मिसलेनियस / अजमेरनामा
हाल ही ब्रह्माजी के बारे में अजमेरनामा डॉट कॉम में प्रकाशित जानकारी पर अजमेर के सुपरिचित बुद्धिजीवी श्री रमेश टेहलानी ने प्रतिक्रिया में कुछ सवाल उठाए
हाल ही वरिष्ठ पत्रकार श्री ओम माथुर ने अपनी बेकद्री के जिम्मेदार अफसर खुद भी हैं शीर्षक से ब्लॉग लिखा है। उनके अनुसार अधिकारियों को सार्वजनिक रूप से अ
शास्त्रानुसार अब तक स्थापित तथ्य यह है कि जगतपिता ब्रह्माजी का एक ही मंदिर तीर्थराज पुष्कर में स्थित है। ऐसा सावित्री माता के श्राप के कारण है। इस सिल
हाल ही ब्रह्माजी के बारे में अजमेरनामा डॉट कॉम में प्रकाशित जानकारी पर अजमेर के सुपरिचित बुद्धिजीवी श्री रमेश टेहलानी ने प्रतिक्रिया में कुछ सवाल उठाए
यह सर्वविदित है कि ब्रह्माजी का एक मात्र मंदिर तीर्थराज पुष्कर में है। ऐसा देवी सावित्री के श्राप की वजह से बताया जाता है। शास्त्रों में इसका उल्लेख ह
जनता का सवाल मेला किसके लिए vvip के लिए या आमजनता के लिए । कोई भी फंक्शन होता है या कोई आर्टिस्ट आता है उसमें vvip के लिए ऐसी व्यवस्था करी जाती है कि
अजमेर में ऐसे कई किरदार रहे हैं, जिनकी अजमेर की बहबूदी में अहम भूमिका रही है, मगर उनकी पहचान अतीत में खो गई है। कदाचित मौजूदा पीढी तो उनके नाम तक से व
डॉ सतीश वर्मा शिक्षाविद भी थे। वे DAV College, अजमेर में Botany के बहुत ही अच्छे लेक्चरार हुआ करते थे । BSc में पढ़ाई के दौरान मैं उनके इसी बंगले में
कार्तिक एकादषी से धार्मिक पुश्कर मेला आरंभ हो गया, मगर पिछले कुछ सालों की तरह इस बार भी, वह कहावत चरितार्थ नहीं हुई कि पुश्कर सरोवर का पाली हिलने पर क
शुरू से ही तीन के आंकड़े का अजमेर से काफी पुराना रिश्ता-नाता रहा है। यह तथ्य जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के सेवानिवृत्त अधिशाषी अभियंता व व्यंग्य ले
होम्योपैथी जगत के एक प्रमुख स्तंभ डॉ. सतीश वर्मा अब हमारे बीच नहीं हैं। हाल ही उनका देहावसान हो गया। उनकी उम्र 91 वर्ष थी। अलवर गेट स्थित सेवा मंदिर ह
राज्य में नई सरकार के गठन को एक साल होने को है, मगर अब तक अजमेर विकास प्राधिकरण के बोर्ड का गठन नहीं किया गया है। चाहे इसके लिए सत्तारूढ़ भाजपा की भीतर
1866-68: मेजर डेविडसन 1868-73: केप्टन एच. एम. रिप्टन 1876र: मिस्टर जेम्स व्हाइट 1883: मिस्टर जे. आर. फिटजाल्ट 1883-84: मिस्टर जे. ई. किट्स 1884: कैप्ट
सन् 1946 से 1952 तक अजमेर राज्य के संचालन के लिए चीफ कमिश्नर को राय देने के लिए सलाहकार परिषद् बनी हुई थी। इस में सर्वश्री बालकृष्ण कौल, किशनलाल लामरो
नगर निगम चुनाव को लेकर कितनी मारामारी मचती है, सब जानते हैं। हर छोटा-मोटा नेता चाहता है कि उसे पार्टी टिकट दे दे। उसके लिए साम, दाम, दंड, भेद की नीति
राजस्थान प्रदेश में विलय से पहले अजमेर एक स्वतंत्र राज्य था। केन्द्र सरकार की ओर से इसे सी स्टेट के रूप में मान्यता मिली हुई थी। सन् 1946 से 1952 तक अ
अरावली पर्वत श्रृंखला का नाग पर्वत अजमेर और पुष्कर को अलग करता है सृष्टि के रचियता ब्रह्माजी की यज्ञस्थली और ऋषियों की तपस्या स्थली तीर्थगुरु पुष्कर न
अजमेर के पत्रकार साथियों के कृतिव एवं व्यक्तित्व के बारे एक सीरीज लिखी तो मेरे पत्रकार साथी श्री अमित टंडन ने आग्रह किया कि अपने बारे में भी तो कुछ लि
