मुख्य समाचार / दैनिक भास्कर
अगर नॉर्थ कोरिया में रहते हुए मुंह से आइसक्रीम, हैमबर्गर और हॉट डॉग जैसे शब्द निकल गए तो इसे देशद्रोह समझा जाएगा. और इसके लिए जेल या फांसी की सजा भी ह
दैनिक भास्कर की इलेक्शन सीरीज 'नरसंहार' के सातवें एपिसोड में आज कहानी सेनारी नरसंहार की... ये कहानी है 18 मार्च 1999 की। अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्
‘54 साल की थी जब कनाडा में पति ने मुझे तलाक दे दिया। भारत लौटी तो बहुत परेशान थी। यहां मुझे अपने से 20 साल छोटे लड़के निखिल से प्यार हो गया। शादी के ल
22 अगस्त की बात है। राजस्थान में ईंट-भट्ठे पर मजदूरी करने वाले सुरेश के पांव तले तब जमीन खिसक गई, जब उनका 6 महीने का बेटा गायब हो गया। वो भी तब जब पूर
भारत में शादी को एक पवित्र बंधन माना जाता है, अग्नि को साक्षी मानकर दो लोग एक दूसरे के साथ 7 जन्म बिताने की कस्में खाते हैं लेकिन इसी भारत में कम से क
गुजरात के वडनगर का काला वासुदेव चौक। खपरैल की छत वाला छोटा सा घर। ये घर था चाय की रेहड़ी चलाने वाले दामोदरदास और हीराबा का। 17 सितंबर 1950 यानी आज ही
‘8 सितंबर को प्रदर्शन से ठीक पहले हमारी पार्टी की मीटिंग हुई थी। इसमें बात हुई थी कि बच्चों का आंदोलन खड़ा हो रहा है। अगर उसमें हिंसा होगी, तो लोगों क
दोनों घुटनों की सर्जरी वाले मरीज पर 40 हजार, IVF वाले मरीज पर 22 हजार और MRI/ CT स्कैन वाले मरीज पर 20 फीसदी कमीशन। ज्यादा मरीज भेजेंगे तो उत्तराखंड म
दैनिक भास्कर की इलेक्शन सीरीज 'नरसंहार' के छठे एपिसोड में आज शंकर बिगहा नरसंहार और राबड़ी सरकार बर्खास्त करने की कहानी... बात 25 जनवरी 1999 की है। देश
एक शख्स के पहले हाथ, पैर के नाखूनों से तने निकलने लगे फिर शरीर की खाल पेड़ की छाल में बदलने लगी. अब परेशान होकर उसने अपने हाथ काटने की गुहार लगाई है.
दैनिक भास्कर की इलेक्शन सीरीज 'नरसंहार' के पांचवें एपिसोड में आज कहानी लक्ष्मणपुर बाथे नरसंहार की... राबड़ी देवी को बिहार की मुख्यमंत्री बने पांच महीन
‘कभी पेपर लीक हो जाता है, कभी नकल हो जाती है, कभी सिस्टम खराब तो कभी कुछ। इतने बड़े एग्जाम में ऐसे सर्वर डाउन हो जाना सही है क्या। एग्जाम ही कैंसिल कर
एक तरफ जहां दुनियाभर में EVM और बैलेट पेपर जैसे तरीको से वोटिंग की जाती है. वहीं, नेपाल में जनरेशन z ने अपनी पहली महिला प्रधानमंत्री गेमर्स के लिए बने
दैनिक भास्कर की इलेक्शन सीरीज 'नरसंहार' के चौथे एपिसोड में आज कहानी बथानी टोला नरसंहार की... बिहार की राजधानी पटना से करीब 90 किलोमीटर दूर भोजपुर जिले
1997 से 2012 में जन्मी पीढ़ी, जो इंटरनेट और स्मार्टफोन के साथ बड़ी हुई। जिसे आलसी और कन्फ्यूज्ड माना गया और जिसका फोकस 8 सेकेंड से ज्यादा नहीं रहता। उ
‘ये कोई 2-4 दिन का आंदोलन नहीं था। हमने कई महीनों की प्लानिंग और रिसर्च के बाद इसे खड़ा किया। हम पिछले दो साल से लगातार मेहनत कर रहे थे और एक-एक कर यु