता, लेकिन अगर यूरोप युद्ध शुरू करता है तो मामला इतना जल्दी खत्म नहीं होगा। बातचीत करने वाला कोई नहीं बचेगा।
Japan news:जापानी सांसद उमेमुरा ने कहा, ‘मुस्लिम कब्रिस्तानों की मांग स्वीकार नहीं है. जापान में दाह-संस्कार परंपरा है. मुसलमानों के लिए उचित तरीका यही है कि वे अपने प्रियजनों के शव अपने देशों को भेजें और वहां दफनाएं.’ शवों को दफनाने से पानी की क्वालिटी खराब हो रही है.
Trending Video:विजया नायर, जिनको इंटरनेट पर @poland_mallu_girl के नाम से जाना जाता है, ने वीडियो को बहुत ज्यादा शेयर किए जाने के बाद डिलीट कर दिया. वायरल रीपोस्ट में से एक, जिसका कैप्शन था 'क्या यह हैरेसमेंट नहीं है?' में उसे बच्चे को किस करने के लिए झुकते हुए दिखाया गया, जो अनकम्फर्टेबल लग रहा था.
राष्ट्रपति पुतिन ने यूक्रेन पीस प्लान को सिरे से खारिज नहीं किया, दावे गलत : रूस
क्रेमलिन प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने स्पष्ट किया कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अमेरिका के सुझाए यूक्रेन पीस प्लान को सिरे से खारिज नहीं किया है
DNA: पुतिन ने चेताया, जर्मनी ने 'हमला' कर दिया! रूस पर यूरोप के पहले 'अटैक' का DNA टेस्ट
Russia-Europe: पुतिन ने कहा कि हम यूरोप से जंग नहीं चाहते लेकिन अगर वह ऐसा चाहते हैं तो हम तैयार हैं. यह बयान जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन जैसे यूरोप के बड़े देशों को पुतिन की बड़ी धमकी है.
भारत ने पाकिस्तान से इमरान खान को सौंपने का अनुरोध नहीं किया, वायरल दस्तावेज फर्जी है
बूम को विदेश मंत्रालय द्वारा जारी किए गए ऐसे किसी लेटर का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला. पीआईबी ने भी इसका खंडन करते हुए दस्तावेज को फर्जी बताया है.
सिपरी: यूक्रेन युद्ध ने करवाई जर्मन हथियारों की रिकॉर्ड बिक्री
सिपरी की नई रिपोर्ट के मुताबिक, यूक्रेन और गाजा युद्ध समेत वैश्विक तनावों के कारण 2024 में दुनिया की सबसे बड़ी हथियार कंपनियों ने रिकॉर्ड कमाई की है
Putin-Ukraine War:पुतिन का बयान ऐसे वक्त पर आया है, जब मॉस्को में अमेरिकी राजदूत स्टीव विटकॉफ और जारेद कुशनर के साथ बैठक होनी है, जो करीब चार साल से चल रहे युद्ध को खत्म करने के लिए हाई लेवल बैठक करेंगे.
Peace Bull Story: दो देशों के बीच विवाद, बंटवारे और उम्मीद से जुड़ी यह कहानी आपको हैरान कर देगी. साल 1996 में उत्तर कोरिया में आई बाढ़ से बहकर दक्षिण कोरिया पहुंचा एक बैल अब फिर चर्चा में है. शांति का प्रतीक माना जाने वाले इस बैल को करीब दो दशक बाद आधिकारिक रूप से अमर कर दिया गया है. इसके अवशेषों को दक्षिण कोरिया ने अपनी सीमा के पास एक विशेष प्रदर्शनी में रखा है, जहां से उत्तर कोरिया का इलाका साफ दिखाई देता है.
मैं अपने पति से बोर हो गई हूं, अब उनमें कोई स्पार्क नहीं रहा, शादी को 30 साल हो गए हैं; क्या करूं?
