गुरुग्राम में जिला प्रशासन ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए भूमि के प्रस्तावित कलेक्टर रेट जारी कर दिए हैं। इन नए रेट्स में कृषि, रिहायशी और कॉमर्शियल भूमि के दामों में उल्लेखनीय बढ़ोतरी प्रस्तावित की गई है। सबसे अधिक बढ़ोतरी द्वारका एक्सप्रेसवे से सटे बजघेड़ा गांव की कृषि भूमि में देखी गई है, जहां दरों में 145 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी प्रस्तावित है। वहीं सरहौल गांव की कृषि भूमि के रेट 108 प्रतिशत तक बढ़ाए जाने का प्रस्ताव है। पुराने गुड़गांव के रिहायशी क्षेत्रों में भी 77 प्रतिशत की बढ़ोतरी की बात कही गई है। इन प्रस्तावित कलेक्टर रेट्स को जिला प्रशासन की वेबसाइट gurugram.gov.in पर अपलोड कर दिया गया है, ताकि आम लोग इन्हें देखकर अपनी प्रतिक्रिया दे सकें। आपत्तियां दर्ज करने के लिए 30 घंटे जिला प्रशासन ने आमजन को इन प्रस्तावित दरों पर अपनी राय, सुझाव या आपत्तियां दर्ज करने के लिए कल एक बजे तक समय दिया है। हालांकि कुछ लोग इसे बहुत ही कम समय मान रहे हैं। उपायुक्त अजय कुमार ने बताया कि जिला प्रशासन ने कलेक्टर रेट के निर्धारण की प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और समावेशी बनाने के लिए आमजन को अपनी राय और आपत्तियां दर्ज करने का पूरा अवसर प्रदान किया है। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि जिले के निवासी इन प्रस्तावित दरों को ध्यानपूर्वक देखें और यदि उन्हें कोई सुझाव या आपत्ति है, तो वे निर्धारित समय सीमा के भीतर अपनी प्रतिक्रिया दर्ज करें। इससे न केवल प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी, बल्कि कलेक्टर रेट का निर्धारण भी अधिक न्यायसंगत होगा। उन्होंने बताया कि यह प्रक्रिया जिला प्रशासन की ओर से हर साल आयोजित की जाती है, ताकि भूमि की कीमतों को वर्तमान बाजार मूल्यों और क्षेत्र की प्रगति के अनुरूप रखा जा सके। गुरुग्राम जैसे तेजी से विकसित हो रहे शहर में, जहां रियल एस्टेट और इन्फ्रास्ट्रक्चर का तेजी से विकास हो रहा है, कलेक्टर रेट का समय-समय पर पुनरीक्षण आवश्यक हो जाता है। सुझाव और आपत्तियां दर्ज करने की प्रक्रियाऑफलाइन: नागरिक अपनी आपत्तियां या सुझाव संबंधित तहसील या उप-तहसील कार्यालयों में जमा कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, गुरुग्राम के लघु सचिवालय की दूसरी मंजिल पर स्थित कक्ष संख्या 212 में भी आवेदन स्वीकार किए जाएंगे। ईमेल: आमजन अपनी आपत्तियां और सुझाव आधिकारिक ईमेल पते drogrg@hry.nic.in पर भेज सकते हैं। यह सुविधा उन लोगों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है जो व्यक्तिगत रूप से कार्यालय नहीं पहुंच सकते। समय सीमा के बाद नहीं होंगी स्वीकार जिला राजस्व अधिकारी (डीआरओ) विजय यादव ने बताया कि आमजन अपनी आपत्तियां और सुझाव विभिन्न माध्यमों से दर्ज कर सकते हैं। इसके लिए की विकल्प उपलब्ध करवाए गए हैं। सुझाव और आपत्तियां 31 जुलाई 2025, दोपहर 1:00 बजे तक जमा कर दी जाएं। इसके बाद प्राप्त आवेदनों पर विचार नहीं किया जाएगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सभी प्राप्त सुझावों और आपत्तियों का गहन विश्लेषण किया जाएगा और अंतिम कलेक्टर रेट तय करने से पहले इन पर विचार किया जाएगा।कलेक्टर रेट का महत्व कलेक्टर रेट को सर्किल रेट भी कहा जाता है और यह किसी क्षेत्र में भूमि और संपत्ति के न्यूनतम मूल्य को दिखाता है। जिसके आधार पर स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन शुल्क की गणना की जाती है। यह रेट सरकार द्वारा निर्धारित किया जाता है और इसका उपयोग संपत्ति की खरीद-बिक्री, रजिस्ट्री, और अन्य कानूनी प्रक्रियाओं में होता है। गुरुग्राम जैसे शहर में जहां रियल एस्टेट का बाजार तेजी से बढ़ रहा है, कलेक्टर रेट का निर्धारण न केवल आमजन के लिए, बल्कि रियल एस्टेट डेवलपर्स, निवेशकों और सरकारी राजस्व के लिए भी महत्वपूर्ण है। मिलेनियम सिटी बन चुका है गुरुग्राम गुरुग्राम को भारत का ‘मिलेनियम सिटी’ भी