प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय श्री ज्वाला प्रसाद शर्मा की धर्मपत्नी स्वर्गीया श्रीमती क्रांतिदेवी ने आजादी के आंदोलन में पति के साथ कंधे से कंधा
अजमेर शहर जिला कांग्रेस अध्यक्ष रहे एडवोकेट जसराज जयपाल अपने आप में एक संस्था हैं। आजादी के बाद अजमेर की राजनीति में उनके परिवार का खासा वर्चस्व बना ह
अजमेर ने हाल ही प्रमुख समाजसेवी श्री श्यामसुंदर छापरवाल को खो दिया। वे न केवल प्रतिष्ठित व्यवसायी थे, अपितु आध्यात्मिक नगर अजमेर में आयोजित विशाल धार्
डॉ. सुरेश गर्ग का नाम परिचय का मोहताज नहीं। शहर का शायद ही कोई ऐसा जागरूक व्यक्ति होगा, जो उनको न जानता हो, या जिसने इस हरदिल अजीज शख्सियत का नाम न सु
आपको यह जान कर अचरज हो सकता है कि क्या मनोसंवाद विधि से, पश्यंति वाणी से कोई पुस्तक लिखी जा सकती है। जी हां, अजमेर के विद्वान श्री शिव शर्मा ने यह उपल
श्री गोविंद देव व्यास की गिनती राजस्थान के उन अधिकारियों में होती है, जिन्होंने राज्य की वित्तीय व्यवस्था को दिशा देने में अहम भूमिका अदा की है। यदि य
झालावाड़ के खानपुर में 1 जून, 1935 को जन्मे डॉ. बद्रीप्रसाद पंचोली राजस्थान के प्रतिष्ठित साहित्यकार, प्रख्यात वेद विज्ञ, शिक्षाविद, पत्रकार, सामाजिक व
राजनीति की समझ रखने वालों में से कम लोगों को ही जानकारी होगी कि राजस्थान विशेष पिछडा वर्ग आयोग के अध्यक्ष रहे जस्टिस स्वर्गीय श्री इंद्रसेन इसरानी अजम
ठीयों की बात हो और पान की दुकानें ख्याल में न आएं, ऐसा कैसे हो सकता है। वस्तुतः ये भी शहर की पंचायती करने वालों से सजती रही हैं। एक समय क्लॉक टावर थान
पिछले किस्से में हमने नाले शाह की मजार का जिक्र किया था। दैनिक राज्यादेश व दैनिक मरु प्रहार के संपादक श्री गोपाल सिंह लबाना ने जानकारी दी है कि नाले श
पूरे राजस्थान में अजमेर के मीडिया की विषेश पहचान है। विषेश रूप से खोजपूर्ण पत्रकारिता में यह अग्रणी रहा है। अजमेर की ज्वलंत समस्याओं के लिए यहां का मी
दरगाह ख्वाजा साहब और तीर्थराज पुष्कर को अपने आंचल में समेटे अजमेर की पावन धरा को सांप्रदायिक सौहार्द की नगरी कहा जाता है। अनेक झंझावातों में इसका पुर
शहर के चंद बुद्धिजीवियों को ही पता है कि अजमेर में एक स्थान नाले शाह की मजार के नाम से जाना जाता था। अब उसका कोई नामो-निशान नहीं है। दरअसल न तो नाले श
शहर के वयोवृद्ध एवं प्रतिष्ठित पत्रकारों में शुमार रहा है स्वर्गीय श्री अभय कुमार जैन का नाम। वे बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। अनेक वर्ष तक अजमेर जिल
अजमेर उत्तर जो कि पूर्व में अजमेर पश्चिम सीट रही, के भूतपूर्व कांग्रेस विधायक स्वर्गीय श्री नानकराम जगतराय की छवि कितनी साफ सुथरी थी, इसका अनुमान इसी
अजमेर में कांग्रेस के कार्यक्रमों में अतिरिक्त सक्रिय रहने वाले नेता अतुल अग्रवाल भाजपा में शामिल हो गए हैं। वे भूतपूर्व कांग्रेस नेता स्वर्गीय श्री स
हाल ही अखबारों में इस शीर्षक की खबर पढने को मिली कि हर साल की तरह इस साल भी मुस्लिम परिवार ने तैयार किया रावण का पुतला। बहुत सुखद लगा। सांप्रदायिक सद्
किशनगढ़ के भूतपूर्व विधायक स्वर्गीय श्री केसरीचंद चौधरी अपने समकालीन कांग्रेसी नेताओं में अलग ही पहचान रखते थे। आम कार्यकर्ताओं से उनका गहरा लगाव था। उ