Husband-Wife Relation Problem:आज के दौर में रिश्तों में उतार-चढ़ाव आना आम बात हो गई है. लंबे समय तक साथ रहने के बाद कई बार शादीशुदा ज़िंदगी में ऐसा समय आता है जब सब कुछ एक जैसा और उबाऊ लगने लगता है. कुछ ऐसा ही अनुभव ब्रिटेन की एक महिला ने साझा किया है, जिसके बाद YOU Magazine की मशहूर रिलेशनशिप एक्सपर्ट Caroline West-Meads ने उसे महत्वपूर्ण सलाह दी है.
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप काफी समय से दावा करते आ रहे हैं कि उन्होंने कई युद्धों को रुकवाया है। आलम ये है कि उन्होंने खुद के लिए शांति का नोबल पुरस्कार की मांग भी कर दी थी। ट्रंप इस बात का भी लगातार दावा कर रहे हैं कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत और पाकिस्तान के बीच उन्होंने ही सीजफायर करवाया। एक बार फिर से उन्होंने युद्ध रुकवाने के शानदार रिकॉर्ड पर जोर देते हुए भारत और पाकिस्तान का जिक्र किया।
S400 के बाद अब खलबली मचाने आया S500, जंग की तस्वीर बदल देगा ये रूसी कवच; भारत करेगा डील?
Russia S500: ऑपरेशन सिंदूर में S400 के दमखम दिखाने के बाद अब रूस S500 लेकर आया है. दोनों एयर डिफेंस सिस्टम में कई बड़े अंतर हैं. क्या भारत इसे भी खरीदने वाला है?
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के संस्थापक इमरान खान की सेहत स्थिर है। इमरान की बहन उज़मा खान ने मंगलवार को अदियाला जेल में उनसे मिलने के बाद यह बात कही
Trump Says Ilhan Omar Garbage:अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमाली प्रवासियों को अमेरिका में न आने देने की बात कही है उन्हें 'कचरा' बताया है. इसके साथ ही ट्रंप ने डेमोक्रेट मुस्लिम सांसदइल्हान उमर को भी कचरा कह दिया है. यही नहीं ट्रंपउन्हें अपने देश सोमालिया वापस जानें की भी सलाह दी है. आइए जानते हैं कौन हैंइल्हान उमर. जिससे ट्रंप ने बताया कचरा. भारत के खिलाफ जहर उगलने से क्या है रिश्ता. हिजाब, भाई से निकाह का क्या है मामला.
Afghanistan Public Execution: अफगानिस्तान के पूर्वी खोस्त प्रांत में एक 13 साल के लड़के ने एक आम आदमी को फांसी दी. यह फांसी अफगान सुप्रीम कोर्ट के आदेश और तालिबान के सबसे बड़े नेता हिबतुल्लाह अखुंदजादा की मंजूरी के बाद हुई. इसे देखने के लिए 80,000 लोगों की भीड़ जमा हुई थी.
Putin warns Europe: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूरोप को सख्त चेतावनी दी है कि अगर वे रूस से जंग शुरू करेंगे, तो यूरोप का ऐसा हाल होगा कि बातचीत करने वाला कोई नहीं बचेगा. यूक्रेन युद्ध के बीच पुतिन ने कहा कि रूस शांति चाहता है, लेकिन यूरोपीय देश ट्रंप की शांति कोशिशों में बाधा डाल रहे हैं. जानें पूरी बात.
पाकिस्तान में रहने वाले तीन भाइयों को एक ऐसी दुर्लभ बीमारी है, जिसमें सूरज डूबते ही उनका शरीर लकवाग्रस्त होने लगता है। लेकिन उन्हें ये बीमारी कैसे हुई? और कैसे सिर्फ एक गोली पर उनकी पूरी जिंदगी टिकी हुई है? जानने के लिए ऊपर दी गई इमेज पर क्लिक पर देखें वीडियो..........