कहा जाता है, पिछले कुछ दशकों में रियल एस्टेट और कॉर्पोरेट हब के रूप में तेजी से उभरा है। शहर में बड़ी संख्या में बहुराष्ट्रीय कंपनियां, आईटी पार्क, और रिहायशी परियोजनाएं स्थापित हो चुकी हैं। द्वारका एक्सप्रेसवे जैसे बुनियादी ढांचा परियोजनाओं ने इस क्षेत्र को और आकर्षक बना दिया है। इसके परिणामस्वरूप, भूमि और संपत्ति की कीमतों में लगातार वृद्धि हो रही है। प्रस्तावित कलेक्टर रेट में वृद्धि इस बात का संकेत है कि गुरुग्राम में रियल एस्टेट बाजार की मांग बनी हुई है। हालांकि, इस वृद्धि से संपत्ति की खरीद-बिक्री पर स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन शुल्क में भी वृद्धि होगी, जिसका असर आम खरीदारों और निवेशकों पर पड़ सकता है।
गुरुग्राम में रहने वाली फ्रांसीसी महिला ने गंदगी को लेकर दोबारा अपना गुस्सा जाहिर किया। उसने एमजी रोड के सिकंदरपुर मेट्रो स्टेशन के आसपास के क्षेत्र का दौरा किया और वहां के और फोटो सोशल मीडिया पर अपलोड कर सफाई व्यवस्था पर सवाल खड़े किए। सोशल मीडिया पर डाली पोस्ट में मैथिलडे आर ने लिखा कि चूंकि @MunCorpGurugram ने अपने सघन सफाई अभियान के लिए नागरिकों से सुझाव मांगे हैं, इसलिए मैंने गुरुग्राम के सबसे गंदे इलाकों में से एक सिकंदरपुर मार्केट का दौरा करने का फैसला किया। बेहद परेशान करने वाला सीन महिला ने बताया कि चमचमाती साइबर सिटी से सिर्फ़ 500 मीटर की दूरी पर और गुरुग्राम के प्रवेश द्वार पर स्थित यह शहर का सबसे बड़ा और व्यस्ततम मेट्रो स्टेशन भी है। लेकिन वहां सिर्फ़ 20 मिनट में मैंने ऐसे दृश्य देखे जो बेहद परेशान करने वाले थे। यहां सड़कें हरे सीवेज से भरी हुई थीं जिससे मुझे लगभग उल्टी आ गई, कुछ कदमों पर कचरा, और रुके हुए पानी से भरे खुले कूड़ेदान जो ऐसे लग रहे थे, जैसे सालों से वहां पड़े हों-टाइफाइड के लिए स्वर्ग है। अवैध अतिक्रमण के कारण फुटपाथ पूरी तरह से गायब हो गए हैं। ग्रीन बेल्ट पर कब्जा, एक भी पौधा नहींफ्रांसीसी महिला ने लिखा कि हरित पट्टी पर पूरी तरह से कब्ज़ा कर लिया गया है, और एक भी पौधा नहीं बचा है। यहां के दुकान मालिकों ने मुझे बताया कि इस इलाके की सालों से सफाई नहीं हुई है। इस मेट्रो स्टेशन से रोज़ाना हज़ारों लोग गुज़रते हैं, जिन्हें ट्रेन पकड़ने के लिए खुले सीवर और रिक्शा के बीच से गुज़रना पड़ता है। उन्होंने आगे लिखा कि आज मैंने @MunCorpGurugram के प्रयास के तहत, साड़ी पहने दो महिलाओं को एक व्यक्ति की देखरेख में झाड़ू लगाते देखा। खानापूर्ति के लिए तैनात सफाईकर्मीउनके पास न तो कूड़े के थैले थे, न ही कोई सुरक्षात्मक उपकरण। वे सिर्फ़ दो झाडू लिए हुए थे। एक बार तो उन्होंने सीधे मेरे चेहरे पर धूल भी झाड़ दी। साफ़ था कि वे बिना कोई कचरा उठाए बस गंदगी को एक जगह से दूसरी जगह सरका रही थीं। बस एक प्रतीकात्मक प्रयास में वो लगी हुई थी। फ्रांसीसी महिला बोली-झूठ नहीं बोलूंगीफ्रांसीसी महिला ने कहा कि झूठ नहीं बोलूंगी, कभी-कभी यह समझना मुश्किल होता है कि इस तरह की बकवास कैसे होती है। यह अवास्तविक लगता है, जैसे आखिर यहां क्या हो रहा है?सच कहूं तो सिर्फ़ एक वर्ग किलोमीटर में गंदगी का स्तर बहुत ज़्यादा है। दो बिना उपकरणों वाले मज़दूर जिनके पास कचरा इकट्ठा करने या हटाने का कोई साधन नहीं है, शायद ही इसमें कोई कमी ला पाएं। अगर हम सचमुच सिकंदरपुर और पूरे गुरुग्राम को साफ़ करना चाहते हैं, तो इसके लिए मज़दूरों की एक पूरी फ़ौज और सैकड़ों मशीनों की ज़रूरत होगी जो कई दिनों तक काम करेंगी। दुर्भाग्य से नगर निगम के मौजूदा ठेकेदारों के पास बहुत कम उपकरण हैं। झाड़ू से अब काम नहीं चलेगा कुछ झाड़ू से अब काम नहीं चलेगा। शहर को सड़कों पर जमी सड़ती गंदगी को धोने के लिए उच्च दबाव वाली वाटर जेट मशीनों की ज़रूरत है, साथ ही छोटे प्लास्टिक कचरे को हटाने के लिए मशीनों द्वारा समर्थित गहन मैन्युअल सफ़ाई की भी। इस तरह की प्रतिबद्धता के बिना, मुझे नहीं लगता कि यह परियोजना कैसे सफल हो सकती है। नागरिकों के रूप में, हम मदद के लिए तैयार हैं।