17 नवंबर 2025, दोपहर का वक्त, पुलिसवाले यूपी के पूर्व मंत्री आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला को रामपुर के MP-MLA कोर्ट से जिला जेल ले जा रहे थे। पुलिस की गाड़ी से उतरकर आजम जेल के मेन गेट पर उतरे, तो मीडिया ने घेर लिया। हाथ में चश्मे का केस और बिस्किट के 2 पैकेट थे। पीछे बेटे अब्दुल्ला भी गाड़ी से उतरे। आजम से पूछा गया- फर्जी पैन कार्ड मामले में आपको 7 साल की सजा हुई है, क्या कहना चाहते हैं? जवाब में आजम इतना ही कह पाए- 'बेहतर है। कोर्ट ने गुनहगार समझा, तो सजा सुनाई है।' आजम के इस जवाब में उनकी बेबसी साफ दिखी। आजम 5 साल में 50 महीने जेल में रहे। रामपुर के लोग भी कहते हैं कि अब किसी नए मामले में आजम खान के जेल जाने पर हैरानी नहीं होती, फिर भी CM योगी आदित्यनाथ को उन पर रहम करना चाहिए। आजम पर फर्जी डॉक्यूमेंट देने, जमीन कब्जाने और हेट स्पीच के 104 केस दर्ज हुए, इनमें 11 में फैसला आ चुका है। 6 मामलों में सजा हुई, 5 में बरी हो गए। 2 महीने पहले 23 सितंबर को आजम जमानत पर सीतापुर जेल से बाहर आए थे। 55 दिन तक घरवालों के साथ रहे। अब फर्जी पैन कार्ड मामले में फिर से जेल पहुंच गए हैं। आजम और उनके बेटे अब्दुल्ला रामपुर जेल की बैरक नंबर 1 में कैद हैं। यहां आजम की पहचान कैदी नंबर 425 की है। ये बैरक उनके घर से सिर्फ 200 मीटर दूर है। ये फासला सिर्फ इतना है कि उनके मोहल्ले की मस्जिद में नमाज होती है, तो उसकी आवाज उन्हें सुनाई देती है। एक FIR, जिसने आजम को फिर सलाखों के पीछे पहुंचाया17 नवंबर को फर्जी पैनकार्ड से जुड़े 2 मामलों में आजम और अब्दुल्ला पेशी पर MP-MLA कोर्ट पहुंचे थे। तब तक ये तय नहीं था कि उन्हें सजा मिल जाएगी। ये मामला दिसंबर 2019 में सामने आया था, जब BJP नेता आकाश सक्सेना ने आजम-अब्दुल्ला के खिलाफ FIR दर्ज करवाई थी। 6 साल तक लगातार जांच और सुनवाई चलती रही। आकाश सक्सेना अब रामपुर के विधायक हैं। सुनवाई के दिन कोर्ट में मौजूद थे। जज शोभित बंसल के सामने बहस शुरू हुई। सुनवाई के दौरान आकाश सक्सेना ने आरोप लगाया कि अब्दुल्ला आजम के साथ उनके पिता आजम खान भी दोषी हैं। 2017 में अखिलेश सरकार में नगर विकास मंत्री रहते हुए आजम ने रसूख के दम पर लखनऊ नगर निगम से बेटे का फर्जी बर्थ सर्टिफिकेट बनवाया। उसी के आधार पर फर्जी पैन कार्ड बनवाकर अब्दुल्ला को चुनाव लड़वाया। कोर्ट में पेश सबूतों के मुताबिक, अब्दुल्ला आजम ने दो अलग-अलग जन्म तिथियों के आधार पर दो पैन कार्ड बनवाए। एक पैन कार्ड में डेट ऑफ बर्थ 1 जनवरी 1993 थी, जबकि दूसरे में 30 सितंबर 1990 दर्ज कराई गई। ऐसे में अब्दुल्ला अपनी असली जन्मतिथि के हिसाब से 2017 के विधानसभा चुनाव में 25 साल की न्यूनतम उम्र पूरी नहीं करते थे। बावजूद इसके चुनाव लड़वाने के लिए आजम ने उनका दूसरा पैन कार्ड बनवाया। कोर्ट ने आजम और अब्दुल्ला को धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश की धाराओं में दोषी माना। 7 साल की सजा और 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया। इसके बाद पुलिस ने कोर्ट रूम में ही सपा नेता और उनके बेटे को हिरासत में ले लिया। BJP विधायक बोले- सपा सरकार में सुनवाई नहीं हुईBJP विधायक आकाश सक्सेना कहते हैं, ‘आजम खान और उनके परिवार ने सत्ता में रहते हुए बहुत गलत काम किए। कानून ताक पर रखकर हमेशा फायदा उठाने की कोशिश की। इसका नतीजा आज उन्हें भुगतना पड़ रहा है। 2017 में आजम खान ने बेटे का नामांकन दाखिल करवाया, तभी हमने उनके खिलाफ शिकायत की थी, लेकिन उस समय सपा सरकार होने की वजह से किसी ने नहीं सुनी।’ सच्चाई सामने होते हुए भी हर चीज को छिपाया गया। बावजूद इसके हमने हार नहीं मानी। हमने RTI के जरिए सबूत इकट्ठा किए और कानूनी तरीके से 2019 में आजम खान और अब्दुल्ला के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई। आकाश आगे कहते हैं, ‘आजम खान को बेवजह जेल नहीं हुई। चाहे जौहर यूनिवर्सिटी के लिए रामपुर के लोगों की जमीनें कब्जाना हो या बेटे को चुनाव लड़वाने के लिए फर्जी दस्तावेज बनवाना, उन पर दर्ज सभी मुकदमे उनके निजी फायदे के लिए थे। सबको पता था कि इसका अंत जेल ही होने वाला था।’ लोग बोले- बुरे वक्त में अखिलेश ने साथ छोड़ारामपुर के शाहबाद गेट पर बेकरी की दुकान चलाने वाले जाहिद हिंदुस्तानी कहते हैं, ‘आजम खान की उम्र 75 साल है। इस हिसाब से तो उनका राजनीतिक करियर खत्म हो चुका है। सक्रिय राजनीति करना भी उनके दायरे से बाहर है।' 'अखिलेश यादव चाहते तो आजम खान को परेशानियां न झेलनी पड़तीं। उन्होंने भी बुरे वक्त में साथ छोड़ दिया। अब जितना जीवन उनके पास बचा है, उन्हें परेशान नहीं किया जाना चाहिए।’ आजम खान के घर के पास जेल रोड पर रहने वाले फुकरान की फुटवेयर की दुकान है। वे कहते हैं, ‘आजम साहब गरीबों के नेता हैं। उन्होंने मंत्री रहते हुए पक्की सड़कों से लेकर बाजार और यूनिवर्सिटी बनवाई। बीड़ी मजदूरों के साथ बैठकर खाना खाते थे। अब सरकार बदल चुकी है, अपनी ताकत दिखा रही है।’ आजम खान के बंद पड़े रामपुर पब्लिक स्कूल के पास रेहड़ी लगाने वाले नसीम, फुकरान और जाहिद से अलग बात कहते हैं। उनके मुताबिक, आजम को जो सजा मिली, वे इसके हकदार थे। उन्होंने सत्ता में रहते हुए यहां की चीनी मिल बंद करवा दी। गरीब के बच्चों को बेरोजगार भटकने के लिए छोड़ दिया। उनकी वजह से मुसलमान सड़क पर आ गए। ऊपर वाला सब देखता है। उन्हें उनके किए की सजा मिल रही है। 2027 तक चुनाव नहीं लड़ सकते आजम और अब्दुल्लायूपी सरकार में कभी कैबिनेट मंत्री रहे आजम ने बीते 5 साल में 50 महीने जेल में काटे। योगी सरकार आने के बाद 2 बार जेल गए। पहली बार फरवरी 2020 से मई 2022 तक और फिर अक्टूबर 2023 से सितंबर 2025 तक जेल में रहे। भड़काऊ भाषण के मामले में 2022 में आजम को सजा हुई और उनकी विधायकी चली गई। 2023 में अब्दुल्ला को भी जेल जाना पड़ा। उनकी भी विधायकी चली गई। अब फर्जी पैनकार्ड केस में बाप-बेटे 7 साल जेल की सजा काट रहे हैं। दोनों कानूनी तौर पर 2027 का चुनाव भी नहीं लड़ सकते हैं। ऐसे में बड़ा सवाल उठता है कि लगातार हो रही सजा के बाद क्या आजम का पॉलिटिकल करियर खतरे में है। रामपुर के सीनियर जर्नलिस्ट तमकीन फयाज खान कहते हैं, ‘आजम खान सिर्फ रामपुर के नहीं, पूरे यूपी के बड़े सियासी चेहरे रहे हैं। अब उन्हें जिस तरह सजाएं मिल रही हैं, ये कहना गलत नहीं होगा कि इसमें सियासत का दखल नहीं है। ये भी सच है कि कानून और अदालतें सबूत देखती हैं, तो फैसले भी उसी हिसाब से लिए जा रहे हैं।’ ‘जेल से रिहा होने के बाद भी वे शांत नहीं बैठे। वे लंबे वक्त के बाद जमानत पर घर आए थे। उन्हें खुद को संभालना चाहिए था, सेहत पर ध्यान देना चाहिए था, लेकिन सियासत ने कभी उनका साथ नहीं छोड़ा। वे बयानों को लेकर चर्चा में बने रहे। आजम इस कदर पॉलिटिक्स में घुस गए कि सपा नेता और रामपुर के सांसद मोहिबुल्लाह नदवी ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया।’ तमकीन के मुताबिक, आजम 9 बार विधायक, 2 बार सांसद रहे, 4 बार यूपी सरकार में मंत्री रहे। जाहिर है कि अब उन्हें इतना बड़ा पद फिर से मिल पाना मुश्किल है। बड़ा पॉलिटिकल फिगर होने के बावजूद उन पर जो मुकदमे और पुलिस कार्रवाई हुई, उससे न तो संसद बचा पाई और न ही उनकी विधायकी का लंबा रिकॉर्ड काम आया।' 'यहां तक कि सपा भी उनके सपोर्ट में कभी खुलकर खड़ी नहीं दिखी। उनके लिए अब यही अच्छा रहेगा कि वो सियासत छोड़ सेहत और यूनिवर्सिटी पर ध्यान दें।' रिश्तेदार बोले- सरकार नहीं चाहती आजम चैन से रहें23 सितंबर को सीतापुर जेल से रिहा होकर आजम खान रामपुर पहुंचे थे। उनके घर पर मिलने वालों का हुजूम लगने लगा। नेता-विधायक से लेकर समर्थक मकान के बाहर घंटों खड़े रहते। अब सब गायब हैं। आजम की पत्नी तंजीन फातिमा और बड़ा बेटा अदीब केस से जुड़ी कानूनी प्रक्रिया देख रहे हैं। हम उनसे बात करने पहुंचे। वहां हमें बताया कि तंजीम की सेहत ठीक नहीं है और अदीब रामपुर से बाहर हैं। हमने बताए गए फोन नंबरों पर दोनों से संपर्क किया, लेकिन रिस्पॉन्स नहीं मिला। जवाब आने पर रिपोर्ट में अपडेट किया जाएगा। आजम और अब्दुल्ला के जेल जाने पर उनके करीबी रिश्तेदार और सपा नेता आसिम खान कहते हैं, ‘जब हुकूमत ही नहीं चाहती कि आजम चैन से रहें, तो क्या किया जा सकता है। अपील भी आप हैं, दलील और वकील भी आप के हैं, तो जो मनमर्जी आए वो कीजिए, जिसे चाहे हलाल कह दीजिए, जिसे चाहे हराम कह दीजिए।’ क्या 2017 के बाद से टारगेट पर हैं आजमआजम के समर्थकों का मानना है कि 2017 के बाद से आजम खान और उनकी फैमिली को टारगेट किया जा रहा है। आजम ने कभी सीधे तौर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन वे हमेशा उन पर हावी रहे हैं। हालांकि रामपुर के इतिहास और आजम की पॉलिटिक्स पर करीब से नजर रखने वाले पॉलिटिकल एनालिस्ट विवेक गुप्ता इस बात से इत्तफाक नहीं रखते। विवेक कहते हैं, ‘अखिलेश सरकार में आजम के नाम का सिक्का चलता था। लखनऊ में विधानसभा चलती थी, तब हर रोज एक हेलिकॉप्टर उन्हें रामपुर छोड़ने आता था। दिसंबर 2017 की वो तस्वीर कोई कैसे भूल सकता है, जिसमें आजम और योगी हाथ पकड़कर विधानसभा की गैलरी में चल रहे थे।' 'CM योगी के लिए आजम खान कभी भी बड़ी चुनौती नहीं रहे। योगी हमेशा से हिंदू फायर ब्रांड चेहरा रहे हैं और आजम मुसलमानों के नेता। दोनों एक-दूसरे की राजनीति को पसंद नहीं करते।’ ‘आजम और अब्दुल्ला 2029 तक कोई चुनाव नहीं लड़ सकते। उनकी पत्नी तंजीम लंबे समय से राजनीति से दूर हैं। बड़े बेटे अदीब को पॉलिटिक्स में रुचि नहीं है। उनकी बहू सिदरा खान भविष्य में चुनाव लडेंगी या नहीं, ये कोई नहीं जानता। इसे देखते हुए यही लगता है कि आजम और उनके परिवार का पॉलिटिकल फ्यूचर गहरे संकट से गुजर रहा है।’ ........................................ये खबर भी पढ़ेंआजम खान के पास कितनी संपत्ति बची कभी यूपी सरकार में सबसे ताकतवर मंत्री रहे आजम खान योगी सरकार आने के बाद 2 बार जेल गए। कैद में रहते हुए आजम की करोड़ों की प्रॉपर्टी पर बुलडोजर चला। हमसफर रिसॉर्ट से लेकर उनके ड्रीम प्रोजेक्ट जौहर यूनिवर्सिटी में हॉस्टल घोटाला सामने आने पर बड़ी बदनामी हुई। रामपुर में आजम पर दर्ज किए गए 90 मामलों में अकेले 30 जौहर यूनिवर्सिटी से जुड़े केस हैं। पढ़िए पूरी खबर...
DNA: कौन हैं पुतिन के 'सिलोविकी'? मर्जी के बिना कोई आसपास फटक नहीं सकता; क्या है काम
Putin Security: पुतिन के बारे में कहा जाता है कि वो कुछ गिने-चुने लोगों से ही घिरे रहते हैं. कुछ खास लोगों के अलावा और कोई उनके करीब फटक भी नहीं सकता है. इन चुनिंदा लोगों के घेरे को सिलोविकी कहा जाता है.
रूस ने ये भी साफ कर दिया है कि भारत के साथ व्यापार में वो बाहरी दखल की इजाजत नहीं देगा. ये संकेत विशेषकर अमेरिका के लिए है, जो पिछले कुछ महीनों से भारत-रूस के बीच व्यापार में बाधा बनने की कोशिश कर रहा है.
US 'Doomsday Plane':बोइंग E-6B मर्करी, जिसे 'डूम्सडे प्लेन' भी कहा जाता है, हाल ही में ये अटलांटिक महासागर के ऊपर उड़ान भरते समय रडार की रेंज से लापता हो गया. संपर्क टूटने के बाद इस विमान का क्या हुआ कोई नहीं जानता है.
Gen-Z violence: जब नेपाल में जेन-जी हिंसा की घटना हुई थी तब सिर्फ कैदी ही नहीं भागे थे. बल्कि नेपाल की जेलों से भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद भी लूट लिया गया था. नेपाल पुलिस की तरफ से जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार 1200 से अधिक राइफल और पिस्टल के अलावा लगभग 1 लाख राउंड गोलियां भी चोरी हुई थी.
नेपाल: जेन-जी हिंसा में भागे 4,552 कैदी अब भी फरार, सरकार के लिए बड़ी चुनौती
नेपाल में सितंबर में हुई जेन-जी हिंसा के दौरान सरकारी प्रतिष्ठानों, इमारतों और जेलों को काफी नुकसान पहुंचा था
दक्षिण कोरिया में पूर्व राष्ट्रपति यून सुक-येओल के एक साल पहले असफल मार्शल लॉ (आपातकाल) प्रयास में सेना की भूमिका को लेकर रक्षा मंत्री अह्न ग्यु-बैक ने मंगलवार (2 दिसंबर 2025) को सार्वजनिक रूप से माफी मांगी
ट्रंप ने 'बीबी' को क्यों दिखाई आंख? पश्चिम एशिया में रूस और ईरान के विस्तार से अमेरिका परेशान
Trump warns Israel: पश्चिम एशिया के नक्शे में सीरिया को चौराहा कहा जाता है. क्योंकि, सीरिया का भूगोल युद्ध और गठबंधन से कहीं ज्यादा ताकतवर माना जाता है, जिसकी वजह से इसे राजनीतिक भाषा में की स्टोन भी कहा जाता है. इसी के चलते अब सीरिया को लेकर ट्रंप का बयान सुर्खियों में आ गया है.
पाकिस्तान फिर सुलग रहा है। इमरान खान की पार्टी 'पीटीआई' सरकार को बख्शने के मूड में नहीं है। समर्थक पूर्व पीएम की सेहत को लेकर पुख्ता जवाब मांग रहे हैं। फिर पार्टी ने ऐलान किया कि मंगलवार को आदियाला जेल और राष्ट्रीय राजधानी में विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। इसके बाद ही ट्विन सिटिज इस्लामाबाद और रावलपिंडी में धारा 144 लागू (1 से 3 दिसंबर) करने का ऐलान किया गया। गृह राज्य मंत्री तलाल चौधरी ने धमकी भरे अंदाज में कहा है कि जो इसका उल्लंघन करेगा उस पर कार्रवाई निश्चित तौर पर होगी
NCP warnspolitical confusion ahead of 2026 Bangladesh elections: बांग्लादेश अगले साल चुनाव से पहले बढ़ती अनिश्चितता और राजनीतिक उथल-पुथल का सामना कर रहा है. ऐसे समय में राजनीतिक दलों के बीच सुधारों को लेकर मतभेद और सत्ता की दौड़ ने देश की राजनीतिक स्थिरता पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
What is siloviki:भारत में पुतिन आने वाले हैं. पुतिन दौरे के साथ उनके'सिलोविकी' की चर्चा भी होने लगी है. इससे पहले आप लोग दिमाग पर जोर दे, हम आपको बता दें किपुतिन जब भी कहीं जाते हैं, उनके साथ एक बहुत छोटा और भरोसेमंद ग्रुप होता है. इन्हें आम भाषा में 'सिलोविकी' कहते हैं. यानी वो लोग जो कभी KGB या खुफिया एजेंसी में थे और आज भी पुतिन के सबसे करीब हैं. इनके बिना पुतिन कहीं नहीं जाते. आइए जानते हैं 'सिलोविकी' की कहानी?

